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e-Magazine
JNV MehsanaLibrary
3rd Issue, February 2018
JawaharNavodayaVidyalaya, Vadnagar
Mehsana(Gujarat)
e-Magazine
JNV MehsanaLibrary
3rd Issue, February 2018
Student Editors :
1. Khushi (IX B)
2. Anjali (VIII B)
3. Suhani (VIII B)
4. Rutva (VIII B)
Editor: Mrs Chirag patel, Librarian
FORMATTING : Mr. Anand h. pandya, FCSA
Patron : Dr. Vijay Kumar, Principal
E D I T O R I A L
I am happy to publish the 3rd issue of e-magazine of Vidyalaya library. Really it is a matter of great pleasure that Students are taking keen interest in publication of e-magazine.
I hope, continuity in the publication of this magazine will be sustained for developing skill of creative writing among the students.
I extend heartly thanks to the student editors, writers and artist for their contribution.
C.S. Patel
Librarian
JNV Mehsana
Jawahar Navodaya VidhyalayaVadnagar Mehsana
INDEX
(A) Book Review
Name of the BookAuthorReviewer
मेघावी छात्र बनने के मूल मंत्रपुष्प कुमारअंजली चौधरी (VIII B)
(B) Self Composed Poem
शायद यही पल होंगे:- सुहानी चौधरी (VIII B)
संविधान के रचनाकर:- खुशी चौधरी ( IX B)
(C) Essay
समय का महत्व:- रुत्वा चौधरी (VIII B)
(D) Book Exhibition Of New Arrival Books
15/02/2018 – 16/02/2018
BOOK REVIEW
(1) छात्रा का नाम :- अंजली चौधरी (VIII B)
पुस्तक परिचय
पुस्तक का नाम:- मेघावी छात्र बनने के मूल मंत्र
लेखक : पुष्प कुमार
हिन्दी अनुवाद : महेंद्र कुलश्रेष्ठ
प्रकाशन : पुस्तक महल
पुस्तक में उन्होंने लिखा है की पढ़ाई में रुकावट डालने वाली चीजों एवम कामो पर विशेष विधि से नियंत्रण करे। आजकल पढ़ाई में रुकावट डालने वाली तीन सबसे बड़ी चीजों की बात करें तो वे है टेलीविजन , फोन और कम्पुटर दील को मनाने के लिए और मस्तिष्क को चेतावनी देने के लिए कार्डबोर्ड तकनीकअपनाए।
मेघावी छात्र बनने के मूल मंत्र में ये भी बताया गयाहै की अगर किसी कठिन उत्तर या कोई चीज जो आप को याद नहीं रहती उसे शांत वातावरन में बेठकर तैयार करे। उसे अच्छे से समजना चाहिए।
हमारे दिमाग की कमजोरी के कारण कई बार हम पढ़ाई में अच्छा नहीं कर पाते तो इस लीए भी पुस्तक में लेखक पुष्प कुमार ने लिखा है की हमे पालख और हरी पत्तेदार सब्जियाँ खानी चाहिए जैसे टमाटर, बोकोली, फूलगोबी, हरी मटर,शकरकंद, चुकंदर, लौकी और कद्दू वगेरा की शब्जिया ज्यादा से ज्यादा खानी चाहिए। ये मस्तिष्क की मजबूती में भी अहम भूमिका निभाती है।
अब मे आपसे जिस विषय पर बात करना चाहती हूँ की इस पुस्तक मे ज्यादा और वह भी हमारे जीवन के लिए जो सीखने लायक चीज है।
