नारी तू नारायणी - hariom groupदासी ने सुयशा से...

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Page 1: नारी तू नारायणी - Hariom Groupदासी ने सुयशा से कहाः "गाओ, संकोच न करो, देर न करो।

ःतावना

यऽ नायरःत पजयनत रमनत तऽ दवता िजस कल म ि यो का आदर ह वहा दवता परसनन रहत ह

इस परकार शा ो म नारी की मिहमा बतायी गयी ह भारतीय समाज म नारी का एक िविशषट व गौरवपरण ःथान ह वह भो य नही ह बिलक परष को भी िशकषा दन यो य चिरऽ बरत सकती ह अगर वह अपन चिरऽ और साधना म दढ़ तथा उतसाही बन जाय तो अपन माता िपता पित सास और सर की भी उ ारक हो सकती ह

धमर (आचारसिहता) की ःथापना भल आचाय न की पर उस सभाल रखना िवःतािरत करना और बचचो म उसक सःकारो का िसचन करना ndash इन सबका ौय नारी को जाता ह भारतीय सःकित न ी को माता क रप म ःवीकार करक यह बात िस की ह िक नारी परष क कामोपभोग की साममी नही बिलक वदनीय पजनीय ह

इस पःतक म परम पजय सत ौी आसारामजी बाप क सतसग-वचनो स आदशर नािरयो क कछ ऐस जीवन-सग समिहत िकय गय ह िक नािरया यिद इस चयन का बार-बार अवलोकन करगी तो उनह अवय लाभ होगा

ौी योग वदानत सवा सिमित सत ौी आसारामजी आौम अमदावाद

अनबम सयमिनषठ सयशा 5

अदभत आभासमपनन रानी कलावती 13

उततम िजजञासः मऽयी 15

बर मवािदनी िवदषी गाग 17

अथाह शि की धनीः तपिःवनी शाणडािलनी 19

सती सािवऽी 20

मा सीता की सतीतव‐भावना 22

आरत भकत िौपदी 22

दवी शि यो स समपनन गणमजरी दवी 24

िववक की धनीः कमारवती

26

वासतिवक सौनदरय 39

आतमिव ा की धनीः फलीबाई 43

आनदीबाई की दढ़ शर ा 48

कमारबाई की वातसलय‐भि 50

साधवी िसरमा 51

म ाबाई का सरवतर िव ठल‐दरशन 56

रतनबाई की गरभि 58

बर मलीन ौी मा महगीबा 60

मरी मा का िदवय गरभाव 60

परभ मझ जान दो 61

इचछाओ स परः मा महगीबा 62

जीवन म कभी फिरयाद नही 63

बीमारो क परित मा की करणा 63

कोई कारय घिणत नही ह 64

ऐसी मा क िलए शोक िकस बात का 64

अममा की गरिन ा 66

ःवावलबन एव परदःखकातरता 66

अममा म मा यशोदा जसा भा 67

न की िदवय भावना 67

गरीब कनयाओ क िववाह म मदद 68

अममा का उतसव म 68

रतयक वःत का सदपयोग होना चािहए 69

अह स पर 69

मीराबाई की गरभि 70

राजकमारी मिललका बनी तीथकर मिललयनाथ 72

दगारदास की वीर जननी 73

करमिनषठ यामो 74

शि सवरपा मा आनदमयी 75

अभाव का ही अभाव 79

मा अजना का सामथरय 80

लजजावासो भषण श शील पादकषपो धमरमाग च यःया

िनतय पतयः सवन िम वाणी धनया सा ी पतयतयव पथवीम िजस ी का लजजा ही व तथा िवश भाव ही भषण हो धमरमागर म िजसका वश हो मधर वाणी

बोलन का िजसम गण हो वह पितसवा-परायण ौ नारी इस पथवी को पिवऽ करती ह भगवान शकर महिषर गगर स कहत हः िजस घर म सवरगणसपनना नारी सखपवरक िनवास करती ह उस घर म लआमी िनवास करती ह ह वतस कोिट दवता भी उस घर को नही छोड़त

नारी का दय कोमल और िःन ध हआ करता ह इसी वजह स वह जगत की पालक माता क ःवरप म हमशा ःवीकारी गयी ह ववतर पराण क गणष खणड क 40 व अधयाय म आया हः

जनको जनमदाततवात पालनाचच िपता ःमतः गरीयान जनमदात योऽनदाता िपता मन तयोः शतगण माता पजया मानया च विनदता गभरधारणपोषा या सा च ता या गरीयसी

जनमदाता और पालनकतार होन क कारण सब पजयो म पजयतम जनक और िपता कहलाता ह जनमदाता स भी अननदाता िपता ौ ह इनस भी सौगनी ौ और वदनीया माता ह कयोिक वह गभरधारण तथा पोषण करती ह

इसिलए जननी एव जनमभिम को ःवगर स भी ौ बतात हए कहा गया हः जननी जनमभिम ःवगारदिप गरीयसी

सयमिन सयशा अमदावाद की घिटत घटना हः िवबम सवत 17 वी शताबदी म कणारवती (अमदावाद) म यवा राजा पपसन का राजय था जब उसकी

सवारी िनकलती तो बाजारो म लोग कतारब खड़ रहकर उसक दशरन करत जहा िकसी सनदर यवती पर उसकी नजर पड़ती तब मऽी को इशारा िमल जाता रािऽ को वह सनदरी महल म पहचायी जाती िफर भल िकसी की कनया हो अथवा दलहन

एक गरीब कनया िजसक िपता का ःवगरवास हो गया था उसकी मा चककी चलाकर अपना और बटी का पट पालती थी वह ःवय भी कथा सनती और अपनी पऽी को भी सनाती हक और पिरौम की कमाई एकादशी का ोत और भगवननाम-जप इन सबक कारण 16 वष या कनया का शरीर बड़ा सगिठत था और रप लावणय का तो मानो अबार थी उसका नाम था सयशा

सबक साथ सयशा भी पपसन को दखन गयी सयशा का ओज तज और रप लावणय दखकर पपसन न अपन मऽी को इशारा िकया मऽी न कहाः जो आजञा

मऽी न जाच करवायी पता चला िक उस कनया का िपता ह नही मा गरीब िवधवा ह उसन सोचाः यह काम तो सरलता स हो जायगा

मऽी न राजा स कहाः राजन लड़की को अकल कया लाना उसकी मा स साथ ल आय महल क पास एक कमर म रहगी झाड़-बहारी करगी आटा पीसगी उनको कवल खाना दना ह

मऽी न यि स सयशा की मा को महल म नौकरी िदलवा दी इसक बाद उस लड़की को महल म लान की यि या खोजी जान लगी उसको बशम क व िदय जो व ककमर करन क िलए वयाओ को पहनकर तयार रहना होता ह ऽी न ऐस व भज और कहलवायाः राजा साहब न कहा हः सयशा य व पहन कर आओ सना ह िक तम भजन अचछा गाती हो अतः आकर हमारा मनोरजन करो

यह सनकर सयशा को धकका लगा जो बढ़ी दासी थी और ऐस ककम म साथ दती थी उसन सयशा को समझाया िक य तो राजािधराज ह पपसन महाराज ह महाराज क महल म जाना तर िलए सौभा य की बात ह इस तरह उसन और भी बात कहकर सयशा को पटाया

सयशा कस कहती िक म भजन गाना नही जानती ह म नही आऊगी राजय म रहती ह और महल क अदर मा काम करती ह मा न भी कहाः बटी जा यह व ा कहती ह तो जा

सयशा न कहाः ठीक ह लिकन कस भी करक य बशम क व पहनकर तो नही जाऊगी सयशा सीध-साद व पहनकर राजमहल म गयी उस दखकर पपसन को धकका लगा िक इसन मर

भज हए कपड़ नही पहन दासी न कहाः दसरी बार समझा लगी इस बार नही मानी सयशा का सयश बाद म फलगा अभी तो अधमर का पहाड़ िगर रहा था धमर की ननही-सी मोमब ी

पर अधमर का पहाड़ एक तरफ राजस ा की आधी ह तो दसरी तरफ धमरस ा की लौ जस रावण की राजस ा और िवभीषण की धमरस ा दय धन की राजस ा और िवदर की धमरस ा िहरणयकिशप की राजस ा और ाद की धमरस ा धमरस ा और राजस ा टकरायी राजस ा चकनाचर हो गयी और धमरस ा की जय-जयकार हई और हो रही ह िवबम राणा और मीरा मीरा की धमर म दढ़ता थी राणा राजस ा क बल पर मीरा पर हावी होना चाहता था दोनो टकराय और िवबम राणा मीरा क चरणो म िगरा

धमरस ा िदखती तो सीधी सादी ह लिकन उसकी नीव पाताल म होती ह और सनातन सतय स जड़ी होती ह जबिक राजस ा िदखन म बड़ी आडमबरवाली होती ह लिकन भीतर ढोल की पोल की तरह होती ह

राजदरबार क सवक न कहाः राजािधराज महाराज पपसन की जय हो हो जाय गाना शर पपसनः आज तो हम कवल सयशा का गाना सनग दासी न कहाः सयशा गाओ राजा ःवय कह रह ह राजा क साथी भी सयशा का सौनदयर नऽो क ारा पीन लग और राजा क दय म काम-िवकार पनपन

लगा सयशा राजा क िदय व पहनकर नही आयी िफर भी उसक शरीर का गठन और ओज-तज बड़ा सनदर लग रहा था राजा भी सयशा को चहर को िनहार जा रहा था

कनया सयशा न मन-ही-मन भ स ाथरना कीः भ अब तमही रकषा करना आपको भी जब धमर और अधमर क बीच िनणरय करना पड़ तो धमर क अिध ानःवरप परमातमा की

शरण लना व आपका मगल ही करत ह उनहीस पछना िक अब म कया कर अधमर क आग झकना मत परमातमा की शरण जाना

दासी न सयशा स कहाः गाओ सकोच न करो दर न करो राजा नाराज होग गाओ परमातमा का ःमरण करक सयशा न एक राग छड़ाः

कब सिमरोग राम साधो कब सिमरोग राम

अब तम कब सिमरोग राम

बालपन सब खल गवायो यौवन म काम साधो कब सिमरोग राम कब सिमरोग राम

पपसन क मह पर मानो थपपड़ लगा सयशा न आग गायाः

हाथ पाव जब कपन लाग िनकल जायग ाण

कब सिमरोग राम साधो कब सिमरोग राम

झठी काया झठी माया आिखर मौत िनशान कहत कबीर सनो भई साधो जीव दो िदन का महमान

कब सिमरोग राम साधो कब सिमरोग राम

भावय भजन स सयशा का दय तो राम रस स सराबोर हो गया लिकन पपसन क रग म भग पड़ गया वह हाथ मसलता ही रह गया बोलाः ठीक ह िफर दखता ह

सयशा न िवदा ली पपसन न मिऽयो स सलाह ली और उपाय खोज िलया िक अब होली आ रही ह उस होिलकोतसव म इसको बलाकर इसक सौनदयर का पान करग

राजा न होली पर सयशा को िफर स व िभजवाय और दासी स कहाः कस भी करक सयशा को यही व पहनाकर लाना ह

दासी न बीसो ऊिगलयो का जोर लगाया मा न भी कहाः बटी भगवान तरी रकषा करग मझ िव ास ह िक त नीच कमर करन वाली लड़िकयो जसा न करगी त भगवान की गर की ःमित रखना भगवान तरा कलयाण कर

महल म जात समय इस बार सयशा न कपड़ तो पहन िलय लिकन लाज ढाकन क िलए ऊपर एक मोटी शाल ओढ़ ली उस दखकर पपसन को धकका तो लगा लिकन यह भी हआ िक चलो कपड़ तो मर पहनकर आयी ह राजा ऐसी-वसी यवितयो स होली खलत-खलत सयशा की ओर आया और उसकी शाल खीची ह राम करक सयशा आवाज करती हई भागी भागत-भागत मा की गोद म आ िगरी मा मा मरी इजजत खतर म ह जो जा का पालक ह वही मर धमर को न करना चाहता ह

मा बटी आग लग इस नौकरी को मा और बटी शोक मना रह ह इधर राजा बौखला गया िक मरा अपमान म दखता ह अब वह कस जीिवत रहती ह उसन अपन एक खखार आदमी काल िमया को बलवाया और कहाः काल तझ ःवगर की उस परी सयशा का खातमा करना ह आज तक तझ िजस-िजस वयि को खतम करन को कहा ह त करक आया ह यह तो तर आग मचछर ह मचछर ह काल त मरा खास आदमी ह म तरा मह मोितयो स भर दगा कस भी करक सयशा को उसक राम क पास पहचा द

काल न सोचाः उस कहा पर मार दना ठीक होगा रोज भात क अधर म साबरमती नदी म ःनान करन जाती ह बस नदी म गला दबोचा और काम खतमजय साबरमती कर दग

काल क िलए तो बाय हाथ का खल था लिकन सयशा का इ भी मजबत था जब वयि का इ मजबत होता ह तो उसका अिन नही हो सकता

म सबको सलाह दता ह िक आप जप और ोत करक अपना इ इतना मजबत करो िक बड़ी-स-बड़ी राजस ा भी आपका अिन न कर सक अिन करन वाल क छकक छट जाय और व भी आपक इ क चरणो म आ जाय ऐसी शि आपक पास ह

काल सोचता हः भात क अधर म साबरमती क िकनार जरा सा गला दबोचना ह बस छरा मारन की जररत ही नही ह अगर िचललायी और जररत पड़ी तो गल म जरा-सा छरा भ ककर जय साबरमती करक

रवाना कर दगा जब राजा अपना ह तो पिलस की ऐसी-तसी पिलस कया कर सकती ह पिलस क अिधकारी तो जानत ह िक राजा का आदमी ह

काल न उसक आन-जान क समय की जानकारी कर ली वह एक पड़ की ओट म छपकर खड़ा हो गया जयो ही सयशा आयी और काल न झपटना चाहा तयो ही उसको एक की जगह पर दो सयशा िदखाई दी कौन सी सचची य कया दो कस तीन िदन स सारा सवकषण िकया आज दो एक साथ खर दखता ह कया बात ह अभी तो दोनो को नहान दो नहाकर वापस जात समय उस एक ही िदखी तब काल हाथ मसलता ह िक वह मरा म था

वह ऐसा सोचकर जहा िशविलग था उसी क पास वाल पड़ पर चढ़ गया िक वह यहा आयगी अपन बाप को पानी चढ़ान तब या अललाह करक उस पर कदगा और उसका काम तमाम कर दगा

उस पड़ स लगा हआ िबलवपऽ का भी एक पड़ था सयशा साबरमती म नहाकर िशविलग पर पानी चढ़ान को आयी हलचल स दो-चार िबलवपऽ िगर पड़ सयशा बोलीः ह भ ह महादव सबह-सबह य िजस िबलवपऽ िजस िनिम स िगर ह आज क ःनान और दशरन का फल म उसक कलयाण क िनिम अपरण करती ह मझ आपका सिमरन करक ससार की चीज नही पानी मझ तो कवल आपकी भि ही पानी ह

सयशा का सकलप और उस बर-काितल क दय को बदलन की भगवान की अनोखी लीला

काल छलाग मारकर उतरा तो सही लिकन गला दबोचन क िलए नही काल न कहाः लड़की पपसन न तरी हतया करन का काम मझ स पा था म खदा की कसम खाकर कहता ह िक म तरी हतया क िलए छरा तयार करक आया था लिकन त अनदख घातक का भी कलयाण करना चाहती ह ऐसी िहनद कनया को मारकर म खदा को कया मह िदखाऊगा इसिलए आज स त मरी बहन ह त तर भया की बात मान और यहा स भाग जा इसस तरी भी रकषा होगी और मरी भी जा य भोल बाबा तरी रकषा करग िजन भोल बाबा तरी रकषा करग जा जलदी भाग जा

सयशा को काल िमया क ारा मानो उसका इ ही कछ रणा द रहा था सयशा भागती-भागती बहत दर िनकल गयी

जब काल को हआ िक अब यह नही लौटगी तब वह नाटक करता हआ राजा क पास पहचाः राजन आपका काम हो गया वह तो मचछर थी जरा सा गला दबात ही म ऽऽऽ करती रवाना हो गयी

राजा न काल को ढर सारी अशिफर या दी काल उनह लकर िवधवा क पास गया और उसको सारी घटना बतात हए कहाः मा मन तरी बटी को अपनी बहन माना ह म बर कामी पापी था लिकन उसन मरा िदल बदल िदया अब त नाटक कर की हाय मरी बटी मर गयी मर गयी इसस त भी बचगी तरी बटी भी बचगी और म भी बचगा

तरी बटी की इजजत लटन का ष यऽ था उसम तरी बटी नही फसी तो उसकी हतया करन का काम मझ स पा था तरी बटी न महादव स ाथरना की िक िजस िनिम य िबलवपऽ िगर ह उसका भी कलयाण हो मगल हो मा मरा िदल बदल गया ह तरी बटी मरी बहन ह तरा यह खखार बटा तझ ाथरना करता ह िक

त नाटक कर लः हाय रऽऽऽ मरी बटी मर गयी वह अब मझ नही िमलगी नदी म डब गयी ऐसा करक त भी यहा स भाग जा

सयशा की मा भाग िनकली उस कामी राजा न सोचा िक मर राजय की एक लड़की मरी अवजञा कर अचछा हआ मर गयी उसकी मा भी अब ठोकर खाती रहगी अब समरती रह वही राम कब सिमरोग राम साधो कब सिमरोग राम झठी काया झठी माया आिखर मौत िनशान कब सिमरोग राम साधो सब सिमरोग राम हा हा हा हा ऽऽऽ

मजाक-मजाक म गात-गात भी यह भजन उसक अचतन मन म गहरा उतर गया कब सिमरोग राम

उधर सयशा को भागत-भागत राःत म मा काली का एक छोटा-सा मिदर िमला उसन मिदर म जाकर णाम िकया वहा की पजािरन गौतमी न दखा िक कया रप ह कया सौनदयर ह और िकतनी नता उसन पछाः बटी कहा स आयी हो

सयशा न दखा िक एक मा तो छटी अब दसरी मा बड़ पयार स पछ रही ह सयशा रो पड़ी और बोलीः मरा कोई नही ह अपन ाण बचान क िलए मझ भागना पड़ा ऐसा कहकर सयशा न सब बता िदया

गौतमीः ओ हो ऽऽऽ मझ सतान नही थी मर भोल बाबा न मरी काली मा न मर घर 16 वषर की पऽी भज दी बटी बटी कहकर गौतमी न सयशा को गल लगा िलया और अपन पित कलाशनाथ को बताया िक आज हम भोलानाथ न 16 वषर की सनदरी कनया दी ह िकतनी पिवऽ ह िकतनी भि भाववाली ह

कलाशनाथः गौतमी पऽी की तरह इसका लालन-पालन करना इसकी रकषा करना अगर इसकी मज होगी तो इसका िववाह करग नही तो यही रहकर भजन कर

जो भगवान का भजन करत ह उनको िव न डालन स पाप लगता ह सयशा वही रहन लगी वहा एक साध आता था साध भी बड़ा िविचऽ था लोग उस पागलबाबा कहत

थ पागलबाबा न कनया को दखा तो बोल पड़ः हऽऽऽ

गौतमी घबरायी िक एक िशकज स िनकलकर कही दसर म पागलबाबा कही उस फसा न द ह भगवान इसकी रकषा करना ी का सबस बड़ा शऽ ह उसका सौनदयर एव ौगार दसरा ह उसकी असावधानी सयशा ौगार तो करती नही थी असावधान भी नही थी लिकन सनदर थी

गौतमी न अपन पित को बलाकर कहाः दखो य बाबा बार-बार अपनी बटी की तरफ दख रह ह

कलाशनाथ न भी दखा बाबा न लड़की को बलाकर पछाः कया नाम ह

सयशा

बहत सनदर हो बड़ी खबसरत हो

पजािरन और पजारी घबराय बाबा न िफर कहाः बड़ी खबसरत ह

कलाशनाथः महाराज कया ह

बड़ी खबसरत ह

महाराज आप तो सत आदमी ह

तभी तो कहता ह िक बड़ी खबसरत ह बड़ी होनहार ह मरी होगी त

पजािरन-पजारी और घबराय िक बाबा कया कह रह ह पागल बाबा कभी कछ कहत ह वह सतय भी हो जाता ह इनस बचकर रहना चािहए कया पता कही

कलाशनाथः महाराज कया बोल रह ह बाबा न सयशा स िफर पछाः त मरी होगी

सयशाः बाबा म समझी नही त मरी सािधका बनगी मर राःत चलगी

कौन-सा राःता

अभी िदखाता ह मा क सामन एकटक दख मा तर राःत ल जा रहा ह चलती नही ह तो त समझा मा मा

लड़की को लगा िक य सचमच पागल ह चल करक दि स ही लड़की पर शि पात कर िदया सयशा क शरीर म ःपदन होन लगा हाःय आिद

अ साि वक भाव उभरन लग पागलबाबा न कलाशनाथ और गौतमी स कहाः यह बड़ी खबसरत आतमा ह इसक बा सौनदयर पर

राजा मोिहत हो गया था यह ाण बचाकर आयी ह और बच पायी ह तमहारी बटी ह तो मरी भी तो बटी ह तम िचनता न करो इसको घर पर अलग कमर म रहन दो उस कमर म और कोई न जाय इसकी थोड़ी साधना होन दो िफर दखो कया-कया होता ह इसकी सष शि यो को जगन दो बाहर स पागल िदखता ह लिकन गल को पाकर घमता ह बचच

महाराज आप इतन सामथयर क धनी ह यह हम पता नही था िनगाहमाऽ स आपन स कषण शि का सचार कर िदया

अब तो सयशा का धयान लगन लगा कभी हसती ह कभी रोती ह कभी िदवय अनभव होत ह कभी काश िदखता ह कभी अजपा जप चलता ह कभी ाणायाम स नाड़ी-शोधन होता ह कछ ही िदनो म मलाधार ःवािध ान मिणपर कनि जामत हो गय

मलाधार कनि जागत हो तो काम राम म बदलता ह बोध कषमा म बदलता ह भय िनभरयता म बदलता ह घणा म म बदलती ह ःवािध ान कनि जागत होता ह तो कई िसि या आती ह मिणपर कनि जामत हो तो अपढ़ अनसन शा को जरा सा दख तो उस पर वया या करन का सामथयर आ जाता ह

आपक स य सभी कनि अभी सष ह अगर जग जाय तो आपक जीवन म भी यह चमक आ सकती ह हम ःकली िव ा तो कवल तीसरी ककषा तक पढ़ ह लिकन य कनि खलन क बाद दखो लाखो-करोड़ो लोग सतसग सन रह ह खब लाभािनवत हो रह ह इन कनिो म बड़ा खजाना भरा पड़ा ह

इस तरह िदन बीत स ाह बीत महीन बीत सयशा की साधना बढ़ती गयी अब तो वह बोलती ह तो लोगो क दयो को शाित िमलती ह सयशा का यश फला यश फलत-फलत साबरमती क िजस पार स वह आयी थी उस पार पहचा लोग उसक पास आत-जात रह एक िदन काल िमया न पछाः आप लोग इधर स उधर उस पार जात हो और एक दो िदन क बाद आत हो कया बात ह

लोगो न बतायाः उस पार मा भिकाली का मिदर ह िशवजी का मिदर ह वहा पागलबाबा न िकसी लड़की स कहाः त तो बहत सनदर ह सयमी ह उस पर कपा कर दी अब वह जो बोलती ह उस सनकर हम बड़ी शाित िमलती ह बड़ा आनद िमलता ह

अचछा ऐसी लड़की ह

उसको लड़की-लड़की मत कहो काल िमया लोग उसको माता जी कहत ह पजािरन और पजारी भी उसको माताजी-माताजी कहत ह कया पता कहा स वह ःवगर को दवी आयी ह

अचछा तो अपन भी चलत ह काल िमया न आकर दखा तो िजस माताजी को लोग मतथा टक रह ह वह वही सयशा ह िजसको

मारन क िलए म गया था और िजसन मरा दय पिरवितरत कर िदया था जानत हए भी काल िमया अनजान होकर रहा उसक दय को बड़ी शाित िमली इधर पपसन को

मानिसक िखननता अशाित और उ ग हो गया भ को कोई सताता ह तो उसका पणय न हो जाता ह इ कमजोर हो जाता ह और दर-सवर उसका अिन होना शर हो जाता ह

सत सताय तीनो जाय तज बल और वश पपसन को मिःतक का बखार आ गया उसक िदमाग म सयशा की व ही पि या घमन लगी-

कब सिमरोग राम साधो कब सिमरोग राम उन पि यो को गात-गात वह रो पड़ा हकीम व सबन हाथ धो डाल और कहाः राजन अब हमार

वश की बात नही ह काल िमया को हआः यह चोट जहा स लगी ह वही स ठीक हो सकती ह काल िमलन गया और पछाः

राजन कया बात ह

काल काल वह ःवगर की परी िकतना सनदर गाती थी मन उसकी हतया करवा दी म अब िकसको बताऊ काल अब म ठीक नही हो सकता ह काल मर स बहत बड़ी गलती हो गयी

राजन अगर आप ठीक हो जाय तो

अब नही हो सकता मन उसकी हतया करवा दी ह काल उसन िकतनी सनदर बात कही थीः झठी काया झठी माया आिखर मौत िनशान

कहत कबीर सनो भई साधो जीव दो िदन का महमान कब सिमरोग राम साधो कब सिमरोग राम

और मन उसकी हतया करवा दी काल मरा िदल जल रहा ह कमर करत समय पता नही चलता काल बाद म अनदर की लानत स जीव तप मरता ह कमर करत समय यिद यह िवचार िकया होता तो ऐसा नही होता काल मन िकतन पाप िकय ह

काल का दय पसीजा की इस राजा को अगर उस दवी की कपा िमल जाय तो ठीक हो सकता ह वस यह राजय तो अचछा चलाना जानता ह दबग ह पापकमर क कारण इसको जो दोष लगा ह वह अगर धल जाय तो

काल बोलाः राजन अगर वह लड़की कही िमल जाय तो

कस िमलगी

जीवनदान िमल तो म बताऊ अब वह लड़की लड़की नही रही पता नही साबरमती माता न उसको कस गोद म ल िलया और वह जोगन बन गयी ह लोग उसक कदमो म अपना िसर झकात ह

ह कया बोलता ह जोगन बन गयी ह वह मरी नही ह

नही तन तो कहा था मर गयी

मन तो गला दबाया और समझा मर गयी होगी लिकन आग िनकल गयी कही चली गयी और िकसी साध बाबा की महरबानी हो गयी और मर को लगता ह िक रपय म 15 आना पककी बात ह िक वही सयशा ह जोगन का और उसका रप िमलता ह

काल मझ ल चल म उसक कदमो म अपन दभार य को सौभा य म बदलना चाहता ह काल काल

राज पहचा और उसन प ा ाप क आसओ स सयशा क चरण धो िदय सयशा न कहाः भया इनसान गलितयो का घर ह भगवान तमहारा मगल कर

पपसनः दवी मरा मगल भगवान कस करग भगवान मगल भी करग तो िकसी गर क ारा दवी त मरी गर ह म तरी शरण आया ह

राजा पपसन सयशा क चरणो म िगरा वही सयशा का थम िशय बना पपसन को सयशा न गरमऽ की दीकषा दी सयशा की कपा पाकर पपसन भी धनभागी हआ और काल भी दसर लोग भी धनभागी हए 17वी शताबदी का कणारवती शहर िजसको आज अमदावाद बोलत ह वहा की यह एक ऐितहािसक घटना ह सतय कथा ह

अगर उस 16 वष य कनया म धमर क सःकार नही होत तो नाच-गान करक राजा का थोड़ा पयार पाकर ःवय भी नरक म पच मरती और राजा भी पच मरता लिकन उस कनया न सयम रखा तो आज उसका शरीर तो नही ह लिकन सयशा का सयश यह रणा जरर दता ह िक आज की कनयाए भी अपन ओज-तज और सयम की रकषा करक अपन ई रीय भाव को जगाकर महान आतमा हो सकती ह

हमार दश की कनयाए परदशी भोगी कनयाओ का अनकरण कयो कर लाली-िलपिःटक लगायी बॉयकट बाल कटवाय शराब-िसगरट पी नाचा-गाया धत तर की यह नारी ःवात य ह नही यह तो नारी का शोषण ह नारी ःवात य क नाम पर नारी को किटल कािमयो की भो या बनाया जा रहा ह

नारी ःव क तऽ हो उसको आितमक सख िमल आितमक ओज बढ़ आितमक बल बढ़ तािक वह ःवय को महान बन ही साथ ही औरो को भी महान बनन की रणा द सक अतरातमा का ःव-ःवरप का सख िमल ःव-ःवरप का जञान िमल ःव-ःवरप का सामथयर िमल तभी तो नारी ःवतऽ ह परपरष स पटायी जाय तो ःवतऽता कसी िवषय िवलास की पतली बनायी जाय तो ःवतनऽता कसी

कब सिमरोग राम सत कबीर क इस भजन न सयशा को इतना महान बना िदया िक राजा का तो मगल िकया ही साथ ही काल जस काितल दय भी पिरवितरत कर िदया और न जान िकतनो को ई र की ओर लगाया होगा हम लोग िगनती नही कर सकत जो ई र क राःत चलता ह उसक ारा कई लोग अचछ बनत ह और जो बर राःत जाता ह उसक ारा कइयो का पतन होता ह

आप सभी सदभागी ह िक अचछ राःत चलन की रिच भगवान न जगायी थोड़ा-बहत िनयम ल लो रोज थोड़ा जप करो धयान कर मौन का आौय लो एकादशी का ोत करो आपकी भी सष शि या जामत कर द ऐस िकसी सतपरष का सहयोग लो और लग जाओ िफर तो आप भी ई रीय पथ क पिथक बन जायग महान परम रीय सख को पाकर धनय-धनय हो जायग

(इस रणापद सतसग कथा की ऑिडयो कसट एव वीसीडी - सयशाः कब सिमरोग राम नाम स उपलबध ह जो अित लोकिय हो चकी ह आप इस अवय सन दख यह सभी सत ौी आसारामजी आौमो एव सिमितयो क सवा कनिो पर उपलबध ह)

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अनबम

अदभत आभासमपनन रानी कलावती ःकनद पराण क ो र खड म कथा आती ह िक काशीनरश की कनया कलावती क साथ मथरा क

दाशाहर नामक राजा का िववाह हआ िववाह क बाद राजा न रानी को अपन पलग पर बलाया लिकन उसन इनकार कर िदया तब राजा न बल योग की धमकी दी रानी न कहाः ी क साथ ससार-वयवहार करना हो तो बलयोग नही ःनह योग करना चािहए नाथ म भल आपकी रानी ह लिकन आप मर साथ बलयोग करक ससार-वयवहार न कर

लिकन वह राजा था रानी की बात सनी-अनसनी करक नजदीक गया जयो ही उसन रानी का ःपशर िकया तयो ही उस िव त जसा करट लगा उसका ःपशर करत ही राजा का अग-अग जलन लगा वह दर हटा और बोलाः कया बात ह तम इतनी सनदर और कोमल हो िफर भी तमहार शरीर क ःपशर स मझ जलन होन लगी

रानीः नाथ मन बालयकाल म दवारसा ऋिष स िशवमऽ िलया था उस जपन स मरी साि वक ऊजार का िवकास हआ ह इसीिलए म आपक नजदीक नही आती थी जस अधरी रात और दोपहर एक साथ नही रहत वस ही आपन शराब पीनवाली वयाओ क साथ और कलटाओ क साथ जो ससार-भोग भोग ह उसस आपक पाप क कण आपक शरीर मन तथा बि म अिधक ह और मन जप िकया ह उसक कारण मर शरीर म ओज तज व आधयाितमक कण अिधक ह इसीिलए म आपस थोड़ी दर रहकर ाथरना करती थी आप बि मान ह बलवान ह यशःवी ह और धमर की बात भी आपन सन रखी ह लिकन आपन शराब पीनवाली वयाओ और कलटाओ क साथ भोग भी भोग ह

राजाः तमह इस बात का पता कस चल गया

रानीः नाथ दय श होता ह तो यह याल आ जाता ह राजा भािवत हआ और रानी स बोलाः तम मझ भी भगवान िशव का वह मऽ द दो रानीः आप मर पित ह म आपकी गर नही बन सकती आप और हम गगारचायर महाराज क पास

चल दोनो गगारचायर क पास गय एव उनस ाथरना की गगारचायर न उनह ःनान आिद स पिवऽ होन क िलए

कहा और यमना तट पर अपन िशवःवरप क धयान म बठकर उनह िनगाह स पावन िकया िफर िशवमऽ दकर शाभवी दीकषा स राजा क ऊपर शि पात िकया

कथा कहती ह िक दखत ही दखत राजा क शरीर स कोिट-कोिट कौए िनकल-िनकल कर पलायन करन लग काल कौए अथारत तचछ परमाण काल कम क तचछ परमाण करोड़ो की स या म सआमदि क ि ाओ ारा दख गय सचच सतो क चरणो म बठकर दीकषा लन वाल सभी साधको को इस कार क लाभ होत ही ह मन बि म पड़ हए तचछ कसःकार भी िमटत ह आतम-परमातमाि की यो यता भी िनखरती ह वयि गत जीवन म सख शाित सामािजक जीवन म सममान िमलता ह तथा मन-बि म सहावन सःकार भी पड़त ह और भी अनिगनत लाभ होत ह जो िनगर मनमख लोगो की कलपना म भी नही आ सकत मऽदीकषा क भाव स हमार पाचो शरीरो क कसःकार व काल कम क परमाण कषीण होत जात ह थोड़ी ही दर म राजा िनभारर हो गया एव भीतर क सख स भर गया

शभ-अशभ हािनकारक एव सहायक जीवाण हमार शरीर म रहत ह जस पानी का िगलास होठ पर रखकर वापस लाय तो उस पर लाखो जीवाण पाय जात ह यह वजञािनक अभी बोलत ह लिकन शा ो न तो लाखो वषर पहल ही कह िदयाः

समित-कमित सबक उर रहिह जब आपक अदर अचछ िवचार रहत ह तब आप अचछ काम करत ह और जब भी हलक िवचार आ

जात ह तो आप न चाहत हए भी गलत कर बठत ह गलत करन वाला कई बार अचछा भी करता ह तो मानना पड़गा िक मनय-शरीर पणय और पाप का िमौण ह आपका अतःकरण शभ और अशभ का िमौण ह जब आप लापरवाह होत ह तो अशभ बढ़ जात ह अतः परषाथर यह करना ह िक अशभ कषीण होता जाय और शभ पराका ा तक परमातम-ाि तक पहच जाय

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अनबमलोग घरबार छोड़कर साधना करन क िलए साध बनत ह घर म रहत हए गहःथधमर िनभात हए नारी

ऐसी उम साधना कर सकती ह िक अनय साधओ की साधना उसक सामन फीकी पड़ जाय ऐसी दिवयो क पास एक पितोता-धमर ही ऐसा अमोघ श ह िजसक सममख बड़-बड़ वीरो क श भी किणठत हो जात ह पितोता ी अनायास ही योिगयो क समान िसि ा कर लती ह इसम िकिचत माऽ भी सदह नही ह

उ म िजजञासः मऽयी महिषर याजञवलकयजी की दो पि या थीः मऽयी और कातयायनी मऽयी जय थी कातयायनी की जञा

सामानय ि यो जसी ही थी िकत मऽयी वािदनी थी एक िदन याजञवालकयजी न अपनी दोनो पि यो को अपन पास बलाया और कहाः मरा िवचार अब

सनयास लन का ह अतः इस ःथान को छोड़कर म अनयऽ चला जाऊगा इसक िलए तम लोगो की अनमित लना आवयक ह साथ ही म यह भी चाहता ह िक घर म जो कछ धन-दौलत ह उस तम दोनो म बराबर-बराबर बाट द तािक मर चल जान क बाद इसको लकर आपसी िववाद न हो

यह सनकर कातयायनी तो चप रही िकत मऽयी न पछाः भगवन यिद यह धन-धानय स पिरपणर सारी पथवी कवल मर ही अिधकार म आ जाय तो कया म उसस िकसी कार अमर हो सकती ह

याजञवलकयजी न कहाः नही भोग-सामिमयो स सपनन मन यो का जसा जीवन होता ह वसा ही तमहारा भी जीवन हो जायगा धन स कोई अमर हो जाय उस अमरतव की ाि हो जाय यह कदािप सभव नही ह

तब मऽयी न कहाः भगवन िजसस म अमर नही हो सकती उस लकर कया करगी यिद धन स ही वाःतिवक सख िमलता तो आप उस छोड़कर एकानत अरणय म कयो जात आप ऐसी कोई वःत अवय जानत ह िजसक सामन इस धन एव गहःथी का सारा सख तचछ तीत होता ह अतः म भी उसी को जानना चाहती ह यदव भगवान वद तदव म िह कवल िजस वःत को आप ौीमान अमरतव का साधन जानत ह उसी का मझ उपदश कर

मऽयी की यह िजजञासापणर बात सनकर याजञवलकयजी को बड़ी सननता हई उनहोन मऽयी की शसा करत हए कहाः

धनय मऽयी धनय तम पहल भी मझ बहत िय थी और इस समय भी तमहार मख स यह िय वचन ही िनकला ह अतः आओ मर समीप बठो म तमह त व का उपदश करता ह उस सनकर तम उसका मनन और िनिदधयासन करो म जो कछ कह उस पर ःवय भी िवचार करक उस दय म धारण करो

इस कार कहकर महिषर याजञवलकयजी न उपदश दना आरभ िकयाः मऽयी तम जानती हो िक ी को पित और पित को ी कयो िय ह इस रहःय पर कभी िवचार िकया ह पित इसिलए िय नही ह िक वह पित ह बिलक इसिलए िय ह िक वह अपन को सतोष दता ह अपन काम आता ह इसी कार पित को ी भी इसिलए िय नही होती िक वह ी ह अिपत इसिलए िय होती ह िक उसस ःवय को सख िमलता

इसी नयाय स पऽ धन ा ण कषिऽय लोक दवता समःत ाणी अथवा ससार क सपणर पदाथर भी आतमा क िलए िय होन स ही िय जान पड़त ह अतः सबस ियतम वःत कया ह अपना आतमा

आतमा वा अर ि वयः ौोतवयो मनतवयो िनिदधयािसतवयो मऽयी आतमनो वा अर दशरनन ौवणन

मतया िवजञाननद सव िविदतम मऽयी तमह आतमा की ही दशरन ौवण मनन और िनिदधयासन करना चािहए उसी क दशरन ौवण

मनन और यथाथरजञान स सब कछ जञात हो जाता ह

(बहदारणयक उपिनषद 4-6) तदनतर महिषर याजञवलकयजी न िभनन-िभनन द ानतो और यि यो क ारा जञान का गढ़ उपदश दत

हए कहाः जहा अजञानावःथा म त होता ह वही अनय अनय को सघता ह अनय अनय का रसाःवादन करता ह अनय अनय का ःपशर करता ह अनय अनय का अिभवादन करता ह अनय अनय का मनन करता ह और अनय अनय को िवशष रप स जानता ह िकत िजसक िलए सब कछ आतमा ही हो गया ह वह िकसक ारा िकस दख िकसक ारा िकस सन िकसक ारा िकस सघ िकसक ारा िकसका रसाःवादन कर िकसक ारा िकसका ःपशर कर िकसक ारा िकसका अिभवादन कर और िकसक ारा िकस जान िजसक ारा परष इन सबको जानता ह उस िकस साधन स जान

इसिलए यहा नित-नित इस कार िनदश िकया गया ह आतमा अमा ह उसको महण नही िकया जाता वह अकषर ह उसका कषय नही होता वह असग ह वह कही आस नही होता वह िनबरनध ह वह कभी बनधन म नही पड़ता वह आनदःवरप ह वह कभी वयिथत नही होता ह मऽयी िवजञाता को िकसक ारा जान अर मऽयी तम िन यपवरक इस समझ लो बस इतना ही अमरतव ह तमहारी ाथरना क अनसार मन जञातवय त व का उपदश द िदया

ऐसा उपदश दन क प ात याजञवलकयजी सनयासी हो गय मऽयी यह अमतमयी उपदश पाकर कताथर हो गयी यही यथाथर सपि ह िजस मऽयी न ा िकया था धनय ह मऽयी जो बा धन-सपि स ा सख को तणवत समझकर वाःतिवक सपि को अथारत आतम-खजान को पान का परषाथर करती ह काश आज की नारी मऽयी क चिरऽ स रणा लती

(कलयान क नारी अक एव बहदारणयक उपिनषद पर आधािरत)

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अनबम

वािदनी िवदषी गाग वािदनी िवदषी गाग का नाम विदक सािहतय म अतयत िव यात ह उनका असली नाम कया था

यह तो जञात नही ह िकत उनक िपता का नाम वचकन था अतः वचकन की पऽी होन क कारण उनका नाम वाचकनवी पड़ गया गगर गोऽ म उतपनन होन क कारण लोग उनह गाग कहत थ यह गाग नाम ही जनसाधारण स चिलत हआ

बहदारणयक उपिनषद म गाग क शा ाथर का सग विणरत हः िवदह दश क राजा जनक न एक बहत बड़ा जञानयजञ िकया था उसम कर और पाचाल दश क अनको

िव ान ा ण एकिऽत हए थ राजा जनक बड़ िव ा-वयासगी एव सतसगी थ उनह शा क गढ़ त वो का िववचन एव परमाथर-चचार ही अिधक िय थी इसिलए उनक मन म यह जानन की इचछा हई िक यहा आय हए िव ान ा णो म सबस बढ़कर ताि वक िववचन करन वाला कौन ह इस परीकषा क िलए उनहोन अपनी गौशाला म एक हजार गौए बधवा दी सब गौओ क सीगो पर दस-दस पाद (एक ाचीन माप-कषर) सवणर बधा हआ था यह वयवःथा करक राजा जनक न उपिःथत ा ण-समदाय स कहाः

आप लोगो म स जो सबस बढ़कर व ा हो वह इन सभी गौओ को ल जाय राजा जनक की यह घोषणा सनकर िकसी भी ा ण म यह साहस नही हआ िक उन गौओ को ल

जाय सब सोचन लग िक यिद हम गौए ल जान को आग बढ़त ह तो य सभी ा ण हम अिभमानी समझग और शा ाथर करन लगग उस समय हम इन सबको जीत सक ग या नही कया पता यह िवचार करत हए सब चपचाप ही बठ रह

सबको मौन दखकर याजञवलकयजी न अपन चारी सामौवा स कहाः ह सौमय त इन सब गौओ को हाक ल चल

चारी न आजञा पाकर वसा ही िकया यह दखकर सब ा ण कषबध हो उठ तब िवदहराज जनक क होता अ ल याजञवलकयजी स पछ बठः कयो कया तमही िन हो हम सबस बढ़कर व ा हो

यह सनकर याजञवलकयजी न नतापवरक कहाः नही व ाओ को तो हम नमःकार करत ह हम कवल गौओ की आवयकता ह अतः गौओ को ल

जात ह िफर कया था शा ाथर आरभ हो गया यजञ का तयक सदःय याजञवलकयजी स पछन लगा

याजञवालकयजी इसस िवचिलत नही हए व धयरपवरक सभी क ो का बमशः उ र दन लग अ ल न चन-चनकर िकतन ही िकय िकत उिचत उ र िमल जान क कारण व चप होकर बठ गय तब जरतकार गोऽ म उतपनन आतरभाग न िकया उनको भी अपन का यथाथर उ र िमल गया अतः व भी मौन हो गय िफर बमशः ला ायिन भजय चाबायम उषःत एव कौषीतकय कहोल करक चप होकर बठ गय इसक बाद

वाचकनवी गाग न पछाः भगवन यह जो कछ पािथरव पदाथर ह व सब जल म ओत ोत ह जल िकसम ओतोत ह

याजञवलकयजीः जल वाय म ओतोत ह वाय िकसम ओतोत ह

अनतिरकषलोक म अनतिरकषलोक िकसम ओतोत ह

गनधवरलोक म गनधवरलोक िकसम ओतोत ह

आिदतयलोक म आिदतयलोक िकसम ओतोत ह

चनिलोक म चनिलोक िकसम ओतोत ह

नकषऽलोक म नकषऽलोक िकसम ओतोत ह

दवलोक म दवलोक िकसम ओतोत ह

इनिलोक म इनिलोक िकसम ओतोत ह

जापितलोक म जापितलोक िकसम ओतोत ह

लोक म लोक िकसम ओतोत ह

इस पर याजञवलकयजी न कहाः ह गाग यह तो अित ह यह उ र की सीमा ह अब इसक आग नही हो सकता अब त न कर नही तो तरा मःतक िगर जायगा

गाग िवदषी थी उनहोन याजञवलकयजी क अिभाय को समझ िलया एव मौन हो गयी तदननतर आरिण आिद िव ानो न ो र िकय इसक प ात पनः गाग न समःत ा णो को सबोिधत करत हए कहाः यिद आपकी अनमित ा हो जाय तो म याजञवलकयजी स दो पछ यिद व उन ो का उ र द दग तो आप लोगो म स कोई भी उनह चचार म नही जीत सकगा

ा णो न कहाः पछ लो गाग

तब गाग बोलीः याजञवलकयजी वीर क तीर क समान य मर दो ह पहला हः लोक क ऊपर पथवी का िनमन दोनो का मधय ःवय दोनो और भत भिवय तथा वतरमान िकसम ओतोत ह

याजञवलकयजीः आकाश म

गाग ः अचछा अब दसरा ः यह आकाश िकसम ओतोत ह

याजञवलकयजीः इसी त व को व ा लोग अकषर कहत ह गाग यह न ःथल ह न सआम न छोटा ह न बड़ा यह लाल िव छाया तम वाय आकाश सग रस गनध नऽ कान वाणी मन तज ाण मख और माप स रिहत ह इसम बाहर भीतर भी नही ह न यह िकसी का भो ा ह न िकसी का भो य

िफर आग उसका िवशद िनरपण करत हए याजञवलकयजी बोलः इसको जान िबना हजारो वष को होम यजञ तप आिद क फल नाशवान हो जात ह यिद कोई इस अकषर त व को जान िबना ही मर जाय तो वह कपण ह और जान ल तो यह व ा ह

यह अकषर द नही ि ा ह ौत नही ौोता ह मत नही मनता ह िवजञात नही िवजञाता ह इसस िभनन कोई दसरा ि ा ौोता मनता िवजञाता नही ह गाग इसी अकषर म यह आकाश ओतोत ह

गाग याजञवलकयजी का लोहा मान गयी एव उनहोन िनणरय दत हए कहाः इस सभा म याजञवलकयजी स बढ़कर व ा कोई नही ह इनको कोई परािजत नही कर सकता ह ा णो आप लोग इसी को बहत समझ िक याजञवलकयजी को नमःकार करन माऽ स आपका छटकारा हए जा रहा ह इनह परािजत करन का ःवपन दखना वयथर ह

राजा जनक की सभा वादी ऋिषयो का समह समबनधी चचार याजञवलकयजी की परीकषा और परीकषक गाग यह हमारी आयर क नारी क जञान की िवजय जयनती नही तो और कया ह

िवदषी होन पर भी उनक मन म अपन पकष को अनिचत रप स िस करन का दरामह नही था य िव तापणर उ र पाकर सत हो गयी एव दसर की िव ता की उनहोन म कणठ स शसा भी की

धनय ह भारत की आयर नारी जो याजञवलकयजी जस महिषर स भी शा ाथर करन िहचिकचाती नही ह ऐसी नारी नारी न होकर साकषात नारायणी ही ह िजनस यह वसनधरा भी अपन-आपको गौरवािनवत मानती ह

(कलयाण क नारी अक एव बहदारणयक उपिनषद पर आधािरत) ॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐ

अनबम

अथाह शि की धनीः तपिःवनी शाणडािलनी शाणडािलनी का रप-लावणय और सौनदयर दखकर गालव ऋिष और गरड़जी मोिहत हो गय ऐसी सनदरी

और इतनी तजिःवनी वह भी धरती पर तपःयारत यह ी तो भगवान िवण की भायार होन क यो य ह ऐसा सोचकर उनहोन शाणडािलनी क आग यह ःताव रखा

शाणडािलनीः नही नही मझ तो चयर का पालन करना ह यह कहकर शाणडािलनी पनः तपःयारत हो गयी और अपन श -ब ःवरप की ओर याऽा करन लगी

गालवजी और गरड़जी का यह दखकर पनः िवचारन लग िक अपसराओ को भी मात कर दन वाल सौनदयर की ःवािमनी यह शाणडािलनी अगर तपःया म ही रत रही तो जोगन बन जायगी और हम लोगो की बात मानगी नही अतः इस अभी उठाकर ल चल और भगवान िवण क साथ जबरन इसकी शादी करवा द

एक भात को दोनो शाणडािलनी को ल जान क िलए आय शाणडािलनी की दि जस ही उन दोनो पर पड़ी तो वह समझ गयी िक अपन िलए तो नही िकत अपनी इचछा परी करन क िलए इनकी नीयत बरी हई ह जब मरी कोई इचछा नही ह तो म िकसी की इचछा क आग कयो दब मझ तो चयर ोत का पालन करना ह िकत य दोनो मझ जबरन गहःथी म घसीटना चाहत ह मझ िवण की प ी नही बनना वरन मझ तो िनज ःवभाव को पाना ह

गरड़जी तो बलवान थ ही गालवजी भी कम नही थ िकत शाणडािलनी की िनःःवाथर सवा िनःःवाथर परमातमा म िवौािनत की याऽा न उसको इतना तो सामथयरवान बना िदया था िक उसक ारा पानी क छीट मार कर यह कहत ही िक गालव तम गल जाओ और गालव को सहयोग दन वाल गरड़ तम भी गल जाओ दोनो को महसस होन लगा िक उनकी शि कषीण हो रही ह दोनो भीतर-ही-भीतर गलन लग

िफर दोनो न बड़ा ायि त िकया और कषमायाचना की तब भारत की उस िदवय कनया शाणडािलनी न उनह माफ िकया और पवरवत कर िदया उसी क तप क भाव स गलत र तीथर बना ह

ह भारत की दिवयो उठो जागो अपनी आयर नािरयो की महानता को अपन अतीत क गौरव को याद करो तमम अथाह सामथयर ह उस पहचानो सतसग जप परमातम-धयान स अपनी छपी हई शि यो को जामत करो

जीवनशि का ास करन वाली पा ातय सःकित क अधानकरण स बचकर तन-मन को दिषत करन वाली फशनपरःती एव िवलािसता स बचकर अपन जीवन को जीवनदाता क पथ पर अमसर करो अगर ऐसा कर सको तो वह िदन दर नही जब िव तमहार िदवय चिरऽ का गान कर अपन को कताथर मानगा

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अनबम

सती सािवऽी महाभारत क वन पवर म सािवऽी और यमराज क वातारलाप का सग आता हः जब यमराज सतयवान (सािवऽी क पित) क ाणो को अपन पाश म बाध ल चल तब सािवऽी भी उनक

पीछ-पीछ चलन लगी उस अपन पीछ आत दखकर यमराज न उस वापस लौट जान क िलए कई बार कहा िकत सािवऽी चलती ही रही एव अपनी धमरचचार स उसन यमराज को सनन कर िलया

सािवऽी बोलीः सतपरषो का सग एक बार भी िमल जाय तो वह अभी की पितर करान वाला होता ह और यिद उनस म हो जाय तो िफर कहना ही कया सत-समागम कभी िनफल नही जाता अतः सदा सतपरषो क साथ ही रहना चािहए

दव आप सारी जा का िनयमन करन वाल ह अतः यम कहलात ह मन सना ह िक मन वचन और कमर ारा िकसी भी ाणी क ित िोह न करक सब पर समान रप स दया करना और दान दना ौ परषो का सनातन धमर ह यो तो ससार क सभी लोग सामानयतः कोमलता का बतारव करत ह िकत जो ौ परष ह व अपन पास आय हए शऽ पर भी दया ही करत ह

यमराजः कलयाणी जस पयास को पानी िमलन स ति होती ह उसी कार तरी धमारनकल बात सनकर मझ सननता होती ह

सािविऽ न आग कहाः िववःवान (सयरदव) क पऽ होन क नात आपको ववःवत कहत ह आप शऽ-िमऽ आिद क भद को भलाकर सबक ित समान रप स नयाय करत ह और आप धमरराज कहलात ह अचछ मनयो को सतय पर जसा िव ास होता ह वसा अपन पर भी नही होता अतएव व सतय म ही अिधक अनराग रखत ह िव ास की सौहादर का कारण ह तथा सौहादर ही िव ास का सतपरषो का भाव सबस अिधक होता ह इसिलए उन पर सभी िव ास करत ह

यमराजः सािवऽी तन जो बात कही ह वसी बात मन और िकसी क मह स नही सनी ह अतः मरी सननता और भी बढ़ गयी ह अचछा अब त बहत दर चली आयी ह जा लौट जा

िफर भी सािवऽी न अपनी धािमरक चचार बद नही की वह कहती गयीः सतपरषो का मन सदा धमर म ही लगा रहता ह सतपरषो का समागम कभी वयथर नही जाता सतो स कभी िकसी को भय नही होता सतपरष सतय क बल स सयर को भी अपन समीप बला लत ह व ही अपन भाव स पथवी को धारण करत ह भत भिवय का आधार भी व ही ह उनक बीच म रहकर ौ परषो को कभी खद नही होता दसरो की भलाई करना सनातन सदाचार ह ऐसा मानकर सतपरष तयपकार की आशा न रखत हए सदा परोपकार म ही लगा रहत ह

सािवऽी की बात सनकर यमराज िवीभत हो गय और बोलः पितोत तरी य धमारनकल बात गभीर अथर स य एव मर मन को लभान वाली ह त जयो-जयो ऐसी बात सनाती जाती ह तयो-तयो तर ित मरा ःनह बढ़ता जाता ह अतः त मझस कोई अनपम वरदान माग ल

सािवऽीः भगवन अब तो आप सतयवान क जीवन का ही वरदान दीिजए इसस आपक ही सतय और धमर की रकषा होगी पित क िबना तो म सख ःवगर लआमी तथा जीवन की भी इचछा नही रखती

धमरराज वचनब हो चक थ उनहोन सतयवान को मतयपाश स म कर िदया और उस चार सौ वष की नवीन आय दान की सतयवान क िपता मतसन की नऽजयोित लौट आयी एव उनह अपना खोया हआ राजय भी वापस िमल गया सािवऽी क िपता को भी समय पाकर सौ सतान ह एव सािवऽी न भी अपन पित सतयवान क साथ धमरपवरक जीवन-यापन करत हए राजय-सख भोगा

इस कार सती सािवऽी न अपन पाितोतय क ताप स पित को तो मतय क मख स लौटाया ही साथ ही पित क एव अपन िपता क कल दोनो की अिभवि म भी वह सहायक बनी

िजस िदन सती सािवऽी न अपन तप क भाव स यमराज क हाथ म पड़ हए पित सतयवान को छड़ाया था वही िदन वट सािवऽी पिणरमा क रप म आज भी मनाया जाता ह इस िदन सौभा यशाली ि या अपन सहाग की रकषा क िलए वट वकष की पजा करती ह एव ोत-उपवास आिद रखती ह

कसी रही ह भारत की आदशर नािरया अपन पित को मतय क मख स लौटान म यमराज स भी धमरचचार करन का सामथयर रहा ह भारत की दिवयो म सािवऽी की िदवय गाथा यही सदश दती ह िक ह भारत की दिवयो तमम अथाह सामथयर ह अथाह शि ह सतो-महापरषो क सतसग म जाकर तम अपनी छपी हई शि को जामत करक अवय महान बन सकती हो एव सािवऽी-मीरा-मदालसा की याद को पनः ताजा कर सकती हो

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अनबम

मा सीता की सतीतव-भावना भगवान ौीराम क िवयोग तथा रावण और राकषिसयो क ारा िकय जानवाल अतयाचारो क कारण मा

सीता अशोक वािटका म बड़ी दःखी थी न तो व भोजन करती न ही नीद िदन-रात कवल ौीराम-नाम क जप म ही तललीन रहती उनका िवषादमःत मखमडल दखकर हनमान जी न पवरताकार शरीर धारण करक उनस कहाः मा आपकी कपा स मर पास इतना बल ह िक म पवरत वन महल और रावणसिहत परी लका को उठाकर ल जा सकता ह आप कपा करक मर साथ चल और भगवान ौीराम व लआमण का शोक दर करक ःवय भी इस भयानक दःख स मि पा ल

भगवान ौीराम म ही एकिन रहन वाली जनकनिदनी मा सीता न हनमानजी स कहाः ह महाकिप म तमहारी शि और पराबम को जानती ह साथ ही तमहार दय क श भाव एव तमहारी ःवामी-भि को भी जानती ह िकत म तमहार साथ नही आ सकती पितपरायणता की दि स म एकमाऽ भगवान ौीराम क िसवाय िकसी परपरष का ःपशर नही कर सकती जब रावण न मरा हरण िकया था तब म असमथर असहाय और िववश थी वह मझ बलपवरक उठा लाया था अब तो करणािनधान भगवान ौीराम ही ःवय आकर रावण का वध करक मझ यहा स ल जाएग

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अनबम

आतर भ िौपदी

ईयार- ष और अित धन-समह स मनय अशात होता ह ईयार- ष की जगह पर कषमा और सतवि का िहःसा बढ़ा िदया जाय तो िकतना अचछा

दय धन ईयारल था षी था उसन तीन महीन तक दवारसा ऋिष की भली कार स सवा की उनक िशयो की भी सवा की दय धन की सवा स दवारसा ऋिष सनन हो गय और बोलः

माग ल वतस जो मागना चाह माग ल

जो ईयार और ष क िशकज म आ जाता ह उसका िववक उस साथ नही दता लिकन जो ईयार- ष रिहत होता ह उसका िववक सजग रहता ह वह शात होकर िवचार या िनणरय करता ह ऐसा वयि सफल होता ह और सफलता क अह म गरक नही होता कभी असफल भी हो गया तो िवफलता क िववाद म नही डबता द दय धन न ईयार एव ष क वशीभत होकर कहाः

मर भाई पाणडव वन म दर-दर भटक रह ह उनकी इचछा ह िक आप अपन हजार िशयो क साथ उनक अितथी हो जाय अगर आप मझ पर सनन ह तो मर भाइयो की इचछा परी कर लिकन आप उसी व उनक पास पहिचयगा जब िौपदी भोजन कर चकी हो

दय धन जानता था िक भगवान सयर न पाणडवो को अकषयपाऽ िदया ह उसम स तब तक भोजन-साममी िमलती रहती ह जब तक िौपदी भोजन न कर ल िौपदी भोजन करक पाऽ को धोकर रख द िफर उस िदन उसम स भोजन नही िनकलगा अतः दोपहर क बाद जब दवारसाजी उनक पास पहचग तब भोजन न िमलन स किपत हो जायग और पाणडवो को शाप द दग इसस पाणडव वश का सवरनाश हो जायगा

इस ईयार और ष स िरत होकर दय धन न दवारसाजी की सननता का लाभ उठाना चाहा दवारसा ऋिष मधया क समय जा पहच पाणडवो क पास यिधि र आिद पाणडव एव िौपदी दवारसाजी को

िशयो समत अितिथ क रप म आया हआ दखकर िचिनतत हो गय िफर भी बोलः िवरािजय महिषर आपक भोजन की वयवःथा करत ह

अतयारमी परमातमा सबका सहायक ह सचच का मददगार ह दवारसाजी बोलः ठहरो ठहरो भोजन बाद म करग अभी तो याऽा की थकान िमटान क िलए ःनान करन जा रहा ह

इधर िौपदी िचिनतत हो उठी िक अब अकषयपाऽ स कछ न िमल सकगा और इन साधओ को भखा कस भज उनम भी दवारसा ऋिष को वह पकार उठीः ह कशव ह माधव ह भ वतसल अब म तमहारी शरण म ह शात िच एव पिवऽ दय स िौपदी न भगवान ौीकण का िचनतन िकया भगवान ौीकण आय और बोलः िौपदी कछ खान को तो दो

िौपदीः कशव मन तो पाऽ को धोकर रख िदया ह ौी कणः नही नही लाओ तो सही उसम जरर कछ होगा िौपदी न पाऽ लाकर रख िदया तो दवयोग स उसम तादल क साग का एक प ा बच गया था

िव ातमा ौीकण न सकलप करक उस तादल क साग का प ा खाया और ति का अनभव िकया तो उन महातमाओ को भी ति का अनभव हआ व कहन लग िकः अब तो हम त हो चक ह वहा जाकर कया खायग यिधि र को कया मह िदखायग

शात िच स की हई ाथरना अवय फलती ह ईयारल एव षी िच स तो िकया-कराया भी चौपट हो जाता ह जबिक न और शात िच स तो चौपट हई बाजी भी जीत म बदल जाती ह और दय धनयता स भर जाता ह

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अनबम

दवी शि यो स समपनन गणमजरी दवी (िदनाक 12 अ बर स 21 अ बर 2002 तक मागलय धाम रतलाम (म) म शरद पिणरमा पर

आयोिजत शि पात साधना िशिवर म पजय ौी न िशिवरािथरयो को अपनी सष िदवय शि यो को जागत करन का आ ान िकया

िवबम सवत 1781 म यागराज इलाहाबाद म घिटत एक घटना का िजब करत हए पजयौी न लोकपावनी वाणी म कहाः)

यागराज इलाहाबाद म ऽयोदशी क कभ-ःनान का पवर-िदवस था कभ म कई अखाड़वाल जित-जोिग साध-सत आय थ उसम कामकौतकी नामक एक ऐसी जाित भी आयी थी जो भगवान क िलए ही राग-रािगिनयो का अ यास िकया करती थी तथा भगवदगीत क िसवाय और कोई गीत नही गाती थी उसन भी अपना गायन-कायरबम कभ मल म रखा था

ौगरी मठाधीश ौी सोमनाथाचायर भी इस कामकौतकी जाितवालो क सयम और राग-रािगिनयो म उनकी कशलता क बार म जानत थ इसिलए व भी वहा पधार थ उस कायरबम म सोमनाथाचायर जी की उपिःथित क कारण लोगो को िवशष आनद हआ और जब गणमजरी दवी भी आ पहची तो उस आनद म चार चाद लग गय

गणमजरी दवी न चानिायण और कचल ोत िकय थ शरीर क दोषो को हरन वाल जप-तप और सयम को अचछी तरह स साधा था लोगो न मन-ही-मन उसका अिभवादन िकया

गणमजरी दवी भी कवल गीत ही नही गाती थी वरन उसन अपन जीवन म दवी गणो का इतना िवकिसत िकया था िक जब चाह अपनी दिवक सिखयो को बला सकती थी जब चाह बादल मडरवा सकती थी िबजली चमका सकती थी उस समय उसकी याित दर-दर तक पहच चकी थी

कायरबम आरमभ हआ कामकौतकी जाित क आचाय न शबदो की पपाजली स ई रीय आराधना का माहौल बनाया अत म गणमजरी दवी स ाथरना की गयी

गणमजरी दवी न वीणा पर अपनी उगिलया रखी माघ का महीना था ठणडी-ठणडी हवाए चलन लगी थोड़ी ही दर म मघ गरजन लग िबजली चमकन लगी और बािरश का माहौल बन गया आन वाली बािरश स बचन क लोगो का िच कछ िवचिलत होन लगा इतन म सोमनाथाचायरजी न कहाः बठ रहना िकसी को

िचनता करन की जररत नही ह य बादल तमह िभगोयग नही य तो गण मजरी दवी की तपःया और सकलप का भाव ह

सत की बात का उललघन करना मि फल को तयागना और नरक क ार खोलना ह लोग बठ रह 32 राग और 64 रािगिनया ह राग और रािगिनया क पीछ उनक अथर और आकितया भी होती ह

शबद क ारा सि म उथल-पथल मच सकती ह व िनज व नही ह उनम सजीवता ह जस एयर कडीशनर चलात ह तो वह आपको हवा स पानी अलग करक िदखा दता ह ऐस ही इन पाच भतो म िःथत दवी गणो को िजनहोन साध िलया ह व शबद की धविन क अनसार बझ दीप जला सकत ह दि कर सकत ह - ऐस कई सग आपन-हमन-दख-सन होग गणमजरी दवी इस कार की साधना स समपनन दवी थी

माहौल ौ ा-भि और सयम की पराका ा पर था गणमजरी दवी न वीणा बजात हए आकाश की ओर िनहारा घनघोर बादलो म स िबजली की तरह एक दवागना कट हई वातावरण सगीतमय-नतयमय होता जा रहा था लोग दग रह गय आ यर को भी आ यर क समि म गोत खान पड़ ऐसा माहौल बन गया

लोग भीतर ही भीतर अपन सौभा य की सराहना िकय जा रह थ मानो उनकी आख उस दय को पी जाना चाहती थी उनक कान उस सगीत को पचा जाना चाहत थ उनका जीवन उस दय क साथ एक रप होता जा रहा था गणमजरी धनय हो तम कभी व गणमजरी को को धनयवाद दत हए उसक गीत म खो जात और कभी उस दवागना क श पिवऽ नतय को दखकर नतमःतक हो उठत

कायरबम समपनन हआ दखत ही दखत गणमजरी दवी न दवागना को िवदाई दी सबक हाथ जड़ हए थ आख आसमान की ओर िनहार रही थी और िदल अहोभाव स भरा था मानो भ-म म भ की अदभत लीला म खोया-सा था

ौगरी मठाधीश ौी सोमनाथाचायरजी न हजारो लोगो की शात भीड़ स कहाः सजजनो इसम आ यर की कोई आवयकता नही ह हमार पवरज दवलोक स भारतभिम पर आत और सयम साधना तथा भगवतीित क भाव स अपन वािछत िदवय लोको तक की याऽा करन म सफल होत थ कोई-कोई ःवरप परमातमा का ौवण मनन िनिदधयासन करक यही मय अननत ाणडवयापी अपन आतम-ऐ यर को पा लत थ

समय क फर स लोग सब भलत गय अनिचत खान-पान ःपशर-दोष सग-दोष िवचार-दोष आिद स लोगो की मित और साि वकता मारी गयी लोगो म छल कपट और तमस बढ़ गया िजसस व िदवय लोको की बात ही भल गय अपनी असिलयत को ही भल गय गणमजरी दवी न सग दोष स बचकर सयम स साधन-भजन िकया तो उसका दवतव िवकिसत हआ और उसन दवागना को बलाकर तमह अपनी असिलयत का पिरचय िदया

तम भी इस दय को दखन क कािबल तब हए जब तमन कभ क इस पवर पर यागराज क पिवऽ तीथर म सयम और ौ ा-भि स ःनान िकया इसक भाव स तमहार कछ कलमष कट और पणय बढ़ पणयातमा लोगो क एकिऽत होन स गणमजरी दवी क सकलप म सहायता िमली और उसन तमह यह दय िदखाया अतः इसम आ यर न करो

आपम भी य शि या छपी ह तम भी चाहो तो अनिचत खान-पान सग-दोष आिद स बचकर सदगर क िनदशानसार साधना-पथ पर अमसर हो इन शि यो को िवकिसत करन म सफल हो सकत हो कवल इतना ही नही वरन पर -परमातमा को पाकर सदा-सदा क िलए म भी हो सकत हो अपन म ःवरप का जीत जी अनभव कर सकत हो

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अनबम

िववक की धनीः कमारवती यह कथा सतयःवरप ई र को पान की ततपरता रखनवाली भोग-िवलास को ितलाजिल दन वाली

िवकारो का दमन और िनिवरकार नारायण ःवरप का दशरन करन वाली उस बचची की ह िजसन न कवल अपन को तारा अिपत अपन िपता राजपरोिहत परशरामजी का कल भी तार िदया

जयपर-सीकर क बीच महनिगढ़ क सरदार शखावत क राजपरोिहत परशरामजी की उस बचची का नाम था कमार कमारवती बचपन म वह ऐस कमर करती थी िक उसक कमर शोभा दत थ कई लोग कमर करत ह तो कमर उनको थका दत ह कमर म उनको फल की इचछा होती ह कमर म कतारपन होता ह

कमारवती क कमर म कतारपन नही था ई र क ित समपरण भाव थाः जो कछ कराता ह भ त ही कराता ह अचछ काम होत ह तो नाथ तरी कपा स ही हम कर पात ह कमारवती कमर करती थी लिकन कतारभाव को िवलय होन का मौका िमल उस ढग स करती थी

कमारवती तरह साल की हई गाव म साध-सत पधार उन सतपरषो स गीता का जञान सना भगवदगीता का माहातमय सना अचछ-बर कम क बनधन स जीव मनय-लोक म जनमता ह थोड़ा-सा सखाभास पाता ह परत काफी माऽा म दःख भोगता ह िजस शरीर स सख-दःख भोगता ह वह शरीर तो जीवन क अत म जल जाता ह लिकन भीतर सख पान का सख भोगन का भाव बना रहता ह यह कतार-भो ापन का भाव तब तक बना रहता ह जब तक मन की सीमा स पर परमातमा-ःवरप का बोध नही होता

कमारवती इस कार का सतसग खब धयान दकर आखो की पलक कम िगर इस कार सनती थी वह इतना एकाम होकर सतसग सनती िक उसका सतसग सनना बदगी हो जाता था

एकटक िनहारत हए सतसग सनन स मन एकाम होता ह सतसग सनन का महापणय तो होता ही ह साथ ही साथ मनन करन का लाभ भी िमल जाता ह और िनिदधयासन भी होता रहता ह

दसर लोग सतसग सनकर थोड़ी दर क बाद कपड़ झाड़कर चल दत और सतसग की बात भल जात लिकन कमारवती सतसग को भलती नही थी सतसग सनन क बाद उसका मनन करती थी मनन करन स उसकी यो यता बढ़ गयी जब घर म अनकलता या ितकलता आती तो वह समझती िक जो आता ह वह

जाता ह उसको दखनवाला मरा राम मरा कण मरा आतमा मर गरदव मरा परमातमा कवल एक ह सख आयगा ETH जायगा पर म चतनय आतमा एकरस ह ऐसा उसन सतसग म सन रखा था

सतसग को खब एकामता स सनन और बाद म उस ःमरण-मनन करन स कमारवती न छोटी उ म खब ऊचाई पा ली वह बातचीत म और वयवहार म भी सतसग की बात ला दती थी फलतः वयवहार क न उसक िच को मिलन नही करत थ उसक िच की िनमरलता व साि वकता बढ़ती गयी

म तो महनिगढ़ क उस सरदार खडरकर शखावत को भी धनयवाद दगा कयोिक उसक राजपरोिहत हए थ परशराम और परशराम क घर आयी थी कमारवती जसी पिवऽ बचची िजनक घर म भ पदा हो व माता-िपता तो भा यशाली ह ही पिवऽ ह व जहा नौकरी करत ह वह जगह वह आिफस वह कस भी भा यशाली ह िजसक यहा व नौकरी करत ह वह भी भा यशाली ह िक भ क माता-िपता उसक यहा आया-जाया करत ह

राजपरोिहत परशराम भी भगवान क भ थ सयमी जीवन था उनका व सदाचारी थ दीन-दःिखयो की सवा िकया करत थ गर-दशरन म रिच और गर-वचन म िव ास रखन वाल थ ऐस पिवऽातमा क यहा जो सतान पदा हो उसका भी ओजःवी-तजःवी होना ःवाभािवक ह

कमारवती िपता स भी बहत आग बढ़ गयी कहावत ह िक बाप स बटा सवाया होना चािहए लिकन यह तो बटी सवायी हो गई भि म

परशराम सरदार क कामकाज म वयःत रहत अतः कभी सतसग म जा पात कभी नही पर कमारवती हर रोज िनयिमत रप स अपनी मा को लकर सतसग सनन पहच जाती ह परशराम सतसग की बात भल भी जात परत कमारवती याद रखती

कमारवती न घर म पजा क िलए एक कोठरी बना ली थी वहा ससार की कोई बात नही कवल माला और जप धयान उसन उस कोठरी को साि वक सशोभनो स सजाया था िबना हाथ-पर धोय नीद स उठकर िबना ःनान िकय उसम वश नही करती थी धप-दीप-अगरब ी स और कभी-कभी ताज िखल हए फलो स कोठरी को पावन बनाया करती महकाया करती उसक भजन की कोठरी मानो भगवान का मिदर ही बन गयी थी वह धयान-भजन नही करनवाल िनगर कटिमबयो को नता स समझा-बझाकर उस कोठरी म नही आन दती थी उसकी उस साधना-कटीर म भगवान की जयादा मितरया नही थी वह जानती थी िक अगर धयान-भजन म रिच न हो तो व मितरया बचारी कया करगी धयान-भजन म सचची लगन हो तो एक ही मितर काफी ह

साधक अगर एक ही भगवान की मितर या गरदव क िचऽ को एकटक िनहारत-िनहारत आतर याऽा कर तो एक म ही सब ह और सब म एक ही ह यह जञान होन म सिवधा रहगी िजसक धयान-ककष म अ यास-खणड म या घर म बहत स दवी-दवताओ क िचऽ हो मितरया हो तो समझ लना उसक िच म और जीवन म काफी अिनि तता होगी ही कयोिक उसका िच अनक म बट जाता ह एक पर परा भरोसा नही रहता

कमारवती न साधन-भजन करन का िनि त िनयम बना िलया था िनयम पालन म वह पककी थी जब तक िनयम परा न हो तब तक भोजन नही करती िजसक जीवन म ऐसी दढ़ता होती ह वह हजारो िव न-बाधाओ और मसीबतो को परो तल कचलकर आग िनकल जाता ह

कमारवती 13 साल की हई उस साल उसक गाव म चातमारस करन क िलए सत पधार कमारवती एक िदन भी कथा सनना चकी नही कथा-ौवण क साररप उसक िदल-िदमाग म िन य दढ़ हआ िक जीवनदाता को पान क िलए ही यह जीवन िमला ह कोई गड़बड़ करन क िलए नही परमातमा को नही पाया तो जीवन वयथर ह

न पित अपना ह न प ी अपनी ह न बाप अपना ह न बट अपन ह न घर अपना ह न दकान अपनी ह अर यह शरीर तक अपना नही ह तो और की कया बात कर शरीर को भी एक िदन छोड़ना पड़गा मशान म उस जलाया जायगा

कमारवती क दय म िजजञासा जगी िक शरीर जल जान स पहल मर दय का अजञान कस जल म अजञानी रहकर बढ़ी हो जाऊ आिखर म लकड़ी टकती हई र ण अवःथा म अपमान सहती हई कराहती हई अनय बिढ़याओ की ना मर यह उिचत नही यह कभी-कभी व ो को बीमार वयि यो को दखती और मन म वरा य लाती िक म भी इसी कार बढ़ी हो जाऊगी कमर झक जायगी मह पोपला हो जायगा आखो स पानी टपकगा िदखाई नही दगा सनाई नही दगा शरीर िशिथल हो जायगा यिद कोई रोग हो जायगा तो और मसीबत िकसी की मतय होती तो कमारवती उस दखती जाती हई अथ को िनहारती और अपन मन को समझातीः बस यही ह शरीर का आिखरी अजाम जवानी म सभाला नही तो बढ़ाप म दःख भोग-भोगकर आिखर मरना ही ह राम राम राम म ऐसी नही बनगी म तो बनगी भगवान की जोिगन मीराबाई म तो मर पयार परमातमा को िरझाऊगी

कमारवती कभी वरा य की अि न म अपन को श करती ह कभी परमातमा क ःनह म भाव िवभोर हो जाती ह कभी पयार क िवयोग म आस बहाती ह तो कभी सनमन होकर बठी रहती ह मतय तो िकसी क घर होती ह और कमारवती क दय क पाप जलन लगत ह उसक िच म िवलािसता की मौत हो जाती ह ससारी तचछ आकषरणो का दम घट जाता ह और दय म भगवदभि का िदया जगमगा उठता ह

िकसी की मतय होन पर भी कमारवती क दय म भि का िदया जगमगान लगता और िकसी की शादी हो तब भी भि का िदया ही जगमगाता वह ऐसी भावना करती िक

म ऐस वर को कयो वर जो उपज और मर जाय म तो वर मर िगरधर गोपाल को मरो चडलो अमर हो जाय

मीरा न इसी भाव को कटाकर दहराकर अपन जीवन को धनय कर िलया था कमारवती न भगवदभि की मिहमा सन रखी थी िक एक ा ण यवक था उसन अपना ःवभावजनय

कमर नही िकया कवल िवलासी और दराचारी जीवन िजया जो आया सो खाया जसा चाहा वसा भोगा ककमर िकय वह मरकर दसर जनम म बल बना और िकसी िभखारी क हाथ लगा वह िभखारी बल पर सवारी करता और बःती म घम-िफरकर भीख मागकर अपना गजारा चलाता

दःख सहत-सहत बल बढ़ा हो गया उसक शरीर की शि कषीण हो गयी वह अब बोझ ढोन क कािबल नही रहा िभखारी न बल को छोड़ िदया रोज-रोज वयथर म चारा कहा स िखलाय भखा पयासा बल इधर-उधर

भटकन लगा कभी कही कछ रखा-सखा िमल जाता तो खा लता कभी लोगो क डणड खाकर ही रह जाना पड़ता

बािरश क िदन आय बल कही कीचड़ क ग ड म उतर गया और फस गया उसकी रगो म ताकत तो थी नही िफर वही छटपटान लगा तो और गहराई म उतरन लगा पीठ की चमड़ी फट गयी लाल धबब िदखाई दन लग अब ऊपर स कौए चोच मारन लग मिकखया िभनिभनान लगी िनःतज थका मादा हारा हआ वह बढ़ा बल अगल जनम म खब मज कर चका था अब उनकी सजा भोग रहा ह अब तो ाण िनकल तभी छटकारा हो वहा स गजरत हए लोग दया खात िक बचारा बल िकतना दःखी ह ह भगवान इसकी सदगित हो जाय िकतना दःखी ह ह भगवान इसकी सदगित हो जाय व लोग अपन छोट-मोट पणय दान करत िफर भी बल की सदगित नही होती थी

कई लोगो न बल को ग ड स बाहर िनकालन की कोिशश की पछ मरोड़ी सीगो म रःसी बाधकर खीचा-तानी की लिकन कोई लाभ नही व बचार बल को और परशान करक थककर चल गय

एक िदन कछ बड़-बढ़ लोग आय और िवचार करन लग िक बल क ाण नही िनकल रह ह कया िकया जाय लोगो की भीड़ इकटठी हो गयी उस टोल म एक वया भी थी वया न कछ अचछा सकलप िकया

वह हर रोज तोत क मह स टटी-फटी गीता सनती समझती तो नही िफर भी भगवदगीता क ोक तो सनती थी भगवदगीता आतमजञान दती ह आतमबल जगाती ह गीता वदो का अमत ह उपिनषदरपी गायो को दोहकर गोपालननदन ौीकणरपी वाल न गीतारपी द धामत अजरन को िपलाया ह यह पावन गीता हर रोज सबह िपजर म बठा हआ तोतो बोलता था वह सनती थी वया न इस गीता-ौवण का पणय बल की सदगित क िलए अपरण िकया

जस ही वया न सकलप िकया िक बल क ाण-पखर उड़ गय उसी पणय क भाव स वह बल सोमशमार नामक ा ण क घर बालक होकर पदा हआ बालक जब 6 साल का हआ तो उसक यजञोपवीत आिद सःकार िकय गय माता-िपता न कल-धमर क पिवऽ सःकार िकय गय माता-िपता न कल-धमर क पिवऽ सःकार िदय उसकी रिच धयान-भजन म लगी वह आसन ाणायाम धयाना यास आिद करन लगा उसन योग म तीोता स गित कर ली और 18 साल की उ म धयान क ारा अपना पवरजनम जान िलया उसको आ यर हआ िक ऐसा कौन-सा पणय उस बाई न अपरण िकया िजसस मझ बल की नारकीय अवःथा स मि िमली व जप-तप करन वाल पिवऽ ा ण क घर जनम िमला

ा ण यवक पहचा वया क घर वया अब तक बढ़ी हो चकी थी वह अपन कतयो पर पछतावा करन लगी थी अपन ार पर ा ण कमार को आया दखकर उसन कहाः

मन कई जवानो की िजनदगी बरबाद की ह म पाप-च ाओ म गरक रहत-रहत बढ़ी हो गयी ह त ा ण का पऽ मर ार पर आत तझ शमर नही आती

म ा ण का पऽ जरर ह पर िवकारी और पाप की िनगाह स नही आया ह माताजी म तमको णाम करक पछन आया ह िक तमन कौन सा पणय िकया ह

भाई म तो वया ठहरी मन कोई पणय नही िकया ह

उननीस साल पहल िकसी बल को कछ पणय अपरण िकया था

हा ःमरण म आ रहा ह कोई बढ़ा बल परशान हो रहा था ाण नही छट रह थ बचार क मझ बहत दया आयी मर और तो कोई पणय थ नही िकसी ा ण क घर म चोर चोरी करक आय थ उस सामान म तोत का एक िपजरा भी था जो मर यहा छोड़ गय उस ा ण न तोत को ौीमदभगवदगीता क कछ ोक रटाय थ वह म सनती थी उसी का पणय उस बल को अपरण िकया था

ा ण कमार को ऐसा लगा िक यिद भगवदगीता का अथर समझ िबना कवल उसका ौवण ही इतना लाभ कर सकता ह तो उसका मनन और िनिदधयासन करक गीता-जञान पचाया जाय तो िकतना लाभ हो सकता ह वह पणर शि स चल पड़ा गीता-जञान को जीवन म उतारन क िलए

कमारवती को जब गीता-माहातमय की यह कथा सनन को िमली तो उसन भी गीता का अधययन शर कर िदया भगवदगीता म तो ाणबल ह िहममत ह शि ह कमारवती क दय म भगवान ौीकण क िलए पयार पदा हो गया उसन पककी गाठ बाध ली िक कछ भी हो जाय म उस बाक िबहारी क आतम-धयान को ही अपना जीवन बना लगी गरदव क जञान को परा पचा लगी म ससार की भटठी म पच-पचकर मरगी नही म तो परमातम-रस क घट पीत-पीत अमर हो जाऊगी

कमारवती न ऐसा नही िकया िक गाठ बाध ली और िफर रख दी िकनार नही एक बार दढ़ िन य कर िलया तो हर रोज सबह उस िन य को दहराती अपन लआय का बार-बार ःमरण करती और अपन आपस कहा करती िक मझ ऐसा बनना ह िदन-ितिदन उसका िन य और मजबत होता गया

कोई एक बार िनणरय कर ल और िफर अपन िनणरय को भल जाय तो उस िनणरय की कोई कीमत नही रहती िनणरय करक हर रोज उस याद करना चािहए उस दहराना चािहए िक हम ऐसा बनना ह कछ भी हो जाय िन य स हटना नही ह

हम रोक सक य जमान म दम नही हमस जमाना ह जमान स हम नही

पाच वषर क ीव न िनणरय कर िलया तो िव िनयता िव र को लाकर खड़ा कर िदया ाद न िनणरय कर िलया तो ःतभ म स भगवान निसह को कट होना पड़ा मीरा न िनणरय कर िलया तो मीरा भि म सफल हो गयी

ातः ःमरणीय परम पजय ःवामी ौी लीलाशाहजी बाप न िनणरय कर िलया तो जञान म पारगत हो गय हम अगर िनणरय कर तो हम कयो सफल नही होग जो साधक अपन साधन-भजन करन क पिवऽ ःथान म ा महतर क पावन काल म महान बनन क िनणरय को बार-बार दहरात ह उनको महान होन स दिनया की कोई ताकत रोक नही सकती

कमारवती 18 साल की हई भीतर स जो पावन सकलप िकया था उस पर वह भीतर-ही-भीतर अिडग होती चली गयी वह अपना िनणरय िकसी को बताती नही थी चार नही करती थी हवाई गबबार नही उड़ाया करती थी अिपत सतसकलप की नीव म साधना का जल िसचन िकया करती थी

कई भोली-भाली मखर बिचचया ऐसी होती ह िजनहोन दो चार स ाह धयान-भजन िकया दो चार महीन साधना की और िचललान लग गयी िक म अब शादी नही करगी म अब साधवी बन जाऊगी सनयािसनी बन जाऊगी साधना करगी साधन-भजन की शि बढ़न क पहल ही िचललान लग गयी

व ही बिचचया दो-चार साल बाद मर पास आयी दखा तो उनहोन शादी कर ली थी और अपना ननहा-मनना बटा-बटी ल आकर मझस आशीवारद माग रही थी िक मर बचच को आशीवारद द िक इसका कलयाण हो

मन कहाः अर त तो बोलती थी शादी नही करगी सनयास लगी साधना करगी और िफर यह ससार का झमला

साधना की कवल बात मत करो काम करो बाहर घोषणा मत करो भीतर-ही-भीतर पिरपकव बनत जाओ जस ःवाित नकषऽ म आकाश स िगरती जल की बद को पका-पकाकर मोती बना दती ह ऐस ही तम भी अपनी भि की कजी ग रखकर भीतर-ही-भीतर उसकी शि को बढ़न दो साधना की बात िकसी को बताओ नही जो अपन परम िहतषी हो भगवान क सचच भ हो ौ परष हो सदगर हो कवल उनस ही अपनी अतरग साधना की बात करो अतरग साधना क िवषय म पछो अपन आधयाितमक अनभव जािहर करन स साधना का ास होता ह और गोपय रखन स साधना म िदवयता आती ह

म जब घर म रहता था तब यि स साधन-भजन करता था और भाई को बोलता थाः थोड़ िदन भजन करन दो िफर दकान पर बठगा अभी अन ान चल रहा ह एक परा होता तो कहता अभी एक बाकी ह िफर थोड़ िदन दकान पर जाता िफर उसको बोलताः मझ कथा म जाना ह तो भाई िचढ़कर कहताः रोज-रोज ऐसा कहता ह सधरता नही म कहताः सधर जाऊगा

ऐसा करत-करत जब अपनी वि पककी हो गयी तब मन कह िदयाः म दकान पर नही बठगा जो करना हो सो कर लो यिद पहल स ही ऐस बगावत क शबद बोलता तो वह कान पकड़कर दकान पर बठा दता

मरी साधना को रोककर मझ अपन जसा ससारी बनान क िलए िरतदारो न कई उपाय आजमाय थ मझ फसला कर िसनमा िदखान ल जात िजसस ससार का रग लग जाय धयान-भजन की रिच न हो जाय िफर जलदी-जलदी शादी करा दी हम दोनो को कमर म बनद कर दत तािक भगवान स पयार न कर और ससारी हो जाऊ अहाहा ससारी लोग साधना स कस-कस िगरत-िगरात ह म भगवान स आतरभाव स ाथरना िकया करता िक ह भ मझ बचाओ आखो स झर-झर आस टपकत उस दयाल दव की कपा का वणरन नही कर सकता

म पहल भजन नही करता तो घरवाल बोलतः भजन करो भजन करो जब म भजन करन लगा तो लोग बोलन लगः रको रको इतना सारा भजन नही करो जो मा पहल बोलती थी िक धयान करो िफर वही बोलन लगी िक इतना धयान नही करो तरा भाई नाराज होता ह म तरी मा ह मरी आजञा मानो

अभी जहा भवय आौम ह वहा पहल ऐसा कछ नही था कटील झाड़-झखाड़ तथा भयावह वातावरण था वहा उस समय जब हम मोकष कटीर बना रह थ तब भाई मा को बहकाकर ल आया और बोलाः सात सात

साल चला गया था अब गरजी न भजा ह तो घर म रहो दकान पर बठो यहा जगल म किटया बनवा रह हो इतनी दर तमहार िलए रोज-रोज िटिफन कौन लायगा

मा भी कहन लगी म तमहारी मा ह न तम मात आजञा िशरोधायर करो यह ट वापस कर दो घर म आकर रहो भाई क साथ दकान पर बठा करो

यह मा की आजञा नही थी ममता की आजञा थी और भाई की चाबी भराई हई आजञा थी मा ऐसी आजञा नही दती

भाई मझ घर ल जान क िलए जोर मार रहा था भाभी भी कहन लगीः यहा उजाड़ कोतरो म अकल पड़ रहोग कया हर रोज मिणनगर स आपक भाई िटिफन लकर यहा आयग

मन कहाः ना ना आपका िटिफन हमको नही चािहए उस अपन पास ही रखो यहा आकर तो हजारो लोग भोजन करग हमारा िटिफन वहा स थोड़ ही मगवाना ह

उन लोगो को यही िचनता होती थी िक यह अकला यहा रहगा तो मिणनगर स इसक िलए खाना कौन लायगा उनको पता नही िक िजसक सात साल साधना म गय ह वह अकला नही ह िव र उसक साथ ह बचार ससािरयो की बि अपन ढग की होती ह

मा मझ दोपहर को समझान आयी थी उसक िदल म ममता थी यहा पर कोई पड़ नही था बठन की जगह नही थी छोट-बड़ ग ड थ जहा मोकष कटीर बनी ह वहा िखजड़ का पड़ थाष वहा लोग दार िछपात थ कसी-कसी िवकट पिरिःथितया थी लिकन हमन िनणरय कर िलया था िक कछ भी हो हम तो अपनी राम-नाम की शराब िपयग िपलायग ऐस ही कमारवती न भी िनणरय कर िलया था लिकन उस भीतर िछपाय थी जगत भि नही और करन द नही दिनया दोरगी ह

दिनया कह म दरगी पल म पलटी जाऊ सख म जो सोत रह वा को दःखी बनाऊ

आतमजञान या आतमसाकषातकार तो बहत ऊची चीज होती ह त वजञानी क आग भगवान कभी अकट रहता ही नही आतमसाकषातकारी तो ःवय भगवतःवरप हो जात ह व भगवान को बलात नही व जानत ह िक रोम-रोम म अनत-अनत ाणडो म जो ठोस भरा ह वह अपन दय म भी ह जञानी अपन दय म ई र को जगा लत ह ःवय ई रःवरप बन जात ह व पकक गर क चल होत ह ऐस वस नही होत

कमारवती 18 साल की हई उसका साधन-भजन ठीक स आग बढ़ रहा था बटी उ लायक होन स िपता परशरामजी को भी िचनता होन लगी िक इस कनया को भि का रग लग गया ह यिद शादी क िलए ना बोल दगी तो ऐसी बातो म मयारदा शमर सकोच खानदानी क यालो का वह जमाना था कमारवती की इचछा न होत हए भी िपता न उसकी मगनी करा दी कमारवती कछ नही बोल पायी

शादी का िदन नजदीक आन लगा वह रोज परमातमा स ाथरना करन लगी और सोचन लगीः मरा सकलप तो ह परमातमा को पान का ई र क धयान म तललीन रहन का शादी हो जायगी तो ससार क कीचड़ म फस मरगी अगल कई जनमो म भी मर कई पित होग माता िपता होग सास- सर होग उनम स िकसी

न मतय स नही छड़ाया मझ अकल ही मरना पड़ा अकल ही माता क गभर म उलटा होकर लटकना पड़ा इस बार भी मर पिरवारवाल मझ मतय स नही बचायग

मतय आकर जब मनय को मार डालती ह तब पिरवाल सह लत ह कछ कर नही पात चप हो जात ह यिद मतय स सदा क िलए पीछा छड़ानवाल ई र क राःत पर चलत ह तो कोई जान नही दता

ह भ कया तरी लीला ह म तझ नही पहचानती लिकन त मझ जानता ह न म तमहारी ह ह सि कतार त जो भी ह जसा भी ह मर दय म सतरणा द

इस कार भीतर-ही-भीतर भगवान स ाथरना करक कमारवती शात हो जाती तो भीतर स आवाज आतीः िहममत रखो डरो नही परषाथर करो म सदा तमहार साथ ह कमारवती को कछ तसलली-सी िमल जाती

शादी का िदन नजदीक आन लगा तो कमारवती िफर सोचन लगीः म कवारी लड़की स ाह क बाद शादी हो जायगी मझ घसीट क ससराल ल जायग अब मरा कया होगा ऐसा सोचकर वह बचारी रो पड़ती अपन पजा क कमर म रोत-रोत ाथरना करती आस बहाती उसक दय पर जो गजरता था उस वह जानती थी और दसरा जानता था परमातमा

शादी को अब छः िदन बच पाच िदन बच चार िदन बच जस कोई फासी की सजा पाया हआ कदी फासी की तारीख सनकर िदन िगन रहा हो ऐस ही वह िदन िगन रही थी

शादी क समय कनया को व ाभषण स गहन-अलकारो स सजाया जाता ह उसकी शसा की जाती ह कमारवती यह सब सासािरक तरीक समझत हए सोच रही थी िक जस बल को पचकार कर गाड़ी म जोता जाता ह ऊट को पचकार कर ऊटगाड़ी म जोता जाता ह भस को पचकार कर भसगाड़ी म जोता जाता ह ाणी को फसलाकर िशकार िकया जाता ह वस ही लोग मझ पचकार-पचकार कर अपना मनमाना मझस करवा लग मरी िजनदगी स खलग

ह परमातमा ह भ जीवन इन ससारी पतलो क िलए नही तर िलय िमला ह ह नाथ मरा जीवन तर काम आ जाय तरी ाि म लग जाय ह दव ह दयाल ह जीवनदाता ऐस पकारत-पकारत कमारवती कमारवती नही रहती थी ई र की पऽी हो जाती थी िजस कमर म बठकर वह भ क िलए रोया करती थी आस बहाया करती थी िजस कमर म बठकर वह भ क िलए रोया करती थी आस बढ़ाया करती थी वह कमरा भी िकतना पावन हो गया होगा

शादी क अब तीन िदन बच थ दो िदन बच थ रात को नीद नही िदन को चन नही रोत-रोत आख लाल हो गयी मा पचकारती भाभी िदलासा दती और भाई िरझाता लिकन कमारवती समझती िक यह सारा पचकार बल को गाड़ी म जोतन क िलए ह यह सारा ःनह ससार क घट म उतारन क िलए ह

ह भगवान म असहाय ह िनबरल ह ह िनबरल क बल राम मझ सतरणा द मझ सनमागर िदखा

कमारवती की आखो म आस ह दय म भावनाए छलक रही ह और बि म ि धा हः कया कर शादी को इनकार तो कर नही सकती मरा ी शरीर कया िकया जाय

भीतर स आवाज आयीः त अपन क ी मत मान अपन को लड़की मत मान त अपन को भगवदभ मान आतमा मान अपन को ी मानकर कब तक खद को कोसती रहगी अपन को परष मान कर कब तक बोझा ढोती रहगी मन यतव तो तमहारा चोला ह शरीर का एक ढाचा ह तरा कोई आकार नही ह त तो िनराकार बलःवरप आतमा ह जब-जब त चाहगी तब-तब तरा मागरदशरन होता रहगा िहममत मत हार परषाथर परम दव ह हजार िव न-बाधाए आ जाय िफर भी अपन परषाथर स नही हटना

तम साधना क मागर पर चलत हो तो जो भी इनकार करत ह पराय लगत ह शऽ जस लगत ह व भी जब तम साधना म उननत होग जञान म उननत होग तब तमको अपना मानन लग जायग शऽ भी िमऽ बन जायग कई महापरषो का यह अनभव हः

आधी और तफान हमको न रोक पाय मरन क सब इराद जीन क काम आय हम भी ह तमहार कहन लग पराय

कमारवती को भीतर स िहममत िमली अब शादी को एक ही िदन बाकी रहा सयर ढलगा शाम होगी राऽी होगी िफर सय दय होगा और शादी का िदन इतन ही घणट बीच म अब समय नही गवाना ह रात सोकर या रोकर नही गवानी ह आज की रात जीवन या मौत की िनणारयक रात होगी

कमारवती न पकका िनणरय कर िलयाः चाह कछ भी हो जाय कल सबह बारात क घर क ार पर आय उसक पहल यहा स भागना पड़गा बस यही एक मागर ह यही आिखरी फसला ह

कषण िमनट और घणट बीत रह थ पिरवार वाल लोग शादी की जोरदार तयािरया कर रह थ कल सबह बारात का सतकार करना था इसका इतजाम हो रहा था कई सग-समबनथी-महमान घर पर आय हए थ कमारवती अपन कमर म यथायो य मौक क इतजार म घणट िगन रही थी

दोपहर ही शाम हई सयर ढला कल क िलए परी तयािरया हो चकी थी रािऽ का भोजन हआ िदन क पिरौम स थक लोग रािऽ को दरी स िबःतर पर लट गय िदन भर जहा शोरगल मचा था वहा शाित छा गयी

यारह बज दीवार की घड़ी न डक बजाय िफर िटक िटक िटक िटककषण िमनट म बदल रही ह घड़ी का काटा आग सरक रहा ह सवा यारह साढ़ यारह िफर राऽी क नीरव वातावरण म घड़ी का एक डका सनाई पड़ा िटकिटकिटक पौन बारह घड़ी आग बढ़ी पनिह िमनट और बीत बारह बज घड़ी न बारह डक बजाना शर िकया कमारवती िगनन लगीः एक दो तीन चार दस यारह बारह

अब समय हो गया कमारवती उठी जाच िलया िक घर म सब नीद म खरारट भर रह ह पजा घर म बाकिबहारी कण कनहया को णाम िकया आस भरी आखो स उस एकटक िनहारा भाविवभोर होकर अपन पयार परमातमा क रप को गल लगा िलया और बोलीः अब म आ रही ह तर ार मर लाला

चपक स ार खोला दब पाव घर स बाहर िनकली उसन आजमाया िक आगन म भी कोई जागता नही ह कमारवती आग बढ़ी आगन छोड़कर गली म आ गयी िफर सरारट स भागन लगी वह गिलया पार

करती हई रािऽ क अधकार म अपन को छपाती नगर स बाहर िनकल गयी और जगल का राःता पकड़ िलया अब तो वह दौड़न लगी थी घरवाल ससार क कीचड़ म उतार उसक पहल बाक िबहारी िगरधर गोपाल क धाम म उस पहच जाना था वनदावन कभी दखा नही था उसक मागर का भी उस पता नही था लिकन सन रखा था िक इस िदशा म ह

कमारवती भागती जा रही ह कोई दख लगा अथवा घर म पता चल जायगा तो लोग खजान िनकल पड़ग पकड़ी जाऊगी तो सब मामला चौपट हो जायगा ससारी माता-िपता इजजत-आबर का याल करक शादी कराक ही रहग चौकी पहरा िबठा दग िफर छटन का कोई उपाय नही रहगा इस िवचार स कमारवती क परो म ताकत आ गयी वह मानो उड़न लगी ऐस भागी ऐस भागी िक बस मानो बदक लकर कोई उसक पीछ पड़ा हो

सबह हई उधर घर म पता चला िक कमारवती गायब ह अर आज तो हकक-बकक स हो गय इधर-उधर छानबीन की पछताछ की कोई पता नही चला सब दःखी हो गय परशराम भ थ मा भी भ थी िफर भी उन लोगो को समाज म रहना था उनह खानदानी इजजत-आबर की िचनता थी घर म वातावरण िचिनतत बन गया िक बारातवालो को कया मह िदखायग कया जवाब दग समाज क लोग कया कहग

िफर भी माता-िपता क दय म एक बात की तसलली थी िक हमारी बचची िकसी गलत राःत पर नही गयी ह जा ही नही सकती उसका ःवभाव उसक सःकार व अचछी तरह जानत थ कमारवती भगवान की भ थी कोई गलत मागर लन का वह सोच ही नही सकती थी आजकल तो कई लड़िकया अपन यार-दोःत क साथ पलायन हो जाती ह कमारवती ऐसी पािपनी नही थी

परशराम सोचत ह िक बटी परमातमा क िलए ही भागी होगी िफर भी कया कर इजजत का सवाल ह राजपरोिहत क खानदान म ऐसा हो कया िकया जाय आिखर उनहोन अपन मािलक शखावत सरदार की शरण ली दःखी ःवर म कहाः मरी जवान बटी भगवान की खोज म रातोरात कही चली गयी ह आप मरी सहायता कर मरी इजजत का सवाल ह

सरदार परशराम क ःवभाव स पिरिचत थ उनहोन अपन घड़सवार िसपािहयो को चह ओर कमारवती की खोज म दौड़ाया घोषणा कर दी िक जगल-झािड़यो म मठ-मिदरो म पहाड़-कदराओ म गरकल-आौमो म ETH सब जगह तलाश करो कही स भी कमारवती को खोज कर लाओ जो कमारवती को खोजकर ल आयगा उस दस हजार मिाय इनाम म दी जायगी

घड़सवार चारो िदशा म भाग िजस िदशा म कमारवती भागी थी उस िदशा म घड़सवारो की एक टकड़ी चल पड़ी सय दय हो रहा था धरती पर स रािऽ न अपना आचल उठा िलया था कमारवती भागी जा रही थी भात क काश म थोड़ी िचिनतत भी हई िक कोई खोजन आयगा तो आसानी स िदख जाऊगी पकड़ी जाऊगी वह वीरागना भागी जा रही ह और बार-बार पीछ मड़कर दख रही ह

दर-दर दखा तो पीछ राःत म धल उड़ रही थी कछ ही दर म घड़सवारो की एक टकड़ी आती हई िदखाई दी वह सोच रही हः ह भगवान अब कया कर जरर य लोग मझ पकड़न आ रह ह िसपािहयो क

आग मझ िनबरल बािलका कया चलगा चहओर उजाला छा गया ह अब तो घोड़ो की आवाज भी सनाई पड़ रही ह कछ ही दर म व लोग आ जायग सोचन का भी समय अब नही रहा

कमारवती न दखाः राःत क िकनार मरा हआ एक ऊट पड़ा था िपछल िदन ही मरा था और रात को िसयारो न उसक पट का मास खाकर पट की जगह पर पोल बना िदया था कमारवती क िच म अनायास एक िवचार आया उसन कषणभर म सोच िलया िक इस मर हए ऊट क खाली पट म छप जाऊ तो उन काितलो स बच सकती ह वह मर हए सड़ हए बदब मारनवाल ऊट क पट म घस गयी

घड़सवार की टकड़ी राःत क इदरिगदर पड़-झाड़ी-झाखड़ िछपन जस सब ःथानो की तलाश करती हई वहा आ पहची िसपाही मर हए ऊट क पाय आय तो भयकर दगरनध व अपना नाक-मह िसकोड़त बदब स बचन क िलए आग बह गय वहा तलाश करन जसा था भी कया

कमारवती ऐसी िसर चकरा दन वाली बदब क बीच छपी थी उसका िववक बोल रहा था िक ससार क िवकारो की बदब स तो इस मर हए ऊट की बदब बहत अचछी ह ससार क काम बोध लोभ मोह मद मतसर की जीवनपयरनत की गनदगी स तो यह दो िदन की गनदगी अचछी ह ससार की गनदगी तो हजारो जनमो की गनदगी म ऽःत करगी हजारो-लाखो बार बदबवाल अगो स गजरना पड़गा कसी-कसी योिनयो म जनम लना पड़गा म वहा स अपनी इचछा क मतािबक बाहर नही िनकल सकती ऊट क शरीर स म कम-स-कम अपनी इचछानसार बाहर तो िनकल जाऊगी

कमारवती को मर हए सड़ चक ऊट क पट क पोल की वह बदब इतनी बरी नही लगी िजतनी बरी ससार क िवकारो की बदब लगी िकतनी बि मान रही होगी वह बटी

कमारवती पकड़ जान क डर स उसी पोल म एक िदन दो िदन तीन िदन तक पड़ी रही जलदबाजी करन स शायद मसीबत आ जाय घड़सवार खब दर तक चककर लगाकर दौड़त हाफत िनराश होकर वापस उसी राःत स गजर रह थ व आपस म बातचीत कर रह थ िक भाई वह तो मर गयी होगी िकसी कए या तालाब म िगर गयी होगी अब उसका हाथ लगना मिकल ह पोल म पड़ी कमारवती य बात सन रही थी

िसपाही दर-दर चल गय कमारवती को पता चला िफर भी दो-चार घणट और पड़ी रही शाम ढली राऽी हई चह ओर अधरा छा गया जब जगल म िसयार बोलन लग तब कमारवती बाहर िनकली उसन इधर-उधर दख िलया कोई नही था भगवान को धनयवाद िदया िफर भागना शर िकया भयावह जगलो स गजरत हए िहसक ािणयो की डरावनी आवाज सनती कमारवती आग बढ़ी जा रही थी उस वीर बािलका को िजतना ससार का भय था उतना बर ािणयो का भय नही था वह समझती थी िक म भगवान की ह और भगवान मर ह जो िहसक ाणी ह व भी तो भगवान क ही ह उनम भी मरा परमातमा ह वह परमातमा ािणयो को मझ खा जान की रणा थोड़ ही दगा मझ िछप जान क िलए िजस परमातमा न मर हए ऊट की पोल दी िसपािहयो का रख बदल िदया वह परमातमा आग भी मरी रकषा करगा नही तो यह कहा राःत क िकनार ही ऊट का मरना िसयारो का मास खाना पोल बनना मर िलए घर बन जाना घर म घर िजसन बना िदया वह परम कपाल परमातमा मरा पालक और रकषक ह

ऐसा दढ़ िन य कर कमारवती भागी जा रही ह चार िदन की भखी-पयासी वह सकमार बािलका भख-पयास को भलकर अपन गनतवय ःथान की तरफ दौड़ रही ह कभी कही झरना िमल जाता तो पानी पी लती कोई जगली फल िमल तो खा लती कभी-कभी पड़ क प ही चबाकर कषधा-िनवि का एहसास कर लती

आिखर वह परम भि बािलका वनदावन पहची सोचा िक इसी वश म रहगी तो मर इलाक क लोग पहचान लग समझायग साथ चलन का आमह करग नही मानगी जबरन पकड़कर ल जायग इसस अपन को छपाना अित आवयक ह कमारवती न वश बदल िदया सादा फकीर-वश धारण कर िलया एक सादा त व गल म तलसी की माला ललाट पर ितलक वनदावन म रहनवाली और भि नो जसी भि न बन गयी

कमारवती क कटमबीजन वनदावन आय सवरऽ खोज की कोई पता नही चला बाकिबहारी क मिदर म रह सबह शाम छपकर तलाश की लिकन उन िदनो कमारवती मिदर म कयो जाय बि मान थी वह

वनदावन म कणड क पास एक साध रहत थ जहा भल-भटक लोग ही जात वह ऐसी जगह थी वहा कमारवती पड़ी रही वह अिधक समय धयानम न रहा करती भख लगती तब बाहर जाकर हाथ फला दती भगवान की पयारी बटी िभखारी क वश म टकड़ा खा लती

जयपर स भाई आया अनय कटमबीजन आय वनदावन म सब जगह खोजबीन की िनराश होकर सब लौट गय आिखर िपता राजपरोिहत परशराम ःवय आय उनह दय म परा यकीन था िक मरी कणिया बटी ौीकण क धाम क अलावा और कही न जा सकती ससःकारी भगवदभि म लीन अपनी सकोमल पयारी बचची क िलए िपता का दय बहत वयिथत था बटी की मगल भावनाओ को कछ-कछ समझनवाल परशराम का जीवन िनःसार-सा हो गया था उनहोन कस भी करक कमारवती को खोजन का दढ़ सकलप कर िलया कभी िकसी पड़ पर तो कभी िकसी पड़ पर चढ़कर मागर क पासवाल लोगो की चपक स िनगरानी रखत सबह स शाम तक राःत गजरत लोगो को धयानपवरक िनहारत िक शायद िकसी वश म िछपी हई अपनी लाडली का मख िदख जाय

पड़ो पर स एक साधवी को एक-एक भि न को भ का वश धारण िकय हए एक-एक वयि को परशराम बारीकी स िनहारत सबह स शाम तक उनकी यही वि रहती कई िदनो क उनका तप भी फल गया आिखर एक िदन कमारवती िपता की जासस दि म आ ही गयी परशराम झटपट पड़ स नीच उतर और वातसलय भाव स रध हए दय स बटी बटी कहत हए कमारवती का हाथ पकड़ िलया िपता का ःनिहल दय आखो क मागर स बहन लगा कमारवती की िःथित कछ और ही थी ई रीय मागर म ईमानदारी स कदम बढ़ानवाली वह सािधका तीो िववक-वरा यवान हो चली थी लौिकक मोह-ममता स समबनधो स ऊपर उठ चकी थी िपता की ःनह-वातसलयरपी सवणरमय जजीर भी उस बाधन म समथर नही थी िपता क हाथ स अपना हाथ छड़ात हए बोलीः

म तो आपकी बटी नही ह म तो ई र की बटी ह आपक वहा तो कवल आयी थी कछ समय क िलए गजरी थी आपक घर स अगल जनमो म भी म िकसी की बटी थी उसक पहल भी िकसी की बटी थी हर जनम म बटी कहन वाल बाप िमलत रह ह मा कहन वाल बट िमलत रह ह प ी कहन वाल पित िमलत

रह ह आिखर म कोई अपना नही रहता ह िजसकी स ा स अपना कहा जाता ह िजसस यह शरीर िटकता ह वह आतमा-परमातमा व ौीकण ही अपन ह बाकी सब धोखा-ही-धोखा ह ETH सब मायाजाल ह

राजपरोिहत परशराम शा क अ यासी थ धमर मी थ सतो क सतसग म जाया करत थ उनह बटी की बात म िनिहत सतय को ःवीकार करना पड़ा चाह िपता हो चाह गर हो सतय बात तो सतय ही होती ह बाहर चाह कोई इनकार कर द िकत भीतर तो सतय असर करता ही ह

अपनी गणवान सतान क ित मोहवाल िपता का दय माना नही व इितहास पराण और शा ो म स उदाहरण ल-लकर कमारवती को समझान लग बटी को समझान क िलए राजपरोिहत न अपना परा पािडतय लगा िदया पर कमारवती िपता क िव तापणर सनत-सनत यही सोच रही थी िक िपता का मोह कस दर हो सक उसकी आखो म भगवदभाव क आस थ ललाट पर ितलक गल म तलसी की माला मख पर भि का ओज आ गया था वह आख बनद करक धयान िकया करती थी इसस आखो म तज और चमबकतव आ गया था िपता का मगल हो िपता का मर ित मोह न रह ऐसी भावना कर दय म दढ़ सकलप कर कमारवती न दो-चार बार िपता की तरफ िनहारा वह पिणडत तो नही थी लिकन जहा स हजारो-हजारो पिणडतो को स ा-ःफितर िमलती ह उस सवरस ाधीश का धयान िकया करती थी आिखर पिडतजी की पिडताई हार गयी और भ की भि जीत गयी परशराम को कहना पड़ाः बटी त सचमच मरी बटी नही ह ई र की बटी ह अचछा त खशी स भजन कर म तर िलए यहा किटया बनवा दता ह तर िलए एक सहावना आौम बनवा दता ह

नही नही कमारवती सावधान होकर बोलीः यहा आप किटया बनाय तो कल मा आयगी परसो भाई आयगा तरसो चाचा-चाची आयग िफर मामा-मामी आयग िफर स वह ससार चाल हो जायगा मझ यह माया नही बढ़ानी ह

कसा बचची का िववक ह कसा तीो वरा य ह कसा दढ़ सकलप ह कसी साधना सावधानी ह धनय ह कमारवती

परशराम िनराश होकर वापस लौट गय िफर भी दय म सतोष था िक मरा हकक का अनन था पिवऽ अनन था श आजीिवका थी तो मर बालक को भी नाहकर क िवकार और िवलास क बदल हकक ःवरप ई र की भि िमली ह मझ अपन पसीन की कमाई का बिढ़या फल िमला मरा कल उजजवल हआ वाह

परशराम अगर तथाकिथत धािमरक होत धमरभीर होत तो भगवान को उलाहना दतः भगवान मन तरी भि की जीवन म सचचाई स रहा और मरी लड़की घर छोड़कर चली गयी समाज म मरी इजजत लट गयी ऐसा िवचार कर िसर पीटत

परशराम धमरभीर नही थ धमरभीर यानी धमर स डरनवाल लोग ऐस लोग कई कार क वहमो म अपन को पीसत रहत ह

धमर कया ह ई र को पाना ही धमर ह और ससार को मरा मानना ससार क भोगो म पड़ना अधमर ह यह बात जो जानत ह व धमरवीर होत ह

परशराम बाहर स थोड़ उदास और भीतर स पर सत होकर घर लौट उनहोन राजा शखावत सरदार स बटी कमारवती की भि और वरा य की बात कही वह बड़ा भािवत हआ िशयभाव स वनदावन म आकर उसन कमारवती क चरणो म णाम िकया िफर हाथ जोड़कर आदरभाव स िवनीत ःवर म बोलाः

ह दवी ह जगदी री मझ सवा का मौका दो म सरदार होकर नही आया आपक िपता का ःवामी होकर नही आया आपक िपता का ःवामी हो कर नही आया अिपत आपका तचछ सवक बनकर आया ह कपया इनकार मत करना कणड पर आपक िलए छोटी-सी किटया बनवा दता ह मरी ाथरना को ठकराना नही

कमारवती न सरदार को अनमित द दी आज भी वनदावन म कणड क पास की वह किटया मौजद ह पहल अमत जसा पर बाद म िवष स बद र हो वह िवकारो का सख ह ारभ म किठन लग दःखद

लग बाद म अमत स भी बढ़कर हो वह भि का सख पान क िलए बहत किठनाइयो का सामना करना पड़ता ह कई कार की कसौिटया आती ह भ का जीवन इतना सादा सीधा-सरल आडमबररिहत होता ह िक बाहर स दखन वाल ससारी लोगो को दया आती हः बचारा भगत ह दःखी ह जब भि फलती ह तब व ही सखी िदखन वाल हजारो लोग उस भ - दय की कपा पाकर अपना जीवन धनय करत ह भगवान की भि की बड़ी मिहमा ह

जय हो भ तरी जय हो तर पयार भ ो की जय हो हम भी तरी पावन भि म डब जाय परम र ऐस पिवऽ िदन जलदी आय नारायण नारायण नारायण

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अनबम

वाःतिवक सौनदयर सौनदयर सबक जीवन की माग ह वाःतिवक सौनदयर उस नही कहत जो आकर चला जाय जो कभी

कषीण हो जाय न हो जाय वह सौनदयर नही ह ससारी लोग िजस सौनदयर बोलत ह वह हाड़-मास का सौनदयर तब तक अचछा लगता ह जब तक मन म िवकार होता ह अथवा तो तब तक अचछा लगता ह जब तक बाहरी रप-रग अचछा होता ह िफर तो लोग उसस भी मह मोड़ लत ह िकसी वयि या वःत का सौनदयर हमशा िटक नही सकता और परम सौनदयरःवरप परमातमा का सौनदयर कभी िमट नही सकता

एक राजकमारी थी वह सनदर सयमी एव सदाचारी थी तथा सदमनथो का पठन भी करती थी उस राजकमारी की िनजी सवा म एक िवधवा दासी रखी गयी थी उस दासी क साथ राजकमारी दासी जसा नही बिलक व ा मा जसा वयवहार करती थी

एक िदन िकसी कारणवशात उस दासी का 20-22 साल का यवान पऽ राजमहल म अपनी मा क पास आया वहा उसन राजकमारी को भी दखा राजकमारी भी करीब 18-21 साल की थी सनदरता तो मानो उसम

कट-कट कर भरी थी राजकमारी का ऐसा सौनदयर दखकर दासीपऽ अतयत मोिहत हो गया वह कामपीिड़त होकर वापस लौटा

जब दासी अपन घर गयी तो दखा िक अपना पऽ मह लटकाय बठा ह दासी क बहत पछन पर लड़का बोलाः मरी शादी तम उस राजकमारी क साथ करवा दो

दासीः तरी मित तो नही मारी गयी कहा त िवधवा दासी का पऽ और कहा वह राजकमारी राजा को पता चलगा तो तझ फासी पर लटका दग

लड़काः वह सब म नही जानता जब तक मरी शादी राजकमारी क साथ नही होगी तब तक म अनन का एक दाना भी खाऊगा

उसन कमस खाली एक िदन दो िदन तीन िदन ऐसा करत-करत पाच िदन बीत गय उसन न कछ खाया न कछ िपया दासी समझात-समझात थक गयी बचारी का एक ही सहारा था पित तो जवानी म ही चल बसा था और एक-एक करक दो पऽ भी मर गय थ बस यह ही लड़का था वह भी ऐसी हठ लकर बठ गया

समझदार राजकमारी न भाप िलया िक दासी उदास-उदास रहती ह जरर उस कोई परशानी सता रही ह राजकमारी न दासी स पछाः सच बताओ कया बात ह आजकल तम बड़ी खोयी-खोयी-सी रहती हो

दासीः राजकमारीजी यिद म आपको मरी वयथा बता द तो आप मझ और मर बट को राजय स बाहर िनकलवा दगी

ऐसा कहकर दासी फट-फटकर रोन लगी राजकमारीः म तमह वचन दती ह तमह और तमहार बट को कोई सजा नही दगी अब तो बताओ

दासीः आपको दखकर मरा लड़का अनिधकारी माग करता ह िक शादी करगा तो इस सनदरी स ही करगा और जब तक शादी नही होती तब तक भोजन नही करगा आज पाच िदन स उसन खाना-पीना छोड़ रखा ह म तो समझा-समझाकर थक गयी

राजकमारीः िचनता मत करो तम कल उसको मर पास भज दना म उसकी वाःतिवक शादी करवा दगी

लड़का खश होकर पहच गया राजकमारी स िमलन राजकमारी न उसस कहाः मझस शादी करना चाहता ह

जी हा

आिखर िकस वजह स

तमहार मोहक सौनदयर को दखकर म घायल हो गया ह

अचछा तो त मर सौनदयर की वजह स मझस शादी करना चाहता ह यिद म तझ 80-90 ितशत सौनदयर द द तो तझ ति होगी 10 ितशत सौनदयर मर पास रह जायगा तो तझ ति होगी 10 ितशत सौनदयर मर पास रह जायगा तो तझ चलगा न

हा चलगा

ठीक ह तो कल दोपहर को आ जाना

राजकमारी न रात को जमालगोट का जलाब ल िलया िजसस रािऽ को दो बज जलाब क कारण हाजत तीो हो गयी पर पट की सफाई करक सारा कचरा बाहर राजकमारी न सनदर नककाशीदार कणड म अपन पट का वह कचरा डाल िदया कछ समय बाद उस िफर स हाजत हई तो इस बार जरीकाम और मलमल स ससिजजत कड म राजकमारी न कचरा उतार िदया दोनो कडो को चारपाई क एक-एक पाय क पास रख िदया उसक बाद िफर स एक बार जमालघोट का जलाब ल िलया तीसरा दःत तीसर कणड म िकया बाकी का थोड़ा-बहत जो बचा हआ मल था िव ा थी उस चौथी बार म चौथ कड म िनकाल िदया इन दो कडो को भी चारपाई क दो पायो क पास म रख िदया

एक ही रात जमालगोट क कारण राजकमारी का चहरा उतर गया शरीर खोखला सा हो गया राजकमारी की आख उतर गयी गालो की लाली उड़ गयी शरीर एकदम कमजोर पड़ गया

दसर िदन दोपहर को वह लड़का खश होता हआ राजमहल म आया और अपनी मा स पछन लगाः कहा ह राजकमारी जी

दासीः वह सोयी ह चारपाई पर

राजकमारी क नजदीक जान स उसका उतरा हआ मह दखकर दासीपऽ को आशका हई ठीक स दखा तो च क पड़ा और बोलाः

अर तमह या कया हो गया तमहारा चहरा इतना फीका कयो पड़ गया ह तमहारा सौनदयर कहा चला गया

राजकमारी न बहत धीमी आवाज म कहाः मन तझ कहा था न िक म तझ अपना 90 ितशत सौनदयर दगी अतः मन सौनदयर िनकालकर रखा ह

कहा ह आिखर तो दासीपऽ था बि मोटी थी इस चारपाई क पास चार कड ह पहल कड म 50 ितशत दसर म 25 ितशत सौनदयर दगी अतः

मन सौनदयर िनकालकर रखा ह

कहा ह आिखर तो दासीपऽ था बि मोटी थी इस चारपाई क पास चार कड ह पहल कड म 50 ितशत दसर म 25 ितशत तीसर कड म 10

ितशत और चौथ म 5-6 ितशत सौनदयर आ चका ह

मरा सौनदयर ह रािऽ क दो बज स सभालकर कर रखा ह

दासीपऽ हरान हो गया वह कछ समझ नही पा रहा था राजकमारी न दासी पऽ का िववक जागत हो इस कार उस समझात हए कहाः जस सशोिभत कड म िव ा ह ऐस ही चमड़ स ढक हए इस शरीर म यही सब कचरा भरा हआ ह हाड़-मास क िजस शरीर म तमह सौनदयर नज़र आ रहा था उस एक जमालगोटा ही न कर डालता ह मल-मऽ स भर इस शरीर का जो सौनदयर ह वह वाःतिवक सौनदयर नही ह लिकन इस मल-मऽािद को भी सौनदयर का रप दन वाला वह परमातमा ही वाःतव म सबस सनदर ह भया त उस सौनदयरवान परमातमा को पान क िलए आग बढ़ इस शरीर म कया रखा ह

दासीपऽ की आख खल गयी राजकमारी को गर मानकर और मा को णाम करक वह सचच सौनदयर की खोज म िनकल पड़ा आतम-अमत को पीन वाल सतो क ार पर रहा और परम सौनदयर को ा करक जीवनम हो गया

कछ समय बाद वही भतपवर दासी पऽ घमता-घामता अपन नगर की ओर आया और सिरता िकनार एक झोपड़ी बनाकर रहन लगा खराब बात फलाना बहत आसान ह िकत अचछी बात सतसग की बात बहत पिरौम और सतय माग लती ह नगर म कोई हीरो या हीरोइन आती ह तो हवा की लहर क साथ समाचार पर नगर म फल जाता ह लिकन एक साध एक सत अपन नगर म आय हए ह ऐस समाचार िकसी को जलदी नही िमलत

दासीपऽ म स महापरष बन हए उन सत क बार म भी शरआत म िकसी को पता नही चला परत बाद म धीर-धीर बात फलन लगी बात फलत-फलत राजदरबार तक पहची िक नगर म कोई बड़ महातमा पधार हए ह उनकी िनगाहो म िदवय आकषरण ह उनक दशरन स लोगो को शाित िमलती ह

राजा न यह बात राजकमारी स कही राजा तो अपन राजकाज म ही वयःत रहा लिकन राजकमारी आधयाितमक थी दासी को साथ म लकर वह महातमा क दशरन करन गयी

पप-चदन आिद लकर राजकमारी वहा पहची दासीपऽ को घर छोड़ 4-5 वषर बीत गय थ वश बदल गया था समझ बदल चकी थी इस कारण लोग तो उन महातमा को नही जान पाय लिकन राजकमारी भी नही पहचान पायी जस ही राजकमारी महातमा को णाम करन गयी िक अचानक व महातमा राजकमारी को पहचान गय जलदी स नीच आकर उनहोन ःवय राजकमारी क चरणो म िगरकर दडवत णाम िकया

राजकमारीः अर अर यह आप कया रह ह महाराज

दवी आप ही मरी थम गर ह म तो आपक हाड़-मास क सौनदयर क पीछ पड़ा था लिकन इस हाड़-मास को भी सौनदयर दान करन वाल परम सौनदयरवान परमातमा को पान की रणा आप ही न तो मझ दी थी इसिलए आप मरी थम गर ह िजनहोन मझ योगािद िसखाया व गर बाद क म आपका खब-खब आभारी ह

यह सनकर वह दासी बोल उठीः मरा बटा

तब राजकमारी न कहाः अब यह तमहारा बटा नही परमातमा का बटा हो गया ह परमातम-ःवरप हो गया ह

धनय ह व लोग जो बा रप स सनदर िदखन वाल इस शरीर की वाःतिवक िःथित और न रता का याल करक परम सनदर परमातमा क मागर पर चल पड़त ह

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अनबम

आतमिव ा की धनीः फलीबाई यह जोधपर (राजःथान) क पास क गाव की महान नारी फलीबाई की गाथा ह कहत ह िक उनक पित

शादी क थोड़ समय बाद ही ःवगर िसधार गय थ उनक माता-िपता न कहाः तरा सचचा पित तो परमातमा ही ह बटी चल तझ गरदव क पास स दीकषा िदलवा द

उनक समझदार माता-िपता न समथर गर महातमा भरीबाई स उनह दीकषा िदलवा दी अब फलीबाई अपन गरदव की आजञा क अनसार साधना म लीन हो गयी ाणायाम जप और धयान आिद करत-करत उनकी बि शि िवकिसत होन लगी व इस बात को खब अचछ स समझन लगी िक ाणीमाऽ क परम िहतषी सचच ःवामी तो एकमाऽ परमातमा ही ह धीर-धीर परमातमा क रग म अपन जीवन को रगत-रगत माभि स अपन दय को भरत-भरत व सष शि यो को जागत करन म सफल हो गयी

लौिकक िव ा म अनपढ़ व फलीबाई अलौिकक िव ा पान म सफल हो गयी अब व िनराधार न रही बिलक सवारधार क ःनह स पिरपणर हो गयी उनक िच म नयी िदवय ःफरणाए ःफिरत होन लगी उनका जीवन परमातम-काश स जगमगान लगा ऐिहक रप स फलीबाई बहत गरीब थी िकत उनहोन वाःतिवक धन को पा िलया था

गोबर क कणड बना-बनाकर व अपनी आजीिवका चलाती थी िकत उनकी पड़ोसन उनक कणड चरा लती एक बार फलीबाई को उस ी पर दया आयी एव बोलीः

बहन यिद त चोरी करगी तो तरा मन अपिवऽ होगा और भगवान तझस नाराज हो जायग अगर तझ चािहए तो म तझ पाच-पचीस कणड द िदया करगी िकत त चोरी करक अपना मन एव बि का एव अपन कटमब का सतयानाश मत कर

वह पड़ोसन ी तो द ा थी वह तो फलीबाई को गािलयो पर गािलया दन लगी इसस फलीबाई क िच म जरा भी कषोभ न हआ वरन उनक िच म दया उपजी और व बोलीः

बहन म तझ जो कछ कह रही ह वह तमहारी भलाई क िलए ही कह रही ह तम झगड़ो मत

चोरी करन वाली मिहला को जयादा गःसा आ गया िफर फलीबाई न भी थोड़ा-सा सना िदया झगड़ा बढ़न लगा तो गाव का मिखया एव माम-पचायत इकटठी हो गयी सबस एकिऽत दखकर वह चोरी करन वाली मिहला बोलीः

फलीबाई चोर ह मर कणड चरा जाती ह

फलीबाईः चोरी करन को म पाप समझती ह

तब गाव का मिखया बोलाः हम नयाय कस द िक कणड िकसक ह कणडो पर नाम तो िकसी का नही िलखा और आकार भी एक जसा ह अब कस बताय िक कौन स कणड फलीबाई क ह एव कौन स उसकी पड़ोसन क

जो ी चोरी करती थी उसका पित कमाता था िफर भी मिलन मन क कारण वह चोरी करती थी ऐसी बात नही िक कोई गरीबी क कारण ही चोरी करता ह कई बार तो समझ गरीब होती ह तब भी लोग चोरी

करत ह िफर कोई कलम स चोरी करता ह कोई िर त क रप म चोरी करता ह कोई नता बनकर जनता स चोरी करता ह समझ जब कमजोर होती ह तभी मनय हराम क पस लकर िवलासी जीवन जीन की इचछा करता ह और समझ ऊची होती ह तो मनय ईमानदारी की कमाई स पिवऽ जीवन जीता ह िफर भी वह भल सादा जीवन िजय लिकन उसक िवचार बहत ऊच होत ह

फलीबाई का जीवन खब सादगीपणर था लिकन उनकी भि एव समझ बहत बढ़ गयी थी उनहोन कहाः यह ी मर कणड चराती ह इसका माण यह ह िक यिद आप मर कणडो को अपन कानो क पास रखग तो उनम स राम नाम की धविन िनकलगी िजन कणडो म राम-नाम की धविन िनकल उनह आप मर समझना और िजनम स न िनकल उनह इसक समझना

माम-पचायत क कछ सजजन लोग एव मिखया उस मिहला क यहा गय उसक कणडो क ढर म स एक-एक कणडा उठाकर कान क पास रखकर दखन लग िजस कणड म स राम नाम की धविन का अनभव होता तो उस अलग रख दत स लगभग 50 कणड िनकल

मऽजप करत-करत फलीबाई की रगो म नस-नािड़यो म एव पर शरीर म मऽ का भाव छा गया था व िजन वःतओ को छती उनम भी मऽ की सआम तरगो का सचार हो जाता था गाव क मिखया एव उन सजजनो को फलीबाई का यह चमतकार दखकर उनक ित आदर भाव हो आया उन लोगो न फलीबाई का सतकार िकया

मनय म िकतनी शि ह िकतना सामथयर ह उस यिद यो य मागरदशरन िमल जाय एव वह ततपरता स लग जाय तो कया नही कर सकता

फलीबाई न गरमऽ ा करक गर क िनदशानसार साधना की तो उनम इतनी शि आ गयी िक उनक ारा बनाय गय कणडो स भी राम नाम की धविन िनकलन लगी

एक िदन राजा यशवतिसह क सिनको की एक टकड़ी दौड़न क िलए िनकली उसम स एक सिनक फलीबाई की झोपड़ी म पहचा एव उनस पानी मागा

फलीबाई न कहाः बटा दौड़कर तरत पानी नही पीना चािहए इसस तदरःती िबगड़ती ह एव आग जाकर खब हािन होती दौड़ लगाकर आय हो तो थोड़ी दर बठो म तमह रोटी का टकड़ा दती ह उस खाकर िफर पानी पीना

सिनकः माताजी हमारी परी टकड़ी दौड़ती आ रही ह यिद म खाऊगा तो मझ मर सािथयो को भी िखलाना पड़गा

फलीबाईः मन दो रोटल बनाय ह गवारफली की सबजी ह तम सब लोग टकड़ा-टकड़ा खा लना

सिनकः परी टकड़ी कवल दो रोटल म स टकड़ा-टकड़ा कस खा पायगी

फलीबाईः तम िचता मत करो मर राम मर साथ ह

फलीबाई न दो रोटल एव सबजी को ढक िदया कलल करक आख-कान को पानी का ःपशर कराया हम जो दख पिवऽ दख हम जो सन पिवऽ सन ऐसा सकलप करक आख-कान को जल का ःपशर करवाया जाता ह

फलीबाई न सबजी-रोटी को कपड़ स ढककर भगवतःमरण िकया एव इ मऽ म तललीन होत-होत टकड़ी क सिनको को रोटल का टकड़ा एव सबजी दती गयी फलीबाई क हाथो स बन उस भोजन म िदवयता आ गयी थी उस खाकर परी टकड़ी बड़ी सनन एव सत हई उनह आज तक ऐसा भोजन नही िमला था उन सभी न फलीबाई को णाम िकया एव व िवचार करन लग िक इतन-स झोपड़ म इतना सारा भोजन कहा स आया

सबस पहल जो सिनक पहल जो सिनक पहचा था उस पता था िक फलीबाई न कवल दो रोटल एव थोड़ी सी सबजी बनायी ह िकत उनहोन िजस बतरन म भोजन रखा ह वह बतरन उनकी भि क भाव स अकषयपाऽ बन गया ह

यह बात राजा यशवतिसह क कानो तक पहची वह रथ लकर फलीबाई क दशरन करन क िलए आया उसन रथ को दर ही खड़ा रखा जत उतार मकट उतारा एव एक साधारण नागिरक की तरह फलीबाई क ार तक पहचा फलीबाई की तो एक छोटी-सी झोपड़ी ह और आज उसम जोधपर का साट खब न भाव स खड़ा ह भि की कया मिहमा ह परमातमजञान की कया मिहमा ह िक िजसक आग बड़-बड़ साट तक नतमःतक हो जात ह

यशवतिसह न फलीबाई क चरणो म णाम िकया थोड़ी दर बातचीत की सतसग सना फलीबाई न अपन अनभव की बात बड़ी िनभ कता स राजा यशवतिसह को सनायी-

बटा यशवत त बाहर का राजय तो कर रहा ह लिकन अब भीतर का राजय भी पा ल तर अदर ही आतमा ह परमातमा ह वही असली राजय ह उसका जञान पाकर त असली सख पा ल कब तक बाहर क िवषय-िवकारो क सख म अपन को गरक करता रहगा ह यशवत त यशःवी हो अचछ कायर कर और उनह भी ई रापरण कर द ई रापरण बि स िकया गया कायर भि हो जाता ह राग- ष स िरत कमर जीव को बधन म डालता ह िकत तटःथ होकर िकया गया कमर जीव को मि क पथ पर ल जाता ह

ह यशवत तर खजान म जो धन ह वह तरा नही ह वह तो जा क पसीन की कमाई ह उस धन को जो राजा अपन िवषय-िवलास म खचर कर दता ह उस रौरव नरक क दःख भोगन पड़त ह कभीपाक जस नरको म जाना पड़ता ह जो राजा जा क धन का उपयोग जा क िहत म जा क ःवाःथय क िलए जा क िवकास क िलए करता ह वह राजा यहा भी यश पाता ह और उस ःवगर की भी ाि होती ह ह यशवत यिद वह राजा भगवान की भि कर सतो का सग कर तो भगवान क लोक को भी पा लता ह और यिद वह भगवान क लोक को पान की भी इचछा न कर वरन भगवान को ही जानन की इचछा कर तो वह भगवतःवरप का जञान पाकर भगवतःवरप ःवरप हो जाता ह

फलीबाई की अनभवय वाणी सनकर यशवतिसह पलिकत हो उठा उसन अतयत ौ ा-भि स फलीबाई क चरणो म णाम िकया फलीबाई की वाणी म सचचाई थी सहजता थी और जञान का तज था िजस सनकर यशवतिसह भी नतमःतक हो गया

कहा तो जोधपर का साट और कहा लौिकक दि स अनपढ़ फलीबाई िकत उनहोन यशवतिसह को जञान िदया यह जञान ह ही ऐसा िक िजसक सामन लौिकक िव ा का कोई मलय नही होता

यशवतिसह का दय िपघल गया वह िवचार करन लगा िक फलीबाई क पास खान क िलए िवशष भोजन नही ह रहन क िलए अचछा मकान नही ह िवषय-भोग की कोई साममी नही ह िफर भी व सत रहती ह और मर जस राजा को भी उनक पास आकर शाित िमलती ह सचमच वाःतिवक सख तो भगवान की भि म एव भगवता महापरषो क ौीचरणो म ही ह बाकी को ससार म जल-जलकर मरना ही ह वःतओ को भोग-भोगकर मनय जलदी कमजोर एव बीमार हो जाता ह जबिक फलीबाई िकतनी मजबत िदख रही ह

यह सोचत-सोचत यशवतिसह क मन म एक पिवऽ िवचार आया िक मर रिनवास म तो कई रािनया रहती ह परत जब दखो तब बीमार रहती ह झगड़ती रहती ह एक दसर की चगली और एक-दसर स ईयार करती रहती ह यिद उनह फलीबाई जसी महान आतमा का सग िमल तो उनका भी कलयाण हो

यशवतिसह न हाथ जोड़कर फलीबाई स कहाः माताजी मझ एक िभकषा दीिजए

साट एक िनधरन क पास भीख मागता ह सचचा साट तो वही ह िजसन आतमराजय पा िलया ह बा सााजय को ा िकया हआ मनय तो अधयातममागर की दि स कगाल भी हो सकता ह आतमराजय को पायी ह िनधरन फलीबाई स राजा एक िभखारी की तरह भीख माग रहा ह

यशवतिसह बोलाः माता जी मझ एक िभकषा द

फलीबाईः राजन तमह कया चािहए

यशवतिसहः बस मा मझ भि की िभकषा चािहए मरी बि सनमागर म लगी रह एव सतो का सग िमलता रह

फलीबाई न उस बि मान पिवऽातमा यशवतिसह क िसर पर हाथ रखा फलीबाई का ःपशर पाकर राजा गदगद हो गया एव ाथरना करन लगाः मा इस बालक की एक दसरी इचछा भी परी कर आप मर रिनवास म पधारकर मरी रािनयो को थोड़ा उपदश दन की कपा कर तािक उनकी बि भी अधयातम म लग जाय

फलीबाई न यशवतिसह की िवनता दखकर उनकी ाथरना ःवीकार कर ली नही तो उनह रिनवास स कया काम

य व ही फलीबाई ह िजनक पित िववाह होत ही ःवगर िसधार गय थ दसरी कोई ी होती तो रोती िक अब मरा कया होगा म तो िवधवा हो गयी परत फलीबाई क माता-िपता न उनह भगवान क राःत लगा िदया गर स दीकषा लकर गर क बताय हए मागर पर चलकर अब फलीबाई फलीबाई न रही बिलक सत फलीबाई हो गयी तो यशवतिसह जसा साट भी उनका आदर करता ह एव उनकी चरणरज िसर पर लगाकर अपन को भा यशाली मानता ह उनह माता कहकर सबोिधत करता ह जो कणड बचकर अपना जीवन िनवारह करती ह उनह हजारो लोग माता कहकर पकारत ह

धनय ह वह धरती जहा ऐस भगवदभ जनम लत ह जो भगवान का भजन करक भगवान क हो जात ह उनह माता कहन वाल हजारो लोग िमल जात ह अपना िमऽ एव समबनधी मानन क िलए हजारो लोग तयार हो जात ह कयोिक उनहोन सचच माता-िपता क साथ सचच सग-समबनधी क साथ परमातमा क साथ अपना िच जोड़ िलया ह

यशवतिसह न फलीबाई को राजमहल म बलवाकर दािसयो स कहाः इनह खब आदर क साथ रिनवास म जाओ तािक रािनया इनक दो वचन सनकर अपन कान को एव दशरन करक अपन नऽो को पिवऽ कर

फलीबाई क व ो पर तो कई पबद लग हए थ पबदवाल कपड़ पहनन क बावजद बाजरी क मोट रोटल खान एव झोपड़ म रहन क बावजद फलीबाई िकतनी तदरःत और सनन थी और यशवत िसह की रािनया ितिदन नय-नय वयजन खाती थी नय-नय व पहनती थी महलो म रहती थी िफर भी लड़ती-झगड़ती रहती थी उनम थोड़ी आय इसी आशा स राजा न फलीबाई को रिनवास म भजा

दािसया फलीबाई को आदर क साथ रिनवास म ल गयी वहा तो रािनया सज-धजकर हार-ौगार करक तयार होकर बठी थी जब उनहोन पबद लग मोट व पहनी हई फलीबाई को दखा तो एक दसर की तरफ दखन लगी और फसफसान लगी िक यह कौन सा ाणी आया ह

फलीबाई का अनादर हआ िकत फलीबाई क िच पर चोट न लगी कयोिक िजसन अपना आदर कर िलया अपनी आतमा का आदर कर िलया उसका अनादर करक उसको चोट पहचान म दिनया का कोई भी वयि सफल नही हो सकता फलीबाई को दःख न हआ लािन न हई बोध नही आया वरन उनक िच म दया उपजी िक इन मखर रािनयो को थोड़ा उपदश दना चािहए दयाल एव समिच फलीबाई न उन रािनयो कहाः बटा बठो

दािसयो न धीर-स जाकर रािनयो को बताया िक राजा साहब तो इनह णाम करत ह इनका आदर करत ह और आप लोग कहती ह िक कौन सा ाणी आया राजा साहब को पता चलगा तो आपकी

यह सनकर रािनया घबरायी एव चपचाप बठ गयी फलीबाई न कहाः ह रािनयो इस हाड़-मास क शरीर को सजाकर कया बठी हो गहन पहनकर हार-

ौगार करक कवल शरीर को ही सजाती रहोगी तो उसस तो पित क मन म िवकार उठगा जो तमह दखगा उसक मन म िवकार उठगा इसस उस तो नकसान होगा ही तमह भी नकसान होगा

शा ो म ौगार करन की मनाही नही ह परत साि वक पिवऽ एव मयारिदत ौगार करो जसा ौगार ाचीन काल म होता था वसा करो पहल वनःपितयो स ौगार क ऐस साधन बनाय जात थ िजनस मन फिललत एव पिवऽ रहता था तन नीरोग रहता था जस िक पर म पायल पहनन स अमक नाड़ी पर दबाव रहता ह एव उसस चयर-रकषा म मदद िमलती ह जस ा ण लोग जनऊ पहनत ह एव पशाब करत समय कान पर जनऊ लपटत ह तो उस नाड़ी पर दबाव पड़न स उनह कणर पीडनासन का लाभ िमलता ह और ःवपनदोष की बीमारी नही होती इस कार शरीर को मजबत और मन को सनन बनान म सहायक ऐसी हमारी विदक सःकित ह

आजकल तो पा ातय जगत क ऐस गद ौगारो का चार बढ़ गया ह िक शरीर तो रोगी हो जाता ह साथ ही मन भी िवकारमःत हो जाता ह ौगार करन वाली िजस िदन ौगार नही करती उस िदन उसका चहरा बढ़ी बदरी जसा िदखता ह चहर की कदरती कोमलता न हो जाती ह पाउडर िलपिःटक वगरह स तवचा की ाकितक िःन धता न हो जाती ह

ाकितक सौनदयर को न करक जो किऽम सौनदयर क गलाम बनत ह उनस ाथरना ह िक व किऽम साधनो का योग करक अपन ाकितक सौनदयर को न न कर चिड़या पहनन की कमकम का ितलक करन की मनाई नही ह परत पफ-पाउडर लाली िलपिःटक लगाकर चमकील-भड़कील व पहनकर अपन शरीर मन कटिमबयो एव समाज का अिहत न हो ऐसी कपा कर अपन असली सौनदयर को कट कर जस मीरा न िकया था गाग और मदालसा न िकया था

फलीबाई न उन रािनयो को कहाः ह रािनयो तम इधर-उधर कया दखती हो य गहन-गाठ तो तमहार शरीर की शोभा ह और यह शरीर एक िदन िमटटी म िमल जान वाला ह इस सजा-धजाकर कब तक अपन जीवन को न करती रहगी िवषय िवकारो म कब तक खपती रहोगी अब तो ौीराम का भजन कर लो अपन वाःतिवक सौनदयर को कट कर लो

गहनो गाठो तन री शोभो काया काचो भाडो फली कह थ राम भजो िनत लड़ो कयो हो राडो

गहन-गाठ शरीर की शोभा ह और शरीर िमटटी क कचच बतरन जसा ह अतः ितिदन राम का भजन करो इस तरह वयथर लड़न स कया लाभ

िवषय-िवकार की गलामी छोड़ो हार ौगार की गलामी छोड़ो एव पा लो उस परम र को जो परम सनदर ह

राजा यशवतिसह क रिनवास म भी फलीबाई की िकतनी िहममत ह रािनयो को सतय सनाकर फलीबाई अपन गाव की तरफ चल पड़ी

बाहर स भल कोई अनपढ़ िदख िनधरन िदख परत िजसन अदर का राजय पा िलया ह वह धनवानो को भी दान दन की कषमता रखता ह और िव ानो को भी अधयातम-िव ा दान कर सकता ह उसक थोड़-स आशीवारद माऽ स धनवानो क धन की रकषा हो जाती ह िव ानो म आधयाितमक िव ा कट होन लगती ह आतमिव ा म आतमजञान म ऐसा अनपम-अदभत सामथयर ह और इसी सामथयर स सपनन थी फलीबाई

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अनबम

आनदीबाई की दढ़ ौ ा एक पजाबी मिहला का नाम था आनदीबाई दखन म तो वह इतनी करप थी िक दखकर लोग डर

जाय उसका िववाह हो गया िववाह स पवर उसक पित न उस नही दखा था िववाह क प ात उसकी करपता को दखकर वह उस प ी क रप म न रख सका एव उस छोड़कर उसन दसरा िववाह रचा िलया

आनदी न अपनी करपता क कारण हए अपमान को पचा िलया एव िन य िकया िक अब तो म गोकल को ही अपनी ससराल बनाऊगी वह गोकल म एक छोट स कमर म रहन लगी घर म ही मिदर बनाकर

आनदीबाई ौीकण की मःती म मःत रहन लगी आनदीबाई सबह-शाम घर म िवराजमान ौीकण की मितर क साथ बात करती उनस रठ जाती िफर उनह मनाती और िदन म साध-सनतो की सवा एव सतसग-ौवण करती इस कार उसक िदन बीतन लग

एक िदन की बात हः गोकल म गोप रनाथ नामक जगह पर ौीकण-लीला का आयोजन िनि त िकया गया था उसक िलए

अलग-अलग पाऽो का चयन होन लगा पाऽो क चयन क समय आनदीबाई भी वहा िव मान थी अत म कबजा क पाऽ की बात चली उस व आनदी का पित अपनी दसरी प ी एव बचचो क साथ वही उपिःथत था अतः आनदीबाई की िखलली उड़ात हए उसन आयोजको क आग ःताव रखाः

सामन यह जो मिहला खड़ी ह वह कबजा की भिमका अचछी तरह स अदा कर सकती ह अतः उस ही कहो न यह पाऽ तो इसी पर जचगा यह तो साकषात कबजा ही ह

आयोजको न आनदीबाई की ओर दखा उसका करप चहरा उनह भी कबजा की भिमका क िलए पसद आ गया उनहोन आनदीबाई को कबजा का पाऽ अदा करन क िलए ाथरना की

ौीकणलीला म खद को भाग लन का मौका िमलगा इस सचनामाऽ स आनदीबाई भाविवभोर हो उठी उसन खब म स भिमका अदा करन की ःवीकित द दी ौीकण का पाऽ एक आठ वष य बालक क िजमम आया था

आनदीबाई तो घर आकर ौीकण की मितर क आग िव लता स िनहारन लगी एव मन-ही-मन िवचारन लगी िक मरा कनहया आयगा मर पर पर पर रखगा मरी ठोड़ी पकड़कर मझ ऊपर दखन को कहगा वह तो बस नाटक म दयो की कलपना म ही खोन लगी

आिखरकार ौीकणलीला रगमच पर अिभनीत करन का समय आ गया लीला दखन क िलए बहत स लोग एकिऽत हए ौीकण क मथरागमन का सग चल रहा थाः

नगर क राजमागर स ौीकण गजर रह ह राःत म उनह कबजा िमली आठ वष य बालक जो ौीकण का पाऽ अदा कर रहा था उसन कबजा बनी हई आनदी क पर पर पर

रखा और उसकी ठोड़ी पकड़कर उस ऊचा िकया िकत यह कसा चमतकार करप कबजा एकदम सामानय नारी क ःवरप म आ गयी वहा उपिःथत सभी दशरको न इस सग को अपनी आखो स दखा आनदीबाई की करपता का पता सभी को था अब उसकी करपता िबलकल गायब हो चकी थी यह दखकर सभी दातो तल ऊगली दबान लग

आनदीबाई तो भाविवभोर होकर अपन कण म ही खोयी हई थी उसकी करपता न हो गयी यह जानकर कई लोग कतहलवश उस दखन क िलए आय

िफर तो आनदीबाई अपन घर म बनाय गय मिदर म िवराजमान ौीकण म ही खोयी रहती यिद कोई कछ भी पछता तो एक ही जवाब िमलताः मर कनहया की लीला कनहया ही जान

आनदीबाई न अपन पित को धनयवाद दन म भी कोई कसर बाकी न रखी यिद उसकी करपता क कारण उसक पित न उस छोड़ न िदया होता तो ौीकण म उसकी इतनी भि कस जागती ौीकणलीला म

कबजा क पाऽ क चयन क िलए उसका नाम भी तो उसक पित न ही िदया था इसका भी वह बड़ा आभार मानती थी

ितकल पिरिःथितयो एव सयोगो म िशकायत करन की जगह तयक पिरिःथित को भगवान की ही दन मानकर धनयवाद दन स ितकल पिरिःथित भी उननितकारक हो जाती ह पतथर भी सोपान बन जाता ह

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अनबम

कमारबाई की वातसलय-भि सवारनतयारमी घट-घटवासी भगवान न तो धन-ऐ यर स सनन होत ह और न ही पजा क लमब-चौड़

िवधानो स व तो बस एकमाऽ म स ही सत होत ह एव म क वशीभत होकर नम (िनयम) की भी परवाह नही करत कोई उनका होकर उनह पकार तो दौड़ चल आत ह

कमारबाई नामक एक ऐसी ही भि मती नारी थी िजनकी पकार सनकर भगवान ितिदन उनकी िखचड़ी खान दौड़ चल आत थ भगवान यह नही दखत की भ न खीर-परी-पकवान तयार िकय ह या एकदम सीधा-सादा रखा-सखा भोजन

कमारबाई ौीपरषो मपरी (जगननाथपरी) म िनवास करती थी व भगवान का वातसलय-भाव स िचनतन करती थी एव ितिदन िनयमपवरक ातःकाल ःनानािद िकय िबना ही िखचड़ी तयार करती और भगवान को अिपरत करती थी म क वश म रहन वाल ौीजगननाथजी भी ितिदन सनदर-सलोन बालक क वश म आत और कमारबाई की गोद म बठकर िखचड़ी खा जात कमारबाई भी सदव िचिनतत रहा करती िक बालक क भोजन म कभी िवलब न हो जाय इसी कारण व िकसी भई िविध-िवधान क पचड़ म न पड़कर अतयत म स सवर ही िखचड़ी तयार कर लती थी

एक िदन की बात ह कमारबाई क पास एक साध आय उनहोन कमारबाई को अपिवऽता क साथ िखचड़ी तयार करक भगवान को अपरण करत हए दखा घबराकर उनहोन कमारबाई को पिवऽता स भोजन बनान क िलए कहा और पिवऽता क िलए ःनानािद की िविधया बता दी

भि मती कमारबाई न दसर िदन वसा ही िकया िकत िखचड़ी तयार करन म उनह दर हो गयी उस समय उनका दय यह सोचकर रो उठा िक मरा पयारा यामसनदर भख स छटपटा रहा होगा

कमारबाई न दःखी मन स यामसनदर को िखचड़ी िखलायी उसी समय मिदर म अनकानक घतमय िनविदत करन क िलए पजारी न भ का आवाहन िकया भ जठ मह ही वहा चल गय पजारी चिकत हो गया उसन दखा िक भगवान क मखारिवद म िखचड़ी लगी ह पजारी भी भ था उसका दय बनदन करन लगा उसन अतयत कातर होकर भ को असली बात बतान की ाथरना की

तब उस उ र िमलाः िनतयित ातःकाल म कमारबाई क पास िखचड़ी खान जाता ह उनकी िखचड़ी मझ बड़ी िय और मधर लगती ह पर कल एक साध न जाकर उनह पिवऽता क िलए ःनानािद की िविधया बता दी इसिलए िवलब क कारण मझ कषधा का क तो हआ ही साथ ही शीयता स जठ मह ही आना पड़ा

भगवान क बताय अनसार पजारी न उस साध को ढढकर भ की सारी बात सना दी साध चिकत हो उठा एव घबराकर कमारबाई क पास जाकर बोलाः आप पवर की तरह ही ितिदन सवर ही िखचड़ी बनाकर भ को िनवदन कर िदया कर आपक िलए िकसी िनयम की आवयकता नही ह

कमारबाई पनः पहल की ही तरह ितिदन सवर भगवान को िखचड़ी िखलान लगी व समय पाकर परमातमा क पिवऽ और आनदधाम म चली गयी परत उनक म की गाथा आज भी िव मान ह ौीजगननाथजी क मिदर म आज भी ितिदन ातःकाल िखचड़ी का भोग लगाया जाता

म म अदभत शि ह जो काम दल-बल-छल स नही हो सकता वह म स सभव ह म माःपद को भी अपन वशीभत कर दता ह िकत शतर इतनी ह िक म कवल म क िलए ही िकया जाय िकसी ःवाथर क िलए नही भगवान क होकर भगवान स म करो तो उनक िमलन म जरा भी दर नही ह

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अनबम

साधवी िसरमा िसहल दश (वतरमान ौीलका) क एक सदाचारी पिरवार म जनमी हई कनया िसरमा म बालयकाल स ही

भगवदभि ःफिटत हो चकी थी वह िजतनी सनदर थी उतनी ही सशील भी थी 16 वषर की उ म उसक मा-बाप न एक धनवान पिरवार क यवक समगल क साथ उसकी शादी करवा दी

शादी क प ात समगल िवदश चला गया वहा वह वःतओ का आयात-िनयारत करता था कछ वष म उसन काफी सपि इकटठी कर ली और ःवदश लौट चला कटिबयो न सोचा िक समगल वष बाद घर लौट रहा ह अतः उसका आदर-सतकार होना चािहए गाव भर क जान मान लोगो को आमिऽत िकया गया और सब समगल को लन चल भीड़ म उस जमान की गिणका मदारमाला भी थी

मदारमाला क सौनदयर को दखकर समगल मोिहत हो गया एव समगल क आकषरक वयि तव स मदारमाला भी घायल हो गयी भीड़ को समझत दर न लगी िक दोनो एक-दसर स घायल हो गयी समगल को लकर शोभायाऽा उसक घर पहची समगल को उदास दखकर बोलीः

दव आप बड़ उदास एव वयिथत लग रह ह आपकी उदासी एव वयथा का कारण म जानती ह

समगलः जब जानती ह तो कया पछती ह अब उसक िबना नही रहा जाता

यह सनकर िसरमा न अपना सतलन न खोया कयोिक वह ितिदन भगवान का धयान करती थी एव शात ःवभाव का धन िववक-वरा यरपी धन और िवपि यो म भी सनन रहन की समझ का धन उसक पास था

सिवधाए हो और आप सनन रह- इतना तो लािलया मोितया और कािलया क ा भी जानता ह वह भी जलबी दखकर पछ िहला दता ह और डडा दखकर पछ दबा दता ह सख म सखी एव दःख म दःखी नही होता लिकन सव म तो वह ह जो सख-दःख को सपना मानता ह एव सिचचदानद परमातमा को अपना मानता ह

िसरमा न कहाः नाथ आपकी परशानी का कारण तो म जानती ह उस दर करन म म परा सहयोग दगी आप अपनी परशािनयो को िमटान म मर पर अिधकार का उपयोग कर सकत ह कोई उपाय खोजा जायगा

इतन म ही मदारमाला की नौकरानी आकर बोलीः समगल आपको मरी मालिकन अपन महल म बला रही ह

िसरमा न कहाः जाकर अपनी मालिकन स कह दो िक इस बड़ घर की बहरानी बनना चाहती हो तो तमहार िलए ार खल ह िसरमा अपन सार अिधकार तमह स पन को तयार ह लिकन इस बड़ खानदान क लड़क को अपन अ ड पर बलाकर कलक का टीका मत लगाओ यह मरी ाथरना ह

िसरमा की नता न मदारमाला क दय को ििवत कर िदया और वह व ालकार स ससिजजत होकर समगल क घर आ गयी िसरमा न दोनो का गधवर िववाह करवा िदया और िकसी सचच सत स दीकषा लकर ःवय साधवी बन गयी िसरमा की समझ व मऽजाप की ततपरता न उस ऋि -िसि की मालिकन बना िदया िसरमा का मनोबल बि बल तपोबल और यौिगक सामथयर इतना िनखरा िक कई साधक िसरमा को णाम करन आन लग

एक िदन एक साधक िजसका िसर फटा हआ था और खन बह रहा था िसरमा क पास आया िसरमा न पछाः िभकषक तमहारा िसर फटा ह कया बात ह

िभकषकः म िभकषा लन क िलए समगल क घर गया था मदारमाला क हाथ म जो बतरन था वही बतरन उनहोन मर िसर पर द मारा इसस मरा िसर फट गया

िसरमा को बड़ा दःख हआ िक मदारमाला को परी जायदाद िमल गयी और मरा ऐसा सनदर धनी पिवऽ ःवभाववाला वयापारी पित िमल गया िफर वह कयो दःखी ह ससार म जब तक सचची समझ सचचा जञान नही िमलता तब तक मनय क दःखो का अत नही होता शायद वह दःखी होगी और दःखी वयि ही साधओ को दःख दगा सजजन वयि साधओ को दःख नही दगा वरन उनस सख लगा आशीवारद ल लगा मदारमाला अित दःखी ह तभी उसन िभकषक को भी दःखी कर िदया

िसरमा गयी मदारमाला क पास और बोलीः मदारमाला उस िभकषक क अिकचन साध क िभकषा मागन पर त िभकषा नही दती तो चलता लिकन उसका िसर कयो फोड़ िदया

मदारमालाः बहन म बहत दःखी ह समगल न तझ छोड़कर मझस शादी की और अब मर होत हए एक दसरी नतरकी क यहा जाता ह वह मझस कहता ह िक म परसो उसक साथ शादी कर लगा मन तो अपन

सख को सभाल रखा था लिकन सख तो सदा िटकता नही ह तमहारा िदया हआ यह िखलौना अब दसरा िखलौना लन का भाग रहा ह

िसरमा को दःखाकार वि का थोड़ा धकका लगा िकत वह सावधान थी रािऽ को वह अपन ककष म दीया जलाकर बठ गयी एव ाथरना करन लगीः ह भगवान तम काशःवरप हो जञानःवरप हो म तमहारी शरण आयी ह तम अगर चाहो तो समगल को वाःतव म समगल बना सकत हो समगल िजसस जलदी मतय हो जाय ऐस भोग-पर-भोग बढ़ा रहा ह एप नरक की याऽा कर रहा ह उस सतरणा दकर इन िवकारो स बचाकर अपन िनिवरकारी शात आनद एव माधयरःवरप म लगान म ह भ तम सकषम हो

िसरमा ाथरना िकय जा रही ह एव टकटकी लगाकर दीय की लौ को दख जा रही ह धयान करत-करत िसरमा शात हो गयी उसकी शाित ही परमातमा तक पगाम पहचान का साधन बन गयी धयान करत-करत उस कब नीद आ गयी पता नही लिकन जो नीद क समय भी तमहार िच की चतना को र वािहिनयो को स ा दता ह वह पयारा कस चप बठता

भात म समगल को भयानक ःवपन आया िक मरा िवकारी-भोगी जीवन मझ घसीटकर यमराज क पास ल गय एव तमाम भोिगयो की जो ददरशा हो रही ह वही मरी भी होन जा रही ह हाय म यह कया दख रहा ह समगल च क उठा और उसकी आख खल गयी भात का ःवपन सतय का सकत दन वाला होता ह

सबह होत-होत समगल न अपनी सारी धन-समपि गरीब-गरबो म बाटकर एव सतकम म लगाकर दीकषा ल ली अब तो िसरमा िजस राःत जा रही ह भोग क कीचड़ म पड़ा हआ समगल भी उसी राःत अथारत आतमो ार क राःत जान का सकलप करक चल पड़ा

वह अतःचतना कब िकस वयि क अतःकरण म जामत हो और वह भोग क दलदल स तथा अहकार क िवकट मागर स बचकर सहज ःवभाव को अपनाकर सरल मागर स सत-िचत-आनदःवरप ई र की ओर चल पड़ कहना मिकल ह

धनय ह िसरमा जो ःवय तो उस पथ पर चली ही साथ ही अपन िवकारी पित को भी उस पथ पर चलान म सहायक हो गयी

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अनबम

भि मती जनाबाई (भगवदभि स कया सभव नही ह सब सभव ह भि मती जनाबाई क जीवन सगो पर काश डालत

हए पजयौी कहत ह) भगवान कब कहा और कस अपनी लीला कट करक भ ो की रकषा करत ह यह कहना मिकल ह

भ ो का इितहास दखत ह उनका चिरऽ पढ़त ह तब भगवान क अिःततव पर िवशष ौ ा हो जाती ह

गोदावरी नदी क तट पर िःथत गगाखड़ (िज परमणी महारा ) गाव म दमाजी क यहा जनाबाई का जनम हआ था जनाबाई क बचपन उसकी मा चल बसी मा का अि नसःकार करक जब िपता घर आय तब ननही-सी जना न पछाः

िपताजी मा कहा गयी

िपताः मा पढरपर म भगवान िवटठल क पास गयी ह

एक िदन दो िदन पाच िदन दस िदन पचचीस िदन बीत गय मा अभी तक नही आयी पढरपर म िवटठल क पास बठी ह िपता जी मझ भी िवटठल क पास ल चलो ननही सकनया जना न िजद की

िपता बटी को पढरपर ल आय चिभागा नदी म ःनान करक िवटठल क मिदर म गय ननही-सी जना िवटठल स पछन लगीः मरी मा कहा गयी िवटठल बलाओ न मरी मा को

िवटठल िवटठल करक जना रोन लगी िपता न समझान की खब कोिशश की िकत ननही सी बािलका की कया समझ म आता इतन म वहा दामा शठ एव उनकी धमरप ी गोणाई बाई आय भ नामदव इनही की सनतान थ बािलका को दखकर उनका वातसलय जाग उठा उनहोन जना क िपता स कहाः

अब यह पढरपर छोड़कर तो जायगी नही आप इस यही छोड़ जाइय हम इस अपनी बटी क समान रखग यह यही रहकर िवटठल क दशरन करगी और अपनी मा क िलए िवटठल क दशरन करगी और अपनी मा क िलए िवटठल को पकारत-पकारत अगर इस भि का रग लग जाय तो अचछा ही ह

जना क िपता सहमत हो गय एव जनाबाई को वही छोड़ गय जना को बालयकाल स ही भ नामदव का सग िमल गया जना वहा रहकर िवटठल क दशरन करती एव घर क काम-काज म हाथ बटाती थी धीर-धीर जना की भगवदभि बढ़ गयी

समय पाकर नामदव जी का िववाह हो गया िफर भी जना उनक घर क सब काम करती थी एव रोज िनयम स िवटठल क दशरन करन भी जाती थी

एक बार काम की अिधकता स वह िवटठल क दशरन करन दर स जा पायी रात हो गयी थी सब लोग जा चक थ िवटठल क दशरन करक जना घर लौट आयी लिकन दसर िदन सबह िवटठल भगवान क गल म जो ःवणर की माला थी वह गायब हो गयी

मिदर क पजारी न कहाः सबस आिखर म जनाबाई आयी थी

जनाबाई को पकड़ िलया गया जना न कहाः म िकसी की सई भी नही लती तो िवटठल भगवान का हार कस चोरी करगी

लिकन भगवान भी मानो परीकषा करक अपन भ का आतमबल और यश बढ़ाना चाहत थ राजा न फरमान जारी कर िदयाः जना झठ बोलती ह इसको सर बाजार स बत मारत-मारत ल जाया जाय एव जहा सबको सली पर चढ़ाया जाता ह वही सली पर चढ़ा िदया जाय

िसपाही जनाबाई को लन आय जनाबाई अपन िवटठल को पकारती जा रही थीः ह मर िवटठल म कया कर तम तो सब जानत ही हो

गहन बनान स पवर ःवणर को तपाया जाता ह ऐस ही भगवान भी भ की कसौटी करत ही ह जो सचच भ होत ह व उस कसौटी को पार कर जात ह बाकी क लोग भटक जात ह

सिनक जनाबाई को ल जा रह थ और राःत म उसक िलए लोग कछ-का-कछ बोलत जा रह थः बड़ी आयी भ ानी भि का ढोग करती थी अब तो तरी पोल खल गयी यह दख सजजन लोगो क मन म दःख हो रहा था

ऐसा करत-करत जनाबाई सली तक पहच गयी तब जललादो न उसस पछाः अब तमको मतयदड िदया जा रहा ह तमहारी आिखरी इचछा कया ह

जनाबाई न कहाः आप लोग तिनक ठहर जाय तािक मरत-मरत म दो अभग गा ल

आप लोग चौपाई दोह साखी आिद बोलत हो ऐस ही महारा म अभग बोलत ह अभी भी जनाबाई क लगभग तीन सौ अभग उपलबध ह जनाबाई भगवतःमरण करक ौ ा भि भर दय स अभग ारा िवटठल स ाथरना करन लगीः

करो दया ह िवटठलाया करो दया ह िवटठलराया छलती कस ह छलनी माया

करो दया ह िवटठलराया करो दया ह िवटठलराया ौ ाभि पणर दय स की गयी ाथरना दय र सव र तक अवय पहचती ह ाथरना करत-करत

उसकी आखो स अौिबनद छलक पड़ और िजस सली पर उस लटकाया जाना था वह सली पानी हो गयी

सचच दय की भि कित क िनयमो म भी पिरवतरन कर दती ह लोग यह दखकर दग रह गय राजा न उसस कषमा-याचना की जनाबाई की जय-जयकार हो गयी

िवरोधी भल िकतना भी िवरोध कर लिकन सचच भगवदभ तो अपनी भि म दढ़ रहत ह ठीक ही कहा हः

बाधाए कब बाध सकी ह आग बढ़नवालो को िवपदाए कब रोक सकी ह पथ पर चलन वालो को

ह भारत की दिवयो याद करो अपन अतीत की महान नािरयो को तमहारा जनम भी उसी भिम पर हआ ह िजस पणय भिम भारत म सलभा गाग मदालसा शबरी मीरा जनाबाई जसी नािरयो न जनम िलया था अनक िव न बाधाए भी उनकी भि एव िन ा को न िडगा पायी थी

ह भारत की नािरयो पा ातय सःकित की चकाच ध म अपन सःकित की गिरमा को भला बठना कहा तक उिचत ह पतन की ओर ल जानवाली सःकित का अनसरण करन की अपकषा अपनी सःकित को अपनाओ तािक तमहारा जीवन तो समननत हो ही तमहारी सतान भी सवागीण गित कर सक और भारत पनः िव गर की पदवी पर आसीन हो सक

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अनबम

म ाबाई का सवरऽ िवटठल-दशरन ौीिनवि नाथ जञान र एव सोपानदव की छोटी बहन थी म ाबाई जनम स ही चारो िस योगी परम

िवर एव सचच भगवदभ थ बड़ भाई िनवि नाथ ही सबक गर थ ननही सी म ा कहतीः िवटठल ही मर िपता ह शरीर क माता-िपता तो मर जात ह लिकन हमार

सचच माता-िपता हमार परमातमा तो सदा साथ रहत ह

उसन सतसग म सन रखा था िक िवटठल कवल मिदर म ही नही िवटठल तो सबका आतमा बना बठा ह सार शरीरो म उसी की चतना ह वह कीड़ी म छोटा और हाथी म बड़ा लगता ह िव ानो की िव ा की गहराई म उसी की चतना ह बलवानो का बल उसी परम र का ह सतो का सततव उसी परमातम-स ा स ह िजसकी स ा स आख दखती ह कान सनत ह नािसका ास लती ह िज ा ःवाद का अनभव करती ह वही िवटठल ह

म ाबाई िकसी पप को दखती तो सनन होकर कह उठती िक िवटठल बड़ अचछ ह एक िदन म ाबाई कह उठीः िवटठल तम िकतन गद हो ऐसी गदगी म रहत हो

िकसी न पछाः कहा ह िवटठल

म ाबाईः दखो न इस गदी नाली म िवटठल कीड़ा बन बठ ह

म ाबाई की दि िकतनी साि वक हो गयी थी वह सवरऽ अपन िवटठल क दीदार कर रही थी चारो बचचो को एक सनयासी क बचच मानकर कटटरवािदयो न उनह नमाज स बाहर कर िदया था

उनक माता-िपता क साथ तो जलम िकया ही था बचचो को भी समाज स बाहर कर रखा था अतः कोई उनह मदद नही करता था पट को आहित दन क िलए व बचच िभकषा मागन जात थ

दीपावली क िदन वह बारह वष या म ाबाई िनवि नाथ स पछती हः भया आज दीपावली ह कया बनाऊ

िनवि नाथः बहन मरी तो मज ह िक आज मीठ चील बना ल

जञान रः तीख भी तो अचछ लगत ह

म ाबाई हषर स बोल पड़ीः मीठ भी बनाऊगी और नमकीन भी आज तो दीपावली ह

बाहर स तो दिरिता िदखती ह समाजवालो न बिहकत कर रखा ह न धन ह न दौलत न बक बलनस ह न कार ह न बगला साधारण सा घर ह िफर भी िवटठल क भाव म सराबोर दय क भीतर का सख असीम ह

म ाबाई न अदर जाकर दखा तो तवा ही नही था कयोिक िवसोबा चाटी न राऽी म ही सार बतरन चोरी करवा िदय थ िबना तव क चील कस बनग वह भया म कमहार क यहा स रोटी सकन का तवा ल आती ह ऐसा कह जलदी स िनकल पड़ी तवा लान क िलए लिकन िवसोबा चाटी न सभी कमहारो को डाटकर मना कर िदया था िक खबरदार इसको तवा िदया तो तमको जाित स बाहर करवा दगा

घमत-घमत कमहारो क ार खटखटात हए आिखर उदास होकर वापस लौटी मजाक उड़ात हए िवसोबा चाटी न पछाः कयो कहा गयी थी

म ा न सरलता स उ र िदयाः म बाहर स तवा लन गयी थी लिकन कोई दता ही नही ह

घर पहचत ही जञान र न उसकी उदासी का कारण पछा तो म ा न सारा हाल सना िदया जञान रः कोई बात नही त आटा तो िमला

म ाबाईः आटा तो िमला िमलाया ह

जञान र नगी पीठ करक बठ गय उन योिगराज न ाणो का सयम करक पीठ पर अि न की भावना की पीठ त तव की भाित लाल हो गयी ल िजतनी रोटी या चील सकन हो इस पर सक ल

म ाबाई ःवय योिगनी थी भाइयो की शि को जानती थी उसन बहत स मीठ और नमकीन चील व रोिटया बना ली िफर कहाः भया अपन तव को शीतल कर लो

जञान र न अि नधारण का उपसहार कर िदया सकलप बल स तो अभी भी कछ लोग चमतकार करक िदखात ह जञान र महाराज न अि न त व की

धारणा करक अि न को कट कर िदया था व सतय-सकलप एव योगशि -सपनन परष थ जस आप ःवपन म अि न जल आिद सब बना लत ह वस ही योगशि -सपनन परष जामत म िजस त व की धारणा कर उस बढ़ा अथवा घटा सकत ह

जल त व की धारणा िस हो जाय तो आप जहा जल म गोता मारो और हजारो मील दर िनकलो पथवी त व की धारणा िस ह तो आपको यहा गाड़ द और आप हजारो मील दर कट हो जाओ ऐस ही वाय त व अि न त व आिद की धारणा भी िस की जा सकती ह कबीरजी क जीवन म भी ऐस चमतकार हए थ और दसर योिगयो क जीवन म भी दख-सन गय थ

मर गरदव परम पजय ःवामी ौीलीलाशाहजी महाराज न नीम क पड़ को आजञा दी िक त अपनी जगह पर जा तो वह पड़ चल पड़ा तबस लीलाराम म स ौी लीलाशाह क नाम स व िस हए योगशि म बड़ा सामथयर होता ह

आप ऐसा सामथयर पा लो ऐसा मरा आमह नही ह लिकन थोड़ स सख क िलए कषिणक सख क िलए बाहर न भागना पड़ ऐस ःवाधीन हो जाओ िसि या पान की कबर साधना करना आवयक नही ह लिकन सख-दःख क झटको स बचन की सरल साधना अवय कर लो

िनवि नाथ भोजन करत हए भोजन की शसा कर रह थः मि न िनिमरत िकय और जञान की अि न म सक गय चील क ःवाद का कया पछना

िनवि नाथ जञान र एव सोपानदव तीनो भाइयो न भोजन कर िलया था इतन म एक बड़ा सा काला क ा आया और बाकी चील लकर भागा

िनवि नाथ न कहाः अर म ा मार जलदी इस क को तर िहःस क चील वह ल जा रहा ह त भखी रह जायगी

म ाबाईः मार िकस िवटठल ही तो क ा बन गय ह िवटठल काला-कलटा रप लकर आय ह उनको कयो मार

तीनो भाई हस पड़ जञान र न पछाः जो तर चील ल गया वह काला कलटा क ा तो िवटठल ह और िवसोबा चाटी

म ाबाईः व भी िवटठल ही ह

अलग-अलग मन का ःवभाव अलग-अलग होता ह लिकन चतना तो सबम िवटठल की ही ह वह बारह वष या कनया म ाबाई कहती हः िवसोबा चाटी म भी वही िवटठल ह

िवसोबा चाटी कमहार क घर स ही म ा का पीछा करता आया था वह दखना चाहता था िक तवा न िमलन पर य सब कया करत ह वह दीवार क पीछ स सारा खल दख रहा था म ाबाई क शबद सनकर िवसोबा चाटी का दय अपन हाथो म नही रहा भागता हआ आकर सख बास की ना म ाबाई क चरणो म िगर पड़ा

म ादवी मझ माफ कर दो मर जसा अधम कौन होगा मन बहकानवाली बात सनकर आप लोगो को बहत सताया ह आप लोग मझ पामर को कषमा कर द मझ अपनी शरण म ल ल आप अवतारी परष ह सबम िवटठल दखन की भावना म सफल हो गय ह म उ म तो आपस बड़ा ह लिकन भगवदजञान म तचछ ह आप लोग उ म छोट ह लिकन भगवदजञान म पजनीय आदरणीय ह मझ अपन चरणो म ःथान द

कई िदनो तक िवसोबा अननय-िवनय करता रहा आिखर उसक प ाताप को दखकर िनवि नाथ न उस उपदश िदया और म ाबाई स दीकषा-िशकषा िमली वही िवसोबा चाटी िस महातमा िवसोबा खचर हो गय िजनक ारा िस सत नामदव न दीकषा ा की

बारह वष या बािलका म ाबाई कवल बािलका नही थी वह तो आ शि का ःवरप थी िजनकी कपा स िवसोबा चाटी जसा ईयारल िस सत िवसोबा खचर हो गय

नारी त नारायणी ह दवी सयम-साधना ारा अपन आतमःवरप को पहचान ल ॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐ

अनबम

रतनबाई की गरभि गजरात क सौरा ानत म नरिसह महता नाम क एक उचचकोिट क महापरष हो गय व जब भजन

गात तो ौोतागण भि भाव स सराबोर हो उठत थ दो लड़िकया नरिसह महता की बड़ी भि न थी लोगो न अफवाह फला दी की उन दो कवारी यवितयो

क साथ नरिसह महता का कछ गलत समबनध ह अफवाह बड़ी तजी स फल गयी

किलयग म बरी बात फलाना बड़ा आसान ह िजसक अनदर बराइया ह वह आदमी दसरो की बरी बात जलदी स मान लता ह

उन लड़िकयो क िपता और भाई भी ऐस ही थ उनहोन लड़िकयो की खब िपटाई की और कहाः तम लोगो न तो हमारी इजजत खराब कर दी हम बाजार स गजरत ह तो लोग बोलत ह िक इनही की दो लड़िकया ह िजनक साथ नरिसह महता का

खब मार-पीटकर उन दोनो को कमर म बनद कर िदया और अलीगढ़ क बड़-बड़ ताल लगा िदय िफर चाबी अपनी जब म डालकर दोनो चल िदय िक दख आज कथा म कया होता ह

उन दोनो लड़िकयो म स एक रतनबाई रोज सतसग-कीतरन क दौरान अपन हाथो स पानी का िगलास भरकर भाव भर भजन गान वाल नरिसह महता क होठो तक ल जाती थी लोगो न रतनबाई का भाव एव नरिसह महता की भि नही दखी बिलक पानी िपलान की बा िबया को दखकर उलटा अथर लगा िलया

सरपच न घोिषत कर िदयाः आज स नरिसह महता गाव क चौराह पर ही सतसग-कीतरन करग घर पर नही

नरिसह महता न चौराह पर सतसग-कीतरन िकया िववािदत बात िछड़न क कारण भीड़ बढ़ गयी थी कीतरन करत-करत राऽी क 12 बज गय नरिसह महता रोज इसी समय पानी पीत थ अतः उनह पयास लगी

इधर रतनबाई को भी याद आया िक गरजी को पयास लगी होगी कौन पानी िपलायगा रतनबाई न बद कमर म ही मटक म स पयाला भरकर भावपणर दय स आख बद करक मन-ही-मन पयाला गरजी क होठो पर लगाया

जहा नरिसह महता कीतरन-सतसग कर रह थ वहा लोगो को रतनबाई पानी िपलाती हई नजर आयी लड़की का बाप एव भाई दोनो आ यरचिकत हो उठ िक रतनबाई इधर कस

वाःतव म तो रतनबाई अपन कमर म ही थी पानी का पयाला भरकर भावना स िपला रही थी लिकन उसकी भाव की एकाकारता इतनी सघन हो गयी िक वह चौराह क बीच लोगो को िदखी

अतः मानना पड़ता ह िक जहा आदमी का मन अतयत एकाकार हो जाता ह उसका शरीर दसरी जगह होत हए भी वहा िदख जाता ह

रतनबाई क बाप न पऽ स पछाः रतन इधर कस

रतनबाई क भाई न कहाः िपताजी चाबी तो मरी जब म ह

दोनो भाग घर की ओर ताला खोलकर दखा तो रतनबाई कमर क अदर ही ह और उसक हाथ म पयाला ह रतनबाई पानी िपलान की मिा म ह दोनो आ यरचिकत हो उठ िक यह कस

सत एव समाज क बीच सदा स ही ऐसा ही चलता आया ह कछ असामािजक त व सत एव सत क पयारो को बदनाम करन की कोई भी कसर बाकी नही रखत िकत सतो-महापरषो क सचच भ उन सब बदनािमयो की परवाह नही करत वरन व तो लग ही रहत ह सतो क दवी काय म

ठीक ही कहा हः इलजाम लगानवालो न इलजाम लगाय लाख मगर

तरी सौगात समझकर क हम िसर प उठाय जात ह ॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐ

अनबम

लीन ौी मा महगीबा [ परम पजय बापजी की लीन मातौी मा महगीबा (पजनीया अममा) क कछ मधर सःमरण ःवय

पजय बापजी क शबदो]

मरी मा का िदवय गरभाव मा बालक की थम गर होती ह बालक पर उसक लाख-लाख उपकार होत ह वयवहािरक दि स म

उनका पऽ था िफर भी मर ित उनकी गरिन ा िनराली थी

एक बार व दही खा रही थी तो मन कहाः दही आपक िलए ठीक नही रहगा

उनक जान (महायाण) क कछ समय पवर ही उनकी सिवका न मझ बताया िक अममा न िफर कभी दही नही खाया कयोिक गरजी न मना िकया था

इसी कार एक अनय अवसर पर मा भटटा (मकई) खा रही थी मन कहाः भटटा तो भारी होता ह बढ़ाप म दर स पचता ह कयो खाती हो

मा न भटट खाना भी छोड़ िदया िफर दसर-तीसर िदन उनह भटटा िदया गया तो व बोलीः गरजी न मना िकया ह गर ना बोलत ह को कया खाय

मा को आम बहत पसनद था िकत उनक ःवाःथय क अनकल न होन क कारण मन उसक िलए भी मना िकया तो मा न उस भी खाना छोड़ िदया

मा का िव ास बड़ा गज़ब का खा था एक बार कह िदया तो बात परी हो गयी अब उसम िवटािमनस ह िक नही मर िलए हािनकारक ह या अचछा उनको कछ सनन की जररत नही ह बाप न ना बोल िदया तो बात परी हो गयी

ौ ा की हद हो गयी ौ ा इतनी बढ़ गयी इतनी बढ़ गयी िक उसन िव ास का रप धारण कर िलया ौ ा और िव ास म फकर ह ौ ा सामनवाल की महानता को दखकर करनी पड़ती ह जबिक िव ास पदा होता ौीरामचिरतमानस म आता हः

भवानीशकरौ वनद ौ ािव ासरिपणौ मा पावरती ौ ा का और भगवान िशव िव ास का ःवरप ह य ौ ा और िव ास िजसम ह समझो वह

िशव-पावरतीःवरप हो गया मरी मा म पावरती का ःवरप तो था ही साथ म िशव का ःवरप भी था म एक बार जो कह दता उनक िलए वह पतथर पर लकीर हो जाता

पऽ म िदवय सःकार डालन वाली पणयशीला माताए तो इस धरा पर कई हो गयी िवनोबा भाव की माता न उनह बालयकाल स ही उचच सःकार डाल थ बालयकाल स ही िशवाजी म भारतीय सःकित की गिरमा एव अिःमता की रकषा क सःकार डालनवाली भी उनकी माता जीजाबाई ही थी लिकन पऽ को गर मानन का भाव दवहित क िसवाय िकसी अनय माता म मन आज तक नही दखा था

मरी मा पहल तो मझ पऽवत पयार करती थी लिकन जबस उनकी मर ित गर की नजर बनी तबस मर साथ पऽरप स वयवहार नही िकया व अपनी सिवका स हमशा कहती-

सा जी आय ह सा जी का जो खाना बचा ह वह मझ द द आिद-आिद एक बार की बात ह मा न मझस कहाः साद दो

हद हो गयी ऐसी ौ ा पऽ म इस कार की ौ ा कोई साधारण बात ह उनकी ौ ा को नमन ह बाबा

मरी य माता शरीर को जनम दनवाली माता तो ह ही भि मागर की गर भी ह समता म रहन वाली और समाज क उतथान की रणा दन वाली माता भी ह यही नही इन सबस बढ़कर इन माता न एक ऐसी गजब की भिमका अदा की ह िक िजसका उललख इितहास म कभी-कभार ही िदखाई पड़ता ह सितयो की मिहमा हमन पढ़ी सनी सनायी अपन पित को परमातमा माननवाली दिवयो की सची भी हम िदखा सकत ह लिकन पऽ म गरबि पऽ म परमातमबि ऐसी ौ ा हमन एक दवहित माता म दखी जो किपल मिन को अपना गर मानकर आतम-साकषातकार करक तर गयी और दसरी य माता मर धयान म ह

एक बार म अचानक बाहर चला गया और जब लौटा तो सिवका न बताया िक माताजी बात नही करती ह

मन पछाः कयो

सिवकाः व कहती ह िक सा मना कर गय ह िक िकसी स बात नही करना तो कयो बातचीत कर

मर िनकटवत कहलान वाल िशय भी मरी आजञा पर ऐसा अमल नही करत होग जसा इन दवीःवरपा माता न अमल करक िदखाया ह मा की ौ ा की कसी पराका ा ह मझ ऐसी मा का बटा होन का वयावहािरक गवर ह और जञानी गर का िशय होन का भी गवर ह

भ मझ जान दो मरी मा मझ बड़ आदर भाव स दखा करती थी जब उनकी उ करीब 86 वषर की थी तब उनका शरीर

काफी बीमार हो गया था डॉकटरो न कहाः लीवर और िकडनी दोनो खराब ह एक िदन स जयादा नही जी सक गी

23घणट बीत गय मन अपन व को भजा तो व भी उतरा हआ मह लकर मर पास आया और बोलाः बाप एक घणट स जयादा नही िनकाल पायगी मा

