hazrat muhammad (saw) ka pavitra jeevan · 2018-09-07 · writer hazrat mirza bashiruddin mahmood...

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लखक

हजरत मिजजा बशीरदीन िहिद अहिदरमज.

जिजअत अहिमदयज क मवितीय खलीफज

हजरत महममद सलललललाहो अलहह वसललम

कज पमितर जीिन

नजि मकतजब हजरत िहमिद (स.अ.ि.) कज पमितर जीिनName of Book Hadhrat Muhammad S.A.W. Ka Pavitra Jeevan (LIFE OF MUHAMMAD)

लखक हजरत मिजजा बशीरदीन िहिद अहिदरमज. जिजअत अहमिदयज क मवितीय खलीफजWriter Hazrat Mirza Bashiruddin Mahmood Ahmad Khalifatul-Masih-II Qadiani

अनिजदक अनसजर अहिद, बी.ए.बी.एड, िौलिी फजमजलTranslator Ansar Ahmad, B.A.B.Ed, Moulvi Fazil

परकजशन िरा ततीय महनदी ससकरण-2012Year

सखयज Number of Copies 5000

िदरक फजल उिर मपरमिग परस, कजमदयजनPrinted at Fazle-Umar Printing Press, Qadian Distt, Gurdaspur, Punjab.

परकजशक नजजरत नशर-ि-इशजअत, कजमदयजनPublished by Nazarat Nashr-o-Isha'at, Qadian Mohalla Ahmadiyya, Qadian Distt, Gurdaspur, Punjab, PIN:143516.

आई.एस. बी.एन.ISBN 81-7912-081-3

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TOLL FREE - 180030102131

NOTE:- NO PART OF THIS BOOK MAY BE REPRODUCED IN ANY FROM WITHOUT PRIOR WRITTEN PERMISSION FROM THE PUBLISHER, EXCEPT FOR THE QUOTATION OF BRIEF PASSAGES IN CRITICISM.

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2015
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I

विषय सची001. हजरत महममद (स.अ.व.) कला जीवन चररतर ....................................1002. महममद (स.अ.व.) क समय महतति पजला ..........................................4003. महदरलापलान और जआ ...............................................................6004. वयलापलार ................................................................................6005. अरब की अनय पररसथिहतयला तथिला उनकी आदत और वभलाव ...............7006. हजरत महममद (स.अ.व.) कला जनम ............................................10007. हहलफलफजल सहमहत म आप की सदयतला ..................................11008. हजरत महममद (स.अ.ि.) स हजरत खदीजला की हववलाह ...................13009. दलासो की वततरतला और जदरहज. की चचलाति .....................................14010. गलार-ए-हहरला (अरजात महरज की गफज) म उपलासनला करनला .......................16011. कअलातिन की परथिम वही (ईशवलाणी) ............................................. 16012. हजरत अबबकर कला हजरत महममद (स.अ.ि.) पर ईमलान ललानला ..........19013. मोहमनो की छोटी सी जमलाअत ..................................................19014. मककला क सरदलारो की ओर स हवरोध ..........................................20015. मोहमन-दलासो पर मककला क कलाहिरो कला अतयलाचलार और अनयलाय ..........22016. आजलाद मसलमलानो पर अतयलाचलार ...............................................26017. हजरत महममद (स.अ.व.) पर अतयलाचलार ......................................28018. इललाम कला सनदश ................................................................30019. अबतलाहलब क पलास मककला क कलाहिरो की हशकलायत और हजरत महममदस. कला

दढसकलप ......................................................................................32020. हबशला की ओर परवलास ............................................................34

II

021. हजरत उमररहज. कला इललाम वीकलार करनला ....................................38022. मसलमलानो कला सलामलाहजक बहहषकलार ...........................................41023. हजरत खदीजला और अब तलाहलब क मतयोपरलानत परचलार म बलाधलाए और महममद सलललललाहो अलहह वसललम की तलायि-यलातरला............................. 43024. मदीनला वलालो कला इललाम वीकलार करनला ......................................50025. इसरला (रलात की वसनल यलातरला) ................................................. 53026. रहमयो की हवजय की भहवषयवलाणी ...........................................54027. मककला स मदीनला की ओर हहजरत (पललायन) .................................60028. महममद (स.अ.ि.) को पकडन क हलए सरलाकला दलारला पीछला हकयला जलानला तथिला उसक सबध म आपस. की एक भहवषयवलाणी .........................................63029. महममद (स.अ.व.) कला मदीनला म परवश .......................................67030. हजरत अब अययबरहज. अनसलारी क मकलान पर ठहरनला ........................70031. हजरत महममदस. क आचरण पर सवक हजरत अनसरहज. की सलाकय ......71032. मककला स पररवलार को बललानला तथिला मसजद-ए-नबवीस. की नीव रखनला ..72033. मदीनला क दतवलादी कबीलो कला इललाम म परवश ............................72034. मककला वलालो की मसलमलानो को पनः कषट दन की योजनलाए ..............74035. अनसलार तथिला महलाहजरीन (परवलाहसयो) म भलातभलाव कला वयवथिलापन .........75036. महलाहजरो, अनसलार तथिला यहहदयो क मधय परपर समझौतला .................76037. मककला वलालो की ओर स नए हसर स उपदरवो कला परलारमभ ...................79038. हजरत महममद रसललललाह (स.अ.ि.) की सरकलातमक योजनलाए ...........81039. मदीनला म इललामी शलासन की नीव .............................................82040. करश क वयलापलाररक दल कला आगमन तथिला बदर कला यदध ..................84041. एक महलान भहवषयवलाणी कला पणति होनला ........................................91042. बदर क कदी ......................................................................94

III

043. उहद कला यदध ......................................................................96044. हवजय ः परलाजय क आवरण म .................................................98045. उहद क यदध स वलापसी तथिला मदीनला वलाहसयो की तयलाग-भलावनलाए ........ 106046. महदरलापलान क हनषध कला आदश और उसकला परभलाव ....................... 110047. उहद क यदधोपरलानत कलाहिर कबीलो क जघनय षडतर ................... 112048. कआतिन क सततर हलाहिजो (कठथि कतलातिओ) क वध की नशस घटनला .. 117049. बनी मतहलक कला यदध ........................................................ 119050. मदीनला पर समत अरबो की चढलाई-खनदक कला यदध ...................... 123051. खनदक क यदध क समय इललामी सनला की वलातहवक सखयला? .......... 126052. बन करजला क दरोह .............................................................. 130053. मनलाहिको तथिला मोमनो कला वरप ........................................... 134054. इललाम म शव कला सममलान ..................................................... 137055. हवरोधी सनलाओ क गठबधन क मसलमलानो पर आकरमण ................. 138056. बन करजला की महरिको (विवतिजमदयो) स हमलकर आकरमण की तयलारी तथिला उसम असिलतला ........................................................................ 140057. बन करजला को हवशलासघलात कला दणड ....................................... 144058. बन करजला क अपन हनयकत हकए गए मधयथि सअदरहज. कला हनणतिय तौरलात क अनकल थिला ....................................................................147059. मसलमलानो की हवजय कला परलारमभ ............................................ 151060. यदध क बलार म यहदी और ईसलाई धमति की हशकला ........................... 155061. यदध क बलार म इललामी हशकला ................................................ 157062. खनदक क यदध क पशलात कलाहिरो क मसलमलानो पर आकरमण ....... 172063. महममदस. कला पनदरह सौ सहलाबला क सलाथि मककला की ओर परथिलान ........ 174064. हदहबयला की सहध की शतत ..................................................... 179

IV

065. रलाजलाओ क नलाम पतर ............................................................ 183066. कसर-ए-रम हहरकल क नलाम पतर ........................................... 184067. कसर-ए-रम कला पररणलाम हनकलालनला हक महममदस. सच नबी ह। ...... 187068. हहरकल क नलाम हजरत महममद (स.अ.व.) क पतर कला लख ............ 189069. िलारस क बलादशलाह क नलाम पतर ............................................... 191070. हबशला क बलादशलाह नजलाशी क नलाम पतर ................................... 194071. हमसर क बलादशलाह मककस क नलाम पतर ..................................... 197072. बहरन क अमीर क नलाम पतर .................................................. 200073. खबर क हकल पर हवजय ..................................................... 201074. तीन अद भत घटनलाए ............................................................ 203075. कलाब कला तवलाि (पररकरमला) ................................................... 207076. महममद (स.अ.व.) क बहहववलाह पर आरोप कला उततर .................... 209077. खलाहलद हबन वलीद और उमर हबन अलआस कला इललाम वीकलार करनला ....211078. मौतः कला यदध .................................................................... 211079. मककला-हवजय ................................................................... 218080. हनन कला यदध .................................................................... 238081. मककला की हवजय और हनन-यदध क पशलात ............................... 245082. तबक कला यदध ................................................................... 248083. हजतल वदलाअ तथिला हजरत महममद (स.अ.व.) कला खतबला .............. 253084. हजरत महममद सलललललाहो अलहह वसललम कला हनधन .................. 258085. हजरत महममद (स.अ.व.) क हनधन पर सहलाबलारहज की दशला ............. 264086. हजरत महममद रसललललाह (स.अ.व.) कला चररतरलाकन .................... 267087. हजरत महममद (स.अ.व.) की बलाह और आतररक वचछतला ............ 269088. खलान-पलान म सलादगी और सतलन ............................................ 271

V

089. वतरलाभषण म सयम और सरलतला ............................................ 276090. हबतर म सलादगी ................................................................ 277091. मकलान और रहन-सहन म सलादगी ............................................. 278092. ईशर-परम तथिला उसकी उपलासनला .............................................. 278093. खदला पर भरोसला ................................................................. 284094. महममद (स.अ.व.) कला मलानव जलाहत स वयवहलार ............................ 291095. आदशति चररतर .................................................................... 292096. सहनशीलतला ..................................................................... 294097. नयलाय .............................................................................. 297098. भलावनलाओ कला आदर ............................................................ 299099. हनधतिनो स सहलानभहत तथिला उनकी भलावनलाओ कला आदर ................... 299100. हनधतिनो की समपहतत की सरकला ................................................. 304101. दलासो स सदवयवहलार ............................................................ 305102. मलानव समलाज की सवला करन वलालो कला सममलान............................. 307103. सतरयो स सदवयवहलार ........................................................... 308104. मतय परलात लोगो क सबध म आपकला आदशलातिचरण ....................... 312105. पडोहसयो स सदवयवहलार ....................................................... 313106. मलातला-हपतला एव अनय पररजनो स सदवयवहलार ............................... 314107. सतसग ............................................................................. 318108. लोगो क ईमलान की सरकला क परहत आचरण ................................ 319109. दसरो क दोषो को छपलानला ..................................................... 320110. धयति ................................................................................ 324111. परपर सहयोग .................................................................. 325112. दोषो को अनदखला करनला ...................................................... 326

VI

113. सतय ............................................................................... 326114. दसरो क दोष ढ ढत रहन की कपरवहतत कला हनषध तथिला सदभलावनलाओ

कला आदश ..................................................................... 328115. वयलापलार म धोखबलाजी क परहत घणला .......................................... 329116. हनरलाशला ........................................................................... 330117. पशओ पर दयला .................................................................. 330118. धलाहमतिक सहहषणतला ............................................................... 332119. वीरतला ............................................................................. 332120. अलप बहदध लोगो स परम-वयवहलार ............................................. 333121. वचन कला पलालन ................................................................. 333

प तक म परयोग सकत

स. = सललललजहो अलवमह िसललि(स.अ.ि.) = सललललजहो अलवमह िसललिरमज. = रमजयललजह तआलज अनहोअ. = अलवमहससलजि

VII

परसतािनतापसतक “हजरत िहमिद (स.अ.ि.) कज पमितर जीिन” हजरत

मिजजा बशीरदीन िहिद अहिद मिशववयजपी जिजअत अहिमदयज क दसर खलीफजरमज. की िहजन रचनज “दीबजचः तफसीरल कआान” अरजात ‘कआान की वयजखयज की भमिकज’ कज िह भजग ह मजसि हजरत िहमिद (स.अ.ि.) क जनि स ितय तक की घिनजओ कज सकप स ऐसी सनदर सलमलत तरज मचतजकराक शवली ि िणान मकयज गयज ह जो सिय ि एक उदजहरण ह। इस पसतक ि जहज एक ओर हजरत िहमिद िसतफज खजतिननमबययीन (स.अ.ि.) क पमितर जीिन की िहतिपणा घिनजओ तरज गमतमिमियो को करिजनगत रप स परसतत मकयज गयज ह िही दसरी ओर आप क पमितर जीिन-चररतर पर मनरजिजर आरोपो कज भी अकजटय तकको एि परिजणो विजरज मनरजकरण मकयज गयज ह। ितािजन यग ि जहज परिशवर की अलौमकक मिभमत, इस पणा िनषय को उपहजस कज मनशजनज बनजन कज असफल परयजस मकयज जज रहज ह िही हजरत िहमिद (स.अ.ि.) क ितािजन यग क सच परिी एि मिशववयजपी िससलि जिजअत अहिमदयज क पजचि खलीफज हजरत मिजजा िसरर अहिद सजमहब न हजरत िहमिद (स.अ.ि.) क पमितर जीिन-चररतर स जन-सजिजरण को अिगत करन क मनमित पसतक को उच सतर पर परकजमशत करन कज आदश मदयज ह।

VIII

िल पसतक उदा ि ह। परसतत ससकरण उसकज महनदी रपजनतर ह। इसि इसलजमिक िजमिाक पजररभजमरक शबदजिली कज अमिक परयोग हआ ह। पररणजिसिरप यतर-ततर भजरज-परिजह ि बजिज कज आभजस खिकतज ह। इसी परकजर भजरज की परजजलतज तरज बजहय सजज-सजज क दोरो पर गहरी दसटि जिजए रखन क सरजन पर हसिमत रखन िजल मिजञ पजठको स आशज की जजती ह मक ि इसि मनमहत सत सदश तरज िहजन उदशय पर मिशर रप स धयजनसर होन की कपज करग।

परिशवर स परजरानज ह मक इस परयजस को परतयक दसटिकोण स कलयजणकजरी तरज लोगो क िजगादशान कज कजरण बनजए तरज हजरत िहमिद (स.अ.ि.) की सचजई, िहजनतज एि सिवोतकटि सरजन स ससजर को पररमचत करजए और हि सब को आप क उतकटिति आदशा पर आचरण करत हए परिशवर की परसननतज तरज उसक परि को परजपत करन की सजिरया परदजन कर।

ह परिशवर ! त ऐसज ही कर।मिनीत

हाफिज मखदम शरीिनजमजर नशर-ि-इशजअत

कजमदयजन

हजरत महममद (स.अ.व.) कला जीवन चररतरखदज तआलज और इसलजि की सचजई कज यह एक बहत बडज

मनशजन और िहजन परिजण ह मक िहमिद रसलललजह सललललजहो अलवमह िसललि क जीिन की पररससरमतयज मजतनी सपटि ह मकसी अनय नबी क जीिन की पररससरतयज उतनी सपटि नही। इसि कोई सनदह नही मक उन आरोपो क मनिजरण क पशजत एक िनषय मजस शदध हदयतज क सजर िहमिद रसलललजह (स.अ.ि.) क अससतति स परि कर सकतज ह अनय मकसी िनषय क अससतति स इतनज परि कदजमप नही कर सकतज, कयोमक मजनक जीिन गपत होत ह उनक परि ि मिघन पड जजन की सदवि आशकज रहती ह। िहमिद रसलललजह (स.अ.ि.) कज जीिन तो एक खली पसतक री। शतर क आरोपो कज सिजिजन हो जजन क पशजत कोई ऐसज पहल नही रहतज मक मजस पर दसटिपजत करन पर हिजर सिक आप (स.अ.ि.) क जीिन कज कोई नयज दसटिकोण आ सकतज हो, न कोई रहसय शर रहतज ह मजसक परकि होन क पशजत मकसी अनय परकजर की िजसतमिकतज हि पर परकि होती हो। ईशवरीय गरनरो को उमचत अरको ि लोगो क िससतषको ि दढतजपिाक परमिटि करजन क मलए अमनिजया होतज ह मक उसक सजर उच आदशा भी हो और सिवोच आदशा िही हो सकतज ह मजस पर िह मकतजब अितररत हई हो। यह रहसय सकि और दजशामनकतजपणा ह और अमिकजश ििको न तो इस क ििा को सिझज ही नही। असत, महनद ििा िदो को परसतत करतज ह परनत िदो को लजन िजल ऋमरयो और िमनयो क इमतहजस क

2हजरत महममदस का पवितर जीिन

बजर ि मबलककल िौन ह। महनद ििजाचजया इसकी आिशयकतज को आज तक भी नही सिझ सक, इसी परकजर ईसजई और यहदी मिविजन तरज पजदरी बडी िटितज क सजर कह दत ह मक बनी इसजईल क अिक नबी ि अिक दोर रज, अिक नबी ि अिक दोर रज। ि यह बजत नही सिझ सकत मक खदज तआलज न अपनी िजणी क मलए मजस वयसकत कज चयन मकयज, जब िह िजणी उसकज सिजर नही कर सकती तो अनय कज कयज सिजर करगी। यमद िह वयसकत ऐसज ही सिजर-योगय न रज तो खदज तआलज न उस कयो चनज? कयज कजरण ह मक मकसी अनय को नही चनज? खदज तआलज क मलए कौन सी मििशतज री? मक िह ‘जबर’ (एक िजमिाक गरनर) क मलए दजऊद को चनतज, िह बनी इसजईल ि स मकसी अनय वयसकत कज चयन कर सकतज रज। अतः य दोनो बजत अनमचत ह। यह मिचजर कर लनज मक खदज तआलज न मजस पर कलजि (िजणी) अितररत मकयज, िह िजणी उसकज सिजर न कर सकी, यह मिचजर कर लनज मक खदज तआलज न एक ऐस वयसकत को चन मलयज जो सिजर योगय न रज, य दोनो बजत बमदध क मबलककल मिपरीत ह, परनत बहरहजल मिमभनन ििको ि अपन िखय सोत स दरी क कजरण इस परकजर की गलत िजरणजए उतपनन हो गई ह यज यो कहो मक िनषय क िजनमसक मिकजस क पणा न होन क कजरण परजचीन यग ि उन िसतओ क िहति को सिझज ही नही गयज, परनत इसलजि ि परजरमभ ही स इस बजत क िहति को सिझज गयज रज। रसल करीि (स.अ.ि.) की पतनी हजरत आइशजरमज. कज आप स तरह-चौदह िरा की आय ि मििजह हआ और लगभग सजत िरा की अिमि तक आप क सजर रही। जब नबी करीि (स.अ.ि.) कज मनिन हआ तो उन की आय 21 िरा री, िह अनपढ री, परनत इसक बजिजद िह उन क जीिन-आदशको स भली-भजमत पररमचत री। एक बजर मकसी न आपरमज. स परशन मकयज मक रसल करीि (स.अ.ि.) क मशटिजचजरो क सबि ि ककछ तो बतजइए तो आपरमज. न फरिजयज ن

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قال ہ

ک ہ

قل

خ

अरजात आप क मशटिजचजरो कज कयज اکن

-बखजरी तरज अबदजऊद बजब फी सलजमतललवल।

3 हजरत महममदस का पवितर जीिन

पछत हो— आप जो ककछ कहज करत र कआान करीि ि उनही बजतो कज आदश ह तरज कआान की सवदधजसनतक मशकज आप क मकरयजतिक आचरण स परक नही ह। परतयक आचरण मजसकज कआान ि िणान मकयज ह उस पर आप कज मकरयजतिक आचरण रज और परतयक मकरयजतिक आचरण जो आप करत र उसी की कआान करीि ि मशकज ह। यह कसी उति बजत ह। जञजत होतज ह मक रसल करीि (स.अ.ि.) क मशटिजचजर इतन मिशजल और इतन उचकोमि क र मक एक यिती जो मशमकत भी नही री उसक धयजन को भी इस आचरण तक आकटि करन ि सफल हो गए। महनद, ईसजई, यहदी और िसीही दजशामनक मजस बजत क ििा को न सिझ सक, हजरत आइशजरमज. उस बजत क ििा को सिझ गई तरज छोि स िजकय ि आप न यह सकि तति सपटि कर मदयज मक यह कस हो सकतज ह मक एक सतयमनषठ और सदजतिीय िनषय ससजर को एक मशकज द और मफर उस पर सिय आचरण न कर अरिज सिय उस शभ किा पर आचरण कर और उस ससजर स गपत रख। अतः तमह िहमिद रसलललजह (स.अ.ि.) क मशटिजचजर िजलि करन क मलए मकसी इमतहजस की आिशयकतज नही, िह एक सतयमनषठ और सदजचजरी िनषय र, जो कहत र िह करत र और जो करत र िह कहत र। हिन उनह दखज और कआान करीि को सिझ मलयज और ति लोग जो बजद ि आए हो कआान पढो और िहमिद रसलललजह को सिझो।

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4हजरत महममदस का पवितर जीिन

महममद (स.अ.ि.) क अलाहवभलातिव क समय अरब की पररसथिहतयला “महतति पजला”

िहमिद रसलललजह (स.अ.ि.) न मजस यग ि जनि मलयज उस यग की अिसरजओ को भी आप (स.अ.ि.) क जीिन की गमतमिमियो कज एक भजग ही सिझनज चजमहए कयोमक इसी पजशवा ि िनषय आप क जीिन की अिसरजओ की िजसतमिकतज स भली-भजमत पररमचत हो सकतज ह। आप (स.अ.ि.) न िककज ि जनि मलयज तरज आप कज जनि अगसत सन 570 ई. ि बनतज ह। आप (स.अ.ि.) क जनि पर आप (स.अ.ि.) कज नजि िहमिद रखज गयज, मजसकज अरा ‘परशसज मकयज गयज’ ह। जब आप (स.अ.ि.) न जनि मलयज उस सिय समपणा अरब ककछ अपिजदो क अमतररकत विवतिजदी रज। य लोग सिय को इबजहीि क िशज बतजत र और यह भी िजनयतज रखत र मक इबजहीि विवतिजदी नही र, परनत इसक बजिजद विवतिजद ि मलपत र और तकक यह दत र मक ककछ िनषय उननमत करत-करत खदज तआलज क इतन मनकि हो गए ह मक खदज तआलज क दरबजर ि उनकी मसफजररश अिशय सिीकजर की जजती ह। चमक खदज तआलज कज अससतति मनतजनत िवभिशजली ह, उस तक पहचनज परतयक िनषय कज कजया नही, पणा िजनि ही उस तक पहच सकत ह। इसमलए सजिजनय िनषयो क मलए आिशयक ह मक ि कोई न कोई िजधयि बनजए और उस िजधयि विजरज खदज तआलज की परसननतज और सहजयतज परजपत कर। इस अदभत और अनोखी आसरजनसजर ि हजरत इबजहीि अलवमहससलजि को एकशवरिजदी िजनत हए अपन मलए विवतिजद कज औमचतय भी पवदज कर लत र। इबजहीि परि सदजचजरी रज, िह खदज क पजस मबनज िजधयि

-लजइफ आफ िहमिद (स.अ.ि.) लखक मिमलयि मयोर, परकजमशत 1857 ई.

5 हजरत महममदस का पवितर जीिन

क पहच सकतज रज परनत िककज मनिजसी इस सतर क नही र, इसमलए उनह ककछ िहजन हससतयो को िजधयि बनजन की आिशयकतज री। मजस उदशयपरजसपत क मलए ि उन हससतयो की िमतायो की उपजसनज करत र तरज इस परकजर अपन मिचजर ि उनह परसनन करक खदज तआलज क दरबजर ि अपनज िजधयि बनज लत र। इस आसरज ि जो दोर और अनगाल अश ह उनक सिजिजन की ओर उन कज धयजन कभी गयज ही नही रज, कयोमक कोई एकशवरिजदी मशकक नही मिलज रज। जब मकसी जजमत ि विवतिजद परजरमभ हो जजतज ह तो मफर बढतज ही चलज जजतज ह। एक स दो बनत ह और दो स तीन। अतः िहमिद रसलललजह (स.अ.ि.) क जनि क सिय कज’बज ि (जो अब िसलिजनो की पमितर िससजद ह और हजरत इबजहीि और हजरत इसिजईल अलवमहससलजि कज बनजयज हआ उपजसनज गह ह) इमतहजसकजरो क करनजनसजर उसि तीन सौ सजठ िमतायो री। परमतमदन क मलए एक परक िमता री। इन िमतायो क अमतररकत आस-पजस क कतरो की बडी-बडी बससतयो ि तरज बडी-बडी जजमतयो क कनदरो ि िमतायज अलग- अलग स री। िजनो अरब कज परतयक सरजन विवतिजद ि मलपत हो रहज रज, अरब लोगो ि भजरज की सभयतज और सिजर कज धयजन बहत अमिक रज, उनहोन अपनी भजरज को अतयमिक सिदध बनजन कज परयजस मकयज परनत उनक मनकि जञजन कज इसस अमतररकत कोई अरा न रज। इमतहजस, भगोल, गमणत इतयजमद मिदजओ ि स ि कोई एक मिदज भी न जजनत र। हज िरसरल मनिजसी होन तरज उसि यजतरज करन क कजरण खगोल मिजञजन क िजमहर र। समपणा अरब ि एक िदरसज भी न रज। कहज जजतज ह मक िककज ि ककछ मगनती क लोग पढनज-मलखनज जजनत र। नवमतकतज की दसटि स अरब परसपर मिरोिजभजसी मिचजरिजरज रखन िजली एक मिमचतर जजमत री। उनि ककछ अतयनत भयजनक और िीभतस पजप पजए जजत र और ककछ सदण भी पजए जजत र मक जो उनकी जजमत की िजन-ियजादज को शरषठतज और िहजनतज परदजन करत र।-‘बखजरी’ मकतजबल िगजजी, बजब फतह िककज तरज ‘जरकजनी’ मजलद-2, पषठ-334

6हजरत महममदस का पवितर जीिन

महदरलापलान और जआअरब लोग िमदरज क बहत रमसयज र तरज िमदरज क नश ि बहोश

हो जजनज, अनगाल बजत मनकजलनज उनक मनकि कोई दोर नही अमपत एक गण रज। एक सभय िनषय की सभयतज क लकणो ि स यह भी रज मक िह अपन मितरो और पडोमसयो को खब िमदरजपजन करजए, परिख लोगो क मलए मदन क पजच सियो ि िमदरजपजन की सभजओ कज आयोजन आिशयक रज जो उनकज जजमतगत खल रज परनत उस उनहोन एक कलज बनज मलयज रज। ि जआ इसमलए खलत र मक अपन िन ि बढोतरी कर अमपत उनहोन जए को दजनशीलतज और परमतषठज कज िजधयि बनज रखज रज। उदजहरणतयज जआररयो ि परसपर यह सिझौतज (Agreement) होतज रज मक जो जीत, िह जीत हए िजल स अपन मितरो और अपनी जजमत को भोज द, यदधो क अिसर पर जए को ही िन एकतर करन कज सजिन बनजयज जजतज रज, यदध क मदनो ि ितािजन सिय ि भी लजिरी कज परचलन बढ रहज ह, परनत यरोप और अिरीकज क लजिरी पशज लोगो को जञजत होनज चजमहए मक इस अमिषकजर कज शरय अरबो को जजतज ह। जब कभी यदध होतज रज तो अरब क कबील परसपर जआ खलत र और जो जीततज रज िह यदध क अमिकतर खचच िहन करतज रज। अतः अरबो न ससजर क आरजिो तरज सजसजररक समििजओ स िमचत होन कज बदलज िमदरजपजन और जए स मलयज रज।

वयलापलारअरब लोग वयजपजरी र तरज उनक वयजपजररक दल दर-दर तक जजत

र। ि एबीसीमनयज स भी वयजपजर करत र तरज शजि और फलसतीन स भी, महनदसतजन स भी उनक वयजपजररक सबि र। उनक परिख महनदसतजन की

7 हजरत महममदस का पवितर जीिन

मनमिात तलिजरो को बहत िहति दत र, कपडज अमिकतर यिन और शजि स आतज रज। य वयजपजर अरब क नगरो क हजर ि र। शर अरब लोग यिन और ककछ उतरी कतरो क अमतररकत खजनजबदोशी कज जीिन वयतीत करत र, न उनक कोई शहर र, न उनक कोई गजि र, किल कबीलो न दश क कतर बजि मलए र, उन कतरो ि ि घित-मफरत र। जहज कज जल सिजपत हो जजतज रज िहज स मनकल पडत र और जहज जल परजपत हो जजतज रज िहज डर लगज दत र। भड, बकररयज और ऊि उनकी समपमत होती री, उनक बजलो और ऊन स कपड बनजत र, उन की खजलो स तमब तवयजर करत तरज जो भजग शर रह जजतज उस िमडयो ि ल जज कर बच दत र।

अरब की अनय पररसथिहतयला तथिला उनकी आदत और वभलाव

ि सोन-चजदी स अपररमचत तो न र, परनत सोनज और चजदी उनक मलए एक मनतजनत दलाभ िसत री, यहज तक मक उनक सजिजनय लोगो तरज मनिानो ि आभरण कौमडयो और सगमित िसजलो स बनजए जजत र। लौगो, खरबजो और ककमडयो अजमद क बीजो तरज इसी परकजर की अनय िसतओ स ि हजर तवयजर करत तरज उनकी ससतरयज य हजर पहन कर आभरणो स मनसपह हो जजती री, दषकिा और दरजचजर की अमिकतज री, चोरी कि री परनत लि िजर की बहतजत री। परसपर लि लनज ि एक जजमतगत अमिकजर सिझत र, परनत इसक सजर ही मजतनी िचन-बदधतज अरबो ि मिलती ह उतनी अनय मकसी जजमत ि नही मिलती। यमद कोई वयसकत मकसी शसकतशजली वयसकत अरिज शसकतशजली जजमत क पजस आकर कह दतज मक ि तमहजरी शरण ि आ गयज ह तो उस वयसकत अरिज उस जजमत क मलए अमनिजया होतज रज मक िह उस शरण द। यमद िह जजमत उस शरण न द तो िह समपणा अरब ि अपिजमनत हो जजती री। कमि बहत

8हजरत महममदस का पवितर जीिन

परमतषठज रखत र, ि जवस जजमत क नतज सिझ जजत र। नतजओ क मलए िझी हई सरल और सनदर भजरज शवली कज जञजन और यरज-सभि तो कमि होनज मनतजनत आिशयक रज। अमतमर-सतकजर पररज तो चरि सीिज तक पहची हई री। जगल ि भलज-भिकज यजतरी यमद मकसी कबील ि पहच जजतज और कहतज मक ि तमहजरज अमतमर आयज ह तो ि मनःसकोच बकर, िढ और ऊि मजबह कर क उनकज सतकजर करत र। उनक मलए िहिजन क वयसकतति ि कोई रमच न री, िहिजन कज आ जजनज ही उनक मनकि जजमत क िजन-समिजन ि िमदध कज कजरण रज तरज जजमत कज कतावय हो जजतज रज मक उसकज समिजन करक अपन समिजन को बढजए, उस जजमत ि ससतरयो को कोई अमिकजर परजपत न र, ककछ कबीलो ि यह समिजन की बजत सिझी जजती री मक मपतज अपनी पतरी की हतयज कर द। इमतहजसकजर यह बजत गलत मलखत ह मक समपणा अरब ि लडमकयो की हतयज करन की पररज री यह पररज तो सिजभजमिक तौर पर समपणा दश ि नही हो सकती कयोमक समपणा दश ि इस पररज कज परचलन हो जजए तो मफर उस दश की नसल मकस परकजर शर रह सकती ह। िल बजत यह ह मक अरब और महनदसतजन तरज अनय दशो ि जहज-जहज भी यह पररज पजई जजती ह उसकज परजरप यह हआ करतज ह मक ककछ खजनदजन सिय को बडज सिझकर यज ककछ खजनदजन सिय को ऐसी मििशतजओ ि गरमसत दखकर मक उनकी लडमकयो क मलए उनकी परमतषठजनसजर ररशत नही मिलग लमडकयो की हतयज कर मदयज करत ह। इस पररज की बरजई उसक अतयजचजर ि ह न मक इस बजत ि मक सिसत जजमत ि लडमकयज मििज दी जजती ह। अरबो की ककछ जजमतयो ि तो लडमकयज िजरन कज ढग यो परचमलत रज मक ि लोग लडकी को जीमित दफन कर दत र और ककछ ि इस परकजर मक ि उसकज गलज घोि दत र तरज अनय ढगो स हतयज कर दत र। िजसतमिक िज क अमतररकत अनय िजतजओ को अरब लोग िजतज नही सिझत र तरज

9 हजरत महममदस का पवितर जीिन

उन स मििजह करन ि ककछ बरजई नही सिझत र। अतः मपतज की ितय क पशजत कई पतर अपनी सौतली िजतजओ स मििजह कर लत र। अनक मििजह करन की पररज सजिजनय रप स परचमलत री, मििजहो की कोई सीिज मनिजाररत नही होती री, एक स अमिक बहनो स भी एक वयसकत मििजह कर लतज रज, लडजई ि बहत अतयजचजर स कजि लत र जहज अतयमिक िवर होतज रज, घजयलो क पि फजड कर उनक कलज चबज लत र, नजक-कजन कजि दत र, आख मनकजल दत र, दजस पररज कज सजिजनय परचलन रज, आस-पजस क किजोर कबीलो क लोगो को बलजत पकड कर ल आत र और उनह दजस बनज लत र, दजस को कोई अमिकजर परजपत न र। परतयक सिजिी अपन दजस स जो चजहतज वयिहजर करतज उसक मिरदध कोई पकड नही री। यमद िह हतयज भी कर दतज तो उस पर कोई आरोप न आतज रज। यमद मकसी अनय वयसकत क दजस को िजर दतज तब भी िह ितय-दणड स सरमकत सिझज जजतज रज और सिजिी को कमतपमता ि ककछ िनरजमश दकर िकत हो जजतज रज, दजमसयो को अपनी कजििजसनज सबिी आिशयकतजओ की पमता कज सजिन बनजनज सिजिी कज कजननी अमिकजर सिझज जजतज रज। दजमसयो की सनतजन भी दजस ही होती री और सनतजन िजली दजमसयज भी दजमसयज ही रहती री। अतः जहज तक जञजन और उननमत कज परशन ह अरब लोग बहत मपछड हए र। जहज तक अनतरजाषटीय दयज और सदवयिहजर कज परशन ह अरब लोग बहत पीछ र, जहज तक सतरी जजमत कज परशन ह अरब लोग अनय जजमतयो स बहत पीछ र, परनत उनि ककछ वयसकतगत और िीरतजपणा आचरण अिशय पजए जजत र और उस सीिज तक पजए जजत र मक कदजमचत उस यग की अनय जजमतयो ि उसकज उदजहरण नही पजयज जजतज।

10हजरत महममदस का पवितर जीिन

हजरत महममद (स.अ.ि.) कला जनमआप (स.अ.ि.) कज जनि ऐस ही िजतजिरण ि हअज। आप क

जनि स पिा ही आप क मपतज मजनकज नजि अबदललजह रज कज मनिन हो चकज रज तरज आप और आप की िजतज हजरत अजमिनज को आप क दजदज अबदलितमलब न अपन सरकण ि ल मलयज रज। अरब की पररजनसजर आप (स.अ.ि.) दि मपलजन क मलए तजयफ क पजस रहन िजली एक सतरी क सपदा मकए गए। अरब लोग अपन बचो को दहजती ससतरयो क सपदा कर मदयज करत र तजमक उनकी भजरज शदध हो जजए और उनकज सिजसरय ठीक हो।

आप की आय क छठ िरा आप की िजतज कज भी िदीनज स आत हए जहज िह अपन नमनहजल िजलो स मिलन गई री िदीनज और िककज क िधय दहजनत हो गयज तरज िही दफन कर दी गई और एक समिकज आप (स.अ.ि.) को अपन सजर िककज लजई और दजदज क सपदा कर मदयज। आप आठि िरा ि र मक आप क दजदज जो अजप क अमभभजिक र िह भी सिगािजसी हो गए तरज आप क चजचज अब तजमलब अपन मपतज की िसीयत क अनसजर आपक अमभभजिक हए। आप को अरब स बजहर दो-तीन बजर जजन कज अिसर परजपत हआ, मजनि स एक यजतरज आप न बजरह िरा की आय ि अपन चजचज अबतजमलब क सजर की जो वयजपजर क उदशय स शजि की ओर गए र। आप की यह यजतरज कदजमचत शजि क दमकण-परब क वयजपजररक शहरो तक ही सीमित री, कयोमक इस यजतरज ि बवतल िकदस आमद सरजनो ि स मकसी की चचजा नही आती। ततपशजत आप न यिजिसरज तक िककज ि ही मनिजस मकयज।

11 हजरत महममदस का पवितर जीिन

हहलफलफजल सहमहत म आप की सदयतलाआप िजलयकजल स ही मचनतन-िनन की परिमत रखत र तरज आप

लोगो क लडजई झगडो ि हसतकप नही करत र अमपत उन कज मनिजरण करजन ि भजग लत र। अतः िककज और उस क आस-पजस क कबीलो की लडजइयो स तग आकर जब िककज क ककछ यिको न एक समिमत कज गठन मकयज मजसकज उदशय यह रज मक िह पीमडतो की सहजयतज मकयज करगी तो रसल करीि (स.अ.ि.) बडी परसननतज क सजर उस समिमत ि समिमलत हो गए। इस समिमत क सदसयो न इन शबदो ि शपर गरहण की मक—

“ि पीमडतो की सहजयतज करग तरज उनक अमिकजर उनह लकर दग, जब तक सिदर ि जल की एक बद शर ह। यमद ि ऐसज नही कर सकग तो ि सिय अपन पजस स पीमडत कज अमिकजर परज कर दग। ”

कदजमचत इस शपर को कजयारप ि पररमणत करन कज अिसर आप क अमतररकत अनय मकसी को परजपत नही हआ। जब आप (स.अ.ि.) न नबवित कज दजिज मकयज तरज आप (स.अ.ि.) क मिरोि ि िककज क सरदजर ‘अबजहल’ न सिजामिक भजग मलयज और लोगो स यह कहनज आरमभ मकयज मक िहमिद (स.अ.ि.) स कोई बजत न कर, उनकी कोई बजत न िजन, हर सभि परयजस स उनको अपिजमनत कर। उस सिय एक वयसकत मजस अबजहल स अपनज ककछ कजजा िसल करनज रज िककज ि आयज और उसन अबजहल स अपनज कजजा िजगज। अबजहल न उसकज कजजा अदज करन स इनकजर कर मदयज। उसन िककज क ककछ लोगो स इस बजत की मशकजयत की। ककछ यिको न शरजरत की दसटि स उस िहमिद

12हजरत महममदस का पवितर जीिन

रसलललजह (स.अ.ि.) कज पतज बतजयज मक उनक पजस जजओ। िह इस बजर ि तमहजरी सहजयतज करग। उन कज आशय यह रज मक यज तो िहमिद रसलललजह (स.अ.ि.) उस मिरोि क कजरण जो िककज िजलो की ओर स सजिजनयतयज और अब जहल की ओर स मिशरतयज हो रहज रज इसकी सहजयतज करन स इनकजर कर दग और इस परकजर “नऊजमबललजह” अरबो ि अपिजमनत हो जजएग और कसि तोडन िजल कहलजएग यज मफर आप उस की सहजयतज क मलए अबजहल क पजस जजएग और िह आप को अपिजमनत करक अपन घर स मनकजल दगज। जब िह वयसकत िहमिद रसलललजह (स.अ.ि.) क पजस गयज और उसन अबजहल की मशकजयत की तो आप मनःसकोच उठकर उसक सजर चल मदए तरज अबजहल क विजर पर जजकर विजर खिखिजयज। अब जहल घर स बजहर मनकलज और दखज मक उस को कजजा दन िजलज वयसकत िहमिद रसलललजह (स.अ.ि.) क सजर उसक विजरज पर खडज ह। आप (स.अ.ि.) न उस तरनत धयजन मदलजयज मक तिन इस वयसकत कज अिक-अिक ऋण अदज करनज ह उस अदज करो। अब जहल न मबनज ककछ कहज सनी मकए उसकज ऋण उस अदज कर मदयज। जब शहर क अनय रईसो न अब जहल की भतसानज की मक ति हि स तो यह कहज करत र मक िहमिद (स.अ.ि.) को अपिजमनत करो और उस स मकसी परकजर कज सबि न रखो, परनत ति न सिय उसकी बजत सिीकजर की और उसकज िजन-समिजन मकयज, तो अब जहल न कहज— खदज की सौगि यमद ति िर सरजन पर होत तो ति भी यही करत। िन दखज मक िहमिद (स.अ.ि.) क दजए और बजए दो िसत ऊि खड ह जो िरी गदान िरोड कर िझ िजरनज चजहत ह। अललजह तआलज ही उमचत जजनतज ह मक इस की ररिजयत ि कोई सतय ह यज नही यज उस िजसति ि अललजह तआलज न कोई चितकजर मदखजयज रज अरिज उस पर सतय कज

-इबन महशजि मजलद-1, पषठ-1301

13 हजरत महममदस का पवितर जीिन

रोब छज गयज रज और उसन यह दख कर मक सिसत िककज क कोप कज भजजन एि मनसनदत िनषय एक पीमडत की सहजयतज करन क आिग ि अकलज मबनज मकसी अनय सहजयक क िककज क सरदजर क विजर पर खडज हो कर कहतज ह मक तमह इस वयसकत कज ऋण िजपस करनज ह िह ऋण अदज कर दो तो सतय क भय न उसकी उदणडतज की भजिनज को ककचल मदयज और उस सतय क सिक झकनज पडज।

हजरत महममद (स.अ.ि.) स हजरत खदीजला कला हववलाहजब िहमिद रसलललजह (स.अ.ि.) पचीस िरा क हए तो आप क

सदजचजर, सयि तरज शभ किको की खयजमत परजयः फल चकी री और लोग आप की ओर सकत करत और कहत मक यह सतयिजदी और अिजनतदजर वयसकत जज रहज ह। य सचनजए िककज की एक िनजढय मिििज को भी पहची। उसन आप (स.अ.ि.) क चजचज अब तजमलब स इचछज परकि की मक िह अपन भतीज िहमिद (स.अ.ि.) स कह मक उस कज वयजपजर सबिी सजिजन शजि क वयजपजरी दल क सजर जज रहज ह िह उसकज परबनि अपन हजर ि ल । अब तजमलब न आप स चचजा की और आपन इस बजत को सिीकजर कर मलयज। इस यजतरज ि आपको बडी सफलतज परजपत हई तरज आप आशज स बढकर लजभ क सजर लौि। खदीजज न िहसस मकयज मक लजभ किल िमडयो की पररससरमतयो क कजरण नही अमपत कजमफल क सरदजर की नकी और ईिजनदजरी क कजरण ह। उसन अपन दजस िवसरह स जो आपक सजर रज आप क आचरण क बजर ि पछज। उसन भी उसक मिचजर कज सिरान मकयज और बतजयज मक आपन यजतरज ि मजस ईिजनदजरी और लगन स कतावय मनभजयज, िह किल आप ही कज कजया रज। हजरत खदीजज की तमबयत पर इस बजत कज मिशर परभजि पडज। इसक बजिजद मक िह इस सिय चजलीस िरा की री और दो बजर मिििज हो चकी री,

14हजरत महममदस का पवितर जीिन

उनहोन अपनी एक सहली को रसल करीि (स.अ.ि.) क पजस मभजिजयज तजमक िजलि कर मक कयज आप उन स मििजह करन पर सहित होग। िह सहली आप क पजस आई और उसन आप स पछज मक आप मििजह कयो नही करत ? आप न कहज िर पजस कोई िन नही ह मजस क विजरज ि मििजह कर। उस सहली न कहज— यमद इस कमठनजई कज सिजिजन हो जजए तरज एक सशील और अिीर सतरी स आप कज मििजह हो जजए तो मफर ? आप न कहज— िह सतरी कौन ह ? उस न कहज खदीजजरमज.। आप न कहज मक ि उस तक मकस परकजर पहच सकतज ह ? इस पर उस सहली न कहज मक यह िरज मजमिज रहज। आप न फरिजयज िझ सिीकजर ह। तब खदीजजरमज. न आप क चजचज क िजधयि स मििजह कज दढतजपिाक मनणाय मकयज और आप कज मििजह हजरत खदीजजरमज. स हआ। एक मनिान और अनजर यिक क मलए िन-दौलत कज यह पररि विजरज खलज, परनत उसन इस दौलत कज मजस परकजर उपयोग मकयज िह सिसत ससजर क मलए एक मशकजपरद घिनज ह।

दलासो की वततरतला और जदरहज. की चचलातिआप (स.अ.ि.) क मििजहोपरजनत जब हजरत खदीजजरमज. न िहसस

मकयज मक आप कज सिदनशील हदय ऐस जीिन ि कोई मिशर आननद नही पजएगज मक आप (स.अ.ि.) की पतनी िनिजन हो और आप उसक िहतजज हो। अतः उनहोन रसल करीि (स.अ.ि.) स कहज मक ि अपनज िन और दजस आपकी सिज ि परसतत करनज चजहती ह। आप (स.अ.ि.) न कहज— खदीजजरमज. कयज िजसति ि ? जब उनहोन पनः इकरजर मकयज तो आप (स.अ.ि.) न फरिजयज— िरज पररि कजया यह होगज मक ि दजसो को आजजद कर। अतः आप न उसी सिय खदीजजरमज. क दजसो को बलजयज और कहज मक ति सब लोग आज स आजजद हो और िजल कज अमिकजश

15 हजरत महममदस का पवितर जीिन

भजग गरीबो ि बजि मदयज। आप न मजन दजसो को आजजद मकयज उनि एक जवद नजिक दजस भी रज। िह अनय दजसो स अमिक मनपण और होमशयजर रज कयोमक िह एक सभय और समिजमनत खजनदजन कज लडकज रज, मजस बचपन ि डजक चरज कर ल गए र और िह मबकतज-मबकतज िककज ि पहचज रज। उस यिक न अपनी मनपणतज और होमशयजरी स इस बजत को सिझ मलयज मक आजजदी की तलनज ि इस वयसकत की दजसतज अमिक शरयसकर ह। जब आपरमज. न दजसो को आजजद मकयज मजस ि जवद भी रज तो जवद न कहज— आप तो िझ आजजद करत ह परनत ि आजजद नही होतज, ि आप क सजर ही रहनज चजहतज ह। अतः िह आप क सजर रहज और आप (स.अ.ि.) क परि ि मदन-परमतमदन बढतज चलज गयज। चमक िह एक िनजढय खजनदजन कज लडकज रज, उसक मपतज और चजचज डजककओ क पीछ-पीछ अपन बच को ढढत हए मनकल अनततः उनह िजलि हआ मक उनकज लडकज िककज ि ह। अतः िह िककज ि आए और पतज लगजत हए िहमिद रसलललजह (स.अ.ि.) की सभज ि पहच और आप स मिनती की मक आप (स.अ.ि.) हिजर बच को आजजद कर द और मजतनज िन चजह ल ल। आप (स.अ.ि.) न फरिजयज— जवद को तो ि आजजद कर चकज ह और िह बडी परसननतज स आप क सजर जज सकतज ह। मफर आप न जवद को बलज कर उनक मपतज और चजचज स भि करज दी और जब दोनो लोग मिल चक और आसओ स अपन हदय क भजर को हलकज कर चक तो जवद क मपतज न उस स कहज मक इस सशील वयसकत न तमह आजजद कर मदयज ह, तमहजरी िजतज तमहजरी यजद ि तडप रही ह अब ति शीघर चलो और उसक मलए चवन और आरजि कज कजरण बनो। जवद न कहज— िजतज-मपतज मकस मपरय नही होत ! िरज हदय भी उस परि स खजली नही ह, परनत िहमिद रसलललजह कज परि िर हदय ि इतनज अमिक सिज चकज ह मक उसक पशजत ि आप स परक नही हो सकतज। िझ परसननतज ह

16हजरत महममदस का पवितर जीिन

मक ि आप लोगो स मिल मलयज, परनत िहमिद (रसलललजह स.अ.ि.) स परक होनज िरी सजिरया स बजहर ह। जवद क मपतज और चजचज न बहत जोर मदयज, परनत जवद न उनक सजर जजनज सिीकजर न मकयज। जवद क इस परि को दखकर रसलललजह (स.अ.ि.) खड हए। फरिजयज— जवद आजजद तो पहल ही रज, परनत आज स यह िरज बिज ह। इस नई पररससरमत को दखकर जवद क मपतज और चजचज िजपस चल गए और जवद सदवि क मलए िककज क हो गए।

गलार-ए-हहरला (अरजात महरज की गफज) म उपलासनला करनलारसल करीि (स.अ.ि.) की आय जब तीस िरा स अमिक हई तो

आप क हदय ि खदज तआलज की उपजसनज की पररणज पहल स अमिक परबल होन लगी। अनततः आप शहर क लोगो क उपदरिो, दरजचजरो और दषकिको स घणज करत हए िककज स दो तीन िील की दरी पर एक पहजडी की चोिी पर एक पतररो स बनी हई छोिी सी गफज ि खदज तआलज की उपजसनज करन लग गए। हजरत खदीजजरमज. ककछ मदन कज भोजन आप क मलए तवयजर कर दती आप िह लकर महरज नजिक गफज ि चल जजत र और उन दो-तीन पतररो क अनदर बवठ कर खदज तआलज की उपजसनज ि रजत-मदन वयसत रहत र।

कअलातिन की परथिम वही (ईशवलाणी)जब आप (स.अ.ि.) की आय चजलीस िरा की हई तो एक मदन

आपस. न उसी गफज ि एक कशफी दशय दखज मक एक वयसकत आप को समबोमित करक कहतज ह मक “पमढए” आपस. न फरिजयज ि तो पढनज नही जजनतज। इस पर उसन पनः और मफर तीसरी बजर कहज और अनततः उसन आपस. स पजच िजकय कहलिजए—

17 हजरत महममदस का पवितर जीिन

यह िह कआानी परजरसमभक ईशिजणी ह जो िहमिद रसलललजह (स.अ.ि.) पर अितररत हई। इस कज अरा यह ह मक— सिसत ससजर को अपन परमतपजलक क नजि पर मजसन तझ और सिसत ससटि को उतपनन मकयज ह पढकर खदज कज सनदश द। िह खदज मजसन िनषय को इस परकजर पवदज मकयज ह मक उसक हदय ि खदज तआलज और उसकी ससटि क परि कज बीज पजयज जजतज ह। हज सिसत ससजर को यह सनदश सनज द मक तरज रबब— जो सब स अमिक समिजन िजलज ह— तर सजर होगज, िह मजसन ससजर को मिदजए मसखजन क मलए कलि बनजयज ह और िनषय को िह ककछ मसखजन क मलए ततपर हआ ह जो इस स पिा िनषय नही जजनतज रज। यह ककछ शबद कआान करीि की उन सिसत मशकजओ पर आिजररत ह जो भमिषय ि िहमिद रसलललजह (स.अ.ि.) पर अितररत होन िजली री और ससजर-सिजर कज एक िहतिपणा बीज इनक अनदर पजयज जजतज रज। इनकी वयजखयज तो कआान करीि ि यरजसरजन आएगी। इस अिसर पर इन आयतो कज िणान इसमलए कर मदयज गयज ह मक रसल करीि (स.अ.ि.) क जीिन की यह परिख घिनज ह और कआान करीि क मलए य आयत एक नीि क पतरर की हमसयत रखती ह। िहमिद रसलललजह (स.अ.ि.) पर जब यह िजणी अितररत हई तो आप क हदय ि यह भय उतपनन हआ मक कयज ि खदज तआलज की ओर स सपदा मकयज हआ इतनज बडज दजमयति मनबजह सकगज ? कोई और होतज तो अमभिजन और अहकजर स उसकज िससतषक मफर जजतज मक सजिरयािजन खदज न एक कजया िर सपदा मकयज ह परनत िहमिद रसलललजह (स.अ.ि.) कजि करनज जजनत

-अलअलक-1-4

18हजरत महममदस का पवितर जीिन

र ; कजि पर अहकजर करनज नही जजनत र। आप इस इलहजि (ईशिजणी) क पशजत हजरत खदीजजरमज. क पजस आए। आप कज चहरज उतरज हआ रज तरज घबरजहि क लकण परकि र। हजरत खदीजजरमज. न पछज— आमखर हआ कयज ? आप न सजरी घिनज सनजई और फरिजयज— िझ जवसज किजोर वयसकत इस भजर (दजमयति) को मकस परकजर उठज सकगज ? हजरत खदीजजरमज. न कहज—

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खदज की कसि यह िजणी खदज तआलज न आप पर इसमलए अितररत नही की मक आप असफल और मनरजश हो और खदज आप कज सजर छोड द, खदज तआलज ऐसज कब कर सकतज ह ? आप तो िह ह मक पररजनो क सजर सदवयिहजर करत ह, असहजय और अनजर लोगो कज बोझ उठजत ह, ि मशटिजचजर जो दश स मिि चक र ि आप क अससतति क विजरज पनः सरजमपत हो रह ह, िहिजनो कज सतकजर करत ह और िजसतमिक सकिो पर लोगो की सहजयतज करत ह। कयज ऐस िनषय को खदज तआलज मिपमत ि डजल सकतज ह।

अतः िह आपको अपन चचर भजई िकजा मबन-नौमफल क पजस ल गई जो ईसजई हो चक र उनहोन जब यह घिनज सनी तो सहसज बोल उठ। आप पर िही फररशतज उतरज ह जो िसज पर उतरज रज यह इससतसज, अधयजय-18 आयत-18 िजली भमिषयिजणी की ओर सकत रज। इस बजत की सचनज आप क आजजद मकए हए जवद को जो उस सिय लगभग पचीस-तीस िरा क र और अलीरमज. आप क चजचज क बि को मजस की आय उस सिय गयजरह िरा की री पहची तो दोनो आप पर तरनत ईिजन ल आए।

-बखजरी बजब बदउल िहयी। -बखजरी बजब बदउल िहयी।

19 हजरत महममदस का पवितर जीिन

हजरत अबबकर कला हजरत महममद (स.अ.ि.) पर ईमलान ललानला

आप क बचपन क मितर हजरत अब बकररमज. जो शहर स बजहर गए हए र जब शहर ि िजपस परिश मकयज तो सहसज उनक कजनो ि य आिजज पडी, तमहजरज मितर पजगल हो गयज ह। िह कहतज ह मक आकजश स फररशत उतर कर िझ स बजत करत ह। अब बकर सीि आपस. क विजर पर आए और विजर खिखिजयज, जब आप न विजर खोलज तो उनहोन आपस. स उकत िसत ससरमत क सबि ि परशन मकयज। रसल करीि (स.अ.ि.) न अपन बचपन क मितर को ठोकर स बचजन क मलए िसत ससरमत कज ककछ सपटिीकरण करनज चजहज अब बकर न रोकज और कहज मक िझ किल इतनज उतर दीमजए मक कयज आपन यह घोरणज की ह मक खदज क फररशत आप क पजस आए और उनहोन आप स बजत की ? आपस. न मफर बजत को सपटि करनज चजहज। अब बकररमज. न कसि दकर कहज मक किल िर इस परशन कज उतर दीमजए और ककछ न कमहए। जब आपन सकजरजतिक उतर मदयज तो अब बकररमज. न कहज सजकी रमहए ि आप पर ईिजन लजतज ह और मफर कहज— ह अललजह क रसल ! आप तो तकक दकर िर ईिजन को किजोर करन लग र, मजसन आपक जीिन को दखज हो कयज उस आपकी सचजई क मलए मकसी अनय परिजण की आिशयकतज हो सकती ह ?

मोहमनो की छोटी सी जमलाअतयह एक छोिी सी जिजअत री मजसस इसलजि की नीि पडी। एक

सतरी जो िदधजिसरज की आय को पहच रही री, एक गयजरह िरषीय बजलक, एक आजजद मकयज हआ दजस िजत भमि स दर और दसरो ि रहन िजलज

20हजरत महममदस का पवितर जीिन

मजसक पीछ कोई न रज, एक यिज मितर और एक खदज की िजणी कज दजिदजर, यह िह छोिज सज दल रज जो ससजर ि परकजश फलजन क मलए कफर और पर-भरटितज क िवदजन की ओर मनकलज। लोगो न जब बजत सनी तो उनहोन उपहजस मकयज और परसपर आखो स अनयनय सकत मकए और सकतो ि एक-दसर को जतजयज मक य लोग पजगल हो गए ह इनकी बजतो पर मचसनतत न हो अमपत सनो और आननद उठजओ परनत सतय अपन पणा िग और िवभि क सजर परकि होनज आरमभ हआ और यसइयजह नबी की भमिषयिजणी क अनसजर “आदश पर आदश— आदश पर आदश, कजनन पर कजनन, कजनन पर कजनन” (अधयजय-28, आयत-13) होतज गयज। “रोडज यहज, रोडज िहज” और एक अनजजन भजरज स मजस स अरब सिारज अपररमचत र, खदज न िहमिद रसलललजह (स.अ.ि.) क विजरज अरबो स बजत करनज परजरमभ मकयज, यिको क हदय उविमलत हो उठ, सतय मपरय लोगो क शरीरो ि कमपन पवदज हआ, उनक उपहजसजनय अटटहजसो ि भसकतभजि की रमच जनि लन लगी तरज उनक सिरो ि शनवः शनवः परशसज क जयघोरो कज आरमभ होन लगज तरज दोसो, यिको और अतयजचजरो स पीमडत ससतरयो कज एक सिह आप क पजस एकतर होन लगज कयोमक आपकी आिजज ि ससतरयज अपन अमिकजरो की सरकज दख रही री, दजस अपनी आजजदी की घोरणज सन रह र तरज यिक बडी-बडी आशजओ और उननमतयो क िजगा खलत हए िहसस कर रह र।

मककला क सरदलारो की ओर स हवरोधजब अटटहजस और उपहजस की आिजजो ि स परशसज और तजरीफ क

सिर भी गजन लग तो िककज क सरदजर घबरज गए, शजसको ि भय पवदज होन लगज, ि एकतर हए, उनहोन परजिशा मकए, योजनजए बनजई, उपहजस क सरजन पर अनयजय, अतयजचजर, कठोरतज और सजिजमजक सबि तोडन

21 हजरत महममदस का पवितर जीिन

क परसतजि पजररत मकए और उन पर यरजरा रप स आचरण भी होन लगज। अब िककज इसलजि क सजर िकरजि क मनणाय पर पणा रप स गभीर हो चकज रज। अब उनक मनकि पजगलपन स भरज मदखजई दन िजलज िह दजिज यरजरा रप स एक परगमतशील आनदोलन मदखजई द रहज रज। िककज की रजजनीमत क मलए खतरज, िककज क ििा क मलए खतरज, िककज क परसपर रहन सहन क मलए खतरज तरज िककज क रीमत-ररिजजो क मलए खतरज मदखजई द रहज रज। इसलजि एक नयज आसिजन और नई जिीन बनजतज हआ मदखजई दतज रज, मजस नए आकजश और नई परिी क होत हए अरब कज परजनज आकजश और परजनी परिी कज अससतति शर नही रह सकतज रज। अब यह परशन िककज िजलो क मलए उपहजस कज परशन नही रहज रज, अब िह जीिन और िरण कज परशन रज। उनहोन इसलजि की चनौती को सिीकजर मकयज और उसी भजिनज क सजर सिीकजर मकयज मजस भजिनज क सजर नमबयो क मिरोिी नमबयो की चनौती को सिीकजर करत चल आए र। ि तकक कज उतर तकक स नही अमपत तीर और तलिजर स दन पर ततपर हो गए। इसलजि की भलजई कज उतर उसी परकजर स उच मशटिजचजर स नही अमपत उनहोन गजली-गलौज और अपशबदो विजरज दन कज मनणाय कर मलयज। ससजर ि एक बजर मफर ििा और अििा कज िहजसगरजि मछड गयज, एक बजर मफर शवतजनी सनजओ न फररशतो पर िजिज बोल मदयज। भलज उन िटी भर लोगो की शसकत ही कयज री मक िककज िजलो क सजिन ठहर सक, ससतरयो कज मनतजनत मनलाजतजपिाक िि मकयज गयज, पररो को िजग चीर-चीर कर बडी िीभतसतज क सजर ितय क घजि उतजरज गयज, दजसो को गिा रत और खरदर पतररो पर उस सीिज तक घसीिज गयज मक शरीर की खजल पशओ की खजल क सिरप हो गई। एक दीघा अिमि क पशजत, इसलजि की मिजय क यग ि जब इसलजि की मिजय-पतजकज सदर पिा-पसशि ि लहरज रही री, एक बजर एक परजरसमभक नि दीमकत िससलि दजस

22हजरत महममदस का पवितर जीिन

खबजबरमज. की पीठ नगी हई तो उनक सजमरयो न दखज मक उनकी पीठ पर खजल िनषयो जवसी नही, जजनिरो जवसी ह, ि घबरज गए और उन स पछज मक आप को कौन सज रोग ह ? िह हस और कहज मक यह रोग नही यह सिमत (यजदगजर) ह उस सिय की जब हि नए िसलिजन दजसो को अरब क लोग िककज की गमलयो ि खरदर कठोर पतररो पर घसीिज करत र और हि पर मनरनतर यह अतयजचजर जजरी रखत र, उसी क पररणजि सिरप हिजर शरीर की खजल कज यह मिकत रप आप दख रह ह।

मोहमन-दलासो पर मककला क कलाहिरो कला अतयलाचलार और अनयलाय

ि दजस जो िहमिद रसलललजह (स.अ.ि.) पर ईिजन लजए, मिमभनन जजमतयो क र, उनि हबशी भी र जवस मबलजलरमज., रिी भी र जवस सहबरमज.। मफर उनि ईसजई भी र जवस जबवर और सहबरमज. और िमशरक (विवतिजदी) भी र। जवस मबलजलरमज., अमिजररमज.। मबलजलरमज. को उसक सिजिी गिा और तपती रत ि मलिज कर ऊपर यज तो पतरर रख दत यज यिको को सीन पर कदन क मलए मनयकत कर दत। हबशी नसल क मबलजलरमज., उिययज मबन खलफ नजिक एक िककज क रईस क दजस र। उिययज उनह दोपहर क सिय गरीषि ऋत ि िककज स बजहर ल जज कर तपती रत पर नगज करक मलिज दतज रज और बड-बड गिा पतरर उन क सीन पर रख कर कहतज की ‘लजत’ और ‘उजजज’ कज ईशवरति सिीकजर करो और िहमिद (स.अ.ि.) स अलग हो जजओ। इसक उतर ि मबलजलरमज. कहत ‘अहद’ ‘अहद’ अरजात अललजह एक ही ह, अललजह एक ही ह। उिययज को आप कज बजर-बजर यह उतर सन कर और अमिक करोि आ जजतज और िह आप क गल ि रससज डजल कर उदणड लडको क सपदा कर दतज और कहतज मक इसको िककज की गमलयो ि पतररो क ऊपर घसीित हए ल जजओ

23 हजरत महममदस का पवितर जीिन

मजसक कजरण उनकज शरीर रकत स लह-लहजन हो जजतज परनत िह मफर भी ‘अहद’ ‘अहद’ कहत चल जजत अरजात “खदज एक ह” “खदज एक ह”। एक अनतरजल क पशजत जब खदज तआलज न िसलिजनो को िदीनज ि शजसनत परदजन की और जब ि सिततरतजपिाक इबजदत करन योगय हो गए तो रसल करीि (स.अ.ि.) न मबलजलरमज. को अजजन दन क मलए मनयकत मकयज। यह हबशी दजस जब आजजन ि الل

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लज इलजहज इललललजह क सरजन पर الل

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लज इलजहज इललललजह कहतज तो िदीनज क लोग जो उसकी पररससरमतयो स पररमचत न र हसन लग जजत। एक बजर रसल करीि (स.अ.ि.) न लोगो को मबलजलरमज. की अजजन पर हसत दखज तो आप न लोगो की ओर दखज और फरिजयज — ति मबलजलरमज. की अजजन पर हसत हो, परनत खदज तआलज अशा पर उसकी अजजन को सनकर परसनन होतज ह। आपस. कज सकत इसी ओर रज मक तमह तो यह मदखजई दतज ह मक यह ‘श’ नही बोल सकतज, परनत ‘श’ और ‘स’ ि कयज रखज ह। खदज तआलज जजनतज ह मक जब गिा रत पर नगी पीठ क सजर इस मलिज मदयज जजतज रज और इसक सीन पर अतयजचजरी अपन जतो समहत कदज करत र तरज पछत र मक अब भी ‘नसीहत’ मिली यज नही। तो यह अपनी ििी-फिी भजरज ि ‘अहद’ ‘अहद’ कह कर खदज तआलज क एक होन की घोरणज करतज रहतज रज और अपनी िफजदजरी, अपनी एकशवरिजद की आसरज और अपन हदय की दढतज कज परिजण दतज रज। अतः उसकज

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24हजरत महममदस का पवितर जीिन

र तरज िककज क बड लोगो ि सिझ जजत र, परनत इसक बजिजद मक िह िनिजन भी र और आजजद भी हो चक र, करश उनह िजर-िजर कर बहोश कर दत र। जब रसल करीि (स.अ.ि.) िदीन की ओर महजरत (परिजस) कर गए तो आप क पशजत सहबरमज. न भी चजहज मक िह भी परिजस करक िदीनज चल जजए, परनत िककज क लोगो न उनह रोकज और कहज मक जो दौलत ति न िककज ि किजई ह ति उस िककज स बजहर मकस परकजर ल जज सकत हो। हि तमह िककज स नही जजन दग। सहबरमज

न कहज यमद ि यह सिसत दौलत छोड द तो कयज मफर ति िझ जजन दोग। ि इस बजत पर सहित हो गए और आप अपनी सजरी दौलत िककज िजलो क सपदा कर क खजली हजर िदीन चल गए और रसल करीि (स.अ.ि.) की सिज ि उपससरत हो गए। आपस. न फरिजयज — सहबरमज. तमहजरज यह सौदज पहल सिसत सौदो स अमिक लजभपरद रहज, अरजात पहल सजिजन क बदल ि ति रपयज परजपत मकयज करत र परनत अब रपए क बदल ि ति न ईिजन परजपत मकयज ह।

इन दजसो ि स अमिकजश परकि और अपरकि दोनो रपो ि दढसकलप रह, परनत ककछ स परतयक रप ि ककछ दबालतजए भी परकि हई। अतः एक बजर रसल करीि (स.अ.ि.) अमिजररमज. नजिक दजस क पजस स गजर तो दखज मक िह मससमकयज ल रह र तरज आख पोछ रह र। आप (स.अ.ि.) न पछज अमिजररमज. कयज िजिलज ह ? अमिजररमज. न कहज ह अललजह क रसल! बहत ही बरज हजल ह। ि िझ िजरत गए, कटि दत गए और उस सिय तक नही छोडज जब तक िर िख स आपस. क मिरदध तरज दिी-दितजओ क सिरान ि िजकय नही मनकलिज मलए। रसल करीि (स.अ.ि.) न पछज परनत ति अपन हदय ि कयज िहसस करत र ? अमिजररमज. न कहज हदय ि तो एक अमडग ईिजन िहसस करतज रज। आप न फरिजयज— यमद हदय ईिजन पर सनतटि रज तो खदज तआलज तमहजरी

25 हजरत महममदस का पवितर जीिन

किजोरी को किज कर दगज। आपक मपतज यजमसररमज. और आपकी िज सिवयजरमज. को भी िककज क कजमफर बहत कटि दत र। अतः एक बजर जबमक उन दोनो को कटि मदयज जज रहज रज, रसल करीि (स.अ.ि.) उनक पजस स गजर। आपस. न उन दोनो क कटिो को दखज और आप कज हदय ददा स भर आयज। आपस. उन स समबोमित हए और बोल — ا ص�ب

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ह यजमसर क पररजनो ! िवया स कजि लो, खदज ا

न तमहजर मलए सिगा तवयजर कर रखज ह। यह भमिषयिजणी रोड ही मदनो ि पणा हो गई कयोमक यजमसररमज. िजर खजत-खजत सिगा मसिजर गए, परनत इस पर भी कजमफरो को िवया न आयज और उनहोन उनकी िदध पतनी सिवयजरमज. पर अतयजचजर जजरी रख। अतः अबजहल न एक मदन करोि ि उनकी जजघ पर भजलज िजरज जो जजघ को चीरतज हआ उनक पि ि घस गयज और तडपत हए उनहोन परजण तयजग मदए।

नबीरजरमज. एक दजसी री। उनह अब जहल न इतनज िजरज मक उनकी आख नटि हो गई। अब फकीहरमज. सफिजन मबन उिवयज क दजस र उनह उनकज सिजिी और उसकज खजनदजन तपती हई गिा परिी पर मलिज दतज रज और बड-बड गिा पतरर उनक सीन पर रख दतज, यहज तक मक उनकी जीभ बजहर मनकल आती। यही हजल शर दजसो कज भी रज।

मनःसदह य अतयजचजर अिजनिीय और असहनीय र, परनत मजन लोगो पर य अतयजचजर मकए जज रह र। ि परकि रप ि िनषय र परनत अपरकमित रप ि फररशत र। कआान किल िहमिद (स.अ.ि.) क हदय और उनक कजनो पर ही अितररत नही हो रहज रज अमपत खदज उन लोगो क हदयो ि भी बोल रहज रज। कभी मकसी ििा की सरजपनज नही हो सकती जब तक उसक परजरसमभक िजनन िजलो क हदयो ि स खदज कज सिर बलनद न हो। जब िनषयो न उनह तयजग मदयज, जब पररजनो न उन स िख

-इबन महशजि मजलद-पररि, पषठ-110

26हजरत महममदस का पवितर जीिन

फर मलयज तो खदज तआलज उनक हदयो ि कहतज रज— ि तमहजर सजर ह, ि तमहजर सजर ह तब य सिसत अतयजचजर उनक मलए आरजि हो जजत र, गजमलयज दआए बन कर लगती री, पतरर िरहि कज कजया करत र, मिरोि बढत गए परनत ईिजन भी सजर-सजर उननमत करतज गयज, अतयजचजर अपनी चरि सीिज को पहच गयज परनत मनषकपितज भी पहली सिसत सीिजओ को पजर कर गई।

आजलाद मसलमलानो पर अतयलाचलारआजजद िसलिजनो पर भी ककछ कि अतयजचजर नही होत र। उनक

बजगा और खजनदजन क बड लोगो को भी नजनज परकजर क कटि मदए जजत र। हजरत उसिजनरमज. चजलीस िरा क लगभग र तरज िनजढय परर र, परनत इस क बिजजद जब करश न उन पर अतयजचजर करन कज मनणाय मकयज तो उनक चजचज हकि न उनह रसससयो स बजि कर खब पीिज। जबवररमज. मबन अलअिजि एक बहत बड िीर यिक र। इसलजिी मिजयो क यग ि िह एक शसकतशजली किजणडर मसदध हए। उनकज चजचज भी उनह बहत कटि दतज रज, चिजई ि लपि दतज और नीच स िआ दतज रज तजमक उन की सजस रक जजए और मफर कहतज रज मक अब भी इसलजि छोडगज यज नही ? परनत िह उन कटिो को सहन करत तरज उतर ि यही कहत मक सतय को पहचजन कर उस स इनकजर नही कर सकतज।

हजरत अबजररमज. गफफजर कबील क एक सदसय र िहज उनहोन सनज मक िककज ि मकसी वयसकत न खदज की ओर स (नबी) होन कज दजिज मकयज ह। िह जजच-पडतजल क मलए िककज आए तो िककज िजलो न उनह बहकजयज और कहज मक िहमिद (स.अ.ि.) तो हिजरज सबिी ह। हि जजनत ह मक उसन एक दकजन खोली ह, परनत अबजररमज. अपन इरजद स न रक और कई उपजय करक अनततः रसलललजह (स.अ.ि.) क पजस

27 हजरत महममदस का पवितर जीिन

जज पहच। रसलललजह (स.अ.ि.) न इसलजि की मशकज बतजई और आप ईिजन ल आए। आप न रसलललजह (स.अ.ि.) स आजञज ली मक यमद ि ककछ सिय तक अपनी जजमत को अपन इसलजि की सचनज न द तो ककछ हजमन तो नही ? आपस. न फरिजयज मक यमद ककछ मदन चप रह तो कोई हजमन नही। इस आजञज क सजर िह अपन कबील की ओर िजपस चल और हदय ि मनणाय कर मलयज मक ककछ सिय तक पररससरमतयो को ठीक कर लगज तब अपन इसलजि को परकि करगज। जब िह िककज की गमलयो ि स गजर रह र तो उनहोन दखज मक िककज क सरदजर इसलजि क मिरदध गजली-गलौज कर रह ह। ककछ मदनो क मलए अपनी आसरज को गपत रखन कज मिचजर उनक हदय स उसी सिय जजतज रहज और उनहोन सहसज उस सिह क सिक यह घोरणज की

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अरजात ि गिजही दतज ह मक अललजह एक ह उसकज कोई भजगीदजर नही और ि गिजही दतज ह मक िहमिद (स.अ.ि.) उसक बनद और रसल ह।

मिरोमियो की इस सभज ि इस आिजज कज उठनज रज मक सजर लोग उनह िजरन क मलए उठ खड हए और इतनज िजरज मक िह बहोश होकर मगर पड, परनत अतयजचजररयो न मफर भी अपन हजर न रोक और िजरत ही चल गए। इतन ि रसलललजह (स.अ.ि.) क चजचज अबबजसरमज. जो उस सिय तक िसलिजन नही हए र िहज आ गए और उनहोन उन लोगो को सिझजयज मक अबजर क कबील ि स हो कर तमहजर अनजज लजन िजल कजमफल आत ह। यमद इसकी जजमत को करोि आ गयज तो िककज भखज िर जजएगज। इस पर उन लोगो न उनह छोडज। अब जररमज. न एक मदन आरजि मकयज और दसर मदन मफर उस सभज ि जज पहच। िहज तो रसलललजह (स.अ.ि.) क मिरदध बजत करनज उनकज मनतयकिा रज। जब यह कजब

28हजरत महममदस का पवितर जीिन

ि गए तो मफर िही चचजा जजरी री। इनहोन मफर खड होकर अपनी एक खदज की आसरज की घोरणज की और मफर उन लोगो न इनह िजरनज-पीिनज आरमभ मकयज। इसी परकजर तीन मदन होतज रहज, ततपशजत यह अपन कबील की ओर चल गए।

हजरत महममद (स.अ.व.) पर अतयलाचलारसिय रसल करीि (स.अ.ि.) कज अससतति भी सरमकत न रज।

आपको नजनज परकजर स कटि मदयज जजतज। एक बजर आप इबजदत कर रह र मक लोगो न आप क गल ि कपडज डजल कर खीचनज आरमभ मकयज यहज तक मक आपकी आख बजहर मनकल आई। इतन ि हजरत अब बकररमज. िहज आ गए और उनहोन आपको यह कहत हए छडजयज मक ह लोगो ! कयज ति एक िनषय की इस अपरजि ि हतयज करत हो मक िह कहतज ह मक खदज िरज सिजिी ह।

एक बजर आप निजज पढ रह र मक आप की पीठ पर ऊि की ओझडी लजकर रख दी, उसक बोझ स आपस. उस सिय तक सर न उठज सक जब तक मक ककछ लोगो न पहच कर उस ओझडी को आप की पीठ स हिजयज नही।

एक बजर आप बजजजर स गजर रह र मक िककज क आिजरज लोगो कज एक सिह आप क चजरो ओर हो गयज और रजसत भर आपकी गदान पर रपपड िजरतज चलज गयज मक लोगो ! यह िह वयसकत ह जो कहतज ह मक ि नबी ह।

आप क घर ि आस-पजस क घरो स मनरनतर पतरर फक जजत र। रसोई घर ि गनदी िसतए फकी जजती री, मजनि बकरो और ऊिो की आत

-बखजरी मजलद-1, पषठ-544 अबिजब बमनयजनलकज’बज, ितबआ िजमतबजई - बखजरी मकतजबलससलजत बजब अलिजजत ततरहो मिनल िसलली शवयन मिनल अजज।

29 हजरत महममदस का पवितर जीिन

भी ससमिमलत होती री। जब आप निजज पढत तो आप क ऊपर मिटटी और िल डजली जजती, यहज तक मििश हो कर आप को चटटजन ि मनकल हए एक पतरर क नीच छप कर निजज पढनज पडती री, परनत य अतयजचजर और जलि वयरा नही जज रह। सशील सिभजि क लोग इनको दखत तरज उनक हदय इसलजि की ओर मखच चल जजत र। एक मदन रसलललजह (स.अ.ि.) कज’बज क मनकि ‘सफज’ पहजडी पर बवठ हए र मक िहज स आप कज सब स बडज शतर और िककज कज सरदजर अबजहल गजरज तो उसन आपको गजमलयज दनज आरमभ मकयज। आप उसकी गजमलयज सनत रह और कोई उतर न मदयज और खजिजशी स उठकर अपन घर चल गए। आप क पररिजर की एक दजसी इस घिनज को दख रही री। सजयकजल क सिय आप क चजचज हमजजरमज. न जो एक मनतजनत मनभषीक और बहजदर वयसकत र, मजनकी बहजदरी क कजरण शहर क लोग उन स भयभीत र, मशकजर खल कर जगल स िजपस आए तरज कि क सजर िनर लिकजए हए अकड और अमभिजन क सजर घर ि परिश मकयज। दजसी कज हदय परजतः क दशय स मनतजनत दखी रज िह हमजजरमज. को इस रप ि दख कर सहन न कर सकी और उन पर वयग करत हए कहज मक ति बड बहजदर बन मफरत हो, हर सिय शसतर िजरण मकए रहत हो, परनत कयज तमह जञजत ह मक परजतः अब जहल न तमहजर भतीज स कयज मकयज। हमजजरमज. न पछज कयज मकयज ? उसन िह पणा घिनज हमजजरमज. क सजिन िणान कर दी। हमजजरमज. यदमप िसलिजन न र परनत हदय ि शजलीनतज री। इसलजि की बजत तो सनी हई री और मनसशत ही उन क हदय पर उनकज परभजि भी हो चकज रज परनत अपन सिततर जीिन क कजरण गभीरतज क सजर उन पर मिचजर करन कज उनह अिसर परजपत नही हआ रज, परनत इस घिनज को सन कर उनकज सिजमभिजन उतमजत हो उठज। आखो स अजञजनतज कज पदजा दर हो गयज और उनह ऐसज िहसस हआ मक एक बहिलय िसत हजरो स मनकली जज रही

30हजरत महममदस का पवितर जीिन

ह। उसी सिय घर स बजहर आए और कज’ब की ओर गए जो सरदजरो की सभज कज मिशर सरजन रज, अपनज िनर कि स उतजरज और जोर स अबजहल क िजरज और कहज— सनो ि भी िहमिद (स.अ.ि.) कज ििा सिीकजर करतज ह। ति न परजतः उस अकजरण गजमलयज दी। इसीमलए मक िह आग स उतर नही दतज। यमद बहजदर हो तो अब िरी िजर कज उतर दो। यह घिनज इतनी अपरतयजमशत री मक अब जहल भी घबरज गयज, उस क सजरी हमजज स लडन को उठ परनत हमजज की बहजदरी कज मिचजर और उन क शसकतशजली शरीर पर दसटि डजल कर अब जहल न मिचजर मकयज मक यमद लडजई आरमभ हो गई तो इसकज पररणजि भयजनक मनकलगज। अतः नीमत स कजि लत हए अपन सजमरयो को यह कह कर रोक मदयज मक चलो जजन दो। िन िजसति ि इस क भतीज को बहत बरी तरह स गजमलयज दी री।

इललाम कला सनदशजब मिरोि न मिकरजल रप िजरण कर मलयज और इिर रसल करीि

(स.अ.ि.) और आप क सहजबजरमज. (सजमरयो) न हर हजल ि िककज िजलो को खदज तआलज कज यह सनदश पहचजनज आरमभ मकयज ससजर कज सटिज (खदज) एक ह उस क अमतररकत कोई उपजसय नही। मजतन नबी गजर ह सब एकशवरिजद की आसरज रखत र और अपनी जजमत क लोगो को भी इसी मशकज पर आचरण करन कज आदश दत र और उनह कहत र मक ति एक खदज पर ईिजन लजओ, इन पतरर की िमतायो को छोड दो मक यह मबलककल वयरा ह, इनि कोई शसकत नही। ह िककज िजलो ! कयज ति दखत नही मक इनक सजिन जो भि और उपहजर रख जजत ह यमद उन पर िसकखयो कज झणड आ बवठ तो ि िमतायज उन िसकखयो को उडजन की भी

-इबन महशजि मजलद-पररि, पषठ-99 तरज मतबरी मजलद-ततीय, पषठ-1187, लनदन स परकजमशत।

31 हजरत महममदस का पवितर जीिन

शसकत नही रखती, यमद कोई उन पर परहजर कर तो ि अपनी रकज नही कर सकती, यमद कोई उन स परशन कर तो ि कोई उतर नही द सकती, यमद कोई उनस सहजयतज िजग तो ि उसकी सहजयतज नही कर सकती, परनत एक खदज तो िजगन िजलो की आिशयकतज की पमता करतज ह, परशन करन िजलो को उतर दतज ह, सहजयतज िजगन िजलो की सहजयतज करतज ह और अपन शतरओ को परजसत करतज ह तरज अपन उपजसको को उचसतरीय उननमत परदजन करतज ह, उसस जञजन कज परकजश आतज ह जो उसक उपजसको क हदयो को परकजमशत कर दतज ह मफर ति कयो ऐस खदज को छोड कर मनषपरजण िमतायो क आग नतिसतक होत हो तरज अपनी आय नटि कर रह हो? ति दखत नही मक खदज तआलज क एकशवरिजद को तयजग कर तमहजर मिचजर और तमहजर हदय भी अपमितर हो गए ह। ति भजमत-भजमत की भरजिक मशकजओ ि गरसत हो, िवि और अिवि (हलजल और हरजि) ि अनतर करन कज मििक नही रहज, अचछ और बर क भद को पहचजन नही सकत, अपनी िजतजओ कज अपिजन करत हो, अपनी बहनो और बमियो पर अतयजचजर करत हो, उन क अमिकजरो कज हनन करत हो, अपनी पसतनयो स तमहजरज वयिहजर सिारज अनमचत ह, अनजरो कज अमिकजर छीनत हो, मिििजओ स दवयािहजर करत हो, गरीबो और असहजयो पर अनयजय करत हो, दसरो कज अमिकजर छीन कर अपनज आमिपतय सरजमपत करनज चजहत हो, झठ और छल-कपि स तमह लजज नही, चोरी और लििजर स तमह घणज नही, जआ और िमदरज तमहजरज ििज ह, जञजन-परजसपत और जन-सिज की ओर तमहजरज धयजन नही। एक खदज की ओर स कब तक मििख रहोग? आओ ! और अपनज सिजर करो तरज अतयजचजर तयजग दो, परतयक हकदजर को उसकज हक दो। खदज न यमद िजल मदयज ह तो दश और जजमत की सिज तरज असहजयो और गरीबो क उतरजन क मलए उस खचा करो, ससतरयो कज समिजन करो तरज उनक अमिकजरो को अदज करो, अनजरो को

32हजरत महममदस का पवितर जीिन

खदज तआलज की अिजनत सिझो तरज उनकी दखभजल को िहजन कलयजण सिझो, मिििजओ कज आशरय बनो, शभकिको और सयि को जीिन कज आभरण बनजओ नयजय और इनसजफ ही नही अमपत दयज और उपकजर को अपनज आचरण बनजओ। तमहजरज इस ससजर ि आनज वयरा नही जजनज चजमहए, अपन पीछ अचछ आदशा छोडो तजमक शजशवत नकी कज बीजजरोपण हो, अमिकजर परजसपत, परजसपत ि नही अमपत तप-तयजग और अपररगरह ि िजसतमिक समिजन ह।

अतः ति कबजानी करो, खदज की मनकितज परजपत करो, परमहतजय तयजग कज आदशा परसतत करो तजमक खदज तआलज क यहज तमहजर सिति की रकज हो। मनःसदह हि दबाल ह, परनत हिजरी दबालतज को न दखो। खदज क दरबजर ि सतय क रजजय की सरजपनज कज मनणाय हो चकज ह। अब िहमिद रसलललजह (स.अ.ि.) क विजरज इनसजफ कज तरजज रखज जजएगज तरज नयजय और दयज क शजसन की सरजपनज की जजएगी। मजसि मकसी पर अनयजय न होगज, ििा क सबि ि हसतकप नही मकयज जजएगज, ससतरयो और दजसो पर जो अतयजचजर होत रह ह ि मििज मदए जजएग तरज शवतजनी शजसन क सरजन पर एक खदज कज शजसन होगज।

अबतलाहलब क पलास मककला क कलाहिरो की हशकलायत और हजरत महममद (स.अ.ि.) कला दढसकलप

िककज िजलो को जब य मशकजए बजर-बजर सनजई जजन लगी तो एक मदन िककज क सरदजर लोग एकतर होकर आप क चजचज अबतजमलब क पजस आए और उन स कहज मक आप हिजर सरदजर ह तरज आपक कजरण हिन आपक भतीज िहमिद (स.अ.ि.) को ककछ नही कहज। अब सिय आ गयज ह मक आप क सजर हि असनति मनणाय कर। यज तो आप उस सिझजए और उस स पछ मक िजसति ि िह हि स चजहतज कयज ह। यमद

33 हजरत महममदस का पवितर जीिन

उसकी इचछज समिजन परजपत करन की ह तो हि उस अपनज सरदजर बनजन क मलए तवयजर ह, यमद िह िन कज इचछक ह तो हि ि परतयक वयसकत अपन िन कज ककछ भजग उस दन क मलए तवयजर ह, यमद उस मििजह की अमभलजरज ह तो िककज की परतयक लडकी जो उस पसनद हो उसकज नजि ल हि उस स उस कज मििजह करजन क मलए तवयजर ह। हि उसक बदल ि उस स ककछ नही चजहत और न ही मकसी अनय बजत स रोकत ह। हि किल इतनज चजहत ह मक िह हिजरी िमतायो को बरज कहनज छोड द। िह मनःसदह कह मक खदज एक ह, परनत यह न कह मक हिजरी िमतायज बरी ह। यमद िह इतनी बजत सिीकजर कर ल तो हिजरी उसकी िवतरी हो जजएगी। आप उस सिझजए तरज हिजर परसतजि क सिीकजर करन पर तवयजर कर अनयरज मफर दो बजतो ि स एक होगी— यज आप को अपनज भतीजज छोडनज पडगज यज आपकी जजमत आप की सरदजरी स इनकजर करक आप को छोड दगी। अब तजमलब को यह बजत मनतजनत असहनीय री। अरबो क पजस रपयज-पवसज तो रोडज ही होतज रज, उनकी सिसत परसननतज उनकी सरदजरी ि होती री। सरदजर जजमत क मलए जीमित रहत र और जजमत सरदजरो क मलए जीमित रहती री। अब तजमलब यह बजत सनकर वयजककल हो गए। िहमिद रसलललजह (स.अ.ि.) को बलिजयज और कहज— ह िर भतीज ! िरी जजमत क लोग िर पजस आए ह और उनहोन िझ यह सनदश मदयज ह और सजर ही उनहोन िझ यह भी कह मदयज ह मक यमद तमहजरज भतीजज इन बजतो ि स मकसी एक बजत पर भी सहित न हो जबमक हिजरी ओर स हर परकजर क परसतजि रख जज चक ह, यमद िह इस पर भी अपन िजगा स नही हितज तो आप कज कजि ह मक उस छोड द और यमद आप उस छोडन क मलए तवयजर न हो तो मफर हि लोग आपकी सरदजरी स इनकजर करक आपको छोड दग। जब अब तजमलब न यह बजत की तो उनकी आखो ि आस आ गए, उनक आसओ को दखकर रसल करीि

34हजरत महममदस का पवितर जीिन

(स.अ.ि.) की आखो ि भी आस आ गए तरज आप न फरिजयज— ह िर चजचज ! ि यह नही कहतज मक आप अपनी जजमत को छोड द और िरज सजर द आप मनःसदह िरज सजर छोड द और अपनी जजमत क सजर मिल जजए परनत िझ उस एक खदज की सौगनि ह मक यमद सया को िर दजए और चनदरिज को िर बजए लजकर खडज कर द तब भी ि अपन खदज क एकशवरिजद कज उपदश दन स रक नही सकतज। ि अपन कजया ि कजयारत रहगज जब तक मक खदज िझ ितय न द द। आप अपनज महत सिय दख ल। यह ईिजन और मनषकपितज स पररपणा उतर अब तजमलब क नतर खोलन क मलए पयजापत रज। उनहोन सिझ मलयज मक यदमप िझ ईिजन लजन कज सजिरया परजपत नही हआ परनत उस ईिजन कज दशय दखन कज सजिरया परजपत होनज सब दौलतो स बडी दौलत ह। आपन कहज— ह िर भतीज ! जज और अपनज कतावय पजलन करतज रह। यमद िरी जजमत िझ छोडनज चजहती ह तो मनःसदह छोड द। ि तझ नही छोड सकतज।

हबशला की ओर परवलास (महजरत)जब िककज िजलो कज अतयजचजर चरि सीिज को पहच गयज तो िहमिद

रसलललजह (स.अ.ि.) न एक मदन अपन सजमरयो को बलजयज और फरिजयज— पसशि की ओर सिदर पजर एक दश ह जहज खदज की उपजसनज क कजरण अनयजय नही मकयज जजतज, ििा पररितान क कजरण लोगो कज िि नही मकयज जजतज। िहज एक नयजयमपरय रजजज ह। ति लोग परिजस करक िहज चल जजओ कदजमचत तमहजर मलए सगितज कज िजगा मनकल आए। ककछ िसलिजन परर, ससतरयज और बच आपक आदश पर एबीसीमनयज की ओर चल गए। इन लोगो कज िककज स मनकलनज कोई सजिजरण बजत न री। िककज क लोग सिय को कज’बज कज नयजसी (TRUSTEE) सिझत र तरज

-इबन महशजि मजलद-पररि, पषठ-88 तरज मतबरी

35 हजरत महममदस का पवितर जीिन

उनक मलए िककज स बजहर चलज जजनज एक असहनीय आघजत रज। यह बजत िही वयसकत कह सकतज रज मजसक मलए ससजर ि अनय कोई मठकजनज शर न रह। अतः इन लोगो क मलए मनकलनज मनतजनत हदय मिदजरक घिनज री। मफर इन लोगो कज मनकलनज भी गपत रप स हआ, कयोमक ि जजनत र मक यमद िककज िजलो को िजलि हो गयज तो ि हि मनकलन नही दग। इस कजरण ि अपन पररजनो और मपरयजनो की असनति भि स भी िमचत हो कर जज रह र, उनक हदयो की जो दशज री िह तो री ही, उनको दखन िजल भी उनकी पीडज स परभजमित हए मबनज नही रह सक। अतः मजस सिय यह कजमफलज मनकल रहज रज, हजरत उिररमज. जो उस सिय एक कजमफर तरज इसलजि क कटटर शतर र और िसलिजनो को कटि पहचजन िजलो ि स सिापरिख वयसकत र। सयोगिश उस कजमफल क ककछ लोगो को मिल गए। उनि एक सहजमबयज उमि अबदललजह नजिक भी री। बि हए सजिजन और तवयजर सिजररयो को जब आप न दखज तो आप सिझ गए मक य लोग िककज छोड कर जज रह ह। आपन कहज उमि अबदललजह य तो परिजस क सजिजन मदखजई द रह ह। उमि अबदललजह कहती ह— िन उतर ि कहज— हज खदज की सौगनि हि मकसी अनय दश ि चल जजएग, कयोमक ति न हि बहत दःख मदए ह और बहत अतयजचजर मकए ह। हि उस सिय तक अपन दश ि नही लौिग जब तक खदज तआलज हिजर मलए कोई सजिन पवदज न कर द। उमि अबदललजह िणान करती ह मक उिररमज. न कहज— अचछज खदज तमहजर सजर हो और िन उनक सिर ि हदय की आदरातज िहसस की जो इसस पहल िन कभी िहसस नही की री, मफर िह बडी शीघरतज स िख फर कर चल गए। िन िहसस मकयज मक इस दशय स उनकी तमबयत मनतजनत सतपत हो गई ह। जब इन लोगो क परिजस की सचनज िककज िजलो को मिली तो उनहोन इनकज पीछज मकयज और सिदर तक इन क पीछ गए, परनत लोगो क सिदर तक पहचन स पिा ही िह

36हजरत महममदस का पवितर जीिन

कजमफलज हबशज की ओर कच कर चकज रज, परनत जब िककज िजलो को यह िजलि हआ तो उनहोन मनणाय मकयज मक एक परमतमनमि िडल हबशज क रजजज क पजस भजज जजए जो उस िसलिजनो क मिरदध भडकजए और उस परररत कर मक िह िसलिजनो को िककज िजलो क सपदा कर द। तजमक ि उनह उनकी इस िटितज कज दणड द। इस परमतमनमििडल ि उिर मबन अलआस भी र जो बजद ि िसलिजन हो गए र तरज मिस उनही क विजरज मिजय हआ रज। यह परमतमनमििडल हबशज गयज और रजजज स मिलज, सरदजरो और सजमहतकजरो को इनहोन खब उकसजयज, परनत अललजह तआलज न हबशज क रजजज क हदय को दढमनशयी बनज मदयज रज। उसन इन लोगो क तरज दरबजररयो क आगरह क बजिजद िसलिजनो को कजमफरो क सपदा करन स इनकजर कर मदयज। जब िह परमतमनमििडल असफल िजपस आयज तो िककज िजलो न इन िसलिजनो को बलजन क मलए एक अनय उपजय सोचज और िह यह मक हबशज जजन िजल ककछ कजमफलो ि एक सिजचजर फलज मदयज मक िककज क सब लोग िसलिजन हो गए ह। जब यह सिजचजर हबशज पहचज तो अमिकजश िसलिजन परसननतज स िककज की ओर िजपस लौि, परनत उनह िककज पहच कर जञजत हआ मक यह सिजचजर िजतर हजमन पहचजन की भजिनज स फलजयज गयज रज तरज इसि कोई िजसतमिकतज न री। इस पर ककछ लोग तो िजपस हबशज चल गए और ककछ िककज ि ठहर गए। इन िककज ि ठहरन िजलो ि उसिजन मबन िजऊन भी र जो िककज क एक बहत बड सरदजर क बि र। इस बजर उन क मपतज क एक मितर िलीद मबन िगीरह न उनह शरण दी और िह अिन स िककज ि रहन लग, परनत इस अिमि ि उनहोन दखज मक ककछ अनय िसलिजनो को दःख मदए जजत ह तरज उनह कठोर यजतनजए दी जजती ह। चमक िह सिजमभिजनी नौजिजन र िलीद क पजस गए और उस कह मदयज मक ि आप की शरण को िजपस करतज ह; कयोमक िझ स नही दखज जजतज मक दसर िसलिजन

37 हजरत महममदस का पवितर जीिन

यजतनजए सहन कर और ि आरजि स रह। अतः िलीद न घोरणज कर दी मक उसिजन अब िरी शरण ि नही। इसक पशजत एक मदन लबीद अरब कज परमसदध कमि िककज क सरदजरो ि बवठज अपन श’र सनज रहज रज मक उस न श’र कज एक भजग पढज —

