ÁÁ (ra;a;a;va;snua;sa;h;~å:a;na;a;ma;~ta;ea:ˆa;m,a ÁÁò ÁÁ … · 2020. 4. 30. · (ra;ah...

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ीः ीमते रामानुजाय नमः ीमते नगमाڢमहादेशकाय नमः ` ` ी वुसहनाम` ` This document has been prepared by Sunder Kidāmbi with the blessings of ी रӂरामानुज महादेशक His Holiness śrīmad āṇḍavan śrīraṅgam

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श्रीःश्रीमते रामानुजाय नमः

श्रीमते नगमा महादे शकाय नमः

Á Á श्री व ुसहस्रनाम ोत्रम् Á ÁThis document has been prepared by

Sunder Kidāmbi

with the blessings of

श्री र रामानुज महादे शकन्His Holiness śrīmad āṇḍavan śrīraṅgam

श्रीःश्रीमते रामानुजाय नमः

श्रीमते नगमा महादे शकाय नमःÁ Á श्री व ुसहस्रनाम ोत्रम् Á Á

शु ा रधरं व ुं श शवण चतुभुर्जम् Áप्रस वदनं ायेत् सवर् व ोपशा ये Á Á 1 Á Áय रदव ा ाः पािरष ाः पर तम् Áव ं न सततं व ेनं तमाश्रये Á Á 2 Á Áासं व स न ारं श े ः पौत्रमक षम् Á

पराशरा जं व े शुकतातं तपो न धम् Á Á 3 Á Áासाय व ुरूपाय ासरूपाय व वे Á

नमो वै ब्र नधये वा स ाय नमो नमः Á Á 4 Á Áअ वकाराय शु ाय न ाय परमा ने Áसदकैरूपरूपाय व वे सवर् ज वे Á Á 5 Á Áय रण माते्रण ज संसारब नात् Áवमु ते नम ै व वे प्रभ व वे Á Á 6 Á Áओं नमो व वे प्रभ व वे Á Áश्रीवैश ायन उवाचशु्र ा धम नशेषेण पावना न च सवर्शः Áयु ध रः शा नवं पुनरेवा भाषत Á Á 1 Á Ápr

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श्री व ुसहस्रनाम ोत्रम्

यु ध र उवाचकमेकं दवैतं लोके कं वाऽ ेकं परायणम् Áुव ः कं कमचर् ः प्रा ुयुम नवाः शुभम् Á Á 2 Á Á

को धमर्ः सवर्धम णां भवतः परमो मतः Áकं जपन् मु ते ज ुजर् संसारब नात् Á Á 3 Á Áश्रीभी उवाचजग भुं दवेदवेमन ं पुरुषो मम् Áुव ामसहस्रेण पुरुषः सततो तः Á Á 4 Á Á

तमेव चाचर्य ं भ ा पुरुषम यम् Áायन् ुव म ं यजमान मेव च Á Á 5 Á Á

अना द नधनं व ुं सवर्लोकमहे रम् Áलोका क्षं ुव ं सवर्दुःखा तगो भवेत् Á Á 6 Á Áब्र ं सवर्धमर्ज्ञं लोकानां क तर्वधर्नम् Áलोकनाथं मह तूं सवर्भूतभवो वम् Á Á 7 Á Áएष मे सवर्धम णां धम ऽ धकतमो मतः Áय ा पु र काक्षं वैरच रः सदा Á Á 8 Á Áपरमं यो मह ेजः परमं यो मह पः Áपरमं यो मह परमं यः परायणम् Á Á 9 Á Áप वत्राणां प वतं्र यो म ळानां च म ळम् Áदवैतं दवेतानां च भूतानां योऽ यः पता Á Á 10 Á Áयतः सव ण भूता न भव ा दयुगागमे Áय ं प्रलयं या पुनरेव युगक्षये Á Á 11 Á Áwww.prapatti.com 2 Sunder Kidāmbi

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श्री व ुसहस्रनाम ोत्रम्

त लोकप्रधान जग ाथ भूपते Áव ोन मसहस्रं मे शृणु पापभयापहम् Á Á 12 Á Áया न नामा न गौणा न व ाता न महा नः Áऋ ष भः पिरगीता न ता न व ा म भूतये Á Á 13 Á Áऋ षन मसहस्र वेद ासो महा मु नः Áछ ोऽनु ु प् तथा दवेो भगवान् दवेक सुतः Á Áअमृतांशू वो बीजं श दव कन नः Áत्रसामा हृदयं त शा थ व नयु ते Á Áव ुं ज ुं महा व ुं प्रभ व ुं महे रम् Áअनेकरूपदै ा ं नमा म पुरुषो मम् Á Áअ श्री व ो दर् सहस्रनाम ोत्रमहाम Áश्रीवेद ासो भगवान् ऋ षः Á अनु ु प् छ ः Áश्रीमहा व ुः परमा ा श्रीम ारायणो दवेता Áअमृतांशू वो भानुिर त बीजम् Á दवेक न नः स्र े त श ः Áउ वः क्षोभणो दवे इ त परमो म ः Áश भृ क चक्र त क लकम् Á शा र्ध ा गदाधर इ म् Áरथा पा णरक्षो इ त नेत्रम् Á त्रसामा सामगः सामे त कवचम् Áआन ं परब्र े त यो नः Á ऋतुः सुदशर्नः काल इ त द ः Áश्री व रूप इ त ानम् Áश्रीमहा व ु प्री थ श्रीसहस्रनाम जपे व नयोगः Á

