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    (2)

    अवलोकन, सकं्षिप्त इततहास और भारतीय सवंवधान का ववकास

    ब्रिटिश प्रशासन को मोिे तौर पर दो चरणों में बाांिा जा सकता है, वह है (1) कां पनी प्रशासन (1773-1857) (2) क्राउन प्रशासन (1858-19 47) ननम्नलिखित महत्वपूणण अधिननयम, ननयम और ववकास हैं जो की वतणमान भारतीय राजनीनत के ववकास की ओर अग्रसर हैं।

    कंपनी प्रशासन अधधतनयम ववतनयमन - 1773 (1) 'गवनणर' का पद अब 'गवनणर-जनरि' बनाया गया है और बांगाि ऐसा पहिा प्राांत था जहा के पहिे गवनणर-जनरि वॉरेन हेस्िांग्स थे, उन्हें चार सद्यों की कायणकारी पररषद ने सहायता प्रदान की। (2) किकत्ता में सुप्रीम कोिण की ्थापना एक मुख्य न्यायािीश और तीन अन्य न्यायािीशों के साथ हुई थी। सर एिीया इांपी मुख्य न्यायािीश थ े

    वपट्स इंडिया एक्ट - 1784 (1) भारत में राजनीनतक मामिों का प्रबांिन करने के लिए एक और सांगठन- 'ननयांत्रण का बोर्ण' बनाया गया। हािाांकक ननदेशक मांर्ि को वाखणसययक मामिों के प्रबांि करने के लिए रिा गया । (2) इस प्रकार, कां पननयों के अधिकार को पहिी बार 'भारत में ब्रिटिश अधिकार' नाम कहा गया और वाखणसययक शािा का नेततृ्व ननदेशक मांर्ि और राजनीनतक दि का नतेतृ्व ननयांत्रण मांर्ि कर रहे है। (3) इस अधिननयम को तत्कािीन ब्रिटिश प्रिान मांत्री ववलियम वपि न ेपेश ककया था

    चाटटर अधधतनयम - 1813 ब्रिटिश ई्ि इांडर्या कां पनी के व्यापाररक अधिकारों के एकाधिकार को समाप्त ककया और अन्य कां पननयों को भारत के साथ व्यापाररक गनतववधियों में भाग िेने की इजाजत दी।

    चाटटर अधधतनयम - 1833 (1) बांगाि के गवनणर जनरि के पद के ्थान पर भारत के गवनणर जनरि पद बनाया गया। मद्रास और बॉम्बे की अध्यक्षताएां वविायी शसततयों के साथ उनसे िे िी गयी और किकत्ता की अध्यक्षता के अिीन कर टदया गया। ववलियम बेंटिक भारत के पहिे गवनणर जनरि थे। (2) इस अधिननयम ने पूरी तरह से कां पनी की व्यावसानयक गनतववधियों को समाप्त कर टदया। कां पनी अस्तत्व में थी, िेककन यह एक ववशुद्ि प्रशासननक और राजनीनतक सांगठन बन गई थी।

    चाटटर अधधतनयम - 1853 (1) एक अिग गवनणर जनरि की वविान पररषद की ्थापना की गयी। (2) भारतीयों के लिए लसववि सेवा में िुिी प्रनतयोधगता प्रणािी का पररचय ककया गया। इस उद्देश्य के लिए मकैािे सलमनत का गठन हुआ (1854) सत्यसेन नाथ िैगोर 1863 में उस सेवा को पास करने वािे पहिे भारतीय बन गए। (3) नोि - भारत में लसववि सेवा के वपता - िॉर्ण चार्लसण कोनवलिस तयोंकक उनके भारत में नागररक सेवाओां के आिुननकीकरण के प्रयासों के कारण।

    क्राउन प्रशासन

    1858 भारत सरकार अधधतनयम (1) इस ेभारत की अच्छी सरकार के अधिननयम के रूप में भी जाना जाता है। (2) ब्रिटिश ई्ि इांडर्या कां पनी को समाप्त कर टदया मुगि प्रशासन को भी समाप्त कर टदया गया। (3) गवनणर जनरि के पद को समाप्त कर टदया और एक नया पो्ि वायसरॉय बनाया। िॉर्ण कैननांग भारत के पहिे वायसराय बनाये गये। (4) इसके अिावा भारत के लिए सधचव-रायय बनाया गया और इनकी मदद के लिए 15-सद्यीय पररषद बनायीां गयी। यह सद्य ब्रिटिश सांसद के सद्य थे।

    भारतीय पररषद अधधतनयम 1861 (1) वाइसराय की कायणकारी पररषद का वव्तार ककया गया। कुछ भारतीयों को गैर-सरकारी सद्य के रूप में नामाांककत करने के लिए उनके लिए प्राविान ककए गए। िॉर्ण कैननांग न ेबनारस के राजा, पटियािा के महाराजा और सर टदनकर राव को नामाांककत ककया। (2) बांगाि के लिए नई वविान पररषदें (1862), उत्तरपसश्चमी सीमावती प्राांत (1866) और पांजाब (1897) की ्थापना हुई।

    भारतीय पररषद अधधतनयम 1892 (1) तत्कािीन भारत में बजि चचाण का अधिकार वविायी पररषद को टदया गया। (2) बढाई गयी पररषदों और कुछ सद्यों को कें द्र क साथ साथ प्राांतीय वविान पररषद में नामाांककत ककया जा सकता है।

