hindi book_divine serpent power_kundalini awakening

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Kundalini which dwells in the Mooladhar Chakra bestows on man all kinds of divine powers, knowledges and ultimately liberation (Moksha).

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Page 1: HINDI BOOK_DIVINE SERPENT POWER_KUNDALINI AWAKENING

     लेखक: अंतरराष्ट्रीय गायत्री परिरवार के संस्थापक आचाय� श्रीराम शमा� एक महान योगी शंकराचाय� और भगवान के अवतार थ ेजि"न्होंने विवश्व कल्याण और शांवित के लिलए आध्यात्मि,मक विवषयों पर मुख्य रूप से वैज्ञाविनक साविह,य की मात्रा लिलखी थी. के लिलए और अधि5क वैज्ञाविनक ई साविह,य pls http://www.shriramsharma.com/ www.awgpestore.com http://www.dsvv.ac.in/ www.akhandjyoti.org यात्रा और http://www.awgp.org/ विववरण: चक्र ध्यान - ESP, Nirvikalpa समाधि5 या मुफ्त ट्रांस बनना Ridhi - Sidhis या ईश्वरीय ऊ"ा�, भविवष्य वैज्ञाविनक 5म�, सुपर ऊ"ा� गायत्री विवज्ञान और कंुडलिलनी योग को सहसंबद्ध न्यूरोसाइंसेस - ESP, Endocrinology, एनाटॉमी, मनोविवज्ञान और सोचा ई पुस्तकें 1) सामग्री और आध्यात्मि,मक समृजिद्ध और 2) दुविनया एक परिरवार के रूप में शांवित से एक"ुट करने के लिलए समा"शास्त्र. एक खूबसूरत अनवधि5 दुविनया: हमारा एक सख्ती गैर वाणिणज्यिJयक वेबसाइट है "ो उम्र के महान नेताओं और दुविनया के विवचारकों के पुराने सपने को साकार करना है. कीवड�: कंुडलिलनी योग गायत्री e-विकताबें अल्ट्रा साउंड टेलिलपाथी parapsychology त,वमीमांसा विनर्विवPकल्प समाधि5 प्रदूषण योग तंत्र विSल्में इंटरनेट सम्मोहन पारिरज्यिस्थवितकी Jयोवितष आयुवUद कल्किल्क bioelectricity स"�री पराबैंगनीविकरण ओ"ोन रडार तनाव रचना,मकता पुरात,व सिसP5ु घाटी सभ्यता ईं5न संकट भो"न की कमी सुनामी "ीवनी गुरु विवश्व शांवित मन मानस देवता सूक्ष्म तंवित्रका चेतना आ,मा परमा,मा ट्रान्स endocrine गं्रलिथयों ESP चक्र plexus ध्यान एकाग्रता बुजिद्ध भविवष्यवाणी Cheiro Nostradamus अरविवPद आनंद मल्किस्तष्क वेद सौर सूय� की ऊ"ा� पविवत्र शुद्ध इंद्रिdयों प्राण अवतार उपविनषद प्रकाश सेल hypothalamus पीयूविषका परिरवत�न भविवष्यवादी भविवष्यवाणी नाविगन शलिe "ीवन मानव नैवितकता अखंडता चरिरत्र वेगस तंत्र Mooladhar परमाणु न्यूट्रॉन सोच सोचा प्रोटोन

समर्प�ण

 

र्परि�चय

 

एक अध्याय - एक NIVERSAL �ाष्ट्र की देवी नाग बि�जली

 

अध्याय दो - सुर्प� दिदव्य शक्ति!यों गायत्री साबिवत्री औ� कंुडक्तिलनी कहा जाता है

 

अध्याय तीन - कंुडक्तिलनी रू्पजा के माध्यम से जीवन शक्ति! का आग जलाने

                                                     

चा� अध्याय - आत्मा बिवज्ञान की रू्पजा बिवक्ति. के �हस्य दश�न

                        

र्पांच अध्याय - योग के �हस्य औ� Sidhis का गुलदस्ता

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अध्याय छह - कंुडक्तिलनी ऊजा� के र्पाँच .ा�ाओं यानी की र्पांच चेह�े

 

सात अध्याय - जीवन शक्ति! ऊजा� के श�ी� यह मानव श�ी� कंकाल है

 

आठ अध्याय - चेतना के साग� छह चक्रों के �ैग में ensnared

 

      अध्याय नौ इस श�ी� में 7 �त्नों का वॉल्ट का गोदाम है 

                                                                                                        

अध्याय दस - कंुडक्तिलनी शक्ति! के के्षत्राक्ति.का� के अंतग�त BRAHMIC चेतना की गबितबिवक्ति.यां

                                                            

ग्या�ह अध्याय - देवी कंुडक्तिलनी, Mooladhar चक्र में समाया �हने वाला

 

�ा�ह अध्याय - कंुडक्तिलनी --- जीवन शक्ति! ऊजा� के एक तीव्र रूर्प

 

अध्याय ते�ह - यह आसान क�ने के क्तिलए ले, लेबिकन मुश्किAकल है क�ने के क्तिलए दे

 

चौदह अध्याय - दिदव्य शक्ति!यों कंुडक्तिलनी शक्ति! के चक्र र्परि�वा� में अर्पनी जड़ों की है

 

रं्पद्रह अध्याय - FEMALE ...... SERPRENT उत्थान दिदव्य शक्ति! जाग�ण

 

अध्याय सोलह - एक नई �चना के क्तिलए आध्यात्मित्मक PRACTISES

 

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अध्याय सत्रह - एक �ाष्ट्र के कंुडक्तिलनी के र्परि�वत�न की बिवक्ति.

 

अठा�ह अध्याय - कंुडक्तिलनी तर्पस्या की गह�ी आयात औ� आवAयक माग�दश�न

 

का सम्मान र्पाठकों के क्तिलए एक अर्पील

 

 

र्पावती 

हम �हुत ही श्री आभा�ी हैं. इंट�नेट र्प� अर्पने ई - �ुक को डालने के क्तिलए प्रणव एन CURUMSEY. हम भी मिमसेज .न्यवाद. Varsha र्पी. तलर्पदे अमेरि�का रु्पस्तक का एक कंप्यूट� बिडस्क �नाने में मदद के क्तिलए.

 

Dedi CA tion

 

 

मैं देवी भगवती औ� जगद्गरुु श्री�ाम को झुकना

बिU� औ� बिU� मैं अर्पने कमल रै्प�ों र्प� झुकना.

 

 

एक माँ की त�ह तुम हमें र्पीछे औ� एक बिर्पता की त�ह आर्प हमें �ास्ता दिदखाने के क्तिलए.

मैं तुम हे गुरू बिवश्वास औ� दिदव्य ज्ञान के साथ नीचे, .नुष.

 

 

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भगवान की त�ह दुबिनया की माँ है औ� श्री�ाम दुबिनया के गुरू है.

मैं दोनों के र्पबिवत्र रै्प�ों को नीचे .नुष क्योंबिक वे बिवश्वास औ� दिदव्य ज्ञान के भ�े हुए हैं.

 

 

मैं आर्प हे गुरू, जो गायत्री के एक प्रबितबिनक्ति. है नीचे .नुष.

उनकी nectarine शब्दों सामग्री दुबिनया के जह� को नष्ट.

 

 

उन दोनों ने असंभव को संभव क� सकते हैं, वे के क्तिलए �वाना तीव्र �ा.ाओं वाड� शक्ति! है.

मैं तुम्हें क�ने के क्तिलए नीचे .नुष जो महाकाल प्रकट है औ� जो एक है जो इस युग �दलना होगा है.

 

 

 

 

 

 

 

 

हमा�े श्रदे्धय गुरू युग ऋबिष श्री�ाम शमा� आचाय� जो गायत्री - मैबिनफे़स्ट शाश्वत है औ� जिजसका nectarine शब्दों को इस दुबिनया के बिवष को नष्ट क�ने के क्तिलए हमा�ी बिवनम्र OBESIANCES.

 

गुरू औ� गायत्री 

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सभी अनुभवी लोगों को एक सच्चाई केवल अथा�त प्रचा�. भगवान एक है औ� है बिक उसे अनुभव क�ने के क्तिलए केवल एक �ास्ता है जो भगवान की शिशक्षाओं को समझने औ� उन्हें एक दैबिनक जीवन में imbibing शामिमल है. अभी तक सकल, सामग्री दुबिनया में एक रू्प�ी त�ह से अलग कुछ देखता है. हम बिवशिभन्न नामों औ� इस दुबिनया के रूर्पों के रूर्प में चिचंबितत हैं के रूर्प में दू� के रूर्प में मतभेदों को देखते हैं. इस दृAय अंत� की वजह से अलग अलग �ाय आगे डाल �हे हैं जो अंततः कड़वा झगडे़ औ� strifes नेतृत्व. बिनशिmत रूर्प से हम स्वीका� क�ते हैं बिक उन जो लड़ रू्प�ी त�ह से र्प�मेश्व� का वास्तबिवक स्वरूर्प से अनशिभज्ञ हैं होगा. औ� यह भी मतल� है बिक इन झगड़ालू लोगों को एक सचे्च गुरू (गुरू) जो एक इस अंत� दृबिष्टकोण र्प� का�ू र्पाने औ� हमें सच है बिक भगवान जिजसमें है बिक बिन�रे्पक्ष क्तिसद्धांत में �हाल क�ने के क्तिलए वहाँ केवल एकता औ� कोई मतभेद नहीं है मदद नहीं मिमल सकता है. आगे यह भी मतल� है बिक अग� हम इस सामग्री दुबिनया में एक गुरू नहीं मिमले हैं हम गायत्री महामंत्र जो गुरु - मंत्र प्रकट है के माध्यम से हमा�े भगवान को प्राप्त क� सकते हैं सकता है. यह एक आध्यात्मित्मक सा.क के नाम के आ.ा� र्प� मतभेद, Uाम�, रू्पजा के बिवशिभन्न त�ीकों र्प� का�ू र्पाने के के रूर्प में एक आत्मा (ईश्व�) रू्प�े ब्रह्मांड सव�व्यार्पी की दिदव्य ज्ञान प्राप्त क�ने के क्तिलए मदद क�ता है. हम सभी को इस �ा�े में जागरूक क� �हे हैं. गायत्री महामंत्र के अनुसा�: भगवान कहाँ है? जवा� है "ओम Bhur Bhuva Sva" जिजसका अथ� है भगवान रृ्पथ्वी, आकाश औ� कॉश्किस्मक अंतरि�क्ष pervades. आर्प उसे क्या कहते हैं? वह चिलंगों के अंत� से र्प�े है यानी वह न तो एक रु्परुष औ� न ही एक मबिहला है. वह सभी के नाम औ� रूर्पों से र्प�े है. उसका स्वभाव क्या है औ� आर्प उसे कैसे प्राप्त क�ते हैं? (जैसे Savitur Varenyam, Bhargo Devasya Dhimahee). वह दिदव्य प्रकाश है औ� आसानी से प्राप्य है. उसके साथ हमा�े रि�Aते क्या है? (जैसे Dheemahi) उसे अर्पनी मानक्तिसकता में दिदव्य चमक के रूर्प में आत्मसात. प्राथ�ना - इसका उर्पयोग क्या है? (Dheeyo Yona Prachodayat). भगवान हमा�े intellects उत्र्पन्न हो सकता है महानता की �ाह र्प� चलना.

 

 बिकसी भी सक्षम गुरु हमें इस चमकदा� सूत्र की मदद के साथ (भगवान) देवत्व की ओ� नेतृत्व का प्रयास क� सकते हैं. इस प्रका� गायत्री मंत्र भी हमें इस दिदव्य पे्र�णा देता है औ� साथ में यह जो वास्तव में प्रयास इस दिदशा में एक गुरू के र्पास उन लोगों की त�ह दिदव्य शक्ति!यों दिदया जाता है के साथ. प्राचीन काल से सही र्परि�णाम के रूर्प में यह स� सांप्रदामियक मतभेदों से र्प�े चला जाता है औ� इसक्तिलए एक गुरु मंत्र के रूर्प में स्थाबिर्पत है.

 

ध्यान दें क�ने के क्तिलए एक औ� �ात 

गायत्री 2 भागों अथा�त से �ना है. समलैंबिगक (महत्वर्पूण� �ल) + बित्र (सं�क्षण). गायत्री है, जो बिक हमा�े जीवन शक्ति! की �क्षा. प्रश्न ज� एक सु�क्षा की तलाश क�ता है के रूर्प में उठता है? यह �हुत स्पष्ट है बिक ज� एक भ! एक �ड़ी समस्या में शामिमल है वह प्राथ�ना के माध्यम से सु�क्षा चाहता है. उन समस्या है बिक एक सु�क्षा की तलाश क�ने के क्तिलए मज�ू� क� �हा है क्या क� �हे हैं? एक गायत्री से सु�क्षा जो दिदव्य चेतना का मौक्तिलक ऊजा� है ज� की तलाश क�ता है? ज� चेतना भावना 5 तत्वों से �ना अंगों में �हती है यह गबितशीलता की शक्ति! मिमलती है. इसमें कोई शक नहीं बिक उन्हें हमा�ी इंदिद्रयों में ऊजा� के प्रबित जागरूक प्रवाह में गबितशीलता अभी तक लाती है एक प्राथ�ना क�ती है बिक vileness की दिदशा में ले जाने के �जाय इंदिद्रयों र्पबिवत्रता की �ाह र्प� �हना चाबिहए. क्योंबिक इंदिद्रयां प्रकृबित में बिनत्मिvक्रय �हे हैं, वे सभी दिदशाओं में भटका क�ते हैं. हमा�े श�ी� में आत्मा भूल बिक सच्ची खुशी जीवन शक्ति! में ही मौजूद है. इस खुशी के क्तिलए बिवश्वास है बिक इंदिद्रयों अर्पने नौक� हैं औ� इसे बिनयंबित्रत क्या �ाह� सेट को बिनयंबित्रत क�ने के क्तिलए क�ने के

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�जाय, यह अर्पने आर्प में यह द्वा�ा बिनयंबित्रत हो जाता है जाता है. यह एक र्परि�णाम है जो हमा�े महत्वर्पूण� �ल उत्तेजिजत हो जाता है, ज�बिक सु�क्षा की मांग के रूर्प में है बिक �हुत समस्या है.

 

गायत्री बिवज्ञान हमें इस भ्रम से �चाता है. �त्नाक�, धु्रव, प्रहलाद, अंगुक्तिलमाल तीव्र महत्वर्पूण� �ल बिवबिकण�. गुरू इन आत्माओं को जो अन्यथा एक गलत दिदशा में भटक �हे थे, या यह भी कहा जा सकता है बिक शुरू से ही अर्पने भ्रम से �ंद warded था के क्तिलए एक उक्तिचत दिदशा दे दी है. आदिद शंक�ाचाय� हमेशा इस त�ह से गुरू visualizes. औ� इसक्तिलए इस त�ह के एक गुरू "हमेशा गायत्री प्रकट रूर्प में", शंक�ाचाय� बिवनम्रतार्पूव�क .नुष �ुला गुरू के क्तिलए नीचे.

 

हमा�े अचे्छ भाग्य 

अग� हम इसे सत्य के प्रकाश में गवाह तो हम एहसास होगा बिक हम उन असा.ा�ण भाग्यशाली लोगों को जो गायत्री औ� गायत्री के रूर्प में एक गुरु मंत्र के रूर्प में गुरु (गुरू) हाक्तिसल की है.

 

अर्पने आर्प से आध्यात्मित्मक चाहने वालों के बिकसी अन्य मंत्र की त�ह गायत्री मंत्र का लाभ उठा सकता है. लेबिकन इस युग में यह केवल हमा�े श्रदे्धय गुरुदेव यानी युग ऋबिष श्री�ाम शमा� आचाय�, जो क्तिलए हमें एक अखिखल encompassing उर्पदेश के माध्यम से भगवान से सं�ंक्ति.त क�ने के क्तिलए यह आसान �ना दिदया है. इस प्रका� यह हमा�ा सौभाग्य है बिक हम गायत्री मंत्र के रूर्प में गुरु मंत्र मिमल गया है.

 

उसी त�ह गायत्री जो हमा�े गुरु भी है, आसानी से एक औ� सभी से प्राप्य है. गायत्री र्परि�वा� के सदस्यों को रू्प�ी त�ह से अच्छी त�ह से र्पता है बिक गायत्री अथा�त के महान भ! र्पता. महात्मा आनंद स्वामी हमेशा तनाव है बिक हमा�े श्रदे्धय गुरू गायत्री से अबिवभाज्य है. अथ� दोनों गायत्री औ� हमा�े गुरू एक दोनों के भीत� औ� बि�ना क� �हे हैं. स्वामी आनंद आय� समाज के एक सदस्य था. वह अत्यक्ति.क आय� समाज में प्रबितबि�त बिकया गया था. स्वामी आनंद 25 साल से हमा�े गुरुदेव के क्तिलए वरि�� था. अभी तक वह हमेशा हमा�े गुरुदेव (श्री�ाम शमा� आचाय�) जो केवल छोटी उम्र में नहीं था, लेबिकन यह भी एक गृहस्थ औ� नहीं था एक सन्यासी (शिभकु्षक) को झुकना होगा. इसमें कोई शक नहीं स्वामी सनातन .म� के एक श्रदे्धय आंकड़ा गायत्री एक औ� सभी के क्तिलए दिदया जा �हा मंत्र के अस्वीकृत Karpatri, वह अभी तक गायत्री र्परि�वा� के सदस्यों में से एक �ताया था बिक श्री�ाम शमा� आचाय� इस युग में गायत्री का बिर्पता है. अर्पने रू्प�े जीवन के क्तिलए वास्तव में वह गायत्री के उर्पदेशों के अनुसा� काम बिकया औ� ज� वह अर्पने गायत्री जयंती के दिदन र्प� नश्व� कंुडल दी वह गायत्री में बिवलय क� दिदया. इसक्तिलए यह वास्तव में हमा�े महान सौभाग्य है गायत्री के इस त�ह के एक महान प्रबितर्पादक के साथ जुड़ा हो.

 

आदिद शंक�ाचाय� ने एक शाश्वत गुरू के रूर्प में गायत्री र्प� हमेशा देखा उसे नीचे झुकाया. सनातन का अथ� है जो बिक श�ी�, स्थान औ� समय के द्वा�ा सीमिमत नहीं बिकया जा सकता है. यहां तक बिक हमा�े श्रदे्धय

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गुरुदेव खुद के �ा�े में इस त�ह �ात की. उन्होंने ने कहा बिक जो लोग दिदव्य ऊजा� औ� नहीं एक सीमिमत मानव श�ी� के रूर्प में मुझ र्प� देखो मे�े सचे्च प्रकृबित की बिनकटता प्राप्त होगा. इसक्तिलए उन्होंने यह भी कहा बिक मे�े श�ी� की एक मूर्तितं �नाने के क्तिलए नहीं है. के �जाय एक लौ मशाल बिU� से हाक्तिसल क�ना है जो र्प�मेश्व� औ� एक दीत्मिप्तमान, दिदव्य �ुशिद्ध में गहन बिवश्वास का प्रबितबिनक्ति.त्व क�ता है. उन्होंने आगे की घोषणा की है बिक कोई भी गायत्री र्परि�वा� में एक गुरू (गुरू) की स्थिस्थबित को ले जाएगा के �ाद मैं अर्पने नश्व� कंुडल दे. जो गायत्री मंत्र में दूस�ों को आ�ंभ हो जाएगा औ� जो लोग उन संस्का� प्रदश�न क�ेंगे केवल अर्पने प्रबितबिनक्ति. के रूर्प में ऐसा क�ेंगे. यह स� साबि�त क�ता है बिक वह र्प�मात्मा औ� नाम औ� Uाम� की सीमिमत छबिव के रूर्प में नहीं ऊजा� के रूर्प में गायत्री हाक्तिसल क�ना चाहते थे.

 

हमा�े श्रदे्धय गुरुदेव युग ऋबिष श्री�ाम आचाय� गायत्री अवता� था. माँ गायत्री सबिवता भगवान के दिदव्य ऊजा� है जो अर्पने होने का ह� �ोमकूर्प व्याप्त है. अर्पनी सा�ी ज़ि�ंदगी वह असंख्य भ!ों महानता के �ास्ते र्प� चलने में मदद की. वह तंत्र बिवज्ञान के एक मास्ट� था. अभी तक नाम औ� प्रक्तिसशिद्ध के क्तिलए चमत्का�ी शक्ति!यों के प्रदश�न में वह कभी भ�ोसा था. के रूर्प में एक सचे्च संत के रूर्प में अ� तक वास्तव में चिचंबितत है ये चमत्का� के रूर्प में भगवान की इच्छा के अनुसा� उसके श�ी� के माध्यम से जगह ले जो भी का अनुभव यह वास्तव में .न्य महसूस क�ता है. हमा�े श्रदे्धय गुरुदेव अर्पने दिदव्य इतनी के रूर्प में अर्पनी पे्रयसी भ!ों को मदद की सूक्ष्म श�ी� की मदद के साथ बिवशिभन्न स्थानों र्प� कई शा�ीरि�क रूर्प ले क्तिलया है. एक भ! के रूर्प में अर्पने व्यक्ति!गत बिनयबित के प्रबित उसकी सु�क्षा प्राप्त बिकया. यदिद एक भाग्य �हुत सख्त है, एक गुरु बिनशिmत रूर्प से इस त�ह के एक व्यक्ति! को अर्पने �ोझ को हल्का क�ने में मदद क�ता है औ� भ! उत्प्रे�ण को मामूली दद� से गुज�ना द्वा�ा, वह मुक्ति! र्पाने में मदद मिमली है. हम असंख्य व्यक्ति!यों के उदाह�ण जिजसमें अक्ति.क से अक्ति.क 1 लाख लोगों को चुनौती दी है बिक उन दिदनों में ज� गुरु बिकसी को रू्प�ा नहीं बिकया, वे गुरु से मुलाकात की है औ� के �ा�े में 1-2 घंटे के क्तिलए वे हमा�े श्रदे्धय गुरू की उर्पस्थिस्थबित में �ैठे. इन अनुभवों सच हो सकता है, लेबिकन अग� हम सकल दुबिनया में इसे का स�ूत खोजने की कोशिशश हम �ु�ी त�ह बिवUल हो जाएगा सकता है. क�ना जनता के क्तिलए वह अभी तक अनुर्पलब्ध अर्पने अबिडग अनुयामिययों के क्तिलए वह खुद को उर्पलब्ध क�ाया था.

 

श्रदे्धय युग ऋबिष आचाय� श्री�ाम शमा� की र्पबिवत्र भाषण 

हमा�े मन की मूक गुUा में हमा�े गुरुदेव श्री�ाम शमा� आचाय� की दिदव्य भाषण प्रबितध्वबिनयों. र्पबिवत्र आवाज कहते हैं - मैं हमेशा तुम्हा�े साथ हँू. आर्प कहीं भी जा सकता है, अभी तक मैं तुम्हा�े �ीच में दिदखाई देगा. मैं तुम्हा�े क्तिलए ही �हते हैं. मैं तुम्हें अर्पने दिदव्य अनुभवों का Uल देना होगा. तुम मे�े दिदल की संर्पक्तित्त हैं. तुम मे�ी आँखों के ता�े हैं. हम सभी भगवान में एक (बिवलय) क� �हे हैं. मैं हमेशा आर्प स� के साथ आत्मा की एकता का अनुभव. मुझे ड� कभी आर्प कठो� संघष� के ..कते आग में प्रवेश क�ने के क्तिलए मज�ू� है. यह इसक्तिलए है क्योंबिक मैं रू्प�ी त�ह से अर्पनी आंतरि�क शक्ति! के �ा�े में र्पता क� �हा हँू. मैं आर्प एक के �ाद एक स्थिस्थबित का अनुभव क�ने के क्तिलए औ� अभी तक मे�े भीत� की आँखें हमेशा आर्प देख �हे हैं मदद क�ते हैं. जो कुछ भी आर्प द्वा�ा बिकया जाता है मे�ी र्पबिवत्र उर्पस्थिस्थबित में ही संभव है.

 

मे�े बिवचा� में औ� मे�े साबिहत्य में मे�ी इच्छाओं के क्तिलए आशय देखो. अर्पने दैबिनक जीवन में उन र्पबिवत्र शिशक्षाओं को आत्मसात क�ने के क्तिलए, क्योंबिक वे र्पहली �ा� मे�े गुरू थे मुझे दिदया जो मैं ईमानदा�ी से आर्प

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सभी के क्तिलए क� �हा हँू र्प� गुज�. केवल कल्र्पना है बिक जो एक है. उसके �ाद ही आर्प अक्ति.क से अक्ति.क उर्पाय जो मे�ा अनंत बिनकायों के साथ अनुभव बिकया जा सकता है बिक एकता का अनुभव होगा. तुम ही मे�े सचे्च शिशvय हो सकता है अग� आर्प सतक� , दृढ़ औ� सोच के मे�े �ास्ते के क्तिलए समर्तिर्पतं क� �हे हैं क� सकते हैं. हम सभी के �ीच प्या� की एक अनंत साग� बिनबिहत है. एक गुरु औ� शिशvय के �ीच �ं.न एक वज्र से भी अक्ति.क Uम� है. यह भी मौत की तुलना में अक्ति.क शक्ति!शाली है. अर्पने स्वचं्छद इंदिद्रयों र्प� कभी बिवश्वास नहीं. क्योंबिक वे हमेशा उत्तेजिजत हो ज� खुशी औ� गम के साथ सामना बिकया. इन सभी दं्वद्व से र्प�े जाओ. हालांबिक यह सच हे �च्चे का सामना, हमेशा याद �खें बिक इंदिद्रयों हमेशा आत्मा की दिदशा के खिखलाU काम क�ते हैं. इसक्तिलए हमेशा सतक� �हते हैं. तुम आत्मा औ� श�ी� औ� इसक्तिलए मे�े �हुत होने का एक अबिवभाज्य अंग नहीं हैं. श�ी� के बिकसी भी क्षण गाय� हो सकते हैं. सच में, जो इस समय जानता है? इसक्तिलए हमेशा अर्पने लक्ष्य को कल्र्पना. सोच के मे�े �ास्ते के साथ अर्पने रू्प�े मानस भ�ें. मृत्यु के समय र्प� नहीं है, लेबिकन जीने के अर्पने क्षणों में, आजाद औ� अर्पने मन शुद्ध. इसक्तिलए भले ही मृत्यु अचानक दृबिष्टकोण, आर्प शांबित के साथ इसके क्तिलए तैया� हैं. इसक्तिलए अर्पने जीवन जीने के रूर्प में यद्यबिर्प यह �हुत ही र्पल मौत के क्तिलए आर्प अर्पनी चरे्पट में ले के �ा�े में है. तभी आर्प एक सचे्च जीवन जी सकता है. समय तेजी से भाग �हा है. यदिद आर्प अनंत काल औ� अम�ता का बिवचा� अर्पने मन में बिवसर्जिजंत क� देते हैं तो ही आर्प अनंत काल में समय चल �हा है �दल सकते हैं.

 

ह� बिकसी के क्तिलए संघष� का एक �हुत का सामना क�ते हुए आदश� की �ाह र्प� चल �हा है. इसक्तिलए आर्प भी �हादु�ी से सभी र्प�ीक्षणों औ� आर्पदाओं का सामना क�ना चाबिहए. भगवान के सं�क्षण के एक जीवन जीते. अग� तुम सच में भगवान र्प� बिनभ�� है, सभी अर्पने ड� गाय� हो जाएगा. तुम स� मे�े �च्चे हैं. जहाँ भी तुम जाओ, यह जीवन या मौत, खुशी या दुख, अच्छा या �ु�ा मैं हमेशा अर्पनी त�U से �हेगा. मैं हमेशा आर्प स� की �क्षा क�ना. मैं आर्प में से सभी को प्या� क�ता हँू क्योंबिक मैं अर्पनी भक्ति! के द्वा�ा आर्प के क्तिलए �ाध्य क� �हा हँू. भगवान के क्तिलए मे�ा प्या� मुझे तुम्हा�े साथ �नाता है. मैं अर्पनी आत्मा, �च्चे, हँू! अर्पने दिदल की हमें अर्पने सचे्च बिनवास. इसक्तिलए आर्प कुछ भी क्यों ड�ते हो? �हादु� औ� बिनड� �हो.

 

  

 

 

 

 

र्परि�चय 

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में प्रस्तुत क�ने युग ऋबिष PRAJNAVATAR के रूर्प में श्री�ाम शमा� आचाय� औ� इस र्पुस्तक के लेखक

 

---- PRAJNAVATAR भगवान का बिर्पछले नौ अवता� की एकीकृत रूर्प है. 

अ� तक भगवान के सभी अवता� प्रकट बिकया है औ� इस युग के .म� र्परि�वत�न की स्थार्पना के क्तिलए बिवशिभन्न स्थिस्थबितयों के आ.ा� र्प� बिकया गया है. इस युग में इन सभी स्थिस्थबितयों र्प� प्रकट बिकया है औ� इसक्तिलए एक ही समय एक तुलनात्मक अध्ययन के माध्यम से हम आसानी से समझ कैसे एक Prajnavatar भगवान के सभी अवता� के एकीकृत रूर्प है.

 

1) MATSYAVATAR मछली (अवता�) - इस युग के र्परि�वत�न की कहानी.

 

उसकी रू्पजा दिदनचया� के �ाद एक दिदन भगवान मनु अर्पनी हथेक्तिलयों में र्पानी की रे्पशकश सूय� - देवता (Arghya कहा जाता है). उस समय वह एक सूक्ष्म आवाज, मनु सुना. मुझे देखो, मुझे तुम्हा�ी मदद की जरू�त है. मनु अर्पनी हथेक्तिलयों में एक छोटी मछली को देखा औ� आवाज मछली से प्रकट. मनु ने कहा, आर्प एक दिदव्य व्यक्ति!त्व होने लगते हैं. मुझे �ताओ, मैं आर्प की सेवा क� सकते हैं? मछली ने कहा, मैं एक बिवशाल काय� बिनvर्पादिदत औ� इसक्तिलए इस ताला� के क्तिलए यह �हुत छोटा है. इस प्रका� मुझे गंगा नदी के क्तिलए लेते हैं. भगवान मनु दिदल प्या� के साथ overflowed ज� वह इस दिदव्य मछली की आवाज सुनी. इसक्तिलए वह अर्पने र्पानी के �त�न में र्प�मात्मा मछली ले क्तिलया है औ� यह एक �ड़ी नदी के क्तिलए ले क्तिलया. एक औ� शुभ अवस� र्प� भगवान मनु बिU� उस जगह का दौ�ा बिकया औ� वह बिU� से बिक र्प�मात्मा मछली beheld. दिदव्य मछली ने कहा, मे�ा आका� �ढ़ �हा है. इसक्तिलए मुझे साग� तक र्पहुँचने में मदद. मनु आभा�ी है औ� साग� के क्तिलए मछली क्तिलया. अचानक वहाँ जल - प्रलय (दुबिनया की एक �ाढ़ के द्वा�ा बिवनाश) था. बिक बिवनाश में स� कुछ नष्ट हो �ही थी औ� इसक्तिलए मछली सात Rishis (Saptarshis) अर्पनी र्पीठ र्प� �ैठने को कहा. मछली जहां Rishis रू्प�ी दुबिनया के क्तिलए वेदों का संदेश (आध्यात्मित्मक ज्ञान) Uैल से बिहमालय घाटी सात Rishis क्तिलया. रु्प�ाणों के अनुसा� (भा�तीय र्पौ�ाशिणक कथाओं) इस Matsyavatar की कहानी है.

 

यह अजी� लगता है बिक भगवान एक मछली के रूर्प में incarnates. औ� इसे औ� अक्ति.क आmय�जनक है बिक बिक यह सभी शक्ति!शाली extrasensory शक्ति! एक इंसान की त�ह �ता�व क�ती है. प्राचीन काल में लेखन औ� भजन के रूर्प में बिनशिmत ब्रह्मांडीय कानून (गुरु गुरु) के �ा�े में �ात की एक र्प�ंर्प�ा �ही है. इस बिवज्ञान के क्तिसद्धांत भी है. बिद्वर्पद प्रमेय का एक एक लाइन के समीक�ण है, लेबिकन इस र्प� बिकया गया है काUी �ढे़. आइंस्टीन के क्तिसद्धांत केवल E = mc 2, लेबिकन अभी तक यह एक �हुत �ढे़ हुए ढंग से बिकया गया है उस र्प� दिटप्र्पणी की. भा�तीय संस्कृबित भी इस प्रका� प्रस्तुत बिकया गया है. यह �हुत ही क्तिसद्धांत हमा�े प्रा�ंशिभक र्पांच अवता� में प्रकट बिकया है, इतना है बिक यह �ुशिद्धमान रु्परुष से समझा जा सकता है. अहंका�ी मानक्तिसक cravings के लोगों को खुद को ऐसे facades र्प� नहीं डाल आज के रूर्प में देखा जा

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�हा है. ज्योबितषीय गणना के अनुसा� कश्किल्क अवता� औ� प्रकट क�ने के क्तिलए इसक्तिलए कुछ व्यक्ति!यों के क्तिलए समय है, संतों खुद Nishkalank अवता� (बिनvकलंक अवता�) के रूर्प में र्परि�चय, लेबिकन वास्तबिवकता में वे र्पया�प्त नहीं बिUट क�ने के क्तिलए भी इस कश्किल्क अवता� (घोड़ा) की रंू्पछ हो �हे हैं. वे क्तिसU� सतही facades र्प� डाल दिदया है, के रूर्प में जल्द ही कृबित्रम काले �ंग के रूर्प में हटा दिदया जाता है, तो हमें वास्तबिवकता साU झलकती है औ� यह आज हास्यास्पद हास्यास्पद स्थिस्थबित है. इस का एक र्परि�णाम के रूर्प में हो सकता है, इस बिवव�ण प्रतीकात्मक प्राचीन समय में दशा�या गया था.

 

एक मछली बिक प्राणी है जो र्पानी के प्रवाह के बिवर्प�ीत दिदशा में चलता है. यह या तो �हुत छोटे या आका� में �हुत �डे़ हो सकते हैं. मनु का अथ� है जो दुबिनया से जुड़ा हुआ है औ� compassionately को �ोकने के क्तिलए इसे नष्ट क� दिदया हो �ही इच्छाओं. औ� इस मिमशन (गायत्री र्परि�वा�) औ� उसके संस्थार्पक के काम की गबितबिवक्ति. शैली इस प्रका� की है. �ंद व्यथ� र्पा�ंर्परि�क मान्यताओं warding क�के वह दुबिनया वैदिदक .म� यानी आध्यात्मित्मक भा�तीय संस्कृबित के आध्यात्मित्मक ज्ञान दिदया. का बिव�ो. तत्वों को अर्पने स्त� र्प� उसे में �ा.ा डालती क�ने की कोशिशश की. गायत्री ब्राह्मणों के अंतग�त आता है, यह कान में �ोला जाता है, यह मबिहलाओं के क्तिलए नहीं है, यज्ञ केवल ब्राह्मणों द्वा�ा बिकया जा सकता है, ब्राह्मणों उन जन्म से ही क� �हे हैं, आध्यात्मित्मकता ही Uूल, बितलक, माला का मतल� है, वह यह स� औ� अभी तक का बिव�ो. बिकया दूस�े हाथ र्प� यह स� rejuvenated. वह 3 भागों में महान गायत्री बिवज्ञान क्तिलखा था. आज सभी छोटे / �डे़ �च्चों, �ुजुग�, रु्परुषों, मबिहलाओं आदिद गायत्री की रू्पजा क�ते हैं. वे आगे आत्मज्ञान के र्पथ र्प� अग्रस� हैं. ह� कोई अर्पने क्तिसद्धांतों को स्वीका� क� �हा है. आध्यात्मित्मक बिवज्ञान के बिवनाश की संभावना के अबिनशिmत शत� के तहत, वह सUलतार्पूव�क भा�तीय संस्कृबित (गायत्री यज्ञ) औ� बिहमालय में ऋबिष र्प�ंर्प�ा के माता बिर्पता (--- शांबितकंुज हरि�द्वा�) की स्थार्पना की. यहाँ से, गंगा शिशव �ाल ताले से बिनकलती नदी की त�ह, यह ह� जगह बिकया जा �हा है Uैल �हा है. ह� कोई अर्पनी अशिभव्यक्ति! का आनंद भाग लेना है.

 

र्पहले वह आध्यात्मित्मक संवेदनशील लोगों के र्पानी के �त�न (हृदय) में प्रवेश बिकया है, तो वह उन्हें गायत्री ध्यान दिदया है, तो दूस�ों को उर्पदेश है, तो वह अर्पने समय दिदया था, अर्पने स्वयं, वह अन्य शाखाओं की स्थार्पना की है, वह साव�जबिनक काय�क्रमों दिदया, वह Shaktipeethas वह स्थाबिर्पत, ऋबिष र्प�ंर्प�ा है बिक एक उच्च आदेश की थी की एक आध्यात्मित्मक समझ दी है, वह आज के का�ो�ा� प्रका� आश्रम, अर्पने क्तिस� आदिद के साथ साथ �ाकी स�को �चा क्तिलया है, तो इस दिदव्य ज्ञान औ� डू� गया है वहाँ भी एक सच आध्यात्मित्मकता के बिनशान नहीं �ह अग� वह था हाक्तिसल नहीं है यह स�. यह स� वह शेष छोटे कद औ� आज में वह अर्पने ब्रह्मांडीय �क्षक है के द्वा�ा रू्प�ा बिकया है. मछली अवता� Prajnavatar के ह� कण में व्याप्त देखा जा सकता है.

 

 

कछुआ अवता� सामग्री आ�ाम औ� आध्यात्मित्मक उत्थान का एक शानदा� संयोजन अथ�: 

दोनों डेमी - देवताओं औ� �ाक्षसों ब्रह्माजी के �ेटे हैं. वे �खने के क्तिलए लड़ �हे हैं औ� एक दूस�े के साथ जूझ �हे हैं. दोनों दलों के बिवनाश का अनुभव बिकया. र्पीड़ा से �ाह� इसक्तिलए उन दोनों ब्रह्माजी से संर्पक�

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बिकया औ� �ाद का अनु�ो. क�ने के क्तिलए उन्हें शांबित का �ास्ता दिदखा. ब्रह्माजी ने उन से रू्पछा साग� यानी समुद्र मंथन मथना. Mandarachal र्पहाड़ मंथन �ॉड �नाया गया था. भगवान Shesha (नाग) एक �स्सी में र्परि�वर्तितंत क� दिदया गया. एक अंत में डेमी - देवताओं थे औ� दूस�े र्प� �ाक्षसों, तो के रूर्प में समुद्र मंथन क�ने के क्तिलए. समस्या यह थी बिक साग� के मंथन के का�ण रृ्पथ्वी की रू्प�ी सतह बि�ख� सकता है. इसक्तिलए जो �ोझ कं.े होगा? वे स� इसक्तिलए भगवान से प्राथ�ना की. कछुआ अवता� या Kacchap अवता� ले �ही है औ� उसकी र्पीठ र्प� र्पालन प्रभु Mandarachal र्पव�त के वजन कं.ों. समुद्र मंथन के �ाद बिकया गया था, 14 गहने जो दोनों डेमी - देवताओं औ� �ाक्षसों के क्तिलए खुशी के थे आया था. यह कछुआ अवता� की कहानी है.

 

कछुआ अवता� की कहानी शा�ीरि�क बिवज्ञान, सामाजिजक बिवज्ञान औ� आध्यात्मित्मक बिवज्ञान की एक अतुलनीय अनुक्रम है. यह असंभव लगता है बिक एक मात्र कछुआ एक बिवशाल र्पहाड़ के �ोझ कं.े क� सकते हैं. शक्ति!शाली साग� औ� कैसे मंथन बिकया जा सकता है बिक �स्सी के रूर्प में भयानक नाग देवता (भगवान Shesha) के साथ भी है. लेबिकन कछुआ अवता� की दिदव्य खेल इस घटना को साबि�त क� दिदया है सच्चा होना. 14 गहने के �ीच के रूर्प में के रूर्प में अच्छी त�ह से अमृत जह� है. Prajnavatar कैसे दोनों अमृत औ� बिवष हमा�े जीवन में उर्पयोगी होते हैं के रूर्प में कछुआ अवता� के �हस्य को खोलता है. �ाक्षसों जो लोग जीवन का अंबितम लक्ष्य के रूर्प में भावना merriments र्प� देखो. इस के क्तिलए वे भी अन्य प्राशिणयों को र्प�ेशान क�ने के क्तिलए तैया� क� �हे हैं. जीवन के इस भौबितकवादी त�ीका �ौशिद्धक क्तिसद्धांतों औ� भौबितक बिवज्ञान के उन लोगों के आदश� के रूर्प में हेय दृबिष्ट से देखा जा सकता है. आज की दुबिनया में यह Tripurasura �ाक्षस ह� जगह देखा है प्रकट. उन भौबितकवादी बिवश्वासों के क्तिलए का�ण वहाँ इतना उत्र्पीड़न, उत्र्पीड़न, अर्प�ा., अवांछनीय तत्वों, डकैती, �लात्का� आदिद इस दुबिनया में प्रचक्तिलत है. ह� कोई र्पया�व�ण प्रदूषण की त�ह बिवनाश की स्थिस्थबितयों, अबिवश्वास आदिद चेह�े समाज बिनत्मिvक्रय, संवेदनशीलता से �बिहत हो जाता है ज� वहाँ औ� इस जड़ता यानी बिवश्वास बिवश्वास की कमी है ह� जगह औ� जीवन के सभी के्षत्रों में देखा. संवेदनशीलता की .ा�ा को इस हद तक बिक आज र्पबित - र्पत्नी एक दूस�े र्प� भ�ोसा नहीं क�ते हैं सूख गया है, बिर्पता औ� �ेटे के �ीच कड़वाहट है, दो भाइयों के दुAमन �न जाते हैं औ� एक समाचा� र्पत्रों में यह स� र्पढ़ता. यह एक �ाक्षस होने का दद� है. यह स्वाथ� उन्मुख भौबितकवाद र्प� आ.ारि�त है. औ� यह स� प्रकट होता है क्योंबिक आदमी र्प� एक मात्र श�ी� औ� आत्मा के रूर्प में नहीं के रूर्प में देखा जाता है.

 

दूस�ी ओ�, क्योंबिक एक स� हो सकता है औ� जीवन के सभी अंत, आज .म� के रूर्प में अं.बिवश्वास की �दसू�त रूर्प ले क्तिलया है, ज�बिक केवल आध्यात्मित्मकता र्प� देख का एक र्परि�णाम के रूर्प में मानव मूल्यों को भूल जाता है. आज तीथ� .ब्�े, आश्रम, मठों औ� मंदिद�ों जो बिU� से व्यावसामियक घ�ानों के र्पसंद के रूर्प में �ाजा� स्थानों �दसू�त भ्रष्टाचा� का र्पया�य �न गए. एक �ाजनीबितक भ्रष्टाचा� क्षमा लेबिकन आध्यात्मित्मकता के इस �हाना के प्रत्यक्ष र्परि�णाम केवल बिवनाश हो सकता है. इसका मतल� यह है बिक देवत्व एक त�Uा है. इसक्तिलए समुद्र का मंथन क�ने का मतल� है बिक कैसे एक ही केन्द्र बि�न्दु र्प� इन दोनों र्पहलुओं को लाने के क्तिलए है. अथ� जीवन सा.ना के र्प�ीक्षण के तहत मंथन बिकया जाना चाबिहए. एक र्परि�णाम के रूर्प में ज्ञान सांसारि�क कत�व्यों के �ा�े में आती है औ� हमें हमा�े आध्यात्मित्मक लक्ष्यों को प्राप्त क�ने में मदद क� सकते हैं.

 

इस प्रका� यह स्पष्ट है बिक श्रदे्धय गुरू मुख्य उदे्दAय औ� प्रयास क�ने के क्तिलए एक ही मंच र्प� इन दोनों आदश� लाने के क्तिलए गया था. आदेश में दोनों �ौशिद्धक वग� औ� ब्रह्म के अनुयामिययों को एकजुट क�ने के

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क्तिलए वह हरि�द्वा�, भा�त में Brahmavarchas अनुसं.ान संस्थान की स्थार्पना की. यहाँ बिवश्वास Uाम� औ� योग के अभ्यास उन्मुख बिन�ाका� ध्यान के साथ भगवान के उन्मुख ध्यान के दोनों र्परि�णाम एक वैज्ञाबिनक त�ीके से दशा�या गया है. यह कंुडक्तिलनी शक्ति! की रू्पजा क�ते हैं के प्रकट रूर्प हमा�े श्रदे्धय गुरू से आया है. वह एक महान एहसास संत औ� सांसारि�क सामग्री उर्पलब्धिब्धयों की एक मास्ट� भी था. दोनों बिवर्प�ीत दिदशाओं में हैं, लेबिकन कैसे दोनों एक मंच र्प� लाया जा सकता है गायत्री Mahavigyan में अर्पने लेखन यानी (1) रे्पज नग से समझा जा सकता है. 240-248.

 

हमा�े गुरू क्तिलखते हैं बिक बिक Merudand (�ीढ़ की हड्डी) ही Mandarachal र्पहाड़ है. Ida अथ� Chandranaadi (�ाए)ं Svar शांबित देवत्व, औ� पिर्पंगला या Suryanaadi (सही Svar) के एक प्रतीक है गम� औ� सामग्री इच्छाओं का एक प्रतीक है. (साँस लेने के व्यायाम) Pranayaam औ� अन्य सा.ना के माध्यम से इन दोनों Naadis (सूक्ष्म तंबित्रकाओं) मंथन द्वा�ा Mooladhar सबिक्रय है. यह यहाँ बिक ब्रह्मांड के ज्ञान का माग� यानी Brahmanaadi शुरू से है. Mooladhar या Merudand के आ.ा� ज� भ्रूण एक काला छह र्पक्षीय Merudand के आ.ा� अणु से जुड़ी है के रूर्प में मां के गभ� में है स्थाबिर्पत है. आदेश में छत Uम� �नाने के क्तिलए, �हुत मज�ूत तम्�ू बिर्पन जमीन में खोद �हे हैं औ� क� �हे हैं तो �स्थिस्सयों से �ं.े. Brahmanaadi भी इस अणु छह त�Uा (Shata Kona) द्वा�ा बिकया गया है �ं.े. इस प्रका� महत्वर्पूण� शक्ति! श�ी� के क्तिलए संयु! है. प्रतीकात्मक यह �हुत काला अणु छह त�Uा Kurma या कछुआ कहा जाता है. क्योंबिक यह एक कछुए के आका� की है. रृ्पथ्वी के प्रतीकात्मक अथ� प्रभु Kurma (कछुआ) र्प� बिनभ�� क�ता है बिक हमा�े जीवन का घ� भी कछुआ र्प� बिनभ�� है. इस ज्ञान केवल एक जो गहन सा.ना की प्रबिक्रया के मानस में आती है. हमा�े श्रदे्धय गुरू यह ठीक बिकया औ� हमें मनुvयों अग्रणी एक भौबितकवादी जीवन एक एक आध्यात्मित्मक लक्ष्य को प्राप्त क� सकते हैं के �ावजूद इन 14 गहने या आध्यात्मित्मकता जिजसमें �ास्ता दिदया. आज दोनों नाश्किस्तक �ौशिद्धक वग� औ� बिवश्वास उन्मुख लोगों के theistic वग� हमा�े मिमशन में शामिमल हो गए हैं, तो के रूर्प में सUलतार्पूव�क भगवान Kurma उर्पदेशों को दशा�ती है.

 

 

इस त�ीके में यहोवा VARAH �वाना र्पृथ्वी र्प� र्पया�व�ण प्रदूषण को .ोया: 

एक Hiranyaksha दानव का आह्वान बिकया था. वह इतना .न के क्तिलए �हुत तड़र्पा है बिक वह रू्प�े ग्रह रृ्पथ्वी के साथ भाग गया. दुबिनया में बि�ल्कुल अ�ाजकता था ज� वह गंदगी के साथ रृ्पथ्वी को कव� बिकया औ� यह समुद्र के माग� से ले क्तिलया. इन र्परि�स्थिस्थबितयों में जो ग्रह रृ्पथ्वी र्प� गंदगी का घंूघट वाड� चाहते हैं? इसक्तिलए प्रभु Varah (सूअ�) के रूर्प ले क्तिलया औ� Hiranyaksha की हत्या से वह ग्रह रृ्पथ्वी को �चाया. प्रभु गंदगी को कव� हटा दिदया है औ� वार्पस शुद्ध रृ्पथ्वी ने मनुvय को इस र्प� बिU� से ध्यान केजिन्द्रत क�ना है. इस भगवान Varah अवता� का सा� है. Hiranyaksha वह जिजनकी आँखें सोने या सामग्री केवल .न के क्तिलए त�स से भ�ा �हे हैं मतल� है. लालसा या तो देश tilling या हस्तशिशल्र्प �नाने से संतुष्ट नहीं हो सकता. यह केवल मिमलों के माध्यम से रू्प�ी त�ह संतुष्ट बिकया जा सकता है, का�खानों आदिद उन्नत प्रौद्योबिगकी र्प� आ.ारि�त है. हमा�े Rishis सुर्प� वैज्ञाबिनकों थे, लेबिकन वे सामग्री का इस्तेमाल बिकया है बिक प्रकृबित के बिनयमों के खिखलाU जो �ा�ी में प्रकृबित को नष्ट क� दिदया चला गया कभी नहीं. आज ह� कोई एलोरै्पथी दवाओं रृ्पथ्वी र्प� इतने सा�े जीव नष्ट क� दिदया है औ� कैसे रृ्पथ्वी सूखार्पन milked बिकया जा �हा

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है बिक के �ा�े में र्पता है. तथ्य यह है बिक हमा�ी रृ्पथ्वी के क्तिलए �वाना हो स� गंदगी से .ोया जाना चाबिहए हमा�े शह�ों की गंदगी, र्प�माणु अर्पशिशष्ट की समस्या, आदिद �ोगों के नए प्रका� से लगाया जा सकता है

 

डैबिनयल Wanken, रु्पस्तक "भगवान का दान 'के लेखक है बिक एक �ा� एक समय मनुvय शुक्र ग्रह र्प� dwelt र्प� क्तिलखते हैं. वीनस र्प� भी रृ्पथ्वी र्प� की त�ह वहाँ अ�ाजकता, का�ों का .ुआं, का��न डाइऑक्साइड, का��न मोनोआक्साइड आदिद यह स� 2 कृबित्रम उर्पग्रहों का अध्ययन बिकया गया था वहाँ भेजा गया है. Wanken सोचता है बिक वीनस के 2 चन्द्रमाओं Phovos Lovos औ� कृबित्रम उर्पग्रहों �ुलाया. लोगों को अन्य ग्रहों के क्तिलए सु�शिक्षत इस ग्रह को छोड़ दिदया ज� वहाँ एक्तिसड की �ारि�श थी. बिकसी को र्पता है बिक इन दिटप्र्पशिणयों के झूठे सच नहीं है, लेबिकन रृ्पथ्वी र्प� प्रदूषण में वृशिद्ध बिनशिmत रूर्प से हम इस त�ह के एक गंभी� स्थिस्थबित का नेतृत्व क�ेंगे. इस के क्तिलए यह र्पया�प्त है बिक गंदगी औ� ऑटोमो�ाइल .ुआं प्रदूषण एक रृ्पथ्वी में वृशिद्ध है.

 

प्रभु Varah �नने से हमा�े गुरू इस प्रदूषण र्प� का�ू र्पाने की कोशिशश की. वह हमें माँ प्रकृबित के साथ मिमलक� में जीवन जीने के क्तिलए पे्ररि�त बिकया औ� बिवशाल यज्ञ में शो.. आज इस तथ्य को आ.ुबिनक बिवज्ञान से साबि�त हो गया है. गो�खर्पु� अश्वमे. यज्ञ के वैज्ञाबिनकों के समय में व्यवस्थिस्थत ढंग से इस तथ्य की घोषणा की. Prajna रु्परुष (हमा�े गुरू) भी सामग्री दुबिनया के लगाव की एक ज�ा भी नहीं था. लेबिकन वह खुद को इस जह� बिर्पया इतनी के रूर्प में इस संकट से दुबिनया को �चाने के क्तिलए औ� इस त�ह अर्पनी बिकया जा �हा अच्छी त�ह से स्थाबिर्पत है. भगवान Varah �नने से वह रृ्पथ्वी का र्पया�व�ण प्रदूषण के संकट से �चाने का बिनmय बिकया. अ� तक वह न केवल यज्ञ का आयोजन बिकया, लेबिकन इस मिमशन से .ोने है �ुवाई अनबिगनत रे्पड़ों से इस प्रदूषण औ� औष.ीय उर्पचा� के आयुव�द Uाम� रु्पनस�बिक्रय. आने वाले दिदनों में दुबिनया भ� में इस प्रयास स्वीकृबित मिमल जाएगा. उसके �ाद ही रृ्पथ्वी को �चाया जाएगा.

 

यहोवा NRISHINHA के अवता� आस्था के कायाकल्र्प का मतल� है: 

Hiryanksha के अन्य भाई Hiranyakashyap था. वह भी सोने के क्तिलए दिदन के सभी 24 घंटे तड़र्पा. यह लालसा ने उसे अर्पनी आत्मा के खिखलाU जाना. Amassing .न का एक �ड़ा सौदा उन्होंने घोषणा की है बिक आदमी खुद भगवान है. वह असली भगवान के �ा�े में सुना है नU�त. उन्होंने कई चीजें हैं जो वह भ्रम के तहत बिकया गया है बिक न तो आदमी औ� न ही बिकसी अन्य प्राणी उसे मा� सकता है का आबिवvका� बिकया. वह न तो अर्पने घ� औ� न ही �ाह� के अंद� म� जाएगा. यह था के रूर्प में हालांबिक वह सभी स्थानों में एक सु�क्षात्मक जीवन �ीमा था. उन्होंने महसूस बिकया बिक वह न तो हक्तिथया� हमलों की वजह से म� जाते हैं औ� न ही बिकसी भी �ोग के का�ण. वह न तो दिदन में औ� न ही �ात में म� जाएगा. ऐसी र्परि�स्थिस्थबितयों के अंतग�त प्रभु Nrisinha (एनआ�आई = आदमी + क्तिसन्हा शे� =) Patio र्प� �ैठे औ� अर्पने लं�े शे� के नाखून के साथ Hiranyakasyap .ड़ Uाड़ दोह�ी प्रजाबितयों के भ! प्रहलाद औ� इस प्रका� स्थाबिर्पत बिवश्वास ह� जगह �चाया.

 

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आज का आदमी वास्तव में एक Hiranyakashyap �न गया है. वह इतने सा�े हक्तिथया� है बिक वह हत्या क� दी जा �हा है ड� नहीं है. वह अर्पने बिनर्पटान में कई दवाओं है बिक वह यकीन है बिक वह एक र्परि�र्पक्व उम्र तक �हते हैं औ� शायद अम� भी �न सकता है. �ेशक, यह कोई संदेह नहीं है अर्पने अं.ा बिवश्वास है. वह अर्पने जीवन के सभी के्षत्रों में सु�क्षा के �ा�े में सुबिनशिmत है. वह केवल एक ही �ात है बिक भगवान का नाम नहीं क्तिलया यह स� सरि�ता की त�ह र्पबित्रकाओं में broadcasted है आदिद ऐसी र्परि�स्थिस्थबितयों के अंतग�त भगवान शांबित के सभी रूर्पों का उर्पयोग आदमी के दिदल में आस्था के रूर्प में स्थाबिर्पत क�ने के क्तिलए औ� इस त�ह सभी नीच इच्छाओं को नष्ट बिकया जाना चाबिहए इच्छाओं, संध्या के लालच आदिद एक अथ� गायत्री रू्पजा है, यह एक संक्ति. (शांबित) है. एक अन्य संक्ति. युग संक्ति. (जंक्शन) में जो सांसारि�क खुशी जीवन का एकमात्र उदे्दAय है. इस बिवश्वास को नष्ट क� दिदया जा �हा है औ� आध्यात्मित्मक आदश� को .ी�े .ी�े लेबिकन बिनशिmत रूर्प से ह� जगह Uैल �हे हैं. एक र्पल के फ्लैश में हमा�े Prajnavatar (युग ऋबिष आचाय� श्री�ाम शमा�) आसानी से इस त�ह से यह स� हाक्तिसल के रूर्प में हालांबिक भगवान Nrisinha जैसे वह बि�ख�ता इसे खोलने के एक स्तंभ के �ाह� से आया था. वह .म� के प्रहलाद की �क्षा औ� अर्पने भ!ों जो उसे प्रशंसा क� �हे थे के र्पीछे छोड़ने के �ाद वह गाय� हो गया. वह एक �हुत दयालु औ� संवेदनशील प्रकृबित का था, दुष्टता के क्तिलए वह मौत प्रकट था. वह दिदव्य पे्रम के साथ overflowed औ� अत्यक्ति.क क्रो. भी था. जीवन के मौक्तिलक मूल्यों के साथ वह कभी समझौता. 21 सेंट सदी बिक बिकसका �च्चा है वह बिवश्वास की त�ह �क्षा की थी एक उज्ज्वल भबिवvय की क्षमता के क्तिलए गबित के साथ प्रकट है. युग संक्ति. Mahapurashcharan के रूर्प में इस छोटे टे्रल� श्रदे्धय गुरुदेव के जन्मस्थान में अक्ति.बिनयमिमत बिकया जा �हा है, Anvalkheda 3,4,5,6,7 र्प� नवं�� 1995 ई. यह cravings के बिवनाश के एक औ� दृAय औ� बिवश्वास को दशा�ती होगा ह� जगह स्थाबिर्पत बिकया जाएगा . लोगों को यह स� आmय�जनक गवाह औ� यह eulogise.

 

 

तीन र्पै� वामन यानी भक्ति!, ज्ञान औ� का��वाई की: 

�ाजा �ाली अर्पने .न औ� .ूम.ाम के �ा�े में �हुत अहंका�ी था. हालांबिक वह दिदल उदा� था वह अभी तक उसकी मानक्तिसकता में चीजों की एक �हुत कुछ क�ने के क्तिलए cravings harbored. प्रक्तिसशिद्ध र्पाने के क्तिलए वह कुछ भी क�ना होगा. वह रू्प�ी रृ्पथ्वी र्प� शासन बिकया. एक दिदन एक छोटे �च्चे (वामन) उसके �ीच में आया औ� 3 Uुट मार्पने भूमिम के क्तिलए कहा. �ाली हँसे औ� ऐसा क�ने र्प� सहमत हुए. उस समय प्रभु वामन जो एक �च्चा था अ� तक अर्पने बिवशाल ब्रह्मांडीय Uाम� प्रकट. वह अर्पने 2 Uीट के साथ रू्प�ी दुबिनया को मार्पा. अर्पने तीस�े रै्प� �खने के क्तिलए जगह नहीं थी. उस पि�ंदु र्प� �ाली अहंका� गाय� हो गया. इस प्रका� �ाली भगवान के क्तिलए अर्पने सभी आत्मसमर्प�ण क� दिदया. यह भगवान वामन की कहानी है. लेबिकन प्रव.�न काUी �ड़ी है.

 

आज ह� बिकसी का नाम औ� प्रक्तिसशिद्ध के क्तिलए craves. इसक्तिलए संसद टूट जाता है औ� स�का�ों को �दलने के. बिवचा�.ा�ाओं में मतभेद �!र्पात है. छोटे लोगों र्प� �डे़ देशों के माक्तिलक. वे अर्पने स्वयं के सनक औ� fancies के अनुसा� काम क�ते हैं. र्पत्रका�ों मानक्तिसक रूर्प से र्पीक्तिलयावाला �न गए हैं, कानून की अदालत में कोई �ड़ा क�ने के क्तिलए �हने के क्तिलए आदश� है, जो लोग अर्पने नागरि�कों की �क्षा क�नी चाबिहए looters �न गए हैं औ� यह स� खुलेआम �ाली की बिUत�त की त�ह जा �हा है. ह� जगह यह अभी तक की यह लोग सभी अनैबितक काय� में गव� लेने के �ा�े में शर्मिंमंदा होने के �जाय �ोली जाती है. लड़बिकयों

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सती के का�ण बिकया जा �हा है जला �हे हैं, वे दहेज के क्तिलए र्प�ेशान क� �हे हैं. जो लोग यह स� को प्रोत्साबिहत क�ने के क्तिलए �ुशिद्धमान होने के क्तिलए कहा जाता है औ� सभी सम्मान दिदया जाता है. बिवडं�ना यह है बिक ऐसे लोगों को लगता है बिक वे �हुत �ुशिद्धमान हैं. दूस�ों को उनके महान भ!ों औ� कड़ी मेहनत के रू्पण� होने के क्तिलए लगता है.

 

2700 रु्पस्तकों का लेखन द्वा�ा हमा�े Prajnavatar दुबिनया में एक जगह में ज्ञान �खा औ� इस प्रका� हमें �ुशिद्ध दी. आज इस साबिहत्य रू्प�ी दुबिनया में महान मांग में है. गायत्री र्परि�वा� बिववेकानंद शिशकागो के साथ र्पया�य �नता जा �हा है. इस साबिहत्य के का�ण कोई शक नहीं है बिक हमा�े श्रदे्धय गुरू रू्प�ी दुबिनया के ज्ञान में Uैला है औ� अ� क्या �हता है यह दुबिनया के ह� कोने में Uैला हुआ है. उसी त�ह वह .ार्मिमंक �हाना के �ीच में र्पबिवत्र रू्पजा का असली रूर्प दिदया. आने वाले दिदनों में केवल एक शुद्ध दिदल के भक्ति! दुबिनया में गबित औ� बिकसी भी �हाना नहीं हाक्तिसल क�ेंगे. उसी त�ह वह हमें दिदखाया एक स� कैसे हमा�ी गबितबिवक्ति.यों के क्तिलए भगवान को एकजुट क�के का��वाई के योग के एक आदमी �नने के द्वा�ा एक एक श�ी� में क� सकते हैं 5 बिनकायों के उन लोगों के क्तिलए समान गबितबिवक्ति.यों प्रदश�न. इन सभी 3 एक साथ डाल .ा�ाओं ज्ञान, भक्ति!, औ� का��वाई की बित्रवेणी यानी गायत्री रू्पजा है. प्राचीन समय में यह रू्पजा साव�भौमिमक अनुमोदन बिकया था औ� भबिवvय में यह है बिक वास्तव में क्या होने जा �हा है. उसी त�ह आज की कूटनीबित की �ाली �हाना तोड़ने के क्तिलए औ� एकता .ैय�, औ� स्नेह महत्व लाभ होगा. युग आ �हा है जो सभी प्राशिणयों के �ंद�गाह कल्याण औ� प्रदान क�ना अच्छी त�ह से उन र्प� बिकया जा �हा है बिक र्पथ र्प� चलना होगा. एक सभ्य समाज के क्तिलए एक स्वस्थ श�ी� औ� स्पष्ट मन के आ.ा� र्प� ही बिनमा�ण संभव है.

 

हमा�ी PRAJNAVATAR के �ा�े में सोचा प्रस्ताव �नाम यहोवा र्प�शु�ाम के क्तिस� काट:

 

यह कहा जाता है बिक पिकंग्स �हुत अशिभमानी हो गया था. यह उनके स्वभाव में था उनके बिवषयों को र्प�ेशान क�ने औ� उस समय में भगवान र्प�शु�ाम का जन्म हुआ था. वह यत्न से सभी �ाजाओं के क्तिस� कटा.

 

भगवान र्प�शु�ाम के �ाद एक ऐसे कृत्यों बिनvर्पादिदत ब्राह्मण होने के �ावजूद यह संभव प्रतीत होता है बिक वह �ाजक्तिसक (सबिक्रय) रु्परुषों के क्तिलए है बिक वे उनके �हुत सोच प्रबिक्रया को �दलना र्पड़ा ऐसी तीव्र सोच दिदया क�ता है. यह हमा�े श्रदे्धय गुरू के जीवन में स्पष्ट रूर्प से देखा जा सकता है. नीच का��वाई के रूर्प में �ाह� हमा�े मानस प्रकट में �ु�े बिवचा�. हमा�े श्रदे्धय गुरू बिवनम्रतार्पूव�क अर्पने शक्ति!शाली लेखन के साथ लोगों ने चेतावनी दी है, वह वैज्ञाबिनक हमा�े काय� की प्रबितबिक्रयाओं के �ा�े में बिवस्ता� से �ताया औ� इस प्रका� कई नीच रु्परुषों को �ेहत� क�ने के क्तिलए �दल �हे थे. एक �हुत बिवशाल नैबितक आंदोलन जगह है जो �ाजनीबितक शासकों के क्तिस� काट क�ने के क्तिलए समान था क्तिलया. 2700 हमा�े श्रदे्धय गुरुदेव द्वा�ा क्तिलखी बिकता�ें एक कुल्हाड़ी की त�ह है, जो भी र्पढ़ता है प्रभाबिवत है औ� इस त�ह �ेहत� क�ने के क्तिलए �दल जाता है. यह नैबितक आंदोलन के प्रभाव है बिक 800 - के सेमिमना� के क्तिलए नेतृत्व बिकया गया है. अक्ति.का�ी शामिमल हैं.

 

बिक�दा� गरि�मा के भगवान �ाम द्वा�ा र्पालन:

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भगवान �ाम मया�दा रु्परुषोत्तम कहा जाता है --- र्पबिवत्र charactered रु्परुषों के �ीच स�से अच्छा है. हमा�े श्रदे्धय गुरू न केवल जीवन के सभी के्षत्रों में र्पबिवत्र चरि�त्र की शिशक्षाओं की स्थार्पना की लेबिकन खुद को अर्पने जीवन में आत्मसात इतनी के रूर्प में हमा�े क्तिलए �ात क�ने के क्तिलए अर्पने दिदन में दिदन हमा�े जीवन के लेन - देन के क्तिलए उर्पयोबिगता.

 

बिकसी भी अन्य सम्राट, �ाजा आदिद से भगवान �ाम कभी नहीं क्तिलया सहायता लेबिकन �जाय अर्पने सहयोबिगयों भालू, �ंद�, क्तिचम्पांजी आदिद हमा�े श्रदे्धय गुरू थे सा.ा�ण, संवेदनशील लोगों को इकट्ठा बिकया औ� उनमें से दैबिनक काम के एक घंटे के साथ लेने से योगदान के 10 रै्पसे के साथ उन्हें वह जमीन से आकाश को मिमशन उठाया. �ाम सोने की लंका औ� हमा�े श्रदे्धय लुगदी कुचल गुरू सभी सामग्री बिवचा�.ा�ाओं जला, लालच आदिद भगवान �ाम, कमजो�, ग�ी�, दक्तिलत औ� मबिहलाओं के वग� uplifted. हमा�े श्रदे्धय गुरू भी शत - प्रबितशत इन काय� को बिनvर्पादिदत. वह दुबिनया ब्रह्मांडीय Uाम� दिदखाया. हमा�े श्रदे्धय गुरू के लौबिकक रूर्प देख �हे हैं. वह स� Rishis का सम्मान. ऋबिष र्प�ंर्प�ा कायाकल्र्प क�के वह .म� को एक नई दिदशा दे दी है.

 

श्री कृvण 16 KALAS औ� ऊजा� की 24 .ा�ाओं के PRAJNAVATAR:

 

भगवान कृvण के जीवन संघष� के साथ एक हाथ र्प� औ� दूस�ी ओ� वह लोक कला स्थाबिर्पत र्प� शुरू है. यह भी हमा�े Prajnavatar की कहानी है. उन क्षमता बिक �ाजाओं की भावना आनंदों में डू�े थे भगवान कृvण द्वा�ा भक्ति! औ� सभी के कल्याण की दिदशा में �ँट गया था. हमा�े श्रदे्धय गुरू अच्छी त�ह से गायन कला को प्रोत्साबिहत क�ने के द्वा�ा बिकया जा �हा है, अग� श्री कृvण हमें का��वाई के योग का उर्पदेश दिदया तो हमा�े श्रदे्धय गुरू ने हमें क्तिसखाया है बिक कैसे आज के मुश्किAकल समय में प्रदश�न क�ने के क्तिलए का��वाई के योग आदिद अशिभनय के एक दिदशा दे दी है. वह तर्पस्या के एक आश्रम में अर्पने घ� में भी �दला है औ� दूस�ों को भी ऐसा क�ने के क्तिलए प्रोत्साबिहत बिकया. यह �हुत महाभा�त जो वह मा� डाला आज के युग बिनमा�ण के रूर्प में अंबितम औ� शक्ति!शाली अध्याय है. इस में, अशिभमन्यु की त�ह युवकों बिवशाल काय� को बिक्रयात्मिन्वत क� �हे हैं. अजु�न औ� भीम जैसे र्प�ाक्रमी योद्धा हैं. सभी शानदा� लोगों को हमा�े देश की एक सुर्प� र्पाव� औ� रू्प�े दुबिनया शांबित से भ�ा �नाने की कोशिशश क� �हे हैं. 

