स्वास््य एवं पोषण and nutrition in hindi.pdf · पोषण...

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www.examisthan.com वाय एवं पोषण पोषण आहार- तव सबधी वान है। यह एक नइ इ ववचारधारा है , वजसका जम मूलत: शरीर ववान तथा रसायन वान से आ है। आहार तव ारा मनुय के शरीर पर पने वाले भाव का अ èययन एवं वेषण इसका मुय वषय है। दूसरे शद म शरीर आहार सबधी सभी ᳰिया का नाम ही पोषण है। मूलऱप से पोषण कᳱ पᳯरभाषा इस तरह से दे सकते ह , ष्आहार, पोषण तव व अय तव उनका भाव और वतᳰिया तथा वाय व बीमारी से उसका सबध व संतुलन का वान ही पोषण है। यह उस ᳰिया को बताता है वजसके ारा कोइ इ जीव भोजन हण कर , पचाकर, अवशोवषत कर शरीर म उसका वतरण कर उसे शरीर म समावेवशत करता है तथा अपवचत भोजन को शरीर से बाहर वनकालता है। इतना ही नह पोषण का सबध भोजन व उस भोजन के सामावजक, आᳶथक व मनोवैावनक भाव से भी है।श् पोषक तव - भोजन के वे सभी तव जो शरीर म आवयक कायइ करते ह , उह पोषण तव कहते ह। यᳰद ये पोषण तव हमारे भोजन म उवचत मााा म वधमान न ह , तो शरीर अवथ हो जाएगा। काबोज , ोटीन, वसा, वटावमन, खवनज लवण व पानी मुख पोषण तव ह। हमारे भोजन म कुछ ऐसे तव भी होते ह , जो पोषण तव नह होते , जैसे रंग व खुशबू देने वाले रासायवनक पदाथइ या ा Ñवतक पदाथइ। ये आवयक तव जब (सही अनुपात म ) हमारे शरीर कᳱ आवयकता अनुसार उपवसथत होते ह , तब उस अवथा को सवोम पोषण या समुवचत पोषण कᳱ संा दी जाती है। यह सवोम पोषण वथ शरीर के वलए वनतात आवयक है। कुपोषण उस वसथवत का नाम है वजसम पोषक तव शरीर म सही अनुपात म वधमान नह होते ह अथवा उनके बीच म असंतुलन होता है। अत: हम कह सकते ह ᳰक कुपोषण अवधक पोषण व कम पोषण दोन को कहते ह। कम पोषण का अथइ है ᳰकसी एक या एक से अवधक पोषण तव का आहार म कमी होना। उदाहरण - वटावमन एश् कᳱ कमी या ोटीन ऊजाइ कुपोषण। अवधक पोषण से अथइ है एक या अवधक पोषक तव कᳱ भोजन म अवधकता होना। उदाहरण , जब ᳰकत एक ᳰदन म ऊजाइ खपत से अवधक ऊजाइ हण करता है , तो वह वसा के ऱप म शरीर म एका रहती है और उससे ᳰकत मोटापे का वशकार हो जाता है।

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Page 1: स्वास््य एवं पोषण and nutrition in Hindi.pdf · पोषण तत्त्व कहते हैं। यक्रद ये पोषण तत्त्व

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सवासय एव पोषण पोषण आहार-तततव समबनधी ववजञान ह। यह एक नइइ ववचारधारा ह , वजसका

जनम मलत: शरीर ववजञान तथा रसायन ववजञान स हआ ह। आहार तततवो दवारा

मनषय क शरीर पर पडन वाल परभाव का अ èययन एव ववशलषण इसका मखय

ववषय ह। दसर शबदो म शरीर आहार समबनधी सभी परकरियाओ का नाम ही

पोषण ह।

मलरप स पोषण की पररभाषा इस तरह स द सकत ह, षआहार, पोषण तततव व

अनय तततव उनका परभाव और परवतकरिया तथा सवासय व बीमारी स उसका

समबनध व सतलन का ववजञान ही पोषण ह। यह उस करिया को बताता ह वजसक

दवारा कोइइ जीव भोजन गरहण कर , पचाकर, अवशोवषत कर शरीर म उसका

ववतरण कर उस शरीर म समाववशत करता ह तथा अपवचत भोजन को शरीर स

बाहर वनकालता ह। इतना ही नही पोषण का समबनध भोजन व उस भोजन क

सामावजक, आरथथक व मनोवजञावनक परभावो स भी ह।शश

पोषक तततव - भोजन क व सभी तततव जो शरीर म आवशयक कायइ करत ह , उनह

पोषण तततव कहत ह। यकरद य पोषण तततव हमार भोजन म उवचत मातरााा म

ववधमान न हो , तो शरीर असवसथ हो जाएगा। काबोज , परोटीन, वसा,

ववटावमन, खवनज लवण व पानी परमख पोषण तततव ह। हमार भोजन म कछ ऐस

तततव भी होत ह , जो पोषण तततव नही होत , जस रग व खशब दन वाल

रासायवनक पदाथइ या पराÑवतक पदाथइ।

य आवशयक तततव जब (सही अनपात म) हमार शरीर की आवशयकता अनसार

उपवसथत होत ह , तब उस अवसथा को सवोततम पोषण या समवचत पोषण की

सजञा दी जाती ह। यह सवोततम पोषण सवसथ शरीर क वलए वनतानत आवशयक

ह। कपोषण उस वसथवत का नाम ह वजसम पोषक तततव शरीर म सही अनपात म

ववधमान नही होत ह अथवा उनक बीच म असतलन होता ह। अत: हम कह

सकत ह करक कपोषण अवधक पोषण व कम पोषण दोनो को कहत ह। कम पोषण

का अथइ ह करकसी एक या एक स अवधक पोषण तततवो का आहार म कमी होना।

उदाहरण - ाववटावमन एश की कमी या परोटीन ऊजाइ कपोषण। अवधक पोषण स

अथइ ह एक या अवधक पोषक तततवो की भोजन म अवधकता होना। उदाहरण, जब

वयकरकत एक करदन म ऊजाइ खपत स अवधक ऊजाइ गरहण करता ह , तो वह वसा क

रप म शरीर म एकतरा रहती ह और उसस वयकरकत मोटाप का वशकार हो जाता

ह।

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आहार और सवासय का घवनषठ समबनध ह। रसायन ववजञान , जीव ववजञान और

अनय वजञावनको न सकरदयो लमब अ èययन और अनसधान क बाद यह तय

सथावपत करकए ह। शरीर क पोषण पर अनक बातो का परभाव पडता ह ; वजनम

भोजन की आदत , मानयताए, मन:वसथवत, जातीय, भौगोवलक, धारथमक,

सामावजक, मनोवजञावनक, आहार और उसका उतपादन राषटरीय व अत: आहार

समबनधी नीवतया जस मछलीकरण, ववतरण, वशकषा इतयाकरद।

अवधकाश सभयताओ म सवासय का महततव समान ह। वासतव म हर समाज म

सवासय क ववषय म उनकी अपनी ववशष धारणा ह। आमतौर पर सवासय को

बीमारी का न होना मानत ह। वयकरकतगत तौर पर यह नही कहा जा सकता करक

सवासय का महततव सबस अवधक ह कयोकरक अकसर इसका महततव

आवशयकतानसार बदलता रहता ह। वयकरकतगत तौर पर अकसर दसरी

आवशयकताए जस करक धन , बल, ववधा, सरकषा एव परवतषठा इतयाकरद सवासय क

महततव को कम महततव दती ह और सवासय को वनवशचत मानकर हम उसकी ओर

ववशष èयान तब तक नही दत जब तक करक उस खो न द।

सवासय की पररभाषा ;कमवपदपजपवद व वभमसजीदध - सवासय उन करिन

पररभावषक शबदो म स एक ह वजसका अवधकतर लोग परी तरह अथइ जानत हए

भी उसकी पररभाषा पणइ रप स नही द पात। समय-समय पर सवासय की वभनन-

वभनन पररभाषाए दी गइइ ह वजनम स कछ वनमनवलवखत ह।

A. The condition of being sound in body mind and spirit

especially freedom from physical disease or pain –

―Webster‖

(क) वनरोगी अथवा ददइ रवहत शरीर , मवसतषक और आतमा की उवचत अवसथा

ही सवासय ह

B. ―Soundness of body or mind, that conditions in

which its function are duly and efficiently discharged‖ –―Oxford‖

(ख) शरीर या मवसतषक का सवसथ होना उस वयवसथा का नाम ह वजसम इसक

कायइ पणइतया एव कशलतापवइक हो रह हो।

C. A condition or quality of human organism expressing

the adejuate functioning of organism given conditions genetic and environmental.

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(ग) मानव शरीरतनतरा की वह वसथवत अथवा गण जो वशगत और पररवशगत

परदतत पररवसथवतयो म शरीर तनतरा की उवचत कायइ परणाली को अवभवयकत करता

ह।

ववशव सवासय सगिन (WHO)दवारा दी पररभाषा

सबस अवधक परचवलत पररभाषा वव. सवा. स. न 1948 म दी। इसक अनसार

षसवासय रोग का न होना या अशकतता मातरा नही , बवलक पणइ शारीररक ,

मानवसक और सामावजक तनदरसती की वसथवत ह।

वपछल कइइ वषो ± स इस पररभाषा का ववसतार हआ वजसम सामावजक व

आरथथक रप स गणकारी जीवन वयतीत करन की कषमता को सवममवलत करकया

गया ह। ववशव सवासय सगिन न परमख तीन मापदणडो पर ववचार करकया ह और

बहत स मापदणडो पर ववचार कर सकत ह जस आवतमक , भावातमक,

राजनीवतक व वयवसावयक मापदणड।

1. शारीररक मापदणड (Physical Dimension) - यह समझना बहत

सरल ह करक शारीररक सवासय की वसथवत षसमपणइ करियाष क ववचार म वनवहत

ह। वयकरकत म अचछ सवासय क सकत ह - अचछा रग , अचछ बाल , चमकती

आख, सवचछ तवचा , अचछी सास , तनदरसत शरीर , गाढी नीद , अचछी भख ,

अचछी पाचन शकरकत , सरल सहायक , शारीररक गवतवववधयाा , शरीर क सभी

अवयव जो करक सामानय आकार कायइ वाल ह - समपणइ चतना , नाडी की गवत ,

रकतचाप व सहनशीलता ; य सभी वयकरकत की आय व ललग क अनसार

सामानयता की वसथवत म आत ह। यह सामानयता की वसथवत एक ववसतत सीमा

वलए हए ह।

यह सामानय वसथवत अपरभाववत सवसथ लोगो क (जो करक करकसी भी बीमारी स

पीवडत नही ह) वनरीकषण क पशचात सथावपत की गइइ ह।

2. मानवसक मापदणड (Mental Dimension) - मानवसक और

शारीररक सवासय एक दसर स जड ह। यह कवल मानवसक बीमारी की

अनपवसथवत नही ह। अचछा मानवसक सवासय जीवन क बहत स अनभवो को

बतान की योगयता रखता ह। वनमन मानवसक सवासय अचछ शरीर को तो

परभाववत करता ह ; इसक अवतररकत मानवसक कारक भी ववचारपणइ ह जो करक

अवत-रकतचाप, असथमा, शारीररक अवयवसथाओ म महततवपणइ भवमका अदा

करत ह।

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3. सामावजक मापदणड (Social Dimension) - अचछी

वयवहारकशलता वनवहत ह एकरपता और एकी Ñत वयकरकत म , वयकरकत और

समाज म , वयकरकत और ववशव म , वजसम करक वह रहता ह। एक समदाय का

सामावजक सवासय उननवत , लचतन, ववचारो और दसरो क परवत सहानभवत जस

कारको पर वनभइर करता ह। इसक अलावा यह वशकषा , उतपादन, सवासय व

वयकरकतयो की सामावजक सरकषा पर वनभइर करता ह।

4. आèयावतमक मापदणड (Spiritual Dimension) - आधवनक

जीवन पर तनाव व दबाव होन स सवासय क मापदणड पर ववचार करना

अवनवायइ ह। ववशव क साथ शावनत समबनध बनान स पहल यह अवनवायइ ह करक

वयकरकत सवय आवतमक शावनत को परापत हो। आèयावतमक सवासय नवतक मलयो,

सवहताओ, अभयासो व लचतन इतयाकरद क माèयम स परापत करकया जा सकता ह।

5. वयवसावयक मापदणड (Professional Dimension)- वयवसावयक

मापदणड सवासय का नया मापदणड ह। इसका महततव जयादा तब ह , जब

अचानक करकसी वयकरकत की नौकरी छट जाती ह या उस सवा-वनववतत लनी पडती

ह। हो सकता ह कछ वयकरकतयो क वलए य कवल आय का एक जररया हो , लकरकन

कछ क वलए वजनदगी क सभी मापदणडो क दवारा जो सफलता वमलती ह , यह

उस परदरथशत करता ह।

सवासय का वनधाइरण (Determination of Health)

सवासय अकल म नही रहता। कछ कारक होत ह जो करक सवासय को परभाववत

करत ह करफर चाह वयकरकत अकल म हो या करफर बा á समाज म वजसम करक वह

रहता ह , यह कारक अतरकरिया करत ह। यह अतरकरिया सवासय को बढावा

अथवा उस आघात पहचा सकती ह। वयकरकत का सवासय और समपणइ समाज

ऐसी बहत सी अतरकरियाओ का पररणाम हो सकता ह। सवासय का

वनधाइरण इस परकार करकया जा सकता ह -

1.अनवावशकता

2. वातावरण

3. जीवन पदधवत

4. सामावजक आरथथक वसथवतया

5. सवासय व पररवार कलयाण सवाद

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6. अनय

1. अनवावशकता (Heredity) - परतयक वयकरकत क शारीररक व मानवसक

गण कछ हद तक उसक गण सतरााोा की पर Ñवत स वनवशचत होत ह जो करक

उसक अवभभावको क गणसतरााोा स वनवशचत होती ह और य गणसतरा उस

उसक अवभभावको क सयोग ;बवदबमचजपवददध स वमलत ह। गणसतरााोा की

सरचना बाद म पररवरथतत नही हो सकती। गणसतरााोा की खराबी बहत सी

बीमाररयो को उतपनन करती ह जस वसकल सल एनीवमया , हीमोफीवलया,

चयापचयय की कछ खराबी इतयाकरद।

अत: सवासय की वसथवत गणसतरााोा की सरचना पर वनभइर करती ह।

2. वातावरण (Environment) - Hipporates पहला ववचारक था

वजसन बीमाररयो को वातावरण स जोडा जस करक मौसम , जल, भोजन, हवा

आकरद। सरददयो क बाद Pattenkofer न (जमइनी म) षबीमारी और वातावरणष

क समबनध क ववषय को नया जीवन परदान करकया।

बाहय वातावरण उन चीजो स बना ह वजसस वयकरकत जनन क बाद समपकइ म

आता ह। इस तीन घटको म ववभावजत करकया जा सकता ह।

1.शारीररक घटक

2. जीव वजञावनक घटक

3.मानवसक व सामावजक घटक

य सभी अथवा कोइइ एक वयकरकत क सवासय को परभाववत करत ह और इसका

सीधा परभाव होता ह। यकरद वातावरण करकसी वयकरकत क अनकल ह तो वह अपनी

शारीररक व मानवसक कषमताओ का भरपर परयोग कर सकता ह।

3. जीवन पदधवत (Life Style) - जीवन पदधवत का अथइ ह लोगो क

ारहन-सहन का तरीकाश और यह सामावजक मलयो , वयवहारो और

गवतवववधयो को परवतवबवमबत करता ह। यह सास Ñवतक और वयवहाररक

आदशो± और जीवन की लमबी आदतो स बनती ह। जीवन पदधवत वववभनन

सामावजक अनतर-परकरिया दवारा ववकवसत होता ह जस अवभभावक , समहो,

दोसतो, भाइइ-बहन, सकल और (Mass Media) दवारा अनतत करिया।

सवसथ जीवन पदधवत सवासय की जररत ह। उदाहरण क वलए पौवषटकता ,

पयाइपत नीद, शारीररक गवतवववधया आकरद। सवासय म परतयक की जीवन पदधवत

और इस वनवशचत करन वाल कारक दोनो चीज शावमल ह। वतइमान करदनो म

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सवासय समसयाओ को ववशषतया ववकासशील दशो म पररवरथतत जीवन पदधवत

क साथ जोडा गया ह। भारत जस ववकासशील दशो म जहा पर परमपरागत

जीवन पदधवत अभी भी जारी ह , सवासय वयवसथा की कमी की वजह स बीमारी

क खतर स मतय मानवीय आदत, परमपरा का पररणाम ह।

अत: अचछ सवासय क वलए सवसथ जीवन पदधवत को अपनाना अवनवायइ ह।

4. सामावजक आरथथक वसथवत ( Socio-Economic Conditions)-

सामावजक-आरथथक वसथवत वयकरकत क सवासय को परभाववत करती ह। कछ

महततवपणइ कारण जो करक सामावजक-आरथथक वसथवतयो को वनवशचत करत ह-

1. आरथथक सतर

2. वशकषा

3. वयवसाय

1. आरथथक सतर (Economic Status) - सामानय आरथथक सपादन का

मापदणड ;चमतबचजपवददध ळछच (परवत वयकरकत कल राषटरीय उतपादन) ह।

वयकरकत की ियकषमता , रहन-सहन सतर , जीवन-गणता, पररवार का आकार

इतयाकरद उसक आरथथक सतर पर वनभइर करत ह। सवासय की दखरख म आरथथक

सतर एक महततवपणइ भवमका अदा करता ह। परनत एक ववडमबना यह ह करक उचच-

सतरीय जीवन भी बीमारी को बढा दता ह जस करक हदय , शककर आकरद बीमाररयो

जो अवधकाशत: उचच-सतरीय समाज म पाइइ जाती ह।

2. वशकषा (Education) - आरथथक सतर क अलावा वशकषा भी सवासय

दखदख क सतर को परभाववत करती ह। (ववशषतया नारी वशकषा) असाकषरता

ववशव मानवचतरा म जहा भी दवषटगत होती ह , वहा पर गरीबी, वनमन सवासय,

उचच वशश जनमदर व मतयदर व कपोषण दवषटगत होता ह। अ èययनो स पता

चलता ह करक वशकषा कछ हद तक सवासय पर गरीबी क परभाव को कम करती ह।

(चाह सवासय सबधी सववधाए अपणइ हो) भारत म 1984 की जनगणना क

अनसार करल एक ऐसा उदाहरण ह वहा पर वशश मतयदर 29 ह जो करक समपणइ

भारत म 104 ह और उसका एक महततवपणइ कारण नारी वशकषा की दर ह जो की

65ण7: ह; समपणइ भारत म यह दर 24ण8: ह।

3. वयवसाय - बरोजगारी बीमारी व मतय को बढावा दती ह। अवधकाशत:

कायइ-हावन आय व सतर ही परभाववत नही करती अवपत यह एक मानवसक व

सामावजक आघात भी पहचाती ह।

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5. राजनवतक वयवसथा (Political System) - सवासय राषटर की

राजनवतक वयवसथा स भी समबवनधत ह। पराय: सवासय तकनीको को

कायाइवनवत करन क मागइ म मखय बाधा तकनीकी की अपकषा राजनवतक ह।

साधनो क बटवार , मनपावर नीवत, तकनीक क चयन एव सवासय सवाओ का

वह िय वजसम य सवाए समाज क वववभनन भागो म सगमता स उपलबध हो

इनस समबवनधत वनणइय राजनवतक वयवसथा क तरीको क उदाहरण ह , वजनस

सामदावयक सवासय सवाओ का गिन करकया जा सकता ह।

6. सवासय सवाए (Political System) - सवासय सवाओ का लकषय

लोगो का सवासय सतर सधारना ह। ापररवार एव सवासय कलयाण सवाश पद

वयकरकतगत व सामदावयक सवाओ की एक ववसतत शखला को समावहत करता ह।

य सवाए बीमारी क इलाज , बीमारी को रोकथाम और सवासय को बढावा दन

हत होती ह। बचचो क परवतरकषण स करकसी ववशष बीमारी क खतर को रोका जा

सकता ह। सवचछ पानी क परबध स जल स उतपनन होन वाली बीमाररयो क फलाव

व उनस होन वाली मतय स सरकषा की जा सकती ह। गभइवती मवहलाओ व बचचो

की दखभाल बचचो एव माता की असवसथता और मतयदर म कमी लान म

योगदान दगा। य सभी पराथवमक सवासय सवा क अग हा। य भी उसक घटक ह

जो अचछ सवासय क परयास (मागइ) क रप म दखा जाता ह।

7. अनय तय (Other) - अनय तय जो सवासय को परभाववत करत ह , व

औपचाररक सवासय दखभाल वयवसथा स पर ह। इसम रोजगार क अवसर , बढी

हइइ आय तयार करकए हए आयरथवजञान कायइिम और पररवार आशय (सहारा)

वयवसथा (सपोटइ वससटम) शावमल होग।

सवकषपत म वचकरकतसा लोगो क अचछ सवासय क वलए अकल उततरदायी नही ह।

अनय परयास म एक दसर क कषतरा म आन वाल कायइिमो स ासमदाय क

सवासयश की बढोततरी का भी पजीÑत (परमावणत) योगदान ह।

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पोषक तततवो का परारवमभक जञान- (I)

Elementary Knowledge of Nutrients – (I)

सपोषण सवासय का मल अग-सगिन ह। सामानय ववदध और ववकास क वलए

तथा जीवन-सतर का अनरकषण करन क वलए , इसका ववशष महततव ह। वतइमान

शताबदी क परारमभ म , ववटावमनो की खोज क फलसवरप , पोषण ववजञान का

पन: आववषकार हआ ह। उस समय स पोषण क कषतरा म महततवपणइ परगवत हइइ ह।

दो ववशव महायदधो क बीच , इस करदशा क अनसधान-कायइ मखयत: ववटावमनो पर

ही कवनदरत थ। वदवतीय ववशव महायदध क पशचात परोटीन समबनधी अनसधानो की

गवत म ववशष ववदध हइइ। सततर क दशक म ऐवथरोकोरिनय (ऐवथरोसकलोरोवसस)

आकरद रोगो को सपरावपत (वव Ñवत जननता) और इसकी जरटलताओ क ववषय म

तथा मखयत: ववपथी âदयधमनी समबनधी रोगो क बार म , दवनक आहार की

भवमका को सवनवशचत करन म रवच ली गइइ ह। वपछल दो दशको स मानव

सवासय और रोगो की सपरावपत म शवसन-अनजञापक अवयवो (तततवो) और

आहारीय फोक ;वपइतमदध की भवमका क अधययन न भी हमारा धयान आकरथषत

करकया ह।

पररभाषाएा

पोषण (Nutrition) - यह आहार, इसक पोषक तततवो , इसम वनवहत अनय

पदाथो इसकी करियाओ , परवतकरिया और सवासय तथा रोगो क साथ इसक

सतलन का ववजञान ह।

आहार (Food) - कोइइ भी िोस या तरल पदाथइ , वजसका शरीर म अतगररहण

करक पाचन करकया जाता ह और शरीर म सवममवलत करकया जाता ह तथा जो

शरीर को सवसथ रखता ह आहार कहलाता ह। भोजन को मखयत: अनाज , दाल,

सवबजया, फल, दध, अणडा, मास, वसा व शकइ रा म ववभावजत करकया गया ह।

पोषक तततव (Nutrients) - पोषक तततव आहार क व सभी सघटक होत ह ,

वजनका शरीर म उपयकत मातरााा म सभरण करकया जाना चावहए। य परोटीन ,

वसा, खवनज लवण, कारबोज, पानी और ववटावमन ह।

पोषण सतर (Nutritional Status) - पोषण सतर को इस रप म

पररभावषत करकया जाता ह करक परचवलत आहार परणाली शरीर की आवशयकताओ

को करकस सीमा तक परा करकया करती ह। दसर शबदो म , यह भोजन क बाद की

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शरीर की वसथवत को सवचत करता ह। करकसी वयकरकत का सवासय पोषक तततवो क

शरीर म सवममवलत होन क कारण होता ह। इसका आकलन आहारीय परीकषण ,

शारीररक मापदणड व परयोगशाला म परीकषण दवारा करकया जा सकता ह। भोजन

म वववभनन पोषक तततवो की जानकारी व महततव आग पषठो पर दी गइइ ह।

ऊजाइ की आवशयकता

(Energy Requirement)