    भारतीय पररषद अधधतनयम 1909 (1) यह अधिननयम मॉिे-लमांिो सिुार के रूप में भी जाना जाता है। (2) केन्द्रीय वविान पररषद में सद्यों की सांख्या 16 से बढ़कर 60 की गयी। (3) सत्येंद्र प्रसाद लसन्हा वाइसराय की कायणकारी पररषद के लिए कानून सद्य के रूप में नामाांककत होन ेवािे पहिे भारतीय बने।

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    (3)

    (4) साांप्रदानयक मतदाता पेश ककया गया था। मुस्िमों को अपन ेप्रनतननधियों का चुनाव करन े के लिए अिग प्रनतननधित्व टदया गया। इसलिए, लमांिो को 'साांप्रदानयक मतदाता के वपता' के रूप में भी जाना जाता है।

    भारत सरकार अधधतनयम 1919 (1) यह अधिननयम मोंिेग-चेम्सफोर्ण सुिार के नाम से भी जाना जाता है और यह 1921 में िागू हुआ था। (2) यहा केन्द्रीय और प्राांतीय ववषयों या सूधचयों को पेश ककया गया जहाां वे अपने सांबांधित सूधचयों को कानून तैयार कर सकते थे। प्राांतीय ववषयों को ह्ताांतररत और आरक्षक्षत में ववभासजत ककया गया था। इस प्रकार, इस अधिननयम न ेदोहरा शासन की शुरुआत कक। (3) द्ववसदन और प्रत्यक्ष चुनाव शुरू ककए गए।

    भारत सरकार अधधतनयम 1935 (1) इकाइयों के रूप में प्राांतों और ररयासतों के साथ अखिि भारतीय सांघ की ्थापना की गयी। महासांघ कभी भी अस्तत्व में नहीां आया तयोंकक ररयासतों न ेइस ेशालमि नहीां ककया था। (2) प्राांतों में समाप्त हुई दोहरा शासन और इसके ्थान पर 'प्राांतीय ्वायत्तता' पेश की। िेककन कें द्र में यह दोहरा शासन शुरू ककया; हािाांकक वह कभी भी अस्तत्व में नहीां आया था। (3) साथ ही साथ उदास वगों के लिए अिग-अिग मतदाताओां के साथ-साथ प्रान्तों में द्ववसदन भी शुरू ककया। (4) कें द्र में आरबीआई और एक सांघीय अदाित की ्थापना की गयी।

    भारतीय स्वतंत्रता अधधतनयम 1947 (1) ववभाजन योजना या माउां िबेिन योजना (3 जून 1947) देश के ववभाजन और आथिी घोषणा (20 फरवरी 1947) को देश को ्वतांत्रता प्रदान करन ेके लिए प्रभाव देना था। (2) भारत और पाकक्तान के दो ्वतांत्र आधिकाररक रूप से ननलमणत ककये गये, ब्रिटिश शासन समाप्त हो गया और अपन े्वतांत्र सांवविानों को तैयार करने के लिए दो ्वतांत्र राष्ट्रों के घिक वविानसभा को अधिकृत ककया। (3) भारतीय ्वतांत्रता वविेयक को 18 जुिाई, 1947 को शाही सहमनत लमिी।

    संववधान का संववधान सभा और सववधंान का तनमाटण - महत्वपूणट ब दं ु

    1. यह एम.एन. रॉय थ ेसजसने 1934 में भारत के लिए एक ्वतांत्र घिक सांघ का ववचार प्र्ताववत ककया था। 2. सांवविान सभा का गठन कैब्रबनेि लमशन योजना, 1946 द्वारा टदए गए टदशाननदेशों के अनुसार ककया गया था। लमशन का नेततृ्व पेटठक िॉरेंस न े ककया था और उनके अिावा दो अन्य सद्य शालमि थे - ्िैफोर्ण कक्रप्स और ए.वी अिेतजेंर्र।

    3. वविानसभा की कुि सांख्या 389 थी। हािाांकक, ववभाजन के बाद केवि 299 ही बने रहे। यह आांलशक रूप से चुने गए और आांलशक रूप स ेनामाांककत ननकाय थे। 4. वविानसभा बनान ेके लिए चनुाव जुिाई-अग्त 1946 में हुए और नवांबर 1946 तक इस प्रकक्रया का कायण पूरा हो गया। वविानसभा की पहिी बैठक 9 टदसांबर, 1946 को हुई और 211 सद्य उपस्थत थे। 5. र्ॉ ससच्चदानांद लसन्हा फ्रें च अभ्यास के बाद वविानसभा के अ्थायी अध्यक्ष बने। 6. 11 टदसांबर, 1946 को र्ॉ राजेन्द्र प्रसाद और एच सी मुिजी को क्रमशः राष्ट्रपनत और उपाध्यक्ष के रूप में चुना गया था। 7. सर बी एन राव को वविानसभा के सांवैिाननक सिाहकार के रूप में ननयुतत ककया गया। 8. 13 टदसांबर, 1946 को पां. नेहरू न ेउद्देश्य के सांकर्लप को आगे बढ़ाया, जो बाद में सांवविान का प्र्तावना बन गया थोडा सांशोधित रूप प्र्ताव 22 जनवरी, 1947 को सवणसम्मनत से अपनाया गया था। 9. सांवविान सभा ने मई, 1949 में भारत की राष्ट्रमांर्ि की सद्यता की पुसष्ट्ि की। साथ ही, 24 जनवरी 1950 को राष्ट्रीय गीत और राष्ट्रीय गान ्वीकार कर लिया गया। 22 जुिाई, 1947 को राष्ट्रीय ध्वज को अपनाया। 10. 11 सत्रों के लिए वविानसभा की बैठक हुई, अांनतम प्रारूप तैयार करन ेके लिए 2 साि, 11 महीने और 18 टदन िगे, कुि में 141 टदन बैठे और 114 टदन के लिए प्रारूप सांवविान पर ववचार ककया गया। कुि रालश 64 िाि रुपए के आसपास थी। 11. वविानसभा में 15 मटहिा सद्य थी जो ववभाजन के बाद 9 हो गयी थी। 12. घिक सम्मेिन के कुछ महत्वपूणण सलमनतयाां अपन ेसांबांधित अध्यक्षों के साथ इस प्रकार हैं:

