knowledge hub - shivaji college...अलग- अलग आय वह पर यमक अल क र...
TRANSCRIPT
Knowledge Hub
अलकंार
अलंकारअलंकार
अलंकार दो श�द� स े �मलकर बना होता है – अलम + कार। यहाँ पर अलम का अथ� होता है ‘
आभषूण। मानव समाज ब�त ही सौ�दय�पासक है उसक� �वत� के कारण ही अलंकार� को ज�
�दया गया है। �जस तरह स ेएक नारी अपनी स�ुदरता को बढ़ाने के �लए आभषूण� को �योग म�
लाती ह� उसी �कार भाषा को स�ुदर बनाने के �लए अलंकार� का �योग �कया जाता है। अथात� जो
श�द का�य क� शोभा को बढ़ात ेह� उस ेअलंकार कहत ेह�।
उदाहरणउदाहरण :- ‘ भषूण �बना न सोहई – क�वता , ब�नता �म�।’
अलंकारअलंकार केके भदेभदे
1. श�दालंकार
2. अथा�लंकार
3. उभयालंकार
1. 1. श�दालंकारश�दालंकार
श�दालंकार दो श�द� स े�मलकर बना होता है – श�द + अलंकार। श�द के दो �प होत ेह� – �वनी
और अथ�। �व�न के आधार पर श�दालंकार क� स�ृी होती है। जब अलंकार �कसी �वशेष श�द क�
���त म� ही रहे और उस श�द क� जगह पर कोई और पया�यवाची श�द के रख देने स ेउस श�द
का अ��त�व न रहे उस ेश�दालंकार कहत ेह�।
अथा�त� �जस अलंकार म� श�द� को �योग करने स ेचम�कार हो जाता है और उन श�द� क� जगह
पर समानाथ� श�द को रखने स ेवो चम�कार समा�त हो जाय ेवहाँ श�दालंकार होता है।
श�दालंकारश�दालंकार केके भदेभदे :- :-
1. अनु�ास अलंकार
2. यमक अलंकार
3. पनु��� अलंकार
4. �व�सा अलंकार
5. व�ो�� अलंकार
6. शलषे अलंकार
अनु�ासअनु�ास अलंकारअलंकार �या�या होताहोता हैहै :- :-
अनु�ास श�द दो श�द� स े�मलकर बना है – अनु + �ास | यहाँ पर अनु का अथ� है- बार -बार और
�ास का अथ� होता है – वण�। जब �कसी वण� क� बार – बार आवत� हो तब जो चम�कार होता है
उस ेअनु�ास अलंकार कहत ेहै।
जसैेजसै े:- जन रंजन मंजन दनुज मनुज �प सरु भपू।
�व� बदर इव धतृ उदर जोवत सोवत सपू।।
अनु�ासअनु�ास केके भदेभदे :- :-
1. छेकानु�ास अलंकार
2. व�ृयानु�ास अलंकार
3. लाटानु�ास अलंकार
4. अ��यानु�ास अलंकार
5. ��ुयानु�ास अलंकार
1. 1. छेकानु�ासछेकानु�ास अलंकारअलंकार �या�या होताहोता हैहै :- :- जहाँ पर �व�प और �म स ेअनेक �यंजन� क� आव�ृत एक
बार हो वहाँ छेकानु�ास अलंकार होता है वहाँ छेकानु�ास अलंकार होता है।
जसैेजसै े:- री�झ री�झ रह�स रह�स हँ�स हँ�स उठै।
साँस� भ�र आँस ूभ�र कहत दई दई।।
2. 2. व�ृयानु�ासव�ृयानु�ास अलंकारअलंकार �या�या होताहोता हैहै :- :- जब एक �यंजन क� आवत� अनेक बार हो वहाँ व�ृयानु�ास
अलंकार कहत ेह�।
जसैेजसै े:- “चामर- सी ,च�दन – सी, चंद – सी,
चाँदनी चमलेी चा� चंद- सघुर है।”
3. 3. लाटानु�ासलाटानु�ास अलंकारअलंकार �या�या होताहोता हैहै :- :- जहाँ श�द और वा�य� क� आवत� हो तथा ��यके जगह
पर अथ� भी वही पर अ�वय करने पर �भ�ता आ जाय ेवहाँ लाटानु�ास अलंकार होता है। अथात�
जब एक श�द या वा�य खंड क� आवत� उसी अथ� म� हो वहाँ लाटानु�ास अलंकार होता है।
जसैेजसै े:- तगेबहा�र, हाँ, व ेही थ ेगु�-पदवी के पा� समथ�,
तगेबहा�र, हाँ, व ेही थ ेगु�-पदवी थी �जनके अथ�।
4. 4. अ��यानु�ासअ��यानु�ास अलंकारअलंकार �या�या होताहोता हैहै :- :- जहाँ अंत म� तकु �मलती हो वहाँ पर अ��यानु�ास
अलंकार होता है।
जसैेजसै े:- ” लगा दी �कसने आकर आग।
कहाँ था त ूसंशय के नाग ?”
