ahlesunnatpak.com · 2019. 12. 27. · author: home-pc created date: 8/23/2016 9:07:39 am

121
1 ـ ال ال ال أعو ٱ ال ج ال शिक वातशवता और उसे ार डॉटर इसरार अहमद (रहमत लाह अलैह)

Upload: others

Post on 08-Sep-2020

5 views

Category:

Documents


0 download

TRANSCRIPT

Page 1: AhleSunnatPak.com · 2019. 12. 27. · Author: Home-PC Created Date: 8/23/2016 9:07:39 AM

1

ـب ب س ب ب أعوذ الل ب ب الل س م ـ ب الل ب ب م ب ٱلجب الل ي مـ الل

शिरक री वासतशवरता और उसर

पररार

डॉकटर इसरार अहमद (रहमतललाह अलह)

Page 2: AhleSunnatPak.com · 2019. 12. 27. · Author: Home-PC Created Date: 8/23/2016 9:07:39 AM

2

هرل

ػـى ـ هرل ػ

ل صى او

د ىقىـ ف ػل باو

ؾ

شي ى

مى كياءىظى ى ه

ىهكىـ ذىكفيا دىفري ي

غىىـ ك ب

ىؾى شيف فري أغى ى لىػـل اول ﴿ ف

نظميىا عن ثـلى ىت﴾٤٨ف

“बफरा शफाह अलराह मह फात तो कबी भाफ नहीॊ कयगा कक उसक साथ ककसी को शयीक ठहयामा जाए औय इसक अततरयकत जजस दर गनाह ह , वह जजसक लरम चाहगा, भाफ कयगा। औय जजसन अलराह क साथ ककसी औय को शयीक ठहयामा तो उसन एक फडा झठ घड लरमा।” (अनतनसा : 48)

ى

دىقىـ ف ػل باو

ؾ

شي ى

مى كياءىظى ى ه

ىهكىـ ذىكفيا دىفري ي

غىىـ ك ب

ىؾى شيف فري أغى ى لىػـل اول ف

نعيد

ى بنلىلى ضل ؿ

“तनससॊदह अलराह इस चीज को भा नहीॊ कयगा कक उसक साथ ककसी को शालभर ककमा जाए। हाॉ, इसस नीच दज क अऩयाध को, जजसक लरए चाहगा, भा कय दगा। जो अलराह क साथ ककसी को साझी (शयीक) ठहयाता ह, तो वह बटककय फहत दय जा ऩडा” (अनतनसा : 116)

ىه ويظى هىؾ هش

لـ ف ػ

ل باو

ؾ

شي تىل لىني بى ييـيعظىوى يهىـ ك ن

لبياف ى

قي هىاؿى ق ذىظ ه ﴿ك

ى﴾١٣ع

माद कयो जफ रकभान न अऩन फट स, उस नसीहत कयत हए कहा, "ऐ भय फट! अलराह का साझी (शयीक) न ठहयाना। तनशचम ही लशकक फहत फडा जलभ ह।"। (रकभान: 13)

Page 3: AhleSunnatPak.com · 2019. 12. 27. · Author: Home-PC Created Date: 8/23/2016 9:07:39 AM

3

चद तमहीदी बात “हीकत व इकसाभ लशकक ” क भौजअ ऩय मह भफजससर भजभन होगा। कमा अजफ कक अलराह इस कोलशश क जरयम स उमभत भजसरभा भ ही त लशकक क फाय भ सहीह फहभो शऊय ऩदा फयभाए औय इस जजभन भ हभ स कोई भफीद खऽदभत फर फयभा र ! इजततदाअन भझ इस भौजअ स भताजलर कछ तमहीदी फात गोश गजाय कयनी ह। सफस ऩहरी फात मह ह कक हभाय दीन की हीत को अगय एक रफजज भ ताअफीय कयन की कोलशश की जाए, मा दसय शतदो भ इसकी तारीभ क रतफ रफाफ औय ऽरास को एक रफजज भ फमान ककमा जाए तो वो रफजज “तौहीद” ह। हभाया दीन दयअसर “दीन तौहीद” ह। मही वजह ह कक अलराभा इफार न तौहीद को ही वो असर अभानत याय ददमा ह जो भसरभानो का तयाह इजमतमाज ह:

तौहीद की अभानत सीनो भ ह हभाय

आसान नहीॊ लभटाना नाभ व तनशाॊ हभाया ! औय जवाफ लशकवा भ बी नफी ए अकयभ क लभशन को अलराभा इफार न इसी एक रफजज “तौहीद” स तअफीय ककमा ह:

वकत फसकत ह कहाॊ काभ अबी फाी ह

नय तौहीद का इतभाभ अबी फाी ह ! तो हभाया दीन असर भ तौहीद ह। “तौहीद” की जजद ह “लशकक ”। लशकक चाह सनववमत ( दो ऽदा का अीदा ) की शकर भ हो, तजसरमत (तीन ऽदा का अीदा ) की शकर भ हो मा कसयत इराह (फहदववाद) की सयत भ हो, इन सफ सयतो को हभ एक ही रफजज “लशकक ” स ताअफीय कयत ह। औय जफ मह फात तम ह कक हभाया दीन , दीन तौहीद ह तो उसका राजभी नतीजा मह तनकरता ह कक इस दीन भ सफस फडा जभक औय सफस फडा गनाह, जो नााबफर दयगजय ह (जो भा मोगम नहीॊ ह ) , वो लशकक ह। चनाॊच मही फात सयतजननसा भ दो भतकफा फईना इनही अलफाज भ वारयद हई ह :

ياءىظى ى ه

ىهكىـ ذىكفيا دىفري ي

غىىـ ك ب

ىؾى شيف فري أغى ى لىػـل اول ف

“मीनन अलराह मह फात तो हयगगज भाफ नहीॊ कयगा कक उसक साथ लशकक ककमा जाए, अरफतता इसस कभतय गनाह जजसको चाहगा फखश दगा”। (सयह अजननसा : आमत 48 व 116)

Page 4: AhleSunnatPak.com · 2019. 12. 27. · Author: Home-PC Created Date: 8/23/2016 9:07:39 AM

4

अगयच इस आमत को दसय गनाहो क जजभन भ कोई खरा राइसस नहीॊ सभझ रना चादहए, अलराह का कोई ऩखता वादा औय मीन दहानी नहीॊ ह कक वो दसय गनाह

राजजभन फखश दगा , फजलक اءي ىظى ى क अलफाज ह, जजसक लरए चाहगा फखश दगा। ه

लरहाजा मह हयगगज नही सभझा जाए कक हभ खरी छटटी लभर गई ह कक हभ लशकक क लसवा जजस गनाह भ चाह भरजववस हो जाए , कोई भवाखऽजा नहीॊ होगा। ताहभ उमभीद जरय ददराई गई ह कक अलराह क नजदीक कोई सयत लशकक की भाफी की नहीॊ ह , अरफतता उसस कभतय गनाह जजसको चाहगा , अलराह भाफ फयभा दगा। फहयहार भारभ हआ कक हभाय दीन भ सफस फडा गनाह , सफस फडा जभक, जो नााबफर दयगजय ह , वो लशकक ह। इसकी हीत को मॊ सभखझम कक अजरऐ यआन सफस फडा जलभ लशकक ह। फजलक यआन भजीद भ जहाॊ बी रफजज “जलभ” आता ह, अगय लसमा व लसफा (सनदबक) स इसक कोई औय भाअना (अथक) तनधाकरयत नही हो यह हो तो वहाॊ इसका भाअना “लशकक ” ह औय इस ऐतफाय स “जालरभीन” का भाअना(अथक) “भशरयकीन” ह। चनाॊच आमत जय गफजतग

भ मह हीत फमान हई ظ ه ىه عىويظى هىؾ هش

لवाकमा मह ह कक लशकक“ ف फहत फडा जलभ ह।”

अयफी जफान भ जलभ का भतरफ ह “ककसी चीज को उसक असरी भाभ स हटाकय ककसी औय जगह यखना। ” अदर औय इॊसाफ मह ह कक हय चीज को उसक असर भाभ ऩय यखा जाए , जफकक जलभ मह ह कक ककसी वसत को उसक असर सथान स हटा कय कहीॊ औय यख ददमा जाए। अफ लशकक भ बी इन दो भ स कोई एक सयत होती ह कक मा तो भखरात भ स ककसी को उठा कय अलराह क फयाफय बफठा ददमा जाता

ह। मह की एक सयत ह। औय मा कपय अलराह को ىعيوذيبهلل

गगया कय भऽरात की सफ भ रामा जाता ह औय मह की दसयी सयत ह। तो भारभ हआ क “जलभ” का सफस फडा लभसदा “लशकक ” ह।

एक भयतफा सहाफा-ए-ककयाभ न सयतर अनआभ की आमत 83

ذ ى لو ه

ينىي أ

ى ىو ك بصي

وىى

ي ىانىىو مي

وي بظ

ىػـ كىكهأ يىي أ

ى ه

ي م ا

ي ى ك

ىكفيدى مي

Page 5: AhleSunnatPak.com · 2019. 12. 27. · Author: Home-PC Created Date: 8/23/2016 9:07:39 AM

5

क हवार स नफी-ए-अकयभ स “जलभ” क फाय भ भारभ ककमा तो आऩ न सयह रकभान की जय फहस आमत 13

ىل لىني بى ييـيعظىوى يهىـ ك ن

لبياف ى

قي هىاؿى ق ذىظ ه ك

ىىه عويظى هىؾ هش

لـ ف ػ

ل باو

ؾ

شي का हवारा दकय फयभामा ت

कक महाॊ जलभ स भयाद लशकक ह। जफ सयतर अनआभ की मह आमत नॊफय 81 नाजजर हई

مم ى ف

ىرقىف ه

م ى أ

م ف با

ينني ل

ىيوف

ىعوى

हजयत इबराहीभ न ऩछा कक ऐ भशरयको अगय तभ जानत हो तो जया फताओ कक दोनो गगयोहो भ (भवाहदहदीन औय भशरयकीन) भ स कौन अभन व सकन औय इतलभनान का जमादा हादाय ह ?

एक गगयोह भवाहदहदीन का था औय एक भशरयकीन का। एक तयफ लसफक अलराह क भानन वार थ औय दसयी तयफ वो थ जो अलराह क साथ दसय फहत स भाफदो को भानन वार थ। लरहाजा ऩछा गमा कक इनभ स हीी जहनी सकन औय हीी रफी इतलभनान का जमादा भसतदह कौन ह ? मह सवार कयन क फाद यआन भजीद अऩन एक आभ असरफ क भताबफ ऽद जफाव दता ह

ذ ى لو ه

ينىي أ

ى ىو ك بصي

وىى

ي ىانىىو مي

وي بظ

ىػـ كىكهأ يىي أ

ى ه

ي م ا

ي ى ك

ىكفيدى مي

जो रोग ईभान राए औय अऩन ईभान को ककसी जलभ स भरजववस नही कय, हीत भ अभन व सकन (औय इतलभनान) क भसतदह वहीॊ ह औय वही दहदामत माफजता ह।

मानी जो अऩन ईभान क साथ जलभ का कोई शाएफा ऩदा न होन द। इस ऩय सहाफाऐ कयाभ भ तजशवश ऩदा हई कक अगय अलराह क मह वाअद भशरत ह कक ईभान क साथ जलभ की तअन आभजजश न हो , तो ऐसा कौन शखस होगा जो ककसी न ककसी दज भ दसयो ऩय मा अऩन उऩय जलभ न क यता हो। ाौय ककजजए कक अगय आऩन अऩन वकत का रमहा बी जामा ककमा तो मह बी अऩन ऊऩय जलभ ह। तो जलभ स बफलकर फयी औय ऩाक हो जाना ककसी फद फशय क लरए भजमकन नहीॊ ह। चनाॊच सहाफाऐ कयाभ न नफी-ए-अकयभ क साभन अऩनी तशवीश को जादहय ककमा कक हजय! ऐसा शखस कौन होगा जो जलभ स बफलकर फयी हो। इस ऩय नफी- ए-अकयभ न तसलरी दी कक इस आमत भफायका भ जलभ स भयाद लशकक ह। औय आऩ न सयह रकभान की इसी आमत का हवारा ददमा कक तभन मह आमत नहीॊ ऩढी:

Page 6: AhleSunnatPak.com · 2019. 12. 27. · Author: Home-PC Created Date: 8/23/2016 9:07:39 AM

6

ى ييـيعظىوى يهىـ ك ن

لبياف ى

قي هىاؿى ق ذىظ ه ﴿ك

ىىه عويظى هىؾ هش

لـ ف ػ

ل باو

ؾ

شي تىل لىني﴾١٣ ب

तो मह भतरफ हआ कक जो रोग ईभान राऐॊ इस शान क साथ क लशकक की कोई आभजजश नही यह तो वो ह कक जो अभन क भसतदह होग औय वही ह कक जो दहदामत ऩय ह औय अऩनी आऽयी भॊजजर भयाद तक ऩहॊच सक ग।

अफ भ इसी का अकस (converse) आऩक साभन यख यहा हॊ। जफ हभाया दीन , दीन तौहीद ह तो इस तसवीय का दसया रऽ मह हआ कक सफस फडा औय नााबफर भाफी जभक औय सफस फडा जलभ लशकक ह। यआन भजीद भ कई जगहो ऩय हजयत इबराहीभ का जजकर आता ह। आऩ की जरारत दर औय भाभ व भतकफा का मह आरभ ह कक आऩ की अलराह क साथ तीन तीन तनसफत ह औय तीनो ही तनहामत फरॊद ह। एक तनसफत अलराह क साथ मह ह कक आऩ “ऽरीरलराह” ह। औय हजयत इबराहीभ का ,मही वो रयशता ह, अऩन यफ क साथ ह जजसकी यआन अहतभाभ क साथ वजाहत कय यहा ह

نويل

ىى ه ى

يػـل اوىذى ل اى ك

औय अलराह न इबराहीभ को अऩना ऽरीर फना लरमा (अजननसा : 125)

हजयत इबराहीभ की दसयी तनसफत यसरो औय नबफमो क साथ ह, औय वो मह कक आऩ “अफर अजमफमा” ह। सकडो जरीररदर ऩामफय आऩ की नसर भ गजय ह। हजयत भसा , ईसा औय भहमभद यसरलराह इबराहीभ की नसर भ स ह। इनभ स ईसा अगयच बफना फाऩ क ऩदा हए , रककन इनकी वालरदा भयमभ (सराभन अरहा) तो हजयत इबराहीभ की नसर ही स ह। इनक इरावा सकडो नफी आऩ की नसर भ स ह। तो आऩ अफर अजमफमा ह। आऩ की तीसयी तनसफत ऩयी नोए इॊसानी क साथ मह ह कक आऩ “इभाभननास” ह। इशाकद यफनी ह

ن

ىاؿىل ق ي

ل ىت ىاتو ف ى

ى بكيـمب ى ه ى رى

ـ

ىلى ذ ب

ىاك

نايىاس ي

ل اونىكياعو جى

“औय (माद कयो) जफ इबराहीभ को उन क यफ न चॊद फातो भ आजभामा औय वो उन सफ भ ऩया उतय गमा तो अलराह न फयभामा: भ तझ सफ रोगो का इभाभ (ऩशवा) फनान वारा हॊ”। (अर-फयह: 124)

Page 7: AhleSunnatPak.com · 2019. 12. 27. · Author: Home-PC Created Date: 8/23/2016 9:07:39 AM

7

इस जरारत दर क साथ यआन भजीद भ जहाॊ कहीॊ हजयत इबरहीभ का जजकर आमा ह तो उनको जो आखऽयी सनद दी जाती ह वो मह ह

ل ى يش هى م

ىفىا ىيى ك

औय आऩ {इबराहीभ } भशरयको भ स नही थ (अर फयह : 135)

भारभ हआ कक लशकक स बफलकर आजाद हो जाना इॊसातनमत क लरए भ याज ह औय मह फरॊद तयीन भाभ ह जजस तक इॊसान ऩहॊच सकता ह। औय जजसक फाय भ अलराह मह फयभा द कक भया मह फॊदा भशरयक नहीॊ ह , भया मह फॊदा लशकक स ऩाक ह गोमा उस आऽयी सनद लभर गई , आऽयी सटीकफकट औय आऽयी (testimonial) लभर गमा।

अफ तक की गफजतग स मह वाजह हो गमा कक एक तयफ तो हभाय दीन भ सफस फडा जभक , सफस फडा गनाह. सफस फडा जलभ, जो नााबफर भाफी ह , वो लशकक ह। औय दसयी तयफ सफस फडी सनद, सफस फडा सटीकफकट औय सफस ऊॊ चा भाभ मह ह कक इॊसान लशकक स बफलकर ऩाक हो। अफ इन दोनो चीजो को एक ही वकत जहन भ यखत हए भ एक नतीजा तनकार यहा हॊ। औय वो मह की वाकअतन हय गभयाही , जरारत औय कजयवी, ऽवाह वो नजरयमात की हो, अाइद की हो मा आभार की , अगय तजफाक मह ककमा जाए तो भारभ होगा कक इसक डाॊड कहीॊ न कहीॊ लशकक स लभरत ह। औय ह य ऽय व ऽफी, बराई, नकी, सहत कफकर, सहत अीदा, सहत अभर वायह क जजतन बी शौफ ह वो सफ तौहीद की फयोा (corollaries) औय राजभी नताइज ह। तो इस तयह स मह एक हभागीय तसववय ह। लशकक की इकसाभ (types) औय इसकी फयोा को अगय आऩ दख तो भारभ होगा कक मह वो शजयाए ऽफीसा ह कक हय फदी , हय गनाह, हय जभक, औय हय नजरयमा मा ऽमार की गभयाही राजजभन इसी की ककसी न ककसी शाऽ की हलसमत यखती ह। औय इसक फयअकस हय ऽय, हय नकी औय हय बरई, ऽवाह वो खमार औय नजरयम की हो मा अभर की हो , इसका तालर राजजभन तौहीद क शजय-ए-तयमफा ह। इस “शजय तौहीद” क लरए यआन भजीद भ तभसीर आई ह औय इसक फाय भ अलफाज आऐ ह

اء ى ا هصل ىيرعىفىب ه ك

ىا ى

ي و أ

“इसकी जड भजफत व भसतहककभ ह औय इसकी शाऽ आसभान तक ऩहॊची हई ह।” (इबराहीभ : 24)

Page 8: AhleSunnatPak.com · 2019. 12. 27. · Author: Home-PC Created Date: 8/23/2016 9:07:39 AM

8

लशकक की हभागीयी का एक तसववय यआन भजीद भ सयह मसफ की आमत 106 भ मॊ

फमान हआ ह وفىيلش م يي

ى كلـ ل ػ

ل باو

ي ي ى ل أيم يا ىيى औय इॊसानो की अकसरयमत का हार“ ك

मह ह कक वो अलराह को भानत ह, भगय ककसी न ककसी तयह क लशकक क साथ”।

मह फात जान रीजजए कक अलराह का इॊकाय तो तारयऽ इॊसानी भ आऩको शाज कहीॊ लभरगा, कहीॊ कहीॊ इस कसभ क रोग लभर जात ह कक जजनकी भत (फदगध) बफलकर भायी गई हो। आज क दौय भ फजादहय ऐस भहसस होता ह कक ऽदा का इॊकाय फहत उरज ऩय ह , रककन वाकमा मह ह कक ऽदा को वो बी भानत ह जजनह भजनकयीन- ए-ऽदा सभझा जाता ह। दय हीत उनहोन भादद (Matter) को ऽदा क भाभ ऩय र जाकय फठा ददमा ह, ऽदा का इॊकाय नहीॊ ककमा ह। एक हीत कफया को भानन ऩय सफ भजफय ह , जफकक साया इजखतराफ अलराह की लसफात भ ह। भसरन मह इजखतराफ कक वो जीववत ह मा भदाक ह। अगय भदाक ह तो उस भाददा कह दीजजम , औय अगय जीववत ह, सादहफ-ए-इयादा ह तो वो अलराह ह। चनाॊचा फ क तो साया लसफात का ह। फहयहार मह अजक कयना भसद ह कक ऽदा को ऽदा क नाभ स भानन वार शाज यह ह। ऽदा को कछ औय नाभो क तहत भानन वारो का तादाद बी शामद कछ लभर जाए , रककन जो सफस फडी गभयाही हभशा यही ह वो मह ह कक एक फड ऽदा को भानन क साथ साथ कछ औय छोट ऽदाओॊ को बी भाना औय तसरीभ ककमा गमा, ईभान क साथ ककसी तयह क लशकक की आभजजश कय री गई, औय मह ह असर गभयाही जो हभ ऩयी तायीऽ इॊसानी भ परी हई औय छाई हई नजय आती ह। भ अऩन हीी रफी अहसासात आऩक सा भन यख यहा हॊ कक भसरभान का ऽभीय जजस लभटटी स उठा ह , भझ मीन ह कक वो जान फझ कय कबी लशकक नहीॊ कयता, फजलक ऐसा नाभजमकन ह। इसक तसववयात भ अगय लशकक आता ह तो ाय भहसस तयी स आता ह, ककसी भाारत क फाइस आता ह , वो इसको लशकक सभझ कय लशकक नहीॊ कयता, इसभ जहारत औय नासभझी काय फयभा हो सकती ह। इसकी एक शकर मह बी होती ह कक हय दौय भ लशकक का मह भजक एक नई सयत इजखतमाय कयक साभन आता ह जजसको ऩहचानन भ कोताही यह जाती ह , औय जफ तक इसको ऩहचानन की सरादहमत ऩदा न हो जाए इसस ऩयी तयह फचना भभककन नहीॊ। फौर शामय :

फहय यॊग क खवाही जाभअ भी ऩोश

Page 9: AhleSunnatPak.com · 2019. 12. 27. · Author: Home-PC Created Date: 8/23/2016 9:07:39 AM

9

भन अॊदाज दत या भी शनासभ

मानी खवाह तभ ककसी बी यॊग का रफादह औढ कय आ जाओ भ तमह तमहाय द स ऩहचान रॊगा। हो सकता ह कक एक शखस फजभ-ए-ऽवश फडा भवाजहहद हो औय वऩछर अदवाय (मगो) भ लशकक की जजतनी बी सयत याइज यही हो औय उरभा न जजन जजन की तनशानदही कय दी हो उन सफस अऩन आऩ को फयी औय ऩाक कय चका हो , फामहभा अऩन दौय क लशकक को न ऩहचान ऩामा हो औय इसभ वो भरजववस हो। इस ऩय गफजतग तो फाद भ होगी रककन भ लभसार क तौय ऩय अलराभा इफार की नजभ “वततनमत” ऩश कय यहा हॊ :

इस दौय भ भह औय ह, जाभ औय ह, जभ औय

साी न बफना की यववश-ए-रतफो लसतभ औय

भजसरभ न बी ताभीय ककमा अऩना हयभ औय

तहजीफ क आजय न तयशवाए सनभ औय

इन ताजा ऽदाओॊ भ फडा सफस वतन ह

जो ऩयहन इसका ह वो भजहफ का कफन ह

अफ ाौय ककजजए ककतना पमाया लभसया ह l “तहजीफ क आजय न तयशवाए सनभ औय”। आज स साढ चाय हजाय फयस ऩहर का आजय ऩतथय की भततकमाॊ तयाशता था औय आज का आजय कछ खमारी तसववयात क फत फनाए हए ह। जभान जभान की फात ह। उस वकत का इॊसान शामद जभीन स जमादा स जमादा ऩाॊच छह कफट छराॊग रगा सकता होगा , रककन आज चाॊद तक ऩहॊचा हआ ह। लरहाजा लशकक न बी फडी ऊॊ ची उडान उडी ह औय फडी भखतलरफ सयत इजखतमाय की ह। अफ जरयत उस उाफी तनगाह की ह जो अऩन दौय क लशकक को ऩहचान र। अगय मह फसीयत नहीॊ होगी तो हो सकता ह , जसा कक भन अजक ककमा, एक शखस अऩन खमार भ ऩय ऽरस क साथ लशकक की हय कसभ स एरान फयाअत कय चका हो औय अभरन अऩन आऩ को इसस फयी कय चका हो , रककन इसक फावजद वो ककसी तयह क लशकक भ भफतरा औय भरजववस हो। लरहाजा जरयत इस फात की ह कक एक फडा जाभअ औय हभागीय तसववय हभाय साभन हो। औय न लसफक मह कक हभ अऩन जहन औय फहभ भ तभाभ इकसाभ लशकक का अहाता कय र , फजलक हभाय अॊदय वो इजततहादी सरादहमत ऩदा हो जाए कक लशकक जो बी नमा रफादा ओढ इसभ इॊसान इसको ऩहचान र। लरहाजा इस वकत जो फहस होगी वो जमादा तय इकसाभ लशकक क जर भ होगी। इकसाभ

Page 10: AhleSunnatPak.com · 2019. 12. 27. · Author: Home-PC Created Date: 8/23/2016 9:07:39 AM

10

लशकक क लसरलसर भ हभाय हाॊ उरभा न भखतलरफ तकसीभ की ह। भसरन एक तकसीभ मह ह कक एक लशकक -ए-जरी ह औय एक लशकक -ए-ऽफी ह। मानी एक तो नभामाॊ औय खलरभ खलरा लशकक ह। भसरन एक शखस फत को सजदा कय यहा ह , जफकक एक ऽफी लशकक ह कक जजसका तजफाक कयक ही ऩता चरता ह कक लशकक हो गमा , वो फजादहय नजय नहीॊ आता। इसकी लभसार मह फयभान नफवी ह कक “जजसन ददखाव की नभाज ऩढी उसन लशकक ककमा।” एक शखस नभाज ऩढ यहा ह , रककन जफ वो मह भहसस कयता ह कक कोई भझ दख यहा ह तो वो अऩनी नभाज रमफी कय दता ह , सजदा तवीर कय दता ह, तो हजय ऩाक क फयभान की र स मह लशकक ह। फजादहय तो वो वही नभाज ऩढ यहा ह , इसभ वही माभ ह, वही यकअ ह, वही सजद ह, उसन वही सयतर फाततहा ऩढी ह , वही “सतहाना यजतफमर आरा” औय वही “सतहाना यजतफमर अजीभ” कहा ह। अऩनी तयफ स उसन कोई इजाफा नहीॊ ककमा ह, लसवाऐ इसक कक जया नभाज का दौयातनमा फढ गमा ह , अगय ऩहर दस सकॊ ड का सजदा हो यहा था तो अफ ऩॊदरह सकॊ ड का हो गमा , रककन तजजजमा कयन स भारभ होता ह कक इस एक सजद क दो भसजद होग। दस सकॊ ड का सजदा तो अलराह क लरए था, रककन ऩाॊच सकॊ ड का सजदा उस शखस क लरए ह जजस वो ददखा यहा ह, औय मही लशकक ह। तो एक ह लशकक -ए-जरी औय एक ह लशकक -ए- ऽफी।

एक औय तकसीभ इस ऐतफाय स की गई ह कक एक ह अीद का लशकक औय एक ह अभर का लशकक । एक शखस भखतलरफ भाफदो को भानता ह नाभ रकय , जफकक एक शखस वो ह जो अलराह क लसवा ककसी भाफद को नाभ रकय नहीॊ भान यहा , रककन अगय तजजजमा ककमा जाए तो भारभ होता ह कक इसक अभर भ लशकक ह। भसरन नफजस ऩयसती एक कसभ का लशकक ह। एक तयफ हकभ ह अलराह का औय औय एक तयफ खवादहश ह अऩन नफजस की। हभ ककतन ही भवा (अवसयो) ऩय अलराह क हकभ को ऩस ऩशत डार कय अऩन नफजस की खवादहश को भददभ कयत ह! उस वकत हभाया असर भाफद कौन ह ? हभाया नफजस ही ह। इशाकद इराही ह :

نليل

ىـ ك ي

ىوى عيوفيمى ى

ىف أيوى اى هيـ ػـ ىى هىذى ل ا

ى ى م

أ رى أ

(ऐ नफी !) कमा आऩन ाौय ककमा उस शखस क हार ऩय जजसन अऩनी खवादहश नफजस को अऩना भाफद फना लरमा? तो कमा आऩ ऐस शखस की जजमभदायी रग? (अरफाकन : 43 )

Page 11: AhleSunnatPak.com · 2019. 12. 27. · Author: Home-PC Created Date: 8/23/2016 9:07:39 AM

11

महाॊ नोट ककजजए कक रफजज “इराह” इसतभार हआ ह, ताकक कोई भाालता न यह। औय मही

हभाय कलभाए तयमफा का रफजज ह ‘ ي لىـى ه। तो भारभ हआ कक अभर भ लशकक’ا हो यहा

ह, अगयच अीद भ लशकक नहीॊ ह। उस शखस न कबी बी अऩन नफजस को भाफद भाना नहीॊ , फजलक आऩ इसस मह फात कयग तो वो आऩका लसय फोड दगा , रककन दयहीत इसक अभर भ लशकक भौजद ह। इसी क जर भ नफी- ए-अकयभ की एक हदीस ह जजसभ आऩ न फयभामा “हराक हो जाए ददयहभ व दीनाय का फॊदा”। महाॊ रफजज “अतद” रामा गमा ह। इसी स “इफादत” फना ह जजस क लरए फयभामा गमा

ىوفيقل ى ي لو عىى هي و

ىذ ى م ق

ل هى كي ىقىوىذم

لي هي لب ك رى

ي يد ع

ياس

لا هن

ى م أى ي

“ऐ रोगो! फनदगी कयो अऩन यफ की जजसन तमह औय तभस ऩहर क रोगो को ऩदा ककमा, ताकक तभ फच सको l(अर फयह:21)

आऩको भारभ ह कक रऩम की ऩजा ककस अॊदाज स होती ह । रऩम को कबी ककसी न भाफद नहीॊ भाना, रककन अगय कोई बफर फर इसकी फॊदगी कय यहा ह तो इसका नाभ खवाह अतदयकहभान हो मा अतदलराह हो , रककन असर भ “अतदददीनाय” औय “अतददददहकभ” ह। अफ आऩ ाौय ककजजए कक हभ भ स ककतन होग जो इन दोनो चीजो मानी नफजस ऩ यसती औय दौरत ऩयसती क अॊदय भरजववस नही हो! अगय कोई सततय फीसद अलराह क अहकाभ भान यहा ह तो तीस फीसद भ कोताही कय यहा ह। औय आऩ इस कोताही को लसफक एक भॊफी दर न सभखझम कक फस अलराह की फॊदगी भ कभी औय कोताही ह। नहीॊ ! फजलक वहाॊ भसफत तौय ऩय आऩ ककसी औय की फॊदगी कय यह ह। मह नफजस की फॊदगी हो यही ह, ऩस की फॊदगी हो यही ह, शोहयत की ऩजा हो यही ह, इकतदाय की ऩजा हो यही ह। तो भारभ हआ कक हभायी जजॊदगगमो भ मह दोनो इफादत , दोनो ऩयजसतश, दोनो ऩजाएॊ साथ साथ चर यही ह। मह लशकक नहीॊ तो औय कमा ह? ऐस रोगो ऩय मह सयह फकयह कक 85 नॊफय आमत भफायका सादद आती ह :

ى ا

هم ز

ل ل

ي ين

ىهكىـ ذين عىفى ى

مي ءىز ا جىى ىع و ب ى

ىريكف

يفمى ىاا ك

ىم ع ه ب ى

ىوفيين ي ىفا أ يى

مة هد

ىي

مد ىي

ىاي قيى

ـى ه

ى ى ك

ىوفيو ى عىا ل ىافنو

ى بغيػـلا او

ىيى ا ك

ىذ عى هدىط أـ ى ىكف

Page 12: AhleSunnatPak.com · 2019. 12. 27. · Author: Home-PC Created Date: 8/23/2016 9:07:39 AM

12

“तो कमा तभ ककताफ क एक दहसस को भानत हो औय एक का इॊकाय कयत हो ? तो तभ भ स जो कोई मह जभक कय उनका फदरा इसक लसवा औय कमा ह कक इनह दतनमा की जजॊदगी भ जरीर व खवाय कय ददमा जाए औय आखऽयत क ददन इनह शदीद तयीन अजाफ भ झोक ददमा जाए ? औय अलराह उन

हयकात स ााकफर नहीॊ ह जो तभ कय यह हो।” ( सयह फकयह : 85 )

अफ महाॊ “ क अलफाज ऩय ाौय कयन स मह फात सभझ भ आती ह कक मह तयज ” ال أ أ اد أ أ د अभर लशकक ह, औय लशकक वो जभक ह जजसक फाय भ अलराह न फयभा ददमा कक इसकी फजखशश का कोई सवार नहीॊ।

इकसाभ लशकक क हवार स दो तकसीभ तो वो ह जो भन आऩक साभन यखीॊ , मानी लशक जरी, औय लशक ऽफी, मा लशक अीदा औय लशक अभरी।

इभाभ इतन तलभमा ـ ىػ ي اولػ का इन भफादहस भ फडा ऊॊ رى चा भाभ ह। उनकी इजसतराहात क भताबफ एक ह लशकक कफर भाअयफा , मानी अलराह की ऩहचान भ लशकक , औय एक ह

लशकक कफततरफ। कयआन भ इशाकद इराही ह واييول ى هىاه ي ك

ل هل

ىعي

ى ض

“भदद चाहन वारा बी कभजोय औय फोदा ह औय जजसस भदद चाही जाती ह वो बी कभजोय औय फोदा ह”।(अरहजज : 73 )

हय इॊसान की जजॊदगी का तजजजमा कयन स भारभ होता ह कक वो ककसी भसद औय भतरफ को भोइयमन कयक दौड धऩ कय कय यहा ह। औय तौहीद का ताजा मह ह कक भसद औय भतरफ क दज भ लसवाए अलराह क औय कोई न हो।

कलभाए तयमफा “ ي لىـى ه का इस ऐतफाय स भफजहभ ह ”ا

राभकसदाइलरलराह (अलराह क लसवा कोई उददशम नहीॊ ह ) राभतरफाइलरलराह (अलराह क लसवा कोई रकषम नहीॊ ह )

राभहफफाइलरलराह (अलराह क लसवा कोई विमतभ नहीॊ ह ) इनसान क जीवन का उदशम , रकषम औय विमतभ लसपक अलराह होना चादहए l अगय भसद , भतरफ औय भहफफ होन क एतफाय स कोई औय अलराह क फयाफय हो गमा तो मही लशकक ह। फौर इफार :

फतो स तझ को उमभीद ऽदा स नाउमभीदी भझ फता तो सही औय काफयी कमा ह ?

Page 13: AhleSunnatPak.com · 2019. 12. 27. · Author: Home-PC Created Date: 8/23/2016 9:07:39 AM

13

इभाभ इतन तलभमा ـ ىػ ي اولػ न लशकक رى की फहस को इन दो इजसतराहात भ जभा ककमा ह। “लशकक कफरभअयफा” मह ह कक अलराह की ऩहचान भ कोई कभी हो, इसकी जात व लसफात क जजभन भ ककसी को राकय इसका साझी औय हभ ऩलरा फना ददमा गमा हो। मह भअयफत ऽदावॊदी भ लशकक ह। औय जो लशकक कफरअभर ह इसको इनहोन नाभ ददमा “लशकक कफततरफ” का कक अगय भसद व भतरफ औय भहफफ हीी होन क ऐतफाय स कोई श, कोई शखस, कोई हसती, कोई इदाया अलराह क हभ ऩलरा हो जाए, ददर क तखत ऩय अगय वो अलराह क फयाफय आकय फठ जाए तो मह “लशकक कफततरफ’’ ह।

इकसाभ लशकक क हवार स एक तीसयी तकसीभ बी ह जो भय नजदीक जमादा आभ फहभ (comprehensive) ह औय भ जर भ इसी क ऐतफाय स फहस करॊ गा। भ सभझता हॊ कक अगय इस तसीभ क हवार स इकसाभ लशकक का एक दफा अहाता कय लरए जाए तो इनशाअलराह वो फाततनी फसीयत ऩदा हो जाएगी कक अगय कबी लशकक की कोई औय सयत बी ऩदा हई तो इस फसीयत की यौशनी भ इसक ऩहचानन भ ददकत नहीॊ होगी। इस तकसीभ की र स लशकक की तीन कसभ ह: एक ह “लशकक कफजजात” मानी अलराह की हसती, अलराह की जात भ ककसी औय को इस का साझी औय हभ ऩलरा फना रना। इसक लरए अयफी का असर “कफ” ह। (हभ उदक फोर चार भ आभ तौय ऩय “हभकफ” कह दत ह, हाराॊक रफजज भ कफ भ “हभकफ” का ऩया भफजहभ भौजद ह जो फायसी ततीफ ह। ) सयतर

इखरास भ दो टोक अलफाज भ फयभा ददमा गमा ده : ون أ ى فيي ليـل هيمى ى ى औय कोई इसका“ ك

कफ नहीॊ ह”! “कफ का भतरफ ह फयाफय, हभसय। हजयत शऽ अर दहॊद ـ ىػ ي اولػ न इस رى आमत का तजकभा ककमा ह : “औय नहीॊ ह इसक जोड का कोई।” ऩहर जभान भ मह रफज शादी क भाभर भ फहत इसतभार होता था कक शादी कप भ होनी चादहए , मानी फयाफयी का भाभरा होना चादहए औय इस भाभर भ भखतलरफ ऐतफायात स दखा जाना चादहए , ताकक अभरन कोई फजोड वारी फात न हो जाए औय अदभ भवाफजत नही हो, फजलक भाहौर कछ एक जसा ही हो जजसभ रडका औय रडकी ऩर फड हो , तयीफन एक ही सतह की जजॊदगी इनहोन फसय की हो , आदत भ कहीॊ फहत जमादा फ क न हो l औय मह भाभरा दय हीत दहकभत भ स ह। तो इस रफज “कफ” को जहन भ राइए कक ककसी को

Page 14: AhleSunnatPak.com · 2019. 12. 27. · Author: Home-PC Created Date: 8/23/2016 9:07:39 AM

14

अलराह का कफ फना दना “लशकक कफजजात” ह औय मह फदतयीन, उयमाॊ तयीन औय तघनोवना तयीन लशकक ह, जजस ऩय अलराह का ाजफ फहत बडकता ह।

दसयी कसभ का लशकक “लशकक कफजससफात” कक अलराह की लसफात भ ककसी को इसक फयाफय कय दना, भदद-ए-भाबफर फना दना, साझी याय द दना औय लभसर फना दना। आऩ उरभाए कयाभ क ऽतफात भ मह अरफाज सनत होग

मह तभाभ अलफाज इसी ऐतफाय स ह कक लशकक क हय शाएफा की नफी हो जाए , हय नौइमत का इनकाय हो जाए , कक न कोई इसका कफ ह, न कोई इसका लभसर ह , न कोई इसकी लभसार ह , न कोई इसका हभ रतफा ह , न कोई इसका हभ ऩलरा ह, न कोई इसका भदद भाबफर ह , न कोई इसका साझी ह। तो लसफात भ ककसी को बी ककसी बी ऩहर स अलराह क फयाफय कय दना लशकक कफजससफात ह। औय भ ऩशगी तौय ऩय मह अजक कय दॊगा कक मह फडा रतीफ औय नाजक सा भाभरा ह औय इसभ एक इलभी भसअरा भरजववस ह। इसभ चॊद ऐसी रतीफ फात ह कक अगय वो भदद नजय न यहीॊ तो फडी आसानी स इॊसान का दभ तौहीद की शहयाह (याजभागक) स हट कय लशकक क ककसी यासता ऩय ऩड सकता ह। इसभ भाारता फशऊयी तौय ऩय, फजलक भ तो कहॊगा कक ऽरस क साथ बी हो सकता ह। इस ककसभ क लशकक क फाय भ

वारा भाभरा ह। जस ऩरलसयात क फाय भ कहा जाता ह कक वो फार स जमादा फायीक औय तरवाय की धाय स जमादा तज ह , ऐसा ही भाभरा लशकक कफजससफात का ह। इसक चॊद अहभ औय भोट भोट भसाइर ऩय जफ गफजतग होगी तो मह हीत वाजह हो जाएगी औय आऩको , इॊशाअलराह अरजफया (फीजगखणतॊ) क फाभकरो की तयह वो फात हाथ भ आ जाएगी कक जजसक फाद ऐस फहत स अीद जो हभाय हाॊ अाइद क जजभन भ ऩड हए ह जजनकी वजह स फडी खीॊचतान , कशभकश औय यससाकशी ह , वो तभाभ अीद हर होत चर जाएॊग।

तीसया लशकक ह “लशकक कफरह” मानी अलराह क ह भ इसक साथ लशकक कयना, ककसी को ह क भाभर भ इसका साझी फनाना मा इसक फयाफय कयना। वस तो अलराह क ह अगय गगन जाऐॊ तो फहत हो जात ह , रककन “हाथी क ऩाऊॊ भ सफका ऩाऊॊ ” क लभसदा एक रफजज ऐसा बी ह कक जजसभ अलराह क तभाभ ह

Page 15: AhleSunnatPak.com · 2019. 12. 27. · Author: Home-PC Created Date: 8/23/2016 9:07:39 AM

15

जभा हो जात ह औय वो रफजज “इफादत” ह, जो तभाभ अजमफमा व रसर की दाअवत का भकक जी नकता यहा ह। अजयोए अलफाज यआनी

قيوفى ى لي لو عىى هي و

ىذ ى م ق

ل هى كي ىقىوىذم

لي هي لب ك رى

ي يد ع

ياس

لا هن

ى م أى ي

“ऐ रोगो! इफादत कयो अऩन यफ की जजसन ऩदा ककमा तभको औय उनको जो तभस ऩहर गजय ह, ताकक तभ फच सको”।(फकयह :21)

يكفى تى ف ييل ل ين أ فياي ىـو ػـى ه م

ي ىا هى يىػـلك او

ي يدـ ع و

ى قى ي

“ऐ भयी ौभ! अलराह की इफादत कयो, इसक लसवा तमहाया कोई भाफद नहीॊ” (हद:50,61,84)

ف يعيوف أ

أى كيوايقل ى كىػـلك او

ي يد ع

“(हजयत नह न अऩनी कौभ स कहा) अलराह की इफादत कयो, औय इसका तकवा इजखतमाय कयो औय भयी ऩयवी कयो।” (नह : 3)

इफादत ही इॊसान का भकसद-ए-तखरी ह, इसकी जजॊदगी का भकसद ह। इशाकद इराही ह

ي قىوىا ىيىكف ك

يع يد هيى

لسى ل

لىل ك

ا

“औय भन जजनो औय इॊसानो को लसफक अऩनी इफादत (फॊदगी) क लरए ऩदा ककमा।” (अजजारयमात : ५६ )

लरहाजा इस रफजज “इफादत” भ अलराह क तभाभ ह आ गए। चनाॊच “लशकक कफलह” को लशकक कफर इफादत” कहा जा सकता ह। इफादत क ऩाॊच रऽ ह जजनक फाय भ फहस स भारभ हो जाएगा कक लशकक कफर इफादत कौन कौन सी सयत ह। इसस हभ इॊशाअलराह भौजदा लशकक क अरावा वो दीभ लशकक जो दतनमा भ ऩाए गए , इन सफका फहभ व शऊय हालसर हो जाएगा , फजलक वो फसीयत बी ऩदा हो जाएगी कक जजसक नतीज भ आइनदा बी अगय मह भजक ककसी औय सयत भ जादहय हआ तो इसको सभझना औय ऩहचानना आसान हो जाएगा।

Page 16: AhleSunnatPak.com · 2019. 12. 27. · Author: Home-PC Created Date: 8/23/2016 9:07:39 AM

16

शिरक फिजजात ( ) जसा क भन अजक ककमा , मह फदतयीन, उयमाॊतयीन, तघनाओना तयीन औय अलराह क नजदीक भफाजतयीन लशकक ह। दतनमा भ इस लशकक की दो सयत याइज यही ह। एक को भजहफी ककसभ का लशकक कहा जा सकता ह औय एक को फरसफ माना ककसभ का लशकक । फजलक सहीहतय तअफीय मह होगी कक ऩहरा लशकक वो ह जो उन ौभो भ ऩदा हआ जो अऩन आऩको यसरो स भॊसफ कयती ह औय आसभानी दहदामत ऩय मीन य खती ह। औय दसया लशकक वो ह जो उन ौभो भ ऩदा हआ जजनक भजादहफ की असर ही त फरसकफमाना ह, कछ दहकभत औय फरासफा क कफकर औय सोच ऩय उनक भजहफ की फतनमाद ामभ ह।

ऩहरी नोइमत का लशकक ह ककसी को अलराह का फटा मा फटी याय दना। जादहय फात ह कक फटा मा फटी तो हभ जजॊस औय हभ नोअ हए ! जस भार का फटा भार ह , इॊसान का फटा इॊसान ह औय घोड का फटा घोडा वायह। भारभ हआ कक मह नोअ भ , जजॊस भ, भतकफा भ, ाजक हय एतफाय स बफलकर फयाफयी औय कफ वारा भाभरा ह , औय मही वजह ह कक इस नोअ क लशकक ऩय अलराह का ाजफ फहत बडकता ह ह। औय इस दर काबफर ताजजफ फात औय लसतभ जयीकफ ह कक इस नोअ क लशकक भ भततरा वो रोग हए जो नबफमो औय यसरो क भानन वार ह , जरीरर दर ऩामफयो की तयफ अऩन आऩको भॊसफ कयन वार ह, आसभानी दहदामात का दभ बयन वार औय अलराह की ककताफो को भानन वार ह। चनाॊच एक तयफ तो भशरयकीन अयफ थ जो अऩन आऩको भॊसफ कयत थ उस भवादहद आजभ हजयत इबराहीभ की तयफ, औय उनका दाअवा मह था कक हभ हनीफी ह, मानी दीन हनीफ ऩय ह , वही दीन-ए-हनीफ जो क हजयत इबराहीभ का दीन था। औय उनका हार मह था कक उनहोन फरयशतो को ऽदा की फदटमाॊ याय ददमा।