मन कहाः भाई त कछ तो कर मरा व ह इतन िचिकतसालय दखता ह

व ः बाप अब कछ नही हो सकगा

मा कराह रही थी करवट भी नही ल पा रही थी जब लीवर और िकडनी दोनो िनिबय हो तो कया करग आपक इजकशन और दवाए म गया मा क पास तो मा न इस ढग स हाथ जोड़ मानो जान की आजञा माग रही हो िफर धीर स बोली-

भ मझ जान दो

ऐसा नही िक बटा मझ जान दो नही नही मा न कहाः भगवान मझ जान दो भ मझ जान दो

मन उनक भ-भाव और भगवान भाव का जी भरकर फायदा उठाया और कहाः म नही जान दता तम कस जाती हो म दखता ह

मा बोलीः भ पर म कर कया

मन कहाः म ःवाःथय का मऽ दता ह

उवरर भिम पर उलटा-सीधा बीज बड़ तो भी उगता ह मा का दय ऐसा ही था मन उनको मऽ िदया और उनहोन रटना चाल िकया एक घणट म जो मरन की नौबत दख रही थी अब एक घणट क बाद उनक ःवाःथय म सधार शर हो गया िफर एक महीना दो महीन पाच महीन पिह महीन पचचीस महीन चालीस महीन ऐसा करत-करत साठ स भी जयादा महीन हो गय तब व 86 वषर की थी अभी 92 वषर पार कर गयी जब आजञा िमली रोकन का सकलप लगाया तो उस हटान का कतरवय भी मरा था अतः आजञा िमलन पर ही उनहोन शरीर छोड़ा गरआजञा-पालन का कसा दढ़ भाव

इचछाओ स परः मा महगीबा एक बार मन मा स कहाः आपको सोन म तौलग

लिकन उनक चहर पर हषर का कोई िच नजर नही आया मन पनः िहला-िहलाकर कहाः आपको सोन म तौलग सोन म

माः यह सब मझ अचछा नही लगता

मन कहाः तला हआ सोना मिहला आौम शःट म जमा करग िफर मिहलाओ और गरीबो की सवा म लगगा

मा- हा सवा म भल लग लिकन मर को तौलना-वौलना नही

सवणर महोतसव क पहल ही मा की याऽा परी हो गयी बाद म सवणर महोतसव क िनिम जो भी करना था वह िकया ही

मन कहाः आपका मिदर बनायग

मा- य सब कछ नही करना ह

म- आपकी कया इचछा ह हिर ार जाय

मा- वहा तो नहाकर आय

म- कया खाना ह यह खाना ह

मा- मझ अचछा नही लगता

कई बार िवनोद का समय िमलता तो हम पछत कई वािहश पछ-पछकर थक गय लिकन उनकी कोई वािहश हमको िदखी नही अगर उनकी कोई भी इचछा होती तो उनक इिचछत पदाथर को लान की सिवधा मर पास थी िकसी वयि स पऽ स पऽी स कटमबी स िमलन की इचछा होती तो उनस भी िमला दत कही जान की इचछा होती तो वहा ल जात लिकन उनकी कोई इचछा ही नही थी

न उनम कछ खान की इचछा थी न कही जान की न िकसी स िमलन की इचछा थी न ही यश-मान की तभी तो उनह इतना मान िमल रहा ह जहा मान-अपमान सब ःवपन ह उसम उनकी िःथित हई इसीिलए ऐसा हो रहा ह

इस सग स करोड़ो-करोड़ो लोगो को समम मानव-जाित को जरर रणा िमलगी

अनबम

जीवन म कभी फिरयाद नही मन अपनी मा को कभी कोई फिरयाद करत हए नही दखा िक मझ इसन दःख िदया उसन क

िदया यह ऐसा ह जब हम घर पर थ तब बड़ा भाई जाकर मर बार म मा स फिरयाद िक वह तो दकान पर आता ही नही ह

मा मझस कहती- अब कया कर वह तो ऐसा बोलता ह

जब मा आौम म रहन लगी तब भी आौम की बिचचयो की कभी फिरयाद नही आौम क बचचो की कभी फिरयाद नही कसा मक जीवन ऐसी आतमाए धरती पर कभी-कभार ही आती ह इसीिलए वह वसनधरा िटकी हई ह मझ इस बात का बड़ा सतोष ह िक ऐसी तपिःवनी माता की कोख स यह शरीर पदा हआ ह

उनक िच की िनमरलता स मझ तो बड़ी मदद िमली आप लोगो को भी बड़ा अचछा लगता होगा मझ तो लगता ह िक जो भी मिहलाए मा क िनकट आयी होगी उनक दय म माता क ित अहोभाव जग ही गया होगा

म तो सत की मा ह य लोग साधारण ह ऐसा भाव कभी िकसी न उनम नही दखा अथवा हम बड़ ह पजन यो य ह लोग हम णाम कर मान द ऐसा िकसी न उनम नही दखा अिपत यह जरर दखा ह िक व िकसी को णाम नही करन दती थी

ऐसी मा क सपकर म हम आय ह तो हम भी ऐसा िच बनाना चािहए िक हम भी सख-दःख म सम रह अपनी आवयकताए कम कर दय म भदभाव न रह सबक मगल का भाव रख

अनबम

बीमारो क ित मा की करणा

मझ इस बात का पता अभी तक नही थी अभी रसोइय न और दसर लोगो न बताया िक जब भी कोई आौमवासी बीमार पड़ जाता तो मा उसक पास ःवय चली जाती थी सचालक रामभाई न बताया िक एक बार म बहत बीमार पड़ गया तो मा आयी और मर ऊपर स कछ उतारा करक उस अि न म फ क िदया उनहोन ऐसा तीन िदन तक िकया और म ठीक हो गया

दसर लड़को न भी बताया िक हमको भी कभी कछ होता और मा को पता चलता तो व दखन आ ही जाती थी

एक बार आौम म िकसी मिहला को बखार हो गया तो मा ःवय उसका िसर दबान बठ गयी मिहला आौम म भी कोई सािधका बीमार पड़ती तो मा उसका धयान रखती यिद वह ऊपर क कमर म होती तो मा कहती- बचारी को नीच का कमरा दो बीमारी म ऊपर-नीच आना-जाना नही कर पायगी ऐसा था उनका परदःखकातर दय

अनबम

कोई कायर घिणत नही ह एक बार आौम क एक बजगर साधक न एक लड़क का कचछा-लगोट गदा दखा तो उसको फटकार

लगायी लिकन मा तो ऐस कई कचछ-लगोट चपचाप धोकर बचचो क कमर क िकनार रख दती थी कई गद-मल कचछ िजनह खद भी धोन म घणा होती हो ऐस कपड़ो को धोकर मा बचचो क कमरो क िकनार चपचाप रख िदया करती

कसा उदार दय रहा होगा मा का कसा िदवय वातसलयभाव रहा होगा अतः करण म वयावहािरक वदानत की कसी िदवय धारा रही होगी सभी क ित कसी िदवय सतान भावना रही होगी

सफाई क िजस कायर को लोग घिणत समझत ह उस कायर को करन म भी मा को घणा नही होती थी िकतनी उनकी महानता सचमच व शबरी मा ही थी

अनबम

ऐसी मा क िलए शोक िकस बात का िजस िदन मर सदगरदव का महािनवारण हआ उसी िदन मरी माता का भी महािनवारण हआ 4 नवमबर

1999 तदनसार एकादशी का िदन काितरक का महीना गजरात क मतािबक आि न सवत 2055 एव गरवार न इजकशन भकवाय न आकसीजन पर रही न अःपताल म भत हई वरन आौम की एकात जगह पर ा महतर म 5 बजकर 37 िमनट पर िबना िकसी ममता- आसि क उनका न र दह छटा पछी िपजरा छोड़कर आजाद हआ हआ तो शोक िकस बात का

वयवहारकाल म लोग बोलत ह िक बाप जी यह शोक की वला ह हम सब आपक साथ ह ठीक ह यह वयवहार की भाषा ह लिकन सचची बात तो यह ह िक मझ शोक हआ ही नही ह मझम तो बड़ी शाित बड़ी समता ह कयोिक मा अपना काम बनाकर गयी ह

सत मर कया रोइय व जाय अपन घर मा न आतमजञान क उजाल म दह का तयाग िकया ह शरीर स ःवय को पथक मानन की उनकी रिच

थी वासना को िमटान की कजी उनक पास थी यश और मान स व कोसो दर थी ॐॐ का िचतन-गजन करक अतमरन म याऽा करक दो िदन क बाद व िवदा ह

जस किपल मिन की मा दवहित आतमारामी हई ऐस ही मा महगीबा आतमारामी होकर न र चोल को छोड़कर शा त स ा म लीन ह अथवा सकलप करक कही भी कट हो सक ऐसी दशा म पहची ऐसी मा क िलए शोक िकस बात का

िजनक जीवन म कभी िकसी क िलए फिरयाद नही रही ऐसी आतमाए धरती पर कभी-कभार ही आती ह इसीिलए यह वसनधरा िटकी हई ह

मझ इस बात का भी सतोष ह िक आिखरी िदनो म म उनक ऋण स थोड़ा म हो पाया इधर-उधर क कई कायरबम होत रहत थ लिकन हम कायरबम ऐस ही बनात िक मा याद कर और हम पहच जाय

मर गरजी जब इस ससार स िवदा हए तो उनहोन भी मरी ही गोद म महायाण िकया और मरी मा क महािनवारण क समय भी भगवान न मझ यह अवसर िदया-इस बात का मझ सतोष ह

मगल मनाना यह तो हमारी सःकित म ह लिकन शोक मनाना ETH यह हमारी सःकित म नही ह हम ौीरामचिजी का ाकटय िदवस ETH रामनवमी बड़ी धमधाम स मनात ह लिकन ौीकण और ौीरामजी िजस िदन िवदा हए उस हम शोकिदवस क रप म नही मनात ह हम उस िदन का पता ही नही ह

शोक और मोह ETH य आतमा की ःवाभािवक दशाए नही ह शोक और मोह तो जगत को सतय मानन की गलती स होता ह इसीिलए अवतारी महापरषो की िवदाई का िदन भी हमको याद नही िक िकस िदन व िवदा हए और हम शोक मनाय

हा िकनही-िकनही महापरषो की िनवारण ितिथ जरर मनात ह जस वालमीिक िनवारण ितिथ ब की िनवारण ितिथ कबीर नानक ौीरामकणपरमहस अथवा ौीलीलाशाहजी बाप आिद व ा महापरषो की िनवारण ितिथ मनात ह लिकन उस ितिथ को हम शोक िदवस क रप म नही मनात वरन उस ितिथ को हम मनात ह उनक उदार िवचारो का चार-सार करन क िलए उनक मागिलक काय स सतरणा पान क िलए

हम शोक िदवस नही मनात ह कयोिक सनातन धमर जानता ह िक आपका ःवभाव अजर अमर अजनमा शा त और िनतय ह और मतय शरीर की होती ह हम भी ऐसी दशा को ा हो इस कार क सःमरणो का आदान-दान िनवारण ितिथ पर करत ह महापरषो क सवाकाय का ःमरण करत ह एव उनक िदवय जीवन स रणा पाकर ःवय भी उननत हो सक ETH ऐसी उनस ाथरना करत ह

(परम पजय सत ौी आसारामजी बाप की पजनीया मातौी मा महगीबा अथारत हम सबकी पजनीया अममा क िवशाल एव िवराट वयि तव का वणरन करना मानो गागर म सागर को समान की च ा करना वातसलय और म की साकषात मितर परोपकािरता एव परदःखकातरता स पलािवत दय िदवय गरिन ा ःवावलबन एव कमरिन ा िनरािभमानता की मितर भारतीय सःकित की रकषक िकन-िकन गणो का वणरन कर िफर भी उनक महान जीवन की वािटका क कछ प यहा ःतत करत ह िजनका सौरभ जन-जन को सरिभत िकय िबना न रह सकगा)

अनबम

अममा की गरिन ा अममा अथारत पणर िनरिभमािनता का मतर ःवरप उनका परोपकारी सरल ःवभाव िनकाम सवाभाव एव

परिहतिचतन िकसी को भी उनक चरणो म ःवाभािवक ही झकन क िलए िरत कर द अनको साधक जब अममा क दशरन करन क िलए जात तब कई बार ससार क ताप स त दय उनक समकष खल जातः अममा आप आशीवारद दो न म परशािनयो स छट जाऊ

अममा का गरभ दय सामन वाल क दय म उतसाह एव उमग का सचार कर दता एव उसकी गरिन ा को मजबत बना दता व कहती- गरदव बठ ह न हमशा उनहीस ाथरना करो िक ह गरवर हम आपक साथ का यह समबनध सदा क िलए िनभा सक ऐसी कपा करना हम गर स िनभाकर ही इस ससार स जाय मागना हो तो गरदव की भि ही मागना म भी उनक पास स यही मागती ह अतः तमह मरा आशीवारद नही अिपत गरदव का अनमह मागत रहना चािहए व ही हम िहममत दग बल दग व शि दाता ह न

साधना-पथ पर चलनवाल गरभ ो को अममा का यह उपदश अपन दयपटल पर ःवणारकषरो म अिकत कर लना चािहए

अनबम

ःवावलबन एव परदःखकातरता अममा ातःकाल सय दय स पवर 4-5 बज उठ जाती और िनतयकमर स िनव होकर पहल अपन िनयम

करती िकतना भी कायर हो पर एक घणटा तो जप करती ही थी यह बात तब की ह जब तक उनक शरीर न उनका साथ िदया जब शरीर व ावःथा क कारण थोड़ा अश होन लगा तो िफर तो िदन भर जप करती रहती थी

82 वषर की अवःथा तक तो अममा अपना भोजन ःवय बनाकर खाती थी आौम क अनय सवाकायर करती रसोईघर की दखरख करती बगीच म पानी िपलाती सबजी आिद तोड़कर लाती बीमार का हालचाल पछकर आती एव रािऽ म भी एक-दो बज आौम का चककर लगान िनकल पड़ती यिद शीतकाल का मौसम

होता कोई ठड स िठठर रहा होता तो चपचाप उस कबल ओढ़ा आती उस पता भी नही चलता और वह शाित स सो जाता उस शाित स सोत दखकर अममा का मात दय सतोष की सास लता इसी कार गरीबो म भी ऊनी व ो एव कबलो का िवतरण पजनीया अममा करती-करवाती

उनक िलए तो कोई भी पराया न था चाह आौमवासी बचच हो या सड़क पर रहन वाल दिरिनारायण सबक िलए उनक वातसलय का झरना सदव बहता ही रहता था िकसी को कोई क न हो दःख न हो पीड़ा न हो इसक िलए ःवय को क उठाना पड़ तो उनह मजर था पर दसर की पीड़ा दसर का क उनस न दखा जाता था

उनम ःवावलबन एव परदःखकातरता का अदभत सिममौण था वह भी इस तरह िक उसका कोई अह नही कोई गवर नही सबम परमातमा ह अतः िकसी को दःख कयो पहचाना यह सऽ उनक पर जीवन म ओतोत नजर आता था वयवहार तो ठीक वाणी क ारा भी कभी िकसी का िदल अममा न दखाया हो ऐसा दखन म नही आया

सचमच पजनीया अममा क य सदगण आतमसात करक तयक मानव अपन जीवन को िदवय बना सकता ह

अनबम

अममा म मा यशोदा जसा भाव जब अममा पािकःतान म थी तब तो िनतय िनयम स छाछ-मकखन बाटा ही करती थी लिकन भारत म

आन पर भी उनका यह बम कभी नही टटा अपन आौम-िनवास क दौरान अममा अपन हाथो स ही छाछ िबलोती एव लोगो म छाछ-मकखन बाटती जब तक शरीर न साथ िदया तब तक ःवय दही िबलोवा लिकन 82 वषर की अवःथा क बाद जब शरीर असमथर हो गया तब भी दसरो स मकखन िनकलवाकर बाटा करती

अपन जीवन क अितम 3-4 वषर अममा न एकदम एकात शात ःथल शाित वािटका म िबताय वहा भी अममा कभी-कभार आौम स मकखन मगवाकर वािटका क साधको को दती

अपनी जीवनलीला समा करन स 4-5 महीन पवर अममा िहममतनगर आौम म थी वहा तो मकखन िमलता भी नही था तब अमदावाद आौम स मकखन मगवाकर वहा क साधको म बटवाया सबको मकखन बाटन म पजनीया अममा बड़ी ति का अनभव करती ऐसा लगता मानो मा यशोदा अपन गोप-बालको को मकखन िखला रही हो

अनबम

दन की िदवय भावना अममा िकसी को साद िलए िबना न जान दती थी यह तो उनक सपकर म आन वाल तयक वयि

का अनभव ह

नवरािऽ की घटना ह एक बार आगरा का एक भाई अममा को भट करन क िलए एक गलदःता लकर आया दशरन करक वह भाई तो चला गया सिवका को उस साद दना याद न रहा अममा को इस बात का बड़ा दःख हआ िक वह भाई साद िलए िबना चला गया अचानक वह भाई िकसी कारणवश पनः अममा की कटीर क पास आया उस बलाकर अममा न साद िदया तभी उनको चन पड़ा

ऐसा तो एक-दो का नही सकड़ो-हजारो का अनभव ह िक आगनतक को साद िदय िबना अममा नही जान दती थी दना दना और दना यही उनका ःवभाव था वह दना भी कसा िक कोई सकीणरता नही दन का कोई अिभमान नही

ऐसी स दय एव परोपकारी मा क यहा यिद सत अवतिरत न हो तो कहा हो

अनबम

गरीब कनयाओ क िववाह म मदद पजनीया मा का ःवभाव अतयत परोपकारी था गरीबो की वदना उनक दय को िपघलाकर रख दती

थी कभी भी िकसी की दःख-पीड़ा की बात उनक कानो तक पहचती तो िफर उसकी सहायता कस करनी ह ETH इसी बात का िचतन मा क मन म चलता रहता था और जब तक उस यथा यो य मदद न िमल जाती तब तक व चन स बठती तक नही

एक गरीब पिरवार म कनया की शादी थी जब पजनीया मा को इस बात का पता चला तो उनहोन अतयत दकषता क साथ उस मदद करन की योजना बना डाली उस पिरवार की आिथरक िःथित जानकर लड़की क िलए व एव आभषण बनवा िदय और शादी क खचर का बोझ कछ हलका हो ETH इस ढग स आिथरक मदद भी की और वह भी इस तरह स िक लन वाल को पता तक न चल पाया िक यह सब पजनीया मा क दयाल ःवभाव की दन ह कई गरीब पिरवारो को पजनीया मा की ओर स कनया की शादी म यथायो य सहायता इस कार स िमलती रहती थी मानो उनकी अपनी बटी की शादी हो

अनबम

अममा का उतसव म भारतीय सःकित क तयक पवर तयोहारो को मनान क िलए अममा सभी को ोतसािहत िकया करती थी

एव ःवय भी पवर क अनरप सबको साद बाटा करती थी जस मकर-सबाित पर ितल क ल ड आिद आौम क पसो स दान का बोझ न चढ़ इसिलए अपन जय पऽ जठानद स पस लकर पजनीया अममा पव पर साद बाटा करती

िसिधयो का एक िवशष तयोहार ह तीजड़ी जो रकषाबनधन क तीसर िदन आता ह उस िदन चाद क दशरन पजन करक ही ि या भोजन करती ह अममा की सिवका न भी तीजड़ी का ोत रखा था उस व अममा िहममतनगर म थी रािऽ हो चकी थी सिवका न अममा स भोजन क िलए ाथरना की तो अममा बोल

पड़ी- त चाद दखकर खायगी नयाणी (कनया) भखी रह और म खाऊ नही जब चाद िदखगा म भी तभी खाऊगी

अममा भी चाद की राह दखत हए कस पर बठी रही जब चाद िदखा तब अपनी सिवका क साथ ही अममा न रािऽ-भोजन िकया कसा मात दय था अममा का िफर हम उनह जगजजननी न कह तो कया कह

अनबम

तयक वःत का सदपयोग होना चािहए अममा अमदावाद आौम म रहती थी तब की यह बात ह कई लोग आौम म दशरन करन क िलए

आत बड़ बादशाह की पिरबमा करत एव वहा का जल ल जात यिद उनह पानी की खाली बोतल न िमलती तो अममा क पास आ जात एव अममा उनह बोतल द दती अममा क पास इतनी सारी बोतल कहा स आती थी जानत ह अममा पर आौम म चककर लगाती तब यऽ-तऽ पड़ी हई फ क दी गयी बोतल ल आती उस गमर पानी एव साबन स साफ करक सभालकर रख दती और जररतमदो को द दती

इसी कार िशिवरो क उपरात कई लोगो की चपपल पड़ी होती थी उनकी जोड़ी बनाकर रखती एव उनह गरीबो म बाट दती

ऐसा था उनका खराब म स अचछा बनान का ःवभाव म िव सनीय सत की मा ह यह अिभमान तो उनह छ तक न सका था बस तयक चीज का सदपयोग होना चािहए िफर वह खान की चीज हो या पहनन-ओढ़न की

अनबम

अह स पर अममा क सवाकायर का कषऽ िजतना िवशाल था उतनी ही उनकी िनिभमानता भी महान थी उनक

सवाकायर का िकसी को पता चल जाता तो उनह अतयत सकोच होता इसीिलए उनहोन अपना सवाकषऽ इस कार िवकिसत िकया िक उनक बाय हाथ को पता न चलता िक दाया हाथ कौन सी सवा कर रहा ह

यिद कोई कतजञता वय करन क िलए उनह णाम करन आता तो व नाराज हो जाती अतः उनकी सिवका इस बात की बड़ी सावधानी रखती िक कोई अममा को णाम करन न आय

िजनहोन जीवन म कवल दना ही सीखा और िसखाया हो उनस नमन का ऋण भी सहन नही होता था व कवल इतना ही कहती- िजसन सब िदया ह उस परमातमा को ही नमन कर

उनकी मक सवा क आग मःतक अपन-आप झक जाता ह उनकी िनरिभमानता िनकामता एव मक सवा की भावना यगो-यगो तक लोगो क िलए रणादायी एव पथ-दशरक बनी रहगी

अनबम(सकिलत)

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मीराबाई की गरभि (मीराबाई की दढ़ भि को कौन नही जानता उनही क कछ पदो ारा उनक जीवन सग पर काश

डालत हए पजजौी कह रह ह)

भि मती मीराबाई का एक िस भजन हः

पग घघर बाध मीरा नाची र लोग कह मीरा भई र बावरी सास कह कलनासी र िबष को पयालो राणाजी भजयो

पीवत मीरा हासी र म तो अपन नारायण की आपिह हो गइ दासी र मीरा क भ िगरधर नागर

सहज िमलया अिबनासी र एक बार सत रदास जी िचतौड़ पधार थ रदासजी रघ चमार क यहा जनम थ उनकी छोटी जाित थी

और उस समय जात-पात का बड़ा बोल बाला था व नगर स दर चमारो की बःती म रहत थ राजरानी मीरा को पता चला िक सत रदासजी महाराज पधार ह लिकन राजरानी क वश म वहा कस जाय मीरा एक मोची मिहला का वश बनाकर चपचाप रदासजी क पास चली जाती उनका सतसग सनती उनक कीतरन और धयान म म न हो जाती

ऐसा करत-करत मीरा का स वगण दढ़ हआ मीरा न सोचाः ई र क राःत जाय और चोरी िछप जाय आिखर कब तक िफर मीरा अपन ही वश म उन चमारो की बःती म जान लगी

मीरा को उन चमारो की बःती म जात दखकर अड़ोस-पड़ोस म कानाफसी होन लगी पर मवाड़ म कहराम मच गया िक ऊची जाित की ऊच कल की राजघरान की मीरा नीची जाित क चमारो की बःती म जाकर साधओ क यहा बठती ह मीरा ऐसी ह वसी ह ननद उदा न उस बहत समझायाः

भाभी लोग कया बोलग तम राजकल की रानी और गदी बःती म चमारो की बःती म जाती हो चमड़ का काम करनवाल चमार जाित क एक वयि को गर मानती हो उसको मतथा टकती हो उसक हाथ स साद लती हो उसको एकटक दखत-दखत आख बद करक न जान कया-कया सोचती और करती हो यह ठीक नही ह भाभी तम सधर जाओ

सास नाराज ससर नाराज दवर नाराज ननद नाराज कटबीजन नाराज उदा न कहाः मीरा मान लीिजयो महारी तन सिखया बरज सारी

राणा बरज राणी बरज बरज सपिरवारी साधन क सग बठ बठ क लाज गवायी सारी

मीरा अब तो मान जा तझ म समझा रही ह सिखया समझा रही ह राणा भी कह रहा ह रानी भी कह रही ह सारा पिरवार कह रहा ह िफर भी त कयो नही समझती ह इन सतो क साथ बठ-बठकर त कल की सारी लाज गवा रही ह

िनत ित उठ नीच घर जाय कलको कलक लगाव

मीरा मान लीिजयो महारी तन बरज सिखया सारी तब मीरा न उ र िदयाः

तारयो िपयर सासिरयो तारयो मा मौसाली सारी मीरा न अब सदगर िमिलया चरणकमल बिलहारी

म सतो क पास गयी तो मन पीहर का कल तारा ससराल का कल तारा मौसाल का और निनहाल का कल भी तारा ह

मीरा की ननद पनः समझाती हः तन बरज बरज म हारी भाभी मानो बात हमारी राणा रोस िकया था ऊपर साधो म मत जारी

कल को दाग लग ह भाभी िनदा होय रही भारी साधो र सग बन बन भटको लाज गवायी सारी बड़ गर म जनम िलयो ह नाचो द द तारी

वह पायो िहदअन सरज अब िबदल म कोई धारी मीरा िगरधर साध सग तज चलो हमारी लारी तन बरज बरज म हारी भाभी मानो बात हमारी

उदा न मीरा को बहत समझाया लिकन मीरा की ौ ा और भि अिडग ही रही मीरा कहती ह िक अब मरी बात सनः

मीरा बात नही जग छानी समझो सधर सयानी साध मात िपता ह मर ःवजन ःनही जञानी

सत चरण की शरण रन िदन मीरा कह भ िगरधर नागर सतन हाथ िबकानी

मीरा की बात अब जगत स िछपी नही ह साध ही मर माता-िपता ह मर ःवजन ह मर ःनही ह जञानी ह म तो अब सतो क हाथ िबक गयी ह अब म कवल उनकी ही शरण ह

ननद उदा आिद सब समझा-समझाकर थक गय िक मीरा तर कारण हमारी इजजत गयी अब तो हमारी बात मान ल लिकन मीरा भि म दढ़ रही लोग समझत ह िक इजजत गयी िकत ई र की भि करन पर आज तक िकसी की लाज नही गयी ह सत नरिसह महता न कहा भी हः

हिर न भजता हजी कोईनी लाज जता नथी जाणी र मखर लोग समझत ह िक भजन करन स इजजत चली जाती ह वाःतव म ऐसा नही ह

राम नाम क शारण सब यश दीनहो खोय मरख जान घिट गयो िदन िदन दनो होय

मीरा की िकतनी बदनामी की गयी मीरा क िलए िकतन ष यऽ िकय गय लिकन मीरा अिडग रही तो मीरा का यश बढ़ता गया आज भी लोग बड़ म स मीरा को याद करत ह उनक भजनो को गाकर अथवा सनकर अपना दय पावन करत ह

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अनबम

राजकमारी मिललका बनी तीथकर मिललयनाथ जन धमर म कल 24 तीथकर हो चक ह उनम एक राजकनया भी तीथकर हो गयी िजसका नाम था

मिललयनाथ

राजकमारी मिललका इतनी खबसरत थी िक कई राजकमार व राजा उसक साथ बयाह रचाना चाहत थ लिकन वह िकसी को पसद नही करती थी आिखरकार उन राजकमारो व राजाओ न आपस म एक जट होकर मिललका क िपता को िकसी य म हरा कर मिललका का अपहरण करन की योजना बनायी

मिललका को इस बात का पता चल गया उसन राजकमारो व राजाओ को कहलवाया िक आप लोग मझ पर कबारन ह तो म भी आप सब पर कबारन ह ितिथ िनि त किरय आप लोग आकर बातचीत कर म आप सबको अपना सौनदयर द दगी

इधर मिललका न अपन जसी ही एक सनदर मितर बनवायी एव िनि त की गयी ितिथ स दो-चार िदन पहल स वह अपना भोजन उसम डाल िदया करती थी िजल हॉल म राजकमारी व राजाओ को मलाकात दनी थी उसी हॉल म एक ओर वह मितर रखवा दी गयी

िनि त ितिथ पर सार राजा व राजकमार आ गय मितर इतनी हबह थी िक उसकी ओर दखकर राजकमार िवचार ही कर रह थ िक अब बोलगीअब बोलगी इतन म मिललका ःवय आयी तो सार राजा व राजकमार उस दखकर दग रह गय िक वाःतिवक मिललका हमार सामन बठी ह तो यह कौन ह

मिललका बोलीः यह ितमा ह मझ यही िव ास था िक आप सब इसको ही सचची मानगऔर सचमच म मन इसम सचचाई छपाकर रखी ह आपको जो सौनदयर चािहए वह मन इसम छपाकर रखा ह

यह कहकर जयो ही मितर का ढककन खोला गया तयो ही सारा ककष दगरनध स भर गया िपछल चार-पाच िदन स जो भोजन उसम डाला गया था उसक सड़ जान स ऐसी भयकर बदब िनकल रही थी िक सब िछः-िछः कर उठ

तब मिललका न वहा आय हए सभी राजाओ व राजकमारो को समबोिधत करत हए कहाः भाइयो िजस अनन जल दध फल सबजी इतयािद को खाकर यह शरीर सनदर िदखता ह मन व ही खा -सामिमया चार-पाच िदनो स इसम डाल रखी थी अब य सड़ कर दगरनध पदा कर रही ह दगरनध पदा करन वाल इन खा ाननो स बनी हई चमड़ी पर आप इतन िफदा हो रह हो तो इस अनन को र बना कर सौनदयर दन वाला

यह आतमा िकतना सनदर होगा भाइयो अगर आप इसका याल रखत तो आप भी इस चमड़ी क सौनदयर का आकषरण छोड़कर उस परमातमा क सौनदयर की तरफ चल पड़त

मिललका की सारगिभरत बात सनकर कछ राजा एव राजकमार िभकषक हो गय और कछ न काम-िवकार स अपना िपणड छड़ान का सकलप िकया उधर मिललका सतशरण म पहच गयी तयाग और तप स अपनी आतमा को पाकर मिललयनाथ तीथकर बन गयी अपना तन-मन परमातमा को स पकर वह भी परमातममय हो गयी

आज भी मिललयनाथ जन धमर क िस उननीसव तीथकर क नाम स सममािनत होकर पजी जा रही ह

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अनबम

दगारदास की वीर जननी सन 1634 क फरवरी मास की घटना हः जोधपर नरश का सनापित आसकरण जसलमर िजल स गजर

रहा था जमल गाव म उसन दखा िक गाव क लोग डर क मार भागदौड़ मचा रह ह और पकार रह ह- हाय क हाय मसीबत बचाओ बचाओ

आसकरण न सोचा िक कही मगलो न गाव को लटना तो आरभ नही कर िदया अथवा िकसी की बह-बटी की इजजत तो नही लटी जा रही ह गाव क लोगो की चीख-पकार सनकर आसकरण वही रक गया

इतन म उसन दखा िक दो भस आपस म लड़ रही ह उन भसो न ही पर गाव म भगदड़ मचा रखी ह लिकन िकसी गाव वाल की िहममत नही हो रही ह िक पास म जाय सार लोग चीख रह थ मन दखी ह भसो की लड़ाई बड़ी भयकर होती ह

इतन म एक कनया आयी उसक िसर पर पानी क तीन घड़ थ उस कनया न सब पर नजर डाली और तीनो घड़ नीच उतार िदय अपनी साड़ी का पलल कसकर बाधा और जस शर हाथी पर टट पड़ता ह ऐस ही उन भसो पर टट पड़ी एक भस का सीग पकड़कर उसकी गरदन मरोड़न लगी भस उसक आग रभान लगी लिकन उसन भस को िगरा िदया दसरी भस पछ दबाकर भाग गयी

सनापित आसकरण तो दखता ही रह गया िक इतनी कोमल और सनदर िदखन वाली कनया म गजब की शि ह पर गाव की रकषा क िलए एक कनया न कमर कसी और लड़ती हई भस को िगरा िदया जरर यह दगार की उपासना करती होगी

उस कनया की गजब की सझबझ और शि दखकर सनापित आसकरण न उसक िपता स उसका हाथ माग िलया कनया का िपता गरीब था और एक सनापित हाथ माग रहा ह िपता क िलए इसस बढ़कर खशी की बात और कया हो सकती थी िपता न कनयादान कर िदया इसी कनया न आग चलकर वीर दगारदास जस पऽर को जनम िदया

एक कनया न पर जमल गाव को सरिकषत कर िदया साथ ही हजारो बह-बिटयो को यह सबक िसखा िदया िक भयजनक पिरिःथितयो क आग कभी घटन न टको लचच लफगो क आग कभी घटन न टको ौ सदाचारी सत-महातमा स भगवान और जगदबा स अपनी शि यो को जगान की योगिव ा सीख लो अपनी िछपी हई शि यो को जामत करो एव अपनी सतानो म भी वीरता भगवद भि एव जञान क सनदर सःकारो का िसचन करक उनह दश का एक उ म नागिरक बनाओ

राजःथान म तो आज भी बचचो को लोरी गाकर सनात ह- सालवा जननी एहा प जण ज हा दगारदास

अपन बचचो को साहसी उ मी धयरवान बि मान और शि शाली बनान का यास सभी माता-िपता को करना चािहए सभी िशकषको एव आचाय को भी बचचो म सयम-सदाचार बढ़ तथा उनका ःवाःथय मजबत बन इस हत आौम स कािशत यवाधन सरकषा एव योगासन पःतको का पठन-पाठन करवाना चािहए तािक भारत पनः िव गर की पदवी पर आसीन हो सक

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अनबम

कमरिन यामो यतः वि भरताना यन सवरिमद ततम

ःवकमरणा तम यचय िसि िवनदित मानवः िजस परमातमा स सवरभतो की उतपि हई ह और िजसस यह सवर जगत वया ह उस परम र क

अपन ःवाभािवक कम ारा पजकर मनय परम िसि को ा होता ह (ौीमदभगवदगीताः 1846)

अपन ःवाभािवक कमररपी पपो ारा सवरवयापक परमातमा की पजा करक कोई भी मनय परम िसि को ा हो सकता ह िफर भल ही वह कोई बड़ा सठ हो या छोटा-सा गरीब वयि

यामो नामक एक 13 वष या लड़की की शादी हो गयी साल भर बाद उसक पित की मतय हो गयी और वह लड़की 14 वषर की छोटी सी उ म ही िवधवा हो गयी यामो न सोचा िक अपन जीवन को आलसी मादी या िवलासी बनाना ETH यह समझदारी नही ह अतः उसन दसरी शादी न करक पिवऽ जीवन जीन का िन य िकया और इसक िलए अपन माता-िपता को भी राजी कर िलया उसक माता-िपता महागरीब थ

यामो सबह जलदी उठकर पाच सर आटा पीसती और उसम स कछ कमाई कर लती िफर नहा-धोकर थोड़ा पजा-पाठ आिद करक पनः सत कातन बठ जाती इस कार उसन अपन को कमर म लगाय रखा और जो काम करती उस बड़ी सावधानी एव ततपरता स करती ऐसा करन स उस नीद भी बिढ़या आती और थोड़ी दर पजा पाठ करती तो उसम भी मन बड़ मज स लग जाता ऐसा करत-करत यामो न दखा िक यहा स जो याऽी आत-जात ह उनह बड़ी पयास लगती यामो न आटा पीसकर सत कातकर िकसी क घर की रसोई

करक अपना तो पट पाला ही साथ ही करकसर करक जो धन एकिऽत िकया था अपन पर जीवन की उस सपि को लगा िदया पिथको क िलए कआ बनवान म मगर-भागलपर रोड पर िःथत वही पकका कआ िजस िपसजहारी कआ भी कहत ह आज भी यामो की कमरठता तयाग तपःया और परोपकािरता की खबर द रहा ह

पिरिःथितया चाह कसी भी आय िकत इनसान उनस हताश-िनराश न हो एव ततपरतापवरक शभ कमर करता रह तो िफर उसक सवाकायर भी पजा पाठ हो जात ह जो भगवदीय सख भगवतसतोष भगवतशाित भ या योगी क दय म भि भाव या योग स आत ह व ही भगवतीतयथर सवा करन वाल क दय म कट होत ह

14 वषर की उ म ही िवधवा हई यामो न दबारा शादी न करक अपन जीवन को पनः िवलािसता और िवकारो म गरकाब न िकया वरन पिवऽता सयम एव सदाचार का पालन करत हए ततपरता स कमर करती रही तो आज उसका पचभौितक शरीर भल ही धरती पर नही ह पर उसकी कमरठता परोपकािरता एव तयाग की यशोगाथा तो आज भी गायी जा रही ह

काश लड़न-झगड़न और कलह करन वाल लोग उसस रणा पाय घर कटमब व समाज म सवा और ःनह की सिरता बहाय तो हमारा भारत और अिधक उननत होगा गाव-गाव को गरकल बनाय घर-घर को गरकल बनाय

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अनबम

शि ःवरपा मा आनदमयी सयम म अदभत सामथयर ह िजसक जीवन म सयम ह िजसक जीवन म ई रोपासना ह वह सहज ही

म महान हो जाता ह आनदमयी मा का जब िववाह हआ तब उनका वयि तव अतयत आभासपनन थी शादी क बाद उनक पित उनह ससार-वयवहार म ल जान का यास करत रहत थ िकत आनदमयी मा उनह सयम और सतसग की मिहमा सनाकर उनकी थोड़ी सवा करक िवकारो स उनका मन हटा दती थी

इस कार कई िदन बीत ह त बीत कई महीन बीत गय लिकन आनदमयी मा न अपन पित को िवकारो म िगरन नही िदया

आिखरकार कई महीनो क प ात एक िदन उनक पित न कहाः तमन मझस शादी की ह िफर भी कयो मझ इतना दर दर रखती हो

तब आनदमयी मा न जवाब िदयाः शादी तो जरर की ह लिकन शादी का वाःतिवक मतलब तो इस कार हः शाद अथारत खशी वाःतिवक खशी ा करन क िलए पित-प ी एक दसर क सहायक बन न िक शोषक काम-िवकार म िगरना यह कोई शादी का फल नही ह

इस कार अनक यि यो और अतयत िवनता स उनहोन अपन पित को समझा िदया व ससार क कीचड़ म न िगरत हए भी अपन पित की बहत अचछी तरह स सवा करती थी पित नौकरी करक घर आत तो गमर-गमर भोजन बनाकर िखलाती

व घर भी धयाना यास िकया करती थी कभी-कभी ःटोव पर दाल चढ़ाकर छत पर खल आकाश म चिमा की ओर ऽाटक करत-करत धयानःथ हो जाती इतनी धयानम न हो जाती िक ःटोव पर रखी हई दाल जलकर कोयला हो जाती घर क लोग डाटत तो चपचाप अपनी भल ःवीकार कर लती लिकन अनदर स तो समझती िक म कोई गलत मागर पर तो नही जा रही ह इस कार उनक धयान-भजन का बम चाल ही रहा घर म रहत हए ही उनक पास एकामता का कछ सामथयर आ गया

एक रािऽ को व उठी और अपन पित को भी उठाया िफर ःवय महाकाली का िचतन करक अपन पित को आदश िदयाः महाकाली की पजा करो उनक पित न उनका पजन कर िदया आनदमयी मा म उनह महाकाली क दशरन होन लग उनहोन आनदमयी मा को णाम िकया

तब आनदमयी मा बोली- अब महाकाली को तो मा की नजर स ही दखना ह न

पितः यह कया हो गया

आनदमयी मा- तमहारा कलयाण हो गया

कहत ह िक उनहोन अपन पित को दीकषा द दी और साध बनाकर उ रकाशी क आौम म भज िदया

कसी िदवय नारी रही होगी मा आनदमयी उनहोन अपन पित को भी परमातमा क रग म रग िदया जो ससार की माग करता था उस भगवान की माग का अिधकारी बना िदया इस भारतभिम म ऐसी भी अनक सननािरया हो गयी कछ वषर पवर ही आनदमयी मा न अपना शरीर तयागा ह हिर ार म एक करोड़ बीस लाख रपय खचर करक उनकी समािध बनवायी गयी ह

ऐसी तो अनको बगाली लड़िकया थी िजनहोन शादी की पऽो को जनम िदया पढ़ाया-िलखाया और मर गयी शादी करक ससार वयवहार चलाओ उसकी ना नही ह लिकन पित को िवकारो म िगराना या प ी क जीवन को िवकारो म खतम करना यह एक-दसर क िमऽ क रप म एक-दसर क शऽ का कायर ह सयम स सतित को जनम िदया यह अलग बात ह िकत िवषय-िवकारो म फस मरन क िलए थोड़ ही शादी की जाती ह

बि मान नारी वही ह जो अपन पित को चयर पालन म मदद कर और बि मान पित वही ह जो िवषय िवकारो स अपनी प ी का मन हटाकर िनिवरकारी नारायण क धयान म लगाय इस रप म पित प ी दोनो सही अथ म एक दसर क पोषक होत ह सहयोगी होत ह िफर उनक घर म जो बालक जनम लत ह व भी ीव गौराग रमण महिषर रामकण परमहस या िववकानद जस बन सकत ह

मा आनदमयी को सतो स बड़ा म था व भल धानमऽी स पिजत होती थी िकत ःवय सतो को पजकर आनिदत होती थी ौी अखणडानदजी महाराज सतसग करत तो व उनक चरणो म बठकर सतसग सनती एक बार सतसग की पणारहित पर मा आनदमयी िसर पर थाल लकर गयी उस थाल म चादी का िशविलग था वह थाल अखणडानदजी को दत हए बोली-

बाबाजी आपन कथा सनायी ह दिकषणा ल लीिजए

मा- बाबाजी और भी दिकषणा ल लो

अखणडानदजीः मा और कया द रही हो

मा- बाबाजी दिकषणा म मझ ल लो न

अखणडानदजी न हाथ पकड़ िलया एव कहाः ऐसी मा को कौन छोड़ दिकषणा म आ गयी मरी मा

कसी ह भारतीय सःकित

हिरबाबा बड़ उचचकोिट क सत थ एव मा आनदमयी क समकालीन थ व एक बार बहत बीमार पड़ गय डॉकटर न िलखा हः उनका ःवाःथय काफी लड़खड़ा गया और मझ उनकी सवा का सौभा य िमला उनह र चाप भी था और दय की तकलीफ भी थी उनका क इतना बढ़ गया था िक नाड़ी भी हाथ म नही आ रही थी मन मा को फोन िकया िक मा अब बाबाजी हमार बीच नही रहग 5-10 िमनट क ही महमान ह मा न कहाः नही नही तम ौीहनमानचालीसा का पाठ कराओ म आती ह

मन सोचा िक मा आकर कया करगी मा को आत-आत आधा घणटा लगगा ौीहनमानचालीसा का पाठ शर कराया गया और िचिकतसा िवजञान क अनसार हिरबाबा पाच-सात िमनट म ही चल बस मन सारा परीकषण िकया उनकी आखो की पतिलया दखी पलस (नाड़ी की धड़कन) दखी इसक बाद ौीहनमानचालीसा का पाठ करन वालो क आगवान स कहा िक अब बाबाजी की िवदाई क िलए सामान इकटठा कर म अब जाता ह

घड़ी भर मा का इतजार िकया मा आयी बाबा स िमलन हमन मा स कहाः मा बाबाजी नही रह चल गय

माः नहीनही चल कस गय म िमलगी बात करगी

म- मा बाबा जी चल गय ह

मा- नही म बात करगी

बाबाजी का शव िजस कमर म था मा उस कमर म गयी अदर स कणडा बद कर िदया म सोचन लगा िक कई िडिमया ह मर पास मन भी कई कस दख ह कई अनभवो स गजरा ह धप म बदल सफद नही िकय ह अब मा दरवाजा बद करक बाबाजी स कया बात करगी

म घड़ी दखता रहा 45 िमनट हए मा न कणडा खोला एव हसती हई आयी उनहोन कहाः बाबाजी मरा आमह मान गय ह व अभी नही जायग

मझ एक धकका सा लगा व अभी नही जायग यह आनदमयी मा जसी हःती कह रही ह व तो जा चक ह

म- मा बाबाजी तो चल गय ह

मा- नही नही उनहोन मरा आमह मान िलया ह अभी नही जायग

म चिकत होकर कमर म गया तो बाबाजी तिकय को टका दकर बठ-बठ हस रह थ मरा िवजञान वहा तौबा पकार गया मरा अह तौबा पकार गया

बाबाजी कछ समय तक िदलली म रह चार महीन बीत िफर बोलः मझ काशी जाना ह

मन कहाः बाबाजी आपकी तबीयत काशी जान क िलए शन म बठन क कािबल नही ह आप नही जा सकत

बाबाजीः नही हम जाना ह हमारा समय हो गया

मा न कहाः डॉकटर इनह रोको मत इनह मन आमह करक चार महीन तक क िलए ही रोका था इनहोन अपना वचन िनभाया ह अब इनह मत रोको

बाबाजी गय काशी ःटशन स उतर और अपन िनवास पर रात क दो बज पहच भात की वला म व अपना न र दह छोड़कर सदा क िलए अपन शा त रप म वयाप गयldquo

Ocircबाबाजी वयाप गयOtilde य शबद डॉकटर न नही िलख Ocircन रOtilde आिद शबद नही िलख लिकन म िजस बाबाजी क िवषय म कह रहा ह व बाबाजी इतनी ऊचाईवाल रह होग

कसी ह मिहमा हमार महापरषो की आमह करक बाबा जी तक को चार महीन क िलए रोक िलया मा आनदमयी न कसी िदवयता रही ह हमार भारत की सननािरयो की

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अनबम

भौितक जगत म भाप की शि िव त की शि गरतवाकषरण की शि बड़ी मानी जाती ह मगर आतमबल उन सब शि यो का सचालक बल ह आतमबल क सािननधय म आकर पग ारबध को पर आ जात ह दव की दीनता पलायन हो जाती ह ितकल पिरिःथितया अनकल जो जाती ह आतमबल सवर िसि यो का िपता ह

नारी शरीर िमलन स अपन को अबला मानती हो लघतामिथ म उलझकर पिरिःथितयो म पीसी जाती हो अपना जीवन-दीन बना बठी हो तो अपन भीतर सष आतमबल को जगाओ शरीर चाह ी का हो चाह परष का कित क सााजय म जो जीत ह अपन मन क गलाम होकर जो जीत ह व ी ह और कित क बनधन स पार अपन आतमःवरप की पहचान िजनहोन कर ली अपन मन की गलामी की बिड़या तोड़कर िजनहोन फ क दी ह व परष ह ी या परष शरीर व मानयताए होती ह तम तो शरीर स पार िनमरल आतमा हो

जागो उठो अपन भीतर सोय हए आतमबल को जगाओ सवरदश सवरकाल म सव म आतमबल को अिजरत करो आतमा-परमातमा म अथाह सामथयर ह अपन को दीन-हीन अबला मान बठी तो जगत म ऐसी कोई स ा नही ह जो तमह ऊपर उठा सक अपन आतमःवरप म िति त हो गयी तो तीनो लोको म भी ऐसी कोई हःती नही जो तमह दबा सक

परम पजय सत ौी आसारामजी बाप

अभाव का ही अभाव कमीर म तकर र नयायाचायर पिडत रहत थ उनहोन चार पःतको की रचना की थी िजनस बड़-बड़

िव ान तक भािवत थ इतनी िव ता होत हए भी उनका जीवन अतयत सीधा-सादा एव सरल था उनकी प ी भी उनही क समान सरल एव सीधा-सादा जीवन-यापन करन वाली साधवी थी

उनक पास सपि क नाम पर एक चटाई लखनी कागज एव कछ पःतक तथा दो जोड़ी व थ व कभी िकसी स कछ मागत न थ और न ही दान का खात थ उनकी प ी जगल स मज काटकर लाती उसस रःसी बनाती और उस बचकर अनाज-सबजी आिद खरीद लाती िफर भोजन बना कर पित को म स िखलाती और घर क अनय कामकाज करती पित को तो यह पता भी न रहता िक घर म कछ ह या नही व तो बस अपन अधययन-मनन म मःत रहत

ऐसी महान साधवी ि या भी इस भारतभिम म हो चकी ह धीर-धीर पिडत जी की याित अनय दशो म भी फलन लगी अनय दशो क िव ान लोग आकर उनक दख कमीर क राजा शकरदव स कहन लगः

राजन िजस दश म िव ान धमारतमा पिवऽातमा दःख पात ह उस दश क राजा को पाप लगता ह आपक दश म भी एक ऐस पिवऽातमा िव ान ह िजनक पास खान पीन का िठकाना नही ह िफर भी आप उनकी कोई सभाल नही रखत

यह सनकर राजा ःवय पिडतजी की किटया म पहच गया हाथ जोड़कर उनस ाथरना करन लगाः भगवन आपक पास कोई कमी तो नही ह

पिडतजीः मन जो चार मनथ िलख ह उनम मझ तो कोई कमी नही िदखती आपको कोई कमी लगती हो तो बताओ

राजाः भगवन म शबदो की मनथ की कमी नही पछता ह वरन अनन जल व आिद घर क वयवहार की चीजो की कमी पछ रहा ह

पिडतजीः उसका मझ कोई पता नही ह मरा तो कवल एक भ स नाता ह उसी क ःमरण म इतना तललीन रहता ह िक मझ घर का कछ पता ही नही रहता

जो भगवान की ःमित म तललीन रहता ह उसक ार पर साट ःवय आ जात ह िफर भी उस कोई परवाह नही रहती

राजा न खब िवन भाव स पनः ाथरना की एव कहाः भगवन िजस दश म पिवऽातमा दःखी होत ह उस दश का राजा पाप का भागी होता ह अतः आप बतान की कपा कर िक म आपकी सवा कर

जस ही पिडतजी न य वचन सन िक तरत अपनी चटाई लपटकर बगल म दबा ली एव पःतको की पोटली बाधकर उस भी उठात हए अपनी प ी स कहाः चलो दवी यिद अपन यहा रहन स इन राजा को पाप का भागी होना पड़ता हो इस राजय को लाछन लगता हो तो हम लोग कही ओर चल अपन रहन स िकसी को दःख हो यह तो ठीक नही ह

यह सनकर राजा उनक चरणो म िगर पड़ा एव बोलाः भगवन मरा यह आशय न था वरन म तो कवल सवा करना चाहता था

िफर राजा पिडत जी स आजञा लकर उनकी धमरप ी क समकष जाकर णाम करत हए बोलाः मा आपक यहा अनन-जल-व ािद िकसी भी चीज की कमी हो तो आजञा कर तािक म आप लोगो की कछ सवा कर सक

पिडत जी की धमरप ी भी कोई साधारण नारी तो थी नही व भगवतपरायण नारी थी सच पछो तो नारी क रप म मानो साकषात नारायणी ही थी व बोली- निदया जल द रही ह सयर काश द रहा ह ाणो क िलए आवयक पवन बह ही रही ह एव सबको स ा दनवाला वह सवरस ाधीश परमातमा हमार साथ ही ह िफर कमी िकस बात की राजन शाम तक का आटा पड़ा ह लक़िडया भी दो िदन जल सक इतनी ह िमचर-मसाला भी कल तक का ह पिकषयो क पास तो शाम तक का भी िठकाना नही होता िफर भी व आनद स जी लत ह मर पास तो कल तक का ह राजन मर व अभी इतन फट नही िक म उनह पहन न सक िबछान क िलए चटाई एव ओढ़न क िलए चादर भी ह और म कया कह मरी चड़ी अमर ह और सबम बस हए मर पित का त व मझम भी धड़क रहा ह मझ अभाव िकस बात का बटा

पिडतजी की धमरप ी की िदवयता को दखकर राजा की भी गदगद हो उठा एव चरणो म िगरकर बोलाः मा आप गिहणी ह िक तपिःवनी यह कहना मिकल ह मा म बड़भागी ह िक आपक दशरन का सौभा य पा सका आपक चरणो म मर कोिट-कोिट णाम ह

जो लोग परमातमा का िनरतर ःमरण करत रहत ह उनह वश बदलन की फसरत ही नही होती जररत भी नही होती

जो परमातमा क िचतन म तललीन ह उनह ससार क अभाव का पता ही नही होता कोई साट आकर उनका आदर कर तो उनह हषर नही होता उसक ित आकषरण नही होता ऐस ही यिद कोई मखर आकर अनादर कर द तो शोक नही होता कयोिक हषर-शोक तो वि स भासत ह िजनकी परमातमा क शरण चली गयी ह उनह हषर-शोक सख-दःख क सग सतय ही नही भासत तो िडगा कस सकत ह उनह अभाव कस िडगा सकता ह उनक आग अभाव का भी अभाव हो जाता ह

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अनबम

मा अजना का सामथयर मा अजना न तप करक हनमान जस पऽ को पाया था व हनमानजी म बालयकाल स ही भगवदभि

क सःकार डाला करती थी िजसक फलःवरप हनमानजी म ौीराम-भि का ादभारव हो गया आग चलकर व भ क अननय सवक क रप म यात हए ETH यह तो सभी जानत ह

भगवान ौी राम रावण का वध करक मा सीता लआमण हनमान िवभीषण जाबवत आिद क साथ अयोधया लौट रह थ मागर म हनमान जी न ौीरामजी स अपनी मा क दशरन की आजञा मागी िक भ अगर आप आजञा द तो म माता जी क चरणो म मतथा टक आऊ

ौीराम न कहाः हनमान कया व कवल तमहारी ही माता ह कया व मरी और लखन की माता नही ह चलो हम भी चलत ह

पपक िवमान िकिकधा स अयोधया जात-जात काचनिगिर की ओर चल पड़ा और काचनिगरी पवरत पर उतरा ौीरामजी ःवय सबक साथ मा अजना क दशरन क िलए गय

हनमानजी न दौड़कर गदगद कठ एव अौपिरत नऽो स मा को णाम िकया वष बाद पऽ को अपन पास पाकर मा अजना अतयत हिषरत होकर हनमान का मःतक सहलान लगी

मा का दय िकतना बरसता ह यह बट को कम ही पता होता ह माता-िपता का िदल तो माता-िपता ही जान

मा अजना न पऽ को दय स लगा िलया हनमान जी न मा को अपन साथ य लोगो का पिरचय िदया िक मा य ौीरामचनिजी ह य मा सीताजी ह और य लखन भया ह य जाबवत जी ह य मा सीताजी ह और य लखन भया ह य जाबवत जी ह आिद आिद

भगवान ौीराम को दखकर मा अजना उनह णाम करन जा ही रही थी िक ौीरामजी न कहाः मा म दशरथपऽ राम आपको णाम करता ह

मा सीता व लआमण सिहत बाकी क सब लोगो न भी उनको णाम िकया मा अजना का दय भर आया उनहोन गदगद कठ एव सजल नऽो स हनमान जी स कहाः बटा हनमान आज मरा जनम सफल हआ मरा मा कहलाना सफल हआ मरा दध तन साथरक िकया बटा लोग कहत ह िक मा क ऋण स बटा कभी उऋण नही हो सकता लिकन मर हनमान त मर ऋण स उऋण हो गया त तो मझ मा कहता ही ह िकत आज मयारदा परषो म ौीराम न भी मझ मा कहा ह अब म कवल तमहारी ही मा नही ौीराम लखन शऽ न और भरत की भी मा हो गयी इन अस य पराबमी वानर-भालओ की भी मा हो गयी मरी कोख साथरक हो गयी पऽ हो तो तर जसा हो िजसन अपना सवरःव भगवान क चरणो म समिपरत कर िदया और िजसक कारण ःवय भ न मर यहा पधार कर मझ कताथर िकया

हनमानजी न िफर स अपनी मा क ौीचरणो म मतथा टका और हाथ जोड़त हए कहाः मा भ जी का राजयािभषक होनवाला था परत मथरा न ककयी को उलटी सलाह दी िजसस भजी को 14 वषर का बनवास एव भरत को राजग ी िमली राजग ी अःवीकार करक भरतजी उस ौीरामजी को लौटान क िलए आय लिकन िपता क मनोरथ को िस करन क िलए भाव स भ अयोधया वापस न लौट

मा द रावण की बहन शपरणखा भजी स िववाह क िलए आमह करन लगी िकत भजी उसकी बातो म नही आय लखन जी भी नही आय और लखन जी न शपरणखा क नाक कान काटकर उस द िदय अपनी बहन क अपमान का बदला लन क िलए द रावण ा ण का रप लकर मा सीता को हरकर ल गया

करणािनधान भ की आजञा पाकर म लका गया और अशोक वािटका म बठी हई मा सीता का पता लगाया तथा उनकी खबर भ को दी िफर भ न समि पर पल बधवाया और वानर-भालओ को साथ लकर राकषसो का वध िकया और िवभीषण को लका का राजय दकर भ मा सीता एव लखन क साथ अयोधया पधार रह ह

अचानक मा अजना कोपायमान हो उठी उनहोन हनमान को धकका मार िदया और बोधसिहत कहाः हट जा मर सामन तन वयथर ही मरी कोख स जनम िलया मन तझ वयथर ही अपना दध िपलाया तन मर दध को लजाया ह त मझ मह िदखान कयो आया

ौीराम लखन भयासिहत अनय सभी आ यरचकित हो उठ िक मा को अचानक कया हो गया व सहसा किपत कयो हो उठी अभी-अभी ही तो कह रही थी िक मर पऽ क कारण मरी कोख पावन हो गयी इसक कारण मझ भ क दशरन हो गय और सहसा इनह कया हो गया जो कहन लगी िक तन मरा दध लजाया ह

हनमानजी हाथ जोड़ चपचाप माता की ओर दख रह थ सवरतीथरमयी माता सवरदवमयो िपता माता सब तीथ की ितिनिध ह माता भल बट को जरा रोक-टोक द लिकन बट को चािहए िक नतमःतक होकर मा क कड़व वचन भी सन ल हनमान जी क जीवन स यह िशकषा अगर आज क बट-बिटया ल ल तो व िकतन महान हो सकत ह

मा की इतनी बात सनत हए भी हनमानजी नतमःतक ह व ऐसा नही कहत िक ऐ बिढ़या इतन सार लोगो क सामन त मरी इजजत को िमटटी म िमलाती ह म तो यह चला

आज का कोई बटा होता तो ऐसा कर सकता था िकत हनमानजी को तो म िफर-िफर स णाम करता ह आज क यवान-यवितया हनमानजी स सीख ल सक तो िकतना अचछा हो

मर जीवन म मर माता-िपता क आशीवारद और मर गरदव की कपा न कया-कया िदया ह उसका म वणरन नही कर सकता ह और भी कइयो क जीवन म मन दखा ह िक िजनहोन अपनी माता क िदल को जीता ह िपता क िदल की दआ पायी ह और सदगर क दय स कछ पा िलया ह उनक िलए िऽलोकी म कछ भी पाना किठन नही रहा सदगर तथा माता-िपता क भ ःवगर क सख को भी तचछ मानकर परमातम-साकषातकार की यो यता पा लत ह

मा अजना कह जा रही थी- तझ और तर बल पराबम को िधककार ह त मरा पऽ कहलान क लायक ही नही ह मरा दध पीन वाल पऽ न भ को ौम िदया अर रावण को लकासिहत समि म डालन म त समथर था तर जीिवत रहत हए भी परम भ को सत-बधन और राकषसो स य करन का क उठाना पड़ा तन मरा दध लिजजत कर िदया िधककार ह तझ अब त मझ अपना मह मत िदखाना

हनमानजी िसर झकात हए कहाः मा तमहारा दध इस बालक न नही लजाया ह मा मझ लका भजन वालो न कहा था िक तम कवल सीता की खबर लकर आओग और कछ नही करोग अगर म इसस अिधक कछ करता तो भ का लीलाकायर कस पणर होता भ क दशरन दसरो को कस िमलत मा अगर म

भ-आजञा का उललघन करता तो तमहारा दध लजा जाता मन भ की आजञा का पालन िकया ह मा मन तरा दध नही लजाया ह

तब जाबवतजी न कहाः मा कषमा कर हनमानजी सतय कह रह ह हनमानजी को आजञा थी िक सीताजी की खोज करक आओ हम लोगो न इनक सवाकायर बाध रख थ अगर नही बाधत तो भ की िदवय िनगाहो स दतयो की मि कस होती भ क िदवय कायर म अनय वानरो को जड़न का अवसर कस िमलता द रावण का उ ार कस होता और भ की िनमरल कीितर गा-गाकर लोग अपना िदल पावन कस करत मा आपका लाल िनबरल नही ह लिकन भ की अमर गाथा का िवःतार हो और लोग उस गा-गाकर पिवऽ हो इसीिलए तमहार पऽ की सवा की मयारदा बधी हई थी

ौीरामजी न कहाः मा तम हनमान की मा हो और मरी भी मा हो तमहार इस सपत न तमहारा दध नही लजाया ह मा इसन तो कवल मरी आजञा का पालन िकया ह मयारदा म रहत हए सवा की ह समि म जब मनाक पवरत हनमान को िवौाम दन क िलए उभर आया तब तमहार ही सत न कहा था

राम काज कीनह िबन मोिह कहा िबौाम मर कायर को परा करन स पवर तो इस िवौाम भी अचछा नही लगता ह मा तम इस कषमा कर दो

रघनाथ जी क वचन सनकर माता अजना का बोध शात हआ िफर माता न कहाः अचछा मर पऽ मर वतस मझ इस बात का पता नही था मरा पऽ मयारदा परषो म का सवक

मयारदा स रह ETH यह भी उिचत ही ह तन मरा दध नही लजाया ह वतस

इस बीच मा अजना न दख िलया िक लआमण क चहर पर कछ रखाए उभर रही ह िक अजना मा को इतना गवर ह अपन दध पर मा अजना भी कम न थी व तरत लआमण क मनोभावो को ताड़ गयी

लआमण तमह लगता ह िक म अपन दध की अिधक सराहना कर रही ह िकत ऐसी बात नही ह तम ःवय ही दख लो ऐसा कहकर मा अजना न अपनी छाती को दबाकर दध की धार सामनवाल पवरत पर फ की तो वह पवरत दो टकड़ो म बट गया लआमण भया दखत ही रह गय िफर मा न लआमण स कहाः मरा यही दध हनमान न िपया ह मरा दध कभी वयथर नही जा सकता

हनमानजी न पनः मा क चरणो म मतथा टका मा अजना न आशीवारद दत हए कहाः बटा सदा भ को ौीचरणो म रहना तरी मा य जनकनिदनी ही ह त सदा िनकपट भाव स अतयत ौ ा-भि पवरक परम भ ौी राम एव मा सीताजी की सवा करत रहना

कसी रही ह भारत की नािरया िजनहोन हनमानजी जस पऽो को जनम ही नही िदया बिलक अपनी शि तथा अपन ारा िदय गय सःकारो पर भी उनका अटल िव ास रहा आज की भारतीय नािरया इन आदशर नािरयो स रणा पाकर अपन बचचो म हनमानजी जस सदाचार सयम आिद उ म सःकारो का िसचन कर तो वह िदन दर नही िजस िदन पर िव म भारतीय सनातन धमर और सःकित की िदवय पताका पनः लहरायगी

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अनबम

  • सयमनिषठ सयशा
  • अदभत आभासमपनन रानी कलावती
  • उततम जिजञासः मतरयी
  • बरहमवादिनी विदषी गारगी
  • अथाह शकति की धनीः तपसविनी शाणडालिनी
  • सती सावितरी
  • मा सीता की सतीतव-भावना
  • आरत भकत दरौपदी
  • दवी शकतियो स समपनन गणमजरी दवी
  • विवक की धनीः करमावती
  • वासतविक सौनदरय
  • आतमविदया की धनीः फलीबाई
  • आनदीबाई की दढ शरदधा
  • करमाबाई की वातसलय-भकति
  • साधवी सिरमा
  • मकताबाई का सरवतर विटठल-दरशन
  • रतनबाई की गरभकति
  • बरहमलीन शरी मा महगीबा
    • मरी मा का दिवय गरभाव
    • परभ मझ जान दो
    • इचछाओ स परः मा महगीबा
    • जीवन म कभी फरियाद नही
    • बीमारो क परति मा की करणा
    • कोई कारय घणित नही ह
    • ऐसी मा क लिए शोक किस बात का
      • अममा की गरनिषठा
        • सवावलबन एव परदःखकातरता
        • अममा म मा यशोदा जसा भाव
        • दन की दिवय भावना
        • गरीब कनयाओ क विवाह म मदद
        • अममा का उतसव परम
        • परतयक वसत का सदपयोग होना चाहिए
        • अह स पर
          • मीराबाई की गरभकति
          • राजकमारी मललिका बनी तीरथकर मललियनाथ
          • दरगादास की वीर जननी
          • करमनिषठ शयामो
          • शकतिसवरपा मा आनदमयी
          • अभाव का ही अभाव
          • मा अजना का सामरथय
Page 2: नारी तू नारायणी - Hariom Groupदासी ने सुयशा से कहाः "गाओ, संकोच न करो, देर न करो।

आरत भकत िौपदी 22

दवी शि यो स समपनन गणमजरी दवी 24

िववक की धनीः कमारवती

26

वासतिवक सौनदरय 39

आतमिव ा की धनीः फलीबाई 43

आनदीबाई की दढ़ शर ा 48

कमारबाई की वातसलय‐भि 50

साधवी िसरमा 51

म ाबाई का सरवतर िव ठल‐दरशन 56

रतनबाई की गरभि 58

बर मलीन ौी मा महगीबा 60

मरी मा का िदवय गरभाव 60

परभ मझ जान दो 61

इचछाओ स परः मा महगीबा 62

जीवन म कभी फिरयाद नही 63

बीमारो क परित मा की करणा 63

कोई कारय घिणत नही ह 64

ऐसी मा क िलए शोक िकस बात का 64

अममा की गरिन ा 66

ःवावलबन एव परदःखकातरता 66

अममा म मा यशोदा जसा भा 67

न की िदवय भावना 67

गरीब कनयाओ क िववाह म मदद 68

अममा का उतसव म 68

रतयक वःत का सदपयोग होना चािहए 69

अह स पर 69

मीराबाई की गरभि 70

राजकमारी मिललका बनी तीथकर मिललयनाथ 72

दगारदास की वीर जननी 73

करमिनषठ यामो 74

शि सवरपा मा आनदमयी 75

अभाव का ही अभाव 79

मा अजना का सामथरय 80

लजजावासो भषण श शील पादकषपो धमरमाग च यःया

िनतय पतयः सवन िम वाणी धनया सा ी पतयतयव पथवीम िजस ी का लजजा ही व तथा िवश भाव ही भषण हो धमरमागर म िजसका वश हो मधर वाणी

बोलन का िजसम गण हो वह पितसवा-परायण ौ नारी इस पथवी को पिवऽ करती ह भगवान शकर महिषर गगर स कहत हः िजस घर म सवरगणसपनना नारी सखपवरक िनवास करती ह उस घर म लआमी िनवास करती ह ह वतस कोिट दवता भी उस घर को नही छोड़त

नारी का दय कोमल और िःन ध हआ करता ह इसी वजह स वह जगत की पालक माता क ःवरप म हमशा ःवीकारी गयी ह ववतर पराण क गणष खणड क 40 व अधयाय म आया हः

जनको जनमदाततवात पालनाचच िपता ःमतः गरीयान जनमदात योऽनदाता िपता मन तयोः शतगण माता पजया मानया च विनदता गभरधारणपोषा या सा च ता या गरीयसी

जनमदाता और पालनकतार होन क कारण सब पजयो म पजयतम जनक और िपता कहलाता ह जनमदाता स भी अननदाता िपता ौ ह इनस भी सौगनी ौ और वदनीया माता ह कयोिक वह गभरधारण तथा पोषण करती ह

इसिलए जननी एव जनमभिम को ःवगर स भी ौ बतात हए कहा गया हः जननी जनमभिम ःवगारदिप गरीयसी

सयमिन सयशा अमदावाद की घिटत घटना हः िवबम सवत 17 वी शताबदी म कणारवती (अमदावाद) म यवा राजा पपसन का राजय था जब उसकी

सवारी िनकलती तो बाजारो म लोग कतारब खड़ रहकर उसक दशरन करत जहा िकसी सनदर यवती पर उसकी नजर पड़ती तब मऽी को इशारा िमल जाता रािऽ को वह सनदरी महल म पहचायी जाती िफर भल िकसी की कनया हो अथवा दलहन

एक गरीब कनया िजसक िपता का ःवगरवास हो गया था उसकी मा चककी चलाकर अपना और बटी का पट पालती थी वह ःवय भी कथा सनती और अपनी पऽी को भी सनाती हक और पिरौम की कमाई एकादशी का ोत और भगवननाम-जप इन सबक कारण 16 वष या कनया का शरीर बड़ा सगिठत था और रप लावणय का तो मानो अबार थी उसका नाम था सयशा

सबक साथ सयशा भी पपसन को दखन गयी सयशा का ओज तज और रप लावणय दखकर पपसन न अपन मऽी को इशारा िकया मऽी न कहाः जो आजञा

मऽी न जाच करवायी पता चला िक उस कनया का िपता ह नही मा गरीब िवधवा ह उसन सोचाः यह काम तो सरलता स हो जायगा

मऽी न राजा स कहाः राजन लड़की को अकल कया लाना उसकी मा स साथ ल आय महल क पास एक कमर म रहगी झाड़-बहारी करगी आटा पीसगी उनको कवल खाना दना ह

मऽी न यि स सयशा की मा को महल म नौकरी िदलवा दी इसक बाद उस लड़की को महल म लान की यि या खोजी जान लगी उसको बशम क व िदय जो व ककमर करन क िलए वयाओ को पहनकर तयार रहना होता ह ऽी न ऐस व भज और कहलवायाः राजा साहब न कहा हः सयशा य व पहन कर आओ सना ह िक तम भजन अचछा गाती हो अतः आकर हमारा मनोरजन करो

यह सनकर सयशा को धकका लगा जो बढ़ी दासी थी और ऐस ककम म साथ दती थी उसन सयशा को समझाया िक य तो राजािधराज ह पपसन महाराज ह महाराज क महल म जाना तर िलए सौभा य की बात ह इस तरह उसन और भी बात कहकर सयशा को पटाया

सयशा कस कहती िक म भजन गाना नही जानती ह म नही आऊगी राजय म रहती ह और महल क अदर मा काम करती ह मा न भी कहाः बटी जा यह व ा कहती ह तो जा

सयशा न कहाः ठीक ह लिकन कस भी करक य बशम क व पहनकर तो नही जाऊगी सयशा सीध-साद व पहनकर राजमहल म गयी उस दखकर पपसन को धकका लगा िक इसन मर

भज हए कपड़ नही पहन दासी न कहाः दसरी बार समझा लगी इस बार नही मानी सयशा का सयश बाद म फलगा अभी तो अधमर का पहाड़ िगर रहा था धमर की ननही-सी मोमब ी

पर अधमर का पहाड़ एक तरफ राजस ा की आधी ह तो दसरी तरफ धमरस ा की लौ जस रावण की राजस ा और िवभीषण की धमरस ा दय धन की राजस ा और िवदर की धमरस ा िहरणयकिशप की राजस ा और ाद की धमरस ा धमरस ा और राजस ा टकरायी राजस ा चकनाचर हो गयी और धमरस ा की जय-जयकार हई और हो रही ह िवबम राणा और मीरा मीरा की धमर म दढ़ता थी राणा राजस ा क बल पर मीरा पर हावी होना चाहता था दोनो टकराय और िवबम राणा मीरा क चरणो म िगरा

धमरस ा िदखती तो सीधी सादी ह लिकन उसकी नीव पाताल म होती ह और सनातन सतय स जड़ी होती ह जबिक राजस ा िदखन म बड़ी आडमबरवाली होती ह लिकन भीतर ढोल की पोल की तरह होती ह

राजदरबार क सवक न कहाः राजािधराज महाराज पपसन की जय हो हो जाय गाना शर पपसनः आज तो हम कवल सयशा का गाना सनग दासी न कहाः सयशा गाओ राजा ःवय कह रह ह राजा क साथी भी सयशा का सौनदयर नऽो क ारा पीन लग और राजा क दय म काम-िवकार पनपन

लगा सयशा राजा क िदय व पहनकर नही आयी िफर भी उसक शरीर का गठन और ओज-तज बड़ा सनदर लग रहा था राजा भी सयशा को चहर को िनहार जा रहा था

कनया सयशा न मन-ही-मन भ स ाथरना कीः भ अब तमही रकषा करना आपको भी जब धमर और अधमर क बीच िनणरय करना पड़ तो धमर क अिध ानःवरप परमातमा की

शरण लना व आपका मगल ही करत ह उनहीस पछना िक अब म कया कर अधमर क आग झकना मत परमातमा की शरण जाना

दासी न सयशा स कहाः गाओ सकोच न करो दर न करो राजा नाराज होग गाओ परमातमा का ःमरण करक सयशा न एक राग छड़ाः

कब सिमरोग राम साधो कब सिमरोग राम

अब तम कब सिमरोग राम

बालपन सब खल गवायो यौवन म काम साधो कब सिमरोग राम कब सिमरोग राम

पपसन क मह पर मानो थपपड़ लगा सयशा न आग गायाः

हाथ पाव जब कपन लाग िनकल जायग ाण

कब सिमरोग राम साधो कब सिमरोग राम

झठी काया झठी माया आिखर मौत िनशान कहत कबीर सनो भई साधो जीव दो िदन का महमान

कब सिमरोग राम साधो कब सिमरोग राम

भावय भजन स सयशा का दय तो राम रस स सराबोर हो गया लिकन पपसन क रग म भग पड़ गया वह हाथ मसलता ही रह गया बोलाः ठीक ह िफर दखता ह

सयशा न िवदा ली पपसन न मिऽयो स सलाह ली और उपाय खोज िलया िक अब होली आ रही ह उस होिलकोतसव म इसको बलाकर इसक सौनदयर का पान करग

राजा न होली पर सयशा को िफर स व िभजवाय और दासी स कहाः कस भी करक सयशा को यही व पहनाकर लाना ह

दासी न बीसो ऊिगलयो का जोर लगाया मा न भी कहाः बटी भगवान तरी रकषा करग मझ िव ास ह िक त नीच कमर करन वाली लड़िकयो जसा न करगी त भगवान की गर की ःमित रखना भगवान तरा कलयाण कर

महल म जात समय इस बार सयशा न कपड़ तो पहन िलय लिकन लाज ढाकन क िलए ऊपर एक मोटी शाल ओढ़ ली उस दखकर पपसन को धकका तो लगा लिकन यह भी हआ िक चलो कपड़ तो मर पहनकर आयी ह राजा ऐसी-वसी यवितयो स होली खलत-खलत सयशा की ओर आया और उसकी शाल खीची ह राम करक सयशा आवाज करती हई भागी भागत-भागत मा की गोद म आ िगरी मा मा मरी इजजत खतर म ह जो जा का पालक ह वही मर धमर को न करना चाहता ह

मा बटी आग लग इस नौकरी को मा और बटी शोक मना रह ह इधर राजा बौखला गया िक मरा अपमान म दखता ह अब वह कस जीिवत रहती ह उसन अपन एक खखार आदमी काल िमया को बलवाया और कहाः काल तझ ःवगर की उस परी सयशा का खातमा करना ह आज तक तझ िजस-िजस वयि को खतम करन को कहा ह त करक आया ह यह तो तर आग मचछर ह मचछर ह काल त मरा खास आदमी ह म तरा मह मोितयो स भर दगा कस भी करक सयशा को उसक राम क पास पहचा द

काल न सोचाः उस कहा पर मार दना ठीक होगा रोज भात क अधर म साबरमती नदी म ःनान करन जाती ह बस नदी म गला दबोचा और काम खतमजय साबरमती कर दग

काल क िलए तो बाय हाथ का खल था लिकन सयशा का इ भी मजबत था जब वयि का इ मजबत होता ह तो उसका अिन नही हो सकता

म सबको सलाह दता ह िक आप जप और ोत करक अपना इ इतना मजबत करो िक बड़ी-स-बड़ी राजस ा भी आपका अिन न कर सक अिन करन वाल क छकक छट जाय और व भी आपक इ क चरणो म आ जाय ऐसी शि आपक पास ह

काल सोचता हः भात क अधर म साबरमती क िकनार जरा सा गला दबोचना ह बस छरा मारन की जररत ही नही ह अगर िचललायी और जररत पड़ी तो गल म जरा-सा छरा भ ककर जय साबरमती करक

रवाना कर दगा जब राजा अपना ह तो पिलस की ऐसी-तसी पिलस कया कर सकती ह पिलस क अिधकारी तो जानत ह िक राजा का आदमी ह

काल न उसक आन-जान क समय की जानकारी कर ली वह एक पड़ की ओट म छपकर खड़ा हो गया जयो ही सयशा आयी और काल न झपटना चाहा तयो ही उसको एक की जगह पर दो सयशा िदखाई दी कौन सी सचची य कया दो कस तीन िदन स सारा सवकषण िकया आज दो एक साथ खर दखता ह कया बात ह अभी तो दोनो को नहान दो नहाकर वापस जात समय उस एक ही िदखी तब काल हाथ मसलता ह िक वह मरा म था

वह ऐसा सोचकर जहा िशविलग था उसी क पास वाल पड़ पर चढ़ गया िक वह यहा आयगी अपन बाप को पानी चढ़ान तब या अललाह करक उस पर कदगा और उसका काम तमाम कर दगा

उस पड़ स लगा हआ िबलवपऽ का भी एक पड़ था सयशा साबरमती म नहाकर िशविलग पर पानी चढ़ान को आयी हलचल स दो-चार िबलवपऽ िगर पड़ सयशा बोलीः ह भ ह महादव सबह-सबह य िजस िबलवपऽ िजस िनिम स िगर ह आज क ःनान और दशरन का फल म उसक कलयाण क िनिम अपरण करती ह मझ आपका सिमरन करक ससार की चीज नही पानी मझ तो कवल आपकी भि ही पानी ह

सयशा का सकलप और उस बर-काितल क दय को बदलन की भगवान की अनोखी लीला

काल छलाग मारकर उतरा तो सही लिकन गला दबोचन क िलए नही काल न कहाः लड़की पपसन न तरी हतया करन का काम मझ स पा था म खदा की कसम खाकर कहता ह िक म तरी हतया क िलए छरा तयार करक आया था लिकन त अनदख घातक का भी कलयाण करना चाहती ह ऐसी िहनद कनया को मारकर म खदा को कया मह िदखाऊगा इसिलए आज स त मरी बहन ह त तर भया की बात मान और यहा स भाग जा इसस तरी भी रकषा होगी और मरी भी जा य भोल बाबा तरी रकषा करग िजन भोल बाबा तरी रकषा करग जा जलदी भाग जा

सयशा को काल िमया क ारा मानो उसका इ ही कछ रणा द रहा था सयशा भागती-भागती बहत दर िनकल गयी

जब काल को हआ िक अब यह नही लौटगी तब वह नाटक करता हआ राजा क पास पहचाः राजन आपका काम हो गया वह तो मचछर थी जरा सा गला दबात ही म ऽऽऽ करती रवाना हो गयी

राजा न काल को ढर सारी अशिफर या दी काल उनह लकर िवधवा क पास गया और उसको सारी घटना बतात हए कहाः मा मन तरी बटी को अपनी बहन माना ह म बर कामी पापी था लिकन उसन मरा िदल बदल िदया अब त नाटक कर की हाय मरी बटी मर गयी मर गयी इसस त भी बचगी तरी बटी भी बचगी और म भी बचगा

तरी बटी की इजजत लटन का ष यऽ था उसम तरी बटी नही फसी तो उसकी हतया करन का काम मझ स पा था तरी बटी न महादव स ाथरना की िक िजस िनिम य िबलवपऽ िगर ह उसका भी कलयाण हो मगल हो मा मरा िदल बदल गया ह तरी बटी मरी बहन ह तरा यह खखार बटा तझ ाथरना करता ह िक

त नाटक कर लः हाय रऽऽऽ मरी बटी मर गयी वह अब मझ नही िमलगी नदी म डब गयी ऐसा करक त भी यहा स भाग जा

सयशा की मा भाग िनकली उस कामी राजा न सोचा िक मर राजय की एक लड़की मरी अवजञा कर अचछा हआ मर गयी उसकी मा भी अब ठोकर खाती रहगी अब समरती रह वही राम कब सिमरोग राम साधो कब सिमरोग राम झठी काया झठी माया आिखर मौत िनशान कब सिमरोग राम साधो सब सिमरोग राम हा हा हा हा ऽऽऽ

मजाक-मजाक म गात-गात भी यह भजन उसक अचतन मन म गहरा उतर गया कब सिमरोग राम

उधर सयशा को भागत-भागत राःत म मा काली का एक छोटा-सा मिदर िमला उसन मिदर म जाकर णाम िकया वहा की पजािरन गौतमी न दखा िक कया रप ह कया सौनदयर ह और िकतनी नता उसन पछाः बटी कहा स आयी हो

सयशा न दखा िक एक मा तो छटी अब दसरी मा बड़ पयार स पछ रही ह सयशा रो पड़ी और बोलीः मरा कोई नही ह अपन ाण बचान क िलए मझ भागना पड़ा ऐसा कहकर सयशा न सब बता िदया

गौतमीः ओ हो ऽऽऽ मझ सतान नही थी मर भोल बाबा न मरी काली मा न मर घर 16 वषर की पऽी भज दी बटी बटी कहकर गौतमी न सयशा को गल लगा िलया और अपन पित कलाशनाथ को बताया िक आज हम भोलानाथ न 16 वषर की सनदरी कनया दी ह िकतनी पिवऽ ह िकतनी भि भाववाली ह

कलाशनाथः गौतमी पऽी की तरह इसका लालन-पालन करना इसकी रकषा करना अगर इसकी मज होगी तो इसका िववाह करग नही तो यही रहकर भजन कर

जो भगवान का भजन करत ह उनको िव न डालन स पाप लगता ह सयशा वही रहन लगी वहा एक साध आता था साध भी बड़ा िविचऽ था लोग उस पागलबाबा कहत

थ पागलबाबा न कनया को दखा तो बोल पड़ः हऽऽऽ

गौतमी घबरायी िक एक िशकज स िनकलकर कही दसर म पागलबाबा कही उस फसा न द ह भगवान इसकी रकषा करना ी का सबस बड़ा शऽ ह उसका सौनदयर एव ौगार दसरा ह उसकी असावधानी सयशा ौगार तो करती नही थी असावधान भी नही थी लिकन सनदर थी

गौतमी न अपन पित को बलाकर कहाः दखो य बाबा बार-बार अपनी बटी की तरफ दख रह ह

कलाशनाथ न भी दखा बाबा न लड़की को बलाकर पछाः कया नाम ह

सयशा

बहत सनदर हो बड़ी खबसरत हो

पजािरन और पजारी घबराय बाबा न िफर कहाः बड़ी खबसरत ह

कलाशनाथः महाराज कया ह

बड़ी खबसरत ह

महाराज आप तो सत आदमी ह

तभी तो कहता ह िक बड़ी खबसरत ह बड़ी होनहार ह मरी होगी त

पजािरन-पजारी और घबराय िक बाबा कया कह रह ह पागल बाबा कभी कछ कहत ह वह सतय भी हो जाता ह इनस बचकर रहना चािहए कया पता कही

कलाशनाथः महाराज कया बोल रह ह बाबा न सयशा स िफर पछाः त मरी होगी

सयशाः बाबा म समझी नही त मरी सािधका बनगी मर राःत चलगी

कौन-सा राःता

अभी िदखाता ह मा क सामन एकटक दख मा तर राःत ल जा रहा ह चलती नही ह तो त समझा मा मा

लड़की को लगा िक य सचमच पागल ह चल करक दि स ही लड़की पर शि पात कर िदया सयशा क शरीर म ःपदन होन लगा हाःय आिद

अ साि वक भाव उभरन लग पागलबाबा न कलाशनाथ और गौतमी स कहाः यह बड़ी खबसरत आतमा ह इसक बा सौनदयर पर

राजा मोिहत हो गया था यह ाण बचाकर आयी ह और बच पायी ह तमहारी बटी ह तो मरी भी तो बटी ह तम िचनता न करो इसको घर पर अलग कमर म रहन दो उस कमर म और कोई न जाय इसकी थोड़ी साधना होन दो िफर दखो कया-कया होता ह इसकी सष शि यो को जगन दो बाहर स पागल िदखता ह लिकन गल को पाकर घमता ह बचच

महाराज आप इतन सामथयर क धनी ह यह हम पता नही था िनगाहमाऽ स आपन स कषण शि का सचार कर िदया

अब तो सयशा का धयान लगन लगा कभी हसती ह कभी रोती ह कभी िदवय अनभव होत ह कभी काश िदखता ह कभी अजपा जप चलता ह कभी ाणायाम स नाड़ी-शोधन होता ह कछ ही िदनो म मलाधार ःवािध ान मिणपर कनि जामत हो गय

मलाधार कनि जागत हो तो काम राम म बदलता ह बोध कषमा म बदलता ह भय िनभरयता म बदलता ह घणा म म बदलती ह ःवािध ान कनि जागत होता ह तो कई िसि या आती ह मिणपर कनि जामत हो तो अपढ़ अनसन शा को जरा सा दख तो उस पर वया या करन का सामथयर आ जाता ह

आपक स य सभी कनि अभी सष ह अगर जग जाय तो आपक जीवन म भी यह चमक आ सकती ह हम ःकली िव ा तो कवल तीसरी ककषा तक पढ़ ह लिकन य कनि खलन क बाद दखो लाखो-करोड़ो लोग सतसग सन रह ह खब लाभािनवत हो रह ह इन कनिो म बड़ा खजाना भरा पड़ा ह

इस तरह िदन बीत स ाह बीत महीन बीत सयशा की साधना बढ़ती गयी अब तो वह बोलती ह तो लोगो क दयो को शाित िमलती ह सयशा का यश फला यश फलत-फलत साबरमती क िजस पार स वह आयी थी उस पार पहचा लोग उसक पास आत-जात रह एक िदन काल िमया न पछाः आप लोग इधर स उधर उस पार जात हो और एक दो िदन क बाद आत हो कया बात ह

लोगो न बतायाः उस पार मा भिकाली का मिदर ह िशवजी का मिदर ह वहा पागलबाबा न िकसी लड़की स कहाः त तो बहत सनदर ह सयमी ह उस पर कपा कर दी अब वह जो बोलती ह उस सनकर हम बड़ी शाित िमलती ह बड़ा आनद िमलता ह

अचछा ऐसी लड़की ह

उसको लड़की-लड़की मत कहो काल िमया लोग उसको माता जी कहत ह पजािरन और पजारी भी उसको माताजी-माताजी कहत ह कया पता कहा स वह ःवगर को दवी आयी ह

अचछा तो अपन भी चलत ह काल िमया न आकर दखा तो िजस माताजी को लोग मतथा टक रह ह वह वही सयशा ह िजसको

मारन क िलए म गया था और िजसन मरा दय पिरवितरत कर िदया था जानत हए भी काल िमया अनजान होकर रहा उसक दय को बड़ी शाित िमली इधर पपसन को

मानिसक िखननता अशाित और उ ग हो गया भ को कोई सताता ह तो उसका पणय न हो जाता ह इ कमजोर हो जाता ह और दर-सवर उसका अिन होना शर हो जाता ह

सत सताय तीनो जाय तज बल और वश पपसन को मिःतक का बखार आ गया उसक िदमाग म सयशा की व ही पि या घमन लगी-

कब सिमरोग राम साधो कब सिमरोग राम उन पि यो को गात-गात वह रो पड़ा हकीम व सबन हाथ धो डाल और कहाः राजन अब हमार

वश की बात नही ह काल िमया को हआः यह चोट जहा स लगी ह वही स ठीक हो सकती ह काल िमलन गया और पछाः

राजन कया बात ह

काल काल वह ःवगर की परी िकतना सनदर गाती थी मन उसकी हतया करवा दी म अब िकसको बताऊ काल अब म ठीक नही हो सकता ह काल मर स बहत बड़ी गलती हो गयी

राजन अगर आप ठीक हो जाय तो

अब नही हो सकता मन उसकी हतया करवा दी ह काल उसन िकतनी सनदर बात कही थीः झठी काया झठी माया आिखर मौत िनशान

कहत कबीर सनो भई साधो जीव दो िदन का महमान कब सिमरोग राम साधो कब सिमरोग राम

और मन उसकी हतया करवा दी काल मरा िदल जल रहा ह कमर करत समय पता नही चलता काल बाद म अनदर की लानत स जीव तप मरता ह कमर करत समय यिद यह िवचार िकया होता तो ऐसा नही होता काल मन िकतन पाप िकय ह

काल का दय पसीजा की इस राजा को अगर उस दवी की कपा िमल जाय तो ठीक हो सकता ह वस यह राजय तो अचछा चलाना जानता ह दबग ह पापकमर क कारण इसको जो दोष लगा ह वह अगर धल जाय तो

काल बोलाः राजन अगर वह लड़की कही िमल जाय तो

कस िमलगी

जीवनदान िमल तो म बताऊ अब वह लड़की लड़की नही रही पता नही साबरमती माता न उसको कस गोद म ल िलया और वह जोगन बन गयी ह लोग उसक कदमो म अपना िसर झकात ह

ह कया बोलता ह जोगन बन गयी ह वह मरी नही ह

नही तन तो कहा था मर गयी

मन तो गला दबाया और समझा मर गयी होगी लिकन आग िनकल गयी कही चली गयी और िकसी साध बाबा की महरबानी हो गयी और मर को लगता ह िक रपय म 15 आना पककी बात ह िक वही सयशा ह जोगन का और उसका रप िमलता ह

काल मझ ल चल म उसक कदमो म अपन दभार य को सौभा य म बदलना चाहता ह काल काल

राज पहचा और उसन प ा ाप क आसओ स सयशा क चरण धो िदय सयशा न कहाः भया इनसान गलितयो का घर ह भगवान तमहारा मगल कर

पपसनः दवी मरा मगल भगवान कस करग भगवान मगल भी करग तो िकसी गर क ारा दवी त मरी गर ह म तरी शरण आया ह

राजा पपसन सयशा क चरणो म िगरा वही सयशा का थम िशय बना पपसन को सयशा न गरमऽ की दीकषा दी सयशा की कपा पाकर पपसन भी धनभागी हआ और काल भी दसर लोग भी धनभागी हए 17वी शताबदी का कणारवती शहर िजसको आज अमदावाद बोलत ह वहा की यह एक ऐितहािसक घटना ह सतय कथा ह

अगर उस 16 वष य कनया म धमर क सःकार नही होत तो नाच-गान करक राजा का थोड़ा पयार पाकर ःवय भी नरक म पच मरती और राजा भी पच मरता लिकन उस कनया न सयम रखा तो आज उसका शरीर तो नही ह लिकन सयशा का सयश यह रणा जरर दता ह िक आज की कनयाए भी अपन ओज-तज और सयम की रकषा करक अपन ई रीय भाव को जगाकर महान आतमा हो सकती ह

हमार दश की कनयाए परदशी भोगी कनयाओ का अनकरण कयो कर लाली-िलपिःटक लगायी बॉयकट बाल कटवाय शराब-िसगरट पी नाचा-गाया धत तर की यह नारी ःवात य ह नही यह तो नारी का शोषण ह नारी ःवात य क नाम पर नारी को किटल कािमयो की भो या बनाया जा रहा ह

नारी ःव क तऽ हो उसको आितमक सख िमल आितमक ओज बढ़ आितमक बल बढ़ तािक वह ःवय को महान बन ही साथ ही औरो को भी महान बनन की रणा द सक अतरातमा का ःव-ःवरप का सख िमल ःव-ःवरप का जञान िमल ःव-ःवरप का सामथयर िमल तभी तो नारी ःवतऽ ह परपरष स पटायी जाय तो ःवतऽता कसी िवषय िवलास की पतली बनायी जाय तो ःवतनऽता कसी

कब सिमरोग राम सत कबीर क इस भजन न सयशा को इतना महान बना िदया िक राजा का तो मगल िकया ही साथ ही काल जस काितल दय भी पिरवितरत कर िदया और न जान िकतनो को ई र की ओर लगाया होगा हम लोग िगनती नही कर सकत जो ई र क राःत चलता ह उसक ारा कई लोग अचछ बनत ह और जो बर राःत जाता ह उसक ारा कइयो का पतन होता ह

आप सभी सदभागी ह िक अचछ राःत चलन की रिच भगवान न जगायी थोड़ा-बहत िनयम ल लो रोज थोड़ा जप करो धयान कर मौन का आौय लो एकादशी का ोत करो आपकी भी सष शि या जामत कर द ऐस िकसी सतपरष का सहयोग लो और लग जाओ िफर तो आप भी ई रीय पथ क पिथक बन जायग महान परम रीय सख को पाकर धनय-धनय हो जायग

(इस रणापद सतसग कथा की ऑिडयो कसट एव वीसीडी - सयशाः कब सिमरोग राम नाम स उपलबध ह जो अित लोकिय हो चकी ह आप इस अवय सन दख यह सभी सत ौी आसारामजी आौमो एव सिमितयो क सवा कनिो पर उपलबध ह)

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अनबम

अदभत आभासमपनन रानी कलावती ःकनद पराण क ो र खड म कथा आती ह िक काशीनरश की कनया कलावती क साथ मथरा क

दाशाहर नामक राजा का िववाह हआ िववाह क बाद राजा न रानी को अपन पलग पर बलाया लिकन उसन इनकार कर िदया तब राजा न बल योग की धमकी दी रानी न कहाः ी क साथ ससार-वयवहार करना हो तो बलयोग नही ःनह योग करना चािहए नाथ म भल आपकी रानी ह लिकन आप मर साथ बलयोग करक ससार-वयवहार न कर

लिकन वह राजा था रानी की बात सनी-अनसनी करक नजदीक गया जयो ही उसन रानी का ःपशर िकया तयो ही उस िव त जसा करट लगा उसका ःपशर करत ही राजा का अग-अग जलन लगा वह दर हटा और बोलाः कया बात ह तम इतनी सनदर और कोमल हो िफर भी तमहार शरीर क ःपशर स मझ जलन होन लगी

रानीः नाथ मन बालयकाल म दवारसा ऋिष स िशवमऽ िलया था उस जपन स मरी साि वक ऊजार का िवकास हआ ह इसीिलए म आपक नजदीक नही आती थी जस अधरी रात और दोपहर एक साथ नही रहत वस ही आपन शराब पीनवाली वयाओ क साथ और कलटाओ क साथ जो ससार-भोग भोग ह उसस आपक पाप क कण आपक शरीर मन तथा बि म अिधक ह और मन जप िकया ह उसक कारण मर शरीर म ओज तज व आधयाितमक कण अिधक ह इसीिलए म आपस थोड़ी दर रहकर ाथरना करती थी आप बि मान ह बलवान ह यशःवी ह और धमर की बात भी आपन सन रखी ह लिकन आपन शराब पीनवाली वयाओ और कलटाओ क साथ भोग भी भोग ह

राजाः तमह इस बात का पता कस चल गया

रानीः नाथ दय श होता ह तो यह याल आ जाता ह राजा भािवत हआ और रानी स बोलाः तम मझ भी भगवान िशव का वह मऽ द दो रानीः आप मर पित ह म आपकी गर नही बन सकती आप और हम गगारचायर महाराज क पास

चल दोनो गगारचायर क पास गय एव उनस ाथरना की गगारचायर न उनह ःनान आिद स पिवऽ होन क िलए

कहा और यमना तट पर अपन िशवःवरप क धयान म बठकर उनह िनगाह स पावन िकया िफर िशवमऽ दकर शाभवी दीकषा स राजा क ऊपर शि पात िकया

कथा कहती ह िक दखत ही दखत राजा क शरीर स कोिट-कोिट कौए िनकल-िनकल कर पलायन करन लग काल कौए अथारत तचछ परमाण काल कम क तचछ परमाण करोड़ो की स या म सआमदि क ि ाओ ारा दख गय सचच सतो क चरणो म बठकर दीकषा लन वाल सभी साधको को इस कार क लाभ होत ही ह मन बि म पड़ हए तचछ कसःकार भी िमटत ह आतम-परमातमाि की यो यता भी िनखरती ह वयि गत जीवन म सख शाित सामािजक जीवन म सममान िमलता ह तथा मन-बि म सहावन सःकार भी पड़त ह और भी अनिगनत लाभ होत ह जो िनगर मनमख लोगो की कलपना म भी नही आ सकत मऽदीकषा क भाव स हमार पाचो शरीरो क कसःकार व काल कम क परमाण कषीण होत जात ह थोड़ी ही दर म राजा िनभारर हो गया एव भीतर क सख स भर गया

शभ-अशभ हािनकारक एव सहायक जीवाण हमार शरीर म रहत ह जस पानी का िगलास होठ पर रखकर वापस लाय तो उस पर लाखो जीवाण पाय जात ह यह वजञािनक अभी बोलत ह लिकन शा ो न तो लाखो वषर पहल ही कह िदयाः

समित-कमित सबक उर रहिह जब आपक अदर अचछ िवचार रहत ह तब आप अचछ काम करत ह और जब भी हलक िवचार आ

जात ह तो आप न चाहत हए भी गलत कर बठत ह गलत करन वाला कई बार अचछा भी करता ह तो मानना पड़गा िक मनय-शरीर पणय और पाप का िमौण ह आपका अतःकरण शभ और अशभ का िमौण ह जब आप लापरवाह होत ह तो अशभ बढ़ जात ह अतः परषाथर यह करना ह िक अशभ कषीण होता जाय और शभ पराका ा तक परमातम-ाि तक पहच जाय

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अनबमलोग घरबार छोड़कर साधना करन क िलए साध बनत ह घर म रहत हए गहःथधमर िनभात हए नारी

ऐसी उम साधना कर सकती ह िक अनय साधओ की साधना उसक सामन फीकी पड़ जाय ऐसी दिवयो क पास एक पितोता-धमर ही ऐसा अमोघ श ह िजसक सममख बड़-बड़ वीरो क श भी किणठत हो जात ह पितोता ी अनायास ही योिगयो क समान िसि ा कर लती ह इसम िकिचत माऽ भी सदह नही ह

उ म िजजञासः मऽयी महिषर याजञवलकयजी की दो पि या थीः मऽयी और कातयायनी मऽयी जय थी कातयायनी की जञा

सामानय ि यो जसी ही थी िकत मऽयी वािदनी थी एक िदन याजञवालकयजी न अपनी दोनो पि यो को अपन पास बलाया और कहाः मरा िवचार अब

सनयास लन का ह अतः इस ःथान को छोड़कर म अनयऽ चला जाऊगा इसक िलए तम लोगो की अनमित लना आवयक ह साथ ही म यह भी चाहता ह िक घर म जो कछ धन-दौलत ह उस तम दोनो म बराबर-बराबर बाट द तािक मर चल जान क बाद इसको लकर आपसी िववाद न हो

यह सनकर कातयायनी तो चप रही िकत मऽयी न पछाः भगवन यिद यह धन-धानय स पिरपणर सारी पथवी कवल मर ही अिधकार म आ जाय तो कया म उसस िकसी कार अमर हो सकती ह

याजञवलकयजी न कहाः नही भोग-सामिमयो स सपनन मन यो का जसा जीवन होता ह वसा ही तमहारा भी जीवन हो जायगा धन स कोई अमर हो जाय उस अमरतव की ाि हो जाय यह कदािप सभव नही ह

तब मऽयी न कहाः भगवन िजसस म अमर नही हो सकती उस लकर कया करगी यिद धन स ही वाःतिवक सख िमलता तो आप उस छोड़कर एकानत अरणय म कयो जात आप ऐसी कोई वःत अवय जानत ह िजसक सामन इस धन एव गहःथी का सारा सख तचछ तीत होता ह अतः म भी उसी को जानना चाहती ह यदव भगवान वद तदव म िह कवल िजस वःत को आप ौीमान अमरतव का साधन जानत ह उसी का मझ उपदश कर

मऽयी की यह िजजञासापणर बात सनकर याजञवलकयजी को बड़ी सननता हई उनहोन मऽयी की शसा करत हए कहाः

धनय मऽयी धनय तम पहल भी मझ बहत िय थी और इस समय भी तमहार मख स यह िय वचन ही िनकला ह अतः आओ मर समीप बठो म तमह त व का उपदश करता ह उस सनकर तम उसका मनन और िनिदधयासन करो म जो कछ कह उस पर ःवय भी िवचार करक उस दय म धारण करो

इस कार कहकर महिषर याजञवलकयजी न उपदश दना आरभ िकयाः मऽयी तम जानती हो िक ी को पित और पित को ी कयो िय ह इस रहःय पर कभी िवचार िकया ह पित इसिलए िय नही ह िक वह पित ह बिलक इसिलए िय ह िक वह अपन को सतोष दता ह अपन काम आता ह इसी कार पित को ी भी इसिलए िय नही होती िक वह ी ह अिपत इसिलए िय होती ह िक उसस ःवय को सख िमलता

इसी नयाय स पऽ धन ा ण कषिऽय लोक दवता समःत ाणी अथवा ससार क सपणर पदाथर भी आतमा क िलए िय होन स ही िय जान पड़त ह अतः सबस ियतम वःत कया ह अपना आतमा

आतमा वा अर ि वयः ौोतवयो मनतवयो िनिदधयािसतवयो मऽयी आतमनो वा अर दशरनन ौवणन

मतया िवजञाननद सव िविदतम मऽयी तमह आतमा की ही दशरन ौवण मनन और िनिदधयासन करना चािहए उसी क दशरन ौवण

मनन और यथाथरजञान स सब कछ जञात हो जाता ह

(बहदारणयक उपिनषद 4-6) तदनतर महिषर याजञवलकयजी न िभनन-िभनन द ानतो और यि यो क ारा जञान का गढ़ उपदश दत

हए कहाः जहा अजञानावःथा म त होता ह वही अनय अनय को सघता ह अनय अनय का रसाःवादन करता ह अनय अनय का ःपशर करता ह अनय अनय का अिभवादन करता ह अनय अनय का मनन करता ह और अनय अनय को िवशष रप स जानता ह िकत िजसक िलए सब कछ आतमा ही हो गया ह वह िकसक ारा िकस दख िकसक ारा िकस सन िकसक ारा िकस सघ िकसक ारा िकसका रसाःवादन कर िकसक ारा िकसका ःपशर कर िकसक ारा िकसका अिभवादन कर और िकसक ारा िकस जान िजसक ारा परष इन सबको जानता ह उस िकस साधन स जान

इसिलए यहा नित-नित इस कार िनदश िकया गया ह आतमा अमा ह उसको महण नही िकया जाता वह अकषर ह उसका कषय नही होता वह असग ह वह कही आस नही होता वह िनबरनध ह वह कभी बनधन म नही पड़ता वह आनदःवरप ह वह कभी वयिथत नही होता ह मऽयी िवजञाता को िकसक ारा जान अर मऽयी तम िन यपवरक इस समझ लो बस इतना ही अमरतव ह तमहारी ाथरना क अनसार मन जञातवय त व का उपदश द िदया

ऐसा उपदश दन क प ात याजञवलकयजी सनयासी हो गय मऽयी यह अमतमयी उपदश पाकर कताथर हो गयी यही यथाथर सपि ह िजस मऽयी न ा िकया था धनय ह मऽयी जो बा धन-सपि स ा सख को तणवत समझकर वाःतिवक सपि को अथारत आतम-खजान को पान का परषाथर करती ह काश आज की नारी मऽयी क चिरऽ स रणा लती

(कलयान क नारी अक एव बहदारणयक उपिनषद पर आधािरत)

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अनबम

वािदनी िवदषी गाग वािदनी िवदषी गाग का नाम विदक सािहतय म अतयत िव यात ह उनका असली नाम कया था

यह तो जञात नही ह िकत उनक िपता का नाम वचकन था अतः वचकन की पऽी होन क कारण उनका नाम वाचकनवी पड़ गया गगर गोऽ म उतपनन होन क कारण लोग उनह गाग कहत थ यह गाग नाम ही जनसाधारण स चिलत हआ

बहदारणयक उपिनषद म गाग क शा ाथर का सग विणरत हः िवदह दश क राजा जनक न एक बहत बड़ा जञानयजञ िकया था उसम कर और पाचाल दश क अनको

िव ान ा ण एकिऽत हए थ राजा जनक बड़ िव ा-वयासगी एव सतसगी थ उनह शा क गढ़ त वो का िववचन एव परमाथर-चचार ही अिधक िय थी इसिलए उनक मन म यह जानन की इचछा हई िक यहा आय हए िव ान ा णो म सबस बढ़कर ताि वक िववचन करन वाला कौन ह इस परीकषा क िलए उनहोन अपनी गौशाला म एक हजार गौए बधवा दी सब गौओ क सीगो पर दस-दस पाद (एक ाचीन माप-कषर) सवणर बधा हआ था यह वयवःथा करक राजा जनक न उपिःथत ा ण-समदाय स कहाः

आप लोगो म स जो सबस बढ़कर व ा हो वह इन सभी गौओ को ल जाय राजा जनक की यह घोषणा सनकर िकसी भी ा ण म यह साहस नही हआ िक उन गौओ को ल

जाय सब सोचन लग िक यिद हम गौए ल जान को आग बढ़त ह तो य सभी ा ण हम अिभमानी समझग और शा ाथर करन लगग उस समय हम इन सबको जीत सक ग या नही कया पता यह िवचार करत हए सब चपचाप ही बठ रह

सबको मौन दखकर याजञवलकयजी न अपन चारी सामौवा स कहाः ह सौमय त इन सब गौओ को हाक ल चल

चारी न आजञा पाकर वसा ही िकया यह दखकर सब ा ण कषबध हो उठ तब िवदहराज जनक क होता अ ल याजञवलकयजी स पछ बठः कयो कया तमही िन हो हम सबस बढ़कर व ा हो

यह सनकर याजञवलकयजी न नतापवरक कहाः नही व ाओ को तो हम नमःकार करत ह हम कवल गौओ की आवयकता ह अतः गौओ को ल

जात ह िफर कया था शा ाथर आरभ हो गया यजञ का तयक सदःय याजञवलकयजी स पछन लगा

याजञवालकयजी इसस िवचिलत नही हए व धयरपवरक सभी क ो का बमशः उ र दन लग अ ल न चन-चनकर िकतन ही िकय िकत उिचत उ र िमल जान क कारण व चप होकर बठ गय तब जरतकार गोऽ म उतपनन आतरभाग न िकया उनको भी अपन का यथाथर उ र िमल गया अतः व भी मौन हो गय िफर बमशः ला ायिन भजय चाबायम उषःत एव कौषीतकय कहोल करक चप होकर बठ गय इसक बाद

वाचकनवी गाग न पछाः भगवन यह जो कछ पािथरव पदाथर ह व सब जल म ओत ोत ह जल िकसम ओतोत ह

याजञवलकयजीः जल वाय म ओतोत ह वाय िकसम ओतोत ह

अनतिरकषलोक म अनतिरकषलोक िकसम ओतोत ह

गनधवरलोक म गनधवरलोक िकसम ओतोत ह

आिदतयलोक म आिदतयलोक िकसम ओतोत ह

चनिलोक म चनिलोक िकसम ओतोत ह

नकषऽलोक म नकषऽलोक िकसम ओतोत ह

दवलोक म दवलोक िकसम ओतोत ह

इनिलोक म इनिलोक िकसम ओतोत ह

जापितलोक म जापितलोक िकसम ओतोत ह

लोक म लोक िकसम ओतोत ह

इस पर याजञवलकयजी न कहाः ह गाग यह तो अित ह यह उ र की सीमा ह अब इसक आग नही हो सकता अब त न कर नही तो तरा मःतक िगर जायगा

गाग िवदषी थी उनहोन याजञवलकयजी क अिभाय को समझ िलया एव मौन हो गयी तदननतर आरिण आिद िव ानो न ो र िकय इसक प ात पनः गाग न समःत ा णो को सबोिधत करत हए कहाः यिद आपकी अनमित ा हो जाय तो म याजञवलकयजी स दो पछ यिद व उन ो का उ र द दग तो आप लोगो म स कोई भी उनह चचार म नही जीत सकगा

ा णो न कहाः पछ लो गाग

तब गाग बोलीः याजञवलकयजी वीर क तीर क समान य मर दो ह पहला हः लोक क ऊपर पथवी का िनमन दोनो का मधय ःवय दोनो और भत भिवय तथा वतरमान िकसम ओतोत ह

याजञवलकयजीः आकाश म

गाग ः अचछा अब दसरा ः यह आकाश िकसम ओतोत ह

याजञवलकयजीः इसी त व को व ा लोग अकषर कहत ह गाग यह न ःथल ह न सआम न छोटा ह न बड़ा यह लाल िव छाया तम वाय आकाश सग रस गनध नऽ कान वाणी मन तज ाण मख और माप स रिहत ह इसम बाहर भीतर भी नही ह न यह िकसी का भो ा ह न िकसी का भो य

िफर आग उसका िवशद िनरपण करत हए याजञवलकयजी बोलः इसको जान िबना हजारो वष को होम यजञ तप आिद क फल नाशवान हो जात ह यिद कोई इस अकषर त व को जान िबना ही मर जाय तो वह कपण ह और जान ल तो यह व ा ह

यह अकषर द नही ि ा ह ौत नही ौोता ह मत नही मनता ह िवजञात नही िवजञाता ह इसस िभनन कोई दसरा ि ा ौोता मनता िवजञाता नही ह गाग इसी अकषर म यह आकाश ओतोत ह

गाग याजञवलकयजी का लोहा मान गयी एव उनहोन िनणरय दत हए कहाः इस सभा म याजञवलकयजी स बढ़कर व ा कोई नही ह इनको कोई परािजत नही कर सकता ह ा णो आप लोग इसी को बहत समझ िक याजञवलकयजी को नमःकार करन माऽ स आपका छटकारा हए जा रहा ह इनह परािजत करन का ःवपन दखना वयथर ह

राजा जनक की सभा वादी ऋिषयो का समह समबनधी चचार याजञवलकयजी की परीकषा और परीकषक गाग यह हमारी आयर क नारी क जञान की िवजय जयनती नही तो और कया ह

िवदषी होन पर भी उनक मन म अपन पकष को अनिचत रप स िस करन का दरामह नही था य िव तापणर उ र पाकर सत हो गयी एव दसर की िव ता की उनहोन म कणठ स शसा भी की

धनय ह भारत की आयर नारी जो याजञवलकयजी जस महिषर स भी शा ाथर करन िहचिकचाती नही ह ऐसी नारी नारी न होकर साकषात नारायणी ही ह िजनस यह वसनधरा भी अपन-आपको गौरवािनवत मानती ह

(कलयाण क नारी अक एव बहदारणयक उपिनषद पर आधािरत) ॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐ

अनबम

अथाह शि की धनीः तपिःवनी शाणडािलनी शाणडािलनी का रप-लावणय और सौनदयर दखकर गालव ऋिष और गरड़जी मोिहत हो गय ऐसी सनदरी

और इतनी तजिःवनी वह भी धरती पर तपःयारत यह ी तो भगवान िवण की भायार होन क यो य ह ऐसा सोचकर उनहोन शाणडािलनी क आग यह ःताव रखा

शाणडािलनीः नही नही मझ तो चयर का पालन करना ह यह कहकर शाणडािलनी पनः तपःयारत हो गयी और अपन श -ब ःवरप की ओर याऽा करन लगी

गालवजी और गरड़जी का यह दखकर पनः िवचारन लग िक अपसराओ को भी मात कर दन वाल सौनदयर की ःवािमनी यह शाणडािलनी अगर तपःया म ही रत रही तो जोगन बन जायगी और हम लोगो की बात मानगी नही अतः इस अभी उठाकर ल चल और भगवान िवण क साथ जबरन इसकी शादी करवा द

एक भात को दोनो शाणडािलनी को ल जान क िलए आय शाणडािलनी की दि जस ही उन दोनो पर पड़ी तो वह समझ गयी िक अपन िलए तो नही िकत अपनी इचछा परी करन क िलए इनकी नीयत बरी हई ह जब मरी कोई इचछा नही ह तो म िकसी की इचछा क आग कयो दब मझ तो चयर ोत का पालन करना ह िकत य दोनो मझ जबरन गहःथी म घसीटना चाहत ह मझ िवण की प ी नही बनना वरन मझ तो िनज ःवभाव को पाना ह

गरड़जी तो बलवान थ ही गालवजी भी कम नही थ िकत शाणडािलनी की िनःःवाथर सवा िनःःवाथर परमातमा म िवौािनत की याऽा न उसको इतना तो सामथयरवान बना िदया था िक उसक ारा पानी क छीट मार कर यह कहत ही िक गालव तम गल जाओ और गालव को सहयोग दन वाल गरड़ तम भी गल जाओ दोनो को महसस होन लगा िक उनकी शि कषीण हो रही ह दोनो भीतर-ही-भीतर गलन लग

िफर दोनो न बड़ा ायि त िकया और कषमायाचना की तब भारत की उस िदवय कनया शाणडािलनी न उनह माफ िकया और पवरवत कर िदया उसी क तप क भाव स गलत र तीथर बना ह

ह भारत की दिवयो उठो जागो अपनी आयर नािरयो की महानता को अपन अतीत क गौरव को याद करो तमम अथाह सामथयर ह उस पहचानो सतसग जप परमातम-धयान स अपनी छपी हई शि यो को जामत करो

जीवनशि का ास करन वाली पा ातय सःकित क अधानकरण स बचकर तन-मन को दिषत करन वाली फशनपरःती एव िवलािसता स बचकर अपन जीवन को जीवनदाता क पथ पर अमसर करो अगर ऐसा कर सको तो वह िदन दर नही जब िव तमहार िदवय चिरऽ का गान कर अपन को कताथर मानगा

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अनबम

सती सािवऽी महाभारत क वन पवर म सािवऽी और यमराज क वातारलाप का सग आता हः जब यमराज सतयवान (सािवऽी क पित) क ाणो को अपन पाश म बाध ल चल तब सािवऽी भी उनक

पीछ-पीछ चलन लगी उस अपन पीछ आत दखकर यमराज न उस वापस लौट जान क िलए कई बार कहा िकत सािवऽी चलती ही रही एव अपनी धमरचचार स उसन यमराज को सनन कर िलया

सािवऽी बोलीः सतपरषो का सग एक बार भी िमल जाय तो वह अभी की पितर करान वाला होता ह और यिद उनस म हो जाय तो िफर कहना ही कया सत-समागम कभी िनफल नही जाता अतः सदा सतपरषो क साथ ही रहना चािहए

दव आप सारी जा का िनयमन करन वाल ह अतः यम कहलात ह मन सना ह िक मन वचन और कमर ारा िकसी भी ाणी क ित िोह न करक सब पर समान रप स दया करना और दान दना ौ परषो का सनातन धमर ह यो तो ससार क सभी लोग सामानयतः कोमलता का बतारव करत ह िकत जो ौ परष ह व अपन पास आय हए शऽ पर भी दया ही करत ह

यमराजः कलयाणी जस पयास को पानी िमलन स ति होती ह उसी कार तरी धमारनकल बात सनकर मझ सननता होती ह

सािविऽ न आग कहाः िववःवान (सयरदव) क पऽ होन क नात आपको ववःवत कहत ह आप शऽ-िमऽ आिद क भद को भलाकर सबक ित समान रप स नयाय करत ह और आप धमरराज कहलात ह अचछ मनयो को सतय पर जसा िव ास होता ह वसा अपन पर भी नही होता अतएव व सतय म ही अिधक अनराग रखत ह िव ास की सौहादर का कारण ह तथा सौहादर ही िव ास का सतपरषो का भाव सबस अिधक होता ह इसिलए उन पर सभी िव ास करत ह

यमराजः सािवऽी तन जो बात कही ह वसी बात मन और िकसी क मह स नही सनी ह अतः मरी सननता और भी बढ़ गयी ह अचछा अब त बहत दर चली आयी ह जा लौट जा

िफर भी सािवऽी न अपनी धािमरक चचार बद नही की वह कहती गयीः सतपरषो का मन सदा धमर म ही लगा रहता ह सतपरषो का समागम कभी वयथर नही जाता सतो स कभी िकसी को भय नही होता सतपरष सतय क बल स सयर को भी अपन समीप बला लत ह व ही अपन भाव स पथवी को धारण करत ह भत भिवय का आधार भी व ही ह उनक बीच म रहकर ौ परषो को कभी खद नही होता दसरो की भलाई करना सनातन सदाचार ह ऐसा मानकर सतपरष तयपकार की आशा न रखत हए सदा परोपकार म ही लगा रहत ह

सािवऽी की बात सनकर यमराज िवीभत हो गय और बोलः पितोत तरी य धमारनकल बात गभीर अथर स य एव मर मन को लभान वाली ह त जयो-जयो ऐसी बात सनाती जाती ह तयो-तयो तर ित मरा ःनह बढ़ता जाता ह अतः त मझस कोई अनपम वरदान माग ल

सािवऽीः भगवन अब तो आप सतयवान क जीवन का ही वरदान दीिजए इसस आपक ही सतय और धमर की रकषा होगी पित क िबना तो म सख ःवगर लआमी तथा जीवन की भी इचछा नही रखती

धमरराज वचनब हो चक थ उनहोन सतयवान को मतयपाश स म कर िदया और उस चार सौ वष की नवीन आय दान की सतयवान क िपता मतसन की नऽजयोित लौट आयी एव उनह अपना खोया हआ राजय भी वापस िमल गया सािवऽी क िपता को भी समय पाकर सौ सतान ह एव सािवऽी न भी अपन पित सतयवान क साथ धमरपवरक जीवन-यापन करत हए राजय-सख भोगा

इस कार सती सािवऽी न अपन पाितोतय क ताप स पित को तो मतय क मख स लौटाया ही साथ ही पित क एव अपन िपता क कल दोनो की अिभवि म भी वह सहायक बनी

िजस िदन सती सािवऽी न अपन तप क भाव स यमराज क हाथ म पड़ हए पित सतयवान को छड़ाया था वही िदन वट सािवऽी पिणरमा क रप म आज भी मनाया जाता ह इस िदन सौभा यशाली ि या अपन सहाग की रकषा क िलए वट वकष की पजा करती ह एव ोत-उपवास आिद रखती ह

कसी रही ह भारत की आदशर नािरया अपन पित को मतय क मख स लौटान म यमराज स भी धमरचचार करन का सामथयर रहा ह भारत की दिवयो म सािवऽी की िदवय गाथा यही सदश दती ह िक ह भारत की दिवयो तमम अथाह सामथयर ह अथाह शि ह सतो-महापरषो क सतसग म जाकर तम अपनी छपी हई शि को जामत करक अवय महान बन सकती हो एव सािवऽी-मीरा-मदालसा की याद को पनः ताजा कर सकती हो

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अनबम

मा सीता की सतीतव-भावना भगवान ौीराम क िवयोग तथा रावण और राकषिसयो क ारा िकय जानवाल अतयाचारो क कारण मा

सीता अशोक वािटका म बड़ी दःखी थी न तो व भोजन करती न ही नीद िदन-रात कवल ौीराम-नाम क जप म ही तललीन रहती उनका िवषादमःत मखमडल दखकर हनमान जी न पवरताकार शरीर धारण करक उनस कहाः मा आपकी कपा स मर पास इतना बल ह िक म पवरत वन महल और रावणसिहत परी लका को उठाकर ल जा सकता ह आप कपा करक मर साथ चल और भगवान ौीराम व लआमण का शोक दर करक ःवय भी इस भयानक दःख स मि पा ल

भगवान ौीराम म ही एकिन रहन वाली जनकनिदनी मा सीता न हनमानजी स कहाः ह महाकिप म तमहारी शि और पराबम को जानती ह साथ ही तमहार दय क श भाव एव तमहारी ःवामी-भि को भी जानती ह िकत म तमहार साथ नही आ सकती पितपरायणता की दि स म एकमाऽ भगवान ौीराम क िसवाय िकसी परपरष का ःपशर नही कर सकती जब रावण न मरा हरण िकया था तब म असमथर असहाय और िववश थी वह मझ बलपवरक उठा लाया था अब तो करणािनधान भगवान ौीराम ही ःवय आकर रावण का वध करक मझ यहा स ल जाएग

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अनबम

आतर भ िौपदी

ईयार- ष और अित धन-समह स मनय अशात होता ह ईयार- ष की जगह पर कषमा और सतवि का िहःसा बढ़ा िदया जाय तो िकतना अचछा

दय धन ईयारल था षी था उसन तीन महीन तक दवारसा ऋिष की भली कार स सवा की उनक िशयो की भी सवा की दय धन की सवा स दवारसा ऋिष सनन हो गय और बोलः

माग ल वतस जो मागना चाह माग ल

जो ईयार और ष क िशकज म आ जाता ह उसका िववक उस साथ नही दता लिकन जो ईयार- ष रिहत होता ह उसका िववक सजग रहता ह वह शात होकर िवचार या िनणरय करता ह ऐसा वयि सफल होता ह और सफलता क अह म गरक नही होता कभी असफल भी हो गया तो िवफलता क िववाद म नही डबता द दय धन न ईयार एव ष क वशीभत होकर कहाः

मर भाई पाणडव वन म दर-दर भटक रह ह उनकी इचछा ह िक आप अपन हजार िशयो क साथ उनक अितथी हो जाय अगर आप मझ पर सनन ह तो मर भाइयो की इचछा परी कर लिकन आप उसी व उनक पास पहिचयगा जब िौपदी भोजन कर चकी हो

दय धन जानता था िक भगवान सयर न पाणडवो को अकषयपाऽ िदया ह उसम स तब तक भोजन-साममी िमलती रहती ह जब तक िौपदी भोजन न कर ल िौपदी भोजन करक पाऽ को धोकर रख द िफर उस िदन उसम स भोजन नही िनकलगा अतः दोपहर क बाद जब दवारसाजी उनक पास पहचग तब भोजन न िमलन स किपत हो जायग और पाणडवो को शाप द दग इसस पाणडव वश का सवरनाश हो जायगा

इस ईयार और ष स िरत होकर दय धन न दवारसाजी की सननता का लाभ उठाना चाहा दवारसा ऋिष मधया क समय जा पहच पाणडवो क पास यिधि र आिद पाणडव एव िौपदी दवारसाजी को

िशयो समत अितिथ क रप म आया हआ दखकर िचिनतत हो गय िफर भी बोलः िवरािजय महिषर आपक भोजन की वयवःथा करत ह

अतयारमी परमातमा सबका सहायक ह सचच का मददगार ह दवारसाजी बोलः ठहरो ठहरो भोजन बाद म करग अभी तो याऽा की थकान िमटान क िलए ःनान करन जा रहा ह

इधर िौपदी िचिनतत हो उठी िक अब अकषयपाऽ स कछ न िमल सकगा और इन साधओ को भखा कस भज उनम भी दवारसा ऋिष को वह पकार उठीः ह कशव ह माधव ह भ वतसल अब म तमहारी शरण म ह शात िच एव पिवऽ दय स िौपदी न भगवान ौीकण का िचनतन िकया भगवान ौीकण आय और बोलः िौपदी कछ खान को तो दो

िौपदीः कशव मन तो पाऽ को धोकर रख िदया ह ौी कणः नही नही लाओ तो सही उसम जरर कछ होगा िौपदी न पाऽ लाकर रख िदया तो दवयोग स उसम तादल क साग का एक प ा बच गया था

िव ातमा ौीकण न सकलप करक उस तादल क साग का प ा खाया और ति का अनभव िकया तो उन महातमाओ को भी ति का अनभव हआ व कहन लग िकः अब तो हम त हो चक ह वहा जाकर कया खायग यिधि र को कया मह िदखायग

शात िच स की हई ाथरना अवय फलती ह ईयारल एव षी िच स तो िकया-कराया भी चौपट हो जाता ह जबिक न और शात िच स तो चौपट हई बाजी भी जीत म बदल जाती ह और दय धनयता स भर जाता ह

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अनबम

दवी शि यो स समपनन गणमजरी दवी (िदनाक 12 अ बर स 21 अ बर 2002 तक मागलय धाम रतलाम (म) म शरद पिणरमा पर

आयोिजत शि पात साधना िशिवर म पजय ौी न िशिवरािथरयो को अपनी सष िदवय शि यो को जागत करन का आ ान िकया

िवबम सवत 1781 म यागराज इलाहाबाद म घिटत एक घटना का िजब करत हए पजयौी न लोकपावनी वाणी म कहाः)

यागराज इलाहाबाद म ऽयोदशी क कभ-ःनान का पवर-िदवस था कभ म कई अखाड़वाल जित-जोिग साध-सत आय थ उसम कामकौतकी नामक एक ऐसी जाित भी आयी थी जो भगवान क िलए ही राग-रािगिनयो का अ यास िकया करती थी तथा भगवदगीत क िसवाय और कोई गीत नही गाती थी उसन भी अपना गायन-कायरबम कभ मल म रखा था

ौगरी मठाधीश ौी सोमनाथाचायर भी इस कामकौतकी जाितवालो क सयम और राग-रािगिनयो म उनकी कशलता क बार म जानत थ इसिलए व भी वहा पधार थ उस कायरबम म सोमनाथाचायर जी की उपिःथित क कारण लोगो को िवशष आनद हआ और जब गणमजरी दवी भी आ पहची तो उस आनद म चार चाद लग गय

गणमजरी दवी न चानिायण और कचल ोत िकय थ शरीर क दोषो को हरन वाल जप-तप और सयम को अचछी तरह स साधा था लोगो न मन-ही-मन उसका अिभवादन िकया

गणमजरी दवी भी कवल गीत ही नही गाती थी वरन उसन अपन जीवन म दवी गणो का इतना िवकिसत िकया था िक जब चाह अपनी दिवक सिखयो को बला सकती थी जब चाह बादल मडरवा सकती थी िबजली चमका सकती थी उस समय उसकी याित दर-दर तक पहच चकी थी

कायरबम आरमभ हआ कामकौतकी जाित क आचाय न शबदो की पपाजली स ई रीय आराधना का माहौल बनाया अत म गणमजरी दवी स ाथरना की गयी

गणमजरी दवी न वीणा पर अपनी उगिलया रखी माघ का महीना था ठणडी-ठणडी हवाए चलन लगी थोड़ी ही दर म मघ गरजन लग िबजली चमकन लगी और बािरश का माहौल बन गया आन वाली बािरश स बचन क लोगो का िच कछ िवचिलत होन लगा इतन म सोमनाथाचायरजी न कहाः बठ रहना िकसी को

िचनता करन की जररत नही ह य बादल तमह िभगोयग नही य तो गण मजरी दवी की तपःया और सकलप का भाव ह

सत की बात का उललघन करना मि फल को तयागना और नरक क ार खोलना ह लोग बठ रह 32 राग और 64 रािगिनया ह राग और रािगिनया क पीछ उनक अथर और आकितया भी होती ह

शबद क ारा सि म उथल-पथल मच सकती ह व िनज व नही ह उनम सजीवता ह जस एयर कडीशनर चलात ह तो वह आपको हवा स पानी अलग करक िदखा दता ह ऐस ही इन पाच भतो म िःथत दवी गणो को िजनहोन साध िलया ह व शबद की धविन क अनसार बझ दीप जला सकत ह दि कर सकत ह - ऐस कई सग आपन-हमन-दख-सन होग गणमजरी दवी इस कार की साधना स समपनन दवी थी

माहौल ौ ा-भि और सयम की पराका ा पर था गणमजरी दवी न वीणा बजात हए आकाश की ओर िनहारा घनघोर बादलो म स िबजली की तरह एक दवागना कट हई वातावरण सगीतमय-नतयमय होता जा रहा था लोग दग रह गय आ यर को भी आ यर क समि म गोत खान पड़ ऐसा माहौल बन गया

लोग भीतर ही भीतर अपन सौभा य की सराहना िकय जा रह थ मानो उनकी आख उस दय को पी जाना चाहती थी उनक कान उस सगीत को पचा जाना चाहत थ उनका जीवन उस दय क साथ एक रप होता जा रहा था गणमजरी धनय हो तम कभी व गणमजरी को को धनयवाद दत हए उसक गीत म खो जात और कभी उस दवागना क श पिवऽ नतय को दखकर नतमःतक हो उठत

कायरबम समपनन हआ दखत ही दखत गणमजरी दवी न दवागना को िवदाई दी सबक हाथ जड़ हए थ आख आसमान की ओर िनहार रही थी और िदल अहोभाव स भरा था मानो भ-म म भ की अदभत लीला म खोया-सा था

ौगरी मठाधीश ौी सोमनाथाचायरजी न हजारो लोगो की शात भीड़ स कहाः सजजनो इसम आ यर की कोई आवयकता नही ह हमार पवरज दवलोक स भारतभिम पर आत और सयम साधना तथा भगवतीित क भाव स अपन वािछत िदवय लोको तक की याऽा करन म सफल होत थ कोई-कोई ःवरप परमातमा का ौवण मनन िनिदधयासन करक यही मय अननत ाणडवयापी अपन आतम-ऐ यर को पा लत थ

समय क फर स लोग सब भलत गय अनिचत खान-पान ःपशर-दोष सग-दोष िवचार-दोष आिद स लोगो की मित और साि वकता मारी गयी लोगो म छल कपट और तमस बढ़ गया िजसस व िदवय लोको की बात ही भल गय अपनी असिलयत को ही भल गय गणमजरी दवी न सग दोष स बचकर सयम स साधन-भजन िकया तो उसका दवतव िवकिसत हआ और उसन दवागना को बलाकर तमह अपनी असिलयत का पिरचय िदया

तम भी इस दय को दखन क कािबल तब हए जब तमन कभ क इस पवर पर यागराज क पिवऽ तीथर म सयम और ौ ा-भि स ःनान िकया इसक भाव स तमहार कछ कलमष कट और पणय बढ़ पणयातमा लोगो क एकिऽत होन स गणमजरी दवी क सकलप म सहायता िमली और उसन तमह यह दय िदखाया अतः इसम आ यर न करो

आपम भी य शि या छपी ह तम भी चाहो तो अनिचत खान-पान सग-दोष आिद स बचकर सदगर क िनदशानसार साधना-पथ पर अमसर हो इन शि यो को िवकिसत करन म सफल हो सकत हो कवल इतना ही नही वरन पर -परमातमा को पाकर सदा-सदा क िलए म भी हो सकत हो अपन म ःवरप का जीत जी अनभव कर सकत हो

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अनबम

िववक की धनीः कमारवती यह कथा सतयःवरप ई र को पान की ततपरता रखनवाली भोग-िवलास को ितलाजिल दन वाली

िवकारो का दमन और िनिवरकार नारायण ःवरप का दशरन करन वाली उस बचची की ह िजसन न कवल अपन को तारा अिपत अपन िपता राजपरोिहत परशरामजी का कल भी तार िदया

जयपर-सीकर क बीच महनिगढ़ क सरदार शखावत क राजपरोिहत परशरामजी की उस बचची का नाम था कमार कमारवती बचपन म वह ऐस कमर करती थी िक उसक कमर शोभा दत थ कई लोग कमर करत ह तो कमर उनको थका दत ह कमर म उनको फल की इचछा होती ह कमर म कतारपन होता ह

कमारवती क कमर म कतारपन नही था ई र क ित समपरण भाव थाः जो कछ कराता ह भ त ही कराता ह अचछ काम होत ह तो नाथ तरी कपा स ही हम कर पात ह कमारवती कमर करती थी लिकन कतारभाव को िवलय होन का मौका िमल उस ढग स करती थी

कमारवती तरह साल की हई गाव म साध-सत पधार उन सतपरषो स गीता का जञान सना भगवदगीता का माहातमय सना अचछ-बर कम क बनधन स जीव मनय-लोक म जनमता ह थोड़ा-सा सखाभास पाता ह परत काफी माऽा म दःख भोगता ह िजस शरीर स सख-दःख भोगता ह वह शरीर तो जीवन क अत म जल जाता ह लिकन भीतर सख पान का सख भोगन का भाव बना रहता ह यह कतार-भो ापन का भाव तब तक बना रहता ह जब तक मन की सीमा स पर परमातमा-ःवरप का बोध नही होता

कमारवती इस कार का सतसग खब धयान दकर आखो की पलक कम िगर इस कार सनती थी वह इतना एकाम होकर सतसग सनती िक उसका सतसग सनना बदगी हो जाता था

एकटक िनहारत हए सतसग सनन स मन एकाम होता ह सतसग सनन का महापणय तो होता ही ह साथ ही साथ मनन करन का लाभ भी िमल जाता ह और िनिदधयासन भी होता रहता ह

दसर लोग सतसग सनकर थोड़ी दर क बाद कपड़ झाड़कर चल दत और सतसग की बात भल जात लिकन कमारवती सतसग को भलती नही थी सतसग सनन क बाद उसका मनन करती थी मनन करन स उसकी यो यता बढ़ गयी जब घर म अनकलता या ितकलता आती तो वह समझती िक जो आता ह वह

जाता ह उसको दखनवाला मरा राम मरा कण मरा आतमा मर गरदव मरा परमातमा कवल एक ह सख आयगा ETH जायगा पर म चतनय आतमा एकरस ह ऐसा उसन सतसग म सन रखा था

सतसग को खब एकामता स सनन और बाद म उस ःमरण-मनन करन स कमारवती न छोटी उ म खब ऊचाई पा ली वह बातचीत म और वयवहार म भी सतसग की बात ला दती थी फलतः वयवहार क न उसक िच को मिलन नही करत थ उसक िच की िनमरलता व साि वकता बढ़ती गयी

म तो महनिगढ़ क उस सरदार खडरकर शखावत को भी धनयवाद दगा कयोिक उसक राजपरोिहत हए थ परशराम और परशराम क घर आयी थी कमारवती जसी पिवऽ बचची िजनक घर म भ पदा हो व माता-िपता तो भा यशाली ह ही पिवऽ ह व जहा नौकरी करत ह वह जगह वह आिफस वह कस भी भा यशाली ह िजसक यहा व नौकरी करत ह वह भी भा यशाली ह िक भ क माता-िपता उसक यहा आया-जाया करत ह

राजपरोिहत परशराम भी भगवान क भ थ सयमी जीवन था उनका व सदाचारी थ दीन-दःिखयो की सवा िकया करत थ गर-दशरन म रिच और गर-वचन म िव ास रखन वाल थ ऐस पिवऽातमा क यहा जो सतान पदा हो उसका भी ओजःवी-तजःवी होना ःवाभािवक ह

कमारवती िपता स भी बहत आग बढ़ गयी कहावत ह िक बाप स बटा सवाया होना चािहए लिकन यह तो बटी सवायी हो गई भि म

परशराम सरदार क कामकाज म वयःत रहत अतः कभी सतसग म जा पात कभी नही पर कमारवती हर रोज िनयिमत रप स अपनी मा को लकर सतसग सनन पहच जाती ह परशराम सतसग की बात भल भी जात परत कमारवती याद रखती

कमारवती न घर म पजा क िलए एक कोठरी बना ली थी वहा ससार की कोई बात नही कवल माला और जप धयान उसन उस कोठरी को साि वक सशोभनो स सजाया था िबना हाथ-पर धोय नीद स उठकर िबना ःनान िकय उसम वश नही करती थी धप-दीप-अगरब ी स और कभी-कभी ताज िखल हए फलो स कोठरी को पावन बनाया करती महकाया करती उसक भजन की कोठरी मानो भगवान का मिदर ही बन गयी थी वह धयान-भजन नही करनवाल िनगर कटिमबयो को नता स समझा-बझाकर उस कोठरी म नही आन दती थी उसकी उस साधना-कटीर म भगवान की जयादा मितरया नही थी वह जानती थी िक अगर धयान-भजन म रिच न हो तो व मितरया बचारी कया करगी धयान-भजन म सचची लगन हो तो एक ही मितर काफी ह

साधक अगर एक ही भगवान की मितर या गरदव क िचऽ को एकटक िनहारत-िनहारत आतर याऽा कर तो एक म ही सब ह और सब म एक ही ह यह जञान होन म सिवधा रहगी िजसक धयान-ककष म अ यास-खणड म या घर म बहत स दवी-दवताओ क िचऽ हो मितरया हो तो समझ लना उसक िच म और जीवन म काफी अिनि तता होगी ही कयोिक उसका िच अनक म बट जाता ह एक पर परा भरोसा नही रहता

कमारवती न साधन-भजन करन का िनि त िनयम बना िलया था िनयम पालन म वह पककी थी जब तक िनयम परा न हो तब तक भोजन नही करती िजसक जीवन म ऐसी दढ़ता होती ह वह हजारो िव न-बाधाओ और मसीबतो को परो तल कचलकर आग िनकल जाता ह

कमारवती 13 साल की हई उस साल उसक गाव म चातमारस करन क िलए सत पधार कमारवती एक िदन भी कथा सनना चकी नही कथा-ौवण क साररप उसक िदल-िदमाग म िन य दढ़ हआ िक जीवनदाता को पान क िलए ही यह जीवन िमला ह कोई गड़बड़ करन क िलए नही परमातमा को नही पाया तो जीवन वयथर ह

न पित अपना ह न प ी अपनी ह न बाप अपना ह न बट अपन ह न घर अपना ह न दकान अपनी ह अर यह शरीर तक अपना नही ह तो और की कया बात कर शरीर को भी एक िदन छोड़ना पड़गा मशान म उस जलाया जायगा

कमारवती क दय म िजजञासा जगी िक शरीर जल जान स पहल मर दय का अजञान कस जल म अजञानी रहकर बढ़ी हो जाऊ आिखर म लकड़ी टकती हई र ण अवःथा म अपमान सहती हई कराहती हई अनय बिढ़याओ की ना मर यह उिचत नही यह कभी-कभी व ो को बीमार वयि यो को दखती और मन म वरा य लाती िक म भी इसी कार बढ़ी हो जाऊगी कमर झक जायगी मह पोपला हो जायगा आखो स पानी टपकगा िदखाई नही दगा सनाई नही दगा शरीर िशिथल हो जायगा यिद कोई रोग हो जायगा तो और मसीबत िकसी की मतय होती तो कमारवती उस दखती जाती हई अथ को िनहारती और अपन मन को समझातीः बस यही ह शरीर का आिखरी अजाम जवानी म सभाला नही तो बढ़ाप म दःख भोग-भोगकर आिखर मरना ही ह राम राम राम म ऐसी नही बनगी म तो बनगी भगवान की जोिगन मीराबाई म तो मर पयार परमातमा को िरझाऊगी

कमारवती कभी वरा य की अि न म अपन को श करती ह कभी परमातमा क ःनह म भाव िवभोर हो जाती ह कभी पयार क िवयोग म आस बहाती ह तो कभी सनमन होकर बठी रहती ह मतय तो िकसी क घर होती ह और कमारवती क दय क पाप जलन लगत ह उसक िच म िवलािसता की मौत हो जाती ह ससारी तचछ आकषरणो का दम घट जाता ह और दय म भगवदभि का िदया जगमगा उठता ह

िकसी की मतय होन पर भी कमारवती क दय म भि का िदया जगमगान लगता और िकसी की शादी हो तब भी भि का िदया ही जगमगाता वह ऐसी भावना करती िक

म ऐस वर को कयो वर जो उपज और मर जाय म तो वर मर िगरधर गोपाल को मरो चडलो अमर हो जाय

मीरा न इसी भाव को कटाकर दहराकर अपन जीवन को धनय कर िलया था कमारवती न भगवदभि की मिहमा सन रखी थी िक एक ा ण यवक था उसन अपना ःवभावजनय

कमर नही िकया कवल िवलासी और दराचारी जीवन िजया जो आया सो खाया जसा चाहा वसा भोगा ककमर िकय वह मरकर दसर जनम म बल बना और िकसी िभखारी क हाथ लगा वह िभखारी बल पर सवारी करता और बःती म घम-िफरकर भीख मागकर अपना गजारा चलाता

दःख सहत-सहत बल बढ़ा हो गया उसक शरीर की शि कषीण हो गयी वह अब बोझ ढोन क कािबल नही रहा िभखारी न बल को छोड़ िदया रोज-रोज वयथर म चारा कहा स िखलाय भखा पयासा बल इधर-उधर

भटकन लगा कभी कही कछ रखा-सखा िमल जाता तो खा लता कभी लोगो क डणड खाकर ही रह जाना पड़ता

बािरश क िदन आय बल कही कीचड़ क ग ड म उतर गया और फस गया उसकी रगो म ताकत तो थी नही िफर वही छटपटान लगा तो और गहराई म उतरन लगा पीठ की चमड़ी फट गयी लाल धबब िदखाई दन लग अब ऊपर स कौए चोच मारन लग मिकखया िभनिभनान लगी िनःतज थका मादा हारा हआ वह बढ़ा बल अगल जनम म खब मज कर चका था अब उनकी सजा भोग रहा ह अब तो ाण िनकल तभी छटकारा हो वहा स गजरत हए लोग दया खात िक बचारा बल िकतना दःखी ह ह भगवान इसकी सदगित हो जाय िकतना दःखी ह ह भगवान इसकी सदगित हो जाय व लोग अपन छोट-मोट पणय दान करत िफर भी बल की सदगित नही होती थी

कई लोगो न बल को ग ड स बाहर िनकालन की कोिशश की पछ मरोड़ी सीगो म रःसी बाधकर खीचा-तानी की लिकन कोई लाभ नही व बचार बल को और परशान करक थककर चल गय

एक िदन कछ बड़-बढ़ लोग आय और िवचार करन लग िक बल क ाण नही िनकल रह ह कया िकया जाय लोगो की भीड़ इकटठी हो गयी उस टोल म एक वया भी थी वया न कछ अचछा सकलप िकया

वह हर रोज तोत क मह स टटी-फटी गीता सनती समझती तो नही िफर भी भगवदगीता क ोक तो सनती थी भगवदगीता आतमजञान दती ह आतमबल जगाती ह गीता वदो का अमत ह उपिनषदरपी गायो को दोहकर गोपालननदन ौीकणरपी वाल न गीतारपी द धामत अजरन को िपलाया ह यह पावन गीता हर रोज सबह िपजर म बठा हआ तोतो बोलता था वह सनती थी वया न इस गीता-ौवण का पणय बल की सदगित क िलए अपरण िकया

जस ही वया न सकलप िकया िक बल क ाण-पखर उड़ गय उसी पणय क भाव स वह बल सोमशमार नामक ा ण क घर बालक होकर पदा हआ बालक जब 6 साल का हआ तो उसक यजञोपवीत आिद सःकार िकय गय माता-िपता न कल-धमर क पिवऽ सःकार िकय गय माता-िपता न कल-धमर क पिवऽ सःकार िदय उसकी रिच धयान-भजन म लगी वह आसन ाणायाम धयाना यास आिद करन लगा उसन योग म तीोता स गित कर ली और 18 साल की उ म धयान क ारा अपना पवरजनम जान िलया उसको आ यर हआ िक ऐसा कौन-सा पणय उस बाई न अपरण िकया िजसस मझ बल की नारकीय अवःथा स मि िमली व जप-तप करन वाल पिवऽ ा ण क घर जनम िमला

ा ण यवक पहचा वया क घर वया अब तक बढ़ी हो चकी थी वह अपन कतयो पर पछतावा करन लगी थी अपन ार पर ा ण कमार को आया दखकर उसन कहाः

मन कई जवानो की िजनदगी बरबाद की ह म पाप-च ाओ म गरक रहत-रहत बढ़ी हो गयी ह त ा ण का पऽ मर ार पर आत तझ शमर नही आती

म ा ण का पऽ जरर ह पर िवकारी और पाप की िनगाह स नही आया ह माताजी म तमको णाम करक पछन आया ह िक तमन कौन सा पणय िकया ह

भाई म तो वया ठहरी मन कोई पणय नही िकया ह

उननीस साल पहल िकसी बल को कछ पणय अपरण िकया था

हा ःमरण म आ रहा ह कोई बढ़ा बल परशान हो रहा था ाण नही छट रह थ बचार क मझ बहत दया आयी मर और तो कोई पणय थ नही िकसी ा ण क घर म चोर चोरी करक आय थ उस सामान म तोत का एक िपजरा भी था जो मर यहा छोड़ गय उस ा ण न तोत को ौीमदभगवदगीता क कछ ोक रटाय थ वह म सनती थी उसी का पणय उस बल को अपरण िकया था

ा ण कमार को ऐसा लगा िक यिद भगवदगीता का अथर समझ िबना कवल उसका ौवण ही इतना लाभ कर सकता ह तो उसका मनन और िनिदधयासन करक गीता-जञान पचाया जाय तो िकतना लाभ हो सकता ह वह पणर शि स चल पड़ा गीता-जञान को जीवन म उतारन क िलए

कमारवती को जब गीता-माहातमय की यह कथा सनन को िमली तो उसन भी गीता का अधययन शर कर िदया भगवदगीता म तो ाणबल ह िहममत ह शि ह कमारवती क दय म भगवान ौीकण क िलए पयार पदा हो गया उसन पककी गाठ बाध ली िक कछ भी हो जाय म उस बाक िबहारी क आतम-धयान को ही अपना जीवन बना लगी गरदव क जञान को परा पचा लगी म ससार की भटठी म पच-पचकर मरगी नही म तो परमातम-रस क घट पीत-पीत अमर हो जाऊगी

कमारवती न ऐसा नही िकया िक गाठ बाध ली और िफर रख दी िकनार नही एक बार दढ़ िन य कर िलया तो हर रोज सबह उस िन य को दहराती अपन लआय का बार-बार ःमरण करती और अपन आपस कहा करती िक मझ ऐसा बनना ह िदन-ितिदन उसका िन य और मजबत होता गया

कोई एक बार िनणरय कर ल और िफर अपन िनणरय को भल जाय तो उस िनणरय की कोई कीमत नही रहती िनणरय करक हर रोज उस याद करना चािहए उस दहराना चािहए िक हम ऐसा बनना ह कछ भी हो जाय िन य स हटना नही ह

हम रोक सक य जमान म दम नही हमस जमाना ह जमान स हम नही

पाच वषर क ीव न िनणरय कर िलया तो िव िनयता िव र को लाकर खड़ा कर िदया ाद न िनणरय कर िलया तो ःतभ म स भगवान निसह को कट होना पड़ा मीरा न िनणरय कर िलया तो मीरा भि म सफल हो गयी

ातः ःमरणीय परम पजय ःवामी ौी लीलाशाहजी बाप न िनणरय कर िलया तो जञान म पारगत हो गय हम अगर िनणरय कर तो हम कयो सफल नही होग जो साधक अपन साधन-भजन करन क पिवऽ ःथान म ा महतर क पावन काल म महान बनन क िनणरय को बार-बार दहरात ह उनको महान होन स दिनया की कोई ताकत रोक नही सकती

कमारवती 18 साल की हई भीतर स जो पावन सकलप िकया था उस पर वह भीतर-ही-भीतर अिडग होती चली गयी वह अपना िनणरय िकसी को बताती नही थी चार नही करती थी हवाई गबबार नही उड़ाया करती थी अिपत सतसकलप की नीव म साधना का जल िसचन िकया करती थी

कई भोली-भाली मखर बिचचया ऐसी होती ह िजनहोन दो चार स ाह धयान-भजन िकया दो चार महीन साधना की और िचललान लग गयी िक म अब शादी नही करगी म अब साधवी बन जाऊगी सनयािसनी बन जाऊगी साधना करगी साधन-भजन की शि बढ़न क पहल ही िचललान लग गयी

व ही बिचचया दो-चार साल बाद मर पास आयी दखा तो उनहोन शादी कर ली थी और अपना ननहा-मनना बटा-बटी ल आकर मझस आशीवारद माग रही थी िक मर बचच को आशीवारद द िक इसका कलयाण हो

मन कहाः अर त तो बोलती थी शादी नही करगी सनयास लगी साधना करगी और िफर यह ससार का झमला

साधना की कवल बात मत करो काम करो बाहर घोषणा मत करो भीतर-ही-भीतर पिरपकव बनत जाओ जस ःवाित नकषऽ म आकाश स िगरती जल की बद को पका-पकाकर मोती बना दती ह ऐस ही तम भी अपनी भि की कजी ग रखकर भीतर-ही-भीतर उसकी शि को बढ़न दो साधना की बात िकसी को बताओ नही जो अपन परम िहतषी हो भगवान क सचच भ हो ौ परष हो सदगर हो कवल उनस ही अपनी अतरग साधना की बात करो अतरग साधना क िवषय म पछो अपन आधयाितमक अनभव जािहर करन स साधना का ास होता ह और गोपय रखन स साधना म िदवयता आती ह

म जब घर म रहता था तब यि स साधन-भजन करता था और भाई को बोलता थाः थोड़ िदन भजन करन दो िफर दकान पर बठगा अभी अन ान चल रहा ह एक परा होता तो कहता अभी एक बाकी ह िफर थोड़ िदन दकान पर जाता िफर उसको बोलताः मझ कथा म जाना ह तो भाई िचढ़कर कहताः रोज-रोज ऐसा कहता ह सधरता नही म कहताः सधर जाऊगा

ऐसा करत-करत जब अपनी वि पककी हो गयी तब मन कह िदयाः म दकान पर नही बठगा जो करना हो सो कर लो यिद पहल स ही ऐस बगावत क शबद बोलता तो वह कान पकड़कर दकान पर बठा दता

मरी साधना को रोककर मझ अपन जसा ससारी बनान क िलए िरतदारो न कई उपाय आजमाय थ मझ फसला कर िसनमा िदखान ल जात िजसस ससार का रग लग जाय धयान-भजन की रिच न हो जाय िफर जलदी-जलदी शादी करा दी हम दोनो को कमर म बनद कर दत तािक भगवान स पयार न कर और ससारी हो जाऊ अहाहा ससारी लोग साधना स कस-कस िगरत-िगरात ह म भगवान स आतरभाव स ाथरना िकया करता िक ह भ मझ बचाओ आखो स झर-झर आस टपकत उस दयाल दव की कपा का वणरन नही कर सकता

म पहल भजन नही करता तो घरवाल बोलतः भजन करो भजन करो जब म भजन करन लगा तो लोग बोलन लगः रको रको इतना सारा भजन नही करो जो मा पहल बोलती थी िक धयान करो िफर वही बोलन लगी िक इतना धयान नही करो तरा भाई नाराज होता ह म तरी मा ह मरी आजञा मानो

अभी जहा भवय आौम ह वहा पहल ऐसा कछ नही था कटील झाड़-झखाड़ तथा भयावह वातावरण था वहा उस समय जब हम मोकष कटीर बना रह थ तब भाई मा को बहकाकर ल आया और बोलाः सात सात

साल चला गया था अब गरजी न भजा ह तो घर म रहो दकान पर बठो यहा जगल म किटया बनवा रह हो इतनी दर तमहार िलए रोज-रोज िटिफन कौन लायगा

मा भी कहन लगी म तमहारी मा ह न तम मात आजञा िशरोधायर करो यह ट वापस कर दो घर म आकर रहो भाई क साथ दकान पर बठा करो

यह मा की आजञा नही थी ममता की आजञा थी और भाई की चाबी भराई हई आजञा थी मा ऐसी आजञा नही दती

भाई मझ घर ल जान क िलए जोर मार रहा था भाभी भी कहन लगीः यहा उजाड़ कोतरो म अकल पड़ रहोग कया हर रोज मिणनगर स आपक भाई िटिफन लकर यहा आयग

मन कहाः ना ना आपका िटिफन हमको नही चािहए उस अपन पास ही रखो यहा आकर तो हजारो लोग भोजन करग हमारा िटिफन वहा स थोड़ ही मगवाना ह

उन लोगो को यही िचनता होती थी िक यह अकला यहा रहगा तो मिणनगर स इसक िलए खाना कौन लायगा उनको पता नही िक िजसक सात साल साधना म गय ह वह अकला नही ह िव र उसक साथ ह बचार ससािरयो की बि अपन ढग की होती ह

मा मझ दोपहर को समझान आयी थी उसक िदल म ममता थी यहा पर कोई पड़ नही था बठन की जगह नही थी छोट-बड़ ग ड थ जहा मोकष कटीर बनी ह वहा िखजड़ का पड़ थाष वहा लोग दार िछपात थ कसी-कसी िवकट पिरिःथितया थी लिकन हमन िनणरय कर िलया था िक कछ भी हो हम तो अपनी राम-नाम की शराब िपयग िपलायग ऐस ही कमारवती न भी िनणरय कर िलया था लिकन उस भीतर िछपाय थी जगत भि नही और करन द नही दिनया दोरगी ह

दिनया कह म दरगी पल म पलटी जाऊ सख म जो सोत रह वा को दःखी बनाऊ

आतमजञान या आतमसाकषातकार तो बहत ऊची चीज होती ह त वजञानी क आग भगवान कभी अकट रहता ही नही आतमसाकषातकारी तो ःवय भगवतःवरप हो जात ह व भगवान को बलात नही व जानत ह िक रोम-रोम म अनत-अनत ाणडो म जो ठोस भरा ह वह अपन दय म भी ह जञानी अपन दय म ई र को जगा लत ह ःवय ई रःवरप बन जात ह व पकक गर क चल होत ह ऐस वस नही होत

कमारवती 18 साल की हई उसका साधन-भजन ठीक स आग बढ़ रहा था बटी उ लायक होन स िपता परशरामजी को भी िचनता होन लगी िक इस कनया को भि का रग लग गया ह यिद शादी क िलए ना बोल दगी तो ऐसी बातो म मयारदा शमर सकोच खानदानी क यालो का वह जमाना था कमारवती की इचछा न होत हए भी िपता न उसकी मगनी करा दी कमारवती कछ नही बोल पायी

शादी का िदन नजदीक आन लगा वह रोज परमातमा स ाथरना करन लगी और सोचन लगीः मरा सकलप तो ह परमातमा को पान का ई र क धयान म तललीन रहन का शादी हो जायगी तो ससार क कीचड़ म फस मरगी अगल कई जनमो म भी मर कई पित होग माता िपता होग सास- सर होग उनम स िकसी

न मतय स नही छड़ाया मझ अकल ही मरना पड़ा अकल ही माता क गभर म उलटा होकर लटकना पड़ा इस बार भी मर पिरवारवाल मझ मतय स नही बचायग

मतय आकर जब मनय को मार डालती ह तब पिरवाल सह लत ह कछ कर नही पात चप हो जात ह यिद मतय स सदा क िलए पीछा छड़ानवाल ई र क राःत पर चलत ह तो कोई जान नही दता

ह भ कया तरी लीला ह म तझ नही पहचानती लिकन त मझ जानता ह न म तमहारी ह ह सि कतार त जो भी ह जसा भी ह मर दय म सतरणा द

इस कार भीतर-ही-भीतर भगवान स ाथरना करक कमारवती शात हो जाती तो भीतर स आवाज आतीः िहममत रखो डरो नही परषाथर करो म सदा तमहार साथ ह कमारवती को कछ तसलली-सी िमल जाती

शादी का िदन नजदीक आन लगा तो कमारवती िफर सोचन लगीः म कवारी लड़की स ाह क बाद शादी हो जायगी मझ घसीट क ससराल ल जायग अब मरा कया होगा ऐसा सोचकर वह बचारी रो पड़ती अपन पजा क कमर म रोत-रोत ाथरना करती आस बहाती उसक दय पर जो गजरता था उस वह जानती थी और दसरा जानता था परमातमा

शादी को अब छः िदन बच पाच िदन बच चार िदन बच जस कोई फासी की सजा पाया हआ कदी फासी की तारीख सनकर िदन िगन रहा हो ऐस ही वह िदन िगन रही थी

शादी क समय कनया को व ाभषण स गहन-अलकारो स सजाया जाता ह उसकी शसा की जाती ह कमारवती यह सब सासािरक तरीक समझत हए सोच रही थी िक जस बल को पचकार कर गाड़ी म जोता जाता ह ऊट को पचकार कर ऊटगाड़ी म जोता जाता ह भस को पचकार कर भसगाड़ी म जोता जाता ह ाणी को फसलाकर िशकार िकया जाता ह वस ही लोग मझ पचकार-पचकार कर अपना मनमाना मझस करवा लग मरी िजनदगी स खलग

ह परमातमा ह भ जीवन इन ससारी पतलो क िलए नही तर िलय िमला ह ह नाथ मरा जीवन तर काम आ जाय तरी ाि म लग जाय ह दव ह दयाल ह जीवनदाता ऐस पकारत-पकारत कमारवती कमारवती नही रहती थी ई र की पऽी हो जाती थी िजस कमर म बठकर वह भ क िलए रोया करती थी आस बहाया करती थी िजस कमर म बठकर वह भ क िलए रोया करती थी आस बढ़ाया करती थी वह कमरा भी िकतना पावन हो गया होगा

शादी क अब तीन िदन बच थ दो िदन बच थ रात को नीद नही िदन को चन नही रोत-रोत आख लाल हो गयी मा पचकारती भाभी िदलासा दती और भाई िरझाता लिकन कमारवती समझती िक यह सारा पचकार बल को गाड़ी म जोतन क िलए ह यह सारा ःनह ससार क घट म उतारन क िलए ह

ह भगवान म असहाय ह िनबरल ह ह िनबरल क बल राम मझ सतरणा द मझ सनमागर िदखा

कमारवती की आखो म आस ह दय म भावनाए छलक रही ह और बि म ि धा हः कया कर शादी को इनकार तो कर नही सकती मरा ी शरीर कया िकया जाय

भीतर स आवाज आयीः त अपन क ी मत मान अपन को लड़की मत मान त अपन को भगवदभ मान आतमा मान अपन को ी मानकर कब तक खद को कोसती रहगी अपन को परष मान कर कब तक बोझा ढोती रहगी मन यतव तो तमहारा चोला ह शरीर का एक ढाचा ह तरा कोई आकार नही ह त तो िनराकार बलःवरप आतमा ह जब-जब त चाहगी तब-तब तरा मागरदशरन होता रहगा िहममत मत हार परषाथर परम दव ह हजार िव न-बाधाए आ जाय िफर भी अपन परषाथर स नही हटना

तम साधना क मागर पर चलत हो तो जो भी इनकार करत ह पराय लगत ह शऽ जस लगत ह व भी जब तम साधना म उननत होग जञान म उननत होग तब तमको अपना मानन लग जायग शऽ भी िमऽ बन जायग कई महापरषो का यह अनभव हः

आधी और तफान हमको न रोक पाय मरन क सब इराद जीन क काम आय हम भी ह तमहार कहन लग पराय

कमारवती को भीतर स िहममत िमली अब शादी को एक ही िदन बाकी रहा सयर ढलगा शाम होगी राऽी होगी िफर सय दय होगा और शादी का िदन इतन ही घणट बीच म अब समय नही गवाना ह रात सोकर या रोकर नही गवानी ह आज की रात जीवन या मौत की िनणारयक रात होगी

कमारवती न पकका िनणरय कर िलयाः चाह कछ भी हो जाय कल सबह बारात क घर क ार पर आय उसक पहल यहा स भागना पड़गा बस यही एक मागर ह यही आिखरी फसला ह

कषण िमनट और घणट बीत रह थ पिरवार वाल लोग शादी की जोरदार तयािरया कर रह थ कल सबह बारात का सतकार करना था इसका इतजाम हो रहा था कई सग-समबनथी-महमान घर पर आय हए थ कमारवती अपन कमर म यथायो य मौक क इतजार म घणट िगन रही थी

दोपहर ही शाम हई सयर ढला कल क िलए परी तयािरया हो चकी थी रािऽ का भोजन हआ िदन क पिरौम स थक लोग रािऽ को दरी स िबःतर पर लट गय िदन भर जहा शोरगल मचा था वहा शाित छा गयी

यारह बज दीवार की घड़ी न डक बजाय िफर िटक िटक िटक िटककषण िमनट म बदल रही ह घड़ी का काटा आग सरक रहा ह सवा यारह साढ़ यारह िफर राऽी क नीरव वातावरण म घड़ी का एक डका सनाई पड़ा िटकिटकिटक पौन बारह घड़ी आग बढ़ी पनिह िमनट और बीत बारह बज घड़ी न बारह डक बजाना शर िकया कमारवती िगनन लगीः एक दो तीन चार दस यारह बारह

अब समय हो गया कमारवती उठी जाच िलया िक घर म सब नीद म खरारट भर रह ह पजा घर म बाकिबहारी कण कनहया को णाम िकया आस भरी आखो स उस एकटक िनहारा भाविवभोर होकर अपन पयार परमातमा क रप को गल लगा िलया और बोलीः अब म आ रही ह तर ार मर लाला

चपक स ार खोला दब पाव घर स बाहर िनकली उसन आजमाया िक आगन म भी कोई जागता नही ह कमारवती आग बढ़ी आगन छोड़कर गली म आ गयी िफर सरारट स भागन लगी वह गिलया पार

करती हई रािऽ क अधकार म अपन को छपाती नगर स बाहर िनकल गयी और जगल का राःता पकड़ िलया अब तो वह दौड़न लगी थी घरवाल ससार क कीचड़ म उतार उसक पहल बाक िबहारी िगरधर गोपाल क धाम म उस पहच जाना था वनदावन कभी दखा नही था उसक मागर का भी उस पता नही था लिकन सन रखा था िक इस िदशा म ह

कमारवती भागती जा रही ह कोई दख लगा अथवा घर म पता चल जायगा तो लोग खजान िनकल पड़ग पकड़ी जाऊगी तो सब मामला चौपट हो जायगा ससारी माता-िपता इजजत-आबर का याल करक शादी कराक ही रहग चौकी पहरा िबठा दग िफर छटन का कोई उपाय नही रहगा इस िवचार स कमारवती क परो म ताकत आ गयी वह मानो उड़न लगी ऐस भागी ऐस भागी िक बस मानो बदक लकर कोई उसक पीछ पड़ा हो

सबह हई उधर घर म पता चला िक कमारवती गायब ह अर आज तो हकक-बकक स हो गय इधर-उधर छानबीन की पछताछ की कोई पता नही चला सब दःखी हो गय परशराम भ थ मा भी भ थी िफर भी उन लोगो को समाज म रहना था उनह खानदानी इजजत-आबर की िचनता थी घर म वातावरण िचिनतत बन गया िक बारातवालो को कया मह िदखायग कया जवाब दग समाज क लोग कया कहग

िफर भी माता-िपता क दय म एक बात की तसलली थी िक हमारी बचची िकसी गलत राःत पर नही गयी ह जा ही नही सकती उसका ःवभाव उसक सःकार व अचछी तरह जानत थ कमारवती भगवान की भ थी कोई गलत मागर लन का वह सोच ही नही सकती थी आजकल तो कई लड़िकया अपन यार-दोःत क साथ पलायन हो जाती ह कमारवती ऐसी पािपनी नही थी

परशराम सोचत ह िक बटी परमातमा क िलए ही भागी होगी िफर भी कया कर इजजत का सवाल ह राजपरोिहत क खानदान म ऐसा हो कया िकया जाय आिखर उनहोन अपन मािलक शखावत सरदार की शरण ली दःखी ःवर म कहाः मरी जवान बटी भगवान की खोज म रातोरात कही चली गयी ह आप मरी सहायता कर मरी इजजत का सवाल ह

सरदार परशराम क ःवभाव स पिरिचत थ उनहोन अपन घड़सवार िसपािहयो को चह ओर कमारवती की खोज म दौड़ाया घोषणा कर दी िक जगल-झािड़यो म मठ-मिदरो म पहाड़-कदराओ म गरकल-आौमो म ETH सब जगह तलाश करो कही स भी कमारवती को खोज कर लाओ जो कमारवती को खोजकर ल आयगा उस दस हजार मिाय इनाम म दी जायगी

घड़सवार चारो िदशा म भाग िजस िदशा म कमारवती भागी थी उस िदशा म घड़सवारो की एक टकड़ी चल पड़ी सय दय हो रहा था धरती पर स रािऽ न अपना आचल उठा िलया था कमारवती भागी जा रही थी भात क काश म थोड़ी िचिनतत भी हई िक कोई खोजन आयगा तो आसानी स िदख जाऊगी पकड़ी जाऊगी वह वीरागना भागी जा रही ह और बार-बार पीछ मड़कर दख रही ह

दर-दर दखा तो पीछ राःत म धल उड़ रही थी कछ ही दर म घड़सवारो की एक टकड़ी आती हई िदखाई दी वह सोच रही हः ह भगवान अब कया कर जरर य लोग मझ पकड़न आ रह ह िसपािहयो क

आग मझ िनबरल बािलका कया चलगा चहओर उजाला छा गया ह अब तो घोड़ो की आवाज भी सनाई पड़ रही ह कछ ही दर म व लोग आ जायग सोचन का भी समय अब नही रहा

कमारवती न दखाः राःत क िकनार मरा हआ एक ऊट पड़ा था िपछल िदन ही मरा था और रात को िसयारो न उसक पट का मास खाकर पट की जगह पर पोल बना िदया था कमारवती क िच म अनायास एक िवचार आया उसन कषणभर म सोच िलया िक इस मर हए ऊट क खाली पट म छप जाऊ तो उन काितलो स बच सकती ह वह मर हए सड़ हए बदब मारनवाल ऊट क पट म घस गयी

घड़सवार की टकड़ी राःत क इदरिगदर पड़-झाड़ी-झाखड़ िछपन जस सब ःथानो की तलाश करती हई वहा आ पहची िसपाही मर हए ऊट क पाय आय तो भयकर दगरनध व अपना नाक-मह िसकोड़त बदब स बचन क िलए आग बह गय वहा तलाश करन जसा था भी कया

कमारवती ऐसी िसर चकरा दन वाली बदब क बीच छपी थी उसका िववक बोल रहा था िक ससार क िवकारो की बदब स तो इस मर हए ऊट की बदब बहत अचछी ह ससार क काम बोध लोभ मोह मद मतसर की जीवनपयरनत की गनदगी स तो यह दो िदन की गनदगी अचछी ह ससार की गनदगी तो हजारो जनमो की गनदगी म ऽःत करगी हजारो-लाखो बार बदबवाल अगो स गजरना पड़गा कसी-कसी योिनयो म जनम लना पड़गा म वहा स अपनी इचछा क मतािबक बाहर नही िनकल सकती ऊट क शरीर स म कम-स-कम अपनी इचछानसार बाहर तो िनकल जाऊगी

कमारवती को मर हए सड़ चक ऊट क पट क पोल की वह बदब इतनी बरी नही लगी िजतनी बरी ससार क िवकारो की बदब लगी िकतनी बि मान रही होगी वह बटी

कमारवती पकड़ जान क डर स उसी पोल म एक िदन दो िदन तीन िदन तक पड़ी रही जलदबाजी करन स शायद मसीबत आ जाय घड़सवार खब दर तक चककर लगाकर दौड़त हाफत िनराश होकर वापस उसी राःत स गजर रह थ व आपस म बातचीत कर रह थ िक भाई वह तो मर गयी होगी िकसी कए या तालाब म िगर गयी होगी अब उसका हाथ लगना मिकल ह पोल म पड़ी कमारवती य बात सन रही थी

िसपाही दर-दर चल गय कमारवती को पता चला िफर भी दो-चार घणट और पड़ी रही शाम ढली राऽी हई चह ओर अधरा छा गया जब जगल म िसयार बोलन लग तब कमारवती बाहर िनकली उसन इधर-उधर दख िलया कोई नही था भगवान को धनयवाद िदया िफर भागना शर िकया भयावह जगलो स गजरत हए िहसक ािणयो की डरावनी आवाज सनती कमारवती आग बढ़ी जा रही थी उस वीर बािलका को िजतना ससार का भय था उतना बर ािणयो का भय नही था वह समझती थी िक म भगवान की ह और भगवान मर ह जो िहसक ाणी ह व भी तो भगवान क ही ह उनम भी मरा परमातमा ह वह परमातमा ािणयो को मझ खा जान की रणा थोड़ ही दगा मझ िछप जान क िलए िजस परमातमा न मर हए ऊट की पोल दी िसपािहयो का रख बदल िदया वह परमातमा आग भी मरी रकषा करगा नही तो यह कहा राःत क िकनार ही ऊट का मरना िसयारो का मास खाना पोल बनना मर िलए घर बन जाना घर म घर िजसन बना िदया वह परम कपाल परमातमा मरा पालक और रकषक ह

ऐसा दढ़ िन य कर कमारवती भागी जा रही ह चार िदन की भखी-पयासी वह सकमार बािलका भख-पयास को भलकर अपन गनतवय ःथान की तरफ दौड़ रही ह कभी कही झरना िमल जाता तो पानी पी लती कोई जगली फल िमल तो खा लती कभी-कभी पड़ क प ही चबाकर कषधा-िनवि का एहसास कर लती

आिखर वह परम भि बािलका वनदावन पहची सोचा िक इसी वश म रहगी तो मर इलाक क लोग पहचान लग समझायग साथ चलन का आमह करग नही मानगी जबरन पकड़कर ल जायग इसस अपन को छपाना अित आवयक ह कमारवती न वश बदल िदया सादा फकीर-वश धारण कर िलया एक सादा त व गल म तलसी की माला ललाट पर ितलक वनदावन म रहनवाली और भि नो जसी भि न बन गयी

कमारवती क कटमबीजन वनदावन आय सवरऽ खोज की कोई पता नही चला बाकिबहारी क मिदर म रह सबह शाम छपकर तलाश की लिकन उन िदनो कमारवती मिदर म कयो जाय बि मान थी वह

वनदावन म कणड क पास एक साध रहत थ जहा भल-भटक लोग ही जात वह ऐसी जगह थी वहा कमारवती पड़ी रही वह अिधक समय धयानम न रहा करती भख लगती तब बाहर जाकर हाथ फला दती भगवान की पयारी बटी िभखारी क वश म टकड़ा खा लती

जयपर स भाई आया अनय कटमबीजन आय वनदावन म सब जगह खोजबीन की िनराश होकर सब लौट गय आिखर िपता राजपरोिहत परशराम ःवय आय उनह दय म परा यकीन था िक मरी कणिया बटी ौीकण क धाम क अलावा और कही न जा सकती ससःकारी भगवदभि म लीन अपनी सकोमल पयारी बचची क िलए िपता का दय बहत वयिथत था बटी की मगल भावनाओ को कछ-कछ समझनवाल परशराम का जीवन िनःसार-सा हो गया था उनहोन कस भी करक कमारवती को खोजन का दढ़ सकलप कर िलया कभी िकसी पड़ पर तो कभी िकसी पड़ पर चढ़कर मागर क पासवाल लोगो की चपक स िनगरानी रखत सबह स शाम तक राःत गजरत लोगो को धयानपवरक िनहारत िक शायद िकसी वश म िछपी हई अपनी लाडली का मख िदख जाय

पड़ो पर स एक साधवी को एक-एक भि न को भ का वश धारण िकय हए एक-एक वयि को परशराम बारीकी स िनहारत सबह स शाम तक उनकी यही वि रहती कई िदनो क उनका तप भी फल गया आिखर एक िदन कमारवती िपता की जासस दि म आ ही गयी परशराम झटपट पड़ स नीच उतर और वातसलय भाव स रध हए दय स बटी बटी कहत हए कमारवती का हाथ पकड़ िलया िपता का ःनिहल दय आखो क मागर स बहन लगा कमारवती की िःथित कछ और ही थी ई रीय मागर म ईमानदारी स कदम बढ़ानवाली वह सािधका तीो िववक-वरा यवान हो चली थी लौिकक मोह-ममता स समबनधो स ऊपर उठ चकी थी िपता की ःनह-वातसलयरपी सवणरमय जजीर भी उस बाधन म समथर नही थी िपता क हाथ स अपना हाथ छड़ात हए बोलीः

म तो आपकी बटी नही ह म तो ई र की बटी ह आपक वहा तो कवल आयी थी कछ समय क िलए गजरी थी आपक घर स अगल जनमो म भी म िकसी की बटी थी उसक पहल भी िकसी की बटी थी हर जनम म बटी कहन वाल बाप िमलत रह ह मा कहन वाल बट िमलत रह ह प ी कहन वाल पित िमलत

रह ह आिखर म कोई अपना नही रहता ह िजसकी स ा स अपना कहा जाता ह िजसस यह शरीर िटकता ह वह आतमा-परमातमा व ौीकण ही अपन ह बाकी सब धोखा-ही-धोखा ह ETH सब मायाजाल ह

राजपरोिहत परशराम शा क अ यासी थ धमर मी थ सतो क सतसग म जाया करत थ उनह बटी की बात म िनिहत सतय को ःवीकार करना पड़ा चाह िपता हो चाह गर हो सतय बात तो सतय ही होती ह बाहर चाह कोई इनकार कर द िकत भीतर तो सतय असर करता ही ह

अपनी गणवान सतान क ित मोहवाल िपता का दय माना नही व इितहास पराण और शा ो म स उदाहरण ल-लकर कमारवती को समझान लग बटी को समझान क िलए राजपरोिहत न अपना परा पािडतय लगा िदया पर कमारवती िपता क िव तापणर सनत-सनत यही सोच रही थी िक िपता का मोह कस दर हो सक उसकी आखो म भगवदभाव क आस थ ललाट पर ितलक गल म तलसी की माला मख पर भि का ओज आ गया था वह आख बनद करक धयान िकया करती थी इसस आखो म तज और चमबकतव आ गया था िपता का मगल हो िपता का मर ित मोह न रह ऐसी भावना कर दय म दढ़ सकलप कर कमारवती न दो-चार बार िपता की तरफ िनहारा वह पिणडत तो नही थी लिकन जहा स हजारो-हजारो पिणडतो को स ा-ःफितर िमलती ह उस सवरस ाधीश का धयान िकया करती थी आिखर पिडतजी की पिडताई हार गयी और भ की भि जीत गयी परशराम को कहना पड़ाः बटी त सचमच मरी बटी नही ह ई र की बटी ह अचछा त खशी स भजन कर म तर िलए यहा किटया बनवा दता ह तर िलए एक सहावना आौम बनवा दता ह

नही नही कमारवती सावधान होकर बोलीः यहा आप किटया बनाय तो कल मा आयगी परसो भाई आयगा तरसो चाचा-चाची आयग िफर मामा-मामी आयग िफर स वह ससार चाल हो जायगा मझ यह माया नही बढ़ानी ह

कसा बचची का िववक ह कसा तीो वरा य ह कसा दढ़ सकलप ह कसी साधना सावधानी ह धनय ह कमारवती

परशराम िनराश होकर वापस लौट गय िफर भी दय म सतोष था िक मरा हकक का अनन था पिवऽ अनन था श आजीिवका थी तो मर बालक को भी नाहकर क िवकार और िवलास क बदल हकक ःवरप ई र की भि िमली ह मझ अपन पसीन की कमाई का बिढ़या फल िमला मरा कल उजजवल हआ वाह

परशराम अगर तथाकिथत धािमरक होत धमरभीर होत तो भगवान को उलाहना दतः भगवान मन तरी भि की जीवन म सचचाई स रहा और मरी लड़की घर छोड़कर चली गयी समाज म मरी इजजत लट गयी ऐसा िवचार कर िसर पीटत

परशराम धमरभीर नही थ धमरभीर यानी धमर स डरनवाल लोग ऐस लोग कई कार क वहमो म अपन को पीसत रहत ह

धमर कया ह ई र को पाना ही धमर ह और ससार को मरा मानना ससार क भोगो म पड़ना अधमर ह यह बात जो जानत ह व धमरवीर होत ह

परशराम बाहर स थोड़ उदास और भीतर स पर सत होकर घर लौट उनहोन राजा शखावत सरदार स बटी कमारवती की भि और वरा य की बात कही वह बड़ा भािवत हआ िशयभाव स वनदावन म आकर उसन कमारवती क चरणो म णाम िकया िफर हाथ जोड़कर आदरभाव स िवनीत ःवर म बोलाः

ह दवी ह जगदी री मझ सवा का मौका दो म सरदार होकर नही आया आपक िपता का ःवामी होकर नही आया आपक िपता का ःवामी हो कर नही आया अिपत आपका तचछ सवक बनकर आया ह कपया इनकार मत करना कणड पर आपक िलए छोटी-सी किटया बनवा दता ह मरी ाथरना को ठकराना नही

कमारवती न सरदार को अनमित द दी आज भी वनदावन म कणड क पास की वह किटया मौजद ह पहल अमत जसा पर बाद म िवष स बद र हो वह िवकारो का सख ह ारभ म किठन लग दःखद

लग बाद म अमत स भी बढ़कर हो वह भि का सख पान क िलए बहत किठनाइयो का सामना करना पड़ता ह कई कार की कसौिटया आती ह भ का जीवन इतना सादा सीधा-सरल आडमबररिहत होता ह िक बाहर स दखन वाल ससारी लोगो को दया आती हः बचारा भगत ह दःखी ह जब भि फलती ह तब व ही सखी िदखन वाल हजारो लोग उस भ - दय की कपा पाकर अपना जीवन धनय करत ह भगवान की भि की बड़ी मिहमा ह

जय हो भ तरी जय हो तर पयार भ ो की जय हो हम भी तरी पावन भि म डब जाय परम र ऐस पिवऽ िदन जलदी आय नारायण नारायण नारायण

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अनबम

वाःतिवक सौनदयर सौनदयर सबक जीवन की माग ह वाःतिवक सौनदयर उस नही कहत जो आकर चला जाय जो कभी

कषीण हो जाय न हो जाय वह सौनदयर नही ह ससारी लोग िजस सौनदयर बोलत ह वह हाड़-मास का सौनदयर तब तक अचछा लगता ह जब तक मन म िवकार होता ह अथवा तो तब तक अचछा लगता ह जब तक बाहरी रप-रग अचछा होता ह िफर तो लोग उसस भी मह मोड़ लत ह िकसी वयि या वःत का सौनदयर हमशा िटक नही सकता और परम सौनदयरःवरप परमातमा का सौनदयर कभी िमट नही सकता

एक राजकमारी थी वह सनदर सयमी एव सदाचारी थी तथा सदमनथो का पठन भी करती थी उस राजकमारी की िनजी सवा म एक िवधवा दासी रखी गयी थी उस दासी क साथ राजकमारी दासी जसा नही बिलक व ा मा जसा वयवहार करती थी

एक िदन िकसी कारणवशात उस दासी का 20-22 साल का यवान पऽ राजमहल म अपनी मा क पास आया वहा उसन राजकमारी को भी दखा राजकमारी भी करीब 18-21 साल की थी सनदरता तो मानो उसम

कट-कट कर भरी थी राजकमारी का ऐसा सौनदयर दखकर दासीपऽ अतयत मोिहत हो गया वह कामपीिड़त होकर वापस लौटा

जब दासी अपन घर गयी तो दखा िक अपना पऽ मह लटकाय बठा ह दासी क बहत पछन पर लड़का बोलाः मरी शादी तम उस राजकमारी क साथ करवा दो

दासीः तरी मित तो नही मारी गयी कहा त िवधवा दासी का पऽ और कहा वह राजकमारी राजा को पता चलगा तो तझ फासी पर लटका दग

लड़काः वह सब म नही जानता जब तक मरी शादी राजकमारी क साथ नही होगी तब तक म अनन का एक दाना भी खाऊगा

उसन कमस खाली एक िदन दो िदन तीन िदन ऐसा करत-करत पाच िदन बीत गय उसन न कछ खाया न कछ िपया दासी समझात-समझात थक गयी बचारी का एक ही सहारा था पित तो जवानी म ही चल बसा था और एक-एक करक दो पऽ भी मर गय थ बस यह ही लड़का था वह भी ऐसी हठ लकर बठ गया

समझदार राजकमारी न भाप िलया िक दासी उदास-उदास रहती ह जरर उस कोई परशानी सता रही ह राजकमारी न दासी स पछाः सच बताओ कया बात ह आजकल तम बड़ी खोयी-खोयी-सी रहती हो

दासीः राजकमारीजी यिद म आपको मरी वयथा बता द तो आप मझ और मर बट को राजय स बाहर िनकलवा दगी

ऐसा कहकर दासी फट-फटकर रोन लगी राजकमारीः म तमह वचन दती ह तमह और तमहार बट को कोई सजा नही दगी अब तो बताओ

दासीः आपको दखकर मरा लड़का अनिधकारी माग करता ह िक शादी करगा तो इस सनदरी स ही करगा और जब तक शादी नही होती तब तक भोजन नही करगा आज पाच िदन स उसन खाना-पीना छोड़ रखा ह म तो समझा-समझाकर थक गयी

राजकमारीः िचनता मत करो तम कल उसको मर पास भज दना म उसकी वाःतिवक शादी करवा दगी

लड़का खश होकर पहच गया राजकमारी स िमलन राजकमारी न उसस कहाः मझस शादी करना चाहता ह

जी हा

आिखर िकस वजह स

तमहार मोहक सौनदयर को दखकर म घायल हो गया ह

अचछा तो त मर सौनदयर की वजह स मझस शादी करना चाहता ह यिद म तझ 80-90 ितशत सौनदयर द द तो तझ ति होगी 10 ितशत सौनदयर मर पास रह जायगा तो तझ ति होगी 10 ितशत सौनदयर मर पास रह जायगा तो तझ चलगा न

हा चलगा

ठीक ह तो कल दोपहर को आ जाना

राजकमारी न रात को जमालगोट का जलाब ल िलया िजसस रािऽ को दो बज जलाब क कारण हाजत तीो हो गयी पर पट की सफाई करक सारा कचरा बाहर राजकमारी न सनदर नककाशीदार कणड म अपन पट का वह कचरा डाल िदया कछ समय बाद उस िफर स हाजत हई तो इस बार जरीकाम और मलमल स ससिजजत कड म राजकमारी न कचरा उतार िदया दोनो कडो को चारपाई क एक-एक पाय क पास रख िदया उसक बाद िफर स एक बार जमालघोट का जलाब ल िलया तीसरा दःत तीसर कणड म िकया बाकी का थोड़ा-बहत जो बचा हआ मल था िव ा थी उस चौथी बार म चौथ कड म िनकाल िदया इन दो कडो को भी चारपाई क दो पायो क पास म रख िदया

एक ही रात जमालगोट क कारण राजकमारी का चहरा उतर गया शरीर खोखला सा हो गया राजकमारी की आख उतर गयी गालो की लाली उड़ गयी शरीर एकदम कमजोर पड़ गया

दसर िदन दोपहर को वह लड़का खश होता हआ राजमहल म आया और अपनी मा स पछन लगाः कहा ह राजकमारी जी