5. 5. ��ुयानु�ास��ुयानु�ास अलंकारअलंकार �या�या होताहोता हैहै :- :- जहाँ पर कान� को मधरु लगने वाल ेवण� क� आवत� हो
उस े��ुयानु�ास अलंकार कहत ेहै।
जसैेजसै े:- ” �दना�त था , थ ेदीननाथ डुबत े,
सधनुे आत ेगृह �वाल बाल थ।े”
2. 2. यमकयमक अलंकारअलंकार �या�या होताहोता हैहै :- :-
यमक श�द का अथ� होता है – दो। जब एक ही श�द �यादा बार �योग हो पर हर बार अथ�
अलग-अलग आय ेवहाँ पर यमक अलंकार होता है।
जसैेजसै े:- कनक कनक त ेसौगुनी , मादकता अ�धकाय।
वा खाय ेबौराए नर , वा पाय ेबौराय।े
3. 3. पनु���पनु��� अलंकारअलंकार �या�या हैहै :- :-
पनु��� अलंकार दो श�द� स े �मलकर बना है – पनु: +उ��। जब कोई श�द दो बार दोहराया
जाता है वहाँ पर पनु��� अलंकार होता है।
4. 4. �व�सा�व�सा अलंकारअलंकार �या�या हैहै :- :-
जब आदर, हष�, शोक, �व�मया�दबोधक आ�द भाव� को �भावशाली �प स े�य� करने के �लए
श�द� क� पनुराव�ृ� को ही �व�सा अलंकार कहत ेहै।
जसैेजसै े:- मोिह-मोिह मोहन को मन भयो राधामय।
राधा मन मोिह-मोिह मोहन मयी-मयी।।
5. 5. व�ो��व�ो�� अलंकारअलंकार �या�या हैहै :- :-
जहाँ पर व�ा के �ारा बोल ेगए श�द� का �ोता अलग अथ� �नकाल ेउस ेव�ो�� अलंकार कहते
है।
व�ो��व�ो�� अलंकारअलंकार केके भदेभदे :- :-
1. काकु अ�ो�� अलंकार
2. �लषे व�ो�� अलंकार
1. 1. काकुकाकु व�ो��व�ो�� अलंकारअलंकार �या�या हैहै :- :- जब व�ा के �ारा बोल ेगय ेश�द� का उसक� कंठ �वनी के
कारण �ोता कुछ और अथ� �नकाल ेवहाँ पर काकु व�ो�� अलंकार होता है।
जसैेजसै े:- म� सकुुमा�र नाथ बन जोगू।
2. 2. �लषे�लषे व�ो��व�ो�� अलंकारअलंकार �या�या हैहै :- :- जहाँ पर �लषे क� वजह स ेव�ा के �ारा बोल ेगए श�द� का
अलग अथ� �नकाला जाय ेवहाँ �लषे व�ो�� अलंकार होता है।
जसैेजसै े:- को तमु हौ इत आय ेकहाँ घन�याम हौ तौ �कत�ँ बरसो ।
�चतचोर कहावत है हम तौ तहां जा�ं जहाँ धन सरस�।।
6. 6. �लषे�लषे अलंकारअलंकार �या�या होताहोता हैहै :- :-
जहाँ पर कोई एक श�द एक ही बार आय े पर उसके अथ� अलग अलग �नकल� वहाँ पर �लषे
अलंकार होता है।
जसैेजसै े:- रिहमन पानी रा�खए �बन पानी सब सनू।
पानी गए न उबर� मोती मानस चनू।।
2. 2. अथा�लंकारअथा�लंकार �या�या होताहोता हैहै
जहाँ पर अथ� के मा�यम स ेका�य म� चम�कार होता हो वहाँ अथा�लंकार होता है।
अथा�लंकारअथा�लंकार केके भदेभदे
1. उपमा अलंकार
2. �पक अलंकार
3. उ���ेा अलंकार
4. ��ा�त अलंकार
5. संदेह अलंकार
6. अ�त�यो�� अलंकार
7. उपमयेोपमा अलंकार
8. �तीप अलंकार
9. अन�वय अलंकार
10. �ां�तमान अलंकार
11. दीपक अलंकार
12. अप��त अलंकार
13. �य�तर�क अलंकार
