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www.ijcrt.org © 2020 IJCRT | Volume 8, Issue 9 September 2020 | ISSN: 2320-2882 IJCRT2009437 International Journal of Creative Research Thoughts (IJCRT) www.ijcrt.org 3407 ाचीन भारत मौय साा का संछि राजनीछतक अन Name of 1 st Author- MUKTANAND Designation of 1 st Author- PhD (Political Science) Name of Department of 1 st Author- Ph D Department, M.U BODH GAYA, BIHAR Name of organization of 1 st Author- M.U BODH GAYA, BIHAR City- NAWADA, BIHAR, Country- INDIA Abstract: भारत का एक बत बडा इततहास है तिसने तितभ राििंशं के उान और पतन दे खा है। ाचीन काल के दौरान भारत पर कई राििंशं का शासन था और उनम से सबसे महपूण महािनपद, नंदा राििंश, मौण राििंश, पंा राििंश, चेरा राििंश, चल राििंश, पि ि, चौला िआतद सबसे लंबे सम तक शासन करते रहे। भारत की धरती पर मौण साा (320-185 .पू .) पहला मुख ऐततहातसक भारती साा था, और तनतिऱप से एक भारती राििंश ारा बनाा गा सबसे बडा साा उरी भारत रा के एकीकर के पररामऱप , तिसे आि के तबहार रा से िना िता है , मगध रा गंगा के मैदानी इलाके भािशाली बना तदा था इस िकी थापना चगु मौण ने की थी। I. INTRODUCTION मौय वंश शासकं का गदान और उपलिां तसकंदर का आम 326 ईसा पूिण धनानंद के शासनकाल के दौरान उर-पतिम भारत थे। चंगु मौण ने अंततम नंद शासक धनानद परातिकर शासन तका और कौति की मदद से 322 ईसा पूिण पाितलपु पर का कर तला। 306 ईसा पूिण सेूकस तनकेिर हराा तथा मेगथनीि (ीक रािदू त) उनके दरबार आए थे तबदुसार ूनातनं के ऱप िना िता है ि अतमचे तस (संृत शब अमृताघाि से तला गा है , ानी दुशन के काततलं ) अशक िअपने शासन और धम के तसां के तलए िना िता है। शांतऔर अतधकार बनाए रखने के तलए एक बडी और शिशाली सेना बनाए रखी, अशक ने एतशा और ूरप के रां के साथ मैीपूण संबंधं और ातिबौ तमशनं का तिार तका। मह, तिारा / तिाला (केिल एक तशलालेख उखत), कुाल और तालुका अशक के पुं मुख थे। उनकी बेतिा संघतमा और चारमती िनी िती थी ं। मौय शासकं के नाम शासन कल 1. चगु मौण - 322 ई० पू० से 298 ई० पू० 2. तबदुसार- 298 ई० पू० से 272 ई० पू० 3. साि अशक- 273 ई० पू० - 232 ई० पू० 4. कुाल - 232 ई० पू० - 232 ई० पू० 5. दशरथ मौण - 232 ई० पू० - 224 ई० पू० 6. सत- 224 ई० पू० – 215 ई० पू० 7. शातलशुक- 215 ई० पू० -202 ई० पू० 8. दे ििमणन- 202 ई० पू० -195 ई० पू० 9. शतधिा- 195 ई० पू० -187 ई० पू० 10. िहथ- 187 ई० पू० से 185 ई० पू०

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IJCRT2009437 International Journal of Creative Research Thoughts (IJCRT) www.ijcrt.org 3407

प्राचीन भारत में मौर्य साम्राज्य का संछिप्त राजनीछतक

अध्यर्न

Name of 1st Author- MUKTANAND

Designation of 1st Author- PhD (Political Science)

Name of Department of 1st Author- Ph D Department, M.U BODH GAYA, BIHAR

Name of organization of 1st Author- M.U BODH GAYA, BIHAR

City- NAWADA, BIHAR, Country- INDIA

Abstract: भारत का एक बहुत बडा इततहास है तिसने तितभन्न राििंश ं के उत्थान और पतन क देखा है। प्राचीन काल के दौरान भारत पर कई

राििंश ंका शासन था और उनमें से सबसे महत्वपूर्ण महािनपद, नंदा राििंश, मौर्ण राििंश, पंड्या राििंश, चेरा राििंश, च ल राििंश, पल्लि िंश,