 

यहोवा हमा�ी PRAJNAVATAR �ु.ी औ� .म� चक्र के संघ स्थार्पना �ुद्ध की त�ह:

 

यदिद आर्प एक क�ी�ी अध्ययन काय�क्रमों की दृबिष्ट से तो काम शैक्तिलयों, प्रबित�ानों, बिवचा�.ा�ाओं औ� युग प्रवाह के क्तिलए दिदशा की एक उक्तिचत भावना दे �नाने के क्तिलए भगवान �ुद्ध औ� युग बिनमा�ण योजना की गबितबिवक्ति.यों के समान है. ऐसा लगता है मानो भगवान �ुद्ध की काय� हमा�े Prajnavatar द्वा�ा बिनvर्पादिदत बिकया जा �हा है. �ुशिद्ध औ� भेदभाव की �ुबिनयाद गायत्री रू्पजा है. वह भी .म� की स्थार्पना की. बिक युग बिनमा�ण से सहयोग क�ने के क्तिलए दिदए गए प्रर्पत्र भी गायत्री र्परि�वा� के द्वा�ा दिदया गया है. �ुद्ध सभी प्राशिणयों

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औ� गायत्री र्परि�वा� की हत्या का बिव�ो. बिकया भी उनके नक्शेकदम र्प� र्पीछा बिकया. उनका लक्ष्य मबिहलाओं के उत्थान बिकया गया था औ� यह एक युग बिनमा�ण योजना के प्रमुख लक्ष्यों में से एक है. उन्होंने संघ �नाया, युग बिनमा�ण योजना Shaktipithas स्थाबिर्पत. इस त�ीके में 10 Nishkalank अवता� के सभी रूर्पों का सा� है. इस �ा�े में कोई संदेह नहीं है. जो शक क�ेंगे संदेह के ..कते आग से नष्ट हो जाएगा. हम एक Prajnavatar के रूर्प में हमा�े श्रदे्धय गुरुदेव के रूर्प में कभी नहीं न�ी को मान्यता दी, इस त�ह के एक महान ऋबिष. जो उसे शामिमल हो गए वास्तव में .न्य थे. Thos जो दू� भटक आंदोलन का रू्प�ा क� �हे हैं औ� भबिवvय में ऐसा ही �हेगा.

 

बिवश्व प्रक्तिसद्ध PROPHESIZER औ� के अक्ति.का� के PRAJNAVATAR:

 

केवल कुछ सव�शक्ति!मान ईश्व� द्वा�ा भबिवvयवाणी क�ने की शक्ति! प्राप्त है. यहाँ र्प� बिवश्व प्रक्तिसद्ध संत के उन भबिवvयवाणी elucidated बिकया जा �हा है जो समय की एक महान लं�ाई के क्तिलए जनता के मानस को प्रभाबिवत बिकया है. इन सभी संत के इस �ात से सहमत हैं बिक दुबिनया के एक उज्जवल भबिवvय की दिदशा केवल भा�त द्वा�ा दिदया जाएगा, यह केवल एक असा.ा�ण "योग" बिक अलग भबिवvयवाणी पि�ंदु �नाया है हमा�े श्रदे्धय गुरू की बिवशिभन्न गबितबिवक्ति.यों के क्तिलए कहा जा सकता है.

 

PROPHESIZER जीन बिडक्सन 

जीन बिडक्सन अद्भतु भबिवvयवाणी क�ने की शक्ति! थी औ� इसक्तिलए वह न केवल अमेरि�का में �श्किल्क रू्प�ी दुबिनया में प्रक्तिसशिद्ध प्राप्त की. बिनम्नक्तिलखिखत लाइनों उसे सच भबिवvयवाणी क�ने के क्तिलए एक गवाह हैं:

 

जीन बिडक्सन एक Solgrave क्ल� में एक र्पाट¤ के क्तिलए आमंबित्रत बिकया गया था. उस समय अमेरि�का के �ाष्ट्रर्पबित ट¥मैन के उर्पाध्यक्ष थे. वह हँसक� तुम भगवान के एक भ! हैं, इसक्तिलए आर्प अर्पने भबिवvय की भबिवvयवाणी क� सकते हैं? �हुत जल्द आर्प अमेरि�का के �ाष्ट्रर्पबित �न जाएगा, एक औ� ट¥मैन अमेरि�का के �ाष्ट्रर्पबित चुने गए थे कुछ दिदनों में सही मायने में मुस्कान के साथ जीन बिडक्सन ने कहा. वह �ाष्ट्रर्पबित बिनवा�क्तिचत बिकया जा �हा है र्प� स्वीका� बिकए जाते हैं, "हम कोई अन्य बिवकल्र्प नहीं है लेबिकन स्वीका� क�ते हैं बिक आध्यात्मित्मक शक्ति!यों औ� अक्ति.क सामग्री शक्ति!यों से अक्ति.क शक्ति!शाली हैं." अमेरि�का के सभी जीन बिडक्सन के prophesizing शक्ति!यों र्प� है�ान था. वष� में एक �ा� 1994 �ाष्ट्रर्पबित रूजवेल्ट की व्हाइट हाउस के क्तिलए आमंबित्रत जीन बिडक्सन औ� रू्पछा --- क� तक यह क�ने के क्तिलए अर्पने काय� को रू्प�ा क�ने के क्तिलए ले जाएगा? बिडक्सन गंभी�ता से --- �ाष्ट्रर्पबित ने कहा, मैं �हुत कहना है बिक आर्प अ� जीने के क्तिलए �हुत कुछ दिदनों के क्तिलए माUी चाहता हँू. रूजवेल्ट हँस मदद नहीं है औ� अभी तक वह कुछ ही दिदनों में म� सकता है. जीन बिडक्सन द्वा�ा भबिवvयवाणी उनकी मृत्यु के मश्किस्तvक में एक �! वाबिहका के Uटने की वजह से था.

 

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abovementioned घटना बिU� से एक अक्ति.का�ी की अदालत में साबि�त क� दिदया था. एक दिदन भा�त के जन�ल एजेंट श्री बिगरि��ाज शंक� एक लंच र्पाट¤ Uें क दिदया. कन�ल नवा�जादा शे�ाली साथ जीन बिडक्सन के साथ आमंबित्रत बिकया गया था. कन�ल शे�ाली उसे एक सवाल रू्पछा, "मैडम, आर्प मे�े भबिवvय की भबिवvयवाणी क� सकते हैं?" �ेशक हाँ, जीन बिडक्सन, 2 'ने कहा बिक एन डी जून 1947 भा�त बिवभाजिजत हो जाएगा. आर्प बिक बिहस्सा है जो मुसलमानों के साथ प्र�ल होना होगा (देश) के क्तिलए जाना होगा. '

 

2 जून 1947 कन�ल शे�ाली की सु�ह र्प� जीन बिडक्सन --- मैडम कह Uोन बिकया था, अर्पनी भबिवvयवाशिणयों गलत हैं. लेबिकन जीन बिडक्सन �हुत दृढ़ता के साथ कहा, "स�, बिकसी भी घटना एक दूस�े के फ्लैश में जगह नहीं ले सकता. रू्प�े दिदन अभी तक छोड़ दिदया है. कृर्पया प्रतीक्षा क�ें. "सच 3 rd र्प� अमेरि�की समाचा� र्पत्रों में जून 1947 में छर्पा था --- भा�त औ� र्पाबिकस्तान को बिवभाजिजत बिकया गया है. इसके साथ साथ सेना भी बिवभाजिजत बिकया गया था औ� वास्तव में कन�ल शे�ाली र्पाबिकस्तान के क्तिलए छोड़ना र्पड़ा.

 

एक शाम में 1947 ज� जीन बिडक्सन घ� में �ाजनीबितक मामलों र्प� एक �ात थी, नई दिदल्ली के नाम भी उल्लेख बिकया गया था. अचानक जीन बिडक्सन ने कहा, "गां.ी जी की हत्या क� दी हो जाएगा लगता है औ� यह 6 महीने के भीत� हो जाएगा. "सच में गां.ीजी ने 30 र्प� हत्या क� दी गई थी वें जनव�ी, 1948 है. उसी त�ह वह 1963 में �ाष्ट्रर्पबित कैनेडी की हत्या के �ा�े में चिचंबितत था. एक �ा� ज� वह कैनेडी दोस्त र्पबिवत्र समझा के �ाद छह महीने के क्तिलए यात्रा से कैनेडी को �ोकने की कोशिशश की. वास्तव में यह इस कैनेडी था जिजसके क्तिलए वह 1963 में भबिवvयवाणी की थी बिक वह अमेरि�का के �ाष्ट्रर्पबित �न जाएगा. हालांबिक उनकी मृत्यु के जीन बिडक्सन की भबिवvयवाणी में आगे कहा गया है बिक काबितल का नाम र्पत्र 'ओ' औ� अंत के साथ 'डी' के साथ शुरू होगा. �ाद में सभी कैनेडी की हत्या क�ने के क्तिलए एक गवाह था ज� वह टेक्सास दौ�ा बिकया गया था औ� के रूर्प में जीन बिडक्सन द्वा�ा काबितल का नाम ओसवाल्ड की भबिवvयवाणी की थी.

 

जीन बिडक्सन रूस के र्पहले मानव�बिहत चंद्रमा, Eisenhower एक कम्युबिनस्ट देश �नने के क्तिलए अर्पने चुनाव अशिभयान, के र्पतन के Khruschev, चीन जीत, शास्त्रीजी नेहरू आदिद, जो सभी से बिनकला सच �ाद में हो सकता है के �ाद प्र.ानमंत्री �नने में प्रवेश �ॉकेट की त�ह कई भबिवvय की घटनाओं की भबिवvयवाणी की थी.

 

 

 

नए युग के क्तिलए संदभ� के साथ एक �हुत ही महत्वर्पूण� भबिवvयवाणी --- एक ग्रामीण र्परि�वा� में एक angelic आदमी का जन्म 

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एक �हुत ही बिवनम्र, ग्रामीण र्परि�वा� में एक महान आत्मा के जन्म, जो प्रत्यक्ष, प्र�ं.न औ� एक महान आध्यात्मित्मक क्रांबित को बिनयंबित्रत क�ने के क्तिलए क्तिलया गया है. वह सबिक्रय काय�कता�ओं जो �ेहत� क�ने के क्तिलए इस बिवकृत दुबिनया को �दलने के द्वा�ा सहायता प्राप्त होगी.

 

एक छोटा सा गांव Anvalkheda, जिजला आग�ा (उत्त� प्रदेश, भा�त). यहाँ एक �हुत छोटी लेबिकन सुसंस्कृत, र्प�मात्मा संचाक्तिलत र्परि�वा� में शह�ों की अ�ाजकता से दू� हमा�े श्रदे्धय गुरू के रूर्प में रै्पदा हुआ था 50 साल र्पहले ऊर्प� भबिवvयवाणी यानी में उल्लेख बिकया. वह सत्ता के एक गोदाम था. अर्पने बिर्पछले जीवन में भी अर्पने आध्यात्मित्मक कौशल की वजह से वह आध्यात्मित्मक उत्थान का सही �ास्ता दिदखाया था. यहां तक बिक उनके इस जन्म आध्यात्मित्मकता के साथ शुरू बिकया गया. आध्यात्मित्मकता अर्पने जा �हा है वह इसे अर्पने दैबिनक जीवन की दिदनचया� में wove के एक �हुत बिहस्सा �नाने. वह हमें आत्मा (भगवान) के अश्किस्तत्व से र्पता चला है औ� दुबिनया भ� में एक आध्यात्मित्मक क्रांबित का बि�गुल बिवस्फोट से उड़ा दिदया. अर्पने बिवचा� क्रांबित के माध्यम से वह हमें जिजसके र्परि�णामस्वरूर्प कई आत्माओं उसके कदमों में र्पीछा के रूर्प में इस त�ह के एक र्पथ दिदया. एक र्परि�णाम के रूर्प में आध्यात्मित्मकता का एक माहौल रू्प�ी दुबिनया में तेजी आ �हा है. अर्पने सकल श�ी� की त�ह आज भी अर्पने सूक्ष्म श�ी� �हुत सबिक्रय है. हालात �दल �हे हैं, यह भबिवvय में भी �दल सकते हैं औ� इस प्रका� 21 के भबिवvय सेंट सदी �हुत उज्ज्वल हो जाएगा. ऐसा लगता है बिक जीन बिडक्सन भबिवvयवाणी सच भी इस समय आ जाएगा.

 

भबिवvयवादी जॉन MELARD

 

ज�बिक सहमत है बिक इस युग में तब्दील हो जाएगा 'हीचिलंग लाइU ", जॉन Melard के संर्पादक क्तिलखते हैं:

 

आज दुबिनया की समस्याओं को इतना है बिक यह संभव नहीं है उन्हें एक कमजो� मानव �ुशिद्ध से उ��ने कर्पटर्पूण� हैं. मैं एक आंत लग �हा है बिक भगवान ने रृ्पथ्वी र्प� प्रकट क�ने के क्तिलए जा �हा है औ� वह अर्पने सहयोबिगयों की शक्ति! के साथ इस युग �दलना होगा है.

 

शब्द "इस युग के र्परि�वत�न" औ� "हमा�े श्रदे्धय गुरू के युग बिनमा�ण योजना" ऊर्प� भबिवvयवाणी की एक प्रत्यक्ष प्रमाण है. यह एक ज्ञात तथ्य है बिक भगवान हमेशा दिदव्य शक्ति! औ� सत्ता के �ाकी दुबिनया बिनयंत्रण के सहयोबिगयों के साथ incarnates है. भगवान की इस शक्ति! का कुछ हमा�े श्रदे्धय गुरुदेव के व्यक्ति! में अवतीण�. अर्पने दिदव्य दृबिष्ट औ� आत्मा �ल के माध्यम से उन्होंने कई दैवीय सुसंस्कृत व्यक्ति!यों र्पाया गया है औ� उन्हें सश! �नाने के द्वा�ा वह उन्हें युग र्परि�वत�न के र्पथ र्प� नेतृत्व. वास्तव में रू्प�ी दुबिनया में हो �ही �दल के throes र्प� है.

 

आज सांसारि�क समस्याओं इतनी तीव्र है बिक वे एक मानव �ुशिद्ध के द्वा�ा हल नहीं बिकया जा सकता है �न गए हैं. बिवश्व शांबित मानव प्रयास की शक्ति! से र्प�े है. अभी तक वहाँ कोई बिन�ाशा नहीं क�ने की जरू�त है.

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क्योंबिक ऐसे संकेत है बिक भगवान ने र्पहले से ही हमा�े �ीच में अवतीण� बिनकट भबिवvय में क� �हे हैं औ� उनके सहयोबिगयों की शक्ति! की मदद के साथ एक नए युग की स्थार्पना क�ने का प्रयास है. उनके �ौशिद्धक औ� आत्मा की क्षमता का संकेत है बिक वह भगवान का अवता� है. दुबिनया के इस त�ह के एक uplifter गुप्त �हने से लं�े समय के क्तिलए नहीं �ह सकते हैं.

 

ज� मानव endevaour में बिवUल �हता है, दिदव्य शक्ति! �ागडो� र्प� लेता है औ� संभव क� �ही है बिक जो मानव प्रयास के क्तिलए असंभव है में सUल होता है. हकीकत में अवता� की ह� का��वाई के क्तिलए एक स्मृबित क्तिचन्ह हो जाता है. र्पाठकों की हमा�े श्रदे्धय गुरू की 2700 रु्पस्तकें है. अभी तक 800 र्पांडुक्तिलबिर्पयों को प्रकाशिशत बिकया जा �ह है. इसके अलावा वेद र्प� बिकता�ें, रु्प�ाण औ� Smritis हैं. हमा�े गुरू की त�ह एक आदमी है जो अकेले ही ऐसी उर्पयोगी साबिहत्य क्तिलखा था दुबिनया के इबितहास में कभी नहीं. जहाँ तक आत्मा की शक्ति! के प्रश्न का सं�ं. है यह बिकता�ों की त�ह नहीं बिगना सकते हैं, लेबिकन यह बिनशिmत रूर्प से सकल के साथ काम क� के रूर्प में के रूर्प में अच्छी त�ह से सूक्ष्म श�ी� के उदाह�ण से समझा जा सकता है. उसकी आत्मा �ल का एक नमूना यह है बिक वह �ंद सभी घटनाओं सकल औ� सूक्ष्म दुबिनया अथा�त् में जगह लेने के रृ्पथ्वी से अन्त�ाल आँखों से देख सकते हैं औ� यह भी सकता है औ� इसके का�ण प्रभावों का र्पता है.

 

भबिवvयवादी ROMMAIN �ोलां (फ्रांस)

 

फ्रांस की Rommain �ोलां एक महान बिवचा�क, दाश�बिनक, औ� रु्पस्तकों के लेखक था. वह कोई कम से कम एक महान prophesizer भी था. �हुत मज�ूती से वह ज� एक नई सभ्यता औ� संस्कृबित दुबिनया की �ात क� बिवश्वास --- "मुझे बिवश्वास है बिक अर्पने अचे्छ / �ु�े गुण के साथ एक सUेद सभ्य दौड़ के �डे़ समूह औ� एक नई सभ्यता नष्ट हो जाएगा उभ�ने जाएगा. भबिवvय में भा�तीय संस्कृबित औ� दश�न में एक बिवश्व .म� औ� संस्कृबित के रूर्प में रू्प�ी दुबिनया में स्थाबिर्पत बिकया जाएगा. एक नए समाज की स्थार्पना की जाएगी. मैं कलंबिकत हो �ही का कोई ड� नहीं है. र्पशिmमी दुबिनया के क्तिलए आत्मा की अम�ता समझ में बिवUल �हता है, लेबिकन मैं इसे में मज�ूत बिवश्वास है. र्पशिmमी देशों में जन्म लेने वालों के र्पशिmमी संस्कृबित से प्रभाबिवत हैं औ� इस प्रका� उनके जीवन में तीव्र �ा.ाओं का सामना क�ेंगे. "

 

रै्पमाने र्प� दुबिनया भ� "Devasanskriti दिदखिग्वजय" आंदोलन के गहन प्रयासों एक दुबिनया �ाष्ट्र, एक दुबिनया की भाषा औ� एक बिवश्व संस्कृबित में क�ना है. औ� यह है बिक वास्तव में क्या होने जा �हा है. यह वही है जो दिदव्य द्रष्टा Rommain �ोलां ने संकेत दिदया है.

 

भबिवvयवादी एडं�सन 

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एडं�सन अर्पने �चर्पन से ही भबिवvय की भबिवvयवाणी क�ने की क्षमता थी. उनकी भबिवvयवाणी की कई सच ---- आ गए

 

बिद्वतीय बिवश्व युद्ध में एक अमेरि�की जन�ल लड़ �ाद अमेरि�का के �ाष्ट्रर्पबित �न जाएगा. Eisenhower जो �ाद में मिमत्र देशों की सेना के अमेरि�की जन�ल अमेरि�का के �ाष्ट्रर्पबित चुने गए थे.

 

1947 ई. में एशिशया का एक महत्वर्पूण� देश में मिब्रदिटश शासन के चंगुल से �ाह� आ जाएगा. 1947 में भा�त के �ाजनीबितक स्वतंत्रता प्राप्त की.

 

8 वें अगस्त 1945 में इस त�ह के एक भयानक घटना है, जिजसके र्परि�णामस्वरूर्प एक जार्पान के साथ युद्ध के �ा�े में स्थिस्थबित काUी �दल जाएगा के रूर्प में हो जाएगा. औ� 18 वें अगस्त युद्ध खत्म हो जाएगा. यह 8 र्प� था वें अगस्त बिक बिह�ोशिशमा में �म�ा�ी की गई. लाखों लोगों की मृत्यु हो गई. एक र्परि�णाम के रूर्प में जार्पान बि�ख� गया था. 18 र्प� आत्मसमर्प�ण वें अगस्त युद्ध का अंत हो गया.

 

एडं�सन ज�बिक भबिवvयवाणी है बिक है बिक दुबिनया 1999 ई. के �ाद रू्प�ी त�ह से अलग कुछ होगा ---- क्तिलखा है

 

एक �हुत छोटे भा�त के ग्रामीण र्परि�वा� में जन्म लेने के व्यक्ति! केवल अर्पने देश को आध्यात्मित्मक प्रभाबिवत नहीं होगा, लेबिकन भी दुबिनया के अन्य देशों के. इस व्यक्ति! को रू्प�ी दुबिनया के इबितहास में स�से �ड़ी न�ी होगा. वह अकेले इतना संगठनात्मक शक्ति! है जो बिकसी भी स�का� द्वा�ा नहीं बिकया जाएगा होगा. दुबिनया के बिकसी भी �ाष्ट्र की. दुबिनया के सभी संबिव.ानों की तज� र्प� वह रू्प�ी दुबिनया में इस त�ह के एक मानव संबिव.ान जिजसमें वहाँ एक भाषा, एक - सव«च्च दुबिनया न्यायर्पाक्तिलका औ� एक दुबिनया झंडा होगा, रै्पदा क�ेगा. इस प्रयास आदमी के प्रभाव के का�ण आत्म बिनयंत्रण में प्रचु� मात्रा में है, अच्छा व्यवहा�, न्याय, नैबितकता, त्याग औ� उदा�ता. अख�ा� सामने र्पन्नों में ऐसी ख�� सुर्खिखंयों में है जो मानव सेवा, त्याग, साहस औ� उदा�ता को प्रोत्साबिहत क�ने के रूर्प में मुदिद्रत बिकया जाएगा. र्पढ़ना यह स� लोगों के प्रबित संवेदनशील प्रकृबित प्रकट होगा. हत्या, डकैती, लूट, अर्प�ा., अवै. गबितबिवक्ति.यों के एक कुल को �ोकने के क्तिलए आ जाएगा. 1999 तक दुबिनया के रू्प�े चेह�े को �दलने औ� बिU� हजा�ों साल के क्तिलए लोगों को र्पबिवत्र शांबित के एक जीवन जीना होगा. "

 

उन्होंने आगे कहा बिक .म� है बिक दू� है औ� व्यार्पक आज भी हम कल्र्पना क� सकते हैं नहीं जो Uैल जाएगा. यह .म� औ� संस्कृबित बिक भा�त औ� न�ी भी एक भा�तीय हो जाएगा. वह वत�मान में दुबिनया भ� में एक क्रांबित की र्पहली नींव र्पत्थ� बि�छाने.

 

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ऊर्प� भबिवvयवाणी �हुत ज्यादा जीन बिडक्सन के क्तिलए इसी त�ह की है. इस त�ीके में दुबिनया के महान futurists की इन इसी त�ह की भबिवvयवाणी र्प� जो� देती है बिक दुबिनया र्परि�वत�न भगवान की र्पबिवत्र इच्छा है औ� यह बिकसी भी र्परि�स्थिस्थबित में �ंद हो जाएगा. इसमें कोई शक नहीं है बिक इस युग बिनशिmत रूर्प से �दलना होगा.

 

हकीकत में हमा�े श्रदे्धय गुरू के इस असा.ा�ण बिवचा� क्रांबित काय�क्रम रू्प�ी दुबिनया में Uैल गया है. छोड़ने घमंड, facades, अहंका� आदिद लोगों को त्याग, सेवा, सहयोग औ� एक �डे़ रै्पमाने र्प� अन्य मानव मूल्यों imbibing �हे हैं. .ी�े .ी�े आज की दुबिनया में एक रि�Aतेदा� र्परि�वत�न देखा जा �हा है. इस वास्तबिवकता के र्पीछे है बिक न�ी की दिदव्य शक्ति! का काम है. उन्होंने कहा, इन भबिवvयवाशिणयों के अनुसा�, उत्त� प्रदेश में �ुलाया Anvalkheda भा�त के एक छोटे से गाँव में रै्पदा हुआ था. वह इतना आध्यात्मित्मक शक्ति! है बिक इसके आ.ा� र्प� वह प्रमुख हश्किस्तयों औ� वरि�� - �हुत सोच �दल एकत्र हुए. अक्ति.का�ी शामिमल हैं. एक �हुत ही कम समय में �ाजनीबितक उत्थान देखा जा �हा है. असा.ा�ण तथ्य यह है बिक युद्ध �हुत बिग�ावट र्प� हैं. लोग अ� भगवान के रूर्प में प्या� र्प� देख �हे हैं. 21 के हमा�े श्रदे्धय गुरू भबिवvयवाणी सेंट सदी �हुत उज्ज्वल abovementioned भबिवvयवाशिणयों के स�ूत है.

 

भबिवvयवादी बिर्पता वेक्ट� 

बिवश्व प्रक्तिसद्ध भबिवvयवादी संत, औ� बिर्पता श्री वेक्ट� श्रदे्धय क्तिलखते हैं ज�बिक चर्पत elucidating. 6, 24 �हस्योद्घाटन, �ाइबि�ल में मैथ्यू बिक:

 

"एक तलवा� के साथ एक घोडे़ र्प� �ैठा एक आदमी का अथ� एक ऐसे व्यक्ति! से है जो दुबिनया के सभी मनुvयों के क्तिलए .ार्मिमंक बिवचा�.ा�ा देक� दुबिनया में क्रांबितका�ी �दलाव होगा जन्म होता है. उस समय आदतों र्पार्पी हो जाएगा, श�ी� कमजो� औ� मृत्यु के देवता युद्ध, अकाल, �ाढ़, महामा�ी आदिद प्राकृबितक आर्पदाओं वृशिद्ध र्प� होगा पे्ररि�त क�ेगा. ता�ों औ� ग्रहों के आंदोलनों को मानव जाबित के क्तिलए �हुत हाबिनका�क हो सकता है औ� उस समय इस दिदव्य शक्ति! रृ्पथ्वी र्प� अवता� होगा. वह र्पबिवत्र शांबित पे्ररि�त औ� मानवीय मूल्यों की �ाह र्प� सभी का नेतृत्व क�ेंगे. "

 

Devasanskriti दिदखिग्वजय आंदोलन के क्तिलए अश्वमे. यज्ञ के घोडे़ एक तलवा� के साथ नहीं है, लेबिकन संस्कृबित के ध्वज के साथ �न र्प� है. बिवशेषताओं से यह �हुत स्पष्ट है बिक �स के रूर्प में एक तलवा� कटौती वस्तुओं तो भी हमा�े सभी र्पार्पों को संस्कृबित में कटौती का ध्वज. अ� आध्यात्मित्मकता के वैज्ञाबिनक बिवशे्लषण आध्यात्मित्मकता के सभी रु्प�ानी मान्यताओं को �दल �हा है. हमा�े श्रदे्धय गुरू केवल एक व्यक्ति! नहीं है, लेबिकन वास्तव में एक बिवशाल दिदव्य शक्ति! के रूर्प में अवतीण�. वह रू्प�ी दुबिनया के अर्पने आध्यात्मित्मक कौशल के साथ र्परि�वत�न की भा�ी काम ले क्तिलया है औ� आगे शांबित के ऐसे उर्पदेशों जो लोगों को बिU� से सोच का एक �ड़ा सौदा क�ने के क्तिलए मज�ू� बिकया डाल दिदया.

 

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भबिवvयवादी प्रो. HARAREY

 

प्रो Hararey अर्पने सर्पनों में भबिवvयवाणी की घटनाओं को देखा. गां.ीजी एक सप्ताह र्पहले बिन.न हो गया है प्रो Hararey उसकी मौत की भबिवvयवाणी की थी. 

 

ज� सुकण« क्तिसता�ों अर्पने च�म र्प� थे प्रो Hararey कहा: आज लोग बिकसी भी taints नहीं देख �हे हैं, लेबिकन एक �हुत ही कम समय में वे सुकण« के र्पतन देखेंगे. सच के �ाद 1 वष� सुकण« एक र्पतन का अनुभव बिकया.

 

Uptil अ� प्रो Hararey भबिवvयवाशिणयों के �हुमत सच में आ गए. ज� एक आज की र्परि�स्थिस्थबितयों का बिवशे्लषण क�ती है यह कम से कम अद्भतु हो सकता है अग� एक उज्जवल भबिवvय की अर्पनी भबिवvयवाशिणयों सच आ जाएगा.

 

उन्होंने देखा बिक ---

 

वष� 2000 औ� इससे र्पहले बिक वष� ई..

 

दैवीय सक्तिन्नबिहत व्यक्ति! जन्म ले क्तिलया है, वह आनंद से सभी का मन भ� जाएगा, वह दुबिनया के सभी कदिठनाइयों को दू� क�ेंगे. वह inethical औ� अन्यायर्पूण� लोगों को सी.ा जाएगा.

 

�ात की र्पहली बितमाही ज� मैं गह�ी नींद में हँू मैं अर्पने सर्पने में एक दिदव्य व्यक्ति! को देख. इस योगी की आइब्रो के �ीच एक जलमाग� के र्पास �ैठा, मैं एक आ.ा चाँद देखते हैं. उसके कर्पडे़ की त�ह उसके �ाल सUेद होते हैं, उनकी त्वचा बिनvर्पक्ष है औ� उसके रै्प� leatherless सैंडल है. रु्पण्य लोगों की एक भीड़ ने उसे चा�ों ओ� है. केन्द्र में एक आग जलता है. इन लोगों को मंत्र कुछ औ� बिU� आग में कुछ Uें क. .ुआँ आकाश भ�ता है. दुबिनया के सभी लोगों को इस स्थान की ओ� चल �हे हैं. इनमें बिवकलांग हैं, ग�ी�ी से त्रस्त लोगों को. वह दिदव्य व्यक्ति! उन्हें बिनद�श दिदया है औ� इस प्रका� से आनंद के साथ उनके दिदल को भ�ने. र्पीरु्पल्स कदिठनाइयों �ंद warded जा �हा है क� �हे हैं, लोगों को र्पसंद / नार्पसंद के प्रत्येक अन्य बिवहीन के साथ मिमलाते हैं. स्वग�य आनंद की एक मूसल.ा� �ारि�श है. लाइट औ� .ी�े .ी�े �ढ़ाने एक दिदव्य र्पव�त र्प� यह सूय� के प्रकाश की त�ह �हा �ही है. वहाँ से साल के स्को� के र्पानी की त�ह प्रकाश की बिक�णों को उगता है औ� रू्प�ी रृ्पथ्वी के वाताव�ण को शामिमल बिकया गया है.

 

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इसके �ाद के संस्क�ण की भबिवvयवाणी है बिक बिवश्व प्रक्तिसद्ध द्रष्टा प्रो Hararey जो वह में �ात की थी "नए युग प्रकट होगा औ� इसे आगे र्पबित्रका" र्पशिmम मिम�� "में बिकया गया था र्प� सबिवस्ता�. प्रो Hararey इस�ाइल के एक .ार्मिमंक यहूदी र्परि�वा� में रै्पदा हुआ था. अर्पने उर्पयु! औ� सही भबिवvयवाशिणयों के का�ण वह �स के रूर्प में प्रो. Cheiro एडं�सन औ� अमेरि�का में बिडक्सन, इंग्लैंड औ� भा�त में Varah मिमबिह� के रूर्प में यू�ोर्प औ� अफ्रीका में प्रक्तिसद्ध हो गया. ज� लोग प्रो Hararey रू्पछताछ की ऊर्प� सर्पनों के �ा�े में उन्होंने कहा बिक उन सर्पनों बिक मैं सु�ह घंटों में एक �हुत ही कम समय अवक्ति. में सच हो, उन सर्पनों बिक मैं आ.ी �ात को 1 वष� के �ाद सच हो औ� उन 1 में देखा �ात की बितमाही के कुछ वष� के �ाद सच हो. इन सर्पनों को मैं अर्पने मन में बिवचा� मिमलता है बिक भा�त में एक दिदव्य व्यक्ति! जन्म ले क्तिलया है जो वष� 1970 तक बिकसी भी �ाह�ी नाम या प्रक्तिसशिद्ध के बि�ना एक दुबिनया आध्यात्मित्मक क्रांबित के क्तिलए सूक्ष्म स्त� र्प� काम क�ते हैं लेबिकन �ाद में उनके नेतृत्व एशिशया में ह� जगह Uैल जाएगा के �ा�े में बिU� रू्प�ी दुबिनया में. उनके बिवचा�ों को मानव मूल्यों औ� दू�दर्शिशंता है बिक दुबिनया ख़ामख़ाह उसके कदमों में र्पालन क�ेंगे तो रू्प�ा हो जाएगा. ज� बिवज्ञान, .म� को नष्ट क�ने औ� संस्कृबित तो इस दिदव्य संत एक आध्यात्मित्मक क्रांबित औ� लोगों को पे्ररि�त, मसीह के जन्म से र्पहले की त�ह होगा, आग, र्पानी, हवा, अंतरि�क्ष, आदिद �बिव की त�ह प्राकृबितक तत्वों की रू्पजा की गह�ी आयात को समझने शुरू क� देंगे

 

एक सUेद �ाल, सUेद चमड़ी, सUेद कर्पडे़ औ� रै्प�ों र्प� leatherless सैंडल के साथ कई लोगों को देखते हैं, लेबिकन यह वास्तव में दुल�भ माथे र्प� एक आ.ा चाँद देख सकते हैं. हाँ, हमा�े श्रदे्धय गुरू के माथे र्प� सही मायने में जो कैम�े के लेंस के द्वा�ा र्पकड़ा गया था एक र्परि�र्पत्र सUेद प्रकाश चमकता है. यह भबिवvयवाणी यह क�ने के क्तिलए एक सूचक है औ� प्रो Hararey की भबिवvयवाणी साबि�त होता है. वष� 1958 ई. में हमा�े श्रदे्धय गुरू 1008 यज्ञ जिजसमें रू्प�े भा�त से 4 लाख लोगों ने भाग क्तिलया का एक काय�क्रम �नाया है. उस समय वहाँ यज्ञ औ� र्पबिवत्र प्रवचन की एक सतत काय�क्रम था. 1008 यज्ञ से अक्ति.क औ� ऊर्प� 5 अक्ति.क काय�क्रमों टाटानग�, महासमुंद, Porbunder, Baharaich, औ� Jhalavad में आयोजिजत बिकया गया. इसके अलावा 108 यज्ञ काय�क्रम रू्प�े भा�त में आयोजिजत की गई. हमा�े श्रदे्धय गुरू हमेशा दू� समस्याओं को सुलझाने औ� कदिठनाइयों warding के क्तिलए अर्पनी तर्पस्या का Uल दे दिदया. इस सं�ं. में वहाँ घटनाओं जहां वह लगभग अर्पने जीवन दिदया है. हकीकत में वह हमेशा भगवान शिशव की त�ह एक महान र्प�ोर्पका�ी के शक्ति!शाली भूमिमका बिनभाई. वह र्पबिवत्र बिहमालय र्पव�तों में गहन तर्पस्या प्रदश�न बिकया. सभी दिदव्य प्रकाश औ� बि�जली से वहाँ के रूर्प में हमा�े श्रदे्धय गुरू द्वा�ा संकेत है.

 

सभी आध्यात्मित्मक हमा�े श्रदे्धय गुरू "मानव जाबित में देवत्व की अशिभव्यक्ति! 'के इद� - बिगद� घूमती का प्रयास. वह आध्यात्मित्मक मूल्यों औ� उसकी घोषणा की जा �हा है के ह� �ोमकूर्प रू्प�ी दुबिनया में प्रवेश क�ने के क्तिलए "एक ही र्परि�वा� के रूर्प में दुबिनया." चाहता था वह स� आश्किस्तक मानव मूल्यों औ� नाश्किस्तक संयु! औ� कहा बिक यह सच है .म� था. ऐसे कई लोगों को उनके द्वा�ा बिन.ा�रि�त �ास्ते र्प� चल �हे हैं औ� यह वही है जो महान भबिवvयवादी ने संकेत दिदया है.

 

दुबिनया के �दलते समय से र्पता चलता है बिक यह कम से कम अद्भतु हो अग� प्रो Hararey सर्पने सच प्रबितशत प्रबितशत आ जाएगा.

 

 

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भबिवvयवादी Nostradamus

 

Nostradamus, एक फ्रांसीसी, एक �हुत �ुशिद्धमान ज्योबितषी औ� supersensory द्रष्टा था. उसके स� बिहटल� औ� नेर्पोक्तिलयन के �ा�े में भबिवvयवाणी सच में आ गए. उनके सभी भबिवvयवाशिणयों अर्पनी रु्पस्तक में बिकया गया elucidated है "शतक औ� यह सच है माइकल डी. Nostradamus की भबिवvयवाणी."

 

एक बिवश्व प्रक्तिसद्ध व्यक्ति! एक �हुत .ार्मिमंक देश में रै्पदा हो जाएगा. वह अर्पने आध्यात्मित्मक सहयोबिगयों के कुछ के साथ रू्प�ी दुबिनया में क्रांबितका�ी �दलाव होगा. इस ऐबितहाक्तिसक महान ऋबिष वृशिद्ध ऐसे महान अशांबित बिक ह� र्परि�वा� में, जिजला आदिद आंतरि�क अशांबित होगा दे देंगे. यह आंतरि�क र्परि�वत�न च�ण 20 के अंत में होगा वें सदी औ� 21 की शुरुआत सेंट सदी. लेबिकन �ाद में उच्च मानवीय मूल्यों को रू्प�ी दुबिनया र्प� शासन क�ेंगे. लोग नीच सोच शेड औ� दुबिनया स्वग�य हो जाएगा.

 

चाँद के इबितहास के इस महान संत के क्तिस� र्प� मिमल जाएगा. उसके कर्पड़ों आसान हो जाएगा, वह दो �ा� शादी क�ेगा, वह 2 �ेटे हैं, वह 2 �ेदिटयों औ� दो �ा� वह अर्पने बिनवास �दल जाएगा. दोनों �ा� वह उत्त� की ओ� कदम होगा.

 

इस ऊर्प� भबिवvयवाणी का स�ूत है बिक युग ऋबिष आचाय� श्री�ाम शमा� की एक छोटा सा गांव Anvalkheda (आग�ा) में रै्पदा हुआ है, भा�त एक ऐसे आध्यात्मित्मक क्रांबित है बिक वास्तव में �ाक्षसों औ� डेमी - देवताओं के �ीच एक आंतरि�क अशांबित सभी के मन में जगह ले ली पे्ररि�त बिकया. दू� देशों के क्तिलए जा �हा द्वा�ा छोटे समय गायत्री र्परि�वा� औ� युग बिनमा�ण योजना संगठनों के सामाजिजक काय�कता� इतना सद्भावना पे्ररि�त बिकया है बिक लोगों को अर्पने नीच गबितबिवक्ति.यों �हा शुरू क� दिदया. अश्वमे. यज्ञ के माध्यम से र्पबिवत्र गबितबिवक्ति.यों के क्तिलए आकष�ण हमा�े देश से दू� देशों में Uैल �हा है. हमा�े श्रदे्धय गुरू बिनवासों केवल दो �ा� �दल दिदया औ� दोनों �ा� वह उत्त� की ओ� कूच बिकया.

 

ऐसा लगता है बिक वास्तव में महान भबिवvयवादी हमा�े श्रदे्धय गुरू के र्परि�वा� को देखा, ज�बिक इस भबिवvयवाणी �ना. औ� आmय�जनक इस भबिवvयवाणी को 16 वें सदी में �नाया गया था . यह इस भबिवvयवाणी का स�ूत दिटप्र्पण लायक है ......

 

महान संत आचाय� श्री�ाम शमा� की दो �ा� शादी क� ली. र्पहली र्पत्नी श्रीमती स�स्वती देवी, श्री Roopram शमा�, Barsauli, आग�ा की �ेटी थी. दूस�ी र्पत्नी श्रीमती भगवती देवी शमा�, श्री Jaswantji Bihaur, आग�ा की �ेटी थी.

 

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संस ---- श्री ओमप्रकाश शमा�.

               श्री Mrityunjay शमा�.

 

�ेदिटयों - श्रीमती Dayawati उर्पाध्याय

                      श्रीमती Shailbala रं्पड्या

 

भबिवvयवादी आथ�� चाल्स� क्लाक� (अमेरि�का) 

यहां तक बिक एक छोटे से लड़के के रूर्प में चाल्स� क्लाक� एक असामान्य extrasensory .ा�णा के का�ण भबिवvय की भबिवvयवाणी क�ने की शक्ति! थी. वह कह �ही है बिक आदमी केवल इस सू्थल श�ी� नहीं है, लेबिकन दिदव्य शक्ति! का एक गोदाम है �खा. इस शक्ति! प्रकाश चमक, औ� सभी अक्ति.का� है बिक मनुvय र्प�मेश्व� की ओ� से प्राप्त yearns है. लेबिकन यह शक्ति! आदमी में अव्य! है औ� इसे क�ने के क्तिलए जागृत बिकया है.

 

एशिशया के देश में कुछ दिदन (भा�त का संकेत) में एक महान तीव्र सोचा क्रांबित 1971 में शुरू होगा. 10 साल के �ाद यह रू्प�ी दुबिनया में Uैल जाएगा. औ� इस त�ह आदमी अव्य! मानस देवत्व को जगाने के क्तिलए मज�ू� हो जाएगा. उन ऊजा� है बिक आदमी को आज रू्प�ी त�ह से अनजान है औ� दुबिनया में सभी के क्तिलए अध्ययन की प्रात्मिप्त बिवषय हो जाएगा. बिवज्ञान एक नया मोड़ ले औ� आध्यात्मित्मक मूल्यों द्वा�ा रू्प�ी त�ह से प्रभाबिवत हो जाएगा. इन आध्यात्मित्मक मूल्यों औ� ऊजा� �ेशमी कॉड� है बिक दुबिनया के सभी देशों के साथ टाई जाएगा होगा.

 

The amazing correlation of Arthur Clark’s prophecy is this that our revered preceptor had churned entire India mentally till the year 1971 like the proverbial ocean and the jewels that emerged as a result were great soul powers.  In order to intensify this thought churning, in order to awaken divinity in mankind and in order to manifest heaven on earth our revered preceptor performed intense penances in the Himalayan mountains.  This divine energy gathered by him was showered on the entire world and as per the predictions of this great seer the movement of the thought revolution spread in all countries in these 10 years.  This gave a new positive direction to all.  It is because of this that the scientific world is researching into spiritual laws just as it does material laws.  In reality it is only spiritual power that will aid it in its endeavour so that the entire world will be tied unitedly.  This is the prediction in that prophecy.

 

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All his prophecies of Independence of India, Friendship between China and Pakistan, War between Russia and China have come true.  Of course the timing may not have been exact yet one should not doubt his prophecy of the rare thought revolution and era transformation before 2000 A. D.  Because today’s circumstances are already leaning in that direction.

 

FUTURIST MRS. VORISKASILVIGAR (HUNGARY)

 

An English officer had laid a bet with Hungary’s great futurist Mrs. Voriskasilvigar that India would never attain political freedom from British rule.  She in turn replied --- No power in the world can continue to make India a political slave after the year 1944.  Its fate will shine and it is the religious people of India that will usher in peace in the entire world.

 

After the year 1944 India became politically independent as witnessed by one and all.  The other truth of this prophecy is as follows :

 

“India will gain glory as a great power in the world but it will have to struggle a lot before becoming a super power.  Superficially the times will be hard yet a great prophet will be born in this country who by gathering thousands of lesser powered individuals will induce so much fearlessness that these very small people will challenge the so-called materialistic people and will prove the latter’s ideology as illusory.  After that righteous and straightforward people will prevail and peace will spread everywhere.  Yet after a dint of hard struggle human values will augment on a permanent basis.  Its characteristics will be very clear by the year 2000 A.D. and thus later the world will overflow with love, compassion, honesty, sense of others’ well-being and universal brotherhood.”

 

The dreadful circumstances of today are a proof of this prophecy.  Today strife is at its peak.  Our revered preceptor in the year 1958 itself had spread the brotherhood of Gayatri Parivar all over the world and later had also declared that the 21st century will be a radiant one.  For correlating philosophy with action a bright future was being woven through the medium of Japa (Mantra chanting) and Yajna (fire sacrifices).  People of the world are witnessing ---- the declaration of the resolve of lakhs of people renouncing vile habits, addictions etc.  This is an influential aspect of the indication of a new bright era and rejuvenation of a civilized society.  This is the pointer of our revered preceptor towards that divine hindsight and which is elaborated in this prophecy.  Definitely pious people are on the rise and the ethics of Gayatri Parivar is being proved true.  People proclaim that all

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their hopes now rest on the mighty shoulders of Gayatri Parivar.  It is this world family that is truly spreading brotherhood everywhere.

 

This is definitely a prophet who without the differences of caste, sex, Varna, religion, language, high-low etc. has induced many people in the world to imbibe the precept of “We will change, the era will change.”  The proof of this is the scores of Ashwamedha Yajnas being carried out in far off nations and the first Purnahuti of Yuga Sandhi Mahapurashcharan in our preceptor’s birth place Anvalkheda in Agra.

 

FUTURSIST GERARD CHRISEY (HOLLAND)

 

In this century the great seer Gerard Chrisey of Holland has proved to be a great futurist not only in Holland but in entire Europe.  He not only correctly predicted the future but also spoke correctly about one’s past life.  Almost all his prophecies have come true.  Today’s world conditions are a proof of his prophecy made as follows :

 

I am seeing that in a very ancient country of the East, India, such a great man has taken birth who will usher in welfare of the entire world.  He will be aided by lakhs of people with women predominating.  They will conduct fire rituals (Yajnas) and offer fragrant materials to the fire.  The smoke coming out of it will purify the atmosphere.  All the people of the world will gaze in their direction and listen to this great saint.  All political leaders will be forced to sit on one dias.  The proof of this prophecy is found in the end of the 20th century and later the entire world will be tied together in oneness.  Everywhere there will be well being and prosperity.  There will be no violence, crime, illegal activity etc.  Those who are vile, wicked and show disrespect to women will be penalized severely.  People will drink more milk.  The number of flowers, trees etc will augment.  Beauty of nature will bloom everywhere.

 

In reality our revered preceptor activated Gayatri Parivar which people say was accomplished subtly.  This can be said to be the supreme revolution of this century.  The result of allowing women to chant the Gayatri mantra is this that the power of motherhood understood her potency and came forward to carry the red flame.  This was pre-envisaged by the above futurist.

 

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By asking people to imbibe the precept of “I will behave with others in a way that I expect others to reciprocate”.  When our revered preceptor through the medium of Yajna taught renunciation and spiritual goals to be achieved, at that time the potency of Gayatri Parivar set off to perform Yajnas for the welfare of all creatures and this was witnessed by the futurist with eyes closed.  In reality Ashwamedha Yajnas have proved useful in purification of natural elements like air, water etc. along with good health as shown by research conducted on Yajnas.

 

FUTURIST JULES BERNE (FRANCE).

 

Jules Berne was a prolific writer and a great futurist.  In the year 1962 once the armies of Russia and America challenged one another.  There was terrible bombing, atom bomb usage along with missiles.  The switch for war was about to be pressed and at that time French political leaders asked Jules Berne, “Who will win this war?”  Jules Berne replied, “No one.  Because there will be no war.  Russia will withdraw.”  This is exactly what happened because Russia withdrew.

 

A decade before man landed on moon he had predicted this event.

 

His prophecy of France being defeated by Hitler also came true.

 

Thus many prophecies of Jules Berne have come true.

 

As proof of contemporary times the following prophecy of Dr. Jules Berne is proving to be true :

 

Upto the year 2000 A.D. the world’s population will touch 600 crores and majority of the people will reside in Asia and America.  Without doubt there will be no nuclear wars yet class based struggles will augment.  On the one hand there will be class strifes and on the other a very new spiritual revolution will take place which will unfold the new mysteries of God and our soul.  Science will emphasize it as a result of which atheism and the left path (Vaam Marg) will be destroyed.  In its place will augment faith, justice, ethics, trust,

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discipline and a sense of righteous duty.  All these changes will be the foundation stones of a worldwide revolution.

 

The way Russia and America are taking political decisions it seems that Jules Berne’s predictions that there will be no nuclear warfare will come true and yet he has predicted strife taking place.  It is very much like the flame flickers more radiantly before it gets extinguished.  Here because world turmoils are definitely going to end these strifes will not be accidental.

 

The proof of this prophecy is that great scientists have agreed upon our revered preceptor’s religion since it is very scientific.  The opinion of scientists that man is a mass of chemicals only has been proved totally incorrect.  Scientists now agree that a divine power is behind creation and maintenance of our cosmos.  This unseen divine power is none other than God.  God is directly connected to our soul principle.  And to understand this deeply a lot of research has been undertaken all over the world.  Our revered preceptor by writing the book “Where is God and what is His Nature” has given us a path of realizing God and conducting spiritual research.

 

I strongly apprehend that this spiritual revolution will commence in India.  Regarding its mode of execution I differ with Jean Dixon over the fact that this person has already taken birth before the year 1962 A. D.  And that at this moment he is involved in a major endeavour in India itself.  This divine person will have also participated in India’s freedom movement and his followers are many.  His followers will form a powerful organization and in a short time span will influence the entire world.  And with their soul force they will easily and successfully bring about those transformations of this world which at present seem impossible.

 

It is apt that Jules Bernes looks upon our yearnings to know the future as proof of the imperishable nature of our soul.  The body never believes that it will remain forever because by nature it is perishable.  But the soul is immortal hence even greater than its curiosity of the past is that towards future transformations.  If man unites his intellect, discriminating understanding and effort to these transformations then the future of not only an individual but the entire human race can be changed into radiance.  When this task cannot be executed by mankind then great sages alongwith awakened souls (aides) manifest on earth and as per the Lord’s wish a new era is created.  Mr. Jules Berne believes that in the near future history will repeat itself and that none can obstruct this transformation.

 

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Upto the year 1962 our revered preceptor had completed 50 years.  From the very beginning he took part in activities of social and national welfare.  When untouchability was at its peak in India he at the tender age of 15 years washed the wounds of his maid servant despite severe opposition from his family and village folks.  He would tie up the wound, serve her in all ways and thus vociferously opposed all undesirable practices.  He executed many programs for social welfare.  He actively participated in India’s struggle for political independence.  He went to jail thrice.  In order to follow in the footsteps of our revered preceptor there is no bondage of caste or religion.  He is the first Rishi of the world whose followers are crores in number and are spread out in 90 countries.  The proof of Jules Berne’s prophecy is the character and behaviour of our revered preceptor.

 

FUTURIST CHEIRO

 

Prof. Cheiro of England predicted future events based on astrological calculations.  People were wonderstruck on hearing his prophecies.  He amazed people by predicting the war in South Africa, death of Victoria, death date of Edward Saham, downfall of the Russian Czar, and the correct year of the German war.  Prof. Cheiro was called the magician of astrology.

 

Foll. is the prophecy of Prof. Cheiro :

 

The planet Sun is very powerful for India and it is in Aquarius.  No power of the world can stop India from radiating with glory.  A very powerful person full of sacred spiritual ethics will be born in India.  This person will spiritually awaken all people of the world.  His spiritual power will be more potent than all the material energies of the world put together.  Because of Jupiter’s influence there is a possibility of a wisdom revolution taking place and its sacred effect will be seen all over the world.

                                                ------- Prof. Cheiro (England).

 

A very similar prophecy has been made by G. Vegilatin based on a carving of a stone in Egypt.

 

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The years 1930 to 2000 A.D. will be the time span of the work of a great world uplifter.  Despite looking ordinary externally yet his divine power will be so intense that in his own life time he will convert ¾ of the world atheists into believers of God.  The most educated people of the world will become wonderstruck on witnessing his thought revolution.

 

The changing circumstances of the world gives us an indication that the time has come for re-installation of a new civilization and a new society.  The philosophy of our revered preceptor is churning the minds of all.  It is inducing faith in spirituality.  The arrogance of the intellect is bowing down to the sacred emotions of the heart. The world is heading towards that possibility wherein the entire world will dwell in peace and a sense of well being for one another.

 

THE AGREEMENT OF INDIAN SEERS REGARDING THAT PROPHET OF GOD.

 

Like foreign futurists those prophecies made by Indian seers with reference to the new era seems to correlate totally with all the tasks executed by our revered preceptor.

 

Mahayogi Shri Aurobindo was a great seer-saint.  He had the extraordinary capacity to dive deep into future events.  All that he saw with closed eyes, whatever he experienced in his heart came to be true.  All his words came true at the appropriate time.

 

We present his experience in his own words regarding a glimpse of the Prajnavatar.

 

SEER-SAINT SHRI AUROBINDO

 

India’s glorious times are very near.  It will again get the credit of spreading the flow of righteousness and culture in the entire world.

 

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In my psyche manifests divine inspirations and they say that India’s glory is very near, some people will try to force it to follow Western traditions but I am sure that a movement will commence in India which by destroying our vile tendencies will give our psyche a new spiritual direction.  And this will augment the glory of India.  This movement will once again bring in the joys of the Golden Age in the entire world.

 

All his words give us a feeling that he actually “saw” all that he wrote i.e. all of the name, form, character, activity perfectly fit our revered preceptor.

 

The great poetry of Maharshi Aurobindo called “Savitri” is well-known in the world.  In canto 4 (pages 335-336) by pointing to a powerful leading messenger of God he forces us to delve deeply into its deep import.  It looks as though he has written all this keeping in mind our preceptor’s “manifestation of Yuga Shakti.”

 

FUTURIST SWAMI ANANDACHARYA

 

Anandacharya who was born in the year 1983 in Bengal was an Indian.  Later he was a resident of Norway.  He was a spiritual sage, philosopher, thinker and an expounder of human religion.  He was full of extrasensory perceptions.  In 1910 he had declared that people should get ready for a first world war within 4 years.

 

On being questioned by a British News Agency he said that be prepared for one more world war later.  Both these prophecies were proved to be true.  Also his prophecies of the death of Kennedy, Martin Luther, Mussolini and leadership of Eisenhower and Krushchev came true.

 

In the foll. prophecy there is a true depiction of true facts :

 

True religion will take the form of an organization first in my own country.  It will be born along with the freedom movement of India but after 24 years in 1971 A.D. it will illuminate entire India in the form of a powerful organization.  On the one hand there will be widespread turmoil in world politics and in that Indian politics will be most active.  That

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organization which will appear for spiritual upliftment will make a new map of world welfare.  The leader, director of this organization will be a householder and will gain fame as the greatest thinker in the annals of world history.  That man will chart out a behavioural ethics of responsibilities of every individual towards society and how all nations will cooperatively coexist in a peaceful environment.  If all his thoughts that he has put down on paper are published in book form then the book will weigh more than 100 pounds.

 

The great seer has said that 24 years after India’s Independence i.e. in 1971 A.D. a religious institution will build up into a huge organization.  It will chart out a map of world peace.  The proof of this prophecy is that the intense austerities of our revered preceptor which commenced in the year 1971 shook the psyche of one and all as a result of which scores of people joined the Gayatri Parivar.  Revered Mother by joining her soul force to that of our revered preceptor proved the saying of 1 + 1 = 11.  It was the true resolve charted out by our revered preceptor that became the behavioural ethics of all and is today being imbibed in all corners of the world.  Thus the goal of world well-being will definitely be realized.  He looked upon good behaviour and self control as the foundation stones of spiritual and material progress and hence he was very vociferous about it while putting it down on paper.  In reality our revered preceptor’s writings weigh more than his bodily weight.  This is being pointed out by the futurist.  The basis of a bright world future will be this very behavioural ethics.  And because of it the world will radiate with peace.

 

PROPHECY OF SAINT SURDAS

 

The great poet-saint Surdas was blind since birth.  He never saw the world with open eyes.  Yet his poetry is an example of live depictions.  In reality his intuition was awakened.  Thus with his subtle eyes he saw all creatures, the world and Brahman (God).  According to him time is marching ahead in that direction.

 

In one verse Surdasji writes with his intuitive eyes :

 

After the year 1900 the world will transform.  After this great transformation, righteousness will prevail in the world and for thousands of years there will be world peace.  This is that very time.

 

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FUTURIST SAINT VISHWARANJAN BRAHMACHARI

 

When the saint Vishwaranjan Brahmachari predicted that Shri Lalbahadur Shastri will become the Prime Minister of India he also sorrowfully declared that Shastriji would remain as Prime Minister for a very short time span only because of his impeding death outside India.  Later India will have a female Prime Minister.  This is exactly what happened.

 

He elaborated further by saying that in the coming days India will face lots of ups and downs.  But that also a major event of a spiritual revolution in the country will also take place.  Although this revolution will commence in Central India, yet it will spread in the entire country.  The credit of uniting North and South India in one cord will go to the propounder of this revolution.  In a short time India will re-instate new ideals which will be followed by people of the entire world.  People will voluntarily give up vile activities and imbibe pious behaviour.  In future people instead of competing with one another over money, status, material comforts etc. will vie with one another to become more honest, of a more charitable disposition, hardworking and more cooperative.

 

In every small and gigantic Yajna one can see that people are voluntarily renouncing vile habits, and addictions like gambling, alcohol, drugs etc.  The divine character of our revered preceptor is churning the minds of all.  People are heading towards the goal of pious actions.  With ease people from North to South and East to West are being tied together by the cord of sacred culture.  Thus the prophecy has been proved true.

 

FUTURIST PARAMHANS RAJNARAYAN PATASHASTRI

 

Mathura is that divine abode in India where Lord Krishna was born.  He along with small cowherd boys opposed injustice, vile ethics etc.  He gained victory over terrible demons like Kansa and Jarasandh and then lifted the Govardhan hill on his little finger so as to protect the Vrajvasis.  This very act is being re-enacted by our revered preceptor Yuga Rishi Shriram Sharma Acharya with his character and various activities.  By taking along with him ordinary folks he opposed social activities which were vile and distorted.  To ward off all this we wrote a lot of sacred literature which of course did not kill demons but definitely warded off demonic activities and vile character.  For world welfare he raised the

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Govardhan hill of cultural victory aided by small cowherd boys along with their extraordinary powers.  This is proving that the 21st century will definitely be radiant.  The prophecy definitely points out to the spiritual and mighty endeavour of our revered preceptor.

 

LADY FLORENCE IMBUED WITH A GREAT SENSE OF EXTRASENSORY PERCEPTION (If she foresaw so much then why did she not take the name of our revered preceptor?)

 

Truly the lady of New Jersey (America) called Florence was strange.  When she either touched a person or any article used by that person she could correctly describe events of that person’s life.  By putting faith in this extraordinary power of Florence many govt. and private institutions solved their otherwise unsolvable problems.  Whatever she said was absolutely correct.  Regarding problems of regions and places she answered only if she was questioned.  Yet she voluntarily spoke about the future of the world.  All her predictions regarding the new era are in agreement with that of our revered preceptor.  Whenever she spoke of era transformation that would be executed by a great saint it is very clear that she had the picture of our revered preceptor in the canvas of her mind’s eye.  The only amazing thing is that despite seeing the future so vividly why did she not name our revered preceptor.  Maybe the answer has been given by our revered preceptor when he says that ----

 

“My personality will come out in the open only at the appropriate time.”

 

 

 

PROPHECIES THAT HAVE COME TRUE

 

Regarding this it would be out of place to talk about certain prophecies on regions or individuals since they are many, yet we will place before the readers world problems and events predicted by Florence which have come true.

 

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In 1964 A.D. she had said that the researches of those believing in a divine power will augment.  Even communist countries that are atheists will be influenced by the above people.  There will be tension amongst communist countries.  In Central Asia the Arabs will not gain victory over Israel.  She warned of tensions between various nations but that ultimately it will not lead to a world war.

 

This prophecy of Florence has come true.  Scientists are now researching into a super divine power.  Research of the stature of Ashwamedha Yajnas has already commenced.  Tension between communist countries like Russia, China, Czechoslovakia is on the rise.  The Arabs have virtually stopped attacking Israel.  This is because they are involved in their own nations’ advancement.  Saddam Hussein the President of Iraq went for a war with America.  It looked as thought the world war would break out.  Yet the danger was warded off.

 

In her book “Fall of the Sensational Culture” she had written that before the year 2000 A.D. there would be a downfall of Western materialistic ideology and that Mother Nature’s balance too would get distorted.  For e.g.:

 

People will be full of wrath.  Vile behaviour will reach its peak.  Those in countries who lead a life of sense merriment will become full of despair, anguish and sorrow.  Desires will augment and thus there will be hatred amongst people.  Everywhere there will be violence and destruction.  The poor will loot the rich.  There will be an atmosphere of utter strife everywhere.  Yet a new sacred thought wave originating in India will totally dispel the gloom of the world.

 

There is no need to give the avid reader an example to prove Florence’s prophecy.  The solution to the problems of all people leaning towards sense merriment can be clearly seen in our revered preceptor’s life, his thought and his movement.  Very clearly he declared that, “the mother of all vile behaviour is narrow-minded selfishness and that the solution rests in awakening sensitivity to others problems via spiritual endeavour.  His precepts are so powerful that it induces people to firmly accept that only on its basis can a bright world future manifest.”

 

 

SCIENTIFIC SPIRITUALITY

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Very clearly he writes that this thought flow will explain to all very scientifically the importance of selfless service and brotherhood.  He further emphasized that there is no contradiction as far as religion and modern science is concerned.  The pinnacles of spirituality will illumine the void of materialism.  The middle class will be greatly influenced by this kind of thinking.  Thus this class will create a new radiant society.  And ultimately the entire world will radiate with glory.

 

Our revered preceptor re-instated materialistic science that augmented material comforts, thought sciences that augments ethical values and spiritual sciences that augmented one’s soul force.  It is the coexistence of these 3 scientific streams that is manifesting a creative miracle.  This will be more clear in the coming days.

 

WORLDWIDE MOVEMENT

 

Through my 6th sense I intuit that the expounder of this great thought flow will be a revered saint of India who has already taken birth.  The influence of that radiant saint will create miracles everywhere.  Today’s low spiritual influence will be rejuvenated by his thinking.  All around there will be an atmosphere of spirituality.

 

Those people influenced by this great saint’s philosophy will head for the West for world welfare.  Later they will spread out in entire Asia, Europe and America.  People of the world influenced by the thinking of this great saint will follow in his footsteps.  The West will look upon him as Lord Jesus, the Muslims as their Prophet and Asians as an incarnation of God.

 

The miracle of our revered preceptor’s movement is that although it is rooted in religion yet it has a secular outlook.  People of all sects, communities etc. will not hesitate to join forces with him.  The more his message is entering Western countries the more people “drink” these thoughts with thirst.  This fact has been proved while conducting Ashwamedha Yajnas in the West.

 

INTELLECTUAL REVOLUTION

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There will be an intellectual revolution as a result of the thinking of this great saint.  The ideologies of intellectual men will transform.  They will be full of faith and reverence for God.

 

DIVINITY IN MAN, HEAVEN ON EARTH.

 

Psychologists and mesmerism specialists i.e. the world famous Dr. Morey Berstein was a great friend of Florence who had once told him :

 

Dr., that moment is coming very near in which people of the world instead of following power hungry politicians will walk in the footsteps of pious social workers as yourself.  In the 21st century a sacred spiritual thought wave will spread all over the world.  In every country organizations of pious people will destroy all vile activities prevalent in society.  This thought wave will originate in India.  From there it will spread in the entire world.  In that sacred country I see a great radiant saint.  His spiritual light is working day and night to awaken the latent divinity in man so as to manifest heaven on earth.

 

AWAKENING DIVINE POWERS

 

Some journalists had once asked Florence as to how she foresaw the future.  How did she know the whereabouts of lost people and materials.  Florence replied, “Even I do not know how this has been possible.  I will tell you an important fact about the future.  At the end of the 20th century a light will be emitted from India.  This light will inform everybody about all divine powers of the world which have so far been hidden from our understanding.  Through a divine saint of India this divine light will spread in the entire world.  He will inspire all to walk on the path of truth.  In the entire world will spread the light of a new thought wave.  Whenever I am in deep meditation I frequently see this great saint.

 

REGARDING THAT SAINT

 

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She writes in another book of hers called “Golden Light of the New Era” that whenever I meditate I often see a great saint.   On the forehead of this fair-skinned saint is light of the stars of space.  I clearly see that this saint is spreading the light of divine wisdom in the entire world with his pious thinking and power of the sacred character of his followers.

 

This saint is continuously augmenting his divine powers so that a material transformation too ensues.  He will execute his tasks in a scientific manner.  With his grace and endeavour human civilization will be awakened.  In all world human beings there will be new divine energy.  A new form of layman power will ensue and will stop the arrogant behaviour of all power hungry politicians.”

 

Again and again Florence mentioned this great saint.  She also clarified that he is present in a Northern state of India.

 

 

 

 

 

 

एक अध्याय

एक साव�भौमिमक �ाष्ट्र की देवी नाग शक्ति! 

इन दिदनों वहाँ दुबिनया भ� में बिवनाशका�ी खत�े के इस त�ह के एक �ारि�श है जो मानव अश्किस्तत्व औ� सामना क�ने के क्तिलए रू्प�ी दुबिनया के क्तिलए �हुत मुश्किAकल हो जाएगा. हद तक वे उस हद तक सख्त हैं हम मज�ूत संसा.नों की जरू�त है उन र्प� का�ू र्पाने के. एक हाथी एक छोटे से बिर्पस्तौल के साथ नहीं म� सकता. आदेश में एक बिकले को नष्ट क�ने के क्तिलए, एक ती� की �ौछा� नहीं होगा, एक को तोर्पों का उर्पयोग बिकया है. Vritrasura एक वज्र से ही मा�ा जा सकता है. यह चंडी तीव्र क्रो. बिक �ाक्षस Mahisasura overcame था. हनुमान ताक़त उसे मदद की एक र्पव�त उखाड़. �ारूद र्पहाड़ों को बिवस्फोट क�ने के क्तिलए प्रयोग बिकया जाता है. स्थिस्थबित देखक� यह आवAयक है बिक वहाँ भी गंभी� स्थिस्थबितयों से उ��ने की जरू�त है न केवल �चनात्मक शक्ति! लेबिकन ब्रह्मास्त्र की त�ह हक्तिथया�ों की जरू�त है.

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यदिद खत�े के �ाक्षसों जो मानव सभ्यता को नष्ट क�ने र्प� तुले हैं मनुvय हैं तो दुबिनया नष्ट हो जाएगा. यह क�ने के क्तिलए दू� बिकया जा है. की है बिक अन्य प्रका� के क्तिलए हक्तिथया�ों की जरू�त है. हाथ �म भयानक �ाक्षस, जो ह� जगह �नाने के क्तिलए संघष� औ� �!र्पात से उ��ने की जरू�त है.

 

मे�ा जीवन गायत्री की तज� र्प� बिकया गया है उन्मुख है. मे�े जीवन काल की कभी कैसे �हता है वह भी इसे क�ने के क्तिलए समर्तिर्पतं बिकया जाएगा. अग� मैं एक बिववेकानंद शिशवाजी, या चन्द्रगुप्त र्पाया था क�ने के क्तिलए आज की सख्त स्थिस्थबितयों के खिखलाU लड़ाई तो मैं अर्पने �ास्ते से कभी वी� होगा. लेबिकन मज�ूत प्रयासों के �ावजूद इस त�ह के एक सुनह�ा मौका अर्पने त�ीके से नहीं आया था. बिU� भी मुझे बिन�ाशा नहीं है. वहाँ कोई शक नहीं दुबिनया में आध्यात्मित्मक शक्ति!यों �हे हैं लेबिकन वे सूक्ष्म श�ी� में मौजूद हैं. एक बिनहायत सक्तिन्नबिहत व्यक्ति!गत सामग्री के प्रयासों के क्तिलए आवAयक है. महाकाव्य महाभा�त 5 demigods र्पांडवों के रूर्प में प्रकट होता है. कुछ भालू, �ंद�ों का रूर्प ले क्तिलया औ� कुछ perceivable काय� के क्तिलए सामग्री श�ी� के क्तिलए आवAयक हैं हनुमान, अंगद आदिद के रूर्प में दिदखाई दिदया. एक लं�े समय से उन्हें खोजने की कोशिशश में द्वा�ा व्यर्पगत. यदिद सत्ता के रू्प�े गोदाम वहाँ नहीं है कम से कम एक बिहस्सा अशिभव्यक्ति! वहाँ होना चाबिहए. एक व्यावहारि�क व्यवस्था अग� यह एक दिदव्य मनुvय में र्पाया जाता है �नाया जा सकता है. मैं जो अर्पने �ीज के रूर्प में ऊजा� प्रकट Prajna र्परि�वा� के रूर्प में ऋबिष केन्द्रों मिमल गया है. लेबिकन अकेले �हना व्यथ� था. यदिद यह दिदशा का एक उक्तिचत भाव नहीं दिदया गया था, त� है बिक ऊजा� बिवनाशका�ी गबितबिवक्ति.यों में शामिमल बिकया गया होगा. इसक्तिलए केवल एक ही बिवकल्र्प र्पथ दाता बिक वह खुद को आगे आने के क्तिलए रै्पदा क�ते हैं औ� इस बि�जली बिवत�ण औ� अग� �रू�त र्पड़ी �ास्ता भी �दल द्वा�ा दिदए गए दिदशा के अनुसा� �ने �हे.