    (A) कें द्रीय शसतत कमेिी:- जवाहर िाि नेहरू (B) सांघीय सांवविान सलमनत:- जवाहर िाि नेहरू (C) प्राांतीय सांवविान सलमनत:- सरदार पिेि (D) प्रारूप सलमनत:- बी आर अांबेर्कर (E) प्रककयाण ननयम समीनत:- र्ॉ. राजेन्द्र प्रसाद (F) सांचािन सलमनत- र्ॉ। राजेन्द्र प्रसाद

    13. ननम्नलिखित प्रारूप सलमनत के सद्य थ े(A) र्ॉ. बी आर अांबेर्कर (अध्यक्ष) (B) आिदी कृष्ट्ण्वामी अय्यर (C) र्ॉ. के एम मुांशी (D) एन गोपाि्वामी अय्यांगार (E) सयैद मोहम्मद सादरु्लिा (F) एन मािव राऊ (G) िीिी कृष्ट्णमाचारी

    14. सांवविान का अांनतम प्रारूप 26 नवांबर, 1949 को अपनाया गया था और इसमें 8 कायणक्रम, 22 भाग और 395 िेि शालमि हैं।

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    भारतीय संववधान के ववभभन्न स्रोत 1. भारत सरकार अधिननयम 1935 - सांघीय योजना, गवनणर का कायाणिय,

    न्यायपालिका, िोक सेवा आयोग, आपातकािीन प्राविान और प्रशासननक वववरण।

    2. ब्रिटिश सांवविान - सांसदीय सरकार, कानून का ननयम, वविायी प्रकक्रया, एकि नागररकता, कैब्रबनेि प्रणािी, ववशेष अधिकार, सांसदीय ववशेषाधिकार और द्ववसदनीयता

    3. अमेररकी सांवविान - मौलिक अधिकार, न्यायपालिका की ्वतांत्रता, न्यानयक समीक्षा, राष्ट्रपनत के महालभयोग, उच्चतम न्यायािय और उच्च न्यायािय के न्यायािीशों को हिान ेऔर उपाध्यक्ष पद का पद

    4. आयररश सांवविान - रायय नीनत के ननदेशक लसद्िाांत, रायय सभा में सद्यों के नामाांकन और राष्ट्रपनत के चुनाव की ववधि।

    5. कनार्ाई सांवविान - एक मजबूत कें द्र के साथ सांघ, कें द्र में शेष अवशेषों का ननपिा, कें द्र द्वारा रायय के राययपािों की ननयुसतत, और सुप्रीम कोिण की सिाहकार के्षत्राधिकार।

    6. ऑ्रेलियाई सांवविान - समवती सूची, व्यापार की ्वतांत्रता, वाखणयय और सांभोग, और सांसद के दोनों सदनों की सांयुतत बैठक

    7. जमणनी के वीमर सांवविान - आपातकाि के दौरान मौलिक अधिकारों का ननिांबन

    8. सोववयत सांवविान (यूएसएसआर, अब रूस) - प्र्तावना में मौलिक कतणव्यों और न्याय का आदशण (सामासजक, आधथणक और राजनीनतक)

    9. फ्राांसीसी सांवविान - गणरायय और प्र्तावना में ्वतांत्रता, समानता और ब्रबरादरी के आदशण।

    10. दक्षक्षण अफ्रीकी सांवविान - सांवविान में सांशोिन की प्रकक्रया और रायय सभा के सद्यों के चनुाव।

    11. जापानी सांवविान - कानून द्वारा ्थावपत प्रकक्रया

    भारतीय संववधान के भाग

    पार्टणस ववषय व्तु आटिणकि कवर I सांघ और उसके के्षत्रफि 1 स े4 II नागररकता 5 से 11 III मूिभूत अधिकार 12 से 35 IV रायय नीनत के चतुथण ननदेशक लसद्िाांत 36 से 51 IV- ए बुननयादी कतणव्यों 51-ए V कें द्र सरकार 52 से 151 VI रायय सरकारें 152 से 237 VIII कें द्र शालसत प्रदेशों 239 से 242 IX पांचायत 243 से 243-0 IX-A नगरपालिका 243-पी स े243-जीजी IX-B सहकारी सलमनतयों 243-जेएच स े243-जेर्ीिी X अनुसूधचत और जनजातीय के्षत्रों 244 से 244-ए

    XI सांघ और रायय क बीच में ररश्ते 245 से 263 XII ववत्त, सांपवत्त, सांववदा और मुक़दमे 264 से 300-ए XIII व्यापार, वाखणयय और भारत के के्षत्र के भीतर सांभोग 301 से 307 XIV सांघ और राययों के तहत सेवाए 308 से 323 XIV-1 न्यायाधिकरण 323-ए से 323-बी XV चुनाव 324 से 32 9-ए XVI कुछ वगण स ेसांबांधित ववशेष प्राविान 330 से 342 XVII आधिकाररक भाषा 343 से 351 XVIII आपातकािीन प्राविान 352 से 360 XIX ववववि 361 से 367 XX सांवविान के सांशोिन 368 XXI अ्थायी, सांक्रमणकािीन और ववशेष प्राविान 36 9 से 3 9 2 XXII िघु शीषणक, शुरू, टहांदी में आधिकाररक पाठ और रद्द 393 से 395

