mangalmaya jivan mryutyu

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अनुबम

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अनबम

मगलमय जीवन-मतय एक बार फकीरी मौत म डबकर बाहर आ जाओिफर दखो ससार का कौन-सा भय तमह भयभीत कर सकता ह तम शाहो क शाह हो

प यौी

अनबम

िनवदन मतय एक अिनवायर घटना ह िजसस कोई बच नही सकता सारी जीवनसि भयभीत ह

इस भय स म होन का कोई मागर ह ाचीन काल स ही पललिवत पिपत हई भारतीय अधयातम-िव ा म इसका ठोस उपाय ह इस अनपम िव ा की झाकी पाकर िवदशो क िव िवखयात त विचतक बोल उठः

अगर सखमय मतय ा करन की यो यता सपादन करना त विचनतन का उ य हो तो वदानत जसा दसरा कोई साधन नही ह

ो मकसमयलर उपिनषदो क अ यास जसा कलयाण करन वाला दसरा कोई भी अ यास सार िव म

नही ह मर जीवन का यह आ ासन ह और मर मतयकाल म भी मझ इसी का आ ासन रहगा

शोपनहोर यरोप का उ मो म त वजञान मीक त वजञो का चतनयवाद भी आयारवतर क वाद की

तलना म मधया क पणर काशवान सयर क आग एक िचनगारी जसा लगता ह डरीक गल

िवदशी िव ान तो भारतीय शा ो को कवल पढ़कर ही दग रह गय थ जबिक अमदावाद

सरत मबई रतलाम इनदौर भोपाल क आौमो म ातःःमरणीय प यपाद सत ौी आसारामजी बाप क पावन सािननधय म तो इस जञान की पावन गगा िनरनतर बह रही ह हजारो साधक इस जञान की झाकी पाकर धनय हो रह ह अपन मगलमय जीवन-मतय क बार म रहःयमय सखानभितया पा रह ह

अमदावाद म मगलमय जीवन-मतय िवषयक सतसग वचन म प यौी न अपन

अनभविस वचनो ारा बड़ा ही सआम िववचन िकया ह भय स आबानत मानव समदाय को िनभरयता का यह परम सदश ह उनका यह सतसग-वचन अपन िनभरय एव लोक कलयाण म रत जीवन का मतर प ह

इस छोटी सी पिःतका म ःतत प यौी का अमत-साद पाकर आप भी जीवन-मतय

की समःया सलझाकर अपन भीतर िनरनतर गजत हए शा त जीवन का सर सनकर परम िनभरय हो जाओ जीवन और मतय को मगलमय बना दो

ौी योग वदानत सवा सिमित

अनबम मगलमय जीवन-मतय 5

मतय क कार 5

मतय भी जीवन क समान आवयक 6

िसकनदर न अमत कयो नही िपया 7

िबना मतय को जान जीवन जीवन नही 8

मतय िकसकी होती ह 9

भगवान ौीराम और तारा 10

मतयः कवल व पिरवतरन 10

फकीरी मौतः आननदमय जीवन का ारः 11

यमराज और निचकताः 13

सचच सत मतय का रहःय समझात ह 14

मतयः एक िवौािनत-ःथानः 15

वासना की मतय क बाद परम िवौािनत 16

धतरा का शोकः 16

घाटवाल बाबा का एक सग 17

फकीरी मौत ही असली जीवन 18

फकीरी मौत कया ह 18

सकरात का अनभव 19

आधयातमिव ाः भारत की िवशषताः 20

तीन कार क लोगः 20

जञान को आय स कोई िनःबत नही 21

योगसामथयरः एक तयकष उदाहरण 22

योग भी साधना का आिखरी िशखर नही 23

गणातीत सत ही परम िनभरयः 23

सतो का सनदशः 24

िचतन पराग 32

मगलमय जीवन-मतय आज हम जीवन और मतय क बार म िवचार करग बात तो बहत छोटी ह मगर बड़ी

अटपटी ह झटपट समझ म नही आती अगर एक बार समझ म आ जाय तो जीवन की सब खटपट िमट जाय

इस रहःय को न समझ सकन क कारण हम अपन को सीिमत दशकाल क भीतर एक सामानय ौोता क प म यहा उपिःथत मान रह ह मगर यिद यह रहःय हम ठ क स समझ म आ जाय तो तरनत यह खयाल आयगा िकः म अननत ाणडो म वया होकर सभी िबयाए कर रहा ह मर अितिर दसरा कछ ह ही नही तो िफर जीवन िकसका और मौत िकसकी

मतय क कार मतय पर िभनन-िभनन दि स िवचार कर सकत ह पौरािणक दि स अपन इ की ःमित जीवन ह और इ की िवःमित मतय ह वयावहािरक दि स अपनी इचछा क अनकल घटना घट यह जीवन ह और इचछा क

ितकल घटना घट यह मतय ह ऐसी मतय तो िदन म अनक बार आती ह लौिकक दि स पद ित ा िमलना वाह-वाही होना जीवन ह और बदनामी होना मौत

कहा जा सकता ह िजस साधारण लोग जीवन और मौत कहत ह उस दि स दख तो पचभतो स बन ःथल

शरीर का सआम शरीर (ाणमय शरीर) स सयोग जीवन ह और िवयोग मौत ह वाःतव म न तो कोई जीता ह न कोई मरता ह कवल कित म पिरवतरन होता ह इस

पिरवतरन म अपनी ःवीकित तो जीवन लगता ह और इस पिरवतरन म िबना इचछा क िखचा जाना घसीटा जाना जबरन उसको ःवीकार करना पड़ यह मौत जसा लगता ह वाःतव म मौत जसा कछ नही ह

जगत म जो कछ भी दि गोचर होता ह वह सब पिरवतरनशील ह दसर शबदो म वह

सब काल क गाल म समाता जा रहा ह चहचहाट करत हए पकषी भागदौड़ करत हए पश लहलहात हए पड़ -पौध वनःपित कित म हलचल मचाकर मिःतक को चकरा दन वाल

आिवकार करत हए मनय सभी एक िदन मर जायग कई मर गय कइयो को रोज मरत हए हम अपन चारो ओर दख ही रह ह और भिवय म कई पदा हो-होकर मर जायग

कोई आज गया कोई कल गया कोई जावनहार तयार खड़ा नही कायम कोई मकाम यहा िचरकाल स य ही िरवाज रहा

दादा गय िपता गय पड़ोसी गय िरतदार गय िमऽ गय और एक िदन हम भी चल

जाएग इस तथा किथत मौत क मह म यह सब दखत हए जानत हए समझत हए भी 50 वषरवाला 60 60 वषरवाला 70 70 वषर वाला 80 और 90 वाला 100 वषर उ दखन की इचछा करता ह 100 वषर वाला भी मरना नही चाहता मौत िकसी को पसनद नही ह

मन सना ह िक अमिरका म लगभग एक हजार ऐसी लाश सरिकषत पड़ी ह इस आशा म

िक आग आन वाल 20 वष म िवजञान इतनी गित कर लगा िक इन लाशो को जीवनदान द सक हर लाश पर 10000 रपय दिनक खचर हो रहा ह बीस साल तक चल उतना धन य मरन वाल लोग जमा कराक गय ह

कोई मरना नही चाहता क म िजसक पर लटक रह ह वह बढ़ा भी मरना नही चाहता औषिधया खा-खाकर

जीणर-शीणर हआ रोगी मरणश या पर पड़ा अितम ास ल रहा ह डॉकटरो न जवाब द िदया ह वह भी मरना नही चाहता लाश भी िजनदा होना चाहती ह कित का यह मतय पी पिरवतरन िकसी को पसनद नही य िप यह सब जानत ह

जो आया ह सो जाएगा राजा रक फकीर

यह मान भी िलया जाय िक 20 वषर म िवजञान इतनी उननित कर लगा और लाशो को िफर स जीिवत भी कर दगा िफर भी व कब तक िटकी रहगी अत म जरा-जीणर होगी ही उन लाशो को तो बीस वषर भी हो गय अभी तक िवजञानी उनह जीिवत नही कर पाय मानो कर भी ल तो य कब तक िटक गी

मतय भी जीवन क समान आवयक

बगीच म वही क वही पड़-पौध फल-प यो क तयो बन रह उनकी काट-छाट न की जाय नय न लगाय जाए उनको सवारा न जाय तो बगीचा बगीचा नही रहगा जगल बन जायगा बगीच म काट-छाट होती रह नय पौध लगत रह परान सड़-गल पपहीन ठठ िबनज री पौध हटा िदय जाय और नय सगिनधत नवजीवन और नवचतना स ओतोत पौध लगाय जाए यह ज री ह

अनबम

िसकनदर न अमत कयो नही िपया साट िसकदर िजस पीकर अमर हो जाए कभी मरना न पड़ ऐस अमत जल की खोज

म था नकशो क सहार िवजय करता हआ वह उस गफा म पहच भी गया िजसक अनदर अमतजल का झरना था गफा क बाहर ही उसन अपन सभी सिनको को रोक िदया और ःवय अकला बड़ उतसाह व सननता स आिहःत-आिहःत चौकनना होकर कदम बढ़ान लगा आज उसक जीवन की सबस बड़ी खवािहश परी होन जा रही थी उसका दय उछल रहा था थोड़ी ही दर अपन सामन परो क पास ही उसन दखाः चा दी सा त अमतजल धीमी-धीमी कल-कल छल-छल आवाज करता बह रहा ह उसका दय आननद स िखल उठा अब वह अपन को न रोक सका वह घटनो क बल नीच झका अपन दोनो हाथ पानी म डबोए

आहा कसा शीतल ःपशर उसकी सारी थकान उतर गई दोनो हाथो की अजली म उसन

वह जल भरा अजली को धीर-धीर मह तक लाया दय की धड़कन बढ़ी होठ सधापान करन को लालाियत हो उठ बस जल ओठो तक पहच ही गया था और वह पी ही लता िक इतन म -

खबरदार उस िनजरन गफा म िकसी की आवाज गज उठ च क कर िसकनदर न िसर ऊपर

उठाया दखा तो एक कौआ वहा बठा ह खबरदार िसकदर रक जाओ जलदी न करो जो भल मन की वह तम मत करो

मझ कोई साधारण कौआ मत समझना म कौओ का साट ह म भी तमहारी तरह बहत पिरौम म इस अमत की खोज करत-करत यहा तक पहचा ह और मन यह जल पी िलया ह परनत इस पीकर अब मसीबत म पड़ गया ह

ऐसी गमभीर घड़ी म यह िव न िसकदर को अचछा नही लगा िफर भी धीरज स वह

उसकी बात सनन लगा कौआ बोलाः

तमको जल पीना हो तो अवय िपयो िसकदर लिकन मरी बात परी सन लो यह जल

पीकर म अमर हो गया ह जो कछ जीवन म करन की इचछा थी वह सब म कर चका ह िजतना घमना था घम िलया सनना था सन िलया गाना था गा िलया खाना था खा िलया जो भी मौज करन की इचछा थी सब कर िलया अब करन क िलए कछ बचा ही नही अब यह जीवन मर िलय भार बन गया ह म अब मरना चाहता ह परनत मर नही सकता मरन क िलए पानी म कदा परनत पानी न मझ डबाया नही पहाड़ो पर स कदा िफर भी मरा नही आग की वालाओ म कदकर दखा उसन भी मझ जलाया नही तलवार की धार स मन गदरन िघसी परनत धार खराब हो गई गदरन न कटी यह सब इस अमतजल क कारण

सोचा था िक अमर होकर सखी होऊगा परनत अब पता चला िक मन मसीबत मोल ल

ली ह तमको यह जल पीना हो तो अवय िपयो म मना नही करता परनत मरी तमस िवनती ह िक यहा स जान क बाद मरन की कोई िविध का पता लग तो मझ अवय समाचार दना

थोड़ी दर क िलए गफा म नीरव शाित छा गई िसकदर क हाथ की उगिलया िशिथल हो

ग उनक बीच म स सारा अमतजल िगर कर पनः झरन म समा गया दसरी बार उसन झरन क जल म हाथ डालन की िहममत नही की मन ही मन िवचार करत हए वह उठ खड़ा हआ और पीछ मड़कर गफा क ार की ओर चल पड़ा आिहःत-आिहःत िबना अमतजल क िपय

यह घटना सच हो या झठ उसस कोई सरोकार नही परनत इसम एक तथय छपा हआ

ह िक िजतना जीवन ज री ह उतनी ही मौत भी ज री ह पिरवतरन होना ही चािहए

अनबम

िबना मतय को जान जीवन जीवन नही िजस जीवन क िलए अपनी लाश की सरकषा हत करोड़ो रपयो की वसीयत करक लोग

चल गय िजस जीवन को िटकाए रखन क िलए हम लोग भी अपार धन-समपि इक ठ करन म लग हए ह दसरो को दःखी करक भी जीवन क ऐश ETHआराम क साधन समह करन म हम लग हए ह वह जीवन िटक जान क प ात भी अमर हो जान क बाद भी कया हमको आननद द सकगा कया हम सखी हो सक ग यह जरा िवचार करन यो य ह मौत स मनय डरता ह परनत ऐसा जीवन भी कोई जीवन ह िजसम सदव मौत का भय बना रह जहा पग-पग मतय

का भय हम किमपत करता रह ऐसा नीरस जीवन भयपणर जीवन मौत स भी बदतर जीवन ह ऐसा जीवन जीन म कोई सार नही यह जीवन जीवन नही ह

यिद जीवन ही जीना ह यिद रसमय जीवन जीना ह यिद जीवन का ःवाद लत हए

जीवन को जीना ह तो मौत को आमिऽत करो मौत को बलाओ और होशपवरक मौत का अनभव करो जो सत मौत का अनभव कर चक ह उनका सग करक मौत की पोल को जान लो िफर तो आप भी मःत होकर उनकी तरह कह उठ गः

जा मरन त जग डर मोर मन आननद

अनबम

मतय िकसकी होती ह अभी तो िजस तम जीवन कहत हो वह जीवन नही और िजस तम मौत कहत हो वह

मौत नही ह कवल कित म पिरवतरन हो रहा ह कित म जो रहा ह वह सब पिरवतरन ह जो पदा होता िदख रहा ह वही न होता नजर आता ह िजसका सजरन होता िदखता ह वही िवसजरन की ओर जाता नजर आता ह पड़-पौध हो या खाइया हो सागर हो या मरःथल हो सब पिरवतरन पी सिरता म बह जा रह ह जहा नगर थ वहा वीरान हो गय जहा बिःतया थी वहा आज उलल बोल रह ह और जहा उलल बोल रह थ वहा बिःतया खड़ी ह जहा मरःथल थ वहा आज महासागर िहलोर ल रह ह और जहा महासागर थ वहा मरःथर खड़ ह बड़-बड़ ख डो की जगह पहाड़ खड़ हो गय और जहा पहाड़ थ वहा आज घािटया खाइया बनी हई ह जहा बड़ -बड़ वन थ वह भिम बजर और पथरीली हो गई और जो बजर थी पथरीली थी वहा आज वन और बाग-बगीचो क प म हिरयाली फली हई ह

चाद सफर म िसतार सफर म

हवाए सफर म दिरया क िकनार सफर म अर शायर वहा की हर चीज सफर म तो आप बसफर कस रह सकत ह

आप िजस शरीर को म मानत ह वह शरीर भी पिरवतरन की धारा म बह रहा ह

ितिदन शरीर क परान कोष न हो रह ह और उनकी जगह नय कोष बनत जा रह ह सात वषर म तो परा शरीर ही बदल जाता ह ऐसा वजञािनक भी कहत ह इस ःथल शरीर स सआम

शरीर का िवयोग होता ह अथारत सआम शरीर दह पी व बदलता ह इसको लोग मौत कहत ह और शोक म फट-फट कर रोत ह

अनबम

भगवान ौीराम और तारा भगवान राम न जब बाली का वध िकया तो बाली की प ी राम क पास आई और अपन

पित क िवयोग म फट-फट कर रोन लगी राम न उसको धीरज बधात हए कहाः

िकषित जल पावक गगन समीरा पच रिचत यह अधम शरीरा सो तन तव आग सोहा जीव िनतय त कहा लिग रोवा

ह तारा त िकसक िलए िवलाप कर रही ह शरीर क िलए या जीव क िलए

पचमहाभतो ारा रिचत शरीर क िलए यिद त रोती ह तो यह तर सामन ही पड़ा ह और यिद जीव क िलए रोती ह तो जीव िनतय ह वह मरता नही

मतयः कवल व पिरवतरन यिद वाःतव म मौत होती तो हजारो-हजारो बार होन वाली तमहारी मौत क साथ तम भी

मर चक होत आज तम इस शरीर म नही होत यह शरीर तो माऽ व ह और आज तक आपन हजारो व बदल ह अपना ई र कगाल नही ह िदवािलया नही ह िक िजसक पास दो चार ही व हो उसक पास तो अपन बालको क िलए चौरासी-चौरासी लाख व ह कभी चह का तो कभी िबलली का कभी दव का तो कभी गधवर का न जान िकतन-िकतन वश आज तक हम बदलत आय ह व बदलन म भय कसा

यही बात भगवान ौीकण न अजरन स कही हः

वासािस जीणारिन यथा िवहाय नवािन ग ाित नरोऽपरािण तथा शरीरािण िवहाय जीणारनयनयािन सयाित नवािन दही

ह अजरन त यिद शरीरो क िवयोग का शोक करता ह तो यह भी उिचत नही ह कयोिक

जस मनय परान व ो का तयागकर दसर नय व ो को महण करता ह वस ही जीवातमा परान शरीरो को तयाग कर दसर नय शरीरो को ा होता ह

(गीताः 222)

बालक की च डी (नकर) फटन पर उसकी मा उसको िनकाल कर नई पहनाती तो बालक

रोता ह िचललाता ह वही बालक बड़ा होता ह पहल की चि डया छोटी पड़ जाती ह उनह छोड़ता ह बड़ी पहनता ह िफर वह भी छोड़कर पनट पाजामा या धोती आिद पहनता ह ऐस ही परमातमा की सतान भी यो- यो बड़ी होती ह िवकिसत होती ह तयो-तयो उस पहल स अिधक यो य ददीपयमान नय शरीर िमलत ह जीव-जतओ स िवकिसत होत-होत बनदर गाय और आिखर मनय दह िमलती ह मनय िदवय कमर कर स वगण-धान बन तो दव गधवर की योिन िमलती ह उसका ःवभाव रजस धान हो तो वह िफर मनय बनता ह और यिद तामसी ःवभाव रखता ह तो पनः हलकी योिनयो म जाता ह उस मानव को यिद ई र भि क साथ कोई समथर सदगर िमल जाय उस आतमधयान आतमजञान की भख जग वह गरकपा पचा ल तो वही मन य चौरासी क चब म घमन वाला जीव अपन िशवःवभाव को जानकर तीनो गणो स पार हो जाय परमातमा म िमल जाय

व पिरवतरन स भय कसा व बदलन वाला तो कभी भी मरता नही वह अमर ह और पिरवतरन कित का ःवभाव ह तो िफर मौत ह ही कहा यही बात समझात हए गीता म भगवान ौी कण कहत ह अजरन स िक तमह भय िकस बात का ह

हतो वा ापःयिस ःवग िजतवा वा भोआयस महीम

यिद य म शरीर छट गया तो ःवगर को ा करोग और यिद जीत गय तो पथवी का

रा य भोगग (सभी ौोतागण तनमयता स जीवन मतय पर मीमासा सन रह ह ःवामी जी कछ कषण

रककर सभी पर एक रहःयमय दि फ कत ह वातावरण म थोड़ी गमभीरता छाई हई जानकर करत ह)

फकीरी मौतः आननदमय जीवन का ारः आप लोग उदास तो नही हो रह ह न आपको मौत का भय तो नही लग रहा ह न

अभी कवल जीवन पर बात ही चल रही ह िकसी की मौत नही आ रही ह (यह सनकर सभी िखलिखलाकर हस पड़त ह ःवामी जी फकीर मःती म आग कहत

ह)

अर मौत तो इतनी पयारी ह िक उस यिद आमिऽत िकया जाय तो आननदमय जीवन क ार खोल दती ह

एक जवान साध था घमत-घमत वह नपाल क एक पहाड़ की तलहटी म जा पहचा वहा

उसन दखा एक व सत एक िशला पर बठ ह शाम का समय ह सरज िछपन की तयारी म ह उन सत न उस जवान साध को तो दखा तो बोलः

मर परो म इतनी ताकत नही िक अभी म ऊपर पहाड़ पर चढ़कर अपनी गफा तक पहच सक बटा तम मझ अपन कध पर चढ़ाकर गफा तक पहचा दो

यवा साध भी अलमःत था उसन सत को अपन कध पर िबठा िलया और चल पड़ा

उनकी गफा की ओर चढ़ाई बड़ी किठन थी परनत वह भी जवान था चढ़ाई चढ़ता रहा काफी ऊपर चढ़ चकन पर उसन सत स पछाः

गफा अभी िकतनी दर ह

बस अब थोड़ी दर ह चलत-चलत काफी समय हो गया साध पछता रहा और व सत कहत रहः बस अब

थोड़ी ही दर ह मामा का घर िजतना दर िदया िदख उतना दर ऐसा करत-करत रात को यारह बज क करीब गफा पर पहच साध न व सत को कध स नीच उतारा और बोलाः

और कोई सवा

सत उसकी सवा स बड़ सनन थ बोलः बटा तमन बड़ी अचछ सवा की ह बोल अब तझ कया परःकार द वह दख

सामन तीन-चार भर हए बोर रख ह उसम स िजतना उठा सको उतना उठा ल जाओ यवा साध न जाकर बोरो को छकर दखा अनमान लगाया शायद र ी कागजो स भर हए

ह िफर धयान स दखा को अनमान गलत िनकला व बोर नपाली नोटो स भर हए थ उसन अनमन मन स उनको दखा और उलट परो लौट पड़ा सत की ओर सत न पछाः

कयो माल पसनद नही आया व सत पहच हए योगी थ अपन योगबल ारा उनहोन नोटो क बडलो स भर बोर

उतपनन कर िदय थ उनको ऐसी आशा थी िक वह यवा साध अपनी सवा क बदल इस परःकार स खश हो जायगा परनत वह यवा साध बोलाः

ऐसी सब चीज तो म पहल ही छोड़ आया ह इनस कया जीवन की रकषा होगी इनस कया जीवन का रहःय समझ म आएगा इनस कया मौत जानी जा सकगी कया म इनही चीजो क िलए घर बार छोड़कर दर-दर भटक रहा ह जगलो और पहाड़ो को छान रहा ह य सब तो न र हऔर अगर सतो क पास भी न र िमलगा तो िफर शा त कहा स िमलगा

अनबम

यमराज और निचकताः निचकता भी यमराज क सममख ऐसी ही माग पश करता ह कठोपिनषद म निचकता

की कथा आती ह निचकता कहता ह यमराज सः ह यमराज कोई कहता ह मतय क बाद मनय रहता ह और कोई कहता ह नही रहता ह इसम बहत सदह ह इसिलए मझ मतय का रहःय समझाओ तािक सतय कया ह यह म जान सक परनत यमराज निचकता की िजजञासा को परखन क िलए पहल भौितक भोग और वभव का लोभ दत हए कहत ह -

शतायषः पऽपौऽानवणीव बहनपशनहिःतिहरणयम ान भममरहदायतन वणीव ःवय च जीव शरदोयाविदचछिस

ह निचकता त सौ वषर की आयय वाल पऽ-पौऽ बहत स पश हाथी-घोड़ सोना माग

ल पथवी का िवशाल रा य माग ल तथा ःवय भी िजतन वषर इचछा हो जीिवत रह

(वललीः 123) इतना ही नही यमराज आग कहत ह- मनयलोक म जो भोग दलरभ ह उन सबको ःवचछनदतापवरक त माग ल यहा जो रथ

और बाजो सिहत सनदर रमिणया ह व मनयो क िलए दलरभ ह ऐसी कािमनयो को त ल जा इनस अपनी सवा करा परनत ह निचकता त मरण समबनधी मत पछ

िफर भी निचकता इन लोभनो म नही फसता ह और कहता हः य सब भोग सदव रहन वाल नही ह और इनको भोगन स तज बल और आयय कषीण

हो जात ह मझ य भोग नही चािहए मझ तो मतय का रहःत समझाओ

अनबम

सचच सत मतय का रहःय समझात ह ठ क इसी कार वह यवा साध उन व सत स कहता हः मझ य नोटो क बडल नही

चािहए आप यिद मझ कछ दना ही चाहत ह तो मझ मौत दीिजए म जानना चाहता ह िक मौत कया ह मन सना ह िक सचच सत मरना िसखात ह म उस मौत का अनभव करना चाहता ह

वःततः सत मरना िसखात ह इसीिलए तो लोग रोत हए बचचो को चप करान क िलए

कहत ह - रो मत चप हो जा नही तो वह दख बाबा आया ह न वह पकड़कर ल जायगा भल ही लोग अजञानतावश बाबाओ अथवा सतो स बचचो को डरात हए कहत ह िक व ल जायग परनत िजनको सचच सत ल जात ह अथवा जो उनका हाथ पकड़ लत ह व तर जात ह सचच सत उनको सब भयो स म कर दत ह और उनको ऐस पद पर िबठा दत ह िक िजसक आग ससार क सार भोग-वभव धन-समपि पऽ-पौऽ यश-ित ा सब तचछ भािसत होत ह परनत ऐस सचच सत िमलन दलरभ ह और दढ़ता स उनका हाथ पकड़न वाल भी दलरभ ह िजनहोन ऐस सतो का हाथ पकड़ा ह व िनहाल हो गय

उस यवा साध न भी ऐस ही सत का हाथ पकड़ा था मौत को जानन की उसकी बल

िजजञासा को दखकर व व सत बोल उठः अर यह कया मागता ह यह भी कोई मागन की चीज ह ऐसा कहकर उनहोन यवा साध को थोड़ी दर इधर-उधर की बातो म लगाया और मौका दखकर उसको एक तमाचा मार िदया यवक की आखो क सामन जस िबजली चमक उठ हो ऐसा अनभव हआ और दसर ही कषण उसका ःथल शरीर भिम पर लट गया उसका सआम शरीर दह स अलग होकर लोक-लोकानतर की याऽा म िनकल पड़ा लोग िजसको मतय कहत ह ऐसी घटना घट गई

ातःकाल हआ रात भर आननदमय मतय क ःवाद म डब हए उस यवा साध क ःथल

शरीर को िहलाकर व सत न कहाः बटा उठ सबह हो गई ह ऐस कब तक सोता रहगा यवा साध आख मलता हआ सननवदन उठ बठा िजसको मतय कहत ह उस मतय को

उसन दख िलया अहा कसा अदभत अनभव उसका दय कतजञता स भर उठा वह उठकर फकीर क चरणो म िगर पड़ा

लोग कहत ह िक मरना दःखद ह और इसीिलए मौत स डरत ह िजनको ससार म मोह

ह उनक िलए मौत भयद ह परनत सतो क िलए मोह रिहत आतमाओ क िलए ऐसा नही ह

अनबम

मतयः एक िवौािनत-ःथानः मौत तो एक पड़ाव ह एक िवौािनत-ःथान ह उसस भय कसा यह तो कित की एक

वयवःथा ह यह एक ःथानानतर माऽ ह उदाहरणाथर जस म अभी यहा ह यहा स आब चला जाऊ तो यहा मरा अभाव हो गया परनत आब म मरी उपिःथित हो गई आब स िहमालय चला जाऊ तो आब म मरा अभाव हो जायगा और िहमालय म मरी हािजरी हो जायगी इस कार म तो ह ही माऽ ःथान का पिरवतरन हआ

तमहारी अवःथाए बदलती ह तम नही बदलत पहल तम सआम प म थ िफर बालक

का प धारण िकया बालयावःथा छट गई तो िकशोर बन गय िकशोरावःथा छट गई तो जवान बन गय जवानी गई तो व ावःथा आ गई तम नही बदल परनत तमहारी अवःथाए बदलती ग

हमारी भल यह ह िक अवःथाए बदलन को हम अपना बदलना मान लत ह वःततः न

तो हम जनमत-मरत ह और न ही हम बालक िकशोर यवा और व बनत ह य सब हमारी दह क धमर ह और हम दह नही ह सतो का यह अनभव ह िकः

मझ म न तीनो दह ह तीनो अवःथाए नही मझ म नही बालकपना यौवन बढ़ापा ह नही जनम नही मरता नही होता नही म बश-कम म ह म ह ितह काल म ह एक सम

मतय नवीनता को जनम दन म एक सिधःथान ह यह एक िवौाम ःथल ह िजस

कार िदन भर क पिरौम स थका मनय रािऽ को मीठ नीद लकर दसर िदन ातः नवीन ःफितर लकर जागता ह उसी कार यह जीव अपना जीणर-शीणर ःथल शरीर छोड़कर आग की याऽा क िलए नया शरीर धारण करता ह परान शरीर क साथ लग हए टी बी दमा कनसर जस भयकर रोग िचनताए आिद भी छट जात ह

वासना की मतय क बाद परम िवौािनत ःथल शरीर स सआम शरीर का िवयोग िजसको मतय कहा जाता ह वह िवौाम-ःथल तो

ह परनत पणर िवौाित उसम भी नही ह यह फकीरी मौत नही ह फकीरी मौत तो वह ह िजसम सारी वासनाए जड़ सिहत भःम हो जाए भीतर यिद सआम वासना भी बची रही तो जीव िफर स नया शरीर धारण कर लगा और

िफर स सख-दःख की ठोकर खाना चाल कर दगा िफर स वहीः

पनरिप जनन पनरिप मरण पनरिप जननी जठर शयनम

अनबम

धतरा का शोकः करकषऽ क य म दय धन सिहत जब सार पऽ मार गय तो धतरा खब दःखी हए और

िवदर स कहन लगः कण और पाडवो न िमलकर मर सब पऽो का सहार कर िदया ह इसका दःख मझस सहन नही होता एक एक कषण वयतीत करना मझ वष जसा लमबा लग रहा ह

िवदर धतरा को समझात हए कहत ह - जो होना होता ह वह होकर ही रहता ह आप

वयथर म शोक न करो आतमा अमर ह उसक िलए मतय जसी कोई चीज नही ह इस शरीर को छोड़कर जो जाता ह वह वापस नही आता इस बात को समझकरः राम राख तम रिहय ह भाई शोक न करो

परनत धतरा का शोक कम नही हआ वह दढ़तापवरक कहन लगाः तम कहत हो वह

सब समझता ह िफर भी मरा दःख कम नही हो ता मझ अपन पऽो क िबना चन नही पड़ रहा ह पलभर को भी िच शात नही रहता

अजञानी सोचता ह िक िजस कार म चाहता ह उसी कार सब हो जाय तो मझ सख

हो यही मनय का अजञान ह शा और सतो का िकतना ही उपदश सनन को िमल जाय तो भी वह अपनी मानयताओ

का मोह सरलता स छोड़न को तयार नही होता िवदर का धमरय उपदश धतरा को सानतवना नही द सका धतरा शा ो स िबलकल अनिभजञ था ऐसी बात नही थी िफर भी उसका शा जञान उस पऽो क मोह स म नही कर सका

अनबम

घाटवाल बाबा का एक सग हिर ार म घाटवाला बाबा क नाम स िस एक महान सत रहत थ बहत सीध -साद

और सरल कमर म कतान (टाट) लपट रहत थ ऊपर स िदखन म िभखारी जस लगत मगर भीतर स साट थ उनक पास एक वयि आया और बोलाः महाराज मझ शाित चािहए

महाराज न पहल उस धयान स दखा िफर कहाः शाित चािहए तो तम गीता पढ़ो

यह सनकर वह च ककर बोलाः गीता गीता तो म िव ािथरयो को पढ़ाता ह म कालज म ोफसर ह गीता मरा िवषय ह गीता म कई बार पढ़ चका ह उस पर तो मरा काब ह

महाराज बोलः यह ठ क ह अब तक तो लोगो को पढ़ाकर पसो क लाभ क िलए गीता

पढ़ी होगी अब मन को िनयिऽत करक शाित लाभ क िलए पढ़ो लोग शा ो म स सचनाए और जानकािरया इक ठ करक उस ही जञान मान लत ह

दसरो को भािवत करन क िलए लोग शा ो की बात करत ह उपदश दत ह परनत उनह अपन आपको कोई अनभित नही होती मतय क िवषय म भी लोग िव तापणर वचन कर सकत ह मतय स डरन वालो को आ ासन और धयर द सकत ह परनत मौत जब उनही क सममख साकषात आकर खड़ी होती ह तो उनकी रग -रग काप उठती ह कयोिक उनको फकीरी मौत का अनभव नही

कई लोग कहत ह िक जीवन और मौत अपन हाथ म नही ह परनत यह उनक िलए

ठ क ह िजनको आधयाितमक रहःय का पता नही जो ःवय को शरीर मानत ह दीन-हीन मानत ह परनत योगी जानत ह िक जीवन और मतय इन दोनो पर मनय का अिधकार ह इस अिधकार को ा करन की तरकीब भी व जानत ह कोई िहममतवान जानन को ततपर हो तो व उस बता भी सकत ह व तो खललमखलला कहत ह िक यिद रोत-कलपत हए मरना हो तो खब भोग-भोगो िकसी की परवाह न करत हए खब खाओ िपयो और अमयारिदत िवषय-सवन करो ऐसा जीवन आपको अपन आप मौत की ओर शीयता स आग बढ़ा दगा परनत

यिद मौत पर िवजय ा करनी हो जीवन को सही तरीक स जीना हो तो योिगयो क

कह अनसार करो ाणायाम करो धयान करो योग करो आतमिचनतन करो और ऐसा कोई योगी डॉकटरो क सामन आकर दय की गित बनद करक बता दता ह तो वह बात भी लोगो को

बड़ी आ यरजनक लगती ह लोगो क टोल क टोल उसको दखन क िलए उमड़ पड़त ह परनत यह भी कोई योग की पराका ा नही ह

फकीरी मौत ही असली जीवन इितहास म जञान र महाराज और योगी चागदव का सग आता ह वह तो आप लोग

जानत ही होग चागदव न मतय को चौदह बार धोखा िदया था अथारत जब -जब मौत का समय आता तब-तब चागदव योग की कला स अपन ाण ऊपर चढ़ाकर मौत टाल िदया करत थ ऐसा करत-करत चागदव न अपनी उ 1400 वषर तक बढ़ा दी िफर भी उनको आतमशािनत नही िमली फकीरी मौत ही आतमशाित द सकती ह और इसीिलए चागदव को आिखर म जञान र महाराज क चरणो म समिपरत होना पड़ा

अनबम

फकीरी मौत कया ह

फकीरी मौत ही असली जीवन ह फकीरी मौत अथारत अपन अह की मतय अपन जीवभाव की मतय म दह ह म जीव ह इस पिरिचछनन भाव की मतय

ःथल शरीर स सआम शरीर का िवयोग यह कोई फकीरी मौत नही ह अगर वासना शष

हो तो सआम शरीर बार-बार ःथल शरीर धारण करक इस ससार म जनम-मरण क दःख पणर चककर म भटकता रहता ह

जब तक फकीरी मौत नही हो तब तक चागदव की तरह चौदह बार कया चौदह हजार

बार भी ःथल शरीर को बचाय रखा जाय तो भी परम शाित क िबना यह बकार ह लाबधवा जञान परा शाित आतमजञान स ही परम शाित िमलती ह इसी कारण चागदव को फकीरी मौत सीखन क िलए जञान र महाराज क पास आना पड़ा था 1400 वषर का िशय और 22 वषर क गर यही जञान का आदर करन वाली भारतीय सःकित ह जञान स उ को कोई समबनध नही ह

हम तो जीवन म पग-पग पर छोटी-मोटी पिरिःथितयो स घबरा उठत ह ऐसा भयभीत

जीवन भी कोई जीवन ह यह तो मौत स भी बदतर ह इसीिलए कहता ह िक असली जीवन जीना हो िनभरय जीवन जीना हो तो फकीरी मौत को एक बार जान लो

फकीरी मौत अथारत अपन अमरतव को जान लना फकीरी मौत अथारत उस पद पर आ ढ़ हो जाना जहा स जीवन भी दखा जा सक और मौत भी दखी जा सक जहा स ःप प स िदख िक सख-दःख आय और गय बालयावःथा यवावःथा और व ावःथा आई और गई परनत य सब शरीर स ही समबिनधत थ मझ तो व ःपशर तक नही कर सक म तो असग ह अमर ह मरा तो जनम भी नही मतय भी नही

सकरात का अनभव सकरात को जब जहर िदया जान लगा तो उसक िशय रोन लग कयोिक उनको यह

अजञान था िक सकरात अब बचग नही मर जायग सकरात न कहाः अर तम रोत कयो हो अब तक मन जीवन दखा अब मौत को दखगा यिद म मर

जाऊगा तो आज नही तो कल मरन ही वाला था इसिलए रोन की कया ज रत ह और यिद मरत हए भी नही मरा कवल शरीर स ही िछनन-िभनन हआ तो भी रोन की कया ज रत

सकरात न िबना िहचिकचाहट क राजी-खशी स जहर का पयाला पी िलया और िशयो स

कहाः दखो यह रोन का समय नही ह बहत ही महतवपणर बात समझन का समय आया ह

मर शरीर पर जहर का भाव होन लगा ह पर सनन होत जा रह ह घटनो तक जड़ता वया हो गई ह जहर का असर बढ़ता जा रहा ह मर पर ह िक नही इसकी अनभित नही हो रही ह अब कमर तक का भाग सवदनहीन बन गया ह

इस कार सकरात का सारा शरीर ठडा होन लगा सकरात न कहाः अब जहर क भाव स हाथ पर छाती जड़ हो गई ह थोड़ी ही दर म मरी िज ा भी

िनःपद हो जायगी उसस पहल एक मह वपणर बात सन लो जीवन म िजसको नही जान सका उसका अनभव हो रहा ह शरीर क सब अग एक क एक बाद एक िनःपद होत जा रह ह परनत उसस मझम कोई फकर नही पड़ रहा ह म इतना ही पणर ह िजतना पहल था शरीर स म ःवय को अलग असग महसस कर रहा ह अब तक जस जीवन को दखा वस ही अभी मौत को भी दख रहा ह यह मौत मरी नही बिलक शरीर की ह

अनबम

आधयातमिव ाः भारत की िवशषताः सकरात तो शरीर छोड़त-छोड़त अपना अनभव लोगो को बतात गय िक शरीर की मतय

यह तमहारी मतय नही शरीर क जात हए भी तम इतन क इतन ही पणर हो परनत भारत क ऋिष तो आिद काल स कहत आय ह-

शणवनत िव अमतःय पऽा

आ य धामािन िदवयािन तःयः वदाहमत परष महानतम

आिदतयवण तमसः परःतात तमव िविदतवाऽितमतयमित नानयः पनथा िव तऽयनाय

ह अमतपऽो सनो उस महान परम परषो म को म जानता ह वह अिव ा प अधकार

स सवरथा अतीत ह वह सयर की तरह ःवयकाश-ःव प ह उसको जानकर ही मनय मतय का उललघन करन म जनम-मतय क बधनो स सदव क िलए छटन म समथर होता ह परम पद की ाि क िलए इसक अितिर कोई दसरा मागर नही ह

( ता तरोपिनषद) यह कोई वद-उपिनषद काल की बात ह उस समय क ऋिष चल गय और अब नही ह

ऐसी बात नही ह आज भी ऐस ऋिष और ऐस सत ह िजनहोन सतय की अनभित की ह अपन अमरतव का अनभव िकया ह इतना ही नही बिलक दसरो को भी इस अनभव म उतार सकत ह रामकण परमहस ःवामी िववकाननद ःवामी रामतीथर महिषर रमण इतयािद ऐस ही त वव ा महापरष थ और आज भी ऐस महापरष जगलो म और समाज क बीच म भी ह यहा इस ःथान पर भी हो सकत ह परनत उनको दखन की आख चािहए इन चमरचकषओ स उनह पहचानना मिकल ह िफर भी िजजञास और ममकष वि क लोग उनकी कपा स उनक बार म थोड़ा सकत यह इशारा पा सकत ह

अनबम

तीन कार क लोगः ऐस सतो क पास तीन कार क लोग आत ह- दशरक िव ाथ और साधक

दशरक अथारत ऐस लोग जो कवल दशरन करन और यह दखन क िल ए आत ह िक सत कस ह कया करत ह कया कहत ह उपदश भी सन तो लत ह पर उसक अनसार कछ करना ह इसक साथ उनका कोई समबनध नही होता आग बढ़न क िलए उनम कोई उतसाह नही होता

िव ाथ अथारत व जो शा एव उपदश समबनधी अपनी जानकारी बढ़ान क िलए आत ह

अपन पास जो जानकारी ह उसम और वि होव तािक दसरो को यह सब सनाकर अपनी िव ा की छाप उन पर छोड़ी जा सक दसरो स सना याद रखा और जाकर दसरो को सना िदया जस ग स शानसपोटर कमपनी ाईवट िलिमटड- यहा का माल वहा और वहा का माल यहा लाना और ल जाना ऐस लोग भी त व समझन क मागर पर चलन का पिरौम उठान को तयार नही

तीसर कार क लोग होत ह साधक य ऐस लोग होत ह िक जो साधनामागर पर चलन

को तयार होत ह इनको जसा बताया ह वसा करन को पणर प स किटब होत ह अपनी सारी शि उसम लगान को ततपर होत ह उसक िलए अपना मान-सममान तन-मन-धन सब कछ होम दन को तयार होत ह सत क ित और अपन धयय क ित इनम पणर िन ा होती ह य लोग फकीर अथवा सत क सकत क अनसार लआय की िसि क िलए साहसपवरक चल पड़त ह

िव ाथ अपन वयि तव का ौगार करन क िलए आत ह जबिक साधक वयि तव का िवसजरन करन क िलए आत ह साधक अपन लआय की तलना म अपन वयि तव या अपन अह का कोई भी मलय नही समझत जबिक िव ाथ क िलए अपना अह और वयि तव का ौगार ही सब कछ ह अपनी िव ता म वि जानकारी को बढ़ाना वयि तव को और आकषरक बनाना इसी म उस सार िदखता ह त वानभित की तरफ उसका कोई धयान नही होता

यही कारण ह िक सतो क पास आत तो बहत लोग ह परनत साधक बनकर वही िटक

कर त व का साकषातकार करन वाल कछ िवरल ही होत ह

जञान को आय स कोई िनःबत नही िजसन फकीरी मौत को जान िलया हो अथारत िजस आतमजञान हो गया हो वह शरीर की

दि स कम उ का हो परनत उसक आग लौिकक िव ा म वीण और अिधक वय क सफद दाढ़ी-मछ वाल लोग भी बालक क समान होत ह इसीिलए योगिव ा म वीण 1400 वषर क चागदव को कम उवाल जञान र महाराज क चरणो म समिपरत होना पड़ा था ाचीन काल म ऐस कई उदाहरण दखन म आत ह

िचऽ वटतरोमरल व ाः िशया गरयरवा

गरोःत मौन वयाखयान िशयाःतिचछननसशयाः अथारत यह कसा विच य ह िक वटवकष क नीच यवा गर और व िशय बठ ह गर

ारा मौन वयाखयान हो रहा ह और िशयो क सब सशयो और शकाओ का समाधान होता जा रहा ह

अनबम

योगसामथयरः एक तयकष उदाहरण अपन मोटरा आौम म भी ऐस ही करीब स र वषर क सफद बाल वाल एक साधक ह

पहल डीसा म व एक सत क पास गय गय तो थ दशरक बनकर ही परनत सत की दि पड़त ही व दशरक म स साधक बन गय म कछ वषर पवर डीसा क आौम म था तब व मर पास आय थ पकी हई उ म भी व 18 वषर की उ की एक बाला क साथ बयाह रचान की तयारी म थ और आशीवारद मागन हत वहा आय थ उनको दखकर ही मर मह स िनकल पड़ाः

अब तमहारी शादी ई र क साथ कराएग यह सनकर उनको बड़ा आ यर हआ कयोिक न तो व मझ पहल स जानत थ और न ही

म उनह जानता था उस व उनका शरीर भी कसा था चरबी और कफ-िप स ठसाठस भरा हआ एकदम ःथल दमा आिद रोगो का िशकार डीसा म कपड़ क बड़ वयापारी थ धप म िबना छाता िलए दकान स नीच नही उतर पात थ कित ऐसी थी िक िकसी भी सत महातमा को नही गाठ और काम-वासना भीतर इतनी भरी हई थी िक आग की दो पि या शरीर छोड़ चकी थी िफर भी इस उ म तीसरी शादी करन को तयार थ प ी िबना एक िदन भी नही रह सकत थ

घर पहचन पर उनको पता चला िक उनक अनदर जो काम -िवकार का तफान आया था

वह एकदम शात हो गया ह भिवय म प ी बनन वाली उस कमारी क साथ एकात म अनक च ाए करक भी व उस काम-िवकार को पनः नही जगा सक इतना बल िवकार एकाएक कहा चला गया िफर उनको समझ म आया िक सत की ई रीय अहत की कपा उनम उतरी ह उनको सारा ससार सना-सना लगन लगा उनहोन तरनत ही उस कमारी यवती को कछ पय और कपड़ िदय और बटी कहकर रवाना कर िदया उसक बाद उनहोन आसन ाणायाम गजकरणी नित धोित आिद िबयाए सीख ली और िनयिमत प स करन लग इसस उनक शरीर क सार परान कफ-िप -दमा आिद दर हो गय और शरीर म स आवयकता स अिधक चब घटकर शरीर हलका फल जसा हो गया अब तो जवानो क साथ दौड़न की भी ःपधार करत

ह धयानयोग की साधना म उनहोन इतनी गित की ह िक उनको कई कार क अलौिकक अनभव हआ करत ह अपन सआम शरीर ारा व लोक -लोकानतर म घम आया करत ह

योग भी साधना का आिखरी िशखर नही यह भी साधना की कोई आिखरी भिमका नही ह सव चच िशखर नही ह यह भी सब

माया की सीमा म ही ह िफर चमर-चकषओ स दखो अथवा धयान म बठकर दखो कयोिकः

यद दय तद अिनतयम जो िदखता ह वह अिनतय ह जो िदख सो चालनहार चागदव भी योग म कशल थ

काल को कई बार धोखा द चक थ परनत माया को धोखा न द सक व भी साि वक माया म थ माया स पर नही थ

माया ऐसी ठिगनी ठगत िफरत सब दश जो ठग या ठिगनी ठग वा ठग को आदश

कोई िवरल सत ही इस माया को ठग सकत ह माया स पार जा सकत ह बाकी क

लोगो का तो यह माया न र म ही शा त का आभास करा दती ह अिःथरता म िःथरता िदखा दती ह ऐसी मोिहना माया क िवषय म ौी कण कहत ह-

दवी षा गणमयी मम माया दरतयया मामव य प नत मायामता तरिनत त

मरी यह अदभत िऽगणमयी माया का तरना अतयनत दकर ह परनत जो मरी शरण म

आत ह व तर जात ह (गीता)

अनबम

गणातीत सत ही परम िनभरयः ऐसी दःतर माया को जो सत अथवा फकीर तर जात ह और मौत की पोल जान जात ह

व कहत ह- एक ऐसी जगह ह जहा मौत की पहच नही जहा मौत का कोई भय नही िजसस मौत भी भयभीत होती ह उस जगह म हम बठ ह तम चाहो तो तम भी बठ सकत हो

तमहार म एक ऐसा चतन ह जो कभी मरता नही िजसन मौत कभी दखी ही नही जो जीवन और मौत क समय पिरवतरन को दखता ह परनत उन सबस पर ह

यिद घड़ म आया हआ चनिमा का ितिबमब घड़ क पानी को उबलता हआ जानकर यह

मान की म उबल रहा ह पानी िहल तो समझ िक म िहलता ह घड़ा फट गया तो समझ िक म मर गया तो यह उसका अजञान ह परनत उसको यह पता चल जाय िक पानी क उबलन स म नही उबलता पानी क िहलन स म नही िहलता म तो वह चनिमा ह जो हजारो घड़ो म चमक रहा ह िकतन ही घड़ टट -फट गय परनत म मरा नही मरा कछ भी िबगड़ा नही म इन सबस असग ह तो वह कभी दःखी नही होगा

इसी कार हम यिद अपन असगपन को जान ल अथारत म शरीर-मन-बि नही अिपत

आतमा ह- यह हम जान ल तो िफर िकतन ही दह पी घड़ बन और टट -िबखर िकतनी ही सि या बन और उनका लय हो जाय हमको कोई भय नही होगा कयोिक आतमा का ःवभाव हः

न जायत ियत वा कदािचननाय भतवा भिवता वा न भयः अजो िनतयः शा तोऽयपराणो न हनयत हनयमान शरीर

यह आतमा िकसी काल म भी न तो जनमता ह और न मरता ही ह तथा न यह उतपनन

होकर िफर होन वाला ही ह कयोिक यह अजनमा िनतय सनातन और परातन ह शरीर क मार जान पर भी यह नही मारा जाता

(भगवदगीताः 223) अनबम

सतो का सनदशः िजन सतो न यह रहःय जान िलया ह जो इस अमतमय अनभव म स गजर चक ह व

सब भयो स म हो गय ह इसीिलए व अपनी अनभविस वाणी म कहत ह- अपन आतमदव स अपिरिचत होन क कारण ही तम अपन को दीन-हीन और दःखी

मानत हो इसिलए अपनी आतम-मिहमा म जाग जाओ यिद अपन आपको दीन ही मानत रह तो रोत रहोग ऐसा कौन ह जो तमह दःखी कर सक तम यिद न चाहो तो दःख की कया मजाल ह िक तमह ःपशर भी कर सक अननत-अननत ाणड को जो चल रहा ह वह चतन तमहार भीतर चमक रहा ह उसकी अनभित कर लो वही तमहारा वाःतिवक ःव प ह

मनसर को सली पर चढ़ा िदया गया था परनत उनको सली का कोई भय नही था सली

का क उनको ःपशर भी नही कर सका कयोिक मनसर अपनी मिहमा म जग हए थ व यह जान चक थ िक म शरीर नही ह सली शरीर को लग सकती ह मझ नही इसिलए व हसत-हसत सली पर चढ़ गय थ

हम ही जानबझकर अपनी सननता की अपन सख-दःख की चाबी दसरो क हाथो म

स प दत ह कोई थोड़ा हस दता ह तो हम बोिधत हो उठत ह कोई थोड़ी शसा कर दता ह तो हषर स फल उठत ह कयोिक हम अपन को सीिमत पिरिचछनन शरीर या मन ही मान बठ ह

हम अपन वाःतिवक ःव प अपनी असीम मिहमा को नही जानत नही तो मजाल ह

िक जगत क सार लोग और ततीस करोड़ दवता भी िमलकर हम दःखी करना चाह और हम दःखी हो जाय जब हम ही भीतर स सख अथवा दःख को ःवीकित दत ह तभी सख अथवा दःख हमको भािवत करता ह सदव सनन रहना ई र की सव परी भि ह

ःवामी रामतीथर कहा करत थ िक कोई यिद तमहारी सननता छ नकर उसक बदल म

तमको ःवगर का फिरता भी बनाना चाह तो फिरतापद को ठोकर मार दो मगर अपनी सननता मत बचो

हम इस जीवन और मतय का कई बार अनभव कर चक ह सत कहत ह- तमहारा न तो जीवन ह और न ही मतय ह तम जीव नही तम िशव हो तम अमर

हो तम अननत अनािद सिचचदाननद परमातमा हो यिद इस जनम-मरण क खल स थक चक हो इनक खोखल पन को जान चक हो इसक असारपन स पिरिचत हो चक हो तो िकसी सत क सािननधय का लाभ उठाकर फकीरी मौत को जान लो िफर तमह कोई दःख कोई मतय भयभीत नही कर सकगी िफर िजस आना हो वह आव जाना हो वह चला जाव सख आव तो आन दो दःख आव तो आन तो जो आयगा वह जायगा तम द ा बनकर दखत रहो तम अपनी मिहमा म मःत रहो

मौत स भी मौत का भय बदतर ह भय म स ही सार पाप पदा होत ह भय ही मतय

ह लोग पछत ह- ःवामी जी आतम-साकषातकार हो जाता ह िफर उसक बाद कया होता

ह होता कया ह हम अपन ःव प म जाग जात ह उसक बाद हमस जो भी वि होती ह वह आननदमय ही होती ह ससार की कोई भी दःखपणर घटना हमको दःखी नही कर सकती

िफर यह शरीर रह या न रह हमार आननद म कोई अनतर नही पड़ता उस आननदःव प अपन आतमदव को जानना-यही जीवन का परम कतरवय ह परनत इस परम कतरवय की ओर मनय का धयान जाता नही और छोटी-मोटी तचछ वि यो म ही अटका रह जाता ह

हम कही याऽा म िनकलत ह तो राःत क िलए िटिफन भरकर भोजन साथ ल लत ह

भोजन स भी अिधक महतव पानी का ह परनत उसक िलए सोच लत ह िक चलो ःटशन पर भर लग घर स पानी लकर चलन की िचनता नही करत पानी स भी यादा ज री हवा ह उसक िबना तो एक िमनट भी नही चलता िफर भी हवा का कोई िसलनडर भरकर साथ नही लत कयोिक हम सब जानत ह िक वह तो सवरऽ ह इसिलए हवा क िलए हम कोई िचनता नही करत

हवा स कम ज री पानी क िलए पानी स कम ज री भोजन क िलए हम यादा िचनता करत ह उसी कार अपन आननदःव प आतमा म जागन क परम कतरवय को छोड़कर कम महतव क ःथल शरीर क लालन पालन एव उसस सबिधत वयवहार को सभालन म ही हम लग रहत ह शरीर असत जड़ और दःख प ह उसको चलान वाला सआम भतो स िनिमरत सआम शरीर ह उसको भी चतन स ा दन वाला सत-िचत-आननदःव प आतमा ह इस आननद-ःव प आतमा को असत-जड़ दःख प और मरणधमार समझकर जीवनभर मौत क भय स भयभीत बन रहत ह

अनत परमातमा म न तो उतथान ह न पतन न जनम ह न मरण वहा तो सब एकरस

ह हम ही मोहवश अपना ससार खड़ा कर लत ह और एक दसर क साथ सबध बनाकर अपन को जानबझकर बधन म डाल दत ह

एक सत क पास एक स जन का पऽ आया उसम िलखा थाः ःवामी जी आपक

आशीवारद स हमार यहा पऽ का जनम हआ ह सत न उ र म उस िलखा िकः तम झठ बोलत हो िफर जब स जन सत क पास गया तब कहा िकः ःवामी जी म सच कहता ह मर यहा पऽ का जनम हआ ह इस पर सत न िफर स कहा िकः तम झठ बोलत हो यह सनकर उन स जन को बड़ा आ यर हआ वह िवःफािरत नऽो स सत की ओर दखन लगा तब सत न कहाः

पऽ का जनम नही हआ िपता का जनम हआ ह माता का जनम हआ ह काका-मामा

का जनम हआ ह पऽ को तो खबर ही नही ह िक मरा जनम हआ ह और म िकसी का पऽ भी ह परनत हम उस पर सार समबनध आरोिपत कर दत ह

वःततः पचभतो म कोई आकार बना ह उस पऽ का नाम द िदया समय आन पर यह आकार िबखर जायगा यह आकार बन उसम हषर और यह आकार िबखर जाय उसम शोक कसा भय कसा

िजस शरीर को हम म मानत ह उसकी कित तो दखो िपया तो था अमत जसा

मीठा जल और िनकाला मऽ प म गदा पानी खाय तो थ मोहनथाल दधपाक छपपन भोग पर बन गया सब िव ा प शरीर का सग करन पदाथर की ऐसी अवःथा बन जाती ह सत-िचत-आननदःव प आतमा भी अपन को भलकर शरीर क साथ एक होकर ःवय को म शरीर मान लती ह और दीन हीन एव दःखी बन जाती ह परनत जब वह अपन आपम जाग जाती ह तब अपन को दवो का दव अनभव करती ह

यिद हमन शरीर क साथ अहबि की तो हम म भय वया हो ही जायगा कयोिक शरीर

की मतय िनि त ह उसका पिरवतरन अवयभावी ह उसको तो ःवय ाजी भी नही रोक सकत परनत यिद हमन अपन आतमःव प को जान िलया ःव प म हमारी िन ा हो गई तो हम िनभरय हो गय कयोिक ःव प की मतय होती नही मौत भी उसस डरती ह

ःवामी अखणडाननद सरःवती एक बार रल क तीसर दज म याऽा कर रह थ व यह

जानना चाहत थ िक तीसर दज म लोगो ारा िकय जान वाल मान-अपमान का भाव उनक िदल पर होता ह िक नही आतमिनरीकषण स उनह पता चला िक भाव तो होता ह यह बात उनहोन ौी उिड़या बाबा को बतायी उिड़या बाबा न कहाः

तम बठत ही कचर क ढर पर हो आशा करत हो िक मझ पर कोई कचरा न फ क मझ

कचर की दगरनध न आव यह कस हो सकता ह तम बठत हो शरीर म और आशा रखत हो िक मान-अपमान का असर न हो ःवय को शरीर माना तो मान-अपमान सख-दःख होगा और जनम-मतय भी होगी

वदानत क रहःय को समझना यह कोई ि यो का काम नही ह ी अथारत कित क

शरीर क म मानकर जीनवाला एक बार राजा जनक िव ानो की सभा म बठ थ उस सभा म गाग आई वह िबलकल

िदगमबर (न न) थी ऐसी अवःथा म सभा म गाग का वश पिडतो को रचा नही इसिलए उनहोन नाक-भ िसकोड़ िलया परषो स भरी सभा म एक न न ी

गाग बोलीः ऐ पिडतो नाक भ कयो िसकोड़त हो

पिडतो न कहाः तम एक अबला ऐसी अवःथा म परषो की सभा म जो आई हो

गाग तरनत बोलीः कौन कहता ह िक म अबला ह म सबला ह अबला तो तम हो जो अपना रकषक बाहर ढढत हो म अपना रकषक आप ह म यह शरीर नही ह म तो सत -िचत-आननदःव प आतमा ह म अपन आपको जानती ह

िजसको जानकर गाग िनभरय बन गई थी उस आननदःव प अपन आतमदव को जो

जान लता ह उसी म िःथत हो जाता ह वह जीवन और मौत दोनो स पर दोनो का द ा बन जाता ह उस िफर कोई भय नही रहता वह सदव आननद म मःत रहता ह

मरो मरो सब कोई कह मरना न जान कोई एक बार ऐसा मरो िक िफर मरना न होई

मगलमय जीवन मगलमय िववाह मगलमय सबध उस परम मगल चतनय क कारण ही

हो सकत ह न िक शि शरीर क बा प-रग पर िवमोिहत होन स महाराज जी क पास आकर एक मिहला कहन लगीः मर पित ःवगरःथ हो गय ह

उनका िवयोग सहा नही जाता ऐसा कोई उपाय बताओ िक उनका िहत हो और मझ शाित िमल

दसरा एक वयि आया और बोलाः मरी प ी मझ अकला छोड़कर चल बसी ह

तीसर न कहाः मरा बटा ःवगरःथ हो गया ह उसकी मीठ याद आती ह मर मन म आता ह िक उसक पीछ म भी आतमहतया करक मर जाऊ बाबा जी शािनत का कछ उपाय बताइय

महाराज जी न कहाः ह भि मिहला पित की याद आय तो उनह खब आदरपवरक कहोः

मरणधमार शरीर म होत हए भी आप अमर थ शरीर क मरन पर भी आप नही मर दह न र ह आप शा त हो चतनय हो आप परम र का अिवनाशी अश हो जनम-मतय आपका धमर नही ह पाप-पणय आपका कमर नही ह आप अजर हो श ब हो हम परःपर पािथरव शरीर की ीित करक मोह म सड़ रह थ िवकारो म दब रह थ अब पािथरव शरीर की ीित स म होकर अपािथरव आतमा म िःथत हो जाओ

वह शादी बरबादी म बदल जाती ह िजसम एक दसर क शरीर को पयार करत ह वह

मगलमय शादी आबादी की ओर ल जाती ह जहा प ी पित को पित प ी को पऽ िपता को िपता पऽ को शरीर क प म नही अिपत शरीरो क आधार श चतनयःव प म दख परःपर अपन चतनयःव प की याद िदलाव और रणा द

ह भि मिहला अपन पित को याद करक उनक जीवातमा को यह रणा दो इसस

उनकी भी उननित होगी और तमहारी उननित होगी ऐसा िचनतन करो िकः ह चतनयःव प मर आतमन शरीर को पाच भत क पतल

को तयागन क बाद भी आपका अिःततव ह आप आतमा हो परम र हो अमर हो चतनय हो शा त हो

इसी कार अपनी प ी को और ःवगरःथ पऽ पिरवार को ःमरण करक उनको उननत

करो और आप भी उननत बनो जीत-जी भी परःपर इसी भाव स उननत करो मतय मगलमय हो जाय ऐसा वातावरण बनाओ