दासीः वह सोयी ह चारपाई पर

राजकमारी क नजदीक जान स उसका उतरा हआ मह दखकर दासीपऽ को आशका हई ठीक स दखा तो च क पड़ा और बोलाः

अर तमह या कया हो गया तमहारा चहरा इतना फीका कयो पड़ गया ह तमहारा सौनदयर कहा चला गया

राजकमारी न बहत धीमी आवाज म कहाः मन तझ कहा था न िक म तझ अपना 90 ितशत सौनदयर दगी अतः मन सौनदयर िनकालकर रखा ह

कहा ह आिखर तो दासीपऽ था बि मोटी थी इस चारपाई क पास चार कड ह पहल कड म 50 ितशत दसर म 25 ितशत सौनदयर दगी अतः

मन सौनदयर िनकालकर रखा ह

कहा ह आिखर तो दासीपऽ था बि मोटी थी इस चारपाई क पास चार कड ह पहल कड म 50 ितशत दसर म 25 ितशत तीसर कड म 10

ितशत और चौथ म 5-6 ितशत सौनदयर आ चका ह

मरा सौनदयर ह रािऽ क दो बज स सभालकर कर रखा ह

दासीपऽ हरान हो गया वह कछ समझ नही पा रहा था राजकमारी न दासी पऽ का िववक जागत हो इस कार उस समझात हए कहाः जस सशोिभत कड म िव ा ह ऐस ही चमड़ स ढक हए इस शरीर म यही सब कचरा भरा हआ ह हाड़-मास क िजस शरीर म तमह सौनदयर नज़र आ रहा था उस एक जमालगोटा ही न कर डालता ह मल-मऽ स भर इस शरीर का जो सौनदयर ह वह वाःतिवक सौनदयर नही ह लिकन इस मल-मऽािद को भी सौनदयर का रप दन वाला वह परमातमा ही वाःतव म सबस सनदर ह भया त उस सौनदयरवान परमातमा को पान क िलए आग बढ़ इस शरीर म कया रखा ह

दासीपऽ की आख खल गयी राजकमारी को गर मानकर और मा को णाम करक वह सचच सौनदयर की खोज म िनकल पड़ा आतम-अमत को पीन वाल सतो क ार पर रहा और परम सौनदयर को ा करक जीवनम हो गया

कछ समय बाद वही भतपवर दासी पऽ घमता-घामता अपन नगर की ओर आया और सिरता िकनार एक झोपड़ी बनाकर रहन लगा खराब बात फलाना बहत आसान ह िकत अचछी बात सतसग की बात बहत पिरौम और सतय माग लती ह नगर म कोई हीरो या हीरोइन आती ह तो हवा की लहर क साथ समाचार पर नगर म फल जाता ह लिकन एक साध एक सत अपन नगर म आय हए ह ऐस समाचार िकसी को जलदी नही िमलत

दासीपऽ म स महापरष बन हए उन सत क बार म भी शरआत म िकसी को पता नही चला परत बाद म धीर-धीर बात फलन लगी बात फलत-फलत राजदरबार तक पहची िक नगर म कोई बड़ महातमा पधार हए ह उनकी िनगाहो म िदवय आकषरण ह उनक दशरन स लोगो को शाित िमलती ह

राजा न यह बात राजकमारी स कही राजा तो अपन राजकाज म ही वयःत रहा लिकन राजकमारी आधयाितमक थी दासी को साथ म लकर वह महातमा क दशरन करन गयी

पप-चदन आिद लकर राजकमारी वहा पहची दासीपऽ को घर छोड़ 4-5 वषर बीत गय थ वश बदल गया था समझ बदल चकी थी इस कारण लोग तो उन महातमा को नही जान पाय लिकन राजकमारी भी नही पहचान पायी जस ही राजकमारी महातमा को णाम करन गयी िक अचानक व महातमा राजकमारी को पहचान गय जलदी स नीच आकर उनहोन ःवय राजकमारी क चरणो म िगरकर दडवत णाम िकया

राजकमारीः अर अर यह आप कया रह ह महाराज

दवी आप ही मरी थम गर ह म तो आपक हाड़-मास क सौनदयर क पीछ पड़ा था लिकन इस हाड़-मास को भी सौनदयर दान करन वाल परम सौनदयरवान परमातमा को पान की रणा आप ही न तो मझ दी थी इसिलए आप मरी थम गर ह िजनहोन मझ योगािद िसखाया व गर बाद क म आपका खब-खब आभारी ह

यह सनकर वह दासी बोल उठीः मरा बटा

तब राजकमारी न कहाः अब यह तमहारा बटा नही परमातमा का बटा हो गया ह परमातम-ःवरप हो गया ह

धनय ह व लोग जो बा रप स सनदर िदखन वाल इस शरीर की वाःतिवक िःथित और न रता का याल करक परम सनदर परमातमा क मागर पर चल पड़त ह

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अनबम

आतमिव ा की धनीः फलीबाई यह जोधपर (राजःथान) क पास क गाव की महान नारी फलीबाई की गाथा ह कहत ह िक उनक पित

शादी क थोड़ समय बाद ही ःवगर िसधार गय थ उनक माता-िपता न कहाः तरा सचचा पित तो परमातमा ही ह बटी चल तझ गरदव क पास स दीकषा िदलवा द

उनक समझदार माता-िपता न समथर गर महातमा भरीबाई स उनह दीकषा िदलवा दी अब फलीबाई अपन गरदव की आजञा क अनसार साधना म लीन हो गयी ाणायाम जप और धयान आिद करत-करत उनकी बि शि िवकिसत होन लगी व इस बात को खब अचछ स समझन लगी िक ाणीमाऽ क परम िहतषी सचच ःवामी तो एकमाऽ परमातमा ही ह धीर-धीर परमातमा क रग म अपन जीवन को रगत-रगत माभि स अपन दय को भरत-भरत व सष शि यो को जागत करन म सफल हो गयी

लौिकक िव ा म अनपढ़ व फलीबाई अलौिकक िव ा पान म सफल हो गयी अब व िनराधार न रही बिलक सवारधार क ःनह स पिरपणर हो गयी उनक िच म नयी िदवय ःफरणाए ःफिरत होन लगी उनका जीवन परमातम-काश स जगमगान लगा ऐिहक रप स फलीबाई बहत गरीब थी िकत उनहोन वाःतिवक धन को पा िलया था

गोबर क कणड बना-बनाकर व अपनी आजीिवका चलाती थी िकत उनकी पड़ोसन उनक कणड चरा लती एक बार फलीबाई को उस ी पर दया आयी एव बोलीः

बहन यिद त चोरी करगी तो तरा मन अपिवऽ होगा और भगवान तझस नाराज हो जायग अगर तझ चािहए तो म तझ पाच-पचीस कणड द िदया करगी िकत त चोरी करक अपना मन एव बि का एव अपन कटमब का सतयानाश मत कर

वह पड़ोसन ी तो द ा थी वह तो फलीबाई को गािलयो पर गािलया दन लगी इसस फलीबाई क िच म जरा भी कषोभ न हआ वरन उनक िच म दया उपजी और व बोलीः

बहन म तझ जो कछ कह रही ह वह तमहारी भलाई क िलए ही कह रही ह तम झगड़ो मत

चोरी करन वाली मिहला को जयादा गःसा आ गया िफर फलीबाई न भी थोड़ा-सा सना िदया झगड़ा बढ़न लगा तो गाव का मिखया एव माम-पचायत इकटठी हो गयी सबस एकिऽत दखकर वह चोरी करन वाली मिहला बोलीः

फलीबाई चोर ह मर कणड चरा जाती ह

फलीबाईः चोरी करन को म पाप समझती ह

तब गाव का मिखया बोलाः हम नयाय कस द िक कणड िकसक ह कणडो पर नाम तो िकसी का नही िलखा और आकार भी एक जसा ह अब कस बताय िक कौन स कणड फलीबाई क ह एव कौन स उसकी पड़ोसन क

जो ी चोरी करती थी उसका पित कमाता था िफर भी मिलन मन क कारण वह चोरी करती थी ऐसी बात नही िक कोई गरीबी क कारण ही चोरी करता ह कई बार तो समझ गरीब होती ह तब भी लोग चोरी

करत ह िफर कोई कलम स चोरी करता ह कोई िर त क रप म चोरी करता ह कोई नता बनकर जनता स चोरी करता ह समझ जब कमजोर होती ह तभी मनय हराम क पस लकर िवलासी जीवन जीन की इचछा करता ह और समझ ऊची होती ह तो मनय ईमानदारी की कमाई स पिवऽ जीवन जीता ह िफर भी वह भल सादा जीवन िजय लिकन उसक िवचार बहत ऊच होत ह

फलीबाई का जीवन खब सादगीपणर था लिकन उनकी भि एव समझ बहत बढ़ गयी थी उनहोन कहाः यह ी मर कणड चराती ह इसका माण यह ह िक यिद आप मर कणडो को अपन कानो क पास रखग तो उनम स राम नाम की धविन िनकलगी िजन कणडो म राम-नाम की धविन िनकल उनह आप मर समझना और िजनम स न िनकल उनह इसक समझना

माम-पचायत क कछ सजजन लोग एव मिखया उस मिहला क यहा गय उसक कणडो क ढर म स एक-एक कणडा उठाकर कान क पास रखकर दखन लग िजस कणड म स राम नाम की धविन का अनभव होता तो उस अलग रख दत स लगभग 50 कणड िनकल

मऽजप करत-करत फलीबाई की रगो म नस-नािड़यो म एव पर शरीर म मऽ का भाव छा गया था व िजन वःतओ को छती उनम भी मऽ की सआम तरगो का सचार हो जाता था गाव क मिखया एव उन सजजनो को फलीबाई का यह चमतकार दखकर उनक ित आदर भाव हो आया उन लोगो न फलीबाई का सतकार िकया

मनय म िकतनी शि ह िकतना सामथयर ह उस यिद यो य मागरदशरन िमल जाय एव वह ततपरता स लग जाय तो कया नही कर सकता

फलीबाई न गरमऽ ा करक गर क िनदशानसार साधना की तो उनम इतनी शि आ गयी िक उनक ारा बनाय गय कणडो स भी राम नाम की धविन िनकलन लगी

एक िदन राजा यशवतिसह क सिनको की एक टकड़ी दौड़न क िलए िनकली उसम स एक सिनक फलीबाई की झोपड़ी म पहचा एव उनस पानी मागा

फलीबाई न कहाः बटा दौड़कर तरत पानी नही पीना चािहए इसस तदरःती िबगड़ती ह एव आग जाकर खब हािन होती दौड़ लगाकर आय हो तो थोड़ी दर बठो म तमह रोटी का टकड़ा दती ह उस खाकर िफर पानी पीना

सिनकः माताजी हमारी परी टकड़ी दौड़ती आ रही ह यिद म खाऊगा तो मझ मर सािथयो को भी िखलाना पड़गा

फलीबाईः मन दो रोटल बनाय ह गवारफली की सबजी ह तम सब लोग टकड़ा-टकड़ा खा लना

सिनकः परी टकड़ी कवल दो रोटल म स टकड़ा-टकड़ा कस खा पायगी

फलीबाईः तम िचता मत करो मर राम मर साथ ह

फलीबाई न दो रोटल एव सबजी को ढक िदया कलल करक आख-कान को पानी का ःपशर कराया हम जो दख पिवऽ दख हम जो सन पिवऽ सन ऐसा सकलप करक आख-कान को जल का ःपशर करवाया जाता ह

फलीबाई न सबजी-रोटी को कपड़ स ढककर भगवतःमरण िकया एव इ मऽ म तललीन होत-होत टकड़ी क सिनको को रोटल का टकड़ा एव सबजी दती गयी फलीबाई क हाथो स बन उस भोजन म िदवयता आ गयी थी उस खाकर परी टकड़ी बड़ी सनन एव सत हई उनह आज तक ऐसा भोजन नही िमला था उन सभी न फलीबाई को णाम िकया एव व िवचार करन लग िक इतन-स झोपड़ म इतना सारा भोजन कहा स आया

सबस पहल जो सिनक पहल जो सिनक पहचा था उस पता था िक फलीबाई न कवल दो रोटल एव थोड़ी सी सबजी बनायी ह िकत उनहोन िजस बतरन म भोजन रखा ह वह बतरन उनकी भि क भाव स अकषयपाऽ बन गया ह

यह बात राजा यशवतिसह क कानो तक पहची वह रथ लकर फलीबाई क दशरन करन क िलए आया उसन रथ को दर ही खड़ा रखा जत उतार मकट उतारा एव एक साधारण नागिरक की तरह फलीबाई क ार तक पहचा फलीबाई की तो एक छोटी-सी झोपड़ी ह और आज उसम जोधपर का साट खब न भाव स खड़ा ह भि की कया मिहमा ह परमातमजञान की कया मिहमा ह िक िजसक आग बड़-बड़ साट तक नतमःतक हो जात ह

यशवतिसह न फलीबाई क चरणो म णाम िकया थोड़ी दर बातचीत की सतसग सना फलीबाई न अपन अनभव की बात बड़ी िनभ कता स राजा यशवतिसह को सनायी-

बटा यशवत त बाहर का राजय तो कर रहा ह लिकन अब भीतर का राजय भी पा ल तर अदर ही आतमा ह परमातमा ह वही असली राजय ह उसका जञान पाकर त असली सख पा ल कब तक बाहर क िवषय-िवकारो क सख म अपन को गरक करता रहगा ह यशवत त यशःवी हो अचछ कायर कर और उनह भी ई रापरण कर द ई रापरण बि स िकया गया कायर भि हो जाता ह राग- ष स िरत कमर जीव को बधन म डालता ह िकत तटःथ होकर िकया गया कमर जीव को मि क पथ पर ल जाता ह

ह यशवत तर खजान म जो धन ह वह तरा नही ह वह तो जा क पसीन की कमाई ह उस धन को जो राजा अपन िवषय-िवलास म खचर कर दता ह उस रौरव नरक क दःख भोगन पड़त ह कभीपाक जस नरको म जाना पड़ता ह जो राजा जा क धन का उपयोग जा क िहत म जा क ःवाःथय क िलए जा क िवकास क िलए करता ह वह राजा यहा भी यश पाता ह और उस ःवगर की भी ाि होती ह ह यशवत यिद वह राजा भगवान की भि कर सतो का सग कर तो भगवान क लोक को भी पा लता ह और यिद वह भगवान क लोक को पान की भी इचछा न कर वरन भगवान को ही जानन की इचछा कर तो वह भगवतःवरप का जञान पाकर भगवतःवरप ःवरप हो जाता ह

फलीबाई की अनभवय वाणी सनकर यशवतिसह पलिकत हो उठा उसन अतयत ौ ा-भि स फलीबाई क चरणो म णाम िकया फलीबाई की वाणी म सचचाई थी सहजता थी और जञान का तज था िजस सनकर यशवतिसह भी नतमःतक हो गया

कहा तो जोधपर का साट और कहा लौिकक दि स अनपढ़ फलीबाई िकत उनहोन यशवतिसह को जञान िदया यह जञान ह ही ऐसा िक िजसक सामन लौिकक िव ा का कोई मलय नही होता

यशवतिसह का दय िपघल गया वह िवचार करन लगा िक फलीबाई क पास खान क िलए िवशष भोजन नही ह रहन क िलए अचछा मकान नही ह िवषय-भोग की कोई साममी नही ह िफर भी व सत रहती ह और मर जस राजा को भी उनक पास आकर शाित िमलती ह सचमच वाःतिवक सख तो भगवान की भि म एव भगवता महापरषो क ौीचरणो म ही ह बाकी को ससार म जल-जलकर मरना ही ह वःतओ को भोग-भोगकर मनय जलदी कमजोर एव बीमार हो जाता ह जबिक फलीबाई िकतनी मजबत िदख रही ह

यह सोचत-सोचत यशवतिसह क मन म एक पिवऽ िवचार आया िक मर रिनवास म तो कई रािनया रहती ह परत जब दखो तब बीमार रहती ह झगड़ती रहती ह एक दसर की चगली और एक-दसर स ईयार करती रहती ह यिद उनह फलीबाई जसी महान आतमा का सग िमल तो उनका भी कलयाण हो

यशवतिसह न हाथ जोड़कर फलीबाई स कहाः माताजी मझ एक िभकषा दीिजए

साट एक िनधरन क पास भीख मागता ह सचचा साट तो वही ह िजसन आतमराजय पा िलया ह बा सााजय को ा िकया हआ मनय तो अधयातममागर की दि स कगाल भी हो सकता ह आतमराजय को पायी ह िनधरन फलीबाई स राजा एक िभखारी की तरह भीख माग रहा ह

यशवतिसह बोलाः माता जी मझ एक िभकषा द

फलीबाईः राजन तमह कया चािहए

यशवतिसहः बस मा मझ भि की िभकषा चािहए मरी बि सनमागर म लगी रह एव सतो का सग िमलता रह

फलीबाई न उस बि मान पिवऽातमा यशवतिसह क िसर पर हाथ रखा फलीबाई का ःपशर पाकर राजा गदगद हो गया एव ाथरना करन लगाः मा इस बालक की एक दसरी इचछा भी परी कर आप मर रिनवास म पधारकर मरी रािनयो को थोड़ा उपदश दन की कपा कर तािक उनकी बि भी अधयातम म लग जाय

फलीबाई न यशवतिसह की िवनता दखकर उनकी ाथरना ःवीकार कर ली नही तो उनह रिनवास स कया काम

य व ही फलीबाई ह िजनक पित िववाह होत ही ःवगर िसधार गय थ दसरी कोई ी होती तो रोती िक अब मरा कया होगा म तो िवधवा हो गयी परत फलीबाई क माता-िपता न उनह भगवान क राःत लगा िदया गर स दीकषा लकर गर क बताय हए मागर पर चलकर अब फलीबाई फलीबाई न रही बिलक सत फलीबाई हो गयी तो यशवतिसह जसा साट भी उनका आदर करता ह एव उनकी चरणरज िसर पर लगाकर अपन को भा यशाली मानता ह उनह माता कहकर सबोिधत करता ह जो कणड बचकर अपना जीवन िनवारह करती ह उनह हजारो लोग माता कहकर पकारत ह

धनय ह वह धरती जहा ऐस भगवदभ जनम लत ह जो भगवान का भजन करक भगवान क हो जात ह उनह माता कहन वाल हजारो लोग िमल जात ह अपना िमऽ एव समबनधी मानन क िलए हजारो लोग तयार हो जात ह कयोिक उनहोन सचच माता-िपता क साथ सचच सग-समबनधी क साथ परमातमा क साथ अपना िच जोड़ िलया ह

यशवतिसह न फलीबाई को राजमहल म बलवाकर दािसयो स कहाः इनह खब आदर क साथ रिनवास म जाओ तािक रािनया इनक दो वचन सनकर अपन कान को एव दशरन करक अपन नऽो को पिवऽ कर

फलीबाई क व ो पर तो कई पबद लग हए थ पबदवाल कपड़ पहनन क बावजद बाजरी क मोट रोटल खान एव झोपड़ म रहन क बावजद फलीबाई िकतनी तदरःत और सनन थी और यशवत िसह की रािनया ितिदन नय-नय वयजन खाती थी नय-नय व पहनती थी महलो म रहती थी िफर भी लड़ती-झगड़ती रहती थी उनम थोड़ी आय इसी आशा स राजा न फलीबाई को रिनवास म भजा

दािसया फलीबाई को आदर क साथ रिनवास म ल गयी वहा तो रािनया सज-धजकर हार-ौगार करक तयार होकर बठी थी जब उनहोन पबद लग मोट व पहनी हई फलीबाई को दखा तो एक दसर की तरफ दखन लगी और फसफसान लगी िक यह कौन सा ाणी आया ह

फलीबाई का अनादर हआ िकत फलीबाई क िच पर चोट न लगी कयोिक िजसन अपना आदर कर िलया अपनी आतमा का आदर कर िलया उसका अनादर करक उसको चोट पहचान म दिनया का कोई भी वयि सफल नही हो सकता फलीबाई को दःख न हआ लािन न हई बोध नही आया वरन उनक िच म दया उपजी िक इन मखर रािनयो को थोड़ा उपदश दना चािहए दयाल एव समिच फलीबाई न उन रािनयो कहाः बटा बठो

दािसयो न धीर-स जाकर रािनयो को बताया िक राजा साहब तो इनह णाम करत ह इनका आदर करत ह और आप लोग कहती ह िक कौन सा ाणी आया राजा साहब को पता चलगा तो आपकी

यह सनकर रािनया घबरायी एव चपचाप बठ गयी फलीबाई न कहाः ह रािनयो इस हाड़-मास क शरीर को सजाकर कया बठी हो गहन पहनकर हार-

ौगार करक कवल शरीर को ही सजाती रहोगी तो उसस तो पित क मन म िवकार उठगा जो तमह दखगा उसक मन म िवकार उठगा इसस उस तो नकसान होगा ही तमह भी नकसान होगा

शा ो म ौगार करन की मनाही नही ह परत साि वक पिवऽ एव मयारिदत ौगार करो जसा ौगार ाचीन काल म होता था वसा करो पहल वनःपितयो स ौगार क ऐस साधन बनाय जात थ िजनस मन फिललत एव पिवऽ रहता था तन नीरोग रहता था जस िक पर म पायल पहनन स अमक नाड़ी पर दबाव रहता ह एव उसस चयर-रकषा म मदद िमलती ह जस ा ण लोग जनऊ पहनत ह एव पशाब करत समय कान पर जनऊ लपटत ह तो उस नाड़ी पर दबाव पड़न स उनह कणर पीडनासन का लाभ िमलता ह और ःवपनदोष की बीमारी नही होती इस कार शरीर को मजबत और मन को सनन बनान म सहायक ऐसी हमारी विदक सःकित ह

आजकल तो पा ातय जगत क ऐस गद ौगारो का चार बढ़ गया ह िक शरीर तो रोगी हो जाता ह साथ ही मन भी िवकारमःत हो जाता ह ौगार करन वाली िजस िदन ौगार नही करती उस िदन उसका चहरा बढ़ी बदरी जसा िदखता ह चहर की कदरती कोमलता न हो जाती ह पाउडर िलपिःटक वगरह स तवचा की ाकितक िःन धता न हो जाती ह

ाकितक सौनदयर को न करक जो किऽम सौनदयर क गलाम बनत ह उनस ाथरना ह िक व किऽम साधनो का योग करक अपन ाकितक सौनदयर को न न कर चिड़या पहनन की कमकम का ितलक करन की मनाई नही ह परत पफ-पाउडर लाली िलपिःटक लगाकर चमकील-भड़कील व पहनकर अपन शरीर मन कटिमबयो एव समाज का अिहत न हो ऐसी कपा कर अपन असली सौनदयर को कट कर जस मीरा न िकया था गाग और मदालसा न िकया था

फलीबाई न उन रािनयो को कहाः ह रािनयो तम इधर-उधर कया दखती हो य गहन-गाठ तो तमहार शरीर की शोभा ह और यह शरीर एक िदन िमटटी म िमल जान वाला ह इस सजा-धजाकर कब तक अपन जीवन को न करती रहगी िवषय िवकारो म कब तक खपती रहोगी अब तो ौीराम का भजन कर लो अपन वाःतिवक सौनदयर को कट कर लो

गहनो गाठो तन री शोभो काया काचो भाडो फली कह थ राम भजो िनत लड़ो कयो हो राडो

गहन-गाठ शरीर की शोभा ह और शरीर िमटटी क कचच बतरन जसा ह अतः ितिदन राम का भजन करो इस तरह वयथर लड़न स कया लाभ

िवषय-िवकार की गलामी छोड़ो हार ौगार की गलामी छोड़ो एव पा लो उस परम र को जो परम सनदर ह

राजा यशवतिसह क रिनवास म भी फलीबाई की िकतनी िहममत ह रािनयो को सतय सनाकर फलीबाई अपन गाव की तरफ चल पड़ी

बाहर स भल कोई अनपढ़ िदख िनधरन िदख परत िजसन अदर का राजय पा िलया ह वह धनवानो को भी दान दन की कषमता रखता ह और िव ानो को भी अधयातम-िव ा दान कर सकता ह उसक थोड़-स आशीवारद माऽ स धनवानो क धन की रकषा हो जाती ह िव ानो म आधयाितमक िव ा कट होन लगती ह आतमिव ा म आतमजञान म ऐसा अनपम-अदभत सामथयर ह और इसी सामथयर स सपनन थी फलीबाई

ॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐ

अनबम

आनदीबाई की दढ़ ौ ा एक पजाबी मिहला का नाम था आनदीबाई दखन म तो वह इतनी करप थी िक दखकर लोग डर

जाय उसका िववाह हो गया िववाह स पवर उसक पित न उस नही दखा था िववाह क प ात उसकी करपता को दखकर वह उस प ी क रप म न रख सका एव उस छोड़कर उसन दसरा िववाह रचा िलया

आनदी न अपनी करपता क कारण हए अपमान को पचा िलया एव िन य िकया िक अब तो म गोकल को ही अपनी ससराल बनाऊगी वह गोकल म एक छोट स कमर म रहन लगी घर म ही मिदर बनाकर

आनदीबाई ौीकण की मःती म मःत रहन लगी आनदीबाई सबह-शाम घर म िवराजमान ौीकण की मितर क साथ बात करती उनस रठ जाती िफर उनह मनाती और िदन म साध-सनतो की सवा एव सतसग-ौवण करती इस कार उसक िदन बीतन लग

एक िदन की बात हः गोकल म गोप रनाथ नामक जगह पर ौीकण-लीला का आयोजन िनि त िकया गया था उसक िलए

अलग-अलग पाऽो का चयन होन लगा पाऽो क चयन क समय आनदीबाई भी वहा िव मान थी अत म कबजा क पाऽ की बात चली उस व आनदी का पित अपनी दसरी प ी एव बचचो क साथ वही उपिःथत था अतः आनदीबाई की िखलली उड़ात हए उसन आयोजको क आग ःताव रखाः

सामन यह जो मिहला खड़ी ह वह कबजा की भिमका अचछी तरह स अदा कर सकती ह अतः उस ही कहो न यह पाऽ तो इसी पर जचगा यह तो साकषात कबजा ही ह

आयोजको न आनदीबाई की ओर दखा उसका करप चहरा उनह भी कबजा की भिमका क िलए पसद आ गया उनहोन आनदीबाई को कबजा का पाऽ अदा करन क िलए ाथरना की

ौीकणलीला म खद को भाग लन का मौका िमलगा इस सचनामाऽ स आनदीबाई भाविवभोर हो उठी उसन खब म स भिमका अदा करन की ःवीकित द दी ौीकण का पाऽ एक आठ वष य बालक क िजमम आया था

आनदीबाई तो घर आकर ौीकण की मितर क आग िव लता स िनहारन लगी एव मन-ही-मन िवचारन लगी िक मरा कनहया आयगा मर पर पर पर रखगा मरी ठोड़ी पकड़कर मझ ऊपर दखन को कहगा वह तो बस नाटक म दयो की कलपना म ही खोन लगी

आिखरकार ौीकणलीला रगमच पर अिभनीत करन का समय आ गया लीला दखन क िलए बहत स लोग एकिऽत हए ौीकण क मथरागमन का सग चल रहा थाः

नगर क राजमागर स ौीकण गजर रह ह राःत म उनह कबजा िमली आठ वष य बालक जो ौीकण का पाऽ अदा कर रहा था उसन कबजा बनी हई आनदी क पर पर पर

रखा और उसकी ठोड़ी पकड़कर उस ऊचा िकया िकत यह कसा चमतकार करप कबजा एकदम सामानय नारी क ःवरप म आ गयी वहा उपिःथत सभी दशरको न इस सग को अपनी आखो स दखा आनदीबाई की करपता का पता सभी को था अब उसकी करपता िबलकल गायब हो चकी थी यह दखकर सभी दातो तल ऊगली दबान लग

आनदीबाई तो भाविवभोर होकर अपन कण म ही खोयी हई थी उसकी करपता न हो गयी यह जानकर कई लोग कतहलवश उस दखन क िलए आय

िफर तो आनदीबाई अपन घर म बनाय गय मिदर म िवराजमान ौीकण म ही खोयी रहती यिद कोई कछ भी पछता तो एक ही जवाब िमलताः मर कनहया की लीला कनहया ही जान

आनदीबाई न अपन पित को धनयवाद दन म भी कोई कसर बाकी न रखी यिद उसकी करपता क कारण उसक पित न उस छोड़ न िदया होता तो ौीकण म उसकी इतनी भि कस जागती ौीकणलीला म

कबजा क पाऽ क चयन क िलए उसका नाम भी तो उसक पित न ही िदया था इसका भी वह बड़ा आभार मानती थी

ितकल पिरिःथितयो एव सयोगो म िशकायत करन की जगह तयक पिरिःथित को भगवान की ही दन मानकर धनयवाद दन स ितकल पिरिःथित भी उननितकारक हो जाती ह पतथर भी सोपान बन जाता ह

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अनबम

कमारबाई की वातसलय-भि सवारनतयारमी घट-घटवासी भगवान न तो धन-ऐ यर स सनन होत ह और न ही पजा क लमब-चौड़

िवधानो स व तो बस एकमाऽ म स ही सत होत ह एव म क वशीभत होकर नम (िनयम) की भी परवाह नही करत कोई उनका होकर उनह पकार तो दौड़ चल आत ह

कमारबाई नामक एक ऐसी ही भि मती नारी थी िजनकी पकार सनकर भगवान ितिदन उनकी िखचड़ी खान दौड़ चल आत थ भगवान यह नही दखत की भ न खीर-परी-पकवान तयार िकय ह या एकदम सीधा-सादा रखा-सखा भोजन

कमारबाई ौीपरषो मपरी (जगननाथपरी) म िनवास करती थी व भगवान का वातसलय-भाव स िचनतन करती थी एव ितिदन िनयमपवरक ातःकाल ःनानािद िकय िबना ही िखचड़ी तयार करती और भगवान को अिपरत करती थी म क वश म रहन वाल ौीजगननाथजी भी ितिदन सनदर-सलोन बालक क वश म आत और कमारबाई की गोद म बठकर िखचड़ी खा जात कमारबाई भी सदव िचिनतत रहा करती िक बालक क भोजन म कभी िवलब न हो जाय इसी कारण व िकसी भई िविध-िवधान क पचड़ म न पड़कर अतयत म स सवर ही िखचड़ी तयार कर लती थी

एक िदन की बात ह कमारबाई क पास एक साध आय उनहोन कमारबाई को अपिवऽता क साथ िखचड़ी तयार करक भगवान को अपरण करत हए दखा घबराकर उनहोन कमारबाई को पिवऽता स भोजन बनान क िलए कहा और पिवऽता क िलए ःनानािद की िविधया बता दी

भि मती कमारबाई न दसर िदन वसा ही िकया िकत िखचड़ी तयार करन म उनह दर हो गयी उस समय उनका दय यह सोचकर रो उठा िक मरा पयारा यामसनदर भख स छटपटा रहा होगा

कमारबाई न दःखी मन स यामसनदर को िखचड़ी िखलायी उसी समय मिदर म अनकानक घतमय िनविदत करन क िलए पजारी न भ का आवाहन िकया भ जठ मह ही वहा चल गय पजारी चिकत हो गया उसन दखा िक भगवान क मखारिवद म िखचड़ी लगी ह पजारी भी भ था उसका दय बनदन करन लगा उसन अतयत कातर होकर भ को असली बात बतान की ाथरना की

तब उस उ र िमलाः िनतयित ातःकाल म कमारबाई क पास िखचड़ी खान जाता ह उनकी िखचड़ी मझ बड़ी िय और मधर लगती ह पर कल एक साध न जाकर उनह पिवऽता क िलए ःनानािद की िविधया बता दी इसिलए िवलब क कारण मझ कषधा का क तो हआ ही साथ ही शीयता स जठ मह ही आना पड़ा

भगवान क बताय अनसार पजारी न उस साध को ढढकर भ की सारी बात सना दी साध चिकत हो उठा एव घबराकर कमारबाई क पास जाकर बोलाः आप पवर की तरह ही ितिदन सवर ही िखचड़ी बनाकर भ को िनवदन कर िदया कर आपक िलए िकसी िनयम की आवयकता नही ह

कमारबाई पनः पहल की ही तरह ितिदन सवर भगवान को िखचड़ी िखलान लगी व समय पाकर परमातमा क पिवऽ और आनदधाम म चली गयी परत उनक म की गाथा आज भी िव मान ह ौीजगननाथजी क मिदर म आज भी ितिदन ातःकाल िखचड़ी का भोग लगाया जाता

म म अदभत शि ह जो काम दल-बल-छल स नही हो सकता वह म स सभव ह म माःपद को भी अपन वशीभत कर दता ह िकत शतर इतनी ह िक म कवल म क िलए ही िकया जाय िकसी ःवाथर क िलए नही भगवान क होकर भगवान स म करो तो उनक िमलन म जरा भी दर नही ह

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अनबम

साधवी िसरमा िसहल दश (वतरमान ौीलका) क एक सदाचारी पिरवार म जनमी हई कनया िसरमा म बालयकाल स ही

भगवदभि ःफिटत हो चकी थी वह िजतनी सनदर थी उतनी ही सशील भी थी 16 वषर की उ म उसक मा-बाप न एक धनवान पिरवार क यवक समगल क साथ उसकी शादी करवा दी

शादी क प ात समगल िवदश चला गया वहा वह वःतओ का आयात-िनयारत करता था कछ वष म उसन काफी सपि इकटठी कर ली और ःवदश लौट चला कटिबयो न सोचा िक समगल वष बाद घर लौट रहा ह अतः उसका आदर-सतकार होना चािहए गाव भर क जान मान लोगो को आमिऽत िकया गया और सब समगल को लन चल भीड़ म उस जमान की गिणका मदारमाला भी थी

मदारमाला क सौनदयर को दखकर समगल मोिहत हो गया एव समगल क आकषरक वयि तव स मदारमाला भी घायल हो गयी भीड़ को समझत दर न लगी िक दोनो एक-दसर स घायल हो गयी समगल को लकर शोभायाऽा उसक घर पहची समगल को उदास दखकर बोलीः

दव आप बड़ उदास एव वयिथत लग रह ह आपकी उदासी एव वयथा का कारण म जानती ह

समगलः जब जानती ह तो कया पछती ह अब उसक िबना नही रहा जाता

यह सनकर िसरमा न अपना सतलन न खोया कयोिक वह ितिदन भगवान का धयान करती थी एव शात ःवभाव का धन िववक-वरा यरपी धन और िवपि यो म भी सनन रहन की समझ का धन उसक पास था

सिवधाए हो और आप सनन रह- इतना तो लािलया मोितया और कािलया क ा भी जानता ह वह भी जलबी दखकर पछ िहला दता ह और डडा दखकर पछ दबा दता ह सख म सखी एव दःख म दःखी नही होता लिकन सव म तो वह ह जो सख-दःख को सपना मानता ह एव सिचचदानद परमातमा को अपना मानता ह

िसरमा न कहाः नाथ आपकी परशानी का कारण तो म जानती ह उस दर करन म म परा सहयोग दगी आप अपनी परशािनयो को िमटान म मर पर अिधकार का उपयोग कर सकत ह कोई उपाय खोजा जायगा

इतन म ही मदारमाला की नौकरानी आकर बोलीः समगल आपको मरी मालिकन अपन महल म बला रही ह

िसरमा न कहाः जाकर अपनी मालिकन स कह दो िक इस बड़ घर की बहरानी बनना चाहती हो तो तमहार िलए ार खल ह िसरमा अपन सार अिधकार तमह स पन को तयार ह लिकन इस बड़ खानदान क लड़क को अपन अ ड पर बलाकर कलक का टीका मत लगाओ यह मरी ाथरना ह

िसरमा की नता न मदारमाला क दय को ििवत कर िदया और वह व ालकार स ससिजजत होकर समगल क घर आ गयी िसरमा न दोनो का गधवर िववाह करवा िदया और िकसी सचच सत स दीकषा लकर ःवय साधवी बन गयी िसरमा की समझ व मऽजाप की ततपरता न उस ऋि -िसि की मालिकन बना िदया िसरमा का मनोबल बि बल तपोबल और यौिगक सामथयर इतना िनखरा िक कई साधक िसरमा को णाम करन आन लग

एक िदन एक साधक िजसका िसर फटा हआ था और खन बह रहा था िसरमा क पास आया िसरमा न पछाः िभकषक तमहारा िसर फटा ह कया बात ह

िभकषकः म िभकषा लन क िलए समगल क घर गया था मदारमाला क हाथ म जो बतरन था वही बतरन उनहोन मर िसर पर द मारा इसस मरा िसर फट गया

िसरमा को बड़ा दःख हआ िक मदारमाला को परी जायदाद िमल गयी और मरा ऐसा सनदर धनी पिवऽ ःवभाववाला वयापारी पित िमल गया िफर वह कयो दःखी ह ससार म जब तक सचची समझ सचचा जञान नही िमलता तब तक मनय क दःखो का अत नही होता शायद वह दःखी होगी और दःखी वयि ही साधओ को दःख दगा सजजन वयि साधओ को दःख नही दगा वरन उनस सख लगा आशीवारद ल लगा मदारमाला अित दःखी ह तभी उसन िभकषक को भी दःखी कर िदया

िसरमा गयी मदारमाला क पास और बोलीः मदारमाला उस िभकषक क अिकचन साध क िभकषा मागन पर त िभकषा नही दती तो चलता लिकन उसका िसर कयो फोड़ िदया

मदारमालाः बहन म बहत दःखी ह समगल न तझ छोड़कर मझस शादी की और अब मर होत हए एक दसरी नतरकी क यहा जाता ह वह मझस कहता ह िक म परसो उसक साथ शादी कर लगा मन तो अपन

सख को सभाल रखा था लिकन सख तो सदा िटकता नही ह तमहारा िदया हआ यह िखलौना अब दसरा िखलौना लन का भाग रहा ह

िसरमा को दःखाकार वि का थोड़ा धकका लगा िकत वह सावधान थी रािऽ को वह अपन ककष म दीया जलाकर बठ गयी एव ाथरना करन लगीः ह भगवान तम काशःवरप हो जञानःवरप हो म तमहारी शरण आयी ह तम अगर चाहो तो समगल को वाःतव म समगल बना सकत हो समगल िजसस जलदी मतय हो जाय ऐस भोग-पर-भोग बढ़ा रहा ह एप नरक की याऽा कर रहा ह उस सतरणा दकर इन िवकारो स बचाकर अपन िनिवरकारी शात आनद एव माधयरःवरप म लगान म ह भ तम सकषम हो

िसरमा ाथरना िकय जा रही ह एव टकटकी लगाकर दीय की लौ को दख जा रही ह धयान करत-करत िसरमा शात हो गयी उसकी शाित ही परमातमा तक पगाम पहचान का साधन बन गयी धयान करत-करत उस कब नीद आ गयी पता नही लिकन जो नीद क समय भी तमहार िच की चतना को र वािहिनयो को स ा दता ह वह पयारा कस चप बठता

भात म समगल को भयानक ःवपन आया िक मरा िवकारी-भोगी जीवन मझ घसीटकर यमराज क पास ल गय एव तमाम भोिगयो की जो ददरशा हो रही ह वही मरी भी होन जा रही ह हाय म यह कया दख रहा ह समगल च क उठा और उसकी आख खल गयी भात का ःवपन सतय का सकत दन वाला होता ह

सबह होत-होत समगल न अपनी सारी धन-समपि गरीब-गरबो म बाटकर एव सतकम म लगाकर दीकषा ल ली अब तो िसरमा िजस राःत जा रही ह भोग क कीचड़ म पड़ा हआ समगल भी उसी राःत अथारत आतमो ार क राःत जान का सकलप करक चल पड़ा

वह अतःचतना कब िकस वयि क अतःकरण म जामत हो और वह भोग क दलदल स तथा अहकार क िवकट मागर स बचकर सहज ःवभाव को अपनाकर सरल मागर स सत-िचत-आनदःवरप ई र की ओर चल पड़ कहना मिकल ह

धनय ह िसरमा जो ःवय तो उस पथ पर चली ही साथ ही अपन िवकारी पित को भी उस पथ पर चलान म सहायक हो गयी

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अनबम

भि मती जनाबाई (भगवदभि स कया सभव नही ह सब सभव ह भि मती जनाबाई क जीवन सगो पर काश डालत

हए पजयौी कहत ह) भगवान कब कहा और कस अपनी लीला कट करक भ ो की रकषा करत ह यह कहना मिकल ह

भ ो का इितहास दखत ह उनका चिरऽ पढ़त ह तब भगवान क अिःततव पर िवशष ौ ा हो जाती ह

गोदावरी नदी क तट पर िःथत गगाखड़ (िज परमणी महारा ) गाव म दमाजी क यहा जनाबाई का जनम हआ था जनाबाई क बचपन उसकी मा चल बसी मा का अि नसःकार करक जब िपता घर आय तब ननही-सी जना न पछाः

िपताजी मा कहा गयी

िपताः मा पढरपर म भगवान िवटठल क पास गयी ह

एक िदन दो िदन पाच िदन दस िदन पचचीस िदन बीत गय मा अभी तक नही आयी पढरपर म िवटठल क पास बठी ह िपता जी मझ भी िवटठल क पास ल चलो ननही सकनया जना न िजद की

िपता बटी को पढरपर ल आय चिभागा नदी म ःनान करक िवटठल क मिदर म गय ननही-सी जना िवटठल स पछन लगीः मरी मा कहा गयी िवटठल बलाओ न मरी मा को

िवटठल िवटठल करक जना रोन लगी िपता न समझान की खब कोिशश की िकत ननही सी बािलका की कया समझ म आता इतन म वहा दामा शठ एव उनकी धमरप ी गोणाई बाई आय भ नामदव इनही की सनतान थ बािलका को दखकर उनका वातसलय जाग उठा उनहोन जना क िपता स कहाः

अब यह पढरपर छोड़कर तो जायगी नही आप इस यही छोड़ जाइय हम इस अपनी बटी क समान रखग यह यही रहकर िवटठल क दशरन करगी और अपनी मा क िलए िवटठल क दशरन करगी और अपनी मा क िलए िवटठल को पकारत-पकारत अगर इस भि का रग लग जाय तो अचछा ही ह

जना क िपता सहमत हो गय एव जनाबाई को वही छोड़ गय जना को बालयकाल स ही भ नामदव का सग िमल गया जना वहा रहकर िवटठल क दशरन करती एव घर क काम-काज म हाथ बटाती थी धीर-धीर जना की भगवदभि बढ़ गयी

समय पाकर नामदव जी का िववाह हो गया िफर भी जना उनक घर क सब काम करती थी एव रोज िनयम स िवटठल क दशरन करन भी जाती थी

एक बार काम की अिधकता स वह िवटठल क दशरन करन दर स जा पायी रात हो गयी थी सब लोग जा चक थ िवटठल क दशरन करक जना घर लौट आयी लिकन दसर िदन सबह िवटठल भगवान क गल म जो ःवणर की माला थी वह गायब हो गयी

मिदर क पजारी न कहाः सबस आिखर म जनाबाई आयी थी

जनाबाई को पकड़ िलया गया जना न कहाः म िकसी की सई भी नही लती तो िवटठल भगवान का हार कस चोरी करगी

लिकन भगवान भी मानो परीकषा करक अपन भ का आतमबल और यश बढ़ाना चाहत थ राजा न फरमान जारी कर िदयाः जना झठ बोलती ह इसको सर बाजार स बत मारत-मारत ल जाया जाय एव जहा सबको सली पर चढ़ाया जाता ह वही सली पर चढ़ा िदया जाय

िसपाही जनाबाई को लन आय जनाबाई अपन िवटठल को पकारती जा रही थीः ह मर िवटठल म कया कर तम तो सब जानत ही हो

गहन बनान स पवर ःवणर को तपाया जाता ह ऐस ही भगवान भी भ की कसौटी करत ही ह जो सचच भ होत ह व उस कसौटी को पार कर जात ह बाकी क लोग भटक जात ह

सिनक जनाबाई को ल जा रह थ और राःत म उसक िलए लोग कछ-का-कछ बोलत जा रह थः बड़ी आयी भ ानी भि का ढोग करती थी अब तो तरी पोल खल गयी यह दख सजजन लोगो क मन म दःख हो रहा था

ऐसा करत-करत जनाबाई सली तक पहच गयी तब जललादो न उसस पछाः अब तमको मतयदड िदया जा रहा ह तमहारी आिखरी इचछा कया ह

जनाबाई न कहाः आप लोग तिनक ठहर जाय तािक मरत-मरत म दो अभग गा ल

आप लोग चौपाई दोह साखी आिद बोलत हो ऐस ही महारा म अभग बोलत ह अभी भी जनाबाई क लगभग तीन सौ अभग उपलबध ह जनाबाई भगवतःमरण करक ौ ा भि भर दय स अभग ारा िवटठल स ाथरना करन लगीः

करो दया ह िवटठलाया करो दया ह िवटठलराया छलती कस ह छलनी माया

करो दया ह िवटठलराया करो दया ह िवटठलराया ौ ाभि पणर दय स की गयी ाथरना दय र सव र तक अवय पहचती ह ाथरना करत-करत

उसकी आखो स अौिबनद छलक पड़ और िजस सली पर उस लटकाया जाना था वह सली पानी हो गयी

सचच दय की भि कित क िनयमो म भी पिरवतरन कर दती ह लोग यह दखकर दग रह गय राजा न उसस कषमा-याचना की जनाबाई की जय-जयकार हो गयी

िवरोधी भल िकतना भी िवरोध कर लिकन सचच भगवदभ तो अपनी भि म दढ़ रहत ह ठीक ही कहा हः

बाधाए कब बाध सकी ह आग बढ़नवालो को िवपदाए कब रोक सकी ह पथ पर चलन वालो को

ह भारत की दिवयो याद करो अपन अतीत की महान नािरयो को तमहारा जनम भी उसी भिम पर हआ ह िजस पणय भिम भारत म सलभा गाग मदालसा शबरी मीरा जनाबाई जसी नािरयो न जनम िलया था अनक िव न बाधाए भी उनकी भि एव िन ा को न िडगा पायी थी

ह भारत की नािरयो पा ातय सःकित की चकाच ध म अपन सःकित की गिरमा को भला बठना कहा तक उिचत ह पतन की ओर ल जानवाली सःकित का अनसरण करन की अपकषा अपनी सःकित को अपनाओ तािक तमहारा जीवन तो समननत हो ही तमहारी सतान भी सवागीण गित कर सक और भारत पनः िव गर की पदवी पर आसीन हो सक

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अनबम

म ाबाई का सवरऽ िवटठल-दशरन ौीिनवि नाथ जञान र एव सोपानदव की छोटी बहन थी म ाबाई जनम स ही चारो िस योगी परम

िवर एव सचच भगवदभ थ बड़ भाई िनवि नाथ ही सबक गर थ ननही सी म ा कहतीः िवटठल ही मर िपता ह शरीर क माता-िपता तो मर जात ह लिकन हमार

सचच माता-िपता हमार परमातमा तो सदा साथ रहत ह

उसन सतसग म सन रखा था िक िवटठल कवल मिदर म ही नही िवटठल तो सबका आतमा बना बठा ह सार शरीरो म उसी की चतना ह वह कीड़ी म छोटा और हाथी म बड़ा लगता ह िव ानो की िव ा की गहराई म उसी की चतना ह बलवानो का बल उसी परम र का ह सतो का सततव उसी परमातम-स ा स ह िजसकी स ा स आख दखती ह कान सनत ह नािसका ास लती ह िज ा ःवाद का अनभव करती ह वही िवटठल ह

म ाबाई िकसी पप को दखती तो सनन होकर कह उठती िक िवटठल बड़ अचछ ह एक िदन म ाबाई कह उठीः िवटठल तम िकतन गद हो ऐसी गदगी म रहत हो

िकसी न पछाः कहा ह िवटठल

म ाबाईः दखो न इस गदी नाली म िवटठल कीड़ा बन बठ ह

म ाबाई की दि िकतनी साि वक हो गयी थी वह सवरऽ अपन िवटठल क दीदार कर रही थी चारो बचचो को एक सनयासी क बचच मानकर कटटरवािदयो न उनह नमाज स बाहर कर िदया था

उनक माता-िपता क साथ तो जलम िकया ही था बचचो को भी समाज स बाहर कर रखा था अतः कोई उनह मदद नही करता था पट को आहित दन क िलए व बचच िभकषा मागन जात थ

दीपावली क िदन वह बारह वष या म ाबाई िनवि नाथ स पछती हः भया आज दीपावली ह कया बनाऊ

िनवि नाथः बहन मरी तो मज ह िक आज मीठ चील बना ल

जञान रः तीख भी तो अचछ लगत ह

म ाबाई हषर स बोल पड़ीः मीठ भी बनाऊगी और नमकीन भी आज तो दीपावली ह

बाहर स तो दिरिता िदखती ह समाजवालो न बिहकत कर रखा ह न धन ह न दौलत न बक बलनस ह न कार ह न बगला साधारण सा घर ह िफर भी िवटठल क भाव म सराबोर दय क भीतर का सख असीम ह

म ाबाई न अदर जाकर दखा तो तवा ही नही था कयोिक िवसोबा चाटी न राऽी म ही सार बतरन चोरी करवा िदय थ िबना तव क चील कस बनग वह भया म कमहार क यहा स रोटी सकन का तवा ल आती ह ऐसा कह जलदी स िनकल पड़ी तवा लान क िलए लिकन िवसोबा चाटी न सभी कमहारो को डाटकर मना कर िदया था िक खबरदार इसको तवा िदया तो तमको जाित स बाहर करवा दगा

घमत-घमत कमहारो क ार खटखटात हए आिखर उदास होकर वापस लौटी मजाक उड़ात हए िवसोबा चाटी न पछाः कयो कहा गयी थी

म ा न सरलता स उ र िदयाः म बाहर स तवा लन गयी थी लिकन कोई दता ही नही ह

घर पहचत ही जञान र न उसकी उदासी का कारण पछा तो म ा न सारा हाल सना िदया जञान रः कोई बात नही त आटा तो िमला

म ाबाईः आटा तो िमला िमलाया ह

जञान र नगी पीठ करक बठ गय उन योिगराज न ाणो का सयम करक पीठ पर अि न की भावना की पीठ त तव की भाित लाल हो गयी ल िजतनी रोटी या चील सकन हो इस पर सक ल

म ाबाई ःवय योिगनी थी भाइयो की शि को जानती थी उसन बहत स मीठ और नमकीन चील व रोिटया बना ली िफर कहाः भया अपन तव को शीतल कर लो

जञान र न अि नधारण का उपसहार कर िदया सकलप बल स तो अभी भी कछ लोग चमतकार करक िदखात ह जञान र महाराज न अि न त व की

धारणा करक अि न को कट कर िदया था व सतय-सकलप एव योगशि -सपनन परष थ जस आप ःवपन म अि न जल आिद सब बना लत ह वस ही योगशि -सपनन परष जामत म िजस त व की धारणा कर उस बढ़ा अथवा घटा सकत ह

जल त व की धारणा िस हो जाय तो आप जहा जल म गोता मारो और हजारो मील दर िनकलो पथवी त व की धारणा िस ह तो आपको यहा गाड़ द और आप हजारो मील दर कट हो जाओ ऐस ही वाय त व अि न त व आिद की धारणा भी िस की जा सकती ह कबीरजी क जीवन म भी ऐस चमतकार हए थ और दसर योिगयो क जीवन म भी दख-सन गय थ

मर गरदव परम पजय ःवामी ौीलीलाशाहजी महाराज न नीम क पड़ को आजञा दी िक त अपनी जगह पर जा तो वह पड़ चल पड़ा तबस लीलाराम म स ौी लीलाशाह क नाम स व िस हए योगशि म बड़ा सामथयर होता ह

आप ऐसा सामथयर पा लो ऐसा मरा आमह नही ह लिकन थोड़ स सख क िलए कषिणक सख क िलए बाहर न भागना पड़ ऐस ःवाधीन हो जाओ िसि या पान की कबर साधना करना आवयक नही ह लिकन सख-दःख क झटको स बचन की सरल साधना अवय कर लो

िनवि नाथ भोजन करत हए भोजन की शसा कर रह थः मि न िनिमरत िकय और जञान की अि न म सक गय चील क ःवाद का कया पछना

िनवि नाथ जञान र एव सोपानदव तीनो भाइयो न भोजन कर िलया था इतन म एक बड़ा सा काला क ा आया और बाकी चील लकर भागा

िनवि नाथ न कहाः अर म ा मार जलदी इस क को तर िहःस क चील वह ल जा रहा ह त भखी रह जायगी

म ाबाईः मार िकस िवटठल ही तो क ा बन गय ह िवटठल काला-कलटा रप लकर आय ह उनको कयो मार

तीनो भाई हस पड़ जञान र न पछाः जो तर चील ल गया वह काला कलटा क ा तो िवटठल ह और िवसोबा चाटी

म ाबाईः व भी िवटठल ही ह

अलग-अलग मन का ःवभाव अलग-अलग होता ह लिकन चतना तो सबम िवटठल की ही ह वह बारह वष या कनया म ाबाई कहती हः िवसोबा चाटी म भी वही िवटठल ह

िवसोबा चाटी कमहार क घर स ही म ा का पीछा करता आया था वह दखना चाहता था िक तवा न िमलन पर य सब कया करत ह वह दीवार क पीछ स सारा खल दख रहा था म ाबाई क शबद सनकर िवसोबा चाटी का दय अपन हाथो म नही रहा भागता हआ आकर सख बास की ना म ाबाई क चरणो म िगर पड़ा

म ादवी मझ माफ कर दो मर जसा अधम कौन होगा मन बहकानवाली बात सनकर आप लोगो को बहत सताया ह आप लोग मझ पामर को कषमा कर द मझ अपनी शरण म ल ल आप अवतारी परष ह सबम िवटठल दखन की भावना म सफल हो गय ह म उ म तो आपस बड़ा ह लिकन भगवदजञान म तचछ ह आप लोग उ म छोट ह लिकन भगवदजञान म पजनीय आदरणीय ह मझ अपन चरणो म ःथान द

कई िदनो तक िवसोबा अननय-िवनय करता रहा आिखर उसक प ाताप को दखकर िनवि नाथ न उस उपदश िदया और म ाबाई स दीकषा-िशकषा िमली वही िवसोबा चाटी िस महातमा िवसोबा खचर हो गय िजनक ारा िस सत नामदव न दीकषा ा की

बारह वष या बािलका म ाबाई कवल बािलका नही थी वह तो आ शि का ःवरप थी िजनकी कपा स िवसोबा चाटी जसा ईयारल िस सत िवसोबा खचर हो गय

नारी त नारायणी ह दवी सयम-साधना ारा अपन आतमःवरप को पहचान ल ॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐ

अनबम

रतनबाई की गरभि गजरात क सौरा ानत म नरिसह महता नाम क एक उचचकोिट क महापरष हो गय व जब भजन

गात तो ौोतागण भि भाव स सराबोर हो उठत थ दो लड़िकया नरिसह महता की बड़ी भि न थी लोगो न अफवाह फला दी की उन दो कवारी यवितयो

क साथ नरिसह महता का कछ गलत समबनध ह अफवाह बड़ी तजी स फल गयी

किलयग म बरी बात फलाना बड़ा आसान ह िजसक अनदर बराइया ह वह आदमी दसरो की बरी बात जलदी स मान लता ह

उन लड़िकयो क िपता और भाई भी ऐस ही थ उनहोन लड़िकयो की खब िपटाई की और कहाः तम लोगो न तो हमारी इजजत खराब कर दी हम बाजार स गजरत ह तो लोग बोलत ह िक इनही की दो लड़िकया ह िजनक साथ नरिसह महता का

खब मार-पीटकर उन दोनो को कमर म बनद कर िदया और अलीगढ़ क बड़-बड़ ताल लगा िदय िफर चाबी अपनी जब म डालकर दोनो चल िदय िक दख आज कथा म कया होता ह

उन दोनो लड़िकयो म स एक रतनबाई रोज सतसग-कीतरन क दौरान अपन हाथो स पानी का िगलास भरकर भाव भर भजन गान वाल नरिसह महता क होठो तक ल जाती थी लोगो न रतनबाई का भाव एव नरिसह महता की भि नही दखी बिलक पानी िपलान की बा िबया को दखकर उलटा अथर लगा िलया

सरपच न घोिषत कर िदयाः आज स नरिसह महता गाव क चौराह पर ही सतसग-कीतरन करग घर पर नही

नरिसह महता न चौराह पर सतसग-कीतरन िकया िववािदत बात िछड़न क कारण भीड़ बढ़ गयी थी कीतरन करत-करत राऽी क 12 बज गय नरिसह महता रोज इसी समय पानी पीत थ अतः उनह पयास लगी

इधर रतनबाई को भी याद आया िक गरजी को पयास लगी होगी कौन पानी िपलायगा रतनबाई न बद कमर म ही मटक म स पयाला भरकर भावपणर दय स आख बद करक मन-ही-मन पयाला गरजी क होठो पर लगाया

जहा नरिसह महता कीतरन-सतसग कर रह थ वहा लोगो को रतनबाई पानी िपलाती हई नजर आयी लड़की का बाप एव भाई दोनो आ यरचिकत हो उठ िक रतनबाई इधर कस

वाःतव म तो रतनबाई अपन कमर म ही थी पानी का पयाला भरकर भावना स िपला रही थी लिकन उसकी भाव की एकाकारता इतनी सघन हो गयी िक वह चौराह क बीच लोगो को िदखी

अतः मानना पड़ता ह िक जहा आदमी का मन अतयत एकाकार हो जाता ह उसका शरीर दसरी जगह होत हए भी वहा िदख जाता ह

रतनबाई क बाप न पऽ स पछाः रतन इधर कस

रतनबाई क भाई न कहाः िपताजी चाबी तो मरी जब म ह

दोनो भाग घर की ओर ताला खोलकर दखा तो रतनबाई कमर क अदर ही ह और उसक हाथ म पयाला ह रतनबाई पानी िपलान की मिा म ह दोनो आ यरचिकत हो उठ िक यह कस

सत एव समाज क बीच सदा स ही ऐसा ही चलता आया ह कछ असामािजक त व सत एव सत क पयारो को बदनाम करन की कोई भी कसर बाकी नही रखत िकत सतो-महापरषो क सचच भ उन सब बदनािमयो की परवाह नही करत वरन व तो लग ही रहत ह सतो क दवी काय म

ठीक ही कहा हः इलजाम लगानवालो न इलजाम लगाय लाख मगर

तरी सौगात समझकर क हम िसर प उठाय जात ह ॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐ

अनबम

लीन ौी मा महगीबा [ परम पजय बापजी की लीन मातौी मा महगीबा (पजनीया अममा) क कछ मधर सःमरण ःवय

पजय बापजी क शबदो]

मरी मा का िदवय गरभाव मा बालक की थम गर होती ह बालक पर उसक लाख-लाख उपकार होत ह वयवहािरक दि स म

उनका पऽ था िफर भी मर ित उनकी गरिन ा िनराली थी

एक बार व दही खा रही थी तो मन कहाः दही आपक िलए ठीक नही रहगा

उनक जान (महायाण) क कछ समय पवर ही उनकी सिवका न मझ बताया िक अममा न िफर कभी दही नही खाया कयोिक गरजी न मना िकया था

इसी कार एक अनय अवसर पर मा भटटा (मकई) खा रही थी मन कहाः भटटा तो भारी होता ह बढ़ाप म दर स पचता ह कयो खाती हो

मा न भटट खाना भी छोड़ िदया िफर दसर-तीसर िदन उनह भटटा िदया गया तो व बोलीः गरजी न मना िकया ह गर ना बोलत ह को कया खाय

मा को आम बहत पसनद था िकत उनक ःवाःथय क अनकल न होन क कारण मन उसक िलए भी मना िकया तो मा न उस भी खाना छोड़ िदया

मा का िव ास बड़ा गज़ब का खा था एक बार कह िदया तो बात परी हो गयी अब उसम िवटािमनस ह िक नही मर िलए हािनकारक ह या अचछा उनको कछ सनन की जररत नही ह बाप न ना बोल िदया तो बात परी हो गयी

ौ ा की हद हो गयी ौ ा इतनी बढ़ गयी इतनी बढ़ गयी िक उसन िव ास का रप धारण कर िलया ौ ा और िव ास म फकर ह ौ ा सामनवाल की महानता को दखकर करनी पड़ती ह जबिक िव ास पदा होता ौीरामचिरतमानस म आता हः

भवानीशकरौ वनद ौ ािव ासरिपणौ मा पावरती ौ ा का और भगवान िशव िव ास का ःवरप ह य ौ ा और िव ास िजसम ह समझो वह

िशव-पावरतीःवरप हो गया मरी मा म पावरती का ःवरप तो था ही साथ म िशव का ःवरप भी था म एक बार जो कह दता उनक िलए वह पतथर पर लकीर हो जाता

पऽ म िदवय सःकार डालन वाली पणयशीला माताए तो इस धरा पर कई हो गयी िवनोबा भाव की माता न उनह बालयकाल स ही उचच सःकार डाल थ बालयकाल स ही िशवाजी म भारतीय सःकित की गिरमा एव अिःमता की रकषा क सःकार डालनवाली भी उनकी माता जीजाबाई ही थी लिकन पऽ को गर मानन का भाव दवहित क िसवाय िकसी अनय माता म मन आज तक नही दखा था

मरी मा पहल तो मझ पऽवत पयार करती थी लिकन जबस उनकी मर ित गर की नजर बनी तबस मर साथ पऽरप स वयवहार नही िकया व अपनी सिवका स हमशा कहती-

सा जी आय ह सा जी का जो खाना बचा ह वह मझ द द आिद-आिद एक बार की बात ह मा न मझस कहाः साद दो

हद हो गयी ऐसी ौ ा पऽ म इस कार की ौ ा कोई साधारण बात ह उनकी ौ ा को नमन ह बाबा

मरी य माता शरीर को जनम दनवाली माता तो ह ही भि मागर की गर भी ह समता म रहन वाली और समाज क उतथान की रणा दन वाली माता भी ह यही नही इन सबस बढ़कर इन माता न एक ऐसी गजब की भिमका अदा की ह िक िजसका उललख इितहास म कभी-कभार ही िदखाई पड़ता ह सितयो की मिहमा हमन पढ़ी सनी सनायी अपन पित को परमातमा माननवाली दिवयो की सची भी हम िदखा सकत ह लिकन पऽ म गरबि पऽ म परमातमबि ऐसी ौ ा हमन एक दवहित माता म दखी जो किपल मिन को अपना गर मानकर आतम-साकषातकार करक तर गयी और दसरी य माता मर धयान म ह

एक बार म अचानक बाहर चला गया और जब लौटा तो सिवका न बताया िक माताजी बात नही करती ह

मन पछाः कयो

सिवकाः व कहती ह िक सा मना कर गय ह िक िकसी स बात नही करना तो कयो बातचीत कर

मर िनकटवत कहलान वाल िशय भी मरी आजञा पर ऐसा अमल नही करत होग जसा इन दवीःवरपा माता न अमल करक िदखाया ह मा की ौ ा की कसी पराका ा ह मझ ऐसी मा का बटा होन का वयावहािरक गवर ह और जञानी गर का िशय होन का भी गवर ह

भ मझ जान दो मरी मा मझ बड़ आदर भाव स दखा करती थी जब उनकी उ करीब 86 वषर की थी तब उनका शरीर

काफी बीमार हो गया था डॉकटरो न कहाः लीवर और िकडनी दोनो खराब ह एक िदन स जयादा नही जी सक गी

23घणट बीत गय मन अपन व को भजा तो व भी उतरा हआ मह लकर मर पास आया और बोलाः बाप एक घणट स जयादा नही िनकाल पायगी मा

मन कहाः भाई त कछ तो कर मरा व ह इतन िचिकतसालय दखता ह

व ः बाप अब कछ नही हो सकगा

मा कराह रही थी करवट भी नही ल पा रही थी जब लीवर और िकडनी दोनो िनिबय हो तो कया करग आपक इजकशन और दवाए म गया मा क पास तो मा न इस ढग स हाथ जोड़ मानो जान की आजञा माग रही हो िफर धीर स बोली-

भ मझ जान दो

ऐसा नही िक बटा मझ जान दो नही नही मा न कहाः भगवान मझ जान दो भ मझ जान दो

मन उनक भ-भाव और भगवान भाव का जी भरकर फायदा उठाया और कहाः म नही जान दता तम कस जाती हो म दखता ह

मा बोलीः भ पर म कर कया

मन कहाः म ःवाःथय का मऽ दता ह

उवरर भिम पर उलटा-सीधा बीज बड़ तो भी उगता ह मा का दय ऐसा ही था मन उनको मऽ िदया और उनहोन रटना चाल िकया एक घणट म जो मरन की नौबत दख रही थी अब एक घणट क बाद उनक ःवाःथय म सधार शर हो गया िफर एक महीना दो महीन पाच महीन पिह महीन पचचीस महीन चालीस महीन ऐसा करत-करत साठ स भी जयादा महीन हो गय तब व 86 वषर की थी अभी 92 वषर पार कर गयी जब आजञा िमली रोकन का सकलप लगाया तो उस हटान का कतरवय भी मरा था अतः आजञा िमलन पर ही उनहोन शरीर छोड़ा गरआजञा-पालन का कसा दढ़ भाव

इचछाओ स परः मा महगीबा एक बार मन मा स कहाः आपको सोन म तौलग

लिकन उनक चहर पर हषर का कोई िच नजर नही आया मन पनः िहला-िहलाकर कहाः आपको सोन म तौलग सोन म

माः यह सब मझ अचछा नही लगता

मन कहाः तला हआ सोना मिहला आौम शःट म जमा करग िफर मिहलाओ और गरीबो की सवा म लगगा

मा- हा सवा म भल लग लिकन मर को तौलना-वौलना नही

सवणर महोतसव क पहल ही मा की याऽा परी हो गयी बाद म सवणर महोतसव क िनिम जो भी करना था वह िकया ही

मन कहाः आपका मिदर बनायग

मा- य सब कछ नही करना ह

म- आपकी कया इचछा ह हिर ार जाय

मा- वहा तो नहाकर आय

म- कया खाना ह यह खाना ह

मा- मझ अचछा नही लगता

कई बार िवनोद का समय िमलता तो हम पछत कई वािहश पछ-पछकर थक गय लिकन उनकी कोई वािहश हमको िदखी नही अगर उनकी कोई भी इचछा होती तो उनक इिचछत पदाथर को लान की सिवधा मर पास थी िकसी वयि स पऽ स पऽी स कटमबी स िमलन की इचछा होती तो उनस भी िमला दत कही जान की इचछा होती तो वहा ल जात लिकन उनकी कोई इचछा ही नही थी

न उनम कछ खान की इचछा थी न कही जान की न िकसी स िमलन की इचछा थी न ही यश-मान की तभी तो उनह इतना मान िमल रहा ह जहा मान-अपमान सब ःवपन ह उसम उनकी िःथित हई इसीिलए ऐसा हो रहा ह

इस सग स करोड़ो-करोड़ो लोगो को समम मानव-जाित को जरर रणा िमलगी

अनबम

जीवन म कभी फिरयाद नही मन अपनी मा को कभी कोई फिरयाद करत हए नही दखा िक मझ इसन दःख िदया उसन क

िदया यह ऐसा ह जब हम घर पर थ तब बड़ा भाई जाकर मर बार म मा स फिरयाद िक वह तो दकान पर आता ही नही ह

मा मझस कहती- अब कया कर वह तो ऐसा बोलता ह

जब मा आौम म रहन लगी तब भी आौम की बिचचयो की कभी फिरयाद नही आौम क बचचो की कभी फिरयाद नही कसा मक जीवन ऐसी आतमाए धरती पर कभी-कभार ही आती ह इसीिलए वह वसनधरा िटकी हई ह मझ इस बात का बड़ा सतोष ह िक ऐसी तपिःवनी माता की कोख स यह शरीर पदा हआ ह

उनक िच की िनमरलता स मझ तो बड़ी मदद िमली आप लोगो को भी बड़ा अचछा लगता होगा मझ तो लगता ह िक जो भी मिहलाए मा क िनकट आयी होगी उनक दय म माता क ित अहोभाव जग ही गया होगा

म तो सत की मा ह य लोग साधारण ह ऐसा भाव कभी िकसी न उनम नही दखा अथवा हम बड़ ह पजन यो य ह लोग हम णाम कर मान द ऐसा िकसी न उनम नही दखा अिपत यह जरर दखा ह िक व िकसी को णाम नही करन दती थी

ऐसी मा क सपकर म हम आय ह तो हम भी ऐसा िच बनाना चािहए िक हम भी सख-दःख म सम रह अपनी आवयकताए कम कर दय म भदभाव न रह सबक मगल का भाव रख

अनबम

बीमारो क ित मा की करणा

मझ इस बात का पता अभी तक नही थी अभी रसोइय न और दसर लोगो न बताया िक जब भी कोई आौमवासी बीमार पड़ जाता तो मा उसक पास ःवय चली जाती थी सचालक रामभाई न बताया िक एक बार म बहत बीमार पड़ गया तो मा आयी और मर ऊपर स कछ उतारा करक उस अि न म फ क िदया उनहोन ऐसा तीन िदन तक िकया और म ठीक हो गया

दसर लड़को न भी बताया िक हमको भी कभी कछ होता और मा को पता चलता तो व दखन आ ही जाती थी

एक बार आौम म िकसी मिहला को बखार हो गया तो मा ःवय उसका िसर दबान बठ गयी मिहला आौम म भी कोई सािधका बीमार पड़ती तो मा उसका धयान रखती यिद वह ऊपर क कमर म होती तो मा कहती- बचारी को नीच का कमरा दो बीमारी म ऊपर-नीच आना-जाना नही कर पायगी ऐसा था उनका परदःखकातर दय

अनबम

कोई कायर घिणत नही ह एक बार आौम क एक बजगर साधक न एक लड़क का कचछा-लगोट गदा दखा तो उसको फटकार

लगायी लिकन मा तो ऐस कई कचछ-लगोट चपचाप धोकर बचचो क कमर क िकनार रख दती थी कई गद-मल कचछ िजनह खद भी धोन म घणा होती हो ऐस कपड़ो को धोकर मा बचचो क कमरो क िकनार चपचाप रख िदया करती

कसा उदार दय रहा होगा मा का कसा िदवय वातसलयभाव रहा होगा अतः करण म वयावहािरक वदानत की कसी िदवय धारा रही होगी सभी क ित कसी िदवय सतान भावना रही होगी

सफाई क िजस कायर को लोग घिणत समझत ह उस कायर को करन म भी मा को घणा नही होती थी िकतनी उनकी महानता सचमच व शबरी मा ही थी

अनबम

ऐसी मा क िलए शोक िकस बात का िजस िदन मर सदगरदव का महािनवारण हआ उसी िदन मरी माता का भी महािनवारण हआ 4 नवमबर

1999 तदनसार एकादशी का िदन काितरक का महीना गजरात क मतािबक आि न सवत 2055 एव गरवार न इजकशन भकवाय न आकसीजन पर रही न अःपताल म भत हई वरन आौम की एकात जगह पर ा महतर म 5 बजकर 37 िमनट पर िबना िकसी ममता- आसि क उनका न र दह छटा पछी िपजरा छोड़कर आजाद हआ हआ तो शोक िकस बात का

वयवहारकाल म लोग बोलत ह िक बाप जी यह शोक की वला ह हम सब आपक साथ ह ठीक ह यह वयवहार की भाषा ह लिकन सचची बात तो यह ह िक मझ शोक हआ ही नही ह मझम तो बड़ी शाित बड़ी समता ह कयोिक मा अपना काम बनाकर गयी ह

सत मर कया रोइय व जाय अपन घर मा न आतमजञान क उजाल म दह का तयाग िकया ह शरीर स ःवय को पथक मानन की उनकी रिच

थी वासना को िमटान की कजी उनक पास थी यश और मान स व कोसो दर थी ॐॐ का िचतन-गजन करक अतमरन म याऽा करक दो िदन क बाद व िवदा ह

जस किपल मिन की मा दवहित आतमारामी हई ऐस ही मा महगीबा आतमारामी होकर न र चोल को छोड़कर शा त स ा म लीन ह अथवा सकलप करक कही भी कट हो सक ऐसी दशा म पहची ऐसी मा क िलए शोक िकस बात का

िजनक जीवन म कभी िकसी क िलए फिरयाद नही रही ऐसी आतमाए धरती पर कभी-कभार ही आती ह इसीिलए यह वसनधरा िटकी हई ह

मझ इस बात का भी सतोष ह िक आिखरी िदनो म म उनक ऋण स थोड़ा म हो पाया इधर-उधर क कई कायरबम होत रहत थ लिकन हम कायरबम ऐस ही बनात िक मा याद कर और हम पहच जाय

मर गरजी जब इस ससार स िवदा हए तो उनहोन भी मरी ही गोद म महायाण िकया और मरी मा क महािनवारण क समय भी भगवान न मझ यह अवसर िदया-इस बात का मझ सतोष ह

मगल मनाना यह तो हमारी सःकित म ह लिकन शोक मनाना ETH यह हमारी सःकित म नही ह हम ौीरामचिजी का ाकटय िदवस ETH रामनवमी बड़ी धमधाम स मनात ह लिकन ौीकण और ौीरामजी िजस िदन िवदा हए उस हम शोकिदवस क रप म नही मनात ह हम उस िदन का पता ही नही ह

शोक और मोह ETH य आतमा की ःवाभािवक दशाए नही ह शोक और मोह तो जगत को सतय मानन की गलती स होता ह इसीिलए अवतारी महापरषो की िवदाई का िदन भी हमको याद नही िक िकस िदन व िवदा हए और हम शोक मनाय

हा िकनही-िकनही महापरषो की िनवारण ितिथ जरर मनात ह जस वालमीिक िनवारण ितिथ ब की िनवारण ितिथ कबीर नानक ौीरामकणपरमहस अथवा ौीलीलाशाहजी बाप आिद व ा महापरषो की िनवारण ितिथ मनात ह लिकन उस ितिथ को हम शोक िदवस क रप म नही मनात वरन उस ितिथ को हम मनात ह उनक उदार िवचारो का चार-सार करन क िलए उनक मागिलक काय स सतरणा पान क िलए

हम शोक िदवस नही मनात ह कयोिक सनातन धमर जानता ह िक आपका ःवभाव अजर अमर अजनमा शा त और िनतय ह और मतय शरीर की होती ह हम भी ऐसी दशा को ा हो इस कार क सःमरणो का आदान-दान िनवारण ितिथ पर करत ह महापरषो क सवाकाय का ःमरण करत ह एव उनक िदवय जीवन स रणा पाकर ःवय भी उननत हो सक ETH ऐसी उनस ाथरना करत ह

(परम पजय सत ौी आसारामजी बाप की पजनीया मातौी मा महगीबा अथारत हम सबकी पजनीया अममा क िवशाल एव िवराट वयि तव का वणरन करना मानो गागर म सागर को समान की च ा करना वातसलय और म की साकषात मितर परोपकािरता एव परदःखकातरता स पलािवत दय िदवय गरिन ा ःवावलबन एव कमरिन ा िनरािभमानता की मितर भारतीय सःकित की रकषक िकन-िकन गणो का वणरन कर िफर भी उनक महान जीवन की वािटका क कछ प यहा ःतत करत ह िजनका सौरभ जन-जन को सरिभत िकय िबना न रह सकगा)

अनबम

अममा की गरिन ा अममा अथारत पणर िनरिभमािनता का मतर ःवरप उनका परोपकारी सरल ःवभाव िनकाम सवाभाव एव

परिहतिचतन िकसी को भी उनक चरणो म ःवाभािवक ही झकन क िलए िरत कर द अनको साधक जब अममा क दशरन करन क िलए जात तब कई बार ससार क ताप स त दय उनक समकष खल जातः अममा आप आशीवारद दो न म परशािनयो स छट जाऊ

अममा का गरभ दय सामन वाल क दय म उतसाह एव उमग का सचार कर दता एव उसकी गरिन ा को मजबत बना दता व कहती- गरदव बठ ह न हमशा उनहीस ाथरना करो िक ह गरवर हम आपक साथ का यह समबनध सदा क िलए िनभा सक ऐसी कपा करना हम गर स िनभाकर ही इस ससार स जाय मागना हो तो गरदव की भि ही मागना म भी उनक पास स यही मागती ह अतः तमह मरा आशीवारद नही अिपत गरदव का अनमह मागत रहना चािहए व ही हम िहममत दग बल दग व शि दाता ह न

साधना-पथ पर चलनवाल गरभ ो को अममा का यह उपदश अपन दयपटल पर ःवणारकषरो म अिकत कर लना चािहए

अनबम

ःवावलबन एव परदःखकातरता अममा ातःकाल सय दय स पवर 4-5 बज उठ जाती और िनतयकमर स िनव होकर पहल अपन िनयम

करती िकतना भी कायर हो पर एक घणटा तो जप करती ही थी यह बात तब की ह जब तक उनक शरीर न उनका साथ िदया जब शरीर व ावःथा क कारण थोड़ा अश होन लगा तो िफर तो िदन भर जप करती रहती थी

82 वषर की अवःथा तक तो अममा अपना भोजन ःवय बनाकर खाती थी आौम क अनय सवाकायर करती रसोईघर की दखरख करती बगीच म पानी िपलाती सबजी आिद तोड़कर लाती बीमार का हालचाल पछकर आती एव रािऽ म भी एक-दो बज आौम का चककर लगान िनकल पड़ती यिद शीतकाल का मौसम

होता कोई ठड स िठठर रहा होता तो चपचाप उस कबल ओढ़ा आती उस पता भी नही चलता और वह शाित स सो जाता उस शाित स सोत दखकर अममा का मात दय सतोष की सास लता इसी कार गरीबो म भी ऊनी व ो एव कबलो का िवतरण पजनीया अममा करती-करवाती

उनक िलए तो कोई भी पराया न था चाह आौमवासी बचच हो या सड़क पर रहन वाल दिरिनारायण सबक िलए उनक वातसलय का झरना सदव बहता ही रहता था िकसी को कोई क न हो दःख न हो पीड़ा न हो इसक िलए ःवय को क उठाना पड़ तो उनह मजर था पर दसर की पीड़ा दसर का क उनस न दखा जाता था

उनम ःवावलबन एव परदःखकातरता का अदभत सिममौण था वह भी इस तरह िक उसका कोई अह नही कोई गवर नही सबम परमातमा ह अतः िकसी को दःख कयो पहचाना यह सऽ उनक पर जीवन म ओतोत नजर आता था वयवहार तो ठीक वाणी क ारा भी कभी िकसी का िदल अममा न दखाया हो ऐसा दखन म नही आया

सचमच पजनीया अममा क य सदगण आतमसात करक तयक मानव अपन जीवन को िदवय बना सकता ह

अनबम

अममा म मा यशोदा जसा भाव जब अममा पािकःतान म थी तब तो िनतय िनयम स छाछ-मकखन बाटा ही करती थी लिकन भारत म

आन पर भी उनका यह बम कभी नही टटा अपन आौम-िनवास क दौरान अममा अपन हाथो स ही छाछ िबलोती एव लोगो म छाछ-मकखन बाटती जब तक शरीर न साथ िदया तब तक ःवय दही िबलोवा लिकन 82 वषर की अवःथा क बाद जब शरीर असमथर हो गया तब भी दसरो स मकखन िनकलवाकर बाटा करती

अपन जीवन क अितम 3-4 वषर अममा न एकदम एकात शात ःथल शाित वािटका म िबताय वहा भी अममा कभी-कभार आौम स मकखन मगवाकर वािटका क साधको को दती

अपनी जीवनलीला समा करन स 4-5 महीन पवर अममा िहममतनगर आौम म थी वहा तो मकखन िमलता भी नही था तब अमदावाद आौम स मकखन मगवाकर वहा क साधको म बटवाया सबको मकखन बाटन म पजनीया अममा बड़ी ति का अनभव करती ऐसा लगता मानो मा यशोदा अपन गोप-बालको को मकखन िखला रही हो

अनबम

दन की िदवय भावना अममा िकसी को साद िलए िबना न जान दती थी यह तो उनक सपकर म आन वाल तयक वयि

का अनभव ह

नवरािऽ की घटना ह एक बार आगरा का एक भाई अममा को भट करन क िलए एक गलदःता लकर आया दशरन करक वह भाई तो चला गया सिवका को उस साद दना याद न रहा अममा को इस बात का बड़ा दःख हआ िक वह भाई साद िलए िबना चला गया अचानक वह भाई िकसी कारणवश पनः अममा की कटीर क पास आया उस बलाकर अममा न साद िदया तभी उनको चन पड़ा

ऐसा तो एक-दो का नही सकड़ो-हजारो का अनभव ह िक आगनतक को साद िदय िबना अममा नही जान दती थी दना दना और दना यही उनका ःवभाव था वह दना भी कसा िक कोई सकीणरता नही दन का कोई अिभमान नही

ऐसी स दय एव परोपकारी मा क यहा यिद सत अवतिरत न हो तो कहा हो

अनबम

गरीब कनयाओ क िववाह म मदद पजनीया मा का ःवभाव अतयत परोपकारी था गरीबो की वदना उनक दय को िपघलाकर रख दती

थी कभी भी िकसी की दःख-पीड़ा की बात उनक कानो तक पहचती तो िफर उसकी सहायता कस करनी ह ETH इसी बात का िचतन मा क मन म चलता रहता था और जब तक उस यथा यो य मदद न िमल जाती तब तक व चन स बठती तक नही

एक गरीब पिरवार म कनया की शादी थी जब पजनीया मा को इस बात का पता चला तो उनहोन अतयत दकषता क साथ उस मदद करन की योजना बना डाली उस पिरवार की आिथरक िःथित जानकर लड़की क िलए व एव आभषण बनवा िदय और शादी क खचर का बोझ कछ हलका हो ETH इस ढग स आिथरक मदद भी की और वह भी इस तरह स िक लन वाल को पता तक न चल पाया िक यह सब पजनीया मा क दयाल ःवभाव की दन ह कई गरीब पिरवारो को पजनीया मा की ओर स कनया की शादी म यथायो य सहायता इस कार स िमलती रहती थी मानो उनकी अपनी बटी की शादी हो

अनबम

अममा का उतसव म भारतीय सःकित क तयक पवर तयोहारो को मनान क िलए अममा सभी को ोतसािहत िकया करती थी

एव ःवय भी पवर क अनरप सबको साद बाटा करती थी जस मकर-सबाित पर ितल क ल ड आिद आौम क पसो स दान का बोझ न चढ़ इसिलए अपन जय पऽ जठानद स पस लकर पजनीया अममा पव पर साद बाटा करती

िसिधयो का एक िवशष तयोहार ह तीजड़ी जो रकषाबनधन क तीसर िदन आता ह उस िदन चाद क दशरन पजन करक ही ि या भोजन करती ह अममा की सिवका न भी तीजड़ी का ोत रखा था उस व अममा िहममतनगर म थी रािऽ हो चकी थी सिवका न अममा स भोजन क िलए ाथरना की तो अममा बोल

पड़ी- त चाद दखकर खायगी नयाणी (कनया) भखी रह और म खाऊ नही जब चाद िदखगा म भी तभी खाऊगी

अममा भी चाद की राह दखत हए कस पर बठी रही जब चाद िदखा तब अपनी सिवका क साथ ही अममा न रािऽ-भोजन िकया कसा मात दय था अममा का िफर हम उनह जगजजननी न कह तो कया कह

अनबम

तयक वःत का सदपयोग होना चािहए अममा अमदावाद आौम म रहती थी तब की यह बात ह कई लोग आौम म दशरन करन क िलए

आत बड़ बादशाह की पिरबमा करत एव वहा का जल ल जात यिद उनह पानी की खाली बोतल न िमलती तो अममा क पास आ जात एव अममा उनह बोतल द दती अममा क पास इतनी सारी बोतल कहा स आती थी जानत ह अममा पर आौम म चककर लगाती तब यऽ-तऽ पड़ी हई फ क दी गयी बोतल ल आती उस गमर पानी एव साबन स साफ करक सभालकर रख दती और जररतमदो को द दती

इसी कार िशिवरो क उपरात कई लोगो की चपपल पड़ी होती थी उनकी जोड़ी बनाकर रखती एव उनह गरीबो म बाट दती

ऐसा था उनका खराब म स अचछा बनान का ःवभाव म िव सनीय सत की मा ह यह अिभमान तो उनह छ तक न सका था बस तयक चीज का सदपयोग होना चािहए िफर वह खान की चीज हो या पहनन-ओढ़न की

अनबम

अह स पर अममा क सवाकायर का कषऽ िजतना िवशाल था उतनी ही उनकी िनिभमानता भी महान थी उनक

सवाकायर का िकसी को पता चल जाता तो उनह अतयत सकोच होता इसीिलए उनहोन अपना सवाकषऽ इस कार िवकिसत िकया िक उनक बाय हाथ को पता न चलता िक दाया हाथ कौन सी सवा कर रहा ह

यिद कोई कतजञता वय करन क िलए उनह णाम करन आता तो व नाराज हो जाती अतः उनकी सिवका इस बात की बड़ी सावधानी रखती िक कोई अममा को णाम करन न आय

िजनहोन जीवन म कवल दना ही सीखा और िसखाया हो उनस नमन का ऋण भी सहन नही होता था व कवल इतना ही कहती- िजसन सब िदया ह उस परमातमा को ही नमन कर

उनकी मक सवा क आग मःतक अपन-आप झक जाता ह उनकी िनरिभमानता िनकामता एव मक सवा की भावना यगो-यगो तक लोगो क िलए रणादायी एव पथ-दशरक बनी रहगी

अनबम(सकिलत)

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मीराबाई की गरभि (मीराबाई की दढ़ भि को कौन नही जानता उनही क कछ पदो ारा उनक जीवन सग पर काश

डालत हए पजजौी कह रह ह)

भि मती मीराबाई का एक िस भजन हः

पग घघर बाध मीरा नाची र लोग कह मीरा भई र बावरी सास कह कलनासी र िबष को पयालो राणाजी भजयो

पीवत मीरा हासी र म तो अपन नारायण की आपिह हो गइ दासी र मीरा क भ िगरधर नागर

सहज िमलया अिबनासी र एक बार सत रदास जी िचतौड़ पधार थ रदासजी रघ चमार क यहा जनम थ उनकी छोटी जाित थी

और उस समय जात-पात का बड़ा बोल बाला था व नगर स दर चमारो की बःती म रहत थ राजरानी मीरा को पता चला िक सत रदासजी महाराज पधार ह लिकन राजरानी क वश म वहा कस जाय मीरा एक मोची मिहला का वश बनाकर चपचाप रदासजी क पास चली जाती उनका सतसग सनती उनक कीतरन और धयान म म न हो जाती

ऐसा करत-करत मीरा का स वगण दढ़ हआ मीरा न सोचाः ई र क राःत जाय और चोरी िछप जाय आिखर कब तक िफर मीरा अपन ही वश म उन चमारो की बःती म जान लगी

मीरा को उन चमारो की बःती म जात दखकर अड़ोस-पड़ोस म कानाफसी होन लगी पर मवाड़ म कहराम मच गया िक ऊची जाित की ऊच कल की राजघरान की मीरा नीची जाित क चमारो की बःती म जाकर साधओ क यहा बठती ह मीरा ऐसी ह वसी ह ननद उदा न उस बहत समझायाः

भाभी लोग कया बोलग तम राजकल की रानी और गदी बःती म चमारो की बःती म जाती हो चमड़ का काम करनवाल चमार जाित क एक वयि को गर मानती हो उसको मतथा टकती हो उसक हाथ स साद लती हो उसको एकटक दखत-दखत आख बद करक न जान कया-कया सोचती और करती हो यह ठीक नही ह भाभी तम सधर जाओ

सास नाराज ससर नाराज दवर नाराज ननद नाराज कटबीजन नाराज उदा न कहाः मीरा मान लीिजयो महारी तन सिखया बरज सारी

राणा बरज राणी बरज बरज सपिरवारी साधन क सग बठ बठ क लाज गवायी सारी

मीरा अब तो मान जा तझ म समझा रही ह सिखया समझा रही ह राणा भी कह रहा ह रानी भी कह रही ह सारा पिरवार कह रहा ह िफर भी त कयो नही समझती ह इन सतो क साथ बठ-बठकर त कल की सारी लाज गवा रही ह

िनत ित उठ नीच घर जाय कलको कलक लगाव

मीरा मान लीिजयो महारी तन बरज सिखया सारी तब मीरा न उ र िदयाः

तारयो िपयर सासिरयो तारयो मा मौसाली सारी मीरा न अब सदगर िमिलया चरणकमल बिलहारी

म सतो क पास गयी तो मन पीहर का कल तारा ससराल का कल तारा मौसाल का और निनहाल का कल भी तारा ह

मीरा की ननद पनः समझाती हः तन बरज बरज म हारी भाभी मानो बात हमारी राणा रोस िकया था ऊपर साधो म मत जारी

कल को दाग लग ह भाभी िनदा होय रही भारी साधो र सग बन बन भटको लाज गवायी सारी बड़ गर म जनम िलयो ह नाचो द द तारी

वह पायो िहदअन सरज अब िबदल म कोई धारी मीरा िगरधर साध सग तज चलो हमारी लारी तन बरज बरज म हारी भाभी मानो बात हमारी

उदा न मीरा को बहत समझाया लिकन मीरा की ौ ा और भि अिडग ही रही मीरा कहती ह िक अब मरी बात सनः

मीरा बात नही जग छानी समझो सधर सयानी साध मात िपता ह मर ःवजन ःनही जञानी

सत चरण की शरण रन िदन मीरा कह भ िगरधर नागर सतन हाथ िबकानी

मीरा की बात अब जगत स िछपी नही ह साध ही मर माता-िपता ह मर ःवजन ह मर ःनही ह जञानी ह म तो अब सतो क हाथ िबक गयी ह अब म कवल उनकी ही शरण ह

ननद उदा आिद सब समझा-समझाकर थक गय िक मीरा तर कारण हमारी इजजत गयी अब तो हमारी बात मान ल लिकन मीरा भि म दढ़ रही लोग समझत ह िक इजजत गयी िकत ई र की भि करन पर आज तक िकसी की लाज नही गयी ह सत नरिसह महता न कहा भी हः

हिर न भजता हजी कोईनी लाज जता नथी जाणी र मखर लोग समझत ह िक भजन करन स इजजत चली जाती ह वाःतव म ऐसा नही ह

राम नाम क शारण सब यश दीनहो खोय मरख जान घिट गयो िदन िदन दनो होय

मीरा की िकतनी बदनामी की गयी मीरा क िलए िकतन ष यऽ िकय गय लिकन मीरा अिडग रही तो मीरा का यश बढ़ता गया आज भी लोग बड़ म स मीरा को याद करत ह उनक भजनो को गाकर अथवा सनकर अपना दय पावन करत ह

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अनबम

राजकमारी मिललका बनी तीथकर मिललयनाथ जन धमर म कल 24 तीथकर हो चक ह उनम एक राजकनया भी तीथकर हो गयी िजसका नाम था

मिललयनाथ

राजकमारी मिललका इतनी खबसरत थी िक कई राजकमार व राजा उसक साथ बयाह रचाना चाहत थ लिकन वह िकसी को पसद नही करती थी आिखरकार उन राजकमारो व राजाओ न आपस म एक जट होकर मिललका क िपता को िकसी य म हरा कर मिललका का अपहरण करन की योजना बनायी

मिललका को इस बात का पता चल गया उसन राजकमारो व राजाओ को कहलवाया िक आप लोग मझ पर कबारन ह तो म भी आप सब पर कबारन ह ितिथ िनि त किरय आप लोग आकर बातचीत कर म आप सबको अपना सौनदयर द दगी

इधर मिललका न अपन जसी ही एक सनदर मितर बनवायी एव िनि त की गयी ितिथ स दो-चार िदन पहल स वह अपना भोजन उसम डाल िदया करती थी िजल हॉल म राजकमारी व राजाओ को मलाकात दनी थी उसी हॉल म एक ओर वह मितर रखवा दी गयी

िनि त ितिथ पर सार राजा व राजकमार आ गय मितर इतनी हबह थी िक उसकी ओर दखकर राजकमार िवचार ही कर रह थ िक अब बोलगीअब बोलगी इतन म मिललका ःवय आयी तो सार राजा व राजकमार उस दखकर दग रह गय िक वाःतिवक मिललका हमार सामन बठी ह तो यह कौन ह

मिललका बोलीः यह ितमा ह मझ यही िव ास था िक आप सब इसको ही सचची मानगऔर सचमच म मन इसम सचचाई छपाकर रखी ह आपको जो सौनदयर चािहए वह मन इसम छपाकर रखा ह

यह कहकर जयो ही मितर का ढककन खोला गया तयो ही सारा ककष दगरनध स भर गया िपछल चार-पाच िदन स जो भोजन उसम डाला गया था उसक सड़ जान स ऐसी भयकर बदब िनकल रही थी िक सब िछः-िछः कर उठ

तब मिललका न वहा आय हए सभी राजाओ व राजकमारो को समबोिधत करत हए कहाः भाइयो िजस अनन जल दध फल सबजी इतयािद को खाकर यह शरीर सनदर िदखता ह मन व ही खा -सामिमया चार-पाच िदनो स इसम डाल रखी थी अब य सड़ कर दगरनध पदा कर रही ह दगरनध पदा करन वाल इन खा ाननो स बनी हई चमड़ी पर आप इतन िफदा हो रह हो तो इस अनन को र बना कर सौनदयर दन वाला

यह आतमा िकतना सनदर होगा भाइयो अगर आप इसका याल रखत तो आप भी इस चमड़ी क सौनदयर का आकषरण छोड़कर उस परमातमा क सौनदयर की तरफ चल पड़त

मिललका की सारगिभरत बात सनकर कछ राजा एव राजकमार िभकषक हो गय और कछ न काम-िवकार स अपना िपणड छड़ान का सकलप िकया उधर मिललका सतशरण म पहच गयी तयाग और तप स अपनी आतमा को पाकर मिललयनाथ तीथकर बन गयी अपना तन-मन परमातमा को स पकर वह भी परमातममय हो गयी

आज भी मिललयनाथ जन धमर क िस उननीसव तीथकर क नाम स सममािनत होकर पजी जा रही ह

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अनबम

दगारदास की वीर जननी सन 1634 क फरवरी मास की घटना हः जोधपर नरश का सनापित आसकरण जसलमर िजल स गजर

रहा था जमल गाव म उसन दखा िक गाव क लोग डर क मार भागदौड़ मचा रह ह और पकार रह ह- हाय क हाय मसीबत बचाओ बचाओ

आसकरण न सोचा िक कही मगलो न गाव को लटना तो आरभ नही कर िदया अथवा िकसी की बह-बटी की इजजत तो नही लटी जा रही ह गाव क लोगो की चीख-पकार सनकर आसकरण वही रक गया

इतन म उसन दखा िक दो भस आपस म लड़ रही ह उन भसो न ही पर गाव म भगदड़ मचा रखी ह लिकन िकसी गाव वाल की िहममत नही हो रही ह िक पास म जाय सार लोग चीख रह थ मन दखी ह भसो की लड़ाई बड़ी भयकर होती ह

इतन म एक कनया आयी उसक िसर पर पानी क तीन घड़ थ उस कनया न सब पर नजर डाली और तीनो घड़ नीच उतार िदय अपनी साड़ी का पलल कसकर बाधा और जस शर हाथी पर टट पड़ता ह ऐस ही उन भसो पर टट पड़ी एक भस का सीग पकड़कर उसकी गरदन मरोड़न लगी भस उसक आग रभान लगी लिकन उसन भस को िगरा िदया दसरी भस पछ दबाकर भाग गयी

सनापित आसकरण तो दखता ही रह गया िक इतनी कोमल और सनदर िदखन वाली कनया म गजब की शि ह पर गाव की रकषा क िलए एक कनया न कमर कसी और लड़ती हई भस को िगरा िदया जरर यह दगार की उपासना करती होगी

उस कनया की गजब की सझबझ और शि दखकर सनापित आसकरण न उसक िपता स उसका हाथ माग िलया कनया का िपता गरीब था और एक सनापित हाथ माग रहा ह िपता क िलए इसस बढ़कर खशी की बात और कया हो सकती थी िपता न कनयादान कर िदया इसी कनया न आग चलकर वीर दगारदास जस पऽर को जनम िदया

एक कनया न पर जमल गाव को सरिकषत कर िदया साथ ही हजारो बह-बिटयो को यह सबक िसखा िदया िक भयजनक पिरिःथितयो क आग कभी घटन न टको लचच लफगो क आग कभी घटन न टको ौ सदाचारी सत-महातमा स भगवान और जगदबा स अपनी शि यो को जगान की योगिव ा सीख लो अपनी िछपी हई शि यो को जामत करो एव अपनी सतानो म भी वीरता भगवद भि एव जञान क सनदर सःकारो का िसचन करक उनह दश का एक उ म नागिरक बनाओ

राजःथान म तो आज भी बचचो को लोरी गाकर सनात ह- सालवा जननी एहा प जण ज हा दगारदास

अपन बचचो को साहसी उ मी धयरवान बि मान और शि शाली बनान का यास सभी माता-िपता को करना चािहए सभी िशकषको एव आचाय को भी बचचो म सयम-सदाचार बढ़ तथा उनका ःवाःथय मजबत बन इस हत आौम स कािशत यवाधन सरकषा एव योगासन पःतको का पठन-पाठन करवाना चािहए तािक भारत पनः िव गर की पदवी पर आसीन हो सक

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अनबम

कमरिन यामो यतः वि भरताना यन सवरिमद ततम

ःवकमरणा तम यचय िसि िवनदित मानवः िजस परमातमा स सवरभतो की उतपि हई ह और िजसस यह सवर जगत वया ह उस परम र क

अपन ःवाभािवक कम ारा पजकर मनय परम िसि को ा होता ह (ौीमदभगवदगीताः 1846)

अपन ःवाभािवक कमररपी पपो ारा सवरवयापक परमातमा की पजा करक कोई भी मनय परम िसि को ा हो सकता ह िफर भल ही वह कोई बड़ा सठ हो या छोटा-सा गरीब वयि

यामो नामक एक 13 वष या लड़की की शादी हो गयी साल भर बाद उसक पित की मतय हो गयी और वह लड़की 14 वषर की छोटी सी उ म ही िवधवा हो गयी यामो न सोचा िक अपन जीवन को आलसी मादी या िवलासी बनाना ETH यह समझदारी नही ह अतः उसन दसरी शादी न करक पिवऽ जीवन जीन का िन य िकया और इसक िलए अपन माता-िपता को भी राजी कर िलया उसक माता-िपता महागरीब थ

यामो सबह जलदी उठकर पाच सर आटा पीसती और उसम स कछ कमाई कर लती िफर नहा-धोकर थोड़ा पजा-पाठ आिद करक पनः सत कातन बठ जाती इस कार उसन अपन को कमर म लगाय रखा और जो काम करती उस बड़ी सावधानी एव ततपरता स करती ऐसा करन स उस नीद भी बिढ़या आती और थोड़ी दर पजा पाठ करती तो उसम भी मन बड़ मज स लग जाता ऐसा करत-करत यामो न दखा िक यहा स जो याऽी आत-जात ह उनह बड़ी पयास लगती यामो न आटा पीसकर सत कातकर िकसी क घर की रसोई

करक अपना तो पट पाला ही साथ ही करकसर करक जो धन एकिऽत िकया था अपन पर जीवन की उस सपि को लगा िदया पिथको क िलए कआ बनवान म मगर-भागलपर रोड पर िःथत वही पकका कआ िजस िपसजहारी कआ भी कहत ह आज भी यामो की कमरठता तयाग तपःया और परोपकािरता की खबर द रहा ह

पिरिःथितया चाह कसी भी आय िकत इनसान उनस हताश-िनराश न हो एव ततपरतापवरक शभ कमर करता रह तो िफर उसक सवाकायर भी पजा पाठ हो जात ह जो भगवदीय सख भगवतसतोष भगवतशाित भ या योगी क दय म भि भाव या योग स आत ह व ही भगवतीतयथर सवा करन वाल क दय म कट होत ह

14 वषर की उ म ही िवधवा हई यामो न दबारा शादी न करक अपन जीवन को पनः िवलािसता और िवकारो म गरकाब न िकया वरन पिवऽता सयम एव सदाचार का पालन करत हए ततपरता स कमर करती रही तो आज उसका पचभौितक शरीर भल ही धरती पर नही ह पर उसकी कमरठता परोपकािरता एव तयाग की यशोगाथा तो आज भी गायी जा रही ह

काश लड़न-झगड़न और कलह करन वाल लोग उसस रणा पाय घर कटमब व समाज म सवा और ःनह की सिरता बहाय तो हमारा भारत और अिधक उननत होगा गाव-गाव को गरकल बनाय घर-घर को गरकल बनाय

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अनबम

शि ःवरपा मा आनदमयी सयम म अदभत सामथयर ह िजसक जीवन म सयम ह िजसक जीवन म ई रोपासना ह वह सहज ही

म महान हो जाता ह आनदमयी मा का जब िववाह हआ तब उनका वयि तव अतयत आभासपनन थी शादी क बाद उनक पित उनह ससार-वयवहार म ल जान का यास करत रहत थ िकत आनदमयी मा उनह सयम और सतसग की मिहमा सनाकर उनकी थोड़ी सवा करक िवकारो स उनका मन हटा दती थी

इस कार कई िदन बीत ह त बीत कई महीन बीत गय लिकन आनदमयी मा न अपन पित को िवकारो म िगरन नही िदया

आिखरकार कई महीनो क प ात एक िदन उनक पित न कहाः तमन मझस शादी की ह िफर भी कयो मझ इतना दर दर रखती हो

तब आनदमयी मा न जवाब िदयाः शादी तो जरर की ह लिकन शादी का वाःतिवक मतलब तो इस कार हः शाद अथारत खशी वाःतिवक खशी ा करन क िलए पित-प ी एक दसर क सहायक बन न िक शोषक काम-िवकार म िगरना यह कोई शादी का फल नही ह

इस कार अनक यि यो और अतयत िवनता स उनहोन अपन पित को समझा िदया व ससार क कीचड़ म न िगरत हए भी अपन पित की बहत अचछी तरह स सवा करती थी पित नौकरी करक घर आत तो गमर-गमर भोजन बनाकर िखलाती

व घर भी धयाना यास िकया करती थी कभी-कभी ःटोव पर दाल चढ़ाकर छत पर खल आकाश म चिमा की ओर ऽाटक करत-करत धयानःथ हो जाती इतनी धयानम न हो जाती िक ःटोव पर रखी हई दाल जलकर कोयला हो जाती घर क लोग डाटत तो चपचाप अपनी भल ःवीकार कर लती लिकन अनदर स तो समझती िक म कोई गलत मागर पर तो नही जा रही ह इस कार उनक धयान-भजन का बम चाल ही रहा घर म रहत हए ही उनक पास एकामता का कछ सामथयर आ गया

एक रािऽ को व उठी और अपन पित को भी उठाया िफर ःवय महाकाली का िचतन करक अपन पित को आदश िदयाः महाकाली की पजा करो उनक पित न उनका पजन कर िदया आनदमयी मा म उनह महाकाली क दशरन होन लग उनहोन आनदमयी मा को णाम िकया

तब आनदमयी मा बोली- अब महाकाली को तो मा की नजर स ही दखना ह न

पितः यह कया हो गया

आनदमयी मा- तमहारा कलयाण हो गया

कहत ह िक उनहोन अपन पित को दीकषा द दी और साध बनाकर उ रकाशी क आौम म भज िदया

कसी िदवय नारी रही होगी मा आनदमयी उनहोन अपन पित को भी परमातमा क रग म रग िदया जो ससार की माग करता था उस भगवान की माग का अिधकारी बना िदया इस भारतभिम म ऐसी भी अनक सननािरया हो गयी कछ वषर पवर ही आनदमयी मा न अपना शरीर तयागा ह हिर ार म एक करोड़ बीस लाख रपय खचर करक उनकी समािध बनवायी गयी ह

ऐसी तो अनको बगाली लड़िकया थी िजनहोन शादी की पऽो को जनम िदया पढ़ाया-िलखाया और मर गयी शादी करक ससार वयवहार चलाओ उसकी ना नही ह लिकन पित को िवकारो म िगराना या प ी क जीवन को िवकारो म खतम करना यह एक-दसर क िमऽ क रप म एक-दसर क शऽ का कायर ह सयम स सतित को जनम िदया यह अलग बात ह िकत िवषय-िवकारो म फस मरन क िलए थोड़ ही शादी की जाती ह

बि मान नारी वही ह जो अपन पित को चयर पालन म मदद कर और बि मान पित वही ह जो िवषय िवकारो स अपनी प ी का मन हटाकर िनिवरकारी नारायण क धयान म लगाय इस रप म पित प ी दोनो सही अथ म एक दसर क पोषक होत ह सहयोगी होत ह िफर उनक घर म जो बालक जनम लत ह व भी ीव गौराग रमण महिषर रामकण परमहस या िववकानद जस बन सकत ह

मा आनदमयी को सतो स बड़ा म था व भल धानमऽी स पिजत होती थी िकत ःवय सतो को पजकर आनिदत होती थी ौी अखणडानदजी महाराज सतसग करत तो व उनक चरणो म बठकर सतसग सनती एक बार सतसग की पणारहित पर मा आनदमयी िसर पर थाल लकर गयी उस थाल म चादी का िशविलग था वह थाल अखणडानदजी को दत हए बोली-

बाबाजी आपन कथा सनायी ह दिकषणा ल लीिजए

मा- बाबाजी और भी दिकषणा ल लो

अखणडानदजीः मा और कया द रही हो

मा- बाबाजी दिकषणा म मझ ल लो न

अखणडानदजी न हाथ पकड़ िलया एव कहाः ऐसी मा को कौन छोड़ दिकषणा म आ गयी मरी मा

कसी ह भारतीय सःकित

हिरबाबा बड़ उचचकोिट क सत थ एव मा आनदमयी क समकालीन थ व एक बार बहत बीमार पड़ गय डॉकटर न िलखा हः उनका ःवाःथय काफी लड़खड़ा गया और मझ उनकी सवा का सौभा य िमला उनह र चाप भी था और दय की तकलीफ भी थी उनका क इतना बढ़ गया था िक नाड़ी भी हाथ म नही आ रही थी मन मा को फोन िकया िक मा अब बाबाजी हमार बीच नही रहग 5-10 िमनट क ही महमान ह मा न कहाः नही नही तम ौीहनमानचालीसा का पाठ कराओ म आती ह

मन सोचा िक मा आकर कया करगी मा को आत-आत आधा घणटा लगगा ौीहनमानचालीसा का पाठ शर कराया गया और िचिकतसा िवजञान क अनसार हिरबाबा पाच-सात िमनट म ही चल बस मन सारा परीकषण िकया उनकी आखो की पतिलया दखी पलस (नाड़ी की धड़कन) दखी इसक बाद ौीहनमानचालीसा का पाठ करन वालो क आगवान स कहा िक अब बाबाजी की िवदाई क िलए सामान इकटठा कर म अब जाता ह

घड़ी भर मा का इतजार िकया मा आयी बाबा स िमलन हमन मा स कहाः मा बाबाजी नही रह चल गय

माः नहीनही चल कस गय म िमलगी बात करगी

म- मा बाबा जी चल गय ह

मा- नही म बात करगी

बाबाजी का शव िजस कमर म था मा उस कमर म गयी अदर स कणडा बद कर िदया म सोचन लगा िक कई िडिमया ह मर पास मन भी कई कस दख ह कई अनभवो स गजरा ह धप म बदल सफद नही िकय ह अब मा दरवाजा बद करक बाबाजी स कया बात करगी

म घड़ी दखता रहा 45 िमनट हए मा न कणडा खोला एव हसती हई आयी उनहोन कहाः बाबाजी मरा आमह मान गय ह व अभी नही जायग

मझ एक धकका सा लगा व अभी नही जायग यह आनदमयी मा जसी हःती कह रही ह व तो जा चक ह

म- मा बाबाजी तो चल गय ह

मा- नही नही उनहोन मरा आमह मान िलया ह अभी नही जायग

म चिकत होकर कमर म गया तो बाबाजी तिकय को टका दकर बठ-बठ हस रह थ मरा िवजञान वहा तौबा पकार गया मरा अह तौबा पकार गया

बाबाजी कछ समय तक िदलली म रह चार महीन बीत िफर बोलः मझ काशी जाना ह

मन कहाः बाबाजी आपकी तबीयत काशी जान क िलए शन म बठन क कािबल नही ह आप नही जा सकत

बाबाजीः नही हम जाना ह हमारा समय हो गया

मा न कहाः डॉकटर इनह रोको मत इनह मन आमह करक चार महीन तक क िलए ही रोका था इनहोन अपना वचन िनभाया ह अब इनह मत रोको

बाबाजी गय काशी ःटशन स उतर और अपन िनवास पर रात क दो बज पहच भात की वला म व अपना न र दह छोड़कर सदा क िलए अपन शा त रप म वयाप गयldquo

Ocircबाबाजी वयाप गयOtilde य शबद डॉकटर न नही िलख Ocircन रOtilde आिद शबद नही िलख लिकन म िजस बाबाजी क िवषय म कह रहा ह व बाबाजी इतनी ऊचाईवाल रह होग

कसी ह मिहमा हमार महापरषो की आमह करक बाबा जी तक को चार महीन क िलए रोक िलया मा आनदमयी न कसी िदवयता रही ह हमार भारत की सननािरयो की

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अनबम

भौितक जगत म भाप की शि िव त की शि गरतवाकषरण की शि बड़ी मानी जाती ह मगर आतमबल उन सब शि यो का सचालक बल ह आतमबल क सािननधय म आकर पग ारबध को पर आ जात ह दव की दीनता पलायन हो जाती ह ितकल पिरिःथितया अनकल जो जाती ह आतमबल सवर िसि यो का िपता ह

नारी शरीर िमलन स अपन को अबला मानती हो लघतामिथ म उलझकर पिरिःथितयो म पीसी जाती हो अपना जीवन-दीन बना बठी हो तो अपन भीतर सष आतमबल को जगाओ शरीर चाह ी का हो चाह परष का कित क सााजय म जो जीत ह अपन मन क गलाम होकर जो जीत ह व ी ह और कित क बनधन स पार अपन आतमःवरप की पहचान िजनहोन कर ली अपन मन की गलामी की बिड़या तोड़कर िजनहोन फ क दी ह व परष ह ी या परष शरीर व मानयताए होती ह तम तो शरीर स पार िनमरल आतमा हो

जागो उठो अपन भीतर सोय हए आतमबल को जगाओ सवरदश सवरकाल म सव म आतमबल को अिजरत करो आतमा-परमातमा म अथाह सामथयर ह अपन को दीन-हीन अबला मान बठी तो जगत म ऐसी कोई स ा नही ह जो तमह ऊपर उठा सक अपन आतमःवरप म िति त हो गयी तो तीनो लोको म भी ऐसी कोई हःती नही जो तमह दबा सक

परम पजय सत ौी आसारामजी बाप

अभाव का ही अभाव कमीर म तकर र नयायाचायर पिडत रहत थ उनहोन चार पःतको की रचना की थी िजनस बड़-बड़

िव ान तक भािवत थ इतनी िव ता होत हए भी उनका जीवन अतयत सीधा-सादा एव सरल था उनकी प ी भी उनही क समान सरल एव सीधा-सादा जीवन-यापन करन वाली साधवी थी

उनक पास सपि क नाम पर एक चटाई लखनी कागज एव कछ पःतक तथा दो जोड़ी व थ व कभी िकसी स कछ मागत न थ और न ही दान का खात थ उनकी प ी जगल स मज काटकर लाती उसस रःसी बनाती और उस बचकर अनाज-सबजी आिद खरीद लाती िफर भोजन बना कर पित को म स िखलाती और घर क अनय कामकाज करती पित को तो यह पता भी न रहता िक घर म कछ ह या नही व तो बस अपन अधययन-मनन म मःत रहत

ऐसी महान साधवी ि या भी इस भारतभिम म हो चकी ह धीर-धीर पिडत जी की याित अनय दशो म भी फलन लगी अनय दशो क िव ान लोग आकर उनक दख कमीर क राजा शकरदव स कहन लगः

राजन िजस दश म िव ान धमारतमा पिवऽातमा दःख पात ह उस दश क राजा को पाप लगता ह आपक दश म भी एक ऐस पिवऽातमा िव ान ह िजनक पास खान पीन का िठकाना नही ह िफर भी आप उनकी कोई सभाल नही रखत

यह सनकर राजा ःवय पिडतजी की किटया म पहच गया हाथ जोड़कर उनस ाथरना करन लगाः भगवन आपक पास कोई कमी तो नही ह

पिडतजीः मन जो चार मनथ िलख ह उनम मझ तो कोई कमी नही िदखती आपको कोई कमी लगती हो तो बताओ

राजाः भगवन म शबदो की मनथ की कमी नही पछता ह वरन अनन जल व आिद घर क वयवहार की चीजो की कमी पछ रहा ह

पिडतजीः उसका मझ कोई पता नही ह मरा तो कवल एक भ स नाता ह उसी क ःमरण म इतना तललीन रहता ह िक मझ घर का कछ पता ही नही रहता

जो भगवान की ःमित म तललीन रहता ह उसक ार पर साट ःवय आ जात ह िफर भी उस कोई परवाह नही रहती

राजा न खब िवन भाव स पनः ाथरना की एव कहाः भगवन िजस दश म पिवऽातमा दःखी होत ह उस दश का राजा पाप का भागी होता ह अतः आप बतान की कपा कर िक म आपकी सवा कर

जस ही पिडतजी न य वचन सन िक तरत अपनी चटाई लपटकर बगल म दबा ली एव पःतको की पोटली बाधकर उस भी उठात हए अपनी प ी स कहाः चलो दवी यिद अपन यहा रहन स इन राजा को पाप का भागी होना पड़ता हो इस राजय को लाछन लगता हो तो हम लोग कही ओर चल अपन रहन स िकसी को दःख हो यह तो ठीक नही ह

यह सनकर राजा उनक चरणो म िगर पड़ा एव बोलाः भगवन मरा यह आशय न था वरन म तो कवल सवा करना चाहता था

िफर राजा पिडत जी स आजञा लकर उनकी धमरप ी क समकष जाकर णाम करत हए बोलाः मा आपक यहा अनन-जल-व ािद िकसी भी चीज की कमी हो तो आजञा कर तािक म आप लोगो की कछ सवा कर सक

पिडत जी की धमरप ी भी कोई साधारण नारी तो थी नही व भगवतपरायण नारी थी सच पछो तो नारी क रप म मानो साकषात नारायणी ही थी व बोली- निदया जल द रही ह सयर काश द रहा ह ाणो क िलए आवयक पवन बह ही रही ह एव सबको स ा दनवाला वह सवरस ाधीश परमातमा हमार साथ ही ह िफर कमी िकस बात की राजन शाम तक का आटा पड़ा ह लक़िडया भी दो िदन जल सक इतनी ह िमचर-मसाला भी कल तक का ह पिकषयो क पास तो शाम तक का भी िठकाना नही होता िफर भी व आनद स जी लत ह मर पास तो कल तक का ह राजन मर व अभी इतन फट नही िक म उनह पहन न सक िबछान क िलए चटाई एव ओढ़न क िलए चादर भी ह और म कया कह मरी चड़ी अमर ह और सबम बस हए मर पित का त व मझम भी धड़क रहा ह मझ अभाव िकस बात का बटा

पिडतजी की धमरप ी की िदवयता को दखकर राजा की भी गदगद हो उठा एव चरणो म िगरकर बोलाः मा आप गिहणी ह िक तपिःवनी यह कहना मिकल ह मा म बड़भागी ह िक आपक दशरन का सौभा य पा सका आपक चरणो म मर कोिट-कोिट णाम ह

जो लोग परमातमा का िनरतर ःमरण करत रहत ह उनह वश बदलन की फसरत ही नही होती जररत भी नही होती

जो परमातमा क िचतन म तललीन ह उनह ससार क अभाव का पता ही नही होता कोई साट आकर उनका आदर कर तो उनह हषर नही होता उसक ित आकषरण नही होता ऐस ही यिद कोई मखर आकर अनादर कर द तो शोक नही होता कयोिक हषर-शोक तो वि स भासत ह िजनकी परमातमा क शरण चली गयी ह उनह हषर-शोक सख-दःख क सग सतय ही नही भासत तो िडगा कस सकत ह उनह अभाव कस िडगा सकता ह उनक आग अभाव का भी अभाव हो जाता ह

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अनबम

मा अजना का सामथयर मा अजना न तप करक हनमान जस पऽ को पाया था व हनमानजी म बालयकाल स ही भगवदभि

क सःकार डाला करती थी िजसक फलःवरप हनमानजी म ौीराम-भि का ादभारव हो गया आग चलकर व भ क अननय सवक क रप म यात हए ETH यह तो सभी जानत ह

भगवान ौी राम रावण का वध करक मा सीता लआमण हनमान िवभीषण जाबवत आिद क साथ अयोधया लौट रह थ मागर म हनमान जी न ौीरामजी स अपनी मा क दशरन की आजञा मागी िक भ अगर आप आजञा द तो म माता जी क चरणो म मतथा टक आऊ

ौीराम न कहाः हनमान कया व कवल तमहारी ही माता ह कया व मरी और लखन की माता नही ह चलो हम भी चलत ह

पपक िवमान िकिकधा स अयोधया जात-जात काचनिगिर की ओर चल पड़ा और काचनिगरी पवरत पर उतरा ौीरामजी ःवय सबक साथ मा अजना क दशरन क िलए गय

हनमानजी न दौड़कर गदगद कठ एव अौपिरत नऽो स मा को णाम िकया वष बाद पऽ को अपन पास पाकर मा अजना अतयत हिषरत होकर हनमान का मःतक सहलान लगी

मा का दय िकतना बरसता ह यह बट को कम ही पता होता ह माता-िपता का िदल तो माता-िपता ही जान

मा अजना न पऽ को दय स लगा िलया हनमान जी न मा को अपन साथ य लोगो का पिरचय िदया िक मा य ौीरामचनिजी ह य मा सीताजी ह और य लखन भया ह य जाबवत जी ह य मा सीताजी ह और य लखन भया ह य जाबवत जी ह आिद आिद

भगवान ौीराम को दखकर मा अजना उनह णाम करन जा ही रही थी िक ौीरामजी न कहाः मा म दशरथपऽ राम आपको णाम करता ह

मा सीता व लआमण सिहत बाकी क सब लोगो न भी उनको णाम िकया मा अजना का दय भर आया उनहोन गदगद कठ एव सजल नऽो स हनमान जी स कहाः बटा हनमान आज मरा जनम सफल हआ मरा मा कहलाना सफल हआ मरा दध तन साथरक िकया बटा लोग कहत ह िक मा क ऋण स बटा कभी उऋण नही हो सकता लिकन मर हनमान त मर ऋण स उऋण हो गया त तो मझ मा कहता ही ह िकत आज मयारदा परषो म ौीराम न भी मझ मा कहा ह अब म कवल तमहारी ही मा नही ौीराम लखन शऽ न और भरत की भी मा हो गयी इन अस य पराबमी वानर-भालओ की भी मा हो गयी मरी कोख साथरक हो गयी पऽ हो तो तर जसा हो िजसन अपना सवरःव भगवान क चरणो म समिपरत कर िदया और िजसक कारण ःवय भ न मर यहा पधार कर मझ कताथर िकया

हनमानजी न िफर स अपनी मा क ौीचरणो म मतथा टका और हाथ जोड़त हए कहाः मा भ जी का राजयािभषक होनवाला था परत मथरा न ककयी को उलटी सलाह दी िजसस भजी को 14 वषर का बनवास एव भरत को राजग ी िमली राजग ी अःवीकार करक भरतजी उस ौीरामजी को लौटान क िलए आय लिकन िपता क मनोरथ को िस करन क िलए भाव स भ अयोधया वापस न लौट

मा द रावण की बहन शपरणखा भजी स िववाह क िलए आमह करन लगी िकत भजी उसकी बातो म नही आय लखन जी भी नही आय और लखन जी न शपरणखा क नाक कान काटकर उस द िदय अपनी बहन क अपमान का बदला लन क िलए द रावण ा ण का रप लकर मा सीता को हरकर ल गया

करणािनधान भ की आजञा पाकर म लका गया और अशोक वािटका म बठी हई मा सीता का पता लगाया तथा उनकी खबर भ को दी िफर भ न समि पर पल बधवाया और वानर-भालओ को साथ लकर राकषसो का वध िकया और िवभीषण को लका का राजय दकर भ मा सीता एव लखन क साथ अयोधया पधार रह ह

अचानक मा अजना कोपायमान हो उठी उनहोन हनमान को धकका मार िदया और बोधसिहत कहाः हट जा मर सामन तन वयथर ही मरी कोख स जनम िलया मन तझ वयथर ही अपना दध िपलाया तन मर दध को लजाया ह त मझ मह िदखान कयो आया

ौीराम लखन भयासिहत अनय सभी आ यरचकित हो उठ िक मा को अचानक कया हो गया व सहसा किपत कयो हो उठी अभी-अभी ही तो कह रही थी िक मर पऽ क कारण मरी कोख पावन हो गयी इसक कारण मझ भ क दशरन हो गय और सहसा इनह कया हो गया जो कहन लगी िक तन मरा दध लजाया ह

हनमानजी हाथ जोड़ चपचाप माता की ओर दख रह थ सवरतीथरमयी माता सवरदवमयो िपता माता सब तीथ की ितिनिध ह माता भल बट को जरा रोक-टोक द लिकन बट को चािहए िक नतमःतक होकर मा क कड़व वचन भी सन ल हनमान जी क जीवन स यह िशकषा अगर आज क बट-बिटया ल ल तो व िकतन महान हो सकत ह

मा की इतनी बात सनत हए भी हनमानजी नतमःतक ह व ऐसा नही कहत िक ऐ बिढ़या इतन सार लोगो क सामन त मरी इजजत को िमटटी म िमलाती ह म तो यह चला

आज का कोई बटा होता तो ऐसा कर सकता था िकत हनमानजी को तो म िफर-िफर स णाम करता ह आज क यवान-यवितया हनमानजी स सीख ल सक तो िकतना अचछा हो

मर जीवन म मर माता-िपता क आशीवारद और मर गरदव की कपा न कया-कया िदया ह उसका म वणरन नही कर सकता ह और भी कइयो क जीवन म मन दखा ह िक िजनहोन अपनी माता क िदल को जीता ह िपता क िदल की दआ पायी ह और सदगर क दय स कछ पा िलया ह उनक िलए िऽलोकी म कछ भी पाना किठन नही रहा सदगर तथा माता-िपता क भ ःवगर क सख को भी तचछ मानकर परमातम-साकषातकार की यो यता पा लत ह

मा अजना कह जा रही थी- तझ और तर बल पराबम को िधककार ह त मरा पऽ कहलान क लायक ही नही ह मरा दध पीन वाल पऽ न भ को ौम िदया अर रावण को लकासिहत समि म डालन म त समथर था तर जीिवत रहत हए भी परम भ को सत-बधन और राकषसो स य करन का क उठाना पड़ा तन मरा दध लिजजत कर िदया िधककार ह तझ अब त मझ अपना मह मत िदखाना

हनमानजी िसर झकात हए कहाः मा तमहारा दध इस बालक न नही लजाया ह मा मझ लका भजन वालो न कहा था िक तम कवल सीता की खबर लकर आओग और कछ नही करोग अगर म इसस अिधक कछ करता तो भ का लीलाकायर कस पणर होता भ क दशरन दसरो को कस िमलत मा अगर म

भ-आजञा का उललघन करता तो तमहारा दध लजा जाता मन भ की आजञा का पालन िकया ह मा मन तरा दध नही लजाया ह

तब जाबवतजी न कहाः मा कषमा कर हनमानजी सतय कह रह ह हनमानजी को आजञा थी िक सीताजी की खोज करक आओ हम लोगो न इनक सवाकायर बाध रख थ अगर नही बाधत तो भ की िदवय िनगाहो स दतयो की मि कस होती भ क िदवय कायर म अनय वानरो को जड़न का अवसर कस िमलता द रावण का उ ार कस होता और भ की िनमरल कीितर गा-गाकर लोग अपना िदल पावन कस करत मा आपका लाल िनबरल नही ह लिकन भ की अमर गाथा का िवःतार हो और लोग उस गा-गाकर पिवऽ हो इसीिलए तमहार पऽ की सवा की मयारदा बधी हई थी

ौीरामजी न कहाः मा तम हनमान की मा हो और मरी भी मा हो तमहार इस सपत न तमहारा दध नही लजाया ह मा इसन तो कवल मरी आजञा का पालन िकया ह मयारदा म रहत हए सवा की ह समि म जब मनाक पवरत हनमान को िवौाम दन क िलए उभर आया तब तमहार ही सत न कहा था

राम काज कीनह िबन मोिह कहा िबौाम मर कायर को परा करन स पवर तो इस िवौाम भी अचछा नही लगता ह मा तम इस कषमा कर दो

रघनाथ जी क वचन सनकर माता अजना का बोध शात हआ िफर माता न कहाः अचछा मर पऽ मर वतस मझ इस बात का पता नही था मरा पऽ मयारदा परषो म का सवक

मयारदा स रह ETH यह भी उिचत ही ह तन मरा दध नही लजाया ह वतस

इस बीच मा अजना न दख िलया िक लआमण क चहर पर कछ रखाए उभर रही ह िक अजना मा को इतना गवर ह अपन दध पर मा अजना भी कम न थी व तरत लआमण क मनोभावो को ताड़ गयी

लआमण तमह लगता ह िक म अपन दध की अिधक सराहना कर रही ह िकत ऐसी बात नही ह तम ःवय ही दख लो ऐसा कहकर मा अजना न अपनी छाती को दबाकर दध की धार सामनवाल पवरत पर फ की तो वह पवरत दो टकड़ो म बट गया लआमण भया दखत ही रह गय िफर मा न लआमण स कहाः मरा यही दध हनमान न िपया ह मरा दध कभी वयथर नही जा सकता

हनमानजी न पनः मा क चरणो म मतथा टका मा अजना न आशीवारद दत हए कहाः बटा सदा भ को ौीचरणो म रहना तरी मा य जनकनिदनी ही ह त सदा िनकपट भाव स अतयत ौ ा-भि पवरक परम भ ौी राम एव मा सीताजी की सवा करत रहना

कसी रही ह भारत की नािरया िजनहोन हनमानजी जस पऽो को जनम ही नही िदया बिलक अपनी शि तथा अपन ारा िदय गय सःकारो पर भी उनका अटल िव ास रहा आज की भारतीय नािरया इन आदशर नािरयो स रणा पाकर अपन बचचो म हनमानजी जस सदाचार सयम आिद उ म सःकारो का िसचन कर तो वह िदन दर नही िजस िदन पर िव म भारतीय सनातन धमर और सःकित की िदवय पताका पनः लहरायगी

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अनबम

  • सयमनिषठ सयशा
  • अदभत आभासमपनन रानी कलावती
  • उततम जिजञासः मतरयी
  • बरहमवादिनी विदषी गारगी
  • अथाह शकति की धनीः तपसविनी शाणडालिनी
  • सती सावितरी
  • मा सीता की सतीतव-भावना
  • आरत भकत दरौपदी
  • दवी शकतियो स समपनन गणमजरी दवी
  • विवक की धनीः करमावती
  • वासतविक सौनदरय
  • आतमविदया की धनीः फलीबाई
  • आनदीबाई की दढ शरदधा
  • करमाबाई की वातसलय-भकति
  • साधवी सिरमा
  • मकताबाई का सरवतर विटठल-दरशन
  • रतनबाई की गरभकति
  • बरहमलीन शरी मा महगीबा
    • मरी मा का दिवय गरभाव
    • परभ मझ जान दो
    • इचछाओ स परः मा महगीबा
    • जीवन म कभी फरियाद नही
    • बीमारो क परति मा की करणा
    • कोई कारय घणित नही ह
    • ऐसी मा क लिए शोक किस बात का
      • अममा की गरनिषठा
        • सवावलबन एव परदःखकातरता
        • अममा म मा यशोदा जसा भाव
        • दन की दिवय भावना
        • गरीब कनयाओ क विवाह म मदद
        • अममा का उतसव परम
        • परतयक वसत का सदपयोग होना चाहिए
        • अह स पर
          • मीराबाई की गरभकति
          • राजकमारी मललिका बनी तीरथकर मललियनाथ
          • दरगादास की वीर जननी
          • करमनिषठ शयामो
          • शकतिसवरपा मा आनदमयी
          • अभाव का ही अभाव
          • मा अजना का सामरथय
Page 3: नारी तू नारायणी - Hariom Groupदासी ने सुयशा से कहाः "गाओ, संकोच न करो, देर न करो।

न की िदवय भावना 67

गरीब कनयाओ क िववाह म मदद 68

अममा का उतसव म 68

रतयक वःत का सदपयोग होना चािहए 69

अह स पर 69

मीराबाई की गरभि 70

राजकमारी मिललका बनी तीथकर मिललयनाथ 72

दगारदास की वीर जननी 73

करमिनषठ यामो 74

शि सवरपा मा आनदमयी 75

अभाव का ही अभाव 79

मा अजना का सामथरय 80

लजजावासो भषण श शील पादकषपो धमरमाग च यःया

िनतय पतयः सवन िम वाणी धनया सा ी पतयतयव पथवीम िजस ी का लजजा ही व तथा िवश भाव ही भषण हो धमरमागर म िजसका वश हो मधर वाणी

बोलन का िजसम गण हो वह पितसवा-परायण ौ नारी इस पथवी को पिवऽ करती ह भगवान शकर महिषर गगर स कहत हः िजस घर म सवरगणसपनना नारी सखपवरक िनवास करती ह उस घर म लआमी िनवास करती ह ह वतस कोिट दवता भी उस घर को नही छोड़त

नारी का दय कोमल और िःन ध हआ करता ह इसी वजह स वह जगत की पालक माता क ःवरप म हमशा ःवीकारी गयी ह ववतर पराण क गणष खणड क 40 व अधयाय म आया हः

जनको जनमदाततवात पालनाचच िपता ःमतः गरीयान जनमदात योऽनदाता िपता मन तयोः शतगण माता पजया मानया च विनदता गभरधारणपोषा या सा च ता या गरीयसी

जनमदाता और पालनकतार होन क कारण सब पजयो म पजयतम जनक और िपता कहलाता ह जनमदाता स भी अननदाता िपता ौ ह इनस भी सौगनी ौ और वदनीया माता ह कयोिक वह गभरधारण तथा पोषण करती ह

इसिलए जननी एव जनमभिम को ःवगर स भी ौ बतात हए कहा गया हः जननी जनमभिम ःवगारदिप गरीयसी

सयमिन सयशा अमदावाद की घिटत घटना हः िवबम सवत 17 वी शताबदी म कणारवती (अमदावाद) म यवा राजा पपसन का राजय था जब उसकी

सवारी िनकलती तो बाजारो म लोग कतारब खड़ रहकर उसक दशरन करत जहा िकसी सनदर यवती पर उसकी नजर पड़ती तब मऽी को इशारा िमल जाता रािऽ को वह सनदरी महल म पहचायी जाती िफर भल िकसी की कनया हो अथवा दलहन

एक गरीब कनया िजसक िपता का ःवगरवास हो गया था उसकी मा चककी चलाकर अपना और बटी का पट पालती थी वह ःवय भी कथा सनती और अपनी पऽी को भी सनाती हक और पिरौम की कमाई एकादशी का ोत और भगवननाम-जप इन सबक कारण 16 वष या कनया का शरीर बड़ा सगिठत था और रप लावणय का तो मानो अबार थी उसका नाम था सयशा

सबक साथ सयशा भी पपसन को दखन गयी सयशा का ओज तज और रप लावणय दखकर पपसन न अपन मऽी को इशारा िकया मऽी न कहाः जो आजञा

मऽी न जाच करवायी पता चला िक उस कनया का िपता ह नही मा गरीब िवधवा ह उसन सोचाः यह काम तो सरलता स हो जायगा

मऽी न राजा स कहाः राजन लड़की को अकल कया लाना उसकी मा स साथ ल आय महल क पास एक कमर म रहगी झाड़-बहारी करगी आटा पीसगी उनको कवल खाना दना ह

मऽी न यि स सयशा की मा को महल म नौकरी िदलवा दी इसक बाद उस लड़की को महल म लान की यि या खोजी जान लगी उसको बशम क व िदय जो व ककमर करन क िलए वयाओ को पहनकर तयार रहना होता ह ऽी न ऐस व भज और कहलवायाः राजा साहब न कहा हः सयशा य व पहन कर आओ सना ह िक तम भजन अचछा गाती हो अतः आकर हमारा मनोरजन करो

यह सनकर सयशा को धकका लगा जो बढ़ी दासी थी और ऐस ककम म साथ दती थी उसन सयशा को समझाया िक य तो राजािधराज ह पपसन महाराज ह महाराज क महल म जाना तर िलए सौभा य की बात ह इस तरह उसन और भी बात कहकर सयशा को पटाया

सयशा कस कहती िक म भजन गाना नही जानती ह म नही आऊगी राजय म रहती ह और महल क अदर मा काम करती ह मा न भी कहाः बटी जा यह व ा कहती ह तो जा

सयशा न कहाः ठीक ह लिकन कस भी करक य बशम क व पहनकर तो नही जाऊगी सयशा सीध-साद व पहनकर राजमहल म गयी उस दखकर पपसन को धकका लगा िक इसन मर

भज हए कपड़ नही पहन दासी न कहाः दसरी बार समझा लगी इस बार नही मानी सयशा का सयश बाद म फलगा अभी तो अधमर का पहाड़ िगर रहा था धमर की ननही-सी मोमब ी

पर अधमर का पहाड़ एक तरफ राजस ा की आधी ह तो दसरी तरफ धमरस ा की लौ जस रावण की राजस ा और िवभीषण की धमरस ा दय धन की राजस ा और िवदर की धमरस ा िहरणयकिशप की राजस ा और ाद की धमरस ा धमरस ा और राजस ा टकरायी राजस ा चकनाचर हो गयी और धमरस ा की जय-जयकार हई और हो रही ह िवबम राणा और मीरा मीरा की धमर म दढ़ता थी राणा राजस ा क बल पर मीरा पर हावी होना चाहता था दोनो टकराय और िवबम राणा मीरा क चरणो म िगरा

धमरस ा िदखती तो सीधी सादी ह लिकन उसकी नीव पाताल म होती ह और सनातन सतय स जड़ी होती ह जबिक राजस ा िदखन म बड़ी आडमबरवाली होती ह लिकन भीतर ढोल की पोल की तरह होती ह

राजदरबार क सवक न कहाः राजािधराज महाराज पपसन की जय हो हो जाय गाना शर पपसनः आज तो हम कवल सयशा का गाना सनग दासी न कहाः सयशा गाओ राजा ःवय कह रह ह राजा क साथी भी सयशा का सौनदयर नऽो क ारा पीन लग और राजा क दय म काम-िवकार पनपन

लगा सयशा राजा क िदय व पहनकर नही आयी िफर भी उसक शरीर का गठन और ओज-तज बड़ा सनदर लग रहा था राजा भी सयशा को चहर को िनहार जा रहा था

कनया सयशा न मन-ही-मन भ स ाथरना कीः भ अब तमही रकषा करना आपको भी जब धमर और अधमर क बीच िनणरय करना पड़ तो धमर क अिध ानःवरप परमातमा की

शरण लना व आपका मगल ही करत ह उनहीस पछना िक अब म कया कर अधमर क आग झकना मत परमातमा की शरण जाना

दासी न सयशा स कहाः गाओ सकोच न करो दर न करो राजा नाराज होग गाओ परमातमा का ःमरण करक सयशा न एक राग छड़ाः

कब सिमरोग राम साधो कब सिमरोग राम

अब तम कब सिमरोग राम

बालपन सब खल गवायो यौवन म काम साधो कब सिमरोग राम कब सिमरोग राम

पपसन क मह पर मानो थपपड़ लगा सयशा न आग गायाः

हाथ पाव जब कपन लाग िनकल जायग ाण

कब सिमरोग राम साधो कब सिमरोग राम

झठी काया झठी माया आिखर मौत िनशान कहत कबीर सनो भई साधो जीव दो िदन का महमान

कब सिमरोग राम साधो कब सिमरोग राम

भावय भजन स सयशा का दय तो राम रस स सराबोर हो गया लिकन पपसन क रग म भग पड़ गया वह हाथ मसलता ही रह गया बोलाः ठीक ह िफर दखता ह

सयशा न िवदा ली पपसन न मिऽयो स सलाह ली और उपाय खोज िलया िक अब होली आ रही ह उस होिलकोतसव म इसको बलाकर इसक सौनदयर का पान करग

राजा न होली पर सयशा को िफर स व िभजवाय और दासी स कहाः कस भी करक सयशा को यही व पहनाकर लाना ह

दासी न बीसो ऊिगलयो का जोर लगाया मा न भी कहाः बटी भगवान तरी रकषा करग मझ िव ास ह िक त नीच कमर करन वाली लड़िकयो जसा न करगी त भगवान की गर की ःमित रखना भगवान तरा कलयाण कर

महल म जात समय इस बार सयशा न कपड़ तो पहन िलय लिकन लाज ढाकन क िलए ऊपर एक मोटी शाल ओढ़ ली उस दखकर पपसन को धकका तो लगा लिकन यह भी हआ िक चलो कपड़ तो मर पहनकर आयी ह राजा ऐसी-वसी यवितयो स होली खलत-खलत सयशा की ओर आया और उसकी शाल खीची ह राम करक सयशा आवाज करती हई भागी भागत-भागत मा की गोद म आ िगरी मा मा मरी इजजत खतर म ह जो जा का पालक ह वही मर धमर को न करना चाहता ह

मा बटी आग लग इस नौकरी को मा और बटी शोक मना रह ह इधर राजा बौखला गया िक मरा अपमान म दखता ह अब वह कस जीिवत रहती ह उसन अपन एक खखार आदमी काल िमया को बलवाया और कहाः काल तझ ःवगर की उस परी सयशा का खातमा करना ह आज तक तझ िजस-िजस वयि को खतम करन को कहा ह त करक आया ह यह तो तर आग मचछर ह मचछर ह काल त मरा खास आदमी ह म तरा मह मोितयो स भर दगा कस भी करक सयशा को उसक राम क पास पहचा द

काल न सोचाः उस कहा पर मार दना ठीक होगा रोज भात क अधर म साबरमती नदी म ःनान करन जाती ह बस नदी म गला दबोचा और काम खतमजय साबरमती कर दग

काल क िलए तो बाय हाथ का खल था लिकन सयशा का इ भी मजबत था जब वयि का इ मजबत होता ह तो उसका अिन नही हो सकता

म सबको सलाह दता ह िक आप जप और ोत करक अपना इ इतना मजबत करो िक बड़ी-स-बड़ी राजस ा भी आपका अिन न कर सक अिन करन वाल क छकक छट जाय और व भी आपक इ क चरणो म आ जाय ऐसी शि आपक पास ह

काल सोचता हः भात क अधर म साबरमती क िकनार जरा सा गला दबोचना ह बस छरा मारन की जररत ही नही ह अगर िचललायी और जररत पड़ी तो गल म जरा-सा छरा भ ककर जय साबरमती करक

रवाना कर दगा जब राजा अपना ह तो पिलस की ऐसी-तसी पिलस कया कर सकती ह पिलस क अिधकारी तो जानत ह िक राजा का आदमी ह

काल न उसक आन-जान क समय की जानकारी कर ली वह एक पड़ की ओट म छपकर खड़ा हो गया जयो ही सयशा आयी और काल न झपटना चाहा तयो ही उसको एक की जगह पर दो सयशा िदखाई दी कौन सी सचची य कया दो कस तीन िदन स सारा सवकषण िकया आज दो एक साथ खर दखता ह कया बात ह अभी तो दोनो को नहान दो नहाकर वापस जात समय उस एक ही िदखी तब काल हाथ मसलता ह िक वह मरा म था

वह ऐसा सोचकर जहा िशविलग था उसी क पास वाल पड़ पर चढ़ गया िक वह यहा आयगी अपन बाप को पानी चढ़ान तब या अललाह करक उस पर कदगा और उसका काम तमाम कर दगा

उस पड़ स लगा हआ िबलवपऽ का भी एक पड़ था सयशा साबरमती म नहाकर िशविलग पर पानी चढ़ान को आयी हलचल स दो-चार िबलवपऽ िगर पड़ सयशा बोलीः ह भ ह महादव सबह-सबह य िजस िबलवपऽ िजस िनिम स िगर ह आज क ःनान और दशरन का फल म उसक कलयाण क िनिम अपरण करती ह मझ आपका सिमरन करक ससार की चीज नही पानी मझ तो कवल आपकी भि ही पानी ह

सयशा का सकलप और उस बर-काितल क दय को बदलन की भगवान की अनोखी लीला

काल छलाग मारकर उतरा तो सही लिकन गला दबोचन क िलए नही काल न कहाः लड़की पपसन न तरी हतया करन का काम मझ स पा था म खदा की कसम खाकर कहता ह िक म तरी हतया क िलए छरा तयार करक आया था लिकन त अनदख घातक का भी कलयाण करना चाहती ह ऐसी िहनद कनया को मारकर म खदा को कया मह िदखाऊगा इसिलए आज स त मरी बहन ह त तर भया की बात मान और यहा स भाग जा इसस तरी भी रकषा होगी और मरी भी जा य भोल बाबा तरी रकषा करग िजन भोल बाबा तरी रकषा करग जा जलदी भाग जा

सयशा को काल िमया क ारा मानो उसका इ ही कछ रणा द रहा था सयशा भागती-भागती बहत दर िनकल गयी

जब काल को हआ िक अब यह नही लौटगी तब वह नाटक करता हआ राजा क पास पहचाः राजन आपका काम हो गया वह तो मचछर थी जरा सा गला दबात ही म ऽऽऽ करती रवाना हो गयी

राजा न काल को ढर सारी अशिफर या दी काल उनह लकर िवधवा क पास गया और उसको सारी घटना बतात हए कहाः मा मन तरी बटी को अपनी बहन माना ह म बर कामी पापी था लिकन उसन मरा िदल बदल िदया अब त नाटक कर की हाय मरी बटी मर गयी मर गयी इसस त भी बचगी तरी बटी भी बचगी और म भी बचगा

तरी बटी की इजजत लटन का ष यऽ था उसम तरी बटी नही फसी तो उसकी हतया करन का काम मझ स पा था तरी बटी न महादव स ाथरना की िक िजस िनिम य िबलवपऽ िगर ह उसका भी कलयाण हो मगल हो मा मरा िदल बदल गया ह तरी बटी मरी बहन ह तरा यह खखार बटा तझ ाथरना करता ह िक

त नाटक कर लः हाय रऽऽऽ मरी बटी मर गयी वह अब मझ नही िमलगी नदी म डब गयी ऐसा करक त भी यहा स भाग जा

सयशा की मा भाग िनकली उस कामी राजा न सोचा िक मर राजय की एक लड़की मरी अवजञा कर अचछा हआ मर गयी उसकी मा भी अब ठोकर खाती रहगी अब समरती रह वही राम कब सिमरोग राम साधो कब सिमरोग राम झठी काया झठी माया आिखर मौत िनशान कब सिमरोग राम साधो सब सिमरोग राम हा हा हा हा ऽऽऽ

मजाक-मजाक म गात-गात भी यह भजन उसक अचतन मन म गहरा उतर गया कब सिमरोग राम

उधर सयशा को भागत-भागत राःत म मा काली का एक छोटा-सा मिदर िमला उसन मिदर म जाकर णाम िकया वहा की पजािरन गौतमी न दखा िक कया रप ह कया सौनदयर ह और िकतनी नता उसन पछाः बटी कहा स आयी हो

सयशा न दखा िक एक मा तो छटी अब दसरी मा बड़ पयार स पछ रही ह सयशा रो पड़ी और बोलीः मरा कोई नही ह अपन ाण बचान क िलए मझ भागना पड़ा ऐसा कहकर सयशा न सब बता िदया

गौतमीः ओ हो ऽऽऽ मझ सतान नही थी मर भोल बाबा न मरी काली मा न मर घर 16 वषर की पऽी भज दी बटी बटी कहकर गौतमी न सयशा को गल लगा िलया और अपन पित कलाशनाथ को बताया िक आज हम भोलानाथ न 16 वषर की सनदरी कनया दी ह िकतनी पिवऽ ह िकतनी भि भाववाली ह

कलाशनाथः गौतमी पऽी की तरह इसका लालन-पालन करना इसकी रकषा करना अगर इसकी मज होगी तो इसका िववाह करग नही तो यही रहकर भजन कर

जो भगवान का भजन करत ह उनको िव न डालन स पाप लगता ह सयशा वही रहन लगी वहा एक साध आता था साध भी बड़ा िविचऽ था लोग उस पागलबाबा कहत

थ पागलबाबा न कनया को दखा तो बोल पड़ः हऽऽऽ

गौतमी घबरायी िक एक िशकज स िनकलकर कही दसर म पागलबाबा कही उस फसा न द ह भगवान इसकी रकषा करना ी का सबस बड़ा शऽ ह उसका सौनदयर एव ौगार दसरा ह उसकी असावधानी सयशा ौगार तो करती नही थी असावधान भी नही थी लिकन सनदर थी

गौतमी न अपन पित को बलाकर कहाः दखो य बाबा बार-बार अपनी बटी की तरफ दख रह ह

कलाशनाथ न भी दखा बाबा न लड़की को बलाकर पछाः कया नाम ह

सयशा

बहत सनदर हो बड़ी खबसरत हो

पजािरन और पजारी घबराय बाबा न िफर कहाः बड़ी खबसरत ह

कलाशनाथः महाराज कया ह

बड़ी खबसरत ह

महाराज आप तो सत आदमी ह

तभी तो कहता ह िक बड़ी खबसरत ह बड़ी होनहार ह मरी होगी त

पजािरन-पजारी और घबराय िक बाबा कया कह रह ह पागल बाबा कभी कछ कहत ह वह सतय भी हो जाता ह इनस बचकर रहना चािहए कया पता कही

कलाशनाथः महाराज कया बोल रह ह बाबा न सयशा स िफर पछाः त मरी होगी

सयशाः बाबा म समझी नही त मरी सािधका बनगी मर राःत चलगी

कौन-सा राःता

अभी िदखाता ह मा क सामन एकटक दख मा तर राःत ल जा रहा ह चलती नही ह तो त समझा मा मा

लड़की को लगा िक य सचमच पागल ह चल करक दि स ही लड़की पर शि पात कर िदया सयशा क शरीर म ःपदन होन लगा हाःय आिद

अ साि वक भाव उभरन लग पागलबाबा न कलाशनाथ और गौतमी स कहाः यह बड़ी खबसरत आतमा ह इसक बा सौनदयर पर

राजा मोिहत हो गया था यह ाण बचाकर आयी ह और बच पायी ह तमहारी बटी ह तो मरी भी तो बटी ह तम िचनता न करो इसको घर पर अलग कमर म रहन दो उस कमर म और कोई न जाय इसकी थोड़ी साधना होन दो िफर दखो कया-कया होता ह इसकी सष शि यो को जगन दो बाहर स पागल िदखता ह लिकन गल को पाकर घमता ह बचच

महाराज आप इतन सामथयर क धनी ह यह हम पता नही था िनगाहमाऽ स आपन स कषण शि का सचार कर िदया

अब तो सयशा का धयान लगन लगा कभी हसती ह कभी रोती ह कभी िदवय अनभव होत ह कभी काश िदखता ह कभी अजपा जप चलता ह कभी ाणायाम स नाड़ी-शोधन होता ह कछ ही िदनो म मलाधार ःवािध ान मिणपर कनि जामत हो गय

मलाधार कनि जागत हो तो काम राम म बदलता ह बोध कषमा म बदलता ह भय िनभरयता म बदलता ह घणा म म बदलती ह ःवािध ान कनि जागत होता ह तो कई िसि या आती ह मिणपर कनि जामत हो तो अपढ़ अनसन शा को जरा सा दख तो उस पर वया या करन का सामथयर आ जाता ह

आपक स य सभी कनि अभी सष ह अगर जग जाय तो आपक जीवन म भी यह चमक आ सकती ह हम ःकली िव ा तो कवल तीसरी ककषा तक पढ़ ह लिकन य कनि खलन क बाद दखो लाखो-करोड़ो लोग सतसग सन रह ह खब लाभािनवत हो रह ह इन कनिो म बड़ा खजाना भरा पड़ा ह

इस तरह िदन बीत स ाह बीत महीन बीत सयशा की साधना बढ़ती गयी अब तो वह बोलती ह तो लोगो क दयो को शाित िमलती ह सयशा का यश फला यश फलत-फलत साबरमती क िजस पार स वह आयी थी उस पार पहचा लोग उसक पास आत-जात रह एक िदन काल िमया न पछाः आप लोग इधर स उधर उस पार जात हो और एक दो िदन क बाद आत हो कया बात ह

लोगो न बतायाः उस पार मा भिकाली का मिदर ह िशवजी का मिदर ह वहा पागलबाबा न िकसी लड़की स कहाः त तो बहत सनदर ह सयमी ह उस पर कपा कर दी अब वह जो बोलती ह उस सनकर हम बड़ी शाित िमलती ह बड़ा आनद िमलता ह

अचछा ऐसी लड़की ह

उसको लड़की-लड़की मत कहो काल िमया लोग उसको माता जी कहत ह पजािरन और पजारी भी उसको माताजी-माताजी कहत ह कया पता कहा स वह ःवगर को दवी आयी ह

अचछा तो अपन भी चलत ह काल िमया न आकर दखा तो िजस माताजी को लोग मतथा टक रह ह वह वही सयशा ह िजसको

मारन क िलए म गया था और िजसन मरा दय पिरवितरत कर िदया था जानत हए भी काल िमया अनजान होकर रहा उसक दय को बड़ी शाित िमली इधर पपसन को

मानिसक िखननता अशाित और उ ग हो गया भ को कोई सताता ह तो उसका पणय न हो जाता ह इ कमजोर हो जाता ह और दर-सवर उसका अिन होना शर हो जाता ह

सत सताय तीनो जाय तज बल और वश पपसन को मिःतक का बखार आ गया उसक िदमाग म सयशा की व ही पि या घमन लगी-

कब सिमरोग राम साधो कब सिमरोग राम उन पि यो को गात-गात वह रो पड़ा हकीम व सबन हाथ धो डाल और कहाः राजन अब हमार

वश की बात नही ह काल िमया को हआः यह चोट जहा स लगी ह वही स ठीक हो सकती ह काल िमलन गया और पछाः

राजन कया बात ह

काल काल वह ःवगर की परी िकतना सनदर गाती थी मन उसकी हतया करवा दी म अब िकसको बताऊ काल अब म ठीक नही हो सकता ह काल मर स बहत बड़ी गलती हो गयी

राजन अगर आप ठीक हो जाय तो

अब नही हो सकता मन उसकी हतया करवा दी ह काल उसन िकतनी सनदर बात कही थीः झठी काया झठी माया आिखर मौत िनशान

कहत कबीर सनो भई साधो जीव दो िदन का महमान कब सिमरोग राम साधो कब सिमरोग राम

और मन उसकी हतया करवा दी काल मरा िदल जल रहा ह कमर करत समय पता नही चलता काल बाद म अनदर की लानत स जीव तप मरता ह कमर करत समय यिद यह िवचार िकया होता तो ऐसा नही होता काल मन िकतन पाप िकय ह

काल का दय पसीजा की इस राजा को अगर उस दवी की कपा िमल जाय तो ठीक हो सकता ह वस यह राजय तो अचछा चलाना जानता ह दबग ह पापकमर क कारण इसको जो दोष लगा ह वह अगर धल जाय तो

काल बोलाः राजन अगर वह लड़की कही िमल जाय तो

कस िमलगी

जीवनदान िमल तो म बताऊ अब वह लड़की लड़की नही रही पता नही साबरमती माता न उसको कस गोद म ल िलया और वह जोगन बन गयी ह लोग उसक कदमो म अपना िसर झकात ह

ह कया बोलता ह जोगन बन गयी ह वह मरी नही ह

नही तन तो कहा था मर गयी

मन तो गला दबाया और समझा मर गयी होगी लिकन आग िनकल गयी कही चली गयी और िकसी साध बाबा की महरबानी हो गयी और मर को लगता ह िक रपय म 15 आना पककी बात ह िक वही सयशा ह जोगन का और उसका रप िमलता ह

काल मझ ल चल म उसक कदमो म अपन दभार य को सौभा य म बदलना चाहता ह काल काल

राज पहचा और उसन प ा ाप क आसओ स सयशा क चरण धो िदय सयशा न कहाः भया इनसान गलितयो का घर ह भगवान तमहारा मगल कर

पपसनः दवी मरा मगल भगवान कस करग भगवान मगल भी करग तो िकसी गर क ारा दवी त मरी गर ह म तरी शरण आया ह

राजा पपसन सयशा क चरणो म िगरा वही सयशा का थम िशय बना पपसन को सयशा न गरमऽ की दीकषा दी सयशा की कपा पाकर पपसन भी धनभागी हआ और काल भी दसर लोग भी धनभागी हए 17वी शताबदी का कणारवती शहर िजसको आज अमदावाद बोलत ह वहा की यह एक ऐितहािसक घटना ह सतय कथा ह

अगर उस 16 वष य कनया म धमर क सःकार नही होत तो नाच-गान करक राजा का थोड़ा पयार पाकर ःवय भी नरक म पच मरती और राजा भी पच मरता लिकन उस कनया न सयम रखा तो आज उसका शरीर तो नही ह लिकन सयशा का सयश यह रणा जरर दता ह िक आज की कनयाए भी अपन ओज-तज और सयम की रकषा करक अपन ई रीय भाव को जगाकर महान आतमा हो सकती ह

हमार दश की कनयाए परदशी भोगी कनयाओ का अनकरण कयो कर लाली-िलपिःटक लगायी बॉयकट बाल कटवाय शराब-िसगरट पी नाचा-गाया धत तर की यह नारी ःवात य ह नही यह तो नारी का शोषण ह नारी ःवात य क नाम पर नारी को किटल कािमयो की भो या बनाया जा रहा ह

नारी ःव क तऽ हो उसको आितमक सख िमल आितमक ओज बढ़ आितमक बल बढ़ तािक वह ःवय को महान बन ही साथ ही औरो को भी महान बनन की रणा द सक अतरातमा का ःव-ःवरप का सख िमल ःव-ःवरप का जञान िमल ःव-ःवरप का सामथयर िमल तभी तो नारी ःवतऽ ह परपरष स पटायी जाय तो ःवतऽता कसी िवषय िवलास की पतली बनायी जाय तो ःवतनऽता कसी

कब सिमरोग राम सत कबीर क इस भजन न सयशा को इतना महान बना िदया िक राजा का तो मगल िकया ही साथ ही काल जस काितल दय भी पिरवितरत कर िदया और न जान िकतनो को ई र की ओर लगाया होगा हम लोग िगनती नही कर सकत जो ई र क राःत चलता ह उसक ारा कई लोग अचछ बनत ह और जो बर राःत जाता ह उसक ारा कइयो का पतन होता ह

आप सभी सदभागी ह िक अचछ राःत चलन की रिच भगवान न जगायी थोड़ा-बहत िनयम ल लो रोज थोड़ा जप करो धयान कर मौन का आौय लो एकादशी का ोत करो आपकी भी सष शि या जामत कर द ऐस िकसी सतपरष का सहयोग लो और लग जाओ िफर तो आप भी ई रीय पथ क पिथक बन जायग महान परम रीय सख को पाकर धनय-धनय हो जायग

(इस रणापद सतसग कथा की ऑिडयो कसट एव वीसीडी - सयशाः कब सिमरोग राम नाम स उपलबध ह जो अित लोकिय हो चकी ह आप इस अवय सन दख यह सभी सत ौी आसारामजी आौमो एव सिमितयो क सवा कनिो पर उपलबध ह)

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अनबम

अदभत आभासमपनन रानी कलावती ःकनद पराण क ो र खड म कथा आती ह िक काशीनरश की कनया कलावती क साथ मथरा क

दाशाहर नामक राजा का िववाह हआ िववाह क बाद राजा न रानी को अपन पलग पर बलाया लिकन उसन इनकार कर िदया तब राजा न बल योग की धमकी दी रानी न कहाः ी क साथ ससार-वयवहार करना हो तो बलयोग नही ःनह योग करना चािहए नाथ म भल आपकी रानी ह लिकन आप मर साथ बलयोग करक ससार-वयवहार न कर

लिकन वह राजा था रानी की बात सनी-अनसनी करक नजदीक गया जयो ही उसन रानी का ःपशर िकया तयो ही उस िव त जसा करट लगा उसका ःपशर करत ही राजा का अग-अग जलन लगा वह दर हटा और बोलाः कया बात ह तम इतनी सनदर और कोमल हो िफर भी तमहार शरीर क ःपशर स मझ जलन होन लगी

रानीः नाथ मन बालयकाल म दवारसा ऋिष स िशवमऽ िलया था उस जपन स मरी साि वक ऊजार का िवकास हआ ह इसीिलए म आपक नजदीक नही आती थी जस अधरी रात और दोपहर एक साथ नही रहत वस ही आपन शराब पीनवाली वयाओ क साथ और कलटाओ क साथ जो ससार-भोग भोग ह उसस आपक पाप क कण आपक शरीर मन तथा बि म अिधक ह और मन जप िकया ह उसक कारण मर शरीर म ओज तज व आधयाितमक कण अिधक ह इसीिलए म आपस थोड़ी दर रहकर ाथरना करती थी आप बि मान ह बलवान ह यशःवी ह और धमर की बात भी आपन सन रखी ह लिकन आपन शराब पीनवाली वयाओ और कलटाओ क साथ भोग भी भोग ह

राजाः तमह इस बात का पता कस चल गया

रानीः नाथ दय श होता ह तो यह याल आ जाता ह राजा भािवत हआ और रानी स बोलाः तम मझ भी भगवान िशव का वह मऽ द दो रानीः आप मर पित ह म आपकी गर नही बन सकती आप और हम गगारचायर महाराज क पास

चल दोनो गगारचायर क पास गय एव उनस ाथरना की गगारचायर न उनह ःनान आिद स पिवऽ होन क िलए

कहा और यमना तट पर अपन िशवःवरप क धयान म बठकर उनह िनगाह स पावन िकया िफर िशवमऽ दकर शाभवी दीकषा स राजा क ऊपर शि पात िकया

कथा कहती ह िक दखत ही दखत राजा क शरीर स कोिट-कोिट कौए िनकल-िनकल कर पलायन करन लग काल कौए अथारत तचछ परमाण काल कम क तचछ परमाण करोड़ो की स या म सआमदि क ि ाओ ारा दख गय सचच सतो क चरणो म बठकर दीकषा लन वाल सभी साधको को इस कार क लाभ होत ही ह मन बि म पड़ हए तचछ कसःकार भी िमटत ह आतम-परमातमाि की यो यता भी िनखरती ह वयि गत जीवन म सख शाित सामािजक जीवन म सममान िमलता ह तथा मन-बि म सहावन सःकार भी पड़त ह और भी अनिगनत लाभ होत ह जो िनगर मनमख लोगो की कलपना म भी नही आ सकत मऽदीकषा क भाव स हमार पाचो शरीरो क कसःकार व काल कम क परमाण कषीण होत जात ह थोड़ी ही दर म राजा िनभारर हो गया एव भीतर क सख स भर गया

शभ-अशभ हािनकारक एव सहायक जीवाण हमार शरीर म रहत ह जस पानी का िगलास होठ पर रखकर वापस लाय तो उस पर लाखो जीवाण पाय जात ह यह वजञािनक अभी बोलत ह लिकन शा ो न तो लाखो वषर पहल ही कह िदयाः

समित-कमित सबक उर रहिह जब आपक अदर अचछ िवचार रहत ह तब आप अचछ काम करत ह और जब भी हलक िवचार आ

जात ह तो आप न चाहत हए भी गलत कर बठत ह गलत करन वाला कई बार अचछा भी करता ह तो मानना पड़गा िक मनय-शरीर पणय और पाप का िमौण ह आपका अतःकरण शभ और अशभ का िमौण ह जब आप लापरवाह होत ह तो अशभ बढ़ जात ह अतः परषाथर यह करना ह िक अशभ कषीण होता जाय और शभ पराका ा तक परमातम-ाि तक पहच जाय

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अनबमलोग घरबार छोड़कर साधना करन क िलए साध बनत ह घर म रहत हए गहःथधमर िनभात हए नारी

ऐसी उम साधना कर सकती ह िक अनय साधओ की साधना उसक सामन फीकी पड़ जाय ऐसी दिवयो क पास एक पितोता-धमर ही ऐसा अमोघ श ह िजसक सममख बड़-बड़ वीरो क श भी किणठत हो जात ह पितोता ी अनायास ही योिगयो क समान िसि ा कर लती ह इसम िकिचत माऽ भी सदह नही ह

उ म िजजञासः मऽयी महिषर याजञवलकयजी की दो पि या थीः मऽयी और कातयायनी मऽयी जय थी कातयायनी की जञा

सामानय ि यो जसी ही थी िकत मऽयी वािदनी थी एक िदन याजञवालकयजी न अपनी दोनो पि यो को अपन पास बलाया और कहाः मरा िवचार अब

सनयास लन का ह अतः इस ःथान को छोड़कर म अनयऽ चला जाऊगा इसक िलए तम लोगो की अनमित लना आवयक ह साथ ही म यह भी चाहता ह िक घर म जो कछ धन-दौलत ह उस तम दोनो म बराबर-बराबर बाट द तािक मर चल जान क बाद इसको लकर आपसी िववाद न हो

यह सनकर कातयायनी तो चप रही िकत मऽयी न पछाः भगवन यिद यह धन-धानय स पिरपणर सारी पथवी कवल मर ही अिधकार म आ जाय तो कया म उसस िकसी कार अमर हो सकती ह

याजञवलकयजी न कहाः नही भोग-सामिमयो स सपनन मन यो का जसा जीवन होता ह वसा ही तमहारा भी जीवन हो जायगा धन स कोई अमर हो जाय उस अमरतव की ाि हो जाय यह कदािप सभव नही ह

तब मऽयी न कहाः भगवन िजसस म अमर नही हो सकती उस लकर कया करगी यिद धन स ही वाःतिवक सख िमलता तो आप उस छोड़कर एकानत अरणय म कयो जात आप ऐसी कोई वःत अवय जानत ह िजसक सामन इस धन एव गहःथी का सारा सख तचछ तीत होता ह अतः म भी उसी को जानना चाहती ह यदव भगवान वद तदव म िह कवल िजस वःत को आप ौीमान अमरतव का साधन जानत ह उसी का मझ उपदश कर

मऽयी की यह िजजञासापणर बात सनकर याजञवलकयजी को बड़ी सननता हई उनहोन मऽयी की शसा करत हए कहाः

धनय मऽयी धनय तम पहल भी मझ बहत िय थी और इस समय भी तमहार मख स यह िय वचन ही िनकला ह अतः आओ मर समीप बठो म तमह त व का उपदश करता ह उस सनकर तम उसका मनन और िनिदधयासन करो म जो कछ कह उस पर ःवय भी िवचार करक उस दय म धारण करो

इस कार कहकर महिषर याजञवलकयजी न उपदश दना आरभ िकयाः मऽयी तम जानती हो िक ी को पित और पित को ी कयो िय ह इस रहःय पर कभी िवचार िकया ह पित इसिलए िय नही ह िक वह पित ह बिलक इसिलए िय ह िक वह अपन को सतोष दता ह अपन काम आता ह इसी कार पित को ी भी इसिलए िय नही होती िक वह ी ह अिपत इसिलए िय होती ह िक उसस ःवय को सख िमलता

इसी नयाय स पऽ धन ा ण कषिऽय लोक दवता समःत ाणी अथवा ससार क सपणर पदाथर भी आतमा क िलए िय होन स ही िय जान पड़त ह अतः सबस ियतम वःत कया ह अपना आतमा

आतमा वा अर ि वयः ौोतवयो मनतवयो िनिदधयािसतवयो मऽयी आतमनो वा अर दशरनन ौवणन

मतया िवजञाननद सव िविदतम मऽयी तमह आतमा की ही दशरन ौवण मनन और िनिदधयासन करना चािहए उसी क दशरन ौवण

मनन और यथाथरजञान स सब कछ जञात हो जाता ह

(बहदारणयक उपिनषद 4-6) तदनतर महिषर याजञवलकयजी न िभनन-िभनन द ानतो और यि यो क ारा जञान का गढ़ उपदश दत

हए कहाः जहा अजञानावःथा म त होता ह वही अनय अनय को सघता ह अनय अनय का रसाःवादन करता ह अनय अनय का ःपशर करता ह अनय अनय का अिभवादन करता ह अनय अनय का मनन करता ह और अनय अनय को िवशष रप स जानता ह िकत िजसक िलए सब कछ आतमा ही हो गया ह वह िकसक ारा िकस दख िकसक ारा िकस सन िकसक ारा िकस सघ िकसक ारा िकसका रसाःवादन कर िकसक ारा िकसका ःपशर कर िकसक ारा िकसका अिभवादन कर और िकसक ारा िकस जान िजसक ारा परष इन सबको जानता ह उस िकस साधन स जान

इसिलए यहा नित-नित इस कार िनदश िकया गया ह आतमा अमा ह उसको महण नही िकया जाता वह अकषर ह उसका कषय नही होता वह असग ह वह कही आस नही होता वह िनबरनध ह वह कभी बनधन म नही पड़ता वह आनदःवरप ह वह कभी वयिथत नही होता ह मऽयी िवजञाता को िकसक ारा जान अर मऽयी तम िन यपवरक इस समझ लो बस इतना ही अमरतव ह तमहारी ाथरना क अनसार मन जञातवय त व का उपदश द िदया

ऐसा उपदश दन क प ात याजञवलकयजी सनयासी हो गय मऽयी यह अमतमयी उपदश पाकर कताथर हो गयी यही यथाथर सपि ह िजस मऽयी न ा िकया था धनय ह मऽयी जो बा धन-सपि स ा सख को तणवत समझकर वाःतिवक सपि को अथारत आतम-खजान को पान का परषाथर करती ह काश आज की नारी मऽयी क चिरऽ स रणा लती

(कलयान क नारी अक एव बहदारणयक उपिनषद पर आधािरत)

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अनबम

वािदनी िवदषी गाग वािदनी िवदषी गाग का नाम विदक सािहतय म अतयत िव यात ह उनका असली नाम कया था

यह तो जञात नही ह िकत उनक िपता का नाम वचकन था अतः वचकन की पऽी होन क कारण उनका नाम वाचकनवी पड़ गया गगर गोऽ म उतपनन होन क कारण लोग उनह गाग कहत थ यह गाग नाम ही जनसाधारण स चिलत हआ

बहदारणयक उपिनषद म गाग क शा ाथर का सग विणरत हः िवदह दश क राजा जनक न एक बहत बड़ा जञानयजञ िकया था उसम कर और पाचाल दश क अनको

िव ान ा ण एकिऽत हए थ राजा जनक बड़ िव ा-वयासगी एव सतसगी थ उनह शा क गढ़ त वो का िववचन एव परमाथर-चचार ही अिधक िय थी इसिलए उनक मन म यह जानन की इचछा हई िक यहा आय हए िव ान ा णो म सबस बढ़कर ताि वक िववचन करन वाला कौन ह इस परीकषा क िलए उनहोन अपनी गौशाला म एक हजार गौए बधवा दी सब गौओ क सीगो पर दस-दस पाद (एक ाचीन माप-कषर) सवणर बधा हआ था यह वयवःथा करक राजा जनक न उपिःथत ा ण-समदाय स कहाः

आप लोगो म स जो सबस बढ़कर व ा हो वह इन सभी गौओ को ल जाय राजा जनक की यह घोषणा सनकर िकसी भी ा ण म यह साहस नही हआ िक उन गौओ को ल

जाय सब सोचन लग िक यिद हम गौए ल जान को आग बढ़त ह तो य सभी ा ण हम अिभमानी समझग और शा ाथर करन लगग उस समय हम इन सबको जीत सक ग या नही कया पता यह िवचार करत हए सब चपचाप ही बठ रह

सबको मौन दखकर याजञवलकयजी न अपन चारी सामौवा स कहाः ह सौमय त इन सब गौओ को हाक ल चल

चारी न आजञा पाकर वसा ही िकया यह दखकर सब ा ण कषबध हो उठ तब िवदहराज जनक क होता अ ल याजञवलकयजी स पछ बठः कयो कया तमही िन हो हम सबस बढ़कर व ा हो

यह सनकर याजञवलकयजी न नतापवरक कहाः नही व ाओ को तो हम नमःकार करत ह हम कवल गौओ की आवयकता ह अतः गौओ को ल

जात ह िफर कया था शा ाथर आरभ हो गया यजञ का तयक सदःय याजञवलकयजी स पछन लगा

याजञवालकयजी इसस िवचिलत नही हए व धयरपवरक सभी क ो का बमशः उ र दन लग अ ल न चन-चनकर िकतन ही िकय िकत उिचत उ र िमल जान क कारण व चप होकर बठ गय तब जरतकार गोऽ म उतपनन आतरभाग न िकया उनको भी अपन का यथाथर उ र िमल गया अतः व भी मौन हो गय िफर बमशः ला ायिन भजय चाबायम उषःत एव कौषीतकय कहोल करक चप होकर बठ गय इसक बाद

वाचकनवी गाग न पछाः भगवन यह जो कछ पािथरव पदाथर ह व सब जल म ओत ोत ह जल िकसम ओतोत ह

याजञवलकयजीः जल वाय म ओतोत ह वाय िकसम ओतोत ह

अनतिरकषलोक म अनतिरकषलोक िकसम ओतोत ह

गनधवरलोक म गनधवरलोक िकसम ओतोत ह

आिदतयलोक म आिदतयलोक िकसम ओतोत ह

चनिलोक म चनिलोक िकसम ओतोत ह

नकषऽलोक म नकषऽलोक िकसम ओतोत ह

दवलोक म दवलोक िकसम ओतोत ह

इनिलोक म इनिलोक िकसम ओतोत ह

जापितलोक म जापितलोक िकसम ओतोत ह

लोक म लोक िकसम ओतोत ह

इस पर याजञवलकयजी न कहाः ह गाग यह तो अित ह यह उ र की सीमा ह अब इसक आग नही हो सकता अब त न कर नही तो तरा मःतक िगर जायगा

गाग िवदषी थी उनहोन याजञवलकयजी क अिभाय को समझ िलया एव मौन हो गयी तदननतर आरिण आिद िव ानो न ो र िकय इसक प ात पनः गाग न समःत ा णो को सबोिधत करत हए कहाः यिद आपकी अनमित ा हो जाय तो म याजञवलकयजी स दो पछ यिद व उन ो का उ र द दग तो आप लोगो म स कोई भी उनह चचार म नही जीत सकगा

ा णो न कहाः पछ लो गाग

तब गाग बोलीः याजञवलकयजी वीर क तीर क समान य मर दो ह पहला हः लोक क ऊपर पथवी का िनमन दोनो का मधय ःवय दोनो और भत भिवय तथा वतरमान िकसम ओतोत ह

याजञवलकयजीः आकाश म

गाग ः अचछा अब दसरा ः यह आकाश िकसम ओतोत ह

याजञवलकयजीः इसी त व को व ा लोग अकषर कहत ह गाग यह न ःथल ह न सआम न छोटा ह न बड़ा यह लाल िव छाया तम वाय आकाश सग रस गनध नऽ कान वाणी मन तज ाण मख और माप स रिहत ह इसम बाहर भीतर भी नही ह न यह िकसी का भो ा ह न िकसी का भो य

िफर आग उसका िवशद िनरपण करत हए याजञवलकयजी बोलः इसको जान िबना हजारो वष को होम यजञ तप आिद क फल नाशवान हो जात ह यिद कोई इस अकषर त व को जान िबना ही मर जाय तो वह कपण ह और जान ल तो यह व ा ह

यह अकषर द नही ि ा ह ौत नही ौोता ह मत नही मनता ह िवजञात नही िवजञाता ह इसस िभनन कोई दसरा ि ा ौोता मनता िवजञाता नही ह गाग इसी अकषर म यह आकाश ओतोत ह

गाग याजञवलकयजी का लोहा मान गयी एव उनहोन िनणरय दत हए कहाः इस सभा म याजञवलकयजी स बढ़कर व ा कोई नही ह इनको कोई परािजत नही कर सकता ह ा णो आप लोग इसी को बहत समझ िक याजञवलकयजी को नमःकार करन माऽ स आपका छटकारा हए जा रहा ह इनह परािजत करन का ःवपन दखना वयथर ह

राजा जनक की सभा वादी ऋिषयो का समह समबनधी चचार याजञवलकयजी की परीकषा और परीकषक गाग यह हमारी आयर क नारी क जञान की िवजय जयनती नही तो और कया ह

िवदषी होन पर भी उनक मन म अपन पकष को अनिचत रप स िस करन का दरामह नही था य िव तापणर उ र पाकर सत हो गयी एव दसर की िव ता की उनहोन म कणठ स शसा भी की

धनय ह भारत की आयर नारी जो याजञवलकयजी जस महिषर स भी शा ाथर करन िहचिकचाती नही ह ऐसी नारी नारी न होकर साकषात नारायणी ही ह िजनस यह वसनधरा भी अपन-आपको गौरवािनवत मानती ह

(कलयाण क नारी अक एव बहदारणयक उपिनषद पर आधािरत) ॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐ

अनबम

अथाह शि की धनीः तपिःवनी शाणडािलनी शाणडािलनी का रप-लावणय और सौनदयर दखकर गालव ऋिष और गरड़जी मोिहत हो गय ऐसी सनदरी

और इतनी तजिःवनी वह भी धरती पर तपःयारत यह ी तो भगवान िवण की भायार होन क यो य ह ऐसा सोचकर उनहोन शाणडािलनी क आग यह ःताव रखा

शाणडािलनीः नही नही मझ तो चयर का पालन करना ह यह कहकर शाणडािलनी पनः तपःयारत हो गयी और अपन श -ब ःवरप की ओर याऽा करन लगी

गालवजी और गरड़जी का यह दखकर पनः िवचारन लग िक अपसराओ को भी मात कर दन वाल सौनदयर की ःवािमनी यह शाणडािलनी अगर तपःया म ही रत रही तो जोगन बन जायगी और हम लोगो की बात मानगी नही अतः इस अभी उठाकर ल चल और भगवान िवण क साथ जबरन इसकी शादी करवा द

एक भात को दोनो शाणडािलनी को ल जान क िलए आय शाणडािलनी की दि जस ही उन दोनो पर पड़ी तो वह समझ गयी िक अपन िलए तो नही िकत अपनी इचछा परी करन क िलए इनकी नीयत बरी हई ह जब मरी कोई इचछा नही ह तो म िकसी की इचछा क आग कयो दब मझ तो चयर ोत का पालन करना ह िकत य दोनो मझ जबरन गहःथी म घसीटना चाहत ह मझ िवण की प ी नही बनना वरन मझ तो िनज ःवभाव को पाना ह

गरड़जी तो बलवान थ ही गालवजी भी कम नही थ िकत शाणडािलनी की िनःःवाथर सवा िनःःवाथर परमातमा म िवौािनत की याऽा न उसको इतना तो सामथयरवान बना िदया था िक उसक ारा पानी क छीट मार कर यह कहत ही िक गालव तम गल जाओ और गालव को सहयोग दन वाल गरड़ तम भी गल जाओ दोनो को महसस होन लगा िक उनकी शि कषीण हो रही ह दोनो भीतर-ही-भीतर गलन लग

िफर दोनो न बड़ा ायि त िकया और कषमायाचना की तब भारत की उस िदवय कनया शाणडािलनी न उनह माफ िकया और पवरवत कर िदया उसी क तप क भाव स गलत र तीथर बना ह

ह भारत की दिवयो उठो जागो अपनी आयर नािरयो की महानता को अपन अतीत क गौरव को याद करो तमम अथाह सामथयर ह उस पहचानो सतसग जप परमातम-धयान स अपनी छपी हई शि यो को जामत करो

जीवनशि का ास करन वाली पा ातय सःकित क अधानकरण स बचकर तन-मन को दिषत करन वाली फशनपरःती एव िवलािसता स बचकर अपन जीवन को जीवनदाता क पथ पर अमसर करो अगर ऐसा कर सको तो वह िदन दर नही जब िव तमहार िदवय चिरऽ का गान कर अपन को कताथर मानगा

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अनबम

सती सािवऽी महाभारत क वन पवर म सािवऽी और यमराज क वातारलाप का सग आता हः जब यमराज सतयवान (सािवऽी क पित) क ाणो को अपन पाश म बाध ल चल तब सािवऽी भी उनक

पीछ-पीछ चलन लगी उस अपन पीछ आत दखकर यमराज न उस वापस लौट जान क िलए कई बार कहा िकत सािवऽी चलती ही रही एव अपनी धमरचचार स उसन यमराज को सनन कर िलया

सािवऽी बोलीः सतपरषो का सग एक बार भी िमल जाय तो वह अभी की पितर करान वाला होता ह और यिद उनस म हो जाय तो िफर कहना ही कया सत-समागम कभी िनफल नही जाता अतः सदा सतपरषो क साथ ही रहना चािहए

दव आप सारी जा का िनयमन करन वाल ह अतः यम कहलात ह मन सना ह िक मन वचन और कमर ारा िकसी भी ाणी क ित िोह न करक सब पर समान रप स दया करना और दान दना ौ परषो का सनातन धमर ह यो तो ससार क सभी लोग सामानयतः कोमलता का बतारव करत ह िकत जो ौ परष ह व अपन पास आय हए शऽ पर भी दया ही करत ह

यमराजः कलयाणी जस पयास को पानी िमलन स ति होती ह उसी कार तरी धमारनकल बात सनकर मझ सननता होती ह

सािविऽ न आग कहाः िववःवान (सयरदव) क पऽ होन क नात आपको ववःवत कहत ह आप शऽ-िमऽ आिद क भद को भलाकर सबक ित समान रप स नयाय करत ह और आप धमरराज कहलात ह अचछ मनयो को सतय पर जसा िव ास होता ह वसा अपन पर भी नही होता अतएव व सतय म ही अिधक अनराग रखत ह िव ास की सौहादर का कारण ह तथा सौहादर ही िव ास का सतपरषो का भाव सबस अिधक होता ह इसिलए उन पर सभी िव ास करत ह

यमराजः सािवऽी तन जो बात कही ह वसी बात मन और िकसी क मह स नही सनी ह अतः मरी सननता और भी बढ़ गयी ह अचछा अब त बहत दर चली आयी ह जा लौट जा

िफर भी सािवऽी न अपनी धािमरक चचार बद नही की वह कहती गयीः सतपरषो का मन सदा धमर म ही लगा रहता ह सतपरषो का समागम कभी वयथर नही जाता सतो स कभी िकसी को भय नही होता सतपरष सतय क बल स सयर को भी अपन समीप बला लत ह व ही अपन भाव स पथवी को धारण करत ह भत भिवय का आधार भी व ही ह उनक बीच म रहकर ौ परषो को कभी खद नही होता दसरो की भलाई करना सनातन सदाचार ह ऐसा मानकर सतपरष तयपकार की आशा न रखत हए सदा परोपकार म ही लगा रहत ह

सािवऽी की बात सनकर यमराज िवीभत हो गय और बोलः पितोत तरी य धमारनकल बात गभीर अथर स य एव मर मन को लभान वाली ह त जयो-जयो ऐसी बात सनाती जाती ह तयो-तयो तर ित मरा ःनह बढ़ता जाता ह अतः त मझस कोई अनपम वरदान माग ल

सािवऽीः भगवन अब तो आप सतयवान क जीवन का ही वरदान दीिजए इसस आपक ही सतय और धमर की रकषा होगी पित क िबना तो म सख ःवगर लआमी तथा जीवन की भी इचछा नही रखती

धमरराज वचनब हो चक थ उनहोन सतयवान को मतयपाश स म कर िदया और उस चार सौ वष की नवीन आय दान की सतयवान क िपता मतसन की नऽजयोित लौट आयी एव उनह अपना खोया हआ राजय भी वापस िमल गया सािवऽी क िपता को भी समय पाकर सौ सतान ह एव सािवऽी न भी अपन पित सतयवान क साथ धमरपवरक जीवन-यापन करत हए राजय-सख भोगा

इस कार सती सािवऽी न अपन पाितोतय क ताप स पित को तो मतय क मख स लौटाया ही साथ ही पित क एव अपन िपता क कल दोनो की अिभवि म भी वह सहायक बनी

िजस िदन सती सािवऽी न अपन तप क भाव स यमराज क हाथ म पड़ हए पित सतयवान को छड़ाया था वही िदन वट सािवऽी पिणरमा क रप म आज भी मनाया जाता ह इस िदन सौभा यशाली ि या अपन सहाग की रकषा क िलए वट वकष की पजा करती ह एव ोत-उपवास आिद रखती ह

कसी रही ह भारत की आदशर नािरया अपन पित को मतय क मख स लौटान म यमराज स भी धमरचचार करन का सामथयर रहा ह भारत की दिवयो म सािवऽी की िदवय गाथा यही सदश दती ह िक ह भारत की दिवयो तमम अथाह सामथयर ह अथाह शि ह सतो-महापरषो क सतसग म जाकर तम अपनी छपी हई शि को जामत करक अवय महान बन सकती हो एव सािवऽी-मीरा-मदालसा की याद को पनः ताजा कर सकती हो

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अनबम

मा सीता की सतीतव-भावना भगवान ौीराम क िवयोग तथा रावण और राकषिसयो क ारा िकय जानवाल अतयाचारो क कारण मा

सीता अशोक वािटका म बड़ी दःखी थी न तो व भोजन करती न ही नीद िदन-रात कवल ौीराम-नाम क जप म ही तललीन रहती उनका िवषादमःत मखमडल दखकर हनमान जी न पवरताकार शरीर धारण करक उनस कहाः मा आपकी कपा स मर पास इतना बल ह िक म पवरत वन महल और रावणसिहत परी लका को उठाकर ल जा सकता ह आप कपा करक मर साथ चल और भगवान ौीराम व लआमण का शोक दर करक ःवय भी इस भयानक दःख स मि पा ल