    भारतीय संववधान की अनुसूची:

    पहली अनुसूची: 1. राययों के नाम और उनके के्षत्रीय अधिकार के्षत्र 2. सांघ रायय के्षत्रों और उनकी सीमाओां के नाम।

    दसूरी अनसुूची: प्रनतभूनतयों, भत्ते, ववशेषाधिकार आटद से सांबांधित प्राविान।

    तीसरी अनुसूची: शपथ या प्रनतिारण के फामण आटद।

    चौथी अनुसचूी: राययों की पररषद में सीिों का आवांिन।

    पांचवी अनुसचूी: अनुसूधचत के्षत्रों और अनुसूधचत जनजानतयों के प्रशासन और ननयांत्रण स ेसांबांधित प्राविान

    छठी अनुसूची: असम, मेघािय, ब्रत्रपुरा और लमजोरम राययों में आटदवासी के्षत्रों के प्रशासन के प्राविान

    सातवी ंअनुसचूी: सूची I (सांघ सूची), सूची II (रायय सूची) और सूची III (समवती सचूी) के सांदभण में सांघ और राययों के बीच शसततयों का ववभाजन।

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    आठवें अनसुूची: सांवविान द्वारा मान्यता प्राप्त भाषाएां, मिू रूप स ेइसकी 14 भाषाए थी िेककन वतणमान में 22 भाषाए हैं। नोि: मैधथिी और सांथािी को 2003 के 92 वें सांशोिन अधिननयम द्वारा जोडा गया था।

    नौवी ंअनुसूची: भूलम सुिारों और जमीांदारी प्रणािी के उन्मूिन और रायय के वविायकों के अधिननयमों और ववननयम (मिू रूप से 13, िेककन वतणमान में 282), सांसद दसूरे मामिे स े ननपिने क लिए, पहिे सांशोिन (1951) द्वारा जोडा गया

    दसवीं अनुसूची: उर्लिांघन क आिार पर सांसद और रायय वविान मांर्िों के सद्यों की अयोग्यता 1985 के 52 वें सांशोिन अधिननयम द्वारा जोडा गया, सजस ेववरोिी चरमपांथी कानून भी कहा जाता है।

    ग्यारहवी अनुसूची: पांचायतों की शसततयाां, अधिकार और सजम्मेदाररयों को ननटदणष्ट्ि करता है इसमें 29 मामिे हैं यह अनुसूची 1993 के 73 वें सांशोिन अधिननयम द्वारा जोडी गयी थी।

    ारहवी अनुसूची: नगरपालिकाओां की शसततयाां, प्राधिकरण और सजम्मेदाररयों को ननटदणष्ट्ि करती है इसमें 18 मामिे हैं यह कायणक्रम 1992 के 74 वें सांशोिन अधिननयम द्वारा जोडा गया था।

    प्रस्तावना

    1. शब्द 'प्र्तावना' सांवविान के पररचय या प्र्तावना को सांदलभणत करता है। यह सांवविान का सार है।

    2. अमेररकन सांवविान प्र्तावना के साथ शुरू करन ेवािा पहिा रायय था।

    3. एन.ए. पािकीवािा ने प्र्तावना को 'सांवविान का पहचान पत्र' कहा है।

    4. कुछ हद तक 'उद्देश्य सांकर्लप' पर आिाररत (सांवविान सभा देिें) 5. प्र्तावना लसफण एक बार में सांशोधित कक गयी है, जो कक 1976 के

    42 वें सांशोिन अधिननयम द्वारा ककया गया है। इस सांशोिन स ेतीन शब्द शालमि ककए गए - समाजवादी,िमण ननरपेक्ष और अिांर्ता।

    6. प्र्तावना चार अवयवों या घिकों स ेपता चिता है: A. सांवविान के अधिकार का स्रोत: प्र्तावना बताती है कक सांवविान

    भारत के िोगों स ेअपना अधिकार प्राप्त करता है। B. भारतीय रायय की प्रकृनत: यह भारत को एक सावणभौम, समाजवादी,

    िमणननरपेक्ष िोकताांब्रत्रक और गणतांत्रवादी रायय के रूप में घोवषत करता है।

    C. सांवविान के उद्देश्य: भारत के नागररकों को न्याय, ्वतांत्रता, समानता और भाईचारा प्रदान करने के लिए है।

    D. सांवविान को अपनाने की तारीि: 26 नवांबर, 1949। 7. बरुभाडी सांघ मामिा (1960) - सुप्रीम कोिण ने कहा है कक प्र्तावना

    सांवविान का एक टह्सा नहीां है। 8. केशवानांद भारती मामिा (1973) - सवोच्च न्यायािय न ेपहिे की

    राय को िाररज कर टदया और कहा कक प्र्तावना सांवविान का एक टह्सा है।

    9. प्र्तावना न तो वविानमांर्ि की शसतत का स्रोत है और न ही वविानयका के अधिकारों पर प्रनतबांि है। प्र्तावना में प्राविान काननू के अदाित में िागू नहीां होत ेहैं, अथाणत यह गैर-न्यायसांगत है।

