extraordinary hkkx ii—[k.m 3 mi&[k.m (i) part ii—section...
TRANSCRIPT
-
1962 GI/2019 (1)
jftLVªh laö Mhö ,yö&33004@99 REGD. NO. D. L.-33004/99
vlk/kj.k
EXTRAORDINARY
Hkkx II—[k.M 3—mi&[k.M (i) PART II—Section 3—Sub-section (i)
izkf/dkj ls izdkf'kr PUBLISHED BY AUTHORITY
la- 226] ubZ fnYyh] 'kfuokj] ekpZ 30] 2019@pS=k 9] 1941 No. 226] NEW DELHI, SATURDAY, MARCH 30, 2019/CHAITRA 9, 1941
कारपोरेट काय मंालय
कारपोरेट काय मंालय कारपोरेट काय मंालय
कारपोरेट काय मंालय
अिधसूचना
अिधसूचनाअिधसूचना
अिधसूचना
नई �द�ली, 30 माच�, 2019
सा.का.िन.
सा.का.िन. सा.का.िन.
सा.का.िन. 273
273273
273(अ).
(अ).(अ).
(अ).—क� �ीय सरकार, कंपनी अिधिनयम, 2013 (2013 का 18) क धारा 469 के साथ प&ठत
धारा 133 )ारा *द+ शि-य. का *योग करते 1ए रा3ीय िव+ीय &रपो5टग *ािधकरण के परामश� से कंपनी (भारतीय लेखा
मानक) िनयम, 2015 का और संशोधन करने के िलए िन8िलिखत िनयम बनाती ह,ै अथा�त्:—
1. संि?@ नाम और *ारंभ – (1) इन िनयम. का नाम कंपनी (भारतीय लेखा मानक) संशोधन िनयम, 2019 ह।ै
(2) ये िनयम 01 अ*ैल, 2019 से *वृ+ ह.गे।
2. कंपनी (भारतीय लेखा मानक) िनयम, 2015 (िजGह� इसम� इसके पHात् मूल िनयम कहा गया ह)ै के, “उपाबंध” म�, शीष�क
“ख. भारतीय लेखा मानक (इंड एएस)” के अधीन, -
I. “भारतीय लेखा मानक (इंड ए एस) 101” म�,-
(i) अनुLछेद 30 के Nथान पर िन8िलिखत अनुLछेद *ितNथािपत �कया जाएगा, अथा�त्:-
“30 य�द *ितOान अपने *ारिPभक भारतीय लेखा मानक तुलन-पQ म� सPपि+, संयंQ तथा उपNकर क एक मद, एक
अमूत� आिNत या एक *योग-अिधकार आिNत (देख� अनुLछेद घ5 तथा घ7), के िलए मानी गई लागत के Wप म�
उिचत मू�य का *योग करता ह ैतो *ितOान *थम भारतीय लेखा मानक िव+ीय िववरण. म� *ारिPभक भारतीय
लेखा मानक तुलन-पQ क *Xयेक रेखीय मद के िलए िन8िलिखत का *कटन करेगाः-
(क) उन उिचत मू�य. का कुल जोड़; और
(ख) पूव�वत[ सामाGय Wप से Nवीकृत लेखा-िसदाGत (जी ए ए पी) के अGतग�त &रपोट� क गयी अ\णीत रािशय. के
*ित कुल समायोजन।”
(ii) अनुLछेद 39कख के Nथान पर िन8िलिखत अनुLछेद *ितNथािपत �कया जाएगा, अथा�त्:-
-
2 THE GAZETTE OF INDIA : EXTRAORDINARY [PART II—SEC. 3(i)]
“39कख भारतीय लेखा मानक 116, प�े, )ारा अनुLछेद 30, ग4, घ1, घ7, घ8ख, घ9 और घ9कक को संशोिधत, अनुLछेद
घ9क, को हटाया और घ9ख-घ9ङ को जोड़ा गया ह।ै एक *ितOान जब भी भारतीय लेखा मानक 116 को लाग ू
करता ह ैतो इन संशोधन. को भी लाग ूकरेगा।”
(iii) प&रिश] ग म�, अनुLछेद ग4 क मद (च) के Nथान पर िन8िलिखत मद *ितNथािपत क जाएगी, अथा�त्:-
“(च) य�द िपछल े^ावसाियक संयोजन म� अिधगृहीत आिNत या \हण �कए गए दाियXव को पूव� ‘जी ए ए पी’ के अनुसार
माGयता नह_ दी गई थी, तो इसक *ारिPभक भारतीय लेखा मानक तुलन-पQ म� मानी गई लागत शूGय नह_ होती
ह।ै इसक बजाए, अिध\हणक+ा� इसे अपने समे�कत तुलन-पQ म� उस आधार पर माGयता देगा तथा माप करेगा िजस
आधार पर अिध\हिणित के तुलन-पQ म� भारतीय लेखा मानक. )ारा अपेि?त था। द]ृाGत के िलए, य�द
अिध\हणक+ा� ने पूव� ‘जी ए ए पी’ के अनुसार िपछल े ^ावसाियक संयोजन म� अिधगृहीत प`. को, िजनम�
अिध\हिणित प`ेदार था, पंूजीकृत नह_ �कया था, तो यह उन प`. को अपने समे�कत िव+ीय िववरण. म� पँूजीकृत
करेगा bय.�क अिधगृहिणित को भारतीय लेखा मानक 116, ‘पटटे’ )ारा अपने भारतीय लखेा मानक तुलन-पQ म�
पँूजीकृत करने क आवcयकता होगी। इसी तरह से, य�द अिध\हणक+ा� ने अपने पूव� ‘जी ए ए पी’ के अनुसार
आकिNमक दाियXव को माGयता नह_ दी थी, जो अभी भी भारतीय लेखा मानक. क ओर संeमण क ितिथ पर
िवfमान ह,ै तो अिध\हणक+ा� उस आकिNमक दाियXव को तब तक माGयता देगा जब तक भारतीय लेखा मानक 37,
*ावधान, आकिNमक दाियXव तथा आकिNमक आिNतयाँ’ अिधगृहिणित के िव+ीय िववरण. म� इसक माGयता का
िनषेध नह_ करेगा। इसके िवपरीत, य�द एक आिNत या दाियXव को पूव� ‘जी ए ए पी’ के अनुसार gयाित
(गडुिवल)/पंूजीगत आरि?ित म� सिPमिलत �कया गया था, �कGतु भारतीय लेखा मानक 103 के अंतग�त पृथक Wप से
माGयता दी जाती ह,ै तो वह आिNत या दाियXव तब तक gयाित/पंूजीगत आरि?ित म� बना रहता ह,ै जब तक
भारतीय लेखा मानक. )ारा अिधगृहिणित के िव+ीय िववरण. म� इसक माGयता क अपे?ा न हो।”
(iv) प&रिश] घ म�,
(क) अनुLछेद घ1क मद (घ) के Nथान पर िन8िलिखत मद *ितNथािपत क जाएगी, अथा�त्:-
“(घ) प`े (अनुLछेद घ9, घ9कक एवं घ9ख-घ9ङ);”
(ख) अनुLछेद घ7 क मद (क) के बाद िन8िलिखत मद सिPमिलत क जाएगी, अथा�त्:-
“(कक) *योग-अिधकार आिNतयां (भारतीय लेखा मानक 116, प�े); तथा”
(ग) अनुLछेद घ8(ख) के Nथान पर िन8िलिखत अनुLछेद *ितNथािपत �कया जाएगा, अथा�त्:-
“घ8ख कुछ *ितOान संपि+, संयंQ तथा उपNकर, *योग-अिधकार आिNतयां या अमूत� आिNतय. क उन मद. को
धारण करते हj जो दर िविनयमन के अधीन प&रचालन. म� *यु- होती हj, या पूव� म� *यु- होती थ_। ऐसी मद.