14. �वभावना अलंकार
15. �वशेषो�� अलंकार
16. अथा��तर�यास अलंकार
17. उ�लखे अलंकार
18. �वरोधाभाष अलंकार
19. असंग�त अलंकार
20. मानवीकरण अलंकार
21. अ�यो�� अलंकार
22. का�य�लग अलंकार
23. �वभावोती अलंकार
1. 1. उपमाउपमा अलंकारअलंकार �या�या होताहोता हैहै :- :- उपमा श�द का अथ� होता है – तलुना। जब �कसी �य�� या
व�त ुक� तलुना �कसी �सर� य�� या व�त ुस ेक� जाए वहाँ पर उपमा अलंकार होता है।
जसैेजसै े:- सागर -सा गंभीर �दय हो ,
�गरी -सा ऊँचा हो �जसका मन।
उपमाउपमा अलंकारअलंकार केके अंगअंग :- :-
1. उपमये
2. उपमान
3. वाचक श�द
4. साधारण धम�
1. 1. उपमयेउपमये �या�या होताहोता हैहै :- :- उपमये का अथ� होता है – उपमा देने के यो�य। अगर �जस व�त ुक�
समानता �कसी �सरी व�त ुस ेक� जाय ेवहाँ पर उपमये होता है।
2.2.उपमानउपमान �या�या होताहोता हैहै :- :- उपमये क� उपमा �जसस ेदी जाती है उस ेउपमान कहत ेह�। अथात�
उपमये क� �जस के साथ समानता बताई जाती है उस ेउपमान कहत ेह�।
3. 3. वाचकवाचक श�दश�द �या�या होताहोता हैहै :- :- जब उपमये और उपमान म� समानता �दखाई जाती है तब �जस
श�द का �योग �कया जाता है उस ेवाचक श�द कहत ेह�।
4. 4. साधारणसाधारण धम�धम� �या�या होताहोता हैहै :- :- दो व�तओु � के बीच समानता �दखाने के �लए जब �कसी ऐस ेगुण
या धम� क� मदद ली जाती है जो दोन� म� वत�मान ���त म� हो उसी गुण या धम� को साधारण धम�
कहत ेह�।
उपमाउपमा अलंकारअलंकार केके भदेभदे :- :-
1. पणू�पमा अलंकार
2. ल�ुतोपमा अलंकार
1. 1. पणू�पमापणू�पमा अलंकारअलंकार �या�या होताहोता हैहै :- :- इसम� उपमा के सभी अंग होत ेह� – उपमये , उपमान , वाचक
श�द , साधारण धम� आ�द अंग होत ेह� वहाँ पर पणू�पमा अलंकार होता है।
जसैेजसै े:- सागर -सा गंभीर �दय हो ,
�गरी -सा ऊँचा हो �जसका मन।
2.2.ल�ुतोपमाल�ुतोपमा अलंकारअलंकार �या�या होताहोता हैहै :- :- इसम� उपमा के चार� अग� म� स ेय�द एक या दो का या �फर
तीन का न होना पाया जाए वहाँ पर ल�ुतोपमा अलंकार होता है।
जसैेजसै े:- क�पना सी अ�तशय कोमल। जसैा हम देख सकत ेह� �क इसम� उपमये नही � है तो इस�लए
यह ल�ुतोपमा का उदहारण है।
2. 2. �पक�पक अलंकारअलंकार �या�या होताहोता हैहै :- :- जहाँ पर उपमये और उपमान म� कोई अंतर न �दखाई दे वहाँ
�पक अलंकार होता है अथात� जहाँ पर उपमये और उपमान के बीच के भदे को समा�त करके उसे
एक कर �दया जाता है वहाँ पर �पक अलंकार होता है।
जसैेजसै े:- ” उ�दत उदय �गरी मंच पर, रघवुर बाल पतंग।
�वगस ेसंत- सरोज सब, हरष ेलोचन �ंग।।”
�पक�पक अलंकारअलंकार क�क� �न�न�न�न बात�बात� :- :-