ऊजाइ (Energy) - कायइ करन की कषमता को ऊजाइ कहत ह। यह शरीर म

उतपनन उषमा होती ह , वजसका उपयोग दहताप क अनरकषण और शरीर क नय

घटको क सशलषण करन समबनधी ऐवचछक एव अनवचछक करियाओ को समपनन

करन म करकया जाता ह।

आधारी चयापचय दर ( Basal Metabolic Rate)- वबना करकसी चतन

परयास क शरीर म कइइ परकार की परकरियाए उस समय भी होती ह , जबकरक

वयकरकत पणइ ववशावनत म होता ह और कोइइ भी कायइ नही कर रहा होता ह। इनम

ऐसी अनवचछक परकरियाए भी ह। जस करदल का धडकना और रकत सचरण। इन

परकरियाओ को ही चयापचय (उपापचय) परकरिया कहत ह। इन परकरियाओ को करन

म परयकत शकरकत को आधारी चयापचय दर कहत ह वजस सवकषपतीकत रप म

आ.च.द. (बीएमआर) कहा जाता ह। अवधकतम लोगो म आधारी शकरकत की

आवशयकता, कल शकरकत की आवशयकता क आध भाग स जयादा होती ह।

ऊजाइ की इकाइइ (Unit of Energy) - आहार का ऊजाइ मान करकलो

कलोरी (करक. कल.) क रप म दशाइया जाता ह। एक करकलोगराम पानी का ताप एक

वडगरी सनटीगरड बढान क वलए वावछत उषमा की मातरााा को एक करकलो कलोरी

माना जाता ह। मीटर परणाली म , करकलो कलोरी क सथान पर अनतराइषटरीय इकाइइ

करकलोजल का परयोग करकया जाता ह। एक करकलो जल , नयटन क शकरकत वसदधानत

क परयोग दवारा , एक करकलोगराम मातरा क िोस पदाथइ को एक मीटर दर हटान

लायक ववसताररत ऊजाइ होती ह।

1 कलोरी = 4.148 जल

1 करकलो कलोरी =4.184 करकलो जल

1000 करकलो कलोरी = 4.184 एम जल

1 करकलो जल = 0.239 करकलो कलोरी

1 एम जल = 239 कलोरी

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कल ऊजाइ आवशयकता को परभाववत करन वाल कारक

(Factors Influencing the Total Energy Requirement)

आय, ललग, शरीर का आकार , जलवाय, अनत:सरावी गरवथयो (एणडोिाइम)

गलणड का सराव , सवासय सतर , गभाइवसथा और दगधपान करान की अवसथा म

पररवरथतत शारीररक वसथवत , आहार का परभाव और शारीररक करियाओ की

मातरााा आकरद घटक तततव ऊजाइ आवशयकता को परभाववत करत ह।

1. आय (Age) - ववदधकाल चयापचय म आधारी दर बहत जयादा होती ह।

इसवलए शशव काल म परवतकरकलो शरीर भार ऊजाइ आवशयकताएा , वयसकावसथा

की ऊजाइ आवशयकताओ की अपकषा अवधक होती ह। इसी परकार परारवमभक

वयसकावसथा क बाद चयापचय आधारी दर म सतत वगरावट क कारण ऊजाइ

आवशयकताएा भी उततरोततर कम होती जाती ह। शशव काल म चयापचय की दर

अवधक होती ह और अवधकतम 1ऋ2 वषइ क बचच की होती ह। दो स पाच वषइ क

दौरान चयापचय की दर म वगरावट आती ह और इसक पशचात उसक वयसक

होन तक य दर कम होती रहती ह।

2. ललग (Sex) - करकशोर लडकरकयो और वयसक वसतरायो की अपकषा करकशोर

लडको और वयसक परषो म आधारी चयापचय दर ऊची होती ह यह ललग भद

स परतयकष परभाव क कारण नही , बवलक शारीररक बनावट की वभननता क कारण

होती ह। परषो म जयादा मासपवशया और गरनथीय ऊतक होत ह , जो चयापचय

म जयादा सकरिय होत ह और वसतरायो म वसामय ऊतक जयादा होत ह , जो

चयापचय म कम सकरिय होत ह। इसी कारण परषो म वसतरायो की अपकषा , ऊजाइ

की अवधक आवशयकता होती ह।

3. शरीर का आकार (Body Size) - ऊजाइ आवशयकताओ पर शरीर क

आकार का ववशष परभाव पडता ह, कयोकरक बड शरीर म जयादा मासपवशया और

जयादा गरनथीय ऊतक होत ह, वजनका अनरकषण करना पडता ह, इसवलए जयादा

ऊजाइ की आवशयकता होती ह। हमार शरीर स तवचा दवारा लगातार ऊषमा का

वनकास होता ह। अत: शरीर का आकार वजतना बडा होगा, ऊषमा का वनषकासन

उतना अवधक होगा। एक पतल , लमब, वयकरकत का शरीर सतह एक छोट , मोट

वयकरकत की अपकषा अवधक होता ह; अत: उसकी चयापचय दर अवधक होगी।

4. जलवाय (Climate) - यह सवइववकरदत ह करक चयापचय आधार दर

शीतोषण करटबनधीय कषतरााोा की अपकषा उषण

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करटबनधीय कषतरााोा म कम होती ह। इसवलए यकरद तापमान 14व सनटीगरड स

कम होता ह , तो कायइ म ऊजाइ वयय कछ जयादा होन लगता ह। करफर भी , यह

अनभव करकया गया ह करक भारत म तापमान क वलए करकसी परकार क समायोजन

की आवशयकता नही ह।

5. अनत:सतरााावी गरवनथयो का सराव (Secretion of Endocrine

Glands) - ऊजाइ आवशयकता पर ववशष रप स अवटगरवनथ (थायोरोइड

गलणड) का अचछा खासा परभाव पडता ह। यकरद यह अवतसकरिय (अवट

अवतकरियता) होती ह तो आधारी चयापचय.दर बढ जाती ह , और यकरद इसकी

करियाशीलता कम होती ह (अवट अलपकरियता) , तो आधारी चयापचय-दर भी

घट जाती ह। इसी कारण ऊजाइ आवशयकता भी बढती-घटती रहती ह।

6. सवासय का सतर (Status of Health) - बखार क कारण तथा इसी

परकार कपोषण क कारण वयकरकत की आधारी चयापचय दर परभाववत होती ह।

शरीर का तापमान बढान वाली असवसथता क कारण ऊजाइ उतपादन आधार

काफी बढ जाता ह और इसी कारण आधारी चयापचय दर भी बढ जाती ह। साथ

ही ऊजाइ आवशयकता भी बढ जाती ह।

7. शारीररक वसथवत म पररवतइन (Altered Physiological

States) - गभाइवसथा म तथा सतनपान करान की अवसथा म आधारी

चयापचय दर म ववदध क कारण , ऊजाइ आवशयकताएा भी बढ जाती ह।

गभाइवसथा म भरण और मात ऊततको की ववदध क सभरण क कारण अवतररकत ऊजाइ

की आवशयकता होती ह। सतनपान करान की अवसथा म दध क वनमाइण क वलए

अवतररकत ऊजाइ की आवशयकता होती ह।

8. आहार का परभाव ( Effect of food)- भोजन क पचान म ,

आतमसातकरण म, ऊतको तक पहचान म तथा इसक उपयोग म कायइ की पयाइपत

मातरााा उतसरथजत हो जाती ह। भोजन क अतगररहण क कारण ववदधत ऊजाइ

उतपादन को भोजन की वववशषट गतयातमक करिया (Specific Dynamic

Action) क रप म जाना जाता ह। अकल परोटीन क अनतगररहण स चयापचय-

दर (Metabolic Rate) 30 परवत शत बढ जाती ह। वमवशत आहार क

आधार पर, जो पराय: अनतर गरहण करकया जाता ह , भोजन की वववशषट गतयातमक

करिया, ऊजाइ आवशयकता का लगभग 10 परवतशत होती ह।

9. शारीररक करिया की मातरााा (Extent of Physical Activity) -

करकसी भी परकार की शारीररक करिया स ऊजाइ खपत , ऊजाइ आवशयकता क आधार

वबनद स जयादा बढ जाती ह। ऊजाइ खपत की मातरााा म , सभी परकार की

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शारीररक करियाओ क वलए ऊजाइ का सथान , आधारी चयापचय स दसरा ह। नीद

क समय हमारी चयापचय दर 10: कम होती ह। कल वमलाकर चयापचय दर

पर इसका परभाव नीद क घणटो व नीद क परकार पर वनभइर करता ह।

ऊजाइ आवशयकता का वनधाइरण शारीररक करिया की परकवत तथा समयाववध क

आधार पर करकया जाता ह। कायाइलय , बही-खाता, टकण, अधयापन आकरद

अभरमणशील हलक कायो म , उपचयाइ, गहसजजा और बागवानी जस सकरिय और

मधयम शम कायो की अपकषा कम ऊजाइ की आवशयकता होती ह। गडढ खोदन ,

सामान ढोन जस भारी शारीररक शम क कायो म लग शवमको क वलए ऊजाइ की

और भी अवधक मातरााा की आवशयकता होती ह।

आय, वयवसाय व शारीररक वसथवत क कारण ऊजाइ आवशयकता पर

परभाव परसताववत ऊजाइ की आवशयकता (Recommended

Daily Allowance)

(अ) ऊजाइ की आवशयकता आधारीय चयापचय दर क रप म दी गरइ ह

F.A.O. 1980 दवारा परसताववत शारीररक भार स वनकाली गइइ ह

भारतीयो क वलए , उनक कम चयापचय दर को धयान म रखत हए ,

इस परसताववत मातरााा म 5: की कमी की गइइ ह।

(आ) बचचो व करकशोरो की आवशयकता साधारणतया ववदध करत

भारतीय बचचो की आवशयकता ह। आवशयकताएा आय क अनसार दी गइइ

ह तथा शारीररक भार क वलए कछ पररवतइन करन की आवशयकता नही

ह।

परोटीन

(Protein)

परोटीन शबद का अथइ ह - षपहला सथान लना।ष 1938 म डच

औषधकार मलडर न बताया था , करक सभी जीववत परावणयो , पौधो और

पशओ म कछ ऐस तततव होत ह, वजनक वबना जीववत रहना असमभव ह

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और इन तततवो को ही परोटीन नाम स जाना जाता ह। शरीर-सचरना म

परोटीन का सथान जल क बाद दसरा ह। वासतव म , मानव पोषण म

परोटीन का अतयवधक महततव ह।

इनम काबइन , हाइडरोजन, आकसीजन, नाइटरोजन और गधक का

सवशलषट जववक सवममशण होता ह। कछ परोटीनो म फासफोरस , लौह,

आयोडीन, तामर और अनय अजववक तततव होत ह। परोटीन म नाइटरोजन

होती ह, अत: य कारबोज और वसा स वभनन होत ह। परोटीन ऐमीनो

अमल नामक छोटी-छोटी इकाइयो स बन होत ह।

कायइ (Functions)

परोटीन जीवन-परकरिया क वलए बहत ही आवशयक ह। ऐसी शायद ही

कोइइ महततवपणइ शारीररक कायइ होगी , वजसम परोटीन की सहभावगता न

होती हो। परोटीन क मखय कायइ वनमनवलवखत ह -

1. शरीर वनमाइण (Body Building) - यह परोटीन का सवाइवधक

महततवपणइ कायइ ह। परोटीन दह ऊततको का परमख सरचनातमक सघटक

होता ह। वसतत: , परतयक सजीव कोवशका म परोटीन होत ह। इसवलए

ववदध और ववकास क वलए तथा कोवशका परोटीन क वनरनतर परवतसथापन

क वलए आवशयक सामगरी की आपरथत करना , परोटीन की परथम

आवशयकता ह।

2. शरीर वनयामक(Body Regulatory) - शारीररक करियाओ

क वनयमन म कइइ परोटीन वववशषट कायइ करत ह। शरीर म सभी

रसायवनक परवतकरियाए करकणवको (एनजाइम) क दवारा होती ह , जो

परÑवत स परोटीन ही होत ह। परोटीन भी हीमोगलोबीन का एक घटक ह।

फफडााा स ऊतको तक आकसीजन ल जान और वापस काबइन

डाइइआकसाइड लान म , हीमोगलोबीन बहत ही आवशयक ह। शरीर की

परवतकरियाओ पर हारमोन-वनयनतराण करत ह , य सभी परोटीन तततव ही

होत ह। शरीर म जल सनतलन क अनरकषण का मल कायइ पलाववका

परोटीन (पलाजमा) करत ह। शरीर अमलीय आधार सतलन बनाए रखन

म रकत परोटीन सहायता करत ह।

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3. शरीर सरकषण (Body Protection) - गामा गलोबयवलन

नामक परोटीन म आिामक जीवो स लडन की सामथरय होती ह। रोगो क

परवत शारीररक परवतरोध का आवशक अनरकषण रोग परवतकारको दवारा

करकया जाता ह, जो परकवत स परोटीन ही होत ह।

4. ऊजाइ परदायक (Energy Giving) - शरीर की ऊजाइ

आवशयकताओ को अनय आवशयकताओ की अपकषा पराथवमकता वमलती

ह, और यकरद आहार म कारबोज और वसा स पयाइपत ऊजाइ नही वमलती

तो आहार की परोटीन तथा ऊतको की परोटीन , ऊजाइ परदान करन क

कारण जलदी खचइ हो जाएगी। एक गराम परोटीन स 4 कलोरी वमलती ह।

5.शारीररक ताप पर वनयनतराण ( Maintenance of Body

Temperature) - परोटीन क चयापचय क दौरान , अवतररकत

ऊजाइ वनकलती ह वजसका इसतमाल शारीररक ताप क अनरकषण म

करकया जाता ह।

सरोत (Sources)

परोटीन क आहार सरोत दो परकार क होत ह - 1. पश सरोत - दध व दध

क अनय उतपाद (मकखन तथा घी को छोडकर) अणडा , मास, मछली

और मगाइ। 2. वनसपवत सरोत - दाल जस सोयाबीन , चना, अरहर,

मग, उडद, अनन जस गह, मकका, चावल, जौ, जवार, बाजरा और मव

जस मगफली , बादाम, काज आकरद। सबजी और फलो स कम परोटीन

वमलत ह।

परोटीन गणवतता (Protein Quality)

परोटीन की कवल मातरााा ही नही , अवपत गणवतता भी बहत महततवपणइ

ह। यह गणवतता, वववशषट परोटीन म पाए जान वाल ववशष एवमनो अमल

की मातरााा और परकार क ऊपर मखयत: वनभइर करती ह।

कल वमलाकर मनषय क शरीर क वलए 22 परकार क ऐवमनो अमल की

आवशयकता होती ह। इनम स आि ाअवनवायइश होत ह , कयोकरक शरीर

म इनका सशलषण नही करकया जा सकता ह। इसवलए हम इनह आहार स

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परापत करत ह। बाकी ऐवमनो अमल ाआवशयक नहीश नाम स जान जात

ह कयोकरक इनका सशलषण शरीर म करकया जा सकता ह।

आइसोलयसीन, लयसीन, लाइइवसन, वमथओवनन,

करफनाइलएलावनन, वथरयोनीन, रटरपटोफन और वलीन आकरद ऐवमनो

अमल अवनवायइ और परमावशयक होत ह। इनक अवतररकत वशशओ को

ववदध क वलए वहसटीडीन की भी आवशयकता होती ह।

परोटीन गणवतता क आधार पर इसक तीन भाग करकए जा सकत ह-

1. पणइ परोटीन (परथम वगइ)

2. अशत: परोटीन (वदवतीय वगइ)

3. अपणइ परोटीन (ततीय वगइ)

1. पणइ परोटीन ( Complete Protein)- इनम सभी अवनवायइ

ऐवमनो अमल पयाइपत मातरााा म होत ह, वजसम शरीर की सामानय ववदध

का अनरकषण करकया जाता ह। मखयत: पश-सरोत स वमलन वाल परोटीन

इसी वगइ म होत ह, जस

दध, मास, अणडा, मछली और मगाइ। अकररत अनन (बीजाकर) और

सख खमीर म वकरदक मलयवतता होती ह , जो पश सरोतो स परापत परोटीनो

जसी ही होती ह।

2.अशत: पणइ परोटीन ( Partially Complete Protein)-

इनक जीवन का अनरकषण तो करकया जा सकता ह , परनत इनम ववादध

क वलए आवशयक कछ एवमनो अमलो की पयाइपत मातरााा नही होती।

वनसपवत सरोतो जस दाल , गह और वगरी आकरद स परापय परोटीन इसी

शणी म होत ह।

3. अपणइ परोटीन (Incomplete Protein) - य न तो ववादध

ह और न ही जीवन का अनरकषण करत ह , कयोकरक इनम करकतन ही

ऐवमनो अमल नही होत, और यकरद होत भी ह तो काफी कम मातरााा म

होत ह। उदाहरणाथइ वजलरटन ओर जीन जो मकका म पाए जात ह , इसी

शणी म आत ह।

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परोटीन की परक गणवतता (Supplementary Value of

Proteins) - एक परकार क परोटीन की कमी को दसर परकार क

परोटीन स परा करन को परोटीन की परक गणवतता कहत ह। ससार भर

क लोगो क वलए आहार म परोटीन का मखय सरोत वनसपवत ह।

वानसपवतक भोजय पदाथइ अकल खाए जान पर उनम सभी परकार क

आवशयक ऐवमनो अमल नही वमलत। इस कारण इनको परोटीन सतरााोतो

क रप म वतरसकत करन म कोइइ औवचतय नही ह। करफर भी परोटीन की

गणवतता को बढान की चार सभावनाएा ह।

पहली सभावना ह करक कछ पश सरोत का भोजन अथाइत पणइ परोटीन

वाला भोजन खाया जाए और साथ म दसरी या तीसरी शणी परोटीन भी

खाए जाए, उदाहरण क वलए परतयक आहार म कछ मातरााा पश सरोत

स परापत परोटीन की वमला ली जाए।

दसरी सभावना ह करक कइइ सवबजयो क वमशण स परापय परोटीन खाए

जाए ताकरक एक-दसर क अभाव को परा करकया जा सक , उदाहरण क

वलए अनाज और दाल का वमशण।

तीसरी सभावना यह ह करक उन ऐवमनो अमलो को वजनकी हमार आहार

म कमी ह, उनह कवतरम (सशलवषत) रप म वमला वलया जाए।

चौथी सभावना यह ह करक अकरण अथवा खमीर (करकणवन , उतकषोभण)

कर वलया जाए , जस करक दालो या अनाजो को अकररत करक खाया

जाए।

एक दसर क साथ वमलाकर परोटीन क अभाव को परा करन क वलए ,

उपयराकत पहल दो ढगो को षपरोटीन अनपरणष कहा जाता ह।

दवनक आहारीय आवशयकता( Recommended Dietary

Allowance)

परोटीन की आवशयकता भारतीयो की आहार म वमली-जली वनसपवत

परोटीन क रप म दी गइइ ह। वयसको क वलए 1 गरामकरकलो परोटीन की

आवशयकता होती ह। भारतीयो क कद को दखत हए परषो का

शारीररक भार 60 करक. गराम व वसतरायो का शारीररक भार 50

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करक.गराम. परसताववत करकया गया ह। वववभनन आय वगो की परोटीन

आवशयकता सारणी 2 म दी गइ ह।

कमी (Deficiency)

परोटीन क अनतगरइहण म कमी अथवा वनमन सतर परोटीन वाल आहार को

लमब समय तक खान स ऊतक सवचवत म वन:शषण होन लगता ह और

करफर रकत परोटीन क सतर म भी वगरावट आ जाती ह। परोटीन

अभावगरसतता पराय: शशवावसथा , परारवमभक बालयावसथा, गभाइवसथा

अथवा सतनपान करान की अवसथा म होती ह।

बचचो म परोटीन की कमी स मरासमस (सखा रोग) और

कवावशओरकोर (Kwashiorkor) हो जाता ह। इसस ववदध अवरोध ,

जलजमाव और अवतसार आकरद रोग हो जात ह। वयसको म परोटीन की

कमी स शरीर भार म कमी , कमजोरी और रोग-परवतरोधक शकरकत म

कषीणता आ जाती ह।

कारबोज (Carbohydrates)

कारबोज साधारण चीनी होती ह अथवा व पदाथइ होत ह , वजनह जल

अपघटन दवारा चीनी म पररवरथतत करकया जा सकता ह। य काबइन ,

हाइडरोजन और आकसीजन स वमलकर बनत ह , वजनम अवतम दो

आनपावतक वमशण स जल बनाया जा सकता ह और इसवलए इनह

काबोहाइडरट कहा जाता ह। इसका सामानय सतरा Cn H2n On होता

ह।

कायइ (Functions)

कारबोज क परमख कायइ -

1. ऊजाइ परदायक (Energy Giving) - काबोहाइडरट ऊजाइ क

बहत ही ससत सरोत ह। एक गराम काबोहाइडरट स चार कलोरी वमलती

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ह। गलकोज ऊजाइ का मखय सरोत ह , इसवलए शरीर म सभी परकार क

काबोहाइडरटो को गलकोज म पररवरथतत करकया जाता ह और ऊततकााा

की तातकावलक आवशयकताओ क वलए उपयोग करकया जाता ह। इसका

थोडा भाग गलाइकोजन क रप म यकत तथा मासपवशयो म सगरहीत

करकया जाता ह और कछ भाग ऊतकााा म वसा क रप म सगहीत

करकया जाता ह।

2. परोटीन बचान वाल कायइ (Protein Sparing Action) -

शरीर म ऊजाइ क सरोत क रप म काबोहाइडरट का उपभोग अवधमावनक

रप म करकया जाता ह जबकरक आहार म इनकी सपरथत समवचत रप म की

जाती ह। इसस ऊततक वनमाइण क वलए परोटीन की बचत होती ह।

3. भोजन म सवाद (Provide Taste to the Food) -

अवधकाश कारबोज परकवत स मीि होत ह , इसस भोजन का सवाद बढ

जाता ह।

4. वसा का पणइ उपचयन (For Complete Oxidation of

Fats) - परतयक आहार म काबोहाइडरट की कल मातरााा अवनवायइ ह ,

ताकरक वसा का उपचयन सामानय रप म हो सक। यकरद काबोहाइडरट को

तीवरता स परवतबवनधत कर करदया जाए , तो वसा का चयापचय तजी स

होन लगगा और शरीर म इसक मधयवती उतपादन म बढोततरी हो

जाएगी वजसक पररणामसवरप कटोवसस की वसथवत हो जाएगी।

5. लकटोस (Lactose)- अनय चीनी पदाथो की अपकषा यह कम

घलनशील होती ह और इसवलए आतो म यह पयाइपत दर तक रहती ह।

इसस उन वावछत जीवाणआाा म ववदध होती ह , जो ववटावमन-बी

कामपलकस क सशलषण म सहायक होत ह। य कवलशयम क उपयोग और

अवशषण म भी सहायता करत ह।

6. आहार को पररमाण परदान करना (Provide bulk to the

Diet) - यधवप सललोज, हवमसललोज और पकरकटन शरीर को कोइइ

पोषक तततव परदान नही करत , परनत इनक तनत आहार को पररमाण

और आयतन परदान करन म सहायक होत ह। य अपचनीय पदाथइ

अमाशय तथा आतो क मागो की परससरण करियाओ को उततवजत करक

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आतो म अववशषट , उवचछषट पदाथो क वनषकासन को ससाधय बनात ह

और उनम पानी को सोखन की गणधरथमता भी होती ह , वजसस आतो

की अनतवइसत का आयतन बढ जाता ह। आहार म फोक ;वपइतमदध की

मातरााा बढान स शकइ रा व कोलसटरोल कम होन क पररणाम वमल ह।

साबत अनाज, दालो, हरी पततदार सवबजयो व फल म परचर मातरााा

म फोक ;वपइतमदध वमलता ह।

सरोत (Food Source)

काबोहाइडरट क वनमन तीन सरोत ह -

1. वतसार

2. चीनी

3. सललोज।

1. वतसार(Starches) - चावल, गहा, मकका, साबदाना आकरद

अनाजो, सभी बकरी उतपादनो, दाल, टमाटर, साबदाना, रताल और

सख मवो म वमलता ह।

2. चीनी - गनन, गड, शहद, जली, सख मव , वमिाइइ और अगर

आकरद ताज फलो म वमलती ह।

3. सललोज - अनाजो, फलो और सवबजयो क असतर म रशवाला

गदा होता ह।

परसताववत दवनक आहारीय आवशयकता ( Recommended

Daily Dietary Allowance)

काबोहाइडरट क वलए करकसी वनवशचत मातरााा की परसतावना नही की

गइइ ह। करफर भी इसस कल ऊजाइ का 60-70 परवत शत वमलना चावहए।

एक वयसक वयकरकत क दवनक आहार म 40 गराम फोक (fibre) अवशय

होना चावहए। आहार म फोक (fibre) की कमी स कबज व आत का

क सर हो सकता ह।

कमी (Deficiency)

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यकरद आहार म काबोहाइडरट की कमी होती ह तो ऊजाइ आवशयकताओ

की सपरथत नही होती। इसस वयकरकत कमजोरी महसस करता ह। मनषय

की कायइकषमता घट जाती ह। मनषय का शरीर भार भी मानक भार स

कम हो जाता ह। बचचो म ववदध धीम होती ह। इसस

कटोवसस (Ketosis) रोग क लकषण भी ववकवसत होन लगत ह।

अवधकता (Excess)

यकरद जयादा कारबोज खाय तो व शरीर म वसा क रप म सवचत हो

जात ह, वजसस मोटापा, मधमह तथा हदय रोग हो जात ह।

वसा या वलवपड (Fats & Lipids)