जो वयि मतय को ा हो चक ह उनक ौा ो क िदनो म तथा ःमरण क व उनह

सझाव दो िकः जनम-मतय तमहारा धमर नही था पाप-पणय तमहारा कमर नही था तम अजर

अिवनाशी िनलप शा त सनातन नारायण क अश हो अतः अपन परम र ःवभाव को सभालो ःमरण करो

अपन पित प ी पऽ का नाम लकर कहो िकः तम वही हो सचमच म वही हो जो

मरन क बाद भी नही मरता ॐॐॐ तम चतनय आतमा हो ॐॐॐ शा त परम र हो ॐॐॐ अिवनाशी परमातमा हो ॐॐॐ

पथवी पर क ःवपन तलय सबधो का ःमरण करक तम नीच न िगरो अिपत आतमा-

परमातमा क सबध को याद करत हए अपना ऐिहक जीवन मगलमय बनाओ ससार स कच करक जाओ उस समय तमहार कटमबी आतमा परमा तमा की एकता और अमरता तमहारी िनतयता और म ता का ःमरण तमह अत समय म करा द ऐसी वयवःथा करो

कोई चल बसन वाल हो या चल बस हो उनको याद करक उनकी ओर िदवय िवचार

अमर आतमा का सनदश भजो इस कार तम उ म सवा कर सकत हो और जीिवतो को जीवनदाता म जगा सकत हो दोनो इस कार परःपर सहायता करोग और पाओग

टिलफोन पर अपन दर क सबधी स हम जब बात करत ह तो उस यऽ म स आन वाली

धविन अपन सबधी की होती ह ऐस ही शरीर पी यऽो स जो कछ ःनह सातवना सहानभित म या काश हम पात ह वह भीतर वाल परम र का ही होता ह उनको या उनक िचऽो को

दखो तो उन िचऽो क पीछ खड़ उस शा त सतय को परम िमऽ को पयार करो और उनह भी याद िदलाओ िकः ह शा त आतमा ह परातन ह अिवनाशी नाशवान ससार और शरीर बदलत ह लिकन तम अबदल आतमा हो ॐॐॐ

बचपन बदल गया यौवन बदल गया बढ़ापा बदल गया शरीर बदल गया िफर

तम भी हो तम वह अमर आतमा हो िजस पर काल का भी कोई भाव नही चलता ह अकाल आतमा अपनी मिहमा म जागो इस कार क िवचार भजन स मगल करोग और मगल को पाओग जीवन मगलमय होन

लगगा मतको की मतय भी मगलमय हो जायगी मगल भवन अमगलहारी िवचारो को सदव एक दसर क ित सािरत करो ॐ आननद

आननद आननद रोत चीखत मोहमाया म पड़कर उनको याद करत हो तो उनका और अपना सतयानाश

करत हो उनको नीच िगरात हो उनकी आतमा को भटकात हो अपन को तचछ बनात हो अमागिलक िवचारो को कतई ःफिरत न होन दो सदव मगलमय िवचार हो जायगा मगलमय जीवन मतय भी मगलमय हो जायगी ॐ ॐ ॐ

ॐॐॐॐॐॐॐॐ जीवन और मतय आतमा-परमातमा को पान क दो पहल ह रात क बाद िदन िदन क

बाद रात होती ह इसी तरह जीवन और मतय चोल बदलत हए अनभवो स गजरत हए अपन आतमःव प को ःव प को पान क िलए मगलमयी अवःथा ह

िदन िजतना पयारा ह रात भी उतनी ही आवयक ह जीवन िजतना पयारा ह मतय भी

उतनी ही आवयक ह मतय मान आतमिशव क मिनदर म जान क िलए ऊची सीिढ़या मतय मान मा की गोद म बालक सो गया और उमा शि ताजगी ःफितर पाकर िफर सबह खलता ह मतय मान मा की गोद म थकान िमटान को जाना िफर नया तन ा करक अपनी मगलमय याऽा करना

त वदि स दखा जाय तो यह जीवन-मतय की याऽा कित म हो रही ह तमह

परमातमाःव प म जगान क िलए गीता म भगवान ौी कण कहत ह-

न जायत ियत वा कदािचननाय भतवा भिवता वा न भयः अजो िनतयः शा तोऽयपराणो न हनयत हनयमान शरीर

त वतः यह आतमा न कभी जनमता ह और न मरता ह न यह उतपनन होकर िफर होन

वाला ही ह यह जनमरिहत िनतय िनरनतर रहन वाला शा त और परातन अनािद ह शरीर क मार जान पर भी वह नही मारा जाता

(गीताः 220) शव की ःमशानयाऽा म मटका ल जात ह फोड़ दत ह यह याद िदलान क िलए िक दह

मानो मटका ह इस मगलमय मतय को पीछ िव ल होन की आवयकता नही ह यह मटका सवा करन क िलए िमला था जीणर-शीणर हआ टट गया िफर नया िमलगा मगलमय आतमा-परमातमा की ाि तक यह मगलमय जनम-मरण की याऽा तो चलती ही रहगी इसम िव ल होकर रोना-चीखना िनरा मोह ह अगर इस मोह को पोसा जाय और िकसी की मतय न हो तो ससार महा नरक हो जायगा माली अगर बगीच म काट-छाट न कर तो बगीचा बगीचा ही न रहगा अिपत भयानकर जगल हो जायगा

स ा न मतय का मगलमय िवधान न बनाया होता तो आदमी म तयाग सवा नता क

सदगण ही नही िखलत सब अमर होकर अिड़यल की तरह उलझ रहत रािऽ स अरणोदय अरणोदय स िफर मगलमयी रािऽ की अिनवायर आवयकता ह िवराट

की यह चणड बीड़ा तमह अपन िवराट ःवभाव म जगान क िलए आवयक ह मतय मान महायाऽा महाःथान महािनिा अतः जो मर गय ह उनकी याऽा मगलमय

हो आतमोननितद हो ऐसा िचनतन कर न िक अपन मोह और अजञान क कारण उनको भी भटकाए और खद भी परशान हो

कइयो की मतय बालयकाल म या यौवन म हो जाती ह जस मा न बचच को कपड़

पहनाए और नही जच उठा िलय िफर नय व ो स सजाया-धजाया अथवा यो कहो िक बचचा िखलौनो म रम जाता ह िखलौन नही छोड़ना चाहता परनत मगलमयी मा उस बलात उठा लती ह अपनी गोद म सलाती ह अपनी उमा सािननधय िवौािनत स उस प करक िफर नतन भात को उस खलन क िलए बीडागन म भज दती ह ऐस ही जीवातमा का बीडागन ससार ह अतः अनक शरीर बदलत हए अबदल की मगलमय याऽा करन क िलए जीवन और मतय को मगल िवधान समझकर ई र की हा म हा करत हए अपनी याऽा उननत कर

ॐॐॐ

ॐॐॐॐॐॐॐॐ

अनबम

िचतन पराग ई र का बनाया हआ त भल ही बना रह उसको िमथया समझ लन माऽ स का

बोध हो सकता ह साधक का काम त को िमथया समझन स ही चलता ह इचछाओ की ति का उपाय एक ही ह िक इचछाए तयाग दी जाए िजस िववकी न इस

जगत को सपन या इनिजाल क समान समझ िलया ह िजस दय न प म िदखन लगा ह वह दोषदश िववकी भला बताओ इसम अनराग कस कर

जञानी जागरण को सतय समझना छोड़ दन पर िफर पहल की भाित अनर नही होता

जञानी तयक वःत को अपना आतमा समझता ह मद की कलपना को बार-बार मन म लाना काम-वासना स म होन का सव म उपाय

बताया गया ह मद को पड़ हए दखकर मन घबरान लगता ह पिरणाम की कयो परवाह करत हो अपनी तनखवाह क बार म कभी िफब मत करो

अजञानी लोग समझत ह िक कायर की सफलता म कायर करन की अपकषा अिधक आननद ह इन अनधो को यह मालम ही नही ह िकसी पिरणाम स उतना सख नही िमलता िजतना काम करन स िमलता ह

अपन िवचारो को सदा वाःतिवक आतमा म रखो और पिरिःथितयो की परवाह मत करो तब तक आपकी हािन नही हो सकती जब तक िक आप ःवय उस नही बलात तलवार

तब तक नही काट सकती जब तक आप यह न सोच िक यह काटती ह ऐ पणर तर िलए कोई कतरवय या कायर शष नही ह सारी कित सास रोक तरी

सवा क िलए खड़ी ह ससार तरी पजा करन का अवसर पाकर अपन को कतकतय करना चाहता ह कया त कित की शि यो को अपन चरणो म झकन का अवसर दगा

अपन भीतर सतय क काश को सदा चमकता रखो भय और लोभन का शतान तमहार

पास नही फटकगा

बाहर की बातो म कछ भी नही मान अपमान अपना काम िकय जा िनिशिदन इसम ही सममान

दसर लोग तमहारी आलोचना िनदा करत हो उनह रोकन की च ा न करो कयोिक इनही

सब बातो क ारा तमम सदगणो की वि होगी जब तक तमहारा दय इतना दढ़ नही ह िक तम मख क बकन पर िःथर और शात बन रहो अथवा तमम इतनी सहनशीलता नही ह िक अजञानी मख को कषमा कर सको तब तक तम अपन को कही जञानी न समझ बठना

यिद तम शरीर और मन स ऊपर उठ जाओ तो सब िचनता और भयो स छट हो

जाओग िकसी भी आकिःमक दघरटना स धयर न छोड़ो कयोिक घबराहट स शि तथा बि का

नाश होता ह िकसी भी कार की किठनाइयो क आग दःिखत न होकर गमभीरतापवरक उनका सामना करो तभी तम िनःसनदह िवजय ा करोग तम कही भी हतोतसािहत होकर िनराश न होओ

ऐसी कौन-सी िवपि ह जो मरी सननता को न कर सकती ह वह कौन-सा रज ह जो

मर आननद म िव न डाल सकता ह म तो िव ाणड का भ ह म बि का भ ह िदमाग का मािलक ह और मन का शासक ह ससार मझम ह म ससार म नही आ सकता िव मझम ह म िव म नही बध

सकता सयर और नकषऽ मझम उदय और अःत होत ह दह और दिनया दोनो ई र क भीतर ह वही ई र म ह म िनिलर आतमा ह मरा जनम नही मतय नही म अजर-अमर ह म िचदाननद

आतमःव प ह म िमथया त िमथया धमर िमथया कमर िमथया और जगत िमथया और ऐसा तीत

होता ह िक म सवरःव ह म ही सवरजञ सवरगत आतमा ह अपना साकषी ह कदािप उन नाम पो म फसा नही ह

म िवश ह असखय ाणड मझम पड़ ह म असःपयर ह मरा ःव प िनिलर ह

मझ दःख स कोई भय नही ह मझ समय की जरा भी िचनता नही आतमाननद वाल को भय और आशका कसी

िकसी भी डर को अपन पास मत फटकन दो लोग यिद तमहार बराई करत ह तो तम उनह आशीवारद दो ऐस ःथान पर जाओ जहा

लोग तमस घणा कर तम तो म हो पहल स ही म हो सवरदा कहोः म सदा आननदःव प ह म

म ःवभाव ह म अननत ःव प ह मरी आतमा का आिद और अनत नही ह सभी मर आतमःव प ह

सननतापवरक अपमान सहन करन स और नता धारण करन स अिभमान की िनवि

होती ह िकसी पिवऽ ःथान पर जाओ तो वहा क अनशासन का पालन करो वहा चपपलो की

चटाक-पटाक आभषणो की खनखनाहट भड़कील व ो की फरफराहट आिद हमस न हो इसका परा धयान रखो कही भी िकसी क भी िच को या शात वातावरण को अशात करन का हम कोई अिधकार नही ह

अपन िकसी भी दःख या अशाित का कारण बाहर मत ढढो बाहर की पिरिःथितयो या

वयि यो को दोष मत दो कारण अपन भीतर ढढो िनद ष भाव स ढढोग तो कारण भीतर ही िमल जायगा उस दर करन की च ा करो शातिच रहन का यही बहमलय उपाय ह

जो आतम-अनशािसत ह व ही शासन कर सकत ह ऐसा करन क िलए नाम-जप कर

धयान कर िकसी आतमिन सत का पावन सािननधय ा कर सब तरह स िनभरय एव सनन बनन का यह ौ साधन ह

िवन बनो िनरहकारी बनो अपन आपको बड़ा बतान की च ा न करो िवनता एव

िनरािभमानता ही तमह बड़ा बनायगी िवनता मनय का बहत बड़ा भषण ह िनमरल दि रखो िकसी क दोष दखना यह बहत बड़ा दगरण ह िछिानवषी न बनो

दसरो क दोष दखना पाप अजरन करना ह गणमाही बनो

ॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐ

अनबम

  • मगलमय जीवन-मतय
  • मतय क परकार
  • मतय भी जीवन क समान आवशयक
  • सिकनदर न अमत कयो नही पिया
  • बिना मतय को जान जीवन जीवन नही
  • मतय किसकी होती ह
  • भगवान शरीराम और तारा
  • मतयः कवल वसतर परिवरतन
  • फकीरी मौतः आननदमय जीवन का दवारः
  • यमराज और नचिकताः
  • सचच सत मतय का रहसय समझात ह
  • मतयः एक विशरानति-सथानः
  • वासना की मतय क बाद परम विशरानति
  • धतराषटर का शोकः
  • घाटवाल बाबा का एक परसग
  • फकीरी मौत ही असली जीवन
    • फकीरी मौत कया ह
      • सकरात का अनभव
      • आधयातमविदयाः भारत की विशषताः
      • तीन परकार क लोगः
      • जञान को आय स कोई निसबत नही
      • योगसामरथयः एक परतयकष उदाहरण
      • योग भी साधना का आखिरी शिखर नही
      • गणातीत सत ही परम निरभयः
      • सतो का सनदशः
      • चितन पराग

मगलमय जीवन-मतय एक बार फकीरी मौत म डबकर बाहर आ जाओिफर दखो ससार का कौन-सा भय तमह भयभीत कर सकता ह तम शाहो क शाह हो

प यौी

अनबम

िनवदन मतय एक अिनवायर घटना ह िजसस कोई बच नही सकता सारी जीवनसि भयभीत ह

इस भय स म होन का कोई मागर ह ाचीन काल स ही पललिवत पिपत हई भारतीय अधयातम-िव ा म इसका ठोस उपाय ह इस अनपम िव ा की झाकी पाकर िवदशो क िव िवखयात त विचतक बोल उठः

अगर सखमय मतय ा करन की यो यता सपादन करना त विचनतन का उ य हो तो वदानत जसा दसरा कोई साधन नही ह

ो मकसमयलर उपिनषदो क अ यास जसा कलयाण करन वाला दसरा कोई भी अ यास सार िव म

नही ह मर जीवन का यह आ ासन ह और मर मतयकाल म भी मझ इसी का आ ासन रहगा

शोपनहोर यरोप का उ मो म त वजञान मीक त वजञो का चतनयवाद भी आयारवतर क वाद की

तलना म मधया क पणर काशवान सयर क आग एक िचनगारी जसा लगता ह डरीक गल

िवदशी िव ान तो भारतीय शा ो को कवल पढ़कर ही दग रह गय थ जबिक अमदावाद

सरत मबई रतलाम इनदौर भोपाल क आौमो म ातःःमरणीय प यपाद सत ौी आसारामजी बाप क पावन सािननधय म तो इस जञान की पावन गगा िनरनतर बह रही ह हजारो साधक इस जञान की झाकी पाकर धनय हो रह ह अपन मगलमय जीवन-मतय क बार म रहःयमय सखानभितया पा रह ह

अमदावाद म मगलमय जीवन-मतय िवषयक सतसग वचन म प यौी न अपन

अनभविस वचनो ारा बड़ा ही सआम िववचन िकया ह भय स आबानत मानव समदाय को िनभरयता का यह परम सदश ह उनका यह सतसग-वचन अपन िनभरय एव लोक कलयाण म रत जीवन का मतर प ह

इस छोटी सी पिःतका म ःतत प यौी का अमत-साद पाकर आप भी जीवन-मतय

की समःया सलझाकर अपन भीतर िनरनतर गजत हए शा त जीवन का सर सनकर परम िनभरय हो जाओ जीवन और मतय को मगलमय बना दो

ौी योग वदानत सवा सिमित

अनबम मगलमय जीवन-मतय 5

मतय क कार 5

मतय भी जीवन क समान आवयक 6

िसकनदर न अमत कयो नही िपया 7

िबना मतय को जान जीवन जीवन नही 8

मतय िकसकी होती ह 9

भगवान ौीराम और तारा 10

मतयः कवल व पिरवतरन 10

फकीरी मौतः आननदमय जीवन का ारः 11

यमराज और निचकताः 13

सचच सत मतय का रहःय समझात ह 14

मतयः एक िवौािनत-ःथानः 15

वासना की मतय क बाद परम िवौािनत 16

धतरा का शोकः 16

घाटवाल बाबा का एक सग 17

फकीरी मौत ही असली जीवन 18

फकीरी मौत कया ह 18

सकरात का अनभव 19

आधयातमिव ाः भारत की िवशषताः 20

तीन कार क लोगः 20

जञान को आय स कोई िनःबत नही 21

योगसामथयरः एक तयकष उदाहरण 22

योग भी साधना का आिखरी िशखर नही 23

गणातीत सत ही परम िनभरयः 23

सतो का सनदशः 24

िचतन पराग 32

मगलमय जीवन-मतय आज हम जीवन और मतय क बार म िवचार करग बात तो बहत छोटी ह मगर बड़ी

अटपटी ह झटपट समझ म नही आती अगर एक बार समझ म आ जाय तो जीवन की सब खटपट िमट जाय

इस रहःय को न समझ सकन क कारण हम अपन को सीिमत दशकाल क भीतर एक सामानय ौोता क प म यहा उपिःथत मान रह ह मगर यिद यह रहःय हम ठ क स समझ म आ जाय तो तरनत यह खयाल आयगा िकः म अननत ाणडो म वया होकर सभी िबयाए कर रहा ह मर अितिर दसरा कछ ह ही नही तो िफर जीवन िकसका और मौत िकसकी

मतय क कार मतय पर िभनन-िभनन दि स िवचार कर सकत ह पौरािणक दि स अपन इ की ःमित जीवन ह और इ की िवःमित मतय ह वयावहािरक दि स अपनी इचछा क अनकल घटना घट यह जीवन ह और इचछा क

ितकल घटना घट यह मतय ह ऐसी मतय तो िदन म अनक बार आती ह लौिकक दि स पद ित ा िमलना वाह-वाही होना जीवन ह और बदनामी होना मौत

कहा जा सकता ह िजस साधारण लोग जीवन और मौत कहत ह उस दि स दख तो पचभतो स बन ःथल

शरीर का सआम शरीर (ाणमय शरीर) स सयोग जीवन ह और िवयोग मौत ह वाःतव म न तो कोई जीता ह न कोई मरता ह कवल कित म पिरवतरन होता ह इस

पिरवतरन म अपनी ःवीकित तो जीवन लगता ह और इस पिरवतरन म िबना इचछा क िखचा जाना घसीटा जाना जबरन उसको ःवीकार करना पड़ यह मौत जसा लगता ह वाःतव म मौत जसा कछ नही ह

जगत म जो कछ भी दि गोचर होता ह वह सब पिरवतरनशील ह दसर शबदो म वह

सब काल क गाल म समाता जा रहा ह चहचहाट करत हए पकषी भागदौड़ करत हए पश लहलहात हए पड़ -पौध वनःपित कित म हलचल मचाकर मिःतक को चकरा दन वाल

आिवकार करत हए मनय सभी एक िदन मर जायग कई मर गय कइयो को रोज मरत हए हम अपन चारो ओर दख ही रह ह और भिवय म कई पदा हो-होकर मर जायग

कोई आज गया कोई कल गया कोई जावनहार तयार खड़ा नही कायम कोई मकाम यहा िचरकाल स य ही िरवाज रहा

दादा गय िपता गय पड़ोसी गय िरतदार गय िमऽ गय और एक िदन हम भी चल

जाएग इस तथा किथत मौत क मह म यह सब दखत हए जानत हए समझत हए भी 50 वषरवाला 60 60 वषरवाला 70 70 वषर वाला 80 और 90 वाला 100 वषर उ दखन की इचछा करता ह 100 वषर वाला भी मरना नही चाहता मौत िकसी को पसनद नही ह

मन सना ह िक अमिरका म लगभग एक हजार ऐसी लाश सरिकषत पड़ी ह इस आशा म

िक आग आन वाल 20 वष म िवजञान इतनी गित कर लगा िक इन लाशो को जीवनदान द सक हर लाश पर 10000 रपय दिनक खचर हो रहा ह बीस साल तक चल उतना धन य मरन वाल लोग जमा कराक गय ह

कोई मरना नही चाहता क म िजसक पर लटक रह ह वह बढ़ा भी मरना नही चाहता औषिधया खा-खाकर

जीणर-शीणर हआ रोगी मरणश या पर पड़ा अितम ास ल रहा ह डॉकटरो न जवाब द िदया ह वह भी मरना नही चाहता लाश भी िजनदा होना चाहती ह कित का यह मतय पी पिरवतरन िकसी को पसनद नही य िप यह सब जानत ह

जो आया ह सो जाएगा राजा रक फकीर

यह मान भी िलया जाय िक 20 वषर म िवजञान इतनी उननित कर लगा और लाशो को िफर स जीिवत भी कर दगा िफर भी व कब तक िटकी रहगी अत म जरा-जीणर होगी ही उन लाशो को तो बीस वषर भी हो गय अभी तक िवजञानी उनह जीिवत नही कर पाय मानो कर भी ल तो य कब तक िटक गी

मतय भी जीवन क समान आवयक

बगीच म वही क वही पड़-पौध फल-प यो क तयो बन रह उनकी काट-छाट न की जाय नय न लगाय जाए उनको सवारा न जाय तो बगीचा बगीचा नही रहगा जगल बन जायगा बगीच म काट-छाट होती रह नय पौध लगत रह परान सड़-गल पपहीन ठठ िबनज री पौध हटा िदय जाय और नय सगिनधत नवजीवन और नवचतना स ओतोत पौध लगाय जाए यह ज री ह

अनबम

िसकनदर न अमत कयो नही िपया साट िसकदर िजस पीकर अमर हो जाए कभी मरना न पड़ ऐस अमत जल की खोज

म था नकशो क सहार िवजय करता हआ वह उस गफा म पहच भी गया िजसक अनदर अमतजल का झरना था गफा क बाहर ही उसन अपन सभी सिनको को रोक िदया और ःवय अकला बड़ उतसाह व सननता स आिहःत-आिहःत चौकनना होकर कदम बढ़ान लगा आज उसक जीवन की सबस बड़ी खवािहश परी होन जा रही थी उसका दय उछल रहा था थोड़ी ही दर अपन सामन परो क पास ही उसन दखाः चा दी सा त अमतजल धीमी-धीमी कल-कल छल-छल आवाज करता बह रहा ह उसका दय आननद स िखल उठा अब वह अपन को न रोक सका वह घटनो क बल नीच झका अपन दोनो हाथ पानी म डबोए

आहा कसा शीतल ःपशर उसकी सारी थकान उतर गई दोनो हाथो की अजली म उसन

वह जल भरा अजली को धीर-धीर मह तक लाया दय की धड़कन बढ़ी होठ सधापान करन को लालाियत हो उठ बस जल ओठो तक पहच ही गया था और वह पी ही लता िक इतन म -

खबरदार उस िनजरन गफा म िकसी की आवाज गज उठ च क कर िसकनदर न िसर ऊपर

उठाया दखा तो एक कौआ वहा बठा ह खबरदार िसकदर रक जाओ जलदी न करो जो भल मन की वह तम मत करो

मझ कोई साधारण कौआ मत समझना म कौओ का साट ह म भी तमहारी तरह बहत पिरौम म इस अमत की खोज करत-करत यहा तक पहचा ह और मन यह जल पी िलया ह परनत इस पीकर अब मसीबत म पड़ गया ह

ऐसी गमभीर घड़ी म यह िव न िसकदर को अचछा नही लगा िफर भी धीरज स वह

उसकी बात सनन लगा कौआ बोलाः

तमको जल पीना हो तो अवय िपयो िसकदर लिकन मरी बात परी सन लो यह जल

पीकर म अमर हो गया ह जो कछ जीवन म करन की इचछा थी वह सब म कर चका ह िजतना घमना था घम िलया सनना था सन िलया गाना था गा िलया खाना था खा िलया जो भी मौज करन की इचछा थी सब कर िलया अब करन क िलए कछ बचा ही नही अब यह जीवन मर िलय भार बन गया ह म अब मरना चाहता ह परनत मर नही सकता मरन क िलए पानी म कदा परनत पानी न मझ डबाया नही पहाड़ो पर स कदा िफर भी मरा नही आग की वालाओ म कदकर दखा उसन भी मझ जलाया नही तलवार की धार स मन गदरन िघसी परनत धार खराब हो गई गदरन न कटी यह सब इस अमतजल क कारण

सोचा था िक अमर होकर सखी होऊगा परनत अब पता चला िक मन मसीबत मोल ल

ली ह तमको यह जल पीना हो तो अवय िपयो म मना नही करता परनत मरी तमस िवनती ह िक यहा स जान क बाद मरन की कोई िविध का पता लग तो मझ अवय समाचार दना

थोड़ी दर क िलए गफा म नीरव शाित छा गई िसकदर क हाथ की उगिलया िशिथल हो

ग उनक बीच म स सारा अमतजल िगर कर पनः झरन म समा गया दसरी बार उसन झरन क जल म हाथ डालन की िहममत नही की मन ही मन िवचार करत हए वह उठ खड़ा हआ और पीछ मड़कर गफा क ार की ओर चल पड़ा आिहःत-आिहःत िबना अमतजल क िपय

यह घटना सच हो या झठ उसस कोई सरोकार नही परनत इसम एक तथय छपा हआ

ह िक िजतना जीवन ज री ह उतनी ही मौत भी ज री ह पिरवतरन होना ही चािहए

अनबम

िबना मतय को जान जीवन जीवन नही िजस जीवन क िलए अपनी लाश की सरकषा हत करोड़ो रपयो की वसीयत करक लोग

चल गय िजस जीवन को िटकाए रखन क िलए हम लोग भी अपार धन-समपि इक ठ करन म लग हए ह दसरो को दःखी करक भी जीवन क ऐश ETHआराम क साधन समह करन म हम लग हए ह वह जीवन िटक जान क प ात भी अमर हो जान क बाद भी कया हमको आननद द सकगा कया हम सखी हो सक ग यह जरा िवचार करन यो य ह मौत स मनय डरता ह परनत ऐसा जीवन भी कोई जीवन ह िजसम सदव मौत का भय बना रह जहा पग-पग मतय

का भय हम किमपत करता रह ऐसा नीरस जीवन भयपणर जीवन मौत स भी बदतर जीवन ह ऐसा जीवन जीन म कोई सार नही यह जीवन जीवन नही ह

यिद जीवन ही जीना ह यिद रसमय जीवन जीना ह यिद जीवन का ःवाद लत हए

जीवन को जीना ह तो मौत को आमिऽत करो मौत को बलाओ और होशपवरक मौत का अनभव करो जो सत मौत का अनभव कर चक ह उनका सग करक मौत की पोल को जान लो िफर तो आप भी मःत होकर उनकी तरह कह उठ गः

जा मरन त जग डर मोर मन आननद

अनबम

मतय िकसकी होती ह अभी तो िजस तम जीवन कहत हो वह जीवन नही और िजस तम मौत कहत हो वह

मौत नही ह कवल कित म पिरवतरन हो रहा ह कित म जो रहा ह वह सब पिरवतरन ह जो पदा होता िदख रहा ह वही न होता नजर आता ह िजसका सजरन होता िदखता ह वही िवसजरन की ओर जाता नजर आता ह पड़-पौध हो या खाइया हो सागर हो या मरःथल हो सब पिरवतरन पी सिरता म बह जा रह ह जहा नगर थ वहा वीरान हो गय जहा बिःतया थी वहा आज उलल बोल रह ह और जहा उलल बोल रह थ वहा बिःतया खड़ी ह जहा मरःथल थ वहा आज महासागर िहलोर ल रह ह और जहा महासागर थ वहा मरःथर खड़ ह बड़-बड़ ख डो की जगह पहाड़ खड़ हो गय और जहा पहाड़ थ वहा आज घािटया खाइया बनी हई ह जहा बड़ -बड़ वन थ वह भिम बजर और पथरीली हो गई और जो बजर थी पथरीली थी वहा आज वन और बाग-बगीचो क प म हिरयाली फली हई ह

चाद सफर म िसतार सफर म

हवाए सफर म दिरया क िकनार सफर म अर शायर वहा की हर चीज सफर म तो आप बसफर कस रह सकत ह

आप िजस शरीर को म मानत ह वह शरीर भी पिरवतरन की धारा म बह रहा ह

ितिदन शरीर क परान कोष न हो रह ह और उनकी जगह नय कोष बनत जा रह ह सात वषर म तो परा शरीर ही बदल जाता ह ऐसा वजञािनक भी कहत ह इस ःथल शरीर स सआम

शरीर का िवयोग होता ह अथारत सआम शरीर दह पी व बदलता ह इसको लोग मौत कहत ह और शोक म फट-फट कर रोत ह

अनबम

भगवान ौीराम और तारा भगवान राम न जब बाली का वध िकया तो बाली की प ी राम क पास आई और अपन

पित क िवयोग म फट-फट कर रोन लगी राम न उसको धीरज बधात हए कहाः

िकषित जल पावक गगन समीरा पच रिचत यह अधम शरीरा सो तन तव आग सोहा जीव िनतय त कहा लिग रोवा

ह तारा त िकसक िलए िवलाप कर रही ह शरीर क िलए या जीव क िलए

पचमहाभतो ारा रिचत शरीर क िलए यिद त रोती ह तो यह तर सामन ही पड़ा ह और यिद जीव क िलए रोती ह तो जीव िनतय ह वह मरता नही

मतयः कवल व पिरवतरन यिद वाःतव म मौत होती तो हजारो-हजारो बार होन वाली तमहारी मौत क साथ तम भी

मर चक होत आज तम इस शरीर म नही होत यह शरीर तो माऽ व ह और आज तक आपन हजारो व बदल ह अपना ई र कगाल नही ह िदवािलया नही ह िक िजसक पास दो चार ही व हो उसक पास तो अपन बालको क िलए चौरासी-चौरासी लाख व ह कभी चह का तो कभी िबलली का कभी दव का तो कभी गधवर का न जान िकतन-िकतन वश आज तक हम बदलत आय ह व बदलन म भय कसा

यही बात भगवान ौीकण न अजरन स कही हः

वासािस जीणारिन यथा िवहाय नवािन ग ाित नरोऽपरािण तथा शरीरािण िवहाय जीणारनयनयािन सयाित नवािन दही

ह अजरन त यिद शरीरो क िवयोग का शोक करता ह तो यह भी उिचत नही ह कयोिक

जस मनय परान व ो का तयागकर दसर नय व ो को महण करता ह वस ही जीवातमा परान शरीरो को तयाग कर दसर नय शरीरो को ा होता ह

(गीताः 222)

बालक की च डी (नकर) फटन पर उसकी मा उसको िनकाल कर नई पहनाती तो बालक

रोता ह िचललाता ह वही बालक बड़ा होता ह पहल की चि डया छोटी पड़ जाती ह उनह छोड़ता ह बड़ी पहनता ह िफर वह भी छोड़कर पनट पाजामा या धोती आिद पहनता ह ऐस ही परमातमा की सतान भी यो- यो बड़ी होती ह िवकिसत होती ह तयो-तयो उस पहल स अिधक यो य ददीपयमान नय शरीर िमलत ह जीव-जतओ स िवकिसत होत-होत बनदर गाय और आिखर मनय दह िमलती ह मनय िदवय कमर कर स वगण-धान बन तो दव गधवर की योिन िमलती ह उसका ःवभाव रजस धान हो तो वह िफर मनय बनता ह और यिद तामसी ःवभाव रखता ह तो पनः हलकी योिनयो म जाता ह उस मानव को यिद ई र भि क साथ कोई समथर सदगर िमल जाय उस आतमधयान आतमजञान की भख जग वह गरकपा पचा ल तो वही मन य चौरासी क चब म घमन वाला जीव अपन िशवःवभाव को जानकर तीनो गणो स पार हो जाय परमातमा म िमल जाय

व पिरवतरन स भय कसा व बदलन वाला तो कभी भी मरता नही वह अमर ह और पिरवतरन कित का ःवभाव ह तो िफर मौत ह ही कहा यही बात समझात हए गीता म भगवान ौी कण कहत ह अजरन स िक तमह भय िकस बात का ह

हतो वा ापःयिस ःवग िजतवा वा भोआयस महीम

यिद य म शरीर छट गया तो ःवगर को ा करोग और यिद जीत गय तो पथवी का

रा य भोगग (सभी ौोतागण तनमयता स जीवन मतय पर मीमासा सन रह ह ःवामी जी कछ कषण

रककर सभी पर एक रहःयमय दि फ कत ह वातावरण म थोड़ी गमभीरता छाई हई जानकर करत ह)

फकीरी मौतः आननदमय जीवन का ारः आप लोग उदास तो नही हो रह ह न आपको मौत का भय तो नही लग रहा ह न

अभी कवल जीवन पर बात ही चल रही ह िकसी की मौत नही आ रही ह (यह सनकर सभी िखलिखलाकर हस पड़त ह ःवामी जी फकीर मःती म आग कहत

ह)

अर मौत तो इतनी पयारी ह िक उस यिद आमिऽत िकया जाय तो आननदमय जीवन क ार खोल दती ह

एक जवान साध था घमत-घमत वह नपाल क एक पहाड़ की तलहटी म जा पहचा वहा

उसन दखा एक व सत एक िशला पर बठ ह शाम का समय ह सरज िछपन की तयारी म ह उन सत न उस जवान साध को तो दखा तो बोलः

मर परो म इतनी ताकत नही िक अभी म ऊपर पहाड़ पर चढ़कर अपनी गफा तक पहच सक बटा तम मझ अपन कध पर चढ़ाकर गफा तक पहचा दो

यवा साध भी अलमःत था उसन सत को अपन कध पर िबठा िलया और चल पड़ा

उनकी गफा की ओर चढ़ाई बड़ी किठन थी परनत वह भी जवान था चढ़ाई चढ़ता रहा काफी ऊपर चढ़ चकन पर उसन सत स पछाः

गफा अभी िकतनी दर ह

बस अब थोड़ी दर ह चलत-चलत काफी समय हो गया साध पछता रहा और व सत कहत रहः बस अब

थोड़ी ही दर ह मामा का घर िजतना दर िदया िदख उतना दर ऐसा करत-करत रात को यारह बज क करीब गफा पर पहच साध न व सत को कध स नीच उतारा और बोलाः

और कोई सवा

सत उसकी सवा स बड़ सनन थ बोलः बटा तमन बड़ी अचछ सवा की ह बोल अब तझ कया परःकार द वह दख

सामन तीन-चार भर हए बोर रख ह उसम स िजतना उठा सको उतना उठा ल जाओ यवा साध न जाकर बोरो को छकर दखा अनमान लगाया शायद र ी कागजो स भर हए

ह िफर धयान स दखा को अनमान गलत िनकला व बोर नपाली नोटो स भर हए थ उसन अनमन मन स उनको दखा और उलट परो लौट पड़ा सत की ओर सत न पछाः

कयो माल पसनद नही आया व सत पहच हए योगी थ अपन योगबल ारा उनहोन नोटो क बडलो स भर बोर

उतपनन कर िदय थ उनको ऐसी आशा थी िक वह यवा साध अपनी सवा क बदल इस परःकार स खश हो जायगा परनत वह यवा साध बोलाः

ऐसी सब चीज तो म पहल ही छोड़ आया ह इनस कया जीवन की रकषा होगी इनस कया जीवन का रहःय समझ म आएगा इनस कया मौत जानी जा सकगी कया म इनही चीजो क िलए घर बार छोड़कर दर-दर भटक रहा ह जगलो और पहाड़ो को छान रहा ह य सब तो न र हऔर अगर सतो क पास भी न र िमलगा तो िफर शा त कहा स िमलगा

अनबम

यमराज और निचकताः निचकता भी यमराज क सममख ऐसी ही माग पश करता ह कठोपिनषद म निचकता

की कथा आती ह निचकता कहता ह यमराज सः ह यमराज कोई कहता ह मतय क बाद मनय रहता ह और कोई कहता ह नही रहता ह इसम बहत सदह ह इसिलए मझ मतय का रहःय समझाओ तािक सतय कया ह यह म जान सक परनत यमराज निचकता की िजजञासा को परखन क िलए पहल भौितक भोग और वभव का लोभ दत हए कहत ह -

शतायषः पऽपौऽानवणीव बहनपशनहिःतिहरणयम ान भममरहदायतन वणीव ःवय च जीव शरदोयाविदचछिस

ह निचकता त सौ वषर की आयय वाल पऽ-पौऽ बहत स पश हाथी-घोड़ सोना माग

ल पथवी का िवशाल रा य माग ल तथा ःवय भी िजतन वषर इचछा हो जीिवत रह

(वललीः 123) इतना ही नही यमराज आग कहत ह- मनयलोक म जो भोग दलरभ ह उन सबको ःवचछनदतापवरक त माग ल यहा जो रथ

और बाजो सिहत सनदर रमिणया ह व मनयो क िलए दलरभ ह ऐसी कािमनयो को त ल जा इनस अपनी सवा करा परनत ह निचकता त मरण समबनधी मत पछ

िफर भी निचकता इन लोभनो म नही फसता ह और कहता हः य सब भोग सदव रहन वाल नही ह और इनको भोगन स तज बल और आयय कषीण

हो जात ह मझ य भोग नही चािहए मझ तो मतय का रहःत समझाओ

अनबम

सचच सत मतय का रहःय समझात ह ठ क इसी कार वह यवा साध उन व सत स कहता हः मझ य नोटो क बडल नही

चािहए आप यिद मझ कछ दना ही चाहत ह तो मझ मौत दीिजए म जानना चाहता ह िक मौत कया ह मन सना ह िक सचच सत मरना िसखात ह म उस मौत का अनभव करना चाहता ह

वःततः सत मरना िसखात ह इसीिलए तो लोग रोत हए बचचो को चप करान क िलए

कहत ह - रो मत चप हो जा नही तो वह दख बाबा आया ह न वह पकड़कर ल जायगा भल ही लोग अजञानतावश बाबाओ अथवा सतो स बचचो को डरात हए कहत ह िक व ल जायग परनत िजनको सचच सत ल जात ह अथवा जो उनका हाथ पकड़ लत ह व तर जात ह सचच सत उनको सब भयो स म कर दत ह और उनको ऐस पद पर िबठा दत ह िक िजसक आग ससार क सार भोग-वभव धन-समपि पऽ-पौऽ यश-ित ा सब तचछ भािसत होत ह परनत ऐस सचच सत िमलन दलरभ ह और दढ़ता स उनका हाथ पकड़न वाल भी दलरभ ह िजनहोन ऐस सतो का हाथ पकड़ा ह व िनहाल हो गय

उस यवा साध न भी ऐस ही सत का हाथ पकड़ा था मौत को जानन की उसकी बल

िजजञासा को दखकर व व सत बोल उठः अर यह कया मागता ह यह भी कोई मागन की चीज ह ऐसा कहकर उनहोन यवा साध को थोड़ी दर इधर-उधर की बातो म लगाया और मौका दखकर उसको एक तमाचा मार िदया यवक की आखो क सामन जस िबजली चमक उठ हो ऐसा अनभव हआ और दसर ही कषण उसका ःथल शरीर भिम पर लट गया उसका सआम शरीर दह स अलग होकर लोक-लोकानतर की याऽा म िनकल पड़ा लोग िजसको मतय कहत ह ऐसी घटना घट गई

ातःकाल हआ रात भर आननदमय मतय क ःवाद म डब हए उस यवा साध क ःथल

शरीर को िहलाकर व सत न कहाः बटा उठ सबह हो गई ह ऐस कब तक सोता रहगा यवा साध आख मलता हआ सननवदन उठ बठा िजसको मतय कहत ह उस मतय को

उसन दख िलया अहा कसा अदभत अनभव उसका दय कतजञता स भर उठा वह उठकर फकीर क चरणो म िगर पड़ा

लोग कहत ह िक मरना दःखद ह और इसीिलए मौत स डरत ह िजनको ससार म मोह

ह उनक िलए मौत भयद ह परनत सतो क िलए मोह रिहत आतमाओ क िलए ऐसा नही ह

अनबम

मतयः एक िवौािनत-ःथानः मौत तो एक पड़ाव ह एक िवौािनत-ःथान ह उसस भय कसा यह तो कित की एक

वयवःथा ह यह एक ःथानानतर माऽ ह उदाहरणाथर जस म अभी यहा ह यहा स आब चला जाऊ तो यहा मरा अभाव हो गया परनत आब म मरी उपिःथित हो गई आब स िहमालय चला जाऊ तो आब म मरा अभाव हो जायगा और िहमालय म मरी हािजरी हो जायगी इस कार म तो ह ही माऽ ःथान का पिरवतरन हआ

तमहारी अवःथाए बदलती ह तम नही बदलत पहल तम सआम प म थ िफर बालक

का प धारण िकया बालयावःथा छट गई तो िकशोर बन गय िकशोरावःथा छट गई तो जवान बन गय जवानी गई तो व ावःथा आ गई तम नही बदल परनत तमहारी अवःथाए बदलती ग

हमारी भल यह ह िक अवःथाए बदलन को हम अपना बदलना मान लत ह वःततः न

तो हम जनमत-मरत ह और न ही हम बालक िकशोर यवा और व बनत ह य सब हमारी दह क धमर ह और हम दह नही ह सतो का यह अनभव ह िकः

मझ म न तीनो दह ह तीनो अवःथाए नही मझ म नही बालकपना यौवन बढ़ापा ह नही जनम नही मरता नही होता नही म बश-कम म ह म ह ितह काल म ह एक सम

मतय नवीनता को जनम दन म एक सिधःथान ह यह एक िवौाम ःथल ह िजस

कार िदन भर क पिरौम स थका मनय रािऽ को मीठ नीद लकर दसर िदन ातः नवीन ःफितर लकर जागता ह उसी कार यह जीव अपना जीणर-शीणर ःथल शरीर छोड़कर आग की याऽा क िलए नया शरीर धारण करता ह परान शरीर क साथ लग हए टी बी दमा कनसर जस भयकर रोग िचनताए आिद भी छट जात ह

वासना की मतय क बाद परम िवौािनत ःथल शरीर स सआम शरीर का िवयोग िजसको मतय कहा जाता ह वह िवौाम-ःथल तो

ह परनत पणर िवौाित उसम भी नही ह यह फकीरी मौत नही ह फकीरी मौत तो वह ह िजसम सारी वासनाए जड़ सिहत भःम हो जाए भीतर यिद सआम वासना भी बची रही तो जीव िफर स नया शरीर धारण कर लगा और

िफर स सख-दःख की ठोकर खाना चाल कर दगा िफर स वहीः

पनरिप जनन पनरिप मरण पनरिप जननी जठर शयनम

अनबम

धतरा का शोकः करकषऽ क य म दय धन सिहत जब सार पऽ मार गय तो धतरा खब दःखी हए और

िवदर स कहन लगः कण और पाडवो न िमलकर मर सब पऽो का सहार कर िदया ह इसका दःख मझस सहन नही होता एक एक कषण वयतीत करना मझ वष जसा लमबा लग रहा ह

िवदर धतरा को समझात हए कहत ह - जो होना होता ह वह होकर ही रहता ह आप

वयथर म शोक न करो आतमा अमर ह उसक िलए मतय जसी कोई चीज नही ह इस शरीर को छोड़कर जो जाता ह वह वापस नही आता इस बात को समझकरः राम राख तम रिहय ह भाई शोक न करो

परनत धतरा का शोक कम नही हआ वह दढ़तापवरक कहन लगाः तम कहत हो वह

सब समझता ह िफर भी मरा दःख कम नही हो ता मझ अपन पऽो क िबना चन नही पड़ रहा ह पलभर को भी िच शात नही रहता

अजञानी सोचता ह िक िजस कार म चाहता ह उसी कार सब हो जाय तो मझ सख

हो यही मनय का अजञान ह शा और सतो का िकतना ही उपदश सनन को िमल जाय तो भी वह अपनी मानयताओ

का मोह सरलता स छोड़न को तयार नही होता िवदर का धमरय उपदश धतरा को सानतवना नही द सका धतरा शा ो स िबलकल अनिभजञ था ऐसी बात नही थी िफर भी उसका शा जञान उस पऽो क मोह स म नही कर सका

अनबम

घाटवाल बाबा का एक सग हिर ार म घाटवाला बाबा क नाम स िस एक महान सत रहत थ बहत सीध -साद

और सरल कमर म कतान (टाट) लपट रहत थ ऊपर स िदखन म िभखारी जस लगत मगर भीतर स साट थ उनक पास एक वयि आया और बोलाः महाराज मझ शाित चािहए

महाराज न पहल उस धयान स दखा िफर कहाः शाित चािहए तो तम गीता पढ़ो

यह सनकर वह च ककर बोलाः गीता गीता तो म िव ािथरयो को पढ़ाता ह म कालज म ोफसर ह गीता मरा िवषय ह गीता म कई बार पढ़ चका ह उस पर तो मरा काब ह

महाराज बोलः यह ठ क ह अब तक तो लोगो को पढ़ाकर पसो क लाभ क िलए गीता

पढ़ी होगी अब मन को िनयिऽत करक शाित लाभ क िलए पढ़ो लोग शा ो म स सचनाए और जानकािरया इक ठ करक उस ही जञान मान लत ह

दसरो को भािवत करन क िलए लोग शा ो की बात करत ह उपदश दत ह परनत उनह अपन आपको कोई अनभित नही होती मतय क िवषय म भी लोग िव तापणर वचन कर सकत ह मतय स डरन वालो को आ ासन और धयर द सकत ह परनत मौत जब उनही क सममख साकषात आकर खड़ी होती ह तो उनकी रग -रग काप उठती ह कयोिक उनको फकीरी मौत का अनभव नही

कई लोग कहत ह िक जीवन और मौत अपन हाथ म नही ह परनत यह उनक िलए

ठ क ह िजनको आधयाितमक रहःय का पता नही जो ःवय को शरीर मानत ह दीन-हीन मानत ह परनत योगी जानत ह िक जीवन और मतय इन दोनो पर मनय का अिधकार ह इस अिधकार को ा करन की तरकीब भी व जानत ह कोई िहममतवान जानन को ततपर हो तो व उस बता भी सकत ह व तो खललमखलला कहत ह िक यिद रोत-कलपत हए मरना हो तो खब भोग-भोगो िकसी की परवाह न करत हए खब खाओ िपयो और अमयारिदत िवषय-सवन करो ऐसा जीवन आपको अपन आप मौत की ओर शीयता स आग बढ़ा दगा परनत

यिद मौत पर िवजय ा करनी हो जीवन को सही तरीक स जीना हो तो योिगयो क

कह अनसार करो ाणायाम करो धयान करो योग करो आतमिचनतन करो और ऐसा कोई योगी डॉकटरो क सामन आकर दय की गित बनद करक बता दता ह तो वह बात भी लोगो को

बड़ी आ यरजनक लगती ह लोगो क टोल क टोल उसको दखन क िलए उमड़ पड़त ह परनत यह भी कोई योग की पराका ा नही ह

फकीरी मौत ही असली जीवन इितहास म जञान र महाराज और योगी चागदव का सग आता ह वह तो आप लोग

जानत ही होग चागदव न मतय को चौदह बार धोखा िदया था अथारत जब -जब मौत का समय आता तब-तब चागदव योग की कला स अपन ाण ऊपर चढ़ाकर मौत टाल िदया करत थ ऐसा करत-करत चागदव न अपनी उ 1400 वषर तक बढ़ा दी िफर भी उनको आतमशािनत नही िमली फकीरी मौत ही आतमशाित द सकती ह और इसीिलए चागदव को आिखर म जञान र महाराज क चरणो म समिपरत होना पड़ा

अनबम

फकीरी मौत कया ह

फकीरी मौत ही असली जीवन ह फकीरी मौत अथारत अपन अह की मतय अपन जीवभाव की मतय म दह ह म जीव ह इस पिरिचछनन भाव की मतय

ःथल शरीर स सआम शरीर का िवयोग यह कोई फकीरी मौत नही ह अगर वासना शष

हो तो सआम शरीर बार-बार ःथल शरीर धारण करक इस ससार म जनम-मरण क दःख पणर चककर म भटकता रहता ह

जब तक फकीरी मौत नही हो तब तक चागदव की तरह चौदह बार कया चौदह हजार

बार भी ःथल शरीर को बचाय रखा जाय तो भी परम शाित क िबना यह बकार ह लाबधवा जञान परा शाित आतमजञान स ही परम शाित िमलती ह इसी कारण चागदव को फकीरी मौत सीखन क िलए जञान र महाराज क पास आना पड़ा था 1400 वषर का िशय और 22 वषर क गर यही जञान का आदर करन वाली भारतीय सःकित ह जञान स उ को कोई समबनध नही ह

हम तो जीवन म पग-पग पर छोटी-मोटी पिरिःथितयो स घबरा उठत ह ऐसा भयभीत

जीवन भी कोई जीवन ह यह तो मौत स भी बदतर ह इसीिलए कहता ह िक असली जीवन जीना हो िनभरय जीवन जीना हो तो फकीरी मौत को एक बार जान लो

फकीरी मौत अथारत अपन अमरतव को जान लना फकीरी मौत अथारत उस पद पर आ ढ़ हो जाना जहा स जीवन भी दखा जा सक और मौत भी दखी जा सक जहा स ःप प स िदख िक सख-दःख आय और गय बालयावःथा यवावःथा और व ावःथा आई और गई परनत य सब शरीर स ही समबिनधत थ मझ तो व ःपशर तक नही कर सक म तो असग ह अमर ह मरा तो जनम भी नही मतय भी नही

सकरात का अनभव सकरात को जब जहर िदया जान लगा तो उसक िशय रोन लग कयोिक उनको यह

अजञान था िक सकरात अब बचग नही मर जायग सकरात न कहाः अर तम रोत कयो हो अब तक मन जीवन दखा अब मौत को दखगा यिद म मर

जाऊगा तो आज नही तो कल मरन ही वाला था इसिलए रोन की कया ज रत ह और यिद मरत हए भी नही मरा कवल शरीर स ही िछनन-िभनन हआ तो भी रोन की कया ज रत

सकरात न िबना िहचिकचाहट क राजी-खशी स जहर का पयाला पी िलया और िशयो स

कहाः दखो यह रोन का समय नही ह बहत ही महतवपणर बात समझन का समय आया ह

मर शरीर पर जहर का भाव होन लगा ह पर सनन होत जा रह ह घटनो तक जड़ता वया हो गई ह जहर का असर बढ़ता जा रहा ह मर पर ह िक नही इसकी अनभित नही हो रही ह अब कमर तक का भाग सवदनहीन बन गया ह

इस कार सकरात का सारा शरीर ठडा होन लगा सकरात न कहाः अब जहर क भाव स हाथ पर छाती जड़ हो गई ह थोड़ी ही दर म मरी िज ा भी

िनःपद हो जायगी उसस पहल एक मह वपणर बात सन लो जीवन म िजसको नही जान सका उसका अनभव हो रहा ह शरीर क सब अग एक क एक बाद एक िनःपद होत जा रह ह परनत उसस मझम कोई फकर नही पड़ रहा ह म इतना ही पणर ह िजतना पहल था शरीर स म ःवय को अलग असग महसस कर रहा ह अब तक जस जीवन को दखा वस ही अभी मौत को भी दख रहा ह यह मौत मरी नही बिलक शरीर की ह

अनबम

आधयातमिव ाः भारत की िवशषताः सकरात तो शरीर छोड़त-छोड़त अपना अनभव लोगो को बतात गय िक शरीर की मतय

यह तमहारी मतय नही शरीर क जात हए भी तम इतन क इतन ही पणर हो परनत भारत क ऋिष तो आिद काल स कहत आय ह-

शणवनत िव अमतःय पऽा

आ य धामािन िदवयािन तःयः वदाहमत परष महानतम

आिदतयवण तमसः परःतात तमव िविदतवाऽितमतयमित नानयः पनथा िव तऽयनाय

ह अमतपऽो सनो उस महान परम परषो म को म जानता ह वह अिव ा प अधकार

स सवरथा अतीत ह वह सयर की तरह ःवयकाश-ःव प ह उसको जानकर ही मनय मतय का उललघन करन म जनम-मतय क बधनो स सदव क िलए छटन म समथर होता ह परम पद की ाि क िलए इसक अितिर कोई दसरा मागर नही ह

( ता तरोपिनषद) यह कोई वद-उपिनषद काल की बात ह उस समय क ऋिष चल गय और अब नही ह

ऐसी बात नही ह आज भी ऐस ऋिष और ऐस सत ह िजनहोन सतय की अनभित की ह अपन अमरतव का अनभव िकया ह इतना ही नही बिलक दसरो को भी इस अनभव म उतार सकत ह रामकण परमहस ःवामी िववकाननद ःवामी रामतीथर महिषर रमण इतयािद ऐस ही त वव ा महापरष थ और आज भी ऐस महापरष जगलो म और समाज क बीच म भी ह यहा इस ःथान पर भी हो सकत ह परनत उनको दखन की आख चािहए इन चमरचकषओ स उनह पहचानना मिकल ह िफर भी िजजञास और ममकष वि क लोग उनकी कपा स उनक बार म थोड़ा सकत यह इशारा पा सकत ह

अनबम

तीन कार क लोगः ऐस सतो क पास तीन कार क लोग आत ह- दशरक िव ाथ और साधक

दशरक अथारत ऐस लोग जो कवल दशरन करन और यह दखन क िल ए आत ह िक सत कस ह कया करत ह कया कहत ह उपदश भी सन तो लत ह पर उसक अनसार कछ करना ह इसक साथ उनका कोई समबनध नही होता आग बढ़न क िलए उनम कोई उतसाह नही होता

िव ाथ अथारत व जो शा एव उपदश समबनधी अपनी जानकारी बढ़ान क िलए आत ह

अपन पास जो जानकारी ह उसम और वि होव तािक दसरो को यह सब सनाकर अपनी िव ा की छाप उन पर छोड़ी जा सक दसरो स सना याद रखा और जाकर दसरो को सना िदया जस ग स शानसपोटर कमपनी ाईवट िलिमटड- यहा का माल वहा और वहा का माल यहा लाना और ल जाना ऐस लोग भी त व समझन क मागर पर चलन का पिरौम उठान को तयार नही

तीसर कार क लोग होत ह साधक य ऐस लोग होत ह िक जो साधनामागर पर चलन

को तयार होत ह इनको जसा बताया ह वसा करन को पणर प स किटब होत ह अपनी सारी शि उसम लगान को ततपर होत ह उसक िलए अपना मान-सममान तन-मन-धन सब कछ होम दन को तयार होत ह सत क ित और अपन धयय क ित इनम पणर िन ा होती ह य लोग फकीर अथवा सत क सकत क अनसार लआय की िसि क िलए साहसपवरक चल पड़त ह

िव ाथ अपन वयि तव का ौगार करन क िलए आत ह जबिक साधक वयि तव का िवसजरन करन क िलए आत ह साधक अपन लआय की तलना म अपन वयि तव या अपन अह का कोई भी मलय नही समझत जबिक िव ाथ क िलए अपना अह और वयि तव का ौगार ही सब कछ ह अपनी िव ता म वि जानकारी को बढ़ाना वयि तव को और आकषरक बनाना इसी म उस सार िदखता ह त वानभित की तरफ उसका कोई धयान नही होता

यही कारण ह िक सतो क पास आत तो बहत लोग ह परनत साधक बनकर वही िटक

कर त व का साकषातकार करन वाल कछ िवरल ही होत ह

जञान को आय स कोई िनःबत नही िजसन फकीरी मौत को जान िलया हो अथारत िजस आतमजञान हो गया हो वह शरीर की

दि स कम उ का हो परनत उसक आग लौिकक िव ा म वीण और अिधक वय क सफद दाढ़ी-मछ वाल लोग भी बालक क समान होत ह इसीिलए योगिव ा म वीण 1400 वषर क चागदव को कम उवाल जञान र महाराज क चरणो म समिपरत होना पड़ा था ाचीन काल म ऐस कई उदाहरण दखन म आत ह

िचऽ वटतरोमरल व ाः िशया गरयरवा

गरोःत मौन वयाखयान िशयाःतिचछननसशयाः अथारत यह कसा विच य ह िक वटवकष क नीच यवा गर और व िशय बठ ह गर

ारा मौन वयाखयान हो रहा ह और िशयो क सब सशयो और शकाओ का समाधान होता जा रहा ह

अनबम

योगसामथयरः एक तयकष उदाहरण अपन मोटरा आौम म भी ऐस ही करीब स र वषर क सफद बाल वाल एक साधक ह

पहल डीसा म व एक सत क पास गय गय तो थ दशरक बनकर ही परनत सत की दि पड़त ही व दशरक म स साधक बन गय म कछ वषर पवर डीसा क आौम म था तब व मर पास आय थ पकी हई उ म भी व 18 वषर की उ की एक बाला क साथ बयाह रचान की तयारी म थ और आशीवारद मागन हत वहा आय थ उनको दखकर ही मर मह स िनकल पड़ाः

अब तमहारी शादी ई र क साथ कराएग यह सनकर उनको बड़ा आ यर हआ कयोिक न तो व मझ पहल स जानत थ और न ही

म उनह जानता था उस व उनका शरीर भी कसा था चरबी और कफ-िप स ठसाठस भरा हआ एकदम ःथल दमा आिद रोगो का िशकार डीसा म कपड़ क बड़ वयापारी थ धप म िबना छाता िलए दकान स नीच नही उतर पात थ कित ऐसी थी िक िकसी भी सत महातमा को नही गाठ और काम-वासना भीतर इतनी भरी हई थी िक आग की दो पि या शरीर छोड़ चकी थी िफर भी इस उ म तीसरी शादी करन को तयार थ प ी िबना एक िदन भी नही रह सकत थ

घर पहचन पर उनको पता चला िक उनक अनदर जो काम -िवकार का तफान आया था

वह एकदम शात हो गया ह भिवय म प ी बनन वाली उस कमारी क साथ एकात म अनक च ाए करक भी व उस काम-िवकार को पनः नही जगा सक इतना बल िवकार एकाएक कहा चला गया िफर उनको समझ म आया िक सत की ई रीय अहत की कपा उनम उतरी ह उनको सारा ससार सना-सना लगन लगा उनहोन तरनत ही उस कमारी यवती को कछ पय और कपड़ िदय और बटी कहकर रवाना कर िदया उसक बाद उनहोन आसन ाणायाम गजकरणी नित धोित आिद िबयाए सीख ली और िनयिमत प स करन लग इसस उनक शरीर क सार परान कफ-िप -दमा आिद दर हो गय और शरीर म स आवयकता स अिधक चब घटकर शरीर हलका फल जसा हो गया अब तो जवानो क साथ दौड़न की भी ःपधार करत

ह धयानयोग की साधना म उनहोन इतनी गित की ह िक उनको कई कार क अलौिकक अनभव हआ करत ह अपन सआम शरीर ारा व लोक -लोकानतर म घम आया करत ह

योग भी साधना का आिखरी िशखर नही यह भी साधना की कोई आिखरी भिमका नही ह सव चच िशखर नही ह यह भी सब

माया की सीमा म ही ह िफर चमर-चकषओ स दखो अथवा धयान म बठकर दखो कयोिकः

यद दय तद अिनतयम जो िदखता ह वह अिनतय ह जो िदख सो चालनहार चागदव भी योग म कशल थ

काल को कई बार धोखा द चक थ परनत माया को धोखा न द सक व भी साि वक माया म थ माया स पर नही थ

माया ऐसी ठिगनी ठगत िफरत सब दश जो ठग या ठिगनी ठग वा ठग को आदश

कोई िवरल सत ही इस माया को ठग सकत ह माया स पार जा सकत ह बाकी क

लोगो का तो यह माया न र म ही शा त का आभास करा दती ह अिःथरता म िःथरता िदखा दती ह ऐसी मोिहना माया क िवषय म ौी कण कहत ह-

दवी षा गणमयी मम माया दरतयया मामव य प नत मायामता तरिनत त

मरी यह अदभत िऽगणमयी माया का तरना अतयनत दकर ह परनत जो मरी शरण म

आत ह व तर जात ह (गीता)

अनबम

गणातीत सत ही परम िनभरयः ऐसी दःतर माया को जो सत अथवा फकीर तर जात ह और मौत की पोल जान जात ह

व कहत ह- एक ऐसी जगह ह जहा मौत की पहच नही जहा मौत का कोई भय नही िजसस मौत भी भयभीत होती ह उस जगह म हम बठ ह तम चाहो तो तम भी बठ सकत हो

तमहार म एक ऐसा चतन ह जो कभी मरता नही िजसन मौत कभी दखी ही नही जो जीवन और मौत क समय पिरवतरन को दखता ह परनत उन सबस पर ह

यिद घड़ म आया हआ चनिमा का ितिबमब घड़ क पानी को उबलता हआ जानकर यह

मान की म उबल रहा ह पानी िहल तो समझ िक म िहलता ह घड़ा फट गया तो समझ िक म मर गया तो यह उसका अजञान ह परनत उसको यह पता चल जाय िक पानी क उबलन स म नही उबलता पानी क िहलन स म नही िहलता म तो वह चनिमा ह जो हजारो घड़ो म चमक रहा ह िकतन ही घड़ टट -फट गय परनत म मरा नही मरा कछ भी िबगड़ा नही म इन सबस असग ह तो वह कभी दःखी नही होगा