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मजसकज अरा यह ह मक परतयक न’ित अनततः नटि हो जजन िजली ह। उसिजनरमज. न कहज— यह गलत ह सिगा की न’ित हिशज ससरर रहगी। लबीद एक बडज आदिी रज, यह उतर सनकर आकरोश ि आ गयज तरज उसन कहज— ह करश क लोगो ! तमहजर अमतमर को तो पहल इस परकजर अपिजमनत नही मकयज जज सकतज रज अब यह नई रीमत कब स परजरमभ हई ह। इस पर एक वयसकत न कहज मक यह एक िखा वयसकत ह इसकी बजत की परिजह न कर। हजरत उसिजन न अपनी बजत पर आगरह मकयज और कहज मक िखातज की कयज बजत ह, िन जो बजत कही ह िह सतय ह। इस पर उस वयसकत न उठ कर आप क िख पर इतन जोर स घसज िजरज मक आप की एक आख बजहर मनकल गई। िलीद उस सिय उस सभज ि बवठज हआ रज। उसिजन क मपतज क सजर उस की घमनषठ मितरतज री। अपन सिगषीय मितर क बि की यह दशज उस स दखी न गई, परनत िककज की पररज क अनसजर जब उसिजन उसकी शरण ि नही र तो िह उनकी सहजयतज भी नही कर सकतज रज। अतः और ककछ तो न कर सकज, मनतजनत दःख स उसिजन ही को समबोमित करक बोलज ह िर भजई क बि! खदज की सौगनि तरी यह आख इस आघजत स सरमकत रह सकती री जब मक त एक शसकतशजली सरकज ि रज (अरजात िरी शरण ि रज) परनत तन सिय ही उस शरण को छोड मदयज और यह मदन दखज। उसिजन न उतर ि कहज िर सजर जो ककछ हआ ह ि सिय उसकज अमभलजरी रज। ति िरी फिी हई आख पर शोक कर रह हो, हजलजमक िरी सिसर आख इस बजत क मलए तडप रही ह

38हजरत महममदस का पवितर जीिन

मक जो िरी बहन क सजर हआ ह िही िर सजर कयो नही होतज। िहमिद रसलललजह (स.अ.ि.) कज आदशा िर मलए पयजापत ह। यमद िह कटि उठज रह ह तो ि कयो न उठजऊ। िर मलए खदज की सहजयतज पयजापत ह।

हजरत उमररहज. कला इललाम वीकलार करनलाउसी यग ि िककज ि एक घिनज हई मजसन िककज ि सनसनी फलज

दी और िह घिनज इस परकजर हई मक उिर जो बजद ि इसलजि क दसर खलीफज हए और जो इसलजि क परजरसमभक यग ि कटटर शतरओ ि स र। एक मदन बवठ-बवठ उनक हदय ि यह मिचजर पवदज हआ मक इस सिय तक इसलजि को मििजन क मलए भरसक परयतन मकए गए ह परनत सफलतज नही मिली। कयो न इसलजि क परिताक कज ही कजि तिजि करक इस झझि कज ही हिशज क मलए अनत कर मदयज जजए!! यह मिचजर आत ही तलिजर उठजई और घर स मनकल पड और आहजरत (स.अ.ि.) को खोजन लग। िजगा ि उनकज मितर मिलज और उनह इस अिसरज ि दखकर ककछ आशयाचमकत हआ और आप स परशन मकयज मक उिर कहज जज रह हो? उिर न कहज— ि िहमिद (स.अ.ि.) को िजरन क मलए जज रहज ह। उसन कहज ति िहमिद (स.अ.ि.) कज िि करक िहमिद (स.अ.ि.) क कबील स सरमकत रह सकोग ? पहल अपन घर की तो खबर लो। तमहजरी बहन और बहनोई दोनो िसलिजन हो चक ह। यह सिजचजर हजरत उिर क सर पर मबजली की भजमत मगरज। उनहोन सोचज ि जो इसलजि कज कटटर शतर ह, ि जो िहमिद (स.अ.ि.) को िजरन क मलए जज रहज ह और िरी ही बहन और िरज ही बहनोई इसलजि सिीकजर कर चक ह। यमद ऐसज ह तो पहल िझ अपनी बहन और बहनोई स मनपिनज चजमहए। यह सोचत हए िह अपनी बहन क घर की ओर चल पड। जब िह विजर पर पहच तो उनह अनदर स सरीली आिजज ि मकसी पमितर िजणी क पढन की आिजज आई।

39 हजरत महममदस का पवितर जीिन

यह पढन िजल खबजबरमज. र जो उनकी बहन और बहनोई को कआान करीि मसखज रह र। उिर न तजी स घर ि परिश मकयज। उनक पवरो की आहि सन कर खबजबरमज. तो मकसी कोन ि छप गए तरज उनकी बहन न मजनकज नजि फजमतिज रज कआान करीि क ि पनन जो उस सिय पढ जज रह र छपज मदए। हजरत उिर न जब किर ि परिश मकयज तो करोि स पछज। िन सनज ह मक ति अपन ििा स मििख हो गए हो और यह कह कर अपन बहनोई पर जो उनक चजचज क बि भी र आकरिण कर बवठ। फजमतिजरमज. न जब दखज मक उनक भजई उिररमज. उनक पमत पर आकरिण करन लग ह तो िह दौडकर अपन पमत क आग खडी हो गई। उिररमज. हजर उठज चक र उनकज हजर जोर स उनक बहनोई क िख की ओर जज रहज रज और अब उस हजर को रोकनज उनकी शसकत स बजहर रज। परनत अब उनक हजर क सजिन उनक बहनोई की बजजए उनकी बहन कज चहरज रज। उिररमज. कज हजर जोर स फजमतिजरमज. क चहर पर पडज और फजमतिजरमज. की नजक स रकत की िजरज बहन लगी। फजमतिजरमज. न िजर तो सहन कर ली परनत मनडरतजपिाक कहज— उिर ! यह सतय ह मक हि िसलिजन हो चक ह और यजद रमखए मक हि अपन उस ििा को नही छोड सकत। आप स जो ककछ हो सकतज ह कर ल। उिररमज. एक बहजदर वयसकत र। अतयजचजर न उनकी बहजदरी को मििज नही मदयज रज। एक सतरी और मफर अपनी बहन को अपन ही हजर स घजयल दखज तो लजज और शिा स घडो पजनी पड गयज, बहन क चहर स रकत बह रहज रज और अब उिररमज. क हदय स उन कज करोि दर हो चकज रज, अपनी बहन स किज िजगन की इचछज परबल होती जज रही री अनय तो कोई बहजनज न सझज, बहन स बोल अचछज ! लजओ िझ िह िजणी तो सनजओ जो ति लोग अभी पढ रह र। फजमतिजरमज. न कहज ि नही मदखजऊगी कयोमक आप उन पननो को नटि कर दग। उिररमज. न कहज नही बहन ि ऐसज नही करगज। फजमतिजरमज. न कहज

40हजरत महममदस का पवितर जीिन

आप तो अपमितर ह। पहल सजन कर।मफर मदखजऊगी। उिररमज. अतीि लजज क कजरण सब ककछ करन क

मलए तवयजर र, िह सजन करन पर भी सहित हो गए। जब सजन करक िजपस आए तो फजमतिज न उनक हजर ि कआान करीि क पनन द मदए। य कआान करीि क पनन सरह ‘तजहज’ की ककछ आयत री। जब िह उस पढत हए इस आयत पर पहच —

(सरह — तजहज 15-16)मनशय ही ि अललजह ह, िर मसिज अनय कोई उपजसय नही। अतः

ह समबोधय ! िरी उपजसनज कर और निजज पढ और अपन दसर सजमरयो क सजर मिलकर िरी उपजसनज को शजशवत ससरर रप द। परमपरजगत ही उपजसनज नही अमपत िरी बडजई को ससजर ि सरजमपत करन िजली उपजसनज। सिरण रख मक इस िजणी को सरजमपत करन िजली घडी आ रही ह। ि उस परकि करन क सजिन पवदज कर रहज ह मजनकज पररणजि यह होगज मक परतयक परजण को जवस-जवस िह कजया करतज ह उसक अनसजर बदलज मिल जजएगज।

हजरत उिररमज. जब इस आयत पर पहच तो सहसज उनक िख स मनकल गयज मक यह कसज अदभत और पमितर कलजि ह। खबजबरमज. न जब य शबद सन तो िह उस सरजन स जहज िह छप हए र बजहर मनकल आए और कहज मक रसल करीि (स.अ.ि.) की दआ कज ही पररणजि ह। िझ खदज की सौगनि िन कल ही आप को यह दआ करत सनज रज मक ह िर खदज ! उिर मबन खतजब यज उिर मबन-महशजि ि स मकसी एक कज इसलजि की ओर अिशय िजगा-दशान कर। उिररमज. खड हो गए और कहज

41 हजरत महममदस का पवितर जीिन

िझ बतजओ मक िहमिद (स.अ.ि.) कहज ह। जब आप को बतजयज गयज मक आप ‘दजर अरकि’ ि रहत ह तो आप उसी परकजर नगी तलिजर मलए हए िहज पहच और विजर खिखिजयज। सहजबज न विजर की दरजडो ि स दखज तो उनह उिर नगी तलिजर मलए खड मदखजई मदए। ि डर मक कही ऐसज न हो मक विजर खोल द तो उिर अनदर आकर कोई उतपजत कर, परनत रसल करीि (स.अ.ि.) न फरिजयज— हआ कयज? विजर खोल दो। उिर न उसी परकर तलिजर मलए अनदर परिश मकयज। रसल करीि (स.अ.ि.) आग बढ और फरिजयज— उिर ! मकस इरजद स आए हो ? उिर न कहज ह अललजह क रसल ! ि िसलिजन होन आयज ह। रसल करीि (स.अ.ि.) न यह सन कर ऊच सिर ि कहज अललजहो अकबर अरजात अललजह सब स िहजन ह और आप क सब सजमरयो न भी यही शबद जोर स दोहरजए, यहज तक मक िककज की पहजमडयज गज उठी और रोडी दर ि यह खबर िककज ि दिजनल की भजमत फल गई। तदपरजनत उिररमज. स भी िही कठोरतज कज वयिहजर आरमभ हो गयज जो पहल अनय सहजबजरमज. स होतज रज, परनत िही उिररमज. जो पहल िजरन और िि करन ि आननद लत र अब िजर खजन और पीि जजन ि आननद परजपत करन लग। अतः सिय उिररमज. कज बयजन ह मक ईिजन लजन क पशजत िककज की गमलयो ि िजर ही खजतज रहतज रज।

मसलमलानो कला सलामलाहजक बहहषकलारमनषकरा यह मक अतयजचजर अब सीिज स बजहर होत जज रह र। ककछ

लोग िककज स पलजयन कर चक र और जो शर र ि पहल स भी अमिक अतयजचजरो कज मशकजर होन लग र, परनत अतयजचजररयो क हदय अभी शजनत न हए र। जब उनहोन दखज मक हिजर पहल अतयजचजरो स िसलिजनो क हदय नही िि, उनक ईिजनो ि डगिगजहि पवदज नही हई अमपत ि एक खदज की उपजसनज ि और भी अमिक बढ गए और बढत चल जज रह ह

42हजरत महममदस का पवितर जीिन

तरज िमतायो स उनकी घणज उननमत करती जज रही ह तो उनहोन एक परजिशा समिमत कज गठन मकयज और यह मनणाय कर मदयज मक िसलिजनो कज पणातयज बमहषकजर मकयज जजए। कोई वयसकत उनक मकसी परकजर क सौद कज करय-मिकरय न कर और न ही मकसी परकजर क लन-दन कज सबि रख। उस सिय िहमिद रसलललजह (स.अ.ि.) ककछ अनयजमययो और उनक पररिजर क लोगो समहत और ककछ ऐस पररजनो क सजर जो िसलिजन न होन क बजिजद आपस. कज सजर छोडन क मलए तवयजर न र, एक परक सरजन ि जो अब तजमलब क अमिकजर ि रज शरण लन पर मििश हए। उन लोगो क पजस जीिन-यजपन की सजिगरी कज कोई भणडजर अरिज िन-दौलत ककछ भी न रज मजसक सहजर ि जीमित रहत। ि इस दररदरतज क सिय ि मजन पररससरमतयो स गजर होग अनय िनषय क मलए उनकज अनिजन लगजनज सभि नही। लगभग तीन िरा तक य पररससरमतयज यरजित रही और िककज क कमरत बमहषकजर क मनणाय ि कोई ढील न दी गई। लगभग तीन िरा क पशजत िककज क पजच सभय लोगो क हदय ि इस अतयजचजर क मिरदध भजिनज पवदज हई। ि शज’ब अबी तजमलब क विजर पर गए और उन घरजबनद लोगो को आिजज दकर कहज मक ि बजहर मनकल और यह मक ि इस परमतजञज-पतर को भग करन क मलए मबलककल तवयजर ह। अब तजमलब जो इस लमबी घरजबनदी और मनरजहजर रहन क कजरण बहत किजोर हो रह र बजहर आए और अपनी जजमत को समबोमित करक भतसानज की मक उनकी यह लमबी घरजबनदी मकस परकजर उमचत हो सकती ह। उन पजच सभय लोगो कज दरोह तरनत मबजली की भजमत नगर ि फल गयज। िजनितज न मफर सर उठजनज आरमभ मकयज, नकी की भजिनज न पनः एक बजर सजस ली और िककज क लोग इस शवतजनी मनणाय को भग करन पर मििश हो गए। मनणाय तो सिजपत हो गयज, परनत तीन िरषीय मनरजहजर रहन न अपनज

-इबन महशजि मजलद-पररि, पषठ-130 तरज जरकजनी मजलद-मवितीय, पषठ-279

43 हजरत महममदस का पवितर जीिन

परभजि मदखजनज आरमभ मकयज। रोड ही मदनो ि रसलललजह (स.अ.ि.) की िफजदजर पतनी हजरत खदीजजरमज. कज इन बमहषकजर क मदनो ि कटिो क पररणजिसिरप सिगािजस हो गयज और उसक एक िजह पशजत अब तजमलब भी इस ससजर स परलोक मसिजर गए।

हजरत खदीजला और अब तलाहलब क मतयोपरलानत परचलार म बलाधलाए और महममद सलललललाहो अलहह वसललम

की तलायि-यलातरला

िहमिद रसलललजह (स.अ.ि.) और आप क सहजबज अब अबतजमलब क परसपर िल-मिलजप रखन िजल परभजि स िमचत हो गए तरज िहमिद रसलललजह (स.अ.ि.) की पजररिजररक जीिन-समगनी हजरत खदीजजरमज. भी आप को मियोगगरसत छोड गई। इन दोनो क मनिन स उन लोगो की सहजनभमत भी आप और आपक सहजबजरमज. स सिजभजमिक तौर पर कि हो गई जो उन क सबिो क कजरण अतयजचजररयो को अतयजचजर स रोकत रहत र। अब-तजमलब क मनिन क तजजज आघजत क कजरण, अबतजमलब की िसीयत क अनसजर आप क कटटर शतर अब तजमलब क छोि भजई अबलहब न ककछ मदन आपकज सजर मदयज परनत जब िककज िजलो न उसकी भजिनजओ को यह कहकर उतमजत मकयज मक िहमिद (स.अ.ि.) तो उन सिसत लोगो को जो एकशवरिजद को सिीकजर नही करत अपरजिी और दणडनीय सिझतज ह। अतः अपन पिाजो क मलए सिजमभिजन क जोश ि अब लहब न आपकज सजर छोड मदयज और परण मकयज मक िह भमिषय ि पहल स भी बढकर आप कज मिरोि करन पर कमिबदध रहगज। घरजबनदी ि जीिन गजजरन क कजरण चमक तीन िरा तक लोग अपन पररजनो स परक रह र इस मलए सबिो ि मशमरलतज आ गई री। िककज िजल

44हजरत महममदस का पवितर जीिन

िसलिजनो स बोलचजल सिजपत करन क अभयसत हो चक र, इसमलए परचजर कज िवदजन सीमित हो गयज रज। रसल करीि (स.अ.ि.) न जब यह दशज दखी तो आप न मनणाय मकयज मक ि िककज क सरजन पर तजयफ क लोगो क पजस जजकर उनह इसलजि कज मनिनतरण द। आपस. यह मिचजर ही कर रह र मक िककज िजलो क मिरोि न इस इरजद को और भी दढ कर मदयज। पररि तो िककज िजल बजत सनत ही नही र दसर अब उनहोन यह मदनचयजा बनज ली मक िहमिद (स.अ.ि.) को गमलयो ि चलन ही न द। जब आप बजहर मनकलत, आप क सर पर मिटटी फकी जजती तजमक आप लोगो स मिल ही न सक। एक बजर इसी अिसरज ि िजपस लौि तो आपकी एक बिी आपक सर स मिटटी झजडत हए रोन लगी। आप (स.अ.ि.) न फरिजयज— ह िरी बिी ! ित रो, कयोमक खदज मनःसदह तमहजर मपतज क सजर ह। आप कटिो स नही घबरजत र परनत कमठनजई यह री मक लोग बजत सनन क मलए तवयजर न र। जहज तक कटिो कज परशन ह आप उनह आिशयक सिझत र अमपत आप क मलए सिजामिक कटि कज मदन तो िह होतज रज जब कोई वयसकत आप को कटि नही दतज रज। मलखज ह मक एक मदन िहमिद रसलललजह (स.अ.ि.) िककज की गमलयो ि परचजर क मलए मनकल, परनत उस मदन मकसी योजनजनसजर मकसी एक वयसकत न भी आप स बजत न की और न आप को मकसी परकजर कज कोई कटि मदयज, न मकसी दजस न न मकसी आजजद न। अतः नबी करीि (स.अ.ि.) इस आघजत और िनसतजप स खजिोशी क सजर लि गए, यहज तक मक खदज तआलज न आपको सजतिनज दी और फरिजयज— जजओ और अपनी जजमत को पनः, पनः और पनः सजििजन करो तरज उनकी लजपरिजही पर धयजन न दो। अतः रसल करीि (स.अ.ि.) को यह बजत बरी नही लगती री मक लोग आपको कटि दत र, परनत खदज कज नबी जो ससजर कज िजगा-दशान करन क मलए

-इबन महशजि मजलद-पररि, पषठ-145

45 हजरत महममदस का पवितर जीिन

भजज गयज रज। िह इस बजत को कब सहन कर सकतज रज मक लोग उस स बजत ही न कर तरज उसकी बजत सनन क मलए तवयजर ही न हो। ऐसज मनरराक जीिन उसक मलए सिजामिक कटिपरद रज। अतः आपस. न दढ मनशय कर मलयज मक अब आप तजयफ की ओर जजएग और तजयफ क लोगो को खदज तआलज कज सनदश पहचजएग तरज खदज तआलज क नमबयो क मलए यही अभीटि होतज ह मक ि इिर स उिर मभनन-मभनन जजमतयो को समबोमित करत मफर। हजरत िसज अलवमहससलजि क सजर भी ऐसज ही हआ। कभी िह मफरऔन की जजमत को समबोिन करत तो कभी इसहजक की जजमत को और कभी िदयन क लोगो को। हजरत ईसज अलवमहससलजि को भी परचजर की रमच ि कभी जलील क लोगो को समबोमित करनज पडतज और कभी यरदन पजर क लोगो को, कभी यरशलि क लोगो और कभी अनय लोगो को समबोमित करनज पडज। जब िककज क लोगो न बजत सनन स ही इनकजर कर मदयज और यह मनणाय कर मलयज मक िजरो-पीिो परनत बजत मबलककल न सनो तो आप न तजयफ की ओर धयजन मदयज। तजयफ िककज स लगभग सजठ िील की दरी पर दमकण-परब ि एक नगर ह, जो अपन फलो और अपनी खती क कजरण परमसदध ह। यह शहर िमता-पजज ि िककज िजलो स ककछ कि न रज। कज’बज ि रखी िमतायो क अमतररकत ‘लजत’ नजिक एक परमसदध िमता तजयफ की खयजमत कज कजरण री। मजसक दशानजरा अरब क लोग दर-दर स आत र। तजयफ क लोगो की िककज ि बहत सी ररशतदजररयज भी री तरज तजयफ और िककज क िधय कई हर-भर सरजनो ि िककज िजलो की समपमतयज (जजयदजद) भी री। जब आप तजयफ पहच तो िहज क सरदजर आप स मिलन क मलए आन लग, परनत कोई वयसकत सतय को सिीकजर करन मक मलए तवयजर न हआ। जनसजिजरण न भी अपन सरदजरो कज अनसरण मकयज तरज खदज क सनदश को मतरसकजर की दसटि स दखज भौमतक िजमदयो की दसटि स दखज। भौमतक िजमदयो की दसटि

46हजरत महममदस का पवितर जीिन

ि सजिन तरज मनससहजय नबी मतरसकत ही हआ करत ह। ि सजसजररक लोग तो शसतरो और सनजओ की आिजज को ही सननज जजनत ह। आप क सबि ि बजत तो पहच ही चकी री। जब आप तजयफ पहच और िहज क लोगो न दखज मक आप क सजर कोई सनज यज दल होतज ! इसक सरजन पर आप (स.अ.ि.) किल जवद क सजर तजयफ क परमसदध कतरो ि परचजर करत मफरत ह तो हदय क अनिो न अपन सजिन खदज कज नबी नही अमपत एक मतरसकत और हीन वयसकत पजयज और सिझ मक कदजमचत इस सतजनज और कटि पहचजनज जजमत क सरदजरो की दसटि ि हि समिजमनत कर दगज। ि एक मदन एकतर हए और अपन सजर ककत मलए, लडको को उकसजयज तरज अपनी झोमलयज पतररो स भर ली और बडी मनदायतज स रसल करीि (स.अ.ि.) पर पररजि आरमभ मकयज, ि रसल करीि (स.अ.ि.) को शहर स ढकलत हए बजहर ल गए। आप क पवर लह-लहजन हो गए तरज जवद आप को बचजत-बचजत बहत घजयल हो गए, परनत अतयजचजररयो कज हदय शजनत न हआ, ि आप क पीछ चलत गए, चलत गए यहज तक मक आप शहर स कई िील दर की पहजमडयो तक पहच गए। उनहोन आप कज पीछज न छोडज। जब य लोग आप कज पीछज कर रह र तो आप इस भय स मक खदज कज आकरोश उन पर न भडक उठ आकजश की ओर दसटि उठज कर दखत और मनतजनत आदरातजपिाक दआ करत। ह िर खदज ! इन लोगो को किज कर मक य नही जजनत मक य कयज कर रह ह। घजयल, रक हए तरज लोगो की ओर स मतरसकत आप न एक अगररसतजन की छजयज ि शरण ली यह अगररसतजन िककज क दो सरदजरो कज रज। यह सरदजर उस सिय अगररसतजन ि र जो परजन और कटटर शतर मजनहोन दस िरा तक आप क मिरोि ि अपनज जीिन वयतीत मकयज रज, कदजमचत उस सिय इस बजत स परभजमित हो गए मक एक िककज क वयसकत को तजयफ क लोगो न घजयल मकयज ह यज शजयद ि कण ऐस कण र जब उनक हदयो ि नकी की भजिनज

47 हजरत महममदस का पवितर जीिन

जजग उठी री, उनहोन अगरो कज एक रजल भरज और अपन दजस ‘अदजस’ को कहज मक जजओ उन यजमतरयो को दो। ‘अदजस’ नवनिज कज रहन िजलज एक ईसजई रज। जब उसन यह अगर िहमिद रसलललजह (स.अ.ि.) क सजिन परसतत मकए और आप न उन अगरो को यह कहत हए मलयज मक खदज क नजि पर जो मनतजनत कपज करन िजलज और बजरमबजर दयज करन िजलज ह ि यह लतज ह तो उसक हदय ि ईसजइयत की यजद पनः तजजज हो गई। उसन िहसस मकयज मक उसक सजिन खदज कज एक नबी बवठज ह जो इसजईली नमबयो की सी भजरज ि बजत करतज ह। उसस रसल करीि (स.अ.ि.) न पछज— ति कहज क रहन िजल हो? जब उसन कहज नवनिज कज। तो आपन फरिजयज— िह नक िनषय यनसअ. जो िती कज पतर रज और नवनिज कज मनिजसी, िह िरी तरह खदज कज नबी रज। मफर आप न उस अपन ििा क बजर ि सिझजयज। अदजस की हरजनी ककछ ही कणो ि आशया ि पररिमतात हो गई। आशया ईिजन ि पररिमतात हो गयज और ककछ ही कणो ि िह अजनबी दजस आसओ स भरी आखो क सजर िहमिद रसलललजह (स.अ.ि.) स मलपि गयज तरज आपक हजरो और चरणो को चिन लगज। अदजस की बजतो स मनित हो कर आपस. न अललजह तआलज की ओर धयजनिगन होकर खदज स यह दआ िजगी —

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अरजात ह िर अललजह! ि अपन सजिनो की किी, लोगो विजरज

-सीरत इबन महशजि मजलद-पररि, पषठ-147

48हजरत महममदस का पवितर जीिन

मतरसकत होन, मनरपजय की दयनीय अिसरज की गहजर तझ स ही करतज ह। त असहजयो और दबालो कज सहजयक ह। त िरज भी रबब ह। त िझ मकस परकजर क हजरो ि छोड दगज! कयज अजनबी लोगो क हजरो ि जो िझ इिर-उिर ढकलत मफरग अरिज उस शतर क हजर ि जो िर दश पर कबजज कर चकज ह। यमद त िझ स ककमपत नही तो िझ इन शतरओ की तमनक भी परिजह नही। जो िझ पर तरी दयज दसटि ह, िह िर मलए सिवोतकटि सरकज-किच ह। ि तरी शरण चजहतज ह। सजिन क अनिकजर को जयोमत ि और अशजसनत को शजसनत ि बदल द, अपन भडक हए सिजमभिजन क आकरोश स हि सरमकत रख। त यमद कभी ककमपत भी होतज ह तो इसमलए मक मफर (अपन भकतो पर) परसननतज परकि कर। तर अमतररकत न कोई दसरी िजसतमिक सहजयक शसकत ह न शरण कज सरजन।

यह दआ िजग कर आप िककज की ओर चल पड परनत िधय ि नखलज नजिक सरजन पर रक गए। िहज ककछ मदन आरजि करक मफर आप िककज की ओर रिजनज हए, परनत अरब क मनयिजनसजर लडजई क कजरण िककज छोड दन क पशजत आप िककज-मनिजसी नही रह र। अब िककज िजलो कज अमिकजर रज मक ि आप को िककज ि आन दत यज न आन दत। इसमलए आप न िककज क एक सरदजर ितअि मबन अदी को सनदश भजज मक ि िककज ि परिश करनज चजहतज ह। कयज ति अरब क मनयिजनसजर िझ आन की अनिमत दत हो? ितअि कटटर शतर होन क बजिजद एक सशील सिभजि वयसकत रज। उसन उसी सिय अपन पतरो और पररजनो को सजर मलयज और सशसतर हो कर कज’बज क पररसर ि जज खडज हआ और आप को सनदश भजज मक िह आप को िककज ि आन की अनिमत दतज ह। आप न िककज ि परिश मकयज, कज’बज कज तिजफ (पररकरिज) मकयज और ितअि अपनी सनतजन और पररजनो क सजर, नगी तलिजर मलए हए आप को आप क घर तक पहचजन आयज। यह शरण नही री कयोमक इस

49 हजरत महममदस का पवितर जीिन

क पशजत िहमिद रसलललजह पर मनरनतर अतयजचजर होत रह तरज ितअि न आप की कोई सरकज नही की अमपत यह किल िककज ि परिश करन की मनयिजनसजर अनिमत री।

आपस. की इस यजतरज क सबि ि शतरओ को भी यह सिीकजर करनज पडज ह मक इस यजतरज ि आप न अमवितीय बमलदजन और िवया कज आदशा परदमशात मकयज ह। सर मिमलयि मयोर अपनी पसतक “िहमिद” ि मलखत ह —

“िहमिद (स.अ.ि.) की तजयफ-यजतरज ि एक उतकटि िीरतज कज रग पजयज जजतज ह। अकलज वयसकत मजस की अपनी जजमत न उस मतरसकजर की दसटि स दखज और उस बमहषकत कर मदयज। खदज क नजि पर खदजई मिशन को परसजररत करन क मलए िीरतज क सजर नवनिज क यनजह नबी की भजमत एक िमतापजक शहर स किज िजगी। यह बजत उसक उस ईिजन पर मक िह सिय को पणातयज खदज की ओर स सिझतज रज, एक परखर परकजश डजलती ह।”

िककज न पनः पीमडत करन और उपहजसो क विजर खोल मदए, खदज क नबी क मलए उस की िजतभमि पनः नकक कज निनज बनन लगी, परनत इस क बजिजद िहमिद (स.अ.ि.) मनभषीकतजपिाक लोगो को खदज की मशकज पहचजत रह। िककज क गली-कचो ि “खदज एक ह, खदज एक ह” क सिर गजत रह। परि स, पयजर स, भलजई स आप िककज िजलो को िमतापजज क मिरदध ििवोपदश दत रह। लोग भजगत र तो आप उनक पीछ जजत र; लोग िख फरत र तो आप मफर भी बजत सनजए चल जजत र। सचजई शनवः शनवः हदयो ि घर कर रही री। ि रोड स िसलिजन जो हबशज क परिजस स बच हए िककज ि रह गए र, ि अनदर ही अनदर अपन पररजनो, मितरो,

- The life of Mohammad पषठ-117

50हजरत महममदस का पवितर जीिन

सजमरयो ि परचजर कर रह र। ककछ क हदय ईिजन क परकजश स परकजमशत हो जजत तो अपन इसलजि की सजिाजमनक तौर पर घोरणज कर दत, परनत बहत र मजनहोन परकजश को तो दख मलयज परनत उनह उस सिीकजर करन कज सजिरया परजपत नही हआ रज। ि उस मदन की परतीकज कर रह र जब खदज की बजदशजहत परिी पर आए और ि उसि परिश कर।

मदीनला वलालो कला इललाम वीकलार करनलाइसी अिमि ि रसलललजह (स.अ.ि.) को खदज तआलज की ओर

स बजर-बजर सचनज दी जज रही री मक तमहजर परिजस कज सिय आ रहज ह तरज आप पर यह भी सपटि हो चकज रज मक आप क परिजस (महजरत) कज सरजन एक ऐसज शहर ह मजसि ककए भी ह और खजरो क बजग भी पजए जजत ह। आप न पहल यिजिज क सबि ि सिझज मक कदजमचत िह महजरत (परिजस) कज सरजन होगज, परनत आपक हदय स शीघर ही यह मिचजर मनकजल मदयज गयज और आपस. इस परतीकज ि लग गए मक खदज तआलज की भमिषयिजणी क अनसजर जो शहर भी मनसशत ह िह सिय को इसलजि कज कनदर बनजन क मलए परसतत करगज। इसी बीच हज कज सिय आ गयज। अरब क चजरो ओर स लोग िककज ि हज करन क मलए एकतर होन लग। िहमिद रसलललजह (स.अ.ि.) अपन सिभजि क अनसजर जहज ककछ लोगो को खडज दखत र उनक पजस जज कर उनह एकशवरिजद कज उपदश दन लग जजत र तरज खदज की बजदशजहत कज शभ सदश दत र तरज अतयजचजर, दरजचजर, उपदरि और शरजरत स बचन कज परिचन भी करत र। ककछ लोग आप की बजत सनत और आशया परकि करत हए अलग हो जजत। ककछ लोग बजत सन रह होत तो िककज िजल उनह िहज स हिज दत। ककछ लोग जो पहल स िककज िजलो की बजत सन चक होत ि हसी

-बखजरी बजब महजरतननबी सललललजहो िसललि

51 हजरत महममदस का पवितर जीिन

उडजकर आप स परक हो जजत। इसी अिसरज ि आपस. मिनज की घजिी ि मिचर रह र मक छः सजत लोग जो िदीनज मनिजसी र आप को मदखजई मदए। आप न उन स कहज— आप लोग मकस कबील स सबि रखत हो? उनहोन कहज— ‘खजरज’ कबील क सजर। आप न कहज— िही कबीलज जो यहमदयो कज हलीफ (दो सदसय मजनहोन परसपर सहजयतज की परमतजञज की हो) ह? उनहोन कहज हज। आप न फरिजयज— कयज आप लोग ककछ दर बवठ कर िरी बजत सनग? उन लोगो न चमक आप क बजर ि सनज हआ रज और हदय ि आप क दजि स एक सीिज तक रमच री, उनहोन आप की बजत सिीकजर कर ली और आप क सजर बवठ कर आपस. की बजत सनन लग। आप न उनह बतजयज मक खदज की बजदशजहत मनकि आ रही ह, िमतायज अब ससजर स मििज दी जजएगी, ससजर ि एकशवरिजद की सरजपनज कर दी जजएगी, नकी और सदजचजर कज एक बजर मफर ससजर ि बोल बजलज होगज। कयज िदीनज क लोग इस िहजन न’ित को सिीकजर करन क मलए तवयजर ह? उनहोन आप की बजत सनी और परभजमित हए और कहज— आप की मशकज को तो हि सिीकजर करत ह, शर रहज यह मक िदीनज इसलजि को शरण दन क मलए तवयजर ह यज नही, इसक मलए हि िदीनज जजकर अपनी जजमत स बजत करग, मफर हि अगल िरा अपनी जजमत कज मनणाय आप को बतजएग। य लोग िजपस गए और उनहोन अपन पररजनो और मितरो को आपस. की मशकज स अिगत करजयज उस सिय िदीनज ि दो अरब कबील ‘औस’ और खजरज रहत र और तीन यहदी कबील अरजात बन करजज, बननजीर और बन कनकजअ। औस और खजरज ि आपस ि िनििजि रज। बन-करजज और बन नजीर औस क सजर और बन कनकजअ खजरज क सजर मिल हए र। दीघा सियो स चल आ रह िन-ििजि क पशजत उनि यह अहसजस पवदज हो रहज रज मक हि परसपर िवतरी कर लनज चजमहए।

-इबन महशजि मजलद-पररि, पषठ 150-156

52हजरत महममदस का पवितर जीिन

अनततः परसपर मिचजर मििशा क पशजत यह मनणाय मलयज गयज मक अबदललजह मबन उबयय मबन सलल जो खजरज कज सरदजर रज उस समपणा िदीनज अपनज बजदशजह सिीकजर कर। यहमदयो क सजर सबिो क कजरण औस और खजरज बजइबल की भमिषयिजणी सनत रहत र। जब यहदी अपन सकिो और कटिो कज ितजनत सनजत तो उसक अनत ि यह भी कह मदयज करत र मक एक नबी जो िसज कज सिरप होगज परकि होन िजलज ह, उसकज सिय मनकि आ रहज ह। जब िह आएगज तो हि पनः एक बजर ससजर पर मिजय परजपत करग, यहमदयो क शतरओ कज मिनजश कर मदयज जजएगज। जब उन हजमजयो स िदीनज िजलो न िहमिद रसलललजह (स.अ.ि.) क दजि को सनज तो आपस. की सचजई उनक हदयो ि घर कर गई और उनहोन कहज — यह तो िही नबी िजलि होतज ह मजसकी यहदी हि खबर मदयज करत र। अतः बहत स यिक नबी करीि (स.अ.ि.) की मशकज की सचजई स परभजमित हए और यहमदयो स सनी हई भमिषयिजमणयज उनक ईिजन लजन ि सहजयक हई। अतः अगल िरा हज क अिसर पर िदीनज क लोग पनः आए। इस बजर िदीनज स बजरह लोग इस इरजद क सजर चल मक िह िहमिद रसलललजह (स.अ.ि.) क ििा ि ससमिमलत हो जजएग। उनि स दस ‘खजरज’ कबील क र और दो ‘औस’ क। ि आपस. स मिनज ि मिल और उनहोन आप क हजर पर इस बजत कज परण मकयज मक ि खदज क अमतररकत अनय मकसी की उपजसनज नही करग, ि चोरी नही करग, ि वयमभचजर नही करग, ि अपनी लडमकयो की हतयज नही करग, ि एक दसर पर झठ आरोप नही लगजएग, न ि खदज क नबी की अनय शभ मशकजओ की अिजञज करग। य लोग िजपस गए तो उनहोन अपनी जजमत ि और भी जोश क सजर परचजर आरमभ कर मदयज। िदीनज क घरो स िमतायज मनकजल कर बजहर फकी जजन लगी, िमतायो क आग नतिसतक होन िजल

-इबन महशजि मजलद-पररि, पषठ 150-156

53 हजरत महममदस का पवितर जीिन

लोग अब खदज क अमतररकत मकसी क सजिन झकन क मलए तवयजर न र और इस पर ि गिा अनभि कर रह र मक समदयो की मितरतज और समदयो क परचजर स जो पररितान ि न कर सक, इसलजि न िह पररितान ककछ ही मदनो ि कर मदयज। एकशवरिजद कज उपदश िदीनज-मनिजमसयो क हदयो ि घर करतज जजतज रज। एक क बजद एक लोग आत और िसलिजनो स कहत, हि अपन ििा की मशकज दो, परनत िदीन क निदीमकत िससलि न तो सिय इसलजिी मशकज स पणातयज पररमचत र और न उनकी सखयज इतनी री मक ि सवकडो और हजजरो लोगो को इसलजि क सबि ि मिसतजरपिाक बतज सक। इसमलए उनहोन िककज ि एक वयसकत भज कर परचजरक भजन कज मनिदन मकयज। रसल करीि (स.अ.ि.) न िसअबरमज. नजिक एक सहजबी को जो हबशज क परिजस स िजपस आए र िदीनज ि परचजर क मलए मभजिजयज। िसअबरमज. िककज क बजहर पहल इसलजिी परचजरक र।

इसरला (रलात की वसनल यलातरला)इनही मदनो खदज तआलज न िहमिद रसलललजह (स.अ.ि.) को आन

िजल सिय क सबि ि एक अनय भमिषयिजणी कज िहजन शभ सनदश सनजयज। आप को एक कशफ (अिा मनदरजिसरज) ि मदखजयज गयज मक आप यरशलि गए ह और नमबयो न आपकी अगिजई ि निजज पढी ह। यरशलि की वयजखयज िदीनज री जो भमिषय क मलए एक खदज की उपजसनज कज कनदर बनन िजलज रज और आपक पीछ नमबयो क निजज पढन की वयजखयज यह री मक मभनन-मभनन ििको क लोग आप क ििा ि ससमिमलत होग और आप कज ििा सजिाभौमिक हो जजएगज। यह सिय िककज क िसलिजनो क मलए मनतजनत कमठन रज और कटि चरि सीिज को पहच चक र। इस कशफ कज सनजनज िककज िजलो क मलए हसी और

-इबन महशजि मजलद-पररि, पषठ 138 तरज जरकजनी मजलद-पररि पषठ 306

54हजरत महममदस का पवितर जीिन

उपहजस कज एक नयज कजरण बन गयज तरज उनहोन परतयक सभज ि आपस. क इस कशफ पर उपहजस करनज आरमभ मकयज परनत कौन जजनतज रज मक निीन यरशलि कज मनिजाण आरमभ रज। परब और पसशि की जजमतयज कजन लगजए खदज क असनति नबी की आिजज सनन क मलए ततपर खडी री।

रहमयो की हवजय की भहवषयवलाणीइनही मदनो ि कसर और मकसरज क िधय एक भीरण यदध हआ और

मकसरज को मिजय परजपत हई। शजि ि ईरजनी सनजए फल गई, यरशलि नटि कर मदयज गयज, यहज तक मक ईरजनी सनजए यनजन और एमशयजई कोचक तक पहच गई तरज ईरजनी सनजपमतयो न बजसफोरस क आरमभ ि कसतनतमनयज स दस िील की दरी पर अपन तमब लगज मदए। इस घिनज पर िककज क लोगो न खमशयज िनजनज आरमभ मकयज और कहज मक खदज कज मनणाय परकि हो गयज ह। िमतापजक ईरजमनयो न ईसजइयो को परजमजत मकयज। उस सिय खदज तआलज की ओर स आपस. को सचनज दी गई मक —

अरजात रिी सनजए अरब क मनकिितषी दशो ि परजमजत हो गई ह परनत अपनी परजजय क पशजत उनह मिजय परजपत होगी ककछ िरको क अनदर-अनदर। खदज कज ही शजसन ससजर ि पहल भी परचमलत रज और भमिषय ि भी चलतज रहगज। जब िह मिजय की घडी आएगी उस सिय िोमिनो को भी खदज की कपज स परसननतज परजपत होगी। खदज मजनह चन लतज

(सरह रि 3 स 5)

55 हजरत महममदस का पवितर जीिन

ह उनकी सहजयतज करतज ह। िह बडज ही तजसिी और दयजल ह। यह उस खदज कज िजदज ह जो अपन िजदो ि फरबदल नही करतज, परनत अमिकजश लोग खदज की शसकतयो स अनमभजञ ह।

खदज न ककछ ही िरको क पशजत यह भमिषयिजणी परी कर दी। एक ओर रमियो न ईरजमनयो को परजमजत करक अपन दश को सिततर करज मलयज तरज दसरी ओर जवसज मक कहज गयज रज, उनही मदनो ि िसलिजनो कज िककज क लोगो क मिरदध मिजयो कज मसलमसलज परजरमभ हआ, जब मक िककज क लोग यह सिझ रह र मक उनहोन लोगो को िसलिजनो की बजत सनन स रोक कर और िसलिजनो पर अतयजचजर करन पर उतमजत करक इसलजि कज अनत कर मदयज ह। खदज की िजणी मनरनतर इसलजि की मिजयो की सचनजए द रही री और बतज रही री मक िककज िजलो क मिनजश कज सिय मनकि स मनकितर आ रहज ह। अतः उनही मदनो ि िहमिद रसलललजह (स.अ.ि.) न बड सशकत शबदो ि खदज तआलज की इस िहयी (ईशिजणी) की घोरणज की मक —

अरजात िककज िजल कहत ह मक कयो िहमिद (स.अ.ि.) अपन रबब क पजस स कोई मनशजन हिजर मलए नही लजतज। कयज पहल नमबयो की भमिषयिजणी जो उसक पक ि ह ि उन क मलए पयजापत मनशजन नही ह। यमद हि अपन सनदश स पणा रप स अिगत मकए मबनज िककज िजलो को तबजह कर दत तो िककज िजल कह सकत र मक ह हिजर रबब ! तन कयो

(तज हज 134-136)

56हजरत महममदस का पवितर जीिन

हिजरी ओर रसल न भजज मक हि अपन िजन-समिजन छीन जजन पर मतरसकत होन स पिा तर आदशो कज पजलन करत। त कह द ! परतयक वयसकत क मलए एक सिय मनसशत ह मजसकी उस परतीकज करनज पडती ह। अतः ति भी उस सिय की परतीकज करो जब सिझजन कज परयजस चरि सीिज को पहच जजएगज तब ति मनशय ही जजन लो मक खदज तआलज क दशजाए सीि िजगा पर कौन चल रहज ह।

खदज तआलज की परमतमदन नई िजणी आ रही री जो इसलजि की उननमत और कजमफरो क मिनजश की खबर द रही री। एक ओर िककज िजल अपनी शसकत और िवभि को दखत र और दसरी ओर िहमिद (स.अ.ि.) और उनक सजमरयो की किजोरी को दखत र और मफर िहमिद (स.अ.ि.) की िहयी ि खदज तआलज की सहजयतज और िसलिजनो की सफलतजओ की खबर पढत र तो आशया चमकत होकर सोचत र मक कयज ि पजगल हो गए ह यज िहमिद (रसलललजह स.अ.ि.) पजगल हो गयज ह। िककज िजल तो य आशजए लगजए बवठ र मक हिजर अतयजचजरो और हिजरी अनयजयपणा िटितज क कजरण अब िसलिजनो को हतजश हो कर हिजरी ओर आ जजनज चजमहए तरज िहमिद (रसलललजह स.अ.ि.) को सिय भी और उनक सजमरयो को भी उनक दजि ि सनदह पवदज हो जजन चजमहए जब मक िहमिद रसलललजह (स.अ.ि.) यह घोरणज कर रह र —

(सरह हजककह 41 स 53)

57 हजरत महममदस का पवितर जीिन

ह िककज िजलो ! मजन मिचजरो ि ति पड हो िह उमचत नही। ि शपर खज कर कहतज ह उन िसतओ की जो तमह मदखजई द रही ह और उनकी भी जो अभी तमहजरी मनगजहो स ओझल ह मक यह कआान एक आदरणीय नबी क िख स तमह सनजयज जज रहज ह, यह मकसी कमि की िजणी नही परनत तमहजर हदय ि ईिजन कि ही पवदज होतज ह। यह मकसी जयोमतरी की तकबनदी नही ह। परनत खद ति कि ही नसीहत परजपत करत हो। यह सिसत लोको क सटिज खदज की ओर स उतजरज गयज ह और हि जो सिसत लोको क परमतपजलक ह ति स कहत ह मक यमद यह एक आयत भी झठी बनज कर हि स समबदध करतज तो हि उस दजमहन हजर स पकड लत और मफर उसकी कठ-ििनी (शजह रग) कजि दत और यमद ति सब इकट होकर भी उस बचजनज चजहत तो न बचज सकत, परनत यह कआान तो खदज स डरन िजलो क मलए एक नसीहत ह और हि जजनत ह मक ति ि इस कआान क झठलजन िजल भी िौजद ह, परनत हि यह भी जजनत ह मक उसकी मशकज उसक इनकजर करन िजलो क हदयो ि ईषयजा को जनि द रही ह और ि कह रह ह मक कजश यह मशकज हिजर पजस होती ! हि यह भी जजनत ह मक जो बजत इस कआान ि बतजई गई ह ि अकरशः परी होकर रहगी। अतः ह िहमिद (स.अ.ि.) इन लोगो क मिरोिो की परिजह न कर तरज अपन िहजनति रबब क नजि की िमहिज कज गजन करतज चलज जज।

अनततः तीसरज हज भी आ पहचज तरज िदीनज क हजमजयो कज जतरज िसलिजनो की एक बडी सखयज पर आिजररत िककज ि आयज। िककज िजलो क मिरोि क कजरण िदीनज क लोगो न िहमिद रसलललजह (स.अ.ि.) स परक रप स मिलन की इचछज परकि की। अब िहमिद रसलललजह (स.अ.ि.) को भी इस बजत कज आभजस हो चकज रज मक शजयद महजरत (परिजस) िदीनज की ओर ही मिमि-मलमखत ह। आप न अपन मिशवसत पररजनो क सजिन अपन मिचजर रख और उनहोन आपस. को सिझजनज

58हजरत महममदस का पवितर जीिन

आरमभ मकयज मक आप ऐसज न कर। िककज िजल शतर ही सही मफर भी उस ि आप क पररजनो ि स बड-बड परभजिशजली लोग िौजद ह। न िजलि िदीनज ि कयज हो और िहज आप क पररजन आप की सहजयतज कर सक यज न कर सक परनत चमक आप सिझ चक र मक खदज कज मनणाय यही ह। आप न अपन पररजनो की बजतो को असिीकजर कर मदयज और िदीनज जजन कज मनणाय कर मलयज।

अिा रजमतर क पशजत अकिज घजिी ि िहमिद रसलललजह (स.अ.ि.) और िदीनज क िसलिजन एकतर हए। अब आप क सजर आपक चजचज अबबजस भी र। इस बजर िदीनज क िसलिजनो की सखयज मतहतर री। उनि स बजसठ ‘खजरज’ कबील क र और गयजरह ‘औस’ क र इस दल ि दो ससतरयज भी ससमिमलत री मजन ि स एक बनी नजजर कबील की उमि अमिजरःरमज. भी री। चमक िसअबरमज. क विजरज उन लोगो तक इसलजि की मिसतत मशकज पहच चकी री, य लोग ईिजन और मिशवजस स पररपणा र। बजद की घिनजओ न सपटि कर मदयज मक य लोग भमिषय ि इसलजि क सतमभ मसदध होन िजल र। उमि अमिजरःरमज. जो उस मदन ससमिमलत हई, उनहोन अपनी सनतजन ि इसलजि परि की भजिनज इस सीिज तक भर दी री मक उनकज बिज हबीबरमज. जब रसलललजह (स.अ.ि.) क सिगािजस क पशजत िसवमलिज कजजजब की सनज क विजरज कद मकयज गयज तो िसवमलिज न उस बलज कर पछज मक कयज त गिजही दतज ह मक िहमिद (स.अ.ि.) अललजह क रसल ह? हबीबरमज. न कहज हज ! मफर िसवमलिज न कहज— कयज त गिजही दतज ह मक ि अललजह कज रसल ह? हबीबरमज. न कहज— नही। इस पर िसवमलिज न आदश मदयज मक उनकज एक अग कजि मदयज जजए। तब िसवमलिज न पनः उस स पछज— कयज त गिजही दतज ह मक िहमिद अललजह क रसल ह? हबीबरमज. न कहज हज ! मफर उसन

-इबन महशजि मजलद-पररि, पषठ 154

59 हजरत महममदस का पवितर जीिन

कहज— कयज त गिजही दतज ह मक ि अललजह कज रसल ह? हबीबरमज. न कहज— नही ! मफर उसन आपरमज. कज एक दसरज अग कजिन कज आदश मदयज। परतयक अग कजिन क पशजत िह परशन करतज जजतज रज मक कयज त गिजही दतज ह मक ि अललजह कज रसल ह और हबीबरमज. कहतज रज मक नही। इस परकजर उसक सिसत अग कजि गए तरज अनत ि इसी परकजर िकड-िकड होकर अपन ईिजन की घोरणज करत हए िह खदज स जज मिलज। उमि अमिजरःरमज. सिय रसलललजह (स.अ.ि.) क सजर बहत स यदधो ि ससमिमलत हई। अतः यह एक शदध ईिजन िजलज दल रज मजस क सदसय िहमिद रसलललजह (स.अ.ि.) स िन-दौलत िजगन नही आए र अमपत किल ईिजन िजगन आए र। अबबजसरमज. न उनह समबोमित करत हए कहज— ह खजरज कबील क लोगो ! यह िरज मपरयजन अपनी जजमत ि परमतषठजिजन ह, उसकी जजमत क लोग चजह ि िसलिजन ह अरिज नही उसकी रकज करत ह, परनत अब उसन मनणाय मकयज ह मक िह तमहजर पजस जजए। ह ‘खजरज’ क लोगो ! यमद यह तमहजर पजस गयज तो समपणा अरब तमहजरज मिरोिी हो जजएगज। यमद ति अपन दजमयति को सिझत तरज उन खतरो को पहचजनत हए जो तमह उस क ििा की सरकज ि तमहजर सजिन आन िजल ह उस ल जजनज चजहत हो तो खशी स लो जजओ अनयरज इस इरजद स हि जजओ। इस दल क सरदजर ‘अलबरज’ र। उनहोन कहज— हि न आप की बजत सन ली। हि अपन सकलप ि दढ ह, हिजर परजण खदज क नबी क चरणो पर नयोछजिर ह। अब उसकज जो भी मनणाय ह हि उसकज परतयक मनणाय सिीकजर करग। इस पर रसल करीि (स.अ.ि.) न उनह इसलजिी मशकज क सबि ि सिझजनज आरमभ मकयज तरज खदज तआलज क एक होन की आसरज हदय ि मबठजन कज उपदश मदयज और उनह कहज मक यमद ि इसलजि की सरकज अपनी पसतनयो तरज अपनी सनतजन की तरह करन कज परण करत ह तो िह आप क सजर जजन क मलए तवयजर ह। अभी

60हजरत महममदस का पवितर जीिन

आप अपनी बजत सिजपत नही कर पजए र मक िदीनज क बहतर सरफरोश (परजणो की बजजी लगजन िजल लोग) सहित होकर एक सिर ि मचललजए हज! हज!! उस सिय भजिजिग ि उनह िककज िजलो क उतपजतो कज धयजन न रहज तरज उन की आिजज िजतजिरण ि गज गई। अबबजसरमज. न उनह सतकक मकयज और कहज— खजिोश ! ऐसज न हो मक िककज क लोगो को इस घिनज कज पतज लग जजए!! परनत ि ईिजन परजपत कर चक र, अब ितय उनकी दसटि ि तचछ हो चकी री। अबबजसरमज. की बजत सनकर उनकज एक सरदजर बोलज— ह अललजह क रसल ! हि डरत नही, आप आजञज दीमजए हि अभी िककज िजलो स लडकर उन क विजरज आपस. पर मकए गए अतयजचजरो कज बदलज लन क मलए तवयजर ह। रसलललजह (स.अ.ि.) न फरिजयज— अभी अललजह तआलज न िझ उन क िकजबल पर खडज होन कज आदश नही मदयज। ततपशजत िदीनज क लोगो न आप की बवअत की (अरजात दीमकत हए) और सभज सरमगत हई।

िककज क लोगो को इस घिनज की उडती खबर पहच गई तरज ि िदीन क सरदजरो क पजस मशकजयत लकर पहच गए परनत चमक अबदललजह मबन उबयय मबन सलल िदीन क जतर कज सरदजर रज तरज उस सिय इस घिनज कज जञजन नही रज। इसमलए उसन उनह सजतिनज दी और कहज मक उनहोन यो ही कोई झठी मनरजिजर बजत सन ली ह। ऐसी कोई घिनज नही घिी कयोमक िदीनज क लोग िझ स परजिशा मकए मबनज कोई कजया नही कर सकत। परनत िह कयज सिझतज रज मक अब िदीनज क लोगो क हदयो ि शवतजन क सरजन पर खदज तआलज की बजदशजहत सरजमपत हो चकी री !!! ततपशजत िदीनज कज जतरज िजपस चलज गयज।

मककला स मदीनला की ओर हहजरत (पलजयन)रसल करीि (स.अ.ि.) और आपक सजमरयो न महजरत की तवयजरी

61 हजरत महममदस का पवितर जीिन

आरमभ कर दी। एक क बजद एक खजनदजन िककज स लपत होन आरमभ हए और अब ि लोग भी जो खदज तआलज की बजशजहत की परतीकज कर रह र मनडर हो गए। कई बजर एक ही रजत ि िककज की एक परी गली क िकजनो को तजल लग जजत र और परजतः कजल जब शहर क लोग गली को सनसजन पजत तो पछन पर िजलि होतज रज मक इस गली क सिसत लोग िदीनज की ओर महजरत कर गए ह तरज इसलजि क इस अदभत परभजि को दख कर जो िककज िजलो ि अनदर ही अनदर फल रहज रज ि सतबि रह जजत र।

अनततः िककज िसलिजनो स खजली हो गयज, किल ककछ दजस, सिय रसलललजह (स.अ.ि.), हजरत अब बकररमज. और हजरत अलीरमज. िककज ि रह गए। जब िककज क लोगो न दखज मक अब मशकजर हिजर हजर स मनकलज जज रहज ह तो सरदजर पनः एकतर हए तरज परजिशा करन क पशजत उनहोन यह मनणाय मकयज मक अब िहमिद (रसलललजह स.अ.ि.) कज िि कर दनज ही उमचत ह। खदज तआलज क मिशर चितकजर स आप कज िि करन की मतमर आप की महजरत की मतमर क अनकल पडी। जब िककज क लोग आपक घर क सजिन आप कज िि करन क मलए एकतर हो रह र, आपस. रजत क अिर ि महजरत क इरजद स अपन घर स बजहर मनकल रह र। िककज क लोग अिशय सनदह करत होग मक उनक इरजद की सचनज िहमिद रसलललजह (स.अ.ि.) को भी मिल चकी होगी, परनत मफर भी जब आप उनक सजिन स गजर तो उनहोन यही सिझज मक यह कोई अनय वयसकत ह और आप पर आकरिण करन क सरजन पर मसिि-मसिि कर आपस. स छपन लग गए तजमक उनक इरजदो की सचनज िहमिद (स.अ.ि.) को न पहच जजए। उस रजत स एक मदन पिा ही अब बकररमज. को भी आप क सजर महजरत करन की सचनज द दी गई री अतः िह भी आपस. को मिल गए। दोनो मिलकर रोडी दर ि िककज स रिजनज हो गए तरज

62हजरत महममदस का पवितर जीिन

िककज स तीन-चजर िील पर ‘सौर’ नजिक पहजडी क एक मसर पर एक गफज ि शरण ली। जब िककज क लोगो को िजलि हआ मक िहमिद (रसलललजह स.अ.ि.) िककज स चल गए ह तो उनहोन एक सनज एकतर की तरज आप कज पीछज मकयज। उनहोन एक खोजी अपन सजर मलयज जो आप की खोज लगजत हए ‘सौर’ पिात पर पहचज। उसन िहज उस गफज क पजस पहच कर जहज आपस. अब बकररमज. क सजर छप हए र, पणा मिशवजस क सजर कहज मक यज तो िहमिद (स.अ.ि.) इस गफज ि ह यज आकजश पर चढ गयज ह। उस की इस घोरणज को सन कर अब बकररमज.

कज हदय बवठन लगज और उनहोन िीि सिर ि रसलललजह (स.अ.ि.) स कहज— शतर सर पर आ पहचज ह और अब ककछ ही कणो ि गफज ि परिश करन िजलज ह। आपस. न फरिजयज— معنا الل

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डरो नही खदज हि दोनो क सजर ह। अब बकररमज. न उतर ि कहज— ह अललजह क रसल ! ि अपन परजणो क मलए नही डरतज कयोमक ि तो एक सजिजरण वयसकत ह, िजरज गयज तो एक वयसकत ही िजरज जजएगज। ह अललजह क रसल ! िझ तो किल यह भय ह मक यमद आप क परजण को कोई आघजत पहचज तो ससजर स आधयजसतिकतज और ििा कज नजि मिि जजएगज। आपस. न फरिजयज— कोई परिजह नही, यहज हि दो ही नही तीसरज खदज भी हिजर सजर ह। चमक अब सिय आ पहचज रज मक खदज तआलज इसलजि को बढजए और उननमत द। िककज िजलो क मलए छि कज सिय सिजपत हो चकज रज। खदज तआलज न िककज िजलो की आखो पर पदजा डजल मदयज तरज उनहोन खोजी स उपहजस आरमभ कर मदयज और कहज— कयज उनहोन इस खल सरजन पर शरण लनज री, यह कोई शरण कज सरजन नही ह मफर यहज सजप मबचछओ की बहतजत ह, यहज कौन सिझदजर वयसकत शरण ल

-बखजरी बजब महजरतननबी सललललजहो अलवमह िसललि - बखजरी बजब िनजमकबल िहजमजरीन।

63 हजरत महममदस का पवितर जीिन

-जरकजनी मजलद पररि, पषठ 328 िसद अहिद तरज मतरमिजी क हिजल स।

सकतज ह तरज गफज ि झजक मबनज ही खोजी की मखलली उडजत हए िजपस लौि। दो मदन उसी गफज ि परतीकज करन क पशजत पिा मनिजाररत योजनज क अनसजर रजमतर क सिय गफज क पजस सिजररयज पहचजई गई तरज दो तीवरगजिी ऊिमनयो पर िहमिद रसलललजह (स.अ.ि.) और आप क सजरी रिजनज हए। एक ऊिनी पर िहमिद रसलललजह (स.अ.ि.) और आप को िजगा मदखजन िजलज वयसकत सिजर हआ और दसरी ऊिनी पर हजरत अब बकररमज. और उन क नौकर आमिर मबन फकहरज सिजर हए।

िदीनज की ओर परसरजन करन स पिा रसल करीि (स.अ.ि.) न अपनज िख िककज की ओर मकयज, उस पमितर शहर ि मजसि आपन जनि मलयज मजसि आप कज अितरण हआ और मजसि हजरत इसिजईल अलवमहससलजि क यग स आपक पिाज रहत चल आए र, आप न असनति दसटि डजली और बड दःख क सजर शहर को समबोमित करत हए फरिजयज— ह िककज की बसती ! त िझ सब सरजनो स अमिक मपरय ह परनत तर लोग िझ यहज रहन नही दत। उस सिय हजरत अब बकररमज. न भी मनतजनत खद क सजर कहज — इन लोगो न अपन नबी को मनकजलज ह अब य अिशय तबजह होग।

महममद (स.अ.ि.) को पकडन क हलए सरलाकला दलारला पीछला हकयला जलानला तथिला उसक सबध म

आपस. की एक भहवषयवलाणी

जब िककज िजल आप की खोज ि असफल रह तो उनहोन घोरणज कर दी मक जो कोई िहमिद (रसलललजह स.अ.ि.) यज अब बकररमज. को जीमित यज ित िजपस ल आएगज तो उस सौ ऊिमनयज परसकजर सिरप

64हजरत महममदस का पवितर जीिन

दी जजएगी। इस घोरणज की सचनज िककज क आस-पजस क कबीलो को पहचज दी गई। अतः सरजकज मबन िजमलक एक बदद सरदजर इस परसकजर क लजलच ि आप क पीछ रिजनज हआ। खोज लगजत-लगजत उसन आप को िदीनज क िजगा पर जज मलयज। जब उस न दो ऊिमनयो और उन क सिजरो को दखज तरज सिझ मलयज मक िहमिद रसलललजह (स.अ.ि.) और उनक सजरी ह। उसन अपनज घोडज उनक पीछ दौडज मदयज, परनत िजगा ि घोड न जोर स ठोकर खजई और सरजकज मगर गयज। सरजकज बजद ि िसलिजन हो गयज रज। िह अपनज ितजनत सिय इस परकजर िणान करतज ह— जब ि घोड स मगरज तो िन अरबो क मनयिजनसजर अपन तीरो स शककन मनकजलज और शककन अशभ मनकलज परनत परसकजर क लजलच क कजरण ि पनः घोड पर सिजर हो कर उनक पीछ दौडज। रसल करीि (स.अ.ि.) ियजादजपिाक अपनी ऊिनी पर सिजर चल जज रह र। उनहोन िड कर िझ नही दखज परनत हजरत अब बकररमज. (इस भय स मक रसल करीि (स.अ.ि.) को कोई आघजत न पहच) बजर-बजर िह फरकर दखत र। जब दसरी बजर ि उनक मनकि पहचज तो पनः िर घोड न जोर स ठोकर खजई और ि मगर गयज। इस पर पनः िन अपन तीरो स शककन मनकजलज और शककन अशभ मनकलज। िन दखज मक घोड क पवर रत ि इतन अमिक िस गए मक उनकज मनकजलनज कमठन हो रहज रज। तब िन सिझज मक य लोग खदज की सरकज ि ह। िन उनह आिजज दी मक ठहरो और िरी बजत सनो ! जब ि लोग िर पजस आए तो िन उनह बतजयज मक ि यहज इस इरजद स आयज रज, परनत अब िन अपनज इरजदज बदल मदयज ह और अब िजपस जज रहज ह कयोमक िझ मिशवजस हो गयज ह मक खदज तआलज आप लोगो क सजर ह। रसल करीि (स.अ.ि.) न फरिजयज— बहत अचछज, जजओ, परनत दखो मकसी को हिजर बजर ि समचत न करनज। उस सिय िर हदय ि मिचजर आयज मक चमक यह वयसकत सचज िजलि

65 हजरत महममदस का पवितर जीिन

होतज ह इसमलए अिशय ही एक मदन सफल होगज। इस मिचजर क आन पर िन मनिदन मकयज मक जब आप को परभति परजपत होगज उस सिय क मलए िझ कोई सरकज कज परपतर मलख द। आप न हजरत अब बकर क सिक अजमिर मबन फहरज को आदश मदयज मक इस अभयदजन पतर मलख मदयज जजए। अतः उनहोन अभयदजन पतर मलख मदयज। जब सरजकज लौिन लगज तो उसी सिय अललजह तआलज न आप पर सरजकज की भजिी पररससरमतयज परोक स परकि कर दी, उनक अनसजर आप न उस फरिजयज— सरजकज उस सिय कयज हजल होगज जब तर हजरो ि ‘मकसज’ क कगन होग। सरजकज न सतबि हो कर पछज मकसज मबन हरिज ईरजन क बजदशजह क? आपस. न फरिजयज— हज। आप की यह भमिषयिजणी लगभग सोलह, सतरह िरा क पशजत अकरशः परी हई। सरजकज िसलिजन होकर िदीनज आ गयज। रसल करीि (स.अ.ि.) क ितयोपरजनत पहल हजरत अब बकररमज. मफर हजरत उिररमज. खलीफज हए। इसलजि की बढती हई परमतषठज दख कर ईरजमनयो न िसलिजनो पर आकरिण आरमभ कर मदए और इसलजि क ककचलन क सरजन पर इसलजि क िकजबल ि सिय ककचल गए। मकसज की रजजिजनी इसलजिी सनजओ क घोडो की िजपो स रौदी गई तरज ईरजन क खजजन िसलिजनो क कबज ि आए। उस ईरजनी शजसन कज जो िजल इसलजिी सनजओ क अमिकजर ि आयज उसि ि कगन भी र मजनह मकसज ईरजनी मनयि क अनसजर रजज मसहजसन पर बवठत सिय पहनज करतज रज। सरजकज िसलिजन होन क पशजत अपनी इस घिनज को जो रसल करीि (स.अ.ि.) की महजरत क सिय उसक सजिन आई री िसलिजनो को बड गिा क सजर सनजयज करतज रज तरज िसलिजन इस बजत स अिगत र मक रसल करीि (स.अ.ि.) न उस समबोमित करक फरिजयज रज—

-बखजरी बजब महजरतननबी सललललजहो अलवमह िसललि। -अससीरतल हलमबययह मजलद मवितीय पषठ-50

66हजरत महममदस का पवितर जीिन

सरजकज उस सिय तरज कयज हजल होगज जब तर हजर ि मकसज क कगन होग। हजरत उिररमज. क सजिन जब परजमजत शतर स जबत मकए हए िजल लजकर रख गए तरज उसि उनहोन मकसज क कगन दख तो सजरज दशय आप की आखो क सजिन घि गयज। िह अशकत और मनबालतज कज सिय जब खदज क रसल को अपनी जनिभमि छोड कर िदीनज आनज पडज रज, िह ‘सरजकज’ और अनय लोगो कज आपक पीछ इसमलए घोड दौडजनज मक आप कज िि करक यज जीमित मकसी भी अिसरज ि िककज िजलो तक पहचज द तो ि सौ ऊिो क सिजिी हो जजएग, उस सिय आप कज ‘सरजकज’ स कहनज— सरजकज उस सिय तरज कयज हजल होगज जब तर हजरो ि मकसज क कगन होग। मकतनी बडी भमिषयिजणी री मकतनज उजिल भमिषय रज। हजरत उिररमज. न अपन सजिन मकसज क कगन दख तो उनकी आखो क सजिन खदज की कदरत घि गई। उनहोन कहज— ‘सरजकज’ को बलजओ। सरजकज बलजए गए तो हजरत उिररमज. न उनह आदश मदयज मक िह मकसज क कगन अपन हजरो ि पहन। सरजकज न कहज— ह खदज क रसल क खलीफज ! िसलिजनो क मलए सोनज पहननज िमजात ह। हजरत उिररमज. न फरिजयज— हज िमजात तो अिशय ह परनत इन अिसरो क मलए नही। अललजह तआलज न िहमिद रसलललजह (स.अ.ि.) को तमहजर हजर ि सोन क कगन मदखजए र, यज तो ति यह कगन पहनोग यज ि तमह दणड दगज। सरजकज की आपमत तो िजतर शरीअत की सिसयज क कजरण री अनयरज िह सिय भी रसल करीि (स.अ.ि.) की भमिषयिजणी को परज होत दखन क मलए उतसक रज। सरजकज न ि कगन अपन हजरो ि पहन मलए िसलिजनो न इस िहजन भमिषयिजणी को परज होत अपनी आखो स दखज। िककज स भजग कर मनकलन िजलज रसल अब ससजर कज बजदशजह रज। िह सिय इस ससजर ि िौजद नही रज परनत इसलजि क दजस उसकी भमिषयिजणी को पणा होत दख रह र।

67 हजरत महममदस का पवितर जीिन

महममद (स.अ.व.) कला मदीनला म परवशसरजकज को मिदज करन क पशजत ककछ दरी तय करक रसल करीि

(स.अ.ि.) िदीनज पहच गए। िदीनज क लोग बडी उतसकतज क सजर आप की परतीकज कर रह र तरज इसस बढकर उनकज सौभजगय और कयज हो सकतज रज मक िह सया जो िककज स मनकलज और िदीनज क लोगो पर जजकर उदय हआ।

जब िदीनज िजमसयो को सचनज मिली मक रसलललजह (स.अ.ि.) िककज स गजयब ह तो ि उसी मदन स आप की परतीकज कर रह र। उनक सिह परमतमदन िदीनज स बजहर कई िील तक आप की खोज ि मनकलत र और सजय कजल मनरजश होकर िजपस आ जजत र। जब आप िदीनज क पजस पहच तो आपन मनणाय मकयज मक आप पहल ‘कबज’ ि (िदीन क पजस कज एक गजि) ठहर। एक यहदी न आप की ऊिमनयो को आत दखज तो सिझ गयज मक यह कजमफलज िहमिद रसलललजह (स.अ.ि.) कज ह। िह एक िील पर चढ गयज और उसन आिजज दी। ह कलज की सनतजन! (कलज िदीन िजलो की एक घजिी री) ति मजसकी परतीकज ि र िह आ गयज ह। इस आिजज क सनत ही िदीन कज हर वयसकत ‘कबज’ की ओर दौड पडज। ‘कबज’ मनिजसी इस मिचजर स मक खदज कज नबी उनि ठहरन क मलए आयज ह खशी स फल न सिजत र।

इस अिसर पर एक बजत ऐसी हई जो रसल करीि (स.अ.ि.) की सजदगी पर परकजश डजलती री। िदीन क अमिकतर लोग आप की शकल स पररमचत न र। जब ‘कबज’ स बजहर आप एक िक क नीच बवठ र और लोग दौडत हए िदीन स आप की ओर आ रह र तो चमक रसलललजह (स.अ.ि.) अतयमिक सजदगी स बवठ हए र उनि स अपररमचत लोग हजरत अब बकररमज. को दख कर जो आय ि यदमप छोि र, परनत उनकी

68हजरत महममदस का पवितर जीिन

दजढी ि ककछ सफद बजल आए हए र और इसी परकजर उनकज मलबजस रसल करीि (स.अ.ि.) क मलबजस स ककछ अचछज रज यही सिझत र मक अब बकररमज. रसलललजह (स.अ.ि.) ह बडी शजलीनतज स आप की ओर िख करक बवठ जजत र। हजरत अब बकर न जब यह बजत दखी तो सिझ मलयज मक लोगो को गलती लग रही ह। िह तरनत चजदर फलजकर सरज क सजिन खड हो गए और कहज— ह अललजह क रसल! आप पर िप पड रही ह, ि आप पर छजयज करतज ह और उनहोन इस उति उपजय विजरज लोगो को उनकी गलती कज आभजस करज मदयज। ‘कबज’ ि दस मदन रहन क पशजत िदीनज क लोग रसल करीि (स.अ.ि.) को िदीनज ल गए। जब आप न िदीनज ि परिश मकयज तो िदीनज क सिसत िसलिजन कयज परर तरज कयज ससतरयज और कयज बच सब गमलयो ि खड अमभननदन कर रह र। बच और ससतरयज य कजवय-पसकतयज गज रह र।

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अरजात चौदहिी रजत (पमणािज) कज चनदरिज हि पर ‘िदजअ’ क िोड स चढज ह और जब तक खदज स ओर सो बलजन िजलज ससजर ि कोई िौजद रह, हि पर इस उपकजर की कतजञतज अमनिजया ह और ह िह मजस खदज न हि ि भजज ह तर आदश कज पणारप स पजलन मकयज जजएगज।

रसल करीि (स.अ.ि.) न मजस ओर स िदीनज ि परब की ओर स परिश नही मकयज रज परनत चौदहिी रजत (पमणािज) कज चनदरिज तो परब स चढज करतज ह। अतः िदीनज क लोगो कज सकत उस ओर रज मक िजसतमिक चनदरिज तो आधयजसतिक चनदरिज ह। हि अब तक अिकजर ि

-बखजरी बजब-महजरतननबी सललललजहो अलवमह िसललि ि असहजमबही इलल िदीनः।-जरकजनी मजलद पररि, पषठ-35

69 हजरत महममदस का पवितर जीिन

र। अब हिजर मलए चनदरिज चढज ह और चनदरिज भी उस ओर स चढज ह मजस ओर स िह चढज नही करतज। यह सोििजर कज मदन रज जब रसल करीि (स.अ.ि.) न िदीनज ि परिश मकयज और सोििजर क मदन ही आप गजर-सौर (सौर की गफज) स मनकल र। यह बडी मिमचतर बजत ह मक सोििजर ही क मदन आप क विजरज िककज मिजय हआ। जब आप न िदीनज ि परिश मकयज तो परतयक वयसकत की यही अमभलजरज री मक आप उसक घर ि ठहर। आपकी ऊिनी मजस-मजस गली ि गजरती री उस गली क मभनन-मभनन पररिजर अपन घरो क आग खड होकर रसलललजह सललललजहो अलवमह िसललि कज अमभननदन करत र और कहत र— ह अललजह क रसल ! यह हिजरज घर ह और यह हिजरज िजल ह और य हिजर परजण ह जो आप की सिज क मलए उपससरत ह। ह अललजह क रसल ! हि आप की रकज करन क योगय ह आप हिजर ही पजस ठहर। ककछ लोग जोश ि आग बढत और आप की ऊिनी की बजग पकड लत तजमक आपको अपन घर ि उतजर ल, परनत आप परतयक वयसकत को यही उतर दत मक िरी ऊिनी को छोड दो यह आज खदज तआलज क आदश पर ह। यह िही खडी होगी जहज खदज की इचछज होगी।

अनततः िदीनज क एक मसर पर बन नजजर क अनजरो की एक भमि क पजस जजकर ऊिनी रक गई। आपन फरिजयज— खदज की यही इचछज िजलि होती री मक हि यहज ठहर। पनः फरिजयज— यह भमि मकस की ह? भमि ककछ अनजरो की री, उन कज अमभभजिक आग बढज और उस न कहज— अललजह क रसल ! यह अिक-अिक अनजर की भमि ह तरज आप की सिज क मलए उपससरत ह। आप न फरिजयज— हि मकसी कज िजल िफत नही ल सकत। अतः उस कज िलय मनिजाररत मकयज गयज तरज आप न उस सरजन पर िससजद और अपन िकजन बनजन कज मनणाय मकयज।

70हजरत महममदस का पवितर जीिन

हजरत अब अययबरहज. अनसलारी क मकलान पर ठहरनलाततपशजत आप न फरिजयज— सब स मनकि मकस कज घर ह?

अब अययब अनसजरी आग बढ और कहज— ह अललजह क रसल ! िरज घर सबस मनकि ह तरज आप की सिज क मलए उपससरत ह। आप न फरिजयज— घर जजओ और हिजर मलए कोई किरज तवयजर करो। अब अययब कज िकजन दो िमजलज रज, उनहोन रसलललजह (स.अ.ि.) क मलए ऊपर की िमजल परसतजमित की परनत आप न इस मिचजर स मक मिलन िजलो को कटि होगज नीच की िमजल पसनद की।

अनसजर को रसल करीि (स.अ.ि.) क अससतति स अतयमिक परि हो गयज रज, इस कज परदशान इस अिसर पर भी हआ । रसलललजह (स.अ.ि.) क आगरह पर हजरत अब अययब िजन तो गए मक आप मनचली िमजल ि ठहर, परनत सजरी रजत पमत-पतनी इस मिचजर स जजगत रह मक रसलललजह सललललजहो अलवमह िसललि उन क नीच सो रह ह अतः ि मकस परकजर ऐसी अमशटितज कर सकत ह मक ि छत क ऊपर सोए। रजत को एक पजनी कज बतान मगर गयज तो इस मिचजर स मक छत क नीच पजनी न िपकन लग हजरत अब अययबरमज. न दौड कर अपनज मलहजफ उस पजनी पर डजल कर पजनी की तरलतज को सखजयज। परजतः कजल ि रसलललजह (स.अ.ि.) की सिज ि उपससरत हए और सजरज ितजनत सनजयज मजस पर रसल करीि (स.अ.ि.) न ऊपरी िमजल पर जजनज सिीकजर कर मलयज। मफर हजरत अब अययबरमज. परमतमदन भोजन तवयजर करत और आप क पजस भजत, मफर जो आप कज बचज हआ भोजन आतज िह सजरज घर खजतज। ककछ मदनो क पशजत आगरह करक शर अनसजर न भी अमतमर-सतकजर ि अपन भजग की िजग की और जब तक रसल करीि सललललजहो अलवमह िसललि क अपन घर कज परबि न हो गयज िदीनज क िसलिजन बजरी-बजरी आपस. क

71 हजरत महममदस का पवितर जीिन

घर ि खजनज पहचजत रह।

हजरत महममद (स.अ.ि.) क आचरण पर आपक सवक हजरत अनसरहज. की सलाकय

िदीनज की एक मिििज सतरी कज अनस नजिक इकलौतज लडकज रज। उसकी आय आठ-नौ िरा री िह उस रसल करीि (स.अ.ि.) की सिज ि लजई और कहज— ह अललजह क रसल ! िर इस लडक को अपनी सिज क मलए सिीकजर कर। िह सतरी अपन परि क कजरण अपन लडक को बमलदजन क मलए परसतत कर रही री, परनत उस कयज िजलि मक उसकज लडकज बमलदजन क मलए नही अमपत हिशज क जीिन क मलए सिीकजर मकयज गयज।

अनसरमज. रसलललजह (स.अ.ि.) की सगमत ि इसलजि क बहत बड मिविजन हए और शनवः शनवः बहत बड िनिजन हो गए। उनहोन एक सौ िरा स अमिक आय पजई तरज इसलजिी शजसन ि बहत आदर की दसटि स दख जजत र। अनसरमज. कज बयजन ह मक िन अलपजय ि रसल करीि (स.अ.ि.) की सिज कज सौभजगय परजपत मकयज और आप क जीिन तक आप क सजर रहज, आप न कभी िझ स कठोरतज कज वयिहजर नही मकयज, कभी डजि-डपि नही की, कभी मकसी ऐस कजया क मलए नही कहज जो िरी सजिरया स बजहर हो। रसल करीि (स.अ.ि.) को िदीनज ि मनिजस क मदनो ि किल अनसरमज. स सिज लन कज अिसर परजपत हआ तरज इस सबि ि आपस. क आचरण पर अनसरमज. की गिजही अतयमिक परकजश डजलन िजली ह।

-महजरत की घिनजओ क मलए दखो बखजरी बजब महजरतननबी सललललजहो अलवमह िसललि तरज जरकजनी मजलद पररि ‘महजरत की घिनज’-िससलि मजलद मवितीय, मकतजबल फजजइल

72हजरत महममदस का पवितर जीिन

मककला स पररवलार को बललानला तथिला मसजद-ए-नबवीस. की नीव रखनला

ककछ सिय पशजत आपस. न अपन आजजद मकए दजस ‘जवद’ को िककज ि भजज मक िह आप क पररिजर को ल आए। चमक िककज िजल इस अचजनक महजरत क कजरण ककछ घबरज गए र। इसमलए ककछ सिय तक अतयजचजरो कज मसलमसलज बनद रहज तरज इसी घबरजहि क कजरण ि रसल करीि सललललजहो अलवमह िसललि और हजरत अब बकर क खजनदजन क िककज छोडन ि बजिक नही बन तरज य लोग ककशलतजपिाक िदीनज पहच गए। इस अिमि ि (िदीनज ि) जो भमि नबी करीि (स.अ.ि.) न खरीदी री, आप न सिापररि िहज िससजद कज मशलजनयजस मकयज। ततपशजत अपन मलए तरज अपन सजमरयो क मलए िकजन बनिजए, मजस पर लगभग सजत िजस कज सिय लगज।

मदीनला क दतवलादी कबीलो कला इललाम म परवशआप क िदीनज ि परिश करन क पशजत ककछ ही मदनो ि िदीनज

क विवतिजदी कबीलो ि स अमिकजश लोग िसलिजन हो गए। जो हदय स िसलिजन न हए र ि परकि रप ि िसलिजनो हो गए और इस परकजर पहली बजर िसलिजनो ि विविखी लोगो (िनजमफको) कज एक सिह सगमठत हआ जो बजद क यग ि ककछ तो यरजरा रप ि ईिजन ल आए और ककछ लोग हिशज िसलिजनो क मिरदध योजनजए बनजत और रडतर रचत रह। ककछ लोग ऐस भी र जो परतयक ि भी इसलजि नही लजए परनत य लोग िदीनज ि इसलजि क िवभि को सहन न कर सक तरज िदीनज स -बखजरी बजब महजरतननबी सललललजहो अलवमह िसललि तरज जरकजनी मजलद पररि पषठ-369

73 हजरत महममदस का पवितर जीिन

पलजयन करक िककज चल गए। इस परकजर िदीनज ससजर कज पररि नगर रज मजसि शदध रप स एक खदज की उपजसनज होन लगी। मनशय ही उस सिय सिसत ससजर ि इस नगर क अमतररकत अनय कोई नगर यज गजि शदध रप स एक खदज की उपजसनज करन िजलज नही रज। िहमिद रसलललजह (स.अ.ि.) क मलए यह मकतनी बडी खशी तरज उनक सजमरयो की दसटि ि यह मकतनी िहजन सफलतज री मक िककज स महजरत करन क ककछ ही मदनो क बजद खदज तआलज न उनक विजरज एक नगर को सिाशसकतिजन खदज कज उपजसक बनज मदयज मजसि अनय मकसी िमता की पजज नही की जजती री, न परतयक िमता की न अपरतयक िमता की, परनत इस पररितान स यह नही सिझनज चजमहए मक िसलिजनो क मलए अब अिन आ गयज रज। िदीनज ि अरबो ि स भी विविखी लोगो कज एक ऐसज सिह िौजद रज जो आप क परजणो कज घजतक रज तरज यहद भी गपत रप स रडतर रच रह र। अतः इस खतर कज आभजस करत हए आपस. सिय भी सतकक रहत र और अपन सजमरयो को भी सतकक रहन पर बल दत र। परजरमभ ि ककछ मदन ऐस भी आए मक आप को रजत भर जजग पडज। एक बजर ऐसी ही अिसरज ि जब आप को जजगत रहन क कजरण रकजन िहसस हई तो आप न फरिजयज— इस सिय यमद कोई िफजदजर वयसकत पहरज दतज तो ि सो जजतज। रोडी दर ि शसतरो की झनकजर सनजई दी। आप न पछज कौन ह? तो आिजज आई, ह अललजह क रसल ! ि सअद मबन िककजस ह जो आप कज पहरज दन क मलए आयज ह। इस पर आप न आरजि मकयज। अनसजर को सिय भी यह िहसस हो रहज रज मक रसलललजह (स.अ.ि.) कज िदीनज ि मनिजस हि पर एक बहत बडज दजमयति डजलतज ह और यह मक आपस. िदीनज ि शतरओ क आकरिणो स सरमकत नही ह। अतः उनहोन परसपर मनणाय करक मिमभनन कबीलो की पजररयज मनयकत कर दी। परतयक कबील क ककछ लोग अपनी-अपनी पजरी पर आप क घर कज पहरज दत र।

74हजरत महममदस का पवितर जीिन

अतः िककी और िदनी जीिन ि यमद कोई अनतर रज तो किल यह मक अब िसलिजन खदज क नजि पर बनजई गई िससजद ि दसर लोगो क हसतकप क मबनज पजचो सिय निजज अदज करत र।

मककला वलालो की मसलमलानो को पनः कषट दन की योजनलाए

दो-तीन िजह वयतीत होन क पशजत िककज क लोगो कज कटि दर हआ तरज उनहोन नए मसर स िसलिजनो को कटि दन क उपजय सोचनज आरमभ कर मदए परनत परजिशा क पशजत उनह िहसस हआ मक किल िककज और िककज क आस-पजस ि िसलिजनो को कटि दनज उनह अपन उदशय ि सफल नही कर सकतज। ि इसलजि को तभी मििज सकत ह जब िदीनज स िहमिद रसलललजह (स.अ.ि.) को मनकलिज द। अतः यह परजिशा करक िककज क लोगो न अबदललजह मबन उबयय मबन सलल क नजि मजसक सनदभा ि पहल बतजयज जज चकज ह मक रसल करीि सललललजहो अलवमह िसललि क आगिन स पिा िदीनज िजलो न उस अपनज बजदशजह बनजन कज मनणाय मकयज रज और उस धयजन मदलजयज मक िहमिद रसलललजह (स.अ.ि.) क िदीनज जजन क कजरण िककज क लोगो को बहत आघजत पहचज ह। िदीनज क लोगो क मलए उमचत न रज मक ि आपको और आप क सजमरयो को शरण दत उसक अनत ि य शबद र —

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अरजात अब जब मक ति लोगो न हिजर आदिी (िहमिद रसलललजह स.अ.ि.) को अपन घरो ि शरण दी ह, हि खदज की सौगनि खजकर यह घोरणज करत ह मक यज तो ति िदीनज क लोग उस क सजर लडजई करो यज उस अपन नगर स मनकजल दो, अनयरज हि सब सयकत रप

75 हजरत महममदस का पवितर जीिन

िदीनज पर आकरिण करग और िदीनज क सिसत योदधजओ कज िि कर दग तरज ससतरयो को दजमसयज बनज लग। इस पतर क मिलन पर अबदललजह मबन उबयय मबन सलल की नीयत ककछ खरजब हो गई और उसन दसर िनजमफको (विविखी लोगो) स परजिशा मकयज मक यमद िहमिद रसलललजह (स.अ.ि.) को यहज रहन मदयज तो हिजर मलए खतरो कज विजर खल जजएगज। इसमलए आिशयक ह मक हि आपक सजर लडजई कर तरज िककज िजलो को परसनन कर। रसल करीि (स.अ.ि.) को इस बजत की सचनज मिल गई। आपस. अबदललजह मबन उबयय मबन सलल क पजस गए और उस सिझजयज मक तमहजरज यह कतय तमहजर ही मलए हजमनपरद होगज कयोमक ति जजनत हो मक िदीनज क अमिकजश लोग िसलिजन हो चक ह तरज इसलजि क मलए परजण दन क मलए तवयजर ह। यमद ति ऐसज करोग तो ि लोग परिजमसयो (िहजमजरो) क सजर होग और ति लोग इस लडजई को परजरमभ करक मबलककल तबजह हो जजओग। अबदललजह मबन उबयय मबन सलल पर अपनी गलती परकि हो गई और इस इरजद स परक हो गयज।

अनसलार तथिला महलाहजरीन (परवलाहसयो) म भलातभलाव कला वयवथिलापन

इनही मदनो ि रसल करीि (स.अ.ि.) न इसलजि की दढतज क मलए एक और उपजय मकयज और िह यह मक आप न सिसत िसलिजनो को एकतर मकयज और दो-दो लोगो को परसपर भजई-भजई बनज मदयज। इस भरजतति अरजात इस भजई-चजर कज अनसजर न ऐसी परसननतज स अमभननदन मकयज मक परतयक अनसजरी अपन भजई को अपन घर ल गयज और अपनी समपमत उसक सिक परसतत कर दी मक इस आिज-आिज बजि मदयज जजए। एक अनसजरी न तो अपन परिजसी भजई स यहज तक सदवयिहजर मकयज मक

-इबन महशजि मजलद पररि पषठ-179

76हजरत महममदस का पवितर जीिन

ि अपनी दो पसतनयो ि स एक को तलजक द दतज ह ति उस स मििजह कर लो परनत िहजमजरो (परिजमसयो) न उन की इस मनषकपि भजिनज कज आभजर परकि करक उनकी जजयदजदो ि भजग लन स इनकजर कर मदयज परनत मफर भी अनसजर हठ करत रह तरज उनहोन रसल करीि (स.अ.ि.) स कहज मक ह अललजह क रसल ! जब य िहजमजर हिजर भजई हो गए तो यह मकस परकजर हो सकतज ह मक हिजर िजल ि भजगीदजर न हो। हज चमक य खतीबजडी करन स पररमचत नही तरज वयिसजयी और वयजपजरी लोग ह, यमद य हिजरी भमि ि भजगीदजरी नही करत तो मफर हिजर जिीनो की जो आय हो उसि उनह अिशय भजगीदजर बनजयज जजए। िहजमजरो न इस पर भी उन क सजर भजगीदजर बननज पसनद न मकयज तरज अपन पिाजो क वयजपजर क वयिसजय ि लग गए तरज रोड ही मदनो ि उनि स कई िनिजन हो गए परनत अनसजर उस भजग क बििजर पर इतनज अमिक बल द रह र मक ककछ अनसजर जो सिगािजसी हो गए उनकी सनतजनो न अरब की पररज क अनसजर अपन िहजमजर भजइयो को सिगािजसी लोगो की जजयदजद ि स भजग मदयज और कई िरा तक इस कज पजलन होतज रहज, यहज तक मक कआान करीि ि इस ररिजज क मनरसतीकरण कज आदश हआ।

महलाहजरो, अनसलार तथिला यहहदयो क मधय परपर समझौतला

रसलललजह सललललजहो अलवमह िसललि न िसलिजनो को परसपर भजई-भजई बनजन क अमतररकत सिसत िदीनज-िजमसयो क िधय एक सिझौतज करजयज आप न यहमदयो और अरबो क सरदजरो को एकतर मकयज और फरिजयज— पहल यहज दो मगरोह र परनत अब तीन हो गए ह अरजात पहल तो यहज किल यहदी तरज िदीनज क अरब लोग रहत र परनत अब यहदी,

-अनसजर- िदीन क िसलिजन लोग (अनिजदक)

77 हजरत महममदस का पवितर जीिन

िदीनज क अरब और िककज क परिजसी तीन मगरोह हो गए ह। इसमलए ि चजहतज ह मक परसपर एक समि पतर तवयजर मकयज जजए। असत सिझौत क अनसजर एक ससनि-पतर मलखज गयज। मजसक शबद य ह —

“महममद रसललललाह सलललललाहो अलहह वसललम, मोहमनो तथिला उन समत लोगो— जो उन म परसननतलापवतिक ससममहलत हो जलाए— क मधय समझौतला-पतर िहजमजरो (परिजमसयो) स यमद कोई कतल हो जजए तो ि उस कतल क सिय उतरदजयी होग तरज अपन बसनदयो को सिय छडजएग तरज िदीनज क मिमभनन िसलिजन कबील भी इसी परकजर इन बजतो ि अपन कबीलो क उतरदजयी होग, जो वयसकत उपदरि फलजए यज शतरतज को जनि द और वयिसरज भग कर, तो सिझौतज करन िजल सिसत लोग उसक मिरदध खड हो जजएग चजह िह उनकज अपनज बिज ही कयो न हो। यमद कोई कजमफर िसलिजन क हजर स िजरज जजए तो उसक िसलिजन पररजन िसलिजन स बदलज नही लग और न मकसी िसलिजन क िकजबल ि ऐस कजमफरो की सहजयतज करग। यमद कोई यहदी हिजर सजर मिल जजए तो हि सब उसकी सहजयतज करग। यहमदयो को इस परकजर कज कटि नही मदयज जजएगज, न उनक मकसी मिरोिी शतर की सहजयतज की जजएगी, कोई गवर िोमिन िककज क लोगो को अपन घर ि शरण नही दगज, न उनकी जजयदजद अपन पजस बतौर िरोहर क रखगज और न कजमफरो तरज िोमिनो की लडजई ि मकसी परकजर कज हसतकप करगज। यमद कोई वयसकत मकसी िसलिजन को अनमचत तौर पर िजर द तो सिसत िसलिजन

78हजरत महममदस का पवितर जीिन

मिलकर उसक मिरदध कजयािजही कज परयजस करग। यमद एक विवतिजदी (िमशरक) शतर िदीनज पर आकरिण कर तो यहदी िसलिजन कज सजर दग तरज अपन मनसशत भजग क अनसजर वयय िहन करग। यहदी कबील जो िदीनज क मिमभनन कबीलो क सजर सिझौतज कर चक ह उनक अमिकजर िसलिजनो क अमिकजरो क सिजन होग। यहदी अपन ििा पर बन रहग और िसलिजन अपन ििा पर। जो अमिकजर यहमदयो को परजपत होग िही उन क अनयजमययो को भी परजपत होग। िदीनज क लोगो ि स कोई वयसकत िहमिद रसलललजह (स.अ.ि.) की आजञज क मबनज कोई लडजई आरमभ नही कर सकगज परनत इस शता क अनतगात कोई वयसकत उसक बदलज स िमचत नही मकयज जजएगज। यहदी अपन सगठन ि अपन खचच सिय िहन करग और िसलिजन अपन खचच सिय िहन करग परनत लडजई की अिसरज ि ि दोनो मिलकर कजया करग। िदीनज उन सिसत लोगो क मलए जो इस सिझौतज ि ससमिमलत होत ह एक परमतसषठत सरजन होगज। जो अनजजन लोग शहर क लोगो की सहजयतज ि आ जजए उनक सजर भी िही वयिहजर होगज जो शहर क िल मनिजमसयो क सजर होगज परनत िदीनज क लोगो को यह अनिमत न होगी मक मकसी सतरी को उसक पररजनो की सहिमत क मिपरीत अपन घरो ि रख। झगड और फसजद मनणाय क मलए खदज और उसक रसल क पजस परसतत मकए जजएग। िककज िजलो तरज उसक मितर कबीलो क सजर इस सिझौतज ि ससमिमलत होन िजल कोई सिझौतज नही करग कयोमक इस सिझौतज ि ससमिमलत लोग िदीनज क शतरओ क मिरदध इस सिझौतज विजरज सहित हो चक ह। मजस परकजर यदध परक तौर पर नही मकयज जज सकगज

79 हजरत महममदस का पवितर जीिन

उसी परकजर समि भी परक तौर पर नही की जज सकगी। परनत मकसी को मििश नही मकयज जजएगज मक िह लडजई ि ससमिमलत हो। हज यमद कोई वयसकत अतयजचजर कज कोई कजया करगज तो िह दणडनीय होगज। खदज मनशय ही सदजचजरी और ििामनषठो कज रकक ह और िहमिद (स.अ.ि.) खदज क रसल ह।

यह उस सिझौत कज सजरजश ह। इस सिझौत ि बजर-बजर इस बजत पर बल मदयज गयज रज मक ईिजनदजरी और जीिन की सपटितज को हजर स नही जजन मदयज जजएगज तरज अतयजचजरी अपन अतयजचजर कज सिय उतरदजयी होगज। इस सिझौत स सपटि ह मक रसलललजह (स.अ.ि.) की ओर स यह मनणाय हो चकज रज मक यहमदयो तरज िदीनज क उन लोगो क सजर जो इसलजि ि ससमिमलत न हो, परि और सहजनभमत कज वयिहजर मकयज जजएगज तरज उनह भजइयो की तरह रखज जजएगज। परनत बजद ि यहमदयो क सजर मजतन भी झगड पवदज हए उसक उतरदजयी सिारज यहदी ही र।

मककला वलालो की ओर स नए हसर स उपदरवो कला परलारमभ

जवसज मक िणान मकयज जज चकज ह दो-तीन िजह क पशजत जब िककज िजलो की परशजनी दर हई तो उनहोन इसलजि क मिरदध पनः एक नयज िोचजा सगमठत मकयज। अतः उनही मदनो ि िदीन क एक रईस ‘सअद मबन िआजरमज. जो औस कबील क सरदजर र कज’बज कज तिजफ (पररकरिज) करन क मलए िककज गए तो अबजहल न उनह दख कर करकदध होकर कहज— कयज ति लोग यह सोचत हो मक उस ििा स मििख हए (िहमिद रसलललजह स.अ.ि.) को शरण दन क पशजत ति लोग शजसनतपिाक

-इबन महशजि मजलद-पररि, पषठ-178

80हजरत महममदस का पवितर जीिन

कजब कज तिजफ कर सकोग और ति यह सोचत हो मक ति उसकी सरकज और सहजयतज की शसकत रखत हो। खदज की सौगि यमद इस सिय तमहजर सजर अब सफिजन न होतज तो त अपन घर िजलो क पजस बच कर न जज सकतज। सअद मबन िआजरमज. न कहज— खदज की कसि यमद ति न हि कज’बज स रोकज तो सिरण रखो मफर तमह भी तमहजर शजि क िजगा पर अिन परजपत नही हो सकगज। उनही मदनो िलीद मबन िगीरह िककज कज एक बहत बडज रईस बीिजर हआ और उसन िहसस मकयज मक उसकी ितय मनकि ह। एक मदन िककज क बड-बड िनिजन लोग उसक पजस बवठ र, िह अचजनक रोन लग गयज। िककज क य लोग आशयाचमकत हए तरज उस स पछज मक आप रोत कयो ह? िलीद न कहज— कयज ति सिझत हो मक ि ितय क भय स रोतज ह। खदज की कसि ऐसज कदजमप नही। िझ तो यह मचनतज ह मक कही ऐसज न हो मक िहमिद (स.अ.ि.) कज ििा फल जजए और िककज भी उसक अमिकजर ि चलज जजए। अब समफयजन न उतर ि कहज— इस बजत की मचनतज न करो। जब तक हि जीमित ह ऐसज नही होगज और हि इस बजत क मलए िचनबदध ह। इन सिसत घिनजओ स मसदध होतज ह मक िककज क लोगो क अतयजचजरो ि जो अनतरजल हआ रज िह असरजयी रज। जजमत को पनः उकसजयज जज रहज रज, िरन िजल िनजढय लोग ितय शवयज पर भी िहमिद रसलललजह (स.अ.ि.) कज मिरोि जजरी रखन की कसि ल रह र, िदीनज क लोगो को िहमिद रसलललजह (स.अ.ि.) क मिरदध लडजई पर तवयजर मकयज जज रहज रज और उनक इनकजर पर ििमकयज दी जज रही री मक िककज िजल और उनक मितर कबील िदीनज पर सवनय आकरिण करग िदीनज क पररो को िजर दग तरज ससतरयो को बनदी बनज कर दजमसयज बनज लग।

81 हजरत महममदस का पवितर जीिन

हजरत महममद रसललललाह (स.अ.ि.) की सरकलातमक योजनलाए

ऐसी पररससरमतयो ि रसलललजह सललललजहो अलवमह िसललि पर िदीनज की सरकज-वयिसरज कज बडज भजरी दजमयति आ पडज !! अतः आप न अपन सजमरयो को छोि-छोि दलो क रप ि िककज क आस-पजस मभजिजनज आरमभ मकयज तजमक आपको िककज िजलो की गमतमिमियो कज जञजन होतज रह। कई बजर इन लोगो कज िककज क यजतरी-दलो स यज िककज क ककछ सिहो स आिनज-सिनज भी हो जजतज और एक-दसर को दख लन क पशजत लडजई तक भी नौबत पहच जजती। ईसजई लखक मलखत ह मक यह िहमिद रसलललजह की ओर स छड-छजड री। कयज िककज ि िसलिजनो पर तरह िरा तक अतयजचजर मकयज गयज िह िदीनज क लोगो को िसलिजनो क मिरदध खडज करन कज जो परयजस मकयज गयज और मफर िदीनज पर आकरिण करन की जो ििमकयज दी गई, उन घिनजओ की उपससरमत ि आपकज सतकक रहन क मलए दलो कज भजनज छड-छजड कहलज सकतज ह? ससजर कज कौन सज कजनन ह जो िककज क तरह िरषीय अतयजचजरो क पशजत भी िसलिजनो और िककज िजलो ि लडजई छडन क मलए मकसी ‘अमतररकत’ कजरण की आिशयकतज सिझतज हो। आज पसशिी दश सिय को बहत अमिक सभय सिझत ह। जो ककछ िककज ि हआ कयज उनस आिी घिनजओ पर भी कोई जजमत लड तो कोई वयसकत उस अपरजिी ठहरज सकतज ह? कयज यमद कोई सरकजर मकसी अनय दश क लोगो को एक सिह कज िि करन यज अपन दश स बमहषकत कर दन पर मििश कर तो उस सिह को यह अमिकजर परजपत नही मक िह उस स यदध की घोरणज कर? अतः िदीनज ि इसलजिी रजजय की सरजपनज क पशजत

82हजरत महममदस का पवितर जीिन

मकसी नए कजरण क उतपनन होन की आिशयकतज ही नही री। िककज क जीिन की घिनजए िसलिजनो को पणा अमिकजर दती री मक िह िककज िजलो स यदध की घोरणज कर द परनत िहमिद रसलललजह (स.अ.ि.) न ऐसज नही मकयज। उनहोन िवया मकयज और किल शतरओ की गमतमिमियो कज पतज रखन की सीिज तक अपन परयजस सीमित रख, परनत जब िककज िजलो न सिय िदीनज क अरबो को िसलिजनो क मिरदध उतमजत मकयज, िसलिजनो को हज करन स रोक मदयज तरज उन क उन वयजपजररक दलो न जो वयजपजर क मलए शजि ि जजत र अपन सीि िजगा को छोड कर िदीनज क आस-पजस क कबीलो ि स होकर गजरनज और उनह िदीनज िजलो क मिरदध उकसजनज आरमभ मकयज तो िदीन की सरकज क मलए िसलिजनो कज भी कतावय रज मक िह उस लडजई की चनौती को जो उनह िककज िजल मनरनतर चौदह िरा स दत चल आ रह र सिीकजर कर लत तो ससजर क मकसी वयसकत को हक नही, पहचतज मक िह चनौती सिीकजर करन पर आपमत जतजए।

मदीनला म इललामी शलासन की नीवनबी करीि (स.अ.ि.) जहज बजहय पररससरमतयो पर दसटि रख हए र

िहज िदीन क सिजर स भी असजििजन नही र। यह बतजयज जज चकज ह मक िदीन क अमिकजश विवतिजदी (िमशरक) शदध हदय स और ककछ छल-कपि क भजि क सजर िसलिजन हो चक र। इस मलए रसलललजह (स.अ.ि.) न उनि इसलजिी शजसन-परणजली की सरजपनज आरमभ की। पररि अरबो क मनयिजनसजर लोग लड-झगड कर अपन अमिकजरो कज मनणाय सिय कर मलयज करत र। अब मनयिजनसजर कजजी (नयजयजिीश) मनयकत मकए गए मजन क मनणाय क मबनज कोई वयसकत दसर स अपनज सिति परजपत नही कर

83 हजरत महममदस का पवितर जीिन

सकतज रज। पहल िदीनज क लोगो कज धयजन मशकज की ओर न रज। अब इस बजत कज परबि मकयज गयज मक मशमकत लोग अमशमकत लोगो को मशकज दनज आरमभ कर। अतयजचजर, अनीमत और अनयजय रोक मदयज गयज। ससतरयो क अमिकजर मनसशत मकए गए। सिसत िनिजनो पर शरीअत क अनसजर कर मनिजाररत मकए गए जो मनिानो पर वयय मकए जजत र तरज शहर की सजिजनय अिसरज क मिकजस क मलए भी उपयोग ि लजए जजत र, शरमिक िगा क अमिकजरो की रकज की गई, अनजरो क मलए मशकज कज उमचत परबनि मकयज गयज, लन-दन ि मलमखत परपतर तरज सिझौत की पजबसनदयज मनिजाररत की गई, दजसो पर होन िजल करर वयिहजरो को बलपिाक रोकज जजन लगज, सिचछतज और सिजसरय-रकज क मनयिो पर बल मदयज जजन लगज, जन-गणनज कज आरमभ मकयज गयज, गमलयो और सडको को मिसतत करन क आदश जजरी मकए गए, सडको की सफजई स सबमित आदश जजरी मकए गए। फलतः पजररिजररक तरज सजिजमजक जीिन क सिसत मसदधजनतो कज समपजदन मकयज गयज और उनह करिजनसजर जजरी करन क उपजय मकए गए तरज अरब लोग पहली बजर वयिससरत और सभय सिजज क मनयिो स पररमचत हए।

इिर रसल करीि (स.अ.ि.) अरब क मलए ऐसज कजनन परसतत कर रह र जो न किल उस यग क मलए अमपत हिशज क मलए ; और न किल उन क मलए अमपत ससजर की अनय जजमतयो क मलए भी समिजन, परमतषठज, अिन और उननमत कज पररक रज। उिर िककज क लोग इसलजि क मिरदध पणा ससजिनो क सजर यदध की तवयजररयो ि वयसत र, मजसकज पररणजि बदर-यदध क रप ि परकि हआ।

84हजरत महममदस का पवितर जीिन

करश क वयलापलाररक दल कला आगमन तथिला बदर कला यदध

महजरत (परिजस) क तरहि िजह ि शजि स एक वयजपजरी-दल अब समफयजन क नतति ि आ रहज रज मक उसकी सरकज क बहजन िककज िजलो न एक शसकतशजली सनज िदीन की ओर ल जजन कज मनणाय मकयज। रसल करीि (स.अ.ि.) को भी इसकी सचनज परजपत हो गई तरज खदज तआलज की ओर स आप पर िहयी हई। अब सिय आ गयज ह मक शतर क अतयजचजर कज उतर उसी क शसतर स मदयज जजए। अतः आप िदीनज क रोड स सजमरयो को लकर मनकल। आप जब िदीनज स मनकल ह तो उस सिय तक यह सपटि न रज मक कयज िकजबलज वयजपजरी दल स होगज यज समनसशत सनज स। इसमलए आप क सजर िदीनज स तीन सौ लोग मनकल।

यह नही सिझनज चजमहए मक वयजपजरी दल स अमभपरजय िजल स लद हए ऊि र अमपत िककज िजल उन दलो क सजर एक शसकतशजली सवमनक दल मभजिजयज करत र कयोमक ि उन दलो क िजधयि स िसलिजनो को आतमकत भी करनज चजहत र। अतः इस वयजपजरी दल स पिा इमतहजस ि दो दलो की चचजा आती ह मक उनि स एक की सरकज पर दो सौ सवमनक मनयकत र तरज दसर की सरकज पर तीन सौ सवमनक मनयकत र। अतः इन पररससरमतयो ि ईसजई लखको कज यह मलखनज मक तीन सौ मसपजही लकर आप िककज क एक शसतरमिहीन कजमफल को लिन क मलए मनकल र िजतर िोखज दनज ह। यह कजमफलज चमक बहत बडज रज इसमलए पहल कजमफलो क सरकज-दलो की सखयज को दखत हए यह सिझनज चजमहए

-इसक मलए दमखए इबन महशजि मजलद-2, पषठ-9 तरज अससीरतल हलमबययह एि तजरीख-ए-कजमिल मतबरी गजि-ए-बदर

85 हजरत महममदस का पवितर जीिन

मक उसक सजर चजर-पजच सौ सिजर अिशय होग। इतन मिशजल सरकज-दल क सजर िकजबलज करन क मलए यमद इसलजिी सनज जो किल तीन सौ लोगो पर आिजररत री, मजनक सजर परज सिजन भी न रज मनकली तो उस लि कज नजि दनज िजतर पकपजत, विर, हठ और अनयजय ही की सजञज दी जज सकती ह। यमद किल इस कजमफल कज परशन होतज तब भी उस स लडजई यदध ही कहलजतज और यदध भी आतिरकजतिक यदध कयोमक िदीन की सनज दबाल री और किल इसी उपदरि को दर करन क मलए मनकली री मजस स आस-पजस क कबीलो को उपदरि करन पर उकसज कर िककज क कजमफल फसजद और दगो की नीि रख रह र, परनत जवसज मक कआान करीि स मिमदत होतज ह खदज की इचछज भी री मक कजमफल स नही अमपत िककज कज िल सनज स िकजबलज हो और किल िसलिजनो की िफजदजरी और उन क ईिजन को दशजान क मलए पहल स इस बजत को परकि न होन मदयज गयज। जब िसलिजन पणा तवयजरी क मबनज िदीनज स मनकल खड हए तो ककछ दर जजकर रसल करीि (स.अ.ि.) न सहजबजरमज. पर सपटि मकयज मक खदज की यही इचछज ह मक िककज की असल सनज स ही सजिनज हो। सनज क सबि ि िककज स जो सचनजए आ चकी री उन स मिमदत होतज रज मक सनज की सखयज एक हजजर स अमिक ह और मफर ि सभी परमशमकत अनभिी सवमनक र। रसल करीि (स.अ.ि.) क सजर आन िजल लोग िजतर तीन सौ तरह (313) र तरज उनि स बहत स ऐस र जो यदध कलज स अपररमचत र मफर उनक पजस यदध सजिगरी भी परी न री। अमिकजश यज तो पवदल र यज ऊिो पर सिजर र, घोडज किल एक रज। इस छोिी सी सनज क सजर जो सजिन मिहीन भी री, एक अनभिी शतर कज िकजबलज जो सखयज ि उनस तीन गनज स भी अमिक रज अतयनत खतरनजक बजत री। इसमलए आप न न चजहज मक कोई वयसकत उसकी इचछज क मिरदध यदध क मलए मििश मकयज जजए। अतः आप न अपन सजमरयो क सिक यह

86हजरत महममदस का पवितर जीिन

परशन परसतत मकयज मक अब कजमफल कज कोई परशन नही किल सनज कज ही िकजबलज मकयज जज सकतज ह और यह मक ि (सजरी) इस सबि ि आप को परजिशा द। एक क पशजत एक िहजमजर (परिजसी) खडज हआ और उसन कहज— ह अललजह क रसल! यमद शतर हिजर घरो पर चढ आयज ह तो हि उस स भयभीत नही, हि उसकज िकजबलज करन क मलए तवयजर ह। परतयक कज उतर सनकर आप यही फरिजत चल जजत िझ और परजिशा दो— िझ और परजिशा दो। उस सिय तक िदीन क लोग चप र इसमलए मक आकरिणकजरी सनज िहजमजरो की समबनिी (ररशतदजर) री। उनह शकज री मक कही ऐसज न हो मक उनकी बजत स िहजमजरो क हदय को आघजत पहच। जब रसलललजह (स.अ.ि.) न बजर-बजर फरिजयज— िझ परजिशा दो तो एक अनसजरी (िदीनज-मनिजसी िसलिजन) सरदजर खड हए और कहज— ह अललजह क रसल ! परजिशा तो आप को मिल रहज ह परनत मफर भी आपस. जो परजिशा िजग रह ह तो कदजमचत आप कज सकत हि िदीनज मनिजमसयो की ओर ह। आपस. न फरिजयज— हज ! उस सरदजर न उतर ि कहज— ह अललजह क रसल ! कदजमचत आप हिजरज परजिशा इसमलए िजग रह ह मक आप क िदीनज आन स पिा हिजर और आप क िधय एक सिझौतज हआ रज और िह यह रज मक यमद िदीनज ि आप पर यज िहजमजरो पर मकसी न आकरिण मकयज तो हि आप की रकज करग, परनत इस सिय िदीनज स बजहर मनकल आए ह और कदजमचत िह सिझौतज इन पररससरमतयो क अनतगात कजयि नही रहतज। ह अललजह क रसल ! मजस सिय िह सिझौतज हआ रज उस सिय तक हि पर आपस.

