c.b.s.e board : 10 b : 3 - gyanajyoti public schoolc.b.s.e board कक ष : 10 ह द b स : 3...

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C.B.S.E Board का : 10 हदी B समय : 3 घटे ाक : 80 निदेश : 1. इस न-प के चार खंड ह - क, ख, ग, और घ। 2. चार खंड के न के उतर देना अनवाय है। 3. थासंभव ेक खंड के उतर मश: दीजिए। खड - .1. नननलिखखत गदांश को ानप वयक पढ़कर प छे गए न के उतर लिखखए : (2x4) (1×1) = [9] एक सम की बात है। कनौि म एक परोपकारी महामा रहते थे। वे निग को ब राई से द र रहने का उपदेश दा करते थे। उनकी वाणी का अछा भाव होता था। िोग भी उनका मान-समान करते थे।एक ददन वे नशे की ब राईा िोग को बतिा रहे थे। भी म से एक जत बाहर नकिा और बोिा, महामन, म झे अफीम खाने की आदत है, म उसे छोना चाहता ह , पर टती ही नहीं। ता आप म झे इसका कोइय उपा बतिाएगे? महामा ने कहा, अव, त म आि शाम को मेरे आम पर आना, म त इसकी तरकीब समझाऊ गा। शाम के सम िब वह जत आम पर पह चा तो महामा िी भिन म िगे थे। वह बैठकर तीा करने िगा। क छ देर बाद महामा िी ननव त ह ए और उठकर इधर-उधर टहिने िगे। वह जतभी महामा िी का अन सरण करने िगा। छ सम ही बीत गा। अधीरता-से उस जत ने महामा िी से छा, महामा िी, म वह तरकीब प छने आा ह जिससे अफीम खाने की आदत छ ट सके। महामा िी ने एक जटट उस जतत पर डािी और बोिे, तो त म सचम अफीम की आदत छोना चाहते हो?

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  • C.B.S.E Board कक्षा : 10 ह िंदी B

    समय : 3 घिंटे परू्ाांक : 80 निदेश : 1. इस प्रश्न-पत्र के चार खंड हैं - क, ख, ग, और घ। 2. चारों खंडों के प्रश्नों के उत्तर देना अननवार्य है। 3. र्थासंभव प्रत्रे्क खंड के उत्तर क्रमश: दीजिए।

    खण्ड - क प्र.1. ननम्नलिखखत गदर्ांश को ध्र्ानपवूयक पढ़कर पछेू गए प्रश्नों के उत्तर

    लिखखए : (2x4) (1×1) = [9] एक समर् की बात है। कन्नौि में एक परोपकारी महात्मा रहत ेथे। वे ननत्र् िोगों को बरुाईर्ों से दरू रहने का उपदेश ददर्ा करते थे। उनकी वाणी का अच्छा प्रभाव होता था। िोग भी उनका मान-सम्मान करत ेथे।एक ददन वे नश ेकी बरुाईर्ााँ िोगों को बतिा रहे थे। भीड़ में से एक व्र्जतत बाहर ननकिा और बोिा, महात्मन, मझु ेअफीम खाने की आदत है, मैं उसे छोड़ना चाहता हूाँ, पर छूटती ही नहीं। तर्ा आप मझु ेइसका कोइय उपार् बतिाएाँगे? महात्मा न ेकहा, अवश्र्, तुम आि शाम को मेरे आश्रम पर आना, मैं तुम्हें इसकी तरकीब समझाऊाँ गा। शाम के समर् िब वह व्र्जतत आश्रम पर पहुाँचा तो महात्मा िी भिन में िगे थे। वह बठैकर प्रतीक्षा करने िगा। कुछ देर बाद महात्मा िी ननवतृ्त हुए और उठकर इधर-उधर टहिने िगे। वह व्र्जतत भी महात्मा िी का अनसुरण करने िगा। कुछ समर् र्ों ही बीत गर्ा। अधीरता-से उस व्र्जतत न ेमहात्मा िी से पछूा, महात्मा िी, मैं वह तरकीब पछूने आर्ा हूाँ जिससे अफीम खाने की आदत छूट सके। महात्मा िी न ेएक दृजटट उस व्र्जतत पर डािी और बोिे, तो तुम सचमचु अफीम की आदत छोड़ना चाहत ेहो?

  • िी ! उस आदमी का उत्तर था, मैं इससे बहुत परेशान और द:ुखी हूाँ। ठीक ! कहकर महात्मा िी न ेएक िता को अपनी बाहु में िपेट लिर्ा और बोि,े मैं तुम्हें इसका उपार् कैसे बताऊाँ र्ह िता तो मझु ेछोड़ ही नही ंरही है। पहिे तो वह आदमी भौंचतका-सा होकर महात्मा िी को देखन ेिगा, फफर कुछ खझझककर बोिा, महात्मन, क्षमा करें, तर्ा िता भी आदमी को पकड़ सकती है? महात्मा बोिे, अरे भाइय ! मैं भी र्ही कहता हू फक तर्ा कोइय भी बरुाइय आदमी को पकड़ सकती है? तुम दृढ़ संकल्प के साथ शराब को छोड़ो, तो छूटेगी कैसे नही!ं आदमी ने महात्मा को प्रणाम फकर्ा और घर िौट गर्ा।