वसा हमार आहार का मखय घटक ह और शरीर म अनक कायइ करता ह।

इनह काबइन , हाइडरजन और आकसीजन का जववक यौवगक कहा जाता

ह। य काबोहाइडरट स वभनन होत ह , कयोकरक इनम आकसीजन का

अनपात बहत कम होता ह और काबइन तथा आकसीजन का अनपात

बहत जयादा होता ह। वसा का सघटन वसा अमलो तथा वगलसरोल स

होता ह। इन वसातमक अमलो को सतपत और असतपत रप म वगीकत

करकया जाता ह। असतपत वसाअमल कमर क तापमान म तरल होत ह।

सामानयत: वनसपवत तलो म असतपत वसा अमलो का और पश वसा म

सतपत अमलो का आवधकय होता ह।

आहार म वसा दो परकार की होती ह : दशय वसा व अदशय वसा।

पशजनय सरोत स वमलन वाली वसा जस मकखन , घी व वनसपवत सरोत

स वमलन वाली वसा जस वनसपवत तल (मगफली , सरसो इतयाकरद का

तल) दशय वसा का उदाहरण ह।

अदशय वसा सभी भोजय पदाथो म थोडी मातरााा म उपलबध रहती ह।

जस दाल , अनाज, सख मव , दध, अणडा, मास इतयाकरद। कल वसा

दशय वसा व अदशय वसा को वमलाकर बताइइ जाती ह और हम

आवशयक वसा-अमल परदान करती ह।

अवनवायइ वसा अमल(Essential Fatty Acids)

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कछ वसा अमलो का आहार म होना अवनवायइ ह , कयोकरक इनह शरीर म

सशलवषत नही करकया जा सकता। य बह-असतपत वसा अमल ह ,

वलनोलइक, वलनोलवनक और अराकरकडोवनक अमल , और इनका

वगीकरण ''अवनवायइ वसा अमल क रप म करकया जाता ह। चयापचय

तथा तवचा क सामानय सवासय क अनरकषण क वलए इनकी आवशयकता

होती ह।

इसवलए समवचत परकार क वसा पदाथइ वजनम अवनवायइ वसा अमलो का

आवधकय हो , जस मगफली , वबनौला, मकका और सरजमखी क तल ,

हमार आहार म अवशय होनी चावहए। पश वसा म अवनवायइ वसा अमल

बहत कम होत ह।

वासतव म हम कवल वलनोलइक अमल की आवशयकता पडती ह ,

कयोकरक दसर दो अमलो को शरीर म उसी स अथाइत वलनोलइक अमल स

ही सशलवषत करकया जा सकता ह।

कायइ(Functions)

वसा क कायइ वनमन परकार ह -

1. शकरकतपरदायक - वसा शकरकत का साकरदरत सरोत ह। एक गराम वसा स

9 कलोरी वमलती ह। कारबोज की तलना म इसस ऊजाइ जयादा

मातरााा म ही नही वमलती, बवलक तीवर गवत स भी वमलती ह।

2. वसा परोटीन को बचाकर रखन का कायइ भी उसी परकार करता ह ,

जस काबोहाइडरट करत ह।

3. शरीर की आवशयकताआाा क वलए ऊजाइ का भडारण - वासतव म

वसा ऊतको म कवल वसा का भडारण उसी रप म नही होता , बवलक

ततकाल उपयोग न करकए गए गलकोज और ऐमीनो अमल की कछ

मातरााा का भी शरीर म वसा क रप म सशलषण और भडारण करकया

जाता ह। इसी स वसा ऊतकााा क भडार स ऊजाइ वनरनतर उपलबध

होती रहती ह।

4. रोधन और ववसतवत - वसा की अवसतवक परत एक परभावी रोधक

ह, और यह सरददयो म शरीर क तापमान क कषय को कम करती ह। इस

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परकार यह शरीर क तापमान को वनयवमत करती ह। शरीरागो की वसा

की भराइइ स महततवपणइ अगो जस करक गदो ± को करकसी परकार की

शारीररक कषवत स रकषा करन म भी इसस सहायता वमलती ह।

5.आवशयक वसा अमलो का सभरण - वसा कछ वसा अमलो का सरोत

भी ह जो चयापचय तथा सामानय तवचा क अनरकषण क वलए आवशयक

ह।

6. वसा स शरीर म वसातमक घलनशील ववटावमनो क अवशोषण और

पररवहन म भी सहायता वमलती ह।

7. वसा शरीर क वववभनन अगो क वलए ववशष रप स पाचन ससथान

मागइ क अगो क वलए सनहक का भी कायइ करती ह।

8. सतवपत मलयवतता - वसा अमाशय म हाइडरोकलोररक अमल क सराव

को कम करती ह। इसस आहार वहा जयादा दर तक रहता ह और भख

की इचछा म दर होती ह।

9. वसा स आहार क सवाद म भी ववदध होती ह इसस पकाए गए भोजन

म सवाद बढ जाता ह।

सरोत (Food Sources)

आहार वसा दो सरोतो स वमलती ह -

1. पश सरोत - इसम मकखन , घी, चबी, सपणइ दघ और इसक

उतपादन, मास, मछली, मगी और अणडा सवममवलत ह।

2. वनसपवत सरोत - इनम वनसपवत तल-मगफली , अदरक, सरसो,

वबनौला, सरजमखी (Sunflower) और गोल आकरद क तल

सवममवलत ह। इनम जमी हइइ वसा , कवतरम मकखन, वगरी और काज ,

अखरोट, मगफली, बादाम, अदरक और सरसो आकरद वतलहनो क बीज

भी सवममवलत ह।

परसताववत दवनक आहारीय आवशयकता (Recmmended Daily

Dietary Allowances)

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वसा की आवशयकता मनषय की ऊजाइ की आवशयकता पर वनभइर होती

ह। शारीररक दवषटकोण स वसा अनतगरइहण म पयाइपत वभननता हो सकती

ह, और करफर भी अचछा सवासय अनरवकषत करकया जा सकता ह।

सामानयत: कल ऊजाइ का 15-20 परवतशत वसा क दवारा वमलना

चावहए।

कमी (Deficiency)

काबोहाइडरट क अभाव की भावत ही , ऊजाइ आवशयकताओ की तब तक

सपरथत नही होगी , जब तक आहार म वसा पदाथो की कमी ह। इसी

कारण भारनयनता, कमजोरी तथा कायइकषमता म कमी होती ह। इसक

अवतररकत घलनशील वसा ववटावमन और अवनवायइ वसा अमलो म भी

कमी आ जाएगी। इसकी कमी स तवचा, आख और हवडडयो स

समबवनधत रोग होत ह। वसा की कमी स आवशयक वसाअमल की भी

कमी हो जाती ह। य वसा अमल हमार शरीर की अनक चयापचयी

गवतवववधयो म सहायक होत ह। इसकी कमी स तवचा मोटी और

खरदरी हो जाती ह तथा शरीर पर सइइ क आकार क दान उभर जात ह।

अवधकता (Excess)

यकरद जयादा वसा का अनतगररहण करकया जाएगा तो इसस मोटापा ,

पाचन ससथान अवयवसथा और मधमह तथा हदय-रोगो की परववतत म

ववदध होगी। वसा की मातरााा अवधक लन स रकत म कोलसटरोल की

मातरााा बढ जाती ह। यह कोलसटरोल धीर-धीर रकत धमवनयो म जम

जाता ह। रकत धमवनया सकरी हो जाती ह और हदय समबनधी रोग होन

का भय रहता ह।

सहायक पसतक

1.आहार एव पोषण ववजञान, एजकशन, पलालनग गरप दवारा।

2. पोषण एव आहार ववजञान क मल वसदधानत , शीमती एस.पी.

सवखया।

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3.Normal and Therapeutic Nutrition; Robinson and Lawler.

4. आहार एव पोषाहार डा. सतयदव आयाइ।

'ववटावमन' शबद की वयतपवतत लरटन शबद ावाइटल अमीनश स हइइ

ह। वाइटल अमीन ;टपजस ाउपदमदध शबद का अथइ ह आवशयक

नाइटरोजनी वमशण। इस पाररभावषक शबद का वनमाइण 'फक' नामक

वजञावनक न करकया था , जो पौलड का वनवासी था। इसन यह नाम उस

पदाथइ को करदया था, जो ाबरी-बरीश तततव का परवतरोधक होता ह। बाद

म अगरजी का अवनतम अकषर 'इ' वनकाल करदया और 'ववटावमन' शबद का

सजन हआ। लकरकन वजञावनको को जब अवधक ववटावमनो का पता लगा ,

तब यह अनभव करकया गया करक हालाकरक सभी ववटावमन नाइटरोजनी

वमशण नही होत ह ', लकरकन य सभी ववटावमन सवासय क वलए

आवशयक तततव ह।

ववटावमन अनक रासायवनक पदाथोर का वमशण होत हा। हमार शरीर

को इनकी जररत बहत थोडी मातरााा म होती ह। य हमार शरीर म

ऊजाइ उतपनन नही करत ह। करकनत य हमार शरीर की वववभनन

परकरियाआाा क वलए उतपररक का कायइ करत ह। चकरक य शरीर म पयाइपत

मातरााा म नही तयार करकय जा सकत, अत: इनकी पवतत आहार क

माधयम स करनी आवशयक होती ह। मोट तौर पर ववटावमनो को दो

वगोर म बाटा जा सकता ह।

1.वसा म घलनशील जस ववटावमन 'ए' 'डी' 'इ' और 'क' ववटावमन

2.जल म घलनशील जस ववटावमन 'बी' और 'सी' वगइ क ववटावमन

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ववटावमन 'ए'

ववटावमन 'ए'

ववटावमन 'ए' का पता उननीसवी शताबदी क आरवमभक वषो म डा. मक

कालम और डववस न लगाया था। डा. मक कालम न अपन परयोग चहो

पर करकए, और उनह यह पता लगा करक जब कछ चहो को मकखन और

अड की जदी वमल हए खान पर रखा जाता ह , तब य चह उन चहो की

तलना म काफी अवधक âषट-पषट होत हा , वजनह कवल सअर की चबी

और सबजी पर रखा गया था। उनहोन यह वनषकषइ वनकाला , करक मकखन

और अड की जदी म ऐस खाध तततव होत हा , जो सअर की चबी और

सवबजयो म नही होत ह , उनहोन वषइ 1913 म मकखन और अड की

जदी स ववटावमन'ए' को ढढ वनकाला।

रासायवनक ववशलषण (Chemistry)

ववटावमन'ए' कइइ रपााा म जस ररटनोल (Retinol)

रोरटनाल(Retinal) और ररटनोइक एवसड (Retinoic acid)

ाबपकदध आकरद रपो म वमलता ह। इन सभी रपो को ववटावमन ाएश

कहा जा सकता ह। ववटावमन ाएश अपन शदध रप मा रवदार वमशण

होता ह, वजसका रग हलका-पीला होता ह। यह सहज रप म जानवरो

म पाया जाता ह। यह वसा म या वसाय ä घलनशील वमशण म तो घल

सकता ह, लकरकन पानी म नही घल सकता। यह ताप , अमल, व कषार म

अपकषाÑत वसथर रहता ह। यह आसानी स आकसी Ñत हो जाता ह ,

तथा परा-बगनी ववकरकरण दवारा शीघरता स नषट हो जाता ह।

सभी परकार क ववटावमन 'ए' का मलसरोत करोटीन ह , जो पौधो म

सशलवषत होता ह। पश और मनषय दोनो ही अपन भोजन स कछ न कछ

ववटावमन ाएश परापत करत ह। करोटीन भी रवदार होत ह , लकरकन

इनका रग गहरा लाल होता ह। इनह ववटावमन ाएश का परारवमभक रप

कहत ह। पौवषटक आहार म करोरटन क एलफा , बीटा व गामा अणओ

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का बडा महततव होता ह। बीटा करोटीन ववटावमन 'ए' क दो अणओ का

उतपादन करता ह।

कायइ (Function)

1. कम रोशनी म आसानी स दखन क वलए ववटावमन ाएश जररी

होता ह। ररटना म दो परकार की कोवशकाए होती हा- राडस व कोनस ,

वजसम स रोडस कम रोशनी दखन म सहायक होता ह व कोनस तज

रोशनी म। रोडस म उपवसथत रोडावपसन एक परकार क परोटीन व

ववटावमन'ए' क सयोजन स बनता ह। रोडोवपसन तज रोशनी म इन

तततवो म ववघरटत हो जाता ह व कम रोशनी म य तततव-ववटावमन 'ए' व

परोटीन दोबारा सघरटत होकर रोडोवपसन बनात ह। यह रोडोवपसन हम

कम रोशनी म दखन म मदद करता ह।

2. शरीर म शलवषमक वझलली (इवपथवलयम) को एक रप म बनाए

रखन, खासतौर स उस वझलली को एकसम बनाए रखन क वलए

ववटावमन ाएश जररी होता ह। जो हमारी आखााा , मह, शवसन,

पाचन ससथान और जननवनæय ततरा म होती ह। इस वझलली क होन स

शरीर जीवाणओ म परवश स बच रहत ह।

3. ववटावमन ाएश हमार शरीर क ढाच और हमार दाातो क ववकास

का वलए जररी होता ह।

4. ववटावमन ाएश हमार शरीर को वववभनन रोगो स बचाय रखन म

भी सहायता करता ह।

खाध सतरााोत (Food Sources)

ववटावमन ाएश मखयत: जीवााा स वमलन वाल भोजन स वमलता ह

जस - ताजा मछली , तल आकरद। यह दध मकखन , पनीर, कलजी और

अड की जदी म भी पयाइपत मातरााा म वमलता ह।

ववटावमन ाएश वनसपवतयो म वमलन वाल भोजन म नही होता लकरकन

इसका पररारवमभक रप , करोटीन खाध पदाथो म वमल जाता ह , जो

शरीर म ववटावमन ाएश बन जाता ह। करोटीन ऐस सभी पौधो म

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होता ह वजनकी पवततयो तथा फलो का रग हरा व पीला होता ह। पौधो

की पतती की हररयाली उसम परापत करोटीन की मातरााा पर वनभइर

करती ह।

हरी पतती वाली सवबजया-पालक , शलगम की पवततया चकनदर की

पवततया, धवनया मीिा नीम आकरद।

पील रग की सवबजया- गाजर, शकरकद, सीताफल।

पील रग का फल - पपीता, आम, खमानी, आड।

परसताववत दवनक आहारीय मातरााा ( Recommended Daily Dietary Allowances)

वयसको क वलए ववटावमन ाएश (ररटनाल) की परसताववत मातरााा

600 माइिो गरा. ह। बीटा करोटीन क रप म यह आवशयकता 2400

माइिो गरा. ह। बीटा करोटीन और ररटनाल को परसपर पररवरथतत करन

क वलए वनमन फामराला परयोग माा लाया जाता ह।

1 माइिो गराम बीटा करोटीन = 0.25 माइिो गरा. ररटनाल

यकरद आहार म ररटनाल और बीटा करोटीन दोनो ह तो ववटावमन ाएश

की मातरााा वनमन तरीक स वनकाली जाती ह।

(अ) ररटनाल मातरााा (माइिो गरा.) = माइिो गरा. ररटनाल+माइिो

गरा. वीटा करोटीन ´ 0.25

(यकरद वीटा करोटीन और रटीनाल दोनो माइिो गरा. म करदय हाा)

कमी (Deficiency)

(1) ववटावमन ाएश की कमी स आख म होन वाल पररवतइनो को

जीरोपथलवमया ;गमतवचीजीसउपदध कहत ह। जीरोपथलवमया क कारण

अधापन हमार दश म एक परमख सामावजक सवासय समसया ह।

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ववटावमन ाएश की कमी का सबस बडा लकषण रतौधी ;छपहीज

इसपदकदमादध ह , वजसस वयä करक शाम क बाद या कम रोशनी म

करदखाइइ दना बद हो जाता ह। इसक पशचात कनजकटाइवल लजरोवसस

;बवदरमबजपअस गमतवपदध हो जाता ह वजसम बवदरमबजपअ सख

जाती ह। (वचतरा 1) इसक अवतररä बवदरमबजपअ म सख झाग जस

वतकोन धबब नजर आत ह , वजनह बाइटाट सपाट कहत ह

;िपजवजचवजदध (वचतरा-2) ततपशचात कारथनया सखा, चमकदार जसा

करदखाइइ दता ह। इस वसथवत को कारथनया वजरोवसस ;बवतदमस

गमतवपदध कहत ह (वचतरा- 3)। अत म करकरटोमलवशया

;जञमतजवउसबपदध (वचतरा-4) की वसथवत उतपनन हो जाती ह , वजसम

कारथनया नरम पड जाता ह और गल जाता ह। इस वसथवत क पशचात

उपचार स भी वय ä करकी आख को नही बचाया जा सकता ह और वय ä

वअनधा हो जाता ह।

(2) ववटावमन ाएश की कमी स शलवषमक वझलली की कायइकषमता कम

और कराटीनीकरण हो जाता ह। इसस आखो , नावसका, रधर, मधय

कणइ, फररकस, मह, शवास मागइ, फफडा और जननवन æय म सिामक

रोग होन की भी सभावना बढ जाती ह।

(3) इस ववटावमन की कमी होन का सबस खास लकषण तवचा का

सखना तथा धबबदार होना ह। इस परकार की तवचा को टोड तवचा

;जवक ााापददध कहत ह।

4.2 ववटावमन डी

ववटावमन डी

शदध ववटावमन डी को रवदार पदाथइ क रप म सन 1930 म ढढ

वनकाला गया था। इस कलसीफरोल कहत ह। इस ररकटस ववरोधीश

ववटावमन भी कहा जाता था।

रासायवनक ववशलषण (Chemistry & Characteristics)

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ववटावमन डी सटरोल वमशण का एक समह ह , वजसम रकीरटक

परवतरोधी तततव होत ह। इनम स कवल दो का

सबध पोषण ववजञान स ह ( 1) ववटावमन डी2 या एगोकलसीफरोल -

यह पौधो म वमलता ह और ( 2) ववटावमन डी3 या कोलाकलसीफरोल

- यह पशओ की कोवशकाओ म वमलता ह तथा पराबगनी परकाश क

पररमाणसवरप तवचा म उतपनन होता ह। शदध ववटावमन डी शवत रवदार

वमशण होता ह। यह वसा तथा वसा ववलायको म घलनशील ह , लकरकन

यह पानी म नही घल सकता। यह ताप, कषार, और आकसीजन म वसथर

रहत ह।

कायइ (Function)

1. ववटावमन डी स हमारी अतवडयााा स कवलशयम और फासफोरस

का अवशोषण वनयवतरत होता ह। इसस हमारी हवडडयाा और दात

मजबात बनत ह। अनमान करकया जाता ह करक यह ववटावमन हमारी

अतवडयो की वझलली को परभाववत करती ह , वजसस कवलशयम और

फासफोरस का अवशोषण अवधक होता ह। इस परकार हमारी हवडडयो व

दातो क ववकास क वलए ववटावमन डी की जररत होती ह।

2. ववटावमन डी कषारीय फासफोरस क एजाइम को वनयवतरत करता ह ,

वजसस हमार शरीर म फासफट वनससरण वनयवतरत होता ह।

खाध सतरात (Food Sources)

ववटावमन डी कवल पशजनय खाध पदाथोर म वमलता ह। यह सबस

अवधक मछली क तल म वमलता ह। यह कलजी , अड तथा मकखन म

भी पयाइपत मातरााा म वमलता ह। यह थोड बहत ताज दध स बन

पदाथोर म भी वमलता ह।

ववटावमन डी का दसरा सतरााोत ह सरज की रोशनी। सरज की रोशनी

की परा बगनी करकरणो स ववटावमन ाडीश का आधा सवरप जो हमारी

तवचा म पहल स ही मौजद होता ह ( 7-वडहाइडरोकोलसटराल), सकरिय

हो उिता ह।

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दवनक परसताववत आहारीय मातरााा ( Recommended Daily

Dietary Allowances)

हमार शरीर का करकतनी मातरााा म ववटावमन डी आवशयक ह , यह

अभी परी तरह जञात नही हो सकता। करफलहाल ववटावमन डी की 200

आइइ य , मातरााा शरीर क वलए आवशयक मानी जाती ह। अगर हम

अपन शरीर को थोड दर धप म करदखाय, तब इस ववटावमन की कमी को

परा करकया जा सकता ह।

कमी (Deficiency)

बचचो को ववटावमन ाडीश की कमी होन स ररकटस ;तपबामजमदध रोग

हो जाता ह। यह एक ऐसी अवसथा होती ह वजसम कवलशयम और

फासफोरस की मातरााा म हमशा कमी रहती ह। इसस हवडडयो का

बनना बद हो जाता ह , और जो हवडडया बन गइइ होती ह , उनम

खवनजतततव कषीण होना शर हो जात ह। इसस हमार अगो का रप

ववकत होन लगता ह , उनम सजन आ जाती ह , और पसवलया मडन

लगती ह। इस वसथवत को ारकोरटक रोजरीश (वचतरा 5) कहत ह। जो

हवडडयाा लमबी होती ह व करकनार स चौडी होन लगती ह और सीधी

रहन क बजाय मड जाती ह। इसस घटन मड जात ह , टखन झक जात

ह। (वचतरा 6) रीढ की हडडी झककर धनषाकार हो जाती ह। इस

ववटावमन की कमी होन का एक और लकषण यह ह करक , खासतौर पर

वशशओ की खोपडी की हडडी मलायम पडन लगती ह और फोनटनला

की हवडडयो म खाली जगह का भरना रक जाता ह।

वयसको म इस ववटावमन की कमी स अवसथ मदता ;वजमवउसबपदध

नामक रोग हो जाता ह , वजसस हवडडयाा जजइर हो जाती ह तथा

आसानी स टट जाती ह।

4.3 ववटावमन इ

ववटावमन इ

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इइवान और वबशप न यह परवतपाकरदत करकया ह , करक चहो म परजनन श ä

करक वलए वसा म घलनशील एक पदाथइ का होना आवशयक होता ह।

उनहोन यह वसदध करकया करक इस तततव का अथाइत ाववटावमन इइश का

अभाव होन पर चहो म परजनन की शä वसमापत हो जाती ह।

रासायवनक ववशलषण (Chemistry)

ववटावमन इइ कछ ववशष रासायवनक तततवो म होता ह , वजनह

ाटोकोफरोलसश कहत ह। अलफा टोकोफरोल एक ऐसा वमशण होता ह।

वजसम सबस अवधक ववटावमन ाइइश पाया जाता ह। यह ववटावमन उचच

ताप और कषार म तो नषट नही होता , लकरकन खटटी वसा , सीसा, लौह

लवणो की उपवसथवत म यह आकसीकत होन लगता ह। इसी परकार

बगनी परकाश , कषार और आकसीजन की उपवसथवत म इसका ववघटन

होन लगता ह।

कायइ (Function)

(1) ववटावमन इ का मखय कायइ आकसीजन म पररक क रप म कायइ

करना ह। यह आकसीजन क साथ घल-वमलकर अतवडयो म ववटावमन ए

आकसीकरण नही होन दता, और ववटावमन ए बना रहता ह।

(2) ववटावमन इ असतपत वसा अमलो का कम स कम आकसीकरण होन

दता ह और इस परकार की वझवललयो को यथावत बनाए रखता ह।

(3) ववटावमन इ हवडडयो की भजा म लाल र ä कवणकाओ क सजन म

सहायक होता ह।

(4) यह Q नामक सह-एजाइम क सशलषण म काबोहाइडरड और वसा

स ऊजाइ क परापत होन म सहायक होता ह।

(5) कछ पशओ म उनकी परजनन श ä वबनाए रखन क वलए ववटावमन

इ आवशयक पाया गया ह।

परावपत साधन (Food Sources)

ववटावमन इ चौकर ;ाीमज हमतउदध क तल और वबनौल क तल म

बहत अवधक मातरााा म वमलता ह। गहर रग की पवततयो , वगरीदार

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फलो, फवलयो और दालो म भी ववटावमन ाइइश पयाइपत मातरााा म

वमलता ह। हालाकरक पशजनय खाध पदाथो ± म ववटावमन ाइइश कम

मातरााा म वमलता ह , लकरकन कलजी, वजगर, दध, अड म यह काफी

मातरााा म वमलता ह। बचचो को अपनी मा क दध म ववटावमन ाइइश

पयाइपत मातरााा म वमलता ह, लकरकन गाय क दध माा यह कम मातरााा

म होता ह।

दवनक परसताववत आहारीय मातरााा ( Recommended Daily

Dietary Allowance)

0.8 वम.गराम ववटावमन ाइइश परवत गराम बहअसतपत वसा अमल क

अनसार आवशयकता तय की जा सकती ह। वनसपवतयो , तल व

वनसपवतयो को भोजन म लन स हमार शरीर को ववटावमन ाइइश की

पयाइपत मातरााा वमल जाती ह और सामानयतया इसकी कमी नही रहती

ह।

कमी (Deficiency)

ववटावमन ाइइश की कमी होन स हमार र ä म लाल कवणकाओ क

अवधक टटन स सखया कम हो जाती ह , तथा हम ाअनीवमयाश नामक

रोग क वशकार हो जात ह। समय स पवइ पदा हए बचचो म टोकोफरोल

की मातरााा कम रहती ह। पशओ की कछ करकसम ऐसी होती ह वजनम

ववटावमन ाइइश की कमी होन स उनकी परजनन श ä वसमापत हो जाती

ह। मनषयो माा ववटावमन ाइइश की कमी सामानयतया कम दखी जाती

ह।

4.4 ववटावमन क

ववटावमन क

डा. डाम ;1935दध न यह खोज की करक चहो को भारी रäसाव होन पर

मरन स तभी बचाया जा सकता ह , जब उसक खन म सामानय रप स

जमन क गण अवधक स अवधक रह।

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परÑवत म ववटावमन क दो रपो म वमलता ह क 1 अलफा अलफा म और