दसयी तयफ महददमो न हजयत उजय को “इतनलराह” कहा, उनह अलराह का फटा भाना गमा। तौयात को आऩ ऩढ कय दख तो भारभ होगा कक वहाॊ लशकक की भजमभत इस दर लशददत क साथ आई ह कक लशकक को जजना क साथ ताफीय ककमा गमा ह। वहाॊ फाय फाय आऩको मह तभसीर लभरगी कक जस ककसी शखस की फीवी जजना की भयतककफ हो औय

Page 17: AhleSunnatPak.com · 2019. 12. 27. · Author: Home-PC Created Date: 8/23/2016 9:07:39 AM

17

अऩन शौहय स फवफाई कय बफलकर मही तज अभर ह उस शखस का जो अलराह क साथ फवफाई कय यहा ह। हजयत भसा न फछड को अलराह का शयीक फनान की सजा क तौय ऩय उन रोगो क तर का हकभ ददमा था जजनहोन लशकक का इयततकाफ ककमा था, औय मही इयतदाद की सजा ह जो हभाय हाॊ बी भौजद ह। वहाॊ लशकक की ऩादाश भ हजायो इसराईलरमो को तर ककमा गमा। रककन इसी ौभ भ कपय मह लशकक ऩदा हआ कक इनहोन हजयत उजय को ऽदा का फटा याय द ददमा। औय मह भजक औय गभयाही अऩनी इजनतहा औय नकताए उरज को ऩहॊची ह ईसाईमो क हाॊ जजनहोन हजयत भसीह को ऽदा का फटा याय ददमा। महददमो भ तो लसफक एक दौय ऐसा गजया औय उनक कछ भखसस कफक थ जजनहोन मह लशकक ककमा , भगय भसीदहमत तो कर की कर इसी अीद ऩय भफनी ह, औय उनहोन इस भाभर भ इस दज ार ककमा कक हजयत ईसा बफन भरयमभ को सयाहत क साथ अलराह का सलफी फटा याय ददमा औय इनक लरए रफजज “वरद” इसतभार ककमा। महाॊ मह फात जहन भ यखखए क “इतन” क रफजज भ दो अहतभारात ह। अयफी जफान भ “इतन” ककसी तालर औय तनसफत को बी जादहय कयता ह, औय जरयी नहीॊ कक वो फाऩ औय फट ही की तनसफत हो। भसरन आऩ ककसी को “इतनरवकत” कहत ह तो वो वकत का फटा नहीॊ ह, फजलक इसका फॊधन औय तालर वकत स ह, भयाफादनभा ह, हवा इधय की चर यही ह तो इधय को उसका रऽ ह , उधय की चर ऩड तो उधय को इसका रऽ हो जाएगा। इसी तयह “इतनससफीर” कहत ह यासता चरन वार भसाकफय को। इसका भतरफ मह नहीॊ क वो यासत का फटा ह , फजलक यासत क साथ जडा हआ ह, चरा जा यहा ह। तो “इतन” का रफजज जो भाअनीमन ह। अयफी जफान भ इॊजीर क तजकभो का भतारा कयन स भारभ होता ह कक हजयत भसीह “फटा” क भअनो अऩन लरए फतौय इसतआया रफजज “इतन” इसतभार कयत थ। जस तौयात भ लशकक क लरए जजना की तमसीर लभरती ह कक जजस तयह एक फीवी जजना का इयतकाफ कयक अऩन शौहय स फवफी कयती ह, इसी तयह एक शखस लशकक कयक अऩन यफ स फवफाई का भयतकफ हो यहा ह। इसी तयह इस तनसफत को दखखए जो फाऩ औय फट क दलभकमान ह कक फाऩ बी चॊक अऩन फट को ऩारता ऩोसता औय ऩयवान चढाता ह, इसकी ऩयवरयश कयता ह, लरहाजा इसी तनसफत स हजयत भसीह न अलराह को भखर का यफ होन की हलसमत स आसभानी फाऩ औय इॊसानो को उसक फट याय ददमा। अनाजीर अयफा ( अयफी जफान भ

Page 18: AhleSunnatPak.com · 2019. 12. 27. · Author: Home-PC Created Date: 8/23/2016 9:07:39 AM

18

इॊजीर क तजकभो) भ मह फात लभरती ह कक हजयत भसीह अलराह को जहाॊ “भया आसभानी फाऩ” कहत ह वहाॊ “तमहाया आसभानी फाऩ” बी कहत ह। ऐसा तअन नहीॊ ह क उनहोन ऽसलसमत क साथ (exclusively) अऩन ही रफजज “इतन” इसतभार ककमा हो , फजलक अलराह को “तभाभ नोऐ इॊसानी का आसभानी फाऩ ” कहा गमा औय लसफक असतआया क तौय ऩय। रककन ईसाईमो न आग फढा कय इस अीद को जहाॊ ऩहॊचामा ह वो रफजज “वरदन” ह। “वरदन” क भाअना सलफी औराद क ह , औय औराद भ फट औय फदटमाॊ दोनो शालभर ह। रफजज “वरदन” भ ककसी इसतआय मा ककसी औय तालर का भाभरा बी नहीॊ ह। तो मह जान लरजजए कक यआन भजीद न ईसाईमो क फाय भ तो दोनो फात कहीॊ कक उनहोन हजयत ईसा को “इतनलराह” बी याय ददमा औय “वरदलराह” बी याय ददमा। जस उनका ौर नर हआ

ندىهى كيػـل اوىذى لو ا

ياهىذ ى ق

لينذرى ه

ى ك

औय उनको सावधान कय द, जो कहत ह, " अलराह सनतानवारा ह’’।(अलकहफ : 4)

रककन यआन न महददमो क फाय भ लसफक एक इलजाभ रगामा गमा कक उनहोन हजयत उजय को “इतनलराह” याय ददमा। औय भशरयकीन अयफ क फाय भ आता ह उनहोन फरयशतो को ऽदा की फदटमाॊ याय ददमा। अफ आऩ दखखए , सयतर इखरास, जो तौहीद क भौज ऩय जाभअ तयीन सयह ह, इसभ चाय आमतो भ स ऩहरी दो आमत

﴿ هد ى أيػـلوى او

ي هني ﴿﴾ ١ق

يد ى هصل

يػـل﴾٢ او

तो फलसकफमाना ह औय फहत फरॊद भफजहभ की हालभर ह। रककन आखऽयी दो आमत जहाॊ आकय भजभन सफस जमादा नभामाॊ ह , वो इसी नोअ क लशकक स भताजलर ह औय इसकी

नफी कय यही ह دىهي

ى ى كودى ى “न उसन जना औय न वो जना गमा”। तभाभ सलफी रयशतो स

वो बफलकर ऩाक ह। न कोई उसका फाऩ ह न कोई उसकी भाॊ ह , न कोई उसका फटा ह औय न कोई उसकी फटी ह। औय कपय इसका जो भफजहभ फमान ककमा गमा , जो नतीजा तनकारा

गमा, वो ह ده ون أ ى فيي ليـل هيمى ى ىऔय इसका कोई कफ नहीॊ ह”। इसक जोड का कोई नहीॊ ह“ ك ,

इसकी फयाफयी का कोई नहीॊ ह , इसका हभ ऩलरा कोई नहीॊ ह , इसका हभ जजॊस कोई नहीॊ ह औय इसकी नोअ का कोई नहीॊ ह।

Page 19: AhleSunnatPak.com · 2019. 12. 27. · Author: Home-PC Created Date: 8/23/2016 9:07:39 AM

19

सयह फनी इसराईर की आखऽयी आमत जो लशकक क भौजअ ऩय फडी जाभअ आमत ह , जजस भ लशकक की नफी क चाय असरफ इजखतमाय ककम गम, इसभ सफस ऩहरा असरफ मही ह :

ل ى كيـل هيمى ى ىك ك

و ي ه

هك

ى شيـل هيمى ى ى كندىهى كخذل ى ىذم

لـ ه ػل اويد ى ن ل

يقى ن ك

مى يا بىلى كؿم هذ

ى م

“औय कहो, "िशॊसा अलराह क लरए ह, जजसन न तो अऩना कोई फटा फनामा औय न फादशाही भ उसका कोई सहबागी ह औय न ऐसा ही ह कक वह दीन-हीन हो जजसक कायण फचाव क लरए उसका कोई सहामक लभतर हो।औय फडाई फमान कयो उसकी, ऩणक फडाई”

सयह फनी इसराईर क फौयन फाद सयतर कहफ शर होती ह। मह दोनो सयत जडवाॊ ह औय दहकभत यआनी क फहत फड ऽजान ह जो यआन भजीद क बफलकर वसत भ भौजद ह। सयतर कहफ क ऩहर यकअ भ जजकर हो यहा ह l

﴿ ندىهى كيػـل اوىذى لو ا

ياهىذ ى ق

لينذرى ه

ىا﴾٤ك

ل يى ي

ىـ ه ب

ىو م

عو

ىلى ى ك

بى ا

ىتيبى ل

نى ى

يري ى ا

وى ه ى م

ف أ

ف ىوفيوهيقى

لذبن لى﴾٥﴿ ل

औय (अलराह न अऩन फॊद भहमभद ऩय मह यआन इसलरम नाजजर ककमा ह) उनको सावधान कय द, जो कहत ह, " अलराह सनतानवारा ह।"(4) इसका न उनह कोई ऻान ह औय न उनक फाऩ-दादा ही को था। फडी फात ह जो उनक भॉह स तनकरती ह। व कवर झठ फोरत ह (5)

इस नोअ क लशकक ऩय अलराह क ाज व ाजफ का मह अॊदाजा अऩन ऩय नकताए उरज को ऩहॊच जाता ह अगरी सयह , सयह भरयमभ क आखऽयी यकअ भ। जो शखस इफायत क तवय को ऩहचानता औय रहज क फ क को जानता हो वो फऽफी सभझ सकता ह कक महाॊ अलराह का ाज व ाजफ ककस तयह बडकता ह। इशाकद इराही ह :

﴿ ندىهىي ك ػـى هرل

ىذى لو ا

ياهىقى ﴿٨٨ك

ا دن يى ط ين ج دىقل ٨٩﴾ ه

يـ ينىرفللىفى ى ي تىاك ى هصل

يدىكى ﴾

ير

ا

م ىنظى ىك

﴿ دى هياؿ ى

رم ا

ىاى ﴿٩٠ك

ندىهى كػـى و اورل

ىعىف د ﴿٩١﴾ أ

ندىهى كىخذل ىف أػـى غ اورل ن ى

ىا ىيى ٩٢﴾ ك

ى م

م ي﴾ ف ك

﴿ ن دى عػـى ت هرل

ألر ل

اى ت ك

ىاك ى ﴾٩٣ هصل

व कहत ह, "यहभान न ककसी को अऩना फटा फनामा ह।" (88) अतमनत बायी फात ह, जो तभ घड राए हो! (89) तनकट ह कक आकाश इसस पट ऩड औय धयती टकड-टकड हो जाए औय ऩहाड धभाक क साथ गगय ऩड, (90) इस फात ऩय कक उनहोन यहभान क लरए फटा होन का दावा ककमा! (91) जफकक यहभान की

Page 20: AhleSunnatPak.com · 2019. 12. 27. · Author: Home-PC Created Date: 8/23/2016 9:07:39 AM

20

िततषठा क िततकर ह कक वह ककसी को अऩना फटा फनाए (92) आकाशो औय धयती भ जो कोई बी ह एक फनद क रऩ भ यहभान क ऩास आनवारा ह (93)

इनभ आमत नॊफय 92 बफलकर ाबफर ाौय ह। शामानशान नहीॊ होन की वजह ककमा ह ? मह फडी सादा सी फात ह l औराद की जरयत असर भ इसलरम होती ह कक कोई हसती ऽद फानी हो। अगय ककसी को फाअ औय दवाभ हालसर हो औय उस दतनमा भ हभशा क लरए यहना हो तो इस ककसी औराद की जरयत नहीॊ ह। औराद तो फाअए नोअ औय फाअऐ नसर क लरए ह। जो फानी ह वो मह भहसस कय सकता ह कक भयी औराद की शकर भ भयी हसती का एक तसरसर फययाय यहगा। इसी लरए तो वो योत ह जजनक हाॊ औराद नहीॊ, ऽास तौय ऩय जजनकी औराद-ए-नयीना (फटा ) नहीॊ वो कहत ह कक हभाया नाभ लभट जाएगा। मही ताअना तो ददमा गमा था भहमभद यसरलराह को, कक इनकी कोई औराद-ए-नयीना नहीॊ, इनका नाभ ऽतभ हो जाएगा , मह तो अततय ह, जजसक जफाव भ सयतर कौसय नाजजर हई :

﴿ ى ىوثىم هىاؾىينىلع ألر ﴿١ ن

ى نى كىكب هرىن صى

ى ﴿٢﴾ ف

ي ىتب وى ا

ي هىكىا ى طل﴾ ٣﴾ ف

“(ऐ नफी !) हभन आऩको ऽय कसीय अता की ह। ऩस अऩन यफ की नभाज ऩढ औय (उसी क नाभ की) फाकनी ककजजए। मीनन आऩका दशभन ही फनाभ व तनशान होगा।”

जफकक अलराह तो ऽद दाइभ ह, ाइभ ह, फाी ह, अर हयमर यमभ ह , लरहाजा जादहय फात ह कक मह तसववय ही नहीॊ ककमा जा सकता कक इस बी ककसी औराद की जरयत हो। मह जरयत तो असर भ उनक लरए ह जो फी नजफजसही , बफजाततही फानी ह। लरहाजा फयभामा गमा

﴿ ندىهى كىخذل ىف أػـى غ اورل ن ى

ىا ىيى﴾٩٢ك

“औय यहभान क तो मह शामान शान ही नहीॊ ह कक वो ककसी को अऩना फटा फनाए”।

सयतर इनआभ की फडी पमायी आमत नॊफय १०१ ह l

وى يهىءو ك ى

ل ي ك

ى ىوى ى كها ى ى

يـل هيمى ى ى كهدىهى كيـى هيوفيمى ـ ل ر أ

اى ت ك

ىاك ى هصل

يدي

ىو ه ب

ىءو ع ى

ي

بك

वह आकाशो औय धयती का सवकिथभ ऩदा कयनवारा ह। उसका कोई फटा कस हो सकता ह, जफकक उसकी ऩतनी ही नहीॊ? औय उसी न हय चीज को ऩदा ककमा ह औय उस हय चीज का ऻान ह

Page 21: AhleSunnatPak.com · 2019. 12. 27. · Author: Home-PC Created Date: 8/23/2016 9:07:39 AM

21

इसलरए कक अलराह क लरए फटा मा फटी भानोग तो ऩहर इसक लरए कोई फीवी बी भानना ऩडगी। रककन अजीफ फात मह ह कक अलराह क लरए कोई बी फीवी भानन क लरए तमाय नहीॊ ह। तो कस उसक औराद हो जाएगी ? वो तो “अरफदीअ” ह। महाॊ “फदीअ” क दोनो भफजहभ जहन भ यखखए। एक भफजहभ ह कामनात को अदभ भहज स वजद फखशन वारा। फदीअ का दसया भफजहभ ह अनोखी चीज , फलभसर चीज। महाॊ अलराह की वो शान बी जादहय ह कक वो फ लभसर ह, अऩनी जात भ बफलकर अनोखा ह , इसकी कोई फीवी नहीॊ, तो इसकी औराद कहाॊ स हो जाएगी?

इस जजभन भ यआन भजीद न भशरयकीन अयफ क जजकर भ कछ रतीफ तनज बी ककम ह कक ईसाईमो औय महददमो न तो अलराह को फट ददम रककन तभन तो कभार ककमा कक अराट बी कीॊ तो फदटमाॊ कीॊ ! इशाकद इराही ह

نظميى عنولى قىوفيوهيقى ى هي ل ن ى ن

ى مىل ى هى م

ىذى ل اىن ى ك ى

به

ي مب رى

ياا

ى ف ىف أ

“(मह फडी अजीफ फात ह कक) तमहाय यफ न तमह फट अता कय ददए, औय ऽद अऩन लरए फरयशतो को फदटमाॊ फना लरमा ? मीनन तभ फडी बायी फात अऩनी जफान स तनकार यह हो।” (फनी इसराईर :40 )

सयतननजभ भ फयभामा गमा l

ـ ﴿ىثأ ايـىهىري كىللي هذ

ي ىه ٢١أ

ىك ﴿﴾ و

ـلى ضزي

هى قص

ن﴾٢٢ ذ

“कमा तमहाय लरए फट ह औय उसक लरए फदटमाॊ? मह तकसीभ तो फडी ाय भजनसफाना ह।”

इसलरए कक तभन इस अराट बी की ह तो फदटमाॊ की ह। मही सयतससाफजफात भ फयभामा

ن ى ﴿ ى هى ىات لع

ىن ى هىفى ل ﴿ ﴾١٥٣أ

ىوفي يك ى تىي

ى لي ىا هى﴾١٥٤ي

“कमा अलराह न फटो को छोड कय (अऩन लरए) फदटमाॊ इजखतमाय कय रीॊ ?तमह कमा हो गमा ह ? कस हकभ रगा यह हो ?”

अरततता मह फात भसलरभा ह कक गजजशता अकवाभ भ जो ौभ बी लशकक कफजजात भ भततरा हई इनभ स ककसी न बी अलराह क लरए फीवी तसरीभ नहीॊ कीॊ।

ईसाईमत क फाय भ मह फात जान लरजजए क अगयच ईसाईमो भ इस लशकक “लशकक कफजजात” न सफस जमादा फदतयीन सयत इजखतमाय की औय मह लशकक अऩन नकताए उरज को ऩहॊचा , रककन ईसाईमो भ बी जो तसरीस याइज यही ह उनभ ऩहरी तसरीस (Trinity) जो इततदा भ जमादा भानी जाती थी वो मह ह God the Father, Mary the mother and Jesus the

Page 22: AhleSunnatPak.com · 2019. 12. 27. · Author: Home-PC Created Date: 8/23/2016 9:07:39 AM

22

son. मानी फाऩ, फटा औय भाॊ तीन इराह ह औय इसभ हजयत भरयमभ भाॉ क रयशत स अरदहमत भ शयीक ह , ऽदा की फीवी होन की हलसमत स नहीॊ ! औय इसभ फडा फ क ह। इस जदीद दौय भ इस तसरीस को भानन वार फहत कभ ईसाई ह। अफ जो तसरीस याइज ह, जो तनसफतन जमादा फरसफमाना ह , वो मह ह God the Father, Jesus the son and

the Holy Spirit (Ruh-ul-Qudus). मानी फाऩ, फटा औय रहरदस। इस तसरीस भ स

हजयत भरयमभ को तनकार ददमा गमा ह। औय भ सभझता हॊ कक मह बी इस शाएफा स फचन क लरए ककमा गमा जो अलराह क लरए फीवी होन का हो सकता था। कमोक इॊसानी जहन को फहत फडा औय ना भनालसफ भहसस होता ह। चनाॊच अफ जो तसरीस ईसाईमो क हाॊ याइज ह, वो ह, फाऩ, फटा औय रहलदस” की तसरीस।

शिरक फिजजात री दसरी सरत लशकक कफजजात की जो दसयी सयत ह वो फरसफजमाना भजादहफ भ याइज यही ह। फरसफजमाना भजादहफ की भकमभर तयीन औय नभामाॊ तयीन लभसार दहॊदसतान क भजादहफ ह। दहॊद भत असर भ कोई भजहफ नहीॊ ह , फजलक मह फहत स भजादहफ का भजभआ ह। इनभ वो भजादहफ बी ह जो ऽदा का लसय स इॊकाय कहत ह , वो भजादहफ बी ह जो शदीद तयीन लशकक क अॊदय भततरा ह , औय इनक फयअकस इनभ वो भजादहफ बी ह जो तौहीद की फहत ऊॊ ची चोटी ऩय ऩहॊच हए ह। इसी तयह फदध भत बी फजादहय अहवार जसा बी नजय आता ह, एक फरसफजमाना भजहफ ह। जन भत बी एक फरसफजमाना भजहफ ह। ताउइजभ औय कॊ फमलशलसजभ बी फरसफजमाना भजादहफ ह। इसी तयह मह जो दहॊदी चीनी(Indo

Chinese) भजादहफ ह, इन सफ की फतनमाद फरसफा ह। अगयच मीन क साथ तो नहीॊ कह सकत, रककन गोतभ फदध क फाय भ फाज खोजकताक का गभान ह कक वो हजयात जलकफजर थ, कऩरवसत वार। मानी कऩर का “ऩ”, “फ” स फदर गमा गमा तो जलकफजर हो गमा (वलराह आरभ)। फहयहार इन फरसफमाना भजादहफ भ लशकक की जो मह दो सयत औय शकर फनीॊ इनको जान लरजजए।

एक शकर ह जजस अॊगरजी भ Pantheism स ताफीय ककमा जाता ह। फायसी भ इसका तजकभा “हभाउसत” ह, अगयच इसको ऽलत भफहस ककमा जाता ह अीदा “वहदतर वजद” स, जो हभाय हाॊ क फाज हकभाअ, फरासफा औय सकफमाअ की अकसयमत का अीदा ह। फाज रोग

Page 23: AhleSunnatPak.com · 2019. 12. 27. · Author: Home-PC Created Date: 8/23/2016 9:07:39 AM

23

नासभझी भ “हभाउसत” को वहदतर वजद क भतायाददफ मा वहदतर वजद को हभाउसत क भतायाददफ याय द दत ह।

लशकक कफजजात की दसयी नभामाॊ शकर ह जजस अॊगरजी भ Incarnation औय दहॊदी भ “अवताय” का अीदा कहा जाता ह , औय अयफी का रफजज “हरर” तयीफन इन दोनो सयतो की ताफीय क लरए इसतभार होता ह।

अफ ऩहर मह सभझ लरजजम कक हभाउसत मा Pantheism कमा ह। मह असर भ फरसफाए वजद की एक फहस ह। दहॊदसतान भ फाज रोग दो हजसतमो को दीभ भानत ह, मानी ऽदा बी दीभ औय भाददा (दरवम) बी दीभ। इनक खमारात भ तऽरी का अभर ऽदा औय भादद क इशतयाक स वजद भ आता ह। जस एक फढई रकडी स कसी , भज मा लभमफय फना द, तो कसी, भज मा लभमफय फनान वारा फढई बी ऩहर स भौजद था औय वो रकडी बी ऩहर स भौजद थी जजसस मह चीज फनाइ गई। इसी तयह ऽदा बी दीभ औय भाददा बी दीभ ह, औय ऽदा न भादद स मह भखतलरफ शकर फना दी ह। इसको आऩ साजनवमत कह लरजजए कक दो हजसतमो को दीभ भानना। इसक अरावा एक अीदा उनका यहा जो तीन अशमाअ को दीभ भानत ह , मानी ऽदा बी कदीभ , भाददा बी दीभ औय रह बी दीभ। वो ऽदा औय भादद क साथ रह को बी दीभ भानत ह कक वो बी हभशा स ह। मह “तादाद दभाअ” का अीदा ह कक दीभ हजसतमाॊ एक स जाइद दो मा तीन भान री गई औय मह बी एक तयह की तसरीस ह।

रककन जो तनसफतन तौहीद क भानन वार थ , जजनहोन रह को दीभ भाना औय न भाददा को, फजलक लसफक ऽदा को दीभ भानत थ , अफ उनहोन तौहीद स लशकक तनकार लरमा। इनक लरए मह फडा अशकार ऩदा हआ कक कपय ऽदा न इस दतनमा को कस फनामा ? इसक लरए जफ कोई श ऩहर स थी नहीॊ औय लसफक वही दीभ ह , मानी न भाददा दीभ , न रह दीभ तो मह दतनमा कस वजद भ आ गई ? तो इसकी एक शकर इनहोन मह याय दी औय मह अीदा वजद भ आमा कक ऽदा न ऽद ही इस कामनात का रऩ धायण कय लरमा ह । जस फफक वऩघर कय ऩानी फन जाए तो अफ फफक ही ऩानी ह , मानी फफक ही न ऩानी की शकर इजखतमाय कय री। अफ इस ऩानी को आऩ न आग दी तो वो बाऩ फन गमा। तो अफ मह बाऩ ही ऩानी ह औय बाऩ ही फफक ह। इसी तयह उनक खमार भ ऽदा न कजलरमतन मा जजअन उस कामनात की शकर इजखतमाय कय री। अफ इस अीद की बी दो शकर हो

Page 24: AhleSunnatPak.com · 2019. 12. 27. · Author: Home-PC Created Date: 8/23/2016 9:07:39 AM

24

गई। एक मह कक ऽदा अफ यहा ही नहीॊ , फजलक ऽदा कर का कर इस कामनात की शकर भ ढर गमा ह, अफ अरहदा स ऽदा क नाभ स कोई श नहीॊ। औय दसयी शकर मह क ऽदा क ककसी जजव न इस कामनात की शकर इजखतमाय कय री। मानी अगयच ऽदा बी भौजद ह, रककन मह कामनात बी इसका जजव ह , मा मह इसी क जजव की एक शकर ह। दहॊदओॊ क हाॊ मह तसववयात ह कक (नाऊज बफलराह) ऽदा क लसय स बराहभण ऩदा हए , फाजओॊ स बतरम ऩदा हए जो रडन वार ह , औय इसक ऩाऊॊ स शदर ऩदा हए। मह तसववयात इसी अीद का एक भनती यतत ह। इस अीद क फरसफमाना ऩहर ऩय ाोय कयन स मह नतीजा तनकरता ह कक अफ हय चीज अरदहमत की हालभर ह। इस लरए कक जफ ऽदा ही न कामनात का रऩ धाय लरमा ह तो कपय दयखत बी ऽदा ह , सयज बी ऽदा ह, चाॊद बी ऽदा ह, कीड भकोड बी ऽदा ह , वायह वायह। मह फदतयीन लशकक ह जो आऩको दहॊदसतान की सयजभीन भ लभरगा।

लसफक ऽदा को दीभ भानन वारो भ स फाज न इस तयह ऩदा शदह अशकार क अजार क लरए एक दसयी शकर मह इजखतमाय की , कक ऽदा इॊसानो की शकर भ जादहय हो जाता ह , मानी ककसी एक इॊसान भ हरर कय जाता ह। मह अवताय Incarnation का अीदा ह। चनाॊच इनक नजदीक याभचनदर जी औय कषण जी ऽदा क अवताय ह। इनक हाॊ नौ अवताय थ। एक दसवाॊ अवताय अऩन आऩको भसरभान कहन वारो न इनभ शालभर कय लरमा ह , जजसका तजककया फाद भ आएगा , फहयहार हभाउसत (Pantheism) औय अवताय फन जान मा हरर कय जान (Incarnation) का अीदा लशकक कफजजात की वो सयत ह जो फरसफमाना भजादहफ भ याइज ह।

उममत महममददया ऩर खससी िजऱ व ररम

अफ इन तभाभ चीजो को साभन यख कय हभ उमभत भजसरभा का जाइजा र कक इस नोअ का लशकक हभाय हाॊ आमा मा नहीॊ , औय अगय आमा तो ककसी सतह ऩय औय ककसी हद तक ! इस जजभन भ सफस ऩहर तो भ अलराह का शकर अदा कयता हॊ , औय भया गहया अहसास ह कक अलराह का इस उमभत ऩय फडा फजर व कयभ हआ कक चौदह सौ फयस फीत जान क फावजद इस नोअ का कोई अीदा भसरभानो क ककसी बी भसतनद कफ क भसतनद अाइद की फहरयसत भ भौजद नहीॊ ह। मह अलराह का फडा फजर

Page 25: AhleSunnatPak.com · 2019. 12. 27. · Author: Home-PC Created Date: 8/23/2016 9:07:39 AM

25

औय एक कसभ का भोजजजा ह। हाराॊकक इस उमभत को जो अीदत औय भहतफत यही ह अऩन यसरलराह स, इस भहतफत स कोई भकाफरा बी नहीॊ ह उस भहतफत अीदत औय जाॊतनसायी जो ककसी दसय क उमभततमो को अऩन यसर क साथ ह। इसक फावजद नफी-ए-अकयभ को ऽदा का फटा मा ऽदा नहीॊ फनामा गमा। अवाभ , साधायण वकताओ , नाअतगोओ औय उन शामयो (जो सबी वाददमोभ घभत ह) क हाॊ इस कसभ क इशायात औय ककनाए लभर जात ह औय मह लसफक ऐहाभ की हद तक ह। “ऐहाभ” का भतरफ ह कक फात साफ औय वाजह न की जाए कक जजस ऩय गगय फजत हो, रककन साभअ क जहन भ एक वहभ औय एक खमार उबाय ददमा जाए। इस नौईमत की फात शाइयो, वाअजो औय नअत गौओॊ न की ह , जजनक लशककक मा होन भ कोई शक नहीॊ ह। भसरन मह शय क:

वही भसतई अशक था ऽदा होकय

उतय ऩडा भदीन भ भसतफा हो कय

अफ आऩ दखखए कक इसभ औय अवताय क अीद भ कमा फ क ह? रककन जहन भ यखखए कक मह एक शाइय की भफाराा आयाई ह। मह इस दज की चीज औय इस तयह क इसतआय ह जजन स शामयी की दकान चरती ह। इस तयह का एक औय शय भराखता ककजजए :

भदीन की भजसजद भ भॊफय क ऊऩय

फाय ऐन का इक अयफ हभन दखा !

अफ रफजज “अयफ(عرا)” भ स ऐन(ع) तनकार ददजजए तो यफ(را) यह जाएगा। मानी यसर

अयफी असर भ यफ(را) ह। नाऊज बफलराही लभन जालरक। शय भ फात वाजह

नहीॊ की गई औय आऩ गगयफजत कयग तो कहा जाएगा हभन तो ऐसा कछ नहीॊ कहा। रककन मह कक एक वहभ औय खमार ऩदा कय ददमा , जहन को उधय भोड ददमा , औय सनन वारो भ जो जमादा खशअीदा होग उनहोन वाह वाह की होगी औय दाद दी होगी। तो इस तयह की फात अऻातनमो औय अवाभ क तहतर शऊय क अनदय ऩयवान चढती चरी गई ह , रककन हभाय हाॊ क भसततनद कफो क भसततनद अाइद भ ककसी जगह बी कोई ऐसा शाएफा मा इशायह तक नहीॊ ह। औय मह भय नजदीक भोजजजा ह भहमभद यस रलराह का औय असर भ इसका फयाह यासत तालर खतभ नफवत क साथ। दयअसर मह तहफजफज ह

Page 26: AhleSunnatPak.com · 2019. 12. 27. · Author: Home-PC Created Date: 8/23/2016 9:07:39 AM

26

जो अलराह न नफी-ए-अकयभ को अता फयभामा कक आऩ इस ार का हदफ औय तनशाना नहीॊ फन। मह खतभ नफवत क रवाजजभ भ स ह कक एक तयफ अलराह न यआन की दहफाजत का ऽद जजमभा लरमा l

﴿ ىوفيافظى ى ليـى هل نىرى كلا هذ

ىنهل ىي ن

ى نل﴾٩ ن

मीन हभन ही मह अजजजकर (यआन) नाजजर ककमा औय हभ ही इसकी दहफाजत कयन वार ह (अरदहजय:9) औय दसयी तयफ भहमभद को दहफाजत अता फयभाई कक उनकी शजखसमत भसख न हो जाए, वो कहीॊ अवताय न फना ददम जाऐॊ , वो बी कहीॊ ऽदाओॊ की फहरयसत भ शालभर न हो जाएॊ, इनह कहीॊ ऽदा का फटा न फना ददमा जाए। तो मह दय हीत एक तहफजफज ह जो अलराह की तयफ स नफी ए अकयभ को अता हआ ह। इसका जमादा अॊदाजा आऩ को उस वकत होगा जफ आऩ इस हीत को साभन यखग मह भाभरा हजयत अरी क साथ बी हआ ह।

हजयत अरी की तनसफत नफी-ए-अकयभ क साथ एक उमभती की ह , चनाॊच आऩ हजयत अरी को यसरलराह स कभ अज कभ एक दजाक तो नीच राएॊग। वस तो अहर सननत क नजदीक नफी-ए-अकयभ क फाद दजाक अफ फकय का ह, कपय हजयत उभय का ह, कपय हजयत उसभान का ह औय कपय हजयत अरी का ह। रककन उमभततमो को एक ही कटागयी शभाय कयन स हजयत अरी नफी-ए-अकयभ स कभ अज कभ एक दजाक तो नीच ह, रककन आऩ सोगचए कक हजयत अरी को ऽदा कहन वार ऩदा हो गए। ऽदा का फटा बी नहीॊ फजलक ऽदा फना ददमा गमा। फहत स रोगो को हजयत अरी न इस फदतयीन अीद की ऩादाश भ जजॊदा आग भ जरवामा ह। मह एक महदी साजजश थी औय इस साजजश को काभमाफ कयन क लरए रोगो न ऩय इसतरार क साथ जान दीॊ। इसलरए कक फाकनी ददए फाय ककसी बी साजजश की आग आग नहीॊ फढती। हभाय हाॊ जहराअ भ जो नअया भयववज ह वो “मा अरी भदद” का ह “मा भहमभद भदद” का नहीॊ ह। “मा भहमभद” “मा यसरलराह ” तो भहज अऩन तशशखस को नभामाॊ कयन क लरए भजसजदो भ लरखन क काभ आता ह , मा मह नाअया एक ऽास कफ क इजतभा मा जरसा क अॊदय रगवामा जाता ह , ताकक भारभ हो जाए क मह

Page 27: AhleSunnatPak.com · 2019. 12. 27. · Author: Home-PC Created Date: 8/23/2016 9:07:39 AM

27

भजसजद फराॊ कफ की ह औय मह जलसा फराॊ गगयोह का ह। फाी मह क जो नअया भदान भ रगता ह वो “मा भहमभद भदद” का नहीॊ, फजलक “मा अरी भदद” का होता ह। तो अरदहमत का मह भाभरा जजस तयह हजयत भसीह क साथ हआ था, हजयत अरी क साथ बी हआ।

भसनद अहभद भ मह हदीस भौजद ह। हजयत अरी फमान कयत ह कक भझस यसरलराह न फयभामा: “तमहाय अॊदय हजयत ईसा क साथ एक भशाफहत ऩाई जाती ह कक (एक तयफ) उनस महद न फाज यखा हतता क इनकी वालरदा भहतयभा ऩय (फदकायी) की तोहभत रगाई, औय (दसयी तयफ) नसाया न इनस इॊतहाई भहतफत की, हतता क इनह इस भाभ ऩय ऩहॊचा ददमा जो उनका भाभ नहीॊ। ” मह दो इॊततहाएॊ ह। एक गगयोह हजयत ईसा की अीदत भ इस दर ाारी हो गमा कक इसन इनह ऽदा का फटा फना ददमा औय एक गगयोह उनकी दशभनी भ इस इॊततहा तक को

ऩहॊचा कक इनह वरदजजना (नाजामज रयशत कक वजह स ऩदा) याय ददमा औय अऩन फस ऩडत इनह सरी ऩय चढा कय दभ लरमा। फईना मही भाभरा हजयत अरी क साथ बी होकय यहा कक हजयत अरी को ऽदा कहन वार बी ऩदा हए औय ऽवारयज का वो कफया बी ऩदा हआ जो हजयत अरी को (नाऊज बफलराह) काकफय औय वाजजफर तर कहता था औय इनही भ स एक फदक न बफर आखऽय हजयत अरी को शहीद कय ददमा।

अफ आऩ इस ऩस भॊजय भ दखखए क अलहमदलरलराह भहमभद यसरलराह को न तो ऽदा का फटा कहा गमा औय न ही ऽदा कहा गमा। मह अलराह का फजर व कयभ औय इसका ऽससी तहफजफज ह कक इस नो का कोई बी खमार हभाय हाॊ ऩदा नहीॊ हआ। जसा क भन अजक ककमा , शामयी औय नअत गोई की हद तक ऐसी हयकात जरय सयजद हई ह। इसलरए क नअत कहत हए हदद क अॊदय यहना अकसय व फशतय फहत भजशकर हो जाता ह। ककसी शामय न बफलकर सही फात कही ह

Page 28: AhleSunnatPak.com · 2019. 12. 27. · Author: Home-PC Created Date: 8/23/2016 9:07:39 AM

28

चनाॊच नअत गोई भ कछ अदभ तवाजन ऩदा हो जाता ह , होश का दाभन हाथ भ नहीॊ यहता। हभाया तयज अभर मह होना चादहए क फड फड भमदह शखस की भमददहमत बी ह को तसरीभ कयन भ औय फाततर क अततार भ हभा य यासत की रकावट न फन। भासभ लसफक नफी होत ह औय नफवत ऽतभ हो गई भहमभद यसरलराह ऩय। अऩनी जात भ हजजत तो नफी-ए-अकयभ ही थ। फाी सफ को तो ऩयखा जाएगा यआन औय हदीस की कसौटी ऩय। जो इस ऩय सहीह उतय वो सहीह ह। ककसी बी शखस को हभ मह दजाक नहीॊ द सकत कक वो जो चाह कह द हभ इस तसरीभ कय रग , फजलक इसकी जो फात सहीह ह वो तसरीभ कयग औय जो ारत ह उ सको यदद कय दग। कस फाशद ! फहयहार हभाय हाॊ शामयी औय नअत गोई की हद तक अवताय क अीद क खमारात भौजद ह औय लसफात इराही भ नफी-ए-अकयभ को अलराह का हभ ऩलरा फना ददमा गमा ह। मह फहस इॊशा अलराह “लशकक कफजससफात” क जर भ तफजसीर स आएगी। रककन जसा क भन अजक ककमा , आऩको भसरभानो क ककसी बी भसतनद कफ क भसतनद उरभा क हाॊ ऐसी चीज नहीॊ लभरगी। अहर इलभ जफ फात क यग तो इनकी फात क अॊदय तवाजन होगा , औय वो इन इलभी अहतमातो को भलहज यख कय फात कयग। वामा मह ह कक अगय इॊसान जया बी ाय भहतात हो जाऐ तो वो लशकक क दाभन भ जा ऩहॊचता ह।

इसी तयह जफ वहदतर वजद का अीदा हभाय हाॊ शोअया का तऽताए भश फन गमा तो इसकी बी जो तअफीय अवाभ तक ऩहॊची ह वो हभाउवसत औय अवताय वारी ह। हभाउवसत की ताअफीय हभाय हाॊ इस शअय भ लभरती ह :

फयतन फनान वारा जफ लभटटी रकय इसको चककय ऩय चढाता ह तो एक नई चीज मानी फयतन वजद भ आ जाता ह। अफ वस तो मह तीन चीज हो गई। एक ऽद फयतन फनान वारा, दसया वो फयतन मा कोजह औय तीसयी चीज वो लभटटी मा गाया जजसस फयतन वजद भ आमा। रककन इस शय की र स असर भ मह तीन नहीॊ ह, फजलक एक ही ह। अफ वो

Page 29: AhleSunnatPak.com · 2019. 12. 27. · Author: Home-PC Created Date: 8/23/2016 9:07:39 AM

29

फयतन फनान वारा ऽद ही इस कोज भ शयाफ बी ऩी यहा ह। कपय ऽद ही इसन ऽयीदाय फन कय इसको ऽयीदा, औय कपय इसको तोडा औय आग फढ गमा। मह जो साया तभाशा ह मह उस हभाउसत की ताफीय ह। वस मह शामयी इतनी फरॊद ह , तयकीफ इतनी चसत औय आहॊग ऐसा ददर कश ह कक आदभी झभ जाता ह। अगर शय भ महाॊ तक कहा गमा :

मानी जजबबरर का रफादा बी उसन ऽद ही ओढा , यआन का नाजजर कयन वारा बी वो ऽद ह औय आखऽय काय नफी-ए-अकयभ की शकर भ वो (ऽदा) दतनमा भ ऽद ही आ गमा, औय भहफफ जहाॊ फन गमा। (इनना लरलरादह व इनना इरदह याजजऊन ) अफ ददखखए इसभ हभाउसत औय अवताय दोनो तयह क तसववयात जभा ह। शामयी अगयच फहत पमायी औय वजद भ रान वारी ह , रककन फात कहीॊ स कहाॊ ऩहॊच गई ! इसी लरए ककसी न फडी पमायी फात कही ह; “फा ऽदा दीवाना फाश व फा भहमभद होलशमाय! मानी आऩ अलराह की जजतनी तायीफ कय सक कयत चर जाएॊ , तफ बी आऩ इसकी तायीफ का ह अदा नहीॊ कय सकत, रककन हजयत भहमभद की तायीफ कयत हए फहत भहतात औय चोकस यहना ऩडगा। ककसी इॊसान क लरए भजमकन नहीॊ ह कक अलराह की इफादत औय इसकी भअयफत का ह अदा कय सक। इस जज भन भ रा भहारा मही

कहना ऩडगा “ऐ यफ! हभन तयी फॊदगी नहीॊ की कक जजतना तयी फनदगी का ह था औय तयी भअयफत हालसर नहीॊ कय सक जजतना की इसका ह था।”

नफी ए अकयभ फयभात ह कक माभत क योज भदान हशय भ , जफ दयफाय ऽदा वॊदी रगा होगा, हमद का झॊडा भय हाथ भ होगा औय भ उस योज अऩन यफ की वो हमद करॊ गा जो आज नहीॊ कय सकता। इसलरए कक हमद होती ह भअयफत की तनसफत औय भअयफत नफवी ककसी एक जगह आकय ठहय नहीॊ गई, फजलक इसभ भसलसर तयकी होती यही, दजाकत फरॊद तय होत यह। अजयोए अलफाज यआनी

ـ ىك أ اى م

ىكل هه ى ية رى

ىاى ك

“औय हय आन वारी साअत आऩक लरए हय गजयी हई साअत स फहतय ह”।(अद दहा : 4)

Page 30: AhleSunnatPak.com · 2019. 12. 27. · Author: Home-PC Created Date: 8/23/2016 9:07:39 AM

30

तो जस जस भअयफत ऽदावनदी की भनाजजर तम हो यहीॊ ह कक हमद क दजाकत बी फरॊद हो यह ह। जजतना आऩ यफ को ऩहचानग इतनी ही इसकी हमद कय सक ग ! चनाॊच आऩ अलराह की जजतनी हमद बी कय र , कपय बी इसकी हमद अदा नहीॊ होती , “ह तो मह ह कक ह अदा नहीॊ हआ”। रककन नफी-ए-अकयभ क भाभर भ इनतहाई

होलशमाय यहना होगा। क लभसदा महाॊ इॊसान का दभ तरवाय

की धाय ऩय ह। फयभान इराही ह يو دن

يوغى ى अऩन दीन भ ारव हयगगज न कयो (अजननसा:171) ل

मह ारव ही तो था क हजयत उजय को ऽदा का फटा फनामा गमा , हजयत ईसा इतन भरयमभ को ऽदा का फटा फनामा गमा। मह भहतफत औय अीद का ारव ह। चनाॊच नफी-ए-अकयभ की भदह, तायीफ औय सनाअ क फमान भ फहत अहतमात की जरयत ह। औय वाकमा मह ह कक अऻातनमो औय अवाभ स तअ नजय हभाय हाॊ क भसतनद कफो क भसतनद अाइद भ अलहमदलरलराह इस अहततमात को भरहज यखा गमा ह।

िखससयत महममदी र तहफिज र असबाब

इस जजभन भ फाततनी तौय ऩय तो असर दखर ह दहकभत ऽदा फॊदी को कक मह तहफजफज ऽससी ह जो भहमभद यसरलराह को हालसर हआ, रककन इसभ दो चीज औय ह जो जादहयी असफाफ भ स ह। जस कक आऩ दखत ह कक यआन भजीद की दहफाजत का असर सफफ तो ह अलराह का फसरा औय अलराह का जजमभा, रककन जादहयी असफाफ भ दहफजज यआन का जो भाभरा चरा , मह इसका जरयमा ह। मह यआन लसफक

ककताफो भ ही नहीॊ ह, ىىعو هيكوأذ ى أ

لكر ه

يد ي

هات

ىنيى بهتىيوى أي هنى ب

“फजलक मह खलरभ खलरा आमात ह जो अहर इलभ क सीनो भ भहफज ह”।(अर अनकफत:79)

फन कयआत की ककताफ तो फाद भ लरखी गई ह। यआन हकीभ तो एक जफान न दसयी जफान स सीखा ह, औय मह एक सीन स दसय सीन भ भनतकर हआ ह , औय अफ राखो की तादाद भ हाकफज कयाभ भौजद ह। कपय यभजानर भफायक औय तयावीह का तनजाभ जजसभ दहफजज को ताजा ककमा जाता ह। तो मह साया लसरलसरा दहफाजत यआन भजीद क

Page 31: AhleSunnatPak.com · 2019. 12. 27. · Author: Home-PC Created Date: 8/23/2016 9:07:39 AM

31

जादहयी असफाफ भ स ह, जजसक फाततन भ दयअसर भशमत ऽदा वॊदी काय फयभा ह। इसी तयह नफी-ए-अकयभ को जो तहफजफज लभरा ह कक आऩ क साथ वो जलभ यवा नहीॊ यखा गमा , हाराकक आऩ क एक उमभती ऩय वो जलभ हो गमा, तो असर भ तो मह भशमत इराही ह , रककन इसक जादहयी असफाफ भ स ऩहरा सफफ मह ह कक यआन न नफी-ए-अकयभ की फशयीमत को फहत नभामाॊ ककमा ह। यआन कयीभ भ जाफजा मह भजभन भखतलरफ ऩयाओॊ भ आमा ह। एक जगह इशाकद हआ :

ني ق

ه د

ى كهػــى هيػـ ي

ىا هى ل ل أى لـ ى ي

ي يو ي ه ىشى ىنا أى ل

“(ऐ नफी !) कदहम कक भ तो एक इॊसान हॊ तभ ही जसा, भयी तयफ वही की जाती ह कक तमहाया ऽदा फस एक ही ऽदा ह”।(अरकहफ:110)