    1. कन्नौि में कौन रहत ेथे और वे तर्ा करते थे? एक ददन व ेतर्ा बतिा

    रहे थे? [2] 2. आदमी आश्रम में पहुाँचकर फकसका इंतिार करने िगा और तर्ों? [2] 3. महात्मा िी ने िता को तर्ों िपेट लिर्ा तथा वे आए हुए आदमी को

    तर्ा समझाना चाहत ेथे? [2] 4. आदमी भौंचतका तर्ों रह गर्ा? [1] 5. उपर्ुयतत गदर्ांश से आपको तर्ा लशक्षा लमिती है? [2]

    प्र. 2. ननम्नलिखखत काव्र्ांश को पढ़कर पछेू गए प्रश्नों के उत्तर लिखखए : 2x3=[6]

    हम अननकेतन, हम अननकेतन! हम तो रमते राम, हमारा तर्ा घर, तर्ा दर, कैसा वतन? अब तक इतनी र्ों ही काटी, अब तर्ा सीखें नव पररपाटी कौन बनाए आि घरौंदा हाथों चनु-चनु कंकड़-माटी ठाठ फकीराना है अपना, बाघंबर सोहे अपने तन। देखे महि, झोंपड़ ेदेखे, देखे हास-वविास मज़े के संग्रह के सब ववग्रह देखे, िाँच ेनहीं कुछ अपने िेखे

  • िािच िगा कभी पर दहर् में मच न सका लशखणत उदवेिन। हम िो भटके अब तक दर-दर, अब तर्ा ख़ाक बनाएाँगे घर हमने देखा सदन बने हैं िोगों का अपनापन िेकर हम तर्ों सनें ईंट-गारे में? हम तर्ों बनें व्र्थय में बेमन? ठहरे अगर फकसी के दर पर, कुछ शरमाकर कुछ सकुचाकर तो दरबान कह उठा, बाबा, आगे िा देखो कोई घर हम रमता बनकर बबचरे पर हमें लभकु्ष समझ ेिग के िन। 1. कवव अपने को कैसा बताता है और तर्ों? [2] 2. कवव का अब तक का िीवन कैसा कटा है? [2] 3. कवव अपना (सदन) घर बनाने को इच्छुक तर्ों नही ंहै? [2]

    खण्ड – ख

    प्र. 3. रचना के आधार पर वातर् के फकतने भेद हैं? कौन से? [2]

    प्र. .. ननददेशशानसुार उत्तर दीजिए: 1x3=[3] क) राधधका तब चिी गई िब उसन ेथिैा लिर्ा। (रचना के आधार पर

    वातर्-भेद बताइए) ख) बादि नघरत ेही फकसान नाचने िगा। (संर्तुत वातर् में बदलिए) ग) अलमत की किम छूटी और धगर गई। (सरि वातर् में बदलिए)

    प्र. 5. (क) ननम्नलिखखत का ववग्रह करके समास का नाम लिखखए : 1+1=[2] दोपहर, नमक और लमचय

    (ख) ननम्नलिखखत का समस्त पद बनाकर समास का नाम लिखखए:1+1=[2] पीताम्बर, आमरण प्र. 6. ननम्नलिखखत वातर्ों को शदु्ध रूप में लिखखए : 1x.=[.]

    1. र्ह तो तुम िानते ही हैं। 2. तुम मेरी सहार्ता कीजिए।

  • 3. मैंने कमरे के वपछिे खखड़की से झााँका। 4. सारी रात भर मैं पढ़ता रहा।

    प्र. .. ननम्नलिखखत महुावरों का वातर्ों में इस प्रकार प्रर्ोग कीजिए फक उनका

    अथय स्पटट हो िाए: 1+1=[2] i. तोिकर बोिना ii. ढाक के तीन पात

    खण्ड - ग

    प्र. 8 अ ननम्नलिखखत प्रश्नों के उत्तर दीजिए: 2+2+1=[5] 1. िापान में िहााँ चार् वपिाई िाती है, उस स्थान की तर्ा ववशषेता है? 2. सआदत अिी को अवध के तख़्त पर बबठाने के पीछे कनयि का तर्ा

    मकसद था? 3. ततााँरा खूब पररश्रम करने के बाद कहााँ गर्ा? वहााँ के प्राकृनतक सौंदर्य

    का वणयन अपने शब्दों में कीजिए।

    प्र. 8 ब बढ़ती हुई आबादी का पर्ायवरण पर तर्ा प्रभाव पड़ा? [5] प्र. 9 अ ननम्नलिखखत प्रश्नों के उत्तर दीजिए : 2+2+1=[5]

    1. मीठी वाणी बोिने से औरों को सखु और अपने तन को शीतिता कैसे प्राप्त होती है? [2]

    2. पहिे पद में मीरा ने हरर से अपनी पीड़ा हरने की ववनती फकस प्रकार की है? [1]

    3. तर्ा कर चिे हम फफदा गीत की कोई ऐनतहालसक पटृठभलूम है? [1]

    प्र. 9 ब आत्मत्राण शीषयक की साथयकता कववता के संदभय में स्पटट कीजिए। [5] प्र. 10. कोई भी भाषा आपसी व्र्वहार में बाधा नही ंबनती-सपनों के से ददन पाठ

    के फकस अंश से र्ह लसद्ध होता हैं? [5]

  • खण्ड - घ प्र. 11. ननम्नलिखखत में से फकसी एक ववषर् पर अनचु्छेद लिखखए : [5]