    संघ और इसका िेत्र

    1. सांवविान के भाग -1 में 1 से 4 के तहत सांघ और उसके के्षत्र के साथ काम करता है।

    2. अनुच्छेद 1- भारत, अथाणत,् 'राययों के सांघ' के रूप में भारत।

    3. अनुच्छेद 2- सांसद को 'सांघ में प्रवेश करने या ्थावपत करने, ऐस ेननयमों और शतों पर नए राययों को ्थावपत करने के लिए सशतत बनाता है, जसैा कक वह उधचत िगता है'। इस प्रकार, अनुच्छेद 2 सांसद में दो शसततयाां देता है:

    A. भारत सांघ के नए राययों में प्रवेश करन ेकी शसतत; और

    B. नए राययों को ्थावपत करन ेकी शसतत।

    4. अनुच्छेद 3- भारत के मौजूदा राययों के गठन या पररवतणनों स ेसांबांधित है। दसूरे शब्दों में, अनुच्छेद 3 भारत के सांघीय राययों के के्षत्रों के आांतररक पुन: समायोजन अांतर स ेसांबांधित है।

    5. कुछ सलमनतयाां जो भारतीय सांघ - िारा आयोग, जेवीपी सलमनत, फजि अिी आयोग और राययों के पुनगणठन आयोग (1956 में पहिी बार थी) में राययों के पुनगणठन में महत्वपूणण थीां।

    6. इसलिए 1956 के साथ वषण 1956 के बाद बनाए गए नए राययों - महाराष्ट्र और गुजरात 1960 में गोवा, दमन और दीव भारत न े1961 में पुलिस कारणवाई के माध्यम से पुतणगािी स े इन तीन के्षत्रों का अधिग्रहण ककया। 12 वीां सांवविान सांशोिन अधिननयम 1962 द्वारा कें द्र शालसत प्रदेश, बाद में 1987 में गोवा एक रायय का दजाण प्र्ताववत ककया , नागािैंर् 1963 में, हररयाणा, चांर्ीगढ़ और टहमाचि प्रदेश 1966, मखणपुर, ब्रत्रपुरा और मेघािय में 1972 में, लससतकम 1974-75 में, लमजोरम , अरुणाचि प्रदेश और गोवा 1987 में, छत्तीसगढ़, उत्तरािांर् और झारिांर् 2000 में, और अब सबस ेहाि ही में तेिांगाना 2 एन र्ी जनू, 2014 को बनाये गये।

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    (6)

    नागररकता 1. भाग 2 और आवरण िेि 5-11 2. सांवविान भारत के नागररकों पर ननम्नलिखित अधिकारों और

    ववशेषाधिकारों को प्रदान करता है (और ववदेलशयों को भी इनकार करता है):

    A. अनुच्छेद 15, 16, 19, 29 और 30 B. िोकसभा और रायय वविान सभा के चुनाव में वोि देन े का

    अधिकार। C. सांसद की सद्यता और रायय वविानयका के लिए चुनाव िडने का

    अधिकार। D. कुछ सावणजननक कायाणियों को िारण करने की योग्यता, जैसे की,

    भारत के राष्ट्रपनत, भारत के उपराष्ट्रपनत, सुप्रीम कोिण के जजों और उच्च न्यायाियों, राययों के राययपाि, भारत के अिॉनी जनरि और राययों के एर्वोकेि जनरि।

    3. िेि 5-8 केवि उन व्यसततयों की नागररकता स ेननपिना जो सांवविान के प्रारांभ में भारत के नागररक बने। इसके अिावा, इन िेिों में माइगे्रशन के मुद्दों को ध्यान में रिा गया है।

    4. कोई भी व्यसतत भारत का नागररक नही होगा या भारत का नागररक नहीां मन जायेगा अगर वह ्वेच्छा स े ककसी भी ववदेशी रायय की नागररकता प्राप्त कर िेता है तो (अनुच्छेद 9)

    5. सांसद द्वारा तयैार ककए गए ककसी भी कानून के प्राविानों के अिीन भारत के नागररक होन ेको मानना या जो भी व्यसतत माना जाता है, ऐस ेिोग नागररक बने रहेंगे (अनुच्छेद 10)

    6. सांसद को नागररकता के अधिग्रहण और समापन के सांबांि में ककसी भी प्राविान और नागररकता से सांबांधित अन्य सभी मामिों बनान ेका अधिकार होगा (अनुच्छेद 11)

    7. इसलिए, सांसद ने नागररकता अधिननयम, 1955 में अधिननयलमत ककया, सजसे 1986 1992, 2003, और 2005 और हाि ही में 2015 में सांशोधित ककया गया है। सांशोिन ब्रबि 2016 अभी भी िांब्रबत है।

    8. नागररकता अधिननयम के अनुसार नागररकता के अधिग्रहण के पाांच तरीके हैं

    (A) जन्म स े (B) वांश द्वारा (C) पांजीकरण द्वारा (D) प्राकृनतककरण द्वारा (E) भारतीय सांघ में ककसी अन्य के्षत्र का अधिग्रहण करके 9. नागररकता की हानन - समासप्त, त्याग और स्थरता है। 10. भारत एकि नागररकता प्रदान करता है 11. पीआईओ- गहृ मांत्रािय के तहत पीआईओ कार्ण िारक के रूप में

    पांजीकृत व्यसतत 1 9-08-2002 के टदनाांककत योजना

    12. ओसीआई- 19-08-2002 के गहृ मांत्रािय की योजना के तहत पीआईओ कार्ण िारक के रूप में पांजीकृत व्यसतत