सयह फनी इसराईर औय सयह कहफ, जो दो जडवाॊ सयत ह, इनभ अहर इलभ क लरए एक अजीफ नकता ह कक इन दोनो की आखऽयी दो दो आमात फर अभय “र” स शर होती ह। सयह फनी इसराईर की आखऽयी आमत भ अलराह की तौहीद का फमान ह। फयभामा

خذل ى ىذم

لـ ه ػل اويد ى ن ل

يقى ن ك

مى يا بىلى كؿم هذ

ى ل م

ى كيـل هيمى ى ىك ك

و ي ه

هك

ى شيـل هيمى ى ى كندىهىك

“औय (ऐ नफी !) कह दीजजए कक तभाभ तायीफ उस अलराह क लरए ह जजसन न ककसी को फटा फनामा, न कोई फादशाही भ उसका शयीक ह औय न वो कभजोय ह कक कोई इसका दोसत हो, औय इसकी फढाई फमान कयो कभार दज की फढाई”।

इस भाभ ऩय अलराह की शान को ऽफ नभामाॊ ककमा गमा ह , भफादा कहीॊ अलराह को उसक भाभ फरॊद स गगया ददमा जाए। इस लरए लशकक की दो ही सयत ह। ऩहरी सयत मह क अलराह को उसक भाभ यफीअ स गगया कय भऽरात की सफ भ राकय खडा ककमा जाए औय दसयी सयत मह क भऽरात भ स ककसी को उठा कय ऽदा क फयाफय फठा ददमा जाए। इनक अरावा तीसयी सयत तो भजमकन नहीॊ। सयह फनी इसराईर की आखऽयी आमत न लशकक की ऩहरी सयत की जड काटी ह , जफकक दसयी सयत दसयी सयत की जड काटी ह सयह कहफ की आखऽयी आमत (110) क इन शतदो न

هػــى هيػـ ي

ىا هى ل ل أى لـ ى ي

ي يو ي ه ىشى ىنا أى ل ني ق

ه د

ىك

मही भजभन सयह फनी इसराईर भ एक जगह औय बी आमा ह। जफ भशरयकीन अयफ न नफी ए अकयभ स भआजजात तरफ ककम कक अगय आऩ

Page 32: AhleSunnatPak.com · 2019. 12. 27. · Author: Home-PC Created Date: 8/23/2016 9:07:39 AM

32

अलराह क यसर ह तो हभाय लरए फौयन ही महाॊ एक चशभा फयआभद हो जाए , मा एक फाा तमाय हो जाए, मा एक भहर फन जाए, मा हभ आसभान ऩय चढ कय ददखाएॊ , तो

इन सफ फातो का मह जवाफ ददरवामा गमा نول شي رل

ن ىشى لن ي ل

ي لنى ه رى

ىافى ي

ني ق

“(ऐ नफी!) कह दीजजए ऩाक ह भया ऩयवयददगाय, भ तो लसफक एक इॊसान हॊ, जजस यसर फना कय बजा गमा ह”।

तभ मह भतारफ भझस तफ कयत अगय भन ऽदाई का दावा ककमा होता। भन ऽदाई का दावा तो नहीॊ ककमा। सफत औय दरीर तरफ की जाती ह दाव की भनासफत स। अगय भन अरदहमत औय ऽदाई का दावा ककमा होता तो तमहाय भतालफ दरसत थ कक मह कयक ददखाओ तो तमह ऽदा भानग, जफकक भन तो लसफक एक दावा ककमा ह कक भ एक यसर फशय हॊ, लरहाजा भझस इसी की भनालसफत स कोई दरीर तरफ कयो। तो ऩहरी फात तो मह ह कक यआन भजीद न नफी-ए-अकयभ की फशयीमत को फहत नभामाॊ ककमा ह।

एक फाय फयरवी भकतफ कफकर क भमताज आरभ दीन साहफजादा फजर हसन साहफ न अऩनी तयीय भ अऩन भऽारफीन ऩय फड रतीफ ऩयाए भ तनीद की , जो भझ ऩसॊद आई। उनहोन अऩन भसरक औय हभ भशयफ रोगो क साभन भऽारफीन को ररकाय कय कहा: “कमा तभ हभ ऩागर औय जादहर सभझत हो? कमा हभ यआन नहीॊ ऩढ हए मा हभ अयफी नहीॊ जानत? हभ ऽफ जानत ह कक यआन भ नफी-ए-अकयभ को फशय कहा ह। हभ तो लसफक मह कहत ह कक तभ आऩ की फशयीमत को जमादा नभामाॊ न कयो, फशय फशय की यट न रगाओ कक मह सए अदफ ह। इसलरए कक तमहाय वालरद का नाभ अतदयकहभान ह तो तभ इस अतदयकहभान कह कय नहीॊ ऩकायत , अतफा जान कहत हो!” फहय हार यआन भजीद जजस तयह स नफी-ए-अकयभ की फशयीमत को नभामाॊ कय यहा ह तो मह ककसी दहकभत की वजह स ह।

क लभसदा राजजभन इसकी कोई जरयत ह , राजजभन कोई कफतना ह जजसका सदद-ए-फाफ भसद ह। चनाॊच इस भकसद औय दहकभत क तहत इसको फमान कयना होगा। अलफतता जजददभ जजददा का भाभारा हयगगज नहीॊ होना चादहए।

Page 33: AhleSunnatPak.com · 2019. 12. 27. · Author: Home-PC Created Date: 8/23/2016 9:07:39 AM

33

इसी जजददभ जजददा की लभसार क तौय ऩय नाभ लरए फाय एक दसय भकतफ कफकर क एक फहत फड आलरभ दीन का वाकमा ऩश कयता हॊ। अलराह उनकी भजफफयत फयभाए ! जजसकी भझ तहसीन कयनी थी इसका नाभ रकय फात की ह औय जजस ऩय तनीद कयनी ह इसका नाभ नहीॊ रना चाहता। वो साहफ ऩॊजाफी भ सीयतननफी ऩय लभरी जरी तयीय कय यह थ, जजसभ तफजसीय बी थी , सीयत बी थी औय इखतराफी भसाइर बी थ। वाकमा मह ह कक उस अलराह क फॊद न ऩयी तयीय भ सहाफा ककयाभ भ स ककसी क नाभ क साथ कहीॊ बी “हजयत” औय नहीॊ कहा। जफ फअत रयजवान का वाकमा सनामा तो अऩन भखसस ऽतफमाना अॊदाज भ उनहोन कहा (उदक तजकभा) “अय! उसभान जजॊदा ह औय इधय फअत हो यही ह! तो कहा गमा तमहाया इलभलाफ ” मह आग को हवा दन का सा एक अॊदाज ह औय एक यससा कशी का भाभरा ह। वनाक मह कक इन भाभरात को हभ हर कयन ऩय आऐॊ तो तअन कोई भजशकर भसअरा नहीॊ ह। तो ऩहरी फात तो मह ह कक मह जो तहफजफज हआ ह यसरलराह का इसभ फहत फडा दहससा इसका ह कक यआन न नफी-ए-अकयभ की फशयीमत को फहत नभामाॊ ककमा ह। इसी क ताफअ दसयी फात सभझ रीजजए कक नफी- ए-अकयभ न बी अऩनी फशयीमत को फहत नभामाॊ ककमा गमा ह। अगय कहीॊ जया बी वहभ ऩदा होन का इमकान नजय आमा तो वहाॊ ऩय बी नफी-ए-अकयभ न फौयन टोक ददमा। भसरन तअजीभन खड होना कोई फडी फात नहीॊ। कोई फजगक हसती आऐ तो आऩ खड हो जात ह, मह इसकी ताअजीभ ह। रककन नफी-ए-अकयभ न अऩन लरए इस बी ऩसॊद नहीॊ ककमा, फजलक आऩ सहाफा को इसस सखती स योकत थ।

एक सहाफी की जफान स गफजतग भ मह अलफाज तनकर गऐ मानी जो अलराह चाह औय जो आऩ चाह। इस ऩय आऩ

न फौयन टोक ददमा “कमा तभन भझ अलराह का भदद

भबफर फना ददमा? (फजलक वही होगा) जो तॊहा अलराह चाह!” महाॊ आऩ न “तनदद” का रफजज इसतभार ककमा जजसकी जभा “अॊदाद” ह। यआन भजीद भ (अर फयह:165) इशाकद इराही ह

Page 34: AhleSunnatPak.com · 2019. 12. 27. · Author: Home-PC Created Date: 8/23/2016 9:07:39 AM

34

ـ ػل او

ي ىى

ي ىون م

ي ن دىدـ أ ػلكف او

ي م د

يخذل ى ى

اس مل هنىمى ك

औय रोगो भ स वो बी ह जो अलराह को छोड कय उसक भदद भाबफर फनात ह, औय कपय मह रोग इनस अलराह कक भहतफत जसी भहतफत कयत ह”।

तो नफी-ए-अकयभ न इतना सखत रफजज इसतभार ककमा कक तभन भझ अलराह का तनदद (भद भाबफर) फना ददमा? हाराॊक जादहय ह कक इन सहाफी क हालशमाऐ खमार भ बी मह फात नहीॊ हो सकती थी। रककन चॊक उनका मह जमरा वहभ ऩदा कय सकता था औय भसावात की शकर जहन भ आ सकती थी , लरहाजा आऩ न सखती स टोक ददमा। इसलरए कक भशमत तो लसफक अलराह की ह। आऩ की शान तो मह ह कक

دم ى تى لىكلد ى

ىي ىي به

ىوعوى أيهى كياءىظى ى

دم م ى ىػـلل او ػـم

ىهىب ى ك ى

أ ىم

“(ऐ नफी !) आऩ दहदामत नहीॊ द सकत जजसको चाह (मह आऩक इजखतमाय भ नहीॊ ह), फजलक अलराह ही दहदामत दता ह जजसको चाहता ह”।(अर सस:56)

तीसयी फात जो भ कयन रगा हॊ वो जया सॊवदनशीर (sensitive) फहस ह। यआन भजीद भ न लसफक नफी-ए-अकयभ की फशयीमत को नभामाॊ ककमा गमा फजलक अगय कहीॊ आऩ स फतकाजाए फशयी भाभरी स ऽता मा चक बी हई (ऐस अलफाज इसतभार कयत हए बी जफान रडखडाती ह ) तो अलराह न आऩ को टोका औय गगयफजत फयभामी औय इस गगयफजत को हभशा हभश क लरए यआन भजीद का जज फना ददमा, ताकक तभाभ करभा गो , तभाभ उमभती हभशा ऩढत यह कक मह गगयफजत हई थी भहमभद यसरलराह की। चनाॊच सयह अफस भ इशाकद हआ :

﴿ ـ ل ى ىوىبىسى ك

ى ١ع

اياىاء ف جى

﴿﴾ أ

ـ ى ﴿٢مع

ـ لكل ى ييـلو عىى هىرك

ا يد

ىيى ٣﴾ ك

ـل رىل هذيـ عىىنفى ىري فلللذى ك﴾ أ

ـ ﴿٤﴿ىنغى شت

ىا م

لي ﴿٥﴾ أ

ـللد صىى يـى ى ه

ى ﴿٦﴾ ف

ـ لكل ى يلل أىيكىوىا عىيىـ ﴿٧﴾ ك صعى

ى ىؾىاء جى

ىا م

ليأى﴾ ٨﴾ ك

ـ ﴿ى

ش ىوى ييهى ٩ك

ى ى

ىىـ ﴿﴾ ف ل

ىوى ي ﴿١٠ق

هة لرى

ذىا ى ل ن

ل ى ﴿١١﴾ لك

يا رىىلى ذىاءى ط

ى ى ﴾١٢﴾

उनहोन तमोयी चढाई औय भॉह पय लरमा, (1) इस कायण कक उनक ऩास अनधा आ गमा। (2) औय आऩको कमा भारभ शामद वह सवमॊ को सॉवायता-तनखायता हो (3) मा नसीहत हालसर कयता हो तो नसीहत उसक लरए राबदामक हो? (4) यहा वह वमजकत जो धनी हो गमा ह (5) आऩ उसक ऩीछ ऩड ह - (6) हाराॉकक

Page 35: AhleSunnatPak.com · 2019. 12. 27. · Author: Home-PC Created Date: 8/23/2016 9:07:39 AM

35

वह अऩन को न तनखाय तो आऩ ऩय कोई जजमभदायी नहीॊ आती - (7) औय यहा वह वमजकत जो सवमॊ ही आऩक ऩास दौडता हआ आमा, (8) औय वह डयता बी ह, (9) तो आऩ उसस फऩयवाई कयत ह (10) कदावऩ नहीॊ, व (आमत) तो भहतवऩणक नसीहत ह - (11) तो जो चाह उस माद कय र - (12)

इसी तयह ाजवह उहद का वाकमा जहन भ राइए जजस ऩय यसरलराह की गगयफजत हई, हाराॊक आऩ भ वो ऩहाड जसी अजीभत थी कक कोह दहभारम बी जजस ऩय यशक कय। मौभ ताइफ भ मह अजीभत भहमभदी ऽफ जादहय होती ह। ऩतथयाव स जजसभ रह रहान ह , जद बफन हारयसा क लसवा कोई जाॊ तनसाय नहीॊ ह। अॊदाजा कीजजए कक साए की तयह आऩ क साथ यहन वार हजयात अफ फकय बी सफय ताइफ भ आऩ क हभयाह नहीॊ थ। आऩ का इसतहाजाए हवा, कफय चसत ककम गए , ताइफ क तीनो रए सान एक स एक फढ कय करज को छदन वार अरफाज इसतभार ककम। इस ऩय भसतजाददमा क ओफाशो न जजस तयह आऩ को जजसभानी तशददद का तनशाना फनामा वो नााबफर फमान ह। रककन उस वकत बी जफकक आऩ को इजखतमाय ददमा गमा कक अगय आऩ चाह तो भरकर जफार इन दोनो ऩहाडो को आऩस भ टकया द औय ताइफ क यहन वार इनक भाफन सयभा फन जाएॊ , अजीभत भहमभदी कोई फद दआइमा करभा जफान स तनकारन क लरए तमाय नहीॊ हई। फजलक जफान यहभत स इशाकद हआ कक कमा अजफ क अलराह इनकी आइनदा नसरो को दहदामत द द! रककन ाजवह उहद भ जफ दनदान भफायक शहीद हए औय चहया-ए-अनवय रह रहान हआ तो जफान स मह जभरा तनकर गमा

’’वो ौभ कस फराह ऩाएगी जजसन अऩन नफी क चहय को ऽन स यॊग ददमा , जफकक वो इनह अलराह की तयफ ऩकाय यहा था!” हाराॊक मह कोई फददआ नहीॊ थी कक ऐ अलराह! इनको दहदामत न दीजजओ, फजलक मह एक तफसयह था। रककन इस ऩय गगयफजत हो गई औय अलराह न मह आमत नाजजर फयभा दी

ا ىى في ى ذ يعى

ك ى أ

ىوىواى ع

ي ى ك أهء ىر

ي اى م

ىكىسى ه

يى ﴿ه

ىيوف اه

ىى ظ

ي ل﴾١٢٨ن

Page 36: AhleSunnatPak.com · 2019. 12. 27. · Author: Home-PC Created Date: 8/23/2016 9:07:39 AM

36

“(ऐ नफी !) आऩक हाथ भ कोई इजखतमाय नहीॊ ह (दहदामत औय जरारत का सय रयशता अलराह क हाथ भ ह) वो चाहगा तो उनकी तौफा फर कयगा औय अगय चाहगा तो उन ऩय अजाफ बज दगा”।(आर इभयान:128)

मह फसरा ऐ नफी ! आऩक हाथ भ नहीॊ ह, हभाय हाथ भ ह। आऩ अऩना काभ कीजजए औय इनक अॊजाभ को हभाय हवार कीजजए।

ى ﴿ي ى ىا يىينى هلى ﴿٢٥ ف

ي ىا ا صى

ىينىوى عل فل ي﴾٢٦﴾ ث

“मीनन हभायी तयफ इन सफको रौट कय आना ह, कपय हभाय जजमभा ह इनका दहसाफ”।(अराालशमह: 25) औय तारयऽ की इस हीत को दखखए कक इस ऩय हादसाए फाजजआ का जो सफस जमादा जजमभादाय शखस हो सकता था , मानी ऽालरद बफन वरीद, इसी को अलराह न

लरसान भहमभदी स खऽताफ ददरवामा “ऽालरद त अलराह की तरवायो भ स एक तरवाय ह”। आरभ असफाफ भ तो ाजवह उहद भ भसरभानो की फतह को लशकसत भ फदन वार ऽालरद बफन वरीद ही थ , रककन फाद भ अलराह न इनह भहमभद यसरलराह क जाॊ तनसायो भ शालभर पयभा ददमा। फहयहार यआन भजीद न इन फातो को न भामाॊ ककमा ह तो दहकभत फालराा क तहत ककमा ह। ऐस भाभात स गजयत हए ायी क ददर भ मह फात आती होगी कक अगय मह चीज यआन भ न होतीॊ तो कमा हजक था। हभ इन आमात का तजकभा कयत हए भजशकर ऩश आती ह औय हभायी जफान रडऽडाती ह। एक जगह इशाकद ह

ن ى ىكؾ

يذى لال لن ذى كيىا ىا ىينىوى عىمىتفى ه ىيكىا هىين ى

كذم أ

ل هى

ىكىوي نف يىىك هيدى ف

ى ﴿ك

نف ٧٣ل

أىولىهى﴾ ك

﴿ نويل

ىا قن يى ى ط

ىي ه

ىل ى تل لدت

دىقى هىاؾىنت لى﴾٧٤ث

“औय (ऐ नफी!) मह रोग तो दयऩ थ इसक कक आऩको फचरा द इस वही स जो हभन आऩकी तयफ नाजजर की ह ताकक आऩ हभाय नाभ ऩय अऩनी तयफ स कोई फात गढ राएॊ, औय तफ तो मह राजजभन आऩको अऩना दोसत फना रत। औय अगय हभ आऩक ऩाऊॊ जभाए न यखत तो आऩ तो उनकी तयफ ककसी दज भ भाइर हो ही जात।”

औय अगरी आमत नॊफय 75 भ कपय इस ऩय ततसया हआ ह:

ص ن ﴿ىا ىينىوى عىكى هيدى تى لل يات ث ى ى

هىضع

ىاة ك يى

ى ل

ى ضع

ىاؾىنقىذ ل ان﴾٧٥ ذ

Page 37: AhleSunnatPak.com · 2019. 12. 27. · Author: Home-PC Created Date: 8/23/2016 9:07:39 AM

37

“अगय ऐसा हो जाता तो हभ राजजभन आऩको दोहयी सजा दत दतनमा की औय दोहयी सजा दत भोत की , कपय आऩको हभाय भाफर भ अऩन लरए कोई भददगाय (औय कोई छडान वारा) न लभरता”।

भसद मह फताना ह कक चौदह सौ फयस फीत जा न क फावजद भहमभद की शजखसमत उसी तयह लशकक की आभजजश स ऩाक औय साफ ह। आऩ फशय ह औय यसर ह। आऩ अतदह बी ह औय यसरह बी ह। आऩ अतद कालभर बी ह औय यसर कालभर बी।

इस शय भ ककतनी फडी हीत फमान हई ह :

“यफ यफ ही ह चाह वो ककतना ही नजर इजरार फयभा र , औय फनदा फनदा ही ह खवाह वो ककतना ही फरॊद भाभ ऩय ऩहॊच जाए”। चौदह सौ फयस गजयन क फावजद मह इजमतमाज ामभ ह , हाराॊक इस उमभत भ अऩन नफी क साथ भहतफत औय अीदत भ ककसी जभान भ कोई कभी नहीॊ यही ह।

फहयहार मह दहकभत ऽदावनदी क तहत ह, औय मह राजभी नतीजा ह ऽतभ नफवत का। रककन इसक असफाफ जादहयी भ स ऩहरा मह ह कक यआन भजीद न नफी- ए-अकयभ की फशयीमत ऩय फहत जमादा जोय ददमा ह औय इस फहत नभामाॊ ककमा ह। दसय मह क आऩ न अगय कहीॊ सहफाए कयाभ भ कोई ऐसा रजहान दखा कक जजसस दखन वार को भाारता हो सकता था तो इस ऩय आऩ न नकीय फयभाई। औय तीसय मह क जहाॊ कहीॊ बी फय फनाए तफअ फशयी आऩ स कोई ऽता मा चक होती थी, अगयच वो जातनफ ऽय ही होती थी , तो उस ऩय अलराह की तयफ स सखत गगयफजत होती। महाॊ भ ककसी भाारत क सदद फाफ क लरए वजाहत कय दॊ क नफीए ऩाक की ारती क लरए “ऽता” का रफजज भोजॊ तयीन ह। इसलरए क ऽता भ तनमत को दऽर नहीॊ होता। इस रफजज का सफस नभामाॊ इसतभार “तनशान का ऽता हो जाना”। अफ तनशाॊची की तो तनशाना रगान की इॊततहाई कोलशश होती ह , इसकी तनमत मह नहीॊ होती ह कक तनशाना इधय उधय नहीॊ हो, रककन फाज औात तनशाना ऽता हो जाता ह। औय मह इसक इयाद औय तनमत स बफलकर फाहय का भाभरा ह। दसयी फात मह कक ऽता भ नफलसमातनमत नहीॊ होती फजलक तरफ होती ह। मानी नफी स ऽता होती ह

Page 38: AhleSunnatPak.com · 2019. 12. 27. · Author: Home-PC Created Date: 8/23/2016 9:07:39 AM

38

तो जातनफ ऽय भ होती ह, जातनफ शय भ नहीॊ होती। सयह अफस क वाकम को ऩश नजय यखखए कक मह साया भाभरा दीन की ततरीा क लरए था , दीन की अाभत क लरए यासता तनकारना भसद था। नफी-ए-अकयभ न चाहा क इन चोधरयमो औय सयदायो की तयफ तवजजो औय अरतफात करॊ गा तो इनभ स अगय एक बी ईभान र आता ह तो वो हजायो क फयाफय हो जाएगा। मही वजह ह कक आऩ न झोरी ऩसाय ऩसाय कय दआ की ह कक ऩयवयददगाय! उभय बफन हशाभ मा उभय बफन अर ऽताफ भ स एक को तो जरय इसराभ की तौफी अता फयभा द ! इसलरए कक आऩ जानत थ कक इनभ स एक जो ह वो एक राख क फयाफय ह। एक ईभान र आएगा तो दीन को तजकवमत ऩहॊचगी। तो मह साया भाभरा भहज दीन क लरए था, इसस भहमभद को

कोई अऩनी जाती आसानी नहीॊ थी, कोई अऩनी जाती दयत व भजनजरत फढानी भसद नहीॊ थी। इन फडो की तयफ अरतफात इसलरए नहीॊ था कक इनकी दौरत की तयफ

( )आऩ की कोई हयीसाना तनगाह थी l फजलक मह दीन की फहतयी क लरए औय उन इॊसानो की भसरहत क लरए था जो चककी क ऩाटो भ वऩस हए थ। आऩ न चाहा क अगय ऐस चनद फाअसय रोग ईभान र आएॊ तो इनको बी रयरीफ लभरगा, इनह बी सहाया लभरगा , इनको ववात औय तजकवमत हालसर होगी।

फहयहार यआन न इन चीजो को जजस तयह नभामाॊ ककमा औय जो सखत अॊदाज खऽताफ फयता ह दयहीत इस वजह स ह कक भाभ अजतदमत भ इजमतमाज ामभ यह। औय मह सयत हार अलहमदलरलराह चौदह सौ सार गजयन क फावजद फययाय यही ह। फाी मह क हभाय हाॊ अगय कछ औलरमाउलराह औय सकफमा की अीदत भ कछ ार हआ ह तो जान रीजजए क “हाथी क ऩाऊॊ भ सफका ऩाऊॊ ” क लभसदा अगय यसरलराह का भाभ मह ह जो यआन न फमान फयभामा तो ककसी औय का इनस ऊॊ चा भाभ कमोकय हो जाएगा? ककस फाशद! फड स फड ऩीय, फड स फड सकफमाअ औय फड स फड औलरमाउलराह का भाभ बी भहमभद यसरलराह क साभन ऐस ह जस सयज क साभन लसताय हो, इनस जमादा इनकी कोई हीत नहीॊ। हभाय हाॊ जो भाारत पर हए ह वो भहज इसी नौइमत क ह जस भन फतामा , कक जहराअ, शोअया, नअत गोओॊ औय वाअजो न अऩन ारए फमान भ मह शकर इजखतमाय कयरी ह। फद कसभती स इसभ

Page 39: AhleSunnatPak.com · 2019. 12. 27. · Author: Home-PC Created Date: 8/23/2016 9:07:39 AM

39

अवताय (Incarnation) का अीदा बी आ गमा ह औय हभाउसत (Pantheism) बी आ गमा ह औय इसभ “फाय ऐन क इक अयफ” स ऽदा का ऐहाभ बी ऩदा कय ददमा गमा ह। आऩ इन सायी चीजो को इसी खात भ यखखए औय अलराह का शकर अदा कीजजए कक चौदह सौ फयस फीत जान क फावजद बी इस उमभत भजसरभा क ककसी बी भसतनद कफ क भसतनद अाइद की फहरयसत भ “लशकक कफजजात” की मह दोनो सयत नहीॊ ह। मानी न तो ककसी को ऽदा मा ऽदा का फटा औय फटी याय ददमा गमी औय न हभाउसत औय अवताय क अाइद ऩदा हए।

मसअऱा ए नर व बिर

लशकक की दसयी कसभ “लशकक कफजससफात” की फहस शर कयन स ऩहर भ एक अहभ इलभी नकत ऩय फात कयना चाहता हॊ। हभाया हाॊ एक भसअरा भजहफी फहस व नजाअ का भोजअ फना हआ ह। वो भहमभद यसरलराह की “फशयीमत” औय “नय” का भसअरा ह कक आऩ फशय थ मा नय। अवभी सतह ऩय जो भजहफी जरस होत ह इनभ अकसय व फशतय इसी भसअर ऩय गफजतग होती ह , धवाॊ दाय तयीय होती ह जजनभ जोश व ऽयोश औय ाज व ाजफ का इजहाय होता ह। एक गगयोह यसरलराह की फशयीमत की नफी औय नयातनमत क इसफात ऩय औय दसया गगयोह वो आऩ की नयातनमत की नफी औय फशयीमत क इसफात ऩय फहत जमादा जोय रगाता ह जजसस भनाजजय औय भफाहस का फाजाय गभक हो जाता ह औय एक नजाअ का आरभ ऩदा हो जाता ह। रककन हीत मह ह कक इस भसअर भ नजाअ का तअन कोई ऩहर नहीॊ ह। इस लसरलसर भ भहज खखॊचतान औय जोशीरी तयीयो की वजह स फात बफगडती ह औय फयीन भ फाहभ लशददत औय तरऽी फढती चरी जाती ह।

जान रीजजए कक नफी-ए-कयीभ क भाभर भ न मह कहना दरसत ह कक आऩ फशय नहीॊ थ फजलक नय थ औय न मह कहना दरसत ह कक आऩ नय नहीॊ थ फजलक फशय थ। दोनो फात मकसाॊ ारत ह , असर हीत मह ह कक आऩ फमक वत फशय बी थ औय नय बी थ। औय मह भाभरा लसफक यसरलराह का नहीॊ ह फजलक भया औय आऩका औय हय इॊसान क अॊदय इसक वजद क दो दहसस ह। एक इसका “हवानी” वजद ह। वो ऽाकीउर असर ह जो इस जभीन

Page 40: AhleSunnatPak.com · 2019. 12. 27. · Author: Home-PC Created Date: 8/23/2016 9:07:39 AM

40

स फना ह। वो अऩनी असर क एतफाय स जरभानी ह। इसभ तायीकी ह , इसभ ऩसती का रजहान ह, इसभ फयाई का लभरान ह। यआन भजीद भ हजयत मसफ क अलफाज नकर हए ह

وء بهصمهة ارىلي ىسى ا

فل هنل ف

فى ي ى أا أىيى ك

“औय अऩन नफजस की फयाअत नहीॊ कय यहा हॊ, मीनन नफजस तो फयाई ऩय उबायता ह”।

रककन इॊसान लसपक इस ऩसती औय ऽाकी उर असर वजद ही का नाभ नहीॊ ह , फजलक इसक वजद का दसया दहससा “रह” ह।

नकताए नयी क नाभ औ ऽदी जय ऽाक भा शयाय जजॊदगी

इॊसान अववर को आदभ फनान वारी चीज मही रह ऽदा वॊदी थी जो उनभ पॊ की गई। औय वो रह ऽाकी औय जलभानी नहीॊ ह , फजलक नयानी हीत यखन वारी श ह। वो भराइका की हभ ऩलरा ही नहीॊ भराइका की भसजद ह। भराइका नयीउर असर ह तो कमा रह ऽाकी उर असर ह ? नहीॊ, रह ऽाकी औय जलभानी नहीॊ ह, फजलक नयानी ह। फकौर इफार:

जो तजरी बी इसी ऽाक भ ऩॊहाॊ ााकफर त तनया सादहफ अदयाक नहीॊ ह !

हवास ऽभसा मानी दखना , सनना, सॊघना, चखना औय छना तो हवानात भ बी ह ! इॊसान न बी अऩनी हीत अगय मही सभझी तो उसन गोमा अऩनी असर अजभत को नहीॊ ऩहचाना। अदयाक तो असर भ अऩन स फाहय की ककसी श को भहसस कयना ह , जफकक यौशनी तो ऽद अऩना जहय चाहती ह , अऩनी तजरी चाहती ह। तो इॊसान की हीत मह ह कक इसक वजद क दो दहसस ह , एक इसका मह हवानी वजद ह , जो ऽाकी उर असर ह , जरभनी उर असर ह। इसका भीरान ऩसती औय गनाह की तयफ ह। औय एक इसका रहानी वजद ह जो नयानी उर असर ह। अलराह न फरयशतो स फयभामा था

اجد ى ﴿ شىيـىعيو ه

ىقىك ف ـ م رم ي في

خىفىى كيـي ول شى

ىاذى﴾ ٢٩ف

“ऩस जफ भ इस (आदभ को) फना सॊवाय रॊ औय इसभ अऩनी रह भ स पकॊ तो गगय ऩडना इसक साभन सजद भ”।(सयह दहजर )

Page 41: AhleSunnatPak.com · 2019. 12. 27. · Author: Home-PC Created Date: 8/23/2016 9:07:39 AM

41

महाॊ रह की तनसफत अलराह न ऽद अऩनी तयफ की ह।

तो मह ह हभाया वो नयानी अनसय जो हय एक इॊसान भ ह। रककन क लभसदा सफ का नय फयाफय नहीॊ होता ह। ककसी का भहज एक दटभदटभाता हआ ददमा ह। ककसी की इस नयातनमत ऩय इसक नफजस की जलभातनमत इस तयह छाई गई ह कक वो नय भाअदभ क दयज भ ह। मानी इसकी कफतयत का नय फझ चका ह , जफकक ककसी का वो नय इस दर जमादा होता ह कक यआन कयीभ न इसकी तमसीर मॊ फमान की ह

رو ي ـ ى ىره لع

مره

ى نيصـ صى

ى تىو

ىهى كيا ي ء

ى ي ى زيدىكى

“(ककसी की कफतयत का नय इतना साफ औय शफाफ ह कक) बढक उठन को फताफ ह, चाह इस आग न छआ तक न हो। यौशनी ऩय यौशनी ह।” (अन नय:35)

मह वो नय जो हजयत अफ फकय लसददी की शजखसमत भ भौजद था। अबी वही का आााज बी नहीॊ हआ था, रककन इनक अनदय अखरा हसना क अनवाय ऩहर स भौजद थ। ऐस ही तभाभ लसददीकीन औय अजमफमा क अनदय नय कफतयत भौजद होता ह। अफ इस तनाजय भ दखखए तो नफी-ए-अकयभ की शजखसमत भफायका चॊक फरॊद तयीन ह तो आऩ की नयातनमत बी इतनी कालभर ह कक इसन ऽाकी वजद की जलभातनमत को बफलकर भाअदभ कय ददमा ह। इस भाअना भ अगय कहा जाए कक नफी-ए-अकयभ नय भजजससभ ह तो ारत नहीॊ ह।

तो मह दोनो चीज एक ही वकत भ सहीह ह। नफी-ए-अकयभ एक ही वकत भ फशय बी ह औय नय बी ह। आऩ की फशरयमत का कौन इॊकाय कयगा ! आऩ की ववरादत हई ह जस ककसी इॊसान की ववरादत होती ह। आऩ क बी वही दो हाथ औय दो ऩय थ। वही इॊसानी ऽन आऩ क वजद भ बी सयाम त ककम हए था औय गयददश कय यहा था। ताइफ भ आऩ ऩय ऩतथयाओ हआ ह तो जखभो भ स ऽन रयसा ह। भदान उहद भ जफ तरवाय आऩ क चहया-ए-भफायक ऩय रगा ह तो ऽन का फववायह छटा ह। इसी तयह आऩ न शादी की ह औय आऩ क घय औराद हई ह। रककन इस सफक फावजद नफी-ए-अकयभ की नयातनमत की नफी हयगगज न कीजजए ! आऩ की नयातनमत की नफी दयहीत इस दौय का भाददा ऩयसताना कफकर ह जो भयी आज की फहस का असर भोजअ

Page 42: AhleSunnatPak.com · 2019. 12. 27. · Author: Home-PC Created Date: 8/23/2016 9:07:39 AM

42

ह। हभन भाददा ऩयसताना कफकर अऩन जहनो ऩय इतना भसलरत कय लरमा ह कक हभ रह की हीत औय इसक जदागाना तशखऽस स , मा तो बफलकर भजनकय हो गए ह मा इसका जफान ऩय जजकर रात हए हभ दहजाफ भहसस होता ह। फौर अकफय इराहाफादी :

यीफो न यऩट लरखवाई ह जा जा क थान भ कक अकफय नाभ रता ह ऽदा का इस जभान भ !

कक रहातनमत की फात कयत हो? रह की फात कयत हो? रह को कोई अरहदा वजद भानत हो? तो मह चीज हभाय कफकर औय नजरयमात क दामय स इस तौय स फाहय चरी गई ह कक अफ हभ सभझत ह कक इॊसान तो फस इसी हवानी वजद का नाभ ह। हभ अऩन इस वजद हवानी ही को असर इॊसान सभझ फठ ह , इसलरए नयातनमत की नफी हो यही ह।

इस फात को मॊ बी सभझा जा सकता ह कक हभाया जो नयानी अनसय ह , ईभान औय अभर सारह स इसकी नयातनमत भ इजाफा होता ह औय इसक फयअकस गनाहो औय नफजसातनमत स मह नय फझता चरा जाता ह। यआन भजीद भ सयतर हदीद औय सयतर तहयीभ भ दो जगह भदान हशर का नकशा खीचा गमा ह कक उस ददन अहर ईभान की शान मह होगी कक :

الن ـى جى و يى

ي هي ا

ى شيانى

ى ميب ىد ى ك

ى أ ى بي

ري يـ صعى

ىات

ىيني هىين ى ك

ي ل ه

ى ىـى ت

ا ك

ى ىرم م ت

ى تهت

ىاهد ى فيـ

ىاري

ى ن ظ ي ﴿ ا عى

هيوزىفوى هي هىهكىـ﴾١٢ ذ

“उस ददन आऩ भोलभन भदो औय औयतो को दखग कक उनका नय उनक आग आग औय उनक दाएॊ जातनफ दौड यहा होगा। (उनस कहा जाएगा) आज फशायत ह तमहाय लरए ऐस फााात की जजनक नीच नहय फह यही ह, इनभ वो हभशा यहग। मही फडी काभमाफी ह” (अरहदीद : 12)

आग भनाकफीन क फाय भ फयभामा गमा :

رى ى رجعيو ك

ى قين

يرا

مبس م

ى قى ىريكن

يو ظ

ينىيذ ى أ

ل اويات

ىافقىين هى كىوفيافقىين هيوؿيقىـى

ى

ياى ء

رن يو صي

ى اهى ف

“उस ददन भनाकफ भदो औय औयतो का हार (जो दतनमा भ चयाा गर कयक जाएॊग) मह होगा कक वो अहर ईभान स इसतदआ कयग : जया हभायी तयफ दखो (जया हभ भोहरत दो), ताकक हभ तमहाय नय स इसतफादा कय। कहा जाएगा रौट जाओ ऩीछ की तयफ (अगय हो सकता ह तो दतनमा भ वाऩस जाओ) औय इस नय की तहसीर कयक आओ।” (अरहदीद : 13)

सयतततहयीभ भ ह:

Page 43: AhleSunnatPak.com · 2019. 12. 27. · Author: Home-PC Created Date: 8/23/2016 9:07:39 AM

43

ىكلا ىنىفر ه ى كىن رىيا ىنىى ه

تا أىنلب رىىوفيوهيقىانى

ى ميب ىد ى ك

ى أ ىـ ب صعى

ى ي

ري يد ه ﴿

ىءو ق ى

ي

كـ ى ى﴾ ٨لع

“उनका नय उनक आग आग औय उनक दाएॊ जातनफ होगा औय वो कह यह होग कक ‘ऐ हभाय यफ! हभाया नय हभाय लरए भकमभर कय द औय हभस दयगजय पयभा, मीनन त हय चीज ऩय दयत यखता ह’

इस नय क फाय भ नफी-ए-अकयभ का इशाकद गगयाभी ह कक माभत क ददन ककसी का नय फस इतना होगा कक इसस लसफक इसक दभो क आग यौशनी हो जाएगी , औय ककसी का नय इस दर होगा कक इसकी यौशनी भदीना भनववयह स सनआ तक ऩहॊचगी। मानी उस योज ककसी का नय फहत थोडा होगा कक फस इसस दभो क आग आग यौशनी होगी। औय माभत क ददन मह नय बी फहत ानीभत होगा। जजसको नसीफ हो गमा। इसलरए कक अॊधय भ एक टाचक बी फहत ानीभत होती ह जजसस आऩ बफर आखऽय भॊजजर तक ऩहॊच सकत ह। जफकक ककसी का नय उस योज फहत जमादा होगा जजसस हय सो चयाााॊ हो जाएगा। मह दहफजज भयाततफ ह। इस तनाजय भ दखखए तो भहमभ द यसरलराह एक ही वकत भ “फशय” बी ह औय “नय” बी ह। औय मही भाभरा हभ सफका बी ह। हभाया एक रहानी वजद ह जो नयी-उर-असर ह औय एक भाददी वजद ह जो ऽाकी-उर-असर ह औय हभायी शजखसमतो भ इन दोनो का इजमतजाज ह। ककसी की जलभातनमत इस नय ऩय ऐस ाालरफ आ गई ह कक नय भाअदभ हो गमा ह औय ककसी की जलभातनमत ऩय इसकी नयातनमत का इतना ारफा हो गमा ह कक इसकी जलभातनमत काफय हो गई ह।

इसकी हीत को हदीस नफवी की यौशनी भ इस तयह सभझ रीजजए कक नफी-ए-अकयभ न इशाकद फयभामा:

“तभ भ स कोई बी ऐसा नहीॊ जजसक हभयाह एक शतान साथी नहीॊ ददमा गमा हो।” सहाफा-ए-ककयाभ

ـ ػل اويػ ى न (फडी दहमभत कयक) दमाकफजत ककमा ‘ऐ अलराह क यसर ! कमा आऩ رى

बी ?’ आऩ न फयभामा: “हाॊ भ बी, भगय अलराह न इसक भाफर भ भयी भदद फयभाई तो भन इस भसरभान फना लरमा। अफ वो भझ लसवाए बराई क कोई औय भशवयह नहीॊ दता”।

Page 44: AhleSunnatPak.com · 2019. 12. 27. · Author: Home-PC Created Date: 8/23/2016 9:07:39 AM

44

मह यसरलराह का फात को सभझान का एक अॊदाजा था। फहयहार यसरलराह क अॊदय बी वो नफजस तो था। आऩ का फतन-ए-भफायक बी खान को भाॊगता था। बख का अहसास भहमभद को बी होता था। बख की वजह स आऩ ऩय बी नाहत तायी होती थी। ताइफ भ ऩतथयाओ की वजह स जफ फहत जमादा ऽन फहा तो आऩ ऩय नाहत तायी हई औय आऩ फठ गए। इसी तयह उहद भ बी फहत जमादा ऽन फहन की वजह स आऩ ऩय नाहत तायी हई औय आऩ फहोश हो गए। आऩ क साहफजाद हजयत इबराहीभ का जफ इॊतार हआ तो आऩ की आॊखो भ आॊस आ गए , इसलरए कक इॊसानी अवाततफ व भीरानात औय अहसासात व जजफात आऩ की

शजखसमत भ फतभाभ व कभार भौजद थ। रककन इन चीजो की वजह स कबी आऩ स

ऽदा की भअलसमत का सदय भजमकन नहीॊ हआ। आऩ को तभाभ फशयी ताजो औय आसाय तफीई ऩय इस दर ाफ था कक कोई बी चीज आऩ स अलराह की भजी क खऽराफ कछ नहीॊ कया सकी। मसऱमानो म अवतार रा तसववर

गजजशता सफजहात भ इस फात की तयफ इशायह ककमा गमी था कक दहॊदओॊ क भत भ नौ अवताय थ, एक दसवाॊ अवताय अऩन आऩको भसरभान कहन वारो न उन भ शालभर कय लरमा ह। अफ इस फात की जया तफजसीर जान रीजजए l दयअसर शीमा भत की फहत सी शाऽ ह। हभाय तर भ जो भारफ लशमा ह वो “असना अशयी” ह मानी ऩहर फायह इभाभो क भानन वार। इनक खमार भ फा यहव इभाभ ाामफ हो गए जो इभाभ भनतजय कहरात ह औय वो उनक इनतजाय भ ह कक दोफायह आएॊग। छट इभाभ ऩय एक शाऽ अरहदह हो गई जो “शश इभालभमा” कहरात ह। मानी ऩहर छ इभाभ तो “असना अशयी” औय “शश इभालभमा” क भाफन भशतरयक ह , रककन इसभाईर, जो इभाभ जाफय सादद ـ ػل اويػ ى क फड साहफजाद थ, इनस इन शश इभालभमा वारो की शाऽ अरग हो गई। शश رى

इभालभमा वारो की बी आग चर कय दो शाऽ हो गई। एक शाऽ वो ह जो हभाय हाॊ “फोहय” कहरात ह। इनक ाालरफन 32 व इभाभ ाामफ हो गए। तादहय सफददीन , जजनका इनतार हो गमा, औय फयहानददीन (मरतम १४ जनवयी २०१४ ) जो भॊफई भ यहत ह, इनक भजहफी

Page 45: AhleSunnatPak.com · 2019. 12. 27. · Author: Home-PC Created Date: 8/23/2016 9:07:39 AM

45

ऩशवा ह। मह इभाभ नहीॊ कहरात फजलक दाई कहरात ह। शशइभालभमा की दसयी शाऽ “इसभाईरी” ह। इनक कहन क भताबफ इनक इभाभ ाामफ नहीॊ हए , फजलक इभाभत का लसरलसरा तसरसर क साथ चर यहा ह। इन वकत ऩरयॊस कयीभ आाा ऽान इनक इभाभ हाजजय ह। मह इभाभ को भासभ भानत ह।

ऩीय शमसददीन औय दीगय इसभाईरी भफलरीान क जरयए इसभाईलरमत की दावत जफ दहॊदसतान भ दी गई तो इन भफलरान न दावत व ततरीा क लरए दहकभत अभरी क साथ ही जया अऩन अीद को जोड द तो फात फन जाएगी। दहनद अवताय भानत थ , इनहोन मह कहा कक नो अवताय तमहाय ह औय दसवाॊ अवताय एक औय आमा ह औय वो हजयत अरी ह। इस भजहफ भ “दशभ अवताय” मानी दसवाॊ अवताय हजयत अरी

को भाना जाता ह। अवताय मा Incarnation का मह अीदा फा जाफता तौय ऩय इनक अाइद भ शालभर ह।

दसया काभ इन भफलरान न मह कहा क दहनदसतान भ नए ईभान वारो ऩय स शयीअत सात कय दी। जादहय फात ह अगय ककसी को इसराभ मा दीन की तारीभ दी जाए औय इसको मह बी भारभ हो कक ऩाॊच नभाज बी ऩढनी ऩडगी, तीस योज बी यखन ऩडग , तो वो इसराभ भ दाखऽर होन स ऩहर दस दफा ऽफ सोचगा। रककन अगय इस मह कहा जाए कक कोई शयीअत तभ ऩय राग नहीॊ होगी , फस तभ करभा ऩढो, तो इसक लरए अफ काभ आसान हो जाएगा। जस सनट ऩार न कहा था। कक फस हजयत भसी ह को भान रो तो तमहाय गनाहो की तयफ स वो ऩशगी कफजफायह हो जाएॊग , तमहाय ऊऩय शयीअत का बी फोझ नहीॊ होगा औय हरार व हयाभ की द बी नहीॊ होगी , चाह ऽॊजीय खाओ औय शयाफ ऩीओ। चनाॊच इनक हाॊ ऩहर स जो भशरयकाना अाइद थ इन ऩय अभर ऩया यहत हए अऩनी तसरीस फना री औय हजयत भसीह को ऽदा का फटा याय द कय इस अीद स अऩन भजहफ को जोड ददमा। तो इस तयह स सट ऩार वारी ईसाईमत जॊगर की आग की तयह पर गई। फईना मही काभ दहनदसतान भ इसभाईरी दाईमो न ककमा कक शरयअत साकत याय ददी। लरहाजा हभाय आाा ऽातनमो क हाॊ नभाज योजा वायह कछ नहीॊ ह। इनकी भजसजद नहीॊ होतीॊ , भहज जभाअत ऽान होत ह औय इनकी हलसमत करफो औय चोऩार की ह जहाॊ वो आकय फठत ह औय साथ लभर कय खाना वायह खात ह।

Page 46: AhleSunnatPak.com · 2019. 12. 27. · Author: Home-PC Created Date: 8/23/2016 9:07:39 AM