    1. ववज्ञान के चमत्कार 2. हमारा राटरीर् पक्षी मोर 3. र्दद दहमािर् न होता।

    प्र.12. दसवी ंमें पढ़न ेवािीवािा सधुा/सधुीर देसाइय, 20 ववदर्ानगर, कुडाळ से न्र् ू

    इंजलिश स्कूि, कुडाळ के प्रधानाचार्य के माफय त मा. लशक्षाधधकारी, माध्र्लमक लशक्षण ववभाग, जििा पररषद, लसधंदुगुय को पत्र लिखकर अपनी िन्मनतधथ में सधुार के लिए प्राथयना पत्र लिखती/लिखता है। [5]

    प्र. 13. खोए हुए सामान की िानकारी के लिए ररतशा वािों के लिए सचूना तैर्ार

    करें। [5] प्र. 1.. दो लमत्र के मध्र् व्र्ार्ाम के महत्त्व को िेकर हो रहे संवाद लिखखए। [5] प्र. 15. ननम्नलिखखत ववज्ञापन का प्रारुप (नमनूा) तैर्ार कीजिए : [5] धिुाइय के फकए प्रर्ोग फकए िानेवािे साबनु का ववज्ञापन तैर्ार कीजिए।

  • C.B.S.E Board कक्षा : 10 ह िंदी B

    समय : 3 घिंटे परू्ाांक : 80 निदेश : 1. इस प्रश्न-पत्र के चार खंड हैं - क, ख, ग, और घ। 2. चारों खंडों के प्रश्नों के उत्तर देना अननवार्य है। 3. र्थासंभव प्रत्रे्क खंड के उत्तर क्रमश: दीजिए।

    खण्ड - क प्र.1. ननम्नलिखखत गदर्ांश को ध्र्ानपवूयक पढ़कर पछेू गए प्रश्नों के उत्तर

    लिखखए : (2x4) (1×1) = [9] एक समर् की बात है। कन्नौि में एक परोपकारी महात्मा रहत ेथे। वे ननत्र् िोगों को बरुाईर्ों से दरू रहने का उपदेश ददर्ा करते थे। उनकी वाणी का अच्छा प्रभाव होता था। िोग भी उनका मान-सम्मान करत ेथे।एक ददन वे नश ेकी बरुाईर्ााँ िोगों को बतिा रहे थे। भीड़ में से एक व्र्जतत बाहर ननकिा और बोिा, महात्मन, मझु ेअफीम खाने की आदत है, मैं उसे छोड़ना चाहता हूाँ, पर छूटती ही नहीं। तर्ा आप मझु ेइसका कोइय उपार् बतिाएाँगे? महात्मा न ेकहा, अवश्र्, तुम आि शाम को मेरे आश्रम पर आना, मैं तुम्हें इसकी तरकीब समझाऊाँ गा। शाम के समर् िब वह व्र्जतत आश्रम पर पहुाँचा तो महात्मा िी भिन में िगे थे। वह बठैकर प्रतीक्षा करने िगा। कुछ देर बाद महात्मा िी ननवतृ्त हुए और उठकर इधर-उधर टहिने िगे। वह व्र्जतत भी महात्मा िी का अनसुरण करने िगा। कुछ समर् र्ों ही बीत गर्ा। अधीरता-से उस व्र्जतत न ेमहात्मा िी से पछूा, महात्मा िी, मैं वह तरकीब पछूने आर्ा हूाँ जिससे अफीम खाने की आदत छूट सके। महात्मा िी न ेएक दृजटट उस व्र्जतत पर डािी और बोिे, तो तुम सचमचु अफीम की आदत छोड़ना चाहत ेहो?

  • िी ! उस आदमी का उत्तर था, मैं इससे बहुत परेशान और द:ुखी हूाँ। ठीक ! कहकर महात्मा िी न ेएक िता को अपनी बाहु में िपेट लिर्ा और बोि,े मैं तुम्हें इसका उपार् कैसे बताऊाँ र्ह िता तो मझु ेछोड़ ही नही ंरही है। पहिे तो वह आदमी भौंचतका-सा होकर महात्मा िी को देखन ेिगा, फफर कुछ खझझककर बोिा, महात्मन, क्षमा करें, तर्ा िता भी आदमी को पकड़ सकती है? महात्मा बोिे, अरे भाइय ! मैं भी र्ही कहता हू फक तर्ा कोइय भी बरुाइय आदमी को पकड़ सकती है? तुम दृढ़ संकल्प के साथ शराब को छोड़ो, तो छूटेगी कैसे नही!ं आदमी ने महात्मा को प्रणाम फकर्ा और घर िौट गर्ा।

    1. कन्नौि में कौन रहत ेथे और वे तर्ा करते थे? एक ददन व ेतर्ा बतिा

    रहे थे? [2] उत्तर : कन्नौि में एक परोपकारी महात्मा रहते थे। वे ननत्र् िोगों को

    बरुाईर्ों से दरू रहने का उपदेश ददर्ा करत ेथे। एक ददन वे नश ेकी बरुाईर्ााँ िोगों को बतिा रहे थे।

    2. आदमी आश्रम में पहुाँचकर फकसका इंतिार करने िगा और तर्ों? [2]

    उत्तर : आदमी आश्रम में पहुाँचकर महात्मा िी के भिन स ेउठने का इंतजार करने िगा, तर्ोंफक वह उनसे अफीम छोड़ने की तरकीब िानना चाहता था।