इसी कार हम यिद अपन असगपन को जान ल अथारत म शरीर-मन-बि नही अिपत

आतमा ह- यह हम जान ल तो िफर िकतन ही दह पी घड़ बन और टट -िबखर िकतनी ही सि या बन और उनका लय हो जाय हमको कोई भय नही होगा कयोिक आतमा का ःवभाव हः

न जायत ियत वा कदािचननाय भतवा भिवता वा न भयः अजो िनतयः शा तोऽयपराणो न हनयत हनयमान शरीर

यह आतमा िकसी काल म भी न तो जनमता ह और न मरता ही ह तथा न यह उतपनन

होकर िफर होन वाला ही ह कयोिक यह अजनमा िनतय सनातन और परातन ह शरीर क मार जान पर भी यह नही मारा जाता

(भगवदगीताः 223) अनबम

सतो का सनदशः िजन सतो न यह रहःय जान िलया ह जो इस अमतमय अनभव म स गजर चक ह व

सब भयो स म हो गय ह इसीिलए व अपनी अनभविस वाणी म कहत ह- अपन आतमदव स अपिरिचत होन क कारण ही तम अपन को दीन-हीन और दःखी

मानत हो इसिलए अपनी आतम-मिहमा म जाग जाओ यिद अपन आपको दीन ही मानत रह तो रोत रहोग ऐसा कौन ह जो तमह दःखी कर सक तम यिद न चाहो तो दःख की कया मजाल ह िक तमह ःपशर भी कर सक अननत-अननत ाणड को जो चल रहा ह वह चतन तमहार भीतर चमक रहा ह उसकी अनभित कर लो वही तमहारा वाःतिवक ःव प ह

मनसर को सली पर चढ़ा िदया गया था परनत उनको सली का कोई भय नही था सली

का क उनको ःपशर भी नही कर सका कयोिक मनसर अपनी मिहमा म जग हए थ व यह जान चक थ िक म शरीर नही ह सली शरीर को लग सकती ह मझ नही इसिलए व हसत-हसत सली पर चढ़ गय थ

हम ही जानबझकर अपनी सननता की अपन सख-दःख की चाबी दसरो क हाथो म

स प दत ह कोई थोड़ा हस दता ह तो हम बोिधत हो उठत ह कोई थोड़ी शसा कर दता ह तो हषर स फल उठत ह कयोिक हम अपन को सीिमत पिरिचछनन शरीर या मन ही मान बठ ह

हम अपन वाःतिवक ःव प अपनी असीम मिहमा को नही जानत नही तो मजाल ह

िक जगत क सार लोग और ततीस करोड़ दवता भी िमलकर हम दःखी करना चाह और हम दःखी हो जाय जब हम ही भीतर स सख अथवा दःख को ःवीकित दत ह तभी सख अथवा दःख हमको भािवत करता ह सदव सनन रहना ई र की सव परी भि ह

ःवामी रामतीथर कहा करत थ िक कोई यिद तमहारी सननता छ नकर उसक बदल म

तमको ःवगर का फिरता भी बनाना चाह तो फिरतापद को ठोकर मार दो मगर अपनी सननता मत बचो

हम इस जीवन और मतय का कई बार अनभव कर चक ह सत कहत ह- तमहारा न तो जीवन ह और न ही मतय ह तम जीव नही तम िशव हो तम अमर

हो तम अननत अनािद सिचचदाननद परमातमा हो यिद इस जनम-मरण क खल स थक चक हो इनक खोखल पन को जान चक हो इसक असारपन स पिरिचत हो चक हो तो िकसी सत क सािननधय का लाभ उठाकर फकीरी मौत को जान लो िफर तमह कोई दःख कोई मतय भयभीत नही कर सकगी िफर िजस आना हो वह आव जाना हो वह चला जाव सख आव तो आन दो दःख आव तो आन तो जो आयगा वह जायगा तम द ा बनकर दखत रहो तम अपनी मिहमा म मःत रहो

मौत स भी मौत का भय बदतर ह भय म स ही सार पाप पदा होत ह भय ही मतय

ह लोग पछत ह- ःवामी जी आतम-साकषातकार हो जाता ह िफर उसक बाद कया होता

ह होता कया ह हम अपन ःव प म जाग जात ह उसक बाद हमस जो भी वि होती ह वह आननदमय ही होती ह ससार की कोई भी दःखपणर घटना हमको दःखी नही कर सकती

िफर यह शरीर रह या न रह हमार आननद म कोई अनतर नही पड़ता उस आननदःव प अपन आतमदव को जानना-यही जीवन का परम कतरवय ह परनत इस परम कतरवय की ओर मनय का धयान जाता नही और छोटी-मोटी तचछ वि यो म ही अटका रह जाता ह

हम कही याऽा म िनकलत ह तो राःत क िलए िटिफन भरकर भोजन साथ ल लत ह

भोजन स भी अिधक महतव पानी का ह परनत उसक िलए सोच लत ह िक चलो ःटशन पर भर लग घर स पानी लकर चलन की िचनता नही करत पानी स भी यादा ज री हवा ह उसक िबना तो एक िमनट भी नही चलता िफर भी हवा का कोई िसलनडर भरकर साथ नही लत कयोिक हम सब जानत ह िक वह तो सवरऽ ह इसिलए हवा क िलए हम कोई िचनता नही करत

हवा स कम ज री पानी क िलए पानी स कम ज री भोजन क िलए हम यादा िचनता करत ह उसी कार अपन आननदःव प आतमा म जागन क परम कतरवय को छोड़कर कम महतव क ःथल शरीर क लालन पालन एव उसस सबिधत वयवहार को सभालन म ही हम लग रहत ह शरीर असत जड़ और दःख प ह उसको चलान वाला सआम भतो स िनिमरत सआम शरीर ह उसको भी चतन स ा दन वाला सत-िचत-आननदःव प आतमा ह इस आननद-ःव प आतमा को असत-जड़ दःख प और मरणधमार समझकर जीवनभर मौत क भय स भयभीत बन रहत ह

अनत परमातमा म न तो उतथान ह न पतन न जनम ह न मरण वहा तो सब एकरस

ह हम ही मोहवश अपना ससार खड़ा कर लत ह और एक दसर क साथ सबध बनाकर अपन को जानबझकर बधन म डाल दत ह

एक सत क पास एक स जन का पऽ आया उसम िलखा थाः ःवामी जी आपक

आशीवारद स हमार यहा पऽ का जनम हआ ह सत न उ र म उस िलखा िकः तम झठ बोलत हो िफर जब स जन सत क पास गया तब कहा िकः ःवामी जी म सच कहता ह मर यहा पऽ का जनम हआ ह इस पर सत न िफर स कहा िकः तम झठ बोलत हो यह सनकर उन स जन को बड़ा आ यर हआ वह िवःफािरत नऽो स सत की ओर दखन लगा तब सत न कहाः

पऽ का जनम नही हआ िपता का जनम हआ ह माता का जनम हआ ह काका-मामा

का जनम हआ ह पऽ को तो खबर ही नही ह िक मरा जनम हआ ह और म िकसी का पऽ भी ह परनत हम उस पर सार समबनध आरोिपत कर दत ह

वःततः पचभतो म कोई आकार बना ह उस पऽ का नाम द िदया समय आन पर यह आकार िबखर जायगा यह आकार बन उसम हषर और यह आकार िबखर जाय उसम शोक कसा भय कसा

िजस शरीर को हम म मानत ह उसकी कित तो दखो िपया तो था अमत जसा

मीठा जल और िनकाला मऽ प म गदा पानी खाय तो थ मोहनथाल दधपाक छपपन भोग पर बन गया सब िव ा प शरीर का सग करन पदाथर की ऐसी अवःथा बन जाती ह सत-िचत-आननदःव प आतमा भी अपन को भलकर शरीर क साथ एक होकर ःवय को म शरीर मान लती ह और दीन हीन एव दःखी बन जाती ह परनत जब वह अपन आपम जाग जाती ह तब अपन को दवो का दव अनभव करती ह

यिद हमन शरीर क साथ अहबि की तो हम म भय वया हो ही जायगा कयोिक शरीर

की मतय िनि त ह उसका पिरवतरन अवयभावी ह उसको तो ःवय ाजी भी नही रोक सकत परनत यिद हमन अपन आतमःव प को जान िलया ःव प म हमारी िन ा हो गई तो हम िनभरय हो गय कयोिक ःव प की मतय होती नही मौत भी उसस डरती ह

ःवामी अखणडाननद सरःवती एक बार रल क तीसर दज म याऽा कर रह थ व यह

जानना चाहत थ िक तीसर दज म लोगो ारा िकय जान वाल मान-अपमान का भाव उनक िदल पर होता ह िक नही आतमिनरीकषण स उनह पता चला िक भाव तो होता ह यह बात उनहोन ौी उिड़या बाबा को बतायी उिड़या बाबा न कहाः

तम बठत ही कचर क ढर पर हो आशा करत हो िक मझ पर कोई कचरा न फ क मझ

कचर की दगरनध न आव यह कस हो सकता ह तम बठत हो शरीर म और आशा रखत हो िक मान-अपमान का असर न हो ःवय को शरीर माना तो मान-अपमान सख-दःख होगा और जनम-मतय भी होगी

वदानत क रहःय को समझना यह कोई ि यो का काम नही ह ी अथारत कित क

शरीर क म मानकर जीनवाला एक बार राजा जनक िव ानो की सभा म बठ थ उस सभा म गाग आई वह िबलकल

िदगमबर (न न) थी ऐसी अवःथा म सभा म गाग का वश पिडतो को रचा नही इसिलए उनहोन नाक-भ िसकोड़ िलया परषो स भरी सभा म एक न न ी

गाग बोलीः ऐ पिडतो नाक भ कयो िसकोड़त हो

पिडतो न कहाः तम एक अबला ऐसी अवःथा म परषो की सभा म जो आई हो

गाग तरनत बोलीः कौन कहता ह िक म अबला ह म सबला ह अबला तो तम हो जो अपना रकषक बाहर ढढत हो म अपना रकषक आप ह म यह शरीर नही ह म तो सत -िचत-आननदःव प आतमा ह म अपन आपको जानती ह

िजसको जानकर गाग िनभरय बन गई थी उस आननदःव प अपन आतमदव को जो

जान लता ह उसी म िःथत हो जाता ह वह जीवन और मौत दोनो स पर दोनो का द ा बन जाता ह उस िफर कोई भय नही रहता वह सदव आननद म मःत रहता ह

मरो मरो सब कोई कह मरना न जान कोई एक बार ऐसा मरो िक िफर मरना न होई

मगलमय जीवन मगलमय िववाह मगलमय सबध उस परम मगल चतनय क कारण ही

हो सकत ह न िक शि शरीर क बा प-रग पर िवमोिहत होन स महाराज जी क पास आकर एक मिहला कहन लगीः मर पित ःवगरःथ हो गय ह

उनका िवयोग सहा नही जाता ऐसा कोई उपाय बताओ िक उनका िहत हो और मझ शाित िमल

दसरा एक वयि आया और बोलाः मरी प ी मझ अकला छोड़कर चल बसी ह

तीसर न कहाः मरा बटा ःवगरःथ हो गया ह उसकी मीठ याद आती ह मर मन म आता ह िक उसक पीछ म भी आतमहतया करक मर जाऊ बाबा जी शािनत का कछ उपाय बताइय

महाराज जी न कहाः ह भि मिहला पित की याद आय तो उनह खब आदरपवरक कहोः

मरणधमार शरीर म होत हए भी आप अमर थ शरीर क मरन पर भी आप नही मर दह न र ह आप शा त हो चतनय हो आप परम र का अिवनाशी अश हो जनम-मतय आपका धमर नही ह पाप-पणय आपका कमर नही ह आप अजर हो श ब हो हम परःपर पािथरव शरीर की ीित करक मोह म सड़ रह थ िवकारो म दब रह थ अब पािथरव शरीर की ीित स म होकर अपािथरव आतमा म िःथत हो जाओ

वह शादी बरबादी म बदल जाती ह िजसम एक दसर क शरीर को पयार करत ह वह

मगलमय शादी आबादी की ओर ल जाती ह जहा प ी पित को पित प ी को पऽ िपता को िपता पऽ को शरीर क प म नही अिपत शरीरो क आधार श चतनयःव प म दख परःपर अपन चतनयःव प की याद िदलाव और रणा द

ह भि मिहला अपन पित को याद करक उनक जीवातमा को यह रणा दो इसस

उनकी भी उननित होगी और तमहारी उननित होगी ऐसा िचनतन करो िकः ह चतनयःव प मर आतमन शरीर को पाच भत क पतल

को तयागन क बाद भी आपका अिःततव ह आप आतमा हो परम र हो अमर हो चतनय हो शा त हो

इसी कार अपनी प ी को और ःवगरःथ पऽ पिरवार को ःमरण करक उनको उननत

करो और आप भी उननत बनो जीत-जी भी परःपर इसी भाव स उननत करो मतय मगलमय हो जाय ऐसा वातावरण बनाओ

जो वयि मतय को ा हो चक ह उनक ौा ो क िदनो म तथा ःमरण क व उनह

सझाव दो िकः जनम-मतय तमहारा धमर नही था पाप-पणय तमहारा कमर नही था तम अजर

अिवनाशी िनलप शा त सनातन नारायण क अश हो अतः अपन परम र ःवभाव को सभालो ःमरण करो

अपन पित प ी पऽ का नाम लकर कहो िकः तम वही हो सचमच म वही हो जो

मरन क बाद भी नही मरता ॐॐॐ तम चतनय आतमा हो ॐॐॐ शा त परम र हो ॐॐॐ अिवनाशी परमातमा हो ॐॐॐ

पथवी पर क ःवपन तलय सबधो का ःमरण करक तम नीच न िगरो अिपत आतमा-

परमातमा क सबध को याद करत हए अपना ऐिहक जीवन मगलमय बनाओ ससार स कच करक जाओ उस समय तमहार कटमबी आतमा परमा तमा की एकता और अमरता तमहारी िनतयता और म ता का ःमरण तमह अत समय म करा द ऐसी वयवःथा करो

कोई चल बसन वाल हो या चल बस हो उनको याद करक उनकी ओर िदवय िवचार

अमर आतमा का सनदश भजो इस कार तम उ म सवा कर सकत हो और जीिवतो को जीवनदाता म जगा सकत हो दोनो इस कार परःपर सहायता करोग और पाओग

टिलफोन पर अपन दर क सबधी स हम जब बात करत ह तो उस यऽ म स आन वाली

धविन अपन सबधी की होती ह ऐस ही शरीर पी यऽो स जो कछ ःनह सातवना सहानभित म या काश हम पात ह वह भीतर वाल परम र का ही होता ह उनको या उनक िचऽो को

दखो तो उन िचऽो क पीछ खड़ उस शा त सतय को परम िमऽ को पयार करो और उनह भी याद िदलाओ िकः ह शा त आतमा ह परातन ह अिवनाशी नाशवान ससार और शरीर बदलत ह लिकन तम अबदल आतमा हो ॐॐॐ

बचपन बदल गया यौवन बदल गया बढ़ापा बदल गया शरीर बदल गया िफर

तम भी हो तम वह अमर आतमा हो िजस पर काल का भी कोई भाव नही चलता ह अकाल आतमा अपनी मिहमा म जागो इस कार क िवचार भजन स मगल करोग और मगल को पाओग जीवन मगलमय होन

लगगा मतको की मतय भी मगलमय हो जायगी मगल भवन अमगलहारी िवचारो को सदव एक दसर क ित सािरत करो ॐ आननद

आननद आननद रोत चीखत मोहमाया म पड़कर उनको याद करत हो तो उनका और अपना सतयानाश

करत हो उनको नीच िगरात हो उनकी आतमा को भटकात हो अपन को तचछ बनात हो अमागिलक िवचारो को कतई ःफिरत न होन दो सदव मगलमय िवचार हो जायगा मगलमय जीवन मतय भी मगलमय हो जायगी ॐ ॐ ॐ

ॐॐॐॐॐॐॐॐ जीवन और मतय आतमा-परमातमा को पान क दो पहल ह रात क बाद िदन िदन क

बाद रात होती ह इसी तरह जीवन और मतय चोल बदलत हए अनभवो स गजरत हए अपन आतमःव प को ःव प को पान क िलए मगलमयी अवःथा ह

िदन िजतना पयारा ह रात भी उतनी ही आवयक ह जीवन िजतना पयारा ह मतय भी

उतनी ही आवयक ह मतय मान आतमिशव क मिनदर म जान क िलए ऊची सीिढ़या मतय मान मा की गोद म बालक सो गया और उमा शि ताजगी ःफितर पाकर िफर सबह खलता ह मतय मान मा की गोद म थकान िमटान को जाना िफर नया तन ा करक अपनी मगलमय याऽा करना

त वदि स दखा जाय तो यह जीवन-मतय की याऽा कित म हो रही ह तमह

परमातमाःव प म जगान क िलए गीता म भगवान ौी कण कहत ह-

न जायत ियत वा कदािचननाय भतवा भिवता वा न भयः अजो िनतयः शा तोऽयपराणो न हनयत हनयमान शरीर

त वतः यह आतमा न कभी जनमता ह और न मरता ह न यह उतपनन होकर िफर होन

वाला ही ह यह जनमरिहत िनतय िनरनतर रहन वाला शा त और परातन अनािद ह शरीर क मार जान पर भी वह नही मारा जाता

(गीताः 220) शव की ःमशानयाऽा म मटका ल जात ह फोड़ दत ह यह याद िदलान क िलए िक दह

मानो मटका ह इस मगलमय मतय को पीछ िव ल होन की आवयकता नही ह यह मटका सवा करन क िलए िमला था जीणर-शीणर हआ टट गया िफर नया िमलगा मगलमय आतमा-परमातमा की ाि तक यह मगलमय जनम-मरण की याऽा तो चलती ही रहगी इसम िव ल होकर रोना-चीखना िनरा मोह ह अगर इस मोह को पोसा जाय और िकसी की मतय न हो तो ससार महा नरक हो जायगा माली अगर बगीच म काट-छाट न कर तो बगीचा बगीचा ही न रहगा अिपत भयानकर जगल हो जायगा

स ा न मतय का मगलमय िवधान न बनाया होता तो आदमी म तयाग सवा नता क

सदगण ही नही िखलत सब अमर होकर अिड़यल की तरह उलझ रहत रािऽ स अरणोदय अरणोदय स िफर मगलमयी रािऽ की अिनवायर आवयकता ह िवराट

की यह चणड बीड़ा तमह अपन िवराट ःवभाव म जगान क िलए आवयक ह मतय मान महायाऽा महाःथान महािनिा अतः जो मर गय ह उनकी याऽा मगलमय

हो आतमोननितद हो ऐसा िचनतन कर न िक अपन मोह और अजञान क कारण उनको भी भटकाए और खद भी परशान हो

कइयो की मतय बालयकाल म या यौवन म हो जाती ह जस मा न बचच को कपड़

पहनाए और नही जच उठा िलय िफर नय व ो स सजाया-धजाया अथवा यो कहो िक बचचा िखलौनो म रम जाता ह िखलौन नही छोड़ना चाहता परनत मगलमयी मा उस बलात उठा लती ह अपनी गोद म सलाती ह अपनी उमा सािननधय िवौािनत स उस प करक िफर नतन भात को उस खलन क िलए बीडागन म भज दती ह ऐस ही जीवातमा का बीडागन ससार ह अतः अनक शरीर बदलत हए अबदल की मगलमय याऽा करन क िलए जीवन और मतय को मगल िवधान समझकर ई र की हा म हा करत हए अपनी याऽा उननत कर

ॐॐॐ

ॐॐॐॐॐॐॐॐ

अनबम

िचतन पराग ई र का बनाया हआ त भल ही बना रह उसको िमथया समझ लन माऽ स का

बोध हो सकता ह साधक का काम त को िमथया समझन स ही चलता ह इचछाओ की ति का उपाय एक ही ह िक इचछाए तयाग दी जाए िजस िववकी न इस

जगत को सपन या इनिजाल क समान समझ िलया ह िजस दय न प म िदखन लगा ह वह दोषदश िववकी भला बताओ इसम अनराग कस कर

जञानी जागरण को सतय समझना छोड़ दन पर िफर पहल की भाित अनर नही होता

जञानी तयक वःत को अपना आतमा समझता ह मद की कलपना को बार-बार मन म लाना काम-वासना स म होन का सव म उपाय

बताया गया ह मद को पड़ हए दखकर मन घबरान लगता ह पिरणाम की कयो परवाह करत हो अपनी तनखवाह क बार म कभी िफब मत करो

अजञानी लोग समझत ह िक कायर की सफलता म कायर करन की अपकषा अिधक आननद ह इन अनधो को यह मालम ही नही ह िकसी पिरणाम स उतना सख नही िमलता िजतना काम करन स िमलता ह

अपन िवचारो को सदा वाःतिवक आतमा म रखो और पिरिःथितयो की परवाह मत करो तब तक आपकी हािन नही हो सकती जब तक िक आप ःवय उस नही बलात तलवार

तब तक नही काट सकती जब तक आप यह न सोच िक यह काटती ह ऐ पणर तर िलए कोई कतरवय या कायर शष नही ह सारी कित सास रोक तरी

सवा क िलए खड़ी ह ससार तरी पजा करन का अवसर पाकर अपन को कतकतय करना चाहता ह कया त कित की शि यो को अपन चरणो म झकन का अवसर दगा

अपन भीतर सतय क काश को सदा चमकता रखो भय और लोभन का शतान तमहार

पास नही फटकगा

बाहर की बातो म कछ भी नही मान अपमान अपना काम िकय जा िनिशिदन इसम ही सममान

दसर लोग तमहारी आलोचना िनदा करत हो उनह रोकन की च ा न करो कयोिक इनही

सब बातो क ारा तमम सदगणो की वि होगी जब तक तमहारा दय इतना दढ़ नही ह िक तम मख क बकन पर िःथर और शात बन रहो अथवा तमम इतनी सहनशीलता नही ह िक अजञानी मख को कषमा कर सको तब तक तम अपन को कही जञानी न समझ बठना

यिद तम शरीर और मन स ऊपर उठ जाओ तो सब िचनता और भयो स छट हो

जाओग िकसी भी आकिःमक दघरटना स धयर न छोड़ो कयोिक घबराहट स शि तथा बि का

नाश होता ह िकसी भी कार की किठनाइयो क आग दःिखत न होकर गमभीरतापवरक उनका सामना करो तभी तम िनःसनदह िवजय ा करोग तम कही भी हतोतसािहत होकर िनराश न होओ

ऐसी कौन-सी िवपि ह जो मरी सननता को न कर सकती ह वह कौन-सा रज ह जो

मर आननद म िव न डाल सकता ह म तो िव ाणड का भ ह म बि का भ ह िदमाग का मािलक ह और मन का शासक ह ससार मझम ह म ससार म नही आ सकता िव मझम ह म िव म नही बध

सकता सयर और नकषऽ मझम उदय और अःत होत ह दह और दिनया दोनो ई र क भीतर ह वही ई र म ह म िनिलर आतमा ह मरा जनम नही मतय नही म अजर-अमर ह म िचदाननद

आतमःव प ह म िमथया त िमथया धमर िमथया कमर िमथया और जगत िमथया और ऐसा तीत

होता ह िक म सवरःव ह म ही सवरजञ सवरगत आतमा ह अपना साकषी ह कदािप उन नाम पो म फसा नही ह

म िवश ह असखय ाणड मझम पड़ ह म असःपयर ह मरा ःव प िनिलर ह

मझ दःख स कोई भय नही ह मझ समय की जरा भी िचनता नही आतमाननद वाल को भय और आशका कसी

िकसी भी डर को अपन पास मत फटकन दो लोग यिद तमहार बराई करत ह तो तम उनह आशीवारद दो ऐस ःथान पर जाओ जहा

लोग तमस घणा कर तम तो म हो पहल स ही म हो सवरदा कहोः म सदा आननदःव प ह म

म ःवभाव ह म अननत ःव प ह मरी आतमा का आिद और अनत नही ह सभी मर आतमःव प ह

सननतापवरक अपमान सहन करन स और नता धारण करन स अिभमान की िनवि

होती ह िकसी पिवऽ ःथान पर जाओ तो वहा क अनशासन का पालन करो वहा चपपलो की

चटाक-पटाक आभषणो की खनखनाहट भड़कील व ो की फरफराहट आिद हमस न हो इसका परा धयान रखो कही भी िकसी क भी िच को या शात वातावरण को अशात करन का हम कोई अिधकार नही ह

अपन िकसी भी दःख या अशाित का कारण बाहर मत ढढो बाहर की पिरिःथितयो या

वयि यो को दोष मत दो कारण अपन भीतर ढढो िनद ष भाव स ढढोग तो कारण भीतर ही िमल जायगा उस दर करन की च ा करो शातिच रहन का यही बहमलय उपाय ह

जो आतम-अनशािसत ह व ही शासन कर सकत ह ऐसा करन क िलए नाम-जप कर

धयान कर िकसी आतमिन सत का पावन सािननधय ा कर सब तरह स िनभरय एव सनन बनन का यह ौ साधन ह

िवन बनो िनरहकारी बनो अपन आपको बड़ा बतान की च ा न करो िवनता एव

िनरािभमानता ही तमह बड़ा बनायगी िवनता मनय का बहत बड़ा भषण ह िनमरल दि रखो िकसी क दोष दखना यह बहत बड़ा दगरण ह िछिानवषी न बनो

दसरो क दोष दखना पाप अजरन करना ह गणमाही बनो

ॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐ

अनबम

  • मगलमय जीवन-मतय
  • मतय क परकार
  • मतय भी जीवन क समान आवशयक
  • सिकनदर न अमत कयो नही पिया
  • बिना मतय को जान जीवन जीवन नही
  • मतय किसकी होती ह
  • भगवान शरीराम और तारा
  • मतयः कवल वसतर परिवरतन
  • फकीरी मौतः आननदमय जीवन का दवारः
  • यमराज और नचिकताः
  • सचच सत मतय का रहसय समझात ह
  • मतयः एक विशरानति-सथानः
  • वासना की मतय क बाद परम विशरानति
  • धतराषटर का शोकः
  • घाटवाल बाबा का एक परसग
  • फकीरी मौत ही असली जीवन
    • फकीरी मौत कया ह
      • सकरात का अनभव
      • आधयातमविदयाः भारत की विशषताः
      • तीन परकार क लोगः
      • जञान को आय स कोई निसबत नही
      • योगसामरथयः एक परतयकष उदाहरण
      • योग भी साधना का आखिरी शिखर नही
      • गणातीत सत ही परम निरभयः
      • सतो का सनदशः
      • चितन पराग

िनवदन मतय एक अिनवायर घटना ह िजसस कोई बच नही सकता सारी जीवनसि भयभीत ह

इस भय स म होन का कोई मागर ह ाचीन काल स ही पललिवत पिपत हई भारतीय अधयातम-िव ा म इसका ठोस उपाय ह इस अनपम िव ा की झाकी पाकर िवदशो क िव िवखयात त विचतक बोल उठः

अगर सखमय मतय ा करन की यो यता सपादन करना त विचनतन का उ य हो तो वदानत जसा दसरा कोई साधन नही ह

ो मकसमयलर उपिनषदो क अ यास जसा कलयाण करन वाला दसरा कोई भी अ यास सार िव म

नही ह मर जीवन का यह आ ासन ह और मर मतयकाल म भी मझ इसी का आ ासन रहगा

शोपनहोर यरोप का उ मो म त वजञान मीक त वजञो का चतनयवाद भी आयारवतर क वाद की

तलना म मधया क पणर काशवान सयर क आग एक िचनगारी जसा लगता ह डरीक गल

िवदशी िव ान तो भारतीय शा ो को कवल पढ़कर ही दग रह गय थ जबिक अमदावाद

सरत मबई रतलाम इनदौर भोपाल क आौमो म ातःःमरणीय प यपाद सत ौी आसारामजी बाप क पावन सािननधय म तो इस जञान की पावन गगा िनरनतर बह रही ह हजारो साधक इस जञान की झाकी पाकर धनय हो रह ह अपन मगलमय जीवन-मतय क बार म रहःयमय सखानभितया पा रह ह

अमदावाद म मगलमय जीवन-मतय िवषयक सतसग वचन म प यौी न अपन

अनभविस वचनो ारा बड़ा ही सआम िववचन िकया ह भय स आबानत मानव समदाय को िनभरयता का यह परम सदश ह उनका यह सतसग-वचन अपन िनभरय एव लोक कलयाण म रत जीवन का मतर प ह

इस छोटी सी पिःतका म ःतत प यौी का अमत-साद पाकर आप भी जीवन-मतय

की समःया सलझाकर अपन भीतर िनरनतर गजत हए शा त जीवन का सर सनकर परम िनभरय हो जाओ जीवन और मतय को मगलमय बना दो

ौी योग वदानत सवा सिमित

अनबम मगलमय जीवन-मतय 5

मतय क कार 5

मतय भी जीवन क समान आवयक 6

िसकनदर न अमत कयो नही िपया 7

िबना मतय को जान जीवन जीवन नही 8

मतय िकसकी होती ह 9

भगवान ौीराम और तारा 10

मतयः कवल व पिरवतरन 10

फकीरी मौतः आननदमय जीवन का ारः 11

यमराज और निचकताः 13

सचच सत मतय का रहःय समझात ह 14

मतयः एक िवौािनत-ःथानः 15

वासना की मतय क बाद परम िवौािनत 16

धतरा का शोकः 16

घाटवाल बाबा का एक सग 17

फकीरी मौत ही असली जीवन 18

फकीरी मौत कया ह 18

सकरात का अनभव 19

आधयातमिव ाः भारत की िवशषताः 20

तीन कार क लोगः 20

जञान को आय स कोई िनःबत नही 21

योगसामथयरः एक तयकष उदाहरण 22

योग भी साधना का आिखरी िशखर नही 23

गणातीत सत ही परम िनभरयः 23

सतो का सनदशः 24

िचतन पराग 32

मगलमय जीवन-मतय आज हम जीवन और मतय क बार म िवचार करग बात तो बहत छोटी ह मगर बड़ी

अटपटी ह झटपट समझ म नही आती अगर एक बार समझ म आ जाय तो जीवन की सब खटपट िमट जाय

इस रहःय को न समझ सकन क कारण हम अपन को सीिमत दशकाल क भीतर एक सामानय ौोता क प म यहा उपिःथत मान रह ह मगर यिद यह रहःय हम ठ क स समझ म आ जाय तो तरनत यह खयाल आयगा िकः म अननत ाणडो म वया होकर सभी िबयाए कर रहा ह मर अितिर दसरा कछ ह ही नही तो िफर जीवन िकसका और मौत िकसकी

मतय क कार मतय पर िभनन-िभनन दि स िवचार कर सकत ह पौरािणक दि स अपन इ की ःमित जीवन ह और इ की िवःमित मतय ह वयावहािरक दि स अपनी इचछा क अनकल घटना घट यह जीवन ह और इचछा क

ितकल घटना घट यह मतय ह ऐसी मतय तो िदन म अनक बार आती ह लौिकक दि स पद ित ा िमलना वाह-वाही होना जीवन ह और बदनामी होना मौत

कहा जा सकता ह िजस साधारण लोग जीवन और मौत कहत ह उस दि स दख तो पचभतो स बन ःथल

शरीर का सआम शरीर (ाणमय शरीर) स सयोग जीवन ह और िवयोग मौत ह वाःतव म न तो कोई जीता ह न कोई मरता ह कवल कित म पिरवतरन होता ह इस

पिरवतरन म अपनी ःवीकित तो जीवन लगता ह और इस पिरवतरन म िबना इचछा क िखचा जाना घसीटा जाना जबरन उसको ःवीकार करना पड़ यह मौत जसा लगता ह वाःतव म मौत जसा कछ नही ह

जगत म जो कछ भी दि गोचर होता ह वह सब पिरवतरनशील ह दसर शबदो म वह

सब काल क गाल म समाता जा रहा ह चहचहाट करत हए पकषी भागदौड़ करत हए पश लहलहात हए पड़ -पौध वनःपित कित म हलचल मचाकर मिःतक को चकरा दन वाल

आिवकार करत हए मनय सभी एक िदन मर जायग कई मर गय कइयो को रोज मरत हए हम अपन चारो ओर दख ही रह ह और भिवय म कई पदा हो-होकर मर जायग

कोई आज गया कोई कल गया कोई जावनहार तयार खड़ा नही कायम कोई मकाम यहा िचरकाल स य ही िरवाज रहा

दादा गय िपता गय पड़ोसी गय िरतदार गय िमऽ गय और एक िदन हम भी चल

जाएग इस तथा किथत मौत क मह म यह सब दखत हए जानत हए समझत हए भी 50 वषरवाला 60 60 वषरवाला 70 70 वषर वाला 80 और 90 वाला 100 वषर उ दखन की इचछा करता ह 100 वषर वाला भी मरना नही चाहता मौत िकसी को पसनद नही ह

मन सना ह िक अमिरका म लगभग एक हजार ऐसी लाश सरिकषत पड़ी ह इस आशा म

िक आग आन वाल 20 वष म िवजञान इतनी गित कर लगा िक इन लाशो को जीवनदान द सक हर लाश पर 10000 रपय दिनक खचर हो रहा ह बीस साल तक चल उतना धन य मरन वाल लोग जमा कराक गय ह

कोई मरना नही चाहता क म िजसक पर लटक रह ह वह बढ़ा भी मरना नही चाहता औषिधया खा-खाकर

जीणर-शीणर हआ रोगी मरणश या पर पड़ा अितम ास ल रहा ह डॉकटरो न जवाब द िदया ह वह भी मरना नही चाहता लाश भी िजनदा होना चाहती ह कित का यह मतय पी पिरवतरन िकसी को पसनद नही य िप यह सब जानत ह

जो आया ह सो जाएगा राजा रक फकीर

यह मान भी िलया जाय िक 20 वषर म िवजञान इतनी उननित कर लगा और लाशो को िफर स जीिवत भी कर दगा िफर भी व कब तक िटकी रहगी अत म जरा-जीणर होगी ही उन लाशो को तो बीस वषर भी हो गय अभी तक िवजञानी उनह जीिवत नही कर पाय मानो कर भी ल तो य कब तक िटक गी

मतय भी जीवन क समान आवयक

बगीच म वही क वही पड़-पौध फल-प यो क तयो बन रह उनकी काट-छाट न की जाय नय न लगाय जाए उनको सवारा न जाय तो बगीचा बगीचा नही रहगा जगल बन जायगा बगीच म काट-छाट होती रह नय पौध लगत रह परान सड़-गल पपहीन ठठ िबनज री पौध हटा िदय जाय और नय सगिनधत नवजीवन और नवचतना स ओतोत पौध लगाय जाए यह ज री ह

अनबम

िसकनदर न अमत कयो नही िपया साट िसकदर िजस पीकर अमर हो जाए कभी मरना न पड़ ऐस अमत जल की खोज

म था नकशो क सहार िवजय करता हआ वह उस गफा म पहच भी गया िजसक अनदर अमतजल का झरना था गफा क बाहर ही उसन अपन सभी सिनको को रोक िदया और ःवय अकला बड़ उतसाह व सननता स आिहःत-आिहःत चौकनना होकर कदम बढ़ान लगा आज उसक जीवन की सबस बड़ी खवािहश परी होन जा रही थी उसका दय उछल रहा था थोड़ी ही दर अपन सामन परो क पास ही उसन दखाः चा दी सा त अमतजल धीमी-धीमी कल-कल छल-छल आवाज करता बह रहा ह उसका दय आननद स िखल उठा अब वह अपन को न रोक सका वह घटनो क बल नीच झका अपन दोनो हाथ पानी म डबोए

आहा कसा शीतल ःपशर उसकी सारी थकान उतर गई दोनो हाथो की अजली म उसन

वह जल भरा अजली को धीर-धीर मह तक लाया दय की धड़कन बढ़ी होठ सधापान करन को लालाियत हो उठ बस जल ओठो तक पहच ही गया था और वह पी ही लता िक इतन म -

खबरदार उस िनजरन गफा म िकसी की आवाज गज उठ च क कर िसकनदर न िसर ऊपर

उठाया दखा तो एक कौआ वहा बठा ह खबरदार िसकदर रक जाओ जलदी न करो जो भल मन की वह तम मत करो

मझ कोई साधारण कौआ मत समझना म कौओ का साट ह म भी तमहारी तरह बहत पिरौम म इस अमत की खोज करत-करत यहा तक पहचा ह और मन यह जल पी िलया ह परनत इस पीकर अब मसीबत म पड़ गया ह

ऐसी गमभीर घड़ी म यह िव न िसकदर को अचछा नही लगा िफर भी धीरज स वह

उसकी बात सनन लगा कौआ बोलाः

तमको जल पीना हो तो अवय िपयो िसकदर लिकन मरी बात परी सन लो यह जल

पीकर म अमर हो गया ह जो कछ जीवन म करन की इचछा थी वह सब म कर चका ह िजतना घमना था घम िलया सनना था सन िलया गाना था गा िलया खाना था खा िलया जो भी मौज करन की इचछा थी सब कर िलया अब करन क िलए कछ बचा ही नही अब यह जीवन मर िलय भार बन गया ह म अब मरना चाहता ह परनत मर नही सकता मरन क िलए पानी म कदा परनत पानी न मझ डबाया नही पहाड़ो पर स कदा िफर भी मरा नही आग की वालाओ म कदकर दखा उसन भी मझ जलाया नही तलवार की धार स मन गदरन िघसी परनत धार खराब हो गई गदरन न कटी यह सब इस अमतजल क कारण

सोचा था िक अमर होकर सखी होऊगा परनत अब पता चला िक मन मसीबत मोल ल

ली ह तमको यह जल पीना हो तो अवय िपयो म मना नही करता परनत मरी तमस िवनती ह िक यहा स जान क बाद मरन की कोई िविध का पता लग तो मझ अवय समाचार दना

थोड़ी दर क िलए गफा म नीरव शाित छा गई िसकदर क हाथ की उगिलया िशिथल हो

ग उनक बीच म स सारा अमतजल िगर कर पनः झरन म समा गया दसरी बार उसन झरन क जल म हाथ डालन की िहममत नही की मन ही मन िवचार करत हए वह उठ खड़ा हआ और पीछ मड़कर गफा क ार की ओर चल पड़ा आिहःत-आिहःत िबना अमतजल क िपय

यह घटना सच हो या झठ उसस कोई सरोकार नही परनत इसम एक तथय छपा हआ

ह िक िजतना जीवन ज री ह उतनी ही मौत भी ज री ह पिरवतरन होना ही चािहए

अनबम

िबना मतय को जान जीवन जीवन नही िजस जीवन क िलए अपनी लाश की सरकषा हत करोड़ो रपयो की वसीयत करक लोग

चल गय िजस जीवन को िटकाए रखन क िलए हम लोग भी अपार धन-समपि इक ठ करन म लग हए ह दसरो को दःखी करक भी जीवन क ऐश ETHआराम क साधन समह करन म हम लग हए ह वह जीवन िटक जान क प ात भी अमर हो जान क बाद भी कया हमको आननद द सकगा कया हम सखी हो सक ग यह जरा िवचार करन यो य ह मौत स मनय डरता ह परनत ऐसा जीवन भी कोई जीवन ह िजसम सदव मौत का भय बना रह जहा पग-पग मतय

का भय हम किमपत करता रह ऐसा नीरस जीवन भयपणर जीवन मौत स भी बदतर जीवन ह ऐसा जीवन जीन म कोई सार नही यह जीवन जीवन नही ह

यिद जीवन ही जीना ह यिद रसमय जीवन जीना ह यिद जीवन का ःवाद लत हए

जीवन को जीना ह तो मौत को आमिऽत करो मौत को बलाओ और होशपवरक मौत का अनभव करो जो सत मौत का अनभव कर चक ह उनका सग करक मौत की पोल को जान लो िफर तो आप भी मःत होकर उनकी तरह कह उठ गः

जा मरन त जग डर मोर मन आननद

अनबम

मतय िकसकी होती ह अभी तो िजस तम जीवन कहत हो वह जीवन नही और िजस तम मौत कहत हो वह

मौत नही ह कवल कित म पिरवतरन हो रहा ह कित म जो रहा ह वह सब पिरवतरन ह जो पदा होता िदख रहा ह वही न होता नजर आता ह िजसका सजरन होता िदखता ह वही िवसजरन की ओर जाता नजर आता ह पड़-पौध हो या खाइया हो सागर हो या मरःथल हो सब पिरवतरन पी सिरता म बह जा रह ह जहा नगर थ वहा वीरान हो गय जहा बिःतया थी वहा आज उलल बोल रह ह और जहा उलल बोल रह थ वहा बिःतया खड़ी ह जहा मरःथल थ वहा आज महासागर िहलोर ल रह ह और जहा महासागर थ वहा मरःथर खड़ ह बड़-बड़ ख डो की जगह पहाड़ खड़ हो गय और जहा पहाड़ थ वहा आज घािटया खाइया बनी हई ह जहा बड़ -बड़ वन थ वह भिम बजर और पथरीली हो गई और जो बजर थी पथरीली थी वहा आज वन और बाग-बगीचो क प म हिरयाली फली हई ह

चाद सफर म िसतार सफर म

हवाए सफर म दिरया क िकनार सफर म अर शायर वहा की हर चीज सफर म तो आप बसफर कस रह सकत ह

आप िजस शरीर को म मानत ह वह शरीर भी पिरवतरन की धारा म बह रहा ह

ितिदन शरीर क परान कोष न हो रह ह और उनकी जगह नय कोष बनत जा रह ह सात वषर म तो परा शरीर ही बदल जाता ह ऐसा वजञािनक भी कहत ह इस ःथल शरीर स सआम

शरीर का िवयोग होता ह अथारत सआम शरीर दह पी व बदलता ह इसको लोग मौत कहत ह और शोक म फट-फट कर रोत ह

अनबम

भगवान ौीराम और तारा भगवान राम न जब बाली का वध िकया तो बाली की प ी राम क पास आई और अपन

पित क िवयोग म फट-फट कर रोन लगी राम न उसको धीरज बधात हए कहाः

िकषित जल पावक गगन समीरा पच रिचत यह अधम शरीरा सो तन तव आग सोहा जीव िनतय त कहा लिग रोवा

ह तारा त िकसक िलए िवलाप कर रही ह शरीर क िलए या जीव क िलए

पचमहाभतो ारा रिचत शरीर क िलए यिद त रोती ह तो यह तर सामन ही पड़ा ह और यिद जीव क िलए रोती ह तो जीव िनतय ह वह मरता नही

मतयः कवल व पिरवतरन यिद वाःतव म मौत होती तो हजारो-हजारो बार होन वाली तमहारी मौत क साथ तम भी

मर चक होत आज तम इस शरीर म नही होत यह शरीर तो माऽ व ह और आज तक आपन हजारो व बदल ह अपना ई र कगाल नही ह िदवािलया नही ह िक िजसक पास दो चार ही व हो उसक पास तो अपन बालको क िलए चौरासी-चौरासी लाख व ह कभी चह का तो कभी िबलली का कभी दव का तो कभी गधवर का न जान िकतन-िकतन वश आज तक हम बदलत आय ह व बदलन म भय कसा

यही बात भगवान ौीकण न अजरन स कही हः

वासािस जीणारिन यथा िवहाय नवािन ग ाित नरोऽपरािण तथा शरीरािण िवहाय जीणारनयनयािन सयाित नवािन दही

ह अजरन त यिद शरीरो क िवयोग का शोक करता ह तो यह भी उिचत नही ह कयोिक

जस मनय परान व ो का तयागकर दसर नय व ो को महण करता ह वस ही जीवातमा परान शरीरो को तयाग कर दसर नय शरीरो को ा होता ह

(गीताः 222)

बालक की च डी (नकर) फटन पर उसकी मा उसको िनकाल कर नई पहनाती तो बालक

रोता ह िचललाता ह वही बालक बड़ा होता ह पहल की चि डया छोटी पड़ जाती ह उनह छोड़ता ह बड़ी पहनता ह िफर वह भी छोड़कर पनट पाजामा या धोती आिद पहनता ह ऐस ही परमातमा की सतान भी यो- यो बड़ी होती ह िवकिसत होती ह तयो-तयो उस पहल स अिधक यो य ददीपयमान नय शरीर िमलत ह जीव-जतओ स िवकिसत होत-होत बनदर गाय और आिखर मनय दह िमलती ह मनय िदवय कमर कर स वगण-धान बन तो दव गधवर की योिन िमलती ह उसका ःवभाव रजस धान हो तो वह िफर मनय बनता ह और यिद तामसी ःवभाव रखता ह तो पनः हलकी योिनयो म जाता ह उस मानव को यिद ई र भि क साथ कोई समथर सदगर िमल जाय उस आतमधयान आतमजञान की भख जग वह गरकपा पचा ल तो वही मन य चौरासी क चब म घमन वाला जीव अपन िशवःवभाव को जानकर तीनो गणो स पार हो जाय परमातमा म िमल जाय

व पिरवतरन स भय कसा व बदलन वाला तो कभी भी मरता नही वह अमर ह और पिरवतरन कित का ःवभाव ह तो िफर मौत ह ही कहा यही बात समझात हए गीता म भगवान ौी कण कहत ह अजरन स िक तमह भय िकस बात का ह

हतो वा ापःयिस ःवग िजतवा वा भोआयस महीम

यिद य म शरीर छट गया तो ःवगर को ा करोग और यिद जीत गय तो पथवी का

रा य भोगग (सभी ौोतागण तनमयता स जीवन मतय पर मीमासा सन रह ह ःवामी जी कछ कषण

रककर सभी पर एक रहःयमय दि फ कत ह वातावरण म थोड़ी गमभीरता छाई हई जानकर करत ह)

फकीरी मौतः आननदमय जीवन का ारः आप लोग उदास तो नही हो रह ह न आपको मौत का भय तो नही लग रहा ह न

अभी कवल जीवन पर बात ही चल रही ह िकसी की मौत नही आ रही ह (यह सनकर सभी िखलिखलाकर हस पड़त ह ःवामी जी फकीर मःती म आग कहत

ह)

अर मौत तो इतनी पयारी ह िक उस यिद आमिऽत िकया जाय तो आननदमय जीवन क ार खोल दती ह

एक जवान साध था घमत-घमत वह नपाल क एक पहाड़ की तलहटी म जा पहचा वहा

उसन दखा एक व सत एक िशला पर बठ ह शाम का समय ह सरज िछपन की तयारी म ह उन सत न उस जवान साध को तो दखा तो बोलः

मर परो म इतनी ताकत नही िक अभी म ऊपर पहाड़ पर चढ़कर अपनी गफा तक पहच सक बटा तम मझ अपन कध पर चढ़ाकर गफा तक पहचा दो

यवा साध भी अलमःत था उसन सत को अपन कध पर िबठा िलया और चल पड़ा

उनकी गफा की ओर चढ़ाई बड़ी किठन थी परनत वह भी जवान था चढ़ाई चढ़ता रहा काफी ऊपर चढ़ चकन पर उसन सत स पछाः

गफा अभी िकतनी दर ह

बस अब थोड़ी दर ह चलत-चलत काफी समय हो गया साध पछता रहा और व सत कहत रहः बस अब

थोड़ी ही दर ह मामा का घर िजतना दर िदया िदख उतना दर ऐसा करत-करत रात को यारह बज क करीब गफा पर पहच साध न व सत को कध स नीच उतारा और बोलाः

और कोई सवा

सत उसकी सवा स बड़ सनन थ बोलः बटा तमन बड़ी अचछ सवा की ह बोल अब तझ कया परःकार द वह दख

सामन तीन-चार भर हए बोर रख ह उसम स िजतना उठा सको उतना उठा ल जाओ यवा साध न जाकर बोरो को छकर दखा अनमान लगाया शायद र ी कागजो स भर हए

ह िफर धयान स दखा को अनमान गलत िनकला व बोर नपाली नोटो स भर हए थ उसन अनमन मन स उनको दखा और उलट परो लौट पड़ा सत की ओर सत न पछाः

कयो माल पसनद नही आया व सत पहच हए योगी थ अपन योगबल ारा उनहोन नोटो क बडलो स भर बोर

उतपनन कर िदय थ उनको ऐसी आशा थी िक वह यवा साध अपनी सवा क बदल इस परःकार स खश हो जायगा परनत वह यवा साध बोलाः

ऐसी सब चीज तो म पहल ही छोड़ आया ह इनस कया जीवन की रकषा होगी इनस कया जीवन का रहःय समझ म आएगा इनस कया मौत जानी जा सकगी कया म इनही चीजो क िलए घर बार छोड़कर दर-दर भटक रहा ह जगलो और पहाड़ो को छान रहा ह य सब तो न र हऔर अगर सतो क पास भी न र िमलगा तो िफर शा त कहा स िमलगा

अनबम

यमराज और निचकताः निचकता भी यमराज क सममख ऐसी ही माग पश करता ह कठोपिनषद म निचकता

की कथा आती ह निचकता कहता ह यमराज सः ह यमराज कोई कहता ह मतय क बाद मनय रहता ह और कोई कहता ह नही रहता ह इसम बहत सदह ह इसिलए मझ मतय का रहःय समझाओ तािक सतय कया ह यह म जान सक परनत यमराज निचकता की िजजञासा को परखन क िलए पहल भौितक भोग और वभव का लोभ दत हए कहत ह -

शतायषः पऽपौऽानवणीव बहनपशनहिःतिहरणयम ान भममरहदायतन वणीव ःवय च जीव शरदोयाविदचछिस

ह निचकता त सौ वषर की आयय वाल पऽ-पौऽ बहत स पश हाथी-घोड़ सोना माग

ल पथवी का िवशाल रा य माग ल तथा ःवय भी िजतन वषर इचछा हो जीिवत रह

(वललीः 123) इतना ही नही यमराज आग कहत ह- मनयलोक म जो भोग दलरभ ह उन सबको ःवचछनदतापवरक त माग ल यहा जो रथ

और बाजो सिहत सनदर रमिणया ह व मनयो क िलए दलरभ ह ऐसी कािमनयो को त ल जा इनस अपनी सवा करा परनत ह निचकता त मरण समबनधी मत पछ

िफर भी निचकता इन लोभनो म नही फसता ह और कहता हः य सब भोग सदव रहन वाल नही ह और इनको भोगन स तज बल और आयय कषीण

हो जात ह मझ य भोग नही चािहए मझ तो मतय का रहःत समझाओ

अनबम

सचच सत मतय का रहःय समझात ह ठ क इसी कार वह यवा साध उन व सत स कहता हः मझ य नोटो क बडल नही

चािहए आप यिद मझ कछ दना ही चाहत ह तो मझ मौत दीिजए म जानना चाहता ह िक मौत कया ह मन सना ह िक सचच सत मरना िसखात ह म उस मौत का अनभव करना चाहता ह

वःततः सत मरना िसखात ह इसीिलए तो लोग रोत हए बचचो को चप करान क िलए

कहत ह - रो मत चप हो जा नही तो वह दख बाबा आया ह न वह पकड़कर ल जायगा भल ही लोग अजञानतावश बाबाओ अथवा सतो स बचचो को डरात हए कहत ह िक व ल जायग परनत िजनको सचच सत ल जात ह अथवा जो उनका हाथ पकड़ लत ह व तर जात ह सचच सत उनको सब भयो स म कर दत ह और उनको ऐस पद पर िबठा दत ह िक िजसक आग ससार क सार भोग-वभव धन-समपि पऽ-पौऽ यश-ित ा सब तचछ भािसत होत ह परनत ऐस सचच सत िमलन दलरभ ह और दढ़ता स उनका हाथ पकड़न वाल भी दलरभ ह िजनहोन ऐस सतो का हाथ पकड़ा ह व िनहाल हो गय

उस यवा साध न भी ऐस ही सत का हाथ पकड़ा था मौत को जानन की उसकी बल

िजजञासा को दखकर व व सत बोल उठः अर यह कया मागता ह यह भी कोई मागन की चीज ह ऐसा कहकर उनहोन यवा साध को थोड़ी दर इधर-उधर की बातो म लगाया और मौका दखकर उसको एक तमाचा मार िदया यवक की आखो क सामन जस िबजली चमक उठ हो ऐसा अनभव हआ और दसर ही कषण उसका ःथल शरीर भिम पर लट गया उसका सआम शरीर दह स अलग होकर लोक-लोकानतर की याऽा म िनकल पड़ा लोग िजसको मतय कहत ह ऐसी घटना घट गई

ातःकाल हआ रात भर आननदमय मतय क ःवाद म डब हए उस यवा साध क ःथल

शरीर को िहलाकर व सत न कहाः बटा उठ सबह हो गई ह ऐस कब तक सोता रहगा यवा साध आख मलता हआ सननवदन उठ बठा िजसको मतय कहत ह उस मतय को

उसन दख िलया अहा कसा अदभत अनभव उसका दय कतजञता स भर उठा वह उठकर फकीर क चरणो म िगर पड़ा

लोग कहत ह िक मरना दःखद ह और इसीिलए मौत स डरत ह िजनको ससार म मोह

ह उनक िलए मौत भयद ह परनत सतो क िलए मोह रिहत आतमाओ क िलए ऐसा नही ह

अनबम

मतयः एक िवौािनत-ःथानः मौत तो एक पड़ाव ह एक िवौािनत-ःथान ह उसस भय कसा यह तो कित की एक

वयवःथा ह यह एक ःथानानतर माऽ ह उदाहरणाथर जस म अभी यहा ह यहा स आब चला जाऊ तो यहा मरा अभाव हो गया परनत आब म मरी उपिःथित हो गई आब स िहमालय चला जाऊ तो आब म मरा अभाव हो जायगा और िहमालय म मरी हािजरी हो जायगी इस कार म तो ह ही माऽ ःथान का पिरवतरन हआ

तमहारी अवःथाए बदलती ह तम नही बदलत पहल तम सआम प म थ िफर बालक

का प धारण िकया बालयावःथा छट गई तो िकशोर बन गय िकशोरावःथा छट गई तो जवान बन गय जवानी गई तो व ावःथा आ गई तम नही बदल परनत तमहारी अवःथाए बदलती ग

हमारी भल यह ह िक अवःथाए बदलन को हम अपना बदलना मान लत ह वःततः न

तो हम जनमत-मरत ह और न ही हम बालक िकशोर यवा और व बनत ह य सब हमारी दह क धमर ह और हम दह नही ह सतो का यह अनभव ह िकः

मझ म न तीनो दह ह तीनो अवःथाए नही मझ म नही बालकपना यौवन बढ़ापा ह नही जनम नही मरता नही होता नही म बश-कम म ह म ह ितह काल म ह एक सम

मतय नवीनता को जनम दन म एक सिधःथान ह यह एक िवौाम ःथल ह िजस

कार िदन भर क पिरौम स थका मनय रािऽ को मीठ नीद लकर दसर िदन ातः नवीन ःफितर लकर जागता ह उसी कार यह जीव अपना जीणर-शीणर ःथल शरीर छोड़कर आग की याऽा क िलए नया शरीर धारण करता ह परान शरीर क साथ लग हए टी बी दमा कनसर जस भयकर रोग िचनताए आिद भी छट जात ह

वासना की मतय क बाद परम िवौािनत ःथल शरीर स सआम शरीर का िवयोग िजसको मतय कहा जाता ह वह िवौाम-ःथल तो

ह परनत पणर िवौाित उसम भी नही ह यह फकीरी मौत नही ह फकीरी मौत तो वह ह िजसम सारी वासनाए जड़ सिहत भःम हो जाए भीतर यिद सआम वासना भी बची रही तो जीव िफर स नया शरीर धारण कर लगा और

िफर स सख-दःख की ठोकर खाना चाल कर दगा िफर स वहीः

पनरिप जनन पनरिप मरण पनरिप जननी जठर शयनम

अनबम

धतरा का शोकः करकषऽ क य म दय धन सिहत जब सार पऽ मार गय तो धतरा खब दःखी हए और

िवदर स कहन लगः कण और पाडवो न िमलकर मर सब पऽो का सहार कर िदया ह इसका दःख मझस सहन नही होता एक एक कषण वयतीत करना मझ वष जसा लमबा लग रहा ह

िवदर धतरा को समझात हए कहत ह - जो होना होता ह वह होकर ही रहता ह आप

वयथर म शोक न करो आतमा अमर ह उसक िलए मतय जसी कोई चीज नही ह इस शरीर को छोड़कर जो जाता ह वह वापस नही आता इस बात को समझकरः राम राख तम रिहय ह भाई शोक न करो

परनत धतरा का शोक कम नही हआ वह दढ़तापवरक कहन लगाः तम कहत हो वह

सब समझता ह िफर भी मरा दःख कम नही हो ता मझ अपन पऽो क िबना चन नही पड़ रहा ह पलभर को भी िच शात नही रहता

अजञानी सोचता ह िक िजस कार म चाहता ह उसी कार सब हो जाय तो मझ सख

हो यही मनय का अजञान ह शा और सतो का िकतना ही उपदश सनन को िमल जाय तो भी वह अपनी मानयताओ

का मोह सरलता स छोड़न को तयार नही होता िवदर का धमरय उपदश धतरा को सानतवना नही द सका धतरा शा ो स िबलकल अनिभजञ था ऐसी बात नही थी िफर भी उसका शा जञान उस पऽो क मोह स म नही कर सका

अनबम

घाटवाल बाबा का एक सग हिर ार म घाटवाला बाबा क नाम स िस एक महान सत रहत थ बहत सीध -साद

और सरल कमर म कतान (टाट) लपट रहत थ ऊपर स िदखन म िभखारी जस लगत मगर भीतर स साट थ उनक पास एक वयि आया और बोलाः महाराज मझ शाित चािहए

महाराज न पहल उस धयान स दखा िफर कहाः शाित चािहए तो तम गीता पढ़ो

यह सनकर वह च ककर बोलाः गीता गीता तो म िव ािथरयो को पढ़ाता ह म कालज म ोफसर ह गीता मरा िवषय ह गीता म कई बार पढ़ चका ह उस पर तो मरा काब ह

महाराज बोलः यह ठ क ह अब तक तो लोगो को पढ़ाकर पसो क लाभ क िलए गीता

पढ़ी होगी अब मन को िनयिऽत करक शाित लाभ क िलए पढ़ो लोग शा ो म स सचनाए और जानकािरया इक ठ करक उस ही जञान मान लत ह

दसरो को भािवत करन क िलए लोग शा ो की बात करत ह उपदश दत ह परनत उनह अपन आपको कोई अनभित नही होती मतय क िवषय म भी लोग िव तापणर वचन कर सकत ह मतय स डरन वालो को आ ासन और धयर द सकत ह परनत मौत जब उनही क सममख साकषात आकर खड़ी होती ह तो उनकी रग -रग काप उठती ह कयोिक उनको फकीरी मौत का अनभव नही

कई लोग कहत ह िक जीवन और मौत अपन हाथ म नही ह परनत यह उनक िलए

ठ क ह िजनको आधयाितमक रहःय का पता नही जो ःवय को शरीर मानत ह दीन-हीन मानत ह परनत योगी जानत ह िक जीवन और मतय इन दोनो पर मनय का अिधकार ह इस अिधकार को ा करन की तरकीब भी व जानत ह कोई िहममतवान जानन को ततपर हो तो व उस बता भी सकत ह व तो खललमखलला कहत ह िक यिद रोत-कलपत हए मरना हो तो खब भोग-भोगो िकसी की परवाह न करत हए खब खाओ िपयो और अमयारिदत िवषय-सवन करो ऐसा जीवन आपको अपन आप मौत की ओर शीयता स आग बढ़ा दगा परनत

यिद मौत पर िवजय ा करनी हो जीवन को सही तरीक स जीना हो तो योिगयो क

कह अनसार करो ाणायाम करो धयान करो योग करो आतमिचनतन करो और ऐसा कोई योगी डॉकटरो क सामन आकर दय की गित बनद करक बता दता ह तो वह बात भी लोगो को

बड़ी आ यरजनक लगती ह लोगो क टोल क टोल उसको दखन क िलए उमड़ पड़त ह परनत यह भी कोई योग की पराका ा नही ह

फकीरी मौत ही असली जीवन इितहास म जञान र महाराज और योगी चागदव का सग आता ह वह तो आप लोग

जानत ही होग चागदव न मतय को चौदह बार धोखा िदया था अथारत जब -जब मौत का समय आता तब-तब चागदव योग की कला स अपन ाण ऊपर चढ़ाकर मौत टाल िदया करत थ ऐसा करत-करत चागदव न अपनी उ 1400 वषर तक बढ़ा दी िफर भी उनको आतमशािनत नही िमली फकीरी मौत ही आतमशाित द सकती ह और इसीिलए चागदव को आिखर म जञान र महाराज क चरणो म समिपरत होना पड़ा

अनबम

फकीरी मौत कया ह

फकीरी मौत ही असली जीवन ह फकीरी मौत अथारत अपन अह की मतय अपन जीवभाव की मतय म दह ह म जीव ह इस पिरिचछनन भाव की मतय