46

जभाअत ऽाना इनकी सोशर राइफ का एक भकक ज ह। फाी मह क शयी अत उनस सात ह। अरफतता हभाय शभारी इरा हनजह औय चतयार भ जो इसभाईरी आफाद ह , इनक हाॊ

शयीअत भौजद ह। इसलरए कक वो local converts नहीॊ ह, फजलक वो ईयान स आए हए थ। जफकक फमफई औय काठमा वाढ वायह इरा भ भाभी रोगो न जो इसभाईलरमत फर की ह इसभ एक तो शयीअत साकत ह औय दसय हजयत अरी (नाऊज बफलराह) अलराह क दसव अवताय ह। जसा क अजक ककमा गमा , दहनदसतान भ नो अवताय ऩहर स ऩज जा यह थ, दसवाॊ अवताय हजयत अरी को भनवा कय इसक साथ जोड ददमा गमा।

Page 47: AhleSunnatPak.com · 2019. 12. 27. · Author: Home-PC Created Date: 8/23/2016 9:07:39 AM

47

शिरक फिखससिात ( ) अलहमदलरलराह हभन असाभ लशकक क हवार स लशकक की ऩहरी कसभ “लशकक कफजजात” का ककसी हद तक फहभ हालसर कय लरमा ह। अफ हभ अलराह की तौफीक स लशकक की दसयी कसभ “लशकक कफजससफात” की फहस का आााज कयत ह। लशकक कफजससफात क फाय भ इफतदाई तौय ऩय मह जान रीजजए कक मह भसअरा जया फायीक औय इलभी नौईमत का ह औय इसभ ऩय कपसर जान का आसानी स अहतभार ह। इसकी वजह मह ह कक

हभायी जफान की तॊग दाभानी क फाइस लसफात (Adjectives and attributes) क तौय ऩय जो अरफाज हभ इसतभार कयत ह वो ऽालर औय भखर क भाफन भशतरयक ह । मानी वही अलफाज हभ अलराह क लरए इसतभार कयत ह औय वही भखर क लरए कयत ह। जस क हभ कहत ह कामनात बी भौजद , ऽदा बी भौजद, भ बी भौजद। इस तयह लसफजत “वजद” भशतरयक हो गमा अलराह औय भखर क भाफन। अलराह बी जजॊदा, हभ बी जजॊदा, मह चौऩाए वायह बी जजॊदा। रफज “इलभ” का इसतभार

अलराह क लरए बी ह, अजरए अलफाज यआनी ( و هىءو ع ى

ي

وى بكيهى औय फॊदो क (ك

लरए बी, फजलक इॊसानो भ “अलराभा” बी होत ह जो लसफजत इलभ का भफारा का सीाा ह। रफजज “इयादा” फॊदो क लरए बी इसतभार होता ह कक “भया मह इयादा ह” औय

अलराह क लरए बी क ﴿ يوفيم يىى في ليـى هىوؿيقىف ا أن يى طىرى د أى ذيا رييا أى ل ٨٢﴾ (मासीन:82)।

इसी तयह रफजज “भशमत” भशतरयक ह अलराह औय भखर क भाफन। जस ककसी

सहाफी-ए-यसर की जफान स मह अलफाज तनकर गए : “ ” (जो अलराह की इचछा औय जो आऩ की इचछा) तो नफी-ए-अकयभ न उनको सखती स टोक ददमा कमोकक इस भ लशकक का शायफा जनभ र सकता

था l हाराॉकक उन सहाफी-ए-यसर की नीमत भ कोई इस तयह की फात नहीॊ थी। तो लसफात क लरए जजतन अरफाज भसतअलभर ह वो सफ भशतरयक ह ऽालर औय भखर क भाफन। वो अलराह क लरए बी भसतअलभर ह औय भखरात क लरए बी , औय इसी

Page 48: AhleSunnatPak.com · 2019. 12. 27. · Author: Home-PC Created Date: 8/23/2016 9:07:39 AM

48

स फसाद औय ारती का साया अहतभार ऩदा होता ह। हाराॊकक जफ इन अलफाज का इसतभार अलराह क लरए होता ह तो इनका भफजहभ बफलकर भखतलरफ ह उस भफजहभ स, कक जजस भफजहभ भ इन अलफाज का इसतभार भखरात क लरए होता ह। रफजज भशतरयक ह जफकक भफजहभ जदा ह। शिरक फिखससिात स बचाव रा िामकऱा

अफ मह सभझ रीजजए कक अलराह औय इॊसानो की लसफात अलफाज भशतरयक होन क फावजद भफजहभ व भाअना भ ककस तयह जदा ह। तीन चीज अगय भदद नजय न यह औय जहन भ भसतहजय न यह तो लशकक का बफरा इयादा औय बफरा शऊय अहतभार ऩदा हो जाएगा। ऩहरी चीज मह कक अलराह का वजद बी दीभ ह औय इसकी लसफात बी दीभ ह, जफकक भालसवा अलराह जमराऐ भखरात का वजद बी हादसात ह औय लसफात बी हाददस ह। जो फड स फड भशरयक गजय ह ऽदा को तो इनहोन बी दीभ भाना ह। “ताददद दीभाअ” का नजयमा यखन वारो का अीदा था कक अलराह बी दीभ, रह बी दीभ औय भाददह बी दीभ। कछ रोगो न जया रयआमत कयत हए दो हजसतमो को दीभ भाना ह कक ऽदा बी दीभ औय भाददह बी दीभ , जफकक तौहीद मह ह कक दीभ हसती लसफक अलराह की ह, फाी सफको हदस रा ह ह कक ऩहर नहीॊ थ, कपय हो गए। दसयी चीज मह क अलराह का वजद बी जाती ह औय लसफात बी जाती ह , जफकक भालसवा अलराह का वजद बी अताई ह औय लसफात बी अताई ह। अलराह

तो अज ऽद ह, ऽद फऽद ह। कोई औय तो इस वजद दन वारा नहीॊ , l इसी तयह इसकी लसफात बी जाती ह , ककसी औय की अता कयदा नहीॊ , इसको इलभ ककसी औय न

नहीॊ ददमा, l जफकक जमराए भखरात का वजद बी अताई ह , अलराह न ही सफको वजद अता ककमा ह। फकोर शामय :

राई हमात आए, जा र चरी चर अऩनी ऽशी न आए, न अऩनी ऽश चर

Page 49: AhleSunnatPak.com · 2019. 12. 27. · Author: Home-PC Created Date: 8/23/2016 9:07:39 AM

49

तो मह जा हमात तो फस इयादा- ए-ऽदावनदी ह ‘फसरा-ए-ऽदावनदी ह , हकभ-ए-ऽदावनदी ह। उसन चाहा तो हभ हो गए। इसी तयह जमराए भखरात की लसफात बी अता ई ह, जाती नहीॊ ह, अलराह न अता की ह। तीसयी चीज मह कक अलराह की जात बी भजतर ह औय लसफात बी भजतर ह , जफकक भालसवा अलराह जमराए भखरात का वजद भहदद ह औय लसफात बी भहदद ह। “भजतर” अयफी जफान भ “तआ, राभ, आ” भादद स ह जजसका भतरफ ह आजादी, फ द होना, राभतनाही होना, हदद औय तनहामत स भतफया होना। “तरा” का भतरफ मही कक औयत को तनकाह क फॊधन स आजाद कय ददमा जाए। तो अलराह का वजद औय लसफात भतर राभतनाही , हदद व मद औय इनतहा स भफया ह। अॊगरजी भ

अलराह को कहा जाता ह “The Absolute Being”. हभ अलराह की लसफात क फमान क लरए एक ही रफजज “कर” क दाभन भ ऩनाह रत ह कक

و ه ) ىءو ع ى

ي

وى بكيهى वो हय चीज का इलभ यखन वारा ह”।“ (ك

औय ( ءو قىد ه ى

ي

كـ ى ىوى لع

يهى वो हय चीज ऩय दयत यखन वारा ह”।“ (ك

इस हवार स जान रीजजए कक जफ बी कोई रफजज अलराह क लरए फतौय वसफ मा लसफजत फोरा जाए तो भजकयह फारा तीन तसववयात जहन भ भतजहजय यह l (1) अलराह की वो लसफजत मा वसफ दीभ ह , इसभ हदस का कोई शाएफा नहीॊ। (2) वो जाती ह, ककसी का अता कयदा नहीॊ। औय (3) भतर औय राभतनाही ह , इसभ कहीॊ कोई हददो तनहामत नहीॊ। इसक बफलकर फयअकस जफ वही रफजज हभ भखरात भ स ककसी क लरए फतौय लसफजत फोरग तो वहाॊ मह तीन तसववयात भलहज यहग कक जस वो चीज ऽद हाददस ह वस ही इसकी वो लसफजत बी हाददस ह , जस इसका वजद अताई वस ही इसकी लसफजत बी अताई ह औय जस इसका वजद भहदद ह वस ही इसकी लसफजत बी भहदद ह। तो मह तीनो तसववयात अगय हय वकत भदद नजय यह तो लसफात क भाभर भ आदभी लशकक भ भरजववस नहीॊ होगा। रककन अगय इनभ स ककसी भ बी ठोकय खाओग तो “लशकक कफजससफात” का यासता खर जाएगा। मह अरजफय क फायभर की तयह बफलकर वाजह फात ह। इसको सभझ लरमा

Page 50: AhleSunnatPak.com · 2019. 12. 27. · Author: Home-PC Created Date: 8/23/2016 9:07:39 AM

50

जाए तो फड फड भसाइर औय अीद हर होत चर जाएॊग। मह गोमा वो क रीद (key) ह कक जजसस हभाय अाइद की फहसो क जो फड फड तार ऩड हए ह वो खरत चर जाऐॊग। दौर जदीद र सबस बडा शिरक अफ जो इस दौय का सफस फडा लशकक ह ऩहर इस सभझ लरमा जाए , जजसक फाय भ भ अऩन फाय भ बी नहीॊ कह सकता कक भ इसस बफलकर फयी हो। अलराह ही जजसको फचा र वो फच जाएगा, वयना अलराह की तौफी क फाय इसस फचना इॊसान क फस की फात नहीॊ। वो लशकक कमा ह ? वो “भाददह ऩयसती (बौततकवाद , materalism) का लशकक ” ह। असर भ एक नजयमा , एक खमार औय एक भाारता दतनमा भ यहा तो हभशा स ह, रककन इस दौय भ आकय इसन एक फरसफा , कफकर इॊसानी क लरए एक फहत फड भहवय औय भकक ज की हलसमत इजखतमाय कय री ह , औय वो मह ह कक भाददह की लसफात

(Properties of the matter) भसतकर ह, दाइभ ह, ाय भतफददर (immutable) ह, इनभ कबी ततदीरी नहीॊ होती, मह लसफात भादद स भनकफक नहीॊ हो सकतीॊ औय

वानीन तफीई (Laws of the Nature) कबी ततदीर नहीॊ होत। जफ स साइॊस का दौय दोयह, शहयह औय ारारा हआ ह औय जफ स जहनो ऩय इसकी छाऩ फहत गहयी हो गई ह औय साइॊसी अकतसाफात न इॊसान को भफहत औय भयओफ कय ददमा ह तफ स मह कफकर हभाय जहनो भ ऩवसत हो गमा ह कक भादद की लसफात भसतकर ह , दाइभ ह, हभशा फयोए काय आती ह, कोई सयत नहीॊ ह कक भादद स इसकी लसफजत भनकफक हो जाए , फजलक वो अऩनी जगह भसतकर बफजजात ह। गोमा हभन आज भादद को उस भाभ ऩय बफठा ददमा ह जहाॊ असरन अलराह की जात ह। लसफात तो अलराह की भसतकर औय दाइभ ह, ानन तो इसका ह जो कबी नहीॊ फदरता। शऽ अतदर ाददय जीरानी न अऩन

फचच को वसीमत कयत हए लरखा था कक “फाइर-ए-हीी औय भअजससय-ए-हीी अलराह क लसवा कोई नहीॊ”। जस हजयत रकभान अऩन फट को नसीहत कय यह थ l

ظ ه ﴿ىىه عويظى هىؾ هش

لـ ف ػ

ل باو

ؾ

شي تىل لىني بى ييـيعظىوى يهىـ ك ن

لبياف ى

قي هىاؿى ق ذى﴾١٣ك

“माद कयो जफ रकभान न अऩन फट स, उस नसीहत कयत हए कहा ऐ भय फचच! अलराह क साश लशकक न कीजजमो! मीनन लशकक फहत फडा जलभ (औय फहत फडी न इॊसाफी) ह।”

Page 51: AhleSunnatPak.com · 2019. 12. 27. · Author: Home-PC Created Date: 8/23/2016 9:07:39 AM

51

असर हीत मह ह कक आग भ जरान की ताअसीय ह , रककन मह इसकी जाती नहीॊ ह , फजलक अलराह की वदीअत कयदा ह औय उसी फयोए काय आएगी जफ अलराह

चाहगा। आग को जरान की लसफत वदीअत कयन क फाद अलराह क हाथ फॊध नहीॊ गए कक भ तो आग भ जरान की लसफत ऩदा कय चका l फदफऽतो न इबराहीभ

को उठा कय आग भ प क ददमा ह तो अफ भ कमा करॊ ! ! आग का वसफ जाती औय भसतकर नहीॊ, फजलक अलराह क इजन (आऻा) क ताफअ ह। आग उसी वकत जराएगी जफ अलराह का इजन होगा, अगय नहीॊ होगा तो नहीॊ जराएगी। लरहाजा तभाभ सफात भाददह ताफअ ह भशमत ऽदा वनदी क , मह भसतकर बफजजात नहीॊ ह। नम टोतनमन कफजजकस मानी जो कफजजकस का इततदाई दौय था , इसभ फडा इजआन औय फडा मीन था कक जो वातनन हभन दमाकफजत कय लरए ह मह हतभी ह , इनभ ककसी ततदीरी का इमकान ही नहीॊ ह।

“We have discovered the final truth.” औय “ानन फाए भाददह” की वजह स भादह राजवार औय ाय ाननी ह : (Matter is indestructible.)

औय matter औय energy दो जदा कटागगयीज ह। मह नमटन की कफजजकस क भफादमात थ। इनका जफ हभाय अाइद , भजहफी कफकर औय ईभानी नजयमात क साथ तसादभ हआ तो इसका ऩहरा भजहय मह साभन आमा कक अफ भअजजजजात की कमा ताअफीय व ताअवीर की जाए ! भगिफी औय असतअभाय का मह यरा इतना शदीद था कक फचाय सयसयमद अहभद ऽान जसा भजखरस बी साबफत दभ न यह सका औय इस सराफ की र भ फह गमा। उस वकत एक तयफ भगिफी तहजीफ , भारयफी इसतअभाय औय भारयफी ववत थी , इनकी फज आ यही थीॊ। औय दसयी तयफ उनका कफकर आ यहा था , साइॊस फड जोय व शोय क साथ आ यही थी तो इस सराफ क आग खड यहना आसान नहीॊ था , लरहाजा फड फडो क दभ डगभगा गए औय इनहोन यआनी ताअरीभात को भगिफी कफकर क साॊच भ ढारन औय इसक भवाकफ फनान की कोलशश की। उनक लरए मह भजशकर ऩदा हई कक ऩानी तो अऩनी सतह फययाय यखता ह तो कपय मह कस भजमकन ह कक असाए भसा की जयफ स सभनदर का ऩानी पट गमा ? सय सयमद क कफकर की तजकभानी की जाए तो वो मह होगी कक मह

Page 52: AhleSunnatPak.com · 2019. 12. 27. · Author: Home-PC Created Date: 8/23/2016 9:07:39 AM

52

तो फडी भसीफत ह कक यआन भ ऐसी हलकी फात आ गई , अफ हभको दतनमा को कमा भॊह ददखाएॊ ? हभाय लरए तो इस साइॊसी दौय भ रोगो स आॊख चाय कयना भजमकन नहीॊ यहा। लरहाजा इसकी कोई ऐसी ताअवीर औय ताअफीय कयो कक भजहफ अऩनी जगह ामभ यह जाए औय साइॊस अऩनी जगह ामभ यह जाए। चनाॊच इनहोन कहा कक असर भ मह तो भददो जजय की फात थी l जजस भौरववमो न सभझा नहीॊ औय इस खवा हभ खवाह एक अजफा औय भआजजजजा याय द ददमा औय एक अफसाना फना लरमा। जवाय बाटा सभनदर

भ आता यहता ह। कबी सभनदर recede कय जाता ह, ऩीछ को हट जाता ह औय ऽशकी तनकर आती ह, कबी सभनदर चढाओ ऩय आता ह तो ऩानी ही ऩानी हो जाता ह। असर भ सभनदर उस वकत जजय ऩय था जफकक भसा अऩनी ौभ को रकय तनकर गए , औय जफ कफयओन अऩन रशकय सभत गजयन रगा तो उस वकत सभनदर भदद ऩय आ गमा , लरहाजा कफयऔन रशकय सभत डफ गमा। मह ताअवीर दय हीत सयसयमद की इस सोच की अककासी कयती ह कक वो साइॊसी कफकर, इसक यौफ व दफदफ औय जाह व जरार क भाफर भ अऩन तई न इसराभ का दफाअ कय यह थ। इस हवार स सयसयमद हभददी क भसतदह ह। दय हीत इस भगिफी कफकर का ऩहरा हभरा था जो हभ ऩय हआ , जजसक नतीज भ भआजजजजात का इॊकाय हआ औय हय चीज का ताअवीर कयन की को लशश की गई। इॊसान क जहन भ जफ कोई कफकर यासऽ हो जाती ह तो फडी फडी हीत इसकी तनगाहो स ओझर हो जाती ह , वो गोमा अॊधा हो जाता ह औय यासत क फड फड ऩतथय इस नजय नहीॊ आत। औय ऐसा फड फडो क साथ बी होता ह। चनाॊच सय सयमद अहभद ऽाॊ ऩय जफ मह कफकर भसलरत हो गमा तो इनह यआन भ मह रफजज नजय नहीॊ आए

ظ عى

ود ه

لهلى فرؽو

م ي ك

ىفىكى فى ىوىافى ف

“ऩस सभनदर पट गमा तो इसका हय टकडा एक अजीभशशान ऩहाड की तयह हो गमा”।

का भतरफ ह पट जाना। अलराह क लरए यआन भजीद भ

(यात की तायीकी का ऩदाक पाडन वारा ) औय (दान औय गठरी का पाडन

वारा) क अलफाज आए ह। तो महाॊ ा का तजकभा भददो जजय ककसी सयत भ नहीॊ

Page 53: AhleSunnatPak.com · 2019. 12. 27. · Author: Home-PC Created Date: 8/23/2016 9:07:39 AM

53

हो सकता। इसी तयह इस आमात क अगर अलफाज ظ عى

ود ه

لهلى فرؽو

م ي ك

ىفىكى तो (सभनदर“ ف

का) हय टकडा एक अजीभशशान ऩहाडी की तयह हो गमा। ” स भददो जजय (जवाय एवॊ बाटा) भयाद होन का तो कोई इमकान ही नहीॊ , इसकी कफतयी भजहय (भददो जजय) क साथ लसय स कोई भनालसफत नहीॊ। तो भारभ हआ कक जफ कोई कफकर ककसी सफफ स इॊसान क जहन क ऩय इस तयह भसलरत हो जाती ह तो फडी फडी हीत तनगाहो स ओझर हो जाती ह औय फईना मही भाभरा सय सयमद अहभद ऽाॊ क साथ ऩश आमा। औय लसफक इनही क साथ नहीॊ, औय बी कई फड फडो क साथ क साथ मही भाभरा हआ ह। भ महाॊ एक लभसार भौराना सनाउलराह अभयतसयी की ह । वो यासऽरअीदा भसरभान थ , ऩकक अहर हदीस थ, इसराभी रयवामात, यआन भजीद औय हदीस को थाभन वार थ। रककन वो दौय ही ऐसा था कक एक जगह उनक दभ बी कपसर गए। सयतर फयह भ हजयत इबराहीभ का अलराह क साथ भकालभा नर हआ ह कक इबराहीभ न अलराह स दखवाकसत की

ـ ىو ى

ه

ي تىي

ىرن ل

ا أ رى

“ऐ भय ऩयवयददगाय! भझ ददखाद त भदो क कस जजॊदा कयता ह!”

अलराह न फौयन सवार ककमा م : ي ى ىك कमा तभ ईभान नहीॊ यखत?” इस ऩय“ أ

इबराहीभ न अजक ककमा: ػـمىهىـ كىلى ب

وى ل ق ى ل يى

ه “कमो नहीॊ (भ मीनन ईभान यखता हॊ)

रककन जया भजीद एतलभनान रफी का दयकाय ह।” इसक फाद हकभ ददमा गमा

نعى ىرب أذي ى ف

ىيكىل ه

يه ي ى ف ل هل

ى م “तो चाय ऩरयॊद र रो औय इनह अऩन स दहरा रो (भानस कय रो)।”

ل ي ث

ن جعى

ـ ى ى لع

ي

نو كل جى ى

ي ي

نء جيز

ل يل ث ي

يع د

ىكى ينأ ىا عين شى “कपय (इनह जजफह कयक) उनका एक एक टकडा

एक एक ऩहाड ऩय यख दो, कपय उनको ऩकायो, वो तमहाय ऩास दौडत चर आएॊग।”

महाॊ يكىىل ه

يه ي ىतो इनह अऩन साथ भानस कय रो“ ف ” का भतरफ मह ह कक वो ऩरयॊद

आऩको ऩहचान र जजनको आऩन टकडो भ फाॊटा ह औय आऩ उनको ऩहचान र कक मह वही ऩरयॊद, कफतय मा तीतय वायह ह जजनक आऩन टकड ककम ह , कोई औय नहीॊ ह जो फरान ऩय आ गए हो। इस आमत की तफजसीय कयत हए भौराना सनाउलराह अभयतसयी क लरए

Page 54: AhleSunnatPak.com · 2019. 12. 27. · Author: Home-PC Created Date: 8/23/2016 9:07:39 AM

54

भसअरा ऩदा हआ कक इस साइॊसी सोच क दौय भ मह फात कस कह। लरहाजा इनहोन ताअवीर की कक इसस भयाद मह ह कक चाय ऩय ऩय ऩरयॊद भखतलरफ ऩहाडो ऩय यखो औय इनह ऩकायो तो आ जाएॊग। अफ मह भशादहदा तो हय तीतय फाज को होता ह कक वो ऽद स भानस तीतय मा फटय को अऩन ऩास फराता ह , सीटी फजाता ह तो वो आ जाता ह। अगय इसस मही भयाद ह तो इस दय अहतभाभ क साथ औय अहमाए भोती ऩय एतभीनान लफ हालसर कयन की दआ क जवाफ भ मह फात कमो कही गई ? जजसभ इततदाअन जया डाॊट का अॊदाजा बी आ गमा कक कमा तभ ईभान नहीॊ यखत ? इसक फाद हजयत इबराहीभ न फडी रजाहत क साथ कहा क ऩयवयददगाय ! भ भानता तो हॊ रककन जया एतलभनान लफी दयकाय ह। जफ भौराना सनाउलराह अभयतसयी स कहा कक आऩन इस आमत की मह ताअवीर कमो कय दी , तो इनहोन न मह उजर ऩश ककमा कक भ कमा करॊ , भझ दसयो क साभन फात ऩश कयना ह। तो मह ह असर फात क जजस दौय क रोगो स खऽताफ कयना हो उनक भसजलरभात का कछ तो लरहाज यखना ऩडता ह। तो ऩहरी फात मह जान रीजजए कक अगय आऩन ककसी क ककसी वसफ को दाइभ औय भसतकर बफजजात भान लरमा तो आऩ लशकक कफजससफात क भयतकफ हो गए। इसलरए क ामभ दामभ, भसतकर बफजजात औय भतलर औसाफ तो लसफक अलराह क ह, ककसी औय क अॊदय कोई लसफजत , ताअसीय मा वसफ भसतकर नहीॊ , भतर नहीॊ, हभशा स नहीॊ औय हभशा यहन वारा नहीॊ। हय श औय हय हसती क ओसाफ ताफअ ह इजन ऽदा वनदी क। अगय अलराह चाहगा तो उनका जहय होगा , वनाक ककसी लसफजत की कोई ताअसीय जादहय नहीॊ हो सकती। भजकयह फारा साइॊसी तज कफकर की वजह स जहनो भ जो सोच ऩखता औय यासऽ हई ह इस “भादह ऩयसती का लशकक ” कहा जा सकता ह। इसलरए हभाया साया तवककर औय इनहसायी भादी असफाफ व भसाइर ऩय ह , अगय मह हालसर ह तो ददरजोई बी हालसर ह, मह नहीॊ ह तो ददर उडा हआ ह। अलराह की दयत ऩय इतना मीन नहीॊ ह जजतना बौततक वसाइर क नताइज ऩय मीन ह। नतीजतन साया बयोसा औय तवककर जात ऽदा वॊदी स हट कय भादी (बौततक ) असफाफ व वसाइर क साथ

भनसलरक हो गमा ह। दहकभत यआनी की जड तौहीद ह औय क भसदा तौहीद को सभझन क लरए लशकक को सभझना ऩडगा। यात को ददन क हवार स

Page 55: AhleSunnatPak.com · 2019. 12. 27. · Author: Home-PC Created Date: 8/23/2016 9:07:39 AM

55

सभझा जा सकता ह औय ददन की हीत यात क हवार स यौशन होती ह। चनाॊच तौहीद को सभझन क लरए लशकक को सभझना जरयी ह। सयह फनी इसराईर औय सयतर कहफ भ तौहीद को भसफत अॊदाज भ औय लशकक को भॊफी अॊदाज भ ऽफ अमाॊ ककमा गमा ह। इन दोनो सयतो को भ “दहकभत यआनी क अजीभ तयीन ऽजान ” याय दता हॊ। सयह फनी इसराईर क बफलकर आााज भ फयभामा गमा :

﴿ نليل

ىكن ك

يك م د

يخذل ى لل أىن سى ين ى

ل ه

ندي هيااىنو عى جى

ىااى ك

ىم ه

ىوس ا يي

ىنيى أى﴾ ٢ك

“औय हभन भसा को ककताफ (तौयात) अता फयभामी औय इस फनी इसराईर क लरए दहदामत नाभा फनामा (यहनभाई याय ददमा) कक भय लसवा ककसी औय को अऩना वकीर (काय साज) न फना रना।”

ह औय भतरफ ह जजस ऩय तवककर औय ؿ औय ؾ , ك का भादआ(root) كلين

बयोसा हो, जजसस उमभीद वाफसता हो , जजसको कायसाज सभझा गमा हो , जजसको ककसी बी भसअर भ अऩनी भजशकर का हर सभझा जा यहा हो। सयह भोलभन (ााकपय) भ भोलभन-ए-

आर-ए-कफयओन क अरफाज नर हए ह ﴿ اد ع ى بههص

ى بىػـل اولـ ف ػ

ل اوىرم

ي أي

و ىفأأى औय“ ﴾٤٤ك

भ अऩना भाभरा अलराह क सऩरद कयता हॊ, मीनन अलराह अऩन फनदो का तनगहफान

ह”। “तौहीद कफततवककर” मही तो ह कक साया बयोसा , दायोभदाय औय इजनहसाय असफाफ व वसाइर क फजाए अलराह की जात ऩय हो। असफाफ व वसाइर की नफी तअन नहीॊ ह, रककन मह कक कोई बयोसा उन ऩय तअन न हो। सयतर अनफार भ फयभामा गमा :

ةو ) ولي ق

ميعنىلىا شت

ل يى ي

ىك همعدأى औय अऩनी इमकानी हद तक इन (कफजफाय) क भाफर क लरए“ (ك

तात तमाय यखो।” (आमत 60) मानी हाथ ऩय हाथ धय कय फठ यहन क फजाए जजतन बी असफाफ व वसाइर फयाहभ कय सकत हो कय रो , रककन तमहाया तवककर इन असफाफ व वसाइर ऩय न हो। मह हीत जहननशीन यह कक असफाफ स कछ नहीॊ होगा , फजलक होगा वही जो अलराह चाहगा। औय अलराह फाय असफाफ क बी नतीजा ऩदा कय सकता ह, वो असफाफ का भहताज तअन नहीॊ , औय अलराह असफाफ क होत हए उरटा नतीजा बी फयआभद कय सकता ह , वो असफाफ का ऩाफॊद नहीॊ। इन दोनो भ स कोई ऩहर बी अगय आऩक जहन भ ह तो आऩ “शिरक फिततवकरऱ” क अनदय भरजववस हो गए। भ एक लभसार ददमा कयता हॊ कक आऩन कहीॊ जाना ह औय आऩक

Page 56: AhleSunnatPak.com · 2019. 12. 27. · Author: Home-PC Created Date: 8/23/2016 9:07:39 AM

56

ऩास काय मा कोई औय सवायी दरसत हारत भ भौजद ह, आऩन इसक लरए ऩटरोर का इनतजाभ बी कय लरमा ह औय आऩन मह इयादा कय लरमा ह कक आऩ सफह उठ कय राजजभन अऩनी भॊजजर भसद की तयफ यवाना हो जाएॊग। अगय आऩको मीन हो गमा ह कक अफ आऩक यवाना होन भ कोई रकावट नहीॊ ह औय आऩ मह ब र गए ह कक इन असफाफ क ऊऩय एक मसबबऱअसबाब हसती बी ह औय साय वसाइर क जभा होन क फावजद बी आऩ उसक इजन क फाय दहर नहीॊ सकत तो आऩ गोमा भादह ऩयसती क लशकक भ भततरा हो गए, शिरक फिततवकरऱ भ भरजववस हो गए। मह असर भ भहजबफमत ह कक आऩ असफाफ क ऩयद भ भहजफ हो गए , असफाफ का मीन आऩक ददरो भ ऩदा हो गमा। आऩक जहन भ असफाफ ऩय तवककर ऩदा हो गमा , आऩन अऩन ददर क लसघासन ऩय भादी असफाफ को बफठा ददमा, अलराह स तनगाह भहजफ यह गई। जस इफार न कहा :

फतो स तझको उमभीद ऽदा स ना उमभीदी भझ फता तो सही औय काफयी कमा ह?

हभाया तयज अभर हभशा होना चादहए कक जफ बी ककसी काभ का इयादा कय तो भकदय बय असफाफ व वसाइर फयोए काय रान क फाद जफान ऩय अलफाज हो “इनशाअलराह” औय ददर भ मह ऩखता मीन हो कक तभाभ असफाफ व वसाइर इजन-ए-ऽदावनदी क भहताज ह औय नतीजा वही तनकरगा जो अलराह चाहगा। असफाफ व वसाइर ऩय मीन कयत हए कबी मह नहीॊ कहना चादहए क “भ कर मह काभ जरय करॊ गा”। अगय कोई आभी इॊसान मह कह यहा यहा हो तो इसकी फौयी ऩकड नहीॊ होगी , इसलरए कक इसकी अऩनी जहनी सतह ह, इस अबी वो लफी तयफजफअ हालसर नहीॊ हआ , वो तो असफाफ व वसाइर ही क चककय भ ह, रककन अलराह न इस ऩय नफी-ए-कयीभ की गगयफजत फयभामी। भशरयकीन भकका न आऩ स कछ सवारात ककम कक जया फताइए असहाफ कहफ कौन थ ? रह की हीत कमा ह ? जलयनन कौन था ? तो यसरलराह न मह सोच कय हजयत जजबराईर आत ही यहत ह, इनस ऩछ रॊगा, कह ददमा कक “भ कर जवाफ द दॊगा” औय “इनशाअलराह” न कहा, तो आऩ

की गगयफजत हो गई। इसलरए कक क फहत सी चीज जो अफयाय क लरए नककमाॊ हो सकती ह वही भयकफीन क लरए ाबफर गगयफजत हो

Page 57: AhleSunnatPak.com · 2019. 12. 27. · Author: Home-PC Created Date: 8/23/2016 9:07:39 AM

57

सकती ह, इनक भयतफ स फयोतय हो सकती ह। अफ हजयत जजबराईर नहीॊ आ यह औय रोग तालरमाॊ ऩीट यह ह कक भहमभद ! इन सवारो क कमा जवाफात ह ? नफी-ए-अकयभ ऽाभोश यह। आऩ जया सोगचए कक मह नफी-ए-अकयभ क लरए ककस दर तशवीश नाक औय नाजक सयत हार होगी। रककन दहकभत ऽदावनदी मही थी कक आऩ की गगयफजत हई। अलराह न सयह अरकहफ भ फयभामा:

﴿ ندى ىهكىـ ذهاعن

ى فءو ن

ىل هش

ىوهيقى ىلىـ ٢٣ك سى

ى عنيقىصي ى ك

ى ى ذىكلب ر رليل ذى كيػـل اوىاءىظىف ألف ﴾ ل

أ

﴿ ندىط رى

ىػـذى هاى م رى

ق ا رى

ىد

ى ٢٤﴾

औय ककसी काभ की तनसफत न कहा कयो कक भ इसको कर करॉगा (23) भगय اءى اولػـي कह कय औय أف ىظى

अगय ( اءى اولػـي اءى اولػـي ) कहना) बर जाओ तो (जफ माद आए) अऩन ऩयवयददगाय को माद कय रो أف ىظى أف ىظى

कह रो) औय कहो कक उमभीद ह कक भया ऩयवयददगाय भझ ऐसी फात की दहदामत पयभाए जो यहनभाई भ उसस बी जमादा यीफ हो (24)”

इसक फाद सयतर कहफ भ उन सवारात क जवाफात नाजजर फयभाम गए। तो मह ह असर भ “तौहीद फिततवकरऱ” कक ककसी श स कछ नहीॊ हो सकता, जफ तक अलराह न चाह। “लशकक कफततवककर” मा भादहऩयसती (बौततकवाद ) की सयतर कहफ क ऩाॊचव यकअअ भ इस लशकक की भखतलरफ ऩहरओॊ स वजाहत हई ह। इसभ दो वमजकतमो का भकारभा फडी तफजसीर स नर हआ ह। मह बी हो सकता ह कक मह वाकमा हो औय मह बी हो सकता ह क मह तभसीरी ऩयामा हो। इन दो वमजकतमो भ स एक भवादहद था। इसक ऩास दनमवी (साॊसारयक) असफाफ व वसाइर औय भार व दौरत नहीॊ थी , रककन अलराह ऩय इसका कालभर मीन औय तवककर था। वो भअयफत ऽदा वनदी औय अलराह ऩय ईभान स सयशाय था, जफकक दसया भशरयक था। उसक ऩास साॊसारयक धन एवॊ फाा थ , रककन अलराह ऩय ववशवास नहीॊ था। यआन भ मह वाकमा इन शतदो भ फमान हआ ह:

ى ى

ىااو ك

ىنع أ م

ىتلن ا جى

ىد ى

ا اىنو عى جى

ىجيو رل

نلى ل يى ي

ىا ه

ا

ىا ﴿ك

نرعىا ز ىي ىي ىا بىنو عى جى

ىنو ك

خىا بنى يا ىنا ٣٢ف

ى ﴾

رن ﴿ى ىا ن ى ي

ىهى ل

ىلرنىفىا كن يى طيـن وى ي

ظى ى ىا ك ىى ي أ أ

ى أ ىتلنى ﴾٣٣ ا

Page 58: AhleSunnatPak.com · 2019. 12. 27. · Author: Home-PC Created Date: 8/23/2016 9:07:39 AM

58

“औय (ऐ नफी !) इनक साभन लभसार फमान कीजजए दो वमजकतमो की, इनभ स एक को हभन अॊगय क दो फाा ददम औय इनक गगदक खजय क दयखतो की फाड रगाई औय उनक दलभकमान काशत की जभीन यखी। (मानी पर क साथ साथ अनाज बी ऩदा हो यही थी ) दोनो फाा ऽफ पर पर औय फाय आवय होन भ उनहोन जया सी कसय बी न छोडी औय इन फााो क अनदय हभन एक नहय जायी कय दी (मानी आफ ऩाशी का तनजाभ बी भौजद था औय फाा कबी सखा नहीॊ था)। भजीद मह क इसका सभय बी था ”। [इसस भजीद मह भयाद बी री गई ह कक वो सादहफ औराद बी था औय मह बी क फाा परो स रदा पॊ दा था ]

أيا اكري

ى يوى يهىـ ك ا هصى

ىاؿىقىره فى ى ثيـى هىفى ىرن ﴿ك

ىفى مزىعأى كنالى يى ينك

ي ى ل أى﴾ ٣٤ن

“ऩस उसन (भशरयक न ) अऩन साथी (भवादहद) स कहा कक जो उसस हभकराभ था (ऽय औय बराई की कोई फात कय यहा था, कछ ऽौफ ऽदा ददरा यहा था) कक भ तझस जमादा भारदाय हॊ औय तझस जमादा तात यखता हॊ”।

मानी इसका दनमवी भार व भताअ औय असफाफ व वसाइर ऩय भकमभर बयोसा हो

गमा। आज कर कक जभान भ मॊ सभखझए क ककसी शखस क ऩास दो फडी लभर (mills) हो औय इसन एक फडा फायभ बी रगामा हआ हो। आफ ऩाशी क लरए बी इसका अऩना तनजाभ (टमफवर) हो , औय बफजरी क लरए सयकायी बफजरी ऩय इजनहसाय कयन क फजाए इसन अऩना ही फहत फडा जनयटय रगा लरमा हो l लरहाजा उस भवादहद क जवाफ भ उसन कहा: “भ तझस जमादा भारदाय हॊ औय तझस जमादा तात यखता हॊ। ” तभ ऽद तो जततमाॊ ऩटऽायत कपयत हो औय हभ आए हो नसीहत कयन ! हभाय ऩास मह जो भार व भताअ औय साज व साभान ह आखऽय हभ मॊ ही नहीॊ लभर गमा ! आखऽय हभाय अनदय कछ जहानत व फतानत ह, हभन कछ सोचा औय भहनत की ह , तफ ही तो मह चीज हभ हालसर हई ह !

आग फयभामा ـ ص ف نىا ه ه

ىوى ظيهى كيـى لن جى

ىنى ىدى औय (मह कहत हए) वो अऩन फाा भ दाखऽर“ ك

हआ जफकक वो अऩन ऊऩय जलभ कय यहा था ”। जफ इसन फाा का रहरहाता हआ भनजय दखा तो इसका नशा दो आतशा हो गमा औय इसक ददर भ एक ऽनास सा ऩदा हो गमा।

﴿ ندىبػـذا أ

ى هىبيد

ىف م أيظا أى يىاؿى ٣٥ق

ن ىااى قى ىاع م هصل

يظا أىيى﴾ ك “इसन कहा: भ नहीॊ सभझता कक भया

मह फाा कबी बी तफाह हो सकता ह , औय भझ तवकको नहीॊ कक माभत की घडी कबी आएगी”। तभ खवाभ खवाह भझ ऽदा स औय फय अनजाभ स डयात हो।

Page 59: AhleSunnatPak.com · 2019. 12. 27. · Author: Home-PC Created Date: 8/23/2016 9:07:39 AM

59

दखखए मह था वो जहर भयकफ जो उसक अनदय ऩदा हआ। इसक एताद व नजयमात भ कहीॊ बी ककसी दवी दवता का जजकर नहीॊ ह। जजकर ह तो असफाफ व वसाइर औय साॊसारयक साज व साभान का ह। उसन मह नहीॊ कहा कक मह फराॊ दवी का भझ ऩय कयभ ह औय फराॊ दवता की भझ ऩय कऩा ह। फजलक इसक अगर अलफाज स वाजह होता

ह कक वो भानन वारा एक यफ ही का ह। ﴿ ا نىوىنق ا يي

ى ن ي

ى لفىجد ى ا رى

ـ ى

مددت رم

ىهى﴾٣٦ك

“ताहभ अगय कबी भझ अऩन यफ क हजय रौटामा बी गमा तो भ जरय इसस बी जमादा शानदाय जगह

ऩाऊॊ गा”। जफ भय अनदय मह सरादहमत ह कक भझ महाॊ इतना कछ लभरा ह तो वहाॊ इसस फढ कय लभरगा। तभ महाॊ जततमाॊ ऩटऽाय यह हो तो वहाॊ बी जततमाॊ ऩटऽायोग। मह ह इसका वो ऽननास जो जादहय हआ। अफ उस फनदा-ए-ऽदा का जवाफ ऩदढम

وى يهى كيا يـ ى

يـى هىاؿى ﴿ق

نجيل رى

ىول ؾ شى

ل ي و ثىفلم م

ل ي او ث

ى ي م ت

ىكىقىوىذم

ل بهىرت

ىفىل أيا اكري

ى ي ٣٧﴾

“उस (भवादहद) न उस (सयभामादाय भसत) स कहा जो उसस हभ कराभ था कक कमा तन कफर ककमा उस जात का जजसन तझ लभटटी स, कपय नतफ स ऩदा ककमा, कपय तझ एक भकमभर इॊसान फना ददमा?”

﴿ ند ى أ ى

يؾ

شأ أىلى ك رىيػـلوى او

يا هلػـمنل﴾٣٨ه

“रककन भया यफ तो वही अलराह ह (भ तो इस एक ही यफ का भानन वारा हॊ) औय भ अऩन यफ क साथ ककसी को शयीक नहीॊ कयता”।

ىكى لن ى جى

وى ى د ذىولىهىـ ك ػ

ل باو

ل لىة ولي قى ليػـل اوىاءىا طى ى ي

ويق

“औय (ऐ फदफखत!) मह कमो न हआ कक त जफ अऩन फाा भ दाखऽर हआ था तो कहता जो कछ अलराह चाह (वही होगा) कोई जोय नहीॊ (न भया न ककसी औय का) भगय अलराह ही की तौफी व ताईद स”।

मह “भाशाअलराह” कमा ह? मह कक इॊसान कोई सहाना भॊजय औय नभत वायह दख औय सभझ कक मह सफ कछ अलराह की भशमत (इचछा) का जहय ह, इसका कयभ व भहयफानी ह, इसी की दन ह, मह भयी ववतो, भयी सरादहमतो औय भयी तवानाइमो का जहय नहीॊ ह! मह ह असर भ तौहीद कक अगय आऩ कहीॊ घय भ दाखऽर औय वहाॊ आऩ को कोई अचछा नॊजय नजय आए , फचच खर यह हो, घय क अॊदय ऽशी का भाहोर हआ, एक हॊसता हआ बया घय हो तो फौयन जफान स तनकरना चादहए “भाशाअलराह”। तनगाह कहीॊ असफाफ व वसाइर की तयफ भनतकर न हो जाए , फजलक तनगाह को एक ही जनद भ

Page 60: AhleSunnatPak.com · 2019. 12. 27. · Author: Home-PC Created Date: 8/23/2016 9:07:39 AM

60

ऩहॊचना चादहए भसतफफर असफाफ तक कक वो ह जजसक फजर का मह जहय ह , मह ककसी औय की कोई भहायत, कायीगयी, होलशमायी औय ककसी औय की जहानत व फजानत नहीॊ ह। इस भवादहद न कपय कहा

﴿ ندىهىكى كنالى يى ينك

لنىق أىنف أى ى ٣٩ ف ت

ى م

نان صبى ا ي

ى ىوى عىشن

ي ى كى كلن جى

ن م

ى ى

يف

أ ـ رى عىسى

ى﴾ ف

نعيد ى

ىص ح

ي ىاء ف ى ا ﴿ هصل

نقىهىا ﴿٤٠ز ن

ىوى يـى هىليي

ىصتى تىوىورن ف

ىا ىهياؤى يى يص ح

ك﴾٤١﴾ أ

“अगय त भझ भार औय औराद भ अऩन स कभतय ऩा यहा ह, तो भझ मीन ह कक भया यफ (अगय चाह तो) भझ तय फाा स फहतय फाा अता कय द औय (तय) इस (फाा) ऩय आसभान स कोई आफत बज द कक वो भदान फन कय यह जाए (जहाॊ ऽाक उड यही हो)। मा इसका ऩानी जभीन क अनदय उतय जाए औय त (ककसी तयह स बी) ऩानी को खीॊच कय न रा सक”।

मह भवादहद की फात थी जो उसकी जफान स तनकरी। नफी-ए-अकयभ न फयभामा: “अलराह क कछ फनद ऐस बी होत ह जो अगयच ऩयागनदह फारो वार होत ह, दयवाजो स इनको धतकाय ददमा जाता ह , रककन अगय वो ककसी फात ऩय सभ खा फठ तो अलराह इनकी सभ की राज यखता ह ”। औय महाॊ बी ऐसा ही हआ।

لفى ي ل

وى يقىح ى

ىرا ف ى

ى ب ى يي

أأىاك ريكشى

ي عـ ى ى لع

ه ىاكى ىهىا كى ف

ى ىفا أى يـ ى ىق لع

“औय खच लरमा गमा (ऽतभ कय ददमा गमा) इसका साया सभय”। हो सकता ह कोई ऐसी वफा आई हो कक सायी औराद बी हराक हो गई हो औय कोई एक ऐसा फगोरा आमा हो जो उसक ऩय क ऩय फाा को झरसा कय चरा गमा हो। “अफ वो फाा ऩय अऩनी रगाई हई रागत ऩय अऩनी हथलरमाॊ

भरता यह गमा, जफकक वो फाा अऩनी टदटमो ऩय उरटा ऩडा हआ था।” मानी इस फात ऩय अफसोस क भयी सायी उमर की भहनत औय कभाई इस ऩय रगी हई थी औय चशभ जदन भ ऽतभ हो गई।

ى

ؾ

شأ أىن

ىيتى هى ييوؿيقىى ﴿ك

ند ى﴾٤٢ أ

“औय वो कहन रगा काश क भन अऩन यफ क साथ ककसी को शयीक न ठहयामा होता!”