क अ\णीत रािश म� वे रािशयाँ शािमल हो सकती हj जो पूव� ‘जी ए ए पी’ के अंतग�त िनिHत क गई थ_ �कGतु
भारतीय लेखा मानक. के अनुसार पंूजीकरण के िलए योlय नह_ होती ह।ै य�द ऐसी िNथित होती ह,ै तो *थम-
बार अंगीकता� भारतीय लेखा मानक. क ओर संeमण क ितिथ पर ऐसी मद क पूव� ‘जी ए ए पी’ के अनुसार
अ\णीत रािश को मानी गयी लागत के Wप म� *योग करने के िलए चयन कर सकता ह।ै य�द *ितOान इस छूट
को एक मद के िलए *योग करता ह ैतो इसे यह सभी मद. पर *योग करने क आवcयकता नह_ ह।ै भारतीय
लेखा मानक. क ओर संeमण क ितिथ पर *ितOान भारतीय लेखा मानक 36 के अनुसार उस *Xयेक मद का
?ित\Nतता के िलए परी?ण करेगा िजसके िलए इस छूट का *योग �कया गया ह।ै इस अनुLछेद के उmेcय. के
िलए, प&रचालन दर िविनयमन के अधीन होते ह ैय�द वे उन क मत. को Nथािपत करने के िलए एक ढाँचे )ारा
शािसत होते ह ैजो वNतुo तथा सेवाo के िलए \ाहक. से *भा&रत (चाज�) �कए जा सकते हj तथा वह ढाँचा
दर िनयामक )ारा िनरी?ण और/या अनुमोदन के अधीन होते हj (जैसा भारतीय लेखा मानक 114, ‘िनयामक
आ�थगन लेखे’ म� प&रभािषत ह)ै।”
(घ) अनुLछेद घ9 के Nथान पर िन8िलिखत अनुLछेद *ितNथािपत �कया जाएगा, अथा�त्:-
-
¹Hkkx IIµ[k.M 3(i)º Hkkjr dk jkti=k % vlk/kj.k 3
“घ9 *थम-बार अंगीकता� उस अनुबंध पर जो भारतीय लेखा मानक. क ओर संeमण-ितिथ को िवfमान ह,ै
भारतीय लेखा मानक 116 के अनुLछेद 9-11 का *योग कर उस ितिथ पर िवfमान तpय. व प&रिNथितय.
के आधार पर यह आंकलन कर सकता ह ै�क bया उसम� कोई एक प`ा समािव] ह।ै”
(ङ) अनुLछेद घ9क का लोप �कया जाएगा।
(च) अनुLछेद घ9कक के Nथान पर िन8िलिखत अनुLछेद *ितNथािपत �कया जाएगा, अथा�त्:-
“घ9कक जब प`ा म� भूिम एवं भवन, दोन. तXव. को शािमल �कए जाते हj तो *थमबार प`ाकता� अंगीकता�
भारतीय लेखा मानक क ओर संeमण क ितिथ को उस तारीख पर िवfमान तpय. एवं प&रिNथितय.
के आधार पर िव+ या प&रचालन प`ा के Wप म� *Xयेक तXव का वग[करण कर सकता ह।ै”
(छ) अनुLछेद घ9कक के बाद िन8िलिखत अनुLछेद सिPमिलत �कये जाएंगे, अथा�त्:-
“घ9ख जब एक *थमबार अंगीकता� जो �क एक प`ेदार ह,ै प`ा दाियXव. और *योग अिधकार आिNतय. को
माGयता देता ह ैतो वह अपने सभी प`. म� िन8िलिखत दिृ]कोण का *योग कर सकता ह ै(अनुLछेद घ9घ
म� यथा वqणत ^ावहा&रक उपाय. के अधीन):-
(क) वह भारतीय लेखा मानक क ओर संeमण क ितिथ पर प`ा दाियXव का माप करेगा। इस दिृ]कोण का
अनुसरण करने वाला प`ेदार उस प`ा दाियXव का माप शेष प`ा भुगतान. (देख� अनुLछेद घ9ङ) को
भारतीय लेखा मानक क ओर संeमण क ितिथ पर प`ेदार क वृिsशील उधार दर (देख� अनुLछेद घ9ङ)
का *योग कर ब`ागत के बाद वत�मान मू�य पर करेगा।
(ख) वह *योग-आधार आिNत को भारतीय लेखा मानक क ओर संeमण क ितिथ पर मापेगा। प`ेदार, प`ा-दर-
प`ा आधार पर, उस *योग-आधार आिNत के माप के िलए िन8िलिखत म� से �कसी एक रािश का चयन
करेगाः-
(i) आिNत क अ\णीत (कैtरग) रािश, इस *कार �क जैसे भारतीय लेखा मानक 116 का *योग प`े के *ारPभ
क ितिथ से हो रहा ह ै(देखे अनुLछेद घ9ङ) ले�कन प`ेदार क भारतीय लेखा मानक क ओर संeमण क
ितिथ को वृिsशील उधार दर का *योग कर ब`ागत करने के बाद क रािश; अथवा
(ii) भारतीय लेखा मानक क ओर संeमण क ितिथ के तXकाल पूव� के तुलनपQ म� माGय क गई प`ा दाियXव
क रािश ले�कन प`े से संबंिधत पूव� भुगतान या उपिचत प`ा भुगतान. के समायोजन के बाद।
(ग) भारतीय लेखा मानक क ओर संeमण क ितिथ पर भारतीय लेखा मानक 36 को *योग-अिधकार आिNतय.
पर लाग ूकरेगा।”
घ9ग लोिपत
*
घ9घ *थमबार अंगीकता�, जो �क एक प`ेदार ह,ै प`ा-दर-प`ा के आधार पर *योग करते 1ए भारतीय लेखा
मानक क ओर सeंमण क ितिथ पर िन8िलिखत म� से �कसी एक या एक से अिधक को लाग ूकर सकता ह:ै
(क) प`. के एक पोट�फोिलय. पर, िजसके प`. क िवशेषताएं समुिचत Wप से एक समान ह., एक ही ब`ागत दर
का *योग करना (जैसे क एक समानआqथक प&रवेश म� अंतqनिहत आिNत क एक समान vेणी के िलए एक
समान शेषप`ा अविध)
(ख) भारतीय लेखा मानक क ओर संeमण क ितिथ के 12 माह के भीतर समा@ होने वाली प`ा अविध (देख�
अनुLछेद घ9ङ) के प`. के िलए अनुLछेद घ9ख क अपे?ाo का *योग न करने का चयन करना। इसक
बजाय, *ितOान इन प`. का लेखा (*कटन सूचना सिहत) इस *कार करेगा �क जैसे �क वे प`े भारतीय
लेखा मानक 116 के अनुLछेद 6 के अनुसरण म� लेखा �कये गये लघु-अविध प`े हj।
* देख� प�रिश� 1
-
4 THE GAZETTE OF INDIA : EXTRAORDINARY [PART II—SEC. 3(i)]
(ग) कम मू�य (भारतीय लेखा मानक 116 के अनुLछेद ख3-ख8 म� यथावqणत) वाली अGतqनिहत आिNत के प`.
पर अनुLछेद घ9ख क अपे?ाo का *योग न करने का चयन। इसक बजाय, *ितOान इन प`. का लेखा
(*कटन सूचना सिहत) भारतीय लेखा मानक 116 के अनुLछेद 6 के अनुसार करेगा।
(घ) भारतीय लेखा मानक क ओर संeमण क ितिथ को *योग-आधार आिNत के माप म� *ारिPभक *Xय?