की िजसतमिकतज पणातयज सपटि नही हई री, परनत अब जब मक हि पर आपस. कज सरजन और आप की शजन पणा रप स सपटि हो चकी ह। ह अललजह क रसल ! अब उस सिझौत कज कोई परशन नही। हि िसजअ. क सजमरयो की भजमत आप स यह नही कहग—

87 हजरत महममदस का पवितर जीिन

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त और तरज रबब जजओ और शतर स यदध करत मफरो हि तो यही बवठ ह।

अमपत हि आप क दजए भी लडग, बजए भी लडग, आग भी लडग और पीछ भी लडग। ह अललजह क रसल ! शतर जो आप को हजमन पहचजन पर कमिबदध ह िह आप तक नही पहच सकतज जब तक हिजरी लजशो को रौदतज हआ न गजर। ह अललजह क रसल ! यदध तो एक सजिजरण बजत ह, यहज स रोडी सी दरी पर सिदर ह आप हि आदश दीमजए मक सिदर ि अपन घोड डजल दो, हि मनःसकोच अपन घोड सिदर ि डजल दग। यह िह शरदधज, तयजग और बमलदजन कज आदशा रज मजसकज उदजरहरण कोई पिाकजलीन नबी परसतत नही कर सकतज। िसजअ. क सजमरयो कज उदजहरण तो उनहोन सिय ही द मदयज रज। हजरत िसीह क हिजररयो न शतर क िकजबल ि जो निनज मदखजयज इनजील उस पर गिजह ह। एक हिजरी न तो ककछ रपयो क बदल अपन उसतजद (हजरत िसीह) को बच मदयज, दसर न उस पर फिकजर डजली और दस हिजरी उस छोड कर इिर-उिर भजग गए परनत िहमिद रसलललजह (स.अ.ि.) क सजरी किल डढ िरा की सगमत क पशजत ईिजन ि इतन दढ हो गए मक ि उनक कहन पर सिदर ि कद पडन क मलए भी तवयजर र।

यह परजिशा किल इस उदशय स रज तजमक जो लोग ईिजन ि मनबल हो उनह िजपस जजन की अनिमत द दी जजए। परनत जब िहजमजर और अनसजर न एक-दसर स बढकर िफजदजरी और ईिजन कज आदशा परसतत मकयज और दोनो पको न इस बजत पर सहिमत परकि की मक ि खदज क िजदो क अनसजर शतर स किल एक मतहजई(⅓) होन क बजिजद, ससजिनो की दसटि स शतर स कई गनज कि होन क बजिजद मनलाजतज मदखजत हए

-इबन महशजि मजलद मवितीय, पषठ-12

88हजरत महममदस का पवितर जीिन

यदध स पीठ नही मदखजएग अमपत खदज तआलज क ििा कज सिजमभिजन परदमशात करत हए रणभमि ि सहरा परजणो कज बमलदजन दग। अतः आपस.

आग बढ। आप जब बदर क सरजन पर पहच तो एक सहजबी क परजिशा स शतर क मनकि जज कर बदर क झरन पर इसलजिी सनज उतजर दी गई, परनत इस परकजर यदमप पजनी पर तो कबजज हो गयज परनत िह िवदजन जो िसलिजनो क भजग ि आयज रतीलज होन क कजरण यदध की गमतमिमियो क मलए अतयनत हजमनपरद मसदध हआ तरज सहजबज घबरज गए। रसल करीि (स.अ.ि.) सजरी रजत दआ करत रह और खदज स बजर-बजर मिनय करत र मक ह िर रबब ! सिसत ससजर ि किल यही लोग तरी उपजसनज करन िजल ह। ह िर रबब ! यमद आज य लोग इस यदध ि िजर गए तो ससजर ि तरज नजि लन िजलज कोई शर न रहगज। अललजह तआलज न आपकी दआए सनी और रजत को िरजा हो गई, मजसकज पररणजि यह हआ मक मजस िवदजन ि िसलिजन र िह रतीलज होन क कजरण िरजा स जि गयज और कजमफरो कज मचकनी मिटटी िजलज िवदजन िरजा क कजरण अतयमिक मफसलन िजलज हो गयज। कदजमचत िककज क कजमफरो न इस िवदजन ि िसलिजनो स पिा पहच जजन क बजिजद इस िवदजन को इसमलए चनज रज मक सखत मिटटी क कजरण उस ि यदध सबिी गमतमिमियज मनतजनत सरलतजपिाक हो सकती री और सजिन कज रतीलज िवदजन इसमलए छोड मदयज रज मक िसलिजन िहज डरज लगज लग तरज यदध सबिी कजयािजमहयज करत सिय उनक पवर रत ि िस-िस जजएग, परनत खदज तआलज न रजतो-रजत पजसज पलि मदयज। रतीलज िवदजन एक ठोस िवदजन बन गयज और ठोस िवदजन मफसलन िजली भमि बन गई। रजत को अललजह तआलज न आपको शभ सनदश मदयज और बतजयज मक तमहजर अिक-अिक शतर िजर जजएग और अिक-अिक सरजन पर िर कर मगरग। अतः यदध ि ऐसज ही हआ तरज िह शतर आपक बतजए हए

-जरकजनी मजलद पररि, पषठ-419 तरज इबन महशजि, मजलद मवितीय, पषठ-17

89 हजरत महममदस का पवितर जीिन

उनही सरजनो पर िजर गए। जब सनज एक दसर क िकजबल पर खडी हई, उस सिय सहजबजरमज न मजस शरदधज कज परदशान मकयज उस पर मनमनमलमखत उदजहरण स भली-भजमत परकजश पडतज ह।

इसलजिी सनज ि ककछ अनभिी सनजनी र। उनि स एक हजरत ‘अबदररिजन मबन औफ’ भी र जो िककज क सरदजरो ि स र। िह िणान करत ह मक िरज मिचजर रज मक आज िझ पर बहत ही बडी मजमिदजरी आती ह। इस मिचजर स िन अपन दजए-बजए दखज तो िझ मिमदत हआ मक िर दजए-बजए िदीनज क दो नौजिजन लडक ह। तब सीन ि िरज हदय बवठ गयज और िन कहज मक िीर सनजनी लडन क मलए इस बजत कज िहतजज होतज ह मक उस कज दजयज और बजयज पहल दढ हो तजमक िह शतरओ की पसकतयो ि मनभषीकतज स घस सक, परनत िर पजस तो िदीन क दो ऐस लडक ह मजनह कोई अनभि भी नही। अपन यदध-कौशल कज परदशान मकस परकजर कर सकगज। अभी यह मिचजर िर हदय ि आयज ही रज मक िर एक पहल ि खड हए लडक न िरी पसली ि ककहनी िजरी। जब िन उसकी ओर धयजन मदयज तो उसन िर कजन ि कहज— चजचज हि न सनज ह अब जहल रसलललजह (स.अ.ि.) को बहत दःख मदयज करतज रज। चजचज ! िरज मदल चजहतज ह मक ि आज उसक सजर िकजबलज कर। आप िझ बतजए िह कौन ह? िह कहत ह मक अभी ि उतर नही द पजयज रज मक िर दसर पहल ि खड दसर सजरी न ककहनी िजरी और जब ि उसकी तरफ िडज तो उसन भी आमहसतज स िझ स िही परशन मकयज। िह कहत ह— ि उनकी इस मदलरी पर सतबि रह गयज कयोमक अनभिी मसपजही होन क बजिजद ि सोच भी नही सकतज रज मक सनज क सनजपमत पर अकल आकरिण कर सकतज ह। िह कहत ह िन उन क इस परशन पर उगली उठजई और कहज— िह वयसकत जो सर स पवर तक सशसतर ह और शतरओ की पसकतयो क पीछ खडज ह तरज मजसक आग दो अनभिी सवमनक नगी तलिजर मलए

90हजरत महममदस का पवितर जीिन

खड ह, िही ‘अब जहल’ ह। िह कहत ह अभी िरी उगली नीच नही मगरी री मक ि दोनो लडक मजस परकजर मशकजरी पकी शयन मचमडयज पर आकरिण करतज ह उस परकजर स ललकजरत हए शतर की पसकतयो ि घस गए। उन कज यह आकरिण ऐसज सहसज और अपरतयजमशत रज मक उनक मिरदध मकसी वयसकत की तलिजर न उठ सकी और ि सनसनजत हए िजण क सिजन अबजहल तक जज पहच। उसक अग रकको न उन पर परहजर मकए। एक कज परहजर खजली गयज तरज दसर पहरदजर क परहजर स एक यिक कज हजर कि गयज, परनत दोनो ि स मकसी न कोई परिजह न की और किल अबजहल को लकय बनजत हए उस पर इतनी तीवरतज स आकरिण मकयज मक िह मगर गयज मफर उनहोन उस बहत बरी तरह घजयल कर मदयज। परनत तलिजर चलजन की कलज कज अनभि न होन क कजरण उसकज िि न कर सक।

इस घिनज स मिमदत होतज ह मक ि अतयजचजर जो िककज क लोग िहमिद रसलललजह (स.अ.ि.) पर करत रहत र, ि मनकि स दखन िजलो को मकतन भयजनक मदखजई दत र। अब भी उन अतयजचजरो को इमतहजस ि पढकर एक सजन िनषय कज हदय कजपन लगतज ह और रोगि खड हो जजत ह परनत िदीन क लोग तो उन लोगो क िख स उन अतयजचजरो क ितजनत सनत र मजनहोन ि अतयजचजर अपनी आखो स दख र। एक ओर रसल करीि (स.अ.ि.) कज पमितर और िवतरीपणा जीिन दखत र तरज दसरी ओर िककज िजलो की अिजनिीय नशस घिनजए सनत र तो उनक हदय इस खद स भर जजत र मक अपन िवतरीपणा और शजनत सिभजि क कजरण हजरत िहमिद रसलललजह (स.अ.ि.) न उसकी परमतमकरयज कज परदशान नही मकयज। कजश ! ि हिजर सजिन आ जजए तो हि उनह बतजए मक यमद उनक अतयजचजरो कज परतयतर नही मदयज गयज तो उसकज कजरण यह नही रज मक िसलिजन किजोर र अमपत उसकज कजरण यह रज मक

91 हजरत महममदस का पवितर जीिन

िसलिजनो को खदज तआलज की ओर स उनकज परतयतर दन की आजञज नही री। िसलिजनो क हदयो की दशज कज अनिजन इस बजत स भी हो सकतज ह मक यदध आरमभ होन स पिा अब-जहल न एक बदद सरदजर को इस बजत क मलए भजज मक िह अनिजन लगजए मक िसलिजनो की सखयज मकतनी ह। जब िह िजपस पहचज तो उसन बतजयज मक िसलिजन तीन सौ यज सिज तीन सौ क लगभग होग। इस पर अब जहल और उसक सजमरयो न परसननतज परकि की और कहज मक िसलिजन अब हि स बचकर कहज जजएग, परनत उस वयसकत न कहज— ह िककज िजलो ! िरी नसीहत तमह यही ह मक इन लोगो स यदध न करो कयोमक िन िसलिजनो क मजतन लोग दख ह उनह दख कर िझ पर यह परभजि पडज ह मक ऊिो पर िनषय सिजर नही, िौत सिजर ह अरजात उन ि स परतयक वयसकत िरन क मलए रणभमि ि आयज ह, जीमित िजपस जजन क मलए नही आयज और जो वयसकत ितय को सिय क मलए आसजन कर लतज ह और ितय को गल लगजन क मलए ततपर हो जजतज ह, उसकज सजिनज करनज कोई सजिजरण बजत नही हआ करती।

एक महलान भहवषयवलाणी कला पणति होनलाजब यदध आरमभ होन कज सिय आयज तो नबी करीि (स.अ.ि.) जहज

बवठ कर दआ कर रह र बजहर आए और फरिजयज ب�

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ونمع ویول سیھزم ال

अरजात शतर-सनज परजमजत हो जजएगी और पीठ मदखज कर रणभमि छोड जजएगी। आपस. क य कमरत शबद कआान करीि की एक भमिषयिजणी री जो इस यदध क सबि ि कआान करीि ि िककज ि ही उतरी री। िककज ि जब िसलिजन कजमफरो क मनरनतर अतयजचजरो कज मशकजर हो रह र तरज इिर-उिर महजरत करक जज रह र। खदज तआलज न रसल करीि (स.अ.ि.) पर कआान करीि की य आयत उतजरी —

92हजरत महममदस का पवितर जीिन

(सरह किर 42 स 49)अरजात ह िककज िजलो ! मफरऔन की ओर स भयभीत करन िजली

बजत आई री, परनत उनहोन हिजरी सिसत आयतो कज इनकजर मकयज। अतः हि न उनह इस परकजर पकड मलयज मजस परकजर एक सशकत मिजतज पकडतज ह (ह िककज िजलो) बतजओ कयज तमहजर कजमफर उन (कजमफरो) स अचछ ह अरिज तमहजर मलए पहली पसतको ि सरकज कज कोई िचन मदयज जज चकज ह। ि कहत ह हि तो एक िहजन शसकत ह जो शतरओ स परजमजत नही होती अमपत शतरओ स परमतशोि मलयज करती ह (ि य बजत करत रह) उनक जतर शीघर ही एकतर होग और मफर उनह परजजय कज िह दखनज पडगज और ि पीठ फर कर भजग जजएग अमपत खदज तआलज की ओर स मिनजश कज िजदज ह और यह मिनजश कज सिय अतयनत दजरण, दखदजयी और असहनीय होगज। उस मदन अपरजिी अतयनत वयजककल तरज परकोपगरसत होग और उनह िह क बल घसीि कर असगन-ककणडो ि डजल मदयज जजएगज और कहज जजएगज मक अब िहज परकोप कज सिजद चखो।

य आयत सरह किर की ह और सरह ‘किर’ सिसत इसलजिी ऐमतहजमसक िजतजाओ क अनसजर िककज ि उतरी री। िसलिजन मिविजन भी इस सरह को नबवित क दजि क पजच स दस िरा पशजत की बतजत ह अरजात यह महजरत स कि स कि तीन िरा पिा उतरी री अमपत

93 हजरत महममदस का पवितर जीिन

कदजमचत आठ िरा पिा। यरोप क शोिकतजा भी इस की पसटि करत ह। अतः नजलडक (NOLDEKE) इस सरह को नबवित क दजि क पजच िरा पशजत बतजतज ह, रिरणड िवरी (REVEREND WHERRY) मलखत ह मक िर मिचजरजनसजर नजलडक (NOLDEKE) न इस सरह क उतरन कज सिय रोडज पहल बतजयज ह। यह अपनज अनिजन यह बतजत ह मक यह सरह महजरत स छः सजत िरा पहल उतरी, मजसकज तजतपया यह ह मक उनक मनकि यह सरह नबवित क दजि क पशजत छठ यज सजति िरा की ह। असत िसलिजनो क शतरओ न भी इस सरह को महजरत स कई िरा पिा कज बतजयज ह। उस जिजन ि इस यदध की सचनज मकतन सपटि शबदो ि दी गई री तरज कजमफरो कज पररणजि बतज मदयज गयज रज और मफर मकस परकजर रसल करीि (स.अ.ि.) न बदर कज यदध परजरमभ होन स पिा इन आयतो को पढकर िसलिजनो को बतजयज मक खदज कज िजदज पणा होन कज सिय आ गयज ह।

अतः चमक िह सिय आ गयज रज मजसकी सचनज यसइयजह नबी न सिय स पिा द रखी री तरज मजसकी सचनज कआान करीि न पनः यदध परजरमभ होन स छः यज आठ िरा पिा दी री। इसमलए इसक बजिजद मक िसलिजन इस यदध क मलए तवयजर न र तरज इसक बजिजद मक कजमफरो को भी उनक ककछ सजमरयो न यह परजिशा मदयज रज मक यदध नही करनज चजमहए। यदध हो गयज तरज 313 लोग मजन ि अमिकजश को यदध कलज कज अनभि भी न रज, शर सब क सब सजिनहीन और मनहतर र। कजमफरो की अनभिी सनज क िकजबल ि मजस की सखयज एक हजजर स अमिक री खड हो गए। यदध हआ और ककछ ही घि क अनदर अरब क बड-बड सरदजर िजर गए। यसइयजह की भमिषयिजणी क अनसजर कदजर की गररिज िल ि मिल गई तरज िककज की सनज ककछ लजश और ककछ कदी पीछ छोड

-यसइयजह 21, 13-17

94हजरत महममदस का पवितर जीिन

कर सर पर पजि रख कर िककज की ओर भजग खडी हई। जो कदी पकड गए उनि रसल करीि (स.अ.ि.) क चजचज अबबजसरमज. भी र जो हिशज आप कज सजर मदयज करत र। िककज िजल उनह मििश करक अपन सजर यदध क मलए ल आए र। इसी परकजर कमदयो ि रसल करीि (स.अ.ि.) की बडी बिी क पमत अबलआस भी र। िजर जजन िजलो ि इसलजि कज सब स बडज शतर िककज की सनज कज सनजपमत अबजहल भी शजमिल रज।

बदर क कदीइस मिजय पर रसल करीि सललललजहो अलवमह िसललि परसनन र

मक ि भमिषयिजणयज मक मजनकज मनरनतर चौदह िरा स आप क विजरज परचजर मकयज जज रहज रज तरज ि भमिषयिजणयज जो पिाकजलीन नबी उस मदन क सबि ि कर चक र परी हो गई परनत िककज क मिरोमियो कज भयजनक अनत भी आपकी दसटि क सजिन रज। आप क सरजन पर यमद कोई अनय वयसकत होतज तो परसननतज स उछलतज और कदतज, परनत जब िककज क कदी रसससयो ि बि हए आप क सजिन स गजर तो आप और आप क िफजदजर सजरी अब बकररमज. की आखो स सहसज आस बहन लग। उस सिय हजरत उिररमज. जो बजद ि आप क मवितीय खलीफज बन सजिन स आए तो उनह आशया हआ मक इस मिजय और हरवोललजस क अिसर पर आप कयो रो रह ह ! उनहोन कहज— ह अललजह क रसल ! िझ भी बतजइए मक इस सिय रोन कज कयज कजरण ह यमद िह बजत िर मलए भी रोन कज कजरण ह तो ि भी रोऊगज, अनयरज कि स कि आप क सजर भजगीदजर होन क मलए रोन िजली शकल ही बनजऊगज। आपस. न फरिजयज — दखत नही मक खदज तआलज क आदशो की अिहलनज करन स आज िककज िजलो की कयज दशज हो रही ह।

-अससीरतल हलमबययह मजलद-2 पषठ 219, जरकजनी मजलद पररि, पषठ 440-441

95 हजरत महममदस का पवितर जीिन

आप क नयजय और अदजलत कज उललख यसइयजह नबी न अपनी भमिषयिजणीयो ि बजर-बजर मकयज ह। इस अिसर पर एक रहसयपणा परिजण परजपत हआ। िदीनज की ओर िजपस आत हए रजत को जब आप सोन क मलए लि तो सहजबजरमज. न दखज मक आप को नीद नही आ रही। अतः उनहोन मिचजर करक यह पररणजि मनकजलज मक आप क चजचज अबबजसरमज. चमक रसससयो ि जकड होन क कजरण सो नही सकत और उनक करजहन की आिजज आती ह इसमलए उनक कटि क मिचजर स आप को नीद नही आती। उनहोन आपस ि परजिशा करक हजरत अबबजसरमज. क बनिनो को ढीलज कर मदयज। हजरत अबबजसरमज. सो गए और रसल करीि (स.अ.ि.) को भी नीद आ गई। रोडी दर क पशजत सहसज घबरज कर आप की आख खली और आपस. न पछज अबबजसरमज. खजिोश कयो ह, उनक करजहन की आिजज कयो नही आती? आप क हदय ि यह भरि उतपनन हआ मक कदजमचत कटि क कजरण िह बहोश हो गए। सहजबजरमज. न कहज ह अललजह क रसल ! हिन आप क कटि को दखकर उनक बनिन ढील कर मदए ह। आपस. न फरिजयज— नही, नही यह अनयजय नही होनज चजमहए। मजस परकजर अबबजस िर समबनिी ह अनय कदी भी दसरो क पररजन ह यज तो सब कमदयो क बिन ढील कर दो तजमक ि आरजि स सो जजए और यज मफर अबबजसरमज. क भी बनिन कस दो। सहजबजरमज. न आपस. की बजत सनकर सब कमदयो क बिन ढील कर मदए तरज सरकज कज पणा दजमयति अपन ऊपर ल मलयज। जो लोग कद हए र उनि स जो पढनज जजनत र आपस. न उनकज किल यही मफदयज मनिजाररत मकयज मक ि िदीनज क दस-दस लडको को पढनज मसखज द अरजात मजनको िकत करजन हत िन रजमश दन िजलज कोई नही रज उनह यो ही आजजद कर मदयज, ि िनिजन लोग जो मफदयज द सकत र उन स उमचत मफदयज लकर छोड मदयज और इस परकजर इस परजचीन दजसपररज को मक कमदयो को दजस बनज कर रखज जजतज रज सिजपत कर मदयज।

96हजरत महममदस का पवितर जीिन

उहद कला यदधकजमफरो की सनज न बदर की रणभमि स भजगत हए यह घोरणज की

री मक अगल िरा हि पनः िदीनज पर आकरिण करग तरज िसलिजनो स अपनी परजजय कज बदलज लग। अतः एक िरा क पशजत ि पनः परी तवयजरी करक िदीनज पर आकरिणकजरी हए। िककज िजलो की यह दशज री मक उनहोन बदर क यदध क पशजत यह घोरणज कर दी री मक मकसी वयसकत को अपन पररो पर रोन की आजञज नही तरज जो वयजपजररक कजमफल आएग उनकी आय भजिी यदध क मलए सरमकत रखी जजएगी। अतः बडी तवयजरी क पशजत तीन हजजर स अमिक सवमनको क सजर अब सफयजन िदीनज पर आकरिणकजरी हआ। रसल करीि (स.अ.ि.) न सहबजरमज. स परजिशा मकयज मक कयज हि शहर ि ठहर कर िकजबलज करनज चजमहए यज बजहर मनकलकर? आप कज अपनज मिचजर यही रज मक शतर को आकरिण करन मदयज जजए तजमक यदध क आरमभ करन कज िही उतरदजयी हो और िसलिजन अपन घरो ि बवठ कर आसजनी स सजिनज कर सक, परनत ि िसलिजन यिक मजनह बदर क यदध ि ससमिमलत होन कज अिसर परजपत नही हआ रज और मजनक हदयो ि एक पीडज री मक कजश ! हि भी खदज क िजगा ि शहीद होन कज अिसर परजपत होतज। उनहोन आगरह मकयज मक हि शहीद होन स कयो िमचत मकयज जजतज ह। अतः आपस. न उनकी बजत सिीकजर कर ली।

परजिशा करत सिय आप न एक सिपन भी सनजयज। फरिजयज— सिपन ि िन ककछ गजए दखी ह तरज िन दखज मक िरी तलिजर कज मसरज िि गयज ह और िन यह भी दखज मक ि गजए मजबह की जज रही ह और मफर यह मक िन अपनज हजर एक िजबत और सरमकत किच क अनदर डजलज ह और िन यह भी दखज मक ि एक िढ की पीठ पर सिजर ह। -इबन महशजि मजलद-2 पषठ 77-तबकजत इबन सअद मकसि अविल भजग-मवितीय, पषठ-26

97 हजरत महममदस का पवितर जीिन

सहजबजरमज. न कहज— ह अललजह क रसल ! आप न इन सिपनो की कयज तज’बीर की? आपन फरिजयज— गजय क मजबह करन की तज’बीर यह ह — मक िर ककछ सहजबजरमज. शहीद होग और तलिजर कज मसरज ििन स अमभपरजय यह िजलि होतज ह मक िर मपरयजनो ि स कोई परिख वयसकत शहीद होगज अरिज कदजमचत िझ ही इस यदध ि कोई कटि पहच तरज किच क अनदर हजर डजलन कज अमभपरजय ि यह सिझतज ह मक हिजरज िदीनज ि ठहरनज अमिक उमचत ह और िढ पर सिजर होन िजल सिपन की तज’बीर स यह परतीत होतज ह मक कजमफरो क सरदजर पर हि मिजयी होग अरजात िह िसलिजनो क हजर स िजरज जजएगज। यदमप इस सिपन ि िसलिजनो पर यह सपटि कर मदयज गयज रज मक उनकज िदीनज ि रहनज अमिक उमचत ह परनत चमक सिपन की तज’बीर रसल करीि (स.अ.ि.) की अपनी री, इलहजिी नही री, आपन बहित को सिीकजर कर मलयज और यदध क मलए बजहर जजन कज मनणाय कर मदयज। जब आप बजहर मनकल तो यिको क अपन हदय ि लजज कज आभजस हआ। उनहोन कहज ह अललजह क रसल ! जो आप कज परजिशा ह िही उमचत ह, हि िदीनज ि ठहर कर शतर कज सजिनज करनज चजमहए। आपस. न फरिजयज— खदज कज नबी जब किच िजरण कर लतज ह तो उतजरज नही करतज। अब चजह ककछ भी हो हि आग ही जजएग। यमद ति न िवया स कजि मलयज तो खदज की सहजयतज तमहजर सजर होगी। यह कह कर आपस. एक हजजर सनज क सजर िदीनज स मनकल और रोडी दर जजकर रजत वयतीत करन क मलए डरज डजल मदयज। आप कज सदवि यह मनयि रज मक आप शतर क पजस पहच कर अपनी सनज को ककछ सिय मिशरजि करन कज अिसर मदयज करत र, तजमक ि अपन सजिजन आमद तवयजर कर ल। परजतःकजल की निजज क सिय जब आप मनकल तो आप को जञजत हआ मक ककछ यहदी भी अपन सिझौतज मकए हए कबीलो की सहजयतज क बहजन आए ह। चमक यहमदयो क रडतरो की जजनकजरी

98हजरत महममदस का पवितर जीिन

आप को हो चकी री। आप न फरिजयज— इन लोगो को िजपस कर मदयज जजए। इस पर अबदललजह मबन उबयय मबन सलल जो िनजमफको (विविखी लोगो) कज सरदजर रज िह भी अपन तीन सौ सजमरयो को लकर यह कहत हए िजपस लौि गयज मक अब यह लडजई नही रही, यह तो मिनजश को मनितरण दनज ह; कयोमक सिय अपन सहजयको को यदध स रोकज जजतज ह। पररणजिसिरप िसलिजन िजतर सजत सौ रह गए जो शतर सनज की सखयज क चौरजई भजग स भी कि र और यदध सजिगरी की दसटि स और भी मनबाल; कयोमक शतर सनज ि सजत सौ किचिजरी र और िसलिजनो ि िजतर एक सौ किचिजरी। शतर सनज ि दो सौ घडसिजर र परनत िजसलिजनो क पजस किल दो घोड र। असत आप ‘उहद’ क सरजन पर पहच। िहज पहच कर आपन एक दरच की सरकज क मलए पचजस सवमनक मनयकत मकए और सवमनको क अफसर को मनदचश मदयज मक दरजा इतनज िहतिपणा ह मक चजह हि िौत क घजि उतजर मदए जजए यज मिजयी हो जजए ति यहज स न हिनज। ततपशजत आप शर छः सौ पचजस सवमनक लकर शतर कज सजिनज करन क मलए मनकल, जो अब शतर की सखयज स लगभग पजचिज भजग र। यदध हआ तरज अललजह तआलज की सहजयतज और सहयोग स रोडी ही दर ि सजढ छः सौ िसलिजनो क िकजबल ि िककज कज तीन हजजर अनभिी सवमनक दल सर पर पवर रख कर भजगज।

हवजय ः परलाजय क आवरण मिसलिजनो न उन कज पीछज करनज आरमभ मकयज। यह दख कर

दरच की सरकज पर मनयकत सवमनको न अपन अफसर स कहज मक अब तो शतर परजमजत हो चकज ह, अब हि भी मजहजद कज पणय परजपत करन मदयज जजए। अफसर न उनह इस बजत स रोकज तरज रसल करीि (स.अ.ि.) कज

-इबन महशजि मजलद-2, पषठ-78

99 हजरत महममदस का पवितर जीिन

आदश सिरण करजयज परनत उनहोन कहज — रसल करीि (स.अ.ि.) न जो ककछ फरिजयज रज किल जोर दन क मलए फरिजयज रज अनयरज आप कज अमभपरजय यह तो नही हो सकतज रज मक शतर भजग भी जजए तो भी यहज खड रहो। यह कहत हए उनहोन दरजा छोड मदयज और रणभमि ि कद पड। भजगती हई सनज ि स खजमलद मबन िलीद जो बजद ि इसलजि क िहजन सनजपमत मसदध हए की दसटि खजली दरच पर पडी जहज किल ककछ सवमनक अपन अफसर क सजर खड र। खजमलद न अपनी (कजमफरो की) सनज क अनय सनजपमत उिर मबन अलआस को आिजज दी और कहज मक पीछ पहजडी दरच पर तमनक दसटि डजलो। उिर मबन अलआस न जब दरच पर दसटि डजली तो सिझज मक िझ जीिन कज सिमणाि अिसर परजपत हो रहज ह। दोनो सनजपमतयो न अपनी भजगती हई सनज को सभजलज और इसलजिी सनज को भजरी कमत पहचजत हए पिात पर चढ गए, िहज दरच की सरकज क मलए रोड स िसलिजन खड रह गए र, उनको िकड-िकड करत हए पीछ स इसलजिी सनज पर िि पड। उनक मिजय-नजद को सनकर शतर की भजगती सनज रणभमि की ओर लौि पडी। यह आकरिण ऐसज अचजनक हआ तरज कजमफरो कज पीछज करन क कजरण िसलिजन इतन मबखर गए मक उन लोगो क िकजबल ि कोई सिमचत इसलजिी सनज नही री। रणभमि ि अकलज-अकलज सवमनक मदखजई द रहज रज, मजन ि स ककछ को उन लोगो न िजर मदयज, शर इस असिजस ि र मक यह हो कयज गयज ह पीछ की ओर दौड। ककछ सहजबज दौड कर रसलललजह (स.अ.ि.) क चजरो ओर एकतर हो गए मजनकी सखयज अमिक स अमिक तीस री। कजमफरो न उस सरजन पर भयकर आकरिण मकयज जहज रसल करीि (स.अ.ि.) खड र। सहजबज एक क बजद एक आपस. की रकज करत हए िजर जजन लग। कपजणिजररयो क अमतररकत िनरिजरी ऊच िीलो पर खड होकर रसल करीि (स.अ.ि.)

-जरकजनी मजलद-2, पषठ-35

100हजरत महममदस का पवितर जीिन

की ओर अिजिि िजण-िरजा कर रह र। उस सिय तलहजरमज. न जो करश ि स र तरज िककज क िहजमजरो ि स र, यह दखत हए मक शतर सब क सब तीर रसल करीि (स.अ.ि.) क िख की ओर फक रहज ह अपनज हजर रसलललजह (स.अ.ि.) क िख क आग खडज कर मदयज। िजण-िरजा ि जो तीर लकय पर मगरतज रज िह ‘तलहजरमज.’ क हजर पर मगरतज रज, परनत परजणो की बजजी लगजन िजलज िफजदजर मसपजही अपन हजर को कोई हरकत नही दतज रज। इस परकजर तीर पडत गए और तलहजरमज. कज हजर घजिो स छलनी हो कर मबलककल बकजर हो गयज और उनकज एक ही हजर शर रह गयज। िरको पशजत इसलजि की चौरी मखलजफत क यग ि जब िसलिजनो ि गह-यदध आरमभ हआ तो मकसी शतर न वयग क तौर पर तलहज को िणडज कहज। इस पर एक अनय सहजबी न कहज— हज िणडज ही ह परनत कसज िबजरक िणडज ह। तमह जञजत ह तलहज कज यह हजर रसल करीि (स.अ.ि.) क िख की रकज ि िणडज हआ रज। उहद क यदधोपरजनत मकसी वयसकत न तलहजरमज. स पछज मक जब िजण हजर पर लगत र तो कयज आप को ददा नही होतज रज और कयज आप क िख स उफ नही मनकलती री? तलहजरमज. न उतर मदयज— ददा भी होतज रज और उफ भी मनकलनज चजहती री परनत ि उफ करतज नही रज तजमक ऐसज न हो मक उफ करत सिय िरज हजर महल जजए और तीर रसल करीि (स.अ.ि.) क िख पर आ लग।

परनत य ककछ लोग इतनी मिशजल सनज कज कब तक िकजबलज कर सकत र कजमफरो की सनज कज एक मगरोह आग बढज और उस न रसल करीि (स.अ.ि.) क पजस क जिजनो को िकलज कर पीछ कर मदयज। रसल करीि (स.अ.ि.) िहज अकल पिात की भजमत खड र मक बड जोर स एक पतरर आप क खोद (Security Cap लोह की िोपी) पर लगज खोद की कील आप क सर पर घस गई और आप बहोश होकर उन सहजबजरमज.

-इबन महशजि मजलद-2, पषठ-84

101 हजरत महममदस का पवितर जीिन

क शिो पर जज पड जो आप क चजरो ओर लडत हए शहीद हो चक र। ततपशजत ककछ अनय सहजबजरमज. आप क शरीर की रकज करत हए शहीद हए और उनक शि आप क शरीर पर जज मगर। कजमफरो न आप क शरीर को शिो क नीच दबज हआ दख कर सिझज मक आप िजर जज चक ह। अतः िककज की सनज सिय को पनगाठन क उदशय स पीछ हि गई। जो सहजबज आप क पजस खड र और मजनह कजमफरो की सनज कज रलज ढकल कर पीछ ल गयज रज उनि हजरत उिररमज. भी र। जब आप न दखज मक रणभमि सिसत लडन िजलो स सजफ हो चकी ह तो आप को मिशवजस हो गयज मक रसल करीि (स.अ.ि.) शहीद हो गए ह और िह वयसकत मजस न बजद ि एक ही सिय ि कसर तरज मकसज कज िकजबलज बडी बहजदरी स मकयज रज और उस कज हदय कभी नही घबरजयज और न भयभीत हआ रज। िह एक पतरर पर बवठकर बचो की भजमत रोन लग गयज, इतन ि िजमलकरमज. नजिक एक सहजबी जो इसलजिी सनज की मिजय क सिय पीछ हि गए र; कयोमक िह मनरजहजर र और रजत स उनहोन ककछ नही खजयज रज। जब मिजय हो गई तो ककछ खजर लकर पीछ की ओर चल गए तजमक उनह खजकर अपनी भख दर कर। िह मिजय की खशी ि िहल रह र मक िहलत-िहलत हजरत उिररमज. तक जज पहच और उिररमज. को रोत दख कर हरजन हए और आशया स पछज— उिर आप को कयज हआ? इसलजि की मिजय पर आप को परसनन होनज चजमहए यज रोनज चजमहए? उिर न उतर ि कहज— िजमलक! कदजमचत ति मिजय क तरनत बजद पीछ हि आए र, तमह िजलि नही मक कजमफरो की सनज पहजडी क पीछ स चककर कजिकर इसलजिी सनज पर िि पडी और चमक िसलिजन असत-वयसत हो चक र, उनकज िकजबलज कोई न कर सकज। रसलललजह (स.अ.ि.) ककछ सहजबज क सजर उन क िकजबल क मलए खड हए और िकजबलज करत-करत शहीद हो गए। िजमलकरमज. न कहज— उिर यमद यह बजत सही ह तो आप

102हजरत महममदस का पवितर जीिन

यहज बवठ कयो रो रह ह, मजस लोक ि हिजरज पयजरज गयज ह हि भी तो िही जजनज चजमहए। यह कहज और िह असनति खजर जो आप क हजर ि री मजस आप िख ि डजलन ही िजल र उस यह कहत हए फक मदयज मक ह खजर! िजमलक और सिगा क िधय तर अमतररकत और कौन सी िसत रोक ह यह कहज और तलिजर लकर शतर की सनज ि घस गए। तीन हजजर सनज क िकजबल ि एक वयसकत कर ही कयज सकतज रज, परनत एक खदज की उपजसनज करन िजली भजिनज बहतो पर भजरी होती ह। िजमलकरमज. इस मनभायतज स लड मक शतर सतबि रह गयज परनत अनततः घजयल हए, मफर मगर तरज मगर कर भी शतरओ क सवमनको पर आकरिण करत रह, मजस क पररणजिसिरप िककज क कजमफरो न आप पर इतनज भयजनक आकरिण मकयज मक यदध क पशजत आप क शि क सतर िकड मिल, यहज तक मक आप कज शि पहचजनज नही जजतज रज। अनत ि आप की बहन न एक उगली स पहचजन कर बतजयज मक यह िर भजई कज शि ह।

ि सहजबजरमज. जो रसलललजह (स.अ.ि.) क चजरो ओर र और जो कजमफरो की सनज की बहतजत क कजरण पीछ ढकल मदए गए र, कजमफरो क पीछ हित ही ि पनः रसलललजह (स.अ.ि.) क पजस एकतर हो गए। उनहोन आपक िबजरक शरीर को उठजयज तरज एक सहजबी उबवदज मबन जरजाह न अपन दजतो स आप क सर ि घसी हई कील को जोर स मनकजलज मजस स उनक दो दजत िि गए। रोडी दर ि रसलललजह (स.अ.ि.) को होश आ गयज और सहजबज न िवदजन ि चजरो ओर लोग दौडज मदए मक िसलिजन पनः एकतर हो जजए। भजगी हई सनज पनः एकतर होन लगी। रसल करीि (स.अ.ि.) उनह लकर पिात क आचल ि चल गए। जब पिात क आचल ि बची हई सनज खडी री तो अब सफयजन न बड जोर स आिजज दी और कहज— हि न िहमिद (स.अ.ि.) को िजर मदयज। रसलललजह (स.अ.ि.) न अब सफयजन की बजत कज उतर न मदयज तजमक ऐसज न हो

103 हजरत महममदस का पवितर जीिन

मक शतर िसत ससरमत स अिगत हो कर पनः आकरिण कर द और घजयल िसलिजन पनः शतर क आकरिण क मशकजर हो जजए। जब इसलजिी सनज स इस बजत कज कोई उतर न मिलज तो अब सफयजन को मिशवजस हो गयज मक उस कज अनिजन उमचत ह तब उसन बड जोर स आिजज दकर कहज— हि न अब बकररमज. को भी िजर मदयज। रसलललजह (स.अ.ि.) न अब बकररमज. को आदश मदयज मक कोई उतर न द। अब सफयजन न मफर आिजज दी— हिन उिररमज. को भी िजर मदयज। तब उिररमज. जो बहत जोशील वयसकत र, उनहोन उसक परतयतर ि यह कहनज चजहज मक हि लोग खदज की कपज स जीमित ह और तमहजरज िकजबलज करन क मलए तवयजर ह परनत रसल करीि (स.अ.ि.) न रोक मदयज मक िसलिजनो को कटि ि न डजलो, खजिोश रहो। अतः कजमफरो को मिशवजस हो गयज मक इसलजि क परिताक तरज उनक दजए-बजए की सनज को भी हिन िौत क घजि उतजर मदयज ह। इस पर अब सफयजन और उसक सजमरयो न खशी स जयघोर मकयज — ھبل

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हिजरी समिजननीय िमता हबल की‘ ا

जय हो’ मक उसन आज इसलजि कज अनत कर मदयज ह। िही रसल करीि (स.अ.ि.) जो अपनी ितय की घोरणज पर, अबबकररमज. की ितय की घोरणज पर तरज उिररमज. की ितय की घोरणज पर खजिोश रहन कज उपदश द रह र तजमक ऐसज न हो मक घजयल िसलिजनो पर कजमफरो की सनज मफर स आकरिण न कर द और िटी भर िसलिजन उसक हजरो शहीद हो जजए। अब जब मक एक खदज की परमतषठज कज परशन उतपनन हआ और िवदजन ि विवतिजद कज जयघोर मकयज गयज तो आपकी आतिज वयजककल हो उठी तरज आपन अतयनत जोश क सजर सहजबज की ओर दखत हए फरिजयज — ति लोग उतर कयो नही दत। सहजबज न कहज — ह अललजह क रसल! हि कयज कह? फरिजयज — कहो —

جلعل وا

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अललजहो आ’लज ि) ا

-अससीरतल हलमबययह मजलद-2, पषठ-270

104हजरत महममदस का पवितर जीिन

अजलल) ति झठ बोलत हो मक हबल की शजन ऊची हई। खदज एक ह उसकज कोई सजरी नही, िह परमतषठजिजन ह तरज बडी शजन िजलज ह। और इस परकजर आपन अपन जीमित होन की सचनज शतरओ को पहचज दी। इस िीरतज और मनभषीकतजपणा उतर कज परभजि कजमफरो की सनज पर इतनज गहरज पडज मक इसक बजिजद मक उनकी आशजए इस उतर स मिटटी ि मिल गई तरज इसक बजिजद मक उन क सजिन िटी भर िसलिजन खड र मजन पर आकरिण करक उनह िजर दनज सजसजररक दसटि स मबलककल सभि रज ि दोबजरज आकरिण करन कज सजहस न कर सक और उनह मजस सीिज तक मिजय परजप त हई री उसी की खमशयज िनजत हए िककज को परसरजन मकयज। उहद क यदध ि सपटि मिजय क पशजत एक परजजय कज रप दखन को मिलज परनत यह यदध िजसति ि िहमिद रसलललजह (स.अ.ि.) की सचजई कज एक िहजन चितकजर पणा परिजण रज। इस यदध ि रसल करीि (स.अ.ि.) की भमिषयिजणी क अनसजर िसलिजनो को पहल सफलतज परजपत हई मफर रसल करीि (स.अ.ि.) की भमिषयिजणी क अनसजर आप क मपरय चजचज हमजजरमज. यदध ि िीरगमत को परजपत हए, मफर रसल करीि (स.अ.ि.) की भमिषयिजणी क अनसजर सिय आपस. भी घजयल हए और बहत स सहजबज शहीद हए। इसक अमतररकत िसलिजनो को ऐसी आतिीय शमदध और ईिजन क परदशान कज अिसर परजपत हआ, मजस कज उदजहरण इमतहजस ि और कही नही मिलतज। इस िफजदजरी और ईिजन क परदशान की ककछ घिनजए तो पहल िणान हो चकी ह एक अनय घिनज भी उललखनीय ह मजस स जञजत होतज ह मक िहमिद रसलललजह (स.अ.ि.) की सगमत न सहजबजरमज. क हदयो ि मकतनज दढ ईिजन पवदज कर मदयज रज। जब रसल करीि (स.अ.ि.) ककछ सहजबज को सजर लकर पिात क आचल की ओर चल गए और शतर पीछ हि गयज तो आप न ककछ सहजबजरमज. को आदश मदयज मक ि िवदजन ि जजए और घजयलो को

105 हजरत महममदस का पवितर जीिन

दख। एक सहजबी िवदजन ि खोज करत-करत एक घजयल अनसजरी क पजस पहच। दखज तो उन की दशज बडी दयनीय री और िह परजण तयजग रह र। यह सहजबी उन क पजस पहच और उनह अससलजिो अलवककि कहज। उनहोन कजपतज हआ हजर मिलजन क मलए उठजयज और उन कज हजर पकड कर कहज— ि परतीकज कर रहज रज मक कोई भजई िझ मिल जजए। उनहोन उस सहजबी स पछज मक आपकी दशज तो खतरनजक मिमदत होती ह। कयज कोई सनदश ह जो आप अपन पररजनो को दनज चजहत ह? उस िरणजसनन सहजबी न कहज— हज ! िरी ओर स िर पररजनो को सलजि कहनज मक ि तो िर रहज ह परनत अपन पीछ खदज तआलज की एक पमितर अिजनत िहमिद रसलललजह (स.अ.ि.) कज अससतति ति ि छोड जज रहज ह। ह िर भजइयो और समबसनियो ! िह खदज कज सचज रसल ह। ि आशज करतज ह मक ति उसकी रकज ि अपन परजण नयोछजिर करन स सकोच नही करोग तरज िरी इस िसीयत को सिरण रखोग (िअतज तरज जरकजनी) िरन िजल िनषय क हदय ि अपन पररजनो को पहचजन क मलए हजजरो सनदश पवदज होत ह परनत य लोग िहमिद रसलललजह (स.अ.ि.) की सगमत ि अपन आप को इतनज मिसित कर चक र मक न उनह अपन पतर यजद आ रह र, न पसतनयज। न, िन-दौलत यजद आ रही री, न सपमतयज। उनह यमद ककछ सिरण रज तो किल िहमिद रसलललजह (स.अ.ि.) कज अससतति ही सिरण रज। ि जजनत र मक ससजर की िसकत इस वयसकत क सजर ह। हिजर ितयोपरजनत यमद हिजरी सनतजन जीमित रही तो ि कोई बडज कजया नही कर सकती परनत यमद इस िसकतदजतज की सरकज ि उनहोन अपन परजण द मदए तो यदमप हिजर अपन िश मिि जजएग परनत ससजर जीमित हो जजएगज, शवतजन क पज ि फसज हआ िनषय मफर िसकत पज जजएगज; कयोमक हिजर िशो क जीिन स हजजरो गनज अमिक िलयिजन लोगो कज जीिन और िोक ह।

असत रसलललजह (स.अ.ि.) न घजयलो और शहीदो को एकतर मकयज

106हजरत महममदस का पवितर जीिन

घजयलो की िरहि-पटटी की गई तरज शहीदो को दफन करन कज परबि मकयज गयज। उस सिय आप को िजलि हआ मक िककज क अतयजचजरी कजमफरो न ककछ िसलिजन शहीदो क नजक-कजन कजि मदए ह। अतः य लोग मजनक नजक-कजन कजि गए र उन ि सिय आप क चजचज हमजजरमज. भी र। आप को यह दरशय दख कर बहत दःख हआ तरज आप न फरिजयज— कजमफरो न सिय अपन किा स अपन मलए इस बदल को उमचत बनज मदयज ह मजस हि अनमचत सिझत र। परनत खदज तआलज की ओर स उस सिय आपस. को िहयी (ईशिजणी) हई मक कजमफर जो ककछ करत ह उनह करन दो, ति दयज और नयजय कज आचल हिशज रजि रखो।

उहद क यदध स वलापसी तथिला मदीनला वलाहसयो की तयलाग-भलावनलाए

जब इसलजिी सनज िजपस िदीनज की ओर लौिी तो उस सिय तक रसल करीि (स.अ.ि.) क शहीद होन तरज इसलजिी सनज क असत-वयसत होन कज सिजचजर िदीनज पहच चकज रज। िदीन की ससतरयज और बच पजगलो की भजमत आग बढत हए उहद की ओर भजग चल जज रह र। अमिकजश को तो िजगा ि सचनज मिल गई और ि रक गए परनत बन दीनजर कबील की एक िमहलज पजगलो की तरह आग बढत हए उहद तक जज पहची। जब िह पजगलो की भजमत उहद क िवदजन की ओर जज रही री, उस िमहलज कज पमत, भजई तरज मपतज उहद ि िजर जज चक र तरज ककछ करजनको ि ह मक एक बिज भी िजरज गयज रज। जब उस उसक बजप क िजर जजन की सचनज दी गई तो उसन कहज— िझ यह बतजओ मक रसलललजह (स.अ.ि.) कज कयज हजल ह ? चमक सचनज दन िजल रसल करीि (स.अ.ि.) की ओर स सतटि र ि बजरी-बजरी उस उसक भजई, पमत और पतर की ितय की सचनज दत चल गए परनत िह यही कहती

107 हजरत महममदस का पवितर जीिन

चली जजती री— وسل یہ

عل الل

صل

الل رسول िज फअलज) مافعل

रसलललजह सललललजहो अलवमह िसललि) अर रसलललजह (स.अ.ि.) न यह कयज मकयज। दखन ि यह िजकय गलत िजलि होतज ह और इसी कजरण इमतहजसकजरो न मलखज ह मक इसकज तजतपया यह रज मक रसल करीि (स.अ.ि.) स कयज हआ परनत िजसतमिकतज यह ह मक यह िजकय गलत नही अमपत ससतरयो की सजिजनय बोल-चजल क अनसजर मबलककल सही ह। एक सतरी की सिदनजए बहत तीवर होती ह और िह परजयः ितको को जीमित सिझ कर बजत करती ह। उदजहरणतयज ककछ ससतरयो क पमत और पतरो कज मनिन हो जजतज ह तो उनक मनिन पर आतानजद ि स समबोमित हो कर ि इस परकजर की बजत करती रहती ह मक िझ मकस पर छोड चल हो? बिज इस बढजप ि िझ स कयो िख िोड मलयज? शोकजतर अिसरज ि यह अदभत रहसयिय भजिोदरक कज परदशान िजनि परकमत की यरजरातज ह।

इसी परकजर रसल करीि (स.अ.ि.) की ितय कज सिजचजर सन कर उस सतरी कज हजल हआ। िह आपको ितक रप ि सिीकजर करन क मलए तवयजर नही री और दसरी ओर इस सचनज कज खणडन भी नही कर सकती री। इसमलए शोक क तीवर सिग ि यह कहती जजती री — अर रसलललजह (स.अ.ि.) न यह कयज मकयज अरजात ऐसज िफजदजर वयसकत हि यह आघजत पहचजन पर कयोकर सहित हो गयज।

जब लोगो न दखज मक उस अपन मपतज, पमत और भजई की कोई परिजह नही तो ि उसकी सची भजिनजओ को सिझ गए तो उनहोन कहज मक अिक की िज ! रसलललजह (स.अ.ि.) तो मजस परकजर त चजहती ह खदज की कपज स ककशलपिाक ह। इस पर उसन कहज — िझ मदखजओ िह कहज ह? लोगो न कहज आग चली जजओ, िह आग खड ह। िह िमहलज भजग कर आप तक पहची तरज आप क आचल को पकड कर बोली — ह अललजह क रसल ! िर िज-बजप आप पर बमलहजरी। जब आप सरमकत ह

108हजरत महममदस का पवितर जीिन

तो कोई िर िझ परिजह नही। ب(

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पररो न यदध ि ईिजन कज िह आदशा परदमशात मकयज और ससतरयो न िफजदजरी कज यह निनज मदखजयज मजस कज उदजहरण अभी िन िणान मकयज ह। ईसजई जगत िरयि िगदलीनी (MAGDALENE) और उसकी सजरी ससतरयो की उस िीरतज पर गिा करतज ह। मक िह िसीह की कब पर परजतःकजल शतरओ स छप कर पहची री। ि उन स कहतज ह आओ तमनक िर मपरयति क िफजदजरो और परजण बमलदजन करन िजलो को दखो मकन पररससरमतयो ि उनहोन उस कज सजर मदयज और मकन अिसरजओ ि उनहोन एकशवरिजद क धिज को फहरजयज।

इस परकजर क तयजग की भजिनज कज एक अनय उदजहरण और भी इमतहजस की पसतको ि मिलतज ह। जब रसल करीि (स.अ.ि.) शहीदो को दफन करक िदीनज िजपस गए तो मफर ससतरयज और बच सिजगत क मलए नगर स बजहर मनकल आए। रसल करीि (स.अ.ि.) की ऊिनी की बजग िदीनज क रईस सअद मबन िआज न पकडी हई री और गिा स आग-आग दौड जजत र। कदजमचत ससजर स यह कह रह र मक दखज हि िहमिद रसलललजह (स.अ.ि.) को ककशलपिाक अपन घर िजपस ल आए। शहर क पजस उनह अपनी बढी िज मजसकी दसटि किजोर हो चकी री, आती हई मिली। उहद ि उसकज एक बिज उिर मबन िआज भी िजरज गयज रज उस दख कर सअद मबन िआज न कहज— ह अललजह क रसल (स.अ.ि.) ! िरी िज !!! ह अललजह क रसल (स.अ.ि.)िरी िज आ रही ह। आप न कहज— खदज तआलज की बरकतो क सजर आए। बमढयज आग बढी और अपनी किजोर फिी आखो स इिर-उिर दखज मक कही रसलललजह (स.अ.ि.) की शकल मदखजई द जजए। अनततः रसल करीि (स.अ.ि.) कज चहरज पहचजन मलयज और परसनन हो गई।

109 हजरत महममदस का पवितर जीिन

रसलललजह (स.अ.ि.) न फरिजयज— िजई िझ तमहजर बि क शहीद होन पर ति स सहजनभमत ह। इस पर उस नक सतरी न कहज— हजर ! जब िन आपको सरमकत दख मलयज तो सिझो मक िन कटि को भन कर खज मलयज। “कटि को भन कर खज मलयज” मकतनज मिमचतर िहजिरज ह, परि की मकतनी आगजि भजिनजओ को दशजातज ह। शोक िनषय को खज जजतज ह िह सतरी मजस की िदधजिसरज ि उसक बढजप कज सहजरज िि गयज मकस बहजदरी स कहती ह— िर बि क शोक न िझ कयज खजनज ह जब िहमिद रसलललजह (स.अ.ि.) जीमित ह तो ि उस शोक को खज जजऊगी। िर बि की ितय िझ िजरन कज कजरण नही होगी अमपत यह मिचजर मक रसलललजह (स.अ.ि.) क मलए उसन परजण मदए िरी शसकत को बढजन कज कजरण होगज। ह अनसजर ! िर परजण ति पर बमलहजरी हो, ति मकतनज पणय ल गए।

बहरहजल रसल करीि (स.अ.ि.) सककशल िदीनज पहच। यदमप इस यदध ि बहत स िसलिजन िजर भी गए और बहत स घजयल भी हए परनत मफर भी उहद कज यदध परजजय नही कहलज सकतज। मजन घिनजओ कज िन ऊपर उललख मकयज ह उनह दसटिगत रखत हए यह एक िहजन मिजय री, ऐसी मिजय मक िसलिजन उस परलय तक सिरण करक अपन ईिजन ि िमदध कर सकत ह तरज िमदध करत रहग। िदीनज पहच कर आपस. न मफर अपनज िल कजया अरजात परमशकण, मशकज तरज आतिशमदध कज कजया आरमभ कर मदयज परनत आपस. यह कजया सरलतज और सगितज स नही कर सक, उहद की घिनज क पशजत यहद ि और भी दससजहस पवदज हो गयज तरज पजखमडयो (िनजमफको) न और अमिक सर उठजनज आरमभ कर मदयज तरज ि सिझ मक कदजमचत इसलजि को मििज दनज िजनि-शसकत क अनदर की बजत ह। अतः यहमदयो न आप को नजनज परकजर स कटि दनज आरमभ कर मदयज। गनद छनद बनजकर उनि आप क िश की मननदज की जजती री। एक बजर आप को मकसी मििजद कज मनणाय करन मक मलए यहमदयो क मकल

110हजरत महममदस का पवितर जीिन

ि जजनज पडज तो उनहोन रडतर मकयज मक जहज आप बवठ ह उसक ऊपर स पतरर की एक बडी मशलज मगरज कर आपको शहीद कर मदयज जजए, परनत खदज तआलज न आपको सिय पर समचत कर मदयज तरज आप िहज स मबनज ककछ कह उठकर चल आए। बजद ि यहमदयो न अपनी गलती को सिीकजर कर मलयज। िसलिजन ससतरयो कज बजजजर ि अपिजन मकयज जजतज रज। एक बजर इस झगड ि एक िसलिजन िजरज भी गयज। एक बजर यहमदयो न एक िसलिजन लडकी कज सर पतरर िजर-िजर कर ककचल मदयज और िह तडप-तडप कर िर गई। इन सिसत कजरणो स िसलिजनो को यहमदयो स भी यदध करनज पडज, परनत अरब और यहद क कजनन क अनसजर िसलिजनो न उनह िजरज नही अमपत उनह िदीनज स पलजयन करन की शता पर छोड मदयज। अतः उन दोनो कबीलो ि स एक तो शजि की ओर पलजयन कर गयज और दसर कज ककछ भजग शजि चलज गयज और ककछ िदीनज स उतर मदशज ि खवबर नजिक एक नगर की ओर। यह नगर अरब ि यहमदयो कज कनदर रज और सदढ मकलो पर आिजररत रज।

महदरलापलान क हनषध कला आदश और उसकला परभलावउहद क यदध तरज उसक बजद होन िजल यदध क अनतरजल ि ससजर

न इसलजि क अपन अनयजमययो पर होन िजल परभजि कज एक सपटि उदजहरण दखज। हिजरज अमभपरजय िमदरज मनरि स ह। इसलजि स पिा अरबो की दशज कज िणान करत हए हि न बतजयज रज मक अरब लोग िमदरजपजन क अभयसर र। परतयक परमतसषठत अरब िश ि मदन ि पजच बजर िमदरजपजन मकयज जजतज रज तरज िमदरज क नश ि चर हो जजनज उनक मलए सजिजनय बजत री तरज इसि ि तमनक भी लजज िहसस नही करत र अमपत ि इस एक शभ किा सिझत र। जब कोई अमतमर आतज तो गह-सिजमिनी कज कतावय होतज मक िह िमदरजपजन करजए। इस परकजर क लोगो स ऐसी

111 हजरत महममदस का पवितर जीिन

मिनजशकजरी आदत कज छडजनज कोई आसजन कजया न रज परनत महजरत क चौर िरा िहमिद रसलललजह (स.अ.ि.) को खदज की ओर स आदश मिलज मक िमदरजपजन कज मनरि मकयज जजतज ह। इस आदश की घोरणज होत ही िसलिजनो न िमदरजपजन कज मबलककल पररतयजग कर मदयज। अतः हदीस ि आतज ह मक जब शरजब क अिवि होन की ईशिजणी उतरी तो हजरत िहमिद (स.अ.ि.) न एक सहजबी को बलजयज और आदश मदयज मक इस निीन आदश की घोरणज िदीनज की गमलयो ि कर दो। उस सिय एक अनसजरी (िदीनज कज िसलिजन) क घर ि शरजब की पजिषी री, बहत स लोग आिमतरत र तरज शरजब कज दौर जजरी रज, एक बडज ििकज खजली हो चकज रज, दसरज ििकज आरमभ होन िजलज रज। लोग नश ि िसत हो चक र और बहत स नश ि िसत होन क मनकि र। ऐसी अिसरज ि उनहोन सनज मक कोई वयसकत घोरणज कर रहज ह मक आहजरत (स.अ.ि.) क आदश क अनतगात िमदरजपजन अिवि कर मदयज गयज ह। उन ि स एक वयसकत उठकर बोलज यह तो िमदरजपजन की मनरिजजञज परतीत होती ह। ठहरो इस सबि ि जजनकजरी परजपत कर ल, इतन ि एक अनय वयसकत उठज और उसन शरजब स भर ििक को अपनी लजठी िजर कर िकड-िकड कर मदयज और कहज — पहल आजञज कज पजलन करो, ततपशजत जजनकजरी परजपत करो। यह पयजापत ह मक हिन ऐसी घोरणज सन ली और यह उमचत नही मक हि शरजब पीत जजए और पछ-तजछ कर अमपत हिजरज कतावय यह ह मक शरजब को गमलयो ि बह जजन द मफर घोरणज क सबि ि जजनकजरी परजपत कर।

इस िसलिजन कज मिचजर उमचत रज कयोमक यमद िमदरजपजन अिवि मकयज जज चकज रज तो इसक पशजत यमद ि िमदरजपजन जजरी रखत तो एक अपरजि करन िजल होत और यमद िमदरजपजन अिवि नही मकयज गयज तो उसकज बहज दनज इतनज हजमनपरद न रज मक उस सहन नही मकयज जज

112हजरत महममदस का पवितर जीिन

सकतज। इस घोरणज क पशजत िसलिजनो स िमदरजपजन मबलककल दर हो गयज। इस िहजन करजसनत को लजन क मलए कोई मिशर परयजस और परजकरि की आिशयकतज नही पडी। ऐस िसलिजन मजनहोन इस आदश को सनज और मजसकज तरनत पजलन हआ, उस दखज, सतर-अससी िरा तक जीमित रह परनत उनि स एक वयसकत भी ऐसज नही मजसन इस आदश क पशजत उसकी अिहलनज की हो। यमद ऐसी कोई घिनज हई ह तो िह ऐस वयसकत क सबि ि ह जो िहमिद रसलललजह (स.अ.ि.) स सीि तौर पर परमशमकत न हआ हो। जब हि उसकी तलनज अिरीकज क िमदरज मनरि आनदोलन स करत ह तरज उन परयजसो को दखत ह जो उस आदश को लजग करन क मलए मकए गए अरिज जो िरको तक यरोप ि मकए गए तो सपटि मदखजई दतज ह मक एक ओर तो हजरत िहमिद रसलललजह (स.अ.ि.) की िजतर एक घोरणज पयजापत री मक इस सजिजमजक दोर को अरब लोगो स सिजपत कर द परनत दसरी ओर िमदरज-मनरि क कजनन बनजए गए। पमलस सनज तरज िकस मिभजगो क किाचजररयो न िमदरजपजन क अमभशजप को दर करन क मलए सजिमहक तौर पर परयतन मकए परनत ि असफल रह तरज उनह अपनी असफलतज को सिीकजर करनज पडज तरज िमदरजपजन की जीत रही तरज यह िमदरजपजन कज अमभशजप दर न मकयज जज सकज। हिजर इस ितािजन यग को उननमत कज यग कहज जजतज ह परनत जब इसकी तलनज इसलजि क परजरसमभक कजल स करत ह तो हि सतबि रह जजत ह मक इन दोनो ि उननमत कज यग कौन सज ह। हिजरज यह यग अरिज इसलजि कज िह यग, मजसन इतनी बडी सजिजमजक करजसनत को जनि मदयज।

उहद क यदधोपरलानत कलाहिर कबीलो क जघनय षडतरउहद की घिनज ऐसी न री मजस आसजनी स भलजयज जज सकतज।

िककज िजलो न मिचजर मकयज रज मक यह उन की इसलजि क मिरदध पररि

113 हजरत महममदस का पवितर जीिन

मिजय ह। उनहोन यह सिजचजर सिसत अरब ि परसजररत मकयज तरज अरब कबीलो को इसलजि क मिरदध भडकजन तरज यह मिशवजस मदलजन कज िजधयि बनजयज मक िसलिजन अजय नही ह और यमद ि उननमत करत रह ह तो उसकज कजरण उनकी शसकत नही री अमपत अरब क कबीलो की लजपरिजही री। अरब यमद सयकत परयजस कर तो िसलिजनो पर मिजय परजपत करनज कोई कमठन कजया नही। इस परोपगनडज कज पररणजि यह हआ मक िसलिजनो क परमत मिरोि को बहत बल मिलज तरज अनय कबीलो न िसलिजनो को कटि पहचजन ि िककज िजलो स भी बढकर भजग लनज आरमभ मकयज। ककछ न परतयक रप स आकरिण आरमभ कर मदए और ककछ न अपरतयक रप स उनह हजमन पहचजनज परजरमभ कर मदयज।

महजरत क चौर िरा अरब क दो कबील ‘अजल’ और कजरह न अपन परमतमनमि िहमिद रसलललजह (स.अ.ि.) क पजस भजकर सनदश मदयज मक हिजर कबीलो ि बहत स लोग इसलजि की ओर झकजि रखत ह और अनरोि मकयज मक ककछ वयसकत जो इसलजिी मशकज ि पजरगत हो भज मदए जजए तजमक ि उनक िधय रह कर उनह इस नए ििा की मशकज द। िजसति ि यह एक रडतर रज जो इसलजि क कटटर शतर बन लहयजन न रचज रज। उनकज उदशय यह रज मक जब य परमतमनमि िसलिजनो को लकर आए तो ि उनकज िि करक अपनी ओर स सफयजन मबन खजमलद कज परमतशोि लग। अतः उनहोन अजल और कजरह क परमतमनमि ककछ िसलिजनो को अपन सजर लजन क उदशय स परसकजर क बड-बड िजद दकर िहमिद (स.अ.ि.) की सिज ि भज र। जब ‘अजल’ और ‘कजरह’ क लोगो न िहमिद रसलललजह क पजस पहच कर मनिदन मकयज तो आपस. न उनकी बजत पर मिशवजस करक दस िसलिजनो को उनक सजर भज मदयज मक उन लोगो को इसलजि की आसरजओ और मसदधजनतो की मशकज

-बखजरी मजलद-2 मकतजबलिगजजी, जरकजनी मजलद-2, पषठ-65,66

114हजरत महममदस का पवितर जीिन

द। जब यह दल बन लहयजन क कतर ि पहचज तो अजल और कजरह क लोगो न बन लहयजन को सचनज पहचज दी और उनह सनदश मदयज मक यज तो िसलिजनो को बनदी बनज ल यज िौत क घजि उतजर द। इस मघनौन रडतर क अनतगात बन लहयजन क दो सौ सशसतर लोग िसलिजनो कज पीछज करन क मलए मनकल खड हए तरज ‘रजीह’ क सरजन ि आकर उनह घर मलयज। दस िसलिजनो और दो सौ शतरओ क िधय यदध हआ। िसलिजनो क हदय ईिजन क परकजश स पररपणा र और शतर इस ईिजन स खजली र। दस िसलिजन एक िील पर चढ गए और दो सौ लोगो को िकजबल क मलए ललकजरज। शतर न िोखज दकर उनह बनदी बनजनज चजहज मक यमद ति नीच उतर आओ तो ति स ककछ न कहज जजएगज, परनत िसलिजनो क अिीर न कहज मक हि कजमफरो क िजदो और िचनो को भली-भजमत दख चक ह। ततपशजत उनहोन आकजश की ओर िख उठज कर कहज— ह खदज ! त हिजरी पररससरमत को दख रहज ह, अपन रसल को हिजरी इस पररससरमत की सचनज पहचज द। जब कजमफरो न दखज मक िसलिजनो की इस छोिी सी जिजअत पर उनकी बजतो कज कोई परभजि नही होतज तो उनहोन उन पर आकरिण कर मदयज और िसलिजन मनभायतजपिाक उन स लडत रह यहज तक मक दस ि स सजत शहीद हो गए, शर तीन जो बच गए र उनह कजमफरो न पनः िजदज मदयज मक हि तमहजर परजण बचज लग इस शता पर मक ति िील स नीच उतर आओ, परनत जब ि कजमफरो क िजद िर मिशवजस करक नीच उतर आए तो कजमफरो न उनह अपन िनरो की परतयचजओ स जकड कर बजि मलयज। इस पर उनि स एक न कहज मक यह पहली अिजञज ह जो ति अपन सिझौत क बजर ि कर रह हो। अललजह ही जजनतज ह मक ति इसक पशजत कयज करोग। यह कह कर उसन उन क सजर जजन स इनकजर कर मदयज। कजमफरो न उस िजरनज और घसीिनज आरमभ कर मदयज, परनत अनततः उसक िकजबल और उसक सजहस स

115 हजरत महममदस का पवितर जीिन

इतन मनरजश हो गए मक उनहोन उसकज िही िि कर मदयज। शर दो को ि सजर ल गए तरज उनह िककज क करश क हजर दजस क रप ि बच मदयज, उनि स एक कज नजि खबवबरमज. रज और दसर कज नजि जवद। खबवब कज खरीदजर अपन बजप कज बदलज लन क मलए मजसकज खबवब न बदर क यदध ि िि मकयज रज खबवबरमज. कज िि करनज चजहतज रज। एक मदन खबवबरमज. न अपनी आिशयकतज हत उसतरज िजगज, उसतरज खबवबरमज. क हजर ि रज मक घर िजलो कज एक बचज खलतज हआ उसक पजस चलज गयज। खबवब न उस उठज कर अपनी जजघ पर बवठज मलयज। बच की िज न जब यह दशय दखज तो भयभीत हो गई और उस मिशवजस हो गयज मक अब खबवब बच कज िि कर दगज कयोमक ि ककछ मदनो ि खबवब कज िि करन िजल र। उस सिय उसतरज उसक हजर ि रज और बचज उसक इतनज मनकि रज मक िह उस हजमन पहचज सकतज रज। खबवबरमज. न उस बच की िज क चहर स उसकी वयजककलतज को भजप मलयज और कहज मक ति सोचती हो मक ि तमहजर बच कज िि कर दगज। यह मिचजर हदय ि कदजमप न लजओ, ि ऐसज कककतय कभी नही कर सकतज, िसलिजन िोखबजज नही होत। िह िमहलज खबवबरमज. की इस ईिजनदजरी और उमचत बजत स बहत परभजमित हई। उसन इस बजत को सदवि सिरण रखज और हिशज कहज करती री मक हि न खबवबरमज. सज कदी कोई नही दखज।

अनत ि िककज िजल खबवबरमज. को एक खल िवदजन ि ल गए तजमक उस कज िि करक हरवोललजस कज उतसि िनजए। जब उनक िि कज सिय आ पहचज तो खबवबरमज. न कहज— िझ दो रकअत निजज पढ लन दो। करश न यह बजत सिीकजर कर ली और खबवब न सब लोगो क सजिन इस ससजर ि असनति बजर अपन अललजह की उपजसनज की। जब िह निजज सिजपत कर चक तो उनहोन कहज— ि अपनी निजज जजरी रखनज चजहतज रज परनत इस मिचजर स सिजपत कर दी मक कही ति यह न सिझो मक ि

116हजरत महममदस का पवितर जीिन

िरन स डरतज ह मफर आरजि स अपनज सर िि करन िजल क सजिन रख मदयज और ऐसज करत हए य श’र पढ —

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अरजात जब मक िसलिजन होन की अिसरज ि िरज िि मकयज जज रहज ह तो िझ परिजह नही ह मक िरज िि हो कर ि मकस पहल पर मगर। यह सब ककछ खदज क मलए ह और यमद िरज खदज चजहगज तो िर शरीर क कि हए भजगो पर बरकत उतजरगज।

खबवब न अभी य श’र सिजपत न मकए र मक जललजद की तलिजर उनकी गदान पर पडी और उन कज सर िरती पर आ मगरज। जो लोग यह उतसि िनजन क मलए एकतर हए र उन ि स एक वयसकत सईद मबन आमिर भी रज जो बजद ि िसलिजन हो गयज। कहत ह जब कभी खबवबरमज. क िि की चचजा सईद क सजिन होती तो िह बहोश हो जजयज करतज रज।

दसरज कदी जवद भी िि करन क मलए बजहर ल जजयज गयज। इस तिजश को दखन िजलो ि िककज कज सरदजर अब सफयजन भी रज। िह जवद स समबोमित हआ और पछज मक कयज ति पसनद नही करत मक तमहजर सरजन पर िहमिदस. हो और ति अपन घर ि आरजि स बवठ हो। जवद न बड करोि की िदरज ि उतर मदयज— अब सफयजन ! ति कयज कहत हो खदज की कसि िर मलए िरनज इस स उति ह मक िहमिद (स.अ.ि.) क पवर ि िदीनज की गमलयो ि एक कजिज भी चभ जजए। शरदधजमसकत तयजग की इस सभजिनज को दखकर अब सफयजन परभजमित हए मबनज न रह सकज और उसन आशयापिाक जवद की ओर दखज और तरनत ही दब

-बखजरी मकतजबल िगजजी। -इबन महशजि मजलद-2 पषठ-122

117 हजरत महममदस का पवितर जीिन

शबदो ि कहज मक खदज गिजह ह मक मजस परकजर िहमिद (स.अ.ि.) क सजर िहमिद (स.अ.ि.) क सजरी परि करत ह िन नही दखज मक इस तरह कोई अनय वयसकत मकसी स परि करतज ह।

कआतिन क सततर हलाहिजो (कठथि कतलातिओ) क वध की नशस घटनला

लगभग इनही मदनो क आस-पजस नजद क ककछ लोग िहमिद रसलललजह (स.अ.ि.) क पजस आए तजमक उनक सजर ककछ िसलिजन भज मदए जजए जो उनह इसलजि की मशकज द। आपस. न उनकज मिशवजस न मकयज परनत अबबरज न जो उस सिय िदीनज ि र कहज मक ि इस कबील की ओर स उतरदजयी बनतज ह और िहमिद रसलललजह (स.अ.ि.) को मिशवजस मदलजयज मक ि कोई उपदरि नही करग। इस पर आप (स.अ.ि.) न सतर िसलिजनो को जो कआान क हजमफज (कठसर करन िजल) र इस कजया क मलए चनज। जब यह दल ‘बर-ए-िऊनज’ पर पहचज तो उनि स एक वयसकत हरजि मबन िलहजनरमज. आमिर कबील क सरदजर क पजस गयज जो ‘अब बरज’ कज भतीजज रज तजमक उस इसलजि कज सनदश द। परतयक तौर पर कबील िजलो न ‘हरजि’ कज भली परकजर सिजगत मगयज परनत मजस सिय िह सरदजर क सजिन भजरण द रह र तो एक वयसकत छप कर पीछ स आयज और उन पर भजल स परहजर मकयज। हरजि कज िही अनत हो गयज। जब बछजा उनक गल स पजर हआ तो िह कहत हए सन गए मक الکعبۃ

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अरजात अललजहो अकबर। कज’ब क रबब ا

की कसि ि अपनी िनोकजिनज को पहच गयज।इस िोखबजजी स ‘हरजि’ कज िि करन क पशजत कबील क

-इबन महशजि मजलद-2, पषठ-126, 130 , जरकजनी मजलद-2 पषठ-74 , बखजरी मकतजबलमजहजद, बजबलअौनिलिदद।

118हजरत महममदस का पवितर जीिन

सरदजरो न कबील िजलो को उतमजत मकयज मक मशकको क शर दल पर भी आकरिण कर परनत कबील िजलो न कहज मक हिजर सरदजर ‘अब बरज’ न उतरदजमयति सिीकजर मकयज ह, हि उस दल पर आकरिण नही कर सकत। उस कबील क सरदजरो न उन दो कबीलो की सहजयतज क सजर जो िसलिजन मशकको को लन गए र, मशकको क दल पर आकरिण कर मदयज। उनकज यह कहनज मक हि उपदशक ह, इसलजि की मशकज दन आए ह यदध करन नही आए; मबलककल कजि न आयज तरज कजमफरो न िसलिजनो कज िि करनज आरमभ कर मदयज। किल तीन लोगो क अमतररकत सब शहीद हो गए। इस दल ि एक लगडज वयसकत भी रज जो लडजई स पिा पहजडी पर चढ गयज रज तरज दो वयसकत ऊि चरजन क मलए जगल की ओर गए हए र। िजपसी पर उनहोन दखज मक उनक मछयजसठ सजमरयो क शि िवदजन ि पड ह। दो न आपस ि परजिशा मकयज। एक न कहज— हि चजमहए मक हजरत िहमिद (स.अ.ि.) की सिज ि उपससरत हो कर इस घिनज की सचनज द। दसर न कहज— जहज हिजर दल कज सरदजर मजस िहमिद रसलललजह (स.अ.ि.) न हिजरज अिीर मनयकत मकयज रज कज िि मकयज गयज ह— ि इस सरजन को छोड नही सकतज। यह कहत हए िह अकलज कजमफरो पर िि पडज और लडतज हआ िजरज गयज तरज दसर को बनदी बनज मलयज गयज परनत बजद ि एक शपर की बमनयजद पर जो कबील क एक सरदजर न खजई री छोड मदयज गयज। िजर जजन िजलो ि आमिर-मबन फहरज कज नजि भी रज जो हजरत अबबकररमज. क आजजद मकए हए दजस र, उन कज िि करन िजलज एक वयसकत जबबजर मबन सलिज रज जो बजद ि िसलिजन हो गयज। जबबजर कहज करतज रज मक आमिर कज िि ही िर िसलिजन होन कज कजरण बनज रज। जबबजर कहतज ह मक जब ि आमिर कज िि करन लगज तो िन आमिर को यह कहत हए सनज—

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زت खदज की कसि िन अपनी िनोकजिनज को पज मलयज। ف

119 हजरत महममदस का पवितर जीिन

ततपशजत िन एक वयसकत स पछज, जब िसलिजन ितय कज सजिनज करतज ह तो िह ऐसी बजत कयो करतज ह? उस वयसकत न उतर मदयज मक िसलिजन खदज क िजगा ि ितय को शरषठ परसकजर और मिजय सिझतज ह। ‘जबबजर’ पर इस उतर कज इतनज परभजि हआ मक उसन इसलजि कज मनयमित रप स अधययन करनज आरमभ कर मदयज और फलसिरप इसलजि ििा सिीकजर करक िसलिजन हो गयज। इन दो हदय-मिदजरक घिनजओ की सचनज मजसि लगभग अससी िसलिजन एक सनसशत रडयतर क पररणजिसिरप शहीद हो गए र िदीनज पहच गई। शहीद होन िजल कोई सजिजरण वयसकत न र अमपत कआान क हजमफज र। उनहोन कोई अपरजि नही मकयज रज, न मकसी को कटि पहचजयज रज, न ही मकसी यदध ि भजगीदजर बन र अमपत खदज और ििा क नजि पर झठी दहजई द कर िोख स शतर क सपदा कर मदए गए र। इन िीभतस घिनजओ स असमदगि रप स मसदध होतज ह मक मिरोमियो को इसलजि स कठोर शतरतज री। इसक मिपरीत इसलजि क परमत िसलिजनो की अगजि शरदधज एि सदढ आसरज री।

बनी मतहलक कला यदधउहद क यदधोपरजनत िककज ि भयकर दमभाक पडज। िककज िजलो

को हजरत िहमिद (स.अ.ि.) स जो शतरतज री और आपस. क मिपरीत लोगो ि घणज फलजन क मलए दश भर ि जो उपजय कर रह र उनकी परिजह न करत हए िहमिद रसलललजह (स.अ.ि.) न इस मिकि सकि क सिय ि िककज क मनिानो की सहजयतज क मलए िन रजमश एकतर की परनत इस भलजई कज भी िककज िजलो पर ककछ परभजि न हआ तरज उनकी शतरतज ि ककछ अनतर न आयज अमपत ि शतरतज ि और भी बढ गए। ऐस कबील भी जो इस स पिा िसलिजनो क सजर सहजनभमत कज वयिहजर

-असदलगजबज, इबन महशजि पषठ-127

120हजरत महममदस का पवितर जीिन

करत र शतर बन गए। उन कबीलो ि स एक कबीलज बनी िसतमलक कज रज; िसलिजनो क सजर उनक सबि अचछ र, परनत अब उनहोन िदीनज पर आकरिण करन की तवयजरी आरमभ कर दी। जब हजरत िहमिद (स.अ.ि.) को उन की तवयजरी कज जञजन हआ तो आपन िसत ससरमत िजलि करन क मलए ककछ लोग भज मजनहोन िजपस आकर उन सचनजओ को सच बतजयज। इस पर हजरत िहमिद (स.अ.ि.) न मनणाय मकयज मक सिय जजकर इस नए आकरिण कज सजिनज कर। अतः आप न एक सनज तवयजर की तरज उस लकर बन िसतमलक की ओर गए। जब िसलिजनो की सनज कज शतरओ स सजिनज हआ तो हजरत िहमिद (स.अ.ि.) न परयजस मकयज मक शतर यदध मकए मबनज पीछ हि जजन पर तवयजर हो जजए, परनत उनहोन इनकजर मकयज। अतः यदध हआ और ककछ ही घिो ि शतर को परजजय कज िख दखनज पडज।

चमक िककज क कजमफर िसलिजनो को हजमन पहचजन पर तल हए र तरज मितर कबील भी शतर बन रह र इसमलए उन िोखबजजो न भी जो िसलिजनो क अनदर िौजद र इस अिसर पर सजहस मकयज मक ि िसलिजनो की ओर स यदध ि भजग ल। कदजमचत उन कज मिचजर रज मक इस परकजर उनह िसलिजनो को हजमन पहचजन कज अिसर परजपत हो जजएगज बन िसतमलक क सजर छडज गयज यदध ककछ ही घिो ि सिजपत हो गयज। अतः इस यदध क िधय िनजमफक लोगो को उपदरि करन कज अिसर परजपत न हो सकज परनत हजरत िहमिद (स.अ.ि.) न मनणाय मकयज मक बन िसतमलक की बसती ि ककछ मदन ठहर। आपक असरजयी तौर पर ठहरन क सिय एक िककज मनिजसी िसलिजन कज एक िदीनज मनिजसी िसलिजन स ककए स पजनी मनकजलन क सबि ि झगडज हो गयज। सयोग स यह िककज मनिजसी एक आजजदी परजपत दजस रज, उसन िदीन िजल वयसकत को िजरज मजस पर उस िदीनजिजसी न अनसजर (िदीनज िजल िसलिजन) को पकजरज

121 हजरत महममदस का पवितर जीिन

और िककजिजसी न िहजमजरो (िककज क परिजसी) को पकजरज और इस परकजर परसपर उपदरि फल गयज। मकसी न यह िजलि करन कज परयजस न मकयज मक िल घिनज कयज ह। दोनो ओर स यिको न तलिजर मनकजल ली। अबदललजह मबन उबयय मबन सलल न सिझज मक ऐसज अिसर खदज की ओर स मिल गयज ह। उसन चजहज मक आग पर तल डजल। उसन िदीनज िजलो को समबोमित करक कहज मक इन िहजमजरो पर तमहजरी सहजनभमत सीिज स अमिक बढ गई ह और तमहजर सदवयिहजर स इनक सर मफर गए ह और य मदन परमतमदन तमहजर सर चढत जजत ह। मनकि रज मक इस भजरण कज िही परभजि होतज जो अबदललजह चजहतज रज और झगडज बढ जजतज परनत ऐसज न हआ। अबदललजह न अपन उपदरिपणा भजरण कज अनिजन लगजन ि गलती की री तरज यह सिझत हए मक अनसजर पर इनकज परभजि हो गयज ह उसन यहज तक कह मदयज मक हि िदीनज ि िजपस पहच ल मफर जो अतयनत सिजदत वयसकत ह िह अतयनत मतरसकत वयसकत को बजहर मनकजल दगज। अतयनत सिजदत वयसकत स उसकज अमभपरजय सिय िह रज और अतयनत मतरसकत वयसकत स अमभपरजय िहमिद सललललजहो अलवमह िसललि (ऐसज कहन स हि खदज की शरण चजहत ह) उसक िख स जयो ही यह बजत मनकली िोमिनो पर उसकी िजसतमिकतज परकि हो गई। उनहोन कहज— यह सजिजरण बजत नही अमपत यह शवतजन कज करन ह जो हि परभरटि करन आयज ह। एक यिक उठज और उसन अपन चजचज क विजरज यह सचनज हजरत िहमिद (स.अ.ि.) को पहचज दी। आपस. न अबदललजह मबन उबयय मबन सलल और उसक सजमरयो को बलजयज और पछज— कयज बजत हई ह? अबदललजह और उसक सजमरयो न सरजसर इनकजर कर मदयज और कह मदयज मक यह बजत जो हि स समबदध की गई ह हई ही नही। आपस. न ककछ न कहज, परनत सतय बजत कज फलनज आरमभ हो गयज। ककछ सिय क पशजत अबदललजह मबन उबयय मबन सलल क बि अबदललजह

122हजरत महममदस का पवितर जीिन

न भी यह बजत सनी िह तरनत हजरत िहमिद (स.अ.ि.) की सिज ि उपससरत हआ और कहज— ह अललजह क रसल ! िर मपतज न आपस.