हम में से कई बच्चे एसे भी होंगे, जो चाहते तो है की पढ़ाई में ध्यान लगाया जाए , लेकिन मन है कि पढ़ाई के लिए मानता ही नहीं। अनेक बच्चे एसे भी होंगे, जो बस रट्टा मार के पढ़ लेंगे और किसी तरह फ़ेल वाले पुल को पार करके पास वाले पुल के किनारे लटक जाते है।
ईस पुस्तक मेघावी छात्र बनने के मूल मंत्र में यह भी लिखा है कि कई बच्चो को प्रोब्लेम यह होता है कि वह इतिहास की तारीखे याद नहीं कर पाते और उन्हे अच्छे गुण प्राप्त नहि होते । ईस बात पे ये विचार प्रगट हुआ है तो आपको इतिहास के यूध्ध की तारीखे क्यो याद नहीं रहती।
इस पुस्तक मे ब्राह्मी को बच्चो की स्मरण शक्ति की औषधि माना गया है।
अब मे अंत में आप को यही कहना चाहती हूँ की यह पुस्तक विध्यार्थीओ के लिए बहुत ही अच्छी पढ़ने लायकपुस्तक है। कुल मिलाकर यह पुस्तक न केवल हमको मेघावी छात्र बनने में मदद करेगी, बल्की चीजों को सीखने एवं समजने के हमारे नजरिए को भी इस प्रकार]से बदलने में सहायक होगी, जिससे भविष्य में भी हर मंजिल पर सफलता हमारे कदम चूमेगी।
मेने तो यह पुस्तक पढ़ी और यह पुस्तक मे से बहुत अच्छी शिख भी ली।
अत; आप भी यह पुस्तक को एक बार जरूर पढे।
स्वरचित कविता
छात्रा का नाम :- सुहानी चौधरी (VIII B)
शायद यही पल होंगे
एक दिन वह पल आएगा,
सारी खुशियाँ संग लाएगा।
बहती हुई शीतल पवन से,
खुशियों को भीगों जाएगा।
कलकल करते जरने बहेंगे,
कुहु कुहु कर कोयल गाएगी।
वृक्षो की शीतल छायों में,
शायद मुसाफिर थक बैठेंगा।
वीरों की राहें नीहारकर
बैठे है वहाँ सुमन जाकर,
देख रहे है, क्यूँ नहीं आते,
फिर से लौटकर वीर सावरकर।
है ! प्यारे भारत बलिदानी
मत होना इतना अभिमान।
जो करना है सो अब कर ले,
शायद नहीं पल कल भी होंगे ।
छात्रा का नाम :- खुशी चौधरी (IX B)
संविधान के रचनाकर
आज़ादी के लड़वैयाथे वो ,
भारत के घडवैया थे वो ,
नई राजनीती लाये थे वो ,
संविधान के रचनाकर थे वो ।
नाम था बाबा साहब आंबेडकर,
प्रख्यात है जीनका काम विश्व मे ,
अन्यायके खीलाफ लड़कर ,
दलीत समाज को बढ़ाया आगे।
मध्यप्रदेश के महू गाव मे,
14 अप्रैल को जन्म लीया,
जन्म से ही दलीतों को,
पढ़ाने का प्रण लीया ।
बचपन से ही ठान ली मन मे ,
अब दीखाऊंगा दुनीया को,
दलीत समाज को आगे बढ़ाकर,
नई राह दीखाऊंगा दुनीया को।
जैसी ठान ली मन मे ,
वैसा ही करके दीखाया,
दर्द सहने वालो के मनमे ,
नया उत्साह जगाया ।
औरतों के ऊपर जो होता था अन्याय ,
जीसे रुकवाने का किया उन्होने वादा
आपने इस वादे को निभा के
जग मे अपना नाम कमाया
आंदोलन पर आंदोलन करके ।
निबंध
छात्रा का नाम :- रुत्वा चौधरी (VIII B)
समय कामहत्व
मानव जीवन में समय का अत्यधिक महत्व है। समय को सही पहचाननाही समय का सदुपयोग है । समय निरंतर गतिशील है। समय के साथ चलना प्रगतिऔर रुकने का अभिप्राय मृत्यु है। मेसन ने कहा है –‘जिस प्रकार स्वर्ग का प्रत्येक अंश मूल्यवान है, उसी प्रकार समय का प्रत्येक भाग बहुमुल्य होता है ‘।