लागत� सिPमिलत न करना। (देखे अनुLछेद घ9ड)
(ङ) अनुबंधन म� प`े क अविध बढ़ाने या उसे (प`ा) समा@ कर देने के िवक�प �दये गये ह.।
घ9ङ प`ा भुगतान, प`ेदार, प`ेदार क विsशील उधार-दर, प`े क *ारिPभक ितिथ, *ारिPभक *Xय? लागत�
एवं प`ा अविध भारतीय लेखा मानक 116 क प&रभािषत शxदावली ह ैऔर इस लेखा मानक म� इनका *योग
उसी अथ� म� �कया गया ह।ै”
(v) प&रिश] 1
(क) अनुLछेद 12 के Nथान पर िन8िलिखत अनुLछेद *ितNथािपत �कया जाएगा, अथा�त्:-
“12. ‘आई एफ आर एस’ 1 म� िन8िलिखत अनुLछेद ‘हटाए गये’ के Wप म� *दqशत हj। ‘आई एफ आर एस’ 1 क
अनुLछेद संgयाo के साथ eमबsता बनाए रखने के िलए भारतीय लेखा मानक 101 म� इन अनुLछेद
संgयाo को रखा गया ह।ै
(i) अनुLछेद 19
(ii) अनुLछेद घ1(ङ)
(iii) अनुLछेद घ1ण
(iv) अनुLछेद घ9क
(v) अनुLछेद घ10-11
(vi) अनुLछेद घ24
(vii) अनुLछेद घ31”
(ख) अनुLछेद 13 और 14 के Nथान पर िन8िलिखत अनुLछेद *ितNथािपत �कये जाएंगे, अथा�त्:-
“13. अGतररा3ीय लेखा मानक 40, िनवेश स�पि�, *ारिPभक माGयता के पHात् िनवेश सPपि+य. के माप के
िलए (कुछ प&रिNथितय. म� छोड़कर) लागत मॉडल और उिचत मू�य मॉडल दोन. क अनुमित देता ह।ै
भारतीय लेखा मानक 40, िनवेश स�पि�, केवल लागत मॉडल क अनुमित देता ह।ै इसके प&रणामNवWप,
अनुLछेद 30 संशोिधत कर �दया गया ह ैऔर अनुLछेद घ7(क) और घ9ग हटा �दये गये हj।
14 अनुLछेद 34-39ब और अनुLछेद 39म-39कक भारतीय लेखा मानक 101 म� सिPमिलत नह_ �कये गये हj
bय.�क ये अनुLछेद *भावी ितिथ से सPबंिधत हj और भारतीय संदभ� म� *ासंिगक नह_ हj। �फर भी, ‘आई
एफ आर एस’ 1 क अनुLछेद संgयाo के साथ eमबsता बनी रखने के िलए, भारतीय लेखा मानक 101 म�
इGह� रहने �दया गया ह।ै”
II. “भारतीय लेखा मानक (इंड ए एस) 103” म�,-
(i) अनुLछेद 14 के Nथान पर िन8िलिखत अनुLछेद *ितNथािपत �कया जाएगा, अथा�त्:-
“14. अनुLछेद ख31-ख40 अमूत� आिNतय. क माGयता पर �दशा-िनदzश *दान करते हj। अनुLछेद 22-28ख उन
पहचान योlय आिNतय. और दाियXव. के *कार िविन{द] करते हj िजनम� वे मद� भी सिPमिलत हj िजनके िलए
यह भारतीय लेखा मानक माGयता के िसsांत व शत| के *ित सीिमत अपवाद *दान करते हj।”
(ii) अनुLछेद 17 क मद (क) के Nथान पर िन8िलिखत मद *ितNथािपत क जाएगी, अथा�त्:-
-
¹Hkkx IIµ[k.M 3(i)º Hkkjr dk jkti=k % vlk/kj.k 5
“(क) भारतीय लेखा मानक 116 प`े, के अनुसार प`ा अनुबंध का वग[करण, िजसम� अिध\हिणित प`ाकता� ह ै
प&रचालन प`े या िव+ीय प`े के Wप म�; और”
(iii) अनुLछेद 28 के बाद िन8िलिखत अनुLछेद सिPमिलत �कये जाएंगे, अथा�त्:-
“
““
“प�े िजनम� अिध�हिणित ही प�ेदार ह�
प�े िजनम� अिध�हिणित ही प�ेदार ह�प�े िजनम� अिध�हिणित ही प�ेदार ह�
प�े िजनम� अिध�हिणित ही प�ेदार ह�
28क अिध\हणकता� भारतीय लेखा मानक 116 के अनुसार पहचान �कए गए प`. के िलए *योग-अिधकार
आिNतय. और प`ा दाियXव. को माGयता देगा िजनम� अिध\हिणित प`ेदार ह।ै अिध\हणकता� को
िन8िलिखत के िलए *योग-अिधकार आिNतय. व प`ा दाियXव. को माGयता देना आवcयक नह_ ह-ै
(क) वे प`े िजनम� प`ा अविध (भारतीय लेखा मानक 116 म� यथा प&रभािषत) अिध\हण तारीख से 12
माह के अGदर ही समा@ हो जाती ह,ै अथवा
(ख) ऐसे प`े िजनम� अGतqनिहत आिNत कम मू�य क ह ै(भारतीय लेखा मानक 116 के अनुLछेद ख3-ख8 म�
यथावqणत)।
28ख अिध\हणकता� प`ा दाियXव को शेष प`ा भुगतान. (भारतीय लेखा मानक 116 म� यथा प&रभािषत) के
वत�मान मू�य पर इस तरह मापेगा जैसे �क अिध\हीत प`ा अिध\हण ितिथ को एक नया प`ा हो।
अिध\हणकता� *योग-अिधकार आिNत का माप प`ा दाियXव क रािश पर ही करेगा ले�कन बाजार क शत}
के साथ तुलना करने पर अनुकूल या *ितकूल शत} को *दqशत करते 1ए समायोिजत करने के बाद।”
(iv) अनुLछेद 64ट के पHात् िन8िलिखत अनुLछेद सिPमिलत �कये जाएंग,े अथा�त्:-
“64ठ लोिपत
*
64ड अनुLछेद 14,17, ख32 एवं ख42 संशोिधत �कये गये हj, अनुLछेद ख28-ख30 और उनसे सPबंिधत शीष�क
हटाये गये हj और अनुLछेद 28क-28ख और उनसे सPबंिधत शीष�क जोड़े गये हj। एक *ितOान भारतीय लेखा
मानक 116 को लाग ूकरते समय इन संशोधन. को लाग ूकरेगा।”
(v) प&रिश] ख म�,
क) अनुLछेद ख28, ख29 और ख30 को शीष�क “प&रचालन प`े” के साथ लोिपत �कया जाएगा;
ख) अनुLछेद ख32(क) का लोप �कया जाएगा;
ग) अनुLछेद ख42 के Nथान पर िन8िलिखत अनुLछेद *ितNथािपत �कया जाएगा, अथा�त्:-
“ख42 एक आिNत जैसे �क एक भवन या एक पेटेGट, जो�क एक प&रचालन प`े के अGतग�त ह ै और िजसम�
अिध\हिणित ही प`ेदार ह,ै क अिध\हण ितिथ के उिचत मू�य के माप म� अिध\हणक+ा� प`े क शत~
को यान म� रखता ह।ै अिध\हणक+ा� एक पृथक आिNत या दाियXव को माGयता नह_ देता य�द
प&रचालन प`े क शतz बाजार क शतz क तुलना म� अनुकूल या *ितकूल पाई जाती ह।ै”
(vi) प&रिश] 1 म�,
क) अनुLछेद 5 के Nथान पर िन8िलिखत अनुLछेद *ितNथािपत �कये जाएंगे, अथा�त्:-
“5. आई एफ आर एस 3 के अनुLछेद 64-64ञ और 64ठ भारतीय लेखा मानक 103 म� सिPमिलत नह_ �कये गये हj
bय.�क ये अनुLछेद *भावी ितिथ से सPबिधत ह ैऔर भारतीय संदभ� म� *ासंिगक नह_ हj। �फर भी, ‘आई एफ
आर एस 3’ क अनुLछेद संgयाo के साथ eमबsता बनाए रखने के िलए भारतीय लेखा मानक 103 म� इGह�
रहने �दया गया ह।ै
* देख� प�रिश� 1
-
6 THE GAZETTE OF INDIA : EXTRAORDINARY [PART II—SEC. 3(i)]
6 ‘आई एफ आर एस’ 3 म� िन8िलिखत अनुLछेद ‘हटाये गये’ के Wप म� �दखाए गये हj। ‘आई एफ आर एस’ क