क2 सकषम जीवाणओ क सशलषण म वमलता ह। य वसा मा घल जात ह।

य ताप स नषट नही होत लकरकन कषार , तज अमल , आकसीकरण और

परकाश म रटक नही पात।

कायइ (Function)

(1) ववटावमन क की जररत परोथरोवमबन और जमन वाल अनय परोटीनो

क सबध म वजगर की होती ह।

(2) ववटावमन क सभवत: उततको म आकसीकारक फासफटशन म भी

सहायक होता ह।

परावपत साधन (Food Sources)

ववटावमन क मखयत: पौधो म वमलता ह। यह पालक , बनदगोभी,

फलगोभी जसी सवबजयो क पततो म यह परचर मातरााा म वमलता ह।

अनाज, फलो और अनय सवबजयो म यह कम मातरााा म वमलता ह।

पशजनय खाध पदाथो म सअर का वजगर ही परमख साधन ह।

दवनक परसताववत आहारीय मातरााा ( Recommended Daily

Dietary Allowance)

अतवडयो म सशलवषत होन और भोजन म ववववधता क कारण इसकी

दवनक मातरााा क बार म कछ भी परसताववत करना सभव नही ह।

भोजन म ववटावमन ाकश की कमी की कोइइ समसया नही ह।

कमी (Deficiency)

इस ववटावमन की कमी अवधकतर दोषपणइ अवशोषण क कारण , या

वजगर की खराबी स होता ह , वजसस परोथरोवमबन का सशलषण परभाववत

होता ह। भोजन माा कमी स य शायद ही होता ह। र ä म परोथरोवमबन

की कम मातरााा और खन न जमन क अनय कारणो क पररमाणसवरप

अवधक रäसाव होन लगता ह। समय स पवइ जनम बचचो , या वजन बचचो

क शरीर म आकसीजन की मातरााा पयाइपत नही रहती , उनम और ऐसी

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माताओ म जो एटीकोएगलट ;ादजपबवहनसदजदध दवाइया लती ह ,

इस ववटावमन की कमी सबस अवधक रहती ह।

ववटावमन ाबीश समह (Vitamin B-Complex)

सन 1911 क फक न ववटावमन नाम ऐस तततव को करदया , वजस उसन

समझा करक , इसम बरी-बरी रोग का वनवारण करकया जा सकता ह।

मôाालम और डववस न पानी म घलनशील ाबीश ववटावमन, ऐस सार

तततवो को करदया जो बरी-बरी रोग को िीक करता ह।

लकरकन इस बात की जानकारी जलदी ही हो गइइ करक ववटावमन ाबीश

कोइइ एक तततव नही ह, बवलक अनक तततवो का समह होता ह। इसवलए,

हम आज इस ववटावमन बी-समह नाम स पकारत ह। इनम स कछ का

पररचय इसी अधयाय म करदया गया ह।

4.5 थायवमन या ववटावमन बी1

थायवमन या ववटावमन बी1

(Thiamine or Vitamin B1)

रासायवनक ववशलषण और लकषण ( Chemistry and

Characteristics)

थायवमन हाइडरोकलोराइड सफद रवदार तततव होता ह। इसम खमीर की

हलकी सी गध होती ह , और नमकीन वगरी जसी सवाद होता ह। यह

पानी म जलदी ही घल जाता ह, लकरकन यह वसा या वसायä तततवो मा

नही घल पाता। यह सामानय या कषारीय घोल क ताप स जलदी ही नषट

हो जाता ह। अमलीय माधयम म यह 120व स. की गमी म बना रह

सकता ह।

कायइ (Function)

थायवमन एक एजाइम क साथ वमलकर सह-एनजाइम का रप धारण

कर लता ह। यह सह-एनजाइम आकसीकरण की परकरिया क रप म काम

करता ह।

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(1) यह शरीर म काबोहाइडरड क उपयोग क वलए आवशयक होता ह।

इसकी कमी होन पर ऊतको और शरीर क जल म पाइरववक अमल

;चलतनअपब ाबपकदध और लकरकटक अमल ;सबजपब ाबपकदध का

सचय होन लगता ह।

(2) अचछी भख और पाचनशä करक वलए थायवमन की भी आवशयकता

होती ह।

खाध सतरााोत (Food Sources)

थायवमन थोडा बहत, सभी परकार क खाध पदाथो± म वमलता ह। यह

मखयत: सख खमीर , सभी परकार क अनाज और दालो , वतलहन और

वगरी वाली खाध पदाथो , ववशषकर मगफली म वमलता ह। यह

मछली, अड, सबजी और फलो म अपकषाÑत कम वमलता ह।

दवनक परसताववत आहारीय मातरााा ( Recommended Daily

Dietary Allowance)

यह परवतकरदन 0. 5 वमलीगराम/ 1000 करकलो कलोरी आवशयक ह।

कमी (Deficiency)

थायवमन की कमी होन स बरी-बरी ( Beri-Beri) और वरवनकस

एनसफलोपथी (Wernicks Encephalopathy) नामक रोग हो

जाता ह। बरी-बरी तीन रपो म पाया जाता ह , सखी, आरæ और

शशव बरी-बरी। थोडी सी कमी होन पर भख खतम हो जाती ह , टखन

और घटन क मडन स कषट होन लगता ह तथा सनसनाहट पदा हो जाती

ह।

4.6 राइइबोफलववन या ववटावमन बी2

राइइबोफलववन या ववटावमन बी2

(Riboflavin or Vitamin B2)

रासायवनक ववशलषण और लकषण ( Chemistry and

characteristics)

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सकषप म यह ववटावमन सवाद म खटटा, नारगी, रग और गनधहीन होता

ह, तथा इसक रव सइइ की तरह नकील होत ह। यह पानी म कछ कम

घलता ह तथा इसम स हरा तततव वलए पीली आभा करदखाइइ दन लगती

ह। यह अमल म उबालन पर यथावत रहता ह , ककत यकरद इस कषार क

घोल म डाल, ताप पर रखा जाए, तब य शीघर ही ववघरटत होन लगता

ह। यह रोशनी म भी नषट हो जाता ह।

कायइ (Function)

थायवमन की तरह राइबोफलववन भी एनजाइम स सयकत हो जाता ह ,

तथा ऊजाइ क उतपनन होन क वलए ऊततको क आकसीकरण म सहायक

होता ह। इस परकार यह परोटीन , वसा, व काबोहाइडरड क चयापचय म

सहायक होता ह।

परावपत साधन (Food Sources)

यह सख हए खमीर म सबस अवधक वमलता ह। यह दध, कलजी, मास,

अड, हरी पतती वाली सवबजयोाा म भी अचछी मातरााा म वमलता ह।

अनाज और फलो मा यह अवधक नही वमलता , लकरकन चकरक हम काफी

मातरााा म अनाज और फलो का भोजन करत ह, इसवलए यह ववटावमन

इसी परकार क भारतीय भोजन म वमल जाता ह।

दवनक परसताववत आहारीय मातरााा( Recommended Daily

Dietary Allowances)

यह परवतकरदन 0.6 वमलीगराम/ 1000 करकलो कलोरी हमार वलए

आवशयक होता ह।

कमी (Deficiency)

इसकी कमी होन स जो वबमाररयाा होती ह उनम एराइबोफलवीनोवसस

(Ariboflavinosis)नामक बीमारी ऐसी ह जो पराय: दखी गइ ह।

इसकी कमी होन क कोइ वववशषट लकषण नही होत , लकरकन कछ ऐस

लकषण ह वजसस इनकी कमी का पता लग जाता ह। इनम कछ य ह: (1)

मह क कोनो का फटना (Angular Stomatitis), होिो का फटकर

लाल होना ( 2) काइलोवसस (Chielosis), (3) जीभ का लाल

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पडना (Stomatitis) (4) आख का लाल हो जाना तथा इनम जलन

का अनभव होना ( 5) गपतागो की तवचा का सजन ( Soortal or

vulva determines)

4.7 वनआवसन अथवा वनकोरटवनक अमल

वनआवसन अथवा वनकोरटवनक अमल

(Niacin or Nicotinic acid)

रासायवनक ववशलषण और लकषण ( Chemistry and

Characteristics)

यह सफद रइइ की नोक जस , तीख सवाद वाल रव क रप म वमलता ह।

यह गरम पानी म सामानयतया: घल जाता ह , लकरकन िड पानी म

थोडी ही मातरााा म ही घलता ह। यह ताप , कषार, अमल, परकाश और

आकसीकरण म वसथर रहता ह। वसतत: यह सबस सथाइइ ववटावमन ह।

वनआवसन दो रपोा म वमलता ह , वनआवसन और पवइगामी वनआवसन

अथाइत रटरपटोफन ;जतलचजवचीददध। मनषय क शरीर म 50-60

वमलीगराम रटरपटोफन स 1.0 वमलीगराम ववटावमन परापत होता ह। अत:

यकरद करकसी भोजन म अवधक मातरााा म टरापटोफन हो , तब उस भोजन

म पयाइपत मातरााा म वनआवसन परापत होता ह , चाह उस भोजन म

वनआवसन करकतना ही कम कयो न हो।

कायइ (Function)

1.वनआवसन शरीर म जलदी ही वनकोरटनामाइड (Nicotinamide)

बन जाता ह , जो सहएजाइम का सघटन होता ह। य सहएजाइम

काबोहाइडरड, वसा और परोटीन क चयापचय क वलए आवशयक होत ह।

2. यह तवचा, अतवडयो और सनायतनतरा क िीक रप म कायइ करन क

वलए भी आवशयक ह।

परावपत साधन (Food Sources)

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यह अड, मास, और मछली म पयाइपत रप म वमलता ह। यह मागफली

म भी पयाइपत रप म वमलता ह। यह अनाज म भी वमलता ह। यह आल ,

फवलया और कछ पततो वाली सवबजयो म वमलता ह , लकरकन अवधकतर

फलो और सवबजयो म यह नही वमलता ह। अकर वनकली या खमीर उि

खाध पदाथो± म वनआवसन की मातरााा बढ जाती ह।

दवनक परसताववत आहारीय मातरााा ( Recommended Daily

Dietary Allowances)

इसकी परवतकरदन की आवशयकता मातरााा 6.6 वमलीगराम/ 1000

करकलो कलोरी तक ह।

कमी (Deficiency)

वनआवसन की कमी स पलगरा ;चमससहतदध नामक रोग हो जाता हा

इसक परारवमभक लकषण ह ; थकावट, वसरददइ, कमर ददइ , वजन कम

होना, व भख न लगना। इस रोग क तीन परमख लकषण होत ह-

तवचाशोध, अवतसार, और मनोभरश। (1) तवचाशोध बीमारी शरीर क

उस भाग माा होती ह जो खल रहता ह , जस हाथ का पषठ भाग ,

वनचली, टागाा, चहरा व गला ( 2) मनषय उतसाहहीन रहता ह ,

वचडवचडा हो जाता ह और सजञाहीन हो जाता ह। मनोभरश का यकरद

वनदान नही करकया जाए तो मतय भी हो सकती ह।

4.8 वपरोडाकसीन अथवा ववटावमन बी6

वपरोडाकसीन अथवा ववटावमन बी6

रासायवनक ववशलषण तथा लकषण ( Chemical &

Characteristics)

ववटावमन बी6 अथवा पायरीडाकसीन वपरीाडीन क तीन रपो क समह

को कहत ह-वपरीडाकसीन, वपरीडाकसील व वपरीडाकसमाइन। यह पानी

म घलनशील ह तथा अपकषाÑत ताप व वसा म नषट नही होता।

कायइ (Function)

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यह ववटावमन अनक एनजाइम क साथ सह-एनजाइम क रप म कायइ

करता ह और कइइ पररवतइनो म सहायक ह जस (अ) रटरपटोफन स

नायवसन (ब) वलनोवलक अमल स आरकडोवनक अमल, (स) अनय अमीनो

अमलो का पारसपररक पररवतइन।

परावपत साधन (Food Sources)

यह ववटावमन मास , मछली व अड म वमलता ह। यह थोडी बहत

मातरााा म आल व शकरकद म भी होता ह। यह सभी परकार क साबत

अनाजो म भी वमलता ह।

दवनक परसताववत आहारीय मातरााा ( Recommended Daily

Dietary Allowances)

वयसको म इसकी परवतकरदन 1.5 वम.गराम आवशयकता होती ह।

कमी (Deficiency)

इस ववटावमन की कमी स चककर आत ह , मतली होती ह। अनय लकषण ह

करकलावसस और पट म ददइ।

4.9 फोवलक अमल वगइ (Folic Acid Group)

फोवलक अमल वगइ

(Folic Acid Group)

यह वगइ सकरिय रप म फोलावसन , टीरोरइइगलटावमक अमल

;चजलतवमहसनजउपब ाबपकदध , टराइइ और हपटा-टीरोरइइगलटावमक

अमल और फोवलवनक अमल ह। यह दानदार , चमकदार, पील रव जसा

लगता ह , और पानी म थोडा घल सकता ह। फोवलक अरमल को

एसकारथबन अमल की सहायता स फोलोवनक अमल म पररवरथतत करकया जा

सकता ह, जो अवधक सकरिय होता ह।

कायइ (Function)

(1) यह डी.एन.ए. ;कणछण।णदध क सशलषण क वलए आवशयक होता ह।

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(2) यह अवसथ मजजा म लाल रकत कोवशकाओ क सामानय उतपादन क

वलए भी आवशयक होता ह।

(3) यह अमीनो अमल करफनाइल-ऐलानीन को टाइरोवसन म आकसीकत

करकए जान म आवशयक होता ह।

खाध सतरााोत (Food Sources)

यह ववटावमन परा Ñवतक और वमवशत दोनो परकार क खाध पदाथो म

वमलता ह। यह कलजी , गद, गहर हर रग की पवततयो वाली सबजी म

अचछी मातरााा म वमलता ह। यह गहा व अनय परकार क अनाज म

वमलता ह। यह सवबजयो , दध क बन पदाथइ , सअर का मास, हलक रग

वाली सवबजयो म बहत कम वमलता ह।

दवनक परसताववत आहारीय मातरााा ( Recommended Daily

Dietary Allowance)

भारतीय वचकरकतसा अनसधान पररषद की 1990 की ववशषजञ सवमवत

न परवतकरदन इस ववटावमन की वजतनी मातरााा आवशयक बताइइ ह , उस

सारणी सखया म 2 म करदखाया गया ह। फोवलक एवसड की आवशयकता

3 माइिो गराम परवत करकलो शारीररक भार क वहसाब स भी वनकाली जा

सकती ह।

सारणी 2

मल फोवलक अमल की परवतकरदन की आवशयक मातरााा

वगइ मातरा (माइिोगराम)

वयसक 100

गभइवती सतरााी 400

सतनयकाल 150

वशश 25

बचच 30 स 100

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कमी (Deficiency)

फोवलक अमल की कमी होन स मगालोबलावसटक

अनीवमया (Megaloblastic Anaemia) व अमाशय ववकार हो

जात ह। यकरद इसकी वबलकल कमी हो जाए , तब परजननशीलता कम

होन क साथ-साथ परी तरह नषट हो जाती ह

4.10 सायनोकोबालामीन अथवा ववटावमन बी12

सायनोकोबालामीन अथवा ववटावमन बी12

(Cyanocobalamine or Vitamin B12)

यह एक ही ववटावमन ह , वजसम कोबालट होता ह , जो करक सवासय क

वलए अवनवायइ होता ह, यह दखन म गहर लाल रग क सइइदार रवादान

जसा होता ह , जो पानी म थोडा घल जाता ह। यह ववटावमन कवल

बडी आत स अवशोवषत होता ह। इसका अवशोषण मयको-परोटीन

एनजाइम क रहन पर वनभइर करता ह , जो आत शलवषमका स उतपनन

होता ह। यह एजाइम महततवपणइ घटक क रप म जाना जाता ह।

कायइ (Function)

1. नयकलीय अमल और नयकलीय परोटीन क सशलषण म सहायक होता ह।

2. यह हवडडयो की भजा म लाल र ä कवणकाओ क पररपकव होन क

वलए आवशयक ह।

3. यह सनाय सबधी ऊतको क चयापचय क वलए भी आवशयक होता ह।

परावपत साधन (Food Sources)

यह पशओ स वमलन वाल भोजन म भी वमलता ह। यह सबस अवधक

कलजी, मास व दध म वमलता ह। यह वनसपवतयो स वमलन वाल

भोजन म उपलबध नही होता ह।

परसताववत दवनक आहारीय मातरााा ( Recommended Daily

Allowance)

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भारतीय वचकरकतसा अनसधान पररषद ( 1990) न परवतकरदन क वलए

इस ववटावमन की वजतनी मातरााा आवशयक वनधाइररत की ह उस

साररणी म करदखाया गया ह।

सारणी 3

ववटावमन बी 12 की दवनक परसताववत मातरा

वगइ ववटावमन बी12 (माइिोगराम)

वयसक 1

गभइवती सतरााी 1.0

सतनयकाल 1.5

वशश 0.2

बचच 0.2 स 1.0

कमी (Deficiency)

इस ववटावमन की कमी होन स परनीवशयस अनीवमया ;चमतदपबपवन

।दमउपदध हो जाता ह। यह अभाव अनवावशक ववकार होन क

पररमाणसवरप होता ह। अनवावशक ववकार स इरटरवजक फकटर क

वनमाइण पर असर पडता ह। मिोवसरटक अनीवमया और सनाय ततरा क

हारमोन पररवतइन होत ह। पराय: यह दखा गया ह , शाकाहारी भोजन

माा ववटावमन बी 12 का अभाव होता ह , उसस ववकास तो रक

जाता ह, लकरकन अनीवमया नामक रोग नही होता ह।

4.11 एसकारथबक अमल अथवा ववटावमन सी

एसकारथबक अमल अथवा ववटावमन सी

(Ascorbic acid or Vitamin C)

रासायवनक ववशलषण और लकषण ( Chemistry and

Characteristics)

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ववटावमन सी सफद रग का रवदार वमशण होता ह। इसकी सरचना

अपकषाÑत सरल होती ह और मोनोसकराइड शकइ रा स इसका घवनषठ

सबध ह। यह कम कीमत पर गलकोज स सवशलषट कर , तयार करकया

जाता ह।

ववटावमन सी अनय ववटावमनो की अपकषा जलदी नषट हो जाता ह। यह

पानी म, रोशनी, कषार, आकसीकत एजाइम स जलदी ही नषट हो जाता

ह। यह भडार म रखन , परोसस करन व पकान म अकसर नषट हो जाता

ह।

कायइ (Function)

(1) यह कालजन नामक परोटीन क वनमाइण और आरकषण क वलए

आवशयक होता ह , जो हमार सार शरीर म वयापत रहता ह। कोलजन

एक ऐसा सशलषक पदाथइ ह , जो हमार शरीर की सभी कोवशकाओ को

आपस म बाध रखता ह।

(2) आपरशन क बाद ऊतको क उतपादन म ववटावमन ासीश अतयनत

आवशयक ह।

(3) यह अमीनो अमल क सामानय चयापचय म महततवपणइ कायइ करता

ह।

(4) यह फररक आयन को फरस आयन माा रपातररत करता ह ,

वजसस आत क लौह तततव का अवशोषण सरलतापवइक समपनन होता ह।

खाध सतरााोत (Food Sources)

यह ववटावमन मखयत: फलो व सवबजयो म वमलता ह। यह नीब जावत

क फल (नारगी) अगर , फल, तरबज और नीब , बरी, तरबज,

अनानास, अमरद, नाशपती, कला, हरी सबजी , हरी वमचइ, आवला

म परचर मातरााा म वमलता ह। यह सखी फवलयो म वबलकल नही

होता, लकरकन जब अकर वनकल आत ह , तब यह सात गणा अवधक

वमलता ह। दध , अड, मास और चाजो म यह वबलकल नही होता।

पशओा क दध की अपकषा माता क दध म एसकारथबक अमल चार स छह

गणा तक होता हा, वजसस सकवी रोग स वशश की रकषा होती ह।

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दवनक परसताववत आहारीय मातरा ( Recommended Daily

Dietary Allowances)

भारतीय वचकरकतसा अनसधान पररषद की ववशष सवमवत ( 1990) न

परवतकरदन क वलए इस ववटावमन की वजतनी आवशयकता बताइइ ह , उस

साररणी 4 म करदखाया गया ह।

सारणी 4

ववटावमन सी की दवनक परसताववत मातरा

वगइ मातरा (वम.गरा.)

वयसक 40

गभइवती सतरााी 40

सतनयकाल 80

वशश 25

बचच 40

कमी (Deficiency)

एसकारथबक एवसड की कमी होन स कोलजन ;बवससहमददध नामक तततव

का बनना रक जाता ह , जो सशलषक पदाथइ होता ह। इसकी कमी होन

क कछ लकषण और भी ह जस- जोडो म हलका-हलका ददइ होना ,

वचडवचडापन, वशशओ और बचचो की ववदध रक जाना, एनीवमया, सास

लना म करिनाइइ रोगािात रहना और घावो का दर स भरना।

एसकारथबक एवसड की अवधक कमी हो जान की वजह स सकवी

;ाबनतमलदध नामक रोग हो जाता ह। इस रोग म मसड फल जात ह ,

तथा उनम स खन आन लगता ह। कइइ जगह र äòााव होता ह ,

अनीवमया और कमजोरी आ जाती ह। आजकल पणइ सकवी नामक रोग

इतना अवधक नही वमलता , लकरकन एसकारथबक एवसड की कमी पराय:

दखन म आती ह।

खवनज लवण (Minerals)

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खवनज लवण उन तततवो को कहत ह , जो पौध और पशओ क उततको क

जल जान पर पराय: भसम क रप म बच रहत ह। मनषय क शरीर म 19

स अवधक खवनज लवण पाए जात ह। उन तततवो को भोजन स वयतपनन

करकया जाता ह। हमार शरीर म लगभग 4 परवतशत अश खवनज लवण

का होता ह। हमार शरीर म मौजद कछ परमख खवनज लवण ह -

कवलशयम, फासफोरस, लोहा, आयोडीन, सोवडयम, पोटवशयम,

लजक, कलोरीन इतयाकरद। य सभी खवनज लवण हम भोजन स परापत होत

ह। इनम स कवलशयम , फासफोरस, सोवडयम, पोटवशयम, कलोरीन

और मगनीवशयम की आवशकता हम अवधक मातरााा म होती ह। हमार

शरीर म वजतन खवनज लवण होत ह , उनम तीन चौथाइइ अश

कवलशयम और फासफोरस का होता ह। बाकी अश म मखयत: पाच अनय

खवनज लवण होत ह। इनम स अवधकाश तततव इतनी कम मातरााा म

रहत ह , करक इनह ववरल तततव अथवा अण पोषक तततव (माइको-

नयरटरयनट) कहा जाता ह।

सारणी 1

खवनज लवण

आवशयकता अवधक मातरा म आवशयकता कम मातरा म

कवलशयम लोहा

फासफोरस आयोडीन

पोटवशयम लजक

कलोरीन ताबा

मगनीवशयम

हमार शरीर म खवनज लवणो का महततव वववभनन परकार स ह। य खवनज

लवण वववभनन काबइवनक यौवगक जस फासफोपरोटीन , फासफोवलवपड,

वहमोगलोबीन और थायराकसीन आकरद क वनमाइण क वलए आवशयक होत

हा। हमार शरीर की किोर हवडडयो क वनमाइण कवलशयम , फासफोरस

और मगनीवशयम जस तततवो स , और मद ऊततको का वनमाइण पोटवशयम

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की अपकषाकत अवधक मातरााा होन क कारण होता ह। एजाइमो क

वनमाइण क वलए भी खवनज तततव आवशयक होत ह। इसी परकार यह तततव

भीतरी और बाहरी कोवशकाओ क बीच रसाकषइण दाब और जल

सतलन को बनाए रखन , सनाय तनतरा को समवचत रप स कायइ करन

तथा मासपवशयो क सकचन आकरद क वलए भी आवशयक होत ह।

कवलशयम

एक वयसक वयकरकत क शरीर म लगभग 1200 गराम कवलशयम वमलता

ह इसम स 99 परवतशत हवडडयो और दातो म तथा बाकी एक परवतशत

शरीर क वववभनन भागो म तरल रप म रहता ह; जहा यह वववभनन कायइ

करता ह।

कायइ (Functions)

1.फासफोरस और अनय तततवो क साथ वमलकर , कवलशयम हवडडयाा

और दातो को दढता परदान करता ह। इस वववशषट गण क कारण ही

हवडडयाा शरीर को थाम रखती ह। हवडडयाा हमार शरीर क महततवपणइ

अगो क वलए कवच क रप म बनी होती ह वजसम य अग सरवकषत रहत

ह। जस हमारी छाती की हवडडयो म हमारा हदय और फफड और

कपाल म मवसतषक रहता ह।

2. कवलशयम परोथरामबीन को थरामबीन क रप म पररवरथतत होन म

उतपररक का काम करता ह। हमार रकत क जमान का जो गण ह, उस तक

पहचन म जो वववभनन परकरियाए होती ह, यह उनही म स एक ह।

3.यह कोवशकाओ की वझलली की पारगमयता (Permeability) को

सकरिय बनाए रखता ह तथा कोवशकाओ म घलनशील दरवयो क

आवागमन को वनयवतरत करता ह।

4. यह अनक एनजाइमो को सकरिय रखता ह। इनम स कछ एनजाइम ह

: लाइपस , एडीनोवसन, टराइफासफटस और कछ परोरटओवलरटक

एनजाइम।

5. यह सनायववक आवग क सचारण म भी सहायता करता ह।

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6. मासपवशयो क सकचन क साथ इसका सीधा समबनध होता ह।

कवलशयम का अभाव होन पर मासपवशया सकचनशील नही रह जाती

ह।

7. यह बडी आत स ववटावमन बी12 क अवशोषण म सहायक ह।

खाध सतरााोत(Food Sources)

यह दध और दध स बन पदाथो ± म अवधक मातरााा म रहता ह। यह

हरी सरसो, हरी शलगम, पोदीना, पालक, गोभी की पवततयो म , दध

तथा दध स बन पदाथो की अपकषा कम वमलता ह। नीब जावत क फलो ,

सवबजयो, मास, अनाज और वगरी वाल फलो म यह अपकषा Ñत कम

मातरााा म वमलता ह।

परसताववत दवनक आहारीय मातरााा ( Recommended Daily

Allowance)

भारतीय वचकरकतसा अनसनधान पररषद ;1989दध न परवतकरदन क वलए

इसकी वजतनी मातरााा वनवशचत की ह , उस नीच सारणी 2 म

करदखाया गया ह।

सारणी 2

कवलशयम और फासफोरस की परवतकरदन आवशयक परसताववत आहारीय

मातरा

आय वगइ कवलशयम (वम.गरा.) फासफोरस

(वम.गरा.)