कज अपिजन मकयज ह, उसकज दणड ितय ह। यमद आप यही मनणाय द तो ि चजहतज ह मक आपस. िझ आदश द मक ि अपन मपतज कज िि कर। यमद आपस. मकसी अनय को आदश दग और िरज मपतज उसक हजरो िजरज जजएगज तो हो सकतज ह मक ि उस वयसकत कज िि करक अपन मपतज कज परमतशोि ल और इस परकजर खदज तआलज की अपरसननतज कज कजरण बन। परनत हजरत िहमिद (स.अ.ि.) न फरिजयज— िरज कदजमप इरजदज नही। ि तमहजर मपतज क सजर दयज एि सहजनभमत कज वयिहजर करगज। जब अबदललजह न अपन मपतज की बिफजई और उसक कि शबदो कज िहमिद (स.अ.ि.) की दयजलतज और सहजनभमत स तलनज की तो उसकज ईिजन और बढ गयज तरज अपन मपतज क मिरदध उसकज करोि भी इसी अनपजत स उननमत कर गयज। जब सनज नदी क मनकि पहची तो उसन आग बढकर अपन मपतज कज िजगा रोक मलयज और कहज मक ि तमह िदीनज क अनदर नही जजन दगज जब तक ति ि शबद िजपस न ल लो जो ति न िहमिद (स.अ.ि.) क मिरदध परयोग मकए ह। मजस िख स यह बजत मनकली ह मक खदज कज नबी अपिजमनत ह और ति समिजमनत हो उसी िख स तमह यह बजत भी कहनज होगी मक खदज कज नबी समिजमनत ह और ति अपिजमनत हो जब तक ति यह न कहोग, तब तक ि तमह आग कदजमप न जजन दगज। अबदललजह मबन उबयय मबन सलल सतबि रह गयज तरज भयभीत हआ और कहन लगज— ह िर बि ! ि तमहजरी बजत स सहित ह। िहमिद (स.अ.ि.) समिजमनत ह और ि अपिजमनत ह। नौजिजन अबदललजह न इस पर अपन मपतज को छोड मदयज।

-इबन महशजि मजलद-2, पषठ-169 -‘तबकजत कबीर’ मलबन सअद मकसि अविल भजग-2 पषठ-46

123 हजरत महममदस का पवितर जीिन

-इबन महशजि मजलद-2, पषठ-138, लजयफ आफ िहमिद लखक मिमलयिमयोर

मदीनला पर समत अरबो की चढलाई खनदक कला यदधइस स पिा यहदयो क दो कबीलो कज िणान मकयज जज चकज ह।

जो यदध, उपदरि, उतपजत, महसज करन की योजनजओ क कजरण िदीनज स मनकजल मदए गए र, उनि स बन नजीर कज ककछ भजग तो शजि की ओर पलजयन कर गयज रज और ककछ भजग िदीनज स उतर की ओर खवबर नजिक एक नगर की ओर पलजयन कर गयज रज। खवबर अरब ि यहदयो कज एक बहत बडज कनदर रज और एक सरमकत दगा क सिजन नगर रज। बन नजीर यहज पहच कर िसलिजनो क मिरदध अरबो को उतमजत करन लगज। िककज मनिजमसयो क हदयो ि पहल ही परमतमहसज की जजलज ििक रही री उस और अमिक परजमलत करन क मलए मकसी अनय उतजनज की आिशयकतज न री। इसी परकजर गतफजन नजिक नजद कज कबीलज जो अरब कबीलो ि बहत बडी परमतषठज रखतज रज िह भी िककज िजलो की मितरतजिश इसलजि की शतरतज ि अगरसर रहतज रज। अब यहद न करश और गतफजन को उतमजत करन क अमतररकत बन सलीि और बन असद दो अनय शसकतशजली कबीलो को भी िसलिजनो क मिरदध भडकजनज आरमभ कर मदयज और इसी परकजर बन असद नजिक कबीलज जो यहद कज मितर रज उस भी िककज क कजमफरो कज सजर दन क मलए तवयजर मकयज। एक लमबी तवयजरी क पशजत अरब क शसकतशजली कबीलो को मिलजकर एक सजिजनय एकतज की नीि रख दी गई मजसि िककज मनिजमसयो क अमतररकत आस-पजस क कबील तरज नजद और िदीनज स उतर की मदशज ि आबजद कबील भी शजमिल र तरज यहद भी शजमिल र। इन सभी कबीलो न सगमठत होकर िदीनज पर आकरिण करन क मलए एक मिशजल सनज जिज ली। यह शिजल िजह, 5 महजी असनति फरिरी-िजचा 627 ई. की घिनज

124हजरत महममदस का पवितर जीिन

ह। मिमभनन इमतहजसकजरो न इस सनज कज अनिजन दस हजजर स लकर चौबीस हजजर तक लगजयज ह परनत सपटि ह मक सिसत अरब क एकतर हो जजन कज पररणजि किल दस हजजर सवमनक नही हो सकतज। मनशय ही चौबीस हजजर िजलज अनिजन अमिक उमचत ह और यमद ककछ नही तो यह सनज अठजरह-बीस हजजर की सखयज ि अिशय रही होगी। िदीनज एक सजिजरण कसबज रज, इस कसब क मिरदध सिसत अरब कज आकरिण कोई सजिजरण आकरिण नही रज। िदीन क परर एकतर करक (मजनि िदध, यिज और बच भी ससमिमलत हो) िजतर तीन हजजर लोग मनकल सकत र। इसक मिपरीत शतर-सनज बीस और चौबीस हजजर क लगभग री। मफर ि सब फौजी लोग र, जिजन और यदध क योगय र; कयोमक जब शहर ि रह कर सरकज कज परशन खडज होतज ह तो उसि बढ और बच भी ससमिमलत हो जजत ह, परनत जब सदर सरजन पर सनज चढजई करन जजती ह तो उसि किल जिजन और शसकतशजली लोग होत ह। अतः यह बजत मनसशत ह मक कजमफरो की सनज ि बीस यज पचीस हजजर मजतन भी लोग र ि सब क सब शसकतशजली यिक और अनभिी सवमनक र परनत िदीनज क सिसत पररो की सखयज बचो और मिकलजगो को मिलजकर तीन हजजर क लगभग री। सपटि ह मक इन बजतो को दसटिगत रखत हए यमद िदीनज की सनज की सखयज तीन हजजर सिझी जजए तो शतर की सखयज चजलीस हजजर िजन लनज चजमहए और यमद शतर की सनज की सखयज बीस हजजर सिझी जजए तो िदीन की सनज की सखयज को किल डढ हजजर सिझनज चजमहए। जब इस सनज क एकतर होन की सचनज रसलललजह (स.अ.ि.) को पहची तो आपस. न सहजबज को एकतर करक परजिशा मकयज मक इस अिसर पर कयज करनज चजमहए। सहजबजरमज. ि स सलिजन फजरसीरमज. जो फजरस क सिापररि िसलिजन र स पछज मक तमहजर दश ि ऐस अिसर पर कयज करत ह। उनहोन कहज ह अललजह क रसल ! जब नगर असरमकत हो और सवमनक

125 हजरत महममदस का पवितर जीिन

रोड हो तो हिजर दश क लोग खनदक (खजई) खोदकर उसक अनदर घरजबनद हो जजयज करत ह। रसलललजह (स.अ.ि.) न उनक इस परसतजि को पसनद मकयज। िदीनज क एक ओर िील र दसरी ओर ऐस िहलल र मजन क िकजन एक दसर स जड हए र तरज शतर किल ककछ गमलयो ि स गजर कर आ सकतज रज, तीसरी ओर ककछ िकजन, ककछ बजग और ककछ दरी पर यहदी कबीलज बन करजज क मकल र। यह कबीलज चमक िसलिजनो स एकतज की समि कर चकज रज इसमलए यह मदशज भी सरमकत सिझ ली गई री, चौरी ओर खलज िवदजन रज मजसकी ओर स खतरज हो सकतज रज। रसलललजह (स.अ.ि.) न मनणाय मकयज मक इस खल िवदजन की ओर खनदक (खजई) बनज दी जजए तजमक शतर अचजनक शहर ि परिश न कर सक। अतः आपस. न दस-दस गज कज भजग दस-दस लोगो को खोदन क मलए द मदयज और इस परकजर आपस. न एक िील लमबी खजई खदिजई। जब खजई खोदी जज रही री तो भमि ि एक ऐसज पतरर मनकलज जो लोगो स मकसी परकजर स भी िि नही रहज रज। सहजबजरमज. न इस बजत की सचनज रसलललजह (स.अ.ि.) को दी। अतः आपस. िहज सिय गए, अपन हजर स ककदजल पकडज और जोर स उस पतरर पर िजरज; ककदजल क पडन स उस पतरर ि स परकजश मनकलज, आपस. न फरिजयज— अललजहो अकबर। मफर दोबजरज आप न ककदजल िजरज तो मफर परकजश मनकलज, आप न मफर फरिजयज— अललजहो अकबर। मफर आपस. न तीसरी बजर ककदजल िजरज तो मफर परकजश मनकलज और सजर ही पतरर िि गयज। इस अिसर पर पनः आप न फरिजयज— अललजहो अकबर। सहजबजरमज. न आप स पछज— ह अललजह क रसल ! आप न तीन बजर अललजहो अकबर कयो फरिजयज? आपस. न फरिजयज— पतरर पर ककदजल पडन स तीन बजर जो परकजश मनकलज, तीनो बजर खदज न िझ इसलजि की भजिी उननमत क दशय मदखजए। पहली बजर क परकजश ि कसर क शजसन क अिीन शजि क िहल

126हजरत महममदस का पवितर जीिन

मदखजए गए तरज उनकी ककमजयज िझ दी गई। दसरी बजर क परकजश ि िझ िदजयन क शवत िहल मदखजए गए तरज फजरस क शजसन की ककमजयज िझ दी गई, तीसरी बजर क परकजश ि िझ सनआ क दरिजज मदखजए गए, यिन क रजजय की िझ ककमजयज दी गई। अतः ति खदज तआलज क िजदो पर मिशवजस रखो, शतर तमहजरज ककछ नही मबगजड सकतज। य रोड स लोग फौजी मनयिो क अनसजर इतनी लमबी खनदक तो नही खोद सकत र अतः यह खनदक इतनज ही लजभ द सकती री मक शतर अचजनक अनदर न घस सक अनयरज शतर क मलए इस खनदक स पजर होनज असभि नही रज। अतः अब जो घिनजए िणान होगी उन स ऐसज ही मसदध होतज ह। शतर न भी िदीनज की पररससरमतयो को दसटि ि रख कर इसी ओर स आकरिण करन की योजनज बनजई हई री। अतः शतर की मिशजल सनज इसी ओर स िदीन ि परिश करन मक मलए आग बढी। रसल करीि (स.अ.ि.) को इसकी सचनज मिली तो आपन भी ककछ लोगो को शहर क अनय भजगो की सरकज क मलए मनयकत कर मदयज तरज शर लोगो को सजर लकर जो बजरह सौ क लगभग र खनदक की सरकज क मलए गए।

खनदक क यदध क समय इललामी सनला की वलातहवक सखयला?

यहज सनज की सखयज क बजर ि इमतहजसकजरो ि अतयमिक ितभद ह। ककछ लोगो न इस सनज की सखयज तीन हजजर मलखी ह, ककछ न बजरह-तरह सौ और ककछ न सजत-सौ। यह इतनज बडज ितभद ह मक मजसकी वयजखयज परजयः कमठन िजलि होती ह तरज इमतहजसकजर इस हल नही कर सक परनत िन इस की िजसतमिकतज को पज मलयज ह और िह यह मक तीनो परकजर की

-अससीरतल हलमबययह मजलद-2, पषठ-243 तरज जरकजनी मजलद-2, सीरत इबन महशजि मजलद-2, पषठ-140

127 हजरत महममदस का पवितर जीिन

ररिजयत सही ह। यह बतजयज जज चकज ह मक उहद क यदध ि िनजमफक लोगो क िजपस आ जजन क पशजत िसलिजनो की सनज किल सजत सौ सदसयो पर आिजररत री। अहजजब कज यदध इसक दो िरा पशजत हआ ह तरज इस अिमि ि कोई बडज कबीलज इसलजि को सिीकजर करक िदीन ि आकर आबजद नही हआ। अतः सजत सौ लोगो कज सहसज तीन हजजर हो जजनज अनिजन क मिपरीत ह। दसरी ओर यह बजत भी यसकत सगत नही मक उहद क दो िरा पशजत तक इसलजि की उननमत क बजिजद यदध करन क योगय िसलिजन इतन ही रह मजतन उहद यदध क सिय र। अतः इन दोनो सिीकजओ क बजद िह ररिजयत ही उमचत िजलि होती ह मक लडन क योगय िसलिजन अहजजब यदध क सिय बजरह सौ र। अब रहज यह परशन मक मफर मकसी न तीन हजजर और मकसी न सजत सौ कयो मलखज ह, तो इसकज उतर यह ह मक य दो ररिजयत (िणान) परक-परक पररससरमतयो और दसटिकोणो क अनतरगत िणान की गई ह। अहजजब यदध क तीन भजग र। एक भजग िह रज जब अभी शतर िदीन क सजिन नही आयज रज और खजई (खनदक) खोदी जज रही री। इस कजया ि मिटटी ढोन कज कजया कि स कि बच भी कर सकत र और ककछ ससतरयज भी इस कजया ि सहयोग द सकती री। अतः जब तक खजई खोदन कज कजया जजरी रहज, िसलिजन सनज की सखयज तीन हजजर री, परनत इस ि बच भी ससमिमलत र तरज सहजबी ससतरयो की तजसिी भजिनज दख कर हि कह सकत ह मक इस सखयज ि ककछ ससतरयज भी ससमिमलत रही होगी जो खजई खोदन कज कजया तो नही करती होगी, परनत अमतररकत कजयको ि भजग लती होगी। यह िरज मिचजर ही नही, इमतहजस स भी इस मिचजर की पसटि होती ह। अतः मलखज ह मक जब खजई खोदन कज सिय आयज सब लडक एकतर कर मलए गए तरज सभी परर चजह ि बड र यज बच; खजई खोदन अरिज उसि सहजयतज

-अससीरतल हलमबययह मजलद-2, पषठ-344

128हजरत महममदस का पवितर जीिन

दन कज कजया करत र। मफर जब शतर आ गयज और यदध आरमभ हआ तो रसलललजह (स.अ.ि.) न उन सिसत लडको को जो पनदरह िरा क र उनह अनिमत दी मक चजह ठहर चजह चल जजए।

इस ररिजयत स मिमदत होतज ह मक खजई खोदत सिय िसलिजनो की सखयज अमिक री तरज यदध क सिय कि हो गई कयोमक अियसको को िजपस चल जजन कज आदश द मदयज गयज रज। अतः मजन ररिजयतो ि तीन हजजर की चचजा ह िह खजई खोदन क सिय की सखयज बतजती ह मजसि छोि बच भी ससमिमलत र तरज जवसज मक िन अनय यदधो को दखत हए अनिजन विजरज जो पररणजि मनकजलज ह ककछ ससतरयज भी री परनत बजरह सौ की सखयज उस सिय की ह जब यदध परजरमभ हो गयज और किल ियसक परर रह गए। अब रहज यह परशन मक तीसरी ररिजयत जो सजत सौ मसपजही बतजती ह कयज िह भी उमचत ह?

इस कज उतर यह ह मक यह ररिजयत इमतहजसकजर इबन इसहजक न मलखी ह जो मिशवसनीय इमतहजसकजर ह तरज इबन हजि जवस परकजणड मिविजन न उस की भरपर पसटि की ह। अतः इसक सबि ि भी सनदह नही मकयज जज सकतज तरज उसकी पसटि इस परकजर भी होती ह मक इमतहजस की गहरी छजन-बीन स मिमदत होतज ह मक जब यदध क सिय बन करजज कजमफरो की सनज ि जज मिल तरज उनहोन यह इरजदज मकयज मक िदीनज पर अचजनक आकरिण कर द परनत उनकी दमरत भजिनजओ कज रहसय परकि हो गयज तो िहमिद रसलललजह (स.अ.ि.) न िदीनज की उस ओर की सरकज आिशयक सिझी मजस ओर बन करजज र तरज मजस ओर इस मिचजर क अनसजर सरकज की उपकज की गई री मक बन करजज हिजर सजरी ह। य लोग शतर को उस ओर स न आन दग। अतः इमतहजस विजरज जञजत होतज ह मक जब बन करजज क दरोह कज पतज लगज, तो चमक बन करजज क मिशवजस पर ससतरयज उस कतर ि रखी गई री। मजस ओर बन करजज क

129 हजरत महममदस का पवितर जीिन

मकल र और असरमकत री; रसल करीि (स.अ.ि.) न अब उनकी सरकज आिशयक सिझी तरज िसलिजनो क दो सवनय दल तवयजर करक ससतरयो क ठहरन क दोनो भजगो पर मनयकत कर मदए। िससलिज मबन असलिरमज. को दो सौ सहजबज दकर एक सरजन पर मनयकत मकयज और जवद मबन हजररसरमज.

को तीन सौ सहजबज दकर दसर सरजन पर मनयकत मकयज तरज आदश मदयज मक रोड-रोड सिय पर उच सिर ि अललजहो अकबर कज उदघोर करत रह तजमक जञजत होतज रह मक ससतरयज सरमकत ह। इस मरिजयत स हिजरी यह कमठनजई मक इबन इसहजक न सजत सौ सवमनक खनदक यदध ि कयो बतजए ह हल हो जजती ह कयोमक बजरह सौ सवमनको ि स जब पजच सौ मसपजही ससतरयो की सरकज क मलए भज मदए गए तो बजरह सौ की सनज िजतर सजत सौ रह गई तरज इस परकजर खनदक यदध क सवमनको की सखयज क बजर ि इमतहजसो ि बहत ितभद पजयज जजतज ह उसकज मनिजरण हो गयज।

सजरजश यह मक इस िहजन सकि क सिय खनदक की सरकज क मलए रसल करीि (स.अ.ि.) क पजस किल सजत सौ लोग र। इस ि कोई सनदह नही मक आप सन खनदक खोदी री परनत मफर भी इतनी बडी सनज क खनदक क पजर स रोकनज भी इतन कि लोगो क मलए असभि रज परनत खदज तआलज की अलौमकक सहजयतज क सहजर यह िटी भर सनज ईिजन और मिशवजस क सजर खनदक क पीछ शतर की मिशजल सनज की परतीकज करन लगी और ससतरयज तरज बच दो अलग-अलग सरजनो पर एकतर कर मदए गए। शतर जब खनदक तक पहचज तो चमक यह अरबो क मलए मबलककल नई बजत री और ि इस परकजर क यदध क मलए तवयजर न र। उनहोन खनदक क सजिन अपन मशमिर लगज मदए और िदीन ि परिश करन क मलए उपजय सोचन लग।

130हजरत महममदस का पवितर जीिन

बन करजला कला हवशलासघलातचमक िदीनज कज एक ओर कज पयजापत भजग खनदक स सरमकत रज

और दसरी ओर ककछ पिातीय िील, पकक िकजन तरज ककछ बजग आमद र, इसमलए सनज तरनत आकरिण नही कर सकती री। अतः उनहोन परजिशा करक यह उपजय मकयज मक मकसी परकजर यहद कज तीसरज कबीलज जो अभी िदीनज ि शर रज, मजसकज नजि बन करजज रज अपन सजर मिलज मलयज जजए और इस क विजरज िदीनज तक पहचन कज िजगा खल जजए। अतः परजिशा क पशजत हसयय इबन अखतब को जो बन नजीर कज सरदजर रज मजसको दश स मनकजलज जज चकज रज और मजसक उपदरि और उतपजत क कजरण समपणा अरब एकतर होकर िदीनज पर आकरिणकजरी हआ रज, कजमफरो की सनज क सनजपमत अब सफयजन न इस इस बजत पर मनयकत मकयज मक जवस भी हो बन करजज को अपन सजर मिलज लो। अतः हसययइबन अखतब यहमदयो क मकलो की ओर गयज। उसन बन करजज क सरदजरो स मिलनज चजहज। पहल तो उनहोन मिलन स इनकजर कर मदयज परनत जब उसन उनह सिझजयज मक इस सिय सजरज अरब िसलिजनो कज मिनजश करन क मलए आयज ह तरज यह बसती सिसत अरब कज िकजबलज मकसी भी परकजर नही कर सकती। इस सिय जो सनज िसलिजनो क िकजबल पर खडी ह उस सनज नही कहनज चजमहए अमपत ठजठ िजरन िजलज सिदर कहनज चजमहए। इस परकजर अनततः उस न बन करजज को गदजरी और समि भग करन पर तवयजर कर मदयज तरज यह मनणाय हआ मक कजमफरो की सनज सजिन की ओर स खनदक पजर करन कज परयजस कर और जब िह खनदक पजर करन ि सफल हो जजएगी तो बन करजज की दसरी ओर स िदीन क उस भजग पर आकरिण कर दग जहज ससतरयज और बच ह जो बन करजज पर मिशवजस करक असरमकत छोड मदए गए र। इस परकजर िसलिजनो कज िकजबलज

131 हजरत महममदस का पवितर जीिन

करन की शसकत पणातयज ककचली जजएगी तरज एक ही बजर ि िसलिजन परर, ससतरयज और बच सब िजर मदए जजएग। यह मनसशत बजत ह मक यमद इस योजनज ि कजमफरो को ककछ सफलतज भी मिल जजती तो िसलिजनो क मलए सरकज कज कोई सरजन शर नही रहतज रज। बन करजज िसलिजनो क सिझौत क अनसजर मितर र और यमद ि इस खल यदध ि ससमिमलत न भी होत तब भी िसलिजन यह आशज करत र मक उनकी ओर स होकर िदीन पर कोई आकरिण नही कर सकगज। यही कजरण रज मक उनकी ओर कज भजग मबलककल असरमकत छोड मदयज गयज रज। बन करजज और कजमफरो न इस पररससरमत क उपलकय यह मनणाय कर मदयज रज मक जब बन करजज कजमफरो क सजर मिल गए तो ि परतयक रप स कजमफरो की सहजयतज न कर, तजमक ऐसज न हो मक िसलिजन िदीन क इस भजग की सरकज की भी कोई वयिसरज कर ल जो बन करजज क कतर क सजर लगतज रज। यह योजनज अतयनत भयजनक री। िसलिजनो को असजििजन रखत हए बन करजज कज ऐसी आपजत ससरमत ि शतर क सजर जज मिलनज, जबमक शतर की सनज कज इसलजिी सनज पर भयजनक आकरिण हो रहज हो िदीन की उस ओर की सरकज को मजस ओर बन करजज क मकल र मबलककल असभि बनज मदयज रज। िसलिजनो पर दोनो ओर स आकरिण की सभजिनज क पशजत िककज की सनज न खनदक पर आकरिण परजरमभ मकयज। पहल ककछ मदन तो उनकी सिझ ि न आयज मक ि खनदक को मकस परकजर पजर कर परनत दो चजर मदन क पशजत उनहोन यह उपजय मनकजलज मक िनरिजरी ऊच सरजनो पर खड होकर उन िसलिजन दलो पर िजण बरसजनज आरमभ कर दत र जो खनदक की सरकज क मलए खनदक क सजर-सजर रोडी-रोडी दरी पर बवठजए गए र। जब तीरो की बौछजर क कजरण िसलिजन पीछ हिन पर मििश हो जजत तो उच कोमि क घडसिजर खनदक फजदन कज परयजस करत। मिचजर मकयज गयज मक इस परकजर क मनरनतर आकरिणो

132हजरत महममदस का पवितर जीिन

क पररणजिसिरप कोई न कोई ऐसज सरजन मनकल आएगज जहज स पवदल सनज अमिक सखयज ि खनदक पजर कर सकगी। य आकरिण मनरनतर इतनी अमिकतज क सजर मकए जजत र मक कई बजर िसलिजनो को सजस लन कज भी अिसर नही मिलतज रज। अतः एक मदन आकरिण इतनज भीरण हो गयज मक िसलिजनो की ककछ निजज सिय पर अदज न हो सकी, मजसकज रसलललजह (स.अ.ि.) को इतनज आघजत पहचज मक आप न फरिजयज खदज कजमफरो को दणड द, उनहोन हिजरी निजज नटि की। यदमप िन यह ितजनत शतरओ क आकरिणो की भयकरतज परकि करन क मलए िणान मकयज ह परनत इस स िहमिद रसलललजह (स.अ.ि.) क चररतर पर अतयमिक परकजश पडतज ह और जञजत होतज ह मक आप क मलए ससजर ि सिामपरय िसत खदज तआलज की उपजसनज री। जब मक शतर िदीनज को चजरो ओर स घर हआ रज, जब मक िदीनज क परर तो परक रह ससतरयो और बचो क परजण भी खतर ि र। जब हर सिय िदीन क लोगो कज हदय िडक रहज रज मक शतर मकसी ओर स िदीन क अनदर परिश न कर जजए, उस सिय भी िहमिद रसलललजह की इचछज यही री मक खदज तआलज की इबजदत यरज सिय उमचत परकजर स अदज हो जजए। िसलिजनो की उपजसनज यहमदयो, ईसजइयो और महनदओ की भजमत सपतजह ि मकसी एक मदन नही हआ करती अमपत िसलिजनो की इबजदत (उपजसनज) एक मदन ि पजच बजर होती ह। ऐसी खतरनजक अिसरज ि तो मदन ि एक बजर भी निजज अदज करनज िनषय क मलए कमठन ह कहज, पजच सिय और िह भी यरजमिमि मनयिपिाक बजजिजअत (सजिमहक तौर पर) निजज अदज की जजए, परनत इन मिकि पररससरमतयो ि भी िहमिद रसलललजह (स.अ.ि.) य पजचो निजज मनिजाररत सिय पर अदज करत र और यमद एक मदन शतर क भीरण आकरिण क कजरण आपस. अपन रबब कज नजि सनतोर और शजसनत स यरज सिय न ल सक तो आपको अतयमिक िजनमसक कटि पहचज। उस सिय -बखजरी मजलद-2 मकतजबलिगजजी, गजितल खनदक।

133 हजरत महममदस का पवितर जीिन

सजिन स शतर आकरिण कर रहज रज तरज पीछ स बन करजज इस घजत ि र मक कोई अिसर मिल जजए तो िसलिजनो ि सनदह पवदज मकए मबनज ि िदीन क अनदर घस कर ससतरयो और बचो कज िि कर द। अतः एक मदन बन करजज न एक जजसस भजज तजमक िह िजलि कर मक ससतरयज और बच अकल ही ह अरिज पयजापत मसपजही सरकज पर मनयकत ह। मजस मिशर घर ि ि मिशर-मिशर खजनदजन मजनह शतर स बहत खतरज रज एकतर कर मदए गए र उसक मनकि एक जजसस न आकर घिनज और चजरो ओर स मनरीकण करनज परजरमभ मकयज मक िसलिजन सवमनक कही आस-पजस छप हए तो नही। िह अभी इसी िोह ि लगज रज मक रसलललजह (स.अ.ि.) की फफी हजरत समफयजरमज. न उस दख मलयज। सयोग स उस सिय िहज एक ही िसलिजन िौजद रज और िह भी बीिजर रज। हजरत समफयजरमज. न उस स कहज मक यह वयसकत कजफी सिय स ससतरयो क कतर ि िडलज रहज ह और जजन कज नजि नही लतज तरज चजरो ओर दखतज मफरतज ह। यह मनशत ही जजसस ह; ति इसकज िकजबलज करो, ऐसज न हो मक शतर पररससरमतयो पर पणारप स अिगत हो कर इिर आकरिण कर द। इस रोगगरसत सहजबी न ऐसज करन स इनकजर कर मदयज, तब हजरत समफयजरमज. न सिय एक बडज बजस लकर उस वयसकत कज िकजबलज मकयज तरज अनय ससतरयो की सहजयतज स उस िजरन ि सफल हो गई। छजन-बीन करन पर जञजत हआ मक िह यहदी बन करजज कज जजसस रज। अतः िसलिजन और अमिक घबरजए तरज सिझ मक अब िदीन कज यह भजग भी सरमकत नही ह परनत सजिन की ओर स शतर कज इतनज दबजि रज मक ि इस ओर की सरकज की कोई वयिसरज भी नही कर सकत र। इसक बजिजद रसलललजह (स.अ.ि.) न ससतरयो की सरकज को परजरमिकतज दी और जवसज मक िणान मकयज जज चकज ह बजरह सौ सवमनको ि स पजच सौ को ससतरयो की सरकज क मलए शहर ि मनयकत कर मदयज तरज खनदक की सरकज तरज अठजरह-बीस हजजर सनज क

134हजरत महममदस का पवितर जीिन

िकजबल क मलए किल सजत सौ सवमनक रह गए। इस पररससरमत ि ककछ िसलिजन घबरज कर रसलललजह (स.अ.ि.) क पजस आए और कहज— ह अललजह क रसल ! पररससरमतयज मनतजनत भयजनक रप िजरण कर चकी ह अब परकि रप स िदीन क बचन की कोई आशज मदखजई नही दती; आपस. खदज तआलज स मिशर तौर पर दआ कर और हि भी कोई दआ मसखजए, मजसक पढन स हि पर खदज तआलज की कपज हो। आपस. न फरिजयज— ति लोग घबरजओ नही, ति खदज तआलज स यह दआ मकयज करो मक तमहजर दोरो पर पदजा डजल, तमहजर हदयो को दढतज परदजन कर तरज घबरजहि को दर कर। मफर आपस. न सिय भी इस परकजर दआ की —ھم اھزمھم وانص�خ علیھم وزلزھلم

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ह अललजह ! मजसन िझ पर कआान करीि उतजरज ह, जो अपन बनदो स अमत शीघर महसजब ल सकतज ह यह मगरोह जो सगमठत होकर आए ह उनह परजमजत कर द। अललजह! ि पनः परजरानज करतज ह मक त उनह परजमजत कर तरज हि मिजय परदजन कर तरज उन क इरजदो को मछनन-मभनन कर द, ह मििश लोगो की पकजर सनन िजल, ह वयजककल लोगो की गहजर सनन िजल! िरी वयजककलतज और मचनतज कज मनिजरण कर, कयोमक त उन सकिो को जजनतज ह मजनस ि और िर सजमरयो कज सजिनज ह।

मनलाहिको तथिला मोमनो कला वरपइस अिसर पर पजखडी (िनजमफक) तो इतन घबरज गए मक जजमतगत

सिजमभिजन, अपन नगर, अपनी ससतरयो और बचो की सरकज कज मिचजर -बखजरी मजलद-2, मकतजबलिगजजी, बजब गजितल खनदक -अससीरतल हलमबययह मजलद-2, पषठ 353

135 हजरत महममदस का पवितर जीिन

तक उनक हदयो स मनकल गयज परनत ि अपनी जजमत क सजिन अपिजमनत भी नही होनज चजहत र, इसमलए उनहोन बहजन बनज कर सनज स पलजयन कज उपजय सोचज। कआान करीि ि आतज ह —

अरजात उनि स एक मगरोह रसलललजह सललललजहो अलवमह िसललि क पजस आयज और आप स आजञज िजगी मक उनह रणभमि स िजपस जजन की आजञज परदजन की जजए; कयोमक उनहोन कहज (अब यहदी भी मिरोिी हो गए ह और उस ओर स सरकज कज कोई सजिन भी नही) हिजर घर उस कतर की ओर स असरमकत ह (अतः हि आजञज दीमजए मक हि जज कर अपन घरो की सरकज कर) परनत उन कज यह कहनज मक उनक घर असरमकत ह मबलककल गलत ह, ि घर असरमकत नही ह (कयोमक खदज तआलज िदीन की सरकज क मलए खडज ह) ि तो किल यदध स भयभीत होकर यदध भमि स भजगनज चजहत ह। उस सिय िसलिजनो की जो दशज री उस कज मचतर कआान करीि न यो खीचज ह।

अरजात यजद तो करो! जब ति पर सनज चढ कर आ गई तमहजरी ऊपरी ओर स भी और नीच की ओर स भी अरजात नीच की ओर स कजमफर और

(सरह अहजजब-14)

(सरह अहजजब 11 स 14)

136हजरत महममदस का पवितर जीिन

ऊपर की ओर स यहद, जब मक आख िढी होन लगी और हदय उछल-उछल कर कठ तक आन लग और ति स कई लोगो क हदयो ि खदज क समबनि ि अशभ िजरणजए उतपनन होन लग गई। उस सिय िोमिनो क ईिजन की परीकज ली गई तरज िोमिनो को पणातयज झझोड कर रख मदयज तरज सिरण करो ! जबमक पजखणडी (िनजमफक) और ि लोग जो िजनमसक रोगी र उनहोन यह कहनज आरमभ मकयज— अललजह और उसक रसल न हि स झठ िजद मकए र और सिरण करो ! जब उनि स एक मगरोह इस सीिज तक पहच गयज मक उनहोन िोमिनो क पजस भी जज-जज कर कहनज आरमभ कर मदयज मक तमह अब कोई सरकज की चौकी यज मकलज बचज नही सकतज। अतः यहज स भजग जजओ। िोमिनो क बजर ि फरिजतज ह —

अरजात कपिी और किजोर ईिजन िजलो की तलनज ि िोमिनो की दशज यह री मक जब उनहोन शतर की यह मिशजल सनज दखी तो उनहोन कहज मक इस सनज क बजर ि तो अललजह तआलज और उस क रसल न हि पहल स ही सचनज द रखी री। इस सनज कज आकरिण तो अललजह और उसक रसल की सचजई कज परिजण ह। यह मिशजल सनज उनक मिशवजस को मिचमलत न कर सकी अमपत ईिजन और शरदधज ि िसलिजन और भी परगमत कर गए। िोमिनो की दशज तो यह ह मक उनहोन अललजह स जो परण मकयज रज उस पणातयज मनबजह रह ह। अतः ककछ तो ऐस ह मजनहोन अपन परजणो कज बमलदजन दकर अपन लकय को परजपत कर मलयज तरज ककछ ऐस ह

(सरह अहजजब 23-24)

137 हजरत महममदस का पवितर जीिन

मक मजनह परजण दन कज अिसर तो परजपत नही हआ परनत ि हर सिय इस बजत की परतीकज ि रहत ह मक उनह खदज क िजगा ि परजण दन कज अिसर परजपत हो तो ि परजण द द। उनहोन परजरमभ स खदज तआलज स जो परण मकयज रज उस पणा कर रह ह।

इललाम म शव कला सममलानशतर जो खनदक पर आकरिण कर रहज रज, मकसी सिय िह उस

फजदन ि सफल भी हो जजतज रज। अतः एक मदन कजमफरो क ककछ बड-बड सनजमिकजरी खनदक फजद कर दसरी ओर आन ि सफल हो गए परनत िसलिजनो न परजणो पर खल कर ऐसज आकरिण मकयज मक उनक मलए िजपस जजन क अमतररकत कोई चजरज न रहज। अतः उस सिय खनदक फजदत सिय कजमफरो कज नौमफल नजिक एक बहत बडज सरदजर िजरज गयज। यह इतनज बडज सरदजर रज मक कजमफरो न यह मिचजर मकयज मक यमद उसक शि कज अपिजन हआ तो अरब ि हिजर मलए िह मदखजन कज कोई सरजन नही रहगज। अतः उनहोन रसलललजह (स.अ.ि.) क पजस सनदश भजज मक यमद आप उसकज शि हि द द तो ि आपको दस हजजर मदरहि दन क मलए तवयजर ह।

उन लोगो कज मिचजर तो यह रज मक मजस परकजर हि न िसलिजन सरदजरो अमपत सिय रसलललजह (स.अ.ि.) क चजचज क नजक-कजन उहद यदध ि कजि मदए र, कदजमचत इसी परकजर आज िसलिजन भी हिजर इस सरदजर क नजक-कजन कजि कर हिजरी जजमत कज अपिजन करग परनत इसलजिी आदश तो इसस मबलककल मभनन ह। इसलजि शिो क अपिजन की आजञज नही दतज। अतः कजमफरो कज सनदश िहमिद रसलललजह (स.अ.ि.) क पजस पहचज तो आपस. न फरिजयज— इस शि कज हिन कयज करनज ह, यह शि हिजर मकस कजि कज ह मक इसक बदल ि हि ति स कोई

138हजरत महममदस का पवितर जीिन

िलय ल। अपनज शि बड आरजि स उठज कर ल जजओ। हि इस स कोई ितलब नही।

हवरोधी सनलाओ क गठबधन क मसलमलानो पर आकरमणइन मदनो कजमफर मजस आिगपणा तीवरतज स आकरिण करत र

मिमलयि मयोर उस की चचजा इन शबदो ि करतज ह —

“दसर मदन िहमिद (स.अ.ि.) न दखज मक सयकत सनजए उन पर सजिमहक तौर पर आकरिण करन क मलए तवयजर खडी ह, उनक आकरिणो को रोकन क मलए अतयमिक सतकक तरज परमत पल सजििजन रहनज आिशयक रज। कभी ि सजिमहक तौर पर आकरिण करत, कभी छोि दलो ि मिभजमजत हो कर मिमभनन चौमकयो पर आकरिण करत और जब मकसी चौकी को किजोर दखत तो अपनी समपणा सनज उस चौकी पर एकतर कर लत तरज भीरण बजण-िरजा की ओि ि ि खनदक पजर करन कज परयजस करत र। खजमलद और उिर जवस परमसदध नतजओ क नतति ि सनज नगर ि परिश करन क मलए िीरतजपणा आकरिण करती। एक बजर तो सिय िहमिद (स.अ.ि.) कज तमब शतर क मनशजन पर आ गयज परनत िसलिजनो क परजणपण की भजिनजओ स ओत-परोत िकजबल और तीरो की बौछजर न आकरिणकजररयो को पीछ ढकल मदयज। यह आकरिण मदन भर जजरी रहज। चमक िसलिजनो की सिसत सनज मिलकर बडी कमठनजई स खनदक की सरकज कर सकती री, िसलिजनो को आरजि करन कज अिसर परजपत न हआ। रजत हो गई, परनत रजत को भी खजमलद क अिीन सवमनक दलो न यदध जजरी रखज तरज िसलिजनो को मििश कर मदयज मक

-अससीरतल हलमबययह मजलद-2, पषठ-345

139 हजरत महममदस का पवितर जीिन

ि रजत को भी अपनी चौमकयो की परी तरह रकज कर परनत शतर क य सिसत परयजस वयरा गए। खनदक को शतर क यरटि सवमनक भी कभी भी पजर न कर सक।

परनत इसक बजिजद दो मदन स यदध जजरी रज, सवमनक एक दसर स गतरि-गतरज हो जजन कज अिसर नही पजत र, इसमलए चौबीस घि क यदध ि सयकत सनज क िजतर तीन लोग िजर गए और िसलिजनो क पजच। इस आकरिण ि सअद मबन िआजरमज. औस कबील क सरदजर तरज रसलललजह (स.अ.ि.) क परजण नयोछजिर करन िजल सहजबी अतयमिक घजयल हए। इन आकरिणो कज पररणजि यह हआ मक एक सरजन पर खनदक क मकनजर िि गए तरज उस ओर स आकरिण करन की सभजिनज बढ गई। रसल करीि सललललजहो अलवमह िसललि क सजहस तरज िसलिजनो क परमत सहदयतज कज यह हजल रज मक आप सदषी ि रजत को उठ-उठ कर उस सरजन पर जजत और उनकज पहरज दत। हजरत आइशजरमज. फरिजती ह मक आप पहरज दत हए रक जजत और सदषी स मनढजल हो जजत तो िजपस आकर रोडी दर क मलए िर सजर मलहजफ ि लि जजत परनत शरीर क गिा होत ही मफर उस सरजन की सरकज क मलए चल जजत। इस परकजर मनरनतर जजगन स आपस. एक मदन मबलककल मनढजल हो गए तरज रजत क सिय फरिजयज— कजश इस सिय कोई िफजदजर िसलिजन होतज तो ि आरजि स सो जजतज। इतन ि बजहर स सअद मबन िककजसरमज. की आिजज आई। आपस. न पछज मक कयो आए हो? उनहोन कहज— आप कज पहरज दन क मलए। आपस. न फरिजयज— िझ पहर की आिशयकतज नही, ति उस सरजन पर जहज खनदक कज मकनजरज िि गयज ह जजओ और उस कज पहरज दो तजमक िसलिजन सरमकत रह। अतः सअदरमज. उस सरजन कज पहरज दन क मलए चल गए और आप सो गए। मिमचतर बजत यह ह मक जब आपस. न

-The life of Mohammad By Mr.William Muir Page 32

140हजरत महममदस का पवितर जीिन

मबलककल आरमभ ि िदीनज ि पदजपाण मकयज रज तरज बहत अमिक खतरज रज, तब भी सअदरमज. पहरज दन क मलए आए र। उनही मदनो आपस. न एक मदन ककछ लोगो क शसतरो की आिजज सनी और पछज मक कौन ह? तो उबजदज मबन बशीर न कहज मक ि ह। आपस. न फरिजयज— तमहजर सजर कोई और भी ह? उनहोन कहज सहजबज की एक जिजअत ह जो आप क तमब कज पहरज दन क मलए आई ह। आप न फरिजयज— इस सिय िमशरक (विवतिजदी) खनदक फजदन कज परयतन कर रह ह िहज जजओ और उनकज िकजबलज करो, िर तमब को रहन दो।

बन करजला की महरिको (विवतिजमदयो) स हमलकर आकरमण की तयलारी तथिला उसम असिलतला

जवसज मक ऊपर उललख मकयज जज चकज ह यहद न िदीन ि गपत रप स परिश करन कज परयजस मकयज और उस ि उनकज जजसस िजरज गयज। जब यहद को यह जञजत हआ मक उन कज रडयतर परकि हो गयज ह तो उनहोन अतयमिक मनभषीकतज स अरबो की सहजयतज आरमभ कर दी। यदमप सजिमहक आकरिण िदीन क पीछ की ओर स नही मकयज; कयोमक उिर िवदजन छोिज रज तरज िसलजनो की सनज की उपससरमत ि उस ओर स बडज आकरिण असभि रज परनत ककछ मदनो क पशजत यह मनणाय मकयज मक यहद और विवतिजमदयो की सनजए िसलिजनो पर एक मनिजाररत सिय पर आकरिण कर द, परनत उस सिय खदज की सहजयतज एक अदभत रप ि परकि हई मजसकज मििरण यह ह —

गतफजन कबील कज नईि नजिक वयसकत हदय ि िसलिजन रज। यह वयसकत भी कजमफरो क सजर आयज रज परनत इस बजत की परतीकज ि रज मक यमद िझ कोई अिसर परजपत हो तो ि िसलिजनो की सहजयतज कर। अकलज िनषय कर ही कयज सकतज ह, परनत जब उसन दखज मक यहद भी

141 हजरत महममदस का पवितर जीिन

कजमफरो स मिल गए ह और अब परगि रप स िसलिजनो की सरकज कज कोई सजिन मदखजई नही दतज तो इन पररससरमतयो स िह इतनज परभजमित हआ मक उसन मनणाय कर मलयज मक हि हर हजलत ि इस रडयतर क मनिजरण क मलए ककछ न ककछ करनज चजमहए। अतः िह बन करजज क पजस गयज तरज उनक सरदजरो स कहज मक यमद अरबो की सनज भजग जजए तो बतजओ िसलिजन तमहजर सजर कयज करग? ति सिझौतज क अनसजर उनक सजरी हो। अतः समि करक उस भग करन क पररणजिसिरप तमह जो दणड मदयज जजएगज उसकी कलपनज करो। उनक हदय ककछ भयभीत हए तरज उनहोन पछज— मफर हि कयज कर? नईि न कहज जब अरब सयकत आकरिण क मलए ति स कह तो ति उन स िजग करो मक ति अपन सतर आदिी हिजर पजस बतौर बिक रख दो, ि हिजर दगको की सरकज करग और हि िदीन क पीछ स उस पर आकरिण कर दग। िह मफर िहज स हि कर विवतिजमदयो क सरदजरो क पजस गयज और उन स कहज मक य यहद तो िदीनज क रहन िजल ह, यमद सिय पडन पर य ति स मिशवजसघजत कर तो मफर कयज करोग? यमद य िसलिजनो को परसनन करन क मलए और अपन अपरजि को किज करजन क मलए ति स तमहजर लोग बतौर बिक िजग और उनह िसलिजनो क सपदा कर द तो मफर ति कयज करोग? तमह चजमहए मक उनकी परीकज लो मक कयज ि अपनी बजत पर दढ भी रहत ह अरिज नही तरज उनह शीघर ही अपन सजर मिलकर समनसशत रप स आकरिण करन क मलए आिमतरत करो। कजमफरो क सरदजरो न इस परजिशा को उमचत सिझत हए दसर मदन यहद को सनदश भजज मक हि एक सयकत आकरिण करनज चजहत ह, ति भी अपनी सनजओ समहत कल आकरिण कर दो। बन करजज न कहज— मक पररि तो कल हिजरज ‘सबत’ कज मदन ह इसमलए हि उस मदन लडजई नही कर सकत, दसर हि िदीनज मनिजसी ह और ति बजहर क हो। यमद ति यदध छोड कर चल जजओ तो

142हजरत महममदस का पवितर जीिन

हिजरज कयज बनगज? इसमलए यमद आप लोग हि सतर सवमनक बतौर बिक दग तो हि यदध ि ससमिमलत होग। कजमफरो क हदय ि चमक पहल स सनदह पवदज हो चकज रज उनहोन उनकी इस िजग को परज करन स इनकजर कर मदयज और कहज मक यमद तमहजरी हिजर सजर एकतज सची भजिनज पर आिजररत री तो इस परकजर की िजग कज कोई अरा नही। इस घिनज स यहद क हदयो ि शकजए जनि लन लगी। जवसज मक मनयि ह मक जब शकजए उतपनन होन लगती ह तो िीरतज की भजिनज भी सिजपत हो जजती ह। इनही आशकजओ और सनदहो क रहत कजमफरो की सनज रजत को मिशरजि करन क मलए अपन मशमिरो ि चली गई तो अललजह तआलज न अपनी सहजयतज कज एक अनय िजगा खोल मदयज। रजत को एक भीरण आिी आई मजसन मशमिरो क पदच तोड मदए, चलहो पर स हजमडयज उलि दी तरज ककछ कबीलो की आग बझ गई। अरब क िमशरको (विवतिजमदयो) ि एक पररज री मक ि सजरी रजत आग जलजए रखत र और उस ि शभ शगन सिझत र। मजसकी असगन बझ जजती री िह सिझतज रज मक आज कज मदन उसक मलए अशभ ह तरज िह अपन डर उठजकर रणभमि स पीछ हि जजतज रज। मजन कबीलो की असगन बझ गई उनहोन इस पररज क अनसजर अपन तमब उखजड और पीछ चल पड तजमक एक मदन पीछ परतीकज करक पनः सनज ि आकर ससमिमलत हो, परनत चमक मदन क मििजदो क कजरण सनज क सरदजरो क हदय ि शकजए उतपनन हो रही री, जो कबील पीछ हि उनक आस-पजस क कबीलो न भी सिझज की कदजमचत यहद न िसलिजनो क सजर मिलकर रजत को छजपज िजरज ह और हिजर आस-पजस क कबील भजग जज रह ह। अतः उनहोन भी बडी शीघरतज क सजर अपन मशमिर सििन तरज रणभमि स भजगनज आरमभ कर मदयज। अब सफयजन अपन तमब ि आरजि स लिज हआ रज मक इस घिनज की सचनज उस भी पहची। िह घबरज कर अपन बि हए ऊि पर जज चढज और उस एमडयज लगजनज आरमभ मकयज।

143 हजरत महममदस का पवितर जीिन

अनततः उसक मितरो न उस धयजन मदलजत हए कहज मक िह यह कयज िखातज कर रहज ह। इस पर उसक ऊि की रसससयज खोली गई और िह भी अपन सजमरयो समहत िवदजन स भजग गयज।

रजत क असनति मतहजई भजग ि िह िवदजन मजसि कजमफरो की बीस पचीस हजजर सनज डरज डजल हए री िह एक जगल की भजमत मनजान हो गयज। उस सिय अललजह तआलज न रसल करीि (स.अ.ि.) को इलहजि (ईशिजणी) क विजरज बतजयज मक तमहजर शतर को हि न भगज मदयज ह। आपस. न िसत ससरमत जञजत करन क मलए मकसी वयसकत को भजनज चजहज तरज अपन आस-पजस बवठ सहजबजरमज. को आिजज दी। सदषी क मदन र और िसलिजनो क पजस पयजापत कपड भी न होत र, अतयमिक ठणड क कजरण जीभ तक सनन हो रही री। ककछ सहजबजरमज. कहत ह मक हि न रसलललजह (स.अ.ि.) की आिजज सनी तरज हि उतर भी दनज चजहत र परनत हि स बोलज नही गयज; किल एक हजवफजरमज. र मजनहोन कहज— ह अललजह क रसल कयज कजि ह? आप न फरिजयज— ति नही िझ कोई अनय वयसकत चजमहए। आपस. न पनः फरिजयज— कोई ह? परनत मफर भी भयकर सदषी क कजरण जो लोग जजग भी रह र ि उतर न द सक। हजवफजरमज. न पनः कहज ह अललजह क रसल! ि उपससरत ह। अनततः आपस. न हजवफजरमज.

को यह कहत हए भजज मक अललजह तआलज न िझ सचनज दी ह मक तमहजर शतर को हि न भगज मदयज ह, जजओ और दखो मक शतर की कयज दशज ह। हजवफजरमज. खनदक क पजस गए और दखज मक िवदजन शतर-सवमनको स पणातयज खजली पडज रज। िजपस आए और शहजदत कज कमलिज उचजरण करत हए रसलललजह सललललजहो अलवमह िसललि क रसल होन की पसटि की और बतजयज मक शतर िवदजन छोड कर भजग गयज ह। परजतः िसलिजन अपन तमब उखजड कर अपन-अपन घरो की ओर आन आरमभ हए।

-अससीरतल हलमबययह मजलद-2, पषठ-354

144हजरत महममदस का पवितर जीिन

बन करजला को हवशलासघलात कला दणडबीस मदनो क बजद िसलिजनो न सनतोर कज सजस मलयज, परनत अब

बन करजज कज िजिलज मनणाय होन िजलज रज। उनकज मिशवजसघजत ऐसज नही रज मक उसकी उपकज की जजती। िहमिद (स.अ.ि.) न िजपस आत ही अपन सहजबजरमज. स फरिजयज— घरो ि आरजि न करो अमपत सजयकजल स पिा ही बन करजज क दगको तक पहच जजओ। मफर आपस. न हजरत अलीरमज. को बन करजज क पजस भजज मक िह उन स पछ मक उनहोन सिझौत क मिरदध मिशवजसघजत कयो मकयज? इस पर चजमहए तो यह रज मक ि लसजत होत, किज-यजचनज करत यज खद परकि करत, उलिज उनहोन हजरत अलीरमज. और उनक सजमरयो को बरज-भलज कहनज आरमभ कर मदयज तरज रसल करीि (स.अ.ि.) और आप क खजनदजन की ससतरयो को गजमलयज दन लग और कहज— हि नही जजनत िहमिद (स.अ.ि.) कयज िसत ह, हिजरज उनक सजर कोई सिझौतज नही। हजरत अलीरमज. उन कज यह उतर लकर िजपस लौि तो इतन ि रसलललजह (स.अ.ि.) सहजबजरमज. क सजर यहद क मकलो (दगको) की ओर जज रह र। चमक यहद गनदी गजमलयज द रह र तरज िहमिद (स.अ.ि.) की पसतनयो और बमियो क बजर ि भी अपशबदो कज परयोग कर रह र, हजरत अलीरमज. न इस मिचजर स मक आप को इन िजकयो को सनकर कटि होगज, कहज— ह अललजह क रसल ! आप कयो कटि करत ह, हि लोग इस लडजई क मलए पयजापत ह, आप िजपस जजइए। रसलललजह (स.अ.ि.) न फरिजयज— ि सिझतज ह ि गजमलयज द रह ह और ति यह नही चजहत मक िर कजन ि ि गजमलयज पड। हजरत अलीरमज. न कहज— हज, ह अललजह क रसल ! बजत तो यही ह। िहमिद रसलललजह (स.अ.ि.) न फरिजयज— मफर कयज हो गयज यमद ि गजमलयज दत ह। िसज नबी तो उनकज अपनज रज, उस इस स भी कही अमिक

145 हजरत महममदस का पवितर जीिन

कटि पहचजए र। यह कहत हए आपस. यहद क मकलो की ओर चल गए, परनत यहदी दरिजज बनद करक मकलजबनद हो गए और िसलिजनो क सजर लडजई आरमभ कर दी, यहज तक मक उनकी ससतरयज भी लडजई ि ससमिमलत हई। अतः मकल की दीिजर क नीच ककछ िसलिजन बवठ र मक एक यहदी सतरी न ऊपर स पतरर फक कर एक िसलिजन को िजर मदयज, परनत ककछ मदनो की घरजबनदी क पशजत यहद न यह िहसस मकयज क ि लमबज िकजबलज नही करत सकत। अतः उनक सरदजरो न रसल करीि (स.अ.ि.) स इचछज परकि की मक िह अबलबजबह अनसजरी को जो उनक मितर तरज औस कबील क सरदजर र उन क पजस मभजिजए तजमक ि उन स परजिशा कर सक। आपस. न अब लबजबह को मभजिज मदयज। यहद न उन स यह परजिशा मलयज मक कयज िहमिद रसलललजह (स.अ.ि.) की इस िजग को मक मनणाय िर सपदा करत हए ति हमरयजर फक दो; हि यह सिीकजर कर ल? अब लबजबह न िख स तो कहज— हज! परनत अपन गल पर इस परकजर हजर फरज मजस परकजर मक िि कज लकण होतज ह। रसल करीि (स.अ.ि.) न अभी तक अपनज कोई मनणाय वयकत नही मकयज रज, परनत अब लबजबह न अपन हदय ि यह सिझत हए मक उनक इस अपरजि कज दणड िि क अमतररकत और कयज होगज, मबनज मिचजर मकए सजकमतक भजरज ि उन स एक बजत कह दी जो अनततः उनक मिनजश कज कजरण हई। अतः यहद (बन करजज) न कह मदयज मक यमद िहमिद रसलललजह कज मनणाय िजन लत तो अनय यहदी कबीलो की भजमत उनह अमिक स अमिक यही दणड मदयज जजतज मक उनह िदीन स मनिजामसत कर मदयज जजतज परनत उनकज दभजागय रज मक उनहोन कहज हि िहमिद रसलललजह कज मनणाय सिीकजर करन क मलए तवयजर नही अमपत हि अपन मितर कबीलज औस क सरदजर सअद मबन िआजरमज. कज मनणाय सिीकजर करग। जो मनणाय िह करग हि मशरोिजया होगज, परनत उस सिय यहद ि ितभद हो गयज। यहद ि स

146हजरत महममदस का पवितर जीिन

ककछ न कहज मक हिजरी जजमत न मिशवजसघजत मकयज ह और िसलिजनो क वयिहजर स मसदध होतज ह मक उन कज ििा सचज ह। ि लोग अपनज ििा तयजग कर इसलजि ि परिश कर गए। एक वयसकत अिर मबन सजदी न जो उस जजमत क सरदजरो ि स रज अपनी जजमत की भतसानज की और कहज मक ति न मिशवजसघजत मकयज ह मक सिझौतज भग मकयज ह, अब यज तो िसलिजन हो जजओ यज सरकज हत कर दन पर सहित हो जजओ। यहद न कहज— न िसलिजन होग, न ही कर दग मक इसस िर जजनज उमचत ह। मफर उसन उन स कहज— ि ति स मििकत ह और यह कह कर मकल स मनकल कर बजहर चल मदयज। जब िह मकल स बजहर मनकल रहज रज िसलिजनो क एक दल न मजसक सरदजर िहमिद मबन िससलिजरमज. र उस दख मलयज तरज उस स पछज मक िह कौन ह? उसन उतर मदयज मक ि अिक वयसकत ह। इस पर िहमिद मबन िससलिजरमज. न फरिजयज —

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अरजात आप सरकज क सजर चल जजइए और मफर अललजह तआलज स दआ की मक ह िर उपजसय अललजह ! िझ सजन वयसकतयो की गलमतयो पर पदजा डजलन क शभकिा स कभी िमचत न करनज अरजात यह वयसकत चमक अपन कककतय पर तरज अपनी जजमत क दषकतय पर पशजतजप करतज ह तो हिजरज भी नवमतक कतावय ह मक उस किज कर द। इसमलए िन उस मगरफतजर नही मकयज और जजन मदयज ह। खदज तआलज िझ हिशज ऐस ही शभकिको की शसकत परदजन करतज रह। जब िहमिद रसलललजह (स.अ.ि.) को इस घिनज कज जञजन हआ तो आपस. न िहमिद मबन िससलिजरमज. की डजि-डपि नही की मक उस यहदी को कयो छोड मदयज अमपत उस क इस कजया की सरजहनज की।

-अससीरतल हलमबययह मजलद-2 पषठ-363

147 हजरत महममदस का पवितर जीिन

बन करजला क अपन हनयकत हकए गए मधयथि सअदरहज. कला हनणतिय तौरलात क अनकल थिला

य उपरोकत घिनजए वयसकतगत परकजर की री। बन करजज जजमत की हमसयत स अपनी हठ पर बन रह तरज िहमिद रसलललजह (स.अ.ि.) क आदशो कज इनकजर करत हए सअदरमज. क मनणाय कज आगरह मकयज। िहमिद (स.अ.ि.) न भी उन की इस िजग को सिीकजर कर मलयज। सअदरमज. को जो यदध ि घजयल हो चक र सचनज दी मक बन करजज तमहजरज मनणाय सिीकजर करत ह, आकर मनणाय करो। इस परसतजि की घोरणज होत ही औस कबील क लोग जो बन करजज क कजफी सिय स मितर चल आए र, सअद क पजस दौड कर गए और आगरह मकयज मक चमक ‘खजरज’ न अपन मितर यहमदयो को हिशज दणड स बचजयज ह; आज ति भी अपन मितर कबील क पक ि मनणाय दनज।

सअदरमज. घजिो क कजरण बन करजज की ओर सिजरी विजरज गए। उनकी जजमत क लोग उनक दजए-बजए दौडत जजत र और सअदरमज. स आगरह करत जजत र मक दखनज बन करजज क मिरदध फसलज न दनज परनत सअदरमज. न किल यही उतर मदयज मक मकसी िजिल कज मनणाय मजस वयसकत क सपदा मकयज जजतज ह िह अिजनतदजर होतज ह, उस ईिजनदजरी स फसलज करनज चजमहए। ि ईिजनदजरी स फसलज करगज। जब सअदरमज.

यहद क मकल क पजस पहच जहज एक ओर बन करजज मकल की दीिजर क सजर खड सअदरमज. की परतीकज कर रह र तरज दसरी ओर िसलिजन बवठ र। अतः सअदरमज. न पहल अपनी जजमत स पछज— कयज आप लोग िजदज करत ह मक ि जो मनणाय कर उस आप लोग सिीकजर करग? उनहोन कहज— हज, मफर सअद न बन करजज को समबोमित करत हए कहज मक

148हजरत महममदस का पवितर जीिन

कयज आप लोग िजदज करत ह मक ि जो मनणाय करगज िह आप लोग सिीकजर करग? मफर लजजभजि स दसटि को नीच रखत हए; उस ओर सकत मकयज मजस ओर िहमिद रसलललजह (स.अ.ि.) मिरजजिजन र, कहज— इिर बवठ हए लोग भी यह िजदज करत ह ? रसलललजह (स.अ.ि.) न फरिजयज— हज। ततपशजत सअदरमज. न बजइबल क आदशजनसजर मनणाय सनजयज। बजइबल ि मलखज ह —

“और जब त मकसी शहर क पजस उसस लडन क मलए आ पहच तो पररि उस स समि कज सनदश कर। तब यो होगज मक यमद िह तझ उतर द मक समि सिीकजर तरज तर मलए विजर खोल द तो सिसत परजज जो उस शहर ि पजई जजए तझ सरकज कर दन िजली होगी तरज तरी सिज करगी और यमद िह तझ स समि न कर अमपत तझ स यदध कर तो त उस की घरजबनदी कर, तरज जब खदजिनद तरज खदज उस तर अमिकजर ि कर द तो िहज क परतयक परर कज तलिजर की िजर स िि कर परनत ससतरयो और बचो तरज पशओ को और जो ककछ उस शहर ि हो उस की लि कज सजरज िन अपन मलए ल और त अपन शतरओ की इस लि को जो खदजिनद तर खदज न तझ दी ह, खज। इसी परकजर त उन सब शहरो स जो तझ स बहत दर ह तरज उन जजमतयो क शहरो ि स नही ह यही हजल करनज परनत उन जजमतयो क शहरो ि मजनह खदजिनद तरज खदज तरी पवतक समपमत कर दतज ह, मकसी िसत को जो सजस लती ह जीमित न छोडनज अमपत त उनह नटि करनज। महती, अिरी, मकनआनी, फरजजी, जविी और बयसी को जवसज मक खदजिनद तर खदज न तझ आदश मदयज ह तजमक ि अपन सिसत घमणत कजयको क अनसजर जो उनहोन अपन उपजसयो स

-अससीरतल हलमबययह मजलद-2,पषठ-365-366

149 हजरत महममदस का पवितर जीिन

मकए तमह अिल करनज न मसखजए और ति खदजिनद अपन खदज क पजपी हो जजओ।”(‘इससतसज’ अधयजय-20, आयत-10 स 18)

बजइबल क इस फसल स सपटि ह मक यमद यहदी मिजयी हो जजत और िहमिद रसलललजह (स.अ.ि.) परजमजत हो जजत तो बजइबल क इस मनणाय क अनसजर पररि तो सिसत िसलिजनो कज िि कर मदयज जजतज, पररो कज भी, ससतरयो तरज बचो कज भी और जवसज मक इमतहजस स मसदध ह मक यहमदयो कज यही इरजदज रज मक पररो, ससतरयो तरज बचो सबकज तरनत िि कर मदयज जजए परनत यमद ि उन स बडी स बडी निषी करत तब भी मकतजब इससतसज क उपरोकत मनणाय क अनसजर ि उन स दर क दशो िजली जजमतयो कज सज वयिहजर करत और सिसत पररो कज िि कर दत; ससतरयो, बचो तरज सजिजनो को लि लत। सअदरमज. न जो बन करजज क िचन बदध सहयोगी तरज उनक मितरो ि स र जब दखज मक यहद न इसलजिी शरीअत क अनसजर जो मनशय ही उनक परजणो की सरकज करती, िहमिद रसलललजह (स.अ.ि.) क मनणाय को सिीकजर नही मकयज। अतः उनहोन िही मनणाय यहद क बजर ि मकयज जो िसजअ. न इससतसज ि पहल स ऐस अिसरो और पररससरमतयो क मलए कह छोडज रज। इस फसल कज उतरदजमयति िहमिद रसलललजह (स.अ.ि.) पर अरिज िसलिजनो पर नही, अमपत िसजअ., तौरजत तरज यहमदयो पर ह मजनहोन अनय जजमतयो क सजर हजजरो िरा इस परकजर कज आचरण जजरी रखज रज और मजनको िहमिद रसलललजह (स.अ.ि.) की दयज कज पजतर बनन क मलए बलजयज गयज तो उनहोन इनकजर कर मदयज तरज कहज— हि िहमिद रसलललजह (स.अ.ि.) की बजत िजनन क मलए तवयजर नही। हि सअदरमज. की बजत िजनग। जब सअदरमज. न िसजअ. क फसल क अनसजर फसलज मदयज तो आज ईसजई ससजर शोर िचजतज ह मक िहमिद रसलललजह (स.अ.ि.) न

150हजरत महममदस का पवितर जीिन

अनयजय मकयज। कयज ईसजई लखक इस बजत को नही दखत मक िहमिद रसलललजह (स.अ.ि.) न मकसी दसर अिसर पर कयो अनयजय न मकयज। शतर न सवकडो बजर सिय को िहमिद रसलललजह (स.अ.ि.) की दयज पर छोडज तरज आपस. न हर बजर उनह किज कर मदयज। यह एक ही अिसर ह मक शतर न आगरह मकयज मक हि रसलललजह (स.अ.ि.) क फसल को नही िजनग अमपत अिक अनय वयसकत क फसल को िजनग और उस वयसकत न िहमिद रसलललजह स फसल स पिा इकरजर ल मलयज मक ि जो मनणाय करगज उस आप सिीकजर करग। ततपशजत उसन मनणाय मकयज अमपत उसन फसलज नही मकयज, उसन िसजअ. कज फसलज दहरज मदयज, मजसकी उमित ि स होन कज यहमदयो कज दजिज रज। अतः यमद मकसी न अनयजय मकयज तो िह यहद न अपन परजणो पर मकयज मजनहोन िहमिद (स.अ.ि.) कज मनणाय सिीकजर करन स इनकजर कर मदयज। यमद मकसी न अनयजय मकयज तो िसजअ. न मकयज, मजनहोन घर ि मलए शतर क सबि ि खदज स आदश पजकर तौरजत ि यही मशकज दी री। यमद यह अनयजय रज तो इन ईसजई लखको कज कतावय ह मक िसज अलवमहससलजि को अनयजयी यज अतयजचजरी ठहरजए अमपत िसजअ. क खदज को अतयजचजरी ठहरजए मजसन तौरजत ि यह मशकज दी।

अहजजब यदध की सिजसपत क पशजत रसल करीि सललललजहो अलवमह िसललि न फरिजयज— आज स िमशरक (विवतिजदी) हि पर आकरिण नही करग, अब इसलजि सिय उतर दगज। मजन जजमतयो न हि पर आकरिण मकए र उन जजमतयो पर अब हि चढजई करग। अतः ऐसज ही हआ। अहजजब यदध ि भलज कजमफरो की हजमन ही कयज हई री, ककछ लोग िजर गए र। ि दसर िरा पनः तवयजरी करक आ सकत र। बीस हजजर क सरजन पर ि चजलीस-पचजस हजजर सनज भी लज सकत र अमपत यमद ि और अमिक

-बखजरी मकतजबल िगजजी, बजब गजतल खनदक।

151 हजरत महममदस का पवितर जीिन

परबि करत तो लजख-डढ लजख की सनज लजनज भी उनक मलए कमठन कजया न रज परनत इककीस िरा क सतत परयजस क पशजत कजमफरो क हदयो को आभजस हो गयज रज मक खदज िहमिद रसलललजह सललललजहो अलवमह िसललि क सजर ह और उनकी िमतायज झठी ह तरज ससजर कज सजनहजर एक ही खदज ह। उनक शरीर तो यरजित र, परनत उनक हदय िि चक र। दखन ि ि अपनी िमतायो क सिक सजदह (दणडित) करत हए मदखजई दत र परनत उनक हदयो स ‘लज इलजहज इललललजह’ क सिर मनकल रह र।

मसलमलानो की हवजय कला परलारमभइस यदध स मनित होन क पशजत रसल करीि (स.अ.ि.)

न फरिजयज— आज स कजमफर हि पर आकरिण नही करग अरजात िसलिजनो की मिपमत अपनी चरिसीिज को पहच गई ह और अब उनकज मिजय यग परजरमभ होन िजलज ह। उस सिय तक मजतन यदध हए र ि सभी ऐस र मक यज तो कजमफर लोग िदीनज पर आकरिण करन आए र यज उनक आकरिणो की तवयजररयो को रोकन क मलए िसलिजन िदीनज स बजहर मनकल र, परनत िसलिजनो न कभी सिय यदध जजरी रखन कज परयजस नही मकयज। हजलजमक यदध क मनयिजनसजर जब एक यदध आरमभ हो जजतज ह तो उसकज अनत दो ही परकजर पर होतज ह। यज तो समि हो जजती ह यज एक पक हमरयजर डजल दतज ह परनत इस सिय तक एक भी अिसर ऐसज नही आयज जबमक समि हई हो अरिज मकसी पक न हमरयजर डजल हो। अतः यदमप परजचीन कजल क मनयिजनसजर लडजइयो ि ककछ अनतरजल पड जजतज रज परनत जहज तक यदध क जजरी रहन कज परशन रज िह मनरनतर जजरी रज तरज सिजपत न हआ रज। इसमलए िसलिजनो कज हक रज मक ि जब भी चजहत शतर पर आकरिण करक उनह मििश करत मक ि हमरयजर

152हजरत महममदस का पवितर जीिन

डजल परनत िसलिजनो न ऐसज नही मकयज अमपत जब अनतरजल पडतज रज तो िसलिजन भी शजनत रहत र। कदजमचत इसमलए मक सभि ह मक कजमफर लोग इस िधय समि कज परसतजि रख। और यदध सिजपत हो जजए परनत जब एक लमब सिय तक कजमफरो की ओर स समि कज परसतजि न आयज और न उनहोन िसलिजनो क सजिन हमरयजर डजल अमपत अपन मिरोि ि बढत ही चल गए। अतः अब सिय आ गयज मक लडजई कज दो िक मनणाय मकयज जजए। यज तो दोनो पको ि समि हो जजए अरिज दोनो ि स एक पक हमरयजर डजल द तजमक दश ि शजसनत सरजमपत हो जजए। अतः रसलललजह (स.अ.ि.) न अहजजब यदध क पशजत मनणाय कर मलयज मक हि अब दोनो मनणायो ि स एक मनणाय करक रहग। यज तो हिजर और कजमफरो क िधय समि हो जजएगी अरिज हि ि स कोई एक पक हमरयजर डजल दगज। यह तो सपटि ह मक हमरयजर डजलन की पररससरमत ि कजमफर ही हमरयजर डजल सकत र कयोमक इसलजि की मिजय क बजर ि तो खदज तआलज की ओर स सचनज परजपत हो चकी री तरज िककज क जीिन ि रसल करीि (स.अ.ि.) इसलजि की मिजय की घोरणज कर चक र। शर रही समि, तो समि क बजर ि यह बजत सिझ लनज आिशयक ह मक समि कज परसतजि यज तो मिजतज की ओर स हआ करतज ह यज परजमजत की ओर स। परजमजत पक जब समि की यजचनज करतज ह तो उसक अरा य होत ह मक िह दश कज ककछ भजग यज अपनी आय कज ककछ भजग सरजयी अरिज असरजयी तौर पर मिजतज पक को दगज यज ककछ अनय पररससरमतयो ि उसक लगजए गए परमतबनिो को सिीकजर करगज। मिजतज पक की ओर स जब समि कज परसतजि परसतत होतज ह तो उसकज तजतपया यह होतज ह मक हि मबलककल नही चजहत मक हि तमह ककचल डजल यमद ति ककछ शतको क सजर हिजरी आजञजकजररतज तरज अिीनतज सिीकजर करत हए आदशो कज पजलन करो तो हि तमहजरी सिततर सतज अरिज अिा सिततर सतज को बनज

153 हजरत महममदस का पवितर जीिन

रहन दग। िककज क कजमफरो तरज िहमिद रसलललजह क िधय होन िजल यदधो ि बजर-बजर कजमफरो की परजजय हई री परनत इस परजजय कज अरा िजतर इतनज रज मक उनक आकरिण असफल रह र। िजसतमिक परजजय िह कहलजती ह जबमक परमतरकजतिक शसकत कीण हो जजए। आकरिण क असफल होन कज तजतपया िजसतमिक परजजय नही उसकज तजतपया किल इतनज होतज ह मक यदमप आकरिणकजरी कज आकरिण असफल रहज परनत पनः आकरिण करक िह अपन लकय को परजपत कर लगज। असत यदध आचजर समहतज क अनसजर िककज मनिजसी परजमजत नही हए र अमपत उनकी ससरमत किल यह री मक अब तक उनकी आकरजिक कजयािजमहयज अपन लकय की परजसपत नही कर सकी री; इसकी तलनज ि िसलिजन यदध की दसटि स यदमप उन की परमतरकण शसकत नही ििी री परजमजत कहलजन क अमिकजरी र। इसमलए मक एक तो ि अतयलप सखयज ि र, दसर उनहोन उस सिय तक कोई आकरजिक कजयािजही नही की री अरजात मकसी आकरिण ि सिय पहल नही की री मजस स यह सिझज जजए मक अब ि सिय को कजमफरो क परभजि स िकत सिझत ह। इन पररससरमतयो ि िसलिजनो की ओर स समि परसतजि कज अरा यह हो सकतज रज मक अब ि परमतरकण परमकरयज स तग आ चक ह और ककछ दकर अपनज पीछज छडजनज चजहत ह। परतयक बमदधिजन सिझ सकतज ह मक इन पररससरमतयो ि यमद िसलिजन समि-परसतजि रखत तो इसकज पररणजि मनतजनत भयजनक होतज तरज यह बजत उनक अससतति को मििज दन कज पयजाय होती। अरब क कजमफरो ि अपनी आकरजिक कजयािजमहयो ि असफलतज क कजरण जो मनरजशज उतपनन हो गई री इस समि-परसतजि स ि तरनत ही नए उतसजह और नई उिगो तरज निीन आशजओ ि पररिमतात हो जजती और यह सिझज जजतज मक िसलिजन िदीनज को मिनजश स सरमकत रख लन क बजिजद अपनी असनति सफलतज स मनरजश हो चक ह। अतः समि कज परसतजि िसलिजनो

154हजरत महममदस का पवितर जीिन

की ओर स मकसी भी अिसरज ि परसतत नही मकयज जज सकतज रज। यमद कोई समि कज परसतजि कर सकतज रज तो यज तो िककज िजल कर सकत र यज कोई तीसरी जजमत िधयसर बन कर कर सकती री, परनत अरब ि ऐसी कोई जजमत नही रही री। एक ओर िदीनज रज, दसरी ओर समपणा अरब रज। अतः इस ससरमत ि कजमफर ही र जो इस परसतजि को परसतत कर सकत र, परनत उनकी ओर स समि कज कोई परसतजि नही आ रहज रज। य पररससरमतयज यमद सौ िरा तक भी जजरी रहती तो यदध क मनयिो क अनसजर गह-यदध जजरी रहतज। अतः जब मक िककज िजलो की ओर स समि-परसतजि परसतत नही हआ रज तरज िदीन क लोग अरब क कजमफरो की अिीनतज सिीकजर करन क मलए मकसी भी पररससरमत ि तवयजर न र तो अब एक ही िजगा शर रह जजतज रज मक जब िदीनज न समपणा अरब क सयकत आकरिण को असफल कर मदयज तो िदीनज क लोग सिय बजहर मनकल और अरब क कजमफरो को मििश कर द मक यज तो ि इनकी अिीनतज सिीकजर कर ल यज उन स समि कर ल। अतः रसल करीि (स.अ.ि.) न यही िजगा गरहण मकयज। अतः यदमप यह िजगा परतयक रप स यदध कज िजगा दसटिगोचर होतज ह परनत िजसति ि शजसनत की सरजपनज क मलए इसक अमतररकत कोई अनय िजगा शर न रज। यमद िहमिद रसलललजह (स.अ.ि.) ऐसज न करत तो समभि ह मक यदध सौ िरा तक लमबज चलज जजतज। जवसज मक परजचीन कजल ि ऐसी ही पररससरमतयो ि यदध सौ-सौ िरा तक जजरी रह। सिय अरब क ही यदध तीस-तीस, चजलीस-चजलीस िरा तक जजरी रह ह। इन यदधो क लमब सिय तक जजरी रहन कज यही कजरण परतीत होतज ह मक यदधो को सिजपत करन क मलए कोई सजिन नही अपनजयज जजतज रज। जवसज मक ि िणान कर चकज ह मक यदध को सिजपत करन क दो ही उपजय हआ करत ह यज तो ऐसज मनणजायक यदध मकयज जजए जो दो िक मनणाय कर द और दोनो पको ि स मकसी एक पक को हमरयजर डजलन पर मििश कर द अरिज

155 हजरत महममदस का पवितर जीिन

परसपर समि हो जजए। िहमिद रसलललजह (स.अ.ि.) मनःसदह ऐसज कर सकत र मक िदीनज ि बवठ रहत और सिय आकरिण न करत परनत चमक अरब क कजमफर यदध की नीि डजल चक र आपस. क खजिोश बवठन क य अरा न होत मक यदध सिजपत हो गयज ह अमपत उसक य अरा होत मक यदध कज विजर सदवि क मलए खलज रखज गयज ह। अरब क कजमफर जब चजहत अकजरण ही िदीनज पर आकरिण कर दत तरज उस सिय क मनयिजनसजर िह सतय पर सिझ जजत कयोमक यदध ि अनतरजल आ जजनज उस यग ि यदध की सिजसपत कज पयजाय नही सिझज जजतज रज अमपत अनतरजल की गणनज यदध ि ही की जजती री।

इस अिसर पर ककछ लोगो क हदयो ि परशन पवदज हो सकतज ह मक कयज एक सच ििा क मलए यदध करनज उमचत ह?

यदध क बलार म यहदी और ईसलाई धमति की हशकलाि यहज एक परशन कज उतर दनज भी आिशयक सिझतज ह। जहज

तक ििको कज परशन ह यदध क सबि ि मभनन-मभनन मशकजए ह। यदध क बजर ि िसज अलवमहससलजि की मशकज कज पहल उललख मकयज जज चकज ह। तौरजत कहती ह मक िसज अलवमहससलजि को आदश मदयज गयज मक ि ‘मकनआन’ ि बलपिाक घस जजए तरज इस सरजन की जजमतयो को परजमजत करक इस कतर ि अपनी जजमत को आबजद कर। (इसतिसना अधना-20, आति 10-18) परनत इस क बजिजद मक िसजअ. न यह मशकज दी और इसक बजिजद मक यशज दजऊद तरज अनय नबी न मनरनतर इस मशकज पर आचरण करत रह। यहदी और ईसजई उनह खदज कज नबी और तौरजत को खदज की मकतजब सिझत ह। िसज क मसलमसल क अनत ि हजरत िसीह अलवमहससलजि आए। यदध क बजर ि उनकी यह मशकज ह मक अतयजचजरी कज िकजबलज न करनज अमपत जो तर दजमहन गजल पर रपपड िजर तो दसरज गजल भी उसकी ओर फर द। (मतिी, अधना-5, आति-39) इस स पररणजि

156हजरत महममदस का पवितर जीिन

मनकजलत हए ईसजई जजमत यह दजिज करती ह मक िसीह न जजमतयो को यदध करन स िनज मकयज ह परनत दखत ह मक इजील ि इस मशकज क मिपरीत अनय मशकजए भी आई ह। उदजहरणतयज इजील ि मलखज ह— “यह मत समझो कि म पथवी पर सकि िरान आया ह, सकि िरान नही अकपत तलार चलान आया ह।” (मतिी अधना, 10 आति-34) इसी परकजर मलखज ह— “उसन उनह िहा परनत अब किसि पास बटआ हो लल और इसवी परिार झोलवी भवी और किसि पास तलार नही अपन सतर बचिर तलार खरवीद।” (लकना अधना-22, आति-36) यह असनति दो मशकजए पहली मशकज क सिारज मिपरीत ह। यमद िसीह यदध करजन क मलए आयज रज तो मफर एक गजल पर रपपड खज कर दसरज गजल फर दन क कयज अरा र। अतः यज तो य दोनो परकजर की मशकजए परसपर मिरोिी ह यज इन दोनो मशकजओ ि स मकसी एक को उसक परतयक अरको स फर कर उसकी कोई अनय वयजखयज करनज पडगी। ि इस मििजद ि नही पडतज मक एक गजल पर रपपड खजकर दसरज गजल फर दन की मशकज वयजिहजररक ह अरिज नही। ि यहज यह कहनज चजहतज ह मक पररि ईसजई ससजर न अपन पर इमतहजस ि यदध स सकोच नही मकयज। जब ईसजइयत कज मबलककल परजरमभ ि रोि ि आमिपतय रज तब भी उसन अनय जजमतयो स यदध मकए; सरकजतिक ही नही अमपत आकरजिक भी। अब जबमक ईसजइयत ससजर ि परभति रखती ह अब भी यदध करती ह; परमतरकजतिक ही नही अमपत आकरजिक भी। अनतर किल इतनज ह मक यदध करन िजलो ि स जो पक मिजयी हो जजतज ह उस क बजर ि कह मदयज जजतज ह मक िह ईसजई सभयतज कज पजबनद रज। मकरससचयन मसमिलजइजशन (CHRISTION

CIVILIZATION) उस यग ि किल मिजयी और परभति परजपत जजमत की कजया-शवली कज नजि ह तरज इस शबद क िजसतमिक अरा अब ककछ भी शर नही रह। जब दो जजमतयज परसपर यदध करती ह तो परतयक जजमत इस

157 हजरत महममदस का पवितर जीिन

बजत की दजिदजर होती ह मक िह ईसजई सभयतज कज सिरान कर रही ह और जब कोई जजमत मिजय परजपत कर लती ह तो कहज जजतज ह मक उस मिजतज जजमत की कजया-शवली ही ईसजई सभयतज ह परनत हर हजल ि िसीह क यग स आज तक ईसजई जजमत यदध करती चली जज रही ह और लकण बतजत ह मक यदध करती चली जजएगी। अतः जहज तक िसीही जगत क फसल कज सबि ह यही मिमदत होतज ह मक “तम अपन िपड बच िर तलार खरवीदो”और “म सकि िरान ि कलए नही अकपत तलार चलान ि कलए आया ह”। यह िजसतमिक मििजन ह और “त एि गाल पर थपपड खा िर दसरा गाल भवी फर द।” यह कजनन यज तो परजरसमभक ईसजई कजल की मनबालतज क सिय अपन महत की दसटि स गरहण मकयज गयज रज अरिज ईसजई लोगो क परसपर सबिो की सीिज तक यह कजनन सीमित ह। सरकजरो और जजमतयो पर कजनन चररतजरा नही होतज। दसर यमद यह भी सिझ मलयज जजए मक िसीह अलवमहससलजि की िल मशकज यदध की नही री अमपत समि की ही री, तब भी इस मशकज स यह पररणजि नही मनकलतज मक जो वयसकत इस मशकज क मिपरीत कजया करतज ह िह खदज कज भजज हआ नही हो सकतज; कयोमक ईसजई जजमत आज तक िसजअ. तरज यशजअ. और दजऊदअ. को खदज कज भजज हआ सिीकजर करती ह अमपत सिय ईसजई यग क ककछ परमतसषठत हीरो (नजयक) मजनहोन अपनी जजमत क मलए परजणो की बजजी लगज कर शतरओ स यदध मकए ह मिमभनन यगो क पजपो क फति क अनसजर आज सनि (SAINT) कहलजत ह।

यदध क बलार म इललामी हशकलाइसलजि इन दोनो मशकजओ क िधय सतमलत मशकज दतज ह अरजात न

तो िह िसजअ. क सिजन कहतज ह मक त आकरजिक तौर पर मकसी भी दश ि घस जज और उस जजमत को िौत क घजि उतजर द और न िह इस यग की

158हजरत महममदस का पवितर जीिन

मबगडी हई ईसजइयत क सिजन उच सिर ि यह कहतज ह मक “यमद कोई तर एक गजल पर रपपड िजर तो त अपनज दसरज गजल भी उस की ओर फर द।”परनत अपन सजमरयो क कजन ि खजिोशी स यह कहनज चजहतज ह मक ति अपन कपड बच कर भी तलिजर खरीद लो। अमपत इसलजि िह मशकज परसतत करतज ह जो िजनि-परकमत क सिारज अनकल ह तरज जो शजसनत और िवतरी को सरजमपत करन क मलए एक ही उपजय हो सकतज ह और िह यह ह— मक त मकसी पर आकरिण न कर परनत यमद कोई वयसकत तझ पर आकरिण कर, उस कज िकजबलज न करनज उपदरि को बढजन कज कजरण मदखजई दतज हो तरज उसस सतय और शजसनत भग हो रही ह, तब त उसक आकरिण कज उतर द। यही िह मशकज ह मजस स ससजर ि अिन और िवतरी सरजमपत हो सकती ह। रसलललजह (स.अ.ि.) इस मशकज पर आचरण करत रह। आपस. िककज ि मनरनतर कटि सहन करत रह परनत आपस. न यदध की नीि न डजली, परनत जब आप महजरत करक िदीनज चल गए तरज शतर न िहज भी आप कज पीछज न छोडज, तब खदज तआलज न आपस. को आदश मदयज मक चमक शतर आकरजिक कजयािजही ि मलपत ह तरज इसलजि को मििजनज चजहतज ह। अतः सतय और ििा की सरजपनज क मलए आप उसकज िकजबलज कर। कआान करीि ि इस सबि ि जो मिमिि आदश आए ह ि मनमनमलमखत ह —

(1) अललजह तआलज कआान करीि ि फरिजतज ह —

(सरह हज 40 स 42)

159 हजरत महममदस का पवितर जीिन

अरजात इसमलए मक उन (िसलिजनो) पर अतयजचजर मकयज गयज और उन िसलिजनो को मजन स शतर न यदध जजरी रखज ह आज यदध करन की आजञज दी जजती ह और अललजह मनशय ही उनकी सहजयतज करन पर सिरा ह। हज उन िसलिजनो को यदध करन की आजञज दी जजती ह मजनह उनक घरो स मबनज मकसी अपरजि क मनकजल मदयज गयज। उन कज अपरजि किल इतनज रज (यमद यह कोई अपरजि ह) मक ि कहत र मक अललजह हिजरज परमतपजलक ह और यमद अललजह तआलज ककछ अतयजचजरी लोगो को दसर नयजयमपरय लोगो क विजरज अतयजचजर स रोकतज न रह तो मगरज, िनससरियज (िसनदर) तरज िससजद मजनि खदज कज नजि अमिकतज स मलयज जजतज ह अतयजचजररयो विजरज नटि हो जजए। (अतः ससजर ि िजमिाक सिततरतज बनजए रखन क मलए अललजह तआलज अतयजचजरो स पीमडतो को और ऐसी जजमतयो को मजनक मिरदध शतर पहल यदध की घोरणज कर दतज ह यदध करन की आजञज दतज ह) तरज मनशय ही अललजह तआलज उनकी सहजयतज करतज ह जो खदज तआलज क ििा की सहजयतज करन क मलए खड होत ह। अललजह तआलज मनशय ही िहजन शसकतशजली और परभतज समपनन ह। हज अललजह तआलज उन लोगो की सहजयतज करतज ह जो यमद ससजर ि शसकतशजली हो जजए तो खदज तआलज की उपजसनजओ को सरजमपत करग, मनिानो की सहजयतज करग, ससजर को शभ और शरषठ आचरणो की मशकज दग, दषकिको स ससजर को रोकग और परतयक मििजद कज पररणजि िही होतज ह जो खदज चजहतज ह।

इन आयतो ि जो िसलिजनो को यदध की अनिमत दन क मलए उतरी ह बतजयज गयज ह मक यदध की आजञज इसलजिी मशकजनसजर इसी अिसरज ि होती ह जब कोई जजमत लमब सिय तक मकसी अनय जजमत क अतयजचजरो कज मनशजनज बनी रह और अतयजचजरी जजमत उसक मिरदध अकजरण यदध की घोरणज कर द तरज उसक ििा ि हसतकप कर तरज ऐसी पद दमलत

160हजरत महममदस का पवितर जीिन

जजमत कज कतावय होतज ह मक जब उस शसकत परजपत हो तो िह िजमिाक सिततरतज परदजन कर तरज इस बजत को सदवि दसटि ि रख मक खदज तआलज उस परभति परदजन कर तो िह सिसत ििको की रकज कर तरज उसक पमितर सरजनो क िजन-समिजन कज धयजन रख और उस परभति को अपनी शसकत और िवभि कज सजिन न बनजए अमपत मनिानो की सहजयतज दश की दशज कज सिजर अशजसनत और उपदरि को सिजपत करन ि अपनी शसकतयो कज परयोग कर। यह कसी समकपत सिापकीय एि सिजामहतजय मशकज ह। इसि यह भी बतज मदयज गयज ह मक िसलिजनो को यदध करन की आजञज कयो दी गई ह और यमद अब ि यदध करग तो िह मििशतजिश होगज अनयरज इसलजि ि आकरजिक यदध की आजञज नही ह और मफर आरमभ ि मकस परकजर यह कह मदयज गयज रज मक िसलजनो को मिजय अिशय परजपत होगी परनत उनह सिरण रखनज चजमहए मक उनह आमिपतय क मदनो ि सरकजर स अपनी जब भरन तरज अपनी दशज सिजरन क सरजन पर मनिानो की दखभजल तरज उनकी सहजयतज, शजसनत की सरजपनज, उपदरि कज मनिजरण तरज जजमत और दश को उननमत क पर पर ल जजन क परयजस को अपनज उदशय बनजनज चजमहए।

(2) — मफर फरिजतज ह—

(सरह अलबकरह 191 स 194)

161 हजरत महममदस का पवितर जीिन

अरजात उन लोगो स जो ति स यदध कर रह ह ति भी किल अललजह क मलए— मजसि तमहजर तजिमसक करोि एि अनय तजिमसक भजिो कज समिशरण न हो— यदध करो और यजद रखो मक यदध ि भी कोई अतयजचजरपणा कजयािजही न करनज कयोमक खदज तआलज अतयजचजररयो को बहरहजल पसनद नही करतज तरज जहज कही भी तमहजरी और उनकी यदध क विजरज िठ-भड हो जजए िहज ति उन स यदध करो तरज यो ही छि-पि एक-दो लोगो क मिलन पर आकरिण न करो। चमक उनहोन तमह लडजई क मलए मनकलन पर मििश मकयज ह, ति भी उनह उनक परतयतर ि लडजई की चनौती दो। सिरण रखो मक िि और लडजई की अपकज ििा क समबनि ि मकसी को कटिो ि डजलनज बहत बडज पजप ह। अतः ति ऐसज कोई कजया न करो; कयोमक यह अििषी लोगो कज कजया ह तरज यह आिशयक ह मक ति उन स ‘िससजद हरजि’ (कजबज) क पजस उस सिय तक यदध न करो जब तक ि यदध की पहल न कर, कयोमक इस स ‘हज’ और ‘उिरज’ क िजगा ि रकजिि पवदज होती ह। हज यमद ि सिय ऐस यदध की पहल कर तो मफर ति मििश हो और तमह परमतकजर सिरप यदध की आजञज ह। जो लोग बमदधगत और नयजयसगत आदशो को असिीकजर कर दत ह उनक सजर ऐसज ही वयिहजर करनज पडतज ह। परनत यमद उनह होश आ जजए और ि इस बजत स रक जजए तो अललजह तआलज बहत ही किज करन िजलज और दयजल ह। इसमलए तमह भी चजमहए मक ऐसी ससरमत ि अपन हजरो को रोक लो तरज इस मिचजर स मक य लोग आकरिण करन ि पहल कर चक ह परतयतर ि आकरिण न करो और ि चमक यदध आरमभ कर चक ह ति भी उस सिय तक यदध को जजरी रखो जब तक मक ि ििा ि हसतकप करनज न छोड और ि सिीकजर न कर ल मक ििा कज िजिलज किल अललजह तआलज स सबमित ह तरज इसि जबरदसती करनज मकसी िनषय क मलए उमचत नही। यमद ि इस मिमि को अपनज ल तरज ििा ि हसतकप करन स रक

162हजरत महममदस का पवितर जीिन

जजए तो तरनत लडजई बनद कर दो; कयोमक दणड किल अतयजचजररयो को मदयज जजतज ह। यमद ि इस परकजर क अतयजचजर छोड द तो मफर उनस यदध करनज उमचत नही हो सकतज। इन आयतो ि बतजयज गयज ह मक परथिम— यदध किल अललजह क मलए होनज चजमहए अरजात वयसकतगत सिजरको और िहतिजकजकजओ क मलए, दश पर मिजय परजपत करन की नीयत यज अपनी परमतषठज को बढजन की नीयत स यदध नही करनज चजमहए। हदतीय— लडजई किल उसी स उमचत ह जो आकरिण ि पहल करतज ह। ततीय— तमह उनही लोगो स यदध करनज उमचत ह जो ति स यदध करत ह अरजात जो लोग मनयमित रप स सवमनक नही और मकरयजतिक रप स यदध ि भजगीदजर नही होत उनकज िि करनज यज उनस यदध करनज उमचत नही। चतथिति— शतर क आकरिण ि पहल करन क बजिजद यदध को उतनज ही सीमित रखनज मजस सीिज तक शतर न कजयािजही की तरज यदध को मिशजल रप दन कज परयजस नही करनज चजमहए, न कतर की दसटि स और न यदध क ससजिनो की दसटि स। पचम— यदध किल लडन िजली सनज क सजर होनज चजमहए यह नही मक शतर पक क इककज-दककज वयसकतयो क सजर िकजबलज मकयज जजए। षषटम— यदध ि इस बजत को दसटिगत रखनज आिशयक ह मक िजमिाक उपजसनजओ तरज िजमिाक मिमि मििजनो क परज करन ि बजिजए उतपनन न हो। यमद शतर मकसी ऐस सरजन पर यदध की नीि न डजल जहज यदध करन स उसकी िजमिाक उपजसनजओ ि मिघन पवदज होतज ह तो िसलिजनो को भी उस सरजन पर यदध नही करनज चजमहए। सतम— यमद शतर सिय िजमिाक उपजसनज सरलो को यदध कज सजिन बनजए तो मफर मििशतज ह अनयरज तमह ऐसज नही करनज चजमहए। इस आयत ि इस ओर सकत मकयज गयज ह मक उपजसनज-सरलो क आस-पजस भी यदध नही होनज चजमहए कहज यह मक उपजसनज-सरलो पर आकरिण मकयज जजए यज उनह धिसत मकयज जजए अरिज उनह तोडज जजए। हज यमद शतर उपजसनज-सरलो को सिय यदध कज

163 हजरत महममदस का पवितर जीिन

दगा बनज ल तो मफर उसकी कमत कज दजमयति उस पर ह, उस मिनजश कज उतरदजमयति िसलिजनो पर नही। अषटम— यमद शतर िजमिाक-सरलो ि यदध आरमभ करन क पशजत उसक भयजनक पररणजिो को सिझ जजए तरज िजमिाक सरल स मनकल कर अनय सरजन को रण-भमि बनज ल तो िसलिजनो को उनक िजमिाक-सरलो को इस बहजन स हजमन नही पहचजनज चजमहए मक उस सरजन पर पहल उन क शतरओ न यदध आरमभ मकयज रज अमपत उसी सिय उन सरजनो की परमतषठज को सिीकजर करत हए अपन आकरिण क रप को भी पररिमतात कर दनज चजमहए। नवम— यदध उस सिय तक जजरी रखनज चजमहए जब तक मक िजमिाक हसतकप सिजपत न हो जजए तरज ििा की सिसयज को अनतरजतिज की सिसयज सिझज जजए, रजजनवमतक सिसयजओ की भजमत उसि हसतकप न मकयज जजए। यमद शतर इस बजत की घोरणज कर द तरज उस पर आचरण करनज आरमभ कर द तो चजह िह आकरिण करन ि पहल कर चकज हो उसक सजर यदध नही करनज चजमहए।

(3) फरिजतज ह —

(सरह अलअनफजल 39 स 40)अरजात ह िहमिद रसलललजह ! शतर न यदध आरमभ मकए और तमह

खदज तआलज क आदश स उनकज िकजबलज करनज पडज परनत त उन ि घोरणज कर द मक यमद अब भी ि यदध स रक जजए तो जो ककछ ि पहल