अनुLछेद संgयाo के साथ eमबsता बनाए रखने के िलए इGह� भारतीय लेखा मानक 103 म� रहने �दया गया
हःै-
(i) अनुLछेद ख28-ख30
(ii) अनुLछेद ख32(क)”
III. “भारतीय लेखा मानक (इंड ए एस) 104” म�,-
(i) अनुLछेद 4 क मद (ग) के Nथान पर िन8िलिखत मद *ितNथािपत क जाएगी, अथा�त्:-
“(ग) अनुबंधाXमक अिधकार अथवा अनुबंधाXमक बायताएं जो एक गैर-िव+ीय मद के भावी उपयोग अथवा
उपयोग के अिधकार (उदाहरण के िलए कुछ लाइस�स शु�क, रॉयि�टयां, प&रवत�नीय प`ा भुगतान तथा इसी
*कार क अGय मद�) तथा इसी तरह म� एक प`े म� प`ेदार क सििहत अविश] मू�य गारंटी पर आकिNमक हj।
(देख� भारतीय लेखा मानक 116 प`े, भारतीय लेखा मानक 115, \ाहक. के साथ अनुबंध. से राजNव एवं
भारतीय लेखा मानक 38, अमूत� आिNतयां।”
(ii) अनुLछेद 41छ के बाद िन8िलिखत अनुLछेद सिPमिलत �कये जाएंगे, अथा�त्:-
“41ज लोिपत
*
41झ अनुLछेद 4 संशोिधत कर �दया गया ह।ै एक *ितOान जब वह (भारतीय लेखा मानक 116 का *योग
करेगा) इस संशोधन का *योग तब करेगा।”
(iii) प&रिश] 1 म�, अनुLछेद 4 के Nथान पर िन8िलिखत अनुLछेद *ितNथािपत �कया जाएगा, अथा�त्:-
“4 ‘आई एफ आर एस’ 4 म� �दये गये *भावी ितिथ और अGय संeमण कालीन उपबंध. से सPबंिधत अनुLछेद 40-
41च और 41ज भारतीय लेखा मानक 104 म� नह_ �दये गये हj bय.�क ये भारतीय संदभ� म� *ासांिगक नह_ हj।
�फर भी ‘आई एफ आर एस’ 4 क अनुLछेद संgयाo के साथ eमबsता बनाए रखने के िलए इन अनुLछेद
संgयाo को भारतीय लेखा मानक 104 म� रखा गया ह।ै”
IV. “भारतीय लेखा मानक (इंड ए एस) 107” म�,-
(i) अनुLछेद 29 क मद (ग) और (घ) के Nथान पर िन8िलिखत मद� *ितNथािपत क जाएंगी, अथा�त्:-
“(ग) िववेकाधीन सहभािगता िवशेषता को समािव] करने वाल ेअनुबंध के िलए (जैसा �क भारतीय लेखा मानक (इंड
ए एस) 104 म� वqणत �कया गया ह)ै य�द उसे िवशेषता का उिचत मू�य िवसनीय Wप से मापा नह_ �कया
जा सकता; तथा
(घ) प`ा दाियXव. के िलए”
(ii) अनुLछेद 42ज के बाद िन8िलिखत अनुLछेद सिPमिलत �कये जाएंगे, अथा�त्:-
“42झ-42ध लोिपत
*
�भावी ितिथ एवं सं#मणकाल
�भावी ितिथ एवं सं#मणकाल�भावी ितिथ एवं सं#मणकाल
�भावी ितिथ एवं सं#मणकाल
43-44 खख लोिपत
*
44गग अनुLछेद 29 और ख11घ संशोिधत �कये गये हj। एक *ितOान भारतीय लेखा मानक 116 को लाग ूकरते
समय इन संशोधन. को भी लागू करेगा।”
(iii) प&रिश] ख म�, अनुLछेद ख11घ क मद (क) के Nथान पर िन8िलिखत मद *ितNथािपत क जाएगी, अथा�त्:-
* देख� प�रिश� 1
-
¹Hkkx IIµ[k.M 3(i)º Hkkjr dk jkti=k % vlk/kj.k 7
“(क) सकल प`ा दाियXव (िव+ *भार. क कटौती से पूव�)”
(iv) प&रिश] 1 म�, अनुLछेद 4 के बाद िन8िलिखत अनुLछेद सिPमिलत �कया जाएगा, अथा�त्:-
“5. आई एफ आर एस 7 के अनुLछेद 42क-42ध भारतीय लखेा मानक 107 म� सिPमिलत नह_ �कए गए हj bय.�क
वे ‘आई एफ आर एस’ 9 के *ारिPभक *योग से सPबंिधत हj और भारतीय संदभ� म� *ासांिगक नह_ हj। इसी तरह
*भावी ितिथ और संeमणकाल से संबंिधत आई एफ आर एस 7 म� �दए गए (अनुLछेद 43-44खख) भारतीय
लेखा मानक 107 म� नह_ �दये गये हj, bय.�क वह भारतीय संदभ� म� *ासंिगक नह_ ह।ै भारतीय लेखा मानक. से
सPबंिधत सभी संeमणकालीन उपबंध जहां भी उिचत समझा गया ह,ै ‘आई एफ आर एस’ 1 अंतररा�ीय िव�ीय
�रपो�टग मानक का !थमबार अंगीकरण के तदनुWप भारतीय लेखा मानक 101, भारतीय लेखा मानक. का
*थमबार अंगीकरण म� सिPमिलत कर �दये गये हj। �फर भी, ‘आई एफ आर एस’ 7 क अनुLछेद संgयाo के साथ
eमबsता बनाए रखने के िलए इन अनुLछेद संgयाo को भारतीय लेखा मानक 107 म� इGह� रहने �दया गया
ह।ै”
V.
“भारतीय लेखा मानक (इंड ए एस) 109” म�,-
(i) अनुLछेद 2.1 क मद (ख) के Nथान पर िन8िलिखत मद *ितNथािपत क जाएगी, अथा�त्:-
“
““
“(ख
(ख(ख
(ख) प�े के अ$त
प�े के अ$तप�े के अ$त
प�े के अ$तगत अिधकार और बा(यता िजन पर भारतीय लखेा मानक 116, प�े लाग ूहोता है। य0िपः
गत अिधकार और बा(यता िजन पर भारतीय लखेा मानक 116, प�े लाग ूहोता है। य0िपःगत अिधकार और बा(यता िजन पर भारतीय लखेा मानक 116, प�े लाग ूहोता है। य0िपः
गत अिधकार और बा(यता िजन पर भारतीय लखेा मानक 116, प�े लाग ूहोता है। य0िपः-
--
-
(
((
(i
ii
i)
))
)
प�ाकता 2ारा मा$य िव3 प�े क4 �ा5य रािशयां (अथात् िव3 प�9 म� िनवल (शु0) िनवेश) एवं
प�ाकता 2ारा मा$य िव3 प�े क4 �ा5य रािशयां (अथात् िव3 प�9 म� िनवल (शु0) िनवेश) एवं प�ाकता 2ारा मा$य िव3 प�े क4 �ा5य रािशयां (अथात् िव3 प�9 म� िनवल (शु0) िनवेश) एवं
प�ाकता 2ारा मा$य िव3 प�े क4 �ा5य रािशयां (अथात् िव3 प�9 म� िनवल (शु0) िनवेश) एवं
प
-
8 THE GAZETTE OF INDIA : EXTRAORDINARY [PART II—SEC. 3(i)]
ख) अनुLछेद ख5.5.34 के Nथान पर िन8िलिखत अनुLछेद *ितNथािपत �कया जाएगा, अथा�त्:-
“ख5.5.34 जब प`े से *ाय रािश के िलए हािन &रयायत का माप करना हो तो *Xयािशत ऋण हािनय. के
िनधा�रण म� *यु- नकदी *वाह भारतीय लेखा मानक 116 के अनुसरण म� प`े से *ाय रािश के माप म�
*यु- नकद *वाह. के अनुWप ह.गे।”
ग) अनुLछेद ख5.5.46 के Nथान पर िन8िलिखत अनुLछेद *ितNथािपत �कया जाएगा, अथा�त्:-
“ख5.5.46 प`े क *ाय रािशय. पर *Xयािशत ऋण हािनयाँ भारतीय लखेा मानक 116 के अनुसरण म� प`े
क *ाय रािशय. के माप के िलए *यु- ब`ा दर का *योग करते 1ए ब`ागत क जाएगी।”
(v) प&रिश] ङ म�, अनुLछेद 3 का लोप �कया जाएगा.
VI.
