शिवतांडव स्त्रोत का हिंदी अनुवाद

5
शशशशशशशश शशशशशशश शश शशशशश शशशशशश शशश शशशशशशशशशशश शशशश शशशशशशश शश शशश शशशशशश शश शशशशशश शशश शशशशश शश शशशशशश शशश शश शशशशशशशशशश शशशश (शशशश) शशश, शशशशश शशश शशश शशशश-शशशश, शशशशशश शशशशशश शश शशशशशश शशशशशशश शशश, शश शशशश शश शश-शश शशशशश शशशशशश शशशशश शशशशश शश शशश शशश-शश शशशशश शशशश शशशशशश शशशश. |||| शशशशश शश शशश शशशशशश शशश शशशशश शशश शशश शश शशशशशशशशशशश शशशशश शशशश शशश शशशशशश शशशशशश शश शशशशश शशश शशशशश शश शशशशश शश शशशश शशश शशश, शशशशश शशशशश शशश शशशशश शश शशशशशश शशशशशशशशश शशश-शशशशश शशशशशशशशश शश शशश शशश, शशश शशश-शशशशशशशश शश शशशशशशश शशशशशशशशश शशशशश शशश शशशश शशशशशश शशशशशशश शशशशश शशश. |||| शशशशशशशश-शशशश शशशशशशश शश शशशशशशश शशशशश शशशशशशशश शश शशशशशशशशशश (शशश), शशशशश शशशशशशशशशश शश शशशशशशशश शश शशशश शश शशशश शशशशशशशशशश शशश शश शशशश शशश, शशशशशश शश शशशशश

Upload: arvinder-singh

Post on 26-Dec-2015

213 views

Category:

Documents


0 download

DESCRIPTION

भगवान शंकर जी का शिव तांडव स्तोत्र हिंदी में

TRANSCRIPT

Page 1: शिवतांडव स्त्रोत का हिंदी अनुवाद

शि�वतां��डव स्त्रोतां का� हिं �दी� अनु�व�दी

सघन जटा�मं�डलरूपी वनस� प्रवहि�त �� र� गं�गं�जल की� धा�र�एँ� जिजन शि�वज की� पीहिवत्र की� ठ की� प्रक्षा�शिलत कीरत (धा�त ) �", जिजनकी� गंल� मं# ल�बे�-ल�बे�, हिवकीर�ल सपी% की� मं�ल�एँ� स&��भि(त �", ज� डमंरू की� डमं-डमं बेज�कीर प्रचं�ड त��डव न*त्य कीर र�� �"-व� शि�वज मं�र� कील्य�ण कीर#. ||१||जटा�ओं की� गं�न कीटा�व1 मं# (टाकीकीर अहित व�गं स� हिवल�सपी3व4की भ्रमंण कीरत हुई दे�वनदे9 गं�गं�ज की� ल�र# जिजन शि�वज की� मंस्तकी पीर ल�र� र� �", जिजनकी� मंस्तकी मं# अग्नि<न की� प्रचं�ड ज्व�ल�य# धाधाकी-धाधाकीकीर प्रज्वशिलत �� र� �", ऐस� बे�ल-चंन्द्रमं� स� हिव(3हिAत मंस्तकीव�ल� शि�वज मं# मं�र� अन&र�गं प्रहितपील बेढ़त� र��. ||२|| पीव4तर�ज-स&त� पी�व4त की� हिवल�समंय रमंण य कीटा�क्षा1 स� पीरमं�नजिन्देत (शि�व), जिजनकी� की* पी�दृष्टिF स� (क्तजन1 की� बेड़ी स� बेड़ी हिवपीभिIय�� दूर �� ज�त �", दिदे��एँ� � जिजनकी� वस्त्र �", उन शि�वज की� आर�धान� मं# मं�र� शिचंI कीबे आन�दिदेत ��गं�?. ||३||जटा�ओं स� शिलपीटा� हिवAधार1 की� फण की� मंभिणय1 की� पी ल� प्रकी��मं�डल की� की� सर-सदृश्य की��हित (प्रकी��) स� चंमंकीत� दिदे��रूपी वधा&ओं की� मं&खमं�डल की� ��(� हिनरखकीर मंतव�ल� हुएँ स�गंर की� तर� मंदे��धा गंज�स&र की� चंरमंरूपी वस्त्र स� स&��भि(त, जगंरक्षाकी शि�वज मं# रमंकीर मं�र� मंन की� अद्भुSत आन�दे (स&ख) प्र�प्त ��. ||४||अपीन� हिव��ल मंस्तकी की� प्रचं�ड अग्नि<न की� ज्व�ल� स� की�मंदे�व की� (स्मंकीर इं�द्र आदिदे दे�वत�ओं की� गंव4 चं3र कीरन�व�ल�, अमं*त-हिकीरणमंय चंन्द्र-की��हित तथा� गं�गं�ज स� स&��भि(त जटा�व�ल� नरमं&�डधा�र त�जस्व शि�वज �मं# अक्षाय स�पीभिI प्रदे�न कीर#. ||५||इं�द्र आदिदे समंस्त दे�वत�ओं की� � � पीर स&सज्जिZत पी&ष्पी1 की� धा3शिल (पीर�गं) स� धा3सरिरत पी�दे-पी*ष्ठव�ल� सपी4र�ज1 की� मं�ल�ओं स� अल�की* त जटा�व�ल� (गंव�न चंन्द्र��खर �मं# शिचंरकी�ल तकी स्था�ई र�न�व�ल सम्पदे� प्रदे�न कीर#. ||६||अपीन� मंस्तकी की� धाकी-धाकी कीरत जलत हुई प्रचं�ड ज्व�ल� स� की�मंदे�व की� (स्मं कीरन�व�ल�, पीव4तर�जस&त� (पी�व4त ) की� स्तन की� अग्र (�गं पीर हिवहिवधा शिचंत्रकी�र कीरन� मं# अहितप्रव ण हित्रल�चंन मं# मं�र प्र त अटाल ��. ||७|| नय मं�घ घटा�ओं स� पीरिरपी3ण4 अमं�वस्य� की� र�हित्र की� सघन अन्धकी�र की� तर� अहित श्य�मंल की� ठव�ल�, दे�वनदे9 गं�गं� की� धा�रण कीरन�व�ल� शि�वज �मं# सबे प्रकी�र की� स�पीभिI दे#. ||८||ग्निखल� हुएँ न लकीमंल की� स&�देर श्य�मं-प्र(� स� हिव(3हिAत की� ठ की� ��(� स� उद्भु�शिसत कीन्ध1व�ल�, गंज, अन्धकी, की�मंदे�व तथा� हित्रपी&र�स&र की� हिवन��की, स�स�र की� दुख1 की� ष्टिमंटा�न�व�ल�, देक्षा की� यज्ञ की� हिवध्व�स कीरन�व�ल� श्री शि�वज की� मं" (जन कीरत� हूँ�. ||९||नF न ��न�व�ल , सबेकी� कील्य�ण कीरन�व�ल , समंस्त कील�रूपी कीशिलय1 स� हिन:स*त, रस की� रस�स्व�देन कीरन� मं# भ्रमंर रूपी, की�मंदे�व की� (स्मं कीरन�व�ल�, हित्रपी&र न�मंकी र�क्षास की� वधा कीरन�व�ल�, स�स�र की� समंस्त दु:ख1 की� �त�4, प्रज�पीहित देक्षा की� यज्ञ की� ध्व�स कीरन�व�ल�, गंज�स&र व अ�धाकी�स&र की� मं�रन�व�ल�, यमंर�ज की� ( यमंर�ज शि�वज की� मं" (जन कीरत� हूँ�. ||१०||अत्य�त व�गंपी3व4की भ्रमंण कीरत� हुएँ सपी% की� फ& फकी�र छो�ड़ीन� स� लल�टा मं# बेढ़9 हुई प्रचं�ड अग्नि<नव�ल�, मं*दे�गं की� मं�गंलमंय हिडमं-हिडमं ध्वहिन की� उच्च आर��-अवर�� स� त��डव न*त्य मं# तल्ल न ��न�व�ल� शि�वज सबे प्रकी�र स� स&��भि(त �� र�� �". ||११||कीड़ी� पीत्थर और की�मंल हिवशिचंत्र �pय�, सपी4 और मं�हितय1 की� मं�ल�, ष्टिमंट्टी9 की� ढे�ल1 और बेहुमं3ल्य रत्न1, �त्र& और ष्टिमंत्र, हितनकी� और कीमंलल�चंन स&�देरिरय1, प्रज� और मं��र�ज�ष्टिधार�ज1 की� प्रहित समं�न दृष्टिF रखत� हुएँ कीबे मं" सदे�शि�व की� (जन कीरू� गं�? ||१२||मं" कीबे नमं4दे� ज की� कीछो�र-की&� ज1 मं# हिनव�स कीरत� हुआ, हिनष्कीपीटा ��कीर शिसर पीर अ�जशिल धा�रण हिकीय� हुएँ, चं�चंल न�त्र1व�ल ललन�ओं मं# पीरमंस&�देर पी�व4त ज की� मंस्तकी पीर अ�हिकीत शि�वमंन्त्र की� उच्च�रण कीरत� हुएँ अक्षाय स&ख प्र�प्त कीरू� गं�. ||१३||दे�व��गंन�ओं की� शिसर मं# गं&�था� पी&ष्पी1 की� मं�ल�ओं स� झड़ीत� स&गं�धामंय पीर�गं स� मंन��र पीरमं ��(� की� धा�मं श्री शि�वज की� अ�गं1 की� स&�देरत�एँ� पीरमं�नन्देय&क्त �मं�र� मंनकी� प्रसन्नत� की� सव4दे� बेढ़�त र�#. ||१४||

Page 2: शिवतांडव स्त्रोत का हिंदी अनुवाद

प्रचं�ड बेड़ीव�नल की� (��हित पी�पीकीमं% की� (स्मंकीर कील्य�णकी�र आ(� हिबेख�रन�व�ल �शिक्त (न�र ) स्वरूहिपीण अभिणमं�दिदेकी अF मं��शिसजिuय1 तथा� चं�चंल न�त्र1व�ल दे�वकीन्य�ओं द्वा�र� शि�व-हिवव�� की� समंय की� गंय पीरमंश्री�ष्ठ शि�वमं�त्र स� पी3रिरत, मं�गंलध्वहिन स��स�रिरकी दुख1 की� नFकीर हिवजय ��. ||१५||इंस सवwIमं शि�वत��डव स्त�त्र की� हिनत्य प्रहित मं&क्त की� ठ स� पी�ठ कीरन� स� (रपी3र सन्तहित-स&ख, �रिर एँव� गं&रु की� प्रहित (शिक्त अहिवचंल र�त �p, दूसर गंहित न�y ��त तथा� �मं��� शि�व ज की� �रण प्र�प्त ��त �p. ||१६||पीरमं पी�वन, (3त (वन (गंवन सदे�शि�व की� पी3जन की� नत मं# र�वण द्वा�र� रशिचंत इंस शि�वत��डव स्त�त्र की� प्रदे�A की�ल मं# पी�ठ (गं�यन) कीरन� स� शि�वज की� की* पी� स� रथा, गंज, व��न, अश्व आदिदे स� स�पीन्न ��कीर लक्ष्मं सदे� ज्जिस्थार र�त �p. ||१७||