वयसक 400

400

गभइवती सतरााी 1000

1000

सतनयकाल 1000

1000

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वशश 500

750

बालक ( 1ऋ9 वषइ) 400

400

करकशोर ( 10ऋ15 वषइ) 600

600

करकशोर ( 16ऋ19 वषइ) 500

500

कमी (Deficiency)

भोजन और कवलशयम की कमी स बचचो की हवडडयो और दातो म

कलसीकरण की करिया कम हो जाती ह। कवलशयम की कमी होन स

हवडडयाा मडन लगती ह , और टखन और कलाइइ बढ जाती ह।

कवलशयम की कमी स बचचो म ररकटस और वयसको म

आवसटयोमलवशया (अवसथ मदता) नामक रोग हो जाता ह। बार-बार

गभइधारण करन और उवचत मातरााा म भोजन न लन स भी कवलशयम

की कमी हो जाती ह।

फासफोरस

हमार शरीर म फासफोरस कल भार का एक परवतशत होता ह , अथाइत

हमार शरीर म फासफोरस की मातरााा कल खवनज लवणो की तलना म

एक चौथाइइ होती ह। हवडडयााा और दातो म यह कवलशयम क साथ

वमल रप म लगभग 85 परवतशत होता ह। नरम ऊतको म फासफोरस

की मातरााा कवलशयम की अपकषा अवधक होती ह। और यह पराय:

काबइवनक रप म होती ह।

कायइ (Functions)

फासफोरस एकमातरा ऐसा खवनज ह , जो अनक कायइ करता ह , जो एक

दसर स काफी वभनन होत ह।

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1. यह कवलशयम क साथ वमलकर अघलनशील æवय बन जाता ह।

इस कवलशयम फासफट कहत हा यह हवडडयो को शकरकत और दढता

दता ह।

2. फासफोरस वमवशत वसा-परोटीन स हमार शरीर म वसा का सचरण

होता ह।

3. फासफोरस नयकरकलयो-परोटीन का एक अश होता ह। यह तततव हमारी

अनववशकता को वनयवतरत रखता ह।

4.कोवशकाओ की वझवललयो म फासफोवलवपड वमला होता ह। यह

कोवशकाओ स घलनशील æवयो क आवागमन को वनयवनतरात रखता ह।

5.अवधकाश उपापचय परकरियाओ म मखय परवतकरिया फासफोररलीकरण

की होती ह।

6. ऊजाइ क वनयनतराण और वनससरण क वलए फासफोरस आवशयक होत

ह।

7. शरीर को उदासीन बनान म अकाबइवनक फासफोरस , परवतरोधक का

कायइ करता ह। यह हमार शरीर क तरल पदाथो म रहता ह।

खाध सतरााोत (Food Sources)

यह पराय: हमार हर परकार क भोजन म वमलता ह , लकरकन यह सबस

अवधक दध और उसस बन पदाथइ म होता ह। यह साबत अनाज और

आट म बारीक वपस अनाज और आट की अपकषा अवधक होता ह। यह

सवबजयो और फलो म बहत थोडी मातरााा म पाया जाता ह।

दवनक परसताववत आहारीय मातरााा ( Recommended Daily

Dietary Allowance)

भारतीय वचकरकतसा अनसनधान पररषद ;1990दध क अनसार परवतकरदन

क वलए इसकी मातरााा सारणी 2 म दी गइइ ह।

कमी (Defeciency)

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मनषयो म फासफोरस की कमी पराय: दखन म नही वमलती ह। इसका

कारण यह ह करक हमारा भोजन अनाज स बनता ह और अनाज म यह

पयाइपत मातरााा म वमलता ह।

मगनीवशयम

हमार शरीर म मगनीवशयम की मातरााा कवलशयम और फासफोरस की

तलना म काफी कम होती ह। वयसक वयकरकत क शरीर म 20 स 35

गराम म स लगभग 60 परवतशत काबोनट और फासफट क रप म

हवडडयो की सतह पर वमलता ह। बाकी मगनीवशयम कोवशकाओ क

भीतर वमलता ह।

कायइ (Functions)

1. यह अनक जववक परवतकरियाओ क वलए आवशयक होता ह , जो ऊजाइ

क ववससरण स सबवधत होती ह।

2. यह हवडडयो का एक सघटक होता ह और हवडडयो म खवनज

मातरााा को बढाता ह।

3. यह कवलशयम और फासफोरस क सामानय उपापचय क वलए

आवशयक होता ह।

4. यह हमारी कोवशकाओ क बाहय तरल रप म रहता ह , वजसस

नाडी-तनतरा सवदनाओ क सचारण म सहायता वमलती ह।

5. यह एनजाइम को सकरिय करता ह , वजसस गलाइकोजन का ववघटन

होता ह।

खाध सतरााोत (Food Sources)

यह मकखन को छोडकर दध क सभी बाकी पदाथो म पयाइपत रप म

वमलता ह। आटा और अनाज स बनी खाध वसतए , सखी सम ,

सोयाबीन, मटर और मव म यह अचछी मातरााा म वमलता ह। इसका

कारण यह भी ह करक यह कलोरोकरफल का अश होता ह।

कमी (Defeciency)

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सामानय रप स सवसथ शरीर और सामानय भोजन म मगनवशयम की

कमी की सभावना पराय: नही रहती ह। इसकी कमी अपयाइपत

अवशोषण, शराब पीन की लत पडन , गभइ हतक रवधर ववषाकतता या

डाइयररटकस ;कपनतमजपबदध लन स हो सकती ह। मगनीवशयम की

कमी होन स तवतरका पशी उततजनशीलता , टटनी, और ऐिन होती ह।

इसकी अवधक कमी होन स अतयवधक पयास, शरीर म बहत अवधक गमी

लगती ह तथा तवतरका पवशयााा म सचालन कम हो जाता ह।

पोटवशयम

हमार शरीर म 250 गरा0 पोटवशयम की मातरााा होती ह , वजसम स

97 परवतशत ऊततको की कोवशकाओ म, और बाकी कोवशकाओ क बाहर

तरल म रहती ह।

कायइ (Functions)

1. यह कोवशकाओ म रस-कषी दाब और जल क सनतलन को बनाए

रखता ह।

2.यह परोटीन क सशलषण म काम आता ह।

3.यह एनजाइमी परवतकरियाओ म उतपररक का कायइ करता ह , जो

कोवशकाओ म होती ह। कछ पोटवशयम फासफट स भी सयकत रहता ह

तथा गलकोज को गलाइकोजन म पररवरथतत करन क वलए उतपरररत

करता ह।

4. यह नाडी ततरा सवदनाओ क सचरण और मासपवशयो क सकचन क

वलए जररी होता ह।

खाध सतरााोत (Food Sources)

यह भोजन म वयापक रप स रहता ह। यह भोजन , अड व मछवलयो म

अवधक होता ह। फल , सवबजयो और साबत अनाज म पोटवशयम की

मातरााा अवधक होती ह यह कल , आल, टमाटर, गोभी, नारगी तथा

अगर क जस म अवधक होता ह।

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दवनक परसताववत आहारीय मातरााा ( Recommended Daily

Dietary Allowance)

पोटवशयम हमार शरीर म करकतना होना चावहए , यह िीक-िीक मालम

नही ह। सामानयत: यह परतयक भोजन म पयाइपत मातरााा म वमलता ह।

कमी (Defeciency)

इसकी कमी भोजन क कारण नही होती ह। भख की कमी , अतयवधक

कपोषण, शराब की लत और जल जान स , कभी-कभी अमल कषार की

मल मातरााा असनतवलत हो जाती ह और रसकषी दाब कम हो जाता

ह।

सोवडयम

हमार शरीर म 120 गरा. सोवडयम पाया जाता ह , वजसकी 50

परवतशत मातरााा कोवशकाओ क बाहय तरल रप म वमलती ह। इसकी

40 परवतशत मातरााा हमारी हवडडयो म और 10 परवतशत या उसस

कछ कम परवतशत कोवशकाओ म वसथत तरल म रहती ह।

कायइ (Functions)

1. यह सामानय रसकषी दाब और सनतलन को बनाए रखन क वलए

जररी होता ह।

2.यह अमावशयकयनतरा सराव म अमलीय माधयम बनाए रखन क वलए

आवशयक होता ह।

3.यह कोवशकाओ की वझलली की पारगमयता को बनाए रखन क वलए

भी जररी होता ह।

4. कोवशकाओ क भीतरी व बाहरी तरल ववभागो म इलकटरोलाइट

अनतर ;मसमबजतवसलजम कपवमतमदबमदध को बनाए रखन म

सोवडयम ापमपश सहायक होता ह।

खाध सतरााोत (Food Sources)

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यह भोजन म हम मखय रप स नमक स वमलता ह जो सामानयत:

भोजन तयार करन क काम म आता ह।

यह भोजय पदाथो ± को दीघइकाल तक परररवकषत रखन म भी काम

आता ह - भोजय पदाथो क परररकषण और उनह तयार करन म सोवडयम

नमक क अनक वमशण परयोग म लाए जात ह। य ह - बककग सोडा ,

बककग पाउडर, सोवडयम परोवपयोनट, सोवडयम साइटरट।

पशओ स वमलन वाल भोजन जस दध , अडा, मास और मछली आकरद

और कछ सवबजयो जस पालक , चकनदर क पतत और अनाज , मव म

सामानयत: सोवडयम कम वमलता ह।

दवनक परसताववत आहारीय मातरााा ( Recommended Daily

Dietary Allowance)

सामानय रप स परतयक वयसक वयकरकत क वलए 5 स 10 गराम नमक

पयाइपत होता ह। लकरकन जो लोग शारीररक शम करत ह , उनह अवधक

मातरााा म नमक लना चावहए।

कमी (Defeciency)

जब हमार शरीर क ऊतको म कोवशकाओ क बाहर तरल म सोवडयम

की मातरााा कम हो जाती ह , तब रसाकषी दाब और पी एच ;चभदध

पर गमभीर परभाव पडता ह। जब हमार ऊततको म सोवडयम एकवतरत हो

जाता ह, तब जल जमाव हो जाता ह। गमी क मौसम म सोवडयम का

अवधक वनषकासन होता ह , वजसक पररणामसवरप कमजोरी , थकान,

उलटी और भख कम हो जाती ह। इन पररवसथवतयो म थोडी मातरााा म

नमक तरल पदाथइ म वमलाकर वलया जा सकता ह।

कलोरीन

हमार शरीर म कलोरीन पणइ रप स कलोराइड आयन क रप म रहता

ह। लगभग 100 गराम कलोराइड आयन हमार शरीर क कोवशकाओ क

बाहर तरल रप म , कछ मातराााए रकत की लाल कोवशकाओ म और

थोडी मातरााा म अनय कोवशकाओ म भी रहता ह।

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कायइ (Functions)

1. यह रसाकषी दाब , जल सनतलन और अमलकषार क सनतलन को

बनाए रखन क वलए जररी होता ह।

2. अमाशय ततरा क एनजाइम और पट की पाचनशकरकत को सकरिय

रखता ह।

3. यह लार म पाय जान वाल एमाइलस क सकरिय कारको म स ह।

दवनक परसताववत आहारीय मातरााा ( Recommended Daily

Dietary Allowance)

इसकी आवशयकता का िीक-िीक वनधाइरण नही हआ ह , लकरकन अगर

सोवडयम कलोराइड सामानयत: वलया जाता रह , तो इसस शरीर को

पयाइपत मातरााा म कलोराइड भी वमल जाता ह।

कमी (Defeciency)

अतयवधक वमन , पतल दसत होन स कलोराइड का वनषकासन अवधक

होता ह। अत: एलकलोवसस ;ासासवपदध जो करक कलोराइड क सथान पर

बाइकाबोनट क आ जान स होता ह, हो सकता ह।

गनधक

यह हमार शरीर म कल भार का 0ण25 परवतशत अथवा परतयक वयकरकत

म लगभग 17ण5 गराम होता ह और यह शरीर की सभी कोवशकाओ म

रहता ह। यह हमार शरीर म सलफर यकत एवमनो एवसड म रहता ह।

इसक अलावा यह थायमीन और बायोटीन म भी रहता ह। यह दो

ववटावमन हमार भोजन म अवशय रहन चावहए। यह जोडन वाल

ऊतको, तवचा, नाखनो और बाल म परचर मातरााा म रहता ह।

कायइ (Functions)

1. यह दो अवनवायइ ववटावमनो का सघटक होता ह (थायमीन और

बायोटीन)।

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2. कोनडरोटीन आकरद मयकोपोवलसकराइडस सलफट का महततवपणइ अश

होता ह , जो कोमल अवसथयो , नसो, हवडडयो, तवचा और âदय क

वालव ;टसअमदध म पाया जाता ह। सलफर यकत वसा (सलफोवलवपड)

वजगर, गद, लार गरवथयो म और शवत æवय मवसतषक म पाया जाता

ह।

3.आकसीकरण परवतकरियाओ म सलफर क तततवो की आवशयकता होती

ह।

खाध सतरााोत (Food Sources)

यह ववशष रप स मास, दध, अड और सम म वमलता ह। यह अनाज म

भी वमलता ह।

दवनक परसताववत आहारीय मातरााा ( Recommended Daily

Dietary Allowance)

उसकी परवतकरदन की आवशयक मातरााा का वनधाइरण अभी तक नही

हआ। लकरकन वजस भोजन म वमवथयोवनन और वससटीन (अमीनो अमल)

ह, वह हमार शारीररक आवशयकताओ की परथत कर सकता ह।

लोहा

हमार शरीर क वलए जो ववरल तततव आवशयक समझ जात ह , लोहा

उनम स परमख ह। यह वयसक परष म लगभग तीन स पाच गराम और

वयसक सतरााी म 2 स 3 गराम तक होता ह। लोह की अवधकाश मातरााा

हमार रकत म लाल अणओ म हीमोगलोबीन म होती ह। मासपवशयो म

ऊतकााा म यह लगभग तीन परवतशत मायागलोबीन क रप म होती ह।

बाकी अश गद±, वतलली और हडडी की भजा म होता ह , जो फरीरटन

(Feritin), हइमोवसडरीन (Haemosiderin) और वसडरोकरफलीन

(Sidrophilin)क रप म होती ह।

कायइ (Functions)

1. रकत की लाल रकत कोवशकाओ म पाय जान वाल हीमोगलोवबन म

लोहा होता ह। हीमोगलोबीन शरीर क वभनन ऊतको व कोवशकाओ तक

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आकसीजन पहचाता ह और करफर वभनन ऊतको व कोवशकाओ स काबइन-

डाइइआकसाइड एकतरा कर फफडो क दवारा बाहर वनकालन म मदद

करता ह।

2. लौह तततव हमारी पवशयो म पाइइ जान वाला मायोगलोबीन म भी

होता ह जहा मायोगलोबीन आकसीजन एकतरा रखती ह। हमारी पवशयो

क तजी स कायइ करन क समय आकसीजन का यह सगरह काम आता ह।

3. कोवशकाओ म परोटीन, काबोज व वसा क समपणइ आकसीकरण म भी

लौह तततव मदद करता ह।

4. हमार मवसतषक क तरनत कायइ जस कछ याद रखना या ाधयान

दनाश म भी लौह तततव लाभदायक ह।

5. लौह तततव कछ एनजाइम और अनय तततवो का अवभनन अग ह।

6. लौह तततव सिमण स बचाव म भी लाभकारी ह।

खाध सतरााोत (Food Sources)

यह वपणडवलयो क मास , यह हर रग की पततदार सबजी और साबत

अनाज म अचछी मातरााा म वमलता ह। यह अड की जदी और अवयवो

क मास म भी अचछी मातरााा म वमलता ह। लोह का सवोततम सरोत

वजगर होता ह। अनय सवबजयो और फलो म भी यह वमलता ह। यह

दध, पनीर और आइसिीम म कम वमलता ह। यह गड म अचछी

मातरााा म वमलता ह।

दवनक परसताववत आहारीय मातरााा ( Recommended Daily

Dietary Allowance)

लोह की आवशयकता वनकालन क वलए परषााा क वलए लोह की

सामानय ;इासदध हावन, वसतरायो क वलए सामानय हावन+मावसक सराव

म हावन; तथा बचचो क वलए सामानय हावन+ववदध क वलए गणना म ली

जाती ह। लोह का अवशोषण चावल , वमल-जल अनाज (चावल+गह) ,

तथा परा गह पर िमश: 5:, 3: व 2: वलया गया ह।

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हमार शरीर को लोह की आवशयकता कम होती ह लकरकन चकरक यह

हमार शरीर म कम अवशोवषत होता ह, इसवलए

शरीर क वलए अवधक मातरााा म आवशयक हो जाता ह। शाकाहारी

भोजन स कवल 10 परवतशत ही लोहा अवशोवषत होता ह। वमवशत

भोजन स 15ऋ20 परवतशत तक लोहा अवशोवषत होता ह। इस

वसथवत को धयान म रखकर भारतीय वचकरकतसा अनसधान पररषद न

इसकी वजतनी मातरााा आवशयक बताइइ ह , उस सारणी सखया 3 म

करदखाया गया ह -

सारणी 3

लोह की दवनक परसताववत आहारीय मातरा

आय वगइ लोहा (वम.गरा.करदन)

वयसक परष 28

वयसक सतरााी 30

गभइवती सतरााी 38

सतनयकाल 30

वशश 1.0 वम.गरा/करक.गरा. शरीर

भार

बचच 1-9 वषइ 12-16

करकशोर लडक (10-18 वषइ) 34-50

करकशोर लडकरकया (10-18 वषइ) 19-30

कमी (Defeciency)

शरीर म लोह की कमी , भोजन म लोह की कमी होन , रकत म लोह की

पयाइपत अवशोषण न होन , या कम रकत बनन क कारण होती ह। इसकी

कमी क कारण मनषय रकतता (अनीवमया) नामक रोग स गरसत हो जाता

ह। वह पीला और कमजोर करदखाइइ पडन लगता ह। शरीर म

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हीमोगलोबीन की मातरााा कम हो जान क पररणामसवरप आकसीजन

थोडी मातरााा म वमलन क कारण , वह हमशा थका हआ और कलानत

करदखाइइ पडता ह। इसक अलावा वयकरकत का शरीर पीला पड जाता ह व

नीद कम आना, सास फलना व भख न लगना जसी वशकायत भी रहती

ह। वयकरकत की जीभ , आख का सफद भाग ;बवदरमबजपअदध और

नाखन म भी पीलापन आ जाता ह।

लौह तततव की अवधक कमी होन पर नाखन टटन लगत ह व चममच क

आकार क हो जात ह। अवधक कमी बढती जाए , तब वयकरकत की मतय

भी हो सकती ह।

आयोडीन

वयसक वयकरकत क शरीर म आयोडीन लगभग 25 स 30 वमलीगराम तक

वमलता ह , वजसम स इसकी एक वतहाइइ मातरााा थायोराइड गरवथ म

होती ह। थायोराइड क ऊतक म आयोडीन अनय ऊतको की तलना म

2500 गना होती ह।

कायइ (Functions)

आयोडीन का कवल एक ही कायइ ह , अथाइत यह थायरोगलोबलीन

(थायरायड हारमोन) का सघटक होता ह। थायरोगलोबलीन अनक

आयोडीन वाल सवममशणो का परोटीनयकत तततव होता ह। थायरोइड

हारमोन कोवशकाओ म आकसीकरण की गवत को वनयवतरत रखता ह ,

और ऐसा करन स वह शारीररक व मानवसक ववकार , नाडी तथा

मासपवशयो क ऊतकााा, रकत सचरण और सभी परकार क पोषाहार क

चयापचय को वनयवतरत करता ह।

खाध सतरााोत (Food Sources)

आयोडीन भोजन और जल स परापत होता ह। भोजन और जल म

आयोडीन की मातरााा उस वमटटी पर वनभइर करती ह , जहा स यह हम

परापत होता ह। तटीय कषतरााोा म रहन वाल और सथानीय रप स पदा

होन वाल खाध का भोजन करन वालो लोगो को अपनी आवशयकता क

अनसार आयोडीन वमल जाता ह। पवइतीय कषतरााोा म वहा क भोजन ,

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और जल म आयोडीन थोडी मातरााा म ही होता ह। उन कषतरााोा म

नमक का आयोडीनीकरण एकमातरा ऐसी तकनीक ह वजसस इसकी कमी

को दर करकया जा सकता ह और गलगड नामक बीमारी को वनयवतरत

रखा जा सकता ह।

दवनक परसताववत आहारीय मातरााा ( Recommended Daily

Dietary Allowance)

वयसक परष क वलए परवतकरदन 0.14 वमलीगराम और वयसक सतरााी क

वलए 0.10 वमलीगराम आयोडीन आवशयक होता ह। बचचो को अपनी

ववकासावसथा, गभइवती मवहलाओ और सतनयपान करान वाली

मवहलाओ को इसकी और अवधक अनावशयकता होती ह।

कमी (Defeciency)

इसकी कमी होन स ववशव क अनक भागो म गलगड नामक बीमारी ,

महामारी की तरह फलती दखी गइइ ह, जहा की वमटटी म आयोडीन की

मातरााा बहत कम होती ह। भारत म यह बीमारी वहमालय क वनचल

कषतरााोा म समसया बनी हइइ ह। ऐसा ही महाराषटर और लवधयाचल क

वनचल कषतरााोा म ह, जहा लगभग आधी जनसखया इस रोग स पीवडत

रहती ह।

गलगड बीमारी म थायोराइड नामक गरथी सज जाती ह। (वचतरा 1)

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वचतर 1: गलगड

मगनीज

मगनीज एक ववरल खवनज ह, जो भोजन म थोडी मातरााा म आवशयक

होता ह। मगनीज अनक एनजाइमो , ववशषकर एगानज ;ादहदमदध को

सकरिय करता ह जो यररया क वनमाइण म सहायता करता ह। यह

पवपटडज ;चमचजपक मदध नामक एजाइम का भी वनमाइण करता ह ,

वजसस आतो म परोटीन का ववघटीकरण होता ह। मगनीज ककाल क

ववकास, वसा क उपापचय और सनायववक उततजनशीलता क वनयनतराण

स भी सबदध होता ह। मगनीज पौधो स वमलता ह। यह पौधो स वमलन

वाल भोजन और मव , फलो, सम, अनाज आकरद म वमलता ह। यह

पशओ म बहत कम वमलता ह।

एक वयसक क वलए दवनक आहारीय 65 माइिो गरा. परसताववत की गइ

ह।

ताबा (Copper)

मनषय क शरीर क लगभग 75 स 150 वमलीगराम तक ताबा होता ह।

ताब क कण सभी ऊततको म वमलत ह , लकरकन यह सबस अवधक वजगर

और मवसतषक म वमलत ह।

कायइ (Functions)

1. ताब की आवशयकता वववभनन कायो ± क वलए पडती ह , वजसम

मलावनन वणइ का वनमाइण भी शावमल ह।

2. यह इलकटरान क सचरण म भी आवशयक होता ह।

3. यह माइवलन की वझलली को एक सम बनाए रखन क वलए भी

आवशयक होता ह।

4.यह फासफोवलवपड क सशलषण , हवडडयो क ववकास क वलए भी

जररी होता ह।

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5. ताब स हीमोगलोवबन क अण क वनमाइण म सहायता वमलती ह।