“भारतीय लेखा मानक (इंड ए एस) 113” म�,-
(i) अनुLछेद 6 क मद (ख) के Nथान पर िन8िलिखत मद *ितNथािपत क जाएगी, अथा�त्:-
“(ख) भारतीय लेखा मानक 116, प�े के अनुसार लेखा �कए गए प`ा लेनदेन; और”
(ii) प&रिश] ग के Nथान पर िन8िलिखत प&रिश] *ितNथािपत �कये जाएंगे, अथा�त्:-
“
““
“प
-
¹Hkkx IIµ[k.M 3(i)º Hkkjr dk jkti=k % vlk/kj.k 9
VII. “भारतीय लेखा मानक (इंड ए एस) 115” म�,-
(i) अनुLछेद 5 क मद (क) के Nथान पर िन8िलिखत मद *ितNथािपत क जाएगी, अथा�त्:-
“
““
“(क) भारतीय लेखा मानक 116, प�े, के काय� ?ेQ के अGतग�त प`ा अनुबंध;”
(ii) अनुLछेद 97 क मद (ग) के Nथान पर िन8िलिखत मद *ितNथािपत क जाएगी, अथा�त्:-
“(ग) उन लागत. के आबंटन जो अनुबंध या अनुबंध क गितिविधय. से *Xय? Wप से सPबंिधत हj (जैसे �क अनुबंध
*बंधन एवं िनरी?ण लागत�, अनुबंध को पूरा करने म� इNतेमाल उपकरण. व उपNकर. का बीमा व मू�यास और
*योग अिधकार आिNतयां);”
(iii) प&रिश] ख म�
क) अनुLछेद ख66 क मद (क) के Nथान पर िन8िलिखत मद *ितNथािपत क जाएगी, अथा�त्:-
“(क) भारतीय लेखा मानक 116, प`े, के अनुसरण म� एक प`ा के Wप म� य�द *ितOान आिNत को उस रािश
पर खरीद सकता ह ैया आवcय खरीदेगा जो �क आिNत क मूल िबe क मत से कम ह ैबशतz अनुबंध
िबe और प`ावापसी लेनदेन का एक भाग नह_ ह।ै य�द अनुबंध िबe और प`ावापसी का एक भाग ह ै
तो *ितOान आिNत क माGयता जारी रखेगा और \ाहक से *ा@ �कसी भी *ितफल के िलए िव+ीय
दाियXव को माGयता देगा। *ितOान िव+ीय दाियXव का लेखा भारतीय लेखा मानक 109 के अनुसरण म�
करेगा; अथवा”
ख) अनुLछेद ख70 के Nथान पर िन8िलिखत अनुLछेद *ितNथािपत �कया जाएगा, अथा�त्:-
“ख70 य�द एक *ितOान के पास \ाहक के अनुरोध पर (एक िबe िवक�प या पुट आशन) एक आिNत क उस
मू�य पर पुन:खरीद क बायता ह ैजो�क मूल िबe क मत से कम ह ैतो *ितOान अनुबंध के *ारPभ म�
इस बात पर िवचार करेगा �क bया \ाहक के पास उस अिधकार का *यु- करने के िलए कोई महXवपूण�
आqथक *ोXसाहन ह।ै \ाहक )ारा उस अिधकार का *योग इस Wप म� प&रणत होता ह ै �क \ाहक एक
समय क अविध के िलए एक िविश] आिNत के *योग के अिधकार के िलए *ितOान को *ितफल का
भुगतान *भावी Wप से करता ह।ै अतः य�द \ाहक के पास उस अिधकार के *योग का महXवपूण� आqथक
*ोXसाहन ह ैतो *ितOान भारतीय लेखा मानक 116, के अनुसरण म� करार का लेखा एक प`े के Wप म�
करेगा बशतz अनुबंध एक िबe प`ावापसी लेनदेन का भाग नह_ ह।ै य�द अनुबंध एक िबe और
प`ावापसी लेनदेन का भाग ह,ै तो *ितOान आिNत क माGयता जारी रखेगा और \ाहक से *ा@ �कसी
भी *ितफल के िलए एक िव+ीय दाियXव को माGयता देगा। तब *ितOान िव+ीय दाियXव का लेखा
भारतीय लेखा मानक 109 के अनुसरण म� करेगा।”
(iv) प&रिश] ग म� अनुLछेद ग1क के Nथान पर िन8िलिखत अनुLछेद *ितNथािपत �कया जाएगा, अथा�त्:-
“ग1क भारतीय लेखा मानक 116, प`े, अनुLछेद. 5, 97, ख66, ख70, प&रिश] घ के अनुLछेद *मा8 और
प&रिश] ङ के अनुLछेद 5 को संशोिधत करता ह।ै एक *ितOान जब भारतीय लेखा मानक 116 को लाग ू
करता ह ैतो वह इस संशोधन. को भी लाग ूकरेगा।”
(v) प&रिश] घ म� अनुLछेद *मा8 के Nथान पर िन8िलिखत अनुLछेद *ितNथािपत �कया जाएगा, अथा�त्:-
“*मा8 एक प&रचालक अनुLछेद *मा 7(क) म� यथावqणत अलग मूलभूत संरचना के *योग का अिधकार रखता
ह।ै वह इस बात का भी अिधकार रखता ह ै�क *मा 7(ख) म� यथा वqणत सहायक अिविनयिमत सेवाo
को देने के िलए इNतेमाल क जाने वाली सुिवधाo का *योग करे। दोन. म� से *Xयेक मामले म� *दानकता�
क ओर से प&रचालक के िलए एक प`ा होगा िजसका लेखा भारतीय लेखा मानक 116 के अनुसरण म�
�कया जाएगा।”
-
10 THE GAZETTE OF INDIA : EXTRAORDINARY [PART II—SEC. 3(i)]
(vi) प&रिश] ङ म� अनुLछेद 5 के Nथान पर िन8िलिखत अनुLछेद *ितNथािपत �कया जाएगा, अथा�त्:-
“5 कुछ सेवा &रयायत ^वNथा के मामल. म� कुछ प?. तथा *कटन. का भारतीय लेखा मानक. )ारा वण�न �कया
जाता ह ै (जैसे क सPपि+, संयंQ एवं उपNकर. क मद. के अिध\हण के िलए भारतीय लखेा मानक 16,
आिNतय. के प`. के िलए भारतीय लेखा मानक 116 और अमूत� आिNतय. के अिध\हण के िलए भारतीय लेखा
मानक 38 लाग ूहोता ह।ै ले�कन, एक सेवा &रयायत ^वNथा म� काय�-िनपादक अनुबंध ^ा@ हो सकते हj
िजनका भारतीय लेखा मानक. म� कोई वण�न नह_ �कया गया ह ैबशतz वे अनुबंध दभूर� न हो िजनम� भारतीय
लेखा मानक 37 लागू होता ह।ै अतः यह प&रिश] सेवा &रयायत ^वNथा के अित&र- *कटन. का वण�न करता
ह।ै”
(vii) प&रिश] च म�, अनुLछेद 1 को लोिपत �कया जाएगा ;
(viii) प&रिश] 1 म�
(क) अनुLछेद 6 के Nथान पर िन8िलिखत *ितNथािपत �कया जाएगा, अथा�त्:-
“6. िन8िलिखत कारण. से *द+ और संeमणकाल से सPबिGधत अनुLछेद ग1ख, ग8क और ग9 हटा �दये गये
हj:-”
(क) अनुLछेद ग1ख और ग8क भारतीय संदभ� म� *ासंिगक नह_ हj, bय.�क ये उन संशोधन. के *योग के
संदभ� म� ह ैजहां अGतररा3ीय िव+ीय &रपो5टग मानक (आई एफ आर एस) 15 संशोधन. के जारी होने
से पूव� *योग म� था।
(ख) अनुLछेद ग9 अGतररा3ीय लखेा मानक (आईएएस) 39 िव+ीय िलखत� के *योग के संदभ� म� ह ैजो
भारतीय संदभ� म� *ासंिगक नह_ ह।ै
VIII “भारतीय लेखा मानक (इंड ए एस) 115” के बाद िन8िलिखत सिPमिलत �कया जाएगा, अथा�त्:-
भारतीय लखेा मानक (इंड ए एस) 116
भारतीय लखेा मानक (इंड ए एस) 116 भारतीय लखेा मानक (इंड ए एस) 116
भारतीय लखेा मानक (इंड ए एस) 116
प�े
प�ेप�े
प�े
(इस भारतीय लेखा मानक म= मोटे
मोटेमोटे
मोटे व सामा.य टाइप म= अनुAछेद हC िजनका समान !ािधकार ह।ै मोटे टाइप म= अनुAछेद मुDय
िसEा.त के सूचक हC।)
उTेUय
उTेUयउTेUय
उTेUय
1.1.1.1. यह मानक यह मानक यह मानक यह मानक प�े प�े प�े प�े क4 मा$यता, माप, �@तुितकरण एवं �कटन के िस0ा$त9 को अिधकिथत करता है। इसका उTेUय यह क4 मा$यता, माप, �@तुितकरण एवं �कटन के िस0ा$त9 को अिधकिथत करता है। इसका उTेUय यह क4 मा$यता, माप, �@तुितकरण एवं �कटन के िस0ा$त9 को अिधकिथत करता है। इसका उTेUय यह क4 मा$यता, माप, �@तुितकरण एवं �कटन के िस0ा$त9 को अिधकिथत करता है। इसका उTेUय यह