    3. महात्मा िी ने िता को तर्ों िपेट लिर्ा तथा वे आए हुए आदमी को

    तर्ा समझाना चाहत ेथे? [2] उत्तर : महात्मा िी ने नश ेकी बरुाईर्ों को अप्रत्र्क्ष रूप से समझाने के

    लिए िता को िपेट लिर्ा। इसके दवारा व ेसमझाना चाहते थे फक बरुाईर्ााँ इनसान को नहीं पकड़ती, बजल्क इनसान ही बरुाईर्ों को पकड़ िेता है।

  • 4. आदमी भौंचतका तर्ों रह गर्ा? [1] उत्तर : महात्मा िी ने िता को अपने हाथ में िपेटकर कहा फक मैं तुम्हें

    तरकीब तो अवश्र् बताता, पर इस िता ने मझु ेपकड़ लिर्ा है तथा छोड़ ही नही ंरही है। र्ह सनुकर आदमी भौंचतका रह गर्ा।

    5. उपर्ुयतत गदर्ांश से आपको तर्ा लशक्षा लमिती है? [2]

    उत्तर : उपर्ुयतत गदर्ांश से हमें लशक्षा लमिती है फक बरुाईर्ााँ इनसान को नहीं पकड़ती बजल्क इनसान बरुाईर्ोंको पकड़ता है, तथा वह िब चाहे दृढ़-ननश्चर् के बि पर बरुाइय को छोड़ सकता है।

    प्र. 2. ननम्नलिखखत काव्र्ांश को पढ़कर पछेू गए प्रश्नों के उत्तर लिखखए : 2x3=[6]

    हम अननकेतन, हम अननकेतन! हम तो रमते राम, हमारा तर्ा घर, तर्ा दर, कैसा वतन? अब तक इतनी र्ों ही काटी, अब तर्ा सीखें नव पररपाटी कौन बनाए आि घरौंदा हाथों चनु-चनु कंकड़-माटी ठाठ फकीराना है अपना, बाघंबर सोहे अपने तन। देखे महि, झोंपड़ ेदेखे, देखे हास-वविास मजे के संग्रह के सब ववग्रह देखे, िाँच ेनहीं कुछ अपने िेखे िािच िगा कभी पर दहर् में मच न सका लशखणत उदवेिन। हम िो भटके अब तक दर-दर, अब तर्ा ख़ाक बनाएाँगे घर हमने देखा सदन बने हैं िोगों का अपनापन िेकर हम तर्ों सनें ईंट-गारे में? हम तर्ों बनें व्र्थय में बेमन? ठहरे अगर फकसी के दर पर, कुछ शरमाकर कुछ सकुचाकर तो दरबान कह उठा, बाबा, आगे िा देखो कोई घर हम रमता बनकर बबचरे पर हमें लभकु्ष समझ ेिग के िन।

  • 1. कवव अपने को कैसा बताता है और तर्ों? [2] उत्तर : कवव अपने आप बबना घर-बार का बताता है। वह ऐसा

    इसलिए कहता है तर्ोंफक वह तो रमता राम है, वह घमूता-फफरता रहता है। उसका न तो कोई घर है, न कोई दठकाना और न ही उसका कोई देश है।

    2. कवव का अब तक का िीवन कैसा कटा है? [2]

    उत्तर : कवव ने अपना िीवन घमूने-फफरने में ही व्र्तीत कर ददर्ा है। कवव न ेफकीराना िीवन िीर्ा है और वसेै ही रहना चाहता है। वह अब फकसी नई पररपाटी को नही ंसीखना चाहता है।

    3. कवव अपना (सदन) घर बनाने को इच्छुक तर्ों नही ंहै? [2]

    उत्तर : कवव अपना घर बनाने का इच्छुक इसलिए नही ंहै तर्ोंफक वह फकसी बंधन में बाँधकर नही ंरहना चाहता। कवव न ेअनभुव फकर्ा है फक घर बनाने के चतकर में िोगों का अपनापन चिा गर्ा।

    खण्ड – ख

    प्र. 3. रचना के आधार पर वातर् के फकतने भेद हैं? कौन से? [2] उत्तर : रचना के आधार पर वातर् के तीन भेद सरि वातर्, लमश्र वातर्,

    संर्तुत वातर् हैं।

    प्र. .. ननददेशशानसुार उत्तर दीजिए: 1x3=[3] क) राधधका तब चिी गई िब उसन ेथिैा लिर्ा। (रचना के आधार पर

    वातर्-भेद बताइए) उत्तर : लमश्र वातर्

  • ख) बादि नघरत ेही फकसान नाचने िगा। (संर्तुत वातर् में बदलिए) उत्तर : बादि नघरे और फकसान नाचने िगा।

    ग) अलमत की किम छूटी और धगर गई। (सरि वातर् में बदलिए) उत्तर : अलमत की किम छूटकर धगर गई।

    प्र. 5. (क) ननम्नलिखखत का ववग्रह करके समास का नाम लिखखए : 1+1=[2] दोपहर, नमक और लमचय उत्तर : दोपहर - दो पहरों का समहू - दववग ुसमास

    नमक और लमचय - दवंदव समास

    (ख) ननम्नलिखखत का समस्त पद बनाकर समास का नाम लिखखए:1+1=[2] पीताम्बर, आमरण

    उत्तर : पीताम्बर - पीत है अम्बर जिसका अथायत ्'कृटण' - बहुव्रीदह समास

    आमरण - मतृ्र् ुतक - अव्र्र्ी भाव समास प्र.6. ननम्नलिखखत वातर्ों को शदु्ध रूप में लिखखए : 1x.=[.]