 

वार्पस इस र्परि�वत�न लोन साबिवत्री रू्पजा अंद� लाया गया था तीन साल आया था. यह एक सबिक्रय व्यस्त जीवन जी के �ाद अकेले �हना आसान नहीं है. साबिवत्री रू्पजा श�ी� (यौबिगक शास्त्रों में कंुडक्तिलनी शक्ति! कहा जाता है) के देवी नाग शक्ति! के 5 sheaths के सबिक्रयण शामिमल है. यह भी subtilization औ� 5 गुना वेदांत में तोड़ने के क्तिलए कहा जाता है. जो मुझे गायत्री रू्पजा खुद की ओ� बिनद�शिशत बिक गुरू की बिवक्ति. साबिवत्री रू्पजा जाता है बिक मुझे के माध्यम से अन्य दिदव्य रु्परुषों की शक्ति! क्रम में है बिक वे उनके असली स्वभाव को समझने में औ� सभी के कल्याण के क्तिलए उनकी आत्मा की शक्ति! काम के माध्यम से जागृत बिकया जा सकता है दे दी है.

 

यह देखा गया है बिक खत�ों का प्रकाश है, जो आसानी से दू� बिकया जा सकता है नहीं क� �हे हैं. यह खेल है बिक सतही था इसक्तिलए एक अक्ति.क गहन प्रयासों को �नाने के क्तिलए बिकया था नहीं था. इसक्तिलए साबिवत्री से एक कदम आगे जा �हा दिदव्य शक्ति! की रू्पजा क�ते हैं सख्त �ा� र्प� का�ू र्पाने के क्तिलए सबिक्रय बिकया जा सकता था. दूस�े शब्दों में इस महाकाली Mahachandi, या Mahadurga है. यह आवAयक नहीं र्पाया गया है बिक इस शक्ति! है जो अच्छी त�ह से उन लोगों द्वा�ा उर्पयोग बिकया जा �हा था क�ने के क्तिलए आवAयक जानका�ी दी जानी थी. बिर्पछले कुछ दिदनों में अध्ययन, बिवशे्लषण, औ� देवी नाग र्पाव� (कंुडक्तिलनी शक्ति!) के अनुसं.ान का एक �हुत जगह ले ली है. इस के संदभ� के साथ एक अजी� वण�न रु्प�ाने / नई रु्पस्तकों में दी गई है औ� रु्पनः संर्पादन यह स� कई लेखकों द्वा�ा रु्पस्तकों के प्रकाशन के क्तिलए नेतृत्व बिकया गया है. �कवास का एक �हुत नकल के इस प्रका� में इस के्षत्र में प्रवेश बिकया है.

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केवल एक ही बिनvकष� देवी नाग र्पाव� के सभी बिवव�णों को बिक इस बिवषय आकष�क है औ� एक �हस्यमय बिवज्ञान से भ�ा जा �हा है, उस र्प� कई काम बिकया है, लेबिकन कोई भी अर्पने स्वयं के अनुभव हाक्तिसल क�ने की कोशिशश की है र्पढ़ने के �ाद बिकया जा सकता है. क्तिलखा है बिक वे जो कुछ भी क्तिसU� हठयोग का एक प्रस्तावना जो भी देवी नाग र्पाव� सबिक्रयण के 1% का गठन नहीं क�ता है. �हुत �ड़ी चतु�ाई से इस त�ह के प्रयोगकता�ओं का प्रचा� है बिक अर्पने लक्ष्य को प्राप्त बिकया गया है. आज अकेले बिकता�ें या प्रामाशिणकता की शिशक्षाओं होने चलो वहाँ कोई साबिहत्य है बिक उसके मूल उर्पदेशों का सही बिवव�ण देता है. मैं बिवनम्रतार्पूव�क आगे र्पहले अर्पने आर्प को इस �ा�े में भ्रम से �चाने के द्वा�ा सही क्तिसद्धांतों डाल क�ने की कोशिशश की है.

 

मे�े सूक्ष्म उर्पदेशक का कें द्र जो सदिदयों के क्तिलए उर्पस्थिस्थत बिकया गया है उतना ही गायत्री, साबिवत्री, औ� देवी नाग र्पाव� के के्षत्र का अनुभव है. वे साबिवत्री रू्पजा औ� गौ�वशाली भा�त के देवी नाग र्पाव� के सबिक्रयण के क्तिलए बिर्पछले 3 साल के क्तिलए एक अच्छी त�ह से जांच की क्तिसक्के के रूर्प में मुझ र्प� देख क� मुझे इस्तेमाल बिकया है ताबिक एक लगभग भूल गया, लेबिकन �ेहद शक्ति!शाली बिवज्ञान दू� ध्वस्त सूख नहीं क�ता है. इसका श्रृंखला के क्तिलए दृढ़ता से इतना खुल बिक भबिवvय में वे तोड़ नहीं बिकया जा सकता है.

 

गायत्री आध्यात्मित्मक ज्ञान औ� आत्मा से सं�ंक्ति.त है. साबिवत्री आत्मा सामग्री है. यह आत्मा बिवज्ञान के अंतग�त आता है, लेबिकन एक सामग्री लाभ हाक्तिसल क� सकते हैं औ� �ंद सांसारि�क खत�ों वाड�. के माध्यम से दोनों एक अर्पने आर्प को औ� दूस�ों के क्तिलए लाभ भी प्राप्त क� सकते हैं. लेबिकन देवी नाग र्पाव� की क्षमता ब्रह्मांडीय है औ� अर्प में शामिमल है जो बिक ऊर्प� टूट गया है क�ने के क्तिलए इस्तेमाल बिकया जा सकता है. अग� वहाँ है चंडी क्रो. इसे अर्पबिवत्र गबितबिवक्ति.यों को सही क�ने के क्तिलए उर्पयोग बिकया जा सकता है. इसक्तिलए यह �ाक्षसों का बिवजेता कहा जाता है. यह है ज� भी �ाक्षसों औ� उनके ढकोसला यह एक तलवा� की त�ह प्रयोग बिकया जाता है क�ने के क्तिलए चीजें स्लेश र्प� का�ू र्पाने के क्तिलए इस्तेमाल बिकया. यह ज��दस्ती सही �ास्ते र्प� anarchaic तत्वों का नेतृत्व क�ने के क्तिलए इस्तेमाल बिकया जा सकता है. यह कृबित्रम बिनद्रावस्था का बिवज्ञान है. यह मुख्य रूर्प से मन दू� आकर्तिषंत क�ने के क्तिलए प्रयोग बिकया जाता है. महाकाली Shumbha Nishumbha, Madhukaitaba मंत्रमुग्. औ� उन्हें एक लड़ाई में उ��ने. वह भी Bhasmasura, सौं. Upsund औ� Mahisasura मा� डाला. �ाम औ� सीता के माध्यम से वह �ावण र्प� बिवजय प्राप्त की औ� कृvण - �ल�ाम के माध्यम से वह Putana, कंस, Jarasandha औ� अन्य शैतानी शक्ति!यों overcame. इस शक्ति! (र्प�मात्मा शक्ति!) का एक र्पहलू है.

 

ज� यह �हुत शक्ति! �चनात्मक प्रयोजनों के क्तिलए प्रयोग बिकया जाता है तो यह कॉश्किस्मक �चनात्मक शक्ति! �न जाता है. यह Jnanarnava तंत्र में ----- सभी सांसारि�क गबितबिवक्ति.यों इस शक्ति! के माध्यम से एक बिवशाल प्रस्तावना की त�ह र्प� जाने के क्तिलए कहा जाता है. र्परि�वत�न के महाकाल काय� भी इस शक्ति! के माध्यम से काम क�ता है. चा�ों ओ� जा �हा एक मिमट्टी के �त�न की त�ह घुमाया जाता है औ� एक र्पबिहया र्प� एक कुम्हा� की त�ह यह कई नाम औ� बिवशिभन्न प्राशिणयों के रूर्पों �नाता है. हकीकत में देवी नाग र्पाव� संदभ� औ� दुबिनया के क्तिलए एक जा �हा है के संदभ� के साथ व्यक्ति! के साथ समग्रता में बि�जली उत्र्पन्न क�ता है. एक बिनशिmत अथ� में देवी नाग र्पाव� ब्रह्मांडीय बि�जली जो योग के आग सबिक्रय है औ� एक व्यक्ति! एक शक्ति!शाली महत्वर्पूण� �ल होने गवाह है. Kathopanishad जिजसमें एक में यम - नक्तिचकेता संवाद र्पाता Panchagni बिवज्ञान है जो एक �ोग, दुख औ� �ुढ़ारे्प इतनी के रूर्प में मुक्ति! र्पाने के र्प�े लेता में वहाँ एक ही

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महत्वर्पूण� �ल की �ात की है ज� तंबित्रका केन्द्रों को सबिक्रय क� �हे हैं शक्ति! उभ� �हे हैं औ� एक क्षशिणक र्पहचान देता है. लेबिकन देवी नाग र्पाव� स्थायी है औ� एक चेतन शक्ति! है जो एक व्यक्ति! में ऊजा� प्रकट क�ने के �ाद उसे �दल देती है. 

 

जहां एक लौबिकक स्त� र्प�, सभी व्यार्पक स्त� देवी नाग र्पाव� के सबिक्रयण की प्रबिक्रया वहाँ र्प� जा �हा है एक समझना चाबिहए बिक यह वाड� जो बिक अवांक्तिछत औ� प्रकट एक उज्ज्वल भबिवvय है. लेबिकन इस त�ह के खत�नाक उर्पक्रम के क्तिलए र्पबिवत्र आत्माओं होना चाबिहए. ज� एक �ंदूक चलाई है �ंदूक र्पीछे की ओ� चालें. जो लोग इस महान शक्ति! के साथ काम इतना उत्साह के साथ संर्पन्न बिकया जाना चाबिहए वी�ता, औ� हो सकता है बिक वे हमले के समय में regressing झटके स्थायी क�ने में सक्षम हैं. व�ना लाभ के क्तिलए बिकए गए प्रयोगों के क्तिलए �हुत ही बिवनाशका�ी साबि�त हो सकता है. तो यह केवल �ातचीत का एक बिवषय �न जाता है. इसक्तिलए इस र्प� एक गुप्त ज्ञान के रूर्प में देखा जाता है औ� broadcasted खुलेआम कभी नहीं की. ज� वहाँ शुvक तक� औ� अनावAयक तक� आगे �खा, घमंडी लोग गलबितयाँ ढँूढने ऐसी र्परि�स्थिस्थबितयों रू्पजा के आ.ा� र्प� जो बिवश्वास हीनता शुरू होता है औ� इसक्तिलए भी स�से तीव्र रू्पजा बिवUल �हता है शुरू क�ते हैं. संभवतः मन में इन सभी का�णों से क्तिलखिखत संत हमें क्तिसU� इतना सूक्ष्म बिवज्ञान के �ा�े में �ात क�ने से �ोका है �खते हुए. यह आवAयक है बिक एक आध्यात्मित्मक आकांक्षी की क्षमता जानने के �ाद उसे एक गुरू रू्पजा का एक उर्पयु! बिव.ा देता है. न केवल आकांक्षी चरि�त्र र्प� भी अर्पनी जरू�तों औ� र्परि�स्थिस्थबितयों को ध्यान में �खा जाना है. केवल सही र्प�ीक्षा के �ाद एक �ोगी औ� डॉक्ट� के लाभ.

 

क्योंबिक साबिवत्री औ� देवी नाग र्पाव� रू्पजा मुश्किAकल है यह एक .ा� लोगों र्प� चलने की त�ह की उरे्पक्षा. कोई भी एक अच्छा इंजीबिनय�, कलाका� आदिद एक उक्तिचत शिशक्षक के बि�ना हो सकता है. इसक्तिलए ज� एक देवी नाग र्पाव� के अध्ययन के सच बिवशेषज्ञों नहीं मिमल �हा है, तो एक उस में रुक्तिच छात्रों को कैसे मिमल सकता है?

 

देवी नाग र्पाव� सबिक्रयण शा�ीरि�क महत्वर्पूण� आग की igniting है औ� र्प�ंर्प�ा अ� तक व्यक्ति!गत लाभ के क्तिलए बिकया गया है. Brahmarandhra (खोर्पड़ी) जो दिदव्य ऊजा� में अशिभस�ण Mooladhar (जननांगों) की यौन ऊजा� Merudand (�ीढ़) के माध्यम से र्पारि�त क� दिदया है. इस प्रका� ज� शिशव शक्ति! एक मज� दिदव्य शक्ति!यों (Sidhis) हो जाता है. लेबिकन ऐसे समय में एक एक साँर्प खिखलाने के रूर्प में सतक� हो गया है. एक सर्पे�ा कोई शक नहीं है साँर्प से र्पता चलता है के माध्यम से अर्पने र्परि�वा� के खिखलाती है, अर्पनी कला से र्पता चलता है, लेबिकन अभी तक वह एक खत�नाक खेल खेल �ही है. यदिद एक जह�ीला सांर्प अर्पने �ास्ते में आता है बिU� भी अर्पनी UुUका� दिदखाने के क्तिलए, लोगों के दिदल की .ड़कन �ोकने के �ंद हो जाता है औ� वहाँ मौत का खत�ा है.

 

शिशव शक्ति! की गद�न के चा�ों ओ� साँर्प का ता�. प्रतीकात्मक इस देवी नाग र्पाव� (कंुडक्तिलनी) है. इसमें कोई शक नहीं बिक यह आंशिशक रूर्प से हठ योग, सभी ऊजा� 6 चक्र (यौबिगक र्पबिहयों) के माध्यम से गुज� द्वा�ा न केवल कदिठनाइयों को दू� क�ने के क्तिलए इस्तेमाल बिकया गया, लेबिकन एक उच्च आदेश की साबिवत्री रू्पजा के साथ शामिमल होने से एक नया वाताव�ण उत्र्पन्न होता है. 6 यौबिगक चक्र ज� 5 sheaths भी सबिक्रय क� �हे हैं के अबितक्रमण के साथ - साथ तो यह कई �चनात्मक गबितबिवक्ति.यों के क्तिलए उर्पयोगी हो जाता है. आदेश में एक घ� का बिनमा�ण क�ने के क्तिलए वहाँ ईंटों, प्लास्ट�, लोहे, लकड़ी औ� मेसन की जरू�त है. भोजन की

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जरू�त है एक ईं.न, आग, �त�न, कचे्च भोजन औ� एक �ावच� र्पकाना. Panchratna (5 गहने) प्रक्तिसद्ध हैं. श�ी� Panchratna औ� 5 महत्वर्पूण� �लों के साथ ऊजा� के द्वा�ा �नाई गई है. ऊजा� के इस स्रोत जीवन शक्ति! के क्तिलए एक औ� नाम है. यदिद महत्वर्पूण� आग, देवी नाग र्पाव� सबिक्रयण, 5 म्यान सबिक्रयण एक सु� में औ� साबिवत्री काम के सबिक्रयण तो उसका प्रभाव व्यार्पक है. दुबिनया के सभी गंभी� र्परि�स्थिस्थबितयों से र्पहले कभी नहीं देखा गया. र्प�माणु हक्तिथया�, स्टा� युद्धों, आंतरि�क / �ाह�ी दुबिनया के प्रदूषण, प्रकृबित के असंतुलन, महामा�ी, आतंकवाद आदिद के काले �ादल �डे़ उभ�ते �हे हैं औ� इसक्तिलए यह आवAयक है बिक इस प्रयोग के एक �डे़ रै्पमाने र्प� आयोजिजत बिकया. वहाँ कोई संदेह इन लेबिकन इसके र्परि�णाम इतना भव्य है बिक यह कुछ भी तुलना नहीं की जा सकते हैं क� �हे हैं समस्याओं र्प� बिवजय र्पाने की कोशिशश में दद� है.

 

इस भाग में हम दैवी पे्र�णा है जो �डे़ रै्पमाने र्प� मानव समुदाय की ऊजा� सबिक्रयण के क्तिलए उर्पयोगी होते हैं एक र्परि�णाम के रूर्प में केवल उन योजनाओं का वण�न क� �हे हैं. र्पाठकों को अर्पने बिवव�ण में जाने के क्तिलए एक की जरू�त है. वे केवल अर्पने र्परि�णाम देख सकते हैं औ� इस त�ह वे क्या भूमिमका में खेल सकते हैं के रूर्प में समझ में आता है. �ाद में भी यह कैसे एक व्यक्ति! न केवल खुद के भीत� प्रगबित के रूर्प में औ� अक्ति.क स्पष्ट बिकया जाएगा, लेबिकन यह भी है बिक इस �ास्ते र्प� दूस�े को पे्ररि�त क�ने के क्तिलए भी. यह भी बिक कैसे औ� एक उज्जवल स्वर्शिणंम युग में इस युग उर्पशिशक्षक �दलने के क्तिलए. अंत में इस प्रयोग भा�त की देवी नाग र्पाव� के सबिक्रयण के माध्यम से आयोजिजत बिकया गया है.

लेखक: अंतरराष्ट्रीय गायत्री परिरवार के संस्थापक आचाय� श्रीराम शमा� एक महान योगी शंकराचाय� और भगवान के अवतार थ ेजि"न्होंने विवश्व कल्याण और शांवित के लिलए आध्यात्मि,मक विवषयों पर मुख्य रूप से वैज्ञाविनक साविह,य की मात्रा लिलखी थी. के लिलए और अधि5क वैज्ञाविनक ई साविह,य pls http://www.shriramsharma.com/ www.awgpestore.com http://www.dsvv.ac.in/ www.akhandjyoti.org यात्रा और http://www.awgp.org/ विववरण: चक्र ध्यान - ESP, Nirvikalpa समाधि5 या मुफ्त ट्रांस बनना Ridhi - Sidhis या ईश्वरीय ऊ"ा�, भविवष्य वैज्ञाविनक 5म�, सुपर ऊ"ा� गायत्री विवज्ञान और कंुडलिलनी योग को सहसंबद्ध न्यूरोसाइंसेस - ESP, Endocrinology, एनाटॉमी, मनोविवज्ञान और सोचा ई पुस्तकें 1) सामग्री और आध्यात्मि,मक समृजिद्ध और 2) दुविनया एक परिरवार के रूप में शांवित से एक"ुट करने के लिलए समा"शास्त्र. एक खूबसूरत अनवधि5 दुविनया: हमारा एक सख्ती गैर वाणिणज्यिJयक वेबसाइट है "ो उम्र के महान नेताओं और दुविनया के विवचारकों के पुराने सपने को साकार करना है. कीवड�: कंुडलिलनी योग गायत्री e-विकताबें अल्ट्रा साउंड टेलिलपाथी parapsychology त,वमीमांसा विनर्विवPकल्प समाधि5 प्रदूषण योग तंत्र विSल्में इंटरनेट सम्मोहन पारिरज्यिस्थवितकी Jयोवितष आयुवUद कल्किल्क bioelectricity स"�री पराबैंगनीविकरण ओ"ोन रडार तनाव रचना,मकता पुरात,व सिसP5ु घाटी सभ्यता ईं5न संकट भो"न की कमी सुनामी "ीवनी गुरु विवश्व शांवित मन मानस देवता सूक्ष्म तंवित्रका चेतना आ,मा परमा,मा ट्रान्स endocrine गं्रलिथयों ESP चक्र plexus ध्यान एकाग्रता बुजिद्ध भविवष्यवाणी Cheiro Nostradamus अरविवPद आनंद मल्किस्तष्क वेद सौर सूय� की ऊ"ा� पविवत्र शुद्ध इंद्रिdयों प्राण अवतार उपविनषद प्रकाश सेल hypothalamus पीयूविषका परिरवत�न भविवष्यवादी भविवष्यवाणी नाविगन शलिe "ीवन मानव नैवितकता अखंडता चरिरत्र वेगस तंत्र Mooladhar परमाणु न्यूट्रॉन सोच सोचा प्रोटोन

 

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अध्याय दोसुर्प� र्प�मात्मा गायत्री साबिवत्री औ� कंुडक्तिलनी नामक शक्ति!यां

 

कंुडक्तिलनी (देवी नाग र्पाव�) की जांच गायत्री Mahaprajna के दश�न की चचा� के साथ शुरू होती है. मूलरूर्प में गायत्री रू्पजा .ार्मिमंक बिवचा�.ा�ा औ� दिदव्य भावनाओं का एक प्रयोग है. यह आत्म अनुसं.ान प्रमुख महत्व दिदया जाता है औ� / ध्यान एकाग्रता के माध्यम से भक्ति! रै्पदा द्वा�ा Brahmic चेतना क�ी� लाया जाता है औ� एक मानस में interwoven हो जाता है. चाहे आर्प लकड़ी के एक ढे� र्प� प्रकाशिशत एक माक्तिचस Uें क या आर्प रे्पट्रोल र्प� लकड़ी जलती Uें क, दोनों काय� के समान हैं. Uक� क्तिसU� इतना है बिक आत्म - आत्मसमर्प�ण के माध्यम से, अदै्वत (भगवान के साथ संघ) के दौ� से गुज� से एक जल्दी चमत्का�ी र्परि�णाम देखता है. इसके �जाय की कुल भी आत्म आत्मसमर्प�ण अग� वहाँ कुछ क�ने की इच्छा है तो कोई संदेह नहीं है का� नीचे .ीमी गबित से अभी तक यह अंततः हमें लाभ दे देंगे शामिमल. अभी तक एक दुबिनया में अन्य लोगों के लाभ के क्तिलए सक्षम �नने में बिवUल �हता है. एक तै�ाक ने खुद को अभी तक तै�ना वह दूस�ों की मदद क�ने के एक केवट की त�ह नदी र्पा� क�ने के काबि�ल नहीं है हो सकता है. यह इच्छा आ.ारि�त गायत्री रू्पजा औ� वासना गायत्री रू्पजा के �ीच अंत� है. प्रयास के दोनों प्रका� के माध्यम से, आध्यात्मित्मक उम्मीदवा�ों के अर्पने स्वयं के �ास्ते में सUल.

 

यदिद हम गायत्री के दश�न में गह�ा गोता तो की रू्पजा क�ते हैं हमें र्पता है बिक हमा�े रू्प�े चेतना "मश्किस्तvक के ज्ञान के �ीज" से प्रभाबिवत है. इसकी भूमिमका शा�ीरि�क जीबिवका औ� सामाजिजक व्यवहा� के संदभ� में एक प्रमुख एक है. एक �हुत ऊंचा स्थिस्थबित में इस केन्द्र extrasensory क्षमता का झ�ना है औ� यह यहाँ है बिक ब्रह्म (भगवान) यानी सच मानव लक्ष्य की प्रात्मिप्त के साथ एक प्राणी को एकजुट क�ने का आनंदिदत गबितबिवक्ति. हाक्तिसल की है. गायत्री ब्राह्मी शक्ति! (र्प�मात्मा शक्ति!) भी Brahmarandhra Brahmasansthan, या Brahmaloka कहा जाता है. के्षत्र है बिक यह ज्ञान चेतना को प्रभाबिवत क�ती है. एक प्रतीकात्मक त�ीके में गायत्री ब्राह्मणी या ब्रह्मा की र्पत्नी कहा जाता है. अर्पनी शक्ति! के रूर्प में देखा जा सकता है (दण्ड) Brahmadand बिक दुष्ट र्प� का�ू र्पा औ� सामग्री दुबिनया में दद� औ� ग�ी�ी को नष्ट क� देता है. आध्यात्मित्मक के्षत्र में अर्पनी Uाम� Brahmavarchas का रूर्प ले क्तिलया है.

 

से अक्ति.क है औ� गायत्री रू्पजा के ऊर्प� साबिवत्री की रू्पजा है. साबिवत्री रू्पजा �हुत �हुत गायत्री की सामग्री र्पहलू है. शक्ति! ऊजा� की मदद से बिवकक्तिसत है. 5 तत्वों, 5 ईं.न के रूर्प में औ� इसकी सहायता के साथ हमा�े श�ी� काम के महत्वर्पूण� �लों अत्मिग्न सबिक्रय है. यह आग सबिक्रयण साबिवत्री रू्पजा है. वहाँ साबिवत्री औ� कंुडक्तिलनी (देवी नाग र्पाव�) में एक अंत� होने के �ावजूद रू्पजा वे ��ा�� का कद है.

 

भा�तीय र्पौ�ाशिणक कथाओं के अनुसा� ब्रह्माजी दो र्पत्मित्नयां थीं. 1 गायत्री था औ� दूस�ा साबिवत्री था. प्रतीकात्मक वे ज्ञान चेतना औ� सामग्री .न हैं. एक र्प�ा प्रकृबित है औ� अन्य Apara प्रकृबित है. र्प�ा प्रकृबित मन, �ुशिद्ध, मानस, अहंका�, Ritambhara Prajna आदिद औ� ज्ञान के सभी के्षत्रों शामिमल हैं. दूस�ी र्पत्नी साबिवत्री Apara प्रकृबित, सामग्री चेतना औ� बिनत्मिvक्रय प्रकृबित है. मामले के सभी आंदोलनों र्प� बिनभ�� हैं. अणुओं की क्रांबित, �सायनों के प्रभाव, बि�जली, गम�, प्रकाश, चुं�कत्व, आदिद ईथ� अर्पने के्षत्राक्ति.का� के

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अंतग�त हैं. इन सभी उर्पक�ण का उर्पयोग क�के सामग्री बिवज्ञान अनंत तो आबिवvका� के रूर्प में हमा�े सामग्री आ�ाम देने के क्तिलए के साथ �ाह� आता है. इस Apara प्रकृबित साबिवत्री है. साबिवत्री की Apara प्रकृबित सभी प्राशिणयों के श�ी� के कामकाज के क्तिलए जिजम्मेदा� है औ� इस त�ह दुबिनया बिवकक्तिसत है. यह इस शक्ति! है बिक सत्व, �जस, तमस, 5 तत्वों, Tanmatras आदिद (दिदव्य शक्ति!यों) Sidhis औ� �ून्स बिनद�शन साबिवत्री के इस शक्ति! के माध्यम से प्राप्त क� �हे हैं. स्वास्थ्य, लं�े जीवन, उत्साह, साहस, सौंदय� औ� अन्य अनंत बिवशेष गुणों र्प� बिनभ�� हो सकता है. एक त�U यह व्यार्पक है अभी तक रृ्पथ्वी औ� मानव �ीढ़ की Mooladhar चक्र के खंभे र्प� अर्पने मुख्य केन्द्र बि�न्दु है. ज�बिक सा.ना प्रदश�न यह भी कंुडक्तिलनी शक्ति! (देवी नाग र्पाव�) कहा जाता है. सभी लक्ष्यों को इस शक्ति! को सबिक्रय क�ने के द्वा�ा प्राप्त क� �हे हैं. इस प्रका� हम ऊजा� उत्र्पन्न क� सकते हैं. क्तिलखिखत �ोक का बिवशे्लषण क�ने र्प� हम समझते हैं बिक कुछ स्थानों र्प� साबिवत्री औ� कंुडक्तिलनी के र्पया�य �न गया हो औ� जहाँ भी वे अलग उनके आध्यात्मित्मक अभ्यास औ� लक्ष्य को भी अलग अलग माना जाता है माना जाता है कहा जाता है. अभी तक एक तथ्य शाश्वत है बिक श�ी� औ� जागृबित के मोड के सूक्ष्म बिनमा�ण हमेशा स्थायी �हेगा. अंत� यह ensues ज� सत्ता के उर्पयोग के बिवशिभन्न का�णों से क� �हे हैं.

 

असल में कंुडक्तिलनी योग के भीत�, बिक्रया योग �ेहत� है. Naadi Shodhan (तंबित्रका शो.न), Trinaadi र्परि�माज�न (3 नसों के .ोने), सत्कम� Chakravedhan (6 चक्रों या plexuses यात्रा), जैसे सभी सा.ना इस त�ह के बिक ध्यान / एकाग्रता शा�ीरि�क अभ्यास के साथ भी महत्व दिदया जाता हैं. प्राणायाम में महत्वर्पूण� �ल अभ्यास के अजी� चक्र को आत्मसात क�ने के क्तिलए है. कंुडक्तिलनी शक्ति! �ं.ा, मुद्रा, सबिक्रय Aasan (मुद्रा) के का�ण महत्व दिदया जाता है. लेबिकन शुद्ध साबिवत्री रू्पजा में एक क्तिस� के्षत्र की र्परि�क्ति. तक ही सीमिमत है. सहस्रा� कमल (1000-petalled कमल), Brahmarandhra (भीत�ी खोर्पड़ी के्षत्र र्प� केन्द्र), मश्किस्तvक में सामग्री को सबिक्रय क� �हे हैं. Brahmarandhra भीत�ी मश्किस्तvक के्षत्र के �ाद लग �हा है औ� �ाह�ी के्षत्र के �ाद 3 Ajna चक्र कहा जाता है आंखों से देखा है. लेबिकन ज� दोनों साबिवत्री औ� कंुडक्तिलनी के सा.ना संयु! क� �हे हैं तो दोनों के बिवक्ति. एक मिमश्रण हो जाता है औ� र्परि�णाम भी तदनुसा� �दल. आध्यात्मित्मक अभ्यास जो हम यहाँ मौजूद हैं इस बिकस्म की है. इसक्तिलए हम stepwise गायत्री, साबिवत्री औ� कंुडक्तिलनी (देवी नाग र्पाव�) के क्तिसद्धांतों औ� उर्पयोग र्प� चचा� की है.

 

शास्त्रों ब्रह्मा की र्पत्नी में ज� भी इन सा.ना के रूर्प में वर्शिणंत है, तो यकीन है बिक यह क�ने के क्तिलए प्रतीकात्मक रूर्प से क्तिलया जा सकता है के क्तिलए र्पता है. एक सचेत शक्ति! के र्परि�वा� की त�ह है बिक मनुvय के कैसे हो सकता है? अग� बिकसी को इतना चाहती है वह तत्व आग अथा�त 2 बिवशेष बिवशेषताओं दे सकते हैं. गम� औ� इन र्पत्मित्नयों के नाम के रूर्प में प्रकाश. यदिद यह कड़ा है तो वे �ेदिटयों को कहा जा सकता है. यह क्या शास्त्रों में देखा जाता है. कुछ स्थानों र्प� स�स्वती ब्रह्मा सहच�ी कहा जाता है औ� अन्य स्थानों र्प� उसकी �ेटी. इसक्तिलए �जाय एक सांसारि�क तथ्य के रूर्प में इसे देखने का यह एक प्रतीकात्मक त�ीके से स्वीका� बिकया जाना चाबिहए. आत्मा शक्ति! गायत्री है, सामग्री की शक्ति! साबिवत्री है. गायत्री की रू्पजा का Uल आत्मा की चेतना, हमा�े चरि�त्र के बिवकास की प्रगबित शामिमल है, महान काय�, उच्च सोच औ� ज�बिक अभी तक �ह (Jeevanmukti) मुक्ति! प्राप्त क�ने के क्तिलए प्रयास के क्तिलए काम क� �हे हैं. ज�बिक साबिवत्री रू्पजा कंुडक्तिलनी की जागृबित (देवी नाग र्पाव�) शामिमल है के रूर्प में अर्पने सबिक्रयण के माध्यम से अव्य!, श�ी� में जीवन शक्ति! का बिवकृत स्थिस्थबित र्प� का�ू र्पाने के क्तिलए. वहाँ बि�जली की दो .ा�ाओं यानी सका�ात्मक औ� नका�ात्मक हैं. केवल ज� दोनों एकजुट ऊजा� का प्रवाह है. केवल ज� गायत्री औ� साबिवत्री एकबित्रत होना सा.ना की सभी आवAयकताओं को महसूस बिकया जा सकता है. साथ साबिवत्री एक लाभ न केवल लेबिकन हक़ीक़त है बिक गायत्री रू्पजा एक आत्मा की शक्ति! के साथ अर्पने बिवलय के साथ बिवकक्तिसत की रू्पजा क�ते हैं. यह कंुडक्तिलनी रू्पजा की प्राथमिमक रूर्प है. यदिद यह हमा�े मानस में .ंु.ला है तो इस दिदशा में सभी प्रयास व्यथ� हैं.

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अध्यात्म के के्षत्र में ज्ञान के र्पथ दशिक्षण माग� कहा जाता है. यह भी कहा जाता है बिनगम �ाजयोग, वेद माग� आदिद कम� के र्पथ Vaam माग�, Agam, तंत्र, हठ योग आदिद अर्पने �ास्ते में सभी �ा.ाओं बिवनाशका�ी होते हैं कहा जाता है. एक र्परि�णाम के रूर्प में वहाँ अ�ाजकता औ� बिवध्वंस है. कोई नहीं सुनने के क्तिलए या डेमी - देवताओं औ� �ाक्षसों के �ीच झगडे़ के �ा�े में र्पढ़ने के क्तिलए खुश हैं. वास्तव में र्पढ़ने के क्तिलए यह वास्तव में हमा�े बिव�ो.. लेबिकन ज� दोनों र्पक्षों के साथ साग� मंथन, समुद्र की सभी अव्य! .न उनके द्वा�ा प्राप्त बिकया गया था. ह� कोई जानता है बिक साग� के मंथन वे 14 गहने का एक र्परि�णाम के रूर्प में. उसी त�ह ज� गायत्री औ� साबिवत्री रू्पजा के �ाह� बिकया जाता है एक साथ में यह डेमी - देवताओं औ� �ाक्षसों के �ीच सहयोग के स्त� का होना कहा जाता है.

 

ज� शिशव र्पाव�ती से शादी की, उनके अकेलेर्पन �ंद warded था. अर्पने संघ के माध्यम से 2 �ेटे रै्पदा हुए थे. एक Sidhivinayak गणेश औ� कार्तितंकेय, �ाक्षसों का नाश. एक .म� औ� अन्य को नष्ट क� अ.म� स्थाबिर्पत क�ता है. गणेश हमें एक दिदव्य औ� शक्ति! के साथ �ुशिद्ध औ� कार्तितंकेय के साथ आशीवा�द देता है. कार्तितंकेय 6 चेह�े है. ये भी 6 चक्र (plexuses) कहा जाता है. इस स्कंद अशिभव्यक्ति! 6 कंुडक्तिलनी शक्ति! (देवी नाग र्पाव�) से सं�ंक्ति.त चक्र के प्रभाव के रूर्प में हेय दृबिष्ट से देखा जाना चाबिहए.

 

कंुडक्तिलनी कुछ भी नहीं है, लेबिकन हमा�े जननांगों में आग शक्ति! बिनवास है. सहस्रा� चक्र के रूर्प में शिशव (1000 - petalled कमल हमा�े क्तिस� के शीष� र्प�) ज� र्प�ाग म.ु के दिदल से �ोझ उठाना है जो शिशव "Retas" (वीय�) में सबिक्रय र्परि�णाम. कंुडक्तिलनी की आग शक्ति! आत्मसात. छह Kritikas (Pleiades क्तिसता�ों) यह ripened. इन 6 Kritikas 6 चक्र �हे हैं. 6 6 Kritikas द्वा�ा मनुvय के चेह�े के साथ कार्तितंकेय प्रतीकात्मक र्प� 6 चक्र के प्रभावशाली र्परि�णाम के रूर्प में देखा जाना चाबिहए.

 

क्या वास्तव में इन 6 चक्र �हे हैं? कहाँ औ� क्यों वे मौजूद नहीं है? वे बिकस �ाज्य में मौजूद है? इसकी उर्पयोबिगता क्या है? हम इन स� सवालों के महान बिवस्ता� में नहीं जाना होगा. इसकी उर्पयोबिगता की प्रकृबित औ� वैज्ञाबिनक बिवशे्लषण के �ाद बिवस्तृत बिकया जाएगा. यहाँ हम जो उन लोगों को जो सामग्री के माध्यम से प्रयास क�ने के क्तिलए आत्मा की चेतना के उच्च �ाज्यों को प्राप्त क�ना चाहते हैं के क्तिलए है बिक कंुडक्तिलनी में delving हैं. ऐसे लोगों को दिदव्य शक्ति! के उर्पासक हैं औ� लगता है बिक ऊजा� के क्तिलए अक्ति.क महत्वर्पूण� है. डेमी - देवताओं औ� �ाक्षसों है बिक �ाक्षसों द्वा�ा उर्पलब्ध ऊजा� नीच गबितबिवक्ति.यों में उनके द्वा�ा ��ा�द बिकया गया था औ� बिU� भगवान बिवvणु या बिकसी अन्य उच्च आत्मा की शक्ति! यह वशीभूत था र्प� प्रयोग के �ीच लड़ाई में. ज� शक्ति! रू्पजा (ऊजा�) देवत्व के साथ जोड़ता है तो केवल यह सUल नहीं. ऐसे क्तिसशिद्धयों अनन्त हैं औ� देखने के लं�ी अवक्ति. के पि�ंदु से यह सभी जीबिवत प्राशिणयों के क्तिलए Uायदेमंद साबि�त होता है. �ाक्षसों की प्रा�ंशिभक सUलता के सभी लौबिकक हथेली र्प� भ्रामक स�सों के �ीज की त�ह था देखा था. शुक्राचाय� कंुडक्तिलनी बिवज्ञान के एक बिवशेषज्ञ था. यह वह था जो उसके दानव चेलों को इस बिवज्ञान क्तिसखाया. �ृहस्पबित डेमी - देवताओं के गुरू बिकया गया है. योबिगयों, तर्पस्या के रु्परुषों औ� ब्रह्म की knowers रू्पछ गायत्री की रू्पजा क�के वह उन्हें र्पबिवत्र चरि�त्र है जो बिक डेमी - देवताओं के जैसा था में �नाया है. वह भी उन्हें क्तिसखाया कंुडक्तिलनी बिवज्ञान अभी तक अर्पने ही इ�ादा था piousness �ढ़ाने के. आत्मा जो भौबितकवादी समस्याओं को दू� क�ने के क्तिलए था जो knowers र्प� औ� प्राथमिमक शिशक्षा के ऊर्प� साबिवत्री रू्पजा का र्पालन क�ने के क्तिलए कहा गया था. यह साबिवत्री रू्पजा का सहा�ा ले �ही है बिक Dadhichi, भगी�थ, Lomharsh, Shringi, बिवश्वामिमत्र आदिद सामग्री समस्याओं को हल क� सकता है के द्वा�ा बिकया गया था.

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इसमें कोई शक नहीं बिक अंबितम लक्ष्य आध्यात्मित्मकता था अभी तक र्पथ, आध्यात्मित्मक अभ्यास का संस्का� आदिद के प्रबित की जरू�त के रूर्प में �दल गया था. यहां तक बिक अजु�न की र्पसंद, हनुमान आदिद wordly strifes शांत था. यहां तक बिक वे साबिवत्री - कंुडक्तिलनी रू्पजा है जो आध्यात्मित्मक बिवज्ञान के तत्वाव.ान में एक भौबितकवादी प्रयास था का र्पालन क�ने के क्तिलए बिकया था. यहां तक बिक मे�े अर्पने आध्यात्मित्मक तर्पस्या यह �हुत ही का�ण के क्तिलए औ� क्योंबिक मैं सही �ास्ते र्प� चला गया था मैं सUलता का स्वाद चखा.

 

ज� साबिवत्री औ� कंुडक्तिलनी रू्पजा सामंजस्य में र्पीछा क� �हे हैं, तो र्परि�णाम चमत्का�ी हैं. बि�जली एक दूस�े के एक फ्लैश में अद्भतु काम क�ता है. यहां तक बिक एक मृत श�ी� जल्दी इलेक्ट्रॉबिनक pyres र्प� जला दिदया जाता है, चावल, ज�बिक दाल आदिद लकड़ी आग र्प� र्पकाने के क्तिलए एक लं�ा समय ले. इस र्पथ का स�से अच्छा एक जो एक आध्यात्मित्मक र्पतन नहीं चाहता है के क्तिलए अनुकूल है औ� अभी तक जल्दी से अर्पने एक र्पबिवत्र चरि�त्र के का�ण लक्ष्य को र्पा लेता है. शुद्ध कंुडक्तिलनी रू्पजा तंत्र औ� Vaam माग� के प्रमुख के अंतग�त आता है. ज� गायत्री साबिवत्री औ� कंुडक्तिलनी संयु! क� �हे हैं तो यह योग माग� मुख्य रूर्प से दशिक्षण माग� है.

 

Varah, Nrisinh, र्प�शु�ाम आदिद के रूर्प में मुख्य रूर्प से भगवान को र्प�ेशान र्परि�स्थिस्थबितयों का सामना क�ना र्पड़ा है. शिशव शिशव Bholey (मासूम भगवान) �ा�ा या Aughaddani (कृर्पया आसान) कहा जाता है, लेबिकन वह भी �नाया Veerbhadra �ाह� दक्ष प्रजार्पबित के खिखलाU ना�ाजगी का है औ� इस त�ह दक्ष अहंका� को नष्ट क� दिदया. यह एक �हुत ही भयानक घटना है औ� इसक्तिलए तसल्ली की गबितबिवक्ति.यों की हत्या �ाह� बिकया जाता है.

 

बिवशिशष्ट र्परि�स्थिस्थबितयों में अंकुश औ� अन्य अबित उन्नत आत्मा के अवता� दूस�ों को पे्ररि�त क�ने के इस काय� को क�ने के क्तिलए इतना है बिक अर्पनी खुद की सत्ता नहीं समाप्त हो गया है. बिवश्वामिमत्र अर्पने खुद के यज्ञ की �क्षा क�ने में सक्षम था, लेबिकन आदेश में कहा बिक अर्पनी आत्मा को �ल ज�बिक क्रो. प्रकट वह क्षबित्रय लड़कों �ाम औ� लक्ष्मण को रू्पछने के क्तिलए तड़का, Subahu, जैसे �ाक्षसों Mareech आदिद बिवश्वामिमत्र �ाम औ� लक्ष्मण क्तिसखाया स� का मुका�ला क�ने के क्तिलए चुना नष्ट नहीं क�ता है एक सचे्च सैबिनक के कौशल औ� इस प्रका� उनकी मदद के साथ अर्पने यज्ञ की �क्षा की. समथ� �ामदास औ� चाणक्य शिशवाजी रू्पछा औ� चन्द्रगुप्त क्रमशः है जो स्वयं द्वा�ा बिनvर्पादिदत बिकया जा सकता है उन काय� का प्रदश�न. यहाँ सवाल यह है बिक ब्रह्म चमक अक्ति.क मूल्यवान है. इस दिदव्य शक्ति! उच्च प्रयासों औ� �ंद strifes warding में ��ा�द नहीं के क्तिलए सं�शिक्षत बिकया जाना चाबिहए. इस प्रका� औ� एक संयु! साबिवत्री औ� कंुडक्तिलनी रू्पजा एक ही है औ� बिवदेशी strifes की सहायता से दू� बिकया जा सकता है औ� उर्पयु!ता एक .न शक्ति! की सीमा के भीत� भी संवर्धि.ंत बिकया जा सकता है.

 

तर्पस्या के �ास्ते में न केवल दूस�ों को �दल सकते हैं, लेबिकन यह भी वाताव�ण इतना मंथन क� सकते हैं के रूर्प में यह �ेहत� क�ने के क्तिलए �दलने के क्तिलए के �ाद एक आदमी द्वा�ा उत्र्पन्न बि�जली की सहायता के साथ. यह एक तथ्य है. अन्य 2 दिदव्य शक्ति!यों की त�ह दूस�ों को भी पे्रबिषत बिकया जा सकता है. एक दिदव्य शक्ति! के क्तिलए एक है जो यह तर्पस्या से प्राप्त क� ली है से रू्पछने के क्तिलए औ� इस प्रका� यह एक उच्च प्रयोजन के क्तिलए उर्पयोग क� सकते हैं. यह �ैंकों से ब्याज लेने की त�ह है. �स एक अमी� आदमी के जरू�तमंद लोगों को दान के रूर्प में हमेशा अर्पने .न का एक बिहस्सा ऐसा भी एक योगी अर्पने दिदव्य शक्ति!

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के अलावा उर्पयु! लोग हैं, जो �ा�ी में सांसारि�क र्परि�स्थिस्थबितयों र्प� का�ू र्पाने की कोशिशश क� �हा है औ� इस त�ह बिवश्व शांबित स्थाबिर्पत क�ने के क्तिलए देता है. एक र्परि�वा� में कमानेवाला एक है. अन्य सदस्यों को घ� में छोटे काय� प्रदश�न �हते हैं, लेबिकन यह आवAयक है बिक वे अर्पने स्वयं के .न कमाने के क्तिलए उनकी जरू�तों का ख्याल �खना होगा नहीं है.

 

कंुडक्तिलनी शक्ति! की जागृबित (देवी नाग र्पाव�) �हुत जदिटल है. यह प्रकाश व्यवस्था के साथ खेल की त�ह है. एक र्परि�णाम के रूर्प में वहाँ भी एक जीवन खोने की संभावना है. ज�बिक कंुडक्तिलनी को सबिक्रय अग� वहाँ उक्तिचत माग�दश�न या क्षमता की कमी है तो हम र्पागल भी मोड़ लोगों को देखा है. र्पक्षाघात के साथ कई र्पीबिड़त थे औ� कई भी म� गई. यदिद एक व्यक्ति! को का� में बिकता�ें र्पढ़ने के द्वा�ा केवल ड्राइपिवंग सीखने की कोशिशश क�ता है तो बिनशिmत रूर्प से वह गह�ी मुसी�त में भूमिम जाएगा. यहां तक बिक एक व्यक्ति! जो सीखा का� ड्राइपिवंग है �हुत साव.ान क�ते हुए एक का� ड्राइपिवंग औ� इस त�ह मदद सह याबित्रयों को उनके उक्तिचत गंतव्य तक र्पहुंच जाएगा. औ� कंुडक्तिलनी जाग�ण का ज्ञान, Ridhi - सी.ी आदिद एक जल्द�ाजी में नहीं �न गया है औ� लगता है बिक इस का र्पालन क�ने के क्तिलए �हुत ही आसान हो सकता है प्रयास क�ना चाबिहए की प्रात्मिप्त र्पाने के ऊर्प�. एक कंुडक्तिलनी एक सचे्च आध्यात्मित्मक माग�दश�क के रूर्प में, गुरू या गुरू की मदद के बि�ना कभी नहीं जगाने चाबिहए. एक खुद कता� कूद औ� आगे अग्रस� में �हुत मेहनती हो, लेबिकन यह सुबिनशिmत क�ें बिक इस त�ह के एक अक्ति.बिनयम के खत�े से भ�ा है के क्तिलए र्पता लगता है बिक हो सकता है.

 

का�ण है बिक एक �हुत ही सतक� चचा� गायत्री, साबिवत्री औ� कंुडक्तिलनी के संयु! आध्यात्मित्मक रू्पजा र्प� बिकया जाता है, यह है बिक आज लोगों को �हुत आकर्तिषंत क� �हे हैं. क्योंबिक यह एक �हस्य बिवज्ञान है एक घंूघट इसे कव� है. यह उर्पयु! औ� कंुडक्तिलनी बिवज्ञान के क्तिसद्धांत, प्रकृबित औ� सामाजिजक र्पहलू को समझने के क्तिलए �हुत आवAयक है. क्योंबिक ज� ऐसे बिवज्ञान गाय� हो जाते हैं एक �ुशिद्धमान सूत्र बिनद�श के छल्ले प्राप्त व्यक्ति! अर्पने सीमिमत समझ के अनुसा� एक श्रृंखला का बिनमा�ण बिकया जाएगा. लेबिकन अग� वहाँ स� तो इस त�ह के एक बिवज्ञान त�ोताजा क� देने वाला कोई सु�ाग नहीं है �हुत जदिटल है. इसक्तिलए इस बिवज्ञान की महत्वर्पूण� र्पहलुओं imbibing में कोई समस्या नहीं है. समस्या प्रयोग में बिनबिहत है. यदिद शब्दों की एक ती� र्प�ाजयों औ� अर्पनी आवाज में अर्पने लक्ष्य �नाता है तो र्परि�णाम मौत ही हो �हा है.

 

एक मात्र सतही संस्का� के रूर्प में कंुडक्तिलनी रू्पजा स्वीका� नहीं समझना चाबिहए बिक एक उक्तिचत र्पहचान होनी चाबिहए. वहाँ के क्तिलए एक �ुबिनयादी आध्यात्मित्मक तर्पस्या है जो क�ने के क्तिलए आया है औ� के रूर्प में दू� के रूर्प में अर्पने आवेदन का सं�ं. है, यह सक्षम बिवशेषज्ञों के हाथों में छोड़ दिदया है.

 

  

तीन अध्याय

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कंुडक्तिलनी र्पूजा के माध्यम से जीवन शक्ति! का आग जलाने 

औ� कंुडक्तिलनी शक्ति! (देवी नाग र्पाव�) सबिक्रयण आंदोलन �ेहद मुश्किAकल है. क्योंबिक प्रवाह के क्तिलए �ाक्ति.त हो गया है. एक लार्प�वाह औ� खुशी का मानना है बिक ज� वहाँ कोई अनुशासन नहीं है. tastebuds र्प�मानंद में ज� कुछ भी औ� स� कुछ खाने के क्तिलए अनुमबित दी. आदत का एक र्परि�णाम के रूर्प में हमा�ी जीभ दोनों स्वादिदष्ट औ� भोजन अक्ति.क मात्रा में क�ना चाहता है. वही हमा�े जननांगों के क्तिलए सच है. Lusty लोगों को मानक्तिसक highs औ� चढ़ाव छू �खने औ� वे अर्पने सभी गबितबिवक्ति.यों में च�म के क्तिलए जाना है. वासना का एक आदमी मानक्तिसक तुबिष्ट हो जाता है कभी नहीं, उसके श�ी� तेजी से टाय�, अभी तक मन अक्ति.क से अक्ति.क इच्छा �खता है. सभी इंदिद्रयों के क्तिलए एक ही सच है. मन 11 ज्ञानेंद्री है. यह 3 यानी लालच, लगाव औ� अहंका� tastebuds है. रू्प�े श�ी� सुस्ती से भ�ा है. इस दिदशा में सा.ा�ण जीवन प्रवाह. बिवले गबितबिवक्ति.यों बिक कू्र�तार्पूण� औ� प्रकृबित ड्रॉर्प नीचे की ओ� में भूबितया हैं. इसक्तिलए इस बिग�ावट बिन�ो.क के रूर्प में एक मज�ूत �ां. के बिनमा�ण के रूर्प में मुश्किAकल है. औ� अक्ति.क मुश्किAकल समुद्र के नमकीन र्पानी vaporizing है तो के रूर्प में यह र्पीने योग्य �नाने के क्तिलए. �हुत शक्ति!शाली प्रौद्योबिगकी कुओं या तेल कुओं की खुदाई क�ने के क्तिलए इतनी के रूर्प में क्रमश: र्पानी औ� तेल मिमल के क्तिलए आवAयक है. के्रनों की जरू�त खींचने औ� उन्हें �ढ़ाने के क्तिलए क� �हे हैं. इसके अलावा, यह एक बिवशाल को �नाए �खने के क्तिलए औ� इन मशीनों की म�म्मत का काय� है. एक �हुत ही योग्य इंजीबिनय� मशीनों के उक्तिचत �ख�खाव के क्तिलए आवAयक है. न केवल शिशक्षा र्प� भी अर्पनी सतक� ता औ� समर्प�ण के स�से आवAयक हैं.

 

बिनयंत्रण सबिक्रयण, औ� कंुडक्तिलनी शक्ति! की स्थार्पना उस क्रम में तेजी से मुश्किAकल है. न केवल एक इजिन्द्रयों, मन, बिवचा�, .न, समय, आदिद के बिनयंत्रण आत्मसात क�ता है, लेबिकन एक के क्तिलए घोड़ों को एक जंगली हाथी औ� एक ऊंट का Uंदा, चेन की �ागडो� की त�ह यह दृढ़ हो गया है. यह स� क�ने के क्तिलए अर्पने स्वयं के सनक के अनुसा� अशिभनय औ� fancies औ� ज��दस्ती यह वांक्तिछत लक्ष्यों को प्राप्त क�ने के क्तिलए प्रयोग बिकया जाता है बिक �ोकने के क्तिलए बिकया जाता है. एक नीचे की ओ� तै�ल र्पदाथ� की त�ह �हता हुआ झ�ना यदिद एक इच्छाओं को �ोकने के क्तिलए औ� के �जाय ऊर्प� की दिदशा में अर्पने प्रवाह को �दलने के क्तिलए एक शक्ति!शाली रं्पर्प की जरू�त है. एक सा.ा�ण क्षमता के साथ इस काय� को रू्प�ा नहीं बिकया जा सकता है. यह असा.ा�ण शक्ति! की जरू�त है.

 

बिवकक्तिसत एक आध्यात्मित्मक आकांक्षी की आत्मा �ल है जो आत्म बिनयंत्रण के साथ अर्पने महत्वर्पूण� �ल आग सबिक्रय प्रकट दिदव्य शक्ति!यों (Sidhis) औ� आवAयक काय� के क्तिलए ही उर्पयोग क� सकते हैं. इस के संदभ� के साथ कुछ उदाह�ण उल्लेखनीय हैं. महात्मा Jadbharat �ाजा भा�त के एक अवता� था. वह चिसं.ु �ाजा Rahugan दिदव्य ज्ञान दिदया ज�बिक Rahugan र्पालकी चलाना. एक �ा� एक Dasyu सैबिनक उसे एक �क्तिल भेंट के रूर्प में र्पकड़ा. Jadbharat महाकाली छबिव के सामने खडे़ �हने के रूर्प में इतना र्पाने के क्तिलए उसके क्तिस� काट क�ने के क्तिलए �नाया गया था. रु्पजा�ी जो क्तिस� काटना था Jadbharat संर्पक� बिकया. लेबिकन Jadbharat शांबित से खड़ा था. Bhadrakali के का�ण उसकी आत्मा चमक छबिव सबिक्रय था. वह रु्पजा�ी के हाथ से चाकू छीन क्तिलया औ� सभी दुष्ट रु्परुषों को मा� डाला. एक आत्मा �ल तीव्र, असीमिमत शक्ति! है. ज� शा�ीरि�क बि�जली जागा है यह एक आग हक्तिथया� की त�ह काम क�ता है औ� क�ने के क्तिलए सभी �ा.ाओं को दू� क�ने की क्षमता है.

 

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ज� शिशव की र्पत्नी सती उसके बिर्पता दक्ष के यज्ञ में अर्पमाबिनत बिकया गया था वह उसे योग आग औ� सबिक्रय �ाख क�ने के क्तिलए अर्पने श�ी� को जला. Sutikshnaji जो भी भगवान �ाम के दश�न होने से तृप्त बिकया गया था योग की आग में अर्पने श�ी� को दे दी है. ज� दमयंती �ाजा नाला की र्पत्नी उसके आत्म सम्मान को �चाने के क्तिलए बिकया था, वह उसकी आँखों की आग के साथ लंर्पट शिशका�ी को मा� डाला. इन सभी अव्य! आत्मा की शक्ति! के सबिक्रयण के उदाह�ण हैं.

 

आमतौ� र्प� यह भी मुश्किAकल है जो लोग गह�ी नींद में हैं जगा. ज� �च्चों, वयस्क आदिद वयस्कों के ऊर्प� ज��दस्ती वे गुस्सा हो जाग �हे हैं क्योंबिक उन्हें लगता है बिक वे सोने की खुशी देने के क्तिलए मज�ू� क� �हे हैं. यह एक नींद साँर्प जगा औ� भी अक्ति.क खत�नाक है. एक र्प�माणु में र्प�माणु ऊजा� अव्य! है. यदिद यह हमला बिकया औ� टूटी हुई है, इस त�ह के एक भयानक बिवस्फोट जगह है बिक एक गवाहों बिवनाश मील की दू�ी र्प� चा�ों ओ� से लेता है. जो र्प�माणु बिवस्फोट से अनजान हैं बिह�ोशिशमा नागासाकी लोगों की �म बिवस्फोट जिजसमें लाख की याद दिदला �हे हैं की मृत्यु हो गई औ� बिवशाल र्पहाड़ों तीव्र गम� की वजह से बिर्पघल था. कैसे भयानक volcanos बिक Uूटना क� �हे हैं. केवल कुछ साल र्पहले मेस्थिक्सको औ� कोलंबि�या के बिवस्फोट देखा गया था. हेलेना के ज्वालामुखी बिवस्फोट में एक सप्ताह से अक्ति.क समय के क्तिलए �ात दिदन र्परि�वर्तितंत. इसकी काली .ूल एक लं�े समय के क्तिलए आसमान को कव� बिकया था. यह वास्तव में अव्य! कंुडक्तिलनी जाग�ण के साथ मामला है. कई हाथी सो �ही है कंुभकण� छाती र्प� चला गया के रूर्प में उसे जगाने के क्तिलए. कंुडक्तिलनी जाग�ण के क्तिलए एक ही सच है. ज� यह अव्य! है (सो) दैबिनक दिदनचया� र्प� काम क�ता है औ� क्षबितग्रस्त र्पबिहयों के साथ एक गाड़ी की त�ह चलता है. लेबिकन ज� एक इंजन एक �ेलवे टे्रन औ� एक त्व�क पे्रस में �खा जाता है, यह अन्य सभी carriages में मदद क�ता है इसे क�ने के क्तिलए शामिमल क�ने के क्तिलए तेजी से आगे माच�. इस प्रका� कंुडक्तिलनी रू्पजा की एक आकांक्षी भी गंभी� स्थिस्थबितयों का सामना क�ने के क्तिलए ज� सा.ना शुरू है. लेबिकन �हुत �ाद में चमत्कारि�क ढंग से आंदोलन सामान्य हवा की त�ह है, लेबिकन नहीं है एक चक्रवाती हवा की त�ह है. Typhoons औ� चक्रवात की है बिक इसकी गबित है.

 

Rishis में "Mahayoga Vijnana" का कहना है बिक ----

 

"एक मबिहला सांर्प की त�ह आत्मा �ल कंुडक्तिलनी (देवी नाग र्पाव�) Mooladhar चक्र (जाल) र्प� 3 की twining औ� एक साढे़ दौ� के साथ सो �ही है. के रूर्प में लं�े समय के रूर्प के रूर्प में कंुडक्तिलनी शक्ति! सो �हा है एक प्राणी के प्रकृबित में र्पाशबिवक �हता. यहां तक बिक प्रयास के एक �हुत कुछ के साथ एक प्राणी दिदव्य ज्ञान प्राप्त नहीं क�ता है. यदिद एक �ुबिनयाद �ल सो �हा है तो �ाह�ी दुबिनया भी सो �ही है. लेबिकन ज� यह जागता अर्पने भाग्य औ� रू्प�ी दुबिनया के क्तिलए खुला है. "

 

वृशिद्ध का एक �हुत है औ� आते हैं ज� हमा�े भीत� महत्वर्पूण� �ल आग को जलाया जाता है. ज� वहाँ चक्रवाती आकाश में वे उखाड़, रे्पड़, घ�ों आदिद सूखे र्पत्ते औ� .ूल वृशिद्ध मील की टीले संचालन हवाओं हैं. नदिदयों में एड़ी .ा�ाओं नौकाओं औ� समुद्र में इस त�ह के eddies बिवशाल जहाजों को भी उथल - रु्पथल होना जाना नाव को उलटना. बिवशेष आंदोलनों अदृAय दृAयमान �नाने के क्तिलए. ज� एक बिवदु्यत जन�ेट� तो Uटने आसर्पास के के्षत्रों में बि�ख� �हे हैं. ज� प्रकाश रृ्पथ्वी के बिकसी भी बिहस्से को छू यह �ाख क�ने के क्तिलए उस के्षत्र जलता है.

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ज�बिक जाग�ण कंुडक्तिलनी एक ऐसी गंभी� स्थिस्थबित का सामना क�ना र्पड़ता है. इसक्तिलए एक न केवल साहस की जरू�त है, लेबिकन सतक� ता की एक �हुत कुछ है. सुस्ती यहाँ र्प� कोई जगह नहीं है. �स के रूर्प में एक सक� स में �स्सी वॉक� �नाए �खने के उनके संतुलन है, तो भी एक व्यक्ति! को उसकी कंुडक्तिलनी शक्ति! को सबिक्रय क�ने के क्तिलए �हुत सतक� हो गया है औ� उच्च आध्यात्मित्मक क्षमता होनी चाबिहए. अग� वहाँ भी आलस का ज�ा भी सामना बिकया खत�ों सख्त औ� कई हैं. मस्थिक्खयों औ� mosquitos अनबिगनत दिदन भ� अंडे देना. यहां तक बिक मछली एक ही शॉट में �ड़ी संख्या में अंडे देते हैं, लेबिकन उन सभी को अर्पने अंडे की देखभाल के �ा�े में चिचंबितत नहीं हैं. लेबिकन जहाँ तक माँ के रूर्प में मानव भ्रूण में चिचंबितत हैं न केवल गभा�वस्था के दौ�ान भी �च्चे के जन्म के समय में �हुत साव.ान �हना है. औ� �ाद में माँ �च्चे को भोजन, सUाई के क्तिलए व्यवस्था क� देता है औ� यह मौसम र्परि�वत�न से �चाता है. सांसारि�क गबितबिवक्ति.यों mosquitos द्वा�ा �खी अंडे की तुलना में बिकया जा सकता है, आदिद मस्थिक्खयों लेबिकन जहाँ तक कंुडक्तिलनी जाग�ण का सं�ं. है यह केवल एक मानव मां गभा�वस्था, उसके �च्चे के जन्म औ� �ाद में उसके �च्चे की र्प�वरि�श के क्तिलए तुलना की जा सकती है. यह बि�ल्कुल आसान नहीं है क्योंबिक वहाँ समस्याओं का एक �हुत है वह चेह�े हैं औ� इस त�ह वह �हुत जिजम्मेदा� हो गया है. यह स� मानक्तिसक सतक� ता का एक �हुत आवAयकता है. ज� वहाँ एक गलती है वहाँ एक र्पतन का ड� है.

 

एक मबिहला scorpio प्रसव की बिवक्ति. �हुत अजी� है. उसके गभ� में कई अंडे में मनुvय औ� एक औ� एक ही समय में उठाया है. मुग� अंडे एक बि�ट वे गभ� से �ाह� आने की इच्छा �ढ़ने. जननांग अंग के उद्घाटन इतनी छोटी है बिक यह लगभग असंभव है के क्तिलए छोटे अंडे से �ाह� आने के क्तिलए है. गभ� में अंडे क�ते हुए आगे �ढ़ �ही भूख से रू्प�ा क� �हे हैं. इस प्रका� वे माँ के रे्पट में ही खाना शुरू औ� उसके सा�े श�ी� को लेने के �ाद अंडे से �ाह� आते हैं. इस �ीच में माँ scorpio म� जाता है के �ाद से उसके रे्पट में अंडे के द्वा�ा बिकया गया है खुला Uट.

 

Sidhis (दिदव्य शक्ति!यों) की उत्र्पक्तित्त कंुडक्तिलनी के क्तिलए संयु! यह बि�ल्कुल वैसा ही है. ज� कंुडक्तिलनी जागता क्तिलखिखत बिवद्वानों का कहना है बिक वह आध्यात्मित्मक आकांक्षी के खून र्पीता है औ� उसके मांस खाती. वह एक कंकाल की त�ह हो जाता है. इस काया कल्र्प (शा�ीरि�क र्परि�वत�न) का एक प्रका� है जिजसमें रु्प�ाने गंदगी Uें क दी जाती है औ� नए �ीज आगे Uलने - Uलने का समय है. एक चतु� माली इस तकनीक का अनुस�ण क�ता है. उन्होंने सभी र्पक्षों से Uूल संयंत्र trims. �ाद में नई गोली मा�ता आगे अंकु� औ� Uूलों की �ड़ी संख्या में उस र्प� �ढ़ता है. इस प्रका� औ� संयंत्र augments की गोलाई वैभव. कंुडक्तिलनी जाग�ण में एक आध्यात्मित्मक आकांक्षी खुद क�ने के क्तिलए अर्पने सभी नीच मानक्तिसक imprints, �ु�ी आदतों औ� अन्य मानक्तिसक गंदगी को नष्ट क�ने के क्तिलए है. ज�बिक trimming औ� संयंत्र को काटने में यह लग �हा है के रूर्प में अर्पनी आका� कम हो गई है, हालांबिक औ� है बिक उसके श�ी� में समाप्त हो गया है. लेबिकन इस �ाज्य में लं�े समय के क्तिलए अंबितम नहीं है. क्योंबिक नई गोली मा�ता है औ� Uूलों र्प� अंकु�ण शुरू. श�द ऋतु की उदासी गाय� हो जाता है औ� वसंत के संुद� Uूल एक औ� सभी के द्वा�ा देखा जाता है.

 

कंुडक्तिलनी की जागृबित (देवी नाग र्पाव�) एक ज्वलंत र्प�ीक्षण की त�ह है. ज� सोने के ग�म सभी मंडू� जलक� �ाख हो जाता है. शुद्ध सोने के क्तिलए कुछ भी नहीं होता है औ� यह वास्तव में अक्ति.क ग�म बिकया जाता है औ� इसे शानदा� ढंग से चमकता है. inethics के संदेह गाय� हो जाती है औ� ह� ग्राहक शुद्ध सोने की उक्तिचत मूल्यांकन क�ता है. एक आध्यात्मित्मक आकांक्षी है जो खुद अर्पने कुण्डक्तिलनी शक्ति! जागृत है

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�हुत शक्ति!शाली हो जाता है. इसमें कोई शक नहीं बिक उसके श�ी� के �ाह�ी आका� एक ही �हता है, लेबिकन उसके भीत� एक ऐसी बि�जली जागा है बिक यह मानक्तिसक जागृबित प्राप्त होता है औ� �ाह�ी वाताव�ण में र्परि�वत�न.

 

ज� आग जलाई है कई काय� को बिक्रयात्मिन्वत बिकया जा सकता है. इसके साथ गो�� के क्तिलये, गंदगी, औ� सड़ा हुआ सामान सूख जा सकता है. खाना र्पकाया जा सकता है. Pyres जलाया जा सकता है. मिमट्टी �त�न एक कुम्हा� से गम� बिकया जा सकता है ज�बिक कीचड़ वाबिहकाओं �नाने. अयस्कों smelted जा सकता है. इस प्रका� आग कई के काम र्प� अमल क� सकते हैं. ज� बिकसी के श�ी� के भीत�, कंुडक्तिलनी जागृत है, ठंड लग की समस्या गाय� हो जाती है. आग की मदद से खाना र्पकाया जाता है जो हमा�ी भूख वाड�. गीले औ� �द�ूदा� कर्पडे़ सूख �हे हैं. व्यक्ति!गत लाभ क� �हे हैं. �ाह�ी दुबिनया में भी कई लाभ अर्जिजंत क�ते हैं. एक ironsmith, कुम्हा�, �ेक� आदिद उनकी भदिट्टयां ऊर्प� प्रकाश औ� उर्पयोगी लेख. कंुडक्तिलनी जाग�ण के साथ कई सांसारि�क समस्याओं को हल क� �हे हैं औ� उर्पयोबिगता लेख �ना �हे हैं. आग भगवान की रू्पजा के क्तिलए भी प्रयोग बिकया जाता है. आग .ूर्प, दीर्पक, आदिद यज्ञ में दिदव्य शक्ति!यों के साथ एक �हुत लाभ के जोड़ से उर्पयोग बिकया जाता है. केवल यही नहीं, आग की मदद से आर्प वेल्डिल्डंग क� सकते हैं. ज� भी वेल्डिल्डंग बिकया जाता है �ाह� वहाँ वाबिहकाओं अलग तोड़ने यहां तक बिक अग� यह कहीं टूट जाता है का कोई खत�ा नहीं है. र्प�मात्मा के ध्यान में वहाँ एक औ� भावनात्मक त�ंगों का भाटा प्रवाह है. कभी कभी भक्ति! भावनाओं मानस में �हुत तीव्र गम� की अशिभव्यक्ति! के क्तिलए नेतृत्व.

 

कभी कभी दू. या र्पानी के �ुल�ुले की Uोम के रूर्प में यह आ.ा� र्प� मिमलता है. लेबिकन अग� यह कंुडक्तिलनी शक्ति! के क्तिलए संयु! है तो स्थिस्थ�ता को �नाए �खा है.