भगवान ौीराम म ही एकिन रहन वाली जनकनिदनी मा सीता न हनमानजी स कहाः ह महाकिप म तमहारी शि और पराबम को जानती ह साथ ही तमहार दय क श भाव एव तमहारी ःवामी-भि को भी जानती ह िकत म तमहार साथ नही आ सकती पितपरायणता की दि स म एकमाऽ भगवान ौीराम क िसवाय िकसी परपरष का ःपशर नही कर सकती जब रावण न मरा हरण िकया था तब म असमथर असहाय और िववश थी वह मझ बलपवरक उठा लाया था अब तो करणािनधान भगवान ौीराम ही ःवय आकर रावण का वध करक मझ यहा स ल जाएग

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अनबम

आतर भ िौपदी

ईयार- ष और अित धन-समह स मनय अशात होता ह ईयार- ष की जगह पर कषमा और सतवि का िहःसा बढ़ा िदया जाय तो िकतना अचछा

दय धन ईयारल था षी था उसन तीन महीन तक दवारसा ऋिष की भली कार स सवा की उनक िशयो की भी सवा की दय धन की सवा स दवारसा ऋिष सनन हो गय और बोलः

माग ल वतस जो मागना चाह माग ल

जो ईयार और ष क िशकज म आ जाता ह उसका िववक उस साथ नही दता लिकन जो ईयार- ष रिहत होता ह उसका िववक सजग रहता ह वह शात होकर िवचार या िनणरय करता ह ऐसा वयि सफल होता ह और सफलता क अह म गरक नही होता कभी असफल भी हो गया तो िवफलता क िववाद म नही डबता द दय धन न ईयार एव ष क वशीभत होकर कहाः

मर भाई पाणडव वन म दर-दर भटक रह ह उनकी इचछा ह िक आप अपन हजार िशयो क साथ उनक अितथी हो जाय अगर आप मझ पर सनन ह तो मर भाइयो की इचछा परी कर लिकन आप उसी व उनक पास पहिचयगा जब िौपदी भोजन कर चकी हो

दय धन जानता था िक भगवान सयर न पाणडवो को अकषयपाऽ िदया ह उसम स तब तक भोजन-साममी िमलती रहती ह जब तक िौपदी भोजन न कर ल िौपदी भोजन करक पाऽ को धोकर रख द िफर उस िदन उसम स भोजन नही िनकलगा अतः दोपहर क बाद जब दवारसाजी उनक पास पहचग तब भोजन न िमलन स किपत हो जायग और पाणडवो को शाप द दग इसस पाणडव वश का सवरनाश हो जायगा

इस ईयार और ष स िरत होकर दय धन न दवारसाजी की सननता का लाभ उठाना चाहा दवारसा ऋिष मधया क समय जा पहच पाणडवो क पास यिधि र आिद पाणडव एव िौपदी दवारसाजी को

िशयो समत अितिथ क रप म आया हआ दखकर िचिनतत हो गय िफर भी बोलः िवरािजय महिषर आपक भोजन की वयवःथा करत ह

अतयारमी परमातमा सबका सहायक ह सचच का मददगार ह दवारसाजी बोलः ठहरो ठहरो भोजन बाद म करग अभी तो याऽा की थकान िमटान क िलए ःनान करन जा रहा ह

इधर िौपदी िचिनतत हो उठी िक अब अकषयपाऽ स कछ न िमल सकगा और इन साधओ को भखा कस भज उनम भी दवारसा ऋिष को वह पकार उठीः ह कशव ह माधव ह भ वतसल अब म तमहारी शरण म ह शात िच एव पिवऽ दय स िौपदी न भगवान ौीकण का िचनतन िकया भगवान ौीकण आय और बोलः िौपदी कछ खान को तो दो

िौपदीः कशव मन तो पाऽ को धोकर रख िदया ह ौी कणः नही नही लाओ तो सही उसम जरर कछ होगा िौपदी न पाऽ लाकर रख िदया तो दवयोग स उसम तादल क साग का एक प ा बच गया था

िव ातमा ौीकण न सकलप करक उस तादल क साग का प ा खाया और ति का अनभव िकया तो उन महातमाओ को भी ति का अनभव हआ व कहन लग िकः अब तो हम त हो चक ह वहा जाकर कया खायग यिधि र को कया मह िदखायग

शात िच स की हई ाथरना अवय फलती ह ईयारल एव षी िच स तो िकया-कराया भी चौपट हो जाता ह जबिक न और शात िच स तो चौपट हई बाजी भी जीत म बदल जाती ह और दय धनयता स भर जाता ह

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अनबम

दवी शि यो स समपनन गणमजरी दवी (िदनाक 12 अ बर स 21 अ बर 2002 तक मागलय धाम रतलाम (म) म शरद पिणरमा पर

आयोिजत शि पात साधना िशिवर म पजय ौी न िशिवरािथरयो को अपनी सष िदवय शि यो को जागत करन का आ ान िकया

िवबम सवत 1781 म यागराज इलाहाबाद म घिटत एक घटना का िजब करत हए पजयौी न लोकपावनी वाणी म कहाः)

यागराज इलाहाबाद म ऽयोदशी क कभ-ःनान का पवर-िदवस था कभ म कई अखाड़वाल जित-जोिग साध-सत आय थ उसम कामकौतकी नामक एक ऐसी जाित भी आयी थी जो भगवान क िलए ही राग-रािगिनयो का अ यास िकया करती थी तथा भगवदगीत क िसवाय और कोई गीत नही गाती थी उसन भी अपना गायन-कायरबम कभ मल म रखा था

ौगरी मठाधीश ौी सोमनाथाचायर भी इस कामकौतकी जाितवालो क सयम और राग-रािगिनयो म उनकी कशलता क बार म जानत थ इसिलए व भी वहा पधार थ उस कायरबम म सोमनाथाचायर जी की उपिःथित क कारण लोगो को िवशष आनद हआ और जब गणमजरी दवी भी आ पहची तो उस आनद म चार चाद लग गय

गणमजरी दवी न चानिायण और कचल ोत िकय थ शरीर क दोषो को हरन वाल जप-तप और सयम को अचछी तरह स साधा था लोगो न मन-ही-मन उसका अिभवादन िकया

गणमजरी दवी भी कवल गीत ही नही गाती थी वरन उसन अपन जीवन म दवी गणो का इतना िवकिसत िकया था िक जब चाह अपनी दिवक सिखयो को बला सकती थी जब चाह बादल मडरवा सकती थी िबजली चमका सकती थी उस समय उसकी याित दर-दर तक पहच चकी थी

कायरबम आरमभ हआ कामकौतकी जाित क आचाय न शबदो की पपाजली स ई रीय आराधना का माहौल बनाया अत म गणमजरी दवी स ाथरना की गयी

गणमजरी दवी न वीणा पर अपनी उगिलया रखी माघ का महीना था ठणडी-ठणडी हवाए चलन लगी थोड़ी ही दर म मघ गरजन लग िबजली चमकन लगी और बािरश का माहौल बन गया आन वाली बािरश स बचन क लोगो का िच कछ िवचिलत होन लगा इतन म सोमनाथाचायरजी न कहाः बठ रहना िकसी को

िचनता करन की जररत नही ह य बादल तमह िभगोयग नही य तो गण मजरी दवी की तपःया और सकलप का भाव ह

सत की बात का उललघन करना मि फल को तयागना और नरक क ार खोलना ह लोग बठ रह 32 राग और 64 रािगिनया ह राग और रािगिनया क पीछ उनक अथर और आकितया भी होती ह

शबद क ारा सि म उथल-पथल मच सकती ह व िनज व नही ह उनम सजीवता ह जस एयर कडीशनर चलात ह तो वह आपको हवा स पानी अलग करक िदखा दता ह ऐस ही इन पाच भतो म िःथत दवी गणो को िजनहोन साध िलया ह व शबद की धविन क अनसार बझ दीप जला सकत ह दि कर सकत ह - ऐस कई सग आपन-हमन-दख-सन होग गणमजरी दवी इस कार की साधना स समपनन दवी थी

माहौल ौ ा-भि और सयम की पराका ा पर था गणमजरी दवी न वीणा बजात हए आकाश की ओर िनहारा घनघोर बादलो म स िबजली की तरह एक दवागना कट हई वातावरण सगीतमय-नतयमय होता जा रहा था लोग दग रह गय आ यर को भी आ यर क समि म गोत खान पड़ ऐसा माहौल बन गया

लोग भीतर ही भीतर अपन सौभा य की सराहना िकय जा रह थ मानो उनकी आख उस दय को पी जाना चाहती थी उनक कान उस सगीत को पचा जाना चाहत थ उनका जीवन उस दय क साथ एक रप होता जा रहा था गणमजरी धनय हो तम कभी व गणमजरी को को धनयवाद दत हए उसक गीत म खो जात और कभी उस दवागना क श पिवऽ नतय को दखकर नतमःतक हो उठत

कायरबम समपनन हआ दखत ही दखत गणमजरी दवी न दवागना को िवदाई दी सबक हाथ जड़ हए थ आख आसमान की ओर िनहार रही थी और िदल अहोभाव स भरा था मानो भ-म म भ की अदभत लीला म खोया-सा था

ौगरी मठाधीश ौी सोमनाथाचायरजी न हजारो लोगो की शात भीड़ स कहाः सजजनो इसम आ यर की कोई आवयकता नही ह हमार पवरज दवलोक स भारतभिम पर आत और सयम साधना तथा भगवतीित क भाव स अपन वािछत िदवय लोको तक की याऽा करन म सफल होत थ कोई-कोई ःवरप परमातमा का ौवण मनन िनिदधयासन करक यही मय अननत ाणडवयापी अपन आतम-ऐ यर को पा लत थ

समय क फर स लोग सब भलत गय अनिचत खान-पान ःपशर-दोष सग-दोष िवचार-दोष आिद स लोगो की मित और साि वकता मारी गयी लोगो म छल कपट और तमस बढ़ गया िजसस व िदवय लोको की बात ही भल गय अपनी असिलयत को ही भल गय गणमजरी दवी न सग दोष स बचकर सयम स साधन-भजन िकया तो उसका दवतव िवकिसत हआ और उसन दवागना को बलाकर तमह अपनी असिलयत का पिरचय िदया

तम भी इस दय को दखन क कािबल तब हए जब तमन कभ क इस पवर पर यागराज क पिवऽ तीथर म सयम और ौ ा-भि स ःनान िकया इसक भाव स तमहार कछ कलमष कट और पणय बढ़ पणयातमा लोगो क एकिऽत होन स गणमजरी दवी क सकलप म सहायता िमली और उसन तमह यह दय िदखाया अतः इसम आ यर न करो

आपम भी य शि या छपी ह तम भी चाहो तो अनिचत खान-पान सग-दोष आिद स बचकर सदगर क िनदशानसार साधना-पथ पर अमसर हो इन शि यो को िवकिसत करन म सफल हो सकत हो कवल इतना ही नही वरन पर -परमातमा को पाकर सदा-सदा क िलए म भी हो सकत हो अपन म ःवरप का जीत जी अनभव कर सकत हो

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अनबम

िववक की धनीः कमारवती यह कथा सतयःवरप ई र को पान की ततपरता रखनवाली भोग-िवलास को ितलाजिल दन वाली

िवकारो का दमन और िनिवरकार नारायण ःवरप का दशरन करन वाली उस बचची की ह िजसन न कवल अपन को तारा अिपत अपन िपता राजपरोिहत परशरामजी का कल भी तार िदया

जयपर-सीकर क बीच महनिगढ़ क सरदार शखावत क राजपरोिहत परशरामजी की उस बचची का नाम था कमार कमारवती बचपन म वह ऐस कमर करती थी िक उसक कमर शोभा दत थ कई लोग कमर करत ह तो कमर उनको थका दत ह कमर म उनको फल की इचछा होती ह कमर म कतारपन होता ह

कमारवती क कमर म कतारपन नही था ई र क ित समपरण भाव थाः जो कछ कराता ह भ त ही कराता ह अचछ काम होत ह तो नाथ तरी कपा स ही हम कर पात ह कमारवती कमर करती थी लिकन कतारभाव को िवलय होन का मौका िमल उस ढग स करती थी

कमारवती तरह साल की हई गाव म साध-सत पधार उन सतपरषो स गीता का जञान सना भगवदगीता का माहातमय सना अचछ-बर कम क बनधन स जीव मनय-लोक म जनमता ह थोड़ा-सा सखाभास पाता ह परत काफी माऽा म दःख भोगता ह िजस शरीर स सख-दःख भोगता ह वह शरीर तो जीवन क अत म जल जाता ह लिकन भीतर सख पान का सख भोगन का भाव बना रहता ह यह कतार-भो ापन का भाव तब तक बना रहता ह जब तक मन की सीमा स पर परमातमा-ःवरप का बोध नही होता

कमारवती इस कार का सतसग खब धयान दकर आखो की पलक कम िगर इस कार सनती थी वह इतना एकाम होकर सतसग सनती िक उसका सतसग सनना बदगी हो जाता था

एकटक िनहारत हए सतसग सनन स मन एकाम होता ह सतसग सनन का महापणय तो होता ही ह साथ ही साथ मनन करन का लाभ भी िमल जाता ह और िनिदधयासन भी होता रहता ह

दसर लोग सतसग सनकर थोड़ी दर क बाद कपड़ झाड़कर चल दत और सतसग की बात भल जात लिकन कमारवती सतसग को भलती नही थी सतसग सनन क बाद उसका मनन करती थी मनन करन स उसकी यो यता बढ़ गयी जब घर म अनकलता या ितकलता आती तो वह समझती िक जो आता ह वह

जाता ह उसको दखनवाला मरा राम मरा कण मरा आतमा मर गरदव मरा परमातमा कवल एक ह सख आयगा ETH जायगा पर म चतनय आतमा एकरस ह ऐसा उसन सतसग म सन रखा था

सतसग को खब एकामता स सनन और बाद म उस ःमरण-मनन करन स कमारवती न छोटी उ म खब ऊचाई पा ली वह बातचीत म और वयवहार म भी सतसग की बात ला दती थी फलतः वयवहार क न उसक िच को मिलन नही करत थ उसक िच की िनमरलता व साि वकता बढ़ती गयी

म तो महनिगढ़ क उस सरदार खडरकर शखावत को भी धनयवाद दगा कयोिक उसक राजपरोिहत हए थ परशराम और परशराम क घर आयी थी कमारवती जसी पिवऽ बचची िजनक घर म भ पदा हो व माता-िपता तो भा यशाली ह ही पिवऽ ह व जहा नौकरी करत ह वह जगह वह आिफस वह कस भी भा यशाली ह िजसक यहा व नौकरी करत ह वह भी भा यशाली ह िक भ क माता-िपता उसक यहा आया-जाया करत ह

राजपरोिहत परशराम भी भगवान क भ थ सयमी जीवन था उनका व सदाचारी थ दीन-दःिखयो की सवा िकया करत थ गर-दशरन म रिच और गर-वचन म िव ास रखन वाल थ ऐस पिवऽातमा क यहा जो सतान पदा हो उसका भी ओजःवी-तजःवी होना ःवाभािवक ह

कमारवती िपता स भी बहत आग बढ़ गयी कहावत ह िक बाप स बटा सवाया होना चािहए लिकन यह तो बटी सवायी हो गई भि म

परशराम सरदार क कामकाज म वयःत रहत अतः कभी सतसग म जा पात कभी नही पर कमारवती हर रोज िनयिमत रप स अपनी मा को लकर सतसग सनन पहच जाती ह परशराम सतसग की बात भल भी जात परत कमारवती याद रखती

कमारवती न घर म पजा क िलए एक कोठरी बना ली थी वहा ससार की कोई बात नही कवल माला और जप धयान उसन उस कोठरी को साि वक सशोभनो स सजाया था िबना हाथ-पर धोय नीद स उठकर िबना ःनान िकय उसम वश नही करती थी धप-दीप-अगरब ी स और कभी-कभी ताज िखल हए फलो स कोठरी को पावन बनाया करती महकाया करती उसक भजन की कोठरी मानो भगवान का मिदर ही बन गयी थी वह धयान-भजन नही करनवाल िनगर कटिमबयो को नता स समझा-बझाकर उस कोठरी म नही आन दती थी उसकी उस साधना-कटीर म भगवान की जयादा मितरया नही थी वह जानती थी िक अगर धयान-भजन म रिच न हो तो व मितरया बचारी कया करगी धयान-भजन म सचची लगन हो तो एक ही मितर काफी ह

साधक अगर एक ही भगवान की मितर या गरदव क िचऽ को एकटक िनहारत-िनहारत आतर याऽा कर तो एक म ही सब ह और सब म एक ही ह यह जञान होन म सिवधा रहगी िजसक धयान-ककष म अ यास-खणड म या घर म बहत स दवी-दवताओ क िचऽ हो मितरया हो तो समझ लना उसक िच म और जीवन म काफी अिनि तता होगी ही कयोिक उसका िच अनक म बट जाता ह एक पर परा भरोसा नही रहता

कमारवती न साधन-भजन करन का िनि त िनयम बना िलया था िनयम पालन म वह पककी थी जब तक िनयम परा न हो तब तक भोजन नही करती िजसक जीवन म ऐसी दढ़ता होती ह वह हजारो िव न-बाधाओ और मसीबतो को परो तल कचलकर आग िनकल जाता ह

कमारवती 13 साल की हई उस साल उसक गाव म चातमारस करन क िलए सत पधार कमारवती एक िदन भी कथा सनना चकी नही कथा-ौवण क साररप उसक िदल-िदमाग म िन य दढ़ हआ िक जीवनदाता को पान क िलए ही यह जीवन िमला ह कोई गड़बड़ करन क िलए नही परमातमा को नही पाया तो जीवन वयथर ह

न पित अपना ह न प ी अपनी ह न बाप अपना ह न बट अपन ह न घर अपना ह न दकान अपनी ह अर यह शरीर तक अपना नही ह तो और की कया बात कर शरीर को भी एक िदन छोड़ना पड़गा मशान म उस जलाया जायगा

कमारवती क दय म िजजञासा जगी िक शरीर जल जान स पहल मर दय का अजञान कस जल म अजञानी रहकर बढ़ी हो जाऊ आिखर म लकड़ी टकती हई र ण अवःथा म अपमान सहती हई कराहती हई अनय बिढ़याओ की ना मर यह उिचत नही यह कभी-कभी व ो को बीमार वयि यो को दखती और मन म वरा य लाती िक म भी इसी कार बढ़ी हो जाऊगी कमर झक जायगी मह पोपला हो जायगा आखो स पानी टपकगा िदखाई नही दगा सनाई नही दगा शरीर िशिथल हो जायगा यिद कोई रोग हो जायगा तो और मसीबत िकसी की मतय होती तो कमारवती उस दखती जाती हई अथ को िनहारती और अपन मन को समझातीः बस यही ह शरीर का आिखरी अजाम जवानी म सभाला नही तो बढ़ाप म दःख भोग-भोगकर आिखर मरना ही ह राम राम राम म ऐसी नही बनगी म तो बनगी भगवान की जोिगन मीराबाई म तो मर पयार परमातमा को िरझाऊगी

कमारवती कभी वरा य की अि न म अपन को श करती ह कभी परमातमा क ःनह म भाव िवभोर हो जाती ह कभी पयार क िवयोग म आस बहाती ह तो कभी सनमन होकर बठी रहती ह मतय तो िकसी क घर होती ह और कमारवती क दय क पाप जलन लगत ह उसक िच म िवलािसता की मौत हो जाती ह ससारी तचछ आकषरणो का दम घट जाता ह और दय म भगवदभि का िदया जगमगा उठता ह

िकसी की मतय होन पर भी कमारवती क दय म भि का िदया जगमगान लगता और िकसी की शादी हो तब भी भि का िदया ही जगमगाता वह ऐसी भावना करती िक

म ऐस वर को कयो वर जो उपज और मर जाय म तो वर मर िगरधर गोपाल को मरो चडलो अमर हो जाय

मीरा न इसी भाव को कटाकर दहराकर अपन जीवन को धनय कर िलया था कमारवती न भगवदभि की मिहमा सन रखी थी िक एक ा ण यवक था उसन अपना ःवभावजनय

कमर नही िकया कवल िवलासी और दराचारी जीवन िजया जो आया सो खाया जसा चाहा वसा भोगा ककमर िकय वह मरकर दसर जनम म बल बना और िकसी िभखारी क हाथ लगा वह िभखारी बल पर सवारी करता और बःती म घम-िफरकर भीख मागकर अपना गजारा चलाता

दःख सहत-सहत बल बढ़ा हो गया उसक शरीर की शि कषीण हो गयी वह अब बोझ ढोन क कािबल नही रहा िभखारी न बल को छोड़ िदया रोज-रोज वयथर म चारा कहा स िखलाय भखा पयासा बल इधर-उधर

भटकन लगा कभी कही कछ रखा-सखा िमल जाता तो खा लता कभी लोगो क डणड खाकर ही रह जाना पड़ता

बािरश क िदन आय बल कही कीचड़ क ग ड म उतर गया और फस गया उसकी रगो म ताकत तो थी नही िफर वही छटपटान लगा तो और गहराई म उतरन लगा पीठ की चमड़ी फट गयी लाल धबब िदखाई दन लग अब ऊपर स कौए चोच मारन लग मिकखया िभनिभनान लगी िनःतज थका मादा हारा हआ वह बढ़ा बल अगल जनम म खब मज कर चका था अब उनकी सजा भोग रहा ह अब तो ाण िनकल तभी छटकारा हो वहा स गजरत हए लोग दया खात िक बचारा बल िकतना दःखी ह ह भगवान इसकी सदगित हो जाय िकतना दःखी ह ह भगवान इसकी सदगित हो जाय व लोग अपन छोट-मोट पणय दान करत िफर भी बल की सदगित नही होती थी

कई लोगो न बल को ग ड स बाहर िनकालन की कोिशश की पछ मरोड़ी सीगो म रःसी बाधकर खीचा-तानी की लिकन कोई लाभ नही व बचार बल को और परशान करक थककर चल गय

एक िदन कछ बड़-बढ़ लोग आय और िवचार करन लग िक बल क ाण नही िनकल रह ह कया िकया जाय लोगो की भीड़ इकटठी हो गयी उस टोल म एक वया भी थी वया न कछ अचछा सकलप िकया

वह हर रोज तोत क मह स टटी-फटी गीता सनती समझती तो नही िफर भी भगवदगीता क ोक तो सनती थी भगवदगीता आतमजञान दती ह आतमबल जगाती ह गीता वदो का अमत ह उपिनषदरपी गायो को दोहकर गोपालननदन ौीकणरपी वाल न गीतारपी द धामत अजरन को िपलाया ह यह पावन गीता हर रोज सबह िपजर म बठा हआ तोतो बोलता था वह सनती थी वया न इस गीता-ौवण का पणय बल की सदगित क िलए अपरण िकया

जस ही वया न सकलप िकया िक बल क ाण-पखर उड़ गय उसी पणय क भाव स वह बल सोमशमार नामक ा ण क घर बालक होकर पदा हआ बालक जब 6 साल का हआ तो उसक यजञोपवीत आिद सःकार िकय गय माता-िपता न कल-धमर क पिवऽ सःकार िकय गय माता-िपता न कल-धमर क पिवऽ सःकार िदय उसकी रिच धयान-भजन म लगी वह आसन ाणायाम धयाना यास आिद करन लगा उसन योग म तीोता स गित कर ली और 18 साल की उ म धयान क ारा अपना पवरजनम जान िलया उसको आ यर हआ िक ऐसा कौन-सा पणय उस बाई न अपरण िकया िजसस मझ बल की नारकीय अवःथा स मि िमली व जप-तप करन वाल पिवऽ ा ण क घर जनम िमला

ा ण यवक पहचा वया क घर वया अब तक बढ़ी हो चकी थी वह अपन कतयो पर पछतावा करन लगी थी अपन ार पर ा ण कमार को आया दखकर उसन कहाः

मन कई जवानो की िजनदगी बरबाद की ह म पाप-च ाओ म गरक रहत-रहत बढ़ी हो गयी ह त ा ण का पऽ मर ार पर आत तझ शमर नही आती

म ा ण का पऽ जरर ह पर िवकारी और पाप की िनगाह स नही आया ह माताजी म तमको णाम करक पछन आया ह िक तमन कौन सा पणय िकया ह

भाई म तो वया ठहरी मन कोई पणय नही िकया ह

उननीस साल पहल िकसी बल को कछ पणय अपरण िकया था

हा ःमरण म आ रहा ह कोई बढ़ा बल परशान हो रहा था ाण नही छट रह थ बचार क मझ बहत दया आयी मर और तो कोई पणय थ नही िकसी ा ण क घर म चोर चोरी करक आय थ उस सामान म तोत का एक िपजरा भी था जो मर यहा छोड़ गय उस ा ण न तोत को ौीमदभगवदगीता क कछ ोक रटाय थ वह म सनती थी उसी का पणय उस बल को अपरण िकया था

ा ण कमार को ऐसा लगा िक यिद भगवदगीता का अथर समझ िबना कवल उसका ौवण ही इतना लाभ कर सकता ह तो उसका मनन और िनिदधयासन करक गीता-जञान पचाया जाय तो िकतना लाभ हो सकता ह वह पणर शि स चल पड़ा गीता-जञान को जीवन म उतारन क िलए

कमारवती को जब गीता-माहातमय की यह कथा सनन को िमली तो उसन भी गीता का अधययन शर कर िदया भगवदगीता म तो ाणबल ह िहममत ह शि ह कमारवती क दय म भगवान ौीकण क िलए पयार पदा हो गया उसन पककी गाठ बाध ली िक कछ भी हो जाय म उस बाक िबहारी क आतम-धयान को ही अपना जीवन बना लगी गरदव क जञान को परा पचा लगी म ससार की भटठी म पच-पचकर मरगी नही म तो परमातम-रस क घट पीत-पीत अमर हो जाऊगी

कमारवती न ऐसा नही िकया िक गाठ बाध ली और िफर रख दी िकनार नही एक बार दढ़ िन य कर िलया तो हर रोज सबह उस िन य को दहराती अपन लआय का बार-बार ःमरण करती और अपन आपस कहा करती िक मझ ऐसा बनना ह िदन-ितिदन उसका िन य और मजबत होता गया

कोई एक बार िनणरय कर ल और िफर अपन िनणरय को भल जाय तो उस िनणरय की कोई कीमत नही रहती िनणरय करक हर रोज उस याद करना चािहए उस दहराना चािहए िक हम ऐसा बनना ह कछ भी हो जाय िन य स हटना नही ह

हम रोक सक य जमान म दम नही हमस जमाना ह जमान स हम नही

पाच वषर क ीव न िनणरय कर िलया तो िव िनयता िव र को लाकर खड़ा कर िदया ाद न िनणरय कर िलया तो ःतभ म स भगवान निसह को कट होना पड़ा मीरा न िनणरय कर िलया तो मीरा भि म सफल हो गयी

ातः ःमरणीय परम पजय ःवामी ौी लीलाशाहजी बाप न िनणरय कर िलया तो जञान म पारगत हो गय हम अगर िनणरय कर तो हम कयो सफल नही होग जो साधक अपन साधन-भजन करन क पिवऽ ःथान म ा महतर क पावन काल म महान बनन क िनणरय को बार-बार दहरात ह उनको महान होन स दिनया की कोई ताकत रोक नही सकती

कमारवती 18 साल की हई भीतर स जो पावन सकलप िकया था उस पर वह भीतर-ही-भीतर अिडग होती चली गयी वह अपना िनणरय िकसी को बताती नही थी चार नही करती थी हवाई गबबार नही उड़ाया करती थी अिपत सतसकलप की नीव म साधना का जल िसचन िकया करती थी

कई भोली-भाली मखर बिचचया ऐसी होती ह िजनहोन दो चार स ाह धयान-भजन िकया दो चार महीन साधना की और िचललान लग गयी िक म अब शादी नही करगी म अब साधवी बन जाऊगी सनयािसनी बन जाऊगी साधना करगी साधन-भजन की शि बढ़न क पहल ही िचललान लग गयी

व ही बिचचया दो-चार साल बाद मर पास आयी दखा तो उनहोन शादी कर ली थी और अपना ननहा-मनना बटा-बटी ल आकर मझस आशीवारद माग रही थी िक मर बचच को आशीवारद द िक इसका कलयाण हो

मन कहाः अर त तो बोलती थी शादी नही करगी सनयास लगी साधना करगी और िफर यह ससार का झमला

साधना की कवल बात मत करो काम करो बाहर घोषणा मत करो भीतर-ही-भीतर पिरपकव बनत जाओ जस ःवाित नकषऽ म आकाश स िगरती जल की बद को पका-पकाकर मोती बना दती ह ऐस ही तम भी अपनी भि की कजी ग रखकर भीतर-ही-भीतर उसकी शि को बढ़न दो साधना की बात िकसी को बताओ नही जो अपन परम िहतषी हो भगवान क सचच भ हो ौ परष हो सदगर हो कवल उनस ही अपनी अतरग साधना की बात करो अतरग साधना क िवषय म पछो अपन आधयाितमक अनभव जािहर करन स साधना का ास होता ह और गोपय रखन स साधना म िदवयता आती ह

म जब घर म रहता था तब यि स साधन-भजन करता था और भाई को बोलता थाः थोड़ िदन भजन करन दो िफर दकान पर बठगा अभी अन ान चल रहा ह एक परा होता तो कहता अभी एक बाकी ह िफर थोड़ िदन दकान पर जाता िफर उसको बोलताः मझ कथा म जाना ह तो भाई िचढ़कर कहताः रोज-रोज ऐसा कहता ह सधरता नही म कहताः सधर जाऊगा

ऐसा करत-करत जब अपनी वि पककी हो गयी तब मन कह िदयाः म दकान पर नही बठगा जो करना हो सो कर लो यिद पहल स ही ऐस बगावत क शबद बोलता तो वह कान पकड़कर दकान पर बठा दता

मरी साधना को रोककर मझ अपन जसा ससारी बनान क िलए िरतदारो न कई उपाय आजमाय थ मझ फसला कर िसनमा िदखान ल जात िजसस ससार का रग लग जाय धयान-भजन की रिच न हो जाय िफर जलदी-जलदी शादी करा दी हम दोनो को कमर म बनद कर दत तािक भगवान स पयार न कर और ससारी हो जाऊ अहाहा ससारी लोग साधना स कस-कस िगरत-िगरात ह म भगवान स आतरभाव स ाथरना िकया करता िक ह भ मझ बचाओ आखो स झर-झर आस टपकत उस दयाल दव की कपा का वणरन नही कर सकता

म पहल भजन नही करता तो घरवाल बोलतः भजन करो भजन करो जब म भजन करन लगा तो लोग बोलन लगः रको रको इतना सारा भजन नही करो जो मा पहल बोलती थी िक धयान करो िफर वही बोलन लगी िक इतना धयान नही करो तरा भाई नाराज होता ह म तरी मा ह मरी आजञा मानो

अभी जहा भवय आौम ह वहा पहल ऐसा कछ नही था कटील झाड़-झखाड़ तथा भयावह वातावरण था वहा उस समय जब हम मोकष कटीर बना रह थ तब भाई मा को बहकाकर ल आया और बोलाः सात सात

साल चला गया था अब गरजी न भजा ह तो घर म रहो दकान पर बठो यहा जगल म किटया बनवा रह हो इतनी दर तमहार िलए रोज-रोज िटिफन कौन लायगा

मा भी कहन लगी म तमहारी मा ह न तम मात आजञा िशरोधायर करो यह ट वापस कर दो घर म आकर रहो भाई क साथ दकान पर बठा करो

यह मा की आजञा नही थी ममता की आजञा थी और भाई की चाबी भराई हई आजञा थी मा ऐसी आजञा नही दती

भाई मझ घर ल जान क िलए जोर मार रहा था भाभी भी कहन लगीः यहा उजाड़ कोतरो म अकल पड़ रहोग कया हर रोज मिणनगर स आपक भाई िटिफन लकर यहा आयग

मन कहाः ना ना आपका िटिफन हमको नही चािहए उस अपन पास ही रखो यहा आकर तो हजारो लोग भोजन करग हमारा िटिफन वहा स थोड़ ही मगवाना ह

उन लोगो को यही िचनता होती थी िक यह अकला यहा रहगा तो मिणनगर स इसक िलए खाना कौन लायगा उनको पता नही िक िजसक सात साल साधना म गय ह वह अकला नही ह िव र उसक साथ ह बचार ससािरयो की बि अपन ढग की होती ह

मा मझ दोपहर को समझान आयी थी उसक िदल म ममता थी यहा पर कोई पड़ नही था बठन की जगह नही थी छोट-बड़ ग ड थ जहा मोकष कटीर बनी ह वहा िखजड़ का पड़ थाष वहा लोग दार िछपात थ कसी-कसी िवकट पिरिःथितया थी लिकन हमन िनणरय कर िलया था िक कछ भी हो हम तो अपनी राम-नाम की शराब िपयग िपलायग ऐस ही कमारवती न भी िनणरय कर िलया था लिकन उस भीतर िछपाय थी जगत भि नही और करन द नही दिनया दोरगी ह

दिनया कह म दरगी पल म पलटी जाऊ सख म जो सोत रह वा को दःखी बनाऊ

आतमजञान या आतमसाकषातकार तो बहत ऊची चीज होती ह त वजञानी क आग भगवान कभी अकट रहता ही नही आतमसाकषातकारी तो ःवय भगवतःवरप हो जात ह व भगवान को बलात नही व जानत ह िक रोम-रोम म अनत-अनत ाणडो म जो ठोस भरा ह वह अपन दय म भी ह जञानी अपन दय म ई र को जगा लत ह ःवय ई रःवरप बन जात ह व पकक गर क चल होत ह ऐस वस नही होत

कमारवती 18 साल की हई उसका साधन-भजन ठीक स आग बढ़ रहा था बटी उ लायक होन स िपता परशरामजी को भी िचनता होन लगी िक इस कनया को भि का रग लग गया ह यिद शादी क िलए ना बोल दगी तो ऐसी बातो म मयारदा शमर सकोच खानदानी क यालो का वह जमाना था कमारवती की इचछा न होत हए भी िपता न उसकी मगनी करा दी कमारवती कछ नही बोल पायी

शादी का िदन नजदीक आन लगा वह रोज परमातमा स ाथरना करन लगी और सोचन लगीः मरा सकलप तो ह परमातमा को पान का ई र क धयान म तललीन रहन का शादी हो जायगी तो ससार क कीचड़ म फस मरगी अगल कई जनमो म भी मर कई पित होग माता िपता होग सास- सर होग उनम स िकसी

न मतय स नही छड़ाया मझ अकल ही मरना पड़ा अकल ही माता क गभर म उलटा होकर लटकना पड़ा इस बार भी मर पिरवारवाल मझ मतय स नही बचायग

मतय आकर जब मनय को मार डालती ह तब पिरवाल सह लत ह कछ कर नही पात चप हो जात ह यिद मतय स सदा क िलए पीछा छड़ानवाल ई र क राःत पर चलत ह तो कोई जान नही दता

ह भ कया तरी लीला ह म तझ नही पहचानती लिकन त मझ जानता ह न म तमहारी ह ह सि कतार त जो भी ह जसा भी ह मर दय म सतरणा द

इस कार भीतर-ही-भीतर भगवान स ाथरना करक कमारवती शात हो जाती तो भीतर स आवाज आतीः िहममत रखो डरो नही परषाथर करो म सदा तमहार साथ ह कमारवती को कछ तसलली-सी िमल जाती

शादी का िदन नजदीक आन लगा तो कमारवती िफर सोचन लगीः म कवारी लड़की स ाह क बाद शादी हो जायगी मझ घसीट क ससराल ल जायग अब मरा कया होगा ऐसा सोचकर वह बचारी रो पड़ती अपन पजा क कमर म रोत-रोत ाथरना करती आस बहाती उसक दय पर जो गजरता था उस वह जानती थी और दसरा जानता था परमातमा

शादी को अब छः िदन बच पाच िदन बच चार िदन बच जस कोई फासी की सजा पाया हआ कदी फासी की तारीख सनकर िदन िगन रहा हो ऐस ही वह िदन िगन रही थी

शादी क समय कनया को व ाभषण स गहन-अलकारो स सजाया जाता ह उसकी शसा की जाती ह कमारवती यह सब सासािरक तरीक समझत हए सोच रही थी िक जस बल को पचकार कर गाड़ी म जोता जाता ह ऊट को पचकार कर ऊटगाड़ी म जोता जाता ह भस को पचकार कर भसगाड़ी म जोता जाता ह ाणी को फसलाकर िशकार िकया जाता ह वस ही लोग मझ पचकार-पचकार कर अपना मनमाना मझस करवा लग मरी िजनदगी स खलग

ह परमातमा ह भ जीवन इन ससारी पतलो क िलए नही तर िलय िमला ह ह नाथ मरा जीवन तर काम आ जाय तरी ाि म लग जाय ह दव ह दयाल ह जीवनदाता ऐस पकारत-पकारत कमारवती कमारवती नही रहती थी ई र की पऽी हो जाती थी िजस कमर म बठकर वह भ क िलए रोया करती थी आस बहाया करती थी िजस कमर म बठकर वह भ क िलए रोया करती थी आस बढ़ाया करती थी वह कमरा भी िकतना पावन हो गया होगा

शादी क अब तीन िदन बच थ दो िदन बच थ रात को नीद नही िदन को चन नही रोत-रोत आख लाल हो गयी मा पचकारती भाभी िदलासा दती और भाई िरझाता लिकन कमारवती समझती िक यह सारा पचकार बल को गाड़ी म जोतन क िलए ह यह सारा ःनह ससार क घट म उतारन क िलए ह

ह भगवान म असहाय ह िनबरल ह ह िनबरल क बल राम मझ सतरणा द मझ सनमागर िदखा

कमारवती की आखो म आस ह दय म भावनाए छलक रही ह और बि म ि धा हः कया कर शादी को इनकार तो कर नही सकती मरा ी शरीर कया िकया जाय

भीतर स आवाज आयीः त अपन क ी मत मान अपन को लड़की मत मान त अपन को भगवदभ मान आतमा मान अपन को ी मानकर कब तक खद को कोसती रहगी अपन को परष मान कर कब तक बोझा ढोती रहगी मन यतव तो तमहारा चोला ह शरीर का एक ढाचा ह तरा कोई आकार नही ह त तो िनराकार बलःवरप आतमा ह जब-जब त चाहगी तब-तब तरा मागरदशरन होता रहगा िहममत मत हार परषाथर परम दव ह हजार िव न-बाधाए आ जाय िफर भी अपन परषाथर स नही हटना

तम साधना क मागर पर चलत हो तो जो भी इनकार करत ह पराय लगत ह शऽ जस लगत ह व भी जब तम साधना म उननत होग जञान म उननत होग तब तमको अपना मानन लग जायग शऽ भी िमऽ बन जायग कई महापरषो का यह अनभव हः

आधी और तफान हमको न रोक पाय मरन क सब इराद जीन क काम आय हम भी ह तमहार कहन लग पराय

कमारवती को भीतर स िहममत िमली अब शादी को एक ही िदन बाकी रहा सयर ढलगा शाम होगी राऽी होगी िफर सय दय होगा और शादी का िदन इतन ही घणट बीच म अब समय नही गवाना ह रात सोकर या रोकर नही गवानी ह आज की रात जीवन या मौत की िनणारयक रात होगी

कमारवती न पकका िनणरय कर िलयाः चाह कछ भी हो जाय कल सबह बारात क घर क ार पर आय उसक पहल यहा स भागना पड़गा बस यही एक मागर ह यही आिखरी फसला ह

कषण िमनट और घणट बीत रह थ पिरवार वाल लोग शादी की जोरदार तयािरया कर रह थ कल सबह बारात का सतकार करना था इसका इतजाम हो रहा था कई सग-समबनथी-महमान घर पर आय हए थ कमारवती अपन कमर म यथायो य मौक क इतजार म घणट िगन रही थी

दोपहर ही शाम हई सयर ढला कल क िलए परी तयािरया हो चकी थी रािऽ का भोजन हआ िदन क पिरौम स थक लोग रािऽ को दरी स िबःतर पर लट गय िदन भर जहा शोरगल मचा था वहा शाित छा गयी

यारह बज दीवार की घड़ी न डक बजाय िफर िटक िटक िटक िटककषण िमनट म बदल रही ह घड़ी का काटा आग सरक रहा ह सवा यारह साढ़ यारह िफर राऽी क नीरव वातावरण म घड़ी का एक डका सनाई पड़ा िटकिटकिटक पौन बारह घड़ी आग बढ़ी पनिह िमनट और बीत बारह बज घड़ी न बारह डक बजाना शर िकया कमारवती िगनन लगीः एक दो तीन चार दस यारह बारह

अब समय हो गया कमारवती उठी जाच िलया िक घर म सब नीद म खरारट भर रह ह पजा घर म बाकिबहारी कण कनहया को णाम िकया आस भरी आखो स उस एकटक िनहारा भाविवभोर होकर अपन पयार परमातमा क रप को गल लगा िलया और बोलीः अब म आ रही ह तर ार मर लाला

चपक स ार खोला दब पाव घर स बाहर िनकली उसन आजमाया िक आगन म भी कोई जागता नही ह कमारवती आग बढ़ी आगन छोड़कर गली म आ गयी िफर सरारट स भागन लगी वह गिलया पार

करती हई रािऽ क अधकार म अपन को छपाती नगर स बाहर िनकल गयी और जगल का राःता पकड़ िलया अब तो वह दौड़न लगी थी घरवाल ससार क कीचड़ म उतार उसक पहल बाक िबहारी िगरधर गोपाल क धाम म उस पहच जाना था वनदावन कभी दखा नही था उसक मागर का भी उस पता नही था लिकन सन रखा था िक इस िदशा म ह

कमारवती भागती जा रही ह कोई दख लगा अथवा घर म पता चल जायगा तो लोग खजान िनकल पड़ग पकड़ी जाऊगी तो सब मामला चौपट हो जायगा ससारी माता-िपता इजजत-आबर का याल करक शादी कराक ही रहग चौकी पहरा िबठा दग िफर छटन का कोई उपाय नही रहगा इस िवचार स कमारवती क परो म ताकत आ गयी वह मानो उड़न लगी ऐस भागी ऐस भागी िक बस मानो बदक लकर कोई उसक पीछ पड़ा हो

सबह हई उधर घर म पता चला िक कमारवती गायब ह अर आज तो हकक-बकक स हो गय इधर-उधर छानबीन की पछताछ की कोई पता नही चला सब दःखी हो गय परशराम भ थ मा भी भ थी िफर भी उन लोगो को समाज म रहना था उनह खानदानी इजजत-आबर की िचनता थी घर म वातावरण िचिनतत बन गया िक बारातवालो को कया मह िदखायग कया जवाब दग समाज क लोग कया कहग

िफर भी माता-िपता क दय म एक बात की तसलली थी िक हमारी बचची िकसी गलत राःत पर नही गयी ह जा ही नही सकती उसका ःवभाव उसक सःकार व अचछी तरह जानत थ कमारवती भगवान की भ थी कोई गलत मागर लन का वह सोच ही नही सकती थी आजकल तो कई लड़िकया अपन यार-दोःत क साथ पलायन हो जाती ह कमारवती ऐसी पािपनी नही थी

परशराम सोचत ह िक बटी परमातमा क िलए ही भागी होगी िफर भी कया कर इजजत का सवाल ह राजपरोिहत क खानदान म ऐसा हो कया िकया जाय आिखर उनहोन अपन मािलक शखावत सरदार की शरण ली दःखी ःवर म कहाः मरी जवान बटी भगवान की खोज म रातोरात कही चली गयी ह आप मरी सहायता कर मरी इजजत का सवाल ह

सरदार परशराम क ःवभाव स पिरिचत थ उनहोन अपन घड़सवार िसपािहयो को चह ओर कमारवती की खोज म दौड़ाया घोषणा कर दी िक जगल-झािड़यो म मठ-मिदरो म पहाड़-कदराओ म गरकल-आौमो म ETH सब जगह तलाश करो कही स भी कमारवती को खोज कर लाओ जो कमारवती को खोजकर ल आयगा उस दस हजार मिाय इनाम म दी जायगी

घड़सवार चारो िदशा म भाग िजस िदशा म कमारवती भागी थी उस िदशा म घड़सवारो की एक टकड़ी चल पड़ी सय दय हो रहा था धरती पर स रािऽ न अपना आचल उठा िलया था कमारवती भागी जा रही थी भात क काश म थोड़ी िचिनतत भी हई िक कोई खोजन आयगा तो आसानी स िदख जाऊगी पकड़ी जाऊगी वह वीरागना भागी जा रही ह और बार-बार पीछ मड़कर दख रही ह

दर-दर दखा तो पीछ राःत म धल उड़ रही थी कछ ही दर म घड़सवारो की एक टकड़ी आती हई िदखाई दी वह सोच रही हः ह भगवान अब कया कर जरर य लोग मझ पकड़न आ रह ह िसपािहयो क

आग मझ िनबरल बािलका कया चलगा चहओर उजाला छा गया ह अब तो घोड़ो की आवाज भी सनाई पड़ रही ह कछ ही दर म व लोग आ जायग सोचन का भी समय अब नही रहा

कमारवती न दखाः राःत क िकनार मरा हआ एक ऊट पड़ा था िपछल िदन ही मरा था और रात को िसयारो न उसक पट का मास खाकर पट की जगह पर पोल बना िदया था कमारवती क िच म अनायास एक िवचार आया उसन कषणभर म सोच िलया िक इस मर हए ऊट क खाली पट म छप जाऊ तो उन काितलो स बच सकती ह वह मर हए सड़ हए बदब मारनवाल ऊट क पट म घस गयी

घड़सवार की टकड़ी राःत क इदरिगदर पड़-झाड़ी-झाखड़ िछपन जस सब ःथानो की तलाश करती हई वहा आ पहची िसपाही मर हए ऊट क पाय आय तो भयकर दगरनध व अपना नाक-मह िसकोड़त बदब स बचन क िलए आग बह गय वहा तलाश करन जसा था भी कया

कमारवती ऐसी िसर चकरा दन वाली बदब क बीच छपी थी उसका िववक बोल रहा था िक ससार क िवकारो की बदब स तो इस मर हए ऊट की बदब बहत अचछी ह ससार क काम बोध लोभ मोह मद मतसर की जीवनपयरनत की गनदगी स तो यह दो िदन की गनदगी अचछी ह ससार की गनदगी तो हजारो जनमो की गनदगी म ऽःत करगी हजारो-लाखो बार बदबवाल अगो स गजरना पड़गा कसी-कसी योिनयो म जनम लना पड़गा म वहा स अपनी इचछा क मतािबक बाहर नही िनकल सकती ऊट क शरीर स म कम-स-कम अपनी इचछानसार बाहर तो िनकल जाऊगी

कमारवती को मर हए सड़ चक ऊट क पट क पोल की वह बदब इतनी बरी नही लगी िजतनी बरी ससार क िवकारो की बदब लगी िकतनी बि मान रही होगी वह बटी

कमारवती पकड़ जान क डर स उसी पोल म एक िदन दो िदन तीन िदन तक पड़ी रही जलदबाजी करन स शायद मसीबत आ जाय घड़सवार खब दर तक चककर लगाकर दौड़त हाफत िनराश होकर वापस उसी राःत स गजर रह थ व आपस म बातचीत कर रह थ िक भाई वह तो मर गयी होगी िकसी कए या तालाब म िगर गयी होगी अब उसका हाथ लगना मिकल ह पोल म पड़ी कमारवती य बात सन रही थी

िसपाही दर-दर चल गय कमारवती को पता चला िफर भी दो-चार घणट और पड़ी रही शाम ढली राऽी हई चह ओर अधरा छा गया जब जगल म िसयार बोलन लग तब कमारवती बाहर िनकली उसन इधर-उधर दख िलया कोई नही था भगवान को धनयवाद िदया िफर भागना शर िकया भयावह जगलो स गजरत हए िहसक ािणयो की डरावनी आवाज सनती कमारवती आग बढ़ी जा रही थी उस वीर बािलका को िजतना ससार का भय था उतना बर ािणयो का भय नही था वह समझती थी िक म भगवान की ह और भगवान मर ह जो िहसक ाणी ह व भी तो भगवान क ही ह उनम भी मरा परमातमा ह वह परमातमा ािणयो को मझ खा जान की रणा थोड़ ही दगा मझ िछप जान क िलए िजस परमातमा न मर हए ऊट की पोल दी िसपािहयो का रख बदल िदया वह परमातमा आग भी मरी रकषा करगा नही तो यह कहा राःत क िकनार ही ऊट का मरना िसयारो का मास खाना पोल बनना मर िलए घर बन जाना घर म घर िजसन बना िदया वह परम कपाल परमातमा मरा पालक और रकषक ह

ऐसा दढ़ िन य कर कमारवती भागी जा रही ह चार िदन की भखी-पयासी वह सकमार बािलका भख-पयास को भलकर अपन गनतवय ःथान की तरफ दौड़ रही ह कभी कही झरना िमल जाता तो पानी पी लती कोई जगली फल िमल तो खा लती कभी-कभी पड़ क प ही चबाकर कषधा-िनवि का एहसास कर लती

आिखर वह परम भि बािलका वनदावन पहची सोचा िक इसी वश म रहगी तो मर इलाक क लोग पहचान लग समझायग साथ चलन का आमह करग नही मानगी जबरन पकड़कर ल जायग इसस अपन को छपाना अित आवयक ह कमारवती न वश बदल िदया सादा फकीर-वश धारण कर िलया एक सादा त व गल म तलसी की माला ललाट पर ितलक वनदावन म रहनवाली और भि नो जसी भि न बन गयी

कमारवती क कटमबीजन वनदावन आय सवरऽ खोज की कोई पता नही चला बाकिबहारी क मिदर म रह सबह शाम छपकर तलाश की लिकन उन िदनो कमारवती मिदर म कयो जाय बि मान थी वह

वनदावन म कणड क पास एक साध रहत थ जहा भल-भटक लोग ही जात वह ऐसी जगह थी वहा कमारवती पड़ी रही वह अिधक समय धयानम न रहा करती भख लगती तब बाहर जाकर हाथ फला दती भगवान की पयारी बटी िभखारी क वश म टकड़ा खा लती

जयपर स भाई आया अनय कटमबीजन आय वनदावन म सब जगह खोजबीन की िनराश होकर सब लौट गय आिखर िपता राजपरोिहत परशराम ःवय आय उनह दय म परा यकीन था िक मरी कणिया बटी ौीकण क धाम क अलावा और कही न जा सकती ससःकारी भगवदभि म लीन अपनी सकोमल पयारी बचची क िलए िपता का दय बहत वयिथत था बटी की मगल भावनाओ को कछ-कछ समझनवाल परशराम का जीवन िनःसार-सा हो गया था उनहोन कस भी करक कमारवती को खोजन का दढ़ सकलप कर िलया कभी िकसी पड़ पर तो कभी िकसी पड़ पर चढ़कर मागर क पासवाल लोगो की चपक स िनगरानी रखत सबह स शाम तक राःत गजरत लोगो को धयानपवरक िनहारत िक शायद िकसी वश म िछपी हई अपनी लाडली का मख िदख जाय

पड़ो पर स एक साधवी को एक-एक भि न को भ का वश धारण िकय हए एक-एक वयि को परशराम बारीकी स िनहारत सबह स शाम तक उनकी यही वि रहती कई िदनो क उनका तप भी फल गया आिखर एक िदन कमारवती िपता की जासस दि म आ ही गयी परशराम झटपट पड़ स नीच उतर और वातसलय भाव स रध हए दय स बटी बटी कहत हए कमारवती का हाथ पकड़ िलया िपता का ःनिहल दय आखो क मागर स बहन लगा कमारवती की िःथित कछ और ही थी ई रीय मागर म ईमानदारी स कदम बढ़ानवाली वह सािधका तीो िववक-वरा यवान हो चली थी लौिकक मोह-ममता स समबनधो स ऊपर उठ चकी थी िपता की ःनह-वातसलयरपी सवणरमय जजीर भी उस बाधन म समथर नही थी िपता क हाथ स अपना हाथ छड़ात हए बोलीः

म तो आपकी बटी नही ह म तो ई र की बटी ह आपक वहा तो कवल आयी थी कछ समय क िलए गजरी थी आपक घर स अगल जनमो म भी म िकसी की बटी थी उसक पहल भी िकसी की बटी थी हर जनम म बटी कहन वाल बाप िमलत रह ह मा कहन वाल बट िमलत रह ह प ी कहन वाल पित िमलत

रह ह आिखर म कोई अपना नही रहता ह िजसकी स ा स अपना कहा जाता ह िजसस यह शरीर िटकता ह वह आतमा-परमातमा व ौीकण ही अपन ह बाकी सब धोखा-ही-धोखा ह ETH सब मायाजाल ह

राजपरोिहत परशराम शा क अ यासी थ धमर मी थ सतो क सतसग म जाया करत थ उनह बटी की बात म िनिहत सतय को ःवीकार करना पड़ा चाह िपता हो चाह गर हो सतय बात तो सतय ही होती ह बाहर चाह कोई इनकार कर द िकत भीतर तो सतय असर करता ही ह

अपनी गणवान सतान क ित मोहवाल िपता का दय माना नही व इितहास पराण और शा ो म स उदाहरण ल-लकर कमारवती को समझान लग बटी को समझान क िलए राजपरोिहत न अपना परा पािडतय लगा िदया पर कमारवती िपता क िव तापणर सनत-सनत यही सोच रही थी िक िपता का मोह कस दर हो सक उसकी आखो म भगवदभाव क आस थ ललाट पर ितलक गल म तलसी की माला मख पर भि का ओज आ गया था वह आख बनद करक धयान िकया करती थी इसस आखो म तज और चमबकतव आ गया था िपता का मगल हो िपता का मर ित मोह न रह ऐसी भावना कर दय म दढ़ सकलप कर कमारवती न दो-चार बार िपता की तरफ िनहारा वह पिणडत तो नही थी लिकन जहा स हजारो-हजारो पिणडतो को स ा-ःफितर िमलती ह उस सवरस ाधीश का धयान िकया करती थी आिखर पिडतजी की पिडताई हार गयी और भ की भि जीत गयी परशराम को कहना पड़ाः बटी त सचमच मरी बटी नही ह ई र की बटी ह अचछा त खशी स भजन कर म तर िलए यहा किटया बनवा दता ह तर िलए एक सहावना आौम बनवा दता ह

नही नही कमारवती सावधान होकर बोलीः यहा आप किटया बनाय तो कल मा आयगी परसो भाई आयगा तरसो चाचा-चाची आयग िफर मामा-मामी आयग िफर स वह ससार चाल हो जायगा मझ यह माया नही बढ़ानी ह

कसा बचची का िववक ह कसा तीो वरा य ह कसा दढ़ सकलप ह कसी साधना सावधानी ह धनय ह कमारवती

परशराम िनराश होकर वापस लौट गय िफर भी दय म सतोष था िक मरा हकक का अनन था पिवऽ अनन था श आजीिवका थी तो मर बालक को भी नाहकर क िवकार और िवलास क बदल हकक ःवरप ई र की भि िमली ह मझ अपन पसीन की कमाई का बिढ़या फल िमला मरा कल उजजवल हआ वाह

परशराम अगर तथाकिथत धािमरक होत धमरभीर होत तो भगवान को उलाहना दतः भगवान मन तरी भि की जीवन म सचचाई स रहा और मरी लड़की घर छोड़कर चली गयी समाज म मरी इजजत लट गयी ऐसा िवचार कर िसर पीटत

परशराम धमरभीर नही थ धमरभीर यानी धमर स डरनवाल लोग ऐस लोग कई कार क वहमो म अपन को पीसत रहत ह

धमर कया ह ई र को पाना ही धमर ह और ससार को मरा मानना ससार क भोगो म पड़ना अधमर ह यह बात जो जानत ह व धमरवीर होत ह

परशराम बाहर स थोड़ उदास और भीतर स पर सत होकर घर लौट उनहोन राजा शखावत सरदार स बटी कमारवती की भि और वरा य की बात कही वह बड़ा भािवत हआ िशयभाव स वनदावन म आकर उसन कमारवती क चरणो म णाम िकया िफर हाथ जोड़कर आदरभाव स िवनीत ःवर म बोलाः

ह दवी ह जगदी री मझ सवा का मौका दो म सरदार होकर नही आया आपक िपता का ःवामी होकर नही आया आपक िपता का ःवामी हो कर नही आया अिपत आपका तचछ सवक बनकर आया ह कपया इनकार मत करना कणड पर आपक िलए छोटी-सी किटया बनवा दता ह मरी ाथरना को ठकराना नही

कमारवती न सरदार को अनमित द दी आज भी वनदावन म कणड क पास की वह किटया मौजद ह पहल अमत जसा पर बाद म िवष स बद र हो वह िवकारो का सख ह ारभ म किठन लग दःखद

लग बाद म अमत स भी बढ़कर हो वह भि का सख पान क िलए बहत किठनाइयो का सामना करना पड़ता ह कई कार की कसौिटया आती ह भ का जीवन इतना सादा सीधा-सरल आडमबररिहत होता ह िक बाहर स दखन वाल ससारी लोगो को दया आती हः बचारा भगत ह दःखी ह जब भि फलती ह तब व ही सखी िदखन वाल हजारो लोग उस भ - दय की कपा पाकर अपना जीवन धनय करत ह भगवान की भि की बड़ी मिहमा ह

जय हो भ तरी जय हो तर पयार भ ो की जय हो हम भी तरी पावन भि म डब जाय परम र ऐस पिवऽ िदन जलदी आय नारायण नारायण नारायण

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अनबम

वाःतिवक सौनदयर सौनदयर सबक जीवन की माग ह वाःतिवक सौनदयर उस नही कहत जो आकर चला जाय जो कभी

कषीण हो जाय न हो जाय वह सौनदयर नही ह ससारी लोग िजस सौनदयर बोलत ह वह हाड़-मास का सौनदयर तब तक अचछा लगता ह जब तक मन म िवकार होता ह अथवा तो तब तक अचछा लगता ह जब तक बाहरी रप-रग अचछा होता ह िफर तो लोग उसस भी मह मोड़ लत ह िकसी वयि या वःत का सौनदयर हमशा िटक नही सकता और परम सौनदयरःवरप परमातमा का सौनदयर कभी िमट नही सकता

एक राजकमारी थी वह सनदर सयमी एव सदाचारी थी तथा सदमनथो का पठन भी करती थी उस राजकमारी की िनजी सवा म एक िवधवा दासी रखी गयी थी उस दासी क साथ राजकमारी दासी जसा नही बिलक व ा मा जसा वयवहार करती थी

एक िदन िकसी कारणवशात उस दासी का 20-22 साल का यवान पऽ राजमहल म अपनी मा क पास आया वहा उसन राजकमारी को भी दखा राजकमारी भी करीब 18-21 साल की थी सनदरता तो मानो उसम

कट-कट कर भरी थी राजकमारी का ऐसा सौनदयर दखकर दासीपऽ अतयत मोिहत हो गया वह कामपीिड़त होकर वापस लौटा

जब दासी अपन घर गयी तो दखा िक अपना पऽ मह लटकाय बठा ह दासी क बहत पछन पर लड़का बोलाः मरी शादी तम उस राजकमारी क साथ करवा दो

दासीः तरी मित तो नही मारी गयी कहा त िवधवा दासी का पऽ और कहा वह राजकमारी राजा को पता चलगा तो तझ फासी पर लटका दग

लड़काः वह सब म नही जानता जब तक मरी शादी राजकमारी क साथ नही होगी तब तक म अनन का एक दाना भी खाऊगा

उसन कमस खाली एक िदन दो िदन तीन िदन ऐसा करत-करत पाच िदन बीत गय उसन न कछ खाया न कछ िपया दासी समझात-समझात थक गयी बचारी का एक ही सहारा था पित तो जवानी म ही चल बसा था और एक-एक करक दो पऽ भी मर गय थ बस यह ही लड़का था वह भी ऐसी हठ लकर बठ गया

समझदार राजकमारी न भाप िलया िक दासी उदास-उदास रहती ह जरर उस कोई परशानी सता रही ह राजकमारी न दासी स पछाः सच बताओ कया बात ह आजकल तम बड़ी खोयी-खोयी-सी रहती हो

दासीः राजकमारीजी यिद म आपको मरी वयथा बता द तो आप मझ और मर बट को राजय स बाहर िनकलवा दगी

ऐसा कहकर दासी फट-फटकर रोन लगी राजकमारीः म तमह वचन दती ह तमह और तमहार बट को कोई सजा नही दगी अब तो बताओ

दासीः आपको दखकर मरा लड़का अनिधकारी माग करता ह िक शादी करगा तो इस सनदरी स ही करगा और जब तक शादी नही होती तब तक भोजन नही करगा आज पाच िदन स उसन खाना-पीना छोड़ रखा ह म तो समझा-समझाकर थक गयी

राजकमारीः िचनता मत करो तम कल उसको मर पास भज दना म उसकी वाःतिवक शादी करवा दगी

लड़का खश होकर पहच गया राजकमारी स िमलन राजकमारी न उसस कहाः मझस शादी करना चाहता ह

जी हा

आिखर िकस वजह स

तमहार मोहक सौनदयर को दखकर म घायल हो गया ह

अचछा तो त मर सौनदयर की वजह स मझस शादी करना चाहता ह यिद म तझ 80-90 ितशत सौनदयर द द तो तझ ति होगी 10 ितशत सौनदयर मर पास रह जायगा तो तझ ति होगी 10 ितशत सौनदयर मर पास रह जायगा तो तझ चलगा न

हा चलगा

ठीक ह तो कल दोपहर को आ जाना

राजकमारी न रात को जमालगोट का जलाब ल िलया िजसस रािऽ को दो बज जलाब क कारण हाजत तीो हो गयी पर पट की सफाई करक सारा कचरा बाहर राजकमारी न सनदर नककाशीदार कणड म अपन पट का वह कचरा डाल िदया कछ समय बाद उस िफर स हाजत हई तो इस बार जरीकाम और मलमल स ससिजजत कड म राजकमारी न कचरा उतार िदया दोनो कडो को चारपाई क एक-एक पाय क पास रख िदया उसक बाद िफर स एक बार जमालघोट का जलाब ल िलया तीसरा दःत तीसर कणड म िकया बाकी का थोड़ा-बहत जो बचा हआ मल था िव ा थी उस चौथी बार म चौथ कड म िनकाल िदया इन दो कडो को भी चारपाई क दो पायो क पास म रख िदया

एक ही रात जमालगोट क कारण राजकमारी का चहरा उतर गया शरीर खोखला सा हो गया राजकमारी की आख उतर गयी गालो की लाली उड़ गयी शरीर एकदम कमजोर पड़ गया

दसर िदन दोपहर को वह लड़का खश होता हआ राजमहल म आया और अपनी मा स पछन लगाः कहा ह राजकमारी जी

दासीः वह सोयी ह चारपाई पर

राजकमारी क नजदीक जान स उसका उतरा हआ मह दखकर दासीपऽ को आशका हई ठीक स दखा तो च क पड़ा और बोलाः

अर तमह या कया हो गया तमहारा चहरा इतना फीका कयो पड़ गया ह तमहारा सौनदयर कहा चला गया

राजकमारी न बहत धीमी आवाज म कहाः मन तझ कहा था न िक म तझ अपना 90 ितशत सौनदयर दगी अतः मन सौनदयर िनकालकर रखा ह

कहा ह आिखर तो दासीपऽ था बि मोटी थी इस चारपाई क पास चार कड ह पहल कड म 50 ितशत दसर म 25 ितशत सौनदयर दगी अतः

मन सौनदयर िनकालकर रखा ह

कहा ह आिखर तो दासीपऽ था बि मोटी थी इस चारपाई क पास चार कड ह पहल कड म 50 ितशत दसर म 25 ितशत तीसर कड म 10

ितशत और चौथ म 5-6 ितशत सौनदयर आ चका ह

मरा सौनदयर ह रािऽ क दो बज स सभालकर कर रखा ह

दासीपऽ हरान हो गया वह कछ समझ नही पा रहा था राजकमारी न दासी पऽ का िववक जागत हो इस कार उस समझात हए कहाः जस सशोिभत कड म िव ा ह ऐस ही चमड़ स ढक हए इस शरीर म यही सब कचरा भरा हआ ह हाड़-मास क िजस शरीर म तमह सौनदयर नज़र आ रहा था उस एक जमालगोटा ही न कर डालता ह मल-मऽ स भर इस शरीर का जो सौनदयर ह वह वाःतिवक सौनदयर नही ह लिकन इस मल-मऽािद को भी सौनदयर का रप दन वाला वह परमातमा ही वाःतव म सबस सनदर ह भया त उस सौनदयरवान परमातमा को पान क िलए आग बढ़ इस शरीर म कया रखा ह

दासीपऽ की आख खल गयी राजकमारी को गर मानकर और मा को णाम करक वह सचच सौनदयर की खोज म िनकल पड़ा आतम-अमत को पीन वाल सतो क ार पर रहा और परम सौनदयर को ा करक जीवनम हो गया

कछ समय बाद वही भतपवर दासी पऽ घमता-घामता अपन नगर की ओर आया और सिरता िकनार एक झोपड़ी बनाकर रहन लगा खराब बात फलाना बहत आसान ह िकत अचछी बात सतसग की बात बहत पिरौम और सतय माग लती ह नगर म कोई हीरो या हीरोइन आती ह तो हवा की लहर क साथ समाचार पर नगर म फल जाता ह लिकन एक साध एक सत अपन नगर म आय हए ह ऐस समाचार िकसी को जलदी नही िमलत

दासीपऽ म स महापरष बन हए उन सत क बार म भी शरआत म िकसी को पता नही चला परत बाद म धीर-धीर बात फलन लगी बात फलत-फलत राजदरबार तक पहची िक नगर म कोई बड़ महातमा पधार हए ह उनकी िनगाहो म िदवय आकषरण ह उनक दशरन स लोगो को शाित िमलती ह

राजा न यह बात राजकमारी स कही राजा तो अपन राजकाज म ही वयःत रहा लिकन राजकमारी आधयाितमक थी दासी को साथ म लकर वह महातमा क दशरन करन गयी

पप-चदन आिद लकर राजकमारी वहा पहची दासीपऽ को घर छोड़ 4-5 वषर बीत गय थ वश बदल गया था समझ बदल चकी थी इस कारण लोग तो उन महातमा को नही जान पाय लिकन राजकमारी भी नही पहचान पायी जस ही राजकमारी महातमा को णाम करन गयी िक अचानक व महातमा राजकमारी को पहचान गय जलदी स नीच आकर उनहोन ःवय राजकमारी क चरणो म िगरकर दडवत णाम िकया

राजकमारीः अर अर यह आप कया रह ह महाराज

दवी आप ही मरी थम गर ह म तो आपक हाड़-मास क सौनदयर क पीछ पड़ा था लिकन इस हाड़-मास को भी सौनदयर दान करन वाल परम सौनदयरवान परमातमा को पान की रणा आप ही न तो मझ दी थी इसिलए आप मरी थम गर ह िजनहोन मझ योगािद िसखाया व गर बाद क म आपका खब-खब आभारी ह

यह सनकर वह दासी बोल उठीः मरा बटा

तब राजकमारी न कहाः अब यह तमहारा बटा नही परमातमा का बटा हो गया ह परमातम-ःवरप हो गया ह

धनय ह व लोग जो बा रप स सनदर िदखन वाल इस शरीर की वाःतिवक िःथित और न रता का याल करक परम सनदर परमातमा क मागर पर चल पड़त ह

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अनबम

आतमिव ा की धनीः फलीबाई यह जोधपर (राजःथान) क पास क गाव की महान नारी फलीबाई की गाथा ह कहत ह िक उनक पित

शादी क थोड़ समय बाद ही ःवगर िसधार गय थ उनक माता-िपता न कहाः तरा सचचा पित तो परमातमा ही ह बटी चल तझ गरदव क पास स दीकषा िदलवा द

उनक समझदार माता-िपता न समथर गर महातमा भरीबाई स उनह दीकषा िदलवा दी अब फलीबाई अपन गरदव की आजञा क अनसार साधना म लीन हो गयी ाणायाम जप और धयान आिद करत-करत उनकी बि शि िवकिसत होन लगी व इस बात को खब अचछ स समझन लगी िक ाणीमाऽ क परम िहतषी सचच ःवामी तो एकमाऽ परमातमा ही ह धीर-धीर परमातमा क रग म अपन जीवन को रगत-रगत माभि स अपन दय को भरत-भरत व सष शि यो को जागत करन म सफल हो गयी

लौिकक िव ा म अनपढ़ व फलीबाई अलौिकक िव ा पान म सफल हो गयी अब व िनराधार न रही बिलक सवारधार क ःनह स पिरपणर हो गयी उनक िच म नयी िदवय ःफरणाए ःफिरत होन लगी उनका जीवन परमातम-काश स जगमगान लगा ऐिहक रप स फलीबाई बहत गरीब थी िकत उनहोन वाःतिवक धन को पा िलया था

गोबर क कणड बना-बनाकर व अपनी आजीिवका चलाती थी िकत उनकी पड़ोसन उनक कणड चरा लती एक बार फलीबाई को उस ी पर दया आयी एव बोलीः

बहन यिद त चोरी करगी तो तरा मन अपिवऽ होगा और भगवान तझस नाराज हो जायग अगर तझ चािहए तो म तझ पाच-पचीस कणड द िदया करगी िकत त चोरी करक अपना मन एव बि का एव अपन कटमब का सतयानाश मत कर

वह पड़ोसन ी तो द ा थी वह तो फलीबाई को गािलयो पर गािलया दन लगी इसस फलीबाई क िच म जरा भी कषोभ न हआ वरन उनक िच म दया उपजी और व बोलीः

बहन म तझ जो कछ कह रही ह वह तमहारी भलाई क िलए ही कह रही ह तम झगड़ो मत

चोरी करन वाली मिहला को जयादा गःसा आ गया िफर फलीबाई न भी थोड़ा-सा सना िदया झगड़ा बढ़न लगा तो गाव का मिखया एव माम-पचायत इकटठी हो गयी सबस एकिऽत दखकर वह चोरी करन वाली मिहला बोलीः

फलीबाई चोर ह मर कणड चरा जाती ह

फलीबाईः चोरी करन को म पाप समझती ह

तब गाव का मिखया बोलाः हम नयाय कस द िक कणड िकसक ह कणडो पर नाम तो िकसी का नही िलखा और आकार भी एक जसा ह अब कस बताय िक कौन स कणड फलीबाई क ह एव कौन स उसकी पड़ोसन क

जो ी चोरी करती थी उसका पित कमाता था िफर भी मिलन मन क कारण वह चोरी करती थी ऐसी बात नही िक कोई गरीबी क कारण ही चोरी करता ह कई बार तो समझ गरीब होती ह तब भी लोग चोरी

करत ह िफर कोई कलम स चोरी करता ह कोई िर त क रप म चोरी करता ह कोई नता बनकर जनता स चोरी करता ह समझ जब कमजोर होती ह तभी मनय हराम क पस लकर िवलासी जीवन जीन की इचछा करता ह और समझ ऊची होती ह तो मनय ईमानदारी की कमाई स पिवऽ जीवन जीता ह िफर भी वह भल सादा जीवन िजय लिकन उसक िवचार बहत ऊच होत ह

फलीबाई का जीवन खब सादगीपणर था लिकन उनकी भि एव समझ बहत बढ़ गयी थी उनहोन कहाः यह ी मर कणड चराती ह इसका माण यह ह िक यिद आप मर कणडो को अपन कानो क पास रखग तो उनम स राम नाम की धविन िनकलगी िजन कणडो म राम-नाम की धविन िनकल उनह आप मर समझना और िजनम स न िनकल उनह इसक समझना

माम-पचायत क कछ सजजन लोग एव मिखया उस मिहला क यहा गय उसक कणडो क ढर म स एक-एक कणडा उठाकर कान क पास रखकर दखन लग िजस कणड म स राम नाम की धविन का अनभव होता तो उस अलग रख दत स लगभग 50 कणड िनकल

मऽजप करत-करत फलीबाई की रगो म नस-नािड़यो म एव पर शरीर म मऽ का भाव छा गया था व िजन वःतओ को छती उनम भी मऽ की सआम तरगो का सचार हो जाता था गाव क मिखया एव उन सजजनो को फलीबाई का यह चमतकार दखकर उनक ित आदर भाव हो आया उन लोगो न फलीबाई का सतकार िकया

मनय म िकतनी शि ह िकतना सामथयर ह उस यिद यो य मागरदशरन िमल जाय एव वह ततपरता स लग जाय तो कया नही कर सकता

फलीबाई न गरमऽ ा करक गर क िनदशानसार साधना की तो उनम इतनी शि आ गयी िक उनक ारा बनाय गय कणडो स भी राम नाम की धविन िनकलन लगी

एक िदन राजा यशवतिसह क सिनको की एक टकड़ी दौड़न क िलए िनकली उसम स एक सिनक फलीबाई की झोपड़ी म पहचा एव उनस पानी मागा

फलीबाई न कहाः बटा दौड़कर तरत पानी नही पीना चािहए इसस तदरःती िबगड़ती ह एव आग जाकर खब हािन होती दौड़ लगाकर आय हो तो थोड़ी दर बठो म तमह रोटी का टकड़ा दती ह उस खाकर िफर पानी पीना

सिनकः माताजी हमारी परी टकड़ी दौड़ती आ रही ह यिद म खाऊगा तो मझ मर सािथयो को भी िखलाना पड़गा

फलीबाईः मन दो रोटल बनाय ह गवारफली की सबजी ह तम सब लोग टकड़ा-टकड़ा खा लना

सिनकः परी टकड़ी कवल दो रोटल म स टकड़ा-टकड़ा कस खा पायगी

फलीबाईः तम िचता मत करो मर राम मर साथ ह

फलीबाई न दो रोटल एव सबजी को ढक िदया कलल करक आख-कान को पानी का ःपशर कराया हम जो दख पिवऽ दख हम जो सन पिवऽ सन ऐसा सकलप करक आख-कान को जल का ःपशर करवाया जाता ह

फलीबाई न सबजी-रोटी को कपड़ स ढककर भगवतःमरण िकया एव इ मऽ म तललीन होत-होत टकड़ी क सिनको को रोटल का टकड़ा एव सबजी दती गयी फलीबाई क हाथो स बन उस भोजन म िदवयता आ गयी थी उस खाकर परी टकड़ी बड़ी सनन एव सत हई उनह आज तक ऐसा भोजन नही िमला था उन सभी न फलीबाई को णाम िकया एव व िवचार करन लग िक इतन-स झोपड़ म इतना सारा भोजन कहा स आया

सबस पहल जो सिनक पहल जो सिनक पहचा था उस पता था िक फलीबाई न कवल दो रोटल एव थोड़ी सी सबजी बनायी ह िकत उनहोन िजस बतरन म भोजन रखा ह वह बतरन उनकी भि क भाव स अकषयपाऽ बन गया ह

यह बात राजा यशवतिसह क कानो तक पहची वह रथ लकर फलीबाई क दशरन करन क िलए आया उसन रथ को दर ही खड़ा रखा जत उतार मकट उतारा एव एक साधारण नागिरक की तरह फलीबाई क ार तक पहचा फलीबाई की तो एक छोटी-सी झोपड़ी ह और आज उसम जोधपर का साट खब न भाव स खड़ा ह भि की कया मिहमा ह परमातमजञान की कया मिहमा ह िक िजसक आग बड़-बड़ साट तक नतमःतक हो जात ह

यशवतिसह न फलीबाई क चरणो म णाम िकया थोड़ी दर बातचीत की सतसग सना फलीबाई न अपन अनभव की बात बड़ी िनभ कता स राजा यशवतिसह को सनायी-

बटा यशवत त बाहर का राजय तो कर रहा ह लिकन अब भीतर का राजय भी पा ल तर अदर ही आतमा ह परमातमा ह वही असली राजय ह उसका जञान पाकर त असली सख पा ल कब तक बाहर क िवषय-िवकारो क सख म अपन को गरक करता रहगा ह यशवत त यशःवी हो अचछ कायर कर और उनह भी ई रापरण कर द ई रापरण बि स िकया गया कायर भि हो जाता ह राग- ष स िरत कमर जीव को बधन म डालता ह िकत तटःथ होकर िकया गया कमर जीव को मि क पथ पर ल जाता ह

ह यशवत तर खजान म जो धन ह वह तरा नही ह वह तो जा क पसीन की कमाई ह उस धन को जो राजा अपन िवषय-िवलास म खचर कर दता ह उस रौरव नरक क दःख भोगन पड़त ह कभीपाक जस नरको म जाना पड़ता ह जो राजा जा क धन का उपयोग जा क िहत म जा क ःवाःथय क िलए जा क िवकास क िलए करता ह वह राजा यहा भी यश पाता ह और उस ःवगर की भी ाि होती ह ह यशवत यिद वह राजा भगवान की भि कर सतो का सग कर तो भगवान क लोक को भी पा लता ह और यिद वह भगवान क लोक को पान की भी इचछा न कर वरन भगवान को ही जानन की इचछा कर तो वह भगवतःवरप का जञान पाकर भगवतःवरप ःवरप हो जाता ह

फलीबाई की अनभवय वाणी सनकर यशवतिसह पलिकत हो उठा उसन अतयत ौ ा-भि स फलीबाई क चरणो म णाम िकया फलीबाई की वाणी म सचचाई थी सहजता थी और जञान का तज था िजस सनकर यशवतिसह भी नतमःतक हो गया

कहा तो जोधपर का साट और कहा लौिकक दि स अनपढ़ फलीबाई िकत उनहोन यशवतिसह को जञान िदया यह जञान ह ही ऐसा िक िजसक सामन लौिकक िव ा का कोई मलय नही होता

यशवतिसह का दय िपघल गया वह िवचार करन लगा िक फलीबाई क पास खान क िलए िवशष भोजन नही ह रहन क िलए अचछा मकान नही ह िवषय-भोग की कोई साममी नही ह िफर भी व सत रहती ह और मर जस राजा को भी उनक पास आकर शाित िमलती ह सचमच वाःतिवक सख तो भगवान की भि म एव भगवता महापरषो क ौीचरणो म ही ह बाकी को ससार म जल-जलकर मरना ही ह वःतओ को भोग-भोगकर मनय जलदी कमजोर एव बीमार हो जाता ह जबिक फलीबाई िकतनी मजबत िदख रही ह

यह सोचत-सोचत यशवतिसह क मन म एक पिवऽ िवचार आया िक मर रिनवास म तो कई रािनया रहती ह परत जब दखो तब बीमार रहती ह झगड़ती रहती ह एक दसर की चगली और एक-दसर स ईयार करती रहती ह यिद उनह फलीबाई जसी महान आतमा का सग िमल तो उनका भी कलयाण हो

यशवतिसह न हाथ जोड़कर फलीबाई स कहाः माताजी मझ एक िभकषा दीिजए

साट एक िनधरन क पास भीख मागता ह सचचा साट तो वही ह िजसन आतमराजय पा िलया ह बा सााजय को ा िकया हआ मनय तो अधयातममागर की दि स कगाल भी हो सकता ह आतमराजय को पायी ह िनधरन फलीबाई स राजा एक िभखारी की तरह भीख माग रहा ह

यशवतिसह बोलाः माता जी मझ एक िभकषा द

फलीबाईः राजन तमह कया चािहए

यशवतिसहः बस मा मझ भि की िभकषा चािहए मरी बि सनमागर म लगी रह एव सतो का सग िमलता रह

फलीबाई न उस बि मान पिवऽातमा यशवतिसह क िसर पर हाथ रखा फलीबाई का ःपशर पाकर राजा गदगद हो गया एव ाथरना करन लगाः मा इस बालक की एक दसरी इचछा भी परी कर आप मर रिनवास म पधारकर मरी रािनयो को थोड़ा उपदश दन की कपा कर तािक उनकी बि भी अधयातम म लग जाय

फलीबाई न यशवतिसह की िवनता दखकर उनकी ाथरना ःवीकार कर ली नही तो उनह रिनवास स कया काम

य व ही फलीबाई ह िजनक पित िववाह होत ही ःवगर िसधार गय थ दसरी कोई ी होती तो रोती िक अब मरा कया होगा म तो िवधवा हो गयी परत फलीबाई क माता-िपता न उनह भगवान क राःत लगा िदया गर स दीकषा लकर गर क बताय हए मागर पर चलकर अब फलीबाई फलीबाई न रही बिलक सत फलीबाई हो गयी तो यशवतिसह जसा साट भी उनका आदर करता ह एव उनकी चरणरज िसर पर लगाकर अपन को भा यशाली मानता ह उनह माता कहकर सबोिधत करता ह जो कणड बचकर अपना जीवन िनवारह करती ह उनह हजारो लोग माता कहकर पकारत ह

धनय ह वह धरती जहा ऐस भगवदभ जनम लत ह जो भगवान का भजन करक भगवान क हो जात ह उनह माता कहन वाल हजारो लोग िमल जात ह अपना िमऽ एव समबनधी मानन क िलए हजारो लोग तयार हो जात ह कयोिक उनहोन सचच माता-िपता क साथ सचच सग-समबनधी क साथ परमातमा क साथ अपना िच जोड़ िलया ह

यशवतिसह न फलीबाई को राजमहल म बलवाकर दािसयो स कहाः इनह खब आदर क साथ रिनवास म जाओ तािक रािनया इनक दो वचन सनकर अपन कान को एव दशरन करक अपन नऽो को पिवऽ कर

फलीबाई क व ो पर तो कई पबद लग हए थ पबदवाल कपड़ पहनन क बावजद बाजरी क मोट रोटल खान एव झोपड़ म रहन क बावजद फलीबाई िकतनी तदरःत और सनन थी और यशवत िसह की रािनया ितिदन नय-नय वयजन खाती थी नय-नय व पहनती थी महलो म रहती थी िफर भी लड़ती-झगड़ती रहती थी उनम थोड़ी आय इसी आशा स राजा न फलीबाई को रिनवास म भजा

दािसया फलीबाई को आदर क साथ रिनवास म ल गयी वहा तो रािनया सज-धजकर हार-ौगार करक तयार होकर बठी थी जब उनहोन पबद लग मोट व पहनी हई फलीबाई को दखा तो एक दसर की तरफ दखन लगी और फसफसान लगी िक यह कौन सा ाणी आया ह

फलीबाई का अनादर हआ िकत फलीबाई क िच पर चोट न लगी कयोिक िजसन अपना आदर कर िलया अपनी आतमा का आदर कर िलया उसका अनादर करक उसको चोट पहचान म दिनया का कोई भी वयि सफल नही हो सकता फलीबाई को दःख न हआ लािन न हई बोध नही आया वरन उनक िच म दया उपजी िक इन मखर रािनयो को थोड़ा उपदश दना चािहए दयाल एव समिच फलीबाई न उन रािनयो कहाः बटा बठो

दािसयो न धीर-स जाकर रािनयो को बताया िक राजा साहब तो इनह णाम करत ह इनका आदर करत ह और आप लोग कहती ह िक कौन सा ाणी आया राजा साहब को पता चलगा तो आपकी

यह सनकर रािनया घबरायी एव चपचाप बठ गयी फलीबाई न कहाः ह रािनयो इस हाड़-मास क शरीर को सजाकर कया बठी हो गहन पहनकर हार-

ौगार करक कवल शरीर को ही सजाती रहोगी तो उसस तो पित क मन म िवकार उठगा जो तमह दखगा उसक मन म िवकार उठगा इसस उस तो नकसान होगा ही तमह भी नकसान होगा

शा ो म ौगार करन की मनाही नही ह परत साि वक पिवऽ एव मयारिदत ौगार करो जसा ौगार ाचीन काल म होता था वसा करो पहल वनःपितयो स ौगार क ऐस साधन बनाय जात थ िजनस मन फिललत एव पिवऽ रहता था तन नीरोग रहता था जस िक पर म पायल पहनन स अमक नाड़ी पर दबाव रहता ह एव उसस चयर-रकषा म मदद िमलती ह जस ा ण लोग जनऊ पहनत ह एव पशाब करत समय कान पर जनऊ लपटत ह तो उस नाड़ी पर दबाव पड़न स उनह कणर पीडनासन का लाभ िमलता ह और ःवपनदोष की बीमारी नही होती इस कार शरीर को मजबत और मन को सनन बनान म सहायक ऐसी हमारी विदक सःकित ह

आजकल तो पा ातय जगत क ऐस गद ौगारो का चार बढ़ गया ह िक शरीर तो रोगी हो जाता ह साथ ही मन भी िवकारमःत हो जाता ह ौगार करन वाली िजस िदन ौगार नही करती उस िदन उसका चहरा बढ़ी बदरी जसा िदखता ह चहर की कदरती कोमलता न हो जाती ह पाउडर िलपिःटक वगरह स तवचा की ाकितक िःन धता न हो जाती ह

ाकितक सौनदयर को न करक जो किऽम सौनदयर क गलाम बनत ह उनस ाथरना ह िक व किऽम साधनो का योग करक अपन ाकितक सौनदयर को न न कर चिड़या पहनन की कमकम का ितलक करन की मनाई नही ह परत पफ-पाउडर लाली िलपिःटक लगाकर चमकील-भड़कील व पहनकर अपन शरीर मन कटिमबयो एव समाज का अिहत न हो ऐसी कपा कर अपन असली सौनदयर को कट कर जस मीरा न िकया था गाग और मदालसा न िकया था

फलीबाई न उन रािनयो को कहाः ह रािनयो तम इधर-उधर कया दखती हो य गहन-गाठ तो तमहार शरीर की शोभा ह और यह शरीर एक िदन िमटटी म िमल जान वाला ह इस सजा-धजाकर कब तक अपन जीवन को न करती रहगी िवषय िवकारो म कब तक खपती रहोगी अब तो ौीराम का भजन कर लो अपन वाःतिवक सौनदयर को कट कर लो

गहनो गाठो तन री शोभो काया काचो भाडो फली कह थ राम भजो िनत लड़ो कयो हो राडो

गहन-गाठ शरीर की शोभा ह और शरीर िमटटी क कचच बतरन जसा ह अतः ितिदन राम का भजन करो इस तरह वयथर लड़न स कया लाभ

िवषय-िवकार की गलामी छोड़ो हार ौगार की गलामी छोड़ो एव पा लो उस परम र को जो परम सनदर ह

राजा यशवतिसह क रिनवास म भी फलीबाई की िकतनी िहममत ह रािनयो को सतय सनाकर फलीबाई अपन गाव की तरफ चल पड़ी

बाहर स भल कोई अनपढ़ िदख िनधरन िदख परत िजसन अदर का राजय पा िलया ह वह धनवानो को भी दान दन की कषमता रखता ह और िव ानो को भी अधयातम-िव ा दान कर सकता ह उसक थोड़-स आशीवारद माऽ स धनवानो क धन की रकषा हो जाती ह िव ानो म आधयाितमक िव ा कट होन लगती ह आतमिव ा म आतमजञान म ऐसा अनपम-अदभत सामथयर ह और इसी सामथयर स सपनन थी फलीबाई

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अनबम

आनदीबाई की दढ़ ौ ा एक पजाबी मिहला का नाम था आनदीबाई दखन म तो वह इतनी करप थी िक दखकर लोग डर

जाय उसका िववाह हो गया िववाह स पवर उसक पित न उस नही दखा था िववाह क प ात उसकी करपता को दखकर वह उस प ी क रप म न रख सका एव उस छोड़कर उसन दसरा िववाह रचा िलया

आनदी न अपनी करपता क कारण हए अपमान को पचा िलया एव िन य िकया िक अब तो म गोकल को ही अपनी ससराल बनाऊगी वह गोकल म एक छोट स कमर म रहन लगी घर म ही मिदर बनाकर

आनदीबाई ौीकण की मःती म मःत रहन लगी आनदीबाई सबह-शाम घर म िवराजमान ौीकण की मितर क साथ बात करती उनस रठ जाती िफर उनह मनाती और िदन म साध-सनतो की सवा एव सतसग-ौवण करती इस कार उसक िदन बीतन लग

एक िदन की बात हः गोकल म गोप रनाथ नामक जगह पर ौीकण-लीला का आयोजन िनि त िकया गया था उसक िलए

अलग-अलग पाऽो का चयन होन लगा पाऽो क चयन क समय आनदीबाई भी वहा िव मान थी अत म कबजा क पाऽ की बात चली उस व आनदी का पित अपनी दसरी प ी एव बचचो क साथ वही उपिःथत था अतः आनदीबाई की िखलली उड़ात हए उसन आयोजको क आग ःताव रखाः

सामन यह जो मिहला खड़ी ह वह कबजा की भिमका अचछी तरह स अदा कर सकती ह अतः उस ही कहो न यह पाऽ तो इसी पर जचगा यह तो साकषात कबजा ही ह

आयोजको न आनदीबाई की ओर दखा उसका करप चहरा उनह भी कबजा की भिमका क िलए पसद आ गया उनहोन आनदीबाई को कबजा का पाऽ अदा करन क िलए ाथरना की

ौीकणलीला म खद को भाग लन का मौका िमलगा इस सचनामाऽ स आनदीबाई भाविवभोर हो उठी उसन खब म स भिमका अदा करन की ःवीकित द दी ौीकण का पाऽ एक आठ वष य बालक क िजमम आया था

आनदीबाई तो घर आकर ौीकण की मितर क आग िव लता स िनहारन लगी एव मन-ही-मन िवचारन लगी िक मरा कनहया आयगा मर पर पर पर रखगा मरी ठोड़ी पकड़कर मझ ऊपर दखन को कहगा वह तो बस नाटक म दयो की कलपना म ही खोन लगी

आिखरकार ौीकणलीला रगमच पर अिभनीत करन का समय आ गया लीला दखन क िलए बहत स लोग एकिऽत हए ौीकण क मथरागमन का सग चल रहा थाः

नगर क राजमागर स ौीकण गजर रह ह राःत म उनह कबजा िमली आठ वष य बालक जो ौीकण का पाऽ अदा कर रहा था उसन कबजा बनी हई आनदी क पर पर पर

रखा और उसकी ठोड़ी पकड़कर उस ऊचा िकया िकत यह कसा चमतकार करप कबजा एकदम सामानय नारी क ःवरप म आ गयी वहा उपिःथत सभी दशरको न इस सग को अपनी आखो स दखा आनदीबाई की करपता का पता सभी को था अब उसकी करपता िबलकल गायब हो चकी थी यह दखकर सभी दातो तल ऊगली दबान लग

आनदीबाई तो भाविवभोर होकर अपन कण म ही खोयी हई थी उसकी करपता न हो गयी यह जानकर कई लोग कतहलवश उस दखन क िलए आय

िफर तो आनदीबाई अपन घर म बनाय गय मिदर म िवराजमान ौीकण म ही खोयी रहती यिद कोई कछ भी पछता तो एक ही जवाब िमलताः मर कनहया की लीला कनहया ही जान

आनदीबाई न अपन पित को धनयवाद दन म भी कोई कसर बाकी न रखी यिद उसकी करपता क कारण उसक पित न उस छोड़ न िदया होता तो ौीकण म उसकी इतनी भि कस जागती ौीकणलीला म

कबजा क पाऽ क चयन क िलए उसका नाम भी तो उसक पित न ही िदया था इसका भी वह बड़ा आभार मानती थी

ितकल पिरिःथितयो एव सयोगो म िशकायत करन की जगह तयक पिरिःथित को भगवान की ही दन मानकर धनयवाद दन स ितकल पिरिःथित भी उननितकारक हो जाती ह पतथर भी सोपान बन जाता ह

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अनबम

कमारबाई की वातसलय-भि सवारनतयारमी घट-घटवासी भगवान न तो धन-ऐ यर स सनन होत ह और न ही पजा क लमब-चौड़

िवधानो स व तो बस एकमाऽ म स ही सत होत ह एव म क वशीभत होकर नम (िनयम) की भी परवाह नही करत कोई उनका होकर उनह पकार तो दौड़ चल आत ह

कमारबाई नामक एक ऐसी ही भि मती नारी थी िजनकी पकार सनकर भगवान ितिदन उनकी िखचड़ी खान दौड़ चल आत थ भगवान यह नही दखत की भ न खीर-परी-पकवान तयार िकय ह या एकदम सीधा-सादा रखा-सखा भोजन

कमारबाई ौीपरषो मपरी (जगननाथपरी) म िनवास करती थी व भगवान का वातसलय-भाव स िचनतन करती थी एव ितिदन िनयमपवरक ातःकाल ःनानािद िकय िबना ही िखचड़ी तयार करती और भगवान को अिपरत करती थी म क वश म रहन वाल ौीजगननाथजी भी ितिदन सनदर-सलोन बालक क वश म आत और कमारबाई की गोद म बठकर िखचड़ी खा जात कमारबाई भी सदव िचिनतत रहा करती िक बालक क भोजन म कभी िवलब न हो जाय इसी कारण व िकसी भई िविध-िवधान क पचड़ म न पड़कर अतयत म स सवर ही िखचड़ी तयार कर लती थी

एक िदन की बात ह कमारबाई क पास एक साध आय उनहोन कमारबाई को अपिवऽता क साथ िखचड़ी तयार करक भगवान को अपरण करत हए दखा घबराकर उनहोन कमारबाई को पिवऽता स भोजन बनान क िलए कहा और पिवऽता क िलए ःनानािद की िविधया बता दी

भि मती कमारबाई न दसर िदन वसा ही िकया िकत िखचड़ी तयार करन म उनह दर हो गयी उस समय उनका दय यह सोचकर रो उठा िक मरा पयारा यामसनदर भख स छटपटा रहा होगा

कमारबाई न दःखी मन स यामसनदर को िखचड़ी िखलायी उसी समय मिदर म अनकानक घतमय िनविदत करन क िलए पजारी न भ का आवाहन िकया भ जठ मह ही वहा चल गय पजारी चिकत हो गया उसन दखा िक भगवान क मखारिवद म िखचड़ी लगी ह पजारी भी भ था उसका दय बनदन करन लगा उसन अतयत कातर होकर भ को असली बात बतान की ाथरना की

तब उस उ र िमलाः िनतयित ातःकाल म कमारबाई क पास िखचड़ी खान जाता ह उनकी िखचड़ी मझ बड़ी िय और मधर लगती ह पर कल एक साध न जाकर उनह पिवऽता क िलए ःनानािद की िविधया बता दी इसिलए िवलब क कारण मझ कषधा का क तो हआ ही साथ ही शीयता स जठ मह ही आना पड़ा

भगवान क बताय अनसार पजारी न उस साध को ढढकर भ की सारी बात सना दी साध चिकत हो उठा एव घबराकर कमारबाई क पास जाकर बोलाः आप पवर की तरह ही ितिदन सवर ही िखचड़ी बनाकर भ को िनवदन कर िदया कर आपक िलए िकसी िनयम की आवयकता नही ह

कमारबाई पनः पहल की ही तरह ितिदन सवर भगवान को िखचड़ी िखलान लगी व समय पाकर परमातमा क पिवऽ और आनदधाम म चली गयी परत उनक म की गाथा आज भी िव मान ह ौीजगननाथजी क मिदर म आज भी ितिदन ातःकाल िखचड़ी का भोग लगाया जाता

म म अदभत शि ह जो काम दल-बल-छल स नही हो सकता वह म स सभव ह म माःपद को भी अपन वशीभत कर दता ह िकत शतर इतनी ह िक म कवल म क िलए ही िकया जाय िकसी ःवाथर क िलए नही भगवान क होकर भगवान स म करो तो उनक िमलन म जरा भी दर नही ह

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अनबम

साधवी िसरमा िसहल दश (वतरमान ौीलका) क एक सदाचारी पिरवार म जनमी हई कनया िसरमा म बालयकाल स ही

भगवदभि ःफिटत हो चकी थी वह िजतनी सनदर थी उतनी ही सशील भी थी 16 वषर की उ म उसक मा-बाप न एक धनवान पिरवार क यवक समगल क साथ उसकी शादी करवा दी

शादी क प ात समगल िवदश चला गया वहा वह वःतओ का आयात-िनयारत करता था कछ वष म उसन काफी सपि इकटठी कर ली और ःवदश लौट चला कटिबयो न सोचा िक समगल वष बाद घर लौट रहा ह अतः उसका आदर-सतकार होना चािहए गाव भर क जान मान लोगो को आमिऽत िकया गया और सब समगल को लन चल भीड़ म उस जमान की गिणका मदारमाला भी थी

मदारमाला क सौनदयर को दखकर समगल मोिहत हो गया एव समगल क आकषरक वयि तव स मदारमाला भी घायल हो गयी भीड़ को समझत दर न लगी िक दोनो एक-दसर स घायल हो गयी समगल को लकर शोभायाऽा उसक घर पहची समगल को उदास दखकर बोलीः

दव आप बड़ उदास एव वयिथत लग रह ह आपकी उदासी एव वयथा का कारण म जानती ह

समगलः जब जानती ह तो कया पछती ह अब उसक िबना नही रहा जाता

यह सनकर िसरमा न अपना सतलन न खोया कयोिक वह ितिदन भगवान का धयान करती थी एव शात ःवभाव का धन िववक-वरा यरपी धन और िवपि यो म भी सनन रहन की समझ का धन उसक पास था

सिवधाए हो और आप सनन रह- इतना तो लािलया मोितया और कािलया क ा भी जानता ह वह भी जलबी दखकर पछ िहला दता ह और डडा दखकर पछ दबा दता ह सख म सखी एव दःख म दःखी नही होता लिकन सव म तो वह ह जो सख-दःख को सपना मानता ह एव सिचचदानद परमातमा को अपना मानता ह

िसरमा न कहाः नाथ आपकी परशानी का कारण तो म जानती ह उस दर करन म म परा सहयोग दगी आप अपनी परशािनयो को िमटान म मर पर अिधकार का उपयोग कर सकत ह कोई उपाय खोजा जायगा

इतन म ही मदारमाला की नौकरानी आकर बोलीः समगल आपको मरी मालिकन अपन महल म बला रही ह

िसरमा न कहाः जाकर अपनी मालिकन स कह दो िक इस बड़ घर की बहरानी बनना चाहती हो तो तमहार िलए ार खल ह िसरमा अपन सार अिधकार तमह स पन को तयार ह लिकन इस बड़ खानदान क लड़क को अपन अ ड पर बलाकर कलक का टीका मत लगाओ यह मरी ाथरना ह

िसरमा की नता न मदारमाला क दय को ििवत कर िदया और वह व ालकार स ससिजजत होकर समगल क घर आ गयी िसरमा न दोनो का गधवर िववाह करवा िदया और िकसी सचच सत स दीकषा लकर ःवय साधवी बन गयी िसरमा की समझ व मऽजाप की ततपरता न उस ऋि -िसि की मालिकन बना िदया िसरमा का मनोबल बि बल तपोबल और यौिगक सामथयर इतना िनखरा िक कई साधक िसरमा को णाम करन आन लग

एक िदन एक साधक िजसका िसर फटा हआ था और खन बह रहा था िसरमा क पास आया िसरमा न पछाः िभकषक तमहारा िसर फटा ह कया बात ह

िभकषकः म िभकषा लन क िलए समगल क घर गया था मदारमाला क हाथ म जो बतरन था वही बतरन उनहोन मर िसर पर द मारा इसस मरा िसर फट गया

िसरमा को बड़ा दःख हआ िक मदारमाला को परी जायदाद िमल गयी और मरा ऐसा सनदर धनी पिवऽ ःवभाववाला वयापारी पित िमल गया िफर वह कयो दःखी ह ससार म जब तक सचची समझ सचचा जञान नही िमलता तब तक मनय क दःखो का अत नही होता शायद वह दःखी होगी और दःखी वयि ही साधओ को दःख दगा सजजन वयि साधओ को दःख नही दगा वरन उनस सख लगा आशीवारद ल लगा मदारमाला अित दःखी ह तभी उसन िभकषक को भी दःखी कर िदया

िसरमा गयी मदारमाला क पास और बोलीः मदारमाला उस िभकषक क अिकचन साध क िभकषा मागन पर त िभकषा नही दती तो चलता लिकन उसका िसर कयो फोड़ िदया

मदारमालाः बहन म बहत दःखी ह समगल न तझ छोड़कर मझस शादी की और अब मर होत हए एक दसरी नतरकी क यहा जाता ह वह मझस कहता ह िक म परसो उसक साथ शादी कर लगा मन तो अपन

सख को सभाल रखा था लिकन सख तो सदा िटकता नही ह तमहारा िदया हआ यह िखलौना अब दसरा िखलौना लन का भाग रहा ह

िसरमा को दःखाकार वि का थोड़ा धकका लगा िकत वह सावधान थी रािऽ को वह अपन ककष म दीया जलाकर बठ गयी एव ाथरना करन लगीः ह भगवान तम काशःवरप हो जञानःवरप हो म तमहारी शरण आयी ह तम अगर चाहो तो समगल को वाःतव म समगल बना सकत हो समगल िजसस जलदी मतय हो जाय ऐस भोग-पर-भोग बढ़ा रहा ह एप नरक की याऽा कर रहा ह उस सतरणा दकर इन िवकारो स बचाकर अपन िनिवरकारी शात आनद एव माधयरःवरप म लगान म ह भ तम सकषम हो

िसरमा ाथरना िकय जा रही ह एव टकटकी लगाकर दीय की लौ को दख जा रही ह धयान करत-करत िसरमा शात हो गयी उसकी शाित ही परमातमा तक पगाम पहचान का साधन बन गयी धयान करत-करत उस कब नीद आ गयी पता नही लिकन जो नीद क समय भी तमहार िच की चतना को र वािहिनयो को स ा दता ह वह पयारा कस चप बठता

भात म समगल को भयानक ःवपन आया िक मरा िवकारी-भोगी जीवन मझ घसीटकर यमराज क पास ल गय एव तमाम भोिगयो की जो ददरशा हो रही ह वही मरी भी होन जा रही ह हाय म यह कया दख रहा ह समगल च क उठा और उसकी आख खल गयी भात का ःवपन सतय का सकत दन वाला होता ह

सबह होत-होत समगल न अपनी सारी धन-समपि गरीब-गरबो म बाटकर एव सतकम म लगाकर दीकषा ल ली अब तो िसरमा िजस राःत जा रही ह भोग क कीचड़ म पड़ा हआ समगल भी उसी राःत अथारत आतमो ार क राःत जान का सकलप करक चल पड़ा

वह अतःचतना कब िकस वयि क अतःकरण म जामत हो और वह भोग क दलदल स तथा अहकार क िवकट मागर स बचकर सहज ःवभाव को अपनाकर सरल मागर स सत-िचत-आनदःवरप ई र की ओर चल पड़ कहना मिकल ह

धनय ह िसरमा जो ःवय तो उस पथ पर चली ही साथ ही अपन िवकारी पित को भी उस पथ पर चलान म सहायक हो गयी

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अनबम

भि मती जनाबाई (भगवदभि स कया सभव नही ह सब सभव ह भि मती जनाबाई क जीवन सगो पर काश डालत

हए पजयौी कहत ह) भगवान कब कहा और कस अपनी लीला कट करक भ ो की रकषा करत ह यह कहना मिकल ह

भ ो का इितहास दखत ह उनका चिरऽ पढ़त ह तब भगवान क अिःततव पर िवशष ौ ा हो जाती ह

गोदावरी नदी क तट पर िःथत गगाखड़ (िज परमणी महारा ) गाव म दमाजी क यहा जनाबाई का जनम हआ था जनाबाई क बचपन उसकी मा चल बसी मा का अि नसःकार करक जब िपता घर आय तब ननही-सी जना न पछाः

िपताजी मा कहा गयी

िपताः मा पढरपर म भगवान िवटठल क पास गयी ह

एक िदन दो िदन पाच िदन दस िदन पचचीस िदन बीत गय मा अभी तक नही आयी पढरपर म िवटठल क पास बठी ह िपता जी मझ भी िवटठल क पास ल चलो ननही सकनया जना न िजद की

िपता बटी को पढरपर ल आय चिभागा नदी म ःनान करक िवटठल क मिदर म गय ननही-सी जना िवटठल स पछन लगीः मरी मा कहा गयी िवटठल बलाओ न मरी मा को

िवटठल िवटठल करक जना रोन लगी िपता न समझान की खब कोिशश की िकत ननही सी बािलका की कया समझ म आता इतन म वहा दामा शठ एव उनकी धमरप ी गोणाई बाई आय भ नामदव इनही की सनतान थ बािलका को दखकर उनका वातसलय जाग उठा उनहोन जना क िपता स कहाः

अब यह पढरपर छोड़कर तो जायगी नही आप इस यही छोड़ जाइय हम इस अपनी बटी क समान रखग यह यही रहकर िवटठल क दशरन करगी और अपनी मा क िलए िवटठल क दशरन करगी और अपनी मा क िलए िवटठल को पकारत-पकारत अगर इस भि का रग लग जाय तो अचछा ही ह

जना क िपता सहमत हो गय एव जनाबाई को वही छोड़ गय जना को बालयकाल स ही भ नामदव का सग िमल गया जना वहा रहकर िवटठल क दशरन करती एव घर क काम-काज म हाथ बटाती थी धीर-धीर जना की भगवदभि बढ़ गयी

समय पाकर नामदव जी का िववाह हो गया िफर भी जना उनक घर क सब काम करती थी एव रोज िनयम स िवटठल क दशरन करन भी जाती थी

एक बार काम की अिधकता स वह िवटठल क दशरन करन दर स जा पायी रात हो गयी थी सब लोग जा चक थ िवटठल क दशरन करक जना घर लौट आयी लिकन दसर िदन सबह िवटठल भगवान क गल म जो ःवणर की माला थी वह गायब हो गयी

मिदर क पजारी न कहाः सबस आिखर म जनाबाई आयी थी

जनाबाई को पकड़ िलया गया जना न कहाः म िकसी की सई भी नही लती तो िवटठल भगवान का हार कस चोरी करगी

लिकन भगवान भी मानो परीकषा करक अपन भ का आतमबल और यश बढ़ाना चाहत थ राजा न फरमान जारी कर िदयाः जना झठ बोलती ह इसको सर बाजार स बत मारत-मारत ल जाया जाय एव जहा सबको सली पर चढ़ाया जाता ह वही सली पर चढ़ा िदया जाय

िसपाही जनाबाई को लन आय जनाबाई अपन िवटठल को पकारती जा रही थीः ह मर िवटठल म कया कर तम तो सब जानत ही हो

गहन बनान स पवर ःवणर को तपाया जाता ह ऐस ही भगवान भी भ की कसौटी करत ही ह जो सचच भ होत ह व उस कसौटी को पार कर जात ह बाकी क लोग भटक जात ह

सिनक जनाबाई को ल जा रह थ और राःत म उसक िलए लोग कछ-का-कछ बोलत जा रह थः बड़ी आयी भ ानी भि का ढोग करती थी अब तो तरी पोल खल गयी यह दख सजजन लोगो क मन म दःख हो रहा था

ऐसा करत-करत जनाबाई सली तक पहच गयी तब जललादो न उसस पछाः अब तमको मतयदड िदया जा रहा ह तमहारी आिखरी इचछा कया ह

जनाबाई न कहाः आप लोग तिनक ठहर जाय तािक मरत-मरत म दो अभग गा ल

आप लोग चौपाई दोह साखी आिद बोलत हो ऐस ही महारा म अभग बोलत ह अभी भी जनाबाई क लगभग तीन सौ अभग उपलबध ह जनाबाई भगवतःमरण करक ौ ा भि भर दय स अभग ारा िवटठल स ाथरना करन लगीः

करो दया ह िवटठलाया करो दया ह िवटठलराया छलती कस ह छलनी माया

करो दया ह िवटठलराया करो दया ह िवटठलराया ौ ाभि पणर दय स की गयी ाथरना दय र सव र तक अवय पहचती ह ाथरना करत-करत

उसकी आखो स अौिबनद छलक पड़ और िजस सली पर उस लटकाया जाना था वह सली पानी हो गयी

सचच दय की भि कित क िनयमो म भी पिरवतरन कर दती ह लोग यह दखकर दग रह गय राजा न उसस कषमा-याचना की जनाबाई की जय-जयकार हो गयी

िवरोधी भल िकतना भी िवरोध कर लिकन सचच भगवदभ तो अपनी भि म दढ़ रहत ह ठीक ही कहा हः

बाधाए कब बाध सकी ह आग बढ़नवालो को िवपदाए कब रोक सकी ह पथ पर चलन वालो को

ह भारत की दिवयो याद करो अपन अतीत की महान नािरयो को तमहारा जनम भी उसी भिम पर हआ ह िजस पणय भिम भारत म सलभा गाग मदालसा शबरी मीरा जनाबाई जसी नािरयो न जनम िलया था अनक िव न बाधाए भी उनकी भि एव िन ा को न िडगा पायी थी

ह भारत की नािरयो पा ातय सःकित की चकाच ध म अपन सःकित की गिरमा को भला बठना कहा तक उिचत ह पतन की ओर ल जानवाली सःकित का अनसरण करन की अपकषा अपनी सःकित को अपनाओ तािक तमहारा जीवन तो समननत हो ही तमहारी सतान भी सवागीण गित कर सक और भारत पनः िव गर की पदवी पर आसीन हो सक

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अनबम

म ाबाई का सवरऽ िवटठल-दशरन ौीिनवि नाथ जञान र एव सोपानदव की छोटी बहन थी म ाबाई जनम स ही चारो िस योगी परम

िवर एव सचच भगवदभ थ बड़ भाई िनवि नाथ ही सबक गर थ ननही सी म ा कहतीः िवटठल ही मर िपता ह शरीर क माता-िपता तो मर जात ह लिकन हमार

सचच माता-िपता हमार परमातमा तो सदा साथ रहत ह

उसन सतसग म सन रखा था िक िवटठल कवल मिदर म ही नही िवटठल तो सबका आतमा बना बठा ह सार शरीरो म उसी की चतना ह वह कीड़ी म छोटा और हाथी म बड़ा लगता ह िव ानो की िव ा की गहराई म उसी की चतना ह बलवानो का बल उसी परम र का ह सतो का सततव उसी परमातम-स ा स ह िजसकी स ा स आख दखती ह कान सनत ह नािसका ास लती ह िज ा ःवाद का अनभव करती ह वही िवटठल ह

म ाबाई िकसी पप को दखती तो सनन होकर कह उठती िक िवटठल बड़ अचछ ह एक िदन म ाबाई कह उठीः िवटठल तम िकतन गद हो ऐसी गदगी म रहत हो

िकसी न पछाः कहा ह िवटठल

म ाबाईः दखो न इस गदी नाली म िवटठल कीड़ा बन बठ ह

म ाबाई की दि िकतनी साि वक हो गयी थी वह सवरऽ अपन िवटठल क दीदार कर रही थी चारो बचचो को एक सनयासी क बचच मानकर कटटरवािदयो न उनह नमाज स बाहर कर िदया था

उनक माता-िपता क साथ तो जलम िकया ही था बचचो को भी समाज स बाहर कर रखा था अतः कोई उनह मदद नही करता था पट को आहित दन क िलए व बचच िभकषा मागन जात थ

दीपावली क िदन वह बारह वष या म ाबाई िनवि नाथ स पछती हः भया आज दीपावली ह कया बनाऊ

िनवि नाथः बहन मरी तो मज ह िक आज मीठ चील बना ल

जञान रः तीख भी तो अचछ लगत ह

म ाबाई हषर स बोल पड़ीः मीठ भी बनाऊगी और नमकीन भी आज तो दीपावली ह

बाहर स तो दिरिता िदखती ह समाजवालो न बिहकत कर रखा ह न धन ह न दौलत न बक बलनस ह न कार ह न बगला साधारण सा घर ह िफर भी िवटठल क भाव म सराबोर दय क भीतर का सख असीम ह

म ाबाई न अदर जाकर दखा तो तवा ही नही था कयोिक िवसोबा चाटी न राऽी म ही सार बतरन चोरी करवा िदय थ िबना तव क चील कस बनग वह भया म कमहार क यहा स रोटी सकन का तवा ल आती ह ऐसा कह जलदी स िनकल पड़ी तवा लान क िलए लिकन िवसोबा चाटी न सभी कमहारो को डाटकर मना कर िदया था िक खबरदार इसको तवा िदया तो तमको जाित स बाहर करवा दगा

घमत-घमत कमहारो क ार खटखटात हए आिखर उदास होकर वापस लौटी मजाक उड़ात हए िवसोबा चाटी न पछाः कयो कहा गयी थी

म ा न सरलता स उ र िदयाः म बाहर स तवा लन गयी थी लिकन कोई दता ही नही ह

घर पहचत ही जञान र न उसकी उदासी का कारण पछा तो म ा न सारा हाल सना िदया जञान रः कोई बात नही त आटा तो िमला

म ाबाईः आटा तो िमला िमलाया ह

जञान र नगी पीठ करक बठ गय उन योिगराज न ाणो का सयम करक पीठ पर अि न की भावना की पीठ त तव की भाित लाल हो गयी ल िजतनी रोटी या चील सकन हो इस पर सक ल

म ाबाई ःवय योिगनी थी भाइयो की शि को जानती थी उसन बहत स मीठ और नमकीन चील व रोिटया बना ली िफर कहाः भया अपन तव को शीतल कर लो

जञान र न अि नधारण का उपसहार कर िदया सकलप बल स तो अभी भी कछ लोग चमतकार करक िदखात ह जञान र महाराज न अि न त व की

धारणा करक अि न को कट कर िदया था व सतय-सकलप एव योगशि -सपनन परष थ जस आप ःवपन म अि न जल आिद सब बना लत ह वस ही योगशि -सपनन परष जामत म िजस त व की धारणा कर उस बढ़ा अथवा घटा सकत ह

जल त व की धारणा िस हो जाय तो आप जहा जल म गोता मारो और हजारो मील दर िनकलो पथवी त व की धारणा िस ह तो आपको यहा गाड़ द और आप हजारो मील दर कट हो जाओ ऐस ही वाय त व अि न त व आिद की धारणा भी िस की जा सकती ह कबीरजी क जीवन म भी ऐस चमतकार हए थ और दसर योिगयो क जीवन म भी दख-सन गय थ

मर गरदव परम पजय ःवामी ौीलीलाशाहजी महाराज न नीम क पड़ को आजञा दी िक त अपनी जगह पर जा तो वह पड़ चल पड़ा तबस लीलाराम म स ौी लीलाशाह क नाम स व िस हए योगशि म बड़ा सामथयर होता ह

आप ऐसा सामथयर पा लो ऐसा मरा आमह नही ह लिकन थोड़ स सख क िलए कषिणक सख क िलए बाहर न भागना पड़ ऐस ःवाधीन हो जाओ िसि या पान की कबर साधना करना आवयक नही ह लिकन सख-दःख क झटको स बचन की सरल साधना अवय कर लो

िनवि नाथ भोजन करत हए भोजन की शसा कर रह थः मि न िनिमरत िकय और जञान की अि न म सक गय चील क ःवाद का कया पछना

िनवि नाथ जञान र एव सोपानदव तीनो भाइयो न भोजन कर िलया था इतन म एक बड़ा सा काला क ा आया और बाकी चील लकर भागा

िनवि नाथ न कहाः अर म ा मार जलदी इस क को तर िहःस क चील वह ल जा रहा ह त भखी रह जायगी

म ाबाईः मार िकस िवटठल ही तो क ा बन गय ह िवटठल काला-कलटा रप लकर आय ह उनको कयो मार

तीनो भाई हस पड़ जञान र न पछाः जो तर चील ल गया वह काला कलटा क ा तो िवटठल ह और िवसोबा चाटी

म ाबाईः व भी िवटठल ही ह

अलग-अलग मन का ःवभाव अलग-अलग होता ह लिकन चतना तो सबम िवटठल की ही ह वह बारह वष या कनया म ाबाई कहती हः िवसोबा चाटी म भी वही िवटठल ह

िवसोबा चाटी कमहार क घर स ही म ा का पीछा करता आया था वह दखना चाहता था िक तवा न िमलन पर य सब कया करत ह वह दीवार क पीछ स सारा खल दख रहा था म ाबाई क शबद सनकर िवसोबा चाटी का दय अपन हाथो म नही रहा भागता हआ आकर सख बास की ना म ाबाई क चरणो म िगर पड़ा

म ादवी मझ माफ कर दो मर जसा अधम कौन होगा मन बहकानवाली बात सनकर आप लोगो को बहत सताया ह आप लोग मझ पामर को कषमा कर द मझ अपनी शरण म ल ल आप अवतारी परष ह सबम िवटठल दखन की भावना म सफल हो गय ह म उ म तो आपस बड़ा ह लिकन भगवदजञान म तचछ ह आप लोग उ म छोट ह लिकन भगवदजञान म पजनीय आदरणीय ह मझ अपन चरणो म ःथान द

कई िदनो तक िवसोबा अननय-िवनय करता रहा आिखर उसक प ाताप को दखकर िनवि नाथ न उस उपदश िदया और म ाबाई स दीकषा-िशकषा िमली वही िवसोबा चाटी िस महातमा िवसोबा खचर हो गय िजनक ारा िस सत नामदव न दीकषा ा की

बारह वष या बािलका म ाबाई कवल बािलका नही थी वह तो आ शि का ःवरप थी िजनकी कपा स िवसोबा चाटी जसा ईयारल िस सत िवसोबा खचर हो गय

नारी त नारायणी ह दवी सयम-साधना ारा अपन आतमःवरप को पहचान ल ॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐ

अनबम

रतनबाई की गरभि गजरात क सौरा ानत म नरिसह महता नाम क एक उचचकोिट क महापरष हो गय व जब भजन

गात तो ौोतागण भि भाव स सराबोर हो उठत थ दो लड़िकया नरिसह महता की बड़ी भि न थी लोगो न अफवाह फला दी की उन दो कवारी यवितयो

क साथ नरिसह महता का कछ गलत समबनध ह अफवाह बड़ी तजी स फल गयी

किलयग म बरी बात फलाना बड़ा आसान ह िजसक अनदर बराइया ह वह आदमी दसरो की बरी बात जलदी स मान लता ह

उन लड़िकयो क िपता और भाई भी ऐस ही थ उनहोन लड़िकयो की खब िपटाई की और कहाः तम लोगो न तो हमारी इजजत खराब कर दी हम बाजार स गजरत ह तो लोग बोलत ह िक इनही की दो लड़िकया ह िजनक साथ नरिसह महता का

खब मार-पीटकर उन दोनो को कमर म बनद कर िदया और अलीगढ़ क बड़-बड़ ताल लगा िदय िफर चाबी अपनी जब म डालकर दोनो चल िदय िक दख आज कथा म कया होता ह

उन दोनो लड़िकयो म स एक रतनबाई रोज सतसग-कीतरन क दौरान अपन हाथो स पानी का िगलास भरकर भाव भर भजन गान वाल नरिसह महता क होठो तक ल जाती थी लोगो न रतनबाई का भाव एव नरिसह महता की भि नही दखी बिलक पानी िपलान की बा िबया को दखकर उलटा अथर लगा िलया

सरपच न घोिषत कर िदयाः आज स नरिसह महता गाव क चौराह पर ही सतसग-कीतरन करग घर पर नही

नरिसह महता न चौराह पर सतसग-कीतरन िकया िववािदत बात िछड़न क कारण भीड़ बढ़ गयी थी कीतरन करत-करत राऽी क 12 बज गय नरिसह महता रोज इसी समय पानी पीत थ अतः उनह पयास लगी

इधर रतनबाई को भी याद आया िक गरजी को पयास लगी होगी कौन पानी िपलायगा रतनबाई न बद कमर म ही मटक म स पयाला भरकर भावपणर दय स आख बद करक मन-ही-मन पयाला गरजी क होठो पर लगाया

जहा नरिसह महता कीतरन-सतसग कर रह थ वहा लोगो को रतनबाई पानी िपलाती हई नजर आयी लड़की का बाप एव भाई दोनो आ यरचिकत हो उठ िक रतनबाई इधर कस

वाःतव म तो रतनबाई अपन कमर म ही थी पानी का पयाला भरकर भावना स िपला रही थी लिकन उसकी भाव की एकाकारता इतनी सघन हो गयी िक वह चौराह क बीच लोगो को िदखी

अतः मानना पड़ता ह िक जहा आदमी का मन अतयत एकाकार हो जाता ह उसका शरीर दसरी जगह होत हए भी वहा िदख जाता ह

रतनबाई क बाप न पऽ स पछाः रतन इधर कस

रतनबाई क भाई न कहाः िपताजी चाबी तो मरी जब म ह

दोनो भाग घर की ओर ताला खोलकर दखा तो रतनबाई कमर क अदर ही ह और उसक हाथ म पयाला ह रतनबाई पानी िपलान की मिा म ह दोनो आ यरचिकत हो उठ िक यह कस

सत एव समाज क बीच सदा स ही ऐसा ही चलता आया ह कछ असामािजक त व सत एव सत क पयारो को बदनाम करन की कोई भी कसर बाकी नही रखत िकत सतो-महापरषो क सचच भ उन सब बदनािमयो की परवाह नही करत वरन व तो लग ही रहत ह सतो क दवी काय म

ठीक ही कहा हः इलजाम लगानवालो न इलजाम लगाय लाख मगर

तरी सौगात समझकर क हम िसर प उठाय जात ह ॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐ

अनबम

लीन ौी मा महगीबा [ परम पजय बापजी की लीन मातौी मा महगीबा (पजनीया अममा) क कछ मधर सःमरण ःवय

पजय बापजी क शबदो]

मरी मा का िदवय गरभाव मा बालक की थम गर होती ह बालक पर उसक लाख-लाख उपकार होत ह वयवहािरक दि स म

उनका पऽ था िफर भी मर ित उनकी गरिन ा िनराली थी

एक बार व दही खा रही थी तो मन कहाः दही आपक िलए ठीक नही रहगा

उनक जान (महायाण) क कछ समय पवर ही उनकी सिवका न मझ बताया िक अममा न िफर कभी दही नही खाया कयोिक गरजी न मना िकया था

इसी कार एक अनय अवसर पर मा भटटा (मकई) खा रही थी मन कहाः भटटा तो भारी होता ह बढ़ाप म दर स पचता ह कयो खाती हो

मा न भटट खाना भी छोड़ िदया िफर दसर-तीसर िदन उनह भटटा िदया गया तो व बोलीः गरजी न मना िकया ह गर ना बोलत ह को कया खाय

मा को आम बहत पसनद था िकत उनक ःवाःथय क अनकल न होन क कारण मन उसक िलए भी मना िकया तो मा न उस भी खाना छोड़ िदया

मा का िव ास बड़ा गज़ब का खा था एक बार कह िदया तो बात परी हो गयी अब उसम िवटािमनस ह िक नही मर िलए हािनकारक ह या अचछा उनको कछ सनन की जररत नही ह बाप न ना बोल िदया तो बात परी हो गयी

ौ ा की हद हो गयी ौ ा इतनी बढ़ गयी इतनी बढ़ गयी िक उसन िव ास का रप धारण कर िलया ौ ा और िव ास म फकर ह ौ ा सामनवाल की महानता को दखकर करनी पड़ती ह जबिक िव ास पदा होता ौीरामचिरतमानस म आता हः

भवानीशकरौ वनद ौ ािव ासरिपणौ मा पावरती ौ ा का और भगवान िशव िव ास का ःवरप ह य ौ ा और िव ास िजसम ह समझो वह

िशव-पावरतीःवरप हो गया मरी मा म पावरती का ःवरप तो था ही साथ म िशव का ःवरप भी था म एक बार जो कह दता उनक िलए वह पतथर पर लकीर हो जाता

पऽ म िदवय सःकार डालन वाली पणयशीला माताए तो इस धरा पर कई हो गयी िवनोबा भाव की माता न उनह बालयकाल स ही उचच सःकार डाल थ बालयकाल स ही िशवाजी म भारतीय सःकित की गिरमा एव अिःमता की रकषा क सःकार डालनवाली भी उनकी माता जीजाबाई ही थी लिकन पऽ को गर मानन का भाव दवहित क िसवाय िकसी अनय माता म मन आज तक नही दखा था

मरी मा पहल तो मझ पऽवत पयार करती थी लिकन जबस उनकी मर ित गर की नजर बनी तबस मर साथ पऽरप स वयवहार नही िकया व अपनी सिवका स हमशा कहती-

सा जी आय ह सा जी का जो खाना बचा ह वह मझ द द आिद-आिद एक बार की बात ह मा न मझस कहाः साद दो

हद हो गयी ऐसी ौ ा पऽ म इस कार की ौ ा कोई साधारण बात ह उनकी ौ ा को नमन ह बाबा

मरी य माता शरीर को जनम दनवाली माता तो ह ही भि मागर की गर भी ह समता म रहन वाली और समाज क उतथान की रणा दन वाली माता भी ह यही नही इन सबस बढ़कर इन माता न एक ऐसी गजब की भिमका अदा की ह िक िजसका उललख इितहास म कभी-कभार ही िदखाई पड़ता ह सितयो की मिहमा हमन पढ़ी सनी सनायी अपन पित को परमातमा माननवाली दिवयो की सची भी हम िदखा सकत ह लिकन पऽ म गरबि पऽ म परमातमबि ऐसी ौ ा हमन एक दवहित माता म दखी जो किपल मिन को अपना गर मानकर आतम-साकषातकार करक तर गयी और दसरी य माता मर धयान म ह

एक बार म अचानक बाहर चला गया और जब लौटा तो सिवका न बताया िक माताजी बात नही करती ह

मन पछाः कयो

सिवकाः व कहती ह िक सा मना कर गय ह िक िकसी स बात नही करना तो कयो बातचीत कर

मर िनकटवत कहलान वाल िशय भी मरी आजञा पर ऐसा अमल नही करत होग जसा इन दवीःवरपा माता न अमल करक िदखाया ह मा की ौ ा की कसी पराका ा ह मझ ऐसी मा का बटा होन का वयावहािरक गवर ह और जञानी गर का िशय होन का भी गवर ह

भ मझ जान दो मरी मा मझ बड़ आदर भाव स दखा करती थी जब उनकी उ करीब 86 वषर की थी तब उनका शरीर

काफी बीमार हो गया था डॉकटरो न कहाः लीवर और िकडनी दोनो खराब ह एक िदन स जयादा नही जी सक गी

23घणट बीत गय मन अपन व को भजा तो व भी उतरा हआ मह लकर मर पास आया और बोलाः बाप एक घणट स जयादा नही िनकाल पायगी मा

मन कहाः भाई त कछ तो कर मरा व ह इतन िचिकतसालय दखता ह

व ः बाप अब कछ नही हो सकगा

मा कराह रही थी करवट भी नही ल पा रही थी जब लीवर और िकडनी दोनो िनिबय हो तो कया करग आपक इजकशन और दवाए म गया मा क पास तो मा न इस ढग स हाथ जोड़ मानो जान की आजञा माग रही हो िफर धीर स बोली-

भ मझ जान दो

ऐसा नही िक बटा मझ जान दो नही नही मा न कहाः भगवान मझ जान दो भ मझ जान दो

मन उनक भ-भाव और भगवान भाव का जी भरकर फायदा उठाया और कहाः म नही जान दता तम कस जाती हो म दखता ह

मा बोलीः भ पर म कर कया

मन कहाः म ःवाःथय का मऽ दता ह

उवरर भिम पर उलटा-सीधा बीज बड़ तो भी उगता ह मा का दय ऐसा ही था मन उनको मऽ िदया और उनहोन रटना चाल िकया एक घणट म जो मरन की नौबत दख रही थी अब एक घणट क बाद उनक ःवाःथय म सधार शर हो गया िफर एक महीना दो महीन पाच महीन पिह महीन पचचीस महीन चालीस महीन ऐसा करत-करत साठ स भी जयादा महीन हो गय तब व 86 वषर की थी अभी 92 वषर पार कर गयी जब आजञा िमली रोकन का सकलप लगाया तो उस हटान का कतरवय भी मरा था अतः आजञा िमलन पर ही उनहोन शरीर छोड़ा गरआजञा-पालन का कसा दढ़ भाव

इचछाओ स परः मा महगीबा एक बार मन मा स कहाः आपको सोन म तौलग

लिकन उनक चहर पर हषर का कोई िच नजर नही आया मन पनः िहला-िहलाकर कहाः आपको सोन म तौलग सोन म

माः यह सब मझ अचछा नही लगता

मन कहाः तला हआ सोना मिहला आौम शःट म जमा करग िफर मिहलाओ और गरीबो की सवा म लगगा

मा- हा सवा म भल लग लिकन मर को तौलना-वौलना नही

सवणर महोतसव क पहल ही मा की याऽा परी हो गयी बाद म सवणर महोतसव क िनिम जो भी करना था वह िकया ही

मन कहाः आपका मिदर बनायग

मा- य सब कछ नही करना ह

म- आपकी कया इचछा ह हिर ार जाय

मा- वहा तो नहाकर आय

म- कया खाना ह यह खाना ह

मा- मझ अचछा नही लगता

कई बार िवनोद का समय िमलता तो हम पछत कई वािहश पछ-पछकर थक गय लिकन उनकी कोई वािहश हमको िदखी नही अगर उनकी कोई भी इचछा होती तो उनक इिचछत पदाथर को लान की सिवधा मर पास थी िकसी वयि स पऽ स पऽी स कटमबी स िमलन की इचछा होती तो उनस भी िमला दत कही जान की इचछा होती तो वहा ल जात लिकन उनकी कोई इचछा ही नही थी

न उनम कछ खान की इचछा थी न कही जान की न िकसी स िमलन की इचछा थी न ही यश-मान की तभी तो उनह इतना मान िमल रहा ह जहा मान-अपमान सब ःवपन ह उसम उनकी िःथित हई इसीिलए ऐसा हो रहा ह

इस सग स करोड़ो-करोड़ो लोगो को समम मानव-जाित को जरर रणा िमलगी

अनबम

जीवन म कभी फिरयाद नही मन अपनी मा को कभी कोई फिरयाद करत हए नही दखा िक मझ इसन दःख िदया उसन क

िदया यह ऐसा ह जब हम घर पर थ तब बड़ा भाई जाकर मर बार म मा स फिरयाद िक वह तो दकान पर आता ही नही ह

मा मझस कहती- अब कया कर वह तो ऐसा बोलता ह

जब मा आौम म रहन लगी तब भी आौम की बिचचयो की कभी फिरयाद नही आौम क बचचो की कभी फिरयाद नही कसा मक जीवन ऐसी आतमाए धरती पर कभी-कभार ही आती ह इसीिलए वह वसनधरा िटकी हई ह मझ इस बात का बड़ा सतोष ह िक ऐसी तपिःवनी माता की कोख स यह शरीर पदा हआ ह

उनक िच की िनमरलता स मझ तो बड़ी मदद िमली आप लोगो को भी बड़ा अचछा लगता होगा मझ तो लगता ह िक जो भी मिहलाए मा क िनकट आयी होगी उनक दय म माता क ित अहोभाव जग ही गया होगा

म तो सत की मा ह य लोग साधारण ह ऐसा भाव कभी िकसी न उनम नही दखा अथवा हम बड़ ह पजन यो य ह लोग हम णाम कर मान द ऐसा िकसी न उनम नही दखा अिपत यह जरर दखा ह िक व िकसी को णाम नही करन दती थी

ऐसी मा क सपकर म हम आय ह तो हम भी ऐसा िच बनाना चािहए िक हम भी सख-दःख म सम रह अपनी आवयकताए कम कर दय म भदभाव न रह सबक मगल का भाव रख

अनबम

बीमारो क ित मा की करणा

मझ इस बात का पता अभी तक नही थी अभी रसोइय न और दसर लोगो न बताया िक जब भी कोई आौमवासी बीमार पड़ जाता तो मा उसक पास ःवय चली जाती थी सचालक रामभाई न बताया िक एक बार म बहत बीमार पड़ गया तो मा आयी और मर ऊपर स कछ उतारा करक उस अि न म फ क िदया उनहोन ऐसा तीन िदन तक िकया और म ठीक हो गया

दसर लड़को न भी बताया िक हमको भी कभी कछ होता और मा को पता चलता तो व दखन आ ही जाती थी

एक बार आौम म िकसी मिहला को बखार हो गया तो मा ःवय उसका िसर दबान बठ गयी मिहला आौम म भी कोई सािधका बीमार पड़ती तो मा उसका धयान रखती यिद वह ऊपर क कमर म होती तो मा कहती- बचारी को नीच का कमरा दो बीमारी म ऊपर-नीच आना-जाना नही कर पायगी ऐसा था उनका परदःखकातर दय

अनबम

कोई कायर घिणत नही ह एक बार आौम क एक बजगर साधक न एक लड़क का कचछा-लगोट गदा दखा तो उसको फटकार

लगायी लिकन मा तो ऐस कई कचछ-लगोट चपचाप धोकर बचचो क कमर क िकनार रख दती थी कई गद-मल कचछ िजनह खद भी धोन म घणा होती हो ऐस कपड़ो को धोकर मा बचचो क कमरो क िकनार चपचाप रख िदया करती

कसा उदार दय रहा होगा मा का कसा िदवय वातसलयभाव रहा होगा अतः करण म वयावहािरक वदानत की कसी िदवय धारा रही होगी सभी क ित कसी िदवय सतान भावना रही होगी

सफाई क िजस कायर को लोग घिणत समझत ह उस कायर को करन म भी मा को घणा नही होती थी िकतनी उनकी महानता सचमच व शबरी मा ही थी

अनबम

ऐसी मा क िलए शोक िकस बात का िजस िदन मर सदगरदव का महािनवारण हआ उसी िदन मरी माता का भी महािनवारण हआ 4 नवमबर

1999 तदनसार एकादशी का िदन काितरक का महीना गजरात क मतािबक आि न सवत 2055 एव गरवार न इजकशन भकवाय न आकसीजन पर रही न अःपताल म भत हई वरन आौम की एकात जगह पर ा महतर म 5 बजकर 37 िमनट पर िबना िकसी ममता- आसि क उनका न र दह छटा पछी िपजरा छोड़कर आजाद हआ हआ तो शोक िकस बात का

वयवहारकाल म लोग बोलत ह िक बाप जी यह शोक की वला ह हम सब आपक साथ ह ठीक ह यह वयवहार की भाषा ह लिकन सचची बात तो यह ह िक मझ शोक हआ ही नही ह मझम तो बड़ी शाित बड़ी समता ह कयोिक मा अपना काम बनाकर गयी ह

सत मर कया रोइय व जाय अपन घर मा न आतमजञान क उजाल म दह का तयाग िकया ह शरीर स ःवय को पथक मानन की उनकी रिच

थी वासना को िमटान की कजी उनक पास थी यश और मान स व कोसो दर थी ॐॐ का िचतन-गजन करक अतमरन म याऽा करक दो िदन क बाद व िवदा ह

जस किपल मिन की मा दवहित आतमारामी हई ऐस ही मा महगीबा आतमारामी होकर न र चोल को छोड़कर शा त स ा म लीन ह अथवा सकलप करक कही भी कट हो सक ऐसी दशा म पहची ऐसी मा क िलए शोक िकस बात का

िजनक जीवन म कभी िकसी क िलए फिरयाद नही रही ऐसी आतमाए धरती पर कभी-कभार ही आती ह इसीिलए यह वसनधरा िटकी हई ह

मझ इस बात का भी सतोष ह िक आिखरी िदनो म म उनक ऋण स थोड़ा म हो पाया इधर-उधर क कई कायरबम होत रहत थ लिकन हम कायरबम ऐस ही बनात िक मा याद कर और हम पहच जाय

मर गरजी जब इस ससार स िवदा हए तो उनहोन भी मरी ही गोद म महायाण िकया और मरी मा क महािनवारण क समय भी भगवान न मझ यह अवसर िदया-इस बात का मझ सतोष ह

मगल मनाना यह तो हमारी सःकित म ह लिकन शोक मनाना ETH यह हमारी सःकित म नही ह हम ौीरामचिजी का ाकटय िदवस ETH रामनवमी बड़ी धमधाम स मनात ह लिकन ौीकण और ौीरामजी िजस िदन िवदा हए उस हम शोकिदवस क रप म नही मनात ह हम उस िदन का पता ही नही ह

शोक और मोह ETH य आतमा की ःवाभािवक दशाए नही ह शोक और मोह तो जगत को सतय मानन की गलती स होता ह इसीिलए अवतारी महापरषो की िवदाई का िदन भी हमको याद नही िक िकस िदन व िवदा हए और हम शोक मनाय

हा िकनही-िकनही महापरषो की िनवारण ितिथ जरर मनात ह जस वालमीिक िनवारण ितिथ ब की िनवारण ितिथ कबीर नानक ौीरामकणपरमहस अथवा ौीलीलाशाहजी बाप आिद व ा महापरषो की िनवारण ितिथ मनात ह लिकन उस ितिथ को हम शोक िदवस क रप म नही मनात वरन उस ितिथ को हम मनात ह उनक उदार िवचारो का चार-सार करन क िलए उनक मागिलक काय स सतरणा पान क िलए

हम शोक िदवस नही मनात ह कयोिक सनातन धमर जानता ह िक आपका ःवभाव अजर अमर अजनमा शा त और िनतय ह और मतय शरीर की होती ह हम भी ऐसी दशा को ा हो इस कार क सःमरणो का आदान-दान िनवारण ितिथ पर करत ह महापरषो क सवाकाय का ःमरण करत ह एव उनक िदवय जीवन स रणा पाकर ःवय भी उननत हो सक ETH ऐसी उनस ाथरना करत ह

(परम पजय सत ौी आसारामजी बाप की पजनीया मातौी मा महगीबा अथारत हम सबकी पजनीया अममा क िवशाल एव िवराट वयि तव का वणरन करना मानो गागर म सागर को समान की च ा करना वातसलय और म की साकषात मितर परोपकािरता एव परदःखकातरता स पलािवत दय िदवय गरिन ा ःवावलबन एव कमरिन ा िनरािभमानता की मितर भारतीय सःकित की रकषक िकन-िकन गणो का वणरन कर िफर भी उनक महान जीवन की वािटका क कछ प यहा ःतत करत ह िजनका सौरभ जन-जन को सरिभत िकय िबना न रह सकगा)

अनबम

अममा की गरिन ा अममा अथारत पणर िनरिभमािनता का मतर ःवरप उनका परोपकारी सरल ःवभाव िनकाम सवाभाव एव

परिहतिचतन िकसी को भी उनक चरणो म ःवाभािवक ही झकन क िलए िरत कर द अनको साधक जब अममा क दशरन करन क िलए जात तब कई बार ससार क ताप स त दय उनक समकष खल जातः अममा आप आशीवारद दो न म परशािनयो स छट जाऊ

अममा का गरभ दय सामन वाल क दय म उतसाह एव उमग का सचार कर दता एव उसकी गरिन ा को मजबत बना दता व कहती- गरदव बठ ह न हमशा उनहीस ाथरना करो िक ह गरवर हम आपक साथ का यह समबनध सदा क िलए िनभा सक ऐसी कपा करना हम गर स िनभाकर ही इस ससार स जाय मागना हो तो गरदव की भि ही मागना म भी उनक पास स यही मागती ह अतः तमह मरा आशीवारद नही अिपत गरदव का अनमह मागत रहना चािहए व ही हम िहममत दग बल दग व शि दाता ह न

साधना-पथ पर चलनवाल गरभ ो को अममा का यह उपदश अपन दयपटल पर ःवणारकषरो म अिकत कर लना चािहए

अनबम

ःवावलबन एव परदःखकातरता अममा ातःकाल सय दय स पवर 4-5 बज उठ जाती और िनतयकमर स िनव होकर पहल अपन िनयम

करती िकतना भी कायर हो पर एक घणटा तो जप करती ही थी यह बात तब की ह जब तक उनक शरीर न उनका साथ िदया जब शरीर व ावःथा क कारण थोड़ा अश होन लगा तो िफर तो िदन भर जप करती रहती थी

82 वषर की अवःथा तक तो अममा अपना भोजन ःवय बनाकर खाती थी आौम क अनय सवाकायर करती रसोईघर की दखरख करती बगीच म पानी िपलाती सबजी आिद तोड़कर लाती बीमार का हालचाल पछकर आती एव रािऽ म भी एक-दो बज आौम का चककर लगान िनकल पड़ती यिद शीतकाल का मौसम

होता कोई ठड स िठठर रहा होता तो चपचाप उस कबल ओढ़ा आती उस पता भी नही चलता और वह शाित स सो जाता उस शाित स सोत दखकर अममा का मात दय सतोष की सास लता इसी कार गरीबो म भी ऊनी व ो एव कबलो का िवतरण पजनीया अममा करती-करवाती

उनक िलए तो कोई भी पराया न था चाह आौमवासी बचच हो या सड़क पर रहन वाल दिरिनारायण सबक िलए उनक वातसलय का झरना सदव बहता ही रहता था िकसी को कोई क न हो दःख न हो पीड़ा न हो इसक िलए ःवय को क उठाना पड़ तो उनह मजर था पर दसर की पीड़ा दसर का क उनस न दखा जाता था

उनम ःवावलबन एव परदःखकातरता का अदभत सिममौण था वह भी इस तरह िक उसका कोई अह नही कोई गवर नही सबम परमातमा ह अतः िकसी को दःख कयो पहचाना यह सऽ उनक पर जीवन म ओतोत नजर आता था वयवहार तो ठीक वाणी क ारा भी कभी िकसी का िदल अममा न दखाया हो ऐसा दखन म नही आया

सचमच पजनीया अममा क य सदगण आतमसात करक तयक मानव अपन जीवन को िदवय बना सकता ह

अनबम

अममा म मा यशोदा जसा भाव जब अममा पािकःतान म थी तब तो िनतय िनयम स छाछ-मकखन बाटा ही करती थी लिकन भारत म

आन पर भी उनका यह बम कभी नही टटा अपन आौम-िनवास क दौरान अममा अपन हाथो स ही छाछ िबलोती एव लोगो म छाछ-मकखन बाटती जब तक शरीर न साथ िदया तब तक ःवय दही िबलोवा लिकन 82 वषर की अवःथा क बाद जब शरीर असमथर हो गया तब भी दसरो स मकखन िनकलवाकर बाटा करती

अपन जीवन क अितम 3-4 वषर अममा न एकदम एकात शात ःथल शाित वािटका म िबताय वहा भी अममा कभी-कभार आौम स मकखन मगवाकर वािटका क साधको को दती

अपनी जीवनलीला समा करन स 4-5 महीन पवर अममा िहममतनगर आौम म थी वहा तो मकखन िमलता भी नही था तब अमदावाद आौम स मकखन मगवाकर वहा क साधको म बटवाया सबको मकखन बाटन म पजनीया अममा बड़ी ति का अनभव करती ऐसा लगता मानो मा यशोदा अपन गोप-बालको को मकखन िखला रही हो

अनबम

दन की िदवय भावना अममा िकसी को साद िलए िबना न जान दती थी यह तो उनक सपकर म आन वाल तयक वयि

का अनभव ह

नवरािऽ की घटना ह एक बार आगरा का एक भाई अममा को भट करन क िलए एक गलदःता लकर आया दशरन करक वह भाई तो चला गया सिवका को उस साद दना याद न रहा अममा को इस बात का बड़ा दःख हआ िक वह भाई साद िलए िबना चला गया अचानक वह भाई िकसी कारणवश पनः अममा की कटीर क पास आया उस बलाकर अममा न साद िदया तभी उनको चन पड़ा

ऐसा तो एक-दो का नही सकड़ो-हजारो का अनभव ह िक आगनतक को साद िदय िबना अममा नही जान दती थी दना दना और दना यही उनका ःवभाव था वह दना भी कसा िक कोई सकीणरता नही दन का कोई अिभमान नही

ऐसी स दय एव परोपकारी मा क यहा यिद सत अवतिरत न हो तो कहा हो

अनबम

गरीब कनयाओ क िववाह म मदद पजनीया मा का ःवभाव अतयत परोपकारी था गरीबो की वदना उनक दय को िपघलाकर रख दती

थी कभी भी िकसी की दःख-पीड़ा की बात उनक कानो तक पहचती तो िफर उसकी सहायता कस करनी ह ETH इसी बात का िचतन मा क मन म चलता रहता था और जब तक उस यथा यो य मदद न िमल जाती तब तक व चन स बठती तक नही

एक गरीब पिरवार म कनया की शादी थी जब पजनीया मा को इस बात का पता चला तो उनहोन अतयत दकषता क साथ उस मदद करन की योजना बना डाली उस पिरवार की आिथरक िःथित जानकर लड़की क िलए व एव आभषण बनवा िदय और शादी क खचर का बोझ कछ हलका हो ETH इस ढग स आिथरक मदद भी की और वह भी इस तरह स िक लन वाल को पता तक न चल पाया िक यह सब पजनीया मा क दयाल ःवभाव की दन ह कई गरीब पिरवारो को पजनीया मा की ओर स कनया की शादी म यथायो य सहायता इस कार स िमलती रहती थी मानो उनकी अपनी बटी की शादी हो

अनबम

अममा का उतसव म भारतीय सःकित क तयक पवर तयोहारो को मनान क िलए अममा सभी को ोतसािहत िकया करती थी

एव ःवय भी पवर क अनरप सबको साद बाटा करती थी जस मकर-सबाित पर ितल क ल ड आिद आौम क पसो स दान का बोझ न चढ़ इसिलए अपन जय पऽ जठानद स पस लकर पजनीया अममा पव पर साद बाटा करती

िसिधयो का एक िवशष तयोहार ह तीजड़ी जो रकषाबनधन क तीसर िदन आता ह उस िदन चाद क दशरन पजन करक ही ि या भोजन करती ह अममा की सिवका न भी तीजड़ी का ोत रखा था उस व अममा िहममतनगर म थी रािऽ हो चकी थी सिवका न अममा स भोजन क िलए ाथरना की तो अममा बोल

पड़ी- त चाद दखकर खायगी नयाणी (कनया) भखी रह और म खाऊ नही जब चाद िदखगा म भी तभी खाऊगी

अममा भी चाद की राह दखत हए कस पर बठी रही जब चाद िदखा तब अपनी सिवका क साथ ही अममा न रािऽ-भोजन िकया कसा मात दय था अममा का िफर हम उनह जगजजननी न कह तो कया कह

अनबम

तयक वःत का सदपयोग होना चािहए अममा अमदावाद आौम म रहती थी तब की यह बात ह कई लोग आौम म दशरन करन क िलए

आत बड़ बादशाह की पिरबमा करत एव वहा का जल ल जात यिद उनह पानी की खाली बोतल न िमलती तो अममा क पास आ जात एव अममा उनह बोतल द दती अममा क पास इतनी सारी बोतल कहा स आती थी जानत ह अममा पर आौम म चककर लगाती तब यऽ-तऽ पड़ी हई फ क दी गयी बोतल ल आती उस गमर पानी एव साबन स साफ करक सभालकर रख दती और जररतमदो को द दती

इसी कार िशिवरो क उपरात कई लोगो की चपपल पड़ी होती थी उनकी जोड़ी बनाकर रखती एव उनह गरीबो म बाट दती

ऐसा था उनका खराब म स अचछा बनान का ःवभाव म िव सनीय सत की मा ह यह अिभमान तो उनह छ तक न सका था बस तयक चीज का सदपयोग होना चािहए िफर वह खान की चीज हो या पहनन-ओढ़न की

अनबम

अह स पर अममा क सवाकायर का कषऽ िजतना िवशाल था उतनी ही उनकी िनिभमानता भी महान थी उनक

सवाकायर का िकसी को पता चल जाता तो उनह अतयत सकोच होता इसीिलए उनहोन अपना सवाकषऽ इस कार िवकिसत िकया िक उनक बाय हाथ को पता न चलता िक दाया हाथ कौन सी सवा कर रहा ह

यिद कोई कतजञता वय करन क िलए उनह णाम करन आता तो व नाराज हो जाती अतः उनकी सिवका इस बात की बड़ी सावधानी रखती िक कोई अममा को णाम करन न आय

िजनहोन जीवन म कवल दना ही सीखा और िसखाया हो उनस नमन का ऋण भी सहन नही होता था व कवल इतना ही कहती- िजसन सब िदया ह उस परमातमा को ही नमन कर

उनकी मक सवा क आग मःतक अपन-आप झक जाता ह उनकी िनरिभमानता िनकामता एव मक सवा की भावना यगो-यगो तक लोगो क िलए रणादायी एव पथ-दशरक बनी रहगी

अनबम(सकिलत)

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मीराबाई की गरभि (मीराबाई की दढ़ भि को कौन नही जानता उनही क कछ पदो ारा उनक जीवन सग पर काश

डालत हए पजजौी कह रह ह)

भि मती मीराबाई का एक िस भजन हः

पग घघर बाध मीरा नाची र लोग कह मीरा भई र बावरी सास कह कलनासी र िबष को पयालो राणाजी भजयो

पीवत मीरा हासी र म तो अपन नारायण की आपिह हो गइ दासी र मीरा क भ िगरधर नागर

सहज िमलया अिबनासी र एक बार सत रदास जी िचतौड़ पधार थ रदासजी रघ चमार क यहा जनम थ उनकी छोटी जाित थी

और उस समय जात-पात का बड़ा बोल बाला था व नगर स दर चमारो की बःती म रहत थ राजरानी मीरा को पता चला िक सत रदासजी महाराज पधार ह लिकन राजरानी क वश म वहा कस जाय मीरा एक मोची मिहला का वश बनाकर चपचाप रदासजी क पास चली जाती उनका सतसग सनती उनक कीतरन और धयान म म न हो जाती

ऐसा करत-करत मीरा का स वगण दढ़ हआ मीरा न सोचाः ई र क राःत जाय और चोरी िछप जाय आिखर कब तक िफर मीरा अपन ही वश म उन चमारो की बःती म जान लगी

मीरा को उन चमारो की बःती म जात दखकर अड़ोस-पड़ोस म कानाफसी होन लगी पर मवाड़ म कहराम मच गया िक ऊची जाित की ऊच कल की राजघरान की मीरा नीची जाित क चमारो की बःती म जाकर साधओ क यहा बठती ह मीरा ऐसी ह वसी ह ननद उदा न उस बहत समझायाः

भाभी लोग कया बोलग तम राजकल की रानी और गदी बःती म चमारो की बःती म जाती हो चमड़ का काम करनवाल चमार जाित क एक वयि को गर मानती हो उसको मतथा टकती हो उसक हाथ स साद लती हो उसको एकटक दखत-दखत आख बद करक न जान कया-कया सोचती और करती हो यह ठीक नही ह भाभी तम सधर जाओ

सास नाराज ससर नाराज दवर नाराज ननद नाराज कटबीजन नाराज उदा न कहाः मीरा मान लीिजयो महारी तन सिखया बरज सारी

राणा बरज राणी बरज बरज सपिरवारी साधन क सग बठ बठ क लाज गवायी सारी

मीरा अब तो मान जा तझ म समझा रही ह सिखया समझा रही ह राणा भी कह रहा ह रानी भी कह रही ह सारा पिरवार कह रहा ह िफर भी त कयो नही समझती ह इन सतो क साथ बठ-बठकर त कल की सारी लाज गवा रही ह

िनत ित उठ नीच घर जाय कलको कलक लगाव

मीरा मान लीिजयो महारी तन बरज सिखया सारी तब मीरा न उ र िदयाः

तारयो िपयर सासिरयो तारयो मा मौसाली सारी मीरा न अब सदगर िमिलया चरणकमल बिलहारी

म सतो क पास गयी तो मन पीहर का कल तारा ससराल का कल तारा मौसाल का और निनहाल का कल भी तारा ह

मीरा की ननद पनः समझाती हः तन बरज बरज म हारी भाभी मानो बात हमारी राणा रोस िकया था ऊपर साधो म मत जारी

कल को दाग लग ह भाभी िनदा होय रही भारी साधो र सग बन बन भटको लाज गवायी सारी बड़ गर म जनम िलयो ह नाचो द द तारी

वह पायो िहदअन सरज अब िबदल म कोई धारी मीरा िगरधर साध सग तज चलो हमारी लारी तन बरज बरज म हारी भाभी मानो बात हमारी

उदा न मीरा को बहत समझाया लिकन मीरा की ौ ा और भि अिडग ही रही मीरा कहती ह िक अब मरी बात सनः

मीरा बात नही जग छानी समझो सधर सयानी साध मात िपता ह मर ःवजन ःनही जञानी

सत चरण की शरण रन िदन मीरा कह भ िगरधर नागर सतन हाथ िबकानी

मीरा की बात अब जगत स िछपी नही ह साध ही मर माता-िपता ह मर ःवजन ह मर ःनही ह जञानी ह म तो अब सतो क हाथ िबक गयी ह अब म कवल उनकी ही शरण ह

ननद उदा आिद सब समझा-समझाकर थक गय िक मीरा तर कारण हमारी इजजत गयी अब तो हमारी बात मान ल लिकन मीरा भि म दढ़ रही लोग समझत ह िक इजजत गयी िकत ई र की भि करन पर आज तक िकसी की लाज नही गयी ह सत नरिसह महता न कहा भी हः

हिर न भजता हजी कोईनी लाज जता नथी जाणी र मखर लोग समझत ह िक भजन करन स इजजत चली जाती ह वाःतव म ऐसा नही ह

राम नाम क शारण सब यश दीनहो खोय मरख जान घिट गयो िदन िदन दनो होय

मीरा की िकतनी बदनामी की गयी मीरा क िलए िकतन ष यऽ िकय गय लिकन मीरा अिडग रही तो मीरा का यश बढ़ता गया आज भी लोग बड़ म स मीरा को याद करत ह उनक भजनो को गाकर अथवा सनकर अपना दय पावन करत ह

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अनबम

राजकमारी मिललका बनी तीथकर मिललयनाथ जन धमर म कल 24 तीथकर हो चक ह उनम एक राजकनया भी तीथकर हो गयी िजसका नाम था

मिललयनाथ

राजकमारी मिललका इतनी खबसरत थी िक कई राजकमार व राजा उसक साथ बयाह रचाना चाहत थ लिकन वह िकसी को पसद नही करती थी आिखरकार उन राजकमारो व राजाओ न आपस म एक जट होकर मिललका क िपता को िकसी य म हरा कर मिललका का अपहरण करन की योजना बनायी

मिललका को इस बात का पता चल गया उसन राजकमारो व राजाओ को कहलवाया िक आप लोग मझ पर कबारन ह तो म भी आप सब पर कबारन ह ितिथ िनि त किरय आप लोग आकर बातचीत कर म आप सबको अपना सौनदयर द दगी

इधर मिललका न अपन जसी ही एक सनदर मितर बनवायी एव िनि त की गयी ितिथ स दो-चार िदन पहल स वह अपना भोजन उसम डाल िदया करती थी िजल हॉल म राजकमारी व राजाओ को मलाकात दनी थी उसी हॉल म एक ओर वह मितर रखवा दी गयी

िनि त ितिथ पर सार राजा व राजकमार आ गय मितर इतनी हबह थी िक उसकी ओर दखकर राजकमार िवचार ही कर रह थ िक अब बोलगीअब बोलगी इतन म मिललका ःवय आयी तो सार राजा व राजकमार उस दखकर दग रह गय िक वाःतिवक मिललका हमार सामन बठी ह तो यह कौन ह

मिललका बोलीः यह ितमा ह मझ यही िव ास था िक आप सब इसको ही सचची मानगऔर सचमच म मन इसम सचचाई छपाकर रखी ह आपको जो सौनदयर चािहए वह मन इसम छपाकर रखा ह

यह कहकर जयो ही मितर का ढककन खोला गया तयो ही सारा ककष दगरनध स भर गया िपछल चार-पाच िदन स जो भोजन उसम डाला गया था उसक सड़ जान स ऐसी भयकर बदब िनकल रही थी िक सब िछः-िछः कर उठ

तब मिललका न वहा आय हए सभी राजाओ व राजकमारो को समबोिधत करत हए कहाः भाइयो िजस अनन जल दध फल सबजी इतयािद को खाकर यह शरीर सनदर िदखता ह मन व ही खा -सामिमया चार-पाच िदनो स इसम डाल रखी थी अब य सड़ कर दगरनध पदा कर रही ह दगरनध पदा करन वाल इन खा ाननो स बनी हई चमड़ी पर आप इतन िफदा हो रह हो तो इस अनन को र बना कर सौनदयर दन वाला

यह आतमा िकतना सनदर होगा भाइयो अगर आप इसका याल रखत तो आप भी इस चमड़ी क सौनदयर का आकषरण छोड़कर उस परमातमा क सौनदयर की तरफ चल पड़त

मिललका की सारगिभरत बात सनकर कछ राजा एव राजकमार िभकषक हो गय और कछ न काम-िवकार स अपना िपणड छड़ान का सकलप िकया उधर मिललका सतशरण म पहच गयी तयाग और तप स अपनी आतमा को पाकर मिललयनाथ तीथकर बन गयी अपना तन-मन परमातमा को स पकर वह भी परमातममय हो गयी

आज भी मिललयनाथ जन धमर क िस उननीसव तीथकर क नाम स सममािनत होकर पजी जा रही ह

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अनबम

दगारदास की वीर जननी सन 1634 क फरवरी मास की घटना हः जोधपर नरश का सनापित आसकरण जसलमर िजल स गजर

रहा था जमल गाव म उसन दखा िक गाव क लोग डर क मार भागदौड़ मचा रह ह और पकार रह ह- हाय क हाय मसीबत बचाओ बचाओ

आसकरण न सोचा िक कही मगलो न गाव को लटना तो आरभ नही कर िदया अथवा िकसी की बह-बटी की इजजत तो नही लटी जा रही ह गाव क लोगो की चीख-पकार सनकर आसकरण वही रक गया

इतन म उसन दखा िक दो भस आपस म लड़ रही ह उन भसो न ही पर गाव म भगदड़ मचा रखी ह लिकन िकसी गाव वाल की िहममत नही हो रही ह िक पास म जाय सार लोग चीख रह थ मन दखी ह भसो की लड़ाई बड़ी भयकर होती ह

इतन म एक कनया आयी उसक िसर पर पानी क तीन घड़ थ उस कनया न सब पर नजर डाली और तीनो घड़ नीच उतार िदय अपनी साड़ी का पलल कसकर बाधा और जस शर हाथी पर टट पड़ता ह ऐस ही उन भसो पर टट पड़ी एक भस का सीग पकड़कर उसकी गरदन मरोड़न लगी भस उसक आग रभान लगी लिकन उसन भस को िगरा िदया दसरी भस पछ दबाकर भाग गयी

सनापित आसकरण तो दखता ही रह गया िक इतनी कोमल और सनदर िदखन वाली कनया म गजब की शि ह पर गाव की रकषा क िलए एक कनया न कमर कसी और लड़ती हई भस को िगरा िदया जरर यह दगार की उपासना करती होगी

उस कनया की गजब की सझबझ और शि दखकर सनापित आसकरण न उसक िपता स उसका हाथ माग िलया कनया का िपता गरीब था और एक सनापित हाथ माग रहा ह िपता क िलए इसस बढ़कर खशी की बात और कया हो सकती थी िपता न कनयादान कर िदया इसी कनया न आग चलकर वीर दगारदास जस पऽर को जनम िदया

एक कनया न पर जमल गाव को सरिकषत कर िदया साथ ही हजारो बह-बिटयो को यह सबक िसखा िदया िक भयजनक पिरिःथितयो क आग कभी घटन न टको लचच लफगो क आग कभी घटन न टको ौ सदाचारी सत-महातमा स भगवान और जगदबा स अपनी शि यो को जगान की योगिव ा सीख लो अपनी िछपी हई शि यो को जामत करो एव अपनी सतानो म भी वीरता भगवद भि एव जञान क सनदर सःकारो का िसचन करक उनह दश का एक उ म नागिरक बनाओ

राजःथान म तो आज भी बचचो को लोरी गाकर सनात ह- सालवा जननी एहा प जण ज हा दगारदास

अपन बचचो को साहसी उ मी धयरवान बि मान और शि शाली बनान का यास सभी माता-िपता को करना चािहए सभी िशकषको एव आचाय को भी बचचो म सयम-सदाचार बढ़ तथा उनका ःवाःथय मजबत बन इस हत आौम स कािशत यवाधन सरकषा एव योगासन पःतको का पठन-पाठन करवाना चािहए तािक भारत पनः िव गर की पदवी पर आसीन हो सक

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अनबम

कमरिन यामो यतः वि भरताना यन सवरिमद ततम

ःवकमरणा तम यचय िसि िवनदित मानवः िजस परमातमा स सवरभतो की उतपि हई ह और िजसस यह सवर जगत वया ह उस परम र क

अपन ःवाभािवक कम ारा पजकर मनय परम िसि को ा होता ह (ौीमदभगवदगीताः 1846)

अपन ःवाभािवक कमररपी पपो ारा सवरवयापक परमातमा की पजा करक कोई भी मनय परम िसि को ा हो सकता ह िफर भल ही वह कोई बड़ा सठ हो या छोटा-सा गरीब वयि

यामो नामक एक 13 वष या लड़की की शादी हो गयी साल भर बाद उसक पित की मतय हो गयी और वह लड़की 14 वषर की छोटी सी उ म ही िवधवा हो गयी यामो न सोचा िक अपन जीवन को आलसी मादी या िवलासी बनाना ETH यह समझदारी नही ह अतः उसन दसरी शादी न करक पिवऽ जीवन जीन का िन य िकया और इसक िलए अपन माता-िपता को भी राजी कर िलया उसक माता-िपता महागरीब थ

यामो सबह जलदी उठकर पाच सर आटा पीसती और उसम स कछ कमाई कर लती िफर नहा-धोकर थोड़ा पजा-पाठ आिद करक पनः सत कातन बठ जाती इस कार उसन अपन को कमर म लगाय रखा और जो काम करती उस बड़ी सावधानी एव ततपरता स करती ऐसा करन स उस नीद भी बिढ़या आती और थोड़ी दर पजा पाठ करती तो उसम भी मन बड़ मज स लग जाता ऐसा करत-करत यामो न दखा िक यहा स जो याऽी आत-जात ह उनह बड़ी पयास लगती यामो न आटा पीसकर सत कातकर िकसी क घर की रसोई

करक अपना तो पट पाला ही साथ ही करकसर करक जो धन एकिऽत िकया था अपन पर जीवन की उस सपि को लगा िदया पिथको क िलए कआ बनवान म मगर-भागलपर रोड पर िःथत वही पकका कआ िजस िपसजहारी कआ भी कहत ह आज भी यामो की कमरठता तयाग तपःया और परोपकािरता की खबर द रहा ह

पिरिःथितया चाह कसी भी आय िकत इनसान उनस हताश-िनराश न हो एव ततपरतापवरक शभ कमर करता रह तो िफर उसक सवाकायर भी पजा पाठ हो जात ह जो भगवदीय सख भगवतसतोष भगवतशाित भ या योगी क दय म भि भाव या योग स आत ह व ही भगवतीतयथर सवा करन वाल क दय म कट होत ह

14 वषर की उ म ही िवधवा हई यामो न दबारा शादी न करक अपन जीवन को पनः िवलािसता और िवकारो म गरकाब न िकया वरन पिवऽता सयम एव सदाचार का पालन करत हए ततपरता स कमर करती रही तो आज उसका पचभौितक शरीर भल ही धरती पर नही ह पर उसकी कमरठता परोपकािरता एव तयाग की यशोगाथा तो आज भी गायी जा रही ह

काश लड़न-झगड़न और कलह करन वाल लोग उसस रणा पाय घर कटमब व समाज म सवा और ःनह की सिरता बहाय तो हमारा भारत और अिधक उननत होगा गाव-गाव को गरकल बनाय घर-घर को गरकल बनाय

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अनबम

शि ःवरपा मा आनदमयी सयम म अदभत सामथयर ह िजसक जीवन म सयम ह िजसक जीवन म ई रोपासना ह वह सहज ही

म महान हो जाता ह आनदमयी मा का जब िववाह हआ तब उनका वयि तव अतयत आभासपनन थी शादी क बाद उनक पित उनह ससार-वयवहार म ल जान का यास करत रहत थ िकत आनदमयी मा उनह सयम और सतसग की मिहमा सनाकर उनकी थोड़ी सवा करक िवकारो स उनका मन हटा दती थी

इस कार कई िदन बीत ह त बीत कई महीन बीत गय लिकन आनदमयी मा न अपन पित को िवकारो म िगरन नही िदया

आिखरकार कई महीनो क प ात एक िदन उनक पित न कहाः तमन मझस शादी की ह िफर भी कयो मझ इतना दर दर रखती हो

तब आनदमयी मा न जवाब िदयाः शादी तो जरर की ह लिकन शादी का वाःतिवक मतलब तो इस कार हः शाद अथारत खशी वाःतिवक खशी ा करन क िलए पित-प ी एक दसर क सहायक बन न िक शोषक काम-िवकार म िगरना यह कोई शादी का फल नही ह

इस कार अनक यि यो और अतयत िवनता स उनहोन अपन पित को समझा िदया व ससार क कीचड़ म न िगरत हए भी अपन पित की बहत अचछी तरह स सवा करती थी पित नौकरी करक घर आत तो गमर-गमर भोजन बनाकर िखलाती

व घर भी धयाना यास िकया करती थी कभी-कभी ःटोव पर दाल चढ़ाकर छत पर खल आकाश म चिमा की ओर ऽाटक करत-करत धयानःथ हो जाती इतनी धयानम न हो जाती िक ःटोव पर रखी हई दाल जलकर कोयला हो जाती घर क लोग डाटत तो चपचाप अपनी भल ःवीकार कर लती लिकन अनदर स तो समझती िक म कोई गलत मागर पर तो नही जा रही ह इस कार उनक धयान-भजन का बम चाल ही रहा घर म रहत हए ही उनक पास एकामता का कछ सामथयर आ गया

एक रािऽ को व उठी और अपन पित को भी उठाया िफर ःवय महाकाली का िचतन करक अपन पित को आदश िदयाः महाकाली की पजा करो उनक पित न उनका पजन कर िदया आनदमयी मा म उनह महाकाली क दशरन होन लग उनहोन आनदमयी मा को णाम िकया

तब आनदमयी मा बोली- अब महाकाली को तो मा की नजर स ही दखना ह न

पितः यह कया हो गया

आनदमयी मा- तमहारा कलयाण हो गया

कहत ह िक उनहोन अपन पित को दीकषा द दी और साध बनाकर उ रकाशी क आौम म भज िदया

कसी िदवय नारी रही होगी मा आनदमयी उनहोन अपन पित को भी परमातमा क रग म रग िदया जो ससार की माग करता था उस भगवान की माग का अिधकारी बना िदया इस भारतभिम म ऐसी भी अनक सननािरया हो गयी कछ वषर पवर ही आनदमयी मा न अपना शरीर तयागा ह हिर ार म एक करोड़ बीस लाख रपय खचर करक उनकी समािध बनवायी गयी ह

ऐसी तो अनको बगाली लड़िकया थी िजनहोन शादी की पऽो को जनम िदया पढ़ाया-िलखाया और मर गयी शादी करक ससार वयवहार चलाओ उसकी ना नही ह लिकन पित को िवकारो म िगराना या प ी क जीवन को िवकारो म खतम करना यह एक-दसर क िमऽ क रप म एक-दसर क शऽ का कायर ह सयम स सतित को जनम िदया यह अलग बात ह िकत िवषय-िवकारो म फस मरन क िलए थोड़ ही शादी की जाती ह

बि मान नारी वही ह जो अपन पित को चयर पालन म मदद कर और बि मान पित वही ह जो िवषय िवकारो स अपनी प ी का मन हटाकर िनिवरकारी नारायण क धयान म लगाय इस रप म पित प ी दोनो सही अथ म एक दसर क पोषक होत ह सहयोगी होत ह िफर उनक घर म जो बालक जनम लत ह व भी ीव गौराग रमण महिषर रामकण परमहस या िववकानद जस बन सकत ह

मा आनदमयी को सतो स बड़ा म था व भल धानमऽी स पिजत होती थी िकत ःवय सतो को पजकर आनिदत होती थी ौी अखणडानदजी महाराज सतसग करत तो व उनक चरणो म बठकर सतसग सनती एक बार सतसग की पणारहित पर मा आनदमयी िसर पर थाल लकर गयी उस थाल म चादी का िशविलग था वह थाल अखणडानदजी को दत हए बोली-

बाबाजी आपन कथा सनायी ह दिकषणा ल लीिजए

मा- बाबाजी और भी दिकषणा ल लो

अखणडानदजीः मा और कया द रही हो

मा- बाबाजी दिकषणा म मझ ल लो न

अखणडानदजी न हाथ पकड़ िलया एव कहाः ऐसी मा को कौन छोड़ दिकषणा म आ गयी मरी मा

कसी ह भारतीय सःकित

हिरबाबा बड़ उचचकोिट क सत थ एव मा आनदमयी क समकालीन थ व एक बार बहत बीमार पड़ गय डॉकटर न िलखा हः उनका ःवाःथय काफी लड़खड़ा गया और मझ उनकी सवा का सौभा य िमला उनह र चाप भी था और दय की तकलीफ भी थी उनका क इतना बढ़ गया था िक नाड़ी भी हाथ म नही आ रही थी मन मा को फोन िकया िक मा अब बाबाजी हमार बीच नही रहग 5-10 िमनट क ही महमान ह मा न कहाः नही नही तम ौीहनमानचालीसा का पाठ कराओ म आती ह

मन सोचा िक मा आकर कया करगी मा को आत-आत आधा घणटा लगगा ौीहनमानचालीसा का पाठ शर कराया गया और िचिकतसा िवजञान क अनसार हिरबाबा पाच-सात िमनट म ही चल बस मन सारा परीकषण िकया उनकी आखो की पतिलया दखी पलस (नाड़ी की धड़कन) दखी इसक बाद ौीहनमानचालीसा का पाठ करन वालो क आगवान स कहा िक अब बाबाजी की िवदाई क िलए सामान इकटठा कर म अब जाता ह

घड़ी भर मा का इतजार िकया मा आयी बाबा स िमलन हमन मा स कहाः मा बाबाजी नही रह चल गय

माः नहीनही चल कस गय म िमलगी बात करगी

म- मा बाबा जी चल गय ह

मा- नही म बात करगी

बाबाजी का शव िजस कमर म था मा उस कमर म गयी अदर स कणडा बद कर िदया म सोचन लगा िक कई िडिमया ह मर पास मन भी कई कस दख ह कई अनभवो स गजरा ह धप म बदल सफद नही िकय ह अब मा दरवाजा बद करक बाबाजी स कया बात करगी

म घड़ी दखता रहा 45 िमनट हए मा न कणडा खोला एव हसती हई आयी उनहोन कहाः बाबाजी मरा आमह मान गय ह व अभी नही जायग

मझ एक धकका सा लगा व अभी नही जायग यह आनदमयी मा जसी हःती कह रही ह व तो जा चक ह

म- मा बाबाजी तो चल गय ह

मा- नही नही उनहोन मरा आमह मान िलया ह अभी नही जायग

म चिकत होकर कमर म गया तो बाबाजी तिकय को टका दकर बठ-बठ हस रह थ मरा िवजञान वहा तौबा पकार गया मरा अह तौबा पकार गया

बाबाजी कछ समय तक िदलली म रह चार महीन बीत िफर बोलः मझ काशी जाना ह

मन कहाः बाबाजी आपकी तबीयत काशी जान क िलए शन म बठन क कािबल नही ह आप नही जा सकत

बाबाजीः नही हम जाना ह हमारा समय हो गया

मा न कहाः डॉकटर इनह रोको मत इनह मन आमह करक चार महीन तक क िलए ही रोका था इनहोन अपना वचन िनभाया ह अब इनह मत रोको

बाबाजी गय काशी ःटशन स उतर और अपन िनवास पर रात क दो बज पहच भात की वला म व अपना न र दह छोड़कर सदा क िलए अपन शा त रप म वयाप गयldquo

Ocircबाबाजी वयाप गयOtilde य शबद डॉकटर न नही िलख Ocircन रOtilde आिद शबद नही िलख लिकन म िजस बाबाजी क िवषय म कह रहा ह व बाबाजी इतनी ऊचाईवाल रह होग

कसी ह मिहमा हमार महापरषो की आमह करक बाबा जी तक को चार महीन क िलए रोक िलया मा आनदमयी न कसी िदवयता रही ह हमार भारत की सननािरयो की

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अनबम

भौितक जगत म भाप की शि िव त की शि गरतवाकषरण की शि बड़ी मानी जाती ह मगर आतमबल उन सब शि यो का सचालक बल ह आतमबल क सािननधय म आकर पग ारबध को पर आ जात ह दव की दीनता पलायन हो जाती ह ितकल पिरिःथितया अनकल जो जाती ह आतमबल सवर िसि यो का िपता ह

नारी शरीर िमलन स अपन को अबला मानती हो लघतामिथ म उलझकर पिरिःथितयो म पीसी जाती हो अपना जीवन-दीन बना बठी हो तो अपन भीतर सष आतमबल को जगाओ शरीर चाह ी का हो चाह परष का कित क सााजय म जो जीत ह अपन मन क गलाम होकर जो जीत ह व ी ह और कित क बनधन स पार अपन आतमःवरप की पहचान िजनहोन कर ली अपन मन की गलामी की बिड़या तोड़कर िजनहोन फ क दी ह व परष ह ी या परष शरीर व मानयताए होती ह तम तो शरीर स पार िनमरल आतमा हो

जागो उठो अपन भीतर सोय हए आतमबल को जगाओ सवरदश सवरकाल म सव म आतमबल को अिजरत करो आतमा-परमातमा म अथाह सामथयर ह अपन को दीन-हीन अबला मान बठी तो जगत म ऐसी कोई स ा नही ह जो तमह ऊपर उठा सक अपन आतमःवरप म िति त हो गयी तो तीनो लोको म भी ऐसी कोई हःती नही जो तमह दबा सक

परम पजय सत ौी आसारामजी बाप

अभाव का ही अभाव कमीर म तकर र नयायाचायर पिडत रहत थ उनहोन चार पःतको की रचना की थी िजनस बड़-बड़

िव ान तक भािवत थ इतनी िव ता होत हए भी उनका जीवन अतयत सीधा-सादा एव सरल था उनकी प ी भी उनही क समान सरल एव सीधा-सादा जीवन-यापन करन वाली साधवी थी

उनक पास सपि क नाम पर एक चटाई लखनी कागज एव कछ पःतक तथा दो जोड़ी व थ व कभी िकसी स कछ मागत न थ और न ही दान का खात थ उनकी प ी जगल स मज काटकर लाती उसस रःसी बनाती और उस बचकर अनाज-सबजी आिद खरीद लाती िफर भोजन बना कर पित को म स िखलाती और घर क अनय कामकाज करती पित को तो यह पता भी न रहता िक घर म कछ ह या नही व तो बस अपन अधययन-मनन म मःत रहत

ऐसी महान साधवी ि या भी इस भारतभिम म हो चकी ह धीर-धीर पिडत जी की याित अनय दशो म भी फलन लगी अनय दशो क िव ान लोग आकर उनक दख कमीर क राजा शकरदव स कहन लगः

राजन िजस दश म िव ान धमारतमा पिवऽातमा दःख पात ह उस दश क राजा को पाप लगता ह आपक दश म भी एक ऐस पिवऽातमा िव ान ह िजनक पास खान पीन का िठकाना नही ह िफर भी आप उनकी कोई सभाल नही रखत

यह सनकर राजा ःवय पिडतजी की किटया म पहच गया हाथ जोड़कर उनस ाथरना करन लगाः भगवन आपक पास कोई कमी तो नही ह

पिडतजीः मन जो चार मनथ िलख ह उनम मझ तो कोई कमी नही िदखती आपको कोई कमी लगती हो तो बताओ

राजाः भगवन म शबदो की मनथ की कमी नही पछता ह वरन अनन जल व आिद घर क वयवहार की चीजो की कमी पछ रहा ह

पिडतजीः उसका मझ कोई पता नही ह मरा तो कवल एक भ स नाता ह उसी क ःमरण म इतना तललीन रहता ह िक मझ घर का कछ पता ही नही रहता

जो भगवान की ःमित म तललीन रहता ह उसक ार पर साट ःवय आ जात ह िफर भी उस कोई परवाह नही रहती

राजा न खब िवन भाव स पनः ाथरना की एव कहाः भगवन िजस दश म पिवऽातमा दःखी होत ह उस दश का राजा पाप का भागी होता ह अतः आप बतान की कपा कर िक म आपकी सवा कर

जस ही पिडतजी न य वचन सन िक तरत अपनी चटाई लपटकर बगल म दबा ली एव पःतको की पोटली बाधकर उस भी उठात हए अपनी प ी स कहाः चलो दवी यिद अपन यहा रहन स इन राजा को पाप का भागी होना पड़ता हो इस राजय को लाछन लगता हो तो हम लोग कही ओर चल अपन रहन स िकसी को दःख हो यह तो ठीक नही ह

यह सनकर राजा उनक चरणो म िगर पड़ा एव बोलाः भगवन मरा यह आशय न था वरन म तो कवल सवा करना चाहता था

िफर राजा पिडत जी स आजञा लकर उनकी धमरप ी क समकष जाकर णाम करत हए बोलाः मा आपक यहा अनन-जल-व ािद िकसी भी चीज की कमी हो तो आजञा कर तािक म आप लोगो की कछ सवा कर सक

पिडत जी की धमरप ी भी कोई साधारण नारी तो थी नही व भगवतपरायण नारी थी सच पछो तो नारी क रप म मानो साकषात नारायणी ही थी व बोली- निदया जल द रही ह सयर काश द रहा ह ाणो क िलए आवयक पवन बह ही रही ह एव सबको स ा दनवाला वह सवरस ाधीश परमातमा हमार साथ ही ह िफर कमी िकस बात की राजन शाम तक का आटा पड़ा ह लक़िडया भी दो िदन जल सक इतनी ह िमचर-मसाला भी कल तक का ह पिकषयो क पास तो शाम तक का भी िठकाना नही होता िफर भी व आनद स जी लत ह मर पास तो कल तक का ह राजन मर व अभी इतन फट नही िक म उनह पहन न सक िबछान क िलए चटाई एव ओढ़न क िलए चादर भी ह और म कया कह मरी चड़ी अमर ह और सबम बस हए मर पित का त व मझम भी धड़क रहा ह मझ अभाव िकस बात का बटा

पिडतजी की धमरप ी की िदवयता को दखकर राजा की भी गदगद हो उठा एव चरणो म िगरकर बोलाः मा आप गिहणी ह िक तपिःवनी यह कहना मिकल ह मा म बड़भागी ह िक आपक दशरन का सौभा य पा सका आपक चरणो म मर कोिट-कोिट णाम ह

जो लोग परमातमा का िनरतर ःमरण करत रहत ह उनह वश बदलन की फसरत ही नही होती जररत भी नही होती

जो परमातमा क िचतन म तललीन ह उनह ससार क अभाव का पता ही नही होता कोई साट आकर उनका आदर कर तो उनह हषर नही होता उसक ित आकषरण नही होता ऐस ही यिद कोई मखर आकर अनादर कर द तो शोक नही होता कयोिक हषर-शोक तो वि स भासत ह िजनकी परमातमा क शरण चली गयी ह उनह हषर-शोक सख-दःख क सग सतय ही नही भासत तो िडगा कस सकत ह उनह अभाव कस िडगा सकता ह उनक आग अभाव का भी अभाव हो जाता ह

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अनबम

मा अजना का सामथयर मा अजना न तप करक हनमान जस पऽ को पाया था व हनमानजी म बालयकाल स ही भगवदभि

क सःकार डाला करती थी िजसक फलःवरप हनमानजी म ौीराम-भि का ादभारव हो गया आग चलकर व भ क अननय सवक क रप म यात हए ETH यह तो सभी जानत ह

भगवान ौी राम रावण का वध करक मा सीता लआमण हनमान िवभीषण जाबवत आिद क साथ अयोधया लौट रह थ मागर म हनमान जी न ौीरामजी स अपनी मा क दशरन की आजञा मागी िक भ अगर आप आजञा द तो म माता जी क चरणो म मतथा टक आऊ

ौीराम न कहाः हनमान कया व कवल तमहारी ही माता ह कया व मरी और लखन की माता नही ह चलो हम भी चलत ह

पपक िवमान िकिकधा स अयोधया जात-जात काचनिगिर की ओर चल पड़ा और काचनिगरी पवरत पर उतरा ौीरामजी ःवय सबक साथ मा अजना क दशरन क िलए गय

हनमानजी न दौड़कर गदगद कठ एव अौपिरत नऽो स मा को णाम िकया वष बाद पऽ को अपन पास पाकर मा अजना अतयत हिषरत होकर हनमान का मःतक सहलान लगी

मा का दय िकतना बरसता ह यह बट को कम ही पता होता ह माता-िपता का िदल तो माता-िपता ही जान

मा अजना न पऽ को दय स लगा िलया हनमान जी न मा को अपन साथ य लोगो का पिरचय िदया िक मा य ौीरामचनिजी ह य मा सीताजी ह और य लखन भया ह य जाबवत जी ह य मा सीताजी ह और य लखन भया ह य जाबवत जी ह आिद आिद

भगवान ौीराम को दखकर मा अजना उनह णाम करन जा ही रही थी िक ौीरामजी न कहाः मा म दशरथपऽ राम आपको णाम करता ह

मा सीता व लआमण सिहत बाकी क सब लोगो न भी उनको णाम िकया मा अजना का दय भर आया उनहोन गदगद कठ एव सजल नऽो स हनमान जी स कहाः बटा हनमान आज मरा जनम सफल हआ मरा मा कहलाना सफल हआ मरा दध तन साथरक िकया बटा लोग कहत ह िक मा क ऋण स बटा कभी उऋण नही हो सकता लिकन मर हनमान त मर ऋण स उऋण हो गया त तो मझ मा कहता ही ह िकत आज मयारदा परषो म ौीराम न भी मझ मा कहा ह अब म कवल तमहारी ही मा नही ौीराम लखन शऽ न और भरत की भी मा हो गयी इन अस य पराबमी वानर-भालओ की भी मा हो गयी मरी कोख साथरक हो गयी पऽ हो तो तर जसा हो िजसन अपना सवरःव भगवान क चरणो म समिपरत कर िदया और िजसक कारण ःवय भ न मर यहा पधार कर मझ कताथर िकया

हनमानजी न िफर स अपनी मा क ौीचरणो म मतथा टका और हाथ जोड़त हए कहाः मा भ जी का राजयािभषक होनवाला था परत मथरा न ककयी को उलटी सलाह दी िजसस भजी को 14 वषर का बनवास एव भरत को राजग ी िमली राजग ी अःवीकार करक भरतजी उस ौीरामजी को लौटान क िलए आय लिकन िपता क मनोरथ को िस करन क िलए भाव स भ अयोधया वापस न लौट

मा द रावण की बहन शपरणखा भजी स िववाह क िलए आमह करन लगी िकत भजी उसकी बातो म नही आय लखन जी भी नही आय और लखन जी न शपरणखा क नाक कान काटकर उस द िदय अपनी बहन क अपमान का बदला लन क िलए द रावण ा ण का रप लकर मा सीता को हरकर ल गया