    13. अब दोनों योजनाएां 9 जनवरी 2015 से प्रभावी हो गई हैं।

    भाग-3 मूलभूत अधधकार (12-35) 1. भारत के मैग्ना कािाण के रूप में वखणणत। 2. इस अविारणा को अमेररका के अधिकारों के ब्रबि स ेलिया गया है

    पहिे ज्ञात तथ्य प्राचीन भारत, ईरान आटद मे भी मौजूद थे। 3. मौलिक अधिकारों का नाम इसलिए है तयोंकक उन्हें सांवविान द्वारा

    गारांिी और सांरक्षक्षत ककया जाता है, जो भूलम का मूिभूत ननयम है। वे इस अथण में भी 'मौलिक' हैं कक वे व्यसततयों के सवाांगीण ववकास (भौनतक, बौद्धिक, नैनतक और आध्यासत्मक) के लिए सबसे ज़रूरी हैं।

    4. मूि सांवविान में सात मौलिक अधिकार शालमि थे, हािाांकक, 44 वें सांवैिाननक सांशोिन अधिननयम, 1978 के बाद, सांपवत्त का अधिकार ननर्त कर टदया गया था और अब केवि छह मौलिक अधिकार हैं।

    5. मौलिक अधिकारों स ेसांबांधित िेि ननम्न हैं A. 12- रायय की पररभाषा B. 13- असांगत कानून भाग -3 या मौलिक अधिकारों के साथ 6. मौलिक अधिकारों के पथृतकरण ननम्नलिखित हैं C. समानता का अधिकार (अनुच्छेद 14-18) (a) कानून के समक्ष समानता और कानूनों के समान सांरक्षण

    (अनुच्छेद 14) (b) िमण, जानत, जानत, लिांग या जन्म ्थान (अनुच्छेद 15) के

    आिार पर भेदभाव ननषेि। (c) सावणजननक रोजगार के मामिों में अवसर की समानता

    (अनुच्छेद 16) (d) अ्पशृ्यता का उन्मूिन और उसके अभ्यास का ननषेि

    (अनुच्छेद 17) (e) सैन्य और शैक्षक्षक को छोडकर खिताब का उन्मिून

    (अनुच्छेद 18) D. ्वतांत्रता का अधिकार (अनुच्छेद 19-22) (a) छह अधिकारों के सांरक्षण की ्वतांत्रता के बारे में:

    (i) भाषण और अलभव्यसतत, (ii) वविानसभा, (iii) सांघ, (iv) आांदोिन, (v) ननवास, और (vi) व्यवसाय (अनुच्छेद 19)

    (b) अपरािों के लिए सजा के सांबांि में सांरक्षण (अनुच्छेद 20)। (c) जीवन और व्यसततगत ्वतांत्रता का सांरक्षण (अनुच्छेद 21) (d) प्राथलमक लशक्षा का अधिकार (अनुच्छेद 21 ए) (e) कुछ मामिों में धगरफ्तारी और ननरोि के खििाफ सांरक्षण

    (अनुच्छेद 22)

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    (7)

    E. शोषण के ववरुद्ि अधिकार (आिेि 23-24) (a) इांसानों और मजबूर श्रलमकों में यातायात का ननषिे

    (अनुच्छेद 23) (b) कारिानों में बच्चों के रोजगार की रोकथाम आटद। (अनुच्छेद 24) F. िमण की ्वतांत्रता का अधिकार (अनुच्छेद 25-28) (a) वववेक और ्वतांत्र पेश ेकी ्वतांत्रता, अभ्यास और िमण का

    प्रचार (अनुच्छेद 25) (b) िालमणक मामिों का प्रबांिन करन ेकी ्वतांत्रता (अनुच्छेद 26) (c) ककसी भी िमण को बढ़ावा देने के लिए करों के भुगतान स े

    ्वतांत्रता (अनुच्छेद 27) (d) कुछ शैक्षक्षक सां्थान में िालमणक लशक्षा या पूजा में भाग िेन े

    से ्वतांत्रता (अनुच्छेद 28) G. साां्कृनतक और शैक्षक्षक अधिकार (अनुच्छेद 29-30) (a) अर्लपसांख्यकों की भाषा, लिवप और सां्कृनत का सांरक्षण (अनुच्छेद 29) (b) शैक्षक्षक सां्था ्थावपत और प्रशासन के लिए अर्लपसांख्यकों

    का अधिकार सां्थाएां (अनुच्छेद 30) H. सांवैिाननक उपचार का अधिकार (अनुच्छेद 32) - टदि और आत्मा

    का सांवविान। उच्चतम न्यायािय को मौलिक अधिकारों को िागू करन ेके अधिकार

    को हिाने के अधिकार (I) बन्दी प्रत्यक्षीकरण,, (ii) परमादेश, (iii) ननषेि, (iv) प्रमाखणकता, और

    (v) पचृ्छा (अनुच्छेद 32)। 7. अनुच्छेद 33, मौलिक अधिकारों को सांशोधित करने के लिए सांसद के

    अधिकार स ेसांबांधित है। 8. 34 माशणि िॉ के साथ सौदे 9. अनुच्छेद 35 मूिभूत अधिकारों स ेननपिने के लिए आवश्यक काननूों

    के साथ सौदे 10. मौलिक अधिकार जो केवि नागररकों के लिए उपिब्ि हैं - 15, 16,

    1 9, 2 9 और 30 11. मौलिक अधिकार उन नागररकों के साथ-साथ गैर-नागररकों - 14, 20,

    21, 21 ए, 22, 23, 24, 25, 26, 27 और 28 दोनों के लिए उपिब्ि हैं।

    राज्य नीतत तनदेशक तत्त्व 1. भारत के सांवविान के 36-51 के भाग -4 में वखणणत और िेिों को