अफ महाॊ दखखए कक मह कौन सा लशकक भयाद ह ? इस ऩय वाकम भ ककसी दवी मा दवता का औय ककसी रात व भनात औय उजजा का कोई जजकर नहीॊ। जजकर तो यफ का ह कक औय कबी भ अऩन यफ की तयफ रौटा ददमा गमा .......” मह असर भ भादद औय असफाफ व वसाइर ऩय तवककर ह, अऩनी तवानाइमो, जहानत दय अनदशी औय भाभरा फहभी का

Page 61: AhleSunnatPak.com · 2019. 12. 27. · Author: Home-PC Created Date: 8/23/2016 9:07:39 AM

61

घभनड ह जजस भजकयह फारा यकअ भ लशकक स तअफीय ककमा गमा ह। मह भाददहऩयसती

का लशकक ह जो ऩहर शामद शाज होता हो , रककन आज काइनाती (Universal) ह। साइॊस इसी फतनमाद ऩय ऩयवान चढी औय उबयी ह। मह इस का मनात क तभाभ भजादहय कफतयत

(phenomena) को ऐस फमान कयती ह कक मह ऽद काय तनजाभ ह औय इसभ तफीई वानीन अभरऩया ह। भसरन बाऩ उठी , हवा उस इधय स उधय र गई, फादर फन औय फारयश फयसी। इसभ कहीॊ ऽदा की भशमत , ऽदा क इयादा, ऽदा क इजन का कोई जजकर नहीॊ ह। इसका भजभई असय मह हआ कक अगय ऽदा का इयाय ह बी तो भहज इस हद तक कक वो भआजलराह ककसी कोन भ फठ गमा ह औय मह कामनात ऽद फऽद चर यही ह। हभाय साया तवककर औय ऐतभादी असफाफ व वसाइर ऩय ह। औय इस लशकक कफततवककर मा भाददह ऩयसती क लशकक भ कभ व फश हभ भ स हय शखस भततरा ह।

इसको एक हदीस क हवार स सभखझए। नफी-ए-अकयभ न एक भतकफा जहद की तायीफ इस तयह फमान फयभामी कक “दतनमा भ जहद (अऩन ऊऩय) हरार को हयाभ कय रन औय भार व दौरत को जाऐ कयन का काभ नहीॊ ह , फजलक दतनमा भ जहद तो मह ह क जो कछ तमहाय हाथो भ ह इस ऩय तमहाया तवककर औय ऐतभाद जमादा न हो जाए इस चीज स जो अलराह क हाथ भ ह”। मानी तभ तभाभ तौय ऩय सभझत हो कक हरार चीजो को बी अऩन उऩय हयाभ ठहया लरमा जाए तो जहद ह, मानी ना अचछा खाना , न अचछा ऩहनना, हाराॊकक अलराह न मह चीज हरार की ह। इशाकद इराही ह :

ؽ ز هر

ىات م ي ى

ل هلىادا ك هع ى

ىرى ألـ ه ػل اوى ىـى زن رل ى

ى م

“(ऐ नफी ) कह दीजजए ककसन अलराह की उस जीनत को हयाभ कय ददमा जजस अलराह न अऩन फनदो क लरए तनकारा था औय ऽदा की फजखश हई ऩाक चीज (भमनअ कय दीॊ)?! (अर अअयाफ:32)

फजलक जहद तो मह ह क जो कछ अलराह क हाथ भ ह उस ऩय तमहाया वस , ऐतभाद औय तवककर जमादा हो जाए इसस क जो तमहाय हाथ भ ह , मानी असफाफ व वसाइर औय दौरत वायह। रककन हभाया हार मह ह कक जफ भ ऩसा ह तो ददर को सकन ह, जफ भ ऩसा नहीॊ तो ददर उडा हआ ह , इसलरए कक अलराह क ऽजानो ऩय,

Page 62: AhleSunnatPak.com · 2019. 12. 27. · Author: Home-PC Created Date: 8/23/2016 9:07:39 AM

62

अलराह की यजजाकमत औय दयत ऩय हभाया इतना ऐतभाद औय मीन नहीॊ जजतना क धन ऩय ह, फजलक इसका अशय अशीय बी नहीॊ। अफ इस लशकक कह र मा कफर कह र। जस “जो दभ ााकफर सो दभ काकफय ” कक इॊसान का जो साॊस ाफरत भ फसय होता ह तो दय हीत इसका वो वकत एक िकाय क कफर भ गजयता ह। दखखए नफी-ए-अकयभ न तौहीद की ककतनी तलीन की ह l आऩ न अऩन चचा जाद बाई हजयत अतदलराह बफन अतफास को ताकीद फयभामी कक इस फात को जहन नशीन कय रो क “अगय तभाभ इॊसान लभर कय तझ कोई नफअ ऩहॊचाना चाह तो नहीॊ ऩहॊचा सकत भगय वही कछ जो अलराह न तमहाय ह भ लरख ददमा ह, औय तभाभ इॊसान लभर कय अगय तझ कोई नसान ऩहॊचाना चाह तो नहीॊ ऩहॊचा सकत भगय वही कछ जो अलराह न तमहाय खऽराफ लरख ददमा”। जफ

तक इॊसान क अनदय मह ककफमत ऩदा नहीॊ होती कक तभाभ का भकक ज अलराह की जात हो जाए l अलराह स उमभीद औय ऽौफ दोनो भनताअ हो जाएॊ तो गोमा असर तौहीद हालसर नहीॊ। तौहीद का नाभ ही तो ववरामत ऽदावनदी ह।

अलराह का इशाकद ह: ( ىفي ىز ى

ي

ىلى ى ك

ىوى عهوؼ

ى ىـ ل ػل اوىاء هيى

ك أل ف

ىل सनो! जो“ (أ

अलराह क दोसत ह इनक लरए मीनन ककसी ऽौफ औय ाभ का भौा नहीॊ ह”।(मनस : 62)

इनकी उमभीद औय इनका ऽौफ सफ भालसवा अलराह स कट कय अलराह की जात ऩय भतककज हो जाता ह। उमभीद ह तो अलराह स औय ऽौफ ह तो अलराह स। उनका ईभान औय मीन होता ह कक ककसी औय क लरए कछ नहीॊ हो सकता जफ तक अलराह न चाह। कोई भयी बफगडी नहीॊ फना सकता जफ तक क अलराह न चाह, कोई भयी तकरीफ यफअ नहीॊ कय सकता अगय अलराह न चाह। तो ऽौफ औय उमभीद दोनो जफ तक जमरा भखरात स भनताअ होकय अलराह की जात स भनसलरक न हो जाएॊ इॊसान तौहीद का रजजत आशना नहीॊ हो सकता। आज का इॊसान इस भादह ऩयसताना कफकर की वजह स इसस फहत भहरभ हो चका ह। अलफतता जफान स राइराहा कह दना आसान ह , इसभ कोई भजशकर नहीॊ ऩडती।

Page 63: AhleSunnatPak.com · 2019. 12. 27. · Author: Home-PC Created Date: 8/23/2016 9:07:39 AM

63

बाज मजहबी नजाआत और इनरा हऱ अफ आइए जया “लशकक कफजससफात” क कछ दसय ऩहरओॊ की तयफ जजनस फाज भजहफी नजाआत यो नभा हए ह। शामद आऩको इनका कोई हर भमससय आ जाए। अलराह कक लसफात क फाफ भ एक फात तो मह जान रीजजए कक अलराह क लरए यआन भजीद भ फहत स अलफाज इसतभार हए ह फतौय लसफत बी औय फतौय असभाअ बी। अलराह क असभा व लसफात भ फहत थोडा फ क ह। जफ उस रफजज को हारत नकयह भ रात ह तो वो अलराह की लसफजत ह औय जफ इस भाअयकफ बफलराभ कयत ह तो वो अलराह का नाभ ह। भसरन “सभीउन” अलराह की लसफजत ह कक अलराह सनन वारा ह, जफकक “अससभीअ” अलराह का नाभ ह। हभ अलराह की भाअफक त इसक असभा व लसफात ही क हवार स हालसर ह। जस हभ

कहत ह कक भ अलराह ऩय ईभान रामा जसा कक वो अऩन असभा औय लसफात स जादहय ह। तो हभाया अलराह क साथ जो जहनी औय लफी रयशता ह वो इसक असभा व लसफात क हवार स ह।

यआन भजीद मह बी कहता ह ـ ) : يصنى لياءى ـ ا ػ

لजजतन अचछ नाभ ह उसी क ह“ (او ”। कपय

मह बी क अलराह क लरए यआन भजीद भ जो नाभ आ गए ह वो तो मीनन अलराह क ह औय जजन लसफात का इसफात हो गमा ह वो अलराह क लरए साबफत ह, रककन चॊद लसफात को फतनमादी याय ददमा गमा ह कक फकमा लसफात इनही की

फयोअ औय शाऽ (corollaries) ह। भसरन लसफजत इलभ अलराह की एक फतनमादी लसफजत ह औय सभीअ, फसीय, रतीफ, ऽफीय, मह तभाभ असर भ इलभ ही क भखतलरफ शोअफ औय शाऽ ह। इसी तयह अलराह की एक लसफजत “दयत” ह। अफ इसक जर भ अलराह क फहत स नाभ आ जाएॊग, भसरन” अलभइजज “इजजत दन वारा” अरभजजलर “जरीर कयन वारा” अयाककफउ “उठान वारा” अरऽाकफज “गगयान वारा” अरफालसत “कशादगी दन वारा” अर-ाबफज “तनगी दन वारा” मह सफ इसकी लसफजत दयत ही की फयोअ औय इसकी शाऽ ह।

Page 64: AhleSunnatPak.com · 2019. 12. 27. · Author: Home-PC Created Date: 8/23/2016 9:07:39 AM

64

अलराह की फतनमादी लसफात मह ह (अगयच भखतलरफ उरभाअ , भहकीन औय भतकलरभीन क हाॊ मह भखतलरफ ह ): (1) वजद (2) हमात, (3) दयत, (4) इलभ, (5) इयादा, (6) कराभ। वो अर हयम ह, जजॊदा ह, इसका वजद हमात वारा ह। वो सादहफ दयत ह, सादहफ इलभ ह, सादहफ इयादा ह, भतकजलरभ ह l इन तभाभ लसफात क साथ जफ आऩ तीन चीज जोड रग कक इसकी मह लसफजत भतरक ह, जाती ह औय दीभ ह तो मह तौहीद ह। औय अगय भतरक होन भ, दीभ होन भ औय जाती होन भ ककसी औय को ऩहर स शालभर कय लरमा गमा तो मह लशकक ह। अलराह की हमात भतरक ह, जाती ह औय दीभ ह, जफकक भालसवा अलराह की हमात जाती नहीॊ अताई (अलराह की अता कदाक) ह, भतरक नहीॊ भीद औय भहदद ह, दीभ नहीॊ हाददस ह। अगय मह चीज ऩश नजय यह तो तौहीद भ कोई ऽरर नहीॊ आएगा। रककन अगय इनभ स ककसी एक चीज को ककसी एक ऩहर स भजरह कय ददमा गमा तो मह लशकक फन जाएगा। इसी तयह इलभ क फाय भ तौहीद मह ह कक अलराह का इलभ जाती ह जफकक भालसवा अलराह का इलभ अताई ह। भालसवा भ सफ शालभर ह। जफ फरयशतो स कहा

गमा कक फताओ जया इन चीजो क नाभ तो उनका जवाफ था ا) :ىنى لوىا عى يلا ل

ىنىىى ه عوى لىكىاى ي )

“त ऩाक ह (ऐ ऩयवयददगाय!) हभ कोई इलभ हालसर नहीॊ लसवाए इसक जो तन हभ लसखामा (अता ककमा)

ह”।(अरफयह:32) तो भारभ हआ कक फरयशत हो , अजमफमा हो, यसर हो, कोई फड स फडा अलराभा हो, कस फालशद, सफका इलभ अताई ह जाती नहीॊ , हाददस ह दीभ नहीॊ , भहदद ह भतरक औय राभतनाही नहीॊ। मह तीनो मद अगय भौजद ह तो लशकक नहीॊ ह , औय अगय इनभ स एक द बी हट गई तो लशकक हो जाएगा। मसअऱाए इलम गब

अफ जया “इलभ ाफ क भसअर को हर कय रीजजए ! मह हभाय हाॊ क भसाइर भ स एक ह औय इसभ फहत तवीर फहस औय झगड ह कक यसरलराह को इलभ ाफ हालसर ह मा नहीॊ? एक तयफ स इसकी ऩयजोय नफी ह औय एक तयफ स इसफात ह

कक नफी-ए-अकयभ ह। औय इन दोनो

Page 65: AhleSunnatPak.com · 2019. 12. 27. · Author: Home-PC Created Date: 8/23/2016 9:07:39 AM

65

भकातफ कफकर भ जो यससा कशी ह वो दयअसर “इलभ ाफ” की ऩरयबाषा (definition) का

भतबद ह। भझभ भाभर की तही का दाइमा ह कक ककसी बी भाभर की अचछी तयह स तही कय री जाए, औय मह अलराह क भझ ऩय अहसानात भ स एक अहसान ह। भ अबी भडडकर कालरज भ जय तारीभ था कक साहवार भ एक फयरवी भकतफ कफकर क आलरभ दीन क ऩास गमा औय ऩछा कक इलभ ाफ क फाय भ कमा इखतराफ ऩामा जाता ह औय इसभ आऩका भोजकफ कमा ह? इनहोन कहा कक नफी-ए-अकयभ क इलभ क फाय भ मह तीनो द भानत ह कक आऩ का इलभ जाती नहीॊ अताई ह, आऩ का इलभ दीभ नहीॊ हाददस ह , आऩ का इलभ ाय भहदद नहीॊ भहदद ह। फजलक इनहोन भझ इस ऩय अऩन भकतफ कफकर क उरभा की तहयीय ददखाई कक हभायी तयफ स इन तीनो फातो का फयभरा एतयाफ औय इयाय होता ह। इस ऩय भन अजक ककमा कक कभ अज कभ इन तीनो चीजो को अगय तसरीभ ककमा जाए तो कपय भया आऩस कोई झगडा नहीॊ ह औय भय नजदीक इसभ लशकक वारा फात नहीॊ ह। तो

दयअसर इखतराफ की वजह लसफक मह ह कक इलभ ाफ की definition भखतलरफ हो यही ह। जो इस ाफ की नफी कयत ह वो इस ककसी औय तयह औय तयी स ऩरयबावषत कयत ह

औय जो ाफ का इसफात कयत ह वो इस ककसी तयह स define कयत ह। जो इसका इसफात कय यह ह वो बी दरसत ह औय जो नफी कय यह ह वो बी दरसत ह , रककन एक झगडा ह कक हर नहीॊ हो यहा ह। यआन भजीद भ अलराह क लरए जो “ाफ” का रफजज कई

फाय आमा ह कक “वो ाफ औय हाजजय का जानन वारा ह ” तो मह हभाय ऐतफाय स ह। अलराह क लरए तो कोई चीज ाफ ह ही नहीॊ। हय श ऐन वादहद भ इसक साभन हाजजय ह। इसक लरए ाफ का कमा सवार ह ! अलराह क लरए अगय ाफ का तसववय बी आऩ कयग तो कफर हो जाएगा। जो चीज अलराह न इॊसानो की तनगाह स ओझर यखी ह वो ाफ ह। इसलरए कक हभ इस दतनमा भ इभतहान क लरए बजा गमा ह। अगय साय हाइ हभायी तनगाहो क साभन हो तो कपय इभततहान कसा ! अगय जननत तनगाहो क साभन हो , दोजऽ बडकती नजय आ यही हो औय फरयशत तनगाहो क साभन भौजद हो तो कौन कफयओन , कौन नभरद, कौन अफ जहर होगा जो इनकाय कयगा ! वो तो सफ क सफ ईभान र आएॊग औय ऩय ऩय भोलभन होग। इसलरए कक ाफ तो कपय

Page 66: AhleSunnatPak.com · 2019. 12. 27. · Author: Home-PC Created Date: 8/23/2016 9:07:39 AM

66

शहादह फन कय साभन आ जाएगा। जफकक इभतहान तो इसी भ ह कक भानो हभ ाफ भ यहत हए, भानो फरयशतो को इसक फावजद क वो तभहायी तनगा हो स ओझर ह, भानो जननत औय दोजऽ को इसक फावजद क वो तमहाय लरए ाफ ह। तो इस रफजज “ाफ” को अगय सभझ लरमा जाए तो झगडा फाी नहीॊ यहता। दयअसर इॊसानो क इलभ क आग एक ऩयदह हाइर कय ददमा गमा ह औय इलभ को शहादह औय ाफ भ तसीभ कय ददमा गमा ह। अफ अलराह जजसको नफवत अता कयता ह इस इस ाफ वार इलभ भ स कछ दहससा दता ह, तबी तो वो नफी फनता ह ! अगय इसका इलभ बी हभाय इलभ की तयह हो तो वो नफी कस हो गमा ! इस तो जननत की सय कयाई जाती ह जो भय औय आऩक लरए ाफ भतरक ह। इस दोजऽ का भशादहदह कयामा जाता ह जो हभाय लरए ाफ ह। फरयशत इसक साभन होत ह। हजयत जजबराईर को इनकी असरी शकर भ नफी-ए-अकयभ न दो भतकफा दखा ह। अजयोए अलफाज यआनी :

﴿ ـل رى أ أن ىه ى نيقأ رىدىقىهىىـ ﴿١٣ك

ى ىين

ة ه رى

شد

ىل ١٤﴾ عند ا جى

ىهى ﴿﴾ عند

ـلىكأى هي ١٥ة

ىة رىد هص

ىشغى ﴾ ذ

ـ ﴿ى

شغىا ىـ ﴿١٦ي

ىغىا ىيىي ك ى ى

هى غىا زى ﴿١٧﴾ ي

ـىلبيمـ هبت رى

ىي أ م

ـلأ رىدىقى﴾١٨﴾ ه

“औय एक भतकफा कपय उसन लसदयततरभनतहा क ऩास उसको (जजबराईर को) उतयत दखा, जहाॊ ऩास ही जननतर भाअवा ह। उस वकत लसदयह ऩय छा यहा था जो कछ क छा यहा था। तनगाह ना चनधमाई न हद स भताजाववज हई। औय इसन अऩन यफ की फडी फडी तनशातनमाॊ दखीॊ”।

मह भशादहदात आलरभ ाफ क ह ना क आलरभ शहादह क। मह जननत औय दोजऽ क भशादहदात ह, मह आरभ भरकोत क ऩयद उठाए जा यह ह। हजयत इबराहीभ क फाय भ इशाकद इराही ह

يوقن ى ﴿ هى م

ىوفيم هيىىر ك

اى ت ك

ىاك ى هصل

ىوتيمىوىى ه ى ي

م

ي نىهك

ىـذىلى﴾ 6:75ك

औय इस िकाय हभ इफयाहीभ को आकाशो औय धयती का याजम ददखान रग (ताकक उसक ऻान का ववसताय हो) औय इसलरए कक उस ववशवास हो (6:75)

तो भारभ हआ कक आभ इॊसानो क लरए जो चीज ाफ क दज भ होती ह नफी को उनभ स कछ ददमा जाता ह तफ ही वो नफी फनता ह, वयना नफवत का सवार ही नहीॊ। इसको यआन भजीद न वाजह कय ददमा ह। सयतर जजन भ फयभामा गमा :

Page 67: AhleSunnatPak.com · 2019. 12. 27. · Author: Home-PC Created Date: 8/23/2016 9:07:39 AM

67

﴿ ند ىـ أ ي

ى ـ ى ى ري لع

يظ

ىلىي ف

ىغا ي ه

ىـ ٢٦ع

ىدى ى م ب

يكيصوى يـلاىوؿو ف

شي ـ م رلى

ضى ر

ى م

ل﴾ ل

مى ﴿ك

ند ـ رى ى ف

وى ٢٧﴾

"ऩयो का जाननवारा वही(अलराह) ह औय वह अऩन ऩयो को ककसी ऩय िकट नहीॊ कयता, (26)

लसवाम उस वमजकत क जजस उसन यसर की हलसमत स ऩसनद कय लरमा हो तो उसक आग स औय उसक ऩीछ स तनगयानी की ऩणक वमवसथा कय दता ह, (27)

अरफतता भालसवा अलराह क लरए कर ाफ क अहात का अगय तसववय बी हो गमा तफ तो कफर बी हो गमा औय लशकक बी। कर ाफ तो दय की फात ह , अगय कर हाजजय का तसववय बी जहन भ आ गमा तो मह बी कफर औय लशकक ह। जजस तयह “लशकक कफजजात” क जजभन भ यआन भजीद का अहभ तयीन भा भ सयतर इखरास ह, इसी तयह “लशकक कफजससफात” मा बफर फाज दीगय “तौहीद कफजससफात” क जर भ यआन भजीद का अजीभ तयीन भाभ आमतलकसी ह। इसभ फयभामा गमा :

( ىاءىا طى لـ ل

عو ءو م

ى ش

ىوف يلي

ي ىلى औय वो अहाता नहीॊ कय सकत अलराह क इलभ भ“ (ك

ककसी बी शए का, लसवाए इसक जो अलराह चाह”। इलभ हाजजय बी अलराह ही का अता कदाक ह, हभाया जाती नहीॊ ह। आॊख दख यही ह तो इस अलराह ददखा यहा ह तो दख यही ह वयना आॊख क फस का योग नहीॊ ह कक दख सक। कान बी सन यह ह तो अलराह क सनवान स सन यह ह , फनाक कानो का जाती वसफ नहीॊ ह क वो सन सक । भखर क जाती वसफ औय लसफजत का तो हभन इनकाय कय ददमा। इसका तो सवार ही नहीॊ। जाती वसफ औय जाती लसफजत तो ह ही लसफक अलराह क लरए। लरहाजा इलभ हाजजय क जो जयाए ह वो बी जान रीजजए कक हभाय जाती नहीॊ , अताई ह औय इनका बी अलराह न दाएया भयकय कय ददमा ह। आॊख की जो हद ह इतना ही दखगी इसस आग नहीॊ। अरफतता दयफीन रगा कय कछ भजीद दख रगी , रककन कपय दयफीन की बी एक हद ह जजसस तजाववज भभककन नहीॊ ह। लरहाजा इलभ हाजजय हो मा इलभ ाफ , अगय भालसवा अलराह क लरए कर का अहाता कयग तो लशकक हो जाएगा , वनाक नहीॊ। अफ यहा मह भसअरा क हभ अजमफमा क इलभ को नाऩ औय तोर तो इसस फडा ऩागर ऩन औय इसस फडी दहभात कोई नहीॊ। इसलरए क वो तो नोइमत क एतफाय स बी हभाय इलभ स भखतलरफ ह। इस हभ कस नाऩग ! हभाया इलभ तो इलभ बफर हवास औय इलभ बफर

Page 68: AhleSunnatPak.com · 2019. 12. 27. · Author: Home-PC Created Date: 8/23/2016 9:07:39 AM

68

अकर ह, जफकक इनका इलभ, इलभ बफर वही ह। लरहाजा हसर इलभ क जयाए औय भाजजज ही भऽतलरफ हो औय हभ अऩन इलभ स उस इलभ को नाऩन रग जाएॊ तो इसस फडी

दहभात औय इसस फडा जलभ कोई नहीॊ ह। जलभ की ताअयीफ ह : क ककसी शए को उसक असर भाभ स हटा कय कहीॊ औय यख दना। इस भनत भ

कहत ह कक जो चीज फतनमादी तौय ऩय औय तसीभ क ऐतफाय स ही भखतलरफ हो आऩ इनको एक दसय ऩय मास कय औय इनको एक दसय क ऩभानो स नाऩ यह हो। औय मही ह असर भाारता। अलराह न जजतना इलभ चाहा भहमभद यसरलराह को द ददमा। हभ कौन ह कक नाऩ यसरलराह क इलभ को! जो मह कहगा कक हजयत भहमभद का इलभ राभतनाही ह , औय अलराह ही क इलभ की तयह कालभर औय कर ह वो भशरयक ह। रककन जो इसको अऩन तइॊ नाऩ तौर कय फताएगा कक आऩ का इलभ इतना तो वो ऽदाई का दावा कय यहा ह। अगय कोई भहमभद यसरलरा ह क इलभ का हदद व याबफआ ऽद भअयमन कयन फठ गमा तो मह बी कभ दज की गभयाही नहीॊ ह। हभ तो मह जानत ह कक आऩ क ऩास जो इलभ बी था अलराह का अताकदाक था। इनह जजतना ददखामा अलराह न ददखामा, जो फतामा अलराह न फतामा। आऩ न कोई ाफ की ऽफय दी तो अऩनी जात स नहीॊ दी फजलक अलराह की फताई हई दी। जो रोग अजमफमा क लरए इलभ ाफ की नफी कयत ह वो ाफ की ताअयीफ कयत ह कक वो इलभ जो ऽद हालसर हो वो ाफ ह। जफकक ऽद तो महाॊ ऩय तछटानक बय इलभ बी हालसर होन का इमकान नहीॊ ह। इलभ तो चाह हाजजय का हो चाह ाफ का हो वो सफ अलराह ही का ददमा हआ ह। तो असर भ मह इलभ ाफ की ऩरयबाषा ही का साया फसाद ह कक तभन ारत ऩरयबाषा की ह जजसकी बफना ऩय ाफ की नफी कय यह हो। तमहाया भोजकफ ना तो ककसी हदीस नफवी स भनर ह औय ना ही यआन भजीद की ककसी आमत स भाऽज ह। यआन भ सयह जजनन क अलफाज तो मह ह :

﴿ ند ىـ أ ي

ى ـ ى ى ري لع

يظ

ىلىي ف

ىغا ي ه

ىـ ٢٦ع

ىدى ى م ب

يكيصوى يـلاىوؿو ف

شي ـ م رلى

ضى ر

ى م

ل﴾ ل

وى مى ﴿ك

ند ﴾ ٢٧ق رى ى

Page 69: AhleSunnatPak.com · 2019. 12. 27. · Author: Home-PC Created Date: 8/23/2016 9:07:39 AM

69

“वो आलरभ उर गफ ह, ऩस वो अऩन ाफ ऩय ककसी को भतराअ नहीॊ कयता। भगय जजसको ऩसॊद कयर अऩन यसरो भ स .......”

चनाॊच मह ाफ क ऩयद अलराह उठाता ह लसफक अजमफमा व रसर क लरए। अलफतता ककतन उठाता ह, ककतना इसकी भशमत ह, ककसको ककतना ददखाता ह , मह वो जान औय इसका यसर जान जजसन दखा।

यआन भजीद भ सयतन नजभ भ शफ भअयाज का जजकर हआ ह कक वहाॊ कमा दखा भहमभद न, तो इसभ एक फहत फडा नकता ऩोशीदा ह जजसकी तयफ इशायह कय यहा हॊ। अफ भ औय आऩ कमा सभझग कक वहाॊ भहमभद न कमा दखा! अगय मह फमान बी कय ददमा जाए तो हभाय हालशमाए खमार भ बी नहीॊ आ सकता कक वहाॊ भहमभद न कमा दखा। लरहाजा यआन भजीद न लसफक मह कहा :

﴿ ـىلبيمـ هبت رى

ىي أ م

ـلأ رىدىقى﴾ ١٨ه “इनहोन दखा अऩन यफ की अजीभ आमात को”। लसदरतर

भनतहा ऩय कमा था, अगय यआन इस फमान बी कयत तो हभायी सभझ भ आएगा !

लरहाजा लसफक फयभामा गमा ـ ﴿ :ى

شغىا ى يىة رىد هص

ىشغى ﴾ ١٦ ذ

“जफकक ढानऩ हए था उस फयी क दयखत (लसदरह) को जो ढाॊऩ हए था”। तभ कमा सभझोग, लरहाजा तमह कमा फताएॊ कक कमा ढानऩ हए था ! फस तभ इसी ऩय नाअत कयो कक “दखा (हभाय फनद

भहमभद न) अऩन यफ की फडी अजीभ आमात को”। इसस आग तमहाय हालशमाऐ खमार भ आन वारी फात नहीॊ। मह ह भाभरा हभाय इलभ औय हभायी हदद का औय हभ इसको रकय नाऩन चर अजमफमाए कयाभ क इलभ को, औय इसस बी आग फढ कय सयमदर अजमफमा, सयमदर भसकरीन हजयत भहमहद क इलभ को, तो मह हभाय फतनमादी ारती औय फतनमादी सय ह। हाॊ अगय कोई मह सभझता ह कक नफी-ए-अकयभ आलरभर कर ह, ह तो मह अीद की ऽयाफी औय लशकक ह l ताहभ “ ” को बी सभझ रीजजए कक कहन वारा अगय इस तनमत स कह यहा ह कक नफी-ए-अकयभ का इलभ भाजी ऩय भशतलभर ह औय भसतजकफर ऩय बी तो वो ारत तो नहीॊ ! इसलरए क भाजी की बी फहत सी ऽफय नफी-ए-अकयभ को दी गई औय भसतजकफर की बी फहत सी ऽफय आऩ को दी गई। जफ तक

Page 70: AhleSunnatPak.com · 2019. 12. 27. · Author: Home-PC Created Date: 8/23/2016 9:07:39 AM

70

कहना वारा इस अहात क साथ न कह क कर भाजी औय कर भसतजकफर का इलभ आऩ क ऩास ह, तफ तक इसभ कोई हजक औय कोई भजाएा नहीॊ ह। मह लसफक दो कटागगयीज क एतफाय स ह। नफी-ए-अकयभ यआन भजीद क फाय भ मह

फमान कयत ह कक ( )“इसभ जो कछ तभस ऩहर हआ ह इसकी ऽफय बी ह औय जो कछ तमहाय फाद होन वारा ह इसकी ऽफय बी ह ”। तो यआन भ अगय भाजी की ऽफय बी ह औय भसतजकफर क हारात बी इशाय भौजद ह तो आऩ कमा यआन का इलभ बी नहीॊ यखत कक आऩ को भारभ ना हो कक भाजी भ कमा हआ औय भसतजकफर भ कमा होगा ? साय फसाद की जड ह तो वो एक रफजज “कर” ह। “कर” अगय भालसवा अलराह क लरए आ गमा तो मह कफर बी ह

औय लशकक बी। “ ” की शान तो लसफक अलराह वहदह रा शयीक की ह। वो ह

l ह “कर” का रफजज अगय आऩ ककसी औय क लरए र आए तो वो गोमा

भतरक (absolute) हो गमा जो क कफर व लशकक ह , हाराॊकक absolute जात लसफक अलराह की ह। औय अगय ऐसा नहीॊ ह तो कपय मह लसफक एक रफजजी नजाअ औय

इसतराह का झगडा ह, ताअयीफ (definition) का टकयाव ह, वनाक इसभ कोई फतनमादी इखतराफी भसअरा भौजद नहीॊ ह। खाशऱक और मसऱक र इरादा व इखसतयार म िकक व तिावत

औय आग चलरए! इयादा हभ बी कयत ह औय इयादा अलराह का बी ह। रककन

वो ह कक जो इयादा कय उस कय गजय कयन वारा ह , जफकक ककसी औय की मह शान नहीॊ। सफक इयाद अलराह क इयाद क ताफअ ह। अलराह का इयादा

भतरक ह, ककसी क ताफअ नहीॊ, इस कहीॊ स sanction औय भॊजयी नहीॊ रनी। ऐसी फात नहीॊ कक सदय अभरयका कोई बफर ऩास कयाना चाहता हो रककन ऩायरीभट भनजयी ना द औय इसकी जान भऽभस भ पॊ स जाए। जस वकत का कफयओन जो ऽदाई का भदई था ,

इसन हजयत भसा को तर कयन की यायदाद (resolution) अऩन दयफाय भ ऩश की, रककन दयफायी नहीॊ भान तो कफयओन क हाथ फॊध गए। मह भतरक शान अलराह की ह क वो जो इयादा कयर कय गजयन वारा ह। भशमत भतरक लसफक

Page 71: AhleSunnatPak.com · 2019. 12. 27. · Author: Home-PC Created Date: 8/23/2016 9:07:39 AM

71

अलराह की ह। यआन भजीद भ जगह जगह फयभामा गमा ह: ( ) “वो

जो चाहता ह कयता ह”। “वो जो चाहता ह तखरी कयता ह”।

“त जजस चाहता ह इजजत दता ह औय जजस चाहता ह जरीर कयता ह”। उसका इजखतमाय भतरक ह। इसका हाथ कोई नहीॊ योक सकता। वो चाहता तो

आन वादहद भ अफ जहर को दहदामत द दाता। فري غى

ياءىظى ى

اي مذ يعى

ى كياءىظى ى ه “वो जजसको

चाहता ह अजाफ दता ह औय जजसको चाहता ह फखश दता ह”।(अर भाइदह:18) अगय वो अफजहर को

फखशना चाह तो इस कौन योकगा ! औय अगय वो ककसी फड स फड नक आदभी को जहननभ भ झोकना चाह तो इसका इजखतमाय भतर ह, इस कोई नहीॊ योक सकता।

हभाया औय अहर तशीअ क भाफन अाइद भ एक फडा फतनमादी इजखतराफ ह कक हभ अलराह ऩय अदर वाजजफ नहीॊ सभझत , जफकक इनक नजदीक अलराह ऩय अदर वाजजफ ह। इनक नजदीक भजरयभ को सजा दना अलराह ऩय वाजजफ ह औय फगनाहो को सजा नहीॊ दना इस ऩय वाजजफ ह, जफकक हभाय नजदीक ऐसा नहीॊ ह। वो भालरकर भलक ह, भखताय भतरक ह, भशमत भजतरा का हालभर ह , वो फड स फड नको काय को बी जहननभ भ झोकन भ फाइजखतमाय ह। अलफतता मह हभ जानत ह कक वो नहीॊ

झोकगा। अमर वाअ (De facto position) कोई औय ह, रककन इस ऩय कोई चीज वाजजफ नहीॊ। इसलरए कक जफ ककसी ऩय कोई चीज वाजजफ हो गई तो वो भतरक शान तो ना यही! हभाय नजदीक अलराह की शान ह ही भतरक। अगय हभ अलराह ऩय अदर को वाजजफ भान तो वो तो गोमा एक ानन का ऩाफनद हो गमा। हाराॊक इसकी शान तो मह ह कक इसन जो ानन ऽद फनाए इसका बी ऩाफॊद नहीॊ , जफ चाह उनह तोड द। इसन आग भ जरान का वसफ यखा ह रककन जफ चाह इस सरफ कयर। वो अऩन फनाए हए वानीन जफ चाह तोड, वो अऩनी लभलक भ जजस तयह चाह तसयफ कय , इसका इजखतमाय भतरक ह। जफकक हभाय इजखतमाय औय हभायी भशमत की कमा हलसमत ह?

फयभामा गमा ػـيل اوىاءىظىف أل لىكفياءىظىا تىيى इसक दो फड पमाय तजकभ ककम गए ह। एक मह क ك

“औय तमहाय चाह कछ नहीॊ होगा जफ तक अलराह ना चाह”।(अददहय:30) रककन मह तो ह नतीजा क एतफाय स, मह रफजजी तजकभा नहीॊ फजलक भहतात तजकभानी ह। दसया तजकभा ह :

Page 72: AhleSunnatPak.com · 2019. 12. 27. · Author: Home-PC Created Date: 8/23/2016 9:07:39 AM

72

“औय तभ चाह बी नहीॊ सकत जफ तक क अलराह ना चाह”। मह ह असर भ अलराह की भतरक कक भशमत बी इसकी भशमत क ताफअ ह। तभ चाह बी नहीॊ सकत जफ तक क वो ना चाह। मह असर भ तौहीद का वो भाभ क जहाॊ इॊसान का इयादा अलराह क इयाद भ फना हो जाता ह कक ऩयवयददगाय ! जो त चाह फस वही ह, भ कमा चीज हॊ औय भयी भशमत औय इयाद की कमा हलसमत ह ! इसभ चोटी की फात मह ह क सयमदर भसकलरन , भहफफ यतफर आरलभन हजयत भहमभद यसरलराह की भशमत क हवार कक अगय धोखा हो सकता तो अलराह न ऩश फनदी क तौय ऩय पयभा ददमा:

( ياءىظى ى

دم م ى ىػـلل او ػـم

ىهىب ى ك ى

أ ىدم م

ى تى لىكل )

“मीनन (ऐ नफी !) आऩ नहीॊ दहदामत द सकत जजस बी आऩ चाह रककन अलराह दहदामत दता ह जजसको चाहता ह”।(अर सस:56)

अफ इस तनफीहा औय याहनभाई क फाद कहाॊ लशकक का इनकान फाी यह सकता ह ! यआन भजीद न तो ऐस सफ यासत भसदद कय ददम ह जजनस लशकक दय आ सकता था। औय नफी-ए-अकयभ क साथ मह अॊदाजतखाततफ ह ही इसलरए क कहीॊ भाारत का शाएफा बी ऩदा ना हो जाए, औय मह इसी का नतीजा ह कक अलराह का शकर ह कक मह उमभत फहलसमत भजभई लशकक स फची हई ह। खदा और इसान री हयात रा तकाबबऱ

अफ आइमह हमात की तयफ। हभ बी जजॊदा ह औय अलराह बी जजॊदा ह, रककन हभायी जजॊदगी अववर तो मह कक अऩनी नहीॊ फजलक अताई ह। राई हमात आए , जा र चरी चर”। दसय मह क इस हमात का दायो भदाय असफाफ ऩय ह। खाएॊग तो जजॊदा यहग वनाक भय जाएॊग, आकसीजन हालसर ना यह तो भय जाऐॊग। अगय ऩॊदरह फीस ददन भसरसर जाग तो भोत वाअ हो जाएगी। भारभ हआ क मह हमात फडी ही कभजोय औय फचायी ह। मह फडी भजफय जजॊदगी ह जो दसयो क सहाय ऩय ामभ ह। इसक साथ जअफ औय अहतमाज ह, आयाभ औय नीॊद की जरयत ह। जफकक अलराह की हमात कमा ह?

आमतर कसी भ ह ى ؿ

ى ليػـلـه او

ى ىلى كه ى شنيايذي أ ى ىـي ل و يم

ىقيم هى وى لي هل لىػــ कक इसकी जजॊदगी तो वो

जजॊदगी ह जजसभ ना ऊॊ घ ह औय ना नीॊद ह। इसकी ववतो भ कोई अजभहरार ऩदा नहीॊ होता।(अर

फयह:255) अलराह का इशाकद ह:

Page 73: AhleSunnatPak.com · 2019. 12. 27. · Author: Home-PC Created Date: 8/23/2016 9:07:39 AM

73

ا ىنقىوى دىقىهىواو ﴿ك

يغما م ه

ىن صلىا يىيىـو ك

لي ألا شت ى

ي ىي ىا بىيى كى

ر اى ت ك

ىاك ى ﴾٣٨ هصل

“औय हभन आसभान औय जभीन औय जो कछ इनक भाफन ह, छह ददनो भ ऩदा ककमा औय हभ ऩय कोई थकान नहीॊ हई”।(सयह ق)

मानी ऽालर कामनात की जजॊदी को अऩनी जजॊदगी क भजादहय ऩय मास ना कय फठना। उसकी जजॊदगी असफाफ औय सहायो क फर ऩय ामभ नहीॊ , फजलक ामभ बफजजात ह , अताई नहीॊ फजलक जाती ह। अफ जया सोगचए कक हभायी जजॊदगी को उसकी जजॊदगी क भाफर भ जजॊदगी कहा जा सकता ह? मह तो लसफक सयत हमात ह, हमात नहीॊ ह। हमात तो लसफक अलराह क लरए ह। इसी तयह हभाय ऩास लसफक सयत इलभ ह , इलभ नहीॊ ह। अर इलभ तो लसफक अलराह क लरए ह। हभाय अनदय तो लसफक इयाद की एक सयत ह , हीतन औय भतरन इयादा तो लसफक अलराह का ह। हभाय अनदय भशमत की एक लसफक झरक सी ह, जफकक असर भशमत तो अलराह की ह। इसस मह नतीजा तनकरा कक भखरात की जमरा लसफात को जफ लसफात ऽालर क भाफर भ यखा जाएगा तो कहा जाएगा कक मह भअदभ क दज भ ह , इनकी हीत कछ नहीॊ ह। हभाय ऩास कछ इलभ ह, रककन अलराह क इलभ क भाफर भ कछ नहीॊ ह। हभाय अनदय हमात ह, रककन हमात ऽदा वनदी क भाफर भ कछ नहीॊ ह। अलराह क भाफर भ हभ कोई दयत, इलभ, भशमत हालसर नहीॊ ह।

भ इस अहभ फहस क लरए नफी-ए-अकयभ क ौर भफायक स सनद ऩश कयता हॊ। नफी-ए-अकयभ न सहाफा को दआए इसतऽाया लसखामी। इस दआ की अजभत का मह आरभ ह कक सहाफाए कयाभ फयभात ह कक आऩ न हभ मह दआ इस तयह तलीन फयभामी जस यआन भजीद की कोई

सयह हो। दआए इसतऽाया क अलफाज ह “ऐ अलराह! भ तय इलभ स ऽय की बीख भाॊगता हॊ , औय तयी दयत स कछ दयत की बीख भाॊगता हॊ औय भ तय फजर अजीभ स कछ सवार कय यहा हॊ ”। जस हजयत भसा

क अलफाज सयतर सस भ आए ह : ( ﴿ هق ىو ف ى ل م

ى ى ل

هىنا أ ى ه

ا ن ﴾٢٤رى ) “ऐ भय

यफ! त जो बी भयी झोरी भ डार द भ इसका भहताज हॊ”। भाभ अजतदमत तो मही ह कक

Page 74: AhleSunnatPak.com · 2019. 12. 27. · Author: Home-PC Created Date: 8/23/2016 9:07:39 AM

74

ـ ػل اوى يرى ءىقيف هي ين أياس

لا هن

ى م أى ي

तभ हय भाभर भ अलराह क भहताज हो। (फाततय:15) दआए इसतऽाया क भजकयह फारा तीन जमर भाभ अजतदमत की वजाहत क लरए फहत अजीभ ह। अगर दो जभर ह

“ऩस तझ ही दयत हालसर ह, भझ कोई दयत नहीॊ, औय त जानता ह भझ कोई इलभ हालसर नहीॊ। ” अफ अगय नफी-ए-अकयभ क इन अलफाज भफायका को अलराह स भकाफर भ ना यखा जाए तो मह, नाऊज बफलराह, झठ हो जाएगा कक “भझ कोई दयत औय इलभ हालसर नहीॊ ” जफकक इलभ तो हभ बी कछ ना कछ हालसर ह औय नफी-ए-अकयभ का तो कहना ही कमा! असर भ महाॊ ताफर ह कक ऐ ऩयवयददगाय ! तय इलभ क भाफर भ भया इलभ शनम ह। तयी दयत क भाफर भ भयी दयत लसफय ह। तो जफ लसफात भखर का लसफा त अलराह क साथ तकाफर होगा तो भखर की लसफात भअदभ क दज भ शभाय होगी। हजयत भसा का जो वाआ सयतर कहफ भ नर हआ ह जजसभ अलराह न हजयत भसा स फयभामा कक जाओ हभाय एक फनद क ऩास जजस हभ इलभददनी अता फयभामा ह , तो यआन भजीद भ तो अगयच मह तफजसीर भौजद नहीॊ ह रककन रयवामात भ आता ह कक हजयत खऽजय न (अगयच इनका नाभ यआन भ नहीॊ ह) हजयत भसा स फयभामा कक ऐ भसा ! मह जो कशती क ककनाय ऩय आकय गचडमा फठ गई ह औय इसन सभनदय भ चोच डारकय ऩानी वऩमा ह तो इस ऩानी को इस सभनदय क ऩानी स जो तनसफत ह जान रो कर भखरात क इलभ को अलराह क इलभ क भाफर भ मह तनसफत बी हालसर नहीॊ। अलऱाह रा वजद और नजरया-ए-वहदतऱ वजद अफ जया नजरयमा “वहदतर वजद” की फहस की तयफ आइए कक लसफक अलराह का वजद भतर ह, दीभ ह औय दाइभ ह, जफकक भालसवा का वजद अताई ह , भहदद ह, हाददस औय फानी ह। गोमा वजद तो लसफक इसी का ह , ककसी औय का कोई वजद नहीॊ। मह भालसवा स वजद की नफी ह। मह “वहदतर वजद” ह औय दय हीत मह तौहीद कफससात की फरनद तयीन भजनजर ह। जो महाॊ नहीॊ ऩहॊचा वो कफकयी सतह क एतफाय स तौहीद की

Page 75: AhleSunnatPak.com · 2019. 12. 27. · Author: Home-PC Created Date: 8/23/2016 9:07:39 AM

75

आखऽयी भॊजजर तक नहीॊ ऩहॊचा। भ मह वजाहत बी कयता चरॊ क हभाय वो सकफमाए कयाभ जो अगयच “वहदतर वजद” क ाइर ह, रककन उनहोन “वहदतर वजद” को “हभा अवसत”

(Pantheism) क साथ ऽरत भफहस (confuse) कय ददमा ह, भसरन, भसरन इतन अयफी, भौराना योभ औय दीगय नाभवय सकफमाअ , इनक फाय भ रोग सएजन भ भफतरा ह। कछ रोग तो इनह बफरा ताअभर भशरयक कह दत ह औय फाी रोगो की याए बी मह ह कक वो गभयाही की तयफ चर गए। दखखए नजरयमा “हभा अवसत” को तो भ बी कफर औय लशकक सभझता हॊ। रककन हभा अवसत औय वहदतर वजद क फ क को जान रीजजए ! हभा अवसत” को मॊ सभखझए क फयफ वऩघर कय ऩानी फन गमा तो फफक भअदभ हो गई औय अफ ऩानी ही फफक ह। इस एतफाय स तो मह कामनात हीत याय ऩाती ह औय नाऊज बफललह, ऽदा इसभ गभ हो जाता ह। जफकक वहदतर वजद मह ह कक हीत वजद लसफक ऽदा क लरए औय भालसवा का वजद ही नहीॊ ह। तो इन दोनो नजरयमात भ जभीन व आसभान का फफक वाकम हो गमा औय मह एक दसय की जजद हो गए। इरलरए क “हभा अवसत” भ भखर हीत ह औय ऽालर इसभ गभ ह औय “वहदतर वजद” भ ऽालर औय भखर का वजद गभ ह। लरहाजा जफ इन दोनो नजरयमात को ऽरत भफहस ककमा