164हजरत महममदस का पवितर जीिन

कर चक ह उनह किज कर मदयज जजएगज परनत यमद ि यदध स न रक और बजर-बजर आकरिण कर तो मिगत नमबयो क शतरओ क पररणजि उन क सजिन ह। अनत उनकज भी िही होगज। ह िसलिजनो ! ति उस सिय तक यदध जजरी रखो मक ििा क कजरण कटि दनज सिजपत हो जजए तरज ििा को पणातयज खदज तआलज क सपदा कर मदयज जजए और ि ििा क िजिल ि हसतकप करनज तयजग द। मफर यमद य लोग इन बजतो स रक जजए तो किल इस कजरण उन स यदध न करो मक ि एक सनिजगा स भिक हए ििा क अनयजयी ह कयोमक खदज तआलज उनक किको को जजनतज ह, िह सिय जवसज चजहगज उन स वयिहजर करगज। तमह उनकी सतय आसरजओ को मिसित कर चक ििा क कजरण हसतकप करन की अनिमत नही दी जज सकती। यमद हिजरी इस समि की घोरणज क पशजत भी जो लोग यदध को न तयजग और यदध जजरी रख तो भली-भजमत सिझ लो मक अलपसखयज ि होन क बजिजद ति ही मिजयी होग; कयोमक अललजह तआलज तमहजरज सजरी ह और खदज तआलज स बढकर सजरी और सहजयक और कौन हो सकतज ह।

य आयत कआान करीि ि बदर-यदध क िणान क पशजत आई ह जो अरब क कजमफरो और िसलिजनो क िधय सब स पररि मनयिजनसजर यदध रज, इसक बजिजद मक अरब क कजमफरो न िसलिजनो पर अकजरण आकरिण मकयज तरज िदीन क आस-पजस उपदरि िचजयज तरज इसक बजिजद मक िसलिजन मिजयी हए और शतर क बड-बड िीर मशरोिमण िजर गए। कआान करीि न िहमिद रसलललजह क विजरज यही घोरणज करजई ह मक यमद अब भी ति लोग रक जजओ तो हि यदध को जजरी नही रखग। हि तो िजतर चजहत ह मक बलजत ििजानतरण न करजयज जजए तरज ििा क िजिल ि हसतकप न मकयज जजए।

165 हजरत महममदस का पवितर जीिन

(4) फरिजतज ह —

अरजात यमद कजमफर मकसी सिय भी समि की ओर झक तो उनकी बजत तरनत सिीकजर कर लनज, समि कर लनज तरज यह भरि न करनज मक कदजमचत ि िोखज द रह हो अमपत अललजह तआलज पर भरोसज रखनज। खदज तआलज दआओ को सनन िजलज और सब ककछ जजनन िजलज ह। यमद तरज यह मिचजर सही हो मक ि िोखज दनज चजहत ह और ि िजसति ि तझ िोखज दन कज इरजदज भी रखत हो तो भी सिरण रख मक उनक िोखज दन स बनतज कयज ह तझ किल अललजह की सहजयतज स ही सफलतजए परजपत हो रही ह। उसकी सहजयतज तर मलए पयजापत ह। पहल सियो ि िही सीि तौर पर अपनी सहजयतज विजरज तरज िोमिनो की सहजयतज विजरज तरज सजर दतज रहज ह।

इस आयत ि बतजयज गयज ह मक जब शतर समि करन पर तवयजर हो तो िसलिजनो को उस स बहरहजल समि कर लनज चजमहए। यमद िह समि क मनयि को परतयक ि सिीकजर करतज हो तो किल इस बहजन स समि क परसतजि को असिीकजर नही करनज चजमहए मक कदजमचत शतर की नीयत ठीक न हो और बजद ि शसकत सगमठत करक पनः आकरिण करनज चजहतज हो।

इन आयतो ि िजसति ि हदवमबयज-समि की भमिषयिजणी की गई ह और बतजयज गयज ह मक एक सिय ऐसज आएगज जब शतर समि करनज चजहगज; उस सिय ति इस बहजन स मक शतर न अतयजचजर मकयज ह अरिज यह मक िह बजद ि इस सिझौत को भग करनज चजहतज ह समि स इनकजर न करनज कयोमक यसकतसगत यही ह और तमहजरज महत भी इसी ि ह मक ति समि क परसतजि को सिीकजर कर लो।

(अनफजल 62-63)

166हजरत महममदस का पवितर जीिन

(5) फरिजतज ह —

अरजात ह िोमिनो ! जब ति खदज क मलए यदध करन क मलए बजहर मनकलो तो इस बजत की भली-भजमत जजच-पडतजल कर मलयज करो मक तमहजर शतर पर सिझजन कज परयजस परज हो चकज ह और िह हठजत लडजई क मलए ततपर ह। और यमद कोई वयसकत यज दल तमह कह मक ि तो समि करतज ह तो यह न कहो मक त िोखज दतज ह और हि आशज नही मक हि तझ स सरमकत ह। यमद ति ऐसज करोग तो मफर ति खदज क िजगा ि यदध करन िजल नही होग अमपत ति सजसजररक इचछजए रखन िजल ठहरोग, अतः ऐसज न करो; कयोमक मजस परकजर खदज क पजस ििा ह उसी परकजर खदज क पजस ससजर कज भी बहत सज सजिजन ह। तमह सिरण रखनज चजमहए मक मकसी वयसकत कज िि कर दनज िल उदशय नही। तमह कयज िजलि मक कल िह सनिजगा पर आ जजए। ति भी तो इस स पिा इसलजि ििा स बजहर र। मफर अललजह तआलज न अपनी अनकमपज स यह ििा गरहण करन की शसकत परदजन की। अतः िजरन ि शीघरतज न मकयज करो अमपत िसत-ससरमत की जजच-पडतजल मकयज करो। सिरण रखो मक जो ककछ ति करत हो अललजह उस स भली-भजमत अिगत ह।

इस आयत ि बतजयज गयज ह मक जब यदध आरमभ हो जजए तब भी इस बजत की भली-भजमत जजच-पडतजल करनज आिशयक ह मक शतर कज इरजदज आकरजिक यदध कज ह ! कयोमक सभि ह मक शतर आकरजिक यदध

(सरह असननसज-95)

167 हजरत महममदस का पवितर जीिन

कज इरजदज न रखतज हो अमपत िह मकसी भय क अनतगात सवमनक तवयजरी कर रहज हो। अतः पहल भली-भजमत जजच-पडतजल कर मलयज करो मक शतर कज इरजदज आकरजिक यदध कज रज। तब उसक सजिन िकजबल क मलए आओ और यमद िह यह कह मक िरज इरजदज तो यदध करन कज नही रज, ि तो किल भय क कजरण तवयजरी कर रहज रज तो तमह यह नही कहनज चजमहए मक नही तमहजरी यदध की तवयजरी बतजती ह मक ति हि पर आकरिण करनज चजहत र। हि मकस परकजर सिझ मक हि ति स सरमकत और अिन ि ह अमपत उसकी बजत को सिीकजर कर लो और यह सिझो मक यमद पहल उसकज इरजदज भी रज तो सभि ह मक बजद ि उसि पररितान आ गयज हो। ति सिय इस बजत क गिजह हो मक हदयो ि पररितान पवदज हो जजतज ह। ति पहल इसलजि क शतर र परनत अब ति इसलजि क मसपजही हो।

(6) मफर शतरओ स सिझौतज करन क बजर ि फरिजतज ह —

अरजात िमशरको (विवतिजमदयो) ि स ि मजनहोन ति स कोई सिझौतज मकयज रज और मफर उनहोन उस सिझौत को भग नही मकयज तरज तमहजर मिरदध तमहजर शतरओ की सहजयतज नही की। सिझौत की अिमि तक ति भी पजबनद हो मक सिझौत क पजबनद रहो, यही सयिी आदशा क लकण ह और अललजह तआलज सयमियो को पसनद करतज ह।

(7) — ऐस शतरओ क सबि ि जो यदध कर रह हो परनत उनि स कोई वयसकत इसलजि की िजसतमिकतज िजलि करनज चजह तो अललजह तआलज फरिजतज ह—

(सरह तौबज-4)

168हजरत महममदस का पवितर जीिन

अरजात यमद यदध कर रह विवतिजमदयो ि स कोई वयसकत इसमलए शरण िजग मक िह तमहजर दश ि आकर इसलजि क बजर ि छजनबीन करनज चजहतज ह तो उस अिशय शरण दो इतन सिय तक मक िह उमचत परकजर स इसलजि की जजच-पडतजल कर ल तरज कआान करीि क िणया मिरयो स पररमचत हो जजए, मफर उस अपनी सरकज ि उस सरजन तक पहचज दो जहज िह जजनज चजहतज ह और मजस अपन मलए शजसनत कज सरजन सिझतज ह।

(8) — यदध ि बनदी बनजए गए लोगो क बजर ि फरिजतज ह—

(अनफजल-66)अरजात यह बजत मकसी नबी की ियजादज क अनकल नही मक िह

अपन शतर को बनदी बनज ल मसिजए इसक मक सिरभमि ि मनयिजनसजर यदध करत हए पकड जजए। अरजात यह परमपरज जो उस यग तक अमपत उस क बजद भी सवकडो िरको तक ससजर ि परचमलत रही ह मक शतर क लोगो को यदध क मबनज ही बनदी बनज लनज िवि सिझज जजतज रज, इस इसलजि पसनद नही करतज। िही लोग यदध क कदी कहलज सकत ह जो रणभमि ि ससमिमलत हो और यदध क पशजत बनदी बनजए जजए।

(9)— मफर इन कमदयो क बजर ि फरिजतज ह —

(सरह िहमिद रक-1)अरजात जब यदधरत शतर क सवमनक पकड जजए तो यज तो उपकजर

करत हए उनह छोड दो यज उन स मफदयज (बदल कज िन) ल कर उनह आजजद कर दो।

(सरह तौबज-6)

169 हजरत महममदस का पवितर जीिन

(10) — यमद ककछ कदी ऐस हो मजनकज मफमदयज (बदल कज िन) दन िजलज कोई न हो यज उनक पररजन उन क िजलो पर अमिकजर करन क मलए यह चजहत हो मक ि कद ि ही रह तो अचछज ह इनक बजर ि फरिजतज ह—

(सरह नर-34)अरजात तमहजर विजरज यदध ि बनदी बनजए गए लोगो स ऐस लोग मजनह

न ति उपकजर सिरप छोड सकत हो और न उनकी जजमत न उनकज मफदयज दकर उनह आजजद करजयज ह। यमद िह ति स यह यजचनज कर मक हि आजजद कर मदयज जजए। हि अपन पशज और वयिसजय विजरज िन किज कर अपन महसस कज जिजानज अदज कर दग। अतः यमद ि इस योगय ह मक आजजद होकर अपनी आजीमिकज किज सकग तो ति उनह अिशय आजजद कर दो अमपत उनक इस परयजस ि सिय भी भजगीदजर बनो तरज खदज न तमह जो ककछ मदयज ह उसि स ककछ रपयज उनह आजजद करन ि वयय कर दो अरजात उनक महसस कज जो यदध कज खचा बनतज ह उसि स ककछ सिजिी छोड द यज दसर िसलिजन मिलकर उस कदी की सहजयतज कर और उस आजजद करजए।

य ि पररससरमतयज ह मजनि इसलजि यदध की आजञज दतज ह और य ि मनयि ह मजनक अनतगात इसलजि यदध की आजञज दतज रज। अतः कआान करीि की इन आयतो क अनसजर रसल करीि (स.अ.ि.) न िसलिजनो को जो अमतररकत मशकजए दी ह ि मनमनमलमखत ह —

(1)— िसलिजनो को मकसी भी ससरमत ि िसलज करन की अनिमत नही अरजात िसलिजनो को यदध ि िजर गए शतरओ क शिो कज अपिजन करन अरिज उन क अगो को कजिन की अनिमत नही दी गई।

-िससलि मिसी, मजलद-2, पषठ-62, मकतजबलमजहजद, बजब तजिीर इिजमिल उिरजअ अललबऊस ि िमसययमतही इययजहि मबआदजब ि गवररहज।

170हजरत महममदस का पवितर जीिन

(2)— िसलिजनो को यदध ि कभी िोखबजजी नही करनज चजमहए। (िससलि)

(3)– मकसी बच को नही िजरनज चजमहए और न मकसी सतरी को।(4)— पजदररयो, पमडतो तरज दसर िजमिाक पर-परदशाको कज िि

नही करनज चजमहए। (तहजिी)(5)— िदधो, बजलको और ससतरयो कज िि नही करनज चजमहए और

हिशज समि और उपकजर को दसटि ि रखनज चजमहए।(6)— जब िसलिजन यदध क मलए जजए तो अपन शतरओ क दश ि

आतक न फलजए तरज जन सजिजरण स कठोर वयिहजर न कर।(7)— जब यदध क मलए मनकल तो ऐस सरजन पर पडजि न डजल मक

लोगो क मलए कटि कज कजरण हो। परसरजन क सिय इस ढग स न चल मक लोगो क मलए िजगा पर चलनज कमठन हो जजए। रसलललजह (स.अ.ि.) न इस बजत कज कठोर आदश मदयज ह। फरिजयज— जो वयसकत इन आदशो की अिहलनज करगज उसकज यदध उसक अपन मलए होगज खदज क मलए नही होगज।

(8) यदध ि शतर क िख को घजयल न कर। (बखजरी, िससलि)(9)— यदध क सिय परयतन करनज चजमहए मक शतर को कि स कि

हजमन पहच। (अब दजऊद)(10)— जो कदी पकड जजए उनि स जो मनकि सबिी हो उनह एक

-िससलि मिसी मजलद-2, पषठ-65, मकतजबल मजहजद बजब तहरीि कतलसननसजआ िससस-मबयजन मफलहबा।-अब दजऊद मजलद-पररि, मकतजबल मजहजद बजब फी दआइलिमशरकीनज पषठ-352 नजिी परस कजनपर-िससलि मिसी मजलद-2, पषठ-62 मकतजबल मजहजद बजब फी उिरजइलजयश मबतवसीर ि तरमकतनफीर।-अब दजऊद मजलद पररि मकतजबल मजहजद बजब िज योिरो मिन इसनजिजमिल असकर पषठ-353, नजिी परि कजनपर

171 हजरत महममदस का पवितर जीिन

दसर स परक न मकयज जजए।(11)— कमदयो क आरजि कज अपन आरजि स अमिक धयजन रखज

जजए।(12)— मिदशी दतो कज आदर-समिजन मकयज जजए, ि गलती भी कर

तो दसटिमिगत कज वयिहजर मकयज जजए।(13)— यमद कोई वयसकत यदध बनदी क सजर कठोरतज कज वयिहजर

कर बवठ तो उस कदी को मफदयज मलए मबनज आजजद कर मदयज जजए।(14)— मजस वयसकत क पजस कोई यदध कज कदी रखज जजए िह उस

िही मखलजए जो सिय खजए, उस िही पहनजए जो सिय पहन। (बखजरी)हजरत अब बकररमज. न इनही आदशो क अनसजर यह अमतररकत

आदश जजरी फरिजयज मक इिजरतो कज धिसत न करो और फलदजर िको को न कजिो।

इन आदशो स िजलि हो सकतज ह मक इसलजि न यदध को रोकन क मलए कस उपजय मकए और हजरत िहमिद रसलललजह (स.अ.ि.) न इन मशकजओ को अलकत रप परदजन मकयज और िसलिजनो को उन कज पजलन करन पर बल मदयज। परतयक वयसकत सिझ सकतज ह मक न िसजअ.

की मशकज को उस यग ि नयजय की मशकज कज नजि मदयज जज सकतज ह, न िह इस यग ि वयजिहजररक ह, न िसीह अलवमहससलजि की मशकज इस यग ि वयजिहजररक कही जज सकती ह और न कभी ईसजई लोगो न उस कज पजलन मकयज ह। इसलजि ही की मशकज ह जो वयजिहजररक ह मजस पर आचरण करन स मिशव-शजसनत की सरजपनज को बल मिल सकतज ह।

मनःसदह इस यग ि मिसिर गजिी न ससजर क सिक यह दसटिकोण परसतत मकयज ह मक यदध क सिय भी यदध नही करनज चजमहए, परनत मजस - अब दजऊद मकतजबलमजहजद बजब मफतफरीक बवनससमबयय, ‘नजिी’ परस कजनपर-मतरमिजी अबिजबमसयर-अब दजऊद मकतजबलमजहजद।-िअतज इिजि िजमलक िसजतबजई मकतजबलमजहजद पषठ-167

172हजरत महममदस का पवितर जीिन

मशकज को मिसिर गजिी परसतत कर रह ह ससजर ि उस पर कभी आचरण नही मकयज जज सकज मक हि उसक गण-दोरो कज अनिजन लगज सक। मिसिर गजिी क जीिन ि ही कजगरस को सरकजर मिल गई ह तरज कजगरस सरकजर न सनजओ को हिजयज नही अमपत िह यह योजनजए बनज रही ह मक आई.एन.ए. क ि अफसर मजनह मबमिश सरकजर न पदचयत कर मदयज रज उनह दोबजरज सनज ि मनयकत मकयज जजए अमपत महनदसतजन ि कजगरसी सरकजर क सरजमपत हो जजन क सजत मदन क अनदर िजीररसतजन क कतर ि मनहतर लोगो पर िजययजनो विजरज बि मगरजए गए ह। सिय गजिी जी कठोरतज करन िजलो कज सिरान तरज उनह छोड दन क पक ि सरकजर पर हिशज जोर दत रह ह। मजस स मसदध होतज ह मक न गजिी जी, न उनक अनयजयी इस मशकज पर आचरण कर सकत ह और न कोई ऐसज उमचत उपजय ससजर क सिक परसतत कर सकत ह मजस स जञजत हो मक जजमतयो और दशो क यदध ि इस मशकज पर मकस परकजर सफलतजपिाक अिल मकयज जज सकतज ह अमपत िौमखक तौर पर इस मशकज कज उपदश दत हए उनक मिपरीत वयिहजर करनज बतजतज ह मक इस मशकज पर अिल नही मकयज जज सकतज। अतः इस सिय तक ससजर को जो अनभि ह और बमदध मजस सीिज तक िनषय कज िजगा-दशान करती ह उस स जञजत होतज ह मक िही ढग उमचत रज जो िहमिद रसलललजह (स.अ.ि.) न अपनजयज।

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खनदक-यदध क पशलात कलाहिरो क मसलमलानो पर आकरमण

अहजजब-यदध स िजपस लौिन क पशजत यदमप कजमफरो क सजहस िि चक र तरज उनक हौसल पसत हो गए र परनत उनकज यह अहसजस

173 हजरत महममदस का पवितर जीिन

शर रज मक हि बहित ि ह और िसलिजन अलपसखयज ि ह, ि यह सिझत र मक जहज-जहज भी सभि होगज हि िसलिजनो को इककज-दककज पकड कर िजर सकग तरज इस परकजर अपन अपिजन कज बदलज ल सकग। अतः अहजजब की परजजय क रोड ही सिय पशजत िदीनज क आस-पजस क कबीलो न िसलिजनो पर छजप िजरनज परजरमभ कर मदए। अतः फजजरह जजमत क ककछ सिजरो न िदीन क मनकि छजपज िजरज तरज िसलिजनो क ऊि जो िहज चर रह र उनक चरिजह कज िि कर मदयज और उसकी पतनी को कद कर मलयज और ऊिो को लकर भजग गए। कदी सतरी तो मकसी न मकसी परकजर भजग आई परनत शतर ऊिो कज एक भजग लकर भजग जजन ि सफल हो गयज। इसक एक िजह पशजत उतर की ओर गतफजन कबील क लोगो न िसलिजनो क ऊिो क रिड को लिन कज परयजस मकयज। रसल करीि (स.अ.ि.) न िहमिद मबन िससलिजरमज. को दस सिजरो क सजर पररससरमतयज िजलि करन तरज रिडो की सरकज क मलए भजज परनत शतर न अिसर पजकर उनकज िि कर मदयज। िहमिद मबन िससलिज को भी ि अपनी ओर स िजर कर फक गए र परनत िजसति ि ि बहोश र। शतर क चल जजन क पशजत िह होश ि आए तरज िदीनज पहच कर पररससरमतयो की सचनज दी और बतजयज मक िर सब सजरी िजर गए और किल ि बचज ह। ककछ मदनो क पशजत रसल करीि (स.अ.ि.) कज एक दत जो रिी सरकजर की ओर मभजिजयज गयज रज, उस पर ‘जरहि’ जजमत न आकरिण मकयज और उस लि मलयज। उसक एक िजह पशजत बन फजजरह न िसलिजनो क एक दल पर आकरिण मकयज और उस लि मलयज। कदजमचत यह आकरिण मकसी िजमिाक शतरतज क कजरण नही रज; कयोमक बन फजजरह डजककओ कज एक कबीलज रज जो परतयक जजमत क लोगो को लित और िि करत रहत र। उस यग ि खवबर क यहदी भी जो अहजजब यदध कज कजरण बन र अपनी परजजय कज बदलज लन क मलए इिर-उिर

174हजरत महममदस का पवितर जीिन

क कबीलो को उकसजत रह तरज रिी सरकजर क सीिजितषी कतरो क अमिकजररयो तरज कबीलो को भी िसलिजनो क मिरदध जोश मदलजत रह। असत अरब क कजमफरो को िदीन पर आकरिण करन कज तो सजहस न रहज रज तरजमप ि यहद क सजर मिलकर सजर अरब ि िसलिजनो क मलए सकि पवदज करन तरज उनह लिन क मलए सजिन जिज रह र परनत िहमिद रसलललजह (स.अ.ि.) न अभी तक कजमफरो क सजर असनति मनणजायक यदध करन कज मनणाय नही मकयज रज तरज आपस. इस परतीकज ि र मक यमद समि क सजर यह गह-यदध सिजपत हो जजए तो उमचत ह।

महममद सलललललाहो अलहह वसललम कला पनदरह सौ सहलाबला क सलाथि मककला की ओर परथिलान

इस अिमि ि रसलललजह (स.अ.ि.) न एक सिपन दखज मजस कज िणान कआान करीि ि इन शबदो ि आतज ह —

(सरह फतह-28)अरजात ति अिशय अललजह तआलज की इचछजनसजर िससजद-ए-हरजि

ि अिन क सजर परिश करोग। ति ि स ककछ क सर िड हए होग और ककछ क बजल कि हए होग (हज क सिय सर िडजनज और बजल किजनज आिशयक होतज ह) ति मकसी स नही डर रह होग। अललजह तआलज जजनतज ह जो ति नही जजनत। मजस कजरण उसन उस सिपन क परज होन स पहल एक और मिजय मनिजाररत कर दी ह जो सिपन िजली मिजय की पषठभमि होगी तरज सिपन ि िजसति ि िवतरी और अिन क सजर िककज-मिजय की सचनज दी गई री, परनत रसलललजह (स.अ.ि.) न उसकज अरा

175 हजरत महममदस का पवितर जीिन

यही सिझज मक कदजमचत हि खदज तआलज की ओर स कजबज कज तिजफ (पररकरिज) करन कज आदश मदयज गयज ह। चमक इस बोिभरि स इस परकजर की नीि पडन िजली री। अललजह तआलज न इस गलती स रसल करीि (स.अ.ि.) को अिगत न मकयज। अतः आपस. न अपन सहजबजरमज. ि इस बजत की घोरणज की तरज उनह भी अपन सजर चलन कज आदश मदयज, परनत फरिजयज — हि किल कजबज कज तिजफ करन की नीयत स जज रह ह, मकसी परकजर कज परदशान अरिज कोई कजया न मकयज जजए जो शतर क करोि कज कजरण हो। अतः आपस. न फरिरी 628 ई. क अनत ि पनदरह सौ शरदधजलओ क सजर िककज की ओर परसरजन मकयज (एक िरा क पशजत आप क सजर ककल पनदरह सौ लोगो कज जजनज बतजतज ह मक इस स एक िरा पिा अहजजब यदध क अिसर पर इस सखयज स कि ही मसपजही होग; कयोमक एक िरा ि िसलिजनो की सखयज ि बढोतरी हई री। अतः अहजजब यदध ि यदध करन िजलो की सखयज मजन इमतहजसकजरो न तीन हजजर मलखी ह यह गलती की ह, सही यही ह मक उस सिय बजरह सौ सवमनक र) हज क दल क आग ककछ दरी पर बीस सिजर इसमलए चलत र तजमक यमद शतर िसलिजनो को हजमन पहचजनज चजह तो उनह सिय पर सचनज मिल जजए। जब िककज िजलो को आप क इस इरजद की सचनज मिली तो इसक बजिजद मक उनकी अपनी आसरज भी यही री मक कजबज क तिजफ करन ि कोई बजिज उतपनन नही करनज चजमहए तरज इसक बजिजद मक िसलिजनो न सपटि तौर पर घोरणज कर दी री मक ि किल कजबज कज तिजफ करन क मलए जज रह ह, मकसी परकजर क झगड यज उपदरि क मलए नही जज रह। िककज िजलो न िककज को एक सरमकत दगा क रप ि पररिमतात कर मदयज तरज आस-पजस क कबीलो को भी अपनी सहजयतज क मलए बलज मलयज। जब आपस. िककज क मनकि पहच तो आप को यह सचनज परजपत हई मक करश न चीतो की खजल पहन ली ह और अपनी

176हजरत महममदस का पवितर जीिन

पसतनयो तरज बचो को सजर मलयज ह और य कसि खजई ह मक ि आपस. को गजरन नही दग। अरब कज यह परचलन रज मक जब जजमत ितय कज मनणाय कर लती तो उस क सरदजर चीत की खजल पहन लत र, मजस कज अरा यह होतज रज मक अब बमदध कज सिय नही रहज, अब हि मदलरी और मनभषीकतज स परजण द दग। इस सचनज क रोड सिय पशजत ही िककज की सनज कज सनज क पहचन स पिा अलप सखयक घड सिजर दल िसलिजनो क सजिन आ खडज हआ। अब इस सरजन स आग किल इस ससरमत ि जज सकत र मक तलिजर क बल पर शतर को परजसत मकयज जजतज।

रसल करीि (स.अ.ि.) चमक मनणाय करक आए र मक हि मकसी भी अिसरज ि नही लडग। आप न एक ककशल िजगा दशाक को जो जगल क िजगको स पररमचत रज इस बजत पर मनयकत मकयज मक िह िसलिजन शरदधजलओ को जगल क िजगा स ल जज कर िककज तक पहचज द। यह िजगा-दशाक वयसकत आपस. तरज आपक सजमरयो को लकर हदवमबयज क सरजन पर जो िककज क मनकि रज जज पहचज। यहज आपस. की ऊिनी खडी हो गई और उसन आग बढन स इनकजर कर मदयज। सहजबजरमज. न कहज — ह अललजह क रसल ! आपस. की ऊिनी रक गई ह, आप उसक सरजन पर दसरी ऊिनी पर सिजर हो जजए परनत आपस. न फरिजयज — नही, नही यह रकी नही अमपत खदज की इचछज कदजमचत यही िजलि होती ह मक हि यहज ठहर जजए और ि यहज पर ही ठहर कर िककज िजलो स परतयक यतन स अनरोि करगज मक ि हि हज करन की अनिमत द द चजह ि कोई भी शता तय कर ि सिीकजर कर लगज। उस सिय तक िककज की सनज िककज स बजहर एक दरी पर खडी री और िसलिजनो की परतीकज कर रही री। यमद िहमिद रसलललजह (स.अ.ि.) चजहत तो मबनज लडजई मकए िककज ि परिश कर सकत र परनत चमक आप मनणाय कर चक र मक पररि आपस. यही परयजस करग मक िककज िजलो की आजञज लकर

177 हजरत महममदस का पवितर जीिन

कजबज कज तिजफ कर और यदध किल इसी अिसरज ि करग मक िककज िजल सिय यदध परजरमभ करक यदध करन पर मििश कर। इसमलए आपस. न िककज कज िजगा खलज होन क बजिजद हदवमबयज क सरजन पर डरज डजल मदयज। रोडी ही दर ि आप क हदवमबयज पर डरज डजलन की सचनज िककज की सनज को भी पहच गई तो उसन बडी शीघरतज स पीछ हि कर िककज क मनकि पसकतबदध हो गई। सिापररि बदील नजिक एक सरदजर आपस. स बजत करन क मलए भजज गयज। जब िह आप की सिज ि उपससरत हआ तो आपस. न फरिजयज— ि तो किल कजबज कज तिजफ करन आयज ह। हज यमद िककज िजल हि मििश कर तो हि लडनज पडगज। इसक पशजत िककज क सनजपमत अब सफयजन कज दजिजद ‘उिजा’ आप की सिज ि उपससरत हआ। उसन मनतजनत िटितज क सजर रसल करीि (स.अ.ि.) स कहज — यह आिजरज लोगो कज मगरोह आप अपन सजर लकर आए ह, िककज िजल उनह मकसी अिसरज ि भी अपन नगर ि परिश नही करन दग। इसी परकजर एक क बजद दसरज दत आतज रहज। अनततः िककज िजलो न सनदश मदयज मक चजह ककछ भी हो जजए इस िरा तो हि आपको तिजफ नही करन दग कयोमक इसि हिजरज अपिजन ह। हज यमद आप अगल िरा आए तो हि आप को अनिमत द दग। ककछ आस-पजस क लोगो न िककज िजलो स आगरह मकयज मक य लोग किल कजबज कज तिजफ करन क मलए आए ह आप लोग इनह कयो रोकत ह परनत िककज क लोग अपनी हठ पर अड रह। इस पर बजहरी कबीलो क लोगो न िककज िजलो स कहज मक आप लोगो कज यह ढग सकत करतज ह मक आप लोगो क दसटिगत उपदरि फलजनज ह समि दसटिगत नही। इसमलए हि लोग आप कज सजर दन क मलए तवयजर नही। इस पर िककज क लोग भयभीत हो गए तरज उनहोन इस बजत पर सहिमत परकि की मक िसलिजनो क सजर समि करन कज परयजस करग। जब इस बजत की सचनज रसलललजह (स.अ.ि.) को पहची तो आपस. न

178हजरत महममदस का पवितर जीिन

हजरत उसिजनरमज. जो बजद ि आपक ततीय खलीफज (उतरजमिकजरी) हए को िककज िजलो स सिजद करन क मलए भजज। जब हजरत उसिजनरमज. िककज पहच तो चमक िककज ि उनकी अतयमिक ररशतदजररयज री, उनक सबिी लोग उनक चजरो ओर एकतर हो गए तरज उन स कहज — आप तिजफ कर ल परनत िहमिद रसलललजह (स.अ.ि.) अगल िरा आकर तिजफ कर परनत उसिजनरमज. न कहज मक ि अपन सिजिी क मबनज तिजफ नही कर सकतज। चमक िककज क सरदजरो स आपरमज. क सिजदो कज करि लमबज हो गयज तो ककछ लोगो न बरी नीयत स यह सिजचजर फलज मदयज मक उसिजन कज िि कर मदयज गयज ह। यह सिजचजर फलत-फलत रसल करीि (स.अ.ि.) तक भी जज पहचज। इस पर आपस. न सहजबजरमज. को एकतर मकयज और फरिजयज— दत क परजण हर जजमत ि सरमकत होत ह। ति न सनज ह मक उसिजनरमज. कज िककज िजलो न िि कर मदयज ह। यमद यह सचनज सही मनकली तो हि बलपिाक िककज ि परिश करग (अरजात हिजरज पहलज इरजदज मक समि क सजर िककज ि परिश करग मजन पररससरमतयो क अनतगात रज ि चमक पररिमतात हो जजएगी, इसमलए हि उस इरजद क पजबनद नही रहग) जो लोग यह िचन दन क मलए तवयजर हो मक यमद हि आग बढनज पडज तो यज हि मिजय परजपत करक लौिग यज एक-एक करक िवदजन ि िजर जजएग ि इस सकलप क सजर िरी बवअत कर। आपस. कज यह घोरणज करनज रज मक पनदरह सौ शरदधजल जो आपक सजर आए र पल भर ि पनदरह सौ सवमनको क रप ि पररिमतात हो गए और पजगलो की भजमत एक दसर को फजदत हए उनहोन रसल करीि (स.अ.ि.) क हजर पर दसरो स पहल बवअत करन कज परयजस मकयज। यह बवअत सिसत इसलजिी इमतहजस ि एक िहजन िहति रखती ह और िक की परमतजञज कहलजती ह कयोमक मजस सिय यह बवअत ली गई उस सिय रसल करीि (स.अ.ि.) एक िक क नीच बवठ र। जब तक उस बवअत ि ससमिमलत होन िजलज

179 हजरत महममदस का पवितर जीिन

असनति वयसकत भी ससजर ि जीमित रहज िह गिा स बवअत की चचजा मकयज करतज रज; कयोमक पनदरह सौ लोगो ि स मकसी एक वयसकत न भी यह परमतजञज करन स सकोच नही मकयज रज मक यमद शतर न इसलजिी दत को िजर मदयज ह तो आज दो बजतो ि स एक बजत अिशय पवदज करक हिग। यज तो ि सजयकजल स पिा िककज पर मिजय परजपत करग यज सजयकजल स पिा रणभमि ि िजर जजएग, परनत िसलिजन अभी बवअत स मनित ही हए र मक हजरत उसिजनरमज. िजपस आ गए और उनहोन बतजयज मक िककज िजल इस िरा तो ‘उिरज’ की अनिमत नही द सकत परनत अगल िरा क मलए अनिमत दन को तवयजर ह। अतः इस बजर ि सिझौतज करन क मलए उनहोन अपन परमतमनमि मनयकत कर मदए ह। हजरत उसिजनरमज. क आन क रोड ही सिय पशजत िककज कज सहल नजिक एक सरदजर सिझौतज करन क मलए आपस. की सिज ि उपससरत हआ और यह सिझौतज मलखज गयज।

हदहबयला-सहध की शततखदज क नजि पर य समि की शतत इबन अबदललजह (स.अ.ि.) तरज

सहल मबन उिर (िककज की सरकजर कज परमतमनमि) क िधय तय हई ह। -यदध दस िरा क मलए बनद मकयज जजतज ह। -जो वयसकत िहमिद (स.अ.ि.) क सजर मिलनज चजह यज उनक सजर इकरजरनजिज करनज चजह िह ऐसज कर सकतज ह तरज जो वयसकत करश क सजर मिलनज चजह यज इकरजरनजिज करनज चजह िह भी ऐसज करन क मलए सिततर ह। -यमद कोई लडकज मजस कज मपतज जीमित हो यज अभी छोिी आय कज हो िह अपन मपतज यज अपन अमभभजिक की आजञज क मबनज िहमिद (स.अ.ि.) क पजस जजए तो उस उसक मपतज यज अमभभजिक क पजस िजपस कर मदयज जजएगज परनत यमद िहमिद (स.अ.ि.) क सजमरयो ि स कोई करश की ओर जजए तो उस िजपस नही मकयज जजएगज। -िहमिद (स.अ.ि.)

180हजरत महममदस का पवितर जीिन

इस िरा िककज ि परिश मकए मबनज िजपस चल जजएग परनत अगल िरा िहमिद (स.अ.ि.) और उनक सजरी िककज ि आ सकत ह और तीन मदन ठहर कर कजबज कज तिजफ कर सकत ह। इस तीन मदन की अिमि क मलए करश शहर स बजहर पहजडी पर चल जजएग परनत यह शता होगी मक जब िहमिद (स.अ.ि.) और उनक सजरी िककज ि परिश कर तो उनक पजस कोई शसतर न हो उस शसतर क अमतररकत जो परतयक यजतरी अपन पजस रखतज ह अरजात मयजन ि डजली हई तलिजर।

इस सिझौत क सिय दो मिमचतर बजत हई। जब रसलललजह (स.अ.ि.) न शतत तय करन क बजद सिझौतज मलखिजनज आरमभ मकयज तो आपन फरिजयज — “खदज क नजि स जो असीि कपज करन िजलज और बजरमबजर दयज करन िजलज ह।”

सहल न इस पर आपमत की और कहज — खदज को तो हि जजनत ह परनत यह “असीि कपज करन िजलज और बजरमबजर दयज करन िजलज” हि नही जजनत कौन ह। यह सिझौतज हिजर और आप क िधय ह और इसि दोनो की आसरजओ कज समिजन आिशयक ह। इस पर आपन उसकी बजत सिीकजर कर ली और किल इतनज ही मलखिजयज मक “खदज क नजि पर हि यह सिझौतज करत ह।” मफर आपस. न यह मलखिजयज मक य समि की शतत िककज िजलो और िहमिद रसलललजह क िधय ह। इस पर पनः सहल न आपमत की और कहज मक यमद हि आपको खदज कज रसल िजनत तो आप क सजर लडत कयो? आपस. न इस आपमत को भी सिीकजर कर मलयज और िहमिद रसलललजह क सरजन पर “िहमिद मबन अबदललजह” मलखिजयज। चमक आप िककज िजलो की परतयक बजत सिीकजर करत जजत र, सहजबजरमज. क हदयो ि अतयमिक दःख और खद उतपनन हआ तरज करोि स उनकज खन खौलन लगज, यहज तक मक हजरत उिररमज.

-इबन महशजि मजलद-2, पषठ-180, बखजरी मकतजबशशरत।

181 हजरत महममदस का पवितर जीिन

रसलललजह (स.अ.ि.) क पजस उपससरत हए तरज उनहोन कहज— ह अललजह क रसल ! कयज हि सच नही ? आप न फरिजयज— हज ! मफर उनहोन कहज— ह अललजह क रसल ! कयज आप को अललजह न यह नही बतजयज रज मक हि कजबज कज तिजफ करग? आपस. न फरिजयज— हज ! इस पर हजरत उिररमज. न कहज मक मफर आपन यह सिझौतज आज कयो मकयज ह? रसलललजह (स.अ.ि.) न फरिजयज— उिर ! खदज तआलज न िझ यह तो कहज रज मक हि बवतललजह (कजबज) कज तिजफ अिन क सजर करग परनत यह तो नही कहज रज मक हि इसी िरा करग। यह तो िरी अपनी मििमत (इसजतहजद) री। इसी परकजर ककछ अनय सहजबजरमज. न यह आपमत की मक यह िचन कयो मलयज गयज ह मक यमद िककज क लोगो ि स कोई यिक िसलिजन हआ तो उसक मपतज यज अमभभजिक की ओर िजपस कर मदयज जजएगज परनत जो िसलिजन िककज िजलो की ओर जजएगज उस िककज िजल िजपस करन पर बजधय न होग। रसल करीि (स.अ.ि.) न फरिजयज— इस ि कौन सी अपरजि की बजत ह। परतयक वयसकत जो िसलिजन होतज ह िह इसलजि को सचज सिझकर िसलिजन होतज ह, िह रीमत-ररिजज क तौर पर िसलिजन नही होतज। ऐसज वयसकत जहज भी रहगज िह इसलजि कज परचजर करगज और इसलजि क परसजर कज कजरण होगज परनत जो वयसकत इसलजि स मििख होतज ह हि उस अपन अनदर रखकर कयज करनज ह। जो वयसकत हिजर ििा को असतय सिझ बवठज ह िह हि कयज लजभ पहचज सकतज ह। आपस. कज यह उतर उन इसलजिी मशकज स भिक हए िसलिजनो क मलए भी उतर ह जो कहत ह मक इसलजि ि इसलजि छोडन िजल कज दणड कतल ह। यमद इसलजि ि इसलजि स मििख हो जजन िजल वयसकत कज दणड िि कर दनज होतज तो रसल करीि (स.अ.ि.) इस बजत पर आगरह करत मक परतयक इसलजि स मििख वयसकत िजपस मकयज जजए तजमक उस उसक अपरजि कज दणड मदयज जजए। मजस सिय सिझौतज

182हजरत महममदस का पवितर जीिन

लखन को असनति रप द मदयज गयज और उस पर हसतजकर कर मदए गए उसी सिय अललजह तआलज न उस सिझौत क औमचतय की परीकज की ससरमत पवदज कर दी। सहल जो िककज िजलो की ओर स सिझौतज करन कज परमतमनमिति कर रहज रज उसकज अपनज बिज रसससयो स जकडज हआ और घजिो स चर अिसरज ि रसल करीि (स.अ.ि.) क सजिन आकर मगरज और कहज— ह अललजह क रसल ! ि हदय स िसलिजन ह और इसलजि क कजरण िरज मपतज िझ य कटि द रहज ह। िरज मपतज यहज आयज तो ि अिसर पजकर आपस. क पजस पहचज ह। रसल करीि (स.अ.ि.) न अभी उतर न मदयज रज मक उस क मपतज सहल न कहज मक सिझौतज हो चकज ह, इस यिक को िर सजर िजपस जजनज होगज। अब जनदल की दशज उस सिय िसलिजनो क सजिन री, िह अपन एक भजई को जो अपन मपतज क हजरो इतनज अतयजचजर सहन कर रहज रज िजपस जजनज नही दख सकत र; उनहोन मयजन स तलिजर मनकजल ली और सकलप कर मलयज मक ि िर जजएग परनत अपन भजई को उस कटि क सरजन पर पनः नही जजन दग। सिय अब-जदल न भी रसलललजह (स.अ.ि.) स कहज मक ह अललजह क रसल ! आप िरी ददाशज को दखत ह कयज आप इस बजत को पसनद करग मक िझ मफर इन अतयजचजररयो क सपदा कर द तजमक िझ पर ि पहल स भी अमिक अतयजचजर कर। िहमिद (स.अ.ि.) न फरिजयज— खदज क रसल सिझौत तोडज नही करत। अबजनदल ! हि सिझौतज कर चक ह ति अब िवया स कजि लो तरज खदज पर भरोसज रखो, िह तमहजर और तमहजर सिजन अनय यिको क मलए सिय ही सरकज कज कोई िजगा मनकजल दगज। इस सिझौत क पशजत िहमिद रसलललजह (स.अ.ि.) िजपस िदीनज आ गए। जब आप िदीनज पहच तो िककज कज एक अनय यिक ‘अब बसीर’ आप क पीछ दौडतज हआ िदीनज पहचज परनत आपस. न उस भी सिझौत क अनसजर िजपस जजन पर मििश मकयज परनत िजगा ि उसकी

183 हजरत महममदस का पवितर जीिन

अपन पकडन िजलो स लडजई हो गई िह अपन एक पकडन िजल कज िि करक भजग गयज। िककज िजलो न आपस. क पजस आकर मशकजयत की तो आपस. न फरिजयज— हिन तमहजरज वयसकत तमहजर सपदा कर मदयज रज। हि इस बजत क उतरदजयी नही मक िह जहज कही भी हो हि उस पकड कर दोबजरज तमहजर सपदा कर द। इस घिनज क ककछ मदन पशजत एक सतरी भजगकर िदीनज पहची। उसक पररजनो न िदीनज पहचकर उस की िजपसी की िजग की परनत आपस. न फरिजयज — सिझौत ि पररो की शता ह ससतरयो की शता नही। इसमलए हि सतरी को िजपस नही करग।

रलाजलाओ क नलाम पतरिदीनज पहचन क बजद िहमिद (स.अ.ि.) न यह इरजदज मकयज मक

आपस. अपन परचजर को सिसत ससजर ि फलजए। जब आपन अपनी इस इचछज को सहजबज क सजिन परकि मकयज तो ककछ सहजबजरमज. न जो रजज-दरबजरो स पररमचत र रसलललजह (स.अ.ि.) स कहज — ह अललजह क रसल ! रजजज िहर मिहीन पतर सिीकजर नही करत। इस पर आपस. न एक िहर बनिजई मजस पर “िहमिद रसलललजह”क शबद खदिजए। अललजह तआलज कज नजि उसक समिजन सचक सिवोच सरजन पर मलखिजयज तरज उसक नीच “रसल” कज मफर नीच “िहमिद” कज।

िहररि 628 ई. ि रसलललजह (स.अ.ि.) क पतर लकर मिमभनन सहजबज मभनन-मभनन दशो की ओर रिजनज हो गए। उनि स एक पतर रि क कसर की ओर रज, एक पतर ईरजन क िहजरजजज की ओर रज, एक पतर मिस क रजजज की ओर रज जो कसर क अिीन रज तरज एक पतर हबशज क रजजज नजजशी की ओर रज। इसी परकजर ककछ अनय रजजजओ की ओर आपस. न पतर मलख।

184हजरत महममदस का पवितर जीिन

कसर-ए-रम हहरकल क नलाम पतररि क बजदशजह कसर को मदहयज कलबीरमज. सहजबी क हजर भजज

गयज रज और आपस. न उस मनदचश मदयज रज मक पररि िह बसरज क गिनार क पजस जजए जो िलतः अरब रज उसक िजधयि स कसर को पतर पहचजए। जब मदहयज कलबीरमज. बसरज क गिनार क पजस पतर लकर पहच तो सयोग स उनही मदनो कसर शजि क दौर पर आयज हआ रज। अतः बसरज क गिनार न मदहयजरमज. को उसक पजस पहचज मदयज। जब मदहयजरमज. बसरज क गिनार क विजरज कसर क पजस पहच तो दरबजर क अफसरो न उनस कहज मक कसर की सिज ि उपससरत होन िजल परतयक वयसकत क मलए आिशयक ह मक िह कसर को सजदह (दणडित) कर। मदहयजरमज. न इनकजर मकयज और कहज— हि िसलिजन मकसी िनषय को सजदह नही करत। अतः मबनज सजदह मकए आप उसक सिक गए और पतर परसतत मकयज। बजदशजह न मविभजमरयज स पतर पढिजयज और मफर आदश मदयज मक कोई अरब कज कजमफलज (दल) आयज हो तो उन लोगो को परसतत करो तजमक ि उन स उस वयसकत क सबि ि जजनकजरी परजपत उन स िजलि कर। सयोग स अब सफयजन एक वयजपजररक दल क सजर उस सिय िहज आयज हआ रज। दरबजर क अफसर अब सफयजन को बजदशजह की सिज ि ल गए। बजदशजह न आदश मदयज मक अब सफयजन को सब स आग खडज मकयज जजए और उसक सजमरयो को उसक पीछ खडज मकयज जजए तरज मनदचश मदयज मक यमद अब सफयजन मकसी बजत ि झठ बोल तो उसक सजरी तरनत उसकज खणडन कर। मफर उसन अब सफयजन स परशन मकयज मक—बजदशजह — यह वयसकत जो नबी होन कज दजिज करतज ह और मजसकज पतर

िर पजस आयज ह, कयज ति जजनत हो मक उसकज खजनदजन कसज ह?

185 हजरत महममदस का पवितर जीिन

अब सफयजन न कहज — िह अचछ खजनदजन कज ह और िर पररजनो ि स ह।

मफर उसन पछज — कयज अरब ि ऐसज दजिज पहल भी मकसी वयसकत न मकयज ह?

अब सफयजन न उतर मदयज — नही।

मफर उसन पछज — कयज ति दजि स पिा उस पर झठ बोलन कज आरोप लगजयज करत र?

अब सफयजन न कहज — नही।

मफर उसन पछज — कयज उसक बजप-दजदो ि स कोई बजदशजह भी हआ?अब सफयजन न कहज — नही

मफर बजदशजह न पछज — उसकी बमदध और उसकी रजय कसी ह?अब सफयजन न उतर मदयज — हिन उसकी बमदध और रजय ि कभी कोई

दोर नही दखज।

मफर कसर न पछज — कयज बड-बड अमभिजनी और शसकतशजली लोग उसकी जिजअत (समपरदजय) ि ससमिमलत होत ह अरिज मनिान और असहजय लोग?

अब सफयजन न उतर मदयज — मनिान, असहजय और यिक लोग।

मफर उसन पछज — ि घित ह यज बढत ह?अब सफयजन न उतर मदयज — बढत चल जजत ह।

186हजरत महममदस का पवितर जीिन

मफर कसर न पछज — कयज उन ि स ककछ लोग ऐस ह जो उसक ििा को बरज सिझ कर उसक ििा स मििख हए हो?

अब सफयजन न कहज — नही।

मफर उसन पछज — कयज उसन कभी सिझौत को भी तोडज ह?अब सफयजन न उतर मदयज — आज तक तो नही परनत अब हिन एक

नयज सिझौतज मकयज ह। दख अब िह उस क सबि ि कयज करतज ह।

मफर उसन पछज — कयज तमहजर और उसक िधय कभी यदध भी हआ ह?अब सफयजन न उतर मदयज — हज।

इस पर बजदशजह न पछज — मफर उन यदधो कज पररणजि कयज मनकलतज ह?अब सफयजन न कहज — घजि क डोलो जवसज हजल ह। कभी हिजर हजर

ि डोल होतज ह, कभी उसक हजर ि डोल होतज ह। एक बजर बदर कज यदध हआ और ि उसि ससमिमलत नही रज, इसमलए िह मिजयी हो गयज और दसरी बजर उहद ि यदध हआ। उस सिय ि सनजपमत रज। हिन उनक पि फजड और उनक कजन कजि और उनकी नजक कजिी।

मफर कसर न पछज — िह तमह कयज आदश दतज ह?अब सफयजन न कहज — िह कहतज ह मक एक खदज की एक उपजसनज

करो और उसक सजर मकसी को भजगीदजर न बनजओ। हिजर पिाज मजन िमतायो को पजज करत र िह उनकी पजज स रोकतज ह। हि आदश दतज ह मक हि खदज की उपजसनज कर

187 हजरत महममदस का पवितर जीिन

और सतय बोलज कर तरज दषकिको स बचज कर। हि कहतज ह मक हि परि और सिझौत को मनभजयज कर तरज िरोहरो की अदजयगी मकयज कर।

कसर-ए-रम कला पररणलाम हनकलालनला हक महममद (स.अ.ि.) सच नबी ह।

इस पर कसर न कहज सनो ! िन ति स यह परशन मकयज रज मक उसकज खजनदजन (िश) कसज ह, तो ति न कहज — िह िश की दसटि स अचछज ह तरज नबी लोग ऐस ही हआ करत ह। मफर िन ति स पछज मक कयज इस स पिा मकसी वयसकत न ऐसज दजिज मकयज ह तो तिन कहज नही। यह परशन िन इसमलए मकयज रज मक मनकि यग ि इस स पिा ऐसज दजिज मकयज होतज तो ि सिझतज मक यह भी उसकी नकल कर रहज ह। मफर िन ति स पछज— मक कयज इस दजि स पिा उस पर झठ कज भी आरोप लगजयज गयज ह। तिन कहज— नही। तो िन सिझ मलयज मक जो वयसकत िनषयो क सबि ि झठ नही बोलतज िह खदज क सबि ि भी झठ नही बोल सकतज। मफर िन ति स पछज— उसक पिाजो ि स कोई बजदशजह भी रज, तो ति न कहज— नही। तो िन सिझ मलयज मक उसक दजि कज कजरण यह नही मक इस बहजन स अपन पिाजो कज दश िजपस लनज चजहतज ह। मफर िन ति स पछज— कयज अमभिजनी और शसकतशजली लोग उसकी जिजअत ि ससमिमलत होत ह यज मनबाल और असहजय लोग। ति न उतर मदयज— मनबाल और असहजय लोग। अतः िन सोचज मक सिसत नमबयो की जिजअत ि अमिकतर असहजय और मनिान लोग ही ससमिमलत हआ करत ह न मक अहकजरी और अमभिजनी लोग। मफर िन ति स पछज मक कयज ि बढत ह यज घित ह यज तो तिन कहज ि बढत ह और यही ससरमत नमबयो

-बखजरी मजलद-पररि, पषठ-4 बजब कफज कजनज बदउल िहयी िजमतबजई स परकजमशत।

188हजरत महममदस का पवितर जीिन

की जिजअत की हआ करती ह। जब तक िह पणातज को नही पहच जजती तब तक िह बढती चली जजती ह। मफर िन ति स पछ मक कयज कोई वयसकत उसक ििा को अचछज न सिझ कर ििा स मििख भी होतज ह तो ति न कहज— नही। नमबयो की जिजअत की यही ससरमत होती ह। मकसी अनय कजरण स कोई वयसकत मनकल तो मनकल, ििा को बरज सिझ कर नही मनकलतज। मफर िन ति स पछज — कयज तमहजर िधय कभी यदध भी हआ ह तरज उसकज पररणजि कयज होतज ह? तो ति न कहज लडजई हिजर घजि क डोल की भजमत ह। नमबयो की यही पररससरमत होती ह। परजरमभ ि उनकी जिजअतो पर सकि आत ह परनत अनत ि जीत उनही की होती ह। मफर िन ति स पछज — िह तमह कयज मशकज दतज ह, तो ति न उतर मदयज मक िह निजज और सचजई, सतीति और सिझौतज पणा करन और अिजनतदजर होन की मशकज दतज ह तरज इसी परकजर िन ति स पछज मक िह िोखज भी दतज ह, तो ति न कहज नही और य आचरण तो सदजतिज पररो क ही हआ करत ह। अतः ि सिझतज ह मक वह नबी होन क दजि ि सचज ह और िरज सिय यह मिचजर रज मक इस यग ि िह नबी आन िजलज ह परनत यह मिचजर नही रज मक िह अरबो ि पवदज होन िजलज ह और ति न िझ जो उतर मदए ह यमद ि सच ह तो मफर ि सिझतज ह मक िह इन दशो पर अिशय अमिकजर कर लगज (बखजरी) उसकी इन बजतो पर उसक दरबजरी उतमजत हो उठ और उनहोन कहज — आप िसीही होत हए एक दसरी जजमत क वयसकत की सचजई को सिीकजर कर रह ह तरज दरबजर ि मिरोि क सिर गजन लग। इस पर दरबजर क अफसरो न बडी शीघरतज स अब सफयजन और उसक सजमरयो को दरबजर स बजहर मनकजल मदयज।

189 हजरत महममदस का पवितर जीिन

-बखजरी कफज कजनज बदउलिहयी तरज जरकजनी मजलद-3 पषठ-336

हहरकल क नलाम हजरत महममद (स.अ.ि.) क पतर कला लख

हजरत िहमिद रसलललजह (स.अ.ि.) न जो पतर कसर-ए-रि क नजि मलखज रज उस की इबजरत यह री —

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190हजरत महममदस का पवितर जीिन

तरज तझ दोगनज परमतफल परदजन करगज (अरजात ईसज पर ईिजन लजन कज भी और िहमिद रसलललजह (स.अ.ि.) पर ईिजन लजन कज भी) परनत यमद त न इस बजत को सिीकजर करन स इनकजर कर मदयज तो तझ पर किल तर अकल कज ही पजप नही होगज अमपत तरी परजज क ईिजन न लजन कज पजप भी तझ पर होगज। (अनत ि कआान करीि की आयत मलखी हई री मजसकज अरा यह ह) अरजात हि खदज तआलज क अमतररकत मकसी की उपजसनज न कर तरज मकसी िसत को उसकज भजगीदजर न बनजए और अललजह तआलज क अमतररकत हि मकसी बनद को भी इतनज समिजन न द मक िह खदजई मिशरतजओ कज अमिषठजतज जजन लग। यमद अहल मकतजब (यहदी-ईसजई) इस एकशवरिजद क मनितरण को सिीकजर न कर तो ह िहमिद अललजह क रसल तरज उसक सजमरयो ! उन स कह दो मक हि तो खदज तआलज क आजञजकजरी ह। (अरजात आपको खदज कज सनदश पहचज मदयज ह।)

ककछ इमतहजस की पसतको ि मलखज ह मक बजदशजह क सजिन जब यह पतर परसतत हआ तो दरबजररयो ि स ककछ न कहज मक इस पतर को फजड कर फक दनज चजमहए; कयोमक इसि बजदशजह कज अपिजन मकयज गयज ह और पतर क ऊपर बजदशजह-ए-रि नही मलखज गयज अमपत रि कज उतरजमिकजरी मलखज ह परनत बजदशजह न कहज— यह बमदध सगत नही मक पतर पढन स पिा फजड मदयज जजए तरज उस न यह जो िझ रि कज उतरजमिकजरी मलखज ह यह उमचत ह। िजसति ि सिजिी तो खदज ही ह, ि उतरजमिकजरी ही ह। जब िहमिद रसलललजह (स.अ.ि.) को इस घिनज की सचनज मिली तो आपस. न फरिजयज— रि क बजदशजह न जो वयिहजर मकयज ह और जो ढग अपनजयज ह उसक कजरण उसकज शजसन सरमकत रहगज और उस की सनतजन दर तक शजसन करती रहगी। अतः ऐसज ही हआ। बजद क यदधो ि यदमप दश कज बहत सज कतर रसल करीि (स.अ.ि.) की एक अनय भमिषयिजणी क अनसजर रि क बजदशजह क

191 हजरत महममदस का पवितर जीिन

-जरकजनी मजलद-3, पषठ-340 तरज तजरीखल खिीस मजलद-2, पषठ-38

हजर स छीनज गयज, परनत इस घिनज क छः सौ िरा तक उसक िश कज शजसन कसतनतमनयज ि रहज। रि क शजसन ि रसलललजह (स.अ.ि.) कज पतर बहत सिय तक सरमकत रहज। अतः बजदशजह िनसर कलजदन क ककछ दत एक बजर रि क बजदशजह क पजस गए तो बजदशजह न उनको मदखजन क मलए एक छोिज सनदक िगजयज और कहज मक िर एक दजदज क नजि तमहजर रसल कज एक पतर आयज रज जो आज तक हिजर पजस सरमकत ह।

िलारस क बलादशलाह क नलाम पतरहजरत िहमिद रसलललजह (स.अ.ि.) न जो पतर फजरस क बजदशजह

क नजि मलखज रज िह अबदललजह मबन हजजफज क विजरज मभजिजयज गयज रज उसक शबद य र —

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अरजात अललजह कज नजि लकर जो असीि कपज करन िजलज तरज बजर-बजर दयज करन िजलज ह। यह पतर िहमिद रसलललजह न फजरस क

192हजरत महममदस का पवितर जीिन

सरदजर मकसज की ओर मलखज ह। जो वयसकत सिारज सरल सनिजगा कज अनसरण कर तरज अललजह और उसक रसल पर ईिजन लजए और गिजही द मक अललजह एक ह उसकज कोई भजगीदजर नही तरज िहमिद उसक बनद और रसल ह उस पर खदज की सलजिती हो। ह बजदशजह ! ि तझ खदज क आदशजनसजर इसलजि की ओर बलजतज ह कयोमक ि सिसत लोगो क मलए खदज की ओर स रसल बनज कर भजज गयज ह तजमक परतयक वयसकत को सजििजन कर और कजमफरो को सचत कर द। ह सरदजर ! त इसलजि सिीकजर कर तजमक त परतयक उपदरि स सरमकत रह। यमद त इस मनितरण कज इनकजर करगज तो सिसत िजस जजमत (असगन पजको) कज पजप तर ही सर पर होगज।

अबदललजह मबन हजजफज कहत ह मक जब ि मकसज क दरबजर ि पहचज तो िन अनदर आन की आजञज िजगी जो दी गई। जब िन बढ कर रसलललजह (स.अ.ि.) कज पतर मकसज क हजरो ि मदयज, तो उसन मविभजरी को पढकर सनजन कज आदश मदयज। जब मविभजरी न उस पतर को पढकर सनजयज तो मकसज न करोि स पतर फजड मदयज। जब अबदललजह मबन हजजफज न आकर यह खबर रसलललजह (स.अ.ि.) को सनजई तो आप न फरिजयज— मकसज न जो ककछ हिजर पतर क सजर मकयज खदज तआलज उसकी बजदशजहत क सजर भी ऐसज ही करगज। मकसज क इस परकजर क वयिहजर कज कजरण यह रज मक अरब क यहमदयो न उन यहमदयो क विजरज जो रि की सरकजर स भजग कर ईरजन की सरकजर ि चल गए र और रिी सरकजर क मिरदध रडतरो ि मकसज कज सजर दन क कजरण बहत िह चढ र। मकसज को िहमिद (स.अ.ि.) क मिरदध अतयमिक भडकज रखज रज। ि जो मशकजयत कर रह र उस पतर न उनक मिचजरो की पसटि कर दी तरज उसन सोचज मक यह वयसकत िरी सरकजर पर दसटि रखतज ह। अतः उस पतर क तरनत बजद मकसज न अपन यिन क गिनार को एक पतर मलखज मजसकज लख यह रज मक करश ि स एक वयसकत नबी होन

193 हजरत महममदस का पवितर जीिन

कज दजिज कर रहज ह और अपन दजिो ि बहत बढतज चलज चज रहज ह त तरनत उसकी ओर दो वयसकत भज जो उस पकड कर िर सजिन उपससरत कर। अतः ‘बजजजन’ न जो मकसज की ओर स यिन कज गिनार रज एक फौजी अफसर और एक सिजर िहमिद रसलललजह (स.अ.ि.) की ओर मभजिजए तरज आपस. की ओर एक पतर भी मलखज मक आप इस पतर क मिलत ही तरनत इन लोगो क सजर मकसज क दरबजर ि उपससरत हो जजए। िह अफसर पहल िककज की ओर गयज। तजयफ क मनकि पहचकर उस जञजत हआ मक आपस. िदीनज ि मनिजस करत ह। अतः िह िहज स िदीनज गयज। िदीनज पहच कर उसन िहमिद रसलललजह (स.अ.ि.) स कहज मक मकसज न यिन क गिनार बजजजन को आदश मदयज ह मक आप को पकड कर मकरसज की सिज ि उपससरत मकयज जजए यमद आप इस आदश कज इनकजर करग तो यह आप कज भी िि कर दगज तरज आप की जजमत कज भी मिनजश कर दगज तरज आप क दश को भी धिसत कर दगज। इसमलए आप हिजर सजर अिशय चल। रसल करीि (स.अ.ि.) न उसकी बजत सनकर कहज— अचछज कल पनः ति िझ स मिलनज। रजत को आपस. न खदज स दआ की तरज परतजपिजन ि तजसिी खदज न आप को सचनज दी मक मकरसज की उदणडतज क दणडसिरप हि न उसक बि को उस क रजषट की बजगडोर सोप कर मकरसज को उसक अिीन कर मदयज ह। अतः िह इसी िरा जिजमदउल ऊलज की दसिी मतमर सोििजर क मदन उसकज िि कर दगज और ककछ ररिजयतो ि ह मक आपस. न फरिजयज— मक आज की रजत उसन उसकज िि कर मदयज ह। सभि ह िह रजत िही दस जिजमदउल ऊलज की रजत हो। जब परजतःकजल कज उदय हआ तो रसल करीि (स.अ.ि.) न उन दोनो को बलजयज और उनह इस भमिषयिजणी स अिगत मकयज मफर नबी करीि (स.अ.ि.) न बजजजन को पतर मलखज मक खदज न िझ सचनज दी ह मक मकसज कज अिक िजह, अिक मदन िि कर मदयज जजएगज। जब यह

194हजरत महममदस का पवितर जीिन

पतर यिन क गिनार को पहचज तो उसन कहज— यमद यह सचज नबी ह तो ऐसज ही हो जजएगज अनयरज उसकी और उसक दश की ककशलतज नही। ककछ ही सियोपरजनत ईरजन कज एक जहजज यिन की बनदरगजह पर आकर ठहरज और गिनार को ईरजन क बजदशजह कज एक पतर मदयज मजसकी िहर दखत हए यिन क गिनार न कहज— िदीनज क नबी न सतय कहज रज। ईरजन की बजदशजहत पररिमतात हो गई तरज इस पतर पर एक अनय बजदशजह की िहर ह। जब उसन पतर खोलज तो उसि मलखज हआ रज मक ईरजन क मकसज ‘शर मदयज’ की ओर स यिन क गिनार बजजजन को यह पतर मलखज जजतज ह। िन अपन मपतज मकसज पिा कज िि कर मदयज ह, इसमलए मक उसन दश ि रकतपजत कज विजर खोल मदयज रज और दश क समिजमनत लोगो कज िि करतज रज तरज परजज पर अतयजचजर करतज रज। जब िरज यह पतर ति तक पहच तो तरनत सिसत अफसरो स िरी अिीनतज कज इकरजर लो तरज इस स पिा िर मपतज न अरब क एक नबी की मगरफतजरी कज जो आदश तमह मदयज रज उस मनरसत सिझो। यह पतर पढकर बजजजन इतनज अमिक परभजमित हआ मक उसी सिय िह और उसक अनक सजमरयो न इसलजि सिीकजर कर मलयज। उसन िहमिद रसलललजह (स.अ.ि.) को अपन इसलजि की सचनज द दी।

हबशला क बलादशलाह नजलाशी क नलाम पतरआपस. न तीसरज पतर नजजशी क नजि मलखज जो उिर मबन उिवयज

जिरीरमज. क हजर मभजिजयज रज। उसकी इबजरत यह री—النجا�ش ال

الل ۔ من ممد رسول ح�ی الر ن ح الر

الل بس

ذی ال

ملک البشہ سل انت۔ اما بعد فا�خ احد الیک الل

ھیمن واشھد لم الومن ال وس الس

لک القد ھو ال

ل ال الہ ال

-मतबरी, मजलद-3 पषठ-1572 स 1574 तरज सीरतननबी मलइबन महशजि

195 हजरत महममदस का पवितर जीिन

و ملکتہ القاھا ال مر�ی البتول

خ مر�ی روح الل ان عیس ا�ب

والوالت عل لہ

یک رسش

ل وحدہ

الل ال ادعوک ا�خ و

وا�خ

ذی جاء�خ فا�خ رسول اللل بع�خ وتومن �ب

تطاعتہ۔ وان ت

وقد بلغت و نص�ت

عزوجل

الل

ادعوک و جنودک الی۔

د ۔ والسلم عل من اتبع اھل فاقبلوا نصی��ت

अरजात अललजह कज नजि लकर जो असीि कपज करन िजलज और बजर-बजर दयज करन िजलज ह। िहमिद रसलललजह की ओर स हबशज क बजदशजह नजशी की ओर पतर मलखज जजतज ह। ह बजदशजह ! तझ पर खदज की सलजिती हो रही ह (चमक उस बजदशजह न िसलिजनो को शरण दी री, इसमलए आप न उसको सचनज दी मक तरज यह किा खदज क मनकि िजनय हआ ह और त खदज की सरकज ि ह) ि उस खदज की सतमत तर सिक िणान करतज ह मजसक अमतररकत अनय कोई उपजसय नही, जो सचज बजदशजह ह, जो सिसत पमितरतजओ कज पज ह, जो परतयक दोर स रमहत ह तरज परतयक दोर स बचजन और पमितर करन िजलज ह, जो अपन बनदो क मलए शजसनत क ससजिन पवदज करतज ह और अपनी ससटि की सरकज करतज ह। ि गिजही दतज ह मक ईसज इबन िरयि खदज तआलज की मशकज को ससजर ि फलजन िजल र और खदज तआलज क उन िजदो को परज करन िजल र जो खदज न िरयिअ. स मजसन अपनज जीिन खदज क मलए सिमपात कर मदयज रज पहल स मकए हए र और ि तझ एक खदज मजसकज कोई भजगीदजर नही स सबि पवदज करन और उस की जोडन और उसकी आजञजओ कज पजलन करन (क मनयिो) आजञजकजररतज पर परसपर सिझौतज करन कज मनितरण दतज ह और ि तझ इस बजत क मलए आिमतरत करतज ह मक त िरज अनसरण कर और उस खदज पर ईिजन लजए मजस न िझ भजज ह; कयोमक ि उसकज रसल ह और ि तझ दज’ित दतज ह और तरी

-जरकजनी मजलद-3, पषठ-342 तरज अससीरतल हलमबययह मजलद-3 पषठ-273

196हजरत महममदस का पवितर जीिन

सनजओ को भी खदज क ििा ि ससमिमलत होन की दज’ित दतज ह। िन अपनज दजमयति पणा कर मदयज ह और खदज कज सनदश तझ तक पहचज मदयज ह तरज ति पर पणा रप स खोलकर िजसतमिकतज सपटि कर दी ह। अतः िरी पररशदध भजिनजओ कज समिजन करो। परतयक वयसकत जो खदज तआलज क दशजाए हए सनिजगा कज अनसरण करतज ह उस खदज तआलज की ओर स सरकज परदजन की जजती ह।

जब यह पतर नजजशी को पहचज तो उसन सिारज समिजनपिाक उस पतर को अपनी आखो स लगजयज और रजज-मसहजसन स नीच उतर कर खडज हो गयज और कहज मक हजरी दजत कज एक मडबबज लजओ। अतः एक मडबबज लजयज गयज। उसन िह पतर बड समिजन क सजर उस मडबब ि रख मदयज और कहज— जब तक यह पतर सरमकत रहगज हबशज की सरकजर सरमकत रहगी। अतः नजजशी कज यह मिचजर सही मसदध हआ। एक हजजर िरा तक इसलजि सिसत ससजर पर सजगर की लहरो क सिजन लहर िजरतज हआ फलतज चलज गयज। हबशज क दजए स भी इसलजिी सनजए मनकल गई और हबशज क बजए स भी इसलजिी सनजए मनकल गई परनत उस उपकजर क कजरण जो हबशज क बजदशजह न इसलजि क परजरसमभक िहजमजरो (परिजमसयो) क सजर मकयज रज तरज उस समिजन क कजरण जो नजजशी बजदशजह न हजरत िहमिद रसलललजह (स.अ.ि.) क पतर कज मकयज रज उनहोन हबशज की ओर दसटि उठज कर भी न दखज। कसर जवस बजदशजह की सरकजर क िकड-िकड हो गए, मकसज जवस बजदशजह क शजसन कज नजिो-मनशजन मिि गयज, चीन और महनदसतजन क शजसन असत-वयसत कर मदए गए परनत हबशज की एक छोिी सरकजर सरमकत रखी गई इसमलए मक उसन िहमिद रसलललजह (स.अ.ि.) क परजरसमभक सजमरयो क सजर एक उपकजर तरज िहमिद रसलललजह (स.अ.ि.) क पतर कज आदर-समिजन मकयज रज। यह तो िह वयिहजर रज जो छोि स उपकजर क फलसिरप

197 हजरत महममदस का पवितर जीिन

हबशज िजलो स िसलजनो न मकयज, परनत ईसजई जजमतयो न जो एक गजल पर रपपड खजकर दसरज गजल भी फर दन क दजिदजर अपन ही ििजािलसमबयो और अपनी ही नीमतयो पर चलन िजल अपन सहििषी और सहिगषीय हबशज क बजदशजह तरज उसकी जजमत क सजर इन मदनो जो वयिहजर मकयज ह िह भी ससजर क सिक सपटि ह। हबशज क शहरो को मकस परकजर बिबजरी करक धिसत कर मदयज गयज तरज बजदशजह और उसकी समिजननीय िहजरजनी तरज उसक बचो को अपनी िजतभमि छोड कर अनय दशो ि िरको शरणजरषी बन कर रहनज पडज। कयज हबशज स य दो परकजर कज वयिहजर— एक वयिहजर िसलिजनो कज और एक ईसजइयो कज उस पमितर अलौमकक शसकत को मसदध नही करतज जो िहमिद रसलललजह (स.अ.ि.) ि पजई जजती री जो आज तक भी जब मक िसलिजन ििा स बहत दर जज चक ह उनक मिचजरो को भलजई और कतजञतज की ओर झकजए रखती ह।

हमसर क बलादशलाह मककस क नलाम पतरआपस. न चौरज पतर मिस क रजजज िककश की ओर मलखज रज। यह

पतर ‘हजमतब मबन अबी बलतजरमज.’ क विजरज मभजिजयज। इस पतर कज लख यह रज—

القوقس

ال

۔ من ممد رسول الل الرحن الرح�ی

بس الل

فا�خ بعد اما اھلدی۔ اتبع من عل القبط۔سلم عظ�ی

اجرک

الل

یوتیک سل ت اسل السلم بدعایۃ ادعوک

ا علیک ا�ش القبط و�ی اھل الکتاب ا�خیت ف

خ فان تول مرت�ی

ول

الل

ال نعبد

لا بینمک و بیننا سواء ملکۃ ال تعالوا

�ب من دون فان ا ول یتخذ بعضنا بعصنا ار�بک بہ شیئ ن�ش

مسلون۔ �خو افقولوا شھدوا �ب

تول

-जरकजनी मजलद-3, पषठ-347, अससीरतल हलमबययह मजलद-3, पषठ-275

198हजरत महममदस का पवितर जीिन

यह पतर मबलककल िवसज ही ह जवसज रि क बजदशजह को मलखज गयज रज मक यमद तिन सिीकजर न मकयज तो रिी परजज क पजपो कज बोझ भी ति पर होगज तरज इसि यह रज मक मकसबतयो क पजपो कज बोझ ति पर होगज। जब हजमतबरमज. मिस पहच तो उस सिय िककस अपनी रजजिजनी ि नही रज अमपत इसकनदररयज ि रज। हजमतबरमज. इसकनदररयज गए जहज बजदशजह न सिदर क मकनजर एक सभज आयोमजत की हई री। हजमतबरमज. एक नौकज ि सिजर हो कर उस सरजन तक गए। चमक चजरो ओर पहरज रज, उनहोन दर स पतर को बनद करक आिजज दनज आरमभ मकयज। बजदशजह न आदश मदयज मक इस वयसकत को लजयज जजए और उसक सिक उपससरत मकयज जजए। बजदशजह न पतर पढज और हजमतब स कहज— यमद यह सचज नबी ह तो अपन शतरओ क मिरदध दआ नही करतज? हजमतबरमज. न कहज— ति ईसज मबन िरयि पर तो ईिजन लजत हो, यह कयज बजत ह मक ईसज को उनकी जजमत न दःख मदयज, परनत ईसज न यह दआ न की मक ि तबजह हो जजए। बजदशजह न सन कर कहज— ति एक बमदधिजन की ओर स बमदधिजन दत हो और ति न शरषठ उतर मदयज ह। इस पर हजमतबरमज. न कहज— ह बजदशजह ! तझ स पिा एक बजदशजह रज जो कहज करतज रज मक ि बडज रबब ह अरजात मफरऔन। अनततः खदज न उस पर परकोप उतजरज। अतः त अहकजर न कर और खदज क इस नबी पर ईिजन ल आ। खदज की कसि िसजअ. न ईसज क बजर ि ऐसी सचनजए नही दी जवसी ईसजअ. न िहमिद (स.अ.ि.) क बजर ि दी ह। हि तमह उसी परकजर िहमिद रसलललजह (स.अ.ि.) की ओर बलजत ह मजस परकजर ति लोग यहमदयो को ईसजअ.

की और बलजत हो। हर नबी की एक उमित होती ह और उसकज कतावय होतज ह मक उसकी आजञजओ कज पजलन कर। अतः जबमक ति न उस नबी कज यग पजयज ह तो तमहजरज कतावय ह मक उस सिीकजर करो। हिजरज ििा िसीह क अनसरण स नही रोकतज अमपत हि तो दसरो को भी आदश दत

199 हजरत महममदस का पवितर जीिन

ह मक िसीह पर ईिजन लजए। इस पर िककस न कहज— िन उस नबी कज हजल सनज और ि यह िहसस करतज ह मक िह मकसी बरी बजत कज आदश नही दतज और मकसी शभ किा स रोकतज नही तरज िन िजलि मकयज ह मक िह वयसकत जजदगरो तरज जयजमतमरयो की भजमत नही ह और िन उसकी ककछ भमिषयिजमणयज सनी ह जो परी हई ह। मफर उसन हजरी दजत की एक मडमबयज िगिजई तरज उसि रसलललजह (स.अ.ि.) कज पतर रख मदयज और उस पर िहर लगज दी तरज अपनी एक दजसी क सपदा कर मदयज और मफर उसन रसल करीि (स.अ.ि.) क नजि यह पतर मलखज—

मबससिललजमहररहिजमनररहीिमकबत कज बजदशजह िहमिद मबन अबदललजह की ओर पतर मलखतज

ह मक आप पर सलजिती हो। ततपशजत ि यह कहतज ह मक िन आप कज पतर पढज ह और आप न उसि जो ककछ मलखज ह और मजन बजतो की ओर बलजयज ह उन पर मिचजर मकयज ह और िझ जञजत हआ ह मक इसजईली भमिषयिजमणयो क अनसजर एक नबी कज आनज अभी शर ह परनत िरज मिचजर रज मक िह शजि दश ि परकि होगज। िन आप क दत को बड समिजन क सजर ठहरजयज ह। िन उस एक हजजर पौणड और पजच जोड शजही मलबजस क उपहजरसिरप मदए ह और ि दो मिसी यिमतयज आपक मलए बतौर भि भज रहज ह। मकबती जजमत ि उन यिमतयो कज बडज समिजन ह। उनि स एक कज नजि िजररयज और एक कज नजि सीरीन ह तरज मिसी कपड क उच कोमि क बीस जोड भी आप की सिज ि मभजिज रहज ह तरज इसी परकजर एक खचर आप की सिजरी क मलए मभजिज रहज ह। अनत ि पनः दआ करतज ह मक खदज आप की रकज कर।

इस पतर स मिमदत होतज ह मक यदमप िककस न आपस. क पतर स आदर-समिजन कज वयिहजर मकयज परनत इसलजि नही लजयज।

-जरकजनी मजलद-2, पषठ-349-350 तरज मतबरी मजलद-3, पषठ-1559

200हजरत महममदस का पवितर जीिन

बहरन क अमीर क नलाम पतरआपस. न पजचिज पतर िसनजर तविी की ओर जो बहरन कज अिीर रज

भजज। यह पतर अलज मबन हजरिीरमज. क विजरज मभजिजयज गयज रज। इस पतर कज लख सरमकत नही। यह पतर जब उसक पजस पहचज तो िह ईिजन ल आयज और उसन िहमिद रसलललजह (स.अ.ि.) को मलखज मक ि और िर बहत स सजरी आपस. पर ईिजन ल आए ह और ककछ ऐस ह जो इसलजि ि ससमिमलत नही हए तरज िर दश ि ककछ यहदी और असगनपजक भी रहत ह आप उनक बजर ि िझ आदश द मक ि उन स कयज वयिहजर कर। आपस. न उस पतर मलखज मजसकी इबजरत यही री—

हि परसननतज हई ह मक ति न इसलजि सिीकजर कर मलयज ह िरी ओर स जो दत आए ति उनक आदशो कज पजलन मकयज करो कयोमक जो उनकज अनसरण करगज िह िरज अनसरण करगज। जो िरज दत तमहजर पजस गयज रज उसन तमहजरी बहत परशसज की और बतजयज ह मक ति न इसलजि सिीकजर कर मलयज ह। िन तमहजरी जजमत क बजर ि खदज तआलज स दआ की ह। अतः िसलिजनो ि इसलजिी मशकजओ को जजरी करो तरज उनकी िन-समपमत की रकज करो तरज मकसी को चजर पसतनयो स अमिक रखन की अनिमत न द, िसलिजन होन िजलो स जो पजप पहल हो चक ह ि उनह किज कर मदए जजए। जब तक नकी पर आचरण करत रहोग तमह तमहजर शजसन स अपदसर नही मकयज जजएगज तरज जो यहदी और असगनपजक ह उन क मलए किल एक कर कज परजििजन ह उनस अनय कोई िजग न करनज और अपन दश क लोगो क बजर ि यह धयजन रखो मक मजन लोगो क पजस आजीमिकज क मलए भमि नही ह उनि स परतयक वयसकत को चजर मदरहि और मलबजस मदयज जजए।

-जरकजनी मजलद-3, पषठ 352-353, अससीरतल हलमबययह, मजलद-3, पषठ-278

201 हजरत महममदस का पवितर जीिन

इसक अमतररकत आपस. न उमिजन क बजदशजह और यिजिज क सरदजर, गससजन क बजदशजह, यिन क बनी नहद कबील क सरदजर, यिन क हिदजन कबील क सरदजर, बनी अलीि क सरदजर और हजरिी कबील क सरदजर की ओर भी पतर मलख मजनि स अमिकजश लोग िसलिजन हो गए। इन पतरो कज मलखनज बतजतज ह मक आपस. खदज तआलज पर मकतनज अिल मिशवजस रखत र तरज मकस परकजर आरमभ स ही आपस. को यह मिशवजस रज मक आप मकसी एक जजमत की ओर नबी बनज कर नही भज गए अमपत आप सिसत जजमतयो की ओर नबी बनज कर भज गए ह। मनःसदह मजन बजदशजहो और अिीरो को पतर मलख गए र उन ि स ककछ न इसलजि ििा सिीकजर कर मलयज, ककछ न समिजनपिाक पतर तो सिीकजर कर मलए परनत इसलजि को सिीकजर न मकयज, ककछ न सजिजरण सभयतज कज पररचय मदयज तरज ककछ न अमभिजन और अहकजर कज परदशान मकयज परनत इसि भी कोई सनदह नही तरज मिशव कज इमतहजस इस पर सजकी ह मक परिशवर उनि परतयक बजदशजह और जजमत क सजर िवसज ही वयिहजर मकयज जवसज उसन रसलललजह (स.अ.ि.) क पतरो क सजर वयिहजर मकयज।

खबर क हकल पर हवजयजवसज मक िणान मकयज जज चकज ह यहदी और अरब क कजमफर लोग

िसलिजनो क मिरदध आस-पजस क कबीलो को उकसज रह र। अब यह दखकर मक अरब ि इतनी शसकत शर नही रही मक ि िसलिजनो को नटि कर सक अरिज िदीनज पर जजकर आकरिण कर सक। यहमदयो न एक ओर तो रिी शजसन की दमकणी सीिज पर रहन िजल अरब कबीलो को जो ििा की दसटि स ईसजई र उकसजनज आरमभ मकयज तरज दसरी ओर अपन उन सहिमिायो को जो इरजक ि रहत र रसल करीि (स.अ.ि.) क मिरदध पतर मलखन आरमभ मकए तजमक ि मकसज बजदशजह को िसलिजनो

202हजरत महममदस का पवितर जीिन

क मिरदध भडकजए। ि ऊपर यह भी बतज कर चकज ह मक इस चपलतज क पररणजिसिरप मकसज िसलिजनो क मिरदध अतयमिक भडक चकज रज तरज उसन िहमिद रसलललजह (स.अ.ि.) की मगरफतजरी क मलए यिन क गिनार को आदश भी द मदयज रज परनत अललजह तआलज न अपनी मिशर कपज स िहमिद रसलललजह (स.अ.ि.) को सरमकत रखज तरज मकसज और यहमदयो क रडयनतरो को असफल कर मदयज। सपटि ह मक यमद खदज तआलज की मिशर कपज न होती तो जहज तक भौमतक ससजिनो कज सबि ह िहमिद रसलललजह (स.अ.ि.) एक ओर मकसज दसरी ओर कसर की सनजओ कज कयज िकजबलज कर सकत र। खदज ही रज मजसन मकसज को िजर मदयज तरज उसक पतर स यह आदश जजरी करिजयज मक िहमिद रसलललजह (स.अ.ि.) क बजर ि कोई कजयािजही न की जजए। इस मनशजन को दख कर यिन क अमिकजरी-गण ईिजन ल आए और यिन कज परजनत मबनज मकसी सवमनक कजयािजही क इसलजिी शजसन ि ससमिमलत हो गयज। य यहद की पवदज की हई पररससरमतयज इस बजत की िजग करती री मक यहद को िदीनज स और भी अमिक दर ढकल मदयज जजए कयोमक यमद ि िदीनज क मनकि रहत तो मनशय ही और अमिक रकतपजत, उपदरिो तरज रडयनतरो क दोरी होत। अतः िहमिद रसलललजह (स.अ.ि.) न हदवमबयज-समि स िजपस आन क लगभग पजच िजह पशजत यह मनणाय मकयज मक यहदी खवबर स जो िदीनज स ककछ िील की दरी पर रज, जहज स िदीनज क मिरदध बडी सरलतज स रडयनतर मकए जज सकत र मनकजल मदए जजए। अतः आपस. न सोलह सौ सहजबज क सजर अगसत 623 ई. ि खवबर की ओर कच मकयज खवबर एक मकलज बनद नगर रज; उसक चजरो ओर चटटजनो क ऊपर मकल बन हए र। इतन सदढ नगर को इतन कि सवमनको क सजर मिजय कर लनज कोई आसजन कजया न रज। आस-पजस की छोिी-छोिी चौमकयज तो छोिी-छोिी लडजइयो क विजरज ही मिजय हो गई परनत जब यहदी एकतर

203 हजरत महममदस का पवितर जीिन

हो कर नगर क िखय मकल ि आ गए तो उस पर मिजय परजपत करन क सिसत उपजय वयरा जजन लग। एक मदन खदज तआलज न रसल करीि (स.अ.ि.) को बतजयज मक इस नगर की मिजय हजरत अलीरमज. क हजर पर मनसशत ह। आपस. न परजतःकजल यह घोरणज की मक ि इसलजि कज कजलज झणडज आज उसक हजर ि दगज मजस खदज और उसकज रसल तरज िसलिजन पयजर करत ह; खदज तआलज न इस मकल की मिजय उसक हजर पर मनसशत की ह। ततपशजत दसर मदन परजतः आपस. न हजरत अलीरमज. को बलजयज और झणडज उन क सपदा मकयज मजनहोन सहजबज की सनज को सजर लकर मकल पर आकरिण मकयज। इसक बजिजद मक यहदी मकलजबनद र। अललजह तआलज न हजरत अलीरमज. तरज दसर सहजबजरमज. को उस मदन ऐसी शसकत परदजन की मक सजयकजल स पिा मकलज मिजय हो गयज तरज इस बजत पर समि हई मक सिसत यहदी और उनक पररिजर खवबर छोड कर िदीनज स दर चल जजएग और उनक सिसत िजल िसलजनो क पक ि दणड क तौर पर जबत (ककक) होग और यह मक जो वयसकत इस बजर ि झठ स कजि लगज तरज कोई िजल यज अनजज छपज कर रखगज िह इस सिझौत की सरकज क अनतगात नही आएगज तरज मिशवजसघजत क दणड कज अमिकजरी होगज।

तीन अद भत घटनलाएइस यदध ि तीन अदभत घिनजए सजिन आई। उनि स एक तो खदज

तआलज क एक मनशजन को मसदध करती ह और दो घिनजए रसलललजह (स.अ.ि.) क उच मशटिजचजर को उन दो मनशजनो ि स एक मनशजन तो यह ह मक इस यदध क पशजत जब खवबर क सरदजर मकनजनज की पतनी समफयज िहमिद रसलललजह (स.अ.ि.) क मनकजह ि आई तो आपस. न दखज मक उनक चहर पर लमब-लमब मनशजन ह। आपस. न पछज समफयज ! तमहजर य मनशजन कस ह? उनहोन कहज— ह अललजह क रसल ! एक मदन िन

204हजरत महममदस का पवितर जीिन

एक सिपन दखज मक चनदरिज मगर कर िरी झोली ि आ पडज ह। िन दसर मदन यह सिपन अपन खजनदजन िजलो को सनजयज। िर पमत न कहज— यह बडज मिमचतर सिपन ह, तमहजरज मपतज बडज मिविजन परर ह चल कर उस यह सिपन सनजत ह। अतः िन अपन मपतज स इस की चचजा की तो सिपन क सनत ही उस न जोर स िर िख पर रपपड िजरज और कहज— िखा कयज त अरब क बजदशजह स मििजह करनज चजहती ह। यह उस न इसमलए कहज मक अरब कज रजषटीय मनशजन चनदरिज रज। यमद कोई सिपन ि यह दखतज मक चनदरिज उसकी झोली ि आ मगरज ह तो उसकज अरा यह सिझज जजतज रज मक अरब क बजदशजह क सजर उसकज सबि हो गयज ह और यमद कोई सिपन ि यह दखतज मक चनदरिज फि गयज ह यज मगर गयज ह तो उसकज अरा यह मलयज जजतज रज मक अरब क शजसन ि फि पड गई ह यज िह नटि हो गयज ह। यह सिपन रसल करीि (स.अ.ि.) की सचजई कज एक मनशजन ह और इस बजत कज भी मनशजन ह मक खदज तआलज अपन बनदो को परोक की सचनजए दतज रहतज ह। यदमप िोमिनो को अमिक और अनय लोगो को कि। हजरत समफयजरमज. अभी यहदी ही री मक उनह खदज तआलज न उनह इस उजिल परोक की सचनज परदजन की, मजसक अनसजर उनकज पमत सिझौत की अिजञज करन क दणड ि िजरज गयज और इसक बजिजद मक िह एक अनय सहजबी की कद ि गई री, ककछ लोगो क आगरह पर बजद ि रसल करीि (स.अ.ि.) क मनकजह ि आई और इस परकजर िह परोक क बजर ि सिपन विजरज दी गई सचनज परी हई जो खदज तआलज न दी री।

दसरी उललखनीय घिनज यह ह मक खवबर की घरजबनदी क मदनो ि एक यहदी सरदजर कज चरिजहज जो उसकी बकररयज चरजयज करतज रज िसलिजन हो गयज। िसलिजन होन क पशजत उसन कहज— ह अललजह क रसल ! ि अब उन लोगो ि तो जज नही सकतज। य उस यहदी की

-अससीरतल हलमबययह- मजलद-3, पषठ-50

205 हजरत महममदस का पवितर जीिन

बकररयज िर पजस अिजनत ह। अब ि कयज कर? आपस. न फरिजयज— बकररयो कज िख मकल की ओर कर दो और उनह उसी ओर ढकल दो, खदज तआलज उनह उनक सिजिी क पजस पहचज दगज। अतः उसन इसी परकजर मकयज तरज बकररयज मकल क पजस पहच गई। जहज स मकल िजलो न उनह मकल क अनदर ल मलयज। इस घिनज स मिमदत होतज ह मक रसल करीि स.अ.ि. अिजनत की अदजयगी क मसदधजनत पर मकतनी दढतज क सजर कजयारत र और दसरो को भी इस मनयि क पजलन करन की पररणज दत र। लडन िजलो की सजिगरी और िजल यदध ि आज भी िवि सिझ जजत ह। कयज ऐसी घिनज ितािजन यग ि जो सभयतज कज यग सिझज जजतज ह कभी हई ह मक शतर सनज क पश हजर आ गए हो तो उनक मकल ि िजपस जजन क फलसिरप शतर क मलए िहीनो की आजीमिकज कज सजिजन हो जजतज रज मजस पर मनभार रहकर िह एक लमबी अिमि तक घरज बनदी को जजरी रख सकतज रज। आपस. न उन बकररयो को मकल ि िजपस करिज मदयज तजमक ऐसज न हो मक उस िसलिजन की ईिजनदजरी ि ककछ अनतर आए मजसक सपदा बकररयज री।

तीसरी घिनज यह मक एक यहदी सतरी न सहजबजरमज. स पछज मक रसलललजह (स.अ.ि.) को जजनिर क मकस भजग कज गोशत अमिक पसनद ह? सहजबजरमज. न बतजयज आपस. को बकरी क अगल बजज कज गोशत अमिक पसनद ह। इस पर उसन बकरज मजबह मकयज तरज पतररो पर उसक कबजब बनजए और मफर उस गोशत ि मिर मिलज मदयज मिशरकर बजजओ ि मजसक सबि ि उस बतजयज रज मक रसलललजह (स.अ.ि.) यहज कज गोशत अमिक पसनद करत ह।

सया असत होन क पशजत जब रसल करीि (स.अ.ि.) सजयकजल की निजज पढकर अपन डर की ओर आ रह र तो आपन दखज मक आप

-अससीरतल हलमबययह-मजलद-3, पषठ-44

206हजरत महममदस का पवितर जीिन

क तमब क पजस एक सतरी बवठी ह। आपस. न उस स पछज— बीबी तमहजरज कयज कजि ह? उसन कहज— ह अब कजमसि ! ि आपक मलए एक भि लजई ह। आपस. न मकसी सजरी सहजबी स फरिजयज— यह सतरी जो िसत दती ह उस स ल लो। ततपशजत आप खजन क मलए बवठ तो भोजन ि िह भनज हआ बजज कज गोशत भी रखज गयज। आपस. न उसि स एक गरजस खजयज तरज आपस. क एक सहजबी बशीर मबन अलबरज मबन अलिज’रर न भी एक गरजस खजयज इतन ि अनय सहजबज न भी गोशत खजन क मलए हजर बढजयज तो आपस. न फरिजयज— न खजओ कयोमक इस हजर न िझ सचनज दी ह मक गोशत ि मिर मिलज हआ ह (इस कज अरा यह नही मक आपको इस बजर कोई इलहजि हआ रज अमपत अरब कज यह िहजिरज ह और इसक अरा य ह मक इसकज गोशत चख कर िझ जञजत हआ ह। अतः कआान करीि ि िसजअ. क यग की घिनज कज िणान करत हए एक दीिजर क बजर ि आतज ह मक िह मगरनज चजहती ह मजसकज अरा िजतर यह ह मक उसि मगरन क लकण पवदज हो चक र। अतः यहज पर भी यह अमभपरजय नही मक आप न फरिजयज मक िह बकरी कज बजज बोलज अमपत तजतपया यह ह मक उसकज गोशत चखन पर िझ जञजत हआ ह। अतः अगलज िजकय इन अरको को सपटि कर दतज ह) इस पर बशीर न कहज— मक मजस खदज न आप को समिजमनत मकयज ह, ि उसकी सौगनि खज कर कहतज ह मक िझ इस गरजस ि मिर कज आभजस हआ ह। िरज हदय चजहतज रज मक ि इस फक द परनत िन सोचज मक यमद िन ऐसज मकयज तो कदजमचत आपस. की तमबयत को बरज लग तरज आप कज भोजन खरजब हो जजए और मफर जब आपन गरजस मनगलज तो िन भी आप क अनसरण ि िह गरजस मनगल मलयज, यदमप िरज हदय कह रहज रज मक चमक िझ सनदह ह मक इसि मिर ह, इसमलए कजश रसलललजह (स.अ.ि.) यह गरजस न मनगल। इस क ककछ सिय क बजद ही बशीर की तमबयत खरजब हो गई तरज ककछ कज करन यह ह मक िही

207 हजरत महममदस का पवितर जीिन

खवबर ि उनकज मनिन हो गयज तरज ककछ कज करन ह मक िह ककछ सिय तक बीिजर रह कर परलोक मसिजर गए। इस पर रसल करीि (स.अ.ि.) न उसकज ककछ गोशत एक ककत क आग डलिज मदयज मजसक खजन स िह िर गयज। तब आपस. न उस सतरी को बलजयज और फरिजयज— ति न इस बकरी क गोशत ि मिर मिलजयज ह? उसन कहज— आप को यह मकसन बतजयज ह। आप क हजर ि उस सिय बकरी कज िह भनज हआ बजज रज आप न कहज इस बजज न िझ बतजयज ह। इस पर िह सतरी सिझ गई मक आप पर यह भद परकि हो गयज ह; उसन सिीकजर कर मलयज मक उसन मिर मिलजयज ह। इस पर आपस. न उस स पछज मक इस घमणत कतय पर तमह मकस बजत न परररत मकयज? उसन उतर मदयज मक िरी जजमत स आप कज यदध हआ रज उस यदध ि िर पररजन िजर गए र। िर हदय ि यह मिचजर आयज मक ि इनको मिर द द। यमद इन कज कजया िजनि-मनमिात कजया होगज तो हि इन स िसकत मिल जजएगी और यमद यह यरजरा ि नबी होग तो खदज तआलज इनह बचज लगज। रसल करीि (स.अ.ि.) न उसकी यह बजत सनकर उस किज कर मदयज। इस कतय कज दणड मनसशत रप स ितय दणड रज परनत आपस.न किज कर मदयज। यह घिनज इस बजत पर परकजश डजलती ह मक रसल करीि (स.अ.ि.) मकस परकजर अपन िजरन िजलो और अपन मितरो क िजरन िजलो को किज कर मदयज करत र और िजसति ि आपस. दणड उसी सिय मदयज करत र जब मकसी वयसकत कज जीमित रहनज भमिषय ि बहत स उपदरिो कज कजरण बन सकतज रज।

कलाब कला तवलाि (पररकरमला)महजरत क सजति िरा फरिरी 629 ई. ि सिझौत क अनसजर रसल

करीि (स.अ.ि.) को तिजफ क मलए िककज जजनज रज। अतः जब िह

-अससीरतल हलमबययह मजलद-3, पषठ-61

208हजरत महममदस का पवितर जीिन

सिय आयज तो रसल करीि (स.अ.ि.) दो हजजर लोगो क सजर कजबज क तिजफ क मलए मनकल पड। जब आप ‘िररजजहरजन’ तक पहच जो िककज स ककछ दरी पर ह तो सिझौत क अनसजर आपस. न सिसत भजरी शसतर और किच िहज एकतर कर मदए तरज सिय आप न सहजबजरमज. क सजर सिझौत क अनसजर किल मयजन ि बनद तलिजरो क सजर हरि ि परिश मकयज। सजत िरा क दश मनषकजसन क पशजत परिजमसयो (िहजमजरो) कज िककज ि परिश कोई सजिजरण बजत नही री उनक हदय एक ओर उन लमब अतयजचजरो को सिरण करक, जो उन पर िककज ि मकए जजत र रकत क आस बहज रह र और दसरी ओर खदज तआलज की उस कपज को दखकर मक खदज तआलज न उनह पनः कजबज क तिजफ कज अिसर परदजन मकयज ह। ि परसनन भी हो रह र। िककज क लोग िककज स मनकल कर पहजड की चोमियो पर खड हो कर िसलिजनो को दख रह र। िसलिजनो कज हदय चजहतज रज मक आज उन पर परकि कर द मक खदज तआलज न उनह पनः िककज ि परिश करन की सजिरया परदजन की यज नही। अतः अबदललजह मबन रिजहजरमज. न इस अिसर पर िीररस-गीत गजन आरमभ मकए, परनत रसल करीि (स.अ.ि.) न उनह रोक मदयज और फरिजयज— ऐस गीत न गजओ अमपत यो कहो मक खदज क अमतररकत अनय कोई उपजसय नही। िह खदज ही ह मजस न अपन रसल की सहजयतज की तरज िोमिनो को अिितजपणा जीिन स मनकजल कर समिजन परदजन मकयज, किल खदज ही ह मजसन शतरओ को उनक सजिन स भगज मदयज। ‘कजबज’ कज तिजफ तरज ‘सफज’ और िरिह की सई स मनित हो कर आप सहजबज क सजर तीन मदन िककज ि ठहर। हजरत अबबजसरमज. की पतनी की बहन िविनज जो लमब सिय स मिििज री िककज ि री। हजरत अबबज न इचछज परकि की

-िककज शहर की िह मनिजाररत सीिज मजसि मकसी कज िि करनज मनमरदध ह। (अनिजदक)-‘सफज’ और ‘िरिह’ की दोनो पहजमडयो क िधय मनयिजनसजर दौडनज। (अनिजदक)

209 हजरत महममदस का पवितर जीिन

मक रसलललजह (स.अ.ि.) उस स मििजह कर ल। आपस. न यह परसतजि सिीकजर कर मलयज। चौर मदन िककज िजलो न िजग की मक आप सिझौत क अनसजर िककज स मनकल जजए। आपस. न उसी सिय सिसत सहजबज को आदश मदयज मक तरनत िककज छोड कर िदीनज की ओर परसरजन कर। िककज िजलो की भजिनजओ को दसटि ि रखत हए नि-मििजमहतज िविनज को भी पीछ छोड मदयज मक िह बजद ि सजिजन की सिजररयो क सजर आ जजए और सिय अपनी सिजरी दौडज कर हरि की सीिज स बजहर मनकल गए और िही पर सजयकजल आप की पतनी िविनज पहचज दी गई। हजरत िविनज पहली रजत िही जगल ि रसलललजह (स.अ.ि.) की सिज ि उपससरत हई।

महममद सलललललाहो अलहह वसललम क बहहववलाह पर आरोप कला उततर

यह घिनज ऐसी नही ह मक उसकज ऐसी समकपत जीिनी ि िणान मकयज जजतज मजस परकजर कज जीिन-चररतर इस सिय ि मलख रहज ह परनत इस घिनज कज एक ऐसज पक भी ह जो िझ मििश करतज ह मक इस सजिजरण घिनज को यहज मलख द और िह यह ह मक आपस. पर आरोप लगजयज जजतज ह मक उनकी कई पसतनयज री और आपस. कज यह कतय (खदज की पनजह) भोग मिलजस पर आिजररत रज परनत जब हि आप क सजर आपकी पसतनयो कज लगजि और परि दखत ह जो हि सिीकजर करनज पडतज ह मक आप कज सबि ऐसज पमितर, मनःसिजरा तरज आधयजसतिक रज मक मकसी एक पतनीवरत परर कज भी अपनी पतनी स ऐसज नही होतज। यमद रसल करीि (स.अ.ि.) कज अपनी पसतनयो स सबि भोग-मिलजस कज होतज तो उसकज अमनिजया पररणजि यह होनज चजमहए रज मक आपस. की पसतनयो क हदय मकसी आधयजसतिक भजिनज स परभजमित न होत, परनत आपकी

210हजरत महममदस का पवितर जीिन

पसतनयो क हदय ि आप कज जो परि रज तरज आपकज उन पर जो अचछज परभजि पडज रज िह ऐसी बहत सी घिनजओ स परकि होतज ह मक आप क मनिन क पशजत आपकी पसतनयो क सबि ि इमतहजस स मसदध होतज ह। उदजहरणतयज यही घिनज मकतनी सजिजरण री मक िविनज रसल करीि (स.अ.ि.) स पहली बजर हरि स बजहर एक तमब ि मिली। यमद उनस रसलललजह (स.अ.ि.) कज सबि कोई शजरीररक सबि होतज और यमद आपस. ककछ पसतनयो को ककछ अनय पसतनयो पर परिजनतज दन िजल होत तो िविनजरमज. इस घिनज को अपन जीिन की कोई सखद घिनज न सिझती अमपत परयजस करती मक यह घिनज उनक िससतषक स मिसित हो जजए, परनत िविनजरमज. िहमिद रसलललजह (स.अ.ि.) क मनिन क पशजत पचजस िरा जीमित रही तरज अससी िरा की आय ि मनिन हआ परनत इस बरकत िजल सबि को िह जीिन-पयानत भलज न सकी। अससी िरा की आय ि जब जिजनी की भजिनजए शजनत हो चकी होती ह रसल करीि (स.अ.ि.) क मनिन क पचजस िरा क पशजत जो अिमि एक पयजापत आय कहलजन योगय ह िविनज कज मनिन हआ तरज उस सिय उनहोन अपन आस-पजस क लोगो को िसीयत की मक जब ि िर जजऊ तो िककज क बजहर एक कोस की दरी पर उस सरजन पर जहज रसलललजह (स.अ.ि.) कज तमब रज और जहज पहली बजर आप की सिज ि उपससरत की गई री िरी कब बनजई जजए तरज उसि िझ दफन मकयज जजए। ससजर ि सची अदभत घिनजए भी होती ह और कपोल कसलपत गजरजए भी परनत सची अदभत घिनजओ ि स भी तरज कपोल कसलपत गरजओ ि स भी कयज कोई घिनज इस अगजि परि स अमिक परभजिशजली परसतत की जज सकती ह?