    कवर ककया गया। 2. सांवविान की उपन्यास सुवविाओां स ेभी कहा जाता है। 3. आयररश सांवविान द्वारा प्रेररत।

    4. भारत सरकार अधिननयम, 1935 में उसर्लिखित ननदेशों के सािनों के समान।

    5. मौलिक अधिकारों के साथ-साथ उन्हें सांवविान के वववेक के रूप में कहा जाता है।

    6. 'रायय नीनत के ननदेशक लसद्िाांत' आदशों को दशाणता है कक रायय को ये ध्यान में रिना चाटहए नीनतयों को तयैार करते हुए और कानून बनान ेके दौरान । यह वविायी, कायणकारी और प्रशासननक मामिों में रायय को सांविैाननक ननदेश या लसफाररशें हैं।

    7. र्ीपीएसपी एक आिुननक िोकताांब्रत्रक रायय के लिए एक व्यापक आधथणक, सामासजक और राजनीनतक कायणक्रम का गठन करत ेहैं। वे सांवविान के प्र्तावना में उसर्लिखित रूप में न्याय, ्वतांत्रता, समानता और ब्रबरादरी के उच्च आदशों को साकार करन ेका िक्ष्य रिते हैं। वे 'कर्लयाणकारी रायय' की अविारणा का प्रतीक हैं

    8. ननदेशक लसद्िाांत प्रकृनत में गैर-न्यायसांगत हैं, अथाणत,् व े अदाितों द्वारा उनके उर्लिांघन के लिए कानूनी रूप स ेिागू करन ेयोग्य नहीां हैं। इसलिए, सरकार (कें द्रीय, रायय और ्थानीय)को उन्हें िागू करन ेके लिए मजबूर नहीां ककया जा सकता है। कफर भी, सांवविान (अनुच्छेद 37) ्वयां ही कहता है कक ये लसद्िाांत देश के शासन में मूिभूत हैं और कानून बनान ेमें इन लसद्िाांतों को िागू करने के लिए रायय का कतणव्य होगा।

    9. र्ीपीएसपी में कुछ महत्वपूणण िेि हैं: A. न्याय-सामासजक, आधथणक और राजनीनतक-द्वारा सामासजक

    क्रमबद्िता हालसि करके िोगों के कर्लयाण को बढ़ावा देना- और आय, स्थनत, सुवविाएां और अवसरों में असमानताओां को कम करन े के लिए (अनुच्छेद 38)।

    B. सुरक्षक्षत करने के लिए:- (a) सभी नागररकों के लिए आजीववका के पयाणप्त सािनों का अधिकार; (b) आम व्तुयों के लिए समुदाय के भौनतक सांसािनों का न्यायसांगत ववतरण; (c) िन और उत्पादन के सािनों की एकाग्रता की रोकथाम; (d) पुरुषों और मटहिाओां के लिए समान कायण के लिए समान वेतन; (e) जबरन दरुुपयोग के खििाफ श्रलमकों और बच्चों की ्वा्थ्य और शसतत का सांरक्षण; और (f) बच्चों के ्व्थ ववकास के लिए अवसर (अनुच्छेद 39)

    C. समान न्याय को बढ़ावा देने और गरीबों को मुफ्त कानूनी सहायता प्रदान करने के लिए यह 42 वें सांवैिाननक सांशोिन अधिननयम, 1976 द्वारा जोडा गया था(अनुच्छेद 39 ए)

    D. बेरोजगारी, बुढ़ाप,े बीमारी और ववकिाांगता के मामिों में लशक्षा, लशक्षा और सावणजननक सहायता के अधिकार प्राप्त करने के लिए (अनुच्छेद 41)

    E. काम और माततृ्व राहत के लिए उधचत और मानवीय स्थनतयों के लिए प्राविान करना (अनुच्छेद 42) ।

    F. उद्योगों के प्रबांिन में श्रलमकों की भागीदारी को सुरक्षक्षत करने के लिए कदम उठाने के लिए, इसके अिावा 42 वाां सांविैाननक सांशोिन अधिननयम, 1976 द्वारा जोडा गया (अनुच्छेद 43 ए)

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    (8)

    G. ग्राम पांचायतों को व्यवस्थत करने के लिए और उन्हें आवश्यक शसततयों और अधिकार प्रदान करने के लिए उन्हें आत्म-सरकार की इकाइयों के रूप में कायण करने के लिए सक्षम करन ेके लिए (अनुच्छेद 40)

    H. ग्रामीण के्षत्रों में ककसी व्यसतत या सहयोग के आिार पर कुिीर उद्योगों को बढ़ावा देना (अनुच्छेद 43)।

    I. नशीिी दवाओां और दवाओां की िपत को प्रनतबांधित करने के लिए जो ्वा्थ्य के लिए हाननकारक हैं (अनुच्छेद 47)।

    J. गायों, बछडों और अन्य दगु्िों के मारे जाने और मवेशी मवेलशयों को मारने और उनकी न्िों (अनुच्छेद 48) में सुिार करने के लिए।

    K. सभी नागररकों के लिए पूरे देश में एक समान नागररक सांटहता सुरक्षक्षत करने के लिए (अनुच्छेद 44)

    L. छह साि की उम्र पूरी होने तक सभी बच्चों के लिए बचपन की देिभाि और लशक्षा प्रदान करना। इसके अिावा, 86 वीां सांवैिाननक सांशोिन अधिननयम, 2002 द्वारा सांशोधित (अनुच्छेद 45) ।