सुिनिVत करना है Oक
सुिनिVत करना है Oक सुिनिVत करना है Oक
सुिनिVत करना है Oक प�ेदार
प�ेदारप�ेदार
प�ेदार
व
व व
व प�ाकता
प�ाकताप�ाकता
प�ाकता
सुसंगत सूचना इस तरह से द�
सुसंगत सूचना इस तरह से द�सुसंगत सूचना इस तरह से द�
सुसंगत सूचना इस तरह से द�,
,,
,
Oक उन लने
Oक उन लनेOक उन लने
Oक उन लने-
--
-देन9 का िव
देन9 का िवदेन9 का िव
देन9 का िवWसनीय �@तुितकरण
Wसनीय �@तुितकरण Wसनीय �@तुितकरण
Wसनीय �@तुितकरण
हो। यह सूचना �ितPान के िव3ीय िववरण9 के �योगकताA के िलए �ितPान क4 िव3ीय ि@थित, िव3ीय िनXपादन तथा
हो। यह सूचना �ितPान के िव3ीय िववरण9 के �योगकताA के िलए �ितPान क4 िव3ीय ि@थित, िव3ीय िनXपादन तथा हो। यह सूचना �ितPान के िव3ीय िववरण9 के �योगकताA के िलए �ितPान क4 िव3ीय ि@थित, िव3ीय िनXपादन तथा
हो। यह सूचना �ितPान के िव3ीय िववरण9 के �योगकताA के िलए �ितPान क4 िव3ीय ि@थित, िव3ीय िनXपादन तथा
नकदी �वाह9 पर प�े से पड़ने वाल े�भाव के आंकलन का आधार होती ह�।
नकदी �वाह9 पर प�े से पड़ने वाल े�भाव के आंकलन का आधार होती ह�। नकदी �वाह9 पर प�े से पड़ने वाल े�भाव के आंकलन का आधार होती ह�।
नकदी �वाह9 पर प�े से पड़ने वाल े�भाव के आंकलन का आधार होती ह�।
2. *ितOान इस मानक को लाग ूकरते समय अनुबंध. क शत| व िनबंधन. और सभी उपयु- तpय. व प&रिNथितय. पर
िवचार करेगा। *ितOान इस मानक का *योग एक जैसी िवशेषताo वाल ेअनुबंध. पर एवं एक जैसी प&रिNथितय. म�
समान Wप से करेगा।
काय?े
काय?ेकाय?े
काय?े
3. *ितOान इस मानक को िन8िलिखत को छोड़कर, सभी प`. पर, उप-प`े म� !योग-अिधकार आि�तयां के प`. सिहत पर
लाग ूकरेगा :-
(क) खिनज., तेल, *ाकृितक गैस एवं इसी *कार के गैर-पुनXपादन संसाधन. क खोज अथवा उपयोग के िलए प`े;
(ख) भारतीय लेखा मानक 41, कृिष, के काय�?ेQ के अंतग�त प`ेदार )ारा धा&रत जैिवक आिNतय. के प`े;
-
¹Hkkx IIµ[k.M 3(i)º Hkkjr dk jkti=k % vlk/kj.k 11
(ग) भारतीय लेखा मानक 115, Gाहक के साथ अनुबंध से राज�व, के प&रिश] ‘घ’, सेवा �रयायत Hव�थाएं, के काय�?ेQ
के अंतग�त सेवा &रयायत ^वNथाएं;
(घ) भारतीय लेखा मानक 115, Gाहक के साथ अनुबंध से राज�व, के काय�?ेQ के अंतग�त प`ेदार )ारा �दये गये बौिsक
संपि+ के लाइस�स; और
(ङ) भारतीय लेखा मानक 38, अमूतI आि�तयां, के काय�?ेQ म� चलिचQ �फ�म., िविडयो &रकाडग, नाटक.,
पाडुिलिपय., पेट�ट. और कॉपीराइट. जैसी मद. के िलए लाइस�स करार. के अंतग�त, प`ेदार )ारा धा&रत अिधकार।
4. प`ेदार अमूत� आिNतय. के प`. पर, अनुLछेद 3(ङ) म� वqणत को छोड़कर, इस मानक का *योग कर सकता ह ैले�कन ऐसा
करना उसके िलए अपेि?त नह_ ह।ै
मा$यता �ाZ छूट�
मा$यता �ाZ छूट�मा$यता �ाZ छूट�
मा$यता �ाZ छूट�
(अनुDछेद ख3
(अनुDछेद ख3(अनुDछेद ख3
(अनुDछेद ख3-
--
-ख8)
ख8)ख8)
ख8)
5. एक प`ेदार िन8िलिखत पर अनुLछेद 22-49 म� दी गई अपे?ाo को लाग ूनह_ करने का चयन कर सकता ह ै:-
(क) अ3पाविध प�े; और
(ख) ऐसे प`े िजसक अ.तJनिहत आि�त कम मू�य क ह ै(अनुLछेद ख3-ख8 म� यथावqणत) ।
6. य�द प`ेदार अनुLछेद 22-49 म� दी गई अपे?ाo को अ�पाविध प`. अथवा उन प`. म� िजनक अंतqनिहत आिNतयां कम
मू�य क हj, लाग ूकरने के िलए चयन नह_ करता ह ैतो प`ेदार उन प`. से संबs प�ा भुगतान को प`ा अविध के दौरान
सीधी रेखा के आधार पर या अGय ^विNथत आधार पर ^य के Wप म� माGयता देगा। प`ेदार �कसी अGय ^विNथत
आधार को लागू करेगा य�द वह आधार के प`ेदार लाभ का बेहतर ढंग से *ितिनिधXव करता ह।ै
7. य�द प`ेदार अ�पाविध प`. का लेखा अनुLछेद 6 का *योग करके करता ह ैतो प`ेदार प`ा को इस मानक के *योजन के
िलए एक नए प`ा के Wप म� मानेगा, बशतz :
(क) य�द प`े म� संशोधन �कया जाता ह;ै अथवा
(ख) य�द प`ा अविध म� कोई प&रवत�न �कया जाता ह ै(उदाहरण के िलए, प`ेदार पूव� म� प`ा अविध के आंकलन के
िलए शािमल नह_ �कये गये िवक�प का *योग करता ह।ै)
8. अ�पाविध प`. का चयन उस अंतqनिहत आिNत क vेणी )ारा �कया जाएगा िजससे *योग-अिधकार संबs होता ह।ै
अंतqनिहत आिNत क एक vेणी समान *कृित और *ितOान के प&रचालन. म� समान Wप से *योग क जाने वाली
अंतqनिहत आिNतय. के समूिहकरण के आधार पर बनती ह।ै प`. का चयन, िजसक अंतqनिहत आिNत कम मू�य क ह,ै
प`ा-दर-प`ा आधार पर �कया जा सकता ह।ै
प�े
प�ेप�े
प�े
क4 पहचान (अनुDछेद ख9
क4 पहचान (अनुDछेद ख9क4 पहचान (अनुDछेद ख9
क4 पहचान (अनुDछेद ख9-
--
-ख33)
ख33)ख33)
ख33)
9.9.9.9. अनुबंध क4 शु\आत म�, �ितPान यह आंकलन करेगा Oक ]या अनुबंध एक प�ा है अथवा इसम� एक प�ा िनिहत है। एक अनुबंध क4 शु\आत म�, �ितPान यह आंकलन करेगा Oक ]या अनुबंध एक प�ा है अथवा इसम� एक प�ा िनिहत है। एक अनुबंध क4 शु\आत म�, �ितPान यह आंकलन करेगा Oक ]या अनुबंध एक प�ा है अथवा इसम� एक प�ा िनिहत है। एक अनुबंध क4 शु\आत म�, �ितPान यह आंकलन करेगा Oक ]या अनुबंध एक प�ा है अथवा इसम� एक प�ा िनिहत है। एक
अनुबंध तब एक प�ा होता है अथवा इसम� प�ा िनिहत होता है, जब अनुबंध �ितफल के बदल ेम� एक िनिVत समयाविध
अनुबंध तब एक प�ा होता है अथवा इसम� प�ा िनिहत होता है, जब अनुबंध �ितफल के बदल ेम� एक िनिVत समयाविध अनुबंध तब एक प�ा होता है अथवा इसम� प�ा िनिहत होता है, जब अनुबंध �ितफल के बदल ेम� एक िनिVत समयाविध
अनुबंध तब एक प�ा होता है अथवा इसम� प�ा िनिहत होता है, जब अनुबंध �ितफल के बदल ेम� एक िनिVत समयाविध
के िलए पह
के िलए पहके िलए पह
के िलए पहचानी गयी आि@त के उपयोग के िनयंण का अिधकार �दान करता है। अनुDछेद ख9
चानी गयी आि@त के उपयोग के िनयंण का अिधकार �दान करता है। अनुDछेद ख9चानी गयी आि@त के उपयोग के िनयंण का अिधकार �दान करता है। अनुDछेद ख9
चानी गयी आि@त के उपयोग के िनयंण का अिधकार �दान करता है। अनुDछेद ख9-
--
-ख31 यह आंकलन संबंधी
ख31 यह आंकलन संबंधी ख31 यह आंकलन संबंधी
ख31 यह आंकलन संबंधी
Oदशा
OदशाOदशा
Oदशा-
--
-िनद_श िनधा
-
12 THE GAZETTE OF INDIA : EXTRAORDINARY [PART II—SEC. 3(i)]
प�ेदार
प�ेदारप�ेदार
प�ेदार