करणािनधान भ की आजञा पाकर म लका गया और अशोक वािटका म बठी हई मा सीता का पता लगाया तथा उनकी खबर भ को दी िफर भ न समि पर पल बधवाया और वानर-भालओ को साथ लकर राकषसो का वध िकया और िवभीषण को लका का राजय दकर भ मा सीता एव लखन क साथ अयोधया पधार रह ह

अचानक मा अजना कोपायमान हो उठी उनहोन हनमान को धकका मार िदया और बोधसिहत कहाः हट जा मर सामन तन वयथर ही मरी कोख स जनम िलया मन तझ वयथर ही अपना दध िपलाया तन मर दध को लजाया ह त मझ मह िदखान कयो आया

ौीराम लखन भयासिहत अनय सभी आ यरचकित हो उठ िक मा को अचानक कया हो गया व सहसा किपत कयो हो उठी अभी-अभी ही तो कह रही थी िक मर पऽ क कारण मरी कोख पावन हो गयी इसक कारण मझ भ क दशरन हो गय और सहसा इनह कया हो गया जो कहन लगी िक तन मरा दध लजाया ह

हनमानजी हाथ जोड़ चपचाप माता की ओर दख रह थ सवरतीथरमयी माता सवरदवमयो िपता माता सब तीथ की ितिनिध ह माता भल बट को जरा रोक-टोक द लिकन बट को चािहए िक नतमःतक होकर मा क कड़व वचन भी सन ल हनमान जी क जीवन स यह िशकषा अगर आज क बट-बिटया ल ल तो व िकतन महान हो सकत ह

मा की इतनी बात सनत हए भी हनमानजी नतमःतक ह व ऐसा नही कहत िक ऐ बिढ़या इतन सार लोगो क सामन त मरी इजजत को िमटटी म िमलाती ह म तो यह चला

आज का कोई बटा होता तो ऐसा कर सकता था िकत हनमानजी को तो म िफर-िफर स णाम करता ह आज क यवान-यवितया हनमानजी स सीख ल सक तो िकतना अचछा हो

मर जीवन म मर माता-िपता क आशीवारद और मर गरदव की कपा न कया-कया िदया ह उसका म वणरन नही कर सकता ह और भी कइयो क जीवन म मन दखा ह िक िजनहोन अपनी माता क िदल को जीता ह िपता क िदल की दआ पायी ह और सदगर क दय स कछ पा िलया ह उनक िलए िऽलोकी म कछ भी पाना किठन नही रहा सदगर तथा माता-िपता क भ ःवगर क सख को भी तचछ मानकर परमातम-साकषातकार की यो यता पा लत ह

मा अजना कह जा रही थी- तझ और तर बल पराबम को िधककार ह त मरा पऽ कहलान क लायक ही नही ह मरा दध पीन वाल पऽ न भ को ौम िदया अर रावण को लकासिहत समि म डालन म त समथर था तर जीिवत रहत हए भी परम भ को सत-बधन और राकषसो स य करन का क उठाना पड़ा तन मरा दध लिजजत कर िदया िधककार ह तझ अब त मझ अपना मह मत िदखाना

हनमानजी िसर झकात हए कहाः मा तमहारा दध इस बालक न नही लजाया ह मा मझ लका भजन वालो न कहा था िक तम कवल सीता की खबर लकर आओग और कछ नही करोग अगर म इसस अिधक कछ करता तो भ का लीलाकायर कस पणर होता भ क दशरन दसरो को कस िमलत मा अगर म

भ-आजञा का उललघन करता तो तमहारा दध लजा जाता मन भ की आजञा का पालन िकया ह मा मन तरा दध नही लजाया ह

तब जाबवतजी न कहाः मा कषमा कर हनमानजी सतय कह रह ह हनमानजी को आजञा थी िक सीताजी की खोज करक आओ हम लोगो न इनक सवाकायर बाध रख थ अगर नही बाधत तो भ की िदवय िनगाहो स दतयो की मि कस होती भ क िदवय कायर म अनय वानरो को जड़न का अवसर कस िमलता द रावण का उ ार कस होता और भ की िनमरल कीितर गा-गाकर लोग अपना िदल पावन कस करत मा आपका लाल िनबरल नही ह लिकन भ की अमर गाथा का िवःतार हो और लोग उस गा-गाकर पिवऽ हो इसीिलए तमहार पऽ की सवा की मयारदा बधी हई थी

ौीरामजी न कहाः मा तम हनमान की मा हो और मरी भी मा हो तमहार इस सपत न तमहारा दध नही लजाया ह मा इसन तो कवल मरी आजञा का पालन िकया ह मयारदा म रहत हए सवा की ह समि म जब मनाक पवरत हनमान को िवौाम दन क िलए उभर आया तब तमहार ही सत न कहा था

राम काज कीनह िबन मोिह कहा िबौाम मर कायर को परा करन स पवर तो इस िवौाम भी अचछा नही लगता ह मा तम इस कषमा कर दो

रघनाथ जी क वचन सनकर माता अजना का बोध शात हआ िफर माता न कहाः अचछा मर पऽ मर वतस मझ इस बात का पता नही था मरा पऽ मयारदा परषो म का सवक

मयारदा स रह ETH यह भी उिचत ही ह तन मरा दध नही लजाया ह वतस

इस बीच मा अजना न दख िलया िक लआमण क चहर पर कछ रखाए उभर रही ह िक अजना मा को इतना गवर ह अपन दध पर मा अजना भी कम न थी व तरत लआमण क मनोभावो को ताड़ गयी

लआमण तमह लगता ह िक म अपन दध की अिधक सराहना कर रही ह िकत ऐसी बात नही ह तम ःवय ही दख लो ऐसा कहकर मा अजना न अपनी छाती को दबाकर दध की धार सामनवाल पवरत पर फ की तो वह पवरत दो टकड़ो म बट गया लआमण भया दखत ही रह गय िफर मा न लआमण स कहाः मरा यही दध हनमान न िपया ह मरा दध कभी वयथर नही जा सकता

हनमानजी न पनः मा क चरणो म मतथा टका मा अजना न आशीवारद दत हए कहाः बटा सदा भ को ौीचरणो म रहना तरी मा य जनकनिदनी ही ह त सदा िनकपट भाव स अतयत ौ ा-भि पवरक परम भ ौी राम एव मा सीताजी की सवा करत रहना

कसी रही ह भारत की नािरया िजनहोन हनमानजी जस पऽो को जनम ही नही िदया बिलक अपनी शि तथा अपन ारा िदय गय सःकारो पर भी उनका अटल िव ास रहा आज की भारतीय नािरया इन आदशर नािरयो स रणा पाकर अपन बचचो म हनमानजी जस सदाचार सयम आिद उ म सःकारो का िसचन कर तो वह िदन दर नही िजस िदन पर िव म भारतीय सनातन धमर और सःकित की िदवय पताका पनः लहरायगी

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अनबम

  • सयमनिषठ सयशा
  • अदभत आभासमपनन रानी कलावती
  • उततम जिजञासः मतरयी
  • बरहमवादिनी विदषी गारगी
  • अथाह शकति की धनीः तपसविनी शाणडालिनी
  • सती सावितरी
  • मा सीता की सतीतव-भावना
  • आरत भकत दरौपदी
  • दवी शकतियो स समपनन गणमजरी दवी
  • विवक की धनीः करमावती
  • वासतविक सौनदरय
  • आतमविदया की धनीः फलीबाई
  • आनदीबाई की दढ शरदधा
  • करमाबाई की वातसलय-भकति
  • साधवी सिरमा
  • मकताबाई का सरवतर विटठल-दरशन
  • रतनबाई की गरभकति
  • बरहमलीन शरी मा महगीबा
    • मरी मा का दिवय गरभाव
    • परभ मझ जान दो
    • इचछाओ स परः मा महगीबा
    • जीवन म कभी फरियाद नही
    • बीमारो क परति मा की करणा
    • कोई कारय घणित नही ह
    • ऐसी मा क लिए शोक किस बात का
      • अममा की गरनिषठा
        • सवावलबन एव परदःखकातरता
        • अममा म मा यशोदा जसा भाव
        • दन की दिवय भावना
        • गरीब कनयाओ क विवाह म मदद
        • अममा का उतसव परम
        • परतयक वसत का सदपयोग होना चाहिए
        • अह स पर
          • मीराबाई की गरभकति
          • राजकमारी मललिका बनी तीरथकर मललियनाथ
          • दरगादास की वीर जननी
          • करमनिषठ शयामो
          • शकतिसवरपा मा आनदमयी
          • अभाव का ही अभाव
          • मा अजना का सामरथय
Page 4: नारी तू नारायणी - Hariom Groupदासी ने सुयशा से कहाः "गाओ, संकोच न करो, देर न करो।

जनमदाता और पालनकतार होन क कारण सब पजयो म पजयतम जनक और िपता कहलाता ह जनमदाता स भी अननदाता िपता ौ ह इनस भी सौगनी ौ और वदनीया माता ह कयोिक वह गभरधारण तथा पोषण करती ह

इसिलए जननी एव जनमभिम को ःवगर स भी ौ बतात हए कहा गया हः जननी जनमभिम ःवगारदिप गरीयसी

सयमिन सयशा अमदावाद की घिटत घटना हः िवबम सवत 17 वी शताबदी म कणारवती (अमदावाद) म यवा राजा पपसन का राजय था जब उसकी

सवारी िनकलती तो बाजारो म लोग कतारब खड़ रहकर उसक दशरन करत जहा िकसी सनदर यवती पर उसकी नजर पड़ती तब मऽी को इशारा िमल जाता रािऽ को वह सनदरी महल म पहचायी जाती िफर भल िकसी की कनया हो अथवा दलहन

एक गरीब कनया िजसक िपता का ःवगरवास हो गया था उसकी मा चककी चलाकर अपना और बटी का पट पालती थी वह ःवय भी कथा सनती और अपनी पऽी को भी सनाती हक और पिरौम की कमाई एकादशी का ोत और भगवननाम-जप इन सबक कारण 16 वष या कनया का शरीर बड़ा सगिठत था और रप लावणय का तो मानो अबार थी उसका नाम था सयशा

सबक साथ सयशा भी पपसन को दखन गयी सयशा का ओज तज और रप लावणय दखकर पपसन न अपन मऽी को इशारा िकया मऽी न कहाः जो आजञा

मऽी न जाच करवायी पता चला िक उस कनया का िपता ह नही मा गरीब िवधवा ह उसन सोचाः यह काम तो सरलता स हो जायगा

मऽी न राजा स कहाः राजन लड़की को अकल कया लाना उसकी मा स साथ ल आय महल क पास एक कमर म रहगी झाड़-बहारी करगी आटा पीसगी उनको कवल खाना दना ह

मऽी न यि स सयशा की मा को महल म नौकरी िदलवा दी इसक बाद उस लड़की को महल म लान की यि या खोजी जान लगी उसको बशम क व िदय जो व ककमर करन क िलए वयाओ को पहनकर तयार रहना होता ह ऽी न ऐस व भज और कहलवायाः राजा साहब न कहा हः सयशा य व पहन कर आओ सना ह िक तम भजन अचछा गाती हो अतः आकर हमारा मनोरजन करो

यह सनकर सयशा को धकका लगा जो बढ़ी दासी थी और ऐस ककम म साथ दती थी उसन सयशा को समझाया िक य तो राजािधराज ह पपसन महाराज ह महाराज क महल म जाना तर िलए सौभा य की बात ह इस तरह उसन और भी बात कहकर सयशा को पटाया

सयशा कस कहती िक म भजन गाना नही जानती ह म नही आऊगी राजय म रहती ह और महल क अदर मा काम करती ह मा न भी कहाः बटी जा यह व ा कहती ह तो जा

सयशा न कहाः ठीक ह लिकन कस भी करक य बशम क व पहनकर तो नही जाऊगी सयशा सीध-साद व पहनकर राजमहल म गयी उस दखकर पपसन को धकका लगा िक इसन मर

भज हए कपड़ नही पहन दासी न कहाः दसरी बार समझा लगी इस बार नही मानी सयशा का सयश बाद म फलगा अभी तो अधमर का पहाड़ िगर रहा था धमर की ननही-सी मोमब ी

पर अधमर का पहाड़ एक तरफ राजस ा की आधी ह तो दसरी तरफ धमरस ा की लौ जस रावण की राजस ा और िवभीषण की धमरस ा दय धन की राजस ा और िवदर की धमरस ा िहरणयकिशप की राजस ा और ाद की धमरस ा धमरस ा और राजस ा टकरायी राजस ा चकनाचर हो गयी और धमरस ा की जय-जयकार हई और हो रही ह िवबम राणा और मीरा मीरा की धमर म दढ़ता थी राणा राजस ा क बल पर मीरा पर हावी होना चाहता था दोनो टकराय और िवबम राणा मीरा क चरणो म िगरा

धमरस ा िदखती तो सीधी सादी ह लिकन उसकी नीव पाताल म होती ह और सनातन सतय स जड़ी होती ह जबिक राजस ा िदखन म बड़ी आडमबरवाली होती ह लिकन भीतर ढोल की पोल की तरह होती ह

राजदरबार क सवक न कहाः राजािधराज महाराज पपसन की जय हो हो जाय गाना शर पपसनः आज तो हम कवल सयशा का गाना सनग दासी न कहाः सयशा गाओ राजा ःवय कह रह ह राजा क साथी भी सयशा का सौनदयर नऽो क ारा पीन लग और राजा क दय म काम-िवकार पनपन

लगा सयशा राजा क िदय व पहनकर नही आयी िफर भी उसक शरीर का गठन और ओज-तज बड़ा सनदर लग रहा था राजा भी सयशा को चहर को िनहार जा रहा था

कनया सयशा न मन-ही-मन भ स ाथरना कीः भ अब तमही रकषा करना आपको भी जब धमर और अधमर क बीच िनणरय करना पड़ तो धमर क अिध ानःवरप परमातमा की

शरण लना व आपका मगल ही करत ह उनहीस पछना िक अब म कया कर अधमर क आग झकना मत परमातमा की शरण जाना

दासी न सयशा स कहाः गाओ सकोच न करो दर न करो राजा नाराज होग गाओ परमातमा का ःमरण करक सयशा न एक राग छड़ाः

कब सिमरोग राम साधो कब सिमरोग राम

अब तम कब सिमरोग राम

बालपन सब खल गवायो यौवन म काम साधो कब सिमरोग राम कब सिमरोग राम

पपसन क मह पर मानो थपपड़ लगा सयशा न आग गायाः

हाथ पाव जब कपन लाग िनकल जायग ाण

कब सिमरोग राम साधो कब सिमरोग राम

झठी काया झठी माया आिखर मौत िनशान कहत कबीर सनो भई साधो जीव दो िदन का महमान

कब सिमरोग राम साधो कब सिमरोग राम

भावय भजन स सयशा का दय तो राम रस स सराबोर हो गया लिकन पपसन क रग म भग पड़ गया वह हाथ मसलता ही रह गया बोलाः ठीक ह िफर दखता ह

सयशा न िवदा ली पपसन न मिऽयो स सलाह ली और उपाय खोज िलया िक अब होली आ रही ह उस होिलकोतसव म इसको बलाकर इसक सौनदयर का पान करग

राजा न होली पर सयशा को िफर स व िभजवाय और दासी स कहाः कस भी करक सयशा को यही व पहनाकर लाना ह

दासी न बीसो ऊिगलयो का जोर लगाया मा न भी कहाः बटी भगवान तरी रकषा करग मझ िव ास ह िक त नीच कमर करन वाली लड़िकयो जसा न करगी त भगवान की गर की ःमित रखना भगवान तरा कलयाण कर

महल म जात समय इस बार सयशा न कपड़ तो पहन िलय लिकन लाज ढाकन क िलए ऊपर एक मोटी शाल ओढ़ ली उस दखकर पपसन को धकका तो लगा लिकन यह भी हआ िक चलो कपड़ तो मर पहनकर आयी ह राजा ऐसी-वसी यवितयो स होली खलत-खलत सयशा की ओर आया और उसकी शाल खीची ह राम करक सयशा आवाज करती हई भागी भागत-भागत मा की गोद म आ िगरी मा मा मरी इजजत खतर म ह जो जा का पालक ह वही मर धमर को न करना चाहता ह

मा बटी आग लग इस नौकरी को मा और बटी शोक मना रह ह इधर राजा बौखला गया िक मरा अपमान म दखता ह अब वह कस जीिवत रहती ह उसन अपन एक खखार आदमी काल िमया को बलवाया और कहाः काल तझ ःवगर की उस परी सयशा का खातमा करना ह आज तक तझ िजस-िजस वयि को खतम करन को कहा ह त करक आया ह यह तो तर आग मचछर ह मचछर ह काल त मरा खास आदमी ह म तरा मह मोितयो स भर दगा कस भी करक सयशा को उसक राम क पास पहचा द

काल न सोचाः उस कहा पर मार दना ठीक होगा रोज भात क अधर म साबरमती नदी म ःनान करन जाती ह बस नदी म गला दबोचा और काम खतमजय साबरमती कर दग

काल क िलए तो बाय हाथ का खल था लिकन सयशा का इ भी मजबत था जब वयि का इ मजबत होता ह तो उसका अिन नही हो सकता

म सबको सलाह दता ह िक आप जप और ोत करक अपना इ इतना मजबत करो िक बड़ी-स-बड़ी राजस ा भी आपका अिन न कर सक अिन करन वाल क छकक छट जाय और व भी आपक इ क चरणो म आ जाय ऐसी शि आपक पास ह

काल सोचता हः भात क अधर म साबरमती क िकनार जरा सा गला दबोचना ह बस छरा मारन की जररत ही नही ह अगर िचललायी और जररत पड़ी तो गल म जरा-सा छरा भ ककर जय साबरमती करक

रवाना कर दगा जब राजा अपना ह तो पिलस की ऐसी-तसी पिलस कया कर सकती ह पिलस क अिधकारी तो जानत ह िक राजा का आदमी ह

काल न उसक आन-जान क समय की जानकारी कर ली वह एक पड़ की ओट म छपकर खड़ा हो गया जयो ही सयशा आयी और काल न झपटना चाहा तयो ही उसको एक की जगह पर दो सयशा िदखाई दी कौन सी सचची य कया दो कस तीन िदन स सारा सवकषण िकया आज दो एक साथ खर दखता ह कया बात ह अभी तो दोनो को नहान दो नहाकर वापस जात समय उस एक ही िदखी तब काल हाथ मसलता ह िक वह मरा म था

वह ऐसा सोचकर जहा िशविलग था उसी क पास वाल पड़ पर चढ़ गया िक वह यहा आयगी अपन बाप को पानी चढ़ान तब या अललाह करक उस पर कदगा और उसका काम तमाम कर दगा

उस पड़ स लगा हआ िबलवपऽ का भी एक पड़ था सयशा साबरमती म नहाकर िशविलग पर पानी चढ़ान को आयी हलचल स दो-चार िबलवपऽ िगर पड़ सयशा बोलीः ह भ ह महादव सबह-सबह य िजस िबलवपऽ िजस िनिम स िगर ह आज क ःनान और दशरन का फल म उसक कलयाण क िनिम अपरण करती ह मझ आपका सिमरन करक ससार की चीज नही पानी मझ तो कवल आपकी भि ही पानी ह

सयशा का सकलप और उस बर-काितल क दय को बदलन की भगवान की अनोखी लीला

काल छलाग मारकर उतरा तो सही लिकन गला दबोचन क िलए नही काल न कहाः लड़की पपसन न तरी हतया करन का काम मझ स पा था म खदा की कसम खाकर कहता ह िक म तरी हतया क िलए छरा तयार करक आया था लिकन त अनदख घातक का भी कलयाण करना चाहती ह ऐसी िहनद कनया को मारकर म खदा को कया मह िदखाऊगा इसिलए आज स त मरी बहन ह त तर भया की बात मान और यहा स भाग जा इसस तरी भी रकषा होगी और मरी भी जा य भोल बाबा तरी रकषा करग िजन भोल बाबा तरी रकषा करग जा जलदी भाग जा

सयशा को काल िमया क ारा मानो उसका इ ही कछ रणा द रहा था सयशा भागती-भागती बहत दर िनकल गयी

जब काल को हआ िक अब यह नही लौटगी तब वह नाटक करता हआ राजा क पास पहचाः राजन आपका काम हो गया वह तो मचछर थी जरा सा गला दबात ही म ऽऽऽ करती रवाना हो गयी

राजा न काल को ढर सारी अशिफर या दी काल उनह लकर िवधवा क पास गया और उसको सारी घटना बतात हए कहाः मा मन तरी बटी को अपनी बहन माना ह म बर कामी पापी था लिकन उसन मरा िदल बदल िदया अब त नाटक कर की हाय मरी बटी मर गयी मर गयी इसस त भी बचगी तरी बटी भी बचगी और म भी बचगा

तरी बटी की इजजत लटन का ष यऽ था उसम तरी बटी नही फसी तो उसकी हतया करन का काम मझ स पा था तरी बटी न महादव स ाथरना की िक िजस िनिम य िबलवपऽ िगर ह उसका भी कलयाण हो मगल हो मा मरा िदल बदल गया ह तरी बटी मरी बहन ह तरा यह खखार बटा तझ ाथरना करता ह िक

त नाटक कर लः हाय रऽऽऽ मरी बटी मर गयी वह अब मझ नही िमलगी नदी म डब गयी ऐसा करक त भी यहा स भाग जा

सयशा की मा भाग िनकली उस कामी राजा न सोचा िक मर राजय की एक लड़की मरी अवजञा कर अचछा हआ मर गयी उसकी मा भी अब ठोकर खाती रहगी अब समरती रह वही राम कब सिमरोग राम साधो कब सिमरोग राम झठी काया झठी माया आिखर मौत िनशान कब सिमरोग राम साधो सब सिमरोग राम हा हा हा हा ऽऽऽ

मजाक-मजाक म गात-गात भी यह भजन उसक अचतन मन म गहरा उतर गया कब सिमरोग राम

उधर सयशा को भागत-भागत राःत म मा काली का एक छोटा-सा मिदर िमला उसन मिदर म जाकर णाम िकया वहा की पजािरन गौतमी न दखा िक कया रप ह कया सौनदयर ह और िकतनी नता उसन पछाः बटी कहा स आयी हो

सयशा न दखा िक एक मा तो छटी अब दसरी मा बड़ पयार स पछ रही ह सयशा रो पड़ी और बोलीः मरा कोई नही ह अपन ाण बचान क िलए मझ भागना पड़ा ऐसा कहकर सयशा न सब बता िदया

गौतमीः ओ हो ऽऽऽ मझ सतान नही थी मर भोल बाबा न मरी काली मा न मर घर 16 वषर की पऽी भज दी बटी बटी कहकर गौतमी न सयशा को गल लगा िलया और अपन पित कलाशनाथ को बताया िक आज हम भोलानाथ न 16 वषर की सनदरी कनया दी ह िकतनी पिवऽ ह िकतनी भि भाववाली ह

कलाशनाथः गौतमी पऽी की तरह इसका लालन-पालन करना इसकी रकषा करना अगर इसकी मज होगी तो इसका िववाह करग नही तो यही रहकर भजन कर

जो भगवान का भजन करत ह उनको िव न डालन स पाप लगता ह सयशा वही रहन लगी वहा एक साध आता था साध भी बड़ा िविचऽ था लोग उस पागलबाबा कहत

थ पागलबाबा न कनया को दखा तो बोल पड़ः हऽऽऽ

गौतमी घबरायी िक एक िशकज स िनकलकर कही दसर म पागलबाबा कही उस फसा न द ह भगवान इसकी रकषा करना ी का सबस बड़ा शऽ ह उसका सौनदयर एव ौगार दसरा ह उसकी असावधानी सयशा ौगार तो करती नही थी असावधान भी नही थी लिकन सनदर थी

गौतमी न अपन पित को बलाकर कहाः दखो य बाबा बार-बार अपनी बटी की तरफ दख रह ह

कलाशनाथ न भी दखा बाबा न लड़की को बलाकर पछाः कया नाम ह

सयशा

बहत सनदर हो बड़ी खबसरत हो

पजािरन और पजारी घबराय बाबा न िफर कहाः बड़ी खबसरत ह

कलाशनाथः महाराज कया ह

बड़ी खबसरत ह

महाराज आप तो सत आदमी ह

तभी तो कहता ह िक बड़ी खबसरत ह बड़ी होनहार ह मरी होगी त

पजािरन-पजारी और घबराय िक बाबा कया कह रह ह पागल बाबा कभी कछ कहत ह वह सतय भी हो जाता ह इनस बचकर रहना चािहए कया पता कही

कलाशनाथः महाराज कया बोल रह ह बाबा न सयशा स िफर पछाः त मरी होगी

सयशाः बाबा म समझी नही त मरी सािधका बनगी मर राःत चलगी

कौन-सा राःता

अभी िदखाता ह मा क सामन एकटक दख मा तर राःत ल जा रहा ह चलती नही ह तो त समझा मा मा

लड़की को लगा िक य सचमच पागल ह चल करक दि स ही लड़की पर शि पात कर िदया सयशा क शरीर म ःपदन होन लगा हाःय आिद

अ साि वक भाव उभरन लग पागलबाबा न कलाशनाथ और गौतमी स कहाः यह बड़ी खबसरत आतमा ह इसक बा सौनदयर पर

राजा मोिहत हो गया था यह ाण बचाकर आयी ह और बच पायी ह तमहारी बटी ह तो मरी भी तो बटी ह तम िचनता न करो इसको घर पर अलग कमर म रहन दो उस कमर म और कोई न जाय इसकी थोड़ी साधना होन दो िफर दखो कया-कया होता ह इसकी सष शि यो को जगन दो बाहर स पागल िदखता ह लिकन गल को पाकर घमता ह बचच

महाराज आप इतन सामथयर क धनी ह यह हम पता नही था िनगाहमाऽ स आपन स कषण शि का सचार कर िदया

अब तो सयशा का धयान लगन लगा कभी हसती ह कभी रोती ह कभी िदवय अनभव होत ह कभी काश िदखता ह कभी अजपा जप चलता ह कभी ाणायाम स नाड़ी-शोधन होता ह कछ ही िदनो म मलाधार ःवािध ान मिणपर कनि जामत हो गय

मलाधार कनि जागत हो तो काम राम म बदलता ह बोध कषमा म बदलता ह भय िनभरयता म बदलता ह घणा म म बदलती ह ःवािध ान कनि जागत होता ह तो कई िसि या आती ह मिणपर कनि जामत हो तो अपढ़ अनसन शा को जरा सा दख तो उस पर वया या करन का सामथयर आ जाता ह

आपक स य सभी कनि अभी सष ह अगर जग जाय तो आपक जीवन म भी यह चमक आ सकती ह हम ःकली िव ा तो कवल तीसरी ककषा तक पढ़ ह लिकन य कनि खलन क बाद दखो लाखो-करोड़ो लोग सतसग सन रह ह खब लाभािनवत हो रह ह इन कनिो म बड़ा खजाना भरा पड़ा ह

इस तरह िदन बीत स ाह बीत महीन बीत सयशा की साधना बढ़ती गयी अब तो वह बोलती ह तो लोगो क दयो को शाित िमलती ह सयशा का यश फला यश फलत-फलत साबरमती क िजस पार स वह आयी थी उस पार पहचा लोग उसक पास आत-जात रह एक िदन काल िमया न पछाः आप लोग इधर स उधर उस पार जात हो और एक दो िदन क बाद आत हो कया बात ह

लोगो न बतायाः उस पार मा भिकाली का मिदर ह िशवजी का मिदर ह वहा पागलबाबा न िकसी लड़की स कहाः त तो बहत सनदर ह सयमी ह उस पर कपा कर दी अब वह जो बोलती ह उस सनकर हम बड़ी शाित िमलती ह बड़ा आनद िमलता ह

अचछा ऐसी लड़की ह

उसको लड़की-लड़की मत कहो काल िमया लोग उसको माता जी कहत ह पजािरन और पजारी भी उसको माताजी-माताजी कहत ह कया पता कहा स वह ःवगर को दवी आयी ह

अचछा तो अपन भी चलत ह काल िमया न आकर दखा तो िजस माताजी को लोग मतथा टक रह ह वह वही सयशा ह िजसको

मारन क िलए म गया था और िजसन मरा दय पिरवितरत कर िदया था जानत हए भी काल िमया अनजान होकर रहा उसक दय को बड़ी शाित िमली इधर पपसन को

मानिसक िखननता अशाित और उ ग हो गया भ को कोई सताता ह तो उसका पणय न हो जाता ह इ कमजोर हो जाता ह और दर-सवर उसका अिन होना शर हो जाता ह

सत सताय तीनो जाय तज बल और वश पपसन को मिःतक का बखार आ गया उसक िदमाग म सयशा की व ही पि या घमन लगी-

कब सिमरोग राम साधो कब सिमरोग राम उन पि यो को गात-गात वह रो पड़ा हकीम व सबन हाथ धो डाल और कहाः राजन अब हमार

वश की बात नही ह काल िमया को हआः यह चोट जहा स लगी ह वही स ठीक हो सकती ह काल िमलन गया और पछाः

राजन कया बात ह

काल काल वह ःवगर की परी िकतना सनदर गाती थी मन उसकी हतया करवा दी म अब िकसको बताऊ काल अब म ठीक नही हो सकता ह काल मर स बहत बड़ी गलती हो गयी

राजन अगर आप ठीक हो जाय तो

अब नही हो सकता मन उसकी हतया करवा दी ह काल उसन िकतनी सनदर बात कही थीः झठी काया झठी माया आिखर मौत िनशान

कहत कबीर सनो भई साधो जीव दो िदन का महमान कब सिमरोग राम साधो कब सिमरोग राम

और मन उसकी हतया करवा दी काल मरा िदल जल रहा ह कमर करत समय पता नही चलता काल बाद म अनदर की लानत स जीव तप मरता ह कमर करत समय यिद यह िवचार िकया होता तो ऐसा नही होता काल मन िकतन पाप िकय ह

काल का दय पसीजा की इस राजा को अगर उस दवी की कपा िमल जाय तो ठीक हो सकता ह वस यह राजय तो अचछा चलाना जानता ह दबग ह पापकमर क कारण इसको जो दोष लगा ह वह अगर धल जाय तो

काल बोलाः राजन अगर वह लड़की कही िमल जाय तो

कस िमलगी

जीवनदान िमल तो म बताऊ अब वह लड़की लड़की नही रही पता नही साबरमती माता न उसको कस गोद म ल िलया और वह जोगन बन गयी ह लोग उसक कदमो म अपना िसर झकात ह

ह कया बोलता ह जोगन बन गयी ह वह मरी नही ह

नही तन तो कहा था मर गयी

मन तो गला दबाया और समझा मर गयी होगी लिकन आग िनकल गयी कही चली गयी और िकसी साध बाबा की महरबानी हो गयी और मर को लगता ह िक रपय म 15 आना पककी बात ह िक वही सयशा ह जोगन का और उसका रप िमलता ह

काल मझ ल चल म उसक कदमो म अपन दभार य को सौभा य म बदलना चाहता ह काल काल

राज पहचा और उसन प ा ाप क आसओ स सयशा क चरण धो िदय सयशा न कहाः भया इनसान गलितयो का घर ह भगवान तमहारा मगल कर

पपसनः दवी मरा मगल भगवान कस करग भगवान मगल भी करग तो िकसी गर क ारा दवी त मरी गर ह म तरी शरण आया ह

राजा पपसन सयशा क चरणो म िगरा वही सयशा का थम िशय बना पपसन को सयशा न गरमऽ की दीकषा दी सयशा की कपा पाकर पपसन भी धनभागी हआ और काल भी दसर लोग भी धनभागी हए 17वी शताबदी का कणारवती शहर िजसको आज अमदावाद बोलत ह वहा की यह एक ऐितहािसक घटना ह सतय कथा ह

अगर उस 16 वष य कनया म धमर क सःकार नही होत तो नाच-गान करक राजा का थोड़ा पयार पाकर ःवय भी नरक म पच मरती और राजा भी पच मरता लिकन उस कनया न सयम रखा तो आज उसका शरीर तो नही ह लिकन सयशा का सयश यह रणा जरर दता ह िक आज की कनयाए भी अपन ओज-तज और सयम की रकषा करक अपन ई रीय भाव को जगाकर महान आतमा हो सकती ह

हमार दश की कनयाए परदशी भोगी कनयाओ का अनकरण कयो कर लाली-िलपिःटक लगायी बॉयकट बाल कटवाय शराब-िसगरट पी नाचा-गाया धत तर की यह नारी ःवात य ह नही यह तो नारी का शोषण ह नारी ःवात य क नाम पर नारी को किटल कािमयो की भो या बनाया जा रहा ह

नारी ःव क तऽ हो उसको आितमक सख िमल आितमक ओज बढ़ आितमक बल बढ़ तािक वह ःवय को महान बन ही साथ ही औरो को भी महान बनन की रणा द सक अतरातमा का ःव-ःवरप का सख िमल ःव-ःवरप का जञान िमल ःव-ःवरप का सामथयर िमल तभी तो नारी ःवतऽ ह परपरष स पटायी जाय तो ःवतऽता कसी िवषय िवलास की पतली बनायी जाय तो ःवतनऽता कसी

कब सिमरोग राम सत कबीर क इस भजन न सयशा को इतना महान बना िदया िक राजा का तो मगल िकया ही साथ ही काल जस काितल दय भी पिरवितरत कर िदया और न जान िकतनो को ई र की ओर लगाया होगा हम लोग िगनती नही कर सकत जो ई र क राःत चलता ह उसक ारा कई लोग अचछ बनत ह और जो बर राःत जाता ह उसक ारा कइयो का पतन होता ह

आप सभी सदभागी ह िक अचछ राःत चलन की रिच भगवान न जगायी थोड़ा-बहत िनयम ल लो रोज थोड़ा जप करो धयान कर मौन का आौय लो एकादशी का ोत करो आपकी भी सष शि या जामत कर द ऐस िकसी सतपरष का सहयोग लो और लग जाओ िफर तो आप भी ई रीय पथ क पिथक बन जायग महान परम रीय सख को पाकर धनय-धनय हो जायग

(इस रणापद सतसग कथा की ऑिडयो कसट एव वीसीडी - सयशाः कब सिमरोग राम नाम स उपलबध ह जो अित लोकिय हो चकी ह आप इस अवय सन दख यह सभी सत ौी आसारामजी आौमो एव सिमितयो क सवा कनिो पर उपलबध ह)

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अनबम

अदभत आभासमपनन रानी कलावती ःकनद पराण क ो र खड म कथा आती ह िक काशीनरश की कनया कलावती क साथ मथरा क

दाशाहर नामक राजा का िववाह हआ िववाह क बाद राजा न रानी को अपन पलग पर बलाया लिकन उसन इनकार कर िदया तब राजा न बल योग की धमकी दी रानी न कहाः ी क साथ ससार-वयवहार करना हो तो बलयोग नही ःनह योग करना चािहए नाथ म भल आपकी रानी ह लिकन आप मर साथ बलयोग करक ससार-वयवहार न कर

लिकन वह राजा था रानी की बात सनी-अनसनी करक नजदीक गया जयो ही उसन रानी का ःपशर िकया तयो ही उस िव त जसा करट लगा उसका ःपशर करत ही राजा का अग-अग जलन लगा वह दर हटा और बोलाः कया बात ह तम इतनी सनदर और कोमल हो िफर भी तमहार शरीर क ःपशर स मझ जलन होन लगी

रानीः नाथ मन बालयकाल म दवारसा ऋिष स िशवमऽ िलया था उस जपन स मरी साि वक ऊजार का िवकास हआ ह इसीिलए म आपक नजदीक नही आती थी जस अधरी रात और दोपहर एक साथ नही रहत वस ही आपन शराब पीनवाली वयाओ क साथ और कलटाओ क साथ जो ससार-भोग भोग ह उसस आपक पाप क कण आपक शरीर मन तथा बि म अिधक ह और मन जप िकया ह उसक कारण मर शरीर म ओज तज व आधयाितमक कण अिधक ह इसीिलए म आपस थोड़ी दर रहकर ाथरना करती थी आप बि मान ह बलवान ह यशःवी ह और धमर की बात भी आपन सन रखी ह लिकन आपन शराब पीनवाली वयाओ और कलटाओ क साथ भोग भी भोग ह

राजाः तमह इस बात का पता कस चल गया

रानीः नाथ दय श होता ह तो यह याल आ जाता ह राजा भािवत हआ और रानी स बोलाः तम मझ भी भगवान िशव का वह मऽ द दो रानीः आप मर पित ह म आपकी गर नही बन सकती आप और हम गगारचायर महाराज क पास

चल दोनो गगारचायर क पास गय एव उनस ाथरना की गगारचायर न उनह ःनान आिद स पिवऽ होन क िलए

कहा और यमना तट पर अपन िशवःवरप क धयान म बठकर उनह िनगाह स पावन िकया िफर िशवमऽ दकर शाभवी दीकषा स राजा क ऊपर शि पात िकया

कथा कहती ह िक दखत ही दखत राजा क शरीर स कोिट-कोिट कौए िनकल-िनकल कर पलायन करन लग काल कौए अथारत तचछ परमाण काल कम क तचछ परमाण करोड़ो की स या म सआमदि क ि ाओ ारा दख गय सचच सतो क चरणो म बठकर दीकषा लन वाल सभी साधको को इस कार क लाभ होत ही ह मन बि म पड़ हए तचछ कसःकार भी िमटत ह आतम-परमातमाि की यो यता भी िनखरती ह वयि गत जीवन म सख शाित सामािजक जीवन म सममान िमलता ह तथा मन-बि म सहावन सःकार भी पड़त ह और भी अनिगनत लाभ होत ह जो िनगर मनमख लोगो की कलपना म भी नही आ सकत मऽदीकषा क भाव स हमार पाचो शरीरो क कसःकार व काल कम क परमाण कषीण होत जात ह थोड़ी ही दर म राजा िनभारर हो गया एव भीतर क सख स भर गया

शभ-अशभ हािनकारक एव सहायक जीवाण हमार शरीर म रहत ह जस पानी का िगलास होठ पर रखकर वापस लाय तो उस पर लाखो जीवाण पाय जात ह यह वजञािनक अभी बोलत ह लिकन शा ो न तो लाखो वषर पहल ही कह िदयाः

समित-कमित सबक उर रहिह जब आपक अदर अचछ िवचार रहत ह तब आप अचछ काम करत ह और जब भी हलक िवचार आ

जात ह तो आप न चाहत हए भी गलत कर बठत ह गलत करन वाला कई बार अचछा भी करता ह तो मानना पड़गा िक मनय-शरीर पणय और पाप का िमौण ह आपका अतःकरण शभ और अशभ का िमौण ह जब आप लापरवाह होत ह तो अशभ बढ़ जात ह अतः परषाथर यह करना ह िक अशभ कषीण होता जाय और शभ पराका ा तक परमातम-ाि तक पहच जाय

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अनबमलोग घरबार छोड़कर साधना करन क िलए साध बनत ह घर म रहत हए गहःथधमर िनभात हए नारी

ऐसी उम साधना कर सकती ह िक अनय साधओ की साधना उसक सामन फीकी पड़ जाय ऐसी दिवयो क पास एक पितोता-धमर ही ऐसा अमोघ श ह िजसक सममख बड़-बड़ वीरो क श भी किणठत हो जात ह पितोता ी अनायास ही योिगयो क समान िसि ा कर लती ह इसम िकिचत माऽ भी सदह नही ह

उ म िजजञासः मऽयी महिषर याजञवलकयजी की दो पि या थीः मऽयी और कातयायनी मऽयी जय थी कातयायनी की जञा

सामानय ि यो जसी ही थी िकत मऽयी वािदनी थी एक िदन याजञवालकयजी न अपनी दोनो पि यो को अपन पास बलाया और कहाः मरा िवचार अब

सनयास लन का ह अतः इस ःथान को छोड़कर म अनयऽ चला जाऊगा इसक िलए तम लोगो की अनमित लना आवयक ह साथ ही म यह भी चाहता ह िक घर म जो कछ धन-दौलत ह उस तम दोनो म बराबर-बराबर बाट द तािक मर चल जान क बाद इसको लकर आपसी िववाद न हो

यह सनकर कातयायनी तो चप रही िकत मऽयी न पछाः भगवन यिद यह धन-धानय स पिरपणर सारी पथवी कवल मर ही अिधकार म आ जाय तो कया म उसस िकसी कार अमर हो सकती ह

याजञवलकयजी न कहाः नही भोग-सामिमयो स सपनन मन यो का जसा जीवन होता ह वसा ही तमहारा भी जीवन हो जायगा धन स कोई अमर हो जाय उस अमरतव की ाि हो जाय यह कदािप सभव नही ह

तब मऽयी न कहाः भगवन िजसस म अमर नही हो सकती उस लकर कया करगी यिद धन स ही वाःतिवक सख िमलता तो आप उस छोड़कर एकानत अरणय म कयो जात आप ऐसी कोई वःत अवय जानत ह िजसक सामन इस धन एव गहःथी का सारा सख तचछ तीत होता ह अतः म भी उसी को जानना चाहती ह यदव भगवान वद तदव म िह कवल िजस वःत को आप ौीमान अमरतव का साधन जानत ह उसी का मझ उपदश कर

मऽयी की यह िजजञासापणर बात सनकर याजञवलकयजी को बड़ी सननता हई उनहोन मऽयी की शसा करत हए कहाः

धनय मऽयी धनय तम पहल भी मझ बहत िय थी और इस समय भी तमहार मख स यह िय वचन ही िनकला ह अतः आओ मर समीप बठो म तमह त व का उपदश करता ह उस सनकर तम उसका मनन और िनिदधयासन करो म जो कछ कह उस पर ःवय भी िवचार करक उस दय म धारण करो

इस कार कहकर महिषर याजञवलकयजी न उपदश दना आरभ िकयाः मऽयी तम जानती हो िक ी को पित और पित को ी कयो िय ह इस रहःय पर कभी िवचार िकया ह पित इसिलए िय नही ह िक वह पित ह बिलक इसिलए िय ह िक वह अपन को सतोष दता ह अपन काम आता ह इसी कार पित को ी भी इसिलए िय नही होती िक वह ी ह अिपत इसिलए िय होती ह िक उसस ःवय को सख िमलता

इसी नयाय स पऽ धन ा ण कषिऽय लोक दवता समःत ाणी अथवा ससार क सपणर पदाथर भी आतमा क िलए िय होन स ही िय जान पड़त ह अतः सबस ियतम वःत कया ह अपना आतमा

आतमा वा अर ि वयः ौोतवयो मनतवयो िनिदधयािसतवयो मऽयी आतमनो वा अर दशरनन ौवणन

मतया िवजञाननद सव िविदतम मऽयी तमह आतमा की ही दशरन ौवण मनन और िनिदधयासन करना चािहए उसी क दशरन ौवण

मनन और यथाथरजञान स सब कछ जञात हो जाता ह

(बहदारणयक उपिनषद 4-6) तदनतर महिषर याजञवलकयजी न िभनन-िभनन द ानतो और यि यो क ारा जञान का गढ़ उपदश दत

हए कहाः जहा अजञानावःथा म त होता ह वही अनय अनय को सघता ह अनय अनय का रसाःवादन करता ह अनय अनय का ःपशर करता ह अनय अनय का अिभवादन करता ह अनय अनय का मनन करता ह और अनय अनय को िवशष रप स जानता ह िकत िजसक िलए सब कछ आतमा ही हो गया ह वह िकसक ारा िकस दख िकसक ारा िकस सन िकसक ारा िकस सघ िकसक ारा िकसका रसाःवादन कर िकसक ारा िकसका ःपशर कर िकसक ारा िकसका अिभवादन कर और िकसक ारा िकस जान िजसक ारा परष इन सबको जानता ह उस िकस साधन स जान

इसिलए यहा नित-नित इस कार िनदश िकया गया ह आतमा अमा ह उसको महण नही िकया जाता वह अकषर ह उसका कषय नही होता वह असग ह वह कही आस नही होता वह िनबरनध ह वह कभी बनधन म नही पड़ता वह आनदःवरप ह वह कभी वयिथत नही होता ह मऽयी िवजञाता को िकसक ारा जान अर मऽयी तम िन यपवरक इस समझ लो बस इतना ही अमरतव ह तमहारी ाथरना क अनसार मन जञातवय त व का उपदश द िदया

ऐसा उपदश दन क प ात याजञवलकयजी सनयासी हो गय मऽयी यह अमतमयी उपदश पाकर कताथर हो गयी यही यथाथर सपि ह िजस मऽयी न ा िकया था धनय ह मऽयी जो बा धन-सपि स ा सख को तणवत समझकर वाःतिवक सपि को अथारत आतम-खजान को पान का परषाथर करती ह काश आज की नारी मऽयी क चिरऽ स रणा लती

(कलयान क नारी अक एव बहदारणयक उपिनषद पर आधािरत)

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अनबम

वािदनी िवदषी गाग वािदनी िवदषी गाग का नाम विदक सािहतय म अतयत िव यात ह उनका असली नाम कया था

यह तो जञात नही ह िकत उनक िपता का नाम वचकन था अतः वचकन की पऽी होन क कारण उनका नाम वाचकनवी पड़ गया गगर गोऽ म उतपनन होन क कारण लोग उनह गाग कहत थ यह गाग नाम ही जनसाधारण स चिलत हआ

बहदारणयक उपिनषद म गाग क शा ाथर का सग विणरत हः िवदह दश क राजा जनक न एक बहत बड़ा जञानयजञ िकया था उसम कर और पाचाल दश क अनको

िव ान ा ण एकिऽत हए थ राजा जनक बड़ िव ा-वयासगी एव सतसगी थ उनह शा क गढ़ त वो का िववचन एव परमाथर-चचार ही अिधक िय थी इसिलए उनक मन म यह जानन की इचछा हई िक यहा आय हए िव ान ा णो म सबस बढ़कर ताि वक िववचन करन वाला कौन ह इस परीकषा क िलए उनहोन अपनी गौशाला म एक हजार गौए बधवा दी सब गौओ क सीगो पर दस-दस पाद (एक ाचीन माप-कषर) सवणर बधा हआ था यह वयवःथा करक राजा जनक न उपिःथत ा ण-समदाय स कहाः

आप लोगो म स जो सबस बढ़कर व ा हो वह इन सभी गौओ को ल जाय राजा जनक की यह घोषणा सनकर िकसी भी ा ण म यह साहस नही हआ िक उन गौओ को ल

जाय सब सोचन लग िक यिद हम गौए ल जान को आग बढ़त ह तो य सभी ा ण हम अिभमानी समझग और शा ाथर करन लगग उस समय हम इन सबको जीत सक ग या नही कया पता यह िवचार करत हए सब चपचाप ही बठ रह

सबको मौन दखकर याजञवलकयजी न अपन चारी सामौवा स कहाः ह सौमय त इन सब गौओ को हाक ल चल

चारी न आजञा पाकर वसा ही िकया यह दखकर सब ा ण कषबध हो उठ तब िवदहराज जनक क होता अ ल याजञवलकयजी स पछ बठः कयो कया तमही िन हो हम सबस बढ़कर व ा हो

यह सनकर याजञवलकयजी न नतापवरक कहाः नही व ाओ को तो हम नमःकार करत ह हम कवल गौओ की आवयकता ह अतः गौओ को ल

जात ह िफर कया था शा ाथर आरभ हो गया यजञ का तयक सदःय याजञवलकयजी स पछन लगा

याजञवालकयजी इसस िवचिलत नही हए व धयरपवरक सभी क ो का बमशः उ र दन लग अ ल न चन-चनकर िकतन ही िकय िकत उिचत उ र िमल जान क कारण व चप होकर बठ गय तब जरतकार गोऽ म उतपनन आतरभाग न िकया उनको भी अपन का यथाथर उ र िमल गया अतः व भी मौन हो गय िफर बमशः ला ायिन भजय चाबायम उषःत एव कौषीतकय कहोल करक चप होकर बठ गय इसक बाद

वाचकनवी गाग न पछाः भगवन यह जो कछ पािथरव पदाथर ह व सब जल म ओत ोत ह जल िकसम ओतोत ह

याजञवलकयजीः जल वाय म ओतोत ह वाय िकसम ओतोत ह

अनतिरकषलोक म अनतिरकषलोक िकसम ओतोत ह

गनधवरलोक म गनधवरलोक िकसम ओतोत ह

आिदतयलोक म आिदतयलोक िकसम ओतोत ह

चनिलोक म चनिलोक िकसम ओतोत ह

नकषऽलोक म नकषऽलोक िकसम ओतोत ह

दवलोक म दवलोक िकसम ओतोत ह

इनिलोक म इनिलोक िकसम ओतोत ह

जापितलोक म जापितलोक िकसम ओतोत ह

लोक म लोक िकसम ओतोत ह

इस पर याजञवलकयजी न कहाः ह गाग यह तो अित ह यह उ र की सीमा ह अब इसक आग नही हो सकता अब त न कर नही तो तरा मःतक िगर जायगा

गाग िवदषी थी उनहोन याजञवलकयजी क अिभाय को समझ िलया एव मौन हो गयी तदननतर आरिण आिद िव ानो न ो र िकय इसक प ात पनः गाग न समःत ा णो को सबोिधत करत हए कहाः यिद आपकी अनमित ा हो जाय तो म याजञवलकयजी स दो पछ यिद व उन ो का उ र द दग तो आप लोगो म स कोई भी उनह चचार म नही जीत सकगा

ा णो न कहाः पछ लो गाग

तब गाग बोलीः याजञवलकयजी वीर क तीर क समान य मर दो ह पहला हः लोक क ऊपर पथवी का िनमन दोनो का मधय ःवय दोनो और भत भिवय तथा वतरमान िकसम ओतोत ह

याजञवलकयजीः आकाश म

गाग ः अचछा अब दसरा ः यह आकाश िकसम ओतोत ह

याजञवलकयजीः इसी त व को व ा लोग अकषर कहत ह गाग यह न ःथल ह न सआम न छोटा ह न बड़ा यह लाल िव छाया तम वाय आकाश सग रस गनध नऽ कान वाणी मन तज ाण मख और माप स रिहत ह इसम बाहर भीतर भी नही ह न यह िकसी का भो ा ह न िकसी का भो य

िफर आग उसका िवशद िनरपण करत हए याजञवलकयजी बोलः इसको जान िबना हजारो वष को होम यजञ तप आिद क फल नाशवान हो जात ह यिद कोई इस अकषर त व को जान िबना ही मर जाय तो वह कपण ह और जान ल तो यह व ा ह

यह अकषर द नही ि ा ह ौत नही ौोता ह मत नही मनता ह िवजञात नही िवजञाता ह इसस िभनन कोई दसरा ि ा ौोता मनता िवजञाता नही ह गाग इसी अकषर म यह आकाश ओतोत ह

गाग याजञवलकयजी का लोहा मान गयी एव उनहोन िनणरय दत हए कहाः इस सभा म याजञवलकयजी स बढ़कर व ा कोई नही ह इनको कोई परािजत नही कर सकता ह ा णो आप लोग इसी को बहत समझ िक याजञवलकयजी को नमःकार करन माऽ स आपका छटकारा हए जा रहा ह इनह परािजत करन का ःवपन दखना वयथर ह

राजा जनक की सभा वादी ऋिषयो का समह समबनधी चचार याजञवलकयजी की परीकषा और परीकषक गाग यह हमारी आयर क नारी क जञान की िवजय जयनती नही तो और कया ह

िवदषी होन पर भी उनक मन म अपन पकष को अनिचत रप स िस करन का दरामह नही था य िव तापणर उ र पाकर सत हो गयी एव दसर की िव ता की उनहोन म कणठ स शसा भी की

धनय ह भारत की आयर नारी जो याजञवलकयजी जस महिषर स भी शा ाथर करन िहचिकचाती नही ह ऐसी नारी नारी न होकर साकषात नारायणी ही ह िजनस यह वसनधरा भी अपन-आपको गौरवािनवत मानती ह

(कलयाण क नारी अक एव बहदारणयक उपिनषद पर आधािरत) ॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐ

अनबम

अथाह शि की धनीः तपिःवनी शाणडािलनी शाणडािलनी का रप-लावणय और सौनदयर दखकर गालव ऋिष और गरड़जी मोिहत हो गय ऐसी सनदरी

और इतनी तजिःवनी वह भी धरती पर तपःयारत यह ी तो भगवान िवण की भायार होन क यो य ह ऐसा सोचकर उनहोन शाणडािलनी क आग यह ःताव रखा

शाणडािलनीः नही नही मझ तो चयर का पालन करना ह यह कहकर शाणडािलनी पनः तपःयारत हो गयी और अपन श -ब ःवरप की ओर याऽा करन लगी

गालवजी और गरड़जी का यह दखकर पनः िवचारन लग िक अपसराओ को भी मात कर दन वाल सौनदयर की ःवािमनी यह शाणडािलनी अगर तपःया म ही रत रही तो जोगन बन जायगी और हम लोगो की बात मानगी नही अतः इस अभी उठाकर ल चल और भगवान िवण क साथ जबरन इसकी शादी करवा द

एक भात को दोनो शाणडािलनी को ल जान क िलए आय शाणडािलनी की दि जस ही उन दोनो पर पड़ी तो वह समझ गयी िक अपन िलए तो नही िकत अपनी इचछा परी करन क िलए इनकी नीयत बरी हई ह जब मरी कोई इचछा नही ह तो म िकसी की इचछा क आग कयो दब मझ तो चयर ोत का पालन करना ह िकत य दोनो मझ जबरन गहःथी म घसीटना चाहत ह मझ िवण की प ी नही बनना वरन मझ तो िनज ःवभाव को पाना ह

गरड़जी तो बलवान थ ही गालवजी भी कम नही थ िकत शाणडािलनी की िनःःवाथर सवा िनःःवाथर परमातमा म िवौािनत की याऽा न उसको इतना तो सामथयरवान बना िदया था िक उसक ारा पानी क छीट मार कर यह कहत ही िक गालव तम गल जाओ और गालव को सहयोग दन वाल गरड़ तम भी गल जाओ दोनो को महसस होन लगा िक उनकी शि कषीण हो रही ह दोनो भीतर-ही-भीतर गलन लग

िफर दोनो न बड़ा ायि त िकया और कषमायाचना की तब भारत की उस िदवय कनया शाणडािलनी न उनह माफ िकया और पवरवत कर िदया उसी क तप क भाव स गलत र तीथर बना ह

ह भारत की दिवयो उठो जागो अपनी आयर नािरयो की महानता को अपन अतीत क गौरव को याद करो तमम अथाह सामथयर ह उस पहचानो सतसग जप परमातम-धयान स अपनी छपी हई शि यो को जामत करो

जीवनशि का ास करन वाली पा ातय सःकित क अधानकरण स बचकर तन-मन को दिषत करन वाली फशनपरःती एव िवलािसता स बचकर अपन जीवन को जीवनदाता क पथ पर अमसर करो अगर ऐसा कर सको तो वह िदन दर नही जब िव तमहार िदवय चिरऽ का गान कर अपन को कताथर मानगा

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अनबम

सती सािवऽी महाभारत क वन पवर म सािवऽी और यमराज क वातारलाप का सग आता हः जब यमराज सतयवान (सािवऽी क पित) क ाणो को अपन पाश म बाध ल चल तब सािवऽी भी उनक

पीछ-पीछ चलन लगी उस अपन पीछ आत दखकर यमराज न उस वापस लौट जान क िलए कई बार कहा िकत सािवऽी चलती ही रही एव अपनी धमरचचार स उसन यमराज को सनन कर िलया

सािवऽी बोलीः सतपरषो का सग एक बार भी िमल जाय तो वह अभी की पितर करान वाला होता ह और यिद उनस म हो जाय तो िफर कहना ही कया सत-समागम कभी िनफल नही जाता अतः सदा सतपरषो क साथ ही रहना चािहए

दव आप सारी जा का िनयमन करन वाल ह अतः यम कहलात ह मन सना ह िक मन वचन और कमर ारा िकसी भी ाणी क ित िोह न करक सब पर समान रप स दया करना और दान दना ौ परषो का सनातन धमर ह यो तो ससार क सभी लोग सामानयतः कोमलता का बतारव करत ह िकत जो ौ परष ह व अपन पास आय हए शऽ पर भी दया ही करत ह

यमराजः कलयाणी जस पयास को पानी िमलन स ति होती ह उसी कार तरी धमारनकल बात सनकर मझ सननता होती ह

सािविऽ न आग कहाः िववःवान (सयरदव) क पऽ होन क नात आपको ववःवत कहत ह आप शऽ-िमऽ आिद क भद को भलाकर सबक ित समान रप स नयाय करत ह और आप धमरराज कहलात ह अचछ मनयो को सतय पर जसा िव ास होता ह वसा अपन पर भी नही होता अतएव व सतय म ही अिधक अनराग रखत ह िव ास की सौहादर का कारण ह तथा सौहादर ही िव ास का सतपरषो का भाव सबस अिधक होता ह इसिलए उन पर सभी िव ास करत ह

यमराजः सािवऽी तन जो बात कही ह वसी बात मन और िकसी क मह स नही सनी ह अतः मरी सननता और भी बढ़ गयी ह अचछा अब त बहत दर चली आयी ह जा लौट जा

िफर भी सािवऽी न अपनी धािमरक चचार बद नही की वह कहती गयीः सतपरषो का मन सदा धमर म ही लगा रहता ह सतपरषो का समागम कभी वयथर नही जाता सतो स कभी िकसी को भय नही होता सतपरष सतय क बल स सयर को भी अपन समीप बला लत ह व ही अपन भाव स पथवी को धारण करत ह भत भिवय का आधार भी व ही ह उनक बीच म रहकर ौ परषो को कभी खद नही होता दसरो की भलाई करना सनातन सदाचार ह ऐसा मानकर सतपरष तयपकार की आशा न रखत हए सदा परोपकार म ही लगा रहत ह

सािवऽी की बात सनकर यमराज िवीभत हो गय और बोलः पितोत तरी य धमारनकल बात गभीर अथर स य एव मर मन को लभान वाली ह त जयो-जयो ऐसी बात सनाती जाती ह तयो-तयो तर ित मरा ःनह बढ़ता जाता ह अतः त मझस कोई अनपम वरदान माग ल

सािवऽीः भगवन अब तो आप सतयवान क जीवन का ही वरदान दीिजए इसस आपक ही सतय और धमर की रकषा होगी पित क िबना तो म सख ःवगर लआमी तथा जीवन की भी इचछा नही रखती

धमरराज वचनब हो चक थ उनहोन सतयवान को मतयपाश स म कर िदया और उस चार सौ वष की नवीन आय दान की सतयवान क िपता मतसन की नऽजयोित लौट आयी एव उनह अपना खोया हआ राजय भी वापस िमल गया सािवऽी क िपता को भी समय पाकर सौ सतान ह एव सािवऽी न भी अपन पित सतयवान क साथ धमरपवरक जीवन-यापन करत हए राजय-सख भोगा

इस कार सती सािवऽी न अपन पाितोतय क ताप स पित को तो मतय क मख स लौटाया ही साथ ही पित क एव अपन िपता क कल दोनो की अिभवि म भी वह सहायक बनी

िजस िदन सती सािवऽी न अपन तप क भाव स यमराज क हाथ म पड़ हए पित सतयवान को छड़ाया था वही िदन वट सािवऽी पिणरमा क रप म आज भी मनाया जाता ह इस िदन सौभा यशाली ि या अपन सहाग की रकषा क िलए वट वकष की पजा करती ह एव ोत-उपवास आिद रखती ह

कसी रही ह भारत की आदशर नािरया अपन पित को मतय क मख स लौटान म यमराज स भी धमरचचार करन का सामथयर रहा ह भारत की दिवयो म सािवऽी की िदवय गाथा यही सदश दती ह िक ह भारत की दिवयो तमम अथाह सामथयर ह अथाह शि ह सतो-महापरषो क सतसग म जाकर तम अपनी छपी हई शि को जामत करक अवय महान बन सकती हो एव सािवऽी-मीरा-मदालसा की याद को पनः ताजा कर सकती हो

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अनबम

मा सीता की सतीतव-भावना भगवान ौीराम क िवयोग तथा रावण और राकषिसयो क ारा िकय जानवाल अतयाचारो क कारण मा

सीता अशोक वािटका म बड़ी दःखी थी न तो व भोजन करती न ही नीद िदन-रात कवल ौीराम-नाम क जप म ही तललीन रहती उनका िवषादमःत मखमडल दखकर हनमान जी न पवरताकार शरीर धारण करक उनस कहाः मा आपकी कपा स मर पास इतना बल ह िक म पवरत वन महल और रावणसिहत परी लका को उठाकर ल जा सकता ह आप कपा करक मर साथ चल और भगवान ौीराम व लआमण का शोक दर करक ःवय भी इस भयानक दःख स मि पा ल

भगवान ौीराम म ही एकिन रहन वाली जनकनिदनी मा सीता न हनमानजी स कहाः ह महाकिप म तमहारी शि और पराबम को जानती ह साथ ही तमहार दय क श भाव एव तमहारी ःवामी-भि को भी जानती ह िकत म तमहार साथ नही आ सकती पितपरायणता की दि स म एकमाऽ भगवान ौीराम क िसवाय िकसी परपरष का ःपशर नही कर सकती जब रावण न मरा हरण िकया था तब म असमथर असहाय और िववश थी वह मझ बलपवरक उठा लाया था अब तो करणािनधान भगवान ौीराम ही ःवय आकर रावण का वध करक मझ यहा स ल जाएग

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अनबम

आतर भ िौपदी

ईयार- ष और अित धन-समह स मनय अशात होता ह ईयार- ष की जगह पर कषमा और सतवि का िहःसा बढ़ा िदया जाय तो िकतना अचछा

दय धन ईयारल था षी था उसन तीन महीन तक दवारसा ऋिष की भली कार स सवा की उनक िशयो की भी सवा की दय धन की सवा स दवारसा ऋिष सनन हो गय और बोलः

माग ल वतस जो मागना चाह माग ल

जो ईयार और ष क िशकज म आ जाता ह उसका िववक उस साथ नही दता लिकन जो ईयार- ष रिहत होता ह उसका िववक सजग रहता ह वह शात होकर िवचार या िनणरय करता ह ऐसा वयि सफल होता ह और सफलता क अह म गरक नही होता कभी असफल भी हो गया तो िवफलता क िववाद म नही डबता द दय धन न ईयार एव ष क वशीभत होकर कहाः

मर भाई पाणडव वन म दर-दर भटक रह ह उनकी इचछा ह िक आप अपन हजार िशयो क साथ उनक अितथी हो जाय अगर आप मझ पर सनन ह तो मर भाइयो की इचछा परी कर लिकन आप उसी व उनक पास पहिचयगा जब िौपदी भोजन कर चकी हो

दय धन जानता था िक भगवान सयर न पाणडवो को अकषयपाऽ िदया ह उसम स तब तक भोजन-साममी िमलती रहती ह जब तक िौपदी भोजन न कर ल िौपदी भोजन करक पाऽ को धोकर रख द िफर उस िदन उसम स भोजन नही िनकलगा अतः दोपहर क बाद जब दवारसाजी उनक पास पहचग तब भोजन न िमलन स किपत हो जायग और पाणडवो को शाप द दग इसस पाणडव वश का सवरनाश हो जायगा

इस ईयार और ष स िरत होकर दय धन न दवारसाजी की सननता का लाभ उठाना चाहा दवारसा ऋिष मधया क समय जा पहच पाणडवो क पास यिधि र आिद पाणडव एव िौपदी दवारसाजी को

िशयो समत अितिथ क रप म आया हआ दखकर िचिनतत हो गय िफर भी बोलः िवरािजय महिषर आपक भोजन की वयवःथा करत ह

अतयारमी परमातमा सबका सहायक ह सचच का मददगार ह दवारसाजी बोलः ठहरो ठहरो भोजन बाद म करग अभी तो याऽा की थकान िमटान क िलए ःनान करन जा रहा ह

इधर िौपदी िचिनतत हो उठी िक अब अकषयपाऽ स कछ न िमल सकगा और इन साधओ को भखा कस भज उनम भी दवारसा ऋिष को वह पकार उठीः ह कशव ह माधव ह भ वतसल अब म तमहारी शरण म ह शात िच एव पिवऽ दय स िौपदी न भगवान ौीकण का िचनतन िकया भगवान ौीकण आय और बोलः िौपदी कछ खान को तो दो

िौपदीः कशव मन तो पाऽ को धोकर रख िदया ह ौी कणः नही नही लाओ तो सही उसम जरर कछ होगा िौपदी न पाऽ लाकर रख िदया तो दवयोग स उसम तादल क साग का एक प ा बच गया था

िव ातमा ौीकण न सकलप करक उस तादल क साग का प ा खाया और ति का अनभव िकया तो उन महातमाओ को भी ति का अनभव हआ व कहन लग िकः अब तो हम त हो चक ह वहा जाकर कया खायग यिधि र को कया मह िदखायग

शात िच स की हई ाथरना अवय फलती ह ईयारल एव षी िच स तो िकया-कराया भी चौपट हो जाता ह जबिक न और शात िच स तो चौपट हई बाजी भी जीत म बदल जाती ह और दय धनयता स भर जाता ह

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अनबम

दवी शि यो स समपनन गणमजरी दवी (िदनाक 12 अ बर स 21 अ बर 2002 तक मागलय धाम रतलाम (म) म शरद पिणरमा पर

आयोिजत शि पात साधना िशिवर म पजय ौी न िशिवरािथरयो को अपनी सष िदवय शि यो को जागत करन का आ ान िकया

िवबम सवत 1781 म यागराज इलाहाबाद म घिटत एक घटना का िजब करत हए पजयौी न लोकपावनी वाणी म कहाः)

यागराज इलाहाबाद म ऽयोदशी क कभ-ःनान का पवर-िदवस था कभ म कई अखाड़वाल जित-जोिग साध-सत आय थ उसम कामकौतकी नामक एक ऐसी जाित भी आयी थी जो भगवान क िलए ही राग-रािगिनयो का अ यास िकया करती थी तथा भगवदगीत क िसवाय और कोई गीत नही गाती थी उसन भी अपना गायन-कायरबम कभ मल म रखा था

ौगरी मठाधीश ौी सोमनाथाचायर भी इस कामकौतकी जाितवालो क सयम और राग-रािगिनयो म उनकी कशलता क बार म जानत थ इसिलए व भी वहा पधार थ उस कायरबम म सोमनाथाचायर जी की उपिःथित क कारण लोगो को िवशष आनद हआ और जब गणमजरी दवी भी आ पहची तो उस आनद म चार चाद लग गय

गणमजरी दवी न चानिायण और कचल ोत िकय थ शरीर क दोषो को हरन वाल जप-तप और सयम को अचछी तरह स साधा था लोगो न मन-ही-मन उसका अिभवादन िकया

गणमजरी दवी भी कवल गीत ही नही गाती थी वरन उसन अपन जीवन म दवी गणो का इतना िवकिसत िकया था िक जब चाह अपनी दिवक सिखयो को बला सकती थी जब चाह बादल मडरवा सकती थी िबजली चमका सकती थी उस समय उसकी याित दर-दर तक पहच चकी थी

कायरबम आरमभ हआ कामकौतकी जाित क आचाय न शबदो की पपाजली स ई रीय आराधना का माहौल बनाया अत म गणमजरी दवी स ाथरना की गयी

गणमजरी दवी न वीणा पर अपनी उगिलया रखी माघ का महीना था ठणडी-ठणडी हवाए चलन लगी थोड़ी ही दर म मघ गरजन लग िबजली चमकन लगी और बािरश का माहौल बन गया आन वाली बािरश स बचन क लोगो का िच कछ िवचिलत होन लगा इतन म सोमनाथाचायरजी न कहाः बठ रहना िकसी को

िचनता करन की जररत नही ह य बादल तमह िभगोयग नही य तो गण मजरी दवी की तपःया और सकलप का भाव ह

सत की बात का उललघन करना मि फल को तयागना और नरक क ार खोलना ह लोग बठ रह 32 राग और 64 रािगिनया ह राग और रािगिनया क पीछ उनक अथर और आकितया भी होती ह

शबद क ारा सि म उथल-पथल मच सकती ह व िनज व नही ह उनम सजीवता ह जस एयर कडीशनर चलात ह तो वह आपको हवा स पानी अलग करक िदखा दता ह ऐस ही इन पाच भतो म िःथत दवी गणो को िजनहोन साध िलया ह व शबद की धविन क अनसार बझ दीप जला सकत ह दि कर सकत ह - ऐस कई सग आपन-हमन-दख-सन होग गणमजरी दवी इस कार की साधना स समपनन दवी थी

माहौल ौ ा-भि और सयम की पराका ा पर था गणमजरी दवी न वीणा बजात हए आकाश की ओर िनहारा घनघोर बादलो म स िबजली की तरह एक दवागना कट हई वातावरण सगीतमय-नतयमय होता जा रहा था लोग दग रह गय आ यर को भी आ यर क समि म गोत खान पड़ ऐसा माहौल बन गया

लोग भीतर ही भीतर अपन सौभा य की सराहना िकय जा रह थ मानो उनकी आख उस दय को पी जाना चाहती थी उनक कान उस सगीत को पचा जाना चाहत थ उनका जीवन उस दय क साथ एक रप होता जा रहा था गणमजरी धनय हो तम कभी व गणमजरी को को धनयवाद दत हए उसक गीत म खो जात और कभी उस दवागना क श पिवऽ नतय को दखकर नतमःतक हो उठत

कायरबम समपनन हआ दखत ही दखत गणमजरी दवी न दवागना को िवदाई दी सबक हाथ जड़ हए थ आख आसमान की ओर िनहार रही थी और िदल अहोभाव स भरा था मानो भ-म म भ की अदभत लीला म खोया-सा था

ौगरी मठाधीश ौी सोमनाथाचायरजी न हजारो लोगो की शात भीड़ स कहाः सजजनो इसम आ यर की कोई आवयकता नही ह हमार पवरज दवलोक स भारतभिम पर आत और सयम साधना तथा भगवतीित क भाव स अपन वािछत िदवय लोको तक की याऽा करन म सफल होत थ कोई-कोई ःवरप परमातमा का ौवण मनन िनिदधयासन करक यही मय अननत ाणडवयापी अपन आतम-ऐ यर को पा लत थ

समय क फर स लोग सब भलत गय अनिचत खान-पान ःपशर-दोष सग-दोष िवचार-दोष आिद स लोगो की मित और साि वकता मारी गयी लोगो म छल कपट और तमस बढ़ गया िजसस व िदवय लोको की बात ही भल गय अपनी असिलयत को ही भल गय गणमजरी दवी न सग दोष स बचकर सयम स साधन-भजन िकया तो उसका दवतव िवकिसत हआ और उसन दवागना को बलाकर तमह अपनी असिलयत का पिरचय िदया

तम भी इस दय को दखन क कािबल तब हए जब तमन कभ क इस पवर पर यागराज क पिवऽ तीथर म सयम और ौ ा-भि स ःनान िकया इसक भाव स तमहार कछ कलमष कट और पणय बढ़ पणयातमा लोगो क एकिऽत होन स गणमजरी दवी क सकलप म सहायता िमली और उसन तमह यह दय िदखाया अतः इसम आ यर न करो

आपम भी य शि या छपी ह तम भी चाहो तो अनिचत खान-पान सग-दोष आिद स बचकर सदगर क िनदशानसार साधना-पथ पर अमसर हो इन शि यो को िवकिसत करन म सफल हो सकत हो कवल इतना ही नही वरन पर -परमातमा को पाकर सदा-सदा क िलए म भी हो सकत हो अपन म ःवरप का जीत जी अनभव कर सकत हो

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अनबम

िववक की धनीः कमारवती यह कथा सतयःवरप ई र को पान की ततपरता रखनवाली भोग-िवलास को ितलाजिल दन वाली

िवकारो का दमन और िनिवरकार नारायण ःवरप का दशरन करन वाली उस बचची की ह िजसन न कवल अपन को तारा अिपत अपन िपता राजपरोिहत परशरामजी का कल भी तार िदया

जयपर-सीकर क बीच महनिगढ़ क सरदार शखावत क राजपरोिहत परशरामजी की उस बचची का नाम था कमार कमारवती बचपन म वह ऐस कमर करती थी िक उसक कमर शोभा दत थ कई लोग कमर करत ह तो कमर उनको थका दत ह कमर म उनको फल की इचछा होती ह कमर म कतारपन होता ह

कमारवती क कमर म कतारपन नही था ई र क ित समपरण भाव थाः जो कछ कराता ह भ त ही कराता ह अचछ काम होत ह तो नाथ तरी कपा स ही हम कर पात ह कमारवती कमर करती थी लिकन कतारभाव को िवलय होन का मौका िमल उस ढग स करती थी

कमारवती तरह साल की हई गाव म साध-सत पधार उन सतपरषो स गीता का जञान सना भगवदगीता का माहातमय सना अचछ-बर कम क बनधन स जीव मनय-लोक म जनमता ह थोड़ा-सा सखाभास पाता ह परत काफी माऽा म दःख भोगता ह िजस शरीर स सख-दःख भोगता ह वह शरीर तो जीवन क अत म जल जाता ह लिकन भीतर सख पान का सख भोगन का भाव बना रहता ह यह कतार-भो ापन का भाव तब तक बना रहता ह जब तक मन की सीमा स पर परमातमा-ःवरप का बोध नही होता

कमारवती इस कार का सतसग खब धयान दकर आखो की पलक कम िगर इस कार सनती थी वह इतना एकाम होकर सतसग सनती िक उसका सतसग सनना बदगी हो जाता था

एकटक िनहारत हए सतसग सनन स मन एकाम होता ह सतसग सनन का महापणय तो होता ही ह साथ ही साथ मनन करन का लाभ भी िमल जाता ह और िनिदधयासन भी होता रहता ह

दसर लोग सतसग सनकर थोड़ी दर क बाद कपड़ झाड़कर चल दत और सतसग की बात भल जात लिकन कमारवती सतसग को भलती नही थी सतसग सनन क बाद उसका मनन करती थी मनन करन स उसकी यो यता बढ़ गयी जब घर म अनकलता या ितकलता आती तो वह समझती िक जो आता ह वह

जाता ह उसको दखनवाला मरा राम मरा कण मरा आतमा मर गरदव मरा परमातमा कवल एक ह सख आयगा ETH जायगा पर म चतनय आतमा एकरस ह ऐसा उसन सतसग म सन रखा था

सतसग को खब एकामता स सनन और बाद म उस ःमरण-मनन करन स कमारवती न छोटी उ म खब ऊचाई पा ली वह बातचीत म और वयवहार म भी सतसग की बात ला दती थी फलतः वयवहार क न उसक िच को मिलन नही करत थ उसक िच की िनमरलता व साि वकता बढ़ती गयी

म तो महनिगढ़ क उस सरदार खडरकर शखावत को भी धनयवाद दगा कयोिक उसक राजपरोिहत हए थ परशराम और परशराम क घर आयी थी कमारवती जसी पिवऽ बचची िजनक घर म भ पदा हो व माता-िपता तो भा यशाली ह ही पिवऽ ह व जहा नौकरी करत ह वह जगह वह आिफस वह कस भी भा यशाली ह िजसक यहा व नौकरी करत ह वह भी भा यशाली ह िक भ क माता-िपता उसक यहा आया-जाया करत ह

राजपरोिहत परशराम भी भगवान क भ थ सयमी जीवन था उनका व सदाचारी थ दीन-दःिखयो की सवा िकया करत थ गर-दशरन म रिच और गर-वचन म िव ास रखन वाल थ ऐस पिवऽातमा क यहा जो सतान पदा हो उसका भी ओजःवी-तजःवी होना ःवाभािवक ह

कमारवती िपता स भी बहत आग बढ़ गयी कहावत ह िक बाप स बटा सवाया होना चािहए लिकन यह तो बटी सवायी हो गई भि म

परशराम सरदार क कामकाज म वयःत रहत अतः कभी सतसग म जा पात कभी नही पर कमारवती हर रोज िनयिमत रप स अपनी मा को लकर सतसग सनन पहच जाती ह परशराम सतसग की बात भल भी जात परत कमारवती याद रखती

कमारवती न घर म पजा क िलए एक कोठरी बना ली थी वहा ससार की कोई बात नही कवल माला और जप धयान उसन उस कोठरी को साि वक सशोभनो स सजाया था िबना हाथ-पर धोय नीद स उठकर िबना ःनान िकय उसम वश नही करती थी धप-दीप-अगरब ी स और कभी-कभी ताज िखल हए फलो स कोठरी को पावन बनाया करती महकाया करती उसक भजन की कोठरी मानो भगवान का मिदर ही बन गयी थी वह धयान-भजन नही करनवाल िनगर कटिमबयो को नता स समझा-बझाकर उस कोठरी म नही आन दती थी उसकी उस साधना-कटीर म भगवान की जयादा मितरया नही थी वह जानती थी िक अगर धयान-भजन म रिच न हो तो व मितरया बचारी कया करगी धयान-भजन म सचची लगन हो तो एक ही मितर काफी ह

साधक अगर एक ही भगवान की मितर या गरदव क िचऽ को एकटक िनहारत-िनहारत आतर याऽा कर तो एक म ही सब ह और सब म एक ही ह यह जञान होन म सिवधा रहगी िजसक धयान-ककष म अ यास-खणड म या घर म बहत स दवी-दवताओ क िचऽ हो मितरया हो तो समझ लना उसक िच म और जीवन म काफी अिनि तता होगी ही कयोिक उसका िच अनक म बट जाता ह एक पर परा भरोसा नही रहता

कमारवती न साधन-भजन करन का िनि त िनयम बना िलया था िनयम पालन म वह पककी थी जब तक िनयम परा न हो तब तक भोजन नही करती िजसक जीवन म ऐसी दढ़ता होती ह वह हजारो िव न-बाधाओ और मसीबतो को परो तल कचलकर आग िनकल जाता ह

कमारवती 13 साल की हई उस साल उसक गाव म चातमारस करन क िलए सत पधार कमारवती एक िदन भी कथा सनना चकी नही कथा-ौवण क साररप उसक िदल-िदमाग म िन य दढ़ हआ िक जीवनदाता को पान क िलए ही यह जीवन िमला ह कोई गड़बड़ करन क िलए नही परमातमा को नही पाया तो जीवन वयथर ह

न पित अपना ह न प ी अपनी ह न बाप अपना ह न बट अपन ह न घर अपना ह न दकान अपनी ह अर यह शरीर तक अपना नही ह तो और की कया बात कर शरीर को भी एक िदन छोड़ना पड़गा मशान म उस जलाया जायगा

कमारवती क दय म िजजञासा जगी िक शरीर जल जान स पहल मर दय का अजञान कस जल म अजञानी रहकर बढ़ी हो जाऊ आिखर म लकड़ी टकती हई र ण अवःथा म अपमान सहती हई कराहती हई अनय बिढ़याओ की ना मर यह उिचत नही यह कभी-कभी व ो को बीमार वयि यो को दखती और मन म वरा य लाती िक म भी इसी कार बढ़ी हो जाऊगी कमर झक जायगी मह पोपला हो जायगा आखो स पानी टपकगा िदखाई नही दगा सनाई नही दगा शरीर िशिथल हो जायगा यिद कोई रोग हो जायगा तो और मसीबत िकसी की मतय होती तो कमारवती उस दखती जाती हई अथ को िनहारती और अपन मन को समझातीः बस यही ह शरीर का आिखरी अजाम जवानी म सभाला नही तो बढ़ाप म दःख भोग-भोगकर आिखर मरना ही ह राम राम राम म ऐसी नही बनगी म तो बनगी भगवान की जोिगन मीराबाई म तो मर पयार परमातमा को िरझाऊगी

कमारवती कभी वरा य की अि न म अपन को श करती ह कभी परमातमा क ःनह म भाव िवभोर हो जाती ह कभी पयार क िवयोग म आस बहाती ह तो कभी सनमन होकर बठी रहती ह मतय तो िकसी क घर होती ह और कमारवती क दय क पाप जलन लगत ह उसक िच म िवलािसता की मौत हो जाती ह ससारी तचछ आकषरणो का दम घट जाता ह और दय म भगवदभि का िदया जगमगा उठता ह

िकसी की मतय होन पर भी कमारवती क दय म भि का िदया जगमगान लगता और िकसी की शादी हो तब भी भि का िदया ही जगमगाता वह ऐसी भावना करती िक

म ऐस वर को कयो वर जो उपज और मर जाय म तो वर मर िगरधर गोपाल को मरो चडलो अमर हो जाय

मीरा न इसी भाव को कटाकर दहराकर अपन जीवन को धनय कर िलया था कमारवती न भगवदभि की मिहमा सन रखी थी िक एक ा ण यवक था उसन अपना ःवभावजनय

कमर नही िकया कवल िवलासी और दराचारी जीवन िजया जो आया सो खाया जसा चाहा वसा भोगा ककमर िकय वह मरकर दसर जनम म बल बना और िकसी िभखारी क हाथ लगा वह िभखारी बल पर सवारी करता और बःती म घम-िफरकर भीख मागकर अपना गजारा चलाता

दःख सहत-सहत बल बढ़ा हो गया उसक शरीर की शि कषीण हो गयी वह अब बोझ ढोन क कािबल नही रहा िभखारी न बल को छोड़ िदया रोज-रोज वयथर म चारा कहा स िखलाय भखा पयासा बल इधर-उधर

भटकन लगा कभी कही कछ रखा-सखा िमल जाता तो खा लता कभी लोगो क डणड खाकर ही रह जाना पड़ता

बािरश क िदन आय बल कही कीचड़ क ग ड म उतर गया और फस गया उसकी रगो म ताकत तो थी नही िफर वही छटपटान लगा तो और गहराई म उतरन लगा पीठ की चमड़ी फट गयी लाल धबब िदखाई दन लग अब ऊपर स कौए चोच मारन लग मिकखया िभनिभनान लगी िनःतज थका मादा हारा हआ वह बढ़ा बल अगल जनम म खब मज कर चका था अब उनकी सजा भोग रहा ह अब तो ाण िनकल तभी छटकारा हो वहा स गजरत हए लोग दया खात िक बचारा बल िकतना दःखी ह ह भगवान इसकी सदगित हो जाय िकतना दःखी ह ह भगवान इसकी सदगित हो जाय व लोग अपन छोट-मोट पणय दान करत िफर भी बल की सदगित नही होती थी

कई लोगो न बल को ग ड स बाहर िनकालन की कोिशश की पछ मरोड़ी सीगो म रःसी बाधकर खीचा-तानी की लिकन कोई लाभ नही व बचार बल को और परशान करक थककर चल गय

एक िदन कछ बड़-बढ़ लोग आय और िवचार करन लग िक बल क ाण नही िनकल रह ह कया िकया जाय लोगो की भीड़ इकटठी हो गयी उस टोल म एक वया भी थी वया न कछ अचछा सकलप िकया

वह हर रोज तोत क मह स टटी-फटी गीता सनती समझती तो नही िफर भी भगवदगीता क ोक तो सनती थी भगवदगीता आतमजञान दती ह आतमबल जगाती ह गीता वदो का अमत ह उपिनषदरपी गायो को दोहकर गोपालननदन ौीकणरपी वाल न गीतारपी द धामत अजरन को िपलाया ह यह पावन गीता हर रोज सबह िपजर म बठा हआ तोतो बोलता था वह सनती थी वया न इस गीता-ौवण का पणय बल की सदगित क िलए अपरण िकया

जस ही वया न सकलप िकया िक बल क ाण-पखर उड़ गय उसी पणय क भाव स वह बल सोमशमार नामक ा ण क घर बालक होकर पदा हआ बालक जब 6 साल का हआ तो उसक यजञोपवीत आिद सःकार िकय गय माता-िपता न कल-धमर क पिवऽ सःकार िकय गय माता-िपता न कल-धमर क पिवऽ सःकार िदय उसकी रिच धयान-भजन म लगी वह आसन ाणायाम धयाना यास आिद करन लगा उसन योग म तीोता स गित कर ली और 18 साल की उ म धयान क ारा अपना पवरजनम जान िलया उसको आ यर हआ िक ऐसा कौन-सा पणय उस बाई न अपरण िकया िजसस मझ बल की नारकीय अवःथा स मि िमली व जप-तप करन वाल पिवऽ ा ण क घर जनम िमला

ा ण यवक पहचा वया क घर वया अब तक बढ़ी हो चकी थी वह अपन कतयो पर पछतावा करन लगी थी अपन ार पर ा ण कमार को आया दखकर उसन कहाः

मन कई जवानो की िजनदगी बरबाद की ह म पाप-च ाओ म गरक रहत-रहत बढ़ी हो गयी ह त ा ण का पऽ मर ार पर आत तझ शमर नही आती

म ा ण का पऽ जरर ह पर िवकारी और पाप की िनगाह स नही आया ह माताजी म तमको णाम करक पछन आया ह िक तमन कौन सा पणय िकया ह

भाई म तो वया ठहरी मन कोई पणय नही िकया ह

उननीस साल पहल िकसी बल को कछ पणय अपरण िकया था

हा ःमरण म आ रहा ह कोई बढ़ा बल परशान हो रहा था ाण नही छट रह थ बचार क मझ बहत दया आयी मर और तो कोई पणय थ नही िकसी ा ण क घर म चोर चोरी करक आय थ उस सामान म तोत का एक िपजरा भी था जो मर यहा छोड़ गय उस ा ण न तोत को ौीमदभगवदगीता क कछ ोक रटाय थ वह म सनती थी उसी का पणय उस बल को अपरण िकया था

ा ण कमार को ऐसा लगा िक यिद भगवदगीता का अथर समझ िबना कवल उसका ौवण ही इतना लाभ कर सकता ह तो उसका मनन और िनिदधयासन करक गीता-जञान पचाया जाय तो िकतना लाभ हो सकता ह वह पणर शि स चल पड़ा गीता-जञान को जीवन म उतारन क िलए

कमारवती को जब गीता-माहातमय की यह कथा सनन को िमली तो उसन भी गीता का अधययन शर कर िदया भगवदगीता म तो ाणबल ह िहममत ह शि ह कमारवती क दय म भगवान ौीकण क िलए पयार पदा हो गया उसन पककी गाठ बाध ली िक कछ भी हो जाय म उस बाक िबहारी क आतम-धयान को ही अपना जीवन बना लगी गरदव क जञान को परा पचा लगी म ससार की भटठी म पच-पचकर मरगी नही म तो परमातम-रस क घट पीत-पीत अमर हो जाऊगी

कमारवती न ऐसा नही िकया िक गाठ बाध ली और िफर रख दी िकनार नही एक बार दढ़ िन य कर िलया तो हर रोज सबह उस िन य को दहराती अपन लआय का बार-बार ःमरण करती और अपन आपस कहा करती िक मझ ऐसा बनना ह िदन-ितिदन उसका िन य और मजबत होता गया

कोई एक बार िनणरय कर ल और िफर अपन िनणरय को भल जाय तो उस िनणरय की कोई कीमत नही रहती िनणरय करक हर रोज उस याद करना चािहए उस दहराना चािहए िक हम ऐसा बनना ह कछ भी हो जाय िन य स हटना नही ह

हम रोक सक य जमान म दम नही हमस जमाना ह जमान स हम नही

पाच वषर क ीव न िनणरय कर िलया तो िव िनयता िव र को लाकर खड़ा कर िदया ाद न िनणरय कर िलया तो ःतभ म स भगवान निसह को कट होना पड़ा मीरा न िनणरय कर िलया तो मीरा भि म सफल हो गयी

ातः ःमरणीय परम पजय ःवामी ौी लीलाशाहजी बाप न िनणरय कर िलया तो जञान म पारगत हो गय हम अगर िनणरय कर तो हम कयो सफल नही होग जो साधक अपन साधन-भजन करन क पिवऽ ःथान म ा महतर क पावन काल म महान बनन क िनणरय को बार-बार दहरात ह उनको महान होन स दिनया की कोई ताकत रोक नही सकती

कमारवती 18 साल की हई भीतर स जो पावन सकलप िकया था उस पर वह भीतर-ही-भीतर अिडग होती चली गयी वह अपना िनणरय िकसी को बताती नही थी चार नही करती थी हवाई गबबार नही उड़ाया करती थी अिपत सतसकलप की नीव म साधना का जल िसचन िकया करती थी

कई भोली-भाली मखर बिचचया ऐसी होती ह िजनहोन दो चार स ाह धयान-भजन िकया दो चार महीन साधना की और िचललान लग गयी िक म अब शादी नही करगी म अब साधवी बन जाऊगी सनयािसनी बन जाऊगी साधना करगी साधन-भजन की शि बढ़न क पहल ही िचललान लग गयी

व ही बिचचया दो-चार साल बाद मर पास आयी दखा तो उनहोन शादी कर ली थी और अपना ननहा-मनना बटा-बटी ल आकर मझस आशीवारद माग रही थी िक मर बचच को आशीवारद द िक इसका कलयाण हो

मन कहाः अर त तो बोलती थी शादी नही करगी सनयास लगी साधना करगी और िफर यह ससार का झमला

साधना की कवल बात मत करो काम करो बाहर घोषणा मत करो भीतर-ही-भीतर पिरपकव बनत जाओ जस ःवाित नकषऽ म आकाश स िगरती जल की बद को पका-पकाकर मोती बना दती ह ऐस ही तम भी अपनी भि की कजी ग रखकर भीतर-ही-भीतर उसकी शि को बढ़न दो साधना की बात िकसी को बताओ नही जो अपन परम िहतषी हो भगवान क सचच भ हो ौ परष हो सदगर हो कवल उनस ही अपनी अतरग साधना की बात करो अतरग साधना क िवषय म पछो अपन आधयाितमक अनभव जािहर करन स साधना का ास होता ह और गोपय रखन स साधना म िदवयता आती ह

म जब घर म रहता था तब यि स साधन-भजन करता था और भाई को बोलता थाः थोड़ िदन भजन करन दो िफर दकान पर बठगा अभी अन ान चल रहा ह एक परा होता तो कहता अभी एक बाकी ह िफर थोड़ िदन दकान पर जाता िफर उसको बोलताः मझ कथा म जाना ह तो भाई िचढ़कर कहताः रोज-रोज ऐसा कहता ह सधरता नही म कहताः सधर जाऊगा

ऐसा करत-करत जब अपनी वि पककी हो गयी तब मन कह िदयाः म दकान पर नही बठगा जो करना हो सो कर लो यिद पहल स ही ऐस बगावत क शबद बोलता तो वह कान पकड़कर दकान पर बठा दता

मरी साधना को रोककर मझ अपन जसा ससारी बनान क िलए िरतदारो न कई उपाय आजमाय थ मझ फसला कर िसनमा िदखान ल जात िजसस ससार का रग लग जाय धयान-भजन की रिच न हो जाय िफर जलदी-जलदी शादी करा दी हम दोनो को कमर म बनद कर दत तािक भगवान स पयार न कर और ससारी हो जाऊ अहाहा ससारी लोग साधना स कस-कस िगरत-िगरात ह म भगवान स आतरभाव स ाथरना िकया करता िक ह भ मझ बचाओ आखो स झर-झर आस टपकत उस दयाल दव की कपा का वणरन नही कर सकता

म पहल भजन नही करता तो घरवाल बोलतः भजन करो भजन करो जब म भजन करन लगा तो लोग बोलन लगः रको रको इतना सारा भजन नही करो जो मा पहल बोलती थी िक धयान करो िफर वही बोलन लगी िक इतना धयान नही करो तरा भाई नाराज होता ह म तरी मा ह मरी आजञा मानो

अभी जहा भवय आौम ह वहा पहल ऐसा कछ नही था कटील झाड़-झखाड़ तथा भयावह वातावरण था वहा उस समय जब हम मोकष कटीर बना रह थ तब भाई मा को बहकाकर ल आया और बोलाः सात सात

साल चला गया था अब गरजी न भजा ह तो घर म रहो दकान पर बठो यहा जगल म किटया बनवा रह हो इतनी दर तमहार िलए रोज-रोज िटिफन कौन लायगा

मा भी कहन लगी म तमहारी मा ह न तम मात आजञा िशरोधायर करो यह ट वापस कर दो घर म आकर रहो भाई क साथ दकान पर बठा करो

यह मा की आजञा नही थी ममता की आजञा थी और भाई की चाबी भराई हई आजञा थी मा ऐसी आजञा नही दती

भाई मझ घर ल जान क िलए जोर मार रहा था भाभी भी कहन लगीः यहा उजाड़ कोतरो म अकल पड़ रहोग कया हर रोज मिणनगर स आपक भाई िटिफन लकर यहा आयग

मन कहाः ना ना आपका िटिफन हमको नही चािहए उस अपन पास ही रखो यहा आकर तो हजारो लोग भोजन करग हमारा िटिफन वहा स थोड़ ही मगवाना ह

उन लोगो को यही िचनता होती थी िक यह अकला यहा रहगा तो मिणनगर स इसक िलए खाना कौन लायगा उनको पता नही िक िजसक सात साल साधना म गय ह वह अकला नही ह िव र उसक साथ ह बचार ससािरयो की बि अपन ढग की होती ह

मा मझ दोपहर को समझान आयी थी उसक िदल म ममता थी यहा पर कोई पड़ नही था बठन की जगह नही थी छोट-बड़ ग ड थ जहा मोकष कटीर बनी ह वहा िखजड़ का पड़ थाष वहा लोग दार िछपात थ कसी-कसी िवकट पिरिःथितया थी लिकन हमन िनणरय कर िलया था िक कछ भी हो हम तो अपनी राम-नाम की शराब िपयग िपलायग ऐस ही कमारवती न भी िनणरय कर िलया था लिकन उस भीतर िछपाय थी जगत भि नही और करन द नही दिनया दोरगी ह

दिनया कह म दरगी पल म पलटी जाऊ सख म जो सोत रह वा को दःखी बनाऊ

आतमजञान या आतमसाकषातकार तो बहत ऊची चीज होती ह त वजञानी क आग भगवान कभी अकट रहता ही नही आतमसाकषातकारी तो ःवय भगवतःवरप हो जात ह व भगवान को बलात नही व जानत ह िक रोम-रोम म अनत-अनत ाणडो म जो ठोस भरा ह वह अपन दय म भी ह जञानी अपन दय म ई र को जगा लत ह ःवय ई रःवरप बन जात ह व पकक गर क चल होत ह ऐस वस नही होत

कमारवती 18 साल की हई उसका साधन-भजन ठीक स आग बढ़ रहा था बटी उ लायक होन स िपता परशरामजी को भी िचनता होन लगी िक इस कनया को भि का रग लग गया ह यिद शादी क िलए ना बोल दगी तो ऐसी बातो म मयारदा शमर सकोच खानदानी क यालो का वह जमाना था कमारवती की इचछा न होत हए भी िपता न उसकी मगनी करा दी कमारवती कछ नही बोल पायी

शादी का िदन नजदीक आन लगा वह रोज परमातमा स ाथरना करन लगी और सोचन लगीः मरा सकलप तो ह परमातमा को पान का ई र क धयान म तललीन रहन का शादी हो जायगी तो ससार क कीचड़ म फस मरगी अगल कई जनमो म भी मर कई पित होग माता िपता होग सास- सर होग उनम स िकसी

न मतय स नही छड़ाया मझ अकल ही मरना पड़ा अकल ही माता क गभर म उलटा होकर लटकना पड़ा इस बार भी मर पिरवारवाल मझ मतय स नही बचायग

मतय आकर जब मनय को मार डालती ह तब पिरवाल सह लत ह कछ कर नही पात चप हो जात ह यिद मतय स सदा क िलए पीछा छड़ानवाल ई र क राःत पर चलत ह तो कोई जान नही दता

ह भ कया तरी लीला ह म तझ नही पहचानती लिकन त मझ जानता ह न म तमहारी ह ह सि कतार त जो भी ह जसा भी ह मर दय म सतरणा द

इस कार भीतर-ही-भीतर भगवान स ाथरना करक कमारवती शात हो जाती तो भीतर स आवाज आतीः िहममत रखो डरो नही परषाथर करो म सदा तमहार साथ ह कमारवती को कछ तसलली-सी िमल जाती

शादी का िदन नजदीक आन लगा तो कमारवती िफर सोचन लगीः म कवारी लड़की स ाह क बाद शादी हो जायगी मझ घसीट क ससराल ल जायग अब मरा कया होगा ऐसा सोचकर वह बचारी रो पड़ती अपन पजा क कमर म रोत-रोत ाथरना करती आस बहाती उसक दय पर जो गजरता था उस वह जानती थी और दसरा जानता था परमातमा

शादी को अब छः िदन बच पाच िदन बच चार िदन बच जस कोई फासी की सजा पाया हआ कदी फासी की तारीख सनकर िदन िगन रहा हो ऐस ही वह िदन िगन रही थी

शादी क समय कनया को व ाभषण स गहन-अलकारो स सजाया जाता ह उसकी शसा की जाती ह कमारवती यह सब सासािरक तरीक समझत हए सोच रही थी िक जस बल को पचकार कर गाड़ी म जोता जाता ह ऊट को पचकार कर ऊटगाड़ी म जोता जाता ह भस को पचकार कर भसगाड़ी म जोता जाता ह ाणी को फसलाकर िशकार िकया जाता ह वस ही लोग मझ पचकार-पचकार कर अपना मनमाना मझस करवा लग मरी िजनदगी स खलग

ह परमातमा ह भ जीवन इन ससारी पतलो क िलए नही तर िलय िमला ह ह नाथ मरा जीवन तर काम आ जाय तरी ाि म लग जाय ह दव ह दयाल ह जीवनदाता ऐस पकारत-पकारत कमारवती कमारवती नही रहती थी ई र की पऽी हो जाती थी िजस कमर म बठकर वह भ क िलए रोया करती थी आस बहाया करती थी िजस कमर म बठकर वह भ क िलए रोया करती थी आस बढ़ाया करती थी वह कमरा भी िकतना पावन हो गया होगा

शादी क अब तीन िदन बच थ दो िदन बच थ रात को नीद नही िदन को चन नही रोत-रोत आख लाल हो गयी मा पचकारती भाभी िदलासा दती और भाई िरझाता लिकन कमारवती समझती िक यह सारा पचकार बल को गाड़ी म जोतन क िलए ह यह सारा ःनह ससार क घट म उतारन क िलए ह

ह भगवान म असहाय ह िनबरल ह ह िनबरल क बल राम मझ सतरणा द मझ सनमागर िदखा

कमारवती की आखो म आस ह दय म भावनाए छलक रही ह और बि म ि धा हः कया कर शादी को इनकार तो कर नही सकती मरा ी शरीर कया िकया जाय

भीतर स आवाज आयीः त अपन क ी मत मान अपन को लड़की मत मान त अपन को भगवदभ मान आतमा मान अपन को ी मानकर कब तक खद को कोसती रहगी अपन को परष मान कर कब तक बोझा ढोती रहगी मन यतव तो तमहारा चोला ह शरीर का एक ढाचा ह तरा कोई आकार नही ह त तो िनराकार बलःवरप आतमा ह जब-जब त चाहगी तब-तब तरा मागरदशरन होता रहगा िहममत मत हार परषाथर परम दव ह हजार िव न-बाधाए आ जाय िफर भी अपन परषाथर स नही हटना

तम साधना क मागर पर चलत हो तो जो भी इनकार करत ह पराय लगत ह शऽ जस लगत ह व भी जब तम साधना म उननत होग जञान म उननत होग तब तमको अपना मानन लग जायग शऽ भी िमऽ बन जायग कई महापरषो का यह अनभव हः

आधी और तफान हमको न रोक पाय मरन क सब इराद जीन क काम आय हम भी ह तमहार कहन लग पराय

कमारवती को भीतर स िहममत िमली अब शादी को एक ही िदन बाकी रहा सयर ढलगा शाम होगी राऽी होगी िफर सय दय होगा और शादी का िदन इतन ही घणट बीच म अब समय नही गवाना ह रात सोकर या रोकर नही गवानी ह आज की रात जीवन या मौत की िनणारयक रात होगी

कमारवती न पकका िनणरय कर िलयाः चाह कछ भी हो जाय कल सबह बारात क घर क ार पर आय उसक पहल यहा स भागना पड़गा बस यही एक मागर ह यही आिखरी फसला ह

कषण िमनट और घणट बीत रह थ पिरवार वाल लोग शादी की जोरदार तयािरया कर रह थ कल सबह बारात का सतकार करना था इसका इतजाम हो रहा था कई सग-समबनथी-महमान घर पर आय हए थ कमारवती अपन कमर म यथायो य मौक क इतजार म घणट िगन रही थी

दोपहर ही शाम हई सयर ढला कल क िलए परी तयािरया हो चकी थी रािऽ का भोजन हआ िदन क पिरौम स थक लोग रािऽ को दरी स िबःतर पर लट गय िदन भर जहा शोरगल मचा था वहा शाित छा गयी

यारह बज दीवार की घड़ी न डक बजाय िफर िटक िटक िटक िटककषण िमनट म बदल रही ह घड़ी का काटा आग सरक रहा ह सवा यारह साढ़ यारह िफर राऽी क नीरव वातावरण म घड़ी का एक डका सनाई पड़ा िटकिटकिटक पौन बारह घड़ी आग बढ़ी पनिह िमनट और बीत बारह बज घड़ी न बारह डक बजाना शर िकया कमारवती िगनन लगीः एक दो तीन चार दस यारह बारह

अब समय हो गया कमारवती उठी जाच िलया िक घर म सब नीद म खरारट भर रह ह पजा घर म बाकिबहारी कण कनहया को णाम िकया आस भरी आखो स उस एकटक िनहारा भाविवभोर होकर अपन पयार परमातमा क रप को गल लगा िलया और बोलीः अब म आ रही ह तर ार मर लाला

चपक स ार खोला दब पाव घर स बाहर िनकली उसन आजमाया िक आगन म भी कोई जागता नही ह कमारवती आग बढ़ी आगन छोड़कर गली म आ गयी िफर सरारट स भागन लगी वह गिलया पार

करती हई रािऽ क अधकार म अपन को छपाती नगर स बाहर िनकल गयी और जगल का राःता पकड़ िलया अब तो वह दौड़न लगी थी घरवाल ससार क कीचड़ म उतार उसक पहल बाक िबहारी िगरधर गोपाल क धाम म उस पहच जाना था वनदावन कभी दखा नही था उसक मागर का भी उस पता नही था लिकन सन रखा था िक इस िदशा म ह

कमारवती भागती जा रही ह कोई दख लगा अथवा घर म पता चल जायगा तो लोग खजान िनकल पड़ग पकड़ी जाऊगी तो सब मामला चौपट हो जायगा ससारी माता-िपता इजजत-आबर का याल करक शादी कराक ही रहग चौकी पहरा िबठा दग िफर छटन का कोई उपाय नही रहगा इस िवचार स कमारवती क परो म ताकत आ गयी वह मानो उड़न लगी ऐस भागी ऐस भागी िक बस मानो बदक लकर कोई उसक पीछ पड़ा हो

सबह हई उधर घर म पता चला िक कमारवती गायब ह अर आज तो हकक-बकक स हो गय इधर-उधर छानबीन की पछताछ की कोई पता नही चला सब दःखी हो गय परशराम भ थ मा भी भ थी िफर भी उन लोगो को समाज म रहना था उनह खानदानी इजजत-आबर की िचनता थी घर म वातावरण िचिनतत बन गया िक बारातवालो को कया मह िदखायग कया जवाब दग समाज क लोग कया कहग

िफर भी माता-िपता क दय म एक बात की तसलली थी िक हमारी बचची िकसी गलत राःत पर नही गयी ह जा ही नही सकती उसका ःवभाव उसक सःकार व अचछी तरह जानत थ कमारवती भगवान की भ थी कोई गलत मागर लन का वह सोच ही नही सकती थी आजकल तो कई लड़िकया अपन यार-दोःत क साथ पलायन हो जाती ह कमारवती ऐसी पािपनी नही थी

परशराम सोचत ह िक बटी परमातमा क िलए ही भागी होगी िफर भी कया कर इजजत का सवाल ह राजपरोिहत क खानदान म ऐसा हो कया िकया जाय आिखर उनहोन अपन मािलक शखावत सरदार की शरण ली दःखी ःवर म कहाः मरी जवान बटी भगवान की खोज म रातोरात कही चली गयी ह आप मरी सहायता कर मरी इजजत का सवाल ह

सरदार परशराम क ःवभाव स पिरिचत थ उनहोन अपन घड़सवार िसपािहयो को चह ओर कमारवती की खोज म दौड़ाया घोषणा कर दी िक जगल-झािड़यो म मठ-मिदरो म पहाड़-कदराओ म गरकल-आौमो म ETH सब जगह तलाश करो कही स भी कमारवती को खोज कर लाओ जो कमारवती को खोजकर ल आयगा उस दस हजार मिाय इनाम म दी जायगी

घड़सवार चारो िदशा म भाग िजस िदशा म कमारवती भागी थी उस िदशा म घड़सवारो की एक टकड़ी चल पड़ी सय दय हो रहा था धरती पर स रािऽ न अपना आचल उठा िलया था कमारवती भागी जा रही थी भात क काश म थोड़ी िचिनतत भी हई िक कोई खोजन आयगा तो आसानी स िदख जाऊगी पकड़ी जाऊगी वह वीरागना भागी जा रही ह और बार-बार पीछ मड़कर दख रही ह

दर-दर दखा तो पीछ राःत म धल उड़ रही थी कछ ही दर म घड़सवारो की एक टकड़ी आती हई िदखाई दी वह सोच रही हः ह भगवान अब कया कर जरर य लोग मझ पकड़न आ रह ह िसपािहयो क

आग मझ िनबरल बािलका कया चलगा चहओर उजाला छा गया ह अब तो घोड़ो की आवाज भी सनाई पड़ रही ह कछ ही दर म व लोग आ जायग सोचन का भी समय अब नही रहा

कमारवती न दखाः राःत क िकनार मरा हआ एक ऊट पड़ा था िपछल िदन ही मरा था और रात को िसयारो न उसक पट का मास खाकर पट की जगह पर पोल बना िदया था कमारवती क िच म अनायास एक िवचार आया उसन कषणभर म सोच िलया िक इस मर हए ऊट क खाली पट म छप जाऊ तो उन काितलो स बच सकती ह वह मर हए सड़ हए बदब मारनवाल ऊट क पट म घस गयी

घड़सवार की टकड़ी राःत क इदरिगदर पड़-झाड़ी-झाखड़ िछपन जस सब ःथानो की तलाश करती हई वहा आ पहची िसपाही मर हए ऊट क पाय आय तो भयकर दगरनध व अपना नाक-मह िसकोड़त बदब स बचन क िलए आग बह गय वहा तलाश करन जसा था भी कया

कमारवती ऐसी िसर चकरा दन वाली बदब क बीच छपी थी उसका िववक बोल रहा था िक ससार क िवकारो की बदब स तो इस मर हए ऊट की बदब बहत अचछी ह ससार क काम बोध लोभ मोह मद मतसर की जीवनपयरनत की गनदगी स तो यह दो िदन की गनदगी अचछी ह ससार की गनदगी तो हजारो जनमो की गनदगी म ऽःत करगी हजारो-लाखो बार बदबवाल अगो स गजरना पड़गा कसी-कसी योिनयो म जनम लना पड़गा म वहा स अपनी इचछा क मतािबक बाहर नही िनकल सकती ऊट क शरीर स म कम-स-कम अपनी इचछानसार बाहर तो िनकल जाऊगी

कमारवती को मर हए सड़ चक ऊट क पट क पोल की वह बदब इतनी बरी नही लगी िजतनी बरी ससार क िवकारो की बदब लगी िकतनी बि मान रही होगी वह बटी

कमारवती पकड़ जान क डर स उसी पोल म एक िदन दो िदन तीन िदन तक पड़ी रही जलदबाजी करन स शायद मसीबत आ जाय घड़सवार खब दर तक चककर लगाकर दौड़त हाफत िनराश होकर वापस उसी राःत स गजर रह थ व आपस म बातचीत कर रह थ िक भाई वह तो मर गयी होगी िकसी कए या तालाब म िगर गयी होगी अब उसका हाथ लगना मिकल ह पोल म पड़ी कमारवती य बात सन रही थी

िसपाही दर-दर चल गय कमारवती को पता चला िफर भी दो-चार घणट और पड़ी रही शाम ढली राऽी हई चह ओर अधरा छा गया जब जगल म िसयार बोलन लग तब कमारवती बाहर िनकली उसन इधर-उधर दख िलया कोई नही था भगवान को धनयवाद िदया िफर भागना शर िकया भयावह जगलो स गजरत हए िहसक ािणयो की डरावनी आवाज सनती कमारवती आग बढ़ी जा रही थी उस वीर बािलका को िजतना ससार का भय था उतना बर ािणयो का भय नही था वह समझती थी िक म भगवान की ह और भगवान मर ह जो िहसक ाणी ह व भी तो भगवान क ही ह उनम भी मरा परमातमा ह वह परमातमा ािणयो को मझ खा जान की रणा थोड़ ही दगा मझ िछप जान क िलए िजस परमातमा न मर हए ऊट की पोल दी िसपािहयो का रख बदल िदया वह परमातमा आग भी मरी रकषा करगा नही तो यह कहा राःत क िकनार ही ऊट का मरना िसयारो का मास खाना पोल बनना मर िलए घर बन जाना घर म घर िजसन बना िदया वह परम कपाल परमातमा मरा पालक और रकषक ह

ऐसा दढ़ िन य कर कमारवती भागी जा रही ह चार िदन की भखी-पयासी वह सकमार बािलका भख-पयास को भलकर अपन गनतवय ःथान की तरफ दौड़ रही ह कभी कही झरना िमल जाता तो पानी पी लती कोई जगली फल िमल तो खा लती कभी-कभी पड़ क प ही चबाकर कषधा-िनवि का एहसास कर लती

आिखर वह परम भि बािलका वनदावन पहची सोचा िक इसी वश म रहगी तो मर इलाक क लोग पहचान लग समझायग साथ चलन का आमह करग नही मानगी जबरन पकड़कर ल जायग इसस अपन को छपाना अित आवयक ह कमारवती न वश बदल िदया सादा फकीर-वश धारण कर िलया एक सादा त व गल म तलसी की माला ललाट पर ितलक वनदावन म रहनवाली और भि नो जसी भि न बन गयी

कमारवती क कटमबीजन वनदावन आय सवरऽ खोज की कोई पता नही चला बाकिबहारी क मिदर म रह सबह शाम छपकर तलाश की लिकन उन िदनो कमारवती मिदर म कयो जाय बि मान थी वह

वनदावन म कणड क पास एक साध रहत थ जहा भल-भटक लोग ही जात वह ऐसी जगह थी वहा कमारवती पड़ी रही वह अिधक समय धयानम न रहा करती भख लगती तब बाहर जाकर हाथ फला दती भगवान की पयारी बटी िभखारी क वश म टकड़ा खा लती

जयपर स भाई आया अनय कटमबीजन आय वनदावन म सब जगह खोजबीन की िनराश होकर सब लौट गय आिखर िपता राजपरोिहत परशराम ःवय आय उनह दय म परा यकीन था िक मरी कणिया बटी ौीकण क धाम क अलावा और कही न जा सकती ससःकारी भगवदभि म लीन अपनी सकोमल पयारी बचची क िलए िपता का दय बहत वयिथत था बटी की मगल भावनाओ को कछ-कछ समझनवाल परशराम का जीवन िनःसार-सा हो गया था उनहोन कस भी करक कमारवती को खोजन का दढ़ सकलप कर िलया कभी िकसी पड़ पर तो कभी िकसी पड़ पर चढ़कर मागर क पासवाल लोगो की चपक स िनगरानी रखत सबह स शाम तक राःत गजरत लोगो को धयानपवरक िनहारत िक शायद िकसी वश म िछपी हई अपनी लाडली का मख िदख जाय

पड़ो पर स एक साधवी को एक-एक भि न को भ का वश धारण िकय हए एक-एक वयि को परशराम बारीकी स िनहारत सबह स शाम तक उनकी यही वि रहती कई िदनो क उनका तप भी फल गया आिखर एक िदन कमारवती िपता की जासस दि म आ ही गयी परशराम झटपट पड़ स नीच उतर और वातसलय भाव स रध हए दय स बटी बटी कहत हए कमारवती का हाथ पकड़ िलया िपता का ःनिहल दय आखो क मागर स बहन लगा कमारवती की िःथित कछ और ही थी ई रीय मागर म ईमानदारी स कदम बढ़ानवाली वह सािधका तीो िववक-वरा यवान हो चली थी लौिकक मोह-ममता स समबनधो स ऊपर उठ चकी थी िपता की ःनह-वातसलयरपी सवणरमय जजीर भी उस बाधन म समथर नही थी िपता क हाथ स अपना हाथ छड़ात हए बोलीः

म तो आपकी बटी नही ह म तो ई र की बटी ह आपक वहा तो कवल आयी थी कछ समय क िलए गजरी थी आपक घर स अगल जनमो म भी म िकसी की बटी थी उसक पहल भी िकसी की बटी थी हर जनम म बटी कहन वाल बाप िमलत रह ह मा कहन वाल बट िमलत रह ह प ी कहन वाल पित िमलत

रह ह आिखर म कोई अपना नही रहता ह िजसकी स ा स अपना कहा जाता ह िजसस यह शरीर िटकता ह वह आतमा-परमातमा व ौीकण ही अपन ह बाकी सब धोखा-ही-धोखा ह ETH सब मायाजाल ह

राजपरोिहत परशराम शा क अ यासी थ धमर मी थ सतो क सतसग म जाया करत थ उनह बटी की बात म िनिहत सतय को ःवीकार करना पड़ा चाह िपता हो चाह गर हो सतय बात तो सतय ही होती ह बाहर चाह कोई इनकार कर द िकत भीतर तो सतय असर करता ही ह

अपनी गणवान सतान क ित मोहवाल िपता का दय माना नही व इितहास पराण और शा ो म स उदाहरण ल-लकर कमारवती को समझान लग बटी को समझान क िलए राजपरोिहत न अपना परा पािडतय लगा िदया पर कमारवती िपता क िव तापणर सनत-सनत यही सोच रही थी िक िपता का मोह कस दर हो सक उसकी आखो म भगवदभाव क आस थ ललाट पर ितलक गल म तलसी की माला मख पर भि का ओज आ गया था वह आख बनद करक धयान िकया करती थी इसस आखो म तज और चमबकतव आ गया था िपता का मगल हो िपता का मर ित मोह न रह ऐसी भावना कर दय म दढ़ सकलप कर कमारवती न दो-चार बार िपता की तरफ िनहारा वह पिणडत तो नही थी लिकन जहा स हजारो-हजारो पिणडतो को स ा-ःफितर िमलती ह उस सवरस ाधीश का धयान िकया करती थी आिखर पिडतजी की पिडताई हार गयी और भ की भि जीत गयी परशराम को कहना पड़ाः बटी त सचमच मरी बटी नही ह ई र की बटी ह अचछा त खशी स भजन कर म तर िलए यहा किटया बनवा दता ह तर िलए एक सहावना आौम बनवा दता ह

नही नही कमारवती सावधान होकर बोलीः यहा आप किटया बनाय तो कल मा आयगी परसो भाई आयगा तरसो चाचा-चाची आयग िफर मामा-मामी आयग िफर स वह ससार चाल हो जायगा मझ यह माया नही बढ़ानी ह

कसा बचची का िववक ह कसा तीो वरा य ह कसा दढ़ सकलप ह कसी साधना सावधानी ह धनय ह कमारवती

परशराम िनराश होकर वापस लौट गय िफर भी दय म सतोष था िक मरा हकक का अनन था पिवऽ अनन था श आजीिवका थी तो मर बालक को भी नाहकर क िवकार और िवलास क बदल हकक ःवरप ई र की भि िमली ह मझ अपन पसीन की कमाई का बिढ़या फल िमला मरा कल उजजवल हआ वाह

परशराम अगर तथाकिथत धािमरक होत धमरभीर होत तो भगवान को उलाहना दतः भगवान मन तरी भि की जीवन म सचचाई स रहा और मरी लड़की घर छोड़कर चली गयी समाज म मरी इजजत लट गयी ऐसा िवचार कर िसर पीटत

परशराम धमरभीर नही थ धमरभीर यानी धमर स डरनवाल लोग ऐस लोग कई कार क वहमो म अपन को पीसत रहत ह

धमर कया ह ई र को पाना ही धमर ह और ससार को मरा मानना ससार क भोगो म पड़ना अधमर ह यह बात जो जानत ह व धमरवीर होत ह

परशराम बाहर स थोड़ उदास और भीतर स पर सत होकर घर लौट उनहोन राजा शखावत सरदार स बटी कमारवती की भि और वरा य की बात कही वह बड़ा भािवत हआ िशयभाव स वनदावन म आकर उसन कमारवती क चरणो म णाम िकया िफर हाथ जोड़कर आदरभाव स िवनीत ःवर म बोलाः

ह दवी ह जगदी री मझ सवा का मौका दो म सरदार होकर नही आया आपक िपता का ःवामी होकर नही आया आपक िपता का ःवामी हो कर नही आया अिपत आपका तचछ सवक बनकर आया ह कपया इनकार मत करना कणड पर आपक िलए छोटी-सी किटया बनवा दता ह मरी ाथरना को ठकराना नही

कमारवती न सरदार को अनमित द दी आज भी वनदावन म कणड क पास की वह किटया मौजद ह पहल अमत जसा पर बाद म िवष स बद र हो वह िवकारो का सख ह ारभ म किठन लग दःखद

लग बाद म अमत स भी बढ़कर हो वह भि का सख पान क िलए बहत किठनाइयो का सामना करना पड़ता ह कई कार की कसौिटया आती ह भ का जीवन इतना सादा सीधा-सरल आडमबररिहत होता ह िक बाहर स दखन वाल ससारी लोगो को दया आती हः बचारा भगत ह दःखी ह जब भि फलती ह तब व ही सखी िदखन वाल हजारो लोग उस भ - दय की कपा पाकर अपना जीवन धनय करत ह भगवान की भि की बड़ी मिहमा ह

जय हो भ तरी जय हो तर पयार भ ो की जय हो हम भी तरी पावन भि म डब जाय परम र ऐस पिवऽ िदन जलदी आय नारायण नारायण नारायण

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अनबम

वाःतिवक सौनदयर सौनदयर सबक जीवन की माग ह वाःतिवक सौनदयर उस नही कहत जो आकर चला जाय जो कभी

कषीण हो जाय न हो जाय वह सौनदयर नही ह ससारी लोग िजस सौनदयर बोलत ह वह हाड़-मास का सौनदयर तब तक अचछा लगता ह जब तक मन म िवकार होता ह अथवा तो तब तक अचछा लगता ह जब तक बाहरी रप-रग अचछा होता ह िफर तो लोग उसस भी मह मोड़ लत ह िकसी वयि या वःत का सौनदयर हमशा िटक नही सकता और परम सौनदयरःवरप परमातमा का सौनदयर कभी िमट नही सकता

एक राजकमारी थी वह सनदर सयमी एव सदाचारी थी तथा सदमनथो का पठन भी करती थी उस राजकमारी की िनजी सवा म एक िवधवा दासी रखी गयी थी उस दासी क साथ राजकमारी दासी जसा नही बिलक व ा मा जसा वयवहार करती थी

एक िदन िकसी कारणवशात उस दासी का 20-22 साल का यवान पऽ राजमहल म अपनी मा क पास आया वहा उसन राजकमारी को भी दखा राजकमारी भी करीब 18-21 साल की थी सनदरता तो मानो उसम

कट-कट कर भरी थी राजकमारी का ऐसा सौनदयर दखकर दासीपऽ अतयत मोिहत हो गया वह कामपीिड़त होकर वापस लौटा

जब दासी अपन घर गयी तो दखा िक अपना पऽ मह लटकाय बठा ह दासी क बहत पछन पर लड़का बोलाः मरी शादी तम उस राजकमारी क साथ करवा दो

दासीः तरी मित तो नही मारी गयी कहा त िवधवा दासी का पऽ और कहा वह राजकमारी राजा को पता चलगा तो तझ फासी पर लटका दग

लड़काः वह सब म नही जानता जब तक मरी शादी राजकमारी क साथ नही होगी तब तक म अनन का एक दाना भी खाऊगा

उसन कमस खाली एक िदन दो िदन तीन िदन ऐसा करत-करत पाच िदन बीत गय उसन न कछ खाया न कछ िपया दासी समझात-समझात थक गयी बचारी का एक ही सहारा था पित तो जवानी म ही चल बसा था और एक-एक करक दो पऽ भी मर गय थ बस यह ही लड़का था वह भी ऐसी हठ लकर बठ गया

समझदार राजकमारी न भाप िलया िक दासी उदास-उदास रहती ह जरर उस कोई परशानी सता रही ह राजकमारी न दासी स पछाः सच बताओ कया बात ह आजकल तम बड़ी खोयी-खोयी-सी रहती हो

दासीः राजकमारीजी यिद म आपको मरी वयथा बता द तो आप मझ और मर बट को राजय स बाहर िनकलवा दगी

ऐसा कहकर दासी फट-फटकर रोन लगी राजकमारीः म तमह वचन दती ह तमह और तमहार बट को कोई सजा नही दगी अब तो बताओ

दासीः आपको दखकर मरा लड़का अनिधकारी माग करता ह िक शादी करगा तो इस सनदरी स ही करगा और जब तक शादी नही होती तब तक भोजन नही करगा आज पाच िदन स उसन खाना-पीना छोड़ रखा ह म तो समझा-समझाकर थक गयी

राजकमारीः िचनता मत करो तम कल उसको मर पास भज दना म उसकी वाःतिवक शादी करवा दगी

लड़का खश होकर पहच गया राजकमारी स िमलन राजकमारी न उसस कहाः मझस शादी करना चाहता ह

जी हा

आिखर िकस वजह स

तमहार मोहक सौनदयर को दखकर म घायल हो गया ह

अचछा तो त मर सौनदयर की वजह स मझस शादी करना चाहता ह यिद म तझ 80-90 ितशत सौनदयर द द तो तझ ति होगी 10 ितशत सौनदयर मर पास रह जायगा तो तझ ति होगी 10 ितशत सौनदयर मर पास रह जायगा तो तझ चलगा न

हा चलगा

ठीक ह तो कल दोपहर को आ जाना

राजकमारी न रात को जमालगोट का जलाब ल िलया िजसस रािऽ को दो बज जलाब क कारण हाजत तीो हो गयी पर पट की सफाई करक सारा कचरा बाहर राजकमारी न सनदर नककाशीदार कणड म अपन पट का वह कचरा डाल िदया कछ समय बाद उस िफर स हाजत हई तो इस बार जरीकाम और मलमल स ससिजजत कड म राजकमारी न कचरा उतार िदया दोनो कडो को चारपाई क एक-एक पाय क पास रख िदया उसक बाद िफर स एक बार जमालघोट का जलाब ल िलया तीसरा दःत तीसर कणड म िकया बाकी का थोड़ा-बहत जो बचा हआ मल था िव ा थी उस चौथी बार म चौथ कड म िनकाल िदया इन दो कडो को भी चारपाई क दो पायो क पास म रख िदया

एक ही रात जमालगोट क कारण राजकमारी का चहरा उतर गया शरीर खोखला सा हो गया राजकमारी की आख उतर गयी गालो की लाली उड़ गयी शरीर एकदम कमजोर पड़ गया

दसर िदन दोपहर को वह लड़का खश होता हआ राजमहल म आया और अपनी मा स पछन लगाः कहा ह राजकमारी जी

दासीः वह सोयी ह चारपाई पर

राजकमारी क नजदीक जान स उसका उतरा हआ मह दखकर दासीपऽ को आशका हई ठीक स दखा तो च क पड़ा और बोलाः

अर तमह या कया हो गया तमहारा चहरा इतना फीका कयो पड़ गया ह तमहारा सौनदयर कहा चला गया

राजकमारी न बहत धीमी आवाज म कहाः मन तझ कहा था न िक म तझ अपना 90 ितशत सौनदयर दगी अतः मन सौनदयर िनकालकर रखा ह

कहा ह आिखर तो दासीपऽ था बि मोटी थी इस चारपाई क पास चार कड ह पहल कड म 50 ितशत दसर म 25 ितशत सौनदयर दगी अतः

मन सौनदयर िनकालकर रखा ह

कहा ह आिखर तो दासीपऽ था बि मोटी थी इस चारपाई क पास चार कड ह पहल कड म 50 ितशत दसर म 25 ितशत तीसर कड म 10

ितशत और चौथ म 5-6 ितशत सौनदयर आ चका ह

मरा सौनदयर ह रािऽ क दो बज स सभालकर कर रखा ह

दासीपऽ हरान हो गया वह कछ समझ नही पा रहा था राजकमारी न दासी पऽ का िववक जागत हो इस कार उस समझात हए कहाः जस सशोिभत कड म िव ा ह ऐस ही चमड़ स ढक हए इस शरीर म यही सब कचरा भरा हआ ह हाड़-मास क िजस शरीर म तमह सौनदयर नज़र आ रहा था उस एक जमालगोटा ही न कर डालता ह मल-मऽ स भर इस शरीर का जो सौनदयर ह वह वाःतिवक सौनदयर नही ह लिकन इस मल-मऽािद को भी सौनदयर का रप दन वाला वह परमातमा ही वाःतव म सबस सनदर ह भया त उस सौनदयरवान परमातमा को पान क िलए आग बढ़ इस शरीर म कया रखा ह

दासीपऽ की आख खल गयी राजकमारी को गर मानकर और मा को णाम करक वह सचच सौनदयर की खोज म िनकल पड़ा आतम-अमत को पीन वाल सतो क ार पर रहा और परम सौनदयर को ा करक जीवनम हो गया

कछ समय बाद वही भतपवर दासी पऽ घमता-घामता अपन नगर की ओर आया और सिरता िकनार एक झोपड़ी बनाकर रहन लगा खराब बात फलाना बहत आसान ह िकत अचछी बात सतसग की बात बहत पिरौम और सतय माग लती ह नगर म कोई हीरो या हीरोइन आती ह तो हवा की लहर क साथ समाचार पर नगर म फल जाता ह लिकन एक साध एक सत अपन नगर म आय हए ह ऐस समाचार िकसी को जलदी नही िमलत

दासीपऽ म स महापरष बन हए उन सत क बार म भी शरआत म िकसी को पता नही चला परत बाद म धीर-धीर बात फलन लगी बात फलत-फलत राजदरबार तक पहची िक नगर म कोई बड़ महातमा पधार हए ह उनकी िनगाहो म िदवय आकषरण ह उनक दशरन स लोगो को शाित िमलती ह

राजा न यह बात राजकमारी स कही राजा तो अपन राजकाज म ही वयःत रहा लिकन राजकमारी आधयाितमक थी दासी को साथ म लकर वह महातमा क दशरन करन गयी

पप-चदन आिद लकर राजकमारी वहा पहची दासीपऽ को घर छोड़ 4-5 वषर बीत गय थ वश बदल गया था समझ बदल चकी थी इस कारण लोग तो उन महातमा को नही जान पाय लिकन राजकमारी भी नही पहचान पायी जस ही राजकमारी महातमा को णाम करन गयी िक अचानक व महातमा राजकमारी को पहचान गय जलदी स नीच आकर उनहोन ःवय राजकमारी क चरणो म िगरकर दडवत णाम िकया

राजकमारीः अर अर यह आप कया रह ह महाराज

दवी आप ही मरी थम गर ह म तो आपक हाड़-मास क सौनदयर क पीछ पड़ा था लिकन इस हाड़-मास को भी सौनदयर दान करन वाल परम सौनदयरवान परमातमा को पान की रणा आप ही न तो मझ दी थी इसिलए आप मरी थम गर ह िजनहोन मझ योगािद िसखाया व गर बाद क म आपका खब-खब आभारी ह

यह सनकर वह दासी बोल उठीः मरा बटा

तब राजकमारी न कहाः अब यह तमहारा बटा नही परमातमा का बटा हो गया ह परमातम-ःवरप हो गया ह

धनय ह व लोग जो बा रप स सनदर िदखन वाल इस शरीर की वाःतिवक िःथित और न रता का याल करक परम सनदर परमातमा क मागर पर चल पड़त ह

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अनबम

आतमिव ा की धनीः फलीबाई यह जोधपर (राजःथान) क पास क गाव की महान नारी फलीबाई की गाथा ह कहत ह िक उनक पित

शादी क थोड़ समय बाद ही ःवगर िसधार गय थ उनक माता-िपता न कहाः तरा सचचा पित तो परमातमा ही ह बटी चल तझ गरदव क पास स दीकषा िदलवा द

उनक समझदार माता-िपता न समथर गर महातमा भरीबाई स उनह दीकषा िदलवा दी अब फलीबाई अपन गरदव की आजञा क अनसार साधना म लीन हो गयी ाणायाम जप और धयान आिद करत-करत उनकी बि शि िवकिसत होन लगी व इस बात को खब अचछ स समझन लगी िक ाणीमाऽ क परम िहतषी सचच ःवामी तो एकमाऽ परमातमा ही ह धीर-धीर परमातमा क रग म अपन जीवन को रगत-रगत माभि स अपन दय को भरत-भरत व सष शि यो को जागत करन म सफल हो गयी

लौिकक िव ा म अनपढ़ व फलीबाई अलौिकक िव ा पान म सफल हो गयी अब व िनराधार न रही बिलक सवारधार क ःनह स पिरपणर हो गयी उनक िच म नयी िदवय ःफरणाए ःफिरत होन लगी उनका जीवन परमातम-काश स जगमगान लगा ऐिहक रप स फलीबाई बहत गरीब थी िकत उनहोन वाःतिवक धन को पा िलया था

गोबर क कणड बना-बनाकर व अपनी आजीिवका चलाती थी िकत उनकी पड़ोसन उनक कणड चरा लती एक बार फलीबाई को उस ी पर दया आयी एव बोलीः

बहन यिद त चोरी करगी तो तरा मन अपिवऽ होगा और भगवान तझस नाराज हो जायग अगर तझ चािहए तो म तझ पाच-पचीस कणड द िदया करगी िकत त चोरी करक अपना मन एव बि का एव अपन कटमब का सतयानाश मत कर

वह पड़ोसन ी तो द ा थी वह तो फलीबाई को गािलयो पर गािलया दन लगी इसस फलीबाई क िच म जरा भी कषोभ न हआ वरन उनक िच म दया उपजी और व बोलीः

बहन म तझ जो कछ कह रही ह वह तमहारी भलाई क िलए ही कह रही ह तम झगड़ो मत

चोरी करन वाली मिहला को जयादा गःसा आ गया िफर फलीबाई न भी थोड़ा-सा सना िदया झगड़ा बढ़न लगा तो गाव का मिखया एव माम-पचायत इकटठी हो गयी सबस एकिऽत दखकर वह चोरी करन वाली मिहला बोलीः

फलीबाई चोर ह मर कणड चरा जाती ह

फलीबाईः चोरी करन को म पाप समझती ह

तब गाव का मिखया बोलाः हम नयाय कस द िक कणड िकसक ह कणडो पर नाम तो िकसी का नही िलखा और आकार भी एक जसा ह अब कस बताय िक कौन स कणड फलीबाई क ह एव कौन स उसकी पड़ोसन क

जो ी चोरी करती थी उसका पित कमाता था िफर भी मिलन मन क कारण वह चोरी करती थी ऐसी बात नही िक कोई गरीबी क कारण ही चोरी करता ह कई बार तो समझ गरीब होती ह तब भी लोग चोरी

करत ह िफर कोई कलम स चोरी करता ह कोई िर त क रप म चोरी करता ह कोई नता बनकर जनता स चोरी करता ह समझ जब कमजोर होती ह तभी मनय हराम क पस लकर िवलासी जीवन जीन की इचछा करता ह और समझ ऊची होती ह तो मनय ईमानदारी की कमाई स पिवऽ जीवन जीता ह िफर भी वह भल सादा जीवन िजय लिकन उसक िवचार बहत ऊच होत ह

फलीबाई का जीवन खब सादगीपणर था लिकन उनकी भि एव समझ बहत बढ़ गयी थी उनहोन कहाः यह ी मर कणड चराती ह इसका माण यह ह िक यिद आप मर कणडो को अपन कानो क पास रखग तो उनम स राम नाम की धविन िनकलगी िजन कणडो म राम-नाम की धविन िनकल उनह आप मर समझना और िजनम स न िनकल उनह इसक समझना

माम-पचायत क कछ सजजन लोग एव मिखया उस मिहला क यहा गय उसक कणडो क ढर म स एक-एक कणडा उठाकर कान क पास रखकर दखन लग िजस कणड म स राम नाम की धविन का अनभव होता तो उस अलग रख दत स लगभग 50 कणड िनकल

मऽजप करत-करत फलीबाई की रगो म नस-नािड़यो म एव पर शरीर म मऽ का भाव छा गया था व िजन वःतओ को छती उनम भी मऽ की सआम तरगो का सचार हो जाता था गाव क मिखया एव उन सजजनो को फलीबाई का यह चमतकार दखकर उनक ित आदर भाव हो आया उन लोगो न फलीबाई का सतकार िकया

मनय म िकतनी शि ह िकतना सामथयर ह उस यिद यो य मागरदशरन िमल जाय एव वह ततपरता स लग जाय तो कया नही कर सकता

फलीबाई न गरमऽ ा करक गर क िनदशानसार साधना की तो उनम इतनी शि आ गयी िक उनक ारा बनाय गय कणडो स भी राम नाम की धविन िनकलन लगी

एक िदन राजा यशवतिसह क सिनको की एक टकड़ी दौड़न क िलए िनकली उसम स एक सिनक फलीबाई की झोपड़ी म पहचा एव उनस पानी मागा

फलीबाई न कहाः बटा दौड़कर तरत पानी नही पीना चािहए इसस तदरःती िबगड़ती ह एव आग जाकर खब हािन होती दौड़ लगाकर आय हो तो थोड़ी दर बठो म तमह रोटी का टकड़ा दती ह उस खाकर िफर पानी पीना

सिनकः माताजी हमारी परी टकड़ी दौड़ती आ रही ह यिद म खाऊगा तो मझ मर सािथयो को भी िखलाना पड़गा

फलीबाईः मन दो रोटल बनाय ह गवारफली की सबजी ह तम सब लोग टकड़ा-टकड़ा खा लना

सिनकः परी टकड़ी कवल दो रोटल म स टकड़ा-टकड़ा कस खा पायगी

फलीबाईः तम िचता मत करो मर राम मर साथ ह

फलीबाई न दो रोटल एव सबजी को ढक िदया कलल करक आख-कान को पानी का ःपशर कराया हम जो दख पिवऽ दख हम जो सन पिवऽ सन ऐसा सकलप करक आख-कान को जल का ःपशर करवाया जाता ह

फलीबाई न सबजी-रोटी को कपड़ स ढककर भगवतःमरण िकया एव इ मऽ म तललीन होत-होत टकड़ी क सिनको को रोटल का टकड़ा एव सबजी दती गयी फलीबाई क हाथो स बन उस भोजन म िदवयता आ गयी थी उस खाकर परी टकड़ी बड़ी सनन एव सत हई उनह आज तक ऐसा भोजन नही िमला था उन सभी न फलीबाई को णाम िकया एव व िवचार करन लग िक इतन-स झोपड़ म इतना सारा भोजन कहा स आया

सबस पहल जो सिनक पहल जो सिनक पहचा था उस पता था िक फलीबाई न कवल दो रोटल एव थोड़ी सी सबजी बनायी ह िकत उनहोन िजस बतरन म भोजन रखा ह वह बतरन उनकी भि क भाव स अकषयपाऽ बन गया ह

यह बात राजा यशवतिसह क कानो तक पहची वह रथ लकर फलीबाई क दशरन करन क िलए आया उसन रथ को दर ही खड़ा रखा जत उतार मकट उतारा एव एक साधारण नागिरक की तरह फलीबाई क ार तक पहचा फलीबाई की तो एक छोटी-सी झोपड़ी ह और आज उसम जोधपर का साट खब न भाव स खड़ा ह भि की कया मिहमा ह परमातमजञान की कया मिहमा ह िक िजसक आग बड़-बड़ साट तक नतमःतक हो जात ह

यशवतिसह न फलीबाई क चरणो म णाम िकया थोड़ी दर बातचीत की सतसग सना फलीबाई न अपन अनभव की बात बड़ी िनभ कता स राजा यशवतिसह को सनायी-

बटा यशवत त बाहर का राजय तो कर रहा ह लिकन अब भीतर का राजय भी पा ल तर अदर ही आतमा ह परमातमा ह वही असली राजय ह उसका जञान पाकर त असली सख पा ल कब तक बाहर क िवषय-िवकारो क सख म अपन को गरक करता रहगा ह यशवत त यशःवी हो अचछ कायर कर और उनह भी ई रापरण कर द ई रापरण बि स िकया गया कायर भि हो जाता ह राग- ष स िरत कमर जीव को बधन म डालता ह िकत तटःथ होकर िकया गया कमर जीव को मि क पथ पर ल जाता ह

ह यशवत तर खजान म जो धन ह वह तरा नही ह वह तो जा क पसीन की कमाई ह उस धन को जो राजा अपन िवषय-िवलास म खचर कर दता ह उस रौरव नरक क दःख भोगन पड़त ह कभीपाक जस नरको म जाना पड़ता ह जो राजा जा क धन का उपयोग जा क िहत म जा क ःवाःथय क िलए जा क िवकास क िलए करता ह वह राजा यहा भी यश पाता ह और उस ःवगर की भी ाि होती ह ह यशवत यिद वह राजा भगवान की भि कर सतो का सग कर तो भगवान क लोक को भी पा लता ह और यिद वह भगवान क लोक को पान की भी इचछा न कर वरन भगवान को ही जानन की इचछा कर तो वह भगवतःवरप का जञान पाकर भगवतःवरप ःवरप हो जाता ह

फलीबाई की अनभवय वाणी सनकर यशवतिसह पलिकत हो उठा उसन अतयत ौ ा-भि स फलीबाई क चरणो म णाम िकया फलीबाई की वाणी म सचचाई थी सहजता थी और जञान का तज था िजस सनकर यशवतिसह भी नतमःतक हो गया

कहा तो जोधपर का साट और कहा लौिकक दि स अनपढ़ फलीबाई िकत उनहोन यशवतिसह को जञान िदया यह जञान ह ही ऐसा िक िजसक सामन लौिकक िव ा का कोई मलय नही होता

यशवतिसह का दय िपघल गया वह िवचार करन लगा िक फलीबाई क पास खान क िलए िवशष भोजन नही ह रहन क िलए अचछा मकान नही ह िवषय-भोग की कोई साममी नही ह िफर भी व सत रहती ह और मर जस राजा को भी उनक पास आकर शाित िमलती ह सचमच वाःतिवक सख तो भगवान की भि म एव भगवता महापरषो क ौीचरणो म ही ह बाकी को ससार म जल-जलकर मरना ही ह वःतओ को भोग-भोगकर मनय जलदी कमजोर एव बीमार हो जाता ह जबिक फलीबाई िकतनी मजबत िदख रही ह

यह सोचत-सोचत यशवतिसह क मन म एक पिवऽ िवचार आया िक मर रिनवास म तो कई रािनया रहती ह परत जब दखो तब बीमार रहती ह झगड़ती रहती ह एक दसर की चगली और एक-दसर स ईयार करती रहती ह यिद उनह फलीबाई जसी महान आतमा का सग िमल तो उनका भी कलयाण हो

यशवतिसह न हाथ जोड़कर फलीबाई स कहाः माताजी मझ एक िभकषा दीिजए

साट एक िनधरन क पास भीख मागता ह सचचा साट तो वही ह िजसन आतमराजय पा िलया ह बा सााजय को ा िकया हआ मनय तो अधयातममागर की दि स कगाल भी हो सकता ह आतमराजय को पायी ह िनधरन फलीबाई स राजा एक िभखारी की तरह भीख माग रहा ह

यशवतिसह बोलाः माता जी मझ एक िभकषा द

फलीबाईः राजन तमह कया चािहए

यशवतिसहः बस मा मझ भि की िभकषा चािहए मरी बि सनमागर म लगी रह एव सतो का सग िमलता रह

फलीबाई न उस बि मान पिवऽातमा यशवतिसह क िसर पर हाथ रखा फलीबाई का ःपशर पाकर राजा गदगद हो गया एव ाथरना करन लगाः मा इस बालक की एक दसरी इचछा भी परी कर आप मर रिनवास म पधारकर मरी रािनयो को थोड़ा उपदश दन की कपा कर तािक उनकी बि भी अधयातम म लग जाय

फलीबाई न यशवतिसह की िवनता दखकर उनकी ाथरना ःवीकार कर ली नही तो उनह रिनवास स कया काम

य व ही फलीबाई ह िजनक पित िववाह होत ही ःवगर िसधार गय थ दसरी कोई ी होती तो रोती िक अब मरा कया होगा म तो िवधवा हो गयी परत फलीबाई क माता-िपता न उनह भगवान क राःत लगा िदया गर स दीकषा लकर गर क बताय हए मागर पर चलकर अब फलीबाई फलीबाई न रही बिलक सत फलीबाई हो गयी तो यशवतिसह जसा साट भी उनका आदर करता ह एव उनकी चरणरज िसर पर लगाकर अपन को भा यशाली मानता ह उनह माता कहकर सबोिधत करता ह जो कणड बचकर अपना जीवन िनवारह करती ह उनह हजारो लोग माता कहकर पकारत ह

धनय ह वह धरती जहा ऐस भगवदभ जनम लत ह जो भगवान का भजन करक भगवान क हो जात ह उनह माता कहन वाल हजारो लोग िमल जात ह अपना िमऽ एव समबनधी मानन क िलए हजारो लोग तयार हो जात ह कयोिक उनहोन सचच माता-िपता क साथ सचच सग-समबनधी क साथ परमातमा क साथ अपना िच जोड़ िलया ह

यशवतिसह न फलीबाई को राजमहल म बलवाकर दािसयो स कहाः इनह खब आदर क साथ रिनवास म जाओ तािक रािनया इनक दो वचन सनकर अपन कान को एव दशरन करक अपन नऽो को पिवऽ कर

फलीबाई क व ो पर तो कई पबद लग हए थ पबदवाल कपड़ पहनन क बावजद बाजरी क मोट रोटल खान एव झोपड़ म रहन क बावजद फलीबाई िकतनी तदरःत और सनन थी और यशवत िसह की रािनया ितिदन नय-नय वयजन खाती थी नय-नय व पहनती थी महलो म रहती थी िफर भी लड़ती-झगड़ती रहती थी उनम थोड़ी आय इसी आशा स राजा न फलीबाई को रिनवास म भजा

दािसया फलीबाई को आदर क साथ रिनवास म ल गयी वहा तो रािनया सज-धजकर हार-ौगार करक तयार होकर बठी थी जब उनहोन पबद लग मोट व पहनी हई फलीबाई को दखा तो एक दसर की तरफ दखन लगी और फसफसान लगी िक यह कौन सा ाणी आया ह

फलीबाई का अनादर हआ िकत फलीबाई क िच पर चोट न लगी कयोिक िजसन अपना आदर कर िलया अपनी आतमा का आदर कर िलया उसका अनादर करक उसको चोट पहचान म दिनया का कोई भी वयि सफल नही हो सकता फलीबाई को दःख न हआ लािन न हई बोध नही आया वरन उनक िच म दया उपजी िक इन मखर रािनयो को थोड़ा उपदश दना चािहए दयाल एव समिच फलीबाई न उन रािनयो कहाः बटा बठो

दािसयो न धीर-स जाकर रािनयो को बताया िक राजा साहब तो इनह णाम करत ह इनका आदर करत ह और आप लोग कहती ह िक कौन सा ाणी आया राजा साहब को पता चलगा तो आपकी

यह सनकर रािनया घबरायी एव चपचाप बठ गयी फलीबाई न कहाः ह रािनयो इस हाड़-मास क शरीर को सजाकर कया बठी हो गहन पहनकर हार-

ौगार करक कवल शरीर को ही सजाती रहोगी तो उसस तो पित क मन म िवकार उठगा जो तमह दखगा उसक मन म िवकार उठगा इसस उस तो नकसान होगा ही तमह भी नकसान होगा

शा ो म ौगार करन की मनाही नही ह परत साि वक पिवऽ एव मयारिदत ौगार करो जसा ौगार ाचीन काल म होता था वसा करो पहल वनःपितयो स ौगार क ऐस साधन बनाय जात थ िजनस मन फिललत एव पिवऽ रहता था तन नीरोग रहता था जस िक पर म पायल पहनन स अमक नाड़ी पर दबाव रहता ह एव उसस चयर-रकषा म मदद िमलती ह जस ा ण लोग जनऊ पहनत ह एव पशाब करत समय कान पर जनऊ लपटत ह तो उस नाड़ी पर दबाव पड़न स उनह कणर पीडनासन का लाभ िमलता ह और ःवपनदोष की बीमारी नही होती इस कार शरीर को मजबत और मन को सनन बनान म सहायक ऐसी हमारी विदक सःकित ह

आजकल तो पा ातय जगत क ऐस गद ौगारो का चार बढ़ गया ह िक शरीर तो रोगी हो जाता ह साथ ही मन भी िवकारमःत हो जाता ह ौगार करन वाली िजस िदन ौगार नही करती उस िदन उसका चहरा बढ़ी बदरी जसा िदखता ह चहर की कदरती कोमलता न हो जाती ह पाउडर िलपिःटक वगरह स तवचा की ाकितक िःन धता न हो जाती ह

ाकितक सौनदयर को न करक जो किऽम सौनदयर क गलाम बनत ह उनस ाथरना ह िक व किऽम साधनो का योग करक अपन ाकितक सौनदयर को न न कर चिड़या पहनन की कमकम का ितलक करन की मनाई नही ह परत पफ-पाउडर लाली िलपिःटक लगाकर चमकील-भड़कील व पहनकर अपन शरीर मन कटिमबयो एव समाज का अिहत न हो ऐसी कपा कर अपन असली सौनदयर को कट कर जस मीरा न िकया था गाग और मदालसा न िकया था

फलीबाई न उन रािनयो को कहाः ह रािनयो तम इधर-उधर कया दखती हो य गहन-गाठ तो तमहार शरीर की शोभा ह और यह शरीर एक िदन िमटटी म िमल जान वाला ह इस सजा-धजाकर कब तक अपन जीवन को न करती रहगी िवषय िवकारो म कब तक खपती रहोगी अब तो ौीराम का भजन कर लो अपन वाःतिवक सौनदयर को कट कर लो

गहनो गाठो तन री शोभो काया काचो भाडो फली कह थ राम भजो िनत लड़ो कयो हो राडो

गहन-गाठ शरीर की शोभा ह और शरीर िमटटी क कचच बतरन जसा ह अतः ितिदन राम का भजन करो इस तरह वयथर लड़न स कया लाभ

िवषय-िवकार की गलामी छोड़ो हार ौगार की गलामी छोड़ो एव पा लो उस परम र को जो परम सनदर ह

राजा यशवतिसह क रिनवास म भी फलीबाई की िकतनी िहममत ह रािनयो को सतय सनाकर फलीबाई अपन गाव की तरफ चल पड़ी

बाहर स भल कोई अनपढ़ िदख िनधरन िदख परत िजसन अदर का राजय पा िलया ह वह धनवानो को भी दान दन की कषमता रखता ह और िव ानो को भी अधयातम-िव ा दान कर सकता ह उसक थोड़-स आशीवारद माऽ स धनवानो क धन की रकषा हो जाती ह िव ानो म आधयाितमक िव ा कट होन लगती ह आतमिव ा म आतमजञान म ऐसा अनपम-अदभत सामथयर ह और इसी सामथयर स सपनन थी फलीबाई

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अनबम

आनदीबाई की दढ़ ौ ा एक पजाबी मिहला का नाम था आनदीबाई दखन म तो वह इतनी करप थी िक दखकर लोग डर

जाय उसका िववाह हो गया िववाह स पवर उसक पित न उस नही दखा था िववाह क प ात उसकी करपता को दखकर वह उस प ी क रप म न रख सका एव उस छोड़कर उसन दसरा िववाह रचा िलया

आनदी न अपनी करपता क कारण हए अपमान को पचा िलया एव िन य िकया िक अब तो म गोकल को ही अपनी ससराल बनाऊगी वह गोकल म एक छोट स कमर म रहन लगी घर म ही मिदर बनाकर

आनदीबाई ौीकण की मःती म मःत रहन लगी आनदीबाई सबह-शाम घर म िवराजमान ौीकण की मितर क साथ बात करती उनस रठ जाती िफर उनह मनाती और िदन म साध-सनतो की सवा एव सतसग-ौवण करती इस कार उसक िदन बीतन लग

एक िदन की बात हः गोकल म गोप रनाथ नामक जगह पर ौीकण-लीला का आयोजन िनि त िकया गया था उसक िलए

अलग-अलग पाऽो का चयन होन लगा पाऽो क चयन क समय आनदीबाई भी वहा िव मान थी अत म कबजा क पाऽ की बात चली उस व आनदी का पित अपनी दसरी प ी एव बचचो क साथ वही उपिःथत था अतः आनदीबाई की िखलली उड़ात हए उसन आयोजको क आग ःताव रखाः

सामन यह जो मिहला खड़ी ह वह कबजा की भिमका अचछी तरह स अदा कर सकती ह अतः उस ही कहो न यह पाऽ तो इसी पर जचगा यह तो साकषात कबजा ही ह

आयोजको न आनदीबाई की ओर दखा उसका करप चहरा उनह भी कबजा की भिमका क िलए पसद आ गया उनहोन आनदीबाई को कबजा का पाऽ अदा करन क िलए ाथरना की

ौीकणलीला म खद को भाग लन का मौका िमलगा इस सचनामाऽ स आनदीबाई भाविवभोर हो उठी उसन खब म स भिमका अदा करन की ःवीकित द दी ौीकण का पाऽ एक आठ वष य बालक क िजमम आया था

आनदीबाई तो घर आकर ौीकण की मितर क आग िव लता स िनहारन लगी एव मन-ही-मन िवचारन लगी िक मरा कनहया आयगा मर पर पर पर रखगा मरी ठोड़ी पकड़कर मझ ऊपर दखन को कहगा वह तो बस नाटक म दयो की कलपना म ही खोन लगी

आिखरकार ौीकणलीला रगमच पर अिभनीत करन का समय आ गया लीला दखन क िलए बहत स लोग एकिऽत हए ौीकण क मथरागमन का सग चल रहा थाः

नगर क राजमागर स ौीकण गजर रह ह राःत म उनह कबजा िमली आठ वष य बालक जो ौीकण का पाऽ अदा कर रहा था उसन कबजा बनी हई आनदी क पर पर पर

रखा और उसकी ठोड़ी पकड़कर उस ऊचा िकया िकत यह कसा चमतकार करप कबजा एकदम सामानय नारी क ःवरप म आ गयी वहा उपिःथत सभी दशरको न इस सग को अपनी आखो स दखा आनदीबाई की करपता का पता सभी को था अब उसकी करपता िबलकल गायब हो चकी थी यह दखकर सभी दातो तल ऊगली दबान लग

आनदीबाई तो भाविवभोर होकर अपन कण म ही खोयी हई थी उसकी करपता न हो गयी यह जानकर कई लोग कतहलवश उस दखन क िलए आय

िफर तो आनदीबाई अपन घर म बनाय गय मिदर म िवराजमान ौीकण म ही खोयी रहती यिद कोई कछ भी पछता तो एक ही जवाब िमलताः मर कनहया की लीला कनहया ही जान

आनदीबाई न अपन पित को धनयवाद दन म भी कोई कसर बाकी न रखी यिद उसकी करपता क कारण उसक पित न उस छोड़ न िदया होता तो ौीकण म उसकी इतनी भि कस जागती ौीकणलीला म

कबजा क पाऽ क चयन क िलए उसका नाम भी तो उसक पित न ही िदया था इसका भी वह बड़ा आभार मानती थी

ितकल पिरिःथितयो एव सयोगो म िशकायत करन की जगह तयक पिरिःथित को भगवान की ही दन मानकर धनयवाद दन स ितकल पिरिःथित भी उननितकारक हो जाती ह पतथर भी सोपान बन जाता ह

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अनबम

कमारबाई की वातसलय-भि सवारनतयारमी घट-घटवासी भगवान न तो धन-ऐ यर स सनन होत ह और न ही पजा क लमब-चौड़

िवधानो स व तो बस एकमाऽ म स ही सत होत ह एव म क वशीभत होकर नम (िनयम) की भी परवाह नही करत कोई उनका होकर उनह पकार तो दौड़ चल आत ह

कमारबाई नामक एक ऐसी ही भि मती नारी थी िजनकी पकार सनकर भगवान ितिदन उनकी िखचड़ी खान दौड़ चल आत थ भगवान यह नही दखत की भ न खीर-परी-पकवान तयार िकय ह या एकदम सीधा-सादा रखा-सखा भोजन

कमारबाई ौीपरषो मपरी (जगननाथपरी) म िनवास करती थी व भगवान का वातसलय-भाव स िचनतन करती थी एव ितिदन िनयमपवरक ातःकाल ःनानािद िकय िबना ही िखचड़ी तयार करती और भगवान को अिपरत करती थी म क वश म रहन वाल ौीजगननाथजी भी ितिदन सनदर-सलोन बालक क वश म आत और कमारबाई की गोद म बठकर िखचड़ी खा जात कमारबाई भी सदव िचिनतत रहा करती िक बालक क भोजन म कभी िवलब न हो जाय इसी कारण व िकसी भई िविध-िवधान क पचड़ म न पड़कर अतयत म स सवर ही िखचड़ी तयार कर लती थी

एक िदन की बात ह कमारबाई क पास एक साध आय उनहोन कमारबाई को अपिवऽता क साथ िखचड़ी तयार करक भगवान को अपरण करत हए दखा घबराकर उनहोन कमारबाई को पिवऽता स भोजन बनान क िलए कहा और पिवऽता क िलए ःनानािद की िविधया बता दी

भि मती कमारबाई न दसर िदन वसा ही िकया िकत िखचड़ी तयार करन म उनह दर हो गयी उस समय उनका दय यह सोचकर रो उठा िक मरा पयारा यामसनदर भख स छटपटा रहा होगा

कमारबाई न दःखी मन स यामसनदर को िखचड़ी िखलायी उसी समय मिदर म अनकानक घतमय िनविदत करन क िलए पजारी न भ का आवाहन िकया भ जठ मह ही वहा चल गय पजारी चिकत हो गया उसन दखा िक भगवान क मखारिवद म िखचड़ी लगी ह पजारी भी भ था उसका दय बनदन करन लगा उसन अतयत कातर होकर भ को असली बात बतान की ाथरना की

तब उस उ र िमलाः िनतयित ातःकाल म कमारबाई क पास िखचड़ी खान जाता ह उनकी िखचड़ी मझ बड़ी िय और मधर लगती ह पर कल एक साध न जाकर उनह पिवऽता क िलए ःनानािद की िविधया बता दी इसिलए िवलब क कारण मझ कषधा का क तो हआ ही साथ ही शीयता स जठ मह ही आना पड़ा

भगवान क बताय अनसार पजारी न उस साध को ढढकर भ की सारी बात सना दी साध चिकत हो उठा एव घबराकर कमारबाई क पास जाकर बोलाः आप पवर की तरह ही ितिदन सवर ही िखचड़ी बनाकर भ को िनवदन कर िदया कर आपक िलए िकसी िनयम की आवयकता नही ह

कमारबाई पनः पहल की ही तरह ितिदन सवर भगवान को िखचड़ी िखलान लगी व समय पाकर परमातमा क पिवऽ और आनदधाम म चली गयी परत उनक म की गाथा आज भी िव मान ह ौीजगननाथजी क मिदर म आज भी ितिदन ातःकाल िखचड़ी का भोग लगाया जाता

म म अदभत शि ह जो काम दल-बल-छल स नही हो सकता वह म स सभव ह म माःपद को भी अपन वशीभत कर दता ह िकत शतर इतनी ह िक म कवल म क िलए ही िकया जाय िकसी ःवाथर क िलए नही भगवान क होकर भगवान स म करो तो उनक िमलन म जरा भी दर नही ह

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अनबम

साधवी िसरमा िसहल दश (वतरमान ौीलका) क एक सदाचारी पिरवार म जनमी हई कनया िसरमा म बालयकाल स ही

भगवदभि ःफिटत हो चकी थी वह िजतनी सनदर थी उतनी ही सशील भी थी 16 वषर की उ म उसक मा-बाप न एक धनवान पिरवार क यवक समगल क साथ उसकी शादी करवा दी

शादी क प ात समगल िवदश चला गया वहा वह वःतओ का आयात-िनयारत करता था कछ वष म उसन काफी सपि इकटठी कर ली और ःवदश लौट चला कटिबयो न सोचा िक समगल वष बाद घर लौट रहा ह अतः उसका आदर-सतकार होना चािहए गाव भर क जान मान लोगो को आमिऽत िकया गया और सब समगल को लन चल भीड़ म उस जमान की गिणका मदारमाला भी थी

मदारमाला क सौनदयर को दखकर समगल मोिहत हो गया एव समगल क आकषरक वयि तव स मदारमाला भी घायल हो गयी भीड़ को समझत दर न लगी िक दोनो एक-दसर स घायल हो गयी समगल को लकर शोभायाऽा उसक घर पहची समगल को उदास दखकर बोलीः

दव आप बड़ उदास एव वयिथत लग रह ह आपकी उदासी एव वयथा का कारण म जानती ह

समगलः जब जानती ह तो कया पछती ह अब उसक िबना नही रहा जाता

यह सनकर िसरमा न अपना सतलन न खोया कयोिक वह ितिदन भगवान का धयान करती थी एव शात ःवभाव का धन िववक-वरा यरपी धन और िवपि यो म भी सनन रहन की समझ का धन उसक पास था

सिवधाए हो और आप सनन रह- इतना तो लािलया मोितया और कािलया क ा भी जानता ह वह भी जलबी दखकर पछ िहला दता ह और डडा दखकर पछ दबा दता ह सख म सखी एव दःख म दःखी नही होता लिकन सव म तो वह ह जो सख-दःख को सपना मानता ह एव सिचचदानद परमातमा को अपना मानता ह

िसरमा न कहाः नाथ आपकी परशानी का कारण तो म जानती ह उस दर करन म म परा सहयोग दगी आप अपनी परशािनयो को िमटान म मर पर अिधकार का उपयोग कर सकत ह कोई उपाय खोजा जायगा

इतन म ही मदारमाला की नौकरानी आकर बोलीः समगल आपको मरी मालिकन अपन महल म बला रही ह

िसरमा न कहाः जाकर अपनी मालिकन स कह दो िक इस बड़ घर की बहरानी बनना चाहती हो तो तमहार िलए ार खल ह िसरमा अपन सार अिधकार तमह स पन को तयार ह लिकन इस बड़ खानदान क लड़क को अपन अ ड पर बलाकर कलक का टीका मत लगाओ यह मरी ाथरना ह

िसरमा की नता न मदारमाला क दय को ििवत कर िदया और वह व ालकार स ससिजजत होकर समगल क घर आ गयी िसरमा न दोनो का गधवर िववाह करवा िदया और िकसी सचच सत स दीकषा लकर ःवय साधवी बन गयी िसरमा की समझ व मऽजाप की ततपरता न उस ऋि -िसि की मालिकन बना िदया िसरमा का मनोबल बि बल तपोबल और यौिगक सामथयर इतना िनखरा िक कई साधक िसरमा को णाम करन आन लग

एक िदन एक साधक िजसका िसर फटा हआ था और खन बह रहा था िसरमा क पास आया िसरमा न पछाः िभकषक तमहारा िसर फटा ह कया बात ह

िभकषकः म िभकषा लन क िलए समगल क घर गया था मदारमाला क हाथ म जो बतरन था वही बतरन उनहोन मर िसर पर द मारा इसस मरा िसर फट गया

िसरमा को बड़ा दःख हआ िक मदारमाला को परी जायदाद िमल गयी और मरा ऐसा सनदर धनी पिवऽ ःवभाववाला वयापारी पित िमल गया िफर वह कयो दःखी ह ससार म जब तक सचची समझ सचचा जञान नही िमलता तब तक मनय क दःखो का अत नही होता शायद वह दःखी होगी और दःखी वयि ही साधओ को दःख दगा सजजन वयि साधओ को दःख नही दगा वरन उनस सख लगा आशीवारद ल लगा मदारमाला अित दःखी ह तभी उसन िभकषक को भी दःखी कर िदया

िसरमा गयी मदारमाला क पास और बोलीः मदारमाला उस िभकषक क अिकचन साध क िभकषा मागन पर त िभकषा नही दती तो चलता लिकन उसका िसर कयो फोड़ िदया

मदारमालाः बहन म बहत दःखी ह समगल न तझ छोड़कर मझस शादी की और अब मर होत हए एक दसरी नतरकी क यहा जाता ह वह मझस कहता ह िक म परसो उसक साथ शादी कर लगा मन तो अपन

सख को सभाल रखा था लिकन सख तो सदा िटकता नही ह तमहारा िदया हआ यह िखलौना अब दसरा िखलौना लन का भाग रहा ह

िसरमा को दःखाकार वि का थोड़ा धकका लगा िकत वह सावधान थी रािऽ को वह अपन ककष म दीया जलाकर बठ गयी एव ाथरना करन लगीः ह भगवान तम काशःवरप हो जञानःवरप हो म तमहारी शरण आयी ह तम अगर चाहो तो समगल को वाःतव म समगल बना सकत हो समगल िजसस जलदी मतय हो जाय ऐस भोग-पर-भोग बढ़ा रहा ह एप नरक की याऽा कर रहा ह उस सतरणा दकर इन िवकारो स बचाकर अपन िनिवरकारी शात आनद एव माधयरःवरप म लगान म ह भ तम सकषम हो

िसरमा ाथरना िकय जा रही ह एव टकटकी लगाकर दीय की लौ को दख जा रही ह धयान करत-करत िसरमा शात हो गयी उसकी शाित ही परमातमा तक पगाम पहचान का साधन बन गयी धयान करत-करत उस कब नीद आ गयी पता नही लिकन जो नीद क समय भी तमहार िच की चतना को र वािहिनयो को स ा दता ह वह पयारा कस चप बठता

भात म समगल को भयानक ःवपन आया िक मरा िवकारी-भोगी जीवन मझ घसीटकर यमराज क पास ल गय एव तमाम भोिगयो की जो ददरशा हो रही ह वही मरी भी होन जा रही ह हाय म यह कया दख रहा ह समगल च क उठा और उसकी आख खल गयी भात का ःवपन सतय का सकत दन वाला होता ह

सबह होत-होत समगल न अपनी सारी धन-समपि गरीब-गरबो म बाटकर एव सतकम म लगाकर दीकषा ल ली अब तो िसरमा िजस राःत जा रही ह भोग क कीचड़ म पड़ा हआ समगल भी उसी राःत अथारत आतमो ार क राःत जान का सकलप करक चल पड़ा

वह अतःचतना कब िकस वयि क अतःकरण म जामत हो और वह भोग क दलदल स तथा अहकार क िवकट मागर स बचकर सहज ःवभाव को अपनाकर सरल मागर स सत-िचत-आनदःवरप ई र की ओर चल पड़ कहना मिकल ह

धनय ह िसरमा जो ःवय तो उस पथ पर चली ही साथ ही अपन िवकारी पित को भी उस पथ पर चलान म सहायक हो गयी

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अनबम

भि मती जनाबाई (भगवदभि स कया सभव नही ह सब सभव ह भि मती जनाबाई क जीवन सगो पर काश डालत

हए पजयौी कहत ह) भगवान कब कहा और कस अपनी लीला कट करक भ ो की रकषा करत ह यह कहना मिकल ह

भ ो का इितहास दखत ह उनका चिरऽ पढ़त ह तब भगवान क अिःततव पर िवशष ौ ा हो जाती ह

गोदावरी नदी क तट पर िःथत गगाखड़ (िज परमणी महारा ) गाव म दमाजी क यहा जनाबाई का जनम हआ था जनाबाई क बचपन उसकी मा चल बसी मा का अि नसःकार करक जब िपता घर आय तब ननही-सी जना न पछाः

िपताजी मा कहा गयी

िपताः मा पढरपर म भगवान िवटठल क पास गयी ह

एक िदन दो िदन पाच िदन दस िदन पचचीस िदन बीत गय मा अभी तक नही आयी पढरपर म िवटठल क पास बठी ह िपता जी मझ भी िवटठल क पास ल चलो ननही सकनया जना न िजद की

िपता बटी को पढरपर ल आय चिभागा नदी म ःनान करक िवटठल क मिदर म गय ननही-सी जना िवटठल स पछन लगीः मरी मा कहा गयी िवटठल बलाओ न मरी मा को

िवटठल िवटठल करक जना रोन लगी िपता न समझान की खब कोिशश की िकत ननही सी बािलका की कया समझ म आता इतन म वहा दामा शठ एव उनकी धमरप ी गोणाई बाई आय भ नामदव इनही की सनतान थ बािलका को दखकर उनका वातसलय जाग उठा उनहोन जना क िपता स कहाः

अब यह पढरपर छोड़कर तो जायगी नही आप इस यही छोड़ जाइय हम इस अपनी बटी क समान रखग यह यही रहकर िवटठल क दशरन करगी और अपनी मा क िलए िवटठल क दशरन करगी और अपनी मा क िलए िवटठल को पकारत-पकारत अगर इस भि का रग लग जाय तो अचछा ही ह

जना क िपता सहमत हो गय एव जनाबाई को वही छोड़ गय जना को बालयकाल स ही भ नामदव का सग िमल गया जना वहा रहकर िवटठल क दशरन करती एव घर क काम-काज म हाथ बटाती थी धीर-धीर जना की भगवदभि बढ़ गयी

समय पाकर नामदव जी का िववाह हो गया िफर भी जना उनक घर क सब काम करती थी एव रोज िनयम स िवटठल क दशरन करन भी जाती थी

एक बार काम की अिधकता स वह िवटठल क दशरन करन दर स जा पायी रात हो गयी थी सब लोग जा चक थ िवटठल क दशरन करक जना घर लौट आयी लिकन दसर िदन सबह िवटठल भगवान क गल म जो ःवणर की माला थी वह गायब हो गयी

मिदर क पजारी न कहाः सबस आिखर म जनाबाई आयी थी

जनाबाई को पकड़ िलया गया जना न कहाः म िकसी की सई भी नही लती तो िवटठल भगवान का हार कस चोरी करगी

लिकन भगवान भी मानो परीकषा करक अपन भ का आतमबल और यश बढ़ाना चाहत थ राजा न फरमान जारी कर िदयाः जना झठ बोलती ह इसको सर बाजार स बत मारत-मारत ल जाया जाय एव जहा सबको सली पर चढ़ाया जाता ह वही सली पर चढ़ा िदया जाय

िसपाही जनाबाई को लन आय जनाबाई अपन िवटठल को पकारती जा रही थीः ह मर िवटठल म कया कर तम तो सब जानत ही हो

गहन बनान स पवर ःवणर को तपाया जाता ह ऐस ही भगवान भी भ की कसौटी करत ही ह जो सचच भ होत ह व उस कसौटी को पार कर जात ह बाकी क लोग भटक जात ह

सिनक जनाबाई को ल जा रह थ और राःत म उसक िलए लोग कछ-का-कछ बोलत जा रह थः बड़ी आयी भ ानी भि का ढोग करती थी अब तो तरी पोल खल गयी यह दख सजजन लोगो क मन म दःख हो रहा था

ऐसा करत-करत जनाबाई सली तक पहच गयी तब जललादो न उसस पछाः अब तमको मतयदड िदया जा रहा ह तमहारी आिखरी इचछा कया ह

जनाबाई न कहाः आप लोग तिनक ठहर जाय तािक मरत-मरत म दो अभग गा ल

आप लोग चौपाई दोह साखी आिद बोलत हो ऐस ही महारा म अभग बोलत ह अभी भी जनाबाई क लगभग तीन सौ अभग उपलबध ह जनाबाई भगवतःमरण करक ौ ा भि भर दय स अभग ारा िवटठल स ाथरना करन लगीः

करो दया ह िवटठलाया करो दया ह िवटठलराया छलती कस ह छलनी माया

करो दया ह िवटठलराया करो दया ह िवटठलराया ौ ाभि पणर दय स की गयी ाथरना दय र सव र तक अवय पहचती ह ाथरना करत-करत

उसकी आखो स अौिबनद छलक पड़ और िजस सली पर उस लटकाया जाना था वह सली पानी हो गयी

सचच दय की भि कित क िनयमो म भी पिरवतरन कर दती ह लोग यह दखकर दग रह गय राजा न उसस कषमा-याचना की जनाबाई की जय-जयकार हो गयी

िवरोधी भल िकतना भी िवरोध कर लिकन सचच भगवदभ तो अपनी भि म दढ़ रहत ह ठीक ही कहा हः

बाधाए कब बाध सकी ह आग बढ़नवालो को िवपदाए कब रोक सकी ह पथ पर चलन वालो को

ह भारत की दिवयो याद करो अपन अतीत की महान नािरयो को तमहारा जनम भी उसी भिम पर हआ ह िजस पणय भिम भारत म सलभा गाग मदालसा शबरी मीरा जनाबाई जसी नािरयो न जनम िलया था अनक िव न बाधाए भी उनकी भि एव िन ा को न िडगा पायी थी

ह भारत की नािरयो पा ातय सःकित की चकाच ध म अपन सःकित की गिरमा को भला बठना कहा तक उिचत ह पतन की ओर ल जानवाली सःकित का अनसरण करन की अपकषा अपनी सःकित को अपनाओ तािक तमहारा जीवन तो समननत हो ही तमहारी सतान भी सवागीण गित कर सक और भारत पनः िव गर की पदवी पर आसीन हो सक

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अनबम

म ाबाई का सवरऽ िवटठल-दशरन ौीिनवि नाथ जञान र एव सोपानदव की छोटी बहन थी म ाबाई जनम स ही चारो िस योगी परम

िवर एव सचच भगवदभ थ बड़ भाई िनवि नाथ ही सबक गर थ ननही सी म ा कहतीः िवटठल ही मर िपता ह शरीर क माता-िपता तो मर जात ह लिकन हमार

सचच माता-िपता हमार परमातमा तो सदा साथ रहत ह

उसन सतसग म सन रखा था िक िवटठल कवल मिदर म ही नही िवटठल तो सबका आतमा बना बठा ह सार शरीरो म उसी की चतना ह वह कीड़ी म छोटा और हाथी म बड़ा लगता ह िव ानो की िव ा की गहराई म उसी की चतना ह बलवानो का बल उसी परम र का ह सतो का सततव उसी परमातम-स ा स ह िजसकी स ा स आख दखती ह कान सनत ह नािसका ास लती ह िज ा ःवाद का अनभव करती ह वही िवटठल ह

म ाबाई िकसी पप को दखती तो सनन होकर कह उठती िक िवटठल बड़ अचछ ह एक िदन म ाबाई कह उठीः िवटठल तम िकतन गद हो ऐसी गदगी म रहत हो

िकसी न पछाः कहा ह िवटठल

म ाबाईः दखो न इस गदी नाली म िवटठल कीड़ा बन बठ ह

म ाबाई की दि िकतनी साि वक हो गयी थी वह सवरऽ अपन िवटठल क दीदार कर रही थी चारो बचचो को एक सनयासी क बचच मानकर कटटरवािदयो न उनह नमाज स बाहर कर िदया था

उनक माता-िपता क साथ तो जलम िकया ही था बचचो को भी समाज स बाहर कर रखा था अतः कोई उनह मदद नही करता था पट को आहित दन क िलए व बचच िभकषा मागन जात थ

दीपावली क िदन वह बारह वष या म ाबाई िनवि नाथ स पछती हः भया आज दीपावली ह कया बनाऊ

िनवि नाथः बहन मरी तो मज ह िक आज मीठ चील बना ल

जञान रः तीख भी तो अचछ लगत ह

म ाबाई हषर स बोल पड़ीः मीठ भी बनाऊगी और नमकीन भी आज तो दीपावली ह

बाहर स तो दिरिता िदखती ह समाजवालो न बिहकत कर रखा ह न धन ह न दौलत न बक बलनस ह न कार ह न बगला साधारण सा घर ह िफर भी िवटठल क भाव म सराबोर दय क भीतर का सख असीम ह

म ाबाई न अदर जाकर दखा तो तवा ही नही था कयोिक िवसोबा चाटी न राऽी म ही सार बतरन चोरी करवा िदय थ िबना तव क चील कस बनग वह भया म कमहार क यहा स रोटी सकन का तवा ल आती ह ऐसा कह जलदी स िनकल पड़ी तवा लान क िलए लिकन िवसोबा चाटी न सभी कमहारो को डाटकर मना कर िदया था िक खबरदार इसको तवा िदया तो तमको जाित स बाहर करवा दगा

घमत-घमत कमहारो क ार खटखटात हए आिखर उदास होकर वापस लौटी मजाक उड़ात हए िवसोबा चाटी न पछाः कयो कहा गयी थी

म ा न सरलता स उ र िदयाः म बाहर स तवा लन गयी थी लिकन कोई दता ही नही ह

घर पहचत ही जञान र न उसकी उदासी का कारण पछा तो म ा न सारा हाल सना िदया जञान रः कोई बात नही त आटा तो िमला

म ाबाईः आटा तो िमला िमलाया ह

जञान र नगी पीठ करक बठ गय उन योिगराज न ाणो का सयम करक पीठ पर अि न की भावना की पीठ त तव की भाित लाल हो गयी ल िजतनी रोटी या चील सकन हो इस पर सक ल

म ाबाई ःवय योिगनी थी भाइयो की शि को जानती थी उसन बहत स मीठ और नमकीन चील व रोिटया बना ली िफर कहाः भया अपन तव को शीतल कर लो

जञान र न अि नधारण का उपसहार कर िदया सकलप बल स तो अभी भी कछ लोग चमतकार करक िदखात ह जञान र महाराज न अि न त व की

धारणा करक अि न को कट कर िदया था व सतय-सकलप एव योगशि -सपनन परष थ जस आप ःवपन म अि न जल आिद सब बना लत ह वस ही योगशि -सपनन परष जामत म िजस त व की धारणा कर उस बढ़ा अथवा घटा सकत ह

जल त व की धारणा िस हो जाय तो आप जहा जल म गोता मारो और हजारो मील दर िनकलो पथवी त व की धारणा िस ह तो आपको यहा गाड़ द और आप हजारो मील दर कट हो जाओ ऐस ही वाय त व अि न त व आिद की धारणा भी िस की जा सकती ह कबीरजी क जीवन म भी ऐस चमतकार हए थ और दसर योिगयो क जीवन म भी दख-सन गय थ

मर गरदव परम पजय ःवामी ौीलीलाशाहजी महाराज न नीम क पड़ को आजञा दी िक त अपनी जगह पर जा तो वह पड़ चल पड़ा तबस लीलाराम म स ौी लीलाशाह क नाम स व िस हए योगशि म बड़ा सामथयर होता ह

आप ऐसा सामथयर पा लो ऐसा मरा आमह नही ह लिकन थोड़ स सख क िलए कषिणक सख क िलए बाहर न भागना पड़ ऐस ःवाधीन हो जाओ िसि या पान की कबर साधना करना आवयक नही ह लिकन सख-दःख क झटको स बचन की सरल साधना अवय कर लो

िनवि नाथ भोजन करत हए भोजन की शसा कर रह थः मि न िनिमरत िकय और जञान की अि न म सक गय चील क ःवाद का कया पछना

िनवि नाथ जञान र एव सोपानदव तीनो भाइयो न भोजन कर िलया था इतन म एक बड़ा सा काला क ा आया और बाकी चील लकर भागा

िनवि नाथ न कहाः अर म ा मार जलदी इस क को तर िहःस क चील वह ल जा रहा ह त भखी रह जायगी

म ाबाईः मार िकस िवटठल ही तो क ा बन गय ह िवटठल काला-कलटा रप लकर आय ह उनको कयो मार

तीनो भाई हस पड़ जञान र न पछाः जो तर चील ल गया वह काला कलटा क ा तो िवटठल ह और िवसोबा चाटी

म ाबाईः व भी िवटठल ही ह

अलग-अलग मन का ःवभाव अलग-अलग होता ह लिकन चतना तो सबम िवटठल की ही ह वह बारह वष या कनया म ाबाई कहती हः िवसोबा चाटी म भी वही िवटठल ह

िवसोबा चाटी कमहार क घर स ही म ा का पीछा करता आया था वह दखना चाहता था िक तवा न िमलन पर य सब कया करत ह वह दीवार क पीछ स सारा खल दख रहा था म ाबाई क शबद सनकर िवसोबा चाटी का दय अपन हाथो म नही रहा भागता हआ आकर सख बास की ना म ाबाई क चरणो म िगर पड़ा

म ादवी मझ माफ कर दो मर जसा अधम कौन होगा मन बहकानवाली बात सनकर आप लोगो को बहत सताया ह आप लोग मझ पामर को कषमा कर द मझ अपनी शरण म ल ल आप अवतारी परष ह सबम िवटठल दखन की भावना म सफल हो गय ह म उ म तो आपस बड़ा ह लिकन भगवदजञान म तचछ ह आप लोग उ म छोट ह लिकन भगवदजञान म पजनीय आदरणीय ह मझ अपन चरणो म ःथान द

कई िदनो तक िवसोबा अननय-िवनय करता रहा आिखर उसक प ाताप को दखकर िनवि नाथ न उस उपदश िदया और म ाबाई स दीकषा-िशकषा िमली वही िवसोबा चाटी िस महातमा िवसोबा खचर हो गय िजनक ारा िस सत नामदव न दीकषा ा की

बारह वष या बािलका म ाबाई कवल बािलका नही थी वह तो आ शि का ःवरप थी िजनकी कपा स िवसोबा चाटी जसा ईयारल िस सत िवसोबा खचर हो गय

नारी त नारायणी ह दवी सयम-साधना ारा अपन आतमःवरप को पहचान ल ॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐ

अनबम

रतनबाई की गरभि गजरात क सौरा ानत म नरिसह महता नाम क एक उचचकोिट क महापरष हो गय व जब भजन

गात तो ौोतागण भि भाव स सराबोर हो उठत थ दो लड़िकया नरिसह महता की बड़ी भि न थी लोगो न अफवाह फला दी की उन दो कवारी यवितयो

क साथ नरिसह महता का कछ गलत समबनध ह अफवाह बड़ी तजी स फल गयी

किलयग म बरी बात फलाना बड़ा आसान ह िजसक अनदर बराइया ह वह आदमी दसरो की बरी बात जलदी स मान लता ह

उन लड़िकयो क िपता और भाई भी ऐस ही थ उनहोन लड़िकयो की खब िपटाई की और कहाः तम लोगो न तो हमारी इजजत खराब कर दी हम बाजार स गजरत ह तो लोग बोलत ह िक इनही की दो लड़िकया ह िजनक साथ नरिसह महता का

खब मार-पीटकर उन दोनो को कमर म बनद कर िदया और अलीगढ़ क बड़-बड़ ताल लगा िदय िफर चाबी अपनी जब म डालकर दोनो चल िदय िक दख आज कथा म कया होता ह

उन दोनो लड़िकयो म स एक रतनबाई रोज सतसग-कीतरन क दौरान अपन हाथो स पानी का िगलास भरकर भाव भर भजन गान वाल नरिसह महता क होठो तक ल जाती थी लोगो न रतनबाई का भाव एव नरिसह महता की भि नही दखी बिलक पानी िपलान की बा िबया को दखकर उलटा अथर लगा िलया

सरपच न घोिषत कर िदयाः आज स नरिसह महता गाव क चौराह पर ही सतसग-कीतरन करग घर पर नही

नरिसह महता न चौराह पर सतसग-कीतरन िकया िववािदत बात िछड़न क कारण भीड़ बढ़ गयी थी कीतरन करत-करत राऽी क 12 बज गय नरिसह महता रोज इसी समय पानी पीत थ अतः उनह पयास लगी

इधर रतनबाई को भी याद आया िक गरजी को पयास लगी होगी कौन पानी िपलायगा रतनबाई न बद कमर म ही मटक म स पयाला भरकर भावपणर दय स आख बद करक मन-ही-मन पयाला गरजी क होठो पर लगाया

जहा नरिसह महता कीतरन-सतसग कर रह थ वहा लोगो को रतनबाई पानी िपलाती हई नजर आयी लड़की का बाप एव भाई दोनो आ यरचिकत हो उठ िक रतनबाई इधर कस

वाःतव म तो रतनबाई अपन कमर म ही थी पानी का पयाला भरकर भावना स िपला रही थी लिकन उसकी भाव की एकाकारता इतनी सघन हो गयी िक वह चौराह क बीच लोगो को िदखी

अतः मानना पड़ता ह िक जहा आदमी का मन अतयत एकाकार हो जाता ह उसका शरीर दसरी जगह होत हए भी वहा िदख जाता ह

रतनबाई क बाप न पऽ स पछाः रतन इधर कस

रतनबाई क भाई न कहाः िपताजी चाबी तो मरी जब म ह

दोनो भाग घर की ओर ताला खोलकर दखा तो रतनबाई कमर क अदर ही ह और उसक हाथ म पयाला ह रतनबाई पानी िपलान की मिा म ह दोनो आ यरचिकत हो उठ िक यह कस

सत एव समाज क बीच सदा स ही ऐसा ही चलता आया ह कछ असामािजक त व सत एव सत क पयारो को बदनाम करन की कोई भी कसर बाकी नही रखत िकत सतो-महापरषो क सचच भ उन सब बदनािमयो की परवाह नही करत वरन व तो लग ही रहत ह सतो क दवी काय म

ठीक ही कहा हः इलजाम लगानवालो न इलजाम लगाय लाख मगर

तरी सौगात समझकर क हम िसर प उठाय जात ह ॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐ

अनबम

लीन ौी मा महगीबा [ परम पजय बापजी की लीन मातौी मा महगीबा (पजनीया अममा) क कछ मधर सःमरण ःवय

पजय बापजी क शबदो]

मरी मा का िदवय गरभाव मा बालक की थम गर होती ह बालक पर उसक लाख-लाख उपकार होत ह वयवहािरक दि स म

उनका पऽ था िफर भी मर ित उनकी गरिन ा िनराली थी

एक बार व दही खा रही थी तो मन कहाः दही आपक िलए ठीक नही रहगा

उनक जान (महायाण) क कछ समय पवर ही उनकी सिवका न मझ बताया िक अममा न िफर कभी दही नही खाया कयोिक गरजी न मना िकया था

इसी कार एक अनय अवसर पर मा भटटा (मकई) खा रही थी मन कहाः भटटा तो भारी होता ह बढ़ाप म दर स पचता ह कयो खाती हो