ःथल शरीर स सआम शरीर का िवयोग यह कोई फकीरी मौत नही ह अगर वासना शष

हो तो सआम शरीर बार-बार ःथल शरीर धारण करक इस ससार म जनम-मरण क दःख पणर चककर म भटकता रहता ह

जब तक फकीरी मौत नही हो तब तक चागदव की तरह चौदह बार कया चौदह हजार

बार भी ःथल शरीर को बचाय रखा जाय तो भी परम शाित क िबना यह बकार ह लाबधवा जञान परा शाित आतमजञान स ही परम शाित िमलती ह इसी कारण चागदव को फकीरी मौत सीखन क िलए जञान र महाराज क पास आना पड़ा था 1400 वषर का िशय और 22 वषर क गर यही जञान का आदर करन वाली भारतीय सःकित ह जञान स उ को कोई समबनध नही ह

हम तो जीवन म पग-पग पर छोटी-मोटी पिरिःथितयो स घबरा उठत ह ऐसा भयभीत

जीवन भी कोई जीवन ह यह तो मौत स भी बदतर ह इसीिलए कहता ह िक असली जीवन जीना हो िनभरय जीवन जीना हो तो फकीरी मौत को एक बार जान लो

फकीरी मौत अथारत अपन अमरतव को जान लना फकीरी मौत अथारत उस पद पर आ ढ़ हो जाना जहा स जीवन भी दखा जा सक और मौत भी दखी जा सक जहा स ःप प स िदख िक सख-दःख आय और गय बालयावःथा यवावःथा और व ावःथा आई और गई परनत य सब शरीर स ही समबिनधत थ मझ तो व ःपशर तक नही कर सक म तो असग ह अमर ह मरा तो जनम भी नही मतय भी नही

सकरात का अनभव सकरात को जब जहर िदया जान लगा तो उसक िशय रोन लग कयोिक उनको यह

अजञान था िक सकरात अब बचग नही मर जायग सकरात न कहाः अर तम रोत कयो हो अब तक मन जीवन दखा अब मौत को दखगा यिद म मर

जाऊगा तो आज नही तो कल मरन ही वाला था इसिलए रोन की कया ज रत ह और यिद मरत हए भी नही मरा कवल शरीर स ही िछनन-िभनन हआ तो भी रोन की कया ज रत

सकरात न िबना िहचिकचाहट क राजी-खशी स जहर का पयाला पी िलया और िशयो स

कहाः दखो यह रोन का समय नही ह बहत ही महतवपणर बात समझन का समय आया ह

मर शरीर पर जहर का भाव होन लगा ह पर सनन होत जा रह ह घटनो तक जड़ता वया हो गई ह जहर का असर बढ़ता जा रहा ह मर पर ह िक नही इसकी अनभित नही हो रही ह अब कमर तक का भाग सवदनहीन बन गया ह

इस कार सकरात का सारा शरीर ठडा होन लगा सकरात न कहाः अब जहर क भाव स हाथ पर छाती जड़ हो गई ह थोड़ी ही दर म मरी िज ा भी

िनःपद हो जायगी उसस पहल एक मह वपणर बात सन लो जीवन म िजसको नही जान सका उसका अनभव हो रहा ह शरीर क सब अग एक क एक बाद एक िनःपद होत जा रह ह परनत उसस मझम कोई फकर नही पड़ रहा ह म इतना ही पणर ह िजतना पहल था शरीर स म ःवय को अलग असग महसस कर रहा ह अब तक जस जीवन को दखा वस ही अभी मौत को भी दख रहा ह यह मौत मरी नही बिलक शरीर की ह

अनबम

आधयातमिव ाः भारत की िवशषताः सकरात तो शरीर छोड़त-छोड़त अपना अनभव लोगो को बतात गय िक शरीर की मतय

यह तमहारी मतय नही शरीर क जात हए भी तम इतन क इतन ही पणर हो परनत भारत क ऋिष तो आिद काल स कहत आय ह-

शणवनत िव अमतःय पऽा

आ य धामािन िदवयािन तःयः वदाहमत परष महानतम

आिदतयवण तमसः परःतात तमव िविदतवाऽितमतयमित नानयः पनथा िव तऽयनाय

ह अमतपऽो सनो उस महान परम परषो म को म जानता ह वह अिव ा प अधकार

स सवरथा अतीत ह वह सयर की तरह ःवयकाश-ःव प ह उसको जानकर ही मनय मतय का उललघन करन म जनम-मतय क बधनो स सदव क िलए छटन म समथर होता ह परम पद की ाि क िलए इसक अितिर कोई दसरा मागर नही ह

( ता तरोपिनषद) यह कोई वद-उपिनषद काल की बात ह उस समय क ऋिष चल गय और अब नही ह

ऐसी बात नही ह आज भी ऐस ऋिष और ऐस सत ह िजनहोन सतय की अनभित की ह अपन अमरतव का अनभव िकया ह इतना ही नही बिलक दसरो को भी इस अनभव म उतार सकत ह रामकण परमहस ःवामी िववकाननद ःवामी रामतीथर महिषर रमण इतयािद ऐस ही त वव ा महापरष थ और आज भी ऐस महापरष जगलो म और समाज क बीच म भी ह यहा इस ःथान पर भी हो सकत ह परनत उनको दखन की आख चािहए इन चमरचकषओ स उनह पहचानना मिकल ह िफर भी िजजञास और ममकष वि क लोग उनकी कपा स उनक बार म थोड़ा सकत यह इशारा पा सकत ह

अनबम

तीन कार क लोगः ऐस सतो क पास तीन कार क लोग आत ह- दशरक िव ाथ और साधक

दशरक अथारत ऐस लोग जो कवल दशरन करन और यह दखन क िल ए आत ह िक सत कस ह कया करत ह कया कहत ह उपदश भी सन तो लत ह पर उसक अनसार कछ करना ह इसक साथ उनका कोई समबनध नही होता आग बढ़न क िलए उनम कोई उतसाह नही होता

िव ाथ अथारत व जो शा एव उपदश समबनधी अपनी जानकारी बढ़ान क िलए आत ह

अपन पास जो जानकारी ह उसम और वि होव तािक दसरो को यह सब सनाकर अपनी िव ा की छाप उन पर छोड़ी जा सक दसरो स सना याद रखा और जाकर दसरो को सना िदया जस ग स शानसपोटर कमपनी ाईवट िलिमटड- यहा का माल वहा और वहा का माल यहा लाना और ल जाना ऐस लोग भी त व समझन क मागर पर चलन का पिरौम उठान को तयार नही

तीसर कार क लोग होत ह साधक य ऐस लोग होत ह िक जो साधनामागर पर चलन

को तयार होत ह इनको जसा बताया ह वसा करन को पणर प स किटब होत ह अपनी सारी शि उसम लगान को ततपर होत ह उसक िलए अपना मान-सममान तन-मन-धन सब कछ होम दन को तयार होत ह सत क ित और अपन धयय क ित इनम पणर िन ा होती ह य लोग फकीर अथवा सत क सकत क अनसार लआय की िसि क िलए साहसपवरक चल पड़त ह

िव ाथ अपन वयि तव का ौगार करन क िलए आत ह जबिक साधक वयि तव का िवसजरन करन क िलए आत ह साधक अपन लआय की तलना म अपन वयि तव या अपन अह का कोई भी मलय नही समझत जबिक िव ाथ क िलए अपना अह और वयि तव का ौगार ही सब कछ ह अपनी िव ता म वि जानकारी को बढ़ाना वयि तव को और आकषरक बनाना इसी म उस सार िदखता ह त वानभित की तरफ उसका कोई धयान नही होता

यही कारण ह िक सतो क पास आत तो बहत लोग ह परनत साधक बनकर वही िटक

कर त व का साकषातकार करन वाल कछ िवरल ही होत ह

जञान को आय स कोई िनःबत नही िजसन फकीरी मौत को जान िलया हो अथारत िजस आतमजञान हो गया हो वह शरीर की

दि स कम उ का हो परनत उसक आग लौिकक िव ा म वीण और अिधक वय क सफद दाढ़ी-मछ वाल लोग भी बालक क समान होत ह इसीिलए योगिव ा म वीण 1400 वषर क चागदव को कम उवाल जञान र महाराज क चरणो म समिपरत होना पड़ा था ाचीन काल म ऐस कई उदाहरण दखन म आत ह

िचऽ वटतरोमरल व ाः िशया गरयरवा

गरोःत मौन वयाखयान िशयाःतिचछननसशयाः अथारत यह कसा विच य ह िक वटवकष क नीच यवा गर और व िशय बठ ह गर

ारा मौन वयाखयान हो रहा ह और िशयो क सब सशयो और शकाओ का समाधान होता जा रहा ह

अनबम

योगसामथयरः एक तयकष उदाहरण अपन मोटरा आौम म भी ऐस ही करीब स र वषर क सफद बाल वाल एक साधक ह

पहल डीसा म व एक सत क पास गय गय तो थ दशरक बनकर ही परनत सत की दि पड़त ही व दशरक म स साधक बन गय म कछ वषर पवर डीसा क आौम म था तब व मर पास आय थ पकी हई उ म भी व 18 वषर की उ की एक बाला क साथ बयाह रचान की तयारी म थ और आशीवारद मागन हत वहा आय थ उनको दखकर ही मर मह स िनकल पड़ाः

अब तमहारी शादी ई र क साथ कराएग यह सनकर उनको बड़ा आ यर हआ कयोिक न तो व मझ पहल स जानत थ और न ही

म उनह जानता था उस व उनका शरीर भी कसा था चरबी और कफ-िप स ठसाठस भरा हआ एकदम ःथल दमा आिद रोगो का िशकार डीसा म कपड़ क बड़ वयापारी थ धप म िबना छाता िलए दकान स नीच नही उतर पात थ कित ऐसी थी िक िकसी भी सत महातमा को नही गाठ और काम-वासना भीतर इतनी भरी हई थी िक आग की दो पि या शरीर छोड़ चकी थी िफर भी इस उ म तीसरी शादी करन को तयार थ प ी िबना एक िदन भी नही रह सकत थ

घर पहचन पर उनको पता चला िक उनक अनदर जो काम -िवकार का तफान आया था

वह एकदम शात हो गया ह भिवय म प ी बनन वाली उस कमारी क साथ एकात म अनक च ाए करक भी व उस काम-िवकार को पनः नही जगा सक इतना बल िवकार एकाएक कहा चला गया िफर उनको समझ म आया िक सत की ई रीय अहत की कपा उनम उतरी ह उनको सारा ससार सना-सना लगन लगा उनहोन तरनत ही उस कमारी यवती को कछ पय और कपड़ िदय और बटी कहकर रवाना कर िदया उसक बाद उनहोन आसन ाणायाम गजकरणी नित धोित आिद िबयाए सीख ली और िनयिमत प स करन लग इसस उनक शरीर क सार परान कफ-िप -दमा आिद दर हो गय और शरीर म स आवयकता स अिधक चब घटकर शरीर हलका फल जसा हो गया अब तो जवानो क साथ दौड़न की भी ःपधार करत

ह धयानयोग की साधना म उनहोन इतनी गित की ह िक उनको कई कार क अलौिकक अनभव हआ करत ह अपन सआम शरीर ारा व लोक -लोकानतर म घम आया करत ह

योग भी साधना का आिखरी िशखर नही यह भी साधना की कोई आिखरी भिमका नही ह सव चच िशखर नही ह यह भी सब

माया की सीमा म ही ह िफर चमर-चकषओ स दखो अथवा धयान म बठकर दखो कयोिकः

यद दय तद अिनतयम जो िदखता ह वह अिनतय ह जो िदख सो चालनहार चागदव भी योग म कशल थ

काल को कई बार धोखा द चक थ परनत माया को धोखा न द सक व भी साि वक माया म थ माया स पर नही थ

माया ऐसी ठिगनी ठगत िफरत सब दश जो ठग या ठिगनी ठग वा ठग को आदश

कोई िवरल सत ही इस माया को ठग सकत ह माया स पार जा सकत ह बाकी क

लोगो का तो यह माया न र म ही शा त का आभास करा दती ह अिःथरता म िःथरता िदखा दती ह ऐसी मोिहना माया क िवषय म ौी कण कहत ह-

दवी षा गणमयी मम माया दरतयया मामव य प नत मायामता तरिनत त

मरी यह अदभत िऽगणमयी माया का तरना अतयनत दकर ह परनत जो मरी शरण म

आत ह व तर जात ह (गीता)

अनबम

गणातीत सत ही परम िनभरयः ऐसी दःतर माया को जो सत अथवा फकीर तर जात ह और मौत की पोल जान जात ह

व कहत ह- एक ऐसी जगह ह जहा मौत की पहच नही जहा मौत का कोई भय नही िजसस मौत भी भयभीत होती ह उस जगह म हम बठ ह तम चाहो तो तम भी बठ सकत हो

तमहार म एक ऐसा चतन ह जो कभी मरता नही िजसन मौत कभी दखी ही नही जो जीवन और मौत क समय पिरवतरन को दखता ह परनत उन सबस पर ह

यिद घड़ म आया हआ चनिमा का ितिबमब घड़ क पानी को उबलता हआ जानकर यह

मान की म उबल रहा ह पानी िहल तो समझ िक म िहलता ह घड़ा फट गया तो समझ िक म मर गया तो यह उसका अजञान ह परनत उसको यह पता चल जाय िक पानी क उबलन स म नही उबलता पानी क िहलन स म नही िहलता म तो वह चनिमा ह जो हजारो घड़ो म चमक रहा ह िकतन ही घड़ टट -फट गय परनत म मरा नही मरा कछ भी िबगड़ा नही म इन सबस असग ह तो वह कभी दःखी नही होगा

इसी कार हम यिद अपन असगपन को जान ल अथारत म शरीर-मन-बि नही अिपत

आतमा ह- यह हम जान ल तो िफर िकतन ही दह पी घड़ बन और टट -िबखर िकतनी ही सि या बन और उनका लय हो जाय हमको कोई भय नही होगा कयोिक आतमा का ःवभाव हः

न जायत ियत वा कदािचननाय भतवा भिवता वा न भयः अजो िनतयः शा तोऽयपराणो न हनयत हनयमान शरीर

यह आतमा िकसी काल म भी न तो जनमता ह और न मरता ही ह तथा न यह उतपनन

होकर िफर होन वाला ही ह कयोिक यह अजनमा िनतय सनातन और परातन ह शरीर क मार जान पर भी यह नही मारा जाता

(भगवदगीताः 223) अनबम

सतो का सनदशः िजन सतो न यह रहःय जान िलया ह जो इस अमतमय अनभव म स गजर चक ह व

सब भयो स म हो गय ह इसीिलए व अपनी अनभविस वाणी म कहत ह- अपन आतमदव स अपिरिचत होन क कारण ही तम अपन को दीन-हीन और दःखी

मानत हो इसिलए अपनी आतम-मिहमा म जाग जाओ यिद अपन आपको दीन ही मानत रह तो रोत रहोग ऐसा कौन ह जो तमह दःखी कर सक तम यिद न चाहो तो दःख की कया मजाल ह िक तमह ःपशर भी कर सक अननत-अननत ाणड को जो चल रहा ह वह चतन तमहार भीतर चमक रहा ह उसकी अनभित कर लो वही तमहारा वाःतिवक ःव प ह

मनसर को सली पर चढ़ा िदया गया था परनत उनको सली का कोई भय नही था सली

का क उनको ःपशर भी नही कर सका कयोिक मनसर अपनी मिहमा म जग हए थ व यह जान चक थ िक म शरीर नही ह सली शरीर को लग सकती ह मझ नही इसिलए व हसत-हसत सली पर चढ़ गय थ

हम ही जानबझकर अपनी सननता की अपन सख-दःख की चाबी दसरो क हाथो म

स प दत ह कोई थोड़ा हस दता ह तो हम बोिधत हो उठत ह कोई थोड़ी शसा कर दता ह तो हषर स फल उठत ह कयोिक हम अपन को सीिमत पिरिचछनन शरीर या मन ही मान बठ ह

हम अपन वाःतिवक ःव प अपनी असीम मिहमा को नही जानत नही तो मजाल ह

िक जगत क सार लोग और ततीस करोड़ दवता भी िमलकर हम दःखी करना चाह और हम दःखी हो जाय जब हम ही भीतर स सख अथवा दःख को ःवीकित दत ह तभी सख अथवा दःख हमको भािवत करता ह सदव सनन रहना ई र की सव परी भि ह

ःवामी रामतीथर कहा करत थ िक कोई यिद तमहारी सननता छ नकर उसक बदल म

तमको ःवगर का फिरता भी बनाना चाह तो फिरतापद को ठोकर मार दो मगर अपनी सननता मत बचो

हम इस जीवन और मतय का कई बार अनभव कर चक ह सत कहत ह- तमहारा न तो जीवन ह और न ही मतय ह तम जीव नही तम िशव हो तम अमर

हो तम अननत अनािद सिचचदाननद परमातमा हो यिद इस जनम-मरण क खल स थक चक हो इनक खोखल पन को जान चक हो इसक असारपन स पिरिचत हो चक हो तो िकसी सत क सािननधय का लाभ उठाकर फकीरी मौत को जान लो िफर तमह कोई दःख कोई मतय भयभीत नही कर सकगी िफर िजस आना हो वह आव जाना हो वह चला जाव सख आव तो आन दो दःख आव तो आन तो जो आयगा वह जायगा तम द ा बनकर दखत रहो तम अपनी मिहमा म मःत रहो

मौत स भी मौत का भय बदतर ह भय म स ही सार पाप पदा होत ह भय ही मतय

ह लोग पछत ह- ःवामी जी आतम-साकषातकार हो जाता ह िफर उसक बाद कया होता

ह होता कया ह हम अपन ःव प म जाग जात ह उसक बाद हमस जो भी वि होती ह वह आननदमय ही होती ह ससार की कोई भी दःखपणर घटना हमको दःखी नही कर सकती

िफर यह शरीर रह या न रह हमार आननद म कोई अनतर नही पड़ता उस आननदःव प अपन आतमदव को जानना-यही जीवन का परम कतरवय ह परनत इस परम कतरवय की ओर मनय का धयान जाता नही और छोटी-मोटी तचछ वि यो म ही अटका रह जाता ह

हम कही याऽा म िनकलत ह तो राःत क िलए िटिफन भरकर भोजन साथ ल लत ह

भोजन स भी अिधक महतव पानी का ह परनत उसक िलए सोच लत ह िक चलो ःटशन पर भर लग घर स पानी लकर चलन की िचनता नही करत पानी स भी यादा ज री हवा ह उसक िबना तो एक िमनट भी नही चलता िफर भी हवा का कोई िसलनडर भरकर साथ नही लत कयोिक हम सब जानत ह िक वह तो सवरऽ ह इसिलए हवा क िलए हम कोई िचनता नही करत

हवा स कम ज री पानी क िलए पानी स कम ज री भोजन क िलए हम यादा िचनता करत ह उसी कार अपन आननदःव प आतमा म जागन क परम कतरवय को छोड़कर कम महतव क ःथल शरीर क लालन पालन एव उसस सबिधत वयवहार को सभालन म ही हम लग रहत ह शरीर असत जड़ और दःख प ह उसको चलान वाला सआम भतो स िनिमरत सआम शरीर ह उसको भी चतन स ा दन वाला सत-िचत-आननदःव प आतमा ह इस आननद-ःव प आतमा को असत-जड़ दःख प और मरणधमार समझकर जीवनभर मौत क भय स भयभीत बन रहत ह

अनत परमातमा म न तो उतथान ह न पतन न जनम ह न मरण वहा तो सब एकरस

ह हम ही मोहवश अपना ससार खड़ा कर लत ह और एक दसर क साथ सबध बनाकर अपन को जानबझकर बधन म डाल दत ह

एक सत क पास एक स जन का पऽ आया उसम िलखा थाः ःवामी जी आपक

आशीवारद स हमार यहा पऽ का जनम हआ ह सत न उ र म उस िलखा िकः तम झठ बोलत हो िफर जब स जन सत क पास गया तब कहा िकः ःवामी जी म सच कहता ह मर यहा पऽ का जनम हआ ह इस पर सत न िफर स कहा िकः तम झठ बोलत हो यह सनकर उन स जन को बड़ा आ यर हआ वह िवःफािरत नऽो स सत की ओर दखन लगा तब सत न कहाः

पऽ का जनम नही हआ िपता का जनम हआ ह माता का जनम हआ ह काका-मामा

का जनम हआ ह पऽ को तो खबर ही नही ह िक मरा जनम हआ ह और म िकसी का पऽ भी ह परनत हम उस पर सार समबनध आरोिपत कर दत ह

वःततः पचभतो म कोई आकार बना ह उस पऽ का नाम द िदया समय आन पर यह आकार िबखर जायगा यह आकार बन उसम हषर और यह आकार िबखर जाय उसम शोक कसा भय कसा

िजस शरीर को हम म मानत ह उसकी कित तो दखो िपया तो था अमत जसा

मीठा जल और िनकाला मऽ प म गदा पानी खाय तो थ मोहनथाल दधपाक छपपन भोग पर बन गया सब िव ा प शरीर का सग करन पदाथर की ऐसी अवःथा बन जाती ह सत-िचत-आननदःव प आतमा भी अपन को भलकर शरीर क साथ एक होकर ःवय को म शरीर मान लती ह और दीन हीन एव दःखी बन जाती ह परनत जब वह अपन आपम जाग जाती ह तब अपन को दवो का दव अनभव करती ह

यिद हमन शरीर क साथ अहबि की तो हम म भय वया हो ही जायगा कयोिक शरीर

की मतय िनि त ह उसका पिरवतरन अवयभावी ह उसको तो ःवय ाजी भी नही रोक सकत परनत यिद हमन अपन आतमःव प को जान िलया ःव प म हमारी िन ा हो गई तो हम िनभरय हो गय कयोिक ःव प की मतय होती नही मौत भी उसस डरती ह

ःवामी अखणडाननद सरःवती एक बार रल क तीसर दज म याऽा कर रह थ व यह

जानना चाहत थ िक तीसर दज म लोगो ारा िकय जान वाल मान-अपमान का भाव उनक िदल पर होता ह िक नही आतमिनरीकषण स उनह पता चला िक भाव तो होता ह यह बात उनहोन ौी उिड़या बाबा को बतायी उिड़या बाबा न कहाः

तम बठत ही कचर क ढर पर हो आशा करत हो िक मझ पर कोई कचरा न फ क मझ

कचर की दगरनध न आव यह कस हो सकता ह तम बठत हो शरीर म और आशा रखत हो िक मान-अपमान का असर न हो ःवय को शरीर माना तो मान-अपमान सख-दःख होगा और जनम-मतय भी होगी

वदानत क रहःय को समझना यह कोई ि यो का काम नही ह ी अथारत कित क

शरीर क म मानकर जीनवाला एक बार राजा जनक िव ानो की सभा म बठ थ उस सभा म गाग आई वह िबलकल

िदगमबर (न न) थी ऐसी अवःथा म सभा म गाग का वश पिडतो को रचा नही इसिलए उनहोन नाक-भ िसकोड़ िलया परषो स भरी सभा म एक न न ी

गाग बोलीः ऐ पिडतो नाक भ कयो िसकोड़त हो

पिडतो न कहाः तम एक अबला ऐसी अवःथा म परषो की सभा म जो आई हो

गाग तरनत बोलीः कौन कहता ह िक म अबला ह म सबला ह अबला तो तम हो जो अपना रकषक बाहर ढढत हो म अपना रकषक आप ह म यह शरीर नही ह म तो सत -िचत-आननदःव प आतमा ह म अपन आपको जानती ह

िजसको जानकर गाग िनभरय बन गई थी उस आननदःव प अपन आतमदव को जो

जान लता ह उसी म िःथत हो जाता ह वह जीवन और मौत दोनो स पर दोनो का द ा बन जाता ह उस िफर कोई भय नही रहता वह सदव आननद म मःत रहता ह

मरो मरो सब कोई कह मरना न जान कोई एक बार ऐसा मरो िक िफर मरना न होई

मगलमय जीवन मगलमय िववाह मगलमय सबध उस परम मगल चतनय क कारण ही

हो सकत ह न िक शि शरीर क बा प-रग पर िवमोिहत होन स महाराज जी क पास आकर एक मिहला कहन लगीः मर पित ःवगरःथ हो गय ह

उनका िवयोग सहा नही जाता ऐसा कोई उपाय बताओ िक उनका िहत हो और मझ शाित िमल

दसरा एक वयि आया और बोलाः मरी प ी मझ अकला छोड़कर चल बसी ह

तीसर न कहाः मरा बटा ःवगरःथ हो गया ह उसकी मीठ याद आती ह मर मन म आता ह िक उसक पीछ म भी आतमहतया करक मर जाऊ बाबा जी शािनत का कछ उपाय बताइय

महाराज जी न कहाः ह भि मिहला पित की याद आय तो उनह खब आदरपवरक कहोः

मरणधमार शरीर म होत हए भी आप अमर थ शरीर क मरन पर भी आप नही मर दह न र ह आप शा त हो चतनय हो आप परम र का अिवनाशी अश हो जनम-मतय आपका धमर नही ह पाप-पणय आपका कमर नही ह आप अजर हो श ब हो हम परःपर पािथरव शरीर की ीित करक मोह म सड़ रह थ िवकारो म दब रह थ अब पािथरव शरीर की ीित स म होकर अपािथरव आतमा म िःथत हो जाओ

वह शादी बरबादी म बदल जाती ह िजसम एक दसर क शरीर को पयार करत ह वह

मगलमय शादी आबादी की ओर ल जाती ह जहा प ी पित को पित प ी को पऽ िपता को िपता पऽ को शरीर क प म नही अिपत शरीरो क आधार श चतनयःव प म दख परःपर अपन चतनयःव प की याद िदलाव और रणा द

ह भि मिहला अपन पित को याद करक उनक जीवातमा को यह रणा दो इसस

उनकी भी उननित होगी और तमहारी उननित होगी ऐसा िचनतन करो िकः ह चतनयःव प मर आतमन शरीर को पाच भत क पतल

को तयागन क बाद भी आपका अिःततव ह आप आतमा हो परम र हो अमर हो चतनय हो शा त हो

इसी कार अपनी प ी को और ःवगरःथ पऽ पिरवार को ःमरण करक उनको उननत

करो और आप भी उननत बनो जीत-जी भी परःपर इसी भाव स उननत करो मतय मगलमय हो जाय ऐसा वातावरण बनाओ

जो वयि मतय को ा हो चक ह उनक ौा ो क िदनो म तथा ःमरण क व उनह

सझाव दो िकः जनम-मतय तमहारा धमर नही था पाप-पणय तमहारा कमर नही था तम अजर

अिवनाशी िनलप शा त सनातन नारायण क अश हो अतः अपन परम र ःवभाव को सभालो ःमरण करो

अपन पित प ी पऽ का नाम लकर कहो िकः तम वही हो सचमच म वही हो जो

मरन क बाद भी नही मरता ॐॐॐ तम चतनय आतमा हो ॐॐॐ शा त परम र हो ॐॐॐ अिवनाशी परमातमा हो ॐॐॐ

पथवी पर क ःवपन तलय सबधो का ःमरण करक तम नीच न िगरो अिपत आतमा-

परमातमा क सबध को याद करत हए अपना ऐिहक जीवन मगलमय बनाओ ससार स कच करक जाओ उस समय तमहार कटमबी आतमा परमा तमा की एकता और अमरता तमहारी िनतयता और म ता का ःमरण तमह अत समय म करा द ऐसी वयवःथा करो

कोई चल बसन वाल हो या चल बस हो उनको याद करक उनकी ओर िदवय िवचार

अमर आतमा का सनदश भजो इस कार तम उ म सवा कर सकत हो और जीिवतो को जीवनदाता म जगा सकत हो दोनो इस कार परःपर सहायता करोग और पाओग

टिलफोन पर अपन दर क सबधी स हम जब बात करत ह तो उस यऽ म स आन वाली

धविन अपन सबधी की होती ह ऐस ही शरीर पी यऽो स जो कछ ःनह सातवना सहानभित म या काश हम पात ह वह भीतर वाल परम र का ही होता ह उनको या उनक िचऽो को

दखो तो उन िचऽो क पीछ खड़ उस शा त सतय को परम िमऽ को पयार करो और उनह भी याद िदलाओ िकः ह शा त आतमा ह परातन ह अिवनाशी नाशवान ससार और शरीर बदलत ह लिकन तम अबदल आतमा हो ॐॐॐ

बचपन बदल गया यौवन बदल गया बढ़ापा बदल गया शरीर बदल गया िफर

तम भी हो तम वह अमर आतमा हो िजस पर काल का भी कोई भाव नही चलता ह अकाल आतमा अपनी मिहमा म जागो इस कार क िवचार भजन स मगल करोग और मगल को पाओग जीवन मगलमय होन

लगगा मतको की मतय भी मगलमय हो जायगी मगल भवन अमगलहारी िवचारो को सदव एक दसर क ित सािरत करो ॐ आननद

आननद आननद रोत चीखत मोहमाया म पड़कर उनको याद करत हो तो उनका और अपना सतयानाश

करत हो उनको नीच िगरात हो उनकी आतमा को भटकात हो अपन को तचछ बनात हो अमागिलक िवचारो को कतई ःफिरत न होन दो सदव मगलमय िवचार हो जायगा मगलमय जीवन मतय भी मगलमय हो जायगी ॐ ॐ ॐ

ॐॐॐॐॐॐॐॐ जीवन और मतय आतमा-परमातमा को पान क दो पहल ह रात क बाद िदन िदन क

बाद रात होती ह इसी तरह जीवन और मतय चोल बदलत हए अनभवो स गजरत हए अपन आतमःव प को ःव प को पान क िलए मगलमयी अवःथा ह

िदन िजतना पयारा ह रात भी उतनी ही आवयक ह जीवन िजतना पयारा ह मतय भी

उतनी ही आवयक ह मतय मान आतमिशव क मिनदर म जान क िलए ऊची सीिढ़या मतय मान मा की गोद म बालक सो गया और उमा शि ताजगी ःफितर पाकर िफर सबह खलता ह मतय मान मा की गोद म थकान िमटान को जाना िफर नया तन ा करक अपनी मगलमय याऽा करना

त वदि स दखा जाय तो यह जीवन-मतय की याऽा कित म हो रही ह तमह

परमातमाःव प म जगान क िलए गीता म भगवान ौी कण कहत ह-

न जायत ियत वा कदािचननाय भतवा भिवता वा न भयः अजो िनतयः शा तोऽयपराणो न हनयत हनयमान शरीर

त वतः यह आतमा न कभी जनमता ह और न मरता ह न यह उतपनन होकर िफर होन

वाला ही ह यह जनमरिहत िनतय िनरनतर रहन वाला शा त और परातन अनािद ह शरीर क मार जान पर भी वह नही मारा जाता

(गीताः 220) शव की ःमशानयाऽा म मटका ल जात ह फोड़ दत ह यह याद िदलान क िलए िक दह

मानो मटका ह इस मगलमय मतय को पीछ िव ल होन की आवयकता नही ह यह मटका सवा करन क िलए िमला था जीणर-शीणर हआ टट गया िफर नया िमलगा मगलमय आतमा-परमातमा की ाि तक यह मगलमय जनम-मरण की याऽा तो चलती ही रहगी इसम िव ल होकर रोना-चीखना िनरा मोह ह अगर इस मोह को पोसा जाय और िकसी की मतय न हो तो ससार महा नरक हो जायगा माली अगर बगीच म काट-छाट न कर तो बगीचा बगीचा ही न रहगा अिपत भयानकर जगल हो जायगा

स ा न मतय का मगलमय िवधान न बनाया होता तो आदमी म तयाग सवा नता क

सदगण ही नही िखलत सब अमर होकर अिड़यल की तरह उलझ रहत रािऽ स अरणोदय अरणोदय स िफर मगलमयी रािऽ की अिनवायर आवयकता ह िवराट

की यह चणड बीड़ा तमह अपन िवराट ःवभाव म जगान क िलए आवयक ह मतय मान महायाऽा महाःथान महािनिा अतः जो मर गय ह उनकी याऽा मगलमय

हो आतमोननितद हो ऐसा िचनतन कर न िक अपन मोह और अजञान क कारण उनको भी भटकाए और खद भी परशान हो

कइयो की मतय बालयकाल म या यौवन म हो जाती ह जस मा न बचच को कपड़

पहनाए और नही जच उठा िलय िफर नय व ो स सजाया-धजाया अथवा यो कहो िक बचचा िखलौनो म रम जाता ह िखलौन नही छोड़ना चाहता परनत मगलमयी मा उस बलात उठा लती ह अपनी गोद म सलाती ह अपनी उमा सािननधय िवौािनत स उस प करक िफर नतन भात को उस खलन क िलए बीडागन म भज दती ह ऐस ही जीवातमा का बीडागन ससार ह अतः अनक शरीर बदलत हए अबदल की मगलमय याऽा करन क िलए जीवन और मतय को मगल िवधान समझकर ई र की हा म हा करत हए अपनी याऽा उननत कर

ॐॐॐ

ॐॐॐॐॐॐॐॐ

अनबम

िचतन पराग ई र का बनाया हआ त भल ही बना रह उसको िमथया समझ लन माऽ स का

बोध हो सकता ह साधक का काम त को िमथया समझन स ही चलता ह इचछाओ की ति का उपाय एक ही ह िक इचछाए तयाग दी जाए िजस िववकी न इस

जगत को सपन या इनिजाल क समान समझ िलया ह िजस दय न प म िदखन लगा ह वह दोषदश िववकी भला बताओ इसम अनराग कस कर

जञानी जागरण को सतय समझना छोड़ दन पर िफर पहल की भाित अनर नही होता

जञानी तयक वःत को अपना आतमा समझता ह मद की कलपना को बार-बार मन म लाना काम-वासना स म होन का सव म उपाय

बताया गया ह मद को पड़ हए दखकर मन घबरान लगता ह पिरणाम की कयो परवाह करत हो अपनी तनखवाह क बार म कभी िफब मत करो

अजञानी लोग समझत ह िक कायर की सफलता म कायर करन की अपकषा अिधक आननद ह इन अनधो को यह मालम ही नही ह िकसी पिरणाम स उतना सख नही िमलता िजतना काम करन स िमलता ह

अपन िवचारो को सदा वाःतिवक आतमा म रखो और पिरिःथितयो की परवाह मत करो तब तक आपकी हािन नही हो सकती जब तक िक आप ःवय उस नही बलात तलवार

तब तक नही काट सकती जब तक आप यह न सोच िक यह काटती ह ऐ पणर तर िलए कोई कतरवय या कायर शष नही ह सारी कित सास रोक तरी

सवा क िलए खड़ी ह ससार तरी पजा करन का अवसर पाकर अपन को कतकतय करना चाहता ह कया त कित की शि यो को अपन चरणो म झकन का अवसर दगा

अपन भीतर सतय क काश को सदा चमकता रखो भय और लोभन का शतान तमहार

पास नही फटकगा

बाहर की बातो म कछ भी नही मान अपमान अपना काम िकय जा िनिशिदन इसम ही सममान

दसर लोग तमहारी आलोचना िनदा करत हो उनह रोकन की च ा न करो कयोिक इनही

सब बातो क ारा तमम सदगणो की वि होगी जब तक तमहारा दय इतना दढ़ नही ह िक तम मख क बकन पर िःथर और शात बन रहो अथवा तमम इतनी सहनशीलता नही ह िक अजञानी मख को कषमा कर सको तब तक तम अपन को कही जञानी न समझ बठना

यिद तम शरीर और मन स ऊपर उठ जाओ तो सब िचनता और भयो स छट हो

जाओग िकसी भी आकिःमक दघरटना स धयर न छोड़ो कयोिक घबराहट स शि तथा बि का

नाश होता ह िकसी भी कार की किठनाइयो क आग दःिखत न होकर गमभीरतापवरक उनका सामना करो तभी तम िनःसनदह िवजय ा करोग तम कही भी हतोतसािहत होकर िनराश न होओ

ऐसी कौन-सी िवपि ह जो मरी सननता को न कर सकती ह वह कौन-सा रज ह जो

मर आननद म िव न डाल सकता ह म तो िव ाणड का भ ह म बि का भ ह िदमाग का मािलक ह और मन का शासक ह ससार मझम ह म ससार म नही आ सकता िव मझम ह म िव म नही बध

सकता सयर और नकषऽ मझम उदय और अःत होत ह दह और दिनया दोनो ई र क भीतर ह वही ई र म ह म िनिलर आतमा ह मरा जनम नही मतय नही म अजर-अमर ह म िचदाननद

आतमःव प ह म िमथया त िमथया धमर िमथया कमर िमथया और जगत िमथया और ऐसा तीत

होता ह िक म सवरःव ह म ही सवरजञ सवरगत आतमा ह अपना साकषी ह कदािप उन नाम पो म फसा नही ह

म िवश ह असखय ाणड मझम पड़ ह म असःपयर ह मरा ःव प िनिलर ह

मझ दःख स कोई भय नही ह मझ समय की जरा भी िचनता नही आतमाननद वाल को भय और आशका कसी

िकसी भी डर को अपन पास मत फटकन दो लोग यिद तमहार बराई करत ह तो तम उनह आशीवारद दो ऐस ःथान पर जाओ जहा

लोग तमस घणा कर तम तो म हो पहल स ही म हो सवरदा कहोः म सदा आननदःव प ह म

म ःवभाव ह म अननत ःव प ह मरी आतमा का आिद और अनत नही ह सभी मर आतमःव प ह

सननतापवरक अपमान सहन करन स और नता धारण करन स अिभमान की िनवि

होती ह िकसी पिवऽ ःथान पर जाओ तो वहा क अनशासन का पालन करो वहा चपपलो की

चटाक-पटाक आभषणो की खनखनाहट भड़कील व ो की फरफराहट आिद हमस न हो इसका परा धयान रखो कही भी िकसी क भी िच को या शात वातावरण को अशात करन का हम कोई अिधकार नही ह

अपन िकसी भी दःख या अशाित का कारण बाहर मत ढढो बाहर की पिरिःथितयो या

वयि यो को दोष मत दो कारण अपन भीतर ढढो िनद ष भाव स ढढोग तो कारण भीतर ही िमल जायगा उस दर करन की च ा करो शातिच रहन का यही बहमलय उपाय ह

जो आतम-अनशािसत ह व ही शासन कर सकत ह ऐसा करन क िलए नाम-जप कर

धयान कर िकसी आतमिन सत का पावन सािननधय ा कर सब तरह स िनभरय एव सनन बनन का यह ौ साधन ह

िवन बनो िनरहकारी बनो अपन आपको बड़ा बतान की च ा न करो िवनता एव

िनरािभमानता ही तमह बड़ा बनायगी िवनता मनय का बहत बड़ा भषण ह िनमरल दि रखो िकसी क दोष दखना यह बहत बड़ा दगरण ह िछिानवषी न बनो

दसरो क दोष दखना पाप अजरन करना ह गणमाही बनो

ॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐ

अनबम

  • मगलमय जीवन-मतय
  • मतय क परकार
  • मतय भी जीवन क समान आवशयक
  • सिकनदर न अमत कयो नही पिया
  • बिना मतय को जान जीवन जीवन नही
  • मतय किसकी होती ह
  • भगवान शरीराम और तारा
  • मतयः कवल वसतर परिवरतन
  • फकीरी मौतः आननदमय जीवन का दवारः
  • यमराज और नचिकताः
  • सचच सत मतय का रहसय समझात ह
  • मतयः एक विशरानति-सथानः
  • वासना की मतय क बाद परम विशरानति
  • धतराषटर का शोकः
  • घाटवाल बाबा का एक परसग
  • फकीरी मौत ही असली जीवन
    • फकीरी मौत कया ह
      • सकरात का अनभव
      • आधयातमविदयाः भारत की विशषताः
      • तीन परकार क लोगः
      • जञान को आय स कोई निसबत नही
      • योगसामरथयः एक परतयकष उदाहरण
      • योग भी साधना का आखिरी शिखर नही
      • गणातीत सत ही परम निरभयः
      • सतो का सनदशः
      • चितन पराग

अनबम मगलमय जीवन-मतय 5

मतय क कार 5

मतय भी जीवन क समान आवयक 6

िसकनदर न अमत कयो नही िपया 7

िबना मतय को जान जीवन जीवन नही 8

मतय िकसकी होती ह 9

भगवान ौीराम और तारा 10

मतयः कवल व पिरवतरन 10

फकीरी मौतः आननदमय जीवन का ारः 11

यमराज और निचकताः 13

सचच सत मतय का रहःय समझात ह 14

मतयः एक िवौािनत-ःथानः 15

वासना की मतय क बाद परम िवौािनत 16

धतरा का शोकः 16

घाटवाल बाबा का एक सग 17

फकीरी मौत ही असली जीवन 18

फकीरी मौत कया ह 18

सकरात का अनभव 19

आधयातमिव ाः भारत की िवशषताः 20

तीन कार क लोगः 20

जञान को आय स कोई िनःबत नही 21

योगसामथयरः एक तयकष उदाहरण 22

योग भी साधना का आिखरी िशखर नही 23

गणातीत सत ही परम िनभरयः 23

सतो का सनदशः 24

िचतन पराग 32

मगलमय जीवन-मतय आज हम जीवन और मतय क बार म िवचार करग बात तो बहत छोटी ह मगर बड़ी

अटपटी ह झटपट समझ म नही आती अगर एक बार समझ म आ जाय तो जीवन की सब खटपट िमट जाय

इस रहःय को न समझ सकन क कारण हम अपन को सीिमत दशकाल क भीतर एक सामानय ौोता क प म यहा उपिःथत मान रह ह मगर यिद यह रहःय हम ठ क स समझ म आ जाय तो तरनत यह खयाल आयगा िकः म अननत ाणडो म वया होकर सभी िबयाए कर रहा ह मर अितिर दसरा कछ ह ही नही तो िफर जीवन िकसका और मौत िकसकी

मतय क कार मतय पर िभनन-िभनन दि स िवचार कर सकत ह पौरािणक दि स अपन इ की ःमित जीवन ह और इ की िवःमित मतय ह वयावहािरक दि स अपनी इचछा क अनकल घटना घट यह जीवन ह और इचछा क

ितकल घटना घट यह मतय ह ऐसी मतय तो िदन म अनक बार आती ह लौिकक दि स पद ित ा िमलना वाह-वाही होना जीवन ह और बदनामी होना मौत

कहा जा सकता ह िजस साधारण लोग जीवन और मौत कहत ह उस दि स दख तो पचभतो स बन ःथल

शरीर का सआम शरीर (ाणमय शरीर) स सयोग जीवन ह और िवयोग मौत ह वाःतव म न तो कोई जीता ह न कोई मरता ह कवल कित म पिरवतरन होता ह इस

पिरवतरन म अपनी ःवीकित तो जीवन लगता ह और इस पिरवतरन म िबना इचछा क िखचा जाना घसीटा जाना जबरन उसको ःवीकार करना पड़ यह मौत जसा लगता ह वाःतव म मौत जसा कछ नही ह

जगत म जो कछ भी दि गोचर होता ह वह सब पिरवतरनशील ह दसर शबदो म वह

सब काल क गाल म समाता जा रहा ह चहचहाट करत हए पकषी भागदौड़ करत हए पश लहलहात हए पड़ -पौध वनःपित कित म हलचल मचाकर मिःतक को चकरा दन वाल

आिवकार करत हए मनय सभी एक िदन मर जायग कई मर गय कइयो को रोज मरत हए हम अपन चारो ओर दख ही रह ह और भिवय म कई पदा हो-होकर मर जायग

कोई आज गया कोई कल गया कोई जावनहार तयार खड़ा नही कायम कोई मकाम यहा िचरकाल स य ही िरवाज रहा

दादा गय िपता गय पड़ोसी गय िरतदार गय िमऽ गय और एक िदन हम भी चल

जाएग इस तथा किथत मौत क मह म यह सब दखत हए जानत हए समझत हए भी 50 वषरवाला 60 60 वषरवाला 70 70 वषर वाला 80 और 90 वाला 100 वषर उ दखन की इचछा करता ह 100 वषर वाला भी मरना नही चाहता मौत िकसी को पसनद नही ह

मन सना ह िक अमिरका म लगभग एक हजार ऐसी लाश सरिकषत पड़ी ह इस आशा म

िक आग आन वाल 20 वष म िवजञान इतनी गित कर लगा िक इन लाशो को जीवनदान द सक हर लाश पर 10000 रपय दिनक खचर हो रहा ह बीस साल तक चल उतना धन य मरन वाल लोग जमा कराक गय ह

कोई मरना नही चाहता क म िजसक पर लटक रह ह वह बढ़ा भी मरना नही चाहता औषिधया खा-खाकर

जीणर-शीणर हआ रोगी मरणश या पर पड़ा अितम ास ल रहा ह डॉकटरो न जवाब द िदया ह वह भी मरना नही चाहता लाश भी िजनदा होना चाहती ह कित का यह मतय पी पिरवतरन िकसी को पसनद नही य िप यह सब जानत ह

जो आया ह सो जाएगा राजा रक फकीर

यह मान भी िलया जाय िक 20 वषर म िवजञान इतनी उननित कर लगा और लाशो को िफर स जीिवत भी कर दगा िफर भी व कब तक िटकी रहगी अत म जरा-जीणर होगी ही उन लाशो को तो बीस वषर भी हो गय अभी तक िवजञानी उनह जीिवत नही कर पाय मानो कर भी ल तो य कब तक िटक गी

मतय भी जीवन क समान आवयक

बगीच म वही क वही पड़-पौध फल-प यो क तयो बन रह उनकी काट-छाट न की जाय नय न लगाय जाए उनको सवारा न जाय तो बगीचा बगीचा नही रहगा जगल बन जायगा बगीच म काट-छाट होती रह नय पौध लगत रह परान सड़-गल पपहीन ठठ िबनज री पौध हटा िदय जाय और नय सगिनधत नवजीवन और नवचतना स ओतोत पौध लगाय जाए यह ज री ह

अनबम

िसकनदर न अमत कयो नही िपया साट िसकदर िजस पीकर अमर हो जाए कभी मरना न पड़ ऐस अमत जल की खोज

म था नकशो क सहार िवजय करता हआ वह उस गफा म पहच भी गया िजसक अनदर अमतजल का झरना था गफा क बाहर ही उसन अपन सभी सिनको को रोक िदया और ःवय अकला बड़ उतसाह व सननता स आिहःत-आिहःत चौकनना होकर कदम बढ़ान लगा आज उसक जीवन की सबस बड़ी खवािहश परी होन जा रही थी उसका दय उछल रहा था थोड़ी ही दर अपन सामन परो क पास ही उसन दखाः चा दी सा त अमतजल धीमी-धीमी कल-कल छल-छल आवाज करता बह रहा ह उसका दय आननद स िखल उठा अब वह अपन को न रोक सका वह घटनो क बल नीच झका अपन दोनो हाथ पानी म डबोए

आहा कसा शीतल ःपशर उसकी सारी थकान उतर गई दोनो हाथो की अजली म उसन

वह जल भरा अजली को धीर-धीर मह तक लाया दय की धड़कन बढ़ी होठ सधापान करन को लालाियत हो उठ बस जल ओठो तक पहच ही गया था और वह पी ही लता िक इतन म -

खबरदार उस िनजरन गफा म िकसी की आवाज गज उठ च क कर िसकनदर न िसर ऊपर

उठाया दखा तो एक कौआ वहा बठा ह खबरदार िसकदर रक जाओ जलदी न करो जो भल मन की वह तम मत करो

मझ कोई साधारण कौआ मत समझना म कौओ का साट ह म भी तमहारी तरह बहत पिरौम म इस अमत की खोज करत-करत यहा तक पहचा ह और मन यह जल पी िलया ह परनत इस पीकर अब मसीबत म पड़ गया ह

ऐसी गमभीर घड़ी म यह िव न िसकदर को अचछा नही लगा िफर भी धीरज स वह

उसकी बात सनन लगा कौआ बोलाः

तमको जल पीना हो तो अवय िपयो िसकदर लिकन मरी बात परी सन लो यह जल

पीकर म अमर हो गया ह जो कछ जीवन म करन की इचछा थी वह सब म कर चका ह िजतना घमना था घम िलया सनना था सन िलया गाना था गा िलया खाना था खा िलया जो भी मौज करन की इचछा थी सब कर िलया अब करन क िलए कछ बचा ही नही अब यह जीवन मर िलय भार बन गया ह म अब मरना चाहता ह परनत मर नही सकता मरन क िलए पानी म कदा परनत पानी न मझ डबाया नही पहाड़ो पर स कदा िफर भी मरा नही आग की वालाओ म कदकर दखा उसन भी मझ जलाया नही तलवार की धार स मन गदरन िघसी परनत धार खराब हो गई गदरन न कटी यह सब इस अमतजल क कारण

सोचा था िक अमर होकर सखी होऊगा परनत अब पता चला िक मन मसीबत मोल ल

ली ह तमको यह जल पीना हो तो अवय िपयो म मना नही करता परनत मरी तमस िवनती ह िक यहा स जान क बाद मरन की कोई िविध का पता लग तो मझ अवय समाचार दना

थोड़ी दर क िलए गफा म नीरव शाित छा गई िसकदर क हाथ की उगिलया िशिथल हो

ग उनक बीच म स सारा अमतजल िगर कर पनः झरन म समा गया दसरी बार उसन झरन क जल म हाथ डालन की िहममत नही की मन ही मन िवचार करत हए वह उठ खड़ा हआ और पीछ मड़कर गफा क ार की ओर चल पड़ा आिहःत-आिहःत िबना अमतजल क िपय

यह घटना सच हो या झठ उसस कोई सरोकार नही परनत इसम एक तथय छपा हआ

ह िक िजतना जीवन ज री ह उतनी ही मौत भी ज री ह पिरवतरन होना ही चािहए

अनबम

िबना मतय को जान जीवन जीवन नही िजस जीवन क िलए अपनी लाश की सरकषा हत करोड़ो रपयो की वसीयत करक लोग

चल गय िजस जीवन को िटकाए रखन क िलए हम लोग भी अपार धन-समपि इक ठ करन म लग हए ह दसरो को दःखी करक भी जीवन क ऐश ETHआराम क साधन समह करन म हम लग हए ह वह जीवन िटक जान क प ात भी अमर हो जान क बाद भी कया हमको आननद द सकगा कया हम सखी हो सक ग यह जरा िवचार करन यो य ह मौत स मनय डरता ह परनत ऐसा जीवन भी कोई जीवन ह िजसम सदव मौत का भय बना रह जहा पग-पग मतय

का भय हम किमपत करता रह ऐसा नीरस जीवन भयपणर जीवन मौत स भी बदतर जीवन ह ऐसा जीवन जीन म कोई सार नही यह जीवन जीवन नही ह

यिद जीवन ही जीना ह यिद रसमय जीवन जीना ह यिद जीवन का ःवाद लत हए

जीवन को जीना ह तो मौत को आमिऽत करो मौत को बलाओ और होशपवरक मौत का अनभव करो जो सत मौत का अनभव कर चक ह उनका सग करक मौत की पोल को जान लो िफर तो आप भी मःत होकर उनकी तरह कह उठ गः

जा मरन त जग डर मोर मन आननद

अनबम

मतय िकसकी होती ह अभी तो िजस तम जीवन कहत हो वह जीवन नही और िजस तम मौत कहत हो वह

मौत नही ह कवल कित म पिरवतरन हो रहा ह कित म जो रहा ह वह सब पिरवतरन ह जो पदा होता िदख रहा ह वही न होता नजर आता ह िजसका सजरन होता िदखता ह वही िवसजरन की ओर जाता नजर आता ह पड़-पौध हो या खाइया हो सागर हो या मरःथल हो सब पिरवतरन पी सिरता म बह जा रह ह जहा नगर थ वहा वीरान हो गय जहा बिःतया थी वहा आज उलल बोल रह ह और जहा उलल बोल रह थ वहा बिःतया खड़ी ह जहा मरःथल थ वहा आज महासागर िहलोर ल रह ह और जहा महासागर थ वहा मरःथर खड़ ह बड़-बड़ ख डो की जगह पहाड़ खड़ हो गय और जहा पहाड़ थ वहा आज घािटया खाइया बनी हई ह जहा बड़ -बड़ वन थ वह भिम बजर और पथरीली हो गई और जो बजर थी पथरीली थी वहा आज वन और बाग-बगीचो क प म हिरयाली फली हई ह

चाद सफर म िसतार सफर म

हवाए सफर म दिरया क िकनार सफर म अर शायर वहा की हर चीज सफर म तो आप बसफर कस रह सकत ह

आप िजस शरीर को म मानत ह वह शरीर भी पिरवतरन की धारा म बह रहा ह

ितिदन शरीर क परान कोष न हो रह ह और उनकी जगह नय कोष बनत जा रह ह सात वषर म तो परा शरीर ही बदल जाता ह ऐसा वजञािनक भी कहत ह इस ःथल शरीर स सआम

शरीर का िवयोग होता ह अथारत सआम शरीर दह पी व बदलता ह इसको लोग मौत कहत ह और शोक म फट-फट कर रोत ह

अनबम

भगवान ौीराम और तारा भगवान राम न जब बाली का वध िकया तो बाली की प ी राम क पास आई और अपन

पित क िवयोग म फट-फट कर रोन लगी राम न उसको धीरज बधात हए कहाः

िकषित जल पावक गगन समीरा पच रिचत यह अधम शरीरा सो तन तव आग सोहा जीव िनतय त कहा लिग रोवा

ह तारा त िकसक िलए िवलाप कर रही ह शरीर क िलए या जीव क िलए

पचमहाभतो ारा रिचत शरीर क िलए यिद त रोती ह तो यह तर सामन ही पड़ा ह और यिद जीव क िलए रोती ह तो जीव िनतय ह वह मरता नही

मतयः कवल व पिरवतरन यिद वाःतव म मौत होती तो हजारो-हजारो बार होन वाली तमहारी मौत क साथ तम भी

मर चक होत आज तम इस शरीर म नही होत यह शरीर तो माऽ व ह और आज तक आपन हजारो व बदल ह अपना ई र कगाल नही ह िदवािलया नही ह िक िजसक पास दो चार ही व हो उसक पास तो अपन बालको क िलए चौरासी-चौरासी लाख व ह कभी चह का तो कभी िबलली का कभी दव का तो कभी गधवर का न जान िकतन-िकतन वश आज तक हम बदलत आय ह व बदलन म भय कसा

यही बात भगवान ौीकण न अजरन स कही हः

वासािस जीणारिन यथा िवहाय नवािन ग ाित नरोऽपरािण तथा शरीरािण िवहाय जीणारनयनयािन सयाित नवािन दही

ह अजरन त यिद शरीरो क िवयोग का शोक करता ह तो यह भी उिचत नही ह कयोिक

जस मनय परान व ो का तयागकर दसर नय व ो को महण करता ह वस ही जीवातमा परान शरीरो को तयाग कर दसर नय शरीरो को ा होता ह

(गीताः 222)

बालक की च डी (नकर) फटन पर उसकी मा उसको िनकाल कर नई पहनाती तो बालक

रोता ह िचललाता ह वही बालक बड़ा होता ह पहल की चि डया छोटी पड़ जाती ह उनह छोड़ता ह बड़ी पहनता ह िफर वह भी छोड़कर पनट पाजामा या धोती आिद पहनता ह ऐस ही परमातमा की सतान भी यो- यो बड़ी होती ह िवकिसत होती ह तयो-तयो उस पहल स अिधक यो य ददीपयमान नय शरीर िमलत ह जीव-जतओ स िवकिसत होत-होत बनदर गाय और आिखर मनय दह िमलती ह मनय िदवय कमर कर स वगण-धान बन तो दव गधवर की योिन िमलती ह उसका ःवभाव रजस धान हो तो वह िफर मनय बनता ह और यिद तामसी ःवभाव रखता ह तो पनः हलकी योिनयो म जाता ह उस मानव को यिद ई र भि क साथ कोई समथर सदगर िमल जाय उस आतमधयान आतमजञान की भख जग वह गरकपा पचा ल तो वही मन य चौरासी क चब म घमन वाला जीव अपन िशवःवभाव को जानकर तीनो गणो स पार हो जाय परमातमा म िमल जाय

व पिरवतरन स भय कसा व बदलन वाला तो कभी भी मरता नही वह अमर ह और पिरवतरन कित का ःवभाव ह तो िफर मौत ह ही कहा यही बात समझात हए गीता म भगवान ौी कण कहत ह अजरन स िक तमह भय िकस बात का ह

हतो वा ापःयिस ःवग िजतवा वा भोआयस महीम

यिद य म शरीर छट गया तो ःवगर को ा करोग और यिद जीत गय तो पथवी का

रा य भोगग (सभी ौोतागण तनमयता स जीवन मतय पर मीमासा सन रह ह ःवामी जी कछ कषण

रककर सभी पर एक रहःयमय दि फ कत ह वातावरण म थोड़ी गमभीरता छाई हई जानकर करत ह)

फकीरी मौतः आननदमय जीवन का ारः आप लोग उदास तो नही हो रह ह न आपको मौत का भय तो नही लग रहा ह न

अभी कवल जीवन पर बात ही चल रही ह िकसी की मौत नही आ रही ह (यह सनकर सभी िखलिखलाकर हस पड़त ह ःवामी जी फकीर मःती म आग कहत

ह)

अर मौत तो इतनी पयारी ह िक उस यिद आमिऽत िकया जाय तो आननदमय जीवन क ार खोल दती ह

एक जवान साध था घमत-घमत वह नपाल क एक पहाड़ की तलहटी म जा पहचा वहा

उसन दखा एक व सत एक िशला पर बठ ह शाम का समय ह सरज िछपन की तयारी म ह उन सत न उस जवान साध को तो दखा तो बोलः

मर परो म इतनी ताकत नही िक अभी म ऊपर पहाड़ पर चढ़कर अपनी गफा तक पहच सक बटा तम मझ अपन कध पर चढ़ाकर गफा तक पहचा दो

यवा साध भी अलमःत था उसन सत को अपन कध पर िबठा िलया और चल पड़ा

उनकी गफा की ओर चढ़ाई बड़ी किठन थी परनत वह भी जवान था चढ़ाई चढ़ता रहा काफी ऊपर चढ़ चकन पर उसन सत स पछाः

गफा अभी िकतनी दर ह

बस अब थोड़ी दर ह चलत-चलत काफी समय हो गया साध पछता रहा और व सत कहत रहः बस अब

थोड़ी ही दर ह मामा का घर िजतना दर िदया िदख उतना दर ऐसा करत-करत रात को यारह बज क करीब गफा पर पहच साध न व सत को कध स नीच उतारा और बोलाः

और कोई सवा

सत उसकी सवा स बड़ सनन थ बोलः बटा तमन बड़ी अचछ सवा की ह बोल अब तझ कया परःकार द वह दख

सामन तीन-चार भर हए बोर रख ह उसम स िजतना उठा सको उतना उठा ल जाओ यवा साध न जाकर बोरो को छकर दखा अनमान लगाया शायद र ी कागजो स भर हए

ह िफर धयान स दखा को अनमान गलत िनकला व बोर नपाली नोटो स भर हए थ उसन अनमन मन स उनको दखा और उलट परो लौट पड़ा सत की ओर सत न पछाः

कयो माल पसनद नही आया व सत पहच हए योगी थ अपन योगबल ारा उनहोन नोटो क बडलो स भर बोर

उतपनन कर िदय थ उनको ऐसी आशा थी िक वह यवा साध अपनी सवा क बदल इस परःकार स खश हो जायगा परनत वह यवा साध बोलाः

ऐसी सब चीज तो म पहल ही छोड़ आया ह इनस कया जीवन की रकषा होगी इनस कया जीवन का रहःय समझ म आएगा इनस कया मौत जानी जा सकगी कया म इनही चीजो क िलए घर बार छोड़कर दर-दर भटक रहा ह जगलो और पहाड़ो को छान रहा ह य सब तो न र हऔर अगर सतो क पास भी न र िमलगा तो िफर शा त कहा स िमलगा

अनबम

यमराज और निचकताः निचकता भी यमराज क सममख ऐसी ही माग पश करता ह कठोपिनषद म निचकता

की कथा आती ह निचकता कहता ह यमराज सः ह यमराज कोई कहता ह मतय क बाद मनय रहता ह और कोई कहता ह नही रहता ह इसम बहत सदह ह इसिलए मझ मतय का रहःय समझाओ तािक सतय कया ह यह म जान सक परनत यमराज निचकता की िजजञासा को परखन क िलए पहल भौितक भोग और वभव का लोभ दत हए कहत ह -

शतायषः पऽपौऽानवणीव बहनपशनहिःतिहरणयम ान भममरहदायतन वणीव ःवय च जीव शरदोयाविदचछिस

ह निचकता त सौ वषर की आयय वाल पऽ-पौऽ बहत स पश हाथी-घोड़ सोना माग

ल पथवी का िवशाल रा य माग ल तथा ःवय भी िजतन वषर इचछा हो जीिवत रह

(वललीः 123) इतना ही नही यमराज आग कहत ह- मनयलोक म जो भोग दलरभ ह उन सबको ःवचछनदतापवरक त माग ल यहा जो रथ

और बाजो सिहत सनदर रमिणया ह व मनयो क िलए दलरभ ह ऐसी कािमनयो को त ल जा इनस अपनी सवा करा परनत ह निचकता त मरण समबनधी मत पछ