    1. र्ह तो तुम िानते ही हैं। उत्तर : र्ह तो तुम िानते ही हो

    2. तुम मेरी सहार्ता कीजिए। उत्तर : तुम मेरी सहार्ता करो।

    3. मैंने कमरे के वपछिे खखड़की से झााँका। उत्तर : मैंने कमरे की वपछिी खखड़की से झााँका।

    4. सारी रात भर मैं पढ़ता रहा। उत्तर : मैं सारी रात पढ़ता रहा।

  • प्र. 7. ननम्नलिखखत महुावरों का वातर्ों में इस प्रकार प्रर्ोग कीजिए फक उनका अथय स्पटट हो िाए: 1+1=[2] i. तोिकर बोिना ii. ढाक के तीन पात i. तोिकर बोिना : संभिकर बोिना। आिकि के र्वुाओं के सामने तोिकर बोिना चादहए। ii. ढाक के तीन पात : सदा एक सा रहना। तुम सदैव ढाक के तीन पात ही रहोगे र्ा बदिोगे भी।

    खण्ड - ग

    प्र. 8 अ ननम्नलिखखत प्रश्नों के उत्तर दीजिए: 2+2+1=[5] 1. िापान में िहााँ चार् वपिाई िाती है, उस स्थान की तर्ा ववशषेता है?

    उत्तर : िापान में िहााँ चार् वपिाई िाती है, वहााँ की सिावट पारम्पररक होती है। प्राकृनतक ढंग से सिे हुए इस छोटे से स्थान में केवि तीन िोग बठैकर चार् पी सकत ेहैं। वहााँ अत्र्न्त शानंत और गररमा के साथ चार् वपिाई िाती है। शांनत उस स्थान की मखु्र् ववशषेता है।

    2. सआदत अिी को अवध के तख़्त पर बबठाने के पीछे कनयि का तर्ा

    मकसद था? उत्तर : सआदत अिी और कनयि दोस्त थे। सआदत अिी को कनयि

    पर ववश्वास भी था। सआदत अिी को ऐशों आराम की जिंदगी बबताना पसंद था इसलिए वह खुद तो ऐशो आराम की जिंदगी बबताएगा साथ ही दोस्त और ववश्वासपात्र होने के कारण कनयि की जिंदगी भी बड़ ेआराम से गिुरेगी। इस तरह सआदत अिी को अवध के तख़्त पर बबठाने के पीछे कनयि का मकसद अवध की धन-दौित पर कब्जा करना था।

    3. ततााँरा खूब पररश्रम करने के बाद कहााँ गर्ा? वहााँ के प्राकृनतक सौंदर्य

    का वणयन अपने शब्दों में कीजिए।

  • उत्तर : ततााँरा ददनभर के अथक पररश्रम करने के बाद समदु्र फकनारे टहिने ननकिता है। उस समर् सरूि डूबने का समर् हो रहा था। समदु्र से ठंडी बर्ारें चि रही थी। पक्षक्षर्ों के घोसिों में िौटने का समर् भी हो चिा था इसलिए उनकी आवािें धीरे-धीरे कम हो गई थीं। सरूि की अंनतम फकरणें समदु्र पर प्रनतबबम्ब अंफकत कर रही थी।

    प्र. 8 ब बढ़ती हुई आबादी का पर्ायवरण पर तर्ा प्रभाव पड़ा? [5]

    उत्तर : पर्ायवरण असंतुलित होने का सबसे बड़ा कारण आबादी का बढ़ना है। बढ़ती आवास की समस्र्ा से ननपटने के लिए मानव ने समदु्र की िहरों तक को सीलमत कर ददर्ा है। समदु्र के रेतीिे तटों को भी मानवों ने नहीं छोड़ा है वहााँ पर भी इंसानों ने बस्ती बसा दी है। आसपास के िंगि काट-काटकर नटट कर डािे हैं। पेड़ो को रास्तों से हटा ददर्ा। पररणामस्वरूप पश-ुपक्षी के लिए आवास ही नहीं बच ेहैं। प्राकृनतक आपदाएाँ ददन-प्रनतददन बढ़ती िा रही हैं। कही ंभकंूप, कही ंबाढ़, कही ंतूफान, कभी गमी, कभी तजे वषाय इन के कारण कई बीमाररर्ााँ हो रही हैं। इस तरह पर्ायवरण के असंतुिन का िन िीवन तथा पर्ायवरण पर गहरा प्रभाव पड़ा है।

    प्र. 9 अ ननम्नलिखखत प्रश्नों के उत्तर दीजिए : 2+2+1=[5]

    1. मीठी वाणी बोिने से औरों को सखु और अपने तन को शीतिता कैसे प्राप्त होती है? [2] उत्तर : मीठी वाणी का प्रभाव चमत्काररक होता है। मीठी वाणी िीवन में

    आजत्मक सखु व शानंत प्रदान करती है। मीठी वाणी मन से क्रोध और घणृा के भाव नटट हो िाते हैं। इसके साथ ही हमारा अंत:करण भी प्रसन्न हो िाता है। प्रभाव स्वरुप औरों को सखु और शीतिता प्राप्त होती है। मीठी वाणी के प्रभाव स ेमन में जस्थत शत्रतुा, कटुता व आपसी ईटर्ाय-दवेष के भाव समाप्त हो िाते हैं।