 

�ु�ा मानक्तिसक imprints भी अबितप्रवाह संग्रबिहत. गम� गम� में ह�ी घास सूख जाता है औ� ह�ी मानसून में बिU� से �दल जाता है. एक व्यक्ति! जो कुछ बिनशिmत र्परि�स्थिस्थबितयों में सूख गए लगते हैं उसी त�ह ख�ा� मानक्तिसक imprints में आगे �ाद में बिU� से खिखलते हैं. बिवश्वामिमत्र महान तर्पस्या के एक ऋबिष था, अभी तक वह मेनका, स्वग�य युवती के क्तिलए आकर्तिषंत बिकया गया था. वह उसे औ� begetted �च्चों से शादी क� ली. लेबिकन अग� बिकसी मानक्तिसक imprints �हुत ही जड़ों से �ाख को जला �हे हैं वहाँ सामग्री दुबिनया में उलझ होने का कोई सवाल ही नहीं है. र्प� Shukdev र्प�महंस के �ाज्य बिक अर्पने बिर्पता Vedavyas के से रू्प�ी त�ह अलग था. उनके �डे़ भाई की र्पत्मित्नयों के प्रस्ताव के क्तिलए अर्पने �च्चों साह� ज�बिक Shukdevji दू� जंगल में जैसे ही वह रै्पदा हुआ था के रूर्प में ईश्व� र्प� ध्यान क�ने के क्तिलए दौड़ा र्प� सहमत हुए Vedavyas. अर्पने बिर्पता सबिहत ह� कोई उसकी इस त�ह से दू� जा �हा है औ� ह� कोई उसे जंगल में जाने से र्प�हेज क�ने की कोशिशश की के खिखलाU था. लेबिकन Shukdevji Uम� था औ� बिकसी को सुनने से इनका� क� दिदया. क�ने के क्तिलए उसे र्प�ीक्षण इंद्र स्वग�य नत�की �म्भा भेजा है, लेबिकन कुछ ही शब्दों में वह उसे वार्पस भेजा. यह �ु�ा मानक्तिसक imprints के जल का सही अथ� है. यदिद आर्प एक रे्पड़ की शाखाओं में कटौती एक नया रे्पड़ से उभ�ने लेबिकन अग� आर्प रू्प�ी त�ह से जड़ों को हटाने या उन्हें जला एक नया रे्पड़ से यह कभी नहीं उभ� क� सकते हैं क� सकते हैं. कंुडक्तिलनी शक्ति! संक्तिचत ऊर्प� जलता (जमा), (भबिवvय) Kriyamaan, Prarabhdha �ाख (वत�मान) का��वाई. यहाँ एक र्परि�र्पक्व आकांक्षी है जो अच्छी त�ह से तर्पस्या की भट्ठी से गम� एक ईंट के रूर्प में Uम� हो जाता है.

 

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आयुव�द डॉक्ट�ों �स (�स) या bhasma (�ाख) �नाते हैं. वे Shataputi, Sahasraputi, Gajaputi त�ह �क्तिल आग से �ना �हे हैं. यह संजीवनी (दवा है बिक मृत आत्माओं को वार्पस जीवन के क्तिलए लाता है) की तुलना में है. यह एक आग की �स्म है. कंुडक्तिलनी आग के योग कहा जाता है. यह महत्वर्पूण� �ल यज्ञ की आग जलाने की त�ह है. यहाँ एक "�ेक्ड" आकांक्षी �स �ाख, औ� संजीवनी के गुण के समान है. इस प्रका� एक कंुडक्तिलनी की आग में ग�म आकांक्षी असा.ा�ण हो जाता है औ� अर्पनी शक्ति!यों दुल�भ औ� असीम हैं.

 

यदिद भार्प ह� जगह बि�ख�े हुए हो जाता है यह बिकसी काम का नहीं है, लेबिकन अग� यह एक सीमिमत के्षत्र में कें दिद्रत है, तो अर्पनी ऊजा� के साथ टे्रन तेजी मील के क्तिलए एक साथ चला सकते हैं. कुछ ही मिमनटों में आर्प अर्पने भोजन द�ाव �ना सकता है. उसी त�ह ज� अव्य!, आर्पके श�ी� के बि�ख�े हुए ऊजा� कंुडक्तिलनी जाग�ण के माध्यम से ध्यान कें दिद्रत बिकया है हम सामग्री Sidhis औ� आत्मा Ridhis प्राप्त है औ� बिवश्व स्त� र्प� भी इन कई उर्पयोगी काय� बिनvर्पादिदत बिकया जा सकता है.

 

मानव श�ी� में एक बि�जली के शक्ति!शाली गोदाम है, लेबिकन यह बि�ख�े हुए बिनबिहत है. इसक्तिलए एक हो सकता है नहीं देख सकता. लेबिकन कंुडक्तिलनी जाग�ण के माध्यम से ज� यह स� ऊजा� एकत्र हुए औ� Mooladhar चक्र (�ीढ़ के आ.ा�) र्प� ध्यान कें दिद्रत यह एक सीमिमत के्षत्र में सामग्री ऊजा� ध्यान कें दिद्रत क�ने की त�ह है. इस प्रका� इस ऊजा� का उर्पयोग ऐसी है बिक यह केवल एक औ� सभी को है�ान क� सकते हैं.

 

 

एक रु्प�ानी तर्पस्या से भ�ा मबिहला जंगल में �हते थे. शिभकु्षक वहाँ आया था. �ूढ़ी औ�त एक झोर्पड़ी के र्पास �नाया औ� उसे खिखलाने की जिजम्मेदा�ी ली है. एक �ात एक मबिहला होने लकड़हा�ा अर्पने त�ह से खो दिदया शिभकु्षक की झोर्पड़ी र्प� र्पहुंच गया औ� वह दया के क्तिलए भीख माँगी.

 

शिभकु्षक सोचा था बिक वह संभोग के क्तिलए भीख माँग �हा था औ� इसक्तिलए उसे भोजन या आश्रय के बि�ना दू� भेज दिदया. रु्प�ाने एक रे्पड़ के नीचे �ैठा मबिहला आशय से देख �हा था. वह आवाज सुनी. वह उसके साथ मबिहला लकड़हा�ा क्तिलया औ� उसे भोजन औ� आश्रय दिदया. भो� में �ूढ़ी औ�त लकड़हा�ा को सही �ास्ता दिदखाया. �ूढ़ी औ�त शिभकु्षक की कठो� शब्दों को सुना था. वह इसक्तिलए बिक वह उसके क्तिलए �नाया था झोर्पड़ी तोड़ दिदया. वह उसे खाना देने से इनका� क� दिदया औ� कहा: यहाँ आर्प 24 साल के क्तिलए �हते थे औ� केवल अर्पनी इच्छाओं र्प� बिवजय प्राप्त की. ज� से तुम तुम्हा�े दिदल में दया के �ीज नहीं �ोया गया है यह एक शम� की �ात है बिक आर्प अर्पने आर्प को एक शिभकु्षक Uोन है.

 

 

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चा� अध्याय 

आत्मा बिवज्ञान की र्पूजा बिवक्ति. के �हस्य दश�न 

एक प्याज के क्तिछलके के भीत� एक औ� छील है. 2 छील के भीत� एक बितहाई से एक है. उसी त�ह अग� केले के र्पत्तों को हटा �हे हैं औ� वे एक के �ाद एक आते हैं. इस मामले की स�से छोटी इकाई एक र्प�माणु अभी तक है, हालांबिक र्प�माणु एकल प्रकट होता है यह तो वास्तबिवकता में नहीं है. क्योंबिक यह भीत� एक नाशिभक है औ� न्यूट्रॉन, प्रोटॉन औ� र्परि�क्रामी इलेक्ट्रॉनों हैं.

 

सौ� प्रणाली के एक र्परि�क्ति. है, लेबिकन अर्पनी सीमाओं के भीत� अर्पने अक्ष के चा�ों ओ� 9 ग्रहों औ� 43 उर्पग्रहों घूमना. र्प�माणु भी एक सौ� प्रणाली की त�ह है. इसके भीत� गबितबिवक्ति. सौ� प्रणाली के समान है. यदिद मिमट्टी के एक ढे� र्प� हमला बिकया है तो मिमट्टी का एक छोटा सा बि�ख� जाता है, लेबिकन अग� एक र्प�माणु के नाशिभक र्प� हमला बिकया जाता है तो है बिक यह ऊजा� का उत्सज�न क�ता है एक बिवशाल र्पव�त को दUनाने क� सकते हैं.

 

तो यह स्पष्ट है बिक अक्ति.क सकल र्पदाथ� सूक्ष्म �ना �हे हैं, वे औ� अक्ति.क शक्ति!शाली �न जाते हैं. हमा�े श�ी� औ� जीन है बिक ह� कोशिशका में क्तिछर्पा �हे हैं एक ही प्राणी के एक प्रोटोटाइर्प है में जीबिवत कोशिशकाओं की लाखों �हे हैं. एक मानव श�ी� के भीत� इस त�ीके में, लौबिकक दुबिनया की त�ह, प्राशिणयों के लाखों में केजिन्द्रत है. इनमें उनमें से केवल एक संभोग के दौ�ान माँ के गभ� में प्रवेश के क्तिलए एक मौका है. इस प्रका� एक भ्रूण का गठन बिकया है औ� जो अर्पनी अलग श�ी� औ� शा�ीरि�क ऊजा� का बिनमा�ण शुरू होता है. 9 महीनों में भ्रूण र्परि�र्पक्व होती है औ� अर्पनी मां के रे्पट से �ाह� आने के �ाद दुबिनया में घूमता है.

 

भीत� इस नवजात �े� एक अर्पने माता - बिर्पता, दादा - दादी औ� रू्पव�जों के स्को� के शा�ीरि�क औ� मानक्तिसक गुणों र्पाता है. Vibhutis (दिदव्य glories) के रूर्प में इन बिवशेष गुण इतना सूक्ष्म है बिक जीन का बिवघटन सूक्ष्म स�से जीवन औ� जीवन शक्ति! के �ावजूद, एक समकालीन र्परि�स्थिस्थबितयों समझ में नहीं आ सकते हैं क� �हे हैं. ऐसी स्थिस्थबित है ज� �च्चा �ड़ा प्रकट होता है औ� हमें अर्पने बिवशेष गुण के क्तिलए एक स्पष्ट र्परि�चय देता है. इसका मतल� यह है बिक उन बिवशेष जाना जाता है ज� �च्चा �ड़ा गुण अर्पने अर्परि�र्पक्व अवस्था में नहीं जाना जाता है. केवल �च्चे का बिवशे्लषण क�के हम अर्पनी रै्पतृक प्रकृबित नहीं र्पता क� सकते हैं. केवल अर्पने चेह�े औ� त्वचा र्प� कुछ कक्तिथत बिवचा� है. एक लं�े समय के क्तिलए Subtility अर्परि�र्पक्व अवस्था में �नाए �खा है औ� ज� यह र्परि�र्पक्व शुरू यह हमें अर्पने �ाज्य औ� अश्किस्तत्व का एक र्परि�चय देता है.

 

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सूक्ष्म में इस त�ह के एक सूक्ष्म की �ड़ी प्रस्तावना बिक छील एक प्याज छील औ� केले की र्पक्तित्तयों के भीत� प्याज के उदाह�ण �हुत बिवडं�ना होना दिदखाई देते है.

 

यदिद �ीज के एक ढे� तो इकट्ठा क� �हे हैं एक �हुत ही मामूली अंत� के रूर्प में अ� तक माना जाता है क्योंबिक उसका �ंग, वजन, Uाम� आदिद का सं�ं. है, लेबिकन ज� �ीज �ोया जाता है प्रमुख मतभेद सही मा�, र्पक्तित्तयों, शाखाओं, Uूल, Uल आदिद से माना जाता है र्परि�र्पक्व रू्पण� बिवकक्तिसत रे्पड़ों के �ीच एक स्पष्ट अंत� है. Uूल, अर्पनी खुश�ू के आका� के रूर्प में दू� के रूर्प में इतना अंत� है, Uल के स्वाद का सं�ं. है. इसक्तिलए इन स� अलग वग�कृत बिकया जा सकता है. इस अंत� को असा.ा�ण है. अर्पने मतभेदों को �ीज च�ण में क्तिछर्पी हैं औ� इसक्तिलए उस च�ण में नहीं देखा जा सकता.

 

मानव श�ी� के sheaths की सा.ा�ण आका� लगभग समान हैं, लेबिकन भीत� वहाँ कई �हस्यों में से एक है बिक उनके �ा�े में इसी जानका�ी को हो �ही र्प� है�ान है. सामग्री केवल इस बिवशे्लषण के सकल र्पहलू में वैज्ञाबिनक शो. क� �हा है.

 

कुछ हद तक anatomists शा�ीरि�क sheaths के बिवशिभन्न आंदोलनों के युजबिनक्स औ� कैसे वे अर्पने बिवशिभन्न काय� को रू्प�ा अध्ययन बिकया है. इसके आ.ा� र्प� वे क्तिचबिकत्सा जांच औ� सज��ी ले. औ� वे भी औ� एक इंसान के जीवन शक्ति! का संभाबिवत संभावनाओं को मार्पने.

 

लेबिकन एक तथ्य यह है बिक मानव भ्रूण को केवल इस मामले की नहीं बिकया जाता है में गह�ा दिदखना चाबिहए. यह न केवल �सायनों का एक मिमश्रण है. क्योंबिक यह एक महत्वर्पूण� र्पहलू है चेतना मानव बि�जली कहा जाता है. आध्यात्मित्मक भाषा में यह प्राण या महत्वर्पूण� �ल कहा जाता है. ही महत्वर्पूण� �ल अभी तक एक है, क्योंबिक यह बिवशिभन्न अंगों यह variedly का नाम है लक्ष्य. क्तिस� में यह सोचा बिवश्वास, आशा है, आदत के रूर्प में काय� क�ता है, इसका बिवशे्लषण औ� प्र�ं.न आदिद मन, �ुशिद्ध औ� मानस के रूर्प में बिकया जाता है. ज्ञान के अंगों में यह �हुत ही क्तिसद्धांत आका�, स्वाद, गं., स्पश�, औ� ध्वबिन के रूर्प ले. श�ी� के अन्य अंगों में यह र्पाचन काम क�ता है, उत्सज�न, शा�ीरि�क आदिद जननांगों यह यौन जुनून स्वाद के माध्यम से औ� इस प्रका� procreates सकता है. ह� रे्पशी के तंतुओं औ� tendons अर्पनी बिवशिशष्ट समा�ोह औ� प्रकृबित है. दोनों शक्ति! औ� ज्ञान में interwoven हैं.

 

जानने औ� एक श�ी� के बिनत्मिvक्रय औ� होश Uाम� को समझने के �ाद यह बिनvकष� बिनकाला है बिक �स के रूर्प में रू्प�े रे्पड़ संभाबिवत �ीज में र्पाया जाता है तो भी मैक्रो यानी रू्प�े लौबिकक क्तिसद्धांत सूक्ष्म अथा�त् श�ी� में बिनबिहत है. हम केवल ब्रह्मांड के वत�मान स्वरूर्प औ� श�ी� अभी तक अतीत औ� भबिवvय दृढ़ता से यह क�ने के क्तिलए संयु! �हे हैं देखने के क्तिलए सक्षम हो सकता है. श�ी� एक दर्प�ण की त�ह है. अग� हम अर्पने सूक्ष्म �हस्यमय गह�ाई थाह क� सकते हैं बिक हम केवल समझने औ� देख �हा है बिक कहाँ, कैसे औ� बिकस हद तक इस ब्रह्मांडीय व्यार्पक �ात औ� होश में क्तिसद्धांत मानव श�ी� के क्तिलए संयु! है. र्प� चबिकत बिकया जा सकता है

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हकीकत में एक इंसान के छोटे से श�ी� को कई चीजें हैं जो एक ही कहना है बिक सभी दिदव्य शक्ति!यों की तुलना में एक साथ �खा वह अकेले स�से शक्ति!शाली है के साथ भ�ा है. लेबिकन समस्या यह है बिक दिदव्य ऊजा� के इस गोदाम एक अव्य! अवस्था में है. आदेश में इन शक्ति!यों आदमी गहन तर्पस्या से गुज�ना की जरू�त का अनुभव क�ने के क्तिलए. यदिद इन तर्पस्या से �ाह� नहीं बिकया जाता है तो इन शक्ति!यों को हमेशा अव्य! �नी �हती है औ� यह वह जानव�ों द्वा�ा बिकए गए उन से �ाह� बिकसी भी उच्च गबितबिवक्ति. को ले जाने के अलावा असमथ� होगा. इसक्तिलए उत्कृष्टता प्राप्त क�ने के क्रम में एक आध्यात्मित्मक आध्यात्मित्मक तर्पस्या के माग� का अनुस�ण क�ना चाबिहए.

 

आसानी से शा�ीरि�क बिवज्ञान का बिवशे्लषण र्प� एक सभी दिदव्य glories ह� इंसान में एम्�ेडेड र्पाता. इन दिदव्य योग्यता को सबिक्रय क�के एक दिदव्य शक्ति!यों (Sidhis) प्राप्त क� सकते हैं. सूक्ष्म श�ी� में 6 चक्र अच्छी त�ह से जाना जाता है. वे क� �हे हैं 1) 2 Mooladhar) 3 Svadhishthan) मशिणर्पु� 4) Anahat 5) 6 Vishudhi) अजन. ये सभी हमा�े श�ी� के भीत� लेबिकन एक सूक्ष्म स्त� र्प� क� �हे हैं. यहाँ र्प� क्तिस� के्षत्र की अनदेखी की है. खोर्पड़ी के भीत� (1000-petalled कमल) सहस्रा� कमल है. यदिद आर्प इस जोड़ तो 7 चक्र �हे हैं. इस प्रका� आर्प भव्यता क�ने के क्तिलए रे्पश क� �हे हैं, .म�र्प�ायण प्रयास के क्तिलए सूक्ष्म दुबिनया में यानी 7 तीथ� स्पॉट. केवल आवAयकता इन सूक्ष्म चक्र के सबिक्रयण है. ज� भ्रूण मां के रे्पट में मनुvय है यह एक �च्चे के रूर्प में होती है औ� �ाद में रै्पदा हुआ. यदिद एक �ीज को एक कम�े में �ंद क� दिदया है यह नहीं अंकुरि�त होगा. केवल ज� यह र्पानी दिदया जाता है, सू�ज, उर्पजाऊ भूमिम र्प� एक रे्पड़ में बिवकक्तिसत है बिक 1 औ� बिU� Uूल सुस्वाद Uल भालू.

 

Merudand (�ीढ़ की हड्डी) शाही माग� कहा जाता है. यह भी है बिक रृ्पथ्वी से स्वग� में हमें लगता है Devyaan माग� कहा जाता है. इस यात्रा के भीत� 7 (Lokas संसा�ों) हैं. भगवान औ� व्यक्ति! की आत्मा के �ीच में 7 Lokas �ाकी के .ब्�े हैं. एक यात्रा के दौ�ान मील की �ड़ी संख्या को कव� क�ने के क्तिलए, �ाकी एक जरू�ी है. इसक्तिलए �ास्ते र्प� �ाकी घ�ों �हे हैं. एक टे्रन के क्तिलए कोयला, र्पानी आदिद शा�ीरि�क ऊजा� के इन आ�ाम स्पॉट 6 चक्र के �ास्ते र्प� कई स्टेशनों र्प� �ंद हो जाता है. चक्र 2 त�ीके, एक अव�ो.ों औ� सं�क्षक के रूर्प में अन्य के रूर्प में क्तिचबित्रत क� �हे हैं. महाभा�त में एक चक्रव्यूह (एक वग� या एक वृत्त में सैबिनकों की एक स�णी) की कहानी है. अशिभमन्यु में Uंस गया था. क्योंबिक वह नहीं जानता था बिक कैसे इसे से �ाह� आने के क्तिलए वह म� गया. एक चक्रव्यूह में एक बिकले के 7 प्राची� हैं. प्रतीकात्मक इस घटना में एक व्यक्ति! के श�ी� के 7 चक्र में Uंस जा �हा है आत्मा के रूर्प में क्तिलया जा सकता है. चक्र भी सामग्री संलग्नक, भ्रम औ� बिवकृबितयों के रूर्प में महल के 4 दीवा�ों होना कहा जाता है. इसक्तिलए एक बिवक्ति. के रूर्प में इसे दू� क�ने के क्तिलए दिदया जाता है. भागवत Mahatmya Dhundhukari भूत के 7 दिदनों के भीत� एक �ांस के 7 समुद्री मील तो Uाड़ के रूर्प में एक दैवीय सक्तिन्नबिहत होने �नने के क्तिलए एक कहानी है. प्रतीकात्मक यह एक चक्र से अगले एक यात्रा है.

 

सा.ना में व्यक्ति! अर्पनी खुद की कोई शक्ति! है. केवल बिवशेष �ात यह है बिक वह मेहनत क� �हा है अर्पने अव्य! दिदव्य शक्ति!यों को जगाने. यहाँ एक ही ऊजा� �हुत कम है औ� अग� तर्पस्या �हुत सा.ा�ण हैं यह ज्यादा नहीं प्राप्त क� सकते हैं. सक� स के एक र्पशु प्रशिशक्षक केवल अर्पनी मंडली में उन जानव�ों जिजसे वह सोचता है बिक चतु� हैं लेता है. सभी सा.ना कलात्मक हैं. यह भक्ति! संवेदनशीलता की नींव का र्पत्थ� र्प� Uूल. इसक्तिलए एक आदमी आध्यात्मित्मकता के माग� में प्रवेश क�ने के अर्पने भक्ति! भावनाओं के दृबिष्टकोण

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गुरु है. इसके अलावा, वह अर्पनी सोच औ� चरि�त्र शुद्ध है. यह प्राथमिमक शत� है जो रू्प�ा बिकया जाना चाबिहए है.

 

जो आध्यात्मित्मक अभ्यास क्या समय अवक्ति. के क्तिलए बिकया जाना चाबिहए? इस सवाल का जवा� ह� बिकसी के क्तिलए ही नहीं है. क्योंबिक यह प्रत्येक व्यक्ति! की मानक्तिसक स्थिस्थबित र्प� बिनभ�� क�ता है. यदिद आत्मा के साथ बिकसी भी व्यक्ति! overflows के व्यक्ति!त्व वह �हुत जल्दी �हुत प्रयास के बि�ना �ल महान आध्यात्मित्मक लाभ प्राप्त क�ता है. लेबिकन उन र्पबिवत्र काय� है बिक इन सभी गबितबिवक्ति.यों दे क�ने के क्तिलए भी इस्तेमाल बिकया जा क�ते हैं. इस दिदव्य शक्ति! का प्रयोग बिकया जाता है fro बिग� लोगों को ऊर्प� उठाने, दु: ख कम, जो लोग डू� �हे हैं �चत औ� सभी की मदद क�ने के क्तिलए जीवन की सीढ़ी र्प� चढ़ने. तर्पस्या एक र्पबिवत्र कम� वृशिद्ध की �जाय. इस प्रका� संतुलन �नाए �खा है औ� एक आकांक्षी / योगी आध्यात्मित्मक एक र्पबिवत्र साखित्वक जीवन होता है. उनके दृबिष्टकोण में स्वग�य औ� व्यवहा� (जीवन मुक्ति!) यह �हुत ही जीवन में आध्यात्मित्मक जो मु! है की त�ह है. आत्मा आत्मा मबिहमा के रूर्प में महसूस बिकया है औ� लगाता� दिदव्य अंतदृ�बिष्ट की मदद से वह ब्रह्मांड के ह� कण में भगवान beholds. यह एक र्परि�णाम है जिजनमें से एक व्यक्ति! को रु्परुषों के �ीच स�से अच्छा कहा जाता है औ� इस त�ह खुद भगवान हो जाता है के रूर्प में �हुत �ाज्य है.

 

लेबिकन अग� एक बिवचा� औ� चरि�त्र शुद्ध नहीं हैं, अग� उसमें बिनकम्मार्पन है तो अग� इस त�ह के एक व्यक्ति! दिदव्य शक्ति!याँ प्राप्त, वह �ाक्षसी औ� अशिभमानी हो जाता है. वह �ाह� ऐसी नीच का��वाई है बिक वह केवल एक �ाक्षस ले�ल बिकया जा सकता है बिकया जाता है. यदिद .न है, हो सकता है, भव्यता शक्ति! का सही इस्तेमाल नहीं क� �हे हैं यह एक व्यक्ति! के र्पतन के क्तिलए नेतृत्व क� सकते हैं. ज� अंगू� बि�गड़ना वे श�ा� के क्तिलए र्परि�वर्तितंत क� �हे हैं. यहां तक बिक अग� आर्प उसी त�ह दिदव्य शक्ति!यों को प्राप्त क�ने के क्तिलए औ� अग� वही र्पबिवत्र गबितबिवक्ति.यों के क्तिलए उर्पयोग नहीं बिकया है तो एकमात्र बिवकल्र्प �हता है बिक यह बिवनाशका�ी प्रयोजनों के क्तिलए उर्पयोग बिकया जाएगा. यदिद आध्यात्मित्मकता दशिक्षण माग� (र्पबिवत्र र्पथ) का र्पालन नहीं क�ता है बिक यह एक के र्पतन के क्तिलए नेतृत्व क�ेंगे. बिवले actioned तांबित्रक Aghoris, Kapaliks आदिद �ाक्षसी �न गया है औ� मा�न जैसे नीच काय� (मंत्र जर्प के साथ लोगों की मौत हो गई), मोहन (षडं्यत्र) Vashikaran औ� Ucchatan (झाड़ - Uंूक के द्वा�ा एक व्यक्ति! के मन ध्यान भंग) बिनvर्पादिदत. डीमन्स आम तौ� र्प� हमला प्रका� के होते हैं औ� बिनद«ष लोगों को मानव का अर्पह�ण क�ना. ऐसी �ाक्षसों के उदाह�ण Vritrasur, Hiranyakashipu, Mahisasur, कंस, �ावण आदिद उनके खा�-Dooshan, Kumbhkaran, मेघनाद, Hiranyaksha, Jarasandh की त�ह र्परि�वा� के सदस्यों, Raktabeej भी demonically व्यवहा� बिकया. �ाक्षसों डेमी - देवताओं को र्प�ेशान बिकया. वे डेमी - देवताओं के .न को लूट क्तिलया औ� Rishis के खून बिर्पया. वे केवल अर्पने बिवषयों र्प�ेशान औ� स्वाथ� लाभ का एक छोटा सा के क्तिलए वे कई नीच काय� का प्रदश�न बिकया.

 

�ाक्षसों के 2 वग� हैं. एक वग� अबिनयंबित्रत है, हमला क�ने औ� आतंकवादी प्रका� के. अन्य वग� .ोखा, चालाकी, भ्रामक काला जादू बि�जली आदिद का उर्पयोग क�ता है र्प� हमला �ाक्षसों से दिदखाने के उनके साहस औ� काला जादू �ाक्षसों उनके .ोखे की कला की प्रशंसा. र्प� हमला �ाक्षसों के नीचे खुलेआम हेय दृबिष्ट से देखा जाता है लेबिकन काला जादू �ाक्षसों facades का घंूघट के र्पीछे क्तिछर्पा �हे हैं. वास्तव में चतु� �ाक्षसों संतों की त�ह �ाह� से व्यवहा� क�ते हैं. उदाह�ण के क्तिलए. Kalnemi. हालांबिक वह �ावण के एक र्परि�वा� के सदस्य थे वह �ाह्य र्प� हमला बिकसी को कभी नहीं. इसके �जाय वह काला जादू के माध्यम से

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दूस�ों की �ुशिद्ध को पे्ररि�त नीच काय� प्रदश�न होगा. ऐसे लोगों को केवल एक र्पतन वाड� असUल नहीं हो, लेबिकन बिक वे नीच कम� के दलदल में गह�े डू� सकता है.

 

एक दिदव्य शक्ति!यों को इकट्ठा क� सकते हैं, लेबिकन अग� यह र्पबिवत्र कामों के क्तिलए एक Kalnemi की त�ह नहीं इस्तेमाल बिकया जाता है तो �ाह� सूक्ष्म �ाक्षसी गबितबिवक्ति.यों को ले जाने के सकता है. यह वहाँ जा �ही आतंकवादी गबितबिवक्ति.यों की वजह से �दनाम औ� समय की एक बिनशिmत अवक्ति. के क्तिलए रु्पण्य �ाह्य एक र्पलायन मानहाबिन होने के �हाने कोई ड� नहीं है. इसक्तिलए आ.ुबिनक कंुडक्तिलनी (देवी नाग र्पाव�) के के्षत्र में �ाक्षसी व्यवहा� Kalnemi के टे्रडमाक� के तहत �ाजा� में उर्पलब्ध है औ� मिमनट के भीत� basketfuls के रूर्प में �ेच दिदया जाता है.

 

यह सच है आत्मा की शक्ति! केवल अग� एक .म� के र्पबिवत्र र्पथ र्प� उत्र्पन्न बिकया जा सकता है. यह सभी व्यक्ति!यों की अच्छी त�ह से बिकया जा �हा है औ� इस त�ह रू्प�ी दुबिनया में बिनबिहत है. आत्मा बिवज्ञान के सचे्च दश�न है बिक एक से �ाह� बिकया जाता है आध्यात्मित्मक तर्पस्या लेबिकन बिक .म� प्रयोजनों औ� बिवश्व कल्याण के क्तिलए जो कुछ भी दिदव्य शक्ति! Sidhis के रूर्प में प्रकट होता है ही इस्तेमाल बिकया जाना चाबिहए.

 

मोटे तौ� र्प� एक समझना चाबिहए बिक हालात हमा�े भक्ति! भावनाओं की स्थिस्थबित को प्रभाबिवत. हम स� है बिक �ाह�ी दुबिनया में जगह लेता है से प्रभाबिवत हैं. लेबिकन आध्यात्मित्मक बिवज्ञान की बिवचा�.ा�ा इस मामले में औ� अक्ति.क गह�ा delved गया है औ� यह कहते हैं बिक व्यक्ति!गत चेतना र्पास औ� दू� सांसारि�क स्थिस्थबितयों �ंद को प्रभाबिवत क�ती है. मनुvय अर्पने भाग्य का लेखक है, लेबिकन तथ्य यह है बिक एक उन्नत आध्यात्मित्मक �ाज्य में वह ब्रह्मांडीय गबितबिवक्ति.यों के बिनदेशक भी है. इस सं�ं. में यह बिनशिmत रूर्प से समझ गया बिक एक एक मानस के अनुसा� भीत�ी औ� �ाह�ी के्षत्रों के क्तिलए सं�ंक्ति.त उर्पक�णों डाली जा सकता है. एक �हुत ही उन्नत आध्यात्मित्मक �ाज्य में इस त�ह के एक व्यक्ति! भी ब्रह्मांडीय आंदोलनों प्रत्यक्ष क� सकते हैं. यह extrasensory शक्ति! कहा जाता है. यह सुर्प� मन �ाज्य है जो आमतौ� र्प� सभी प्राशिणयों में मौजूद है लेबिकन एक अव्य! बिनत्मिvक्रय �ाज्य में है. यह कैसे सबिक्रय बिकया जा सकता है? यह कैसे सश! बिकया जा सकता है? औ� यह कैसे बिवशिभन्न काय� के क्तिलए उर्पयोग बिकया जा सकता है? यह आत्मा बिवज्ञान कहा जाता है. यह भी ब्रह्मबिवद्या कहा जाता है. कंुडक्तिलनी अभ्यास मा� डाला है ताबिक हमा�े आत्मा �ल को सबिक्रय क�ने के क्तिलए.

 

लक्षद्वीर्प के बिनकट एक जंगल में 4 संतों dwelt. वे भीख भीख माँग के क्तिलए समुद्र के र्पानी को र्पा� क� गया औ� गृहस्वामिमयों को आध्यात्मित्मक प्रवचन दिदया. 4 संतों के �ीच एक �हुत ही चतु� था. वह कैसे र्पानी र्प� चलने के क्तिलए कुछ शक्ति!शाली जड़ी �ूदिटयों के साथ अर्पने रै्प�ों क्तिचर्पकाने से सीखा था. अन्य 3 संतों र्पानी में तै�ा लेबिकन इस चतु� ऋबिष उस र्प� चलना होगा. जो लोग उत्त�ाद्ध� ऋबिष देखा उसे एक एहसास संत होने के क्तिलए सोचा. इसक्तिलए लोगों को अर्पने ही �ातचीत क�ने के क्तिलए सुनने औ� उसे महंगा प्रस्तुत दिदया.

 

.ी�े .ी�े �हस्य खुलासा बिकया गया था. चतु� भ!ों ने जो� देक� कहा है बिक वे गम� र्पानी के साथ 4 संतों र्प� रै्प� .ोना होगा. इस प्रका� तथाकक्तिथत महान संत र्प� ह��ल रे्पस्ट से नष्ट हो गया था. वह नहीं जानता था बिक

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कैसे तै�ना. इसक्तिलए �ाह� शम� की �ात है की वह वह संतों में से एक समूह को छोड़ दिदया औ� भाग गया. Facades बिर्पछले कभी नहीं लं�ा है.

 

र्पांच अध्याययोग के �हस्य औ� Sidhis का गुलदस्ता

 

योग ब्रह्मांडीय आत्मा जो अन्यथा भगवान कहा जाता है के साथ व्यक्ति! की आत्मा के मिमलन का मतल� है. ज� संख्या अर्पने मूल्य �ढ़ता है कई गुना जोड़ �हे हैं. मनुvय वान� के वंशज है. एडम आयु में उन्होंने ऐसा ही बिकया गया था. न्यू बिगनी में आज भी वहाँ कुछ आदिदवाक्तिसयों (Aborigines) जो आदम युग की संस्कृबित है. रु्परुषों / मबिहलाओं बिन�ा नग्न क� �हे हैं. भोजन के क्तिलए वे र्पशु मांस, जड़ों, Uल आदिद वे मील की दू�ी र्प� तथाकक्तिथत सभ्य लोगों से दू� चला औ� इसक्तिलए उनकी भाषा र्प� बिनभ�� भी बिवकक्तिसत नहीं बिकया है. वे केवल कुछ शब्दों को �ोलना औ� वे मुख्य रूर्प से सांकेबितक भाषा औ� इशा�ों से संवाद क� सकते हैं. लेबिकन शा�ीरि�क दृबिष्टकोण से वे औ� अक्ति.क शक्ति!शाली है क्योंबिक वे एक बिनशिmत त�ीके में तीव्र गम�, सद¤, �ारि�श आदिद �दा�Aत भी आदमी एडम युग की संस्कृबित का अनुस�ण क� सकते हैं. वह खाने में अच्छी त�ह से वाबिकU है, procreating औ� प्रकट लालच, लगाव आदिद उन्होंने मानव मूल्यों imbibing बिक सभी मानव जाबित की मबिहमा �ढ़ाने घृणा क�ता है.

 

महानता औ� नैबितकता के glories हमेशा भगवान के क्तिलए संयु! है. ज� आदमी बिवश्वास के माध्यम से भगवान के साथ एकजुट क�ती है वह बिनशिmत रूर्प से आदम युग की संस्कृबित से ऊर्प� ही उगता है. �स के रूर्प में ज� र्पबित - र्पत्नी एक दूस�े के साथ सहयोग के रूर्प में एक ही �ास्ते में �नाने के क्तिलए उनके घ� स्वग�य ज� आदमी भगवान के साथ एकजुट क�ती है वह र्प�मात्मा हो जाता है. यौबिगक अभ्यास इसक्तिलए महानता eulogized है औ� उन समझ आत्मा उत्थान चलने के इस �ास्ते र्प� महत्व है.

 

योग 2 त�ीकों में वग�कृत बिकया गया है. 1 �ाह्य योग औ� दूस�ा आंतरि�क योग है. �ाह�ी योग है बिक शा�ीरि�क अभ्यास में जो महत्व दिदया जाता है. इस �ाह�ी योग मुद्रा शामिमल है, व्यायाम, Bandha, Mudras, मंत्र, यज्ञ, भगवान की रू्पजा, तीथ�, भगवान के नाम आदिद इस �ाह्य योग के क्तिलए एक औ� नाम बिक्रया योग है गायन का जर्प श्वास. अर्पनी शाखाओं में से एक हठ योग कहा जाता है. यहाँ �ाह्य शा�ीरि�क गबितबिवक्ति.यों र्प� �ल दिदया है. जो� अर्पनी बिव.ा औ� बिनयमों र्प� �खी है. इसके र्परि�णामों र्प� बिनभ�� aptly बिक यह कैसे का उर्पयोग बिकया गया था. बिक्रया योग हमा�े स्वास्थ्य, चमक, �ौशिद्धक कुशाग्रता आदिद मन की कुछ बिनयंत्रण भी जगह लेता है को प्रभाबिवत क�ती है.

 

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बिद्वतीय श्रेणी आंतरि�क योग है. यहाँ बि�ख�े हुए मन औ� जीवन शक्ति! कें दिद्रत है औ� ध्यान कें दिद्रत क� �हे हैं. बिवले मानक्तिसक imprints शुद्ध होना है औ� हमा�ी सोच को उच्च बिकया जाना है. वहाँ ध्यान के कई प्रका� के होते हैं. वे स� के स� आंतरि�क योग के प्रमुख के अंतग�त आते हैं.

 

आम तौ� र्प� ध्यान में र्प�मेश्व� के एक काल्र्पबिनक छबिव की दिदशा में एक प्या� भक्ति! pours औ� एक के क्तिलए यह अनुभव के रूर्प में अर्पने आर्प को �हुत क�ी� क�ने की कोशिशश क�ता है. इसके अलावा अनुभवों Naad योग (ध्वबिन), Soham (है बिक मैं क� �हा हँू) आध्यात्मित्मक अभ्यास, सोमा �स र्पीने Khechri मुद्रा आदिद आंतरि�क योग के माध्यम से भी Chakravedhan (6 चक्र के माध्यम से यात्रा), कंुडक्तिलनी जाग�ण, Granthi Vedhan शामिमल आदिद शामिमल है क्योंबिक यहाँ र्प� एक सोचा त�ंगों एक उक्तिचत ध्यान कें दिद्रत दिदशा दी जाती है. यह वहाँ बिक्रया योग की कोई जरू�त नहीं है जो शा�ीरि�क अभ्यास शामिमल है.

 

बिक्रया योग ऊजा� औ� सकल श�ी� के सा.ा�ण extrasensory क्षमता तक सीमिमत है. इंदिद्रयां प्रकृबित में सकल क� �हे हैं. यह एक शा�ीरि�क बिहस्से के रूर्प में बिगना जाता है. अर्पनी शक्ति! भी सकल ही है. संवेदी क्षमता के subtilization केवल बिकसी भी अन्य सामग्री के बि�ना औ� बिकसी भी अन्य भावना अंग मश्किस्तvक की �ौशिद्धक नसों कुछ सकल समस्याओं को हल क�ने के की मदद के साथ यह �हुत क�ता है. उदाह�ण के क्तिलए. यदिद एक अं.ा होता है एक स्पश� की भावना अंग का उर्पयोग औ� उंगक्तिलयों के साथ वस्तुओं, र्पत्र, की उर्पस्थिस्थबित के �ा�े में र्पता आदिद (बे्रल में यानी) क� सकते हैं. सुनवाई दू� लगता है, दू� की वस्तुओं को देखने Suprapsycho बिवज्ञान, के भीत�, टेक्तिलर्पाथी र्प� extrasensory .ा�णा (ESP) के रूर्प में देखा जाता है. यह स� �ुशिद्ध का एक खेल है. Uक� क्तिसU� यह है बिक प्रत्यक्ष माध्यमों की तुलना में एक की र्पहचान क�ने औ� गम� की लह�ों, ध्वबिन औ� प्रकाश को र्पकड़ने की क्षमता उर्पलब्ध हो जाता है. यह सामग्री लाभ औ� सUलता के तहत आ सकता है. हालांबिक इस आध्यात्मित्मक रूर्प में हेय दृबिष्ट से देखा जाता है, अभी तक यह सच नहीं है. भगवान की गबितबिवक्ति.यों �हुत ही असा.ा�ण औ� �हस्यमय ढंग से क� �हे हैं. भगवान हमा�े सामग्री उर्पक�ण से नहीं समझा जा सकता. महान वैज्ञाबिनक अल्�ट� आइंस्टीन के अनुसा�, कण भौबितकी अभी �हुत अर्पंग औ� लंगड़ा है. यह हमा�े लौबिकक दिदव्य शक्ति! अथा�त् र्प�मेश्व� की जानका�ी नहीं दे सकता. वहाँ एक ब्रह्मांडीय चेतना है बिक हमा�े रू्प�े ब्रह्मांड सेनाओं है. यह चेतना भगवान, ब्रह्म, सभी व्यार्पक ब्रह्मांडीय आत्मा आदिद Ridhi सी.ी - (दिदव्य शक्ति!यों) के रू्प�े र्परि�वा� को भगवान की एक मात्र झलक है कहा जा सकता है.

 

भौबितकवादी बिवद्वान औ� दाश�बिनक महोदय Jams जीन्स के अनुसा� दुबिनया में सभी भौबितकवादी घटनाओं के क्तिलए उर्पयु! हैं. बिक जो हम कहते हैं एक दुघ�टना वास्तव में ऊर्प� उल्लेख बिकया है. इसके बिनमा�ता बिनशिmत रूर्प से एक महान कैलकुलेट�, �हुत शक्ति!शाली औ� एक अदृAय शक्ति! है. यह भगवान �ुलाया जाना चाबिहए. इस दुबिनया में एक आभ्यांतरि�क मशीन नहीं हो सकता है क्योंबिक ह� वस्तु, प्राणी, दुबिनया की जा �ही है आदिद �हने वाले उन में बिनबिहत चेतना है औ� यह है बिक वे हमेशा सबिक्रय क� सकते हैं. ज� व्यक्ति!गत चेतना ब्रह्मांडीय चेतना के साथ मिमलक� काम क�ता है (भगवान) यह योग कहा जाता है.

 

महाभा�त के अश्वमे. र्पव� में वण�न है बिक वहाँ दिदव्य (Sidhas) संतों, जो अर्पने दिदव्य आंख के साथ श�ी� के दे �ही है, उसके ऊर्प� एक ताजा नए श�ी� ले औ� एक अन्य प्रजाबितयों के श�ी� में प्रवेश क� देख सकते हैं क� �हे हैं. दृढ़ इच्छा शक्ति! के साथ लोगों को सद्भावना औ� मनुvय के साथ सूक्ष्म श�ी� आत्माओं के

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सहयोग स्थाबिर्पत क�ने में सक्षम हैं. एहसास हुआ - द्रष्टा संतों की बिवशेषताओं में से एक यह है बिक वे सूक्ष्म दुबिनया से संर्पक� क� सकते हैं. 

 

यह एक दिदव्य शक्ति! है "टाई" समय जो कंुडक्तिलनी जाग�ण का एक र्परि�णाम है. योगी Changdev सेंट Janneshwar के समय के दौ�ान 400 साल योग तर्पस्या की शक्ति! की वजह से रु्प�ानी थी. �ाद में सेंट Jnaneshwar की सलाह के अनुसा� रूर्प में वह अर्पने नश्व� कंुडल दे दी है. हमा�ा सूक्ष्म श�ी� श्रदे्धय गुरू जो उदात्त बिहमालय की कदिठन इलाके में �हता समय औ� स्थान की सीमाओं से र्प�े है.

 

280 साल की उम्र में महान संत Tailang स्वामी को दिदया था Paush शुक्ला एकादशी बिवक्रम संवत 1944 र्प� भा�तीय कैलेंड� के अनुसा� वा�ाणसी में अर्पने नश्व� का ता�. वह एक ब्राह्मण मकान माक्तिलक के घ� में बिवक्रम संवत 1644 में रै्पदा हुआ था. रु्पvक� के्षत्र में वह भागी�थ स्वामी से संन्यास दीक्षा क्तिलया था. अर्पने गुरू उसे गणर्पबित स्वामी का नाम था, लेबिकन वह अच्छी त�ह से Tailang स्वामी के रूर्प में जाना जाता था. वह एक महान आध्यात्मित्मक आकांक्षी, योगी औ� सभी प्राशिणयों के सव�� था. कई चमत्का�ी घटनाओं उसके साथ जुडे़ �हे हैं. यहां तक बिक स्वामी बिववेकानंद ने अर्पने नाम का उल्लेख बिकया था औ� वह स्वामी Dayanandji के जीवन के दौ�ान जीबिवत भी था. उच्चतम योग के आध्यात्मित्मक लक्ष्य को प्राप्त क�के वह कई दिदव्य शक्ति!याँ भी प्राप्त बिकया. एक �ा� Tailang स्वामी नेर्पाल के जंगलों में तर्पस्या प्रदश�न बिकया. नेर्पाल के �ाजा शिशका� वहाँ अर्पनी सेना के साथ साथ आया था. एक शे� अर्पनी जान �चाई थी ज� �ाजा ने हमला. लेबिकन सेना प्रमुख �ाघ का र्पालन बिकया. �ाघ Tailang स्वामी के आश्रम में प्रवेश बिकया. यह स्वामीजी के च�णों में अर्पने क्तिस� �खा औ� नीचे चुर्पचार्प �ैठ गया. स्वामीजी बिप्रयतम वस्तु �ाघ शुरू क� दिदया. ज� सेना प्रमुख औ� �ाजा इस दृAय को देखा वे अवाक थे.

 

इस घटना बिनत्मिvक्रय जिजज्ञासा के क्तिलए नहीं है, लेबिकन तथ्य यह है बिक के माध्यम से आध्यात्मित्मक शक्ति!यों तर्पस्या से उत्र्पन्न एक वास्तव सूक्ष्म दुबिनया के प्रवाह की दिदशा �दल सकते हैं के क्तिलए सं�ंक्ति.त है. इसके अलावा, एक एक �ीमा� भाग्य से एक हद तक वाड� के क्तिलए औ� दे उन घटनाओं घदिटत जो अन्यथा क्तिलखा है उसे जगह नहीं ले के क्तिलए एक माध्यम �न सकते हैं. यह कहा जाता है बिक डेमी - देवताओं के आशीवा�द औ� इलाज की शक्ति! है. लेबिकन वास्तव में एक योगी, उच्च आध्यात्मित्मक कद के संत आदिद भी इस हाक्तिसल क� सकते हैं. यदिद आर्प एक ता� है जिजसमें बि�जली के वत�मान रू्पव� �हती एक बिनत्मिvक्रय ता� कनेक्ट भी सबिक्रय हो जाएगा. इसक्तिलए अग� डेमी - देवताओं की दिदव्य शक्ति! के क्तिलए एक conjoins तो उस व्यक्ति! को भी उन शक्ति!यों मिमलता है औ� इस त�ह दिदव्य शक्ति!यों का भंडा� है बिक भगवान के क्तिलए है में प्रवेश क�ती है. दिदव्य शक्ति!यों के के्षत्र में इस प्रवेश सतही नहीं है, लेबिकन भागीदा�ी का एक प्रका� है. अग� वहाँ कई व्यार्पा� भागीदा�ों के साथ एक दुकान है यह ह� एक से माल ले जा सकते हैं. बिनशिmत रूर्प से भागीदा�ी आर्पको यह अक्ति.का� देता है, लेबिकन अग� आर्प क्तिसU� एक जब्री भ! औ� भगवान में गह�ा बिवलय क� दिदया है नहीं है, वह केवल �ातों के क्तिलए भगवान से भीख माँगने का अक्ति.का� है.

 

बिवदेश योग या बिक्रया योग केवल �ाह�ी दुबिनया है बिक दिदखाई देता है शामिमल है. यह �ढ़ती है, र्पाली, �ढ़ा सकते हैं या �ातें कमी हैं. यह भी कभी कभी क्तिछर्पाने के क्तिलए या क� सकते हैं प्रकट �ातें क�ता है, लेबिकन दूस�े के मानस के recesses में प्रवेश क�ने की शक्ति! नहीं है. यह आसान है अर्पने र्पतन के क्तिलए बिकसी को नेतृत्व. यह आसानी से अर्प�ाक्ति.यों, जुआ�ी, looters आदिद के द्वा�ा रू्प�ा बिकया है, लेबिकन यह एक रू्प�ी त�ह

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से अलग कहानी है ज� यह भौबितक औ� आध्यात्मित्मक उत्थान दूस�ों शामिमल है. यह शब्द ती� है बिक डॉट र्प� लक्ष्य तक र्पहुँचने है. यदिद आर्प मिमट्टी के एक ढे� Uें क इसे कहीं भी औ� कहा बिक एक लं�ी दू�ी र्प� भी जा सकते हैं. इस र्प� कोई बिनयंत्रण नहीं है. केवल उर्पयु! हाथ �ातों का सच बिनयंत्रण उर्पाय क� सकते हैं. यह रू्प�ी त�ह से क�ने के क्तिलए के रूर्प में अर्पने बिनण�य है दिदशा क्या है औ� कैसे उच्च बिकसी को uplifted जा �हा है. इस त�ह के एक व्यक्ति! को जानता है बिक कैसे ठीक एक ही तेल में गह�ा गोता क�ने के क्तिलए औ� यह उनकी क्षमता के अनुसा� को मार्पने के. एक छोटे से कूद बिकसी के द्वा�ा बिक्रयात्मिन्वत बिकया जा सकता है, लेबिकन यह केवल बिवशाल �ॉकेट के क्तिलए आकाश में उच्च वृशिद्ध क�ने के क्तिलए औ� भी रृ्पथ्वी वायुमंडलीय कव� र्प� र्पा� के रूर्प में ता�े के �ीच अंतरि�क्ष में प्रवेश क�ने के क्तिलए संभव है. व्यक्ति!गत योग के माध्यम से भगवान के साथ एकजुट आत्मा के सं�ं. सभी दिदव्य शक्ति!यों बिक प्रकट Ridhi - सी.ी त�ह का स�ूत है. गे्रट Sidhas कोई शक नहीं है दिदव्य रु्परुष हैं. उनकी भेदभाव (बिववेक) के रू्पण� अनुग्रह या तो आध्यात्मित्मक बिकसी उत्थान क� सकते हैं या यह भी अच्छी त�ह से बिकया जा �हा है सामग्री का आशीवा�द प्रदान क�ना. केवल इस त�ह के दिदव्य संत दिदव्य शक्ति!यों के महान ऊंचाइयों तक र्पहुँच सकते हैं.

 

दिदखाई दुबिनया की त�ह वहाँ एक क्तिछर्पे हुए सूक्ष्म दुबिनया है औ� हम कभी कभी स्वप्न में या Nirvikalpa समाक्ति. में यह की एक झलक र्पाने के मुफ्त ट्रांस सोचा. क्तिलखिखत बिवद्वानों यह दूस�ी दुबिनया कहते हैं. वे प्रकृबित में सूक्ष्म हैं. वे अदृAय हैं. हमा�े ता�ों औ� आकाशगंगाओं में इस त�ह का कोई दुबिनया है. इसका मतल� है बिक वहाँ कोई शिशव Loka, स्वग�, न�क, Brhama Loka वहाँ र्प� के रूर्प में हमा�े शास्त्रों में वर्शिणंत है. क्योंबिक सभी 7 संसा� ब्रह्मांड में अदृAय हैं. वे हमा�े सकल आँखों से नहीं देखा जा सकता. इन सूक्ष्म अदृAय दुबिनया में एक डेमी - देवताओं, Pitrus, Sidhas, आध्यात्मित्मक मु! लोगों आदिद ये दुबिनया भौबितकवादी नहीं हैं, लेबिकन र्प�मात्मा भावनात्मक स्त� र्प� हैं र्पाता है. ये दुबिनया में �हने वाले आनंद, उत्साह, शांबित, शक्ति! आदिद भगवान के उन दिदव्य सहयोबिगयों (Parshads) इन सूक्ष्म दुबिनया में वास का रू्प�ा क� �हे हैं. एक उर्पयु! समय रृ्पथ्वी र्प� इन सहयोबिगयों प्रकट ज� भगवान खुद एक महान संत, न�ी सभी आदिद के uplifter के रूर्प में incarnates उनकी अदृAय श�ी� केवल लं�े समय के रूर्प में �हता है के रूर्प में उनके बिवशेष काय� के क्तिलए बिक्रयात्मिन्वत बिकया जा �हा है औ� �ाद में वे र्पहले के रूर्प में अदृAय औ� सूक्ष्म हो. सहयोबिगयों के इस समूह में छोटा नहीं है. इस सकल सामग्री दुबिनया में �हने वाले प्राशिणयों की संख्या की तुलना में, इन सूक्ष्म, अदृAय दुबिनया में �हने वाले प्राशिणयों की संख्या कम नहीं है. �स सांसारि�क रु्परुषों के �ीच के रूर्प में वहाँ �हुत सक्षम औ� दीत्मिप्तमान लोग हैं तो भी सूक्ष्म, अदृAय दुबिनया में वहाँ दिदव्य glories के साथ आत्माओं की कक्षाए ंहैं. इन दिदव्य glories क्तिसU� इन महान आत्माओं से संग्रहीत नहीं क� �हे हैं, लेबिकन वे उदा�ता से यह अन्य आत्माओं जो उर्पयु! के्रडेंशिशयल्स के साथ imbued हैं दान.

 

न�सी मेहता आध्यात्मित्मक प्रयोजनों के क्तिलए .न चाहता था. कुछ mendicants उससे संर्पक� बिकया औ� कहा बिक कुछ गांव के लोगों ने उन से रू्पछा था (mendicants) न�सी दृबिष्टकोण. हम द्वा�का के क्तिलए जा �हे हैं. कृर्पया रुर्पये �खने के क्तिलए. आर्प के साथ 700/00 औ� हमें बिवदेशी मुद्रा का एक बि�ल दे इतना है बिक हम हम वार्पस हमा�े नकदी प्राप्त क� सकते द्वा�का के शह� में �ास्ते र्प� औ� लूट क्तिलया के खत�े का सामना नहीं क�ना चाहती. न�सी सोच है बिक यह र्प�मेश्व� की ओ� से मदद के कुछ प्रका� था नकदी स्वीका� बिकए जाते हैं. वह अर्पने प्या�े दोस्त प्रभु श्री कृvण के नाम में बिवबिनमय बि�ल क्तिलखा था. द्वा�का भगवान कृvण प्रच्छन्न रूर्प में एक व्यार्पा�ी के बिवबिनमय बि�ल स्वीका� बिकए जाते हैं औ� mendicants रुर्पये दे दिदया. 700/00. हकीकत में यह भगवान है जो अर्पने शुद्ध दिदल के माध्यम से महान आध्यात्मित्मक उम्मीदवा�ों के आगे �ढाती जरू�त में उन लोगों के दु: ख से उ��ने.

 

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योगी�ाज महर्तिष ं अ�पिवंद ने कहा बिक स्वामी बिववेकानंद की दिदवंगत आत्मा उसे कई पे्र�णादायक बिवचा� दिदया. 1901 में र्प�महंस �ामकृvण की आत्मा उसे लौबिकक कल्याण के क्तिलए सा.ना प्रदश�न क�ने के क्तिलए पे्ररि�त बिकया. देवी माँ भी उसे भगवान का एक दैवी पे्र�णा के का�ण के साथ र्पांबिडचे�ी में बिनवास क�ने के क्तिलए आया था. सुक�ात हमेशा �नाए �खा है बिक एक Dayman उसकी मानक्तिसकता में dwelt औ� उसे �ाह� ले जाने के क्तिलए बिवशिभन्न काय� के क्तिलए पे्ररि�त. वह हमेशा स� उसके द्वा�ा बिकए गए काय� के क्तिलए Dayman को ऋण दिदया है.

 

महान ब्रह्म CW लीड�ीट� हमेशा अदृAय दुबिनया के आंदोलनों में छान�ीन की. उन्होंने कहा बिक रै्पतृक आत्माओं मासूम �च्चों औ� र्पबिवत्र आत्माओं औ� उन र्प� कई लाभका�ी आशीवा�द bestows की �क्षा की. एक �ा� ज� वहाँ एक कम�े में एक महान न�क था. इसक्तिलए कम�ा रू्प�ी त�ह जल गया था. लेबिकन एक बिवशेष �च्चे लगाता� इसे में सोया औ� अभी तक �चा क्तिलया गया था. एक दिदव्य शक्ति! उसकी �क्षा क� �खा है औ� इस प्रका� आग �च्चा नहीं जला सकता है. 1959 में एक प्रक्तिसद्ध र्पत्रका� औ� लेखक �ना�ड� हटन नामक उसकी "हाथ र्पकडे़" नामक रु्पस्तक में एक बिवशेष घटना के �ा�े में क्तिलखा था. वह अर्पनी दृबिष्ट खो दिदया था औ� डॉक्ट�ों ने उसे मदद नहीं क� सकता. हटन सुना था बिक डॉ. लैंग प्रस्थान आत्मा श्री एक मध्यम प्रदश�न नेत्र आर्प�ेशन Uे�ीवाला �नाने औ� इस त�ह कई नेत्रहीन लोगों को अर्पनी न�� आ था. हटन तो वहाँ चला गया. Uे�ीवाला मानस दज� क�के डॉ. लैंग हटन ऑर्प�ेशन औ� इस प्रका� हटन उसकी न�� आ.

 

ऊर्प� वण�न हमें र्पता चलता है बिक आंतरि�क योग के एक आध्यात्मित्मक आकांक्षी उसकी आत्मा प्रकाश, स्वच्छ औ� छेदक बिक वह आसानी से अदृAय दुबिनया में प्रवेश क�ती है �नाता है. एक सू्थल श�ी� होने के �ावजूद आंतरि�क योग के एक गुरु अर्पने सूक्ष्म औ� आकश्किस्मक बिनकायों के माध्यम से अदृAय दुबिनया के साथ संर्पक� में �ख सकते हैं. उनकी जरू�तों के अनुसा� वे दिदव्य शक्ति!यों से संर्पक� क�ें. वे इस संर्पक� �हुत गह�ी है औ� आसानी से उन दिदव्य आशीवा�द आत्मसात. योग अभ्यास के र्पहले च�ण आत्मा की शुशिद्ध है. एक र्परि�णाम के रूर्प में �हुत आसानी से एक ऐसे व्यक्ति! Sidhas का आशीवा�द हो जाता है जो आगे उसे खुद के उत्थान के क्तिलए औ� लौबिकक कल्याण के क्तिलए काम क�ने में मदद क�ता है. ज� र्पानी भार्प �न जाता है यह स्वतंत्र रूर्प से वाताव�ण में स्थानांतरि�त क� सकते हैं. �ाद में यह �ादलों के रूर्प में गाढ़ा औ� �ारि�श के रूर्प में रृ्पथ्वी के बिकसी भी के्षत्र में डाल सकते हैं. इसी प्रका� भगवान से योबिगयों दू� दू� कभी नहीं. वे महान संतों जो अनुभवी योग (भगवान के साथ संघ) के नक्शेकदम में चलते हैं. इस प्रका� यह है बिक वे खुद ही स्वयं को रू्प�ा बिकया हो, लेबिकन नहीं है बिक वे दूस�ों को इस असा.ा�ण अनुभव भी प्रदान क� सकते हैं. कंुडक्तिलनी जाग�ण का Uल इस में अर्पना आ.ा� है. दिदव्य शक्ति!यों (Ridhi - सी.ी) के �जाय क्तिसU� हमा�े �ेका� curiousity सबिक्रय यह हमें पे्ररि�त क�ने के क्तिलए मानव जीवन का र्प�म लक्ष्य को रू्प�ा क�ना चाबिहए.

 

 

छह अध्यायकंुडक्तिलनी दिदव्य ऊजा� के र्पाँच .ा�ाओं यानी की र्पांच चेह�े

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�ोलचाल की भाषा में सभी प्राशिणयों के प्राशिणयों कहा जाता है. क्योंबिक वे प्राण (महत्वर्पूण� �ल) वे Pranis भी कहा जाता है. लेबिकन यह इतना आसान नहीं है. सामग्री वैज्ञाबिनकों को स्वीका� नहीं क�ते बिक एक प्राणी जीवन शक्ति! है. वे कहते हैं बिक जीवन एक श�ी� है जो �सायनों से अक्ति.क 5 तत्वों की एक मिमश्रण है. ज� 5 तत्वों को एक दूस�े से अलग क� देना है बिक प्राणी बिवलुप्त हो जाता है. वे समझना है बिक वहाँ एक आत्मा क्तिसद्धांत की त�ह इस दुबिनया में कुछ भी नहीं है. आदमी क्तिसU� एक चल �हा है, चलती है, रे्पड़ �ोल �हा हँू.

 

लेबिकन इसके �ाद के संस्क�ण बिवचा�.ा�ा आध्यात्मित्मक बिवज्ञान की र्प�ीक्षा र्पास नहीं है. वे भगवान का एक बिहस्सा अशिभव्यक्ति! के रूर्प में व्यक्ति! की आत्मा र्प� देखो. महत्वर्पूण� �ल से अलग है. महत्वर्पूण� �ल या प्राण जीवन शक्ति! है. वह है जो आंतरि�क .ैय� औ� �ाह�ी �हादु�ी है एक महत्वर्पूण� शक्ति! के साथ imbued कहा जाता है. यहाँ र्प� �ोली जाने वाली महत्वर्पूण� �ल वास्तव में आत्मा है. आत्मा चमक का मतल� है. चमक समझ, ईमानदा�ी, जिजम्मेदा�ी औ� �हादु� चरि�त्र भी शामिमल है. आध्यात्मित्मक दृबिष्ट में मबिहमा के इन गुणों को जीवन शक्ति! आग कहा जाता है. इसमें कोई शक नहीं बिक नीच औ� दुष्ट रु्परुषों को भी साहस औ� �हादु�ी है. लेबिकन वे �हादु� कभी नहीं कहा जा सकता है. र्प� वे स�से नीच औ� दुष्ट कहा जा सकता है.

 

महत्वर्पूण� शक्ति! के साथ imbued मानव जीवन के उच्चतम लाभ हाक्तिसल क�ने के क्तिलए है. लोग का र्पालन क�ें औ� ही उन जो इस मबिहमा के अक्ति.का�ी की स्तुबित. इस त�ह के लोग संतों, जो न केवल खुद के आध्यात्मित्मक उत्थान लेबिकन दूस�ों की मदद अर्पने आध्यात्मित्मक कद �ढ़ाने को कहा जाता है. वे में मदद क�ता है जो उन्हें इस संसा� रूर्पी नदी र्पा� औ� innumerous अन्य आत्माओं को भी मदद क�ने के क्तिलए उनके नक्शेकदम र्प� चलना है बिक नाव में �ैठे हैं.

 

महत्वर्पूण� �ल चेतन शक्ति! है. यह जीना बि�जली कहा जा सकता है. बिवदु्यत शक्ति! के कई का�खानों के साथ काम क� �हे हैं. प्रकाश के साथ औ� अर्पनी ऊजा� के कई सामग्री के आ�ाम के साथ शह� झर्पकाए उत्र्पादिदत क� �हे हैं. एक नोट चबिकत है बिक सा.ा�ण बिनकायों की मदद से यह महत्वर्पूण� �ल बि�जली असंभव काय� ले जा सकता है.

 

यह मुश्किAकल है बिक रृ्पथ्वी र्प� जीबिवत प्राशिणयों के बिनवास की कुल संख्या बिगनती. क्योंबिक वहाँ असंख्य जमीन, हवा औ� समुद्र र्प� �हने वाले जीव हैं. उर्पजाऊ भूमिम में वहाँ �हुत छोटे जीव हैं. र्पानी की एक �ंूद में असंख्य जीवाणु आदिद कौन उनकी कुल संख्या बिगनती होगी? क्योंबिक इसकी संख्या हमा�ी कल्र्पना से र्प�े है. एक कह सकते हैं बिक इन सभी जीबिवत प्राशिणयों हैं. लेबिकन हम यहाँ �हने वाले लोगों के प्राणी है जो गहन आध्यात्मित्मक चमक प्रकट औ� यह भी सा.ा�ण laymen में नहीं र्पाया जाता है र्प� चचा� क�ेंगे. केवल वह र्पया�प्त उच्च जो ऐसी नसों के र्पास, मांसरे्पशिशयों, कल्र्पना औ� सोच प्रबिक्रया है जो एक �हुत ही उच्च गे्रड के तीव्र बिवदु्यत शक्ति! प्रकट कूद क� सकते हैं. उनके असा.ा�ण योजनाओं �नाक� अर्पनी आध्यात्मित्मक शक्ति! के आ.ा� र्प� ऐसे लोगों �ंद�गाह असा.ा�ण बिवचा�ों औ� वे असा.ा�ण सUलता प्राप्त क�ते हैं. केवल ऐसे लोगों को स्वयं रू्प�ा अनुभव. जो लोग देख सकते हैं औ� उन लोगों के �ा�े में सुना है उन्हें ऊंचा कहते हैं.

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तीव्र महत्वर्पूण� �ल के साथ ही �हने वाले प्राशिणयों के �ीच उन बिवशेष औ� महान हैं. वे �हुत कम ही देखा जाता है औ� ज� भी वे देख �हे हैं वे उनके आध्यात्मित्मक प्रकाश के साथ सभी की आँखों mesmerize. कई उनकी theistic अनुयायी �न जाते हैं. जो लोग उनके नक्शेकदम र्प� चलना की संख्या कोई कम से कम सा.न के द्वा�ा क� �हे हैं. शायद शाही लेबिकन एक र्पथ नहीं कम से कम वे एक र्पगडंडी के र्पीछे छोड़ इतना है बिक उस र्प� चलने उन उनके आध्यात्मित्मक लक्ष्य तक र्पहुँच सकते हैं. ऐसे लोगों को स्वयं मबिहमा का अनुभव है औ� वे दूस�ों की आँखों में दिदव्य शक्ति!यों में जाना लाजिजमी है. इबितहास के इबितहास में एक बिवशाल र्पबिवत्र गहन जीवन शक्ति! का रू्प�ा रु्परुषों द्वा�ा �ाह� बिकए गए काय� का वण�न मिमलता है. महान रु्परुषों के �ीच वे सुर्प� का खिखता� दिदया जाता है.

 

यदिद आर्प एक वजन रै्पमाने की एक रै्पन में हमा�े जीवन के साथ श�ी�, मश्किस्तvक, र्परि�वा�, .न, आदिद यानी एकजुट जगह औ� अन्य रै्पन में आर्प दिदव्य चमक जगह है, बिनशिmत रूर्प से उत्त�ाद्ध� रै्पन इसके अक्ति.क से अक्ति.क महत्व की वजह से जाना जाएगा. वे रु्परुषों के �ीच मुकुट आभूषण कहा जाता है. वे मानव देवताओं कहा जाता है क्योंबिक आदश� औ� नैबितकता के क्तिलए वे नीचे इसके क्तिलए अर्पने जीवन देना चाहते हैं. उनके काय� का र्पालन क�ने के क्तिलए laymen के क्तिलए आदश� हैं. �ाजा हरि�mंद्र का नाटक देखक� युवा लड़के गां.ी की कसम खाई है बिक वह इस �ाजा के रूर्प में महान �न जाएगा. औ� अंत में सभी ने देखा बिक गां.ी व्रत को रू्प�ा बिकया गया था. गां.ीजी ने आत्मसात सत्य औ� अपिहंसा, जो सही मायने में �ाजा हरि�mंद्र की त�ह एक औ� दिदग्गज �न गया.

 

आदेश में एक ऐसी तीव्र जीवन शक्ति! प्राप्त क�ने के क्तिलए एक र्पबिवत्र गं्रथों का अध्ययन, महान संतों के साथ सं�द्ध होना चाबिहए, आध्यात्मित्मक सत्य र्प� गह�ाई से प्रबितपि�ंबि�त आत्मा �ल के रूर्प में आत्मसात क�ने के क्तिलए औ� एक उर्पयु! मानक्तिसक स्थिस्थबित रै्पदा. इसके अलावा आदेश में आध्यात्मित्मक शक्ति! औ� चमक �नाने के क्तिलए प्राणायाम का यौबिगक श्वास व्यायाम है. लेबिकन इन सभी सा.नों ऊर्प� कंुडक्तिलनी जाग�ण है. यह भी सू�ज र्प� ध्यान के द्वा�ा जागृत बिकया जा सकता है. यह सू�ज र्प� सामग्री ऊजा� के एक स्रोत के रूर्प में केवल देखने के क्तिलए र्पया�प्त नहीं है. क्योंबिक आत्मा के स्त� र्प� यह भी भगवान के साथ औ� महज आग की एक गेंद देता है बिक हमें गम� हम एहसास होना चाबिहए बिक यह हमें हमा�े मानस में तीव्र महत्वर्पूण� शक्ति! के साथ �ंगना क� सकते हैं के रूर्प में इस र्प� देख नहीं द्वा�ा र्पया�य �न गया है. हकीकत में यह एक तथ्य है. यदिद भगवान सबिवता की चमक आध्यात्मित्मक अभ्यास, तर्पस्या, बिवश्वास औ� तड़र्प की तीव्र शक्ति! के माध्यम से आत्मसात बिकया जा सकता है तो आध्यात्मित्मक आकांक्षी उम्मीद कभी नहीं खो जाएगा.

 

हमा�े महत्वर्पूण� शक्ति! के इस होश बि�जली ब्रह्मांड के ह� �ोमकूर्प में मौजूद है. के माध्यम से एक मज�ूत संकल्र्प आदमी के रूर्प में ज्यादा मात्रा में आत्मसात क� सकते हैं के रूर्प में वह imbibing के क्तिलए सक्षम है. क्योंबिक एक ही है बिक एक आध्यात्मित्मक के्रडेंशिशयल (Paatrata) के अनुसा� आत्मसात क� सकते हैं. सभी नदिदयों में र्पानी की एक �हुत है. हमें के रूर्प में हम चाहते हैं के रूर्प में ज्यादा र्पानी लेने से कोई नहीं �ोक सकता है. अभी तक हम र्पोत हम र्पास के आका� के अनुसा� केवल इतना र्पानी ले जा सकते हैं. अग� कोई र्पोत है तो हम तथ्य यह है बिक हम तीव्रता के क्तिलए नदी से र्पानी लेने की इच्छा के �ावजूद भी र्पानी की एक �ंूद नहीं ले जा सकते हैं.