िफर भी निचकता इन लोभनो म नही फसता ह और कहता हः य सब भोग सदव रहन वाल नही ह और इनको भोगन स तज बल और आयय कषीण

हो जात ह मझ य भोग नही चािहए मझ तो मतय का रहःत समझाओ

अनबम

सचच सत मतय का रहःय समझात ह ठ क इसी कार वह यवा साध उन व सत स कहता हः मझ य नोटो क बडल नही

चािहए आप यिद मझ कछ दना ही चाहत ह तो मझ मौत दीिजए म जानना चाहता ह िक मौत कया ह मन सना ह िक सचच सत मरना िसखात ह म उस मौत का अनभव करना चाहता ह

वःततः सत मरना िसखात ह इसीिलए तो लोग रोत हए बचचो को चप करान क िलए

कहत ह - रो मत चप हो जा नही तो वह दख बाबा आया ह न वह पकड़कर ल जायगा भल ही लोग अजञानतावश बाबाओ अथवा सतो स बचचो को डरात हए कहत ह िक व ल जायग परनत िजनको सचच सत ल जात ह अथवा जो उनका हाथ पकड़ लत ह व तर जात ह सचच सत उनको सब भयो स म कर दत ह और उनको ऐस पद पर िबठा दत ह िक िजसक आग ससार क सार भोग-वभव धन-समपि पऽ-पौऽ यश-ित ा सब तचछ भािसत होत ह परनत ऐस सचच सत िमलन दलरभ ह और दढ़ता स उनका हाथ पकड़न वाल भी दलरभ ह िजनहोन ऐस सतो का हाथ पकड़ा ह व िनहाल हो गय

उस यवा साध न भी ऐस ही सत का हाथ पकड़ा था मौत को जानन की उसकी बल

िजजञासा को दखकर व व सत बोल उठः अर यह कया मागता ह यह भी कोई मागन की चीज ह ऐसा कहकर उनहोन यवा साध को थोड़ी दर इधर-उधर की बातो म लगाया और मौका दखकर उसको एक तमाचा मार िदया यवक की आखो क सामन जस िबजली चमक उठ हो ऐसा अनभव हआ और दसर ही कषण उसका ःथल शरीर भिम पर लट गया उसका सआम शरीर दह स अलग होकर लोक-लोकानतर की याऽा म िनकल पड़ा लोग िजसको मतय कहत ह ऐसी घटना घट गई

ातःकाल हआ रात भर आननदमय मतय क ःवाद म डब हए उस यवा साध क ःथल

शरीर को िहलाकर व सत न कहाः बटा उठ सबह हो गई ह ऐस कब तक सोता रहगा यवा साध आख मलता हआ सननवदन उठ बठा िजसको मतय कहत ह उस मतय को

उसन दख िलया अहा कसा अदभत अनभव उसका दय कतजञता स भर उठा वह उठकर फकीर क चरणो म िगर पड़ा

लोग कहत ह िक मरना दःखद ह और इसीिलए मौत स डरत ह िजनको ससार म मोह

ह उनक िलए मौत भयद ह परनत सतो क िलए मोह रिहत आतमाओ क िलए ऐसा नही ह

अनबम

मतयः एक िवौािनत-ःथानः मौत तो एक पड़ाव ह एक िवौािनत-ःथान ह उसस भय कसा यह तो कित की एक

वयवःथा ह यह एक ःथानानतर माऽ ह उदाहरणाथर जस म अभी यहा ह यहा स आब चला जाऊ तो यहा मरा अभाव हो गया परनत आब म मरी उपिःथित हो गई आब स िहमालय चला जाऊ तो आब म मरा अभाव हो जायगा और िहमालय म मरी हािजरी हो जायगी इस कार म तो ह ही माऽ ःथान का पिरवतरन हआ

तमहारी अवःथाए बदलती ह तम नही बदलत पहल तम सआम प म थ िफर बालक

का प धारण िकया बालयावःथा छट गई तो िकशोर बन गय िकशोरावःथा छट गई तो जवान बन गय जवानी गई तो व ावःथा आ गई तम नही बदल परनत तमहारी अवःथाए बदलती ग

हमारी भल यह ह िक अवःथाए बदलन को हम अपना बदलना मान लत ह वःततः न

तो हम जनमत-मरत ह और न ही हम बालक िकशोर यवा और व बनत ह य सब हमारी दह क धमर ह और हम दह नही ह सतो का यह अनभव ह िकः

मझ म न तीनो दह ह तीनो अवःथाए नही मझ म नही बालकपना यौवन बढ़ापा ह नही जनम नही मरता नही होता नही म बश-कम म ह म ह ितह काल म ह एक सम

मतय नवीनता को जनम दन म एक सिधःथान ह यह एक िवौाम ःथल ह िजस

कार िदन भर क पिरौम स थका मनय रािऽ को मीठ नीद लकर दसर िदन ातः नवीन ःफितर लकर जागता ह उसी कार यह जीव अपना जीणर-शीणर ःथल शरीर छोड़कर आग की याऽा क िलए नया शरीर धारण करता ह परान शरीर क साथ लग हए टी बी दमा कनसर जस भयकर रोग िचनताए आिद भी छट जात ह

वासना की मतय क बाद परम िवौािनत ःथल शरीर स सआम शरीर का िवयोग िजसको मतय कहा जाता ह वह िवौाम-ःथल तो

ह परनत पणर िवौाित उसम भी नही ह यह फकीरी मौत नही ह फकीरी मौत तो वह ह िजसम सारी वासनाए जड़ सिहत भःम हो जाए भीतर यिद सआम वासना भी बची रही तो जीव िफर स नया शरीर धारण कर लगा और

िफर स सख-दःख की ठोकर खाना चाल कर दगा िफर स वहीः

पनरिप जनन पनरिप मरण पनरिप जननी जठर शयनम

अनबम

धतरा का शोकः करकषऽ क य म दय धन सिहत जब सार पऽ मार गय तो धतरा खब दःखी हए और

िवदर स कहन लगः कण और पाडवो न िमलकर मर सब पऽो का सहार कर िदया ह इसका दःख मझस सहन नही होता एक एक कषण वयतीत करना मझ वष जसा लमबा लग रहा ह

िवदर धतरा को समझात हए कहत ह - जो होना होता ह वह होकर ही रहता ह आप

वयथर म शोक न करो आतमा अमर ह उसक िलए मतय जसी कोई चीज नही ह इस शरीर को छोड़कर जो जाता ह वह वापस नही आता इस बात को समझकरः राम राख तम रिहय ह भाई शोक न करो

परनत धतरा का शोक कम नही हआ वह दढ़तापवरक कहन लगाः तम कहत हो वह

सब समझता ह िफर भी मरा दःख कम नही हो ता मझ अपन पऽो क िबना चन नही पड़ रहा ह पलभर को भी िच शात नही रहता

अजञानी सोचता ह िक िजस कार म चाहता ह उसी कार सब हो जाय तो मझ सख

हो यही मनय का अजञान ह शा और सतो का िकतना ही उपदश सनन को िमल जाय तो भी वह अपनी मानयताओ

का मोह सरलता स छोड़न को तयार नही होता िवदर का धमरय उपदश धतरा को सानतवना नही द सका धतरा शा ो स िबलकल अनिभजञ था ऐसी बात नही थी िफर भी उसका शा जञान उस पऽो क मोह स म नही कर सका

अनबम

घाटवाल बाबा का एक सग हिर ार म घाटवाला बाबा क नाम स िस एक महान सत रहत थ बहत सीध -साद

और सरल कमर म कतान (टाट) लपट रहत थ ऊपर स िदखन म िभखारी जस लगत मगर भीतर स साट थ उनक पास एक वयि आया और बोलाः महाराज मझ शाित चािहए

महाराज न पहल उस धयान स दखा िफर कहाः शाित चािहए तो तम गीता पढ़ो

यह सनकर वह च ककर बोलाः गीता गीता तो म िव ािथरयो को पढ़ाता ह म कालज म ोफसर ह गीता मरा िवषय ह गीता म कई बार पढ़ चका ह उस पर तो मरा काब ह

महाराज बोलः यह ठ क ह अब तक तो लोगो को पढ़ाकर पसो क लाभ क िलए गीता

पढ़ी होगी अब मन को िनयिऽत करक शाित लाभ क िलए पढ़ो लोग शा ो म स सचनाए और जानकािरया इक ठ करक उस ही जञान मान लत ह

दसरो को भािवत करन क िलए लोग शा ो की बात करत ह उपदश दत ह परनत उनह अपन आपको कोई अनभित नही होती मतय क िवषय म भी लोग िव तापणर वचन कर सकत ह मतय स डरन वालो को आ ासन और धयर द सकत ह परनत मौत जब उनही क सममख साकषात आकर खड़ी होती ह तो उनकी रग -रग काप उठती ह कयोिक उनको फकीरी मौत का अनभव नही

कई लोग कहत ह िक जीवन और मौत अपन हाथ म नही ह परनत यह उनक िलए

ठ क ह िजनको आधयाितमक रहःय का पता नही जो ःवय को शरीर मानत ह दीन-हीन मानत ह परनत योगी जानत ह िक जीवन और मतय इन दोनो पर मनय का अिधकार ह इस अिधकार को ा करन की तरकीब भी व जानत ह कोई िहममतवान जानन को ततपर हो तो व उस बता भी सकत ह व तो खललमखलला कहत ह िक यिद रोत-कलपत हए मरना हो तो खब भोग-भोगो िकसी की परवाह न करत हए खब खाओ िपयो और अमयारिदत िवषय-सवन करो ऐसा जीवन आपको अपन आप मौत की ओर शीयता स आग बढ़ा दगा परनत

यिद मौत पर िवजय ा करनी हो जीवन को सही तरीक स जीना हो तो योिगयो क

कह अनसार करो ाणायाम करो धयान करो योग करो आतमिचनतन करो और ऐसा कोई योगी डॉकटरो क सामन आकर दय की गित बनद करक बता दता ह तो वह बात भी लोगो को

बड़ी आ यरजनक लगती ह लोगो क टोल क टोल उसको दखन क िलए उमड़ पड़त ह परनत यह भी कोई योग की पराका ा नही ह

फकीरी मौत ही असली जीवन इितहास म जञान र महाराज और योगी चागदव का सग आता ह वह तो आप लोग

जानत ही होग चागदव न मतय को चौदह बार धोखा िदया था अथारत जब -जब मौत का समय आता तब-तब चागदव योग की कला स अपन ाण ऊपर चढ़ाकर मौत टाल िदया करत थ ऐसा करत-करत चागदव न अपनी उ 1400 वषर तक बढ़ा दी िफर भी उनको आतमशािनत नही िमली फकीरी मौत ही आतमशाित द सकती ह और इसीिलए चागदव को आिखर म जञान र महाराज क चरणो म समिपरत होना पड़ा

अनबम

फकीरी मौत कया ह

फकीरी मौत ही असली जीवन ह फकीरी मौत अथारत अपन अह की मतय अपन जीवभाव की मतय म दह ह म जीव ह इस पिरिचछनन भाव की मतय

ःथल शरीर स सआम शरीर का िवयोग यह कोई फकीरी मौत नही ह अगर वासना शष

हो तो सआम शरीर बार-बार ःथल शरीर धारण करक इस ससार म जनम-मरण क दःख पणर चककर म भटकता रहता ह

जब तक फकीरी मौत नही हो तब तक चागदव की तरह चौदह बार कया चौदह हजार

बार भी ःथल शरीर को बचाय रखा जाय तो भी परम शाित क िबना यह बकार ह लाबधवा जञान परा शाित आतमजञान स ही परम शाित िमलती ह इसी कारण चागदव को फकीरी मौत सीखन क िलए जञान र महाराज क पास आना पड़ा था 1400 वषर का िशय और 22 वषर क गर यही जञान का आदर करन वाली भारतीय सःकित ह जञान स उ को कोई समबनध नही ह

हम तो जीवन म पग-पग पर छोटी-मोटी पिरिःथितयो स घबरा उठत ह ऐसा भयभीत

जीवन भी कोई जीवन ह यह तो मौत स भी बदतर ह इसीिलए कहता ह िक असली जीवन जीना हो िनभरय जीवन जीना हो तो फकीरी मौत को एक बार जान लो

फकीरी मौत अथारत अपन अमरतव को जान लना फकीरी मौत अथारत उस पद पर आ ढ़ हो जाना जहा स जीवन भी दखा जा सक और मौत भी दखी जा सक जहा स ःप प स िदख िक सख-दःख आय और गय बालयावःथा यवावःथा और व ावःथा आई और गई परनत य सब शरीर स ही समबिनधत थ मझ तो व ःपशर तक नही कर सक म तो असग ह अमर ह मरा तो जनम भी नही मतय भी नही

सकरात का अनभव सकरात को जब जहर िदया जान लगा तो उसक िशय रोन लग कयोिक उनको यह

अजञान था िक सकरात अब बचग नही मर जायग सकरात न कहाः अर तम रोत कयो हो अब तक मन जीवन दखा अब मौत को दखगा यिद म मर

जाऊगा तो आज नही तो कल मरन ही वाला था इसिलए रोन की कया ज रत ह और यिद मरत हए भी नही मरा कवल शरीर स ही िछनन-िभनन हआ तो भी रोन की कया ज रत

सकरात न िबना िहचिकचाहट क राजी-खशी स जहर का पयाला पी िलया और िशयो स

कहाः दखो यह रोन का समय नही ह बहत ही महतवपणर बात समझन का समय आया ह

मर शरीर पर जहर का भाव होन लगा ह पर सनन होत जा रह ह घटनो तक जड़ता वया हो गई ह जहर का असर बढ़ता जा रहा ह मर पर ह िक नही इसकी अनभित नही हो रही ह अब कमर तक का भाग सवदनहीन बन गया ह

इस कार सकरात का सारा शरीर ठडा होन लगा सकरात न कहाः अब जहर क भाव स हाथ पर छाती जड़ हो गई ह थोड़ी ही दर म मरी िज ा भी

िनःपद हो जायगी उसस पहल एक मह वपणर बात सन लो जीवन म िजसको नही जान सका उसका अनभव हो रहा ह शरीर क सब अग एक क एक बाद एक िनःपद होत जा रह ह परनत उसस मझम कोई फकर नही पड़ रहा ह म इतना ही पणर ह िजतना पहल था शरीर स म ःवय को अलग असग महसस कर रहा ह अब तक जस जीवन को दखा वस ही अभी मौत को भी दख रहा ह यह मौत मरी नही बिलक शरीर की ह

अनबम

आधयातमिव ाः भारत की िवशषताः सकरात तो शरीर छोड़त-छोड़त अपना अनभव लोगो को बतात गय िक शरीर की मतय

यह तमहारी मतय नही शरीर क जात हए भी तम इतन क इतन ही पणर हो परनत भारत क ऋिष तो आिद काल स कहत आय ह-

शणवनत िव अमतःय पऽा

आ य धामािन िदवयािन तःयः वदाहमत परष महानतम

आिदतयवण तमसः परःतात तमव िविदतवाऽितमतयमित नानयः पनथा िव तऽयनाय

ह अमतपऽो सनो उस महान परम परषो म को म जानता ह वह अिव ा प अधकार

स सवरथा अतीत ह वह सयर की तरह ःवयकाश-ःव प ह उसको जानकर ही मनय मतय का उललघन करन म जनम-मतय क बधनो स सदव क िलए छटन म समथर होता ह परम पद की ाि क िलए इसक अितिर कोई दसरा मागर नही ह

( ता तरोपिनषद) यह कोई वद-उपिनषद काल की बात ह उस समय क ऋिष चल गय और अब नही ह

ऐसी बात नही ह आज भी ऐस ऋिष और ऐस सत ह िजनहोन सतय की अनभित की ह अपन अमरतव का अनभव िकया ह इतना ही नही बिलक दसरो को भी इस अनभव म उतार सकत ह रामकण परमहस ःवामी िववकाननद ःवामी रामतीथर महिषर रमण इतयािद ऐस ही त वव ा महापरष थ और आज भी ऐस महापरष जगलो म और समाज क बीच म भी ह यहा इस ःथान पर भी हो सकत ह परनत उनको दखन की आख चािहए इन चमरचकषओ स उनह पहचानना मिकल ह िफर भी िजजञास और ममकष वि क लोग उनकी कपा स उनक बार म थोड़ा सकत यह इशारा पा सकत ह

अनबम

तीन कार क लोगः ऐस सतो क पास तीन कार क लोग आत ह- दशरक िव ाथ और साधक

दशरक अथारत ऐस लोग जो कवल दशरन करन और यह दखन क िल ए आत ह िक सत कस ह कया करत ह कया कहत ह उपदश भी सन तो लत ह पर उसक अनसार कछ करना ह इसक साथ उनका कोई समबनध नही होता आग बढ़न क िलए उनम कोई उतसाह नही होता

िव ाथ अथारत व जो शा एव उपदश समबनधी अपनी जानकारी बढ़ान क िलए आत ह

अपन पास जो जानकारी ह उसम और वि होव तािक दसरो को यह सब सनाकर अपनी िव ा की छाप उन पर छोड़ी जा सक दसरो स सना याद रखा और जाकर दसरो को सना िदया जस ग स शानसपोटर कमपनी ाईवट िलिमटड- यहा का माल वहा और वहा का माल यहा लाना और ल जाना ऐस लोग भी त व समझन क मागर पर चलन का पिरौम उठान को तयार नही

तीसर कार क लोग होत ह साधक य ऐस लोग होत ह िक जो साधनामागर पर चलन

को तयार होत ह इनको जसा बताया ह वसा करन को पणर प स किटब होत ह अपनी सारी शि उसम लगान को ततपर होत ह उसक िलए अपना मान-सममान तन-मन-धन सब कछ होम दन को तयार होत ह सत क ित और अपन धयय क ित इनम पणर िन ा होती ह य लोग फकीर अथवा सत क सकत क अनसार लआय की िसि क िलए साहसपवरक चल पड़त ह

िव ाथ अपन वयि तव का ौगार करन क िलए आत ह जबिक साधक वयि तव का िवसजरन करन क िलए आत ह साधक अपन लआय की तलना म अपन वयि तव या अपन अह का कोई भी मलय नही समझत जबिक िव ाथ क िलए अपना अह और वयि तव का ौगार ही सब कछ ह अपनी िव ता म वि जानकारी को बढ़ाना वयि तव को और आकषरक बनाना इसी म उस सार िदखता ह त वानभित की तरफ उसका कोई धयान नही होता

यही कारण ह िक सतो क पास आत तो बहत लोग ह परनत साधक बनकर वही िटक

कर त व का साकषातकार करन वाल कछ िवरल ही होत ह

जञान को आय स कोई िनःबत नही िजसन फकीरी मौत को जान िलया हो अथारत िजस आतमजञान हो गया हो वह शरीर की

दि स कम उ का हो परनत उसक आग लौिकक िव ा म वीण और अिधक वय क सफद दाढ़ी-मछ वाल लोग भी बालक क समान होत ह इसीिलए योगिव ा म वीण 1400 वषर क चागदव को कम उवाल जञान र महाराज क चरणो म समिपरत होना पड़ा था ाचीन काल म ऐस कई उदाहरण दखन म आत ह

िचऽ वटतरोमरल व ाः िशया गरयरवा

गरोःत मौन वयाखयान िशयाःतिचछननसशयाः अथारत यह कसा विच य ह िक वटवकष क नीच यवा गर और व िशय बठ ह गर

ारा मौन वयाखयान हो रहा ह और िशयो क सब सशयो और शकाओ का समाधान होता जा रहा ह

अनबम

योगसामथयरः एक तयकष उदाहरण अपन मोटरा आौम म भी ऐस ही करीब स र वषर क सफद बाल वाल एक साधक ह

पहल डीसा म व एक सत क पास गय गय तो थ दशरक बनकर ही परनत सत की दि पड़त ही व दशरक म स साधक बन गय म कछ वषर पवर डीसा क आौम म था तब व मर पास आय थ पकी हई उ म भी व 18 वषर की उ की एक बाला क साथ बयाह रचान की तयारी म थ और आशीवारद मागन हत वहा आय थ उनको दखकर ही मर मह स िनकल पड़ाः

अब तमहारी शादी ई र क साथ कराएग यह सनकर उनको बड़ा आ यर हआ कयोिक न तो व मझ पहल स जानत थ और न ही

म उनह जानता था उस व उनका शरीर भी कसा था चरबी और कफ-िप स ठसाठस भरा हआ एकदम ःथल दमा आिद रोगो का िशकार डीसा म कपड़ क बड़ वयापारी थ धप म िबना छाता िलए दकान स नीच नही उतर पात थ कित ऐसी थी िक िकसी भी सत महातमा को नही गाठ और काम-वासना भीतर इतनी भरी हई थी िक आग की दो पि या शरीर छोड़ चकी थी िफर भी इस उ म तीसरी शादी करन को तयार थ प ी िबना एक िदन भी नही रह सकत थ

घर पहचन पर उनको पता चला िक उनक अनदर जो काम -िवकार का तफान आया था

वह एकदम शात हो गया ह भिवय म प ी बनन वाली उस कमारी क साथ एकात म अनक च ाए करक भी व उस काम-िवकार को पनः नही जगा सक इतना बल िवकार एकाएक कहा चला गया िफर उनको समझ म आया िक सत की ई रीय अहत की कपा उनम उतरी ह उनको सारा ससार सना-सना लगन लगा उनहोन तरनत ही उस कमारी यवती को कछ पय और कपड़ िदय और बटी कहकर रवाना कर िदया उसक बाद उनहोन आसन ाणायाम गजकरणी नित धोित आिद िबयाए सीख ली और िनयिमत प स करन लग इसस उनक शरीर क सार परान कफ-िप -दमा आिद दर हो गय और शरीर म स आवयकता स अिधक चब घटकर शरीर हलका फल जसा हो गया अब तो जवानो क साथ दौड़न की भी ःपधार करत

ह धयानयोग की साधना म उनहोन इतनी गित की ह िक उनको कई कार क अलौिकक अनभव हआ करत ह अपन सआम शरीर ारा व लोक -लोकानतर म घम आया करत ह

योग भी साधना का आिखरी िशखर नही यह भी साधना की कोई आिखरी भिमका नही ह सव चच िशखर नही ह यह भी सब

माया की सीमा म ही ह िफर चमर-चकषओ स दखो अथवा धयान म बठकर दखो कयोिकः

यद दय तद अिनतयम जो िदखता ह वह अिनतय ह जो िदख सो चालनहार चागदव भी योग म कशल थ

काल को कई बार धोखा द चक थ परनत माया को धोखा न द सक व भी साि वक माया म थ माया स पर नही थ

माया ऐसी ठिगनी ठगत िफरत सब दश जो ठग या ठिगनी ठग वा ठग को आदश

कोई िवरल सत ही इस माया को ठग सकत ह माया स पार जा सकत ह बाकी क

लोगो का तो यह माया न र म ही शा त का आभास करा दती ह अिःथरता म िःथरता िदखा दती ह ऐसी मोिहना माया क िवषय म ौी कण कहत ह-

दवी षा गणमयी मम माया दरतयया मामव य प नत मायामता तरिनत त

मरी यह अदभत िऽगणमयी माया का तरना अतयनत दकर ह परनत जो मरी शरण म

आत ह व तर जात ह (गीता)

अनबम

गणातीत सत ही परम िनभरयः ऐसी दःतर माया को जो सत अथवा फकीर तर जात ह और मौत की पोल जान जात ह

व कहत ह- एक ऐसी जगह ह जहा मौत की पहच नही जहा मौत का कोई भय नही िजसस मौत भी भयभीत होती ह उस जगह म हम बठ ह तम चाहो तो तम भी बठ सकत हो

तमहार म एक ऐसा चतन ह जो कभी मरता नही िजसन मौत कभी दखी ही नही जो जीवन और मौत क समय पिरवतरन को दखता ह परनत उन सबस पर ह

यिद घड़ म आया हआ चनिमा का ितिबमब घड़ क पानी को उबलता हआ जानकर यह

मान की म उबल रहा ह पानी िहल तो समझ िक म िहलता ह घड़ा फट गया तो समझ िक म मर गया तो यह उसका अजञान ह परनत उसको यह पता चल जाय िक पानी क उबलन स म नही उबलता पानी क िहलन स म नही िहलता म तो वह चनिमा ह जो हजारो घड़ो म चमक रहा ह िकतन ही घड़ टट -फट गय परनत म मरा नही मरा कछ भी िबगड़ा नही म इन सबस असग ह तो वह कभी दःखी नही होगा

इसी कार हम यिद अपन असगपन को जान ल अथारत म शरीर-मन-बि नही अिपत

आतमा ह- यह हम जान ल तो िफर िकतन ही दह पी घड़ बन और टट -िबखर िकतनी ही सि या बन और उनका लय हो जाय हमको कोई भय नही होगा कयोिक आतमा का ःवभाव हः

न जायत ियत वा कदािचननाय भतवा भिवता वा न भयः अजो िनतयः शा तोऽयपराणो न हनयत हनयमान शरीर

यह आतमा िकसी काल म भी न तो जनमता ह और न मरता ही ह तथा न यह उतपनन

होकर िफर होन वाला ही ह कयोिक यह अजनमा िनतय सनातन और परातन ह शरीर क मार जान पर भी यह नही मारा जाता

(भगवदगीताः 223) अनबम

सतो का सनदशः िजन सतो न यह रहःय जान िलया ह जो इस अमतमय अनभव म स गजर चक ह व

सब भयो स म हो गय ह इसीिलए व अपनी अनभविस वाणी म कहत ह- अपन आतमदव स अपिरिचत होन क कारण ही तम अपन को दीन-हीन और दःखी

मानत हो इसिलए अपनी आतम-मिहमा म जाग जाओ यिद अपन आपको दीन ही मानत रह तो रोत रहोग ऐसा कौन ह जो तमह दःखी कर सक तम यिद न चाहो तो दःख की कया मजाल ह िक तमह ःपशर भी कर सक अननत-अननत ाणड को जो चल रहा ह वह चतन तमहार भीतर चमक रहा ह उसकी अनभित कर लो वही तमहारा वाःतिवक ःव प ह

मनसर को सली पर चढ़ा िदया गया था परनत उनको सली का कोई भय नही था सली

का क उनको ःपशर भी नही कर सका कयोिक मनसर अपनी मिहमा म जग हए थ व यह जान चक थ िक म शरीर नही ह सली शरीर को लग सकती ह मझ नही इसिलए व हसत-हसत सली पर चढ़ गय थ

हम ही जानबझकर अपनी सननता की अपन सख-दःख की चाबी दसरो क हाथो म

स प दत ह कोई थोड़ा हस दता ह तो हम बोिधत हो उठत ह कोई थोड़ी शसा कर दता ह तो हषर स फल उठत ह कयोिक हम अपन को सीिमत पिरिचछनन शरीर या मन ही मान बठ ह

हम अपन वाःतिवक ःव प अपनी असीम मिहमा को नही जानत नही तो मजाल ह

िक जगत क सार लोग और ततीस करोड़ दवता भी िमलकर हम दःखी करना चाह और हम दःखी हो जाय जब हम ही भीतर स सख अथवा दःख को ःवीकित दत ह तभी सख अथवा दःख हमको भािवत करता ह सदव सनन रहना ई र की सव परी भि ह

ःवामी रामतीथर कहा करत थ िक कोई यिद तमहारी सननता छ नकर उसक बदल म

तमको ःवगर का फिरता भी बनाना चाह तो फिरतापद को ठोकर मार दो मगर अपनी सननता मत बचो

हम इस जीवन और मतय का कई बार अनभव कर चक ह सत कहत ह- तमहारा न तो जीवन ह और न ही मतय ह तम जीव नही तम िशव हो तम अमर

हो तम अननत अनािद सिचचदाननद परमातमा हो यिद इस जनम-मरण क खल स थक चक हो इनक खोखल पन को जान चक हो इसक असारपन स पिरिचत हो चक हो तो िकसी सत क सािननधय का लाभ उठाकर फकीरी मौत को जान लो िफर तमह कोई दःख कोई मतय भयभीत नही कर सकगी िफर िजस आना हो वह आव जाना हो वह चला जाव सख आव तो आन दो दःख आव तो आन तो जो आयगा वह जायगा तम द ा बनकर दखत रहो तम अपनी मिहमा म मःत रहो

मौत स भी मौत का भय बदतर ह भय म स ही सार पाप पदा होत ह भय ही मतय

ह लोग पछत ह- ःवामी जी आतम-साकषातकार हो जाता ह िफर उसक बाद कया होता

ह होता कया ह हम अपन ःव प म जाग जात ह उसक बाद हमस जो भी वि होती ह वह आननदमय ही होती ह ससार की कोई भी दःखपणर घटना हमको दःखी नही कर सकती

िफर यह शरीर रह या न रह हमार आननद म कोई अनतर नही पड़ता उस आननदःव प अपन आतमदव को जानना-यही जीवन का परम कतरवय ह परनत इस परम कतरवय की ओर मनय का धयान जाता नही और छोटी-मोटी तचछ वि यो म ही अटका रह जाता ह

हम कही याऽा म िनकलत ह तो राःत क िलए िटिफन भरकर भोजन साथ ल लत ह

भोजन स भी अिधक महतव पानी का ह परनत उसक िलए सोच लत ह िक चलो ःटशन पर भर लग घर स पानी लकर चलन की िचनता नही करत पानी स भी यादा ज री हवा ह उसक िबना तो एक िमनट भी नही चलता िफर भी हवा का कोई िसलनडर भरकर साथ नही लत कयोिक हम सब जानत ह िक वह तो सवरऽ ह इसिलए हवा क िलए हम कोई िचनता नही करत

हवा स कम ज री पानी क िलए पानी स कम ज री भोजन क िलए हम यादा िचनता करत ह उसी कार अपन आननदःव प आतमा म जागन क परम कतरवय को छोड़कर कम महतव क ःथल शरीर क लालन पालन एव उसस सबिधत वयवहार को सभालन म ही हम लग रहत ह शरीर असत जड़ और दःख प ह उसको चलान वाला सआम भतो स िनिमरत सआम शरीर ह उसको भी चतन स ा दन वाला सत-िचत-आननदःव प आतमा ह इस आननद-ःव प आतमा को असत-जड़ दःख प और मरणधमार समझकर जीवनभर मौत क भय स भयभीत बन रहत ह

अनत परमातमा म न तो उतथान ह न पतन न जनम ह न मरण वहा तो सब एकरस

ह हम ही मोहवश अपना ससार खड़ा कर लत ह और एक दसर क साथ सबध बनाकर अपन को जानबझकर बधन म डाल दत ह

एक सत क पास एक स जन का पऽ आया उसम िलखा थाः ःवामी जी आपक

आशीवारद स हमार यहा पऽ का जनम हआ ह सत न उ र म उस िलखा िकः तम झठ बोलत हो िफर जब स जन सत क पास गया तब कहा िकः ःवामी जी म सच कहता ह मर यहा पऽ का जनम हआ ह इस पर सत न िफर स कहा िकः तम झठ बोलत हो यह सनकर उन स जन को बड़ा आ यर हआ वह िवःफािरत नऽो स सत की ओर दखन लगा तब सत न कहाः

पऽ का जनम नही हआ िपता का जनम हआ ह माता का जनम हआ ह काका-मामा

का जनम हआ ह पऽ को तो खबर ही नही ह िक मरा जनम हआ ह और म िकसी का पऽ भी ह परनत हम उस पर सार समबनध आरोिपत कर दत ह

वःततः पचभतो म कोई आकार बना ह उस पऽ का नाम द िदया समय आन पर यह आकार िबखर जायगा यह आकार बन उसम हषर और यह आकार िबखर जाय उसम शोक कसा भय कसा

िजस शरीर को हम म मानत ह उसकी कित तो दखो िपया तो था अमत जसा

मीठा जल और िनकाला मऽ प म गदा पानी खाय तो थ मोहनथाल दधपाक छपपन भोग पर बन गया सब िव ा प शरीर का सग करन पदाथर की ऐसी अवःथा बन जाती ह सत-िचत-आननदःव प आतमा भी अपन को भलकर शरीर क साथ एक होकर ःवय को म शरीर मान लती ह और दीन हीन एव दःखी बन जाती ह परनत जब वह अपन आपम जाग जाती ह तब अपन को दवो का दव अनभव करती ह

यिद हमन शरीर क साथ अहबि की तो हम म भय वया हो ही जायगा कयोिक शरीर

की मतय िनि त ह उसका पिरवतरन अवयभावी ह उसको तो ःवय ाजी भी नही रोक सकत परनत यिद हमन अपन आतमःव प को जान िलया ःव प म हमारी िन ा हो गई तो हम िनभरय हो गय कयोिक ःव प की मतय होती नही मौत भी उसस डरती ह

ःवामी अखणडाननद सरःवती एक बार रल क तीसर दज म याऽा कर रह थ व यह

जानना चाहत थ िक तीसर दज म लोगो ारा िकय जान वाल मान-अपमान का भाव उनक िदल पर होता ह िक नही आतमिनरीकषण स उनह पता चला िक भाव तो होता ह यह बात उनहोन ौी उिड़या बाबा को बतायी उिड़या बाबा न कहाः

तम बठत ही कचर क ढर पर हो आशा करत हो िक मझ पर कोई कचरा न फ क मझ

कचर की दगरनध न आव यह कस हो सकता ह तम बठत हो शरीर म और आशा रखत हो िक मान-अपमान का असर न हो ःवय को शरीर माना तो मान-अपमान सख-दःख होगा और जनम-मतय भी होगी

वदानत क रहःय को समझना यह कोई ि यो का काम नही ह ी अथारत कित क

शरीर क म मानकर जीनवाला एक बार राजा जनक िव ानो की सभा म बठ थ उस सभा म गाग आई वह िबलकल

िदगमबर (न न) थी ऐसी अवःथा म सभा म गाग का वश पिडतो को रचा नही इसिलए उनहोन नाक-भ िसकोड़ िलया परषो स भरी सभा म एक न न ी

गाग बोलीः ऐ पिडतो नाक भ कयो िसकोड़त हो

पिडतो न कहाः तम एक अबला ऐसी अवःथा म परषो की सभा म जो आई हो

गाग तरनत बोलीः कौन कहता ह िक म अबला ह म सबला ह अबला तो तम हो जो अपना रकषक बाहर ढढत हो म अपना रकषक आप ह म यह शरीर नही ह म तो सत -िचत-आननदःव प आतमा ह म अपन आपको जानती ह

िजसको जानकर गाग िनभरय बन गई थी उस आननदःव प अपन आतमदव को जो

जान लता ह उसी म िःथत हो जाता ह वह जीवन और मौत दोनो स पर दोनो का द ा बन जाता ह उस िफर कोई भय नही रहता वह सदव आननद म मःत रहता ह

मरो मरो सब कोई कह मरना न जान कोई एक बार ऐसा मरो िक िफर मरना न होई

मगलमय जीवन मगलमय िववाह मगलमय सबध उस परम मगल चतनय क कारण ही

हो सकत ह न िक शि शरीर क बा प-रग पर िवमोिहत होन स महाराज जी क पास आकर एक मिहला कहन लगीः मर पित ःवगरःथ हो गय ह

उनका िवयोग सहा नही जाता ऐसा कोई उपाय बताओ िक उनका िहत हो और मझ शाित िमल

दसरा एक वयि आया और बोलाः मरी प ी मझ अकला छोड़कर चल बसी ह

तीसर न कहाः मरा बटा ःवगरःथ हो गया ह उसकी मीठ याद आती ह मर मन म आता ह िक उसक पीछ म भी आतमहतया करक मर जाऊ बाबा जी शािनत का कछ उपाय बताइय

महाराज जी न कहाः ह भि मिहला पित की याद आय तो उनह खब आदरपवरक कहोः

मरणधमार शरीर म होत हए भी आप अमर थ शरीर क मरन पर भी आप नही मर दह न र ह आप शा त हो चतनय हो आप परम र का अिवनाशी अश हो जनम-मतय आपका धमर नही ह पाप-पणय आपका कमर नही ह आप अजर हो श ब हो हम परःपर पािथरव शरीर की ीित करक मोह म सड़ रह थ िवकारो म दब रह थ अब पािथरव शरीर की ीित स म होकर अपािथरव आतमा म िःथत हो जाओ

वह शादी बरबादी म बदल जाती ह िजसम एक दसर क शरीर को पयार करत ह वह

मगलमय शादी आबादी की ओर ल जाती ह जहा प ी पित को पित प ी को पऽ िपता को िपता पऽ को शरीर क प म नही अिपत शरीरो क आधार श चतनयःव प म दख परःपर अपन चतनयःव प की याद िदलाव और रणा द

ह भि मिहला अपन पित को याद करक उनक जीवातमा को यह रणा दो इसस

उनकी भी उननित होगी और तमहारी उननित होगी ऐसा िचनतन करो िकः ह चतनयःव प मर आतमन शरीर को पाच भत क पतल

को तयागन क बाद भी आपका अिःततव ह आप आतमा हो परम र हो अमर हो चतनय हो शा त हो

इसी कार अपनी प ी को और ःवगरःथ पऽ पिरवार को ःमरण करक उनको उननत

करो और आप भी उननत बनो जीत-जी भी परःपर इसी भाव स उननत करो मतय मगलमय हो जाय ऐसा वातावरण बनाओ

जो वयि मतय को ा हो चक ह उनक ौा ो क िदनो म तथा ःमरण क व उनह

सझाव दो िकः जनम-मतय तमहारा धमर नही था पाप-पणय तमहारा कमर नही था तम अजर

अिवनाशी िनलप शा त सनातन नारायण क अश हो अतः अपन परम र ःवभाव को सभालो ःमरण करो

अपन पित प ी पऽ का नाम लकर कहो िकः तम वही हो सचमच म वही हो जो

मरन क बाद भी नही मरता ॐॐॐ तम चतनय आतमा हो ॐॐॐ शा त परम र हो ॐॐॐ अिवनाशी परमातमा हो ॐॐॐ

पथवी पर क ःवपन तलय सबधो का ःमरण करक तम नीच न िगरो अिपत आतमा-

परमातमा क सबध को याद करत हए अपना ऐिहक जीवन मगलमय बनाओ ससार स कच करक जाओ उस समय तमहार कटमबी आतमा परमा तमा की एकता और अमरता तमहारी िनतयता और म ता का ःमरण तमह अत समय म करा द ऐसी वयवःथा करो

कोई चल बसन वाल हो या चल बस हो उनको याद करक उनकी ओर िदवय िवचार

अमर आतमा का सनदश भजो इस कार तम उ म सवा कर सकत हो और जीिवतो को जीवनदाता म जगा सकत हो दोनो इस कार परःपर सहायता करोग और पाओग

टिलफोन पर अपन दर क सबधी स हम जब बात करत ह तो उस यऽ म स आन वाली

धविन अपन सबधी की होती ह ऐस ही शरीर पी यऽो स जो कछ ःनह सातवना सहानभित म या काश हम पात ह वह भीतर वाल परम र का ही होता ह उनको या उनक िचऽो को

दखो तो उन िचऽो क पीछ खड़ उस शा त सतय को परम िमऽ को पयार करो और उनह भी याद िदलाओ िकः ह शा त आतमा ह परातन ह अिवनाशी नाशवान ससार और शरीर बदलत ह लिकन तम अबदल आतमा हो ॐॐॐ

बचपन बदल गया यौवन बदल गया बढ़ापा बदल गया शरीर बदल गया िफर

तम भी हो तम वह अमर आतमा हो िजस पर काल का भी कोई भाव नही चलता ह अकाल आतमा अपनी मिहमा म जागो इस कार क िवचार भजन स मगल करोग और मगल को पाओग जीवन मगलमय होन

लगगा मतको की मतय भी मगलमय हो जायगी मगल भवन अमगलहारी िवचारो को सदव एक दसर क ित सािरत करो ॐ आननद

आननद आननद रोत चीखत मोहमाया म पड़कर उनको याद करत हो तो उनका और अपना सतयानाश

करत हो उनको नीच िगरात हो उनकी आतमा को भटकात हो अपन को तचछ बनात हो अमागिलक िवचारो को कतई ःफिरत न होन दो सदव मगलमय िवचार हो जायगा मगलमय जीवन मतय भी मगलमय हो जायगी ॐ ॐ ॐ

ॐॐॐॐॐॐॐॐ जीवन और मतय आतमा-परमातमा को पान क दो पहल ह रात क बाद िदन िदन क

बाद रात होती ह इसी तरह जीवन और मतय चोल बदलत हए अनभवो स गजरत हए अपन आतमःव प को ःव प को पान क िलए मगलमयी अवःथा ह

िदन िजतना पयारा ह रात भी उतनी ही आवयक ह जीवन िजतना पयारा ह मतय भी

उतनी ही आवयक ह मतय मान आतमिशव क मिनदर म जान क िलए ऊची सीिढ़या मतय मान मा की गोद म बालक सो गया और उमा शि ताजगी ःफितर पाकर िफर सबह खलता ह मतय मान मा की गोद म थकान िमटान को जाना िफर नया तन ा करक अपनी मगलमय याऽा करना

त वदि स दखा जाय तो यह जीवन-मतय की याऽा कित म हो रही ह तमह

परमातमाःव प म जगान क िलए गीता म भगवान ौी कण कहत ह-

न जायत ियत वा कदािचननाय भतवा भिवता वा न भयः अजो िनतयः शा तोऽयपराणो न हनयत हनयमान शरीर

त वतः यह आतमा न कभी जनमता ह और न मरता ह न यह उतपनन होकर िफर होन

वाला ही ह यह जनमरिहत िनतय िनरनतर रहन वाला शा त और परातन अनािद ह शरीर क मार जान पर भी वह नही मारा जाता

(गीताः 220) शव की ःमशानयाऽा म मटका ल जात ह फोड़ दत ह यह याद िदलान क िलए िक दह

मानो मटका ह इस मगलमय मतय को पीछ िव ल होन की आवयकता नही ह यह मटका सवा करन क िलए िमला था जीणर-शीणर हआ टट गया िफर नया िमलगा मगलमय आतमा-परमातमा की ाि तक यह मगलमय जनम-मरण की याऽा तो चलती ही रहगी इसम िव ल होकर रोना-चीखना िनरा मोह ह अगर इस मोह को पोसा जाय और िकसी की मतय न हो तो ससार महा नरक हो जायगा माली अगर बगीच म काट-छाट न कर तो बगीचा बगीचा ही न रहगा अिपत भयानकर जगल हो जायगा

स ा न मतय का मगलमय िवधान न बनाया होता तो आदमी म तयाग सवा नता क

सदगण ही नही िखलत सब अमर होकर अिड़यल की तरह उलझ रहत रािऽ स अरणोदय अरणोदय स िफर मगलमयी रािऽ की अिनवायर आवयकता ह िवराट

की यह चणड बीड़ा तमह अपन िवराट ःवभाव म जगान क िलए आवयक ह मतय मान महायाऽा महाःथान महािनिा अतः जो मर गय ह उनकी याऽा मगलमय

हो आतमोननितद हो ऐसा िचनतन कर न िक अपन मोह और अजञान क कारण उनको भी भटकाए और खद भी परशान हो

कइयो की मतय बालयकाल म या यौवन म हो जाती ह जस मा न बचच को कपड़

पहनाए और नही जच उठा िलय िफर नय व ो स सजाया-धजाया अथवा यो कहो िक बचचा िखलौनो म रम जाता ह िखलौन नही छोड़ना चाहता परनत मगलमयी मा उस बलात उठा लती ह अपनी गोद म सलाती ह अपनी उमा सािननधय िवौािनत स उस प करक िफर नतन भात को उस खलन क िलए बीडागन म भज दती ह ऐस ही जीवातमा का बीडागन ससार ह अतः अनक शरीर बदलत हए अबदल की मगलमय याऽा करन क िलए जीवन और मतय को मगल िवधान समझकर ई र की हा म हा करत हए अपनी याऽा उननत कर

ॐॐॐ

ॐॐॐॐॐॐॐॐ

अनबम

िचतन पराग ई र का बनाया हआ त भल ही बना रह उसको िमथया समझ लन माऽ स का

बोध हो सकता ह साधक का काम त को िमथया समझन स ही चलता ह इचछाओ की ति का उपाय एक ही ह िक इचछाए तयाग दी जाए िजस िववकी न इस

जगत को सपन या इनिजाल क समान समझ िलया ह िजस दय न प म िदखन लगा ह वह दोषदश िववकी भला बताओ इसम अनराग कस कर

जञानी जागरण को सतय समझना छोड़ दन पर िफर पहल की भाित अनर नही होता

जञानी तयक वःत को अपना आतमा समझता ह मद की कलपना को बार-बार मन म लाना काम-वासना स म होन का सव म उपाय

बताया गया ह मद को पड़ हए दखकर मन घबरान लगता ह पिरणाम की कयो परवाह करत हो अपनी तनखवाह क बार म कभी िफब मत करो

अजञानी लोग समझत ह िक कायर की सफलता म कायर करन की अपकषा अिधक आननद ह इन अनधो को यह मालम ही नही ह िकसी पिरणाम स उतना सख नही िमलता िजतना काम करन स िमलता ह

अपन िवचारो को सदा वाःतिवक आतमा म रखो और पिरिःथितयो की परवाह मत करो तब तक आपकी हािन नही हो सकती जब तक िक आप ःवय उस नही बलात तलवार

तब तक नही काट सकती जब तक आप यह न सोच िक यह काटती ह ऐ पणर तर िलए कोई कतरवय या कायर शष नही ह सारी कित सास रोक तरी

सवा क िलए खड़ी ह ससार तरी पजा करन का अवसर पाकर अपन को कतकतय करना चाहता ह कया त कित की शि यो को अपन चरणो म झकन का अवसर दगा

अपन भीतर सतय क काश को सदा चमकता रखो भय और लोभन का शतान तमहार

पास नही फटकगा

बाहर की बातो म कछ भी नही मान अपमान अपना काम िकय जा िनिशिदन इसम ही सममान

दसर लोग तमहारी आलोचना िनदा करत हो उनह रोकन की च ा न करो कयोिक इनही

सब बातो क ारा तमम सदगणो की वि होगी जब तक तमहारा दय इतना दढ़ नही ह िक तम मख क बकन पर िःथर और शात बन रहो अथवा तमम इतनी सहनशीलता नही ह िक अजञानी मख को कषमा कर सको तब तक तम अपन को कही जञानी न समझ बठना

यिद तम शरीर और मन स ऊपर उठ जाओ तो सब िचनता और भयो स छट हो

जाओग िकसी भी आकिःमक दघरटना स धयर न छोड़ो कयोिक घबराहट स शि तथा बि का

नाश होता ह िकसी भी कार की किठनाइयो क आग दःिखत न होकर गमभीरतापवरक उनका सामना करो तभी तम िनःसनदह िवजय ा करोग तम कही भी हतोतसािहत होकर िनराश न होओ

ऐसी कौन-सी िवपि ह जो मरी सननता को न कर सकती ह वह कौन-सा रज ह जो

मर आननद म िव न डाल सकता ह म तो िव ाणड का भ ह म बि का भ ह िदमाग का मािलक ह और मन का शासक ह ससार मझम ह म ससार म नही आ सकता िव मझम ह म िव म नही बध

सकता सयर और नकषऽ मझम उदय और अःत होत ह दह और दिनया दोनो ई र क भीतर ह वही ई र म ह म िनिलर आतमा ह मरा जनम नही मतय नही म अजर-अमर ह म िचदाननद

आतमःव प ह म िमथया त िमथया धमर िमथया कमर िमथया और जगत िमथया और ऐसा तीत

होता ह िक म सवरःव ह म ही सवरजञ सवरगत आतमा ह अपना साकषी ह कदािप उन नाम पो म फसा नही ह

म िवश ह असखय ाणड मझम पड़ ह म असःपयर ह मरा ःव प िनिलर ह

मझ दःख स कोई भय नही ह मझ समय की जरा भी िचनता नही आतमाननद वाल को भय और आशका कसी

िकसी भी डर को अपन पास मत फटकन दो लोग यिद तमहार बराई करत ह तो तम उनह आशीवारद दो ऐस ःथान पर जाओ जहा

लोग तमस घणा कर तम तो म हो पहल स ही म हो सवरदा कहोः म सदा आननदःव प ह म

म ःवभाव ह म अननत ःव प ह मरी आतमा का आिद और अनत नही ह सभी मर आतमःव प ह

सननतापवरक अपमान सहन करन स और नता धारण करन स अिभमान की िनवि

होती ह िकसी पिवऽ ःथान पर जाओ तो वहा क अनशासन का पालन करो वहा चपपलो की

चटाक-पटाक आभषणो की खनखनाहट भड़कील व ो की फरफराहट आिद हमस न हो इसका परा धयान रखो कही भी िकसी क भी िच को या शात वातावरण को अशात करन का हम कोई अिधकार नही ह

अपन िकसी भी दःख या अशाित का कारण बाहर मत ढढो बाहर की पिरिःथितयो या

वयि यो को दोष मत दो कारण अपन भीतर ढढो िनद ष भाव स ढढोग तो कारण भीतर ही िमल जायगा उस दर करन की च ा करो शातिच रहन का यही बहमलय उपाय ह

जो आतम-अनशािसत ह व ही शासन कर सकत ह ऐसा करन क िलए नाम-जप कर

धयान कर िकसी आतमिन सत का पावन सािननधय ा कर सब तरह स िनभरय एव सनन बनन का यह ौ साधन ह

िवन बनो िनरहकारी बनो अपन आपको बड़ा बतान की च ा न करो िवनता एव

िनरािभमानता ही तमह बड़ा बनायगी िवनता मनय का बहत बड़ा भषण ह िनमरल दि रखो िकसी क दोष दखना यह बहत बड़ा दगरण ह िछिानवषी न बनो

दसरो क दोष दखना पाप अजरन करना ह गणमाही बनो

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अनबम

  • मगलमय जीवन-मतय
  • मतय क परकार
  • मतय भी जीवन क समान आवशयक
  • सिकनदर न अमत कयो नही पिया
  • बिना मतय को जान जीवन जीवन नही
  • मतय किसकी होती ह
  • भगवान शरीराम और तारा
  • मतयः कवल वसतर परिवरतन
  • फकीरी मौतः आननदमय जीवन का दवारः
  • यमराज और नचिकताः
  • सचच सत मतय का रहसय समझात ह
  • मतयः एक विशरानति-सथानः
  • वासना की मतय क बाद परम विशरानति
  • धतराषटर का शोकः
  • घाटवाल बाबा का एक परसग
  • फकीरी मौत ही असली जीवन
    • फकीरी मौत कया ह
      • सकरात का अनभव
      • आधयातमविदयाः भारत की विशषताः
      • तीन परकार क लोगः
      • जञान को आय स कोई निसबत नही
      • योगसामरथयः एक परतयकष उदाहरण
      • योग भी साधना का आखिरी शिखर नही
      • गणातीत सत ही परम निरभयः
      • सतो का सनदशः
      • चितन पराग

मगलमय जीवन-मतय आज हम जीवन और मतय क बार म िवचार करग बात तो बहत छोटी ह मगर बड़ी

अटपटी ह झटपट समझ म नही आती अगर एक बार समझ म आ जाय तो जीवन की सब खटपट िमट जाय

इस रहःय को न समझ सकन क कारण हम अपन को सीिमत दशकाल क भीतर एक सामानय ौोता क प म यहा उपिःथत मान रह ह मगर यिद यह रहःय हम ठ क स समझ म आ जाय तो तरनत यह खयाल आयगा िकः म अननत ाणडो म वया होकर सभी िबयाए कर रहा ह मर अितिर दसरा कछ ह ही नही तो िफर जीवन िकसका और मौत िकसकी

मतय क कार मतय पर िभनन-िभनन दि स िवचार कर सकत ह पौरािणक दि स अपन इ की ःमित जीवन ह और इ की िवःमित मतय ह वयावहािरक दि स अपनी इचछा क अनकल घटना घट यह जीवन ह और इचछा क

ितकल घटना घट यह मतय ह ऐसी मतय तो िदन म अनक बार आती ह लौिकक दि स पद ित ा िमलना वाह-वाही होना जीवन ह और बदनामी होना मौत

कहा जा सकता ह िजस साधारण लोग जीवन और मौत कहत ह उस दि स दख तो पचभतो स बन ःथल

शरीर का सआम शरीर (ाणमय शरीर) स सयोग जीवन ह और िवयोग मौत ह वाःतव म न तो कोई जीता ह न कोई मरता ह कवल कित म पिरवतरन होता ह इस

पिरवतरन म अपनी ःवीकित तो जीवन लगता ह और इस पिरवतरन म िबना इचछा क िखचा जाना घसीटा जाना जबरन उसको ःवीकार करना पड़ यह मौत जसा लगता ह वाःतव म मौत जसा कछ नही ह

जगत म जो कछ भी दि गोचर होता ह वह सब पिरवतरनशील ह दसर शबदो म वह

सब काल क गाल म समाता जा रहा ह चहचहाट करत हए पकषी भागदौड़ करत हए पश लहलहात हए पड़ -पौध वनःपित कित म हलचल मचाकर मिःतक को चकरा दन वाल

आिवकार करत हए मनय सभी एक िदन मर जायग कई मर गय कइयो को रोज मरत हए हम अपन चारो ओर दख ही रह ह और भिवय म कई पदा हो-होकर मर जायग

कोई आज गया कोई कल गया कोई जावनहार तयार खड़ा नही कायम कोई मकाम यहा िचरकाल स य ही िरवाज रहा

दादा गय िपता गय पड़ोसी गय िरतदार गय िमऽ गय और एक िदन हम भी चल

जाएग इस तथा किथत मौत क मह म यह सब दखत हए जानत हए समझत हए भी 50 वषरवाला 60 60 वषरवाला 70 70 वषर वाला 80 और 90 वाला 100 वषर उ दखन की इचछा करता ह 100 वषर वाला भी मरना नही चाहता मौत िकसी को पसनद नही ह

मन सना ह िक अमिरका म लगभग एक हजार ऐसी लाश सरिकषत पड़ी ह इस आशा म

िक आग आन वाल 20 वष म िवजञान इतनी गित कर लगा िक इन लाशो को जीवनदान द सक हर लाश पर 10000 रपय दिनक खचर हो रहा ह बीस साल तक चल उतना धन य मरन वाल लोग जमा कराक गय ह

कोई मरना नही चाहता क म िजसक पर लटक रह ह वह बढ़ा भी मरना नही चाहता औषिधया खा-खाकर

जीणर-शीणर हआ रोगी मरणश या पर पड़ा अितम ास ल रहा ह डॉकटरो न जवाब द िदया ह वह भी मरना नही चाहता लाश भी िजनदा होना चाहती ह कित का यह मतय पी पिरवतरन िकसी को पसनद नही य िप यह सब जानत ह

जो आया ह सो जाएगा राजा रक फकीर

यह मान भी िलया जाय िक 20 वषर म िवजञान इतनी उननित कर लगा और लाशो को िफर स जीिवत भी कर दगा िफर भी व कब तक िटकी रहगी अत म जरा-जीणर होगी ही उन लाशो को तो बीस वषर भी हो गय अभी तक िवजञानी उनह जीिवत नही कर पाय मानो कर भी ल तो य कब तक िटक गी

मतय भी जीवन क समान आवयक

बगीच म वही क वही पड़-पौध फल-प यो क तयो बन रह उनकी काट-छाट न की जाय नय न लगाय जाए उनको सवारा न जाय तो बगीचा बगीचा नही रहगा जगल बन जायगा बगीच म काट-छाट होती रह नय पौध लगत रह परान सड़-गल पपहीन ठठ िबनज री पौध हटा िदय जाय और नय सगिनधत नवजीवन और नवचतना स ओतोत पौध लगाय जाए यह ज री ह

अनबम

िसकनदर न अमत कयो नही िपया साट िसकदर िजस पीकर अमर हो जाए कभी मरना न पड़ ऐस अमत जल की खोज

म था नकशो क सहार िवजय करता हआ वह उस गफा म पहच भी गया िजसक अनदर अमतजल का झरना था गफा क बाहर ही उसन अपन सभी सिनको को रोक िदया और ःवय अकला बड़ उतसाह व सननता स आिहःत-आिहःत चौकनना होकर कदम बढ़ान लगा आज उसक जीवन की सबस बड़ी खवािहश परी होन जा रही थी उसका दय उछल रहा था थोड़ी ही दर अपन सामन परो क पास ही उसन दखाः चा दी सा त अमतजल धीमी-धीमी कल-कल छल-छल आवाज करता बह रहा ह उसका दय आननद स िखल उठा अब वह अपन को न रोक सका वह घटनो क बल नीच झका अपन दोनो हाथ पानी म डबोए

आहा कसा शीतल ःपशर उसकी सारी थकान उतर गई दोनो हाथो की अजली म उसन

वह जल भरा अजली को धीर-धीर मह तक लाया दय की धड़कन बढ़ी होठ सधापान करन को लालाियत हो उठ बस जल ओठो तक पहच ही गया था और वह पी ही लता िक इतन म -

खबरदार उस िनजरन गफा म िकसी की आवाज गज उठ च क कर िसकनदर न िसर ऊपर

उठाया दखा तो एक कौआ वहा बठा ह खबरदार िसकदर रक जाओ जलदी न करो जो भल मन की वह तम मत करो

मझ कोई साधारण कौआ मत समझना म कौओ का साट ह म भी तमहारी तरह बहत पिरौम म इस अमत की खोज करत-करत यहा तक पहचा ह और मन यह जल पी िलया ह परनत इस पीकर अब मसीबत म पड़ गया ह

ऐसी गमभीर घड़ी म यह िव न िसकदर को अचछा नही लगा िफर भी धीरज स वह

उसकी बात सनन लगा कौआ बोलाः

तमको जल पीना हो तो अवय िपयो िसकदर लिकन मरी बात परी सन लो यह जल

पीकर म अमर हो गया ह जो कछ जीवन म करन की इचछा थी वह सब म कर चका ह िजतना घमना था घम िलया सनना था सन िलया गाना था गा िलया खाना था खा िलया जो भी मौज करन की इचछा थी सब कर िलया अब करन क िलए कछ बचा ही नही अब यह जीवन मर िलय भार बन गया ह म अब मरना चाहता ह परनत मर नही सकता मरन क िलए पानी म कदा परनत पानी न मझ डबाया नही पहाड़ो पर स कदा िफर भी मरा नही आग की वालाओ म कदकर दखा उसन भी मझ जलाया नही तलवार की धार स मन गदरन िघसी परनत धार खराब हो गई गदरन न कटी यह सब इस अमतजल क कारण

सोचा था िक अमर होकर सखी होऊगा परनत अब पता चला िक मन मसीबत मोल ल

ली ह तमको यह जल पीना हो तो अवय िपयो म मना नही करता परनत मरी तमस िवनती ह िक यहा स जान क बाद मरन की कोई िविध का पता लग तो मझ अवय समाचार दना

थोड़ी दर क िलए गफा म नीरव शाित छा गई िसकदर क हाथ की उगिलया िशिथल हो

ग उनक बीच म स सारा अमतजल िगर कर पनः झरन म समा गया दसरी बार उसन झरन क जल म हाथ डालन की िहममत नही की मन ही मन िवचार करत हए वह उठ खड़ा हआ और पीछ मड़कर गफा क ार की ओर चल पड़ा आिहःत-आिहःत िबना अमतजल क िपय

यह घटना सच हो या झठ उसस कोई सरोकार नही परनत इसम एक तथय छपा हआ

ह िक िजतना जीवन ज री ह उतनी ही मौत भी ज री ह पिरवतरन होना ही चािहए

अनबम

िबना मतय को जान जीवन जीवन नही िजस जीवन क िलए अपनी लाश की सरकषा हत करोड़ो रपयो की वसीयत करक लोग

चल गय िजस जीवन को िटकाए रखन क िलए हम लोग भी अपार धन-समपि इक ठ करन म लग हए ह दसरो को दःखी करक भी जीवन क ऐश ETHआराम क साधन समह करन म हम लग हए ह वह जीवन िटक जान क प ात भी अमर हो जान क बाद भी कया हमको आननद द सकगा कया हम सखी हो सक ग यह जरा िवचार करन यो य ह मौत स मनय डरता ह परनत ऐसा जीवन भी कोई जीवन ह िजसम सदव मौत का भय बना रह जहा पग-पग मतय

का भय हम किमपत करता रह ऐसा नीरस जीवन भयपणर जीवन मौत स भी बदतर जीवन ह ऐसा जीवन जीन म कोई सार नही यह जीवन जीवन नही ह

यिद जीवन ही जीना ह यिद रसमय जीवन जीना ह यिद जीवन का ःवाद लत हए

जीवन को जीना ह तो मौत को आमिऽत करो मौत को बलाओ और होशपवरक मौत का अनभव करो जो सत मौत का अनभव कर चक ह उनका सग करक मौत की पोल को जान लो िफर तो आप भी मःत होकर उनकी तरह कह उठ गः