  • 2. पहिे पद में मीरा ने हरर से अपनी पीड़ा हरने की ववनती फकस प्रकार की है? [1] उत्तर : मीरा श्रीकृटण को सम्बोधधत करत ेहुए कहती हैं फक हे श्रीकृटण

    आप सदैव अपने भततों की पीड़ा दरू करत ेहैं। प्रभ ुजिस प्रकार आपने द्रोपदी का वस्त्र बढ़ाकर भरी सभा में उसकी िाि रखी, नरलसहं का रुप धारण करके दहरण्र्कश्र्प को मार कर प्रह्िाद को बचार्ा, मगरमच्छ ने िब हाथी को अपने मुाँह में िे लिर्ा तो उसे बचार्ा और पीड़ा भी हरी। हे प्रभ ु! इसी तरह मझु ेभी हर संकट स ेबचाकर पीड़ा मतुत करो। मीरा सांसाररक बंधनों से मजुतत के लिए भी ववनती करती हैं।

    3. तर्ा कर चिे हम फफदा गीत की कोई ऐनतहालसक पटृठभलूम है? [1]

    उत्तर : हााँ, इस गीत की ऐनतहालसक पटृठभलूम है। र्ह गीत सन ्1962 के भारत-चीन र्दु्ध की ऐनतहालसक पटृठभलूम पर लिखा गर्ा है।

    प्र. 9 ब आत्मत्राण शीषयक की साथयकता कववता के संदभय में स्पटट कीजिए। [5]

    उत्तर : आत्मत्राण का अथय है आत्मा का त्राण अथायत ्आत्मा र्ा मन के भर् का ननवारण, उससे मजुतत। त्राण शब्द का प्रर्ोग इस कववता के संदभय में बचाव, आश्रर् और भर् ननवारण के अथय में फकर्ा िा सकता है। कवव चाहता है फक िीवन में आने वािे दखुों को वह ननभयर् होकर सहन करे। दखु न लमिे ऐसी प्राथयना वह नही ंकरता बजल्क लमिे हुए दखुों को सहने, उसे झिेने की शाजतत के लिए प्राथयना करता है। कवव ईश्वर से प्राथयना करता है फक उसका बि पौरुष न दहिे, वह सदा बना रहे और कोई भी कटट वह धरै्य से सह िे इसलिए र्ह शीषयक पणूयतर्ा साथयक है।

    प्र. 10. कोई भी भाषा आपसी व्र्वहार में बाधा नही ंबनती-सपनों के से ददन पाठ

    के फकस अंश से र्ह लसद्ध होता हैं? [5]

  • उत्तर : कोई भी भाषा आपसी व्र्वहार में बाधा नही ंबनती-पाठ के इस अंश से र्ह लसद्ध होता हैं - इस पाठ में िेखक ने बचपन की घटना को बतार्ा है फक उनके आध ेसे ज्र्ादा साथी कोई हररर्ाणा से, कोई रािस्थान से है। सब अिग-अिग भाषा बोित ेहैं, उनके कुछ शब्द सनुकर तो हाँसी ही आ िाती थी परन्त ुखेिते समर् सब की भाषा सब समझ िेते थे। उनके व्र्वहार में इससे कोई अंतर न आता था। तर्ोंफक बच्च ेिब लमिकर खेिते हैं तो उनका व्र्वहार, उनकी भाषा अिग होते हुए भी एक ही िगती है। भाषा अिग होने से आपसी खेि कूद, मेि लमिाप में बाधा नही ंबनती।

    खण्ड - घ

    प्र. 11. ननम्नलिखखत में से फकसी एक ववषर् पर अनचु्छेद लिखखए : [5] 1. ववज्ञान के चमत्कार

    आि का र्गु ववज्ञान का र्गु है। िीवन के प्रत्रे्क के्षत्र में ववज्ञान ने एक क्रानंत पदैा कर दी है। ववज्ञान का अथय है ववशषे ज्ञान। मनटुर् ने अपनी आवश्र्कताओं के लिए िो नए-नए आववटकार फकए हैं, वे सब ववज्ञान की ही देन हैं।

    बबििी की खोि ववज्ञान की एक बहुत बड़ी लसवद्ध है। आि मनटुर् ने ववज्ञान की सहार्ता से कई बड़ ेके्षत्रों में सफिता पाई है िैसे फक धचफकत्सा, सचूना क्रानंत, अंतररक्ष ववज्ञान, र्ातार्ात आदद।

    र्ातार्ात - संबंधी वजै्ञाननक आववटकारों ने संसार को एकदम छोटा कर ददर्ा है। पहिे िहााँ मानव को एक स्थान से दसूरे स्थान तक िान ेमें कई-कई वषय िग िात ेथे वहीं आि मानव कई मीिों की दरूरर्ों को हेिीकॉप्टर, हवाई िहाि, कार आदद दवारा कम समर् में पार कर िेता है।

    आि रेडडर्ो, टेिीवविन, डीवीडी प्िेर्र, थ्रीडी लसनेमा, कम्प्र्टूर, इंटरनेट आदद ऐसी कई चीिें हैं जिन्हें ववज्ञान दवारा मनटुर् के मनोरंिन के लिए उपिब्ध करार्ा है। मोबाइि, इंटरनेट, ईमेल्स,

  • मोबाइि पर 3िी और इंटरनेट के माध्र्म से फेसबकु, ट्ववटर ने तो वाकई मनटुर् की जिंदगी को बदिकर ही रख ददर्ा है।