चौलाक्य िंश आतद सबसे लंबे समर् तक शासन करते रहे। भारत की धरती पर मौर्ण साम्राज्य (320-185 ई.पू.) पहला प्रमुख ऐततहातसक भारतीर्

साम्राज्य था, और तनतित रूप से एक भारतीर् राििंश द्वारा बनार्ा गर्ा सबसे बडा साम्राज्य उत्तरी भारत में राज्य के एकत्रीकरर् के पररर्ामस्वरूप

उत्पन्न हुआ, तिसे आि के तबहार राज्य से िाना िाता है, मगध राज्य क गंगा के मैदानी इलाके में प्रभािशाली बना तदर्ा था इस िंश की स्थापना

चन्द्रगुप्त मौर्ण ने की थी।

I. INTRODUCTION

मौर्य वंश शासक ंका र् गदान और उपलब्धिर्ां

तसकंदर का आक्रमर् 326 ईसा पूिण में धनानंद के शासनकाल के दौरान उत्तर-पतिम भारत में हुआ थे। चंद्रगुप्त मौर्ण ने अंततम नंद शासक धनानद क

परातित कर शासन तकर्ा और कौतिल्य की मदद से 322 ईसा पूिण में पाितलपुत्र पर कब्जा कर तलर्ा। 306 ईसा पूिण में सेलू्यकस तनकेिर क हरार्ा

तथा मेगस्थनीि (ग्रीक रािदूत) उनके दरबार में आए थे । तबन्दुसार क रू्नातनर् ंके रूप में िाना िाता है ि अतमत्र चेतस (संसृ्कत शब्द अमृताघाि से

तलर्ा गर्ा है, र्ानी दुश्मन के काततल )ं अश क िेल अपने प्रशासन और धम्म के तसद्ांत के तलए िाना िाता है।

शांतत और अतधकार बनाए रखने के तलए एक बडी और शक्तिशाली सेना बनाए रखी, अश क ने एतशर्ा और रू्र प के राज्य ंके साथ मैत्रीपूर्ण संबंध ं

और प्रार् तित बौद् तमशन ंका तिस्तार तकर्ा। महेंद्र, ततिारा / ततिाला (केिल एक तशलालेख में उक्तल्लक्तखत), कुर्ाल और तालुका अश क के पुत्र ंमें

प्रमुख थे। उनकी द बेतिर्ााँ संघतमत्रा और चारुमती िानी िाती थी।ं

मौर्य शासक ंके नाम व शासन कल –

1. चन्द्रगुप्त मौर्ण- 322 ई० पू० से 298 ई० पू०

2. तबन्दुसार- 298 ई० पू० से 272 ई० पू०

3. सम्राि अश क- 273 ई० पू० - 232 ई० पू०

4. कुर्ाल - 232 ई० पू० - 232 ई० पू०

5. दशरथ मौर्ण- 232 ई० पू० - 224 ई० पू०

6. सम्प्रतत- 224 ई० पू० – 215 ई० पू०

7. शातलशुक- 215 ई० पू० -202 ई० पू०

8. देििमणन- 202 ई० पू० -195 ई० पू०

9. शतधन्निा- 195 ई० पू० -187 ई० पू०

10. िृहद्रथ- 187 ई० पू० से 185 ई० पू०

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आछथयक ब्धथथछत:

राज्य की आतथणक गतततितधर् ंक तितनर्तमत करने के तलए मौर्ण साम्राज्य द्वारा तनरु्ि 27 अधीक्षक (आद्याक्ष) थे। इसमें व्यापार और िातर्ज्य, कृति,

ििन और उपार्, खनन, बुनाई और कताई शातमल थे।

कृछि

कृिक ंके लाभ के तलए राज्य द्वारा तसंचाई की सुतिधा प्रदान की गई। कृति के तलए उपरु्ि भूतम की माप की गई और चैनल ंका तनरीक्षर् तकर्ा गर्ा

तिसके माध्यम से पानी तितररत तकर्ा गर्ा था।

कराधान

कर ंक कारीगर ,ं व्यापाररर् ंऔर तकसान ं से एकत्र तकर्ा गर्ा था। इसके भंडारर् के बिार् कर के मूल्यांकन पर ि र तदर्ा गर्ा था, उच्चतम