1. उपमये को उपमान का �प देना।
2. वाचक श�द का लोप होना।
3. उपमये का भी साथ म� वण�न होना।
�पक�पक अलंकारअलंकार केके भदेभदे :- :-
1. सम �पक अलंकार
2. अ�धक �पक अलंकार
3. �यनू �पक अलंकार
1. 1. समसम �पक�पक अलंकारअलंकार �या�या होताहोता हैहै :- :- इसम� उपमये और उपमान म� समानता �दखाई जाती है वहाँ
पर सम �पक अलंकार होता है।
जसैेजसै े:- बीती �वभावरी जागरी . अ�बर – पनघट म� डुबा रही , तारघट उषा – नागरी।
2.2.अ�धकअ�धक �पक�पक अलंकारअलंकार �या�या होताहोता हैहै :- :- जहाँ पर उपमये म� उपमान क� तलुना म� कुछ �यनूता का
बोध होता है वहाँ पर अ�धक �पक अलंकार होता है।
3. 3. �यनू�यनू �पक�पक अलंकारअलंकार �या�या होताहोता हैहै :- :- इसम� उपमान क� तलुना म� उपमये को �यनू �दखाया जाता
है वहाँ पर �यनू �पक अलंकार होता है।
जसैेजसै े:- जनम �स�ध ु�वष ब�ध ुप�ुन, दीन म�लन सकलंक
�सय मखु समता पाव�क�म च�� बापरुो रंक।।
3. 3. उ���ेाउ���ेा अलंकारअलंकार �या�या होताहोता हैहै :- :- जहाँ पर उपमान के न होने पर उपमये को ही उपमान मान
�लया जाए। अथात� जहाँ पर अ��ततु को ��ततु मान �लया जाए वहाँ पर उ���ेा अलंकार होता
है।
जसैेजसै े:- स�ख सोहत गोपाल के, उर गंुजन क� माल
बाहर सोहत मनु �पय,े दावानल क� �वाल।।
उ���ेाउ���ेा अलंकारअलंकार केके भदेभदे :- :-
1. व�त�ु�ेा अलंकार
2. हेत�ु�ेा अलंकार
3. फलो���ेा अलंकार
1. 1. व�त�ु�ेाव�त�ु�ेा अलंकारअलंकार �या�या होताहोता हैहै :- :- जहाँ पर ��ततु म� अ��ततु क� संभावना �दखाई जाए वहाँ
पर व�त�ु�ेा अलंकार होता है।
जसैेजसै े:- ” स�ख सोहत गोपाल के, उर गंुजन क� माल।
बाहर लसत मनो �पय,े दावानल क� �वाल।।”
2. 2. हेत�ु�ेाहेत�ु�ेा अलंकारअलंकार �या�या होताहोता हैहै :- :- जहाँ अहेत ु म� हेत ु क� स�भावना देखी जाती है। अथात�
वा�त�वक कारण को छोडकर अ�य हेत ुको मान �लया जाए वहाँ हेत�ु�ेा अलंकार होता है।
3. 3. फलो���ेाफलो���ेा अलंकारअलंकार �या�या होताहोता हैहै :- :- इसम� वा�त�वक फल के न होने पर भी उसी को फल मान
�लया जाता है वहाँ पर फलो���ेा अलंकार होता है।
जसैेजसै े:- खंजरीर नही � ल�ख परत कुछ �दन साँची बात।
बाल �गन सम हीन को करन मनो तप जात।।
4. 4. दृ�ा�तदृ�ा�त अलंकारअलंकार �या�या होताहोता हैहै :- :- जहाँ दो सामा�य या दोन� �वशेष वा�य� म� �ब�ब-��त�ब�ब
भाव होता हो वहाँ पर दृ�ा�त अलंकार होता है। इस अलंकार म� उपमये �प म� कही � गई बात से
�मलती -जलुती बात उपमान �प म� �सर� वा�य म� होती है। यह अलंकार उभयालंकार का भी एक
अंग है।
जसैेजसै े:- ‘ एक �यान म� दो तलवार�, कभी नही � रह सकती ह�।