ध्यानम्क्षीरोद दशेे शु चम ण वलस ैकते मौ कानांमालाकॢ ासन ः टकम ण नभैम कैमर् ता ः Á

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श्री व ुसहस्रनाम ोत्रम्

शुभ्रैरभ्रै रदभ्रैरुपिर वर चतैमुर् पीयूषवषःआन ी नः पुनीयादिरन लनगदाश पा णमुर्कु ः Á Á

भूः पादौ य ना भ वर्यदसुर नल सूय च नेते्रकण वाशाः शरो ौमुर्खम प दहनो य वा ेयम ः Á

अ ः ं य व ं सुरनरखगगोभो गग वर्दै ैःचतं्र रंर ते तं त्रभुवनवपुषं व ुमीशं नमा म Á Á

ओं नमो भगवते वासुदवेाय Áशा ाकारं भुजगशयनं प नाभं सुरेशं

व ाधारं गगनसदृशं मेघवण शुभा म् Áल ीका ं कमलनयनं यो गहृ ानग ंव े व ुं भवभयहरं सवर्लोकैकनाथम् Á Á

मेघ ामं पीतकौशेयवासंश्रीव ा ं कौ ुभो ा सता म् Á

पु ोपेतं पु र कायताक्षंव ुं व े सवर्लोकैकनाथम् Á Á

नमः सम भूतानामा दभूताय भूभृते Áअनेकरूपरूपाय व वे प्रभ व वे Á Áसश चकं्र स कर टकु लं सपीतव ं सरसीरुहेक्षणम् Áसहारवक्षः लशो भकौ ुभं नमा म व ुं शरसा चतुभुर्जम् Á Áछायायां पािरजात हेम संहासनोपिर Áआसीनम ुद ाममायताक्षमल ृ तम् Á Áच ाननं चतुब हुं श्रीव ा तवक्षसम् Áरु णीस भामा ां स हतं कृ माश्रये Á Áwww.prapatti.com 4 Sunder Kidāmbi

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श्री व ुसहस्रनाम ोत्रम्

नामसहस्रप्रारम्भःॐ व ं व ुवर्ष ारो भूतभ भव भुः Áभूतकृद् भूतभृ ावो भूता ा भूतभावनः Á Á 1 Á Áपूता ा परमा ा च मु ानां परमा ग तः Áअ यः पुरुषः साक्षी क्षेत्रज्ञोऽक्षर एव च Á Á 2 Á Áयोगो योग वदां नेता प्रधानपुरुषे रः Áनार संहवपुः श्रीमान् केशवः पुरुषो मः Á Á 3 Á Áसवर्ः शवर्ः शवः ाणुभूर्ता द नर् धर यः Áसंभवो भावनो भत प्रभवः प्रभुर रः Á Á 4 Á Áयंभूः श ुरा द ः पु राक्षो महा नः Á

अना द नधनो धाता वधाता धातुरु मः Á Á 5 Á Áअप्रमेयो हृषीकेशः प नाभोऽमरप्रभुः Áव कम मनु ा व ः वरो ध्रुवः Á Á 6 Á Áअग्रा ः शा तः कृ ो लो हताक्षः प्रतदर्नः Áप्रभूत ककु ाम प वतं्र म ळं परम् Á Á 7 Á Áईशानः प्राणदः प्राणो े ः श्रे ः प्रजाप तः Áहर गभ भूगभ माधवो मधुसूदनः Á Á 8 Á Áई रो वक्रमी ध ी मेधावी वक्रमः क्रमः Áअनु मो दुराधषर्ः कृतज्ञः कृ तरा वान् Á Á 9 Á Áसुरेशः शरणं शमर् व रेताः प्रजाभवः Áअह ंव रो ाळः प्र यः सवर्दशर्नः Á Á 10 Á Á