जा मरन त जग डर मोर मन आननद

अनबम

मतय िकसकी होती ह अभी तो िजस तम जीवन कहत हो वह जीवन नही और िजस तम मौत कहत हो वह

मौत नही ह कवल कित म पिरवतरन हो रहा ह कित म जो रहा ह वह सब पिरवतरन ह जो पदा होता िदख रहा ह वही न होता नजर आता ह िजसका सजरन होता िदखता ह वही िवसजरन की ओर जाता नजर आता ह पड़-पौध हो या खाइया हो सागर हो या मरःथल हो सब पिरवतरन पी सिरता म बह जा रह ह जहा नगर थ वहा वीरान हो गय जहा बिःतया थी वहा आज उलल बोल रह ह और जहा उलल बोल रह थ वहा बिःतया खड़ी ह जहा मरःथल थ वहा आज महासागर िहलोर ल रह ह और जहा महासागर थ वहा मरःथर खड़ ह बड़-बड़ ख डो की जगह पहाड़ खड़ हो गय और जहा पहाड़ थ वहा आज घािटया खाइया बनी हई ह जहा बड़ -बड़ वन थ वह भिम बजर और पथरीली हो गई और जो बजर थी पथरीली थी वहा आज वन और बाग-बगीचो क प म हिरयाली फली हई ह

चाद सफर म िसतार सफर म

हवाए सफर म दिरया क िकनार सफर म अर शायर वहा की हर चीज सफर म तो आप बसफर कस रह सकत ह

आप िजस शरीर को म मानत ह वह शरीर भी पिरवतरन की धारा म बह रहा ह

ितिदन शरीर क परान कोष न हो रह ह और उनकी जगह नय कोष बनत जा रह ह सात वषर म तो परा शरीर ही बदल जाता ह ऐसा वजञािनक भी कहत ह इस ःथल शरीर स सआम

शरीर का िवयोग होता ह अथारत सआम शरीर दह पी व बदलता ह इसको लोग मौत कहत ह और शोक म फट-फट कर रोत ह

अनबम

भगवान ौीराम और तारा भगवान राम न जब बाली का वध िकया तो बाली की प ी राम क पास आई और अपन

पित क िवयोग म फट-फट कर रोन लगी राम न उसको धीरज बधात हए कहाः

िकषित जल पावक गगन समीरा पच रिचत यह अधम शरीरा सो तन तव आग सोहा जीव िनतय त कहा लिग रोवा

ह तारा त िकसक िलए िवलाप कर रही ह शरीर क िलए या जीव क िलए

पचमहाभतो ारा रिचत शरीर क िलए यिद त रोती ह तो यह तर सामन ही पड़ा ह और यिद जीव क िलए रोती ह तो जीव िनतय ह वह मरता नही

मतयः कवल व पिरवतरन यिद वाःतव म मौत होती तो हजारो-हजारो बार होन वाली तमहारी मौत क साथ तम भी

मर चक होत आज तम इस शरीर म नही होत यह शरीर तो माऽ व ह और आज तक आपन हजारो व बदल ह अपना ई र कगाल नही ह िदवािलया नही ह िक िजसक पास दो चार ही व हो उसक पास तो अपन बालको क िलए चौरासी-चौरासी लाख व ह कभी चह का तो कभी िबलली का कभी दव का तो कभी गधवर का न जान िकतन-िकतन वश आज तक हम बदलत आय ह व बदलन म भय कसा

यही बात भगवान ौीकण न अजरन स कही हः

वासािस जीणारिन यथा िवहाय नवािन ग ाित नरोऽपरािण तथा शरीरािण िवहाय जीणारनयनयािन सयाित नवािन दही

ह अजरन त यिद शरीरो क िवयोग का शोक करता ह तो यह भी उिचत नही ह कयोिक

जस मनय परान व ो का तयागकर दसर नय व ो को महण करता ह वस ही जीवातमा परान शरीरो को तयाग कर दसर नय शरीरो को ा होता ह

(गीताः 222)

बालक की च डी (नकर) फटन पर उसकी मा उसको िनकाल कर नई पहनाती तो बालक

रोता ह िचललाता ह वही बालक बड़ा होता ह पहल की चि डया छोटी पड़ जाती ह उनह छोड़ता ह बड़ी पहनता ह िफर वह भी छोड़कर पनट पाजामा या धोती आिद पहनता ह ऐस ही परमातमा की सतान भी यो- यो बड़ी होती ह िवकिसत होती ह तयो-तयो उस पहल स अिधक यो य ददीपयमान नय शरीर िमलत ह जीव-जतओ स िवकिसत होत-होत बनदर गाय और आिखर मनय दह िमलती ह मनय िदवय कमर कर स वगण-धान बन तो दव गधवर की योिन िमलती ह उसका ःवभाव रजस धान हो तो वह िफर मनय बनता ह और यिद तामसी ःवभाव रखता ह तो पनः हलकी योिनयो म जाता ह उस मानव को यिद ई र भि क साथ कोई समथर सदगर िमल जाय उस आतमधयान आतमजञान की भख जग वह गरकपा पचा ल तो वही मन य चौरासी क चब म घमन वाला जीव अपन िशवःवभाव को जानकर तीनो गणो स पार हो जाय परमातमा म िमल जाय

व पिरवतरन स भय कसा व बदलन वाला तो कभी भी मरता नही वह अमर ह और पिरवतरन कित का ःवभाव ह तो िफर मौत ह ही कहा यही बात समझात हए गीता म भगवान ौी कण कहत ह अजरन स िक तमह भय िकस बात का ह

हतो वा ापःयिस ःवग िजतवा वा भोआयस महीम

यिद य म शरीर छट गया तो ःवगर को ा करोग और यिद जीत गय तो पथवी का

रा य भोगग (सभी ौोतागण तनमयता स जीवन मतय पर मीमासा सन रह ह ःवामी जी कछ कषण

रककर सभी पर एक रहःयमय दि फ कत ह वातावरण म थोड़ी गमभीरता छाई हई जानकर करत ह)

फकीरी मौतः आननदमय जीवन का ारः आप लोग उदास तो नही हो रह ह न आपको मौत का भय तो नही लग रहा ह न

अभी कवल जीवन पर बात ही चल रही ह िकसी की मौत नही आ रही ह (यह सनकर सभी िखलिखलाकर हस पड़त ह ःवामी जी फकीर मःती म आग कहत

ह)

अर मौत तो इतनी पयारी ह िक उस यिद आमिऽत िकया जाय तो आननदमय जीवन क ार खोल दती ह

एक जवान साध था घमत-घमत वह नपाल क एक पहाड़ की तलहटी म जा पहचा वहा

उसन दखा एक व सत एक िशला पर बठ ह शाम का समय ह सरज िछपन की तयारी म ह उन सत न उस जवान साध को तो दखा तो बोलः

मर परो म इतनी ताकत नही िक अभी म ऊपर पहाड़ पर चढ़कर अपनी गफा तक पहच सक बटा तम मझ अपन कध पर चढ़ाकर गफा तक पहचा दो

यवा साध भी अलमःत था उसन सत को अपन कध पर िबठा िलया और चल पड़ा

उनकी गफा की ओर चढ़ाई बड़ी किठन थी परनत वह भी जवान था चढ़ाई चढ़ता रहा काफी ऊपर चढ़ चकन पर उसन सत स पछाः

गफा अभी िकतनी दर ह

बस अब थोड़ी दर ह चलत-चलत काफी समय हो गया साध पछता रहा और व सत कहत रहः बस अब

थोड़ी ही दर ह मामा का घर िजतना दर िदया िदख उतना दर ऐसा करत-करत रात को यारह बज क करीब गफा पर पहच साध न व सत को कध स नीच उतारा और बोलाः

और कोई सवा

सत उसकी सवा स बड़ सनन थ बोलः बटा तमन बड़ी अचछ सवा की ह बोल अब तझ कया परःकार द वह दख

सामन तीन-चार भर हए बोर रख ह उसम स िजतना उठा सको उतना उठा ल जाओ यवा साध न जाकर बोरो को छकर दखा अनमान लगाया शायद र ी कागजो स भर हए

ह िफर धयान स दखा को अनमान गलत िनकला व बोर नपाली नोटो स भर हए थ उसन अनमन मन स उनको दखा और उलट परो लौट पड़ा सत की ओर सत न पछाः

कयो माल पसनद नही आया व सत पहच हए योगी थ अपन योगबल ारा उनहोन नोटो क बडलो स भर बोर

उतपनन कर िदय थ उनको ऐसी आशा थी िक वह यवा साध अपनी सवा क बदल इस परःकार स खश हो जायगा परनत वह यवा साध बोलाः

ऐसी सब चीज तो म पहल ही छोड़ आया ह इनस कया जीवन की रकषा होगी इनस कया जीवन का रहःय समझ म आएगा इनस कया मौत जानी जा सकगी कया म इनही चीजो क िलए घर बार छोड़कर दर-दर भटक रहा ह जगलो और पहाड़ो को छान रहा ह य सब तो न र हऔर अगर सतो क पास भी न र िमलगा तो िफर शा त कहा स िमलगा

अनबम

यमराज और निचकताः निचकता भी यमराज क सममख ऐसी ही माग पश करता ह कठोपिनषद म निचकता

की कथा आती ह निचकता कहता ह यमराज सः ह यमराज कोई कहता ह मतय क बाद मनय रहता ह और कोई कहता ह नही रहता ह इसम बहत सदह ह इसिलए मझ मतय का रहःय समझाओ तािक सतय कया ह यह म जान सक परनत यमराज निचकता की िजजञासा को परखन क िलए पहल भौितक भोग और वभव का लोभ दत हए कहत ह -

शतायषः पऽपौऽानवणीव बहनपशनहिःतिहरणयम ान भममरहदायतन वणीव ःवय च जीव शरदोयाविदचछिस

ह निचकता त सौ वषर की आयय वाल पऽ-पौऽ बहत स पश हाथी-घोड़ सोना माग

ल पथवी का िवशाल रा य माग ल तथा ःवय भी िजतन वषर इचछा हो जीिवत रह

(वललीः 123) इतना ही नही यमराज आग कहत ह- मनयलोक म जो भोग दलरभ ह उन सबको ःवचछनदतापवरक त माग ल यहा जो रथ

और बाजो सिहत सनदर रमिणया ह व मनयो क िलए दलरभ ह ऐसी कािमनयो को त ल जा इनस अपनी सवा करा परनत ह निचकता त मरण समबनधी मत पछ

िफर भी निचकता इन लोभनो म नही फसता ह और कहता हः य सब भोग सदव रहन वाल नही ह और इनको भोगन स तज बल और आयय कषीण

हो जात ह मझ य भोग नही चािहए मझ तो मतय का रहःत समझाओ

अनबम

सचच सत मतय का रहःय समझात ह ठ क इसी कार वह यवा साध उन व सत स कहता हः मझ य नोटो क बडल नही

चािहए आप यिद मझ कछ दना ही चाहत ह तो मझ मौत दीिजए म जानना चाहता ह िक मौत कया ह मन सना ह िक सचच सत मरना िसखात ह म उस मौत का अनभव करना चाहता ह

वःततः सत मरना िसखात ह इसीिलए तो लोग रोत हए बचचो को चप करान क िलए

कहत ह - रो मत चप हो जा नही तो वह दख बाबा आया ह न वह पकड़कर ल जायगा भल ही लोग अजञानतावश बाबाओ अथवा सतो स बचचो को डरात हए कहत ह िक व ल जायग परनत िजनको सचच सत ल जात ह अथवा जो उनका हाथ पकड़ लत ह व तर जात ह सचच सत उनको सब भयो स म कर दत ह और उनको ऐस पद पर िबठा दत ह िक िजसक आग ससार क सार भोग-वभव धन-समपि पऽ-पौऽ यश-ित ा सब तचछ भािसत होत ह परनत ऐस सचच सत िमलन दलरभ ह और दढ़ता स उनका हाथ पकड़न वाल भी दलरभ ह िजनहोन ऐस सतो का हाथ पकड़ा ह व िनहाल हो गय

उस यवा साध न भी ऐस ही सत का हाथ पकड़ा था मौत को जानन की उसकी बल

िजजञासा को दखकर व व सत बोल उठः अर यह कया मागता ह यह भी कोई मागन की चीज ह ऐसा कहकर उनहोन यवा साध को थोड़ी दर इधर-उधर की बातो म लगाया और मौका दखकर उसको एक तमाचा मार िदया यवक की आखो क सामन जस िबजली चमक उठ हो ऐसा अनभव हआ और दसर ही कषण उसका ःथल शरीर भिम पर लट गया उसका सआम शरीर दह स अलग होकर लोक-लोकानतर की याऽा म िनकल पड़ा लोग िजसको मतय कहत ह ऐसी घटना घट गई

ातःकाल हआ रात भर आननदमय मतय क ःवाद म डब हए उस यवा साध क ःथल

शरीर को िहलाकर व सत न कहाः बटा उठ सबह हो गई ह ऐस कब तक सोता रहगा यवा साध आख मलता हआ सननवदन उठ बठा िजसको मतय कहत ह उस मतय को

उसन दख िलया अहा कसा अदभत अनभव उसका दय कतजञता स भर उठा वह उठकर फकीर क चरणो म िगर पड़ा

लोग कहत ह िक मरना दःखद ह और इसीिलए मौत स डरत ह िजनको ससार म मोह

ह उनक िलए मौत भयद ह परनत सतो क िलए मोह रिहत आतमाओ क िलए ऐसा नही ह

अनबम

मतयः एक िवौािनत-ःथानः मौत तो एक पड़ाव ह एक िवौािनत-ःथान ह उसस भय कसा यह तो कित की एक

वयवःथा ह यह एक ःथानानतर माऽ ह उदाहरणाथर जस म अभी यहा ह यहा स आब चला जाऊ तो यहा मरा अभाव हो गया परनत आब म मरी उपिःथित हो गई आब स िहमालय चला जाऊ तो आब म मरा अभाव हो जायगा और िहमालय म मरी हािजरी हो जायगी इस कार म तो ह ही माऽ ःथान का पिरवतरन हआ

तमहारी अवःथाए बदलती ह तम नही बदलत पहल तम सआम प म थ िफर बालक

का प धारण िकया बालयावःथा छट गई तो िकशोर बन गय िकशोरावःथा छट गई तो जवान बन गय जवानी गई तो व ावःथा आ गई तम नही बदल परनत तमहारी अवःथाए बदलती ग

हमारी भल यह ह िक अवःथाए बदलन को हम अपना बदलना मान लत ह वःततः न

तो हम जनमत-मरत ह और न ही हम बालक िकशोर यवा और व बनत ह य सब हमारी दह क धमर ह और हम दह नही ह सतो का यह अनभव ह िकः

मझ म न तीनो दह ह तीनो अवःथाए नही मझ म नही बालकपना यौवन बढ़ापा ह नही जनम नही मरता नही होता नही म बश-कम म ह म ह ितह काल म ह एक सम

मतय नवीनता को जनम दन म एक सिधःथान ह यह एक िवौाम ःथल ह िजस

कार िदन भर क पिरौम स थका मनय रािऽ को मीठ नीद लकर दसर िदन ातः नवीन ःफितर लकर जागता ह उसी कार यह जीव अपना जीणर-शीणर ःथल शरीर छोड़कर आग की याऽा क िलए नया शरीर धारण करता ह परान शरीर क साथ लग हए टी बी दमा कनसर जस भयकर रोग िचनताए आिद भी छट जात ह

वासना की मतय क बाद परम िवौािनत ःथल शरीर स सआम शरीर का िवयोग िजसको मतय कहा जाता ह वह िवौाम-ःथल तो

ह परनत पणर िवौाित उसम भी नही ह यह फकीरी मौत नही ह फकीरी मौत तो वह ह िजसम सारी वासनाए जड़ सिहत भःम हो जाए भीतर यिद सआम वासना भी बची रही तो जीव िफर स नया शरीर धारण कर लगा और

िफर स सख-दःख की ठोकर खाना चाल कर दगा िफर स वहीः

पनरिप जनन पनरिप मरण पनरिप जननी जठर शयनम

अनबम

धतरा का शोकः करकषऽ क य म दय धन सिहत जब सार पऽ मार गय तो धतरा खब दःखी हए और

िवदर स कहन लगः कण और पाडवो न िमलकर मर सब पऽो का सहार कर िदया ह इसका दःख मझस सहन नही होता एक एक कषण वयतीत करना मझ वष जसा लमबा लग रहा ह

िवदर धतरा को समझात हए कहत ह - जो होना होता ह वह होकर ही रहता ह आप

वयथर म शोक न करो आतमा अमर ह उसक िलए मतय जसी कोई चीज नही ह इस शरीर को छोड़कर जो जाता ह वह वापस नही आता इस बात को समझकरः राम राख तम रिहय ह भाई शोक न करो

परनत धतरा का शोक कम नही हआ वह दढ़तापवरक कहन लगाः तम कहत हो वह

सब समझता ह िफर भी मरा दःख कम नही हो ता मझ अपन पऽो क िबना चन नही पड़ रहा ह पलभर को भी िच शात नही रहता

अजञानी सोचता ह िक िजस कार म चाहता ह उसी कार सब हो जाय तो मझ सख

हो यही मनय का अजञान ह शा और सतो का िकतना ही उपदश सनन को िमल जाय तो भी वह अपनी मानयताओ

का मोह सरलता स छोड़न को तयार नही होता िवदर का धमरय उपदश धतरा को सानतवना नही द सका धतरा शा ो स िबलकल अनिभजञ था ऐसी बात नही थी िफर भी उसका शा जञान उस पऽो क मोह स म नही कर सका

अनबम

घाटवाल बाबा का एक सग हिर ार म घाटवाला बाबा क नाम स िस एक महान सत रहत थ बहत सीध -साद

और सरल कमर म कतान (टाट) लपट रहत थ ऊपर स िदखन म िभखारी जस लगत मगर भीतर स साट थ उनक पास एक वयि आया और बोलाः महाराज मझ शाित चािहए

महाराज न पहल उस धयान स दखा िफर कहाः शाित चािहए तो तम गीता पढ़ो

यह सनकर वह च ककर बोलाः गीता गीता तो म िव ािथरयो को पढ़ाता ह म कालज म ोफसर ह गीता मरा िवषय ह गीता म कई बार पढ़ चका ह उस पर तो मरा काब ह

महाराज बोलः यह ठ क ह अब तक तो लोगो को पढ़ाकर पसो क लाभ क िलए गीता

पढ़ी होगी अब मन को िनयिऽत करक शाित लाभ क िलए पढ़ो लोग शा ो म स सचनाए और जानकािरया इक ठ करक उस ही जञान मान लत ह

दसरो को भािवत करन क िलए लोग शा ो की बात करत ह उपदश दत ह परनत उनह अपन आपको कोई अनभित नही होती मतय क िवषय म भी लोग िव तापणर वचन कर सकत ह मतय स डरन वालो को आ ासन और धयर द सकत ह परनत मौत जब उनही क सममख साकषात आकर खड़ी होती ह तो उनकी रग -रग काप उठती ह कयोिक उनको फकीरी मौत का अनभव नही

कई लोग कहत ह िक जीवन और मौत अपन हाथ म नही ह परनत यह उनक िलए

ठ क ह िजनको आधयाितमक रहःय का पता नही जो ःवय को शरीर मानत ह दीन-हीन मानत ह परनत योगी जानत ह िक जीवन और मतय इन दोनो पर मनय का अिधकार ह इस अिधकार को ा करन की तरकीब भी व जानत ह कोई िहममतवान जानन को ततपर हो तो व उस बता भी सकत ह व तो खललमखलला कहत ह िक यिद रोत-कलपत हए मरना हो तो खब भोग-भोगो िकसी की परवाह न करत हए खब खाओ िपयो और अमयारिदत िवषय-सवन करो ऐसा जीवन आपको अपन आप मौत की ओर शीयता स आग बढ़ा दगा परनत

यिद मौत पर िवजय ा करनी हो जीवन को सही तरीक स जीना हो तो योिगयो क

कह अनसार करो ाणायाम करो धयान करो योग करो आतमिचनतन करो और ऐसा कोई योगी डॉकटरो क सामन आकर दय की गित बनद करक बता दता ह तो वह बात भी लोगो को

बड़ी आ यरजनक लगती ह लोगो क टोल क टोल उसको दखन क िलए उमड़ पड़त ह परनत यह भी कोई योग की पराका ा नही ह

फकीरी मौत ही असली जीवन इितहास म जञान र महाराज और योगी चागदव का सग आता ह वह तो आप लोग

जानत ही होग चागदव न मतय को चौदह बार धोखा िदया था अथारत जब -जब मौत का समय आता तब-तब चागदव योग की कला स अपन ाण ऊपर चढ़ाकर मौत टाल िदया करत थ ऐसा करत-करत चागदव न अपनी उ 1400 वषर तक बढ़ा दी िफर भी उनको आतमशािनत नही िमली फकीरी मौत ही आतमशाित द सकती ह और इसीिलए चागदव को आिखर म जञान र महाराज क चरणो म समिपरत होना पड़ा

अनबम

फकीरी मौत कया ह

फकीरी मौत ही असली जीवन ह फकीरी मौत अथारत अपन अह की मतय अपन जीवभाव की मतय म दह ह म जीव ह इस पिरिचछनन भाव की मतय

ःथल शरीर स सआम शरीर का िवयोग यह कोई फकीरी मौत नही ह अगर वासना शष

हो तो सआम शरीर बार-बार ःथल शरीर धारण करक इस ससार म जनम-मरण क दःख पणर चककर म भटकता रहता ह

जब तक फकीरी मौत नही हो तब तक चागदव की तरह चौदह बार कया चौदह हजार

बार भी ःथल शरीर को बचाय रखा जाय तो भी परम शाित क िबना यह बकार ह लाबधवा जञान परा शाित आतमजञान स ही परम शाित िमलती ह इसी कारण चागदव को फकीरी मौत सीखन क िलए जञान र महाराज क पास आना पड़ा था 1400 वषर का िशय और 22 वषर क गर यही जञान का आदर करन वाली भारतीय सःकित ह जञान स उ को कोई समबनध नही ह

हम तो जीवन म पग-पग पर छोटी-मोटी पिरिःथितयो स घबरा उठत ह ऐसा भयभीत

जीवन भी कोई जीवन ह यह तो मौत स भी बदतर ह इसीिलए कहता ह िक असली जीवन जीना हो िनभरय जीवन जीना हो तो फकीरी मौत को एक बार जान लो

फकीरी मौत अथारत अपन अमरतव को जान लना फकीरी मौत अथारत उस पद पर आ ढ़ हो जाना जहा स जीवन भी दखा जा सक और मौत भी दखी जा सक जहा स ःप प स िदख िक सख-दःख आय और गय बालयावःथा यवावःथा और व ावःथा आई और गई परनत य सब शरीर स ही समबिनधत थ मझ तो व ःपशर तक नही कर सक म तो असग ह अमर ह मरा तो जनम भी नही मतय भी नही

सकरात का अनभव सकरात को जब जहर िदया जान लगा तो उसक िशय रोन लग कयोिक उनको यह

अजञान था िक सकरात अब बचग नही मर जायग सकरात न कहाः अर तम रोत कयो हो अब तक मन जीवन दखा अब मौत को दखगा यिद म मर

जाऊगा तो आज नही तो कल मरन ही वाला था इसिलए रोन की कया ज रत ह और यिद मरत हए भी नही मरा कवल शरीर स ही िछनन-िभनन हआ तो भी रोन की कया ज रत

सकरात न िबना िहचिकचाहट क राजी-खशी स जहर का पयाला पी िलया और िशयो स

कहाः दखो यह रोन का समय नही ह बहत ही महतवपणर बात समझन का समय आया ह

मर शरीर पर जहर का भाव होन लगा ह पर सनन होत जा रह ह घटनो तक जड़ता वया हो गई ह जहर का असर बढ़ता जा रहा ह मर पर ह िक नही इसकी अनभित नही हो रही ह अब कमर तक का भाग सवदनहीन बन गया ह

इस कार सकरात का सारा शरीर ठडा होन लगा सकरात न कहाः अब जहर क भाव स हाथ पर छाती जड़ हो गई ह थोड़ी ही दर म मरी िज ा भी

िनःपद हो जायगी उसस पहल एक मह वपणर बात सन लो जीवन म िजसको नही जान सका उसका अनभव हो रहा ह शरीर क सब अग एक क एक बाद एक िनःपद होत जा रह ह परनत उसस मझम कोई फकर नही पड़ रहा ह म इतना ही पणर ह िजतना पहल था शरीर स म ःवय को अलग असग महसस कर रहा ह अब तक जस जीवन को दखा वस ही अभी मौत को भी दख रहा ह यह मौत मरी नही बिलक शरीर की ह

अनबम

आधयातमिव ाः भारत की िवशषताः सकरात तो शरीर छोड़त-छोड़त अपना अनभव लोगो को बतात गय िक शरीर की मतय

यह तमहारी मतय नही शरीर क जात हए भी तम इतन क इतन ही पणर हो परनत भारत क ऋिष तो आिद काल स कहत आय ह-

शणवनत िव अमतःय पऽा

आ य धामािन िदवयािन तःयः वदाहमत परष महानतम

आिदतयवण तमसः परःतात तमव िविदतवाऽितमतयमित नानयः पनथा िव तऽयनाय

ह अमतपऽो सनो उस महान परम परषो म को म जानता ह वह अिव ा प अधकार

स सवरथा अतीत ह वह सयर की तरह ःवयकाश-ःव प ह उसको जानकर ही मनय मतय का उललघन करन म जनम-मतय क बधनो स सदव क िलए छटन म समथर होता ह परम पद की ाि क िलए इसक अितिर कोई दसरा मागर नही ह

( ता तरोपिनषद) यह कोई वद-उपिनषद काल की बात ह उस समय क ऋिष चल गय और अब नही ह

ऐसी बात नही ह आज भी ऐस ऋिष और ऐस सत ह िजनहोन सतय की अनभित की ह अपन अमरतव का अनभव िकया ह इतना ही नही बिलक दसरो को भी इस अनभव म उतार सकत ह रामकण परमहस ःवामी िववकाननद ःवामी रामतीथर महिषर रमण इतयािद ऐस ही त वव ा महापरष थ और आज भी ऐस महापरष जगलो म और समाज क बीच म भी ह यहा इस ःथान पर भी हो सकत ह परनत उनको दखन की आख चािहए इन चमरचकषओ स उनह पहचानना मिकल ह िफर भी िजजञास और ममकष वि क लोग उनकी कपा स उनक बार म थोड़ा सकत यह इशारा पा सकत ह

अनबम

तीन कार क लोगः ऐस सतो क पास तीन कार क लोग आत ह- दशरक िव ाथ और साधक

दशरक अथारत ऐस लोग जो कवल दशरन करन और यह दखन क िल ए आत ह िक सत कस ह कया करत ह कया कहत ह उपदश भी सन तो लत ह पर उसक अनसार कछ करना ह इसक साथ उनका कोई समबनध नही होता आग बढ़न क िलए उनम कोई उतसाह नही होता

िव ाथ अथारत व जो शा एव उपदश समबनधी अपनी जानकारी बढ़ान क िलए आत ह

अपन पास जो जानकारी ह उसम और वि होव तािक दसरो को यह सब सनाकर अपनी िव ा की छाप उन पर छोड़ी जा सक दसरो स सना याद रखा और जाकर दसरो को सना िदया जस ग स शानसपोटर कमपनी ाईवट िलिमटड- यहा का माल वहा और वहा का माल यहा लाना और ल जाना ऐस लोग भी त व समझन क मागर पर चलन का पिरौम उठान को तयार नही

तीसर कार क लोग होत ह साधक य ऐस लोग होत ह िक जो साधनामागर पर चलन

को तयार होत ह इनको जसा बताया ह वसा करन को पणर प स किटब होत ह अपनी सारी शि उसम लगान को ततपर होत ह उसक िलए अपना मान-सममान तन-मन-धन सब कछ होम दन को तयार होत ह सत क ित और अपन धयय क ित इनम पणर िन ा होती ह य लोग फकीर अथवा सत क सकत क अनसार लआय की िसि क िलए साहसपवरक चल पड़त ह

िव ाथ अपन वयि तव का ौगार करन क िलए आत ह जबिक साधक वयि तव का िवसजरन करन क िलए आत ह साधक अपन लआय की तलना म अपन वयि तव या अपन अह का कोई भी मलय नही समझत जबिक िव ाथ क िलए अपना अह और वयि तव का ौगार ही सब कछ ह अपनी िव ता म वि जानकारी को बढ़ाना वयि तव को और आकषरक बनाना इसी म उस सार िदखता ह त वानभित की तरफ उसका कोई धयान नही होता

यही कारण ह िक सतो क पास आत तो बहत लोग ह परनत साधक बनकर वही िटक

कर त व का साकषातकार करन वाल कछ िवरल ही होत ह

जञान को आय स कोई िनःबत नही िजसन फकीरी मौत को जान िलया हो अथारत िजस आतमजञान हो गया हो वह शरीर की

दि स कम उ का हो परनत उसक आग लौिकक िव ा म वीण और अिधक वय क सफद दाढ़ी-मछ वाल लोग भी बालक क समान होत ह इसीिलए योगिव ा म वीण 1400 वषर क चागदव को कम उवाल जञान र महाराज क चरणो म समिपरत होना पड़ा था ाचीन काल म ऐस कई उदाहरण दखन म आत ह

िचऽ वटतरोमरल व ाः िशया गरयरवा

गरोःत मौन वयाखयान िशयाःतिचछननसशयाः अथारत यह कसा विच य ह िक वटवकष क नीच यवा गर और व िशय बठ ह गर

ारा मौन वयाखयान हो रहा ह और िशयो क सब सशयो और शकाओ का समाधान होता जा रहा ह

अनबम

योगसामथयरः एक तयकष उदाहरण अपन मोटरा आौम म भी ऐस ही करीब स र वषर क सफद बाल वाल एक साधक ह

पहल डीसा म व एक सत क पास गय गय तो थ दशरक बनकर ही परनत सत की दि पड़त ही व दशरक म स साधक बन गय म कछ वषर पवर डीसा क आौम म था तब व मर पास आय थ पकी हई उ म भी व 18 वषर की उ की एक बाला क साथ बयाह रचान की तयारी म थ और आशीवारद मागन हत वहा आय थ उनको दखकर ही मर मह स िनकल पड़ाः

अब तमहारी शादी ई र क साथ कराएग यह सनकर उनको बड़ा आ यर हआ कयोिक न तो व मझ पहल स जानत थ और न ही

म उनह जानता था उस व उनका शरीर भी कसा था चरबी और कफ-िप स ठसाठस भरा हआ एकदम ःथल दमा आिद रोगो का िशकार डीसा म कपड़ क बड़ वयापारी थ धप म िबना छाता िलए दकान स नीच नही उतर पात थ कित ऐसी थी िक िकसी भी सत महातमा को नही गाठ और काम-वासना भीतर इतनी भरी हई थी िक आग की दो पि या शरीर छोड़ चकी थी िफर भी इस उ म तीसरी शादी करन को तयार थ प ी िबना एक िदन भी नही रह सकत थ

घर पहचन पर उनको पता चला िक उनक अनदर जो काम -िवकार का तफान आया था

वह एकदम शात हो गया ह भिवय म प ी बनन वाली उस कमारी क साथ एकात म अनक च ाए करक भी व उस काम-िवकार को पनः नही जगा सक इतना बल िवकार एकाएक कहा चला गया िफर उनको समझ म आया िक सत की ई रीय अहत की कपा उनम उतरी ह उनको सारा ससार सना-सना लगन लगा उनहोन तरनत ही उस कमारी यवती को कछ पय और कपड़ िदय और बटी कहकर रवाना कर िदया उसक बाद उनहोन आसन ाणायाम गजकरणी नित धोित आिद िबयाए सीख ली और िनयिमत प स करन लग इसस उनक शरीर क सार परान कफ-िप -दमा आिद दर हो गय और शरीर म स आवयकता स अिधक चब घटकर शरीर हलका फल जसा हो गया अब तो जवानो क साथ दौड़न की भी ःपधार करत

ह धयानयोग की साधना म उनहोन इतनी गित की ह िक उनको कई कार क अलौिकक अनभव हआ करत ह अपन सआम शरीर ारा व लोक -लोकानतर म घम आया करत ह

योग भी साधना का आिखरी िशखर नही यह भी साधना की कोई आिखरी भिमका नही ह सव चच िशखर नही ह यह भी सब

माया की सीमा म ही ह िफर चमर-चकषओ स दखो अथवा धयान म बठकर दखो कयोिकः

यद दय तद अिनतयम जो िदखता ह वह अिनतय ह जो िदख सो चालनहार चागदव भी योग म कशल थ

काल को कई बार धोखा द चक थ परनत माया को धोखा न द सक व भी साि वक माया म थ माया स पर नही थ

माया ऐसी ठिगनी ठगत िफरत सब दश जो ठग या ठिगनी ठग वा ठग को आदश

कोई िवरल सत ही इस माया को ठग सकत ह माया स पार जा सकत ह बाकी क

लोगो का तो यह माया न र म ही शा त का आभास करा दती ह अिःथरता म िःथरता िदखा दती ह ऐसी मोिहना माया क िवषय म ौी कण कहत ह-

दवी षा गणमयी मम माया दरतयया मामव य प नत मायामता तरिनत त

मरी यह अदभत िऽगणमयी माया का तरना अतयनत दकर ह परनत जो मरी शरण म

आत ह व तर जात ह (गीता)

अनबम

गणातीत सत ही परम िनभरयः ऐसी दःतर माया को जो सत अथवा फकीर तर जात ह और मौत की पोल जान जात ह

व कहत ह- एक ऐसी जगह ह जहा मौत की पहच नही जहा मौत का कोई भय नही िजसस मौत भी भयभीत होती ह उस जगह म हम बठ ह तम चाहो तो तम भी बठ सकत हो

तमहार म एक ऐसा चतन ह जो कभी मरता नही िजसन मौत कभी दखी ही नही जो जीवन और मौत क समय पिरवतरन को दखता ह परनत उन सबस पर ह

यिद घड़ म आया हआ चनिमा का ितिबमब घड़ क पानी को उबलता हआ जानकर यह

मान की म उबल रहा ह पानी िहल तो समझ िक म िहलता ह घड़ा फट गया तो समझ िक म मर गया तो यह उसका अजञान ह परनत उसको यह पता चल जाय िक पानी क उबलन स म नही उबलता पानी क िहलन स म नही िहलता म तो वह चनिमा ह जो हजारो घड़ो म चमक रहा ह िकतन ही घड़ टट -फट गय परनत म मरा नही मरा कछ भी िबगड़ा नही म इन सबस असग ह तो वह कभी दःखी नही होगा

इसी कार हम यिद अपन असगपन को जान ल अथारत म शरीर-मन-बि नही अिपत

आतमा ह- यह हम जान ल तो िफर िकतन ही दह पी घड़ बन और टट -िबखर िकतनी ही सि या बन और उनका लय हो जाय हमको कोई भय नही होगा कयोिक आतमा का ःवभाव हः

न जायत ियत वा कदािचननाय भतवा भिवता वा न भयः अजो िनतयः शा तोऽयपराणो न हनयत हनयमान शरीर

यह आतमा िकसी काल म भी न तो जनमता ह और न मरता ही ह तथा न यह उतपनन

होकर िफर होन वाला ही ह कयोिक यह अजनमा िनतय सनातन और परातन ह शरीर क मार जान पर भी यह नही मारा जाता

(भगवदगीताः 223) अनबम

सतो का सनदशः िजन सतो न यह रहःय जान िलया ह जो इस अमतमय अनभव म स गजर चक ह व

सब भयो स म हो गय ह इसीिलए व अपनी अनभविस वाणी म कहत ह- अपन आतमदव स अपिरिचत होन क कारण ही तम अपन को दीन-हीन और दःखी

मानत हो इसिलए अपनी आतम-मिहमा म जाग जाओ यिद अपन आपको दीन ही मानत रह तो रोत रहोग ऐसा कौन ह जो तमह दःखी कर सक तम यिद न चाहो तो दःख की कया मजाल ह िक तमह ःपशर भी कर सक अननत-अननत ाणड को जो चल रहा ह वह चतन तमहार भीतर चमक रहा ह उसकी अनभित कर लो वही तमहारा वाःतिवक ःव प ह

मनसर को सली पर चढ़ा िदया गया था परनत उनको सली का कोई भय नही था सली

का क उनको ःपशर भी नही कर सका कयोिक मनसर अपनी मिहमा म जग हए थ व यह जान चक थ िक म शरीर नही ह सली शरीर को लग सकती ह मझ नही इसिलए व हसत-हसत सली पर चढ़ गय थ

हम ही जानबझकर अपनी सननता की अपन सख-दःख की चाबी दसरो क हाथो म

स प दत ह कोई थोड़ा हस दता ह तो हम बोिधत हो उठत ह कोई थोड़ी शसा कर दता ह तो हषर स फल उठत ह कयोिक हम अपन को सीिमत पिरिचछनन शरीर या मन ही मान बठ ह

हम अपन वाःतिवक ःव प अपनी असीम मिहमा को नही जानत नही तो मजाल ह

िक जगत क सार लोग और ततीस करोड़ दवता भी िमलकर हम दःखी करना चाह और हम दःखी हो जाय जब हम ही भीतर स सख अथवा दःख को ःवीकित दत ह तभी सख अथवा दःख हमको भािवत करता ह सदव सनन रहना ई र की सव परी भि ह

ःवामी रामतीथर कहा करत थ िक कोई यिद तमहारी सननता छ नकर उसक बदल म

तमको ःवगर का फिरता भी बनाना चाह तो फिरतापद को ठोकर मार दो मगर अपनी सननता मत बचो

हम इस जीवन और मतय का कई बार अनभव कर चक ह सत कहत ह- तमहारा न तो जीवन ह और न ही मतय ह तम जीव नही तम िशव हो तम अमर

हो तम अननत अनािद सिचचदाननद परमातमा हो यिद इस जनम-मरण क खल स थक चक हो इनक खोखल पन को जान चक हो इसक असारपन स पिरिचत हो चक हो तो िकसी सत क सािननधय का लाभ उठाकर फकीरी मौत को जान लो िफर तमह कोई दःख कोई मतय भयभीत नही कर सकगी िफर िजस आना हो वह आव जाना हो वह चला जाव सख आव तो आन दो दःख आव तो आन तो जो आयगा वह जायगा तम द ा बनकर दखत रहो तम अपनी मिहमा म मःत रहो

मौत स भी मौत का भय बदतर ह भय म स ही सार पाप पदा होत ह भय ही मतय

ह लोग पछत ह- ःवामी जी आतम-साकषातकार हो जाता ह िफर उसक बाद कया होता

ह होता कया ह हम अपन ःव प म जाग जात ह उसक बाद हमस जो भी वि होती ह वह आननदमय ही होती ह ससार की कोई भी दःखपणर घटना हमको दःखी नही कर सकती

िफर यह शरीर रह या न रह हमार आननद म कोई अनतर नही पड़ता उस आननदःव प अपन आतमदव को जानना-यही जीवन का परम कतरवय ह परनत इस परम कतरवय की ओर मनय का धयान जाता नही और छोटी-मोटी तचछ वि यो म ही अटका रह जाता ह

हम कही याऽा म िनकलत ह तो राःत क िलए िटिफन भरकर भोजन साथ ल लत ह

भोजन स भी अिधक महतव पानी का ह परनत उसक िलए सोच लत ह िक चलो ःटशन पर भर लग घर स पानी लकर चलन की िचनता नही करत पानी स भी यादा ज री हवा ह उसक िबना तो एक िमनट भी नही चलता िफर भी हवा का कोई िसलनडर भरकर साथ नही लत कयोिक हम सब जानत ह िक वह तो सवरऽ ह इसिलए हवा क िलए हम कोई िचनता नही करत

हवा स कम ज री पानी क िलए पानी स कम ज री भोजन क िलए हम यादा िचनता करत ह उसी कार अपन आननदःव प आतमा म जागन क परम कतरवय को छोड़कर कम महतव क ःथल शरीर क लालन पालन एव उसस सबिधत वयवहार को सभालन म ही हम लग रहत ह शरीर असत जड़ और दःख प ह उसको चलान वाला सआम भतो स िनिमरत सआम शरीर ह उसको भी चतन स ा दन वाला सत-िचत-आननदःव प आतमा ह इस आननद-ःव प आतमा को असत-जड़ दःख प और मरणधमार समझकर जीवनभर मौत क भय स भयभीत बन रहत ह

अनत परमातमा म न तो उतथान ह न पतन न जनम ह न मरण वहा तो सब एकरस

ह हम ही मोहवश अपना ससार खड़ा कर लत ह और एक दसर क साथ सबध बनाकर अपन को जानबझकर बधन म डाल दत ह

एक सत क पास एक स जन का पऽ आया उसम िलखा थाः ःवामी जी आपक

आशीवारद स हमार यहा पऽ का जनम हआ ह सत न उ र म उस िलखा िकः तम झठ बोलत हो िफर जब स जन सत क पास गया तब कहा िकः ःवामी जी म सच कहता ह मर यहा पऽ का जनम हआ ह इस पर सत न िफर स कहा िकः तम झठ बोलत हो यह सनकर उन स जन को बड़ा आ यर हआ वह िवःफािरत नऽो स सत की ओर दखन लगा तब सत न कहाः

पऽ का जनम नही हआ िपता का जनम हआ ह माता का जनम हआ ह काका-मामा

का जनम हआ ह पऽ को तो खबर ही नही ह िक मरा जनम हआ ह और म िकसी का पऽ भी ह परनत हम उस पर सार समबनध आरोिपत कर दत ह

वःततः पचभतो म कोई आकार बना ह उस पऽ का नाम द िदया समय आन पर यह आकार िबखर जायगा यह आकार बन उसम हषर और यह आकार िबखर जाय उसम शोक कसा भय कसा

िजस शरीर को हम म मानत ह उसकी कित तो दखो िपया तो था अमत जसा

मीठा जल और िनकाला मऽ प म गदा पानी खाय तो थ मोहनथाल दधपाक छपपन भोग पर बन गया सब िव ा प शरीर का सग करन पदाथर की ऐसी अवःथा बन जाती ह सत-िचत-आननदःव प आतमा भी अपन को भलकर शरीर क साथ एक होकर ःवय को म शरीर मान लती ह और दीन हीन एव दःखी बन जाती ह परनत जब वह अपन आपम जाग जाती ह तब अपन को दवो का दव अनभव करती ह

यिद हमन शरीर क साथ अहबि की तो हम म भय वया हो ही जायगा कयोिक शरीर

की मतय िनि त ह उसका पिरवतरन अवयभावी ह उसको तो ःवय ाजी भी नही रोक सकत परनत यिद हमन अपन आतमःव प को जान िलया ःव प म हमारी िन ा हो गई तो हम िनभरय हो गय कयोिक ःव प की मतय होती नही मौत भी उसस डरती ह

ःवामी अखणडाननद सरःवती एक बार रल क तीसर दज म याऽा कर रह थ व यह

जानना चाहत थ िक तीसर दज म लोगो ारा िकय जान वाल मान-अपमान का भाव उनक िदल पर होता ह िक नही आतमिनरीकषण स उनह पता चला िक भाव तो होता ह यह बात उनहोन ौी उिड़या बाबा को बतायी उिड़या बाबा न कहाः

तम बठत ही कचर क ढर पर हो आशा करत हो िक मझ पर कोई कचरा न फ क मझ

कचर की दगरनध न आव यह कस हो सकता ह तम बठत हो शरीर म और आशा रखत हो िक मान-अपमान का असर न हो ःवय को शरीर माना तो मान-अपमान सख-दःख होगा और जनम-मतय भी होगी

वदानत क रहःय को समझना यह कोई ि यो का काम नही ह ी अथारत कित क

शरीर क म मानकर जीनवाला एक बार राजा जनक िव ानो की सभा म बठ थ उस सभा म गाग आई वह िबलकल

िदगमबर (न न) थी ऐसी अवःथा म सभा म गाग का वश पिडतो को रचा नही इसिलए उनहोन नाक-भ िसकोड़ िलया परषो स भरी सभा म एक न न ी

गाग बोलीः ऐ पिडतो नाक भ कयो िसकोड़त हो

पिडतो न कहाः तम एक अबला ऐसी अवःथा म परषो की सभा म जो आई हो

गाग तरनत बोलीः कौन कहता ह िक म अबला ह म सबला ह अबला तो तम हो जो अपना रकषक बाहर ढढत हो म अपना रकषक आप ह म यह शरीर नही ह म तो सत -िचत-आननदःव प आतमा ह म अपन आपको जानती ह

िजसको जानकर गाग िनभरय बन गई थी उस आननदःव प अपन आतमदव को जो

जान लता ह उसी म िःथत हो जाता ह वह जीवन और मौत दोनो स पर दोनो का द ा बन जाता ह उस िफर कोई भय नही रहता वह सदव आननद म मःत रहता ह

मरो मरो सब कोई कह मरना न जान कोई एक बार ऐसा मरो िक िफर मरना न होई

मगलमय जीवन मगलमय िववाह मगलमय सबध उस परम मगल चतनय क कारण ही

हो सकत ह न िक शि शरीर क बा प-रग पर िवमोिहत होन स महाराज जी क पास आकर एक मिहला कहन लगीः मर पित ःवगरःथ हो गय ह

उनका िवयोग सहा नही जाता ऐसा कोई उपाय बताओ िक उनका िहत हो और मझ शाित िमल

दसरा एक वयि आया और बोलाः मरी प ी मझ अकला छोड़कर चल बसी ह

तीसर न कहाः मरा बटा ःवगरःथ हो गया ह उसकी मीठ याद आती ह मर मन म आता ह िक उसक पीछ म भी आतमहतया करक मर जाऊ बाबा जी शािनत का कछ उपाय बताइय

महाराज जी न कहाः ह भि मिहला पित की याद आय तो उनह खब आदरपवरक कहोः

मरणधमार शरीर म होत हए भी आप अमर थ शरीर क मरन पर भी आप नही मर दह न र ह आप शा त हो चतनय हो आप परम र का अिवनाशी अश हो जनम-मतय आपका धमर नही ह पाप-पणय आपका कमर नही ह आप अजर हो श ब हो हम परःपर पािथरव शरीर की ीित करक मोह म सड़ रह थ िवकारो म दब रह थ अब पािथरव शरीर की ीित स म होकर अपािथरव आतमा म िःथत हो जाओ

वह शादी बरबादी म बदल जाती ह िजसम एक दसर क शरीर को पयार करत ह वह

मगलमय शादी आबादी की ओर ल जाती ह जहा प ी पित को पित प ी को पऽ िपता को िपता पऽ को शरीर क प म नही अिपत शरीरो क आधार श चतनयःव प म दख परःपर अपन चतनयःव प की याद िदलाव और रणा द

ह भि मिहला अपन पित को याद करक उनक जीवातमा को यह रणा दो इसस

उनकी भी उननित होगी और तमहारी उननित होगी ऐसा िचनतन करो िकः ह चतनयःव प मर आतमन शरीर को पाच भत क पतल

को तयागन क बाद भी आपका अिःततव ह आप आतमा हो परम र हो अमर हो चतनय हो शा त हो

इसी कार अपनी प ी को और ःवगरःथ पऽ पिरवार को ःमरण करक उनको उननत

करो और आप भी उननत बनो जीत-जी भी परःपर इसी भाव स उननत करो मतय मगलमय हो जाय ऐसा वातावरण बनाओ

जो वयि मतय को ा हो चक ह उनक ौा ो क िदनो म तथा ःमरण क व उनह

सझाव दो िकः जनम-मतय तमहारा धमर नही था पाप-पणय तमहारा कमर नही था तम अजर

अिवनाशी िनलप शा त सनातन नारायण क अश हो अतः अपन परम र ःवभाव को सभालो ःमरण करो

अपन पित प ी पऽ का नाम लकर कहो िकः तम वही हो सचमच म वही हो जो

मरन क बाद भी नही मरता ॐॐॐ तम चतनय आतमा हो ॐॐॐ शा त परम र हो ॐॐॐ अिवनाशी परमातमा हो ॐॐॐ

पथवी पर क ःवपन तलय सबधो का ःमरण करक तम नीच न िगरो अिपत आतमा-

परमातमा क सबध को याद करत हए अपना ऐिहक जीवन मगलमय बनाओ ससार स कच करक जाओ उस समय तमहार कटमबी आतमा परमा तमा की एकता और अमरता तमहारी िनतयता और म ता का ःमरण तमह अत समय म करा द ऐसी वयवःथा करो

कोई चल बसन वाल हो या चल बस हो उनको याद करक उनकी ओर िदवय िवचार

अमर आतमा का सनदश भजो इस कार तम उ म सवा कर सकत हो और जीिवतो को जीवनदाता म जगा सकत हो दोनो इस कार परःपर सहायता करोग और पाओग

टिलफोन पर अपन दर क सबधी स हम जब बात करत ह तो उस यऽ म स आन वाली

धविन अपन सबधी की होती ह ऐस ही शरीर पी यऽो स जो कछ ःनह सातवना सहानभित म या काश हम पात ह वह भीतर वाल परम र का ही होता ह उनको या उनक िचऽो को

दखो तो उन िचऽो क पीछ खड़ उस शा त सतय को परम िमऽ को पयार करो और उनह भी याद िदलाओ िकः ह शा त आतमा ह परातन ह अिवनाशी नाशवान ससार और शरीर बदलत ह लिकन तम अबदल आतमा हो ॐॐॐ

बचपन बदल गया यौवन बदल गया बढ़ापा बदल गया शरीर बदल गया िफर

तम भी हो तम वह अमर आतमा हो िजस पर काल का भी कोई भाव नही चलता ह अकाल आतमा अपनी मिहमा म जागो इस कार क िवचार भजन स मगल करोग और मगल को पाओग जीवन मगलमय होन

लगगा मतको की मतय भी मगलमय हो जायगी मगल भवन अमगलहारी िवचारो को सदव एक दसर क ित सािरत करो ॐ आननद

आननद आननद रोत चीखत मोहमाया म पड़कर उनको याद करत हो तो उनका और अपना सतयानाश

करत हो उनको नीच िगरात हो उनकी आतमा को भटकात हो अपन को तचछ बनात हो अमागिलक िवचारो को कतई ःफिरत न होन दो सदव मगलमय िवचार हो जायगा मगलमय जीवन मतय भी मगलमय हो जायगी ॐ ॐ ॐ

ॐॐॐॐॐॐॐॐ जीवन और मतय आतमा-परमातमा को पान क दो पहल ह रात क बाद िदन िदन क

बाद रात होती ह इसी तरह जीवन और मतय चोल बदलत हए अनभवो स गजरत हए अपन आतमःव प को ःव प को पान क िलए मगलमयी अवःथा ह

िदन िजतना पयारा ह रात भी उतनी ही आवयक ह जीवन िजतना पयारा ह मतय भी

उतनी ही आवयक ह मतय मान आतमिशव क मिनदर म जान क िलए ऊची सीिढ़या मतय मान मा की गोद म बालक सो गया और उमा शि ताजगी ःफितर पाकर िफर सबह खलता ह मतय मान मा की गोद म थकान िमटान को जाना िफर नया तन ा करक अपनी मगलमय याऽा करना

त वदि स दखा जाय तो यह जीवन-मतय की याऽा कित म हो रही ह तमह

परमातमाःव प म जगान क िलए गीता म भगवान ौी कण कहत ह-

न जायत ियत वा कदािचननाय भतवा भिवता वा न भयः अजो िनतयः शा तोऽयपराणो न हनयत हनयमान शरीर

त वतः यह आतमा न कभी जनमता ह और न मरता ह न यह उतपनन होकर िफर होन

वाला ही ह यह जनमरिहत िनतय िनरनतर रहन वाला शा त और परातन अनािद ह शरीर क मार जान पर भी वह नही मारा जाता

(गीताः 220) शव की ःमशानयाऽा म मटका ल जात ह फोड़ दत ह यह याद िदलान क िलए िक दह

मानो मटका ह इस मगलमय मतय को पीछ िव ल होन की आवयकता नही ह यह मटका सवा करन क िलए िमला था जीणर-शीणर हआ टट गया िफर नया िमलगा मगलमय आतमा-परमातमा की ाि तक यह मगलमय जनम-मरण की याऽा तो चलती ही रहगी इसम िव ल होकर रोना-चीखना िनरा मोह ह अगर इस मोह को पोसा जाय और िकसी की मतय न हो तो ससार महा नरक हो जायगा माली अगर बगीच म काट-छाट न कर तो बगीचा बगीचा ही न रहगा अिपत भयानकर जगल हो जायगा

स ा न मतय का मगलमय िवधान न बनाया होता तो आदमी म तयाग सवा नता क

सदगण ही नही िखलत सब अमर होकर अिड़यल की तरह उलझ रहत रािऽ स अरणोदय अरणोदय स िफर मगलमयी रािऽ की अिनवायर आवयकता ह िवराट

की यह चणड बीड़ा तमह अपन िवराट ःवभाव म जगान क िलए आवयक ह मतय मान महायाऽा महाःथान महािनिा अतः जो मर गय ह उनकी याऽा मगलमय

हो आतमोननितद हो ऐसा िचनतन कर न िक अपन मोह और अजञान क कारण उनको भी भटकाए और खद भी परशान हो

कइयो की मतय बालयकाल म या यौवन म हो जाती ह जस मा न बचच को कपड़

पहनाए और नही जच उठा िलय िफर नय व ो स सजाया-धजाया अथवा यो कहो िक बचचा िखलौनो म रम जाता ह िखलौन नही छोड़ना चाहता परनत मगलमयी मा उस बलात उठा लती ह अपनी गोद म सलाती ह अपनी उमा सािननधय िवौािनत स उस प करक िफर नतन भात को उस खलन क िलए बीडागन म भज दती ह ऐस ही जीवातमा का बीडागन ससार ह अतः अनक शरीर बदलत हए अबदल की मगलमय याऽा करन क िलए जीवन और मतय को मगल िवधान समझकर ई र की हा म हा करत हए अपनी याऽा उननत कर

ॐॐॐ

ॐॐॐॐॐॐॐॐ

अनबम

िचतन पराग ई र का बनाया हआ त भल ही बना रह उसको िमथया समझ लन माऽ स का

बोध हो सकता ह साधक का काम त को िमथया समझन स ही चलता ह इचछाओ की ति का उपाय एक ही ह िक इचछाए तयाग दी जाए िजस िववकी न इस

जगत को सपन या इनिजाल क समान समझ िलया ह िजस दय न प म िदखन लगा ह वह दोषदश िववकी भला बताओ इसम अनराग कस कर

जञानी जागरण को सतय समझना छोड़ दन पर िफर पहल की भाित अनर नही होता

जञानी तयक वःत को अपना आतमा समझता ह मद की कलपना को बार-बार मन म लाना काम-वासना स म होन का सव म उपाय

बताया गया ह मद को पड़ हए दखकर मन घबरान लगता ह पिरणाम की कयो परवाह करत हो अपनी तनखवाह क बार म कभी िफब मत करो

अजञानी लोग समझत ह िक कायर की सफलता म कायर करन की अपकषा अिधक आननद ह इन अनधो को यह मालम ही नही ह िकसी पिरणाम स उतना सख नही िमलता िजतना काम करन स िमलता ह

अपन िवचारो को सदा वाःतिवक आतमा म रखो और पिरिःथितयो की परवाह मत करो तब तक आपकी हािन नही हो सकती जब तक िक आप ःवय उस नही बलात तलवार

तब तक नही काट सकती जब तक आप यह न सोच िक यह काटती ह ऐ पणर तर िलए कोई कतरवय या कायर शष नही ह सारी कित सास रोक तरी

सवा क िलए खड़ी ह ससार तरी पजा करन का अवसर पाकर अपन को कतकतय करना चाहता ह कया त कित की शि यो को अपन चरणो म झकन का अवसर दगा

अपन भीतर सतय क काश को सदा चमकता रखो भय और लोभन का शतान तमहार

पास नही फटकगा

बाहर की बातो म कछ भी नही मान अपमान अपना काम िकय जा िनिशिदन इसम ही सममान

दसर लोग तमहारी आलोचना िनदा करत हो उनह रोकन की च ा न करो कयोिक इनही

सब बातो क ारा तमम सदगणो की वि होगी जब तक तमहारा दय इतना दढ़ नही ह िक तम मख क बकन पर िःथर और शात बन रहो अथवा तमम इतनी सहनशीलता नही ह िक अजञानी मख को कषमा कर सको तब तक तम अपन को कही जञानी न समझ बठना

यिद तम शरीर और मन स ऊपर उठ जाओ तो सब िचनता और भयो स छट हो

जाओग िकसी भी आकिःमक दघरटना स धयर न छोड़ो कयोिक घबराहट स शि तथा बि का

नाश होता ह िकसी भी कार की किठनाइयो क आग दःिखत न होकर गमभीरतापवरक उनका सामना करो तभी तम िनःसनदह िवजय ा करोग तम कही भी हतोतसािहत होकर िनराश न होओ

ऐसी कौन-सी िवपि ह जो मरी सननता को न कर सकती ह वह कौन-सा रज ह जो

मर आननद म िव न डाल सकता ह म तो िव ाणड का भ ह म बि का भ ह िदमाग का मािलक ह और मन का शासक ह ससार मझम ह म ससार म नही आ सकता िव मझम ह म िव म नही बध

सकता सयर और नकषऽ मझम उदय और अःत होत ह दह और दिनया दोनो ई र क भीतर ह वही ई र म ह म िनिलर आतमा ह मरा जनम नही मतय नही म अजर-अमर ह म िचदाननद

आतमःव प ह म िमथया त िमथया धमर िमथया कमर िमथया और जगत िमथया और ऐसा तीत

होता ह िक म सवरःव ह म ही सवरजञ सवरगत आतमा ह अपना साकषी ह कदािप उन नाम पो म फसा नही ह

म िवश ह असखय ाणड मझम पड़ ह म असःपयर ह मरा ःव प िनिलर ह

मझ दःख स कोई भय नही ह मझ समय की जरा भी िचनता नही आतमाननद वाल को भय और आशका कसी

िकसी भी डर को अपन पास मत फटकन दो लोग यिद तमहार बराई करत ह तो तम उनह आशीवारद दो ऐस ःथान पर जाओ जहा

लोग तमस घणा कर तम तो म हो पहल स ही म हो सवरदा कहोः म सदा आननदःव प ह म

म ःवभाव ह म अननत ःव प ह मरी आतमा का आिद और अनत नही ह सभी मर आतमःव प ह

सननतापवरक अपमान सहन करन स और नता धारण करन स अिभमान की िनवि

होती ह िकसी पिवऽ ःथान पर जाओ तो वहा क अनशासन का पालन करो वहा चपपलो की

चटाक-पटाक आभषणो की खनखनाहट भड़कील व ो की फरफराहट आिद हमस न हो इसका परा धयान रखो कही भी िकसी क भी िच को या शात वातावरण को अशात करन का हम कोई अिधकार नही ह

अपन िकसी भी दःख या अशाित का कारण बाहर मत ढढो बाहर की पिरिःथितयो या

वयि यो को दोष मत दो कारण अपन भीतर ढढो िनद ष भाव स ढढोग तो कारण भीतर ही िमल जायगा उस दर करन की च ा करो शातिच रहन का यही बहमलय उपाय ह

जो आतम-अनशािसत ह व ही शासन कर सकत ह ऐसा करन क िलए नाम-जप कर

धयान कर िकसी आतमिन सत का पावन सािननधय ा कर सब तरह स िनभरय एव सनन बनन का यह ौ साधन ह

िवन बनो िनरहकारी बनो अपन आपको बड़ा बतान की च ा न करो िवनता एव

िनरािभमानता ही तमह बड़ा बनायगी िवनता मनय का बहत बड़ा भषण ह िनमरल दि रखो िकसी क दोष दखना यह बहत बड़ा दगरण ह िछिानवषी न बनो

दसरो क दोष दखना पाप अजरन करना ह गणमाही बनो

ॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐ

अनबम

  • मगलमय जीवन-मतय
  • मतय क परकार
  • मतय भी जीवन क समान आवशयक
  • सिकनदर न अमत कयो नही पिया
  • बिना मतय को जान जीवन जीवन नही
  • मतय किसकी होती ह
  • भगवान शरीराम और तारा
  • मतयः कवल वसतर परिवरतन
  • फकीरी मौतः आननदमय जीवन का दवारः
  • यमराज और नचिकताः
  • सचच सत मतय का रहसय समझात ह
  • मतयः एक विशरानति-सथानः
  • वासना की मतय क बाद परम विशरानति
  • धतराषटर का शोकः
  • घाटवाल बाबा का एक परसग
  • फकीरी मौत ही असली जीवन
    • फकीरी मौत कया ह
      • सकरात का अनभव
      • आधयातमविदयाः भारत की विशषताः
      • तीन परकार क लोगः
      • जञान को आय स कोई निसबत नही
      • योगसामरथयः एक परतयकष उदाहरण
      • योग भी साधना का आखिरी शिखर नही
      • गणातीत सत ही परम निरभयः
      • सतो का सनदशः
      • चितन पराग

आिवकार करत हए मनय सभी एक िदन मर जायग कई मर गय कइयो को रोज मरत हए हम अपन चारो ओर दख ही रह ह और भिवय म कई पदा हो-होकर मर जायग

कोई आज गया कोई कल गया कोई जावनहार तयार खड़ा नही कायम कोई मकाम यहा िचरकाल स य ही िरवाज रहा

दादा गय िपता गय पड़ोसी गय िरतदार गय िमऽ गय और एक िदन हम भी चल

जाएग इस तथा किथत मौत क मह म यह सब दखत हए जानत हए समझत हए भी 50 वषरवाला 60 60 वषरवाला 70 70 वषर वाला 80 और 90 वाला 100 वषर उ दखन की इचछा करता ह 100 वषर वाला भी मरना नही चाहता मौत िकसी को पसनद नही ह