�कसी और पर �मे ना�रयाँ, प�त का �या सह सकती है।।
5.5.संदेहसंदेह अलंकारअलंकार �या�या होताहोता हैहै :- :-
जब उपमये और उपमान म� समता देखकर यह �न�य नही � हो पाता �क उपमान वा�तव म� उपमये है
या नही �। जब यह ��वधा बनती है , तब संदेह अलंकार होता है अथात� जहाँ पर �कसी �य�� या
व�त ुको देखकर संशय बना रहे वहाँ संदेह अलंकार होता है। यह अलंकार उभयालंकार का भी
एक अंग है।
जसैेजसै े:- यह काया है या शेष उसी क� छाया,
�ण भर उनक� कुछ नही � समझ म� आया।
संदेहसंदेह अलंकारअलंकार क�क� म�ुयम�ुय बात�बात� :- :-
1. �वषय का अ�न��त �ान।
2. यह अ�न��त समानता पर �नभ�र हो।
3. अ�न�य का चम�कारपणू� वण�न हो।
6. 6. अ�त�यो��अ�त�यो�� अलंकारअलंकार �या�या होताहोता हैहै :- :- जब �कसी �य�� या व�त ु का वण�न करने म� लोक
समाज क� सीमा या मया�दा टूट जाय ेउस ेअ�त�यो�� अलंकार कहत ेह�।
जसैेजसै े:-हनुमान क� पूं छ म� लगन न पायी आ�ग।
सगरी लंका जल गई , गय े�नसाचर भा�ग।
7. 7. उपमयेोपमाउपमयेोपमा अलंकारअलंकार �या�या होताहोता हैहै :- :- इस अलंकार म� उपमये और उपमान को पर�पर उपमान
और उपमये बनाने क� को�शश क� जाती है इसम� उपमये और उपमान क� एक �सर� स ेउपमा दी
जाती है।
जसैेजसै े:- तौ मखु सोहत है स�स सो अ� सोहत है स�स तो मखु जसैो।
8.8.�तीप�तीप अलंकारअलंकार �या�या होताहोता हैहै :- :- इसका अथ� होता है उ�टा। उपमा के अंग� म� उ�ट – फेर करने
स ेअथात� उपमये को उपमान के समान न कहकर उलट कर उपमान को ही उपमये कहा जाता है
वहाँ �तीप अलंकार होता है। इस अलंकार म� दो वा�य होत े ह� एक उपमये वा�य और एक
उपमान वा�य। ल�ेकन इन दोन� वा�य� म� सदृ�य का साफ कथन नही � होता , वः �यं�जत रहता
है। इन दोन� म� साधारण धम� एक ही होता है पर�त ुउस ेअलग-अलग ढंग स ेकहा जाता है।
जसैेजसै े:- ” ने� के समान कमल है।”
9.9.अन�वयअन�वय अलंकारअलंकार �या�या होताहोता हैहै :- :- जब उपमये क� समता म� कोई उपमान नही � आता और कहा
जाता है �क उसके समान वही है , तब अन�वय अलंकार होता है।
जसैेजसै े:- ” य��प अ�त आरत – मारत है. भारत के सम भारत है।
10. 10. �ां�तमान�ां�तमान अलंकारअलंकार �या�या होताहोता हैहै :- :- जब उपमये म� उपमान के होने का �म हो जाय ेवहाँ पर
�ां�तमान अलंकार होता है अथात� जहाँ उपमान और उपमये दोन� को एक साथ देखने पर उपमान
का �न�या�मक �म हो जाय ेमतलब जहाँ एक व�त ुको देखने पर �सरी व�त ुका �म हो जाए
वहाँ �ां�तमान अलंकार होता है। यह अलंकार उभयालंकार का भी अंग माना जाता है।
जसैेजसै े:- पाय� महावर देन को नाईन बठैी आय ।