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श्री व ुसहस्रनाम ोत्रम्

अज व रः स ः स ः सव दर ुतः Áवृषाक परमेया ा सवर्योग व न ृतः Á Á 11 Á Áवसुवर्सुमना मा ा स त मः Áअमोघः पु र काक्षो वृषकम वृषाकृ तः Á Á 12 Á Áरुद्रो बहु शरा बभ्रु वर् यो न ु चश्रवाः Áअमृत ा तः ाणुवर्रारोहो महातपाः Á Á 13 Á Áसवर्गः सवर् व ानुः व ेनो जनादर्नः Áवेदो वेद वद ो वेदा ो वेद व वः Á Á 14 Á Áलोका क्ष ुरा क्षो धम क्षः कृताकृतः Áचतुरा ा चतु ूर्ह तुद ्र तुभुर्जः Á Á 15 Á Áभ्रा ज ुभ जनं भो ा स ह ुजर्गदा दजः Áअनघो वजयो जेता व यो नः पुनवर्सुः Á Á 16 Á Áउपे ो वामनः प्रांशुः अमोघः शु चरू जर्तः Áअती ह ग धृता ा नयमो यमः Á Á 17 Á Áवे ो वै ः सदायोगी वीरहा माधवो मधुः Áअती यो महामायो महो ाहो महाबलः Á Á 18 Á Áमहाबु मर्हावीय महाश मर्हा ु तः Áअ नद वपुः श्रीमान् अमेया ा महा द्रधृत् Á Á 19 Á Áमहे ासो महीभत श्री नवास तां ग तः Áअ नरु ः सुरान ो गो व ो गो वदां प तः Á Á 20 Á Áमर चदर्मनो हंसः सुपण भुजगो मः Áहर नाभ ुतपाः प नाभः प्रजाप तः Á Á 21 Á Áwww.prapatti.com 6 Sunder Kidāmbi

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श्री व ुसहस्रनाम ोत्रम्

अमृ ु वर्दृक् संहः स ाता स मान् रः Áअजो दुमर्षर्ण ा ा वशु्रता ा सुरािरहा Á Á 22 Á Áगुरुगुर्रुतमो धाम स पराक्रमः Áन मषोऽ न मषस्स्र ी वाच तरुदारधीः Á Á 23 Á Áअग्रणीग्र मणीः श्रीमान् ायो नेता समीरणः Áसहस्रमूध व ा ा सहस्राक्षः सहस्रपात् Á Á 24 Á Áआवतर्नो नवृ ा ा संवृत ंप्रमदर्नः Áअह ंवतर्को व र नलो धरणीधरः Á Á 25 Á Áसुप्रसादः प्रस ा ा व सृ भु भुः Áस त स ृ त ाधुजर् ु न रायणो नरः Á Á 26 Á Áअस ेयोऽप्रमेया ा व श कृ ु चः Áस ाथर् स ः स द साधनः Á Á 27 Á Áवृषाही वृषभो व ुः वृषपव वृषोदरः Áवधर्नो वधर्मान व व ः शु्र तसागरः Á Á 28 Á Áसुभुजो दुधर्रो वा ी महे ो वसुदो वसुः Áनैकरूपो बृहद्रपूः श प व ः प्रकाशनः Á Á 29 Á Áओज ेजो ु तधरः प्रकाशा ा प्रतापनः Áऋ स् ाक्षरो म ः च ांशुभ र ु तः Á Á 30 Á Áअमृतांशू वो भानुः शश ब ु ुरे रः Áऔषधं जगत ेतुः स धमर्पराक्रमः Á Á 31 Á Áभूतभ भव ाथः पवनः पावनोऽनलः Áकामहा कामकृ ा ः कामः कामप्रदः प्रभुः Á Á 32 Á Áwww.prapatti.com 7 Sunder Kidāmbi

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श्री व ुसहस्रनाम ोत्रम्

युगा दकृ गुावत नैकमायो महाशनः Áअदृ ो रूप सहस्र जदन जत् Á Á 33 Á Áइ ोऽ व श े ः शख ी नहुषो वृषः Áक्रोधहा क्रोधकृ त व बाहुमर्हीधरः Á Á 34 Á Áअ ुतः प्र थतः प्राणः प्राणदो वासवानुजः Áअपा ध र ध ानमप्रम ः प्र त तः Á Á 35 Á Á

स् धरो धुय वरदो वायुवाहनः Áवासुदवेो बृह ानुरा ददवेः पुर रः Á Á 36 Á Áअशोक ारण ारः शूरः शौिरजर्ने रः Áअनुकूलः शतावतर्ः प ी प नभेक्षणः Á Á 37 Á Áप नाभोऽर व ाक्षः प गभर्ः शर रभृत् Áमह र्ऋ ो वृ ा ा महाक्षो गरुड जः Á Á 38 Á Áअतुलः शरभो भीमः समयज्ञो ह वहर्िरः Áसवर्लक्षणलक्ष ो ल ीवान् स म त यः Á Á 39 Á Áवक्षरो रो हतो माग हेतुद मोदरः सहः Áमहीधरो महाभागो वेगवान मताशनः Á Á 40 Á Áउ वः क्षोभणो दवेः श्रीगभर्ः परमे रः Áकरणं कारणं कत वकत गहनो गुहः Á Á 41 Á Áवसायो व ानः सं ानः ानदो ध्रुवः Á