मन सना ह िक अमिरका म लगभग एक हजार ऐसी लाश सरिकषत पड़ी ह इस आशा म

िक आग आन वाल 20 वष म िवजञान इतनी गित कर लगा िक इन लाशो को जीवनदान द सक हर लाश पर 10000 रपय दिनक खचर हो रहा ह बीस साल तक चल उतना धन य मरन वाल लोग जमा कराक गय ह

कोई मरना नही चाहता क म िजसक पर लटक रह ह वह बढ़ा भी मरना नही चाहता औषिधया खा-खाकर

जीणर-शीणर हआ रोगी मरणश या पर पड़ा अितम ास ल रहा ह डॉकटरो न जवाब द िदया ह वह भी मरना नही चाहता लाश भी िजनदा होना चाहती ह कित का यह मतय पी पिरवतरन िकसी को पसनद नही य िप यह सब जानत ह

जो आया ह सो जाएगा राजा रक फकीर

यह मान भी िलया जाय िक 20 वषर म िवजञान इतनी उननित कर लगा और लाशो को िफर स जीिवत भी कर दगा िफर भी व कब तक िटकी रहगी अत म जरा-जीणर होगी ही उन लाशो को तो बीस वषर भी हो गय अभी तक िवजञानी उनह जीिवत नही कर पाय मानो कर भी ल तो य कब तक िटक गी

मतय भी जीवन क समान आवयक

बगीच म वही क वही पड़-पौध फल-प यो क तयो बन रह उनकी काट-छाट न की जाय नय न लगाय जाए उनको सवारा न जाय तो बगीचा बगीचा नही रहगा जगल बन जायगा बगीच म काट-छाट होती रह नय पौध लगत रह परान सड़-गल पपहीन ठठ िबनज री पौध हटा िदय जाय और नय सगिनधत नवजीवन और नवचतना स ओतोत पौध लगाय जाए यह ज री ह

अनबम

िसकनदर न अमत कयो नही िपया साट िसकदर िजस पीकर अमर हो जाए कभी मरना न पड़ ऐस अमत जल की खोज

म था नकशो क सहार िवजय करता हआ वह उस गफा म पहच भी गया िजसक अनदर अमतजल का झरना था गफा क बाहर ही उसन अपन सभी सिनको को रोक िदया और ःवय अकला बड़ उतसाह व सननता स आिहःत-आिहःत चौकनना होकर कदम बढ़ान लगा आज उसक जीवन की सबस बड़ी खवािहश परी होन जा रही थी उसका दय उछल रहा था थोड़ी ही दर अपन सामन परो क पास ही उसन दखाः चा दी सा त अमतजल धीमी-धीमी कल-कल छल-छल आवाज करता बह रहा ह उसका दय आननद स िखल उठा अब वह अपन को न रोक सका वह घटनो क बल नीच झका अपन दोनो हाथ पानी म डबोए

आहा कसा शीतल ःपशर उसकी सारी थकान उतर गई दोनो हाथो की अजली म उसन

वह जल भरा अजली को धीर-धीर मह तक लाया दय की धड़कन बढ़ी होठ सधापान करन को लालाियत हो उठ बस जल ओठो तक पहच ही गया था और वह पी ही लता िक इतन म -

खबरदार उस िनजरन गफा म िकसी की आवाज गज उठ च क कर िसकनदर न िसर ऊपर

उठाया दखा तो एक कौआ वहा बठा ह खबरदार िसकदर रक जाओ जलदी न करो जो भल मन की वह तम मत करो

मझ कोई साधारण कौआ मत समझना म कौओ का साट ह म भी तमहारी तरह बहत पिरौम म इस अमत की खोज करत-करत यहा तक पहचा ह और मन यह जल पी िलया ह परनत इस पीकर अब मसीबत म पड़ गया ह

ऐसी गमभीर घड़ी म यह िव न िसकदर को अचछा नही लगा िफर भी धीरज स वह

उसकी बात सनन लगा कौआ बोलाः

तमको जल पीना हो तो अवय िपयो िसकदर लिकन मरी बात परी सन लो यह जल

पीकर म अमर हो गया ह जो कछ जीवन म करन की इचछा थी वह सब म कर चका ह िजतना घमना था घम िलया सनना था सन िलया गाना था गा िलया खाना था खा िलया जो भी मौज करन की इचछा थी सब कर िलया अब करन क िलए कछ बचा ही नही अब यह जीवन मर िलय भार बन गया ह म अब मरना चाहता ह परनत मर नही सकता मरन क िलए पानी म कदा परनत पानी न मझ डबाया नही पहाड़ो पर स कदा िफर भी मरा नही आग की वालाओ म कदकर दखा उसन भी मझ जलाया नही तलवार की धार स मन गदरन िघसी परनत धार खराब हो गई गदरन न कटी यह सब इस अमतजल क कारण

सोचा था िक अमर होकर सखी होऊगा परनत अब पता चला िक मन मसीबत मोल ल

ली ह तमको यह जल पीना हो तो अवय िपयो म मना नही करता परनत मरी तमस िवनती ह िक यहा स जान क बाद मरन की कोई िविध का पता लग तो मझ अवय समाचार दना

थोड़ी दर क िलए गफा म नीरव शाित छा गई िसकदर क हाथ की उगिलया िशिथल हो

ग उनक बीच म स सारा अमतजल िगर कर पनः झरन म समा गया दसरी बार उसन झरन क जल म हाथ डालन की िहममत नही की मन ही मन िवचार करत हए वह उठ खड़ा हआ और पीछ मड़कर गफा क ार की ओर चल पड़ा आिहःत-आिहःत िबना अमतजल क िपय

यह घटना सच हो या झठ उसस कोई सरोकार नही परनत इसम एक तथय छपा हआ

ह िक िजतना जीवन ज री ह उतनी ही मौत भी ज री ह पिरवतरन होना ही चािहए

अनबम

िबना मतय को जान जीवन जीवन नही िजस जीवन क िलए अपनी लाश की सरकषा हत करोड़ो रपयो की वसीयत करक लोग

चल गय िजस जीवन को िटकाए रखन क िलए हम लोग भी अपार धन-समपि इक ठ करन म लग हए ह दसरो को दःखी करक भी जीवन क ऐश ETHआराम क साधन समह करन म हम लग हए ह वह जीवन िटक जान क प ात भी अमर हो जान क बाद भी कया हमको आननद द सकगा कया हम सखी हो सक ग यह जरा िवचार करन यो य ह मौत स मनय डरता ह परनत ऐसा जीवन भी कोई जीवन ह िजसम सदव मौत का भय बना रह जहा पग-पग मतय

का भय हम किमपत करता रह ऐसा नीरस जीवन भयपणर जीवन मौत स भी बदतर जीवन ह ऐसा जीवन जीन म कोई सार नही यह जीवन जीवन नही ह

यिद जीवन ही जीना ह यिद रसमय जीवन जीना ह यिद जीवन का ःवाद लत हए

जीवन को जीना ह तो मौत को आमिऽत करो मौत को बलाओ और होशपवरक मौत का अनभव करो जो सत मौत का अनभव कर चक ह उनका सग करक मौत की पोल को जान लो िफर तो आप भी मःत होकर उनकी तरह कह उठ गः

जा मरन त जग डर मोर मन आननद

अनबम

मतय िकसकी होती ह अभी तो िजस तम जीवन कहत हो वह जीवन नही और िजस तम मौत कहत हो वह

मौत नही ह कवल कित म पिरवतरन हो रहा ह कित म जो रहा ह वह सब पिरवतरन ह जो पदा होता िदख रहा ह वही न होता नजर आता ह िजसका सजरन होता िदखता ह वही िवसजरन की ओर जाता नजर आता ह पड़-पौध हो या खाइया हो सागर हो या मरःथल हो सब पिरवतरन पी सिरता म बह जा रह ह जहा नगर थ वहा वीरान हो गय जहा बिःतया थी वहा आज उलल बोल रह ह और जहा उलल बोल रह थ वहा बिःतया खड़ी ह जहा मरःथल थ वहा आज महासागर िहलोर ल रह ह और जहा महासागर थ वहा मरःथर खड़ ह बड़-बड़ ख डो की जगह पहाड़ खड़ हो गय और जहा पहाड़ थ वहा आज घािटया खाइया बनी हई ह जहा बड़ -बड़ वन थ वह भिम बजर और पथरीली हो गई और जो बजर थी पथरीली थी वहा आज वन और बाग-बगीचो क प म हिरयाली फली हई ह

चाद सफर म िसतार सफर म

हवाए सफर म दिरया क िकनार सफर म अर शायर वहा की हर चीज सफर म तो आप बसफर कस रह सकत ह

आप िजस शरीर को म मानत ह वह शरीर भी पिरवतरन की धारा म बह रहा ह

ितिदन शरीर क परान कोष न हो रह ह और उनकी जगह नय कोष बनत जा रह ह सात वषर म तो परा शरीर ही बदल जाता ह ऐसा वजञािनक भी कहत ह इस ःथल शरीर स सआम

शरीर का िवयोग होता ह अथारत सआम शरीर दह पी व बदलता ह इसको लोग मौत कहत ह और शोक म फट-फट कर रोत ह

अनबम

भगवान ौीराम और तारा भगवान राम न जब बाली का वध िकया तो बाली की प ी राम क पास आई और अपन

पित क िवयोग म फट-फट कर रोन लगी राम न उसको धीरज बधात हए कहाः

िकषित जल पावक गगन समीरा पच रिचत यह अधम शरीरा सो तन तव आग सोहा जीव िनतय त कहा लिग रोवा

ह तारा त िकसक िलए िवलाप कर रही ह शरीर क िलए या जीव क िलए

पचमहाभतो ारा रिचत शरीर क िलए यिद त रोती ह तो यह तर सामन ही पड़ा ह और यिद जीव क िलए रोती ह तो जीव िनतय ह वह मरता नही

मतयः कवल व पिरवतरन यिद वाःतव म मौत होती तो हजारो-हजारो बार होन वाली तमहारी मौत क साथ तम भी

मर चक होत आज तम इस शरीर म नही होत यह शरीर तो माऽ व ह और आज तक आपन हजारो व बदल ह अपना ई र कगाल नही ह िदवािलया नही ह िक िजसक पास दो चार ही व हो उसक पास तो अपन बालको क िलए चौरासी-चौरासी लाख व ह कभी चह का तो कभी िबलली का कभी दव का तो कभी गधवर का न जान िकतन-िकतन वश आज तक हम बदलत आय ह व बदलन म भय कसा

यही बात भगवान ौीकण न अजरन स कही हः

वासािस जीणारिन यथा िवहाय नवािन ग ाित नरोऽपरािण तथा शरीरािण िवहाय जीणारनयनयािन सयाित नवािन दही

ह अजरन त यिद शरीरो क िवयोग का शोक करता ह तो यह भी उिचत नही ह कयोिक

जस मनय परान व ो का तयागकर दसर नय व ो को महण करता ह वस ही जीवातमा परान शरीरो को तयाग कर दसर नय शरीरो को ा होता ह

(गीताः 222)

बालक की च डी (नकर) फटन पर उसकी मा उसको िनकाल कर नई पहनाती तो बालक

रोता ह िचललाता ह वही बालक बड़ा होता ह पहल की चि डया छोटी पड़ जाती ह उनह छोड़ता ह बड़ी पहनता ह िफर वह भी छोड़कर पनट पाजामा या धोती आिद पहनता ह ऐस ही परमातमा की सतान भी यो- यो बड़ी होती ह िवकिसत होती ह तयो-तयो उस पहल स अिधक यो य ददीपयमान नय शरीर िमलत ह जीव-जतओ स िवकिसत होत-होत बनदर गाय और आिखर मनय दह िमलती ह मनय िदवय कमर कर स वगण-धान बन तो दव गधवर की योिन िमलती ह उसका ःवभाव रजस धान हो तो वह िफर मनय बनता ह और यिद तामसी ःवभाव रखता ह तो पनः हलकी योिनयो म जाता ह उस मानव को यिद ई र भि क साथ कोई समथर सदगर िमल जाय उस आतमधयान आतमजञान की भख जग वह गरकपा पचा ल तो वही मन य चौरासी क चब म घमन वाला जीव अपन िशवःवभाव को जानकर तीनो गणो स पार हो जाय परमातमा म िमल जाय

व पिरवतरन स भय कसा व बदलन वाला तो कभी भी मरता नही वह अमर ह और पिरवतरन कित का ःवभाव ह तो िफर मौत ह ही कहा यही बात समझात हए गीता म भगवान ौी कण कहत ह अजरन स िक तमह भय िकस बात का ह

हतो वा ापःयिस ःवग िजतवा वा भोआयस महीम

यिद य म शरीर छट गया तो ःवगर को ा करोग और यिद जीत गय तो पथवी का

रा य भोगग (सभी ौोतागण तनमयता स जीवन मतय पर मीमासा सन रह ह ःवामी जी कछ कषण

रककर सभी पर एक रहःयमय दि फ कत ह वातावरण म थोड़ी गमभीरता छाई हई जानकर करत ह)

फकीरी मौतः आननदमय जीवन का ारः आप लोग उदास तो नही हो रह ह न आपको मौत का भय तो नही लग रहा ह न

अभी कवल जीवन पर बात ही चल रही ह िकसी की मौत नही आ रही ह (यह सनकर सभी िखलिखलाकर हस पड़त ह ःवामी जी फकीर मःती म आग कहत

ह)

अर मौत तो इतनी पयारी ह िक उस यिद आमिऽत िकया जाय तो आननदमय जीवन क ार खोल दती ह

एक जवान साध था घमत-घमत वह नपाल क एक पहाड़ की तलहटी म जा पहचा वहा

उसन दखा एक व सत एक िशला पर बठ ह शाम का समय ह सरज िछपन की तयारी म ह उन सत न उस जवान साध को तो दखा तो बोलः

मर परो म इतनी ताकत नही िक अभी म ऊपर पहाड़ पर चढ़कर अपनी गफा तक पहच सक बटा तम मझ अपन कध पर चढ़ाकर गफा तक पहचा दो

यवा साध भी अलमःत था उसन सत को अपन कध पर िबठा िलया और चल पड़ा

उनकी गफा की ओर चढ़ाई बड़ी किठन थी परनत वह भी जवान था चढ़ाई चढ़ता रहा काफी ऊपर चढ़ चकन पर उसन सत स पछाः

गफा अभी िकतनी दर ह

बस अब थोड़ी दर ह चलत-चलत काफी समय हो गया साध पछता रहा और व सत कहत रहः बस अब

थोड़ी ही दर ह मामा का घर िजतना दर िदया िदख उतना दर ऐसा करत-करत रात को यारह बज क करीब गफा पर पहच साध न व सत को कध स नीच उतारा और बोलाः

और कोई सवा

सत उसकी सवा स बड़ सनन थ बोलः बटा तमन बड़ी अचछ सवा की ह बोल अब तझ कया परःकार द वह दख

सामन तीन-चार भर हए बोर रख ह उसम स िजतना उठा सको उतना उठा ल जाओ यवा साध न जाकर बोरो को छकर दखा अनमान लगाया शायद र ी कागजो स भर हए

ह िफर धयान स दखा को अनमान गलत िनकला व बोर नपाली नोटो स भर हए थ उसन अनमन मन स उनको दखा और उलट परो लौट पड़ा सत की ओर सत न पछाः

कयो माल पसनद नही आया व सत पहच हए योगी थ अपन योगबल ारा उनहोन नोटो क बडलो स भर बोर

उतपनन कर िदय थ उनको ऐसी आशा थी िक वह यवा साध अपनी सवा क बदल इस परःकार स खश हो जायगा परनत वह यवा साध बोलाः

ऐसी सब चीज तो म पहल ही छोड़ आया ह इनस कया जीवन की रकषा होगी इनस कया जीवन का रहःय समझ म आएगा इनस कया मौत जानी जा सकगी कया म इनही चीजो क िलए घर बार छोड़कर दर-दर भटक रहा ह जगलो और पहाड़ो को छान रहा ह य सब तो न र हऔर अगर सतो क पास भी न र िमलगा तो िफर शा त कहा स िमलगा

अनबम

यमराज और निचकताः निचकता भी यमराज क सममख ऐसी ही माग पश करता ह कठोपिनषद म निचकता

की कथा आती ह निचकता कहता ह यमराज सः ह यमराज कोई कहता ह मतय क बाद मनय रहता ह और कोई कहता ह नही रहता ह इसम बहत सदह ह इसिलए मझ मतय का रहःय समझाओ तािक सतय कया ह यह म जान सक परनत यमराज निचकता की िजजञासा को परखन क िलए पहल भौितक भोग और वभव का लोभ दत हए कहत ह -

शतायषः पऽपौऽानवणीव बहनपशनहिःतिहरणयम ान भममरहदायतन वणीव ःवय च जीव शरदोयाविदचछिस

ह निचकता त सौ वषर की आयय वाल पऽ-पौऽ बहत स पश हाथी-घोड़ सोना माग

ल पथवी का िवशाल रा य माग ल तथा ःवय भी िजतन वषर इचछा हो जीिवत रह

(वललीः 123) इतना ही नही यमराज आग कहत ह- मनयलोक म जो भोग दलरभ ह उन सबको ःवचछनदतापवरक त माग ल यहा जो रथ

और बाजो सिहत सनदर रमिणया ह व मनयो क िलए दलरभ ह ऐसी कािमनयो को त ल जा इनस अपनी सवा करा परनत ह निचकता त मरण समबनधी मत पछ

िफर भी निचकता इन लोभनो म नही फसता ह और कहता हः य सब भोग सदव रहन वाल नही ह और इनको भोगन स तज बल और आयय कषीण

हो जात ह मझ य भोग नही चािहए मझ तो मतय का रहःत समझाओ

अनबम

सचच सत मतय का रहःय समझात ह ठ क इसी कार वह यवा साध उन व सत स कहता हः मझ य नोटो क बडल नही

चािहए आप यिद मझ कछ दना ही चाहत ह तो मझ मौत दीिजए म जानना चाहता ह िक मौत कया ह मन सना ह िक सचच सत मरना िसखात ह म उस मौत का अनभव करना चाहता ह

वःततः सत मरना िसखात ह इसीिलए तो लोग रोत हए बचचो को चप करान क िलए

कहत ह - रो मत चप हो जा नही तो वह दख बाबा आया ह न वह पकड़कर ल जायगा भल ही लोग अजञानतावश बाबाओ अथवा सतो स बचचो को डरात हए कहत ह िक व ल जायग परनत िजनको सचच सत ल जात ह अथवा जो उनका हाथ पकड़ लत ह व तर जात ह सचच सत उनको सब भयो स म कर दत ह और उनको ऐस पद पर िबठा दत ह िक िजसक आग ससार क सार भोग-वभव धन-समपि पऽ-पौऽ यश-ित ा सब तचछ भािसत होत ह परनत ऐस सचच सत िमलन दलरभ ह और दढ़ता स उनका हाथ पकड़न वाल भी दलरभ ह िजनहोन ऐस सतो का हाथ पकड़ा ह व िनहाल हो गय

उस यवा साध न भी ऐस ही सत का हाथ पकड़ा था मौत को जानन की उसकी बल

िजजञासा को दखकर व व सत बोल उठः अर यह कया मागता ह यह भी कोई मागन की चीज ह ऐसा कहकर उनहोन यवा साध को थोड़ी दर इधर-उधर की बातो म लगाया और मौका दखकर उसको एक तमाचा मार िदया यवक की आखो क सामन जस िबजली चमक उठ हो ऐसा अनभव हआ और दसर ही कषण उसका ःथल शरीर भिम पर लट गया उसका सआम शरीर दह स अलग होकर लोक-लोकानतर की याऽा म िनकल पड़ा लोग िजसको मतय कहत ह ऐसी घटना घट गई

ातःकाल हआ रात भर आननदमय मतय क ःवाद म डब हए उस यवा साध क ःथल

शरीर को िहलाकर व सत न कहाः बटा उठ सबह हो गई ह ऐस कब तक सोता रहगा यवा साध आख मलता हआ सननवदन उठ बठा िजसको मतय कहत ह उस मतय को

उसन दख िलया अहा कसा अदभत अनभव उसका दय कतजञता स भर उठा वह उठकर फकीर क चरणो म िगर पड़ा

लोग कहत ह िक मरना दःखद ह और इसीिलए मौत स डरत ह िजनको ससार म मोह

ह उनक िलए मौत भयद ह परनत सतो क िलए मोह रिहत आतमाओ क िलए ऐसा नही ह

अनबम

मतयः एक िवौािनत-ःथानः मौत तो एक पड़ाव ह एक िवौािनत-ःथान ह उसस भय कसा यह तो कित की एक

वयवःथा ह यह एक ःथानानतर माऽ ह उदाहरणाथर जस म अभी यहा ह यहा स आब चला जाऊ तो यहा मरा अभाव हो गया परनत आब म मरी उपिःथित हो गई आब स िहमालय चला जाऊ तो आब म मरा अभाव हो जायगा और िहमालय म मरी हािजरी हो जायगी इस कार म तो ह ही माऽ ःथान का पिरवतरन हआ

तमहारी अवःथाए बदलती ह तम नही बदलत पहल तम सआम प म थ िफर बालक

का प धारण िकया बालयावःथा छट गई तो िकशोर बन गय िकशोरावःथा छट गई तो जवान बन गय जवानी गई तो व ावःथा आ गई तम नही बदल परनत तमहारी अवःथाए बदलती ग

हमारी भल यह ह िक अवःथाए बदलन को हम अपना बदलना मान लत ह वःततः न

तो हम जनमत-मरत ह और न ही हम बालक िकशोर यवा और व बनत ह य सब हमारी दह क धमर ह और हम दह नही ह सतो का यह अनभव ह िकः

मझ म न तीनो दह ह तीनो अवःथाए नही मझ म नही बालकपना यौवन बढ़ापा ह नही जनम नही मरता नही होता नही म बश-कम म ह म ह ितह काल म ह एक सम

मतय नवीनता को जनम दन म एक सिधःथान ह यह एक िवौाम ःथल ह िजस

कार िदन भर क पिरौम स थका मनय रािऽ को मीठ नीद लकर दसर िदन ातः नवीन ःफितर लकर जागता ह उसी कार यह जीव अपना जीणर-शीणर ःथल शरीर छोड़कर आग की याऽा क िलए नया शरीर धारण करता ह परान शरीर क साथ लग हए टी बी दमा कनसर जस भयकर रोग िचनताए आिद भी छट जात ह

वासना की मतय क बाद परम िवौािनत ःथल शरीर स सआम शरीर का िवयोग िजसको मतय कहा जाता ह वह िवौाम-ःथल तो

ह परनत पणर िवौाित उसम भी नही ह यह फकीरी मौत नही ह फकीरी मौत तो वह ह िजसम सारी वासनाए जड़ सिहत भःम हो जाए भीतर यिद सआम वासना भी बची रही तो जीव िफर स नया शरीर धारण कर लगा और

िफर स सख-दःख की ठोकर खाना चाल कर दगा िफर स वहीः

पनरिप जनन पनरिप मरण पनरिप जननी जठर शयनम

अनबम

धतरा का शोकः करकषऽ क य म दय धन सिहत जब सार पऽ मार गय तो धतरा खब दःखी हए और

िवदर स कहन लगः कण और पाडवो न िमलकर मर सब पऽो का सहार कर िदया ह इसका दःख मझस सहन नही होता एक एक कषण वयतीत करना मझ वष जसा लमबा लग रहा ह

िवदर धतरा को समझात हए कहत ह - जो होना होता ह वह होकर ही रहता ह आप

वयथर म शोक न करो आतमा अमर ह उसक िलए मतय जसी कोई चीज नही ह इस शरीर को छोड़कर जो जाता ह वह वापस नही आता इस बात को समझकरः राम राख तम रिहय ह भाई शोक न करो

परनत धतरा का शोक कम नही हआ वह दढ़तापवरक कहन लगाः तम कहत हो वह

सब समझता ह िफर भी मरा दःख कम नही हो ता मझ अपन पऽो क िबना चन नही पड़ रहा ह पलभर को भी िच शात नही रहता

अजञानी सोचता ह िक िजस कार म चाहता ह उसी कार सब हो जाय तो मझ सख

हो यही मनय का अजञान ह शा और सतो का िकतना ही उपदश सनन को िमल जाय तो भी वह अपनी मानयताओ

का मोह सरलता स छोड़न को तयार नही होता िवदर का धमरय उपदश धतरा को सानतवना नही द सका धतरा शा ो स िबलकल अनिभजञ था ऐसी बात नही थी िफर भी उसका शा जञान उस पऽो क मोह स म नही कर सका

अनबम

घाटवाल बाबा का एक सग हिर ार म घाटवाला बाबा क नाम स िस एक महान सत रहत थ बहत सीध -साद

और सरल कमर म कतान (टाट) लपट रहत थ ऊपर स िदखन म िभखारी जस लगत मगर भीतर स साट थ उनक पास एक वयि आया और बोलाः महाराज मझ शाित चािहए

महाराज न पहल उस धयान स दखा िफर कहाः शाित चािहए तो तम गीता पढ़ो

यह सनकर वह च ककर बोलाः गीता गीता तो म िव ािथरयो को पढ़ाता ह म कालज म ोफसर ह गीता मरा िवषय ह गीता म कई बार पढ़ चका ह उस पर तो मरा काब ह

महाराज बोलः यह ठ क ह अब तक तो लोगो को पढ़ाकर पसो क लाभ क िलए गीता

पढ़ी होगी अब मन को िनयिऽत करक शाित लाभ क िलए पढ़ो लोग शा ो म स सचनाए और जानकािरया इक ठ करक उस ही जञान मान लत ह

दसरो को भािवत करन क िलए लोग शा ो की बात करत ह उपदश दत ह परनत उनह अपन आपको कोई अनभित नही होती मतय क िवषय म भी लोग िव तापणर वचन कर सकत ह मतय स डरन वालो को आ ासन और धयर द सकत ह परनत मौत जब उनही क सममख साकषात आकर खड़ी होती ह तो उनकी रग -रग काप उठती ह कयोिक उनको फकीरी मौत का अनभव नही

कई लोग कहत ह िक जीवन और मौत अपन हाथ म नही ह परनत यह उनक िलए

ठ क ह िजनको आधयाितमक रहःय का पता नही जो ःवय को शरीर मानत ह दीन-हीन मानत ह परनत योगी जानत ह िक जीवन और मतय इन दोनो पर मनय का अिधकार ह इस अिधकार को ा करन की तरकीब भी व जानत ह कोई िहममतवान जानन को ततपर हो तो व उस बता भी सकत ह व तो खललमखलला कहत ह िक यिद रोत-कलपत हए मरना हो तो खब भोग-भोगो िकसी की परवाह न करत हए खब खाओ िपयो और अमयारिदत िवषय-सवन करो ऐसा जीवन आपको अपन आप मौत की ओर शीयता स आग बढ़ा दगा परनत

यिद मौत पर िवजय ा करनी हो जीवन को सही तरीक स जीना हो तो योिगयो क

कह अनसार करो ाणायाम करो धयान करो योग करो आतमिचनतन करो और ऐसा कोई योगी डॉकटरो क सामन आकर दय की गित बनद करक बता दता ह तो वह बात भी लोगो को

बड़ी आ यरजनक लगती ह लोगो क टोल क टोल उसको दखन क िलए उमड़ पड़त ह परनत यह भी कोई योग की पराका ा नही ह

फकीरी मौत ही असली जीवन इितहास म जञान र महाराज और योगी चागदव का सग आता ह वह तो आप लोग

जानत ही होग चागदव न मतय को चौदह बार धोखा िदया था अथारत जब -जब मौत का समय आता तब-तब चागदव योग की कला स अपन ाण ऊपर चढ़ाकर मौत टाल िदया करत थ ऐसा करत-करत चागदव न अपनी उ 1400 वषर तक बढ़ा दी िफर भी उनको आतमशािनत नही िमली फकीरी मौत ही आतमशाित द सकती ह और इसीिलए चागदव को आिखर म जञान र महाराज क चरणो म समिपरत होना पड़ा

अनबम

फकीरी मौत कया ह

फकीरी मौत ही असली जीवन ह फकीरी मौत अथारत अपन अह की मतय अपन जीवभाव की मतय म दह ह म जीव ह इस पिरिचछनन भाव की मतय

ःथल शरीर स सआम शरीर का िवयोग यह कोई फकीरी मौत नही ह अगर वासना शष

हो तो सआम शरीर बार-बार ःथल शरीर धारण करक इस ससार म जनम-मरण क दःख पणर चककर म भटकता रहता ह

जब तक फकीरी मौत नही हो तब तक चागदव की तरह चौदह बार कया चौदह हजार

बार भी ःथल शरीर को बचाय रखा जाय तो भी परम शाित क िबना यह बकार ह लाबधवा जञान परा शाित आतमजञान स ही परम शाित िमलती ह इसी कारण चागदव को फकीरी मौत सीखन क िलए जञान र महाराज क पास आना पड़ा था 1400 वषर का िशय और 22 वषर क गर यही जञान का आदर करन वाली भारतीय सःकित ह जञान स उ को कोई समबनध नही ह

हम तो जीवन म पग-पग पर छोटी-मोटी पिरिःथितयो स घबरा उठत ह ऐसा भयभीत

जीवन भी कोई जीवन ह यह तो मौत स भी बदतर ह इसीिलए कहता ह िक असली जीवन जीना हो िनभरय जीवन जीना हो तो फकीरी मौत को एक बार जान लो

फकीरी मौत अथारत अपन अमरतव को जान लना फकीरी मौत अथारत उस पद पर आ ढ़ हो जाना जहा स जीवन भी दखा जा सक और मौत भी दखी जा सक जहा स ःप प स िदख िक सख-दःख आय और गय बालयावःथा यवावःथा और व ावःथा आई और गई परनत य सब शरीर स ही समबिनधत थ मझ तो व ःपशर तक नही कर सक म तो असग ह अमर ह मरा तो जनम भी नही मतय भी नही

सकरात का अनभव सकरात को जब जहर िदया जान लगा तो उसक िशय रोन लग कयोिक उनको यह

अजञान था िक सकरात अब बचग नही मर जायग सकरात न कहाः अर तम रोत कयो हो अब तक मन जीवन दखा अब मौत को दखगा यिद म मर

जाऊगा तो आज नही तो कल मरन ही वाला था इसिलए रोन की कया ज रत ह और यिद मरत हए भी नही मरा कवल शरीर स ही िछनन-िभनन हआ तो भी रोन की कया ज रत

सकरात न िबना िहचिकचाहट क राजी-खशी स जहर का पयाला पी िलया और िशयो स

कहाः दखो यह रोन का समय नही ह बहत ही महतवपणर बात समझन का समय आया ह

मर शरीर पर जहर का भाव होन लगा ह पर सनन होत जा रह ह घटनो तक जड़ता वया हो गई ह जहर का असर बढ़ता जा रहा ह मर पर ह िक नही इसकी अनभित नही हो रही ह अब कमर तक का भाग सवदनहीन बन गया ह

इस कार सकरात का सारा शरीर ठडा होन लगा सकरात न कहाः अब जहर क भाव स हाथ पर छाती जड़ हो गई ह थोड़ी ही दर म मरी िज ा भी

िनःपद हो जायगी उसस पहल एक मह वपणर बात सन लो जीवन म िजसको नही जान सका उसका अनभव हो रहा ह शरीर क सब अग एक क एक बाद एक िनःपद होत जा रह ह परनत उसस मझम कोई फकर नही पड़ रहा ह म इतना ही पणर ह िजतना पहल था शरीर स म ःवय को अलग असग महसस कर रहा ह अब तक जस जीवन को दखा वस ही अभी मौत को भी दख रहा ह यह मौत मरी नही बिलक शरीर की ह

अनबम

आधयातमिव ाः भारत की िवशषताः सकरात तो शरीर छोड़त-छोड़त अपना अनभव लोगो को बतात गय िक शरीर की मतय

यह तमहारी मतय नही शरीर क जात हए भी तम इतन क इतन ही पणर हो परनत भारत क ऋिष तो आिद काल स कहत आय ह-

शणवनत िव अमतःय पऽा

आ य धामािन िदवयािन तःयः वदाहमत परष महानतम

आिदतयवण तमसः परःतात तमव िविदतवाऽितमतयमित नानयः पनथा िव तऽयनाय

ह अमतपऽो सनो उस महान परम परषो म को म जानता ह वह अिव ा प अधकार

स सवरथा अतीत ह वह सयर की तरह ःवयकाश-ःव प ह उसको जानकर ही मनय मतय का उललघन करन म जनम-मतय क बधनो स सदव क िलए छटन म समथर होता ह परम पद की ाि क िलए इसक अितिर कोई दसरा मागर नही ह

( ता तरोपिनषद) यह कोई वद-उपिनषद काल की बात ह उस समय क ऋिष चल गय और अब नही ह

ऐसी बात नही ह आज भी ऐस ऋिष और ऐस सत ह िजनहोन सतय की अनभित की ह अपन अमरतव का अनभव िकया ह इतना ही नही बिलक दसरो को भी इस अनभव म उतार सकत ह रामकण परमहस ःवामी िववकाननद ःवामी रामतीथर महिषर रमण इतयािद ऐस ही त वव ा महापरष थ और आज भी ऐस महापरष जगलो म और समाज क बीच म भी ह यहा इस ःथान पर भी हो सकत ह परनत उनको दखन की आख चािहए इन चमरचकषओ स उनह पहचानना मिकल ह िफर भी िजजञास और ममकष वि क लोग उनकी कपा स उनक बार म थोड़ा सकत यह इशारा पा सकत ह

अनबम

तीन कार क लोगः ऐस सतो क पास तीन कार क लोग आत ह- दशरक िव ाथ और साधक

दशरक अथारत ऐस लोग जो कवल दशरन करन और यह दखन क िल ए आत ह िक सत कस ह कया करत ह कया कहत ह उपदश भी सन तो लत ह पर उसक अनसार कछ करना ह इसक साथ उनका कोई समबनध नही होता आग बढ़न क िलए उनम कोई उतसाह नही होता

िव ाथ अथारत व जो शा एव उपदश समबनधी अपनी जानकारी बढ़ान क िलए आत ह

अपन पास जो जानकारी ह उसम और वि होव तािक दसरो को यह सब सनाकर अपनी िव ा की छाप उन पर छोड़ी जा सक दसरो स सना याद रखा और जाकर दसरो को सना िदया जस ग स शानसपोटर कमपनी ाईवट िलिमटड- यहा का माल वहा और वहा का माल यहा लाना और ल जाना ऐस लोग भी त व समझन क मागर पर चलन का पिरौम उठान को तयार नही

तीसर कार क लोग होत ह साधक य ऐस लोग होत ह िक जो साधनामागर पर चलन

को तयार होत ह इनको जसा बताया ह वसा करन को पणर प स किटब होत ह अपनी सारी शि उसम लगान को ततपर होत ह उसक िलए अपना मान-सममान तन-मन-धन सब कछ होम दन को तयार होत ह सत क ित और अपन धयय क ित इनम पणर िन ा होती ह य लोग फकीर अथवा सत क सकत क अनसार लआय की िसि क िलए साहसपवरक चल पड़त ह

िव ाथ अपन वयि तव का ौगार करन क िलए आत ह जबिक साधक वयि तव का िवसजरन करन क िलए आत ह साधक अपन लआय की तलना म अपन वयि तव या अपन अह का कोई भी मलय नही समझत जबिक िव ाथ क िलए अपना अह और वयि तव का ौगार ही सब कछ ह अपनी िव ता म वि जानकारी को बढ़ाना वयि तव को और आकषरक बनाना इसी म उस सार िदखता ह त वानभित की तरफ उसका कोई धयान नही होता

यही कारण ह िक सतो क पास आत तो बहत लोग ह परनत साधक बनकर वही िटक

कर त व का साकषातकार करन वाल कछ िवरल ही होत ह

जञान को आय स कोई िनःबत नही िजसन फकीरी मौत को जान िलया हो अथारत िजस आतमजञान हो गया हो वह शरीर की

दि स कम उ का हो परनत उसक आग लौिकक िव ा म वीण और अिधक वय क सफद दाढ़ी-मछ वाल लोग भी बालक क समान होत ह इसीिलए योगिव ा म वीण 1400 वषर क चागदव को कम उवाल जञान र महाराज क चरणो म समिपरत होना पड़ा था ाचीन काल म ऐस कई उदाहरण दखन म आत ह

िचऽ वटतरोमरल व ाः िशया गरयरवा

गरोःत मौन वयाखयान िशयाःतिचछननसशयाः अथारत यह कसा विच य ह िक वटवकष क नीच यवा गर और व िशय बठ ह गर

ारा मौन वयाखयान हो रहा ह और िशयो क सब सशयो और शकाओ का समाधान होता जा रहा ह

अनबम

योगसामथयरः एक तयकष उदाहरण अपन मोटरा आौम म भी ऐस ही करीब स र वषर क सफद बाल वाल एक साधक ह

पहल डीसा म व एक सत क पास गय गय तो थ दशरक बनकर ही परनत सत की दि पड़त ही व दशरक म स साधक बन गय म कछ वषर पवर डीसा क आौम म था तब व मर पास आय थ पकी हई उ म भी व 18 वषर की उ की एक बाला क साथ बयाह रचान की तयारी म थ और आशीवारद मागन हत वहा आय थ उनको दखकर ही मर मह स िनकल पड़ाः

अब तमहारी शादी ई र क साथ कराएग यह सनकर उनको बड़ा आ यर हआ कयोिक न तो व मझ पहल स जानत थ और न ही

म उनह जानता था उस व उनका शरीर भी कसा था चरबी और कफ-िप स ठसाठस भरा हआ एकदम ःथल दमा आिद रोगो का िशकार डीसा म कपड़ क बड़ वयापारी थ धप म िबना छाता िलए दकान स नीच नही उतर पात थ कित ऐसी थी िक िकसी भी सत महातमा को नही गाठ और काम-वासना भीतर इतनी भरी हई थी िक आग की दो पि या शरीर छोड़ चकी थी िफर भी इस उ म तीसरी शादी करन को तयार थ प ी िबना एक िदन भी नही रह सकत थ

घर पहचन पर उनको पता चला िक उनक अनदर जो काम -िवकार का तफान आया था

वह एकदम शात हो गया ह भिवय म प ी बनन वाली उस कमारी क साथ एकात म अनक च ाए करक भी व उस काम-िवकार को पनः नही जगा सक इतना बल िवकार एकाएक कहा चला गया िफर उनको समझ म आया िक सत की ई रीय अहत की कपा उनम उतरी ह उनको सारा ससार सना-सना लगन लगा उनहोन तरनत ही उस कमारी यवती को कछ पय और कपड़ िदय और बटी कहकर रवाना कर िदया उसक बाद उनहोन आसन ाणायाम गजकरणी नित धोित आिद िबयाए सीख ली और िनयिमत प स करन लग इसस उनक शरीर क सार परान कफ-िप -दमा आिद दर हो गय और शरीर म स आवयकता स अिधक चब घटकर शरीर हलका फल जसा हो गया अब तो जवानो क साथ दौड़न की भी ःपधार करत

ह धयानयोग की साधना म उनहोन इतनी गित की ह िक उनको कई कार क अलौिकक अनभव हआ करत ह अपन सआम शरीर ारा व लोक -लोकानतर म घम आया करत ह

योग भी साधना का आिखरी िशखर नही यह भी साधना की कोई आिखरी भिमका नही ह सव चच िशखर नही ह यह भी सब

माया की सीमा म ही ह िफर चमर-चकषओ स दखो अथवा धयान म बठकर दखो कयोिकः

यद दय तद अिनतयम जो िदखता ह वह अिनतय ह जो िदख सो चालनहार चागदव भी योग म कशल थ

काल को कई बार धोखा द चक थ परनत माया को धोखा न द सक व भी साि वक माया म थ माया स पर नही थ

माया ऐसी ठिगनी ठगत िफरत सब दश जो ठग या ठिगनी ठग वा ठग को आदश

कोई िवरल सत ही इस माया को ठग सकत ह माया स पार जा सकत ह बाकी क

लोगो का तो यह माया न र म ही शा त का आभास करा दती ह अिःथरता म िःथरता िदखा दती ह ऐसी मोिहना माया क िवषय म ौी कण कहत ह-

दवी षा गणमयी मम माया दरतयया मामव य प नत मायामता तरिनत त

मरी यह अदभत िऽगणमयी माया का तरना अतयनत दकर ह परनत जो मरी शरण म

आत ह व तर जात ह (गीता)

अनबम

गणातीत सत ही परम िनभरयः ऐसी दःतर माया को जो सत अथवा फकीर तर जात ह और मौत की पोल जान जात ह

व कहत ह- एक ऐसी जगह ह जहा मौत की पहच नही जहा मौत का कोई भय नही िजसस मौत भी भयभीत होती ह उस जगह म हम बठ ह तम चाहो तो तम भी बठ सकत हो

तमहार म एक ऐसा चतन ह जो कभी मरता नही िजसन मौत कभी दखी ही नही जो जीवन और मौत क समय पिरवतरन को दखता ह परनत उन सबस पर ह

यिद घड़ म आया हआ चनिमा का ितिबमब घड़ क पानी को उबलता हआ जानकर यह

मान की म उबल रहा ह पानी िहल तो समझ िक म िहलता ह घड़ा फट गया तो समझ िक म मर गया तो यह उसका अजञान ह परनत उसको यह पता चल जाय िक पानी क उबलन स म नही उबलता पानी क िहलन स म नही िहलता म तो वह चनिमा ह जो हजारो घड़ो म चमक रहा ह िकतन ही घड़ टट -फट गय परनत म मरा नही मरा कछ भी िबगड़ा नही म इन सबस असग ह तो वह कभी दःखी नही होगा

इसी कार हम यिद अपन असगपन को जान ल अथारत म शरीर-मन-बि नही अिपत

आतमा ह- यह हम जान ल तो िफर िकतन ही दह पी घड़ बन और टट -िबखर िकतनी ही सि या बन और उनका लय हो जाय हमको कोई भय नही होगा कयोिक आतमा का ःवभाव हः

न जायत ियत वा कदािचननाय भतवा भिवता वा न भयः अजो िनतयः शा तोऽयपराणो न हनयत हनयमान शरीर

यह आतमा िकसी काल म भी न तो जनमता ह और न मरता ही ह तथा न यह उतपनन

होकर िफर होन वाला ही ह कयोिक यह अजनमा िनतय सनातन और परातन ह शरीर क मार जान पर भी यह नही मारा जाता

(भगवदगीताः 223) अनबम

सतो का सनदशः िजन सतो न यह रहःय जान िलया ह जो इस अमतमय अनभव म स गजर चक ह व

सब भयो स म हो गय ह इसीिलए व अपनी अनभविस वाणी म कहत ह- अपन आतमदव स अपिरिचत होन क कारण ही तम अपन को दीन-हीन और दःखी

मानत हो इसिलए अपनी आतम-मिहमा म जाग जाओ यिद अपन आपको दीन ही मानत रह तो रोत रहोग ऐसा कौन ह जो तमह दःखी कर सक तम यिद न चाहो तो दःख की कया मजाल ह िक तमह ःपशर भी कर सक अननत-अननत ाणड को जो चल रहा ह वह चतन तमहार भीतर चमक रहा ह उसकी अनभित कर लो वही तमहारा वाःतिवक ःव प ह

मनसर को सली पर चढ़ा िदया गया था परनत उनको सली का कोई भय नही था सली

का क उनको ःपशर भी नही कर सका कयोिक मनसर अपनी मिहमा म जग हए थ व यह जान चक थ िक म शरीर नही ह सली शरीर को लग सकती ह मझ नही इसिलए व हसत-हसत सली पर चढ़ गय थ

हम ही जानबझकर अपनी सननता की अपन सख-दःख की चाबी दसरो क हाथो म

स प दत ह कोई थोड़ा हस दता ह तो हम बोिधत हो उठत ह कोई थोड़ी शसा कर दता ह तो हषर स फल उठत ह कयोिक हम अपन को सीिमत पिरिचछनन शरीर या मन ही मान बठ ह

हम अपन वाःतिवक ःव प अपनी असीम मिहमा को नही जानत नही तो मजाल ह

िक जगत क सार लोग और ततीस करोड़ दवता भी िमलकर हम दःखी करना चाह और हम दःखी हो जाय जब हम ही भीतर स सख अथवा दःख को ःवीकित दत ह तभी सख अथवा दःख हमको भािवत करता ह सदव सनन रहना ई र की सव परी भि ह

ःवामी रामतीथर कहा करत थ िक कोई यिद तमहारी सननता छ नकर उसक बदल म

तमको ःवगर का फिरता भी बनाना चाह तो फिरतापद को ठोकर मार दो मगर अपनी सननता मत बचो

हम इस जीवन और मतय का कई बार अनभव कर चक ह सत कहत ह- तमहारा न तो जीवन ह और न ही मतय ह तम जीव नही तम िशव हो तम अमर

हो तम अननत अनािद सिचचदाननद परमातमा हो यिद इस जनम-मरण क खल स थक चक हो इनक खोखल पन को जान चक हो इसक असारपन स पिरिचत हो चक हो तो िकसी सत क सािननधय का लाभ उठाकर फकीरी मौत को जान लो िफर तमह कोई दःख कोई मतय भयभीत नही कर सकगी िफर िजस आना हो वह आव जाना हो वह चला जाव सख आव तो आन दो दःख आव तो आन तो जो आयगा वह जायगा तम द ा बनकर दखत रहो तम अपनी मिहमा म मःत रहो

मौत स भी मौत का भय बदतर ह भय म स ही सार पाप पदा होत ह भय ही मतय

ह लोग पछत ह- ःवामी जी आतम-साकषातकार हो जाता ह िफर उसक बाद कया होता

ह होता कया ह हम अपन ःव प म जाग जात ह उसक बाद हमस जो भी वि होती ह वह आननदमय ही होती ह ससार की कोई भी दःखपणर घटना हमको दःखी नही कर सकती

िफर यह शरीर रह या न रह हमार आननद म कोई अनतर नही पड़ता उस आननदःव प अपन आतमदव को जानना-यही जीवन का परम कतरवय ह परनत इस परम कतरवय की ओर मनय का धयान जाता नही और छोटी-मोटी तचछ वि यो म ही अटका रह जाता ह

हम कही याऽा म िनकलत ह तो राःत क िलए िटिफन भरकर भोजन साथ ल लत ह

भोजन स भी अिधक महतव पानी का ह परनत उसक िलए सोच लत ह िक चलो ःटशन पर भर लग घर स पानी लकर चलन की िचनता नही करत पानी स भी यादा ज री हवा ह उसक िबना तो एक िमनट भी नही चलता िफर भी हवा का कोई िसलनडर भरकर साथ नही लत कयोिक हम सब जानत ह िक वह तो सवरऽ ह इसिलए हवा क िलए हम कोई िचनता नही करत

हवा स कम ज री पानी क िलए पानी स कम ज री भोजन क िलए हम यादा िचनता करत ह उसी कार अपन आननदःव प आतमा म जागन क परम कतरवय को छोड़कर कम महतव क ःथल शरीर क लालन पालन एव उसस सबिधत वयवहार को सभालन म ही हम लग रहत ह शरीर असत जड़ और दःख प ह उसको चलान वाला सआम भतो स िनिमरत सआम शरीर ह उसको भी चतन स ा दन वाला सत-िचत-आननदःव प आतमा ह इस आननद-ःव प आतमा को असत-जड़ दःख प और मरणधमार समझकर जीवनभर मौत क भय स भयभीत बन रहत ह

अनत परमातमा म न तो उतथान ह न पतन न जनम ह न मरण वहा तो सब एकरस

ह हम ही मोहवश अपना ससार खड़ा कर लत ह और एक दसर क साथ सबध बनाकर अपन को जानबझकर बधन म डाल दत ह

एक सत क पास एक स जन का पऽ आया उसम िलखा थाः ःवामी जी आपक

आशीवारद स हमार यहा पऽ का जनम हआ ह सत न उ र म उस िलखा िकः तम झठ बोलत हो िफर जब स जन सत क पास गया तब कहा िकः ःवामी जी म सच कहता ह मर यहा पऽ का जनम हआ ह इस पर सत न िफर स कहा िकः तम झठ बोलत हो यह सनकर उन स जन को बड़ा आ यर हआ वह िवःफािरत नऽो स सत की ओर दखन लगा तब सत न कहाः

पऽ का जनम नही हआ िपता का जनम हआ ह माता का जनम हआ ह काका-मामा

का जनम हआ ह पऽ को तो खबर ही नही ह िक मरा जनम हआ ह और म िकसी का पऽ भी ह परनत हम उस पर सार समबनध आरोिपत कर दत ह

वःततः पचभतो म कोई आकार बना ह उस पऽ का नाम द िदया समय आन पर यह आकार िबखर जायगा यह आकार बन उसम हषर और यह आकार िबखर जाय उसम शोक कसा भय कसा

िजस शरीर को हम म मानत ह उसकी कित तो दखो िपया तो था अमत जसा

मीठा जल और िनकाला मऽ प म गदा पानी खाय तो थ मोहनथाल दधपाक छपपन भोग पर बन गया सब िव ा प शरीर का सग करन पदाथर की ऐसी अवःथा बन जाती ह सत-िचत-आननदःव प आतमा भी अपन को भलकर शरीर क साथ एक होकर ःवय को म शरीर मान लती ह और दीन हीन एव दःखी बन जाती ह परनत जब वह अपन आपम जाग जाती ह तब अपन को दवो का दव अनभव करती ह

यिद हमन शरीर क साथ अहबि की तो हम म भय वया हो ही जायगा कयोिक शरीर

की मतय िनि त ह उसका पिरवतरन अवयभावी ह उसको तो ःवय ाजी भी नही रोक सकत परनत यिद हमन अपन आतमःव प को जान िलया ःव प म हमारी िन ा हो गई तो हम िनभरय हो गय कयोिक ःव प की मतय होती नही मौत भी उसस डरती ह

ःवामी अखणडाननद सरःवती एक बार रल क तीसर दज म याऽा कर रह थ व यह

जानना चाहत थ िक तीसर दज म लोगो ारा िकय जान वाल मान-अपमान का भाव उनक िदल पर होता ह िक नही आतमिनरीकषण स उनह पता चला िक भाव तो होता ह यह बात उनहोन ौी उिड़या बाबा को बतायी उिड़या बाबा न कहाः

तम बठत ही कचर क ढर पर हो आशा करत हो िक मझ पर कोई कचरा न फ क मझ

कचर की दगरनध न आव यह कस हो सकता ह तम बठत हो शरीर म और आशा रखत हो िक मान-अपमान का असर न हो ःवय को शरीर माना तो मान-अपमान सख-दःख होगा और जनम-मतय भी होगी

वदानत क रहःय को समझना यह कोई ि यो का काम नही ह ी अथारत कित क

शरीर क म मानकर जीनवाला एक बार राजा जनक िव ानो की सभा म बठ थ उस सभा म गाग आई वह िबलकल

िदगमबर (न न) थी ऐसी अवःथा म सभा म गाग का वश पिडतो को रचा नही इसिलए उनहोन नाक-भ िसकोड़ िलया परषो स भरी सभा म एक न न ी

गाग बोलीः ऐ पिडतो नाक भ कयो िसकोड़त हो

पिडतो न कहाः तम एक अबला ऐसी अवःथा म परषो की सभा म जो आई हो

गाग तरनत बोलीः कौन कहता ह िक म अबला ह म सबला ह अबला तो तम हो जो अपना रकषक बाहर ढढत हो म अपना रकषक आप ह म यह शरीर नही ह म तो सत -िचत-आननदःव प आतमा ह म अपन आपको जानती ह

िजसको जानकर गाग िनभरय बन गई थी उस आननदःव प अपन आतमदव को जो

जान लता ह उसी म िःथत हो जाता ह वह जीवन और मौत दोनो स पर दोनो का द ा बन जाता ह उस िफर कोई भय नही रहता वह सदव आननद म मःत रहता ह

मरो मरो सब कोई कह मरना न जान कोई एक बार ऐसा मरो िक िफर मरना न होई

मगलमय जीवन मगलमय िववाह मगलमय सबध उस परम मगल चतनय क कारण ही

हो सकत ह न िक शि शरीर क बा प-रग पर िवमोिहत होन स महाराज जी क पास आकर एक मिहला कहन लगीः मर पित ःवगरःथ हो गय ह

उनका िवयोग सहा नही जाता ऐसा कोई उपाय बताओ िक उनका िहत हो और मझ शाित िमल

दसरा एक वयि आया और बोलाः मरी प ी मझ अकला छोड़कर चल बसी ह

तीसर न कहाः मरा बटा ःवगरःथ हो गया ह उसकी मीठ याद आती ह मर मन म आता ह िक उसक पीछ म भी आतमहतया करक मर जाऊ बाबा जी शािनत का कछ उपाय बताइय

महाराज जी न कहाः ह भि मिहला पित की याद आय तो उनह खब आदरपवरक कहोः

मरणधमार शरीर म होत हए भी आप अमर थ शरीर क मरन पर भी आप नही मर दह न र ह आप शा त हो चतनय हो आप परम र का अिवनाशी अश हो जनम-मतय आपका धमर नही ह पाप-पणय आपका कमर नही ह आप अजर हो श ब हो हम परःपर पािथरव शरीर की ीित करक मोह म सड़ रह थ िवकारो म दब रह थ अब पािथरव शरीर की ीित स म होकर अपािथरव आतमा म िःथत हो जाओ

वह शादी बरबादी म बदल जाती ह िजसम एक दसर क शरीर को पयार करत ह वह

मगलमय शादी आबादी की ओर ल जाती ह जहा प ी पित को पित प ी को पऽ िपता को िपता पऽ को शरीर क प म नही अिपत शरीरो क आधार श चतनयःव प म दख परःपर अपन चतनयःव प की याद िदलाव और रणा द

ह भि मिहला अपन पित को याद करक उनक जीवातमा को यह रणा दो इसस

उनकी भी उननित होगी और तमहारी उननित होगी ऐसा िचनतन करो िकः ह चतनयःव प मर आतमन शरीर को पाच भत क पतल

को तयागन क बाद भी आपका अिःततव ह आप आतमा हो परम र हो अमर हो चतनय हो शा त हो

इसी कार अपनी प ी को और ःवगरःथ पऽ पिरवार को ःमरण करक उनको उननत

करो और आप भी उननत बनो जीत-जी भी परःपर इसी भाव स उननत करो मतय मगलमय हो जाय ऐसा वातावरण बनाओ

जो वयि मतय को ा हो चक ह उनक ौा ो क िदनो म तथा ःमरण क व उनह

सझाव दो िकः जनम-मतय तमहारा धमर नही था पाप-पणय तमहारा कमर नही था तम अजर

अिवनाशी िनलप शा त सनातन नारायण क अश हो अतः अपन परम र ःवभाव को सभालो ःमरण करो

अपन पित प ी पऽ का नाम लकर कहो िकः तम वही हो सचमच म वही हो जो

मरन क बाद भी नही मरता ॐॐॐ तम चतनय आतमा हो ॐॐॐ शा त परम र हो ॐॐॐ अिवनाशी परमातमा हो ॐॐॐ

पथवी पर क ःवपन तलय सबधो का ःमरण करक तम नीच न िगरो अिपत आतमा-

परमातमा क सबध को याद करत हए अपना ऐिहक जीवन मगलमय बनाओ ससार स कच करक जाओ उस समय तमहार कटमबी आतमा परमा तमा की एकता और अमरता तमहारी िनतयता और म ता का ःमरण तमह अत समय म करा द ऐसी वयवःथा करो

कोई चल बसन वाल हो या चल बस हो उनको याद करक उनकी ओर िदवय िवचार

अमर आतमा का सनदश भजो इस कार तम उ म सवा कर सकत हो और जीिवतो को जीवनदाता म जगा सकत हो दोनो इस कार परःपर सहायता करोग और पाओग

टिलफोन पर अपन दर क सबधी स हम जब बात करत ह तो उस यऽ म स आन वाली

धविन अपन सबधी की होती ह ऐस ही शरीर पी यऽो स जो कछ ःनह सातवना सहानभित म या काश हम पात ह वह भीतर वाल परम र का ही होता ह उनको या उनक िचऽो को

दखो तो उन िचऽो क पीछ खड़ उस शा त सतय को परम िमऽ को पयार करो और उनह भी याद िदलाओ िकः ह शा त आतमा ह परातन ह अिवनाशी नाशवान ससार और शरीर बदलत ह लिकन तम अबदल आतमा हो ॐॐॐ

बचपन बदल गया यौवन बदल गया बढ़ापा बदल गया शरीर बदल गया िफर

तम भी हो तम वह अमर आतमा हो िजस पर काल का भी कोई भाव नही चलता ह अकाल आतमा अपनी मिहमा म जागो इस कार क िवचार भजन स मगल करोग और मगल को पाओग जीवन मगलमय होन

लगगा मतको की मतय भी मगलमय हो जायगी मगल भवन अमगलहारी िवचारो को सदव एक दसर क ित सािरत करो ॐ आननद

आननद आननद रोत चीखत मोहमाया म पड़कर उनको याद करत हो तो उनका और अपना सतयानाश

करत हो उनको नीच िगरात हो उनकी आतमा को भटकात हो अपन को तचछ बनात हो अमागिलक िवचारो को कतई ःफिरत न होन दो सदव मगलमय िवचार हो जायगा मगलमय जीवन मतय भी मगलमय हो जायगी ॐ ॐ ॐ

ॐॐॐॐॐॐॐॐ जीवन और मतय आतमा-परमातमा को पान क दो पहल ह रात क बाद िदन िदन क

बाद रात होती ह इसी तरह जीवन और मतय चोल बदलत हए अनभवो स गजरत हए अपन आतमःव प को ःव प को पान क िलए मगलमयी अवःथा ह

िदन िजतना पयारा ह रात भी उतनी ही आवयक ह जीवन िजतना पयारा ह मतय भी

उतनी ही आवयक ह मतय मान आतमिशव क मिनदर म जान क िलए ऊची सीिढ़या मतय मान मा की गोद म बालक सो गया और उमा शि ताजगी ःफितर पाकर िफर सबह खलता ह मतय मान मा की गोद म थकान िमटान को जाना िफर नया तन ा करक अपनी मगलमय याऽा करना

त वदि स दखा जाय तो यह जीवन-मतय की याऽा कित म हो रही ह तमह

परमातमाःव प म जगान क िलए गीता म भगवान ौी कण कहत ह-

न जायत ियत वा कदािचननाय भतवा भिवता वा न भयः अजो िनतयः शा तोऽयपराणो न हनयत हनयमान शरीर

त वतः यह आतमा न कभी जनमता ह और न मरता ह न यह उतपनन होकर िफर होन

वाला ही ह यह जनमरिहत िनतय िनरनतर रहन वाला शा त और परातन अनािद ह शरीर क मार जान पर भी वह नही मारा जाता

(गीताः 220) शव की ःमशानयाऽा म मटका ल जात ह फोड़ दत ह यह याद िदलान क िलए िक दह

मानो मटका ह इस मगलमय मतय को पीछ िव ल होन की आवयकता नही ह यह मटका सवा करन क िलए िमला था जीणर-शीणर हआ टट गया िफर नया िमलगा मगलमय आतमा-परमातमा की ाि तक यह मगलमय जनम-मरण की याऽा तो चलती ही रहगी इसम िव ल होकर रोना-चीखना िनरा मोह ह अगर इस मोह को पोसा जाय और िकसी की मतय न हो तो ससार महा नरक हो जायगा माली अगर बगीच म काट-छाट न कर तो बगीचा बगीचा ही न रहगा अिपत भयानकर जगल हो जायगा

स ा न मतय का मगलमय िवधान न बनाया होता तो आदमी म तयाग सवा नता क

सदगण ही नही िखलत सब अमर होकर अिड़यल की तरह उलझ रहत रािऽ स अरणोदय अरणोदय स िफर मगलमयी रािऽ की अिनवायर आवयकता ह िवराट

की यह चणड बीड़ा तमह अपन िवराट ःवभाव म जगान क िलए आवयक ह मतय मान महायाऽा महाःथान महािनिा अतः जो मर गय ह उनकी याऽा मगलमय

हो आतमोननितद हो ऐसा िचनतन कर न िक अपन मोह और अजञान क कारण उनको भी भटकाए और खद भी परशान हो

कइयो की मतय बालयकाल म या यौवन म हो जाती ह जस मा न बचच को कपड़

पहनाए और नही जच उठा िलय िफर नय व ो स सजाया-धजाया अथवा यो कहो िक बचचा िखलौनो म रम जाता ह िखलौन नही छोड़ना चाहता परनत मगलमयी मा उस बलात उठा लती ह अपनी गोद म सलाती ह अपनी उमा सािननधय िवौािनत स उस प करक िफर नतन भात को उस खलन क िलए बीडागन म भज दती ह ऐस ही जीवातमा का बीडागन ससार ह अतः अनक शरीर बदलत हए अबदल की मगलमय याऽा करन क िलए जीवन और मतय को मगल िवधान समझकर ई र की हा म हा करत हए अपनी याऽा उननत कर

ॐॐॐ

ॐॐॐॐॐॐॐॐ

अनबम

िचतन पराग ई र का बनाया हआ त भल ही बना रह उसको िमथया समझ लन माऽ स का

बोध हो सकता ह साधक का काम त को िमथया समझन स ही चलता ह इचछाओ की ति का उपाय एक ही ह िक इचछाए तयाग दी जाए िजस िववकी न इस