गमा तो फहत स रोगो को भाारता हो गमा। जफ मह confusion जमादा हआ तो इसभ

हजयत भजदद अलरफ सानी शऽ अहभद सय दहनदी ى ـ رى ػ

ل اويػ न इसराह की औय उनहोन

“वहदतर वजद क फजाए” वहदतशशहद” का नजरयमा ऩश ककमा। वहदतशशहद मह ह कक हीी वजद लसफक अलराह का ह औय कामनात का

वजद एतफायी ह औय उसका भहज अकस ह। जस असर वजद दयखत का होता ह , रककन इसका सामा जो जभीन ऩय ऩड यहा होता ह वो नजय तो आ यहा ह रककन इसका वजद कोई नहीॊ होता। ऐस ही मह सायी कामनात अलराह क असभाओ लसफात क अजरार औय साए ह औय इनकी कोई जाती हीत नहीॊ ह। जस कसी शामय न कहा :

जो कछ इस कामनात भ ह वो भहज वहभ ह मा खमार ह, मा जस शीश भ कोई अकस होता ह मा सामा। आऩ शीश भ नजय तो आ यह होत ह रककन वहाॊ होत नहीॊ ह। इस एक

Page 76: AhleSunnatPak.com · 2019. 12. 27. · Author: Home-PC Created Date: 8/23/2016 9:07:39 AM

76

लभसार स मॊ वाजह ककमा गमा कक एक रकडी रकय इसक एक लसय ऩय कऩडा फाॊध औय इसक ऊऩय लभटटी का तर डार कय आग रगा द औय इस एक दा मय भ तजी क साथ हयकत द तो दखन वरो को मह एक आततश दामया नजय आता ह , रककन दय हीत वो आग का दामया नहीॊ होता, फजलक शोर की हयकत आततश दामया का रऩ धाय रती ह। अफ दखखए इस नजरयमा भ कामनात औय भालसवा की नफी हो गई औय इसफात लसफक अलराह का हआ। “वहदतर वजद” औय वहदतशशहद” भ लसफक तअफीय का फ क ह , औय हजयत अलरफ सानी ـ ىػ ي اولػ न रोगो को सभझान क लरए मह फ رى क ककमा ह। मह भहज सभझान का एक रतीफ सा अनदाज ह।

इसकी एक औय फहतयीन तभसीर इस दौय भ भौराना भनाजजय अहसन गीरानी ـ ػل اويػ ى न मह फमान की कक तभ जया तसववय कयक अऩन जहन भ ताज भहर मा भीनाय رى

ऩाककसतान का नकशा र आओ। मह गोमा तभहायी भहज एक खमारी तखरी ह जो तमहाय जहन भ ह ओय तमहाय जहन स फाहय इसका कोई वजद नहीॊ। इसक ऊऩय बी तभ हो , इसक नीच बी तभ हो, इसक फाहय बी तभ हो औय इसक अनदय बी तभ हो। तो मही तनसफत ऽालर व भखर क भाफन ह। यआन भजीद अलराह क फाय भ पयभाता

ह: ( ي ا ى هىاهري ك

ل هظى ري ك

اى كيؿلك وى ا

ي वही अववर ह, वही आखऽय ह, वही जादहय ह औय वही फाततन (ه

ह”।(अर हदीद:3) औय मह कामनात भहज इसक खमार क भाजननद ह। हभाया खमार तो फडा कभजोय सा खमार ह रककन अलराह का खमार फडा ठोस औय ऩखता ह। अरफतता मह जान रीजजम , कक जजस तयह हभायी जहनी तसवीय का इनहसाय औय माभ हभायी तवजजो ऩय होता ह, जस ही तवजजो फटती ह तसवीय बी जहन स भहो हो जाती ह , इसी तयह इस कामनात का माभ बी अलराह की तवजजो स ह। उसकी तवजजो हट तो मह भअदभ ह। इसी लरए कहा गमा कक वो अर हयमर यमभ ह , अज ऽद ह औय इस कामनात को थाभ हए ह। जस तभ अऩनी तवजजो को भयतकज यखोग तो वो हमोरा तमहाय जहन भ यहग, तभ उसक यमभ हो , ऐस ही अलराह ऩयी कामनात का अरयमभ ह, इस थाभ हए ह। ििाअत रा मसअऱा करआन व हदीस री रौिनी म

Page 77: AhleSunnatPak.com · 2019. 12. 27. · Author: Home-PC Created Date: 8/23/2016 9:07:39 AM

77

आग फढन स ऩहर भ “लशकक कफजससफात” क जर भ “भसअरा लशफाअत” की दय वजाहत कय दना चाहता हॊ। अलराह क इजन क साथ शफाअत यआन व हदीस दोनो स साबफत ह। इसका इॊकाय कयन वारा यआन औय हदीस दोनो की नसस का भजनकय

हो जाएगा। आमतर कसी भ इशाकद इराही ह ـ : بذ

ل لياى عند

ييىفظىذم

ل هى ذ

ى م

कौन ह जो उस (अलराह) की जनाफ भ उसकी इजाजत क फाय शफाअत कय सक? (फयह:255) सयह ताहा भ फयभामा गमा

﴿ نولى قيـى هىض رى

ىي ك ػـى هرل

يـى هىذف أ ى م

ل لي ىاعىفل هظ

ييىنفى ل ذو ل

ىي ى ١٠٩﴾

“उस योज शफाअत कायगय ना होगी, इलरा मह कक ककसी को यहभान इसकी इजाजत द औय उसकी फात

सनना ऩसॊद कय।” अलफतता अगय ककसी क जहन भ शफाअत का तसववय मह ह कक कोई हसती

इतनी जोय आवय ह कक वो अलराह क अदर क यासत भ रकावट फन सकती ह, औय अलराह स उसकी भजी क खऽराफ कछ कयवा सकती ह तो मह मीन न लशकक ह। इसलरए कक इसभ अलराह की मह शान मकताई ((कक वो

ह, ह, ह,)) भजरह होकय यह जाती ह।

कपय तो वो ककसी औय की भजी का ऩाफॊद औय ककसी औय स इजन का खवाहाॊ फन कय यह जाएगा। कपय तो वो अलराह ना यहा, इसलरए कक उसका इजखतमाय औय इसकी ववत भहदद हो गई ? जफकक अलराह तो वही ह जजसकी ववत औय इजखतमायात रा भहदद ह।

दय हीत भशमत भजतरा औय इयादा-ए-भतरक लसफक अलराह क लरए ह, ककसी औय क लरए नहीॊ ह। अलफतता अलराह की तयफ स इजन ऩाकय शफाअत कयना मह मीनन यआन व हदीस दोनो स साबफत ह। औय मह शफाअत लसफक माभत क ददन ही नहीॊ होगी, अफ बी हो यही ह। कोई बी शखस जफ ककसी दसय क लरए दआ कयता ह तो वो शफाअत ह। “शफअ” दयअसर दो (2) को कहत ह। जस सयतर फजर भ फयभामा गमा :

﴿ ت وى هىي كفل هظى﴾٣ك “औय सभ ह जफजत औय ता की”। तो शफाअत मह ह कक आऩ न

अऩनी दयखवासत कहीॊ ऩश की औय ककसी न आऩक लरए लसफारयश बी की। तो मह लसफारयश दय असर शफाअत ह कक उसन अऩनी फात बी आऩकी फात क साथ जोड दी तो

Page 78: AhleSunnatPak.com · 2019. 12. 27. · Author: Home-PC Created Date: 8/23/2016 9:07:39 AM

78

फात दोहयी हो गई। मानी एक साइर ह जो अऩना सवार ऩश कय यहा ह औय एक औय ह जो उसकी लसफारयश कय यहा ह। नफी-ए-अकयभ की हमात तयमफा क दौयान बी मह होता था कक ककसी भसरभान स ककसी ऽता मा ारती का सदय हो जाता तो वो ऽद बी अलराह स असतफफाय कयता था औय नफी-ए-अकयभ की खऽदभत भ बी हाजजय होता था कक आऩ बी अलराह स भय लरए लसफारयश कय। मह नफी-ए-अकयभ की तयफ स अलराह की फायगाह भ उस भसरभान क लरए शफाअत थी। इसी तयह यआन भजीद स साबफत ह कक फरयशत बी

इॊसानो क लरए शफाअत कयत यहत ह। ( ر ا ى ه

ىفريكف

غىصتىى वो जभीन वारो क लरए“ (ك

(अऩन ऩयवयददगाय स) असतफफाय कयत यहत ह।” (अशशया:5) इसी तयह भाभरा भदान हशय भ होगा। अजमफमा, सदददीन, शोहदाअ औय सालरहीन को अऩन अऩन भयाततफ क भताबफ अलराह की तयफ स इजाजत लभरगी कक वो बी गनाहगायो क ह भ शफाअत कय। अलफतता अलराह क इजन क फाय कोई हसती बी ककसी क लरए शफाअत नहीॊ कय सकगी। इशाकद इराही ह:

ذ أ ى م

ل لىيوف

ل ىكى ى لا ل

ف ى

ي ى مىل ى هى كيكو ـي هرم و

يقىـى

ىوى بن ﴿ ى

ىاؿىقىي ك ػـى هرل

يـى هى﴾٣٨ف

“(उस योज) कोई ना फोरगा (ककसी को कराभ कयन का मायाना ना होगा) लसवाए उसक जजस यहभान

इजाजत द औय वो ठीक फात कह।” (सयह नफा : 38 ) तो शफाअत का भतरक इनकाय यआन भजीद औय अहादीस नफववमा की नसस का इनकाय ह। अलफतता शफाअत का जो एक अवाभी औय जादहराना तसववय ह कक

ऽदा जजनह ऩकड छडा र भहमभद भहमभद द ऩकड छडा कोई नहीॊ सकता

मह लशकक की फदतयीन सयत ह। इसभ नाऊज बफलराह , अलराह की भशमत ऩय एक औय भशमत ाालरफ आ यही ह औय इसक इयाद ऩय एक औय इयादा भसतववरी हो यहा ह।

Page 79: AhleSunnatPak.com · 2019. 12. 27. · Author: Home-PC Created Date: 8/23/2016 9:07:39 AM

79

“शिरक फिऱ हकक” या शिरक फिऱ इबादत” अगय हभ अलराह क ह को शभाय कयन रग जाएॊ तो वो फशभाय हो

जाऐॊग, रककन “हाथी क ऩाऊॊ भ सफका ऩाऊॊ ” क भसदा अलराह का एक ह ऐसा ह कक जजसभ उसक साय ह आ जात ह , औय वो ह ह “इफादत”। चनाॊच “लशकक कफर ह” भसावी हो जाएगा “लशकक कफर इफादत क। यआन भजीद भ मह भजभन फशभाय भतकफा आमा ह कक तभाभ यसरो की दावत इसी हवार स ह कक “अलराह की इफादत कयो, अलराह क लसवा ककसी औय की इफादत ना कयो ”। सयह हद की इततदाई आमात भ फतामा गमा कक यआन भजीद का भकसद नजर औय भहमभद यसरलराह की फअसत की ाजक व ाामत कमा ह। फयभामा :

و ى وم ى

فيدل م ه

ىو صي فل ي ثيـي ىي أى ك

أااه أ

ى ﴾١﴿ هر ل

هظ ى ىذ ه ك

ى يـن ي

ي ىن هل ىػـل او

لك ل

يع يد

ى لل﴾٢﴿أ

“अलरफ, राभ, या। मह वह ककताफ ह जजसकी आमात ऩखता की गई कपय वो खोरी गई (इनकी तफजसीय की गई) उस हसती की तयफ स जो कभार दहकभत वारी ह, तभाभ चीजो स फाऽफय ह। (औय मह इसलरए नाजजर हई) कक इफादत ना कयो भगय अलराह की। मीनन भ तमहाय लरए अलराह की तयफ स ऽफयदाय कयन वारा औय ऽशऽफयी सनान वारा हॊ”।

मानी जो अलराह क लसवा ककसी की इफादत ना कय औय “तौहीद कफर इफादत” क भमाय ऩय ऩय उतय जाएॊ उनक लरए भ फशायत दन वारा हॊ कक इनक लरए नअभतो वारी जननत ह। औय जो इस भमाय ऩय ऩय ना उतय इनक लरए भ ऽफयदाय कयन वारा हॊ कक इनक लरए इनक यफ क ऩास फडा ददकनाक अजाफ ह।

सयह कहफ की आखऽयी आमत भ नफी-ए-अकयभ स कहरवामा गमा:

ى ىفى

ى ى ه د

ى كهػــى هيػـ ي

ىا هى ل ل أى لـ ى ي

ي يو ي ه ىشى ىنا أى ل نيا ق

نال ى

نلى ى ن ى ع يى

وىـ فب رىىاءىجيو هق

﴿ ند ىـ أبة رىىاد بع ى

ؾ

شي ىلى﴾١١٠ك

ऐ नफी ! कह दीजजम कक भ तो एक इॊसान हॊ तभ ही जसा, भयी तयफ वहही की जाती ह कक तमहाया भाफद फस एक ही ह। ऩस जो कोई अऩन यफ की भराात का उमभीदवाय हो उस चादहए कक नक अभर कय औय अऩन यफ की इफादत भ ककसी को शयीक ना ठहयाए l

“इबादत” रा मफहम और इसर अजजाअ

Page 80: AhleSunnatPak.com · 2019. 12. 27. · Author: Home-PC Created Date: 8/23/2016 9:07:39 AM

80

“लशकक कफलह” मा फा अलफाज दीगय “लशकक कफर इफादत” को सभझन क लरए हभ सफस ऩहर रफजज “इफादत” को सभझना होगा। अयफी भ “अतद” ाराभ औय फनद को औय “इफादत” ाराभी औय फनदगी को कहत ह। यआन भजीद की भशहय आमत भफायका ह :

( كف ﴿يع يد هيى

لسى ل

لىل ك

ي ا

قىوىا ىيى﴾٥٦ك ) (अज जारयमात) इसकी सहीह तयीन तजकभानी की

ह शऽ सअदी ـ ىػ ي اولػ :न क رى जजॊदगी आभद फयाए फनदगी जजॊदगी फफनदगी शलभकनदगी !

मो तो हआ रफजज “इफादत” का भअना व भफजहभ। इसतराह भ “इफादत” असर भ कमा ह, इभाभ इतन-ए-तलभमा ـ ىػ ي اولػ औय हाकफज इतन-ए-कजयमभ رى ـ ىػ ي اولػ न इसकी सहीह तयीन औय رى जाभअ तयीन तअफीय की ह, गोमा दयमा को कज भ फनद कय ददमा ह, कक

कक इफादत दो फतनमादो मा दो जडो को अऩन अनदय जभा कयती ह , मानी इसक दो फतनमादी अजजाअ ह जजनक लभरन स मह इफादत वजद भ आती ह। औय

वो ह क एक तयफ तो अलराह क साथ इनतहा दज की भहतफत हो औय उसक साथ जभा हो जाए इनतहाई दज की आजजजज व अनकसायी कक फनदा अलराह क साभन बफछ जाए, अऩन आऩको उसक साभन ऩसत कय द। अलराह की भजी औय ऩसॊद क भाफर भ इसकी अऩनी कोई भजी औय ऩसॊद फाी

ना यह। जो अलराह को ऩसनद हो वही इस फनद को ऩसनद हो औय जो अलराह की भजी हो इसी ऩय वो याजी हो। जो अलराह का हकभ हो वो इस फसय व चशभ फजा राए औय अऩनी जजॊदगी क ाामत ही मह सभझ क फस अऩन आा , अऩन भालरक, अऩन यफ को याजी कयना ह। इसकी यजा जोई ही इसकी जजॊदगी का भसद हो।

वस तो रफजज “अफद” ाराभ क भअना भ आता ह औय ाराभी क अनदय एक जफय का भफजहभ ह। दतनमा भ जफ बी कोई ककसी का ाराभ होता था मा अफ बी जो ौभ दसयी ौभो की ाराभ होती ह तो इस ाराभी भ जफय का ऩहर होता ह। मह भजफयी औय भाय फानध की ाराभी होती ह। कोई अऩनी भजी स ककसी का ाराभ नहीॊ फनता , फजलक दसया उस ऩय भसलरत हो जाता ह। रफजज “अतद” क भफजहभ भ चॊक जफय का ऩहर शालभर ह

Page 81: AhleSunnatPak.com · 2019. 12. 27. · Author: Home-PC Created Date: 8/23/2016 9:07:39 AM

81

इसलरए जफ दीन क अनदय अलराह की इफादत का तसववय जय हफस आएगा तो मह सयाहत जरयी होगी कक इसभ ाराभी का वो अनसय तो फतभाभ व कभार भौजद होना चादहए कक जस एक ाराभ अऩन आा का भतीअ औय पयभाफयदाय होता ह , रककन इस भ कोई ऩहर जफय का नहीॊ होना चादहम l फजलक अऩन आका औय भाफद की भहतफत क जजफ स सयशाय होकय अऩन आऩको इसक साभन बफछा ददमा जाए , औय इसकी फनदगी अऩनी आजाद भजी स इजखतमाय की जाए , जफय स नहीॊ। गोमा इफादत क दो अजजाअ ह , एक ह कलरी इताअत औय एक ह भहतफत l भहतफत इस अताअत की असर रह-ए-फाततनी ह। इन दोनो क भाफन फाहभी तनसफत व तनासफ वही ह जो हभाय इस भादी वजद औय रहानी वजद क भाफन ह। जस हभाया जो जजसभ जादहयी ह , नजय तो मही आता ह, साया वजन इसी का ह, रककन इस भ जो असर हकीकत ह वह जान ह , रह ह , उसी स मह जजसभ कामभ ह , वनाक तो मह भतअफन ढय फन जाएगा , यीफ तयीन अजजह व अारयफ बी दय बागग। भ महाॊ रफजज “रह” को “जान” क हभ भअना क तौय ऩय इसतभार कय यहा हॊ, जो ारतर आभ तसववय ह। इस वकत “रह” औय “जान” का फ क जय फहस नहीॊ ह। तो जस तनगाह भ आन वारा हभाया मह जादहयी वजद ह , वजन इसी का ह, रककन इसभ असर दर व ीभत उस रह फातनी की ह जो इसक अनदय सयामत ककम हए ह , बफलकर इसी तयह इफादत का असर जसद तो इताअत ह , नजय तो मही आएगा कक फराॊ आदभी न अलराह का हकभ भाना, इसन अलराह क हकभ क भताबफ नभाज ऩढी , इसन अलराह क हकभ क भताबफ योजा यखा , अलराह क हकभ क भताबफ फराॊ चीज को हरार जाना औय फरा चीज को हयाभ जाना , रककन अगय इसभ भहतफत का ऩहर नहीॊ ह तो कपय मह इफादत एक फजान जसद ह , जजसभ कोई रह नहीॊ ह। अलराभा इफार न इस दौय भ इस ऽफ वाजह ककमा ह कक

शौ तया अगय ना हो भयी नभाज का इभाभ भया माभ बी दहजाफ ! भया सजद बी दहजाफ ! औय अकर व ददर व तनगाह का भलशकद अववरीॊ ह इश इश ना हो तो शयअ व दीॊ फत कदाह तसववयात

Page 82: AhleSunnatPak.com · 2019. 12. 27. · Author: Home-PC Created Date: 8/23/2016 9:07:39 AM

82

अगय इफादत क अनदय भहतफत-ए-ऽदा वनदी की रह जायी व सायी ना हो तो मह आभार भहज यसभ फन कय यह जात ह। तो इफादत क मह दो अजजा अ फहत अहभ ह, एक इताअत कलरी औय दसया भहतफत ऽदा वनदी।

इफादत क जर भ तीसयी चीज कछ भयालसभ उफददमत ह जो अऩनी फनदगी को जादहय कयन क लरए होत ह। इॊसान का हभशा स मह ामदह यहा ह कक ककसी की ताअजीभ औय तनमाज भनदी क इजहाय क लरए वो कछ सयत इजखतमाय कयता ह , भसरन जजसकी ताअजीभ भसद हो इनसान दसत फसता इसक साभन खडा होता ह। फादशाहो क साभन सीना तान कय नहीॊ फजलक झक कय खडा हो जाता ह। कपय जजसकी भजीद तअजीभ भसद हो उसक साभन यकअ ककमा जाता ह औय इसस आग फढ कय सजदा ककमा जाता ह। सयज की तअजीभ भसद हो तो रोग सयज क साभन सयनगो हो जात ह , सय फसजद हो जात ह। तो मह जादहयी आभार क जजनभ इस इफादत क जजफ का इजहाय होता ह , भयालसभ उफददमत कहरात ह।

इफादत क जर भ बी चौथी फहस “दआ” ह जो इफादत का रतफ रफाफ औय असर ऽरासा ह। ककसी हसती को ऩकाया जाता ह उस भजशकर कशा , हाजत यवा, तकरीफो का दय कयन वारा सभझ कय। इस ाददय भतरक सभझत ह तफ ही तो इस ऩकायत ह ! इस सभीअ व फसीय सभझत ह तफ ही तो इस ऩकायत ह ! इस सभझत ह कक वो हभायी तकरीफ यफअ कय सकता ह तो इसस असताासा कयत ह , असतदआ कयत ह। नफी-ए-अकयभ

न फयभामा: “दआ ही असर इफादत ह”।

एक औय जगह इशाकद नफवी ह: “इफादत का जौहय दआ ह”। इफादत क जर भ ऩाॊचवीॊ औय आखऽयी फहस ह ऽरस व इखरास। कोई इफादत

अलराह की फायगाह भ फर नहीॊ ह जफ तक क उसभ ऽरस औय इखरास ना हो। ऽरस औय इखरास की जजद ह रयमाकायी , मानी भहज रोगो को ददखान क लरए को अभर कयना। इसी क साथ एक रफजज आता ह “सभअह”। मानी भहज रोगो को सनान क लरए कोई अभर अनजाभ दना। “रयमा” ह ददखाना औय “सभअह” ह सनाना। तो इफादत भ जफ रयमा औय सभअह आ जाएॊग तो वो इफादत फर नहीॊ होगी , इसलरए क ऽरस व इखरास

Page 83: AhleSunnatPak.com · 2019. 12. 27. · Author: Home-PC Created Date: 8/23/2016 9:07:39 AM

83

जो फलरमत की असर शतक ह , वो भफजद ह। चनाॊच यआन भजीद भ इसको बी वाजह

ककमा गमा ( ك يع يد هيى

ليريك ل

أا أىيى ك

ىاءىفىن ى ي

هديـىوص ى ه

ي ىػـل ( او

“औय इनह तो हकभ फस मही हआ था कक वो अलराह की फनदगी कय अऩन दीन (ाराभी औय इताअत) को उसक लरए ऽालरस कयत हए, मकस होकय।” (अर फयमनह:5) अगय इफादत भ अलराह क साथ ककसी औय को बी कछ ददखान औय सनान का अनसय शालभर हो गमा , रोगो स अऩनी ताअयीफ कयाना मा कोई औय दनमवी भनफअत हालसर कयना भकसद क तौय ऩय ऩश नजय हआ तो गोमा ऽरस औय इखरास ऽतभ हआ औय इफादत भ रयमा औय सभआ शालभर हो गए औय अलराह क हाॊ ऐसी इफादत भदकद शभाय होगी। तो इफादत क मह ऩाॊच ऩहर मा ऩाॊच अजजाअ जहन भ भतअमीन कय रीजजए। मानी: (1) इताअत (2) भहतफत (3) भयालसभ उफददमत (4) दआ, जो इफादत का जौहय ह, औय (5) ऽरस व इखरास, जो फलरमत इफादत की शतक ह , औय इसकी जजद ह रयमा औय सभआ।

अफ हभ इन ऩाॊच उनवानात क तहत मह सभझग क “लशकक कफर इफादत” ह कमा! इसभ कछ अशकारात आऩक जहनो भ रा भहारा आएॊग। चॊक मह भजाभीन आभ तौय ऩय साभन नहीॊ आत, हभन भहज चनद चीजो को भतअमीन कय यखा ह कक फस लशकक मही ह औय इस लशकक की हभागीयी औय इसकी वसअत अकसय व फशतय हभाय साभन नहीॊ ह , लरहाजा जफ मह फात साभन आती ह तो फहय हार इॊसान चोकता ह। औय इस हवार स एक सवार जो दभ दभ ऩय साभन आएगा वो मह ह कक इसक भाअना तो मह हए क हय गनाह लशकक ह ! रककन अबी जया इस अशकार , मा इस सवार मा इस अशतफाह को एक तयफ यखखम ! भ इनशाअलराह आखऽय भ ऩयी वजाहत क साथ इसका जवाफ दॊगा। अबी भ जो फात कह यहा हॊ ऩहर जया इनक दराइर ऩय तवजजो कयत हए औय इनक face value ऩय इनको सभखझए कक वो सहीह ह मा नहीॊ , ददर को रगती ह मा नहीॊ। भ इॊशाअलराह अर जफया क फाभकरो क तयी ऩय मह फात आऩक साभन यखॊगा।

शिरक फिऱ इताअत सफस ऩहरी चीज इताअत ह। अफ दखखए क “लशकक कफर इताअत” कमा ह? इताअत

का भफजहभ वसीअ ह। इताअत अलराह इसक यसर की बी ह औय

Page 84: AhleSunnatPak.com · 2019. 12. 27. · Author: Home-PC Created Date: 8/23/2016 9:07:39 AM

84

इताअत की बी ह। कोई एक ही शखस नहीॊ होता, फजलक भजसजद भ जो इभाभ मा ऽतीफ ह वो वहाॊ का वारी-ए-अभय ह। ककसी फसती क अनदय जो जजमभदाय फदक ह वो वहाॊ का वारी-ए-अमर ह। ककसी सफ का जो गवनकय ह वो वारी-ए-अमर ह। आऩका जो सयफयाह रयमासत ह वो वारी-ए-अभय ह। औय नाभारभ ककतन वालरमान-ए-अमर भौजद ह। जसा कक

नफी-ए-अकयभ न फयभामा; “तभ भ स हय एक की हलसमत एक चयवाह की ह औय तभभ स हय एक स इसकी यअमत क फाय भ ऩछ गछ होगी”। चनाॊच नफी-ए-अकयभ न फयभामा कक एक औयत को अऩन शोहय क घय ऩय इसक भार औय औराद ऩय इजखतमाय हालसर होता ह , लरहाजा उसस इसक फाय भ ऩयसश होगी। औराद अऩनी वालरदह की इताअत कयती ह , इसका कहना भानती ह। अफ वो अऩनी औराद को अलराह की इताअत की तयफ र गई ह मा अलराह की भअलसमत की तयफ, इसस इस फाय भ फाज ऩयस होगी। इसी तयह एक शखस जो ऽानदान का सयफयाह ह, वो अऩन घय भ वालरए अभय ह। उसस फीवी फचचो क फाय भ ऩछा जाएगा कक वो इनह अलराह की फनदगी की तयफ र गमा ह मा अलराह की भअसमत औय फाावत की तयफ। तो हय एक शखस अऩनी अऩनी सतह ऩय वालरए अमर ह , हय शखस की हलसमत एक चयवाह की ह। तो अफ इस इताअत भ उसर कमा होगा ? मानी फडो की इताअत, वारदन की इताअत, असातजह की इताअत, उरभा की इताअत, भलशकदीन की इताअत, हकभयानो की इताअत वायह भ “तौहीद कफर इताअत” कमा ह औय “लशकक कफर इताअत” कमा ह? इस नफी-ए-अकयभ की अहादीस भफायका की यौशनी भ

सभखझए। इस जजभन भ हभ मह उसर द ददमा गमा ह कक : “ककसी भखर की इताअत नहीॊ की जाएगी इस भाभर भ जजसभ ऽालर की भअलसमत राजजभ आ यही

हो।” भखर की इताअत का इनकाय नहीॊ ह, वालरदन की इताअत कयो, फडो की इताअत

कयो, seniors की इताअत कयो, हककाभ की इताअत कयो , teachers की इताअत कयो, अगय दीनी एतफाय स ककसी क साथ अऩन आऩको भनसलरक ककमा ह तो इसकी इताअत कयो, रककन ककसी की इताअत अलराह की भाअलसमत भ नहीॊ होगी , कोई बी अगय तमह अलराह क हकभ क खऽराफ हकभ दगा तो अफ उसकी इताअत नहीॊ होगी। वहाॊ

Page 85: AhleSunnatPak.com · 2019. 12. 27. · Author: Home-PC Created Date: 8/23/2016 9:07:39 AM

85

इनकी इताअत का दामया खतभ हो जाएगा। अफ इनकी भअलसमत राजजभन की जाएगी औय अलराह की भअलसमत हयगगज नहीॊ की जाएगी। चनाॊच अगय अलराह की इताअत सिीभ ह, फाी तभाभ इताअत उसकी इताअत क दाएय क अनदय अॊ दय ह तो मह “तौहीद कफर इताअत” ह। अगय ककसी एक इताअत को बी इस दाएय स फाहय तनकार कय अलराह की इताअत क हभ ऩलरा कय लरमा गमा तो मह लशकक ह औय अगय अलराह की इताअत स ऊऩय र गए तो मह लशकक स बी जमादा तघनाउनी फात ह। मह ऐसी फात ह कक हय शखस का ददर इसकी गवाही दगा औय अर आभ इस तसरीभ कयगी।

अफ जया इस फाभकर को apply कीजजम औय मह इजनतहाई कदठन भयहरा ह। इसक लरए भ एक लभसार ऽालरस इनफयादी सतह ऩय दॊगा औय एक लभसार इजजतभाइमत की फरनद तयीन चोटी की दॊगा। औय इन दो क भाफन जो भदारयज व भयाततफ ह , जो ऽरा ह इसक ऽद ऩय कय रीजजम ! ऽास इॊफयादी सतह ऩय दखखए कक भया एक नफजस ह जो भझ अलराह क हकभ क खऽराफ हकभ दता ह। जस हजयत मसफ न कहा था:

وء ) بهصمهة ارىلي ىسى ا

فل هنل ف

فى ي ى أا أىيى (ك

“औय भ अऩन नफजस को फयी नहीॊ ठहयाता, मीनन नफजस तो फयाई ऩय उकसाता ही ह”।(मसफ:53)

अफ असर भसअरा भय लरए ह , औय वो मह कक एक तयफ अलराह का हकभ ह औय एक तयफ भयी नफजस का हकभ ह। एक भजी भय भौरा की ह औय एक खवादहश भय नफजस की ह। भ चककी दो ऩाटो क दयलभमान आ गमा हॊ। जस ककसी शामय न कहा :

कक तन भझ एक तखत ऩय फाॊध कय सभनदय क अनदय प क ददमा ह , औय त चाहता भझस मह ह कक भया दाभन तय ना होन ऩाए। तो इनसान चककी क दो ऩाटो क दयलभमान ह। एक तयफ इसक साथ वो नफजस रगा हआ ह जजसक फाय भ ऽद यआन मह कह यहा ह :

ىسى ا

فل هنلوء ف بهصم

هة ارىلي औय साथ ही मह कहा जाता ह कक कक

होलशमाय यहो, कहीॊ तमहाया दभ भाअलसमत की ककसी दरदर क अनदय पनस ना जाए ! नफजस क साथ मह कशभकश हय योज , हय साअत औय हय आन ह। फजक कीजजम आऩन

Page 86: AhleSunnatPak.com · 2019. 12. 27. · Author: Home-PC Created Date: 8/23/2016 9:07:39 AM

86

अजान सन री ह औय आऩको भारभ हो चका ह क नभाज का फ रावा आ चका ह, भय यफ का हकभ मह ह कक भ उसकी फायगाह भ हाजजय हो जाऊॊ , जफकक दसयी तयफ भय नफजस का बयऩय ताजा ह कक अबी सोम यहो , आयाभ कयो, मह छोडो कक अलराह की तयफ स कमा भतालफा ह, ऩहरा भया ताजाए इसतयाहत ऩया कयो। अफ आऩ सोगचए क आऩन दो इताअतो भ स ककसको भअजखऽय ककमा औय ककस को भ दभ ककमा ! ककस को ऊऩय कय ददमा औय ककस को नीच कय ददमा ! इनसान न ककस चीज को भकदभ कयना ह औय ककस

चीज को भोअखऽय कयना ह मह फसरा ऽद इस कयना ह। औय अलराभा इफार न कहा था :

फतो स तझको उमभीद ऽदा स नाउमभीदी भझ फता तो सही औय काकफयी कमा ह?

लशकक औय ककस फरा का नाभ ह ? लशकक कफर इताअत अगय ककसी श का नाभ ह तो वो इसक लसवा औय कमा ह कक महाॊ नफजस को अलराह क फयाफय कय ददमा, फजलक उसस बी ऊऩय र गए। अलराह का हकभ ताफअ हो गमा ह नफजस की खवादहश क , औय मही लशकक ह। इसक लरए अगय कोई सनद चाह तो यआन भजीद भ दो ज गह मह

भजभन आमा ह। सयतर फाकन भ इशाकद ह : ( يوى اى هيـ ػـ ىى هىذى ل ا

ى ى م

أ رى (ऐ नफी )“ (أ

कमा आऩन दखा उस शखस को जजसन अऩनी खवादहश नफजस को अऩना इरा फना लरमा ?” (आमत 43)

औय सयतर जलसमा भ ह: ( ىذى ل ا

ى ى م

أ رىىف أ

يوى اى هيـ ػـ ىى ه ) (आमत23) यआन भजीद अऩन

भतालरफ व भफाहीभ भ फहत वाजह ह , मह ककताफ भफीन ह। इसराभ भ दाखऽर नकताए

आााज बफलफाज दीगय (शाहदया) करभाए तयमफा ह: औय

भजकयह फारा आमात भ बी मही रफजज “इराह” आमा ह कक : ( ى أ رى أ

يوى اى هيـ ػـ ىى هىذى ل ا

ىم )

“तो (ऐ नफी) कमा आऩन दखा उस शखस को जजसन अऩनी खवादहश नफजस की

अऩना इराहा फनामा हआ ह ?” जफान स तो कह यहा ह जफकक इसका अऩना नफजस औय अऩनी खवादहश इराह फनी हई ह।

Page 87: AhleSunnatPak.com · 2019. 12. 27. · Author: Home-PC Created Date: 8/23/2016 9:07:39 AM

87

हभ एक फहत फड भाारत भ भततरा ह हभ सभझत ह क इराह औय भाफद फस वही ह जजसक आग हाथ जोड कय आदभी खडा हो , जजसक साभन सजदा ककमा जा यहा हो , जजसकी डनडवत की जाए, कोई चढावा चडामा जाए। बरो ऩय चढाव चडाए जाएॊ तो हभायी यग तौहीदी पडक उठती ह कक मह तो लशकक औय कफर हो यहा ह ! रककन हभ अऩन नफजस क गर भ जो हाय डारत यहत ह औय अऩन वजद क अनदय ही अॊदय अऩन नफजस क आग जो दसत फसता खड यहत ह मह हभ नजय नहीॊ आता , लसफक इसलरए क मह हभायी तनगाहो क साभन नहीॊ ह। रककन इसस धोका ना खाइए, जस वो फत इराह औय भाफद ह जजसको सजदा ककमा जा यहा ह वस ही मह नफजस बी इराह औय भाफद ह जजसकी खवादहश को अलराह की भजी ऩय भदभ ककमा जा यहा ह। मह नफजस बी भतारफा कयता ह कक भजी भयी चरगी, भ नहीॊ जानता अलराह का हकभ कमा ह। बफलकर वही अनदाज ह जस कफयओन न कहा था कक ऐ भसा ! भ नहीॊ जानता अऩन लसवा तमहाय लरए कोई इराह। मह तभ ककसका नाभ र यह हो ? भ भालरक हॊ लभसर का , महाॊ ऩय भया हकभ चरगा।

मानी भया नफजस बी कफयओन स कभ नहीॊ ह। जो उसन कहा था वही मह नफजस

कहता यहता ह कक भ नहीॊ जानता ककसी अलराह को, भ नहीॊ भानता इसक हरार औय हयाभ को, भ नहीॊ तसरीभ कयता इसक ककसी हकभ को , फजलक भजी भयी चरगी औय तमह भाननी ऩडगी, तमह भय हकभ क साभन सय झकाना होगा। फस जफान स भ मह फात इसलरए नहीॊ कह सकता कक भय ऩास फौज नहीॊ , रशकय नहीॊ, जफकक कफयओन क ऩास राओ रशकय था, उसक ऩास फहत फडा तऽत हकभत था, लरहाजा उसन जफान स बी कह

ददमा था: “भ तमहाया यतफ आरा हॊ ”। तभाभ नरी औय अरी दराइर स मह फात वाजह तौय ऩय सभझ भ आ यही ह कक तभाभ इताअत अगय अलराह की इताअत क ताफअ हो जाएॊ , कोई इताअत अलराह की इताअत क हभ ऩलरा न हो, इसस फारा तय न हो तो मह “तौहीद कफर इताअत” ह। औय इसक फयअकस जहाॊ बी कोई इताअत अलराह की इताअत क भसावी हो गई, मा इसस बी फारा हो गई , तो मह “लशकक कफर इताअत” ह।

Page 88: AhleSunnatPak.com · 2019. 12. 27. · Author: Home-PC Created Date: 8/23/2016 9:07:39 AM

88

“शिरक फिऱ इताअत” री इजतमाई सरत अफ जया इजजतभाई सतह ऩय दककम ! इजजतभाइमत इनसातनमा की फरनद तयीन सतह रयमासत का तसववय ह, औय मह तसववय हार ही भ साभन आमा ह। इसस ऩहर हभाय हाॊ हकभत का तसववय था, रयमासत का नहीॊ था। रयमासत तो एक फजी (hypothetical) इदायह थी, एक भजयोसी इसकी हलसमत थी। जफकक हालरमा तसववय मह ह कक हकभत औय चीज ह रयमासत औय चीज ह, औय हकभत की हलसमत रयमासत को चरान वारी भशीनयी की ह। रयमासत भ सफस ऩहरी चीज जो तम ( तनधाकरयत) होती ह वो हाकलभमत का उसर ह कक इस रयमासत भ हाकलभमत ककसकी तसरीभ की जा यही ह , आखऽयी इजखतमाय ककसक ऩास ह, ानन साजी का आखऽयी ह ककसक हाथ भ ह ? अफ इस इजतभाई सतह ऩय तौहीद

मह ह कक हकभ लसफक अलराह क लरए ह”। हाकलभमत का इजखतमाय लसवाए अलराह क ककसी क लरए नहीॊ। इस नजरयए की जहाॊ बी नफी होगी वो लशकक ह। आऩन हाकलभमत ककसी औय क लरए तसरीभ की तो लशकक हो गमा। अलराभा इफार का एक शय ह

हाइ यआनी की तजकभानी भ एक वकत भ जो भाभ व भतकफा भौराना योभ का

था इस जभान भ वही भाभ व भतकफा अलराभा भहमभद इफा र का ह। अगयच अलराभा इफार को भौराना योभ स कोई शखसी तनसफत नहीॊ ह , इसलरम नहीॊ कक वो ना लसफक अऩन कफकर भ फहत फरनद थ, फजलक अऩन अभर भ बी फहत फरॊद थ , जफकक अलराभा इफार का अभर का ऩहर फहत कभजोय ह। अलराह उनको भाफ फयभाम, उनकी

स दय गजय फयभाम! रककन कफकर क एतफाय स वाकअतन दोनो भ तअन कोई फ क नहीॊ ह। कफकर की जजस सतह ऩय भौराना योभ थ इसी सतह ऩय इस दौय भ अलराभा इफार ह। औय इनहोन ककस ऽफसयती स हाकलभमत क तसववय को फमान ककमा ह ! इफार फाय फाय कहत ह कक भ तो शामयी को लसफक एक जरयम क तौय ऩय इसतभार कय यहा हॊ।

Page 89: AhleSunnatPak.com · 2019. 12. 27. · Author: Home-PC Created Date: 8/23/2016 9:07:39 AM

89

आऩ दखखए मह कोई शामयी तो नहीॊ ह। शामयी तो गर व फरफर की शामयी होती ह ,

का करो रऽसाय औय जरफ ऩचाॊ की शामयी होती ह। जफकक महाॊ शामयी हो यही ह :

तो हाकलभमत आरा क इस उसर को आऩ जहाॊ तोड दग वहाॊ लशकक हो जाएगा।

इनसानी हाकलभमत (human sovereignty) हय हार भ लशकक ह, चाह वो फादशाहत औय भरोककमत (monarchy) हो, चाह जभहयमत (democracy) हो औय चाह भजहफी हकभत (theocracy) हो। अगय कोई फद वादहद फठा ह कक हाककभ भ हॊ , भय हाथ भ ानन साजी का इजखतमाय ह, भयी जफान स तनकरा हआ रफज ानन ह , तो मह फदतयीन लशकक ह। मह

तो की नफी हो गई! इस तयह अवाभी हाकलभमत (popular sovereignty) बी फदतयीन लशकक ह कक जभहय इजखतमाय क भदई फन कय साभन आ जाएॊ कक हाकलभमत हभायी ह। इस दोय का सफस फडा औय सफस आभ लशकक मही ह। फत ऩयसती वार लशकक का दौय गजय गमा ह। अफ दहनदसतान भ बी शामद एक दो फीसद रोग ही हो जो फतो की डनडोवत कयत हो, अफ जो लशकक ह वो बफरकर दसय ह। जरयत इस फात की ह कक हय दोय भ लशकक जो बी नमा रफादह ओढ कय आता ह इसक इनसान सभझ। फोर इफार :

हभन ऽद शाही को ऩहनामा ह जभहयी लरफास जफ जया आदभ हआ ह ऽद शनास व ऽदनगय

जफ आदभी को जया शऊय हालसर हआ तो उसन फद वादहद की हकभत को भानन स इनकाय कय ददमा औय अवाभी हाकलभमत को तसरीभ कय लरमा। हाराॊक दीनी एतफाय स फात वही ह, वो बी लशकक ह औय मह बी लशकक ह।

इसी तयह भजहफी हकभत मा ऩाऩाइमत (theocracy) का नजयमा बी लशकक ह , जजसभ कोई भजहफी तफा अऩन हाथ भ इजखतमाय रकय फठ जाता ह कक वो जो चाह ानन फना द। मयोऩ भ जो ऩाऩाइमत का तनजाभ याइज यहा ह वो फदतयीन लशकक ह। यआन भजीभ न

इस ऩय फहत फडी फद जभक आइद की ह कक ( ـ ػلكف او

ي د

بن م ربى

ى أي ىان ى

ه ريى كي

ارى ىك أيذى ل ( ا

Page 90: AhleSunnatPak.com · 2019. 12. 27. · Author: Home-PC Created Date: 8/23/2016 9:07:39 AM

90

“उनहोन अऩन उरभा औय सकफमो को अलराह क इरावह अऩना यफ फना लरमा ह”। (अततौफह:31) मानी इनको भाफद फनाए फठ ह। हाततभ ताई क फट हजयत अदी बफन हाततभ इसाइमत स दाएयाए इसराभ भ दाखऽर हए थ , इस आमत क फाय भ उनहोन फड अदफ स नफी-ए-अकयभ स अजक ककमा की कक हजय ! मह फात सभझ भ नहीॊ आई, भ ईसाई यहा हॊ औय हभन अऩन अहफाय औय रफहान को ऽदा नहीॊ फनामा। मह एक फहत फडा इशतफाह था कक यआन भजीद ईसाइमत ऩय इतना चाजक रगा यहा ह। इस ऩय नफी-ए-अकयभ न फयभामा:

“कमा ऐसा नहीॊ ह कक वो (ईसाई) इन (अहफाय व रफहान) की फनदगी तो नहीॊ कयत थ भगय वो इनक लरए जफ कोई चीज हरार ठहयात तो वो इस हरार सभझ फठत औय वो इन ऩय जफ कोई हयाभ याय दत तो वो उस हयाभ सभझ फठत थ ?”