13. उस अनुबंध के िलए िजसम� एक प`ा घटक और एक या एक से अिधक अित&र- प`ा घटक अथवा गैर-प`ा घटक िनिहत
हj, प`ेदार अनुबंध के *ितफल को *Xयेक प`ा घटक के *ित प`ा घटक क संबंिधत NवतंQ क मत तथा गैर-प`ा घटक. क
कुल NवतंQ क मत के आधार पर आबं&टत करेगा।
14. प`ा तथा गैर-प`ा घटक. क संबंिधत NवतंQ क मत का आंकलन उस क मत के आधार पर पृथक-पृथक Wप से होगा,
प`ाकता� या उसी *कार का आपूqतकता�, *ितOान से उस घटक या उस जैसे घटक के िलए चाज� करता ह।ै य�द
*Xय?दश[ NवतंQ क मत तXकाल उपलxध नह_ होती ह ैतो प`ेदार *Xय?दश[ सूचना का अिधकतम उपयोग करके NवतंQ
क मत का *ालन करेगा।
15. एक ^ावहा&रक उपाय के Wप म� एक प`ेदार अंतqनिहत आिNत क vेणी के िलए प`ा घटक. को गैर-प`ा घटक. से पृथक
न करने का, इसक बजाय, *Xयेक प`ा घटक और संबs गैर-प`ा घटक के िलए एकल प`ा घटक के Wप म� लेखा करने का
चयन कर सकता ह।ै प`ेदार इस ^ावहा&रक उपाय का *योग उन सििहत ^ुXप. पर नह_ करेगा जो भारतीय लेखा
मानक 109, िव�ीय िलखत= के अनुLछेद 4.3.3 के मानदंड को पूरा करते हj।
16. जब तक अनुLछेद 15 के ^ावहा&रक उपाय का *योग नह_ �कया जाता ह ैतब तक प`ेदार अGय लागू मानक. का *योग
करके गरै-प`ा घटक. का लेखा करेगा।
प�ाकता
प�ाकता प�ाकता
प�ाकता
17. उस अनुबंध के िलए िजसम� एक प`ा घटक और एक या एक से अिधक अित&र- प`ा अथवा गरै-प`ा घटक िनिहत हj, एक
प`ेदार भारतीय लेखा मानक 115 के अनुLछेद. 73-90 का *योग करते 1ए अनुबंध के *ितफल का आबंटन करेगा।
प�ा अविध
प�ा अविधप�ा अविध
प�ा अविध
(अनुDछेद ख34
(अनुDछेद ख34(अनुDछेद ख34
(अनुDछेद ख34-
--
-ख41
ख41ख41
ख41)
18. एक *ितOान प`ा अविध का आंकलन, प`े क गरै-रm करने योlय अविध क तरह िन8िलिखत दोन. अविधय. के साथ
करेगा :-
(क) प`े के िवNतार के िवक�प म� समािव] अविधयां य�द प`ेदार तक� संगत Wप से िनिHत ह ै �क वह उस िवक�प का
*योग करेगा; तथा
(ख) प`ा समा@ करने के िवक�प म� समािव] अविधयां य�द प`ेदार िनिHत ह ै�क वह उस िवक�प का *योग नह_ करेगा।
19. इस बात का आकलन करने म� �क प`ेदार तक� संगत Wप से िनिHत ह ै�क वह प`े के िवNतार के िवक�प का *योग करेगा
या प`े को समा@ करने के िवक�प का *योग नह_ करेगा, *ितOान उन सभी उपयु- तpय. एवं प&रिNथितय. पर िवचार
करेगा जो प`ेदार के िलए प`ा िवNतार िवक�प का *योग करने अथवा प`ा समा@ करने के िवक�प का *योग न करने के
िलए आqथक *ोXसाहन का सृजन करती ह,ै जैसा�क अनुLछेद. ख37-ख40 म� वqणत ह।ै
20. प`ेदार इस बात का पुनःआकलन करेगा �क bया �कसी उस महXवपूण� घटना के घटने पर अथवा प&रिNथितय. म� �कसी
उस महXवपूण� प&रवत�न होने पर िवNतार िवक�प के *योग करना या समाि@ िवक�प का *योग न करना, तक� संगत Wप से
िनिHत ह,ै जो-
(क) प`ेदार के िनयंQण म� ह;ै तथा
(ख) यह *भािवत करता ह ै�क bया प`ेदार तक� संगत Wप से िनिHत ह ै�क वह उस िवक�प का *योग करेगा जो पहले प`ा
अविध के आंकलन म� सिPमिलत नह_ �कया गया था या उस िवक�प का *योग नह_ करेगा जो पहल ेप`ा अविध के
आंकलन सिPमिलत था (अनुLछेद ख41 म� यथावqणत)।
21. *ितOान प`ा अविध म� संशोधन करेगा य�द प`ा क गैर-रm करने योlय अविध म� प&रवत�न होता ह।ै उदाहरणाथ� प`ा क
गैर-रm करने योlय अविध म� प&रवत�न तभी �कया जाएगा, य�द :-
(क) प`ेदार उस िवक�प का *योग करता ह ैजो *ितOान के प`ा अविध के आंकलन म� पहल ेसे सिPमिलत नह_ था;
(ख) प`ेदार उस िवक�प का *योग नह_ करता जो *ितOान के प`ा अविध के आंकलन म� पहल ेसे सिPमिलत था;
-
¹Hkkx IIµ[k.M 3(i)º Hkkjr dk jkti=k % vlk/kj.k 13
(ग) एक ऐसी घटना घटती ह ैजो प`ेदार को इस बात के िलए अनुबंधाXमक Wप से बाय करती ह ै�क वह उस िवक�प का
*योग करे जो *ितOान क प`ा अविध के आंकलन म� पहल ेसिPमिलत नह_ था;
(घ) एक ऐसी घटना घटती ह ैजो प`ेदार को इस बात के िलए अनुबंधाXमक Wप से उस िवक�प का *योग करने के िलए
रोकती ह ैजो *ितOान क प`ा अविध के आंकलन म� पहले से सिPमिलत था।
प�ेदार
प�ेदारप�ेदार
प�ेदार
मा$यता
मा$यतामा$यता
मा$यता
22. �ारंिभक ितिथ पर प�ेदार, �योग�ारंिभक ितिथ पर प�ेदार, �योग�ारंिभक ितिथ पर प�ेदार, �योग
�ारंिभक ितिथ पर प�ेदार, �योग-
--
-अिधकार
अिधकारअिधकार
अिधकार-
--
-आि@त तथा प�ा दाियCव को मा$यता देगा।
आि@त तथा प�ा दाियCव को मा$यता देगा। आि@त तथा प�ा दाियCव को मा$यता देगा।
आि@त तथा प�ा दाियCव को मा$यता देगा।
माप
मापमाप
माप
�ारंिभक माप
�ारंिभक माप �ारंिभक माप
�ारंिभक माप
!योग-अिधकार आि�त का !ारंिभक माप
23.23.23.23. �ारंिभक ितिथ पर प�ेदार �योग�ारंिभक ितिथ पर प�ेदार �योग�ारंिभक ितिथ पर प�ेदार �योग�ारंिभक ितिथ पर प�ेदार �योग----अिधकार आि@त का लागत पर माप करेगा। अिधकार आि@त का लागत पर माप करेगा। अिधकार आि@त का लागत पर माप करेगा। अिधकार आि@त का लागत पर माप करेगा।
24. *योग-अिधकार आिNत क लागत म� िन8िलिखत सिPमिलत ह.गे :-
(क) प`ा दाियXव के *ारंिभक माप क रािश, जैसा�क अनुLछेद 26 म� वqणत ह,ै
(ख) *ारंिभक ितिथ को या इसके पहले �कये गये कोई प`ा भुगतान िजनम� से *ा@ क गई कोई प�ा !ो;साहन रािश
घटायी जाएगी;
(ग) प`ेदार )ारा उत कोई !ारंिभक !;यK लागत=; तथा
(घ) प`ेदार )ारा अंतqनिहत आिNत को िवखंिडत करने और हटाने, िजस Nथल पर वह अविNथत ह,ै उसे पुनःबहाल करना
अथवा अंतqनिहत आिNत को प`े क शत| और प&रिNथितय. के अनुसार अपेि?त िNथित म� पुनःबहाल करने म� प`ेदार
)ारा उपगत लागत. का *ालन बशतz उन लागत. का ^य सूचीबs सामान (इGव�ीज़) के उXपादन के िलए नह_
होता ह।ै प`ेदार या तो *ारंिभक ितिथ पर या �कसी िविश] अविध के दौरान अंतqनिहत आिNत के *योग के
प&रणामNवWप उन लागत. के िलए बायता उपगत करता ह।ै
25. प`ेदार अनुLछेद 24(घ) म� वqणत लागत. को *योग-अिधकार आिNत क लागत के भाग के Wप म� माGयता तब देगा जब
यह उन लागत. के िलए बायता उपगत करता ह।ै प`ेदार उन लागत. के िलए भारतीय लेखा मानक 2, सूचीबE सामान
(इ.व=Lीज़) को लाग ूकरेगा जो �क उस अविध म� सूचीबs सामान के उXपादन के िलए *योग-अिधकार आिNत के इNतेमाल