अतधकारी ि कर के मूल्यांकन के प्रभारी थे, उन्हें समहताण के रूप में िाना िाता था, िबतक रािकीर् क िागार और भंडार गृह के मुख्य संरक्षक क

सातनध्य कहा िाता था। कर ंके रूप में अच्छी तरह से नकद में एकत्र तकए गए थे।

मुद्रा

पंच ने पहाडी, अधणचंद्रा और म र के प्रतीक िाले चांदी के तसक् ंक मौर्ण साम्राज्य की शाही मुद्रा के रूप में तचतित तकर्ा।

र्ातार्ात-साधन

शाही सडक पाितलपुत्र से िैशाली और चंपारर् ह ते हुए नेपाल तक िाती थी। तहमालर् की तलहिी में एक और सडक िैशाली से चंपारर् से कासी,

कतपलिसु्त और पूरी तरह पेशािर तक पहुाँचती है। अन्य सडकें थी ंि साम्राज्य के भीतर रर्नीततक स्थान ंसे िुडी थी।ं इससे पररिहन सुगम ह

गर्ा। नतदर् ंका उपर् ग संचार के मागों के रूप में भी तकर्ा िाता था।

सामाछजक जीवन

मेगस्थनीि ने अपनी पुस्तक इंतडका में उले्लख तकर्ा है तक भारत में सात िाततर्ााँ मौिूद थी ंतिनमें दशणनशास्त्री, सैतनक, ब्राह्मर्, तशल्पकार, चरिाहे,

तकसान, मतिस्ट्र ेि शातमल थे। मेगस्थनीि ने िन्म के बिार् कबे्ज पर अपना अनुमान लगार्ा। बहुतििाह शाही िगों में प्रचतलत था, मतहलाएं क्तस्ट्र धना

की हकदार थी,ं तिसमें दुल्हन उपहार भी शातमल थी। दासता क लागू नही ंतकर्ा गर्ा था, ल ग अपनी मिबूरी से बाहर तनकलकर "दास" का काम

करते थे।

कला और वासु्तकला

बुद् के अिशेि ंक संरतक्षत करने के तलए मौर्ण साम्राज्य में सू्तप ंका तनमाणर् तकर्ा गर्ा था। सबसे प्रतसद् सू्तप भरहुत और सांची में हैं। चंद्रगुप्त मौर्ण

का शाही महल (कुम्हरार, पिना में ख िा गर्ा), अश क सं्तभ, सारनाथ में चार शेर की रािधानी तिसे बाद में राष्ट्र ीर् प्रतीक के रूप में अपनार्ा गर्ा

और सांची मौर्णकालीन कला और िासु्तकला के बेहतरीन नमूने हैं। मौर्ण काल के कारीगर ंने तभकु्षओ ंके रहने की िगह के रूप में चट्टान ंसे गुफाओ ं

क तराशा।

मौर्य साम्राज्य: प्रशासन

प्रशासतनक संरचना मन्त्रीपररिद द्वारा सहार्ता प्राप्त रािा, तिनके सदस् ं में मन्त्रीपररिद आद्याक्ष और उनके नीचे शातमल थे, रु्िराि: मुकुि

रािकुमार, पुर तहत: मुख्य पुिारी, सेनापतत: सेनापतत, अमात्य: तसतिल सेिक और कुछ अन्य मंत्री।

मौर्ण साम्राज्य पाितलपुत्र में शाही रािधानी के साथ चार प्रांत ंमें तिभातित था। अश कन एतडकि्स से, चार प्रांतीर् रािधातनर् ंका नाम त सली (पूिण

में), पतिम में उजै्जन, सुिर्णतगरर (दतक्षर् में) और तक्षतशला (उत्तर में) थे। संरचना के कें द्र में रािा था ि कानून ंक लागू करने की शक्ति रखता था।

िब िर्ण और आश्रम ं(िीिन के चरर् )ं पर आधाररत सामातिक व्यिस्था नष्ट् ह िाती है त कौतिल्य रािा क धमण का प्रचार करने की सलाह देता है।

मौर्ण साम्राज्य पाितलपुत्र में शाही रािधानी के साथ चार प्रांत ंमें तिभातित था। अश कन की तशक्षाओ ंसे, चार प्रांतीर् रािधातनर् ंका नाम त सली (पूिण

में), पतिम में उजै्जन, सुिर्णतगरर (दतक्षर् में) और तक्षतशला (उत्तर में) थे। मेगस्थनीि के अनुसार, साम्राज्य ने 600,000 पैदल सेना, 30,000 घुडसिार