-अससीरतल हलमबययह, मजलद-3, पषठ-73

211 हजरत महममदस का पवितर जीिन

खलाहलद हबन वलीद और उमर हबन अलआस कला इललाम वीकलार करनला

कजबज-दशान स िजपसी क बजद शीघर ही इसलजि ि दो ऐस वयसकतयो न परिश मकयज जो इसलजिी यदधो क आमद स लकर इस सिय तक कजमफरो क िहजन सनजपमतयो ि स र और जो इसलजि ििा सिीकजर करन क पशजत इसलजि क ऐस परमसदध सनजपमत मसदध हए मक इसलजिी इमतहजस उन लोगो कज नजि मिसित नही कर सकतज। अरजात खजमलद मबन िलीद मजनहोन बजद ि रोि की नीि महलज दी और अननय दोशो पर मिजय परजपत करक इसलजिी शजसन कज अग बनज मदयज। उिर मबन अलआस मजनहोन मिस पर मिजय परजपत करक उस इसलजिी शजसन ि ससमिमलत कर मदयज।

मौतः कला यदधजब आप कजबज क दशान करन क उपरजनत िदीनज आए तो आपको

सिजचजर मिलन लग मक शजि दश की सीिज पर अरब क ईसजई कबील यहमदयो और कजमफरो क उकसजन पर िदीनज पर आकरिण की तवयजररयज कर रह ह। अतः आपस. न पनदरह लोगो कज एक दल शजि की सीिज पर इस उदशय स मभजिजयज मक ि जजच-पडतजल कर मक य अफिजह कहज तक सतय ह। जब य लोग शजि की सीिज पर पहच तो िहज दखज मक एक सनज सगमठत हो रही ह। इन लोगो कज कतावय रज मक य लोग िजपस आकर रसल करीि (स.अ.ि.) को सचनज दत परनत परचजर कज जोश उस यग ि िोमिन कज िजसतमिक लकण हआ करतज रज उन की इसलजि क परचजर की भजिनज परबल हो गई और उनहोन बड उतसजह क सजर उन लोगो को इसलजि की दज’ित दनज आरमभ कर मदयज। जो लोग शतर क उकसजए

212हजरत महममदस का पवितर जीिन

हए िहमिद रसलललजह (स.अ.ि.) क दश पर आकरिण करक उस पर मिजय परजपत करन क अमभलजरी र, ि इन लोगो की एकशवरिजदी मशकज स भलज कहज परभजमित होन िजल र। इन लोगो न उनह जयो ही इसलजिी मशकज सनजन कज आरमभ मकयज, मसपजमहयो न चजरो ओर स िनर-बजण सभजल मलए और इन पर बजण-िरजा आरमभ कर दी। जब िसलिजनो न दखज मक हिजर परचजर कज उतर तकक और परिजण परसतत करन क सरजन पर य लोग तो तीर फक रह ह तो ि भजग नही तरज इस सवकडो-हजजरो लोगो की भीड स उनहोन अपन परजण नही बचजए अमपत सच िसलिजनो की भजमत ि पनदरह लोग उन सवकडो सहसो लोगो क िकजबल पर डि गए और सजर क सजर िही िर कर ढर हो गए। रसलललजह (स.अ.ि.) न चजहज मक एक और सनज भजकर उन लोगो को दणड दन की कजयािजही कर मजनहोन ऐसी अतयजचजरपणा कजयािजही की री। इतन ि आपको सचनज परजपत हई मक शतर क लोग जो िहज एकतर हो रह र मततर-मबतर हो गए ह। अतः आपस. न ककछ सिय क मलए इस इरजद को सरमगत कर मदयज।

इसी िधय रसलललजह (स.अ.ि.) न गससजन कबील क सरदजर को जो रिी सरकजर की ओर स बसरज कज अमिकजरी रज यज सिय रि क कसर को पतर मलखज। कदजमचत इस पतर ि उपरोकत घिनज की मशकजयत होगी मक ककछ शजि क कबील इसलजिी कतर पर आकरिण करन की तवयजररयज कर रह ह तरज उनहोन अकजरण पनदरह िसलिजनो कज िि कर मदयज ह। यह पतर अलहरस नजिक एक सहजबी क हजर मभजिजयज गयज रज। िह शजि की ओर जजत हए िौतः नजिक एक सरजन पर ठहर, जहज गससजन कबील कज शरजील नजिक सरदजर जो कसर क मनयकत मकए अमिकजररयो ि स रज उनह मिलज। उसन इनस पछज मक ति कहज जज रह हो? कदजमचत ति िहमिद रसलललजह क सदशिजहक हो? इनहोन कहज— हज ! इस पर उसन इनह मगरफतजर कर मलयज तरज रसससयो स बजि कर पीि-पीि

213 हजरत महममदस का पवितर जीिन

कर उनह िजर डजलज। यदमप इमतहजस ि इसकज मििरण नही मिलतज परनत यह घिनज परकजश डजलती ह मक मजस सनज न इस स पिा पनदरह सहजमबयो कज िि मकयज रज यह वयसकत उस सनज क लीडरो ि स होगज। अतः उस कज यह परशन करनज मक कदजमचत ति िहमिद रसलललजह (स.अ.ि.) क सनदशिजहको ि स हो इस ओर सकत करतज ह मक उस भय रज मक िहमिद रसलललजह कसर क पजस मशकजयत करग मक तमहजर परदश क लोग हिजर परदश क लोगो पर आकरिण करत ह और िह भयभीत होगज मक कदजमचत बजदशजह इसक कजरण हि स पछ-तजछ न कर। अतः उसन अपनज महत इसी ि सिझज मक सदशिजहक कज िि कर द तजमक न सनदश पहच और न कोई छजन-बीन हो परनत अललजह तआलज न इन क बर इरजदो को पणा न होन मदयज। िहमिद रसलललजह (स.अ.ि.) को हरस क िजर जजन की सचनज मकसी न मकसी परकजर पहच ही गई। आपस. न उस पिा घिनज तरज इस घिनज कज दणड दन क मलए तीन हजजर की सनज तवयजर करक जवद मबन हजररस (जो आपस. क आजजद मकए हए दजस र मजनकज आपक िककज क जीिन ि िणान आ चकज ह) क नतति ि शजि की ओर मभजिजयज और आदश मदयज मक जवद मबन हजररस सनज क सनजपमत होग, यमद िह िजर गए तो जज’फर मबन अबी तजमलबरमज. सनजपमत होग और यमद िह िजर गए तो अबदललजह मबन रिजहजरमज. सनजपमत होग और यमद िह भी िजर जजए तो िसलिजन अपन ि स मकसी कज चयन करक अपनज अफसर बनज ल। उस सिय आप की सभज ि एक यहदी बवठज हआ रज। उसन कहज— ह अबकजमसि ! यमद आप सच ह तो य तीनो वयसकत अिशय िजर जजएग कयोमक अललजह तआलज अपन नमबयो क िख स मनकली हई बजतो को परज कर मदयज करतज ह। मफर िह जवद की ओर समबोमित हआ और कहज— ि ति स सच-सच कहतज ह यमद िहमिद रसलललजह (स.अ.ि.) खदज क सच नबी ह तो ति कभी जीमित िजपस नही आओग। जवद न

214हजरत महममदस का पवितर जीिन

उतर ि कहज— ि िजपस आऊ यज न आऊ परनत िहमिद रसलललजह (स.अ.ि.) खदज क सच नबी ह। दसर मदन परजतःकजल इस सनज न कच मकयज और रसल करीि (स.अ.ि.) तरज सहजबज उस छोडन क मलए गए। रसलललजह (स.अ.ि.) क जीिन ि आप क नतति क मबनज इतनी मिशजल सनज मकसी िसलिजन सनजपमत क अिीन मकसी िहतिपणा कजया क मलए नही गई। रसल करीि सललललजहो अलवमह िसललि इस सनज क सजर चलत जजत र और उनह नसीहत करत जजत र। अनततः िदीनज क बजहर उस सरजन पर जज कर जहज स आप न िदीनज ि परिश मकयज रज और मजस सरजन पर सजिजनयतयज िदीन क लोग अपन यजमतरयो को मिदजई मदयज करत र आपस. खड हो गए और कहज— ि तमह अललजह क सयि की नसीहत करतज ह और तमहजर सजर मजतन िसलिजन ह उन स सदवयिहजर करन की। ति अललजह कज नजि लकर यदध पर जजओ तरज तमहजर और खदज क शतर जो शजि ि ह उन स यदध करो। जब ति शजि ि पहचोग तो तमह िहज ऐस लोग मिलग जो उपजसनज सरलो ि बवठ कर खदज कज नजि लत ह ति उन स मकसी परकजर कज झगडज न करनज और न उनह कटि पहचजनज, और न शतर क दश ि मकसी सतरी को िजरनज, और न मकसी अनि को िजरनज, और न मकसी िदध को िजरनज, न कोई िक कजिनज, न कोई इिजरत मगरजनज। रसल करीि (स.अ.ि.) य उपदश दकर िहज स िजपस लौि तरज इसलजिी सनज शजि की ओर कच कर गई। यह पहली सनज री जो इसलजि की ओर स ईसजइयत क िकजबल क मलए मनकली। जब यह सनज शजि की सीिज पर पहची तो उस जञजत हआ मक कसर भी उस ओर अजयज हआ ह और एक लजख रिी सनज उसक सजर ह तरज एक लजख क लगभग अरब क ईसजई कबीलो क मसपजही भी उसक सजर ह। इस पर िसलिजनो न चजहज मक ि िजगा ि डरज डजल द और रसलललजह (स.अ.ि.) को समचत कर तजमक यमद आपस. न कोई अमतररकत सहजयतज भजनी हो तो भज द और यमद

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कोई आदश दनज हो तो उस स समचत कर। जब यह मिचजर-मििशा चल रहज रज मक अबदललजह मबन रिजहजरमज. जोश स खड हो गए और कहज— ह लोगो ! ति अपन घरो स खदज क िजगा ि शहीद होन क मलए मनकल र और मजस कजया क मलए ति मनकल र अब ति उस स घबरज रह हो और हि, लोगो स अपनी सखयज अपनी शसकत, क कजरण तो यदध नही करत रह। हि तो उस ििा की सहजयतज क मलए शतरओ कज सजिनज करत रह ह मजस खदज तआलज न अपनी कपज स हिजर मलए उतजरज ह। यमद शतर सखयज ि अमिक ह तो हआ कर। हि दो शभ किको स एक अिशय परजपत होगज। यज तो हि मिजयी होग यज हि खदज क िजगा ि शहीद हो जजएग। लोगो न उनकी यह बजत सन कर कहज— इबन रिजहजरमज. मबलककल सच कहत ह और तरनत कच करन कज आदश द मदयज गयज। जब ि आग बढ तो रिी सनज उनह अपनी ओर बढती हई मदखजई दी तो िसलिजनो न िौतः क सरजन पर अपनी सनज को पसकतबदध कर मलयज और यदध आरमभ हआ। रोडी ही दर ि जवद मबन हजररसज जो िसलिजनो क सनजपमत र िजर गए। तब इसलजिी सनज कज झणडज जज’फर मबन अबी तजमलब रसल करीि (स.अ.ि.) क चचर भजई न अपन हजर ि ल मलयज और सनज कज नतति सभजल मलयज और जब उनहोन दखज मक शतर की सनज कज दबजि बढतज चलज जजतज ह और िसलिजन अपनी सनज की सखयज की किी क कजरण उनक दबजि को सहन नही कर सकत तो आप जोश स घोड स कद पड और अपन घोड की िजग कजि दी मजसकज अरा यह रज मक कि स कि ि तो इस रणभमि स भजगन क मलए तवयजर नही ह। ि ितय को पसनद करगज परनत िवदजन छोडन को पसनद नही करगज। यह एक अरब की पररज री मक ि घोड की िजग इसमलए कजि दत र तजमक ि मबनज सिजर क इिर-उिर भजग कर सनज ि तबजही न िचजए। रोडी दर की लडजई ि आप कज दजयज बजज कि गयज, तब आप न बजए हजर ि झणडज पकड मलयज। मफर आप

216हजरत महममदस का पवितर जीिन

कज बजयज हजर भी कजिज गयज तो आपन दोनो हजरो क िणडो स झणड को अपन सीन स लगज मलयज और रणभमि ि खड रह, यहज तक मक आप शहीद हो गए तब अबदललजह मबन रिजहज न रसल करीि (स.अ.ि.) क आदश क अनसजर झणड को पकड मलयज तरज िह भी शतर स लडत-लडत िजर गए। उस सिय िसलिजनो क मलए कोई अिसर न रज मक ि मिचजर-मििशा करक मकसी को अपनज सरदजर मनयकत करत। मनकि रज मक शतर की अमिकतज क कजरण िसलिजन िवदजन छोड जजत मक खजमलद मबन िलीद न एक मितर की पररणज पर झणडज पकड मलयज और सजयकजल तक शतर कज िकजबलज करत रह।

दसर मदन मफर खजमलद अपनी रकी हई सनज को लकर शतर कज सजिनज करन क मलए मनकल तरज उनहोन यह होमशयजरी की मक सनज क अगल भजग को पीछ कर मदयज और मपछल भजग को आग कर मदयज तरज दजए को बजए तरज बजए को दजए और इस परकजर जयघोर लगजए मक शतर सिझज मक िसलिजनो को अमतररकत सहजयतज पहच गई ह। इस पर शतर पीछ हि गयज और खजमलद इसलजिी सनज को बचज कर िजपस ल आए।

अललजह तआलज न रसल करीि (स.अ.ि.) को इस घिनज स िहयी (ईशिजणी) क विजरज उसी मदन अिगत कर मदयज और आपस. न घोरणज करक सब िसलिजनो को िससजद ि एकतर मकयज। जब आप िच पर चढ तो आपस. की आखो स आस बह रह र। आप न फरिजयज — ह लोगो ! ि तमह उस यदध पर जजन िजली सनज क बजर ि सचनज दतज ह। िह सनज यहज स जज कर शतर क सजिन खडी हई। यदध आरमभ होत ही पहल जवद शहीद हो गए। अतः ति लोग जवदरमज क मलए दआ करो। मफर झणडज जज’फररमज न ल मलयज और शतर पर आकरिण मकयज, यहज तक मक िह भी शहीद हो गए। अतः ति उनक मलए भी दआ करो, मफर झणडज अबदललजह मबन

-अससीरतल हलमबययह, मजलद-3 पषठ-75

217 हजरत महममदस का पवितर जीिन

रिजहज न मलयज और बडी मनभषीकतज क सजर सनज को लडजयज परनत अनत ि िह भी शहीद हो गए। अतः ति उनक मलए भी दआ करो। मफर झणडज खजमलद मबन िलीद न मलयज। उस िन सनजपमत मनयकत नही मकयज रज परनत उसन सिय ही सिय को सनजपमत मनयकत कर मलयज परनत िह खदज की तलिजरो ि स एक तलिजर ह। अतः िह खदज तआलज की सहजयजतज स इसलजिी सनज को सरमकत िजपस ल आयज। आप क इस भजरण क कजरण खजमलदरमज. कज नजि िसलिजनो ि ‘सवफकललजह’ अरजात खदज की तलिजर परमसदध हो गयज। चमक खजमलदरमज. बहत बजद ि ईिजन लजए र। ककछ सहजबज को िनोमिनोद क तौर पर यज मकसी झगड क अिसर पर किजक कर मदयज करत र। एक बजर मकसी ऐसी ही बजत पर हजरत अबदररहिजन मबन औफरमज. स उनकज मििजद हो गयज, उनहोन रसलललजह (स.अ.ि.) स खजमलदरमज. की मशकजयत की। रसलललजह (स.अ.ि.) न फरिजयज— खजमलद ! ति इस वयसकत को जो मक बदर यदध क सिय स इसलजि की सिज कर रहज ह कयो दःख दत हो। यमद ति उहद पिात क भजर क बरजबर सोनज वयय करो तो खदज तआलज स इसक बरजबर इनजि परजपत नही कर सकत। इस पर खजमलदरमज. न कहज— ह अललजह क रसल ! यह िझ पर किजक करत ह तो मफर ि भी उतर द दतज ह। रसलललजह (स.अ.ि.) न फरिजयज— ति लोग खजमलदरमज. को कटि न मदयज करो, यह अललजह तआलज की तलिजरो ि स एक तलिजर ह जो खदज तआलज न कजमफरो कज मिनजश करन क मलए खीची ह।

यह भमिषयिजणी ककछ ही िरको क पशजत अकरशः परी हई। जब खजमलदरमज. अपनी सनज को िजपस लजए तो िदीन क सहजबजरमज. जो सजर नही गए र उनहोन इस सनज क सवमनको को भगोड कहनज आरमभ मकयज। अमभपरजय यह रज मक तमह िही लड कर िर जजनज चजमहए रज, िजपस नही

-अससीरतल हलमबययह मजलद-2, पषठ-77

218हजरत महममदस का पवितर जीिन

आनज चजमहए परनत रसलललजह (स.अ.ि.) न फरिजयज— य भगोड नही, शतर पर बजर-बजर लौि कर आकरिण करन िजल सवमनक ह। इस परकजर आपस. न उन भजिी यदधो की भमिषयिजणी की जो िसलिजनो को शजि दश क सजर सजिन आन िजल र।

मककला-हवजय िहमिद रसलललजह (स.अ.ि.) रिजजन सन 8 महजी ितजमबक

मदसमबर 629 ई. को इस असनति यदध क मलए रिजनज हए मजस न अरब ि इसलजि की सरजपनज कर दी। यह घिनज इस परकजर हई मक हदवमबयज की समि क अिसर पर यह मनणाय हआ रज मक अरब कबीलो ि स जो चजह िककज िजलो स मिल जजए और जो चजह िहमिद (रसलललजह (स.अ.ि.)) क सजर मिल जजए। मवितीय— दस िरा तक दोनो पको को एक दसर क मिरदध यदध की अनिमत नही होगी मसिजए इसक मक एक पक दसर पर आकरिण करक सिझौतज भग कर द। इस सिझौत क अनतगात अरब कज बन मबकर कबीलज िककज िजलो क सजर मिलज रज और खजजआ कबीलज िहमिद रसलललजह (स.अ.ि.) क सजर। अरब क कजमफर सिझौत की पजबनदी कज कि ही धयजन रखत र मिशरकर िसलिजनो क िकजबल ि। जवसज मक बन मबकर कज बन खजजआ स परजनज झगडज रज। हदवमबयज समि पर ककछ सिय बीत जजन क पशजत उनहोन िककज िजलो स मिचजर मििशा मकयज मक खजजआ तो सिझौत क कजरण मबलककल सनतटि ह। अब अिसर ह मक हि लोग उन स बदलज ल। अतः िककज क करश और बन मबकर न मिलकर रजत क सिय बन खजजआ पर छजपज िजरज और उनक बहत स लोग िजर मदए। जब खजजआ को जञजत हआ मक करश न बन मबकर स मिलकर यह आकरिण मकयज ह तो उनहोन इस सिझौत को तोडन की सचनज दन क मलए चजलीस लोग तीवरगजिी ऊिमनयो पर तरनत

219 हजरत महममदस का पवितर जीिन

िदीनज रिजनज मकए तरज रसलललजह (स.अ.ि.) स िजग की मक परसपर सिझौत की दसटि स अब आप कज कतावय ह मक हिजरज बदलज ल और िककज पर चढजई कर। जब यह दल आपस. क पजस पहचज तो आपस. न फरिजयज— तमहजरज दःख िरज दःख ह। ि अपन सिझौत पर दढ सकलप ह। यह जो बजदल सजिन बरस रहज ह (उस सिय िरजा हो रही री) मजस परकजर इसि स िरजा हो रही ह इसी परकजर शीघर ही तमहजरी सहजयतज क मलए इसलजिी सनजए पहच जजएगी। जब िककज िजलो को इस दल कज जञजन हआ तो ि बहत घबरजए और उनहोन अब सफयजन को िदीनज भजज तजमक िह मकसी परकजर िसलिजनो को आकरिण स रोक। अब सफयजन न िदीनज पहच कर रसलललजह (स.अ.ि.) पर जोर दनज आरमभ मकयज मक चमक हदवमबयज की समि क सिय ि उपससरत न रज, इसमलए नए मसर स सिझौतज मकयज जजए परनत रसल करीि (स.अ.ि.) न इस बजत कज कोई उतर न मदयज कयोमक उतर दन स भद परकि हो जजतज रज। अब सफयजन न मनरजश हो कर घबरजहि ि िससजद ि खड हो कर घोरणज की। ह लोगो ! ि िककज िजलो की ओर स नए मसर स अिन की घोरणज करतज ह। यह बजत सनकर िसलिजन उसकी िखातज पर हस पड तरज रसलललजह (स.अ.ि.) न फरिजयज— अब सफयजन ! यह बजत ति एक पकीय कह रह हो, हि न ति स ऐसज कोई सिझौतज नही मकयज।

रसलललजह (स.अ.ि.) न इसी िधय चजरो ओर क िसलिजन कबीलो की ओर सदशिजहक भज मदए। जब य सचनजए आ गई मक िसलिजन कबील एकतर हो चक ह तरज िककज की ओर जजत हए िजगा ि मिलत जजएग तो आपस. न िदीनज क लोगो को सशसतर होन कज आदश मदयज।

पररि जनिरी 630 ई. को इस सनज न िदीनज स कच मकयज तरज िजगा ि चजरो ओर स िसलिजन कबील आ आ कर सनज ि ससमिमलत होत गए। ककछ ही कोस जजन क पशजत जब इस सनज न फजरजन क जगल ि परिश

220हजरत महममदस का पवितर जीिन

मकयज तो उसकी सखयज सलविजनअ. नबी की भमिषयिजणी क अनसजर दस हजजर तक पहच चकी री। इिर यह सनज िककज की ओर िजचा करती चली जज रही री उिर िककज िजल इस खजिोशी क कजरण जो िजतजिरण पर वयजपत री अमिकजमिक भयभीत होत जजत र। अनत ि उनहोन मिचजर-मििशा करक अब सफयजन को पनः इस बजत पर तवयजर मकयज मक िह िककज स बजहर मनकल कर िजलि तो कर मक िसलिजन कयज करनज चजहत ह। िककज स एक कोस बजहर मनकलन पर ही अब सफयजन न रजत क सिय जगल को आग स परकजमशत पजयज। रसलललजह (स.अ.ि.) न आदश द मदयज रज मक सिसत तमबओ क सजिन आग जलजई जजए। जगल ि दस हजजर लोगो क मलए तमबओ क आग भडकती हई आग एक भयजनक दशय परदमशात कर रही री। अब सफयजन न अपन सजमरयो स पछज— यह कयज ह? कयज आकजश स कोई सनज उतरी ह; कयोमक अरब की मकसी जजमत की सनज इतनी मिशजल नही ह। उसक सजमरयो न मभनन-मभनन कबीलो क नजि मलए, परनत उसन कहज- नही-नही। अरब क कबीलो ि स मकसी की भी सनज इतनी मिशजल कहज हो सकती ह। िह यह बजत कर ही रहज रज मक अनिकजर ि स आिजज आई— अब हनजलज ! (यह अब सफयजन कज उपनजि रज) अब सफयजन न कहज— अबबजस ति यहज कहज? उनहोन उतर मदयज- िहमिद रसलललजह (स.अ.ि.) की सनज सजिन डरज डजल हए ह और यमद ति लोगो न शीघर कोई उपजय नही मकयज तो परजजय और अपिजन तमहजर मलए मबलककल मनसशत ह। चमक अबबजस अब सफयजन क परजन मितर र, इसमलए यह बजत करन क बजद उनहोन अब सफयजन स आगरह मकयज मक िह उनक सजर सिजरी पर बवठ जजए और रसल करीि (स.अ.ि.) की सिज ि उपससरत हो। अतः उनहोन उसकज हजर पकड कर अपन सजर बवठज मलयज और ऊि को एड लगज कर रसल करीि (स.अ.ि.) की सभज ि जज पहच। हजरत अबबजस को भय

221 हजरत महममदस का पवितर जीिन

रज मक हजरत उिररमज. जो उन क सजर पहर पर मनयकत र कही उसकज िि न कर द परनत आपस. पहल स ही आदश द चक र मक यमद अब सफयजन ति ि स मकसी को मिल जजए तो उसकज िि न करनज। यह सजरज दशय अबसफयजन क हदय ि एक िहजन पररितान को जनि द चकज रज। अब सफयजन न दखज मक ककछ ही िरा पिा हि न रसलललजह (स.अ.ि.) को किल एक सजरी क सजर िककज स मनकलन पर मििश कर मदयज रज परनत अभी सजत िरा ही गजर ह मक िह दस हजजर ककददमसयो क सजर िककज पर मबनज अतयजचजर और मबनज जब िवि तौर पर आकरिणकजरी हआ ह और िककज िजलो की शसकत नही मक उस रोक सक। अतः िहमिद रसलललजह (स.अ.ि.) की सभज तक पहचत-पहचत ककछ इन मिचजरो क कजरण और ककछ भय और डर क कजरण अब सफयजन ककछ सतबि सज हो चकज रज रसलललजह (स.अ.ि.) न उस की यह दशज दखी तो हजरत अबबजसरमज. स फरिजयज— मक अब सफयजन को अपन सजर ल जजओ और रजत को अपन पजस रखो। परजतः इस िर पजस लजनज। अतः अब सफयजन रजत को हजरत अबबजस क सजर रहज। जब परजतः उस िहमिद रसलललजह (स.अ.ि.) क पजस लजए तो फज की निजज कज सिय रज। िककज क लोग परजतः उठ कर निजज पढन को कयज जजनत र, उसन इिर-उिर िसलिजनो को पजनी स भर हए लोि लकर आत -जजत दखज और उस मदखजई मदयज मक कोई िज कर रहज ह, कोई निजज क मलए एकतर हो रह लोगो को पसकतबदध कर रहज ह तो अब सफयजन न सिझज मक कदजमचत िर मलए कोई नए परकजर कज दणड परसतजमित हआ ह। अतः उसन घबरजकर हजरत अबबजस स पछज मक य लोग इतनी सबह यह कयज कर रह ह? हजरत अबबजस न कहज— तमह डरन की कोई आिशयकतज नही। य लोग निजज पढन लग ह। ततपशजत अब सफयजन न दखज मक हजजरो लोग िहमिद रसलललजह क पीछ खड हो गए ह और आप जब रक करत ह तो सब

222हजरत महममदस का पवितर जीिन

क सब रक करत ह और जब आप सजदह करत ह तो सब क सब सजदह करत ह। हजरत अबबजस चमक पहर पर होन कजरण निजज ि ससमिमलत नही हए र। अब सफयजन न उस स पछज— अब य कयज कर रह ह? ि दखतज ह मक जो ककछ िहमिद (रसलललजह स.अ.ि.) करत ह िही य लोग भी करन लग जजत ह। अबबजसरमज. न कहज— ति मकन मिचजरो ि पड हो; यह तो निजज पढी जज रही ह परनत यमद िहमिद रसलललजह (स.अ.ि.) इन को आदश द मक खजनज-पीनज छोड दो तो य लोग खजनज-पीनज भी छोड द। अब सफयजन न कहज— िन मकसज बजदशजह कज दरबजर भी दखज ह और कसर कज दरबजर भी दखज ह परनत उनक लोगो को उनकज इतनज आसकत नही दखज मजतनज िहमिद (रसलललजह स.अ.ि.) कज सिदजय उसकज आसकत ह। अब अबबजसरमज. न कहज— कयज यह नही हो सकतज मक ति िहमिद (रसलललजह स.अ.ि.) स सिय यह मनिदन करो मक आपस. अपनी कौि स किज कज वयिहजर कर। जब निजज सिजपत हो चकी तो हजरत अबबजस अब सफयजन को लकर िहमिद रसलललजह (स.अ.ि.) की सिज ि उपससरत हए। आपस. न फरिजयज— अब सफयजन ! कयज अभी सिय नही आयज मक ति पर यह िजसतमिकतज परकि हो जजए मक अललजह क अमतररकत कोई अनय उपजसय नही ? अब सफयजन न कहज— िर िजतज-मपतज आप पर नयोछजिर हो, आप मनतजनत सशील,मनतजनत सभय और पररजनो क सजर दयज-वयिहजर करन िजल वयसकत ह। ि अब यह बजत तो सिझ चकज ह मक यमद खदज क अमतररकत कोई अनय उपजसय होतज तो हिजरी ककछ तो सहजयतज करतज। ततपशजत रसलललजह (स.अ.ि.) न फरिजयज— ह अब सफयजन ! कयज अभी सिय नही आयज मक ति सिझ सको मक ि अललजह कज रसल ह? अब सफयजन न कहज— िर िजतज-मपतज आप पर बमलहजरी, इस बजर ि अभी िर हदय ि ककछ सदह ह परनत अब सफयजन की दमििज क बजिजद उसक दोनो सजरी जो उसक सजर ही

223 हजरत महममदस का पवितर जीिन

िककज स बजहर िसलिजनो की सनज की सचनज लन क मलए आए हए र, मजनि स एक हकीि मबन महजजि र ि िसलिजन हो गए। ततपशजत अब सफयजन न भी इसलजि सिीकजर कर मलयज परनत उसकज हदय कदजमचत िककज-मिजय क पशजत परी तरह सनतटि हआ। ईिजन लजन क बजद हकीि मबन महजजि न कहज— ह अललजह क रसल ! कयज यह सनज आप अपनी जजमत क मिनजश क मलए ल आए ह? रसलललजह (स.अ.ि.) न फरिजयज— इन लोगो न अतयजचजर मकयज, इन लोगो न पजप मकयज और ति लोगो न हदवमबयज ि मकए हए सिझौत को भग मकयज तरज खजजआ क मिरदध अतयजचजरपणा यदध मकयज उस पमितर सरजन पर यदध मकयज मजस खदज न अिन परदजन मकयज हआ रज। हकीि न कहज— ह अललजह क रसल ! मबलककल सतय ह। आप की कौि न मनःसदह ऐसज ही मकयज ह परनत आप को चजमहए रज मक िककज पर आकरिण करन की बजजए हिजजन पर आकरिण करत। आपस. न फरिजयज— िह कौि भी अतयजचजरी ह परनत ि खदज तआलज स आशज करतज ह मक िह िककज पर मिजय और हिजजन की परजजय य सजरी बजत िर ही हजर पर परी करगज। इस क बजद अब सफयजन न कहज— ह अललजह क रसल ! यमद िककज क लोग तलिजर न उठजए तो कयज ि अिन ि होग? आपस. न फरिजयज— हज ! - परतयक वयसकत जो अपन घर कज विजर बनद कर ल उस अिन मदयज जजएगज। हजरत अबबजसरमज. न कहज— ह अललजह क रसल ! अब सफयजन अमभिजनी वयसकत ह। इसकज उदशय यह ह मक िर समिजन कज भी ककछ धयजन रखज जजए। आपस. न फरिजयज— बहत उमचत। - जो वयसकत अब सफयजन क घर ि चलज जजए उस भी अिन मदयज जजएगज। - जो वयसकत हकीि मबन महजजि क घर ि चलज जजए उस भी अिन मदयज जजएगज - जो वयसकत कजबज की िससजद ि परिश कर जजए उस भी अिन मदयज जजएगज। - जो वयसकत अपनज विजरज बनद करक बवठ रह उस भी अिन मदयज

224हजरत महममदस का पवितर जीिन

जजएगज। - जो वयसकत अपन शसतर फक द उस भी अिन मदयज जजएगज। इसक पशजत अब रिीहज (RAVEEHA)रमज. मजनको आपस. न मबलजल हबशी कज भजई बनजयज हआ रज उस क बजर ि आपस. न फरिजयज — हि इस सिय अब रिीहजरमज. को अपनज झणडज दत ह। - जो वयसकत अब रिीहज क झणड क नीच खडज होगज उस भी अिन मदयज जजएग। मबलजलरमज. को कहज ति सजर-सजर यह घोरणज करत जजओ मक जो वयसकत अब रिीहज क झणड क नीच आ जजएगज उस अिन मदयज जजएगज। इस आदश ि एक िहतिपणा रहसय मनमहत रज। िककज क लोग मबलजलरमज.क पवरो ि रससी डजल कर उस गमलयो ि खीचज करत र, िककज की गमलयज, िककज क िवदजन मबलजलरमज. क मलए अिन कज सरजन नही र अमपत परतजडनज, अपिजन और उपहजस क सरजन र। रसलललजह (स.अ.ि.) न सोचज मक आज मबलजलरमज. कज हदय बजर-बजर परमतशोि की ओर जजतज होगज। इस िफजदजर सजरी कज परमतशोि लनज भी मनतजनत आिशयक ह परनत यह भी आिशयक ह मक हिजरज परमतशोि इसलजि की परमतषठज क अनकल हो। अतः आपस. न मबलजलरमज. कज परमतशोि इस परकजर न मलयज मक तलिजर विजरज उसक शतरओ की गदान कजि दी जजए अमपत उसक भजई क हजर ि एक बडज झणडज दकर उस खडज कर मदयज और मबलजलरमज. को इस उदशय क मलए मनयकत कर मदयज मक िह घोरणज कर द मक जो कोई िर भजई क झणड क नीच आ खडज होगज उस अिन मदयज जजएगज। मकतनज शजनदजर परमतशोि रज, कसज सनदर परमतशोि रज जब मबलजलरमज. उच सिर ि यह घोरणज करतज होगज मक ह िककज िजलो ! आओ िर भजई क झणड क नीच खड हो जजओ तमह अिन मदयज जजएगज तो उसकज हदय सिय ही परमतशोि की भजिनजओ स खजली होतज जजतज होगज और उसन िहसस कर मलयज होगज मक जो परमतशोि िहमिद रसलललजह (स.अ.ि.) न िर मलए परसतजमित

-अससीरतल हलमबययह मजलद-3, पषठ-91

225 हजरत महममदस का पवितर जीिन

मकयज ह उस स अमिक शजनदजर और उसस अमिक सनदर परमतशोि िर मलए और कोई नही हो सकतज। जब सनज िककज की ओर अगरसर हई तो रसल करीि (स.अ.ि.) न हजरत अबबजसरमज. को आदश मदयज मक मकसी सडक क कोन पर अब समफयजन और उसक सजमरयो को लकर खड हो जजओ तजमक िह इसलजिी सनज और उसकी िफजदजरी को दख सक। हजरत अबबजसरमज. न ऐसज ही मकयज। अब सफयजन और उसक सजमरयो क सजिन स एक-एक करक अरब क ि कबील गजरन आरमभ हए मजनकी सहजयतज पर िककज भरोसज कर रहज रज परनत ि आज ककफर कज झणडज नही लहरज रह र आज ि इसलजि कज झणडज लहरज रह र तरज उन क िख पर सिा शसकत समपनन खदज क एकशवरिजद की घोरणज री ि िहमिद रसलललजह (स.अ.ि.) क परजण लन क मलए आग नही बढ रह र जवसज मक िककज िजल आशजसनित र अमपत ि िहमिद रसलललजह (स.अ.ि.) क मलए अपन रकत की असनति बद तक बहजन क मलए ततपर र तरज उनकी सिजामिक इचछज यही री मक एक खदज कज एकशवरिजद तरज उसक परचजर को ससजर ि सरजमपत कर द। सनज क बजद सनज गजर रही री मक इतन ि अशजअ कबील की सनज गजरी। इसलजि क परि तरज उसक मलए बमलदजन हो जजन कज जोश उनक चहरो स परकि और उनक उदोरो स सपटि रज। अब सफयजन न कहज— अबबजस य कौन ह? अबबजस न कहज— यह अशजअ कबीलज ह। अब सफयजन न बड आशया स अबबजसरमज. कज िख दखज और कहज— सजर अरब ि िहमिद रसलललजह (स.अ.ि.) कज इनस अमिक कोई शतर नही रज। अबबजसरमज. न कहज— यह खदज की कपज ह, जब उसन चजहज उनक हदयो ि इसलजि कज परि परिश कर गयज। सब स अनत ि िहमिद रसलललजह (स.अ.ि.) िहजमजरो और अनसजर (िदीनज िजल) की सनज मलए हए गजर। य लोग दो हजजर की सखयज ि र और सर स पवर तक किचो आमद ि छप हए र । हजरत

226हजरत महममदस का पवितर जीिन

उिररमज. उन की पसकतयो को ठीक करत जजत र तरज कहत जजत र कदिो को सभजल कर चलो तजमक पसकतयो की दरी ठीक रह। इन इसलजि क परजन परजणपण लोगो कज जोश तरज उन कज सकलप तरज उनकज उतसजह उनक चहरो स िपकज पडतज रज। अब सफयजन न जब उनह दखज तो उस कज हदय दहल गयज। उसन पछज अबबजस य कौन लोग ह? उनहोन कहज— रसलललजह (स.अ.ि.) अनसजर (िदीनज िजसी) और िहजमजरो (िककज क परिजसी) की सनज ि जज रह ह। अब सफयजन न कहज— ससजर ि इस सनज कज सजिनज करन की मकस ि शसकत ह। मफर िह पनः अबबजस स समबोमित होत हए बोलज— अबबजस ! तमहजर भजई कज बिज आज ससजर ि सब स बडज बजदशजह हो गयज ह। अबबजसरमज. न कहज— कयज अब भी तर हदय क नतर नही खल। यह बजदशजहत नही यह तो नबवित ह। अब सफयजन न कहज— हज-हज नबवित ही सही। मजस सिय यह सनज अब सफयजन क सजिन स गजर रही री, अनसजर क सनजपमत सअद मबन उबजदजरमज. न अब सफयजन को दखकर कहज— आज खदज तआलज न हिजर मलए िककज ि परिश करनज तलिजर क बल पर िवि कर मदयज ह। आज करश जजमत अपिजमनत कर दी जजएगी। जब रसलललजह (स.अ.ि.) अब सफयजन क पजस स गजर तो उसन उच सिर ि कहज— ह अललजह क रसल ! कयज आपस. न अपनी जजमत क िि की आजञज द दी ह। अभी-अभी अनसजर क सरदजर सअदरमज. और उनक सजरी ऐसज-ऐसज कह रह र। उनहोन ऊच सिर ि यह कहज ह— आज यदध होगज तरज िककज की पमितरतज आज हि यदध स नही रोक सकगी और करश को हि अपिजमनत करक छोडग। ह अललजह क रसल ! आप तो ससजर ि सिजामिक सदजचजरी, सबस अमिक दयजल अपन पररजनो क सजर सब स अमिक सदवयिहजर करन िजल वयसकत ह। कयज आज अपनी जजमत क अतयजचजरो को भल न जजएग? अब सफयजन की यह मशकजयत और यजचनज सनकर ि िहजमजर

227 हजरत महममदस का पवितर जीिन

(परिजसी) भी मजनह िककज की गमलयो ि पीिज और िजरज जजतज रज, मजनह घरो और जजयदजदो क अमिकजर स परक कर मदयज जजतज रज, तडप गए और उनक हदयो ि भी िककज क लोगो क मलए दयज की भजिनज पवदज हो गई। उनहोन कहज— ह अललजह क रसल ! अनसजर न िककज िजलो क जो अतयजचजरपणा ितजनत सन हए ह आज उन क कजरण हि नही जजनत मक ि करश क सजर कयज वयिहजर कर। आपस. न फरिजयज— अब सफयजन ! सअद न गलत कहज ह। आज दयला करन कला हदन ह। आज अललजह तआलज करश और कजबज को समिजन परदजन करन िजलज ह। मफर आपस. न एक वयसकत को सअदरमज. की ओर मभजिजयज और फरिजयज— अपनज झणडज अपन बि कस को द दो मक िह तमहजर सरजन पर अनसजर की सनज कज सनजपमत होगज। इस परकजर आप न िककज िजलो कज भी मदल रख मलयज और अनसजर क हदयो को भी आघजत पहचन स सरमकत रखज तरज रसल करीि (स.अ.ि.) को कस पर पणा मिशवजस भी रज। कस मनतजनत सजन सिभजि क यिक र, ऐस सजन मक इमतहजस ि उललख ह मक उन क मनिन क मनकि जब ककछ लोग उन क सिजसरय कज हजल पछन क मलए आए और ककछ लोग न आए तो उनहोन अपन मितरो स पछज— कयज कजरण ह मक ककछ िर पररमचत भी हजल पछन नही आए। उनक मितरो न कहज— आप बड दजनशील परर ह। आप परतयक वयसकत को उसक कटि क सिय कजजा द दत ह। नगर क बहत स लोग आप क कजादजर ह ि आप कज हजल पछन क मलए इसमलए नही आए मक कदजमचत आप को आिशयकतज हो और आप उन स रपयज िजग बवठ। आपन कहज— िझ खद ह िर मितरो को अकजरण कटि हआ। िरी ओर स पर नगर ि घोरणज करज दो मक परतयक वयसकत मजस पर कस कज कजजा ह िह उस िजफ ह। इस पर उनकज हजल पछन क मलए इतन अमिक लोग आए मक उनक घर

-अससीरतल हलमबययह मजलद-3, पषठ-93

228हजरत महममदस का पवितर जीिन

की सीमढयज िि गई। जब सनज गजर चकी तो अबबजसरमज. न अब सफयजन स कहज— अब अपनी सिजरी दौडज कर िककज पहचो और उन लोगो को सचनज द दो मक िहमिद रसलललजह (स.अ.ि.) आ गए ह और उनहोन इस-इस रप ि िककज क लोगो को अिन परदजन मकयज ह, जब मक अब सफयजन अपन हदय ि परसनन रज मक िन िककज क लोगो की िसकत कज िजगा मनकजल मलयज ह। उसकी पतनी महनदज न जो इसलजि क परजरमभ स लोगो को इसलजि क मिरदध विर और बवर रखन की मशकज दती चली आई री और कजमफर होन क बजिजद िजसति ि एक बहजदर सतरी री, आग बढकर अपन पमत की दजढी पकड ली और िककज िजलो को आिजज दनज शर मकयज मक आओ इस िदध िखा कज िि कर दो मक बजजए इस क मक तमह यह नसीहत करतज मक जजओ और अपन परजणो और नगर क समिजन क मलए यदध करत हए िजर जजओ। यह ति ि अिन की घोरणज कर रहज ह। अब सफयजन न उस की इस हरकत पर कहज— िखा यह इन बजतो कज सिय नही। जज और अपन घर ि छप जज। ि उस सनज को दख कर आयज ह मजस सनज कज सजिनज करन की शसकत सजर अरब ि नही ह। मफर अब सफयजन न उच सिर ि अिन (शजसनत) की शतको कज िणान करनज आरमभ मकयज और लोग बडी तीवरतज क सजर उन सरजनो और घरो की ओर दौड पड मजनक सबि ि अिन की घोरणज की गई री। किल गयजरह परर और चजर ससतरयज ऐसी री मजनक बजर ि कठोर अतयजचजर पणा िि और उपदरि पणा रप स मसदध हो चक र ि िजनो यदध-अपरजिी र तरज रसल करीि (स.अ.ि.) कज उनक बजर ि आदश रज मक िि कर मदए जजए; कयोमक ि किल ककफर और लडजई क ही दोरी नही अमपत यदध अपरजिी ह।

इस अिसर पर रसल करीि (स.अ.ि.) न खजमलद मबन िलीदरमज.

को बडी सखती स आदश द मदयज रज मक जब तक कोई वयसकत लडजई न कर ति नही लडोग परनत मजस ओर स खजमलदरमज. न नगर ि परिश मकयज

229 हजरत महममदस का पवितर जीिन

उस ओर अभी शजसनत क सनदश की घोरणज नही पहची री। इस कतर की सनज न खजमलदरमज. कज िकजबलज मकयज और चौबीस लोग िजर गए। चमक खजमलदरमज. कज सिभजि बडज जोशीलज रज, मकसी न दौड कर रसलललजह (स.अ.ि.) को सचनज पहचज दी और मिनती की मक खजमलदरमज. को रोकज जजए अनयरज िह सिसत िककज िजलो कज िि कर दगज। आपस. न खजमलदरमज. को तरनत बलिजयज और फरिजयज— कयज िन तमह लडजई स िनज नही मकयज रज? खजमलद न कहज— ह अललजह क रसल ! आप न िनज मकयज रज परनत उन लोगो न पहल हि पर आकरिण मकयज और बजण-िरजा आरमभ कर दी। ि ककछ दर तक रकज और िन कहज— हि ति पर आकरिण करनज नही चजहत, ति ऐसज न करो, परनत जब िन दखज मक य मकसी परकजर भी रकन को तवयजर नही तो मफर िझ उन स लडनज पडज और खदज न उनह चजरो ओर मततर-मबतर कर मदयज। बहरहजल इस छोिी सी घिनज क अमतररकत अनय कोई घिनज नही हई तरज िककज पर िहमिद रसलललजह (स.अ.ि.) कज अमिकजर हो गयज। जब रसलललजह (स.अ.ि.) न िककज ि परिश मकयज तो आपस. स लोगो न पछज— ह अललजह क रसल ! कयज आप आपन घर ि ठहरग? आप न फरिजयज— कयज अकील न (यह आप क चजचज क बि र) हिजर मलए कोई घर छोडज भी ह? अरजात िर परिजस क पशजत िर पररजन िरी सिसत समपमत को बच कर खज चक ह अब िककज ि िर मलए कोई मठकजनज नही। मफर आप न फरिजयज— हि ‘खवफ बनी मकनजनज’ ि ठहरग। यह िककज कज एक िवदजन रज जहज ककरश और मकनजनज कबील न मिलकर कसि खजई री मक जब तक बन हजमशि और बन अबदल-ितमलब िहमिद रसलललजह (स.अ.ि.) को पकड कर हिजर सपदा न कर द और उनकज सजर न छोड द, हि न उन स शजदी-मििजह करग न करय-मिकरय कज िजिलज करग इस सकलप क पशजत रसलललजह सललललजहो अलवमह िसललि और आप क चजचज अब तजमलब

230हजरत महममदस का पवितर जीिन

और आपकी जिजअत क सिसत लोगो न अबतजमलब-घजिी ि शरण ली री तरज तीन िरा क कठोर कटि उठजन क पशजत खदज तआलज न उनह िसकत मदलजई री। िहमिद रसलललजह कज उस खवफ क सरजन कज चयन करनज मकतनज िहतिपणा रज। िककज िजलो न उसी सरजन पर कसि खजई री मक जब तक िहमिद रसलललजह (स.अ.ि.) हिजर सपदा न कर मदए जजए, हि आप क कबील स समि नही करग। आज िहमिद रसलललजह (स.अ.ि.) उसी िवदजन ि जजकर उतर और िककज िजलो स जवस यह कहज मक जहज ति चजहत र ि िहज आ गयज ह परनत बतजओ तो सही— कयज ति ि शसकत ह मक आज िझ अपन अतयजचजरो कज मनशजनज बनज सको, िही सरजन जहज ति िझ मतरसकत और कोप-गरसत अिसरज ि दखनज चजहत र और चजहत र मक िरी जजमत क लोग िझ पकड कर तमहजर सपदा कर द, िहज ि ऐसी अिसरज ि आयज ह मक िरी जजमत ही नही सिसत अरब भी िर सजर ह और िरी जजमत न िझ तमहजर सपदा नही मकयज अमपत िरी जजमत न तमह िर सपदा कर मदयज ह। खदज तआलज की कदरत ह मक यह मदन भी सोििजर कज मदन रज िही मदन मजस मदन िहमिद रसलललजह (स.अ.ि.) गजर सौर (सौर नजिक गफज) स मनकल कर किल अब बकररमज. क सजर िदीनज की ओर महजरत (परिजस) कर गए र, िही मदन मजसि आपन बड दःख क सजर सौर की पहजडी क ऊपर स िककज की ओर दख कर कहज रज— ह िककज ! त िझ ससजर की सिसत बससतयो स अमिक मपरय ह परनत तर लोग िझ यहज रहन नही दत।

िककज ि परिश करत सिय हजरत अब बकररमज. आपस. की ऊिनी की रकजब पकड हए आपस. क सजर बजत भी करत जज रह र और सरह ‘अलफतह’ मजसि ‘िककज-मिजय’ की सचनज दी गई री िह भी पढत जजत र। आपस. सीि कजबज की ओर आए और ऊिनी पर बवठ हए ही सजत बजर कजबज कज तिजफ (पररकरिज) मकयज। उस सिय आपस. क हजर ि एक

231 हजरत महममदस का पवितर जीिन

छडी री। आपस. कजबज क मगदा, मजस हजरत इबजहीिअ. और उनक पतर हजरत इसिजईलअ. न एक खदज की उपजसनज क मलए बनजयज रज और मजस बजद ि उनकी परभरटि सनतजन न िमतायो कज भणडजर बनज कर रख मदयज रज पररकरिज (तिजफ) की तरज ि तीन सौ सजठ िमतायज जो िहज रखी हई री। आप उनि स परतयक पर छडी िजरत जजत र और यह कहत जजत र—

यह िह आयत ह जो महजरत स पिा सरह बनी इसजईल ि आपस. पर उतरी री। मजसि महजरत और मफर िककज-मिजय की सचनज दी गई री। यरोमपयन लखक इस बजत पर सहित ह मक यह महजरत स पहल की सरह ह। इस सरह ि यह िणान मकयज गयज रज मक—

अरजात त कह ह िर रबब ! िझ इस शहर अरजात िककज ि िबजरक तौर पर परिश करजनज अरजात महजरत क पशजत मिजय और परभति परदजन करक तरज इस शहर स ककशलतजपिाक ही मनकजलनज अरजात महजरत क सिय और सिय अपन पजस स िझ परभति और सहजयतज क ससजिन उपलबि करनज। यह भी कहो मक सतय आ गयज और असतय अरजात विवतिजद परजसत होकर पलजयन कर गयज ह तरज असतय अरजात विवतिजद क मलए परजमजत हो कर भजगनज तो हिशज क मलए परजरबि रज। इस भमिषयिजणी क अकरशः पणा होन और हजरत अब बकररमज. क उस आयत को पढत सिय िसलिजनो और कजमफरो क हदयो ि जो भजिनजए पवदज हई होगी ि शबदो ि िणान नही हो सकती। अतः उस मदन इबजहीि कज सरजन पनः एक खदज की उपजसनज क मलए मिशषय कर मदयज गयज और

(बनी इसजईल-81-82)

232हजरत महममदस का पवितर जीिन

िमतायज हिशज क मलए तोडी गई। जब रसल करीि (स.अ.ि.) न ‘हबल नजिक िमता क ऊपर अपनी छडी िजरी और िह अपन सरजन स मगर कर िि गई तो हजरत जबवररमज. न अब सफयजन की ओर िसकरज कर दखज और कहज— अब सफयजन ! सिरण ह जब उहद-यदध क मदन िसलिजन घजिो स मनढजल एक ओर खड हए र ति न अपन अहकजर ि यह घोरणज की — ھبل

عل

ھبل ا

عل

हबल की जय, हबल की ا

जय तरज यह मक हबल न ही तमह उहद क मदन िसलिजनो पर मिजय दी री। आज दखत हो ि सजिन हबल क िकड पड ह। अब सफयजन न कहज— जबवर ! य बजत जजन भी दो। आज हि अचछी तरह मदखजई द रहज ह मक यमद िहमिद रसलललजह क खदज क अमतररकत कोई अनय खदज भी होतज तो आज जो ककछ हि दख रह ह इस परकजर कभी न होतज। ततपशजत आपस. न कजबज क अनदर हजरत इबजहीि क जो मचतर बन हए र उनह मििजन कज आदश मदयज और कजबज ि खदज क िजद पणा होन की कतजञतज ि दो रकअत निजज अदज की। रसलललजह (स.अ.ि.) न कजबज क अनदर बनजए गए मचतरो को मििजन क मलए हजरत उिररमज. को मनयकत मकयज रज, उनहोन इस मिचजर स मक हजरत इबजहीि अलवमहससलजि को तो हि भी नबी िजनत ह, हजरत इबजहीिअ. क मचतर को यरजित रहन मदयज रसलललजह (स.अ.ि.) न जब उस मचतर को यरजित दखज तो फरिजयज— उिर ! ति न यह कयज मकयज? कयज खदज न यह नही फरिजयज मक—

अरजात इबजहीि न यहदी रज न ईसजई अमपत िह खदज तआलज कज पणा आजञजकजरी तरज खदज तआलज की सिसत सतयतजओ को िजनन िजलज तरज खदज कज एकशवरिजदी बनदज रज। अतः आपस. क आदश स यह मचतर भी

(सरह आल इिरजन-68)

233 हजरत महममदस का पवितर जीिन

मििज मदयज गयज। खदज तआलज क चितकजर दख कर उस मदन िसलिजनो क हदय ईिजन स इतन ओत-परोत हो रह र तरज िहमिद रसलललजह की शजन पर उन कज मिशवजस इस परकजर उननमत कर रहज रज मक जब रसल करीि (स.अ.ि.) न जिजि क झरन स (जो इसिजईल पतर इबजहीिअ.

क मलए खदज तआलज न बतौर चितकजर जजरी मकयज रज) पजनी पीन क मलए िगिजयज तरज उसि स ककछ पजनी पी कर शर पजनी स आपस. न िज मकयज तो आप क शरीर स पजनी की कोई बद परिी पर नही मगर सकी मक िसलिजन तरनत उस उचक लत और परसजद क तौर पर अपन शरीर पर िल लत र तरज िमशरक कह रह र मक हि न ससजर ि ऐसज कोई बजदशजह नही दखज मजसक सजर उसक लोगो कज इतनज परि हो। जब आप इन कजिो स मनित हए और िककज िजल अजपकी सिज ि उपससरत मकए गए तो आपस. न फरिजयज— ह िककज क लोगो ! ति न दख मलयज मक खदज तआलज क चितकजर मकस परकजर अकरशः पर हए ह। अब बतजओ मक तमहजर उन अतयजचजरो और उपदरिो कज कयज दणड मदयज जजए जो ति न एक खदज की उपजसनज करन िजल मनिान बनदो पर मकए र। िककज क लोगो न कहज— हि आप स उसी आचरण की आशज रखत ह जो यसफ न अपन भजइयो स मकयज रज। यह खदज की कदरत री मक िककज िजलो क िख स िही शबद मनकल मजनकी भमिषयिजणी खदज तआलज न सरह ‘यसफ’ ि पहल स कर रखी री तरज िककज-मिजय स दस िरा पिा बतज मदयज रज मक त िककज िजलो स िवसज ही वयिहजर करगज जवसज यसफ न अपन भजइयो स मकयज रज। अतः जब िककज िजलो क िख स इस बजत की पसटि हो गई मक रसल करीि (स.अ.ि.) यसफ क परजरप र तरज यसफ क सिजन अललजह तआलज न उनह अपन भजइयो पर मिजय परदजन की री आपस. न भी घोरणज कर दी मक یوم

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खदज की �تकसि आज तमह मकसी परकजर कज दणड नही मदयज जजएगज और न मकसी

234हजरत महममदस का पवितर जीिन

परकजर स डजिज जजएगज। जब रसल करीि (स.अ.ि.) कजबज क दशान स सबमित उपजसनजओ ि वयसत र और अपनी कौि क सजर किज और दयज कज िजिलज कर रह र तो अनसजर क हदय अनदर ही अनदर बवठ जज रह र और ि एक-दसर को सकतो ि कह रह र— कदजमचत आज हि खदज क रसल को अपन स परक कर रह ह; कयोमक उनकज शहर खदज तआलज न उन क हजर पर मिजय कर मदयज ह और उनकज कबीलज उन पर ईिजन ल आयज ह। उस सिय अललजह तआलज न िहमिद रसलललजह (स.अ.ि.) को िहयी (ईशिजणी) क विजरज अनसजर की उन आशकजओ की सचनज द दी। आपस. न सर उठजयज, अनसजर की ओर दखज और फरिजयज- ह अनसजर ! ति सिझत हो मक िहमिद रसलललजह (स.अ.ि.) को अपन शहर कज परि वयजककल करतज होगज तरज अपनी जजमत कज परि उसक हदय को गदगदजतज होगज। अनसजर न कहज— ह अललजह क रसल ! यह सही ह। हिजर हदय ि ऐसज मिचजर पवदज हआ। आपस. न फरिजयज— ति जजनत हो मक िरज नजि कयज ह। ितलब यह मक ि अललजह कज बनदज ह और उसकज रसल कहलजतज ह मफर कस हो सकतज ह मक ति लोगो को मजनहोन इसलजि ििा की दयनीय अिसरज ि अपन परजणो को बमलदजन मकयज छोडकर मकसी अनय सरजन पर चलज जजऊ। पनः फरिजयज— ह अनसजर ! ऐसज कभी नही हो सकतज। ि अललजह कज बनदज और उसकज रसल ह। िन खदज क मलए अपनी िजतभमि को छोडज रज। ततपशजत अब ि अपनी िजतभमि ि िजपस नही आ सकतज, िरज जीिन तमहजर जीिन स ह, िरी ितय तमहजरी ितय स समबदध ह। िदीनज क लोग आपस. की य बजत सनकर तरज आप क परि और आप की िफज को दख कर आस बहजत हए आग बढ और कहज— ह अललजह क रसल ! खदज की कसि हि न खदज और उसक रसल पर बदगिजनी की। िजसतमिकतज यह ह मक हिजर हदय इस बजत को सहन नही कर सक मक खदज कज रसल हि और हिजर

235 हजरत महममदस का पवितर जीिन

शहर को छोड कर कही और चलज जजए। आपस. न फरिजयज— अललजह और उसकज रसल तमह मनदवोर सिझत ह और तमहजरी िफजदजरी की पसटि करत ह। जब िहमिद रसलललजह (स.अ.ि.) और िदीनज क लोगो ि जब य पयजर और िहबबत की बजत हो रही होगी, यमद िककज क लोगो न आस नही बहजए होग तो उन क हदय मनशय ही आस बहज रह होग मक िह बहिलय हीरज मजसस अमिक िलयिजन कोई िसत इस ससजर ि पवदज नही हई, खदज न उनह मदयज रज परनत उनहोन उस अपन घरो स मनकजल कर फक मदयज और अब जब मक िह खदज की कपज और उसकी सहजयतज क सजर दोबजरज िककज ि आयज रज िह अपनज िजदज मनभजन क मलए अपनी सहिमत और अपनी खशी स िककज छोड कर िदीनज िजपस जज रहज ह।

मजन लोगो क बजर ि रसलललजह (स.अ.ि.) न फसलज मकयज रज मक उनकी ककछ अतयजचजरपणा हतयजओ तरज िीभतस अतयजचजरो क कजरण उन कज िि मकयज जजए। उनि स अमिकजश को ककछ िसलिजनो की मसफजररश पर आपस. न छोड मदयज। उनही लोगो ि स अब जहल कज बिज ‘इकररिज’ भी रज। इसकी पतनी हदय स िसलिजन री। उसन रसलललजह (स.अ.ि.) स मिनती की ह अललजह क रसल ! इकररिज को भी किज कर द। आपस. न फरिजयज— हज-हज हि उस किज करत ह। इकररिज भजग कर यिन की ओर जज रहज मक पतनी अपन पमत क परि ि पीछ-पीछ उस की खोज ि गई । जब िह सिदर क ति पर नौकज ि बवठ हए अरब को हिशज क मलए छोडन पर तवयजर र मक पतनी मबखर बजलो और असत-वयसत अिसरज ि घबरजई हई पहची और कहज— ह िर चजचज क बि (अरब ससतरयज अपन पमतयो को चजचज कज बिज कहज करती री) इतन सशील और दयजिजन िनषय को छोड कर कहज जज रह हो। इकररिज न सतबि हो कर अपनी पतनी स पछज— कयज िरी उन सिसत शतरतजओ क पशजत -जरकजनी मजलद-2, तरज अससीरतल हलमबययह मजलद-3 तरज अससीरतननिमबययह, अससीरतलहलमबययह मजलद क हजमशए पर।

236हजरत महममदस का पवितर जीिन

रसलललजह (स.अ.ि.) िझ किज कर दग? इकररिज की पतनी न कहज— हज, हज ! िन उनस िचन ल मलयज ह और उनहोन तमह किज कर मदयज ह। जब िह रसलललजह (स.अ.ि.) क सजिन उपससरत हए तो कहज— ह अललजह क रसल ! िरी पतनी कहती ह मक आप न िझ जवस िनषय को भी किज कर मदयज ह। आप न फरिजयज— तमहजरी पतनी सच कहती ह, हि न तमह किज कर मदयज ह। इकररिज न कहज— जो िनषय इतन कटटर शतरओ को किज कर सकतज ह िह झठज नही हो सकतज। ि गिजही दतज ह मक अललजह एक ह तरज उसकज कोई भजगीदजर नही और ि गिजही दतज ह मक ह िहमिद (स.अ.ि.)! ति उसक बनद और उसक रसल हो और मफर शिा स अपनज सर झकज मलयज। आपस. न उस की लजज की अिसरज को दखकर उसक हदय की सनतसटि क मलए फरिजयज— इकररिज ! हि न तमह किज ही नही मकयज अमपत इसक अमतररकत यह बजत भी ह मक यमद आज ति िझ स कोई ऐसी िसत िजगो मजसक दन की िझ ि सजिरया हो तो ि िह तमह द दगज। इकररिज न कहज— ह अललजह क रसल ! इस स अमिक िरी कयज अमभलजरज हो सकती ह मक आपस. खदज तआलज स यह दआ कर मक िन जो आप स शतरतजए की ह िह िझ किज कर द। िहमिद रसलललजह (स.अ.ि.) न अललजह तआलज को समबोमित करक फरिजयज— ह िर अललजह ! ि सिसत शतरतजए जो इकररिज न िझ स की ह उस किज कर द और ि सिसत गजमलयज जो उसक िख स मनकली ह ि उस िजफ कर द। मफर आपस. उठ और अपनी चजदर उतजर कर उसक ऊपर डजल दी और फरिजयज— जो वयसकत अललजह पर ईिजन लजत हए हिजर पजस आतज ह हिजरज घर उसकज घर ह तरज हिजरज सरजन उसकज सरजन ह।

इकररिज क ईिजन लजन स िह भमिषयिजणी परी हई जो िरको पिा

-अससीरतल हलमबययह, मजलद-3, पषठ-104

237 हजरत महममदस का पवितर जीिन

िहमिद रसलललजह (स.अ.ि.) न अपन सहजबज स बयजन की री मक िन सिपन ि दखज ह मक जवस ि सिगा ि ह। िहज िन अगर कज एक गचछज दखज और लोगो स पछज— यह मकस क मलए ह? तो मकसी उतर दन िजल न कहज— अब जहल क मलए। यह बजत िझ बडी मिमचतर लगी तरज िन कहज— सिगा ि तो िोमिन क अमतररकत और कोई परिश नही कर सकतज मफर सिगा ि अब जहल क मलए अगर कस उपलबि मकए गए ह। जब इकररिज ईिजन लजयज तो आपस. न फरिजयज— िह गचछज इकररिज कज रज। खदज न पतर क सरजन पर मपतज कज नजि परकि मकयज जवसज मक सिपनो ि परजयः हो जजयज करतज ह।

ि लोग मजनकज िि करन कज आदश मदयज गयज रज उनि िह वयसकत भी रज जो रसल करीि (स.अ.ि.) की बिी हजरत जवनबरमज. की ितय कज कजरण हआ रज। उस वयसकत कज नजि महबजर रज। उसन हजरत जवनबरमज. क ऊि की रससी कजि दी री और हजरत जवनबरमज. ऊि स नीच जज पडी री, मजसक कजरण उनकज गभापजत हो गयज और ककछ सिय क पशजत उन कज मनिन हो गयज। अनय अपरजिो क अमतररकत यह अपरजि भी उस दणडनीय बनजतज रज। यह वयसकत भी रसल करीि (स.अ.ि.) की सिज ि उपससरत हआ तरज उसन कहज— ह अललजह क रसल ! ि आपस. स भजग कर ईरजन की ओर चलज गयज रज। मफर िन सोचज मक अललजह तआलज न अपन नबी क विजरज हिजरी विवतिजदी मिचजरिजरज को दर मकयज ह और हि आधयजसतिक ितय स बचजयज ह। ि गवर लोगो ि जजन की बजजए कयो न उसक पजस जजऊ और अपन पजपो कज इकरजर करक उस स किज िजग। रसल करीि (स.अ.ि.) न फरिजयज— महबजर ! जब खदज न तमहजर हदय ि इसलजि कज परि पवदज कर मदयज ह तो ि तमहजर पजपज को कयो न किज कर। जजओ िन तमह किज मकयज। इसलजि न तमहजर पहल सिसत अपरजि मििज मदए ह। यहज इतनी सिजई नही मक ि इस लख को मिसतजरपिाक मलख अनयरज

238हजरत महममदस का पवितर जीिन

उन खतरनजक अपरजमियो ि स मजनह रसलललजह (स.अ.ि.) न सजिजरण बहजनो पर किज कर मदयज। अमिकजश लोगो की घिनजए ऐसी भयजनक तरज रसलललजह (स.अ.ि.) की दयज को दशजान िजली ह मक एक करर हदय िनषय भी उनस परभजमित हए मबनज नही रह सकतज।

हनन कला यदधचमक रसलललजह (स.अ.ि.) कज िककज ि अचजनक परिश हआ

इसमलए िककज स रोडी दरी पर जो कबील रहत र मिशरकर ि जो दमकण की ओर रहत र, उनह िककज पर आकरिण की सचनज उसी सिय हई जब आपस. िककज ि परिश कर चक र। इस सचनज को सनत ही उनहोन अपनी सनजए सगमठत करनज परजरमभ कर मदयज और िहमिद रसलललजह (स.अ.ि.) क िकजबल की तवयजरी करन लग। हिजजन और सकीफ दो अरब कबील सिय को मिशर तौर पर बहजदर सिझत र, उनहोन तरनत परसपर परजिशा करक अपन मलए एक सरदजर कज चयन कर मलयज तरज िजमलक मबन औफ नजिक एक वयसकत को अपनज रईस मनयकत कर मलयज। ततपशजत उनहोन आस-पजस क कबीलो को आिमतरत मकयज मक ि भी आकर उनक सजर ससमिमलत हो जजए। उनही कबीलो ि बन सअद मबन बकर भी र। आप की िजतरी हलीिज भी इसी कबील ि स री और िहमिद रसलललजह (स.अ.ि.) न बजलयकजल की आय इसी कबील ि वयतीत की री। इन लोगो न सगमठत हो कर िककज की ओर परसरजन मकयज तरज उनहोन अपन सजर अपन िजल, अपनी पसतनयो तरज अपनी सनतजनो को भी ल मलयज। जब उन क सरदजरो स पछज गयज मक उनहोन ऐसज कयो मकयज ह? तो उनहोन उतर मदयज— इसमलए तजमक मसपजमहयो को यह धयजन रह मक यमद हि भजग तो हिजरी पसतनयज और हिजरी सनतजन बनिक बनज ली जजएगी तरज हिजर िजल लि मलए जजएग इस स मिमदत होतज ह मक ि िसलिजनो

239 हजरत महममदस का पवितर जीिन

कज मिनजश करन क मलए मकतन दढ सकलप क सजर मनकल र। अनततः यह सनज रौतजस की घजिी ि आकर उतरी जो यदध की आिशयकतजओ को दसटिगत रखत हए मनतजनत उति शरणी की घजिी री; कयोमक उसि शरण क सरजन भी र तरज पशओ क मलए चजरज और िनषयो क मलए पजनी भी उपलबि रज तरज घोड दौडजन क मलए भमि भी बहत उमचत री। जब रसल करीि (स.अ.ि.) को इसकी सचनज मिली तो आपस. न अबदललजह मबन अबी हदरदरमज. नजिक सहजबी को िसत-ससरमत जञजत करन क मलए भजज। अबदललजह न आकर सचनज दी मक िजसति ि उनकी सनज एकतर ह और िह लडन-िरन पर ततपर ह। चमक यह जजमत िनमिादज ि बहत मनपण री। मजस सरजन पर उसन डरज डजलज िह सरजन ऐसज रज मक किल एक सीमित सरजन पर यदध मकयज जज सकतज रज तरज उस सरजन पर भी आकरिणकजरी बडी सफजई क सजर तीरो कज लकय बनतज रज। िहमिद (स.अ.ि.) न िककज क सरदजर सफिजन स जो बहत िनजढय और वयजपजरी र, इस यदध क मलए शसतर और ककछ रपयज िजगज। सफिजन न कहज ह िहमिद (स.अ.ि.) ! कयज आप अपन शजसन क बल पर िरज िन छीननज चजहत ह? आपस. न फरिजयज— नही, हि छीननज नही चजहत अमपत ति स असरजयी तौर पर िजगत ह तरज उसकी जिजनत दन को तवयजर ह। इस पर उसन कहज तब कोई हजमन नही। आप िझ स य िसतए ल ल तरज उसन सौ किच और उनक सजर उमचत शसतर असरजयी तौर पर रसलललजह (स.अ.ि.) को मदए, इसक अमतररकत तीन हजजर रपयज बतौर कजा मदयज। इसी परकजर आप न अपन चजचज क बि नौमफल मबन हजररस स तीन हजजर भजल असरजयी तौर पर मलए। जब यह सनज हिजजन की ओर चली तो िककज िजलो न इचछज परकि की मक यदमप हि िसलिजन नही ह परनत अब चमक इसलजिी शजसन ि ससमिमलत हो चक ह हि भी यदध ि भजग लन कज अिसर परदजन मकयज जजए। अतः आपस. क सजर िककज स दो हजजर

240हजरत महममदस का पवितर जीिन

लोग रिजनज हए िजगा ि अरब कज एक परमसदध दशान-सरल पडतज रज मजस ‘जजत अनिजत’ कहत र। यह एक परजनज बरी कज िक रज मजस अरब क लोग शभ सिझत र और अरब क योदधज जब कोई शसतर खरीदत तो पहल ‘जजत अनिजत’ ि जजकर लिकजत र तजमक उस बरकत परजपत हो जजए। जब सहजबज उसक पजस स गजर तो ककछ लोगो न कहज— ह अललजह क रसल ! हिजर मलए भी आपस. एक जजत अनिजत मनिजाररत कर। आपस. न फरिजयज— अललजह बडज ह। यह तो िही िसजअ. की जजमत िजली बजत हई मक जब ि मकनआन की ओर रिजनज हए तरज उनहोन मकनआन क कबीलो को िमता-पजज करत दखज तो िसजअ. को समबोमित करत हए कहज—

(सरह आ’रजफ- 139)ह िसज ! मजस परकजर इन क उपजसय ह हिजर मलए भी कोई उपजसय

बनज दीमजए। फरिजयज— य तो िखातजपणा बजत ह। ि डरतज ह मक इस परकजर क भरिो क कजरण कही ति ि स भी एक मगरोह ऐसी गमतमिमियो ि मलपत न हो जजए।

हिजजन और उनक सहयोगी कबीलो न एक िोचजा िसलिजनो पर आकरिण करन क मलए बनज रखज रज जवसज मक आजकल यदध क िवदजन ि गपत िोचच होत ह। जब इसलजिी सनज हनवन क सरजन पर पहची तो उनक सजिन छोिी-छोिी िडर बनज कर उन क पीछ बवठ गए और िधय ि िसलिजनो क मलए एक सकीणा िजगा छोड मदयज। अमिकजश सवमनक तो उन िीलो क पीछ छप कर बवठ गए और ककछ सवमनक ऊिो आमद क सजिन पसकतबदध होकर खड हो गए। िसलिजनो न यह सिझ कर मक सनज िही ह जो सजिन खडी ह आग बढ कर उस पर आकरिण कर मदयज। जब िसलिजन कजफी आग बढ चक तरज िोचको ि छप सवमनको न दखज मक हि उमचत परकजर स आकरिण कर सकत ह। अतः आग खडी सनज न सजिन

241 हजरत महममदस का पवितर जीिन

स आकरिण कर मदयज और दोनो ओर स िनिारो न बजण-िरजा आरमभ कर दी। िककज क लोग जो यह सिझ कर ससमिमलत हए र मक आज हि भी िीरतज क जौहर मदखजन कज अिसर परजपत होगज। इस दो तरफज आकरिणो को सहन न कर सक तरज िजपस िककज की ओर भजग। िसलिजन यदमप ऐस कटि सहन करन क अभयसत र परनत जब दो हजजर घोड और ऊि उनकी पसकतयो स बडी तजी स दौडत हए मनकल तो उनक घोड और ऊि भी डर गए और सिसत सनज बडी तीवर गमत स पीछ की ओर दौड पडी। तीन ओर क आकरिण ि किल रसलललजह (स.अ.ि.) और आपस. क सजर बजरह सहजबी खड रह, परनत इस कज तजतपया यह नही मक सिसत सहजबज भजग गए र अमपत सौ क लगभग और लोग भी िवदजन ि खड रह र परनत रसलललजह (स.अ.ि.) स दरी पर र। आपक पजस एक दजान क लगभग लोग रह गए। एक सहजबी कहत ह— ि और िर सजरी बहत जोर लगजत र मक मकसी परकजर हिजरी सिजरी क पश रणभमि की ओर आए परनत दो हजजर ऊिो क भजगन क कजरण ि ऐस मबदक गए र मक हिजर हजर बजघ खीचत-खीचत घजयल हो-हो जजत र परनत ऊि और घोड िजपस लौिन कज नजि नही लत र। कई बजर हि बजघ इतनी जोर स खीचत र मक सिजरी कज सर उसकी पीठ स लग जजतज रज, परनत मफर जब एड दकर हि उस पीछ यदध क िवदजन की ओर िोडत तो िह पीछ लौिन क सरजन पर और भी तजी क सजर आग की ओर भजगतज। हिजरज हदय िडक रहज रज मक पीछ रसलललजह (स.अ.ि.) की कयज दशज होगी, परनत हि मबलककल मििश र। इिर तो सहजबज की यह दशज री और उिर रसलललजह (स.अ.ि.) किल ककछ लोगो क सजर यदध क िवदजन ि खड र। दजए, बजए और सजिन तीनो ओर स तीर बरस रह र तरज पीछ की ओर किल एक तग िजगा रज मजसि एक सिय ि ककछ लोग ही गजर सकत र, परनत मफर भी इस िजगा क अमतररकत बचजि कज कोई िजगा नही रज। उस सिय

242हजरत महममदस का पवितर जीिन

हजरत अब बकररमज न अपनी सिजरी स उतर कर रसल करीि (स.अ.ि.) क खचर की नकल पकड ली और कहज— ह अललजह क रसल ! रोडी दर क मलए पीछ हि आए यहज तक मक इसलजिी सनज सगमठत हो जजए। आपस. न फरिजयज— अब बकर िर खचर की नकल छोड दो और मफर खचर को एड लगजत हए आपन उस तग िजगा पर बढनज आरमभ मकयज मजसक दजए-बजए िोचको ि बवठ हए सवमनक तीर बरसज रह र। फरिजयज—

لبخ عبد الط ل کذب ا�خ ا�ب

�ب الن�خا

ि खदज कज नबी ह, ि झठज नही ह परनत यह भी सिरण रखो मक इस सिय खतर क सरजन पर खड हए भी ि जो शतर क आकरिण स सरमकत ह तो इसकज अरा यह नही मक िर अनदर खदजई कज कोई तति पजयज जजतज ह अमपत ि िजनि ही ह और अबदल ितमलब कज पौतर ह। मफर आपस. न हजरत अबबजसरमज. को मजन की आिजज बहत ऊची री आग बलजयज और कहज— अबबजसरमज. उच सिर ि पकजर कर कहो— ह ि सहजबज ! मजनहोन हदवमबयज क मदन िक क नीच बवअत की री और ह ि लोगो ! जो सरह बकरह क सिय स िसलिजन हो, तमह खदज कज रसल बलजतज ह। हजरत अबबजसरमज. न मनतजनत उच सिर ि जब रसलललजह (स.अ.ि.) कज यह सनदश सनजयज तो उस सिय सहजबजरमज. की जो दशज हई उसकज अनिजन किल उनही क िख स ितजनत सनकर लगजयज जज सकतज ह। िही सहजबी मजनकी िन ऊपर चचजा की ह िह कहत ह मक हि ऊिो और घोडो को िजपस लजन ि परयजसरत र मक अबबजसरमज. कज सिर हिजर कजनो स िकरजयज, उस सिय हि ऐसज लगज मक हि इस ससजर ि नही अमपत परलय क मदन खदज तआलज क सिक उपससरत ह और उसक फररशत हि महसजब दन क मलए बलज रह ह। तब हि ि स ककछ न अपनी तलिजर और ढजल अपन हजरो ि ल ली और ऊिो स कद पड और भयभीत ऊिो को खजली छोड मदयज मक ि मजिर चजह चल जजए और ककछ न अपनी

243 हजरत महममदस का पवितर जीिन

तलिजरो स अपन ऊिो की गदान कजि दी और सिय पवदल रसलललजह (स.अ.ि.) की ओर दौड। िह सहजबी कहत ह मक उस मदन अनसजर रसल करीि (स.अ.ि.) की ओर इस परकजर दौड जज रह र मजस परकजर ऊिमनयज और गजए अपन बच क चीखन की आिजज सनकर उसकी ओर दौड पडती ह तरज रोड ही सिय ि सहजबज और मिशरकर अनसजर रसलललजह (स.अ.ि.) क चजरो ओर एकतर हो गए तरज शतर परजमजत हो गयज।

िहमिद रसलललजह (स.अ.ि.) की पमितर अलौमकक शसकत कज यह चितकजर ह मक िह वयसकत जो ककछ ही मदन पिा आप क परजण कज दशिन रज और आप क िकजबल पर कजमफरो की सनजओ कज नतति मकयज करतज रज अरजात अब सफयजन िह आज हनवन क मदन रसलललजह (स.अ.ि.) क सजर रज। जब कजमफरो क ऊि पीछ की और दौड तो अब सफयजन जो मनतजनत मनपण और दक वयसकत रज उसन यह सिझ कर मक िरज घोडज भी मबदक जजएगज, तरनत अपन घोड स कदज और रसलललजह (स.अ.ि.) क घोड की रकजब पकड हए पवदल आपस. क सजर चल पडज। अब सफयजन कज बयजन ह मक उस सिय नगी तलिजर िर हजर ि री और िझ अललजह ही की सौगनि ह जो हदयो क रहसय जजनतज ह मक ि उस सिय दढ सकलप क सजर िहमिद रसलललजह (स.अ.ि.) क सजर पहल ि खडज रज मक कोई वयसकत िझ िजर मबनज रसलललजह (स.अ.ि.) क पजस नही पहच सकतज रज। उस सिय रसलललजह (स.अ.ि.) िझ आशया क सजर दख रह र। कदजमचत आप सोच रह र मक आज स किल दस-पनदरह मदन पिा यह वयसकत िि करन क मलए अपनी सनज को लकर िककज स मनकलन िजलज रज परनत ककछ ही मदनो ि खदज तआलज न उसक अनदर पररितान पवदज कर मदयज ह मक िककज कज सनजपमत एक सजिजरण मसपजही की हमसयत स िर खचर की रकजब पकड खडज ह और उसकज चहरज बतज रहज ह मक यह आज अपनी ितय स अपन पजपो कज मनिजरण करगज।

244हजरत महममदस का पवितर जीिन

अबबजसरमज. न जब रसलललजह (स.अ.ि.) को आशया स अब सफयजन की ओर दखत हए दखज तो कहज— ह अललजह क रसल ! यह अब सफयजन आप क चजचज कज बिज और आप कज भजई ह आज तो आप इस स परसनन हो जजए। आपस. न फरिजयज— अललजह तआलज इसकी ि सिसत शतरतजए किज कर जो इसन िझ स की ह। अब सफयजन कहत ह उस सिय रसलललजह (स.अ.ि.) िरी ओर समबोमित हए और फरिजयज— ह भजई ! तब िन इस परि पणा समबोिन पर भजि मिभोर होकर परिजिग ि आप क उस पवर को जो खचर की रकजब ि रज चि मलयज।

िककज मिजय क उपरजनत जब रसलललजह (स.अ.ि.) न िह यदध सजिगरी जो आप न असरजयी तौर पर ली री उस क िजमलको को िजपस मकयज और उसक सजर बहत सज इनजि आमद भी मदयज तो हि लोगो न यह िहसस मकयज मक यह वयसकत इस सिय क सजिजनय वयसकतयो क सिजन नही। अतः सफिजन न उसी सिय इसलजि को सिीकजर कर मलयज।

इस यदध की एक और मिमचतर घिनज कज इमतहजस की पसतको ि उललख मिलतज ह। शवबज नजिक एक वयसकत जो िककजमनिजसी र, जो कजबज की सिज क मलए मनयकत र िह कहत ह— ि भी इस यदध ि शजमिल हआ परनत िरी नीयत यह री मक मजस सिय सनजए परसपर मभडगी तो ि अिसर पजकर रसलललजह (स.अ.ि.) कज िि कर दगज तरज िन सोचज मक अरब और गवर अरब तो अलग रह यमद सिसत ससजर भी िहमिद (रसलललजह (स.अ.ि.)) क ििा ि परिश कर गयज तो भी ि इसलजि ि परिश नही करगज। जब यदध तीवर हआ और इिर क लोग उिर क लोगो ि मिल गए तो िन तलिजर खीची तरज रसल करीि (स.अ.ि.) क सिीप होनज आरमभ मकयज। उस सिय िझ परतीत हआ मक िर और आपस. क िधय आग कज एक शोलज उठ रहज ह जो मनकि ह मक िझ भसि कर द। उस सिय िझ रसलललजह (स.अ.ि.) की आिजज सनजई

245 हजरत महममदस का पवितर जीिन

दी मक शवबज ! िर सिीप आ जजओ ि जब आप क सिीप गयज, आप न िर सीन पर हजर फरज और कहज— ह अललजह ! शवबज को शवतजनी मिचजरो स िसकत परदजन कर। शवबज कहत ह मक रसलललजह (स.अ.ि.) क हजर फरन क सजर ही िर हदय स सिसत शतरतजए और िवर जजत रह। उस सिय स रसलललजह (स.अ.ि.) िझ अपनी आखो स, अपन कजनो स और अपन हदय स अमिक मपरय हो गए। मफर आपस. न फरिजयज— शवबज आग बढो और लडो। तब ि आग बढज और उस सिय िर हदय ि इसक अमतररकत कोई इचछज नही री मक ि अपन परजण बमलदजन करक रसलललजह (स.अ.ि.) की रकज कर। यमद उस सिय िरज मपतज जीमित होतज और िर सजिन आ जजतज तो ि अपनी तलिजर उसक सीन ि उतजर दन ि कण भर क मलए भी सकोच न करतज।

इसक बजद आपस. न तजयफ की ओर कच मकयज। िही शहर मजस क मनिजमसयो न पररजि करत हए िहमिद रसलललजह (स.अ.ि.) को अपन शहर स मनकजल मदयज रज। उस शहर की आप न ककछ सिय तक घरजबनदी की परनत मफर ककछ लोगो क परजिशा पर मक इनकी घरजबनदी करक सिय नटि करन की आिशयकतज नही। समपणा अरब ि अब किल यह शहर कर ही कयज सकतज ह, आप घरजबनदी छोडकर चल आए तरज ककछ सिय क पशजत तजयफ क लोग भी िसलिजन हो गए।

मककला की हवजय और हनन-यदध क पशलातइन यदधो स मनित होन क पशजत िह िन-दौलत जो परजमजत

शतरओ क जिजानो तरज रणभमि ि छोडी हई िसतओ आमद स एकतर हई री। शरीअत क आदशजनसजर रसलललजह (स.अ.ि.) को इसलजिी सनज ि मितररत करनज रज परनत इस अिसर पर आप न इन िजलो को िसलिजनो ि बजिन की बजजए िककज और आस-पजस क लोगो ि बजि मदयज। इन

246हजरत महममदस का पवितर जीिन

लोगो क अनदर अभी ईिजन तो पवदज नही हआ रज बहत स तो अभी कजमफर ही र ि भी नए-नए िसलिजन हए र। यह उनक मलए मबलककल नई बजत री मक जजमत अपनज िजल दसर लोगो ि बजि रही ह। इस िजल क मितरण स उनक हदय ि नकी और सयि पवदज होन की बजजए लजलसज और अमिक बढ गई। उनहोन रसलललजह (स.अ.ि.) क चजरो ओर जिघि लगज मलयज तरज अमतररकत िजगो क सजर आपस. को तग करन लग, यहज तक मक ि ढकलत हए आप को एक िक तक ल गए और एक वयसकत न तो आप की चजदर जो आप क किो पर रखी हई री पकड कर इस परकजर िरोडनज शर मकयज मक आप की सजस रकन लगी। आपस. न फरिजयज— ह लोगो ! यमद िर पजस ककछ और होतज तो ि िह भी तमह द दतज, ति िझ कभी कजस और सककमचत हदय िजलज नही पजओग। मफर आप अपनी ऊिनी क पजस गए और उसकज एक बजल तोडज और उस ऊचज करत हए फरिजयज— िझ तमहजर बजलो ि स इस बजल क बरजबर भी आिशयकतज नही उस पजचि भजग क अमतररकत जो अरब क मनयिजनसजर सरकजर कज भजग ह और िह पजचिज भजग भी ि सिय पर खचा नही करतज अमपत िह तमही लोगो क कजयको पर वयय मकयज जजतज ह। सिरण रखो अिजनत ि बईिजनी करन िजलज िनषय परलय क मदन खदज क सजिन उस बईिजनी क कजरण अपिजमनत होगज।

लोग कहत ह मक रसलललजह (स.अ.ि.) बजदशजहत क अमभलजरी र। कयज बजदशजहो और जनसजिजनय कज ऐसज ही सबि हआ करतज ह? कयज मकसी ि शसकत होती ह मक बजदशजह को इस परकजर ढकलतज हआ ल जजए और उसक गल ि पिकज डजल कर उसकज गलज घोि। अललजह क रसलो क अमतररकत यह आदशा कौन परदमशात कर सकतज ह। परनत सिसत िजलो को गरीबो ि इस परकजर बजिन क बजिजद मफर भी ऐस करर

-अससीरतलहलमबययह, मजलद-3, पषठ-135

247 हजरत महममदस का पवितर जीिन

लोग िवजद र जो आपस. क इस िजल-मितरण को नयजयसगत नही सिझत र। अतः जलखिवसरज नजिक एक वयसकत रसलललजह (स.अ.ि.) क पजस आयज और उस न कहज— ह िहमिद (स.अ.ि.) जो ककछ आप न आज मकयज ह िह िन दखज ह। आपस. न फरिजयज— ति न कयज दखज ह? उसन आज कहज— िन यह दखज मक आपस. न आज अनयजय मकयज ह तरज नयजय स कजि नही मलयज। आपन फरिजयज— ति पर खद ! यमद िन नयजय नही मकयज तो मफर ससजर ि और कौन िनषय नयजय करगज। उस सिय सहजबज जोश ि खड हो गए और जब यह वयसकत िससजद स उठ कर गयज तो उन ि स ककछ न कहज— ह अललजह क रसल ! यह वयसकत िि करन योगय ह कयज अजप हि आजञज दत ह मक हि इस कज िि कर द। आप न फरिजयज— यमद यह वयसकत कजनन की पजबनदी करतज ह तो हि उस मकस परकजर िजर सकत ह सहजबज न कहज ह अललजह क रसल ! एक वयसकत परकि ककछ और करतज ह तरज उसक हदय ि ककछ और होतज ह। कयज ऐसज वयसकत दणड कज पजतर नही? आपस. न फरिजयज— िझ खदज न यह आदश नही मदयज मक ि लोगो स उन क हदय क मिचजरो क अनसजर वयिहजर कर, िझ तो यह आदश मदयज गयज ह मक ि लोगो स उनक परतयक को दसटिगत रखत हए मनणाय कर। मफर आप न फरिजयज— यह और इसक सजरी एक मदन इसलजि स मिदरोह करग। अतः हजरत अली क मखलजफत-कजल ि यह वयसकत और इसक कबील क लोग उन मिदरजमहयो क सरदजर र मजनहोन हजरत अलीरमज. स मिदरोह मकयज तरज आज तक ‘खिजररज’ क नजि स परमसदध ह।

हिजजन स मनित हो कर आपस. िदीनज चल गए। िदीनज िजलो क मलए मफर एक नयज खशी कज मदन रज। एक बजर खदज क रसल न िककज िजलो क अतयजचजरो स मििश होकर िदीनज की ओर परसरजन मकयज रज और आज खदज कज रसल िककज-मिजय क पशजत अपनी खशी स और अपनज िचन मनभजन क मलए पनः िदीनज ि परिश कर रहज रज।

248हजरत महममदस का पवितर जीिन

तबक कला यदधजब रसलललजह (स.अ.ि.) न िककज-मिजय मकयज तो अब-आमिर

िदनी जो खजरज कबील ि स रज तरज यहद और ईसजइयो स िल-मिलजप क कजरण खदज की सतमत और मकसी जप करन कज अभयसत रज, मजसक कजरण लोग उस रजमहब (ईसजई सनयजसी) कहत र, परनत ििा की दसटि स िह ईसजई नही रज। यह वयसकत आपस. क िदीनज पहचन क बजद िककज की ओर भजग गयज रज, जब िककज भी मिजय हो गयज तो यह सोचन लगज मक अब िझ इसलजि क मिरदध उपदरि पवदज करन क मलए कोई अनय उपजय करनज चजमहए। अनततः उसन अपनज नजि और अपनी जीिन-पदधमत पररिमतात कर ली तरज िदीनज क पजस कबज नजिक गजि ि जजकर रहन लगज। िरको बजहर रहन क कजरण तरज ककछ रप और िर भरज-पररितान क कजरण िदीनज क लोग उस सजिजनय तौर पर न पहचजन सक। किल िही िनजमफक (कपिी) लोग उस जजनत र मजन क सजर उसन अपन सबि बनज मलए र। उसन िदीनज क िनजमफको क सजर मिल कर यह योजनज बनजई मक ि शजि दश ि जजकर ईसजई सरकजर और अरब क ईसजई कबीलो को भडकजतज ह और उनह िदीनज पर आकरिण करन क मलए परररत करतज ह। इिर ति यह बजत फलज दो मक शजि की सनजए िदीनज पर आकरिण करन आ रही ह। यमद िरी योजनज सफल हो गई तो मफर भी इन दोनो की िठभड हो जजएगी और यमद िरी योजनज असफल रही तो इन अफिजहो क कजरण िसलिजन शजयद शजि पर सिय आकरिण कर द और इस परकजर कसर की सरकजर और उनि लडजई आरमभ हो जजएगी और हिजरज कजि बन जजएगज। अतः यह पररणज द कर यह वयसकत शजि की ओर कच कर गयज। िदीनज क िनजमफको न िदीनज ि परमतमदन ऐसी अफिजह फलजनज शर कर दी मक हि अिक दल मिलज रज, उसन बतजयज मक शजि

249 हजरत महममदस का पवितर जीिन

की सनज िदीनज पर आकरिण करन की तवयजरी कर रही ह। दसर मदन पनः कह दत र मक अिक-अिक कजमफल क लोग हि मिल र उनहोन कहज रज मक शजि की सनज िदीनज पर चढजई करन िजली ह। यह सिजचजर इतनी तीवरतज स फल मक रसलललजह सललललजहो अलवमह िसललि न उमचत सिझज मक आपस. इसलजिी सनज लकर सिय शजि की सनजओ क िकजबल क मलए जजए। यह सिय िसलिजनो क मलए मनतजनत कटिदजयक रज। दमभाक कज िरा रज। गत िौसि ि अनजज और फल की फसल बहत कि हई री तरज इस िौसि की फसल अभी पवदज नही हई री। मसतमबर यज अकिबर कज परजरमभ रज जब आप इस सगरजि क मलए मनकल। िनजमफक तो जजनत र मक यह सब छल ह और यह सिसत छल इसमलए मकयज ह मक यमद शजि की सनज आकरिणकजरी न हई तो िसलिजन सिय शजिी सनज स जज मभड और इस परकजर तबजह हो जजए। िौतज-यदध की पररससरमतयज उनक सजिन री। उस सिय िसलिजनो को इतनी मिशजल सनज कज सजिनज करनज पडज रज मक ि बहत ककछ हजमन उठजकर बडी कमठनजई स बच र। अब ि एक दसरज ‘िौतज’ अपनी आखो स दखनज चजहत र मजसि सिय रसलललजह (स.अ.ि.) नऊजमबललजह शहीद हो जजए। इसमलए एक ओर तो िनजमफक परमतमदन य सिजचजर फलज रह र मक अिक िजधयि स जञजन हआ ह मक शजि की सनजए आ रही ह और दसरी ओर लोगो को भयभीत कर रह र मक इतनी मिशजल सनज कज िकजबलज आसजन नही। तमह यदध क मलए नही जजनज चजमहए। इन कजयािजमहयो स उनकज उदशय यह रज मक िसलिजन शजि पर आकरिण करन क मलए जजए तो सही परनत जहज-जहज तक सभि हो कि स कि सखयज ि जजए तजमक उनकी परजजय और अमिक मनसशत हो जजए परनत िसलिजन रसलललजह (स.अ.ि.) की इस घोरणज पर मक हि शजि की ओर जजन िजल ह िफजदजरी और जोश स अगरसर होकर करबजमनयज द रह र। मनिान िसलिजनो क पजस यदध सजिगरी

250हजरत महममदस का पवितर जीिन

री कहज? सरकजरी खजजनज भी खजली रज। उनक सिमदधशजली भजई ही उनकी सहजयतज क मलए आ सकत र। अतः परतयक वयसकत कबजानी ि परसपर परमतसपिजा कर रहज रज। हजरत उसिजनरमज. न उस मदन अपन िन कज अमिकजश भजग रसलललजह सललललजहो अलवमह िसललि की सिज ि परसतत कर मदयज जो एक हजजर सिणा दीनजर रज अरजात पचीस हजजर रपए। इसी परकजर अनय सहजबज न अपनी-अपनी सजिरया क अनसजर अनदजन मदए और गरीब िसलिजनो क मलए सिजररयज यज तलिजर यज बछच उपलबि मकए गए। सहजबज ि कबजानी कज इतनज जोश रज मक यिन क ककछ लोग जो िसलिजन होकर महजरत करक िदीनज आए र और बहत ही दीन अिसरज ि र उनक ककछ लोग आपस. की सिज ि उपससरत हए और कहज— ह अललजह क रसल ! हि भी अपन सजर ल चमलए हि ककछ और नही चजहत, हि किल यह चजहत ह मक हि िहज तक पहचन कज सजिजन मिल जजए। कआान करीि ि इन लोगो कज िणान इन शबदो ि आतज ह—

(सरह तौबज-92)अरजात इस यदध ि भजग न लन कज उन लोगो पर कोई पजप नही जो

तर पजस इसमलए आत ह मक त उनक मलए ऐसज सजिजन उपलबि कर द मक मजसक विजरज ि िहज पहच सक परनत त न उन स कहज मक िर पजस तो तमह िहज पहचजन कज कोई सजिजन नही तब ि तरी सभज स उठ कर चल गए इस अिसरज ि मक इस खद स उनकी आखो स आस जजरी र मक खद मक उनक पजस कोई िन नही मजस वयय करक आज ि इसलजि की सिज कर सक। अब िसज इन लोगो क सरदजर र। जब उन स पछज गयज मक आप न इस सिय रसलललजह (स.अ.ि.) स कयज िजगज रज? तो

251 हजरत महममदस का पवितर जीिन

उनहोन कहज— खदज की कसि ! हिन ऊि नही िजग, हिन घोड नही िजग, हिन किल यह कहज रज मक हि नग पवर ह और इतनी यजतरज पवदल नही कर सकत। यमद हि किल जतो क जोड मिल जजए तो हि जत पहन कर ही भजगत हए अपन भजइयो क सजर इस यदध ि भजग लन क मलए पहच जजएग। चमक सनज को शजि की ओर जजनज रज तरज िौतज-यदध कज दशय िसलिजनो की आखो क सजिन रज। इसमलए परतयक िसलिजन क हदय ि रसलललजह (स.अ.ि.) क परजणो की रकज कज मिचजर सब मिचजरो पर परिख रज। ससतरयज तक भी इस खतर को िहसस कर रही री और अपन पमतयो तरज अपन बिो को यदध पर जजन की नसीहत कर रही री। िह िफजदजरी और जोश कज अनिजन इस परकजर लगजयज जज सकतज ह मक एक सहजबी जो मकसी कजया क मलए बजहर गए हए र उस सिय िजपस लौि जब रसलललजह (स.अ.ि.) सनज-समहत िदीनज स परसरजन कर चक र। एक लमब सिय क मियोग क पशजत जब उनहोन इस मिचजर स अपन घर ि परिश मकयज मक अपनी मपरय पतनी को जजकर दखग और परसनन होग। उनहोन अपनी पतनी को घर क आगन ि बवठ दखज, बड परि स गल लगजन और पयजर करन क मलए शीघरतज स उनकी ओर आग बढ। जब िह अपनी पतनी क मनकि गए तो पतनी न दोनो हजरो स िककज दकर पीछ हिज मदयज। उस सहजबी न आशया स अपनी पतनी कज िह दखज और पछज इतन सिय क पशजत मिलन पर ऐसज वयिहजर कयो? पतनी न कहज— कयज तमह शिा नही आती खदज कज रसल उस खतर क सरजन पर जज रहज ह और ति अपनी पतनी स परि करन क मलए आ रह हो। पहल जजओ अपनज कतावय परज करो, य बजत उसक बजद दखी जजएगी। िह सहजबी तरनत घर स बजहर मनकल गए, अपनी सिजरी पर कजठी कसी और रसलललजह (स.अ.ि.) स तीन कोस पर जज कर मिल गए।

कजमफर तो यह सिझत र मक रसलललजह (स.अ.ि.) इन अफिजहो

252हजरत महममदस का पवितर जीिन

क आिजर पर मबनज सोच-सिझ शजि की सनजओ पर आकरिण कर दग, परनत आपस. तो इसलजिी आचरणो की पजबनदी करन िजल र। जब आप शजि दश क मनकि ‘तबक’ क सरजन पर पहच तो आप न इिर-उिर लोगो को भजज तजमक पतज लगजए मक िसत ससरमत कयज ह। य दत सिासमिमत स यह सिजचजर लजए मक कोई शजिी सनज इस सिय एकतर नही हो रही। इस पर आपस. िहज ककछ मदन ठहर तरज आस-पजस क ककछ कबीलो स सिझौत करक मबनज मकसी यदध क िजपस आ गए।

आप की यह यजतरज दो-ढजई िजह की री। जब िदीनज क िनजमफको को िजलि हआ मक यदध आमद तो ककछ नही हआ और आपस. ककशलतजपिाक आ रह ह तो ि सिझ गए मक हिजर छल-कपि स पररपणा रडयतरो कज भद अब िहमिद रसलललजह (स.अ.ि.) पर परकि हो गयज ह और कदजमचत अब हि दणड स नही बच सकग। तब उनहोन िदीनज स ककछ दरी पर ककछ लोग एक ऐस िजगा पर बवठज मदए जो बहत तग रज, मजस पर किल एक सिजर गजर सकतज रज। जब आपस. उस सरजन क सिीप पहच तो आपस.