    धचफकत्सा और कृवष के के्षत्रों में भी नई नई खोिों से बहुत िाभ हुआ है। ववज्ञान दवारा खाद व उपकरण, खादर् पदाथय, वाहन, वस्त्र आदद बनान ेके असीलमत कारखानें हैं।

    ववज्ञान के र्दु्ध -ववषर्क अस्त्र शस्त्रों के आववटकारों ने देश की सभ्र्ता और संस्कृनत को खतरे में डाि ददर्ा है। परमाण ुबम और हाइड्रोिन बम भी ववज्ञान की ही देन हैं। र्ह बहुत ही ववनाशक हैं। ववज्ञान का उपर्ोग ववनाश के लिए नही,ं ववेकास के लिए होना चादहए।

    2. हमारा राटरीर् पक्षी मोर

    भारत में तरह-तरह के पक्षी है। फकंत ुराटरीर् पक्षी होन ेका गौरव केवि मोर को प्राप्त है। इन्हें वसेै नदी व ििस्त्रोतों के पास वािे िंगि पसंद होत ेहैं। रे् अकसर घने पेडों वाि ेइिाके में रहत ेहैं। मोर के सर पर मकुुट िैसी खूबसरूत किंगी होती है। इसकी िम्बी गदयन पर सनु्दर नीिा मखमिी रंग होता है।

    मोर मखु्र् रूप से घास-पात, ज्वार, बािरा, चने, गेहंू, मकई िसेै अनाि खात ेहैं। र्ह बैंगन, टमाटर, प्र्ाि िैसी सजब्िर्ााँ भी खात ेहैं। अनार, केिा, अमरूद आदद भी इसके वप्रर् भोिन हैं। मोर कीड़-ेमकोड़,े चहेू, नछपकिी, सााँपों आदद को भी चाव से खात ेहै। रे् सााँपों के सबसे बड़ ेदशु्मन हैं। कहावत है फक िहााँ मोर की आवाि सनुाई पड़ती है, वहााँ नाग भी नहीं िाता। इसलिए र्ह फकसानों का अच्छा लमत्र होता है।

    मोर का नतृ्र् बहुत प्रलसद्ध है। मर्रू नतृ्र् समहू में फकर्ा िाता है। नतृ्र् के समर् मोर अपने पंख फैिा कर बडा सनु्दर मगर धीमी

    गनत का नतृ्र् करता है। इसके नतृ्र् को देखकर मानव इतना प्रभाववत हुआ है फक मर्रू नतृ्र् को हमने नतृ्र् में शालमि कर लिर्ा है। इसके अिावा भरतनाट्र्म िैसे शास्त्रीर् नतृ्र् मोर के नतृ्र् की तिय पर होत ेहैं।

  • मोर भारतीर् संस्कृनत में ववशषे स्थान रखते हैं। बहुत पहिे प्राचीन दहदं ूधमय में इंद्र की छवव मोर के रूप में धचबत्रत की गई थी। भगवान कृटण तो अपने लसर पर मोरपंख िगात ेथे। दक्षक्षण भारत में मोर भगवान कानतयकेर् के वाहन के रूप में िाना िाता है। मोर का लशकार भारत में पणूयतर्ा प्रनतबंधधत है। इसे भारतीर् वन्र्-िीवन (संरक्षण) अधधननर्म, 1972 के तहत पणूय संरक्षण ददर्ा गर्ा है।

    3. र्दद दहमािर् न होता।

    दहमािर् संस्कृत के 'दहम’ तथा 'आिर्' शब्दों से लमिकर बना है, जिसका शब्दाथय 'बफय का घर' होता है। दहमािर् भारत की धरोहर है। र्ह भारतवषय का सबसे ऊाँ चा पवयत है। दहमािर् हमारा लसफय पािक र्ा प्रहरी ही नही ंहै। न ही शांनत, सुंदरता और रोमांच ही इसके मार्ने हैं। इन सबसे कही ंआग ेहमारे अजस्तत्व की सबसे बड़ी िरूरत है दहमािर्। र्दद दहमािर् न होता तो उत्तर भारत की सरुक्षा कौन ननभाता? र्दद दहमािर् न होता तो गंगा, र्मनुा, लसन्ध ुऔर ब्रह्मपतु्र िैसी नददर्ााँ कहााँ से ननकिती? दहमािर् की छार्ा में एवरेस्ट, िान्स, नंदादेवी आदद इसके मखु्र् दहम लशखर हैं। दहमािर् भारत का पहरेदार है। र्दद दहमािर् न होता तो शत्रओंु से हमारी रक्षा कौन करता? दहमािर् उत्तर के बफीिे पवनों को भारत में प्रवेश करन ेसे रोकता है। दक्षक्षणी-पजश्चमी मानसनूी पवन दहमािर् की ऊाँ ची पवयत-शे्रखणर्ों से टकराकर भारत में वषाय करत ेहैं। र्ही वषाय देश को कृवषप्रधान देश बनाती है। इस विह से भारत को 'सोन ेकी धचडड़र्ा कहिान ेका गौरव प्राप्त हुआ है।

    परुाणों के अनसुार दहमािर् मनैा का पनत और पावयती का वपता है। गंगा इसकी सबसे बड़ी पतु्री है। भगवान शंकर का ननवास कैिाश र्ही ंहै। महाभारत के अनसुार पांडव स्वगायरोहण के लिए र्हीं आए थे। इस तरह दहमािर् सदा से भारतीर् संस्कृनत, इनतहास और गौरव का साक्षी रहा है।