 

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सभी आकाशगंगाओं औ� ग्रहों के �ीच सू�ज स�से शानदा� है. यह प्रकाश �ल्� की त�ह नहीं है. क्योंबिक अर्पने स्वयं के प्रकाश ऊजा� के साथ सू�ज दूस�ों उज्ज्वल �नाता है. चाँद भी सू�ज की �ोशनी की वजह से चमकता है. हम क�ने के क्तिलए सूय� के प्रकाश की वजह से ब्रह्मांड में अन्य क्तिसता�ों औ� ग्रहों को देखने में सक्षम हैं. यह सू�ज की �ोशनी है बिक रे्पड़ों को �ोशनी देता है, र्पौ.ों आदिद यह है बिक सू�ज की �ोशनी कक्तिलयों Uूल खिखलने की वजह से है. Prashnopanishad नक्तिचकेता में महत्वर्पूण� शक्ति! के महत्व के एक बिवस्तृत संस्क�ण दिदया गया था औ� वह भी 5 महत्वर्पूण� �लों आग की यह क�ने के क्तिलए सं�ंक्ति.त बिवज्ञान र्पढ़ाया जाता था.

 

उसी त�ह महत्वर्पूण� �ल र्पहलू औ� गायत्री सुर्प� र्पाव� की ऊजा� र्पहलू कंुडक्तिलनी (देवी नाग र्पाव�) है. मूलरूर्प में दोनों एक हैं. बि�जली के क्तिसद्धांत एक ही है. यह क्तिसU� इतना है बिक ve है औ� + ve अर्पने दो र्पहलू हैं. जीवन शक्ति! एक है, लेबिकन श�ी� औ� जीवन शक्ति! अर्पने 2 र्पहलू हैं. गायत्री औ� कंुडक्तिलनी अलग नहीं हैं क्योंबिक इन दोनों .ा�ाओं र्प�स्प� एक दूस�े के रू्प�क हैं. यह कहा जाता है बिक: कंुडक्तिलनी महत्वर्पूण� शक्ति! के मँुह स्रोत गायत्री सश! है. यह गायत्री बिक जीवन शक्ति! का महान बिवज्ञान है. जो लोग इस बिवज्ञान र्पता केवल वेदों के सच knowers हो कहा जाता है.

 

-          Yogachudamani उर्पबिनषद

 

र्पांच शक्ति!शाली डेमी - देवताओं के जीवन शक्ति! को इतनी के रूर्प में अर्पने सभी काय� को रू्प�ा क�ने के क्तिलए एकजुट हो �हे हैं. क्योंबिक वे अव्य! हैं वे मृत बिवज्ञार्पन इस प्रका� से उर्पयोग नहीं बिकया जा सकता हो दिदखाई देते हैं. एक र्परि�णाम के रूर्प में एक जीबिवत बिकया जा �हा है कमजो� औ� ग�ी� हो जाता है. लेबिकन अग� इन शक्ति!शाली सहयोबिगयों को सबिक्रय क� �हे हैं, अग� अर्पनी शक्ति! aptly उर्पयोग बिकया जाता है, तो शेष के �जाय आदमी सा.ा�ण असा.ा�ण हो जाएगा. वह एक अर्पने अर्पमाबिनत �ाज्य उत्थान औ� उज्ज्वल मबिहमा का एक जीवन जीने का अवस� मिमल जाएगा.

 

कबिर्पल तंत्र में 5 तत्वों का वण�न डेमी - देवताओं के रूर्प में 5 का प्रतीक है:

 

बिवvणु अंतरि�क्ष के प्रमुख है. आग के प्रमुख माहेश्व�ी शक्ति! है. शिशव रृ्पथ्वी के प्रमुख है औ� गणेश र्पानी की प्रमुख है. सूय� हवा के प्रमुख है. इस त�ीके में 5 देवताओं हमा�े श�ी� के 5 तत्वों के मुखिखया शक्ति!यों हैं.

 

5 Pranas (महत्वर्पूण� �लों) डेमी - देवताओं 5 भी कहा जाता है. Tantraniv में यह कहा जाता है:

 

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इस प्राणी 5 डेमी - देवताओं है. क्योंबिक यह महत्वर्पूण� �ल है यह शिशव भी है. यह कंुडक्तिलनी सहयोगी दिदव्य ऊजा� के र्पास है. अर्पने Uाम� उज्ज्वल बि�जली की त�ह है.

 

1) 2 प्राण) 3 उड़ान) 4 Apan) 5 Vyan) Samaan: एक इंसान के सूक्ष्म श�ी� में इन 5 Pranas (महत्वर्पूण� �ल) के रूर्प में क� �हे हैं. यह 5 1 कहा जाता है) 2 Devadatta सहयोबिगयों) 3 Vrikal) 4 Kurma) नाग 5) .नंजय. हमा�ी चेतना के 5 र्प�तों को कव� क� �हे हैं. इसके मिमश्रण एक व्यक्ति!त्व का गठन बिकया. उच्च कम अर्पने कद की प्रकृबित के आ.ा� र्प� है औ� एक व्यक्ति! की र्परि�र्पक्वता औ� खास बिवशेषताओं बिवकीण� संतुलन.

 

आ.ुबिनक समबिष्ट - मनोबिवज्ञान के अनुसा� एक व्यक्ति! के व्यक्ति!त्व के 5 त�ीके में वग�कृत बिकया गया है. मनोक्तिचबिकत्सक डॉ. Frederic मोती का कहना है बिक अग� हमा�े व्यक्ति!त्व का 5 coverings की जांच क� �हे हैं औ� एक वैज्ञाबिनक त�ीके से खोला, हमा�े चरि�त्र की अर्परि�र्पक्वता को दू� बिकया जा सकता है �जाय इसे शुद्ध बिकया जा सकता है. 1) स्थिक्लच र्प�त 2) चिसंथेदिटक आवेग 3 र्प�त) 4 र्प�त) आवेगी या मौत 5 र्प�त) बिवस्फोटक या जीवन र्प�त: 5 coverings हैं. स्थिक्लच र्प�त है जो एक अर्परि�र्पक्व ढंग से प्राप्त क�ने र्परि�र्पक्वता र्प� शुरू एक बिवस्फोटक ऊजा� का रूर्प ले लेता है. एक र्परि�णाम के रूर्प में एक ऐसे व्यक्ति! को एक स्वतंत्र, वUादा�, सबिक्रय औ� उर्पयु! जीवन अग्रणी शुरू होता है. 5 ऊजा� Gestalt द्वा�ा वर्शिणंत coverings हमा�े सूक्ष्म श�ी� के 5 sheaths (रं्पच koshas) के अलावा अन्य कोई नहीं क� �हे हैं.

 

�स के रूर्प में हमा�े ब्रह्मांड के दृAय वस्तुओं को एक ही �ास्ते में 5 तत्वों से �ना �हे हैं, व्यार्पक चेतना महत्वर्पूण� �ल harbors. इस ब्रह्मांड 5 जागरूक शक्ति!यों का �ना है. मानव श�ी� भी अर्पनी सूक्ष्म र्पहलू है. वह जो मैक्रो में है (ब्रह्मांड) सूक्ष्म (मानव श�ी�) में र्पाया जाता है. 5 महत्वर्पूण� ब्रह्मांड में र्पाया �लों मानव श�ी� में मौजूद भी हैं. यह एक अव्य! �ीज �ाज्य में मौजूद है. एक �ीज एक रू्प�े रे्पड़ harbors. लेबिकन रे्पड़ के �ीज में स्पष्ट रूर्प से नहीं देखा जा सकता है. एक आदमी औ� एक औ�त के पिडं� के शुक्राणु के क्तिलए एक मानव श�ी� के रूर्प में एकजुट क�ती है. बिU� भी अग� आर्प भी एक माइक्रोस्कोर्प का उर्पयोग क�ें औ� शुक्राणु औ� पिडं� की जांच में यह एक आदमी के �च्चे कभी नहीं कल्र्पना क� सकते हैं. एक ही �ास्ते में साबिवत्री शक्ति! का 5 गुना गबितबिवक्ति.यों के �ा�े में यह क्या इसके प्रत्यक्ष प्रकृबित औ� र्परि�णाम के रूर्प में नहीं कहा जा सकता. इस के �ावजूद, दिदव्य शक्ति! का इस श�ी� में incarnating र्प�, र्परि�णाम है बिक उर्पाजिजत होना हमें अर्पनी शक्ति! औ� अक्ति.का� के एक समझ दे सकते हैं.

 

5 glories 1) 2) 3 .न) 4 ज्ञान) ज्ञान औ� 5) बिनर्पुणता हो सकता है. इस त�ीके में 5 संदभ� की अन्य प्रका� के होते हैं. महाभा�त युद्ध के 5 प्रमुख योद्धाओं 5 र्पांडवों थे. �ाम की सेना में 5 प्रमुखों अंगद, हनुमान, नल, नील औ� Jambavant. वहाँ ज्ञान की 5 अंग हैं. ऐसे कई 5 गुना र्पहलुओं की का��वाई 5 अंगों, 5 गहने, 5 सु.ा, 5 गाय सामग्री, पिहंदुओं का रं्पचांग 5 गुना आदिद वेदांत दश�न के Pancheekaran �हुत प्रक्तिसद्ध है.

 

कंुडक्तिलनी जाग�ण में 5 sheaths के साथ रे्पश क� �हे हैं औ� इन भोजन, जीवन शक्ति!, मन, ज्ञान औ� आनंद sheaths हैं.

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Mahayog Vijnana कंुडक्तिलनी जाग�ण में ऊर्प� 5 sheaths की जागृबित का र्पया�य �न गया है. "ज� कंुडक्तिलनी आध्यात्मित्मक प्रकाश के साथ 5 sheaths बिवकीण� जागा है.

 

श�ी� 5 तत्वों से �ना है. इसके Satvik चेतना 5 त�ीके में प्रकट होता है. ) 1 2 मन) 3 �ुशिद्ध) 4 शक्ति!) की मानक्तिसकता औ� 5) अहंका�.

 

5 Pranas जो भी कहा जाता है महत्वर्पूण� �ल 5 तत्वों के �ाजाओं क्तिसद्धांत से उभ�ने. उन र्प� आ.ारि�त ज्ञान के 5 अंगों उनके इसी 5 वस्तुओं की जिजम्मेदा�ी ले. 5 तत्वों की तमस क्तिसद्धांत मानव सू्थल श�ी� से �नाया जाता है. यह 1 के रूर्प में देखा जा सकता है) 2 �स) 3 �!) 4 मांस) 5 हबिड्डयों) मज्जा. का��वाई के 5 बिवशेष अंगों को भी ऊर्प� उल्लेख तमस क्तिसद्धांत के एक उत्र्पाद है.

 

ज� वैज्ञाबिनक भाषा में हम 5 महत्वर्पूण� �लों औ� 5 sheaths की �ात क�ते हैं, यह स्पष्ट है बिक उनके प्रमुख प्रबितबिनक्ति.यों सूक्ष्म जगत औ� जहान व्याप्त है.

 

यहां तक बिक 5 प्रमुख शक्ति!यों की सामग्री बिवज्ञान वाता�. 1) बिवदु्यत महान शक्ति! 2) कम शक्ति! 3) गुरुत्वाकष�ण �ल 4) �ल औ� 5) बिव�ो.ी �ात है. ब्रह्मांडीय कणों 5 प्रका� के हैं. ) 1 2 न्युट्रीनो) तीन क्वाक�) 4 र्पल्स�) Uोटॉनों 5) laptons. क्वांटम वेव थ्यो�ी के अनुसा� सभी �लों त�ंगों के रूर्प में ले जाते हैं. 5 ब्रह्मांडीय बिक�णों अथा�त हैं. ) 1 2 ध्वबिन) अल्ट्रासोबिनक) 3 4 infrasonic) हाइर्प�सोबिनक औ� 5) सुर्प�सोबिनक. 1 रृ्पथ्वी के 5 र्प�तों को कव� क� �हे हैं) 2 स्थलमंडल) 3 हीड्रास्फीय�) 4 �ीओश्किस्फअ) वाताव�ण pedosphere 5). इन र्प� योण के्षत्र के रूर्प में 1600 मील की दू�ी के रूर्प में दू� चला जाता है. वह भी 5 अक्ति.क coverings अथा�त है. 1) ozonosphere 2 endosphere) 3 troposphere) समतार्प मंडल 4) औ� 5) �बिहम¿डल.

 

5 शक्ति!यों ऐसी है बिक वे भौबितक जीवन के के्षत्र में सबिक्रय हैं. ये bioelectricity, biomagnetism, बिवबिक�ण, बिनमा�ण, प्रजनन औ� प्रबित�क्षा हैं. Bioelectricity 5 प्रका� अथा�त के आगे है. plexus बि�जली, neuronal बि�जली, सेलुल� बि�जली, प्रवाहकत्त्व बि�जली औ� मुख अथवा आनन के क्तिलए उर्पसग� occular बि�जली. आध्यात्मित्मक के्षत्र में इन सभी Varchas, Ojas, तेजस, Brahmavarchas औ� मानस कहा जाता है.

 

वहाँ 5 प्रमुख अंग है बिक मश्किस्तvक मांसरे्पशी कें द्र की देख�ेख औ� इन cortical नाशिभक, thalamus, hypothalamus, मज्जा, औ� �ीढ़ की हड्डी हैं. �स है बिक मश्किस्तvक को सबिक्रय �खने के 5 संख्या में हैं औ� वे न्यू�ो humoral स्राव कहा जाता है. इन dopamine, endorphin, ceratonin, encephalin औ� GABA हैं. ज� इनमें से संतुलन टूट गया है, मश्किस्तvक समा�ोह बिवकृत हो जाता है. 5 हाम«नल गं्रक्तिथयों है जो 5

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sheaths के अनुरूर्प चीटीदा�, थाय�ाइड, अक्ति.वृक्क, gonads औ� बिर्पट्यूट�ी हैं. ज� हम 6 चक्र की �ात क�ेंगे हम भी थाइमस गं्रक्तिथ की �ात क�ेंगे. इस त�ह वहाँ कई लौबिकक औ� व्यक्ति! शा�ीरि�क वग�क�ण जो सूक्ष्म आंदोलनों के �ा�े में लाने हैं. ये 5 प्रमुख ऊजा� समूहों के 5 चेह�े साबिवत्री औ� कंुडक्तिलनी के 5 sheaths कहा जा सकता है. यदिद उनमें से भी कुछ ठीक से उर्पयु! कंट्रोल के माध्यम से संतुक्तिलत क� �हे हैं तो यह एक ऐसे व्यक्ति! से है जो दिदव्य शक्ति!यों से भ�ा है र्प� 5 दुबिनया ��स Uूलों की 5 डेमी - देवताओं की त�ह है. कंुडक्तिलनी जाग�ण के र्परि�णाम इस त�ह के बिवशेष लाभ के भ�ा है.

 

 

सात अध्यायजीवन शक्ति! ऊजा� के श�ी� में यह मानव श�ी� कंकाल है

 

यह कम आmय�जनक नहीं है बिक साढे़ 3 �ाउंड के साथ कंुडक्तिलनी शक्ति! (देवी नाग र्पाव�) कुल महत्वर्पूण� �ल आग के रूर्प में मानव श�ी� में �सता है. यह मानव कंकाल की अतुलनीय कलात्मक कौशल अर्पने बिनमा�ता यानी भगवान कहा जा सकता है. इसे में सत्ता के एक अनंत भंडा� यद्यबिर्प एक अव्य! �ाज्य में र्पाया जाता है. सकल, सूक्ष्म औ� आकश्किस्मक बिनकायों में एक गबितबिवक्ति., बिवचा�ों, भावनाओं, दिदव्य �ुशिद्ध औ� बिवश्वास र्पाता है. उन्हें सबिक्रय क�के आदमी भगवान यानी एक नीच होने से एक अबितमानव स्थिस्थबित के क्तिलए �न सकता है.

 

यह श�ी� 5 तत्वों से �ना है स�से असा.ा�ण रू्प�े ब्रह्मांड में ऊजा� का एक शक्ति!शाली गोदाम है. ज�बिक उसके समीक�ण र्प� प्रकाश डालते E = mc 2 आइंस्टीन का कहना है बिक एक र्प�माणु आर्प 3,50,000 कैलो�ी के मूल्य की ऊजा� देता है. औ� मानव श�ी� सकल, सूक्ष्म औ� अदृAय कणों बिक अवक्ति. रू्प�े ब्रह्मांड से �नाया जाता है. एक रू्प�ी त�ह से 60 बिकलोग्राम के एक औसत वजन के साथ एक मानव श�ी� में मौजूद अनंत बि�जलीघ� कभी कल्र्पना भी नहीं क� सकते हैं. (जो सकल आँखों को दिदखाई है) औ� दिदव्य सूक्ष्म औ� आकश्किस्मक श�ी�. क्योंबिक मानव श�ी� दिदव्य शक्ति! का एक अनंत भंडा� है यह "Jyotisham Jyotihi" कहा जाता है. इसक्तिलए Rishis आदेश हमें सभी इस मानव श�ी� को सबिक्रय क�ने के क्तिलए है औ� यह दुबिनया के कल्याण के क्तिलए उर्पयोग.

 

एक ही स्तब्ध हो सकता है ज� हम बिवशिभन्न शा�ीरि�क अंगों बिवशिभन्न काय� से �ाह� ले जाने के देख सकते हैं. जैसे ले लो. हमा�े दिदल की. �! प्रवाह एक नदी की त�ह नहीं है लेबिकन र्पानी का रं्पर्प है जो झटके में कदम की त�ह है बिक �हुत ज्यादा है. दिदल की .ड़कन संख्या 72/min. औ� एक दूस�े में यह 5 से 6 �ा� है. जो बिक दिदल की .ड़कन प्रकट अनंत बिवदु्यत त�ंगों से एक इलेक्ट्रोकार्तिडंयोग्राम या एक �ंडल कार्तिडंयोग्राम से मार्पा जा सकता है. दिदल में 0.83 सेकें ड का एक �हुत ही कम समय के क्तिलए दिटकी हुई है.

 

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UेUड़ों समय भी दिदल की त�ह एक रू्प�े जीवन के क्तिलए नहीं मिमलता है आ�ाम क�ने के क्तिलए. वे श्वास औ� 20 से 30 हवा का घनत्व इंच साँस छोड़ते. प्रबित मिमनट सांस लेने के लगभग 18 से 20 गुना है. वे ऑक्सीजन श्वास औ� अवांक्तिछत गैसों साँस छोड़ते. एय� �ैग में हजा�ों की संख्या में हैं. यदिद वे एक सी.ी �ेखा में व्यवस्थिस्थत क� �हे हैं, वे 55 �ा� मानव जाबित की ऊंचाई उर्पाय क�ेंगे.

 

जो �ंग में तं�ाकू भू�े �ंग के होते हैं गुद� सेम के �ीज के आका� के होते हैं औ� वे 150 ग्राम वजन. प्रत्येक गुद� 4 इंच लं�े, 2 आ.ा इंच चौड़ी औ� 2 इंच मोटी है. �स के रूर्प में UेUड़ों हमा�े शा�ीरि�क हवा को साU तो भी गुद� हमा�े श�ी� में र्पानी की मात्रा को साफ़ क�ें. मूत्र के माध्यम से वे हमा�े श�ी� से अवांक्तिछत तत्वों को दू� Uें क देते हैं. यह tubelets के 10 लाख से अक्ति.क है. अग� इन सभी एक ही रं्पक्ति! में व्यवस्थिस्थत क� �हे हैं तो एक बिवषुव लाइन की त�ह एक यह र्परि�क्रमा क�ना क� सकते हैं. 1 घंटे में गुद� इतना �! शुद्ध है बिक यह दो �ा� रू्प�े श�ी� का वजन है.

लेखक: अंतरराष्ट्रीय गायत्री परिरवार के संस्थापक आचाय� श्रीराम शमा� एक महान योगी शंकराचाय� और भगवान के अवतार थ ेजि"न्होंने विवश्व कल्याण और शांवित के लिलए आध्यात्मि,मक विवषयों पर मुख्य रूप से वैज्ञाविनक साविह,य की मात्रा लिलखी थी. के लिलए और अधि5क वैज्ञाविनक ई साविह,य pls http://www.shriramsharma.com/ www.awgpestore.com http://www.dsvv.ac.in/ www.akhandjyoti.org यात्रा और http://www.awgp.org/ विववरण: चक्र ध्यान - ESP, Nirvikalpa समाधि5 या मुफ्त ट्रांस बनना Ridhi - Sidhis या ईश्वरीय ऊ"ा�, भविवष्य वैज्ञाविनक 5म�, सुपर ऊ"ा� गायत्री विवज्ञान और कंुडलिलनी योग को सहसंबद्ध न्यूरोसाइंसेस - ESP, Endocrinology, एनाटॉमी, मनोविवज्ञान और सोचा ई पुस्तकें 1) सामग्री और आध्यात्मि,मक समृजिद्ध और 2) दुविनया एक परिरवार के रूप में शांवित से एक"ुट करने के लिलए समा"शास्त्र. एक खूबसूरत अनवधि5 दुविनया: हमारा एक सख्ती गैर वाणिणज्यिJयक वेबसाइट है "ो उम्र के महान नेताओं और दुविनया के विवचारकों के पुराने सपने को साकार करना है. कीवड�: कंुडलिलनी योग गायत्री e-विकताबें अल्ट्रा साउंड टेलिलपाथी parapsychology त,वमीमांसा विनर्विवPकल्प समाधि5 प्रदूषण योग तंत्र विSल्में इंटरनेट सम्मोहन पारिरज्यिस्थवितकी Jयोवितष आयुवUद कल्किल्क bioelectricity स"�री पराबैंगनीविकरण ओ"ोन रडार तनाव रचना,मकता पुरात,व सिसP5ु घाटी सभ्यता ईं5न संकट भो"न की कमी सुनामी "ीवनी गुरु विवश्व शांवित मन मानस देवता सूक्ष्म तंवित्रका चेतना आ,मा परमा,मा ट्रान्स endocrine गं्रलिथयों ESP चक्र plexus ध्यान एकाग्रता बुजिद्ध भविवष्यवाणी Cheiro Nostradamus अरविवPद आनंद मल्किस्तष्क वेद सौर सूय� की ऊ"ा� पविवत्र शुद्ध इंद्रिdयों प्राण अवतार उपविनषद प्रकाश सेल hypothalamus पीयूविषका परिरवत�न भविवष्यवादी भविवष्यवाणी नाविगन शलिe "ीवन मानव नैवितकता अखंडता चरिरत्र वेगस तंत्र Mooladhar परमाणु न्यूट्रॉन सोच सोचा प्रोटोन

 

रे्पट की व्यार्पक शुल्क भोजन को र्पचाने के क्तिलए है, लेबिकन इस समा�ोह में �हुत ही जदिटल औ� बिवशेष है. इस छोटे �ैग (रे्पट) के �स के एक कम�े में �ुलाया जा सकता है. एक ही यह एक जादूग� अक्ति.बिनयम Uोन, क्योंबिक यह कई र्पाचक �स है औ� इन तदनुसा� र्पाचन के कई काय� बिनvर्पादिदत क� सकते हैं. उसी त�ह एक कैम�े की त�ह आंख औ� कान के रूर्प में एक transducer या ध्वबिन बिUल्ट� केवल अद्भतु �ुलाया जाएगा.

 

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त्वचा हमा�े श�ी� का एक सु�क्षा कव� की त�ह है औ� यह एक ढाल के रूर्प में काय� क�ता है. अग� एक इंसान की त्वचा �ाह� Uैल �हा है, यह के्षत्र के 250 वग� Uुट लेता है. त्वचा की 1 वग� इंच में 72 Uुट लं�ी तंबित्रका कोशिशकाओं औ� 12 Uुट लं�ी �! वाबिहकाओं है. त्वचा �ाह� र्पसीने की 1 £ Uें क को pores औ� भी श्वसन के समा�ोह की जिजम्मेदा�ी लेता है. मनुvय न केवल UेUड़ों से, लेबिकन यह भी त्वचा pores से हवा कश लेते. यदिद हमा�ी त्वचा की नसों को एक सी.ी �ेखा में �खा जाता है, इसकी लं�ाई 450 मील की दू�ी र्प� होगा. हमा�ी त्वचा के मेलेबिनन वण�क बिनvर्पक्ष, काले, र्पीले आदिद की त�ह त्वचा का �ंग देता है

 

आमतौ� र्प� त्वचा की मोटाई 0.3 से 3 एमएमएस है, लेबिकन समा�ोह, गबितबिवक्ति., औ� उर्पयोबिगता के आ.ा� र्प� इसकी मोटाई श�ी� के बिवशिभन्न भागों में अलग है. हमा�े 6mm मार्पने मंुह में thinnest 0.5mm औ� �ड़ी से �ड़ी के उर्पाय के आंखों र्प� है. हमा�ी त्वचा में अनंत �ालों के �ोम जिजनकी संख्या �ालों की संख्या के आ.ा� र्प� 3 क�ोड़ रुर्पए हैं. श�ी� �चना बिवज्ञान के आ.ा� र्प� मानव त्वचा 6 coverings है औ� अर्पने काय� को अलग क� �हे हैं.

 

प्रक्तिसद्ध वैज्ञाबिनक डॉ. लोगान Clandering यह एक �ोमांचक औ� �हस्यमय बिनमा�ण का आह्वान बिकया है. वह कहते हैं बिक क्तिसU� त्वचा है, लेबिकन बिनशिmत रूर्प से एक सबिक्रय अंग है हमा�े श�ी� के एक बिनत्मिvक्रय कव� नहीं है. त्वचा के मुख्य समा�ोह छू �हा है. इसके अलावा, इस र्पतली कव� में बिवशेष काय� क�ता है बिक अग� यह सुलझाया जाता है औ� बिU� बिवकक्तिसत यह स्वाद, गं. के काय�, सुनवाई क� सकते हैं, आदिद देखक� औ� हमें उसके extrasensory क्षमता के क्तिलए एक र्परि�चय दे सकते हैं. समय औ� बिU� हम त्वचा त्वचा जिजसमें �द�ू आ �ही है की बिवशेष गुणवत्ता के उदाह�ण मिमल वस्तुओं देखता है, लगता है औ� स्वाद भोजन सुनता है. अं.े लोगों की त्वचा इतनी संवेदनशील हो जाता है बिक वे दृबिष्ट की कमी के �ा�े में र्प�ेशान नहीं क�ते.

 

मानव मश्किस्तvक के बिनमा�ण औ� भी अक्ति.क असा.ा�ण है. 3 र्पाउंड के अतीत, वत�मान औ� भबिवvय के एक अव्य! �ाज्य में यद्यबिर्प मश्किस्तvक harbors ज्ञान के एक वजन के साथ 26 वग� इंच का एक �ॉक्स में संलग्न है. सभी दिदव्य शक्ति!यों के �ीज के रूर्प में बिनबिहत है. मानव मश्किस्तvक में 14 क�ोड़ कोशिशकाओं औ� 14 अ��, 5 लाख नसों जो गे्र औ� सUेद र्पदाथ� के रूर्प में र्पीला औ� सUेद द्रव में तै�ती है. यह मश्किस्तvक श्वास, र्पाचन, मांसरे्पशिशयों आंदोलन के अलावा इस प्रर्पत्र के महान साग� से आदिद की त�ह शा�ीरि�क काय� के बिनदेशक है, स्वाद, गं., स्पश�, औ� ध्वबिन हमेशा मानव जाबित के चा�ों ओ� �हती है औ� उस में turbulences मश्किस्तvक बिहट. मश्किस्तvक को समझता है, र्पहचानता है, यह स� में वग�कृत बिकया है औ� बिU� इसे अर्पने बिनण�य देता है. �ॉक्स में �ुलाया मश्किस्तvक एक नए औ� रु्प�ाने बिवचा�ों, ज्ञान .न इकट्ठा, वत�मान जन्म औ� बिर्पछले जन्मों की स्पष्ट झलक मिमलती है, खुश / दुख की �ात अनुभवों आदिद सभी इस वैज्ञाबिनकों द्वा�ा क्तिसद्ध बिकया गया र्पाता है.

 

दोनों endocrine औ� �बिह: स्त्रावी के समा�ोह गठन �ाह� र्पाया गया वैज्ञाबिनकों उन्हें चमत्का�ी �क्से कहा जाता है. इन गं्रक्तिथयों न केवल मानव श�ी� के गठन में मदद की है, लेबिकन है बिक यह �हस्यमय त�ीके से मश्किस्तvक की सचेत औ� �ेहोश बिहस्सा प्रभाबिवत है.

 

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हमा�े श�ी� की जीबिवत कोशिशकाओं र्प� हमा�े श�ी� की स�से छोटी इकाई के रूर्प में देखा जाता है. यदिद प्रबितमिमनट एक नोट्स, हमा�े श�ी� इन जीबिवत कोशिशकाओं के एक शक्ति!शाली साग� का गठन बिकया. यह र्पैंसठ प्रबितशत र्पानी है औ� सेल cytoplasm रु्प�स, औ� नाशिभक होता है. उनके बिनमा�ण में मानव anatomists हमा�े श�ी� 6,00,00,00,00, 000 कोशिशकाओं के अनुसा� का��न, हाइड्रोजन, ऑक्सीजन, नाइट्रोजन, Uास्फो�स आदिद का उर्पयोग बिकया जाता है. वैज्ञाबिनकों के मुताबि�क यह सामग्री तंत्र इन कोशिशकाओं की ऊजा� का मिमश्रण औ� तत्व है बिक इन कोशिशकाओं के उत्र्पादन में भाग लेने के साथ उर्पाय क�ने के क्तिलए असंभव है.

 

सेल के cytoplasm के कें द्र में एक नाशिभक है. ह� नाशिभक में गुणसूत्रों के 24 जोडे़ हैं औ� वे जीन नामक इकाइयों के �ने होते हैं. ह� कोशिशका जीनों के 5,000 से 1,20,000 जोडे़ है. इन जीनों शाही सेना औ� डीएनए के �ने होते हैं. इस subtility के शिशख� है. एक वंश के कलाका�ों मोल्ड इन जीनों में र्पाया जाता है. अनबिगनत र्पीदिढ़यों के बिवशेष गुण इन जीनों में र्पाया जाता है औ� उक्तिचत समय र्प� यह इन गुणों प्रकट होता है.

 

जाबिह�ा तौ� र्प� यह एक बिर्पता औ� माँ के रूर्प में हालांबिक एक �च्चे procreates लगता है औ� इसक्तिलए �च्चे उन्हें केवल सदृश चाबिहए. लेबिकन यह व्यार्पक .ा�णा एक झटका एक कई �ा� हो जाता है क्योंबिक एक �च्चे के जीन को न केवल अर्पने माता बिर्पता, लेबिकन उनमें से र्पहले रू्पव�जों के असंख्य र्पीढ़ी के कई गुण के �ने होते हैं औ� इस प्रका� �च्चे को कुछ अजी� गुण प्रकट होता है.

 

एक ही ज� एक जीवन शक्ति! है बिक एक इंसान का एहसास चबिकत बिकया जा सकता है. �स के रूर्प में यह आmय�जनक है बिक एक �ीज एक शूट क�ने के क्तिलए र्परि�वर्तितंत बिकया जाता है तो एक संयंत्र के क्तिलए औ� �ाद में उसी त�ह एक जीबिवत बिकया जा �हा है अर्पने �चर्पन के दौ�ान भी अक्ति.क तीव्र एक प्रयास में एक बिवशाल रे्पड़ में,. शुक्राणु इतनी छोटी है बिक यह की 1000 भाइयों एक सुई की नोक र्प� �ैठ सकते है. शयन के दौ�ान वहाँ इतना जननांग अंगों है बिक इसकी वजह से शह एक शुक्राणु से सेट पिडं� यानी अर्पने साथी मिमल में बि�जली उत्र्पन्न है. इस के क्तिलए शुक्राणु के क्तिलए इतनी जल्दी है बिक एक चीता चलाने की तुलना में .ीमी लगता कदम है. ज�बिक एक पिडं� की खोज में एक शुक्राणु के क्तिलए इस त�ह के एक लं�े समय से अर्पने आका� के असंतुलन की वजह से दू�ी है बिक यह एक आदमी circumambulating हमा�ी रू्प�ी रृ्पथ्वी तुलना की जा सकती है चला गया है.

 

हमा�े श�ी� में कई �हस्यों में से एक है बिक अभी तक उनमें से एक �हुमत हमा�े समझ से छुर्पा �हे हैं.

 

हाम«न, गुणसूत्रों, जीबिवत कोशिशकाओं औ� उनके अद्भतु क्षमता, उर्प चेतन मन, भावनात्मक संवेदनशीलता, extrasensory क्षमता के काय� स्वनोदिदत जीवन शैली, प्रभावशाली दिदव्य प्रकाश, �ासायबिनक �ात औ� जीवन शक्ति! की आग के रूर्प में दिदव्य शक्ति! गोदाम क्या क� �हे हैं? हम केवल इस स� के �ा�े में थोड़ा �हुत जानते हैं. लेबिकन यह बिकस आ.ा� र्प� �नाया गया है? मनुvय इस �ा�े में कुछ भी नहीं जानता है. कह �ही है बिक सूक्ष्म श�ी� इन सभी काय� का बिनद�शन क�के हम चुर्प �हते हैं.

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मानव श�ी� प्रभु ह��ट� के �ा�े में कहना है बिक. "जिजसने श�ी� �चना बिवज्ञान के अध्ययन के क्तिलए महत्व देता है एक नाश्किस्तक कभी नहीं. �ह सकते हैं" को स्वीका� क�ने से रू्प�ी त�ह से �चनात्मकता का रू्पण� एक कुशल क्तिचत्रका� के रूर्प में भगवान की शक्ति! aptly सकल औ� सूक्ष्म श�ी� का उर्पयोग क�ने के क्तिलए एक आध्यात्मित्मक लक्ष्य प्राप्त द्वा�ा इस त�ह के एक व्यक्ति!.

 

आठ अध्यायचेतना के साग� छह चक्रों के �ैग में ensnared

 

मानव श�ी� �चना बिवज्ञान के इस र्पहलू सा.ा�ण प्रका� के र्पहले से चचा� की है औ� यह अध्ययन बिकया गया है औ� तकनीकी उर्पक�ण का उर्पयोग क� समझ में आ. यह हमा�े श�ी� के सकल र्पहलू है. �नाने के �ाद एक �ोग बिवशे्लषण सज�न टूटे हुए अंगों के काय� क�ते हैं.

 

से अक्ति.क औ� ऊर्प� ज� हम मानव श�ी� के प्रबित जागरूक र्पहलू की �ात क�ते हैं तो यह बिनशिmत रूर्प से दोनों सकल औ� सूक्ष्म है. यह तो सकल है बिक जैसे ही जीवन शक्ति! के रूर्प में �वाना सू्थल श�ी� के फ्लैट बिग� जाता है औ� बिक श�ी� है जो क्तिसU� एक क्षण र्पहले चल गया था औ� में �ात क� अ� दू� सड़ �हा है. औ� साथ ही श�ी� इतना सूक्ष्म है बिक अर्पने सभी छोटे / �डे़ इकाइयों ब्रह्मांडीय चेतना के क्तिलए शामिमल हो गए हैं. वहाँ कुछ जो वे अर्पनी क्षमता के अनुसा� आत्मसात औ� इसे दू� Uें क भी इस ब्रह्मांड में मौजूद है. क्योंबिक व्यक्ति! की आत्मा ब्रह्मांडीय आत्मा का एक बिहस्सा है, यह रू्पव� से ऊजा� को स्वीका� क�ता है औ� इसे क�ने के क्तिलए अर्पनी क्षमता में योगदान देता है. ज� भी वहाँ कंुडक्तिलनी शक्ति! (देवी नाग र्पाव�) के एक चचा� है वहाँ भी यह �हुत सूक्ष्म होश में कें द्र के एक वण�न है.

 

मानव श�ी� में असंख्य केन्द्रों जो जीवन शक्ति! औ� जीवन शक्ति! ऊजा� में प्रचु� मात्रा में हैं. इन संवेदनशील स्थानों �हे हैं औ� उनकी कुल संख्या 700 है. ज� इन संवेदनशील के्षत्रों में जीवन शक्ति! ऊजा� के असंतुलन है, स्वास्थ्य भी कमजो� होती जाती है औ� इस त�ह इस त�ह के एक व्यक्ति! कई �ीमारि�यों के शिशका� हो जाता है. क्तिचबिकत्सा के के्षत्र में इन संवेदनशील स्थानों �हुत महत्व दिदया जाता है. वास्तव में एक्यूरं्पक्च� औ� एक्यूपे्रश� के त�ीकों के आ.ा� र्प� चीन औ� जार्पान में बिवशिभन्न �ीमारि�यों के इलाज में इन संवेदनशील स्थानों �हे हैं.

 

प्रक्तिसद्ध वैज्ञाबिनक के अर्पनी रु्पस्तक में Carlfried क्तिलखते हैं, "मनुvय का महत्वर्पूण� केन्द्रों" बिक तंबित्रका तंतुओं इन संवेदनशील स्थानों में कें दिद्रत हैं औ� न ही वे एक दूस�े से जुडे़ हुए हैं, लेबिकन यह भी अर्पने कें द्र से सं�ंक्ति.त है. इसके अलावा संवेदनशील स्थानों से हमा�े श�ी� में 7 अन्य प्रमुख केन्द्रों में जो जीवन शक्ति! ऊजा� औ� extrasensory क्षमता के अनंत .न यद्यबिर्प एक अव्य! �ाज्य में र्पाए जाते हैं. इन 7 केन्द्रों चक्र

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या plexuses कहा जाता है. इन चक्रों में ज्ञान तंतुओं (नसों) �ड़ी मात्रा में उत्तेजिजत क� �हे हैं. चक्र के्षत्र में मौजूद है जहां हमा�े सकल औ� सूक्ष्म श�ी� को एकजुट क� �हे हैं.

 

यू�ोर्प, रे्प�ासेलसस, प्रक्तिसद्ध मनोवैज्ञाबिनक "Astrum" के रूर्प में इन शा�ीरि�क सूक्ष्म केन्द्रों (क्तिसता�ों) कहा जाता है औ� कहता है बिक सत्ता के इन भंडा�ों हैं. उनके अनुसा� आकाशगंगा औ� ब्रह्मांड के अन्य भागों की इन केन्द्रों ऊजा� के माध्यम से हमा�े श�ी� में प्रवेश.

 

यौबिगक बिवद्वानों भी कमल के रूर्प में, उदाह�ण के क्तिलए चक्र कहते हैं. हृदय कमल, नाशिभ कमल, खोर्पड़ी अंगे्रजी भाषा में कमल आदिद plexus इस कमल कहा जाता है औ� जार्पानी �ेन Budhism अनुसा� वे "Cusos" कहा जाता है. चीनी ताओ दश�न में चक्र ब्रह्मांडीय रु्परुष औ� मबिहला ऊजा� यानी "यांग औ� मियन" संघ हैं.

 

का वण�न है बिक सूक्ष्म श�ी� की वास्तबिवकता के रूर्प में "र्पाव�" औ� "शक्ति! एवं Shaakta", "मिमस्टीरि�यस कंुडक्तिलनी, वॉल्यूम VG Rele में स� जॉन वूड�ोU द्वा�ा दिदए गए. 2of "भा�तीय दश�न के इबितहास द्वा�ा श्री दासगुप्ता," गे्रट क्तिल��ेशन बितब्�ती �ुक आत्मा के द्वा�ा र्पा�ा Bense र्पौ�ाशिणक कथाओं "इवांस औ� सहूक्तिलयत से", वास्तबिवकता यह है बिक जो आगे औ� भा�तीय Rishis औ� दाश�बिनकों द्वा�ा तंत्र योग के द्वा�ा �खा गया था. कंुडक्तिलनी Ida औ� पिर्पंगला, सुषुम्ना, Merudand औ� 2 Mooladhar सहस्रा� केन्द्रों योग Kundalyupanishad, Yogarnav तंत्र, ध्यान पि�ंदु उर्पबिनषद, Mahanirvan तंत्र, Shatchakra Nirupanam, Kularnav तंत्र, शा�दा बितलक आदिद जैसे शास्त्रों में वर्शिणंत एक वैज्ञाबिनक भाषा में elucidated बिकया जा सकता है एक �हुत सीमिमत त�ीके.

 

वैज्ञाबिनकों ने एक बि�जली बिद्वधु्रवीय के रूर्प में काय�काल सुषुम्ना. अर्पने बिनचले Cada equina नामक बिहस्सा रू्प�ी की ve बि�जली औ� ऊर्प�ी आ.े मश्किस्तvक �ुलाया + ve बि�जली है. Cada equina औ� Mooladhar चक्र के �ाज्य में एक ही है. उसी त�ह "आ�ोही जालीदा� सबिक्रय प्रणाली" मश्किस्तvक में मौजूद योग की सहस्रा� चक्र के ��ा�� है. एक दुल�भ स्थिस्थबित में ज� प्रवाह ऊर्प� से नीच ेसे है, यह जुनून के �ीज से ब्रह्म की यात्रा क�ने के क्तिलए कहा जाता है औ� यह Merudand Devyaan माग� में रू्प�ी हो जाती है. प्रतीकात्मक इन भागों के बिवशिभन्न नाम दिदया जाता है, लेबिकन वास्तबिवकता में वे सूक्ष्म बिवदु्यत चुम्�कीय त�ंगों के रूर्प में मौजूद हैं. वैज्ञाबिनकों ने हमें �ताया है बिक औसतन 1 लाख वोल्ट / हमा�े श�ी� में सेमी की एक बि�जली पे्रश� है. अन्य प्राशिणयों की त�ह जननांगों, त्वचा, औ� उस क्रम में सांस से इस लीक औ� इस त�ह नष्ट हो जाता है. केवल आदमी है जो र्पतन के गडे्ढ में बिग� गया है उसकी आत्मा �ल �ढ़ाने की शक्ति! के साथ बिकया गया है भगवान का आशीवा�द है. रि�साव आदमी द्वा�ा औ� एक चक्र (जाल) से दूस�े के क्तिलए यात्रा का योग प्रथाओं के माध्यम से �ोका जा सकता है, सहस्रा� कमल क्तिस� के्षत्र में सबिक्रय बिकया जा सकता है औ� इस प्रका� एक दिदव्य प्रकाश में वृशिद्ध क� सकते हैं.

 

जैसा बिक र्पहले उल्लेख रू्प�ी त�ह से 6 चक्र �हे हैं. 7 जो सहस्रा� है 1000-petalled कमल कहा जाता है. यहाँ र्प� हम अर्पनी इसी चक्र से मानव श�ी� की �चना के कनेक्शन की एक संशिक्षप्त रूर्प�ेखा दे देंगे.

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Mooladhar चक्र सुषुम्ना के बिनचले गुदा औ� perineum के जननांग अंग के मध्य के्षत्र के क्तिलए इसी Merudand की carksijial के्षत्र में 1/2 (मेरूदंड के मध्य नह�) में स्थिस्थत है. यहाँ र्प� बित्रक तंबित्रका जड़ें बिक Cada equina से उभ�ने का गुच्छा बित्रक औ� perineal plexus �नाने. इन तंबित्रका bunches में बि�जली के प्रवाह eddies क�ना है बिक चक्रवात की त�ह प्रकट ऊजा�. यह �हुत ही सूक्ष्म बिवदु्यत प्रवाह Mooladhar शक्ति! कहा जाता है औ� इसका मुख्य काय� प्रजनन औ� प्रसव है. कंुडक्तिलनी शक्ति! (देवी नाग र्पाव�) एक साढे़ 3 दौ� ट्बिवपिनंग के साथ सोता है. इस प्रवाह योबिगयों द्वा�ा 4 रं्पखुबिड़यों की एक कमल के रूर्प में अनुभव बिकया है औ� इन 4 र्प�म आनंद, प्राकृबितक आनंद, यौबिगक आनंद औ� बिवशिभन्न वी�ता का प्रतीक हैं. यहाँ वहाँ Shabda ब्रह्म (ध्वबिन) एक कंर्पन औ� बिक यह "Lum" से उत्र्पन्न शब्द है. इस चक्र Tanmatra �ू आ �ही है औ� तत्व रृ्पथ्वी है.

 

ज� आर्प मेरूदंड र्प� ऊर्प� की त�U यात्रा (Merudand) अगले चक्र Svadishthan है. यह ऊर्प� 4 उंगक्तिलयों Mooladhar यानी अ.ोजठ� प्रदेश में स्थिस्थत है. यहाँ र्प� plexus सुषुम्ना के तंबित्रका bunches औ� सहानुभूबित नाड़ीग्रब्धिÃ बिक सुषुम्ना के दोनों त�U स्थिस्थत हैं से �ना है. आंतरि�क अंग के क्तिलए संयु! अक्ति.वृक्क गं्रक्तिथ है औ� यह अक्ति.वृक्क हाम«न का स्राव क�ता है. ज� इस adrenalin सबिक्रय है यह मानक्तिसक अशांबित औ� अन्य �ा.ाओं को दू� क�ने की क्षमता है. इसका मुख्य समा�ोह के उत्सज�न औ� उत्सज�न है. लेबिकन ज� यह सबिक्रय है यह शक्ति! औ� शक्ति! �ढ़ जाती है. सुस्ती, आलस, अबिवश्वास, अनुशासनहीनता आदिद की त�ह सभी मानक्तिसक बिवकृबितयों को नष्ट क� �हे हैं. यहाँ र्प� 6 रं्पखुबिड़यों के साथ कमल है. इसका �ीज मंत्र है "Vum". इस चक्र Tanmatra �ासा (�स) औ� उसके तत्व र्पानी है. Mooladhar औ� Svadhishthan चक्र एक समूह औ� उसके (केन्द्र बि�न्दु) संघ Rudragranthi है कहा जाता है के तहत आते हैं.

 

3 चक्र मशिणर्पु� है. सं�चनात्मक दृबिष्टकोण से यह Merudand की काठ के्षत्र यानी नाशिभ के्षत्र में र्पाया जाता है. यहाँ र्प� सौ� जाल जो सहानुभूबित नाड़ीग्रब्धिÃ औ� vagus तंबित्रका �ंडलों की एक गुच्छा के मिमलन के का�ण का गठन बिकया है. इस के क्तिलए संयु! गं्रक्तिथ अग्न्याशय है जो एजंाइमों हाम«न से अलग �नाता है. ज� इस चक्र एक शक्ति! औ� इच्छा शक्ति! augments सबिक्रय है. इसका मुख्य समा�ोह में र्पाचन में मदद क�ने के क्तिलए है. हमा�ी मानक्तिसक बिवकृबितयों कमी औ� एक आध्यात्मित्मक र्पथ का अनुस�ण क�ने के क्तिलए इचु्छक है. यह कमल नाशिभ में स्थिस्थत 10 रं्पखुबिड़यों. इसका �ीज मंत्र "�म" है. इसके Tanmantra प्रर्पत्र (दृAयमान) है औ� इसके तत्व आग है. यदिद आर्प यह सबिक्रय है, श�ी� के 3 आग प्रज्वक्तिलत क� �हे हैं औ� यह इस त�ह ऊर्प� की ओ� यात्रा में मदद क�ता है. इस चक्र की असा.ा�ण ऊजा� अर्पने चक्र मशीन के साथ जार्पान के डॉ. बिह�ोशिशमा Motoyama द्वा�ा मार्पा गया था औ� वह इसके आ.ा� र्प� एक ग्राU योजना �नाई. बितब्�बितयों इसे Manipadma कॉल. चौथे चक्र Anahat जो हृदस््नायुजाल दिदल के र्पीछे स्थिस्थत है. यहाँ सहानुभूबित नाड़ीग्रब्धिÃ श्रृंखला के दौ�ान, सुषुम्ना औ� vagus तंबित्रका के क्तिलए एक जाल के रूर्प में एकजुट है औ� इस त�ह रू्प�े दिदल के्षत्र के क्तिलए ऊजा� की आरू्पर्तितं. यह कमल 12 रं्पखुबिड़यों. रे्पसमेक� ऊजा� की जड़ स्रोत यहाँ है. यह भी संवेदनशील भावनाओं का कें द्र कहा जाता है. इस चक्र कलात्मक कौशल, उन्मादरू्पण� अनुभव औ� नाजुक भावनाओं का स्रोत है. ज� यह सबिक्रय है, उदा� मन से सेवा, आध्यात्मित्मकता, steadfastness की भावना की त�ह भावनाओं abounds "दुबिनया एक एकल एकजुट र्परि�वा� है." थाइमस गं्रक्तिथ के क्तिलए संयु! है. इसका मुख्य समा�ोह के जीवन शक्ति! (प्राण) के �ंद�गाह के क्तिलए है औ� यह aptly का उर्पयोग. इस चक्र के �ीज मंत्र "यम" है. यह Shabda ब्रह्म या Anaahat Naad (दिदव्य ध्वबिन) का केन्द्र बि�न्दु है. इसकी Tanmantra ध्वबिन औ� तत्व हवा है. Anaahat औ� मशिणर्पु� चक्र के साथ डाल दिदया सूया� खंड औ� बिवvणु Granthi Uाम�.

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गले में Vishudhi चक्र है. थाय�ॉयड गं्रक्तिथ औ� pharyngeal औ� laryngeal इसके र्पीछे स्थिस्थत गं्रक्तिथयों Vishudhi चक्र के क्तिलए संयु! �हे हैं. को सबिक्रय क�ने र्प� extrasensory क्षमता के इस चक्र के �ीज के आगे अंकु�. उर्प चेतन मन औ� मानक्तिसक कें द्र को प्रभाबिवत क�ने के द्वा�ा इस चक्र 'साइलेंट के्षत्र "नामक मश्किस्तvक के ठीक आ.े सबिक्रय. यहाँ र्प� कमल 16 रं्पखुबिड़यों औ� अर्पने �ीज मंत्र "हम" है. इसकी Tanmantra स्पश� है औ� अंतरि�क्ष इसकी तत्व है. बिर्पछले चक्र अजन जो Vishudhi चक्र के साथ एकजुट क�के चंद्र समूह औ� ब्रह्मा गं्रथी �नाता है कहा जाता है. इसका �ीज मंत्र है औ� "ओम्" अर्पने तत्व मन है. यह 2 रं्पखुबिड़यों औ� र्पीयूबिषका औ� चीटीदा� गं्रक्तिथ का संघ है. भौंहों के �ीच केन्द्र पि�ंदु र्प� इन गं्रक्तिथयों स्थिस्थत हैं औ� यह सभी शा�ीरि�क काय� को बिनयंबित्रत क�ता है. इसे सबिक्रय क�ने के हमा�े दिदव्य दृबिष्ट खोला है. ज� limbic प्रणाली औ� hypothalamus सबिक्रय क� �हे हैं, सभी मश्किस्तvक coverings खोल �हे हैं. इस प्रका� व्यक्ति! की आत्मा ब्रह्मांडीय आत्मा (भगवान) के साथ एकजुट क�ने में सक्षम हो जाता है.

 

सहस्रा� कंुडक्तिलनी जाग�ण के महान यात्रा है जो आंतरि�क कैप्सूल औ� जालीदा� सबिक्रय प्रणाली में यानी मश्किस्तvक के मध्य के्षत्र में मौजूद है के अंबितम स्टेशन है. स्पाक्स� के हजा�ों से उत्सर्जिजंत हो औ� इसक्तिलए यह सहस्रा� कहा जाता है. यह भी ब्रह्मलोक औ� Brahmarandhra कहा जाता है. Ajna चक्र एक �चनात्मक कें द्र के रूर्प में इसे क�ने के क्तिलए एकजुट है. सहस्रा� उत्त�ी धु्रव है जो ब्रह्मांडीय आत्मा के साथ एकजुट क�ने र्प� को ब्रह्म का आनंद प्राप्त क�ता है. सहस्रा� सबिक्रय क� �हा है दिदमाग में गे्र मैट� के केन्द्रों को सबिक्रय क�ने का मतल� है. सुषुम्ना तंबित्रका जो Mooladhar चक्र नामक आ.ा� से उगता है इसके साथ साथ लेता है (गंगा) Ida औ� पिर्पंगला तंबित्रकाओं (यमुना) को सही क�ने के क्तिलए छोड़ दिदया यानी औ� बिU� छोड़ दिदया सही से. Ida जो �ाईं ओ� है चन्द्र Naadi कहा जाता है औ� बि�जली के उद्यमी गया है - ve. सही र्पक्ष र्प� पिर्पंगला है औ� सूय� Naadi �ुलाया जो एक + ve बिवदु्यत आवेग है. यह संघ के 2 अंक जो सुषुम्ना को एकजुट क�ने के रूर्प Sarawati Mooladhar औ� अजन चक्र में एक 3 गुना संघ �नाता. Ida औ� पिर्पंगला नसों parasympathetic औ� सहानुभूबित नसों प्रणाली का प्रबितबिनक्ति.त्व क�ते हैं. 

 

हकीकत में यह असंभव है सं�चनात्मक संदभ� में कंुडक्तिलनी शक्ति! (देवी नाग र्पाव�) का वण�न है. हम ऊर्प� क्या दिदया महान बिवचा�कों (Maneeshis) का अनुभव है. कंुडक्तिलनी शक्ति! देवी नाग र्पाव�, जीवन शक्ति!, जीवन की आग आदिद देवी कंुडक्तिलनी जाग�ण औ� 6 चक्र की सबिक्रयता से प्राप्त ऊजा� आदमी दिदव्य शक्ति!याँ देता है जैसे कई नाम है.

 

 

नौ अध्यायइस दिदव्य श�ी� सात �त्नों का गोदाम की बितजो�ी

 

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आम तौ� र्प� कंुडक्तिलनी शक्ति! (देवी नाग र्पाव�) हम 6 चक्र की �ात क�ते हैं, लेबिकन वास्तबिवकता में वे संख्या में 7 र्प� चचा� क�ते हुए. सहस्रा� या 1000-petalled कमल सभी चक्र के शिशख� है. क्योंबिक यह मश्किस्तvक में यह एक प्रमुख माना जाता है. यह असा.ा�ण ले�ल है क्योंबिक वहाँ Merudanad (मेरूदंड), औ� बिU� क्तिस� के्षत्र में सहस्रा� भौंहों के �ीच Ajna चक्र में 5 चक्र �हे हैं.

 

7 Lokas (संसा�) में वर्शिणंत हैं. उनके नाम में Bhooha, Bhuvaha, Svaha, Mahaha, Janaha, Tapaha सत्यम हैं. यह इस्लामी शास्त्रों में भी कहा जाता है बिक भगवान 7 वें स्वग� में �हता है . प्राचीन काल से ही एक समान ईसाई .म� में दिदए गए बिवव�ण भी है. ग्रह रृ्पथ्वी एक है अभी तक के प्राशिणयों के 7 वग� यह अथा�त र्प� �हते हैं. �ेत, र्पत्थ�, रे्पड़, जड़ी �ूटी, खबिनज, र्पानी.

 

एक नोट क�ना चाबिहए बिक हमा�े भौबितक जगत के अंत� ता�कीय अंतरि�क्ष में 7 दुबिनया कभी नहीं र्पाया जा सकता है. वे न तो वहाँ आकाश में औ� न ही हमा�े ग्रह रृ्पथ्वी के नीचे. हकीकत में वे मानव चेतना में मौजूद हैं. क्योंबिक जहान (ब्रह्मांड) सूक्ष्म जगत (मानव मानस) में मौजूद है. इसक्तिलए �जाय �ाह�ी दुबिनया में दू� भटक इन 7 Lokas यानी हमा�ी चेतना में भीत� के क्तिलए देखा जाना चाबिहए. इस प्रका� एक ये दुबिनया से संर्पक� क� सकते हैं.

 

आयुव�दिदक क्तिचबिकत्सा के अनुसा� श�ी� 7 खबिनज है औ� वे �!, त्वचा, �स, मांस, हबिड्डयों, मज्जा औ� वीय� हैं. हालांबिक इन जाबिह�ा तौ� र्प� अलग क� �हे हैं, अभी तक वे कसक� भीत� interwoven हैं. इन सभी 7 डाल एक साथ हमा�े सू्थल श�ी� का गठन बिकया. ज� व्यक्ति! के 7 गुना र्पहलुओं र्प� बिवचा� - बिवमश� बिकया जाता है, यह लं�ाई, चौड़ाई, ऊंचाई (र्पहलू 3 गुना यानी होलोग्रफ़ी), बिवशेष अशिभबिवन्यास (समय अंतरि�क्ष) औ� 5 बिव�ो.ी �ात है. यह 5 र्पहलू है जो सूक्ष्म श�ी� है बिक extrasensory क्षमता �ंद�गाहों से मेल खाती है. 6 र्पहलू सोच प्रबिक्रया है औ� 7 दिदव्य भावनाओं है. 1 4 र्पहलुओं बिनत्मिvक्रय हैं औ� शेष तीन चेतना का र्पहलू हैं.

 

Vali भगवान �ाम को मा�ने से र्पहले 7 के रे्पड़ के साथ एक ती� के साथ ही uprooting Sugreeva अर्पने दिदव्य शक्ति! का प्रदश�न बिकया. हकीकत में इन 7 रे्पड़ हमा�े सूक्ष्म श�ी� के 7 चक्र के अनुरूर्प. क्योंबिक अशिभमन्यु इन 7 चक्र एक उर्पयु! त�ीके से नहीं जागा था बिक वह Chakravyuha कौ�वों द्वा�ा तथ्य यह है बिक वह दिदव्य ज्ञान प्राप्त बिकया था, ज�बिक उसकी माँ उत्त�ा के गभ� में अभी तक के �ावजूद नीचे �खी नेट के �ाह� नहीं आ सकी. कंुडक्तिलनी शक्ति! (देवी नाग र्पाव�) इतना मूल्यवान है बिक यह हमा�े सूक्ष्म श�ी� के 7 चक्र जो एक दिदव्य बितजो�ी के ताले में �ंद क� दिदया गया है.

 

ज� हम 7 चक्र (plexuses) की �ात क�ते हैं वे इस आदेश में �ीढ़ अथा�त के आ.ा� से स्थिस्थत हैं. 1. 2 Mooladhar. 3 Svadhishthan. 4 Manipoor. 5 Anaahat. 6 Vishudhi. 7 अजन. सहस्रा�. कुछ स्थानों र्प� अजन चक्र के साथ - साथ वे एक पि�ंदु चक्र भी उल्लेख. इस प्रका� सहस्रा� (Brahmarandhra) एक 1000 petalled कमल या 1000-अध्यक्षता नाबिगन के रूर्प में अंबितम स्टेशन माना जाता है. इस के साथ साथ वास्तबिवकता में वहाँ केवल 7 जिजसमें कम 6 चक्र र्प� सहस्रा� बिनयमों चक्र �हे हैं. यह �हुत बिर्पट्यूट�ी

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गं्रक्तिथ endocrine गं्रक्तिथयों के प्रमुख होने के क्तिलए समान है. ये 6 चक्र से दोनों को अलग से स्थिस्थत औ� भी रूर्प में एक दूस�े �स के रूर्प में एक ही वष� के मौसम एक दूस�े से सं�ंक्ति.त हैं से सं�ंक्ति.त होने के क्तिलए कहा जा सकता है. उन्होंने यह भी 6 मील का र्पत्थ� है औ� कहा जाता है बिक 7 वें एक र्पत्थ� होने के �जाय एक एक र्पबिवत्र मंदिद� है.

 

योबिगयों की एक खास संप्रदाय 7 बिनकायों यानी 1 के रूर्प में इन चक्र कहते हैं. भौबितक श�ी� 2. Etheric श�ी� 3. सूक्ष्म श�ी� 4. मानक्तिसक श�ी� 5. आध्यात्मित्मक श�ी� 6. लौबिकक श�ी� 7. देवी श�ी�. भौबितक श�ी� हमा�े सकल आँखों से देखा जा सकता है. उन्हें छूने से या अन्य सा.नों के माध्यम से श�ी� के भीत� अंग माना जा सकता है.

 

दूस�ा श�ी� है बिक जो बिवचा� रै्पदा होते हैं. यहाँ एक अनुभव र्पसंद / नार्पसंद, / सम्मान अर्पमान, एक ही / एक्तिलयंस, / संतोष असंतोष, / संघ जुदाई औ� अन्य ऐसी मिमठाई / कड़वा अनुभव. यह आकाशीय जो etheric ड�ल के रूर्प में Theosophists ले�ल श�ी� है. उन्हें लगता है यह प्राण कोशा या महत्वर्पूण� म्यान के साथ र्पया�य �न गया है. लेबिकन वास्तबिवकता में यह एक औ� अक्ति.क व्यार्पक सीमा है. यह देखा जाता है औ� 'Biofluxes' के रूर्प में मार्पा. लीड�ीट� के माध्यम से "मैन दृबिष्टगोच� अदृAय" इस र्प� चचा� की थी. यह भी Ideosphere कहा जाता है.

 

3 श�ी� के बिवचा�, तक� , �ुशिद्ध, औ� दिदव्य �ुशिद्ध से सं�ंक्ति.त है. यह सामाजिजक व्यवहा�, सभ्य व्यवहा�, बिवचा�.ा�ा, र्पसंद, मानक्तिसक श�ी� में संस्कृबित आदिद कलात्मक कौशल की उन्मादरू्पण� अनुभव है औ� यह नाजुक भावनाओं को प्रकट क�ने के क्तिलए सं�ंक्ति.त है. इस संवेदनशीलता की दुबिनया है. इस श�ी� में �हता है दया, उदा�ता, आदश� आदिद 4 श�ी� मानक्तिसक श�ी� में जो मबिहमा प्रकट होता है औ� हमा�े साहस औ� वी�ता यहाँ र्परि�र्पक्व होती है. यह इस आ.ा� र्प� है बिक आदमी के लेखकों को अर्पने भबिवvय र्प� है. यदिद यह aptly उर्पयोग बिकया जाता है की आदमी अर्पने जीवन के शिशख� र्प� र्पहुंचता है औ� अर्पने बिवकृत अग�, यह उनके र्पतन की ओ� जाता है.

 

5 श�ी� आध्यात्मित्मक श�ी� है औ� extrasensory क्षमता का एक गोदाम है. उर्प चेतन मन अर्पने के्षत्राक्ति.का� के भीत� है. 6 श�ी� में 7 श�ी� में अंत� के आ.ा� र्प� "मे�ा औ� तुम्हा�ा" दू� है Rishis, रु्परुषों तर्पस्या की, योबिगयों, आत्म - बिनयंत्रण आदिद के रु्परुषों को �नाया जाता है. यहाँ र्प� एक ही र्परि�वा� के रूर्प में "दुबिनया" औ� कहा बिक "सभी प्राशिणयों मे�ी आत्मा का एक बिहस्सा हैं" की भावना जागृत है. यहाँ एक एक आत्मा औ� ब्रह्म के श�ी� के अनुभवों. यह स्वग� औ� आध्यात्मित्मक मुक्ति! के के्षत्र में है.

 

शिशव रु्प�ाण में शिशव के रु्पत्र स्कंद या कार्तितंकेय जन्म के �ा�े में एक अजी� कथा है. भगवान शिशव का मानना था बिक वह एक �हादु� �ेटा जो �ाक्षसों र्प� का�ू र्पाने के क्तिलए औ� डेमी - देवताओं के शासनकाल में स्थाबिर्पत होगा रै्पदा क�ने की जरू�त है. इस प्रका� वह डेमी - देवताओं की प्राथ�ना स्वीका� क� क्तिलया. शिशवाजी वीय� आग के रूर्प में प्रकट होता है. उनकी र्पत्नी र्पाव�ती, इस आग को सहन क�ने में असमथ� था औ� इसक्तिलए Vaishwanar एक मबिहला औ� उसके गभ� में आग के रूर्प में आत्मसात इस वीय� का रूर्प ले

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क्तिलया. ज� स्कंद रै्पदा हुआ था वह इतना दिदव्य प्रबितभा है बिक वहाँ के रूर्प में एक समस्या है जो र्पीछे औ� उसे को र्पोषण देने था प्रकट. Parvatiji कोई अनुभव नहीं था. इसक्तिलए इस काय� को 6 Kritikas (Pleiades स्टा�) द्वा�ा क्तिलया गया था. वे र्पाला औ� मनुvय स्कंद. स्कंद 6 मंुह इतनी के रूर्प में प्रकट 6 Kritikas से दू. र्पीते हैं. इसक्तिलए कार्तितंकेय भी Shadanan (6 क्तिस�ों वाले) कहा जाता है. जैसे ही वह प्राप्त की वह �ाक्षसों र्प� हमला हो सकता है औ� उन र्प� बिवजय प्राप्त क�के वह डेमी - देवताओं से रू्पछा �ागडो� ले.

 

इस स्कंद अवता� 6 (plexuses) के साथ अर्पने प्रभाव का चक्र कंुडक्तिलनी शक्ति! से सं�ंक्ति.त समूह के रूर्प में हेय दृबिष्ट से देखा जाना चाबिहए. शिशव Retas (वीय�) कुछ भी नहीं है, लेबिकन कंुडक्तिलनी आग शक्ति! है औ� आदेश में आत्मसात क�ने के क्तिलए यह आंतरि�क Vaishwanar लागू है. 6 Kritikas 6 चक्र के रूर्प में दू. देने के क्तिलए औ� आत्मा की तीव्र अखाड़ा, एक एहसास आध्यात्मित्मक आकांक्षी जो अर्पने कंुडक्तिलनी शक्ति! सबिक्रय है में एक �हादु� आत्मा �नने से यह र्पबिवत्र आध्यात्मित्मक लक्ष्यों के क्तिलए का इस्तेमाल क�ता है.

 

इन 6 चक्र Merudand के सूक्ष्म भाग में मौजूद बि�जली की ताकतव� औ� ट्रांसUाम�� को भी तुलना की जा सकती है. इसका काय� सूक्ष्म दुबिनया में ऊजा� को आकर्तिषंत क�ने के क्तिलए औ� इस त�ह सकल, सूक्ष्म औ� आकश्किस्मक बिनकायों र्पोषण है.

 

: में Parashakti, Jnanshakti, Icchashakti, Kriyashakti, Kundalinishakti, Matrishakti औ� Guhyashakti तंत्र बिवज्ञान के अनुसा�, दुबिनया की प्रमुख शक्ति!यों के 7 त�ीके में वग�कृत क� �हे हैं. इन सभी के संघ "Farsus की ग्रांड एकीक�ण" कहा जाता है औ� सामग्री अनुसं.ान इस के्षत्र में आयोजिजत बिकया जा �हा है.

 

आध्यात्मित्मक बिवज्ञान में एक 7 दुबिनया, महासाग�ों, र्पहाड़ों, महाद्वीर्पों आदिद यह भूगोल सहसं�द्ध नहीं क� सकते हैं की एक बिवव�ण र्पाता है. क्योंबिक वास्तबिवकता में यह इसके बिनमा�ण औ� क्षमता के साथ साथ आध्यात्मित्मक के्षत्र के एक वण�न है. इन 7 गहने की बितजो�ी क� �हे हैं औ� एक में र्पाता है जो बिक सभी आदमी अर्पने सकल औ� सूक्ष्म जीवन में आवAयकता है.

 

 

 

 

का सम्मान र्पाठकों के क्तिलए एक अर्पील

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सम्मान र्पाठकों बिप्रय:                                 

 

हम खुद को समर्तिर्पंत है स्वग�य युग ऋबिष आचाय� श्री�ाम शमा� की शिशक्षाओं का प्रसा�. हम मुद्रण र्पुस्तकों से हाड� कॉर्पी के रूर्प में औ� वे�साइटों र्प� भी ऐसा. इस र्पबिवत्र काय� के क्तिलए हम हमा�े बिप्रय र्पाठकों के क्तिलए अर्पील क�ने के क्तिलए आर्धिथंक रूर्प से हमा�े श्रदे्धय गुरू की ऐसी र्पबिवत्र साबिहत्य प्रायोजक. कृर्पया ध्यान दें बिक हमा�े मिमशन के क्तिलए दुबिनया भ� में इन र्पबिवत्र शिशक्षाओं का प्रसा� क�ने के क्तिलए है के रूर्प में बिवश्व शांबित औ� बिवश्व एकता उत्र्पन्न

क�ने के क्तिलए.

 

इसक्तिलए अग� आर्प श्री�ाम शमा� आचाय� के साबिहत्य की स�ाहना की है औ� आर्धिथंक रूर्प से अक्ति.क ऐसे र्पबिवत्र गं्रथों के प्रायोजन में रुक्तिच �खते हैं, तो संर्पक� क�ते हैं एमआ� . अशोक

एन �ावल बिनम्न र्पते र्प�.