को अललजह तआलज न िहयी क विजरज बतज मदयज मक आग शतर िजगा क दोनो ओर छपज बवठज ह। आपस. न एक सहजबी को आदश मदयज— जजओ और िहज जजकर दखो। िह सिजरी को तजी क सजर चलज कर िहज पहच तो उनहोन िहज ककछ लोग छप हए दख जो इस परकजर छप बवठ र जवसज मक आकरिणकजरी बवठज करत ह। इन क पहचन पर ि िहज स भजग गए, परनत रसल करीि (स.अ.ि.) को उन कज पीछज करनज उमचत िजलि न हआ। जब आपस. िदीनज पहच तो िनजमफको न जो इस यदध ि ससमिमलत नही हए र तरह-तरह क बहजन बनजन लग तरज आपन उनह सिीकजर कर मलयज परनत अब सिय आ गयज रज मक िसलिजनो पर िनजमफको

253 हजरत महममदस का पवितर जीिन

की िजसतमिकतज परकि कर दी जजए। अतः रसल करीि (स.अ.ि.) को खदज तआलज न िहयी क विजरज आदश मदयज मक ‘कबज’ की िह िससजद जो िनमफको न इसमलए बनजई री मक निजज क बहजन स िहज, एकतर हआ करग और छल-कपि पणा मिचजर-मििशा मकयज करग। िह मगरज दी जजए और उनह बजधय मकयज जजए मक ि िसलिजनो की दसरी िससजदो ि निजज पढज कर परनत इतन बड रडयतर क बजिजद उनह कोई शजरीररक यज आमराक दणड न मदयज गयज।

तबक स िजपसी क पशजत तजयफ क लोगो न भी आकर आप कज आजञजपजलन सिीकजर कर मलयज। ततपशजत अरब क मिमभनन कबीलो न परक-परक आकर इसलजिी सरकजर ि परिश करन की आजञज चजही और रोड ही सिय ि समपणा अरब पर इसलजिी झणडज लहरजन लगज।

हजतल वदलाअ तथिला हजरत महममद सलललललाहो अलहह वसललम कला खतबला (भजरण)

महजरत क नौि िरा ि आप न िककज ि जजकर हज मकयज और उस मदन आप पर कआान करीि की यह परमसदध आयजत उतरी मक—

अरजात आज िन तमहजर ििा को तमहजर मलए पणा कर मदयज ह और मजतन आधयजसतिक इनजि खदज तआलज की ओर स बनदो पर हो सकत ह ि सब िन तमहजरी उमित को परदजन कर मदए ह और इस बजत कज मनणाय कर मदयज ह मक तमहजरज ििा शदध रप स खदज की आजञजकजररतज पर आिजररत हो।

यह आयत आप न िजदमलफज क िवदजन ि जब लोग हज क मलए

(सरह िजइदह-4)

254हजरत महममदस का पवितर जीिन

एकतर होत ह सब लोगो क सजिन उच सिर ि पढ कर सनजई। िजदमलफज स लौिन पर हज क मनयिो क अनसजर आप मिनज ि ठहर और गयजरहिी जलहज को आपन सिसत िसलिजनो क सजिन खड होकर एक भजरण मदयज, मजसकज मिरय यह रज—

ह लोगो ! िरी बजत को ठीक परकजर स सनो कयोमक ि नही जजनतज मक इस िरा क पशजत ि ति लोगो क िधय कभी भी इस िवदजन ि खड होकर कोई भजरण दगज। तमहजर परजणो और तमहजरी िन-समपमतयो को खदज तआलज न एक-दसर क आकरिण स परलय क मदन तक क मलए सरमकत कर मदयज ह। खदज तआलज न परतयक वयसकत क मलए पवतक समपमत ि उस कज भजग मनिजाररत कर मदयज ह। कोई ऐसी िसीयत िवि नही जो दसर उतरजमिकजरी क अमिकजर को हजमन पहचजए, जो बचज मजसक घर ि पवदज होगज िह उसकज सिझज जजएगज और यमद दरजचजर क कजरण उस बच कज दजिज करगज तो िह सिय शरीअत क दणड कज पजतर होगज, जो वयसकत मकसी क मपतज की ओर सिय को समबदध करतज ह यज मकसी को झठ तौर पर अपनज सिजिी बतजतज ह, खदज और उसक फररशतो तरज उस पर सभी लोगो की लज’नत ह। ह लोगो ! तमहजर ककछ अमिकजर तमहजरी पसतनयो पर ह तरज तमहजरी पसतनयो क ककछ अमिकजर ति पर ह। उन पर तमहजरज अमिकजर यह ह मक ि सतीति कज जीिन वयतीत कर और ऐसी अिितज कज ढग िजरण न कर मजस स पमतयो कज लोगो क िधय अपिजन हो। यमद ि ऐसज कर तो ति (जवसज मक कआान करीि कज मनदचश ह मक मनय-िजनसजर छजन-बीन और अदजलत क मनणाय क पशजत ऐसज मकयज जज सकतज ह) उनह दणड द सकत हो परनत इसि भी कठोरतज न करनज परनत यमद ि ऐसज कजया नही करती जो खजनदजन और

255 हजरत महममदस का पवितर जीिन

पमत क समिजन को बटटज लगजन िजलज हो तो तमहजरज कजि ह मक ति अपनी परमतषठज क अनसजर उन क भोजन और मलबजस आमद कज परबनि करो और सिरण रखो मक अपनी पसतनयो स सदवि सदवयिहजर करनज; कयोमक खदज तआलज न उन की दखभजल कज दजमयति तमह मदयज ह, सतरी एक किजोर हसती होती ह, िह अपन अमिकजरो की सिय रकज नही कर सकती। जब ति न उन स मििजह मकयज तो खदज तआलज को उनक अमिकजरो कज परमतभ (जजमिन) बनजयज रज और खदज तआलज क कजनन क अनसजर ति उनह अपन घरो ि लजए र। (अतः खदज तआलज की जिजनत कज मतरसकजर न करनज और ससतरयो क अमिकजरो को अदज करन कज सदवि धयजन रखनज) ह लोगो ! तमहजर हजरो ि अभी ककछ यदध ि बनदी बनजए हए लोग भी शर ह। ि तमह उपदश दतज ह मक उनह िही मखलजनज जो ति सिय खजत हो और िही पहनजनज जो ति सिय पहनत हो। यमद उन स कोई ऐसज अपरजि हो जजए जो ति किज नही कर सकत तो उनह मकसी अनय को बच दो कयोमक ि खदज क बनद ह, उनह कटि दनज मकसी भी अिसरज ि उमचत नही, ह लोगो ! ि ति स जो ककछ कहतज ह सनो और अचछी तरह सिरण रखो— परतयक िसलिजन दसर िसलिजन कज भजई ह, ति सब एक ही शरणी क हो ति लोग चजह मकसी जजमत यज मकसी भी परमतषठज क हो िनषय होन की दसटि स एक ही शरणी रखत हो यज यह कहत हए आप न अपन दोनो हजर उठजए और दोनो हजरो की उगमलयज मिलज दी और कहज— मजस परकजर दोनो हजरो की उगमलयज आपस ि बरजबर ह इसी परकजर ति सिसत िजनि आपस ि सिजन हो। तमह एक दसर पर शरषठतज और परमतषठज परकि करन कज कोई अमिकजर नही। ति आपस ि भजइयो की तरह हो। पनः

256हजरत महममदस का पवितर जीिन

फरिजयज— कयज तमह जञजत ह आज कौन सज िहीनज ह ? कयज तमह जञजत ह यह कतर कौन सज ह? कयज तमह जञजत ह यह मदन कौन सज ह? लोगो न कहज— हज ! यह पमितर िहीनज ह, यह पमितर कतर ह तरज यह हज कज मदन ह। परतयक उतर पर रसलललजह (स.अ-.ि.) फरिजत र— मजस परकजर यह िहीनज पमितर ह, मजस परकजर यह कतर पमितर ह, मजस परकजर यह मदन पमितर ह, उसी परकजर अललजह तआलज न परतयक िनषय की जजन (परजण) और िजल को पमितर ठहरजयज ह तरज मकसी की जजन (परजण) और मकसी िजल पर आकरिण करनज उसी परकजर अिवि ह मजस परकजर इस िहीन इस कतर और इस मदन कज अपिजन करनज। यह आदश आज क मलए नही अमपत उस मदन तक क मलए ह मक ति खदज स जजकर मिलो। पनः फरिजयज— य बजत जो ि ति स आज कहतज ह उनह ससजर क मकनजरो तक पहचज दो; कयोमक सभि ह मक जो लोग आज िझ स सन रह ह उन क बजर ि ि लोग उन पर अमिक आचरण करन िजल हो जो िझ स नही सन रह।”

यह समकपत सदपदश परकजश डजलतज ह मक िहमिद रसलललजह (स.अ.ि.) को परजज कज कलयजण और उनकी शजसनत कज मकतनज धयजन रज तरज ससतरयो और मनबालो क अमिकजरो कज आप मकतनज धयजन रखत र। िहमिद रसलललजह (स.अ.ि.) िहसस कर रह र अब ितय कज सिय मनकि ह। कदजमचत खदज तआलज आप को समचत कर चकज रज मक अब आप क जीिन क मदन रोड रह गए ह। आपस. न न चजहज मक ि ससतरयज जो िजनि-उतपमत क परजरमभ स पररो की दजमसयज ठहरजई जजती री उनक अमिकजरो की रकज कज आदश दन स पिा आप इस नशवर ससजर स परलोक मसिजर जजए, ि यदध ि बनजए गए कदी मजनह लोग दजस की सजञज

257 हजरत महममदस का पवितर जीिन

मदयज करत र और मजन पर नजनज-परकजर क अतयजचजर मकयज करत र। आप न न चजहज मक उन क अमिकजरो को सरमकत कर दन स पिा आप इस ससजर स चल बस। िह लोगो कज परसपर भद-भजि जो िनषयो ि स ककछ को तो आकजश पर चढज दतज रज और ककछ को रसजतल ि मगरज दतज रज जो जजमतयो को जजमतयो क सजर तरज दशो को दशो क सजर भदभजि और झगडो को जनि दन और उनह जजरी रखन कज कजरण बनतज रज, आपस. न न चजहज मक इस भदभजि और अनतर को मििजन स पिा इस ससजर स गजर जजए। िह एक दसर क अमिकजरो कज हनन करनज तरज एक दसर क परजण लन और िन हडपन को अपन मलए िवि सिझनज जो हिशज ही असभयतज क यग ि िनषय कज सब स बडज अमभशजप होतज ह आपस. न न चजहज मक जब तक उस भजिनज को ककचल न द और जब तक लोगो क परजणो और उनकी िन-समपमतयो को िही पमितरतज और िही समिजन परदजन न कर द जो खदज तआलज क पमितर िहीनो और उसक पमितर और पनीत सरजनो को परजपत ह आप इस ससजर स कच कर। कयज ससतरयो स सहजनभमत, अिीन लोगो स हिददषी, परजज ि अिन और शजसनत सरजमपत करन की इचछज तरज सिसत िनषयो ि सिजनतज की सरजपनज की इतनी परबल अमभलजरज ससजर ि मकस िनषय ि पजई जजती ह? कयज आदि (ADAM) स लकर आज तक मकसी िनषय न भी परजज की सहजनभमत की ऐसी भजिनज और ऐसी उतजनज मदखजई ह? यही कजरण ह मक इसलजि ि आज तक सतरी अपनी जजयदजद की सिजमिनी ह जबमक यरोप न इस शरणी को इसलजि क तरह सौ िरा पशजत परजपत मकयज ह। यही कजरण ह मक इसलजि ि परिश करन िजलज परतयक वयसकत दसर क सिजन हो जजतज ह चजह िह कसी ही छोिी और दमलत सिझी जजन िजली जजमत कज हो। आजजदी और सिजनतज की भजिनज को किल और किल इसलजि न ही ससजर ि सरजमपत मकयज ह और इस परकजर स सरजमपत मकयज ह मक आज तक ससजर की अनय जजमतयज

258हजरत महममदस का पवितर जीिन

इसकज उदजहरण परसतत नही कर सकती। हिजरी िससजद ि एक रजजज और एक अमत समिजननीय िजमिाक पशिज और एक सजिजनय िनषय बरजबर ह, उन ि कोई अनतर और भद-भजि नही कर सकतज जबमक अनय ििको क उपजसनज-सरल बडो और छोि लोगो क अनतर को अब तक परकि करत चल आए ह। यदमप ि जजमतयज कदजमचत आजजदी और सिजनतज कज दजिज िसलिजनो स भी अमिक उच सिर स कर रही ह।

हजरत महममद सलललललाहो अलहह वसललम कला हनधनआपस. जब इस यजतरज स िजपस आ रह र तो आप न िजगा ि अपन

सहजबज को अपनी ितय की सचनज दी। आप न फरिजयज— ह लोगो ! ि तमहजर सिजन एक िनषय ह। मनकि ह मक खदज कज सदशिजहक िरी ओर आए और िझ उसकज उतर दनज पड। पनः फरिजयज— ह लोगो ! िझ िर दयजल और हर बजत कज जञजन रखन िजल खदज न सचनज दी ह मक नबी अपन स पिा नबी की आिी आय पजतज ह (िहमिद (स.अ.ि.) को बतजयज गयज रज मक हजरत ईसज अलवमहससलजि की आय 120 िरा क लगभग री और इस स आप न तकक मलयज मक िरी आय सजठ िरा क लगभग होगी। चमक उस सिय आप की आय बजसठ-मतरसठ िरा की री। आप न इस ओर सकत मकयज मक अब िरी आय सिजपत होन िजली परतीत होती ह। इस हदीस कज यह अरा नही मक हर नबी अपन स पिा नबी स आिी आय पजतज ह अमपत इस हदीस ि आपस. न किल हजरत ईसजअ. की आय और अपनी आय की तलनज की ह) और िरज मिचजर ह मक अब ि शीघर बलजयज जजऊगज और ि ितय पज जजऊगज। ह िर सजमरयो ! िझ स भी खदज क सिक परशन मकयज जजएगज, ति उस सिय कयज कहोग? उनहोन कहज— ह अललजह क रसल ! हि कहग मक आप न बहत उमचत परकजर स इसलजि कज परचजर मकयज तरज आपस. न अपन जीिन को खदज क ििा की सिज क

259 हजरत महममदस का पवितर जीिन

मलए पणातयज सिमपात कर मदयज और आपस. न सिसत लोगो की भलजई को चिवोतकरा तक पहचज मदयज। अललजह आपको हिजरी ओर स उति स उति परमतफल परदजन कर। आपस. न फरिजयज— कयज ति इस बजत की गिजही नही दत मक अललजह एक ही ह और िहमिद (स.अ.ि.) उसक बनद और रसल ह तरज सिगा भी सतय ह और नकक भी सतय ह और यह मक ितय भी परतयक िनषय पर अिशय आती ह और ितयोपरजनत जीिन भी परतयक िनषय को अिशय मिलगज और परलय भी अिशय आन िजली ह और अललजह तआलज सिसत लोगो को कबो स पनः जीमित करक एकतर करगज। उनहोन कहज— हज। ह अललजह क रसल ! हि इसकी गिजही दत ह। इस पर आप न खदज तआलज को समबोमित करत हए कहज— ह अललजह ! त भी गिजह रह मक िन इनह इसलजि क मसदधजनत पहचज मदए ह।

िहमिद रसलललजह (स.अ.ि.) इस हज स िजपस आन क पशजत िसलिजनो क मशटिजचजर और किको क सिजर ि वयसत रह तरज िसलिजनो को अपन मनिन पर पहचन िजल आघजत को सहन करन क मलए तवयजर करत रह। एक मदन आप भजरण दन क मलए खड हए और फरिजयज— आज िझ अललजह तआलज की ओर स इलहजि हआ ह मक उस मदन को सिरण रखो जब खदज तआलज की सहजयतज और उसकी ओर स मिजय पिाकजलीन यग स भी अमिक तीवरतज स आएगी तरज परतयक ििा और जजमत क लोग इसलजि ि सिह क सिह परिश करग। अतः ह िहमिद रसलललजह (स.अ.ि.) अब ति खदज की सतमत ि लग जजओ और उस स दआ करो मक ििा की नीि जो ति न रखी िह उसि स हर परकजर क दोरो को दर कर द। यमद ति य दआए करोग तो खदज तजआलज तमहजरी दआओ को अिशय सनगज। इसी परकजर आप न फरिजयज— खदज तआलज न अपन एक बनद स कहज मक चजह ति हिजर पजस आ जजओ और चजह ति ससजर को सिजरन कज कजया अभी ककछ और सिय तक करो। खदज

260हजरत महममदस का पवितर जीिन

क उस बनद न इसक उतर ि कहज मक िझ आप क पजस आनज अमिक मपरय ह। जब आप न सभज ि यह बजत सनजई तो हजरत अब-बकररमज. रो पड। सहजबज को आशया हआ मक रसलललजह (स.अ.ि.) तो इसलजि की मिजयो कज सिजचजर सनज रह ह और अब बकररमज. रो रह ह। हजरत उिररमज. कहत ह, िन कहज— इस िदध को कयज हो गयज मक यह खशी क सिजचजर पर रोतज ह परनत रसल करीि (स.अ.ि.) सिझत र मक आप की बजत को अब बकर ही सही सिझतज ह और उस न यह सिझ मलयज ह मक इस सरह ि िरी ितय कज सिजचजर ह। आपस. न फरिजयज— अब बकररमज. िझ बहत ही मपरय ह। यमद अललजह तआलज क अमतररकत मकसी स असीि परि करनज िवि होतज तो ि अब बकररमज. स ऐसज ही परि करतज। ह लोगो ! िससजद ि मजतन लोगो क विजर खलत ह आज स सब विजर बनद कर मदए जजए किल अब बकररमज. कज विजर खलज रह। इसि यह भमिषयिजणी री मक रसल करीि (स.अ.ि.) क बजद हजरत अब बकररमज. खलीफज होग और निजज पढजन क मलए िससजद ि उस िजगा स आनज पडगज। इस घिनज क कजफी सिय पशजत जब हजरत उिररमज. खलीफज र। एक बजर आप सभज ि बवठ हए र मक आप न फरिजयज— िजली सरह ि मकस सदभा की ओर सकत ह? कमरत सदभा ि आप न अपन सजमरयो की परीकज ली मजस सिझन स ि इस सरह क उतरन क सिय असिरा रह र। इबन अबबजसरमज. जो इस घिनज क सिय दस गयजरह िरा क र। उस सिय लगभग सतरह-अठजरह िरा क नियिक र, शर सहजबज तो न बतज सक, इबन अबबजस न कहज— ह अिीरल िोमिनीन (िोमिनो क सरदजर)! इस सरह ि रसलललजह (स.अ.ि.) की ितय कज सिजचजर मदयज गयज ह कयोमक नबी जब अपनज कजि कर लतज ह तो मफर ससजर ि रहनज पसनद नही करतज। हजरत उिररमज. न कहज— सतय ह। ि तमहजर मििक की परशसज करतज ह। जब यह सरह उतरी अब बकर उसकज ितलब सिझ

261 हजरत महममदस का पवितर जीिन

परनत हि न सिझ सक। अनततः िह मदन आ गयज जो परतयक िनषय पर आतज ह। िहमिद

रसलललजह (स.अ.ि.) अपनज कजि ससजर ि सिजपत कर चक, खदज की िहयी (ईशिजणी) पणा रप स आ चकी, िहमिद रसलललजह (स.अ.ि.) की पमितर शसकत स एक नई कौि और, नए आकजश और नई जिीन की नीि रख दी गई। बोन िजल न जिीन ि हल चलजयज, पजनी मदयज, बीज बोयज और फसल तवयजर की। अब फसल क कजिन कज कजि उसकज दजमयति न रज। िह एक िजदर की तरह आयज और उस ससजर स एक िजदर की तरह ही जजनज रज, कयोमक उसकज इनजि सजसजररक िसतए नही री अमपत उसकज इनजि अपन सजनकतजा तरज अपन भजन िजल की परसननतज री जब फसल किन पर आई तो उसन अपन रबब स यही िनोकजिनज की मक अब िह उस ससजर स उठज ल और यह फसल बजद ि दसर लोग कजि। िहमिद रसलललजह (स.अ.ि.) बीिजर हए। ककछ मदन तो कटि उठज कर भी िससजद ि निजज पढजन क मलए आत रह; अनत ि यह शसकत भी न रही मक आप िससजद ि आ सकत। सहजबज कभी सोच भी नही सकत र मक आप ितय पज जजएग, परनत आप बजर-बजर उनह अपन ितय कज सिय मनकि आन कज सिजचजर सनजत। एक मदन सहजबजरमज. की सभज लगी हई री, आपस. न फरिजयज— यमद मकसी वयसकत स गलती हो जजए तो उमचत यही होतज ह मक ससजर ि उसकज मनिजरण कर द तजमक खदज क सिक लसजत न हो। यमद िर हजर स अनजजन ि मकसी कज हक िजरज गयज हो तो िह िझ स अपनज हक िजग ल और यमद िझ स अनजजन ि मकसी को कटि पहचज हो तो िह आज िझ स बदलज ल ल; कयोमक ि नही चजहतज मक िझ खदज तआलज क सजिन लसजत होनज पड। दसर सहजबज पर तो यह सनकर आदरातज छज गई तरज उनक हदय ि यही मिचजर गजरन लग मक रसलललजह (स.अ.ि.) मकस परकजर कटि सहन

262हजरत महममदस का पवितर जीिन

करक उनक आरजि क सजिन पवदज करत रह ह, आप मकस परकजर सिय भख रहकर उनको मखलजत रह ह, अपन कपडो ि पवबनद लगज कर उनको कपड पहनजत रह ह मफर भी आपको दसरो क अमिकजरो की इतनी मचनतज ह मक आप उन स िजग करत ह मक अनजजन ि िझ स मकसी को कटि पहचज हो तो आज िझ स बदलज ल ल। इस पर एक सहजबी आग बढ और उनहोन कहज— ह अललजह क रसल ! िझ एक बजर आप स कटि पहचज रज। एक यदध ि सनज को पसकतबदध मकयज जज रहज रज मक आप पसकत ि होकर आग बढ; उस सिय आप की ककहनी िर शरीर को लग गई री। चमक आप न फरिजयज ह मक अनजजन ि भी यमद मकसी को कटि पहचज हो तो िझ स बदलज ल ल। अतः ि चजहतज ह इस सिय आप स उस कटि कज बदलज ल ल। सहजबजरमज. जो शोक-सजगर ि डब हए र, सहसज उन की अिसरज ि पररितान हआ, उनकी आखो स जजलज मनकलन लगी और परतयक वयसकत यह िहसि करतज रज मक यह वयसकत मजस न ऐस अिसर पर मशकज परजपत करन की बजजए ऐसी बजत छड दी ह मनतजनत कठोर दणड कज पजतर ह परनत उस सहजबी न परिजह न की। आपस. न फरिजयज— ति ठीक कहत हो। तमहजरज अमिकजर ह मक बदलज लो। आप न करिि बदली और अपनी पीठ उसकी ओर कर दी तरज फरिजयज— आओ िझ ककहनी िजर लो। उस सहजबी न कहज— ह अललजह क रसल ! जब िझ ककहनी लगी री उस सिय िरज शरीर नगज रज कयोमक िर पजस ककतजा न रज मक ि उस पहनतज। आप न फरिजयज— िरज ककतजा उठज दो और नग शरीर पर ककहनी िजर कर अपनज बदलज ल लो। उस सहजबी न आपस. कज ककतजा उठजयज तरज कजपत होठो और आस बहजती आखो क सजर झक कर आपस. की किर कज चमबन मकयज। आपस. न फरिजयज— यह कयज? उसन उतर ि कहज— ह अललजह क रसल ! जब आप फरिजत ह मक आप की ितय

-बखजरी मकतजबलिगजजी बजब िरजननमबयय ि िफजतोह

263 हजरत महममदस का पवितर जीिन

मनकि ह तो आप को सपशा करन और आप को पयजर करन क अिसर हि कब तक मिलग। मनःसदह यदध क अिसर पर िझ आप की ककहनी लगी री परनत ककहनी लगन कज बदलज लन कज मिचजर भी मकसक हदय ि आ सकतज ह। िर हदय ि मिचजर आयज मक जब आपस. फरिजत ह मक आज िझ स बदलज ल लो तो चलो इस बहजन स ि आप को पयजर कर ल। िही सहजबजरमज. मजन क हदय करोि स खन हो रह र, इस बजत को सन कर उनही क हदय इस मनरजशज स भर गए मक कजश यह अिसर हि परजपत होतज।

रोग बढतज गयज, ितय मनकि आती गई। िदीनज कज सया पहल की भजमत पणा आभज क सजर चिकन क बजिजद सहजबज की दसटि ि पीलज मदखजई दन लगज। मदन उदय होत र परनत उनकी आखो पर पदच पडत चल जजत र। अनततः िह सिय आ गयज जब खदज क रसल की आतिज ससजर को तयजग कर अपन सजनकतजा क सिक उपससरत होन िजली री। रसल करीि (स.अ.ि.) की शवजस तज चलन लगी तरज शवजस परमकरयज ि अिरोि आन लगज। आपस. न हजरत आइशजरमज. स फरिजयज— िरज सर उठज कर अपन सीन क सजर रख लो कयोमक लि-लि सजस नही ली जजती। हजरत आइशजरमज. न आपस. कज सर उठज कर अपन सीन क सजर लगज मलयज और आप को सहजरज दकर बवठ गई। ितय कज कटि आपस.

पर वयजपत रज, आप घबरजहि स बवठ-बवठ कभी इस पहल पर झकत और कभी उस पहल पर तरज फरिजत र— खदज बरज कर यहद और नसजरज कज मक उनहोन अपन नमबयो क िरणोपरजनत उनकी कबो को िससजद बनज मलयज। यह आपकी असनति िसीयत री अपनी उमित क मलए, मक यदमप ति िझ सिसत नमबयो स सिवोति दखोग तरज सिजामिक सफल पजओग परनत दखनज िर िनषय होन को कभी न भल जजनज, खदज कज सरजन खदज ही क मलए सिझत रहनज और िरी कब को एक कब स

-बखजरी मकतजबल िगजजी बजब िरजननमबयय ि िफजतह।

265 हजरत महममदस का पवितर जीिन

और ससजर स िनजमफको (कपिजचजररयो) कज मिनजश करगी। इतनज कह कर नगी तलिजर लकर इस परजणघजतक सिजचजर क आघजत स पजगलो क सिजन इिर-उिर िहलन लग और सजर-सजर यह भी कहत जजत र मक यमद कोई वयसकत यह कहगज मक िहमिद (स.अ.ि.) कज मनिन हो गयज ह तो ि उसकज िि कर दगज। सहजबज कहत ह मक जब हि न हजरत उिररमज. को इस परकजर िहलत दखज तो हिजर हदयो को भी ढजरस मिली और हिन कहज मक उिररमज. सतय कहत ह। िहमिद (स.अ.ि.) कज मनिन नही हआ। लोगो को इस बजत ि अिशय गलती लगी ह तरज उिररमज. क करन क सजर हिन अपन हदयो को सनतटि करनज आरमभ मकयज मक इतन ि ककछ लोगो न दौड कर हजरत अब बकररमज. को िसत ससरमत स अिगत मकयज। िह भी िससजद ि पहच गए परनत मकसी स बजत न की। सीि घर ि चल गए और जजकर हजरत आइशजरमज स पछज कयज रसलललजह (स.अ.ि.) कज मनिन हो गयज ह? हजरत आइशज न उतर मदयज— हज ! आप रसलललजह (स.अ.ि.) क पजस गए, आप क िख स कपडज उठजयज, आप क िसतक को चिज और आपकी आखो स परि क चिकत हए आस मगर। आपन फरिजयज— खदज की कसि खदज आप पर दो िौत नही लजएगज अरजात यह नही होगज मक एक तो आप शजरीररक तौर पर ितय पज जजए और दसरी ितय आप पर यह आए मक आपस. की जिजअत गलत आसरजओ और गलत मिचजरो ि पड जजए। इतनज कह कर आप बजहर आए तरज लोगो की भीड को चीरत हए खजिोशी क सजर िच की और बढ। जब आप िच पर खड हए तो हजरत उिररमज. भी तलिजर खीच कर आप क पजस खड हो गए इस नीयत स मक यमद अब बकर न यह कहज मक िहमिद रसलललजह ितय को परजपत हो गए ह तो उन कज िि कर दगज। आप बोलन लग तो हजरत उिररमज. न आप कज कपडज खीचज और आपको खजिोश करनज चजहज परनत आप न कपड को झिकज दकर हजरत उिर क हजर स छडज मलयज और

266हजरत महममदस का पवितर जीिन

मफर कआान शरीफ की यह आयत पढी—

अरजात ह लोगो ! िहमिद रसलललजह (स.अ.ि.) अललजह तआलज क किल एक रसल र, उन स पहल और बहत स रसल गजर ह और सब क सब ितय पज चक ह। कयज यमद िह ितय पज जजए यज िजर जजए तो ति लोग अपन ििा को तयजग कर मििख हो जजओग? ििा खदज कज ह, िहमिद रसलललजह कज तो नही। यह आयत उहद क सिय उतरी री जबमक ककछ लोग यह सन कर मफर िहमिद रसलललजह (स.अ.ि.) शहीद हो गए ह, मनरजश होकर बवठ गए र। इस आयत क पढन क बजद आपन फरिजयज— ह लोगो !

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जो ति ि स अललजह तआलज की उपजसनज करतज रज उस सिरण रखनज चजमहए मक अललजह तआलज जीमित ह उस पर कभी िौत नही आ सकती

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और ति ि स जो वयसकत िहमिद रसलललजह (स.अ.ि.) की उपजसनज करतज रज तो उस ि बतजए दतज ह मक िहमिद रसलललजह (स.अ.ि.) ितय पज चक ह। हजरत उिररमज. कहत ह मक मजस सिय अब बकररमज. न

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د م م िजली आयत को पढनज आरमभ وما मकयज तो िर होश ठीक होन लग। इस आयत क सिजपत करन तक िर आधयजसतिक नतर खल गए और ि सिझ गयज मक रसलललजह (स.अ.ि.) िजसति ि ितय पज चक ह। तब िर घिन कजप गए और ि मनढजल हो कर परिी पर मगर गयज। िह वयसकत जो तलिजर स अब बकररमज को िजरनज

(आल इिरजन-145)

267 हजरत महममदस का पवितर जीिन

चजहतज रज, िह अब बकररमज. क सतय स भर शबदो क सजर सिय कतल हो गयज। सहजबज कहत ह— उस सिय हि यो मिमदत होतज रज मक यह आयत आज ही उतरी ह। िहमिद रसलललजह (स.अ.ि.) क मनिन क शोक ि यह आयत हि भल ही गए र। उस सिय ‘हससजन मबन सजमबत’ न जो िदीनज क एक बहत बड कमि र यह श’र कहज—

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ह िहमिद रसलललजह (स.अ.ि.)! त तो िरी आख की पतली रज। आज तर िरन स िरी आख अिी हो गई, अब तर िरन क पशजत कोई िर, िरज बजप िर, भजई िर, िरज बिज िर िरी पतनी िर। िझ उन ि स मकसी की ितय की परिजह नही। ि तो तरी ही ितय स भयभीत रहतज रज।

यह श’र परतयक िसलिजन क हदय की आिजज री। इसक बजद कई मदनो तक िदीनज की गमलयो ि िसलिजन ससतरयज और िसलिजन बच यही श’र पढत मफरत र मक ह िहमिद स.अ.ि.! त तो हिजरी आखो की पतली रज, तर िरन स हि तो अि हो गए, अब हिजरज कोई मपरयजन यज पररजन िर हि परिजह नही, हि तो तरी ही िौत कज भय रज।

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हजरत महममद रसललललाह (स.अ.व.) कला चररतरलाकन

हजरत िहमिद रसलललजह सललललजहो अलवमह िसललि की जीिन घिनजए दशजान क पशजत अब ि आप क चररतर पर ककछ परकजश डजलनज चजहतज ह। आपक िहजन चररतर क समबनि ि सिासमित गिजही िह ह जो आप की जजमत न दी मक आप की नबवित क दजि स

268हजरत महममदस का पवितर जीिन

पिा आप की जजमत न आप कज नजि अिीन (अिजनतदजर) और मसदीक (सतयमनषठ) रखज। (सीरति इबन हिशनाम)

ससजर ि ऐस बहत स लोग होत ह मजनक बईिजनी स कलमरत चररतर क सबि ि कोई जजनकजरी नही मिलती। ऐस लोग भी बहत होत ह मजनह मकसी कठोर परीकज ि स गजरन कज अिसर परजपत नही होतज, हज ि सजिजरण परीकजओ स गजरत ह और उनकी ईिजनदजरी बनी रहती ह परनत इसक बजिजद उन की जजमत उनह कोई मिशर नजि नही दती, इसमलए मक मिशर नजि उस सिय मदए जजत ह जब कोई वयसकत मकसी मिशर गण ि अनय सिसत लोगो पर शरषठतज परजपत करतज ह। यदध ि भजग लन िजलज परतयक सवमनक अपन परजणो को खतर ि डजलतज ह परनत न अगरज सरकजर परतयक सवमनक को मिकिोररयज करजस दती ह न जिान जजमत परतयक सवमनक को आइरन करजस परदजन करती ह। फरजस ि जञजन सबमित पशज रखन िजल लजखो ह परनत परतयक वयसकत को लमजन आफ आनर (LEGION OF HONOUR) कज फीतज नही मिलतज। अतः मकसी वयसकत कज िजतर अिजनतदजर और सतयमनषठ होनज उसकी शरषठतज पर ककछ मिशर परकजश नही डजलतज परनत मकसी वयसकत को सिसत जजमत कज अिीन और सतयमनषठ की उपजमि द दनज यह एक असजिजरण बजत ह। यमद िककज क लोग परतयक िश क लोगो ि स मकसी को अिीन और सतयमनषठ की उपजमि मदयज करत तब भी अिीन और सतयमनषठ की उपजमि पजन िजलज िहजपरर सिझज जजतज परनत अरब कज इमतहजस बतजतज ह मक अरब लोग परतयक िश ि कभी मकसी वयसकत को यह उपजमि नही दत र अमपत अरब क सवकडो िरा क इमतहजस ि किल एक ही उदजहरण िहमिद रसलललजह (स.अ.ि.) कज मिलतज ह मक आपको अरब िजलो न अिीन और सतयमनषठ की उपजमि दी। अतः समदयो परजन अरब क इमतहजस ि कौि क एक ही वयसकत को अिीन और सतयमनषठ की उपजमि दनज इस

269 हजरत महममदस का पवितर जीिन

बजत कज सपटि परिजण ह मक उसकी ईिजनदजरी और उसकज सतय दोनो इतन उचकोमि क आचरण र मक उसकज उदजहरण अरबो ि मकसी अनय वयसकत ि नही पजयज जजतज रज। अरब अपनी सकि दसटि क कजरण ससजर ि परमसदध र। अतः मजस िसत को ि अनपि कह िह मनशय ही ससजर ि अनपि सिझी जजन योगय री।

इसक अमतररकत आपस. क चररतर पर आपस. क अितररत होन पर एक सिासमित सजकय आपकी ििा पतनी हजरत खदीजजरमज. न दी मजसकज उललख आपस. की जीिनी ि मकयज जज चकज ह। अब ि सिित रप स आपक आदशा चररतर पर परकजश डजलन क मनमित ककछ उदजहरण उपससरत करनज चजहतज ह तजमक आपक आदशा िहजन चररतर क गपत पहलओ पर भी इस पसतक क पजठको की दसटि पड सक।

हजरत महममद (स.अ.ि.) की बलाह और आतररक वचछतला

हजरत िहमिद (स.अ.ि.) क सबि ि आतज ह मक न आप कभी अपशबदो कज परयोग करत र और न वयरा कसि खजत र। (बखनारी हितिनाबलअदब) अरब ि रहत हए इस परकजर कज चररतर एक असजिजरण बजत री। हि यह तो नही कह सकत मक अशलीलतज अरब लोगो कज सिभजि बन चकी री; मनःसदह अरब लोग आदत क तौर पर कसि अिशय खजयज करत र और आज भी अरब ि कसि कज परचलन अतयमिक ह परनत िहमिद (स.अ.ि.) क िजनसपिल ि खदज तआलज की िजन-परमतषठज इतनी अमिक री मक रसलललजह (स.अ.ि.) उसकज अकजरण (वयरा की कसि खजन क मलए) नजि लनज कभी पसनद न करत र। आप को सिचछतज कज मिशर धयजन रहतज रज। आप हिशज दजतन करत र और इस पर इतनज बल दत र मक कई बजर फरिजत यमद िझ इस बजत कज भय न

270हजरत महममदस का पवितर जीिन

हो मक िसलिजन कटि ि पड जजएग तो ि परतयक निजज स पिा दजतन करन कज आदश द द। (हमशिनाति हितिनाबततिनारति)

आपस. भोजन करन स पिा भी हजर िोत तरज भोजन करन क पशजत भी हजर िोत और ककलली करत र अमपत परतयक पकी हई िसत खजन क पशजत ककलली करत। आप पकी हई िसत खजन क पशजत मबनज ककलली मकए निजज पढनज पसनद नही करत र। (बखनारी हितिनाबल अतिइमि)

िससजद जो िसलिजनो क एकतर होन कज एक िजतर सरजन ह— आप उनकी सिचछतज कज मिशर धयजन रखत र तरज आपस. िसलिजनो को इस बजत की पररणज दत र मक ि मिशर तौर पर सिजरोहो क मदनो ि िससजदो की सिचछतज कज धयजन रखज कर तरज उनि सगमि की वयिसरज मकयज कर तजमक िजय शदध हो जजए। (हमशिनाति हितिनाबसलनाति) इसी परकजर आप सहजबज को सदवि नसीहत करत रहत र मक सिजरोहो क अिसर पर दगगनि फलजन िजली िसतए खजकर न आयज कर। (बखनारी हितिनाबल अतिइमि) आपस. सडको की सफजई की मिशर तौर पर नसीहत करत रहत र। यमद सडक पर कडज कककि, ईि-पतरर अरिज अनय कोई कटिदजयक िसत पडी होती तो आप सिय उस उठज कर सडक क एक ओर कर दत और फरिजत मक जो वयसकत सडको की सिचछतज कज धयजन रखतज ह खदज उस स परसनन होतज तरज ऐसज वयसकत पणय परजसपत कज पजतर बन जजतज ह। (मसलम हितिनाबलहबरर वससलि) इसी परकजर आप फरिजत र मक िजगा को रोकनज नही चजमहए, िजगको पर बवठनज अरिज उनि कोई ऐसी िसत डजल दनज मजस स यजमतरयो को कटि हो, यज िजगा पर शौचजमद करनज आमद कतयो को खदज तआलज पसनद नही करतज। (हमशिनाति हितिनाबततिनारति)

पजनी की शदधतज कज भी आप को मिशर तौर पर धयजन रहतज रज। आप अपन सहजबज को हिशज यह नसीहत करत र मक अिरदध हए पजनी ि मकसी परकजर की गनदगी नही डजलनज चजमहए। इसी परकजर अिरदध हए पजनी

271 हजरत महममदस का पवितर जीिन

ि शवचजमद करन स भी बडी सखती क सजर रोकत र। (बखनारी हितिनाबलवज)

खलान-पलान म सलादगी और सतलनआप खजन-पजन ि सजदगी को हिशज दसटिगत रखत र। भोजन ि

कभी निक अमिक हो जजए यज निक न हो यज खजनज अचछज न पकज हो तो आप कभी भी रटि नही होत र, यरजसभि आप ऐसज भोजन खज कर पकजन िजल क हदय को कटि स बचजन कज परयजस करत र परनत यमद मबलककल ही असहनीय होतज तो आप किल हजर रोक लत र और यह परकि नही होन दत र मक िझ इस भोजन स कटि पहचतज ह। (बखनारी हितिनाबल अतिइमि अ अबी हररना) जब आप भोजन करन लगत तो भोजन की ओर धयजन दत हए बवठत तरज फरिजत मक िझ यह अहकजरपणा आचरण पसनद नही मक ककछ लोग िक लगजकर भोजन करत ह जवस ि भोजन स मनसपह ह। (बखनारी हितिनाबल अतिइमि) जब आपक पजस कोई िसत आती तो अपन सजमरयो ि बजिकर खजत। एक बजर आप क पजस ककछ खजर आई। आप न सजमरयो कज अनिजन लगजयज तो सजत-सजत खजर परमत सदसय आती री; आप न सजत-सजत खजर सिसत सजमरयो ि बजि दी। (बखनारी हितिनाबल अतिइमि अ अबी हररना) हजरत अब हररज िणान करत ह मक

िहमिद रससललजह (स.अ.ि.) न जौ की रोिी भी कभी भर पि नही खजई। (बखनारी हितिनाबल अतिइमि)

एक बजर आप िजगा स गजर रह र मक आप न दखज मक लोगो न एक बकरी भन कर रखी हई ह और लोग दज’ित कज आननद ल रह ह। आपस. को दखकर उन लोगो न आपको भी बलजयज परनत आपस. न इनकजर कर मदयज। (बखनारी हितिनाबल अतिइमि) इसकज कजरण यह न रज मक आप भनज हआ गोशत खजनज पसनद नही करत र अमपत आपको इस परकजर कज आडमबर पसनद न रज मक पजस ही मनिान लोग तो भख स वयजककल हो तरज उनकी

272हजरत महममदस का पवितर जीिन

आखो क सजिन लोग बकर भन-भन कर खज रह हो अनयरज दसरी हदीसो स मसदध ह मक आप भनज हआ गोशत भी खजयज करत र।

हजरत आइशजरमज. भी िणान करती ह मक िहमिद रसलललजह (स.अ.ि.) न कभी मनरनतर तीन मदन भर पि भोजन नही मकयज तरज रसलललजह (स.अ.ि.) कज जीिन पयानत यही आचरण रहज। (बखनारी हितिनाबल अतिइमि) भोजन क बजर ि आप इस बजत कज मिशर धयजन रखत र मक कोई वयसकत मकसी दज’ित क अिसर पर मबनज मनितरण दसर क घर भोजन करन न चलज जजए। एक बजर एक वयसकत न आप की दज’ित की और यह भी मनिदन मकयज मक आप अपन सजर अनय चजर लोगो को ल आए। जब आपस. उसक घर क विजर पर पहच तो आपको िजलि हआ मक एक पजचिज वयसकत भी आप क सजर ह। जब घर िजलज बजहर मनकलज तो आपस. न उस स कहज— आपस. न हि पजच लोगो को ही दज’ित क मलए आिमतरत मकयज रज, आप चजह तो इस भी अनिमत द द और चजह तो िजपस कर द। घर िजल न कहज, नही। ि उनको भी दज’ित ि ससमिमलत करतज ह, यह भी अनदर आ जजए। (बखनारी हितिनाबल अतिइमि)

जब आपस. भोजन करत तो हिशज मबससिललजह कह कर भोजन आरमभ करत र और भोजन सिजपत करन क पशजत इन शबदो ि खदज तआलज कज यशोगजन करत—

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अरजात ि उस खदज कज यशोगजन करतज ह मजसन िझ खजनज मखलजयज, िही सब परकजर की शरषठ परशसजओ तरज यशोगजन कज पजतर ह, जो हर परकजर की नयनतजओ और तरमियो स रमहत, मिशदध तरज सदज-सिादज बढती रहन िजली ह। ह खदज ! िर िन ि कभी यह ककमिचजर उतपनन न हो मक िन िनयिजद सिरप तरज मजतनज गणगजन कर मलयज, िही पयजापत ह और

273 हजरत महममदस का पवितर जीिन

इस स अमिक यशोगजन की आिशयकतज नही अरिज तरज ऐसज भी कजया ह मजसकी परशसज की आिशयकतज नही अरिज जो परशसज क योगय नही। ह हिजर रबब ! हि ऐसज ही बनज द। ककछ िणानो ि आतज ह मक आप कभी इन शबदो ि दआ करत र—

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(बखनारी हितिनाबल अतिइमि) अरजात सब परशसज परिशवर की ह मजसन हिजरी भख और पयजस दर की। हिजरज हदय उसकी परशसज करन स कभी तपत न हो तरज हि उसक कभी कतघन न बन।

आप हिशज अपन सहजबज को उपदश मदयज करत र मक पि भरन स पिा खजनज छोड दो तरज एक िनषय कज भजजन दो िनषयो क मलए पयजापत होनज चजमहए। (बखनारी हितिनाबल अतिअमि) जब भी आप क घर ि कोई अचछी िसत पकती तो आप हिशज अपन घर ि कहत र मक अपन पडोमसयो कज भी धयजन रखो। (मसलम हितिनाबलहबररवससलः) इसी परकजर अपन पडोमसयो क घरो ि आप अकसर उपहजर मभजिजत रहत र। (बखनारी हितिनाबल अदब) आप अपन असहजय सहजबज क चहर दखकर िजलि करत रहत र मक उनि स कोई भखज तो नही। हजरत अब हररज िणान करत ह मक एक बजर ि कई मदन अनजहजर रह। एक मदन जब सजत सिय स भोजन नही मिलज रज तो ि भख स वयजककल होकर िससजद क विजर क सजिन खड हो गए। सयोगिश हजरत अब बकररमज. िहज स गजर तो उनहोन उन स एक ऐसी आयत कज अरा पछज मजसि मनिानो को भोजन करजन कज आदश ह। हजरत अब बकर न उनकी बजत स यह सिझज मक शजयद इस आयत कज अरा उनह जञजत नही और िह उस आयत कज अरा बतज कर आग चल मदए। हजरत अब हररजरमज. जब लोगो क सजिन यह बजत िणान करत तो करोि स कहज करत— कयज अब बकररमज. िझ स अमिक कआान जजनतज रज, िन आयत कज अरा इसमलए पछज रज मक इस आयत ि मनमहत मिरय की ओर उन कज

274हजरत महममदस का पवितर जीिन

धयजन आकटि हो जजए और िझ भोजन करज द। इतन ि हजरत उिररमज. िहज स गजर। अब हररजरमज. कहत ह िन उन स भी इस आयत कज अरा पछज। हजरत उिररमज. न भी उस आयत कज अरा बतज मदयज और आग चल मदए। सहजबजरमज. िजगन को बहत बरज सिझत र। जब अब हररजरमज. न दखज मक मबनज िजग भोजन परजपत होन कज कोई उपजय नही। िह कहत ह— ि मबलककल मनढजल होकर मगरन लगज, कयोमक अब अमिक िवया की िझ ि शसकत नही री परनत अभी िन विजर स िह नही फरज रज मक िर कजन ि एक अमत ििर एि सहमसकत धिमन सनजई दी, कोई िझ बलज रहज रज— अब हररज ! अब हररज ! िन िड कर दखज तो रसलललजह (स.अ.ि.) अपन घर की मखडकी खोल खड र और िसकरज रह र। िझ दख कर फरिजयज— अब हररज भख हो? िन कहज हज ! ह अललजह क रसल भखज ह। आपस. न कहज हिजर घर ि भी खजन क मलए ककछ नही रज; अभी एक वयसकत न दि कज पयजलज मभजिजयज ह। ति िससजद ि जजओ और दखो मक शजयद हिजर तमहजर सिजन कोई और भी िसलिजन हो मजनह भोजन की आिशयकतज हो। अब हररज कहत ह — िन हदय ि कहज— ि तो इतनज भखज ह मक अकलज ही इस पयजल को पी जजऊगज, अब तो रसलललजह (स.अ.ि.) न अनय लोगो को बलजन क मलए भी कहज ह तो मफर िझ तो बहत रोडज दि मिल पजएगज परनत बहरहजल िहमिद (स.अ.ि.) कज आदश रज। िससजद क अनदर गए तो दखज मक छः लोग और बवठ ह; उनहोन उनह भी सजर मलयज और रसल करीि (स.अ.ि.) क विजर क पजस आए। आपस. न दि कज पयजलज पहल उन नए आन िजल छः लोगो ि स मकसी क हजर ि द मदयज और कहज इस पी जजओ। जब उसन दि पीकर पयजलज िह स परक मकयज तो आपस. न आगरह मकयज मक और मपयो, तीसरी बजर भी आगरह करक उस दि मपलजयज। हजरत अब हररज कहत ह— हर बजर ि कहतज रज मक अब ि िरज, िरज महससज कयज शर रहगज परनत जब ि

275 हजरत महममदस का पवितर जीिन

सभी छः लोग पी चक तो रसलललजह (स.अ.ि.) न िह पयजलज िर हजर ि द मदयज। िन दखज अभी पयजल ि बहत दि शर रज। जब िन दि मपयज तो आपस. न िझ भी आगरह करक तीन बजर दि मपलजयज। मफर िरज बचज हआ दि सिय भी मपयज और खदज तआलज कज िनयिजद करत हए विजर बनद कर मलयज। (बखनारी हितिनाबरररकनाि)

कदजमचत रसल करीि (स.अ.ि.) न अब हररज को सब स अनत ि दि यही पजठ दन क मलए मदयज रज मक उनह खदज पर भरोसज करत हए अनजहजर बवठ रहनज चजमहए और सजकमतक तौर पर भी परशन नही करनज चजमहए रज।

आप हिशज दजए हजर स खजनज खजत र और पजनी भी दजए हजर स पीत र। पजनी पीत सिय िधय ि तीन बजर सजस लत र। इसि एक मचमकतसकीय रहसय ह। पजनी यमद एक सजस ि पी मलयज जजए तो अमिक िजतरज ि पी मलयज जजतज ह मजस स आिजशय ि दोर आ सकतज ह। खजन क बजर ि आपस. कज मनयि यह रज मक जो िसतए पमितर और सिभजि क अनकल हो उनही को खजए परनत इस ढग स नही मक मनिानो कज हक िजरज जजए यज िनषय को भोग-मिलजस की आदत पड जजए। अतः सजिजनयतयज जवसज मक िणान मकयज जज चकज ह आप कज भोजन बहत सजदज रज परनत यमद कोई वयसकत अचछी िसत बतौर उपहजर ल आतज रज तो आप उस खजन स इनकजर न करत परनत यो अपन खजन-पजन हत आप अचछ भोजन की अमभलजरज कभी नही करत र। शहद आप को पसनद रज, इसी परकजर खजर भी। आप कज करन रज मक खजर और िोमिन क िधय एक सबि ह। खजर क पत भी और उसकज मछलकज भी और उस कज कचज फल भी और उस कज पककज फल भी और उसकी गठली भी सभी िसतए उपयोगी ह, उसकी कोई िसत भी वयरा नही। पणा िोमिन भी ऐसज ही होतज ह, उसकज कोई कजया भी मनरराक नही होतज अमपत उस कज परतयक कजया िजनि सिजज क मलए लजभपरद होतज ह।

276हजरत महममदस का पवितर जीिन

वतरलाभषण म सयम और सरलतलाहजरत िहमिद रसलललजह (स.अ.ि.) मलबजस क बजर ि सजदगी को

पसनद करत र। आपस. कज सजिजनय मलबजस ककतजा, िोती और पजजजिज होतज रज। आप अपनी िोती यज पजजजिज िखनो स ऊपर और घिनो स नीच रखत र। घिनो और घिनो स ऊपर शरीर क नग हो जजन को आपस. पसनद नही करत र। ऐसज िसतर मजस पर मचतरकजरी हो मसिजए मििशतज क पसनद नही करत र। न िजनिीय िसतरो ि न ही पदको आमद क रप ि, मिशरकर बड मचतर जो मक विवतिजद क लकणो ि स ह आप उनकी कभी अनिमत नही दत र। एक बजर आपक घर ि ऐसज कपडज लिकज हआ रज, आप न दखज तो उस उतरिज मदयज। हज मजस िसतर पर छोि-छोि मचतर बन हो उस कपड ि कोई हजमन नही सिझत र; कयोमक उन स विवतिजदी मिचजरो की ओर सकत नही होतज। आप रशिी कपडज कभी नही पहनत र और न अनय िसलिजन पररो को रशिी कपडज पहनन की अनिमत दत र। बजदशजहो क पतर मलखन क सिय आप न अपन मलए एक िहरिजली अगठी बनिजई री परनत आप न आदश मदयज मक सोन की अगठी न हो अमपत चजदी की हो कयोमक खदज तआलज न िरी उमित क पररो क मलए सोनज पहननज िनज मकयज ह, ससतरयो को मनःसदह रशिी कपड और आभरण पहनन की आजञज री। इस बजर ि आप नसीहत करत रहत र मक आमतशयतज न की जजए। एक बजर मनिानो क मलए आप न चनदज एकतर मकयज, एक सतरी न एक कगन उतजर कर आप क आग रख मदयज। आपस. न कहज— कयज दसरज हजर नकक स सरमकत रहन कज अमिकजरी नही? उस सतरी न दसरज कगन भी उतजर कर मनिानो क मलए द मदयज। आपकी पसतनयो क आभरण न होन क बरजबर र। आपकी सहजबी ससतरयज आपकी मशकज कज पजलन

277 हजरत महममदस का पवितर जीिन

करत हए आभरण बनजन स बचती री। आप कआानी मशकजनसजर फरिजत र— िन को समचत करक रखनज मनिानो क अमिकजरो को नटि कर दतज ह इसमलए सोनज-चजदी को मकसी भी रप ि समचत कर लनज सिजज की आमराक अिसरज को नटि करन िजलज ह और अपरजि ह। एक बजर हजरत उिररमज. न आपस. स मिनयपिाक अनरोि मकयज मक अब बड-बड रजजजओ की ओर स रजजदत आन लग ह आप एक िलयिजन अगरखज ल ल और ऐस अिसरो पर परयोग मकयज कर। आपस. हजरत उिररमज. की इस बजत को सन कर बहत अपरसनन हए और फरिजयज खदज तआलज न िझ इन बजतो क मलए पवदज नही मकयज। य आडमबर की बजत ह हिजरज जवसज मलबजस ह हि उसी क सजर सब स मिलग। एक बजर आपक पजस एक रशिी अगरखज लजयज गयज तो आपस. न हजरत उिररमज. को उपहजर सिरप द मदयज। दसर मदन दखज हजरत उिररमज. उस पहन घि रह ह। आपन इस पर नजरजजगी जतजई। जब हजरत उिररमज. न कहज मक ह अललजह क रसल ! आप न ही तो उपहजर मदयज रज, तब आपस. न फरिजयज हर िसत अपन ही उपयोग क मलए तो नही होती अरजात यह अगरखज चमक रशि कज रज आपको चजमहए रज मक यह अपनी पतनी को द दत यज अपनी बिी को द दत अरिज मकसी अनय कजया ि ल आत। उस अपन मलबजस क तौर पर परयोग करनज उमचत नही रज।

हबतर म सलादगीआपस. कज मबसतर भी बहत सजदज होतज रज. सजिजनयतयज एक चिडज

यज ऊि क बजलो कज एक कपडज होतज रज। हजरत आइशजरमज. फरिजती ह मक हिजरज मबसतर इतनज छोिज रज मक जब िहमिद रसलललजह (स.अ.ि.) रजत को इबजदत (उपजसनज) क मलए उठत तो ि एक ओर होकर लि जजती री और मबसतर छोिज होन क कजरण जब आप इबजदत क मलए खड हो

278हजरत महममदस का पवितर जीिन

जजत तो ि िजग लमबी कर मलयज करती और जब आप सजदह करत तो ि िजग सिि मलयज करती।

मकलान और रहन-सहन म सलादगीआपस. रहन क िकजन क सबि ि सजदगी पसनद करत र। सजिजनय

रप स आप क घरो ि एक-एक किरज होतज रज और छोिज सज आगन। इस किर ि एक रससी बिी हई री मजस पर कपडज डजल कर पदजा करक मनयत सिय पर िलजकजत करन िजलो स परक बवठकर बजत कर मलयज करत र। आप चजरपजई परयोग नही करत र अमपत िरती पर ही मबसतर मबछजकर सोत र। आप क रहन सहन ि इतनी अमिक सजदगी री मक हजरत आइशजरमज. न आपक मनिन क पशजत फरिजयज— हि रसलललजह (स.अ.ि.) क सिय ि कई बजर िजतर पजनी और खजर पर ही गजजरज करनज पडतज रज, यहज तक मजस मदन आप कज मनिन हआ उस मदन भी हिजर घर ि खजन क मलए पजनी और खजर क अमतररकत ककछ नही रज।

ईशर-परम तथिला उसकी उपलासनलाहजरत िहमिद रसलललजह (स.अ.ि.) कज सजरज जीिन खदज क परि

ि लीन मदखजई दतज ह। आप इतन बड सिजमजक उतरदजमयति क बजिजद मदन-रजत इबजदत ि वयसत रहत र। अिारजमतर वयतीत होन पर आप खदज की इबजदत क मलए खड हो जजत और परजतःकजल तक इबजदत करत चल जजत, यहज तक मक कई बजर आप क पवर सज जजत र और आप क दखन िजलो को आप की दशज पर दयज आती री। हजरत आइशजरमज. कहती ह— एक बजर िन ऐस ही अिसर पर कहज— ह अललजह क रसल ! आप को

279 हजरत महममदस का पवितर जीिन

खदज तआलज कज पहल ही सजमनधय परजपत ह मफर आप सिय को इतनज कटि कयो दत ह? आप न फरिजयज— ह आइशज ! ورا

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बजत सतय ह मक िझ खदज तआलज कज सजमनधय परजपत ह। यह उसकी िझ पर िहजन कपज ह तो कयज िरज यह कतावय नही मक ि यरजशसकत उस कज िनयिजद कर; कयोमक िनयिजद उपकजर क िकजबल पर ही हआ करतज ह।

आप कोई िहतिपणा कजया खदज की आजञज क मबनज नही करत र। अतः आप की जीिनी ि इसकज उललख मकयज जज चकज ह मक िककज क लोगो क भयकर अतयजचजरो क बजिजद आपस. न िककज को उस सिय तक न छोडज जब तक मक खदज तआलज की ओर स आप पर िहयी (ईशिजणी) नही उतरी और आपको िहयी विजरज िककज छोडन की आजञज न दी गई। िककज िजलो क भयकर अतयजचजरो को दखकर आप न जब सहजबज क हबशज की ओर महजरत (परिजस) कर जजन की आजञज दी तरज उनहोन आप स उनरोि मकयज मक आप भी उनक सजर चल तो आप न फरिजयज— िझ अभी खदज तआलज की ओर स आजञज परजपत नही हई। अतयजचजर और आतक क सिय जब लोग अपन मितरो और पररजनो को अपन पजस एकतर कर लत ह आपन अपनी जिजअत को हबशज की ओर महजरत करक जजन कज मनदचश मदयज और सिय अकल िककज ि रह गए। इसमलए मक आप क खदज न आप को अभी महजरत करन की आजञज नही दी री।

आप खदज की िजणी सनत तो आपकी आखो ि सितः आस आ जजत, मिशर कर ि आयत मजन ि आप क दजमयतिो की ओर धयजन मदलजयज गयज ह। अतः अबदललजह मबन िसऊदरमज. िणान करत ह मक एक बजर रसलललजह (स.अ.ि.) न फरिजयज— कआान करीि की ककछ आयत पढकर सनजओ। िन उतर ि कहज— ह अललजह क रसल ! कआान तो आप पर उतरज ह आप को कयज सनजऊ? आपन फरिजयज— ि चजहतज ह मक दसर लोगो स भी कआान पढिजकर सन। इस पर िन सरह ‘असननसज’

280हजरत महममदस का पवितर जीिन

पढकर सनजनज आरमभ मकयज, जब पढत-पढत ि इस आयत पर पहचज मक

अरजात उस सिय कयज दशज होगी जब हि परतयक जजमत ि स उसक नबी को उसकी जजमत क सजिन खडज करक उस जजमत कज महसजब लग और तझ भी तरी जजमत क सजिन खडज करक उसकज महसजब लग तो िहमिद रसलललजह (स.अ.ि.) न फरिजयज— “पयजापत ह, पयजापत ह”। िन आपकी ओर दखज तो आप की दोनो आखो स िप-िप आस मगर रह र।

आप को निजज की पजबनदी कज इतनज धयजन रहतज रज मक अतयमिक बीिजरी की अिसरज ि जब मक खदज तआलज की ओर स घर ि निजज पढ लन तरज लि कर पढ लन तक की अनिमत होती ह आप सहजरज लकर िससजद ि निजज पढजन क मलए आत। एक मदन आप निजज क मलए न आ सक तो हजरत अब बकररमज. को निजज पढजन कज आदश मदयज परनत इतन ि तमबयत ि ककछ सिजर परतीत हआ तो तरनत दो लोगो कज सहजरज लकर िससजद की ओर चल पड परनत दबालतज की यह अिसरज री मक हजरत आइशजरमज. फरिजती ह— आप क दोनो पवर परिी पर घमसित जजत र। ससजर ि परशसज और धयजनजकराण क मलए तजमलयज बजजई जजती ह, अरबो ि भी यही परचलन रज परनत आपस. को खदज तआलज कज सिरण और उसकी सतमत इतनी पसनद री मक इस उदशय क मलए भी खदज की सतमत करन कज ही आदश मदयज। अतः उललख ह मक एक बजर आपस.

मकसी कजया ि वयसत र मक निजज कज सिय हो गयज। आप न फरिजयज— अब बकररमज. निजज पढज द। इतन ि आप कजया स मनित हो गए और तरनत िससजद की ओर चल पड। जब आप िससजद ि पहच तो हजरत अब बकररमज. निजज पढज रह र। जब लोगो को िजलि हआ मक आप िससजद ि आ गए ह तो शीघरतज स तजमलयज बजजनज आरमभ कर मदयज, मजस

-असननसज ः40

281 हजरत महममदस का पवितर जीिन

स एक ओर तो यह बतजनज अभीटि रज मक आपस. क आन स उनक हदय बहत परसनन हो गए ह तरज दसरी ओर अब बकर को यह धयजन मदलजनज भी अभीटि रज मक अब आपकी इिजित सिजपत हई, अब रसलललजह (स.अ.ि.) पहच गए ह। हजरत अब बकर पीछ हि गए और आपस. क मलए इिजि कज सरजन खजली कर मदयज। निजज क पशजत आपस. न फरिजयज— अब बकर ! जब िन तमह निजज पढजन कज आदश मदयज रज तो ति पीछ कयो हि गए? अब बकररमज. न कहज— ह अललजह क रसल ! अललजह क रसल की उपससरमत ि अब कहजफज क बि की कयज हमसयत री मक िह निजज पढजए। मफर आपस. न सहजबज को समबोमित करत हए फरिजयज— तमहजरज तजमलयज बजजन कज कयज उदशय रज? खदज की सतमत क सिय ि तो तजमलयज बजजनज अनमचत िजलि होतज ह। जब निजज क सिय कोई ऐसी बजत हो मक उसकी ओर धयजन आकमरात करजनज आिशयक हो तो तजमलयज बजजन क सरजन पर खदज कज नजि ऊच सिर ि मलयज करो, जब ति ऐसज करोग तो दसरो कज धयजन सितः उस ओर हो जजएगज परनत इसक सजर ही आप मदखजि की इबजदत भी पसनद नही करत र। एक बजर आप घर ि गए तो आप न दखज मक दो सतमभो क िधय एक रससी लिकी हई ह। आपस. न पछज यह रससी कयो बिी हई ह? लोगो न कहज— यह हजरत जवनब की रससी ह। जब िह इबजदत करत-करत रक जजती ह तो उस रससी को पकड कर सहजरज ल लती ह। आपस. न फरिजयज— ऐसज नही करनज चजमहए। यह रससी खोल दो। परतयक को चजमहए मक इतनी दर इबजदत कर जब तक उसक हदय ि उललजस रह जब िह रक जजए तो बवठ जजए। इस परकजर कटि उठजकर की जजन िजली इबजदत कज कोई लजभ नही पहचज सकती। मशकक (विवतिजद) स आपको इतनी घणज री मक ितय क सिय िरणजसनन अिसरज ि र, आप कभी दजयी करिि लित, कभी बजयी करिि लित तरज यह फरिजत जजत— खदज उन यहद और नसजरज

282हजरत महममदस का पवितर जीिन

पर लज’नत कर मजनहोन अपन नमबयो की कबो को िससजद बनज मलयज ह अरजात ि नमबयो की कबो पर सजद करत ह और उन स दआए करत ह। आप कज उदशय यह रज मक िरी जजमत यमद िर िरणोपरजनत ऐसज ही कजया करगी तो िह यह न सिझ मक िह िरी दआओ की पजतर होगी अमपत ि उसस पणातयज परक हगज। खदज तआलज क परमत आप की कोिल भजिनजओ की चचजा आपक जीिन की ऐमतहजमसक घिनजओ ि आ चकी ह, जब िककज क लोगो न आपस. क सिक हर परकजर की ररशवत परसतत की तजमक आप बतो कज खणडन करनज छोड द। आप क चजचज अब तजमलब न भी इस बजत की मसफजररश की और कहज— यमद ति न इतनी बजत भी सिीकजर न की तो िरी जजमत, यमद िन तमहजरज सजर न छोडज, िझ छोड दगी। तब आप न फरिजयज— यमद य लोग िर दजए हजर पर सया तरज बजए हजर पर चनदरिज लजकर रख द तब भी ि खदज क एक होन की आसरज अरजात एकशवरिजद क मसदधजनत कज परचजर करन स नही रक सकतज। इसी परकजर उहद-यदध क अिसर पर िसलिजन घजयल और असत-वयसत अिसरज ि एक पहजडी क नीच खड र और शतर अपन सिसत ससजिनो क सजर इस परसननतज ि जयघोर लगज रहज रज मक हि न िसलिजनो की शसकत को सिजपत कर मदयज ह। जब अब सफयजन न कहज

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अरजात हबल की जय हो, हबल की जय हो, तो आपस. न अपन ھبلसजमरयो को जो शतर की दसटि स छप खड र और इस छपन ि ही उनकी ककशलतज री, आदश मदयज मक उतर दो

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अललजह ही सिवोच, तजिजन एि बडी शजन िजलज ह। तमजसितज और परभतज उसी को परजपत ह। आपक खदज क परमत सिजमभिजन कज एक और िहतिपणा उदजहरण भी आपक जीिन ि मिलतज ह। इसलजि स पिा सिसत ििको ि सजिजनयतयज यह मिचजर पजयज जजतज रज मक नमबयो की परसननतज परजसपत अरिज कटि पहचन पर परिी और आकजश ि पररितान परकि होत

283 हजरत महममदस का पवितर जीिन

ह तरज आकजशीय गरह उनक अमिकजर ि होत ह। अतः मकसी नबी क बजर ि यह कहज जजतज रज मक उसन सया को कहज मक ससरर हो जज ! िह ससरर हो गयज। मकसी नबी क बजर ि यह आतज रज मक उस न चनदरिज की पररकरिज को रोक मदयज तरज मकसी क बजर ि आतज रज मक उसन जल-परिजह को बनद कर मदयज परनत आपन इस परकजर क मिचजरो क दोरो को परकि मकयज और यह बतजयज मक िजसति ि य उपिजए ह मजन स लोग लजभ परजपत करन क बजजए गलमतयो और भरिो ि पड जजत ह। असत, इन तरयो क सपटिीकरण-वयजखयजओ क बजिजद ककछ लोगो क हदयो ि इस परकजर क मिचजरो कज परभजि शर रह गयज रज। जब िहमिद (स.अ.ि.) की असनति आय ि आप क इकलौत पतर इबजहीि की ढजई िरा की आय ि ितय हई तो सयोग स उस मदन सया को भी गरहण लग गयज। उस सिय ककछ ऐस ही लोगो न िदीनज ि यह परमसदध कर मदयज मक दखो िहमिद रसलललजह क पतर क मनिन पर सया अिकजरिय हो गयज ह। जब आपस. को यह सिजचजर मिलज तो आप परसनन न हए और आप खजिोश भी न रह अमपत बडी कठोरतज स इसकज खणडन मकयज और कहज— चनदरिज और सया तो खदज तआलज क मनिजाररत कजनन को परकि करन िजल अससतति ह, इनकज मकसी िहजन यज तचछ िनषय क जीिन यज ितय क सजर कयज सबि। (बखनारी हितिनाबल िसफ) जब कोई िनषय अरब की परमपरजनगत यह कह दतज मक अिक नकतर क अिक रजमश ि होन क कजरण हि पर िरजा हई ह तो आपस. कज चहरज पररिमतात हो जजतज और आप फरिजत— ह लोगो ! खदज तआलज की न’ितो को दसरो की ओर कयो समबदध करत हो। िरजा इतयजमद सब िसतए खदज तआलज क मनिजाररत कजनन क अनसजर होती ह मकसी दिी-दितज अरिज मकसी अनय आधयजसतिक शसकत की अनकमपज और दजन क फलसिरप नही होती। (मसलम हितिनाबल ईमना बनाब बना िफरना म कनालना मतिरोना हबौइ)।

284हजरत महममदस का पवितर जीिन

खदला पर भरोसलाआपस. की खदज पर भरोसज करन की िह अिसरज री मक जब एक

वयसकत न आप को अकलज पजकर तलिजर उठजई और आपस. स पछज— अब िझ स तमह कौन बचज सकतज ह? उस सिय आप मनःशसतर होन क बजिजद तरज लि होन क कजरण कोई कजयािजही भी नही कर सकत र सिारज सनतोर और शजसनत भजि स उतर मदयज— “अललजह”यह शबद आपस. क िख स इस मिशवजस और दढतज स मनकल मक उस कजमफर कज हदय भी आप क ईिजन की दढतज तरज आपक अिल मिशवजस को सिीकजर मकए मबनज नही रह सकज तरज उसक हजर स तलिजर मगर गई और िह जो आप कज िि करन आयज रज आपक सजिन अपरजमियो क सिजन खडज हो गयज। (मसलम हिलद-2 हितिनाबल फजनाल) खदज क सिक मिनमरतज की अिसरज यह री मक जब आप स लोगो न कहज— ह अललजह क रसल ! आप तो अपन किा क बल पर खदज तआलज क कपज-पजतर होग तो आप न फरिजयज— नही ! नही ! ि भी खदज की कपज स ही किज मकयज जजऊगज। अतः हजरत अब हररजरमज. िणान करत ह; िन एक मदन िहमिद रसलललजह (स.अ.ि.) स सनज आप कह रह र मक कोई वयसकत अपन किको स सिगा ि परिश नही कर सकगज। िन कहज— ह अललजह क रसल ! कयज आप भी अपन किको स सिगा ि परिश नही कर सकग? आप न फरिजयज— ि भी अपन किको क पररणजिसिरप सिगा ि परिश नही कर सकगज। हज, खदज की कपज और उसकी करणजरपी चजदर िझ ढक ल तो यही एक िजगा ह। (बखनारी हितिनाबल रररकनाक) आपस. न पनः फरिजयज— अपन किको ि भलजई क पहल को दसटिगत रखो, तरज सजमनधय परजसपत क िजगा की खोज ि लग रहो तरज ति ि स कोई वयसकत अपनी ितय की इचछज न मकयज कर कयोमक यमद िह सदजचजरी ह तो जीमित रहकर अपन शभ किको ि और भी उननमत करगज

285 हजरत महममदस का पवितर जीिन

और यमद िह दरजचजरी ह तो जीमित रह कर अपन पजपो कज परजयसशत करन कज अिसर परजपत हो जजएगज। (बखनारी हितिनाबततमनना व हितिनाबदना’वनाति)। • खदज स परि की यह ससरमत री मक जब एक सिय क पशजत बजदल आत तो आप अपनी जीभ पर िरजा की बद ल लत और कहत— दखो िर रबब की तजजज न’ित। • जब लोगो क सजर बवठत तो खदज की मिनय करत रहत तरज यो भी मिनय करत रहन ि आपकज अमिकजश सिय वयतीत होतज तजमक आपकी उमित तरज आप क सजर सबि रखन िजल खदज तआलज क परकोप स सरमकत रह और खदज की किज की चजदर सब को ढजप ल। (बखनारी हितिनाबदना’वनाति तिथना मसलम हितिनाबहजजकरवदआ)• खदज तआलज क सिक अपनी उपससरमत को सदवि तजजज रखत। अतः जब आप सोत तो यह कहत हए सोत—ح

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ह खदज तरज ही नजि लत हए िर और तरज ही नजि लत हए उठ। जब आप परजतः उठत तो कहत— ور

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सिसत परशसजए अललजह ही क मलए ह मजसन ितयोपरजनत हि जीमित मकयज और मफर हि अपन रबब क सजिन जजन िजल ह। (बखनारी हितिनाबदना’वनाति)• खदज तआलज क सजहचया की इतनी अमभलजरज री मक हिशज खदज तआलज स दआ करत रहत र—

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(बखनारी हितिनाबदना’वनाति अइबन अबबनास) अरजात ह मर परहतपलालक ! मर हदय म भी अपनला परकलाश भर द, मरी आखो म भी अपनला परकलाश भर द, मर कलानो म भी अपनला परकलाश भर द, मर दलाए भी तरला परकलाश हो और मर बलाए भी तरला परकलाश हो, मर ऊपर भी तरला

286हजरत महममदस का पवितर जीिन

परकलाश हो और मर नीच भी तरला परकलाश हो, मर आग भी तरला परकलाश हो और मर पीछ भी तरला परकलाश हो। ह मर रबब ! मर समत असततव को परकलाशमय बनला द।• इबन अबबजसरमज. िणान करत ह मक आपस. क मनिन क ककछ सिय पिा िसवमलिज कजजजब आयज। उसन कहज— यमद िहमिद रसलललजह (स.अ.ि.) अपन पशजत िझ अपनज उतरजमिकजरी मनयकत कर द तो ि उनकज अनयजयी बन जजऊगज। उस सिय उसक सजर एक बडज जनसिह रज तरज मजस जजमत स िह सबि रखतज रज िह जजमत सिसत अरब जजमतयो ि सखयज की दसटि स सब स अमिक री। जब रसल करीि (स.अ.ि.) को उसक िदीनज ि आन की सचनज मिली तो आप उसकी ओर गए। आपस. क सजर ‘सजमबत मबन कस मबन शिजस’ र। िहमिद रसलललजह (स.अ.ि.) क हजर ि खजर की एक िहनी री। आप उस जनसिह तक आए और िसवमलिज कजजजब क सजिन खड हो गए। इतन ि और सहजबज भी एकतर हो गए तरज आपस. क चजरो ओर खड हो गए। आपस. न िसवमलिज को समबोमित करक फरिजयज— ति यह कहत हो मक िहमिद रसलललजह (स.अ.ि.) यमद अपन पशजत िझ अपनज खलीफज (उतरजमिकजरी) मनयकत कर द तो ि उसकज अनयजयी बनन क मलए तवयजर ह परनत ि तो खदज क आदश क मिपरीत यह खजर की िहनी भी तमह दन क मलए तवयजर नही। तरज अनत िही होगज जो खदज न तर मलए मनसशत कर रखज ह। यमद ति हिजर िनतवय स मििख होकर चल जजओग तो खदज तआलज तमहजर पवर कजि दगज तरज ि दख रहज ह मक खदज न जो ककछ िझ (सिपनजिसरज) ि मदखजयज रज िही तर सजर होन िजलज ह। मफर कहज ि जजतज ह, ति िरी ओर स सजमबत मबन कस मबन शिजस क सजर बजत करो। यह कह कर आप िजपस आ गए। हजरत अब हररजरमज. भी आप क सजर र। िजगा ि मकसी न आपस. स पछज— ह अललजह क रसल ! आप

287 हजरत महममदस का पवितर जीिन

न यह कयज फरिजयज ह मक जो ककछ खदज न िझ मदखजयज रज ि तझ िवसज ही पजतज ह आपस. न फरिजयज— िन सिपन ि दखज रज मक िर हजर ि दो कड ह। िन उन कडो को दखकर पसनद नही मकयज उस सिय सिपन ि ही िहयी हई मक ि उन पर फक िजर, जब िन फकज तो ि दोनो उड गए। िन उसकी यह वयजखयज की मक िर पशजत दो झठ दजिदजर परकि होग। (बखनारी हितिनाबल मगनाजी बनाब हकसतिल अवद अलअनसी)• हजरत िहमिद रसलललजह (स.अ.ि.) मक आय कज िह असनति यग रज। अरब की सब स बडी और असनति जजमत आप कज अनसरण करन क मलए तवयजर री और शता किल इतनी री मक रसल करीि (स.अ.ि.) उसक सरदजर को अपन पशजत उतरजमिकजरी (खलीफज) मनयकत कर द। यमद रसलललजह (स.अ.ि.) क हदय ि वयसकतगत परमतषठज कज कोई मिचजर भी होतज तो ऐसी अिसरज ि जब मक आपकी कोई नर-सनतजन न री आपक मलए ककछ भी कमठन न रज मक अरब की सबस बडी जजमत क सबस बड सरदजर को अपन उतरजमिकजरी क मलए मनयसकत कज िचन दकर सिसत अरब की एकतज कज िजगा परशसत कर दत परनत रसल करीि सललललजहो अलवमह िसललि जो मकसी छोिी स छोिी िसत को भी अपनी िसत नही सिझत र िह इसलजिी शजसन को अपनी समपमत कस ठहरज सकत र। आपस. क मनकि इसलजिी शजसन खदज की अिजनत री और उस अिजनत को तदित खदज तआलज क ही सपदा मकयज जजनज चजमहए रज। मफर िह मजस चजह दोबजरज सपदा कर द। अतः आप न इस परसतजि को मिककजरत हए ठकरज मदयज तरज फरिजयज— बजदशजहत तो अलग रही खदज की आजञज क मबनज ि खजर की एक िहनी भी तमह दन क मलए तवयजर नही।• आपस. जब भी अललजह तआलज क नजि कज जजप करत, उसक परि ि तललीन हो जजत और इस परिजिग ि सिभजितयज आप कज अनतः

288हजरत महममदस का पवितर जीिन

एि बजहय रप जयोमतिाय हो जजतज। उस सिय ऐसज परतीत होतज रज िजनो परभ-परि न आपक अनतस एि बजहय रप पर अपनज आमिपतय जिज मलयज। परिशवर की उपजसनज ि आपको सजदगी इतनी पसनद री मक िससजद मजस ि कोई फशा नही रज, मजस पर कोई कपडज भी नही रज आपस. निजज पढत तरज दसरो स भी पढिजत। कई बजर ऐसज होतज मक िरजा क कजरण छत िपकन लगती तरज रसल करीि (स.अ.ि.) कज शरीर गजर और पजनी स लरपर हो जजतज परनत आपस. इबजदत ि मनरनतर वयसत रहत तरज आप क हदय ि तमनक भी ऐसी भजिनज पवदज न होती मक अपन शरीर और कपडो की सरकज क मलए उस सिय की निजज को सरमगत कर द अरिज मकसी अनय सरजन पर जज कर निजज पढ ल। (बखनारी हितिनाबसौम, बनाब फजल ललतिलकदर)

आप अपन सहजबज की उपजसनजओ कज भी धयजन रखत र। एक बजर हजरत अबदललजह मबन उिररमज. क बजर ि जो मनतजनत सदजचजरी तरज सदसिभजि रखन िजल वयसकत र। आप न फरिजयज— अबदललजह मबन उिर कसज अचछज वयसकत होतज यमद तहजद (अिारजमतर क पशजत पढी जजन िजली ऐसचछक निजज) भी मनयमित रप स पढतज। (िससलि मकतजब फजजइलससहजबजरमज.) जब हजरत अबदललजह मबन उिर को यह खबर पहची तो आप न उस मदन स तहजद की निजज आरमभ कर दी। इसी परकजर मलखज ह मक एक बजर आप रजत को अपन दजिजद हजरत अलीरमज.

और अपनी बिी हजरत फजमतिजरमज. क घर गए तरज पछज— कयज तहजद (अिारजमतर क पशजत उठकर पढी जजन िजली एसचछक निजज) पढज करत हो हजरत अलीरमज. न कहज— ह अललजह क रसल ! पढन कज परयजस तो करत ह परनत जब खदज तआलज की इचछज क अनतगात मकसी सिय हिजरी आख बनद रहती ह तो मफर तहजद रह जजती ह। आपस. न फरिजयज— तहजद पढज करो तरज उठकर अपन घर की ओर चल पड, िजगा ि बजर-

289 हजरत महममदस का पवितर जीिन

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बनाब अततिजद हफलल) यह कआान करीि की एक आयत ह मजसक अरा य ह मक िनषय परजयः अपनी गलती सिीकजर करन स घबरजतज ह और मिमभनन परकजर क तकक दकर अपनी गलती पर पदजा डजलतज ह। तजतपया यह रज मक हजरत अलीरमज. और हजरत फजमतिजरमज. बजजए इसक मक यह कहत मक हि स कभी-कभी गलती भी हो जजती ह उनहोन यह कयो कहज मक जब ईशवरचछज होती ह मक हि न जजग तो हि सोए रहत ह और अपनी गलती को अललजह तआलज स कयो समबदध मकयज परनत अललजह तआलज स इतनज परि रखन क बजिजद आप मदखजि की उपजसनज और अिकल (अनिजन) स परोक की बजत बतजन क कजया स बहत घणज करत र। आप कज मसदधजनत यह रज मक खदज तआलज न िनषय को जो शसकतयज परदजन की ह उन कज यरजसरजन परयोग ही इबजदत ह। आखो क होत हए आखो को बनद कर दनज यज उन को मनकलिज दनज इबजदत (उपजसनज) नही अमपत िटितज ह। हज उन कज दरपयोग करनज पजप ह। कजनो को मकसी आपरशन विजरज शरिण-शसकत स िमचत कर दनज खदज तआलज क परमत िटितज ह। हज लोगो की चगमलयज और उनकी बरजइयज सननज पजप ह, भोजन कज पररतयजग (भख हडतजल), आतिहतयज तरज खदज क परमत िटितज ह। हज खजन-पीन ि वयसत रहनज तरज अिवि और अरमचकर िसतओ कज परयोग पजप ह। यह एक बहत बडज रहसय रज मजस िहमिद (स.अ.ि.) न ससजर क सजिन परसतत मकयज मजस आप स पिा मकसी नबी न परसतत नही मकयज। उचकोमि क मशटिजचजर नजि ह सिजभजमिक शसकतयो कज यरजसरजन परयोग। सिजभजमिक शसकतयो को नटि कर दनज िखातज ह, उनह अिवि कजयको ि लगजनज दरजचजर ह, उनकज उमचत परयोग िजसतमिक सदजचजर ह। यह सजर ह रसलललजह (स.अ.ि.) की मशकज कज और यह सजर ह िहमिद रसलललजह (स.अ.ि.) क जीिन कज तरज आप क कजयको कज। हजरत आइशजरमज. आप क सबि ि फरिजती ह—

290हजरत महममदस का पवितर जीिन

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(मसलम हिलद-2, हितिनाबलफजनाल) रसल करीि (स.अ.ि.) क जीिन ि कभी ऐसज अिसर नही आयज मक आपक सजिन दो िजगा खल हो और आप न उन दोनो िजगको ि स जो आसजन िजगा हो उस न अपनजयज हो परनत िह आसजन िजगा िजरण करन ि मकसी पजप कज पहल न हो। यमद मकमचनिजतर भी पजप कज आभजस होतज तो आप उस िजगा स सिसत लोगो की अपकज अमिक दर रहत। यह कसज उति और कसज उचकोमि कज आचरण ह। ससजर को िोखज दन क मलए लोग अकजरण सिय को मकस परकजर दःखो और कटिो ि डजलत ह। उनकज सिय को दःखो और कटिो ि डजलनज परिशवर क मलए नही होतज; कयोमक परिशवर क मलए कोई मनरराक कजया नही मकयज जजतज, उनकज सिय को दःखो और कटिो ि डजलनज लोगो को िोखज दन क मलए होतज ह। उन की िजसतमिक भलजई बहत कि होती ह। ि आडमबर पणा आचरणो स लोगो पर अपनज परभजि डजलनज चजहत ह तरज अपन दोरो को गपत रखन क मलए लोगो की आखो ि िल झोकत ह परनत िहमिद रसलललजह (स.अ.ि.) कज उदशय तो खदज कज यशोगजन तरज यरजरा सदजचजर परजसपत रज। आपको ऐस कमतरि और आडमबरपणा सदजचजरो की कयज आिशयकतज री ! यमद ससजर आप को बरज सिझतज तब भी और यमद आप को सदजचजरी सिझतज तब भी आप क मलए एक सिजन रज। आपस. तो किल यह दखत र मक िरज परिशवर िझ कयज सिझतज ह और िरज हदय िझ कसज पजतज ह। परिशवर और अपन हदय की सजकय क पशजत यमद लोग भी सची सजकय दत तो उनक कतजञ होत र और यमद ि िढी दसटि स दखत तो आप उनकी आखो की जयोमत की किी पर खद करत तरज उनक ित को कोई िहति न दत र।

291 हजरत महममदस का पवितर जीिन

महममद (स.अ.ि.) कला मलानव जलाहत स वयवहलारपसतनयो क परमत आप कज आचरण मनतजनत सहजनभमत पणा एि नयजयसगत

रज। कई बजर आप की पसतनयज आप स कठोरतज कज वयिहजर भी कर लती री परनत आप खजिोशी स हस कर िजल दत र। एक मदन आपस. न हजरत आइशजरमज. स कहज— ह आइशज ! जब ति िझ स रटि होती हो तो िझ िजलि हो जजतज ह मक ति िझ स रटि हो। हजरत आइशजरमज. न फरिजयज— आपको मकस परकजर िजलि हो जजतज ह? आप न फरिजयज— जब ति िझ स परसनन होती हो और कोई कसि खजन कज िजिलज आ जजए तो ति हिशज यो कहती हो— “िहमिद क रबब की कसि बजत यो ह” और जब ति िझ स रटि होती हो और तमह कसि खजन की आिशयकतज पड जजए तो ति कहज करती हो— “इबजहीि क रबब की कसि बजत यो ह”। हजरत आइशज यह सनकर हस पडी तरज आपकी बजत की पसटि करत हए कहज— आपन ठीक सिझज। (बखनारी हितिनाबसनिनाि बनाब गरतिसनसना व वजदोहनना)

हजरत खदीजजरमज. जो आप की बडी पतनी री, मजनहोन आप क मलए बड-बड तयजग मकए र, उनक िरणोपरजनत आप क मििजह ि जिजन पसतनयज आई परनत आप न इसक बजिजद हजरत खदीजजरमज. क समबनि को न भलजयज। हजरत खदीजज की सहमलयज जब भी आती आप उनक सिजगत क मलए खड हो जजत (मसलम बनाब फजनाल-ए-खदीिनारहज.), हजरत खदीजज की बनी हई कोई िसत आप क सजिन आ जजती तो आप की आखो ि आस आ जजत। बदर क यदध ि जब आप क एक दजिजद भी बनिक हो कर आए तो आजजद होन कज मफदयज अदज करन क मलए उनक पजस कोई िन न रज। उनकी पतनी अरजात रसल करीि (स.अ.ि.)