6. यह अनक एजाइमो क सघटक क रप म दखा गया ह।

दवनक परसताववत आहारीय मातरा ( Recommended Daily

Dietary Allowance)

अनमान ह करक परतयक वयसक को परवतकरदन 2 वम.गरा. ताबा आवशयक

होता ह।

खाध सतरााोत ;ववक ावनतबमदध

भोजन म ताब क तततव वमटटी क तततव पर वनभइर करत ह। यह अवयवो

क मास, कवच वलए मछली , साबत अनाज, सम और मवााा म भी

परचर मातरााा म वमलता ह।

कमी (Defeciency)

ताब की कमी बहत कम वमलती ह , करकनत कपोषण होन , नफरोरटक

लसडरोम ;छमचीतवजपब ालदकतवउमदध और सपर ;ाचतनदध म दखी

गइइ ह।

फलोरीन

फलोरीन, सामानयत: शरीर म हवडडयो और दातो म , कवलशयम क

यौवगक क रप म रहता ह। यह जीवन क वलए आवशयक नही होता ,

लकरकन फलयराइड थोडी बहत मातरााा म लन स , दातो क Ðाास को

रोकन म अभतपवइ सहायता वमल जाती ह।

कायइ (Functions)

दातो क Ðाास को रोकन क वलए, फलोरीन का उवचत मातरााा म लना

अतयनत आवशयक ह यह सामानयत: , हवडडयो क खवनजीकरण क वलए

आवशयक होता ह।

खाध सतरााोत (Food Sources)

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इसका मखय सरोत पीन का पानी होता ह यह ववरल रप म अनक परकार

क भोजन म, और पयाइपत रप स समदर की मछली और पनीर म वमलता

ह।

कमी व अवधकता (Deficiency and Excess)

फलोररन दातो पर फलयराइड क एकतरा होत खवनजााा को घलन स

रोकन, और अमल बनान वाल बकटीररया को समापत करन क वलए

आवशयक होता ह अगर ववकास की अववध म फलोररन की कमी हो

जाए, तब दातो का सडन और उनका कषय होन लगता ह।

लकरकन अगर यह अवधक मातरााा म वलया जाए , तब इसस दातो और

हवडडयो, दोनो को कषवत होती ह दातो की कलइइ की चमक समापत हो

जाती ह, दात धबबदार हो जात ह , उनका रग सफद वमटटी जसा हो

जाता ह , और उनकी सतह पर गडढ स करदखाइइ पडन लगत ह। इस

वसथवत को षडटल फलयरोवसस (Dental Flurosis) कहत ह।

जसता (Zinc)

यह हमार शरीर क सभी ऊततको म पाया जाता ह। हमार शरीर म दो स

तीन गराम तक जसता होता ह। यह हमार शरीर म इनसवलन तथा कइइ

अनय इजाइमो का सघटक होता ह। जसत की कमी होन स हमारा

ववकास रक जाता ह, करकशोरावसथा म यौन समबनधी वशशता हो जाती

ह, सवाद समापत हो जाता ह व घाव को भरन म दर लगती ह। हमार

सभी परकार क भोजन म जसता पाया जाता ह। चाह वह पशओ स परापत

होता हो या वनसपवत स। लकरकन वनसपवत स वमलन वाल भोजन म यह

कम होता ह। पशओ स वमलन वाल भोजन जस मास , दध, मछली म

यह पयाइपत होता ह परतयक वयसक क वलए इसकी आवशयक मातरा

15ण5 वमलीगराम बताइइ गइइ ह। बचचो , गभइवती और सतनपान करान

वाली मवहलाओ क वलए यह अवधक मातरााा म चावहए। मनषयो क

अवधकाश भोजन म यह वमलता ह।

पानी (Water)

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आकसीजन क बाद शरीर क वलए सबस अवधक आवशयक पानी होता ह।

हम कइइ सपताह तक भोजन क वबना रह सकत ह , लकरकन यकरद हम पानी

कछ करदनो तक नही वमल तब हम जीववत नही रह सकत। लकरकन शरीर

म स 10 परवतशत पानी की कमी हो जाए तब गभीर खतरा हो सकता

ह। सामानयत: 20 परवतशत पानी की कषवत हो जान पर , मनषय मर

जाता ह। हमार शरीर क ऊततको म पानी रहता ह , लकरकन उनकी

मातरााा अलग-अलग रहती ह। हमार शरीर म पानी दो रपो म रहता

ह। कोवशकाओ म परापत जल हमार शरीर क भार क लगभग 45 परवतशत

तक होता ह। कोवशकाओ क बाहर परापत जल कोवशकाओ क भीतर नही

हो कर बाहर रहता ह। कोवशकाओ क बाहर परापत जल क उदाहरण य ह

- पलाजमा , अतवडयो म परापत तरल , लसीका, अगनाशय स वनससरण

वजगर और आमाशयानतरा शलषय।

कायइ (Functions)

1. पानी सरचनातमक सघटक ह , और यह सभी कोवशकाओ क नीच

गडढ क रप म रहता ह।

2.पानी शरीर म परापत सभी तरल पदाथो ± का समनवय होता ह। य

पदाथइ ह; पाचक रस, लवसका, रकत, पशाब और सीना आकरद।

3. पानी अनक आवशयक परवतकरियाओ म भाग लता ह जस पाचन क

दौरान टट-फट।

4. पाचन क बाद सभी उतपादन होन वाल æवयो को पानी घला दता

ह। इसक कारण ही यह तततव घलकर दीवारो स गजरकर अवशोवषत

होता ह।

5. यह पोषाहार क साथ-साथ जल को परभाववत करता ह।

6. पानी स हमार शरीर का ताप उवचत सतर पर बना रहता ह यह

गमी को सार शरीर म वनसररत कर दता ह।

7. पानी शरीर क सनहक क रप म आवशयक ह। उदाहरणत: लार स

भोजन को वनगलन म मदद वमलती ह। वववभनन अगो जस पाचक नली ,

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शवास नली , जनन-मतरा नाल स वनकलन वाल तरल , जोडो म पाया

जान वाला तरल इतयाकरद।

खाध सतरााोत (Food Sources)

शरीर क पानी समबनधी जररत पीन वाल जल, व अनय तरल पदाथो±

स परी होती ह। इसी परकार यह भोजन और भोजन क आकसीजन स

परापत होता ह। पशाब व पसीना वनकलन स , हमार शरीर का अवधकाश

जल नषट हो जाता ह। इसी परकार कछ अश उस वाय स भी वनकल जाता

ह, जब हम सास बाहर फ कत ह। इस कषवत को परा करन क वलए

परवतकरदन डढ लीटर जल पयाइपत ह। गमइ जलवाय म पसीन क दवारा

वनषकावसत होन वाल जल की परथत करन क वलए और अवधक जल लना

जररी होता ह। सारणी 5 म पानी क गरहण और शरीर स पानी की

कषवत का तलनातमक वववरण करदया गया ह।

सारणी 5

सामानय जल सनतलन

(Normal Water Balance)

उपलबध जल गराम वनससत

जल गराम

गहीत जल 1100 मतर क

दवारा 1000

भोजन म जल 900 मल क

दवारा 200

आकसीकरण 200 वाषप क

दवारा

(तवचा और फफडो क दवारा) 1000

योग

2200

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भोजन क कायइ, खाध-वगइ व सतवलत आहार की पररकलपना

(Functions of Food, Food Groups and Concept of a Balanced Diet)

भोजन हमार जीवन का मल आधार ह। वाय और जल क पशचात हमार

वलए भोजन ही सबस आवशयक ह। मनषय क सवासय को सवाइवधक

परभाववत करन वाला तय ही ह करक वह करकस परकार का भोजन करकतनी

मातरााा म गरहण करता ह। सकरदयो स भोजन हमार पयार , मतरााी और

सामावजक समबनधो का परतीक भी रहा ह। इस परकार भोजन क महततव

को दखत हए, आइए पहल यह जान करक भोजन कया ह ?

भोजन (Food)

षभोजन वह पदाथइ ह वजस गरहण करन परपाचक रस उस पर करिया कर

सक और उसक पशचात वह अवशोवषत हो कर शरीर क वववभनन कायो ±

क वलए परयोग म लाया जा सक।

अत: करकसी भी पदाथइ को सपषट तौर पर षखाध-पदाथइष तभी कहा जा

सकता ह जबकरक वह ऊपर दी गइइ पररभाषा क अनसार

- गरहण करकया जा सक,

- पचाया जा सक,

- अवशोवषत हो कर शारीररक कायो ± क वलए परयोग म लाया जा

सक,

- गरहण करन का अथइ ह , करक वह पदाथइ चबान योगय और सवाकरदषट

होना चावहए ताकरक वह हमार पाचन ससथान म परवश पा सक,

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- गरहण करन क पशचात जब यह पदाथइ पाचन ससथान स गजरता ह तो

अनय शारीररक करियाओ की सहायता स इस सरल और छोटी इकाइइया

म पररवरथतत करकया जा सक, अथाइत इस पचाया जा सक,

- पचान क पशचात य सरल इइकाइयाा शरीर म अवशोवषत हो सक ।

उदाहरणतया - सब एक खाध पदाथइ ह , कयोकरक हम इस गरहण कर

सकत ह और शरीर म इसका पाचन होन पर इसस वमलन वाल

पौवषटक तततव अवशोवषत कर वलए जात ह।

भोजन हमार शरीर को वववभनन पौवषटक तततव परदान करता ह , जो

हमारा सवासय और पोषण सतर बनाए रखन म सहायता करत ह।

भोजन स वमलन वाल वववभनन पौवषटक तततव ह - काबोज , परोटीन,

वसा, खवनज-लवण, ववटावमनस और जल। य सभी पौवषटक तततव

शरीर म वववभनन कायइ करक हमारा पोषण-सतर सही रखत ह। इस

मखय कायइ क अवतररकत भोजन कछ अनय कायइ भी करता ह। आइए

जान, भोजन हमार शरीर म कया-कया करता ह ?

भोजन क कायइ (Functions of Food)

भोजन क कायो± को मखयत: तीन भागो म बाटा जा सकता ह -

(1) भोजन का शारीररक कायइ

(2) भोजन का मानवसक कायइ

(3) भोजन का सामावजक कायइ

(1) भोजन का शारीररक कायइ (Physiological

function) - भोजन क इस कायइ को आग तीन भागो म बाटा जा

सकता ह, जो करक वनमनवलवखत ह-

(क) ऊजाइ परदान करना,

(ख) शारीररक तनतओ का वनमाइण करना,

(ग) बीमाररयो स बचाव और शरीर को सचार रप स चलाना।

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(क) ऊजाइ दना (Energy giving) - हमार शरीर को ऊजाइ की

लगातार आवशयकता रहती ह। यह ऊजाइ शरीर की आतररक करियाओ क

वलए आवशयक ह , जो करक जीवन को बनाए रखन क वलए अतयनत

आवशयक ह, जस-शवास करिया, रकत का परवाह, करदल की धडकन आकरद।

य करियाए हमार शरीर म हर समय होती रहती ह और हम इनका पता

भी नही लगता। परनत इनक वलए ऊजाइ काफी मातरााा म चावहए होती

ह। इन आतररक करियाओ क अवतररकत शरीर को बाहय कायइ करन क

वलए भी ऊजाइ की आवशयकता होती ह य करियाए ह-चलना , दौडना,

खलना या करफर अनय कोइइ भी शारीररक कायइ करना। य करियाए भी हर

मनषय क दवनक जीवन का एक अवभनन अग ह। इन आतररक व बाहय

करियाओ क अवतररकत शरीर को ऊजाइ का कछ वहससा हमार भोजन को

पचान, उस अवशोवषत करक तनतओ तक पहचान व उनक चयापचय

क वलए भी चावहए होता ह और इस करिया क दौरान मकत हइइ ऊषमा

हमार शरीर का तापमान बनाए रखन म सहायक ह।

ऊजाइ हमार शरीर को मखयत: भोजन म उपवसथत काबोज व वसा स

परापत होती ह। काबोज क अचछ सरोत ह - अनाज , चीनी, गड, शहद,

आल इतयाकरद। वसा क अचछ सरोत ह - घी , तल, मव आकरद। ऊजाइ दन

वाल य सभी खाध-पदाथइ हमार दवनक आहार का एक मखय वहससा ह।

(ख) शारीररक तनतओ का वनमाइण करना(Body Building)- हम

जो भोजन गरहण करत ह, वह हमार शरीर का एक वहससा बन जाता ह।

अत: भोजन का एक महततवपणइ कायइ ह-शारीररक तनतओ का वनमाइण

करना। एक नवजात वशश वजसका करक शारीररक वजन 2ण7 स 3ण7

करकलो होता ह अपन वयसक होन पर 55 स 70 करकलो होन की कषमता

रखता ह, यकरद वह जनम स वयसक तक सही परकार का भोजन उवचत

मातरााा म गरहण करता रह। वयसक होन क पशचात भी परवतकरदन गरहण

करकया गया भोजन हमार शरीर क ढाच को बनाए रखन म सहायता

करता ह। और शरीर म करदन-परवतकरदन टटन वाल तनतओ की मरममत

करता ह। नए तनतओ का वनमाइण बढत हए बचचो और गभाइवसथा म तो

ववशष महततव रखता ह। अत: इन अवसथाओ म तनत वनमाइण क वलए

आवशयक पौवषटक तततव अवधक मातरााा म चावहए होत ह। इन

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शारीररक वनमाइण की अवसथाओ क अवतररकत भी हमार शरीर म हर

आय म परान तनत टटत रहत ह और उनक सथान पर नए तनत बनत

रहत ह। अत: जीवन की करकसी भी अवसथा म शारीररक वनमाइण क वलए

आवशयक पौवषटक तततवो की आवशयकता बनी रहती ह।

शारीररक वनमाइण क इस कायइ क वलए मखय पौवषटक-तततव ह - परोटीन ,

खवनज-लवण और जल। परोटीन हम मखयत: दध व दध स बन पदाथइ ,

मास, मछली, अणडा, दाल, मव, सोयाबीन आकरद स वमलती ह।

खवनज-लवण हम इन खाध पदाथो ± क अवतररकत फल व सवबजयो स

भी वमलत ह।

(ग) बीमाररयो स बचाव व शरीर को सचार रप स

चलाना (Regulatory and Protective Function) -

भोजन का तीसरा शारीररक कायइ ह , शरीर की करियाओ को सचार

रप स चलाना और शरीर को बीमाररयो स बचाव करना। शरीर की

वववभनन करियाए जस - करदल का धडकना, शारीररक तापमान

शारीररक तनतओ का वनमाइण करन वाल ऊजाइ दन वाल भोजय

पदाथइ बीमाररयो स बचाव करन वाल भोजय पदाथइ

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वसथर रखना, मास-पवशयो का सकचन, जल व इलकटरोलाइट का

सतलन बनाए रखना , शरीर स बकार पदाथो का वनकास करना

इतयाकरद। इस सभी करियाओ क वलए करकसी न करकसी पौवषटक तततव की

आवशयकता होती ह। उदाहरणतया - बी गट क ववटावमनस हमार शरीर

क एनजाइमस का एक मखय अग ह , जो करक भोजन क चयापचय क वलए

वजममदार ह और इस परकार शरीर म ऊजाइ की उततपवत करत ह। इसी

परकार शरीर स करकसी भी कारण रकत का परवाह होन पर उस रोकन

वलए वहा पर रकत का एक थकका सा जम जाता ह और इस कायइ क वलए

ववटावमन ाकश का होना अवतआवशयक ह।

शारीररक करियाओ को सचार रप स चलान क अवतररकत भोजन हम

वववभनन बीमाररयो स बचन की शकरकत भी दता ह उदाहरणतया

ववटावमन ाएश और ववटावमन ासीश यकत खाध-पदाथो ± क सवन स

हमार शरीर म वववभनन रोगो क कीटाणओ स लडन की कषमता पदा

होती ह।

भोजन क इस कायइ क वलए मखय तौर स वजममदार पौवषटक तततव ह -

परोटीन, ववटावमनस, खवनज-लवण, जल और फोक ;वपइतमदध।

हालाकरक य पौवषटक तततव हमार शरीर को थोडी ही मातरााा म चावहए

होत ह, करफर भी इनका हमार आहार म पाया जाना अवतआवशयक ह।

इन पौवषटक तततवो क मखय सरोत ह -हरी पततदार सवबजया , दध,

मास-मछली व ताज फल-सवबजया।

(2) भोजन का मनोवजञावनक कायइ (Psychological

function of food) - यह भोजन का दसरा परमख मनोवजञावनक

कायइ ह जो अवतआवशयक ह। हर वयकरकत अपनी एक सस Ñवत म पलता

व बडा होता ह और इसी ससकवत की भोजन समबनधी आदत सीखता ह।

उस अपनी जावत और सस Ñवत क लोगो दवारा खाय जान वाल भोजन

गरहण करन स एक परकार की मानवसक सनतवषट और सरकषा की भावना

का अनभव होता ह। रोजाना खाए जान वाल भोजन हम अवधक

मानवसक सतोष दत हाा। कइइ बार पौवषटकता की दवषट स एक

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सतवलत आहार भी करकसी वयकरकत को मानवसक सनतवषट नही द पाता ;

यकरद उसम सवममवलत करकए गए खाध-पदाथइ नए ह या उसक सवाद क

अनसार नही ह।

अपन वमतरााोा क साथ हम कइइ बार नए खाध पदाथइ खान की कोवशश

करत ह ताकरक हम अपनी भोजन समबनधी आदतो का ववसतार कर सक ।

धीर-धीर य ही नए भोजय पदाथइ हम अचछ लगन लगत ह और इस

परकार य नए सवाद क खाध पदाथइ भी हम मानवसक सनतवषट दन लगत

ह-हालाकरक ऐसा करन म समय लगता ह। उदाहरणतया - कोइइ वयकरकत

वजस भारतीय खाना खान की आदत ह उस ववदश जान पर चाइनीज

या पाशचातय सस Ñवत क वयजन खान की आदत डालन म काफी समय

लगगा परनत; उस अपना भारतीय भोजन वमलन पर ही एक मानवसक

सनतवषट का अनभव होगा।

(3) भोजन का सामावजक कायइ (Social Function of

food) - भोजन हमार सामावजक जीवन का भी एक वचहन ह।

भोजन व उस खान का अपना सामावजक महततव ह। करकसी वयकरकत क

साथ भोजन करन का अथइ ह उस दसर वयकरकत की सामावजक सवी Ñवत,

वमतराता और आदर वमलना। पहल समाज म एक सा सथान रखन वाल

वयकरकत ही एक साथ खात थ। अपन स नीच सामावजक सतर क वयकरकत

क साथ भोजन नही करत थ। भोजन क माधयम स हम अपनी परसननता

परकट करत ह, उदाहरणतया - जीवन चि क वववभनन चरणो पर दावतो

का आयोजन करकया जाता ह , जस - जनम क समय , मनडन पर ,

जनमकरदन और करफर शादी क अवसर पर। तयौहारो आकरद क मौको पर

वमिाइइ का आदान-परदान भी करकया जाता ह जस - दीवाली , इइद आकरद।

करकसी भी पाटी , मीरटग आकरद म भोजन एक कडी का काम करता ह ,

वजसक कारण लोग ऐस सामावजक अवसरो पर आत ह। यहा तक करक

औपचाररक मीरटग म भी हलका चाय-नाशता अवशय करदया जाता ह ,

वजसस उस समय पर एक ऐसा तनावरवहत वातावरण बन जाता ह करक

लोग एक-दसर स खलकर बातचीत कर सक । ऐस समय पर परोस जान

वाल वयजन इस परकार क होन चावहए करक सब लोग इकटि हो सक , न

करक अलग-अलग हो जाएा। भोजन आपसी मतरााी को मजबत करन म

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भी सहायक होता ह - उदाहरणतया हम अपन वमतरााोा और

ररशतदारो को भोजन पर आमवतरत करक अपनी मतरााी का पररचय दत

ह। धमइ क सदभइ म भी भोजन का महततव ह। मवनदर म भगवान की मरथत

क समकष नाररयल , फल, वमिाइइ इतयाकरद चढाइइ जाती ह। मवनदरो व

गरदवारो म परसाद क रप म वमिाइइ बनाइइ जाती ह। इसी तरह स करकसी

एक धमइ स जड लोगो की खान-पान की आदत वमलती ह कयोकरक उनक

धमइ गरनथो म कछ खाध पदाथो की सवीकवत ह और कछ वरथजत हा।

अत:, हम कह सकत ह करक भोजन सामावजक व धारथमक दोनो कायइ

करता ह।

अत: यह कहा जा सकता ह करक भोजन कइइ महततवपणइ कायइ करता ह -

हमारी भख वमटान स लकर आपसी मतरााी बढान तक और सबस

जररी कायइ यावन हमारा सवासय और पोषण सतर िीक रखना।

खाध वगइ (Food group)

भोजन स अवधक स अवधक लाभ पान क वलए यह जररी ह करक हम

ऐसा भोजन गरहण कर वजसम सभी पौवषटक तततव उवचत मातरााा म

उपवसथत हो ताकरक वह हमार शरीर म सार कायइ कर सक। अकसर दखा

गया ह करक अवधकतर खाध-पदाथोर म कछ पौवषटक तततव अवधक

मातरााा म और कछ कम मातरााा म पाय जात ह। अत: सभी पौवषटक

तततव उवचत मातरााा म परापत करन क वलए आवशयक ह करक हम अपन

दवनक आहार म अलग-अलग परकार क खाध-पदाथइ सवममवलत कर ,

परनत यह भी ममकरकन नही ह करक एक समय क आहार म हर परकार क

खाध-पदाथइ को सथान द सक । अत: इस मवशकल को हल करन क वलए

एक जस पौवषटक तततव परदान करन वाल खाध-पदाथो को इकटिा करक

एक गट सा बना करदया गया ह , वजस ाखाध वगइश का नाम करदया गया

ह।

खाध-वगइ बनान क वलए समय-समय पर अलग-अलग तरीको का परयोग

करकया गया ह। हाल ही म षइवनडयन कौवसल आफ मवडकल

ररसचइष (I.C.M.R.) न वववभनन खाध-पदाथो को वनमनवलवखत पाच

खाध-वगोा म ववभावजत करकया ह -

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(1) अनाज और शकइ रा यकत जड वाली सवबजयाा

(2) दाल, मव व वतलहन

(3) दध, मास, मछली व उनस बन पदाथइ

(4) फल व सवबजया

(5) वसा व चीनी

इस वगीकरण म एक परकार क पौवषटक तततव परदान करन वाल खाध-

पदाथइ इकटि एक वगइ म डाल गए ह। य पाच खाध-वगइ व उनस वमलन

वाल पौवषटक तततव सारणी 1 म करदए ह।

(1) अनाज और शकइ रा यकत जड वाली सवबजया( Cereals,

roots & tubers)

इस वगइ को आग दो भागो म बाटा गया ह -

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(क) अनाज व उसस बन पदाथइ (Cereal & cereal

products) - इस वगइ म आन वाल खाध-पदाथइ ह -गह , चावल,

जवार, बाजरा, मकका, डबलरोटी, मदा आकरद। य सभी खाध-पदाथइ

ऊजाइ ही परदान करत ह। अनाज हमार हर भोजन का एक अवभनन अग ह

और ऊजाइ का सबस ससता साधन ह। काबोज क अवतररकत इनम परोटीन

भी पाइइ जाती ह और चकरक य खाध-पदाथइ हमार दवनक आहार म काफी

मातरााा म सवममवलत करकए जात हा अत: हम इनस काफी मातरााा म

परोटीन परापत करत ह। अनाज म लाइवसन नामक अमीनो अमल की कमी

होती ह परनत वमथायोनीन की मातरााा काफी होती ह। दालो म

वमथायोनीन की मातरााा कम व लाइइवसन परचर मातरााा म पाया जाता

ह। यकरद अनाज व दालो को साथ म वलया जाए तो दोनो की कमी

(वमथायोनीन व लाइइवसन) एक-दसर स परी हो जाती ह व परोटीन की

गणवतता बढ जाती ह।

अनाजो को वछलक सवहत गरहण करन स बी गट क ववटावमनस भी

अचछी मातरााा म गरहण करकए जा सकत ह , कयोकरक य ववटावमनस

अनाजो की बाहरी परतो म ही अतयावधक मातरााा म पाए जात ह।

इसी कारण मदा म य ववटावमनस नही पाए जात। साबत अनाजो म

लोहा भी अचछी मातरााा म पाया जाता ह , और बाजरा तो इसका

उततम साधन ह। रागी ही एक ऐसा अनाज ह , वजसम कवलशयम काफी

मातरााा म पाया जाता ह।

अनाजो म ववटावमन ाएश और ववटावमन ासीश करीब न क बराबर ही

होता ह। यकरद अनाजो को अकररत करक या खमीराकरण क पशचात

परयोग करकया जाए , तो इसस ववटावमन ासीश और ाबीश गट क

ववटावमनस की मातरााा काफी बढ जाती ह।

(ख) शकइ रा यकत जड वाली सवबजया( Roots and Tubers) -

इसक अनतगइत आन वाली सवबजया ह - आल , शकरकनद, वजमीकनद,

अरबी, कचाल आकरद। य सवबजया मखयत: काबोज की अचछी सरोत ह ,

यावन ऊजाइ की अचछी साधन ह; और इसी कारण इनह अनाज क गट म

ही डाला गया ह। इन सवबजयो स हम परोटीन तो परापत नही होती ,

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जबकरक अनाजो स हमाा करदन भर क आहार म काफी मातरााा म