 

एमआ�. अशोक एन �ावलसी / ओ गायत्री PRAGNA मज्जा

�ंद. बिवसनग� सड़कOPP. GEB

384 001 मेहसाणाउत्त� गुज�ात

भा�त 

     दू�भाष सं:  91-02762-251160 +

     ई - मेल: [email protected]

 

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 कंुडक्तिलनी शक्ति! के क्षेत्राक्ति.का� के अंतग�त BRAHMIC चेतना की गबितबिवक्ति.यां

 

मानव श�ी� में एक दैवीय के प्रबित जागरूक प्रकाश की एक abounding गोदाम र्पाता है. लेबिकन दैबिनक जीवन के उर्पयोग के क्तिलए यह �हुत कम बिकया जाता है. केवल इस प्रकाश की एक �हुत मिमनट बिहस्सा खाने, सोने औ� अन्य दैबिनक दिदनचया� गबितबिवक्ति.यों के क्तिलए प्रयोग बिकया जाता है. बिर्पछले आदत की वजह से केवल एक छोटा सा बिहस्सा उर्पयोग बिकया जाता है. वहाँ कोई संदेह शक्ति! वत�मान का एक �हुत है, लेबिकन यह एक अव्य! अवस्था में है. अग� यह इतना सबिक्रय होता है के रूर्प में यह उर्पयु! प्रयोजनों के क्तिलए उर्पयोग क�ने के क्तिलए तो एक ही काम है जो एक अर्पने तत्वाव.ान में �ाह� ले जा सकता है र्प� चबिकत बिकया जा सकता है. एक प्रयास औ� इन महान आत्माओं की गबितबिवक्ति.यों को देखने के क्तिलए स्तब्ध है. आमतौ� र्प� बिवदु्यत ऊजा� है बिक श�ी� औ� क्तिस� pervades के केवल 7% अर्पनी दैबिनक दिदनचया� में स�से व्यस्त laymen द्वा�ा उर्पयोग बिकया जाता है. शेष भाग कंुडक्तिलनी शक्ति! (देवी नाग र्पाव�) ह� व्यक्ति! में मौजूद जाग�ण द्वा�ा सबिक्रय बिकया जा सकता है. एक �न सकता है आध्यात्मित्मक रूर्प में के रूर्प में एक �हुत शक्ति!शाली इस अव्य! कंुडक्तिलनी शक्ति! हम स� के भीत� मौजूद जागता है.

 

वैज्ञाबिनकों बिवचा�ना दृढ़ बिवश्वास है बिक मानव मश्किस्तvक का श�ी� �चना बिवज्ञान �हुत जदिटल है. यह ह� न्यू�ॉन 60,000 synapses से जुडे़ हुए है. एक न्यू�ॉन से दूस�े को हस्तांत�ण एक आवेग (संदेश) के 360 मील / घंटा की गबित से एक है. त� वे अर्पनी मूल स्थिस्थबित में लौटने. इन सभी आवेगों मश्किस्तvक बिवदु्यत ऊजा� से आते हैं. स्वीडन के जीवबिवज्ञानी, .ा�क हेडन के अनुसा�, यह इस बिवदु्यत आवेग है बिक सोचा था बिक कोशिशकाओं नसों को संवेदनशील हो गया है के का�ण है. चमक के सबिक्रयण, वी�ता, भेदभाव, इन कोशिशकाओं के आवेग का र्परि�णाम है.

 

प्रक्तिसद्ध बिवचा�क वैज्ञाबिनक अल्�ट� आइंस्टीन के अनुसा� मानव स्मृबित गोदाम 1000 अ�� (संदेश) आवेगों जो 5 �ा� 30 उड़ानों में दी गई जानका�ी के क्तिलए �ाशिश की दुकान क�ने की शक्ति! है. मिब्रटैबिनका बिवश्वकोश. 10 अ�� न्यू�ॉन्स औ� 10 अ�� synapses �ना मानव मश्किस्तvक असा.ा�ण गुणों के एक गोदाम है औ� एक जादू �ॉक्स है. डॉ. डीसी �ीU, LH Sneider, डॉ. बिवक्तिलयम Horvij, डॉ. मार्टिटंन डब्ल्यू �ा� बिकया जा �हा है मश्किस्तvक की खास बिवशेषता के साथ चबिकत र्प� आदिद जैसे कई औ� वैज्ञाबिनकों मश्किस्तvक बिवशेषज्ञों का कहना है बिक यह आदमी की र्पहुंच के क्तिलए इस त�ह के एक बिनमा�ण से र्प�े है मश्किस्तvक की त�ह सुर्प� कंप्यूट�.

 

उन दुल�भ लोगों में, एक �चर्पन से ही अद्भतु बिवशेष चमक देखता है. यह एक जागृत कंुडक्तिलनी (देवी नाग र्पाव�) का चमत्का� है. 3 साल की बिनबिवदा उम्र में आचाय� शंक� अर्पनी मातृभाषा मलयालम में महा�त हाक्तिसल थी. वह अर्पने माता बिर्पता से एक ही सुनवाई रु्प�ाणों आदिद में पिकंवदंबितयों याद. वह 5 वष� की आयु में यज्ञोर्पवीत संस्का� दिदया गया था औ� तु�ंत उच्च अध्ययन के क्तिलए भेजा है. 7 वष� की उम्र तक वह 8 साल की उम्र में वह संन्यास में शुरू बिकया गया था वेदांत, वैदिदक गं्रथों आदिद में महा�त हाक्तिसल थी. एक �हुत ही

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कम समय में वह एक Sidha योगी �न गया. वह 16 वष� की उम्र तक सभी प्रमुख वैदिदक गं्रथों र्प� दिटप्र्पशिणयों के उनके लेखन रू्प�ा बिकया था.

 

भा�तीय संस्कृबित की प्राचीन इबितहास इस सच्चाई का एक गवाह है बिक आत्मा की उन्नबित के के्षत्र में Rishis त�ह से उनके जीवन के �हुत प्रा�ंभ से आगे थे. एक कई ऐसे बिवव�ण जो हमें जागृत अज्ञात र्प�मात्मा .न के र्परि�णामों की एक झलक दे र्पढ़ सकते हैं.

 

यह संभव है बिक कुछ र्पाठकों ऊर्प� वण�न एक मात्र अबितशयोक्ति! मिमल सकता है. लेबिकन एक नोट क�ना चाबिहए बिक हाल ही में कई उदाह�ण भी हैं. Alexandra ग्राहम �ेल 20 साल की उम्र में टेलीUोन का आबिवvका� बिकया औ� Bilver ठीक 32 साल की उम्र में हवाई जहाज का आबिवvका�. Ely व्हाइटी 29 साल की उम्र में मशीन का आबिवvका� बिकया है बिक उनके �ीज से कर्पास अलग औ� Blaise र्पास्कल 32 साल की उम्र में कैलकुलेट� का आबिवvका� बिकया. 12 साल की उम्र में जेम्स �त्मिप्तस्मा अ��, ग्रीक, बिहब्रू, Flemish आदिद जैसे बिवशिभन्न भाषाओं में महा�त हाक्तिसल थी औ� इन सभी लोगों में एक जगह सु�शिक्षत है "बिगनीज �ुक ऑU वल्ड� रि�कॉड्�स में."

 

14 वष� की अल्र्पायु में प्रक्तिसद्ध कबिव Gatey "न�क में यीशु मसीह के Disteto में बिवचा�" प्रक्तिसद्ध कबिवता क्तिलखी. बिवक्ट� हू्यगो 14 साल की उम्र से 3000 कबिवताओं को क्तिलखा था. सेंट Jnaneshwar 15 साल की उम्र में "Jnaneshwari गीता" क्तिलखा था. क्तिसकंद� 20 साल की उम्र में एक दुबिनया अशिभयान र्प� छोड़ दिदया है. मुगल �ादशाह अक�� ने 19 साल की उम्र में शाही चिसंहासन औ� �हुत प्रक्तिसद्ध हो गया. सम्राट अक�� ने 19 साल की उम्र में 20 साल औ� शिशवाजी की उम्र में शाही चिसंहासन.

 

औ� कंुडक्तिलनी बिवज्ञान के बिवशे्लषण औ� चचा� दिदव्य अव्य! शक्ति!यों की वास्तबिवकता जाग�ण में है. यदिद इस त�ह के एक आध्यात्मित्मक योग अभ्यास के उर्पाय के माध्यम से संभव है, तो एक असा.ा�ण शा�ीरि�क सकता है औ� मानक्तिसक चमक में वृशिद्ध क� सकते हैं. वी�ता, �हादु�ी, साहस, उत्साह, जोश, सतक� ता ख�ीदखो�ी, औ� समझ का स्त� इतना असा.ा�ण है बिक इस माध्यम से �ाह� बिकए गए गबितबिवक्ति.यों ख़ामख़ाह महान सUलता को आकर्तिषंत क� सकते हैं हो सकता है.

 

मनुvय के रूर्प में �हुत समान हैं, लेबिकन उनके चरि�त्र इतना बिवबिव. है बिक एक �स है�ान है. तो एक सामान्य श�ी� �चना होने के �ावजूद कई लोगों को अभी तक घो� बिन�ाशा का जीवन जी �हे हैं औ� स�ास� �ोझ का एक जीवन जीने. दूस�ी ओ� ऐसे इसी त�ह की र्परि�स्थिस्थबितयों के साथ लोग हैं, जो अर्पने मज�ूत मानक्तिसक शक्ति! से ऐसी स्थिस्थबितयों है बिक वे सUलता के र्पहाड़ों र्पाने �नाने हैं. हालांबिक उनके जीवन �ा.ाओं से भ�ा है, बिU� भी वे उन्हें सUलता की नींव र्पत्थ� में र्परि�वर्तितंत. उनके महान इच्छा शक्ति! उन्हें सUलता के ऐसे एक �ास्ता है बिक वे आसानी से अर्पने लक्ष्य तक र्पहुँचने देता है. वे सभी �ा.ाओं है बिक उनके �ास्ते में आने को कुचलने औ� बिवजयी होक� अर्पने गंतव्य तक र्पहुँचने. यह जागृत दिदव्य शक्ति! का चमत्का� है.

 

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श�ी� एक असा.ा�ण त�ीके से मन से प्रभाबिवत है. इन र्परि�स्थिस्थबितयों, ज� जीवन शक्ति! बि�जली की आरू्पर्तितं के उर्पयु! नहीं है, हमा�े शा�ीरि�क गबितबिवक्ति.यों शिशक्तिथल क�ना सभी. �ीमारि�यों औ� �ोगों में औ� आदेश में यह र्परि�णाम है इसे दू� क�ने के क्तिलए हम दवाई ले. लेबिकन यह देखा गया है बिक क्योंबिक �ीमारि�यों की जड़ ठीक से समा.ान नहीं क� �हे हैं क्या होता है बिक ज� हम दवाई लेने के र्पहले �ीमा�ी गाय� हो जाता है औ� एक नई �ीमा�ी से अक्ति.क लेता है. �ीमारि�यों क्तिसU� Uाम� का र्परि�वत�न है, लेबिकन रू्पण� रूर्प से गाय� नहीं क�ता है. आदेश में इस जाल से �ाह� आने के क्तिलए एक एक शा�ीरि�क बि�जली गोदाम में वृशिद्ध औ� अग� यह �ोगग्रस्त शा�ीरि�क भागों र्प� प्रयोग बिकया जाता है, एक महान र्परि�णाम प्राप्त क� सकते हैं क�ना चाबिहए.

 

यदिद मन लालच, भ्रम, बिवचा�, आदिद इच्छाओं र्प� का�ू र्पा, आदमी उज्ज्वल औ� रु्परुषों के �ीच एक नेता �न सकता है. यहां तक बिक सा.ा�ण र्परि�स्थिस्थबितयों ज� वहाँ कोई अन्य मतल� या मानव एड्स अभी तक उनके व्यक्ति!गत चुं�कत्व के साथ ऐसे लोगों को खुद की ओ� आकर्तिषंत बिक वे ब्रह्मांड Uाम� की आवAयकता के तहत. अर्पने स्वयं के आध्यात्मित्मक �ल र्प� जीवन में औ� �ांस झाड़ी की त�ह एक बिव.ानसभा �नाने के द्वा�ा इस त�ह के उज्ज्वल रु्परुषों अबिग्रम, जीवन के सभी के्षत्रों में असा.ा�ण ऊंचाइयों तक र्पहुँचने. यह अर्पने भीत� सबिक्रय जीवन शक्ति! का र्परि�णाम है. यह वास्तव में कंुडक्तिलनी शक्ति! (देवी नाग र्पाव�) है. ज� यह सबिक्रय है आदमी �ोझ स्वतंत्र औ� बिनड� हो जाता है औ� वह �ा.ा, इस त�ह में कदिठनाइयों combats रूर्प में हालांबिक वह एक खेल स्टेबिडयम में अर्पने रे्पशेव� कौशल दिदखा �हा है.

 

ह� कोई जानता है बिक क्या इंदिद्रयों की शक्ति! है. ह� कोई हाथ, रै्प�, आँखें, कान, जीभ आदिद, लेबिकन उन्हें भीत� एक अदृAय कव� क्तिसU� श�ी� के भीत� के रूर्प में महत्वर्पूण� �ल है का उर्पयोग बिकया जाता है. यहां तक बिक अग� हम सी.े जीवन शक्ति! का अनुभव नहीं है, अभी तक हम अर्पने अश्किस्तत्व को स्वीका� क�ते हैं. से अक्ति.क है औ� इंदिद्रयों की सा.ा�ण काय� के ऊर्प� उसी त�ह समझ औ� उच्च समतल काय� है बिक प्रकृबित में सूक्ष्म होते हैं के बिनvर्पादन का एक तीव्र संभाबिवत है. यह extrasensory क्षमता कहा जाता है. यह सभी मनुvयों में आमतौ� र्प� नहीं देखा है, लेबिकन अग� एक व्यक्ति! के मानस आध्यात्मित्मक तो उन्हें में सबिक्रय है extrasensory क्षमता भी काम र्प� है. Extrasensory क्षमता बिर्पछले जीवन के �ा�े में सोचा imprints भी शामिमल है, एक ही है औ� दूस�ों के भबिवvय जानने, दू� देश में बिकसी भी तकनीकी उर्पक�ण की मदद के बि�ना हो �ही घटनाओं को जानने, दूस�ों के क्तिलए एक के अर्पने बिवचा�ों को भेजने, दूस�ों के बिवचा�ों को समझने औ� इ�ादों आदिद यह कहा जाता है Supramental बिवज्ञान औ� रू्प�ी दुबिनया में इन अनंत उदाह�ण हैं. योबिगक साईंक्तिसस के अनुसा� वहाँ कंुडक्तिलनी जाग�ण का एक र्परि�णाम के रूर्प में एक सहस्रा� चक्र र्प� असा.ा�ण प्रबितबिक्रया है. extrasensory क्षमता के उनके अचेतन अवस्था देक� र्प�मात्मा केन्द्रों सबिक्रय हो जाते हैं औ� वे देख, सुन, चीजें हैं जो आमतौ� र्प� असंभव हो गया होता जानने लगते हैं. हमा�े सकल इंदिद्रयों / अंत� - ता�कीय अंतरि�क्ष, लगता है औ� अर्पनी �ोशनी के असंख्य आंदोलनों कभी नहीं समझ सकता हँू. इन सकल इंदिद्रयों केवल दुबिनया के सकल ज्ञान को आत्मसात क� सकते हैं. लेबिकन अग� एक extrasensory क्षमता सबिक्रय है, यह संभव है Sidhas जो योग के र्पथ का र्पालन बिकया है की त�ह ब्रह्मांड के �हस्यों को समझने के क्तिलए. उन दुल�भ लोगों में इस extrasensory क्षमता तीव्र यह इस जीवन में सबिक्रय प्रयासों के साथ बिर्पछले जन्म औ� कुछ अन्य लोगों में र्पहले से ही सबिक्रय हो गया है.

 

भा�तीय .म� के इबितहास में एक कंुडक्तिलनी सबिक्रयण के माध्यम से प्राप्त क� ली extrasensory क्षमता वाले लोगों के असंख्य उदाह�ण मिमल सकते हैं.

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संजय शाही महल में �ैठा है जो बिक महाभा�त युद्ध में जगह ले जा �हा था के �ाजा .ृत�ाष्ट्र एक भाग दिटप्र्पणी दे दी है.

 

चैतन्य महाप्रभु भगवान श्री कृvण के Lilabhumi (जगह जहां र्प�मात्मा खेल �ाह� बिकए गए) देखा था. वह �ंगाल से वंृदावन के क्तिलए चला गया औ� यह एक तीथ� स्थल के रूर्प में स्थाबिर्पत है.

 

ज� स्वामी बिववेकानंद ने इंग्लैंड में था वह जमशेदजी टाटा जो वहाँ गया था एक लोहे के का�खाने की स्थार्पना की अनुमबित प्राप्त क�ने से मुलाकात की. टाटा स्वामीजी से मुलाकात की औ� स्वामीजी से रू्पछा बिक वह कहाँ लौह अयस्क, कोयला औ� र्पानी की र्पया�प्त मात्रा में मिमल सकता है. स्वामीजी अर्पने दिदव्य मसा के साथ टाटा रू्पछा सक्ची नदी के तट र्प� बि�हा� के क्तिसन्हा भूमिम जिजले में अर्पने का�खाने की स्थार्पना की. उस के्षत्र में स्वामीजी ने कहा, आर्प र्पया�प्त कचे्च माल के क्तिलए अर्पने का�खाने की स्थार्पना की सामग्री मिमल जाएगा.

 

सू्थल श�ी� औ� मानक्तिसक के्षत्र में कई चक्र, गं्रक्तिथयों, plexuses, Naadis औ� उनकी ऊजा� का दिदव्य प्रवाह हैं. सकल भौबितक श�ी� में इन कुछ लोगों के �ीच �हे हैं औ� दूस�ों को सूक्ष्म औ� आकश्किस्मक बिनकायों में हैं. आदेश में इन 3 बिनकायों को सबिक्रय क�ने के क्तिलए एक तर्पस्या औ� बिवशिभन्न स्त�ों के यौबिगक प्रथाओं प्रदश�न बिकया है. लेबिकन अग� इन सा.ना एक खुद की सत्ता र्प� क्तिलया जाता है तो यह समय की एक �हुत लेता है औ� भी कदिठनाइयों से भ�ा है. लेबिकन अग� एक सकल, सूक्ष्म औ� का�ण श�ी� को सबिक्रय क�ने के क्तिलए बिकसी की मदद हो जाता है तो लं�ी जदिटल तर्पस्या के दौ� से गुज� के �जाय, एक एक अर्पेक्षाकृत कम समय अवक्ति. में आध्यात्मित्मक लाभ प्राप्त क� सकते हैं. यह सा.ा�ण नहीं कहा जाना चाबिहए. 

 

उर्प�ो! रं्पक्ति!यों में केवल उन तथ्यों र्प� बिवचा� - बिवमश� बिकया गया है जो श�ी� औ� मन के अक्ति.का� के्षत्र के अंतग�त आते हैं. यदिद इन आध्यात्मित्मक तो बिवकक्तिसत क� �हे हैं एक कंुडक्तिलनी रू्पजा (देवी नाग र्पाव�) में असा.ा�ण सUलता र्पा लेता है. इसके अलावा 2 अन्य के्षत्रों ब्रह्मांडीय चेतना औ� ब्रह्म चेतना कहा जाता हैं. आदेश में उन्हें सश! क�ने के क्तिलए आत्मा बि�जली की लह�ों को �हुत मदद की है.

 

प्रकृबित (माँ प्रकृबित) ब्रह्मांडीय चेतना है. क्तिलखिखत बिवद्वानों यह माया (भगवान की माया शक्ति!) कहते हैं. अर्पने आंदोलनों प्रत्यक्ष औ� ठीक से दुबिनया की गबितबिवक्ति.यों का प्र�ं.न. ब्रह्मांडीय चेतना (प्रकृबित) के सतही coverings खोलने से वैज्ञाबिनकों ने कई आबिवvका� औ� खोजों �ना दिदया है. लेबिकन एक गुप्त बिवज्ञान के र्पहाड़ के �ाद जो कुछ भी आ.ुबिनक बिवज्ञान के द्वा�ा प्राप्त बिकया गया है एक स�सों के �ीज के आका� की तुलना क� सकते हैं अभी तक की खोज की जा �ह है. वहाँ इतना अभी तक शेष है बिक सामने आया की जरू�त है. यह संभव है बिक इस खोज के तकनीकी उर्पक�ण औ� मशीनों के साथ नहीं बिकया जा सकता है. इसक्तिलए आदमी जागृत चेतना का स्त� इतना सूक्ष्म है बिक यह एक �हुत र्पा�दश� कांच के टुकडे़ की त�ह माँ

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प्रकृबित (प्रकृबित) के गह�े recesses देख सकते हैं होना चाबिहए. इस च�ण में कंुडक्तिलनी के के्षत्र में चमक �नाने के द्वा�ा प्राप्त बिकया जा सकता है.

 

�च्चे के प्रसव के शाखा ऐसी है बिक यह संभोग क�ने के क्तिलए सीमिमत बिकया जा �हा है के �जाय यह जीन औ� क्रोमोसोम के के्षत्र को शामिमल बिकया गया है. बिवज्ञान की इस शाखा जेनेदिटक्स कहा जाता है. आमतौ� र्प� अन्य र्पशिक्षयों औ� जानव�ों भी आदमी begets �च्चों लेबिकन आदमी की त�ह अर्पने �च्चों में उच्च समतल बिवशेष गुण �नाने की क्षमता नहीं है. इसमें कोई शक नहीं बिक एक माता बिर्पता की त्वचा, श�ी� में आँखों आदिद के आका� के �ंग देख सकते हैं लेबिकन क्या एक नवजात �च्चे की आंतरि�क चरि�त्र होना चाबिहए क� सकते हैं? क्या बिवशेष गुण �च्चे के भीत�ी व्यक्ति!त्व में चमक चाबिहए? एक सा.ा�ण आम आदमी की यह स� aptly कभी नहीं न्याया.ीश लेबिकन एक जग कंुडक्तिलनी (देवी नाग र्पाव�) अर्पने मन की इच्छा को रू्प�ा क� सकते हैं क� सकते हैं. भा�तीय र्पौ�ाशिणक कथाओं में (रु्प�ाण) वहाँ एक माँ के innumerous उदाह�ण संभोग के बि�ना गभ�वती �नने हैं औ� यह उस व्यक्ति! द्वा�ा बिकए गए गहन आध्यात्मित्मक प्रथाओं के आ.ा� र्प� सूक्ष्म दिदव्य शक्ति!यों को आकर्तिषंत क�ने के द्वा�ा ही संभव था. इस त�ह के एक नवजात �े� हमेशा चमक औ� दिदव्य मबिहमा से भ�ा था.

 

कंुती सूय� (सूय�) बि�जली, .म��ाज से युक्ति.बि��, भीम वायु से, बिकसी भी यौन संघ के बि�ना इंद्र से अजु�न के साथ कण� को जन्म दिदया. माद्री उसके सह र्पत्नी भी इस �हस्य बिवज्ञान र्पढ़ाया जाता था औ� अशिश्वनी कुमा� की शक्ति! के माध्यम से एक र्परि�णाम के रूर्प में नकुल औ� सहदेव को जन्म दिदया. उसी त�ह अंजनी वायु शक्ति! के साथ हनुमान को जन्म दिदया. इस प्रका� 21 की आ.ुबिनक बिवज्ञान के के्षत्र में जेनेदिटक इंजीबिनयरि�ंग के उन प्रयोगों सेंट सदी ऊर्प� र्पौ�ाशिणक उदाह�ण के क्तिलए तुलना में �हुत dwarfish लगते हैं. न केवल इस लेबिकन सबिक्रय extrasensory क्षमता के साथ आध्यात्मित्मक प्रयोग असा.ा�ण �च्चों के माध्यम से प्राचीन समय में जन्म क्तिलया है. भगवान �ाम औ� उसके 3 भाइयों Putreshti यज्ञ का एक र्परि�णाम के रूर्प में रै्पदा हुए थे. धु्रर्पद एक यज्ञ के माध्यम से द्रौर्पदी औ� .ृष्टद्युम्न begetted. द्रौर्पदी असा.ा�ण सौंदय�, भेदभाव, औ� उद्यम के र्पास. .ृष्टद्युम्न महाभा�त युद्ध के दौ�ान र्पांडव सेना के आम� चीU था.

 

Vritrasur भी एक यज्ञ के बिनvर्पादन की वजह से रै्पदा हुआ था. कोई हक्तिथया� उसे मा� सकता है. यह केवल वज्र ऋबिष Dadeechi (आध्यात्मित्मक सबिक्रय थे) हबिड्डयों जो Vritasur मा� सकता से �नाया था. सबिक्रय जीवन शक्ति! का एक वाताव�ण में तीव्र जीवन शक्ति! तीव्र तर्पस्या के माध्यम से बि�जली उत्र्पन्न नवजात babes में बिवशेष चमक सबिक्रय क� सकता है. इस आ.ा� र्प� ऋबिष में लव - कुश रै्पदा हुए थे वाल्मीबिक आश्रम, महर्तिष ंकण्व आश्रम में भा�त, असा.ा�ण चमक के साथ महर्तिष ंजमदत्मिग्न आश्रम आदिद में Vatsaraj उदयन.

 

ब्रह्मांडीय चेतना (प्रकृबित) के संदभ� के साथ एक र्पा�ंर्परि�क प्रणाली है. ब्रह्मांडीय चेतना एक सीमिमत या व्यार्पक �दलाव के �ा�े में ला सकता है के स्पश� के का�ण. इस त�ीके में अग� आदमी इतना इच्छाओं वह अर्पनी आध्यात्मित्मक शक्ति!यों की मदद के साथ आवAयक औ� उर्पयोगी ब्रह्मांड के भूगोल में र्परि�वत�न के �ा�े में ला सकते हैं. काUी हद तक ब्रह्मांडीय चेतना से प्रभाबिवत हो जाता है.

 

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दशिक्षणेश्व� में चेतना की प्रकृबित र्प� प्रभाव की चचा� थी. एक भ! ने कहा बिक माँ प्रकृबित संयंत्र की एक सामान्य बिवशेषता के का�ण ही Uूल का एक प्रका� दे, लेबिकन चेतना के प्रभाव के एक ही र्पौ.े र्प� Uूलों की एक से अक्ति.क बिकस्म दे सकता क� सकते हैं? र्प�महंस ने कहा: चेतना के स्त� र्प� यह संभव है लगभग र्परि�वत�न के सभी प्रका� के �ा�े में लाते हैं.

 

ज� अगले दिदन कुछ भ!ों र्पहुंचे वे गुला� के 2 अलग अलग �ंग के साथ ही गुला� का र्पौ.ा देखा. एक लाल �ंग में थी औ� दूस�ी सUेद था. बिवस्मय में ज� वे Paramhansji आया था, �ाद केवल मुस्कु�ाया. महान संतों, जो दिदव्य शक्ति! का रू्प�ा क� �हे हैं के क्तिलए यह स� �हुत ही सा.ा�ण है, अभी तक के क्रम में वे ऐसे अद्भतु feats प्रदश�न laymen के दिदलों में आत्मा की चेतना (भगवान) के �ा�े में बिवश्वास रै्पदा क�ने के क्तिलए. यह सभी exhibitionism नहीं है औ� यह कभी नहीं क�ना चाबिहए एक दिदव्य शक्ति!यों दिदखा बिकया.

 

भागी�थ के प्रक्तिसद्ध कथा जो तर्पस्या के माध्यम से स्वग� से रृ्पथ्वी र्प� गंगा नदी लाया हमें �ताता है बिक कैसे वह एक ब्रह्मांडीय चेतना औ� मानव चेतना र्प� शासन क� सकते हैं यह कैसे के साथ �न गया है. उसकी तर्पस्या की शक्ति! के माध्यम से अत्री र्पत्नी Anasuya मानस�ोव� की एक .ा�ा से सहायता प्राप्त क�ने के क्तिलए मंदाबिकनी के रूर्प में क्तिचत्रकूट के्षत्र में प्रवाह. इन सभी घटनाओं र्प� enumerated हैं यहाँ दिदखाने के क्तिलए कैसे महत्वर्पूण� इन उदाह�णों जो आमतौ� जो जो केवल ठोस स�ूत में बिवश्वास द्वा�ा की अनदेखी क� �हे हैं. इन सभी प्राकृबितक र्परि�वत�नों संभव आज भी क� �हे हैं.

 

ब्रह्म चेतना भगवान चेतना का र्पया�य �न गया है. यह ब्रह्मांड के भगवान है. केवल यही नहीं, लेबिकन यह माँ प्रकृबित औ� अर्पने स्वयं के कलाका�ों के साथ मनुvय के श�ी� imbued गया है. जहान में जो भी है (ब्रह्मांड) सूक्ष्म जगत (व्यक्ति!गत) में है. सभी व्यार्पक आत्मा में जो कुछ भी है (भगवान) व्यक्ति! की आत्मा (आदमी) में है.

 

भगवान एक एकल इकाई की त�ह नहीं है. क्योंबिक असंख्य सकल, सूक्ष्म औ� आकश्किस्मक बिनकायों उसे क�ने के क्तिलए संयु! �हे हैं. इनमें से कुछ �हुत ही सा.ा�ण कद के हैं औ� �ाकी दिदव्य शक्ति!यों का रू्प�ा क� �हे हैं. लेबिकन उनमें से कोई भी स्वतंत्र हैं. वे ब्रह्म (भगवान) �स के रूर्प में कई मोती एक ही .ागे में बिर्प�ोया जाता है क�ने के क्तिलए एकजुट हो �हे हैं. बि�जली सभी जदिटल ता�ों के �ीच यात्रा औ� इस त�ह बि�ख�े हुए हो जाता है. इस बि�जली के वत�मान �स के �ा�े में ह� जगह है औ� लाभका�ी लक्ष्यों के क्तिलए उर्पयोग बिकया जा सकता है. इस त�ीके में कंुडक्तिलनी शक्ति! (देवी नाग र्पाव�) ब्रह्मांडीय चेतना (रै्प�ा प्रकृबित) के ह� के्षत्र के क्तिलए न केवल लेबिकन सं�ंक्ति.त यह सभी statures है बिक भगवान के क्तिलए एकजुट हो �हे हैं आत्मा को मिमलना क� सकते हैं बिवशिशष्ट आवAयकताओं र्प� आ.ारि�त है. एक रि�Aते की स्थार्पना के एक लक्ष्य के बि�ना नहीं है. क्योंबिक इसके र्पीछे महत्वर्पूण� का�ण हैं औ� इस रि�Aते के साथ इन लक्ष्यों को महसूस क� �हे हैं. यह एक बिवशाल उर्पलब्धिब्ध है. यदिद एक आकांक्षी का एक र्परि�णाम के रूर्प में प्रकृबित (प्रकृबित) औ� भगवान की ह� यूबिनट के साथ एक सं�ं. स्थाबिर्पत इस उर्पयोगी काय� बिनvर्पादिदत क�ता है तो यह केवल आग की उर्पयोबिगता है जो ईं.न के साथ एकजुट चिचंगा�ी के र्परि�णाम की तुलना में बिकया जा सकता है.

 

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एक मुद्रा के माध्यम से एक बिकसी भी शह� में औ� बिकसी भी व्यक्ति! के क्तिलए एक टेलीUोन कनेक्शन प्राप्त क� सकते हैं. उसी त�ह ज� आर्प आत्मा की चेतना (भगवान) मिमलना, आर्प रू्प�ी दुबिनया के बिकसी भी व्यक्ति! को संदेश, बिनद�श, अनु�ो., आदेश भेजने के क्तिलए औ� अर्पनी क्षमता औ� इच्छा वह एक जवा� भी मिमल सकता है के आ.ा� र्प� क� सकते हैं.

 

ब्रह्म कें द्र Brahmarandhra (खोर्पड़ी के्षत्र) है. यहाँ यह है बिक एक सहस्रा� कमल (1000-petalled कमल) र्पाता है. यह भी कहा जाता है उत्त�ी धु्रव. ब्रह्मांडीय चेतना (प्रकृबित चेतना) हमा�े श�ी� के Mooladhar चक्र (जाल) में मौजूद है. यह बि�जली हस्तांत�ण की जड़ स्रोत है. Mooladhar चक्र सहस्रा� कमल Merudand Devyaan माग� के माध्यम से जुडे़ हुए है. यह भी Brahmadand है. यह भी है बित्रवेणी 6 चक्र (3 गुना केन्द्र बि�न्दु) संगम (plexuses), आईडीए, पिर्पंगला औ� सुषुम्ना. कंुडक्तिलनी बिवज्ञान के सभी इस चचा� इस प्राचीन बिवज्ञान के महत्व के �हस्यों का खुलासा, आध्यात्मित्मक तर्पस्या के माध्यम से असंभव को प्राप्त क�ने के उदे्दAय से बिकया गया था औ� मानव मानव चेतना को बिनयंबित्रत क�ने की क्षमता का वण�न है.

 

 

ग्या�ह अध्यायदेवी कंुडक्तिलनी, Mooladhar चक्र में समाया �हने वाला

 

कंुडक्तिलनी शक्ति! (देवी नाग र्पाव�) बिवदु्यत ऊजा�, शक्ति!, औ� चमक की तुलना की गई. एक क्तिलखिखत सूत्र में यह के रूर्प में बि�जली की लाइन के रूर्प में प्रबितभाशाली होने के क्तिलए कहा है. इसे एक सूत्र में कहा जाता है बिक कंुडक्तिलनी दिदव्य Vaishwanar आग औ� एक तीव्र आग की लौ जैसा है.

 

Yogakundalyopanishad में यह कहा जाता है:

 

बिक कंुडक्तिलनी आत्मा चमक औ� ब्रह्म चमक के रूर्प में Mooladhar चक्र के कें द्र में �सता है. यह चमक के रूर्प में हमा�े जीवन शक्ति! औ� जीवन शक्ति! है.

 

यह Mahayog Vijnan में उसी त�ह है बिक कहा जाता है:

 

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Mooladhar चक्र में आत्मा प्रकाश आग के रूर्प में प्रकट होता है. Svadhishthan चक्र में यह मँूगे की एक गोली मा� के रूर्प में प्रकट होता है. मशिणर्पु� चक्र में यह बि�जली की त�ह चमकता है. Nabhi चक्र में यह बि�जली की �ोशनी की त�ह है. Anahat चक्र यह एक phallus का आका� की त�ह है, सUेद �ंग के रूर्प औ� Taalu चक्र में Vishudhi चक्र में एकता औ� बिन�ाका� के एक अनुभव है. Bhroo चक्र में यह हमा�े अंगूठे के आका� की लौ की त�ह है. Ajna चक्र में यह .ूम्रर्पान की लौ की त�ह औ� एक शानदा� कुल्हाड़ी की त�ह सहस्रा� में है.

 

ऊर्प� प्रतीकात्मक वण�न कंुडक्तिलनी महाशक्ति! के बिवदु्यत शक्ति! की एक झलक है. �ेशक, वैज्ञाबिनक अनुसं.ान औ� एक स�ूत के आ.ा� र्प� मानव बि�जली की एक तीव्र भाग के रूर्प में कंुडक्तिलनी कॉल क� सकते हैं. गन र्पाउड� या तो हाबिन�बिहत र्पटाखे जल में या बिवशाल र्पहाड़ों �ंद डायनामाइट झटका की त�ह मदद क� सकते हैं. बि�जली का एक हल्का Uाम� चेह�े र्प� या श�ी� औ� इसकी अक्ति.क तीव्र रूर्प का एक प्रभामंडल 3 खोलने के द्वा�ा देखा जा सकता है के रूर्प में देखा जा सकता है तीस�ी शिशव की आंख है जो �ाख में जला दिदया गया था Kaam देव (कामदेव). Vyaadh दमयंती अशिभशार्प का एक र्परि�णाम के रूर्प में जलक� �ाख हो सकता है. �ाजा साग� के अबिनयंबित्रत �ेटों के हजा�ों जलक� �ाख हो सकता है. इंद्र औ� चंद्रमा एक गौतम अशिभशार्प के का�ण र्पतन का अनुभव क� सकते हैं. यादव क�ीले दुवा�सा शार्प की वजह से नष्ट हो सकता है. यह मानव बि�जली कंुडक्तिलनी है बिक एक भयानक रूर्प ले सकता है. यह भी एक "आध्यात्मित्मक �ारूद." �ुलाया जा सकता है सा.ा�ण ऊजा� एक व्यक्ति! के ह� �ोमकूर्प में मौजूद है. लेबिकन यह मश्किस्तvक, हृदय औ� जननांगों (Mooladhar चक्र) में औ� अक्ति.क ध्यान कें दिद्रत बिकया है. वैदिदक भाषा में इन 3 आग Ahitagni Dakshinagni, औ� Gahrpatyagni कहा जाता है. यह भी है महाकाली, Mahachandi, औ� Mahadurga (3 देवी). लं�े समय महत्वर्पूण� शक्ति! के दो सा.ा�ण ऊजा� व्यक्ति!यों की बिनकटता के का�ण छोटे से जीवन शक्ति! को प्रभाबिवत क�ता है. र्पबिवत्र या नीच संघ के का�ण प्रभाव अच्छा है या �ु�ा है. एक रु्परुष औ� एक मबिहला के संघ ऊजा� के इस दिदव्य खेल है. तर्पस्या के एक आदमी यह �हुत योग आग र्प� तर्पस्या क�ता है. रे्पट की आग (Jatharagni) खाना ह�म औ� यह वीय� गठन के च�ण के क्तिलए ले जाता है. रु्परुषों औ� मबिहलाओं के यौन जुनून की आग (कामात्मिग्न) से उत्तेजिजत एक लौ में एक कीट की त�ह खुद को जला. भाषण की आग (वाणी अत्मिग्न) या मिमत्रों के दुAमनों अच्छा / �ु�ा भाषण के साथ �नाता है. Ojas तेजस, औ� Varchas की चमक सभी मनुvयों में प्रबितभा भी शामिमल है. की आग ब्रह्म (Brahmagni) सहस्रा� कमल (1000-petalled कमल) में �सता है औ� व्यक्ति! की आत्मा र्प�मेश्व� की दृबिष्ट देता है. भावनाओं के दिदल में आग (Bhavagni) दया, दोस्ती, सेवा आदिद Kaalagni के भाव या समय की आग से मौत लाती है के रूर्प में प्रकट होता है. सुस्ती की आग (Mandaagni) सुस्ती औ� मनुvय में �ोगों लाती है. मानव श�ी� में इस प्रका� के असंख्य आग. आज के आ.ुबिनक सामग्री बिवज्ञान 13 ऐसी आग का वण�न क�ता है. वे स� के स� अर्पने स्वयं के बिवशेष गुण है. इनमें महत्वर्पूण� �ल आग कंुडक्तिलनी है जो जीवन शक्ति!, साहस औ� ताक़त में मानव जाबित में abounds है. यह माना जाता है बिक ऊजा� के इस अव्य! स्रोत 6 आदमी के सूक्ष्म श�ी� में मौजूद ताले की कोठ�ी में �ंद क� दिदया है. इन 6 ताले 6 (plexuses) चक्र है जो एक बिवदु्यत प्रवाह, एड़ी या plexuses के रूर्प में श�ी� में मौजूद हैं. क्तिलखिखत बिवद्वानों चक्र औ� एक �हुत ही प्रतीकात्मक त�ीके में कंुडक्तिलनी शक्ति! (देवी नाग र्पाव�) की �ात की है.

 

शाम्भबिव तंत्र का मानना है बिक �स के रूर्प में आर्प अर्पने घ� में प्रवेश क�ने के क्तिलए एक औ� उसी त�ह आदमी में लॉक कंुजी का उर्पयोग क� सकते हैं औ� ऊर्प� सुषुम्ना र्पथ के माध्यम से कंुडक्तिलनी जाग�ण ब्रह्मलोक में प्रवेश क� सकते हैं. Taitereya Aryank, चक्र Devlok कहा जाता है. ज�बिक Soundarya लाबिहड़ी में यह कंुडक्तिलनी शक्ति! का वण�न आदिद शंक�ाचाय� ने कहा है बिक Ajna चक्र औ� सहस्रा� ब्रह्म, ब्रह्मलोक औ� वह भगवान में तै�ती "कैसे का प्रबितबिनक्ति.त्व क�ते हैं.

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इस वण�न इस प्रका� है: -

 

हे कंुडक्तिलनी, रृ्पथ्वी में Mooladhar, Svadhishthan में आग, मशिणर्पु� में र्पानी, Anahat में हवा, Vishudhi में अंतरि�क्ष को सबिक्रय क�ने के द्वा�ा आर्प Ajna चक्र में मन को प्रकाश दे. से अक्ति.क है औ� यह आर्प सहस्रा� कमल में र्प�मेश्व� के साथ खेल के ऊर्प�. में

योग दश�न सूत्र 36 की समाक्ति. PAAD यह कहा जाता है:

 

ज� दिदव्य प्रकाश कंुडक्तिलनी blazes शानदा� ढंग से रु्परुषों के सभी दु: ख र्प� का�ू र्पाने के.

 

पिहंदू .म� के 33 क�ोड़ रुर्पए या 33 कोदिट डेमी - देवताओं की �ात क�ती है. 33 घटकों या मनका सं�चनाओं की त�ह Merudand (�ीढ़ की हड्डी) र्प� र्पाया के अनुरूर्प. ये कशेरुक कहा जाता है. Merudand एक साँर्प के आका� का है. ह� 2 कशेरुकाओं के �ीच वहाँ कशेरुकाओं का समथ�न क�ता है जो मांस के एक बि�स्त� है. इसक्तिलए यह प्रकृबित में लोचदा� है औ� अर्पनी .ु�ी र्प� यह बिकसी भी दिदशा में �ा�ी �ा�ी से क� सकते हैं. यह 5 1 भागों में बिवभाजिजत बिकया जा सकता है) ग्रीवा - 7 2 कशेरुक) छाती-12 काठ का कशेरुक 3) - 5 बित्रक कशेरुक 4) - 5 5 कशेरुक) carksegial कशेरुकाओं 4. इन 33 भागों में एम्�ेडेड क्षमता देवत्व की तुलना में है.

 

इसमें कोई शक नहीं Merudand खोखले (झ�झ�ा) है, लेबिकन यह एक ड्रम की त�ह उथले नहीं है. यह एक मश्किस्तvक मज्जा र्पाता है. �ाए ँ/ सही र्पक्ष र्प� ह� कशेरुक यानी की र्पीठ में छल्ले के आका� का छेद जिजसमें से �ड़ा नसों जो कुछ भी नहीं है, लेबिकन छोटे नसों की एक गुच्छा उभ�ने हैं. Merudand के बिनचले बिहस्से के एक शंकु के आका� का है औ� जाबित टर्मिमनंल कहा जाता है.

 

अक्ति.क कशेरुकाओं कुछ अक्ति.क व्यार्पक वे क� �हे हैं के्षत्रों में छोटे हैं. वे खोखले अंद� नहीं क� �हे हैं औ� एक दूस�े के क्तिलए एकजुट हैं. इन 4 कशेरुक एक अंडा या एक Uूल की कली के आका� के रूर्प में एकजुट हो जाए.ं ये carcix कहा जाता है. इस गेंद को कंुडक्तिलनी योग में कांड "कहा जाता है औ� भी Svayambhoo चिलंगा कहा जाता है.

 

के्षत्रीय दृबिष्टकोण से चक्र इस प्रका� के रूर्प में नामिमत क� �हे हैं. ) 1 मशिणर्पु� Mooladhar 2) 3 Svadhishthan))) 4 Vishudhi Anahat 5). Merudand इस पि�ंदु र्प� समाप्त होता है. Ajna चक्र आइब्रो औ� सहस्रा� खोर्पड़ी के कें द्र में है के �ीच है.

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ज� हम शब्दों चक्र सबिक्रयण, शुशिद्ध, जागृबित आदिद का उर्पयोग इसका मतल� यही है बिक इन गुप्त केन्द्रों की ऊजा� क्षमता प्रकट बिकया जा �हा है.

 

यहाँ एक गह�ाई से समझते हैं बिक क्तिलखिखत के्षत्र में शा�ीरि�क बिवज्ञान (श�ी� �चना) सूक्ष्म बिवज्ञान के एक Uाम� के रूर्प में देखा जाता है. सू्थल श�ी� केवल सूक्ष्म श�ी� की एक छाया है. कभी भी बिकसी भी सकल अंग चाबिहए सूक्ष्म श�ी� के क्तिलए सहसं�द्ध. लेबिकन यह केवल एक छबिव औ� एक प्रबितबिनक्ति. के रूर्प में र्प� चाबिहए देखा जाना. सू्थल श�ी� के अंगों में से कोई भी बिकसी भी दिदव्य आध्यात्मित्मक श�ी� बिवज्ञान में वर्शिणंत शक्ति!यों का है. सू्थल श�ी� से आर्प केवल उन सूक्ष्म शक्ति!यों का एक �ेहोश झलक मिमल सकती है.

 

शब्द Mooladhar 2 भागों से �ना है. मूल - Adhar. मूल जड़ �ेस के साथ, औ� Adhar का मतल� है समथ�न का मतल� है. क्योंबिक यह जीवन शक्ति! का �ुबिनयादी समथ�न है बिक इस के्षत्र Mooladhar कहा जाता है. क्योंबिक यह सूक्ष्म दुबिनया में है यह अदृAय है. अदृAय प्रतीकात्मक अंक सू्थल श�ी� में मौजूद हैं. Ajna चक्र की दिदव्य दृबिष्ट के क्तिलए उदाह�ण के क्तिलए सू्थल श�ी� में काम के रूर्प में 2 आँखों र्पीयूबिषका औ� चीटीदा� गं्रक्तिथ में देखा जाता है. ब्रह्मा चक्र के के्षत्र में हमा�े दिदल काम र्प� है. Mooladhar की बित्रक plexus Merudand (�ीढ़) में देखा जाता है. अर्पनी आध्यात्मित्मक गुणवत्ता की वजह से यह उर्पयु! है बिक यह है बिक स्थिस्थबित औ� मबिहमा र्पा लेता है. Mooladhar प्राण (महत्वर्पूण� �ल) का स्रोत है, लेबिकन इसकी व्यार्पक स्वभाव, व्यवहा� औ� बिवत�ण समा�ोह केवल Merudand के माध्यम से संभव है.

 

Mooladhar �स के ऊर्प� औ� थोड़ा Svadhishthan चक्र नीचे anatomists के अनुसा� बिग�ाया हुआ गं्रक्तिथ है. यहाँ वीय� कें द्र स्थिस्थत है. लह�ों यौन जुनून इस लाती के्षत्र से बिनकलती है. इसके द्वा�ा उत्सर्जिजंत हाम«न शुक्राणु उत्र्पादन के क्तिलए जिजम्मेदा� हैं. मबिहलाओं के गभ� में भी इस के्षत्र में बिनबिहत है. सुषुम्ना के बिनचले के्षत्र में काठ औ� बित्रक plexus बिनबिहत है. इन 2 plexuses मूत्र उत्सज�न औ� जननांगों के यौन जुनून को बिनयंबित्रत क�ते हैं. अग� इस के्षत्र में एक आंदोलन है, या तो एक या दोनों समा�ोह में �ा.ा उत्र्पन्न क� �हे हैं. यह इस के्षत्र है बिक अबितरि�! रे्पशा� की क्तिचबिकत्सा समस्याओं, अबितरि�! कामवासना के स्रोत से है. यह जीवन के सभी उर्पयोगी पे्र�णास्त्रोत के्षत्र है औ� यह भी कांड Kurd, या Kaam �ीज (यौन जुनून के �ीज) कहा जाता है. कांड भी एक औ� Kurma (कछुआ) नाम है. यह Kurma भगवान का अवता� यानी कछुआ अवता� के प्रबितबिनक्ति. है. वार्पस लेने औ� अर्पने रै्प� खींच अर्पनी गबितबिवक्ति. की वजह से यह दिदव्य शक्ति!यों का प्रतीक होने के क्तिलए कहा जाता है. कांड के्षत्र के आका� बिक एक अंडे की त�ह है. यह एक कछुआ औ� हाथों औ� रै्प�ों के वार्पस ले क्तिलया �ाज्य की तुलना में है. समुद्र की कथा में मंथन �ॉड मंथन Mandarachal र्पहाड़ था. प्रभु Kurma कछुए के रूर्प में इस र्पहाड़ के नीचे �ैठ गया औ� अर्पने कं.ों र्प� अर्पने वजन क्तिलया. यह औ� कांड के्षत्र या कछुआ के भीत� की दुबिनया के मंथन की सत्ता के क्तिलए एक प्रतीकात्मक वण�न है.

 

महान बिवचा�कों 6 चक्र के सकल र्पहलू के रूर्प में हाम«न केन्द्रों (गं्रक्तिथयों) सहसं�द्ध है. उन्हें रु्परुषों औ� मबिहलाओं में के अनुसा� एक इन चक्रों में बि�जली �हने का एक बिवकक्तिसत रूर्प में देखता है. रु्परुषों में यह steadfastness के रूर्प में औ� कोमलता के रूर्प में मबिहलाओं में है. इसके अलावा, यह एक जीबिवत बिकया

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जा �हा है की सामान्य गबितबिवक्ति.यों के एक मात्र झलक है. यह एक overstatement इन endocrine गं्रक्तिथयों Uोन नहीं है बिक जादू �क्से के रूर्प में क्तिछर्पाना हाम«न है. बिनम्नक्तिलखिखत 6 हाम«न गं्रक्तिथयों हैं: 1) र्पीबिनयल (हाम«न - ceratonin औ� melatonin)) 2 बिर्पट्यूट�ी (वृशिद्ध हाम«न)) 3 (थाय�ोस्थिक्सन) 4) थाय�ाइड थाइमस (प्रजनन हाम«न) 5) (adrenalin ACTH) 6) adrenals gonads ( टेस्टोस्टे�ोन औ� एस्ट्रोजेन).

 

सा.ा�णतः साँर्प कंुडक्तिलनी औ� Ajna, सहस्रा� आदिद की त�ह चक्र की त�ह एक अव्य! �ाज्य में आम तौ� र्प� क� �हे हैं. गह�ी नींद या �ेहोशी में आदमी भी प्रतीत होता है जैसे बिक वह म� चुका है. ऐसी हालत में वह स� जागरूकता औ� चेतना खो देता है. यहां तक बिक अग� कोई उसे लूटता है बिक वह �ा�े में र्पता नहीं है. यहां तक बिक अग� उसके कर्पडे़ हटा �हे हैं बिक वह इसके �ा�े में र्पता नहीं है. लेबिकन ज� वह जाग वह रू्प�ी त�ह से अर्पने हो सकता है औ� उसकी भी घाटा के �ा�े में र्पता हो जाता है.

 

शा�ीरि�क बिवदु्यत ऊजा� की सा.ा�ण प्रवाह एक अव्य! अवस्था में है, लेबिकन अग� यह उकसाया औ� सा.ना के माध्यम से सबिक्रय है तो वहाँ एक �ड़ा र्परि�वत�न है.

 

ज� तेज हवा �ांसु�ी के छेद बिहट, यह एक ध्वबिन से उत्र्पन्न है. इसी प्रका� यदिद तेज हवाओं �ांस के रे्पड़ों का एक �ड़ा समूह मा�ा, एक जंगल आग र्पीछा क� सकते हैं.

 

एक सूखी र्पक्तित्तयों, घास, .ूल आदिद तेजी से चलती �ेलगाड़ी के �ाद चल �हा है, का�ों आदिद देखने के क्तिलए ज� र्पानी की एक नदी में बिवशाल चट्टानों के खिखलाU �नंूगी तो यह उच्च उगता है. ज� एक र्पानी र्पबिहया के रं्पखों बिU� �ा�ी �ा�ी से एक भी गेहंू अनाज र्पीसने के क्तिलए गेहंू का आटा मिमल सकता है. ज� तकनीकी उर्पक�ण एक झ�ना है बिक एक महान ऊंचाई से नीचे आता है से जुड़ा हुआ है, बि�जली उत्र्पन्न होता है. Typhoons, तूUान, चक्रवात, हमें उनके असा.ा�ण हो सकता है की एक स्वाद दे. इस प्रका� ज� चक्र के क्तिलए उकसाया औ� सबिक्रय क� �हे हैं, औ� इस त�ह सकल, सूक्ष्म औ� आकश्किस्मक बिनकायों उ�ाल यानी सभी 3 बिनकायों हमें अर्पनी शक्ति! का र्परि�चय देते हैं.

 

यह बिवशिभन्न आध्यात्मित्मक गं्रथों में कहा गया है:

 

उन डेमी - देवताओं जो हमें भावना वस्तुओं दे मुक्ति! कभी नहीं दे सकते हैं. जो आध्यात्मित्मक मोक्ष दे भावना वस्तुओं नहीं दे सकते हैं. लेबिकन कंुडक्तिलनी शक्ति! हमें दोनों यानी भावना वस्तुओं औ� मुक्ति! देता है.

 

यह Mahayog Vijnan में कहा जाता है:

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यदिद एक व्यक्ति! के Mooladhar शक्ति! सो �हा है तो उसकी रू्प�ी दुबिनया सो �ही है. लेबिकन अग� एक व्यक्ति! कंुडक्तिलनी शक्ति! जागता है तो उसकी बिकस्मत भी खिखल जाएगा.

 

Mahatantra यदिद यह कहा जाता है:

 

यदिद व्यक्ति! कंुडक्तिलनी शक्ति! जागृत है तो उसकी Vaikhari, Madhyama PARAÃ औ� Pashyanti वाणी (भाषण) भी जागता है. इस त�ह के एक व्यक्ति! के भाषण हमेशा सच आता है.

 

योबिगनी तंत्र में यह कहा जाता है:

 

के रूर्प में जल्द ही के रूर्प में कंुडक्तिलनी बिक व्यक्ति! के भीत� भव्यता जागता है औ� मबिहमा स्पष्ट रूर्प से माना जा सकता है.

 

वहाँ महाभा�त जिजसमें भीvम बिर्पतामह में एक प्रक्तिसद्ध घटना अर्पने नश्व� फे्रम दे ज� सू�ज दशिक्षणायन में था क�ने के क्तिलए तैया� नहीं था. वह उत्त�ायण में म�ने की कामना की. इसक्तिलए वह Devyan माग� चुना दूस�ी दुबिनया तक र्पहुँचने. यहां भी वहाँ कंुडक्तिलनी की एक घटना है. दशिक्षणायन कंुडक्तिलनी की आग है औ� उत्त�ायण क्तिस� के्षत्र में Brahmarandhra की ऊजा� है. Devyan Merudand का र्पथ है. भीvम की कंुडक्तिलनी जाग�ण अभ्यास 1/2 रू्प�ा था. आदेश में इसे रू्प�ा क�ने के क्तिलए वह इस दिदशा में endevaoured ज�बिक ती� की एक बि�स्त� र्प� झूठ �ोल. ज� अर्पने लक्ष्य को रू्प�ा बिकया गया था बिक वह अर्पने नश्व� श�ी� को छोड़ दिदया है.

 

अथव�वेद (19/37/1) में कहा गया है:

 

हे आत्मा की आग, अर्पने अनुग्रह प्रकाश के का�ण, हो सकता है, चमक, साहसी, मुझ में ताक़त अबितप्रवाह. हे आग, अर्पने 33 बिवभागों मुझे आशीवा�द दे सकता है.

 

यह Yajurved में कहा जाता है:

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हे र्प�मात्मा आग �नने उम्र, वी�ता, अचे्छ �च्चे, .न, तेज �ुशिद्ध, प्या�, दृढ़ता, आर्प हमें आशीवा�द दे सकता है.

 

आ.ुबिनक मनोवैज्ञाबिनक का कहना है बिक है बिक कंुडक्तिलनी (देवी नाग र्पाव�) अचेतन मन की अव्य! ऊजा� है. योग के चीनी औ� जार्पानी अनुयामिययों ची, की, शक्ति! कहते हैं.

 

अमेरि�की लेखक ने अर्पनी रु्पस्तक "कंुडक्तिलनी मनोबिवकृबित औ� अबितक्रमण में डॉ. ली Senelia ज�बिक कंुडक्तिलनी के महत्व के �ा�े में क्तिलखने का कहना है बिक आदमी अग� कंुडक्तिलनी जागृत है औ� अक्ति.क सबिक्रय हो जाएगा. चरि�त्र radiates औ� क्तिछर्पा मश्किस्तvक प्रकट जो एक अव्य! �ाज्य में अन्यथा उन क्षमता.

 

Vrihajabalopanishad का कहना है बिक:

 

ज� समय यानी कंुडक्तिलनी के इस आग नीचे की ओ� यात्रा है, आदमी दोनों शा�ीरि�क औ� मानक्तिसक रूर्प से कमजो� हो जाता है. लेबिकन ज� यह ऊर्प� ही उगता है यह है बिक व्यक्ति! को दिदव्य शक्ति!यों (Sidhis) देता है औ� उसे ब्रह्मलोक की ओ� जाता है.

 

स्कंद रु्प�ाण में एक दिदलचस्प कहानी है. बिनमा�ण ब्रह्माजी की शुरुआत में एक लं�े समय अवक्ति. के क्तिलए तर्पस्या प्रदश�न बिकया. एक र्परि�णाम के रूर्प में एक तीव्र आग प्रकट. ज� यह रृ्पथ्वी छुआ, यह आग लग गई. ज� आग आकाश में उच्च गुला� �ाद आग लग गई. बिक तेजस से सभी 10 दिदशाओं के क्तिलए सेट आग स्पाक्स�.

 

आग ब्रह्माजी से कहा: मैं भूख से जल �हा हँू. मुझे खाना दो.. इसक्तिलए ब्रह्माजी आग अर्पने सभी शा�ीरि�क भागों एक एक खाने के क्तिलए दे दिदया. अभी तक आग की भूख तृप्त नहीं बिकया गया था. इसक्तिलए आग ज�बिक क्तिचल्ला "भूख से भूख भी �ोना शुरू क� दिदया.

 

क्योंबिक ब्रह्माजी कोई समा.ान की रे्पशकश क�ने के क्तिलए बिकया था उन्होंने कहा: हे अत्मिग्न, आर्प �हुत इच्छा उन्मुख लोगों के श�ी� में प्रवेश क�ें औ� अर्पने सभी खबिनजों खाने चाबिहए. आग बि�ल्कुल इस बिकया. आग अनबिगनत रु्परुषों / मबिहलाओं, जो इच्छाओं का रू्प�ा थे खा क्तिलया. अभी तक आग नहीं तृप्त बिकया गया था. इसक्तिलए प्रजार्पबित आग रू्पछा Rishis औ� डेमी - देवताओं जहाँ वहाँ अमृत था के मानस में प्रवेश. आग इस अमृत बिर्पया औ� इसक्तिलए संतुष्ट था. इस प्रका� आग बिनवास शुरू क� दिदया.

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उर्प�ो! कहानी का बिनvकष� है बिक अग� कंुडक्तिलनी इच्छाओं के के्षत्र में प्रवेश क�ती है, यह एक इंसान टूट सकता है. लेबिकन ज� कंुडक्तिलनी आध्यात्मित्मक प्रयासों के क्तिलए प्रयोग बिकया जाता है तो न केवल खुद खुश लेबिकन यह है बिक यह व्यक्ति! को यह को श�ण देने के क्तिलए खुशी देता है.

 

कंुडक्तिलनी एक जंगल की आग है जो �ाख के क्तिलए एक भा�ी जंगल जलता की तुलना में है. यह एक र्पनडुब्�ी आग है जो आग के रूर्प में समुद्र में उगता है औ� रू्प�ी त�ह से र्पानी की �बिहत साग� renders की त�ह भी है. ज� देश के कें द्रीय आग गँूज उठता है, वहाँ एक भूकंर्प औ� गम� Uूटना आग की लर्पटों है. मनुvय का �ुबिनयादी शक्ति! क्तिसद्धांत कंुडक्तिलनी जो ब्रह्मांडीय चेतना में शामिमल हो गए है औ� इच्छाओं के आ.ा� र्प� की जरू�त है औ� यह लौबिकक गोदाम से ऊजा� imbibes है. Mooladhar चक्र में अव्य! नाबिगन आग वत�मान बिवष थूकना �हता है ज�बिक कंुड में झूठ �ोल �ही है. लेबिकन यह बिवष अमृत में �दला जा सकता है. कंुडक्तिलनी जाग�ण "र्पीने" अमृत औ� सोमा �ासा (�स) के क्तिलए उच्च चक्र को ऊर्प� उठाने शामिमल है.

 

 

�ा�ह अध्यायकंुडक्तिलनी --- जीवन शक्ति! ऊजा� के एक तीव्र रूर्प

 

आम तौ� र्प� एक र्पतन एक �ु�ा अथ� connotes औ� अच्छा क�ने के क्तिलए वृशिद्ध का मतल� है. इस क्तिसद्धांत को भी श�ी� बिवशेष रूर्प से औ� दू� जननांग अंगों की जीवन शक्ति! का सं�ं. है के क्तिलए लागू है. मादा जननांग अंग औ� सहस्रा� Mooladhar चक्र के रूर्प में क�ा� रु्परुष जननांग अंग के रूर्प में कोई संदेह नहीं है केवल एक प्रतीकात्मक बिवशे्लषण बिकया गया है, लेबिकन यह अभी तक के रूर्प में का��वाई के रूर्प में चिचंबितत हैं नहीं है. इसके �जाय यौन जुनून में Mooladhar ऊजा� ��ा�द नहीं की यह क्तिस� के्षत्र इतना है बिक उक्तिचत ध्यान के माध्यम से दिदव्य ज्ञान की आंख खोला जा सकता है के क्तिलए उठाया जाना चाबिहए. कंुडक्तिलनी शक्ति! (देवी नाग र्पाव�) Shivaling आसर्पास घाव सो �ही एक मबिहला सो साँर्प की त�ह वहाँ �सता है. लेबिकन ज� यह बिवकक्तिसत औ� क्तिस� के्षत्र की ओ� तक �ढ़ जाता है वह सहस्रा� कमल के सूक्ष्म तंबित्रका नेटवक� में यानी मश्किस्तvक के गे्र मामले में �सता है. उदय के �ाद छोटे शिशवचिलंग एक बिवशाल कैलाश र्पव�त के रूर्प लेता है. यह खिखलने 1000 में आगे बिवकक्तिसत - petalled कमल Sahasradal कमल �ुलाया. इस प्रका� एक एक मश्किस्तvक के सभी अव्य! केन्द्रों द्वा�ा सबिक्रय हो. इस जहान के क्तिलए सूक्ष्म जगत की �ढ़ती है.

 

एक बिनयंत्रण की इस त�ह यह �हुत �हुत जरू�ी है बिक Merudand का समथ�न क्तिलया जा. यदिद इस प्रका� सुषुम्ना के प्रबित जागरूक ऊजा� का प्रवाह उच्च र्पबिवत्र लक्ष्यों के क्तिलए इस्तेमाल बिकया जा सकता है तो ब्रह्म का आनंद है बिक n गुना से अक्ति.क भावना सुख की खुशी में एक अनुभव है. Bandah, मुद्रा, प्राणायाम, आसन आदिद जैसे यौबिगक अभ्यास इस प्रयोजन के क्तिलए बिकया जाता है. Via Sidhasan, Vajrasan,

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Shaktichalini मुद्रा, bandhas, प्राण योग आदिद Mooladhar की ऊजा� सबिक्रय / जग गया औ� इतनी के रूर्प में ऊर्प� उठाया यह स्वयं को रू्प�ा केन्द्रों के साथ एकजुट है. लेबिकन इन सभी हठ योग औ� बिक्रया योग प्रथाओं हैं लेबिकन कंुडक्तिलनी सबिक्रयण में र्पहला कदम है. कभी इन कंुडक्तिलनी सबिक्रयण में अंबितम कदम के रूर्प में ले क्तिलया है औ� वास्तव में यह केवल एक ठंड मोट� इंजन हीटिटंग का गला घोंटना का��वाई क�ने के क्तिलए तुलना की जा सकती है.

 

इस बिवषय को बिनशिmत रूर्प से स्पष्टीक�ण की जरू�त है क्योंबिक कंुडक्तिलनी भी Kaamabeej (सभी इच्छाओं औ� यौन जुनून के �ीज) कहा जाता है. एक प्रतीक के रूर्प में शिशवचिलंग �हाल है. ज� शिशवचिलंग तो नहाया है र्पानी र्पोत बितर्पाई स्टैंड र्प� �खा गया है औ� र्पानी की एक �ंूदों से एक शिशवचिलंग स्नान. मबिहला के जननांगों में यौन जुनून है. रु्परुष गुप्तांग के बिनचले आ.े में मादा जननांग है. ज� इन दोनों बिवर्प�ीत सबिक्रय क� �हे हैं तो वहाँ सेक्स रूर्पांत�ण की घटना हैं. रु्परुष एक मबिहला औ� ठीक इसके बिवर्प�ीत हो जाता है. का�ण यह है बिक ऊजा� के इन अव्य! के्षत्रों में प्रवेश क�ती है. यौन जुनून भी उर्प�ो! का�णों की वजह से प्रकट होता है. आदेश है बिक इस अवांछनीय काय� प्रकट अमृत क्तिस� के्षत्र से इन के्षत्रों में dripped नहीं की जरू�त है. यह अमृत सोमा �ासा कहा जाता है. वह Khechri एक मुद्रा के Soham आध्यात्मित्मक अभ्यास घंूट इस सोमा �ासा हो जाता है.

 

ज� एक बितर्पाई स्टैंड शिशवचिलंग स्नान जा�ी है तो इसकी 3 रै्प� Ida, पिर्पंगला औ� सुषुम्ना Naadis (सूक्ष्म तंबित्रकाओं) का प्रबितबिनक्ति.त्व क�ते हैं. एक शिशवचिलंग के स्नान कंुडक्तिलनी जाग�ण का प्रतीक है. इस प्रतीकात्मक वण�न हमें �ताता है बिक कंुडक्तिलनी प्रभु शक्ति!शाली भगवान शिशव है. बिनवास की अर्पनी जगह शुद्ध के रूर्प में कैलाश र्पव�त औ� मानस�ोव� के रूर्प में हेय दृबिष्ट से देखा जाना चाबिहए. यह रु्परुषों औ� मबिहलाओं के जननांग अंगों के रूर्प में नहीं lewdly र्प� देखा जाना चाबिहए. वास्तव में इसके महत्व औ� एक शुद्धता के र्पबिवत्र भावनाओं को श�ण देने के द्वा�ा सा.ना तो प्रदश�न के रूर्प में यह उच्च आध्यात्मित्मक लक्ष्यों के क्तिलए उर्पयोग क�ने के क्तिलए बिकया जाना चाबिहए. उद्यम औ� कलात्मक कौशल औ� काय� औ� सौंदय� की भावनाओं का प्रयास सं�क्षण में ही सूख नहीं बिकया जाना चाबिहए. Mooladhar चक्र जननांग अंगों के र्पास वत�मान के �जाय शिशव ऊजा� उच्च आध्यात्मित्मक लक्ष्यों के क्तिलए उर्पयोग बिकया जाना चाबिहए.

 

कुछ भद्दा हठ योग का आध्यात्मित्मक अभ्यास के �ा�े में कल्र्पना की रू्पण� लोगों के �ा�े में "यौन संघ से ट्रान्स" र्प� चचा� की. वह से है "Sambhog कहते हैं बिक समाक्ति. की अयस्क" वे इसे रु्परुष phallus औ� मबिहला योबिन सहसं�ं.ी. यह क्तिसU� औ� �हुत अश्लील, �ेतुका औ� दिदशा का एक उक्तिचत भावना से �बिहत वास्तव में सही नहीं है. हकीकत में ऐसी अशिशष्ट, अश्लील दिटप्र्पशिणयों के क्तिस� औ� दिदल की त�ह इस त�ह के र्पबिवत्र के्षत्रों स्पश� नहीं क�ना चाबिहए. एक यह र्पबिवत्र �खने की कोशिशश औ� ब्रह्मचय� का र्पालन क�ना चाबिहए औ� इस प्रका� यह उच्च लक्ष्यों के क्तिलए �ढ़ा. यह दोनों रु्परुषों औ� मबिहलाओं द्वा�ा मनाया जाना चाबिहए. क्तिलखिखत लेखकों कंुडक्तिलनी की प्रकृबित र्प� चचा� क�ते समय यह कलात्मक यौन कौशल के क्तिलए सहसं�द्ध है. लेबिकन इसका अथ� यौन वासना नहीं है औ� वास्तव में यह श�ी� में शक्ति! औ� ताक़त की अशिभव्यक्ति! का मतल� है. Mooladhar चक्र भी यौन जुनून के �ीज कहा जाता है औ� सहस्रा� कमल दिदव्य ज्ञान के �ीज है. बिववेकशील गबितबिवक्ति.यों में दोनों र्परि�णाम की शुशिद्ध समन्वय. इस दिदव्य शक्ति! हमें एक चरि�त्र औ� उच्च आदश�वादी सोच के जीवन शुशिद्ध, के सवा¿गीण उन्नबित में एड्स. कंुडक्तिलनी योग बिक आध्यात्मित्मक अभ्यास है जो आध्यात्मित्मक आदश� को प्राप्त क�ने में मदद क�ता है.