पर र्ः परम ः तु ः पु ः शुभेक्षणः Á Á 42 Á Áरामो वरामो वरतो माग नेयो नयोऽनयः Áवीर मतां श्रे ो धम धमर् वदु मः Á Á 43 Á Áwww.prapatti.com 8 Sunder Kidāmbi

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श्री व ुसहस्रनाम ोत्रम्

वैकु ः पुरुषः प्राणः प्राणदः प्रणमः पृथुः Áहर गभर् तु्र ो ा ो वायुरधोक्षजः Á Á 44 Á Áऋतु ुदशर्नः कालः परमे ी पिरग्रहः Áउग्र ंव रो दक्षो वश्रामो व द क्षणः Á Á 45 Á Áव ारः ावर ाणुः प्रमाणं बीजम यम् Áअथ ऽनथ महाकोशो महाभोगो महाधनः Á Á 46 Á Áअ न वर् ः व ो भूधर्मर्यूपो महामखः Áनक्षत्रने मनर्क्षत्री क्षमः क्षाम मीहनः Á Á 47 Á Áयज्ञ इ ो महे क्रतु तं्र सता तः Áसवर्दश नवृ ा ा सवर्ज्ञो ज्ञानमु मम् Á Á 48 Á Áसुव्रतः सुमुख ू ः सुघोषः सुखदः सुहृत् Áमनोहरो जतक्रोधो वीरबाहु वर्दारणः Á Á 49 Á Áापन वशो ापी नैका ा नैककमर्कृत् Á

व रो व लो व ी र गभ धने रः Á Á 50 Á Áधमर्गु मर्कृ म सदक्षरमस रम् Áअ वज्ञाता सहस्रांशुः वधाता कृतलक्षणः Á Á 51 Á Áगभ ने म ंहो भूतमहे रः Áआ ददवेो महादवेो दवेेशो दवेभृ रुुः Á Á 52 Á Áउ रो गोप तग ा ज्ञानग ः पुरातनः Áशर रभूतभृ ो ा कपी ो भूिरद क्षणः Á Á 53 Á Áसोमपोऽमृतपः सोमः पुरु ज ुरुस मः Áवनयो जयः स स ो दाशाहर्ः सा तां प तः Á Á 54 Á Áwww.prapatti.com 9 Sunder Kidāmbi

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श्री व ुसहस्रनाम ोत्रम्

जीवो वन यता साक्षी मुकु ोऽ मत वक्रमः Áअ ो न धरन ा ा महोद धशयोऽ कः Á Á 55 Á Áअजो महाहर्ः ाभा ो जता मत्रः प्रमोदनः Áआन ो न नो न ः स धम त्र वक्रमः Á Á 56 Á Áमह षर्ः क पलाचायर्ः कृतज्ञो मे दनीप तः Áत्रपद दशा क्षो महाशृ ः कृता कृत् Á Á 57 Á Áमहावराहो गो व ः सुषेणः कनका दी Áगु ो गभीरो गहनो गु क्रगदाधरः Á Á 58 Á Áवेधाः ा ोऽ जतः कृ ो दृढः स षर्णोऽ ुतः Áवरुणो वारुणो वृक्षः पु राक्षो महामनाः Á Á 59 Á Áभगवान् भगहा न ी वनमाल हलायुधः Áआ द ो ो तरा द ः स ह ुगर् तस मः Á Á 60 Á Áसुध ा ख परशुद रुणो द्र वणप्रदः Áद व ृ वर्दृ ासो वाच तरयो नजः Á Á 61 Á Áत्रसामा सामगः साम नव णं भेषजं भषक् Áस ासकृ मः शा ो न ा शा ः परायणम् Á Á 62 Á Áशुभा ः शा दः स्र ा कुमुदः कुवलेशयः Áगो हतो गोप तग ा वृषभाक्षो वृष प्रयः Á Á 63 Á Áअ नवत नवृ ा ा स े ा क्षेमकृ वः Áश्रीव वक्षाः श्रीवासः श्रीप तः श्रीमतां वरः Á Á 64 Á Áश्रीदः श्रीशः श्री नवासः श्री न धः श्री वभावनः Áश्रीधरः श्रीकरः श्रेयः श्रीमान् लोकत्रयाश्रयः Á Á 65 Á Áwww.prapatti.com 10 Sunder Kidāmbi