  • प्र.12. दसवी ंमें पढ़न ेवािीवािा सधुा/सधुीर देसाइय, 20 ववदर्ानगर, कुडाळ से न्र् ूइंजलिश स्कूि, कुडाळ के प्रधानाचार्य के माफय त मा. लशक्षाधधकारी, माध्र्लमक लशक्षण ववभाग, जििा पररषद, लसधंदुगुय को पत्र लिखकर अपनी िन्मनतधथ में सधुार के लिए प्राथयना पत्र लिखती/लिखता है। [5] सधुीर देसाइय, 20, ववदर्ानगर, कुडाि। ददनाकं : 14 िून 2013 सेवा में, माननीर् लशक्षाधधकारी, माध्र्लमक लशक्षण ववभाग, जििा पररषद, लसधंदुगुय। ववषर् - गित िन्मनतधथ में सधुार करन ेके संबंध में। (दवारा - माननीर् प्रधानाध्र्ावपका, न्र् ूइंधगिश स्कूि, कूडाि।) महोदर्,

    सववनर् ननवेदन है फक मैं सधुीर, न्र् ूइंजलिश स्कूि, कुडाि का छात्र हूाँ। मेरी िन्मनतधथ ववदर्ािर् के ररकाडय में गित लिखी गइय है। ववदर्ािर् के ररकाडय के अनसुार मेरी िन्मनतधथ 21 फरवरी 2000 है िबफक मेरी सही िन्मनतधथ 24 फरवरी 1999 है। प्रमाण के तौर पर मैं नगरपालिका दवारा िारी िन्मनतधथ प्रमाण-पत्र भेि रहा हूाँ।

    मेरी हाइयस्कूि की परीक्षा भी ननकट आ गइय है। मैं चाहता हूाँ फक दसवीं की परीक्षा में बठैने से पहिे ररकाडय में मेरी सही िन्मनतधथ दिय हो िाए, ताफक बाद में इस बारे में कोई झंझट न हो। अत: आपस ेप्राथयना है फक आप शीघ्र ही मेरी िन्मनतधथ में सधुार करन ेकी कृपा करें। साथ ही संबंधधत सचूना मेरे ववदर्ािर् के कार्ायिर् में भी लभिवान ेकी कृपा करें। इसके लिए मैं आपका अनत आभारी रहूाँगा।

    कटट के लिए क्षमा।

  • धन्र्वाद। भवदीर्, सधुीर।

    प्र. 13. खोए हुए सामान की िानकारी के लिए ररतशा वािों के लिए सचूना तैर्ार

    करें। [5] सचूना

    ववराट नगर ररतशा र्नूनर्न खोर्ा-पार्ा ववभाग

    ददनााँक : . माचय 2015 सभी ररतशा चािकों को सधूचत फकर्ा िाता है फक गत शननवार 3 माचय को एक कािे चमड़ ेका बगै, ववराट नगर ररतशा स्टैंड में छूट गर्ा था। जिस फकसी को भी वह बगै मिेै तो साथ ददए नंबर 5000 3.5 23 पर तुरंत संपकय करें। सधचव राकेश बत्रवेदी

    प्र. 1.. दो लमत्र के मध्र् व्र्ार्ाम के महत्त्व को िेकर हो रहे संवाद लिखखए। [5]

    तादहर : कि कहााँ थे ववक्रम? ववक्रम : घर पर ही था, तबबर्त ठीक नहीं थी। तादहर : तर्ा हुआ था? डॉतटर को ददखार्ा? ववक्रम : नही ंडॉतटर को नहीं ददखार्ा। वसेै कुछ खास नही ंपर तर्ा बताऊाँ कुछ ददनों से थकान और बार-बार लसरददय रहता है। तादहर : तुम्हें व्र्ार्ाम की आवश्र्कता है। ददनभर ऑफफस में बठैने से भी ऐसी समस्र्ाएाँ होती है। ववक्रम : मझु ेनहीं पसंद व्र्ार्ाम करना। तादहर : नही ंलमत्र व्र्ार्ाम से तुम्हारे शरीर में स्फूनतय आएगी और बीमाररर्ााँ दरू भागेगी। ववक्रम : बड़ी आिस आती है।

  • तादहर : ज्र्ादा नही ंतो सबुह में आधा घंटा चिा करो और कुछ हिकी सी कसरत कर लिर्ा करो। मैं तो रोि सबुह चिने िाता हूाँ। ववक्रम : अच्छा तो कि से मैं भी तुम्हारे साथ आऊाँ गा। तादहर : र्ह हुई न बात। ववक्रम : कि सबुह लमिते है।

    प्र. 15. ननम्नलिखखत ववज्ञापन का प्रारुप (नमनूा) तैर्ार कीजिए : [5] धिुाइय के फकए प्रर्ोग फकए िानेवािे साबनु का ववज्ञापन तैर्ार कीजिए।

    धिुाई बार से कपड़ों की करिो सफाई, फकफार्ती दाम में धिुाई सहुानी।

    धिुाई बार

    6. Sample Papers for CBSE Class 10 Hindi Course B #6 - Question.pdf (p.1-5)6. Sample Papers for CBSE Class 10 Hindi Course B #6 - Solution.pdf (p.6-19)