के प&रणामNवWप खच� क जाती हj। ऐसी लागत. क बायताo, िजनका लेखा इस मानक अथवा भारतीय लेखा मानक
2 को लागू करते 1ए �कया गया ह ैक माGयता व माप भारतीय लेखा मानक 37, !ावधान, आकि�मक दािय;व एवं
आकि�मक आि�तयां को लाग ूकरते 1ए �कया जाता ह।ै
प�ा दािय;व का !ारंिभक माप
26.26.26.26. �ारंिभक ितिथ को प�ेदार उन प�ा दाियCव का माप प�ा भुगतान9 के वतमान मूcय पर करेगा जो उस ितिथ को अदा �ारंिभक ितिथ को प�ेदार उन प�ा दाियCव का माप प�ा भुगतान9 के वतमान मूcय पर करेगा जो उस ितिथ को अदा �ारंिभक ितिथ को प�ेदार उन प�ा दाियCव का माप प�ा भुगतान9 के वतमान मूcय पर करेगा जो उस ितिथ को अदा �ारंिभक ितिथ को प�ेदार उन प�ा दाियCव का माप प�ा भुगतान9 के वतमान मूcय पर करेगा जो उस ितिथ को अदा
नहd Oकये गये ह�। प�ा भुगतान9 को
नहd Oकये गये ह�। प�ा भुगतान9 को नहd Oकये गये ह�। प�ा भुगतान9 को
नहd Oकये गये ह�। प�ा भुगतान9 को प�ा म�
प�ा म� प�ा म�
प�ा म� अंत�निहत �याज दर
अंत�निहत �याज दरअंत�निहत �याज दर
अंत�निहत �याज दर
का �योग करके ब�ागत (िड@टाउंट) Oकया जाएगा, यOद
का �योग करके ब�ागत (िड@टाउंट) Oकया जाएगा, यOद का �योग करके ब�ागत (िड@टाउंट) Oकया जाएगा, यOद
का �योग करके ब�ागत (िड@टाउंट) Oकया जाएगा, यOद
वह दर तCकाल
वह दर तCकालवह दर तCकाल
वह दर तCकाल-
--
-िनधा
-
14 THE GAZETTE OF INDIA : EXTRAORDINARY [PART II—SEC. 3(i)]
(ख) प�रवतIनीय प�ा भुगतान जो *ारंिभक ितिथ को सूचकांक अथवा दर का *योग करके *ारंिभक Wप से मापे गये
सूचकांक अथवा दर पर िनभ�र करते हj (यथा अनुLछेद 28 म� वqणत);
(ग) अविश% मू3य गारं�टयां के अंतग�त प`ेदार )ारा देय *Xयािशत रािशयां;
(घ) खरीद िवक�प का *योग मू�य य�द प`ेदार तक� संगत Wप से इस बात के िलए िनिHत ह ै�क वह खरीद िवक�प का
*योग करेगा (अनुLछेद ख37-ख40 म� वqणत कारक. पर िवचार करते 1ए यथा आंकिलत); और
(ङ) प`ा समा@ करने के िलए शािNतय. का भुगतान य�द प`ा अविध यह *दqशत करती ह ै�क प`ेदार प`ा को समा@
करने के िवक�प का *योग कर रहा ह।ै
28. उन प&रवत�नीय प`ा भुगतान. के जो अनुLछेद 27(ख) म� वqणत सूचकांक या दर पर िनभ�र हj, उदाहरण. म�, उपभो-ा
मू�य सूचकांक से जुड़े भुगतान, ब�चमाक� xयाज दर (जैसे �क ‘िलबोर’) से जुड़े भुगतान अथवा वे भुगतान जो बाजार
�कराया दर. म� प&रवत�न. को *दqशत करते 1ए बदलते रहते हj, सिPमिलत हj।
उ3रवतe माप
उ3रवतe मापउ3रवतe माप
उ3रवतe माप
!योग-अिधकार आि�त का उ�रवतN माप
29.29.29.29. �ारंिभक ितिथ के पVात् प�ेदार लागत मॉडल को लागू�ारंिभक ितिथ के पVात् प�ेदार लागत मॉडल को लागू�ारंिभक ितिथ के पVात् प�ेदार लागत मॉडल को लागू�ारंिभक ितिथ के पVात् प�ेदार लागत मॉडल को लागू करते gए �योगकरते gए �योगकरते gए �योगकरते gए �योग----अिधकार आि@त का माप तभी करेगा बशत_ यह अिधकार आि@त का माप तभी करेगा बशत_ यह अिधकार आि@त का माप तभी करेगा बशत_ यह अिधकार आि@त का माप तभी करेगा बशत_ यह
Oक वह अनुDछेद 35 म� वiणत माप मॉडल को �योग नहd करता है।
Oक वह अनुDछेद 35 म� वiणत माप मॉडल को �योग नहd करता है। Oक वह अनुDछेद 35 म� वiणत माप मॉडल को �योग नहd करता है।
Oक वह अनुDछेद 35 म� वiणत माप मॉडल को �योग नहd करता है।
लागत मॉडल
लागत मॉडललागत मॉडल
लागत मॉडल
30. लागत मॉडल को लागू करने के िलए प`ेदार *योग-अिधकार-आिNत का माप लागत पर करेगा :-
(क) �कसी संिचत मू�यास तथा �कGह_ संिचत ?ित\Nतता हािनय. को घटाकर; एवं
(ख) अनुLछेद 36(ग) म� िविन{द] प`ा दाियXव. के �कसी पुनमा�प को समायोिजत करके।
31. प`ेदार, अनुLछेद 32 म� क गई अपे?ाo के अधीन, *योग-अिधकार आिNत का मू�यास करने म� भारतीय लेखा मानक
16, संपि+, संयंQ एवं उपNकर क मू�यास अपे?ाo को लाग ूकरेगा।
32. य�द प`ा अंतqनिहत आिNत का NवािमXव प`ा अविध के अंत तक प`ेदार को अंत&रत करता ह ैअथवा *योग-अिधकार-
आिNत क लागत यह *दqशत करती ह ै �क प`ेदार खरीद िवक�प का *योग करेगा तो प`ेदार *ारंिभक ितिथ से
अंतqनिहत आिNत के उपयोगी जीवन के अंत तक *योग-अिधकार आिNत का मू�यास करेगा। अGयथा, प`ेदार *ारंिभक
ितिथ से *योग-अिधकार आिNत के उपयोगी जीवन के अंत तक अथवा प`ा अविध के अंत तक जो पहल ेआए, *योग-
अिधकार आिNत का मू�यास करेगा।
33. प`ेदार यह िनधा�&रत करने के िलए �क bया *योग-अिधकार आिNत ?ित\Nत ह,ै भारतीय लखेा मानक 36, आि�तय क6
KितG�तता, का *योग करेगा तथा पता लगाई गई �कसी ?ित\Nतता हािन का लेखा करेगा।
अ$य माप मॉडल
अ$य माप मॉडलअ$य माप मॉडल
अ$य माप मॉडल
34. [देख� प&रिश] 1]
35. य�द *योग-अिधकार आिNतयां संपि+, संयंQ तथा उपNकर क ऐसी vेणी से संबंिधत ह ै िजसके िलए प`ेदार भारतीय
लेखा मानक 16 म� पुनमू��यांकन मॉडल का *योग करता ह,ै तो प`ेदार उस पुनमू��यांकन मॉडल को उन सभी *योग-
अिधकार आिNतय. पर लागू करने का चयन कर सकता ह ैजो संपि+, संयंQ तथा उपNकर क उस vेणी से संबंिधत हj।
प�ा दािय;व का उ�रवतN माप
36.36.36.36. �ारंिभक क4 ितिथ के पVात, प�ेदार िनjिलिखत 2ारा प�ा दाियCव का माप करेगा�ारंिभक क4 ितिथ के पVात, प�ेदार िनjिलिखत 2ारा प�ा दाियCव का माप करेगा�ारंिभक क4 ितिथ के पVात, प�ेदार िनjिलिखत 2ारा प�ा दाियCव का माप करेगा�ारंिभक क4 ितिथ के पVात, प�ेदार िनjिलिखत 2ारा प�ा दाियCव का माप करेगा::::
(
((
(क
कक
क)
))
) प�ा दाियCव पर kयाज �दiशत करने के िलए अ�णीत रािश बढ़ाकरप�ा दाियCव पर kयाज �दiशत करने के िलए अ�णीत रािश बढ़ाकरप�ा दाियCव पर kयाज �दiशत करने के िलए अ�णीत रािश बढ़ाकर
प�ा दाियCव पर kयाज �दiशत करने के िलए अ�णीत रािश बढ़ाकर;
;;
;
(
((
(ख
खख
ख)
))
) Oकये गये प�ा भुगतान9 को �दiशत करने केOकये गये प�ा भुगतान9 को �दiशत करने केOकये गये प�ा भुगतान9 को �दiशत करने के
Oकये गये प�ा भुगतान9 को �दiशत करने के
िलए अ�णीत रािश घटा कर
िलए अ�णीत रािश घटा करिलए अ�णीत रािश घटा कर
िलए अ�णीत रािश घटा कर;
;;
;
तथा
तथातथा
तथा
-
¹Hkkx IIµ[k.M 3(i)º Hkkjr dk jkti=k % vlk/kj.k 15
(
((
(ग
गग
ग)
))
) अनुDछेद9 39अनुDछेद9 39अनुDछेद9 39
अनुDछेद9 3