मा न भटट खाना भी छोड़ िदया िफर दसर-तीसर िदन उनह भटटा िदया गया तो व बोलीः गरजी न मना िकया ह गर ना बोलत ह को कया खाय

मा को आम बहत पसनद था िकत उनक ःवाःथय क अनकल न होन क कारण मन उसक िलए भी मना िकया तो मा न उस भी खाना छोड़ िदया

मा का िव ास बड़ा गज़ब का खा था एक बार कह िदया तो बात परी हो गयी अब उसम िवटािमनस ह िक नही मर िलए हािनकारक ह या अचछा उनको कछ सनन की जररत नही ह बाप न ना बोल िदया तो बात परी हो गयी

ौ ा की हद हो गयी ौ ा इतनी बढ़ गयी इतनी बढ़ गयी िक उसन िव ास का रप धारण कर िलया ौ ा और िव ास म फकर ह ौ ा सामनवाल की महानता को दखकर करनी पड़ती ह जबिक िव ास पदा होता ौीरामचिरतमानस म आता हः

भवानीशकरौ वनद ौ ािव ासरिपणौ मा पावरती ौ ा का और भगवान िशव िव ास का ःवरप ह य ौ ा और िव ास िजसम ह समझो वह

िशव-पावरतीःवरप हो गया मरी मा म पावरती का ःवरप तो था ही साथ म िशव का ःवरप भी था म एक बार जो कह दता उनक िलए वह पतथर पर लकीर हो जाता

पऽ म िदवय सःकार डालन वाली पणयशीला माताए तो इस धरा पर कई हो गयी िवनोबा भाव की माता न उनह बालयकाल स ही उचच सःकार डाल थ बालयकाल स ही िशवाजी म भारतीय सःकित की गिरमा एव अिःमता की रकषा क सःकार डालनवाली भी उनकी माता जीजाबाई ही थी लिकन पऽ को गर मानन का भाव दवहित क िसवाय िकसी अनय माता म मन आज तक नही दखा था

मरी मा पहल तो मझ पऽवत पयार करती थी लिकन जबस उनकी मर ित गर की नजर बनी तबस मर साथ पऽरप स वयवहार नही िकया व अपनी सिवका स हमशा कहती-

सा जी आय ह सा जी का जो खाना बचा ह वह मझ द द आिद-आिद एक बार की बात ह मा न मझस कहाः साद दो

हद हो गयी ऐसी ौ ा पऽ म इस कार की ौ ा कोई साधारण बात ह उनकी ौ ा को नमन ह बाबा

मरी य माता शरीर को जनम दनवाली माता तो ह ही भि मागर की गर भी ह समता म रहन वाली और समाज क उतथान की रणा दन वाली माता भी ह यही नही इन सबस बढ़कर इन माता न एक ऐसी गजब की भिमका अदा की ह िक िजसका उललख इितहास म कभी-कभार ही िदखाई पड़ता ह सितयो की मिहमा हमन पढ़ी सनी सनायी अपन पित को परमातमा माननवाली दिवयो की सची भी हम िदखा सकत ह लिकन पऽ म गरबि पऽ म परमातमबि ऐसी ौ ा हमन एक दवहित माता म दखी जो किपल मिन को अपना गर मानकर आतम-साकषातकार करक तर गयी और दसरी य माता मर धयान म ह

एक बार म अचानक बाहर चला गया और जब लौटा तो सिवका न बताया िक माताजी बात नही करती ह

मन पछाः कयो

सिवकाः व कहती ह िक सा मना कर गय ह िक िकसी स बात नही करना तो कयो बातचीत कर

मर िनकटवत कहलान वाल िशय भी मरी आजञा पर ऐसा अमल नही करत होग जसा इन दवीःवरपा माता न अमल करक िदखाया ह मा की ौ ा की कसी पराका ा ह मझ ऐसी मा का बटा होन का वयावहािरक गवर ह और जञानी गर का िशय होन का भी गवर ह

भ मझ जान दो मरी मा मझ बड़ आदर भाव स दखा करती थी जब उनकी उ करीब 86 वषर की थी तब उनका शरीर

काफी बीमार हो गया था डॉकटरो न कहाः लीवर और िकडनी दोनो खराब ह एक िदन स जयादा नही जी सक गी

23घणट बीत गय मन अपन व को भजा तो व भी उतरा हआ मह लकर मर पास आया और बोलाः बाप एक घणट स जयादा नही िनकाल पायगी मा

मन कहाः भाई त कछ तो कर मरा व ह इतन िचिकतसालय दखता ह

व ः बाप अब कछ नही हो सकगा

मा कराह रही थी करवट भी नही ल पा रही थी जब लीवर और िकडनी दोनो िनिबय हो तो कया करग आपक इजकशन और दवाए म गया मा क पास तो मा न इस ढग स हाथ जोड़ मानो जान की आजञा माग रही हो िफर धीर स बोली-

भ मझ जान दो

ऐसा नही िक बटा मझ जान दो नही नही मा न कहाः भगवान मझ जान दो भ मझ जान दो

मन उनक भ-भाव और भगवान भाव का जी भरकर फायदा उठाया और कहाः म नही जान दता तम कस जाती हो म दखता ह

मा बोलीः भ पर म कर कया

मन कहाः म ःवाःथय का मऽ दता ह

उवरर भिम पर उलटा-सीधा बीज बड़ तो भी उगता ह मा का दय ऐसा ही था मन उनको मऽ िदया और उनहोन रटना चाल िकया एक घणट म जो मरन की नौबत दख रही थी अब एक घणट क बाद उनक ःवाःथय म सधार शर हो गया िफर एक महीना दो महीन पाच महीन पिह महीन पचचीस महीन चालीस महीन ऐसा करत-करत साठ स भी जयादा महीन हो गय तब व 86 वषर की थी अभी 92 वषर पार कर गयी जब आजञा िमली रोकन का सकलप लगाया तो उस हटान का कतरवय भी मरा था अतः आजञा िमलन पर ही उनहोन शरीर छोड़ा गरआजञा-पालन का कसा दढ़ भाव

इचछाओ स परः मा महगीबा एक बार मन मा स कहाः आपको सोन म तौलग

लिकन उनक चहर पर हषर का कोई िच नजर नही आया मन पनः िहला-िहलाकर कहाः आपको सोन म तौलग सोन म

माः यह सब मझ अचछा नही लगता

मन कहाः तला हआ सोना मिहला आौम शःट म जमा करग िफर मिहलाओ और गरीबो की सवा म लगगा

मा- हा सवा म भल लग लिकन मर को तौलना-वौलना नही

सवणर महोतसव क पहल ही मा की याऽा परी हो गयी बाद म सवणर महोतसव क िनिम जो भी करना था वह िकया ही

मन कहाः आपका मिदर बनायग

मा- य सब कछ नही करना ह

म- आपकी कया इचछा ह हिर ार जाय

मा- वहा तो नहाकर आय

म- कया खाना ह यह खाना ह

मा- मझ अचछा नही लगता

कई बार िवनोद का समय िमलता तो हम पछत कई वािहश पछ-पछकर थक गय लिकन उनकी कोई वािहश हमको िदखी नही अगर उनकी कोई भी इचछा होती तो उनक इिचछत पदाथर को लान की सिवधा मर पास थी िकसी वयि स पऽ स पऽी स कटमबी स िमलन की इचछा होती तो उनस भी िमला दत कही जान की इचछा होती तो वहा ल जात लिकन उनकी कोई इचछा ही नही थी

न उनम कछ खान की इचछा थी न कही जान की न िकसी स िमलन की इचछा थी न ही यश-मान की तभी तो उनह इतना मान िमल रहा ह जहा मान-अपमान सब ःवपन ह उसम उनकी िःथित हई इसीिलए ऐसा हो रहा ह

इस सग स करोड़ो-करोड़ो लोगो को समम मानव-जाित को जरर रणा िमलगी

अनबम

जीवन म कभी फिरयाद नही मन अपनी मा को कभी कोई फिरयाद करत हए नही दखा िक मझ इसन दःख िदया उसन क

िदया यह ऐसा ह जब हम घर पर थ तब बड़ा भाई जाकर मर बार म मा स फिरयाद िक वह तो दकान पर आता ही नही ह

मा मझस कहती- अब कया कर वह तो ऐसा बोलता ह

जब मा आौम म रहन लगी तब भी आौम की बिचचयो की कभी फिरयाद नही आौम क बचचो की कभी फिरयाद नही कसा मक जीवन ऐसी आतमाए धरती पर कभी-कभार ही आती ह इसीिलए वह वसनधरा िटकी हई ह मझ इस बात का बड़ा सतोष ह िक ऐसी तपिःवनी माता की कोख स यह शरीर पदा हआ ह

उनक िच की िनमरलता स मझ तो बड़ी मदद िमली आप लोगो को भी बड़ा अचछा लगता होगा मझ तो लगता ह िक जो भी मिहलाए मा क िनकट आयी होगी उनक दय म माता क ित अहोभाव जग ही गया होगा

म तो सत की मा ह य लोग साधारण ह ऐसा भाव कभी िकसी न उनम नही दखा अथवा हम बड़ ह पजन यो य ह लोग हम णाम कर मान द ऐसा िकसी न उनम नही दखा अिपत यह जरर दखा ह िक व िकसी को णाम नही करन दती थी

ऐसी मा क सपकर म हम आय ह तो हम भी ऐसा िच बनाना चािहए िक हम भी सख-दःख म सम रह अपनी आवयकताए कम कर दय म भदभाव न रह सबक मगल का भाव रख

अनबम

बीमारो क ित मा की करणा

मझ इस बात का पता अभी तक नही थी अभी रसोइय न और दसर लोगो न बताया िक जब भी कोई आौमवासी बीमार पड़ जाता तो मा उसक पास ःवय चली जाती थी सचालक रामभाई न बताया िक एक बार म बहत बीमार पड़ गया तो मा आयी और मर ऊपर स कछ उतारा करक उस अि न म फ क िदया उनहोन ऐसा तीन िदन तक िकया और म ठीक हो गया

दसर लड़को न भी बताया िक हमको भी कभी कछ होता और मा को पता चलता तो व दखन आ ही जाती थी

एक बार आौम म िकसी मिहला को बखार हो गया तो मा ःवय उसका िसर दबान बठ गयी मिहला आौम म भी कोई सािधका बीमार पड़ती तो मा उसका धयान रखती यिद वह ऊपर क कमर म होती तो मा कहती- बचारी को नीच का कमरा दो बीमारी म ऊपर-नीच आना-जाना नही कर पायगी ऐसा था उनका परदःखकातर दय

अनबम

कोई कायर घिणत नही ह एक बार आौम क एक बजगर साधक न एक लड़क का कचछा-लगोट गदा दखा तो उसको फटकार

लगायी लिकन मा तो ऐस कई कचछ-लगोट चपचाप धोकर बचचो क कमर क िकनार रख दती थी कई गद-मल कचछ िजनह खद भी धोन म घणा होती हो ऐस कपड़ो को धोकर मा बचचो क कमरो क िकनार चपचाप रख िदया करती

कसा उदार दय रहा होगा मा का कसा िदवय वातसलयभाव रहा होगा अतः करण म वयावहािरक वदानत की कसी िदवय धारा रही होगी सभी क ित कसी िदवय सतान भावना रही होगी

सफाई क िजस कायर को लोग घिणत समझत ह उस कायर को करन म भी मा को घणा नही होती थी िकतनी उनकी महानता सचमच व शबरी मा ही थी

अनबम

ऐसी मा क िलए शोक िकस बात का िजस िदन मर सदगरदव का महािनवारण हआ उसी िदन मरी माता का भी महािनवारण हआ 4 नवमबर

1999 तदनसार एकादशी का िदन काितरक का महीना गजरात क मतािबक आि न सवत 2055 एव गरवार न इजकशन भकवाय न आकसीजन पर रही न अःपताल म भत हई वरन आौम की एकात जगह पर ा महतर म 5 बजकर 37 िमनट पर िबना िकसी ममता- आसि क उनका न र दह छटा पछी िपजरा छोड़कर आजाद हआ हआ तो शोक िकस बात का

वयवहारकाल म लोग बोलत ह िक बाप जी यह शोक की वला ह हम सब आपक साथ ह ठीक ह यह वयवहार की भाषा ह लिकन सचची बात तो यह ह िक मझ शोक हआ ही नही ह मझम तो बड़ी शाित बड़ी समता ह कयोिक मा अपना काम बनाकर गयी ह

सत मर कया रोइय व जाय अपन घर मा न आतमजञान क उजाल म दह का तयाग िकया ह शरीर स ःवय को पथक मानन की उनकी रिच

थी वासना को िमटान की कजी उनक पास थी यश और मान स व कोसो दर थी ॐॐ का िचतन-गजन करक अतमरन म याऽा करक दो िदन क बाद व िवदा ह

जस किपल मिन की मा दवहित आतमारामी हई ऐस ही मा महगीबा आतमारामी होकर न र चोल को छोड़कर शा त स ा म लीन ह अथवा सकलप करक कही भी कट हो सक ऐसी दशा म पहची ऐसी मा क िलए शोक िकस बात का

िजनक जीवन म कभी िकसी क िलए फिरयाद नही रही ऐसी आतमाए धरती पर कभी-कभार ही आती ह इसीिलए यह वसनधरा िटकी हई ह

मझ इस बात का भी सतोष ह िक आिखरी िदनो म म उनक ऋण स थोड़ा म हो पाया इधर-उधर क कई कायरबम होत रहत थ लिकन हम कायरबम ऐस ही बनात िक मा याद कर और हम पहच जाय

मर गरजी जब इस ससार स िवदा हए तो उनहोन भी मरी ही गोद म महायाण िकया और मरी मा क महािनवारण क समय भी भगवान न मझ यह अवसर िदया-इस बात का मझ सतोष ह

मगल मनाना यह तो हमारी सःकित म ह लिकन शोक मनाना ETH यह हमारी सःकित म नही ह हम ौीरामचिजी का ाकटय िदवस ETH रामनवमी बड़ी धमधाम स मनात ह लिकन ौीकण और ौीरामजी िजस िदन िवदा हए उस हम शोकिदवस क रप म नही मनात ह हम उस िदन का पता ही नही ह

शोक और मोह ETH य आतमा की ःवाभािवक दशाए नही ह शोक और मोह तो जगत को सतय मानन की गलती स होता ह इसीिलए अवतारी महापरषो की िवदाई का िदन भी हमको याद नही िक िकस िदन व िवदा हए और हम शोक मनाय

हा िकनही-िकनही महापरषो की िनवारण ितिथ जरर मनात ह जस वालमीिक िनवारण ितिथ ब की िनवारण ितिथ कबीर नानक ौीरामकणपरमहस अथवा ौीलीलाशाहजी बाप आिद व ा महापरषो की िनवारण ितिथ मनात ह लिकन उस ितिथ को हम शोक िदवस क रप म नही मनात वरन उस ितिथ को हम मनात ह उनक उदार िवचारो का चार-सार करन क िलए उनक मागिलक काय स सतरणा पान क िलए

हम शोक िदवस नही मनात ह कयोिक सनातन धमर जानता ह िक आपका ःवभाव अजर अमर अजनमा शा त और िनतय ह और मतय शरीर की होती ह हम भी ऐसी दशा को ा हो इस कार क सःमरणो का आदान-दान िनवारण ितिथ पर करत ह महापरषो क सवाकाय का ःमरण करत ह एव उनक िदवय जीवन स रणा पाकर ःवय भी उननत हो सक ETH ऐसी उनस ाथरना करत ह

(परम पजय सत ौी आसारामजी बाप की पजनीया मातौी मा महगीबा अथारत हम सबकी पजनीया अममा क िवशाल एव िवराट वयि तव का वणरन करना मानो गागर म सागर को समान की च ा करना वातसलय और म की साकषात मितर परोपकािरता एव परदःखकातरता स पलािवत दय िदवय गरिन ा ःवावलबन एव कमरिन ा िनरािभमानता की मितर भारतीय सःकित की रकषक िकन-िकन गणो का वणरन कर िफर भी उनक महान जीवन की वािटका क कछ प यहा ःतत करत ह िजनका सौरभ जन-जन को सरिभत िकय िबना न रह सकगा)

अनबम

अममा की गरिन ा अममा अथारत पणर िनरिभमािनता का मतर ःवरप उनका परोपकारी सरल ःवभाव िनकाम सवाभाव एव

परिहतिचतन िकसी को भी उनक चरणो म ःवाभािवक ही झकन क िलए िरत कर द अनको साधक जब अममा क दशरन करन क िलए जात तब कई बार ससार क ताप स त दय उनक समकष खल जातः अममा आप आशीवारद दो न म परशािनयो स छट जाऊ

अममा का गरभ दय सामन वाल क दय म उतसाह एव उमग का सचार कर दता एव उसकी गरिन ा को मजबत बना दता व कहती- गरदव बठ ह न हमशा उनहीस ाथरना करो िक ह गरवर हम आपक साथ का यह समबनध सदा क िलए िनभा सक ऐसी कपा करना हम गर स िनभाकर ही इस ससार स जाय मागना हो तो गरदव की भि ही मागना म भी उनक पास स यही मागती ह अतः तमह मरा आशीवारद नही अिपत गरदव का अनमह मागत रहना चािहए व ही हम िहममत दग बल दग व शि दाता ह न

साधना-पथ पर चलनवाल गरभ ो को अममा का यह उपदश अपन दयपटल पर ःवणारकषरो म अिकत कर लना चािहए

अनबम

ःवावलबन एव परदःखकातरता अममा ातःकाल सय दय स पवर 4-5 बज उठ जाती और िनतयकमर स िनव होकर पहल अपन िनयम

करती िकतना भी कायर हो पर एक घणटा तो जप करती ही थी यह बात तब की ह जब तक उनक शरीर न उनका साथ िदया जब शरीर व ावःथा क कारण थोड़ा अश होन लगा तो िफर तो िदन भर जप करती रहती थी

82 वषर की अवःथा तक तो अममा अपना भोजन ःवय बनाकर खाती थी आौम क अनय सवाकायर करती रसोईघर की दखरख करती बगीच म पानी िपलाती सबजी आिद तोड़कर लाती बीमार का हालचाल पछकर आती एव रािऽ म भी एक-दो बज आौम का चककर लगान िनकल पड़ती यिद शीतकाल का मौसम

होता कोई ठड स िठठर रहा होता तो चपचाप उस कबल ओढ़ा आती उस पता भी नही चलता और वह शाित स सो जाता उस शाित स सोत दखकर अममा का मात दय सतोष की सास लता इसी कार गरीबो म भी ऊनी व ो एव कबलो का िवतरण पजनीया अममा करती-करवाती

उनक िलए तो कोई भी पराया न था चाह आौमवासी बचच हो या सड़क पर रहन वाल दिरिनारायण सबक िलए उनक वातसलय का झरना सदव बहता ही रहता था िकसी को कोई क न हो दःख न हो पीड़ा न हो इसक िलए ःवय को क उठाना पड़ तो उनह मजर था पर दसर की पीड़ा दसर का क उनस न दखा जाता था

उनम ःवावलबन एव परदःखकातरता का अदभत सिममौण था वह भी इस तरह िक उसका कोई अह नही कोई गवर नही सबम परमातमा ह अतः िकसी को दःख कयो पहचाना यह सऽ उनक पर जीवन म ओतोत नजर आता था वयवहार तो ठीक वाणी क ारा भी कभी िकसी का िदल अममा न दखाया हो ऐसा दखन म नही आया

सचमच पजनीया अममा क य सदगण आतमसात करक तयक मानव अपन जीवन को िदवय बना सकता ह

अनबम

अममा म मा यशोदा जसा भाव जब अममा पािकःतान म थी तब तो िनतय िनयम स छाछ-मकखन बाटा ही करती थी लिकन भारत म

आन पर भी उनका यह बम कभी नही टटा अपन आौम-िनवास क दौरान अममा अपन हाथो स ही छाछ िबलोती एव लोगो म छाछ-मकखन बाटती जब तक शरीर न साथ िदया तब तक ःवय दही िबलोवा लिकन 82 वषर की अवःथा क बाद जब शरीर असमथर हो गया तब भी दसरो स मकखन िनकलवाकर बाटा करती

अपन जीवन क अितम 3-4 वषर अममा न एकदम एकात शात ःथल शाित वािटका म िबताय वहा भी अममा कभी-कभार आौम स मकखन मगवाकर वािटका क साधको को दती

अपनी जीवनलीला समा करन स 4-5 महीन पवर अममा िहममतनगर आौम म थी वहा तो मकखन िमलता भी नही था तब अमदावाद आौम स मकखन मगवाकर वहा क साधको म बटवाया सबको मकखन बाटन म पजनीया अममा बड़ी ति का अनभव करती ऐसा लगता मानो मा यशोदा अपन गोप-बालको को मकखन िखला रही हो

अनबम

दन की िदवय भावना अममा िकसी को साद िलए िबना न जान दती थी यह तो उनक सपकर म आन वाल तयक वयि

का अनभव ह

नवरािऽ की घटना ह एक बार आगरा का एक भाई अममा को भट करन क िलए एक गलदःता लकर आया दशरन करक वह भाई तो चला गया सिवका को उस साद दना याद न रहा अममा को इस बात का बड़ा दःख हआ िक वह भाई साद िलए िबना चला गया अचानक वह भाई िकसी कारणवश पनः अममा की कटीर क पास आया उस बलाकर अममा न साद िदया तभी उनको चन पड़ा

ऐसा तो एक-दो का नही सकड़ो-हजारो का अनभव ह िक आगनतक को साद िदय िबना अममा नही जान दती थी दना दना और दना यही उनका ःवभाव था वह दना भी कसा िक कोई सकीणरता नही दन का कोई अिभमान नही

ऐसी स दय एव परोपकारी मा क यहा यिद सत अवतिरत न हो तो कहा हो

अनबम

गरीब कनयाओ क िववाह म मदद पजनीया मा का ःवभाव अतयत परोपकारी था गरीबो की वदना उनक दय को िपघलाकर रख दती

थी कभी भी िकसी की दःख-पीड़ा की बात उनक कानो तक पहचती तो िफर उसकी सहायता कस करनी ह ETH इसी बात का िचतन मा क मन म चलता रहता था और जब तक उस यथा यो य मदद न िमल जाती तब तक व चन स बठती तक नही

एक गरीब पिरवार म कनया की शादी थी जब पजनीया मा को इस बात का पता चला तो उनहोन अतयत दकषता क साथ उस मदद करन की योजना बना डाली उस पिरवार की आिथरक िःथित जानकर लड़की क िलए व एव आभषण बनवा िदय और शादी क खचर का बोझ कछ हलका हो ETH इस ढग स आिथरक मदद भी की और वह भी इस तरह स िक लन वाल को पता तक न चल पाया िक यह सब पजनीया मा क दयाल ःवभाव की दन ह कई गरीब पिरवारो को पजनीया मा की ओर स कनया की शादी म यथायो य सहायता इस कार स िमलती रहती थी मानो उनकी अपनी बटी की शादी हो

अनबम

अममा का उतसव म भारतीय सःकित क तयक पवर तयोहारो को मनान क िलए अममा सभी को ोतसािहत िकया करती थी

एव ःवय भी पवर क अनरप सबको साद बाटा करती थी जस मकर-सबाित पर ितल क ल ड आिद आौम क पसो स दान का बोझ न चढ़ इसिलए अपन जय पऽ जठानद स पस लकर पजनीया अममा पव पर साद बाटा करती

िसिधयो का एक िवशष तयोहार ह तीजड़ी जो रकषाबनधन क तीसर िदन आता ह उस िदन चाद क दशरन पजन करक ही ि या भोजन करती ह अममा की सिवका न भी तीजड़ी का ोत रखा था उस व अममा िहममतनगर म थी रािऽ हो चकी थी सिवका न अममा स भोजन क िलए ाथरना की तो अममा बोल

पड़ी- त चाद दखकर खायगी नयाणी (कनया) भखी रह और म खाऊ नही जब चाद िदखगा म भी तभी खाऊगी

अममा भी चाद की राह दखत हए कस पर बठी रही जब चाद िदखा तब अपनी सिवका क साथ ही अममा न रािऽ-भोजन िकया कसा मात दय था अममा का िफर हम उनह जगजजननी न कह तो कया कह

अनबम

तयक वःत का सदपयोग होना चािहए अममा अमदावाद आौम म रहती थी तब की यह बात ह कई लोग आौम म दशरन करन क िलए

आत बड़ बादशाह की पिरबमा करत एव वहा का जल ल जात यिद उनह पानी की खाली बोतल न िमलती तो अममा क पास आ जात एव अममा उनह बोतल द दती अममा क पास इतनी सारी बोतल कहा स आती थी जानत ह अममा पर आौम म चककर लगाती तब यऽ-तऽ पड़ी हई फ क दी गयी बोतल ल आती उस गमर पानी एव साबन स साफ करक सभालकर रख दती और जररतमदो को द दती

इसी कार िशिवरो क उपरात कई लोगो की चपपल पड़ी होती थी उनकी जोड़ी बनाकर रखती एव उनह गरीबो म बाट दती

ऐसा था उनका खराब म स अचछा बनान का ःवभाव म िव सनीय सत की मा ह यह अिभमान तो उनह छ तक न सका था बस तयक चीज का सदपयोग होना चािहए िफर वह खान की चीज हो या पहनन-ओढ़न की

अनबम

अह स पर अममा क सवाकायर का कषऽ िजतना िवशाल था उतनी ही उनकी िनिभमानता भी महान थी उनक

सवाकायर का िकसी को पता चल जाता तो उनह अतयत सकोच होता इसीिलए उनहोन अपना सवाकषऽ इस कार िवकिसत िकया िक उनक बाय हाथ को पता न चलता िक दाया हाथ कौन सी सवा कर रहा ह

यिद कोई कतजञता वय करन क िलए उनह णाम करन आता तो व नाराज हो जाती अतः उनकी सिवका इस बात की बड़ी सावधानी रखती िक कोई अममा को णाम करन न आय

िजनहोन जीवन म कवल दना ही सीखा और िसखाया हो उनस नमन का ऋण भी सहन नही होता था व कवल इतना ही कहती- िजसन सब िदया ह उस परमातमा को ही नमन कर

उनकी मक सवा क आग मःतक अपन-आप झक जाता ह उनकी िनरिभमानता िनकामता एव मक सवा की भावना यगो-यगो तक लोगो क िलए रणादायी एव पथ-दशरक बनी रहगी

अनबम(सकिलत)

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मीराबाई की गरभि (मीराबाई की दढ़ भि को कौन नही जानता उनही क कछ पदो ारा उनक जीवन सग पर काश

डालत हए पजजौी कह रह ह)

भि मती मीराबाई का एक िस भजन हः

पग घघर बाध मीरा नाची र लोग कह मीरा भई र बावरी सास कह कलनासी र िबष को पयालो राणाजी भजयो

पीवत मीरा हासी र म तो अपन नारायण की आपिह हो गइ दासी र मीरा क भ िगरधर नागर

सहज िमलया अिबनासी र एक बार सत रदास जी िचतौड़ पधार थ रदासजी रघ चमार क यहा जनम थ उनकी छोटी जाित थी

और उस समय जात-पात का बड़ा बोल बाला था व नगर स दर चमारो की बःती म रहत थ राजरानी मीरा को पता चला िक सत रदासजी महाराज पधार ह लिकन राजरानी क वश म वहा कस जाय मीरा एक मोची मिहला का वश बनाकर चपचाप रदासजी क पास चली जाती उनका सतसग सनती उनक कीतरन और धयान म म न हो जाती

ऐसा करत-करत मीरा का स वगण दढ़ हआ मीरा न सोचाः ई र क राःत जाय और चोरी िछप जाय आिखर कब तक िफर मीरा अपन ही वश म उन चमारो की बःती म जान लगी

मीरा को उन चमारो की बःती म जात दखकर अड़ोस-पड़ोस म कानाफसी होन लगी पर मवाड़ म कहराम मच गया िक ऊची जाित की ऊच कल की राजघरान की मीरा नीची जाित क चमारो की बःती म जाकर साधओ क यहा बठती ह मीरा ऐसी ह वसी ह ननद उदा न उस बहत समझायाः

भाभी लोग कया बोलग तम राजकल की रानी और गदी बःती म चमारो की बःती म जाती हो चमड़ का काम करनवाल चमार जाित क एक वयि को गर मानती हो उसको मतथा टकती हो उसक हाथ स साद लती हो उसको एकटक दखत-दखत आख बद करक न जान कया-कया सोचती और करती हो यह ठीक नही ह भाभी तम सधर जाओ

सास नाराज ससर नाराज दवर नाराज ननद नाराज कटबीजन नाराज उदा न कहाः मीरा मान लीिजयो महारी तन सिखया बरज सारी

राणा बरज राणी बरज बरज सपिरवारी साधन क सग बठ बठ क लाज गवायी सारी

मीरा अब तो मान जा तझ म समझा रही ह सिखया समझा रही ह राणा भी कह रहा ह रानी भी कह रही ह सारा पिरवार कह रहा ह िफर भी त कयो नही समझती ह इन सतो क साथ बठ-बठकर त कल की सारी लाज गवा रही ह

िनत ित उठ नीच घर जाय कलको कलक लगाव

मीरा मान लीिजयो महारी तन बरज सिखया सारी तब मीरा न उ र िदयाः

तारयो िपयर सासिरयो तारयो मा मौसाली सारी मीरा न अब सदगर िमिलया चरणकमल बिलहारी

म सतो क पास गयी तो मन पीहर का कल तारा ससराल का कल तारा मौसाल का और निनहाल का कल भी तारा ह

मीरा की ननद पनः समझाती हः तन बरज बरज म हारी भाभी मानो बात हमारी राणा रोस िकया था ऊपर साधो म मत जारी

कल को दाग लग ह भाभी िनदा होय रही भारी साधो र सग बन बन भटको लाज गवायी सारी बड़ गर म जनम िलयो ह नाचो द द तारी

वह पायो िहदअन सरज अब िबदल म कोई धारी मीरा िगरधर साध सग तज चलो हमारी लारी तन बरज बरज म हारी भाभी मानो बात हमारी

उदा न मीरा को बहत समझाया लिकन मीरा की ौ ा और भि अिडग ही रही मीरा कहती ह िक अब मरी बात सनः

मीरा बात नही जग छानी समझो सधर सयानी साध मात िपता ह मर ःवजन ःनही जञानी

सत चरण की शरण रन िदन मीरा कह भ िगरधर नागर सतन हाथ िबकानी

मीरा की बात अब जगत स िछपी नही ह साध ही मर माता-िपता ह मर ःवजन ह मर ःनही ह जञानी ह म तो अब सतो क हाथ िबक गयी ह अब म कवल उनकी ही शरण ह

ननद उदा आिद सब समझा-समझाकर थक गय िक मीरा तर कारण हमारी इजजत गयी अब तो हमारी बात मान ल लिकन मीरा भि म दढ़ रही लोग समझत ह िक इजजत गयी िकत ई र की भि करन पर आज तक िकसी की लाज नही गयी ह सत नरिसह महता न कहा भी हः

हिर न भजता हजी कोईनी लाज जता नथी जाणी र मखर लोग समझत ह िक भजन करन स इजजत चली जाती ह वाःतव म ऐसा नही ह

राम नाम क शारण सब यश दीनहो खोय मरख जान घिट गयो िदन िदन दनो होय

मीरा की िकतनी बदनामी की गयी मीरा क िलए िकतन ष यऽ िकय गय लिकन मीरा अिडग रही तो मीरा का यश बढ़ता गया आज भी लोग बड़ म स मीरा को याद करत ह उनक भजनो को गाकर अथवा सनकर अपना दय पावन करत ह

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अनबम

राजकमारी मिललका बनी तीथकर मिललयनाथ जन धमर म कल 24 तीथकर हो चक ह उनम एक राजकनया भी तीथकर हो गयी िजसका नाम था

मिललयनाथ

राजकमारी मिललका इतनी खबसरत थी िक कई राजकमार व राजा उसक साथ बयाह रचाना चाहत थ लिकन वह िकसी को पसद नही करती थी आिखरकार उन राजकमारो व राजाओ न आपस म एक जट होकर मिललका क िपता को िकसी य म हरा कर मिललका का अपहरण करन की योजना बनायी

मिललका को इस बात का पता चल गया उसन राजकमारो व राजाओ को कहलवाया िक आप लोग मझ पर कबारन ह तो म भी आप सब पर कबारन ह ितिथ िनि त किरय आप लोग आकर बातचीत कर म आप सबको अपना सौनदयर द दगी

इधर मिललका न अपन जसी ही एक सनदर मितर बनवायी एव िनि त की गयी ितिथ स दो-चार िदन पहल स वह अपना भोजन उसम डाल िदया करती थी िजल हॉल म राजकमारी व राजाओ को मलाकात दनी थी उसी हॉल म एक ओर वह मितर रखवा दी गयी

िनि त ितिथ पर सार राजा व राजकमार आ गय मितर इतनी हबह थी िक उसकी ओर दखकर राजकमार िवचार ही कर रह थ िक अब बोलगीअब बोलगी इतन म मिललका ःवय आयी तो सार राजा व राजकमार उस दखकर दग रह गय िक वाःतिवक मिललका हमार सामन बठी ह तो यह कौन ह

मिललका बोलीः यह ितमा ह मझ यही िव ास था िक आप सब इसको ही सचची मानगऔर सचमच म मन इसम सचचाई छपाकर रखी ह आपको जो सौनदयर चािहए वह मन इसम छपाकर रखा ह

यह कहकर जयो ही मितर का ढककन खोला गया तयो ही सारा ककष दगरनध स भर गया िपछल चार-पाच िदन स जो भोजन उसम डाला गया था उसक सड़ जान स ऐसी भयकर बदब िनकल रही थी िक सब िछः-िछः कर उठ

तब मिललका न वहा आय हए सभी राजाओ व राजकमारो को समबोिधत करत हए कहाः भाइयो िजस अनन जल दध फल सबजी इतयािद को खाकर यह शरीर सनदर िदखता ह मन व ही खा -सामिमया चार-पाच िदनो स इसम डाल रखी थी अब य सड़ कर दगरनध पदा कर रही ह दगरनध पदा करन वाल इन खा ाननो स बनी हई चमड़ी पर आप इतन िफदा हो रह हो तो इस अनन को र बना कर सौनदयर दन वाला

यह आतमा िकतना सनदर होगा भाइयो अगर आप इसका याल रखत तो आप भी इस चमड़ी क सौनदयर का आकषरण छोड़कर उस परमातमा क सौनदयर की तरफ चल पड़त

मिललका की सारगिभरत बात सनकर कछ राजा एव राजकमार िभकषक हो गय और कछ न काम-िवकार स अपना िपणड छड़ान का सकलप िकया उधर मिललका सतशरण म पहच गयी तयाग और तप स अपनी आतमा को पाकर मिललयनाथ तीथकर बन गयी अपना तन-मन परमातमा को स पकर वह भी परमातममय हो गयी

आज भी मिललयनाथ जन धमर क िस उननीसव तीथकर क नाम स सममािनत होकर पजी जा रही ह

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अनबम

दगारदास की वीर जननी सन 1634 क फरवरी मास की घटना हः जोधपर नरश का सनापित आसकरण जसलमर िजल स गजर

रहा था जमल गाव म उसन दखा िक गाव क लोग डर क मार भागदौड़ मचा रह ह और पकार रह ह- हाय क हाय मसीबत बचाओ बचाओ

आसकरण न सोचा िक कही मगलो न गाव को लटना तो आरभ नही कर िदया अथवा िकसी की बह-बटी की इजजत तो नही लटी जा रही ह गाव क लोगो की चीख-पकार सनकर आसकरण वही रक गया

इतन म उसन दखा िक दो भस आपस म लड़ रही ह उन भसो न ही पर गाव म भगदड़ मचा रखी ह लिकन िकसी गाव वाल की िहममत नही हो रही ह िक पास म जाय सार लोग चीख रह थ मन दखी ह भसो की लड़ाई बड़ी भयकर होती ह

इतन म एक कनया आयी उसक िसर पर पानी क तीन घड़ थ उस कनया न सब पर नजर डाली और तीनो घड़ नीच उतार िदय अपनी साड़ी का पलल कसकर बाधा और जस शर हाथी पर टट पड़ता ह ऐस ही उन भसो पर टट पड़ी एक भस का सीग पकड़कर उसकी गरदन मरोड़न लगी भस उसक आग रभान लगी लिकन उसन भस को िगरा िदया दसरी भस पछ दबाकर भाग गयी

सनापित आसकरण तो दखता ही रह गया िक इतनी कोमल और सनदर िदखन वाली कनया म गजब की शि ह पर गाव की रकषा क िलए एक कनया न कमर कसी और लड़ती हई भस को िगरा िदया जरर यह दगार की उपासना करती होगी

उस कनया की गजब की सझबझ और शि दखकर सनापित आसकरण न उसक िपता स उसका हाथ माग िलया कनया का िपता गरीब था और एक सनापित हाथ माग रहा ह िपता क िलए इसस बढ़कर खशी की बात और कया हो सकती थी िपता न कनयादान कर िदया इसी कनया न आग चलकर वीर दगारदास जस पऽर को जनम िदया

एक कनया न पर जमल गाव को सरिकषत कर िदया साथ ही हजारो बह-बिटयो को यह सबक िसखा िदया िक भयजनक पिरिःथितयो क आग कभी घटन न टको लचच लफगो क आग कभी घटन न टको ौ सदाचारी सत-महातमा स भगवान और जगदबा स अपनी शि यो को जगान की योगिव ा सीख लो अपनी िछपी हई शि यो को जामत करो एव अपनी सतानो म भी वीरता भगवद भि एव जञान क सनदर सःकारो का िसचन करक उनह दश का एक उ म नागिरक बनाओ

राजःथान म तो आज भी बचचो को लोरी गाकर सनात ह- सालवा जननी एहा प जण ज हा दगारदास

अपन बचचो को साहसी उ मी धयरवान बि मान और शि शाली बनान का यास सभी माता-िपता को करना चािहए सभी िशकषको एव आचाय को भी बचचो म सयम-सदाचार बढ़ तथा उनका ःवाःथय मजबत बन इस हत आौम स कािशत यवाधन सरकषा एव योगासन पःतको का पठन-पाठन करवाना चािहए तािक भारत पनः िव गर की पदवी पर आसीन हो सक

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अनबम

कमरिन यामो यतः वि भरताना यन सवरिमद ततम

ःवकमरणा तम यचय िसि िवनदित मानवः िजस परमातमा स सवरभतो की उतपि हई ह और िजसस यह सवर जगत वया ह उस परम र क

अपन ःवाभािवक कम ारा पजकर मनय परम िसि को ा होता ह (ौीमदभगवदगीताः 1846)

अपन ःवाभािवक कमररपी पपो ारा सवरवयापक परमातमा की पजा करक कोई भी मनय परम िसि को ा हो सकता ह िफर भल ही वह कोई बड़ा सठ हो या छोटा-सा गरीब वयि

यामो नामक एक 13 वष या लड़की की शादी हो गयी साल भर बाद उसक पित की मतय हो गयी और वह लड़की 14 वषर की छोटी सी उ म ही िवधवा हो गयी यामो न सोचा िक अपन जीवन को आलसी मादी या िवलासी बनाना ETH यह समझदारी नही ह अतः उसन दसरी शादी न करक पिवऽ जीवन जीन का िन य िकया और इसक िलए अपन माता-िपता को भी राजी कर िलया उसक माता-िपता महागरीब थ

यामो सबह जलदी उठकर पाच सर आटा पीसती और उसम स कछ कमाई कर लती िफर नहा-धोकर थोड़ा पजा-पाठ आिद करक पनः सत कातन बठ जाती इस कार उसन अपन को कमर म लगाय रखा और जो काम करती उस बड़ी सावधानी एव ततपरता स करती ऐसा करन स उस नीद भी बिढ़या आती और थोड़ी दर पजा पाठ करती तो उसम भी मन बड़ मज स लग जाता ऐसा करत-करत यामो न दखा िक यहा स जो याऽी आत-जात ह उनह बड़ी पयास लगती यामो न आटा पीसकर सत कातकर िकसी क घर की रसोई

करक अपना तो पट पाला ही साथ ही करकसर करक जो धन एकिऽत िकया था अपन पर जीवन की उस सपि को लगा िदया पिथको क िलए कआ बनवान म मगर-भागलपर रोड पर िःथत वही पकका कआ िजस िपसजहारी कआ भी कहत ह आज भी यामो की कमरठता तयाग तपःया और परोपकािरता की खबर द रहा ह

पिरिःथितया चाह कसी भी आय िकत इनसान उनस हताश-िनराश न हो एव ततपरतापवरक शभ कमर करता रह तो िफर उसक सवाकायर भी पजा पाठ हो जात ह जो भगवदीय सख भगवतसतोष भगवतशाित भ या योगी क दय म भि भाव या योग स आत ह व ही भगवतीतयथर सवा करन वाल क दय म कट होत ह

14 वषर की उ म ही िवधवा हई यामो न दबारा शादी न करक अपन जीवन को पनः िवलािसता और िवकारो म गरकाब न िकया वरन पिवऽता सयम एव सदाचार का पालन करत हए ततपरता स कमर करती रही तो आज उसका पचभौितक शरीर भल ही धरती पर नही ह पर उसकी कमरठता परोपकािरता एव तयाग की यशोगाथा तो आज भी गायी जा रही ह

काश लड़न-झगड़न और कलह करन वाल लोग उसस रणा पाय घर कटमब व समाज म सवा और ःनह की सिरता बहाय तो हमारा भारत और अिधक उननत होगा गाव-गाव को गरकल बनाय घर-घर को गरकल बनाय

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अनबम

शि ःवरपा मा आनदमयी सयम म अदभत सामथयर ह िजसक जीवन म सयम ह िजसक जीवन म ई रोपासना ह वह सहज ही

म महान हो जाता ह आनदमयी मा का जब िववाह हआ तब उनका वयि तव अतयत आभासपनन थी शादी क बाद उनक पित उनह ससार-वयवहार म ल जान का यास करत रहत थ िकत आनदमयी मा उनह सयम और सतसग की मिहमा सनाकर उनकी थोड़ी सवा करक िवकारो स उनका मन हटा दती थी

इस कार कई िदन बीत ह त बीत कई महीन बीत गय लिकन आनदमयी मा न अपन पित को िवकारो म िगरन नही िदया

आिखरकार कई महीनो क प ात एक िदन उनक पित न कहाः तमन मझस शादी की ह िफर भी कयो मझ इतना दर दर रखती हो

तब आनदमयी मा न जवाब िदयाः शादी तो जरर की ह लिकन शादी का वाःतिवक मतलब तो इस कार हः शाद अथारत खशी वाःतिवक खशी ा करन क िलए पित-प ी एक दसर क सहायक बन न िक शोषक काम-िवकार म िगरना यह कोई शादी का फल नही ह

इस कार अनक यि यो और अतयत िवनता स उनहोन अपन पित को समझा िदया व ससार क कीचड़ म न िगरत हए भी अपन पित की बहत अचछी तरह स सवा करती थी पित नौकरी करक घर आत तो गमर-गमर भोजन बनाकर िखलाती

व घर भी धयाना यास िकया करती थी कभी-कभी ःटोव पर दाल चढ़ाकर छत पर खल आकाश म चिमा की ओर ऽाटक करत-करत धयानःथ हो जाती इतनी धयानम न हो जाती िक ःटोव पर रखी हई दाल जलकर कोयला हो जाती घर क लोग डाटत तो चपचाप अपनी भल ःवीकार कर लती लिकन अनदर स तो समझती िक म कोई गलत मागर पर तो नही जा रही ह इस कार उनक धयान-भजन का बम चाल ही रहा घर म रहत हए ही उनक पास एकामता का कछ सामथयर आ गया

एक रािऽ को व उठी और अपन पित को भी उठाया िफर ःवय महाकाली का िचतन करक अपन पित को आदश िदयाः महाकाली की पजा करो उनक पित न उनका पजन कर िदया आनदमयी मा म उनह महाकाली क दशरन होन लग उनहोन आनदमयी मा को णाम िकया

तब आनदमयी मा बोली- अब महाकाली को तो मा की नजर स ही दखना ह न

पितः यह कया हो गया

आनदमयी मा- तमहारा कलयाण हो गया

कहत ह िक उनहोन अपन पित को दीकषा द दी और साध बनाकर उ रकाशी क आौम म भज िदया

कसी िदवय नारी रही होगी मा आनदमयी उनहोन अपन पित को भी परमातमा क रग म रग िदया जो ससार की माग करता था उस भगवान की माग का अिधकारी बना िदया इस भारतभिम म ऐसी भी अनक सननािरया हो गयी कछ वषर पवर ही आनदमयी मा न अपना शरीर तयागा ह हिर ार म एक करोड़ बीस लाख रपय खचर करक उनकी समािध बनवायी गयी ह

ऐसी तो अनको बगाली लड़िकया थी िजनहोन शादी की पऽो को जनम िदया पढ़ाया-िलखाया और मर गयी शादी करक ससार वयवहार चलाओ उसकी ना नही ह लिकन पित को िवकारो म िगराना या प ी क जीवन को िवकारो म खतम करना यह एक-दसर क िमऽ क रप म एक-दसर क शऽ का कायर ह सयम स सतित को जनम िदया यह अलग बात ह िकत िवषय-िवकारो म फस मरन क िलए थोड़ ही शादी की जाती ह

बि मान नारी वही ह जो अपन पित को चयर पालन म मदद कर और बि मान पित वही ह जो िवषय िवकारो स अपनी प ी का मन हटाकर िनिवरकारी नारायण क धयान म लगाय इस रप म पित प ी दोनो सही अथ म एक दसर क पोषक होत ह सहयोगी होत ह िफर उनक घर म जो बालक जनम लत ह व भी ीव गौराग रमण महिषर रामकण परमहस या िववकानद जस बन सकत ह

मा आनदमयी को सतो स बड़ा म था व भल धानमऽी स पिजत होती थी िकत ःवय सतो को पजकर आनिदत होती थी ौी अखणडानदजी महाराज सतसग करत तो व उनक चरणो म बठकर सतसग सनती एक बार सतसग की पणारहित पर मा आनदमयी िसर पर थाल लकर गयी उस थाल म चादी का िशविलग था वह थाल अखणडानदजी को दत हए बोली-

बाबाजी आपन कथा सनायी ह दिकषणा ल लीिजए

मा- बाबाजी और भी दिकषणा ल लो

अखणडानदजीः मा और कया द रही हो

मा- बाबाजी दिकषणा म मझ ल लो न

अखणडानदजी न हाथ पकड़ िलया एव कहाः ऐसी मा को कौन छोड़ दिकषणा म आ गयी मरी मा

कसी ह भारतीय सःकित

हिरबाबा बड़ उचचकोिट क सत थ एव मा आनदमयी क समकालीन थ व एक बार बहत बीमार पड़ गय डॉकटर न िलखा हः उनका ःवाःथय काफी लड़खड़ा गया और मझ उनकी सवा का सौभा य िमला उनह र चाप भी था और दय की तकलीफ भी थी उनका क इतना बढ़ गया था िक नाड़ी भी हाथ म नही आ रही थी मन मा को फोन िकया िक मा अब बाबाजी हमार बीच नही रहग 5-10 िमनट क ही महमान ह मा न कहाः नही नही तम ौीहनमानचालीसा का पाठ कराओ म आती ह

मन सोचा िक मा आकर कया करगी मा को आत-आत आधा घणटा लगगा ौीहनमानचालीसा का पाठ शर कराया गया और िचिकतसा िवजञान क अनसार हिरबाबा पाच-सात िमनट म ही चल बस मन सारा परीकषण िकया उनकी आखो की पतिलया दखी पलस (नाड़ी की धड़कन) दखी इसक बाद ौीहनमानचालीसा का पाठ करन वालो क आगवान स कहा िक अब बाबाजी की िवदाई क िलए सामान इकटठा कर म अब जाता ह

घड़ी भर मा का इतजार िकया मा आयी बाबा स िमलन हमन मा स कहाः मा बाबाजी नही रह चल गय

माः नहीनही चल कस गय म िमलगी बात करगी

म- मा बाबा जी चल गय ह

मा- नही म बात करगी

बाबाजी का शव िजस कमर म था मा उस कमर म गयी अदर स कणडा बद कर िदया म सोचन लगा िक कई िडिमया ह मर पास मन भी कई कस दख ह कई अनभवो स गजरा ह धप म बदल सफद नही िकय ह अब मा दरवाजा बद करक बाबाजी स कया बात करगी

म घड़ी दखता रहा 45 िमनट हए मा न कणडा खोला एव हसती हई आयी उनहोन कहाः बाबाजी मरा आमह मान गय ह व अभी नही जायग

मझ एक धकका सा लगा व अभी नही जायग यह आनदमयी मा जसी हःती कह रही ह व तो जा चक ह

म- मा बाबाजी तो चल गय ह

मा- नही नही उनहोन मरा आमह मान िलया ह अभी नही जायग

म चिकत होकर कमर म गया तो बाबाजी तिकय को टका दकर बठ-बठ हस रह थ मरा िवजञान वहा तौबा पकार गया मरा अह तौबा पकार गया

बाबाजी कछ समय तक िदलली म रह चार महीन बीत िफर बोलः मझ काशी जाना ह

मन कहाः बाबाजी आपकी तबीयत काशी जान क िलए शन म बठन क कािबल नही ह आप नही जा सकत

बाबाजीः नही हम जाना ह हमारा समय हो गया

मा न कहाः डॉकटर इनह रोको मत इनह मन आमह करक चार महीन तक क िलए ही रोका था इनहोन अपना वचन िनभाया ह अब इनह मत रोको

बाबाजी गय काशी ःटशन स उतर और अपन िनवास पर रात क दो बज पहच भात की वला म व अपना न र दह छोड़कर सदा क िलए अपन शा त रप म वयाप गयldquo

Ocircबाबाजी वयाप गयOtilde य शबद डॉकटर न नही िलख Ocircन रOtilde आिद शबद नही िलख लिकन म िजस बाबाजी क िवषय म कह रहा ह व बाबाजी इतनी ऊचाईवाल रह होग

कसी ह मिहमा हमार महापरषो की आमह करक बाबा जी तक को चार महीन क िलए रोक िलया मा आनदमयी न कसी िदवयता रही ह हमार भारत की सननािरयो की

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अनबम

भौितक जगत म भाप की शि िव त की शि गरतवाकषरण की शि बड़ी मानी जाती ह मगर आतमबल उन सब शि यो का सचालक बल ह आतमबल क सािननधय म आकर पग ारबध को पर आ जात ह दव की दीनता पलायन हो जाती ह ितकल पिरिःथितया अनकल जो जाती ह आतमबल सवर िसि यो का िपता ह

नारी शरीर िमलन स अपन को अबला मानती हो लघतामिथ म उलझकर पिरिःथितयो म पीसी जाती हो अपना जीवन-दीन बना बठी हो तो अपन भीतर सष आतमबल को जगाओ शरीर चाह ी का हो चाह परष का कित क सााजय म जो जीत ह अपन मन क गलाम होकर जो जीत ह व ी ह और कित क बनधन स पार अपन आतमःवरप की पहचान िजनहोन कर ली अपन मन की गलामी की बिड़या तोड़कर िजनहोन फ क दी ह व परष ह ी या परष शरीर व मानयताए होती ह तम तो शरीर स पार िनमरल आतमा हो

जागो उठो अपन भीतर सोय हए आतमबल को जगाओ सवरदश सवरकाल म सव म आतमबल को अिजरत करो आतमा-परमातमा म अथाह सामथयर ह अपन को दीन-हीन अबला मान बठी तो जगत म ऐसी कोई स ा नही ह जो तमह ऊपर उठा सक अपन आतमःवरप म िति त हो गयी तो तीनो लोको म भी ऐसी कोई हःती नही जो तमह दबा सक

परम पजय सत ौी आसारामजी बाप

अभाव का ही अभाव कमीर म तकर र नयायाचायर पिडत रहत थ उनहोन चार पःतको की रचना की थी िजनस बड़-बड़

िव ान तक भािवत थ इतनी िव ता होत हए भी उनका जीवन अतयत सीधा-सादा एव सरल था उनकी प ी भी उनही क समान सरल एव सीधा-सादा जीवन-यापन करन वाली साधवी थी

उनक पास सपि क नाम पर एक चटाई लखनी कागज एव कछ पःतक तथा दो जोड़ी व थ व कभी िकसी स कछ मागत न थ और न ही दान का खात थ उनकी प ी जगल स मज काटकर लाती उसस रःसी बनाती और उस बचकर अनाज-सबजी आिद खरीद लाती िफर भोजन बना कर पित को म स िखलाती और घर क अनय कामकाज करती पित को तो यह पता भी न रहता िक घर म कछ ह या नही व तो बस अपन अधययन-मनन म मःत रहत

ऐसी महान साधवी ि या भी इस भारतभिम म हो चकी ह धीर-धीर पिडत जी की याित अनय दशो म भी फलन लगी अनय दशो क िव ान लोग आकर उनक दख कमीर क राजा शकरदव स कहन लगः

राजन िजस दश म िव ान धमारतमा पिवऽातमा दःख पात ह उस दश क राजा को पाप लगता ह आपक दश म भी एक ऐस पिवऽातमा िव ान ह िजनक पास खान पीन का िठकाना नही ह िफर भी आप उनकी कोई सभाल नही रखत

यह सनकर राजा ःवय पिडतजी की किटया म पहच गया हाथ जोड़कर उनस ाथरना करन लगाः भगवन आपक पास कोई कमी तो नही ह

पिडतजीः मन जो चार मनथ िलख ह उनम मझ तो कोई कमी नही िदखती आपको कोई कमी लगती हो तो बताओ

राजाः भगवन म शबदो की मनथ की कमी नही पछता ह वरन अनन जल व आिद घर क वयवहार की चीजो की कमी पछ रहा ह

पिडतजीः उसका मझ कोई पता नही ह मरा तो कवल एक भ स नाता ह उसी क ःमरण म इतना तललीन रहता ह िक मझ घर का कछ पता ही नही रहता

जो भगवान की ःमित म तललीन रहता ह उसक ार पर साट ःवय आ जात ह िफर भी उस कोई परवाह नही रहती

राजा न खब िवन भाव स पनः ाथरना की एव कहाः भगवन िजस दश म पिवऽातमा दःखी होत ह उस दश का राजा पाप का भागी होता ह अतः आप बतान की कपा कर िक म आपकी सवा कर

जस ही पिडतजी न य वचन सन िक तरत अपनी चटाई लपटकर बगल म दबा ली एव पःतको की पोटली बाधकर उस भी उठात हए अपनी प ी स कहाः चलो दवी यिद अपन यहा रहन स इन राजा को पाप का भागी होना पड़ता हो इस राजय को लाछन लगता हो तो हम लोग कही ओर चल अपन रहन स िकसी को दःख हो यह तो ठीक नही ह

यह सनकर राजा उनक चरणो म िगर पड़ा एव बोलाः भगवन मरा यह आशय न था वरन म तो कवल सवा करना चाहता था

िफर राजा पिडत जी स आजञा लकर उनकी धमरप ी क समकष जाकर णाम करत हए बोलाः मा आपक यहा अनन-जल-व ािद िकसी भी चीज की कमी हो तो आजञा कर तािक म आप लोगो की कछ सवा कर सक

पिडत जी की धमरप ी भी कोई साधारण नारी तो थी नही व भगवतपरायण नारी थी सच पछो तो नारी क रप म मानो साकषात नारायणी ही थी व बोली- निदया जल द रही ह सयर काश द रहा ह ाणो क िलए आवयक पवन बह ही रही ह एव सबको स ा दनवाला वह सवरस ाधीश परमातमा हमार साथ ही ह िफर कमी िकस बात की राजन शाम तक का आटा पड़ा ह लक़िडया भी दो िदन जल सक इतनी ह िमचर-मसाला भी कल तक का ह पिकषयो क पास तो शाम तक का भी िठकाना नही होता िफर भी व आनद स जी लत ह मर पास तो कल तक का ह राजन मर व अभी इतन फट नही िक म उनह पहन न सक िबछान क िलए चटाई एव ओढ़न क िलए चादर भी ह और म कया कह मरी चड़ी अमर ह और सबम बस हए मर पित का त व मझम भी धड़क रहा ह मझ अभाव िकस बात का बटा

पिडतजी की धमरप ी की िदवयता को दखकर राजा की भी गदगद हो उठा एव चरणो म िगरकर बोलाः मा आप गिहणी ह िक तपिःवनी यह कहना मिकल ह मा म बड़भागी ह िक आपक दशरन का सौभा य पा सका आपक चरणो म मर कोिट-कोिट णाम ह

जो लोग परमातमा का िनरतर ःमरण करत रहत ह उनह वश बदलन की फसरत ही नही होती जररत भी नही होती

जो परमातमा क िचतन म तललीन ह उनह ससार क अभाव का पता ही नही होता कोई साट आकर उनका आदर कर तो उनह हषर नही होता उसक ित आकषरण नही होता ऐस ही यिद कोई मखर आकर अनादर कर द तो शोक नही होता कयोिक हषर-शोक तो वि स भासत ह िजनकी परमातमा क शरण चली गयी ह उनह हषर-शोक सख-दःख क सग सतय ही नही भासत तो िडगा कस सकत ह उनह अभाव कस िडगा सकता ह उनक आग अभाव का भी अभाव हो जाता ह

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अनबम

मा अजना का सामथयर मा अजना न तप करक हनमान जस पऽ को पाया था व हनमानजी म बालयकाल स ही भगवदभि

क सःकार डाला करती थी िजसक फलःवरप हनमानजी म ौीराम-भि का ादभारव हो गया आग चलकर व भ क अननय सवक क रप म यात हए ETH यह तो सभी जानत ह

भगवान ौी राम रावण का वध करक मा सीता लआमण हनमान िवभीषण जाबवत आिद क साथ अयोधया लौट रह थ मागर म हनमान जी न ौीरामजी स अपनी मा क दशरन की आजञा मागी िक भ अगर आप आजञा द तो म माता जी क चरणो म मतथा टक आऊ

ौीराम न कहाः हनमान कया व कवल तमहारी ही माता ह कया व मरी और लखन की माता नही ह चलो हम भी चलत ह

पपक िवमान िकिकधा स अयोधया जात-जात काचनिगिर की ओर चल पड़ा और काचनिगरी पवरत पर उतरा ौीरामजी ःवय सबक साथ मा अजना क दशरन क िलए गय

हनमानजी न दौड़कर गदगद कठ एव अौपिरत नऽो स मा को णाम िकया वष बाद पऽ को अपन पास पाकर मा अजना अतयत हिषरत होकर हनमान का मःतक सहलान लगी

मा का दय िकतना बरसता ह यह बट को कम ही पता होता ह माता-िपता का िदल तो माता-िपता ही जान

मा अजना न पऽ को दय स लगा िलया हनमान जी न मा को अपन साथ य लोगो का पिरचय िदया िक मा य ौीरामचनिजी ह य मा सीताजी ह और य लखन भया ह य जाबवत जी ह य मा सीताजी ह और य लखन भया ह य जाबवत जी ह आिद आिद

भगवान ौीराम को दखकर मा अजना उनह णाम करन जा ही रही थी िक ौीरामजी न कहाः मा म दशरथपऽ राम आपको णाम करता ह

मा सीता व लआमण सिहत बाकी क सब लोगो न भी उनको णाम िकया मा अजना का दय भर आया उनहोन गदगद कठ एव सजल नऽो स हनमान जी स कहाः बटा हनमान आज मरा जनम सफल हआ मरा मा कहलाना सफल हआ मरा दध तन साथरक िकया बटा लोग कहत ह िक मा क ऋण स बटा कभी उऋण नही हो सकता लिकन मर हनमान त मर ऋण स उऋण हो गया त तो मझ मा कहता ही ह िकत आज मयारदा परषो म ौीराम न भी मझ मा कहा ह अब म कवल तमहारी ही मा नही ौीराम लखन शऽ न और भरत की भी मा हो गयी इन अस य पराबमी वानर-भालओ की भी मा हो गयी मरी कोख साथरक हो गयी पऽ हो तो तर जसा हो िजसन अपना सवरःव भगवान क चरणो म समिपरत कर िदया और िजसक कारण ःवय भ न मर यहा पधार कर मझ कताथर िकया

हनमानजी न िफर स अपनी मा क ौीचरणो म मतथा टका और हाथ जोड़त हए कहाः मा भ जी का राजयािभषक होनवाला था परत मथरा न ककयी को उलटी सलाह दी िजसस भजी को 14 वषर का बनवास एव भरत को राजग ी िमली राजग ी अःवीकार करक भरतजी उस ौीरामजी को लौटान क िलए आय लिकन िपता क मनोरथ को िस करन क िलए भाव स भ अयोधया वापस न लौट

मा द रावण की बहन शपरणखा भजी स िववाह क िलए आमह करन लगी िकत भजी उसकी बातो म नही आय लखन जी भी नही आय और लखन जी न शपरणखा क नाक कान काटकर उस द िदय अपनी बहन क अपमान का बदला लन क िलए द रावण ा ण का रप लकर मा सीता को हरकर ल गया

करणािनधान भ की आजञा पाकर म लका गया और अशोक वािटका म बठी हई मा सीता का पता लगाया तथा उनकी खबर भ को दी िफर भ न समि पर पल बधवाया और वानर-भालओ को साथ लकर राकषसो का वध िकया और िवभीषण को लका का राजय दकर भ मा सीता एव लखन क साथ अयोधया पधार रह ह

अचानक मा अजना कोपायमान हो उठी उनहोन हनमान को धकका मार िदया और बोधसिहत कहाः हट जा मर सामन तन वयथर ही मरी कोख स जनम िलया मन तझ वयथर ही अपना दध िपलाया तन मर दध को लजाया ह त मझ मह िदखान कयो आया

ौीराम लखन भयासिहत अनय सभी आ यरचकित हो उठ िक मा को अचानक कया हो गया व सहसा किपत कयो हो उठी अभी-अभी ही तो कह रही थी िक मर पऽ क कारण मरी कोख पावन हो गयी इसक कारण मझ भ क दशरन हो गय और सहसा इनह कया हो गया जो कहन लगी िक तन मरा दध लजाया ह

हनमानजी हाथ जोड़ चपचाप माता की ओर दख रह थ सवरतीथरमयी माता सवरदवमयो िपता माता सब तीथ की ितिनिध ह माता भल बट को जरा रोक-टोक द लिकन बट को चािहए िक नतमःतक होकर मा क कड़व वचन भी सन ल हनमान जी क जीवन स यह िशकषा अगर आज क बट-बिटया ल ल तो व िकतन महान हो सकत ह

मा की इतनी बात सनत हए भी हनमानजी नतमःतक ह व ऐसा नही कहत िक ऐ बिढ़या इतन सार लोगो क सामन त मरी इजजत को िमटटी म िमलाती ह म तो यह चला

आज का कोई बटा होता तो ऐसा कर सकता था िकत हनमानजी को तो म िफर-िफर स णाम करता ह आज क यवान-यवितया हनमानजी स सीख ल सक तो िकतना अचछा हो

मर जीवन म मर माता-िपता क आशीवारद और मर गरदव की कपा न कया-कया िदया ह उसका म वणरन नही कर सकता ह और भी कइयो क जीवन म मन दखा ह िक िजनहोन अपनी माता क िदल को जीता ह िपता क िदल की दआ पायी ह और सदगर क दय स कछ पा िलया ह उनक िलए िऽलोकी म कछ भी पाना किठन नही रहा सदगर तथा माता-िपता क भ ःवगर क सख को भी तचछ मानकर परमातम-साकषातकार की यो यता पा लत ह

मा अजना कह जा रही थी- तझ और तर बल पराबम को िधककार ह त मरा पऽ कहलान क लायक ही नही ह मरा दध पीन वाल पऽ न भ को ौम िदया अर रावण को लकासिहत समि म डालन म त समथर था तर जीिवत रहत हए भी परम भ को सत-बधन और राकषसो स य करन का क उठाना पड़ा तन मरा दध लिजजत कर िदया िधककार ह तझ अब त मझ अपना मह मत िदखाना

हनमानजी िसर झकात हए कहाः मा तमहारा दध इस बालक न नही लजाया ह मा मझ लका भजन वालो न कहा था िक तम कवल सीता की खबर लकर आओग और कछ नही करोग अगर म इसस अिधक कछ करता तो भ का लीलाकायर कस पणर होता भ क दशरन दसरो को कस िमलत मा अगर म

भ-आजञा का उललघन करता तो तमहारा दध लजा जाता मन भ की आजञा का पालन िकया ह मा मन तरा दध नही लजाया ह

तब जाबवतजी न कहाः मा कषमा कर हनमानजी सतय कह रह ह हनमानजी को आजञा थी िक सीताजी की खोज करक आओ हम लोगो न इनक सवाकायर बाध रख थ अगर नही बाधत तो भ की िदवय िनगाहो स दतयो की मि कस होती भ क िदवय कायर म अनय वानरो को जड़न का अवसर कस िमलता द रावण का उ ार कस होता और भ की िनमरल कीितर गा-गाकर लोग अपना िदल पावन कस करत मा आपका लाल िनबरल नही ह लिकन भ की अमर गाथा का िवःतार हो और लोग उस गा-गाकर पिवऽ हो इसीिलए तमहार पऽ की सवा की मयारदा बधी हई थी

ौीरामजी न कहाः मा तम हनमान की मा हो और मरी भी मा हो तमहार इस सपत न तमहारा दध नही लजाया ह मा इसन तो कवल मरी आजञा का पालन िकया ह मयारदा म रहत हए सवा की ह समि म जब मनाक पवरत हनमान को िवौाम दन क िलए उभर आया तब तमहार ही सत न कहा था

राम काज कीनह िबन मोिह कहा िबौाम मर कायर को परा करन स पवर तो इस िवौाम भी अचछा नही लगता ह मा तम इस कषमा कर दो

रघनाथ जी क वचन सनकर माता अजना का बोध शात हआ िफर माता न कहाः अचछा मर पऽ मर वतस मझ इस बात का पता नही था मरा पऽ मयारदा परषो म का सवक

मयारदा स रह ETH यह भी उिचत ही ह तन मरा दध नही लजाया ह वतस

इस बीच मा अजना न दख िलया िक लआमण क चहर पर कछ रखाए उभर रही ह िक अजना मा को इतना गवर ह अपन दध पर मा अजना भी कम न थी व तरत लआमण क मनोभावो को ताड़ गयी

लआमण तमह लगता ह िक म अपन दध की अिधक सराहना कर रही ह िकत ऐसी बात नही ह तम ःवय ही दख लो ऐसा कहकर मा अजना न अपनी छाती को दबाकर दध की धार सामनवाल पवरत पर फ की तो वह पवरत दो टकड़ो म बट गया लआमण भया दखत ही रह गय िफर मा न लआमण स कहाः मरा यही दध हनमान न िपया ह मरा दध कभी वयथर नही जा सकता

हनमानजी न पनः मा क चरणो म मतथा टका मा अजना न आशीवारद दत हए कहाः बटा सदा भ को ौीचरणो म रहना तरी मा य जनकनिदनी ही ह त सदा िनकपट भाव स अतयत ौ ा-भि पवरक परम भ ौी राम एव मा सीताजी की सवा करत रहना

कसी रही ह भारत की नािरया िजनहोन हनमानजी जस पऽो को जनम ही नही िदया बिलक अपनी शि तथा अपन ारा िदय गय सःकारो पर भी उनका अटल िव ास रहा आज की भारतीय नािरया इन आदशर नािरयो स रणा पाकर अपन बचचो म हनमानजी जस सदाचार सयम आिद उ म सःकारो का िसचन कर तो वह िदन दर नही िजस िदन पर िव म भारतीय सनातन धमर और सःकित की िदवय पताका पनः लहरायगी

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अनबम

  • सयमनिषठ सयशा
  • अदभत आभासमपनन रानी कलावती
  • उततम जिजञासः मतरयी
  • बरहमवादिनी विदषी गारगी
  • अथाह शकति की धनीः तपसविनी शाणडालिनी
  • सती सावितरी
  • मा सीता की सतीतव-भावना
  • आरत भकत दरौपदी
  • दवी शकतियो स समपनन गणमजरी दवी
  • विवक की धनीः करमावती
  • वासतविक सौनदरय
  • आतमविदया की धनीः फलीबाई
  • आनदीबाई की दढ शरदधा
  • करमाबाई की वातसलय-भकति
  • साधवी सिरमा
  • मकताबाई का सरवतर विटठल-दरशन
  • रतनबाई की गरभकति
  • बरहमलीन शरी मा महगीबा
    • मरी मा का दिवय गरभाव
    • परभ मझ जान दो
    • इचछाओ स परः मा महगीबा
    • जीवन म कभी फरियाद नही
    • बीमारो क परति मा की करणा
    • कोई कारय घणित नही ह
    • ऐसी मा क लिए शोक किस बात का
      • अममा की गरनिषठा
        • सवावलबन एव परदःखकातरता
        • अममा म मा यशोदा जसा भाव
        • दन की दिवय भावना
        • गरीब कनयाओ क विवाह म मदद
        • अममा का उतसव परम
        • परतयक वसत का सदपयोग होना चाहिए
        • अह स पर
          • मीराबाई की गरभकति
          • राजकमारी मललिका बनी तीरथकर मललियनाथ
          • दरगादास की वीर जननी
          • करमनिषठ शयामो
          • शकतिसवरपा मा आनदमयी
          • अभाव का ही अभाव
          • मा अजना का सामरथय
Page 5: नारी तू नारायणी - Hariom Groupदासी ने सुयशा से कहाः "गाओ, संकोच न करो, देर न करो।

सयशा कस कहती िक म भजन गाना नही जानती ह म नही आऊगी राजय म रहती ह और महल क अदर मा काम करती ह मा न भी कहाः बटी जा यह व ा कहती ह तो जा

सयशा न कहाः ठीक ह लिकन कस भी करक य बशम क व पहनकर तो नही जाऊगी सयशा सीध-साद व पहनकर राजमहल म गयी उस दखकर पपसन को धकका लगा िक इसन मर

भज हए कपड़ नही पहन दासी न कहाः दसरी बार समझा लगी इस बार नही मानी सयशा का सयश बाद म फलगा अभी तो अधमर का पहाड़ िगर रहा था धमर की ननही-सी मोमब ी

पर अधमर का पहाड़ एक तरफ राजस ा की आधी ह तो दसरी तरफ धमरस ा की लौ जस रावण की राजस ा और िवभीषण की धमरस ा दय धन की राजस ा और िवदर की धमरस ा िहरणयकिशप की राजस ा और ाद की धमरस ा धमरस ा और राजस ा टकरायी राजस ा चकनाचर हो गयी और धमरस ा की जय-जयकार हई और हो रही ह िवबम राणा और मीरा मीरा की धमर म दढ़ता थी राणा राजस ा क बल पर मीरा पर हावी होना चाहता था दोनो टकराय और िवबम राणा मीरा क चरणो म िगरा

धमरस ा िदखती तो सीधी सादी ह लिकन उसकी नीव पाताल म होती ह और सनातन सतय स जड़ी होती ह जबिक राजस ा िदखन म बड़ी आडमबरवाली होती ह लिकन भीतर ढोल की पोल की तरह होती ह

राजदरबार क सवक न कहाः राजािधराज महाराज पपसन की जय हो हो जाय गाना शर पपसनः आज तो हम कवल सयशा का गाना सनग दासी न कहाः सयशा गाओ राजा ःवय कह रह ह राजा क साथी भी सयशा का सौनदयर नऽो क ारा पीन लग और राजा क दय म काम-िवकार पनपन

लगा सयशा राजा क िदय व पहनकर नही आयी िफर भी उसक शरीर का गठन और ओज-तज बड़ा सनदर लग रहा था राजा भी सयशा को चहर को िनहार जा रहा था

कनया सयशा न मन-ही-मन भ स ाथरना कीः भ अब तमही रकषा करना आपको भी जब धमर और अधमर क बीच िनणरय करना पड़ तो धमर क अिध ानःवरप परमातमा की

शरण लना व आपका मगल ही करत ह उनहीस पछना िक अब म कया कर अधमर क आग झकना मत परमातमा की शरण जाना

दासी न सयशा स कहाः गाओ सकोच न करो दर न करो राजा नाराज होग गाओ परमातमा का ःमरण करक सयशा न एक राग छड़ाः

कब सिमरोग राम साधो कब सिमरोग राम

अब तम कब सिमरोग राम

बालपन सब खल गवायो यौवन म काम साधो कब सिमरोग राम कब सिमरोग राम

पपसन क मह पर मानो थपपड़ लगा सयशा न आग गायाः

हाथ पाव जब कपन लाग िनकल जायग ाण

कब सिमरोग राम साधो कब सिमरोग राम

झठी काया झठी माया आिखर मौत िनशान कहत कबीर सनो भई साधो जीव दो िदन का महमान

कब सिमरोग राम साधो कब सिमरोग राम

भावय भजन स सयशा का दय तो राम रस स सराबोर हो गया लिकन पपसन क रग म भग पड़ गया वह हाथ मसलता ही रह गया बोलाः ठीक ह िफर दखता ह

सयशा न िवदा ली पपसन न मिऽयो स सलाह ली और उपाय खोज िलया िक अब होली आ रही ह उस होिलकोतसव म इसको बलाकर इसक सौनदयर का पान करग

राजा न होली पर सयशा को िफर स व िभजवाय और दासी स कहाः कस भी करक सयशा को यही व पहनाकर लाना ह

दासी न बीसो ऊिगलयो का जोर लगाया मा न भी कहाः बटी भगवान तरी रकषा करग मझ िव ास ह िक त नीच कमर करन वाली लड़िकयो जसा न करगी त भगवान की गर की ःमित रखना भगवान तरा कलयाण कर

महल म जात समय इस बार सयशा न कपड़ तो पहन िलय लिकन लाज ढाकन क िलए ऊपर एक मोटी शाल ओढ़ ली उस दखकर पपसन को धकका तो लगा लिकन यह भी हआ िक चलो कपड़ तो मर पहनकर आयी ह राजा ऐसी-वसी यवितयो स होली खलत-खलत सयशा की ओर आया और उसकी शाल खीची ह राम करक सयशा आवाज करती हई भागी भागत-भागत मा की गोद म आ िगरी मा मा मरी इजजत खतर म ह जो जा का पालक ह वही मर धमर को न करना चाहता ह

मा बटी आग लग इस नौकरी को मा और बटी शोक मना रह ह इधर राजा बौखला गया िक मरा अपमान म दखता ह अब वह कस जीिवत रहती ह उसन अपन एक खखार आदमी काल िमया को बलवाया और कहाः काल तझ ःवगर की उस परी सयशा का खातमा करना ह आज तक तझ िजस-िजस वयि को खतम करन को कहा ह त करक आया ह यह तो तर आग मचछर ह मचछर ह काल त मरा खास आदमी ह म तरा मह मोितयो स भर दगा कस भी करक सयशा को उसक राम क पास पहचा द

काल न सोचाः उस कहा पर मार दना ठीक होगा रोज भात क अधर म साबरमती नदी म ःनान करन जाती ह बस नदी म गला दबोचा और काम खतमजय साबरमती कर दग

काल क िलए तो बाय हाथ का खल था लिकन सयशा का इ भी मजबत था जब वयि का इ मजबत होता ह तो उसका अिन नही हो सकता

म सबको सलाह दता ह िक आप जप और ोत करक अपना इ इतना मजबत करो िक बड़ी-स-बड़ी राजस ा भी आपका अिन न कर सक अिन करन वाल क छकक छट जाय और व भी आपक इ क चरणो म आ जाय ऐसी शि आपक पास ह

काल सोचता हः भात क अधर म साबरमती क िकनार जरा सा गला दबोचना ह बस छरा मारन की जररत ही नही ह अगर िचललायी और जररत पड़ी तो गल म जरा-सा छरा भ ककर जय साबरमती करक

रवाना कर दगा जब राजा अपना ह तो पिलस की ऐसी-तसी पिलस कया कर सकती ह पिलस क अिधकारी तो जानत ह िक राजा का आदमी ह

काल न उसक आन-जान क समय की जानकारी कर ली वह एक पड़ की ओट म छपकर खड़ा हो गया जयो ही सयशा आयी और काल न झपटना चाहा तयो ही उसको एक की जगह पर दो सयशा िदखाई दी कौन सी सचची य कया दो कस तीन िदन स सारा सवकषण िकया आज दो एक साथ खर दखता ह कया बात ह अभी तो दोनो को नहान दो नहाकर वापस जात समय उस एक ही िदखी तब काल हाथ मसलता ह िक वह मरा म था

वह ऐसा सोचकर जहा िशविलग था उसी क पास वाल पड़ पर चढ़ गया िक वह यहा आयगी अपन बाप को पानी चढ़ान तब या अललाह करक उस पर कदगा और उसका काम तमाम कर दगा

उस पड़ स लगा हआ िबलवपऽ का भी एक पड़ था सयशा साबरमती म नहाकर िशविलग पर पानी चढ़ान को आयी हलचल स दो-चार िबलवपऽ िगर पड़ सयशा बोलीः ह भ ह महादव सबह-सबह य िजस िबलवपऽ िजस िनिम स िगर ह आज क ःनान और दशरन का फल म उसक कलयाण क िनिम अपरण करती ह मझ आपका सिमरन करक ससार की चीज नही पानी मझ तो कवल आपकी भि ही पानी ह

सयशा का सकलप और उस बर-काितल क दय को बदलन की भगवान की अनोखी लीला

काल छलाग मारकर उतरा तो सही लिकन गला दबोचन क िलए नही काल न कहाः लड़की पपसन न तरी हतया करन का काम मझ स पा था म खदा की कसम खाकर कहता ह िक म तरी हतया क िलए छरा तयार करक आया था लिकन त अनदख घातक का भी कलयाण करना चाहती ह ऐसी िहनद कनया को मारकर म खदा को कया मह िदखाऊगा इसिलए आज स त मरी बहन ह त तर भया की बात मान और यहा स भाग जा इसस तरी भी रकषा होगी और मरी भी जा य भोल बाबा तरी रकषा करग िजन भोल बाबा तरी रकषा करग जा जलदी भाग जा

सयशा को काल िमया क ारा मानो उसका इ ही कछ रणा द रहा था सयशा भागती-भागती बहत दर िनकल गयी

जब काल को हआ िक अब यह नही लौटगी तब वह नाटक करता हआ राजा क पास पहचाः राजन आपका काम हो गया वह तो मचछर थी जरा सा गला दबात ही म ऽऽऽ करती रवाना हो गयी

राजा न काल को ढर सारी अशिफर या दी काल उनह लकर िवधवा क पास गया और उसको सारी घटना बतात हए कहाः मा मन तरी बटी को अपनी बहन माना ह म बर कामी पापी था लिकन उसन मरा िदल बदल िदया अब त नाटक कर की हाय मरी बटी मर गयी मर गयी इसस त भी बचगी तरी बटी भी बचगी और म भी बचगा

तरी बटी की इजजत लटन का ष यऽ था उसम तरी बटी नही फसी तो उसकी हतया करन का काम मझ स पा था तरी बटी न महादव स ाथरना की िक िजस िनिम य िबलवपऽ िगर ह उसका भी कलयाण हो मगल हो मा मरा िदल बदल गया ह तरी बटी मरी बहन ह तरा यह खखार बटा तझ ाथरना करता ह िक

त नाटक कर लः हाय रऽऽऽ मरी बटी मर गयी वह अब मझ नही िमलगी नदी म डब गयी ऐसा करक त भी यहा स भाग जा

सयशा की मा भाग िनकली उस कामी राजा न सोचा िक मर राजय की एक लड़की मरी अवजञा कर अचछा हआ मर गयी उसकी मा भी अब ठोकर खाती रहगी अब समरती रह वही राम कब सिमरोग राम साधो कब सिमरोग राम झठी काया झठी माया आिखर मौत िनशान कब सिमरोग राम साधो सब सिमरोग राम हा हा हा हा ऽऽऽ

मजाक-मजाक म गात-गात भी यह भजन उसक अचतन मन म गहरा उतर गया कब सिमरोग राम

उधर सयशा को भागत-भागत राःत म मा काली का एक छोटा-सा मिदर िमला उसन मिदर म जाकर णाम िकया वहा की पजािरन गौतमी न दखा िक कया रप ह कया सौनदयर ह और िकतनी नता उसन पछाः बटी कहा स आयी हो

सयशा न दखा िक एक मा तो छटी अब दसरी मा बड़ पयार स पछ रही ह सयशा रो पड़ी और बोलीः मरा कोई नही ह अपन ाण बचान क िलए मझ भागना पड़ा ऐसा कहकर सयशा न सब बता िदया

गौतमीः ओ हो ऽऽऽ मझ सतान नही थी मर भोल बाबा न मरी काली मा न मर घर 16 वषर की पऽी भज दी बटी बटी कहकर गौतमी न सयशा को गल लगा िलया और अपन पित कलाशनाथ को बताया िक आज हम भोलानाथ न 16 वषर की सनदरी कनया दी ह िकतनी पिवऽ ह िकतनी भि भाववाली ह

कलाशनाथः गौतमी पऽी की तरह इसका लालन-पालन करना इसकी रकषा करना अगर इसकी मज होगी तो इसका िववाह करग नही तो यही रहकर भजन कर

जो भगवान का भजन करत ह उनको िव न डालन स पाप लगता ह सयशा वही रहन लगी वहा एक साध आता था साध भी बड़ा िविचऽ था लोग उस पागलबाबा कहत

थ पागलबाबा न कनया को दखा तो बोल पड़ः हऽऽऽ

गौतमी घबरायी िक एक िशकज स िनकलकर कही दसर म पागलबाबा कही उस फसा न द ह भगवान इसकी रकषा करना ी का सबस बड़ा शऽ ह उसका सौनदयर एव ौगार दसरा ह उसकी असावधानी सयशा ौगार तो करती नही थी असावधान भी नही थी लिकन सनदर थी

गौतमी न अपन पित को बलाकर कहाः दखो य बाबा बार-बार अपनी बटी की तरफ दख रह ह

कलाशनाथ न भी दखा बाबा न लड़की को बलाकर पछाः कया नाम ह

सयशा

बहत सनदर हो बड़ी खबसरत हो

पजािरन और पजारी घबराय बाबा न िफर कहाः बड़ी खबसरत ह

कलाशनाथः महाराज कया ह

बड़ी खबसरत ह

महाराज आप तो सत आदमी ह

तभी तो कहता ह िक बड़ी खबसरत ह बड़ी होनहार ह मरी होगी त

पजािरन-पजारी और घबराय िक बाबा कया कह रह ह पागल बाबा कभी कछ कहत ह वह सतय भी हो जाता ह इनस बचकर रहना चािहए कया पता कही

कलाशनाथः महाराज कया बोल रह ह बाबा न सयशा स िफर पछाः त मरी होगी

सयशाः बाबा म समझी नही त मरी सािधका बनगी मर राःत चलगी

कौन-सा राःता

अभी िदखाता ह मा क सामन एकटक दख मा तर राःत ल जा रहा ह चलती नही ह तो त समझा मा मा

लड़की को लगा िक य सचमच पागल ह चल करक दि स ही लड़की पर शि पात कर िदया सयशा क शरीर म ःपदन होन लगा हाःय आिद

अ साि वक भाव उभरन लग पागलबाबा न कलाशनाथ और गौतमी स कहाः यह बड़ी खबसरत आतमा ह इसक बा सौनदयर पर

राजा मोिहत हो गया था यह ाण बचाकर आयी ह और बच पायी ह तमहारी बटी ह तो मरी भी तो बटी ह तम िचनता न करो इसको घर पर अलग कमर म रहन दो उस कमर म और कोई न जाय इसकी थोड़ी साधना होन दो िफर दखो कया-कया होता ह इसकी सष शि यो को जगन दो बाहर स पागल िदखता ह लिकन गल को पाकर घमता ह बचच

महाराज आप इतन सामथयर क धनी ह यह हम पता नही था िनगाहमाऽ स आपन स कषण शि का सचार कर िदया

अब तो सयशा का धयान लगन लगा कभी हसती ह कभी रोती ह कभी िदवय अनभव होत ह कभी काश िदखता ह कभी अजपा जप चलता ह कभी ाणायाम स नाड़ी-शोधन होता ह कछ ही िदनो म मलाधार ःवािध ान मिणपर कनि जामत हो गय

मलाधार कनि जागत हो तो काम राम म बदलता ह बोध कषमा म बदलता ह भय िनभरयता म बदलता ह घणा म म बदलती ह ःवािध ान कनि जागत होता ह तो कई िसि या आती ह मिणपर कनि जामत हो तो अपढ़ अनसन शा को जरा सा दख तो उस पर वया या करन का सामथयर आ जाता ह

आपक स य सभी कनि अभी सष ह अगर जग जाय तो आपक जीवन म भी यह चमक आ सकती ह हम ःकली िव ा तो कवल तीसरी ककषा तक पढ़ ह लिकन य कनि खलन क बाद दखो लाखो-करोड़ो लोग सतसग सन रह ह खब लाभािनवत हो रह ह इन कनिो म बड़ा खजाना भरा पड़ा ह

इस तरह िदन बीत स ाह बीत महीन बीत सयशा की साधना बढ़ती गयी अब तो वह बोलती ह तो लोगो क दयो को शाित िमलती ह सयशा का यश फला यश फलत-फलत साबरमती क िजस पार स वह आयी थी उस पार पहचा लोग उसक पास आत-जात रह एक िदन काल िमया न पछाः आप लोग इधर स उधर उस पार जात हो और एक दो िदन क बाद आत हो कया बात ह

लोगो न बतायाः उस पार मा भिकाली का मिदर ह िशवजी का मिदर ह वहा पागलबाबा न िकसी लड़की स कहाः त तो बहत सनदर ह सयमी ह उस पर कपा कर दी अब वह जो बोलती ह उस सनकर हम बड़ी शाित िमलती ह बड़ा आनद िमलता ह

अचछा ऐसी लड़की ह

उसको लड़की-लड़की मत कहो काल िमया लोग उसको माता जी कहत ह पजािरन और पजारी भी उसको माताजी-माताजी कहत ह कया पता कहा स वह ःवगर को दवी आयी ह

अचछा तो अपन भी चलत ह काल िमया न आकर दखा तो िजस माताजी को लोग मतथा टक रह ह वह वही सयशा ह िजसको

मारन क िलए म गया था और िजसन मरा दय पिरवितरत कर िदया था जानत हए भी काल िमया अनजान होकर रहा उसक दय को बड़ी शाित िमली इधर पपसन को

मानिसक िखननता अशाित और उ ग हो गया भ को कोई सताता ह तो उसका पणय न हो जाता ह इ कमजोर हो जाता ह और दर-सवर उसका अिन होना शर हो जाता ह

सत सताय तीनो जाय तज बल और वश पपसन को मिःतक का बखार आ गया उसक िदमाग म सयशा की व ही पि या घमन लगी-

कब सिमरोग राम साधो कब सिमरोग राम उन पि यो को गात-गात वह रो पड़ा हकीम व सबन हाथ धो डाल और कहाः राजन अब हमार

वश की बात नही ह काल िमया को हआः यह चोट जहा स लगी ह वही स ठीक हो सकती ह काल िमलन गया और पछाः

राजन कया बात ह

काल काल वह ःवगर की परी िकतना सनदर गाती थी मन उसकी हतया करवा दी म अब िकसको बताऊ काल अब म ठीक नही हो सकता ह काल मर स बहत बड़ी गलती हो गयी

राजन अगर आप ठीक हो जाय तो

अब नही हो सकता मन उसकी हतया करवा दी ह काल उसन िकतनी सनदर बात कही थीः झठी काया झठी माया आिखर मौत िनशान

कहत कबीर सनो भई साधो जीव दो िदन का महमान कब सिमरोग राम साधो कब सिमरोग राम

और मन उसकी हतया करवा दी काल मरा िदल जल रहा ह कमर करत समय पता नही चलता काल बाद म अनदर की लानत स जीव तप मरता ह कमर करत समय यिद यह िवचार िकया होता तो ऐसा नही होता काल मन िकतन पाप िकय ह

काल का दय पसीजा की इस राजा को अगर उस दवी की कपा िमल जाय तो ठीक हो सकता ह वस यह राजय तो अचछा चलाना जानता ह दबग ह पापकमर क कारण इसको जो दोष लगा ह वह अगर धल जाय तो

काल बोलाः राजन अगर वह लड़की कही िमल जाय तो

कस िमलगी

जीवनदान िमल तो म बताऊ अब वह लड़की लड़की नही रही पता नही साबरमती माता न उसको कस गोद म ल िलया और वह जोगन बन गयी ह लोग उसक कदमो म अपना िसर झकात ह

ह कया बोलता ह जोगन बन गयी ह वह मरी नही ह

नही तन तो कहा था मर गयी

मन तो गला दबाया और समझा मर गयी होगी लिकन आग िनकल गयी कही चली गयी और िकसी साध बाबा की महरबानी हो गयी और मर को लगता ह िक रपय म 15 आना पककी बात ह िक वही सयशा ह जोगन का और उसका रप िमलता ह

काल मझ ल चल म उसक कदमो म अपन दभार य को सौभा य म बदलना चाहता ह काल काल

राज पहचा और उसन प ा ाप क आसओ स सयशा क चरण धो िदय सयशा न कहाः भया इनसान गलितयो का घर ह भगवान तमहारा मगल कर

पपसनः दवी मरा मगल भगवान कस करग भगवान मगल भी करग तो िकसी गर क ारा दवी त मरी गर ह म तरी शरण आया ह

राजा पपसन सयशा क चरणो म िगरा वही सयशा का थम िशय बना पपसन को सयशा न गरमऽ की दीकषा दी सयशा की कपा पाकर पपसन भी धनभागी हआ और काल भी दसर लोग भी धनभागी हए 17वी शताबदी का कणारवती शहर िजसको आज अमदावाद बोलत ह वहा की यह एक ऐितहािसक घटना ह सतय कथा ह

अगर उस 16 वष य कनया म धमर क सःकार नही होत तो नाच-गान करक राजा का थोड़ा पयार पाकर ःवय भी नरक म पच मरती और राजा भी पच मरता लिकन उस कनया न सयम रखा तो आज उसका शरीर तो नही ह लिकन सयशा का सयश यह रणा जरर दता ह िक आज की कनयाए भी अपन ओज-तज और सयम की रकषा करक अपन ई रीय भाव को जगाकर महान आतमा हो सकती ह

हमार दश की कनयाए परदशी भोगी कनयाओ का अनकरण कयो कर लाली-िलपिःटक लगायी बॉयकट बाल कटवाय शराब-िसगरट पी नाचा-गाया धत तर की यह नारी ःवात य ह नही यह तो नारी का शोषण ह नारी ःवात य क नाम पर नारी को किटल कािमयो की भो या बनाया जा रहा ह

नारी ःव क तऽ हो उसको आितमक सख िमल आितमक ओज बढ़ आितमक बल बढ़ तािक वह ःवय को महान बन ही साथ ही औरो को भी महान बनन की रणा द सक अतरातमा का ःव-ःवरप का सख िमल ःव-ःवरप का जञान िमल ःव-ःवरप का सामथयर िमल तभी तो नारी ःवतऽ ह परपरष स पटायी जाय तो ःवतऽता कसी िवषय िवलास की पतली बनायी जाय तो ःवतनऽता कसी

कब सिमरोग राम सत कबीर क इस भजन न सयशा को इतना महान बना िदया िक राजा का तो मगल िकया ही साथ ही काल जस काितल दय भी पिरवितरत कर िदया और न जान िकतनो को ई र की ओर लगाया होगा हम लोग िगनती नही कर सकत जो ई र क राःत चलता ह उसक ारा कई लोग अचछ बनत ह और जो बर राःत जाता ह उसक ारा कइयो का पतन होता ह

आप सभी सदभागी ह िक अचछ राःत चलन की रिच भगवान न जगायी थोड़ा-बहत िनयम ल लो रोज थोड़ा जप करो धयान कर मौन का आौय लो एकादशी का ोत करो आपकी भी सष शि या जामत कर द ऐस िकसी सतपरष का सहयोग लो और लग जाओ िफर तो आप भी ई रीय पथ क पिथक बन जायग महान परम रीय सख को पाकर धनय-धनय हो जायग

(इस रणापद सतसग कथा की ऑिडयो कसट एव वीसीडी - सयशाः कब सिमरोग राम नाम स उपलबध ह जो अित लोकिय हो चकी ह आप इस अवय सन दख यह सभी सत ौी आसारामजी आौमो एव सिमितयो क सवा कनिो पर उपलबध ह)

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अनबम

अदभत आभासमपनन रानी कलावती ःकनद पराण क ो र खड म कथा आती ह िक काशीनरश की कनया कलावती क साथ मथरा क

दाशाहर नामक राजा का िववाह हआ िववाह क बाद राजा न रानी को अपन पलग पर बलाया लिकन उसन इनकार कर िदया तब राजा न बल योग की धमकी दी रानी न कहाः ी क साथ ससार-वयवहार करना हो तो बलयोग नही ःनह योग करना चािहए नाथ म भल आपकी रानी ह लिकन आप मर साथ बलयोग करक ससार-वयवहार न कर

लिकन वह राजा था रानी की बात सनी-अनसनी करक नजदीक गया जयो ही उसन रानी का ःपशर िकया तयो ही उस िव त जसा करट लगा उसका ःपशर करत ही राजा का अग-अग जलन लगा वह दर हटा और बोलाः कया बात ह तम इतनी सनदर और कोमल हो िफर भी तमहार शरीर क ःपशर स मझ जलन होन लगी

रानीः नाथ मन बालयकाल म दवारसा ऋिष स िशवमऽ िलया था उस जपन स मरी साि वक ऊजार का िवकास हआ ह इसीिलए म आपक नजदीक नही आती थी जस अधरी रात और दोपहर एक साथ नही रहत वस ही आपन शराब पीनवाली वयाओ क साथ और कलटाओ क साथ जो ससार-भोग भोग ह उसस आपक पाप क कण आपक शरीर मन तथा बि म अिधक ह और मन जप िकया ह उसक कारण मर शरीर म ओज तज व आधयाितमक कण अिधक ह इसीिलए म आपस थोड़ी दर रहकर ाथरना करती थी आप बि मान ह बलवान ह यशःवी ह और धमर की बात भी आपन सन रखी ह लिकन आपन शराब पीनवाली वयाओ और कलटाओ क साथ भोग भी भोग ह

राजाः तमह इस बात का पता कस चल गया

रानीः नाथ दय श होता ह तो यह याल आ जाता ह राजा भािवत हआ और रानी स बोलाः तम मझ भी भगवान िशव का वह मऽ द दो रानीः आप मर पित ह म आपकी गर नही बन सकती आप और हम गगारचायर महाराज क पास

चल दोनो गगारचायर क पास गय एव उनस ाथरना की गगारचायर न उनह ःनान आिद स पिवऽ होन क िलए

कहा और यमना तट पर अपन िशवःवरप क धयान म बठकर उनह िनगाह स पावन िकया िफर िशवमऽ दकर शाभवी दीकषा स राजा क ऊपर शि पात िकया

कथा कहती ह िक दखत ही दखत राजा क शरीर स कोिट-कोिट कौए िनकल-िनकल कर पलायन करन लग काल कौए अथारत तचछ परमाण काल कम क तचछ परमाण करोड़ो की स या म सआमदि क ि ाओ ारा दख गय सचच सतो क चरणो म बठकर दीकषा लन वाल सभी साधको को इस कार क लाभ होत ही ह मन बि म पड़ हए तचछ कसःकार भी िमटत ह आतम-परमातमाि की यो यता भी िनखरती ह वयि गत जीवन म सख शाित सामािजक जीवन म सममान िमलता ह तथा मन-बि म सहावन सःकार भी पड़त ह और भी अनिगनत लाभ होत ह जो िनगर मनमख लोगो की कलपना म भी नही आ सकत मऽदीकषा क भाव स हमार पाचो शरीरो क कसःकार व काल कम क परमाण कषीण होत जात ह थोड़ी ही दर म राजा िनभारर हो गया एव भीतर क सख स भर गया

शभ-अशभ हािनकारक एव सहायक जीवाण हमार शरीर म रहत ह जस पानी का िगलास होठ पर रखकर वापस लाय तो उस पर लाखो जीवाण पाय जात ह यह वजञािनक अभी बोलत ह लिकन शा ो न तो लाखो वषर पहल ही कह िदयाः

समित-कमित सबक उर रहिह जब आपक अदर अचछ िवचार रहत ह तब आप अचछ काम करत ह और जब भी हलक िवचार आ

जात ह तो आप न चाहत हए भी गलत कर बठत ह गलत करन वाला कई बार अचछा भी करता ह तो मानना पड़गा िक मनय-शरीर पणय और पाप का िमौण ह आपका अतःकरण शभ और अशभ का िमौण ह जब आप लापरवाह होत ह तो अशभ बढ़ जात ह अतः परषाथर यह करना ह िक अशभ कषीण होता जाय और शभ पराका ा तक परमातम-ाि तक पहच जाय

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अनबमलोग घरबार छोड़कर साधना करन क िलए साध बनत ह घर म रहत हए गहःथधमर िनभात हए नारी

ऐसी उम साधना कर सकती ह िक अनय साधओ की साधना उसक सामन फीकी पड़ जाय ऐसी दिवयो क पास एक पितोता-धमर ही ऐसा अमोघ श ह िजसक सममख बड़-बड़ वीरो क श भी किणठत हो जात ह पितोता ी अनायास ही योिगयो क समान िसि ा कर लती ह इसम िकिचत माऽ भी सदह नही ह

उ म िजजञासः मऽयी महिषर याजञवलकयजी की दो पि या थीः मऽयी और कातयायनी मऽयी जय थी कातयायनी की जञा

सामानय ि यो जसी ही थी िकत मऽयी वािदनी थी एक िदन याजञवालकयजी न अपनी दोनो पि यो को अपन पास बलाया और कहाः मरा िवचार अब

सनयास लन का ह अतः इस ःथान को छोड़कर म अनयऽ चला जाऊगा इसक िलए तम लोगो की अनमित लना आवयक ह साथ ही म यह भी चाहता ह िक घर म जो कछ धन-दौलत ह उस तम दोनो म बराबर-बराबर बाट द तािक मर चल जान क बाद इसको लकर आपसी िववाद न हो

यह सनकर कातयायनी तो चप रही िकत मऽयी न पछाः भगवन यिद यह धन-धानय स पिरपणर सारी पथवी कवल मर ही अिधकार म आ जाय तो कया म उसस िकसी कार अमर हो सकती ह

याजञवलकयजी न कहाः नही भोग-सामिमयो स सपनन मन यो का जसा जीवन होता ह वसा ही तमहारा भी जीवन हो जायगा धन स कोई अमर हो जाय उस अमरतव की ाि हो जाय यह कदािप सभव नही ह

तब मऽयी न कहाः भगवन िजसस म अमर नही हो सकती उस लकर कया करगी यिद धन स ही वाःतिवक सख िमलता तो आप उस छोड़कर एकानत अरणय म कयो जात आप ऐसी कोई वःत अवय जानत ह िजसक सामन इस धन एव गहःथी का सारा सख तचछ तीत होता ह अतः म भी उसी को जानना चाहती ह यदव भगवान वद तदव म िह कवल िजस वःत को आप ौीमान अमरतव का साधन जानत ह उसी का मझ उपदश कर

मऽयी की यह िजजञासापणर बात सनकर याजञवलकयजी को बड़ी सननता हई उनहोन मऽयी की शसा करत हए कहाः

धनय मऽयी धनय तम पहल भी मझ बहत िय थी और इस समय भी तमहार मख स यह िय वचन ही िनकला ह अतः आओ मर समीप बठो म तमह त व का उपदश करता ह उस सनकर तम उसका मनन और िनिदधयासन करो म जो कछ कह उस पर ःवय भी िवचार करक उस दय म धारण करो

इस कार कहकर महिषर याजञवलकयजी न उपदश दना आरभ िकयाः मऽयी तम जानती हो िक ी को पित और पित को ी कयो िय ह इस रहःय पर कभी िवचार िकया ह पित इसिलए िय नही ह िक वह पित ह बिलक इसिलए िय ह िक वह अपन को सतोष दता ह अपन काम आता ह इसी कार पित को ी भी इसिलए िय नही होती िक वह ी ह अिपत इसिलए िय होती ह िक उसस ःवय को सख िमलता

इसी नयाय स पऽ धन ा ण कषिऽय लोक दवता समःत ाणी अथवा ससार क सपणर पदाथर भी आतमा क िलए िय होन स ही िय जान पड़त ह अतः सबस ियतम वःत कया ह अपना आतमा

आतमा वा अर ि वयः ौोतवयो मनतवयो िनिदधयािसतवयो मऽयी आतमनो वा अर दशरनन ौवणन

मतया िवजञाननद सव िविदतम मऽयी तमह आतमा की ही दशरन ौवण मनन और िनिदधयासन करना चािहए उसी क दशरन ौवण

मनन और यथाथरजञान स सब कछ जञात हो जाता ह

(बहदारणयक उपिनषद 4-6) तदनतर महिषर याजञवलकयजी न िभनन-िभनन द ानतो और यि यो क ारा जञान का गढ़ उपदश दत

हए कहाः जहा अजञानावःथा म त होता ह वही अनय अनय को सघता ह अनय अनय का रसाःवादन करता ह अनय अनय का ःपशर करता ह अनय अनय का अिभवादन करता ह अनय अनय का मनन करता ह और अनय अनय को िवशष रप स जानता ह िकत िजसक िलए सब कछ आतमा ही हो गया ह वह िकसक ारा िकस दख िकसक ारा िकस सन िकसक ारा िकस सघ िकसक ारा िकसका रसाःवादन कर िकसक ारा िकसका ःपशर कर िकसक ारा िकसका अिभवादन कर और िकसक ारा िकस जान िजसक ारा परष इन सबको जानता ह उस िकस साधन स जान

इसिलए यहा नित-नित इस कार िनदश िकया गया ह आतमा अमा ह उसको महण नही िकया जाता वह अकषर ह उसका कषय नही होता वह असग ह वह कही आस नही होता वह िनबरनध ह वह कभी बनधन म नही पड़ता वह आनदःवरप ह वह कभी वयिथत नही होता ह मऽयी िवजञाता को िकसक ारा जान अर मऽयी तम िन यपवरक इस समझ लो बस इतना ही अमरतव ह तमहारी ाथरना क अनसार मन जञातवय त व का उपदश द िदया

ऐसा उपदश दन क प ात याजञवलकयजी सनयासी हो गय मऽयी यह अमतमयी उपदश पाकर कताथर हो गयी यही यथाथर सपि ह िजस मऽयी न ा िकया था धनय ह मऽयी जो बा धन-सपि स ा सख को तणवत समझकर वाःतिवक सपि को अथारत आतम-खजान को पान का परषाथर करती ह काश आज की नारी मऽयी क चिरऽ स रणा लती

(कलयान क नारी अक एव बहदारणयक उपिनषद पर आधािरत)

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अनबम

वािदनी िवदषी गाग वािदनी िवदषी गाग का नाम विदक सािहतय म अतयत िव यात ह उनका असली नाम कया था

यह तो जञात नही ह िकत उनक िपता का नाम वचकन था अतः वचकन की पऽी होन क कारण उनका नाम वाचकनवी पड़ गया गगर गोऽ म उतपनन होन क कारण लोग उनह गाग कहत थ यह गाग नाम ही जनसाधारण स चिलत हआ

बहदारणयक उपिनषद म गाग क शा ाथर का सग विणरत हः िवदह दश क राजा जनक न एक बहत बड़ा जञानयजञ िकया था उसम कर और पाचाल दश क अनको

िव ान ा ण एकिऽत हए थ राजा जनक बड़ िव ा-वयासगी एव सतसगी थ उनह शा क गढ़ त वो का िववचन एव परमाथर-चचार ही अिधक िय थी इसिलए उनक मन म यह जानन की इचछा हई िक यहा आय हए िव ान ा णो म सबस बढ़कर ताि वक िववचन करन वाला कौन ह इस परीकषा क िलए उनहोन अपनी गौशाला म एक हजार गौए बधवा दी सब गौओ क सीगो पर दस-दस पाद (एक ाचीन माप-कषर) सवणर बधा हआ था यह वयवःथा करक राजा जनक न उपिःथत ा ण-समदाय स कहाः

आप लोगो म स जो सबस बढ़कर व ा हो वह इन सभी गौओ को ल जाय राजा जनक की यह घोषणा सनकर िकसी भी ा ण म यह साहस नही हआ िक उन गौओ को ल

जाय सब सोचन लग िक यिद हम गौए ल जान को आग बढ़त ह तो य सभी ा ण हम अिभमानी समझग और शा ाथर करन लगग उस समय हम इन सबको जीत सक ग या नही कया पता यह िवचार करत हए सब चपचाप ही बठ रह

सबको मौन दखकर याजञवलकयजी न अपन चारी सामौवा स कहाः ह सौमय त इन सब गौओ को हाक ल चल

चारी न आजञा पाकर वसा ही िकया यह दखकर सब ा ण कषबध हो उठ तब िवदहराज जनक क होता अ ल याजञवलकयजी स पछ बठः कयो कया तमही िन हो हम सबस बढ़कर व ा हो

यह सनकर याजञवलकयजी न नतापवरक कहाः नही व ाओ को तो हम नमःकार करत ह हम कवल गौओ की आवयकता ह अतः गौओ को ल

जात ह िफर कया था शा ाथर आरभ हो गया यजञ का तयक सदःय याजञवलकयजी स पछन लगा

याजञवालकयजी इसस िवचिलत नही हए व धयरपवरक सभी क ो का बमशः उ र दन लग अ ल न चन-चनकर िकतन ही िकय िकत उिचत उ र िमल जान क कारण व चप होकर बठ गय तब जरतकार गोऽ म उतपनन आतरभाग न िकया उनको भी अपन का यथाथर उ र िमल गया अतः व भी मौन हो गय िफर बमशः ला ायिन भजय चाबायम उषःत एव कौषीतकय कहोल करक चप होकर बठ गय इसक बाद

वाचकनवी गाग न पछाः भगवन यह जो कछ पािथरव पदाथर ह व सब जल म ओत ोत ह जल िकसम ओतोत ह

याजञवलकयजीः जल वाय म ओतोत ह वाय िकसम ओतोत ह

अनतिरकषलोक म अनतिरकषलोक िकसम ओतोत ह

गनधवरलोक म गनधवरलोक िकसम ओतोत ह

आिदतयलोक म आिदतयलोक िकसम ओतोत ह

चनिलोक म चनिलोक िकसम ओतोत ह

नकषऽलोक म नकषऽलोक िकसम ओतोत ह

दवलोक म दवलोक िकसम ओतोत ह

इनिलोक म इनिलोक िकसम ओतोत ह

जापितलोक म जापितलोक िकसम ओतोत ह

लोक म लोक िकसम ओतोत ह

इस पर याजञवलकयजी न कहाः ह गाग यह तो अित ह यह उ र की सीमा ह अब इसक आग नही हो सकता अब त न कर नही तो तरा मःतक िगर जायगा

गाग िवदषी थी उनहोन याजञवलकयजी क अिभाय को समझ िलया एव मौन हो गयी तदननतर आरिण आिद िव ानो न ो र िकय इसक प ात पनः गाग न समःत ा णो को सबोिधत करत हए कहाः यिद आपकी अनमित ा हो जाय तो म याजञवलकयजी स दो पछ यिद व उन ो का उ र द दग तो आप लोगो म स कोई भी उनह चचार म नही जीत सकगा

ा णो न कहाः पछ लो गाग

तब गाग बोलीः याजञवलकयजी वीर क तीर क समान य मर दो ह पहला हः लोक क ऊपर पथवी का िनमन दोनो का मधय ःवय दोनो और भत भिवय तथा वतरमान िकसम ओतोत ह

याजञवलकयजीः आकाश म

गाग ः अचछा अब दसरा ः यह आकाश िकसम ओतोत ह

याजञवलकयजीः इसी त व को व ा लोग अकषर कहत ह गाग यह न ःथल ह न सआम न छोटा ह न बड़ा यह लाल िव छाया तम वाय आकाश सग रस गनध नऽ कान वाणी मन तज ाण मख और माप स रिहत ह इसम बाहर भीतर भी नही ह न यह िकसी का भो ा ह न िकसी का भो य

िफर आग उसका िवशद िनरपण करत हए याजञवलकयजी बोलः इसको जान िबना हजारो वष को होम यजञ तप आिद क फल नाशवान हो जात ह यिद कोई इस अकषर त व को जान िबना ही मर जाय तो वह कपण ह और जान ल तो यह व ा ह

यह अकषर द नही ि ा ह ौत नही ौोता ह मत नही मनता ह िवजञात नही िवजञाता ह इसस िभनन कोई दसरा ि ा ौोता मनता िवजञाता नही ह गाग इसी अकषर म यह आकाश ओतोत ह

गाग याजञवलकयजी का लोहा मान गयी एव उनहोन िनणरय दत हए कहाः इस सभा म याजञवलकयजी स बढ़कर व ा कोई नही ह इनको कोई परािजत नही कर सकता ह ा णो आप लोग इसी को बहत समझ िक याजञवलकयजी को नमःकार करन माऽ स आपका छटकारा हए जा रहा ह इनह परािजत करन का ःवपन दखना वयथर ह

राजा जनक की सभा वादी ऋिषयो का समह समबनधी चचार याजञवलकयजी की परीकषा और परीकषक गाग यह हमारी आयर क नारी क जञान की िवजय जयनती नही तो और कया ह

िवदषी होन पर भी उनक मन म अपन पकष को अनिचत रप स िस करन का दरामह नही था य िव तापणर उ र पाकर सत हो गयी एव दसर की िव ता की उनहोन म कणठ स शसा भी की

धनय ह भारत की आयर नारी जो याजञवलकयजी जस महिषर स भी शा ाथर करन िहचिकचाती नही ह ऐसी नारी नारी न होकर साकषात नारायणी ही ह िजनस यह वसनधरा भी अपन-आपको गौरवािनवत मानती ह

(कलयाण क नारी अक एव बहदारणयक उपिनषद पर आधािरत) ॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐ

अनबम

अथाह शि की धनीः तपिःवनी शाणडािलनी शाणडािलनी का रप-लावणय और सौनदयर दखकर गालव ऋिष और गरड़जी मोिहत हो गय ऐसी सनदरी

और इतनी तजिःवनी वह भी धरती पर तपःयारत यह ी तो भगवान िवण की भायार होन क यो य ह ऐसा सोचकर उनहोन शाणडािलनी क आग यह ःताव रखा

शाणडािलनीः नही नही मझ तो चयर का पालन करना ह यह कहकर शाणडािलनी पनः तपःयारत हो गयी और अपन श -ब ःवरप की ओर याऽा करन लगी

गालवजी और गरड़जी का यह दखकर पनः िवचारन लग िक अपसराओ को भी मात कर दन वाल सौनदयर की ःवािमनी यह शाणडािलनी अगर तपःया म ही रत रही तो जोगन बन जायगी और हम लोगो की बात मानगी नही अतः इस अभी उठाकर ल चल और भगवान िवण क साथ जबरन इसकी शादी करवा द

एक भात को दोनो शाणडािलनी को ल जान क िलए आय शाणडािलनी की दि जस ही उन दोनो पर पड़ी तो वह समझ गयी िक अपन िलए तो नही िकत अपनी इचछा परी करन क िलए इनकी नीयत बरी हई ह जब मरी कोई इचछा नही ह तो म िकसी की इचछा क आग कयो दब मझ तो चयर ोत का पालन करना ह िकत य दोनो मझ जबरन गहःथी म घसीटना चाहत ह मझ िवण की प ी नही बनना वरन मझ तो िनज ःवभाव को पाना ह

गरड़जी तो बलवान थ ही गालवजी भी कम नही थ िकत शाणडािलनी की िनःःवाथर सवा िनःःवाथर परमातमा म िवौािनत की याऽा न उसको इतना तो सामथयरवान बना िदया था िक उसक ारा पानी क छीट मार कर यह कहत ही िक गालव तम गल जाओ और गालव को सहयोग दन वाल गरड़ तम भी गल जाओ दोनो को महसस होन लगा िक उनकी शि कषीण हो रही ह दोनो भीतर-ही-भीतर गलन लग

िफर दोनो न बड़ा ायि त िकया और कषमायाचना की तब भारत की उस िदवय कनया शाणडािलनी न उनह माफ िकया और पवरवत कर िदया उसी क तप क भाव स गलत र तीथर बना ह

ह भारत की दिवयो उठो जागो अपनी आयर नािरयो की महानता को अपन अतीत क गौरव को याद करो तमम अथाह सामथयर ह उस पहचानो सतसग जप परमातम-धयान स अपनी छपी हई शि यो को जामत करो

जीवनशि का ास करन वाली पा ातय सःकित क अधानकरण स बचकर तन-मन को दिषत करन वाली फशनपरःती एव िवलािसता स बचकर अपन जीवन को जीवनदाता क पथ पर अमसर करो अगर ऐसा कर सको तो वह िदन दर नही जब िव तमहार िदवय चिरऽ का गान कर अपन को कताथर मानगा

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अनबम

सती सािवऽी महाभारत क वन पवर म सािवऽी और यमराज क वातारलाप का सग आता हः जब यमराज सतयवान (सािवऽी क पित) क ाणो को अपन पाश म बाध ल चल तब सािवऽी भी उनक

पीछ-पीछ चलन लगी उस अपन पीछ आत दखकर यमराज न उस वापस लौट जान क िलए कई बार कहा िकत सािवऽी चलती ही रही एव अपनी धमरचचार स उसन यमराज को सनन कर िलया

सािवऽी बोलीः सतपरषो का सग एक बार भी िमल जाय तो वह अभी की पितर करान वाला होता ह और यिद उनस म हो जाय तो िफर कहना ही कया सत-समागम कभी िनफल नही जाता अतः सदा सतपरषो क साथ ही रहना चािहए

दव आप सारी जा का िनयमन करन वाल ह अतः यम कहलात ह मन सना ह िक मन वचन और कमर ारा िकसी भी ाणी क ित िोह न करक सब पर समान रप स दया करना और दान दना ौ परषो का सनातन धमर ह यो तो ससार क सभी लोग सामानयतः कोमलता का बतारव करत ह िकत जो ौ परष ह व अपन पास आय हए शऽ पर भी दया ही करत ह

यमराजः कलयाणी जस पयास को पानी िमलन स ति होती ह उसी कार तरी धमारनकल बात सनकर मझ सननता होती ह

सािविऽ न आग कहाः िववःवान (सयरदव) क पऽ होन क नात आपको ववःवत कहत ह आप शऽ-िमऽ आिद क भद को भलाकर सबक ित समान रप स नयाय करत ह और आप धमरराज कहलात ह अचछ मनयो को सतय पर जसा िव ास होता ह वसा अपन पर भी नही होता अतएव व सतय म ही अिधक अनराग रखत ह िव ास की सौहादर का कारण ह तथा सौहादर ही िव ास का सतपरषो का भाव सबस अिधक होता ह इसिलए उन पर सभी िव ास करत ह

यमराजः सािवऽी तन जो बात कही ह वसी बात मन और िकसी क मह स नही सनी ह अतः मरी सननता और भी बढ़ गयी ह अचछा अब त बहत दर चली आयी ह जा लौट जा

िफर भी सािवऽी न अपनी धािमरक चचार बद नही की वह कहती गयीः सतपरषो का मन सदा धमर म ही लगा रहता ह सतपरषो का समागम कभी वयथर नही जाता सतो स कभी िकसी को भय नही होता सतपरष सतय क बल स सयर को भी अपन समीप बला लत ह व ही अपन भाव स पथवी को धारण करत ह भत भिवय का आधार भी व ही ह उनक बीच म रहकर ौ परषो को कभी खद नही होता दसरो की भलाई करना सनातन सदाचार ह ऐसा मानकर सतपरष तयपकार की आशा न रखत हए सदा परोपकार म ही लगा रहत ह

सािवऽी की बात सनकर यमराज िवीभत हो गय और बोलः पितोत तरी य धमारनकल बात गभीर अथर स य एव मर मन को लभान वाली ह त जयो-जयो ऐसी बात सनाती जाती ह तयो-तयो तर ित मरा ःनह बढ़ता जाता ह अतः त मझस कोई अनपम वरदान माग ल

सािवऽीः भगवन अब तो आप सतयवान क जीवन का ही वरदान दीिजए इसस आपक ही सतय और धमर की रकषा होगी पित क िबना तो म सख ःवगर लआमी तथा जीवन की भी इचछा नही रखती

धमरराज वचनब हो चक थ उनहोन सतयवान को मतयपाश स म कर िदया और उस चार सौ वष की नवीन आय दान की सतयवान क िपता मतसन की नऽजयोित लौट आयी एव उनह अपना खोया हआ राजय भी वापस िमल गया सािवऽी क िपता को भी समय पाकर सौ सतान ह एव सािवऽी न भी अपन पित सतयवान क साथ धमरपवरक जीवन-यापन करत हए राजय-सख भोगा

इस कार सती सािवऽी न अपन पाितोतय क ताप स पित को तो मतय क मख स लौटाया ही साथ ही पित क एव अपन िपता क कल दोनो की अिभवि म भी वह सहायक बनी

िजस िदन सती सािवऽी न अपन तप क भाव स यमराज क हाथ म पड़ हए पित सतयवान को छड़ाया था वही िदन वट सािवऽी पिणरमा क रप म आज भी मनाया जाता ह इस िदन सौभा यशाली ि या अपन सहाग की रकषा क िलए वट वकष की पजा करती ह एव ोत-उपवास आिद रखती ह

कसी रही ह भारत की आदशर नािरया अपन पित को मतय क मख स लौटान म यमराज स भी धमरचचार करन का सामथयर रहा ह भारत की दिवयो म सािवऽी की िदवय गाथा यही सदश दती ह िक ह भारत की दिवयो तमम अथाह सामथयर ह अथाह शि ह सतो-महापरषो क सतसग म जाकर तम अपनी छपी हई शि को जामत करक अवय महान बन सकती हो एव सािवऽी-मीरा-मदालसा की याद को पनः ताजा कर सकती हो

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अनबम

मा सीता की सतीतव-भावना भगवान ौीराम क िवयोग तथा रावण और राकषिसयो क ारा िकय जानवाल अतयाचारो क कारण मा

सीता अशोक वािटका म बड़ी दःखी थी न तो व भोजन करती न ही नीद िदन-रात कवल ौीराम-नाम क जप म ही तललीन रहती उनका िवषादमःत मखमडल दखकर हनमान जी न पवरताकार शरीर धारण करक उनस कहाः मा आपकी कपा स मर पास इतना बल ह िक म पवरत वन महल और रावणसिहत परी लका को उठाकर ल जा सकता ह आप कपा करक मर साथ चल और भगवान ौीराम व लआमण का शोक दर करक ःवय भी इस भयानक दःख स मि पा ल

भगवान ौीराम म ही एकिन रहन वाली जनकनिदनी मा सीता न हनमानजी स कहाः ह महाकिप म तमहारी शि और पराबम को जानती ह साथ ही तमहार दय क श भाव एव तमहारी ःवामी-भि को भी जानती ह िकत म तमहार साथ नही आ सकती पितपरायणता की दि स म एकमाऽ भगवान ौीराम क िसवाय िकसी परपरष का ःपशर नही कर सकती जब रावण न मरा हरण िकया था तब म असमथर असहाय और िववश थी वह मझ बलपवरक उठा लाया था अब तो करणािनधान भगवान ौीराम ही ःवय आकर रावण का वध करक मझ यहा स ल जाएग

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अनबम

आतर भ िौपदी

ईयार- ष और अित धन-समह स मनय अशात होता ह ईयार- ष की जगह पर कषमा और सतवि का िहःसा बढ़ा िदया जाय तो िकतना अचछा

दय धन ईयारल था षी था उसन तीन महीन तक दवारसा ऋिष की भली कार स सवा की उनक िशयो की भी सवा की दय धन की सवा स दवारसा ऋिष सनन हो गय और बोलः

माग ल वतस जो मागना चाह माग ल

जो ईयार और ष क िशकज म आ जाता ह उसका िववक उस साथ नही दता लिकन जो ईयार- ष रिहत होता ह उसका िववक सजग रहता ह वह शात होकर िवचार या िनणरय करता ह ऐसा वयि सफल होता ह और सफलता क अह म गरक नही होता कभी असफल भी हो गया तो िवफलता क िववाद म नही डबता द दय धन न ईयार एव ष क वशीभत होकर कहाः

मर भाई पाणडव वन म दर-दर भटक रह ह उनकी इचछा ह िक आप अपन हजार िशयो क साथ उनक अितथी हो जाय अगर आप मझ पर सनन ह तो मर भाइयो की इचछा परी कर लिकन आप उसी व उनक पास पहिचयगा जब िौपदी भोजन कर चकी हो

दय धन जानता था िक भगवान सयर न पाणडवो को अकषयपाऽ िदया ह उसम स तब तक भोजन-साममी िमलती रहती ह जब तक िौपदी भोजन न कर ल िौपदी भोजन करक पाऽ को धोकर रख द िफर उस िदन उसम स भोजन नही िनकलगा अतः दोपहर क बाद जब दवारसाजी उनक पास पहचग तब भोजन न िमलन स किपत हो जायग और पाणडवो को शाप द दग इसस पाणडव वश का सवरनाश हो जायगा

इस ईयार और ष स िरत होकर दय धन न दवारसाजी की सननता का लाभ उठाना चाहा दवारसा ऋिष मधया क समय जा पहच पाणडवो क पास यिधि र आिद पाणडव एव िौपदी दवारसाजी को

िशयो समत अितिथ क रप म आया हआ दखकर िचिनतत हो गय िफर भी बोलः िवरािजय महिषर आपक भोजन की वयवःथा करत ह

अतयारमी परमातमा सबका सहायक ह सचच का मददगार ह दवारसाजी बोलः ठहरो ठहरो भोजन बाद म करग अभी तो याऽा की थकान िमटान क िलए ःनान करन जा रहा ह

इधर िौपदी िचिनतत हो उठी िक अब अकषयपाऽ स कछ न िमल सकगा और इन साधओ को भखा कस भज उनम भी दवारसा ऋिष को वह पकार उठीः ह कशव ह माधव ह भ वतसल अब म तमहारी शरण म ह शात िच एव पिवऽ दय स िौपदी न भगवान ौीकण का िचनतन िकया भगवान ौीकण आय और बोलः िौपदी कछ खान को तो दो

िौपदीः कशव मन तो पाऽ को धोकर रख िदया ह ौी कणः नही नही लाओ तो सही उसम जरर कछ होगा िौपदी न पाऽ लाकर रख िदया तो दवयोग स उसम तादल क साग का एक प ा बच गया था

िव ातमा ौीकण न सकलप करक उस तादल क साग का प ा खाया और ति का अनभव िकया तो उन महातमाओ को भी ति का अनभव हआ व कहन लग िकः अब तो हम त हो चक ह वहा जाकर कया खायग यिधि र को कया मह िदखायग

शात िच स की हई ाथरना अवय फलती ह ईयारल एव षी िच स तो िकया-कराया भी चौपट हो जाता ह जबिक न और शात िच स तो चौपट हई बाजी भी जीत म बदल जाती ह और दय धनयता स भर जाता ह

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अनबम

दवी शि यो स समपनन गणमजरी दवी (िदनाक 12 अ बर स 21 अ बर 2002 तक मागलय धाम रतलाम (म) म शरद पिणरमा पर

आयोिजत शि पात साधना िशिवर म पजय ौी न िशिवरािथरयो को अपनी सष िदवय शि यो को जागत करन का आ ान िकया

िवबम सवत 1781 म यागराज इलाहाबाद म घिटत एक घटना का िजब करत हए पजयौी न लोकपावनी वाणी म कहाः)

यागराज इलाहाबाद म ऽयोदशी क कभ-ःनान का पवर-िदवस था कभ म कई अखाड़वाल जित-जोिग साध-सत आय थ उसम कामकौतकी नामक एक ऐसी जाित भी आयी थी जो भगवान क िलए ही राग-रािगिनयो का अ यास िकया करती थी तथा भगवदगीत क िसवाय और कोई गीत नही गाती थी उसन भी अपना गायन-कायरबम कभ मल म रखा था

ौगरी मठाधीश ौी सोमनाथाचायर भी इस कामकौतकी जाितवालो क सयम और राग-रािगिनयो म उनकी कशलता क बार म जानत थ इसिलए व भी वहा पधार थ उस कायरबम म सोमनाथाचायर जी की उपिःथित क कारण लोगो को िवशष आनद हआ और जब गणमजरी दवी भी आ पहची तो उस आनद म चार चाद लग गय

गणमजरी दवी न चानिायण और कचल ोत िकय थ शरीर क दोषो को हरन वाल जप-तप और सयम को अचछी तरह स साधा था लोगो न मन-ही-मन उसका अिभवादन िकया

गणमजरी दवी भी कवल गीत ही नही गाती थी वरन उसन अपन जीवन म दवी गणो का इतना िवकिसत िकया था िक जब चाह अपनी दिवक सिखयो को बला सकती थी जब चाह बादल मडरवा सकती थी िबजली चमका सकती थी उस समय उसकी याित दर-दर तक पहच चकी थी

कायरबम आरमभ हआ कामकौतकी जाित क आचाय न शबदो की पपाजली स ई रीय आराधना का माहौल बनाया अत म गणमजरी दवी स ाथरना की गयी

गणमजरी दवी न वीणा पर अपनी उगिलया रखी माघ का महीना था ठणडी-ठणडी हवाए चलन लगी थोड़ी ही दर म मघ गरजन लग िबजली चमकन लगी और बािरश का माहौल बन गया आन वाली बािरश स बचन क लोगो का िच कछ िवचिलत होन लगा इतन म सोमनाथाचायरजी न कहाः बठ रहना िकसी को

िचनता करन की जररत नही ह य बादल तमह िभगोयग नही य तो गण मजरी दवी की तपःया और सकलप का भाव ह

सत की बात का उललघन करना मि फल को तयागना और नरक क ार खोलना ह लोग बठ रह 32 राग और 64 रािगिनया ह राग और रािगिनया क पीछ उनक अथर और आकितया भी होती ह

शबद क ारा सि म उथल-पथल मच सकती ह व िनज व नही ह उनम सजीवता ह जस एयर कडीशनर चलात ह तो वह आपको हवा स पानी अलग करक िदखा दता ह ऐस ही इन पाच भतो म िःथत दवी गणो को िजनहोन साध िलया ह व शबद की धविन क अनसार बझ दीप जला सकत ह दि कर सकत ह - ऐस कई सग आपन-हमन-दख-सन होग गणमजरी दवी इस कार की साधना स समपनन दवी थी

माहौल ौ ा-भि और सयम की पराका ा पर था गणमजरी दवी न वीणा बजात हए आकाश की ओर िनहारा घनघोर बादलो म स िबजली की तरह एक दवागना कट हई वातावरण सगीतमय-नतयमय होता जा रहा था लोग दग रह गय आ यर को भी आ यर क समि म गोत खान पड़ ऐसा माहौल बन गया

लोग भीतर ही भीतर अपन सौभा य की सराहना िकय जा रह थ मानो उनकी आख उस दय को पी जाना चाहती थी उनक कान उस सगीत को पचा जाना चाहत थ उनका जीवन उस दय क साथ एक रप होता जा रहा था गणमजरी धनय हो तम कभी व गणमजरी को को धनयवाद दत हए उसक गीत म खो जात और कभी उस दवागना क श पिवऽ नतय को दखकर नतमःतक हो उठत

कायरबम समपनन हआ दखत ही दखत गणमजरी दवी न दवागना को िवदाई दी सबक हाथ जड़ हए थ आख आसमान की ओर िनहार रही थी और िदल अहोभाव स भरा था मानो भ-म म भ की अदभत लीला म खोया-सा था

ौगरी मठाधीश ौी सोमनाथाचायरजी न हजारो लोगो की शात भीड़ स कहाः सजजनो इसम आ यर की कोई आवयकता नही ह हमार पवरज दवलोक स भारतभिम पर आत और सयम साधना तथा भगवतीित क भाव स अपन वािछत िदवय लोको तक की याऽा करन म सफल होत थ कोई-कोई ःवरप परमातमा का ौवण मनन िनिदधयासन करक यही मय अननत ाणडवयापी अपन आतम-ऐ यर को पा लत थ

समय क फर स लोग सब भलत गय अनिचत खान-पान ःपशर-दोष सग-दोष िवचार-दोष आिद स लोगो की मित और साि वकता मारी गयी लोगो म छल कपट और तमस बढ़ गया िजसस व िदवय लोको की बात ही भल गय अपनी असिलयत को ही भल गय गणमजरी दवी न सग दोष स बचकर सयम स साधन-भजन िकया तो उसका दवतव िवकिसत हआ और उसन दवागना को बलाकर तमह अपनी असिलयत का पिरचय िदया

तम भी इस दय को दखन क कािबल तब हए जब तमन कभ क इस पवर पर यागराज क पिवऽ तीथर म सयम और ौ ा-भि स ःनान िकया इसक भाव स तमहार कछ कलमष कट और पणय बढ़ पणयातमा लोगो क एकिऽत होन स गणमजरी दवी क सकलप म सहायता िमली और उसन तमह यह दय िदखाया अतः इसम आ यर न करो

आपम भी य शि या छपी ह तम भी चाहो तो अनिचत खान-पान सग-दोष आिद स बचकर सदगर क िनदशानसार साधना-पथ पर अमसर हो इन शि यो को िवकिसत करन म सफल हो सकत हो कवल इतना ही नही वरन पर -परमातमा को पाकर सदा-सदा क िलए म भी हो सकत हो अपन म ःवरप का जीत जी अनभव कर सकत हो

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अनबम

िववक की धनीः कमारवती यह कथा सतयःवरप ई र को पान की ततपरता रखनवाली भोग-िवलास को ितलाजिल दन वाली

िवकारो का दमन और िनिवरकार नारायण ःवरप का दशरन करन वाली उस बचची की ह िजसन न कवल अपन को तारा अिपत अपन िपता राजपरोिहत परशरामजी का कल भी तार िदया

जयपर-सीकर क बीच महनिगढ़ क सरदार शखावत क राजपरोिहत परशरामजी की उस बचची का नाम था कमार कमारवती बचपन म वह ऐस कमर करती थी िक उसक कमर शोभा दत थ कई लोग कमर करत ह तो कमर उनको थका दत ह कमर म उनको फल की इचछा होती ह कमर म कतारपन होता ह

कमारवती क कमर म कतारपन नही था ई र क ित समपरण भाव थाः जो कछ कराता ह भ त ही कराता ह अचछ काम होत ह तो नाथ तरी कपा स ही हम कर पात ह कमारवती कमर करती थी लिकन कतारभाव को िवलय होन का मौका िमल उस ढग स करती थी

कमारवती तरह साल की हई गाव म साध-सत पधार उन सतपरषो स गीता का जञान सना भगवदगीता का माहातमय सना अचछ-बर कम क बनधन स जीव मनय-लोक म जनमता ह थोड़ा-सा सखाभास पाता ह परत काफी माऽा म दःख भोगता ह िजस शरीर स सख-दःख भोगता ह वह शरीर तो जीवन क अत म जल जाता ह लिकन भीतर सख पान का सख भोगन का भाव बना रहता ह यह कतार-भो ापन का भाव तब तक बना रहता ह जब तक मन की सीमा स पर परमातमा-ःवरप का बोध नही होता

कमारवती इस कार का सतसग खब धयान दकर आखो की पलक कम िगर इस कार सनती थी वह इतना एकाम होकर सतसग सनती िक उसका सतसग सनना बदगी हो जाता था

एकटक िनहारत हए सतसग सनन स मन एकाम होता ह सतसग सनन का महापणय तो होता ही ह साथ ही साथ मनन करन का लाभ भी िमल जाता ह और िनिदधयासन भी होता रहता ह

दसर लोग सतसग सनकर थोड़ी दर क बाद कपड़ झाड़कर चल दत और सतसग की बात भल जात लिकन कमारवती सतसग को भलती नही थी सतसग सनन क बाद उसका मनन करती थी मनन करन स उसकी यो यता बढ़ गयी जब घर म अनकलता या ितकलता आती तो वह समझती िक जो आता ह वह

जाता ह उसको दखनवाला मरा राम मरा कण मरा आतमा मर गरदव मरा परमातमा कवल एक ह सख आयगा ETH जायगा पर म चतनय आतमा एकरस ह ऐसा उसन सतसग म सन रखा था

सतसग को खब एकामता स सनन और बाद म उस ःमरण-मनन करन स कमारवती न छोटी उ म खब ऊचाई पा ली वह बातचीत म और वयवहार म भी सतसग की बात ला दती थी फलतः वयवहार क न उसक िच को मिलन नही करत थ उसक िच की िनमरलता व साि वकता बढ़ती गयी

म तो महनिगढ़ क उस सरदार खडरकर शखावत को भी धनयवाद दगा कयोिक उसक राजपरोिहत हए थ परशराम और परशराम क घर आयी थी कमारवती जसी पिवऽ बचची िजनक घर म भ पदा हो व माता-िपता तो भा यशाली ह ही पिवऽ ह व जहा नौकरी करत ह वह जगह वह आिफस वह कस भी भा यशाली ह िजसक यहा व नौकरी करत ह वह भी भा यशाली ह िक भ क माता-िपता उसक यहा आया-जाया करत ह

राजपरोिहत परशराम भी भगवान क भ थ सयमी जीवन था उनका व सदाचारी थ दीन-दःिखयो की सवा िकया करत थ गर-दशरन म रिच और गर-वचन म िव ास रखन वाल थ ऐस पिवऽातमा क यहा जो सतान पदा हो उसका भी ओजःवी-तजःवी होना ःवाभािवक ह

कमारवती िपता स भी बहत आग बढ़ गयी कहावत ह िक बाप स बटा सवाया होना चािहए लिकन यह तो बटी सवायी हो गई भि म

परशराम सरदार क कामकाज म वयःत रहत अतः कभी सतसग म जा पात कभी नही पर कमारवती हर रोज िनयिमत रप स अपनी मा को लकर सतसग सनन पहच जाती ह परशराम सतसग की बात भल भी जात परत कमारवती याद रखती

कमारवती न घर म पजा क िलए एक कोठरी बना ली थी वहा ससार की कोई बात नही कवल माला और जप धयान उसन उस कोठरी को साि वक सशोभनो स सजाया था िबना हाथ-पर धोय नीद स उठकर िबना ःनान िकय उसम वश नही करती थी धप-दीप-अगरब ी स और कभी-कभी ताज िखल हए फलो स कोठरी को पावन बनाया करती महकाया करती उसक भजन की कोठरी मानो भगवान का मिदर ही बन गयी थी वह धयान-भजन नही करनवाल िनगर कटिमबयो को नता स समझा-बझाकर उस कोठरी म नही आन दती थी उसकी उस साधना-कटीर म भगवान की जयादा मितरया नही थी वह जानती थी िक अगर धयान-भजन म रिच न हो तो व मितरया बचारी कया करगी धयान-भजन म सचची लगन हो तो एक ही मितर काफी ह

साधक अगर एक ही भगवान की मितर या गरदव क िचऽ को एकटक िनहारत-िनहारत आतर याऽा कर तो एक म ही सब ह और सब म एक ही ह यह जञान होन म सिवधा रहगी िजसक धयान-ककष म अ यास-खणड म या घर म बहत स दवी-दवताओ क िचऽ हो मितरया हो तो समझ लना उसक िच म और जीवन म काफी अिनि तता होगी ही कयोिक उसका िच अनक म बट जाता ह एक पर परा भरोसा नही रहता

कमारवती न साधन-भजन करन का िनि त िनयम बना िलया था िनयम पालन म वह पककी थी जब तक िनयम परा न हो तब तक भोजन नही करती िजसक जीवन म ऐसी दढ़ता होती ह वह हजारो िव न-बाधाओ और मसीबतो को परो तल कचलकर आग िनकल जाता ह

कमारवती 13 साल की हई उस साल उसक गाव म चातमारस करन क िलए सत पधार कमारवती एक िदन भी कथा सनना चकी नही कथा-ौवण क साररप उसक िदल-िदमाग म िन य दढ़ हआ िक जीवनदाता को पान क िलए ही यह जीवन िमला ह कोई गड़बड़ करन क िलए नही परमातमा को नही पाया तो जीवन वयथर ह

न पित अपना ह न प ी अपनी ह न बाप अपना ह न बट अपन ह न घर अपना ह न दकान अपनी ह अर यह शरीर तक अपना नही ह तो और की कया बात कर शरीर को भी एक िदन छोड़ना पड़गा मशान म उस जलाया जायगा

कमारवती क दय म िजजञासा जगी िक शरीर जल जान स पहल मर दय का अजञान कस जल म अजञानी रहकर बढ़ी हो जाऊ आिखर म लकड़ी टकती हई र ण अवःथा म अपमान सहती हई कराहती हई अनय बिढ़याओ की ना मर यह उिचत नही यह कभी-कभी व ो को बीमार वयि यो को दखती और मन म वरा य लाती िक म भी इसी कार बढ़ी हो जाऊगी कमर झक जायगी मह पोपला हो जायगा आखो स पानी टपकगा िदखाई नही दगा सनाई नही दगा शरीर िशिथल हो जायगा यिद कोई रोग हो जायगा तो और मसीबत िकसी की मतय होती तो कमारवती उस दखती जाती हई अथ को िनहारती और अपन मन को समझातीः बस यही ह शरीर का आिखरी अजाम जवानी म सभाला नही तो बढ़ाप म दःख भोग-भोगकर आिखर मरना ही ह राम राम राम म ऐसी नही बनगी म तो बनगी भगवान की जोिगन मीराबाई म तो मर पयार परमातमा को िरझाऊगी

कमारवती कभी वरा य की अि न म अपन को श करती ह कभी परमातमा क ःनह म भाव िवभोर हो जाती ह कभी पयार क िवयोग म आस बहाती ह तो कभी सनमन होकर बठी रहती ह मतय तो िकसी क घर होती ह और कमारवती क दय क पाप जलन लगत ह उसक िच म िवलािसता की मौत हो जाती ह ससारी तचछ आकषरणो का दम घट जाता ह और दय म भगवदभि का िदया जगमगा उठता ह

िकसी की मतय होन पर भी कमारवती क दय म भि का िदया जगमगान लगता और िकसी की शादी हो तब भी भि का िदया ही जगमगाता वह ऐसी भावना करती िक

म ऐस वर को कयो वर जो उपज और मर जाय म तो वर मर िगरधर गोपाल को मरो चडलो अमर हो जाय

मीरा न इसी भाव को कटाकर दहराकर अपन जीवन को धनय कर िलया था कमारवती न भगवदभि की मिहमा सन रखी थी िक एक ा ण यवक था उसन अपना ःवभावजनय

कमर नही िकया कवल िवलासी और दराचारी जीवन िजया जो आया सो खाया जसा चाहा वसा भोगा ककमर िकय वह मरकर दसर जनम म बल बना और िकसी िभखारी क हाथ लगा वह िभखारी बल पर सवारी करता और बःती म घम-िफरकर भीख मागकर अपना गजारा चलाता

दःख सहत-सहत बल बढ़ा हो गया उसक शरीर की शि कषीण हो गयी वह अब बोझ ढोन क कािबल नही रहा िभखारी न बल को छोड़ िदया रोज-रोज वयथर म चारा कहा स िखलाय भखा पयासा बल इधर-उधर

भटकन लगा कभी कही कछ रखा-सखा िमल जाता तो खा लता कभी लोगो क डणड खाकर ही रह जाना पड़ता

बािरश क िदन आय बल कही कीचड़ क ग ड म उतर गया और फस गया उसकी रगो म ताकत तो थी नही िफर वही छटपटान लगा तो और गहराई म उतरन लगा पीठ की चमड़ी फट गयी लाल धबब िदखाई दन लग अब ऊपर स कौए चोच मारन लग मिकखया िभनिभनान लगी िनःतज थका मादा हारा हआ वह बढ़ा बल अगल जनम म खब मज कर चका था अब उनकी सजा भोग रहा ह अब तो ाण िनकल तभी छटकारा हो वहा स गजरत हए लोग दया खात िक बचारा बल िकतना दःखी ह ह भगवान इसकी सदगित हो जाय िकतना दःखी ह ह भगवान इसकी सदगित हो जाय व लोग अपन छोट-मोट पणय दान करत िफर भी बल की सदगित नही होती थी

कई लोगो न बल को ग ड स बाहर िनकालन की कोिशश की पछ मरोड़ी सीगो म रःसी बाधकर खीचा-तानी की लिकन कोई लाभ नही व बचार बल को और परशान करक थककर चल गय

एक िदन कछ बड़-बढ़ लोग आय और िवचार करन लग िक बल क ाण नही िनकल रह ह कया िकया जाय लोगो की भीड़ इकटठी हो गयी उस टोल म एक वया भी थी वया न कछ अचछा सकलप िकया

वह हर रोज तोत क मह स टटी-फटी गीता सनती समझती तो नही िफर भी भगवदगीता क ोक तो सनती थी भगवदगीता आतमजञान दती ह आतमबल जगाती ह गीता वदो का अमत ह उपिनषदरपी गायो को दोहकर गोपालननदन ौीकणरपी वाल न गीतारपी द धामत अजरन को िपलाया ह यह पावन गीता हर रोज सबह िपजर म बठा हआ तोतो बोलता था वह सनती थी वया न इस गीता-ौवण का पणय बल की सदगित क िलए अपरण िकया

जस ही वया न सकलप िकया िक बल क ाण-पखर उड़ गय उसी पणय क भाव स वह बल सोमशमार नामक ा ण क घर बालक होकर पदा हआ बालक जब 6 साल का हआ तो उसक यजञोपवीत आिद सःकार िकय गय माता-िपता न कल-धमर क पिवऽ सःकार िकय गय माता-िपता न कल-धमर क पिवऽ सःकार िदय उसकी रिच धयान-भजन म लगी वह आसन ाणायाम धयाना यास आिद करन लगा उसन योग म तीोता स गित कर ली और 18 साल की उ म धयान क ारा अपना पवरजनम जान िलया उसको आ यर हआ िक ऐसा कौन-सा पणय उस बाई न अपरण िकया िजसस मझ बल की नारकीय अवःथा स मि िमली व जप-तप करन वाल पिवऽ ा ण क घर जनम िमला

ा ण यवक पहचा वया क घर वया अब तक बढ़ी हो चकी थी वह अपन कतयो पर पछतावा करन लगी थी अपन ार पर ा ण कमार को आया दखकर उसन कहाः

मन कई जवानो की िजनदगी बरबाद की ह म पाप-च ाओ म गरक रहत-रहत बढ़ी हो गयी ह त ा ण का पऽ मर ार पर आत तझ शमर नही आती

म ा ण का पऽ जरर ह पर िवकारी और पाप की िनगाह स नही आया ह माताजी म तमको णाम करक पछन आया ह िक तमन कौन सा पणय िकया ह

भाई म तो वया ठहरी मन कोई पणय नही िकया ह

उननीस साल पहल िकसी बल को कछ पणय अपरण िकया था

हा ःमरण म आ रहा ह कोई बढ़ा बल परशान हो रहा था ाण नही छट रह थ बचार क मझ बहत दया आयी मर और तो कोई पणय थ नही िकसी ा ण क घर म चोर चोरी करक आय थ उस सामान म तोत का एक िपजरा भी था जो मर यहा छोड़ गय उस ा ण न तोत को ौीमदभगवदगीता क कछ ोक रटाय थ वह म सनती थी उसी का पणय उस बल को अपरण िकया था

ा ण कमार को ऐसा लगा िक यिद भगवदगीता का अथर समझ िबना कवल उसका ौवण ही इतना लाभ कर सकता ह तो उसका मनन और िनिदधयासन करक गीता-जञान पचाया जाय तो िकतना लाभ हो सकता ह वह पणर शि स चल पड़ा गीता-जञान को जीवन म उतारन क िलए

कमारवती को जब गीता-माहातमय की यह कथा सनन को िमली तो उसन भी गीता का अधययन शर कर िदया भगवदगीता म तो ाणबल ह िहममत ह शि ह कमारवती क दय म भगवान ौीकण क िलए पयार पदा हो गया उसन पककी गाठ बाध ली िक कछ भी हो जाय म उस बाक िबहारी क आतम-धयान को ही अपना जीवन बना लगी गरदव क जञान को परा पचा लगी म ससार की भटठी म पच-पचकर मरगी नही म तो परमातम-रस क घट पीत-पीत अमर हो जाऊगी

कमारवती न ऐसा नही िकया िक गाठ बाध ली और िफर रख दी िकनार नही एक बार दढ़ िन य कर िलया तो हर रोज सबह उस िन य को दहराती अपन लआय का बार-बार ःमरण करती और अपन आपस कहा करती िक मझ ऐसा बनना ह िदन-ितिदन उसका िन य और मजबत होता गया

कोई एक बार िनणरय कर ल और िफर अपन िनणरय को भल जाय तो उस िनणरय की कोई कीमत नही रहती िनणरय करक हर रोज उस याद करना चािहए उस दहराना चािहए िक हम ऐसा बनना ह कछ भी हो जाय िन य स हटना नही ह

हम रोक सक य जमान म दम नही हमस जमाना ह जमान स हम नही

पाच वषर क ीव न िनणरय कर िलया तो िव िनयता िव र को लाकर खड़ा कर िदया ाद न िनणरय कर िलया तो ःतभ म स भगवान निसह को कट होना पड़ा मीरा न िनणरय कर िलया तो मीरा भि म सफल हो गयी

ातः ःमरणीय परम पजय ःवामी ौी लीलाशाहजी बाप न िनणरय कर िलया तो जञान म पारगत हो गय हम अगर िनणरय कर तो हम कयो सफल नही होग जो साधक अपन साधन-भजन करन क पिवऽ ःथान म ा महतर क पावन काल म महान बनन क िनणरय को बार-बार दहरात ह उनको महान होन स दिनया की कोई ताकत रोक नही सकती

कमारवती 18 साल की हई भीतर स जो पावन सकलप िकया था उस पर वह भीतर-ही-भीतर अिडग होती चली गयी वह अपना िनणरय िकसी को बताती नही थी चार नही करती थी हवाई गबबार नही उड़ाया करती थी अिपत सतसकलप की नीव म साधना का जल िसचन िकया करती थी

कई भोली-भाली मखर बिचचया ऐसी होती ह िजनहोन दो चार स ाह धयान-भजन िकया दो चार महीन साधना की और िचललान लग गयी िक म अब शादी नही करगी म अब साधवी बन जाऊगी सनयािसनी बन जाऊगी साधना करगी साधन-भजन की शि बढ़न क पहल ही िचललान लग गयी

व ही बिचचया दो-चार साल बाद मर पास आयी दखा तो उनहोन शादी कर ली थी और अपना ननहा-मनना बटा-बटी ल आकर मझस आशीवारद माग रही थी िक मर बचच को आशीवारद द िक इसका कलयाण हो

मन कहाः अर त तो बोलती थी शादी नही करगी सनयास लगी साधना करगी और िफर यह ससार का झमला

साधना की कवल बात मत करो काम करो बाहर घोषणा मत करो भीतर-ही-भीतर पिरपकव बनत जाओ जस ःवाित नकषऽ म आकाश स िगरती जल की बद को पका-पकाकर मोती बना दती ह ऐस ही तम भी अपनी भि की कजी ग रखकर भीतर-ही-भीतर उसकी शि को बढ़न दो साधना की बात िकसी को बताओ नही जो अपन परम िहतषी हो भगवान क सचच भ हो ौ परष हो सदगर हो कवल उनस ही अपनी अतरग साधना की बात करो अतरग साधना क िवषय म पछो अपन आधयाितमक अनभव जािहर करन स साधना का ास होता ह और गोपय रखन स साधना म िदवयता आती ह

म जब घर म रहता था तब यि स साधन-भजन करता था और भाई को बोलता थाः थोड़ िदन भजन करन दो िफर दकान पर बठगा अभी अन ान चल रहा ह एक परा होता तो कहता अभी एक बाकी ह िफर थोड़ िदन दकान पर जाता िफर उसको बोलताः मझ कथा म जाना ह तो भाई िचढ़कर कहताः रोज-रोज ऐसा कहता ह सधरता नही म कहताः सधर जाऊगा

ऐसा करत-करत जब अपनी वि पककी हो गयी तब मन कह िदयाः म दकान पर नही बठगा जो करना हो सो कर लो यिद पहल स ही ऐस बगावत क शबद बोलता तो वह कान पकड़कर दकान पर बठा दता

मरी साधना को रोककर मझ अपन जसा ससारी बनान क िलए िरतदारो न कई उपाय आजमाय थ मझ फसला कर िसनमा िदखान ल जात िजसस ससार का रग लग जाय धयान-भजन की रिच न हो जाय िफर जलदी-जलदी शादी करा दी हम दोनो को कमर म बनद कर दत तािक भगवान स पयार न कर और ससारी हो जाऊ अहाहा ससारी लोग साधना स कस-कस िगरत-िगरात ह म भगवान स आतरभाव स ाथरना िकया करता िक ह भ मझ बचाओ आखो स झर-झर आस टपकत उस दयाल दव की कपा का वणरन नही कर सकता

म पहल भजन नही करता तो घरवाल बोलतः भजन करो भजन करो जब म भजन करन लगा तो लोग बोलन लगः रको रको इतना सारा भजन नही करो जो मा पहल बोलती थी िक धयान करो िफर वही बोलन लगी िक इतना धयान नही करो तरा भाई नाराज होता ह म तरी मा ह मरी आजञा मानो

अभी जहा भवय आौम ह वहा पहल ऐसा कछ नही था कटील झाड़-झखाड़ तथा भयावह वातावरण था वहा उस समय जब हम मोकष कटीर बना रह थ तब भाई मा को बहकाकर ल आया और बोलाः सात सात

साल चला गया था अब गरजी न भजा ह तो घर म रहो दकान पर बठो यहा जगल म किटया बनवा रह हो इतनी दर तमहार िलए रोज-रोज िटिफन कौन लायगा

मा भी कहन लगी म तमहारी मा ह न तम मात आजञा िशरोधायर करो यह ट वापस कर दो घर म आकर रहो भाई क साथ दकान पर बठा करो

यह मा की आजञा नही थी ममता की आजञा थी और भाई की चाबी भराई हई आजञा थी मा ऐसी आजञा नही दती

भाई मझ घर ल जान क िलए जोर मार रहा था भाभी भी कहन लगीः यहा उजाड़ कोतरो म अकल पड़ रहोग कया हर रोज मिणनगर स आपक भाई िटिफन लकर यहा आयग

मन कहाः ना ना आपका िटिफन हमको नही चािहए उस अपन पास ही रखो यहा आकर तो हजारो लोग भोजन करग हमारा िटिफन वहा स थोड़ ही मगवाना ह

उन लोगो को यही िचनता होती थी िक यह अकला यहा रहगा तो मिणनगर स इसक िलए खाना कौन लायगा उनको पता नही िक िजसक सात साल साधना म गय ह वह अकला नही ह िव र उसक साथ ह बचार ससािरयो की बि अपन ढग की होती ह

मा मझ दोपहर को समझान आयी थी उसक िदल म ममता थी यहा पर कोई पड़ नही था बठन की जगह नही थी छोट-बड़ ग ड थ जहा मोकष कटीर बनी ह वहा िखजड़ का पड़ थाष वहा लोग दार िछपात थ कसी-कसी िवकट पिरिःथितया थी लिकन हमन िनणरय कर िलया था िक कछ भी हो हम तो अपनी राम-नाम की शराब िपयग िपलायग ऐस ही कमारवती न भी िनणरय कर िलया था लिकन उस भीतर िछपाय थी जगत भि नही और करन द नही दिनया दोरगी ह

दिनया कह म दरगी पल म पलटी जाऊ सख म जो सोत रह वा को दःखी बनाऊ

आतमजञान या आतमसाकषातकार तो बहत ऊची चीज होती ह त वजञानी क आग भगवान कभी अकट रहता ही नही आतमसाकषातकारी तो ःवय भगवतःवरप हो जात ह व भगवान को बलात नही व जानत ह िक रोम-रोम म अनत-अनत ाणडो म जो ठोस भरा ह वह अपन दय म भी ह जञानी अपन दय म ई र को जगा लत ह ःवय ई रःवरप बन जात ह व पकक गर क चल होत ह ऐस वस नही होत

कमारवती 18 साल की हई उसका साधन-भजन ठीक स आग बढ़ रहा था बटी उ लायक होन स िपता परशरामजी को भी िचनता होन लगी िक इस कनया को भि का रग लग गया ह यिद शादी क िलए ना बोल दगी तो ऐसी बातो म मयारदा शमर सकोच खानदानी क यालो का वह जमाना था कमारवती की इचछा न होत हए भी िपता न उसकी मगनी करा दी कमारवती कछ नही बोल पायी

शादी का िदन नजदीक आन लगा वह रोज परमातमा स ाथरना करन लगी और सोचन लगीः मरा सकलप तो ह परमातमा को पान का ई र क धयान म तललीन रहन का शादी हो जायगी तो ससार क कीचड़ म फस मरगी अगल कई जनमो म भी मर कई पित होग माता िपता होग सास- सर होग उनम स िकसी

न मतय स नही छड़ाया मझ अकल ही मरना पड़ा अकल ही माता क गभर म उलटा होकर लटकना पड़ा इस बार भी मर पिरवारवाल मझ मतय स नही बचायग

मतय आकर जब मनय को मार डालती ह तब पिरवाल सह लत ह कछ कर नही पात चप हो जात ह यिद मतय स सदा क िलए पीछा छड़ानवाल ई र क राःत पर चलत ह तो कोई जान नही दता

ह भ कया तरी लीला ह म तझ नही पहचानती लिकन त मझ जानता ह न म तमहारी ह ह सि कतार त जो भी ह जसा भी ह मर दय म सतरणा द

इस कार भीतर-ही-भीतर भगवान स ाथरना करक कमारवती शात हो जाती तो भीतर स आवाज आतीः िहममत रखो डरो नही परषाथर करो म सदा तमहार साथ ह कमारवती को कछ तसलली-सी िमल जाती

शादी का िदन नजदीक आन लगा तो कमारवती िफर सोचन लगीः म कवारी लड़की स ाह क बाद शादी हो जायगी मझ घसीट क ससराल ल जायग अब मरा कया होगा ऐसा सोचकर वह बचारी रो पड़ती अपन पजा क कमर म रोत-रोत ाथरना करती आस बहाती उसक दय पर जो गजरता था उस वह जानती थी और दसरा जानता था परमातमा

शादी को अब छः िदन बच पाच िदन बच चार िदन बच जस कोई फासी की सजा पाया हआ कदी फासी की तारीख सनकर िदन िगन रहा हो ऐस ही वह िदन िगन रही थी

शादी क समय कनया को व ाभषण स गहन-अलकारो स सजाया जाता ह उसकी शसा की जाती ह कमारवती यह सब सासािरक तरीक समझत हए सोच रही थी िक जस बल को पचकार कर गाड़ी म जोता जाता ह ऊट को पचकार कर ऊटगाड़ी म जोता जाता ह भस को पचकार कर भसगाड़ी म जोता जाता ह ाणी को फसलाकर िशकार िकया जाता ह वस ही लोग मझ पचकार-पचकार कर अपना मनमाना मझस करवा लग मरी िजनदगी स खलग

ह परमातमा ह भ जीवन इन ससारी पतलो क िलए नही तर िलय िमला ह ह नाथ मरा जीवन तर काम आ जाय तरी ाि म लग जाय ह दव ह दयाल ह जीवनदाता ऐस पकारत-पकारत कमारवती कमारवती नही रहती थी ई र की पऽी हो जाती थी िजस कमर म बठकर वह भ क िलए रोया करती थी आस बहाया करती थी िजस कमर म बठकर वह भ क िलए रोया करती थी आस बढ़ाया करती थी वह कमरा भी िकतना पावन हो गया होगा

शादी क अब तीन िदन बच थ दो िदन बच थ रात को नीद नही िदन को चन नही रोत-रोत आख लाल हो गयी मा पचकारती भाभी िदलासा दती और भाई िरझाता लिकन कमारवती समझती िक यह सारा पचकार बल को गाड़ी म जोतन क िलए ह यह सारा ःनह ससार क घट म उतारन क िलए ह

ह भगवान म असहाय ह िनबरल ह ह िनबरल क बल राम मझ सतरणा द मझ सनमागर िदखा

कमारवती की आखो म आस ह दय म भावनाए छलक रही ह और बि म ि धा हः कया कर शादी को इनकार तो कर नही सकती मरा ी शरीर कया िकया जाय

भीतर स आवाज आयीः त अपन क ी मत मान अपन को लड़की मत मान त अपन को भगवदभ मान आतमा मान अपन को ी मानकर कब तक खद को कोसती रहगी अपन को परष मान कर कब तक बोझा ढोती रहगी मन यतव तो तमहारा चोला ह शरीर का एक ढाचा ह तरा कोई आकार नही ह त तो िनराकार बलःवरप आतमा ह जब-जब त चाहगी तब-तब तरा मागरदशरन होता रहगा िहममत मत हार परषाथर परम दव ह हजार िव न-बाधाए आ जाय िफर भी अपन परषाथर स नही हटना

तम साधना क मागर पर चलत हो तो जो भी इनकार करत ह पराय लगत ह शऽ जस लगत ह व भी जब तम साधना म उननत होग जञान म उननत होग तब तमको अपना मानन लग जायग शऽ भी िमऽ बन जायग कई महापरषो का यह अनभव हः

आधी और तफान हमको न रोक पाय मरन क सब इराद जीन क काम आय हम भी ह तमहार कहन लग पराय

कमारवती को भीतर स िहममत िमली अब शादी को एक ही िदन बाकी रहा सयर ढलगा शाम होगी राऽी होगी िफर सय दय होगा और शादी का िदन इतन ही घणट बीच म अब समय नही गवाना ह रात सोकर या रोकर नही गवानी ह आज की रात जीवन या मौत की िनणारयक रात होगी

कमारवती न पकका िनणरय कर िलयाः चाह कछ भी हो जाय कल सबह बारात क घर क ार पर आय उसक पहल यहा स भागना पड़गा बस यही एक मागर ह यही आिखरी फसला ह

कषण िमनट और घणट बीत रह थ पिरवार वाल लोग शादी की जोरदार तयािरया कर रह थ कल सबह बारात का सतकार करना था इसका इतजाम हो रहा था कई सग-समबनथी-महमान घर पर आय हए थ कमारवती अपन कमर म यथायो य मौक क इतजार म घणट िगन रही थी

दोपहर ही शाम हई सयर ढला कल क िलए परी तयािरया हो चकी थी रािऽ का भोजन हआ िदन क पिरौम स थक लोग रािऽ को दरी स िबःतर पर लट गय िदन भर जहा शोरगल मचा था वहा शाित छा गयी

यारह बज दीवार की घड़ी न डक बजाय िफर िटक िटक िटक िटककषण िमनट म बदल रही ह घड़ी का काटा आग सरक रहा ह सवा यारह साढ़ यारह िफर राऽी क नीरव वातावरण म घड़ी का एक डका सनाई पड़ा िटकिटकिटक पौन बारह घड़ी आग बढ़ी पनिह िमनट और बीत बारह बज घड़ी न बारह डक बजाना शर िकया कमारवती िगनन लगीः एक दो तीन चार दस यारह बारह

अब समय हो गया कमारवती उठी जाच िलया िक घर म सब नीद म खरारट भर रह ह पजा घर म बाकिबहारी कण कनहया को णाम िकया आस भरी आखो स उस एकटक िनहारा भाविवभोर होकर अपन पयार परमातमा क रप को गल लगा िलया और बोलीः अब म आ रही ह तर ार मर लाला

चपक स ार खोला दब पाव घर स बाहर िनकली उसन आजमाया िक आगन म भी कोई जागता नही ह कमारवती आग बढ़ी आगन छोड़कर गली म आ गयी िफर सरारट स भागन लगी वह गिलया पार

करती हई रािऽ क अधकार म अपन को छपाती नगर स बाहर िनकल गयी और जगल का राःता पकड़ िलया अब तो वह दौड़न लगी थी घरवाल ससार क कीचड़ म उतार उसक पहल बाक िबहारी िगरधर गोपाल क धाम म उस पहच जाना था वनदावन कभी दखा नही था उसक मागर का भी उस पता नही था लिकन सन रखा था िक इस िदशा म ह

कमारवती भागती जा रही ह कोई दख लगा अथवा घर म पता चल जायगा तो लोग खजान िनकल पड़ग पकड़ी जाऊगी तो सब मामला चौपट हो जायगा ससारी माता-िपता इजजत-आबर का याल करक शादी कराक ही रहग चौकी पहरा िबठा दग िफर छटन का कोई उपाय नही रहगा इस िवचार स कमारवती क परो म ताकत आ गयी वह मानो उड़न लगी ऐस भागी ऐस भागी िक बस मानो बदक लकर कोई उसक पीछ पड़ा हो

सबह हई उधर घर म पता चला िक कमारवती गायब ह अर आज तो हकक-बकक स हो गय इधर-उधर छानबीन की पछताछ की कोई पता नही चला सब दःखी हो गय परशराम भ थ मा भी भ थी िफर भी उन लोगो को समाज म रहना था उनह खानदानी इजजत-आबर की िचनता थी घर म वातावरण िचिनतत बन गया िक बारातवालो को कया मह िदखायग कया जवाब दग समाज क लोग कया कहग

िफर भी माता-िपता क दय म एक बात की तसलली थी िक हमारी बचची िकसी गलत राःत पर नही गयी ह जा ही नही सकती उसका ःवभाव उसक सःकार व अचछी तरह जानत थ कमारवती भगवान की भ थी कोई गलत मागर लन का वह सोच ही नही सकती थी आजकल तो कई लड़िकया अपन यार-दोःत क साथ पलायन हो जाती ह कमारवती ऐसी पािपनी नही थी

परशराम सोचत ह िक बटी परमातमा क िलए ही भागी होगी िफर भी कया कर इजजत का सवाल ह राजपरोिहत क खानदान म ऐसा हो कया िकया जाय आिखर उनहोन अपन मािलक शखावत सरदार की शरण ली दःखी ःवर म कहाः मरी जवान बटी भगवान की खोज म रातोरात कही चली गयी ह आप मरी सहायता कर मरी इजजत का सवाल ह

सरदार परशराम क ःवभाव स पिरिचत थ उनहोन अपन घड़सवार िसपािहयो को चह ओर कमारवती की खोज म दौड़ाया घोषणा कर दी िक जगल-झािड़यो म मठ-मिदरो म पहाड़-कदराओ म गरकल-आौमो म ETH सब जगह तलाश करो कही स भी कमारवती को खोज कर लाओ जो कमारवती को खोजकर ल आयगा उस दस हजार मिाय इनाम म दी जायगी

घड़सवार चारो िदशा म भाग िजस िदशा म कमारवती भागी थी उस िदशा म घड़सवारो की एक टकड़ी चल पड़ी सय दय हो रहा था धरती पर स रािऽ न अपना आचल उठा िलया था कमारवती भागी जा रही थी भात क काश म थोड़ी िचिनतत भी हई िक कोई खोजन आयगा तो आसानी स िदख जाऊगी पकड़ी जाऊगी वह वीरागना भागी जा रही ह और बार-बार पीछ मड़कर दख रही ह

दर-दर दखा तो पीछ राःत म धल उड़ रही थी कछ ही दर म घड़सवारो की एक टकड़ी आती हई िदखाई दी वह सोच रही हः ह भगवान अब कया कर जरर य लोग मझ पकड़न आ रह ह िसपािहयो क

आग मझ िनबरल बािलका कया चलगा चहओर उजाला छा गया ह अब तो घोड़ो की आवाज भी सनाई पड़ रही ह कछ ही दर म व लोग आ जायग सोचन का भी समय अब नही रहा

कमारवती न दखाः राःत क िकनार मरा हआ एक ऊट पड़ा था िपछल िदन ही मरा था और रात को िसयारो न उसक पट का मास खाकर पट की जगह पर पोल बना िदया था कमारवती क िच म अनायास एक िवचार आया उसन कषणभर म सोच िलया िक इस मर हए ऊट क खाली पट म छप जाऊ तो उन काितलो स बच सकती ह वह मर हए सड़ हए बदब मारनवाल ऊट क पट म घस गयी

घड़सवार की टकड़ी राःत क इदरिगदर पड़-झाड़ी-झाखड़ िछपन जस सब ःथानो की तलाश करती हई वहा आ पहची िसपाही मर हए ऊट क पाय आय तो भयकर दगरनध व अपना नाक-मह िसकोड़त बदब स बचन क िलए आग बह गय वहा तलाश करन जसा था भी कया

कमारवती ऐसी िसर चकरा दन वाली बदब क बीच छपी थी उसका िववक बोल रहा था िक ससार क िवकारो की बदब स तो इस मर हए ऊट की बदब बहत अचछी ह ससार क काम बोध लोभ मोह मद मतसर की जीवनपयरनत की गनदगी स तो यह दो िदन की गनदगी अचछी ह ससार की गनदगी तो हजारो जनमो की गनदगी म ऽःत करगी हजारो-लाखो बार बदबवाल अगो स गजरना पड़गा कसी-कसी योिनयो म जनम लना पड़गा म वहा स अपनी इचछा क मतािबक बाहर नही िनकल सकती ऊट क शरीर स म कम-स-कम अपनी इचछानसार बाहर तो िनकल जाऊगी

कमारवती को मर हए सड़ चक ऊट क पट क पोल की वह बदब इतनी बरी नही लगी िजतनी बरी ससार क िवकारो की बदब लगी िकतनी बि मान रही होगी वह बटी

कमारवती पकड़ जान क डर स उसी पोल म एक िदन दो िदन तीन िदन तक पड़ी रही जलदबाजी करन स शायद मसीबत आ जाय घड़सवार खब दर तक चककर लगाकर दौड़त हाफत िनराश होकर वापस उसी राःत स गजर रह थ व आपस म बातचीत कर रह थ िक भाई वह तो मर गयी होगी िकसी कए या तालाब म िगर गयी होगी अब उसका हाथ लगना मिकल ह पोल म पड़ी कमारवती य बात सन रही थी

िसपाही दर-दर चल गय कमारवती को पता चला िफर भी दो-चार घणट और पड़ी रही शाम ढली राऽी हई चह ओर अधरा छा गया जब जगल म िसयार बोलन लग तब कमारवती बाहर िनकली उसन इधर-उधर दख िलया कोई नही था भगवान को धनयवाद िदया िफर भागना शर िकया भयावह जगलो स गजरत हए िहसक ािणयो की डरावनी आवाज सनती कमारवती आग बढ़ी जा रही थी उस वीर बािलका को िजतना ससार का भय था उतना बर ािणयो का भय नही था वह समझती थी िक म भगवान की ह और भगवान मर ह जो िहसक ाणी ह व भी तो भगवान क ही ह उनम भी मरा परमातमा ह वह परमातमा ािणयो को मझ खा जान की रणा थोड़ ही दगा मझ िछप जान क िलए िजस परमातमा न मर हए ऊट की पोल दी िसपािहयो का रख बदल िदया वह परमातमा आग भी मरी रकषा करगा नही तो यह कहा राःत क िकनार ही ऊट का मरना िसयारो का मास खाना पोल बनना मर िलए घर बन जाना घर म घर िजसन बना िदया वह परम कपाल परमातमा मरा पालक और रकषक ह

ऐसा दढ़ िन य कर कमारवती भागी जा रही ह चार िदन की भखी-पयासी वह सकमार बािलका भख-पयास को भलकर अपन गनतवय ःथान की तरफ दौड़ रही ह कभी कही झरना िमल जाता तो पानी पी लती कोई जगली फल िमल तो खा लती कभी-कभी पड़ क प ही चबाकर कषधा-िनवि का एहसास कर लती

आिखर वह परम भि बािलका वनदावन पहची सोचा िक इसी वश म रहगी तो मर इलाक क लोग पहचान लग समझायग साथ चलन का आमह करग नही मानगी जबरन पकड़कर ल जायग इसस अपन को छपाना अित आवयक ह कमारवती न वश बदल िदया सादा फकीर-वश धारण कर िलया एक सादा त व गल म तलसी की माला ललाट पर ितलक वनदावन म रहनवाली और भि नो जसी भि न बन गयी

कमारवती क कटमबीजन वनदावन आय सवरऽ खोज की कोई पता नही चला बाकिबहारी क मिदर म रह सबह शाम छपकर तलाश की लिकन उन िदनो कमारवती मिदर म कयो जाय बि मान थी वह

वनदावन म कणड क पास एक साध रहत थ जहा भल-भटक लोग ही जात वह ऐसी जगह थी वहा कमारवती पड़ी रही वह अिधक समय धयानम न रहा करती भख लगती तब बाहर जाकर हाथ फला दती भगवान की पयारी बटी िभखारी क वश म टकड़ा खा लती

जयपर स भाई आया अनय कटमबीजन आय वनदावन म सब जगह खोजबीन की िनराश होकर सब लौट गय आिखर िपता राजपरोिहत परशराम ःवय आय उनह दय म परा यकीन था िक मरी कणिया बटी ौीकण क धाम क अलावा और कही न जा सकती ससःकारी भगवदभि म लीन अपनी सकोमल पयारी बचची क िलए िपता का दय बहत वयिथत था बटी की मगल भावनाओ को कछ-कछ समझनवाल परशराम का जीवन िनःसार-सा हो गया था उनहोन कस भी करक कमारवती को खोजन का दढ़ सकलप कर िलया कभी िकसी पड़ पर तो कभी िकसी पड़ पर चढ़कर मागर क पासवाल लोगो की चपक स िनगरानी रखत सबह स शाम तक राःत गजरत लोगो को धयानपवरक िनहारत िक शायद िकसी वश म िछपी हई अपनी लाडली का मख िदख जाय

पड़ो पर स एक साधवी को एक-एक भि न को भ का वश धारण िकय हए एक-एक वयि को परशराम बारीकी स िनहारत सबह स शाम तक उनकी यही वि रहती कई िदनो क उनका तप भी फल गया आिखर एक िदन कमारवती िपता की जासस दि म आ ही गयी परशराम झटपट पड़ स नीच उतर और वातसलय भाव स रध हए दय स बटी बटी कहत हए कमारवती का हाथ पकड़ िलया िपता का ःनिहल दय आखो क मागर स बहन लगा कमारवती की िःथित कछ और ही थी ई रीय मागर म ईमानदारी स कदम बढ़ानवाली वह सािधका तीो िववक-वरा यवान हो चली थी लौिकक मोह-ममता स समबनधो स ऊपर उठ चकी थी िपता की ःनह-वातसलयरपी सवणरमय जजीर भी उस बाधन म समथर नही थी िपता क हाथ स अपना हाथ छड़ात हए बोलीः

म तो आपकी बटी नही ह म तो ई र की बटी ह आपक वहा तो कवल आयी थी कछ समय क िलए गजरी थी आपक घर स अगल जनमो म भी म िकसी की बटी थी उसक पहल भी िकसी की बटी थी हर जनम म बटी कहन वाल बाप िमलत रह ह मा कहन वाल बट िमलत रह ह प ी कहन वाल पित िमलत

रह ह आिखर म कोई अपना नही रहता ह िजसकी स ा स अपना कहा जाता ह िजसस यह शरीर िटकता ह वह आतमा-परमातमा व ौीकण ही अपन ह बाकी सब धोखा-ही-धोखा ह ETH सब मायाजाल ह

राजपरोिहत परशराम शा क अ यासी थ धमर मी थ सतो क सतसग म जाया करत थ उनह बटी की बात म िनिहत सतय को ःवीकार करना पड़ा चाह िपता हो चाह गर हो सतय बात तो सतय ही होती ह बाहर चाह कोई इनकार कर द िकत भीतर तो सतय असर करता ही ह

अपनी गणवान सतान क ित मोहवाल िपता का दय माना नही व इितहास पराण और शा ो म स उदाहरण ल-लकर कमारवती को समझान लग बटी को समझान क िलए राजपरोिहत न अपना परा पािडतय लगा िदया पर कमारवती िपता क िव तापणर सनत-सनत यही सोच रही थी िक िपता का मोह कस दर हो सक उसकी आखो म भगवदभाव क आस थ ललाट पर ितलक गल म तलसी की माला मख पर भि का ओज आ गया था वह आख बनद करक धयान िकया करती थी इसस आखो म तज और चमबकतव आ गया था िपता का मगल हो िपता का मर ित मोह न रह ऐसी भावना कर दय म दढ़ सकलप कर कमारवती न दो-चार बार िपता की तरफ िनहारा वह पिणडत तो नही थी लिकन जहा स हजारो-हजारो पिणडतो को स ा-ःफितर िमलती ह उस सवरस ाधीश का धयान िकया करती थी आिखर पिडतजी की पिडताई हार गयी और भ की भि जीत गयी परशराम को कहना पड़ाः बटी त सचमच मरी बटी नही ह ई र की बटी ह अचछा त खशी स भजन कर म तर िलए यहा किटया बनवा दता ह तर िलए एक सहावना आौम बनवा दता ह

नही नही कमारवती सावधान होकर बोलीः यहा आप किटया बनाय तो कल मा आयगी परसो भाई आयगा तरसो चाचा-चाची आयग िफर मामा-मामी आयग िफर स वह ससार चाल हो जायगा मझ यह माया नही बढ़ानी ह

कसा बचची का िववक ह कसा तीो वरा य ह कसा दढ़ सकलप ह कसी साधना सावधानी ह धनय ह कमारवती

परशराम िनराश होकर वापस लौट गय िफर भी दय म सतोष था िक मरा हकक का अनन था पिवऽ अनन था श आजीिवका थी तो मर बालक को भी नाहकर क िवकार और िवलास क बदल हकक ःवरप ई र की भि िमली ह मझ अपन पसीन की कमाई का बिढ़या फल िमला मरा कल उजजवल हआ वाह

परशराम अगर तथाकिथत धािमरक होत धमरभीर होत तो भगवान को उलाहना दतः भगवान मन तरी भि की जीवन म सचचाई स रहा और मरी लड़की घर छोड़कर चली गयी समाज म मरी इजजत लट गयी ऐसा िवचार कर िसर पीटत

परशराम धमरभीर नही थ धमरभीर यानी धमर स डरनवाल लोग ऐस लोग कई कार क वहमो म अपन को पीसत रहत ह

धमर कया ह ई र को पाना ही धमर ह और ससार को मरा मानना ससार क भोगो म पड़ना अधमर ह यह बात जो जानत ह व धमरवीर होत ह

परशराम बाहर स थोड़ उदास और भीतर स पर सत होकर घर लौट उनहोन राजा शखावत सरदार स बटी कमारवती की भि और वरा य की बात कही वह बड़ा भािवत हआ िशयभाव स वनदावन म आकर उसन कमारवती क चरणो म णाम िकया िफर हाथ जोड़कर आदरभाव स िवनीत ःवर म बोलाः

ह दवी ह जगदी री मझ सवा का मौका दो म सरदार होकर नही आया आपक िपता का ःवामी होकर नही आया आपक िपता का ःवामी हो कर नही आया अिपत आपका तचछ सवक बनकर आया ह कपया इनकार मत करना कणड पर आपक िलए छोटी-सी किटया बनवा दता ह मरी ाथरना को ठकराना नही

कमारवती न सरदार को अनमित द दी आज भी वनदावन म कणड क पास की वह किटया मौजद ह पहल अमत जसा पर बाद म िवष स बद र हो वह िवकारो का सख ह ारभ म किठन लग दःखद

लग बाद म अमत स भी बढ़कर हो वह भि का सख पान क िलए बहत किठनाइयो का सामना करना पड़ता ह कई कार की कसौिटया आती ह भ का जीवन इतना सादा सीधा-सरल आडमबररिहत होता ह िक बाहर स दखन वाल ससारी लोगो को दया आती हः बचारा भगत ह दःखी ह जब भि फलती ह तब व ही सखी िदखन वाल हजारो लोग उस भ - दय की कपा पाकर अपना जीवन धनय करत ह भगवान की भि की बड़ी मिहमा ह

जय हो भ तरी जय हो तर पयार भ ो की जय हो हम भी तरी पावन भि म डब जाय परम र ऐस पिवऽ िदन जलदी आय नारायण नारायण नारायण

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अनबम

वाःतिवक सौनदयर सौनदयर सबक जीवन की माग ह वाःतिवक सौनदयर उस नही कहत जो आकर चला जाय जो कभी

कषीण हो जाय न हो जाय वह सौनदयर नही ह ससारी लोग िजस सौनदयर बोलत ह वह हाड़-मास का सौनदयर तब तक अचछा लगता ह जब तक मन म िवकार होता ह अथवा तो तब तक अचछा लगता ह जब तक बाहरी रप-रग अचछा होता ह िफर तो लोग उसस भी मह मोड़ लत ह िकसी वयि या वःत का सौनदयर हमशा िटक नही सकता और परम सौनदयरःवरप परमातमा का सौनदयर कभी िमट नही सकता

एक राजकमारी थी वह सनदर सयमी एव सदाचारी थी तथा सदमनथो का पठन भी करती थी उस राजकमारी की िनजी सवा म एक िवधवा दासी रखी गयी थी उस दासी क साथ राजकमारी दासी जसा नही बिलक व ा मा जसा वयवहार करती थी

एक िदन िकसी कारणवशात उस दासी का 20-22 साल का यवान पऽ राजमहल म अपनी मा क पास आया वहा उसन राजकमारी को भी दखा राजकमारी भी करीब 18-21 साल की थी सनदरता तो मानो उसम

कट-कट कर भरी थी राजकमारी का ऐसा सौनदयर दखकर दासीपऽ अतयत मोिहत हो गया वह कामपीिड़त होकर वापस लौटा

जब दासी अपन घर गयी तो दखा िक अपना पऽ मह लटकाय बठा ह दासी क बहत पछन पर लड़का बोलाः मरी शादी तम उस राजकमारी क साथ करवा दो

दासीः तरी मित तो नही मारी गयी कहा त िवधवा दासी का पऽ और कहा वह राजकमारी राजा को पता चलगा तो तझ फासी पर लटका दग

लड़काः वह सब म नही जानता जब तक मरी शादी राजकमारी क साथ नही होगी तब तक म अनन का एक दाना भी खाऊगा

उसन कमस खाली एक िदन दो िदन तीन िदन ऐसा करत-करत पाच िदन बीत गय उसन न कछ खाया न कछ िपया दासी समझात-समझात थक गयी बचारी का एक ही सहारा था पित तो जवानी म ही चल बसा था और एक-एक करक दो पऽ भी मर गय थ बस यह ही लड़का था वह भी ऐसी हठ लकर बठ गया

समझदार राजकमारी न भाप िलया िक दासी उदास-उदास रहती ह जरर उस कोई परशानी सता रही ह राजकमारी न दासी स पछाः सच बताओ कया बात ह आजकल तम बड़ी खोयी-खोयी-सी रहती हो

दासीः राजकमारीजी यिद म आपको मरी वयथा बता द तो आप मझ और मर बट को राजय स बाहर िनकलवा दगी

ऐसा कहकर दासी फट-फटकर रोन लगी राजकमारीः म तमह वचन दती ह तमह और तमहार बट को कोई सजा नही दगी अब तो बताओ

दासीः आपको दखकर मरा लड़का अनिधकारी माग करता ह िक शादी करगा तो इस सनदरी स ही करगा और जब तक शादी नही होती तब तक भोजन नही करगा आज पाच िदन स उसन खाना-पीना छोड़ रखा ह म तो समझा-समझाकर थक गयी

राजकमारीः िचनता मत करो तम कल उसको मर पास भज दना म उसकी वाःतिवक शादी करवा दगी

लड़का खश होकर पहच गया राजकमारी स िमलन राजकमारी न उसस कहाः मझस शादी करना चाहता ह

जी हा

आिखर िकस वजह स

तमहार मोहक सौनदयर को दखकर म घायल हो गया ह

अचछा तो त मर सौनदयर की वजह स मझस शादी करना चाहता ह यिद म तझ 80-90 ितशत सौनदयर द द तो तझ ति होगी 10 ितशत सौनदयर मर पास रह जायगा तो तझ ति होगी 10 ितशत सौनदयर मर पास रह जायगा तो तझ चलगा न

हा चलगा

ठीक ह तो कल दोपहर को आ जाना

राजकमारी न रात को जमालगोट का जलाब ल िलया िजसस रािऽ को दो बज जलाब क कारण हाजत तीो हो गयी पर पट की सफाई करक सारा कचरा बाहर राजकमारी न सनदर नककाशीदार कणड म अपन पट का वह कचरा डाल िदया कछ समय बाद उस िफर स हाजत हई तो इस बार जरीकाम और मलमल स ससिजजत कड म राजकमारी न कचरा उतार िदया दोनो कडो को चारपाई क एक-एक पाय क पास रख िदया उसक बाद िफर स एक बार जमालघोट का जलाब ल िलया तीसरा दःत तीसर कणड म िकया बाकी का थोड़ा-बहत जो बचा हआ मल था िव ा थी उस चौथी बार म चौथ कड म िनकाल िदया इन दो कडो को भी चारपाई क दो पायो क पास म रख िदया

एक ही रात जमालगोट क कारण राजकमारी का चहरा उतर गया शरीर खोखला सा हो गया राजकमारी की आख उतर गयी गालो की लाली उड़ गयी शरीर एकदम कमजोर पड़ गया

दसर िदन दोपहर को वह लड़का खश होता हआ राजमहल म आया और अपनी मा स पछन लगाः कहा ह राजकमारी जी

दासीः वह सोयी ह चारपाई पर

राजकमारी क नजदीक जान स उसका उतरा हआ मह दखकर दासीपऽ को आशका हई ठीक स दखा तो च क पड़ा और बोलाः

अर तमह या कया हो गया तमहारा चहरा इतना फीका कयो पड़ गया ह तमहारा सौनदयर कहा चला गया

राजकमारी न बहत धीमी आवाज म कहाः मन तझ कहा था न िक म तझ अपना 90 ितशत सौनदयर दगी अतः मन सौनदयर िनकालकर रखा ह

कहा ह आिखर तो दासीपऽ था बि मोटी थी इस चारपाई क पास चार कड ह पहल कड म 50 ितशत दसर म 25 ितशत सौनदयर दगी अतः

मन सौनदयर िनकालकर रखा ह

कहा ह आिखर तो दासीपऽ था बि मोटी थी इस चारपाई क पास चार कड ह पहल कड म 50 ितशत दसर म 25 ितशत तीसर कड म 10

