ानपीठ प ु रèकार प ु रèकार-तीकः वादेवी की कांèय ितमा ानपीठ प ु रèकार भारतीय ानपीठ Ûयास ɮवारा भारतीय सािह×य के िलए िदया जाने वाला सवȾÍच प ु रèकार है। [1] भारत का कोई भी नागिरक जो आठवीं अन ु स ू ची मɅ बताई गई 22 भाषाओं मɅ से िकसी भाषा मɅ िलखता हो इस प ु रèकार के योय है। प ु रèकार मɅ पांच लाख ǽपये की धनरािश, शिèतप और वादेवी की कांèय ितमा दी जाती है। 1965 मɅ 1 लाख ǽपये की प ु रèकार रािश से ारंभ ह ु ए इस प ु रèकार को मɅ 7 लाख ǽपए कर िदया गया। 2005 के िलए च ु ने गए िहÛदी सािह×यकार क ु ं वर नारायण पहले åयित थɅ िजÛहɅ 7 लाख ǽपए का ानपीठ प ु रèकार ाÜत ह ु आ। [2] थम ानपीठ प ु रèकार 1965 मɅ मलयालम लेखक जी शंकर क ु ǽप को दान िकया गया था। उस समय प ु रèकार की धनरािश 1 लाख ǽपए थी। 1982 तक यह प ु रèकार लेखक की एकल क ृ ित के िलये िदया जाता था। लेिकन इसके बाद से यह लेखक के भारतीय सािह×य मɅ संप ू ण योगदान के िलये िदया जाने लगा। अब तक िहÛदी तथा कÛनड़ भाषा के लेखक सबसे अिधक सात बार यह प ु रèकार पा च ु के हɇ। यह प ु रèकार बांला को 5 बार, मलयालम को 4 बार,