इसलरए कक शरयअत भसवी तो खतभ हो गई थी , अफ ानन का ह ऩोऩ क हाथ भ औय इसक नभाइनदो क हाथ भ था कक वो जजस चीज को चाह हरार ठहया द औय जजस चीज को चाह हयाभ ठहया द। तो जजसक हाथ भ मह इजखतमाय आ गमा वही तो ऽदा ह। लरहाजा फादशाहत व भरकोमत , भजहफी हाकलभमत औय जभहरयमत तीनो ही लशकक की शकर ह।

आज जभहयमत औय अवाभ की हाकलभमत का दोय ह। औय जस फादशाह की हाकलभमत औय भजहफी याहनभा मा भजहफी तफा की हाकलभमत लशकक ह इसी तयह मह बी इजतभाई लशकक ह। हाॊ अगय फादशाह ऽद बी अलराह क ानन का ऩाफॊद हो, औय अलराह ही क ानन को नाफाज कय यहा हो तो मह लशकक नहीॊ ह। हजयात दाऊ औय सरभान मीनन लशकक कयन वार नहीॊ थ , जफकक नभरद औय कफयओन लशकक कयन वार थ। इसी तयह भजहफी तफा अगय अऩनी भजी स नहीॊ फजलक यआन भजीद (मा अऩन अऩन दौय भ तौयात , इॊजीर, जफय) क भताबफ हकभ द यहा हो औय इसक हाथ भ इनतजाभी इजखतमायात हो तो मह लशकक नहीॊ होगा। मह ऽदाई हाजकभमत क तसववय क तहत एक हकभत हो जाएगी कक इजखतमाय-ए-भतरक अलराह का ह, रककन

Page 91: AhleSunnatPak.com · 2019. 12. 27. · Author: Home-PC Created Date: 8/23/2016 9:07:39 AM

91

इनतजाभी अभय भजहफी तफ क हाथ भ ह। हजयत तारत स ऩहर नफी इसराईर भ जो तनजाभ यहा ह वो इसी नौइमत का तनजाभ था। हदीस भफायका ह कक:

फनीइसराईर की लसमासत इनक अजमफमा कयत थ चनाॊच एक जभहरयमत अगय मह तम कय र कक असर तशयीअ का ह अलराह का ह औय जो बी ऩायलरभट मा काॊगरस ह इसक इजखतमायात ककताफ व सननत क दाएय क अनदय अॊदय भहदद ह तो वो जभहयमत अफ लशकक नहीॊ होगी , रककन भतलर जभहरयमत , भतलर फादशाहत व भरोककमत , भतलर गथमोकरसी लशकक ह। तो इततदा स रकय इनतहा तक उसर मही ह कक भतरक इताअत लसफक अलराह का ह ह, फाी सफकी इताअत भशरत होगी अलराह की इताअत स। मह ह “तौहीद कफर इताअत” औय इसको जहाॊ बी भजरह कय ददमा जाएगा वो लशकक की कोई शकर फन जाएगी , चाह वो ऽालरस इनफयादी सतह ऩय नफजस ऩयसती हो मा इजतभाई सतह ऩय हाकलभमत ारलराह का कोई बी तसववय हो। अलराह क लसवा ककसी औय की हाकलभमत का तसववय फहय तौय ऩय लशकक हो जाएगा। शिरक फिऱ महबबत

इफादत भ दसयी राजभी चीज “भहतफत” ह। अफ दखखए “लशकक कफर भहतफत” कमा ह औय “तौहीद कफर भहतफत” कमा ह। यआन भजीद भ सयतर फयह का फीसवाॊ यकअअ इस भोजअ ऩय कराइभकस ह। इशाकद इराही ह :

( ـ ػل او

ي ىى

ي ىون م

ي ن دىدـ أ ػلكف او

ي م د

يخذل ى ى

اس مل هنىمى (अरफयह:165) (ك

औय रोगो भ स कछ ऐस ह जो अलराह क लसवा कछ हसततमो को (इसक) भदद भाबफर फना रत ह, वो इनस ऐसी भहतफत कयत ह जसी अलराह स भहतफत होनी चादहए

महाॊ “लशकक कफर भहतफत” का जजकर बी आ गमा ह औय “तौहीद कफर भहतफत” का फमान बी हो गमा ह। मानी अगय कोई हसती मा कोई इदायह इतना भहफफ हो जाए जजतना अलराह भहफफ ह, तो मह “लशकक कफर भहतफत” ह। इसी तयह भहतफत क अनदय

तौहीद कमा ह ? फयभामा गमा “औय जो रोग वाकमतन ईभान वार ह

Page 92: AhleSunnatPak.com · 2019. 12. 27. · Author: Home-PC Created Date: 8/23/2016 9:07:39 AM

92

वो सफस जमादा सखत ह अलराह की भहतफत भ”। मानी इनकी सायी भहतफतो ऩय ाालरफ भहतफत अलराह की ह। हजयत इबराहीभ का असर इजमतहान ही भहतफत का इजमतहान था औय हजयत इबराहीभ साय इजमतहनात भ ऩास हो गए थ। वालरदन की भहतफत को उनहोन अलराह की भहतफत ऩय फाकन कय ददमा औय तौहीद की ऽाततय वारदन क घय को छोड ददमा। अऩनी ौभ की भहतफत को अलराह की भहतफत ऩय फाकन कय ददमा। वतन को छोड कय वतन की भहतफत को अलराह की भहततत ऩय फाकन कय ददमा। जस उनहोन फयभामा था :

د ﴿ شى ى

رى

ـ ى ه ه

ى ذ﴾٩٩ ن (अससफजफात)

मीनन भ तो अफ अऩन यफ की तयफ जा यहा हॊ, अनयीफ वो भझ याहमाफ कय दगा”।

अफ हजयत इबराहीभ की आखऽयी आजभाइश फट की भहतफत की थी। औय फटा बी

एकरौता, जो सततासी फयस की उमर भ दआएॊ भाॊग भाॊग कय लभरा , औय इजनतहाई हरीभरतफअ फटा, जजसक रएॊ रएॊ स सआदत भॊदी औय नकी पट यही थी। जया अनदाजा कीजजए हजयत इबराहीभ क ददर भ उसक लरए ककतनी भहतफत होगी ! अफ अलराह न हजयत इबराहीभ का आखऽयी इजमतहान लरमा कक फट की भहतफत कहीॊ हभायी भहतफत स फारातय तो नहीॊ हो गई ? इबराहीभ ! इस बी अगय तमहाय लरए , हभाय हकभ क तहत जफह कय सकत हो तफ तो वाकमतन तभ भवहहद कफर भहतफत हो गए, अलराह की भहतफत भ तौहीद का भाभ तभन हालसर कय लरमा, औय अगय महाॊ नाकाभ हो गए तो जान रो कक तौहीद क इमतहान भ नाकाभ हो गए। कपय तो भारभ हआ कक एक भहतफत अबी ऐसी ह जो ददर क लसॊघासन ऩय अलराह की भहतफत क फयाफय फठी ह मा इसस बी फारातय हो गई ह। मह आखऽयी इमतहान था भहतफत का , जजसभ हजयत इबराहीभ सयऽर हो गए। औय मह ह “तौहीद कफर भहतफत।” “लशकक कफर भहतफत” की दरीर क लरम बी दो आमात ऩश की जा यही ह। एक तो वो आमत (अर फयह:165) जजसका हभन अबी भताअरा ककमा :

( ن دىدـ أ ػلكف او

ي م د

يخذل ى ى

اس مل هنىمىـ ك ػ

ل او

ي ىى

ي ىون م

ي )

औय रोगो भ कछ वो बी ह जो अलराह क लसवा कछ हसततओॊ को भदद भाबफर फना कय उसस ऐसी भहतफत कयत ह जसी कक अलराह स भहतफत कयनी चादहए”।

Page 93: AhleSunnatPak.com · 2019. 12. 27. · Author: Home-PC Created Date: 8/23/2016 9:07:39 AM

93

दसयी सयह तौफा आमत 24 l फयभामा गमा: يايؤ بى أىفى ف

ني ق

هة ارىىتىا كىيوهي فى ىت قهوى ؿ

يأى كي يظ ى

ىعى كي جي

ىكزأى كي يوى ى كياياؤىنبأىك

ال ى ىتىـ ف بيو ادو شى

ج ىىـ ك وه شي

رىىـ ك ػل اوى م

يي

ى ى ل ه

ا أى ىونىض ىي ت ال صى

ىيىا كىهىاد صى

ى لىوفىظ ىتى ؿا

أ ى ـ ل ىو تح ي

يػـله

اشق ى ﴿ىفـى ه و

ىقدم ه

ى ى ليػـل اوىرا ك

ي﴾٢٤ب

(ऐ नफी इनस) कह दीजजए कक अगय तमह अऩन फाऩ, अऩन फट, अऩन बाई, अऩनी फीववमाॊ, अऩन रयशतदाय औय अऩन वो भार जो तभन फडी भहनत स जभा ककम ह औय अऩन वो कायोफाय जजनकी कसाद फाजायी का तमह ऽोफ यहता ह औय अऩन वो भकानात जो तमह ऩसनद ह (जजनह तभन फहत शो औय अयभानो स फनामा ह) जमादा भहफफ ह औय अलराह स औय इसक यसर स औय इसकी याह भ जजहाद कयन स तो जाओ इजनतजाय कयो (दफअ हो जाओ) महाॊ तक क अलराह अऩना फसरा साभन रकय आए। औय अलराह ऐस फालसो को दहदामत नहीॊ दता।”

इसलरए कक मह भशरयक ह , मह “लशकक कफर भहतफत” क अनदय भततरा ह। इनह मह आठ चीज अलराह स औय इसक यसर स औय अलराह की याह भ जजहाद कयन स जमादा भहफफ ह।

अफ जया इस उसर को अरजफया क फाभकर की तयह अभरी जजॊदगी भ apply

कीजजए! यआन भजीद भ सयह तनसा कक आमत 135 भ फयभामा गमा: ـ ػل اوى ءىد ىيقصي ش

ول ي ى به

ى قيو يو لينىيذ ى أ

لا هى م أىب ى ي رى

ق اى ك ىوى هد

ك ه أيص

يف أـ ى ىو لع

ىهىك

“ऐ अहर ईभान! इॊसाफ क अरमफदाकय औय ऽदा वासत क गवाह फनो अगयच वो (इॊसाफ की फात औय गवाही) तमहाय अऩन खऽराफ मा वालरदन औय रयशतदायो क खऽराफ जाती हो”।

आऩ अऩन गगयोही औय कफाकवायाना तसववयात लरए फठ ह, इन ऩय जया सी आॊच आती ह तो आऩ ततरलभरा उठत ह। अगय आऩक फाय भ मह कहा जाए कक लशकक स फच हए आऩ बी नहीॊ तो फहय हार ाससा तो आएगा। रककन जया ाौय कीजजए औय हीत को सभखझए, दसयो ऩय लशकक क फतव जड दना आसा न ह, दसय की आॊख क अनदय ततनका बी

Page 94: AhleSunnatPak.com · 2019. 12. 27. · Author: Home-PC Created Date: 8/23/2016 9:07:39 AM

94

नजय आ जाता ह रककन अऩनी आॊख का शहतीय नजय नहीॊ आता। यआन भजीद भ सभखझए कक “लशकक कफर भहतफत” कमा ह।

भार स इनसान को फहत भहतफत ह। नफी-ए-अकयभ की एक हदीस भफायका ह। इस आऩ की फद दआ बी कहा जा सकता ह औय ऽफयमा कराभ बी याय ददमा जा सकता ह। आऩ न फयभामा

“हराक हो जाए (मा हराक हआ) ददयहभ व दीनाय का फनदा। ” दखखए नफी-ए-अकयभ न महाॊ “अतद” का रफजज इसतभार ककमा ह , जस सयतर फाकन की आमत 43 औय अर जालसमह की आमत 23 भ “इराह” का रफजज रामा गमा ह , ताकक कोई अशकार औय अशतफाह फाी ना यह , इधय उधय स फच तनकरन का कोई भौा

ना यह। जजस भार फहत भहफफ ह उस आऩ न उसको औय कहा ह। इसलरए कक वो चाहता ह कक फस भार आना चादहए , चाह हरार स आए मा हयाभ स आए। अफ अगय आऩक ददर भ भार की भहतफत ह वही भाफद ह। अफ आऩक भाफद दो हो गए। आऩ अलराह क लरए बी सजद कयत ह औय भार बी आऩका भाफद ह , अगयच आऩ रकषभी दवी को नहीॊ ऩजत , ऽद इसक ऩजायी बी उस रकषभी को नहीॊ ऩजत, फजलक दौरत को ऩजत ह, रकषभी तो दय हीत उनक हाॊ एक अराभत ह , ऩजायी तो असर भ वो दौरत क ह। इसी तयह हभन बी अगयच रकषभी को दवी याय दकय इसकी भयती नहीॊ फनाई रककन इसकी ऩजा का जो असर भसद ह वो तो हभ कय यह ह। लरहाजा नफी-ए-अकयभ न फयभामा: “हराक हो गमा (मा हराक हो जाए) ददयहभ औय दीनाय का फॊदा”। अफ चाह इसन अऩना नाभ अतदलराह मा अतदयकहभान यखा हो

मा रककन इसकी असर औय भाअनवी शऽलसमत औय की ह। मह ऽालरस इनफयादी सतह की फात ह औय भहमभद यसरलराह मह फात पयभा यह ह। इजतमाई सतह ऩर “शिरक फिऱ महबबत” री सरत

इजतभाई सहत ऩय दखखए क “तौहीद कफर भहतफत” कमा ह औय “लशकक कफर भहतफत” कमा ह। इस दोय क जो इजतभाई तसववयात ह इनभ एक तसववय वतन की फतनमाद ऩय ौभ ऩयसती (nationalism) का ह। वऩछर जभान की ौभ ऩयसती अकसय व फशतय नसर की फतनमाद ऩय होती थी औय जो तसादभ होता था वो बी नसरी फतनमाद ऩय होता था ,

Page 95: AhleSunnatPak.com · 2019. 12. 27. · Author: Home-PC Created Date: 8/23/2016 9:07:39 AM

95

जफकक उननीसवीॊ औय फीसवीॊ सदी का जो सफस फडा लसमासी तसववय मयोऩ न ददमा ह वो वतनी ौभ ऩयसती का तसववय ह कक एक वतन क अनदय यहन वार सफ एक ौभ ह औय भजहफ हय एक जाती भसअरा ह , चाह कोई दहनद हो, लसख हो, ऩायसी हो, ईसाई हो, इसस हकभत को फहस नहीॊ ह। रयमासत सकरय ह , रयमासत का भजहफ स कोई तालर नहीॊ। हाॊ जो बी इस हदद क अनदय यहन वार ह इनको ौलभमत (nationality) लभर जाएगी कक व इस वतन क यहन वार ह औय इस रयमासत क शहयी ह। अफ जादहय फात ह कक हय इजतभाइमत को राजजभन कोई चीज ऐसी चादहए जो भकक ज भहतफत फन जाए। इसलरए क अगय ककसी चीज क साथ जजफाती रगाओ नहीॊ होगा तो इसक साथ कस जडग , कस फनमान भयसोस फनग, ऽतयात का भाफरा कस कयग? लरहाजा इस दोय भ जो असर भाफद तयाशा गमा ह वो वतन ह। वतन की भहतफत औय अजभत क गन गाए जात ह , वतन आन ऩय कट भयन का दयस ददमा जाता ह , वतन का नअया रगामा जाता ह। वतन क झनड क साभन फा अदफ खड होकय इस सराभी दी जा ती ह। वतन का एक तयानाए हभद बी होता ह जजसको ौभी तयाना कहा जाता ह। मह भजहफ वततनमत ह जजसक मह भयासभ अफददमत ह। मह दौय का नमा लशकक ह औय इसको हभाय उरभा भ स कोई नहीॊ सभझ ऩामा। भ अलराभा इफार की अजभत कफकर का इसी लरए ामर हॊ कक इस ही त को सभझन वार इस दौय भ लसफक अलराभा इफार थ। जजस तयह उनहोन हाकलभमत आरा क नजयमह को वाजह ककमा ह l

इसी तयह उनहोन “वततनमत” क फत ऩय कायी जयफ रगाई ह। भराऽता हो :

इस दौय भ भह औय ह, जाभ औय ह, जभ औय साी न बफना की योश रतफ व लसतभ औय भजसरभ न बी ताभीय ककमा अऩना हयभ औय तहजीफ क आजय न तयशवाए सनभ औय इन ताजा ऽदाओॊ भ फडा सफस वतन ह जो ऩयहन इसका ह वो भजहफ का कफन ह

Page 96: AhleSunnatPak.com · 2019. 12. 27. · Author: Home-PC Created Date: 8/23/2016 9:07:39 AM

96

इफार क जजफ औय अहसास की लशददत का आरभ दखखए ! इसलरए कक उनका भशादहदा फहत गहया था, उनहोन सभझ लरमा था कक ककतना ऩानी दरयमा- ए-यावी क ऩर क नीच स गजय यहा ह। अफ रात , भनात, अजा औय हफर की ऩजा का जभाना गजय चका ह , इन फतो क ऩजायी आज नहीॊ लभरग , आज ऩजा ककसी औय श की हो यही ह , औय इस जगह ऩय सफस फडा फत वतन ह। अफ हभाय हाॊ बी मह सफ कछ हो यहा ह। इसलरए कक हभन इन चीजो की हीत ऩय ाौय नहीॊ ककमा। मह झनड की सराभीl इसका कमा अथक ह ? मह दयअसर वतन क भयालसभ-ए-अफददमत भ स ह कक जफ ौभी तयाना गामा जा यहा हो तो आऩ झॊड क साभन साकत व साभत खड हो जाएॊ। मह गोमा वतन की नभाज ह जो ऩढी जा यही ह औय हभन इस सभझा नहीॊ ह। हय भजहफ भ अऩन भाफद क साथ भहतफत क इजहाय औय उसकी अजभत क इयाय क लरए इसक झनड को आजजजी क साथ सराभी दी जाती ह। मह भजहफ वततनमत जो मयऩ का इजाद कयदा था , इसकी तभाभ भजहफी यसभात (rituals) को हभन जॊ का तॊ फर कय लरमा ह। मह उस भजहफ की यसभात ह जजसका भाफद वतन ह। इसक फाय भ इफार न भजीद कहा :

मह फत क तयाशीदह तहजीफ नवी ह ाायत गय काशानाए दीन नफवी ह फाज तया तौहीद की ववत स वी ह इसराभ तया दस ह त भसतफावी ह नजायह दयना जभान को ददखा द ! ऐ भसतफावी ऽाक भ इस फत को लभरा द !

वतन इस फत को ऽाक भ लभरा दना अलराभा इफार का ऩााभ ह। दखखए वतन आऩका भाफद कस हआ? इसलरए कक आऩकी भहतफत का भकक ज वतन फन गमा ह। अफ आऩक नजदीक जो श वतन क र अचछी ह वो अचछी ह , चाह फी नजफजसही वो जाइज हो मा नाजाइज हो। वतन क लरए आऩको दसयो ऩय जलभ कयना ऩड यहा ह तो आऩ कय यह ह। अऩन वतन की जम फोरी जा यही ह। कबी आरा हफर क नाय रगा कयत थ , रककन अफ वतन क नाय ह। इस जभीन न दय हीत आज दवता की शकर इजखतमाय कय री ह औय इसकी फतनमाद भ ौलभमत का तसववय ह जो आज क इजतभाई तसववयात भ अहभ तयीन तसववय ह।

Page 97: AhleSunnatPak.com · 2019. 12. 27. · Author: Home-PC Created Date: 8/23/2016 9:07:39 AM

97

फहय हार “तौहीद कफर भहतफत” मह ह कक भहतफत का असर भकक ज जात फायी हो, तभाभ भहतफत इसक ताफअ हो जाएॊ-औय “लशकक कफर भहतफत” मह ह कक ककसी शखस मा ककसी इदाय मा ककसी श की भहतफत अलराह की भहतफत क हभ ऩलरा हो जाए मा इसस फारा तय हो जाए।

Page 98: AhleSunnatPak.com · 2019. 12. 27. · Author: Home-PC Created Date: 8/23/2016 9:07:39 AM

98

चद जररी बात “हीत व इकसाभ लशकक ” क इस भफजससर लसरलसराए गफजतग क तहत गजजशता

नशसत भ हभन लशकक की भअजयमन कयदा अकसाभ भ तीसयी औय आखऽयी कसभ “लशकक कफर ह” मा बफलफाज दीगय “लशकक कफर इफादत” ऩय गफजतग की थी औय “इफादत” क दो अजजाए तकीफी “ इताअत” औय “भहतफत” क हवार स भन उसरी औय फतनमादी फात फमान की दी थीॊ। इस जजभन भ इनफयाददमत स रकय इजतभाइमत की फरॊद तयीन चोटी मानी “रयमासत” की अरग अरग लभसार फमान कयन क फाद अजक ककमा गमा था कक इनही ऩय मास कयत हए दयलभमानी ऽराअ को आऩ ऽद ऩय कय रीजजए। रककन हाजयीन की जातनफ स फाज सवारात की बफना ऩय भय जहन भ मह खमार आमा कक इस भोजअ ऩय फाज फातो की भजीद वजाहत जरयी औय सोद भनद ह। कया तकऱीद शिरक ह? इताअत क जजभन भ मह फात फमान हो चकी ह कक यआन भजीद न अहर ककताफ मानी

महद व नसाया ऩय मह इरजाभ आइद ककमा ह कक ـ بن م ديكف اولػ ربىى أي ىان ى

ه ريى كي

ارى ىك أيذى ل ا

(अततौफा:31) औय इस जजभन भ हजयत अदी बफन हाततभ क सवार क जवाफ भ यसरलराह न इसक जो तशयीह फयभामी थी वो बी फमान की जा चकी ह। अफ इसी को साभन यख कय हभाय हाॊ जो तरीद का एक तसववय ह इसको सभझ रीजजए !

दखखए तरीद का एक तसववय ह “अवाभ” क नजदीक औय एक तसववय ह “अहर इलभ” क नजदीक। इन दोनो भ जभीन व आसभान का फ क ह । अवाभ क जहनो भ तकरीद का जो तसववय ह वो बफरअभर लशकक ह। अगय ककसी क जहन भ मह फात ह कक जो फात इभाभ अफहनीफा ـ ىػ ي اولػ कह द वो हभ राजजभन भानग رى , फाय कोई दरीर तरफ ककम कक वो ककस फतनमाद ऩय मह फात कह यह ह औय ककताफ व सननत की कौ न सी दरीर उनक ऩास ह, तो मह लशकक ह। इसी तयह अगय कोई फात भजयद इसलरए भान री जाए क मह इभाभ अहभद बफन हनफर ـ ىػ ي اولػ मा इभाभ शाफई رى ـ ىػ ي اولػ मा इभाभ भालरक رى ـ ػ

ل اويػ ى की जफान भफायक رى

स तनकरी हई फात ह तो मह बफरा शक व शफा लशकक ह। अलफतता हभाय हाॊ अहर इलभ क नजदीक तरीद का तसववय मह ह कक जजन अजीभ औय फादहमभत रोगो न ककताफ व सननत का फहभ कयन क लरए अऩनी ऩयी ऩयी जजॊदगगमाॊ खऩाई ह उनक फहभ ऩय एतभाद

Page 99: AhleSunnatPak.com · 2019. 12. 27. · Author: Home-PC Created Date: 8/23/2016 9:07:39 AM

99

कयत हए, उनहोन ककताफ व सननत स इसतनाफ कयक जो दराइर ऩश ककम ह इनको भदद नजय यख कय उनकी याए ऩय अभर ककमा जाए। इस जजभन भ इभाभ अफ हनीफा ـ ىػ ي اولػ का رى मह ौर भौजद ह कक “अगय तमह भय ककसी ौर क खऽराफ सहीह हदीस नफवी लभर जाए तो भयी फात को दीवाय ऩय भायो।” इसलरए कक ककसी फात भ फजन इस वजह स हयगगज नहीॊ ह क मह फराॊ शखस की फात ह , फजलक इस वजह स ह कक उसन ककताफ व सननत स अऩनी फात को भदरर ककमा ह औय ककताफ व सननत क भनशाअ को सभझ कय इसस इसतनाफ ककमा ह।

मही वजह ह क हभाय हाॊ इभाभ आजभ अफ हनीफा ـ ىػ ي اولػ क अववरीन शागगदो رى ाजी अफ मसप ـ ىػ ي اولػ ـ औय इभाभ भहमभद رى ىػ ي اولػ न अऩन उसताद इभाभ अफ हनीफा رى ـ ػل اويػ ى स इजखतराफ ककमा ह औय आज दनमा भ जो कफा हनफी भौजद ह वो अकस رى य व

फशतय इभाभ अफ हनीफा ـ ىػ ي اولػ की याए ऩय नहीॊ फजलक साहफीन मानी ाजी अफ मसफ رى ـ ػل اويػ ى ـ औय इभाभ भहमभद رى ىػ ي اولػ की याए ऩय ह। लभसार क तौय ऩय इभाभ अफ हनीफ رى

ـ ػل اويػ ى क नजदीक “भजायअत” भतरन हयाभ ह, रककन कफा हनफी भ इस ऩय जो फतवा رى

ह वो इभाभ अफ हनीफा ـ ىػ ي اولػ की याए ऩय नहीॊ ह फजलक साहफीन की याए ऩय ह। तो उनक رى शागगदो न उनस इजखतराफ ककमा ह। हभाय हाॊ जफ तक तरीद क भाभर भ मही तयज अभर यहा तो एक सहतभनद कफजा यही। इसक फाद एक दो य आमा क उरभा न इस ऽत को ऩश नजय यखत हए कक अफ इलभ की कभी हो गई ह , दहसक व हवा का जोय हो गमा ह जजसकी वजह स इजतहाद भ ऽतयात जमादा ह , मह कहा क अफ नए इजतहादो की फजाए उलभाए सरफ क इजतहाद ऩय ही अभर ककमा जाए। तो मह एक अहतमात ह जो इस दौय भ उरभा न इजखतमाय की ह। रककन इसभ बी अहर इलभ क नजदीक कोई शखस अऩनी जात भ भताअ हय गगज नहीॊ ह , फजलक ककताफ वो सननत की फनमाद ऩय ही इसकी फात भानी जाएगी। चनाॊच मह तकरीद लशकक नहीॊ ह। अलफतता अगय ककसी शखस को अऩनी जात भ भताअ भान लरमा जाए तो इस कसभ की तरीद लशकक ह औय मह उसी कसभ का लशकक ह जस क यआन भजीद न अहर ककताफ क फाय भ कहा ह कक

ـ ػلكف او

ي د

بن م ربى

ى أي ىان ى

ه ريى كي

ارى ىك أيذى ل ا

Page 100: AhleSunnatPak.com · 2019. 12. 27. · Author: Home-PC Created Date: 8/23/2016 9:07:39 AM

100

उनहोन (मानी महद व नसाया न) अलराह को छोड कय अऩन उरभा औय सकफमो को यफ फना लरमा”। (अततौफह:31)

इसलरए कक दो ही तफ भजहफी होत ह , उरभा औय सकफमा। हभाय हाॊ बी तसववफ क भदान भ मह गभयाह कन तसववय भौजद ह कक भयलशद को अऩनी जात भ भताअ भान लरमा गमा ह। इस भदान भ शामयी क जरयमह फहत फतय औय गभयाही परी ह औय इस तयह की फात जफान जद अवाभ व ऽवास हो गई ह कक “फा भ सजादा यनगीन कन गयत ऩीय भााॊ को मद!” मानी “अगय तमहाया भयलशद तभस कह कक तभ अऩनी जानभाज को शयाफ स यॊगीन कय दो तो कय ददमा कयो ”। इननालरलरादह व इनना इरदह याजजऊन। मह तसववय ऽालरस शकक ह। कोई चाह भयलशद हो , आलरभ हो, हाककभ हो, भजतदहद हो, ककसी की फात बी अगय भानी जाएगी तो ककताफ व सननत क दाएय क अॊदय भानी जाएगी औय यआन व हदीस की दरीर स भानी जाएगी। अगय तज अभर मही ह तो तौहीद ह। औय अगय इसको कहीॊ स बी औय ककसी ऩहर स बी भजरह कय ददमा जाए तो मह लशकक ह। महबबत और ऩरखसति म िकक

अफ आम “भहतफत” क भाभर भ जो अभरी ऩहर ह उन ऩय ाौय कय लरमा जाए। जान रीजजए क “भहतफत” औय चीज ह औय “ऩयजसतश” औय चीज ह।1 चनाॊच वतन की भहतफत औय चीज ह औय वतन ऩयसती औय चीज ह। वतन स भहतफत अऩनी जगह एक भतरफ औय ाबफर जजफा ह। जजस वतन स भहतफत ना हो वो शखस फडा फ ायत ह। जजस वारदन स भहतफत ना हो तो वो शखस फडा फ हभमत ह। अऩन फीर औय ौभ स भहतफत ना हो तो ऐसा शखस फायत औय फहभमत ह। अफ अगय मह तभाभ भहतफत अलराह की भहतफत क ताफअ यह औय अलराह की भहतफत इन सफक ऊऩय हो तो मह “तौहीद कफर भहतफत” ह। इसक फयअकस अगय एक भहतफत अलराह की भहतफत स फारा तय हो जाए मा फयाफय बी हो जाए तो वो “लशकक कफर भहतफत” ह।

इसी तयह स एक औय ऩयजसतश ह “शजखसमत ऩयसती”। मह बी कभ दज का लशकक नहीॊ ह। अगय ककसी शखस की भहतफत औय अीदत आऩ को अनधा औय फहया कय द औय इसकी हय फात आऩक लरए सनद हो , इसकी यजा जोई ही आऩ क ऩश नजय यह तो मह शजखसमत ऩयसती ह औय मह मीनन लशकक ह। मही फात नफी-ए-अकयभ न

1 भालसवा अलराह क लरए रफजज “इफादत” क फजाए रफजज “ऩयजसतश” इसतभार होता ह औय भ सभझता हॊ क म एक तयह की दमानत ह।

Page 101: AhleSunnatPak.com · 2019. 12. 27. · Author: Home-PC Created Date: 8/23/2016 9:07:39 AM

101

फयभामी कक “तया ककसी शए स भहतफत कयना तझ अॊधा औय फहया फना दता ह”। मही भहतफत आज शजखसमत ऩयसती की शकर भ दतनमा भ याइज ह। औय ाबफर ाौय फात ह कक इसको फााइदह एक लसमासी तसववय (political concept) की हलसमत स दतनमा भ develop ककमा गमा ह। गाॊधी जी क अससी अससी गज ऊॊ च भजसभ कोई भशार (hobby) क तौय ऩय नहीॊ तयाश गए थ, फजलक इस वजह स तयाश गए थ कक इस शखस की अजभत रोगो क जहनो भ नश हो जाए औय उसस भहतफत औय अी दत यखन वार सफ एक दसय स जड यह , जजस तयह क वतन की भहतफत अहर वतन को भसतहककभ कयन औय एक दसय क साथ जोडन वारी शए (unifying force) ह। मह शजखसमत ऩयसती दतनमा भ ऩहर होती यही ह औय अफ बी होती ह। इसको hero worship का ऽफसयत नाभ ददमा गमा ह। हभाय हाॊ भजसरभ रीग क जअभाअ भ स एक साहफ का हार था क वो कबी नभाज क यीफ तो पटकत नहीॊ थ , रककन उनका अऩना कहना मह था क “भ तो सफह ही ाइद आजभ की तसवीय को सराभ कयता हॊ औय फस मही भयी नभाज ह”। अफ मह शजखसमत ऩयसती (hero worship) नहीॊ तो औय कमा ह? अगय कोई ाय मह फात कय तो हभ कहत ह वो फतऩयसत ह औय हभ ऐसी फात कयक बी सभझत ह कक हभ तो भवादहद-ए-कालभर ह औय इसस हभायी तौहीद भ कोई नसख ऩदा नहीॊ हआ। ऐस ही सटालरन क भजसभ नसफ ककम गए औय इसकी तसवीय फचचो क जहनो क अनदय उतायी गई, ताकक इसकी भहतफत औय अीदत जहनो ऩय छा जाए। इसी तयह भाओ तॊग (

MaoTse tung) क फत तयाश गए। तो मह सफ इॊसान ऩयसती औय शजखसमत تنگ ماوزےऩयसती ह। औय मह ऽतभ नही हई , आज बी इसका वजद फाी ह। आज क जभान भ एक औय भहतफत “नजरयए की भहतफत” ह। अगय ककसी तसववय मा नजरयए की भहतफत, चाह वो इशतयाककमत (सभाजवाद) का नजरयमा हो मा कोई औय इनराफी ( करजनतकायी ) नजयमा हो, इनसान क जहन ऩय इस तयह ाालरफ औय भसलरत हो जाए कक उसका जीना औय भयना अलराह क फजाए उस नजरयए क लरम हो जाए,

तो, , मह उस नजरयए की ऩयजसतश ह। गोमा एक नजरयमह औय एक तनजाभ को ऩजा जा यहा ह। ककसी न फडा पमाया शय कहा ह :

एक तसववय क हसन भतहभ ऩय सायी हसती रटाइ जाती ह

Page 102: AhleSunnatPak.com · 2019. 12. 27. · Author: Home-PC Created Date: 8/23/2016 9:07:39 AM

102

जजॊदगी तक आयज क फाद कस साॊसो भ ढारी जाती ह ! इनसान क अनदय जफ तक कोई आयज ना हो , कोई आदशक ना हो, कोई नसफर ऐन

ना हो तो जीन का भजा ही कमा ह ! कपय तो वो इॊसान नहीॊ फजलक हवान ह , उसकी जजॊदगी भहज साॊसो भ ढारी हई जजॊदगी ह , वो भहज human vegetable ह l रककन नसफर ऐन लसपक एक ही सहीह ह , औय वह ह ‘अलराह कक भहतफत’ का नसफर ऐन l कोई औय नसफर ऐन इस जगह ऩय आकय भनतफ हो गमा तो मही तो लशकक ह।

ى

اس مل هنىمىـ ك ػ

لو ا ا يمدىطو أينىيذ ى أ

ل هىـ ك ػل او

ي ىى

ي ىون م

ي ن دىدـ أ ػلكف او

ي م د

يخذل ى

“औय रोगो भ स कछ ऐस बी ह जो अलराह क लसवा कछ हसततमो को (उसक) भदद भाबफर फना रत ह, वो उसस ऐसी भहतफत कयत ह जसी अलराह स भहतफत होनी चादहए। औय जो रोग वाकमतन ईभान वार ह वो अलराह की भहतफत भ सफस जमादा सखत ह”। (अर फयह:165)

भ मह फात अजक कय चका हॊ क “वततनमत का नजयमा” इस दोय क फहत फड लशकक की हलसमत स उबय कय साभन आमा ह , रककन हभाय कोई बी आलरभ दीन इसको नहीॊ सभझ सका। इसका सफफ मह ह कक हभाया उरभा न फद कसभती स भारयफ क फरसफ का भतारा नहीॊ ककमा। मह अऩन तसवव यात क ऩश नजय मह सभझ यह कक वततनमत (nationalism) शामद हतफर वतनी ह! रककन इस दौय भ अलराभा इफार न इसको ऽफ सभझा ह। इनका फडा पमाया शय ह :

मानी भ जदीद तहजीफ व तभददन औय जदीद इभयानी नजयमात की आग भ डारा

गमा हॊ, जस इबराहीभ को आग भ डारा गमा था। भ जानता हॊ क भारयफ क इन नजयमात औय फरसफ क ऩस ऩयदा ककमा कछ ह जो इस इजतभाई जजॊदगी फनमाद फन ह , औय भसरभान उमभत को इसस आगाह कयना औय इनका यदद कयना भया इमतहान ह। अलराभा इफार को इस चीज का फयाह यासत भशादहदा था , जफकक हभाय उरभा इसको नहीॊ सभझ सक। मह ककताफ व सननत क इलभ स ऽफ वाकफ ह। भ कहा कयता हॊ कक इलभ दीन क एतफाय स हभाय उरभा की शजखसमत भनगरा डभ औय तयफीरा डभ जसी ह , रककन जफ तक मह इलभ इस दोय की जभीन तक ना ऩहॊच तो वो डभ भ खड उस ऩानी

Page 103: AhleSunnatPak.com · 2019. 12. 27. · Author: Home-PC Created Date: 8/23/2016 9:07:39 AM

103

की भातननद ह जो तफ ही फाइदह भनद होता ह जफ वो जभीन तक ऩहॊच। इसका अहभ काभ क लरए तसीभ क जयाए (distribution channels) दयकाय ह जो इस इलभ को आग ऩहॊचाएॊ। रककन फद कसभती स वो चनरज आज नहीॊ यह। यातत का एक ऽराअ (gap of communication) फीच भ हाइर ह कक फात आग ऩहॊच नही ऩा यही। लरहाजा जरयत इस फात की ह कक इस दोय क नजयमात को सभझा जाए। इसलरए कक इस दोय का लशकक तफ ही सभझ भ आएगा जफ गहयाई भ उतय कय इस दोय क नजरयमात को सभझा जाए। मह फात अगयच छोटी औय ाय अहभ भहसस होती ह रककन फाज फजा दहय छोटी फात ततर क ऊॊ ट भ ऩहाड की भातननद होती ह।

एक साहफ न झनड की अजभत औय इसक ववाय को फचान की फात की ह। मह फात अऩनी हद त दरसत फजलक जरयी ह , रककन झनड को दख कय खड हो जाना , इस सराभी दना, मह साबफत कीजजए भहमभद यसरलराह स ! मह तो नत लरर अरभ ह कक आऩ झॊड क आग हाथ फानध कय फा अदफ खड हो जाएॊ। मह भय नजदीक लशकक ह , वनाक झॊड क अजभत औय वाय को फचाना अऩनी जगह भसलरभ ह। जस हजयत भअसफ बफन उभय न ाजवए उहद भ अऩनी जान की फाकनी द दी रककन झनड को नहीॊ गगयन ददमा। ऐस ही हजयत जद फन हारयस औय हजयत जाअफय तमाय न ककमा। रककन झॊड को सराभी दना औय इसक लरए ऽशअ व ऽजअ क साथ खड हो जाना तअन जाइज नहीॊ ह। हजयत भहमभद यसरलराह न तो अऩन लरए खडा होन स सहाफाए कयाभ को भना पयभा ददमा था। हजयत अफ उभाभा स रयवामत ह कक नफी-ए-अकयभ क तशयीफ रान ऩय आऩ क लरए एहतयाभन खड

हो गए तो आऩ न फयभामा: “तभ रोग (भय तशयीफ रान ऩय) खड ना हो जामा कय जस क अजभी रोग एक दसय की तअजीभ क लरए खड हो जात ह।”

तो “हतफर वतनी” औय चीज ह औय “वतन ऩयसती” औय चीज ह। इन दोनो चीजो भ जफ तक फ क नहीॊ कयग औय इनको अरहदा अरहदा अऩन अऩन भाभ ऩय नहीॊ यखग तो जहनो भ राजजभन अशकार ऩदा हो जाएॊग। “मराशसम उबददयत” शसिक अलऱाह र शऱए ह

Page 104: AhleSunnatPak.com · 2019. 12. 27. · Author: Home-PC Created Date: 8/23/2016 9:07:39 AM

104

इफादत का तीसया जजव ह “भयालसभ उफददमत”। यकअअ कयना, सजदा कयना, ककसी क लरए भोअददफ होकय खड होना , नजय ऩश कयना औय नजय भानना मह सफ भयालसभ अफददमत ह औय लसफक अलराह क लरए यवा ह। अगय कोई ारलराह क लरए भयालसभ अफददमत अनजाभ दता ह तो मीनन ारती ऩय ह औय इसका मह अभर लशकक ह, चाह उसकी तनमत शकक की ना हो। इसलरए कक उसक इस अभर स नाभारभ ककतन रोग गभयाह हो जाएॊ। भहमभद यसरलराह ऩय जफ दीन की तकभीर हई तो सजदाह ताजीभी बी हयाभ याय द ददमा गमा , हाराॊक इसस ऩहर सजदाह ताजीभी जाइज था। ककसी क अदफ औय ताजीभ क लरए उसस झक कय लभरना इनसान की कफतयत औय जफरत भ ह। कोई ककसी फजगक स जफ लभरता ह तो जया झक जाता ह . वऩछर जभान भ मह यकअ की हद तक औय उसस बी आग फढ कय सजद की हद तक चरा जाता था , औय ककसी क साभन ताजीभन यकअ औय सजदा कयना , फााय इस अीद औय औय तसववय क उस भ कोई अरोदहमत मा ऽदाई इजखतमाय ह , भभनअ औय हयाभ नहीॊ था। रककन जफ यसरलराह ऩय दहदामत यतफानी की तकभीर हई तो वो तभाभ दयवा ज फनद कय ददम गए जहाॊ स मह गभयाही औय फीभायी नफ रगा कय इस उमभत भ दय आ सकती थी। लरहाजा इस सजदाह ताजीभी को भसतकरन हयाभ याय द ददमा गमा कक अफ ककसी तनमत स बी ारलराह को सजदा नहीॊ होगा , मह लसफक अलराह ही क लरए ह।

इस भाभर भ हजयत भजदददद अलरफ सानी शऽ अहभद सय दहनदी ـ ػل اويػ ى की رى

शजखसमत अजभत का एक यौशन भीनाय ह। आऩ ـ ػل اويػ ى हाराॉकक सकफमा क तत स तालर رى

यखन वार ह, तसववफ क भदान क भजदददद ह , आऩ ـ ىػ ي اولػ का असर तजदीदी कायनाभा رى तसववफ क भदान ही भ ह, रककन मह शखस सजदाह ताजीभी क फाफ हकभत वकत स टकया गमा। फोर इफार :

गदकन ना झकी जजसकी जहाॉगीय क आग जजसक नफजस गयभ स ह गभी-ए-अहयाय वो दहनद भ सयभामाए लभलरत का तनगहफान अलराह न फयवकत ककमा जजसको ऽफयदाय

वाकमा मॊ ह कक सजदाह ताजीभी भार दयफाय क अनदय याइज था। भजदददद अलरफ सानी ـ ىػ ي اولػ न फतवा ददमा कक मह नाजाइज औय लशकक رى ह। अफ उरभाए सअ मानी सयकायी

Page 105: AhleSunnatPak.com · 2019. 12. 27. · Author: Home-PC Created Date: 8/23/2016 9:07:39 AM

105

दयफायी उरभा जो सयमदन थ फहत ऽश हए कक अफ मह शखस सही गगयफजत भ आमा ह, इसकी फादशाहत क साभन ऩशी कयाइ जाए। मह सजदह नहीॊ कयगा तो फादशाह को ऽद फऽद ऩता चर जाएगा क इसक ददर भ फाामाना ऽमारात ह। चनाॊच फादशाह को हजयत भजदददद ـ ىػ ي اولػ क खऽराफ बडकामा गमा औय उनकी फादशाह क साभन ऩशी त हो गई। رى अफ अहतभाभ मह ककमा गमा क फादशाह क साभन ऩश होन क लरए उनहोन जहाॊ स आना था वहाॊ एक दीवाय फनाकय इसभ एक छोटी खखडकी यखी गई कक फादशाह क साभन ऩश होन क लरए इसभ स गजयग तफ तो सय झकाएॊग। रककन हजयत भजददद अलरफ सानी ـ ػل اويػ ى न इसभ स तनकरत हए टाॊग ऩहर तनकारीॊ औय सय फाद भ तनकारा कक मह शाएफा رى

बी ऩदा ना हो क उनकी गदकन जहाॊगीय क आग झकी थी। इसलरए मह गदकन लसफक अलराह क साभन झकन क राइ ह। मह रभ तो हो सकती ह रककन अलराह क लसवा ककसी क साभन झक नहीॊ सकती। लरहाजा ज हाॊ जहाॊ बी भयालसभ उफददमत अलराह क लसवा औय क लरए अदा हो यह ह , चाह फय को सजदह हो यहा ह मा ककसी औय चीज को, वो लशकक ह। नजर शऱगर अलऱाह शिरक ह

नजय बी लसफक अलराह क लरए ह। चनाॊच नजय अगय भाननी ह तो लसफक अलराह क लरए भानी जाए, ककसी औय क लरए तअन नहीॊ। अववर तो इसराभ का लभजाज मह ह कक नजय को ऩसॊद ही नहीॊ कयता। मह तो गोमा फनमा ऩन की जहतनमत औय घटमा सा अनदाज ह कक ऐ अलराह! अगय भया मह काभ हो जाए तो भ मह करॊ गा औय मह काभ हो जाए तो भ दो नकफर ऩढॊगा। तभन गोमा अऩन दो नकफरो की फडी ीभत सभझी ह। अलराह स मह सोद फाजी ना कयो, फजलक जो कय सकत हो कयो औय इसस जो बी भाॊगना ह भाॊगो। इसक हाॊ भाॊगन ऩय कोई द ान नहीॊ ह। नफी-ए-अकयभ स ककसी सहाफी न नजय क फाय भ दमाकफजत ककमा तो आऩ

न फयभामा “नजय ककसी श को ना आग कयती ह ना ऩीछ कयती ह इसस तो फस फऽीर (कॊ जस) स कछ तनकरवा लरमा जाता ह।”

Page 106: AhleSunnatPak.com · 2019. 12. 27. · Author: Home-PC Created Date: 8/23/2016 9:07:39 AM

106

मानी जो रोग कॊ जसी स काभ रत ह अलराह नजय क जरयम उनस कछ तनकरवाता ह। रककन फहयहार अगय नजय भानी हो तो इसको ऩया कयना राजजभ ह। नक रोगो की लसफात सयह दहय कक आमत 7 भ इशाकद इराही ह

ل ن ﴿ىصت يي

يا مى شىفىا ني ى ىوفيافى ىيىر كذل بهن

ىوفيفي ٧﴾

“मह रोग (दतनमा भ) नजय ऩयी कयत ह औय उस ददन स डयत ह जजसकी आफत हय तयफ परी हई होगी”। (अददहय /अर इॊसान : 7 )

ऐसा ना हो कक काभ हो गमा ह तो अफ जो थोडा फहत भाना था आदभी इसको बी कयन को तमाय ना हो। फहयहार नजय बी लसफक अलराह क लरए ह, ककसी औय क लरए नहीॊ ह। अगय ककसी औय क लरए नजय भानी गई तो इसका भतरफ तो मह हआ कक उस को ाददय भतरक सभझा गमा ह , हाजजतयवा औय भजशकरकशा सभझा गमा ह। नजय जजस क लरए बी होगी इसक लरए मही तसववय जहन भ होगा औय मही तो लशकक ह।

दआ गरलऱाह र शऱए नही इफादत क अजजाअ भ स चौथी चीज दआ ह। इशाकद नफवी ह:

”दआ इफादत का जौहय ह”। औय दआ ही इफादत ह l इशाकद इराही ह:

ا ىى دل جى ى

ىوفيوي دىي ت شى

ىاد ع ى

ى

ىكف بي

مىصتىذ ى

ل هل ف

ي ى ه

ىشتون أ

يعي د

ي مب رىىاؿىقىر ى ك (अरभोलभन:60)

“औय तमहाय यफ न फयभामा कक भझ ऩकायो, भ तमहायी ऩकाय (दआ) को फर करॊ गा। मीनन जो रोग भयी इफादत स इसतकफाय कयत ह (घभनड कयत ह) वो अनयीफ जहननभ भ दाखऽर होग जरीर व रसवा होकय”।

मह आमत फडी अहभ ह। इसक ऩहर टकड भ रफजज “दआ” औय दसय टकड भ रफजज “इफादत” आमा ह। मानी दआ स इफाअ कयना दयअसर इफादत स इफाअ कयना ह। अगय अलराह को ऩकायत नहीॊ हो तो तमहाय अनदय इसतफनाअ औय तकतफय ह , तभ अऩन आऩको कछ सभझ हए हो। भान फनदगी मह ह कक फॊदा अऩन आऩको भहताज भहज शभाय कय। इस ऩय यआन भजीद भ जो नकताए उरज ह वो हजयत भसा की दआ

ह:( ق ه و فى ى ل م

ى ى ل

هىنا أ ى ه

ا ن (अऱ कसस : 24) (رى

ऐ भय ऩयवयददगाय! भ तो फीय हॊ हय उस शए का जो त भयी झोरी भ डार द”।

Page 107: AhleSunnatPak.com · 2019. 12. 27. · Author: Home-PC Created Date: 8/23/2016 9:07:39 AM

107

एक फीय होता ह पनन ऽाॊ कसभ का कक फीस रऩम का नोट लभर तो र रता ह औय अगय एक 5 रऩम क लसकक लभर तो प क दता ह , जफकक एक फीय वो होता ह कक एक रऩमा बी इस लभर जाए तो वो इसका बी भोहताज ह। लरहाजा फनदगी का ताजा ह कक अलराह क साभन भहताजी ही भहताजी हो।

इस र कक अफद तो ह ही भहताज औय भाभ अजतदमत तो ह ही भाभ अहतमाज। जाभअए इसतफनाअ तो लसफक अलराह ही को जफ दता ह। जस फयभामा गमा ह :

( وى ي هيػـل اوىـ ك ػل اوى يرى ءىقيف هي ين أياس

لا هن

ى م أى ي

ييد ى نم ل

ىغ (फाततय : 15) ( ه

“ऐ रोगो! तभ सफक सफ फीय हो (भोहताज हो) अलराह की जनाफ भ, औय अलराह तो फतनमाज, सतौदह लसफात ह”।

यसरलराह न इसकी फडी पमायी लभसार फमान फयभामी ह कक “फनदो का भाभरा मह ह कक अगय उनस तभ सवार कयत हो तो इनह ना गवाय गजयता ह , जफकक (इसक फयअकस) अलराह का भाभरा मह ह कक इसस सवार नहीॊ कयत तो इस नागवायी होती ह”। अलराह को मह फात नागवाय गजयती ह कक भय फॊद भझस भाॊगत नहीॊ।

हभ तो भाइर फा कयभ ह कोई साइर ही नहीॊ याह ददखराएॊ ककस याह यव भॊजजर ही नहीॊ!