ितशत और चौथ म 5-6 ितशत सौनदयर आ चका ह

मरा सौनदयर ह रािऽ क दो बज स सभालकर कर रखा ह

दासीपऽ हरान हो गया वह कछ समझ नही पा रहा था राजकमारी न दासी पऽ का िववक जागत हो इस कार उस समझात हए कहाः जस सशोिभत कड म िव ा ह ऐस ही चमड़ स ढक हए इस शरीर म यही सब कचरा भरा हआ ह हाड़-मास क िजस शरीर म तमह सौनदयर नज़र आ रहा था उस एक जमालगोटा ही न कर डालता ह मल-मऽ स भर इस शरीर का जो सौनदयर ह वह वाःतिवक सौनदयर नही ह लिकन इस मल-मऽािद को भी सौनदयर का रप दन वाला वह परमातमा ही वाःतव म सबस सनदर ह भया त उस सौनदयरवान परमातमा को पान क िलए आग बढ़ इस शरीर म कया रखा ह

दासीपऽ की आख खल गयी राजकमारी को गर मानकर और मा को णाम करक वह सचच सौनदयर की खोज म िनकल पड़ा आतम-अमत को पीन वाल सतो क ार पर रहा और परम सौनदयर को ा करक जीवनम हो गया

कछ समय बाद वही भतपवर दासी पऽ घमता-घामता अपन नगर की ओर आया और सिरता िकनार एक झोपड़ी बनाकर रहन लगा खराब बात फलाना बहत आसान ह िकत अचछी बात सतसग की बात बहत पिरौम और सतय माग लती ह नगर म कोई हीरो या हीरोइन आती ह तो हवा की लहर क साथ समाचार पर नगर म फल जाता ह लिकन एक साध एक सत अपन नगर म आय हए ह ऐस समाचार िकसी को जलदी नही िमलत

दासीपऽ म स महापरष बन हए उन सत क बार म भी शरआत म िकसी को पता नही चला परत बाद म धीर-धीर बात फलन लगी बात फलत-फलत राजदरबार तक पहची िक नगर म कोई बड़ महातमा पधार हए ह उनकी िनगाहो म िदवय आकषरण ह उनक दशरन स लोगो को शाित िमलती ह

राजा न यह बात राजकमारी स कही राजा तो अपन राजकाज म ही वयःत रहा लिकन राजकमारी आधयाितमक थी दासी को साथ म लकर वह महातमा क दशरन करन गयी

पप-चदन आिद लकर राजकमारी वहा पहची दासीपऽ को घर छोड़ 4-5 वषर बीत गय थ वश बदल गया था समझ बदल चकी थी इस कारण लोग तो उन महातमा को नही जान पाय लिकन राजकमारी भी नही पहचान पायी जस ही राजकमारी महातमा को णाम करन गयी िक अचानक व महातमा राजकमारी को पहचान गय जलदी स नीच आकर उनहोन ःवय राजकमारी क चरणो म िगरकर दडवत णाम िकया

राजकमारीः अर अर यह आप कया रह ह महाराज

दवी आप ही मरी थम गर ह म तो आपक हाड़-मास क सौनदयर क पीछ पड़ा था लिकन इस हाड़-मास को भी सौनदयर दान करन वाल परम सौनदयरवान परमातमा को पान की रणा आप ही न तो मझ दी थी इसिलए आप मरी थम गर ह िजनहोन मझ योगािद िसखाया व गर बाद क म आपका खब-खब आभारी ह

यह सनकर वह दासी बोल उठीः मरा बटा

तब राजकमारी न कहाः अब यह तमहारा बटा नही परमातमा का बटा हो गया ह परमातम-ःवरप हो गया ह

धनय ह व लोग जो बा रप स सनदर िदखन वाल इस शरीर की वाःतिवक िःथित और न रता का याल करक परम सनदर परमातमा क मागर पर चल पड़त ह

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अनबम

आतमिव ा की धनीः फलीबाई यह जोधपर (राजःथान) क पास क गाव की महान नारी फलीबाई की गाथा ह कहत ह िक उनक पित

शादी क थोड़ समय बाद ही ःवगर िसधार गय थ उनक माता-िपता न कहाः तरा सचचा पित तो परमातमा ही ह बटी चल तझ गरदव क पास स दीकषा िदलवा द

उनक समझदार माता-िपता न समथर गर महातमा भरीबाई स उनह दीकषा िदलवा दी अब फलीबाई अपन गरदव की आजञा क अनसार साधना म लीन हो गयी ाणायाम जप और धयान आिद करत-करत उनकी बि शि िवकिसत होन लगी व इस बात को खब अचछ स समझन लगी िक ाणीमाऽ क परम िहतषी सचच ःवामी तो एकमाऽ परमातमा ही ह धीर-धीर परमातमा क रग म अपन जीवन को रगत-रगत माभि स अपन दय को भरत-भरत व सष शि यो को जागत करन म सफल हो गयी

लौिकक िव ा म अनपढ़ व फलीबाई अलौिकक िव ा पान म सफल हो गयी अब व िनराधार न रही बिलक सवारधार क ःनह स पिरपणर हो गयी उनक िच म नयी िदवय ःफरणाए ःफिरत होन लगी उनका जीवन परमातम-काश स जगमगान लगा ऐिहक रप स फलीबाई बहत गरीब थी िकत उनहोन वाःतिवक धन को पा िलया था

गोबर क कणड बना-बनाकर व अपनी आजीिवका चलाती थी िकत उनकी पड़ोसन उनक कणड चरा लती एक बार फलीबाई को उस ी पर दया आयी एव बोलीः

बहन यिद त चोरी करगी तो तरा मन अपिवऽ होगा और भगवान तझस नाराज हो जायग अगर तझ चािहए तो म तझ पाच-पचीस कणड द िदया करगी िकत त चोरी करक अपना मन एव बि का एव अपन कटमब का सतयानाश मत कर

वह पड़ोसन ी तो द ा थी वह तो फलीबाई को गािलयो पर गािलया दन लगी इसस फलीबाई क िच म जरा भी कषोभ न हआ वरन उनक िच म दया उपजी और व बोलीः

बहन म तझ जो कछ कह रही ह वह तमहारी भलाई क िलए ही कह रही ह तम झगड़ो मत

चोरी करन वाली मिहला को जयादा गःसा आ गया िफर फलीबाई न भी थोड़ा-सा सना िदया झगड़ा बढ़न लगा तो गाव का मिखया एव माम-पचायत इकटठी हो गयी सबस एकिऽत दखकर वह चोरी करन वाली मिहला बोलीः

फलीबाई चोर ह मर कणड चरा जाती ह

फलीबाईः चोरी करन को म पाप समझती ह

तब गाव का मिखया बोलाः हम नयाय कस द िक कणड िकसक ह कणडो पर नाम तो िकसी का नही िलखा और आकार भी एक जसा ह अब कस बताय िक कौन स कणड फलीबाई क ह एव कौन स उसकी पड़ोसन क

जो ी चोरी करती थी उसका पित कमाता था िफर भी मिलन मन क कारण वह चोरी करती थी ऐसी बात नही िक कोई गरीबी क कारण ही चोरी करता ह कई बार तो समझ गरीब होती ह तब भी लोग चोरी

करत ह िफर कोई कलम स चोरी करता ह कोई िर त क रप म चोरी करता ह कोई नता बनकर जनता स चोरी करता ह समझ जब कमजोर होती ह तभी मनय हराम क पस लकर िवलासी जीवन जीन की इचछा करता ह और समझ ऊची होती ह तो मनय ईमानदारी की कमाई स पिवऽ जीवन जीता ह िफर भी वह भल सादा जीवन िजय लिकन उसक िवचार बहत ऊच होत ह

फलीबाई का जीवन खब सादगीपणर था लिकन उनकी भि एव समझ बहत बढ़ गयी थी उनहोन कहाः यह ी मर कणड चराती ह इसका माण यह ह िक यिद आप मर कणडो को अपन कानो क पास रखग तो उनम स राम नाम की धविन िनकलगी िजन कणडो म राम-नाम की धविन िनकल उनह आप मर समझना और िजनम स न िनकल उनह इसक समझना

माम-पचायत क कछ सजजन लोग एव मिखया उस मिहला क यहा गय उसक कणडो क ढर म स एक-एक कणडा उठाकर कान क पास रखकर दखन लग िजस कणड म स राम नाम की धविन का अनभव होता तो उस अलग रख दत स लगभग 50 कणड िनकल

मऽजप करत-करत फलीबाई की रगो म नस-नािड़यो म एव पर शरीर म मऽ का भाव छा गया था व िजन वःतओ को छती उनम भी मऽ की सआम तरगो का सचार हो जाता था गाव क मिखया एव उन सजजनो को फलीबाई का यह चमतकार दखकर उनक ित आदर भाव हो आया उन लोगो न फलीबाई का सतकार िकया

मनय म िकतनी शि ह िकतना सामथयर ह उस यिद यो य मागरदशरन िमल जाय एव वह ततपरता स लग जाय तो कया नही कर सकता

फलीबाई न गरमऽ ा करक गर क िनदशानसार साधना की तो उनम इतनी शि आ गयी िक उनक ारा बनाय गय कणडो स भी राम नाम की धविन िनकलन लगी

एक िदन राजा यशवतिसह क सिनको की एक टकड़ी दौड़न क िलए िनकली उसम स एक सिनक फलीबाई की झोपड़ी म पहचा एव उनस पानी मागा

फलीबाई न कहाः बटा दौड़कर तरत पानी नही पीना चािहए इसस तदरःती िबगड़ती ह एव आग जाकर खब हािन होती दौड़ लगाकर आय हो तो थोड़ी दर बठो म तमह रोटी का टकड़ा दती ह उस खाकर िफर पानी पीना

सिनकः माताजी हमारी परी टकड़ी दौड़ती आ रही ह यिद म खाऊगा तो मझ मर सािथयो को भी िखलाना पड़गा

फलीबाईः मन दो रोटल बनाय ह गवारफली की सबजी ह तम सब लोग टकड़ा-टकड़ा खा लना

सिनकः परी टकड़ी कवल दो रोटल म स टकड़ा-टकड़ा कस खा पायगी

फलीबाईः तम िचता मत करो मर राम मर साथ ह

फलीबाई न दो रोटल एव सबजी को ढक िदया कलल करक आख-कान को पानी का ःपशर कराया हम जो दख पिवऽ दख हम जो सन पिवऽ सन ऐसा सकलप करक आख-कान को जल का ःपशर करवाया जाता ह

फलीबाई न सबजी-रोटी को कपड़ स ढककर भगवतःमरण िकया एव इ मऽ म तललीन होत-होत टकड़ी क सिनको को रोटल का टकड़ा एव सबजी दती गयी फलीबाई क हाथो स बन उस भोजन म िदवयता आ गयी थी उस खाकर परी टकड़ी बड़ी सनन एव सत हई उनह आज तक ऐसा भोजन नही िमला था उन सभी न फलीबाई को णाम िकया एव व िवचार करन लग िक इतन-स झोपड़ म इतना सारा भोजन कहा स आया

सबस पहल जो सिनक पहल जो सिनक पहचा था उस पता था िक फलीबाई न कवल दो रोटल एव थोड़ी सी सबजी बनायी ह िकत उनहोन िजस बतरन म भोजन रखा ह वह बतरन उनकी भि क भाव स अकषयपाऽ बन गया ह

यह बात राजा यशवतिसह क कानो तक पहची वह रथ लकर फलीबाई क दशरन करन क िलए आया उसन रथ को दर ही खड़ा रखा जत उतार मकट उतारा एव एक साधारण नागिरक की तरह फलीबाई क ार तक पहचा फलीबाई की तो एक छोटी-सी झोपड़ी ह और आज उसम जोधपर का साट खब न भाव स खड़ा ह भि की कया मिहमा ह परमातमजञान की कया मिहमा ह िक िजसक आग बड़-बड़ साट तक नतमःतक हो जात ह

यशवतिसह न फलीबाई क चरणो म णाम िकया थोड़ी दर बातचीत की सतसग सना फलीबाई न अपन अनभव की बात बड़ी िनभ कता स राजा यशवतिसह को सनायी-

बटा यशवत त बाहर का राजय तो कर रहा ह लिकन अब भीतर का राजय भी पा ल तर अदर ही आतमा ह परमातमा ह वही असली राजय ह उसका जञान पाकर त असली सख पा ल कब तक बाहर क िवषय-िवकारो क सख म अपन को गरक करता रहगा ह यशवत त यशःवी हो अचछ कायर कर और उनह भी ई रापरण कर द ई रापरण बि स िकया गया कायर भि हो जाता ह राग- ष स िरत कमर जीव को बधन म डालता ह िकत तटःथ होकर िकया गया कमर जीव को मि क पथ पर ल जाता ह

ह यशवत तर खजान म जो धन ह वह तरा नही ह वह तो जा क पसीन की कमाई ह उस धन को जो राजा अपन िवषय-िवलास म खचर कर दता ह उस रौरव नरक क दःख भोगन पड़त ह कभीपाक जस नरको म जाना पड़ता ह जो राजा जा क धन का उपयोग जा क िहत म जा क ःवाःथय क िलए जा क िवकास क िलए करता ह वह राजा यहा भी यश पाता ह और उस ःवगर की भी ाि होती ह ह यशवत यिद वह राजा भगवान की भि कर सतो का सग कर तो भगवान क लोक को भी पा लता ह और यिद वह भगवान क लोक को पान की भी इचछा न कर वरन भगवान को ही जानन की इचछा कर तो वह भगवतःवरप का जञान पाकर भगवतःवरप ःवरप हो जाता ह

फलीबाई की अनभवय वाणी सनकर यशवतिसह पलिकत हो उठा उसन अतयत ौ ा-भि स फलीबाई क चरणो म णाम िकया फलीबाई की वाणी म सचचाई थी सहजता थी और जञान का तज था िजस सनकर यशवतिसह भी नतमःतक हो गया

कहा तो जोधपर का साट और कहा लौिकक दि स अनपढ़ फलीबाई िकत उनहोन यशवतिसह को जञान िदया यह जञान ह ही ऐसा िक िजसक सामन लौिकक िव ा का कोई मलय नही होता

यशवतिसह का दय िपघल गया वह िवचार करन लगा िक फलीबाई क पास खान क िलए िवशष भोजन नही ह रहन क िलए अचछा मकान नही ह िवषय-भोग की कोई साममी नही ह िफर भी व सत रहती ह और मर जस राजा को भी उनक पास आकर शाित िमलती ह सचमच वाःतिवक सख तो भगवान की भि म एव भगवता महापरषो क ौीचरणो म ही ह बाकी को ससार म जल-जलकर मरना ही ह वःतओ को भोग-भोगकर मनय जलदी कमजोर एव बीमार हो जाता ह जबिक फलीबाई िकतनी मजबत िदख रही ह

यह सोचत-सोचत यशवतिसह क मन म एक पिवऽ िवचार आया िक मर रिनवास म तो कई रािनया रहती ह परत जब दखो तब बीमार रहती ह झगड़ती रहती ह एक दसर की चगली और एक-दसर स ईयार करती रहती ह यिद उनह फलीबाई जसी महान आतमा का सग िमल तो उनका भी कलयाण हो

यशवतिसह न हाथ जोड़कर फलीबाई स कहाः माताजी मझ एक िभकषा दीिजए

साट एक िनधरन क पास भीख मागता ह सचचा साट तो वही ह िजसन आतमराजय पा िलया ह बा सााजय को ा िकया हआ मनय तो अधयातममागर की दि स कगाल भी हो सकता ह आतमराजय को पायी ह िनधरन फलीबाई स राजा एक िभखारी की तरह भीख माग रहा ह

यशवतिसह बोलाः माता जी मझ एक िभकषा द

फलीबाईः राजन तमह कया चािहए

यशवतिसहः बस मा मझ भि की िभकषा चािहए मरी बि सनमागर म लगी रह एव सतो का सग िमलता रह

फलीबाई न उस बि मान पिवऽातमा यशवतिसह क िसर पर हाथ रखा फलीबाई का ःपशर पाकर राजा गदगद हो गया एव ाथरना करन लगाः मा इस बालक की एक दसरी इचछा भी परी कर आप मर रिनवास म पधारकर मरी रािनयो को थोड़ा उपदश दन की कपा कर तािक उनकी बि भी अधयातम म लग जाय

फलीबाई न यशवतिसह की िवनता दखकर उनकी ाथरना ःवीकार कर ली नही तो उनह रिनवास स कया काम

य व ही फलीबाई ह िजनक पित िववाह होत ही ःवगर िसधार गय थ दसरी कोई ी होती तो रोती िक अब मरा कया होगा म तो िवधवा हो गयी परत फलीबाई क माता-िपता न उनह भगवान क राःत लगा िदया गर स दीकषा लकर गर क बताय हए मागर पर चलकर अब फलीबाई फलीबाई न रही बिलक सत फलीबाई हो गयी तो यशवतिसह जसा साट भी उनका आदर करता ह एव उनकी चरणरज िसर पर लगाकर अपन को भा यशाली मानता ह उनह माता कहकर सबोिधत करता ह जो कणड बचकर अपना जीवन िनवारह करती ह उनह हजारो लोग माता कहकर पकारत ह

धनय ह वह धरती जहा ऐस भगवदभ जनम लत ह जो भगवान का भजन करक भगवान क हो जात ह उनह माता कहन वाल हजारो लोग िमल जात ह अपना िमऽ एव समबनधी मानन क िलए हजारो लोग तयार हो जात ह कयोिक उनहोन सचच माता-िपता क साथ सचच सग-समबनधी क साथ परमातमा क साथ अपना िच जोड़ िलया ह

यशवतिसह न फलीबाई को राजमहल म बलवाकर दािसयो स कहाः इनह खब आदर क साथ रिनवास म जाओ तािक रािनया इनक दो वचन सनकर अपन कान को एव दशरन करक अपन नऽो को पिवऽ कर

फलीबाई क व ो पर तो कई पबद लग हए थ पबदवाल कपड़ पहनन क बावजद बाजरी क मोट रोटल खान एव झोपड़ म रहन क बावजद फलीबाई िकतनी तदरःत और सनन थी और यशवत िसह की रािनया ितिदन नय-नय वयजन खाती थी नय-नय व पहनती थी महलो म रहती थी िफर भी लड़ती-झगड़ती रहती थी उनम थोड़ी आय इसी आशा स राजा न फलीबाई को रिनवास म भजा

दािसया फलीबाई को आदर क साथ रिनवास म ल गयी वहा तो रािनया सज-धजकर हार-ौगार करक तयार होकर बठी थी जब उनहोन पबद लग मोट व पहनी हई फलीबाई को दखा तो एक दसर की तरफ दखन लगी और फसफसान लगी िक यह कौन सा ाणी आया ह

फलीबाई का अनादर हआ िकत फलीबाई क िच पर चोट न लगी कयोिक िजसन अपना आदर कर िलया अपनी आतमा का आदर कर िलया उसका अनादर करक उसको चोट पहचान म दिनया का कोई भी वयि सफल नही हो सकता फलीबाई को दःख न हआ लािन न हई बोध नही आया वरन उनक िच म दया उपजी िक इन मखर रािनयो को थोड़ा उपदश दना चािहए दयाल एव समिच फलीबाई न उन रािनयो कहाः बटा बठो

दािसयो न धीर-स जाकर रािनयो को बताया िक राजा साहब तो इनह णाम करत ह इनका आदर करत ह और आप लोग कहती ह िक कौन सा ाणी आया राजा साहब को पता चलगा तो आपकी

यह सनकर रािनया घबरायी एव चपचाप बठ गयी फलीबाई न कहाः ह रािनयो इस हाड़-मास क शरीर को सजाकर कया बठी हो गहन पहनकर हार-

ौगार करक कवल शरीर को ही सजाती रहोगी तो उसस तो पित क मन म िवकार उठगा जो तमह दखगा उसक मन म िवकार उठगा इसस उस तो नकसान होगा ही तमह भी नकसान होगा

शा ो म ौगार करन की मनाही नही ह परत साि वक पिवऽ एव मयारिदत ौगार करो जसा ौगार ाचीन काल म होता था वसा करो पहल वनःपितयो स ौगार क ऐस साधन बनाय जात थ िजनस मन फिललत एव पिवऽ रहता था तन नीरोग रहता था जस िक पर म पायल पहनन स अमक नाड़ी पर दबाव रहता ह एव उसस चयर-रकषा म मदद िमलती ह जस ा ण लोग जनऊ पहनत ह एव पशाब करत समय कान पर जनऊ लपटत ह तो उस नाड़ी पर दबाव पड़न स उनह कणर पीडनासन का लाभ िमलता ह और ःवपनदोष की बीमारी नही होती इस कार शरीर को मजबत और मन को सनन बनान म सहायक ऐसी हमारी विदक सःकित ह

आजकल तो पा ातय जगत क ऐस गद ौगारो का चार बढ़ गया ह िक शरीर तो रोगी हो जाता ह साथ ही मन भी िवकारमःत हो जाता ह ौगार करन वाली िजस िदन ौगार नही करती उस िदन उसका चहरा बढ़ी बदरी जसा िदखता ह चहर की कदरती कोमलता न हो जाती ह पाउडर िलपिःटक वगरह स तवचा की ाकितक िःन धता न हो जाती ह

ाकितक सौनदयर को न करक जो किऽम सौनदयर क गलाम बनत ह उनस ाथरना ह िक व किऽम साधनो का योग करक अपन ाकितक सौनदयर को न न कर चिड़या पहनन की कमकम का ितलक करन की मनाई नही ह परत पफ-पाउडर लाली िलपिःटक लगाकर चमकील-भड़कील व पहनकर अपन शरीर मन कटिमबयो एव समाज का अिहत न हो ऐसी कपा कर अपन असली सौनदयर को कट कर जस मीरा न िकया था गाग और मदालसा न िकया था

फलीबाई न उन रािनयो को कहाः ह रािनयो तम इधर-उधर कया दखती हो य गहन-गाठ तो तमहार शरीर की शोभा ह और यह शरीर एक िदन िमटटी म िमल जान वाला ह इस सजा-धजाकर कब तक अपन जीवन को न करती रहगी िवषय िवकारो म कब तक खपती रहोगी अब तो ौीराम का भजन कर लो अपन वाःतिवक सौनदयर को कट कर लो

गहनो गाठो तन री शोभो काया काचो भाडो फली कह थ राम भजो िनत लड़ो कयो हो राडो

गहन-गाठ शरीर की शोभा ह और शरीर िमटटी क कचच बतरन जसा ह अतः ितिदन राम का भजन करो इस तरह वयथर लड़न स कया लाभ

िवषय-िवकार की गलामी छोड़ो हार ौगार की गलामी छोड़ो एव पा लो उस परम र को जो परम सनदर ह

राजा यशवतिसह क रिनवास म भी फलीबाई की िकतनी िहममत ह रािनयो को सतय सनाकर फलीबाई अपन गाव की तरफ चल पड़ी

बाहर स भल कोई अनपढ़ िदख िनधरन िदख परत िजसन अदर का राजय पा िलया ह वह धनवानो को भी दान दन की कषमता रखता ह और िव ानो को भी अधयातम-िव ा दान कर सकता ह उसक थोड़-स आशीवारद माऽ स धनवानो क धन की रकषा हो जाती ह िव ानो म आधयाितमक िव ा कट होन लगती ह आतमिव ा म आतमजञान म ऐसा अनपम-अदभत सामथयर ह और इसी सामथयर स सपनन थी फलीबाई

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अनबम

आनदीबाई की दढ़ ौ ा एक पजाबी मिहला का नाम था आनदीबाई दखन म तो वह इतनी करप थी िक दखकर लोग डर

जाय उसका िववाह हो गया िववाह स पवर उसक पित न उस नही दखा था िववाह क प ात उसकी करपता को दखकर वह उस प ी क रप म न रख सका एव उस छोड़कर उसन दसरा िववाह रचा िलया

आनदी न अपनी करपता क कारण हए अपमान को पचा िलया एव िन य िकया िक अब तो म गोकल को ही अपनी ससराल बनाऊगी वह गोकल म एक छोट स कमर म रहन लगी घर म ही मिदर बनाकर

आनदीबाई ौीकण की मःती म मःत रहन लगी आनदीबाई सबह-शाम घर म िवराजमान ौीकण की मितर क साथ बात करती उनस रठ जाती िफर उनह मनाती और िदन म साध-सनतो की सवा एव सतसग-ौवण करती इस कार उसक िदन बीतन लग

एक िदन की बात हः गोकल म गोप रनाथ नामक जगह पर ौीकण-लीला का आयोजन िनि त िकया गया था उसक िलए

अलग-अलग पाऽो का चयन होन लगा पाऽो क चयन क समय आनदीबाई भी वहा िव मान थी अत म कबजा क पाऽ की बात चली उस व आनदी का पित अपनी दसरी प ी एव बचचो क साथ वही उपिःथत था अतः आनदीबाई की िखलली उड़ात हए उसन आयोजको क आग ःताव रखाः

सामन यह जो मिहला खड़ी ह वह कबजा की भिमका अचछी तरह स अदा कर सकती ह अतः उस ही कहो न यह पाऽ तो इसी पर जचगा यह तो साकषात कबजा ही ह

आयोजको न आनदीबाई की ओर दखा उसका करप चहरा उनह भी कबजा की भिमका क िलए पसद आ गया उनहोन आनदीबाई को कबजा का पाऽ अदा करन क िलए ाथरना की

ौीकणलीला म खद को भाग लन का मौका िमलगा इस सचनामाऽ स आनदीबाई भाविवभोर हो उठी उसन खब म स भिमका अदा करन की ःवीकित द दी ौीकण का पाऽ एक आठ वष य बालक क िजमम आया था

आनदीबाई तो घर आकर ौीकण की मितर क आग िव लता स िनहारन लगी एव मन-ही-मन िवचारन लगी िक मरा कनहया आयगा मर पर पर पर रखगा मरी ठोड़ी पकड़कर मझ ऊपर दखन को कहगा वह तो बस नाटक म दयो की कलपना म ही खोन लगी

आिखरकार ौीकणलीला रगमच पर अिभनीत करन का समय आ गया लीला दखन क िलए बहत स लोग एकिऽत हए ौीकण क मथरागमन का सग चल रहा थाः

नगर क राजमागर स ौीकण गजर रह ह राःत म उनह कबजा िमली आठ वष य बालक जो ौीकण का पाऽ अदा कर रहा था उसन कबजा बनी हई आनदी क पर पर पर

रखा और उसकी ठोड़ी पकड़कर उस ऊचा िकया िकत यह कसा चमतकार करप कबजा एकदम सामानय नारी क ःवरप म आ गयी वहा उपिःथत सभी दशरको न इस सग को अपनी आखो स दखा आनदीबाई की करपता का पता सभी को था अब उसकी करपता िबलकल गायब हो चकी थी यह दखकर सभी दातो तल ऊगली दबान लग

आनदीबाई तो भाविवभोर होकर अपन कण म ही खोयी हई थी उसकी करपता न हो गयी यह जानकर कई लोग कतहलवश उस दखन क िलए आय

िफर तो आनदीबाई अपन घर म बनाय गय मिदर म िवराजमान ौीकण म ही खोयी रहती यिद कोई कछ भी पछता तो एक ही जवाब िमलताः मर कनहया की लीला कनहया ही जान

आनदीबाई न अपन पित को धनयवाद दन म भी कोई कसर बाकी न रखी यिद उसकी करपता क कारण उसक पित न उस छोड़ न िदया होता तो ौीकण म उसकी इतनी भि कस जागती ौीकणलीला म

कबजा क पाऽ क चयन क िलए उसका नाम भी तो उसक पित न ही िदया था इसका भी वह बड़ा आभार मानती थी

ितकल पिरिःथितयो एव सयोगो म िशकायत करन की जगह तयक पिरिःथित को भगवान की ही दन मानकर धनयवाद दन स ितकल पिरिःथित भी उननितकारक हो जाती ह पतथर भी सोपान बन जाता ह

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अनबम

कमारबाई की वातसलय-भि सवारनतयारमी घट-घटवासी भगवान न तो धन-ऐ यर स सनन होत ह और न ही पजा क लमब-चौड़

िवधानो स व तो बस एकमाऽ म स ही सत होत ह एव म क वशीभत होकर नम (िनयम) की भी परवाह नही करत कोई उनका होकर उनह पकार तो दौड़ चल आत ह

कमारबाई नामक एक ऐसी ही भि मती नारी थी िजनकी पकार सनकर भगवान ितिदन उनकी िखचड़ी खान दौड़ चल आत थ भगवान यह नही दखत की भ न खीर-परी-पकवान तयार िकय ह या एकदम सीधा-सादा रखा-सखा भोजन

कमारबाई ौीपरषो मपरी (जगननाथपरी) म िनवास करती थी व भगवान का वातसलय-भाव स िचनतन करती थी एव ितिदन िनयमपवरक ातःकाल ःनानािद िकय िबना ही िखचड़ी तयार करती और भगवान को अिपरत करती थी म क वश म रहन वाल ौीजगननाथजी भी ितिदन सनदर-सलोन बालक क वश म आत और कमारबाई की गोद म बठकर िखचड़ी खा जात कमारबाई भी सदव िचिनतत रहा करती िक बालक क भोजन म कभी िवलब न हो जाय इसी कारण व िकसी भई िविध-िवधान क पचड़ म न पड़कर अतयत म स सवर ही िखचड़ी तयार कर लती थी

एक िदन की बात ह कमारबाई क पास एक साध आय उनहोन कमारबाई को अपिवऽता क साथ िखचड़ी तयार करक भगवान को अपरण करत हए दखा घबराकर उनहोन कमारबाई को पिवऽता स भोजन बनान क िलए कहा और पिवऽता क िलए ःनानािद की िविधया बता दी

भि मती कमारबाई न दसर िदन वसा ही िकया िकत िखचड़ी तयार करन म उनह दर हो गयी उस समय उनका दय यह सोचकर रो उठा िक मरा पयारा यामसनदर भख स छटपटा रहा होगा

कमारबाई न दःखी मन स यामसनदर को िखचड़ी िखलायी उसी समय मिदर म अनकानक घतमय िनविदत करन क िलए पजारी न भ का आवाहन िकया भ जठ मह ही वहा चल गय पजारी चिकत हो गया उसन दखा िक भगवान क मखारिवद म िखचड़ी लगी ह पजारी भी भ था उसका दय बनदन करन लगा उसन अतयत कातर होकर भ को असली बात बतान की ाथरना की

तब उस उ र िमलाः िनतयित ातःकाल म कमारबाई क पास िखचड़ी खान जाता ह उनकी िखचड़ी मझ बड़ी िय और मधर लगती ह पर कल एक साध न जाकर उनह पिवऽता क िलए ःनानािद की िविधया बता दी इसिलए िवलब क कारण मझ कषधा का क तो हआ ही साथ ही शीयता स जठ मह ही आना पड़ा

भगवान क बताय अनसार पजारी न उस साध को ढढकर भ की सारी बात सना दी साध चिकत हो उठा एव घबराकर कमारबाई क पास जाकर बोलाः आप पवर की तरह ही ितिदन सवर ही िखचड़ी बनाकर भ को िनवदन कर िदया कर आपक िलए िकसी िनयम की आवयकता नही ह

कमारबाई पनः पहल की ही तरह ितिदन सवर भगवान को िखचड़ी िखलान लगी व समय पाकर परमातमा क पिवऽ और आनदधाम म चली गयी परत उनक म की गाथा आज भी िव मान ह ौीजगननाथजी क मिदर म आज भी ितिदन ातःकाल िखचड़ी का भोग लगाया जाता

म म अदभत शि ह जो काम दल-बल-छल स नही हो सकता वह म स सभव ह म माःपद को भी अपन वशीभत कर दता ह िकत शतर इतनी ह िक म कवल म क िलए ही िकया जाय िकसी ःवाथर क िलए नही भगवान क होकर भगवान स म करो तो उनक िमलन म जरा भी दर नही ह

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अनबम

साधवी िसरमा िसहल दश (वतरमान ौीलका) क एक सदाचारी पिरवार म जनमी हई कनया िसरमा म बालयकाल स ही

भगवदभि ःफिटत हो चकी थी वह िजतनी सनदर थी उतनी ही सशील भी थी 16 वषर की उ म उसक मा-बाप न एक धनवान पिरवार क यवक समगल क साथ उसकी शादी करवा दी

शादी क प ात समगल िवदश चला गया वहा वह वःतओ का आयात-िनयारत करता था कछ वष म उसन काफी सपि इकटठी कर ली और ःवदश लौट चला कटिबयो न सोचा िक समगल वष बाद घर लौट रहा ह अतः उसका आदर-सतकार होना चािहए गाव भर क जान मान लोगो को आमिऽत िकया गया और सब समगल को लन चल भीड़ म उस जमान की गिणका मदारमाला भी थी

मदारमाला क सौनदयर को दखकर समगल मोिहत हो गया एव समगल क आकषरक वयि तव स मदारमाला भी घायल हो गयी भीड़ को समझत दर न लगी िक दोनो एक-दसर स घायल हो गयी समगल को लकर शोभायाऽा उसक घर पहची समगल को उदास दखकर बोलीः

दव आप बड़ उदास एव वयिथत लग रह ह आपकी उदासी एव वयथा का कारण म जानती ह

समगलः जब जानती ह तो कया पछती ह अब उसक िबना नही रहा जाता

यह सनकर िसरमा न अपना सतलन न खोया कयोिक वह ितिदन भगवान का धयान करती थी एव शात ःवभाव का धन िववक-वरा यरपी धन और िवपि यो म भी सनन रहन की समझ का धन उसक पास था

सिवधाए हो और आप सनन रह- इतना तो लािलया मोितया और कािलया क ा भी जानता ह वह भी जलबी दखकर पछ िहला दता ह और डडा दखकर पछ दबा दता ह सख म सखी एव दःख म दःखी नही होता लिकन सव म तो वह ह जो सख-दःख को सपना मानता ह एव सिचचदानद परमातमा को अपना मानता ह

िसरमा न कहाः नाथ आपकी परशानी का कारण तो म जानती ह उस दर करन म म परा सहयोग दगी आप अपनी परशािनयो को िमटान म मर पर अिधकार का उपयोग कर सकत ह कोई उपाय खोजा जायगा

इतन म ही मदारमाला की नौकरानी आकर बोलीः समगल आपको मरी मालिकन अपन महल म बला रही ह

िसरमा न कहाः जाकर अपनी मालिकन स कह दो िक इस बड़ घर की बहरानी बनना चाहती हो तो तमहार िलए ार खल ह िसरमा अपन सार अिधकार तमह स पन को तयार ह लिकन इस बड़ खानदान क लड़क को अपन अ ड पर बलाकर कलक का टीका मत लगाओ यह मरी ाथरना ह

िसरमा की नता न मदारमाला क दय को ििवत कर िदया और वह व ालकार स ससिजजत होकर समगल क घर आ गयी िसरमा न दोनो का गधवर िववाह करवा िदया और िकसी सचच सत स दीकषा लकर ःवय साधवी बन गयी िसरमा की समझ व मऽजाप की ततपरता न उस ऋि -िसि की मालिकन बना िदया िसरमा का मनोबल बि बल तपोबल और यौिगक सामथयर इतना िनखरा िक कई साधक िसरमा को णाम करन आन लग

एक िदन एक साधक िजसका िसर फटा हआ था और खन बह रहा था िसरमा क पास आया िसरमा न पछाः िभकषक तमहारा िसर फटा ह कया बात ह

िभकषकः म िभकषा लन क िलए समगल क घर गया था मदारमाला क हाथ म जो बतरन था वही बतरन उनहोन मर िसर पर द मारा इसस मरा िसर फट गया

िसरमा को बड़ा दःख हआ िक मदारमाला को परी जायदाद िमल गयी और मरा ऐसा सनदर धनी पिवऽ ःवभाववाला वयापारी पित िमल गया िफर वह कयो दःखी ह ससार म जब तक सचची समझ सचचा जञान नही िमलता तब तक मनय क दःखो का अत नही होता शायद वह दःखी होगी और दःखी वयि ही साधओ को दःख दगा सजजन वयि साधओ को दःख नही दगा वरन उनस सख लगा आशीवारद ल लगा मदारमाला अित दःखी ह तभी उसन िभकषक को भी दःखी कर िदया

िसरमा गयी मदारमाला क पास और बोलीः मदारमाला उस िभकषक क अिकचन साध क िभकषा मागन पर त िभकषा नही दती तो चलता लिकन उसका िसर कयो फोड़ िदया

मदारमालाः बहन म बहत दःखी ह समगल न तझ छोड़कर मझस शादी की और अब मर होत हए एक दसरी नतरकी क यहा जाता ह वह मझस कहता ह िक म परसो उसक साथ शादी कर लगा मन तो अपन

सख को सभाल रखा था लिकन सख तो सदा िटकता नही ह तमहारा िदया हआ यह िखलौना अब दसरा िखलौना लन का भाग रहा ह

िसरमा को दःखाकार वि का थोड़ा धकका लगा िकत वह सावधान थी रािऽ को वह अपन ककष म दीया जलाकर बठ गयी एव ाथरना करन लगीः ह भगवान तम काशःवरप हो जञानःवरप हो म तमहारी शरण आयी ह तम अगर चाहो तो समगल को वाःतव म समगल बना सकत हो समगल िजसस जलदी मतय हो जाय ऐस भोग-पर-भोग बढ़ा रहा ह एप नरक की याऽा कर रहा ह उस सतरणा दकर इन िवकारो स बचाकर अपन िनिवरकारी शात आनद एव माधयरःवरप म लगान म ह भ तम सकषम हो

िसरमा ाथरना िकय जा रही ह एव टकटकी लगाकर दीय की लौ को दख जा रही ह धयान करत-करत िसरमा शात हो गयी उसकी शाित ही परमातमा तक पगाम पहचान का साधन बन गयी धयान करत-करत उस कब नीद आ गयी पता नही लिकन जो नीद क समय भी तमहार िच की चतना को र वािहिनयो को स ा दता ह वह पयारा कस चप बठता

भात म समगल को भयानक ःवपन आया िक मरा िवकारी-भोगी जीवन मझ घसीटकर यमराज क पास ल गय एव तमाम भोिगयो की जो ददरशा हो रही ह वही मरी भी होन जा रही ह हाय म यह कया दख रहा ह समगल च क उठा और उसकी आख खल गयी भात का ःवपन सतय का सकत दन वाला होता ह

सबह होत-होत समगल न अपनी सारी धन-समपि गरीब-गरबो म बाटकर एव सतकम म लगाकर दीकषा ल ली अब तो िसरमा िजस राःत जा रही ह भोग क कीचड़ म पड़ा हआ समगल भी उसी राःत अथारत आतमो ार क राःत जान का सकलप करक चल पड़ा

वह अतःचतना कब िकस वयि क अतःकरण म जामत हो और वह भोग क दलदल स तथा अहकार क िवकट मागर स बचकर सहज ःवभाव को अपनाकर सरल मागर स सत-िचत-आनदःवरप ई र की ओर चल पड़ कहना मिकल ह

धनय ह िसरमा जो ःवय तो उस पथ पर चली ही साथ ही अपन िवकारी पित को भी उस पथ पर चलान म सहायक हो गयी

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अनबम

भि मती जनाबाई (भगवदभि स कया सभव नही ह सब सभव ह भि मती जनाबाई क जीवन सगो पर काश डालत

हए पजयौी कहत ह) भगवान कब कहा और कस अपनी लीला कट करक भ ो की रकषा करत ह यह कहना मिकल ह

भ ो का इितहास दखत ह उनका चिरऽ पढ़त ह तब भगवान क अिःततव पर िवशष ौ ा हो जाती ह

गोदावरी नदी क तट पर िःथत गगाखड़ (िज परमणी महारा ) गाव म दमाजी क यहा जनाबाई का जनम हआ था जनाबाई क बचपन उसकी मा चल बसी मा का अि नसःकार करक जब िपता घर आय तब ननही-सी जना न पछाः

िपताजी मा कहा गयी

िपताः मा पढरपर म भगवान िवटठल क पास गयी ह

एक िदन दो िदन पाच िदन दस िदन पचचीस िदन बीत गय मा अभी तक नही आयी पढरपर म िवटठल क पास बठी ह िपता जी मझ भी िवटठल क पास ल चलो ननही सकनया जना न िजद की

िपता बटी को पढरपर ल आय चिभागा नदी म ःनान करक िवटठल क मिदर म गय ननही-सी जना िवटठल स पछन लगीः मरी मा कहा गयी िवटठल बलाओ न मरी मा को

िवटठल िवटठल करक जना रोन लगी िपता न समझान की खब कोिशश की िकत ननही सी बािलका की कया समझ म आता इतन म वहा दामा शठ एव उनकी धमरप ी गोणाई बाई आय भ नामदव इनही की सनतान थ बािलका को दखकर उनका वातसलय जाग उठा उनहोन जना क िपता स कहाः

अब यह पढरपर छोड़कर तो जायगी नही आप इस यही छोड़ जाइय हम इस अपनी बटी क समान रखग यह यही रहकर िवटठल क दशरन करगी और अपनी मा क िलए िवटठल क दशरन करगी और अपनी मा क िलए िवटठल को पकारत-पकारत अगर इस भि का रग लग जाय तो अचछा ही ह

जना क िपता सहमत हो गय एव जनाबाई को वही छोड़ गय जना को बालयकाल स ही भ नामदव का सग िमल गया जना वहा रहकर िवटठल क दशरन करती एव घर क काम-काज म हाथ बटाती थी धीर-धीर जना की भगवदभि बढ़ गयी

समय पाकर नामदव जी का िववाह हो गया िफर भी जना उनक घर क सब काम करती थी एव रोज िनयम स िवटठल क दशरन करन भी जाती थी

एक बार काम की अिधकता स वह िवटठल क दशरन करन दर स जा पायी रात हो गयी थी सब लोग जा चक थ िवटठल क दशरन करक जना घर लौट आयी लिकन दसर िदन सबह िवटठल भगवान क गल म जो ःवणर की माला थी वह गायब हो गयी

मिदर क पजारी न कहाः सबस आिखर म जनाबाई आयी थी

जनाबाई को पकड़ िलया गया जना न कहाः म िकसी की सई भी नही लती तो िवटठल भगवान का हार कस चोरी करगी

लिकन भगवान भी मानो परीकषा करक अपन भ का आतमबल और यश बढ़ाना चाहत थ राजा न फरमान जारी कर िदयाः जना झठ बोलती ह इसको सर बाजार स बत मारत-मारत ल जाया जाय एव जहा सबको सली पर चढ़ाया जाता ह वही सली पर चढ़ा िदया जाय

िसपाही जनाबाई को लन आय जनाबाई अपन िवटठल को पकारती जा रही थीः ह मर िवटठल म कया कर तम तो सब जानत ही हो

गहन बनान स पवर ःवणर को तपाया जाता ह ऐस ही भगवान भी भ की कसौटी करत ही ह जो सचच भ होत ह व उस कसौटी को पार कर जात ह बाकी क लोग भटक जात ह

सिनक जनाबाई को ल जा रह थ और राःत म उसक िलए लोग कछ-का-कछ बोलत जा रह थः बड़ी आयी भ ानी भि का ढोग करती थी अब तो तरी पोल खल गयी यह दख सजजन लोगो क मन म दःख हो रहा था

ऐसा करत-करत जनाबाई सली तक पहच गयी तब जललादो न उसस पछाः अब तमको मतयदड िदया जा रहा ह तमहारी आिखरी इचछा कया ह

जनाबाई न कहाः आप लोग तिनक ठहर जाय तािक मरत-मरत म दो अभग गा ल

आप लोग चौपाई दोह साखी आिद बोलत हो ऐस ही महारा म अभग बोलत ह अभी भी जनाबाई क लगभग तीन सौ अभग उपलबध ह जनाबाई भगवतःमरण करक ौ ा भि भर दय स अभग ारा िवटठल स ाथरना करन लगीः

करो दया ह िवटठलाया करो दया ह िवटठलराया छलती कस ह छलनी माया

करो दया ह िवटठलराया करो दया ह िवटठलराया ौ ाभि पणर दय स की गयी ाथरना दय र सव र तक अवय पहचती ह ाथरना करत-करत

उसकी आखो स अौिबनद छलक पड़ और िजस सली पर उस लटकाया जाना था वह सली पानी हो गयी

सचच दय की भि कित क िनयमो म भी पिरवतरन कर दती ह लोग यह दखकर दग रह गय राजा न उसस कषमा-याचना की जनाबाई की जय-जयकार हो गयी

िवरोधी भल िकतना भी िवरोध कर लिकन सचच भगवदभ तो अपनी भि म दढ़ रहत ह ठीक ही कहा हः

बाधाए कब बाध सकी ह आग बढ़नवालो को िवपदाए कब रोक सकी ह पथ पर चलन वालो को

ह भारत की दिवयो याद करो अपन अतीत की महान नािरयो को तमहारा जनम भी उसी भिम पर हआ ह िजस पणय भिम भारत म सलभा गाग मदालसा शबरी मीरा जनाबाई जसी नािरयो न जनम िलया था अनक िव न बाधाए भी उनकी भि एव िन ा को न िडगा पायी थी

ह भारत की नािरयो पा ातय सःकित की चकाच ध म अपन सःकित की गिरमा को भला बठना कहा तक उिचत ह पतन की ओर ल जानवाली सःकित का अनसरण करन की अपकषा अपनी सःकित को अपनाओ तािक तमहारा जीवन तो समननत हो ही तमहारी सतान भी सवागीण गित कर सक और भारत पनः िव गर की पदवी पर आसीन हो सक

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अनबम

म ाबाई का सवरऽ िवटठल-दशरन ौीिनवि नाथ जञान र एव सोपानदव की छोटी बहन थी म ाबाई जनम स ही चारो िस योगी परम

िवर एव सचच भगवदभ थ बड़ भाई िनवि नाथ ही सबक गर थ ननही सी म ा कहतीः िवटठल ही मर िपता ह शरीर क माता-िपता तो मर जात ह लिकन हमार

सचच माता-िपता हमार परमातमा तो सदा साथ रहत ह

उसन सतसग म सन रखा था िक िवटठल कवल मिदर म ही नही िवटठल तो सबका आतमा बना बठा ह सार शरीरो म उसी की चतना ह वह कीड़ी म छोटा और हाथी म बड़ा लगता ह िव ानो की िव ा की गहराई म उसी की चतना ह बलवानो का बल उसी परम र का ह सतो का सततव उसी परमातम-स ा स ह िजसकी स ा स आख दखती ह कान सनत ह नािसका ास लती ह िज ा ःवाद का अनभव करती ह वही िवटठल ह

म ाबाई िकसी पप को दखती तो सनन होकर कह उठती िक िवटठल बड़ अचछ ह एक िदन म ाबाई कह उठीः िवटठल तम िकतन गद हो ऐसी गदगी म रहत हो

िकसी न पछाः कहा ह िवटठल

म ाबाईः दखो न इस गदी नाली म िवटठल कीड़ा बन बठ ह

म ाबाई की दि िकतनी साि वक हो गयी थी वह सवरऽ अपन िवटठल क दीदार कर रही थी चारो बचचो को एक सनयासी क बचच मानकर कटटरवािदयो न उनह नमाज स बाहर कर िदया था

उनक माता-िपता क साथ तो जलम िकया ही था बचचो को भी समाज स बाहर कर रखा था अतः कोई उनह मदद नही करता था पट को आहित दन क िलए व बचच िभकषा मागन जात थ

दीपावली क िदन वह बारह वष या म ाबाई िनवि नाथ स पछती हः भया आज दीपावली ह कया बनाऊ

िनवि नाथः बहन मरी तो मज ह िक आज मीठ चील बना ल

जञान रः तीख भी तो अचछ लगत ह

म ाबाई हषर स बोल पड़ीः मीठ भी बनाऊगी और नमकीन भी आज तो दीपावली ह

बाहर स तो दिरिता िदखती ह समाजवालो न बिहकत कर रखा ह न धन ह न दौलत न बक बलनस ह न कार ह न बगला साधारण सा घर ह िफर भी िवटठल क भाव म सराबोर दय क भीतर का सख असीम ह

म ाबाई न अदर जाकर दखा तो तवा ही नही था कयोिक िवसोबा चाटी न राऽी म ही सार बतरन चोरी करवा िदय थ िबना तव क चील कस बनग वह भया म कमहार क यहा स रोटी सकन का तवा ल आती ह ऐसा कह जलदी स िनकल पड़ी तवा लान क िलए लिकन िवसोबा चाटी न सभी कमहारो को डाटकर मना कर िदया था िक खबरदार इसको तवा िदया तो तमको जाित स बाहर करवा दगा

घमत-घमत कमहारो क ार खटखटात हए आिखर उदास होकर वापस लौटी मजाक उड़ात हए िवसोबा चाटी न पछाः कयो कहा गयी थी

म ा न सरलता स उ र िदयाः म बाहर स तवा लन गयी थी लिकन कोई दता ही नही ह

घर पहचत ही जञान र न उसकी उदासी का कारण पछा तो म ा न सारा हाल सना िदया जञान रः कोई बात नही त आटा तो िमला

म ाबाईः आटा तो िमला िमलाया ह

जञान र नगी पीठ करक बठ गय उन योिगराज न ाणो का सयम करक पीठ पर अि न की भावना की पीठ त तव की भाित लाल हो गयी ल िजतनी रोटी या चील सकन हो इस पर सक ल

म ाबाई ःवय योिगनी थी भाइयो की शि को जानती थी उसन बहत स मीठ और नमकीन चील व रोिटया बना ली िफर कहाः भया अपन तव को शीतल कर लो

जञान र न अि नधारण का उपसहार कर िदया सकलप बल स तो अभी भी कछ लोग चमतकार करक िदखात ह जञान र महाराज न अि न त व की

धारणा करक अि न को कट कर िदया था व सतय-सकलप एव योगशि -सपनन परष थ जस आप ःवपन म अि न जल आिद सब बना लत ह वस ही योगशि -सपनन परष जामत म िजस त व की धारणा कर उस बढ़ा अथवा घटा सकत ह

जल त व की धारणा िस हो जाय तो आप जहा जल म गोता मारो और हजारो मील दर िनकलो पथवी त व की धारणा िस ह तो आपको यहा गाड़ द और आप हजारो मील दर कट हो जाओ ऐस ही वाय त व अि न त व आिद की धारणा भी िस की जा सकती ह कबीरजी क जीवन म भी ऐस चमतकार हए थ और दसर योिगयो क जीवन म भी दख-सन गय थ

मर गरदव परम पजय ःवामी ौीलीलाशाहजी महाराज न नीम क पड़ को आजञा दी िक त अपनी जगह पर जा तो वह पड़ चल पड़ा तबस लीलाराम म स ौी लीलाशाह क नाम स व िस हए योगशि म बड़ा सामथयर होता ह

आप ऐसा सामथयर पा लो ऐसा मरा आमह नही ह लिकन थोड़ स सख क िलए कषिणक सख क िलए बाहर न भागना पड़ ऐस ःवाधीन हो जाओ िसि या पान की कबर साधना करना आवयक नही ह लिकन सख-दःख क झटको स बचन की सरल साधना अवय कर लो

िनवि नाथ भोजन करत हए भोजन की शसा कर रह थः मि न िनिमरत िकय और जञान की अि न म सक गय चील क ःवाद का कया पछना

िनवि नाथ जञान र एव सोपानदव तीनो भाइयो न भोजन कर िलया था इतन म एक बड़ा सा काला क ा आया और बाकी चील लकर भागा

िनवि नाथ न कहाः अर म ा मार जलदी इस क को तर िहःस क चील वह ल जा रहा ह त भखी रह जायगी

म ाबाईः मार िकस िवटठल ही तो क ा बन गय ह िवटठल काला-कलटा रप लकर आय ह उनको कयो मार

तीनो भाई हस पड़ जञान र न पछाः जो तर चील ल गया वह काला कलटा क ा तो िवटठल ह और िवसोबा चाटी

म ाबाईः व भी िवटठल ही ह

अलग-अलग मन का ःवभाव अलग-अलग होता ह लिकन चतना तो सबम िवटठल की ही ह वह बारह वष या कनया म ाबाई कहती हः िवसोबा चाटी म भी वही िवटठल ह

िवसोबा चाटी कमहार क घर स ही म ा का पीछा करता आया था वह दखना चाहता था िक तवा न िमलन पर य सब कया करत ह वह दीवार क पीछ स सारा खल दख रहा था म ाबाई क शबद सनकर िवसोबा चाटी का दय अपन हाथो म नही रहा भागता हआ आकर सख बास की ना म ाबाई क चरणो म िगर पड़ा

म ादवी मझ माफ कर दो मर जसा अधम कौन होगा मन बहकानवाली बात सनकर आप लोगो को बहत सताया ह आप लोग मझ पामर को कषमा कर द मझ अपनी शरण म ल ल आप अवतारी परष ह सबम िवटठल दखन की भावना म सफल हो गय ह म उ म तो आपस बड़ा ह लिकन भगवदजञान म तचछ ह आप लोग उ म छोट ह लिकन भगवदजञान म पजनीय आदरणीय ह मझ अपन चरणो म ःथान द

कई िदनो तक िवसोबा अननय-िवनय करता रहा आिखर उसक प ाताप को दखकर िनवि नाथ न उस उपदश िदया और म ाबाई स दीकषा-िशकषा िमली वही िवसोबा चाटी िस महातमा िवसोबा खचर हो गय िजनक ारा िस सत नामदव न दीकषा ा की

बारह वष या बािलका म ाबाई कवल बािलका नही थी वह तो आ शि का ःवरप थी िजनकी कपा स िवसोबा चाटी जसा ईयारल िस सत िवसोबा खचर हो गय

नारी त नारायणी ह दवी सयम-साधना ारा अपन आतमःवरप को पहचान ल ॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐ

अनबम

रतनबाई की गरभि गजरात क सौरा ानत म नरिसह महता नाम क एक उचचकोिट क महापरष हो गय व जब भजन

गात तो ौोतागण भि भाव स सराबोर हो उठत थ दो लड़िकया नरिसह महता की बड़ी भि न थी लोगो न अफवाह फला दी की उन दो कवारी यवितयो

क साथ नरिसह महता का कछ गलत समबनध ह अफवाह बड़ी तजी स फल गयी

किलयग म बरी बात फलाना बड़ा आसान ह िजसक अनदर बराइया ह वह आदमी दसरो की बरी बात जलदी स मान लता ह

उन लड़िकयो क िपता और भाई भी ऐस ही थ उनहोन लड़िकयो की खब िपटाई की और कहाः तम लोगो न तो हमारी इजजत खराब कर दी हम बाजार स गजरत ह तो लोग बोलत ह िक इनही की दो लड़िकया ह िजनक साथ नरिसह महता का

खब मार-पीटकर उन दोनो को कमर म बनद कर िदया और अलीगढ़ क बड़-बड़ ताल लगा िदय िफर चाबी अपनी जब म डालकर दोनो चल िदय िक दख आज कथा म कया होता ह

उन दोनो लड़िकयो म स एक रतनबाई रोज सतसग-कीतरन क दौरान अपन हाथो स पानी का िगलास भरकर भाव भर भजन गान वाल नरिसह महता क होठो तक ल जाती थी लोगो न रतनबाई का भाव एव नरिसह महता की भि नही दखी बिलक पानी िपलान की बा िबया को दखकर उलटा अथर लगा िलया

सरपच न घोिषत कर िदयाः आज स नरिसह महता गाव क चौराह पर ही सतसग-कीतरन करग घर पर नही

नरिसह महता न चौराह पर सतसग-कीतरन िकया िववािदत बात िछड़न क कारण भीड़ बढ़ गयी थी कीतरन करत-करत राऽी क 12 बज गय नरिसह महता रोज इसी समय पानी पीत थ अतः उनह पयास लगी

इधर रतनबाई को भी याद आया िक गरजी को पयास लगी होगी कौन पानी िपलायगा रतनबाई न बद कमर म ही मटक म स पयाला भरकर भावपणर दय स आख बद करक मन-ही-मन पयाला गरजी क होठो पर लगाया

जहा नरिसह महता कीतरन-सतसग कर रह थ वहा लोगो को रतनबाई पानी िपलाती हई नजर आयी लड़की का बाप एव भाई दोनो आ यरचिकत हो उठ िक रतनबाई इधर कस

वाःतव म तो रतनबाई अपन कमर म ही थी पानी का पयाला भरकर भावना स िपला रही थी लिकन उसकी भाव की एकाकारता इतनी सघन हो गयी िक वह चौराह क बीच लोगो को िदखी

अतः मानना पड़ता ह िक जहा आदमी का मन अतयत एकाकार हो जाता ह उसका शरीर दसरी जगह होत हए भी वहा िदख जाता ह

रतनबाई क बाप न पऽ स पछाः रतन इधर कस

रतनबाई क भाई न कहाः िपताजी चाबी तो मरी जब म ह

दोनो भाग घर की ओर ताला खोलकर दखा तो रतनबाई कमर क अदर ही ह और उसक हाथ म पयाला ह रतनबाई पानी िपलान की मिा म ह दोनो आ यरचिकत हो उठ िक यह कस

सत एव समाज क बीच सदा स ही ऐसा ही चलता आया ह कछ असामािजक त व सत एव सत क पयारो को बदनाम करन की कोई भी कसर बाकी नही रखत िकत सतो-महापरषो क सचच भ उन सब बदनािमयो की परवाह नही करत वरन व तो लग ही रहत ह सतो क दवी काय म

ठीक ही कहा हः इलजाम लगानवालो न इलजाम लगाय लाख मगर

तरी सौगात समझकर क हम िसर प उठाय जात ह ॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐ

अनबम

लीन ौी मा महगीबा [ परम पजय बापजी की लीन मातौी मा महगीबा (पजनीया अममा) क कछ मधर सःमरण ःवय

पजय बापजी क शबदो]

मरी मा का िदवय गरभाव मा बालक की थम गर होती ह बालक पर उसक लाख-लाख उपकार होत ह वयवहािरक दि स म

उनका पऽ था िफर भी मर ित उनकी गरिन ा िनराली थी

एक बार व दही खा रही थी तो मन कहाः दही आपक िलए ठीक नही रहगा

उनक जान (महायाण) क कछ समय पवर ही उनकी सिवका न मझ बताया िक अममा न िफर कभी दही नही खाया कयोिक गरजी न मना िकया था

इसी कार एक अनय अवसर पर मा भटटा (मकई) खा रही थी मन कहाः भटटा तो भारी होता ह बढ़ाप म दर स पचता ह कयो खाती हो

मा न भटट खाना भी छोड़ िदया िफर दसर-तीसर िदन उनह भटटा िदया गया तो व बोलीः गरजी न मना िकया ह गर ना बोलत ह को कया खाय

मा को आम बहत पसनद था िकत उनक ःवाःथय क अनकल न होन क कारण मन उसक िलए भी मना िकया तो मा न उस भी खाना छोड़ िदया

मा का िव ास बड़ा गज़ब का खा था एक बार कह िदया तो बात परी हो गयी अब उसम िवटािमनस ह िक नही मर िलए हािनकारक ह या अचछा उनको कछ सनन की जररत नही ह बाप न ना बोल िदया तो बात परी हो गयी

ौ ा की हद हो गयी ौ ा इतनी बढ़ गयी इतनी बढ़ गयी िक उसन िव ास का रप धारण कर िलया ौ ा और िव ास म फकर ह ौ ा सामनवाल की महानता को दखकर करनी पड़ती ह जबिक िव ास पदा होता ौीरामचिरतमानस म आता हः

भवानीशकरौ वनद ौ ािव ासरिपणौ मा पावरती ौ ा का और भगवान िशव िव ास का ःवरप ह य ौ ा और िव ास िजसम ह समझो वह

िशव-पावरतीःवरप हो गया मरी मा म पावरती का ःवरप तो था ही साथ म िशव का ःवरप भी था म एक बार जो कह दता उनक िलए वह पतथर पर लकीर हो जाता

पऽ म िदवय सःकार डालन वाली पणयशीला माताए तो इस धरा पर कई हो गयी िवनोबा भाव की माता न उनह बालयकाल स ही उचच सःकार डाल थ बालयकाल स ही िशवाजी म भारतीय सःकित की गिरमा एव अिःमता की रकषा क सःकार डालनवाली भी उनकी माता जीजाबाई ही थी लिकन पऽ को गर मानन का भाव दवहित क िसवाय िकसी अनय माता म मन आज तक नही दखा था

मरी मा पहल तो मझ पऽवत पयार करती थी लिकन जबस उनकी मर ित गर की नजर बनी तबस मर साथ पऽरप स वयवहार नही िकया व अपनी सिवका स हमशा कहती-

सा जी आय ह सा जी का जो खाना बचा ह वह मझ द द आिद-आिद एक बार की बात ह मा न मझस कहाः साद दो

हद हो गयी ऐसी ौ ा पऽ म इस कार की ौ ा कोई साधारण बात ह उनकी ौ ा को नमन ह बाबा

मरी य माता शरीर को जनम दनवाली माता तो ह ही भि मागर की गर भी ह समता म रहन वाली और समाज क उतथान की रणा दन वाली माता भी ह यही नही इन सबस बढ़कर इन माता न एक ऐसी गजब की भिमका अदा की ह िक िजसका उललख इितहास म कभी-कभार ही िदखाई पड़ता ह सितयो की मिहमा हमन पढ़ी सनी सनायी अपन पित को परमातमा माननवाली दिवयो की सची भी हम िदखा सकत ह लिकन पऽ म गरबि पऽ म परमातमबि ऐसी ौ ा हमन एक दवहित माता म दखी जो किपल मिन को अपना गर मानकर आतम-साकषातकार करक तर गयी और दसरी य माता मर धयान म ह

एक बार म अचानक बाहर चला गया और जब लौटा तो सिवका न बताया िक माताजी बात नही करती ह

मन पछाः कयो

सिवकाः व कहती ह िक सा मना कर गय ह िक िकसी स बात नही करना तो कयो बातचीत कर

मर िनकटवत कहलान वाल िशय भी मरी आजञा पर ऐसा अमल नही करत होग जसा इन दवीःवरपा माता न अमल करक िदखाया ह मा की ौ ा की कसी पराका ा ह मझ ऐसी मा का बटा होन का वयावहािरक गवर ह और जञानी गर का िशय होन का भी गवर ह

भ मझ जान दो मरी मा मझ बड़ आदर भाव स दखा करती थी जब उनकी उ करीब 86 वषर की थी तब उनका शरीर

काफी बीमार हो गया था डॉकटरो न कहाः लीवर और िकडनी दोनो खराब ह एक िदन स जयादा नही जी सक गी

23घणट बीत गय मन अपन व को भजा तो व भी उतरा हआ मह लकर मर पास आया और बोलाः बाप एक घणट स जयादा नही िनकाल पायगी मा

मन कहाः भाई त कछ तो कर मरा व ह इतन िचिकतसालय दखता ह

व ः बाप अब कछ नही हो सकगा

मा कराह रही थी करवट भी नही ल पा रही थी जब लीवर और िकडनी दोनो िनिबय हो तो कया करग आपक इजकशन और दवाए म गया मा क पास तो मा न इस ढग स हाथ जोड़ मानो जान की आजञा माग रही हो िफर धीर स बोली-

भ मझ जान दो

ऐसा नही िक बटा मझ जान दो नही नही मा न कहाः भगवान मझ जान दो भ मझ जान दो

मन उनक भ-भाव और भगवान भाव का जी भरकर फायदा उठाया और कहाः म नही जान दता तम कस जाती हो म दखता ह

मा बोलीः भ पर म कर कया

मन कहाः म ःवाःथय का मऽ दता ह

उवरर भिम पर उलटा-सीधा बीज बड़ तो भी उगता ह मा का दय ऐसा ही था मन उनको मऽ िदया और उनहोन रटना चाल िकया एक घणट म जो मरन की नौबत दख रही थी अब एक घणट क बाद उनक ःवाःथय म सधार शर हो गया िफर एक महीना दो महीन पाच महीन पिह महीन पचचीस महीन चालीस महीन ऐसा करत-करत साठ स भी जयादा महीन हो गय तब व 86 वषर की थी अभी 92 वषर पार कर गयी जब आजञा िमली रोकन का सकलप लगाया तो उस हटान का कतरवय भी मरा था अतः आजञा िमलन पर ही उनहोन शरीर छोड़ा गरआजञा-पालन का कसा दढ़ भाव

इचछाओ स परः मा महगीबा एक बार मन मा स कहाः आपको सोन म तौलग

लिकन उनक चहर पर हषर का कोई िच नजर नही आया मन पनः िहला-िहलाकर कहाः आपको सोन म तौलग सोन म

माः यह सब मझ अचछा नही लगता

मन कहाः तला हआ सोना मिहला आौम शःट म जमा करग िफर मिहलाओ और गरीबो की सवा म लगगा

मा- हा सवा म भल लग लिकन मर को तौलना-वौलना नही

सवणर महोतसव क पहल ही मा की याऽा परी हो गयी बाद म सवणर महोतसव क िनिम जो भी करना था वह िकया ही

मन कहाः आपका मिदर बनायग

मा- य सब कछ नही करना ह

म- आपकी कया इचछा ह हिर ार जाय

मा- वहा तो नहाकर आय

म- कया खाना ह यह खाना ह

मा- मझ अचछा नही लगता

कई बार िवनोद का समय िमलता तो हम पछत कई वािहश पछ-पछकर थक गय लिकन उनकी कोई वािहश हमको िदखी नही अगर उनकी कोई भी इचछा होती तो उनक इिचछत पदाथर को लान की सिवधा मर पास थी िकसी वयि स पऽ स पऽी स कटमबी स िमलन की इचछा होती तो उनस भी िमला दत कही जान की इचछा होती तो वहा ल जात लिकन उनकी कोई इचछा ही नही थी

न उनम कछ खान की इचछा थी न कही जान की न िकसी स िमलन की इचछा थी न ही यश-मान की तभी तो उनह इतना मान िमल रहा ह जहा मान-अपमान सब ःवपन ह उसम उनकी िःथित हई इसीिलए ऐसा हो रहा ह

इस सग स करोड़ो-करोड़ो लोगो को समम मानव-जाित को जरर रणा िमलगी

अनबम

जीवन म कभी फिरयाद नही मन अपनी मा को कभी कोई फिरयाद करत हए नही दखा िक मझ इसन दःख िदया उसन क

िदया यह ऐसा ह जब हम घर पर थ तब बड़ा भाई जाकर मर बार म मा स फिरयाद िक वह तो दकान पर आता ही नही ह

मा मझस कहती- अब कया कर वह तो ऐसा बोलता ह

जब मा आौम म रहन लगी तब भी आौम की बिचचयो की कभी फिरयाद नही आौम क बचचो की कभी फिरयाद नही कसा मक जीवन ऐसी आतमाए धरती पर कभी-कभार ही आती ह इसीिलए वह वसनधरा िटकी हई ह मझ इस बात का बड़ा सतोष ह िक ऐसी तपिःवनी माता की कोख स यह शरीर पदा हआ ह

उनक िच की िनमरलता स मझ तो बड़ी मदद िमली आप लोगो को भी बड़ा अचछा लगता होगा मझ तो लगता ह िक जो भी मिहलाए मा क िनकट आयी होगी उनक दय म माता क ित अहोभाव जग ही गया होगा

म तो सत की मा ह य लोग साधारण ह ऐसा भाव कभी िकसी न उनम नही दखा अथवा हम बड़ ह पजन यो य ह लोग हम णाम कर मान द ऐसा िकसी न उनम नही दखा अिपत यह जरर दखा ह िक व िकसी को णाम नही करन दती थी

ऐसी मा क सपकर म हम आय ह तो हम भी ऐसा िच बनाना चािहए िक हम भी सख-दःख म सम रह अपनी आवयकताए कम कर दय म भदभाव न रह सबक मगल का भाव रख

अनबम

बीमारो क ित मा की करणा

मझ इस बात का पता अभी तक नही थी अभी रसोइय न और दसर लोगो न बताया िक जब भी कोई आौमवासी बीमार पड़ जाता तो मा उसक पास ःवय चली जाती थी सचालक रामभाई न बताया िक एक बार म बहत बीमार पड़ गया तो मा आयी और मर ऊपर स कछ उतारा करक उस अि न म फ क िदया उनहोन ऐसा तीन िदन तक िकया और म ठीक हो गया

दसर लड़को न भी बताया िक हमको भी कभी कछ होता और मा को पता चलता तो व दखन आ ही जाती थी

एक बार आौम म िकसी मिहला को बखार हो गया तो मा ःवय उसका िसर दबान बठ गयी मिहला आौम म भी कोई सािधका बीमार पड़ती तो मा उसका धयान रखती यिद वह ऊपर क कमर म होती तो मा कहती- बचारी को नीच का कमरा दो बीमारी म ऊपर-नीच आना-जाना नही कर पायगी ऐसा था उनका परदःखकातर दय

अनबम

कोई कायर घिणत नही ह एक बार आौम क एक बजगर साधक न एक लड़क का कचछा-लगोट गदा दखा तो उसको फटकार

लगायी लिकन मा तो ऐस कई कचछ-लगोट चपचाप धोकर बचचो क कमर क िकनार रख दती थी कई गद-मल कचछ िजनह खद भी धोन म घणा होती हो ऐस कपड़ो को धोकर मा बचचो क कमरो क िकनार चपचाप रख िदया करती

कसा उदार दय रहा होगा मा का कसा िदवय वातसलयभाव रहा होगा अतः करण म वयावहािरक वदानत की कसी िदवय धारा रही होगी सभी क ित कसी िदवय सतान भावना रही होगी

सफाई क िजस कायर को लोग घिणत समझत ह उस कायर को करन म भी मा को घणा नही होती थी िकतनी उनकी महानता सचमच व शबरी मा ही थी

अनबम

ऐसी मा क िलए शोक िकस बात का िजस िदन मर सदगरदव का महािनवारण हआ उसी िदन मरी माता का भी महािनवारण हआ 4 नवमबर

1999 तदनसार एकादशी का िदन काितरक का महीना गजरात क मतािबक आि न सवत 2055 एव गरवार न इजकशन भकवाय न आकसीजन पर रही न अःपताल म भत हई वरन आौम की एकात जगह पर ा महतर म 5 बजकर 37 िमनट पर िबना िकसी ममता- आसि क उनका न र दह छटा पछी िपजरा छोड़कर आजाद हआ हआ तो शोक िकस बात का

वयवहारकाल म लोग बोलत ह िक बाप जी यह शोक की वला ह हम सब आपक साथ ह ठीक ह यह वयवहार की भाषा ह लिकन सचची बात तो यह ह िक मझ शोक हआ ही नही ह मझम तो बड़ी शाित बड़ी समता ह कयोिक मा अपना काम बनाकर गयी ह

सत मर कया रोइय व जाय अपन घर मा न आतमजञान क उजाल म दह का तयाग िकया ह शरीर स ःवय को पथक मानन की उनकी रिच

थी वासना को िमटान की कजी उनक पास थी यश और मान स व कोसो दर थी ॐॐ का िचतन-गजन करक अतमरन म याऽा करक दो िदन क बाद व िवदा ह

जस किपल मिन की मा दवहित आतमारामी हई ऐस ही मा महगीबा आतमारामी होकर न र चोल को छोड़कर शा त स ा म लीन ह अथवा सकलप करक कही भी कट हो सक ऐसी दशा म पहची ऐसी मा क िलए शोक िकस बात का

िजनक जीवन म कभी िकसी क िलए फिरयाद नही रही ऐसी आतमाए धरती पर कभी-कभार ही आती ह इसीिलए यह वसनधरा िटकी हई ह

मझ इस बात का भी सतोष ह िक आिखरी िदनो म म उनक ऋण स थोड़ा म हो पाया इधर-उधर क कई कायरबम होत रहत थ लिकन हम कायरबम ऐस ही बनात िक मा याद कर और हम पहच जाय

मर गरजी जब इस ससार स िवदा हए तो उनहोन भी मरी ही गोद म महायाण िकया और मरी मा क महािनवारण क समय भी भगवान न मझ यह अवसर िदया-इस बात का मझ सतोष ह

मगल मनाना यह तो हमारी सःकित म ह लिकन शोक मनाना ETH यह हमारी सःकित म नही ह हम ौीरामचिजी का ाकटय िदवस ETH रामनवमी बड़ी धमधाम स मनात ह लिकन ौीकण और ौीरामजी िजस िदन िवदा हए उस हम शोकिदवस क रप म नही मनात ह हम उस िदन का पता ही नही ह

शोक और मोह ETH य आतमा की ःवाभािवक दशाए नही ह शोक और मोह तो जगत को सतय मानन की गलती स होता ह इसीिलए अवतारी महापरषो की िवदाई का िदन भी हमको याद नही िक िकस िदन व िवदा हए और हम शोक मनाय

हा िकनही-िकनही महापरषो की िनवारण ितिथ जरर मनात ह जस वालमीिक िनवारण ितिथ ब की िनवारण ितिथ कबीर नानक ौीरामकणपरमहस अथवा ौीलीलाशाहजी बाप आिद व ा महापरषो की िनवारण ितिथ मनात ह लिकन उस ितिथ को हम शोक िदवस क रप म नही मनात वरन उस ितिथ को हम मनात ह उनक उदार िवचारो का चार-सार करन क िलए उनक मागिलक काय स सतरणा पान क िलए

हम शोक िदवस नही मनात ह कयोिक सनातन धमर जानता ह िक आपका ःवभाव अजर अमर अजनमा शा त और िनतय ह और मतय शरीर की होती ह हम भी ऐसी दशा को ा हो इस कार क सःमरणो का आदान-दान िनवारण ितिथ पर करत ह महापरषो क सवाकाय का ःमरण करत ह एव उनक िदवय जीवन स रणा पाकर ःवय भी उननत हो सक ETH ऐसी उनस ाथरना करत ह

(परम पजय सत ौी आसारामजी बाप की पजनीया मातौी मा महगीबा अथारत हम सबकी पजनीया अममा क िवशाल एव िवराट वयि तव का वणरन करना मानो गागर म सागर को समान की च ा करना वातसलय और म की साकषात मितर परोपकािरता एव परदःखकातरता स पलािवत दय िदवय गरिन ा ःवावलबन एव कमरिन ा िनरािभमानता की मितर भारतीय सःकित की रकषक िकन-िकन गणो का वणरन कर िफर भी उनक महान जीवन की वािटका क कछ प यहा ःतत करत ह िजनका सौरभ जन-जन को सरिभत िकय िबना न रह सकगा)

अनबम

अममा की गरिन ा अममा अथारत पणर िनरिभमािनता का मतर ःवरप उनका परोपकारी सरल ःवभाव िनकाम सवाभाव एव

परिहतिचतन िकसी को भी उनक चरणो म ःवाभािवक ही झकन क िलए िरत कर द अनको साधक जब अममा क दशरन करन क िलए जात तब कई बार ससार क ताप स त दय उनक समकष खल जातः अममा आप आशीवारद दो न म परशािनयो स छट जाऊ

अममा का गरभ दय सामन वाल क दय म उतसाह एव उमग का सचार कर दता एव उसकी गरिन ा को मजबत बना दता व कहती- गरदव बठ ह न हमशा उनहीस ाथरना करो िक ह गरवर हम आपक साथ का यह समबनध सदा क िलए िनभा सक ऐसी कपा करना हम गर स िनभाकर ही इस ससार स जाय मागना हो तो गरदव की भि ही मागना म भी उनक पास स यही मागती ह अतः तमह मरा आशीवारद नही अिपत गरदव का अनमह मागत रहना चािहए व ही हम िहममत दग बल दग व शि दाता ह न

साधना-पथ पर चलनवाल गरभ ो को अममा का यह उपदश अपन दयपटल पर ःवणारकषरो म अिकत कर लना चािहए

अनबम

ःवावलबन एव परदःखकातरता अममा ातःकाल सय दय स पवर 4-5 बज उठ जाती और िनतयकमर स िनव होकर पहल अपन िनयम

करती िकतना भी कायर हो पर एक घणटा तो जप करती ही थी यह बात तब की ह जब तक उनक शरीर न उनका साथ िदया जब शरीर व ावःथा क कारण थोड़ा अश होन लगा तो िफर तो िदन भर जप करती रहती थी

82 वषर की अवःथा तक तो अममा अपना भोजन ःवय बनाकर खाती थी आौम क अनय सवाकायर करती रसोईघर की दखरख करती बगीच म पानी िपलाती सबजी आिद तोड़कर लाती बीमार का हालचाल पछकर आती एव रािऽ म भी एक-दो बज आौम का चककर लगान िनकल पड़ती यिद शीतकाल का मौसम

होता कोई ठड स िठठर रहा होता तो चपचाप उस कबल ओढ़ा आती उस पता भी नही चलता और वह शाित स सो जाता उस शाित स सोत दखकर अममा का मात दय सतोष की सास लता इसी कार गरीबो म भी ऊनी व ो एव कबलो का िवतरण पजनीया अममा करती-करवाती

उनक िलए तो कोई भी पराया न था चाह आौमवासी बचच हो या सड़क पर रहन वाल दिरिनारायण सबक िलए उनक वातसलय का झरना सदव बहता ही रहता था िकसी को कोई क न हो दःख न हो पीड़ा न हो इसक िलए ःवय को क उठाना पड़ तो उनह मजर था पर दसर की पीड़ा दसर का क उनस न दखा जाता था

उनम ःवावलबन एव परदःखकातरता का अदभत सिममौण था वह भी इस तरह िक उसका कोई अह नही कोई गवर नही सबम परमातमा ह अतः िकसी को दःख कयो पहचाना यह सऽ उनक पर जीवन म ओतोत नजर आता था वयवहार तो ठीक वाणी क ारा भी कभी िकसी का िदल अममा न दखाया हो ऐसा दखन म नही आया

सचमच पजनीया अममा क य सदगण आतमसात करक तयक मानव अपन जीवन को िदवय बना सकता ह

अनबम

अममा म मा यशोदा जसा भाव जब अममा पािकःतान म थी तब तो िनतय िनयम स छाछ-मकखन बाटा ही करती थी लिकन भारत म

आन पर भी उनका यह बम कभी नही टटा अपन आौम-िनवास क दौरान अममा अपन हाथो स ही छाछ िबलोती एव लोगो म छाछ-मकखन बाटती जब तक शरीर न साथ िदया तब तक ःवय दही िबलोवा लिकन 82 वषर की अवःथा क बाद जब शरीर असमथर हो गया तब भी दसरो स मकखन िनकलवाकर बाटा करती

अपन जीवन क अितम 3-4 वषर अममा न एकदम एकात शात ःथल शाित वािटका म िबताय वहा भी अममा कभी-कभार आौम स मकखन मगवाकर वािटका क साधको को दती

अपनी जीवनलीला समा करन स 4-5 महीन पवर अममा िहममतनगर आौम म थी वहा तो मकखन िमलता भी नही था तब अमदावाद आौम स मकखन मगवाकर वहा क साधको म बटवाया सबको मकखन बाटन म पजनीया अममा बड़ी ति का अनभव करती ऐसा लगता मानो मा यशोदा अपन गोप-बालको को मकखन िखला रही हो

अनबम

दन की िदवय भावना अममा िकसी को साद िलए िबना न जान दती थी यह तो उनक सपकर म आन वाल तयक वयि

का अनभव ह

नवरािऽ की घटना ह एक बार आगरा का एक भाई अममा को भट करन क िलए एक गलदःता लकर आया दशरन करक वह भाई तो चला गया सिवका को उस साद दना याद न रहा अममा को इस बात का बड़ा दःख हआ िक वह भाई साद िलए िबना चला गया अचानक वह भाई िकसी कारणवश पनः अममा की कटीर क पास आया उस बलाकर अममा न साद िदया तभी उनको चन पड़ा

ऐसा तो एक-दो का नही सकड़ो-हजारो का अनभव ह िक आगनतक को साद िदय िबना अममा नही जान दती थी दना दना और दना यही उनका ःवभाव था वह दना भी कसा िक कोई सकीणरता नही दन का कोई अिभमान नही

ऐसी स दय एव परोपकारी मा क यहा यिद सत अवतिरत न हो तो कहा हो

अनबम

गरीब कनयाओ क िववाह म मदद पजनीया मा का ःवभाव अतयत परोपकारी था गरीबो की वदना उनक दय को िपघलाकर रख दती

थी कभी भी िकसी की दःख-पीड़ा की बात उनक कानो तक पहचती तो िफर उसकी सहायता कस करनी ह ETH इसी बात का िचतन मा क मन म चलता रहता था और जब तक उस यथा यो य मदद न िमल जाती तब तक व चन स बठती तक नही

एक गरीब पिरवार म कनया की शादी थी जब पजनीया मा को इस बात का पता चला तो उनहोन अतयत दकषता क साथ उस मदद करन की योजना बना डाली उस पिरवार की आिथरक िःथित जानकर लड़की क िलए व एव आभषण बनवा िदय और शादी क खचर का बोझ कछ हलका हो ETH इस ढग स आिथरक मदद भी की और वह भी इस तरह स िक लन वाल को पता तक न चल पाया िक यह सब पजनीया मा क दयाल ःवभाव की दन ह कई गरीब पिरवारो को पजनीया मा की ओर स कनया की शादी म यथायो य सहायता इस कार स िमलती रहती थी मानो उनकी अपनी बटी की शादी हो

अनबम

अममा का उतसव म भारतीय सःकित क तयक पवर तयोहारो को मनान क िलए अममा सभी को ोतसािहत िकया करती थी

एव ःवय भी पवर क अनरप सबको साद बाटा करती थी जस मकर-सबाित पर ितल क ल ड आिद आौम क पसो स दान का बोझ न चढ़ इसिलए अपन जय पऽ जठानद स पस लकर पजनीया अममा पव पर साद बाटा करती

िसिधयो का एक िवशष तयोहार ह तीजड़ी जो रकषाबनधन क तीसर िदन आता ह उस िदन चाद क दशरन पजन करक ही ि या भोजन करती ह अममा की सिवका न भी तीजड़ी का ोत रखा था उस व अममा िहममतनगर म थी रािऽ हो चकी थी सिवका न अममा स भोजन क िलए ाथरना की तो अममा बोल

पड़ी- त चाद दखकर खायगी नयाणी (कनया) भखी रह और म खाऊ नही जब चाद िदखगा म भी तभी खाऊगी

अममा भी चाद की राह दखत हए कस पर बठी रही जब चाद िदखा तब अपनी सिवका क साथ ही अममा न रािऽ-भोजन िकया कसा मात दय था अममा का िफर हम उनह जगजजननी न कह तो कया कह

अनबम

तयक वःत का सदपयोग होना चािहए अममा अमदावाद आौम म रहती थी तब की यह बात ह कई लोग आौम म दशरन करन क िलए

आत बड़ बादशाह की पिरबमा करत एव वहा का जल ल जात यिद उनह पानी की खाली बोतल न िमलती तो अममा क पास आ जात एव अममा उनह बोतल द दती अममा क पास इतनी सारी बोतल कहा स आती थी जानत ह अममा पर आौम म चककर लगाती तब यऽ-तऽ पड़ी हई फ क दी गयी बोतल ल आती उस गमर पानी एव साबन स साफ करक सभालकर रख दती और जररतमदो को द दती

इसी कार िशिवरो क उपरात कई लोगो की चपपल पड़ी होती थी उनकी जोड़ी बनाकर रखती एव उनह गरीबो म बाट दती

ऐसा था उनका खराब म स अचछा बनान का ःवभाव म िव सनीय सत की मा ह यह अिभमान तो उनह छ तक न सका था बस तयक चीज का सदपयोग होना चािहए िफर वह खान की चीज हो या पहनन-ओढ़न की

अनबम

अह स पर अममा क सवाकायर का कषऽ िजतना िवशाल था उतनी ही उनकी िनिभमानता भी महान थी उनक

सवाकायर का िकसी को पता चल जाता तो उनह अतयत सकोच होता इसीिलए उनहोन अपना सवाकषऽ इस कार िवकिसत िकया िक उनक बाय हाथ को पता न चलता िक दाया हाथ कौन सी सवा कर रहा ह

यिद कोई कतजञता वय करन क िलए उनह णाम करन आता तो व नाराज हो जाती अतः उनकी सिवका इस बात की बड़ी सावधानी रखती िक कोई अममा को णाम करन न आय

िजनहोन जीवन म कवल दना ही सीखा और िसखाया हो उनस नमन का ऋण भी सहन नही होता था व कवल इतना ही कहती- िजसन सब िदया ह उस परमातमा को ही नमन कर

उनकी मक सवा क आग मःतक अपन-आप झक जाता ह उनकी िनरिभमानता िनकामता एव मक सवा की भावना यगो-यगो तक लोगो क िलए रणादायी एव पथ-दशरक बनी रहगी

अनबम(सकिलत)

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मीराबाई की गरभि (मीराबाई की दढ़ भि को कौन नही जानता उनही क कछ पदो ारा उनक जीवन सग पर काश

डालत हए पजजौी कह रह ह)

भि मती मीराबाई का एक िस भजन हः

पग घघर बाध मीरा नाची र लोग कह मीरा भई र बावरी सास कह कलनासी र िबष को पयालो राणाजी भजयो

पीवत मीरा हासी र म तो अपन नारायण की आपिह हो गइ दासी र मीरा क भ िगरधर नागर

सहज िमलया अिबनासी र एक बार सत रदास जी िचतौड़ पधार थ रदासजी रघ चमार क यहा जनम थ उनकी छोटी जाित थी

और उस समय जात-पात का बड़ा बोल बाला था व नगर स दर चमारो की बःती म रहत थ राजरानी मीरा को पता चला िक सत रदासजी महाराज पधार ह लिकन राजरानी क वश म वहा कस जाय मीरा एक मोची मिहला का वश बनाकर चपचाप रदासजी क पास चली जाती उनका सतसग सनती उनक कीतरन और धयान म म न हो जाती

ऐसा करत-करत मीरा का स वगण दढ़ हआ मीरा न सोचाः ई र क राःत जाय और चोरी िछप जाय आिखर कब तक िफर मीरा अपन ही वश म उन चमारो की बःती म जान लगी

मीरा को उन चमारो की बःती म जात दखकर अड़ोस-पड़ोस म कानाफसी होन लगी पर मवाड़ म कहराम मच गया िक ऊची जाित की ऊच कल की राजघरान की मीरा नीची जाित क चमारो की बःती म जाकर साधओ क यहा बठती ह मीरा ऐसी ह वसी ह ननद उदा न उस बहत समझायाः

भाभी लोग कया बोलग तम राजकल की रानी और गदी बःती म चमारो की बःती म जाती हो चमड़ का काम करनवाल चमार जाित क एक वयि को गर मानती हो उसको मतथा टकती हो उसक हाथ स साद लती हो उसको एकटक दखत-दखत आख बद करक न जान कया-कया सोचती और करती हो यह ठीक नही ह भाभी तम सधर जाओ

सास नाराज ससर नाराज दवर नाराज ननद नाराज कटबीजन नाराज उदा न कहाः मीरा मान लीिजयो महारी तन सिखया बरज सारी

राणा बरज राणी बरज बरज सपिरवारी साधन क सग बठ बठ क लाज गवायी सारी

मीरा अब तो मान जा तझ म समझा रही ह सिखया समझा रही ह राणा भी कह रहा ह रानी भी कह रही ह सारा पिरवार कह रहा ह िफर भी त कयो नही समझती ह इन सतो क साथ बठ-बठकर त कल की सारी लाज गवा रही ह

िनत ित उठ नीच घर जाय कलको कलक लगाव

मीरा मान लीिजयो महारी तन बरज सिखया सारी तब मीरा न उ र िदयाः

तारयो िपयर सासिरयो तारयो मा मौसाली सारी मीरा न अब सदगर िमिलया चरणकमल बिलहारी

म सतो क पास गयी तो मन पीहर का कल तारा ससराल का कल तारा मौसाल का और निनहाल का कल भी तारा ह

मीरा की ननद पनः समझाती हः तन बरज बरज म हारी भाभी मानो बात हमारी राणा रोस िकया था ऊपर साधो म मत जारी

कल को दाग लग ह भाभी िनदा होय रही भारी साधो र सग बन बन भटको लाज गवायी सारी बड़ गर म जनम िलयो ह नाचो द द तारी

वह पायो िहदअन सरज अब िबदल म कोई धारी मीरा िगरधर साध सग तज चलो हमारी लारी तन बरज बरज म हारी भाभी मानो बात हमारी

उदा न मीरा को बहत समझाया लिकन मीरा की ौ ा और भि अिडग ही रही मीरा कहती ह िक अब मरी बात सनः

मीरा बात नही जग छानी समझो सधर सयानी साध मात िपता ह मर ःवजन ःनही जञानी

सत चरण की शरण रन िदन मीरा कह भ िगरधर नागर सतन हाथ िबकानी

मीरा की बात अब जगत स िछपी नही ह साध ही मर माता-िपता ह मर ःवजन ह मर ःनही ह जञानी ह म तो अब सतो क हाथ िबक गयी ह अब म कवल उनकी ही शरण ह

ननद उदा आिद सब समझा-समझाकर थक गय िक मीरा तर कारण हमारी इजजत गयी अब तो हमारी बात मान ल लिकन मीरा भि म दढ़ रही लोग समझत ह िक इजजत गयी िकत ई र की भि करन पर आज तक िकसी की लाज नही गयी ह सत नरिसह महता न कहा भी हः

हिर न भजता हजी कोईनी लाज जता नथी जाणी र मखर लोग समझत ह िक भजन करन स इजजत चली जाती ह वाःतव म ऐसा नही ह

राम नाम क शारण सब यश दीनहो खोय मरख जान घिट गयो िदन िदन दनो होय

मीरा की िकतनी बदनामी की गयी मीरा क िलए िकतन ष यऽ िकय गय लिकन मीरा अिडग रही तो मीरा का यश बढ़ता गया आज भी लोग बड़ म स मीरा को याद करत ह उनक भजनो को गाकर अथवा सनकर अपना दय पावन करत ह

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अनबम

राजकमारी मिललका बनी तीथकर मिललयनाथ जन धमर म कल 24 तीथकर हो चक ह उनम एक राजकनया भी तीथकर हो गयी िजसका नाम था

मिललयनाथ

राजकमारी मिललका इतनी खबसरत थी िक कई राजकमार व राजा उसक साथ बयाह रचाना चाहत थ लिकन वह िकसी को पसद नही करती थी आिखरकार उन राजकमारो व राजाओ न आपस म एक जट होकर मिललका क िपता को िकसी य म हरा कर मिललका का अपहरण करन की योजना बनायी

मिललका को इस बात का पता चल गया उसन राजकमारो व राजाओ को कहलवाया िक आप लोग मझ पर कबारन ह तो म भी आप सब पर कबारन ह ितिथ िनि त किरय आप लोग आकर बातचीत कर म आप सबको अपना सौनदयर द दगी

इधर मिललका न अपन जसी ही एक सनदर मितर बनवायी एव िनि त की गयी ितिथ स दो-चार िदन पहल स वह अपना भोजन उसम डाल िदया करती थी िजल हॉल म राजकमारी व राजाओ को मलाकात दनी थी उसी हॉल म एक ओर वह मितर रखवा दी गयी

िनि त ितिथ पर सार राजा व राजकमार आ गय मितर इतनी हबह थी िक उसकी ओर दखकर राजकमार िवचार ही कर रह थ िक अब बोलगीअब बोलगी इतन म मिललका ःवय आयी तो सार राजा व राजकमार उस दखकर दग रह गय िक वाःतिवक मिललका हमार सामन बठी ह तो यह कौन ह

मिललका बोलीः यह ितमा ह मझ यही िव ास था िक आप सब इसको ही सचची मानगऔर सचमच म मन इसम सचचाई छपाकर रखी ह आपको जो सौनदयर चािहए वह मन इसम छपाकर रखा ह

यह कहकर जयो ही मितर का ढककन खोला गया तयो ही सारा ककष दगरनध स भर गया िपछल चार-पाच िदन स जो भोजन उसम डाला गया था उसक सड़ जान स ऐसी भयकर बदब िनकल रही थी िक सब िछः-िछः कर उठ

तब मिललका न वहा आय हए सभी राजाओ व राजकमारो को समबोिधत करत हए कहाः भाइयो िजस अनन जल दध फल सबजी इतयािद को खाकर यह शरीर सनदर िदखता ह मन व ही खा -सामिमया चार-पाच िदनो स इसम डाल रखी थी अब य सड़ कर दगरनध पदा कर रही ह दगरनध पदा करन वाल इन खा ाननो स बनी हई चमड़ी पर आप इतन िफदा हो रह हो तो इस अनन को र बना कर सौनदयर दन वाला

यह आतमा िकतना सनदर होगा भाइयो अगर आप इसका याल रखत तो आप भी इस चमड़ी क सौनदयर का आकषरण छोड़कर उस परमातमा क सौनदयर की तरफ चल पड़त

मिललका की सारगिभरत बात सनकर कछ राजा एव राजकमार िभकषक हो गय और कछ न काम-िवकार स अपना िपणड छड़ान का सकलप िकया उधर मिललका सतशरण म पहच गयी तयाग और तप स अपनी आतमा को पाकर मिललयनाथ तीथकर बन गयी अपना तन-मन परमातमा को स पकर वह भी परमातममय हो गयी

आज भी मिललयनाथ जन धमर क िस उननीसव तीथकर क नाम स सममािनत होकर पजी जा रही ह

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अनबम

दगारदास की वीर जननी सन 1634 क फरवरी मास की घटना हः जोधपर नरश का सनापित आसकरण जसलमर िजल स गजर

रहा था जमल गाव म उसन दखा िक गाव क लोग डर क मार भागदौड़ मचा रह ह और पकार रह ह- हाय क हाय मसीबत बचाओ बचाओ

आसकरण न सोचा िक कही मगलो न गाव को लटना तो आरभ नही कर िदया अथवा िकसी की बह-बटी की इजजत तो नही लटी जा रही ह गाव क लोगो की चीख-पकार सनकर आसकरण वही रक गया

इतन म उसन दखा िक दो भस आपस म लड़ रही ह उन भसो न ही पर गाव म भगदड़ मचा रखी ह लिकन िकसी गाव वाल की िहममत नही हो रही ह िक पास म जाय सार लोग चीख रह थ मन दखी ह भसो की लड़ाई बड़ी भयकर होती ह

इतन म एक कनया आयी उसक िसर पर पानी क तीन घड़ थ उस कनया न सब पर नजर डाली और तीनो घड़ नीच उतार िदय अपनी साड़ी का पलल कसकर बाधा और जस शर हाथी पर टट पड़ता ह ऐस ही उन भसो पर टट पड़ी एक भस का सीग पकड़कर उसकी गरदन मरोड़न लगी भस उसक आग रभान लगी लिकन उसन भस को िगरा िदया दसरी भस पछ दबाकर भाग गयी

सनापित आसकरण तो दखता ही रह गया िक इतनी कोमल और सनदर िदखन वाली कनया म गजब की शि ह पर गाव की रकषा क िलए एक कनया न कमर कसी और लड़ती हई भस को िगरा िदया जरर यह दगार की उपासना करती होगी

उस कनया की गजब की सझबझ और शि दखकर सनापित आसकरण न उसक िपता स उसका हाथ माग िलया कनया का िपता गरीब था और एक सनापित हाथ माग रहा ह िपता क िलए इसस बढ़कर खशी की बात और कया हो सकती थी िपता न कनयादान कर िदया इसी कनया न आग चलकर वीर दगारदास जस पऽर को जनम िदया

एक कनया न पर जमल गाव को सरिकषत कर िदया साथ ही हजारो बह-बिटयो को यह सबक िसखा िदया िक भयजनक पिरिःथितयो क आग कभी घटन न टको लचच लफगो क आग कभी घटन न टको ौ सदाचारी सत-महातमा स भगवान और जगदबा स अपनी शि यो को जगान की योगिव ा सीख लो अपनी िछपी हई शि यो को जामत करो एव अपनी सतानो म भी वीरता भगवद भि एव जञान क सनदर सःकारो का िसचन करक उनह दश का एक उ म नागिरक बनाओ

राजःथान म तो आज भी बचचो को लोरी गाकर सनात ह- सालवा जननी एहा प जण ज हा दगारदास

अपन बचचो को साहसी उ मी धयरवान बि मान और शि शाली बनान का यास सभी माता-िपता को करना चािहए सभी िशकषको एव आचाय को भी बचचो म सयम-सदाचार बढ़ तथा उनका ःवाःथय मजबत बन इस हत आौम स कािशत यवाधन सरकषा एव योगासन पःतको का पठन-पाठन करवाना चािहए तािक भारत पनः िव गर की पदवी पर आसीन हो सक

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अनबम

कमरिन यामो यतः वि भरताना यन सवरिमद ततम

ःवकमरणा तम यचय िसि िवनदित मानवः िजस परमातमा स सवरभतो की उतपि हई ह और िजसस यह सवर जगत वया ह उस परम र क

अपन ःवाभािवक कम ारा पजकर मनय परम िसि को ा होता ह (ौीमदभगवदगीताः 1846)

अपन ःवाभािवक कमररपी पपो ारा सवरवयापक परमातमा की पजा करक कोई भी मनय परम िसि को ा हो सकता ह िफर भल ही वह कोई बड़ा सठ हो या छोटा-सा गरीब वयि

यामो नामक एक 13 वष या लड़की की शादी हो गयी साल भर बाद उसक पित की मतय हो गयी और वह लड़की 14 वषर की छोटी सी उ म ही िवधवा हो गयी यामो न सोचा िक अपन जीवन को आलसी मादी या िवलासी बनाना ETH यह समझदारी नही ह अतः उसन दसरी शादी न करक पिवऽ जीवन जीन का िन य िकया और इसक िलए अपन माता-िपता को भी राजी कर िलया उसक माता-िपता महागरीब थ

यामो सबह जलदी उठकर पाच सर आटा पीसती और उसम स कछ कमाई कर लती िफर नहा-धोकर थोड़ा पजा-पाठ आिद करक पनः सत कातन बठ जाती इस कार उसन अपन को कमर म लगाय रखा और जो काम करती उस बड़ी सावधानी एव ततपरता स करती ऐसा करन स उस नीद भी बिढ़या आती और थोड़ी दर पजा पाठ करती तो उसम भी मन बड़ मज स लग जाता ऐसा करत-करत यामो न दखा िक यहा स जो याऽी आत-जात ह उनह बड़ी पयास लगती यामो न आटा पीसकर सत कातकर िकसी क घर की रसोई

करक अपना तो पट पाला ही साथ ही करकसर करक जो धन एकिऽत िकया था अपन पर जीवन की उस सपि को लगा िदया पिथको क िलए कआ बनवान म मगर-भागलपर रोड पर िःथत वही पकका कआ िजस िपसजहारी कआ भी कहत ह आज भी यामो की कमरठता तयाग तपःया और परोपकािरता की खबर द रहा ह

पिरिःथितया चाह कसी भी आय िकत इनसान उनस हताश-िनराश न हो एव ततपरतापवरक शभ कमर करता रह तो िफर उसक सवाकायर भी पजा पाठ हो जात ह जो भगवदीय सख भगवतसतोष भगवतशाित भ या योगी क दय म भि भाव या योग स आत ह व ही भगवतीतयथर सवा करन वाल क दय म कट होत ह

14 वषर की उ म ही िवधवा हई यामो न दबारा शादी न करक अपन जीवन को पनः िवलािसता और िवकारो म गरकाब न िकया वरन पिवऽता सयम एव सदाचार का पालन करत हए ततपरता स कमर करती रही तो आज उसका पचभौितक शरीर भल ही धरती पर नही ह पर उसकी कमरठता परोपकािरता एव तयाग की यशोगाथा तो आज भी गायी जा रही ह

काश लड़न-झगड़न और कलह करन वाल लोग उसस रणा पाय घर कटमब व समाज म सवा और ःनह की सिरता बहाय तो हमारा भारत और अिधक उननत होगा गाव-गाव को गरकल बनाय घर-घर को गरकल बनाय

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अनबम

शि ःवरपा मा आनदमयी सयम म अदभत सामथयर ह िजसक जीवन म सयम ह िजसक जीवन म ई रोपासना ह वह सहज ही

म महान हो जाता ह आनदमयी मा का जब िववाह हआ तब उनका वयि तव अतयत आभासपनन थी शादी क बाद उनक पित उनह ससार-वयवहार म ल जान का यास करत रहत थ िकत आनदमयी मा उनह सयम और सतसग की मिहमा सनाकर उनकी थोड़ी सवा करक िवकारो स उनका मन हटा दती थी

इस कार कई िदन बीत ह त बीत कई महीन बीत गय लिकन आनदमयी मा न अपन पित को िवकारो म िगरन नही िदया

आिखरकार कई महीनो क प ात एक िदन उनक पित न कहाः तमन मझस शादी की ह िफर भी कयो मझ इतना दर दर रखती हो

तब आनदमयी मा न जवाब िदयाः शादी तो जरर की ह लिकन शादी का वाःतिवक मतलब तो इस कार हः शाद अथारत खशी वाःतिवक खशी ा करन क िलए पित-प ी एक दसर क सहायक बन न िक शोषक काम-िवकार म िगरना यह कोई शादी का फल नही ह

इस कार अनक यि यो और अतयत िवनता स उनहोन अपन पित को समझा िदया व ससार क कीचड़ म न िगरत हए भी अपन पित की बहत अचछी तरह स सवा करती थी पित नौकरी करक घर आत तो गमर-गमर भोजन बनाकर िखलाती

व घर भी धयाना यास िकया करती थी कभी-कभी ःटोव पर दाल चढ़ाकर छत पर खल आकाश म चिमा की ओर ऽाटक करत-करत धयानःथ हो जाती इतनी धयानम न हो जाती िक ःटोव पर रखी हई दाल जलकर कोयला हो जाती घर क लोग डाटत तो चपचाप अपनी भल ःवीकार कर लती लिकन अनदर स तो समझती िक म कोई गलत मागर पर तो नही जा रही ह इस कार उनक धयान-भजन का बम चाल ही रहा घर म रहत हए ही उनक पास एकामता का कछ सामथयर आ गया

एक रािऽ को व उठी और अपन पित को भी उठाया िफर ःवय महाकाली का िचतन करक अपन पित को आदश िदयाः महाकाली की पजा करो उनक पित न उनका पजन कर िदया आनदमयी मा म उनह महाकाली क दशरन होन लग उनहोन आनदमयी मा को णाम िकया

तब आनदमयी मा बोली- अब महाकाली को तो मा की नजर स ही दखना ह न

पितः यह कया हो गया

आनदमयी मा- तमहारा कलयाण हो गया

कहत ह िक उनहोन अपन पित को दीकषा द दी और साध बनाकर उ रकाशी क आौम म भज िदया

कसी िदवय नारी रही होगी मा आनदमयी उनहोन अपन पित को भी परमातमा क रग म रग िदया जो ससार की माग करता था उस भगवान की माग का अिधकारी बना िदया इस भारतभिम म ऐसी भी अनक सननािरया हो गयी कछ वषर पवर ही आनदमयी मा न अपना शरीर तयागा ह हिर ार म एक करोड़ बीस लाख रपय खचर करक उनकी समािध बनवायी गयी ह

ऐसी तो अनको बगाली लड़िकया थी िजनहोन शादी की पऽो को जनम िदया पढ़ाया-िलखाया और मर गयी शादी करक ससार वयवहार चलाओ उसकी ना नही ह लिकन पित को िवकारो म िगराना या प ी क जीवन को िवकारो म खतम करना यह एक-दसर क िमऽ क रप म एक-दसर क शऽ का कायर ह सयम स सतित को जनम िदया यह अलग बात ह िकत िवषय-िवकारो म फस मरन क िलए थोड़ ही शादी की जाती ह

बि मान नारी वही ह जो अपन पित को चयर पालन म मदद कर और बि मान पित वही ह जो िवषय िवकारो स अपनी प ी का मन हटाकर िनिवरकारी नारायण क धयान म लगाय इस रप म पित प ी दोनो सही अथ म एक दसर क पोषक होत ह सहयोगी होत ह िफर उनक घर म जो बालक जनम लत ह व भी ीव गौराग रमण महिषर रामकण परमहस या िववकानद जस बन सकत ह

मा आनदमयी को सतो स बड़ा म था व भल धानमऽी स पिजत होती थी िकत ःवय सतो को पजकर आनिदत होती थी ौी अखणडानदजी महाराज सतसग करत तो व उनक चरणो म बठकर सतसग सनती एक बार सतसग की पणारहित पर मा आनदमयी िसर पर थाल लकर गयी उस थाल म चादी का िशविलग था वह थाल अखणडानदजी को दत हए बोली-

बाबाजी आपन कथा सनायी ह दिकषणा ल लीिजए

मा- बाबाजी और भी दिकषणा ल लो

अखणडानदजीः मा और कया द रही हो

मा- बाबाजी दिकषणा म मझ ल लो न

अखणडानदजी न हाथ पकड़ िलया एव कहाः ऐसी मा को कौन छोड़ दिकषणा म आ गयी मरी मा

कसी ह भारतीय सःकित

हिरबाबा बड़ उचचकोिट क सत थ एव मा आनदमयी क समकालीन थ व एक बार बहत बीमार पड़ गय डॉकटर न िलखा हः उनका ःवाःथय काफी लड़खड़ा गया और मझ उनकी सवा का सौभा य िमला उनह र चाप भी था और दय की तकलीफ भी थी उनका क इतना बढ़ गया था िक नाड़ी भी हाथ म नही आ रही थी मन मा को फोन िकया िक मा अब बाबाजी हमार बीच नही रहग 5-10 िमनट क ही महमान ह मा न कहाः नही नही तम ौीहनमानचालीसा का पाठ कराओ म आती ह

मन सोचा िक मा आकर कया करगी मा को आत-आत आधा घणटा लगगा ौीहनमानचालीसा का पाठ शर कराया गया और िचिकतसा िवजञान क अनसार हिरबाबा पाच-सात िमनट म ही चल बस मन सारा परीकषण िकया उनकी आखो की पतिलया दखी पलस (नाड़ी की धड़कन) दखी इसक बाद ौीहनमानचालीसा का पाठ करन वालो क आगवान स कहा िक अब बाबाजी की िवदाई क िलए सामान इकटठा कर म अब जाता ह

घड़ी भर मा का इतजार िकया मा आयी बाबा स िमलन हमन मा स कहाः मा बाबाजी नही रह चल गय

माः नहीनही चल कस गय म िमलगी बात करगी

म- मा बाबा जी चल गय ह

मा- नही म बात करगी

बाबाजी का शव िजस कमर म था मा उस कमर म गयी अदर स कणडा बद कर िदया म सोचन लगा िक कई िडिमया ह मर पास मन भी कई कस दख ह कई अनभवो स गजरा ह धप म बदल सफद नही िकय ह अब मा दरवाजा बद करक बाबाजी स कया बात करगी

म घड़ी दखता रहा 45 िमनट हए मा न कणडा खोला एव हसती हई आयी उनहोन कहाः बाबाजी मरा आमह मान गय ह व अभी नही जायग

मझ एक धकका सा लगा व अभी नही जायग यह आनदमयी मा जसी हःती कह रही ह व तो जा चक ह

म- मा बाबाजी तो चल गय ह

मा- नही नही उनहोन मरा आमह मान िलया ह अभी नही जायग

म चिकत होकर कमर म गया तो बाबाजी तिकय को टका दकर बठ-बठ हस रह थ मरा िवजञान वहा तौबा पकार गया मरा अह तौबा पकार गया

बाबाजी कछ समय तक िदलली म रह चार महीन बीत िफर बोलः मझ काशी जाना ह

मन कहाः बाबाजी आपकी तबीयत काशी जान क िलए शन म बठन क कािबल नही ह आप नही जा सकत

बाबाजीः नही हम जाना ह हमारा समय हो गया

मा न कहाः डॉकटर इनह रोको मत इनह मन आमह करक चार महीन तक क िलए ही रोका था इनहोन अपना वचन िनभाया ह अब इनह मत रोको

बाबाजी गय काशी ःटशन स उतर और अपन िनवास पर रात क दो बज पहच भात की वला म व अपना न र दह छोड़कर सदा क िलए अपन शा त रप म वयाप गयldquo

Ocircबाबाजी वयाप गयOtilde य शबद डॉकटर न नही िलख Ocircन रOtilde आिद शबद नही िलख लिकन म िजस बाबाजी क िवषय म कह रहा ह व बाबाजी इतनी ऊचाईवाल रह होग

कसी ह मिहमा हमार महापरषो की आमह करक बाबा जी तक को चार महीन क िलए रोक िलया मा आनदमयी न कसी िदवयता रही ह हमार भारत की सननािरयो की

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अनबम

भौितक जगत म भाप की शि िव त की शि गरतवाकषरण की शि बड़ी मानी जाती ह मगर आतमबल उन सब शि यो का सचालक बल ह आतमबल क सािननधय म आकर पग ारबध को पर आ जात ह दव की दीनता पलायन हो जाती ह ितकल पिरिःथितया अनकल जो जाती ह आतमबल सवर िसि यो का िपता ह

नारी शरीर िमलन स अपन को अबला मानती हो लघतामिथ म उलझकर पिरिःथितयो म पीसी जाती हो अपना जीवन-दीन बना बठी हो तो अपन भीतर सष आतमबल को जगाओ शरीर चाह ी का हो चाह परष का कित क सााजय म जो जीत ह अपन मन क गलाम होकर जो जीत ह व ी ह और कित क बनधन स पार अपन आतमःवरप की पहचान िजनहोन कर ली अपन मन की गलामी की बिड़या तोड़कर िजनहोन फ क दी ह व परष ह ी या परष शरीर व मानयताए होती ह तम तो शरीर स पार िनमरल आतमा हो

जागो उठो अपन भीतर सोय हए आतमबल को जगाओ सवरदश सवरकाल म सव म आतमबल को अिजरत करो आतमा-परमातमा म अथाह सामथयर ह अपन को दीन-हीन अबला मान बठी तो जगत म ऐसी कोई स ा नही ह जो तमह ऊपर उठा सक अपन आतमःवरप म िति त हो गयी तो तीनो लोको म भी ऐसी कोई हःती नही जो तमह दबा सक

परम पजय सत ौी आसारामजी बाप

अभाव का ही अभाव कमीर म तकर र नयायाचायर पिडत रहत थ उनहोन चार पःतको की रचना की थी िजनस बड़-बड़

िव ान तक भािवत थ इतनी िव ता होत हए भी उनका जीवन अतयत सीधा-सादा एव सरल था उनकी प ी भी उनही क समान सरल एव सीधा-सादा जीवन-यापन करन वाली साधवी थी

उनक पास सपि क नाम पर एक चटाई लखनी कागज एव कछ पःतक तथा दो जोड़ी व थ व कभी िकसी स कछ मागत न थ और न ही दान का खात थ उनकी प ी जगल स मज काटकर लाती उसस रःसी बनाती और उस बचकर अनाज-सबजी आिद खरीद लाती िफर भोजन बना कर पित को म स िखलाती और घर क अनय कामकाज करती पित को तो यह पता भी न रहता िक घर म कछ ह या नही व तो बस अपन अधययन-मनन म मःत रहत

ऐसी महान साधवी ि या भी इस भारतभिम म हो चकी ह धीर-धीर पिडत जी की याित अनय दशो म भी फलन लगी अनय दशो क िव ान लोग आकर उनक दख कमीर क राजा शकरदव स कहन लगः

राजन िजस दश म िव ान धमारतमा पिवऽातमा दःख पात ह उस दश क राजा को पाप लगता ह आपक दश म भी एक ऐस पिवऽातमा िव ान ह िजनक पास खान पीन का िठकाना नही ह िफर भी आप उनकी कोई सभाल नही रखत

यह सनकर राजा ःवय पिडतजी की किटया म पहच गया हाथ जोड़कर उनस ाथरना करन लगाः भगवन आपक पास कोई कमी तो नही ह

पिडतजीः मन जो चार मनथ िलख ह उनम मझ तो कोई कमी नही िदखती आपको कोई कमी लगती हो तो बताओ

राजाः भगवन म शबदो की मनथ की कमी नही पछता ह वरन अनन जल व आिद घर क वयवहार की चीजो की कमी पछ रहा ह

पिडतजीः उसका मझ कोई पता नही ह मरा तो कवल एक भ स नाता ह उसी क ःमरण म इतना तललीन रहता ह िक मझ घर का कछ पता ही नही रहता

जो भगवान की ःमित म तललीन रहता ह उसक ार पर साट ःवय आ जात ह िफर भी उस कोई परवाह नही रहती

राजा न खब िवन भाव स पनः ाथरना की एव कहाः भगवन िजस दश म पिवऽातमा दःखी होत ह उस दश का राजा पाप का भागी होता ह अतः आप बतान की कपा कर िक म आपकी सवा कर

जस ही पिडतजी न य वचन सन िक तरत अपनी चटाई लपटकर बगल म दबा ली एव पःतको की पोटली बाधकर उस भी उठात हए अपनी प ी स कहाः चलो दवी यिद अपन यहा रहन स इन राजा को पाप का भागी होना पड़ता हो इस राजय को लाछन लगता हो तो हम लोग कही ओर चल अपन रहन स िकसी को दःख हो यह तो ठीक नही ह

यह सनकर राजा उनक चरणो म िगर पड़ा एव बोलाः भगवन मरा यह आशय न था वरन म तो कवल सवा करना चाहता था

िफर राजा पिडत जी स आजञा लकर उनकी धमरप ी क समकष जाकर णाम करत हए बोलाः मा आपक यहा अनन-जल-व ािद िकसी भी चीज की कमी हो तो आजञा कर तािक म आप लोगो की कछ सवा कर सक

पिडत जी की धमरप ी भी कोई साधारण नारी तो थी नही व भगवतपरायण नारी थी सच पछो तो नारी क रप म मानो साकषात नारायणी ही थी व बोली- निदया जल द रही ह सयर काश द रहा ह ाणो क िलए आवयक पवन बह ही रही ह एव सबको स ा दनवाला वह सवरस ाधीश परमातमा हमार साथ ही ह िफर कमी िकस बात की राजन शाम तक का आटा पड़ा ह लक़िडया भी दो िदन जल सक इतनी ह िमचर-मसाला भी कल तक का ह पिकषयो क पास तो शाम तक का भी िठकाना नही होता िफर भी व आनद स जी लत ह मर पास तो कल तक का ह राजन मर व अभी इतन फट नही िक म उनह पहन न सक िबछान क िलए चटाई एव ओढ़न क िलए चादर भी ह और म कया कह मरी चड़ी अमर ह और सबम बस हए मर पित का त व मझम भी धड़क रहा ह मझ अभाव िकस बात का बटा

पिडतजी की धमरप ी की िदवयता को दखकर राजा की भी गदगद हो उठा एव चरणो म िगरकर बोलाः मा आप गिहणी ह िक तपिःवनी यह कहना मिकल ह मा म बड़भागी ह िक आपक दशरन का सौभा य पा सका आपक चरणो म मर कोिट-कोिट णाम ह

जो लोग परमातमा का िनरतर ःमरण करत रहत ह उनह वश बदलन की फसरत ही नही होती जररत भी नही होती

जो परमातमा क िचतन म तललीन ह उनह ससार क अभाव का पता ही नही होता कोई साट आकर उनका आदर कर तो उनह हषर नही होता उसक ित आकषरण नही होता ऐस ही यिद कोई मखर आकर अनादर कर द तो शोक नही होता कयोिक हषर-शोक तो वि स भासत ह िजनकी परमातमा क शरण चली गयी ह उनह हषर-शोक सख-दःख क सग सतय ही नही भासत तो िडगा कस सकत ह उनह अभाव कस िडगा सकता ह उनक आग अभाव का भी अभाव हो जाता ह

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अनबम

मा अजना का सामथयर मा अजना न तप करक हनमान जस पऽ को पाया था व हनमानजी म बालयकाल स ही भगवदभि

क सःकार डाला करती थी िजसक फलःवरप हनमानजी म ौीराम-भि का ादभारव हो गया आग चलकर व भ क अननय सवक क रप म यात हए ETH यह तो सभी जानत ह

भगवान ौी राम रावण का वध करक मा सीता लआमण हनमान िवभीषण जाबवत आिद क साथ अयोधया लौट रह थ मागर म हनमान जी न ौीरामजी स अपनी मा क दशरन की आजञा मागी िक भ अगर आप आजञा द तो म माता जी क चरणो म मतथा टक आऊ

ौीराम न कहाः हनमान कया व कवल तमहारी ही माता ह कया व मरी और लखन की माता नही ह चलो हम भी चलत ह

पपक िवमान िकिकधा स अयोधया जात-जात काचनिगिर की ओर चल पड़ा और काचनिगरी पवरत पर उतरा ौीरामजी ःवय सबक साथ मा अजना क दशरन क िलए गय

हनमानजी न दौड़कर गदगद कठ एव अौपिरत नऽो स मा को णाम िकया वष बाद पऽ को अपन पास पाकर मा अजना अतयत हिषरत होकर हनमान का मःतक सहलान लगी

मा का दय िकतना बरसता ह यह बट को कम ही पता होता ह माता-िपता का िदल तो माता-िपता ही जान

मा अजना न पऽ को दय स लगा िलया हनमान जी न मा को अपन साथ य लोगो का पिरचय िदया िक मा य ौीरामचनिजी ह य मा सीताजी ह और य लखन भया ह य जाबवत जी ह य मा सीताजी ह और य लखन भया ह य जाबवत जी ह आिद आिद

भगवान ौीराम को दखकर मा अजना उनह णाम करन जा ही रही थी िक ौीरामजी न कहाः मा म दशरथपऽ राम आपको णाम करता ह

मा सीता व लआमण सिहत बाकी क सब लोगो न भी उनको णाम िकया मा अजना का दय भर आया उनहोन गदगद कठ एव सजल नऽो स हनमान जी स कहाः बटा हनमान आज मरा जनम सफल हआ मरा मा कहलाना सफल हआ मरा दध तन साथरक िकया बटा लोग कहत ह िक मा क ऋण स बटा कभी उऋण नही हो सकता लिकन मर हनमान त मर ऋण स उऋण हो गया त तो मझ मा कहता ही ह िकत आज मयारदा परषो म ौीराम न भी मझ मा कहा ह अब म कवल तमहारी ही मा नही ौीराम लखन शऽ न और भरत की भी मा हो गयी इन अस य पराबमी वानर-भालओ की भी मा हो गयी मरी कोख साथरक हो गयी पऽ हो तो तर जसा हो िजसन अपना सवरःव भगवान क चरणो म समिपरत कर िदया और िजसक कारण ःवय भ न मर यहा पधार कर मझ कताथर िकया

हनमानजी न िफर स अपनी मा क ौीचरणो म मतथा टका और हाथ जोड़त हए कहाः मा भ जी का राजयािभषक होनवाला था परत मथरा न ककयी को उलटी सलाह दी िजसस भजी को 14 वषर का बनवास एव भरत को राजग ी िमली राजग ी अःवीकार करक भरतजी उस ौीरामजी को लौटान क िलए आय लिकन िपता क मनोरथ को िस करन क िलए भाव स भ अयोधया वापस न लौट

मा द रावण की बहन शपरणखा भजी स िववाह क िलए आमह करन लगी िकत भजी उसकी बातो म नही आय लखन जी भी नही आय और लखन जी न शपरणखा क नाक कान काटकर उस द िदय अपनी बहन क अपमान का बदला लन क िलए द रावण ा ण का रप लकर मा सीता को हरकर ल गया

करणािनधान भ की आजञा पाकर म लका गया और अशोक वािटका म बठी हई मा सीता का पता लगाया तथा उनकी खबर भ को दी िफर भ न समि पर पल बधवाया और वानर-भालओ को साथ लकर राकषसो का वध िकया और िवभीषण को लका का राजय दकर भ मा सीता एव लखन क साथ अयोधया पधार रह ह

अचानक मा अजना कोपायमान हो उठी उनहोन हनमान को धकका मार िदया और बोधसिहत कहाः हट जा मर सामन तन वयथर ही मरी कोख स जनम िलया मन तझ वयथर ही अपना दध िपलाया तन मर दध को लजाया ह त मझ मह िदखान कयो आया

ौीराम लखन भयासिहत अनय सभी आ यरचकित हो उठ िक मा को अचानक कया हो गया व सहसा किपत कयो हो उठी अभी-अभी ही तो कह रही थी िक मर पऽ क कारण मरी कोख पावन हो गयी इसक कारण मझ भ क दशरन हो गय और सहसा इनह कया हो गया जो कहन लगी िक तन मरा दध लजाया ह

हनमानजी हाथ जोड़ चपचाप माता की ओर दख रह थ सवरतीथरमयी माता सवरदवमयो िपता माता सब तीथ की ितिनिध ह माता भल बट को जरा रोक-टोक द लिकन बट को चािहए िक नतमःतक होकर मा क कड़व वचन भी सन ल हनमान जी क जीवन स यह िशकषा अगर आज क बट-बिटया ल ल तो व िकतन महान हो सकत ह

मा की इतनी बात सनत हए भी हनमानजी नतमःतक ह व ऐसा नही कहत िक ऐ बिढ़या इतन सार लोगो क सामन त मरी इजजत को िमटटी म िमलाती ह म तो यह चला

आज का कोई बटा होता तो ऐसा कर सकता था िकत हनमानजी को तो म िफर-िफर स णाम करता ह आज क यवान-यवितया हनमानजी स सीख ल सक तो िकतना अचछा हो

मर जीवन म मर माता-िपता क आशीवारद और मर गरदव की कपा न कया-कया िदया ह उसका म वणरन नही कर सकता ह और भी कइयो क जीवन म मन दखा ह िक िजनहोन अपनी माता क िदल को जीता ह िपता क िदल की दआ पायी ह और सदगर क दय स कछ पा िलया ह उनक िलए िऽलोकी म कछ भी पाना किठन नही रहा सदगर तथा माता-िपता क भ ःवगर क सख को भी तचछ मानकर परमातम-साकषातकार की यो यता पा लत ह

मा अजना कह जा रही थी- तझ और तर बल पराबम को िधककार ह त मरा पऽ कहलान क लायक ही नही ह मरा दध पीन वाल पऽ न भ को ौम िदया अर रावण को लकासिहत समि म डालन म त समथर था तर जीिवत रहत हए भी परम भ को सत-बधन और राकषसो स य करन का क उठाना पड़ा तन मरा दध लिजजत कर िदया िधककार ह तझ अब त मझ अपना मह मत िदखाना

हनमानजी िसर झकात हए कहाः मा तमहारा दध इस बालक न नही लजाया ह मा मझ लका भजन वालो न कहा था िक तम कवल सीता की खबर लकर आओग और कछ नही करोग अगर म इसस अिधक कछ करता तो भ का लीलाकायर कस पणर होता भ क दशरन दसरो को कस िमलत मा अगर म

भ-आजञा का उललघन करता तो तमहारा दध लजा जाता मन भ की आजञा का पालन िकया ह मा मन तरा दध नही लजाया ह

तब जाबवतजी न कहाः मा कषमा कर हनमानजी सतय कह रह ह हनमानजी को आजञा थी िक सीताजी की खोज करक आओ हम लोगो न इनक सवाकायर बाध रख थ अगर नही बाधत तो भ की िदवय िनगाहो स दतयो की मि कस होती भ क िदवय कायर म अनय वानरो को जड़न का अवसर कस िमलता द रावण का उ ार कस होता और भ की िनमरल कीितर गा-गाकर लोग अपना िदल पावन कस करत मा आपका लाल िनबरल नही ह लिकन भ की अमर गाथा का िवःतार हो और लोग उस गा-गाकर पिवऽ हो इसीिलए तमहार पऽ की सवा की मयारदा बधी हई थी

ौीरामजी न कहाः मा तम हनमान की मा हो और मरी भी मा हो तमहार इस सपत न तमहारा दध नही लजाया ह मा इसन तो कवल मरी आजञा का पालन िकया ह मयारदा म रहत हए सवा की ह समि म जब मनाक पवरत हनमान को िवौाम दन क िलए उभर आया तब तमहार ही सत न कहा था

राम काज कीनह िबन मोिह कहा िबौाम मर कायर को परा करन स पवर तो इस िवौाम भी अचछा नही लगता ह मा तम इस कषमा कर दो

रघनाथ जी क वचन सनकर माता अजना का बोध शात हआ िफर माता न कहाः अचछा मर पऽ मर वतस मझ इस बात का पता नही था मरा पऽ मयारदा परषो म का सवक

मयारदा स रह ETH यह भी उिचत ही ह तन मरा दध नही लजाया ह वतस

इस बीच मा अजना न दख िलया िक लआमण क चहर पर कछ रखाए उभर रही ह िक अजना मा को इतना गवर ह अपन दध पर मा अजना भी कम न थी व तरत लआमण क मनोभावो को ताड़ गयी

लआमण तमह लगता ह िक म अपन दध की अिधक सराहना कर रही ह िकत ऐसी बात नही ह तम ःवय ही दख लो ऐसा कहकर मा अजना न अपनी छाती को दबाकर दध की धार सामनवाल पवरत पर फ की तो वह पवरत दो टकड़ो म बट गया लआमण भया दखत ही रह गय िफर मा न लआमण स कहाः मरा यही दध हनमान न िपया ह मरा दध कभी वयथर नही जा सकता

हनमानजी न पनः मा क चरणो म मतथा टका मा अजना न आशीवारद दत हए कहाः बटा सदा भ को ौीचरणो म रहना तरी मा य जनकनिदनी ही ह त सदा िनकपट भाव स अतयत ौ ा-भि पवरक परम भ ौी राम एव मा सीताजी की सवा करत रहना

कसी रही ह भारत की नािरया िजनहोन हनमानजी जस पऽो को जनम ही नही िदया बिलक अपनी शि तथा अपन ारा िदय गय सःकारो पर भी उनका अटल िव ास रहा आज की भारतीय नािरया इन आदशर नािरयो स रणा पाकर अपन बचचो म हनमानजी जस सदाचार सयम आिद उ म सःकारो का िसचन कर तो वह िदन दर नही िजस िदन पर िव म भारतीय सनातन धमर और सःकित की िदवय पताका पनः लहरायगी

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अनबम

  • सयमनिषठ सयशा
  • अदभत आभासमपनन रानी कलावती
  • उततम जिजञासः मतरयी
  • बरहमवादिनी विदषी गारगी
  • अथाह शकति की धनीः तपसविनी शाणडालिनी
  • सती सावितरी
  • मा सीता की सतीतव-भावना
  • आरत भकत दरौपदी
  • दवी शकतियो स समपनन गणमजरी दवी
  • विवक की धनीः करमावती
  • वासतविक सौनदरय
  • आतमविदया की धनीः फलीबाई
  • आनदीबाई की दढ शरदधा
  • करमाबाई की वातसलय-भकति
  • साधवी सिरमा
  • मकताबाई का सरवतर विटठल-दरशन
  • रतनबाई की गरभकति
  • बरहमलीन शरी मा महगीबा
    • मरी मा का दिवय गरभाव
    • परभ मझ जान दो
    • इचछाओ स परः मा महगीबा
    • जीवन म कभी फरियाद नही
    • बीमारो क परति मा की करणा
    • कोई कारय घणित नही ह
    • ऐसी मा क लिए शोक किस बात का
      • अममा की गरनिषठा
        • सवावलबन एव परदःखकातरता
        • अममा म मा यशोदा जसा भाव
        • दन की दिवय भावना
        • गरीब कनयाओ क विवाह म मदद
        • अममा का उतसव परम
        • परतयक वसत का सदपयोग होना चाहिए
        • अह स पर
          • मीराबाई की गरभकति
          • राजकमारी मललिका बनी तीरथकर मललियनाथ
          • दरगादास की वीर जननी
          • करमनिषठ शयामो
          • शकतिसवरपा मा आनदमयी
          • अभाव का ही अभाव
          • मा अजना का सामरथय
Page 6: नारी तू नारायणी - Hariom Groupदासी ने सुयशा से कहाः "गाओ, संकोच न करो, देर न करो।

कब सिमरोग राम साधो कब सिमरोग राम

झठी काया झठी माया आिखर मौत िनशान कहत कबीर सनो भई साधो जीव दो िदन का महमान

कब सिमरोग राम साधो कब सिमरोग राम

भावय भजन स सयशा का दय तो राम रस स सराबोर हो गया लिकन पपसन क रग म भग पड़ गया वह हाथ मसलता ही रह गया बोलाः ठीक ह िफर दखता ह

सयशा न िवदा ली पपसन न मिऽयो स सलाह ली और उपाय खोज िलया िक अब होली आ रही ह उस होिलकोतसव म इसको बलाकर इसक सौनदयर का पान करग

राजा न होली पर सयशा को िफर स व िभजवाय और दासी स कहाः कस भी करक सयशा को यही व पहनाकर लाना ह

दासी न बीसो ऊिगलयो का जोर लगाया मा न भी कहाः बटी भगवान तरी रकषा करग मझ िव ास ह िक त नीच कमर करन वाली लड़िकयो जसा न करगी त भगवान की गर की ःमित रखना भगवान तरा कलयाण कर

महल म जात समय इस बार सयशा न कपड़ तो पहन िलय लिकन लाज ढाकन क िलए ऊपर एक मोटी शाल ओढ़ ली उस दखकर पपसन को धकका तो लगा लिकन यह भी हआ िक चलो कपड़ तो मर पहनकर आयी ह राजा ऐसी-वसी यवितयो स होली खलत-खलत सयशा की ओर आया और उसकी शाल खीची ह राम करक सयशा आवाज करती हई भागी भागत-भागत मा की गोद म आ िगरी मा मा मरी इजजत खतर म ह जो जा का पालक ह वही मर धमर को न करना चाहता ह

मा बटी आग लग इस नौकरी को मा और बटी शोक मना रह ह इधर राजा बौखला गया िक मरा अपमान म दखता ह अब वह कस जीिवत रहती ह उसन अपन एक खखार आदमी काल िमया को बलवाया और कहाः काल तझ ःवगर की उस परी सयशा का खातमा करना ह आज तक तझ िजस-िजस वयि को खतम करन को कहा ह त करक आया ह यह तो तर आग मचछर ह मचछर ह काल त मरा खास आदमी ह म तरा मह मोितयो स भर दगा कस भी करक सयशा को उसक राम क पास पहचा द

काल न सोचाः उस कहा पर मार दना ठीक होगा रोज भात क अधर म साबरमती नदी म ःनान करन जाती ह बस नदी म गला दबोचा और काम खतमजय साबरमती कर दग

काल क िलए तो बाय हाथ का खल था लिकन सयशा का इ भी मजबत था जब वयि का इ मजबत होता ह तो उसका अिन नही हो सकता

म सबको सलाह दता ह िक आप जप और ोत करक अपना इ इतना मजबत करो िक बड़ी-स-बड़ी राजस ा भी आपका अिन न कर सक अिन करन वाल क छकक छट जाय और व भी आपक इ क चरणो म आ जाय ऐसी शि आपक पास ह

काल सोचता हः भात क अधर म साबरमती क िकनार जरा सा गला दबोचना ह बस छरा मारन की जररत ही नही ह अगर िचललायी और जररत पड़ी तो गल म जरा-सा छरा भ ककर जय साबरमती करक

रवाना कर दगा जब राजा अपना ह तो पिलस की ऐसी-तसी पिलस कया कर सकती ह पिलस क अिधकारी तो जानत ह िक राजा का आदमी ह

काल न उसक आन-जान क समय की जानकारी कर ली वह एक पड़ की ओट म छपकर खड़ा हो गया जयो ही सयशा आयी और काल न झपटना चाहा तयो ही उसको एक की जगह पर दो सयशा िदखाई दी कौन सी सचची य कया दो कस तीन िदन स सारा सवकषण िकया आज दो एक साथ खर दखता ह कया बात ह अभी तो दोनो को नहान दो नहाकर वापस जात समय उस एक ही िदखी तब काल हाथ मसलता ह िक वह मरा म था

वह ऐसा सोचकर जहा िशविलग था उसी क पास वाल पड़ पर चढ़ गया िक वह यहा आयगी अपन बाप को पानी चढ़ान तब या अललाह करक उस पर कदगा और उसका काम तमाम कर दगा

उस पड़ स लगा हआ िबलवपऽ का भी एक पड़ था सयशा साबरमती म नहाकर िशविलग पर पानी चढ़ान को आयी हलचल स दो-चार िबलवपऽ िगर पड़ सयशा बोलीः ह भ ह महादव सबह-सबह य िजस िबलवपऽ िजस िनिम स िगर ह आज क ःनान और दशरन का फल म उसक कलयाण क िनिम अपरण करती ह मझ आपका सिमरन करक ससार की चीज नही पानी मझ तो कवल आपकी भि ही पानी ह

सयशा का सकलप और उस बर-काितल क दय को बदलन की भगवान की अनोखी लीला

काल छलाग मारकर उतरा तो सही लिकन गला दबोचन क िलए नही काल न कहाः लड़की पपसन न तरी हतया करन का काम मझ स पा था म खदा की कसम खाकर कहता ह िक म तरी हतया क िलए छरा तयार करक आया था लिकन त अनदख घातक का भी कलयाण करना चाहती ह ऐसी िहनद कनया को मारकर म खदा को कया मह िदखाऊगा इसिलए आज स त मरी बहन ह त तर भया की बात मान और यहा स भाग जा इसस तरी भी रकषा होगी और मरी भी जा य भोल बाबा तरी रकषा करग िजन भोल बाबा तरी रकषा करग जा जलदी भाग जा

सयशा को काल िमया क ारा मानो उसका इ ही कछ रणा द रहा था सयशा भागती-भागती बहत दर िनकल गयी

जब काल को हआ िक अब यह नही लौटगी तब वह नाटक करता हआ राजा क पास पहचाः राजन आपका काम हो गया वह तो मचछर थी जरा सा गला दबात ही म ऽऽऽ करती रवाना हो गयी

राजा न काल को ढर सारी अशिफर या दी काल उनह लकर िवधवा क पास गया और उसको सारी घटना बतात हए कहाः मा मन तरी बटी को अपनी बहन माना ह म बर कामी पापी था लिकन उसन मरा िदल बदल िदया अब त नाटक कर की हाय मरी बटी मर गयी मर गयी इसस त भी बचगी तरी बटी भी बचगी और म भी बचगा

तरी बटी की इजजत लटन का ष यऽ था उसम तरी बटी नही फसी तो उसकी हतया करन का काम मझ स पा था तरी बटी न महादव स ाथरना की िक िजस िनिम य िबलवपऽ िगर ह उसका भी कलयाण हो मगल हो मा मरा िदल बदल गया ह तरी बटी मरी बहन ह तरा यह खखार बटा तझ ाथरना करता ह िक

त नाटक कर लः हाय रऽऽऽ मरी बटी मर गयी वह अब मझ नही िमलगी नदी म डब गयी ऐसा करक त भी यहा स भाग जा

सयशा की मा भाग िनकली उस कामी राजा न सोचा िक मर राजय की एक लड़की मरी अवजञा कर अचछा हआ मर गयी उसकी मा भी अब ठोकर खाती रहगी अब समरती रह वही राम कब सिमरोग राम साधो कब सिमरोग राम झठी काया झठी माया आिखर मौत िनशान कब सिमरोग राम साधो सब सिमरोग राम हा हा हा हा ऽऽऽ

मजाक-मजाक म गात-गात भी यह भजन उसक अचतन मन म गहरा उतर गया कब सिमरोग राम

उधर सयशा को भागत-भागत राःत म मा काली का एक छोटा-सा मिदर िमला उसन मिदर म जाकर णाम िकया वहा की पजािरन गौतमी न दखा िक कया रप ह कया सौनदयर ह और िकतनी नता उसन पछाः बटी कहा स आयी हो

सयशा न दखा िक एक मा तो छटी अब दसरी मा बड़ पयार स पछ रही ह सयशा रो पड़ी और बोलीः मरा कोई नही ह अपन ाण बचान क िलए मझ भागना पड़ा ऐसा कहकर सयशा न सब बता िदया

गौतमीः ओ हो ऽऽऽ मझ सतान नही थी मर भोल बाबा न मरी काली मा न मर घर 16 वषर की पऽी भज दी बटी बटी कहकर गौतमी न सयशा को गल लगा िलया और अपन पित कलाशनाथ को बताया िक आज हम भोलानाथ न 16 वषर की सनदरी कनया दी ह िकतनी पिवऽ ह िकतनी भि भाववाली ह

कलाशनाथः गौतमी पऽी की तरह इसका लालन-पालन करना इसकी रकषा करना अगर इसकी मज होगी तो इसका िववाह करग नही तो यही रहकर भजन कर

जो भगवान का भजन करत ह उनको िव न डालन स पाप लगता ह सयशा वही रहन लगी वहा एक साध आता था साध भी बड़ा िविचऽ था लोग उस पागलबाबा कहत

थ पागलबाबा न कनया को दखा तो बोल पड़ः हऽऽऽ

गौतमी घबरायी िक एक िशकज स िनकलकर कही दसर म पागलबाबा कही उस फसा न द ह भगवान इसकी रकषा करना ी का सबस बड़ा शऽ ह उसका सौनदयर एव ौगार दसरा ह उसकी असावधानी सयशा ौगार तो करती नही थी असावधान भी नही थी लिकन सनदर थी

गौतमी न अपन पित को बलाकर कहाः दखो य बाबा बार-बार अपनी बटी की तरफ दख रह ह

कलाशनाथ न भी दखा बाबा न लड़की को बलाकर पछाः कया नाम ह

सयशा

बहत सनदर हो बड़ी खबसरत हो

पजािरन और पजारी घबराय बाबा न िफर कहाः बड़ी खबसरत ह

कलाशनाथः महाराज कया ह

बड़ी खबसरत ह

महाराज आप तो सत आदमी ह

तभी तो कहता ह िक बड़ी खबसरत ह बड़ी होनहार ह मरी होगी त

पजािरन-पजारी और घबराय िक बाबा कया कह रह ह पागल बाबा कभी कछ कहत ह वह सतय भी हो जाता ह इनस बचकर रहना चािहए कया पता कही

कलाशनाथः महाराज कया बोल रह ह बाबा न सयशा स िफर पछाः त मरी होगी

सयशाः बाबा म समझी नही त मरी सािधका बनगी मर राःत चलगी

कौन-सा राःता

अभी िदखाता ह मा क सामन एकटक दख मा तर राःत ल जा रहा ह चलती नही ह तो त समझा मा मा

लड़की को लगा िक य सचमच पागल ह चल करक दि स ही लड़की पर शि पात कर िदया सयशा क शरीर म ःपदन होन लगा हाःय आिद

अ साि वक भाव उभरन लग पागलबाबा न कलाशनाथ और गौतमी स कहाः यह बड़ी खबसरत आतमा ह इसक बा सौनदयर पर

राजा मोिहत हो गया था यह ाण बचाकर आयी ह और बच पायी ह तमहारी बटी ह तो मरी भी तो बटी ह तम िचनता न करो इसको घर पर अलग कमर म रहन दो उस कमर म और कोई न जाय इसकी थोड़ी साधना होन दो िफर दखो कया-कया होता ह इसकी सष शि यो को जगन दो बाहर स पागल िदखता ह लिकन गल को पाकर घमता ह बचच

महाराज आप इतन सामथयर क धनी ह यह हम पता नही था िनगाहमाऽ स आपन स कषण शि का सचार कर िदया

अब तो सयशा का धयान लगन लगा कभी हसती ह कभी रोती ह कभी िदवय अनभव होत ह कभी काश िदखता ह कभी अजपा जप चलता ह कभी ाणायाम स नाड़ी-शोधन होता ह कछ ही िदनो म मलाधार ःवािध ान मिणपर कनि जामत हो गय

मलाधार कनि जागत हो तो काम राम म बदलता ह बोध कषमा म बदलता ह भय िनभरयता म बदलता ह घणा म म बदलती ह ःवािध ान कनि जागत होता ह तो कई िसि या आती ह मिणपर कनि जामत हो तो अपढ़ अनसन शा को जरा सा दख तो उस पर वया या करन का सामथयर आ जाता ह

आपक स य सभी कनि अभी सष ह अगर जग जाय तो आपक जीवन म भी यह चमक आ सकती ह हम ःकली िव ा तो कवल तीसरी ककषा तक पढ़ ह लिकन य कनि खलन क बाद दखो लाखो-करोड़ो लोग सतसग सन रह ह खब लाभािनवत हो रह ह इन कनिो म बड़ा खजाना भरा पड़ा ह

इस तरह िदन बीत स ाह बीत महीन बीत सयशा की साधना बढ़ती गयी अब तो वह बोलती ह तो लोगो क दयो को शाित िमलती ह सयशा का यश फला यश फलत-फलत साबरमती क िजस पार स वह आयी थी उस पार पहचा लोग उसक पास आत-जात रह एक िदन काल िमया न पछाः आप लोग इधर स उधर उस पार जात हो और एक दो िदन क बाद आत हो कया बात ह

लोगो न बतायाः उस पार मा भिकाली का मिदर ह िशवजी का मिदर ह वहा पागलबाबा न िकसी लड़की स कहाः त तो बहत सनदर ह सयमी ह उस पर कपा कर दी अब वह जो बोलती ह उस सनकर हम बड़ी शाित िमलती ह बड़ा आनद िमलता ह

अचछा ऐसी लड़की ह

उसको लड़की-लड़की मत कहो काल िमया लोग उसको माता जी कहत ह पजािरन और पजारी भी उसको माताजी-माताजी कहत ह कया पता कहा स वह ःवगर को दवी आयी ह

अचछा तो अपन भी चलत ह काल िमया न आकर दखा तो िजस माताजी को लोग मतथा टक रह ह वह वही सयशा ह िजसको

मारन क िलए म गया था और िजसन मरा दय पिरवितरत कर िदया था जानत हए भी काल िमया अनजान होकर रहा उसक दय को बड़ी शाित िमली इधर पपसन को

मानिसक िखननता अशाित और उ ग हो गया भ को कोई सताता ह तो उसका पणय न हो जाता ह इ कमजोर हो जाता ह और दर-सवर उसका अिन होना शर हो जाता ह

सत सताय तीनो जाय तज बल और वश पपसन को मिःतक का बखार आ गया उसक िदमाग म सयशा की व ही पि या घमन लगी-

कब सिमरोग राम साधो कब सिमरोग राम उन पि यो को गात-गात वह रो पड़ा हकीम व सबन हाथ धो डाल और कहाः राजन अब हमार

वश की बात नही ह काल िमया को हआः यह चोट जहा स लगी ह वही स ठीक हो सकती ह काल िमलन गया और पछाः

राजन कया बात ह

काल काल वह ःवगर की परी िकतना सनदर गाती थी मन उसकी हतया करवा दी म अब िकसको बताऊ काल अब म ठीक नही हो सकता ह काल मर स बहत बड़ी गलती हो गयी

राजन अगर आप ठीक हो जाय तो

अब नही हो सकता मन उसकी हतया करवा दी ह काल उसन िकतनी सनदर बात कही थीः झठी काया झठी माया आिखर मौत िनशान

कहत कबीर सनो भई साधो जीव दो िदन का महमान कब सिमरोग राम साधो कब सिमरोग राम

और मन उसकी हतया करवा दी काल मरा िदल जल रहा ह कमर करत समय पता नही चलता काल बाद म अनदर की लानत स जीव तप मरता ह कमर करत समय यिद यह िवचार िकया होता तो ऐसा नही होता काल मन िकतन पाप िकय ह

काल का दय पसीजा की इस राजा को अगर उस दवी की कपा िमल जाय तो ठीक हो सकता ह वस यह राजय तो अचछा चलाना जानता ह दबग ह पापकमर क कारण इसको जो दोष लगा ह वह अगर धल जाय तो

काल बोलाः राजन अगर वह लड़की कही िमल जाय तो

कस िमलगी

जीवनदान िमल तो म बताऊ अब वह लड़की लड़की नही रही पता नही साबरमती माता न उसको कस गोद म ल िलया और वह जोगन बन गयी ह लोग उसक कदमो म अपना िसर झकात ह

ह कया बोलता ह जोगन बन गयी ह वह मरी नही ह

नही तन तो कहा था मर गयी

मन तो गला दबाया और समझा मर गयी होगी लिकन आग िनकल गयी कही चली गयी और िकसी साध बाबा की महरबानी हो गयी और मर को लगता ह िक रपय म 15 आना पककी बात ह िक वही सयशा ह जोगन का और उसका रप िमलता ह

काल मझ ल चल म उसक कदमो म अपन दभार य को सौभा य म बदलना चाहता ह काल काल

राज पहचा और उसन प ा ाप क आसओ स सयशा क चरण धो िदय सयशा न कहाः भया इनसान गलितयो का घर ह भगवान तमहारा मगल कर

पपसनः दवी मरा मगल भगवान कस करग भगवान मगल भी करग तो िकसी गर क ारा दवी त मरी गर ह म तरी शरण आया ह

राजा पपसन सयशा क चरणो म िगरा वही सयशा का थम िशय बना पपसन को सयशा न गरमऽ की दीकषा दी सयशा की कपा पाकर पपसन भी धनभागी हआ और काल भी दसर लोग भी धनभागी हए 17वी शताबदी का कणारवती शहर िजसको आज अमदावाद बोलत ह वहा की यह एक ऐितहािसक घटना ह सतय कथा ह

अगर उस 16 वष य कनया म धमर क सःकार नही होत तो नाच-गान करक राजा का थोड़ा पयार पाकर ःवय भी नरक म पच मरती और राजा भी पच मरता लिकन उस कनया न सयम रखा तो आज उसका शरीर तो नही ह लिकन सयशा का सयश यह रणा जरर दता ह िक आज की कनयाए भी अपन ओज-तज और सयम की रकषा करक अपन ई रीय भाव को जगाकर महान आतमा हो सकती ह

हमार दश की कनयाए परदशी भोगी कनयाओ का अनकरण कयो कर लाली-िलपिःटक लगायी बॉयकट बाल कटवाय शराब-िसगरट पी नाचा-गाया धत तर की यह नारी ःवात य ह नही यह तो नारी का शोषण ह नारी ःवात य क नाम पर नारी को किटल कािमयो की भो या बनाया जा रहा ह

नारी ःव क तऽ हो उसको आितमक सख िमल आितमक ओज बढ़ आितमक बल बढ़ तािक वह ःवय को महान बन ही साथ ही औरो को भी महान बनन की रणा द सक अतरातमा का ःव-ःवरप का सख िमल ःव-ःवरप का जञान िमल ःव-ःवरप का सामथयर िमल तभी तो नारी ःवतऽ ह परपरष स पटायी जाय तो ःवतऽता कसी िवषय िवलास की पतली बनायी जाय तो ःवतनऽता कसी

कब सिमरोग राम सत कबीर क इस भजन न सयशा को इतना महान बना िदया िक राजा का तो मगल िकया ही साथ ही काल जस काितल दय भी पिरवितरत कर िदया और न जान िकतनो को ई र की ओर लगाया होगा हम लोग िगनती नही कर सकत जो ई र क राःत चलता ह उसक ारा कई लोग अचछ बनत ह और जो बर राःत जाता ह उसक ारा कइयो का पतन होता ह

आप सभी सदभागी ह िक अचछ राःत चलन की रिच भगवान न जगायी थोड़ा-बहत िनयम ल लो रोज थोड़ा जप करो धयान कर मौन का आौय लो एकादशी का ोत करो आपकी भी सष शि या जामत कर द ऐस िकसी सतपरष का सहयोग लो और लग जाओ िफर तो आप भी ई रीय पथ क पिथक बन जायग महान परम रीय सख को पाकर धनय-धनय हो जायग

(इस रणापद सतसग कथा की ऑिडयो कसट एव वीसीडी - सयशाः कब सिमरोग राम नाम स उपलबध ह जो अित लोकिय हो चकी ह आप इस अवय सन दख यह सभी सत ौी आसारामजी आौमो एव सिमितयो क सवा कनिो पर उपलबध ह)

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अनबम

अदभत आभासमपनन रानी कलावती ःकनद पराण क ो र खड म कथा आती ह िक काशीनरश की कनया कलावती क साथ मथरा क

दाशाहर नामक राजा का िववाह हआ िववाह क बाद राजा न रानी को अपन पलग पर बलाया लिकन उसन इनकार कर िदया तब राजा न बल योग की धमकी दी रानी न कहाः ी क साथ ससार-वयवहार करना हो तो बलयोग नही ःनह योग करना चािहए नाथ म भल आपकी रानी ह लिकन आप मर साथ बलयोग करक ससार-वयवहार न कर

लिकन वह राजा था रानी की बात सनी-अनसनी करक नजदीक गया जयो ही उसन रानी का ःपशर िकया तयो ही उस िव त जसा करट लगा उसका ःपशर करत ही राजा का अग-अग जलन लगा वह दर हटा और बोलाः कया बात ह तम इतनी सनदर और कोमल हो िफर भी तमहार शरीर क ःपशर स मझ जलन होन लगी

रानीः नाथ मन बालयकाल म दवारसा ऋिष स िशवमऽ िलया था उस जपन स मरी साि वक ऊजार का िवकास हआ ह इसीिलए म आपक नजदीक नही आती थी जस अधरी रात और दोपहर एक साथ नही रहत वस ही आपन शराब पीनवाली वयाओ क साथ और कलटाओ क साथ जो ससार-भोग भोग ह उसस आपक पाप क कण आपक शरीर मन तथा बि म अिधक ह और मन जप िकया ह उसक कारण मर शरीर म ओज तज व आधयाितमक कण अिधक ह इसीिलए म आपस थोड़ी दर रहकर ाथरना करती थी आप बि मान ह बलवान ह यशःवी ह और धमर की बात भी आपन सन रखी ह लिकन आपन शराब पीनवाली वयाओ और कलटाओ क साथ भोग भी भोग ह

राजाः तमह इस बात का पता कस चल गया

रानीः नाथ दय श होता ह तो यह याल आ जाता ह राजा भािवत हआ और रानी स बोलाः तम मझ भी भगवान िशव का वह मऽ द दो रानीः आप मर पित ह म आपकी गर नही बन सकती आप और हम गगारचायर महाराज क पास

चल दोनो गगारचायर क पास गय एव उनस ाथरना की गगारचायर न उनह ःनान आिद स पिवऽ होन क िलए

कहा और यमना तट पर अपन िशवःवरप क धयान म बठकर उनह िनगाह स पावन िकया िफर िशवमऽ दकर शाभवी दीकषा स राजा क ऊपर शि पात िकया

कथा कहती ह िक दखत ही दखत राजा क शरीर स कोिट-कोिट कौए िनकल-िनकल कर पलायन करन लग काल कौए अथारत तचछ परमाण काल कम क तचछ परमाण करोड़ो की स या म सआमदि क ि ाओ ारा दख गय सचच सतो क चरणो म बठकर दीकषा लन वाल सभी साधको को इस कार क लाभ होत ही ह मन बि म पड़ हए तचछ कसःकार भी िमटत ह आतम-परमातमाि की यो यता भी िनखरती ह वयि गत जीवन म सख शाित सामािजक जीवन म सममान िमलता ह तथा मन-बि म सहावन सःकार भी पड़त ह और भी अनिगनत लाभ होत ह जो िनगर मनमख लोगो की कलपना म भी नही आ सकत मऽदीकषा क भाव स हमार पाचो शरीरो क कसःकार व काल कम क परमाण कषीण होत जात ह थोड़ी ही दर म राजा िनभारर हो गया एव भीतर क सख स भर गया

शभ-अशभ हािनकारक एव सहायक जीवाण हमार शरीर म रहत ह जस पानी का िगलास होठ पर रखकर वापस लाय तो उस पर लाखो जीवाण पाय जात ह यह वजञािनक अभी बोलत ह लिकन शा ो न तो लाखो वषर पहल ही कह िदयाः

समित-कमित सबक उर रहिह जब आपक अदर अचछ िवचार रहत ह तब आप अचछ काम करत ह और जब भी हलक िवचार आ

जात ह तो आप न चाहत हए भी गलत कर बठत ह गलत करन वाला कई बार अचछा भी करता ह तो मानना पड़गा िक मनय-शरीर पणय और पाप का िमौण ह आपका अतःकरण शभ और अशभ का िमौण ह जब आप लापरवाह होत ह तो अशभ बढ़ जात ह अतः परषाथर यह करना ह िक अशभ कषीण होता जाय और शभ पराका ा तक परमातम-ाि तक पहच जाय

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अनबमलोग घरबार छोड़कर साधना करन क िलए साध बनत ह घर म रहत हए गहःथधमर िनभात हए नारी

ऐसी उम साधना कर सकती ह िक अनय साधओ की साधना उसक सामन फीकी पड़ जाय ऐसी दिवयो क पास एक पितोता-धमर ही ऐसा अमोघ श ह िजसक सममख बड़-बड़ वीरो क श भी किणठत हो जात ह पितोता ी अनायास ही योिगयो क समान िसि ा कर लती ह इसम िकिचत माऽ भी सदह नही ह

उ म िजजञासः मऽयी महिषर याजञवलकयजी की दो पि या थीः मऽयी और कातयायनी मऽयी जय थी कातयायनी की जञा

सामानय ि यो जसी ही थी िकत मऽयी वािदनी थी एक िदन याजञवालकयजी न अपनी दोनो पि यो को अपन पास बलाया और कहाः मरा िवचार अब

सनयास लन का ह अतः इस ःथान को छोड़कर म अनयऽ चला जाऊगा इसक िलए तम लोगो की अनमित लना आवयक ह साथ ही म यह भी चाहता ह िक घर म जो कछ धन-दौलत ह उस तम दोनो म बराबर-बराबर बाट द तािक मर चल जान क बाद इसको लकर आपसी िववाद न हो

यह सनकर कातयायनी तो चप रही िकत मऽयी न पछाः भगवन यिद यह धन-धानय स पिरपणर सारी पथवी कवल मर ही अिधकार म आ जाय तो कया म उसस िकसी कार अमर हो सकती ह

याजञवलकयजी न कहाः नही भोग-सामिमयो स सपनन मन यो का जसा जीवन होता ह वसा ही तमहारा भी जीवन हो जायगा धन स कोई अमर हो जाय उस अमरतव की ाि हो जाय यह कदािप सभव नही ह

तब मऽयी न कहाः भगवन िजसस म अमर नही हो सकती उस लकर कया करगी यिद धन स ही वाःतिवक सख िमलता तो आप उस छोड़कर एकानत अरणय म कयो जात आप ऐसी कोई वःत अवय जानत ह िजसक सामन इस धन एव गहःथी का सारा सख तचछ तीत होता ह अतः म भी उसी को जानना चाहती ह यदव भगवान वद तदव म िह कवल िजस वःत को आप ौीमान अमरतव का साधन जानत ह उसी का मझ उपदश कर

मऽयी की यह िजजञासापणर बात सनकर याजञवलकयजी को बड़ी सननता हई उनहोन मऽयी की शसा करत हए कहाः

धनय मऽयी धनय तम पहल भी मझ बहत िय थी और इस समय भी तमहार मख स यह िय वचन ही िनकला ह अतः आओ मर समीप बठो म तमह त व का उपदश करता ह उस सनकर तम उसका मनन और िनिदधयासन करो म जो कछ कह उस पर ःवय भी िवचार करक उस दय म धारण करो

इस कार कहकर महिषर याजञवलकयजी न उपदश दना आरभ िकयाः मऽयी तम जानती हो िक ी को पित और पित को ी कयो िय ह इस रहःय पर कभी िवचार िकया ह पित इसिलए िय नही ह िक वह पित ह बिलक इसिलए िय ह िक वह अपन को सतोष दता ह अपन काम आता ह इसी कार पित को ी भी इसिलए िय नही होती िक वह ी ह अिपत इसिलए िय होती ह िक उसस ःवय को सख िमलता

इसी नयाय स पऽ धन ा ण कषिऽय लोक दवता समःत ाणी अथवा ससार क सपणर पदाथर भी आतमा क िलए िय होन स ही िय जान पड़त ह अतः सबस ियतम वःत कया ह अपना आतमा

आतमा वा अर ि वयः ौोतवयो मनतवयो िनिदधयािसतवयो मऽयी आतमनो वा अर दशरनन ौवणन

मतया िवजञाननद सव िविदतम मऽयी तमह आतमा की ही दशरन ौवण मनन और िनिदधयासन करना चािहए उसी क दशरन ौवण

मनन और यथाथरजञान स सब कछ जञात हो जाता ह

(बहदारणयक उपिनषद 4-6) तदनतर महिषर याजञवलकयजी न िभनन-िभनन द ानतो और यि यो क ारा जञान का गढ़ उपदश दत

हए कहाः जहा अजञानावःथा म त होता ह वही अनय अनय को सघता ह अनय अनय का रसाःवादन करता ह अनय अनय का ःपशर करता ह अनय अनय का अिभवादन करता ह अनय अनय का मनन करता ह और अनय अनय को िवशष रप स जानता ह िकत िजसक िलए सब कछ आतमा ही हो गया ह वह िकसक ारा िकस दख िकसक ारा िकस सन िकसक ारा िकस सघ िकसक ारा िकसका रसाःवादन कर िकसक ारा िकसका ःपशर कर िकसक ारा िकसका अिभवादन कर और िकसक ारा िकस जान िजसक ारा परष इन सबको जानता ह उस िकस साधन स जान

इसिलए यहा नित-नित इस कार िनदश िकया गया ह आतमा अमा ह उसको महण नही िकया जाता वह अकषर ह उसका कषय नही होता वह असग ह वह कही आस नही होता वह िनबरनध ह वह कभी बनधन म नही पड़ता वह आनदःवरप ह वह कभी वयिथत नही होता ह मऽयी िवजञाता को िकसक ारा जान अर मऽयी तम िन यपवरक इस समझ लो बस इतना ही अमरतव ह तमहारी ाथरना क अनसार मन जञातवय त व का उपदश द िदया

ऐसा उपदश दन क प ात याजञवलकयजी सनयासी हो गय मऽयी यह अमतमयी उपदश पाकर कताथर हो गयी यही यथाथर सपि ह िजस मऽयी न ा िकया था धनय ह मऽयी जो बा धन-सपि स ा सख को तणवत समझकर वाःतिवक सपि को अथारत आतम-खजान को पान का परषाथर करती ह काश आज की नारी मऽयी क चिरऽ स रणा लती

(कलयान क नारी अक एव बहदारणयक उपिनषद पर आधािरत)

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अनबम

वािदनी िवदषी गाग वािदनी िवदषी गाग का नाम विदक सािहतय म अतयत िव यात ह उनका असली नाम कया था

यह तो जञात नही ह िकत उनक िपता का नाम वचकन था अतः वचकन की पऽी होन क कारण उनका नाम वाचकनवी पड़ गया गगर गोऽ म उतपनन होन क कारण लोग उनह गाग कहत थ यह गाग नाम ही जनसाधारण स चिलत हआ

बहदारणयक उपिनषद म गाग क शा ाथर का सग विणरत हः िवदह दश क राजा जनक न एक बहत बड़ा जञानयजञ िकया था उसम कर और पाचाल दश क अनको

िव ान ा ण एकिऽत हए थ राजा जनक बड़ िव ा-वयासगी एव सतसगी थ उनह शा क गढ़ त वो का िववचन एव परमाथर-चचार ही अिधक िय थी इसिलए उनक मन म यह जानन की इचछा हई िक यहा आय हए िव ान ा णो म सबस बढ़कर ताि वक िववचन करन वाला कौन ह इस परीकषा क िलए उनहोन अपनी गौशाला म एक हजार गौए बधवा दी सब गौओ क सीगो पर दस-दस पाद (एक ाचीन माप-कषर) सवणर बधा हआ था यह वयवःथा करक राजा जनक न उपिःथत ा ण-समदाय स कहाः

आप लोगो म स जो सबस बढ़कर व ा हो वह इन सभी गौओ को ल जाय राजा जनक की यह घोषणा सनकर िकसी भी ा ण म यह साहस नही हआ िक उन गौओ को ल

जाय सब सोचन लग िक यिद हम गौए ल जान को आग बढ़त ह तो य सभी ा ण हम अिभमानी समझग और शा ाथर करन लगग उस समय हम इन सबको जीत सक ग या नही कया पता यह िवचार करत हए सब चपचाप ही बठ रह

सबको मौन दखकर याजञवलकयजी न अपन चारी सामौवा स कहाः ह सौमय त इन सब गौओ को हाक ल चल

चारी न आजञा पाकर वसा ही िकया यह दखकर सब ा ण कषबध हो उठ तब िवदहराज जनक क होता अ ल याजञवलकयजी स पछ बठः कयो कया तमही िन हो हम सबस बढ़कर व ा हो

यह सनकर याजञवलकयजी न नतापवरक कहाः नही व ाओ को तो हम नमःकार करत ह हम कवल गौओ की आवयकता ह अतः गौओ को ल

जात ह िफर कया था शा ाथर आरभ हो गया यजञ का तयक सदःय याजञवलकयजी स पछन लगा

याजञवालकयजी इसस िवचिलत नही हए व धयरपवरक सभी क ो का बमशः उ र दन लग अ ल न चन-चनकर िकतन ही िकय िकत उिचत उ र िमल जान क कारण व चप होकर बठ गय तब जरतकार गोऽ म उतपनन आतरभाग न िकया उनको भी अपन का यथाथर उ र िमल गया अतः व भी मौन हो गय िफर बमशः ला ायिन भजय चाबायम उषःत एव कौषीतकय कहोल करक चप होकर बठ गय इसक बाद

वाचकनवी गाग न पछाः भगवन यह जो कछ पािथरव पदाथर ह व सब जल म ओत ोत ह जल िकसम ओतोत ह

याजञवलकयजीः जल वाय म ओतोत ह वाय िकसम ओतोत ह

अनतिरकषलोक म अनतिरकषलोक िकसम ओतोत ह

गनधवरलोक म गनधवरलोक िकसम ओतोत ह

आिदतयलोक म आिदतयलोक िकसम ओतोत ह

चनिलोक म चनिलोक िकसम ओतोत ह

नकषऽलोक म नकषऽलोक िकसम ओतोत ह

दवलोक म दवलोक िकसम ओतोत ह

इनिलोक म इनिलोक िकसम ओतोत ह

जापितलोक म जापितलोक िकसम ओतोत ह

लोक म लोक िकसम ओतोत ह

इस पर याजञवलकयजी न कहाः ह गाग यह तो अित ह यह उ र की सीमा ह अब इसक आग नही हो सकता अब त न कर नही तो तरा मःतक िगर जायगा

गाग िवदषी थी उनहोन याजञवलकयजी क अिभाय को समझ िलया एव मौन हो गयी तदननतर आरिण आिद िव ानो न ो र िकय इसक प ात पनः गाग न समःत ा णो को सबोिधत करत हए कहाः यिद आपकी अनमित ा हो जाय तो म याजञवलकयजी स दो पछ यिद व उन ो का उ र द दग तो आप लोगो म स कोई भी उनह चचार म नही जीत सकगा

ा णो न कहाः पछ लो गाग

तब गाग बोलीः याजञवलकयजी वीर क तीर क समान य मर दो ह पहला हः लोक क ऊपर पथवी का िनमन दोनो का मधय ःवय दोनो और भत भिवय तथा वतरमान िकसम ओतोत ह

याजञवलकयजीः आकाश म

गाग ः अचछा अब दसरा ः यह आकाश िकसम ओतोत ह

याजञवलकयजीः इसी त व को व ा लोग अकषर कहत ह गाग यह न ःथल ह न सआम न छोटा ह न बड़ा यह लाल िव छाया तम वाय आकाश सग रस गनध नऽ कान वाणी मन तज ाण मख और माप स रिहत ह इसम बाहर भीतर भी नही ह न यह िकसी का भो ा ह न िकसी का भो य

िफर आग उसका िवशद िनरपण करत हए याजञवलकयजी बोलः इसको जान िबना हजारो वष को होम यजञ तप आिद क फल नाशवान हो जात ह यिद कोई इस अकषर त व को जान िबना ही मर जाय तो वह कपण ह और जान ल तो यह व ा ह

यह अकषर द नही ि ा ह ौत नही ौोता ह मत नही मनता ह िवजञात नही िवजञाता ह इसस िभनन कोई दसरा ि ा ौोता मनता िवजञाता नही ह गाग इसी अकषर म यह आकाश ओतोत ह

गाग याजञवलकयजी का लोहा मान गयी एव उनहोन िनणरय दत हए कहाः इस सभा म याजञवलकयजी स बढ़कर व ा कोई नही ह इनको कोई परािजत नही कर सकता ह ा णो आप लोग इसी को बहत समझ िक याजञवलकयजी को नमःकार करन माऽ स आपका छटकारा हए जा रहा ह इनह परािजत करन का ःवपन दखना वयथर ह

राजा जनक की सभा वादी ऋिषयो का समह समबनधी चचार याजञवलकयजी की परीकषा और परीकषक गाग यह हमारी आयर क नारी क जञान की िवजय जयनती नही तो और कया ह

िवदषी होन पर भी उनक मन म अपन पकष को अनिचत रप स िस करन का दरामह नही था य िव तापणर उ र पाकर सत हो गयी एव दसर की िव ता की उनहोन म कणठ स शसा भी की

धनय ह भारत की आयर नारी जो याजञवलकयजी जस महिषर स भी शा ाथर करन िहचिकचाती नही ह ऐसी नारी नारी न होकर साकषात नारायणी ही ह िजनस यह वसनधरा भी अपन-आपको गौरवािनवत मानती ह

(कलयाण क नारी अक एव बहदारणयक उपिनषद पर आधािरत) ॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐ

अनबम

अथाह शि की धनीः तपिःवनी शाणडािलनी शाणडािलनी का रप-लावणय और सौनदयर दखकर गालव ऋिष और गरड़जी मोिहत हो गय ऐसी सनदरी

और इतनी तजिःवनी वह भी धरती पर तपःयारत यह ी तो भगवान िवण की भायार होन क यो य ह ऐसा सोचकर उनहोन शाणडािलनी क आग यह ःताव रखा

शाणडािलनीः नही नही मझ तो चयर का पालन करना ह यह कहकर शाणडािलनी पनः तपःयारत हो गयी और अपन श -ब ःवरप की ओर याऽा करन लगी

गालवजी और गरड़जी का यह दखकर पनः िवचारन लग िक अपसराओ को भी मात कर दन वाल सौनदयर की ःवािमनी यह शाणडािलनी अगर तपःया म ही रत रही तो जोगन बन जायगी और हम लोगो की बात मानगी नही अतः इस अभी उठाकर ल चल और भगवान िवण क साथ जबरन इसकी शादी करवा द

एक भात को दोनो शाणडािलनी को ल जान क िलए आय शाणडािलनी की दि जस ही उन दोनो पर पड़ी तो वह समझ गयी िक अपन िलए तो नही िकत अपनी इचछा परी करन क िलए इनकी नीयत बरी हई ह जब मरी कोई इचछा नही ह तो म िकसी की इचछा क आग कयो दब मझ तो चयर ोत का पालन करना ह िकत य दोनो मझ जबरन गहःथी म घसीटना चाहत ह मझ िवण की प ी नही बनना वरन मझ तो िनज ःवभाव को पाना ह

गरड़जी तो बलवान थ ही गालवजी भी कम नही थ िकत शाणडािलनी की िनःःवाथर सवा िनःःवाथर परमातमा म िवौािनत की याऽा न उसको इतना तो सामथयरवान बना िदया था िक उसक ारा पानी क छीट मार कर यह कहत ही िक गालव तम गल जाओ और गालव को सहयोग दन वाल गरड़ तम भी गल जाओ दोनो को महसस होन लगा िक उनकी शि कषीण हो रही ह दोनो भीतर-ही-भीतर गलन लग

िफर दोनो न बड़ा ायि त िकया और कषमायाचना की तब भारत की उस िदवय कनया शाणडािलनी न उनह माफ िकया और पवरवत कर िदया उसी क तप क भाव स गलत र तीथर बना ह

ह भारत की दिवयो उठो जागो अपनी आयर नािरयो की महानता को अपन अतीत क गौरव को याद करो तमम अथाह सामथयर ह उस पहचानो सतसग जप परमातम-धयान स अपनी छपी हई शि यो को जामत करो

जीवनशि का ास करन वाली पा ातय सःकित क अधानकरण स बचकर तन-मन को दिषत करन वाली फशनपरःती एव िवलािसता स बचकर अपन जीवन को जीवनदाता क पथ पर अमसर करो अगर ऐसा कर सको तो वह िदन दर नही जब िव तमहार िदवय चिरऽ का गान कर अपन को कताथर मानगा

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अनबम

सती सािवऽी महाभारत क वन पवर म सािवऽी और यमराज क वातारलाप का सग आता हः जब यमराज सतयवान (सािवऽी क पित) क ाणो को अपन पाश म बाध ल चल तब सािवऽी भी उनक

पीछ-पीछ चलन लगी उस अपन पीछ आत दखकर यमराज न उस वापस लौट जान क िलए कई बार कहा िकत सािवऽी चलती ही रही एव अपनी धमरचचार स उसन यमराज को सनन कर िलया

सािवऽी बोलीः सतपरषो का सग एक बार भी िमल जाय तो वह अभी की पितर करान वाला होता ह और यिद उनस म हो जाय तो िफर कहना ही कया सत-समागम कभी िनफल नही जाता अतः सदा सतपरषो क साथ ही रहना चािहए

दव आप सारी जा का िनयमन करन वाल ह अतः यम कहलात ह मन सना ह िक मन वचन और कमर ारा िकसी भी ाणी क ित िोह न करक सब पर समान रप स दया करना और दान दना ौ परषो का सनातन धमर ह यो तो ससार क सभी लोग सामानयतः कोमलता का बतारव करत ह िकत जो ौ परष ह व अपन पास आय हए शऽ पर भी दया ही करत ह

यमराजः कलयाणी जस पयास को पानी िमलन स ति होती ह उसी कार तरी धमारनकल बात सनकर मझ सननता होती ह

सािविऽ न आग कहाः िववःवान (सयरदव) क पऽ होन क नात आपको ववःवत कहत ह आप शऽ-िमऽ आिद क भद को भलाकर सबक ित समान रप स नयाय करत ह और आप धमरराज कहलात ह अचछ मनयो को सतय पर जसा िव ास होता ह वसा अपन पर भी नही होता अतएव व सतय म ही अिधक अनराग रखत ह िव ास की सौहादर का कारण ह तथा सौहादर ही िव ास का सतपरषो का भाव सबस अिधक होता ह इसिलए उन पर सभी िव ास करत ह

यमराजः सािवऽी तन जो बात कही ह वसी बात मन और िकसी क मह स नही सनी ह अतः मरी सननता और भी बढ़ गयी ह अचछा अब त बहत दर चली आयी ह जा लौट जा

िफर भी सािवऽी न अपनी धािमरक चचार बद नही की वह कहती गयीः सतपरषो का मन सदा धमर म ही लगा रहता ह सतपरषो का समागम कभी वयथर नही जाता सतो स कभी िकसी को भय नही होता सतपरष सतय क बल स सयर को भी अपन समीप बला लत ह व ही अपन भाव स पथवी को धारण करत ह भत भिवय का आधार भी व ही ह उनक बीच म रहकर ौ परषो को कभी खद नही होता दसरो की भलाई करना सनातन सदाचार ह ऐसा मानकर सतपरष तयपकार की आशा न रखत हए सदा परोपकार म ही लगा रहत ह

सािवऽी की बात सनकर यमराज िवीभत हो गय और बोलः पितोत तरी य धमारनकल बात गभीर अथर स य एव मर मन को लभान वाली ह त जयो-जयो ऐसी बात सनाती जाती ह तयो-तयो तर ित मरा ःनह बढ़ता जाता ह अतः त मझस कोई अनपम वरदान माग ल

सािवऽीः भगवन अब तो आप सतयवान क जीवन का ही वरदान दीिजए इसस आपक ही सतय और धमर की रकषा होगी पित क िबना तो म सख ःवगर लआमी तथा जीवन की भी इचछा नही रखती

धमरराज वचनब हो चक थ उनहोन सतयवान को मतयपाश स म कर िदया और उस चार सौ वष की नवीन आय दान की सतयवान क िपता मतसन की नऽजयोित लौट आयी एव उनह अपना खोया हआ राजय भी वापस िमल गया सािवऽी क िपता को भी समय पाकर सौ सतान ह एव सािवऽी न भी अपन पित सतयवान क साथ धमरपवरक जीवन-यापन करत हए राजय-सख भोगा

इस कार सती सािवऽी न अपन पाितोतय क ताप स पित को तो मतय क मख स लौटाया ही साथ ही पित क एव अपन िपता क कल दोनो की अिभवि म भी वह सहायक बनी

िजस िदन सती सािवऽी न अपन तप क भाव स यमराज क हाथ म पड़ हए पित सतयवान को छड़ाया था वही िदन वट सािवऽी पिणरमा क रप म आज भी मनाया जाता ह इस िदन सौभा यशाली ि या अपन सहाग की रकषा क िलए वट वकष की पजा करती ह एव ोत-उपवास आिद रखती ह

कसी रही ह भारत की आदशर नािरया अपन पित को मतय क मख स लौटान म यमराज स भी धमरचचार करन का सामथयर रहा ह भारत की दिवयो म सािवऽी की िदवय गाथा यही सदश दती ह िक ह भारत की दिवयो तमम अथाह सामथयर ह अथाह शि ह सतो-महापरषो क सतसग म जाकर तम अपनी छपी हई शि को जामत करक अवय महान बन सकती हो एव सािवऽी-मीरा-मदालसा की याद को पनः ताजा कर सकती हो

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अनबम

मा सीता की सतीतव-भावना भगवान ौीराम क िवयोग तथा रावण और राकषिसयो क ारा िकय जानवाल अतयाचारो क कारण मा

सीता अशोक वािटका म बड़ी दःखी थी न तो व भोजन करती न ही नीद िदन-रात कवल ौीराम-नाम क जप म ही तललीन रहती उनका िवषादमःत मखमडल दखकर हनमान जी न पवरताकार शरीर धारण करक उनस कहाः मा आपकी कपा स मर पास इतना बल ह िक म पवरत वन महल और रावणसिहत परी लका को उठाकर ल जा सकता ह आप कपा करक मर साथ चल और भगवान ौीराम व लआमण का शोक दर करक ःवय भी इस भयानक दःख स मि पा ल

भगवान ौीराम म ही एकिन रहन वाली जनकनिदनी मा सीता न हनमानजी स कहाः ह महाकिप म तमहारी शि और पराबम को जानती ह साथ ही तमहार दय क श भाव एव तमहारी ःवामी-भि को भी जानती ह िकत म तमहार साथ नही आ सकती पितपरायणता की दि स म एकमाऽ भगवान ौीराम क िसवाय िकसी परपरष का ःपशर नही कर सकती जब रावण न मरा हरण िकया था तब म असमथर असहाय और िववश थी वह मझ बलपवरक उठा लाया था अब तो करणािनधान भगवान ौीराम ही ःवय आकर रावण का वध करक मझ यहा स ल जाएग

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अनबम

आतर भ िौपदी

ईयार- ष और अित धन-समह स मनय अशात होता ह ईयार- ष की जगह पर कषमा और सतवि का िहःसा बढ़ा िदया जाय तो िकतना अचछा

दय धन ईयारल था षी था उसन तीन महीन तक दवारसा ऋिष की भली कार स सवा की उनक िशयो की भी सवा की दय धन की सवा स दवारसा ऋिष सनन हो गय और बोलः

माग ल वतस जो मागना चाह माग ल

जो ईयार और ष क िशकज म आ जाता ह उसका िववक उस साथ नही दता लिकन जो ईयार- ष रिहत होता ह उसका िववक सजग रहता ह वह शात होकर िवचार या िनणरय करता ह ऐसा वयि सफल होता ह और सफलता क अह म गरक नही होता कभी असफल भी हो गया तो िवफलता क िववाद म नही डबता द दय धन न ईयार एव ष क वशीभत होकर कहाः

मर भाई पाणडव वन म दर-दर भटक रह ह उनकी इचछा ह िक आप अपन हजार िशयो क साथ उनक अितथी हो जाय अगर आप मझ पर सनन ह तो मर भाइयो की इचछा परी कर लिकन आप उसी व उनक पास पहिचयगा जब िौपदी भोजन कर चकी हो

दय धन जानता था िक भगवान सयर न पाणडवो को अकषयपाऽ िदया ह उसम स तब तक भोजन-साममी िमलती रहती ह जब तक िौपदी भोजन न कर ल िौपदी भोजन करक पाऽ को धोकर रख द िफर उस िदन उसम स भोजन नही िनकलगा अतः दोपहर क बाद जब दवारसाजी उनक पास पहचग तब भोजन न िमलन स किपत हो जायग और पाणडवो को शाप द दग इसस पाणडव वश का सवरनाश हो जायगा

इस ईयार और ष स िरत होकर दय धन न दवारसाजी की सननता का लाभ उठाना चाहा दवारसा ऋिष मधया क समय जा पहच पाणडवो क पास यिधि र आिद पाणडव एव िौपदी दवारसाजी को

िशयो समत अितिथ क रप म आया हआ दखकर िचिनतत हो गय िफर भी बोलः िवरािजय महिषर आपक भोजन की वयवःथा करत ह

अतयारमी परमातमा सबका सहायक ह सचच का मददगार ह दवारसाजी बोलः ठहरो ठहरो भोजन बाद म करग अभी तो याऽा की थकान िमटान क िलए ःनान करन जा रहा ह

इधर िौपदी िचिनतत हो उठी िक अब अकषयपाऽ स कछ न िमल सकगा और इन साधओ को भखा कस भज उनम भी दवारसा ऋिष को वह पकार उठीः ह कशव ह माधव ह भ वतसल अब म तमहारी शरण म ह शात िच एव पिवऽ दय स िौपदी न भगवान ौीकण का िचनतन िकया भगवान ौीकण आय और बोलः िौपदी कछ खान को तो दो

िौपदीः कशव मन तो पाऽ को धोकर रख िदया ह ौी कणः नही नही लाओ तो सही उसम जरर कछ होगा िौपदी न पाऽ लाकर रख िदया तो दवयोग स उसम तादल क साग का एक प ा बच गया था

िव ातमा ौीकण न सकलप करक उस तादल क साग का प ा खाया और ति का अनभव िकया तो उन महातमाओ को भी ति का अनभव हआ व कहन लग िकः अब तो हम त हो चक ह वहा जाकर कया खायग यिधि र को कया मह िदखायग

शात िच स की हई ाथरना अवय फलती ह ईयारल एव षी िच स तो िकया-कराया भी चौपट हो जाता ह जबिक न और शात िच स तो चौपट हई बाजी भी जीत म बदल जाती ह और दय धनयता स भर जाता ह

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अनबम

दवी शि यो स समपनन गणमजरी दवी (िदनाक 12 अ बर स 21 अ बर 2002 तक मागलय धाम रतलाम (म) म शरद पिणरमा पर

आयोिजत शि पात साधना िशिवर म पजय ौी न िशिवरािथरयो को अपनी सष िदवय शि यो को जागत करन का आ ान िकया

िवबम सवत 1781 म यागराज इलाहाबाद म घिटत एक घटना का िजब करत हए पजयौी न लोकपावनी वाणी म कहाः)

यागराज इलाहाबाद म ऽयोदशी क कभ-ःनान का पवर-िदवस था कभ म कई अखाड़वाल जित-जोिग साध-सत आय थ उसम कामकौतकी नामक एक ऐसी जाित भी आयी थी जो भगवान क िलए ही राग-रािगिनयो का अ यास िकया करती थी तथा भगवदगीत क िसवाय और कोई गीत नही गाती थी उसन भी अपना गायन-कायरबम कभ मल म रखा था

ौगरी मठाधीश ौी सोमनाथाचायर भी इस कामकौतकी जाितवालो क सयम और राग-रािगिनयो म उनकी कशलता क बार म जानत थ इसिलए व भी वहा पधार थ उस कायरबम म सोमनाथाचायर जी की उपिःथित क कारण लोगो को िवशष आनद हआ और जब गणमजरी दवी भी आ पहची तो उस आनद म चार चाद लग गय

गणमजरी दवी न चानिायण और कचल ोत िकय थ शरीर क दोषो को हरन वाल जप-तप और सयम को अचछी तरह स साधा था लोगो न मन-ही-मन उसका अिभवादन िकया

गणमजरी दवी भी कवल गीत ही नही गाती थी वरन उसन अपन जीवन म दवी गणो का इतना िवकिसत िकया था िक जब चाह अपनी दिवक सिखयो को बला सकती थी जब चाह बादल मडरवा सकती थी िबजली चमका सकती थी उस समय उसकी याित दर-दर तक पहच चकी थी

कायरबम आरमभ हआ कामकौतकी जाित क आचाय न शबदो की पपाजली स ई रीय आराधना का माहौल बनाया अत म गणमजरी दवी स ाथरना की गयी

गणमजरी दवी न वीणा पर अपनी उगिलया रखी माघ का महीना था ठणडी-ठणडी हवाए चलन लगी थोड़ी ही दर म मघ गरजन लग िबजली चमकन लगी और बािरश का माहौल बन गया आन वाली बािरश स बचन क लोगो का िच कछ िवचिलत होन लगा इतन म सोमनाथाचायरजी न कहाः बठ रहना िकसी को

िचनता करन की जररत नही ह य बादल तमह िभगोयग नही य तो गण मजरी दवी की तपःया और सकलप का भाव ह

सत की बात का उललघन करना मि फल को तयागना और नरक क ार खोलना ह लोग बठ रह 32 राग और 64 रािगिनया ह राग और रािगिनया क पीछ उनक अथर और आकितया भी होती ह

शबद क ारा सि म उथल-पथल मच सकती ह व िनज व नही ह उनम सजीवता ह जस एयर कडीशनर चलात ह तो वह आपको हवा स पानी अलग करक िदखा दता ह ऐस ही इन पाच भतो म िःथत दवी गणो को िजनहोन साध िलया ह व शबद की धविन क अनसार बझ दीप जला सकत ह दि कर सकत ह - ऐस कई सग आपन-हमन-दख-सन होग गणमजरी दवी इस कार की साधना स समपनन दवी थी

माहौल ौ ा-भि और सयम की पराका ा पर था गणमजरी दवी न वीणा बजात हए आकाश की ओर िनहारा घनघोर बादलो म स िबजली की तरह एक दवागना कट हई वातावरण सगीतमय-नतयमय होता जा रहा था लोग दग रह गय आ यर को भी आ यर क समि म गोत खान पड़ ऐसा माहौल बन गया

लोग भीतर ही भीतर अपन सौभा य की सराहना िकय जा रह थ मानो उनकी आख उस दय को पी जाना चाहती थी उनक कान उस सगीत को पचा जाना चाहत थ उनका जीवन उस दय क साथ एक रप होता जा रहा था गणमजरी धनय हो तम कभी व गणमजरी को को धनयवाद दत हए उसक गीत म खो जात और कभी उस दवागना क श पिवऽ नतय को दखकर नतमःतक हो उठत