परोटीन वमल जाती ह। अत: ऊजाइ परावपत क वलए इनह अनाजो क सथान

पर लमब समय क वलए परयोग नही करना चावहए ; अवपत ऊजाइ परावपत

क वलए इनह अनाजो क साथ परयोग करना चावहए।

(2) दाल, मव और वतलहन (Pulses, Nuts & Oil

Seeds)- इस खाध-वगइ म आन वाल पदाथइ ह- वववभनन दाल जस -

मग, चना, अरहर आकरद। मव व वतलहन जस-मगफली , वतल, काज,

बादाम आकरद। य सभी खाध-पदाथइ हमार दवनक आहार म परोटीन का

एक बडा वहससा परदान करत ह , ववशषकर शाकाहारी लोगो क वलए ,

कयोकरक दाल परोटीन का एक बहत अचछा साधन ह। इन खाध-पदाथो स

वमलन वाली परोटीन भी वदवतीय शणी की ही होती ह। दालो म अमीनो-

अमल ावमथायोनीनश सीवमत मातरााा म पाया जाता ह परनत इनम

ालाइवसनश (अमीनो अमल) काफी मातरााा म पाया जाता ह , जो करक

अनाजो म सीवमत मातरााा म पाया जाता ह। इसी परकार अनाजो म

ावमथायोनीनश काफी मातरााा म पाइइ जाती ह। अत: जब अनाज और

दालो का वमवशत परयोग करकया जाए तो य आपस की कमीबशी परा कर

दत ह और इन दोनो की परोटीन बहतर करकसम की हो जाती ह अथाइत

शरीर म बहतर परयोग म लाइइ जा सकती ह। इसीवलए हम इनका साथ-

साथ परयोग करना चावहए।

दाल ववटावमनस और खवनज लवण की भी अचछी सतरााोत ह। इनम

ाबीश गट क ववटावमनस अचछी मातरााा म पाय जात ह , ववशषकर

ाथायावमनश। दालो म ववटावमन ासीश वस तो न क बराबर ही होती

ह परनत अकररत करन स य ववटावमन का भी बहत अचछा

साधन बन जाती ह। आमतौर पर दाल ालोहश का भी अचछा साधन

हा और अकररत करन पर इनस परापत होन वाल लोह की मातरााा की

उपलवबध और भी बढ जाती ह।

मवो म परोटीन क अवतररकत वसा भी काफी मातरााा म पाइइ जाती ह ,

अत: य ऊजाइ क भी अचछ साधन हो जात ह।

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वतलहन जस मगफली , वतल, सरसो क बीज आकरद म भी अचछी

मातरााा म परोटीन पाइइ जाती ह। इनका तल वनकालन क पशचात जो

खली बच जाती ह , वह परोटीन का काफी अचछा साधन ह। अत: हम

अपन आहार म इसका परयोग कर सकत ह परनत इस परोटीन क दसर

साधनो क साथ परयोग करना चावहए ताकरक परोटीन की करकसम बहतर हो

जाए और शरीर म भली-भावत परयोग म लाइइ जा सक।

(3) दध, मास, मछली व उनस बन पदाथइ (Milk, Meat, Fish

and their Products)- इस खाध-वगइ म आन वाल खाध पदाथइ

ह।

(क) दध व दध स बन पदाथइ

(ख) मास, मछली, मगी, अडा इतयाकरद

य सभी खाध पदाथइ हम परथम शणी का परोटीन परदान करत ह , अथाइत

इनकी परोटीन म सभी आवशयक अमीनो अमल उपयकत मातरााा म पाए

जात ह। अत: इन सबस वमलन वाली परोटीन शरीर म तनत वनमाइण क

कायइ क वलए पणइतया परयोग म लाइइ जा सकती ह।

(क) दध व दध स बन खाध पदाथइ (Milk and its

products) - दध व उसस बन पदाथइ जस - दही , पनीर आकरद

परथम शणी की परोटीन क उततम साधन ह ; परोटीन क साथ-साथ दध स

हम कवलशयम , फासफोरस, ववटावमन ाएश और राइबोफलववन भी

काफी मातरााा म परापत होती ह बढत हए बचचो क वलए तो यह एक

आवशयक खाध-पदाथइ ह - कयोकरक इसस उनह उततम करकसम की परोटीन

वमलती ह। छोट वशश क वलए तो कवल दध ही ऐसा आहार ह वजस वह

आसानी स गरहण और हजम कर सकत ह और यह उनकी शारीररक

जररत भी काफी हद तक परी करता ह।

(ख) मास, मछली, मगी, अडा आकरद (Meat, Fish, Egg and

products) - य सब खाध-पदाथइ भी परथम शणी की परोटीन क

उततम साधन ह , जो करक शारीररक वनमाइण क वलए पणइतया परयोग म

लाइइ जा सकती ह। इन खाध-पदाथो म ाबीश गट की ववटावमनस भी

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अचछी मातरााा म पाइइ जाती ह। इन सब म स कलजी-ववटावमन ाएश

और ववटावमन ाबीश का एक उततम साधन ह। अड म अवधकतर

पौवषटक तततव पाए जात ह परनत य ववशषतौर पर परोटीन , वसा,

ववटावमन ाएश, ववटावमन ाडीश , लोहा, कवलशयम और फासफोरस

क अचछ साधन ह।

(4) फल व सवबजया (Vegetables and fruits) - इस

खाध-वगइ क अनतगइत ताज फल व सवबजयाा आती ह , जो हमार शरीर

को मखयत: ववटावमनस और खवनज-लवण परदान करत हा। इसम

वववभनन सवबजया जस- पालक , मथी, बनदगोभी, फलगोभी, गाजर,

वभणडी आकरद और फल , जस-पपीता, आम, सब, टमाटर, सतरा,

अमरद आकरद आत हा।

हरी पततदार सवबजया और पील और नारगी रग क फल व सवबजया

हम मखयत: करोटीन (ववटावमन ाएश का पवइगामी पदाथइ) परदान

करती ह, जबकरक खटट रसदार फलो स हम ववटावमन ासीश की परावपत

होती ह। हरी पततदार सवबजयो म बी गरप क ववटावमन भी पाए जात

ह। कछ फल जस - आड , अनानास, करकशवमश और सवबजया , जस-

मथी सरसो का साग , चन का साग आकरद लोह क अचछ साधन ह ,

जबकरक कवलशयम तो अवधकतर हरी पततदार सवबजयो स ही वमलता ह।

इन सब पौवषटक तततवो क अवतररकत फल व सवबजयो स हम फोक

;वपइतमदध भी काफी मातरााा म परापत होता ह , जो करक इनक रशो म

पाया जाता ह। फोक ;वपइतमदध का हमार शरीर म पाचन तो नही

होता परनत आहार म इसका पाया जाना अवतआवशयक ह , कयाााकरक

यह शरीर स गनदगी को मल क रप म बाहर वनकालन म सहायता

करता ह।

(5) वसा व चीनी (Fats/oil and Sugar/Jaggery) -

वसामय पदाथइ जस-तल, वनसपवत घी, मकखन व दसी घी सभी ऊजाइ

क अमलय साधन हा। हर वसामय पदाथइ हमार शरीर को 9 करकलो

कलोरी गराम परदान करता ह। इनका परयोग मखयत: खाना पकान क

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वलए करकया जाता ह , अत: य हमार आहार का एक अवभनन अग ह। य

खान को सवाकरदषट बनान म भी मदद करत ह।

चीनी, गड, शहद आकरद भी हमार शरीर को ऊजाइ ही परदान करत ह जो

करक काबोज क रप म होती ह। अत: परवत गराम चार करकलो कलोरी परदान

करत ह। चीनी स तो कवल काबोज ही वमलता ह , जबकरक गड स

काबोज क साथ-साथ कछ मातरााा म लोहा भी परापत होता ह।

हालाकरक अवधकतर खाध-पदाथइ तो इन पाच खाध वगो क अनतगइत आ

जात ह , करफर भी कछ आमतौर पर परयोग म लाए जान वाल पदाथइ

करकसी भी खाध-वगइ म नही आत जस-मसाल इतयाकरद। मसालो का

परयोग मखयत: हमार भोजन को सवाकरदषट और आकषइक बनान क वलए

करकया जाता ह। हालाकरक इन म कछ पौवषटक तततव काफी मातरााा म

पाए जात ह। परनत इनका हमार आहार म इतनी कम मातरााा म

परयोग करकया जाता ह , करक हम इनम कछ खास मातरााा म कोइइ भी

पौवषटक-तततव नही परापत होता।

इस परकार इवनडयन षकौवसल आफ मवडकल ररसचइष दवारा करकए गए

इस वगीकरण म एक परकार की पौवषटकता दन वाल खाध-पदाथो को

एक खाध-वगइ म रखा गया ह। इस परकार हर खाध वगइ की गणवतता को

परापत करन क वलए हम अपन हर आहार म शकरकत दन वाल खाध-वगोा

(अथाइत अनाज व जड वाली सवबजया तथा चीनी व गड) और शरीर म

तनत वनमाइण करन वाल खाध-वगोा (अथाइत दध , मास, मछली तथा

दाल व वतलहन) म स कछ न कछ खाध-पदाथइ अवशय सवममवलत करन

चावहए। हम षशकरकत दन वालष , षशरीर म तनत वनमाइण करन वालष

तथा षशरीर को बीमाररयो स बचान और सचार रप स चलान वालष

सभी खाध-पदाथइ परापत हो जाएग।

आहार-आयोजन को और भी सरल बनान क वलए , खाध-पदाथो का

उनक कायो क आधार पर भी वगीकरण करकया गया ह। अत: भोजन को

तीन शारीररक कायो क अनसार खाध-पदाथो को वनमनवलवखत तीन

खाध-वगो म बाटा गया ह -

(1) ऊजाइ दन वाला खाध-वगइ

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(2) शारीररक वनमाइण करन वाला खाध-वगइ

(3) शारीररक बचाव व गवतवववधयो को सचार रखन वाला खाध-वगइ

(1) ऊजाइ दन वाला खाध-वगइ (Fats/oil and

Sugar/Jaggery) - इस खाध-वगइ क अनतगइत आन वाल खाध-

पदाथइ ह - वववभनन परकार क अनाज , शकइ रा यकत जड वाली सवबजया ,

जस- आल, शकरकनद, अरबी आकरद वसा व चीनी गड आकरद। य सभी

खाध-पदाथइ या तो काबोज क अचछ साधन ह या करफर हम वसा परदान

करत ह , अत: य सभी हम ऊजाइ दत ह। यह ऊजाइ शरीर क वववभनन

आनतररक करियाओ क वलए तथा शारीररक कायइ करन क वलए परयोग म

लाइइ जाती ह।

(2) शारीररक वनमाइण करन वाला खाध-वगइ (Body Building

food products) - इस खाध-वगइ म सवममवलत करकए जान वाल

खाध-पदाथइ ह- दध व दध स बन पदाथइ , अडा, मास, मछली, दाल,

मव, सोयाबीन आकरद। इस वगइ म आन वाल खाध-पदाथइ ववशषतया

परोटीन क अचछ साधन ह , हालाकरक इनस हम कछ ववटावमन और

खवनज लवण भी परापत होत ह। अत: य सभी खाध-पदाथइ बढत हए

शरीर म नए तनत वनमाइण और वयसक शरीर म परान तनतओ की टट-

फट होन पर उनक सथान पर नए तनत बनान क वलए अतयनत आवशयक

ह।

(3) शारीररक बचाव व गवतवववधयो को सचार रखन वाला खाध-वगइ

(Food for Protective and regulatory

function)

वनदबजपवददध - इस खाध-वगइ म फल , हरी पततदार सवबजयाा व अनय

सभी सवबजयाा सवममवलत ह। इन खाध-पदाथो स हम मखयत:

ववटावमनस और खवनज लवण की परावपत होती ह। य सभी पौवषटक

तततव शरीर की वववभनन करियाओ को सचार रप स चलान म सहायक ह

और साथ ही हमार शरीर को वववभनन बीमाररयो क कीटाणओ स लडन

की कषमता भी परदान करत ह।

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इस परकार शारीररक कायो ± क अनसार करकए गए इस वगीकरण क

आधार पर बन तीनो खाध-वगो म स यकरद हम कछ-न-कछ खाध पदाथइ

अपन हर आहार म सवममवलत कर , तो वह पणइ आहार होगा। अपन

आहार को ापणइश बनान क वलए यह जररी नही करक हम तरह-तरह क

वयजन बनाए, परनत यकरद हम खाध-पदाथो का सावधानी स चनाव कर

तो हम आसानी स एक ापणइश और ासतवलतश आहार पा सकत ह।

उदाहरणतया - करकसी भी सबजी क पराि बनाकर दही क साथ खाना

इसी परकार वमससी रोटी , यावन आट और बसन स वमली रोटी म ही

हरी पततदार सबजी वमलाकर और भी आसानी स सतवलत आहार की

परावपत की जा सकती ह। ापणइ आहारश क अनय उदाहरण ह - दाल ,

रोटी और सबजी , इडली व साभर , दही क साथ सवबजयो का पलाव ,

सवबजयाा व पनीर क सडववच आकरद।

इस परकार ापणइ आहारश ासतवलत आहारश का ही एक अग ह।

सतवलत आहार (Balanced Diet) - वषववभनन खाध-पदाथो क

वमशण स बना वह आहार जो हमार शरीर को सभी पौवषटक तततव

हमारी शारीररक आवशयकताओ क अनसार उवचत मातरााा म और

साथ ही शरीर क सचय कोष क वलए भी कछ मातरााा म पौवषटक तततव

परदान करता ह ासतवलत आहारश कहलाता ह।ष शरीर क सचय कोष

म जमा पौवषटक-तततव करकसी भी करिनाइइ क समय शरीर म परयोग म

लाए जा सकत ह।

अत: हमारा आहार सतवलत तभी कहलाएगा जब हम उवचत मातरााा

म भोजन कर जो करक हमार शरीर क सभी पौवषटक आवशयकताओ को

परा कर सक और जररत पडन पर , जस करक बीमार होन पर , हम

आवशयक पौवषटक तततव परदान कर सक।

अत: हम ऐसा सतवलत आहार परापत करन क वलए ऐस सभी खाध-पदाथइ

गरहण करन चावहए , वजसस हम ऊजाइ , परोटीन, ववटावमनस व खवनज-

लवण सभी उवचत मातरााा म परापत हो सक। ऐसा करना इसवलए

आवशयक ह ताकरक हम भोजन क तीनो शारीररक कायो± का अवधकतम

लाभ उिा सक ।

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हालाकरक एक सतवलत आहार की सरचना करकसी भी वयकरकत की आय ,

ललग, शारीररक कायइ , व शारीररक अवसथा पर वनभइर करती ह ,

वजसकी चचाइ अगल अधयाय म की जाएगी। करफर भी , उदाहरण क तौर

पर मधयम आय वगइ क एक वयसक वयकरकत क वलए एक करदन की आहार-

तावलका नीच दी गइ ह -

करकशोरो, वयसको और वदधो क वलए आहार आयोजन

(Planning Diets for Adolescents, Adults and During Old Age)

Audio

करकशोरावसथा तजी स ववकास और बढत की आय ह। यह अवसथा

लगभग दस वषइ तक रहती ह। इस समह म वयकरकतयो क ववकास की

गवत बहत अवधक वभनन हो सकती ह। इसी आय म , शरीर म, मन म

कइइ परकार क पररवतइन होत ह। लडकरकया 11 और 14 वषइ की आय क

बीच और लडक 13 और 16 वषइ की आय क बीच पररपकवता को परापत

होत ह। शरीर म पानी की मातरााा , शरीर क आयाम , और हवडडयो

और वसा की दवषट स लडको और लडकरकयो म बहत अवधक अनतर

होता ह।

यह सवाभाववक ही ह करक ववकास की इस अववध म पौवषटक आहार की

आवशयकता बहत अवधक होती ह। वजस वयकरकत न भी करकशोरो को

भोजन करत हए दखा हो, वह यह बता सकत ह करक इस आय म करकतनी

भख लगती ह। यकरद भोजन पयाइपत मातरााा म उपलबध हो तो लडक तो

खात ही चल जात ह। दभाइगय की बात यह ह करक यकरद भोजन म पौषटक

तततवो की पयाइपत मातरााा न हो तो भी करकशोर अपनी कषधा वमटान क

वलए उस खा लग लकरकन , उसस उनह व पौवषटक तततव नही वमलग जो

ववकास क वलए आवशयक ह। इसी आय म पौवषटक आहार पान वाल

और उसस ववचत करकशोरो क बीच अनतर सपषट हो जाता ह।

सामानयतया घरटया भोजन वह ह , वजसम न तो कलारी की पयाइपत

मातरााा होती ह और न कवलशयम की। लकरकन करकशोर लडक म

कवलशयम की कमी सपषट रप स करदखायी नही पडती , कयोकरक, उसकी

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कमी क कारण उसका ववकास उतना नही होता वजतना होना चावहए।

इसक अवतररकत यकरद भोजन म कवलशयम की मातरााा पयाइपत न हो तो

बचचा पयाइपत भोजन भी नही कर पाता और इसस उसका ववकास

अवरदध हो जाता ह। कइइ बार ऐसा भी होता ह करक तजी स बढत हए

करकशोर को समवचत कलोररया तो वमल जाती ह लकरकन , कवलशयम की

कमी रहती ह। उसक शरीर का ढाचा मजबत नही बनता और उसकी

चाल भी अवनयवमत हो जाती ह। ऐसी अवसथा म इस आय म टाग टढी

हो सकती ह या पर वबलकल चपट हो जात ह। गजरात क अभावगरसत

कषतरााोा म यह दखा गया ह करक , जब करकशोरावसथा क लडको को

दोपहर म पौवषटक भोजन करदया गया तो उनक वजन म चार स छ:

करकलोगराम तक की ववदध हइइ। लकरकन कम आय क बचचो म यह ववदध एक

स दो करकलोगराम तक की थी। यकरद भारतीयो का कद-काि पवशचमी

दशो क नागररको की तलना म कम होता ह तो उसका कारण मखय रप

स यह ह करक करकशोरावसथा म भारतीयो क ववकास की दर कम हो जाती

ह।

पौवषटक तततवो की आवशयकताए (Nutritional Needs)

करकशोरो को वजन पौवषटक तततवो की आवशयकता ह, उनका बयौरा नीच

करदया गया ह और उस साररणी 1 म साररणीबदध करकया गया ह।

करकशोरावसथा म लडको की तलना म लडकरकयो का ववकास पहल होता

ह इसवलए 13 स 15 वषइ की आय की लडकरकयो क वलए 16 स 18

वषइ तक क लडको क वलए अवधक ऊजाइ की आवशयकता होती ह।

करकशोर लडकरकयो और लडको क वलए आवशयकता ऊजाइ म अनतर का

एक कारण यह ह करक लडकरकयो म चयापचय की दर (मटाबावलक रट)

लडको की तलना म कम होती ह। 13 स 15 वषइ क लडको को

परवतकरदन 2450 कलरी की आवशयकता पडी ह और 16 स 18 वषइ की

आय क बीच 2640 कलरी परवतकरदन। लडकरकयो को 13 स 18 वषइ की

आय क बीच परवत करदन 2060 कलरी की आवशयकता होती ह।

परोटीन की आवशयकता लडको को लडकरकयो की अपकषा अवधक होती ह ,

कयोकरक उनका कद-काि अवधक होता ह। ववकास की अववध क बाद

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लडको क शरीर का आकार और पररमाण लडकरकयो की तलना म डढ

गना होता ह। लडकरकयो क शरीर म वसा

अवधक होती ह। लडको को 13 स 15 वषइ की आय म परवतकरदन 70

गराम और 16 स 18 वषइ क बीच 78 गराम परोटीन की आवशयकता

होती ह। उनकी तलना म लडकरकयो को 13 स 15 वषइ की आय क बीच

परवत करदन 65 गराम और 16 स 18 वषइ की आय म 63 गराम परोटीन

की परवत करदन आवशयकता होती ह।

हवडडयो का आकार बढ जाता ह और उनम खवनज पदाथो ± की

आवशयकता कद-काि परा होन क बाद भी बनी रहती ह , इसवलए

ववकास की अववध म कवलशयम की आवशयकता अवधक होती ह और

उसक बाद कम हो जाती ह। यह बात लडको और लडकरकयो , दोनो पर

लाग होती ह। दोनो को 13 स 18 वषइ क बीच 600 वम.गराम

कवलशयम परवत करदन वमलना चावहए।

लौह ततव : रकत क पररमाण म लगातार होन वाली ववदध क कारण लौह

की आवशयकता शशवावसथा की तलना म करकशोरावसथा म अवधक

होती ह। करकशोर लडको को 13 स 18 वषइ की आय क बीच परवतकरदन

लगभग 41-50 वमवलगराम लौह की आवशयकता होती ह। और

लडकरकयो को 28-30 वम. गराम की आवशयकता होती ह।

ववटावमन ए की आवशयकता और अवधक बढ जाती ह। 13 स 18 वषइ

की आय क बीच लडको और लडकरकयो, दोनो को परवत

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करदन 600 माइकोगराम रटीनोल की आवशयकता होती ह। भोजन

म बढी हइइ कलररयो क अनरप थायमीन , ररबोपलाववन और

वनकोटीवनक एवसड की आवशयकताओ का सझाव करदया जाता ह। लडको

को इन ववटावमनो की अवधक आवशयकता होती ह कयोकरक उनह ऊजाइ

की अवधक आवशयकता पडती ह। ववटावमन सी की आवशयकता उतनी

ही रहती ह वजतनी करक बचपन म होती ह , अथाइत 40 वमवलगराम परवत

करदन। सभी आय क करकशोरो क वलए भोजन म ववटावमन डी की मातरााा

200 अनतराइषटरीय इकाइइ वनधाइररत की गइइ ह। इस कारण फोवलक

एवसड की आवशयकता सौ माइिोगराम ह। यह वसफाररश इस कारण की

गइइ ह करक भोजन म जो फौलट होत ह उनक Ðाास की परववतत रहती ह।

ववटावमन B12 कवल मास म वमलता ह और भारत म अवधकतर लोग

शाकाहारी

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ह इसवलए , यह वसफाररश की गइइ ह करक भोजन म कम स कम एक

वमवलगराम ववटावमन B12 परवत करदन होना चावहए। इसका कारण यह

ह करक खाना पकान म यह ववटावमन करकसी हद तक नषट हो जाता ह और

करफर यह भी वनवशचत नही ह करक भोजन म वमलन वाला यह ववटावमन

करकस हद तक शरीर का अग बन सकता ह। ऐसा ववशवास ह करक

ववटावमन B6 की आवशयकता इस बात पर वनभइर करती ह करक परोटीन

करकतनी मातरााा म ली जा रही ह। करकशोरो को परवत करदन दो वमवलगराम

ववटावमन B6 की आवशयकता हाती ह।

पौवषटक तततवो की आवशयकताए

(Factors to be considered while Planning Diets)

1. योजनाबदध भोजन का सतलन इस परकार करना चावहए करक

कवलशयम अवधक हो। उसक वलए यकरद सभव हो तो दध की मातरााा

बढ.ाा दी जाए। जो करकशोर कम आय वगइ क हो उनक भोजन म अवधक

कवलशयम वाल खाध पदाथइ होन चावहए, जस भना हआ अनाज, दसर

अनाज, दाल और पततदार हरी सवबजया। उनक भोजन म ऊजाइ दन

वाल तततवो को भी शावमल करना चावहए। लडकरकयो म अनीवमया की

परववत होती ह , कयोकरक उनकी लौह की आवशयकताए बढ जाती ह।

उनह परा करन क वलए पततो वाली हरी सवबजया , अनाज और दाल ,

और यकरद समभव हो , अणड, मास, कलजी और मछली उनक भोजन म

शावमल की जानी चावहए।

2. इस बात का धयान रखना चावहए करक वयकरकत को कौन-सा वयजन

पसनद ह। उसक भोजन क साथ-साथ चाय और काफी भी होनी चावहए।

3. इस बात को धयान म रखना चावहए करक पररवार की सामावजक-

आरथथक वसथवत कसी ह। यह सभव ह करक गरीब पररवार का करकशोर

अपन अमीर समवयसको की नकल करक अवधक महगी वसतए खाना

चाह। इसवलए उनह ससत लकरकन पौवषटक और आकषइक पदाथइ खान क

वलए दन चावहए।

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4. भोजन नाना परकार क रग और सवाद वाला होना चावहए। करकशोर ,

ववशषकर लडकरकया घर पर खान क मामल म तवनक नकचढी होती ह।

यकरद उनह आकषइक परकार का भोजन करदया जाए तो व घर पर भरपर

भोजन कर पाएगी।

5. यकरद उनह सकल साथ ल जान क वलए खाना करदया जाए तो इस बात

का धयान रखना चावहए करक उसम पौवषटक तततव हो और वह सतवलत

भोजन हो, ववशषकर उस दशा म जब दोपहर का परा खाना उनह करदया

जा रहा हो।

6. मौसम क अनसार िणड पय या चाय काफी भी दनी चावहए वजसस

करक उनका भोजन अवधक रवचकर हो।

7. इस बात का धयान रखना चावहए करक भोजन सतोषपरद हो। यह बात

लडको पर अवधक लाग होती ह। यकरद खान स उनका पट न भर तो उनह

सलाद अवधक मातरााा म दी जा सकती ह।

8. करकशोरो म अलपाहार लन की परववतत होती ह। यह धयान रखना

आवशयक ह करक ऐस अलपाहार कवल ऊजाइ क सरोत न हो , अवपत अनय

पौवषटक तततव भी परदान कर।

9. भोजन सखद वातावरण म खाना चावहए।

16 वषइ की करकशोरी क वलए एक करदन की आहार तावलका

दवनक पौवषटक आवशयकता

ऊजाइ 2060 कलरी

परोटीन 63 गरा.