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श्री व ुसहस्रनाम ोत्रम्

क्षः ः शतान ो न तगर्णे रः Áव जता ा वधेया ा स तर् संशयः Á Á 66 Á Áउदीणर्ः सवर्त क्षु रनीशः शा त रः Áभूशयो भूषणो भू तरशोकः शोकनाशनः Á Á 67 Á Áअ चर् ान चर्तः कु ो वशु ा ा वशोधनः Áअ नरु ोऽप्र तरथः प्र ु ोऽ मत वक्रमः Á Á 68 Á Áकालने म नहा शौिरः शूरः शूरजने रः Áत्रलोका ा त्रलोकेशः केशवः के शहा हिरः Á Á 69 Á Áकामदवेः कामपालः कामी का ः कृतागमः Áअ नद वपु वर् ुः वीरोऽन ो धन यः Á Á 70 Á Áब्र ो ब्र कृ ा ब्र ब्र ववधर्नः Áब्र व ा णो ब्र ी ब्र ज्ञो ब्रा ण प्रयः Á Á 71 Á Áमहाक्रमो महाकम महातेजा महोरगः Áमहाक्रतुमर्हाय ा महायज्ञो महाह वः Á Á 72 Á Á

ः व प्रयः ोतं्र ुतः ोता रण प्रयः Áपूणर्ः पूर यता पु ः पु क तर्रनामयः Á Á 73 Á Áमनोजव ीथर्करो वसुरेता वसुप्रदः Áवसुप्रदो वासुदवेो वसुवर्सुमना ह वः Á Á 74 Á Áस तः स ृ तः स ा स ू तः स रायणः Áशूरसेनो यदुश्रे ः स वासः सुयामुनः Á Á 75 Á Áभूतावासो वासुदवेः सव सु नलयोऽनलः Áदपर्हा दपर्दोऽदृ ो दुधर्रोऽथापरा जतः Á Á 76 Á Áwww.prapatti.com 11 Sunder Kidāmbi

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श्री व ुसहस्रनाम ोत्रम्

व मू तर्मर्हामू तर्ः दी मू तर्रमू तर्मान् Áअनेकमू तर्र ः शतमू तर्ः शताननः Á Á 77 Á Áएको नैकः सवः कः कं य दमनु मम् Áलोकब ुल कनाथो माधवो भ व लः Á Á 78 Á Áसुवणर्वण हेमा ो वरा ना दी Áवीरहा वषमः शू ो घृताशीरचल लः Á Á 79 Á Áअमानी मानदो मा ो लोक ामी त्रलोकधृत् Áसुमेधा मेधजो ध ः स मेधा धराधरः Á Á 80 Á Áतेजो वृषो ु तधरः सवर्श भृतां वरः Áप्रग्रहो नग्रहो ग्रो नैकशृ ो गदाग्रजः Á Á 81 Á Áचतुमूर् तर् तुब हु तु ूर्ह तुगर् तः Áचतुरा ा चतुभ व तुवद वदकेपात् Á Á 82 Á Áसमावत नवृ ा ा दुजर्यो दुर तक्रमः Áदुलर्भो दुगर्मो दुग दुरावासो दुरािरहा Á Á 83 Á Áशुभा ो लोकसार ः सुत ु ुवधर्नः Áइ कम महाकम कृतकम कृतागमः Á Á 84 Á Áउ वः सु रः सु ो र नाभः सुलोचनः Áअक वाजस नः शृ जय ः सवर् व यी Á Á 85 Á Áसुवणर् ब रुक्षो ः सवर्वागी रे रः Áमहाहृदो महागत महाभूतो महा न धः Á Á 86 Á Áकुमुदः कु रः कु ः पजर् ः पवनोऽ नलः Áअमृताशोऽमृतवपुः सवर्ज्ञः सवर्तोमुखः Á Á 87 Á Áwww.prapatti.com 12 Sunder Kidāmbi

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श्री व ुसहस्रनाम ोत्रम्

सुलभः सुव्रतः स ः शतु्र ज तु्रतापनः Áग्रोधोदु रोऽ ः चाणूरा नषूदनः Á Á 88 Á Á

सहस्रा चर्ः स ज ः स ैधाः स वाहनः Áअमू तर्रनघोऽ च ो भयकृ यनाशनः Á Á 89 Á Áअणुबृर्ह ृ शः ूलो गुणभृ गुर्णो महान् Áअधृतः धृतः ा ः प्रा ंशो वंशवधर्नः Á Á 90 Á Áभारभृ थतो योगी योगीशः सवर्कामदः Áआश्रमः श्रमणः क्षामः सुपण वायुवाहनः Á Á 91 Á Áधनुधर्रो धनुवदो द ो दम यताऽदमः Áअपरा जतः सवर्सहो नय ा नयमो यमः Á Á 92 Á Áस वान् सा कः स ः स धमर्परायणः Áअ भप्रायः प्रयाह ऽहर्ः प्रयकृ ी तवधर्नः Á Á 93 Á Áवहायसग त तः सुरु चहुर्तभु भुः Áर व वर्रोचनः सूयर्ः स वता र वलोचनः Á Á 94 Á Áअन हुतभु ो ा सुखदो नैकदोऽग्रजः Áअ न वर् ः सदामष लोका ध ान म तुः Á Á 95 Á Áसना नातनतमः क पलः क पर यः Á