कायरबम समपनन हआ दखत ही दखत गणमजरी दवी न दवागना को िवदाई दी सबक हाथ जड़ हए थ आख आसमान की ओर िनहार रही थी और िदल अहोभाव स भरा था मानो भ-म म भ की अदभत लीला म खोया-सा था

ौगरी मठाधीश ौी सोमनाथाचायरजी न हजारो लोगो की शात भीड़ स कहाः सजजनो इसम आ यर की कोई आवयकता नही ह हमार पवरज दवलोक स भारतभिम पर आत और सयम साधना तथा भगवतीित क भाव स अपन वािछत िदवय लोको तक की याऽा करन म सफल होत थ कोई-कोई ःवरप परमातमा का ौवण मनन िनिदधयासन करक यही मय अननत ाणडवयापी अपन आतम-ऐ यर को पा लत थ

समय क फर स लोग सब भलत गय अनिचत खान-पान ःपशर-दोष सग-दोष िवचार-दोष आिद स लोगो की मित और साि वकता मारी गयी लोगो म छल कपट और तमस बढ़ गया िजसस व िदवय लोको की बात ही भल गय अपनी असिलयत को ही भल गय गणमजरी दवी न सग दोष स बचकर सयम स साधन-भजन िकया तो उसका दवतव िवकिसत हआ और उसन दवागना को बलाकर तमह अपनी असिलयत का पिरचय िदया

तम भी इस दय को दखन क कािबल तब हए जब तमन कभ क इस पवर पर यागराज क पिवऽ तीथर म सयम और ौ ा-भि स ःनान िकया इसक भाव स तमहार कछ कलमष कट और पणय बढ़ पणयातमा लोगो क एकिऽत होन स गणमजरी दवी क सकलप म सहायता िमली और उसन तमह यह दय िदखाया अतः इसम आ यर न करो

आपम भी य शि या छपी ह तम भी चाहो तो अनिचत खान-पान सग-दोष आिद स बचकर सदगर क िनदशानसार साधना-पथ पर अमसर हो इन शि यो को िवकिसत करन म सफल हो सकत हो कवल इतना ही नही वरन पर -परमातमा को पाकर सदा-सदा क िलए म भी हो सकत हो अपन म ःवरप का जीत जी अनभव कर सकत हो

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अनबम

िववक की धनीः कमारवती यह कथा सतयःवरप ई र को पान की ततपरता रखनवाली भोग-िवलास को ितलाजिल दन वाली

िवकारो का दमन और िनिवरकार नारायण ःवरप का दशरन करन वाली उस बचची की ह िजसन न कवल अपन को तारा अिपत अपन िपता राजपरोिहत परशरामजी का कल भी तार िदया

जयपर-सीकर क बीच महनिगढ़ क सरदार शखावत क राजपरोिहत परशरामजी की उस बचची का नाम था कमार कमारवती बचपन म वह ऐस कमर करती थी िक उसक कमर शोभा दत थ कई लोग कमर करत ह तो कमर उनको थका दत ह कमर म उनको फल की इचछा होती ह कमर म कतारपन होता ह

कमारवती क कमर म कतारपन नही था ई र क ित समपरण भाव थाः जो कछ कराता ह भ त ही कराता ह अचछ काम होत ह तो नाथ तरी कपा स ही हम कर पात ह कमारवती कमर करती थी लिकन कतारभाव को िवलय होन का मौका िमल उस ढग स करती थी

कमारवती तरह साल की हई गाव म साध-सत पधार उन सतपरषो स गीता का जञान सना भगवदगीता का माहातमय सना अचछ-बर कम क बनधन स जीव मनय-लोक म जनमता ह थोड़ा-सा सखाभास पाता ह परत काफी माऽा म दःख भोगता ह िजस शरीर स सख-दःख भोगता ह वह शरीर तो जीवन क अत म जल जाता ह लिकन भीतर सख पान का सख भोगन का भाव बना रहता ह यह कतार-भो ापन का भाव तब तक बना रहता ह जब तक मन की सीमा स पर परमातमा-ःवरप का बोध नही होता

कमारवती इस कार का सतसग खब धयान दकर आखो की पलक कम िगर इस कार सनती थी वह इतना एकाम होकर सतसग सनती िक उसका सतसग सनना बदगी हो जाता था

एकटक िनहारत हए सतसग सनन स मन एकाम होता ह सतसग सनन का महापणय तो होता ही ह साथ ही साथ मनन करन का लाभ भी िमल जाता ह और िनिदधयासन भी होता रहता ह

दसर लोग सतसग सनकर थोड़ी दर क बाद कपड़ झाड़कर चल दत और सतसग की बात भल जात लिकन कमारवती सतसग को भलती नही थी सतसग सनन क बाद उसका मनन करती थी मनन करन स उसकी यो यता बढ़ गयी जब घर म अनकलता या ितकलता आती तो वह समझती िक जो आता ह वह

जाता ह उसको दखनवाला मरा राम मरा कण मरा आतमा मर गरदव मरा परमातमा कवल एक ह सख आयगा ETH जायगा पर म चतनय आतमा एकरस ह ऐसा उसन सतसग म सन रखा था

सतसग को खब एकामता स सनन और बाद म उस ःमरण-मनन करन स कमारवती न छोटी उ म खब ऊचाई पा ली वह बातचीत म और वयवहार म भी सतसग की बात ला दती थी फलतः वयवहार क न उसक िच को मिलन नही करत थ उसक िच की िनमरलता व साि वकता बढ़ती गयी

म तो महनिगढ़ क उस सरदार खडरकर शखावत को भी धनयवाद दगा कयोिक उसक राजपरोिहत हए थ परशराम और परशराम क घर आयी थी कमारवती जसी पिवऽ बचची िजनक घर म भ पदा हो व माता-िपता तो भा यशाली ह ही पिवऽ ह व जहा नौकरी करत ह वह जगह वह आिफस वह कस भी भा यशाली ह िजसक यहा व नौकरी करत ह वह भी भा यशाली ह िक भ क माता-िपता उसक यहा आया-जाया करत ह

राजपरोिहत परशराम भी भगवान क भ थ सयमी जीवन था उनका व सदाचारी थ दीन-दःिखयो की सवा िकया करत थ गर-दशरन म रिच और गर-वचन म िव ास रखन वाल थ ऐस पिवऽातमा क यहा जो सतान पदा हो उसका भी ओजःवी-तजःवी होना ःवाभािवक ह

कमारवती िपता स भी बहत आग बढ़ गयी कहावत ह िक बाप स बटा सवाया होना चािहए लिकन यह तो बटी सवायी हो गई भि म

परशराम सरदार क कामकाज म वयःत रहत अतः कभी सतसग म जा पात कभी नही पर कमारवती हर रोज िनयिमत रप स अपनी मा को लकर सतसग सनन पहच जाती ह परशराम सतसग की बात भल भी जात परत कमारवती याद रखती

कमारवती न घर म पजा क िलए एक कोठरी बना ली थी वहा ससार की कोई बात नही कवल माला और जप धयान उसन उस कोठरी को साि वक सशोभनो स सजाया था िबना हाथ-पर धोय नीद स उठकर िबना ःनान िकय उसम वश नही करती थी धप-दीप-अगरब ी स और कभी-कभी ताज िखल हए फलो स कोठरी को पावन बनाया करती महकाया करती उसक भजन की कोठरी मानो भगवान का मिदर ही बन गयी थी वह धयान-भजन नही करनवाल िनगर कटिमबयो को नता स समझा-बझाकर उस कोठरी म नही आन दती थी उसकी उस साधना-कटीर म भगवान की जयादा मितरया नही थी वह जानती थी िक अगर धयान-भजन म रिच न हो तो व मितरया बचारी कया करगी धयान-भजन म सचची लगन हो तो एक ही मितर काफी ह

साधक अगर एक ही भगवान की मितर या गरदव क िचऽ को एकटक िनहारत-िनहारत आतर याऽा कर तो एक म ही सब ह और सब म एक ही ह यह जञान होन म सिवधा रहगी िजसक धयान-ककष म अ यास-खणड म या घर म बहत स दवी-दवताओ क िचऽ हो मितरया हो तो समझ लना उसक िच म और जीवन म काफी अिनि तता होगी ही कयोिक उसका िच अनक म बट जाता ह एक पर परा भरोसा नही रहता

कमारवती न साधन-भजन करन का िनि त िनयम बना िलया था िनयम पालन म वह पककी थी जब तक िनयम परा न हो तब तक भोजन नही करती िजसक जीवन म ऐसी दढ़ता होती ह वह हजारो िव न-बाधाओ और मसीबतो को परो तल कचलकर आग िनकल जाता ह

कमारवती 13 साल की हई उस साल उसक गाव म चातमारस करन क िलए सत पधार कमारवती एक िदन भी कथा सनना चकी नही कथा-ौवण क साररप उसक िदल-िदमाग म िन य दढ़ हआ िक जीवनदाता को पान क िलए ही यह जीवन िमला ह कोई गड़बड़ करन क िलए नही परमातमा को नही पाया तो जीवन वयथर ह

न पित अपना ह न प ी अपनी ह न बाप अपना ह न बट अपन ह न घर अपना ह न दकान अपनी ह अर यह शरीर तक अपना नही ह तो और की कया बात कर शरीर को भी एक िदन छोड़ना पड़गा मशान म उस जलाया जायगा

कमारवती क दय म िजजञासा जगी िक शरीर जल जान स पहल मर दय का अजञान कस जल म अजञानी रहकर बढ़ी हो जाऊ आिखर म लकड़ी टकती हई र ण अवःथा म अपमान सहती हई कराहती हई अनय बिढ़याओ की ना मर यह उिचत नही यह कभी-कभी व ो को बीमार वयि यो को दखती और मन म वरा य लाती िक म भी इसी कार बढ़ी हो जाऊगी कमर झक जायगी मह पोपला हो जायगा आखो स पानी टपकगा िदखाई नही दगा सनाई नही दगा शरीर िशिथल हो जायगा यिद कोई रोग हो जायगा तो और मसीबत िकसी की मतय होती तो कमारवती उस दखती जाती हई अथ को िनहारती और अपन मन को समझातीः बस यही ह शरीर का आिखरी अजाम जवानी म सभाला नही तो बढ़ाप म दःख भोग-भोगकर आिखर मरना ही ह राम राम राम म ऐसी नही बनगी म तो बनगी भगवान की जोिगन मीराबाई म तो मर पयार परमातमा को िरझाऊगी

कमारवती कभी वरा य की अि न म अपन को श करती ह कभी परमातमा क ःनह म भाव िवभोर हो जाती ह कभी पयार क िवयोग म आस बहाती ह तो कभी सनमन होकर बठी रहती ह मतय तो िकसी क घर होती ह और कमारवती क दय क पाप जलन लगत ह उसक िच म िवलािसता की मौत हो जाती ह ससारी तचछ आकषरणो का दम घट जाता ह और दय म भगवदभि का िदया जगमगा उठता ह

िकसी की मतय होन पर भी कमारवती क दय म भि का िदया जगमगान लगता और िकसी की शादी हो तब भी भि का िदया ही जगमगाता वह ऐसी भावना करती िक

म ऐस वर को कयो वर जो उपज और मर जाय म तो वर मर िगरधर गोपाल को मरो चडलो अमर हो जाय

मीरा न इसी भाव को कटाकर दहराकर अपन जीवन को धनय कर िलया था कमारवती न भगवदभि की मिहमा सन रखी थी िक एक ा ण यवक था उसन अपना ःवभावजनय

कमर नही िकया कवल िवलासी और दराचारी जीवन िजया जो आया सो खाया जसा चाहा वसा भोगा ककमर िकय वह मरकर दसर जनम म बल बना और िकसी िभखारी क हाथ लगा वह िभखारी बल पर सवारी करता और बःती म घम-िफरकर भीख मागकर अपना गजारा चलाता

दःख सहत-सहत बल बढ़ा हो गया उसक शरीर की शि कषीण हो गयी वह अब बोझ ढोन क कािबल नही रहा िभखारी न बल को छोड़ िदया रोज-रोज वयथर म चारा कहा स िखलाय भखा पयासा बल इधर-उधर

भटकन लगा कभी कही कछ रखा-सखा िमल जाता तो खा लता कभी लोगो क डणड खाकर ही रह जाना पड़ता

बािरश क िदन आय बल कही कीचड़ क ग ड म उतर गया और फस गया उसकी रगो म ताकत तो थी नही िफर वही छटपटान लगा तो और गहराई म उतरन लगा पीठ की चमड़ी फट गयी लाल धबब िदखाई दन लग अब ऊपर स कौए चोच मारन लग मिकखया िभनिभनान लगी िनःतज थका मादा हारा हआ वह बढ़ा बल अगल जनम म खब मज कर चका था अब उनकी सजा भोग रहा ह अब तो ाण िनकल तभी छटकारा हो वहा स गजरत हए लोग दया खात िक बचारा बल िकतना दःखी ह ह भगवान इसकी सदगित हो जाय िकतना दःखी ह ह भगवान इसकी सदगित हो जाय व लोग अपन छोट-मोट पणय दान करत िफर भी बल की सदगित नही होती थी

कई लोगो न बल को ग ड स बाहर िनकालन की कोिशश की पछ मरोड़ी सीगो म रःसी बाधकर खीचा-तानी की लिकन कोई लाभ नही व बचार बल को और परशान करक थककर चल गय

एक िदन कछ बड़-बढ़ लोग आय और िवचार करन लग िक बल क ाण नही िनकल रह ह कया िकया जाय लोगो की भीड़ इकटठी हो गयी उस टोल म एक वया भी थी वया न कछ अचछा सकलप िकया

वह हर रोज तोत क मह स टटी-फटी गीता सनती समझती तो नही िफर भी भगवदगीता क ोक तो सनती थी भगवदगीता आतमजञान दती ह आतमबल जगाती ह गीता वदो का अमत ह उपिनषदरपी गायो को दोहकर गोपालननदन ौीकणरपी वाल न गीतारपी द धामत अजरन को िपलाया ह यह पावन गीता हर रोज सबह िपजर म बठा हआ तोतो बोलता था वह सनती थी वया न इस गीता-ौवण का पणय बल की सदगित क िलए अपरण िकया

जस ही वया न सकलप िकया िक बल क ाण-पखर उड़ गय उसी पणय क भाव स वह बल सोमशमार नामक ा ण क घर बालक होकर पदा हआ बालक जब 6 साल का हआ तो उसक यजञोपवीत आिद सःकार िकय गय माता-िपता न कल-धमर क पिवऽ सःकार िकय गय माता-िपता न कल-धमर क पिवऽ सःकार िदय उसकी रिच धयान-भजन म लगी वह आसन ाणायाम धयाना यास आिद करन लगा उसन योग म तीोता स गित कर ली और 18 साल की उ म धयान क ारा अपना पवरजनम जान िलया उसको आ यर हआ िक ऐसा कौन-सा पणय उस बाई न अपरण िकया िजसस मझ बल की नारकीय अवःथा स मि िमली व जप-तप करन वाल पिवऽ ा ण क घर जनम िमला

ा ण यवक पहचा वया क घर वया अब तक बढ़ी हो चकी थी वह अपन कतयो पर पछतावा करन लगी थी अपन ार पर ा ण कमार को आया दखकर उसन कहाः

मन कई जवानो की िजनदगी बरबाद की ह म पाप-च ाओ म गरक रहत-रहत बढ़ी हो गयी ह त ा ण का पऽ मर ार पर आत तझ शमर नही आती

म ा ण का पऽ जरर ह पर िवकारी और पाप की िनगाह स नही आया ह माताजी म तमको णाम करक पछन आया ह िक तमन कौन सा पणय िकया ह

भाई म तो वया ठहरी मन कोई पणय नही िकया ह

उननीस साल पहल िकसी बल को कछ पणय अपरण िकया था

हा ःमरण म आ रहा ह कोई बढ़ा बल परशान हो रहा था ाण नही छट रह थ बचार क मझ बहत दया आयी मर और तो कोई पणय थ नही िकसी ा ण क घर म चोर चोरी करक आय थ उस सामान म तोत का एक िपजरा भी था जो मर यहा छोड़ गय उस ा ण न तोत को ौीमदभगवदगीता क कछ ोक रटाय थ वह म सनती थी उसी का पणय उस बल को अपरण िकया था

ा ण कमार को ऐसा लगा िक यिद भगवदगीता का अथर समझ िबना कवल उसका ौवण ही इतना लाभ कर सकता ह तो उसका मनन और िनिदधयासन करक गीता-जञान पचाया जाय तो िकतना लाभ हो सकता ह वह पणर शि स चल पड़ा गीता-जञान को जीवन म उतारन क िलए

कमारवती को जब गीता-माहातमय की यह कथा सनन को िमली तो उसन भी गीता का अधययन शर कर िदया भगवदगीता म तो ाणबल ह िहममत ह शि ह कमारवती क दय म भगवान ौीकण क िलए पयार पदा हो गया उसन पककी गाठ बाध ली िक कछ भी हो जाय म उस बाक िबहारी क आतम-धयान को ही अपना जीवन बना लगी गरदव क जञान को परा पचा लगी म ससार की भटठी म पच-पचकर मरगी नही म तो परमातम-रस क घट पीत-पीत अमर हो जाऊगी

कमारवती न ऐसा नही िकया िक गाठ बाध ली और िफर रख दी िकनार नही एक बार दढ़ िन य कर िलया तो हर रोज सबह उस िन य को दहराती अपन लआय का बार-बार ःमरण करती और अपन आपस कहा करती िक मझ ऐसा बनना ह िदन-ितिदन उसका िन य और मजबत होता गया

कोई एक बार िनणरय कर ल और िफर अपन िनणरय को भल जाय तो उस िनणरय की कोई कीमत नही रहती िनणरय करक हर रोज उस याद करना चािहए उस दहराना चािहए िक हम ऐसा बनना ह कछ भी हो जाय िन य स हटना नही ह

हम रोक सक य जमान म दम नही हमस जमाना ह जमान स हम नही

पाच वषर क ीव न िनणरय कर िलया तो िव िनयता िव र को लाकर खड़ा कर िदया ाद न िनणरय कर िलया तो ःतभ म स भगवान निसह को कट होना पड़ा मीरा न िनणरय कर िलया तो मीरा भि म सफल हो गयी

ातः ःमरणीय परम पजय ःवामी ौी लीलाशाहजी बाप न िनणरय कर िलया तो जञान म पारगत हो गय हम अगर िनणरय कर तो हम कयो सफल नही होग जो साधक अपन साधन-भजन करन क पिवऽ ःथान म ा महतर क पावन काल म महान बनन क िनणरय को बार-बार दहरात ह उनको महान होन स दिनया की कोई ताकत रोक नही सकती

कमारवती 18 साल की हई भीतर स जो पावन सकलप िकया था उस पर वह भीतर-ही-भीतर अिडग होती चली गयी वह अपना िनणरय िकसी को बताती नही थी चार नही करती थी हवाई गबबार नही उड़ाया करती थी अिपत सतसकलप की नीव म साधना का जल िसचन िकया करती थी

कई भोली-भाली मखर बिचचया ऐसी होती ह िजनहोन दो चार स ाह धयान-भजन िकया दो चार महीन साधना की और िचललान लग गयी िक म अब शादी नही करगी म अब साधवी बन जाऊगी सनयािसनी बन जाऊगी साधना करगी साधन-भजन की शि बढ़न क पहल ही िचललान लग गयी

व ही बिचचया दो-चार साल बाद मर पास आयी दखा तो उनहोन शादी कर ली थी और अपना ननहा-मनना बटा-बटी ल आकर मझस आशीवारद माग रही थी िक मर बचच को आशीवारद द िक इसका कलयाण हो

मन कहाः अर त तो बोलती थी शादी नही करगी सनयास लगी साधना करगी और िफर यह ससार का झमला

साधना की कवल बात मत करो काम करो बाहर घोषणा मत करो भीतर-ही-भीतर पिरपकव बनत जाओ जस ःवाित नकषऽ म आकाश स िगरती जल की बद को पका-पकाकर मोती बना दती ह ऐस ही तम भी अपनी भि की कजी ग रखकर भीतर-ही-भीतर उसकी शि को बढ़न दो साधना की बात िकसी को बताओ नही जो अपन परम िहतषी हो भगवान क सचच भ हो ौ परष हो सदगर हो कवल उनस ही अपनी अतरग साधना की बात करो अतरग साधना क िवषय म पछो अपन आधयाितमक अनभव जािहर करन स साधना का ास होता ह और गोपय रखन स साधना म िदवयता आती ह

म जब घर म रहता था तब यि स साधन-भजन करता था और भाई को बोलता थाः थोड़ िदन भजन करन दो िफर दकान पर बठगा अभी अन ान चल रहा ह एक परा होता तो कहता अभी एक बाकी ह िफर थोड़ िदन दकान पर जाता िफर उसको बोलताः मझ कथा म जाना ह तो भाई िचढ़कर कहताः रोज-रोज ऐसा कहता ह सधरता नही म कहताः सधर जाऊगा

ऐसा करत-करत जब अपनी वि पककी हो गयी तब मन कह िदयाः म दकान पर नही बठगा जो करना हो सो कर लो यिद पहल स ही ऐस बगावत क शबद बोलता तो वह कान पकड़कर दकान पर बठा दता

मरी साधना को रोककर मझ अपन जसा ससारी बनान क िलए िरतदारो न कई उपाय आजमाय थ मझ फसला कर िसनमा िदखान ल जात िजसस ससार का रग लग जाय धयान-भजन की रिच न हो जाय िफर जलदी-जलदी शादी करा दी हम दोनो को कमर म बनद कर दत तािक भगवान स पयार न कर और ससारी हो जाऊ अहाहा ससारी लोग साधना स कस-कस िगरत-िगरात ह म भगवान स आतरभाव स ाथरना िकया करता िक ह भ मझ बचाओ आखो स झर-झर आस टपकत उस दयाल दव की कपा का वणरन नही कर सकता

म पहल भजन नही करता तो घरवाल बोलतः भजन करो भजन करो जब म भजन करन लगा तो लोग बोलन लगः रको रको इतना सारा भजन नही करो जो मा पहल बोलती थी िक धयान करो िफर वही बोलन लगी िक इतना धयान नही करो तरा भाई नाराज होता ह म तरी मा ह मरी आजञा मानो

अभी जहा भवय आौम ह वहा पहल ऐसा कछ नही था कटील झाड़-झखाड़ तथा भयावह वातावरण था वहा उस समय जब हम मोकष कटीर बना रह थ तब भाई मा को बहकाकर ल आया और बोलाः सात सात

साल चला गया था अब गरजी न भजा ह तो घर म रहो दकान पर बठो यहा जगल म किटया बनवा रह हो इतनी दर तमहार िलए रोज-रोज िटिफन कौन लायगा

मा भी कहन लगी म तमहारी मा ह न तम मात आजञा िशरोधायर करो यह ट वापस कर दो घर म आकर रहो भाई क साथ दकान पर बठा करो

यह मा की आजञा नही थी ममता की आजञा थी और भाई की चाबी भराई हई आजञा थी मा ऐसी आजञा नही दती

भाई मझ घर ल जान क िलए जोर मार रहा था भाभी भी कहन लगीः यहा उजाड़ कोतरो म अकल पड़ रहोग कया हर रोज मिणनगर स आपक भाई िटिफन लकर यहा आयग

मन कहाः ना ना आपका िटिफन हमको नही चािहए उस अपन पास ही रखो यहा आकर तो हजारो लोग भोजन करग हमारा िटिफन वहा स थोड़ ही मगवाना ह

उन लोगो को यही िचनता होती थी िक यह अकला यहा रहगा तो मिणनगर स इसक िलए खाना कौन लायगा उनको पता नही िक िजसक सात साल साधना म गय ह वह अकला नही ह िव र उसक साथ ह बचार ससािरयो की बि अपन ढग की होती ह

मा मझ दोपहर को समझान आयी थी उसक िदल म ममता थी यहा पर कोई पड़ नही था बठन की जगह नही थी छोट-बड़ ग ड थ जहा मोकष कटीर बनी ह वहा िखजड़ का पड़ थाष वहा लोग दार िछपात थ कसी-कसी िवकट पिरिःथितया थी लिकन हमन िनणरय कर िलया था िक कछ भी हो हम तो अपनी राम-नाम की शराब िपयग िपलायग ऐस ही कमारवती न भी िनणरय कर िलया था लिकन उस भीतर िछपाय थी जगत भि नही और करन द नही दिनया दोरगी ह

दिनया कह म दरगी पल म पलटी जाऊ सख म जो सोत रह वा को दःखी बनाऊ

आतमजञान या आतमसाकषातकार तो बहत ऊची चीज होती ह त वजञानी क आग भगवान कभी अकट रहता ही नही आतमसाकषातकारी तो ःवय भगवतःवरप हो जात ह व भगवान को बलात नही व जानत ह िक रोम-रोम म अनत-अनत ाणडो म जो ठोस भरा ह वह अपन दय म भी ह जञानी अपन दय म ई र को जगा लत ह ःवय ई रःवरप बन जात ह व पकक गर क चल होत ह ऐस वस नही होत

कमारवती 18 साल की हई उसका साधन-भजन ठीक स आग बढ़ रहा था बटी उ लायक होन स िपता परशरामजी को भी िचनता होन लगी िक इस कनया को भि का रग लग गया ह यिद शादी क िलए ना बोल दगी तो ऐसी बातो म मयारदा शमर सकोच खानदानी क यालो का वह जमाना था कमारवती की इचछा न होत हए भी िपता न उसकी मगनी करा दी कमारवती कछ नही बोल पायी

शादी का िदन नजदीक आन लगा वह रोज परमातमा स ाथरना करन लगी और सोचन लगीः मरा सकलप तो ह परमातमा को पान का ई र क धयान म तललीन रहन का शादी हो जायगी तो ससार क कीचड़ म फस मरगी अगल कई जनमो म भी मर कई पित होग माता िपता होग सास- सर होग उनम स िकसी

न मतय स नही छड़ाया मझ अकल ही मरना पड़ा अकल ही माता क गभर म उलटा होकर लटकना पड़ा इस बार भी मर पिरवारवाल मझ मतय स नही बचायग

मतय आकर जब मनय को मार डालती ह तब पिरवाल सह लत ह कछ कर नही पात चप हो जात ह यिद मतय स सदा क िलए पीछा छड़ानवाल ई र क राःत पर चलत ह तो कोई जान नही दता

ह भ कया तरी लीला ह म तझ नही पहचानती लिकन त मझ जानता ह न म तमहारी ह ह सि कतार त जो भी ह जसा भी ह मर दय म सतरणा द

इस कार भीतर-ही-भीतर भगवान स ाथरना करक कमारवती शात हो जाती तो भीतर स आवाज आतीः िहममत रखो डरो नही परषाथर करो म सदा तमहार साथ ह कमारवती को कछ तसलली-सी िमल जाती

शादी का िदन नजदीक आन लगा तो कमारवती िफर सोचन लगीः म कवारी लड़की स ाह क बाद शादी हो जायगी मझ घसीट क ससराल ल जायग अब मरा कया होगा ऐसा सोचकर वह बचारी रो पड़ती अपन पजा क कमर म रोत-रोत ाथरना करती आस बहाती उसक दय पर जो गजरता था उस वह जानती थी और दसरा जानता था परमातमा

शादी को अब छः िदन बच पाच िदन बच चार िदन बच जस कोई फासी की सजा पाया हआ कदी फासी की तारीख सनकर िदन िगन रहा हो ऐस ही वह िदन िगन रही थी

शादी क समय कनया को व ाभषण स गहन-अलकारो स सजाया जाता ह उसकी शसा की जाती ह कमारवती यह सब सासािरक तरीक समझत हए सोच रही थी िक जस बल को पचकार कर गाड़ी म जोता जाता ह ऊट को पचकार कर ऊटगाड़ी म जोता जाता ह भस को पचकार कर भसगाड़ी म जोता जाता ह ाणी को फसलाकर िशकार िकया जाता ह वस ही लोग मझ पचकार-पचकार कर अपना मनमाना मझस करवा लग मरी िजनदगी स खलग

ह परमातमा ह भ जीवन इन ससारी पतलो क िलए नही तर िलय िमला ह ह नाथ मरा जीवन तर काम आ जाय तरी ाि म लग जाय ह दव ह दयाल ह जीवनदाता ऐस पकारत-पकारत कमारवती कमारवती नही रहती थी ई र की पऽी हो जाती थी िजस कमर म बठकर वह भ क िलए रोया करती थी आस बहाया करती थी िजस कमर म बठकर वह भ क िलए रोया करती थी आस बढ़ाया करती थी वह कमरा भी िकतना पावन हो गया होगा

शादी क अब तीन िदन बच थ दो िदन बच थ रात को नीद नही िदन को चन नही रोत-रोत आख लाल हो गयी मा पचकारती भाभी िदलासा दती और भाई िरझाता लिकन कमारवती समझती िक यह सारा पचकार बल को गाड़ी म जोतन क िलए ह यह सारा ःनह ससार क घट म उतारन क िलए ह

ह भगवान म असहाय ह िनबरल ह ह िनबरल क बल राम मझ सतरणा द मझ सनमागर िदखा

कमारवती की आखो म आस ह दय म भावनाए छलक रही ह और बि म ि धा हः कया कर शादी को इनकार तो कर नही सकती मरा ी शरीर कया िकया जाय

भीतर स आवाज आयीः त अपन क ी मत मान अपन को लड़की मत मान त अपन को भगवदभ मान आतमा मान अपन को ी मानकर कब तक खद को कोसती रहगी अपन को परष मान कर कब तक बोझा ढोती रहगी मन यतव तो तमहारा चोला ह शरीर का एक ढाचा ह तरा कोई आकार नही ह त तो िनराकार बलःवरप आतमा ह जब-जब त चाहगी तब-तब तरा मागरदशरन होता रहगा िहममत मत हार परषाथर परम दव ह हजार िव न-बाधाए आ जाय िफर भी अपन परषाथर स नही हटना

तम साधना क मागर पर चलत हो तो जो भी इनकार करत ह पराय लगत ह शऽ जस लगत ह व भी जब तम साधना म उननत होग जञान म उननत होग तब तमको अपना मानन लग जायग शऽ भी िमऽ बन जायग कई महापरषो का यह अनभव हः

आधी और तफान हमको न रोक पाय मरन क सब इराद जीन क काम आय हम भी ह तमहार कहन लग पराय

कमारवती को भीतर स िहममत िमली अब शादी को एक ही िदन बाकी रहा सयर ढलगा शाम होगी राऽी होगी िफर सय दय होगा और शादी का िदन इतन ही घणट बीच म अब समय नही गवाना ह रात सोकर या रोकर नही गवानी ह आज की रात जीवन या मौत की िनणारयक रात होगी

कमारवती न पकका िनणरय कर िलयाः चाह कछ भी हो जाय कल सबह बारात क घर क ार पर आय उसक पहल यहा स भागना पड़गा बस यही एक मागर ह यही आिखरी फसला ह

कषण िमनट और घणट बीत रह थ पिरवार वाल लोग शादी की जोरदार तयािरया कर रह थ कल सबह बारात का सतकार करना था इसका इतजाम हो रहा था कई सग-समबनथी-महमान घर पर आय हए थ कमारवती अपन कमर म यथायो य मौक क इतजार म घणट िगन रही थी

दोपहर ही शाम हई सयर ढला कल क िलए परी तयािरया हो चकी थी रािऽ का भोजन हआ िदन क पिरौम स थक लोग रािऽ को दरी स िबःतर पर लट गय िदन भर जहा शोरगल मचा था वहा शाित छा गयी

यारह बज दीवार की घड़ी न डक बजाय िफर िटक िटक िटक िटककषण िमनट म बदल रही ह घड़ी का काटा आग सरक रहा ह सवा यारह साढ़ यारह िफर राऽी क नीरव वातावरण म घड़ी का एक डका सनाई पड़ा िटकिटकिटक पौन बारह घड़ी आग बढ़ी पनिह िमनट और बीत बारह बज घड़ी न बारह डक बजाना शर िकया कमारवती िगनन लगीः एक दो तीन चार दस यारह बारह

अब समय हो गया कमारवती उठी जाच िलया िक घर म सब नीद म खरारट भर रह ह पजा घर म बाकिबहारी कण कनहया को णाम िकया आस भरी आखो स उस एकटक िनहारा भाविवभोर होकर अपन पयार परमातमा क रप को गल लगा िलया और बोलीः अब म आ रही ह तर ार मर लाला

चपक स ार खोला दब पाव घर स बाहर िनकली उसन आजमाया िक आगन म भी कोई जागता नही ह कमारवती आग बढ़ी आगन छोड़कर गली म आ गयी िफर सरारट स भागन लगी वह गिलया पार

करती हई रािऽ क अधकार म अपन को छपाती नगर स बाहर िनकल गयी और जगल का राःता पकड़ िलया अब तो वह दौड़न लगी थी घरवाल ससार क कीचड़ म उतार उसक पहल बाक िबहारी िगरधर गोपाल क धाम म उस पहच जाना था वनदावन कभी दखा नही था उसक मागर का भी उस पता नही था लिकन सन रखा था िक इस िदशा म ह

कमारवती भागती जा रही ह कोई दख लगा अथवा घर म पता चल जायगा तो लोग खजान िनकल पड़ग पकड़ी जाऊगी तो सब मामला चौपट हो जायगा ससारी माता-िपता इजजत-आबर का याल करक शादी कराक ही रहग चौकी पहरा िबठा दग िफर छटन का कोई उपाय नही रहगा इस िवचार स कमारवती क परो म ताकत आ गयी वह मानो उड़न लगी ऐस भागी ऐस भागी िक बस मानो बदक लकर कोई उसक पीछ पड़ा हो

सबह हई उधर घर म पता चला िक कमारवती गायब ह अर आज तो हकक-बकक स हो गय इधर-उधर छानबीन की पछताछ की कोई पता नही चला सब दःखी हो गय परशराम भ थ मा भी भ थी िफर भी उन लोगो को समाज म रहना था उनह खानदानी इजजत-आबर की िचनता थी घर म वातावरण िचिनतत बन गया िक बारातवालो को कया मह िदखायग कया जवाब दग समाज क लोग कया कहग

िफर भी माता-िपता क दय म एक बात की तसलली थी िक हमारी बचची िकसी गलत राःत पर नही गयी ह जा ही नही सकती उसका ःवभाव उसक सःकार व अचछी तरह जानत थ कमारवती भगवान की भ थी कोई गलत मागर लन का वह सोच ही नही सकती थी आजकल तो कई लड़िकया अपन यार-दोःत क साथ पलायन हो जाती ह कमारवती ऐसी पािपनी नही थी

परशराम सोचत ह िक बटी परमातमा क िलए ही भागी होगी िफर भी कया कर इजजत का सवाल ह राजपरोिहत क खानदान म ऐसा हो कया िकया जाय आिखर उनहोन अपन मािलक शखावत सरदार की शरण ली दःखी ःवर म कहाः मरी जवान बटी भगवान की खोज म रातोरात कही चली गयी ह आप मरी सहायता कर मरी इजजत का सवाल ह

सरदार परशराम क ःवभाव स पिरिचत थ उनहोन अपन घड़सवार िसपािहयो को चह ओर कमारवती की खोज म दौड़ाया घोषणा कर दी िक जगल-झािड़यो म मठ-मिदरो म पहाड़-कदराओ म गरकल-आौमो म ETH सब जगह तलाश करो कही स भी कमारवती को खोज कर लाओ जो कमारवती को खोजकर ल आयगा उस दस हजार मिाय इनाम म दी जायगी

घड़सवार चारो िदशा म भाग िजस िदशा म कमारवती भागी थी उस िदशा म घड़सवारो की एक टकड़ी चल पड़ी सय दय हो रहा था धरती पर स रािऽ न अपना आचल उठा िलया था कमारवती भागी जा रही थी भात क काश म थोड़ी िचिनतत भी हई िक कोई खोजन आयगा तो आसानी स िदख जाऊगी पकड़ी जाऊगी वह वीरागना भागी जा रही ह और बार-बार पीछ मड़कर दख रही ह

दर-दर दखा तो पीछ राःत म धल उड़ रही थी कछ ही दर म घड़सवारो की एक टकड़ी आती हई िदखाई दी वह सोच रही हः ह भगवान अब कया कर जरर य लोग मझ पकड़न आ रह ह िसपािहयो क

आग मझ िनबरल बािलका कया चलगा चहओर उजाला छा गया ह अब तो घोड़ो की आवाज भी सनाई पड़ रही ह कछ ही दर म व लोग आ जायग सोचन का भी समय अब नही रहा

कमारवती न दखाः राःत क िकनार मरा हआ एक ऊट पड़ा था िपछल िदन ही मरा था और रात को िसयारो न उसक पट का मास खाकर पट की जगह पर पोल बना िदया था कमारवती क िच म अनायास एक िवचार आया उसन कषणभर म सोच िलया िक इस मर हए ऊट क खाली पट म छप जाऊ तो उन काितलो स बच सकती ह वह मर हए सड़ हए बदब मारनवाल ऊट क पट म घस गयी

घड़सवार की टकड़ी राःत क इदरिगदर पड़-झाड़ी-झाखड़ िछपन जस सब ःथानो की तलाश करती हई वहा आ पहची िसपाही मर हए ऊट क पाय आय तो भयकर दगरनध व अपना नाक-मह िसकोड़त बदब स बचन क िलए आग बह गय वहा तलाश करन जसा था भी कया

कमारवती ऐसी िसर चकरा दन वाली बदब क बीच छपी थी उसका िववक बोल रहा था िक ससार क िवकारो की बदब स तो इस मर हए ऊट की बदब बहत अचछी ह ससार क काम बोध लोभ मोह मद मतसर की जीवनपयरनत की गनदगी स तो यह दो िदन की गनदगी अचछी ह ससार की गनदगी तो हजारो जनमो की गनदगी म ऽःत करगी हजारो-लाखो बार बदबवाल अगो स गजरना पड़गा कसी-कसी योिनयो म जनम लना पड़गा म वहा स अपनी इचछा क मतािबक बाहर नही िनकल सकती ऊट क शरीर स म कम-स-कम अपनी इचछानसार बाहर तो िनकल जाऊगी

कमारवती को मर हए सड़ चक ऊट क पट क पोल की वह बदब इतनी बरी नही लगी िजतनी बरी ससार क िवकारो की बदब लगी िकतनी बि मान रही होगी वह बटी

कमारवती पकड़ जान क डर स उसी पोल म एक िदन दो िदन तीन िदन तक पड़ी रही जलदबाजी करन स शायद मसीबत आ जाय घड़सवार खब दर तक चककर लगाकर दौड़त हाफत िनराश होकर वापस उसी राःत स गजर रह थ व आपस म बातचीत कर रह थ िक भाई वह तो मर गयी होगी िकसी कए या तालाब म िगर गयी होगी अब उसका हाथ लगना मिकल ह पोल म पड़ी कमारवती य बात सन रही थी

िसपाही दर-दर चल गय कमारवती को पता चला िफर भी दो-चार घणट और पड़ी रही शाम ढली राऽी हई चह ओर अधरा छा गया जब जगल म िसयार बोलन लग तब कमारवती बाहर िनकली उसन इधर-उधर दख िलया कोई नही था भगवान को धनयवाद िदया िफर भागना शर िकया भयावह जगलो स गजरत हए िहसक ािणयो की डरावनी आवाज सनती कमारवती आग बढ़ी जा रही थी उस वीर बािलका को िजतना ससार का भय था उतना बर ािणयो का भय नही था वह समझती थी िक म भगवान की ह और भगवान मर ह जो िहसक ाणी ह व भी तो भगवान क ही ह उनम भी मरा परमातमा ह वह परमातमा ािणयो को मझ खा जान की रणा थोड़ ही दगा मझ िछप जान क िलए िजस परमातमा न मर हए ऊट की पोल दी िसपािहयो का रख बदल िदया वह परमातमा आग भी मरी रकषा करगा नही तो यह कहा राःत क िकनार ही ऊट का मरना िसयारो का मास खाना पोल बनना मर िलए घर बन जाना घर म घर िजसन बना िदया वह परम कपाल परमातमा मरा पालक और रकषक ह

ऐसा दढ़ िन य कर कमारवती भागी जा रही ह चार िदन की भखी-पयासी वह सकमार बािलका भख-पयास को भलकर अपन गनतवय ःथान की तरफ दौड़ रही ह कभी कही झरना िमल जाता तो पानी पी लती कोई जगली फल िमल तो खा लती कभी-कभी पड़ क प ही चबाकर कषधा-िनवि का एहसास कर लती

आिखर वह परम भि बािलका वनदावन पहची सोचा िक इसी वश म रहगी तो मर इलाक क लोग पहचान लग समझायग साथ चलन का आमह करग नही मानगी जबरन पकड़कर ल जायग इसस अपन को छपाना अित आवयक ह कमारवती न वश बदल िदया सादा फकीर-वश धारण कर िलया एक सादा त व गल म तलसी की माला ललाट पर ितलक वनदावन म रहनवाली और भि नो जसी भि न बन गयी

कमारवती क कटमबीजन वनदावन आय सवरऽ खोज की कोई पता नही चला बाकिबहारी क मिदर म रह सबह शाम छपकर तलाश की लिकन उन िदनो कमारवती मिदर म कयो जाय बि मान थी वह

वनदावन म कणड क पास एक साध रहत थ जहा भल-भटक लोग ही जात वह ऐसी जगह थी वहा कमारवती पड़ी रही वह अिधक समय धयानम न रहा करती भख लगती तब बाहर जाकर हाथ फला दती भगवान की पयारी बटी िभखारी क वश म टकड़ा खा लती

जयपर स भाई आया अनय कटमबीजन आय वनदावन म सब जगह खोजबीन की िनराश होकर सब लौट गय आिखर िपता राजपरोिहत परशराम ःवय आय उनह दय म परा यकीन था िक मरी कणिया बटी ौीकण क धाम क अलावा और कही न जा सकती ससःकारी भगवदभि म लीन अपनी सकोमल पयारी बचची क िलए िपता का दय बहत वयिथत था बटी की मगल भावनाओ को कछ-कछ समझनवाल परशराम का जीवन िनःसार-सा हो गया था उनहोन कस भी करक कमारवती को खोजन का दढ़ सकलप कर िलया कभी िकसी पड़ पर तो कभी िकसी पड़ पर चढ़कर मागर क पासवाल लोगो की चपक स िनगरानी रखत सबह स शाम तक राःत गजरत लोगो को धयानपवरक िनहारत िक शायद िकसी वश म िछपी हई अपनी लाडली का मख िदख जाय

पड़ो पर स एक साधवी को एक-एक भि न को भ का वश धारण िकय हए एक-एक वयि को परशराम बारीकी स िनहारत सबह स शाम तक उनकी यही वि रहती कई िदनो क उनका तप भी फल गया आिखर एक िदन कमारवती िपता की जासस दि म आ ही गयी परशराम झटपट पड़ स नीच उतर और वातसलय भाव स रध हए दय स बटी बटी कहत हए कमारवती का हाथ पकड़ िलया िपता का ःनिहल दय आखो क मागर स बहन लगा कमारवती की िःथित कछ और ही थी ई रीय मागर म ईमानदारी स कदम बढ़ानवाली वह सािधका तीो िववक-वरा यवान हो चली थी लौिकक मोह-ममता स समबनधो स ऊपर उठ चकी थी िपता की ःनह-वातसलयरपी सवणरमय जजीर भी उस बाधन म समथर नही थी िपता क हाथ स अपना हाथ छड़ात हए बोलीः

म तो आपकी बटी नही ह म तो ई र की बटी ह आपक वहा तो कवल आयी थी कछ समय क िलए गजरी थी आपक घर स अगल जनमो म भी म िकसी की बटी थी उसक पहल भी िकसी की बटी थी हर जनम म बटी कहन वाल बाप िमलत रह ह मा कहन वाल बट िमलत रह ह प ी कहन वाल पित िमलत

रह ह आिखर म कोई अपना नही रहता ह िजसकी स ा स अपना कहा जाता ह िजसस यह शरीर िटकता ह वह आतमा-परमातमा व ौीकण ही अपन ह बाकी सब धोखा-ही-धोखा ह ETH सब मायाजाल ह

राजपरोिहत परशराम शा क अ यासी थ धमर मी थ सतो क सतसग म जाया करत थ उनह बटी की बात म िनिहत सतय को ःवीकार करना पड़ा चाह िपता हो चाह गर हो सतय बात तो सतय ही होती ह बाहर चाह कोई इनकार कर द िकत भीतर तो सतय असर करता ही ह

अपनी गणवान सतान क ित मोहवाल िपता का दय माना नही व इितहास पराण और शा ो म स उदाहरण ल-लकर कमारवती को समझान लग बटी को समझान क िलए राजपरोिहत न अपना परा पािडतय लगा िदया पर कमारवती िपता क िव तापणर सनत-सनत यही सोच रही थी िक िपता का मोह कस दर हो सक उसकी आखो म भगवदभाव क आस थ ललाट पर ितलक गल म तलसी की माला मख पर भि का ओज आ गया था वह आख बनद करक धयान िकया करती थी इसस आखो म तज और चमबकतव आ गया था िपता का मगल हो िपता का मर ित मोह न रह ऐसी भावना कर दय म दढ़ सकलप कर कमारवती न दो-चार बार िपता की तरफ िनहारा वह पिणडत तो नही थी लिकन जहा स हजारो-हजारो पिणडतो को स ा-ःफितर िमलती ह उस सवरस ाधीश का धयान िकया करती थी आिखर पिडतजी की पिडताई हार गयी और भ की भि जीत गयी परशराम को कहना पड़ाः बटी त सचमच मरी बटी नही ह ई र की बटी ह अचछा त खशी स भजन कर म तर िलए यहा किटया बनवा दता ह तर िलए एक सहावना आौम बनवा दता ह

नही नही कमारवती सावधान होकर बोलीः यहा आप किटया बनाय तो कल मा आयगी परसो भाई आयगा तरसो चाचा-चाची आयग िफर मामा-मामी आयग िफर स वह ससार चाल हो जायगा मझ यह माया नही बढ़ानी ह

कसा बचची का िववक ह कसा तीो वरा य ह कसा दढ़ सकलप ह कसी साधना सावधानी ह धनय ह कमारवती

परशराम िनराश होकर वापस लौट गय िफर भी दय म सतोष था िक मरा हकक का अनन था पिवऽ अनन था श आजीिवका थी तो मर बालक को भी नाहकर क िवकार और िवलास क बदल हकक ःवरप ई र की भि िमली ह मझ अपन पसीन की कमाई का बिढ़या फल िमला मरा कल उजजवल हआ वाह

परशराम अगर तथाकिथत धािमरक होत धमरभीर होत तो भगवान को उलाहना दतः भगवान मन तरी भि की जीवन म सचचाई स रहा और मरी लड़की घर छोड़कर चली गयी समाज म मरी इजजत लट गयी ऐसा िवचार कर िसर पीटत

परशराम धमरभीर नही थ धमरभीर यानी धमर स डरनवाल लोग ऐस लोग कई कार क वहमो म अपन को पीसत रहत ह

धमर कया ह ई र को पाना ही धमर ह और ससार को मरा मानना ससार क भोगो म पड़ना अधमर ह यह बात जो जानत ह व धमरवीर होत ह

परशराम बाहर स थोड़ उदास और भीतर स पर सत होकर घर लौट उनहोन राजा शखावत सरदार स बटी कमारवती की भि और वरा य की बात कही वह बड़ा भािवत हआ िशयभाव स वनदावन म आकर उसन कमारवती क चरणो म णाम िकया िफर हाथ जोड़कर आदरभाव स िवनीत ःवर म बोलाः

ह दवी ह जगदी री मझ सवा का मौका दो म सरदार होकर नही आया आपक िपता का ःवामी होकर नही आया आपक िपता का ःवामी हो कर नही आया अिपत आपका तचछ सवक बनकर आया ह कपया इनकार मत करना कणड पर आपक िलए छोटी-सी किटया बनवा दता ह मरी ाथरना को ठकराना नही

कमारवती न सरदार को अनमित द दी आज भी वनदावन म कणड क पास की वह किटया मौजद ह पहल अमत जसा पर बाद म िवष स बद र हो वह िवकारो का सख ह ारभ म किठन लग दःखद

लग बाद म अमत स भी बढ़कर हो वह भि का सख पान क िलए बहत किठनाइयो का सामना करना पड़ता ह कई कार की कसौिटया आती ह भ का जीवन इतना सादा सीधा-सरल आडमबररिहत होता ह िक बाहर स दखन वाल ससारी लोगो को दया आती हः बचारा भगत ह दःखी ह जब भि फलती ह तब व ही सखी िदखन वाल हजारो लोग उस भ - दय की कपा पाकर अपना जीवन धनय करत ह भगवान की भि की बड़ी मिहमा ह

जय हो भ तरी जय हो तर पयार भ ो की जय हो हम भी तरी पावन भि म डब जाय परम र ऐस पिवऽ िदन जलदी आय नारायण नारायण नारायण

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अनबम

वाःतिवक सौनदयर सौनदयर सबक जीवन की माग ह वाःतिवक सौनदयर उस नही कहत जो आकर चला जाय जो कभी

कषीण हो जाय न हो जाय वह सौनदयर नही ह ससारी लोग िजस सौनदयर बोलत ह वह हाड़-मास का सौनदयर तब तक अचछा लगता ह जब तक मन म िवकार होता ह अथवा तो तब तक अचछा लगता ह जब तक बाहरी रप-रग अचछा होता ह िफर तो लोग उसस भी मह मोड़ लत ह िकसी वयि या वःत का सौनदयर हमशा िटक नही सकता और परम सौनदयरःवरप परमातमा का सौनदयर कभी िमट नही सकता

एक राजकमारी थी वह सनदर सयमी एव सदाचारी थी तथा सदमनथो का पठन भी करती थी उस राजकमारी की िनजी सवा म एक िवधवा दासी रखी गयी थी उस दासी क साथ राजकमारी दासी जसा नही बिलक व ा मा जसा वयवहार करती थी

एक िदन िकसी कारणवशात उस दासी का 20-22 साल का यवान पऽ राजमहल म अपनी मा क पास आया वहा उसन राजकमारी को भी दखा राजकमारी भी करीब 18-21 साल की थी सनदरता तो मानो उसम

कट-कट कर भरी थी राजकमारी का ऐसा सौनदयर दखकर दासीपऽ अतयत मोिहत हो गया वह कामपीिड़त होकर वापस लौटा

जब दासी अपन घर गयी तो दखा िक अपना पऽ मह लटकाय बठा ह दासी क बहत पछन पर लड़का बोलाः मरी शादी तम उस राजकमारी क साथ करवा दो

दासीः तरी मित तो नही मारी गयी कहा त िवधवा दासी का पऽ और कहा वह राजकमारी राजा को पता चलगा तो तझ फासी पर लटका दग

लड़काः वह सब म नही जानता जब तक मरी शादी राजकमारी क साथ नही होगी तब तक म अनन का एक दाना भी खाऊगा

उसन कमस खाली एक िदन दो िदन तीन िदन ऐसा करत-करत पाच िदन बीत गय उसन न कछ खाया न कछ िपया दासी समझात-समझात थक गयी बचारी का एक ही सहारा था पित तो जवानी म ही चल बसा था और एक-एक करक दो पऽ भी मर गय थ बस यह ही लड़का था वह भी ऐसी हठ लकर बठ गया

समझदार राजकमारी न भाप िलया िक दासी उदास-उदास रहती ह जरर उस कोई परशानी सता रही ह राजकमारी न दासी स पछाः सच बताओ कया बात ह आजकल तम बड़ी खोयी-खोयी-सी रहती हो

दासीः राजकमारीजी यिद म आपको मरी वयथा बता द तो आप मझ और मर बट को राजय स बाहर िनकलवा दगी

ऐसा कहकर दासी फट-फटकर रोन लगी राजकमारीः म तमह वचन दती ह तमह और तमहार बट को कोई सजा नही दगी अब तो बताओ

दासीः आपको दखकर मरा लड़का अनिधकारी माग करता ह िक शादी करगा तो इस सनदरी स ही करगा और जब तक शादी नही होती तब तक भोजन नही करगा आज पाच िदन स उसन खाना-पीना छोड़ रखा ह म तो समझा-समझाकर थक गयी

राजकमारीः िचनता मत करो तम कल उसको मर पास भज दना म उसकी वाःतिवक शादी करवा दगी

लड़का खश होकर पहच गया राजकमारी स िमलन राजकमारी न उसस कहाः मझस शादी करना चाहता ह

जी हा

आिखर िकस वजह स

तमहार मोहक सौनदयर को दखकर म घायल हो गया ह

अचछा तो त मर सौनदयर की वजह स मझस शादी करना चाहता ह यिद म तझ 80-90 ितशत सौनदयर द द तो तझ ति होगी 10 ितशत सौनदयर मर पास रह जायगा तो तझ ति होगी 10 ितशत सौनदयर मर पास रह जायगा तो तझ चलगा न

हा चलगा

ठीक ह तो कल दोपहर को आ जाना

राजकमारी न रात को जमालगोट का जलाब ल िलया िजसस रािऽ को दो बज जलाब क कारण हाजत तीो हो गयी पर पट की सफाई करक सारा कचरा बाहर राजकमारी न सनदर नककाशीदार कणड म अपन पट का वह कचरा डाल िदया कछ समय बाद उस िफर स हाजत हई तो इस बार जरीकाम और मलमल स ससिजजत कड म राजकमारी न कचरा उतार िदया दोनो कडो को चारपाई क एक-एक पाय क पास रख िदया उसक बाद िफर स एक बार जमालघोट का जलाब ल िलया तीसरा दःत तीसर कणड म िकया बाकी का थोड़ा-बहत जो बचा हआ मल था िव ा थी उस चौथी बार म चौथ कड म िनकाल िदया इन दो कडो को भी चारपाई क दो पायो क पास म रख िदया

एक ही रात जमालगोट क कारण राजकमारी का चहरा उतर गया शरीर खोखला सा हो गया राजकमारी की आख उतर गयी गालो की लाली उड़ गयी शरीर एकदम कमजोर पड़ गया

दसर िदन दोपहर को वह लड़का खश होता हआ राजमहल म आया और अपनी मा स पछन लगाः कहा ह राजकमारी जी

दासीः वह सोयी ह चारपाई पर

राजकमारी क नजदीक जान स उसका उतरा हआ मह दखकर दासीपऽ को आशका हई ठीक स दखा तो च क पड़ा और बोलाः

अर तमह या कया हो गया तमहारा चहरा इतना फीका कयो पड़ गया ह तमहारा सौनदयर कहा चला गया

राजकमारी न बहत धीमी आवाज म कहाः मन तझ कहा था न िक म तझ अपना 90 ितशत सौनदयर दगी अतः मन सौनदयर िनकालकर रखा ह

कहा ह आिखर तो दासीपऽ था बि मोटी थी इस चारपाई क पास चार कड ह पहल कड म 50 ितशत दसर म 25 ितशत सौनदयर दगी अतः

मन सौनदयर िनकालकर रखा ह

कहा ह आिखर तो दासीपऽ था बि मोटी थी इस चारपाई क पास चार कड ह पहल कड म 50 ितशत दसर म 25 ितशत तीसर कड म 10

ितशत और चौथ म 5-6 ितशत सौनदयर आ चका ह

मरा सौनदयर ह रािऽ क दो बज स सभालकर कर रखा ह

दासीपऽ हरान हो गया वह कछ समझ नही पा रहा था राजकमारी न दासी पऽ का िववक जागत हो इस कार उस समझात हए कहाः जस सशोिभत कड म िव ा ह ऐस ही चमड़ स ढक हए इस शरीर म यही सब कचरा भरा हआ ह हाड़-मास क िजस शरीर म तमह सौनदयर नज़र आ रहा था उस एक जमालगोटा ही न कर डालता ह मल-मऽ स भर इस शरीर का जो सौनदयर ह वह वाःतिवक सौनदयर नही ह लिकन इस मल-मऽािद को भी सौनदयर का रप दन वाला वह परमातमा ही वाःतव म सबस सनदर ह भया त उस सौनदयरवान परमातमा को पान क िलए आग बढ़ इस शरीर म कया रखा ह

दासीपऽ की आख खल गयी राजकमारी को गर मानकर और मा को णाम करक वह सचच सौनदयर की खोज म िनकल पड़ा आतम-अमत को पीन वाल सतो क ार पर रहा और परम सौनदयर को ा करक जीवनम हो गया

कछ समय बाद वही भतपवर दासी पऽ घमता-घामता अपन नगर की ओर आया और सिरता िकनार एक झोपड़ी बनाकर रहन लगा खराब बात फलाना बहत आसान ह िकत अचछी बात सतसग की बात बहत पिरौम और सतय माग लती ह नगर म कोई हीरो या हीरोइन आती ह तो हवा की लहर क साथ समाचार पर नगर म फल जाता ह लिकन एक साध एक सत अपन नगर म आय हए ह ऐस समाचार िकसी को जलदी नही िमलत

दासीपऽ म स महापरष बन हए उन सत क बार म भी शरआत म िकसी को पता नही चला परत बाद म धीर-धीर बात फलन लगी बात फलत-फलत राजदरबार तक पहची िक नगर म कोई बड़ महातमा पधार हए ह उनकी िनगाहो म िदवय आकषरण ह उनक दशरन स लोगो को शाित िमलती ह

राजा न यह बात राजकमारी स कही राजा तो अपन राजकाज म ही वयःत रहा लिकन राजकमारी आधयाितमक थी दासी को साथ म लकर वह महातमा क दशरन करन गयी

पप-चदन आिद लकर राजकमारी वहा पहची दासीपऽ को घर छोड़ 4-5 वषर बीत गय थ वश बदल गया था समझ बदल चकी थी इस कारण लोग तो उन महातमा को नही जान पाय लिकन राजकमारी भी नही पहचान पायी जस ही राजकमारी महातमा को णाम करन गयी िक अचानक व महातमा राजकमारी को पहचान गय जलदी स नीच आकर उनहोन ःवय राजकमारी क चरणो म िगरकर दडवत णाम िकया

राजकमारीः अर अर यह आप कया रह ह महाराज

दवी आप ही मरी थम गर ह म तो आपक हाड़-मास क सौनदयर क पीछ पड़ा था लिकन इस हाड़-मास को भी सौनदयर दान करन वाल परम सौनदयरवान परमातमा को पान की रणा आप ही न तो मझ दी थी इसिलए आप मरी थम गर ह िजनहोन मझ योगािद िसखाया व गर बाद क म आपका खब-खब आभारी ह

यह सनकर वह दासी बोल उठीः मरा बटा

तब राजकमारी न कहाः अब यह तमहारा बटा नही परमातमा का बटा हो गया ह परमातम-ःवरप हो गया ह

धनय ह व लोग जो बा रप स सनदर िदखन वाल इस शरीर की वाःतिवक िःथित और न रता का याल करक परम सनदर परमातमा क मागर पर चल पड़त ह

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अनबम

आतमिव ा की धनीः फलीबाई यह जोधपर (राजःथान) क पास क गाव की महान नारी फलीबाई की गाथा ह कहत ह िक उनक पित

शादी क थोड़ समय बाद ही ःवगर िसधार गय थ उनक माता-िपता न कहाः तरा सचचा पित तो परमातमा ही ह बटी चल तझ गरदव क पास स दीकषा िदलवा द

उनक समझदार माता-िपता न समथर गर महातमा भरीबाई स उनह दीकषा िदलवा दी अब फलीबाई अपन गरदव की आजञा क अनसार साधना म लीन हो गयी ाणायाम जप और धयान आिद करत-करत उनकी बि शि िवकिसत होन लगी व इस बात को खब अचछ स समझन लगी िक ाणीमाऽ क परम िहतषी सचच ःवामी तो एकमाऽ परमातमा ही ह धीर-धीर परमातमा क रग म अपन जीवन को रगत-रगत माभि स अपन दय को भरत-भरत व सष शि यो को जागत करन म सफल हो गयी

लौिकक िव ा म अनपढ़ व फलीबाई अलौिकक िव ा पान म सफल हो गयी अब व िनराधार न रही बिलक सवारधार क ःनह स पिरपणर हो गयी उनक िच म नयी िदवय ःफरणाए ःफिरत होन लगी उनका जीवन परमातम-काश स जगमगान लगा ऐिहक रप स फलीबाई बहत गरीब थी िकत उनहोन वाःतिवक धन को पा िलया था

गोबर क कणड बना-बनाकर व अपनी आजीिवका चलाती थी िकत उनकी पड़ोसन उनक कणड चरा लती एक बार फलीबाई को उस ी पर दया आयी एव बोलीः

बहन यिद त चोरी करगी तो तरा मन अपिवऽ होगा और भगवान तझस नाराज हो जायग अगर तझ चािहए तो म तझ पाच-पचीस कणड द िदया करगी िकत त चोरी करक अपना मन एव बि का एव अपन कटमब का सतयानाश मत कर

वह पड़ोसन ी तो द ा थी वह तो फलीबाई को गािलयो पर गािलया दन लगी इसस फलीबाई क िच म जरा भी कषोभ न हआ वरन उनक िच म दया उपजी और व बोलीः

बहन म तझ जो कछ कह रही ह वह तमहारी भलाई क िलए ही कह रही ह तम झगड़ो मत

चोरी करन वाली मिहला को जयादा गःसा आ गया िफर फलीबाई न भी थोड़ा-सा सना िदया झगड़ा बढ़न लगा तो गाव का मिखया एव माम-पचायत इकटठी हो गयी सबस एकिऽत दखकर वह चोरी करन वाली मिहला बोलीः

फलीबाई चोर ह मर कणड चरा जाती ह

फलीबाईः चोरी करन को म पाप समझती ह

तब गाव का मिखया बोलाः हम नयाय कस द िक कणड िकसक ह कणडो पर नाम तो िकसी का नही िलखा और आकार भी एक जसा ह अब कस बताय िक कौन स कणड फलीबाई क ह एव कौन स उसकी पड़ोसन क

जो ी चोरी करती थी उसका पित कमाता था िफर भी मिलन मन क कारण वह चोरी करती थी ऐसी बात नही िक कोई गरीबी क कारण ही चोरी करता ह कई बार तो समझ गरीब होती ह तब भी लोग चोरी

करत ह िफर कोई कलम स चोरी करता ह कोई िर त क रप म चोरी करता ह कोई नता बनकर जनता स चोरी करता ह समझ जब कमजोर होती ह तभी मनय हराम क पस लकर िवलासी जीवन जीन की इचछा करता ह और समझ ऊची होती ह तो मनय ईमानदारी की कमाई स पिवऽ जीवन जीता ह िफर भी वह भल सादा जीवन िजय लिकन उसक िवचार बहत ऊच होत ह

फलीबाई का जीवन खब सादगीपणर था लिकन उनकी भि एव समझ बहत बढ़ गयी थी उनहोन कहाः यह ी मर कणड चराती ह इसका माण यह ह िक यिद आप मर कणडो को अपन कानो क पास रखग तो उनम स राम नाम की धविन िनकलगी िजन कणडो म राम-नाम की धविन िनकल उनह आप मर समझना और िजनम स न िनकल उनह इसक समझना

माम-पचायत क कछ सजजन लोग एव मिखया उस मिहला क यहा गय उसक कणडो क ढर म स एक-एक कणडा उठाकर कान क पास रखकर दखन लग िजस कणड म स राम नाम की धविन का अनभव होता तो उस अलग रख दत स लगभग 50 कणड िनकल

मऽजप करत-करत फलीबाई की रगो म नस-नािड़यो म एव पर शरीर म मऽ का भाव छा गया था व िजन वःतओ को छती उनम भी मऽ की सआम तरगो का सचार हो जाता था गाव क मिखया एव उन सजजनो को फलीबाई का यह चमतकार दखकर उनक ित आदर भाव हो आया उन लोगो न फलीबाई का सतकार िकया

मनय म िकतनी शि ह िकतना सामथयर ह उस यिद यो य मागरदशरन िमल जाय एव वह ततपरता स लग जाय तो कया नही कर सकता

फलीबाई न गरमऽ ा करक गर क िनदशानसार साधना की तो उनम इतनी शि आ गयी िक उनक ारा बनाय गय कणडो स भी राम नाम की धविन िनकलन लगी

एक िदन राजा यशवतिसह क सिनको की एक टकड़ी दौड़न क िलए िनकली उसम स एक सिनक फलीबाई की झोपड़ी म पहचा एव उनस पानी मागा

फलीबाई न कहाः बटा दौड़कर तरत पानी नही पीना चािहए इसस तदरःती िबगड़ती ह एव आग जाकर खब हािन होती दौड़ लगाकर आय हो तो थोड़ी दर बठो म तमह रोटी का टकड़ा दती ह उस खाकर िफर पानी पीना

सिनकः माताजी हमारी परी टकड़ी दौड़ती आ रही ह यिद म खाऊगा तो मझ मर सािथयो को भी िखलाना पड़गा

फलीबाईः मन दो रोटल बनाय ह गवारफली की सबजी ह तम सब लोग टकड़ा-टकड़ा खा लना

सिनकः परी टकड़ी कवल दो रोटल म स टकड़ा-टकड़ा कस खा पायगी

फलीबाईः तम िचता मत करो मर राम मर साथ ह

फलीबाई न दो रोटल एव सबजी को ढक िदया कलल करक आख-कान को पानी का ःपशर कराया हम जो दख पिवऽ दख हम जो सन पिवऽ सन ऐसा सकलप करक आख-कान को जल का ःपशर करवाया जाता ह

फलीबाई न सबजी-रोटी को कपड़ स ढककर भगवतःमरण िकया एव इ मऽ म तललीन होत-होत टकड़ी क सिनको को रोटल का टकड़ा एव सबजी दती गयी फलीबाई क हाथो स बन उस भोजन म िदवयता आ गयी थी उस खाकर परी टकड़ी बड़ी सनन एव सत हई उनह आज तक ऐसा भोजन नही िमला था उन सभी न फलीबाई को णाम िकया एव व िवचार करन लग िक इतन-स झोपड़ म इतना सारा भोजन कहा स आया

सबस पहल जो सिनक पहल जो सिनक पहचा था उस पता था िक फलीबाई न कवल दो रोटल एव थोड़ी सी सबजी बनायी ह िकत उनहोन िजस बतरन म भोजन रखा ह वह बतरन उनकी भि क भाव स अकषयपाऽ बन गया ह

यह बात राजा यशवतिसह क कानो तक पहची वह रथ लकर फलीबाई क दशरन करन क िलए आया उसन रथ को दर ही खड़ा रखा जत उतार मकट उतारा एव एक साधारण नागिरक की तरह फलीबाई क ार तक पहचा फलीबाई की तो एक छोटी-सी झोपड़ी ह और आज उसम जोधपर का साट खब न भाव स खड़ा ह भि की कया मिहमा ह परमातमजञान की कया मिहमा ह िक िजसक आग बड़-बड़ साट तक नतमःतक हो जात ह

यशवतिसह न फलीबाई क चरणो म णाम िकया थोड़ी दर बातचीत की सतसग सना फलीबाई न अपन अनभव की बात बड़ी िनभ कता स राजा यशवतिसह को सनायी-

बटा यशवत त बाहर का राजय तो कर रहा ह लिकन अब भीतर का राजय भी पा ल तर अदर ही आतमा ह परमातमा ह वही असली राजय ह उसका जञान पाकर त असली सख पा ल कब तक बाहर क िवषय-िवकारो क सख म अपन को गरक करता रहगा ह यशवत त यशःवी हो अचछ कायर कर और उनह भी ई रापरण कर द ई रापरण बि स िकया गया कायर भि हो जाता ह राग- ष स िरत कमर जीव को बधन म डालता ह िकत तटःथ होकर िकया गया कमर जीव को मि क पथ पर ल जाता ह

ह यशवत तर खजान म जो धन ह वह तरा नही ह वह तो जा क पसीन की कमाई ह उस धन को जो राजा अपन िवषय-िवलास म खचर कर दता ह उस रौरव नरक क दःख भोगन पड़त ह कभीपाक जस नरको म जाना पड़ता ह जो राजा जा क धन का उपयोग जा क िहत म जा क ःवाःथय क िलए जा क िवकास क िलए करता ह वह राजा यहा भी यश पाता ह और उस ःवगर की भी ाि होती ह ह यशवत यिद वह राजा भगवान की भि कर सतो का सग कर तो भगवान क लोक को भी पा लता ह और यिद वह भगवान क लोक को पान की भी इचछा न कर वरन भगवान को ही जानन की इचछा कर तो वह भगवतःवरप का जञान पाकर भगवतःवरप ःवरप हो जाता ह

फलीबाई की अनभवय वाणी सनकर यशवतिसह पलिकत हो उठा उसन अतयत ौ ा-भि स फलीबाई क चरणो म णाम िकया फलीबाई की वाणी म सचचाई थी सहजता थी और जञान का तज था िजस सनकर यशवतिसह भी नतमःतक हो गया

कहा तो जोधपर का साट और कहा लौिकक दि स अनपढ़ फलीबाई िकत उनहोन यशवतिसह को जञान िदया यह जञान ह ही ऐसा िक िजसक सामन लौिकक िव ा का कोई मलय नही होता

यशवतिसह का दय िपघल गया वह िवचार करन लगा िक फलीबाई क पास खान क िलए िवशष भोजन नही ह रहन क िलए अचछा मकान नही ह िवषय-भोग की कोई साममी नही ह िफर भी व सत रहती ह और मर जस राजा को भी उनक पास आकर शाित िमलती ह सचमच वाःतिवक सख तो भगवान की भि म एव भगवता महापरषो क ौीचरणो म ही ह बाकी को ससार म जल-जलकर मरना ही ह वःतओ को भोग-भोगकर मनय जलदी कमजोर एव बीमार हो जाता ह जबिक फलीबाई िकतनी मजबत िदख रही ह

यह सोचत-सोचत यशवतिसह क मन म एक पिवऽ िवचार आया िक मर रिनवास म तो कई रािनया रहती ह परत जब दखो तब बीमार रहती ह झगड़ती रहती ह एक दसर की चगली और एक-दसर स ईयार करती रहती ह यिद उनह फलीबाई जसी महान आतमा का सग िमल तो उनका भी कलयाण हो

यशवतिसह न हाथ जोड़कर फलीबाई स कहाः माताजी मझ एक िभकषा दीिजए

साट एक िनधरन क पास भीख मागता ह सचचा साट तो वही ह िजसन आतमराजय पा िलया ह बा सााजय को ा िकया हआ मनय तो अधयातममागर की दि स कगाल भी हो सकता ह आतमराजय को पायी ह िनधरन फलीबाई स राजा एक िभखारी की तरह भीख माग रहा ह

यशवतिसह बोलाः माता जी मझ एक िभकषा द

फलीबाईः राजन तमह कया चािहए

यशवतिसहः बस मा मझ भि की िभकषा चािहए मरी बि सनमागर म लगी रह एव सतो का सग िमलता रह

फलीबाई न उस बि मान पिवऽातमा यशवतिसह क िसर पर हाथ रखा फलीबाई का ःपशर पाकर राजा गदगद हो गया एव ाथरना करन लगाः मा इस बालक की एक दसरी इचछा भी परी कर आप मर रिनवास म पधारकर मरी रािनयो को थोड़ा उपदश दन की कपा कर तािक उनकी बि भी अधयातम म लग जाय

फलीबाई न यशवतिसह की िवनता दखकर उनकी ाथरना ःवीकार कर ली नही तो उनह रिनवास स कया काम

य व ही फलीबाई ह िजनक पित िववाह होत ही ःवगर िसधार गय थ दसरी कोई ी होती तो रोती िक अब मरा कया होगा म तो िवधवा हो गयी परत फलीबाई क माता-िपता न उनह भगवान क राःत लगा िदया गर स दीकषा लकर गर क बताय हए मागर पर चलकर अब फलीबाई फलीबाई न रही बिलक सत फलीबाई हो गयी तो यशवतिसह जसा साट भी उनका आदर करता ह एव उनकी चरणरज िसर पर लगाकर अपन को भा यशाली मानता ह उनह माता कहकर सबोिधत करता ह जो कणड बचकर अपना जीवन िनवारह करती ह उनह हजारो लोग माता कहकर पकारत ह

धनय ह वह धरती जहा ऐस भगवदभ जनम लत ह जो भगवान का भजन करक भगवान क हो जात ह उनह माता कहन वाल हजारो लोग िमल जात ह अपना िमऽ एव समबनधी मानन क िलए हजारो लोग तयार हो जात ह कयोिक उनहोन सचच माता-िपता क साथ सचच सग-समबनधी क साथ परमातमा क साथ अपना िच जोड़ िलया ह

यशवतिसह न फलीबाई को राजमहल म बलवाकर दािसयो स कहाः इनह खब आदर क साथ रिनवास म जाओ तािक रािनया इनक दो वचन सनकर अपन कान को एव दशरन करक अपन नऽो को पिवऽ कर

फलीबाई क व ो पर तो कई पबद लग हए थ पबदवाल कपड़ पहनन क बावजद बाजरी क मोट रोटल खान एव झोपड़ म रहन क बावजद फलीबाई िकतनी तदरःत और सनन थी और यशवत िसह की रािनया ितिदन नय-नय वयजन खाती थी नय-नय व पहनती थी महलो म रहती थी िफर भी लड़ती-झगड़ती रहती थी उनम थोड़ी आय इसी आशा स राजा न फलीबाई को रिनवास म भजा

दािसया फलीबाई को आदर क साथ रिनवास म ल गयी वहा तो रािनया सज-धजकर हार-ौगार करक तयार होकर बठी थी जब उनहोन पबद लग मोट व पहनी हई फलीबाई को दखा तो एक दसर की तरफ दखन लगी और फसफसान लगी िक यह कौन सा ाणी आया ह

फलीबाई का अनादर हआ िकत फलीबाई क िच पर चोट न लगी कयोिक िजसन अपना आदर कर िलया अपनी आतमा का आदर कर िलया उसका अनादर करक उसको चोट पहचान म दिनया का कोई भी वयि सफल नही हो सकता फलीबाई को दःख न हआ लािन न हई बोध नही आया वरन उनक िच म दया उपजी िक इन मखर रािनयो को थोड़ा उपदश दना चािहए दयाल एव समिच फलीबाई न उन रािनयो कहाः बटा बठो

दािसयो न धीर-स जाकर रािनयो को बताया िक राजा साहब तो इनह णाम करत ह इनका आदर करत ह और आप लोग कहती ह िक कौन सा ाणी आया राजा साहब को पता चलगा तो आपकी

यह सनकर रािनया घबरायी एव चपचाप बठ गयी फलीबाई न कहाः ह रािनयो इस हाड़-मास क शरीर को सजाकर कया बठी हो गहन पहनकर हार-

ौगार करक कवल शरीर को ही सजाती रहोगी तो उसस तो पित क मन म िवकार उठगा जो तमह दखगा उसक मन म िवकार उठगा इसस उस तो नकसान होगा ही तमह भी नकसान होगा

शा ो म ौगार करन की मनाही नही ह परत साि वक पिवऽ एव मयारिदत ौगार करो जसा ौगार ाचीन काल म होता था वसा करो पहल वनःपितयो स ौगार क ऐस साधन बनाय जात थ िजनस मन फिललत एव पिवऽ रहता था तन नीरोग रहता था जस िक पर म पायल पहनन स अमक नाड़ी पर दबाव रहता ह एव उसस चयर-रकषा म मदद िमलती ह जस ा ण लोग जनऊ पहनत ह एव पशाब करत समय कान पर जनऊ लपटत ह तो उस नाड़ी पर दबाव पड़न स उनह कणर पीडनासन का लाभ िमलता ह और ःवपनदोष की बीमारी नही होती इस कार शरीर को मजबत और मन को सनन बनान म सहायक ऐसी हमारी विदक सःकित ह

आजकल तो पा ातय जगत क ऐस गद ौगारो का चार बढ़ गया ह िक शरीर तो रोगी हो जाता ह साथ ही मन भी िवकारमःत हो जाता ह ौगार करन वाली िजस िदन ौगार नही करती उस िदन उसका चहरा बढ़ी बदरी जसा िदखता ह चहर की कदरती कोमलता न हो जाती ह पाउडर िलपिःटक वगरह स तवचा की ाकितक िःन धता न हो जाती ह

ाकितक सौनदयर को न करक जो किऽम सौनदयर क गलाम बनत ह उनस ाथरना ह िक व किऽम साधनो का योग करक अपन ाकितक सौनदयर को न न कर चिड़या पहनन की कमकम का ितलक करन की मनाई नही ह परत पफ-पाउडर लाली िलपिःटक लगाकर चमकील-भड़कील व पहनकर अपन शरीर मन कटिमबयो एव समाज का अिहत न हो ऐसी कपा कर अपन असली सौनदयर को कट कर जस मीरा न िकया था गाग और मदालसा न िकया था

फलीबाई न उन रािनयो को कहाः ह रािनयो तम इधर-उधर कया दखती हो य गहन-गाठ तो तमहार शरीर की शोभा ह और यह शरीर एक िदन िमटटी म िमल जान वाला ह इस सजा-धजाकर कब तक अपन जीवन को न करती रहगी िवषय िवकारो म कब तक खपती रहोगी अब तो ौीराम का भजन कर लो अपन वाःतिवक सौनदयर को कट कर लो

गहनो गाठो तन री शोभो काया काचो भाडो फली कह थ राम भजो िनत लड़ो कयो हो राडो

गहन-गाठ शरीर की शोभा ह और शरीर िमटटी क कचच बतरन जसा ह अतः ितिदन राम का भजन करो इस तरह वयथर लड़न स कया लाभ

िवषय-िवकार की गलामी छोड़ो हार ौगार की गलामी छोड़ो एव पा लो उस परम र को जो परम सनदर ह

राजा यशवतिसह क रिनवास म भी फलीबाई की िकतनी िहममत ह रािनयो को सतय सनाकर फलीबाई अपन गाव की तरफ चल पड़ी

बाहर स भल कोई अनपढ़ िदख िनधरन िदख परत िजसन अदर का राजय पा िलया ह वह धनवानो को भी दान दन की कषमता रखता ह और िव ानो को भी अधयातम-िव ा दान कर सकता ह उसक थोड़-स आशीवारद माऽ स धनवानो क धन की रकषा हो जाती ह िव ानो म आधयाितमक िव ा कट होन लगती ह आतमिव ा म आतमजञान म ऐसा अनपम-अदभत सामथयर ह और इसी सामथयर स सपनन थी फलीबाई

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अनबम

आनदीबाई की दढ़ ौ ा एक पजाबी मिहला का नाम था आनदीबाई दखन म तो वह इतनी करप थी िक दखकर लोग डर

जाय उसका िववाह हो गया िववाह स पवर उसक पित न उस नही दखा था िववाह क प ात उसकी करपता को दखकर वह उस प ी क रप म न रख सका एव उस छोड़कर उसन दसरा िववाह रचा िलया

आनदी न अपनी करपता क कारण हए अपमान को पचा िलया एव िन य िकया िक अब तो म गोकल को ही अपनी ससराल बनाऊगी वह गोकल म एक छोट स कमर म रहन लगी घर म ही मिदर बनाकर

आनदीबाई ौीकण की मःती म मःत रहन लगी आनदीबाई सबह-शाम घर म िवराजमान ौीकण की मितर क साथ बात करती उनस रठ जाती िफर उनह मनाती और िदन म साध-सनतो की सवा एव सतसग-ौवण करती इस कार उसक िदन बीतन लग

एक िदन की बात हः गोकल म गोप रनाथ नामक जगह पर ौीकण-लीला का आयोजन िनि त िकया गया था उसक िलए

अलग-अलग पाऽो का चयन होन लगा पाऽो क चयन क समय आनदीबाई भी वहा िव मान थी अत म कबजा क पाऽ की बात चली उस व आनदी का पित अपनी दसरी प ी एव बचचो क साथ वही उपिःथत था अतः आनदीबाई की िखलली उड़ात हए उसन आयोजको क आग ःताव रखाः

सामन यह जो मिहला खड़ी ह वह कबजा की भिमका अचछी तरह स अदा कर सकती ह अतः उस ही कहो न यह पाऽ तो इसी पर जचगा यह तो साकषात कबजा ही ह

आयोजको न आनदीबाई की ओर दखा उसका करप चहरा उनह भी कबजा की भिमका क िलए पसद आ गया उनहोन आनदीबाई को कबजा का पाऽ अदा करन क िलए ाथरना की

ौीकणलीला म खद को भाग लन का मौका िमलगा इस सचनामाऽ स आनदीबाई भाविवभोर हो उठी उसन खब म स भिमका अदा करन की ःवीकित द दी ौीकण का पाऽ एक आठ वष य बालक क िजमम आया था

आनदीबाई तो घर आकर ौीकण की मितर क आग िव लता स िनहारन लगी एव मन-ही-मन िवचारन लगी िक मरा कनहया आयगा मर पर पर पर रखगा मरी ठोड़ी पकड़कर मझ ऊपर दखन को कहगा वह तो बस नाटक म दयो की कलपना म ही खोन लगी

आिखरकार ौीकणलीला रगमच पर अिभनीत करन का समय आ गया लीला दखन क िलए बहत स लोग एकिऽत हए ौीकण क मथरागमन का सग चल रहा थाः

नगर क राजमागर स ौीकण गजर रह ह राःत म उनह कबजा िमली आठ वष य बालक जो ौीकण का पाऽ अदा कर रहा था उसन कबजा बनी हई आनदी क पर पर पर

रखा और उसकी ठोड़ी पकड़कर उस ऊचा िकया िकत यह कसा चमतकार करप कबजा एकदम सामानय नारी क ःवरप म आ गयी वहा उपिःथत सभी दशरको न इस सग को अपनी आखो स दखा आनदीबाई की करपता का पता सभी को था अब उसकी करपता िबलकल गायब हो चकी थी यह दखकर सभी दातो तल ऊगली दबान लग

आनदीबाई तो भाविवभोर होकर अपन कण म ही खोयी हई थी उसकी करपता न हो गयी यह जानकर कई लोग कतहलवश उस दखन क िलए आय

िफर तो आनदीबाई अपन घर म बनाय गय मिदर म िवराजमान ौीकण म ही खोयी रहती यिद कोई कछ भी पछता तो एक ही जवाब िमलताः मर कनहया की लीला कनहया ही जान

आनदीबाई न अपन पित को धनयवाद दन म भी कोई कसर बाकी न रखी यिद उसकी करपता क कारण उसक पित न उस छोड़ न िदया होता तो ौीकण म उसकी इतनी भि कस जागती ौीकणलीला म

कबजा क पाऽ क चयन क िलए उसका नाम भी तो उसक पित न ही िदया था इसका भी वह बड़ा आभार मानती थी

ितकल पिरिःथितयो एव सयोगो म िशकायत करन की जगह तयक पिरिःथित को भगवान की ही दन मानकर धनयवाद दन स ितकल पिरिःथित भी उननितकारक हो जाती ह पतथर भी सोपान बन जाता ह

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अनबम

कमारबाई की वातसलय-भि सवारनतयारमी घट-घटवासी भगवान न तो धन-ऐ यर स सनन होत ह और न ही पजा क लमब-चौड़

िवधानो स व तो बस एकमाऽ म स ही सत होत ह एव म क वशीभत होकर नम (िनयम) की भी परवाह नही करत कोई उनका होकर उनह पकार तो दौड़ चल आत ह

कमारबाई नामक एक ऐसी ही भि मती नारी थी िजनकी पकार सनकर भगवान ितिदन उनकी िखचड़ी खान दौड़ चल आत थ भगवान यह नही दखत की भ न खीर-परी-पकवान तयार िकय ह या एकदम सीधा-सादा रखा-सखा भोजन

कमारबाई ौीपरषो मपरी (जगननाथपरी) म िनवास करती थी व भगवान का वातसलय-भाव स िचनतन करती थी एव ितिदन िनयमपवरक ातःकाल ःनानािद िकय िबना ही िखचड़ी तयार करती और भगवान को अिपरत करती थी म क वश म रहन वाल ौीजगननाथजी भी ितिदन सनदर-सलोन बालक क वश म आत और कमारबाई की गोद म बठकर िखचड़ी खा जात कमारबाई भी सदव िचिनतत रहा करती िक बालक क भोजन म कभी िवलब न हो जाय इसी कारण व िकसी भई िविध-िवधान क पचड़ म न पड़कर अतयत म स सवर ही िखचड़ी तयार कर लती थी

एक िदन की बात ह कमारबाई क पास एक साध आय उनहोन कमारबाई को अपिवऽता क साथ िखचड़ी तयार करक भगवान को अपरण करत हए दखा घबराकर उनहोन कमारबाई को पिवऽता स भोजन बनान क िलए कहा और पिवऽता क िलए ःनानािद की िविधया बता दी

भि मती कमारबाई न दसर िदन वसा ही िकया िकत िखचड़ी तयार करन म उनह दर हो गयी उस समय उनका दय यह सोचकर रो उठा िक मरा पयारा यामसनदर भख स छटपटा रहा होगा

कमारबाई न दःखी मन स यामसनदर को िखचड़ी िखलायी उसी समय मिदर म अनकानक घतमय िनविदत करन क िलए पजारी न भ का आवाहन िकया भ जठ मह ही वहा चल गय पजारी चिकत हो गया उसन दखा िक भगवान क मखारिवद म िखचड़ी लगी ह पजारी भी भ था उसका दय बनदन करन लगा उसन अतयत कातर होकर भ को असली बात बतान की ाथरना की

तब उस उ र िमलाः िनतयित ातःकाल म कमारबाई क पास िखचड़ी खान जाता ह उनकी िखचड़ी मझ बड़ी िय और मधर लगती ह पर कल एक साध न जाकर उनह पिवऽता क िलए ःनानािद की िविधया बता दी इसिलए िवलब क कारण मझ कषधा का क तो हआ ही साथ ही शीयता स जठ मह ही आना पड़ा

भगवान क बताय अनसार पजारी न उस साध को ढढकर भ की सारी बात सना दी साध चिकत हो उठा एव घबराकर कमारबाई क पास जाकर बोलाः आप पवर की तरह ही ितिदन सवर ही िखचड़ी बनाकर भ को िनवदन कर िदया कर आपक िलए िकसी िनयम की आवयकता नही ह

कमारबाई पनः पहल की ही तरह ितिदन सवर भगवान को िखचड़ी िखलान लगी व समय पाकर परमातमा क पिवऽ और आनदधाम म चली गयी परत उनक म की गाथा आज भी िव मान ह ौीजगननाथजी क मिदर म आज भी ितिदन ातःकाल िखचड़ी का भोग लगाया जाता

म म अदभत शि ह जो काम दल-बल-छल स नही हो सकता वह म स सभव ह म माःपद को भी अपन वशीभत कर दता ह िकत शतर इतनी ह िक म कवल म क िलए ही िकया जाय िकसी ःवाथर क िलए नही भगवान क होकर भगवान स म करो तो उनक िमलन म जरा भी दर नही ह

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अनबम

साधवी िसरमा िसहल दश (वतरमान ौीलका) क एक सदाचारी पिरवार म जनमी हई कनया िसरमा म बालयकाल स ही

भगवदभि ःफिटत हो चकी थी वह िजतनी सनदर थी उतनी ही सशील भी थी 16 वषर की उ म उसक मा-बाप न एक धनवान पिरवार क यवक समगल क साथ उसकी शादी करवा दी

शादी क प ात समगल िवदश चला गया वहा वह वःतओ का आयात-िनयारत करता था कछ वष म उसन काफी सपि इकटठी कर ली और ःवदश लौट चला कटिबयो न सोचा िक समगल वष बाद घर लौट रहा ह अतः उसका आदर-सतकार होना चािहए गाव भर क जान मान लोगो को आमिऽत िकया गया और सब समगल को लन चल भीड़ म उस जमान की गिणका मदारमाला भी थी

मदारमाला क सौनदयर को दखकर समगल मोिहत हो गया एव समगल क आकषरक वयि तव स मदारमाला भी घायल हो गयी भीड़ को समझत दर न लगी िक दोनो एक-दसर स घायल हो गयी समगल को लकर शोभायाऽा उसक घर पहची समगल को उदास दखकर बोलीः

दव आप बड़ उदास एव वयिथत लग रह ह आपकी उदासी एव वयथा का कारण म जानती ह

समगलः जब जानती ह तो कया पछती ह अब उसक िबना नही रहा जाता

यह सनकर िसरमा न अपना सतलन न खोया कयोिक वह ितिदन भगवान का धयान करती थी एव शात ःवभाव का धन िववक-वरा यरपी धन और िवपि यो म भी सनन रहन की समझ का धन उसक पास था

सिवधाए हो और आप सनन रह- इतना तो लािलया मोितया और कािलया क ा भी जानता ह वह भी जलबी दखकर पछ िहला दता ह और डडा दखकर पछ दबा दता ह सख म सखी एव दःख म दःखी नही होता लिकन सव म तो वह ह जो सख-दःख को सपना मानता ह एव सिचचदानद परमातमा को अपना मानता ह

िसरमा न कहाः नाथ आपकी परशानी का कारण तो म जानती ह उस दर करन म म परा सहयोग दगी आप अपनी परशािनयो को िमटान म मर पर अिधकार का उपयोग कर सकत ह कोई उपाय खोजा जायगा

इतन म ही मदारमाला की नौकरानी आकर बोलीः समगल आपको मरी मालिकन अपन महल म बला रही ह

िसरमा न कहाः जाकर अपनी मालिकन स कह दो िक इस बड़ घर की बहरानी बनना चाहती हो तो तमहार िलए ार खल ह िसरमा अपन सार अिधकार तमह स पन को तयार ह लिकन इस बड़ खानदान क लड़क को अपन अ ड पर बलाकर कलक का टीका मत लगाओ यह मरी ाथरना ह

िसरमा की नता न मदारमाला क दय को ििवत कर िदया और वह व ालकार स ससिजजत होकर समगल क घर आ गयी िसरमा न दोनो का गधवर िववाह करवा िदया और िकसी सचच सत स दीकषा लकर ःवय साधवी बन गयी िसरमा की समझ व मऽजाप की ततपरता न उस ऋि -िसि की मालिकन बना िदया िसरमा का मनोबल बि बल तपोबल और यौिगक सामथयर इतना िनखरा िक कई साधक िसरमा को णाम करन आन लग

एक िदन एक साधक िजसका िसर फटा हआ था और खन बह रहा था िसरमा क पास आया िसरमा न पछाः िभकषक तमहारा िसर फटा ह कया बात ह

िभकषकः म िभकषा लन क िलए समगल क घर गया था मदारमाला क हाथ म जो बतरन था वही बतरन उनहोन मर िसर पर द मारा इसस मरा िसर फट गया

िसरमा को बड़ा दःख हआ िक मदारमाला को परी जायदाद िमल गयी और मरा ऐसा सनदर धनी पिवऽ ःवभाववाला वयापारी पित िमल गया िफर वह कयो दःखी ह ससार म जब तक सचची समझ सचचा जञान नही िमलता तब तक मनय क दःखो का अत नही होता शायद वह दःखी होगी और दःखी वयि ही साधओ को दःख दगा सजजन वयि साधओ को दःख नही दगा वरन उनस सख लगा आशीवारद ल लगा मदारमाला अित दःखी ह तभी उसन िभकषक को भी दःखी कर िदया

िसरमा गयी मदारमाला क पास और बोलीः मदारमाला उस िभकषक क अिकचन साध क िभकषा मागन पर त िभकषा नही दती तो चलता लिकन उसका िसर कयो फोड़ िदया

मदारमालाः बहन म बहत दःखी ह समगल न तझ छोड़कर मझस शादी की और अब मर होत हए एक दसरी नतरकी क यहा जाता ह वह मझस कहता ह िक म परसो उसक साथ शादी कर लगा मन तो अपन

सख को सभाल रखा था लिकन सख तो सदा िटकता नही ह तमहारा िदया हआ यह िखलौना अब दसरा िखलौना लन का भाग रहा ह

िसरमा को दःखाकार वि का थोड़ा धकका लगा िकत वह सावधान थी रािऽ को वह अपन ककष म दीया जलाकर बठ गयी एव ाथरना करन लगीः ह भगवान तम काशःवरप हो जञानःवरप हो म तमहारी शरण आयी ह तम अगर चाहो तो समगल को वाःतव म समगल बना सकत हो समगल िजसस जलदी मतय हो जाय ऐस भोग-पर-भोग बढ़ा रहा ह एप नरक की याऽा कर रहा ह उस सतरणा दकर इन िवकारो स बचाकर अपन िनिवरकारी शात आनद एव माधयरःवरप म लगान म ह भ तम सकषम हो

िसरमा ाथरना िकय जा रही ह एव टकटकी लगाकर दीय की लौ को दख जा रही ह धयान करत-करत िसरमा शात हो गयी उसकी शाित ही परमातमा तक पगाम पहचान का साधन बन गयी धयान करत-करत उस कब नीद आ गयी पता नही लिकन जो नीद क समय भी तमहार िच की चतना को र वािहिनयो को स ा दता ह वह पयारा कस चप बठता

भात म समगल को भयानक ःवपन आया िक मरा िवकारी-भोगी जीवन मझ घसीटकर यमराज क पास ल गय एव तमाम भोिगयो की जो ददरशा हो रही ह वही मरी भी होन जा रही ह हाय म यह कया दख रहा ह समगल च क उठा और उसकी आख खल गयी भात का ःवपन सतय का सकत दन वाला होता ह

सबह होत-होत समगल न अपनी सारी धन-समपि गरीब-गरबो म बाटकर एव सतकम म लगाकर दीकषा ल ली अब तो िसरमा िजस राःत जा रही ह भोग क कीचड़ म पड़ा हआ समगल भी उसी राःत अथारत आतमो ार क राःत जान का सकलप करक चल पड़ा

वह अतःचतना कब िकस वयि क अतःकरण म जामत हो और वह भोग क दलदल स तथा अहकार क िवकट मागर स बचकर सहज ःवभाव को अपनाकर सरल मागर स सत-िचत-आनदःवरप ई र की ओर चल पड़ कहना मिकल ह

धनय ह िसरमा जो ःवय तो उस पथ पर चली ही साथ ही अपन िवकारी पित को भी उस पथ पर चलान म सहायक हो गयी

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अनबम

भि मती जनाबाई (भगवदभि स कया सभव नही ह सब सभव ह भि मती जनाबाई क जीवन सगो पर काश डालत

हए पजयौी कहत ह) भगवान कब कहा और कस अपनी लीला कट करक भ ो की रकषा करत ह यह कहना मिकल ह

भ ो का इितहास दखत ह उनका चिरऽ पढ़त ह तब भगवान क अिःततव पर िवशष ौ ा हो जाती ह

गोदावरी नदी क तट पर िःथत गगाखड़ (िज परमणी महारा ) गाव म दमाजी क यहा जनाबाई का जनम हआ था जनाबाई क बचपन उसकी मा चल बसी मा का अि नसःकार करक जब िपता घर आय तब ननही-सी जना न पछाः

िपताजी मा कहा गयी

िपताः मा पढरपर म भगवान िवटठल क पास गयी ह

एक िदन दो िदन पाच िदन दस िदन पचचीस िदन बीत गय मा अभी तक नही आयी पढरपर म िवटठल क पास बठी ह िपता जी मझ भी िवटठल क पास ल चलो ननही सकनया जना न िजद की

िपता बटी को पढरपर ल आय चिभागा नदी म ःनान करक िवटठल क मिदर म गय ननही-सी जना िवटठल स पछन लगीः मरी मा कहा गयी िवटठल बलाओ न मरी मा को

िवटठल िवटठल करक जना रोन लगी िपता न समझान की खब कोिशश की िकत ननही सी बािलका की कया समझ म आता इतन म वहा दामा शठ एव उनकी धमरप ी गोणाई बाई आय भ नामदव इनही की सनतान थ बािलका को दखकर उनका वातसलय जाग उठा उनहोन जना क िपता स कहाः

अब यह पढरपर छोड़कर तो जायगी नही आप इस यही छोड़ जाइय हम इस अपनी बटी क समान रखग यह यही रहकर िवटठल क दशरन करगी और अपनी मा क िलए िवटठल क दशरन करगी और अपनी मा क िलए िवटठल को पकारत-पकारत अगर इस भि का रग लग जाय तो अचछा ही ह

जना क िपता सहमत हो गय एव जनाबाई को वही छोड़ गय जना को बालयकाल स ही भ नामदव का सग िमल गया जना वहा रहकर िवटठल क दशरन करती एव घर क काम-काज म हाथ बटाती थी धीर-धीर जना की भगवदभि बढ़ गयी

समय पाकर नामदव जी का िववाह हो गया िफर भी जना उनक घर क सब काम करती थी एव रोज िनयम स िवटठल क दशरन करन भी जाती थी

एक बार काम की अिधकता स वह िवटठल क दशरन करन दर स जा पायी रात हो गयी थी सब लोग जा चक थ िवटठल क दशरन करक जना घर लौट आयी लिकन दसर िदन सबह िवटठल भगवान क गल म जो ःवणर की माला थी वह गायब हो गयी

मिदर क पजारी न कहाः सबस आिखर म जनाबाई आयी थी

जनाबाई को पकड़ िलया गया जना न कहाः म िकसी की सई भी नही लती तो िवटठल भगवान का हार कस चोरी करगी

लिकन भगवान भी मानो परीकषा करक अपन भ का आतमबल और यश बढ़ाना चाहत थ राजा न फरमान जारी कर िदयाः जना झठ बोलती ह इसको सर बाजार स बत मारत-मारत ल जाया जाय एव जहा सबको सली पर चढ़ाया जाता ह वही सली पर चढ़ा िदया जाय

िसपाही जनाबाई को लन आय जनाबाई अपन िवटठल को पकारती जा रही थीः ह मर िवटठल म कया कर तम तो सब जानत ही हो

गहन बनान स पवर ःवणर को तपाया जाता ह ऐस ही भगवान भी भ की कसौटी करत ही ह जो सचच भ होत ह व उस कसौटी को पार कर जात ह बाकी क लोग भटक जात ह

सिनक जनाबाई को ल जा रह थ और राःत म उसक िलए लोग कछ-का-कछ बोलत जा रह थः बड़ी आयी भ ानी भि का ढोग करती थी अब तो तरी पोल खल गयी यह दख सजजन लोगो क मन म दःख हो रहा था

ऐसा करत-करत जनाबाई सली तक पहच गयी तब जललादो न उसस पछाः अब तमको मतयदड िदया जा रहा ह तमहारी आिखरी इचछा कया ह

जनाबाई न कहाः आप लोग तिनक ठहर जाय तािक मरत-मरत म दो अभग गा ल

आप लोग चौपाई दोह साखी आिद बोलत हो ऐस ही महारा म अभग बोलत ह अभी भी जनाबाई क लगभग तीन सौ अभग उपलबध ह जनाबाई भगवतःमरण करक ौ ा भि भर दय स अभग ारा िवटठल स ाथरना करन लगीः

करो दया ह िवटठलाया करो दया ह िवटठलराया छलती कस ह छलनी माया

करो दया ह िवटठलराया करो दया ह िवटठलराया ौ ाभि पणर दय स की गयी ाथरना दय र सव र तक अवय पहचती ह ाथरना करत-करत

उसकी आखो स अौिबनद छलक पड़ और िजस सली पर उस लटकाया जाना था वह सली पानी हो गयी

सचच दय की भि कित क िनयमो म भी पिरवतरन कर दती ह लोग यह दखकर दग रह गय राजा न उसस कषमा-याचना की जनाबाई की जय-जयकार हो गयी

िवरोधी भल िकतना भी िवरोध कर लिकन सचच भगवदभ तो अपनी भि म दढ़ रहत ह ठीक ही कहा हः

बाधाए कब बाध सकी ह आग बढ़नवालो को िवपदाए कब रोक सकी ह पथ पर चलन वालो को

ह भारत की दिवयो याद करो अपन अतीत की महान नािरयो को तमहारा जनम भी उसी भिम पर हआ ह िजस पणय भिम भारत म सलभा गाग मदालसा शबरी मीरा जनाबाई जसी नािरयो न जनम िलया था अनक िव न बाधाए भी उनकी भि एव िन ा को न िडगा पायी थी

ह भारत की नािरयो पा ातय सःकित की चकाच ध म अपन सःकित की गिरमा को भला बठना कहा तक उिचत ह पतन की ओर ल जानवाली सःकित का अनसरण करन की अपकषा अपनी सःकित को अपनाओ तािक तमहारा जीवन तो समननत हो ही तमहारी सतान भी सवागीण गित कर सक और भारत पनः िव गर की पदवी पर आसीन हो सक

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अनबम

म ाबाई का सवरऽ िवटठल-दशरन ौीिनवि नाथ जञान र एव सोपानदव की छोटी बहन थी म ाबाई जनम स ही चारो िस योगी परम

िवर एव सचच भगवदभ थ बड़ भाई िनवि नाथ ही सबक गर थ ननही सी म ा कहतीः िवटठल ही मर िपता ह शरीर क माता-िपता तो मर जात ह लिकन हमार

सचच माता-िपता हमार परमातमा तो सदा साथ रहत ह

उसन सतसग म सन रखा था िक िवटठल कवल मिदर म ही नही िवटठल तो सबका आतमा बना बठा ह सार शरीरो म उसी की चतना ह वह कीड़ी म छोटा और हाथी म बड़ा लगता ह िव ानो की िव ा की गहराई म उसी की चतना ह बलवानो का बल उसी परम र का ह सतो का सततव उसी परमातम-स ा स ह िजसकी स ा स आख दखती ह कान सनत ह नािसका ास लती ह िज ा ःवाद का अनभव करती ह वही िवटठल ह

म ाबाई िकसी पप को दखती तो सनन होकर कह उठती िक िवटठल बड़ अचछ ह एक िदन म ाबाई कह उठीः िवटठल तम िकतन गद हो ऐसी गदगी म रहत हो

िकसी न पछाः कहा ह िवटठल

म ाबाईः दखो न इस गदी नाली म िवटठल कीड़ा बन बठ ह

म ाबाई की दि िकतनी साि वक हो गयी थी वह सवरऽ अपन िवटठल क दीदार कर रही थी चारो बचचो को एक सनयासी क बचच मानकर कटटरवािदयो न उनह नमाज स बाहर कर िदया था

उनक माता-िपता क साथ तो जलम िकया ही था बचचो को भी समाज स बाहर कर रखा था अतः कोई उनह मदद नही करता था पट को आहित दन क िलए व बचच िभकषा मागन जात थ

दीपावली क िदन वह बारह वष या म ाबाई िनवि नाथ स पछती हः भया आज दीपावली ह कया बनाऊ

िनवि नाथः बहन मरी तो मज ह िक आज मीठ चील बना ल

जञान रः तीख भी तो अचछ लगत ह

म ाबाई हषर स बोल पड़ीः मीठ भी बनाऊगी और नमकीन भी आज तो दीपावली ह

बाहर स तो दिरिता िदखती ह समाजवालो न बिहकत कर रखा ह न धन ह न दौलत न बक बलनस ह न कार ह न बगला साधारण सा घर ह िफर भी िवटठल क भाव म सराबोर दय क भीतर का सख असीम ह

म ाबाई न अदर जाकर दखा तो तवा ही नही था कयोिक िवसोबा चाटी न राऽी म ही सार बतरन चोरी करवा िदय थ िबना तव क चील कस बनग वह भया म कमहार क यहा स रोटी सकन का तवा ल आती ह ऐसा कह जलदी स िनकल पड़ी तवा लान क िलए लिकन िवसोबा चाटी न सभी कमहारो को डाटकर मना कर िदया था िक खबरदार इसको तवा िदया तो तमको जाित स बाहर करवा दगा

घमत-घमत कमहारो क ार खटखटात हए आिखर उदास होकर वापस लौटी मजाक उड़ात हए िवसोबा चाटी न पछाः कयो कहा गयी थी

म ा न सरलता स उ र िदयाः म बाहर स तवा लन गयी थी लिकन कोई दता ही नही ह

घर पहचत ही जञान र न उसकी उदासी का कारण पछा तो म ा न सारा हाल सना िदया जञान रः कोई बात नही त आटा तो िमला

म ाबाईः आटा तो िमला िमलाया ह

जञान र नगी पीठ करक बठ गय उन योिगराज न ाणो का सयम करक पीठ पर अि न की भावना की पीठ त तव की भाित लाल हो गयी ल िजतनी रोटी या चील सकन हो इस पर सक ल

म ाबाई ःवय योिगनी थी भाइयो की शि को जानती थी उसन बहत स मीठ और नमकीन चील व रोिटया बना ली िफर कहाः भया अपन तव को शीतल कर लो

जञान र न अि नधारण का उपसहार कर िदया सकलप बल स तो अभी भी कछ लोग चमतकार करक िदखात ह जञान र महाराज न अि न त व की

धारणा करक अि न को कट कर िदया था व सतय-सकलप एव योगशि -सपनन परष थ जस आप ःवपन म अि न जल आिद सब बना लत ह वस ही योगशि -सपनन परष जामत म िजस त व की धारणा कर उस बढ़ा अथवा घटा सकत ह

जल त व की धारणा िस हो जाय तो आप जहा जल म गोता मारो और हजारो मील दर िनकलो पथवी त व की धारणा िस ह तो आपको यहा गाड़ द और आप हजारो मील दर कट हो जाओ ऐस ही वाय त व अि न त व आिद की धारणा भी िस की जा सकती ह कबीरजी क जीवन म भी ऐस चमतकार हए थ और दसर योिगयो क जीवन म भी दख-सन गय थ

मर गरदव परम पजय ःवामी ौीलीलाशाहजी महाराज न नीम क पड़ को आजञा दी िक त अपनी जगह पर जा तो वह पड़ चल पड़ा तबस लीलाराम म स ौी लीलाशाह क नाम स व िस हए योगशि म बड़ा सामथयर होता ह

आप ऐसा सामथयर पा लो ऐसा मरा आमह नही ह लिकन थोड़ स सख क िलए कषिणक सख क िलए बाहर न भागना पड़ ऐस ःवाधीन हो जाओ िसि या पान की कबर साधना करना आवयक नही ह लिकन सख-दःख क झटको स बचन की सरल साधना अवय कर लो

िनवि नाथ भोजन करत हए भोजन की शसा कर रह थः मि न िनिमरत िकय और जञान की अि न म सक गय चील क ःवाद का कया पछना

िनवि नाथ जञान र एव सोपानदव तीनो भाइयो न भोजन कर िलया था इतन म एक बड़ा सा काला क ा आया और बाकी चील लकर भागा

िनवि नाथ न कहाः अर म ा मार जलदी इस क को तर िहःस क चील वह ल जा रहा ह त भखी रह जायगी

म ाबाईः मार िकस िवटठल ही तो क ा बन गय ह िवटठल काला-कलटा रप लकर आय ह उनको कयो मार

तीनो भाई हस पड़ जञान र न पछाः जो तर चील ल गया वह काला कलटा क ा तो िवटठल ह और िवसोबा चाटी

म ाबाईः व भी िवटठल ही ह

अलग-अलग मन का ःवभाव अलग-अलग होता ह लिकन चतना तो सबम िवटठल की ही ह वह बारह वष या कनया म ाबाई कहती हः िवसोबा चाटी म भी वही िवटठल ह

िवसोबा चाटी कमहार क घर स ही म ा का पीछा करता आया था वह दखना चाहता था िक तवा न िमलन पर य सब कया करत ह वह दीवार क पीछ स सारा खल दख रहा था म ाबाई क शबद सनकर िवसोबा चाटी का दय अपन हाथो म नही रहा भागता हआ आकर सख बास की ना म ाबाई क चरणो म िगर पड़ा

म ादवी मझ माफ कर दो मर जसा अधम कौन होगा मन बहकानवाली बात सनकर आप लोगो को बहत सताया ह आप लोग मझ पामर को कषमा कर द मझ अपनी शरण म ल ल आप अवतारी परष ह सबम िवटठल दखन की भावना म सफल हो गय ह म उ म तो आपस बड़ा ह लिकन भगवदजञान म तचछ ह आप लोग उ म छोट ह लिकन भगवदजञान म पजनीय आदरणीय ह मझ अपन चरणो म ःथान द

कई िदनो तक िवसोबा अननय-िवनय करता रहा आिखर उसक प ाताप को दखकर िनवि नाथ न उस उपदश िदया और म ाबाई स दीकषा-िशकषा िमली वही िवसोबा चाटी िस महातमा िवसोबा खचर हो गय िजनक ारा िस सत नामदव न दीकषा ा की

बारह वष या बािलका म ाबाई कवल बािलका नही थी वह तो आ शि का ःवरप थी िजनकी कपा स िवसोबा चाटी जसा ईयारल िस सत िवसोबा खचर हो गय

नारी त नारायणी ह दवी सयम-साधना ारा अपन आतमःवरप को पहचान ल ॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐ

अनबम

रतनबाई की गरभि गजरात क सौरा ानत म नरिसह महता नाम क एक उचचकोिट क महापरष हो गय व जब भजन

गात तो ौोतागण भि भाव स सराबोर हो उठत थ दो लड़िकया नरिसह महता की बड़ी भि न थी लोगो न अफवाह फला दी की उन दो कवारी यवितयो

क साथ नरिसह महता का कछ गलत समबनध ह अफवाह बड़ी तजी स फल गयी

किलयग म बरी बात फलाना बड़ा आसान ह िजसक अनदर बराइया ह वह आदमी दसरो की बरी बात जलदी स मान लता ह

उन लड़िकयो क िपता और भाई भी ऐस ही थ उनहोन लड़िकयो की खब िपटाई की और कहाः तम लोगो न तो हमारी इजजत खराब कर दी हम बाजार स गजरत ह तो लोग बोलत ह िक इनही की दो लड़िकया ह िजनक साथ नरिसह महता का

खब मार-पीटकर उन दोनो को कमर म बनद कर िदया और अलीगढ़ क बड़-बड़ ताल लगा िदय िफर चाबी अपनी जब म डालकर दोनो चल िदय िक दख आज कथा म कया होता ह

उन दोनो लड़िकयो म स एक रतनबाई रोज सतसग-कीतरन क दौरान अपन हाथो स पानी का िगलास भरकर भाव भर भजन गान वाल नरिसह महता क होठो तक ल जाती थी लोगो न रतनबाई का भाव एव नरिसह महता की भि नही दखी बिलक पानी िपलान की बा िबया को दखकर उलटा अथर लगा िलया

सरपच न घोिषत कर िदयाः आज स नरिसह महता गाव क चौराह पर ही सतसग-कीतरन करग घर पर नही

नरिसह महता न चौराह पर सतसग-कीतरन िकया िववािदत बात िछड़न क कारण भीड़ बढ़ गयी थी कीतरन करत-करत राऽी क 12 बज गय नरिसह महता रोज इसी समय पानी पीत थ अतः उनह पयास लगी

इधर रतनबाई को भी याद आया िक गरजी को पयास लगी होगी कौन पानी िपलायगा रतनबाई न बद कमर म ही मटक म स पयाला भरकर भावपणर दय स आख बद करक मन-ही-मन पयाला गरजी क होठो पर लगाया

जहा नरिसह महता कीतरन-सतसग कर रह थ वहा लोगो को रतनबाई पानी िपलाती हई नजर आयी लड़की का बाप एव भाई दोनो आ यरचिकत हो उठ िक रतनबाई इधर कस

वाःतव म तो रतनबाई अपन कमर म ही थी पानी का पयाला भरकर भावना स िपला रही थी लिकन उसकी भाव की एकाकारता इतनी सघन हो गयी िक वह चौराह क बीच लोगो को िदखी

अतः मानना पड़ता ह िक जहा आदमी का मन अतयत एकाकार हो जाता ह उसका शरीर दसरी जगह होत हए भी वहा िदख जाता ह

रतनबाई क बाप न पऽ स पछाः रतन इधर कस

रतनबाई क भाई न कहाः िपताजी चाबी तो मरी जब म ह

दोनो भाग घर की ओर ताला खोलकर दखा तो रतनबाई कमर क अदर ही ह और उसक हाथ म पयाला ह रतनबाई पानी िपलान की मिा म ह दोनो आ यरचिकत हो उठ िक यह कस

सत एव समाज क बीच सदा स ही ऐसा ही चलता आया ह कछ असामािजक त व सत एव सत क पयारो को बदनाम करन की कोई भी कसर बाकी नही रखत िकत सतो-महापरषो क सचच भ उन सब बदनािमयो की परवाह नही करत वरन व तो लग ही रहत ह सतो क दवी काय म

ठीक ही कहा हः इलजाम लगानवालो न इलजाम लगाय लाख मगर

तरी सौगात समझकर क हम िसर प उठाय जात ह ॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐ

अनबम

लीन ौी मा महगीबा [ परम पजय बापजी की लीन मातौी मा महगीबा (पजनीया अममा) क कछ मधर सःमरण ःवय

पजय बापजी क शबदो]

मरी मा का िदवय गरभाव मा बालक की थम गर होती ह बालक पर उसक लाख-लाख उपकार होत ह वयवहािरक दि स म

उनका पऽ था िफर भी मर ित उनकी गरिन ा िनराली थी

एक बार व दही खा रही थी तो मन कहाः दही आपक िलए ठीक नही रहगा

उनक जान (महायाण) क कछ समय पवर ही उनकी सिवका न मझ बताया िक अममा न िफर कभी दही नही खाया कयोिक गरजी न मना िकया था

इसी कार एक अनय अवसर पर मा भटटा (मकई) खा रही थी मन कहाः भटटा तो भारी होता ह बढ़ाप म दर स पचता ह कयो खाती हो

मा न भटट खाना भी छोड़ िदया िफर दसर-तीसर िदन उनह भटटा िदया गया तो व बोलीः गरजी न मना िकया ह गर ना बोलत ह को कया खाय

मा को आम बहत पसनद था िकत उनक ःवाःथय क अनकल न होन क कारण मन उसक िलए भी मना िकया तो मा न उस भी खाना छोड़ िदया

मा का िव ास बड़ा गज़ब का खा था एक बार कह िदया तो बात परी हो गयी अब उसम िवटािमनस ह िक नही मर िलए हािनकारक ह या अचछा उनको कछ सनन की जररत नही ह बाप न ना बोल िदया तो बात परी हो गयी

ौ ा की हद हो गयी ौ ा इतनी बढ़ गयी इतनी बढ़ गयी िक उसन िव ास का रप धारण कर िलया ौ ा और िव ास म फकर ह ौ ा सामनवाल की महानता को दखकर करनी पड़ती ह जबिक िव ास पदा होता ौीरामचिरतमानस म आता हः

भवानीशकरौ वनद ौ ािव ासरिपणौ मा पावरती ौ ा का और भगवान िशव िव ास का ःवरप ह य ौ ा और िव ास िजसम ह समझो वह

िशव-पावरतीःवरप हो गया मरी मा म पावरती का ःवरप तो था ही साथ म िशव का ःवरप भी था म एक बार जो कह दता उनक िलए वह पतथर पर लकीर हो जाता

पऽ म िदवय सःकार डालन वाली पणयशीला माताए तो इस धरा पर कई हो गयी िवनोबा भाव की माता न उनह बालयकाल स ही उचच सःकार डाल थ बालयकाल स ही िशवाजी म भारतीय सःकित की गिरमा एव अिःमता की रकषा क सःकार डालनवाली भी उनकी माता जीजाबाई ही थी लिकन पऽ को गर मानन का भाव दवहित क िसवाय िकसी अनय माता म मन आज तक नही दखा था

मरी मा पहल तो मझ पऽवत पयार करती थी लिकन जबस उनकी मर ित गर की नजर बनी तबस मर साथ पऽरप स वयवहार नही िकया व अपनी सिवका स हमशा कहती-

सा जी आय ह सा जी का जो खाना बचा ह वह मझ द द आिद-आिद एक बार की बात ह मा न मझस कहाः साद दो

हद हो गयी ऐसी ौ ा पऽ म इस कार की ौ ा कोई साधारण बात ह उनकी ौ ा को नमन ह बाबा

मरी य माता शरीर को जनम दनवाली माता तो ह ही भि मागर की गर भी ह समता म रहन वाली और समाज क उतथान की रणा दन वाली माता भी ह यही नही इन सबस बढ़कर इन माता न एक ऐसी गजब की भिमका अदा की ह िक िजसका उललख इितहास म कभी-कभार ही िदखाई पड़ता ह सितयो की मिहमा हमन पढ़ी सनी सनायी अपन पित को परमातमा माननवाली दिवयो की सची भी हम िदखा सकत ह लिकन पऽ म गरबि पऽ म परमातमबि ऐसी ौ ा हमन एक दवहित माता म दखी जो किपल मिन को अपना गर मानकर आतम-साकषातकार करक तर गयी और दसरी य माता मर धयान म ह

एक बार म अचानक बाहर चला गया और जब लौटा तो सिवका न बताया िक माताजी बात नही करती ह

मन पछाः कयो

सिवकाः व कहती ह िक सा मना कर गय ह िक िकसी स बात नही करना तो कयो बातचीत कर

मर िनकटवत कहलान वाल िशय भी मरी आजञा पर ऐसा अमल नही करत होग जसा इन दवीःवरपा माता न अमल करक िदखाया ह मा की ौ ा की कसी पराका ा ह मझ ऐसी मा का बटा होन का वयावहािरक गवर ह और जञानी गर का िशय होन का भी गवर ह

भ मझ जान दो मरी मा मझ बड़ आदर भाव स दखा करती थी जब उनकी उ करीब 86 वषर की थी तब उनका शरीर

काफी बीमार हो गया था डॉकटरो न कहाः लीवर और िकडनी दोनो खराब ह एक िदन स जयादा नही जी सक गी

23घणट बीत गय मन अपन व को भजा तो व भी उतरा हआ मह लकर मर पास आया और बोलाः बाप एक घणट स जयादा नही िनकाल पायगी मा

मन कहाः भाई त कछ तो कर मरा व ह इतन िचिकतसालय दखता ह

व ः बाप अब कछ नही हो सकगा

मा कराह रही थी करवट भी नही ल पा रही थी जब लीवर और िकडनी दोनो िनिबय हो तो कया करग आपक इजकशन और दवाए म गया मा क पास तो मा न इस ढग स हाथ जोड़ मानो जान की आजञा माग रही हो िफर धीर स बोली-

भ मझ जान दो

ऐसा नही िक बटा मझ जान दो नही नही मा न कहाः भगवान मझ जान दो भ मझ जान दो

मन उनक भ-भाव और भगवान भाव का जी भरकर फायदा उठाया और कहाः म नही जान दता तम कस जाती हो म दखता ह

मा बोलीः भ पर म कर कया

मन कहाः म ःवाःथय का मऽ दता ह

उवरर भिम पर उलटा-सीधा बीज बड़ तो भी उगता ह मा का दय ऐसा ही था मन उनको मऽ िदया और उनहोन रटना चाल िकया एक घणट म जो मरन की नौबत दख रही थी अब एक घणट क बाद उनक ःवाःथय म सधार शर हो गया िफर एक महीना दो महीन पाच महीन पिह महीन पचचीस महीन चालीस महीन ऐसा करत-करत साठ स भी जयादा महीन हो गय तब व 86 वषर की थी अभी 92 वषर पार कर गयी जब आजञा िमली रोकन का सकलप लगाया तो उस हटान का कतरवय भी मरा था अतः आजञा िमलन पर ही उनहोन शरीर छोड़ा गरआजञा-पालन का कसा दढ़ भाव

इचछाओ स परः मा महगीबा एक बार मन मा स कहाः आपको सोन म तौलग

लिकन उनक चहर पर हषर का कोई िच नजर नही आया मन पनः िहला-िहलाकर कहाः आपको सोन म तौलग सोन म

माः यह सब मझ अचछा नही लगता

मन कहाः तला हआ सोना मिहला आौम शःट म जमा करग िफर मिहलाओ और गरीबो की सवा म लगगा

मा- हा सवा म भल लग लिकन मर को तौलना-वौलना नही

सवणर महोतसव क पहल ही मा की याऽा परी हो गयी बाद म सवणर महोतसव क िनिम जो भी करना था वह िकया ही

मन कहाः आपका मिदर बनायग

मा- य सब कछ नही करना ह

म- आपकी कया इचछा ह हिर ार जाय

मा- वहा तो नहाकर आय

म- कया खाना ह यह खाना ह

मा- मझ अचछा नही लगता

कई बार िवनोद का समय िमलता तो हम पछत कई वािहश पछ-पछकर थक गय लिकन उनकी कोई वािहश हमको िदखी नही अगर उनकी कोई भी इचछा होती तो उनक इिचछत पदाथर को लान की सिवधा मर पास थी िकसी वयि स पऽ स पऽी स कटमबी स िमलन की इचछा होती तो उनस भी िमला दत कही जान की इचछा होती तो वहा ल जात लिकन उनकी कोई इचछा ही नही थी

न उनम कछ खान की इचछा थी न कही जान की न िकसी स िमलन की इचछा थी न ही यश-मान की तभी तो उनह इतना मान िमल रहा ह जहा मान-अपमान सब ःवपन ह उसम उनकी िःथित हई इसीिलए ऐसा हो रहा ह

इस सग स करोड़ो-करोड़ो लोगो को समम मानव-जाित को जरर रणा िमलगी

अनबम

जीवन म कभी फिरयाद नही मन अपनी मा को कभी कोई फिरयाद करत हए नही दखा िक मझ इसन दःख िदया उसन क

िदया यह ऐसा ह जब हम घर पर थ तब बड़ा भाई जाकर मर बार म मा स फिरयाद िक वह तो दकान पर आता ही नही ह

मा मझस कहती- अब कया कर वह तो ऐसा बोलता ह

जब मा आौम म रहन लगी तब भी आौम की बिचचयो की कभी फिरयाद नही आौम क बचचो की कभी फिरयाद नही कसा मक जीवन ऐसी आतमाए धरती पर कभी-कभार ही आती ह इसीिलए वह वसनधरा िटकी हई ह मझ इस बात का बड़ा सतोष ह िक ऐसी तपिःवनी माता की कोख स यह शरीर पदा हआ ह

उनक िच की िनमरलता स मझ तो बड़ी मदद िमली आप लोगो को भी बड़ा अचछा लगता होगा मझ तो लगता ह िक जो भी मिहलाए मा क िनकट आयी होगी उनक दय म माता क ित अहोभाव जग ही गया होगा

म तो सत की मा ह य लोग साधारण ह ऐसा भाव कभी िकसी न उनम नही दखा अथवा हम बड़ ह पजन यो य ह लोग हम णाम कर मान द ऐसा िकसी न उनम नही दखा अिपत यह जरर दखा ह िक व िकसी को णाम नही करन दती थी

ऐसी मा क सपकर म हम आय ह तो हम भी ऐसा िच बनाना चािहए िक हम भी सख-दःख म सम रह अपनी आवयकताए कम कर दय म भदभाव न रह सबक मगल का भाव रख

अनबम

बीमारो क ित मा की करणा

मझ इस बात का पता अभी तक नही थी अभी रसोइय न और दसर लोगो न बताया िक जब भी कोई आौमवासी बीमार पड़ जाता तो मा उसक पास ःवय चली जाती थी सचालक रामभाई न बताया िक एक बार म बहत बीमार पड़ गया तो मा आयी और मर ऊपर स कछ उतारा करक उस अि न म फ क िदया उनहोन ऐसा तीन िदन तक िकया और म ठीक हो गया

दसर लड़को न भी बताया िक हमको भी कभी कछ होता और मा को पता चलता तो व दखन आ ही जाती थी

एक बार आौम म िकसी मिहला को बखार हो गया तो मा ःवय उसका िसर दबान बठ गयी मिहला आौम म भी कोई सािधका बीमार पड़ती तो मा उसका धयान रखती यिद वह ऊपर क कमर म होती तो मा कहती- बचारी को नीच का कमरा दो बीमारी म ऊपर-नीच आना-जाना नही कर पायगी ऐसा था उनका परदःखकातर दय

अनबम

कोई कायर घिणत नही ह एक बार आौम क एक बजगर साधक न एक लड़क का कचछा-लगोट गदा दखा तो उसको फटकार

लगायी लिकन मा तो ऐस कई कचछ-लगोट चपचाप धोकर बचचो क कमर क िकनार रख दती थी कई गद-मल कचछ िजनह खद भी धोन म घणा होती हो ऐस कपड़ो को धोकर मा बचचो क कमरो क िकनार चपचाप रख िदया करती

कसा उदार दय रहा होगा मा का कसा िदवय वातसलयभाव रहा होगा अतः करण म वयावहािरक वदानत की कसी िदवय धारा रही होगी सभी क ित कसी िदवय सतान भावना रही होगी

सफाई क िजस कायर को लोग घिणत समझत ह उस कायर को करन म भी मा को घणा नही होती थी िकतनी उनकी महानता सचमच व शबरी मा ही थी

अनबम

ऐसी मा क िलए शोक िकस बात का िजस िदन मर सदगरदव का महािनवारण हआ उसी िदन मरी माता का भी महािनवारण हआ 4 नवमबर

1999 तदनसार एकादशी का िदन काितरक का महीना गजरात क मतािबक आि न सवत 2055 एव गरवार न इजकशन भकवाय न आकसीजन पर रही न अःपताल म भत हई वरन आौम की एकात जगह पर ा महतर म 5 बजकर 37 िमनट पर िबना िकसी ममता- आसि क उनका न र दह छटा पछी िपजरा छोड़कर आजाद हआ हआ तो शोक िकस बात का

वयवहारकाल म लोग बोलत ह िक बाप जी यह शोक की वला ह हम सब आपक साथ ह ठीक ह यह वयवहार की भाषा ह लिकन सचची बात तो यह ह िक मझ शोक हआ ही नही ह मझम तो बड़ी शाित बड़ी समता ह कयोिक मा अपना काम बनाकर गयी ह

सत मर कया रोइय व जाय अपन घर मा न आतमजञान क उजाल म दह का तयाग िकया ह शरीर स ःवय को पथक मानन की उनकी रिच

थी वासना को िमटान की कजी उनक पास थी यश और मान स व कोसो दर थी ॐॐ का िचतन-गजन करक अतमरन म याऽा करक दो िदन क बाद व िवदा ह

जस किपल मिन की मा दवहित आतमारामी हई ऐस ही मा महगीबा आतमारामी होकर न र चोल को छोड़कर शा त स ा म लीन ह अथवा सकलप करक कही भी कट हो सक ऐसी दशा म पहची ऐसी मा क िलए शोक िकस बात का

िजनक जीवन म कभी िकसी क िलए फिरयाद नही रही ऐसी आतमाए धरती पर कभी-कभार ही आती ह इसीिलए यह वसनधरा िटकी हई ह

मझ इस बात का भी सतोष ह िक आिखरी िदनो म म उनक ऋण स थोड़ा म हो पाया इधर-उधर क कई कायरबम होत रहत थ लिकन हम कायरबम ऐस ही बनात िक मा याद कर और हम पहच जाय

मर गरजी जब इस ससार स िवदा हए तो उनहोन भी मरी ही गोद म महायाण िकया और मरी मा क महािनवारण क समय भी भगवान न मझ यह अवसर िदया-इस बात का मझ सतोष ह

मगल मनाना यह तो हमारी सःकित म ह लिकन शोक मनाना ETH यह हमारी सःकित म नही ह हम ौीरामचिजी का ाकटय िदवस ETH रामनवमी बड़ी धमधाम स मनात ह लिकन ौीकण और ौीरामजी िजस िदन िवदा हए उस हम शोकिदवस क रप म नही मनात ह हम उस िदन का पता ही नही ह

शोक और मोह ETH य आतमा की ःवाभािवक दशाए नही ह शोक और मोह तो जगत को सतय मानन की गलती स होता ह इसीिलए अवतारी महापरषो की िवदाई का िदन भी हमको याद नही िक िकस िदन व िवदा हए और हम शोक मनाय

हा िकनही-िकनही महापरषो की िनवारण ितिथ जरर मनात ह जस वालमीिक िनवारण ितिथ ब की िनवारण ितिथ कबीर नानक ौीरामकणपरमहस अथवा ौीलीलाशाहजी बाप आिद व ा महापरषो की िनवारण ितिथ मनात ह लिकन उस ितिथ को हम शोक िदवस क रप म नही मनात वरन उस ितिथ को हम मनात ह उनक उदार िवचारो का चार-सार करन क िलए उनक मागिलक काय स सतरणा पान क िलए

हम शोक िदवस नही मनात ह कयोिक सनातन धमर जानता ह िक आपका ःवभाव अजर अमर अजनमा शा त और िनतय ह और मतय शरीर की होती ह हम भी ऐसी दशा को ा हो इस कार क सःमरणो का आदान-दान िनवारण ितिथ पर करत ह महापरषो क सवाकाय का ःमरण करत ह एव उनक िदवय जीवन स रणा पाकर ःवय भी उननत हो सक ETH ऐसी उनस ाथरना करत ह

(परम पजय सत ौी आसारामजी बाप की पजनीया मातौी मा महगीबा अथारत हम सबकी पजनीया अममा क िवशाल एव िवराट वयि तव का वणरन करना मानो गागर म सागर को समान की च ा करना वातसलय और म की साकषात मितर परोपकािरता एव परदःखकातरता स पलािवत दय िदवय गरिन ा ःवावलबन एव कमरिन ा िनरािभमानता की मितर भारतीय सःकित की रकषक िकन-िकन गणो का वणरन कर िफर भी उनक महान जीवन की वािटका क कछ प यहा ःतत करत ह िजनका सौरभ जन-जन को सरिभत िकय िबना न रह सकगा)

अनबम

अममा की गरिन ा अममा अथारत पणर िनरिभमािनता का मतर ःवरप उनका परोपकारी सरल ःवभाव िनकाम सवाभाव एव

परिहतिचतन िकसी को भी उनक चरणो म ःवाभािवक ही झकन क िलए िरत कर द अनको साधक जब अममा क दशरन करन क िलए जात तब कई बार ससार क ताप स त दय उनक समकष खल जातः अममा आप आशीवारद दो न म परशािनयो स छट जाऊ

अममा का गरभ दय सामन वाल क दय म उतसाह एव उमग का सचार कर दता एव उसकी गरिन ा को मजबत बना दता व कहती- गरदव बठ ह न हमशा उनहीस ाथरना करो िक ह गरवर हम आपक साथ का यह समबनध सदा क िलए िनभा सक ऐसी कपा करना हम गर स िनभाकर ही इस ससार स जाय मागना हो तो गरदव की भि ही मागना म भी उनक पास स यही मागती ह अतः तमह मरा आशीवारद नही अिपत गरदव का अनमह मागत रहना चािहए व ही हम िहममत दग बल दग व शि दाता ह न

साधना-पथ पर चलनवाल गरभ ो को अममा का यह उपदश अपन दयपटल पर ःवणारकषरो म अिकत कर लना चािहए

अनबम

ःवावलबन एव परदःखकातरता अममा ातःकाल सय दय स पवर 4-5 बज उठ जाती और िनतयकमर स िनव होकर पहल अपन िनयम

करती िकतना भी कायर हो पर एक घणटा तो जप करती ही थी यह बात तब की ह जब तक उनक शरीर न उनका साथ िदया जब शरीर व ावःथा क कारण थोड़ा अश होन लगा तो िफर तो िदन भर जप करती रहती थी

82 वषर की अवःथा तक तो अममा अपना भोजन ःवय बनाकर खाती थी आौम क अनय सवाकायर करती रसोईघर की दखरख करती बगीच म पानी िपलाती सबजी आिद तोड़कर लाती बीमार का हालचाल पछकर आती एव रािऽ म भी एक-दो बज आौम का चककर लगान िनकल पड़ती यिद शीतकाल का मौसम

होता कोई ठड स िठठर रहा होता तो चपचाप उस कबल ओढ़ा आती उस पता भी नही चलता और वह शाित स सो जाता उस शाित स सोत दखकर अममा का मात दय सतोष की सास लता इसी कार गरीबो म भी ऊनी व ो एव कबलो का िवतरण पजनीया अममा करती-करवाती

उनक िलए तो कोई भी पराया न था चाह आौमवासी बचच हो या सड़क पर रहन वाल दिरिनारायण सबक िलए उनक वातसलय का झरना सदव बहता ही रहता था िकसी को कोई क न हो दःख न हो पीड़ा न हो इसक िलए ःवय को क उठाना पड़ तो उनह मजर था पर दसर की पीड़ा दसर का क उनस न दखा जाता था

उनम ःवावलबन एव परदःखकातरता का अदभत सिममौण था वह भी इस तरह िक उसका कोई अह नही कोई गवर नही सबम परमातमा ह अतः िकसी को दःख कयो पहचाना यह सऽ उनक पर जीवन म ओतोत नजर आता था वयवहार तो ठीक वाणी क ारा भी कभी िकसी का िदल अममा न दखाया हो ऐसा दखन म नही आया

सचमच पजनीया अममा क य सदगण आतमसात करक तयक मानव अपन जीवन को िदवय बना सकता ह

अनबम

अममा म मा यशोदा जसा भाव जब अममा पािकःतान म थी तब तो िनतय िनयम स छाछ-मकखन बाटा ही करती थी लिकन भारत म

आन पर भी उनका यह बम कभी नही टटा अपन आौम-िनवास क दौरान अममा अपन हाथो स ही छाछ िबलोती एव लोगो म छाछ-मकखन बाटती जब तक शरीर न साथ िदया तब तक ःवय दही िबलोवा लिकन 82 वषर की अवःथा क बाद जब शरीर असमथर हो गया तब भी दसरो स मकखन िनकलवाकर बाटा करती

अपन जीवन क अितम 3-4 वषर अममा न एकदम एकात शात ःथल शाित वािटका म िबताय वहा भी अममा कभी-कभार आौम स मकखन मगवाकर वािटका क साधको को दती

अपनी जीवनलीला समा करन स 4-5 महीन पवर अममा िहममतनगर आौम म थी वहा तो मकखन िमलता भी नही था तब अमदावाद आौम स मकखन मगवाकर वहा क साधको म बटवाया सबको मकखन बाटन म पजनीया अममा बड़ी ति का अनभव करती ऐसा लगता मानो मा यशोदा अपन गोप-बालको को मकखन िखला रही हो

अनबम

दन की िदवय भावना अममा िकसी को साद िलए िबना न जान दती थी यह तो उनक सपकर म आन वाल तयक वयि

का अनभव ह

नवरािऽ की घटना ह एक बार आगरा का एक भाई अममा को भट करन क िलए एक गलदःता लकर आया दशरन करक वह भाई तो चला गया सिवका को उस साद दना याद न रहा अममा को इस बात का बड़ा दःख हआ िक वह भाई साद िलए िबना चला गया अचानक वह भाई िकसी कारणवश पनः अममा की कटीर क पास आया उस बलाकर अममा न साद िदया तभी उनको चन पड़ा

ऐसा तो एक-दो का नही सकड़ो-हजारो का अनभव ह िक आगनतक को साद िदय िबना अममा नही जान दती थी दना दना और दना यही उनका ःवभाव था वह दना भी कसा िक कोई सकीणरता नही दन का कोई अिभमान नही

ऐसी स दय एव परोपकारी मा क यहा यिद सत अवतिरत न हो तो कहा हो

अनबम

गरीब कनयाओ क िववाह म मदद पजनीया मा का ःवभाव अतयत परोपकारी था गरीबो की वदना उनक दय को िपघलाकर रख दती

थी कभी भी िकसी की दःख-पीड़ा की बात उनक कानो तक पहचती तो िफर उसकी सहायता कस करनी ह ETH इसी बात का िचतन मा क मन म चलता रहता था और जब तक उस यथा यो य मदद न िमल जाती तब तक व चन स बठती तक नही

एक गरीब पिरवार म कनया की शादी थी जब पजनीया मा को इस बात का पता चला तो उनहोन अतयत दकषता क साथ उस मदद करन की योजना बना डाली उस पिरवार की आिथरक िःथित जानकर लड़की क िलए व एव आभषण बनवा िदय और शादी क खचर का बोझ कछ हलका हो ETH इस ढग स आिथरक मदद भी की और वह भी इस तरह स िक लन वाल को पता तक न चल पाया िक यह सब पजनीया मा क दयाल ःवभाव की दन ह कई गरीब पिरवारो को पजनीया मा की ओर स कनया की शादी म यथायो य सहायता इस कार स िमलती रहती थी मानो उनकी अपनी बटी की शादी हो

अनबम

अममा का उतसव म भारतीय सःकित क तयक पवर तयोहारो को मनान क िलए अममा सभी को ोतसािहत िकया करती थी

एव ःवय भी पवर क अनरप सबको साद बाटा करती थी जस मकर-सबाित पर ितल क ल ड आिद आौम क पसो स दान का बोझ न चढ़ इसिलए अपन जय पऽ जठानद स पस लकर पजनीया अममा पव पर साद बाटा करती

िसिधयो का एक िवशष तयोहार ह तीजड़ी जो रकषाबनधन क तीसर िदन आता ह उस िदन चाद क दशरन पजन करक ही ि या भोजन करती ह अममा की सिवका न भी तीजड़ी का ोत रखा था उस व अममा िहममतनगर म थी रािऽ हो चकी थी सिवका न अममा स भोजन क िलए ाथरना की तो अममा बोल

पड़ी- त चाद दखकर खायगी नयाणी (कनया) भखी रह और म खाऊ नही जब चाद िदखगा म भी तभी खाऊगी

अममा भी चाद की राह दखत हए कस पर बठी रही जब चाद िदखा तब अपनी सिवका क साथ ही अममा न रािऽ-भोजन िकया कसा मात दय था अममा का िफर हम उनह जगजजननी न कह तो कया कह

अनबम

तयक वःत का सदपयोग होना चािहए अममा अमदावाद आौम म रहती थी तब की यह बात ह कई लोग आौम म दशरन करन क िलए

आत बड़ बादशाह की पिरबमा करत एव वहा का जल ल जात यिद उनह पानी की खाली बोतल न िमलती तो अममा क पास आ जात एव अममा उनह बोतल द दती अममा क पास इतनी सारी बोतल कहा स आती थी जानत ह अममा पर आौम म चककर लगाती तब यऽ-तऽ पड़ी हई फ क दी गयी बोतल ल आती उस गमर पानी एव साबन स साफ करक सभालकर रख दती और जररतमदो को द दती

इसी कार िशिवरो क उपरात कई लोगो की चपपल पड़ी होती थी उनकी जोड़ी बनाकर रखती एव उनह गरीबो म बाट दती

ऐसा था उनका खराब म स अचछा बनान का ःवभाव म िव सनीय सत की मा ह यह अिभमान तो उनह छ तक न सका था बस तयक चीज का सदपयोग होना चािहए िफर वह खान की चीज हो या पहनन-ओढ़न की

अनबम

अह स पर अममा क सवाकायर का कषऽ िजतना िवशाल था उतनी ही उनकी िनिभमानता भी महान थी उनक

सवाकायर का िकसी को पता चल जाता तो उनह अतयत सकोच होता इसीिलए उनहोन अपना सवाकषऽ इस कार िवकिसत िकया िक उनक बाय हाथ को पता न चलता िक दाया हाथ कौन सी सवा कर रहा ह

यिद कोई कतजञता वय करन क िलए उनह णाम करन आता तो व नाराज हो जाती अतः उनकी सिवका इस बात की बड़ी सावधानी रखती िक कोई अममा को णाम करन न आय

िजनहोन जीवन म कवल दना ही सीखा और िसखाया हो उनस नमन का ऋण भी सहन नही होता था व कवल इतना ही कहती- िजसन सब िदया ह उस परमातमा को ही नमन कर

उनकी मक सवा क आग मःतक अपन-आप झक जाता ह उनकी िनरिभमानता िनकामता एव मक सवा की भावना यगो-यगो तक लोगो क िलए रणादायी एव पथ-दशरक बनी रहगी

अनबम(सकिलत)

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मीराबाई की गरभि (मीराबाई की दढ़ भि को कौन नही जानता उनही क कछ पदो ारा उनक जीवन सग पर काश

डालत हए पजजौी कह रह ह)

भि मती मीराबाई का एक िस भजन हः

पग घघर बाध मीरा नाची र लोग कह मीरा भई र बावरी सास कह कलनासी र िबष को पयालो राणाजी भजयो

पीवत मीरा हासी र म तो अपन नारायण की आपिह हो गइ दासी र मीरा क भ िगरधर नागर

सहज िमलया अिबनासी र एक बार सत रदास जी िचतौड़ पधार थ रदासजी रघ चमार क यहा जनम थ उनकी छोटी जाित थी

और उस समय जात-पात का बड़ा बोल बाला था व नगर स दर चमारो की बःती म रहत थ राजरानी मीरा को पता चला िक सत रदासजी महाराज पधार ह लिकन राजरानी क वश म वहा कस जाय मीरा एक मोची मिहला का वश बनाकर चपचाप रदासजी क पास चली जाती उनका सतसग सनती उनक कीतरन और धयान म म न हो जाती

ऐसा करत-करत मीरा का स वगण दढ़ हआ मीरा न सोचाः ई र क राःत जाय और चोरी िछप जाय आिखर कब तक िफर मीरा अपन ही वश म उन चमारो की बःती म जान लगी

मीरा को उन चमारो की बःती म जात दखकर अड़ोस-पड़ोस म कानाफसी होन लगी पर मवाड़ म कहराम मच गया िक ऊची जाित की ऊच कल की राजघरान की मीरा नीची जाित क चमारो की बःती म जाकर साधओ क यहा बठती ह मीरा ऐसी ह वसी ह ननद उदा न उस बहत समझायाः

भाभी लोग कया बोलग तम राजकल की रानी और गदी बःती म चमारो की बःती म जाती हो चमड़ का काम करनवाल चमार जाित क एक वयि को गर मानती हो उसको मतथा टकती हो उसक हाथ स साद लती हो उसको एकटक दखत-दखत आख बद करक न जान कया-कया सोचती और करती हो यह ठीक नही ह भाभी तम सधर जाओ

सास नाराज ससर नाराज दवर नाराज ननद नाराज कटबीजन नाराज उदा न कहाः मीरा मान लीिजयो महारी तन सिखया बरज सारी

राणा बरज राणी बरज बरज सपिरवारी साधन क सग बठ बठ क लाज गवायी सारी

मीरा अब तो मान जा तझ म समझा रही ह सिखया समझा रही ह राणा भी कह रहा ह रानी भी कह रही ह सारा पिरवार कह रहा ह िफर भी त कयो नही समझती ह इन सतो क साथ बठ-बठकर त कल की सारी लाज गवा रही ह

िनत ित उठ नीच घर जाय कलको कलक लगाव

मीरा मान लीिजयो महारी तन बरज सिखया सारी तब मीरा न उ र िदयाः

तारयो िपयर सासिरयो तारयो मा मौसाली सारी मीरा न अब सदगर िमिलया चरणकमल बिलहारी

म सतो क पास गयी तो मन पीहर का कल तारा ससराल का कल तारा मौसाल का और निनहाल का कल भी तारा ह

मीरा की ननद पनः समझाती हः तन बरज बरज म हारी भाभी मानो बात हमारी राणा रोस िकया था ऊपर साधो म मत जारी

कल को दाग लग ह भाभी िनदा होय रही भारी साधो र सग बन बन भटको लाज गवायी सारी बड़ गर म जनम िलयो ह नाचो द द तारी

वह पायो िहदअन सरज अब िबदल म कोई धारी मीरा िगरधर साध सग तज चलो हमारी लारी तन बरज बरज म हारी भाभी मानो बात हमारी

उदा न मीरा को बहत समझाया लिकन मीरा की ौ ा और भि अिडग ही रही मीरा कहती ह िक अब मरी बात सनः

मीरा बात नही जग छानी समझो सधर सयानी साध मात िपता ह मर ःवजन ःनही जञानी

सत चरण की शरण रन िदन मीरा कह भ िगरधर नागर सतन हाथ िबकानी

मीरा की बात अब जगत स िछपी नही ह साध ही मर माता-िपता ह मर ःवजन ह मर ःनही ह जञानी ह म तो अब सतो क हाथ िबक गयी ह अब म कवल उनकी ही शरण ह

ननद उदा आिद सब समझा-समझाकर थक गय िक मीरा तर कारण हमारी इजजत गयी अब तो हमारी बात मान ल लिकन मीरा भि म दढ़ रही लोग समझत ह िक इजजत गयी िकत ई र की भि करन पर आज तक िकसी की लाज नही गयी ह सत नरिसह महता न कहा भी हः

हिर न भजता हजी कोईनी लाज जता नथी जाणी र मखर लोग समझत ह िक भजन करन स इजजत चली जाती ह वाःतव म ऐसा नही ह

राम नाम क शारण सब यश दीनहो खोय मरख जान घिट गयो िदन िदन दनो होय

मीरा की िकतनी बदनामी की गयी मीरा क िलए िकतन ष यऽ िकय गय लिकन मीरा अिडग रही तो मीरा का यश बढ़ता गया आज भी लोग बड़ म स मीरा को याद करत ह उनक भजनो को गाकर अथवा सनकर अपना दय पावन करत ह

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अनबम

राजकमारी मिललका बनी तीथकर मिललयनाथ जन धमर म कल 24 तीथकर हो चक ह उनम एक राजकनया भी तीथकर हो गयी िजसका नाम था

मिललयनाथ

राजकमारी मिललका इतनी खबसरत थी िक कई राजकमार व राजा उसक साथ बयाह रचाना चाहत थ लिकन वह िकसी को पसद नही करती थी आिखरकार उन राजकमारो व राजाओ न आपस म एक जट होकर मिललका क िपता को िकसी य म हरा कर मिललका का अपहरण करन की योजना बनायी

मिललका को इस बात का पता चल गया उसन राजकमारो व राजाओ को कहलवाया िक आप लोग मझ पर कबारन ह तो म भी आप सब पर कबारन ह ितिथ िनि त किरय आप लोग आकर बातचीत कर म आप सबको अपना सौनदयर द दगी

इधर मिललका न अपन जसी ही एक सनदर मितर बनवायी एव िनि त की गयी ितिथ स दो-चार िदन पहल स वह अपना भोजन उसम डाल िदया करती थी िजल हॉल म राजकमारी व राजाओ को मलाकात दनी थी उसी हॉल म एक ओर वह मितर रखवा दी गयी

िनि त ितिथ पर सार राजा व राजकमार आ गय मितर इतनी हबह थी िक उसकी ओर दखकर राजकमार िवचार ही कर रह थ िक अब बोलगीअब बोलगी इतन म मिललका ःवय आयी तो सार राजा व राजकमार उस दखकर दग रह गय िक वाःतिवक मिललका हमार सामन बठी ह तो यह कौन ह

मिललका बोलीः यह ितमा ह मझ यही िव ास था िक आप सब इसको ही सचची मानगऔर सचमच म मन इसम सचचाई छपाकर रखी ह आपको जो सौनदयर चािहए वह मन इसम छपाकर रखा ह

यह कहकर जयो ही मितर का ढककन खोला गया तयो ही सारा ककष दगरनध स भर गया िपछल चार-पाच िदन स जो भोजन उसम डाला गया था उसक सड़ जान स ऐसी भयकर बदब िनकल रही थी िक सब िछः-िछः कर उठ

तब मिललका न वहा आय हए सभी राजाओ व राजकमारो को समबोिधत करत हए कहाः भाइयो िजस अनन जल दध फल सबजी इतयािद को खाकर यह शरीर सनदर िदखता ह मन व ही खा -सामिमया चार-पाच िदनो स इसम डाल रखी थी अब य सड़ कर दगरनध पदा कर रही ह दगरनध पदा करन वाल इन खा ाननो स बनी हई चमड़ी पर आप इतन िफदा हो रह हो तो इस अनन को र बना कर सौनदयर दन वाला

यह आतमा िकतना सनदर होगा भाइयो अगर आप इसका याल रखत तो आप भी इस चमड़ी क सौनदयर का आकषरण छोड़कर उस परमातमा क सौनदयर की तरफ चल पड़त

मिललका की सारगिभरत बात सनकर कछ राजा एव राजकमार िभकषक हो गय और कछ न काम-िवकार स अपना िपणड छड़ान का सकलप िकया उधर मिललका सतशरण म पहच गयी तयाग और तप स अपनी आतमा को पाकर मिललयनाथ तीथकर बन गयी अपना तन-मन परमातमा को स पकर वह भी परमातममय हो गयी

आज भी मिललयनाथ जन धमर क िस उननीसव तीथकर क नाम स सममािनत होकर पजी जा रही ह

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अनबम

दगारदास की वीर जननी सन 1634 क फरवरी मास की घटना हः जोधपर नरश का सनापित आसकरण जसलमर िजल स गजर

रहा था जमल गाव म उसन दखा िक गाव क लोग डर क मार भागदौड़ मचा रह ह और पकार रह ह- हाय क हाय मसीबत बचाओ बचाओ

आसकरण न सोचा िक कही मगलो न गाव को लटना तो आरभ नही कर िदया अथवा िकसी की बह-बटी की इजजत तो नही लटी जा रही ह गाव क लोगो की चीख-पकार सनकर आसकरण वही रक गया

इतन म उसन दखा िक दो भस आपस म लड़ रही ह उन भसो न ही पर गाव म भगदड़ मचा रखी ह लिकन िकसी गाव वाल की िहममत नही हो रही ह िक पास म जाय सार लोग चीख रह थ मन दखी ह भसो की लड़ाई बड़ी भयकर होती ह

इतन म एक कनया आयी उसक िसर पर पानी क तीन घड़ थ उस कनया न सब पर नजर डाली और तीनो घड़ नीच उतार िदय अपनी साड़ी का पलल कसकर बाधा और जस शर हाथी पर टट पड़ता ह ऐस ही उन भसो पर टट पड़ी एक भस का सीग पकड़कर उसकी गरदन मरोड़न लगी भस उसक आग रभान लगी लिकन उसन भस को िगरा िदया दसरी भस पछ दबाकर भाग गयी

सनापित आसकरण तो दखता ही रह गया िक इतनी कोमल और सनदर िदखन वाली कनया म गजब की शि ह पर गाव की रकषा क िलए एक कनया न कमर कसी और लड़ती हई भस को िगरा िदया जरर यह दगार की उपासना करती होगी

उस कनया की गजब की सझबझ और शि दखकर सनापित आसकरण न उसक िपता स उसका हाथ माग िलया कनया का िपता गरीब था और एक सनापित हाथ माग रहा ह िपता क िलए इसस बढ़कर खशी की बात और कया हो सकती थी िपता न कनयादान कर िदया इसी कनया न आग चलकर वीर दगारदास जस पऽर को जनम िदया

एक कनया न पर जमल गाव को सरिकषत कर िदया साथ ही हजारो बह-बिटयो को यह सबक िसखा िदया िक भयजनक पिरिःथितयो क आग कभी घटन न टको लचच लफगो क आग कभी घटन न टको ौ सदाचारी सत-महातमा स भगवान और जगदबा स अपनी शि यो को जगान की योगिव ा सीख लो अपनी िछपी हई शि यो को जामत करो एव अपनी सतानो म भी वीरता भगवद भि एव जञान क सनदर सःकारो का िसचन करक उनह दश का एक उ म नागिरक बनाओ

राजःथान म तो आज भी बचचो को लोरी गाकर सनात ह- सालवा जननी एहा प जण ज हा दगारदास

अपन बचचो को साहसी उ मी धयरवान बि मान और शि शाली बनान का यास सभी माता-िपता को करना चािहए सभी िशकषको एव आचाय को भी बचचो म सयम-सदाचार बढ़ तथा उनका ःवाःथय मजबत बन इस हत आौम स कािशत यवाधन सरकषा एव योगासन पःतको का पठन-पाठन करवाना चािहए तािक भारत पनः िव गर की पदवी पर आसीन हो सक

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अनबम

कमरिन यामो यतः वि भरताना यन सवरिमद ततम

ःवकमरणा तम यचय िसि िवनदित मानवः िजस परमातमा स सवरभतो की उतपि हई ह और िजसस यह सवर जगत वया ह उस परम र क

अपन ःवाभािवक कम ारा पजकर मनय परम िसि को ा होता ह (ौीमदभगवदगीताः 1846)

अपन ःवाभािवक कमररपी पपो ारा सवरवयापक परमातमा की पजा करक कोई भी मनय परम िसि को ा हो सकता ह िफर भल ही वह कोई बड़ा सठ हो या छोटा-सा गरीब वयि

यामो नामक एक 13 वष या लड़की की शादी हो गयी साल भर बाद उसक पित की मतय हो गयी और वह लड़की 14 वषर की छोटी सी उ म ही िवधवा हो गयी यामो न सोचा िक अपन जीवन को आलसी मादी या िवलासी बनाना ETH यह समझदारी नही ह अतः उसन दसरी शादी न करक पिवऽ जीवन जीन का िन य िकया और इसक िलए अपन माता-िपता को भी राजी कर िलया उसक माता-िपता महागरीब थ

यामो सबह जलदी उठकर पाच सर आटा पीसती और उसम स कछ कमाई कर लती िफर नहा-धोकर थोड़ा पजा-पाठ आिद करक पनः सत कातन बठ जाती इस कार उसन अपन को कमर म लगाय रखा और जो काम करती उस बड़ी सावधानी एव ततपरता स करती ऐसा करन स उस नीद भी बिढ़या आती और थोड़ी दर पजा पाठ करती तो उसम भी मन बड़ मज स लग जाता ऐसा करत-करत यामो न दखा िक यहा स जो याऽी आत-जात ह उनह बड़ी पयास लगती यामो न आटा पीसकर सत कातकर िकसी क घर की रसोई

करक अपना तो पट पाला ही साथ ही करकसर करक जो धन एकिऽत िकया था अपन पर जीवन की उस सपि को लगा िदया पिथको क िलए कआ बनवान म मगर-भागलपर रोड पर िःथत वही पकका कआ िजस िपसजहारी कआ भी कहत ह आज भी यामो की कमरठता तयाग तपःया और परोपकािरता की खबर द रहा ह

पिरिःथितया चाह कसी भी आय िकत इनसान उनस हताश-िनराश न हो एव ततपरतापवरक शभ कमर करता रह तो िफर उसक सवाकायर भी पजा पाठ हो जात ह जो भगवदीय सख भगवतसतोष भगवतशाित भ या योगी क दय म भि भाव या योग स आत ह व ही भगवतीतयथर सवा करन वाल क दय म कट होत ह

14 वषर की उ म ही िवधवा हई यामो न दबारा शादी न करक अपन जीवन को पनः िवलािसता और िवकारो म गरकाब न िकया वरन पिवऽता सयम एव सदाचार का पालन करत हए ततपरता स कमर करती रही तो आज उसका पचभौितक शरीर भल ही धरती पर नही ह पर उसकी कमरठता परोपकािरता एव तयाग की यशोगाथा तो आज भी गायी जा रही ह

काश लड़न-झगड़न और कलह करन वाल लोग उसस रणा पाय घर कटमब व समाज म सवा और ःनह की सिरता बहाय तो हमारा भारत और अिधक उननत होगा गाव-गाव को गरकल बनाय घर-घर को गरकल बनाय

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अनबम

शि ःवरपा मा आनदमयी सयम म अदभत सामथयर ह िजसक जीवन म सयम ह िजसक जीवन म ई रोपासना ह वह सहज ही

म महान हो जाता ह आनदमयी मा का जब िववाह हआ तब उनका वयि तव अतयत आभासपनन थी शादी क बाद उनक पित उनह ससार-वयवहार म ल जान का यास करत रहत थ िकत आनदमयी मा उनह सयम और सतसग की मिहमा सनाकर उनकी थोड़ी सवा करक िवकारो स उनका मन हटा दती थी

इस कार कई िदन बीत ह त बीत कई महीन बीत गय लिकन आनदमयी मा न अपन पित को िवकारो म िगरन नही िदया

आिखरकार कई महीनो क प ात एक िदन उनक पित न कहाः तमन मझस शादी की ह िफर भी कयो मझ इतना दर दर रखती हो

तब आनदमयी मा न जवाब िदयाः शादी तो जरर की ह लिकन शादी का वाःतिवक मतलब तो इस कार हः शाद अथारत खशी वाःतिवक खशी ा करन क िलए पित-प ी एक दसर क सहायक बन न िक शोषक काम-िवकार म िगरना यह कोई शादी का फल नही ह

इस कार अनक यि यो और अतयत िवनता स उनहोन अपन पित को समझा िदया व ससार क कीचड़ म न िगरत हए भी अपन पित की बहत अचछी तरह स सवा करती थी पित नौकरी करक घर आत तो गमर-गमर भोजन बनाकर िखलाती

व घर भी धयाना यास िकया करती थी कभी-कभी ःटोव पर दाल चढ़ाकर छत पर खल आकाश म चिमा की ओर ऽाटक करत-करत धयानःथ हो जाती इतनी धयानम न हो जाती िक ःटोव पर रखी हई दाल जलकर कोयला हो जाती घर क लोग डाटत तो चपचाप अपनी भल ःवीकार कर लती लिकन अनदर स तो समझती िक म कोई गलत मागर पर तो नही जा रही ह इस कार उनक धयान-भजन का बम चाल ही रहा घर म रहत हए ही उनक पास एकामता का कछ सामथयर आ गया

एक रािऽ को व उठी और अपन पित को भी उठाया िफर ःवय महाकाली का िचतन करक अपन पित को आदश िदयाः महाकाली की पजा करो उनक पित न उनका पजन कर िदया आनदमयी मा म उनह महाकाली क दशरन होन लग उनहोन आनदमयी मा को णाम िकया

तब आनदमयी मा बोली- अब महाकाली को तो मा की नजर स ही दखना ह न

पितः यह कया हो गया

आनदमयी मा- तमहारा कलयाण हो गया

कहत ह िक उनहोन अपन पित को दीकषा द दी और साध बनाकर उ रकाशी क आौम म भज िदया

कसी िदवय नारी रही होगी मा आनदमयी उनहोन अपन पित को भी परमातमा क रग म रग िदया जो ससार की माग करता था उस भगवान की माग का अिधकारी बना िदया इस भारतभिम म ऐसी भी अनक सननािरया हो गयी कछ वषर पवर ही आनदमयी मा न अपना शरीर तयागा ह हिर ार म एक करोड़ बीस लाख रपय खचर करक उनकी समािध बनवायी गयी ह

ऐसी तो अनको बगाली लड़िकया थी िजनहोन शादी की पऽो को जनम िदया पढ़ाया-िलखाया और मर गयी शादी करक ससार वयवहार चलाओ उसकी ना नही ह लिकन पित को िवकारो म िगराना या प ी क जीवन को िवकारो म खतम करना यह एक-दसर क िमऽ क रप म एक-दसर क शऽ का कायर ह सयम स सतित को जनम िदया यह अलग बात ह िकत िवषय-िवकारो म फस मरन क िलए थोड़ ही शादी की जाती ह

बि मान नारी वही ह जो अपन पित को चयर पालन म मदद कर और बि मान पित वही ह जो िवषय िवकारो स अपनी प ी का मन हटाकर िनिवरकारी नारायण क धयान म लगाय इस रप म पित प ी दोनो सही अथ म एक दसर क पोषक होत ह सहयोगी होत ह िफर उनक घर म जो बालक जनम लत ह व भी ीव गौराग रमण महिषर रामकण परमहस या िववकानद जस बन सकत ह

मा आनदमयी को सतो स बड़ा म था व भल धानमऽी स पिजत होती थी िकत ःवय सतो को पजकर आनिदत होती थी ौी अखणडानदजी महाराज सतसग करत तो व उनक चरणो म बठकर सतसग सनती एक बार सतसग की पणारहित पर मा आनदमयी िसर पर थाल लकर गयी उस थाल म चादी का िशविलग था वह थाल अखणडानदजी को दत हए बोली-

बाबाजी आपन कथा सनायी ह दिकषणा ल लीिजए

मा- बाबाजी और भी दिकषणा ल लो

अखणडानदजीः मा और कया द रही हो

मा- बाबाजी दिकषणा म मझ ल लो न

अखणडानदजी न हाथ पकड़ िलया एव कहाः ऐसी मा को कौन छोड़ दिकषणा म आ गयी मरी मा

कसी ह भारतीय सःकित

हिरबाबा बड़ उचचकोिट क सत थ एव मा आनदमयी क समकालीन थ व एक बार बहत बीमार पड़ गय डॉकटर न िलखा हः उनका ःवाःथय काफी लड़खड़ा गया और मझ उनकी सवा का सौभा य िमला उनह र चाप भी था और दय की तकलीफ भी थी उनका क इतना बढ़ गया था िक नाड़ी भी हाथ म नही आ रही थी मन मा को फोन िकया िक मा अब बाबाजी हमार बीच नही रहग 5-10 िमनट क ही महमान ह मा न कहाः नही नही तम ौीहनमानचालीसा का पाठ कराओ म आती ह

मन सोचा िक मा आकर कया करगी मा को आत-आत आधा घणटा लगगा ौीहनमानचालीसा का पाठ शर कराया गया और िचिकतसा िवजञान क अनसार हिरबाबा पाच-सात िमनट म ही चल बस मन सारा परीकषण िकया उनकी आखो की पतिलया दखी पलस (नाड़ी की धड़कन) दखी इसक बाद ौीहनमानचालीसा का पाठ करन वालो क आगवान स कहा िक अब बाबाजी की िवदाई क िलए सामान इकटठा कर म अब जाता ह

घड़ी भर मा का इतजार िकया मा आयी बाबा स िमलन हमन मा स कहाः मा बाबाजी नही रह चल गय

माः नहीनही चल कस गय म िमलगी बात करगी

म- मा बाबा जी चल गय ह

मा- नही म बात करगी

बाबाजी का शव िजस कमर म था मा उस कमर म गयी अदर स कणडा बद कर िदया म सोचन लगा िक कई िडिमया ह मर पास मन भी कई कस दख ह कई अनभवो स गजरा ह धप म बदल सफद नही िकय ह अब मा दरवाजा बद करक बाबाजी स कया बात करगी

म घड़ी दखता रहा 45 िमनट हए मा न कणडा खोला एव हसती हई आयी उनहोन कहाः बाबाजी मरा आमह मान गय ह व अभी नही जायग

मझ एक धकका सा लगा व अभी नही जायग यह आनदमयी मा जसी हःती कह रही ह व तो जा चक ह

म- मा बाबाजी तो चल गय ह

मा- नही नही उनहोन मरा आमह मान िलया ह अभी नही जायग

म चिकत होकर कमर म गया तो बाबाजी तिकय को टका दकर बठ-बठ हस रह थ मरा िवजञान वहा तौबा पकार गया मरा अह तौबा पकार गया

बाबाजी कछ समय तक िदलली म रह चार महीन बीत िफर बोलः मझ काशी जाना ह

मन कहाः बाबाजी आपकी तबीयत काशी जान क िलए शन म बठन क कािबल नही ह आप नही जा सकत

बाबाजीः नही हम जाना ह हमारा समय हो गया

मा न कहाः डॉकटर इनह रोको मत इनह मन आमह करक चार महीन तक क िलए ही रोका था इनहोन अपना वचन िनभाया ह अब इनह मत रोको

बाबाजी गय काशी ःटशन स उतर और अपन िनवास पर रात क दो बज पहच भात की वला म व अपना न र दह छोड़कर सदा क िलए अपन शा त रप म वयाप गयldquo

Ocircबाबाजी वयाप गयOtilde य शबद डॉकटर न नही िलख Ocircन रOtilde आिद शबद नही िलख लिकन म िजस बाबाजी क िवषय म कह रहा ह व बाबाजी इतनी ऊचाईवाल रह होग

कसी ह मिहमा हमार महापरषो की आमह करक बाबा जी तक को चार महीन क िलए रोक िलया मा आनदमयी न कसी िदवयता रही ह हमार भारत की सननािरयो की

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अनबम

भौितक जगत म भाप की शि िव त की शि गरतवाकषरण की शि बड़ी मानी जाती ह मगर आतमबल उन सब शि यो का सचालक बल ह आतमबल क सािननधय म आकर पग ारबध को पर आ जात ह दव की दीनता पलायन हो जाती ह ितकल पिरिःथितया अनकल जो जाती ह आतमबल सवर िसि यो का िपता ह

नारी शरीर िमलन स अपन को अबला मानती हो लघतामिथ म उलझकर पिरिःथितयो म पीसी जाती हो अपना जीवन-दीन बना बठी हो तो अपन भीतर सष आतमबल को जगाओ शरीर चाह ी का हो चाह परष का कित क सााजय म जो जीत ह अपन मन क गलाम होकर जो जीत ह व ी ह और कित क बनधन स पार अपन आतमःवरप की पहचान िजनहोन कर ली अपन मन की गलामी की बिड़या तोड़कर िजनहोन फ क दी ह व परष ह ी या परष शरीर व मानयताए होती ह तम तो शरीर स पार िनमरल आतमा हो

जागो उठो अपन भीतर सोय हए आतमबल को जगाओ सवरदश सवरकाल म सव म आतमबल को अिजरत करो आतमा-परमातमा म अथाह सामथयर ह अपन को दीन-हीन अबला मान बठी तो जगत म ऐसी कोई स ा नही ह जो तमह ऊपर उठा सक अपन आतमःवरप म िति त हो गयी तो तीनो लोको म भी ऐसी कोई हःती नही जो तमह दबा सक

परम पजय सत ौी आसारामजी बाप

अभाव का ही अभाव कमीर म तकर र नयायाचायर पिडत रहत थ उनहोन चार पःतको की रचना की थी िजनस बड़-बड़

िव ान तक भािवत थ इतनी िव ता होत हए भी उनका जीवन अतयत सीधा-सादा एव सरल था उनकी प ी भी उनही क समान सरल एव सीधा-सादा जीवन-यापन करन वाली साधवी थी

उनक पास सपि क नाम पर एक चटाई लखनी कागज एव कछ पःतक तथा दो जोड़ी व थ व कभी िकसी स कछ मागत न थ और न ही दान का खात थ उनकी प ी जगल स मज काटकर लाती उसस रःसी बनाती और उस बचकर अनाज-सबजी आिद खरीद लाती िफर भोजन बना कर पित को म स िखलाती और घर क अनय कामकाज करती पित को तो यह पता भी न रहता िक घर म कछ ह या नही व तो बस अपन अधययन-मनन म मःत रहत

ऐसी महान साधवी ि या भी इस भारतभिम म हो चकी ह धीर-धीर पिडत जी की याित अनय दशो म भी फलन लगी अनय दशो क िव ान लोग आकर उनक दख कमीर क राजा शकरदव स कहन लगः

राजन िजस दश म िव ान धमारतमा पिवऽातमा दःख पात ह उस दश क राजा को पाप लगता ह आपक दश म भी एक ऐस पिवऽातमा िव ान ह िजनक पास खान पीन का िठकाना नही ह िफर भी आप उनकी कोई सभाल नही रखत

यह सनकर राजा ःवय पिडतजी की किटया म पहच गया हाथ जोड़कर उनस ाथरना करन लगाः भगवन आपक पास कोई कमी तो नही ह

पिडतजीः मन जो चार मनथ िलख ह उनम मझ तो कोई कमी नही िदखती आपको कोई कमी लगती हो तो बताओ

राजाः भगवन म शबदो की मनथ की कमी नही पछता ह वरन अनन जल व आिद घर क वयवहार की चीजो की कमी पछ रहा ह

पिडतजीः उसका मझ कोई पता नही ह मरा तो कवल एक भ स नाता ह उसी क ःमरण म इतना तललीन रहता ह िक मझ घर का कछ पता ही नही रहता

जो भगवान की ःमित म तललीन रहता ह उसक ार पर साट ःवय आ जात ह िफर भी उस कोई परवाह नही रहती

राजा न खब िवन भाव स पनः ाथरना की एव कहाः भगवन िजस दश म पिवऽातमा दःखी होत ह उस दश का राजा पाप का भागी होता ह अतः आप बतान की कपा कर िक म आपकी सवा कर

जस ही पिडतजी न य वचन सन िक तरत अपनी चटाई लपटकर बगल म दबा ली एव पःतको की पोटली बाधकर उस भी उठात हए अपनी प ी स कहाः चलो दवी यिद अपन यहा रहन स इन राजा को पाप का भागी होना पड़ता हो इस राजय को लाछन लगता हो तो हम लोग कही ओर चल अपन रहन स िकसी को दःख हो यह तो ठीक नही ह

यह सनकर राजा उनक चरणो म िगर पड़ा एव बोलाः भगवन मरा यह आशय न था वरन म तो कवल सवा करना चाहता था

िफर राजा पिडत जी स आजञा लकर उनकी धमरप ी क समकष जाकर णाम करत हए बोलाः मा आपक यहा अनन-जल-व ािद िकसी भी चीज की कमी हो तो आजञा कर तािक म आप लोगो की कछ सवा कर सक

पिडत जी की धमरप ी भी कोई साधारण नारी तो थी नही व भगवतपरायण नारी थी सच पछो तो नारी क रप म मानो साकषात नारायणी ही थी व बोली- निदया जल द रही ह सयर काश द रहा ह ाणो क िलए आवयक पवन बह ही रही ह एव सबको स ा दनवाला वह सवरस ाधीश परमातमा हमार साथ ही ह िफर कमी िकस बात की राजन शाम तक का आटा पड़ा ह लक़िडया भी दो िदन जल सक इतनी ह िमचर-मसाला भी कल तक का ह पिकषयो क पास तो शाम तक का भी िठकाना नही होता िफर भी व आनद स जी लत ह मर पास तो कल तक का ह राजन मर व अभी इतन फट नही िक म उनह पहन न सक िबछान क िलए चटाई एव ओढ़न क िलए चादर भी ह और म कया कह मरी चड़ी अमर ह और सबम बस हए मर पित का त व मझम भी धड़क रहा ह मझ अभाव िकस बात का बटा

पिडतजी की धमरप ी की िदवयता को दखकर राजा की भी गदगद हो उठा एव चरणो म िगरकर बोलाः मा आप गिहणी ह िक तपिःवनी यह कहना मिकल ह मा म बड़भागी ह िक आपक दशरन का सौभा य पा सका आपक चरणो म मर कोिट-कोिट णाम ह

जो लोग परमातमा का िनरतर ःमरण करत रहत ह उनह वश बदलन की फसरत ही नही होती जररत भी नही होती

जो परमातमा क िचतन म तललीन ह उनह ससार क अभाव का पता ही नही होता कोई साट आकर उनका आदर कर तो उनह हषर नही होता उसक ित आकषरण नही होता ऐस ही यिद कोई मखर आकर अनादर कर द तो शोक नही होता कयोिक हषर-शोक तो वि स भासत ह िजनकी परमातमा क शरण चली गयी ह उनह हषर-शोक सख-दःख क सग सतय ही नही भासत तो िडगा कस सकत ह उनह अभाव कस िडगा सकता ह उनक आग अभाव का भी अभाव हो जाता ह

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अनबम

मा अजना का सामथयर मा अजना न तप करक हनमान जस पऽ को पाया था व हनमानजी म बालयकाल स ही भगवदभि

क सःकार डाला करती थी िजसक फलःवरप हनमानजी म ौीराम-भि का ादभारव हो गया आग चलकर व भ क अननय सवक क रप म यात हए ETH यह तो सभी जानत ह

भगवान ौी राम रावण का वध करक मा सीता लआमण हनमान िवभीषण जाबवत आिद क साथ अयोधया लौट रह थ मागर म हनमान जी न ौीरामजी स अपनी मा क दशरन की आजञा मागी िक भ अगर आप आजञा द तो म माता जी क चरणो म मतथा टक आऊ

ौीराम न कहाः हनमान कया व कवल तमहारी ही माता ह कया व मरी और लखन की माता नही ह चलो हम भी चलत ह

पपक िवमान िकिकधा स अयोधया जात-जात काचनिगिर की ओर चल पड़ा और काचनिगरी पवरत पर उतरा ौीरामजी ःवय सबक साथ मा अजना क दशरन क िलए गय

हनमानजी न दौड़कर गदगद कठ एव अौपिरत नऽो स मा को णाम िकया वष बाद पऽ को अपन पास पाकर मा अजना अतयत हिषरत होकर हनमान का मःतक सहलान लगी

मा का दय िकतना बरसता ह यह बट को कम ही पता होता ह माता-िपता का िदल तो माता-िपता ही जान

मा अजना न पऽ को दय स लगा िलया हनमान जी न मा को अपन साथ य लोगो का पिरचय िदया िक मा य ौीरामचनिजी ह य मा सीताजी ह और य लखन भया ह य जाबवत जी ह य मा सीताजी ह और य लखन भया ह य जाबवत जी ह आिद आिद

भगवान ौीराम को दखकर मा अजना उनह णाम करन जा ही रही थी िक ौीरामजी न कहाः मा म दशरथपऽ राम आपको णाम करता ह

मा सीता व लआमण सिहत बाकी क सब लोगो न भी उनको णाम िकया मा अजना का दय भर आया उनहोन गदगद कठ एव सजल नऽो स हनमान जी स कहाः बटा हनमान आज मरा जनम सफल हआ मरा मा कहलाना सफल हआ मरा दध तन साथरक िकया बटा लोग कहत ह िक मा क ऋण स बटा कभी उऋण नही हो सकता लिकन मर हनमान त मर ऋण स उऋण हो गया त तो मझ मा कहता ही ह िकत आज मयारदा परषो म ौीराम न भी मझ मा कहा ह अब म कवल तमहारी ही मा नही ौीराम लखन शऽ न और भरत की भी मा हो गयी इन अस य पराबमी वानर-भालओ की भी मा हो गयी मरी कोख साथरक हो गयी पऽ हो तो तर जसा हो िजसन अपना सवरःव भगवान क चरणो म समिपरत कर िदया और िजसक कारण ःवय भ न मर यहा पधार कर मझ कताथर िकया

हनमानजी न िफर स अपनी मा क ौीचरणो म मतथा टका और हाथ जोड़त हए कहाः मा भ जी का राजयािभषक होनवाला था परत मथरा न ककयी को उलटी सलाह दी िजसस भजी को 14 वषर का बनवास एव भरत को राजग ी िमली राजग ी अःवीकार करक भरतजी उस ौीरामजी को लौटान क िलए आय लिकन िपता क मनोरथ को िस करन क िलए भाव स भ अयोधया वापस न लौट

मा द रावण की बहन शपरणखा भजी स िववाह क िलए आमह करन लगी िकत भजी उसकी बातो म नही आय लखन जी भी नही आय और लखन जी न शपरणखा क नाक कान काटकर उस द िदय अपनी बहन क अपमान का बदला लन क िलए द रावण ा ण का रप लकर मा सीता को हरकर ल गया

करणािनधान भ की आजञा पाकर म लका गया और अशोक वािटका म बठी हई मा सीता का पता लगाया तथा उनकी खबर भ को दी िफर भ न समि पर पल बधवाया और वानर-भालओ को साथ लकर राकषसो का वध िकया और िवभीषण को लका का राजय दकर भ मा सीता एव लखन क साथ अयोधया पधार रह ह

अचानक मा अजना कोपायमान हो उठी उनहोन हनमान को धकका मार िदया और बोधसिहत कहाः हट जा मर सामन तन वयथर ही मरी कोख स जनम िलया मन तझ वयथर ही अपना दध िपलाया तन मर दध को लजाया ह त मझ मह िदखान कयो आया

ौीराम लखन भयासिहत अनय सभी आ यरचकित हो उठ िक मा को अचानक कया हो गया व सहसा किपत कयो हो उठी अभी-अभी ही तो कह रही थी िक मर पऽ क कारण मरी कोख पावन हो गयी इसक कारण मझ भ क दशरन हो गय और सहसा इनह कया हो गया जो कहन लगी िक तन मरा दध लजाया ह

हनमानजी हाथ जोड़ चपचाप माता की ओर दख रह थ सवरतीथरमयी माता सवरदवमयो िपता माता सब तीथ की ितिनिध ह माता भल बट को जरा रोक-टोक द लिकन बट को चािहए िक नतमःतक होकर मा क कड़व वचन भी सन ल हनमान जी क जीवन स यह िशकषा अगर आज क बट-बिटया ल ल तो व िकतन महान हो सकत ह

मा की इतनी बात सनत हए भी हनमानजी नतमःतक ह व ऐसा नही कहत िक ऐ बिढ़या इतन सार लोगो क सामन त मरी इजजत को िमटटी म िमलाती ह म तो यह चला

आज का कोई बटा होता तो ऐसा कर सकता था िकत हनमानजी को तो म िफर-िफर स णाम करता ह आज क यवान-यवितया हनमानजी स सीख ल सक तो िकतना अचछा हो

मर जीवन म मर माता-िपता क आशीवारद और मर गरदव की कपा न कया-कया िदया ह उसका म वणरन नही कर सकता ह और भी कइयो क जीवन म मन दखा ह िक िजनहोन अपनी माता क िदल को जीता ह िपता क िदल की दआ पायी ह और सदगर क दय स कछ पा िलया ह उनक िलए िऽलोकी म कछ भी पाना किठन नही रहा सदगर तथा माता-िपता क भ ःवगर क सख को भी तचछ मानकर परमातम-साकषातकार की यो यता पा लत ह

मा अजना कह जा रही थी- तझ और तर बल पराबम को िधककार ह त मरा पऽ कहलान क लायक ही नही ह मरा दध पीन वाल पऽ न भ को ौम िदया अर रावण को लकासिहत समि म डालन म त समथर था तर जीिवत रहत हए भी परम भ को सत-बधन और राकषसो स य करन का क उठाना पड़ा तन मरा दध लिजजत कर िदया िधककार ह तझ अब त मझ अपना मह मत िदखाना

हनमानजी िसर झकात हए कहाः मा तमहारा दध इस बालक न नही लजाया ह मा मझ लका भजन वालो न कहा था िक तम कवल सीता की खबर लकर आओग और कछ नही करोग अगर म इसस अिधक कछ करता तो भ का लीलाकायर कस पणर होता भ क दशरन दसरो को कस िमलत मा अगर म

भ-आजञा का उललघन करता तो तमहारा दध लजा जाता मन भ की आजञा का पालन िकया ह मा मन तरा दध नही लजाया ह

तब जाबवतजी न कहाः मा कषमा कर हनमानजी सतय कह रह ह हनमानजी को आजञा थी िक सीताजी की खोज करक आओ हम लोगो न इनक सवाकायर बाध रख थ अगर नही बाधत तो भ की िदवय िनगाहो स दतयो की मि कस होती भ क िदवय कायर म अनय वानरो को जड़न का अवसर कस िमलता द रावण का उ ार कस होता और भ की िनमरल कीितर गा-गाकर लोग अपना िदल पावन कस करत मा आपका लाल िनबरल नही ह लिकन भ की अमर गाथा का िवःतार हो और लोग उस गा-गाकर पिवऽ हो इसीिलए तमहार पऽ की सवा की मयारदा बधी हई थी

ौीरामजी न कहाः मा तम हनमान की मा हो और मरी भी मा हो तमहार इस सपत न तमहारा दध नही लजाया ह मा इसन तो कवल मरी आजञा का पालन िकया ह मयारदा म रहत हए सवा की ह समि म जब मनाक पवरत हनमान को िवौाम दन क िलए उभर आया तब तमहार ही सत न कहा था

राम काज कीनह िबन मोिह कहा िबौाम मर कायर को परा करन स पवर तो इस िवौाम भी अचछा नही लगता ह मा तम इस कषमा कर दो

रघनाथ जी क वचन सनकर माता अजना का बोध शात हआ िफर माता न कहाः अचछा मर पऽ मर वतस मझ इस बात का पता नही था मरा पऽ मयारदा परषो म का सवक

मयारदा स रह ETH यह भी उिचत ही ह तन मरा दध नही लजाया ह वतस

इस बीच मा अजना न दख िलया िक लआमण क चहर पर कछ रखाए उभर रही ह िक अजना मा को इतना गवर ह अपन दध पर मा अजना भी कम न थी व तरत लआमण क मनोभावो को ताड़ गयी

लआमण तमह लगता ह िक म अपन दध की अिधक सराहना कर रही ह िकत ऐसी बात नही ह तम ःवय ही दख लो ऐसा कहकर मा अजना न अपनी छाती को दबाकर दध की धार सामनवाल पवरत पर फ की तो वह पवरत दो टकड़ो म बट गया लआमण भया दखत ही रह गय िफर मा न लआमण स कहाः मरा यही दध हनमान न िपया ह मरा दध कभी वयथर नही जा सकता

हनमानजी न पनः मा क चरणो म मतथा टका मा अजना न आशीवारद दत हए कहाः बटा सदा भ को ौीचरणो म रहना तरी मा य जनकनिदनी ही ह त सदा िनकपट भाव स अतयत ौ ा-भि पवरक परम भ ौी राम एव मा सीताजी की सवा करत रहना

कसी रही ह भारत की नािरया िजनहोन हनमानजी जस पऽो को जनम ही नही िदया बिलक अपनी शि तथा अपन ारा िदय गय सःकारो पर भी उनका अटल िव ास रहा आज की भारतीय नािरया इन आदशर नािरयो स रणा पाकर अपन बचचो म हनमानजी जस सदाचार सयम आिद उ म सःकारो का िसचन कर तो वह िदन दर नही िजस िदन पर िव म भारतीय सनातन धमर और सःकित की िदवय पताका पनः लहरायगी

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अनबम

  • सयमनिषठ सयशा
  • अदभत आभासमपनन रानी कलावती
  • उततम जिजञासः मतरयी
  • बरहमवादिनी विदषी गारगी
  • अथाह शकति की धनीः तपसविनी शाणडालिनी
  • सती सावितरी
  • मा सीता की सतीतव-भावना
  • आरत भकत दरौपदी
  • दवी शकतियो स समपनन गणमजरी दवी
  • विवक की धनीः करमावती
  • वासतविक सौनदरय
  • आतमविदया की धनीः फलीबाई
  • आनदीबाई की दढ शरदधा
  • करमाबाई की वातसलय-भकति
  • साधवी सिरमा
  • मकताबाई का सरवतर विटठल-दरशन
  • रतनबाई की गरभकति
  • बरहमलीन शरी मा महगीबा
    • मरी मा का दिवय गरभाव
    • परभ मझ जान दो
    • इचछाओ स परः मा महगीबा
    • जीवन म कभी फरियाद नही
    • बीमारो क परति मा की करणा
    • कोई कारय घणित नही ह
    • ऐसी मा क लिए शोक किस बात का
      • अममा की गरनिषठा
        • सवावलबन एव परदःखकातरता
        • अममा म मा यशोदा जसा भाव
        • दन की दिवय भावना
        • गरीब कनयाओ क विवाह म मदद
        • अममा का उतसव परम
        • परतयक वसत का सदपयोग होना चाहिए
        • अह स पर
          • मीराबाई की गरभकति
          • राजकमारी मललिका बनी तीरथकर मललियनाथ
          • दरगादास की वीर जननी
          • करमनिषठ शयामो
          • शकतिसवरपा मा आनदमयी
          • अभाव का ही अभाव
          • मा अजना का सामरथय
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