�फ�र-�फ�र जा�न महावरी, एडी भीड़त जाय।े।
11.11.दीपकदीपक अलंकारअलंकार �या�या होताहोता हैहै :- :- जहाँ पर ��ततु और अ��ततु का एक ही धम� �ा�पत �कया
जाता है वहाँ पर दीपक अलंकार होता है।
जसैेजसै े:- चंचल �न�श उदवस रह�, करत �ात व�सराज।
अर�वदन म� इं�दरा, स�ुद�र नैनन लाज।।
12. 12. अप��तअप��त अलंकारअलंकार �या�या होताहोता हैहै :- :- अप��त का अथ� होता है �छपाव। जब �कसी स�य बात या
व�त ु को �छपाकर उसके �ान पर �कसी झठूी व�त ु क� �ापना क� जाती है वहाँ अप��त
अलंकार होता है। यह अलंकार उभयालंकार का भी एक अंग है।
जसैेजसै े:- ” सनु� नाथ रघवुीर कृपाला ,
ब�ध ुन होय मोर यह काला।”
13. 13. �य�तर�क�य�तर�क अलंकारअलंकार �या�या होताहोता हैहै :- :- �य�तर�क का शा��दक अथ� होता है आ�ध�य। �य�तर�क म�
कारण का होना ज�री है। अत: जहाँ उपमान क� अप�ेा अ�धक गुण होने के कारण उपमये का
उ�कष� हो वहाँ पर �य�तर�क अलंकार होता है।
जसैेजसै े:- का सरव�र त�ेह देउं मयंकू। चांद कलंक� वह �नकलंकू।।
मखु क� समानता च��मा स ेकैस े�ँ?
14. 14. �वभावना�वभावना अलंकारअलंकार �या�या होताहोता हैहै :- :- जहाँ पर कारण के न होत े�ए भी काय� का �आ जाना
पाया जाए वहाँ पर �वभावना अलंकार होता है।
जसैेजसै े:- �बनु पग चल ैसनैु �बनु काना।
कर �बनु कम� कर� �व�ध नाना।
आनन रिहत सकल रस भोगी।
�बनु वाणी व�ा बड़ जोगी।
15.15.�वशेषो���वशेषो�� अलंकारअलंकार �या�या होताहोता हैहै :- :- का�य म� जहाँ काय� �स�� के सम�त कारण� के �व�मान
रहत े�ए भी काय� न हो वहाँ पर �वशेषो�� अलंकार होता है।
जसैेजसै े:- नेह न नैनन को कछु, उपजी बड़ी बलाय।
नीर भर� �नत-��त रह�, तऊ न �यास बझुाई।।
16.16.अथा��तर�यासअथा��तर�यास अलंकारअलंकार �या�या होताहोता हैहै :- :- जब �कसी सामा�य कथन स े�वशेष कथन का अथवा
�वशेष कथन स ेसामा�य कथन का समथ�न �कया जाय ेवहाँ अथा��तर�यास अलंकार होता है।
जसैेजसै े:- बडे़ न �ज ेगुनन �बनु, �बरद बडाई पाए।
कहत धतरू� स� कनक, गहनो गढ़ो न जाए।।
17. 17. उ�लखेउ�लखे अलंकारअलंकार �या�या होताहोता हैहै :- :- जहाँ पर �कसी एक व�त ुको अनेक �प� म� �हण �कया जाए
, तो उसके अलग-अलग भाग� म� बटने को उ�लखे अलंकार कहत ेह�। अथात� जब �कसी एक
व�त ुको अनेक �कार स ेबताया जाय ेवहाँ पर उ�लखे अलंकार होता है।
जसैेजसै े:- �व�� म� थी � तमु �स�ध ुअन�त एक सरु म� सम�त संगीत।
18. 18. �वरोधाभाष�वरोधाभाष अलंकारअलंकार �या�या होताहोता हैहै :- :- जब �कसी व�त ुका वण�न करने पर �वरोध न होत े�ए
भी �वरोध का आभाष हो वहाँ पर �वरोधाभास अलंकार होता है।