भजकयह फारा आमत ( ي ى ه

ىشتون أ

يعي د

ي مب رىىاؿىق फअर अभय ऩय भशतलभर ह कक “तमहाय (كى

यफ न कहा कक भझ ऩकायो (भझस दआ कयो) भ तमहायी दआएॊ फर करॊ गा”।

ر ى )ىى دل جى ى

ىوفيوي دىي ت شى

ىاد ع ى

ى

ىكف بي

مىصتىذ ى

ل هل मीनन जो रोग भयी इफादत स“ (अर भोलभन:60) ( ف

इसतकफाय कयत ह (घभॊड भ भततरा ह) वो अनयीफ दाखऽर होग जहननभ भ जरीर व रसवा होकय”। दआ कयन औय ऩकयान भ तौहीद मह ह कक एक अलराह को ऩकायना दीगय तभाभ ऩकायो स भसतफना कय द। अगय एक अलराह क ऩकायन न तमह भसतफना नहीॊ ककमा औय अलराह का ऩकायना काफी नहीॊ ह तो कपय अलराह को तमहाय ऩकायन की तअन जरयत नहीॊ , कपय उनही को ऩकायो, अलराह तो फडा ामय ह। अगय अलराह को ऩकायन क फाद बी ककसी औय को ऩकायन औय इसस भाॊगन की

Page 108: AhleSunnatPak.com · 2019. 12. 27. · Author: Home-PC Created Date: 8/23/2016 9:07:39 AM

108

कछ बी अहतमाज औय इमकान फाी ह तो मह “लशकक कफददआ” ह। अलराह का पयभान भफायक ह:

ند ىـ أ ػل اوىيىو ييعدى ىلىـ ف ػل اوىاجد صى ى

هلفأى (अर जजनन : 18) ك

“औय मह कक भजसजद (मा वो इनसानी अॊग जजनक ऊऩय सजदा होता ह) सफ अलराह क लरए ह, ऩस अलराह क साथ ककसी औय को भत ऩकायो”।

दखखए महाॊ “ ـ ػل اوىيى का रफजज ह कक अलराह क साथ साथ ककसी औय को बी ”ي

ऩकाया जाता ह तो मह लशकक ह। औय अगय ककसी को इताअत व भहतफत औय दआ क भाभर भ अलराह स बी ऊऩय कय ददमा तो लशकक स बी फढ कय गभयाही ह। औय अगय अलराह को ऩकयान क फजाए ककसी औय को ही ऩकाया जा यहा हो तो मह तो

वारी फात ह। लरहाजा अलराह क इरावह उसक क साथ ककसी औय को भत ऩकाया जाए। मह ह “तौहीद कफददआ”। हभ नभाज की हय यकअत

भ अलराह स इसी का वादा कयत ह कक ل يى كيع يدى ىؾلع ي ي

ىصتى ىؾ

इफादत का रतफ रफाफ औय जौहय चॊ कक दआ ह औय दआ ही असर इफादत ह लरहाजा हभ

मह अलफाज लसखाए गए ह ( يع يدى ىؾلहभ लसफक (!ऐ अलराह)“ ( ي तयी ही फॊदगी कयत

ह औय कयत यहग” ( ع يىصتى ىؾل يىऔय लसफक“ (ك तझस ही भदद भाॊगत ह औय भाॊगत यहग”।

दआ क जजभन भ एक औय फायीक फहस बी सभझ रीजजए ! इसतमदाद, इसतदआ, इसतनसाय औय इसताासा मह सफ एक ही फीर क अयफी अलफाज ह। इसतमदाद का भतरफ ह ककसी स भदद तरफ कयना, इसतदआमा ह कक ककसी क साभन कोई दखवाकसत ऩश कयना , इसतनसाय स भयाद ह ककसी स नसयत चाहना औय इसताासा मह ह कक ककसी की दहाई दना। इसकी दो शकर ह। एक शकर ह फासफफ जादहयी ककसी स कोई भदद तरफ कयना। भसरन भ ककसी स कहता हॊ कक भझ जया ऩानी रा कय वऩरा द तो भन एक तयह स उसस भदद तरफ की। जादहयी असफाफ औय वानीन तफीई क अनदय ककसी स कछ भाॊगन औय भदद तरफ कयन क फाय भ तीन फात जान रना जरयी ह। ऩहरी फात मह कक इस जजभन भ भहमभद यसरलराह न मह तलीन की ह कक हततर इमकान ककसी

Page 109: AhleSunnatPak.com · 2019. 12. 27. · Author: Home-PC Created Date: 8/23/2016 9:07:39 AM

109

स भदद ना भाॊगो, फजलक अऩन काभ ऽद कयो। नफी-ए-अकयभ का अऩना लभजाज गगयाभी तो मह था कक अगय आऩ ऊॊ टनी ऩय सवाय होत औय कोडा जभीन ऩय गगय जाता तो ककसी औय स कहन क फजाए ऊॊ टनी को फठात औय उतय कय ऽद ही कोडा उठा रत, ताकक असफाफ जादहयी क अनदय बी कोई भसातहत ऩदा ना हो जाए। रककन फहयहार असफाफ जादहयी क तहत ककसी स कोई तआवन तरफ कयना , ककसी स भदद चाहना अगयच मह बी एक तयह की दआ औय ऩकाय ह भगय इसभ लशकक का ऩहर नहीॊ ह , फजलक मह अऩन अऩन लभजाज स भताजलर ह। अलफतता अगय ककसी शखस क फाय भ मह फात ददर फठ जाए कक मह शखस भया काभ कय सकता ह औय इस वजह स उसक साभन गगयमा वजायी बी हो यही हो औय तजयकअ बी हो यहा हो तो मह एक दज भ लशक ऽफी फन जाता ह। उस वकत दयअसर आदभी दहजाफ औय भाारत भ आ चका होता ह औय

की नफी कय दता ह। इस जजभन भ सहीह तज अभर मह ह कक ककसी शखस स कछ भाॊगना ह तो इस अीद औय मीन क साथ भाॊगो कक वो शखस तमहाय लरए लसफक वही कय सकगा जो अलराह चाहगा। मानी अलराह ही इसक ददर भ मह फात डारगा कक तमहाय लरए वो काभ कय। फहयहार असफाफ जादहयी क साथ जजतना शार औय शाफ यवा ह इसस जाइद जफ हो जाता ह तो भारभ होता ह कक इन जादहयी असफाफ व वसाइर ऩय ही तकमा, बयोसा औय मीन व ईभान ऩदा हो गमा ह।

आऩ अऩनी फडी फदढमो को दखत होग कक जफ वो फचच को दवा वऩरा यही होती ह तो शऊयी मा ाय शऊयी तौय ऩय कह यही होती ह कक “अलराह शाफी, अलराह काफी”। भयीज को दवा वऩराना तो यसरलराह की सननत औय दहदामत ह, रककन तौहीद मह ह कक तवककर औय बयोसा दवा ऩय ना हो फजलक अलराह ऩय हो कक दवा भ ताअसीय तफ होगी अगय अलराह चाहगा, शाफी असर भ दवा नहीॊ ह फजलक अलराह ह। अलराह चाह तो फाय दवा क बी लशफा द दता ह। वो शाफी बी ह औय काफी बी ह। रककन इसक फयअकस ककफमत वो होती ह कक घर जा यह ह इस सदभ स क हभ अऩन फचच क लरए फराॊ डाकटय का इराज नहीॊ कया ऩा यह , मा इराज क लरए अभरयका मा इनगलरसतान नहीॊ बज ऩा यह। इसस मह जादहय होता ह कक इनका असर तकमा औय तवककर ऽदा की जात क फजाए दवा ऩय हो गमा ह। नादानो को मह भारभ

Page 110: AhleSunnatPak.com · 2019. 12. 27. · Author: Home-PC Created Date: 8/23/2016 9:07:39 AM

110

नहीॊ कक अभरयका औय इॊजगरसतान भ बी रोग भयत ह। साय आऩयशनज औय जदीद तयीन इराज क फावजद भौत का इराज तो वहाॊ बी नहीॊ ह औय फहतयीन भआलरजो क हाथो बी ारततमाॊ होती ह। अभरयकी भ तो इस सऩशराइजशन क दौय भ बी फड फड फरनडजक औय दहभात हो यहीॊ ह। ऐसा हय गगज नहीॊ ह कक लशफा उनक हाथ भ ह। सहीह तज अभर मही ह क जजतन कछ असफाफ व वसाइर हभायी इसतताअत भ ह उनस इसतफदह कय औय अीदा यख क लशफा लसफक औय लसफक अलराह क हाथ भ ह। अलराह भआजलराह, इन वसाइर का भहताज नहीॊ ह , वो जो कयना चाह फाय ककसी सफफ क ऽद कयन ऩय ाददय ह। औय असफाफ भ बी कोई ताअसीन नहीॊ ह जफ तक अलराह ना चाह। शऽ अतदर ाददय जीरानी ـ ىػ ي اولػ न अऩन फचचो को नसीहत कयत हए सद फी सद رى

दरसत कहा था कक “फाइर हीी औय भोअजससय हीी अलराह क लसवा कोई नहीॊ”। तो जादहयी असफाफ भ जफ आदभी ककसी क साभन गगडगगडाए, अऩन आऩको इसक साभन जरीर कय औय अऩनी इजजत नफजस का धरा कय मह सभझ कय क फस मही भया काभ कय सकता ह औय इसी क हाथ भ भया ऽय मा शय ह तो वहाॊ लशकक खफी की आभजजश ऩदा हो जाती ह। अलततता जादहयी असफाफ स फारा तय होकय अलराह क लसवा ककसी को हयगगज नहीॊ ऩकायह जा सकता , ना ककसी वरी की रह को, ना ककसी नफी की रह को औय ककसी फरयशत को। ककसी ारलराह क लरए इसतमदाद, इसतदआ, इसतनसाय औय इसतााासा कर का कर लशकक ह।

इस जजभन भ एक रतीफ सी फहस औय बी ह जजसकी भ वजाहत कय दना चाहता हॊ। सकफमा क हाॊ मह याए फडी आभ औय परी हई ह कक औलरमा अलराह की रह इॊतार क फाद भराइका क तताए असफर क साथ शालभर कय दी जाती ह। भराइका अलराह की इस आरभी हकभत क कारयनद ह। मह इसकी लस ववर सववकस ह कक फराॊ हकभ की तनपीज क लरए इस फराॊ फरयशत क हवार कय ददमा जाए। वाजह यह ह कक हकभ अलराह ही का होता ह। फरयशतो क फाय भ यआन हकीभ भ आमा ह :

ىريكف

ىي يا ى يىوفيو عىفىى كي

رى ىيا أى يىػـل اوىوف عصي

ى ل (अत तहयीभ : 6) ل

“वो (फरयशत) अलराह क हकभ की नापयभानी नहीॊ कयत औय वही कछ कयत ह जजसका इनह हकभ ददमा जाता ह”।

Page 111: AhleSunnatPak.com · 2019. 12. 27. · Author: Home-PC Created Date: 8/23/2016 9:07:39 AM

111

भराइका क भखतलरफ ततात ह। मानी भराए आरा, भराइका भयकफन, सातो आसभानो क भराइका औय कपय भराइकतर अजक। भराइकतर अजक जो ह वो तताए असफर ह, मानी सफस तनचरा तता जो महाॊ अलराह क अहकाभ की तनपीज भ रगा हआ ह। तो एक याए मह ह कक औलरमाअ अलराह की अवाकह को बी उनक इजनतार क फाद भराइका क तताए असफर भ शालभर कय ददमा जाता ह औय वो बी अलराह की लसववर सववकस भ शयीक हो जात ह। भझ अगयच ककताफ व सननत स ऐसी कोई दरीर नहीॊ लभरी कक भ हतभी तौय ऩय मह सकॊ कक मह याए दरसत ह , रककन मह ऽारयज अज इमकान बी नहीॊ ह औय भय नजदीक इसको भान रन भ कोई हजक नहीॊ ह। शाह वरीउलराह दहरवी ـ ىػ ي اولػ क साथ भझ एक गहयी भहतफत ह औय भ जानता हॊ कक رى आऩ ـ ىػ ي اولػ मह राए ह कक जफ ाजोए भोता भ हजयत जाअफय बफन अफी तालरफ (जाअफय رى

तमाय) शहीद हए औय उनक दोनो फाज कट गए तो यसरलराह न

फयभामा: “भन दखा क जअफय भराइका क साथ जननत भ उडत कपय यह ह।”

अगयच इस हदीस भफायका की यो स भाभरा शोहदाअ स भताजलर ह , रककन अगय इस दरीर को भान बी लरमा जाए कक भराइका क तताए असफर भ औलरमाअलराह की अवाकह बी शालभर हो जाती ह औय अहकाभ ऽदावनदी की तनपीज भ भराइका क साथ वो बी शालभर हो जात ह, कपय बी इसस मह नतीजा हयगगज नहीॊ तनकरता कक इनको ऩकाया जाए। मह तो ऽय तताए असफर स भताजलर ह , भराए आरा को ऩकायना बी लशकक ह।

अगय कोई कह कक “ऐ जजबराईर! भयी भदद को ऩहॊचो” तो मह लशकक हो जाएगा। ऩकाया जाएगा लसफक अलराह को। वो भदद क लरए चाह जजबराईर को बज , भीकाइर को बज मा ककसी वरी अलराह की रह को बज द, मह उसी का काभ ह। हभ इजाजत नहीॊ ह कक ककसी औय को ऩकायन की। हभ फस मही हकभ ह कक लसफक

अलराह को ऩकायो। यआन क शतदो भ ـ ػل اوىيىو ييعدى ىلى ف

ند ىأ (अर जजनन:18) “ऩस

अलराह क साथ ककसी औय को भत ऩकायो !” औय: ا أ ىرى ـ هىػـ ن يى اولػ عي يى دى ىل (अरसस:88) كى

“औय अलराह क साथ ककसी औय भाफद को भत ऩकाय ”। अगय कोई शखस इलभी

Page 112: AhleSunnatPak.com · 2019. 12. 27. · Author: Home-PC Created Date: 8/23/2016 9:07:39 AM

112

एतफाय स औलरमा अलराह क फाय भ भजकयह फारा याए यखता ह तो इसभ लशकक का कोई ऩहर नहीॊ ह, रककन अगय इनको ऩकाया जाए तो मह लशकक हो जाएगा। भाफोर आदत मानी ानन तफीई व जादहयी स ऊऩय अलराह क लसवा ककसी को ऩकाया जाए तो इसक लशकक होन भ तअन ककसी शक व शफा की गॊजा इश नहीॊ।

इबादत री कबशऱयत इफादत का ऩाॊचवाॊ औय आखऽयी जजव “इखरास” ह जो इफादत की फलरमत की

शयाइत राजजभ ह। इसकी जजद ह रयमा औय सभआ , मानी रोगो को ददखान औय सनान क लरए कोई नक काभ कयना कक रोग भयी भदह व सताइश कय। इनक लशकक होन भ बी ककसी शक व शफा की गॊजाइश नहीॊ ह , औय इनका लशकक होना यसरलराह न ऽफ वाजह ककमा ह। एक हदीस नफवी भराखता हो:

“जजसन ददखाव क लरए नभाज ऩढी वो लशकक कय चका , जजसन ददखाव क लरए योजा यखा वो लशकक कय चका औय जजसन ददखाव क लरए सदा ककमा वो लशकक कय चका।”

अयफी जफान भ फअर भाजी ऩय जफ “द” रगता ह तो मह भाजी यीफ मा Present Perfect Tense का भफजहभ ऩदा कयता ह कक फराॊ काभ ताइ औय मीनी तौय ऩय हो चका, इसभ ककसी शक व शफा की गॊजाइश नहीॊ ह। यसरलराह न हभायी दहदामत औय यहनभाई क लरए इस इस दय फायीक फीनी क साथ वाजह ककमा ह कक अगय कोई शखस नभाज ऩढन क लरए खडा हो औय वो मह दखत हए क उस कोई दख यहा ह, नभाज जया रक रक कय औय ठहय ठहय कय ऩढना शरअ कय द , सजदा जया तवीर कय द तो मह “लशक ऽफी” ह। भ लभसार क तौय ऩय फमान ककमा कयता हॊ कक अगय आऩ नभाज ऩढ यह हो औय आऩको कोई दख ना यहा हो तो आऩ भाभर क भताबफ तीन सकनड का सजदा कय , रककन जफ आऩ दख कक कोई आऩ को दख यहा ह तो आऩका सजदा ऩाॊच सकनड का हो जाए , तो आऩ सोच क भजीद दो सकनड का सजदा ककसक दहसाफ भ ह ? जान रीजजए कक आऩका तीन सकनड का भाभर का सजदा तो अलराह क लरए ह, जफकक दो इजाफी सकनड क सजद का भसजद अलराह

Page 113: AhleSunnatPak.com · 2019. 12. 27. · Author: Home-PC Created Date: 8/23/2016 9:07:39 AM

113

नहीॊ ह फजलक वो जजस आऩ ददखा यह ह। गोमा एक सजद क दो भसजद हो गए औय मही

लशकक ह। यसरलराह न इस “लशक ऽफी” कहा ह, “लशक ऽफी” क फाय भ यसरलराह का इशाकद ह कक इसका दखना औय ऩहचानना इतना ही भजशकर ह जजतना इजनतहाई तायीक यात भ समाह ऩतथय ऩय यगती हई एक समाह चमॊटी को दखना भजशकर ह। अफ सोगचम कक कौन फचगा इस लशकक स ?

लशकक की भौइजयमन कयदा तीन अकसाभ साभन आ जान क फाद मह हीत खर कय साभन आ जाती ह कक मह ककतनी फडी फात ह कक अलराह अऩन ककसी फनद क फाय भ मह कह द कक भया मह फॊदा भशरयक नहीॊ ह। औय हजयत इबराहीभ क फाय

भ अलराह न फयभामा: ( ل ىيش

هى م

ىفىا ىيى औय वो (मानी“ ( अर फयह: 135 ) (ك

भया फॊदा इबराहीभ) भशरयकीन भ स नहीॊ था”। भारभ हआ कक जो कछ कहा जा सकता था इस एक जमर भ कह ददमा गमा। इसस फडी भदह व सताइश औय शाफाश औय कमा होगी औय इसस फडी सनद , इसस फडा सदटककफकट औय शहादत नाभा (testimonial) औय कमा होगा कक “भया फराॊ फनदा भशरयकीन भ स नहीॊ था ”। मही फात ह जो फड पमाय अॊदाज भ इफार न कही ह :

फयाहीभी नजय ऩदा भगय भशककर स होती ह हवस छऩ छऩ क सीनो भ फना रती ह तसवीय

अऩन सीनो क अनदय जो फत कद आफाद ह इनकी तयफ इॊसान की नजय नहीॊ जाती, जफकक फाहय क फत कद नजय आ जात ह। आऩन जी गढ श का फत ऩजत हए ककसी को दखा तो कहा मह लशकक ह। आऩ ककसी फय को सजदा कयत हए ककसी को दखा तो कहा मह लशकक ह। आऩन ककसी को ककसी ाय अलराह को ऩकायत हए सना तो कहा मह लशकक ह। मह फात दरसत ह। इस चीज क लशकक होन भ कोई शक व शफा नहीॊ ह। रककन अऩनी तनगाह को जया औय वसीअ कीजजए औय दखखए कक आऩक अीद औय अभर भ कहाॊ कहाॊ लशकक की आभजजश ह। ऽास तौय ऩय इस दौय क जो लशकक ह इनको सभखझम मह भादह ऩयसती का लशकक , वतन ऩयसती का लशकक , शजखसमत ऩयसती का लशकक , अऩनी हवा औय हवस को ऩजन का लशकक औय ऽद ऩयसती का लशकक कक ऽद अऩन आऩको ऩज यह ह “अऩन ही हसन का दीवाना फना कपयता हॊ ” अऩनी ही जात औय नफजस क गगदक इनसान तवाफ ककम

Page 114: AhleSunnatPak.com · 2019. 12. 27. · Author: Home-PC Created Date: 8/23/2016 9:07:39 AM

114

चरा जा यहा ह, मह असर भ इस दौय क लशकक ह जजनको सभझना होगा। फहय हार हय ऽय औय बराई ऽवाह नजरयम औय कफकर की हो , अीद की हो, अभर की हो, इखरा की हो, वो तौहीदी का कोई गोशा औय तौहीदी की कोई शाऽ (corollary) ह। “मह सफ कमा ह फत एक नकताए ईभाॊ की तफजसीय !” इसक फयअकस हय जा, कजी औय गभयाही चाह वो नजरयमह औय कफकर की हो , अीद की हो, इलभ की हो, अभर की हो, अखरा की हो, लशकक ही की कोई ना कोई सयत ह।

कया अलऱाह री हर मअसयत शिरक ह? अफ फाज हजयात क जहनो भ लशददत स मह सवार ऩदा हो यहा होगा कक लशकक की

जो भजकयह फारा तशयीह साभन आई ह इसकी र स तो अलराह की हय भअसमत लशकक ह ? लभसार क तौय ऩय अलराह का हकभ था नभाज ऩढो , भगय हभन अलराह का हकभ छोड कय नफजस का हकभ भानत हए नभाज तकक कय दी तो मह लशकक हो गमा। ऐस ही भार कभान भ हभन शयीअत का हकभ तकक कय ददमा औय अलराह की भहतफत स भार की भहतफत फढ गई तो मह लशकक हो गमा। इस तयह स तो हय गनाह लशकक ह। जफकक यआन भजीद दो जगह पयभाता ह कक

( ى مى لىػـل اول ف

ياءىظى ى ه

ىهكىـ ذىكفيا دىفري ي

غىىـ ك ب

ىؾى شيف فري أ ) (अजननसाअ:48, 116)

“मीनन अलराह इसको तो हयगगज भाफ नहीॊ फयभामगा कक इसक साथ लशकक ककमा जाए, अलफतता

इसस कभ तय गनाह जजसको चाहगा फखश दगा”। तो अफ वो कभतय का दाएयह जजसभ भजफफयत की उमभीद ह, वो कमा ह ? मह सवार फहत अहभ औय ऩयी फहस स भताजलर ह। मह सवार जहनो भ राजजभन ऩदा होना चादहए। अगय ककसी क जहन भ मह सवार ऩदा नहीॊ हो यहा तो गोमा उसन “हीत व अकसाभ लशकक ” की इस ऩयी फहस ऩय तवजजो ही नहीॊ की।

गनाहो क फाफ भ एक फात तो मह जान रीजजए कक यआन भजीद न एक तयफ तो साीयह औय कफीयह गनाहो की तसीभ की ह औय सााइय क फाय भ फहत उमभीद ददराई ह कक वो भाफ हो जात ह। इनक फाय भ एक ाइदह कजलरमा तो मह साभन आता ह कक इन ऩय गगयफत शदीद नहीॊ ह। चनाॊच सयतर नजभ भ इशाकद इराही :

Page 115: AhleSunnatPak.com · 2019. 12. 27. · Author: Home-PC Created Date: 8/23/2016 9:07:39 AM

115

ىى ) ىل او

ل ل

ىوى ض

ىف هى كث اارى ل ى

ى لىن يوف

ى ىذ ى

ل जो रोग फड फड गनाहो“ (आमत 32) ( ه

औय खर खर फीह अफआर स ऩयहज कयत ह इलरा मह क कछ सय (छोट गनाह) उनस सय जद हो जाए”। छोट छोट गनाहो को अलराह भाफ पयभाता ह,

अलराह क हाॊ इनकी गगयफजत नहीॊ ह। अलराह, , ऽदाकगीय नहीॊ ह कक हय छोटी छोटी फात की गगयफजत फयभाम। मही फात सयतर शया भ मॊ फयभामी गई :

( ىن يوف

ى ىذ ى

ل هى ك

ىوى ض

ىف هى كث اارى ل ى

ىل ) (आमत37) “वो रोग कक जो फड फड गनाहो औय फ

हमाई क काभो स ऩयहज कयत ह .......” तो भारभ हआ क अलराह न “सााइय” का भाभरा कई एतफायात स “कफाइय” स अरग यखा ह।

गनाहो क फाय भ यआन व हदीस स एक तसववय मह बी साभन आता ह कक

साीयह गनाह ऽद फऽद बी धरत यहत ह। इशाकद इराही ( اتى ي ى هصل

ه

ات يذ

ىن صىى لل ( ف

(हद:114) “मीनन अचछाइमाॊ सयमात (छोटी छोटी फयाईमो) को खतभ कय दती ह।” जफ आऩ कोई नकी कयत ह तो सााइय धरत यहत ह , रककन कफाइय नहीॊ। कोई शखस नभाज की ाजक स भजसजद की तयफ चर तो हय दभ ऩय उसक साीयह गनाह भाफ हो यह होत ह। एक हदीस नफवी भ आता ह कक वज कयत हए जफ कोई शखस हाथो को धोता ह तो इसक हाथो क साीयह गनाह धर जात ह। इसी तयह फाी आजाए वज क भताजलर फयभामा कक इनको धोत हए इनस सयजद होन वार गनाह धर जात ह। मह दीन क हाइ औय इनस तअन ककसी दज भ बी इखतराफ नहीॊ ककमा जा सकता।

गनाह क फाय भ यआन भजीद दसया फ क म ह कयता ह कक एक ह “कसफ” क जान फझ कय औय इयाद स कोई ारत काभ कयना , जफकक एक ह “ऽता औय नसमान” क जहोर हो गमा, बर गए, ाफजरत का ऩयदा ऩड गमा , लरहाजा कोई ारती साददय हो गई। इसभ इयाद औय कसफ को दऽर नहीॊ। बफलफाज दीगय ारत काभ कयन की तनमत नहीॊ थी भगय ऽता औय नसमान स ारत काभ हो गमा। ऽता का भतरफ ह तनशान का चक जाना। मानी तनशाना रगाना चाह यह थ कहीॊ औय रककन रग गमा कहीॊ औय। तो नसमान औय ऽता स गनाह का साददय हो जाना औय शए स ह , जफकक कसफ स गनाह का साददय हो जाना औय शए ह। सयतर फयह की आखऽयी दो आमात क फाय भ फयभामा गमा ह कक मह अशक क

Page 116: AhleSunnatPak.com · 2019. 12. 27. · Author: Home-PC Created Date: 8/23/2016 9:07:39 AM

116

नीच क ऽजानो भ स दो अहभ ऽजान ह औय मह तोहफा शफ भअयाज क भो ऩय अलराह न अऩन यसरलराह की वसातत स उमभत भजसरभा को अता ककमा ह। इनभ स दसयी आमत का एक टकडा हभायी इस फहस स भताजलर ह। अलफाज

भराखता हो: نىأ ىل أكا أىصينل ف

ىن ذ

ى ي ىا لىنلب ऐ यफ हभाय! अगय हभ बर“ (आमत 286) رى

औय ऽता (स कोई ारती सय जद) हो जाए तो हभायी गगयफजत न कीजजमो !” रककन अगय कसफ हो यहा हो औय जान फझ कय कोई गनाह कभामा जा यहा हो औय उस ऩय कपय डया जभा लरमा जाए तो इस सयत भ मीनन एक फडा गनाह बी लशकक क दयज को ऩहॊच जाता ह। एक शखस सद को अऩन कायोफाय भ भसतकरन शालभर ककम हए ह तो इसभ ककसी इॊसान औय ऽता का भाभरा नहीॊ , फजलक इसन इयादी तौय ऩय औय आरा वजा अरफसीयत एक हयाभ चीज को इजखतमाय कय यखा ह औय वो उसक कायोफाय का जजव रातनफक ह तो मह चीज दय हीत लशकक ह। जान रीजजए कक अगय भजनतकी तौय ऩय तजजजमा कयग तो हय गनाह लशकक फन जाएगा, इसलरए क भाअसमत का दातनसता इतककाफ कयक एक शखस न गोमा अऩनी खवादहशात व जजफात औय दनमवी भफादात को अलराह क अहकाभ ऩय फौमत ददी मा इनह अलराह की ऩसॊद व ना ऩसॊद क फयाफय र आमा। रककन मह अलराह का फहत फडा कयभ औय भहयफानी ह कक जफ तक गनाह जहर , ऽता औय नसमान क दज भ हो तो उसको लशकक याय नहीॊ ददमा गमा। रककन भ मह फात तकयाय व अआदह अजक कय यहा हॊ कक अगय कोई ारत काभ “कसफ” क दज भ हो औय फसर , शऊय औय इयाद क साथ ककमा जा यही हो औय इस ऩय इनसान भसतकरन डया जभा कय फठ जाए तो वो लशकक क दज को ऩहॊच जाएगा। अलफतता अगय अजतयाही हारत दयऩश हो , इनसान की जान ऩय फनी हो औय वो बख स भया जा यहा हो तो इस हारत भ इनसान सअय बी खा र तो गनाह नहीॊ ह। अजयोए अलफाज यआनी (

ىلىغو ك ى بى

ىرل لي

ض

ى ىـ ي

ىوى عى ث

ىلىادو ف

ىع ) (अर फयह:173) “ऩस जो भजफय हो (फशतक मह कक) सय

कशी औय हद स तजाववज ना हो तो (भजकयह फारा हयाभ अशमा खा रन भ) उस ऩय कोई गनाह नहीॊ ह।”

ऐस ही अगय जान ऩय फनी हो औय सद क इरावा जान फचान का कोई यासता ना हो तो मह बी भाफ ह। इस जजभन भ सयतर फयह की आमत 81 भराखता कीजजए।

Page 117: AhleSunnatPak.com · 2019. 12. 27. · Author: Home-PC Created Date: 8/23/2016 9:07:39 AM

117

ىكفياهدىا ى ف

يار

لااي هن

ى أىػـ كىكهأ ى فيـي ىليي

ىـ ب

ىا ى

أى كن ى ي صى ى شى

ى ل

ىـ م

ىلى ب

कमो नहीॊ; जजसन बी कोई फदी कभाई औय उसकी खताकायी न उस अऩन घय भ र लरमा, तो ऐस ही रोग आग (जहननभ) भ ऩडनवार ह; व उसी भ सदव यहग

इशाकद हआ: ن ى ي صى ى شى

ى ل

ىـ م

ىلى ”......कमो नहीॊ! जजसन एक फयाई बी कभाई (कसफ ककमा)“ ب

ऽता, नसमान औय अजयाय इसभ शालभर नहीॊ ह , फजलक मह वो फयाई ह जो जान फझ कय

कभाई गई हो औय चाह वो एक ही कमो ना हो। “ ن ى ي इसभ नकयह ह। नकयह भ तफजऽीभ ’شى

बी होती ह कक कोई फडी चीज। मानी इसभ “सााइय” शालभर नहीॊ ह” फजलक लसफक “कफाइय”

ह। आग फयभामा : ـي لييى ي ـ ى ب ىا ى

أىऔय इसका घया कय लरए इसक गनाह न“ ك .......” इस

एक गनाह ऩय वो इस तयह डया जभा कय फठा हआ ह कक गनाह न उसको अऩन घय भ

ऐस र लरमा ह कक कोई जातनफ ऐसी नहीॊ जहाॊ गनाह का ारफा ना हो। ىااي ػـ كى أ ىكهأ ىف

ىكفياهدىا ى ف

يار

ل तो मही रोग जहननभी ह। वो इसभ हभशा क लरए यहग। मानी मह“ هن

वो जहननभी नहीॊ ह जो आग स बफर आखऽय तनकर आएॊग। मह ऽरद कफननाय की सजा ह जो कफजफाय औय भशरयकीन क लरए ह। भारभ हआकक एक फडा गनाह बी अगय मह शत ऩयी कय यहा हो कक वो फसर औय इयाद स ककमा गमा हो औय उसऩय दवाभ हो औय उसन आसी का इस तयह अहाता कय लरमा हो क कोई जातनफ ऐसी ना यही हो जहाॊ गनाह का ारफा ना हो तो वो अऩनी हीत क एतफाय स लशकक ह। अरफतता अगय ककसी स ऽता हो जाए औय उस ऩय उसकी ऩशभानी हो औय एहसास हो जाए कक इसस ारती हई ह औय वो अलराह स फजखशश तरफ कय, इस ऩय डया ना जभा र औय इस अऩनी जजॊदगी का भसतकर जजव फनान का इयादा ना हो तो अलराह इसका दहसाफ व ककताफ साफ कय दता ह। शिफरक या आमाऱ ररन वाऱो ऩर मिररर रा ितवा ?

इस जजभन भ एक फहत फडा भसअरा मह बी सभझ रीजजए कक हभाय हाॊ फाज रोग ऐस ह कक उनकी रह तौहीदी जफ जमादा फदाय हो जाती ह तो वो भशरयक फतवा रगान क लरए फड फताफ होत ह कक फराॊ बी भशरयक औय फराॊ बी भशरयक। मह फहत फडा कफतना

Page 118: AhleSunnatPak.com · 2019. 12. 27. · Author: Home-PC Created Date: 8/23/2016 9:07:39 AM

118

ह। सहीह तज अभर मह ह कक हय चीज का तजजजमा कयक फता ददमा जाए कक मह लशकक ह, रककन कयन वार को भशरयक हयगगज ना कहा जाए। लभसार क तौय ऩय दखखए कक यआन भजीद न जहाॊ फत ऩयसतो को भशरयक याय ददमा ह वहाॊ अहर ककताफ को भशरयक याय नहीॊ ददमा। इनका लशकक फमान कमा ह , रककन इनकी कटागगयी जदा यखी ह। आखऽयी वकत तक मह दो कटागगरयज अरहदा अरहदा यही ह। यआन हकीभ भ फयभामा गमा ह:

لذ ى ف

لريك ه

ىفى ل

ن م

هاا أ

ىم ل ى ه

يش

هىر ك

ىى ن

لاهد ى جى ى ىا

ىف (अर फयमनह:6) “मीनन जजन रोगो न कफर ककमा अहर ककताफ भ स औय भशरयकीन भ स वो जहननभ की आग

क भसतदह ह औय वो इसभ हभशा यहग”। भारभ हआ कक भशरयकीन भ स कफजफाय औय अहर ककताफ भ स कफजफाय मह दो अरहदा कटागगरयज ह। एक भसरभान कफजफाय अहर ककताफ की रडककमो स शादी कय सकता ह , रककन कफजफाय भशरयकीन की रडककमो स शादी नहीॊ कय सकता। शयीअत क अनदय मह फ क ह। अलराह न इनक लरए तो नाभ ही यखा ह। “भशरयक”। जफकक अहर ककताफ अगयच लशकक भ भरजववस ह , अजयोए अलफजज यआनी :

ـ وى هف يى ب

يوهى قىهكىــ ذ ػلي او

ا

يصيح ى

ل ه ارى صى

ل هن

ىاهىقىـ ك ػلي او

ه ا

ىزي عيودي ى ه

ىاهىقىاا ك

ى ـ ي

ىوفي

﴿ ىوفيمىف ي ـ ل أيػـل يىي او

ىوىا ى قي نىريك م ق

ىفىذ ى ل

ل هىوؿىكف ٣٠ق

ي د

بن م ربى

ى أي ىان ى

ه ريى كي

ارى ىك أيذى ل﴾ ا

ل ل

ن د

ىا ك ػـ نىك ه

يع يد هيى

ليريك ل

أا أىيى كى ىر ىى ي ا

ىصيح ى

هىـ ك ػل ﴿ او

ىوفيلشيا ل ى يـىاى يوى

ي هل لىػــى﴾٣١ه

यहदी ररत ह, "उजर अलऱाह रा बटा ह।" और ईसाई रहत ह, "मसीह अलऱाह रा बटा ह।" य उनरी अऩन मह री बात ह। य उन ऱोगो री-सी बात रर रह ह जो इसस ऩहऱ इनरार रर चर ह। अलऱाह री मार इन ऩर! य रहा स औध हए जा रह ह! (30) उनहोन अलऱाह स हटरर अऩन धमकजञाताओ और ससार-तयागी सतो और मरयम र बट ईसा रो अऩन रब बना शऱए ह - हाऱाफर उनह इसर शसवा और रोई आदि नही ददया गया था फर अरऱ इखटट-ऩजय री व बनदगी रर, खजसर शसवा रोई और ऩजय नही। उसरी मदहमा र परततरऱ ह वह शिरक जो य ऱोग ररत ह। - (31)

“महददमो न कहा उजय अलराह का फटा ह औय नसाया न कहा भसीह (ईसा अरहससराभ) अलराह का फटा ह”। तो अलराह न इनका लशकक तो फमान ककमा ह रककन इनको भशरयक याय नहीॊ ददमा। चनाॊच यआन भजीद स इस अनदाज स कसफ दहदामत कयन की जरयत ह। भझ मीन ह कक कोई बी भसरभान जजसन भसरभान भाॊ का दध वऩमा ह औय इसकी जो एक जहनी साखत फनी हई ह औय जजस लभटटी स

Page 119: AhleSunnatPak.com · 2019. 12. 27. · Author: Home-PC Created Date: 8/23/2016 9:07:39 AM

119

इसका ऽभीय उठा ह वो जान फझ कय लशकक नहीॊ कय सकता। मह सफ भाारत औय गभयादहमाॊ ह, ना सभझी औय ार ह। तो इन गयादहमो की नफी कीजजए , इनह वाजह कीजजए दहदामत को आभ कीजजए औय इसभ भदाहनत हयगगज ना कीजजए , रककन ऐस रोगो ऩय लशकक क फतव रगा कय उनस अऩ न आऩको काट रना मा उनको ऽद स काट दना , मह ना तो यआन भजीद की रह क भताबफ ह औय ना ही भहमभद यसरलराह क उसवह क भताबफ ह। लशकक को फमान कयन भ भदाहनत ना की जाए , रककन जजस शखस क आभार भ लशकक की आभजजश नजय आ जाए उस ऩय गयाभय का ान न राग कयत हए इस भशरयक ना कह ददमा जाए।

इसी तयह कफर का भाभरा ह। अगय अहादीस नफवी की यौशनी भ तजजजमा कयग तो भारभ होगा कक जजसन एक नभाज बी तकक की उसन कफर ककमा। हदीस

नफवी ह; “नभाज दीन का सतन ह”। औय

जजसन जान फझ कय (फाय ककसी शयई उजर क) नभाज को तकक कय ददमा वो अरातनमा कफर कय चका। ” भजीद फयआॊ सहीह भजसरभ की हदीस ह :

“आदभी औय कफर व लशकक क दलभकमान नभाज का भाभरा हाइर ह”। तो कमा जजसन एक नभाज छोडी उस काकफय कह ददमा जाएगा ? इन चीजो भ जभीन व आसभान का फ क ह। जजन रोगो क अनदय जजफाए तौहीद औय दीनी हममत फदाय हो जाती ह भ उनक लरए बी हभददी क साथ मह फात अजक कय यहा हॊ कक वो अऩन ऽरस औय इखरास ही की वजह स हद तक तजाववज कय जात ह। इस जजभन भ जरयत इस फात की ह कक लशकक को लशकक जरय कहा जाए, रककन जो भसरभान ह उनक ऊऩय लशकक क फतव रगाकय उनको एक दसय स अरहदा कय दना दहकभत दीन , दहकभत इसराह व दाअवत औय दहकभत ततरीा क खऽराफ ह।

भजकयह फारा फहस की वजाहत क लरम भ एक औय लभसार दता हॊ। दखखए चोयी एक रऩमा की बी चोयी ह। भजसजद स कोई थोडा स साभान चया लरमा जाए तो वो बी चोयी ह, रककन हाथ काट न की सजा हय चोयी ऩय नहीॊ ह। ऐसा हयगगज नहीॊ ह कक ककसी न

एक रऩमा ककसी का चया लरमा तो उसका हाथ काट ददमा जाए। इसराभ भ ऐसा

Page 120: AhleSunnatPak.com · 2019. 12. 27. · Author: Home-PC Created Date: 8/23/2016 9:07:39 AM

120

जलभ नहीॊ ह। ऐस ही भशतरयक भार भ स एक फयी कछ भार चया र तो उस ऩय बी तअए मद की सजा राग नहीॊ होगी , इसलरए कक वो भार चयान वारा ऽद इसकी लभरककमत भ शयीक ह। इसी तयह ाय भहफज भार की चोयी ऩय बी चोय का हाथ नहीॊ काटा जाएगा। चनाॊच जजस चोयी ऩय तअए मद की सजा ह कफकहाए क याभ न इसकी ऩयी वजाहत स ताअयीफ (definition) की ह। फाी चोरयमो ऩय ताअजीय ह कक ानन क तहत ककसी द की सजा द दी जाए मा कछ कोड भाय जाएॊ। तो जजस तयह एक रऩमा की चोयी बी चोयी ह, रककन चोयी ऩय शयई चोयी का अतरा होगा औय हाथ कटगा वो कछ औय शए ह। इसी तयह अगय तजजजमा कयग तो हय गनाह लशकक ह , इसभ कोई शक नहीॊ ह, रककन लशकक का इतरा हयगगज नहीॊ होगा। फजलक अगय वो कसफ भ दाखऽर ह , फडा गनाह ह औय भसतकर हो गमा ह तो वो मीनन लशकक क दज को ऩहॊच जाएगा। लरहाजा इस फर को भरहोज ऽाततय यखना चादहम ! हय गनाह का इततककाफ कयन वारा भशरयक नहीॊ हो जाएगा। औय अगय ककसी भसरभान का कोई गनाह लशकक की तभाभ शयाइत ऩयी कय यहा ह तो कपय बी इस ऩय भशरयक का फतवा रगान की कमा जरयत ह ? अलराह दहसाफ रन वारा भौजद ह। फजलक इसराभी रयमासत क अॊदय बी ककसी भसरभान ऩय भशरयक का फतवा नहीॊ रगगा। इसभ बी “भजसरभ” औय “काकफय” दो ही कटागगरयज ह , तीसयी कोई कटागगयी भअजयमन नहीॊ ह। मह तसीभ तो हो सकती ह कक फराॊ शखस काकफय ह औय फराॊ भजसरभ ह, रककन ककसी को भशरयक याय द दना , इसका बी को फतवा ानन शयीअत भ भौजद नहीॊ ह। इस दतनमा भ ककसी को हभ मह सनद नहीॊ द सकत कक वो भोलभन ह। मह अलराह ही जानता ह कक ककसक ददर भ ककतना ईभान ह। हभ इसक जय फहस नहीॊ रा सकत , हभ तो जय फहस राएॊग इसराभ औय कफर को। औय तकफीय बी जान रीजजए कक इनफयादी भाभरा (individual act) नहीॊ ह कक जो शखस चाह खडा होकय फतवा दद क फराॊ काकफय ह , फजलक मह इसराभी रयमासत का काभ ह कक वो तकफीय का फसरा कय। लरहाजा ककसी शखस क अनदय जया सा बी लशकक का शाएफा नजय आ जाए तो इसको भशरयक याय द दना औय उसक साथ वो तज अभर इजखतमाय कयना जो भशरयकीन क साथ ह, मह सयासय ार ह। इस ार न ऐसी खचतान ऩदा कयदी ह कक अफ फयीन क भाफन भर जोर (communication) नहीॊ यहा। ततात बफलकर जदा हो गए ह, एक दसय की फात सनन औय सभझन क लरए कोई तमाय नहीॊ। दखखए अगय हभन

Page 121: AhleSunnatPak.com · 2019. 12. 27. · Author: Home-PC Created Date: 8/23/2016 9:07:39 AM

121

ककसी भाभर भ अऩन नफजस की खवादहश को अलराह क हकभ ऩय भकदभ यखा तो हभ हयगगज ऩसॊद नहीॊ कयत कक कोई हभ भशरयक याय द। इसी तयह हभ चादहए कक इस तयह की नभी औय रयआमत (concession) दसयो को बी द , फजलक अऩन स जमादा द।

भखतलसय मह क भजमभत राजजभन की जाए , इसभ भजाहनत हयगगज ना हो , रककन ककसी को भशरयक याय दकय उसस तअ तालर कय रना , मह फहत फडा कफतना ह। इसस ककसी बराई को कोई उमभीद नहीॊ , फजलक नकसान ही का अनदशा ह।

------------------------------------------------------------------------------------