दः कृ भु द क्षणः Á Á 96 Á Áअरौद्रः कु ल चक्र वक्र ू जर्तशासनः Áश ा तगः श सहः श शरः शवर्र करः Á Á 97 Á Áअकू्ररः पेशलो दक्षो द क्षणः क्ष मणां वरः Áव मो वीतभयः पु श्रवणक तर्नः Á Á 98 Á Áwww.prapatti.com 13 Sunder Kidāmbi

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श्री व ुसहस्रनाम ोत्रम्

उ ारणो दु ृ तहा पु ो दुः नाशनः Áवीरहा रक्षणः स ो जीवनः पयर्व तः Á Á 99 Á Áअन रूपोऽन श्री जर्तम ुभर्यापहः Áचतुरस्रो गभीरा ा व दशो ा दशो दशः Á Á 100 Á Áअना दभूर्भुर्वो ल ीः सुवीरो रु चरा दः Áजननो जनज ा दः भीमो भीमपराक्रमः Á Á 101 Á Áआधार नलयो धाता पु हासः प्रजागरः Áऊ र्गः स थाचारः प्राणदः प्रणवः पणः Á Á 102 Á Áप्रमाणं प्राण नलयः प्राणधृ ाणजीवनः Áत ं त वदकेा ा ज मृ ुजरा तगः Á Á 103 Á Áभूभुर्वः रु ारः स वता प्र पतामहः Áयज्ञो यज्ञप तयर् ा यज्ञा ो यज्ञवाहनः Á Á 104 Á Áयज्ञभृ ज्ञकृ ज्ञी यज्ञभु ज्ञसाधनः Áयज्ञा कृ ज्ञगु म म ाद एव च Á Á 105 Á Áआ यो नः यंजातो वैखानः सामगायनः Áदवेक न नः स्र ा क्षतीशः पापनाशनः Á Á 106 Á Áश भृ क चक्र शा र्ध ा गदाधरः Áरथा पा णरक्षो ः सवर्प्रहरणायुधः Á Á 107 Á Áश्रीसवर्प्रहरणायुध ओं नम इ त Á Áवनमाल गदी शा श चक्र च न क Áश्रीमान् नारायणो व ुव सुदवेोऽ भरक्षतु Á Áश्रीवासुदवेोऽ भरक्षतु ओं नम इ त Á Áwww.prapatti.com 14 Sunder Kidāmbi

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श्री व ुसहस्रनाम ोत्रम्

फलश्रिुतश्लोकाःइतीदं क तर्नीय केशव महा नः Áना ां सहस्रं द ानामशेषेण प्रक तर्तम् Á Á 1 Á Áय इदं शृणुया ं य ा प पिरक तर्येत् Áनाशुभं प्रा ुयात् क त् सोऽमुते्रह च मानवः Á Á 2 Á Áवेदा गो ब्रा णः ात् क्ष त्रयो वजयी भवेत् Áवै ो धनसमृ ः ा ू द्रः सुखमवा ुयात् Á Á 3 Á Áधम थ प्रा ुया मर्मथ थ चाथर्मा ुयात् Áकामानवा ुयात् कामी प्रजाथ चा ुयात् प्रजाः Á Á 4 Á Áभ मान् यः सदो ाय शु च तमानसः Áसहस्रं वासुदवे ना ामेतत् प्रक तर्येत् Á Á 5 Á Áयशः प्रा ो त वपुलं ज्ञा त प्राधा मेव च Áअचलां श्रयमा ो त श्रेयः प्रा ो नु मम् Á Á 6 Á Áन भयं चदा ो त वीय तेज व त Áभव रोगो ु तमान् बलरूपगुणा तः Á Á 7 Á Áरोगात मु ते रोगा ो मु ेत ब नात् Áभया ु ेत भीत ु मु ेताप आपदः Á Á 8 Á Áदुग ततर ाशु पुरुषः पुरुषो मम् Áुव ामसहस्रेण न ं भ सम तः Á Á 9 Á Á

वासुदवेाश्रयो म वासुदवेपरायणः Áसवर्पाप वशु ा ा या त ब्र सनातनम् Á Á 10 Á Á

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श्री व ुसहस्रनाम ोत्रम्

न वासुदवेभ ानामशुभं व ते चत् Áज मृ ुजरा ा धभयं नैवोपजायते Á Á 11 Á Áइमं वमधीयानः श्र ाभ सम तः Áयु ेता सुखक्षा श्रीधृ त ृ तक तर् भः Á Á 12 Á Áन क्रोधो न च मा य न लोभो नाशुभा म तः Áभव कृतपु ानां भ ानां पुरुषो मे Á Á 13 Á Áौः सच ाकनक्षत्रा खं दशो भूमर्होद धः Á