 

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Shwetashwatar उर्पबिनषद कंुडक्तिलनी योग की आग "या" नक्तिचकेता आग "कहा जाता है औ� यह एक यज्ञ का शुद्ध आग के साथ र्पया�य �न गया है. यह कहा जाता है बिक जो भी श�ी� में देवत्व का इस आग जलाई है, वहाँ श�ी� diseaseless है औ� मन रू्प�ी त�ह से शांत है. Chainik योग Pradeepika में "" मैं Lohen यह आत्मा "आग" के रूर्प में �ुलाया गया है औ� ahs यह आत्मा के ..कते आग सहसं�द्ध.

 

योग के र्पशिmमी स्कूल के महान बिवद्वान, स� जॉन वूड�ोU "नाबिगन आग" कहा जाता है. क्तिथयोसोबिUकल सोसायटी के संस्थार्पक, मैडम ब्लावत्स्की यह कॉल "कॉश्किस्मक बि�जली" औ� कहना है बिक इसकी गबित 3,45,000 मील / सेक है. ज�बिक प्रकाश की गबित 1,95,000 मील / सेक है. बिवदु्यत त�ंगों 2,99,000 मील / सेकंड के एक गबित है. महान वैज्ञाबिनकों के अनुसा� सोचा त�ंगों की गबित 7 �ा� बिवदु्यत त�ंगों से अक्ति.क है यानी यह 22,65,120 मील / सेक है. एक बिवचा� की फ्लैश र्पल में एक रृ्पथ्वी 40 �ा� र्परि�क्रमा क�ना क� सकते हैं.

 

एक आध्यात्मित्मक शक्ति! होने के �ावजूद कंुडक्तिलनी बिनशिmत रूर्प से शा�ीरि�क बि�जली सहसं�द्ध हो जाता है. अर्पनी रु्पस्तक "मिमस्टीरि�यस कंुडक्तिलनी" में डॉ. Vasantji Rele यह एक तंबित्रका Uोस� कॉल. इस रु्पस्तक का र्परि�चय स� जॉन वूड�ोU द्वा�ा क्तिलखा गया है. उनके अनुसा� जहां Rele सं�द्ध कंुडक्तिलनी सही vagus तंबित्रका के साथ वह वहां खुद यह एक �ड़ा �ल कॉल. उनके अनुसा� कंुडक्तिलनी एक गबितशील वास्तबिवकता है. यह एक अव्य! ऊजा� है, जो एक �ात के सामान्य रे्पचीदगी के �जाय बिवकक्तिसत (उच्च स्थार्पना) है बिवकीण� एक चरि�त्र दिदव्य मबिहमा के साथ क� सकते हैं. एक स्थिस्थ� �ाज्य में वसंत Rele कंुडक्तिलनी के अनुसा� सा.ा�ण है, लेबिकन ज� यह गबितज रूर्प ले लेता है यह महत्वर्पूण� शक्ति! �न जाता है. उनके अनुसा� Hathayoga Pradeepika, शिशव संबिहता औ� Shatchakra Niroopan जैसे गं्रथों का कहना है बिक कंुडक्तिलनी ब्रह्मांड में जो महान के प्रबित जागरूक शक्ति! व्याप्त एक व्यक्ति!र्प�क रूर्प है.

 

र्पशिmमी वैज्ञाबिनक हडसन अर्पनी प्रक्तिसद्ध रु्पस्तक "Seership की बिवज्ञान" जो भी Hathayoga के एक बिवद्वान है बिक जादुई शक्ति! कंुडक्तिलनी एक महान रु्पण्य गुरू के माग�दश�न के तहत ही है औ� सबिक्रय होना चाबिहए बिक कहते हैं बिक मन शुद्ध यानी बिकसी भी इच्छा से �बिहत होना चाबिहए . व�ना अग� कंुडक्तिलनी नीचे की ओ� चलता है, यह वासना औ� भावना वस्तुओं के क्तिलए लगाव का नेतृत्व क�ेंगे. औ� बिU� इस शक्ति! संतोषजनक नीच इच्छाओं औ� स्वाथ� की जरू�त त�ह की गबितबिवक्ति.यों में दुरुर्पयोग बिकया जाएगा.

 

जैन योग शिशक्षकों रूर्प में "Tejoleshya" कंुडक्तिलनी नाम दिदया है औ� इसे प्राप्त क�ने की 2 त�ीके दिदया. र्पहली बिवक्ति. के क्तिलए तर्पस्या प्रदश�न क�ते हुए भोजन औ� र्पानी की �हुत सीमिमत मात्रा लेने के क्तिलए है. दूस�े मोड सूय� यानी की बिक�णों ज�बिक सू�ज र्प� ध्यान सौ� ऊजा� imbibing के साथ एक श�ी� की गम� है. Tejoleshya की जड़ स्रोत सूक्ष्म श�ी� होना कहा जाता है. यह कें द्र भी कंुडक्तिलनी के अंतग�त आता है. Tejoleshya भी साबिवत्री रू्पजा की एक रूर्प कहा जा सकता है.

 

कंुडक्तिलनी शक्ति! र्प� चचा� की, यौबिगक वैज्ञाबिनकों का कहना है बिक "मौन की आवाज" लोग आग औ� बि�जली के प्रभाव को जानते हैं औ� इसे का उर्पयु! उर्पयोग क� यह है. यदिद वे वास्तव में आध्यात्मित्मक औ�

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आध्यात्मित्मक आग के इस्तेमाल को समझने की तो एक आत्मा के के्षत्र के असंख्य Sidhis (दिदव्य शक्ति!यों) को प्राप्त क� सकते हैं.

 

डॉ. स्कॉट का कहना है बिक इस सहायता जिजसका हमा�े जीवन काय� के ट्रांजिजस्ट� के साथ एक बिक्रस्टल है. यह anatomists यह अर्पने स्वयं के �ास्ते में वण�न है औ� वे �ीढ़ की हड्डी औ� "गेंश्किग्लयोन अयुग्मी." Mooladhar चक्र कॉड� एक जन�ेट� Uोन की तुलना में है, डाइनेमो, �ैट�ी, चुं�क आदिद स� को स्वीका� क�ता है बिक यह यौन जुनून के के्षत्र की एक चमकदा� क्तिचता है औ� कहा बिक अग� यह उच्च उठाया है, यह है बिक व्यक्ति! को असा.ा�ण शक्ति!यां देता है.

 

ब्रह्मांडीय होश में बि�जली की जड़ स्रोत औ� सामग्री दुबिनया के बि�जली के बिवव�ण के साथ साथ डॉ. हेन�ी Lindal भी मानव श�ी� में काम क� �हे बि�जली elucidated है. ब्रह्मांड में मौजूद सभी दौ� रृ्पथ्वी बिवदु्यत चुं�कीय त�ंगों के जाल Uैला है औ� यह सका�ात्मक बि�जली 3 लाख वोल्ट का एक �ल दिदया है. ह� प्राणी 5 वोल्ट / मीट� के एक द�ाव भालू. कंुडक्तिलनी शक्ति! (देवी नाग र्पाव�) के रूर्प में इस ब्रह्मांडीय बि�जली के सूक्ष्म भाग मानव श�ी� में �सता है. डॉ. Lindal कहा गया है बिक मानव कोशिशकाओं औ� तंबित्रकाओं की गबितबिवक्ति.यों में बिवदु्यत ऊजा� की एक �ड़ी �ाशिश का उर्पयोग हो जाता है. इसके स्रोत मश्किस्तvक औ� दिदल नहीं है. यह हमा�े जीवन का प्रा�ंभ औ� अंत के आ.ा� है. लेबिकन इस स्रोत एकत�Uा नहीं है. मश्किस्तvक गे्र Merudand औ� सुषुम्ना बिक Cada equina मेल खाती के बिनचले आ.े के शीष� र्प� स्थिस्थत �ात है, जीवन शक्ति! बि�जली रै्पदा क�ता है. जालीदा� सबिक्रय प्रणाली यानी मश्किस्तvक गे्र मामले में वहाँ बि�जली के आग की एक सतत अबितप्रवाह है. इस बि�जली का एक �ड़ा बिहस्सा दशिक्षणी धु्रव जो भी यौन जुनून के कें द्र है में र्पाया जाता है. डॉ. बिह�ोशी Motoyama अर्पने एमी मशीन की मदद के साथ ध्यान की इस पि�ंदु में इस बि�जली के घने अनुर्पात र्पाया गया है. का�ण है बिक वैज्ञाबिनकों यौन जुनून के इस कें द्र र्प� एक बिवस्तृत शो. अध्ययन बिकया है क्योंबिक कंुडक्तिलनी जीवन की गबितबिवक्ति.यों का एक महत्वर्पूण� के्षत्र है. क्योंबिक एक नए �हने जा �हा है नई सामग्री के उत्र्पादन के माध्यम से भ�ा है, अर्पनी शक्ति! औ� सभी अंगों की तुलना में महत्व स�से अक्ति.क संवेदनशील है औ� �हुत शक्ति!शाली है. बित्रक plexus औ� Cada equina �हुत जदिटल है औ� मश्किस्तvक की त�ह क्तिसU� शा�ीरि�क दृबिष्टकोण से महत्वर्पूण� है. , डॉ. सी. Naranjo - ध्यान के मनोबिवज्ञान "इस तथ्य को श्री ली Sanela द्वा�ा बिकया गया है variedly अर्पनी रु्पस्तक" मानक्तिसकता औ� Transcedence कंुडक्तिलनी "में प्रस्तुत में आ� Arnsteer

 

अर्पनी रु्पस्तक "आ.ुबिनक मनोबिवज्ञान औ� भा�तीय दश�न में डा. Carrington क्तिलखा है बिक वहाँ �हुत सा�े उदाह�ण हैं जिजसमें यह देखा जाता है बिक चाहे जीवन शक्ति! औ� अणुओं के ऊर्प� �ना श�ी� �हता है या न ही अभी तक अर्पनी सूक्ष्म अश्किस्तत्व जा�ी है. अर्पने श�ी� को एकजुट होने के �ावजूद महत्वर्पूण� �ल इकाइयों के अक्ति.का� कें द्र के उस के्षत्र में ��क�ा� �हेगा. सहसं�द्ध को खोजने के क्तिलए वहाँ योबिगयों की एक औ� खोज की है जिजसमें वहाँ ideoplasm या psychoplasm ज� योगी समाक्ति. या ट्रान्स �ुलाया मध्यस्थता के उच्चतम �ाज्यों में है एक उद्भव है. वैज्ञाबिनकों बिवचा� क�ना है बिक यह एक भार्प �ाज्य में श�ी� से उत्सर्जिजंत हो �ही �खता है औ� यह स�से खोर्पड़ी के्षत्र में र्पाया जाता है, उंगक्तिलयों, होंठ, चेह�ा, Naadi चक्र जननांग अंगों के आसर्पास के दिटप्स. अध्ययन औ� सूक्ष्म श�ी� की जीवन शक्ति! के संदभ� के साथ क्तिचत्रण (रूसी वैज्ञाबिनक Semian Kirlean द्वा�ा "जैव प्लाज्मा श�ी� की Kirlean Uोटोग्राUी) इस अनुसं.ान गबितबिवक्ति.यों - कंुडक्तिलनी के �ाद प्रक्तिसशिद्ध का एक �ड़ा सौदा प्राप्त क� ली है. Emanueal Swedenborg यह ईथ� जिजसमें बिवशेष बिUल्ट� यह उच्च वोल्टेज प्रक्षेर्पण की सहायता के साथ Uोटो खिखंचवाने जा सकता है के उर्पयोग के �ाद के दृAय �ादल कहता है. वैज्ञाबिनकों बिवचा� क�ना है बिक अर्पनी

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उर्पस्थिस्थबित एक ततैया के शुद्ध औ� ओजोन की गं. क�ने के क्तिलए समान है. इसका घनत्व �ढ़ जाती है / इसी वृशिद्ध / जीवन शक्ति! की कमी के का�ण कम हो जाती है. भावनाओं को भी �ढ़ाने के क्तिलए / अर्पने प्रभाव को कम क� सकते हैं. इसके अश्किस्तत्व के प्रमाण अर्पनी रु्पस्तक "सुर्प� नेच�" में क्तिलएल वाटसन द्वा�ा elucidated बिकया गया है जिजसमें यहां तक बिक अग� एक व्यक्ति! के श�ी� का एक बिहस्सा काट �हा है अभी तक इस व्यक्ति! के दद� के रूर्प में अर्पनी उर्पस्थिस्थबित का अनुभव है, जल �हा है, इस घटना में आदिद scratching �ुलाया "पे्रत अंग प्रभाव" यह साबि�त हो गया है बिक सूक्ष्म श�ी� ectoplasm के रूर्प में मौजूद है औ� यह यह है बिक एक व्यक्ति! सकल नसों अनुर्पस्थिस्थत होने के �ावजूद सनसनी का अनुभव देता है.

 

बिकता�ें औ� सू्थल श�ी� औ� श�ी� के महत्वर्पूण� अलग से मौजूद है "आत्मा की चीनी रु्पस्तक" मृत के बितब्�ती �ुक "के अनुसा�. इसमें कोई शक नहीं बिक दोनों कं.े से कं.ा मिमलाक� एक समय में होना है, लेबिकन कभी कभी श�ी� के महत्वर्पूण� तो अलग हो जाता है के रूर्प में कहीं औ� ध्यान केजिन्द्रत क�ने के क्तिलए औ� एक नया श�ी� के महत्वर्पूण� अश्किस्तत्व में आता है बिक. इसक्तिलए कई �ा� मनुvय के अश्किस्तत्व दोगुना अनुभव होता है.

 

डा. अं.ा क�ना औ� अर्पनी रु्पस्तक में जे टेल� क्तिलखने बिक �स्में औ� पिहंदू .म� की सा.ना श�ी� के महत्वर्पूण� एक �ड़ा सौदा है औ� इसक्तिलए का इस्तेमाल प्राचीन पिहंदुओं की सका�ात्मक बिवज्ञान "�हुत शक्ति!शाली हैं. यह श�ी� के महत्वर्पूण� दिदव्य आँखों से देखा जा सकता है. कुछ साल र्पहले इस बिवषय र्प� एक लेख र्पबित्रका "ब्रह्म" में "तंत्र के एनाटॉमी" के शीष�क के तहत प्रकाशिशत बिकया गया था.

 

ब्रह्म वैज्ञाबिनक CW लीड�ीट� 6 अर्पनी रु्पस्तक में Merudand र्प� स्थिस्थत चक्र र्प� आगे सबिवस्ता� "चक्र." वह opines है बिक श�ी� के महत्वर्पूण� बिवदु्यत शक्ति! का एक बिवशेष प्रका� का �नाया जाता है औ� क्तिसU� एक र्पक्षी के रूर्प में श�ी� में मौजूद है अर्पने घोंसले में cuddles. कई अन्य वैज्ञाबिनकों के जीवन की आग "के रूर्प में प्राण (महत्वर्पूण� �ल) कहते हैं. इस आग में एक व्यक्ति! के श�ी� में मौजूद है बिक व्यक्ति! को जागरूक, उत्साही, साहसी औ� उज्ज्वल है. लेबिकन ज� वहाँ यह की कमी है तो भी अग� श�ी� को �हुत अच्छी त�ह से �नाया गया है अभी तक इस व्यक्ति! को एक ड�ाने मूख� हो, सुस्त औ� बिन�ाशा से भ�ा जाएगा. इस बि�जली के �ल प्रयास के साथ भी संवर्धि.ंत बिकया जा सकता है. यह का�ण है बिक यौबिगक प्रथाओं के क्तिलए प्रोत्साबिहत बिकया जाता है. कंुडक्तिलनी योग महत्वर्पूण� �ल बिवज्ञान र्प� आ.ारि�त है.

 

कंुडक्तिलनी जाग�ण का सा� रू्प�े ब्रह्मांड से महत्वर्पूण� चेतना आकर्तिषंत इतनी के रूर्प में एक ही महत्वर्पूण� �ल के साथ इस महान चेतना को एकजुट क�ने औ� इस प्रका� उच्च दिदव्य शक्ति!याँ प्राप्त शामिमल है. इसक्तिलए योग प्रथाओं के रूर्प में इतना उच्च र्पबिवत्र लक्ष्यों के क्तिलए इन दिदव्य शक्ति!यों का उर्पयोग क�ने के क्तिलए प्रोत्साबिहत बिकया जाता है. इस क्षमता के अनुर्पात में एक मानक्तिसक बिनयंत्रण औ� इस क्षमता कम हो जाती है इस �ल के अर्पव्यय के साथ �ढ़ जाती है औ� अंत में नष्ट हो जाता है.

 

याकू� Boham �हुत अच्छी त�ह से यू�ोर्पीय तांबित्रकों के �ीच में जाना जाता है. रु्पस्तक "ब्रह्म practica" अर्पने जम�न शिशvय जॉज� मिमशेल द्वा�ा लेखक की सलाह है बिक कंुडक्तिलनी जाग�ण औ� 6 चक्र एक �ा�ीकी

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से एकदम गोर्पनीय �खा जाना चाबिहए. क्योंबिक अग� यह गलत हाथों में हो जाता है तो यह एक ऐसे व्यक्ति! के र्पतन के क्तिलए नेतृत्व क� सकते हैं. क्योंबिक ज� इस त�ह के काबि�ल लोगों को कंुडक्तिलनी बिवज्ञान के �ा�े में जानने के वे ".म� का उर्पदेश देना" यह अं.ा अन्य अन्धे अग्रणी रु्परुषों की त�ह दूस�ों को. इस प्रका� तथाकक्तिथत उर्पदेशक भी अर्पने तथाकक्तिथत की त�ह बिग� "चेलों."

 

 

अध्याय ते�हयह आसान क�ने के क्तिलए ले, लेबिकन मुश्किAकल है क�ने के क्तिलए दे

 

शक्ति!, अनुशासन, एकाग्रता, एक सा.ा�ण जीवन के यौबिगक व्यवहा� क� �हे हैं औ� बिकसी भी माध्यम से उन्नत बिकया जा सकता है. यह मन के �जाय जिजसमें बितत� बि�त� क�ने के हमा�े बिवचा�ों को दू� हम ध्यान कें दिद्रत क�ने औ� उन्हें एक पि�ंदु र्प� ध्यान कें दिद्रत क�ने की अनुमबित की दृढ़ता है. यह हमा�े दैबिनक दिदनचया� गबितबिवक्ति.यों को correlating हम दू� बि�ख�ने से हमा�े मन को �ोक सकता है. यदिद एक ही होता है यह एक आध्यात्मित्मकता imbibing के क्तिलए र्पया�प्त सक्षम �न सकता है. बिU� भी यह र्पया�प्त नहीं है. आदेश में दूस�ों र्प� इस पे्र�क शक्ति! का उर्पयोग क�ने के क्तिलए एक बिवशेष के्रडेंशिशयल्स को प्राप्त है. इसक्तिलए एक बिवशेष सा.ना से गुज�ना र्पड़ता है.

 

आदेश में �ेबिडयो त�ंगों को र्पकड़ने के क्तिलए एक ट्रांजिजस्ट� की आवAयकता है. लेबिकन जहाँ संचा�ण मशीनों �खा जाता है बिक वे अबितरि�! बि�जली की रू्पण� औ� �हुत महंगे हैं. उन वस्तुओं के र्पास �हुत आसानी से अर्पनी आँखों से देखा जा सकता है. लेबिकन अग� आर्प में सुना है औ� दू� - दू� स्थानों में चीजों को देखना चाहते हैं, तो एक टीवी बिक 1 imbibes औ� र्पहुंचाता क्तिचत्रों की आवAयकता है. कान को आसानी से बिकसी भी �ातचीत है बिक क�ी� है सुन सकते हैं. लेबिकन अग� आर्प एक दू� के्षत्र के एक ध्वबिन सुनना चाहते हैं तो शक्ति!शाली �ैट�ी के साथ एक टेलीUोन की आवAयकता है. सा.ा�ण गबित के साथ भी हमा�े रै्प� चलते हैं, लेबिकन अग� आर्प उच्च गबित र्प� यात्रा क�ना चाहते हैं तो एक का� या �ाइक की जरू�त है औ� कहा बिक जो भी र्पया�प्त रे्पट्रोल / डीजल सकते हैं. एक ही आध्यात्मित्मक घटनाओं के क्तिलए सच है. यह आत्मसात क�ने के क्तिलए आसान है, लेबिकन मुश्किAकल संचारि�त क�ने के क्तिलए है. यह लाभ मिमलता है औ� रै्पसे का उर्पयोग क�ने के क्तिलए आसान है, लेबिकन मुश्किAकल के क्तिलए रै्पसा कमाते हैं औ� यह सु�शिक्षत रूर्प से स्टो� है. कोई है जो यह हमा�े क्तिलए पे्रबिषत बिकया गया है से बि�जली imbibing में ज्यादा कदिठनाई नहीं है. क्योंबिक यहाँ एक कें दिद्रत मन आवAयक का��वाई क� सकते हैं. इस सा.ना के माध्यम से रू्प�ा बिकया जा सकता है. लेबिकन यह भी हो सकता है बिक अग� आर्प अबितरि�! उत्साह औ� एकाग्रता के साथ बिकया उन दैबिनक काय� के क्तिलए जिजम्मेदा�ी मिमलना तो बि�ख�े हुए मन औ� ध्यान कें दिद्रत प्राप्त क� सकते हैं एक छोटे से के्षत्र में ध्यान कें दिद्रत है. एक सक� स में उन लोगों की त�ह सभी गबितबिवक्ति.यों, अशिभनय, क्लक� की त�ह खातों को �खने, खेल खेल, जादूग� आदिद से र्पता चलता है मानक्तिसक ध्यान कें दिद्रत है औ� एकाग्रता र्प� बिनभ�� क�ता है. अग� वे कुछ लगता है, औ� इस त�ह कुछ अर्पने बिवचा�ों को बितत� बि�त� क�ने के क्तिलए, अर्पने सभी प्रयास �ेका� चला जाता है. यदिद एक imbibes बिकसी पे्रबिषत संवेदनशीलता औ� एकाग्रता के साथ आध्यात्मित्मक क्षमता, एक लाभ सभी दौ� लाभ.

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सा.ा�ण गे्रड लाभ हाक्तिसल क�ने के क्तिलए इच्छा शक्ति!, इच्छा शक्ति! औ� एकाग्रता गठ�ं.न के क्तिलए ठीक है. यदिद कुछ घटना कहीं जगह लेता है औ� अग� उन ख�� के क्तिलए दूस�े स्थान र्प� भेजा जाना चाबिहए, तो केवल यह है बिक �ैट�ी का ज्यादा प्रयोग बिकया जाता है के रूर्प में ज्यादा रूर्प में imbiber यह र्पकड़ता.

 

वहाँ कई समस्याओं ज�बिक समुद्र के र्पानी से भार्प �नाने सामना बिकया है ताबिक उन्हें �ादलों को �दलने के क्तिलए, लेबिकन ज� इन �ादलों शॉव� �ारि�श का��वाई �हुत सतही है. यह �हुत मुश्किAकल है कंुडक्तिलनी शक्ति! (देवी नाग र्पाव�) जगाने. यहाँ वहाँ आत्म बिनयंत्रण औ� आध्यात्मित्मक प्रथाओं के दौ� से गुज� की कोई जरू�त नहीं है, लेबिकन लगता है बिकसी ने र्पहले से ही अर्पने श�ी� में इस दिदव्य शक्ति! एकत्र तो बिकसी अन्य व्यक्ति! को इसका कुछ बिहस्सा बिवत�ण में कोई समस्या नहीं है. एक क�ने के क्तिलए एक दिदमाग का उर्पयोग क�ते हुए .न कमाने औ� तीव्र प्रयास क�ने की है, लेबिकन अग� यह रै्पसे के क्तिलए बिकसी को उ.ा� दिदया हो या दान के रूर्प में सौंर्प दिदया है तो .न का एक �हुत इस्तेमाल बिकया जा सकता है औ� एक �हुत ही कम समय में आसानी से. तर्पस्या क�ने के क्तिलए उन है जो दूस�ों के क्तिलए दिदव्य शक्ति!यों को देने की इच्छा से प्रदश�न हो �हे हैं. इस क्तिसद्धांत काम र्प� सही है प्राचीन काल से है.

 

एक शा�ीरि�क एक बिहस्से को हटाने के क्तिलए यह जरू�त में एक औ� �ोगी के क्तिलए दान क� सकते हैं. (एक गुदा� आदिद जैसे) उदाह�ण के क्तिलए. हृदय, गुद� , आंख, �! आम तौ� र्प� दूस�ों के क्तिलए दान क� �हे हैं.

 

महत्वर्पूण� �ल संग्रह कोई संदेह नहीं है एक स्वयं के .न अभी तक एक उदा� दाता दूस�ों को इस जीवन शक्ति! का कुछ बिहस्सा दान क� सकते हो जाता है. आध्यात्मित्मक दृबिष्ट में इस "Shaktipaat" कहा जाता है. हमा�े दैबिनक जीवन में क्तिसU� उसी त�ह महत्वर्पूण� शक्ति! का एक �ड़ा सौदा के साथ imbued उन कमजो� दिदमाग प्राशिणयों को उनके आध्यात्मित्मक शक्ति!यों (र्प�मात्मा .न) का एक बिहस्सा दान में ग�ी�ों को एक .नी व्यक्ति! अर्पने .न का एक बिहस्सा दान के रूर्प में. इस प्रका� इन ग�ी� प्राणी कई कदिठनाइयों को दू� क�ने के क्तिलए औ� भी उनकी जरू�तों को रू्प�ा क�ें.

 

वहाँ Yogachoodamani, Tejabindoo उर्पबिनषद, ज्ञाना Sankalini tattva, Hathyog संबिहता, Kularnav तंत्र, Gherand संबिहता, रुद्र Yamal तंत्र, योग Kundalyupanishad, शा�दा आदिद यहाँ मज�ूत ओव� बितलक जैसे गं्रथों में एक Shaktipaat का बिवस्तृत वण�न है संचाक्तिलत रु्परुषों उनके एक सा दान क�ेंगे कमजो� दिदमाग प्राशिणयों के क्तिलए आध्यात्मित्मक शक्ति!. रै्पसा या तो हो सकता है या उ.ा� सकता है औ� दूस�ों के क्तिलए दान क� दी. उसी त�ह इन आध्यात्मित्मक शक्ति!यों अन्य सक्षम प्राशिणयों के क्तिलए एक प्राकृबितक त�ीके से जाना ज� महान आध्यात्मित्मक शक्ति!यों का या यह भी एक प्र�ल इच्छा शक्ति! का उर्पयोग क� पे्रबिषत बिकया जा सकता है बिक एक आदमी की उर्पस्थिस्थबित में.

 

ज� हम एक जलती हुई स्टोव हम गम� के र्पास �ैठते हैं. उसी त�ह इस शक्ति! के क�ी� बिनकटता की जरू�त है. इस / आदमी औ� औ�त के �ीच आकष�ण औ� प्रबितकष�ण प्राकृबितक है. इसक्तिलए क्रम में उनकी

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शक्ति! की �क्षा योबिगयों, मबिहलाओं के आकष�ण से दू� �हो. यहां तक बिक एक तीव्र दोस्ती इस प्रवाह augments. इसक्तिलए यह नीच लोगों की कंर्पनी में होने के क्तिलए एक व्यक्ति! के क्तिलए एक महान आध्यात्मित्मक नुकसान है. लेबिकन यह एक रू्प�ी त�ह से अलग कहानी है अग� स्वेच्छा से बिकसी अन्य व्यक्ति! के क्तिलए एक शक्ति! दान के रूर्प में उसे �ढ़ाने के क्तिलए आध्यात्मित्मक या अर्पने आध्यात्मित्मक उन्नबित पे्ररि�त. लेबिकन यहाँ भी एक सतक� है बिक एक है जो दान के रूर्प में इस शक्ति! दी है यह नीच गबितबिवक्ति.यों के क्तिलए का दुरुर्पयोग नहीं क�ना है. इस त�ह की स्थिस्थबितयों के तहत दिदया जाता है क्या वार्पस क्तिलया जाना चाबिहए.

 

यह देखा गया है बिक इतने सा�े लोगों को दूस�ों के द्वा�ा भेजे गए संदेशों को प्राप्त क�ते हैं. एक सर्पने में संदेश जाता है, इस के क्तिलए टेक्तिलर्पाथी आदिद हो सकता है एक हो �ही संदेश (पे्र�णास्त्रोत) के क्तिलए एक कें दिद्रत औ� ध्यान कें दिद्रत मन. अंतरि�क्ष में इतने सा�े सोचा लह�ों के �ीच वह केवल उन है बिक वह आवAयकता है औ� इस त�ह के एक कौशल केवल आmय�जनक कहा जा सकता है लेता है.

 

कई लोगों के क्तिलए भबिवvय prophesize शक्ति! है, दूस�ों के बिवचा�ों औ� गबितबिवक्ति.यों को र्पता क�ने के क्तिलए, बिकसी अन्य व्यक्ति! के अतीत को जानते हैं औ� बिक वे भी संदेश औ� अदृAय प्राशिणयों के बिनद�श प्राप्त है. वे या तो वण�न या बिकसी अन्य व्यक्ति! के �ोग का इलाज क� सकते हैं. वे यह भी जानते हैं जहां .न दUन है औ� क्या बिकसी �ंद कोठ�ी में संग्रहीत है.

 

इन लोगों के �ीच वहाँ जो लोग बिकसी बिवशेष तर्पस्या प्रदश�न नहीं बिकया है. इस के क्तिलए का�ण यह है बिक बिर्पछले जन्म में वे तर्पस्या का एक �हुत कुछ बिकया है औ� र्परि�णामी शक्ति!यों इस जन्म में देखा जाता है. इसके अलावा ऐसा हो सकता है बिक इस त�ह के एक व्यक्ति! एक आध्यात्मित्मक शक्ति!शाली संत से इन शक्ति!यों हो जाता है. एक औ� का�ण है बिक एकाग्रता ऐसी है बिक इसकी सहायता के साथ हमा�े extrasensory .ा�णा काम क� �हे हैं औ� शुरू होता है बिक इस त�ह की काल्र्पबिनक क्तिचत्रों को देखा जाता है जो �ाह� �ा�ी के क्तिलए सच हो सकता है बिकया जाना चाबिहए. यहां तक बिक अग� बिकसी यौबिगक प्रथाओं प्रदश�न नहीं क�ता है तो भी वह चमत्का�ी शक्ति! के र्पास है. ऐसी र्परि�स्थिस्थबितयों में यह सुबिनशिmत क�ें बिक एक के ऊर्प� का�ण खेलने र्प� है के क्तिलए जानते हैं. एक उर्पयु! का�ण के बि�ना कोई भी दिदव्य शक्ति!यों के अक्ति.का�ी क� सकते हैं.

 

उर्पयु! मानक्तिसक साख के क्तिलए का�ण Shaktipaat की शक्ति!यों imbibing क�के एक �हुत शक्ति!शाली व्यक्ति! हो सकते हैं भले ही वह अतीत में �हुत सा.ा�ण था. उच्च लक्ष्यों बिक प्रकृबित में र्पबिवत्र हैं के क्तिलए इन शक्ति!यों का उर्पयोग क�के, वह �हुत बिकसी भी अन्य योगी की त�ह लाभ प्राप्त क� सकते हैं.

 

यह बि�ल्कुल सच है बिक के माध्यम से (दिदव्य शक्ति!यों के संच�ण) Shaktipaat एक उच्चतम लाभ प्राप्त क� सकते है. लेबिकन न्याय औ� नैबितकता हुक्म देना है बिक इसके क्तिलए "भुगतान" के बि�ना कुछ भी नहीं लेते हैं. दिदव्य शक्ति!यों को स्वीका� क�ने से र्पहले, र्पहले संतों, जो भगवान का एहसास हो गया है प्या� भक्ति! सेवा प्रदान क�ते हैं.

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चौदह अध्यायदिदव्य शक्ति!यों कंुडक्तिलनी शक्ति! र्परि�वा� के चक्र में अर्पनी जड़ें

 

जीवन एक यज्ञ है. जीवन भी एक रु्पजा�ी, न�देव औ� अन्य सामग्री है. क्तिलखिखत बिवद्वानों यह स� सहसं�द्ध है. ज�बिक कंुडक्तिलनी यज्ञ का एक बिवशेष बिवव�ण देने Mundakopanishad (2/1/9) कहते हैं:

 

महान आत्माओं से उभ�ा है. आग की 7 आग की लर्पटों से उत्सर्जिजंत क� �हे हैं. ये 7 Samidhas (यज्ञ की लकड़ी) हैं औ� इन 7 havees (यज्ञ प्रसाद) क� �हे हैं. अर्पनी ऊजा� सभी 7 (दुबिनया) Lokas जो र्प�मेश्व� की ओ� से उच्च र्पबिवत्र उदे्दAयों के क्तिलए �नाया गया था में प्रवेश क�ती है.

लेखक: अंतरराष्ट्रीय गायत्री परिरवार के संस्थापक आचाय� श्रीराम शमा� एक महान योगी शंकराचाय� और भगवान के अवतार थ ेजि"न्होंने विवश्व कल्याण और शांवित के लिलए आध्यात्मि,मक विवषयों पर मुख्य रूप से वैज्ञाविनक साविह,य की मात्रा लिलखी थी. के लिलए और अधि5क वैज्ञाविनक ई साविह,य pls http://www.shriramsharma.com/ www.awgpestore.com http://www.dsvv.ac.in/ www.akhandjyoti.org यात्रा और http://www.awgp.org/ विववरण: चक्र ध्यान - ESP, Nirvikalpa समाधि5 या मुफ्त ट्रांस बनना Ridhi - Sidhis या ईश्वरीय ऊ"ा�, भविवष्य वैज्ञाविनक 5म�, सुपर ऊ"ा� गायत्री विवज्ञान और कंुडलिलनी योग को सहसंबद्ध न्यूरोसाइंसेस - ESP, Endocrinology, एनाटॉमी, मनोविवज्ञान और सोचा ई पुस्तकें 1) सामग्री और आध्यात्मि,मक समृजिद्ध और 2) दुविनया एक परिरवार के रूप में शांवित से एक"ुट करने के लिलए समा"शास्त्र. एक खूबसूरत अनवधि5 दुविनया: हमारा एक सख्ती गैर वाणिणज्यिJयक वेबसाइट है "ो उम्र के महान नेताओं और दुविनया के विवचारकों के पुराने सपने को साकार करना है. कीवड�: कंुडलिलनी योग गायत्री e-विकताबें अल्ट्रा साउंड टेलिलपाथी parapsychology त,वमीमांसा विनर्विवPकल्प समाधि5 प्रदूषण योग तंत्र विSल्में इंटरनेट सम्मोहन पारिरज्यिस्थवितकी Jयोवितष आयुवUद कल्किल्क bioelectricity स"�री पराबैंगनीविकरण ओ"ोन रडार तनाव रचना,मकता पुरात,व सिसP5ु घाटी सभ्यता ईं5न संकट भो"न की कमी सुनामी "ीवनी गुरु विवश्व शांवित मन मानस देवता सूक्ष्म तंवित्रका चेतना आ,मा परमा,मा ट्रान्स endocrine गं्रलिथयों ESP चक्र plexus ध्यान एकाग्रता बुजिद्ध भविवष्यवाणी Cheiro Nostradamus अरविवPद आनंद मल्किस्तष्क वेद सौर सूय� की ऊ"ा� पविवत्र शुद्ध इंद्रिdयों प्राण अवतार उपविनषद प्रकाश सेल hypothalamus पीयूविषका परिरवत�न भविवष्यवादी भविवष्यवाणी नाविगन शलिe "ीवन मानव नैवितकता अखंडता चरिरत्र वेगस तंत्र Mooladhar परमाणु न्यूट्रॉन सोच सोचा प्रोटोन

 

7 Lokas देवी भागवत में अलग ढंग से वर्शिणंत बिकया गया है. - र्पवन, Svaha - दिदव्य प्रकाश, Mahaha - महानता, Janaha - तर्पस्या औ� Satyaha - सभी दुबिनया, Tapaha के लोगों के भाषण में कहा बिक हमेशा सच आता है उस में एक Bhuha रृ्पथ्वी, Bhuvaha र्पाता. इस त�ीके में स� कुछ है बिक सामग्री औ�

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आध्यात्मित्मक काय� के क्तिलए आवAयक है कंुडक्तिलनी योग (यानी चक्र) में शामिमल है. मानव श�ी� Bhulok (रृ्पथ्वी) की तुलना की गई. Mooladhar में यह रृ्पथ्वी औ� सूय� के रूर्प में क्तिस� में सहस्रा� कहा जाता है. 2 के �ीच संकष�ण Merudand कहा जाता है. सू�ज की गम� रृ्पथ्वी के क्तिलए एक व�दान है. Brahmarandhra ब्रह्मांड का प्रतीक है. केवल ज� रृ्पथ्वी imbibes गम� / सू�ज की �ोशनी इसे �नाने औ� स्टो� क� सकते हैं सामग्री आध्यात्मित्मक .न. उसी त�ह सहस्रा� Loka ब्रह्मांडीय चेतना की अशिभव्यक्ति! कें द्र औ� लगाता� Mooladhar बिक ज्यादा ऊजा� है बिक जो भी इस बि�जलीघ� से जो भी गुणवत्ता के उदे्दAय के क्तिलए यह आवAयकता imbibes

 

कैसे इस अनुग्रह रृ्पथ्वी के धु्रवीय के्षत्रों के क्तिलए जा �हा द्वा�ा नीचे pours की एक झलक मिमल सकती है. क्योंबिक Brahmarandhra भी उत्त�ी धु्रव में जो सूय� औ� अन्य महत्वर्पूण� ग्रहों की प्रमुख ऊजा� नीचे बिग�ने �खने को कहा जाता है. यह बिकतना वह इस ऊजा� imbibes के रूर्प में आध्यात्मित्मक आकांक्षी र्प� बिनभ�� क�ता है.

 

हमा�े ग्रह रृ्पथ्वी के उत्त�ी धु्रव के आक� दिटक के्षत्र कहा जाता है औ� यह 50,000 मील की दू�ी र्प� एक व्यास है. दशिक्षण धु्रव (अंटाक� दिटका) 30,000 मील की दू�ी र्प� एक व्यास है. उत्त�ी धु्रव में धु्रव प्रभा मेरु प्रकाश के रूर्प में आता है औ� अजी� क्तिचत्र के रूर्प में देखे जा सकते हैं. इस Aurora �ो�ेक्तिलस नामक प्रकाश धु्रवीय के्षत्रों है बिक एक ही अवाक हो सकता है र्प� इस त�ह के एक अजी� त�ीके से चमकता है.

 

यह देखा गया है Aurora �ो�ेक्तिलस .ूर्प में बिवकृबितयों के का�ण अजी� के रूर्प में हालांबिक एक सच�लाईट जो �ोशनी औ� बिनमिमष �हता त�ह. उत्त�ी धु्रव में Eskimos, भालू, reindeers, मछली आदिद के दशिक्षण धु्रव में एक र्पेंगुइन जो प्या� से भ�ा हैं र्पा सकते हैं �हते हैं. उत्त�ी धु्रव के एब्धिस्कमो रु्परुषों स्वभाव से �हुत साहसी है.

 

वहाँ कई अजी� घटनाओं धु्रवीय के्षत्रों र्प� सू�ज की �ोशनी के �ा�े में हैं. उत्त�ी धु्रव के एक यात्री �ुलाया जॉन Bayard एक �ा� वहाँ सूय� के बिवशिभन्न �ंग के देखा था. वहाँ र्प� वह हवा में लटक वस्तुओं दू� देखा. र्पहाड़ों की ऊंचाइयों क्या वे वास्तव में थे की तुलना में अक्ति.क दिदखाई दिदया. कई �ा� एक कई सूय� आकाश में एक साथ �ढ़ती देख सकता था. उसी त�ह चाँद भी �U� , वायु औ� आकाश में variedly देखा गया था. उत्त�ी धु्रव में �ात के 6 महीनों के क्तिलए �हता है. सू�ज मुश्किAकल से रू्प�ी त�ह से 16 दिदनों के क्तिलए चमकता है. चाँद कभी कभी इतनी तेज है बिक यह सूय� की प्रबितभा की तुलना में बिकया जा सकता है चमकता है. प्रकाश में र्परि�वत�न hues औ� लगाता� झर्पकाए. कभी कभी यह मशाल की �ोशनी की लं�ाई की त�ह चलाता है. चुं�कीय तूUानों औ� लगाता� आ जाओ. इस ऊजा� का प्रवाह कूदता है औ� दशिक्षण धु्रव र्प� भूमिम. प्रदूषण औ� र्प�माणु .ूल उत्त�ी धु्रव के दशिक्षण धु्रव के उत्सज�न क� �हे हैं. एक धु्रव एक गड्ढा की त�ह है औ� अन्य एक र्पहाड़ी की त�ह है. लगता है दू� कई �ा� �ा�ीकी से सुना �हे हैं औ� अन्य समय में �हुत र्पास लगता है नहीं सुना �हे हैं. यह स� ऊर्प� दिदए गए बिवव�ण Mooladhar चक्र औ� मानव श�ी� के सहस्रा� कमल तुलना की जा सकती है.

 

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हमा�े श�ी� के क्तिस� उत्त�ी धु्रव औ� Mooladhar चक्र जननांग अंगों दशिक्षण धु्रव हैं. ज� हम र्परि�स्थिस्थबितयों में, बिवशेष गुण है औ� इन दोनों के प्रभाव का बिवशे्लषण, एक यह जननांग अंगों औ� क्तिस� के्षत्र के बिवशेष गुण के क्तिलए सहसं�ं.ी क� सकते हैं. यौन जुनून के प्रवाह को क्तिस� से शुरू होता है औ� नीच ेझूठ �ोल जननांग अंगों हमलों. 2 के �ीच एक लं�ा �ास्ता Merudand (�ीढ़) कहा जाता है तो यह है बिक देने औ� लेने के क्तिलए संतुक्तिलत बिकया जा सकता है. इस Merudand में 6 चक्र (plexuses) कहा जाता अव�ो.ों हैं.

 

रु्प�ाणों (भा�तीय र्पौ�ाशिणक कथाओं) की तो कई कहाबिनयों कंुडक्तिलनी योग (देवी नाग र्पाव�) सहसं�द्ध बिकया जा सकता है. यह दुबिनया Shesha नाबिगन के क्तिस� र्प� संतुक्तिलत है औ� सांर्प र्प� श�ी� Mooladhar चक्र कहा जाता है. ज� इन के्षत्रों में आंदोलन क� �हे हैं, आदमी कमजो� हो जाता है, बिवकलांग औ� बिहजड़ा र्पसंद है. भगवान Vishnoo Shesha नाबिगन र्प� सोता है. वहाँ भगवान शिशव की गद�न के चा�ों ओ� ता� बिक सांर्प हैं. यह Brahmarandhra का वण�न है. इन सभी सांर्प एक दूस�े के साथ सहयोग क�ने औ� कंुडक्तिलनी के उत्प्रे�क के क्तिलए इस ऊजा� का लाभ दे. क्योंबिक यह ऊजा� Vishnoo औ� शिशव के क्तिलए संयु! है यह एक प्रतीकात्मक त�ीके से उन में उर्पस्थिस्थत होने के क्तिलए कहा जाता है.

 

कहाँ Mooladhar के अव्य! सुर्प� serpentess मबिहला क्तिसद्धांत connotes, सहस्रा� में सुर्प� नाबिगन र्प� एक रु्परुष connotes. दोनों अर्पने स्वयं के बिवशेष र्पहलुओं औ� Merudand कंुडक्तिलनी योग के माध्यम से दोनों के अनंत तड़र्प को रू्प�ा क�ने के क्तिलए एकजुट है.

 

वैवाबिहक संघ की सामग्री आनंद ब्रह्म का आनंद की एक झलक मश्किस्तvक ऊजा� की शह के का�ण जिजसके र्परि�णामस्वरूर्प होने के क्तिलए कहा है. आमतौ� र्प� दोनों के्षत्रों में एक अव्य! अवस्था में हैं औ� केवल उत्साह प्रकट होता है ज� वे उकसाया नहीं मिमलता.

 

कंुडक्तिलनी शक्ति! (देवी नाग र्पाव�) Mooladhar ऊजा� महत्वर्पूण� प्रवाह, जीवन शक्ति!, �चनात्मक पे्र�णास्त्रोत, एक लं�े जीवन, उत्साह, हास्य खेलने, साहसी आदिद �हते हैं आग्रह क�ता हंू बिक यदिद इस के्षत्र अव्य! झूठ के रूर्प में प्रकट क�ने के क्तिलए देखा जाता है, आदमी भी कमजो� हो जाता है औ� बिन�ाशा से भ�ा है.

 

कंुडक्तिलनी के सहस्रा� कमल के ऊर्प�ी दुबिनया में �ुशिद्ध ध्यान केजिन्द्रत क�ना, प्रबिक्रया, भेदभाव, भक्ति!, आदश�वाद, आत्म बिनयंत्रण, प्या�, बिवश्वास, अच्छी सोच, कड़ी मेहनत प्रकृबित आदिद काम क� �हे

 

यदिद एक वासना, दोनों ऊर्प�ी औ� बिनचले केन्द्रों के साथ मानस overflows बिवकृत हो. एक दोनों शा�ीरि�क औ� मानक्तिसक रूर्प से कमजो� हो जाता है. लेबिकन अग� इन केन्द्रों केवल सीमिमत यौन औ� र्पबिवत्र उच्च आध्यात्मित्मक लक्ष्यों के क्तिलए जुनून के क्तिलए उर्पयोग बिकया जाता है, एक असा.ा�ण लाभ प्राप्त क�ता है.

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यह र्पहले से ही कहा गया है बिक कंुडक्तिलनी ऊजा� ही प्रसव औ� यौन खेलने के क्तिलए सू्थल भौबितक श�ी� के द्वा�ा बिकया जाता है. इसकी औ� अक्ति.क गंभी� रूर्प सूक्ष्म श�ी� में र्पाया जाता है. ज� श�ी� dissected है आर्प चक्र नहीं मिमल �हा है, लेबिकन बिनशिmत रूर्प से आर्प वहाँ र्प� नसों के समूहों देखेंगे. सं�चनात्मक सहसं�ं. र्पहले से ही बिर्पछले अध्याय में elucidated बिकया गया है. वास्तबिवकता में चक्र श�ी� का बिवदु्यत प्रवाह का प्रतीकात्मक कें द्र हैं.

 

बिनम्नक्तिलखिखत दिदव्य प्रवाह �! प्रवाह, तंबित्रका plexuses, नसों, म्यान प्रवाह आदिद जो इन मान्यताओं को स्वीका� अंतर्तिनंबिहत वास्तबिवकता समझ में नहीं आता है औ� क्तिसU� उनके �ा�े में �ात क� सकते हैं सैद्धांबितक रूर्प के रूर्प में नहीं जाना जा सकता. यह होश में महत्वर्पूण� प्रवाह जो सामग्री बि�जली नहीं कहा जा सकता का एक बिवषय है. क्योंबिक यह लकड़ी, ��� आदिद को प्रभाबिवत नहीं ज�बिक महत्वर्पूण� चेतना दोनों बिनत्मिvक्रय मामला है औ� होश में ऊजा� को प्रभाबिवत क� सकते हैं.

 

(देवी नाग र्पाव�) कंुडक्तिलनी योग Vasishtha, योग Choodamani, देवी भागवत, शा�दा बितलक, Shandilyopanishad, Muktikopanishad, Hathyoga संबिहता, Kularnav तंत्र, योबिगनी तंत्र, Bindupanishad, Rudrayamal तंत्र, Soundarya लाबिहड़ी आदिद में बिवस्तृत है बिU� भी यह रूर्प में नहीं है हालांबिक एक समझ सकते हैं के साथ वृशिद्ध / सा.ना की बिग�ावट को कम. न तो एक सा.ना के बिवशिभन्न बिनयमों को समझने के द्वा�ा सUलतार्पूव�क सही लक्ष्य को प्राप्त क� सकते हैं. यह इसक्तिलए है बिक ऋग्वेद में ऋबिष का कहना है:

 

   हे महत्वर्पूण� आग, मे�े जीवन में भो� के रूर्प में प्रकट होता है. मे�ी अं.े�े वाड�. मुझे ऊजा� दे इतना है बिक मुझे दिदव्य शक्ति!यों के क्तिलए चला आया.

 

Trishikhibrahmopanishad के लेखक क्तिलखते हैं:

 

कंुडक्तिलनी योग प्रथाओं द्वा�ा सबिक्रय चमकता है औ� बि�जली की त�ह palpitates. सो �हा है जो कोई भी आगे से जागता है औ� जो कोई भी ऊर्प� उठता है शुरू से चल �हे है.

 

अजिजत मुखज� "तंत्री माग� स्वामी Agehanand" तांबित्रक र्प�म्प�ा "औ�" जंभाई ऊजा� ", हंस जैक्सन" र्पशिmमी मनोबिवज्ञान औ� भा�तीय सा.ना "उम� गै�ीसन तंत्र जंभाई योग". Ukhil 'Haus Hathyoga Pradeepika र्प� टीका "बिUक्तिलर्प है Rakhen" तांबित्रक काला ", जॉन के उज्ज्वल" चेतना का सीमांत ", हंस के Rigjimar" भा�तीय .म� Kay Upakhyan औ� प्रतीक ", औ� स� जॉन के वूड�ोU" टेढ़ा र्पाव� "एक बिवस्तृत आ.ुबिनक के �ा�े में बिवव�ण parapsychology, मनोबिवज्ञान औ� कंुडक्तिलनी योग की सा.ना

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का शास्त्र दिदया गया है. वे आगे कहते हैं बिक इन बिनयमों में बिनशिmत उर्पदेशों बिक जो लोग aptly उन्हें उर्पयोग काUी लाभात्मिन्वत बिकया जाएगा र्प� आ.ारि�त हैं.

 

Mahatantra में वण�न है:

 

एक सबिक्रय कंुडक्तिलनी अनंत ऊजा� को जन्म देता है. इसे में एक स्वतः Naad पि�ंदु, औ� कला की त�ह सा.ना का Uल मिमलता है. रै्प�ा 4 भाषणों, Pashyanti Madhyama, औ� Vaikhari प्रकट स्वतः �ुलाया. इच्छा शक्ति!, ज्ञान शक्ति! औ� का��वाई की शक्ति! का एक अबितप्रवाह है. श�ी� औ� एक एकल Uाइल में औ� एक मीठी आवा� वे हमा�े छाती में गंूज के साथ लाइन के भाषण के सभी कनेक्शन. Shabda ब्रह्म की इस दिदव्य शक्ति! (सी.ी) एक एक Jeevanmukta (ज�बिक अभी तक ज़िजंदा मु!) �नाता है.

 

जो आ.ा� के रूर्प में चक्र के भावनात्मक र्पहलू क�ने के क्तिलए �ंग, शब्द, शंकु, आदिद वाहनों के एक गह�े ध्यान में इस त�ह के रूर्पों में देख सकते हैं औ� इस त�ह के बिवशेष गुण अनुभव क� सकते हैं मिमलाना क�ते हैं. लेबिकन अग� सच उर्पदेशों को आ.ा� �ना �हे हैं तो उनमें से एक चक्रवात, volcanos की लावा, असा.ा�ण शक्ति!यों के लोगों में नदिदयों आदिद में eddies की तुलना क� सकते हैं. इस शक्ति! के साथ एक �डे़ रै्पमाने र्प� सूक्ष्म दुबिनया में आंदोलनों को पे्ररि�त औ� एक आत्मा उन्नबित की सीढ़ी के उच्चतम कदम तक र्पहुँच सकते हैं क� सकते हैं.

 

रं्पद्रह अध्यायनाबिगन जाग�ण ..... उत्थान दिदव्य शक्ति!

 

6 चक्र भी 6 गुना .न कहा जाता है. आध्यात्मित्मक बिवज्ञान में यह मानक्तिसक (बिनयंत्रण) शाम, दामा (इंद्री बिनयंत्रण), (उदासीनता) Uparati, बितबितक्षा (.ैय�), श्रद्धा (बिवश्वास), समा.ान (एकाग्रता) कहा जाता है. शाम शांबित का मतल� है. आंदोलन, तनाव, र्पीड़ा औ� क्रो. का मतल� बिवनाश. Dama इंदिद्रयों की महा�त औ� उन्हें उनके सं�ंक्ति.त वस्तुओं की ओ� भटक से �ोक का मतल� है. Uparati बिनकम्मार्पन, मन की दुष्टता आदिद के खिखलाU लड़ने का मतल� है.

 

बितबितक्षा शांबित से सभी �ा.ाए ंहै बिक उच्च जीवन के लक्ष्यों को प्राप्त क�ने के �ास्ते में आने के स्थायी का मतल� है. श्रद्धा सभी र्पबिवत्र गबितबिवक्ति.यों में गह�ी आस्था का मतल� है. समा.ान लालच, भ्रम, औ� अहंका� र्प� का�ू र्पाने का मतल� है. वास्तबिवकता जाग�ण में 6 चक्र स्वचाक्तिलत रूर्प से एक चरि�त्र, काय� औ� गुणों की शुशिद्ध के क्तिलए होता है.

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6 चक्र औ� कंुडक्तिलनी के सबिक्रयण के माध्यम से बिवशाल ब्रह्मांड औ� एक व्यक्ति! के श�ी� के अलग - अलग प्रकृबित warding सहसं�द्ध बिकया है औ� अर्पने �ेहोश प्रकृबित र्प� का�ू र्पाने से इसे समग्रता में सबिक्रय क�ने की एक बिवक्ति. है. उन 8 (दिदव्य शक्ति!यों) Sidhis अर्पनी कबिवता "Soundarya लाबिहड़ी" में आदिद शंक�ाचाय� द्वा�ा वर्शिणंत 6 चक्र, सहस्रा� औ� भीत� की आत्मा को सबिक्रय क�ने के द्वा�ा प्राप्त क� �हे हैं. इन Sidhis 1) जन्म सी.ी .... बिर्पछले 2 जन्मों की एक झलक) Shabda सी.ी ज्ञाना सकल कानों से सुना शब्दों के र्पीछे क्तिछर्पे अथ� जानने के. 3) शास्त्र ... 4 शास्त्रों का सही ज्ञान सी.ी) Sahan ... 5 जीवन में कदिठनाइयों औ� �ा.ाओं सहन शक्ति! Sakti) Tapah शक्ति! .... सांसारि�क गम� औ� आर्पदाओं को सहन क�ने की शक्ति! है. 6) Shaap ... सत्ता शक्ति! दूस�ों को अशिभशार्प या एक व�दान दे. 7) बिवद्या शक्ति! ... दूस�ों के मन के बिवचा�ों को जानने के. 8) Vijnan ... शक्ति! �हस्य औ� ब्रह्मांड के �हस्यों को जानने की शक्ति!. कंुडक्तिलनी के अर्पने स्तवन में वास्तबिवकता प्रभु शंक�ाचाय� �हुत भावनात्मक रूर्प से कहा गया है:

 

मैं जो कुछ भी आज अर्पने आर्प की त�ह एक अनर्पढ़ व्यक्ति! र्प� अर्पनी कृर्पा की वजह से है.

 

कंुडक्तिलनी शक्ति! अन्य .ार्मिमंक नेताओं ने भी वर्शिणंत बिकया गया है. इनमें सोचा की सूUी स्कूल भा�तीय दश�न क�ने के क्तिलए �हुत क�ी� है. एक सूUी होने के �ावजूद Darashikoh (शाह Jehan के �डे़ �ेटे) भी उर्पबिनषदों के एक बिवद्वान था. उन्होंने यह भी योग औ� तंत्र गं्रथों का अध्ययन बिकया था औ� Uा�सी भाषा में एक दिटप्र्पणी दी है. वह कंुडक्तिलनी शक्ति! को अर्पनी रु्पस्तक "Risala - ऐ - Hukmanama" में दिटप्र्पणी की है औ� दिदल-E-Muddavar, दिदल - ई Sarovari, दिदल - ई Nilophari के रूर्प 3 केन्द्रों का वण�न. ये Brahmagranthi Vishnugranthi, औ� Rudragranthi के अनुरूर्प. वे भी सहस्रा� Anahat, औ� Mooladhar चक्र कहा जाता है. अर्पनी रु्पस्तक "Uा�स में तत्वमीमांसा का बिवकास" में शेख मोहम्मद इक�ाल क्तिलखते हैं कैसे पिहंदू दश�न अन्य .ार्मिमंक संप्रदायों के अनुयामिययों के क्तिलए गह�ी सोच के क्तिलए भोजन है. एक बिवद्वान अल Brooni �ुलाया योग Sootras औ� 11 में अ��ी भाषा में अनुवाद बिकया था सांख्य Sootras वें सदी.

 

बितब्�ती गं्रथों के अनुसा� मानव श�ी� क्तिस� में झूठ, गले, दिदल, सौ� जाल औ� जननांग अंगों के कें द्र के प्रमुख ऊजा� केन्द्रों. ग्रीक दश�न में भी 6 ऊजा� केन्द्रों elucidated बिकया गया है. महान anatomists गुप्त ऊजा� केन्द्रों, चक्र औ� Kamals के रूर्प में योग गं्रथों में वर्शिणंत सहसं�द्ध बिवदु्यत प्रवाह, endocrine गं्रक्तिथयों औ� अन्य स्वायत्त ganglia. उस स्थान औ� आका� जार्पान में "Cusos" नामिमत गं्रक्तिथयों औ� चक्र के क्तिलए सहसं�द्ध बिकया जा सकता है. प्रक्तिसद्ध अर्पनी रु्पस्तक "Esosteric मनुvय के बिवश्वकोश" में मनोवैज्ञाबिनक बि�न्यामीन वाक� का कहना है बिक उनके 6 चक्र के हाम«न औ� ऊजा� के साथ अंत: स्रावी गं्रक्तिथयों वृशिद्ध / बिग�ावट, गुण, का��वाई, प्रकृबित औ� मानव जाबित के व्यक्ति!त्व में एक प्रमुख भूमिमका बिनभाते हैं.

 

कंुडक्तिलनी महत्वर्पूण� �ल आग है जो ज� महत्वर्पूण� शक्ति! के क्तिचता में एक अव्य! चिचंगा�ी (जननांगों यानी) की त�ह प्रज्वक्तिलत है, 6 दुबिनया pierces औ� 7 वें Brahmaloka की दुबिनया तक र्पहुँच है . वहाँ अर्पने Uाम� बिक ब्रह्म की आग की हो जाता है. महत्वर्पूण� �ल आग श�ी� औ� मन के बिवशेष गुणों radiates. डेमी - देवताओं औ� Rishis यह �हुत सोमा का �स र्पीते हैं. भगवान में आत्मा का त्याग क�के Brahmarshis

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महत्वर्पूण� अदै्वत (गै� दं्वद्व) भगवान व्यक्ति! की आत्मा में बिवलीन हो जाती है जिजसमें �ाज्य स्थाबिर्पत क�ने के क्तिलए औ� इस त�ह भगवान �न जाता है. थोड़ा बिनयंत्रण के साथ आध्यात्मित्मक यज्ञ का यह वण�न बिकया गया है अलंकृत लेबिकन यह भी बिवस्तृत है औ� यह भी आत्मा यज्ञ कहा जाता है.

 

महत्वर्पूण� �ल आग को आकर्तिषंत क�ती है औ� खुद की ओ� खींचती आत्मा के अंत�तम को� में दिदव्य glories (Vibhutis) के रूर्प में शा�ीरि�क शक्ति! की सामग्री क्षमता. यह एक सोमा �स की त�ह अमृत र्पीने औ� इस त�ह महानता में दीनता को �दलने के क्तिलए एक मौका देता है.

 

कंुडक्तिलनी शक्ति! (र्पाव�ती) औ� सहस्रा� शिशव है. शिशव - शक्ति! के मिमलन के का�ण, 2 �ून्स प्राप्त क� �हे हैं. औ� वे गणेश �ुशिद्ध के एक �ुशिद्धमान प्रभु औ� कार्तितंकेय सभी ऊजा� के देवता हैं. आध्यात्मित्मक आकांक्षी अर्पने श�ी� Vaishwanar महामाया के साथ �ह बिनकला देखता है औ� Brahmarandhra में एक दिदख गंगा नदी की अशिभव्यक्ति! की त�ह दिदव्य चेतना प्रकट नोदिटस क� सकते हैं. यह स� रृ्पथ्वी denizens के क्तिलए सोमा �स ��ा�� है औ� स्वग�य denizens के क्तिलए यह अमृत है. आध्यात्मित्मक बिवज्ञान में दोनों सोमा औ� अमृत 2 संस्थाओं के एक कद के हैं.

 

मानव मश्किस्तvक कहां वहाँ सहस्रा� मुलायम सामग्री की एक त�ह से खोर्पड़ी की हड्डी में देखा जाता है र्प� स्थिस्थत होने के क्तिलए कहा जाता है. लेबिकन इसके सच महानता �हुत व्यार्पक है. इसे का एक प्रमुख बिहस्सा 'साइलेंट या अं.े�े के्षत्र "है जो क्तिस� के्षत्र के 93% क�ने के क्तिलए 87% का गठन कहा जाता है. शांत के्षत्र (यानी सही र्पार्शिशं्वका प्रांतस्था, कोष callojum औ� limbic प्रणाली आदिद) मश्किस्तvक के दोनों सचेत औ� �ेहोश भागों को एक साथ डाल की तुलना में �हुत अक्ति.क स्थान लेता है. दिदव्य शक्ति!यों के कें द्रों इन के्षत्रों के भीत� हैं. मनोवैज्ञाबिनक बिवज्ञान केवल चेतन औ� अचेतन मन में अनुसं.ान क� सकते हैं. इस superconscious मन रू्प�ी त�ह से अर्पने केन औ� र्पहुंच से र्प�े है.

 

कंुडक्तिलनी योग �हुत �हुत हठ योग का एक बिहस्सा है. हठ योग तंत्र बिवज्ञान के क�ी� है. इसके का�ण मोहन, Ucchatan, Vashikaran आदिद जैसे कई प्रथाओं के साथ जो एक बिकसी र्प� हमला क� सकते हैं औ� उनके र्पतन का का�ण है.

 

ज� �ॉ�ट� स्कॉटलैंड याड� के एक गुप्त एजेंट Fabian अफ्रीका में बिकया गया था वह तो कई तांबित्रक काय� क�ता है को मा� डाला जा �हा है जो कई लोगों की मौत के क्तिलए नेतृत्व देखा. वह गह�ी इन घटनाओं में उनके द्वा�ा क्तिलखिखत रु्पस्तक में delved है.

 

इसक्तिलए इन र्पद्धबितयों के केवल एक शांत र्पहलू सी.े इलाज में देखा जाता है. �ाकी एक शीष� गुप्त �खा जाता है क्योंबिक अग� यह एक नीच charactered व्यक्ति! के हाथों में हो जाता है, यह केवल आर्पदा में र्परि�णाम क� सकते हैं. इतना है बिक �म है जो बिवशाल र्पहाड़ों बि�ख�ता में एड्स के रूर्प में �ोडवेज को �नाने

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के क्तिलए भी इतनी के रूर्प में क�ने के क्तिलए स्कूलों, अस्पतालों आदिद को चकनाचू� क�ने के क्तिलए दूस�ों के र्पतन का का�ण का दुरुर्पयोग बिकया जा सकता है. का�ण है बिक कुछ सा.ना एक गुप्त �खा जाता है बिक यह बिकसी के र्पतन के क्तिलए नेतृत्व नहीं क�ना चाबिहए. भा�तीय र्पौ�ाशिणक कथाओं में साग� (रु्प�ाणों) डेमी - देवताओं औ� �ाक्षसों के साथ जिजसमें मंथन की एक कहानी है साग� इतना के रूर्प में 14 जवाह�ात को प्राप्त क�ने के क्तिलए मंथन बिकया.

 

एक कीट गडे्ढ कंुडक्तिलनी की योबिन के गुUा में �ात की है. इस Kurma (कछुआ) है. मंथन �ॉड जो Mandarachal र्पहाड़ �ुलाया गया था वास्तव में Merudand है. नाबिगन एक साग� मथना �स्सी के रूर्प में इस्तेमाल बिकया गया था. Ida औ� 3 के पिर्पंगला साढे़ snakelike दौ� है. मंथन औ� �ोटेशन के का�ण ऊजा� का एक �हुत प्रकट. यौन खेलने में भी मंथन औ� कंुडक्तिलनी योग में महत्वर्पूण� �ल (Pranas) के मंथन का एक �हुत है. इसे से दोनों अमृत के रूर्प में रूर्प में जह� प्रकट क� सकते हैं अच्छी त�ह से. यदिद इन गुप्त बिवज्ञान का दुरूर्पयोग क�ने से त�ह Vamachar तांबित्रक प्रथाओं में एक अन्य व्यक्ति! को नष्ट क� देता है तो इसका मतल� है बिक जह� प्रकट बिकया है औ� अग� यह aptly लौबिकक कल्याण के क्तिलए उर्पयोग बिकया जाता है, यह बिनशिmत रूर्प से अमृत है. र्पबिवत्र लोगों के उर्पयु! उर्पयोग �नाने के क्तिलए औ� नीच आदमी यह दुरुर्पयोग. इसक्तिलए यह छुर्पा / एक खाल एक जननांग अंगों की त�ह इसे कव� क�ने की एक नीबित है.

 

सो serpentess 1 हमलों है बिक �हुत जो व्यक्ति! उसे जगा क�ने की कोशिशश क�ता है औ� उस व्यक्ति! को र्प�ेशान. दुरूर्पयोग औ� serpentess उकसाने के उत्र्पीड़न के का�ण. आदेश में चमत्का� दिदखाने के क्तिलए औ� दूस�ों के र्पतन कई मूख� आदमी यह दुरुर्पयोग का�ण. यौन जुनून भी augments औ� बिक आक्रमण में भद्दा �न सकता है.

 

यह हेन�ी ओस्लो "आध्यात्मित्मक बिUजिजयोलॉजी र्प� नोट्स" नामक रु्पस्तक में क्तिलखा है बिक रु्परुषों औ� मबिहलाओं में यौन जुनून Merudand के बिनचले आ.े के sacrocarxial के्षत्र से शुरू है. औ� इस के्षत्र में laxness आक्रमण यौन जुनून र्प� बिनभ�� क�ता है. ज� इस के्षत्र बिवकृत हो जाता है बिकसी को वासना से भ�ा सेक्स के साथ हो या एक बिहजड़ा �न सकते हैं. इसक्तिलए योग गं्रथों हुक्म देना है बिक इस के्षत्र Mooladhar �ां., शक्ति! Chalini मुद्रा, Vajrasan औ� Padmasan त�ह यौबिगक अभ्यास के माध्यम से शक्ति!शाली �नाया जाना चाबिहए. कंुडक्तिलनी जाग�ण के इन त�ीकों के माध्यम से प्रवाह के क्तिलए ऊर्प� उठाया जा सकता है. यदिद इस सवाल का र्पालन नहीं बिकया है, प्रवाह नीचे बिग� जाता है औ� इस त�ह एक �हुत कम उम्र में आध्यात्मित्मक आकांक्षी आयु वग� के लोगों की कमजो�ी का मानना है.

 

शब्द कंुडक्तिलनी अथ� है "एक �ाडे़ में �ैठने. नाबिगन �नाता है औ� एक �ाडे़ �ैठता है, लेबिकन अभी तक उसके हुड के ऊर्प� उच्च है. यह अर्पने सामने का बिहस्सा है. वह यहाँ से औ� जागने के �ाद चल �हा है शुरू, सहस्रा� कमल की Brahmarandhra क�ने के क्तिलए चला जाता है. बिU� वह गे्र �ात क�ने के क्तिलए चला जाता है औ� अंततः जालीदा� सबिक्रय प्रणाली के क्तिलए क्तिचर्पक जाती है. इस आध्यात्मित्मक अभ्यास के शिशव मंदिद� में बिवशिभन्न क्तिचत्रों औ� क्तिचत्र के माध्यम से वर्शिणंत है. कंुडक्तिलनी बिक जिजस में एक र्पानी र्पाता है. शिशव Uाम� औ� एक बिक्रस्टल शिशवचिलंग की त�ह कैलाश र्पव�त दौ� की है बिक त�ह है. यह एक र्पानी के �त�न के �ीच में सेट क� दिदया जाता है.

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प्राणी भी कंुडक्तिलनी enclosing द्वा�ा नीचे �ैठता है. एक क�ने के क्तिलए बिकतनी �ातें बिनयंत्रण नहीं है के रूर्प में गेज क�ने में बिवUल �हता है. लेबिकन वास्तबिवकता यह है बिक यह भी अर्पने श�ी� को वश में नहीं क� सकते हैं. वह केवल अर्पनी atonements के साथ र्पार्पों औ� र्पबिवत्र कम� का �ोझ कं.ों.