जसैेजसै े:- ‘ आग �ँ �जसस ेढुलकत े�ब� िहमजल के।
शू�य �ँ �जसम� �बछे ह� पांवडे़ पलक� ।’
19. 19. असंग�तअसंग�त अलंकारअलंकार �या�या होताहोता हैहै :- :- जहाँ आपतात: �वरोध दृ��गत होत े�ए, काय� और कारण
का वयैा�धकर�य र�णत हो वहाँ पर असंग�त अलंकार होता है।
जसैेजसै े:- ” �दय घाव मरे� पीर रघवुीर�।”
20. 20. मानवीकरणमानवीकरण अलंकारअलंकार �या�या होताहोता हैहै :- :- जहाँ पर का�य म� जड़ म� चतेन का आरोप होता है वहाँ
पर मानवीकरण अलंकार होता है अथात� जहाँ जड़ �कृ�त पर मानवीय भावनाओ � और ि�यांओ � का
आरोप हो वहाँ पर मानवीकरण अलंकार होता है।
जसैेजसै े:-बीती �वभावरी जागरी , अ�बर पनघट म� डुबो रही तास घट उषा नगरी।
21. 21. अ�यो��अ�यो�� अलंकारअलंकार �या�या होताहोता हैहै :- :- जहाँ पर �कसी उ�� के मा�यम स े �कसी अ�य को कोई
बात कही जाए वहाँ पर अ�यो�� अलंकार होता है।
जसैेजसै े:-फूल� के आस- पास रहत ेह� , �फर भी काँटे उदास रहत ेह�।
22. 22. का�य�लगका�य�लग अलंकारअलंकार �या�या होताहोता हैहै :- :- जहाँ पर �कसी य�ु� स े सम�थत क� गयी बात को
का�य�लग अलंकार कहत ेह� अथात� जहाँ पर �कसी बात के समथ�न म� कोई -न -कोई य�ु� या
कारण ज�र �दया जाता है।
जसैेजसै े:- कनक कनक त ेसौगुनी, मादकता अ�धकाय।
उिह खाय बौरात नर, इिह पाए बौराए।।
23. 23. �वभावो���वभावो�� अलंकारअलंकार �या�या होताहोता हैहै :- :- �कसी व�त ु के �वाभा�वक वण�न को �वभावो��
अलंकार कहत ेह�।
जसैेजसै े:- सीस मकुुट कटी काछनी , कर मरुली उर माल।
इिह बा�नक मो मन बसौ , सदा �बहारीलाल।।
3.3.उभयालंकारउभयालंकार �या�या होताहोता हैहै
जो अलंकार श�द और अथ� दोन� पर आधा�रत रहकर दोन� को चम�कारी करत े ह� वहाँ
उभयालंकार होता है।
जसैेजसै े:- ‘ कजरारी अं�खयन म� कजरारी न लखाय।’
अलंकार�अलंकार� सेस े स�ब��धतस�ब��धत ���� – – उ�रउ�र :- :-
इन उदाहरण� म� कौन-कौन स ेअलंकार ह� —–
1. �ात: नभ था ब�त नीला शंख जसै।े
2. तरेी बरछी ने बर छीने ह� खलन के।
3. मखमल के झलू पडे़ हाथी सा टीला।
4. �मटा मो� मन भय मलीने, �व�ध �न�ध �द�ह लते जनु छीने।
5. राम नाम क�ल काम त�, राम भग�त सरु धनुे।
उ�र – (1) उ���ेा , (2) यमक, (3) उपमा, (4) उ���ेा , (5) �पक
कुछकुछ ������ केके उ�रउ�र �वं�वं द�द� – –
1. अ�बर पनघट म� डुबो रही तारा घट उषा नागरी।
2. वः दीप �शखा सी शांत भाव म� लीन।
3. �सर फट गया उसका मानो अ�ण रंग का घड़ा हो।
4. तब तो बहता समय �शला सा जम जायगेा।
5. म�ुय गायक के च�ान जसै ेभारी �वर।
सौज�य - www.hindimeaning.com
General Knowledge Mathematics Science
www.knowledgekahub.com