वासुदवे वीयण वधृता न महा नः Á Á 14 Á Áससुरासुरग व सयक्षोरगराक्षसम् Áजग शे वतर्तेदं कृ सचराचरम् Á Á 15 Á Áइ या ण मनो बु ः स ं तेजो बलं धृ तः Áवासुदवेा का ाहुः क्षेतं्र क्षेत्रज्ञ एव च Á Á 16 Á Áसव गमानामाचारः प्रथमं पिरक तः Áआचारप्रथमो धम धमर् प्रभुर ुतः Á Á 17 Á Áऋषयः पतरो दवेा महाभूता न धातवः Áज माज मं चेदं जग ारायणो वम् Á Á 18 Á Áयोगज्ञानं तथा सा ं व ाः श ा दकमर् च Áवेदाः शा ा ण वज्ञानमेत व जनादर्नात् Á Á 19 Á Áएको व ुमर्ह तूं पृथ ूता नेकशः Áत्रीन् लोकान् ा भूता ा भु े व भुग यः Á Á 20 Á Áइमं वं भगवतो व ो सेन क तर्तम् Áपठे इ ेत् पुरुषः श्रेयः प्रा ुं सुखा न च Á Á 21 Á Áwww.prapatti.com 16 Sunder Kidāmbi

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श्री व ुसहस्रनाम ोत्रम्

व े रमजं दवें जगतः प्रभवा यम् Áभज ये पु राक्षं न ते या पराभवम् Á Á 22 Á Áन ते या पराभवम् ओं नम इ त Áअजुर्न उवाचप पत्र वशालाक्ष प नाभ सुरो म Áभ ानामनुर ानां त्राता भव जनादर्न Á Á 1 Á Áश्रीभगवानुवाचयो मां नामसहस्रेण ोतु म त पा व Áसोहऽमेकेन ोकेन ुत एव न संशयः Á Á 2 Á Áुत एव न संशय ओं नम इ त Á Áास उवाच

वासना ासुदवे वा सतं ते जग यम् Áसवर्भूत नवासोऽ स वासुदवे नमोऽ ु ते Á Á 3 Á Áश्रीवासुदवे नमोऽ ु त ओं नम इ त Á Áपावर् ुवाचकेनोपायेन लघुना व ोन मसहस्रकम् Áप ते प तै नर् ं श्रोतु म ा हं प्रभो Á Á 4 Á Áई र उवाचश्रीराम राम रामे त रमे रामे मनोरमे Áसहस्रनामत ु ं रामनाम वरानने Á Á 5 Á Áश्रीरामनाम वरानन ओं नम इ त Á Áब्र ोवाचनमोऽ न ाय सहस्रमूतर्ये सहस्रपादा क्ष शरोरुबाहवे Á

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श्री व ुसहस्रनाम ोत्रम्

सहस्रना े पुरुषाय शा ते सहस्रकोटीयुगधािरणे नमः Á Á 6 Á Áसहस्रकोटीयुगधािरण ओं नम इ त Á Áस य उवाचयत्र योगे रः कृ ो यत्र पाथ धनुधर्रः Áतत्र श्री वर्जयो भू तध्रुर्वा नी तमर् तमर्म Á Á 7 Á Áश्रीभगवानुवाचअन ा य ो मां ये जनाः पयुर्पासते Áतेषां न ा भयु ानां योगक्षेमं वहा हम् Á Á 8 Á Áपिरत्राणाय साधूनां वनाशाय च दु ृ ताम् Áधमर्सं ापनाथ य संभवा म युगे युगे Á Á 9 Á Áआत वष ाः श थला भीताःघोरेषु च ा धषु वतर्मानाः Á

स र् नारायणश मातं्रवमु दुःखाः सु खनो भव Á Á 10 Á Á

कायेन वाचा मनसे यैवबु ाऽऽ ना वा प्रकृतेः भावात् Á

करो म य त् सकलं पर ैनारायणाये त समपर्या म Á Á 11 Á Á

Á Á इ त श्री व ुसहस्रनाम ोतं्र समा म् Á Á

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Á Á श्री प ायुध ोत्रम् Á Áु र हस्रार शखा ततीव्रंसुदशर्नं भा रको टतु म् Á