 

कंुडक्तिलनी जाग�ण के बिनvकष� में से एक "मैं सत्ता" �हुत ही कम र्परि�क्ति. �नाने के क्तिलए नहीं है. वह सो नहीं जा�ी �खना चाबिहए. उसने अर्पने आर्प को जगाने औ� �ाह� इस त�ह के र्पबिवत्र जिजसमें स्वाथ� की दीवा�ों से ही अन्य लोगों को भी जगाने कम� ले जाना चाबिहए. वे दूस�ों को पे्ररि�त क�ने के क्तिलए �ास्ते र्प� चलने की जिजसमें जागृत कंुडक्तिलनी सहस्रा� क�ने के क्तिलए चला जाता है तो के रूर्प में भगवान शिशव बिनवास के साथ एकजुट क�ने के क्तिलए क�ना चाबिहए. इस प्रका� एक आध्यात्मित्मक आकांक्षी की सा.ना आध्यात्मित्मकता की स�से ऊंची चोदिटयों को छू सकता है.

 

 

अध्याय सोलहएक नई �चना के क्तिलए आध्यात्मित्मक PRACTISES

 

(भा�तीय र्पौ�ाशिणक कथाओं) रु्प�ाणों में वण�न है बिक ज� बिवश्वामिमत्र ब्रह्मांड की हालत है वह एक नया ब्रह्मांड �नाने का Uैसला बिकया देखक� उत्तेजिजत था. आदेश में एक नए ब्रह्मांड वह तीव्र सौ� तर्पस्या प्रदश�न �नाने की शक्ति! हाक्तिसल क�ने के क्तिलए. वह अर्पने काय� में सUल �हा. लेबिकन जैसे ही वह एक नया ब्रह्मांड �नाने की कोशिशश की डेमी - देवताओं बिवश्वामिमत्र प्राथ�ना क�ने के क्तिलए बिनमा�ण के �ा�े में उनकी गबितबिवक्ति.यों को �ोकने क्योंबिक समस्याओं का एक �हुत कुछ क�ने के क्तिलए एक नया ब्रह्मांड के नव बिनमा�ण के �ाद सामना क�ना होगा. डेमी - देवताओं बिवश्वामिमत्र अर्पने प्रयास में आगे जा �हा है को �ोकने में सUल �हा.

 

यह के रूर्प में दू� के रूर्प में एक नया ब्रह्मांड के बिनमा�ण का सं�ं. है कोई नई �ात नहीं है. अर्पने �ाज्य र्पहले से ही र्पहले से मौजूद है. यह दिदखाई औ� दिदन का अनुभव क�ने के क्तिलए सु�ह से र्प�े है. लेबिकन यह बिनशिmत रूर्प से मौजूद है. अर्पनी शक्ति! को समझ में आ गया है, लेबिकन कोई भी इसे लागू क�ने क्योंबिक इसके साथ एक छेड़खानी अग�, दुबिनया के रू्प�े नक्शा �दल जाएगा �हुत �हादु� हैं.

 

एक र्प�माणु के चैलेंज� बिव�ो.ी र्प�माणु, बिक मामले की बिव�ो.ी �ात औ� है बिक दुबिनया के बिव�ो.ी ब्रह्मांड है. इसका अश्किस्तत्व सामग्री वैज्ञाबिनकों के द्वा�ा स्वीका� बिकया गया. यह हमा�े श�ी� की छाया की त�ह हमा�े �गल में चलता है. यह एक वजन रै्पमाने 2 रै्पन की त�ह औ� एक चक्र के दो र्पबिहयों की त�ह संतुक्तिलत है

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औ� इस प्रका� दृAय ब्रह्मांड के रूर्प अबित प्राचीन काल से ही �नी हुई है. यह इस वजह से है बिक वस्तुओं अर्पनी ही .ु�ी र्प� �ा�ी �ा�ी से औ� अर्पनी व्यक्ति!गत स्थिस्थबित र्प� कड़ी. दुबिनया व्यवस्था जा�ी है जिजसमें छोटी इकाइयों से र्पहले अक्ति.क से अक्ति.क शक्ति!यों के इद� - बिगद� बिU�ना.

 

ज� भी हम र्पानी में eddies देखते हैं, हवाओं में चक्रवात, ब्रह्मांड में ब्लैक होल, एक समझता है बिक सा.ा�ण प्रवाह बिन�ो.क द्वा�ा कुछ बिव�ो. शक्ति! ऐसी अद्भतु दृAयों लाती है. व�ना अग� प्रवाह सी.े गया था, वहाँ अ�ाजकता की कोई जरू�त नहीं थी. ज� झ�ने में र्पानी जमीन र्प� नीचे औ� �ैंग्स �हती है, वहाँ भी र्पानी एक एड़ी वत�मान की त�ह gyrates.

 

इस प्रका� वहाँ innumerous घटनाओं है बिक सी.े कर्पटर्पूण� हैं. एक तूUान में तीव्र ऊजा� गेज ज� वे ऊंची इमा�तों, चकनाचू� र्पत्थ�, आदिद द्वीर्पों नदी eddies में नाव नाव को उलटना का तख्ता र्पलट क�ने औ� महान महासाग�ों जहाजों की eddies में नाव को उलटना औ� र्पानी के नीचे दUन क� सकते हैं. अंत� ता�कीय अंतरि�क्ष में ��मूडा की त�ह काला छेद शून्य हवा वाहन, र्पानी वाहनों प्रस्तुत क�ना.

 

अर्पनी चुं�कीय शक्ति! के साथ रृ्पथ्वी के गुरुत्वाकष�ण �ल अर्पने साहस या घूण� आंदोलन के का�ण नहीं है. लेबिकन नवीनतम बिवश्वास है बिक ज� बिव�ो.ी दुबिनया की त�ह वस्तुओं (दुबिनया की एक समानांत�) rotates, इन 2 �लों प्रकट जो न केवल रृ्पथ्वी rotates लेबिकन उस र्प� एक सु�क्षा कव� तो �नाता है बिक अंत� ता�कीय अंतरि�क्ष से बिवबिक�ण �े. नहीं क�ते हैं औ� दज� क�ें रृ्पथ्वी के वायुमंडल.

 

अ� के रूर्प में इस �ल बिव�ो.ी एक छाया की त�ह है, लेबिकन यह सोचते हैं बिक इस बिव�ो.ी ब्रह्मांड आगे आता है औ� हमा�े वत�मान ब्रह्मांड एक छाया में �दल जाता है बिक स्थिस्थबित ऐसी है बिक स� कुछ नया होगा. भौबितक वस्तुओं नया हो जाएगा, जीव नया हो जाएगा, मनुvय के नया हो सकता है औ� एक चरि�त्र औ� जीवन की सामान्य प्रवृक्तित्त भी नया हो जाएगा.

 

यह बि�ल्कुल संभव है? सच्चाई यह है बिक कोई भी आदमी की तुलना में अक्ति.क है. यह सच है बिक भगवान आदमी �नाया है, लेबिकन इस बिनयम के भी गलत नहीं है बिक आदमी भगवान �ना. मनुvय के अलावा कोई अन्य प्राणी भगवान के अश्किस्तत्व को स्वीका� क�ता है. केवल आदमी भगवान को समझा औ� इस त�ह अर्पनी कल्र्पना की क्षमता के अनुसा� भगवान के नाम औ� प्रर्पत्र �नाया. एक क�ने के क्तिलए स्वीका� क�ते हैं बिक आदमी Vyasji अवलोकन के अनुसा� भगवान के �ाजकुमा� है:

 

मैं तुम्हें एक �हस्य �ता सकता है बिक कोई एक रू्प�े ब्रह्मांड में आदमी की तुलना में अक्ति.क है. यह बि�ल्कुल सच है.

 

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एक कई �ा� हमा�े ग्रह रृ्पथ्वी अर्पनी .ु�ी �दलता है. लेबिकन अग� एक गेज यह aptly औ� कुछ मानव जा �हा है तो चला जाता है के रूर्प में यह अर्पनी मुट्ठी के साथ हमला क�ने के क्तिलए, रृ्पथ्वी अर्पनी कक्षा में �दलने के क्तिलए औ� �स के रूर्प में आज जिजसमें एक वष� में 365 दिदन (एक दिदन में 24 घंटे की है) का गठन �हेगा, नहीं होगा के रूर्प में है औ� अक्ति.क या कम हो जाएगा. इतना ही नहीं, लेबिकन यह भी तार्पमान में वृशिद्ध / कम होती है औ� स्थिस्थबित �हुत अ�ाजक हो जाएगा.

 

यदिद एक सकल शा�ीरि�क ऊजा� इतना हाक्तिसल क�ने के क्तिलए, अग� अर्पने चेतन शक्ति! है जो असीम रूर्प से शा�ीरि�क शक्ति! से अक्ति.क तीव्र है अर्पने सभी शक्ति! के साथ एक बिवशेष हमले क�ता है सकते हैं, एक नहीं कह सकते हैं क्या एक भयानक र्परि�वत�न र्पीछा क�ना होगा.

 

यह आज की कोशिशश क� �हा समय के रूर्प में हालांबिक इच्छाओं भौबितक जगत के बिनमा�ण में एक र्परि�वत�न नहीं है. वास्तव में यह केवल समकालीन र्परि�स्थिस्थबितयों में एक र्परि�वत�न की इच्छा है. इन र्परि�स्थिस्थबितयों में खेलने में आते हैं औ� वे कैसे �दल जाएगा? ज�बिक गह�ाई से इस प्रश्न र्प� दशा�ती यह सामग्री की घटनाओं का बिवशे्लषण क�ने के क्तिलए व्यथ� है. इस सवाल में गह�ी डाइपिवंग में र्पता चलता है बिक �ाह्य र्परि�स्थिस्थबितयों एक र्परि�णाम है औ� हमा�ी मानक्तिसक स्थिस्थबित का प्रबितपि�ं� हैं. मन इच्छाओं से प्रभाबिवत होता है. इच्छाओं हमें �ाह�ी दुबिनया में काय� क�ने के क्तिलए मज�ू� हैं औ� इन सभी काय� के साथ �ाह�ी दुबिनया में �ना र्परि�स्थिस्थबितयों डाल दिदया. इस प्रका� मन मूल का�ण है बिक दुबिनया में �ाह�ी स्थिस्थबितयों �नाता है.

 

इसक्तिलए यह उक्तिचत है लगता है बिक अग� आज की र्परि�स्थिस्थबितयों की कोशिशश क� �हे हैं तो रू्प�ी मानव सभ्यता के क्रम में यह �ेहत� के क्तिलए �दल मानस को �ेहत� क�ने के क्तिलए र्परि�वर्तितंत बिकया जा होगा. इसका सांसारि�क समा.ान उर्पयु! शिशक्षा प्रसा�ण है, लेबिकन यह एक �हुत खोखला समा.ान है. ज� उन जो नैबितकता स्तुबित क�ना, .म�, कत�व्य आदिद देशभक्ति! की भावना, अर्पने जीवन में खुद को untowardly व्यवहा� क�ते हैं तो यह स्पष्ट है बिक मानक्तिसक शिशक्षा आ.ा रू्प�ा हो गया है. यह वहाँ भी एक कव� र्प�त है बिक बिकसी के व्यक्ति!त्व का सही कद �नाता है. ज� वे अर्प�ा.ी हैं जो अर्प�ाक्ति.यों खुद को कैद क�ने का दावा है, यह स्पष्ट है बिक केवल सैद्धांबितक ज्ञान के एक व्यक्ति! को नहीं �दल सकते हैं. क्योंबिक कें द्र है बिक एक व्यक्ति! को �दल देती है औ� कुछ औ� बिक मानस (मन) जो भी भीत� की आत्मा कहा जाता है. बिनकायों या महान संतों की अन्य सामग्री स्वयं द्वा�ा महान नहीं क� �हे हैं, लेबिकन उनके मानस की महानता की वजह से वे कद में दूस�ों की तुलना में अक्ति.क खडे़. जो भी सा.न है जिजसके द्वा�ा वे ऐसे उच्च सम्मान में आयोजिजत बिकया जाता है भी युग र्परि�वत�न का मूल अथ� है.

 

यदिद यह एक या दो व्यक्ति!यों के एक सवाल था, वे enticements, द�ाव, सलाह, औ� कूटनीबित के माध्यम से बिकया गया है �दल सकता है. लेबिकन जहां 500 क�ोड़ दुबिनया के व्यक्ति!यों, जहां अलग माँ जीभ, अलग अलग र्परि�स्थिस्थबितयों में अलग र्प�ंर्प�ाओं के बिवशिभन्न मानक्तिसक चरि�त्र के, के लोगों के र्परि�वत�न का एक सवाल है के भाग्य को �दलने का सवाल है, बिकतना मुश्किAकल यह क�ने के क्तिलए पे्ररि�त हो जाता है उनके मानस में औ� भी उच्च मानक्तिसक गुण उन्हें जीवन में उच्च आदश� को आत्मसात क�ने के क्तिलए प्रोत्साबिहत क�ते हैं. यह मुश्किAकल नहीं है यह स� लाइन नहीं है.

 

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इस त�ह के एक महान काय� के क्तिलए एक सीमिमत मानव प्रयास के �जाय दिदव्य शक्ति!यों की जरू�त है. मानव शक्ति! आदमी के द�ाव के तहत स�से अक्ति.क हाँ कह �खने के क्तिलए क� सकते हैं, लेबिकन यह �ेहत� क�ने के क्तिलए अर्पने भीत� की आत्मा को �दलने के क्तिलए दुल�भ है. सचे्च शब्दों में यह युग र्परि�वत�न की नींव का र्पत्थ� कहा जा सकता है. ज� हालात कोई सतही समा.ान आदिद की कठो� तानाशाही द्वा�ा बिनयंबित्रत बिकया जा सकता है, यहां तक बिक वे आदमी अर्पने मानक्तिसक imprints के सामने हा� स्वीका� क� क्तिलया औ� इस त�ह उन लोगों के साथ समझौता बिकया था. इस प्रका� यह �हुत जदिटल होने के साथ भीत� की आत्मा के मंथन र्परि�वत�न कैसे मुश्किAकल है, �हुत मुश्किAकल है गेज. लेबिकन यह याद क�ने के क्तिलए कुछ भी नहीं है बिक मुश्किAकल या असंभव को प्राप्त क�ने के क्तिलए भगवान के क्तिलए उर्पयु! है. उन्होंने �नी के क्तिलए Kaliyug �दल देती है औ� Tretayug में एक नैबितक बिनयम स्थाबिर्पत. वह �ावण, Vritrasur आदिद जैसे �ाक्षसों का अहंका� टूटता है वह सुदामा Vibheeshan, औ� सुग्रीव की त�ह ग�ी� लोगों को उनकी कदिठनाइयों को दू� क�ने में मदद क�ता है. वह डू� डेमी - देवताओं प्रलय (दुबिनया का बिवनाश) की गुUा में औ� सभी व्यार्पक र्पानी से ह�ाया वह एक नई दुबिनया �नाता है. क्या असंभव है अग� वह मनुvय के मानस में अशांबित लाती है के रूर्प में उनकी सोच औ� शानदा� व्यक्ति!त्व के गौ�व को �ढ़ाने के क्तिलए. एक ही उनकी कलात्मक कौशल ग्रहों उत्प्रे�ण देखक� स्तब्ध हो सकता है, क्तिसता�ों के क्तिलए अंत� ता�कीय अंतरि�क्ष में लटका औ� भी �ा�ी �ा�ी से / में घूमना आदिद. इसक्तिलए लगता है बिक कभी नहीं भगवान की कृर्पा की मदद क�ने के क्तिलए बिवश्वास का एक आदमी वांछनीय र्परि�वत�नों में लाने के क्तिलए यह असंभव है.

 

इन दिदनों में आम आदमी के क्तिलए कोई समस्या नहीं हैं. वे रू्प�ी �ात सो, रू्प�े दिदन के क्तिलए काम क�ते हैं, हँसते ज� स्थिस्थबित अनुकूल है औ� बिवलार्प है ज� हालात भयानक हैं. जन्म से मृत्यु तक अक्ति.का� वे एक ही घ� में औ� उन �हुत रि�Aतेदा�ों के साथ या तो दोस्ती या दुAमनी बिवकक्तिसत केजिन्द्रत है. लेबिकन जो लोग दू�दश� हैं, जो कुओं में मेंढ़कों से �ेहत� क� �हे हैं, ज� वे दू��ीन के माध्यम से देखते हैं यह कल्र्पना कैसे आतंक के काले �ादलों दुबिनया मानवता के आसर्पास इकटे्ठ हुए हैं मुश्किAकल नहीं है.

 

उदाह�ण के क्तिलए ले लो. र्परि�स्थिस्थबितयों, उनमें से ह� एक ऐसी है बिक एक छबिव रू्पजा के माध्यम से उन्हें अभी तक क्तिचबिकत्सा वहाँ नहीं है या अर्पने असली समा.ान के क्तिलए शुरुआत के अंत की कोशिशश क� �हे हैं. एक कैसे �डे़ का�खानों को �ंद क� सकते हैं? प्रदूषण जो एक दैबिनक आ.ा� र्प� वृशिद्ध र्प� है कैसे दू� बिकया जा सकता है? बिवबिक�ण का स्त� कौन र्प�माणु हक्तिथया� के बिवस्फोट को �ोकने, र्प�माणु रि�एक्ट�ों की सख्त प्रवृक्तित्त औ� कैसे �ढ़ सकते हैं �ंद warded जा सकता है? आर्प कैसे व्यवस्था �नाने के क्तिलए रु्परुषों के एक औ� दूस�े द्वीर्प र्प� मबिहलाओं के द्वीर्प र्प� �हने के क्तिलए ऐसा क� सकते हैं के रूर्प में जनसंख्या बिवस्फोट को �ोकने के क्तिलए? कैसे रु्परुषों / मबिहलाओं को जो एक साथ �हते हैं यकीन है बिक यह �हुत खत�नाक है �च्चों begetting जा�ी क� सकते हैं? कैसे हमा�ी रृ्पथ्वी एक ��� �ैंड की त�ह खींच क्तिलया जा सकता है तो के रूर्प में अर्पने आका� को �ढ़ाने के क्तिलए औ� इस प्रका� भोजन, वस्त्र, आवास की कमी की समस्याओं को हल क�ने के? एक शिशक्षक भी हैं जो �च्चों रू्पछ क�ने के क्तिलए अन्य बिवषयों दे उन्हें जीने की कला सीखने के क्तिलए औ� समाज के प्रबित .म� कत�व्य की भावना औ� रू्प�ी दुबिनया के क्तिलए प्रोत्साबिहत क�ते हैं कहाँ मिमल सकता है? कैसे इस त�ह के क्तिचबिकत्सा केन्द्रों को खोलने के जो �ोबिगयों को उनके �ोगों का इलाज क�ने के क्तिलए औ� भी उन्हें �ोकने के क्तिलए प्रोत्साबिहत मन र्प� बिनयंत्रण के शिशक्षण देक� माँ प्रकृबित औ� बिक का र्पालन क� सकते हैं? एक ऐसी सामाजिजक व्यवस्था अश्किस्तत्व में कैसे आया इतना है बिक एक उत्र्पीड़न, दमन, अर्पह�ण, औ� एक भौबितकवादी दृबिष्टकोण से मु! क� सकते हैं? कैसे लोगों को प्या� के साथ एक समय में होना औ� एक दूस�े के सामान का बिहस्सा है?

 

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आदेश में सी.ा क�ने के क्तिलए बिक जो उल्टा एक बिवशाल शक्ति! की आवAयकता होती है, जो नहीं है औ� मानव र्प�मात्मा है. यह कैसे औ� सबिक्रय बिकया जा सकता है औ� इकट्ठा? यह उक्तिचत कैसे मानव सभ्यता के कल्याण के क्तिलए इस्तेमाल बिकया जा सकता है? यह एक बिवशाल काय� है. स�से �ड़ी समस्या सका�ात्मक शक्ति!शाली personages के जीवन की दिदशा �दलने में बिनबिहत है.

 

चाहे वह अमी� हो या सत्ता में उन लोगों के है, चाहे वे लेखक या आध्यात्मित्मक नेता हैं, सभी को गलत �ास्ते र्प� हैं. वे सेवा के �ा�े में अल्र्पज्ञता �ात सभी के क्तिलए, लेबिकन अभी तक वे केवल स्वाथ� प्रयासों में शामिमल क� �हे हैं. यदिद इन लोगों की क्षमता वत�मान अर्पमाबिनत �ाज्य से ऊंची चोदिटयों के क्तिलए बिनद�शिशत क� �हे हैं, अग� वे स्वाथ� प्रयासों की �जाय आध्यात्मित्मक लक्ष्यों के क्तिलए काम क�ने के क्तिलए प्रोत्साबिहत बिकया जाता है तो बिनशिmत रूर्प से वाताव�ण शुद्ध बिकया जा सकता है.

 

आध्यात्मित्मक बिवज्ञान के अनुसा� वहाँ एक ही इलाज है औ� यानी कठो� तर्पस्या है. इस शक्ति! के साथ यह था बिक ब्रह्माजी एक नए ब्रह्मांड �नाया था. यह तर्पस्या की इस शक्ति! के साथ था बिक Bhageerath स्वग� के र्पबिवत्र गंगा को रृ्पथ्वी र्प� लाने में सUल �हा. ज� डेमी - देवताओं दानव Vitrasur वे Dadhichi उनकी कदिठनाइयों र्प� का�ू र्पाने में उदा� मदद क�ने के क्तिलए सहा�ा लेना र्पड़ा द्वा�ा र्प�ेशान बिकया गया. महान गहन तर्पस्या से भ�ा र्प�शु�ाम बिU� से था औ� बिU� रृ्पथ्वी र्प� नीच रु्परुषों को ह�ाया. महर्तिष ंदयानंद औ� अन्य महान संतों दृढ़ता से नीच र्प�ंर्प�ाओं का बिव�ो. बिकया था.

 

यदिद वत�मान में कोई बिवशाल र्परि�वत�न के क्तिलए जगह नहीं ले गया है, यह केवल तर्पस्या शक्ति! के आ.ा� र्प� बिकया जाएगा. ब्रह्मांडीय इच्छा शक्ति!, इच्छा शक्ति! औ� का��वाई की शक्ति! है बिक सकता है के साथ एक के व्यक्ति!त्व का अक्ति.का� वांक्तिछत सUलता �हुत आसानी से आकर्तिषंत क� सकते हैं. सभी मानव शक्ति!यों के �ीच, कंुडक्तिलनी शक्ति! सव«च्च है. यह Mooladhar चक्र जननांग के्षत्र में �सता है औ� एक वंश को �ढ़ाने में मदद क�ता है. यह बिनशिmत रूर्प से एक आmय� है बिक वीय� की एक मात्र ड्रॉर्प की मदद के साथ एक नया जीवन के अश्किस्तत्व में आता है. लेबिकन यह केवल शा�ीरि�क सीमा तक सीमिमत है.

 

ज� सा.ना के माध्यम से इस शक्ति! ब्रह्मांड में व्यार्पक बिकया जाता है तो यह तले सभी प्राशिणयों की मानक्तिसक स्थिस्थबित इतनी के रूर्प turvys यह कुछ महान �नाने के क्तिलए. यह एक युग �दलने औ� बिवश्वामिमत्र एक नया ब्रह्मांड �नाने की त�ह क� सकते हैं. इबितहास का कहना है बिक इस महत्वर्पूण� बि�जली के हमले के का�ण जीन भी उत्र्परि�वर्तितंत बिकया जा सकता है. ऋबिष रु्पलस्त्य के सभी भव्य �च्चों �ावण र्परि�वा� के �ाक्षसों �न गया था. ऋबिष Balkhilya �ाक्षसी माता बिर्पता के एक �च्चा था, लेबिकन जैसे ही वह रै्पदा हुआ था वह उस माहौल से दू� भटक गया औ� एक ��गद के रे्पड़ के दू. बिर्पया. इस प्रका� वह इस दू. से मनुvय था औ� एक ऋबिष �न गया. देने के अर्पने कू्र�तार्पूण� प्रवृक्तित्तयों आत्मसात महान महान रु्परुषों की नैबितकता औ� कौशल Rishyanuk के्षत्र के सभी �ंद�ों Tretayug. सभी ऐसी घटनाओं में यह महत्वर्पूण� शक्ति! के सबिक्रयण है बिक काम र्प� है. यह इन बिक हमें युग र्परि�वत�न के �ा�े में एक आशा जलाना उदाह�ण है. भगवान प्राशिणयों �नाया गया है लेबिकन इसके साथ साथ (देवी नाग र्पाव�) कंुडक्तिलनी शक्ति! पिप्रंस में मौजूद इस त�ह के एक बि�जलीघ� आदमी कहा जाता है बिक इस त�ह के एक व्यक्ति! न केवल सम्माबिनत हो जाता है, लेबिकन है बिक वह आवAयक सभी जीबिवत प्राशिणयों के चरि�त्र को �दलने की क्षमता है . Devatma भा�त के

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कंुडक्तिलनी जाग�ण के क्तिलए सा.न केवल शुरुआत में एक व्यक्ति! अभी तक यह स� में भागीदा� हैं हो सकता है. इस शक्ति! का जाग�ण भी एक युग र्परि�वत�न के क्तिलए पे्ररि�त क� सकते हैं.

 

 

सत्रह अध्यायएक �ाष्ट्र के कंुडक्तिलनी के र्परि�वत�न की बिवक्ति.

 

कंुडक्तिलनी (देवी नाग र्पाव�) साबिवत्री का एक सूक्ष्म शक्ति! है जो व्यार्पक होने के �ावजूद प्रकट इतना है बिक एक यह रू्पजा क� सकते हैं नहीं क�ता है. साबिवत्री महाशक्ति! के सकल औ� सा.ा�ण उर्पयोग गम� औ� प्रकाश के रूर्प में बिकया जाता है. अर्पनी असा.ा�ण जीवन के बिनमा�ण में उर्पयोग है. ब्रह्मांड की साबिवत्री शक्ति! के �ीज क्तिसद्धांत मानव श�ी� में भी मौजूद है. 7 चक्र की त�ह, 7 dhatus, 7 Jihvas, 7 Gargs, 7 Bhuvans, 7 Ashwas, 7 शक्ति! प्रवाह भी सू�ज की 7 �ंग 7 घोड़ों के रूर्प में समझा जाता है. अर्पनी सहायता के साथ दुबिनया �नाया है प्रचारि�त, औ� �दल दिदया.

 

केवल एक बिवशेष व्यक्ति! कंुडक्तिलनी जागृत है औ� अर्पनी इच्छा शक्ति! के साथ बिवशिभन्न आध्यात्मित्मक प्रथाओं के माध्यम से अच्छी त�ह से ज्ञात ख�� के अनुसा�, महत्वर्पूण� �ल इस त�ह के काय� के जो आसानी से शा�ीरि�क शक्ति! औ� .ार्मिमंक संस्का� के माध्यम से कभी नहीं रू्प�ा बिकया जा सकता है प्रदश�न क� सकते हैं. मानव श�ी� में इतने सा�े अनंत �ीज क्तिसद्धांत है जो ज� बिवकक्तिसत आदमी असा.ा�ण क� सकते हैं क� �हे हैं. वे Sidhas, सुर्प�, चमक के बि�जलीघ� औ� अशिभशार्प / �ून्स के �हुत जड़ के आ.ा� के रूर्प में बिगना जाता है. वे ऐसे बिवशाल काय� है बिक वे केवल एक र्प�मात्मा इंसान से बिक्रयात्मिन्वत बिकया जा सकता है प्रदश�न. सृजन औ� बिवनाश के काय� के भीत� वह इस त�ह है बिक यह केवल आmय�जनक कहा जा सकता है में काम क�ता है.

 

यह स� व्यक्ति!गत सUलता के �ा�े में था. आमतौ� र्प� आदमी में स्वाथ� हमेशा overflows. वह केवल अर्पने अहंका�ी मबिहमा, आमोद, साहसी औ� प्रक्तिसशिद्ध के �ा�े में सोचती है. स्वग� औ� मोक्ष भी इस श्रेणी के अंतग�त आता है. शार्प �ून्स / एक ही augments औ� satisfies एक अहंका� देक�. अच्छी त�ह से ज्ञात प्रयोगों के �ीच इस त�ीके से कंुडक्तिलनी जाग�ण में केवल व्यक्ति!गत उन्नबित के �ैन� के तहत आता है.

 

एक समत्मिन्वत कंुडक्तिलनी जाग�ण आत्मा का एक उच्च समतल प्रयोग है. आध्यात्मित्मक आकांक्षी अहंका� (आई) यहाँ र्प� संकीण� औ� सीमिमत नहीं �ह क�ता है, लेबिकन स� pervasively अनंत हो जाता है. वह जो कुछ भी क�ता है या सोचता है बिक केवल दुबिनया के कल्याण के क्तिलए हो सकता है. उन्होंने यह भी "दुबिनया मे�ी आत्मा है" औ� "मे�ा र्परि�वा� है दुबिनया" उनके दृबिष्टकोण ripened है औ� इस त�ह दुबिनया के कल्याण के क्तिलए अर्पने सभी इच्छाओं को केवल का उर्पयोग क�ेगा. वह उसके साथ छोड़ दिदया क�ने के क्तिलए अर्पने

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खुद के कॉल क�ने के क्तिलए कुछ भी नहीं है. वह जो अदै्वत (अदै्वत) में उच्च नीच बिवलय क� दिदया गया है में दं्वद्व बिवलय क� दिदया गया है, संवेदनशीलता में र्परि�वर्तितंत इच्छाओं औ� लगता है औ� दुबिनया में अच्छी त�ह से ही होने के क्तिलए काय� क�ेगा. वह केवल एक ही इच्छा है औ� बिक Uूल औ� इस संसा� रूर्पी उद्यान में शांबित औ� भाईचा�े के सुस्वाद Uल खिखल देख �हा है.

 

है ज� भी Devarshi ना�द भगवान बिवvणु से संर्पक� वह केवल एक सवाल रू्पछा था औ� वह था ज� सांसारि�क र्परि�स्थिस्थबितयों की कोशिशश क� �हा शांबितर्पूण� �ा�ी होगी. Rishis इच्छा "कामदेव बिU� dukha taptanam praninam artanashanam" है. उदा� दिदल के संतों की तर्पस्या दूस�ों '(दुबिनया) अच्छी त�ह से बिकया जा �हा है के क्तिलए ही है. दीनता प्राचीन है. यह अतीत उदास युग है बिक आदमी स्वाथ� �न गया है की वजह से है. यह इन �ा� के दौ�ान बिकया गया था बिक आत्मा सा.ना औ� क्तिसशिद्धयों व्यक्ति! स्वाथ� इच्छाओं को संतुष्ट क�ने के क्तिलए थे. Sidhis इच्छाओं के के्षत्र में आज संकीण� दिदमाग स्वाथ� के रूर्प ले लो. लेबिकन एक कभी नहीं सोचना चाबिहए बिक सभी के रूर्प में हो सकता है औ� जीवन के सभी अंत. हो सकता है बिक एक अर्पवाद के रूर्प में आध्यात्मित्मकता औ� लौबिकक कल्याण की गबितबिवक्ति.यों आज जीबिवत हैं औ� अ� भी यह हमें अर्पनी अनन्त अश्किस्तत्व की एक झलक देता है.

 

बिर्पछले 3 वष� में ज�बिक वत�मान र्परि�स्थिस्थबितयों को ध्यान में लेने, सभी बिवशेष आध्यात्मित्मक शांबितकंुज, हरि�द्वा� (भा�त) में मा� डाला प्रथाओं �ाष्ट्रीय औ� दुबिनया कंुडक्तिलनी (देवी नाग र्पाव�) के सबिक्रयण कहा जा सकता है. आग की चमक उसके आसर्पास के के्षत्र के र्पास स�से �ड़ा है. से अक्ति.क है औ� के ऊर्प� यह अक्ति.क से अक्ति.क कम दू�ी है अर्पनी गम� का अनुभव बिकया. उसी त�ह प्राचीन ऋबिष ऊजा� के बिU� से जागृबित Saptadhara के्षत्र के र्पास हरि�द्वा� (भा�त) में हो �ही है. बिनकटता के दृबिष्टकोण से देश र्प� इसका प्रभाव काUी तेजी से देखा जाएगा. लेबिकन दू�ी augments के रूर्प में इतना प्रभाव .ी�े .ी�े लेबिकन बिनशिmत रूर्प से कक्तिथत जाएगा. सूय«दय की र्पहली बिक�ण र्पानी में देखा जाता है. शुरुआत में इसकी झलक 1 र्पहाड़ों औ� रे्पड़ों की ऊर्प�ी शाखाओं की चोदिटयों र्प� देखा जाता है. बिU� .ी�े .ी�े अर्पने प्रकाश ह� जगह radiates. यह रू्प�े आकाश में Uैलता है औ� र्पव�त चोदिटयों से यह फ्लैट नीचे मैदानों को Uैलाता है. एक ही त�ीका है बिक कंुडक्तिलनी Mahaprajna जो इन 3 वष� में सबिक्रय हो गया है 1 भा�त में देखा जाएगा. औ� .ी�े .ी�े लेबिकन बिनशिmत रूर्प से यह �ाद में रू्प�ी दुबिनया में Uैल जाएगा. र्परि�वत�न है बिक इसके प्रभाव की वजह से जगह ले जाएगा के बिवशिभन्न त�ीकों में बिवशिभन्न के्षत्रों में देखा जाएगा. यह क्तिसU� है, लेबिकन एक बिनशिmत तथ्य यह है बिक एक संभावना नहीं है. प्राचीन समय में दुबिनया औ� देश कंुडक्तिलनी जाग�ण बिवश्वामिमत्र द्वा�ा हाक्तिसल बिकया गया. उस समय भी वहाँ ब्रह्मांड के एक कुल र्परि�वत�न था. सभी र्परि�स्थिस्थबितयों को भी �ेहत� क�ने के क्तिलए �दल दिदया था. औ� अ� यह है बिक वास्तव में क्या होने जा �हा है. गंगाजल आज स�का� द्वा�ा साU बिकया जा �हा है. भा�त के रै्पसे का एक �हुत का उर्पयोग क�. यहां तक बिक गोव.�न की मानसी गंगा के आ.ा� र्प� गंदगी को हटाया जा �हा है औ� यह नए, साU र्पानी के साथ refilled बिकया जा �हा है. उसी त�ह अ� समय के क्तिलए हमें दुबिनया में सभी अवांछनीय तत्वों र्प� का�ू र्पाने के क्तिलए इतनी के रूर्प में अच्छी त�ह से इसे शुद्ध क�ने के क्तिलए है. कंुडक्तिलनी सबिक्रयण के हमा�े उदे्दAय दुबिनया एक आदश�वादी जीवन �हते हैं औ� क्तिसU� एक कुछ व्यक्ति!यों तक सीमिमत नहीं है �नाने के क्तिलए है. दुबिनया के inethics, अं.ा बिवश्वासों, अं.ा र्प�ंर्प�ाओं औ� अवांछनीय तत्वों के �ं.नों से मु! होने की जरू�त है.

 

इस र्परि�वत�न जगह कैसे ले जाएगा? इस सवाल का जवा� है बिक हम दुबिनया के सभी गंदगी उखाड़ क�ेगा 1 है. वास्तव में, हम बिकसी भी असुबिव.ा के हमा�े �ास्ते में आते हैं बिU� भी हम आगे हमा�े प्रयास में माच� क�ेंगे.

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उसकी गोद में �च्चे के साथ खेलने से र्पहले एक माँ के जन्म के दद� से गुज�ना ज�बिक उसके �च्चे को देने है औ� उस समय खून गम� हो जाता है. ज�बिक एक गंदे नाली सUाई �ू सभी दिदशाओं में Uैलता है. ज� एक Uोड़ा र्प� संचाक्तिलत है, जह�ीला र्पदाथ� उत्सर्जिजंत होता है. होम्योर्पैथी दवाओं के �ा�े में यह कहा जाता है बिक यह र्पहली �ा� �ोग के भीत�ी बिवकृबितयों लाती श�ी� से �ाह� आने औ� बिU� यह �हुत जड़ों से �ोग के इलाज शुरू होता है. एक इमा�त के बिनमा�ण से र्पहले एक गह�ी नीचे जमीन में एक Uम� नींव आ.ा� �खना है. बिवशिभन्न �ंग में कर्पड़ा �ंगाई से र्पहले यह अच्छी त�ह से साU बिकया जा 1 है. यह �हुत गबितबिवक्ति. शुरुआत दिदन र्पहले देश औ� दुबिनया भ� में कंुडक्तिलनी सबिक्रय होता है में देखा जाता है. बिवकृबितयों uprooting के बि�ना, घृणा, भौबितकवाद, अहंका�, नीच नैबितकता, �ु�े बिवचा�ों एक नई सोच कभी नहीं स्थाबिर्पत क� सकते हैं. इसक्तिलए शुरुआत दिदनों में अग� वहाँ कुछ देखा बिवनाश है समझने के क्तिलए, बिक एक कुम्हा� र्पहले कीचड़ गीला है, यह एक छड़ी के साथ battering औ� उसके रै्प�ों के साथ यह कुचलना है. औ� अक्ति.क से अक्ति.क औ� ऊर्प�, कीचड़ एक घूण�न र्पबिहया र्प� एक �त�न के आका� दे �ही है. �ाद में वह भी गम� भदिट्टयों में �त�न bakes. इस युग के नव बिनमा�ण में यह �हुत ही बिवक्ति. के रूर्प में है तो दुबिनया भ� में एक र्परि�वत�न के �ा�े में लाने के क्तिलए उर्पयोग बिकया जा �हा है. कोई नहीं बिन�ाशा चाबिहए ज� वे destructions औ� दुबिनया में आर्पदाओं देखें.

 

ज� भी एक Vaidyaraj अमूल्य दवाओं �नाता है वह खत्म हो औ� एक मोटा�� औ� मूसल के साथ जड़ी �ूदिटयों को कुचल ऊर्प� भी उन्हें आग प्रज्वलन में तर्पता है. इस गबितबिवक्ति. लगता है के रूर्प में हालांबिक जड़ी �ूदिटयों र्पल्र्प क�ने के क्तिलए बिकया जा �हा है �ढ़ा �हे हैं अभी तक अर्पने र्परि�णाम �ेहद Uायदेमंद हैं. यह एक उज्जवल भबिवvय का र्पहला च�ण है. इससे र्पहले एक �ीज एक रे्पड़ �न जाता है यह जमीन में सड़ने के �ाद बिक यह एक र्पौ.ा �न जाता है औ� बिU� एक खिखल रे्पड़ अस� Uूलों औ� Uलों में �दल जाता है. आज की दुबिनया की बिर्पछले अवांछनीय र्प�ंर्प�ाओं को दू� क�के एक यह इस त�ह है बिक एक मानव मबिहमा का एक सी.ा दृबिष्ट मिमल जाएगा में remould होगा.

 

मानसून की शुरुआत के का�ण एक गंदगी ह� जगह देखता है. हवा औ� �ारि�श hutments का�ण बि�ख� �हे हैं औ� बिवशाल भवनों भूमिम र्प� razed क� �हे हैं. लेबिकन एक �हुत ही कम समय में सूखी नदी बि�स्त� �ारि�श के र्पानी से भ� �हे हैं. बिकसानों खिखलने की हरि�याली के साथ ह� जगह के्षत्रों. उस समय 21 सेंट सदी के अनुरूर्प होगा जिजसमें एक संस्कृबित, उन्नबित, औ� रू्प�ी दुबिनया की मबिहमा देखेंगे. 20 के बिर्पछले 13 वष� वें

सदी संघष� औ� आर्पदाओं से भ�ा होगा. मानसून के दौ�ान खेतों की दीवा�ों को तोड़ने औ� वहाँ नदिदयों की �ाढ़ है, एक आदिद .ा�ाओं को समझना चाबिहए बिक 20 के बिर्पछले 13 वष� वें सदी में जो काले �ादल आसमान है, जहां बि�जली एक औ� सभी आतंबिकत में इकटे्ठ हुए इस त�ह के थे औ� अवांछनीय घटनाओं हुई. लेबिकन अंततः अं.े�े उदास �ादलों केवल अच्छा भबिवvय समय में र्परि�णाम. ह� गंभी� स्थिस्थबित केवल अचे्छ र्परि�णाम �ाद में दे सकते हैं.

 

आदमी दुबिनया में काम क�ता है. औ� अर्पनी प्रबितबिक्रया हमेशा से सामना बिकया है. लेबिकन दिदव्य कानून रू्प�ी त�ह से अलग है. यह र्पहली �ा� में एक माहौल �नाया है. औ� इस त�ह जीव, व्यक्ति!यों औ� वस्तुओं से प्रभाबिवत हैं. अर्पने स्वयं के उर्पयु! समय ठंड, गम�, मानसून अर्पने स्वयं के वाताव�ण रै्पदा क�ते हैं. एक आसानी से श�द ऋतु औ� वसंत के मौसम के प्रभाव को देख सकते हैं. युग र्परि�वत�न भी एक दिदव्य मौसमी

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र्परि�वत�न जैसा गबितबिवक्ति. के रूर्प में समझा जा सकता है. यहाँ अदृAय सूक्ष्म वाताव�ण एक प्रमुख भूमिमका बिनभाता है. यह दोनों बिनत्मिvक्रय औ� होश में क्तिसद्धांतों प्रभाबिवत हो.

 

ज� यह बिनत्मिvक्रय �ात है, जीव, रु्परुषों औ� र्परि�स्थिस्थबितयों को प्रभाबिवत �ाष्ट्रीय औ� दुबिनया कंुडक्तिलनी शक्ति! (देवी नाग र्पाव�) की जागृबित के प्रभाव देखा जाएगा. मिमट्टी अक्ति.क उर्पजाऊ हो जाएगा, खबिनज अयस्कों के साथ इसकी खुदाई के अनुर्पात के साथ वृशिद्ध होगी. खबिनज अयस्कों आदमी क्या वास्तव में आवAयकता से ज्यादा वजन में अक्ति.क हो जाएगा. कचे्च तेल की कमी कभी नहीं होगा. �सायन, भा�ी मात्रा में उर्पलब्ध हो जाएगा. मनुvय को मेहनत रे्पड़, जड़ी �ूटी आदिद का�ण माँ प्रकृबित के आंदोलनों में वे अर्पने दम र्प� बिवकक्तिसत होगा बिवकक्तिसत नहीं होगा. जलमाग� की कोई कमी नहीं हो जाएगा. प्राचीन समय की त�ह जंगलों की जड़ी �ूदिटयों बिU� से इतना है बिक यह बिवशिभन्न �ीमा�ी के इलाज में मदद मिमलेगी अमूल्य हो जाएगा. उर्पयोगी जीव वृशिद्ध र्प� हो सकता है औ� एक लं�े समय के क्तिलए �ह जाएगा. उन जीव है बिक खत�नाक होते हैं काUी नहीं रै्पदा क�ना औ� वे मुश्किAकल से अर्पनी जान �चाने के क्तिलए सक्षम हो जाएगा. खबिनज र्पानी में �ढ़ा है औ� इस त�ह प्रदूषण को दू� क�ेंगे. गंदगी में कमी औ� र्पबिवत्रता वृशिद्ध र्प� हो जाएगा. प्राकृबितक आर्पदाओं �हुत दुल�भ हो जाएगा. माँ प्रकृबित के क्तिलए अनुकूल है, �ाढ़ जैसी प्राकृबितक आर्पदाओं, अकाल, चक्रवात �नने के का�ण, typhoons आदिद में कमी होगी.

 

�ेशक, आदमी के रूर्प में एक ही आज के रूर्प में देखा जाता है �हेगा. अभी तक 21 में सेंट सदी आत्मा औ� मानस के स्त� र्प� अर्पने आंतरि�क व्यक्ति!त्व काUी �दल जाएगा. ह� कोई नीच की आदतों घृणा औ� आम आदमी से कभी नहीं प्रभाबिवत होगा. वे लूटर्पाट, अर्प�ा., अवै. गबितबिवक्ति.यों, तस्क�ी, कठो�ता आदिद ज� �हुमत में र्पबिवत्र चरि�त्र, का��वाई, अचे्छ स्वभाव औ� भलमनसाहत का एक अबितप्रवाह हो जाएगा के साथ र्पक्ष कभी नहीं होगा, नीच लोगों दुव्य�वहा� औ� कभी नहीं इस त�ह दुष्ट में सUल असUल हो जायेगी गबितबिवक्ति.यों. Mosquitos, मस्थिक्खयों गंदगी औ� कीचड़ में रै्पदा क�ना. अवै. गबितबिवक्ति.यों औ� अर्प�ा. द� में वृशिद्ध ही है ज� वे दृढ़ता से �ाक्ति.त नहीं क� �हे हैं. ज� ह� कदम र्प� यह अव�ो.ों, आर्पक्तित्तयों, बिवर्पक्ष आदिद का सामना क�ेंगे, यह कभी कैसे सUल हो सकती है? ज� सदाचा�ी व्यवहा� वृशिद्ध र्प� होगा, नीच व्यवहा� उसके हुड कभी नहीं जुटाने के औ� न ही दुव्य�वहा� की बिहम्मत क� सकते हैं.

 

लोग बिवश्वास, स्वतंत्रता, औ� कड़ी मेहनत का रू्प�ा हो जाएगा. इसक्तिलए वहाँ कोई का�ण नहीं है बिक स्थिस्थबितयों ग�ी�ी की त�ह, सामग्री आदिद प्र�ल क� सकते हैं की कमी है. यदिद आदमी के मेहनती स्वभाव औ� ज्ञान augments, इसक्तिलए वह जीवन के बिकसी भी के्षत्र में एक कमी का सामना क�ना होगा? यदिद उदा�ता proliferates, लोगों को अर्पने स्वयं के कं.ों र्प� दूस�े के दु: ख लेने के क्तिलए औ� अन्य लोगों के साथ अर्पनी खुशी का बिहस्सा होगा. इस प्रका� कोई भी गुस्से में �दला लेने के क्तिलए औ� न ही बिकसी को भी चोट लगी होगी.

 

ज� व्यक्ति!गत स्वाथ� औ� कठो�ता रै्पदा क�ना इसे अन्य नीच गबितबिवक्ति.यों के साथ साथ साम्राज्यवाद, उर्पबिनवेशवाद, उत्र्पीड़न, उत्र्पीड़न आदिद के क्तिलए होता है. के रूर्प में एक र्परि�णाम युद्धों लगाने औ� लोगों की अनंत संख्या म� जाते हैं. हकीकत में व्यक्ति!गत अहंका�शून्य हुए सामूबिहक बिवनाश की ओ� जाता है. युद्ध में दोनों दलों को ह�ाया औ� वे इस त�ह के एक टूट �ाज्य है बिक वे केवल feebly अश्किस्तत्व का प्र�ं.न क� सकते हैं में मिमलता है. के रूर्प में युद्ध के �ोष के रूर्प में लं�े समय तक मौजूद हैं तो ऐसा लगता है मानो हम

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अजेय हैं. लेबिकन ज� युद्ध �ोष नीचे म� जाता है, एक एहसास है बिक यह आत्महत्या लेबिकन कुछ भी नहीं था. �ातचीत के माध्यम से या न्यामियक आयोगों के माध्यम से हल हो सकता है ज� हमा�े मन में भेदभाव dawns हम है बिक �ाय के अंत� का एहसास. हो सकता है बिक अंबितम र्परि�णाम एक र्पाट¤ के क्तिलए नुकसान का मतल� है, अभी तक यह बिनशिmत रूर्प से युद्ध आघात से अक्ति.क Uायदेमंद है सकता है. ज� यह अहसास सभी मनुvयों के मानस में भो� जाएगा तो वहाँ छोटे लड़ाई या बिवशाल युद्ध कभी नहीं होगा.

 

ज्ञान है बिक अग� यह �चनात्मक प्रयोजनों के क्तिलए प्रयोग बिकया जाता है, तो हो सकता है सामग्री आ�ाम का उत्र्पादन बिकया जा सकता है के साथ साथ मानव कड़ी मेहनत में इतनी शक्ति! है. के साथ इसके उर्पयोग आदमी आनंद, संस्कृबित औ� डेमी - देवताओं के सभी दौ� सौंदय� को प्राप्त क� सकते हैं. ज� इस रृ्पथ्वी नैबितकता के माग� र्प� चल व्यक्ति!यों के साथ जाना लाजिजमी है, तभी हम मबिहमा देखने के क्तिलए औ� स्वग� के क्तिलए जैसा आ�ाम.

 

आने वाले दिदनों में हम बिनशिmत रूर्प से एक ऐसे माहौल देखेंगे. इसकी नींव का र्पत्थ� है बिक इसका मतल� है जो दुबिनया भ� में कंुडक्तिलनी शक्ति! (देवी नाग र्पाव�) औ� बिर्पछले 3 वष� में यह तीव्र तर्पस्या के माध्यम से हाक्तिसल बिकया गया है की जागृबित कहा जाता है के द्वा�ा बिकया जा �हा है नीचे �खी.

 

र्परि�वत�न के समय स्वग�य र्परि�स्थिस्थबितयों �ाम (या �ाम �ाज्य) बिनयम की त�ह �नी �हेगी. यह �हुत ही उर्पयु! हो यह "गोल्डन आयु यानी �नी की वार्पसी" कॉल.

 

 

अठा�ह अध्यायकंुडक्तिलनी तर्पस्या की गह�ी आयात औ� आवAयक माग�दश�न

 

ह� वस्तु अर्पने स्वयं के दृAय औ� अदृAय रूर्प है. सोने की एक �हुत ही मूल्यवान अयस्क है. ज� कीचड़ रृ्पथ्वी के साथ जोड़ता है यह अयस्क के रूर्प में �ाह� आता है. लेबिकन इस अयस्क सफ़ाई र्प� यह �ाजा� में ऊंची कीमतों र्प� �ेचा जाता है. औ� इस स्वण� संुद� गहने के साथ �ना �हे हैं. लेबिकन ज� �ासायबिनक उर्पचा� के माध्यम से यह सोने �ाख में �दल जाती है, यह अद्भतु गुण प्रकट होता है. यह एक कमजो� श�ी� �हुत मज�ूत �नाने में मदद क�ता है. आदमी इस प्रका� एक लं�ा जीवन जी सकता है. ये खास बिवशेषताओं अन्य अयस्कों में वहाँ भी क� �हे हैं. आमतौ� र्प� लोगों को इसका इस्तेमाल क�ने के क्तिलए कुछ लेख �ना. लेबिकन ज� वे �ासायबिनक इलाज क� �हे हैं, इन अयस्कों की �ाख महान गुण प्रकट. एक �ेत के कण के सूक्ष्म भाग र्प�माणु ऊजा� रै्पदा क�ने में मदद क�ता है. यह एक बि�जली, बिवशिभन्न बिक�णों के बिवबिक�ण औ� हक्तिथया� हो जाता है. यह बिक जो सकल है subtilization है.

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यह एक सव�बिवदिदत तथ्य है बिक बिकसी भी वस्तु के सूक्ष्म रूर्प में अर्पने सकल र्पहलू से infinitely अक्ति.क शक्ति! है. कीचड़ र्प�माणु ऊजा� के एक ढे� की तुलना में बिवशाल काय� बिनvर्पादिदत क� सकते हैं. श�ी� की तुलना में हमा�े मन औ� अक्ति.क ऊजा�वान हैं. भार्प र्पानी की तुलना में अक्ति.क शक्ति!शाली है. आत्मा अदृAय अभी तक है ज� यह अबिग्रम आगे यह संतों, ऋबिषयों, दिदव्य रु्परुष औ� अवता� के रूर्प में प्रकट होता है.

 

उसी त�ह, मानव अश्किस्तत्व की subtlization भी योग औ� आध्यात्मित्मक तर्पस्या के माध्यम से जगह ले सकते हैं. तर्पस्या के एक आदमी अर्पने शा�ीरि�क दिदव्य क्षमता जागता है. भार्प एक टे्रन चलाने के क्तिलए मदद क� सकते हैं. ज� �ांस के रे्पड़ को एक दूस�े के खिखलाU �गड़ना, एक जंगल आग प्रकट क�ने के क्तिलए देखा जाता है. यह �हुत प्रभाव तर्पस्या की सा.ना के माध्यम से प्रकट होता है. ज� एक ग्लास लेंस र्प� बि�ख�े हुए सौ� बिक�णों एक ही पि�ंदु र्प� ध्यान कें दिद्रत क� �हे हैं, आग के स्पाक्स� देखा जाता है. सा.ना औ� तर्पस्या के र्परि�णामों के क्तिलए एक ही सच है.

 

के माध्यम से योग आदमी अर्पमाबिनत दिदव्य दुबिनया औ� इस एकीक�ण की महानता में बिवलीन हो जाती है �ाज्य के साथ कम उच्च के बिवलय के क्तिलए होता है. ज� ता�ों बि�जली संर्पक� वे शक्ति!शाली हो गया है औ� इस प्रका� हमा�े वांक्तिछत काय� ले. एक नल के र्पानी के रूर्प में ही टैंक के क्तिलए जो यह जुड़ा �हता है र्पानी के साथ भ� के रूर्प में लं�े समय से दे सकते हैं. यह �हुत स्पष्ट है बिक दिदव्य ऊजा� के टैंक खाली नहीं है औ� इसे क�ने के क्तिलए नल एकजुट लं�े समय के रूर्प में र्पानी देता है, के रूर्प में कोई �ा.ा अर्पने �ास्ते में आता है. ज� मानव चेतना भगवान की दिदव्य ऊजा� imbibes, �हुत जल्द ही वह आदमी से भगवान, रु्परुष से रु्परुषोत्तम औ� नीच से बिकया जा �हा महान हो जाता है. खुद को �ढ़ाने के साथ साथ श�ी� के व्यार्पक प्रकृबित इसकी क्षमता भी �ढ़ जाती है. एक शे� की तुलना में न केवल एक बिवशाल हाथी के श�ी� है, लेबिकन इसकी हो सकता है भी अक्ति.क शक्ति!शाली है. एक �च्चे की तुलना में न केवल एक वयस्क के श�ी� अक्ति.क मज�ूत है, लेबिकन उसके क्तिलए काम क�ने की क्षमता भी �हुत अक्ति.क है. एक आध्यात्मित्मक आकांक्षी की तर्पस्या उसे एक Sidha (संत का एहसास) �नाता है.

 

तर्पस्या आत्म बिनयंत्रण, radiating चरि�त्र औ� अन्य प्राशिणयों के क्तिलए सेवा की भावना के क्तिलए आम तौ� र्प� नहीं है ज� संयु! सUल नहीं है. एक �ीज एक रे्पड़ कैसे हो सकता है अग� यह ठीक के �ाद नहीं देखा है औ� उर्पजाऊ मिमट्टी, र्पानी आदिद इस बिनयम के क्तिलए �हुत �हुत कंुडक्तिलनी जाग�ण के त�ीकों के क्तिलए भी लागू होता है के साथ आरू्पर्तितं क� सकते हैं.

 

कंुडक्तिलनी जाग�ण का अथ� है तेज औ� र्प�मात्मा हमा�ी चेतना में क्तिछर्पा शक्ति!यों को सबिक्रय. यह सभी 3 बिनकायों में बिवशिभन्न प्रयोजनों के क्तिलए बिवशिभन्न त�ीकों से रू्प�ा बिकया जा सकता है.

 

ऊर्प� को सबिक्रय क�ने के 14 त�ीके हैं. इन 14 glories 14 गहने उभ�ा ज� समुद्र मंथन बिकया गया था की तुलना में बिकया जा सकता है. इसका वग�क�ण इस प्रका� बिकया जा सकता है. साथ 6 चक्र Merudand

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यानी सहस्रा� कमल तक Mooladhar से शुरू एक शक्ति!शाली माध्यम है बिक सामग्री के्षत्र के glories के उत्र्पादन में �ा.ाओं र्प� का�ू र्पाने में एड्स कहा जा सकता है. इसकी प्रात्मिप्त आदमी शक्ति!शाली, अमी� औ� उद्यम से भ�ा �नाता है. इस आ.ा� र्प� एक आध्यात्मित्मक आकांक्षी असीम रूर्प से एक आम आदमी की तुलना में अक्ति.क शक्ति!शाली हो जाता है. हमा�ी इंदिद्रयों अ� औ� externalized �जाय अंतमु�खी �नने से, एक �हुत व्यार्पक के्षत्र में काम क� �हे हैं. उन दृAयों बिक हमा�े सकल आँखों से नहीं देखा जा सकता है स्पष्ट रूर्प से क� �हे हैं हमा�े दिदव्य दृबिष्ट के क्तिलए दिदख �हा है. वही अन्य इंदिद्रयों के क्तिलए सच है. क्तिसशिद्धयों टेलीबिवजन की त�ह सकल दुबिनया से सं�ंक्ति.त है, लगता है, दू� संवेदन, वस्तु बिनयंत्रण, जीवन शक्ति! प्रवाह, Shaktipaat, जानते हुए भी भबिवvय आदिद सू्थल श�ी� के कंुडक्तिलनी को सबिक्रय क�ने र्प� आत्मसात बिकया जा सकता है दू� सुनवाई. इस माध्यम से एक भी प्रकट Ojas तेजस, औ� Varchas क� सकते हैं.

 

5 sheaths के आ.ा� र्प� एक सूक्ष्म श�ी� की कंुडक्तिलनी जगाने (देवी नाग र्पाव�) क� सकते हैं. 5 sheaths �ुलाया भोजन म्यान, महत्वर्पूण� म्यान, मानक्तिसक म्यान, ज्ञान म्यान, आनंद म्यान हमा�ी चेतना र्प� र्प�तों को कव� क� �हे हैं. में यह 5 तत्वों औ� 5 Pranas र्पाए जाते हैं. उन्होंने यह भी दुबिनया 5 या 5 एक्सटेंशन कहा जाता है. ज� इन क्षमता बिवकक्तिसत आध्यात्मित्मक आकांक्षी अदृAय दुबिनया से संर्पक� शुरू होता है. आमतौ� र्प� लोगों को केवल नाम औ� वस्तुओं अथा�त रूर्पों के सकल दिदखाई दुबिनया को समझते हैं. लेबिकन ज� एक आध्यात्मित्मक आकांक्षी के सूक्ष्म श�ी� की कंुडक्तिलनी जागृत है, आदमी अदृAय दुबिनया से संर्पक� . वह Pitrus, डेमी - देवताओं आदिद संलग्न क�ने के क्तिलए हो जाता है, औ� वहाँ एक दे औ� उन दोनों के �ीच सं�ं. �खना है. वह अ� माँ प्रकृबित के क्तिछर्पे �हस्यों को समझता है. वह भबिवvय की घटनाओं की उम्मीद क� सकते हैं. उर्पयु! व्यवस्था एक अनुकूल र्परि�स्थिस्थबितयों औ� अव�ो.ों से लाभ प्राप्त क� सकते हैं �ंद warded जा सकता �नाने के द्वा�ा इस ज्ञान के आ.ा� र्प�. Laymen के मानस में एक र्पबिवत्र सोच रै्पदा क� सकते हैं औ� इस प्रका� मानव सभ्यता aptly ढाला जा सकता है.

 

आकश्किस्मक श�ी� के 3 आवेदन क� �हे हैं औ� यह गं्रथी Bheda कहा जाता है. क्तिस� के �ीच में Brahmagranthi है औ� यह भी कैलाश र्पव�त या Ksheersagar कहा जाता है. यह धु्रवीय कें द्र है बिक हमेशा दे औ� ब्रह्मांडीय ऊजा� के साथ ले में शामिमल है कहा जाता है. 2 दिदल के्षत्र में बिवvणु चक्र है. यह चेतना की गुUा कहा जा सकता है. यह संवेदनशील भावनाओं का कें द्र है. यहाँ र्प� एक संतुबिष्ट, संतोष औ� शांबित मिमलती है. �नाने के अलावा हमा�े उच्च मानस statured एक Vishnugranthi की शक्ति! की मदद के साथ एक सका�ात्मक �ास्ते में दूस�ों की समझ ढालना चाबिहए. 3 Rudragranthi है. यह Naabhi चक्र (नाशिभ) में र्पाया जाता है. इस के्षत्र में एक शा�ीरि�क स्वास्थ्य, चमक, प्रबितभा, शक्ति!, साहस, �चनात्मकता औ� संव.�न र्पाता. इस के्षत्र में एक Mooladhar चक्र र्पाता. लं�े समय से कंुडक्तिलनी शक्ति! की जगह आ�ाम के समय इस के्षत्र में है. महत्वर्पूण� शक्ति! के हमले जागृत बिकया जा सकता है, उच्च औ� ब्रह्मलोक के र्पोट�ल के क्तिलए ले जाया गया उठाया.

 

सू्थल श�ी� के 6 चक्र, सूक्ष्म श�ी� औ� आकश्किस्मक श�ी� के 3 Granthis (समुद्री मील) की 5 sheaths 14 संख्या में जोड़ने. इनमें 7 उच्च दुबिनया (Lokas) औ� नीचे का दुबिनया के 7 में से एक हैं. प्रयोगों में अ� 7 के रूर्प में औ� शेष 7 �ढ़ाने के क्तिलए आयोजिजत की जाती हैं इतना र्प� प्रयोग के रूर्प में उन्हें एक र्पतन को �ोकने के क्तिलए. मानव अश्किस्तत्व एक साग� के रूर्प में हेय दृबिष्ट से देखा जा सकता है औ� यह 3 गुना कंुडक्तिलनी रू्पजा के माध्यम से मंथन बिकया जा सकता है. वास्तबिवक रूर्प में श�ी� में एक �ाक्षस है औ� मन एक न�देव है. ज� दोनों योग की तर्पस्या क�ने के क्तिलए, वे 14 से ऊर्प� उल्लेख बिकया जवाह�ात प्राप्त क�ते हैं. समुद्र की र्पौ�ाशिणक मंथन में इसके बिवव�ण को एक प्रतीकात्मक ढंग से दिदया गया है. 5 तत्वों औ� 5

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महत्वर्पूण� �लों के ऊर्प� �ना मानव श�ी� के रूर्प में गह�ी है औ� समुद्र के रूर्प में व्यार्पक होना माना जाता है. वहाँ कोई �ाह�ी दुबिनया में दू� आवा�ा इस्थिच्छत वस्तुओं को प्राप्त क�ने के क्तिलए इतनी के रूर्प में क�ने की जरू�त है. जो कुछ भी आर्प की इच्छा आर्प के भीत� मौजूद है. खोज के �ाह� क्यों? एक बिह�ण की कस्तू�ी की त�ह यह श�ी� के भीत� के क्तिलए देखा जाना चाबिहए.

 

संके्षर्प में यह कंुडक्तिलनी रू्पजा की रूर्प�ेखा जहां एक र्परि�चय, बिवव�ण, औ� रू्पजा बिवक्ति.यों इस संस्क�ण के र्पहले र्पन्नों में दिदया गया है. लेबिकन जान - �ूझक� 14 सा.ना के �ा�े में बिवव�ण नहीं दिदया गया है. क्योंबिक यह र्प�माणु बिवस्फोट र्प� प्रयोग की त�ह है. उसके त�ीकों में प्रवेश क�ने से र्पहले हम �ाज्य क्या है, जिजसके क्तिलए व्यक्ति!, इस उदे्दAय के क्तिलए क्या आर्प को कंुडक्तिलनी जगाने चाहते हो में र्पता होना चाबिहए. इन सभी बिवव�ण जानने के बि�ना कंुडक्तिलनी सबिक्रयण शुरू एक �म के साथ छेड़छाड़ क�ने वाले एक �च्चे की त�ह है. कंुडक्तिलनी शक्ति! का दुरूर्पयोग है बिक व्यक्ति! के भयानक र्पतन के क्तिलए नेतृत्व क� सकते हैं. नए खिखलाबिड़यों औ� कम सचेत लोगों के क्तिलए ज्ञान, भक्ति!, का��वाई, औ� दिदव्य �ुशिद्ध सबिक्रयण के �ास्ते हैं. अग� वे इतना क�ते हैं, यह र्पया�प्त से अक्ति.क है.

 

कोई नहीं भी कंुडक्तिलनी जाग�ण जानने के �ेचैन हो सकता है औ� कोई भी हुक या अर्प�ा.ी द्वा�ा आत्म रू्पर्तितं को प्राप्त क�ने की इच्छा �ंद�गाह चाबिहए. कम से कम एक सदी के क्तिलए मैं लोगों को शिशक्षण अर्पनी व्यक्ति!गत क्षमता के अनुसा� इस महान आवेदन की जिजम्मेदा�ी ले जाएगा. मैं उन्हें इस दिदशा में शिशशिक्षत जा�ी �हेगा. यहां तक बिक अग� मे�ी सू्थल भौबितक श�ी� अ� इस दुबिनया में अर्पने सूक्ष्म अश्किस्तत्व के साथ अभी तक �नी हुई है बिक मैं इस दिदशा में लोगों की सेवा के क्तिलए जा�ी क�ेगा.

 

कोई उर्पयु! आध्यात्मित्मक आकांक्षी कभी भी है बिक अनुभव होगा, क्योंबिक वहाँ कोई उसे / उसे कंुडक्तिलनी जाग�ण के इस बिवक्ति. क्तिसखाने के क्तिलए एक था, वे अर्पने इस्थिच्छत लक्ष्य तक नहीं र्पहुंच सका. �स के रूर्प में व्यार्पक दिदव्य शक्ति! मुझे �ाह� ले जाने के क्तिलए 24 साल में Mahapurashcharan पे्ररि�त है औ� न ही मुझे 3 साल की गहन तर्पस्या के माध्यम से अर्पने देश के कंुडक्तिलनी शक्ति! (भा�त) को सबिक्रय क�ने की बिवक्ति. से र्पता चला है, के साथ यह मुझे दिदया था जो कुछ भी क�ने की जरू�त थी लक्ष्य को प्राप्त क�ने. उसी त�ह मैं भी उन लोगों के �ीच प्रज्ञा र्परि�वा� जो कंुडक्तिलनी बिवज्ञान के क्तिलए एक बिवशेष लक्ष्य के क्तिलए बिवशेष शक्ति!यों को एकत्र क�ने के क्तिलए सहा�ा ले औ� उन स� को दे बिक उनके र्पबिवत्र लक्ष्य को प्राप्त क�ने के क्तिलए आवAयक है की इच्छा के क्तिलए प्रयास क�ेंगे.

 

लAक� अमेरि�का सभी बिवश्व शांबित औ� भाईचा�े के क्तिलए प्राथ�नालेखक: अंतरराष्ट्रीय गायत्री परिरवार के संस्थापक आचाय� श्रीराम शमा� एक महान योगी शंकराचाय� और भगवान के अवतार थ ेजि"न्होंने विवश्व कल्याण और शांवित के लिलए आध्यात्मि,मक विवषयों पर मुख्य रूप से वैज्ञाविनक साविह,य की मात्रा लिलखी थी. के लिलए और अधि5क वैज्ञाविनक ई साविह,य pls http://www.shriramsharma.com/ www.awgpestore.com http://www.dsvv.ac.in/ www.akhandjyoti.org यात्रा और http://www.awgp.org/ विववरण: चक्र ध्यान - ESP, Nirvikalpa समाधि5 या मुफ्त ट्रांस बनना Ridhi - Sidhis या ईश्वरीय ऊ"ा�, भविवष्य वैज्ञाविनक 5म�, सुपर ऊ"ा� गायत्री विवज्ञान और कंुडलिलनी योग को सहसंबद्ध

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न्यूरोसाइंसेस - ESP, Endocrinology, एनाटॉमी, मनोविवज्ञान और सोचा ई पुस्तकें 1) सामग्री और आध्यात्मि,मक समृजिद्ध और 2) दुविनया एक परिरवार के रूप में शांवित से एक"ुट करने के लिलए समा"शास्त्र. एक खूबसूरत अनवधि5 दुविनया: हमारा एक सख्ती गैर वाणिणज्यिJयक वेबसाइट है "ो उम्र के महान नेताओं और दुविनया के विवचारकों के पुराने सपने को साकार करना है. कीवड�: कंुडलिलनी योग गायत्री e-विकताबें अल्ट्रा साउंड टेलिलपाथी parapsychology त,वमीमांसा विनर्विवPकल्प समाधि5 प्रदूषण योग तंत्र विSल्में इंटरनेट सम्मोहन पारिरज्यिस्थवितकी Jयोवितष आयुवUद कल्किल्क bioelectricity स"�री पराबैंगनीविकरण ओ"ोन रडार तनाव रचना,मकता पुरात,व सिसP5ु घाटी सभ्यता ईं5न संकट भो"न की कमी सुनामी "ीवनी गुरु विवश्व शांवित मन मानस देवता सूक्ष्म तंवित्रका चेतना आ,मा परमा,मा ट्रान्स endocrine गं्रलिथयों ESP चक्र plexus ध्यान एकाग्रता बुजिद्ध भविवष्यवाणी Cheiro Nostradamus अरविवPद आनंद मल्किस्तष्क वेद सौर सूय� की ऊ"ा� पविवत्र शुद्ध इंद्रिdयों प्राण अवतार उपविनषद प्रकाश सेल hypothalamus पीयूविषका परिरवत�न भविवष्यवादी भविवष्यवाणी नाविगन शलिe "ीवन मानव नैवितकता अखंडता चरिरत्र वेगस तंत्र Mooladhar परमाणु न्यूट्रॉन सोच सोचा प्रोटोन