    M. रायय की सावणजननक सेवाओां में न्यायपालिका स ेकायणकारी को अिग करन ेके लिए (अनुच्छेद 50)

    N. अांतरराष्ट्रीय शाांनत और सुरक्षा को बढ़ावा देने और राष्ट्रों के बीच लसफण और सम्माननीय सांबांि बनाए रिन ेके लिए; अांतरराष्ट्रीय कानून और सांधि दानयत्वों के प्रनत सम्मान करन ेऔर मध्य्थता (अनुच्छेद 51) द्वारा अांतराणष्ट्रीय वववादों के ननपिान को प्रोत्साटहत करने के लिए।

    10. 2002 के 86 वें सांशोिन कानून ने अनुच्छेद 45 के ववषय को बदि टदया और प्राथलमक लशक्षा को िारा 21 ए के तहत एक मौलिक अधिकार बनाया। सांशोधित ननदेशानुसार रायय को सभी बच्चों के लिए बचपन की देिभाि और लशक्षा प्रदान करन ेकी आवश्यकता है, जब तक कक व ेछह साि की आयु पूरी नहीां करत ेहै।

    11. 97 वें सांशोिन कानून 2011 न ेसहकारी सलमनतयों से सांबांधित एक नया ननदेशक लसद्िाांत जोडा है। इसके लिए रायय को ् वैसच्छक गठन, ्वायत्त कायण, िोकताांब्रत्रक ननयांत्रण और सहकारी सलमनतयों के पेशेवर प्रबांिन को बढ़ावा देन ेकी आवश्यकता है (अनुच्छेद 43 बी)

    12. र्ीपीएसपी रायय के लिए ननदेश हैं।

    मूलभूत कतटव्य

    1. वे नागररकों के लिए 11 टदशाननदेश तैयार कर रहे हैं। 2. मूि सांवविान में एफर्ी के बारे में उर्लिेि नहीां ककया गया। 3. यह ववचार पूवण सोववयत सांवविान से लिया गया है और अब भी रूस

    के पास नहीां है। शायद केवि जापान ही ऐसी एक बडा देश है, सजसमें बुननयादी कतणव्यों पर एक ववशेष अध्याय है।

    4. 1976 में, नागररकों के मौलिक कतणव्यों को सांवविान में जोडा गया था। 2002 में, एक और मौलिक कतणव्य जोडा गया था।

    5. उन्हें 1975 में इांटदरा गाांिी द्वारा गटठत की गई ्वणण लसांह सलमनत की लसफाररशों पर जोडा गया था। इसमें केवि 8 मूिभतू कतणव्यों की लसफाररश की गई थी, साथ ही साथ आधथणक दांर् भी। हािाांकक, सरकार ने सजा का टह्सा ्वीकार नहीां ककया।

    6. एक नया टह्सा – चोथा ए, एक नया िेि 51 ए को 42 वाां सांवैिाननक सांशोिन अधिननयम, 1976 के आिार पर जोडा गया था। दस कतणव्यों को 51 ए में जोडा गया था। वतणमान में ग्यारह कतणव्य हैं

    7. 11वीां मौलिक कतणव्यों को 86 वें सांशोिन अधिननयम, 2002 द्वारा जोडा गया था।

    8. सूची ननम्न है (a) सांवविान का पािन करना और उसके आदशों और सां्थानों,

    राष्ट्रीय ध्वज और राष्ट्रीय गान; का सम्मान करना, (b) ्वतांत्रता के लिए राष्ट्रीय सांघषण को प्रेररत करने वािे महान आदशों

    का पािन करना; (c) भारत की सांप्रभुता, एकता और अिांर्ता को बनाए रिने और

    सांरक्षक्षत करना; (d) देश की रक्षा करने और राष्ट्रीय सेवा प्रदान करने के लिए जब

    ऐसा करने के लिए कहा जाये; (e) िालमणक, भाषाई और के्षत्रीय या आांलशक वववविता से आगे बढ़कर

    और मटहिाओां की गररमा के लिए अपमानजनक प्रथाओां को त्यागने के लिए भारत के सभी िोगों के बीच सामांज्य और समान भाईचारे की भावना को बढ़ावा देना;

    (f) देश की समग्र सां्कृनत की समदृ्ि ववरासत को महत्व और सांरक्षक्षत करने के लिए;

    (g) जांगिों, झीिों, नटदयों और वन्य जीवन सटहत प्राकृनतक पयाणवरण की रक्षा और सुिार करन ेके लिए और जीववत प्राखणयों के लिए करुणा रिना;

    (h) वैज्ञाननक गु्सा, मानवतावाद और जाांच और सिुार की भावना ववकलसत करने के लिए;

    (i) सावणजननक सांपवत्त की रक्षा करना और टहांसा को रोकना; (j) व्यसततगत और सामूटहक गनतववधि के सभी के्षत्रों में उत्कृष्ट्िता

    की टदशा में प्रयास करना ताकक राष्ट्र ननरांतर प्रयास और उपिसब्ि के उच्च ्तर पर बढे़; तथा

    (k) छह और चौदह वषण की उम्र के बीच अपने बच्चे या वार्ण के लिए लशक्षा के अवसर प्रदान करना। यह कतणव्य 86 वीां सांवैिाननक सांशोिन अधिननयम, 2002 द्वारा जोडा गया था।

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