1. समझ जाना कोई रोया बह ु त है तुह याद करके उदास अशार म जब ज़ि बरसात का हो 2. माना है तेरा इतेयार मेरे तुलु -ओ-िवाल पर मगर देखना है या कहोगे वल के सवाल पर गर मुहबत नह मुझसे तो मुरवत भी न करो करम होगा अगर छो दो मुझको मेरे हाल पर 3. बेवफ़ाई की रम तो पूर ननभाया करो साथ नह हो तो याद भी मत आया करो 4. बे नादान थे जब तुमने दग़ा ककया हमसे अब इतने शनास ह कक कोई रास नह आता 5. म और ये समँदर हमनफ़स ह जैसे दोन परेशान ह अपनी ह बेचैनी से 6. बे शहर म एक छोट सी ज़िदगी खो गयी जो तूने द थी मुझसे वो अँगूठी खो गयी हे नभ ! या सदा मौन ह रहोगे ? धरा की दशा देख आँख मूँद लोगे चल रह वेश की आँधी बवडर पशुता के आये ह मानस मन के सूयय पर बादल लेश के निर आये ह या तुम अुगगा म सबक ु छ डू बने दोगे ? हे नभ ! या सदा मौन ह रहोगे ? कौन करेगा बोलो कफ़र नै नतकता की पहरेदार राम को सरयू पार कराने की बोलो ककसकी ज़जमेदार कोई न कफ़र के वट होगा न कोई जटायू होगा तुम ह कहो ऐसे कै से सेवा धमय दियआयु होगा या तुम राम को कफ़र से वन म भटकने दोगे ? हे नभ ! या सदा मौन ह रहोगे ? मरगे जाने ककतने अभभमयु चयूह के वार म लुटती रहेगी लाज पाँचाल की दुयोधन दरबार म कब तक अँधी रहेगी यवथा महल म गाँधार सी कब तक दुहाई देगा जातँ तरार सी लाचार की या तुम कफ़र से एकलय को अँगुठा दान म देने दोगे हे नभ ! या सदा मौन ह रहोगे ? कब तक होगा ववधवा ववलाप सीमा के हररय पर कब चलेगा तुहारा सुदशयन जयचद जैसे बैररय पर महाराणा की यशगाथा का समान तुहारे हाथ म भशरोमणी सागरमाथा का अभभमान तुहारे हाथ म या तुम अब भी पमावती को जौहर करने दोगे ? हे नभ ! या सदा मौन ह रहोगे ?