सेना, और 9,000 रु्द् हातथर् ंकी सेना का अभ्यास तकर्ा। आंतररक और बाहरी सुरक्षा के उदे्दश्य के तलए, िहााँ एक तिशाल िासूसी प्रर्ाली थी, ि

अतधकाररर् ंपर तनगरानी रखने के तलए थी और संदेशिाहक फ्रॉस्ट् के पास गए थे। रािाओ ंने अतधकाररर् ंक चरिाह ,ं तकसान ,ं व्यापाररर् ंऔर

कारीगर ंआतद से कर िसूलने के तलए तनरु्ि तकर्ा। रािा प्रशासतनक अतधरचना का कें द्र था और रािा मंतत्रर् ंऔर उच्च अतधकाररर् ंका चर्न

करता था।

तिद्वान ंका सुझाि है तक मौर्ण साम्राज्य क महत्वपूर्ण अतधकाररर् ंके साथ तितभन्न तिभाग ंमें तिभातित तकर्ा गर्ा था:

राजस्व छवभाग: - महत्वपूर्ण अतधकारी: सातनध्य: मुख्य क िागार, समहताण: रािस्व के कलेक्टर सामान्य।

सैन्य छवभाग: मेगस्थनीि ने इनमें से सैन्य गतततितध के समन्वर् के तलए छह उपसतमतत के साथ एक सतमतत का उले्लख तकर्ा है, एक ने नौसेना,

दूसरा प्रबंतधत पररिहन और प्रािधान ंकी देखभाल की, और तीसरा पैदल सैतनक ंके तलए तिमे्मदार था, घ ड ंके तलए चौथा, रथ ंके तलए पांचिां और

हातथर् ंके तलए छठा।

जासूसी छवभाग: महामात्यपसार ने गुप्तपुरुि ंक तनरं्तत्रत तकर्ा (गुप्त एिेंि)

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पुछलस छवभाग: िेल क बंधंगारा के नाम से िाना िाता था और र्ह तालाक से अलग था तिसे चरक कहा िाता था। सभी प्रमुख कें द्र ंमें पुतलस

मुख्यालर् थे।

प्रांतीर् और थथानीर् प्रशासन: महत्वपूर्ण अतधकारी: प्रदेतशका: आधुतनक तिला मतिस्ट्र ेि, चरतर्का: कर संग्रह अतधकारी, दुगाणपाल: दुगण के गिनणर,

अंतापाला: सीमांत के राज्यपाल, अक्षतताला, महालेखाकार, तलतपकारस: तलतपक: ग प, लेखाकार आतद के तलए उत्तरदार्ी।

नगरपाछलका प्रशासन: महत्वपूर्ण अतधकारी: नागरका: नगर प्रशासन के प्रभारी, सीता-अतधशाक्ष: कृति पर्णिेक्षक, सम्यग्-अभ्यक्ष: बािार के

अधीक्षक, निधनाक्ष: िलप त ंके अधीक्षक, सुलक्षर्ा: ि ल ंके कलेक्टर, ल हर्क्ष: ल हे के अधीक्षक। खान ंऔर पुतिध्याक्ष: अधीक्षक ििन और

उपार् आतद

मेगस्थनीि ने छह सतमततर् ंका उले्लख तकर्ा, तिनमें से पााँच ंक पाितलपुत्र के प्रशासन की देखभाल करनी थी। उद्य ग, तिदेशी, िन्म और मृतु्य का

पंिीकरर्, व्यापार, तनमाणर् और माल की तबक्री और तबक्री कर का संग्रह प्रशासन के तनरं्त्रर् में थे।

मौर्य साम्राज्य के पतन के कारण : 232 ईसा पूिण में अश क की मृतु्य के बाद मौर्ण साम्राज्य का पतन शुरू हुआ। अंततम रािा बृहद्रथ की हत्या 185 ईसा पूिण -183 ईसा पूिण में उनके

सामान्य पुष्यतमत्र शंुग ने की थी ि ब्राह्मर् थे। मौर्ण राििंश का पतन अश क की मृतु्य के बाद तेिी से हुआ। इसका एक स्पष्ट् कारर् कमि र रािाओं

का उत्तरातधकार था। एक और तात्कातलक कारर् साम्राज्य का द भाग में तिभािन था। र्तद तिभािन नही ंहुआ ह ता, त मौर्ों क अपनी तपछली