कवलशयम 500 वम.गरा.

लौह 30 वम.गरा.

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वयसक

(Adults)

वयसकता वयकरकत क जीवन म ऐसी वसथर अवसथा होती ह जब , शरीर

का पणइरपण ववकास हो चका होता ह। इस आय म शरीर क ववकास या

बहत अवधक पररशम क वलए पौवषटक तततवो की बहत अवधक

आवशयकता नही होती। उनकी आवशयकता इस कारण होती ह करक ,

शरीर की करियाए बनी रह। वयसको म उतनी ही ऊजाइ की आवशयकता

होती ह वजसस उनका सामानय कायइकलाप जारी रह। इस आय म

वयकरकत वनमाइण कायइ म लगता ह , अथाइत अपन वनवाइह क वलए करकसी

काम म लग जाता ह। इस कारण उसको पौवषटक आहार की

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आवशयकता होती ह , वजसस करक वह अपनी सामथरय क अनसार काम-

काज करता रह। अचछ भोजन स वह पररशम कर सकता ह और बढाप

को, जहा तक हो सक , टाल सकता ह। यकरद जीवन क परारवभक वषो म

उसक भोजन म कछ पौवषटक तततवो का अभाव रहा हो और इस आय म

भी वह अभाव बना रह , तो उसक गभीर पररणाम हो सकत ह।

इसवलए उस समवचत पौवषटक आहार वमलना चावहए और इस बात पर

भी बल दना चावहए करक उस ऐसी आदत पड करक उसका सवासय बना

रह।

वयसको की पौवषटक तततवो की आवशयकता

(Nutritional Needs of Adults)

जसा करक ऊपर कहा जा चका ह , पौवषटक आहार की आवशयकता मखय

रप स इस कारण होती ह करक , वयकरकत अपन शरीर की करियाओ को

बनाए रख और अपना काम-काज करता रह। दवनक पौवषटक

आवशयकताए वयसको क वलए अलग-अलग नही दी जा सकती। अत:

भारतीय वचकरकतसा अनसधान पाररषद ;पबडतदध न परसताववत पौवषटक

आवशयकताए भारतीय परष व भारतीय सतरााी क वलए दी ह।

सदभइ भारतीय परष षएक ऐसा वयसक परष ह वजसकी आय 20-39

वषइ ह व वजन 60 करक.गरा. ह।ष यह वयसक शारीररक रप स सवसथ व

बीमारी स दर ह। यह परवतकरदन अपन वयवसाय म 8 घणट मधयम शम

का कायइ करता ह। जब यह कायइ नही करता , तब 8 घणट सोता ह ,

चार घणट उिन , घमन क हलक कायइ करता ह व दो घणट घमना ,

खलना व अवधक शम वाल गह कायइ करता ह। पबडत क अनसार ऐस

वयकरकत की लमबाइइ 163 स.मी. ह।

सदभइ भारतीय मवहला षऐसी मवहला ह जो 20-39 वषइ की ह व

वजन 50 करक.गरा. ह। यह परवतकरदन आि घणट अपन घर क कायइ व

वयावसावयक कायइ करती ह जो मधयम शणी क हा इसक अवतररकत यह

आि घणट सोती ह , चार घणट घमन , खलन या अनय अवधक शम क

कायइ करती ह।ष पबडत न ऐसी मवहला की लमबाइइ 151 स.मी. बताइइ

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ह। वववभनन पौवषटक तततवो की आवशयकताओ का बयौरा साररणी- 2 म

करदया गया ह।

ऊजाइ : वयसको म ऊजाइ की आवशयकता इस कारण होती ह करक उनक

शरीर की करियाय बनी रह और व अपना काम-काज करत रह। लकरकन ,

उनक वलए भोजन की योजना बनात समय इस बात का धयान रखना

चावहए करक व करकस परकार क काम म लग ह और उस काम क वलए

करकतनी ऊजाइ की आवशयकता ह। वयसको क काम-काज सामानयतया

वनमन परकार क होत ह :

हलका शम

परष दफतरो म काम करन वाल , वकील, डाकटर, लखापाल,

अधयापक और वासतकलाववदव।

सतरी दफतरो म काम करन वाली और व गहवणया वजनक पास घर का

काम करन क वलए उपकरण या नौकर हो , अधयावपकाए और अनय

ववततभोगी मवहलाए।

मधयम शम

परष हलक उधोग म काम करन वाल अवधकतर परष , वनमाइण कायइ म

लग, वजनम किोर पररशम करन वाल शावमल नही ह , खतो म हलका

काम करन वाल और दकानदार

सतरी हलक उधोगो म काम करन वाली वसतराया, गहवणया वजनक घरो म

काम-काज क वलए कोइइ उपकरण या नौकर न हो, दकानो म काम करन

वाली वसतराया

किोर पररशम

परष खत मजदर, दसर मजदर, सवनक, खानो और इसपात कारखानो

क मजदर, वखलाडी

सतरी खतो म काम करन वाली वसतराया, नतइकरकया और वखलाडी।

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शारीररक शम और अनय कायइकलाप क अलावा, वजसका वयकरकत क पश

स कोइइ समबनध न हो , वयकरकतयो की ऊजाइ की आवशयकताए अनय कइइ

बातो पर वनभइर करती ह , जस करक उसका कद-काि , आय, जलवाय

और ललग। कोइइ वयकरकत करकतनी ऊजाइ का वयय करता ह , वह इस बात

पर वनभइर ह करक जब वह काम नही कर रहा होता तो उसका चयापचय,

अथाइत मटाबोवलजम, कसा होता ह, उस चलन-करफरन, खड रहन आकरद

म करकतना शम करना पडता ह ; इसक साथ ही करकसी वयकरकत का

शारीररक कायइकलाप इस बात स भी परभाववत होता ह करक उसक शरीर

म वसा करकतनी ह। परषो की तलना म वसतरायो की ऊजाइ की

आवशयकता कम होती ह कयोकरक , उनक शरीर म वसा की मातरााा

अवधक होती ह। वयसको की ऊजाइ की खपत आय क साथ बदलती ह ,

कयोकरक उनक शरीर का वजन और उसक गिन म पररवतइन हो जाता ह।

यह पररवतइन बढाप म अवधक करदखायी पडता ह। इस बात को सभी

सवीकार

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करत ह करक ऊषण परदशो की तलना म िणड परदशो म ऊजाइ की

आवशयकता अवधक होती ह।

परोटीन : एक साधारण वयसक को अपन शरीर को बनाए रखन और

कायइकलाप म परयकत हए परोटीन की कमी परी करन क वलए इस तततव

की आवशयकता होती ह। सामानयतया शरीर क वजन क अनसार परवत

करकलोगराम क पीछ एक गराम परोटीन परवत करदन की आवशयकता होती ह।

इस परकार औसत भारतीय परष क वलए वजसका वजन 60 करकलो हो,

60 गराम परोटीन परवत करदन चावहए होती ह और औसत भारतीय सतरााी

क वलए , वजसका वजन 50 करकलो हो , 50 गराम परोटीन परवत करदन

आवशयक ह।

खवनज लवण : परषो को परवत करदन 400 वम.गरा. तक कवलशयम

वमलना चावहए। जहा तक लौह का समबनध ह परषो क वलए 30

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वमवलगराम और वसतरायो क वलए 28 वमवलगराम की आवशयकता ह, इस

रकतसराव म लगभग दो वमवलगराम लौह पररवतकरदन (मावसक

धमइ क दौरान) सतरााी क शरीर स वनकल जाता ह। इस कारण परषो की

तलना म वसतरायो म रकत की कमी का रोग अवधक होता ह।

ववटावमन : सामानय परषो और वसतरायो क वलए ववटावमन ए ,

एसकोरथबक एवसड , फोवलक एवसड और ववटावमन बी 12 की

आवशयकता एक जसी ह। दसर शबदो म रटीनोल क रप म 600

माइिो गराम ववटावमन ए या बीटा-करोटीन क रप म 2400 माइिो

गराम परवत करदन वमलना चावहए। इसक अवतररकत 40 वमवलगराम

एसकोरथबक एवसड , सौ माइिो गराम फोवलक एवसड और एक माइिो

गराम ववटावमन ि 12 । जहा तक वथयावमन , ररबोफलाववन और

वनयावसन का समबनध ह , उनकी आवशयकता ऊजाइ की आवशयकता क

अनसार बदलती रहती ह। परषो को परवत करदन 1ण2 स 1ण6

वमवलगराम तक वथयावमन परवत करदन वमलना चावहए और वसतरायो को

0ण9 स 1ण2 वमवलगराम तक। परषो को 1ण4 स 1ण9 वमवलगराम

तक ररबोफलाववन परवत करदन वमलना चावहए और वसतरायो को 1

वमवलगराम स 1ण5 वमवलगराम तक। जहा तक ववटावमन डी का समबनध

ह, उसकी 200 अनतराइषटरीय इकाइया परतयक वयकरकत को परवत करदन

वमलनी चावहए, चाह वह आय क करकसी भी वगइ म आता हो।

भोजन की योजना बनात समय धयान दन योगय बात :

(Factors to be considered while Planning Diets)

1. भोजन की योजना इस परकार बनानी चावहए करक उसम पौवषटक

तततवो का सतलन हो। इस बात पर बल दना आवशयक ह करक यह सतलन

परतयक आहार म रह।

2. यकरद वयकरकत दफतर जाता ह तो पौवषटक , आकषइक व आसानी स ल

जान वाल रटकरफन की योजना बनानी चावहए।

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3. वसा क परयोग पर ववशष धयान दना चावहए व ऐसी वसा का चयन

करना चावहए वजसस उचच रकतचाप व हदय रोगो स बचा जा सक।

4. वजस वयकरकत क वलए भोजन की योजना बनायी जा रही ह , उसकी

परमपराओ, रीवत-ररवाजो और धमइ क परवत दवषटकोण का धयान रखना

चावहए।

5. इस बात का धयान भी रखा जाए करक करकस वयकरकत को कौन-सा

भोजन पसद ह। यकरद उस एक परकार का भोजन पसद न हो तो दासरी

परकार का भोजन करदया जा सकता ह। उदाहरण क वलए , यकरद करकसी

वयकरकत को दध अचछा न लगता हो तो उस दही , पनीर आकरद करदया जा

सकता ह।

6. भोजन की योजना वयकरकत की आय क अनसार बनायी जानी

चावहए। यकरद वह महग खाध पदाथइ न खरीद सकता हो , तो उनक

सथान पर ससत, परनत पौवषटक खाध पदाथइ रख जा सकत ह।

7. भोजन, रग और सवाद आकरद की दवषट स नाना परकार का होना

चावहए।

8. वयकरकत को करकतना समय उपलबध ह और उसम करकतनी शकरकत ह

उसका भी धयान रखना आवशयक ह। यकरद भोजन की वयवसथा करकसी

ऐस सतरााी क वलए करनी हो जो काम-काजी मवहला ह , तो उस भोजन

को पकान म अवधक समय नही लगना चावहए।

9. वयजनो की सची मौसम क अनसार बनानी चावहए। वही सवबजया

और फल चन जाए , जो करकसी मौसम म वमलत ह। कारण यह ह करक व

अवधक सवाद वाल , पौवषटक, ससत और आसानी स उपलबध होत ह।

मौसम क अनसार भोजन म पय पदाथइ भी शावमल करकए जा सकत ह।

10. भोजन की योजना इस परकार बनायी जाए करक उस खाकर उसकी

कषधा सतवषट हो। भोजन म कचच फल व सवबजयााा को सवममवलत

करना चावहए।

11. भोजन सखद वातावरण म करकया जाना चावहए।

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हलका काम करन वाली (परबवधका) क वलए करदन-भर आहार

तावलका

दवनक पौवषटक आवशयकता

शम हलका

ऊजाइ 1875 कलरी

परोटीन 50 गराम

लौह 30 वमवलगराम

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किोर पररशम करन वाली मजदर मवहला क वलए करदन भर की आहार

तावलका

दवनक पौवषटक आवशयकता

शम भारी

ऊजाइ 2925 कलरी

परोटीन 50 गराम

लौह 30 वमवलगराम

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वदधावसथा

(Old Age)

आय क बढन क साथ-साथ कइइ शारीररक पररवतइन होत ह और रोगो स

लडन की शकरकत भी कषीण हो जाती ह। वजसक कारण पौवषटक आहार

की आवशयकता अवधक या कम हो सकती ह। शरीर म पानी की

मातरााा कम हो जाती ह और वसा का परवतशत बढ जाता ह। अनमान ह

करक 80 वषइ की आय म मास पवशयो की कोवशकाए आधी रह जाती ह।

शरीर की सकरिय कोवशकाओ की सखया म कमी हो जाती ह। इस परकार

क पररवतइन ववशष रप स ऊतको म करदखाइइ पडत हा मवसतषक ,

हवडडयो, हदय, गद और ढाच की मास पवशयो म नए ऊततक उतपनन

करन की शकरकत कषीण हो जाती ह। सकरिय कोवशकाओ क सथान पर वसा

और मास पवशयो को जोडन वाल ऊततक बन जाता ह। आय बढन क

साथ-साथ वववभनन अगो की सकरिय कोवशकाओ की सखया म कमी हो

जाती ह और अगो की करियाशीलता घट जाती ह। बहधा वदधो म यह

दखा गया ह करक उनकी हवडडयो म खवनज तततव समापत हो जात ह। इस

दशा को ओसटीयोपोरोवसस ;वाजवचवतवपदध की सजञा दी जाती ह ,

और तब हवडडया करकरी हो जाती ह तो हलका-सा आघात लगन पर

उनक टट जान की शका बढ जाती ह।

वदधावसथा म सवाद और गध की अनभवत उतनी तीवर नही होती ,

वजतनी करक यवावसथा म होती ह और इस कारण भोजन का आननद कम

हो जाता ह। वदधो म बहधा दतकषय पाया गया ह उनक मसढ भी िीक स

काम नही करत। पररणाम यह होता ह वदध नरम भोजन करत ह और

ऐसी वसतए खात ह , वजनम काबोहाइडरटस की मातरााा अवधक होती

ह। उस भोजन स उनक शरीर म कवलशयम , परोटीन और ववटावमन जस

पौवषटक तततव नही पहच पात। लार कम आन लगता ह और पाचन

शकरकत घट जाती ह। वदधो म बहधा यह पाया गया ह करक व माड को

नही पचा सकत। अवधकतर वदधो म आमाशय म अमल सतराााव कम हो

जाता ह। आमाशय म वववभनन परकार क पाचक रसो की मातरााा भी कम

हो जाती ह, वजनक आमाशय म अमल की कमी होती ह उनका पट तजी

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स खाली हो जाता ह। आमाशय और अतवडयो म वनवषियता आ जाती

ह और इस बात की अवधक सभावना रहती ह करक कछ परकार क भोजन

स उनका पट फलन लग। âदय की सकरियता कम हो जाती ह और उसक

साथ ही पाचन शकरकत क कषय स शरीर की पौवषटक तततवो को

अवशोवषत करन की शकरकत का Ðाास होन लगता ह।

पौवषटक तततवो की आवशयकताए (Nutritional Needs)

पौवषटक तततवो की आवशयकताओ क आकड साररणी 5 म करदए गए ह।

25 वषइ की आय क बाद चयापचय की सकरियता परवत दस वषइ म दो

परवतशत घट जाती ह। यह Ðाास उन वयकरकतया म कम होता ह जो

सवसथ रहत ह और किोर पररशम करत रहत ह। चयापचय की घटी हइइ

दर और कायइकलाप म कमी होन क कारण वदधो म ऊजाइ की

आवशयकता कम हो जाती ह ऊजाइ की आवशकयता का अनमान लगान

क वलए भारत की वचकरकतसा अनसधान पररषद न यह वसफाररश की ह

करक बढती हइइ आय क साथ-साथ ऊजाइ की आवशयकता वनमन परकार स

कम हो जाती ह :

आय आवशयकता म परवतशत कमी

20-30 वषइ 0

40-49 वषइ 5

50-59 वषइ 10

60-69 वषइ 20

70 वषइ और उसस अवधक 30

वजन वदधो का वजन सामानय हो, उनक वलए ऊजाइ (कलोरी) का वहसाब

इस परकार लगाना चावहए करक उनका वजन वसा ही बना रह। उनक

भोजन म इतनी कमी कर दी जानी चावहए , वजसस करक यकरद उनका

वजन अवधक हो तो घट कर सामानय हो जाए।

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60 वषइ क ऊपर वदध परष व सतरााी की दवनक ऊजाइ की आवशयकता

तावलका 4 म दी गइइ ह।

तावलका-4

शारीररक वजन क अनसार वदध सतरााीपरष की दवनक ऊजाइ की

आवशयकता

शारीररक वजन 60

वषइ क ऊपर हलका शम करन वाल वदध

(करक.गरा.)

परष मवहला

40 — 1544

45 1664 1624

50 1768 1704

55 1872 1784

60 1976 1864

65 2072 1944

70 2176 2024

75 2280 —

इस बात को दखत हए करक वदधावसथा म भख कम लगती ह और पाचन

शकरकत कम हो जाती ह, वदधो क शरीर म परोटीन की कमी हो जाती ह।

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इस कारण इस बात की वयवसथा करनी चावहए करक शरीर म परोटीन की

कमी न हो। दध म परोटीन क साथ-साथ ववटावमन और खवनज पदाथइ

भी होत ह, इस कारण दध समवचत मातरााा म दना चावहए। परवतकरदन

शरीर क वजन क वहसाब स एक करकलोगराम क पीछ 1ण0 स 1ण4

गराम तक परोटीन दनी चावहए।

वदधो क भोजन म कम स कम 50 गराम घी अथवा तल रहना चावहए ,

कयोकरक वह ऊजाइ का सक æवत सरोत ह। कम स कम इस मातरााा का

पचास परवत शत शाक भाजी क तलो क रप म होना चावहए , वजनम

आवशयक वसा-अमल रहत ह।

वदधो म सामानयतया कवलशयम और लौह की कमी हो जाती ह। इसका

कारण यह ह करक वयसको की तलना म वदधो म इन तततवो को पचान की

सामथरय कम हो जाती ह। कवलशयम कम स कम आधा गराम परवतकरदन

और लौह 28 वमवलगराम परवतकरदन होना चावहए। वदधो म रकत का सचार

अवधक नही होता और रकत म लौह ततवो की थोडी-सी कमी स भी

उनक सवासय पर बरा परभाव पड सकता ह। उस रोकन क वलए लौह

की मातरााा समवचत होनी चावहए।

वदधो म बहधा कइइ परकार क ववटावमनो की थोडी कमी हो जाती ह।

इसवलए यह आवशयक ह करक उनक भोजन म सभी आवशयक ववटावमनो

की समवचत मातरााा रह। यकरद उनक भोजन म सभी ववटावमनो की

समवचत मातरााा न हो तो उनह मलटी ववटावमन गोली परवतकरदन दनी

चावहए वजसस करक वववभनन ववटावमन उनक शरीर म पहच जाए।

थायमीन, ररबोफलववन और वनयावसन की आवशयकता ऊजाइ की

आवशयकता क अनसार तय की जाती ह। एसकोरथबक एवसड (ववटावमन

सी) परवतकरदन 40 वमवलगराम, फोवलक एवसड, ववटावमन ि12 और

ववटावमन ि6 लगभग सौ माइिोगराम, एक माइिोगराम और दो

वमवलगराम दना चावहए। यह आवशयक ह करक परवत करदन ववटावमन डी क

400 अनतराइषटरीय इकाइइ करदए जाए, वजसस शरीर म कवलशयम

अवशोवषत होन लगगा और हवडडयो की रकषा की जा सकगी।

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आमतौर पर इस बात को नही समझा जाता करक वदधो को जल तथा

अनय तरल पदाथइ समवचत मातरााा म दन चावहए , वजसस करक व परवत

करदन डढ लीटर पशाब कर। पानी क साथ-साथ छाछ , फलो का रस ,

सप आकरद दना चावहए।

इस बात की वयवसथा करनी चावहए करक वदधो को हरी शाक-भाजी और

फल समवचत मातरााा म करदए जाए वजसस करक उनक भोजन म रश की

मातरााा समवचत रह और उनह कबज न होन पाए। वदधावसथा म

अतवडया ऐसी हो जाती ह करक पकी सवबजयो का रशा और अनाज का

चोकर भली-भावत पच नही पाता।

भोजन की योजना बनात समय धयान दन योगय बात :

(Factors to be considered while Planning Diets)

वदधो क वलए भोजन की योजना बनात समय वनमन बातो का धयान

रखना चावहए।

(1) भोजन ऐसा हो करक यह पौवषटक तततवो की दवषट स सतवलत रह।

इस बात पर बल दना चावहए करक परोटीन , कवलशयम, ववटावमन और

रश की समवचत मातरााा रह , कयोकरक अवधकतर वदधो म इन तततवो की

कमी हो जाती ह।

(2) वदधो क वलए भोजन को चबान म करिनाइइ हो सकती ह इसवलए

इस बात का धयान रखना चावहए करक भोजन नरम हो और उसम सप ,

दाल या दवलए जस तरल पदाथइ हो , वजनह वनगलन म करिनाइइ न हो।

वदधो को सलाद कस करक करदया जा सकता ह। भोजन परी तरह पका

हआ होना चावहए। रोटी मोटी बनायी जा सकती ह वजसस करक उस

चबान म कषट न हो। अगर आवशयकता हो तो रोटी को दध या दाल म

वभगो कर खाया जा सकता ह।

(3) कवलशयम की आवशयकता का ववशष धयान रखना चावहए कयोकरक

हवडडयो म धीर-धीर खवनज लवण वनकलन शर हो जात ह।

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(4) यकरद एक समय म वयकरकत परा आहार नही ल पाता ह तब छोट

आहार कम समय अनतराल म दन चावहए।

(5) इस बात का धयान रखना चावहए करक वजसक वलए भोजन की

योजना बनायी जा रही ह उस कौन-सा वयजन पसनद ह।

(6) काबोहाइडरटस की जो मातरााा भोजन म हो वह नरम होनी

चावहए, वजसस करक खान वाल को कबज न हो।

(7) मीि पदाथइ कम कर दन चावहए, कयोकरक उनस भख मारी जाती ह

और कवल कलोरी ही वमलती ह।

(8) भोजन म कलोरी की मातरााा इतनी होनी चावहए करक शरीर का

वजन न बढन पाए।

(9) यकरद भख कम लगती हो तो ऐसा भोजन होना चावहए वजसकी

मातरााा कम हो परनत वजसम कलोररयो की मातरााा परी रह साथ ही

भोजन को ससवाद बनाना चावहए। वदधो को नाशत और दोपहर क

भोजन क बीच और तीसर परहर भी कछ खान क वलए करदया जा सकता

ह।

(10) इस बात का भी धयान रखना चावहए करक उनकी आरथथक वसथवत

कसी ह। योजना आरथथक वसथवत क अनरप बनानी चावहए।

तावलका 6

वदधो क वलए कछ परसताववत वयजन सची

नाशता दोपहर का

भोजन रात का भोजन

आट या सजी का हलवा

चपाती चपाती या चावल

दध

दाल और पालक सबजी या कढी

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दही पपीता

उपमा वजसम मगफली हो

चावल वखचडी

कला

अकररत चना दध या दही

गाजर की सबजी टमाटर का सलाद

चावल व मग दाल

चपाती चावल

का दवलया, दध क साथ चन

की दाल साभर

गाजर (कसी हइ) गाजर

पाव रोटी या टोसट

सबजी वाला पलाव चावल

अड की भजी

धवनए की चटनी अड की सबजी

दध

दही दही

यकरद भोजन क समय भख कम हो तो दो समय क भोजन क बीच

पौवषटक आहार करदया जा सकता ह। दो वयजनो क बीच खान क वलए

करदए जान वाल वयजनो का सझाव:

दध और वबसकट/रसक/टोसट

लससी और फलो की चाट

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दही और कला

कोनइफलक और दध

अड क सडववच

टमाटर और पनीर क सडववच

भोजय पदाथो का चनाव सामावजक-आरथथक सतर क अनसार कर सकत

ह। मौसम व उपलबधता क अनसार सवबजयो व फलो म परवतसथापन व

पररवतइन ला सकत ह। मधयानतर क अलपाहार व दोपहर क भोजन का

चनाव सकल समय क अनसार कर सकत ह।