समयरथ – चक्र की भांति निरंतर भागता रहता है। वह किसी के रोके नहीं रुकता । वह किसी की प्रतीक्षा नहीं करता। जैसे मुंह से निकली बात वापस नहीं ली जा सकती, टूटे फूल को डाली से नहीं जोड़ा जा सकता, खेती के सूख जाने पर वर्षा का कोई लाभ नहीं होता, उसी प्रकारसमय के निकल जाने पर किसी कार्य का कोई लाभ नहीं होता।
जो समय को पहचानता है, समय उसे पहचानता है, समय उसे पहचान देता है । समय का सही सदुपयोग कर श्रीकृष्णने महाभारत मे पांडवो को विजय दिलाई, श्रीमती इन्दिरा गांधीने देश का सफलता पूर्वक संचालन किया, जगदीश चन्द्र बसु , थामस एडीसन, चन्द्रशेखर वेंकट रमन आदि ने महत्वपूर्ण वैज्ञानिक खोज करके विश्व प्र्सिद्ध प्राप्त की ।
समय के महत्व को न समजने अथवा समय के चूक जाने पर भयंकर परिणाम सामने आते है ।जैसे –नेपोलियन के द्वारा समय पर सचेत न होने के कारण भारत को 200 वर्षो तक की अंग्रेजी गुलामी सहनी पडी।
जीवन मे प्रत्येक क्षण समय का महत्व है , लेकिन विद्यार्थी जीवन मे इसका विशेष महत्व है । जो छात्र पढ़ने के समय खेल – कूद और मौज – मस्ती करते है वे फेल हो जाते है या कम अंको से पास होते है । भविष्य मे कुछ बनने की आशाएँ धूमिल हो जाती है ।वह छात्र जो प्रतिदिन पढ़ता है , अच्छे अंक प्राप्त कर निरंतर प्रगतीकी और अग्रसर होता है , ऐसा छात्र ही नेता , दार्शनिक वैज्ञानिक , एंजिनियर , डॉक्टर इतियादी बनकर राष्ट्र की प्रगती मे सहयोग देता है ।
समय की उपेक्षा कर व्यक्ती अकर्मण्य बनता है । जो व्यक्ती समय के साथ चलता है , लक्ष्मी उसके कदम चूमती है । उसे जीवन भर धन की हानी नहीं होती । इसके विपरीत जो व्यक्ती आलसी होते है जो समय पर कार्य नहीं करते , वे दरीद्र और नीरधन रह जाते है । कहा जाता है संस्कृत व्याकरण प्रणेता महारसी पानीनी अपने अध्ययन काल मे पढ़ाई मे रुची नहीं लेते थे । एक दीन गुर के धैर्य का बांध टूटा और उन्होने उसे दंडीट करने के लीए बुलाया । पणीनी ने अपना हाथ आगे बढ़ाया।गुरु ने देखा की उसके हाथ मे वीध्या रेखा ही नहीं है । गुरु ने उसे छोड दीया । अन्य छात्रो को जब ज्ञात हुआ तो उन्होने उनकी हंसी उड़ाई । उन्होने भाग्य को बदलने के लीए समय के एक – एक पल का उपयोग कर –व्याकरण ग्रंथ लीखा जो वर्तमान समय मे भी अपनी गरीमा बनाए हुए है । कहने का तात्पर्य है की समय का सदुपयोग कर व्यक्ती अपनी पहचान स्वयं बनाता है ।
प्रगती राष्ट्र की उन्नती का मूल कारण समय का सदुपयोग करना ही है । व्यक्ती समय का सदुपयोग कर हर वस्तु को अपने अनुरूप कर लेता है । जैसे गरम लोहे को लुहार मनचाहा आकार देकर उसे अपने अनुरूप ढाल लेता है । एक – एक क्षण का जो व्यक्ती सही उपयोग करता है । उसके लीए संसार की दुर्लभ वस्तुए भी सुलह हो जाती है।
Book Exhibition Of New Arrival Books
15/02/2018 – 16/02/2018