सुर षां प्राण वना श व ोःचकं्र सदाऽहं शरणं प्रप े Á Á 1 Á Á

व ोमुर्खो ा नलपूिरतय नद नव दपर्ह ा Á

तं पा ज ं श शको टशुभ्रंश ं सदाऽहं शरणं प्रप े Á Á 2 Á Á

हर यीं मेरुसमानसारांकौमोदक दै कुलैकह ीम् Á

वैकु वामाग्रकरा भमृ ां गदांसदाऽहं शरणं प्रप े Á Á 3 Á Á

रक्षोऽसुराणां क ठनोग्रक -ेदक्षर ो णत द धारम् Á

तं न कं नाम हरेः प्रदी ंख ं सदाऽहं शरणं प्रप े Á Á 4 Á Á

य ा ननादश्रवणात् सुराणांचेतां स नमुर् भया न स ः Á

भव दै ाश नबाणव षर्शा सदाऽहं शरणं प्रप े Á Á 5 Á Á

इमं हरेः प महायुधानांवं पठे ोऽनु दनं प्रभाते Áprap

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श्री प ायुध ोत्रम्

सम दुःखा न भया न स ःपापा न न सुखा न स Á Á 6 Á Á

वने रणे शतु्रजला म ेयदृ याप ु महाभयेषु Á

इदं पठन् ोत्रमनाकुला ासुखी भवेत् त ृ तसवर्रक्षः Á Á 7 Á Á

Á Á इ त श्री प ायुध ोतं्र समा म् Á Á

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Á Á श्री ादशनामप र ोत्रम् Á Áपुर ात् केशवः पातु चक्र जा ूनदप्रभः Áप ा ारायणः श नीलजीमूतस भः Á Á 1 Á Áइ ीवरदळ ामो माधवो गदाधरः Áगो व ो द क्षणे पा ध ी च प्रभो महान् Á Á 2 Á Áउ रे हलभृ ुः प क स भः Áआ े ामर व ाभो मुसल मधुसूदनः Á Á 3 Á Áत्र वक्रमः ख पा ण नर्ऋ ां लनप्रभः Áवाय ां वामनो वज्री तरुणा द दी मान् Á Á 4 Á Áऐशा ां पु र काभः श्रीधरः प सायुधः Áव ु भो हृषीकेशो वा ां द श मु र Á Á 5 Á Áहृ े प नाभो मे सहस्राकसमप्रभः Áसव युधः सवर्श ः सवर्ज्ञः सवर्तोमुखः Á Á 6 Á Áइ गोपकस ाशः पाशह ोऽपरा जतः Áस बा ा रं दहंे ा दामोदरः तः Á Á 7 Á Áएवं सवर्त्र म द्रं नाम ादशप रम् Áप्र व ोऽहं न मे क यम कदाचन Áभयं ना कदाचन ओं नम इ त Á Á 8 Á Á

Á Á इ त श्री ादशनामप र ोतं्र समा म् Á Áprap

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Á Á आपदु ारक श्रीराम ोत्रम् Á Áओं आपदामपहत रं दातारं सवर्संपदाम् Áलोका भरामं श्रीरामं भूयो भूयो नमा हम् Á Á 1 Á Áआत नामा तर्ह ारं भीतानां भी तनाशनम् Áषतां कालद ं तं रामच ं नमा हम् Á Á 2 Á Á

नमः कोद ह ाय स ीकृतशराय च Áख ता खलदै ाय रामायाऽऽप वािरणे Á Á 3 Á Áरामाय रामभद्राय रामच ाय वेधसे Áरघुनाथाय नाथाय सीतायाः पतये नमः Á Á 4 Á Áअग्रतः पृ त ैव पा र्त महाबलौ Áआकणर्पूणर्ध ानौ रक्षेतां रामल णौ Á Á 5 Á Áस ः कवची ख ी चापबाणधरो युवा Áग न् ममाग्रतो न ं रामः पातु सल णः Á Á 6 Á Áअ ुतान गो व नामो ारणभेषजात् Áन सकला रोगा ं स ं वदा हम् Á Á 7 Á Áस ं स ं पुन मु ृ भुजमु ते Áवेदा ा ं परं ना न दवैं केशवा रम् Á Á 8 Á Áशर रे जझर्र भूते ा धग्र े कळेबरे Áऔषधं जा वीतोयं वै ो नारायणो हिरः Á Á 9 Á Áआलो सवर्शा ा ण वचायर् च पुनः पुनः Áइदमेकं सु न ं ेयो नारायणो हिरः Á Á 10 Á Ápr

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आपदु ारक श्रीराम ोत्रम्

कायेन वाचा मनसे यैवबु ा ना वा प्रकृतेः भावात् Á

करो म य त् सकलं पर ैनारायणाये त समपर्या म Á Á

यदक्षरपदभ्र ं मात्राहीनं तु य वेत् Áत व क्ष तां दवे नारायण नमोऽ ु ते Á Áवसगर् ब मुात्रा ण पदपादाक्षरा ण च Áूना न चा तिर ा न क्षम पुरुषो म Á Á

Á Á इ त आपदु ारक श्रीराम ोतं्र समा म् Á Á

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