शक्ति के कुछ अंश ंक तफर से स्थातपत करने का मौका देते हुए ग्रीक आक्रमर् ंक िापस आर् तित तकर्ा िा सकता था।

इततहासकार द्वारा कुछ महत्वपूर्ण कारन अध्यन तकर्ा गर्ा तिनमे कुछ महत्वपूर्ण कारन है-

अश क की धाछमयक नीछत

अश क की धातमणक नीतत ने उसके साम्राज्य के ब्राह्मर् ंका तिर ध तकर्ा। चूाँतक अश क ने पशु बतल पर प्रततबंध लगा तदर्ा था, इसने ब्राह्मर् ंकी आर्

क र क तदर्ा, ि उन्हें तदए गए तितभन्न प्रकार के बतलदान ंके रूप में उपहार प्राप्त करते थे।

सेना और नौकरशाही पर भारी व्यर्

मौर्ण रु्ग के दौरान सेना और नौकरशाही क बनाए रखने पर भारी खचण तकर्ा गर्ा था। इसके अलािा, अश क ने अपने शासनकाल के दौरान बौद्

तभकु्षओ ंक बडा अनुदान तदर्ा, तिससे शाही खिाना खाली ह गर्ा। अश क के उत्तरातधकारी बने मौर्ण रािाओ ंक आतथणक तंगी का सामना करना

पडा।

प्रांत ंमें छवर धी शासन

मगध साम्राज्य में प्रांतीर् शासक अक्सर भ्रष्ट् और दमनकारी थे। इससे साम्राज्य के क्तखलाफ लगातार तिद्र ह हुए तबन्दुसार के शासनकाल के दौरान,

तक्षतशला के नागररक ंने दुष्ट् नौकरशाह ंके कुशासन के क्तखलाफ तशकार्त की। र्द्यतप तबन्दुसार और अश क ने नौकरशाह ंक तनरं्तत्रत करने के

तलए उपार् तकए, लेतकन र्ह प्रांत ंमें उत्पीडन की िांच करने में तिफल रहा।

उत्तर-पछिम सीमा की उपेक्षा

अश क हमारी धातमणक गतततितधर् ंक ले िाने में इतना व्यस्त था तक उसने मौर्ण साम्राज्य के उत्तर-पतिम सीमा पर ध्यान तदर्ा। रू्नातनर् ंने इसका

लाभ उठार्ा और उत्तरी अफगातनस्तान में एक राज्य स्थातपत तकर्ा तिसे बैक्तक्टर र्ा के नाम से िाना िाता था। इसके बाद तिदेशी आक्रमर् की एक

शंृ्रखला हुई तिसने साम्राज्य क कमि र कर तदर्ा।

मौर्य रु्ग का महत्व

मौर्ण साम्राज्य की स्थापना के बाद भारतीर् इततहास में एक नर्ा रु्ग का आरम्भ माना िाता है। र्ह इततहास में पहली बार हुआ था तक पूरा भारत

रािनीततक रूप से एकिुि था। इसके अलािा, इस अितध में इततहास लेखन कालक्रम और स्र त ंमें सिीकता के कारर् स्पष्ट् ह गर्ा। इसके साथ ही

देशी और तिदेशी सातहक्तत्यक स्र त पर्ाणप्त रूप में उपलब्ध थे। इस साम्राज्य ने इस अितध के इततहास क तलखने के तलए एक बडी संख्या में ररकॉडण

छ ड तदर्ा। इसके अलािा, मौर्ण साम्राज्य से िुडे कुछ महत्वपूर्ण पुराताक्तत्वक तनष्किण पत्थर की मूततणर्ां में ठेठ मौर्णकालीन कला का एक िबरदस्त

उदाहरर्। कुछ तिद्वान ंका सुझाि है तक अश क तशलालेख पर संदेश अतधकांश अन्य शासक ंसे पूरी तरह से अलग था ि शक्तिशाली और मेहनती

अश क का प्रतीक है और र्ह भी तक िह अन्य शासक ं की तुलना में अतधक तिनम्र थे तिन्ह नें भव्य क्तखताब क अपनार्ा था। इसतलए र्ह

आिर्णिनक नही ंहै तक राष्ट्र के नेताओ ंने उन्हें एक पे्ररर्ादार्क व्यक्ति माना है।