-नकदी क रप ि आजजद होन कज िलय। -अनिजदक।

292हजरत महममदस का पवितर जीिन

की बिी न जब दखज मक िर पमत को बचजन क मलए और कोई िन नही तो अपनी िज की असनति मनशजनी एक हजर उनक पजस रज, उनहोन िह हजर अपन पमत क मफदयज क तौर पर िदीनज मभजिज मदयज। जब िह हजर रसल करीि (स.अ.ि.) क सजिन परसतत हआ तो आप न उस पहचजन मलयज आपकी आखो ि आस आ गए। आपन सहजबज स कहज— ि आप लोगो को आदश तो नही दतज; कयोमक िझ ऐसज आदश दन कज कोई अमिकजर नही, परनत ि जजनतज ह मक यह हजर जवनब क पजस उसकी िज की असनति यजदगजर ह। यमद आप परसननतजपिाक ऐसज कर सकत हो तो ि मसफजररश करतज ह मक बिी को उसकी िज की असनति यजदगजर स िमचत न मकयज जजए। सहजबज न कहज— ह अललजह क रसल ! हिजर मलए इस स बढकर और कयज खशी हो सकती ह। सहजबज न िह हजर हजरत जवनब को िजपस कर मदयज। (असीरतिल िलहबयि हिलद-2 पषठ-215)। खदीजज क तयजग कज आप क हदय पर इतनज परभजि रज मक आप दसरी पसतनयो क सजिन परजयः उनक शभकिको की चचजा करत रहत र। इसी परकजर एक मदन आप हजरत आइशजरमज. क पजस हजरत खदीजज क मकसी आचरण की चचजा कर रह र मक हजरत आइशज न खीझ कर कहज— ह अललजह क रसल ! अब उस बमढयज की चचजा को जजन भी द, अललजह तआलज न उसस उति, जिजन और सनदर पसतनयज आपको दी ह। यह बजत सनकर रसल करीि (स.अ.ि.) की आख भर आई और आप न फरिजयज— आइशज तमह जञजत नही मक खदीजज न िरी मकतनी सिज की ह। (बखनारी हितिनाब बदउलखलक बनाब तिजवीिनहबय सललनािो अलहि वसलम खदीिना व फजलिना रहजलनािो अनिना)।

आदशति चररतरआपस. कज सिभजि बहत सरल रज। मकसी कटि पर घबरजत नही र

कभी मकसी इचछज क परमत अतयमिक परभजमित नही होत र। आपक जीिन

293 हजरत महममदस का पवितर जीिन

चररतर ि बतजयज जज चकज ह मक आप क जनि स पिा आप क मपतज और बजलयकजल ि आपकी िजतज कज मनिन हो गयज रज। परजरसमभक आठ िरा आप न अपन दजदज अबदल ितमलब क सरकण ि गजजर। ततपशजत आप कज पजलन-पोरण आप क चजचज अब तजमलब की छतरछजयज ि हआ। चजचज कज रकत-सबि भी रज तरज उनक मपतज न िरत सिय रसल करीि (स.अ.ि.) क पक ि मिशर तौर पर िसीयत की री। इसमलए िह रसल करीि (स.अ.ि.) पर मिशररप स सह की दसटि रखत र। आप कज मिशर धयजन भी रखत र परनत चजची ि िह सहजनभमत की भजिनज न री और न ही घरल दजमयतिो कज आभजस। जब घर ि कोई िसत आती तो परजयः िह अपन बचो को पहल दती तरज आपस. की उपकज करती। अब तजमलब घर ि आत तो बजजए इसक मक अपन छोि भतीज को रोत हए यज मशकजयत करत हए पजत, ि दखत मक उनक बच तो कोई िसत खज रह ह परनत उन कज छोिज सज भतीजज सजकजत गररिज कज सतमभ बनज एक ओर बवठज रज। चजचज कज परि और पजररिजररक दजमयति उनक सजिन आ जजत िह दौडकर अपन भतीज को गोद ि ल लत और कहत िर बि कज भी तो धयजन रखो, िर बि कज भी तो धयजन रखो। ऐसज परजयः होतज रहतज रज परनत दखन िजल बतजत ह मक रसल करीि (स.अ.ि.) न न कभी मशकजयत की और न कभी आपक चहर पर उदजसीनतज और मिरजद परकि हआ और न इस कजरण कभी सिभजि ि झझलजहि न जनि मलयज और न अपन चचर भजइयो स ईषयजा पवदज हई इस तरय की पसटि आपक जीिनजदशको स हो जजती ह मक आपन बजद की पररिमतात पररससरमतयो ि मकस परकजर हजरत अली और हजरत जज’फर को अपन सरकण ि लकर उनक हर परकजर स जीिनोतकरा क मलए हर परकजर स उपजय मकए।

रसल करीि (स.अ.ि.) कज भौमतक जीिन भी बहत सी कितजओ स भरज ह। जनि स पिा ही मपतज कज मनिन मफर िजतज और दजदज कज एक क

294हजरत महममदस का पवितर जीिन

बजद एक मनिन। मफर जब मििजह हआ तो आप क बच मनरतर गजरत चल गए, इसक बजद आप की कई पसतनयो कज मनिन हआ, मजनि हजरत खदीजजरमज. जवसी िफजदजर और सिज करन िजली पतनी भी री परनत आपन इन सिसत सकिो को परसननतजपिाक सहन मकयज और य कटि न आप को हतजश कर सक और न आप की मिनोद मपरयतज पर कोई परभजि डजल सक, हदय क घजि कभी नतरो ि नही फि, चहरज हर एक क मलए उललजसपणा रहतज तरज बहत कि ही मकसी अिसर पर आपन इस ददा को परकि मकयज। एक बजर एक सतरी मजसक लडक कज मनिन हो गयज रज िह अपन बि की कब पर रो रही री। रसल करीि (स.अ.ि.) िहज स गजर तो आप न फरिजयज— ह सतरी ! िवया िजरण कर। ईशवरचछज िहजन और सिवोपरर ह। िह सतरी आपस. को पहचजनती न री न री, उसन उतर ि कहज— मजस परकजर िरज बचज िरज ह तमहजरज बचज भी िरतज तो तमह िजलि होतज मक िवया कयज होतज ह। रसल करीि (स.अ.ि.) िहज स यह कह कर चल पड एक नही सजत बचो की ितय हो चकी ह। असत इस परकजर ऐस अिसर पर अपन हदय की पीडज दशजा मदयज करत र, अनयरज परजज की भलजई और कलयजण ि न कोई किी हई न आप क उललजस ि कोई अनतर आयज।

सहनशीलतलाआप ि इतनी सहनशीलतज री मक खदज तआलज न आपको उस यग

ि भी बजदशजहत परदजन कर दी री। आप परतयक की बजत सनत, यमद िह कठोर िजणी कज परयोग करतज तो आप िौन हो जजत तरज कभी कठोर िचन बोलन िजल वयसकत कज उतर कठोर शबदो ि न दत। िसलिजन रसल करीि (स.अ.ि.) को आप क नजि क सरजन पर आपकी आधयजसतिक उपजमि विजरज अरजात ह रसलललजह कह कर बलजत र तरज दसर ििजािलबी एमशयजई मनयि क अनसजर आपस. कज आदर-समिजन इस परकजर करत

295 हजरत महममदस का पवितर जीिन

मक आपको िहमिद कह कर पकजरन की बजजए अब कजमसि कह कर बलजत र जो आप की उपजमि री। (अब कजमसि कज अरा ह कजमसि कज बजप। कजमसि आपक एक बि कज नजि रज) एक बजर एक यहदी िदीनज ि आयज और आकर आपस. स बहस करन लगज। बहस क िधय ि िह बजर-बजर कहतज रज— ह िहमिद ! बजत यो ह। ह िहमिद ! बजत यो ह। रसल करीि (स.अ.ि.) उसकी बजतो कज उतर मबनज मकसी सकोच क दत र परनत सहजबज उसकी यह िटितज दखकर वयजककल हो रह र। अनततः एक सहजबी स न रहज गयज और उसन यहदी स कहज मक खबरदजर ! आप कज नजि लकर बजत न करो। ति रसलललजह नही कह सकत तो कि स कि अब कजमसि कहो। यहदी न कहज ि तो िही नजि लगज जो उनक िजतज-मपतज न उन कज रखज रज। रसल करीि (स.अ.ि.) िसकरजए और अपन सहजबज स कहज— दखो यह ठीक कहतज ह— िर िजतज-मपतज न िरज नजि िहमिद ही रखज रज यह जो नजि लनज चजहतज ह उस लन दो तरज उस पर करोि न करो।

आप जब बजहर कजि क मलए मनकलत तो ककछ लोग आप कज िजगा रोक कर खड हो जजत और अपनी आिशयकतजए बतजन लग जजत। जब तक ि लोग अपनी आिशयकतजओ कज िणान न कर लत आप खड रहत। जब ि बजत सिजपत कर लत तो आप आग चल पडत। इसी परकजर ककछ लोग हजर मिलजत सिय दर तक आपकज हजर पकड रखत, यदमप यह ढग अमपरय ह और कजया ि रोक पवदज करन कज कजरण ह परनत आप कभी अपन हजर को उनक हजर स न छडजत अमपत जब तक िह हजर मिलजन िजलज आपक हजर को पकड रखतज आप अपनज हजर उसक हजर ि रहन दत। आप क पजस हर परकजर की आिशयकतजओ िजल लोग आत तरज अपनी आिशयकतजए परसतत करत। कई बजर आप िजगन िजल को उसकी आिशयकतजनसजर ककछ द दत तो ि अपनी लजलसजिश और अमिक की

296हजरत महममदस का पवितर जीिन

िजग करतज और आप पनः भी उसकी इचछजपमता कर दत। ककछ लोग कई बजर िजगत चल जजत और आप उनह हर बजर ककछ न ककछ दत चल जजत। जो वयसकत मिशर तौर पर मनशछल मदखजई दतज उस उसक िजगन क अनसजर द दन क पशजत किल इतनज कह दत मक कयज ही अचछज होतज यमद ति खदज पर भरोसज करत। अतः एक बजर एक िफजदजर सहजबी न मनरनतर आगरह करक आप स कई बजर अपनी आिशयकतजओ क मलए रपयज िजगज। आप न उसकी इचछजपमता तो कर दी परनत अनत ि कहज— सब स अचछज सरजन तो यही ह मक िनषय खदज पर भरोसज कर। उस सहजबी क अनदर मनषकपितज री और सभयतज भी री जो ककछ िह ल चकज उस समिजनपिाक िजपस न मकयज परनत भमिषय क बजर ि उसन कहज ह अललजह क रसल ! यह िरी असनति बजत ह अब ि भमिषय ि कभी मकसी स मकसी अिसरज ि भी परशन नही करगज।

एक बजर यदध हो रहज रज बडज भीरण यदध रज। बछच चल रह र, तलिजर परसपर िकरज रही री, सवमनक पर सवमनक ििज पड रहज रज मक उसी सहजबी क हजर स ठीक उस सिय जब मक िह शतर क घर ि फस हए र उनक हजर स कोडज मगर गयज। एक सजरी पवदल सवमनक न इस मिचजर स मक यमद अफसर नीच उतरज तो ऐसज न हो मक कोई हजमन पहच जजए झक कर कोडज उठजनज चजहज तजमक उसक हजर ि द द। उस सहजबी की दसटि उस सवमनक पर पड गई। उनहोन कहज— ह िर भजई ! तझ खदज ही की कसि त कोड को हजर न लगज। यह कहत हए िह घोड स कद पड और कोडज उठज मलयज मफर अपन उस पवदल चलन िजल सजरी स कहज— िन रसलललजह (स.अ.ि.) को िचन मदयज रज मक ि मकसी स िजगन क मलए हजर नही फलजऊगज। यमद ि तमह कोडज उठजन दतज तो यदमप िन इस क मलए ति स आगरह नही मकयज रज परनत इस ि सभजिनज री मक कदजमचत ितािजन सिय की ससरमत ि िरज यह कतय मभकजिमत बन जजतज और िझ

297 हजरत महममदस का पवितर जीिन

िचन भग करन िजलज बनज दतज। यदमप यह रणभमि ह तरजमप ि अपनज कजया सिय ही करगज।

नयलायआपस. क अनदर नयजय और इनसजफ इतनज पजयज जजतज रज मक मजसकज

उदजहरण ससजर ि कही नही पजयज जजतज। अरबो ि पकपजत और मसफजररशो को सिीकजर करन कज एक सजिजनय रोग रज। अरब ही नही आिमनक यग क सभय दशो ि भी दखज जजतज ह मक बड लोगो को दणड दत सिय सकोच करत ह और गरीबो को दणड दत सिय नही घबरजत। एक बजर आप क पजस एक िकदिज पश हआ। एक परमतसषठत िश की मकसी सतरी न मकसी अनय क िजल को हडप मलयज रज। जब िजसतमिकतज परकि हो गई तो अरबो ि बहत जोश पवदज हआ कयोमक एक बहत पड परमतसषठत िश कज अपिजन होतज हआ मदखजई मदयज। उनहोन चजहज मक रसल करीि (स.अ.ि.) क सजिन मनिदन कर मक इस सतरी को किज कर मदयज जजए। अनय मकसी वयसकत न तो आग होन कज सजहस न मकयज परनत लोगो न रसलललजह (स.अ.ि.) क मपरय उसजिजरमज. मबन जवद को चनज मक िह आपस. स उस सतरी की मसफजररश कर। उसजिजरमज. न आपस. स बजत आरमभ ही की री मक आप क चहर पर करोि क लकण परकि हए तरज आप न फरिजयज— उसजिज ! यह कयज कह रह हो, पिाकजलीन जजमतयज इसी परकजर नटि हई मक बड लोगो क सजर वयिहजर ि कोिलतज तरज छोि लोगो क सजर अनयजय करती री। इसलजि इस बजत की आजञज नही दतज और ि ऐसज कदजमप नही कर सकतज। खदज की कसि यमद िरी बिी फजमतिज भी इस परकजर कज अपरजि करती तो ि उस दणड मदए मबनज न छोडतज। िह ितजनत पहल िणान मकयज जज चकज ह मक बदर-यदध ि जब हजरत अबबजसरमज.

कद हए तो उन क करजहन स आप को कटि िहसस हआ परनत जब

298हजरत महममदस का पवितर जीिन

सहजबज न आपकज कटि दख कर हजरत अबबजस क बनिनो की रसससयज खोल दी और रसलललजह (स.अ.ि.) को यह बजत िजलि हो गई तो आप न फरिजयज— जवस िर पररजन िवस ही दसरो क पररजन। यज तो िर चजचज अबबजस को भी पनः रसससयो स बजि दो अरिज सिसत कमदयो की रसससयज खोल दो। सहजबज को चमक रसल करीि (स.अ.ि.) क कटि कज आभजस रज, उनहोन कहज— ह अललजह क रसल ! हि सभी कमदयो की रसससयज खोल दत ह। अतः उनहोन सिसत कमदयो की रसससयज खोल दी।

आपस. यदध क अिसर पर भी नयजय को दसटिगत रखत र। एक बजर आपस. न ककछ सहजबज को बजहर शतरओ की सचनजए लजन क मलए भजज। शतर क ककछ लोग उनह हरि (मिशर पमितर सरजन) की सीिज ि मिल गए। इनहोन सोचज मक यमद हिन उनह जीमित छोड मदयज तो य जजकर िककज िजलो को समचत कर दग और हि िजर जजएग, इनहोन उन पर आकरिण कर मदयज, पररणजिसिरप एक उनि स िजरज गयज। जब यह शतरओ की सचनजए िजलि करन िजलज दल िदीनज िजपस पहचज तो पीछ-पीछ िककज िजलो की ओर स भी एक दल मशकजयत लकर आयज मक इनहोन हरि क अनदर हिजर दो लोग िजर मदए ह। जो लोग हरि की सीिज ि िहमिद रसलललजह (स.अ.ि.) पर अतयजचजर करत रहत र उनह उतर तो यह मिलनज चजमहए रज मक ति न कब ‘हरि’ कज समिजन मकयज मक ति हि स ‘हरि’ क समिजन की आशज रखत हो परनत िहमिद रसलललजह (स.अ.ि.) न यह उतर तो न मदयज अमपत फरिजयज— हज, अनयजय हआ ह; कयोमक सभि ह इस मिचजर स मक ‘हरि’ ि ि सरमकत ह उनहोन अपन बचजि कज परज परयजस न मकयज हो, इसमलए आप लोगो को िि कज मफदयज (नकद रजमश क रप ि बदलज) मदयज जजएगज। अतः आपस. न कतल कज िह मफदयज मजसकज अरबो ि परचलन रज उनक उतरजमिकजररयो को अदज कर मदयज।

299 हजरत महममदस का पवितर जीिन

भलावनलाओ कला आदरसिजन तो सिजन आपस. दसरो की भजिनजओ कज भी अतयमिक समिजन

करत र। एक बजर आप क पजस यहदी आयज और मशकजयत की मक दमखए हजरत ! अब बकर न िरज मदल दखजयज ह तरज यह कहज ह मक ि िहमिद (स.अ.ि.) की सौगनि खजकर कहतज ह मजस खदज न िसज स शरषठ बनजयज ह। इस बजत स िर हदय को कटि पहचज ह। आपस. न हजरत अब बकररमज. को बलजकर उनस पछज मक यह कयज बजत ह? हजरत अब बकररमज. न कहज— ह अललजह क रसल ! िजतजा कज आरमभ इस वयसकत न मकयज रज मक ि िसज की सौगि खजकर कहतज ह मजस खदज न सिसत ससजर पर शरषठतज परदजन की ह। इस पर िन कहज— ि िहमिद रसलललजह की सौगनि खज कर कहतज ह मजस खदज न िसज स शरषठतर बनजयज ह। आपन कहज— ऐसज नही करनज चजमहए। दसरो की भजिनजओ कज समिजन करनज चजमहए। िझ िसज पर शरषठतज न मदयज करो। इसकज तजतपया यह न रज मक आप सिय को िसज स शरषठ न सिझत र अमपत तजतपया यह रज मक यह िजकय कहन स मक िहमिद रसलललजह (स.अ.ि.) को खदज न िसज पर शरषठतज परदजन की ह यहमदयो क हदयो को कटि पहचतज ह।

हनधतिनो स सहलानभहत तथिला उनकी भलावनलाओ कला आदरआपस. मनिानो की दशज सिजरन क मलए हिशज परयजस करत रहत तरज

उनह सिजज ि उमचत सरजन दन कज परयतन करत। एक बजर आप बवठ हए र मक आप क सजिन स एक िनजढय वयसकत गजरज। आप न एक सजरी स पछज— इस वयसकत क बजर ि तमहजरी कयज रजय ह? उसन कहज— यह वयसकत परमतसषठत और िनजढय लोगो ि स ह, यमद यह मकसी लडकी स मनकजह की इचछज कर तो उसकी बजत सिीकजर की जजएगी, और यमद यह

300हजरत महममदस का पवितर जीिन

मकसी की मसफजररश कर तो इसकी मसफजररश सिीकजर की जजएगी। आपस.

यह बजत सनकर खजिोश रह, ततपशजत एक अनय वयसकत गजरज जो मनिान और दररदर परतीत होतज रज। रसल करीि (स.अ.ि.) न उस सजरी स पछज— इसक बजर ि तमहजरी कयज रजय ह? उस न कहज— ह अललजह क रसल ! यह मनिान वयसकत ह और इस योगय ह मक यमद यह मकसी लडकी स मनकजह कज मनिदन कर तो उसक मनिदन को असिीकजर कर मदयज जजए और यमद मसफजररश कर तो उसकी मसफजररश असिीकजर कर दी जजए और यमद यह बजत सनजनज चजह तो इसकी बजतो की ओर धयजन न मदयज जजए। यह सनकर रसल करीि (स.अ.ि.) न फरिजयज— इस मनिान वयसकत कज िहति इस स भी अमिक ह मक सिसत ससजर सोन स भर मदयज जजए। (बखनारी हितिनाबरररकनाक बनाब फजललफकर)

एक मनिान सतरी िससजद की सफजई मकयज करती री। रसल करीि (स.अ.ि.) न उस ककछ मदनो तक न दखज तो आप न पछज— िह सतरी मदखजई नही दती। लोगो न कहज— उसकज मनिन हो चकज ह। आप न कहज— जब उसकज मनिन हो गयज रज तो ति न िझ कयो सचनज न दी मक ि भी उसक जनजज ि ससमिमलत हो जजतज। पनः कहज— कदजमचत ति न उस मनिान दखकर हीन सिझज। ऐसज करनज उमचत नही रज। िझ बतजओ उसकी कब कहज ह। आप उसकी कब पर गए और जजकर उसक मलए दआ की। (बखनारी हितिनाबसलनाति बनाब िनसल मसिद)

आपस. कहज करत र मक बहत स लोग ऐस होत ह मक उनक सर क बजल मबखर हए होत ह, उन क शरीरो पर मिटटी पडी होती ह, यमद ि लोगो स मिलन जजए तो लोग अपन विजर बनद कर लत ह परनत ऐस लोग यमद अललजह तआलज की कसि खज बवठ तो खदज तआलज को उन कज इतनज समिजन होतज ह मक िह उनकी कसि परी करक छोडतज ह।

(मसलम हिलद-2, हितिनाबलहबररवससलि बनाब फजलजजअफना)

301 हजरत महममदस का पवितर जीिन

एक बजर रसलललजह सललललजहो अलवमह िसललि क ककछ मनिान सहजबज जो मकसी सिय ि दजस होत र बवठ हए र अब सफयजन उन क सजिन स गजर तो उनहोन उसक सजिन इसलजि की मिजय की ककछ चचजा की। हजरत अब बकररमज. सन रह र, उनह यह बजत अमपरय िहसस हई मक करश क सरदजर कज अपिजन मकयज गयज ह। उनहोन उन लोगो स कहज— कयज ति करश क सरदजर और उनक अफसर कज इस परकजर अपिजन करत हो। मफर हजरत अब बकररमज. न हजरत रसल करीि (स.अ.ि.) क पजस आकर यही बजत मशकजयत क रप ि परसतत की। आपस. न फरिजयज— ह अब बकर ! शजयद ति न अललजह तआलज क इन मिशर लोगो को नजरजज कर मदयज ह। यमद ऐसज हआ तो सिरण रखो मक तमहजरज रबब भी ति स नजरजज हो जजएगज। हजरत अब बकर उसी सिय उठ तरज उन लोगो क पजस िजपस आए और कहज— ह िर भजइयो ! कयज िरी बजत स ति नजरजज हो गए हो? उस पर उन दजसो न उतर मदयज— ह हिजर भजई ! हि नजरजज नही हए, खदज आप की भल किज कर।

(मसलम हितिनाबल फजनाल बनाब हम फजनालन सलमना व सिब व हबलनालरहज.)परनत जहज आपस. मनिानो कज िजन-समिजन करत और उनकी

आिशयकतजओ कज धयजन रखत र िहज आप उनह आतिसमिजन की मशकज दत र और िजगन स िनज करत र। अतः आप सदवि कहज करत र मक दररदर िह नही मजस एक खजर यज दो खजर यज एक गरजस यज दो गरजस सनतटि कर द। दररदर िह ह जो चजह मकतन ही सकिो स गजर मकसी स न िजग। (बखनारी हितिनाबलिरब बनाबो कौहललनाहि तिआलना ا

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आपस. अपनी (ل

जिजअत को यह भी उपदश दत रहत र मक हर िह परीमतभोज मजसि मनिानो को आिमतरत न मकयज जजए िह सिारज अिजनय परीमतभोज ह। (बखनारी हितिनाबसनिनाि बनाब म तिरिदना’वतिना फकद असलनाि व रसलह)

हजरत आइशजरमज. कहती ह— एक बजर एक मनिान सतरी िर पजस

302हजरत महममदस का पवितर जीिन

आई। उसक सजर दो बमियज भी री। उस सिय हिजर घर ि एक खजर क अमतररकत ककछ भी न रज। िन उस िही खजर द दी। उसन िह खजर आिी-आिी करक दोनो लडमकयो को मखलज दी और मफर उठकर चली गई। जब रसलललजह (स.अ.ि.) घर ि आए तो िन आपस. को यह घिनज सनजई। आपस. न कहज— मजस मनिान क घर ि बमियज हो और िह उनक सजर सदवयिहजर कर, खदज तआलज उस परलय क मदन नकक क अजजब स सरमकत रखगज। मफर फरिजयज— अललजह तआलज उस सतरी को इस किा क फलसिरप सिगा कज अमिकजरी बनजएगज। (मसलम हिलद-2, हितिनाबल फजनाल, बनाब फजलइिसना इलल बनाति) िजलि हआ मक इसी परकजर एक बजर आप को आप क एक सहजबी सअदरमज जो िनजढय र तरज ककछ अनय लोगो पर अपनी बडजई परकि कर रह र, रसल करीि (स.अ.ि.) न यह बजत सनी तो कहज— कयज ति सिझत हो मक तमहजरी यह सिमदध और शसकत तमह अपन बल पर परजपत हई ह? ऐसज कदजमप नही ह। तमहजरी सजिजमजक शसकत तरज तमहजर िन सब मनिानो क विजरज ही आत ह।

आपस. यह दआ मकयज करत र— مرۃ

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)हतिरहमजी हिलद-2, अबवनाबजजिद)قیامۃ۔خ یوم ال

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अरजात ह अललजह ! िझ दीन होन की अिसरज ि जीमित रख, दीन-अिसरज ि ही ितय द तरज िझ परलय क मदन दीनो क सजर ही उठज।

एक बजर आपस. बजजजर ि जज रह र तो आप क एक मनिान सहजबी जो सयोगिश मनतजनत ककरप भी र गरीषि ऋत ि भजर उठज-उठज कर एक ओर स दसरी ओर ल जज रह र। एक तो उनकज चहरज ककरप रज दसरी ओर मिटटी-िल तरज पसीन क कजरण िह और भी अमिक ककरप मदखजई द रहज रज, ठीक उसी सिय आपस. बजजजर स गजर तरज आपस. न उसक चहर पर उदजसीनतज क लकण दख। आप खजिोशी स उनक पीछ चल गए

303 हजरत महममदस का पवितर जीिन

और मजस परकजर बच आपस ि खलत सिय चोरी-छप पीछ की ओर स जजकर मकसी सजरी की आखो पर हजर रख दत ह और मफर यह आशज करत ह िह अनिजन लगजकर बतजए मक मकस वयसकत न उसकी आख बनद की ह। इसी परकजर आपस. न जजकर उनकी आखो पर हजर रख मदए। उसन अपन हजर स आप क बजज और शरीर को ििोलनज आरमभ मकयज और सिझ मलयज मक यह रसलललजह (स.अ.ि.) ह। यो भी िह सिझतज रज मक इतन मनिान, इतन ककरप तरज इतन ददाशजगरसत वयसकत क सजर आपस. क अमतररकत अपन परि को अनय कौन परकि कर सकतज रज। यह िजलि करक मक रसल करीि (स.अ.ि.) ही उसक सजर परि परकि कर रह ह उसन अपनज मिटटी और पसीन स भरज शरीर आपस. क मलबजस क सजर िलनज आरमभ मकयज। कदजमचत िह यह दखनज चजहतज रज मक रसल करीि (स.अ.ि.) कज परि और सहनशीलतज मकतनी ह। आप िसकरजत रह और उस इस हरकत स रोकज नही। जब िह जी भर कर आपस. क कपडो को खरजब कर चकज तो आपस. न हजसय रप ि कहज, िर पजस एक दजस ह, कोई उसकज खरीदजर ह? आप क इस िजकय न उस हीनभजिनज गरसत िनषय कज धयजन इस ओर फर मदयज मक िहमिद रसलललजह (स.अ.ि.) क अमतररकत िझ कौन समिजन की दसटि स दख सकतज ह और ि मकस योगय ह मक िझ दजस क तौर पर ही खरीद। उसन उदजसीनतज क सजर कहज— ह अललजह क रसल ! िरज खरीदजर ससजर ि कोई नही। आपस. न फरिजयज— नही ! नही ! ऐसज ित कहो तमहजरज िहति खदज की दसटि ि बहत अमिक ह। मनिानो पर न किल आपकी ही कपज दसटि होती अमपत अपन अनयजमययो को भी असहजयो और मनिानो पर कपज दसटि रखन की हिशज नसीहत करत रहत र। अतः हजरत अब िसज अशअरीरमज. िणान करत ह मक जब रसलललजह (स.अ.ि.) क पजस कोई िहतजज आतज तो आप अपनी सभज ि बवठ हए लोगो स कहत मक आप लोग भी इसकी

304हजरत महममदस का पवितर जीिन

मसफजररश कर तजमक शभ किा की मसफजररश क पणय फल ि ससमिमलत हो जजए। (बखनारी तिथना मसलम)

इसी परकजर एक ओर तो अपनी जिजअत क लोगो क हदयो ि मनिानो की सहजयतज भी भजिनज जजगत करत र तरज दसरी ओर सिय िजगन िजल क हदय ि दसर िसलिजनो क परमत परि-भजिनज को बल दन कज परयजस करत र।

हनधतिनो की समपहतत की सरकलाइसलजि की मिजय क पशजत रसलललजह (स.अ.ि.) क पजस बहत

सी िन समपमत आती और आप उस िहतजजो ि बजि दत। एक बजर बहत सी िन समपमत आई तो आप की बिी हजरत फजमतिजरमज. आपकी सिज ि उपससरत हई और कहज— ह अललजह क रसल ! यह दमखए िर हजर चककी पीस-पीस कर घजयल हो गए ह, यमद आप िझ इस समपमत ि स कोई दजसी यज दजस द द तो िह िरी सहजयतज कर मदयज कर तो आप न कहज— फजमतिज िरी बिी ! ि तमह दजसी यज सिक रखन स अमिक िलयिजन िसत बतजतज ह— (जब ति सोन लगो तो ततीस बजर सबहजन अललजह, ततीस बजर ‘अलहमदो मलललजह’ और चौतीस बजर ‘अललजहो अकबर’ पढ मलयज करो। यह तमहजर मलए दजसी ओर सिक स अमिक उति होगज। (बखनारी हितिनाब दना’वनाति बनाब अततकबीर वततबीि इनदल मनाम)

एक बजर ककछ िन रजमश आई और आप न उसको मितररत कर मदयज। मितरण करत सिय आप क हजर स एक दीनजर मगर गयज तरज मकसी िसत की ओि ि आ गयज। िन-मितरण करत-करत आप क िससतषक स यह बजत मनकल गई। सजरज िन बजिन क पशजत आप िससजद ि आए और निजज पढजई। निजज क पशजत बजजए इसक मक खदज की सतमत ि वयसत हो जजत जवसी मक आपकी आदत री यज लोगो को अपनी आिशयकतजओ को परसतत करन अरिज ककछ परशन पछन कज अिसर दत आप बडी शीघरतज

305 हजरत महममदस का पवितर जीिन

स अपन घर की ओर गए ऐसी शीघरतज क सजर मक ककछ सहजबज कहत ह मक हि फलजगत हए आप अनदर की ओर चल गए और दीनजर तलजश मकयज मफर िजपस आए और बजहर जजकर िह दीनजर मकसी िहतजज को दत हए फरिजयज— यह दीनजर मगर गयज रज और ि भल गयज रज, िझ निजज पढजत हए यजद आयज िरज हदय इस मिचजर स वयजककल हो गयज मक यमद िरी ितय हो गई और लोगो कज यह िन िर घर ि पडज रहज तो ि खदज को कयज उतर दगज। इसमलए ि तरनत अनदर गयज और यह मनकजल लजयज। (बखजरी मकतजबल ककसफ ب من احب تعجیل الصدقہ من یومھا (�ب

इस स भी बढकर यह मक आपन सदकज(मनिानो तरज िहतजजो क मनमित मदयज गयज दजन) लनज अपनी सतजन क मलए मनमरदध कर मदयज तजमक ऐसज न हो मक आपस. क समिजन और परमतषठज क कजरण ऐस ही दजन और खवरजत ि आए हए िन कज लोग आपस. की सनतजन ि ही मितरण कर मदयज कर और अनय मनिान िमचत रह जजए।

एक बजर आप क सजिन ऐस ही दजन ि आई ककछ खजर लजई गई। हजरत इिजि हसनरमज. न जो आप क दोहत (िित) र मजनकी आय उस सिय दो-ढजई िरा की री। उस सिय आप क पजस बवठ हए र, उनहोन एक खजर िह ि डजल ली। रसल करीि (स.अ.ि.) न तरनत उगली डजलकर उनक िह स खजर मनकजल ली और कहज— इस पर हिजरज अमिकजर नही, इस पर खदज क मनिान लोगो कज अमिकजर ह। (बखनारी हितिनाबलिसफ बनाब अखजो सदकनाहतिततमर)

दलासो स सद वयवहलारआपस. दजसो स सदवयिहजर कज सदवि ही उपदश दत रहत। आप कज

आदश रज मक यमद मकसी वयसकत क पजस दजस हो और िह उस आजजद करन की सजिरया न रखतज हो तो यमद िह मकसी सिय करोि ि उस िजर

306हजरत महममदस का पवितर जीिन

बवठ अरिज गजली द तो उसकज पशजतजप यही ह मक उस आजजद कर द। (मसलम हिलद-2, हितिनाबल ईमना)

इसी परकजर आप दजसो को आजजद करन पर इतनज बल दत र मक हिशज कहज करत र मक जो वयसकत मकसी दजस को आजजद करतज ह अललजह तआलज उस दजस क परतयक अग क बदल ि आजजद करन िजल क हर अग पर नकजासगन को शजनत कर दगज। आप फरिजयज करत र— दजस स उसकी सजिरया स बढकर कजि न लो तरज जब उसस कोई कजि लो तो उसक सजर मिलकर कजि मकयज करो तजमक उस अपिजन कज आभजस न हो (मसलम हिलद-2 हितिनाबल ईमना)

जब यजतरज करो तो उस सिजरी पर अपन सजर मबठजओ अरिज उसक सजर बजरी मनसशत करक सिजरी पर बवठो। इस समबनि ि आप इतनज बल दत र मक हजरत अब हररजरमज. जो इसलजि ििा सिीकजर करन क पशजत हर सिय आप क सजर रहत र और आपस. की इस मशकज को परजयः सनत रहत र और कहज करत र, उस खदज की कसि मजसक हजर ि अब हररज क परजण ह यमद खदज क िजगा ि िझ मजहजद* करन कज अिसर मिल रहज होतज तरज हज करन कज अिसर न मिल रहज होतज और िरी बढी िज जीमित न होती मजसकी सिज िझ पर अमनिजया ह तो ि चजहतज मक िरी ितय दजसतज की अिसरज ि हो; कयोमक आपस. दजस क परमत सदवि महतकजरी बजतो कज उपदश दत र। (मसलम हिलद-2, हितिनाबल ईमना)

िज’रर मबन सिवदरमज. िणान करत ह मक िन रसल करीि (स.अ.ि.) क सहजबी हजरत अब जर गफफजरीरमज. को दखज मक जवस उनक कपड र िवस ही उन क दजस क र। इसकज कजरण पछज मक आप क और आप क दजस क कपड एक सिजन कयो ह? तो उनहोन बतजयज मक िन एक बजर

* इसलजि ििा को मििजन क मलए शसतरो विजरज यदध करन िजल मििमिायो क मिरदध रकजतिक यदध करनज। (अनिजदक)

307 हजरत महममदस का पवितर जीिन

रसलललजह सललललजहो अलवमह िसललि क यग ि एक वयसकत को उसकी िज पर किजक करत हए कहज मक िह दजसी री। इस पर रसल करीि (स.अ.ि.) न फरिजयज— त तो ऐसज वयसकत ह मजसि अभी तक ककफर की बजत मिदिजन ह। दजस कयज ह, तमहजर भजई ह और तमहजरी शसकत कज सजिन ह। खदज तआलज की मकसी रहसयिय नीमत क अिीन ि ककछ सिय क मलए तमहजर अमिकजर (कबज) ि आ जजत ह। अतः आिशयक ह मक मजसकज भजई उसकी सिज क अिीन आ जजए तो िह जो ककछ सिय खजतज ह उस मखलजए और जो ककछ सिय पहनतज ह उस पहनजए तरज ति ि स कोई वयसकत मकसी दजस स ऐसज कजि न ल मजसकी उस ि शसकत न हो तरज जब ति उनह कोई कजि बतजओ तो सिय भी उनक सजर मिलकर कजि मकयज करो। (मसलम हिलद-2, हितिनाबल ईमना)

इसी परकजर आप कहज करत र मक जब तमहजरज नौकर जब तमहजर मलए खजनज लजए तो उस अपन सजर बवठजकर कि स कि रोडज सज खजनज अिशय मखलजओ; कयोमक उसन खजनज पकज कर अपनज सिति भी मनसशत कर मलयज ह। (मसलम हिलद-2, हितिनाबल ईमना)

मलानव समलाज की सवला करन वलालो कला सममलानआपस. उन लोगो कज मिशर धयजन रखत र जो िजनि-सिज ि

अपनज सिय खचा करत र। जब ‘तय’ कबील क लोगो न रसल-करीि (स.अ.ि.) स लडजई की और उन ि स ककछ लोग बनिक बनज कर लजए गए तो उनि हजमति जो अरब कज परमसदध दजनशील हआ ह उसकी बिी भी री। जब उसन आपस. को यह बतजयज मक िह हजमति की बिी ह तो आप न उसस उसकज यरजिशयक आदर और समिजन मकयज तरज उसकी मसफजररश पर उसक कबील क लोगो क दणड किज कर मदए। (असीरतिल िलहबयि हिलद-3, पषठ-227 सररि अली हब अबी तिनाहलब िररमलनािो वजिह)

308हजरत महममदस का पवितर जीिन

सतरयो स सद वयवहलारआपस. ससतरयो स सदवयिहजर पर बहत बल दत र। आप न ससजर

ि सब स पहल ससतरयो क ररकरजमिकजर (मिरस क अमिकजर) को िजनयतज दी। अतः कआान करीि ि लडको और लडमकयो को मपतज और िजतज क ितयोपरजनत उनकी समपमत (ररकर) कज उतरजमिकजरी ठहरजयज गयज ह। इसी परकजर िजतजओ और पसतनयो को बमियो और पमतयो की समपमत (ररकर) ि उतरजमिकजरी बनजयज गयज ह तरज ककछ पररससरमतयो ि बहनो को भी भजइयो की समपमत (ररकर) ि बहनो कज भी अमिकजर सिीकजर मकयज गयज ह। इसलजि स पिा ससजर क मकसी ििा न भी इस परकजर क अमिकजरो की िजनयतज नही दी। इसी परकजर आपन सतरी को उसक िन कज सरजयी िजमलक ठहरजयज ह। पमत को अमिकजर नही मक पमत होन क कजरण पतनी क िन ि हसतकप कर सक। पतनी अपन िन को वयय करन ि पणा सितनतर ह। पसतनयो क सजर सदवयिहजर ि आप ऐस बढ हए र मक अरब क लोग जो इस बजत क अभयसत न र— उनह यह बजत दखकर ठोकर लगती री। असत, हजरत उिररमज. िणान करत ह मक िरी पतनी कई बजर िरी बजतो ि हसतकप करती तो ि उस डजिज करतज रज और कहज करतज रज मक अरब क लोगो न ससतरयो कज यह अमिकजर सिीकजर नही मकयज मक ि पररो को उनक कजयको ि परजिशा द। इस पर िरी पतनी कहती— जजओ, जजओ िहमिद रसलललजह (स.अ.ि.) को उनकी पसतनयज परजिशा दती ह और आपस. उनह कभी नही रोकत तो ति ऐसज कयो कहत हो? इस पर ि उस स कहतज रज मक आइशजरमज. तो आपस. की बहत लजडली ह उसकी बजत न कर, शर रही तमहजरी बिी, तो यमद िह ऐसज करती ह तो अपनी िटितज कज पररणजि कभी भगतगी।

एक बजर जब रसलललजह (स.अ.ि.) न मकसी बजत स नजरजज होकर

309 हजरत महममदस का पवितर जीिन

मनणाय कर मलयज मक ककछ मदन घर स बजहर रहग तरज पसतनयो क पजस नही जजएग। िझ इसकी सचनज मिली तो िन कहज— दखो जो ि कहतज रज िही हो गयज। ि अपनी बिी हफसजरमज. क घर गयज तो िह रो रही री। िन कहज हफसजरमज. कयज हआ? कयज रसलललजह (स.अ.ि.) न तमह तलजक द दी ह। उनहोन कहज— यह तो िझ िजलि नही परनत रसल करीि (स.अ.ि.) न मकसी बजत पर यह मनणाय कर मलयज ह मक िह ककछ सिय तक घर ि नही आएग। हजरत उिररमज. कहत ह— िन कहज— हफसज ! ि तझ पहल नही सिझजयज करतज रज मक त आइशजरमज. की नकल करती ह हजलजमक आइशज तो रसल करीि (स.अ.ि.) को मिशर तौर पर मपरय ह। दख अनततः तन िही सकि सर पर ल मलयज मजसकज िझ भय रज। यह कह कर ि रसलललजह (स.अ.ि.) क पजस गयज। आपस. एक खरदरी चिजई पर लि हए र, आपक शरीर पर ककतजा न रज तरज आप क सीन और किर पर चिजई क मनशजन लग हए र। ि आपक पजस बवठ गयज और कहज— ह अललजह क रसल ! य कसर तरज मकसज कहज अमिकजर रखत ह इस बजत कज मक उनह खदज की न’ित मिल परनत ि तो मकस आरजि स जीिन वयतीत कर रह ह और खदज क रसल को यह कटि ह। आपस. न फरिजयज— उिररमज. यह उमचत नही। इस परकजर क जीिन खदज क रसलो क नही होत, यह सजसजररक रजज िहजरजजजओ कज कजि ह। मफर िन आपस. को िह परज ितजनत सनजयज जो िरी पतनी और बिी क सजर गजरज रज। आपस. िरी बजत सनकर हस पड और कहज— उिररमज. यह बजत सही नही मक िन अपनी पसतनयो को तलजक द दी ह। िन तो एक महत को दसटिगत रखत हए अपन घर स बजहर रहन कज मनणाय मकयज ह।

(बखनारी हितिनाबसनिनाि बनाब मौइजतिररिलन अमबतिह हलिनालन जौहििना)आपस. को पसतनयो की भजिनजओ कज बहत अमिक धयजन रहतज रज

मक एक बजर निजज ि एक बच क होन कज सिर सनजई मदयज तो आपन

310हजरत महममदस का पवितर जीिन

निजज जलदी-जलदी पढज कर सिजपत कर दी। मफर कहज— एक बच क रोन की आिजज आई री। िन सोचज मक उसकी िज को मकतनज कटि हो रहज होगज। अतः िन निजज जलदी सिजपत कर दी तजमक िज अपन बच की दखभजल कर सक।

(बखनारी हितिनाब सलनाति बनाब म अखफफसलनाति इनदना बिनाइसहबयन)जब आपस. ऐसी यजतरज पर जजत मजसि ससतरयज भी सजर होती तो

हिशज िीर चलन कज आदश दत। एक बजर ऐस ही अिसर पर जबमक मसपजमहयो न अपन घोडो की बजग और ऊिो की नकल ढीली छोड दी। आप न फरिजयज—

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ق अर कयज करत हो ससतरयज भी सजर ह। رف

यमद ति इस परकजर ऊि दौडजओग तो शीश चकनजचर हो जजएग। (बखनारी हितिनाबलअदब) एक बजर यदध-भमि ि मकसी गडबड क कजरण सिजररयज मबदक गई, आपस. भी घोड स मगर गए और ककछ ससतरयज भी मगर गई, एक सहजबी मजन कज ऊि रसलललजह (स.अ.ि.) क पीछ रज आप को मगरत हए दख कर आिग ि आ गए तरज कदकर यह कहत हए रसलललजह (स.अ.ि.) की ओर दौड, ह अललजह क रसल ! ि िर जजऊ आप सरमकत रह आपस. क पवर रकजब ि उलझ हए र, आप न बडी शीघरतज स अपन पवरो को रकजब स मनकजलज तरज उस सहजबी की ओर िख करत हए कहज— “िझ छोडो और ससतरयो की ओर जजओ।”

जब रसल करीि (स.अ.ि.) की ितय कज सिय मनकि आयज तो उस सिय सिसत िसलिजनो को एकतर करक जो िसीयत की उनि एक बजत यह भी री मक ि तमह अपनी असनति िसीयत यह करतज ह मक ससतरयो स हिशज सदवयिहजर करत रहनज। आपस. परजयः कहज करत र मक मजसक घर ि लडमकयज हो और िह उनह मशमकत कर तरज उनकज ठीक परकजर स परमशकण कर तो खदज तआलज परलय क मदन उस क मलए नकक कज मनरि (हरजि) कर दगज।

(हतिरहमजी हिलद-2, अबवनाबलहबरर वससलतिन, बनाब मना िनाआ हफनफकहतिलबनाति)

311 हजरत महममदस का पवितर जीिन

अरबो ि यह ककपररज री मक यमद ससतरयो स कोई गलती हो जजती तो िजरत-पीित र। रसल करीि (स.अ.ि.) को जब इस बजत कज जञजन हआ तो आप न कहज— ससतरयज खदज की दजमसयज ह तमहजरी दजमसयज नही। उनह न िजरज करो परनत ससतरयज चमक अभी तक पणा रप स परमशमकत नही हई री, ि इस बजत कज गलत अरा लत हए मनभषीक होकर पररो स िकजबलज करन लगी तरज घरो ि लडजई-झगड होन लग। अनततः हजरत उिररमज. न रसलललजह स मशकजयत की मक आपस. न हि ससतरयो को िजरन स रोक मदयज ह और ि बहत मनभषीक हो गई ह। ऐसी अिसरज ि तो हि आजञज मिलनी चजमहए मक हि उनह िजर-पीि मलयज कर। चमक अभी तक ससतरयो क सबि ि मिसतजर क सजर आदश नही आए र। आपस. न फरिजयज— यमद कोई सतरी सीिज कज उललघन करती ह तो ति अपन ररिजज क अनसजर कोई दणड द सकत हो। इसकज पररणजि यह हआ मक इसकी बजजए मक परर मकसी अपिजदसिरप अपनी पसतनयो को शजरीररक दणड दत उनहोन िही परजनी अरबी पररज परचमलत कर ली। ससतरयो न रसल करीि (स.अ.ि.) की पसतनयो क पजस आकर मशकजयत की तो आप न अपन सहजबजरमज. स फरिजयज— जो लोग अपनी पसतनयो स अचछज वयिहजर नही करत यज उनह िजरत पीित ह ि तमह बतज दतज ह मक ि लोग खदज क मनकि अचछ नही सिझ जजत। इसक पशजत ससतरयो क अमिकजरो की रकज को मनयिबदध कर मदयज गयज और सतरी जजमत न िहमिद रसलललजह (स.अ.ि.) की कपज स पहली बजर आजजदी स सजस मलयज। (अब दनाऊद हितिनाबसनिनाि)

िआमियज मबन महनदज फरिजत ह मक िन रसल करीि (स.अ.ि.) स पछज— ह अललजह क रसल ! पतनी कज हि पर कयज अमिकजर ह? आपस.

न फरिजयज— खदज जो तमह खजन क मलए द िह उस मखलजओ, खदज जो तमह पहनन क मलए द िह उस पहनजओ, उस रपपड न िजरो, गजमलयज न दो और उस घर स न मनकजलो। (अब दजऊद)

312हजरत महममदस का पवितर जीिन

आपस. ससतरयो की भजिनजओ कज इतनज अमिक धयजन रखत र मक जो लोग बजहर यजतरज पर जजत ह उनह जलदी घर आनज चजमहए तजमक उनक पररिजर को कटि न हो। अतः हजरत अब हररजरमज. िणान करत ह मक जब कोई वयसकत अपन उन कजयको को पणा कर ल मजसक मलए यजतरज की गई री तो उस चजमहए मक अपन पररजनो कज धयजन रखत हए जलदी िजपस आए। (बखनारी तिथना मसलम)

आपस. कज अपनज आचरण यह रज मक जब यजतरज स िजपस आत र तो मदन क सिय नगर ि परिश करत र। यमद रजत आ जजती तो नगर क बजहर डरज डजल दत र, परजतःकजल नगर ि परिश करत र तरज अपन सहजबज को हिशज िनज करत र मक घर ि अचजनक आकर अपन पररिजर िजलो को कटि नही दनज चजमहए। (बखनारी व मसलम) इसि आपकी दसटि ि यह महत मनमहत रज मक सतरी और परर क सबि बड कोिल होत ह। यमद पमत की अनपससरमत ि पतनी न अपन शरीर और मलबजस की सिचछतज कज परज धयजन न रखज हो और पमत अकसिजत आ कर घर ि परिश कर तो आशकज होती ह मक ि परि भजिनजए जो पमत-पतनी क िधय होती ह उनह कोई आघजत न पहच। अतः आप न मनदचश मदयज मक िनषय जब भी यजतरज स िजपस आए मदन क सिय घर ि परिश कर तरज पतनी और बचो को सचनज दन क पशजत परिश कर तजमक ि उसक सिजगत क मलए पणारप स तवयजरी कर ल।

मतय परलात लोगो क सबध म आपकला आदशलातिचरणआपस. हिशज यह भी नसीहत करत रहत र मक िरन िजल को ितय

स पिा िसीयत कर दनज चजमहए तजमक बजद ि उसक पररजनो को कटि न पहच। िरन िजलो क सबि ि आप कज यह भी मनदचश रज मक जब कोई वयसकत नगर ि िर जजए तो लोगो को चजमहए मक उसकी बरजइयो कज िणान

313 हजरत महममदस का पवितर जीिन

न कर अमपत उसकी अचछी बजतो और अचछ किको कज िणान मकयज जजए कयोमक उसकी बरजई िणान करन ि कोई लजभ नही परनत उसक सतकिवो क िणान करन कज लजभ यह ह मक लोगो क हदयो ि उसक मलए दआ की पररणज उतपनन होगी। (बखनारी)

आपस. इस बजत कज भी मिशर तौर पर धयजन रखत र मक मजन लोगो कज मनिन हो जजए उनक कजच (ऋण) शत परमतशत अदज मकए जजए। अतः जब मकसी वयसकत की ितय हो जजती और उस पर कजा होतज तो आपस. यज तो सिय उसकज कजा अदज कर दत और यमद आपस. ि उसकी अदजयगी की सजिरया न होती तो उस कजा की आदजयगी क मलए उसक पररजनो को कहत और उसकज जनजजज उस सिय तक नही पढत र जब तक उसकज कजा अदज न कर मदयज जजतज।

पडोहसयो स सदवयवहलारपडोमसयो क सजर आपस. कज वयिहजर बहत ही अचछज होतज रज।

आप कहत र मक मजबजईल (फररशतज) िझ पडोमसयो क सजर सदवयिहजर करन कज बजर-बजर आदश दतज ह, यहज तक मक ि सोचतज ह मक कदजमचत पडोसी को उतरजमिकजरी ही बनज मदयज जजएगज। (बखनारी तिथना मसलम)

हजरत अबजररमज. कहत ह मक हजरत िहमिद रसलललजह सललललजहो अलवमह िसललि िझ स कहज करत र— ह अब जर ! जब कभी शोरबज (रसज) बनजओ तो पजनी अमिक डजल मदयज करो तरज अपन पडोमसयो कज भी खयजल रखज करो। (मसलम) इसकज तजतपया यह नही मक दसरी िसतए दन की आिशयकतज नही अमपत अरब लोग खजनज-बदोश (यजयजिर) र और उन कज सिाशरषठ भोजन शोरबज (रसज) होतज रज। आप न पडोसी की सहजयतज की दसटि स उसी खजन क बजर ि फरिजयज— अपन सिजद की परिजह न करो अमपत इस बजत की परिजह करो मक तमहजरज पडोसी तमहजर

314हजरत महममदस का पवितर जीिन

खजन ि ससमिमलत हो सक। हजरत अबहररजरमज. िणान करत ह मक एक बजर रसलललजह

(स.अ.ि.) बवठ हए र मक आपन फरिजयज— खदज की कसि िह कदजमप िोमिन नही, खदज की कसि िह कदजमप िोमिन नही, खदज की कसि िह कदजमप िोमिन नही। सहजबज न पछज- ह अललजह क रसल ! कौन िोमिन नही। आपन फरिजयज— िह, मजसकज पडोसी उसक हजमन पहचजन और दवयािहजर स सरमकत नही। (बखनारी तिथना मसलम) ससतरयो को भी आप नसीहत करत अपन पडोमसनो कज धयजन रखज करो।

एक बजर िमहलजओ की सभज ि उपदश द रह र। आप न कहज— यमद मकसी को बकरी कज एक पजयज (पवर) भी मिल तो उसि भी िह पडोसी को भजगीदजर बनजए। (बखनारी तिथना मसलम)

आप सहजबज को सदवि नसीहत करत र मक यमद तमहजरज पडोसी तमहजरी दीिजर ि खिी आमद गजडतज ह यज तमहजरी दीिजर स कोई ऐसज कजि लतज ह मजसि तमहजरी कोई हजमन नही तो उस रोकज न करो। (बखनारी तिथना मसलम)

हजरत अब हररजरमज. कहत ह मक रसल करीि (स.अ.ि.) फरिजयज करत र— जो वयसकत खदज और परलय क मदन पर मिशवजस रखतज ह िह अपन पडोसी को कटि न पहचजए, तरज जो कोई अललजह और परलय क मदन पर मिशवजस रखतज ह िह यज तो अचछी बजत कह यज मफर िौन रह। (मसलम)

मलातला-हपतला एव अनय पररजनो स सदवयवहलारससजर ि अमिकजश लोग जब ियसक हो जजत ह तो िजतज-मपतज

स सदवयिहजर करन स पीछ हिन लगत ह। हजरत िहमिद िसतफज (स.अ.ि.) इस दोर कज मनिजरण करन क मलए िजतज-मपतज क सजर सदवयिहजर क िहति को बजर-बजर सपटि करत रहत र। अतः अब हररजरमज. िणान करत ह मक एक वयसकत रसल करीि (स.अ.ि.) क पजस

315 हजरत महममदस का पवितर जीिन

आयज और उसन कहज— ह अललजह क रसल ! िर सदवयिहजर कज कौन सब स अमिक पजतर ह ? आपन कहज— तरी िज। उसन कहज— इसक पशजत? आपन कहज— मफर भी तरी िज। उसन कहज— ह अललजह क रसल ! इसक पशजत ? आपन कहज— इसक पशजत भी तरी िज। उसन चौरी बजर कहज—ह अललजह क रसल ! उसक पशजत? तो आपस. न कहज — मफर तरज मपतज, मफर जो उसक नजतदजर हो मफर जो उनक नजतदजर हो। (बखनारी तिथना मसलम)

रसल करीि (स.अ.ि.) क बजगको कज तो आप क बचपन ि ही मनिन हो चकज रज, पसतनयो क बजगा िौजद र। आप सदवि उनकज समिजन करत र। जब िककज-मिजय क अिसर पर आप न एक मिजतज सनजपमत क रप ि िककज ि परिश मकयज तो हजरत अब बकररमज. अपन मपतज को आपस. की िलजकजत करजन क मलए लजए। उस सिय आपस. न हजरत अब बकररमज. स कहज, आप न इनह कयो कटि मदयज। ि सिय उनक पजस उपससरत होतज। (असीरतिल िलहबयि हिलद-3, पषठ-99)

आप सदवि अपन सहजबज स कहत र मक जो वयसकत अपन िजतज-मपतज की िदधजिसरज क सिय िौजद हो मफर भी सिगा कज अमिकजरी न बन सक तो उसकज बडज ह दभजागय ह। तजतपया यह मक िदध िजतज-मपतज की सिज िनषय को अललजह तआलज क अनगरह कज ऐसज पजतर बनज दती ह मक मजस अपन िदध िजतज-मपतज की सिज कज अिसर परजपत हो जजए िह अिशय ही शभकरिको ि सदढ और खदज तआलज क अनगरह कज भजगी हो जजतज ह। (मसलम)

एक बजर िहमिद रसलललजह (स.अ.ि.) क पजस एक वयसकत आयज और मशकजयत की मक ह अललजह क रसल ! िर पररजन ऐस ह मक ि उन स सदवयिहजर करतज ह और ि िझ स दवयािहजर करत ह, ि उन स उपकजर कज वयिहजर करतज ह और ि िझ पर अनयजय कज वयिहजर

316हजरत महममदस का पवितर जीिन

करत ह, ि उनस परि-वयिहजर करतज ह ि िझ स कितजपणा आचरण करत ह। आपस. न फरिजयज— यमद यह बजत ह तो मफर तो तमहजरज सौभजगय ह; कयोमक खदज की सहजयतज हिशज तमहजर सजर रहगी। (मसलम हितिनाबलहबररवससलि)

एक बजर रसल करीि (स.अ.ि.) दजन-पणय कज उपदश द रह र तज आपस. क एक सहजबी अब तलहजरमज. अनसजरी आए तरज उनहोन अपनज एक बजग दजन-सिरप सिमपात मकयज। इस पर आपस. बहत परसनन हए और कहज— अतयति दजन ह, बहत अचछज दजन ह, बहत अचछज दजन ह। पनः कहज— लीमजए अब तो ति इस सिमपात कर चक अब िरज हदय चजहतज ह मक ति इसकज मितरण अपन ररशतदजरो ि कर दो। (बखनारी हितिनाबततफसीर)

एक बजर एक वयसकत न आपक पजस आ कर कहज— ह अललजह क रसल ! ि आप स महजरत की बवअत करतज ह और ि आप स खदज क िजगा ि मजहजद करन की बवअत करतज ह कयोमक ि चजहतज ह मक िरज परिशवर िझ स परसनन हो जजए। आप न फरिजयज— कयज तमहजर िजतज-मपतज ि स कोई जीमित ह? उसन कहज— दोनो जीमित ह। आपस. न कहज— कयज ति चजहत हो मक खदज ति स परसनन हो जजए? उसन कहज— हज ह अललजह क रसल। आपस. न फरिजयज— मफर शरयसकर यह ह मक िजपस जजओ और अपन िजतज-मपतज की सिज करो तरज भरसक सिज करो। (बखनारी तिथना मसलम)

आप सदवि इस बजत कज उपदश दत र मक सदवयिहजर ि ििा की कोई शता नही। मनिान पररजन चजह मकसी भी ििा क हो उन स सदवयिहजर करनज शभ किा ह। हजरत अब बकर की एक पतनी िमशरको (विवतिजदी) ि स री, हजरत अब बकररमज. की बिी असिजरमज. न रसल करीि (स.अ.ि.) स पछज— ह अललजह क रसल ! कयज ि उस स सदवयिहजर कर सकती ह? आपन उतर मदयज— अिशय। िह तरी िज ह, त उस स सदवयिहजर

317 हजरत महममदस का पवितर जीिन

कर। (बखनारी हितिनाबलअदब)पररजन तो अलग रह आपस. अपन पररजनो क पररजनो तरज उनक

मितरो तक कज भी बहत धयजन रखत र। आपस. जब कभी कबजानी करत तो आप हजरत खदीजजरमज. की सहमलयो को गोशत अिशय मभजिजत तरज हिशज कहत र मक खदीजजरमज. की सहमलयो को न भलनज, उनकी ओर गोशत अिशय मभजिजनज। (बखनारी तिथना मसलम)

एक बजर हजरत खदीजज क मनिन क कई िरवोपरजनत आप सभज ि बवठ हए र मक हजरत खदीजजरमज. की बहन हजलजरमज. आपस. स मिलन आई तरज विजर पर खड हो कर कहज— “कयज ि अनदर आ सकती ह?” हजलजरमज. की आिजज ि उस सिय अपनी सिगषीय बहन हजरत खदीजजरमज. की आिजज स अतयमिक सिजनतज पवदज हो गई। इस आिजज क कजन ि पडत ही रसल करीि (स.अ.ि.) क शरीर ि कमपन पवदज हआ मफर आप सभल गए और भर हए सिर ि फरिजयज— ह िर खदज यह तो खदीजजरमज. की बहन हजलजरमज. ह। (बखनारी तिथना मसलम)

िजसति ि सच परि कज मनयि ही यही ह मक मजस स परि हो और मजसकज समिजन हो उसक मनकिितषी सबमियो तरज उस क महतवमरयो स भी परि और पयजर पवदज हो जजतज ह।

हजरत अनस मबन िजमलकरमज. कहत ह मक ि एक बजर यजतरज पर रज, जरर मबन अबदललजहरमज. एक दसर सहजबी भी यजतरज ि र। िह यजतरज ि िर कजया नौकरो की भजमत मकयज करत र। जरररमज. बड र और हजरत अनसरमज. उनकज समिजन करनज आिशयक सिझत र। इसमलए िह कहत ह मक ि उनह िनज करतज रज मक ऐसज न कर। िर इस परकजर कहन पर जरररमज. उतर ि कहत र मक िन अनसजर को रसल करीि (स.अ.ि.) की अतयमिक सिज करत दखज ह िन उनकज रसल करीि (स.अ.ि.) क सजर परि-भजि दख कर अपन हदय ि यह सकलप मकयज रज मक िझ जब

318हजरत महममदस का पवितर जीिन

मकसी अनसजरी क सजर यजतरज करन कज अिसर परजपत होगज तो ि उसकी सिज करगज। इसमलए आप िझ न रोक। ि अपनी कसि परी कर रहज ह। (बखनारी तिथना मसलम)

इस ितजनत स सपटि रप स यह बजत मसदध होती ह मक अपन मपरयति की सिज करन िजलज भी िनषय कज मपरय हो जजतज ह। अतः मजन लोगो क हदयो ि िजतज-मपतज कज सचज आदर-समिजन होतज ह िह अपन िजतज-मपतज क अमतररकत उनक पररजनो तरज मितरो कज भी समिजन करत ह।

एक बजर रसल करीि (स.अ.ि.) की सभज ि सिजनो की सिज की चचजा चल रही री आपस. न फरिजयज— सिवोति शभ किा यह ह मक िनषय अपन िजतज-मपतज क मितरो कज भी धयजन रख। आपस. न यह बजत हजरत अबदललजह मबन उिररमज. स कही री और उस पर उनहोन ऐसज आचरण मकयज मक एक बजर िह हज क मलए जज रह र मक िजगा ि उनह एक वयसकत मदखजई मदयज। आप न अपनी सिजरी कज गिज उस द मदयज तरज अपन सर की सनदर पगडी भी उस द दी। उनक सजमरयो न उनह कहज— आपन यह कयज कजि मकयज ह। य तो गरजिीण लोग ह इनह बहत रोडी सी िसत द दी जजए तो परसनन हो जजत ह। अबदललजह मबन उिररमज. न कहज— इस वयसकत कज मपतज हजरत उिररमज. कज मितर रज और िन रसल करीि (स.अ.ि.) स सनज ह मक आप फरिजत र मक सिवोति सतकिा परदशान यह ह मक िनषय अपन मपतज क मितरो कज भी धयजन रख। (मसलम)

सतसगआपस. अपन आस-पजस सदजचजरी लोगो कज रहनज पसनद करत र

और यमद मकसी ि कोई किी होती री तो उस बड अचछ ढग स तरज उस किी को अनदखज करत हए नसीहत करत र। हजरत अब िसज अशअरीरमज. कहत ह मक रसल करीि (स.अ.ि.) फरिजयज करत र—

319 हजरत महममदस का पवितर जीिन

अचछ मितर तरज अचछी सगमत और बर मितर तरज बरी सगमत कज उदजहरण ऐसज ही ह जवस एक वयसकत कसतरी उठजए मफर रहज हो। कसतरी उठजन िजलज उस खजएगज तो लजभ परजपत करगज तरज रख छोडगज तब भी सगनि परजपत करगज और मजसक सजरी बर हो उसकज उदजहरण ऐसज ह जवस कोई भटटी की आग ि फक िजरतज ह। िह इतनी ही आशज रख सकतज ह मक कोई मचनगजरी उड कर उसक कपडो को जलज द यज कोयलो की दगानि स उसकज िससतषक खरजब हो जजए।

आपस. अपन सहजबज को बजर-बजर कहज करत र मक िनषय क आचरण उसी परकजर क हो जजत ह मजस परकजर की सभज ि िह बवठतज ह। इसमलए सतसगमत को गरहण मकयज करो। (बखजरी तरज िससलि)

लोगो क ईमलान की सरकला क परहत आचरणरसल करीि (स.अ.ि.) इस बजत कज बहत धयजन रखत र मक मकसी

वयसकत को मकसी बजत स ठोकर न लग। एक बजर आप की एक पतनी समफयजरमज. पतरी हययी आप स मिलन आई। बजत करत-करत दर हो गई तो आप न उमचत सिझज मक उनह घर तक पहचज द। जब आप उनह घर छोडन क मलए जज रह र तो िजगा ि दो वयसकत मिल मजन क बजर ि आपको सनदह रज मक कदजमचत उनक हदय ि कोई भरि पवदज न हो मक रसल करीि (स.अ.ि.) मकसी सतरी क सजर रजत क सिय कहज जज रह ह। आपस. न उन दोनो को रोक मलयज और कहज— दखो यह िरी पतनी समफयज ह। उनहोन कहज— ह अललजह क रसल हिजर हदय ि आपक परमत ककमिचजर पवदज ही कस हो सकतज ह। आप न कहज— शवतजन िनषय क रकत ि मफरतज ह। िझ भय हआ मक तमहजर ईिजन को आघजत न पहच जजए। (बखनारी अबवनाबल एहतििनाफ)

320हजरत महममदस का पवितर जीिन

दसरो क दोषो को छपलानलाआप को यमद मकसी कज दोर िजलि हो जजतज तो आप उस छपजत

र और यमद कोई अपनज दोर परकि करतज रज तो उस भी दोर परकि करन स िनज करत र। आप कज कहनज रज मक जो वयसकत मकसी अनय वयसकत कज पजप ससजर ि छपजतज ह अललजह तआलज उसक पजप परलय क मदन छपजएगज। (मसलम)

आपस. यह भी फरिजत र मक िरी उमित ि स परतयक वयसकत कज पजप मिि सकतज ह (अरजात पशजतजप स) परनत जो अपन पजपो को सिय परकि करत मफरत ह उन कज कोई इलजज नही। पनः फरिजत मक सिय परकि करन कज अमभपरजय यह ह मक एक वयसकत रजमतर क सिय पजप करतज ह तरज अललजह तआलज उस पर पदजा डजल दतज ह परनत परजतः िह अपन मितरो स मिलतज ह तो कहतज ह— ह अिक ! िन रजत को यह कजया मकयज रज। ह अिक ! िन रजत को यह कजया मकयज रज। ह अिक ! िन रजत को यह कजया मकयज रज। रजत को खदज उस क पजप पर पदजा डजल रहज रज, परजतः यह अपन पजप को सिय नगज करतज ह। (बखनारी तिथना मसलम)

ककछ लोग िखातजिश यह सिझत ह मक पजप कज परकि करनज तौबज (पशजत) को जनि दतज ह। िजसतमिकतज यह ह मक पजप कज परकि करनज पशजतजप की भजिनज पवदज नही करतज अमपत मनलाजतज की भजिनज को जनि दतज ह। पजप बहरहजल बरज ह परनत जो लोग पजप करत ह और हदय ि शिा और लजज िहसस होती ह उनक मलए तौबज कज िजगा खलज रहतज ह और सयि उनक पीछ-पीछ चलज आ रहज होतज ह। कोई न कोई शभ अिसर ऐसज आ जजतज ह मक सयि मिजयी हो जजतज ह और पजप पलजयन कर जजतज ह परनत जो लोग अपन पजपो को फलजत और उस पर गिा करत ह। उनक हदय स पजप कज अहसजस मिि जजतज ह और जब पजप करक

321 हजरत महममदस का पवितर जीिन

पजप कज अहसजस ही जजतज रह तो मफर तौबज (पजपो स पशजतजप) कज परशन ही पवदज नही होतज।

एक बजर रसल करीि (स.अ.ि.) की सिज ि एक वयसकत उपससरत हआ और उसन कहज— ह अललजह क रसल ! िन वयमभचजर मकयज ह। वयमभचजर इसलजि ि दणडनीय अपरजिो ि स ह अरजात जहज इसलजिी शरीअत लजग हो िहज ऐस वयसकत को मजसकज वयमभचजर इसलजिी मनयिो क अनसजर मसदध हो जजए शजरीररक दणड मदयज जजतज ह। जब उसन कहज— ह अललजह क रसल ! िन वयमभचजर मकयज ह तो आपस. न उसकी ओर स िख फर मलयज तरज दसरी ओर बजतो ि वयसत हो गए। िजसति ि आप उस यह बतज रह र मक मजस पजप पर खदज न पदजा डजल मदयज ह उसकज उपचजर तौबज ह उसकज इलजज पजप की घोरणज नही परनत उस न इस बजत को न सिझज और मिचजर मकयज मक पदजमचत आपस. न िरी बजत को सनज नही तरज मजस ओर रसल करीि (स.अ.ि.) कज िख रज उिर खडज हो गयज और उसन पनः कहज— ह अललजह क रसल ! िन वयमभचजर मकयज ह। आप न मफर दसरी ओर िख कर मलयज, िह मफर भी नही सिझज और दसरी ओर आकर उसन पनः अपनी बजत को दहरजयज। आपन मफर उसकी ओर धयजन न मदयज और दसरी ओर िख फर मलयज। मफर िह वयसकत उस ओर आ खडज हआ मजस ओर आपकज िख रज और मफर उसन चौरी बजर उस बजत को दहरजयज। तब आपस. न फरिजयज— ि तो चजहतज रज मक यह अपन पजप को परकि न कर, जब तक खदज उस की पकड कज मनणाय नही करतज परनत उसन चजर बजर सिय अपन बजर ि गिजही दी ह इसमलए अब ि मििश ह। (हतिरहमजी अबवनाबल हदद) मफर आप न फरिजयज— इस वयसकत न सिय पर आरोप लगजयज ह उस सतरी न नही मजस सतरी क सबि ि यह वयमभचजर को सिीकजर करतज ह। उस सतरी स पछो यमद िह इनकजर कर तो उस ककछ ित कहो, किल इस इसकी अपनी सिीकमत क अनसजर दणड

322हजरत महममदस का पवितर जीिन

दो परनत यमद सतरी भी सिीकजर कर तो मफर उस भी दणड दो। आपकज मनयि रज मक मजन बजतो क सबि ि कआान की मशकज अभी नही आई री उनक बजर ि आप तौरजत की मशकज क अनसजर कजयािजही करत र। तौरजत क आदशजनसजर वयमभचजरी क बजर ि सगसजर करन कज आदश ह। अतः आपस. न भी उस सगसजर* करन कज आदश मदयज। जब लोग उस पर पतरर फकन लग तो उसन भजगनज चजहज परनत लोगो न दौड कर उसकज पीछज मकयज और तौरजत की मशकजनसजर उस कज िि (सगसजर) कर मदयज गयज। जब रसल करीि (स.अ.ि.) को सचनज मिली तो आप न इस बजत को पसनद न मकयज। आप न कहज उस दणड उस क इकरजर क अनसजर मदयज गयज, जब िह भजगज रज तो उसन अपनज इकरजर िजपस ल मलयज रज। अतः तमहजरज कोई अमिकजर न रज मक उसक पशजत उसकज िि करत। उस छोड दनज चजमहए रज।

आपस. हिशज आदश दत र मक शरीअत कज आदश परतयक पर लजग होनज चजमहए। एक बजर ककछ सहजबज एक यदध पर गए हए र। िजगा ि उनह एक िमशरक (विवतिजदी) ऐसज मिलज जो जगल ि इिर-उिर छपतज मफर रहज रज और उस जब कोई अकलज िसलिजन मिल जजतज तो उस पर आकरिण करक िह उसकज िि कर दतज। उसजिज मबन जवदरमज. न उसकज पीछज मकयज और एक सरजन पर जजकर उस पकड मलयज और उस िजरन क मलए तलिजर उठजई। जब उसन दखज मक अब ि पकडज जज चकज ह तो उसन कहज— الل

الہ ال

मजसस उसकज उदशय (लज इलहज इललललजह) ل

यह रज मक ि िसलिजन होतज ह परनत उसजिजरमज. न उस की इस सिीकमत की परिजह न की और उस कज िि कर मदयज। जब एक वयसकत इस यदध की सचनज दन क मलए रसल करीि (स.अ.ि.) क पजस िदीनज पहचज

* अपरजिी को तौरजत (BIBLE) की मशकजनसजर किर तक परिी ि गजड कर पररजि करक िि कर दनज (अनिजदक)

323 हजरत महममदस का पवितर जीिन

तो उसन यदध कज सजरज ितजनत सनजत-सनजत इस घिनज कज भी िणान कर मदयज। इस पर आपस. न उसजिजरमज. को बलिजयज तरज उन स पछज— कयज ति न उस वयसकत कज िि कर मदयज रज? उसजिज न कहज— हज, आप न फरिजयज— परलय क मदन कयज करोग जब लज इलजहज इललललजह तमहजर मिरदध गिजही दगज। अरजात खदज तआलज की ओर स यह परशन मकयज जजएगज मक जब उस वयसकत न लज इलजहज इललललजह कहज रज तो मफर ति न कयो िजरज? यदमप िह हतयजरज रज परनत तौबज (पशजत) कर चकज रज। हजरत उसजिज न कई बजर उतर ि कहज ह अललजह क रसल ! िह तो भय क कजरण ईिजन परकि कर रहज रज। इस पर आपस. न फरिजयज— त न उसकज हदय चीर कर दख मलयज रज मक िह झठ बोल रहज रज? और मफर मनरनतर यही कहत चल गए मक ति परलय क मदन कयज उतर दोग जब उसकज लज इलजहज इललललजह तमहजर सजिन परसतत मकयज जजएगज। उसजिजरमज. कहत ह— उस सिय िर हदय ि इचछज पवदज हई मक कजश ! ि आज ही इसलजि लजयज होतज और िर विजरज यह घिनज न घिती। (मसलम)

रसल करीि (स.अ.ि.) को पजपो की किज कज इतनज अहसजस रज मक जब ककछ लोगो न आपस. की पतनी हजरत आइशजरमज. पर आरोप लगजयज तरज उन आरोप लगजन िजलो ि एक वयसकत ऐसज भी रज मजस कज पजलन-पोरण हजरत अब बकररमज. कर रह र। जब यह आरोप झठज मसदध हआ, हजरत अब बकररमज. न करोि ि आकर उस वयसकत कज पजलन-पोरण बनद कर दयज मजसन आपकी बिी पर आरोप लगजयज रज। ससजर ि उस वयसकत क अमतररकत ऐसज कौन सज वयसकत रज जो यह मनणाय कर सकतज रज। अमिकजश लोग तो ऐस वयसकत कज िि कर दत ह परनत हजरत अब बकर न किल इतनज मकयज मक उस वयसकत कज भमिषय ि पजलन-पोरण बनद कर मदयज। जब रसल करीि (स.अ.ि.) को जञजत हआ तो आपस. न हजरत अब बकररमज. को सिझजयज और फरिजयज— उस वयसकत स गलती हई और

324हजरत महममदस का पवितर जीिन

उसन पजप मकयज परनत आप की शजन उसस ऊपर ह मक एक वयसकत क पजप क कजरण उसको उसकी आजीमिकज स िमचत कर द। अतः हजरत अब बकररमज. आप क उपदशजनसजर पनः उसकज पजलन-पोरण करन लग। (बखनारी हितिनाबततफसीर)

धयतिआपस. कज कहनज रज मक िोमिन क मलए तो ससजर ि भलजई ही भलजई

ह और िोमिन क अमतररकत यह सरजन मकसी को परजपत नही होतज। यमद उस कोई सफलतज परजपत होती ह तो िह खदज कज िनयिजद करतज ह और खदज क परसकजर कज पजतर हो जजतज ह और यमद उस कोई कटि पहचतज ह तो िह िवया िजरण करतज ह तरज इस परकजर स भी िह खदज क परसकजर कज पजतर हो जजतज ह। (मसलम)

जब आप क मनिन कज सिय आयज और आप रोग की पीडज क कजरण करजह रह र तो आप की बिी फमतिजरमज. न एक बजर बचवन होकर कहज— आह ! िझ स अपन मपतज कज कटि दखज नही जजतज। रसल करीि (स.अ.ि.) न सनज तो कहज— िवया करो, आज क पशजत तमहजर मपतज को कोई कटि नही पहचगज। (बखजरी) अरजात िर कटि इस सजसजररक जीिन तक सीमित ह, आज ि अपन रबब क पजस चलज जजऊगज मजसक बजद िर मलए कटि कज कोई सिय नही आएगज।

इसी सनदभा ि इस घिनज कज भी िणान मकयज जज सकतज ह मक आप सदवि सकरजिक रोगो ि एक नगर स दसर नगर ि पलजयन करनज भी पसनद नही करत र कयोमक इस परकजर एक कतर कज रोग दसर कतरो ि रोग फलजन कज कजरण न बन तो यमद उस ितय आएगी तो िह शहीद होगज। (बखनारी हितिनाबहततबब)

325 हजरत महममदस का पवितर जीिन

परपर सहयोगआपस. अपन सहजबजरमज. को सदवि इस बजत की नसीहत करत र मक

परसपर सहयोग क सजर कजया मकयज करो। अतः आपन अपनी जिजअत क लोगो क मलए यह मनयि मनसशत कर मदयज रज मक यमद मकसी वयसकत स कोई ऐसज अपरजि हो जजए मजसक बदल ि कोई िन रजमश अदज करनज पड और िह रजमश उसकी सजिरया स अमिक हो तो उसक िहलल यज नगर िजल अरिज सिसत लोग मिलकर सजिमहक रप स उसकज बदलज अदज कर।

ककछ लोग जो ििजारा सिजभजि आपक पजस आत-जजत रहत र आप उनक समबसनियो को नसीहत करत र मक उनकज भजर िहन कर तरज उनकी आिशयकतजओ को परज करन ि सहयोग द। हजरत अनसरमज.

िणान करत ह मक नबी करीि (स.अ.ि.) क यग ि दो भजई िसलिजन हए। एक भजई रसल (स.अ.ि.)की सतसग ि रहन लगज तरज दसरज अपन कजि-कजज ि वयसत रहज। कजि करन िजल भजई न एक मदन रसल करीि (स.अ.ि.) क पजस अपन भजई की मशकजयत की मक यह बकजर बवठज रहतज ह तरज कोई कजया नही करतज। आपस. न फरिजयज— ऐसज ित कहो। खदज तआलज उसी क विजरज तमह आजीमिकज परदजन करतज ह इसमलए उसकी सिज करो और उस िजमिाक कजयको क मलए सितनतर छोड दो। (हतिरहमजी)

एक बजर आपस. यजतरज पर जज रह र मक िजगा ि ककछ दरी तय करन क पशजत डर लगजए गए और सहजबज िवदजन ि फल गए तजमक मशमिर लगजए तरज दसर कजया जो मशमिर लगजन क मलए आिशयक होत ह उनह परज कर। उनहोन परसपर सिसत कजया बजि मलए तरज रसल करीि (स.अ.ि.) को कोई कजया न सौपज गयज। आप न फरिजयज— ति न िर सपदा कोई कजया नही मकयज। ि लडमकयज एकतर करगज तजमक उन स भोजन तवयजर मकयज

326हजरत महममदस का पवितर जीिन

जज सक। सहजबजरमज. न कहज—ह अललजह क रसल ! हि जो ह कजि करन िजल, आपको कयज आिशयकतज ह। आप न फरिजयज— नही, नही, िरज भी कतावय ह मक कजि ि हजर बिजऊ । अतः आपन जगल ि स लकमडयज एकतर की तजमक सहजबजरमज. उन स खजनज पकज सक। (जरिनाी हिलद-4 हिलद-4, पषठ-304)

दोषो को अनदखला करनलाआपस. हिशज इस बजत की नसीहत करत रहत र मक अकजरण दसर

क कजयको पर आकप न मकयज करो तरज ऐसी बजतो ि हसतकप न मकयज करो मजनकज ति स कोई सबि नही कयोमक इस परकजर फसजद पवदज होतज ह। आप कज कहनज रज मक िनषय क इसलजि कज सिाशरषठ आदशा यह ह मक मजस बजत कज उसस सीि तौर पर कोई समबनि न हो उसि अकजरण हसतकप न मकयज कर। आप कज यह आचरण ऐसज ह मक मजस पर चल कर मिशव-शजसनत को बल मिल सकतज ह। ससजर ि सहसो खरजमबयज इस कजरण उतपनन होती ह मक लोग आपदज-गरसत की सहजयतज क मलए तो तवयजर नही होत परनत अकजरण लोगो क िजिलो पर आपमतयज उठजन क मलए तवयजर हो जजत ह।

सतयरसल करीि (स.अ.ि.) कज सतय क समबनि ि वयसकतगत सरजन तो

इतनज उच रज मक आप की जजमत न तो आप कज नजि ही मसदीक (सदजतिज) रख मदयज रज। आप अपनी जिजअत को भी हिशज सतय पर दढ रहन की नसीहत करत रहत र और सतय क उस सतर पर खडज करन कज परयजस करत र जो हर परकजर क झठ की मिलौनी स पमितर हो। आप कज कहनज

327 हजरत महममदस का पवितर जीिन

रज मक सतय ही सतकिा की पररणज दतज ह और सतकिा ही िनषय को सिगा कज अमिकजरी बनजतज ह तरज सतय कज िजसतमिक सिरप यह ह मक जीिन क परतयक कतर ि उसकी झलक हो यहज तक मक परिशवर क सिक िह सचज सिझज जजए। (बखनारी तिथना मसलम)

एक बजर रसल करीि (स.अ.ि.) क पजस एक वयसकत कद होकर आयज जो बहत स िसलिनो की हतयजओ कज अपरजिी रज। हजरत उिररमज. सिझत र मक इस वयसकत को ितय दणड मदयज जजनज चजमहए और िह बजर-बजर आपस. क चहर की ओर दखत र मक यमद आप सकत कर तो िह उसकज िि कर द। जब िह वयसकत उठकर चलज गयज तो हजरत उिररमज.

न कहज— ह अललजह क रसल ! यह वयसकत ितय-दणड कज अमिकजरी रज। आपस. न फरिजयज— िि करनज अमनिजया रज तो तिन उस कज िि कयो नही मकयज। उनहोन कहज— ह अललजह क रसल ! यमद आप आख स सकत कर दत तो ि ऐसज कर दतज। आप न फरिजयज— नबी िोखबजज नही होतज। मकस परकजर हो सकतज रज मक ि िख स तो पयजर की बजत कर रहज होतज और आख स उस क िि करन कज सकत करतज। (सीरति इबन हिशनाम हिलद-2, पषठ-217)

एक बजर एक वयसकत आपस. क पजस आयज और उसन कहज— ह अललजह क रसल ! िझ ि तीन दोर ह— झठ, िमदरजपजन और वयमभचजर। िन बहत परयजस मकयज मक य दोर िझ स मकसी परकजर दर हो जजए परनत ि अपन परयजस ि सफल नही हो सकज। आप कोई उपजय बतजए। आप न कहज— ति िझ एक दोर तयजगन कज िचन दो, शर, दो ि छडज दगज। उसन कहज— ि िचन दतज ह। बतजए ि कौन सज दोर तयजग द? आपन कहज— झठ को तयजग दो। ककछ मदनो क पशजत िह आयज और उसन कहज— आप की नसीहत कज िन पजलन मकयज, अब िर सभी दोर छि गए ह। आपन पछज बतजओ कयज हआ? उसन कहज— िर हदय ि एक

328हजरत महममदस का पवितर जीिन

मदन िमदरज कज मिचजर आयज। ि िमदरजपजन क मलए उठज तो िन सोचज मक यमद िर मितर िझ स पछग मक कयज ति न िमदरजपजन मकयज ह? तो पहल ि झठ बोल मदयज करतज रज और कह मदयज करतज रज मक नही मकयज परनत अब िन सतय बोलन कज िचन मदयज ह। यमद िन कहज मक शरजब पी ह तो िर मितर िझ स परक हो जजएग और यमद कहगज मक नही पी ह तो झठ बोलन कज पजप करगज मजसस परक रहन कज िन िचन मदयज ह। अतः िन हदय ि कहज मक इस सिय नही पीतज मफर बजद ि मपयगज, इसी परकजर िर हदय ि वयमभचजर कज मिचजर पवदज हआ। इसक सबि ि भी िर हदय ि यही मिचजर मििशा हए मक यमद िर मितर िझ स पछग तो ि कयज कहगज। यमद यह कहगज मक िन वयमभचजर मकयज ह तो िर मितर िझ स छि जजएग और यमद यह कहगज मक नही मकयज तो झठ होगज और झठ न बोलन कज ि िचन द चकज ह। इसी परकजर िर और िर हदय क िधय कई मदन तक यह विनवि यदध होतज रहज। अनततः ककछ सिय तक इन दोनो पजपो स बचन क कजरण िर हदय स इन क परमत आकराण भी सिजपत हो गयज तरज सतय को सिीकजर करन क कजरण ि शर दोरो स सरमकत हो गयज।

दसरो क दोष ढढत रहन की कपरवहतत कला हनषध तथिला सदभलावनलाओ कला आदश

रसल करीि (स.अ.ि.) दसरो क दोरो पर गपत रप स दसटि रखन स िनज करत र तरज परसपर सदभजिनजओ कज आदश दत रहत र। हजरत अब हररजरमज. कहत ह— मक रसल करीि (स.अ.ि.) फरिजत र मक ककिजरणज स बचो कयोमक ककिजरणज सब स बडज झठ ह तरज दसरो क दोरो पर गपत रप स दसटि न रखो तरज लोगो क मतरसकजरपिाक अनय नजि (उन क िल नजि स हिकर) न रखज करो, गिा न मकयज करो तरज

329 हजरत महममदस का पवितर जीिन

आपस ि विर न रखज करो तरज सब क सब सिय को खदज तआलज क बनद सिझो ओर सिय को परसपर भजई-भजई सिझज मजस परकजर मक खदज कज आदश ह। मफर फरिजत ह— सिरण रखो मक परतयक िसलिजन दसर िसलिजन कज भजई ह। न िह उस पर अतयजचजर करतज ह और न सकि क सिय उस कज सजर छोडतज ह। न िन यज जञजन अरिज मकसी अनय िसत क अभजि क कजरण उस हीन सिझतज ह। सयि िनषय क हदय स पवदज होतज ह और िनषय की िजनमसकतज को िमलन करन क मलए यह पयजापत ह मक िह अपन भजई को अिि सिझ तरज परतयक िसलिजन पर उसक दसर िसलिजन भजई क परजण, समिजन और िन पर परहजर करनज अिवि ह। खदज तआलज बजहय शजरीररक आिरणो तरज उनक रग रपो को नही दखतज और न ही तमहजर किको की बजहय अिसरज को दखतज ह अमपत उसकी दसटि तमहजर हदयो पर ह। (िससलि मकतजबलमबरचिसससलहः)

वयलापलार म धोखबलाजी क परहत घणलाआपस. इस बजत कज मिशर रप स धयजन रखत र मक िसलिजनो

ि िोखबजजी और छल-कपि की कोई बजत न पजई जजए। एक बजर आप बजजजर स गजर रह र मक आप न अनजज कज एक ढर दखज जो नीलजि हो रहज रज। आप न अपनज हजर अनजज क ढर ि डजलज तो िजलि हआ मक बजहर स तो अनजज सखज हआ ह परनत अनदर स गीलज ह। आप न अपनज हजर मनकजल कर अनजज िजल स कहज— यह कयज बजत ह? उसन कहज— ह अललजह क रसल िरजा कज छीिज पड गयज ह मजस स अनजज गीलज हो गयज ह। आप न फरिजयज— ठीक ह परनत ति न गीलज भजग बजहर कयो न रखज तजमक लोगो को िजलि हो जजतज। मफर फरिजयज— जो वयसकत अनय लोगो को िोखज दतज ह िह जिजअत कज लजभपरद अश नही हो सकतज।

330हजरत महममदस का पवितर जीिन

(मसलम) आप जोर द कर फरिजत र मक वयजपजर ि िोखज मबलककल नही होनज चजमहए तरज मबनज दख कोई िसत नही लनज चजमहए, सौद पर सौदज नही करनज चजमहए तरज सजिजन को इसमलए रोक कर नही रखनज चजमहए मक जब उसकज िलय बढ जजएगज तो उसकज मिकरय करग अमपत मजन लोगो को उन िसतओ की आिशयकतज ह सजर क सजर िसतए दत रहनज चजमहए।

हनरलाशलाआप मनरजशज की भजिनज क कटटर मिरोिी र। आप कज कहनज रज मक

जो वयसकत लोगो ि मनरजशज की बजत करतज ह िह लोगो क मिनजश कज उतरदजयी होतज ह, कयोमक ककछ ऐसी बजतो क फलन स लोगो कज सजहस िि जजतज ह तरज अिनमत कज परजरमभ हो जजतज ह इसी परकजर आप गिा और अहकजर स रोकत र मक य बजत भी िजसति ि लोगो को अिनमत की ओर ल जजती ह। आप कज आदश रज इन दोनो क िधय कज िजगा होनज चजमहए। न तो िनषय गिा और अहकजर कज िजगा गरहण कर और न मनरजशज-किा करतज रह परनत पररणजि और फल की आशज खदज तआलज पर छोड। अपनी जिजअत की उननमत की इचछज उसक हदय ि हो परनत गिा और अहकजर पवदज न हो।

पशओ पर दयलाआपस. पशओ पर भी अतयजचजर को पसनद नही करत र। आप

फरिजत र मक बनी इसजईल ि एक सतरी को इसमलए अजजब मिलज मक उसन अपनी मबलली को भखज िजर मदयज रज। इसी परकजर फरिजत र—

331 हजरत महममदस का पवितर जीिन

पिाकजलीन जजमतयो ि स एक वयसकत इसमलए किज कर मदयज गयज मक उसन एक पयजसज ककतज दखज, पजस ि ही एक पजनी कज गडढज रज मजसि ककतज पजनी नही पी सकतज रज। उस वयसकत न अपनज जतज पजि स उतजरज और उस गडढ ि लिकज कर उसक विजरज पजनी मनकजलज और ककत को मपलज मदयज। इस सतकिा क कजरण खदज न उसक सिसत पजपो को किज कर मदयज।

हजरत अबदललजह मबन िसऊदरमज. कहत ह— एक बजर हि आपस.

क सजर यजतरज पर र मक हि न एक फजखतज (पडक पकी) क दो बच दख अभी छोि र। हिन ि बच पकड मलए। जब फजखतज िजपस आई तो िह घबरजकर चजरो ओर उडन लगी इतन ि रसल करीि (स.अ.ि.) भी िहज आ गए तरज आप न फरिजयज— इस परजणी को उसक बचो क कजरण मकस न कटि पहचजयज ह? उसक बचो को तरनत छोड दो तजमक उसको सजतिनज मिल। (अब दजऊद) इसी परकजर हजरत अबदललजह मबन िसऊदरमज. कहत ह मक एक बजर हि न चीमियो की एक छोिी सी गफज दखी और हि न उस घजस-फस डजल कर जलज मदयज। इस पर आपस. न फरिजयज— ति न ऐसज कयो मकयज? ऐसज करनज उमचत न रज।

एक बजर रसल करीि (स.अ.ि.) न दखज मक एक गि क िख पर मनशजन कयो लगज रह हो? लोगो न कहज— रिी लोगो ि उच सतरीय गिो की पहचजन क मलए मनशजन लगजयज जजतज ह। आपस. न फरिजयज— यमद मनशजन लगजयज जज रहज ह। आपन पछज-ऐसज मनशजन लगजनज ही पड तो पश की पीठ पर लगजयज करो। (अब दजऊद तरज मतरमिजी) अतः िसलिजन उसी सिय स पश की पीठ पर मनशजन लगजत ह। अब उनकी नकल करत हए यरोपीय लोग पीठ कर ही मनशजन लगजत ह।

332हजरत महममदस का पवितर जीिन

धलाहमतिक सहहषणतलाआपस. िजमिाक समहषणतज पर बहत बल दत र और इस बजर ि सिय

भी उचकोमि कज आदशा परदमशात करत र। आप क पजस यिन कज एक ईसजई कबीलज िजमिाक मिचजर मिमनिय करन क उदशय स आयज मजसि उनक बड-बड पजदरी भी र। िससजद ि बवठ कर बजत-चीत कज आरमभ हआ तरज यह िजतजालजप लमबज हो गयज। इस पर उस दल क पजदरी न कहज— अब हिजरी निजज कज सिय ह, हि बजहर जजकर निजज अदज कर आए। आपस. न कहज— बजहर जजन की कयज आिशयकतज ह हिजरी िससजद ि ही अपनी निजज अदज कर ल । हिजरी िससजद खदज की सतमत क मलए ही बनजई गई ह। (जरकजनी)

वीरतलाहजरत िहमिद रसलललजह (स.अ.ि.) की िीरतज की अनक

घिनजओ कज िणान आपक जीिन चररतर ि हो चकज ह। एक घिनज कज यहज भी उललख मकयज जजतज ह। जब िदीनज ि यह सिजचजर फलन लग मक रोि की सरकजर िदीनज पर आकरिण करन क मलए एक मिशजल सनज मभजिज रही ह तो िसलिजन रजतो को मिशर तौर पर सतकक रहत और जजगत रहत। एक बजर बजहर जगल की ओर स शोर कज सिर सनजई मदयज। सहजबज बडी शीघरतज क सजर अपन घरो स मनकल, ककछ इिर-उिर भजगन लग और ककछ िससजद ि आकर एकतर हो गए और इस परतीकज ि बवठ गए मक आपस. बजहर मनकल तो आप क आदशजनसजर आचरण कर जब ि लोग इस परतीकज ि र मक रसल करीि (स.अ.ि.) अपन घर स मनकल तो उनहोन दखज मक आप अकल घोड पर सिजर बजहर स आ रह ह। जञजत

333 हजरत महममदस का पवितर जीिन

हआ मक शोर क आरमभ होत ही आपस. घोड पर सिजर होकर जगल ि यह दखन क मलए चल गए र मक कोई खतर की बजत तो नही, आप न इस बजत की परतीकज न की मक सहजबज एकतर हो जजए तो उनक सजर मिलकर बजहर जजए अमपत अकल ही बजहर गए तरज िसत ससरमत स अिगत हो कर िजपस आए तरज सहजबज को ढजरस मदयज मक भय की कोई बजत नही, ति आरजि स अपन घरो ि जजकर सो जजओ। (बखनारी बनाबशशिनाअति हिलिबब)

अलप बहदध लोगो स परम-वयवहलारआपस. अलप बमदध रखन िजल लोगो क सजर गहर परि और सहजनभमत

कज वयिहजर करत र। एक बजर एक गरजिीण नयज-नयज िसलिजन हआ रज, आपकी िससजद ि बवठ-बवठ उस पशजब करन की आिशयकतज िहसस हई। िह उठकर िससजद क एक कोन ि ही पशजब करन लगज। सहजबज उस िनज करन लग तो आप न उनह रोक मदयज और फरिजयज— इस स उस हजमन पहचगी ति ऐसज न करो। जब िह पशजब कर चक तो िहज पजनी डजलकर उस सरजन को िो दनज। (बखजरी)

वचन कला पलालनआप को िचन पजलन कज इतनज धयजन रहतज रज मक एक बजर सरकजरी

दत आप क पजस कोई सनदश लकर आयज तरज आपक सतसग ि ककछ मदन रह कर इसलजि की सचजई को सिीकजर कर मलयज। उस न कहज— ह अललजह क रसल ! ि तो हदय स िसलिजन हो चकज ह ि अपन इसलजि को परकि करनज चजहतज ह। आपस. न कहज— यह उमचत नही, ति अपनी सरकजर की ओर स एक परमतसषठत पद पर मनयकत हो कर आए हो यरजित

334हजरत महममदस का पवितर जीिन

िजपस जजओ तरज िहज जजकर यमद तमहजर हदय ि इसलजि-परि मफर भी बनज रह तो दोबजरज आकर इसलजि सिीकजर करो। (अब दनाऊद बनाब अलवफना हबलअिद)

रसल करीि (स.अ.ि.) क जीिन-चररतर कज मिरय कोई ऐसज मिरय नही मजस िजतर ककछ पननो ि सिजपत मकयज जज सक अरिज मजसकज किल ककछ दसटिकोणो स अनिजन लगजयज जजए परनत चमक न यह जीिन-चररतर की एक यरटि पसतक ह और न इस भमिकज ि लमबी बजत क मलए सरजन ह। इसमलए ि इतन को ही पयजापत सिझतज ह।

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