जगत को सपन या इनिजाल क समान समझ िलया ह िजस दय न प म िदखन लगा ह वह दोषदश िववकी भला बताओ इसम अनराग कस कर

जञानी जागरण को सतय समझना छोड़ दन पर िफर पहल की भाित अनर नही होता

जञानी तयक वःत को अपना आतमा समझता ह मद की कलपना को बार-बार मन म लाना काम-वासना स म होन का सव म उपाय

बताया गया ह मद को पड़ हए दखकर मन घबरान लगता ह पिरणाम की कयो परवाह करत हो अपनी तनखवाह क बार म कभी िफब मत करो

अजञानी लोग समझत ह िक कायर की सफलता म कायर करन की अपकषा अिधक आननद ह इन अनधो को यह मालम ही नही ह िकसी पिरणाम स उतना सख नही िमलता िजतना काम करन स िमलता ह

अपन िवचारो को सदा वाःतिवक आतमा म रखो और पिरिःथितयो की परवाह मत करो तब तक आपकी हािन नही हो सकती जब तक िक आप ःवय उस नही बलात तलवार

तब तक नही काट सकती जब तक आप यह न सोच िक यह काटती ह ऐ पणर तर िलए कोई कतरवय या कायर शष नही ह सारी कित सास रोक तरी

सवा क िलए खड़ी ह ससार तरी पजा करन का अवसर पाकर अपन को कतकतय करना चाहता ह कया त कित की शि यो को अपन चरणो म झकन का अवसर दगा

अपन भीतर सतय क काश को सदा चमकता रखो भय और लोभन का शतान तमहार

पास नही फटकगा

बाहर की बातो म कछ भी नही मान अपमान अपना काम िकय जा िनिशिदन इसम ही सममान

दसर लोग तमहारी आलोचना िनदा करत हो उनह रोकन की च ा न करो कयोिक इनही

सब बातो क ारा तमम सदगणो की वि होगी जब तक तमहारा दय इतना दढ़ नही ह िक तम मख क बकन पर िःथर और शात बन रहो अथवा तमम इतनी सहनशीलता नही ह िक अजञानी मख को कषमा कर सको तब तक तम अपन को कही जञानी न समझ बठना

यिद तम शरीर और मन स ऊपर उठ जाओ तो सब िचनता और भयो स छट हो

जाओग िकसी भी आकिःमक दघरटना स धयर न छोड़ो कयोिक घबराहट स शि तथा बि का

नाश होता ह िकसी भी कार की किठनाइयो क आग दःिखत न होकर गमभीरतापवरक उनका सामना करो तभी तम िनःसनदह िवजय ा करोग तम कही भी हतोतसािहत होकर िनराश न होओ

ऐसी कौन-सी िवपि ह जो मरी सननता को न कर सकती ह वह कौन-सा रज ह जो

मर आननद म िव न डाल सकता ह म तो िव ाणड का भ ह म बि का भ ह िदमाग का मािलक ह और मन का शासक ह ससार मझम ह म ससार म नही आ सकता िव मझम ह म िव म नही बध

सकता सयर और नकषऽ मझम उदय और अःत होत ह दह और दिनया दोनो ई र क भीतर ह वही ई र म ह म िनिलर आतमा ह मरा जनम नही मतय नही म अजर-अमर ह म िचदाननद

आतमःव प ह म िमथया त िमथया धमर िमथया कमर िमथया और जगत िमथया और ऐसा तीत

होता ह िक म सवरःव ह म ही सवरजञ सवरगत आतमा ह अपना साकषी ह कदािप उन नाम पो म फसा नही ह

म िवश ह असखय ाणड मझम पड़ ह म असःपयर ह मरा ःव प िनिलर ह

मझ दःख स कोई भय नही ह मझ समय की जरा भी िचनता नही आतमाननद वाल को भय और आशका कसी

िकसी भी डर को अपन पास मत फटकन दो लोग यिद तमहार बराई करत ह तो तम उनह आशीवारद दो ऐस ःथान पर जाओ जहा

लोग तमस घणा कर तम तो म हो पहल स ही म हो सवरदा कहोः म सदा आननदःव प ह म

म ःवभाव ह म अननत ःव प ह मरी आतमा का आिद और अनत नही ह सभी मर आतमःव प ह

सननतापवरक अपमान सहन करन स और नता धारण करन स अिभमान की िनवि

होती ह िकसी पिवऽ ःथान पर जाओ तो वहा क अनशासन का पालन करो वहा चपपलो की

चटाक-पटाक आभषणो की खनखनाहट भड़कील व ो की फरफराहट आिद हमस न हो इसका परा धयान रखो कही भी िकसी क भी िच को या शात वातावरण को अशात करन का हम कोई अिधकार नही ह

अपन िकसी भी दःख या अशाित का कारण बाहर मत ढढो बाहर की पिरिःथितयो या

वयि यो को दोष मत दो कारण अपन भीतर ढढो िनद ष भाव स ढढोग तो कारण भीतर ही िमल जायगा उस दर करन की च ा करो शातिच रहन का यही बहमलय उपाय ह

जो आतम-अनशािसत ह व ही शासन कर सकत ह ऐसा करन क िलए नाम-जप कर

धयान कर िकसी आतमिन सत का पावन सािननधय ा कर सब तरह स िनभरय एव सनन बनन का यह ौ साधन ह

िवन बनो िनरहकारी बनो अपन आपको बड़ा बतान की च ा न करो िवनता एव

िनरािभमानता ही तमह बड़ा बनायगी िवनता मनय का बहत बड़ा भषण ह िनमरल दि रखो िकसी क दोष दखना यह बहत बड़ा दगरण ह िछिानवषी न बनो

दसरो क दोष दखना पाप अजरन करना ह गणमाही बनो

ॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐ

अनबम

  • मगलमय जीवन-मतय
  • मतय क परकार
  • मतय भी जीवन क समान आवशयक
  • सिकनदर न अमत कयो नही पिया
  • बिना मतय को जान जीवन जीवन नही
  • मतय किसकी होती ह
  • भगवान शरीराम और तारा
  • मतयः कवल वसतर परिवरतन
  • फकीरी मौतः आननदमय जीवन का दवारः
  • यमराज और नचिकताः
  • सचच सत मतय का रहसय समझात ह
  • मतयः एक विशरानति-सथानः
  • वासना की मतय क बाद परम विशरानति
  • धतराषटर का शोकः
  • घाटवाल बाबा का एक परसग
  • फकीरी मौत ही असली जीवन
    • फकीरी मौत कया ह
      • सकरात का अनभव
      • आधयातमविदयाः भारत की विशषताः
      • तीन परकार क लोगः
      • जञान को आय स कोई निसबत नही
      • योगसामरथयः एक परतयकष उदाहरण
      • योग भी साधना का आखिरी शिखर नही
      • गणातीत सत ही परम निरभयः
      • सतो का सनदशः
      • चितन पराग

बगीच म वही क वही पड़-पौध फल-प यो क तयो बन रह उनकी काट-छाट न की जाय नय न लगाय जाए उनको सवारा न जाय तो बगीचा बगीचा नही रहगा जगल बन जायगा बगीच म काट-छाट होती रह नय पौध लगत रह परान सड़-गल पपहीन ठठ िबनज री पौध हटा िदय जाय और नय सगिनधत नवजीवन और नवचतना स ओतोत पौध लगाय जाए यह ज री ह

अनबम

िसकनदर न अमत कयो नही िपया साट िसकदर िजस पीकर अमर हो जाए कभी मरना न पड़ ऐस अमत जल की खोज

म था नकशो क सहार िवजय करता हआ वह उस गफा म पहच भी गया िजसक अनदर अमतजल का झरना था गफा क बाहर ही उसन अपन सभी सिनको को रोक िदया और ःवय अकला बड़ उतसाह व सननता स आिहःत-आिहःत चौकनना होकर कदम बढ़ान लगा आज उसक जीवन की सबस बड़ी खवािहश परी होन जा रही थी उसका दय उछल रहा था थोड़ी ही दर अपन सामन परो क पास ही उसन दखाः चा दी सा त अमतजल धीमी-धीमी कल-कल छल-छल आवाज करता बह रहा ह उसका दय आननद स िखल उठा अब वह अपन को न रोक सका वह घटनो क बल नीच झका अपन दोनो हाथ पानी म डबोए

आहा कसा शीतल ःपशर उसकी सारी थकान उतर गई दोनो हाथो की अजली म उसन

वह जल भरा अजली को धीर-धीर मह तक लाया दय की धड़कन बढ़ी होठ सधापान करन को लालाियत हो उठ बस जल ओठो तक पहच ही गया था और वह पी ही लता िक इतन म -

खबरदार उस िनजरन गफा म िकसी की आवाज गज उठ च क कर िसकनदर न िसर ऊपर

उठाया दखा तो एक कौआ वहा बठा ह खबरदार िसकदर रक जाओ जलदी न करो जो भल मन की वह तम मत करो

मझ कोई साधारण कौआ मत समझना म कौओ का साट ह म भी तमहारी तरह बहत पिरौम म इस अमत की खोज करत-करत यहा तक पहचा ह और मन यह जल पी िलया ह परनत इस पीकर अब मसीबत म पड़ गया ह

ऐसी गमभीर घड़ी म यह िव न िसकदर को अचछा नही लगा िफर भी धीरज स वह

उसकी बात सनन लगा कौआ बोलाः

तमको जल पीना हो तो अवय िपयो िसकदर लिकन मरी बात परी सन लो यह जल

पीकर म अमर हो गया ह जो कछ जीवन म करन की इचछा थी वह सब म कर चका ह िजतना घमना था घम िलया सनना था सन िलया गाना था गा िलया खाना था खा िलया जो भी मौज करन की इचछा थी सब कर िलया अब करन क िलए कछ बचा ही नही अब यह जीवन मर िलय भार बन गया ह म अब मरना चाहता ह परनत मर नही सकता मरन क िलए पानी म कदा परनत पानी न मझ डबाया नही पहाड़ो पर स कदा िफर भी मरा नही आग की वालाओ म कदकर दखा उसन भी मझ जलाया नही तलवार की धार स मन गदरन िघसी परनत धार खराब हो गई गदरन न कटी यह सब इस अमतजल क कारण

सोचा था िक अमर होकर सखी होऊगा परनत अब पता चला िक मन मसीबत मोल ल

ली ह तमको यह जल पीना हो तो अवय िपयो म मना नही करता परनत मरी तमस िवनती ह िक यहा स जान क बाद मरन की कोई िविध का पता लग तो मझ अवय समाचार दना

थोड़ी दर क िलए गफा म नीरव शाित छा गई िसकदर क हाथ की उगिलया िशिथल हो

ग उनक बीच म स सारा अमतजल िगर कर पनः झरन म समा गया दसरी बार उसन झरन क जल म हाथ डालन की िहममत नही की मन ही मन िवचार करत हए वह उठ खड़ा हआ और पीछ मड़कर गफा क ार की ओर चल पड़ा आिहःत-आिहःत िबना अमतजल क िपय

यह घटना सच हो या झठ उसस कोई सरोकार नही परनत इसम एक तथय छपा हआ

ह िक िजतना जीवन ज री ह उतनी ही मौत भी ज री ह पिरवतरन होना ही चािहए

अनबम

िबना मतय को जान जीवन जीवन नही िजस जीवन क िलए अपनी लाश की सरकषा हत करोड़ो रपयो की वसीयत करक लोग

चल गय िजस जीवन को िटकाए रखन क िलए हम लोग भी अपार धन-समपि इक ठ करन म लग हए ह दसरो को दःखी करक भी जीवन क ऐश ETHआराम क साधन समह करन म हम लग हए ह वह जीवन िटक जान क प ात भी अमर हो जान क बाद भी कया हमको आननद द सकगा कया हम सखी हो सक ग यह जरा िवचार करन यो य ह मौत स मनय डरता ह परनत ऐसा जीवन भी कोई जीवन ह िजसम सदव मौत का भय बना रह जहा पग-पग मतय

का भय हम किमपत करता रह ऐसा नीरस जीवन भयपणर जीवन मौत स भी बदतर जीवन ह ऐसा जीवन जीन म कोई सार नही यह जीवन जीवन नही ह

यिद जीवन ही जीना ह यिद रसमय जीवन जीना ह यिद जीवन का ःवाद लत हए

जीवन को जीना ह तो मौत को आमिऽत करो मौत को बलाओ और होशपवरक मौत का अनभव करो जो सत मौत का अनभव कर चक ह उनका सग करक मौत की पोल को जान लो िफर तो आप भी मःत होकर उनकी तरह कह उठ गः

जा मरन त जग डर मोर मन आननद

अनबम

मतय िकसकी होती ह अभी तो िजस तम जीवन कहत हो वह जीवन नही और िजस तम मौत कहत हो वह

मौत नही ह कवल कित म पिरवतरन हो रहा ह कित म जो रहा ह वह सब पिरवतरन ह जो पदा होता िदख रहा ह वही न होता नजर आता ह िजसका सजरन होता िदखता ह वही िवसजरन की ओर जाता नजर आता ह पड़-पौध हो या खाइया हो सागर हो या मरःथल हो सब पिरवतरन पी सिरता म बह जा रह ह जहा नगर थ वहा वीरान हो गय जहा बिःतया थी वहा आज उलल बोल रह ह और जहा उलल बोल रह थ वहा बिःतया खड़ी ह जहा मरःथल थ वहा आज महासागर िहलोर ल रह ह और जहा महासागर थ वहा मरःथर खड़ ह बड़-बड़ ख डो की जगह पहाड़ खड़ हो गय और जहा पहाड़ थ वहा आज घािटया खाइया बनी हई ह जहा बड़ -बड़ वन थ वह भिम बजर और पथरीली हो गई और जो बजर थी पथरीली थी वहा आज वन और बाग-बगीचो क प म हिरयाली फली हई ह

चाद सफर म िसतार सफर म

हवाए सफर म दिरया क िकनार सफर म अर शायर वहा की हर चीज सफर म तो आप बसफर कस रह सकत ह

आप िजस शरीर को म मानत ह वह शरीर भी पिरवतरन की धारा म बह रहा ह

ितिदन शरीर क परान कोष न हो रह ह और उनकी जगह नय कोष बनत जा रह ह सात वषर म तो परा शरीर ही बदल जाता ह ऐसा वजञािनक भी कहत ह इस ःथल शरीर स सआम

शरीर का िवयोग होता ह अथारत सआम शरीर दह पी व बदलता ह इसको लोग मौत कहत ह और शोक म फट-फट कर रोत ह

अनबम

भगवान ौीराम और तारा भगवान राम न जब बाली का वध िकया तो बाली की प ी राम क पास आई और अपन

पित क िवयोग म फट-फट कर रोन लगी राम न उसको धीरज बधात हए कहाः

िकषित जल पावक गगन समीरा पच रिचत यह अधम शरीरा सो तन तव आग सोहा जीव िनतय त कहा लिग रोवा

ह तारा त िकसक िलए िवलाप कर रही ह शरीर क िलए या जीव क िलए

पचमहाभतो ारा रिचत शरीर क िलए यिद त रोती ह तो यह तर सामन ही पड़ा ह और यिद जीव क िलए रोती ह तो जीव िनतय ह वह मरता नही

मतयः कवल व पिरवतरन यिद वाःतव म मौत होती तो हजारो-हजारो बार होन वाली तमहारी मौत क साथ तम भी

मर चक होत आज तम इस शरीर म नही होत यह शरीर तो माऽ व ह और आज तक आपन हजारो व बदल ह अपना ई र कगाल नही ह िदवािलया नही ह िक िजसक पास दो चार ही व हो उसक पास तो अपन बालको क िलए चौरासी-चौरासी लाख व ह कभी चह का तो कभी िबलली का कभी दव का तो कभी गधवर का न जान िकतन-िकतन वश आज तक हम बदलत आय ह व बदलन म भय कसा

यही बात भगवान ौीकण न अजरन स कही हः

वासािस जीणारिन यथा िवहाय नवािन ग ाित नरोऽपरािण तथा शरीरािण िवहाय जीणारनयनयािन सयाित नवािन दही

ह अजरन त यिद शरीरो क िवयोग का शोक करता ह तो यह भी उिचत नही ह कयोिक

जस मनय परान व ो का तयागकर दसर नय व ो को महण करता ह वस ही जीवातमा परान शरीरो को तयाग कर दसर नय शरीरो को ा होता ह

(गीताः 222)

बालक की च डी (नकर) फटन पर उसकी मा उसको िनकाल कर नई पहनाती तो बालक

रोता ह िचललाता ह वही बालक बड़ा होता ह पहल की चि डया छोटी पड़ जाती ह उनह छोड़ता ह बड़ी पहनता ह िफर वह भी छोड़कर पनट पाजामा या धोती आिद पहनता ह ऐस ही परमातमा की सतान भी यो- यो बड़ी होती ह िवकिसत होती ह तयो-तयो उस पहल स अिधक यो य ददीपयमान नय शरीर िमलत ह जीव-जतओ स िवकिसत होत-होत बनदर गाय और आिखर मनय दह िमलती ह मनय िदवय कमर कर स वगण-धान बन तो दव गधवर की योिन िमलती ह उसका ःवभाव रजस धान हो तो वह िफर मनय बनता ह और यिद तामसी ःवभाव रखता ह तो पनः हलकी योिनयो म जाता ह उस मानव को यिद ई र भि क साथ कोई समथर सदगर िमल जाय उस आतमधयान आतमजञान की भख जग वह गरकपा पचा ल तो वही मन य चौरासी क चब म घमन वाला जीव अपन िशवःवभाव को जानकर तीनो गणो स पार हो जाय परमातमा म िमल जाय

व पिरवतरन स भय कसा व बदलन वाला तो कभी भी मरता नही वह अमर ह और पिरवतरन कित का ःवभाव ह तो िफर मौत ह ही कहा यही बात समझात हए गीता म भगवान ौी कण कहत ह अजरन स िक तमह भय िकस बात का ह

हतो वा ापःयिस ःवग िजतवा वा भोआयस महीम

यिद य म शरीर छट गया तो ःवगर को ा करोग और यिद जीत गय तो पथवी का

रा य भोगग (सभी ौोतागण तनमयता स जीवन मतय पर मीमासा सन रह ह ःवामी जी कछ कषण

रककर सभी पर एक रहःयमय दि फ कत ह वातावरण म थोड़ी गमभीरता छाई हई जानकर करत ह)

फकीरी मौतः आननदमय जीवन का ारः आप लोग उदास तो नही हो रह ह न आपको मौत का भय तो नही लग रहा ह न

अभी कवल जीवन पर बात ही चल रही ह िकसी की मौत नही आ रही ह (यह सनकर सभी िखलिखलाकर हस पड़त ह ःवामी जी फकीर मःती म आग कहत

ह)

अर मौत तो इतनी पयारी ह िक उस यिद आमिऽत िकया जाय तो आननदमय जीवन क ार खोल दती ह

एक जवान साध था घमत-घमत वह नपाल क एक पहाड़ की तलहटी म जा पहचा वहा

उसन दखा एक व सत एक िशला पर बठ ह शाम का समय ह सरज िछपन की तयारी म ह उन सत न उस जवान साध को तो दखा तो बोलः

मर परो म इतनी ताकत नही िक अभी म ऊपर पहाड़ पर चढ़कर अपनी गफा तक पहच सक बटा तम मझ अपन कध पर चढ़ाकर गफा तक पहचा दो

यवा साध भी अलमःत था उसन सत को अपन कध पर िबठा िलया और चल पड़ा

उनकी गफा की ओर चढ़ाई बड़ी किठन थी परनत वह भी जवान था चढ़ाई चढ़ता रहा काफी ऊपर चढ़ चकन पर उसन सत स पछाः

गफा अभी िकतनी दर ह

बस अब थोड़ी दर ह चलत-चलत काफी समय हो गया साध पछता रहा और व सत कहत रहः बस अब

थोड़ी ही दर ह मामा का घर िजतना दर िदया िदख उतना दर ऐसा करत-करत रात को यारह बज क करीब गफा पर पहच साध न व सत को कध स नीच उतारा और बोलाः

और कोई सवा

सत उसकी सवा स बड़ सनन थ बोलः बटा तमन बड़ी अचछ सवा की ह बोल अब तझ कया परःकार द वह दख

सामन तीन-चार भर हए बोर रख ह उसम स िजतना उठा सको उतना उठा ल जाओ यवा साध न जाकर बोरो को छकर दखा अनमान लगाया शायद र ी कागजो स भर हए

ह िफर धयान स दखा को अनमान गलत िनकला व बोर नपाली नोटो स भर हए थ उसन अनमन मन स उनको दखा और उलट परो लौट पड़ा सत की ओर सत न पछाः

कयो माल पसनद नही आया व सत पहच हए योगी थ अपन योगबल ारा उनहोन नोटो क बडलो स भर बोर

उतपनन कर िदय थ उनको ऐसी आशा थी िक वह यवा साध अपनी सवा क बदल इस परःकार स खश हो जायगा परनत वह यवा साध बोलाः

ऐसी सब चीज तो म पहल ही छोड़ आया ह इनस कया जीवन की रकषा होगी इनस कया जीवन का रहःय समझ म आएगा इनस कया मौत जानी जा सकगी कया म इनही चीजो क िलए घर बार छोड़कर दर-दर भटक रहा ह जगलो और पहाड़ो को छान रहा ह य सब तो न र हऔर अगर सतो क पास भी न र िमलगा तो िफर शा त कहा स िमलगा

अनबम

यमराज और निचकताः निचकता भी यमराज क सममख ऐसी ही माग पश करता ह कठोपिनषद म निचकता

की कथा आती ह निचकता कहता ह यमराज सः ह यमराज कोई कहता ह मतय क बाद मनय रहता ह और कोई कहता ह नही रहता ह इसम बहत सदह ह इसिलए मझ मतय का रहःय समझाओ तािक सतय कया ह यह म जान सक परनत यमराज निचकता की िजजञासा को परखन क िलए पहल भौितक भोग और वभव का लोभ दत हए कहत ह -

शतायषः पऽपौऽानवणीव बहनपशनहिःतिहरणयम ान भममरहदायतन वणीव ःवय च जीव शरदोयाविदचछिस

ह निचकता त सौ वषर की आयय वाल पऽ-पौऽ बहत स पश हाथी-घोड़ सोना माग

ल पथवी का िवशाल रा य माग ल तथा ःवय भी िजतन वषर इचछा हो जीिवत रह

(वललीः 123) इतना ही नही यमराज आग कहत ह- मनयलोक म जो भोग दलरभ ह उन सबको ःवचछनदतापवरक त माग ल यहा जो रथ

और बाजो सिहत सनदर रमिणया ह व मनयो क िलए दलरभ ह ऐसी कािमनयो को त ल जा इनस अपनी सवा करा परनत ह निचकता त मरण समबनधी मत पछ

िफर भी निचकता इन लोभनो म नही फसता ह और कहता हः य सब भोग सदव रहन वाल नही ह और इनको भोगन स तज बल और आयय कषीण

हो जात ह मझ य भोग नही चािहए मझ तो मतय का रहःत समझाओ

अनबम

सचच सत मतय का रहःय समझात ह ठ क इसी कार वह यवा साध उन व सत स कहता हः मझ य नोटो क बडल नही

चािहए आप यिद मझ कछ दना ही चाहत ह तो मझ मौत दीिजए म जानना चाहता ह िक मौत कया ह मन सना ह िक सचच सत मरना िसखात ह म उस मौत का अनभव करना चाहता ह

वःततः सत मरना िसखात ह इसीिलए तो लोग रोत हए बचचो को चप करान क िलए

कहत ह - रो मत चप हो जा नही तो वह दख बाबा आया ह न वह पकड़कर ल जायगा भल ही लोग अजञानतावश बाबाओ अथवा सतो स बचचो को डरात हए कहत ह िक व ल जायग परनत िजनको सचच सत ल जात ह अथवा जो उनका हाथ पकड़ लत ह व तर जात ह सचच सत उनको सब भयो स म कर दत ह और उनको ऐस पद पर िबठा दत ह िक िजसक आग ससार क सार भोग-वभव धन-समपि पऽ-पौऽ यश-ित ा सब तचछ भािसत होत ह परनत ऐस सचच सत िमलन दलरभ ह और दढ़ता स उनका हाथ पकड़न वाल भी दलरभ ह िजनहोन ऐस सतो का हाथ पकड़ा ह व िनहाल हो गय

उस यवा साध न भी ऐस ही सत का हाथ पकड़ा था मौत को जानन की उसकी बल

िजजञासा को दखकर व व सत बोल उठः अर यह कया मागता ह यह भी कोई मागन की चीज ह ऐसा कहकर उनहोन यवा साध को थोड़ी दर इधर-उधर की बातो म लगाया और मौका दखकर उसको एक तमाचा मार िदया यवक की आखो क सामन जस िबजली चमक उठ हो ऐसा अनभव हआ और दसर ही कषण उसका ःथल शरीर भिम पर लट गया उसका सआम शरीर दह स अलग होकर लोक-लोकानतर की याऽा म िनकल पड़ा लोग िजसको मतय कहत ह ऐसी घटना घट गई

ातःकाल हआ रात भर आननदमय मतय क ःवाद म डब हए उस यवा साध क ःथल

शरीर को िहलाकर व सत न कहाः बटा उठ सबह हो गई ह ऐस कब तक सोता रहगा यवा साध आख मलता हआ सननवदन उठ बठा िजसको मतय कहत ह उस मतय को

उसन दख िलया अहा कसा अदभत अनभव उसका दय कतजञता स भर उठा वह उठकर फकीर क चरणो म िगर पड़ा

लोग कहत ह िक मरना दःखद ह और इसीिलए मौत स डरत ह िजनको ससार म मोह

ह उनक िलए मौत भयद ह परनत सतो क िलए मोह रिहत आतमाओ क िलए ऐसा नही ह

अनबम

मतयः एक िवौािनत-ःथानः मौत तो एक पड़ाव ह एक िवौािनत-ःथान ह उसस भय कसा यह तो कित की एक

वयवःथा ह यह एक ःथानानतर माऽ ह उदाहरणाथर जस म अभी यहा ह यहा स आब चला जाऊ तो यहा मरा अभाव हो गया परनत आब म मरी उपिःथित हो गई आब स िहमालय चला जाऊ तो आब म मरा अभाव हो जायगा और िहमालय म मरी हािजरी हो जायगी इस कार म तो ह ही माऽ ःथान का पिरवतरन हआ

तमहारी अवःथाए बदलती ह तम नही बदलत पहल तम सआम प म थ िफर बालक

का प धारण िकया बालयावःथा छट गई तो िकशोर बन गय िकशोरावःथा छट गई तो जवान बन गय जवानी गई तो व ावःथा आ गई तम नही बदल परनत तमहारी अवःथाए बदलती ग

हमारी भल यह ह िक अवःथाए बदलन को हम अपना बदलना मान लत ह वःततः न

तो हम जनमत-मरत ह और न ही हम बालक िकशोर यवा और व बनत ह य सब हमारी दह क धमर ह और हम दह नही ह सतो का यह अनभव ह िकः

मझ म न तीनो दह ह तीनो अवःथाए नही मझ म नही बालकपना यौवन बढ़ापा ह नही जनम नही मरता नही होता नही म बश-कम म ह म ह ितह काल म ह एक सम

मतय नवीनता को जनम दन म एक सिधःथान ह यह एक िवौाम ःथल ह िजस

कार िदन भर क पिरौम स थका मनय रािऽ को मीठ नीद लकर दसर िदन ातः नवीन ःफितर लकर जागता ह उसी कार यह जीव अपना जीणर-शीणर ःथल शरीर छोड़कर आग की याऽा क िलए नया शरीर धारण करता ह परान शरीर क साथ लग हए टी बी दमा कनसर जस भयकर रोग िचनताए आिद भी छट जात ह

वासना की मतय क बाद परम िवौािनत ःथल शरीर स सआम शरीर का िवयोग िजसको मतय कहा जाता ह वह िवौाम-ःथल तो

ह परनत पणर िवौाित उसम भी नही ह यह फकीरी मौत नही ह फकीरी मौत तो वह ह िजसम सारी वासनाए जड़ सिहत भःम हो जाए भीतर यिद सआम वासना भी बची रही तो जीव िफर स नया शरीर धारण कर लगा और

िफर स सख-दःख की ठोकर खाना चाल कर दगा िफर स वहीः

पनरिप जनन पनरिप मरण पनरिप जननी जठर शयनम

अनबम

धतरा का शोकः करकषऽ क य म दय धन सिहत जब सार पऽ मार गय तो धतरा खब दःखी हए और

िवदर स कहन लगः कण और पाडवो न िमलकर मर सब पऽो का सहार कर िदया ह इसका दःख मझस सहन नही होता एक एक कषण वयतीत करना मझ वष जसा लमबा लग रहा ह

िवदर धतरा को समझात हए कहत ह - जो होना होता ह वह होकर ही रहता ह आप

वयथर म शोक न करो आतमा अमर ह उसक िलए मतय जसी कोई चीज नही ह इस शरीर को छोड़कर जो जाता ह वह वापस नही आता इस बात को समझकरः राम राख तम रिहय ह भाई शोक न करो

परनत धतरा का शोक कम नही हआ वह दढ़तापवरक कहन लगाः तम कहत हो वह

सब समझता ह िफर भी मरा दःख कम नही हो ता मझ अपन पऽो क िबना चन नही पड़ रहा ह पलभर को भी िच शात नही रहता

अजञानी सोचता ह िक िजस कार म चाहता ह उसी कार सब हो जाय तो मझ सख

हो यही मनय का अजञान ह शा और सतो का िकतना ही उपदश सनन को िमल जाय तो भी वह अपनी मानयताओ

का मोह सरलता स छोड़न को तयार नही होता िवदर का धमरय उपदश धतरा को सानतवना नही द सका धतरा शा ो स िबलकल अनिभजञ था ऐसी बात नही थी िफर भी उसका शा जञान उस पऽो क मोह स म नही कर सका

अनबम

घाटवाल बाबा का एक सग हिर ार म घाटवाला बाबा क नाम स िस एक महान सत रहत थ बहत सीध -साद

और सरल कमर म कतान (टाट) लपट रहत थ ऊपर स िदखन म िभखारी जस लगत मगर भीतर स साट थ उनक पास एक वयि आया और बोलाः महाराज मझ शाित चािहए

महाराज न पहल उस धयान स दखा िफर कहाः शाित चािहए तो तम गीता पढ़ो

यह सनकर वह च ककर बोलाः गीता गीता तो म िव ािथरयो को पढ़ाता ह म कालज म ोफसर ह गीता मरा िवषय ह गीता म कई बार पढ़ चका ह उस पर तो मरा काब ह

महाराज बोलः यह ठ क ह अब तक तो लोगो को पढ़ाकर पसो क लाभ क िलए गीता

पढ़ी होगी अब मन को िनयिऽत करक शाित लाभ क िलए पढ़ो लोग शा ो म स सचनाए और जानकािरया इक ठ करक उस ही जञान मान लत ह

दसरो को भािवत करन क िलए लोग शा ो की बात करत ह उपदश दत ह परनत उनह अपन आपको कोई अनभित नही होती मतय क िवषय म भी लोग िव तापणर वचन कर सकत ह मतय स डरन वालो को आ ासन और धयर द सकत ह परनत मौत जब उनही क सममख साकषात आकर खड़ी होती ह तो उनकी रग -रग काप उठती ह कयोिक उनको फकीरी मौत का अनभव नही

कई लोग कहत ह िक जीवन और मौत अपन हाथ म नही ह परनत यह उनक िलए

ठ क ह िजनको आधयाितमक रहःय का पता नही जो ःवय को शरीर मानत ह दीन-हीन मानत ह परनत योगी जानत ह िक जीवन और मतय इन दोनो पर मनय का अिधकार ह इस अिधकार को ा करन की तरकीब भी व जानत ह कोई िहममतवान जानन को ततपर हो तो व उस बता भी सकत ह व तो खललमखलला कहत ह िक यिद रोत-कलपत हए मरना हो तो खब भोग-भोगो िकसी की परवाह न करत हए खब खाओ िपयो और अमयारिदत िवषय-सवन करो ऐसा जीवन आपको अपन आप मौत की ओर शीयता स आग बढ़ा दगा परनत

यिद मौत पर िवजय ा करनी हो जीवन को सही तरीक स जीना हो तो योिगयो क

कह अनसार करो ाणायाम करो धयान करो योग करो आतमिचनतन करो और ऐसा कोई योगी डॉकटरो क सामन आकर दय की गित बनद करक बता दता ह तो वह बात भी लोगो को

बड़ी आ यरजनक लगती ह लोगो क टोल क टोल उसको दखन क िलए उमड़ पड़त ह परनत यह भी कोई योग की पराका ा नही ह

फकीरी मौत ही असली जीवन इितहास म जञान र महाराज और योगी चागदव का सग आता ह वह तो आप लोग

जानत ही होग चागदव न मतय को चौदह बार धोखा िदया था अथारत जब -जब मौत का समय आता तब-तब चागदव योग की कला स अपन ाण ऊपर चढ़ाकर मौत टाल िदया करत थ ऐसा करत-करत चागदव न अपनी उ 1400 वषर तक बढ़ा दी िफर भी उनको आतमशािनत नही िमली फकीरी मौत ही आतमशाित द सकती ह और इसीिलए चागदव को आिखर म जञान र महाराज क चरणो म समिपरत होना पड़ा

अनबम

फकीरी मौत कया ह

फकीरी मौत ही असली जीवन ह फकीरी मौत अथारत अपन अह की मतय अपन जीवभाव की मतय म दह ह म जीव ह इस पिरिचछनन भाव की मतय

ःथल शरीर स सआम शरीर का िवयोग यह कोई फकीरी मौत नही ह अगर वासना शष

हो तो सआम शरीर बार-बार ःथल शरीर धारण करक इस ससार म जनम-मरण क दःख पणर चककर म भटकता रहता ह

जब तक फकीरी मौत नही हो तब तक चागदव की तरह चौदह बार कया चौदह हजार

बार भी ःथल शरीर को बचाय रखा जाय तो भी परम शाित क िबना यह बकार ह लाबधवा जञान परा शाित आतमजञान स ही परम शाित िमलती ह इसी कारण चागदव को फकीरी मौत सीखन क िलए जञान र महाराज क पास आना पड़ा था 1400 वषर का िशय और 22 वषर क गर यही जञान का आदर करन वाली भारतीय सःकित ह जञान स उ को कोई समबनध नही ह

हम तो जीवन म पग-पग पर छोटी-मोटी पिरिःथितयो स घबरा उठत ह ऐसा भयभीत

जीवन भी कोई जीवन ह यह तो मौत स भी बदतर ह इसीिलए कहता ह िक असली जीवन जीना हो िनभरय जीवन जीना हो तो फकीरी मौत को एक बार जान लो

फकीरी मौत अथारत अपन अमरतव को जान लना फकीरी मौत अथारत उस पद पर आ ढ़ हो जाना जहा स जीवन भी दखा जा सक और मौत भी दखी जा सक जहा स ःप प स िदख िक सख-दःख आय और गय बालयावःथा यवावःथा और व ावःथा आई और गई परनत य सब शरीर स ही समबिनधत थ मझ तो व ःपशर तक नही कर सक म तो असग ह अमर ह मरा तो जनम भी नही मतय भी नही

सकरात का अनभव सकरात को जब जहर िदया जान लगा तो उसक िशय रोन लग कयोिक उनको यह

अजञान था िक सकरात अब बचग नही मर जायग सकरात न कहाः अर तम रोत कयो हो अब तक मन जीवन दखा अब मौत को दखगा यिद म मर

जाऊगा तो आज नही तो कल मरन ही वाला था इसिलए रोन की कया ज रत ह और यिद मरत हए भी नही मरा कवल शरीर स ही िछनन-िभनन हआ तो भी रोन की कया ज रत

सकरात न िबना िहचिकचाहट क राजी-खशी स जहर का पयाला पी िलया और िशयो स

कहाः दखो यह रोन का समय नही ह बहत ही महतवपणर बात समझन का समय आया ह

मर शरीर पर जहर का भाव होन लगा ह पर सनन होत जा रह ह घटनो तक जड़ता वया हो गई ह जहर का असर बढ़ता जा रहा ह मर पर ह िक नही इसकी अनभित नही हो रही ह अब कमर तक का भाग सवदनहीन बन गया ह

इस कार सकरात का सारा शरीर ठडा होन लगा सकरात न कहाः अब जहर क भाव स हाथ पर छाती जड़ हो गई ह थोड़ी ही दर म मरी िज ा भी

िनःपद हो जायगी उसस पहल एक मह वपणर बात सन लो जीवन म िजसको नही जान सका उसका अनभव हो रहा ह शरीर क सब अग एक क एक बाद एक िनःपद होत जा रह ह परनत उसस मझम कोई फकर नही पड़ रहा ह म इतना ही पणर ह िजतना पहल था शरीर स म ःवय को अलग असग महसस कर रहा ह अब तक जस जीवन को दखा वस ही अभी मौत को भी दख रहा ह यह मौत मरी नही बिलक शरीर की ह

अनबम

आधयातमिव ाः भारत की िवशषताः सकरात तो शरीर छोड़त-छोड़त अपना अनभव लोगो को बतात गय िक शरीर की मतय

यह तमहारी मतय नही शरीर क जात हए भी तम इतन क इतन ही पणर हो परनत भारत क ऋिष तो आिद काल स कहत आय ह-

शणवनत िव अमतःय पऽा

आ य धामािन िदवयािन तःयः वदाहमत परष महानतम

आिदतयवण तमसः परःतात तमव िविदतवाऽितमतयमित नानयः पनथा िव तऽयनाय

ह अमतपऽो सनो उस महान परम परषो म को म जानता ह वह अिव ा प अधकार

स सवरथा अतीत ह वह सयर की तरह ःवयकाश-ःव प ह उसको जानकर ही मनय मतय का उललघन करन म जनम-मतय क बधनो स सदव क िलए छटन म समथर होता ह परम पद की ाि क िलए इसक अितिर कोई दसरा मागर नही ह

( ता तरोपिनषद) यह कोई वद-उपिनषद काल की बात ह उस समय क ऋिष चल गय और अब नही ह

ऐसी बात नही ह आज भी ऐस ऋिष और ऐस सत ह िजनहोन सतय की अनभित की ह अपन अमरतव का अनभव िकया ह इतना ही नही बिलक दसरो को भी इस अनभव म उतार सकत ह रामकण परमहस ःवामी िववकाननद ःवामी रामतीथर महिषर रमण इतयािद ऐस ही त वव ा महापरष थ और आज भी ऐस महापरष जगलो म और समाज क बीच म भी ह यहा इस ःथान पर भी हो सकत ह परनत उनको दखन की आख चािहए इन चमरचकषओ स उनह पहचानना मिकल ह िफर भी िजजञास और ममकष वि क लोग उनकी कपा स उनक बार म थोड़ा सकत यह इशारा पा सकत ह

अनबम

तीन कार क लोगः ऐस सतो क पास तीन कार क लोग आत ह- दशरक िव ाथ और साधक

दशरक अथारत ऐस लोग जो कवल दशरन करन और यह दखन क िल ए आत ह िक सत कस ह कया करत ह कया कहत ह उपदश भी सन तो लत ह पर उसक अनसार कछ करना ह इसक साथ उनका कोई समबनध नही होता आग बढ़न क िलए उनम कोई उतसाह नही होता

िव ाथ अथारत व जो शा एव उपदश समबनधी अपनी जानकारी बढ़ान क िलए आत ह

अपन पास जो जानकारी ह उसम और वि होव तािक दसरो को यह सब सनाकर अपनी िव ा की छाप उन पर छोड़ी जा सक दसरो स सना याद रखा और जाकर दसरो को सना िदया जस ग स शानसपोटर कमपनी ाईवट िलिमटड- यहा का माल वहा और वहा का माल यहा लाना और ल जाना ऐस लोग भी त व समझन क मागर पर चलन का पिरौम उठान को तयार नही

तीसर कार क लोग होत ह साधक य ऐस लोग होत ह िक जो साधनामागर पर चलन

को तयार होत ह इनको जसा बताया ह वसा करन को पणर प स किटब होत ह अपनी सारी शि उसम लगान को ततपर होत ह उसक िलए अपना मान-सममान तन-मन-धन सब कछ होम दन को तयार होत ह सत क ित और अपन धयय क ित इनम पणर िन ा होती ह य लोग फकीर अथवा सत क सकत क अनसार लआय की िसि क िलए साहसपवरक चल पड़त ह

िव ाथ अपन वयि तव का ौगार करन क िलए आत ह जबिक साधक वयि तव का िवसजरन करन क िलए आत ह साधक अपन लआय की तलना म अपन वयि तव या अपन अह का कोई भी मलय नही समझत जबिक िव ाथ क िलए अपना अह और वयि तव का ौगार ही सब कछ ह अपनी िव ता म वि जानकारी को बढ़ाना वयि तव को और आकषरक बनाना इसी म उस सार िदखता ह त वानभित की तरफ उसका कोई धयान नही होता

यही कारण ह िक सतो क पास आत तो बहत लोग ह परनत साधक बनकर वही िटक

कर त व का साकषातकार करन वाल कछ िवरल ही होत ह

जञान को आय स कोई िनःबत नही िजसन फकीरी मौत को जान िलया हो अथारत िजस आतमजञान हो गया हो वह शरीर की

दि स कम उ का हो परनत उसक आग लौिकक िव ा म वीण और अिधक वय क सफद दाढ़ी-मछ वाल लोग भी बालक क समान होत ह इसीिलए योगिव ा म वीण 1400 वषर क चागदव को कम उवाल जञान र महाराज क चरणो म समिपरत होना पड़ा था ाचीन काल म ऐस कई उदाहरण दखन म आत ह

िचऽ वटतरोमरल व ाः िशया गरयरवा

गरोःत मौन वयाखयान िशयाःतिचछननसशयाः अथारत यह कसा विच य ह िक वटवकष क नीच यवा गर और व िशय बठ ह गर

ारा मौन वयाखयान हो रहा ह और िशयो क सब सशयो और शकाओ का समाधान होता जा रहा ह

अनबम

योगसामथयरः एक तयकष उदाहरण अपन मोटरा आौम म भी ऐस ही करीब स र वषर क सफद बाल वाल एक साधक ह

पहल डीसा म व एक सत क पास गय गय तो थ दशरक बनकर ही परनत सत की दि पड़त ही व दशरक म स साधक बन गय म कछ वषर पवर डीसा क आौम म था तब व मर पास आय थ पकी हई उ म भी व 18 वषर की उ की एक बाला क साथ बयाह रचान की तयारी म थ और आशीवारद मागन हत वहा आय थ उनको दखकर ही मर मह स िनकल पड़ाः

अब तमहारी शादी ई र क साथ कराएग यह सनकर उनको बड़ा आ यर हआ कयोिक न तो व मझ पहल स जानत थ और न ही

म उनह जानता था उस व उनका शरीर भी कसा था चरबी और कफ-िप स ठसाठस भरा हआ एकदम ःथल दमा आिद रोगो का िशकार डीसा म कपड़ क बड़ वयापारी थ धप म िबना छाता िलए दकान स नीच नही उतर पात थ कित ऐसी थी िक िकसी भी सत महातमा को नही गाठ और काम-वासना भीतर इतनी भरी हई थी िक आग की दो पि या शरीर छोड़ चकी थी िफर भी इस उ म तीसरी शादी करन को तयार थ प ी िबना एक िदन भी नही रह सकत थ

घर पहचन पर उनको पता चला िक उनक अनदर जो काम -िवकार का तफान आया था

वह एकदम शात हो गया ह भिवय म प ी बनन वाली उस कमारी क साथ एकात म अनक च ाए करक भी व उस काम-िवकार को पनः नही जगा सक इतना बल िवकार एकाएक कहा चला गया िफर उनको समझ म आया िक सत की ई रीय अहत की कपा उनम उतरी ह उनको सारा ससार सना-सना लगन लगा उनहोन तरनत ही उस कमारी यवती को कछ पय और कपड़ िदय और बटी कहकर रवाना कर िदया उसक बाद उनहोन आसन ाणायाम गजकरणी नित धोित आिद िबयाए सीख ली और िनयिमत प स करन लग इसस उनक शरीर क सार परान कफ-िप -दमा आिद दर हो गय और शरीर म स आवयकता स अिधक चब घटकर शरीर हलका फल जसा हो गया अब तो जवानो क साथ दौड़न की भी ःपधार करत

ह धयानयोग की साधना म उनहोन इतनी गित की ह िक उनको कई कार क अलौिकक अनभव हआ करत ह अपन सआम शरीर ारा व लोक -लोकानतर म घम आया करत ह

योग भी साधना का आिखरी िशखर नही यह भी साधना की कोई आिखरी भिमका नही ह सव चच िशखर नही ह यह भी सब

माया की सीमा म ही ह िफर चमर-चकषओ स दखो अथवा धयान म बठकर दखो कयोिकः

यद दय तद अिनतयम जो िदखता ह वह अिनतय ह जो िदख सो चालनहार चागदव भी योग म कशल थ

काल को कई बार धोखा द चक थ परनत माया को धोखा न द सक व भी साि वक माया म थ माया स पर नही थ

माया ऐसी ठिगनी ठगत िफरत सब दश जो ठग या ठिगनी ठग वा ठग को आदश

कोई िवरल सत ही इस माया को ठग सकत ह माया स पार जा सकत ह बाकी क

लोगो का तो यह माया न र म ही शा त का आभास करा दती ह अिःथरता म िःथरता िदखा दती ह ऐसी मोिहना माया क िवषय म ौी कण कहत ह-

दवी षा गणमयी मम माया दरतयया मामव य प नत मायामता तरिनत त

मरी यह अदभत िऽगणमयी माया का तरना अतयनत दकर ह परनत जो मरी शरण म

आत ह व तर जात ह (गीता)

अनबम

गणातीत सत ही परम िनभरयः ऐसी दःतर माया को जो सत अथवा फकीर तर जात ह और मौत की पोल जान जात ह

व कहत ह- एक ऐसी जगह ह जहा मौत की पहच नही जहा मौत का कोई भय नही िजसस मौत भी भयभीत होती ह उस जगह म हम बठ ह तम चाहो तो तम भी बठ सकत हो

तमहार म एक ऐसा चतन ह जो कभी मरता नही िजसन मौत कभी दखी ही नही जो जीवन और मौत क समय पिरवतरन को दखता ह परनत उन सबस पर ह

यिद घड़ म आया हआ चनिमा का ितिबमब घड़ क पानी को उबलता हआ जानकर यह

मान की म उबल रहा ह पानी िहल तो समझ िक म िहलता ह घड़ा फट गया तो समझ िक म मर गया तो यह उसका अजञान ह परनत उसको यह पता चल जाय िक पानी क उबलन स म नही उबलता पानी क िहलन स म नही िहलता म तो वह चनिमा ह जो हजारो घड़ो म चमक रहा ह िकतन ही घड़ टट -फट गय परनत म मरा नही मरा कछ भी िबगड़ा नही म इन सबस असग ह तो वह कभी दःखी नही होगा

इसी कार हम यिद अपन असगपन को जान ल अथारत म शरीर-मन-बि नही अिपत

आतमा ह- यह हम जान ल तो िफर िकतन ही दह पी घड़ बन और टट -िबखर िकतनी ही सि या बन और उनका लय हो जाय हमको कोई भय नही होगा कयोिक आतमा का ःवभाव हः

न जायत ियत वा कदािचननाय भतवा भिवता वा न भयः अजो िनतयः शा तोऽयपराणो न हनयत हनयमान शरीर

यह आतमा िकसी काल म भी न तो जनमता ह और न मरता ही ह तथा न यह उतपनन

होकर िफर होन वाला ही ह कयोिक यह अजनमा िनतय सनातन और परातन ह शरीर क मार जान पर भी यह नही मारा जाता

(भगवदगीताः 223) अनबम

सतो का सनदशः िजन सतो न यह रहःय जान िलया ह जो इस अमतमय अनभव म स गजर चक ह व

सब भयो स म हो गय ह इसीिलए व अपनी अनभविस वाणी म कहत ह- अपन आतमदव स अपिरिचत होन क कारण ही तम अपन को दीन-हीन और दःखी

मानत हो इसिलए अपनी आतम-मिहमा म जाग जाओ यिद अपन आपको दीन ही मानत रह तो रोत रहोग ऐसा कौन ह जो तमह दःखी कर सक तम यिद न चाहो तो दःख की कया मजाल ह िक तमह ःपशर भी कर सक अननत-अननत ाणड को जो चल रहा ह वह चतन तमहार भीतर चमक रहा ह उसकी अनभित कर लो वही तमहारा वाःतिवक ःव प ह

मनसर को सली पर चढ़ा िदया गया था परनत उनको सली का कोई भय नही था सली

का क उनको ःपशर भी नही कर सका कयोिक मनसर अपनी मिहमा म जग हए थ व यह जान चक थ िक म शरीर नही ह सली शरीर को लग सकती ह मझ नही इसिलए व हसत-हसत सली पर चढ़ गय थ

हम ही जानबझकर अपनी सननता की अपन सख-दःख की चाबी दसरो क हाथो म

स प दत ह कोई थोड़ा हस दता ह तो हम बोिधत हो उठत ह कोई थोड़ी शसा कर दता ह तो हषर स फल उठत ह कयोिक हम अपन को सीिमत पिरिचछनन शरीर या मन ही मान बठ ह

हम अपन वाःतिवक ःव प अपनी असीम मिहमा को नही जानत नही तो मजाल ह

िक जगत क सार लोग और ततीस करोड़ दवता भी िमलकर हम दःखी करना चाह और हम दःखी हो जाय जब हम ही भीतर स सख अथवा दःख को ःवीकित दत ह तभी सख अथवा दःख हमको भािवत करता ह सदव सनन रहना ई र की सव परी भि ह

ःवामी रामतीथर कहा करत थ िक कोई यिद तमहारी सननता छ नकर उसक बदल म

तमको ःवगर का फिरता भी बनाना चाह तो फिरतापद को ठोकर मार दो मगर अपनी सननता मत बचो

हम इस जीवन और मतय का कई बार अनभव कर चक ह सत कहत ह- तमहारा न तो जीवन ह और न ही मतय ह तम जीव नही तम िशव हो तम अमर

हो तम अननत अनािद सिचचदाननद परमातमा हो यिद इस जनम-मरण क खल स थक चक हो इनक खोखल पन को जान चक हो इसक असारपन स पिरिचत हो चक हो तो िकसी सत क सािननधय का लाभ उठाकर फकीरी मौत को जान लो िफर तमह कोई दःख कोई मतय भयभीत नही कर सकगी िफर िजस आना हो वह आव जाना हो वह चला जाव सख आव तो आन दो दःख आव तो आन तो जो आयगा वह जायगा तम द ा बनकर दखत रहो तम अपनी मिहमा म मःत रहो

मौत स भी मौत का भय बदतर ह भय म स ही सार पाप पदा होत ह भय ही मतय

ह लोग पछत ह- ःवामी जी आतम-साकषातकार हो जाता ह िफर उसक बाद कया होता

ह होता कया ह हम अपन ःव प म जाग जात ह उसक बाद हमस जो भी वि होती ह वह आननदमय ही होती ह ससार की कोई भी दःखपणर घटना हमको दःखी नही कर सकती

िफर यह शरीर रह या न रह हमार आननद म कोई अनतर नही पड़ता उस आननदःव प अपन आतमदव को जानना-यही जीवन का परम कतरवय ह परनत इस परम कतरवय की ओर मनय का धयान जाता नही और छोटी-मोटी तचछ वि यो म ही अटका रह जाता ह

हम कही याऽा म िनकलत ह तो राःत क िलए िटिफन भरकर भोजन साथ ल लत ह

भोजन स भी अिधक महतव पानी का ह परनत उसक िलए सोच लत ह िक चलो ःटशन पर भर लग घर स पानी लकर चलन की िचनता नही करत पानी स भी यादा ज री हवा ह उसक िबना तो एक िमनट भी नही चलता िफर भी हवा का कोई िसलनडर भरकर साथ नही लत कयोिक हम सब जानत ह िक वह तो सवरऽ ह इसिलए हवा क िलए हम कोई िचनता नही करत

हवा स कम ज री पानी क िलए पानी स कम ज री भोजन क िलए हम यादा िचनता करत ह उसी कार अपन आननदःव प आतमा म जागन क परम कतरवय को छोड़कर कम महतव क ःथल शरीर क लालन पालन एव उसस सबिधत वयवहार को सभालन म ही हम लग रहत ह शरीर असत जड़ और दःख प ह उसको चलान वाला सआम भतो स िनिमरत सआम शरीर ह उसको भी चतन स ा दन वाला सत-िचत-आननदःव प आतमा ह इस आननद-ःव प आतमा को असत-जड़ दःख प और मरणधमार समझकर जीवनभर मौत क भय स भयभीत बन रहत ह

अनत परमातमा म न तो उतथान ह न पतन न जनम ह न मरण वहा तो सब एकरस

ह हम ही मोहवश अपना ससार खड़ा कर लत ह और एक दसर क साथ सबध बनाकर अपन को जानबझकर बधन म डाल दत ह

एक सत क पास एक स जन का पऽ आया उसम िलखा थाः ःवामी जी आपक

आशीवारद स हमार यहा पऽ का जनम हआ ह सत न उ र म उस िलखा िकः तम झठ बोलत हो िफर जब स जन सत क पास गया तब कहा िकः ःवामी जी म सच कहता ह मर यहा पऽ का जनम हआ ह इस पर सत न िफर स कहा िकः तम झठ बोलत हो यह सनकर उन स जन को बड़ा आ यर हआ वह िवःफािरत नऽो स सत की ओर दखन लगा तब सत न कहाः

पऽ का जनम नही हआ िपता का जनम हआ ह माता का जनम हआ ह काका-मामा

का जनम हआ ह पऽ को तो खबर ही नही ह िक मरा जनम हआ ह और म िकसी का पऽ भी ह परनत हम उस पर सार समबनध आरोिपत कर दत ह

वःततः पचभतो म कोई आकार बना ह उस पऽ का नाम द िदया समय आन पर यह आकार िबखर जायगा यह आकार बन उसम हषर और यह आकार िबखर जाय उसम शोक कसा भय कसा

िजस शरीर को हम म मानत ह उसकी कित तो दखो िपया तो था अमत जसा

मीठा जल और िनकाला मऽ प म गदा पानी खाय तो थ मोहनथाल दधपाक छपपन भोग पर बन गया सब िव ा प शरीर का सग करन पदाथर की ऐसी अवःथा बन जाती ह सत-िचत-आननदःव प आतमा भी अपन को भलकर शरीर क साथ एक होकर ःवय को म शरीर मान लती ह और दीन हीन एव दःखी बन जाती ह परनत जब वह अपन आपम जाग जाती ह तब अपन को दवो का दव अनभव करती ह

यिद हमन शरीर क साथ अहबि की तो हम म भय वया हो ही जायगा कयोिक शरीर

की मतय िनि त ह उसका पिरवतरन अवयभावी ह उसको तो ःवय ाजी भी नही रोक सकत परनत यिद हमन अपन आतमःव प को जान िलया ःव प म हमारी िन ा हो गई तो हम िनभरय हो गय कयोिक ःव प की मतय होती नही मौत भी उसस डरती ह

ःवामी अखणडाननद सरःवती एक बार रल क तीसर दज म याऽा कर रह थ व यह

जानना चाहत थ िक तीसर दज म लोगो ारा िकय जान वाल मान-अपमान का भाव उनक िदल पर होता ह िक नही आतमिनरीकषण स उनह पता चला िक भाव तो होता ह यह बात उनहोन ौी उिड़या बाबा को बतायी उिड़या बाबा न कहाः

तम बठत ही कचर क ढर पर हो आशा करत हो िक मझ पर कोई कचरा न फ क मझ

कचर की दगरनध न आव यह कस हो सकता ह तम बठत हो शरीर म और आशा रखत हो िक मान-अपमान का असर न हो ःवय को शरीर माना तो मान-अपमान सख-दःख होगा और जनम-मतय भी होगी

वदानत क रहःय को समझना यह कोई ि यो का काम नही ह ी अथारत कित क

शरीर क म मानकर जीनवाला एक बार राजा जनक िव ानो की सभा म बठ थ उस सभा म गाग आई वह िबलकल

िदगमबर (न न) थी ऐसी अवःथा म सभा म गाग का वश पिडतो को रचा नही इसिलए उनहोन नाक-भ िसकोड़ िलया परषो स भरी सभा म एक न न ी

गाग बोलीः ऐ पिडतो नाक भ कयो िसकोड़त हो

पिडतो न कहाः तम एक अबला ऐसी अवःथा म परषो की सभा म जो आई हो

गाग तरनत बोलीः कौन कहता ह िक म अबला ह म सबला ह अबला तो तम हो जो अपना रकषक बाहर ढढत हो म अपना रकषक आप ह म यह शरीर नही ह म तो सत -िचत-आननदःव प आतमा ह म अपन आपको जानती ह

िजसको जानकर गाग िनभरय बन गई थी उस आननदःव प अपन आतमदव को जो

जान लता ह उसी म िःथत हो जाता ह वह जीवन और मौत दोनो स पर दोनो का द ा बन जाता ह उस िफर कोई भय नही रहता वह सदव आननद म मःत रहता ह

मरो मरो सब कोई कह मरना न जान कोई एक बार ऐसा मरो िक िफर मरना न होई

मगलमय जीवन मगलमय िववाह मगलमय सबध उस परम मगल चतनय क कारण ही

हो सकत ह न िक शि शरीर क बा प-रग पर िवमोिहत होन स महाराज जी क पास आकर एक मिहला कहन लगीः मर पित ःवगरःथ हो गय ह

उनका िवयोग सहा नही जाता ऐसा कोई उपाय बताओ िक उनका िहत हो और मझ शाित िमल

दसरा एक वयि आया और बोलाः मरी प ी मझ अकला छोड़कर चल बसी ह

तीसर न कहाः मरा बटा ःवगरःथ हो गया ह उसकी मीठ याद आती ह मर मन म आता ह िक उसक पीछ म भी आतमहतया करक मर जाऊ बाबा जी शािनत का कछ उपाय बताइय

महाराज जी न कहाः ह भि मिहला पित की याद आय तो उनह खब आदरपवरक कहोः

मरणधमार शरीर म होत हए भी आप अमर थ शरीर क मरन पर भी आप नही मर दह न र ह आप शा त हो चतनय हो आप परम र का अिवनाशी अश हो जनम-मतय आपका धमर नही ह पाप-पणय आपका कमर नही ह आप अजर हो श ब हो हम परःपर पािथरव शरीर की ीित करक मोह म सड़ रह थ िवकारो म दब रह थ अब पािथरव शरीर की ीित स म होकर अपािथरव आतमा म िःथत हो जाओ

वह शादी बरबादी म बदल जाती ह िजसम एक दसर क शरीर को पयार करत ह वह

मगलमय शादी आबादी की ओर ल जाती ह जहा प ी पित को पित प ी को पऽ िपता को िपता पऽ को शरीर क प म नही अिपत शरीरो क आधार श चतनयःव प म दख परःपर अपन चतनयःव प की याद िदलाव और रणा द

ह भि मिहला अपन पित को याद करक उनक जीवातमा को यह रणा दो इसस

उनकी भी उननित होगी और तमहारी उननित होगी ऐसा िचनतन करो िकः ह चतनयःव प मर आतमन शरीर को पाच भत क पतल

को तयागन क बाद भी आपका अिःततव ह आप आतमा हो परम र हो अमर हो चतनय हो शा त हो

इसी कार अपनी प ी को और ःवगरःथ पऽ पिरवार को ःमरण करक उनको उननत

करो और आप भी उननत बनो जीत-जी भी परःपर इसी भाव स उननत करो मतय मगलमय हो जाय ऐसा वातावरण बनाओ

जो वयि मतय को ा हो चक ह उनक ौा ो क िदनो म तथा ःमरण क व उनह

सझाव दो िकः जनम-मतय तमहारा धमर नही था पाप-पणय तमहारा कमर नही था तम अजर

अिवनाशी िनलप शा त सनातन नारायण क अश हो अतः अपन परम र ःवभाव को सभालो ःमरण करो

अपन पित प ी पऽ का नाम लकर कहो िकः तम वही हो सचमच म वही हो जो

मरन क बाद भी नही मरता ॐॐॐ तम चतनय आतमा हो ॐॐॐ शा त परम र हो ॐॐॐ अिवनाशी परमातमा हो ॐॐॐ

पथवी पर क ःवपन तलय सबधो का ःमरण करक तम नीच न िगरो अिपत आतमा-

परमातमा क सबध को याद करत हए अपना ऐिहक जीवन मगलमय बनाओ ससार स कच करक जाओ उस समय तमहार कटमबी आतमा परमा तमा की एकता और अमरता तमहारी िनतयता और म ता का ःमरण तमह अत समय म करा द ऐसी वयवःथा करो

कोई चल बसन वाल हो या चल बस हो उनको याद करक उनकी ओर िदवय िवचार

अमर आतमा का सनदश भजो इस कार तम उ म सवा कर सकत हो और जीिवतो को जीवनदाता म जगा सकत हो दोनो इस कार परःपर सहायता करोग और पाओग

टिलफोन पर अपन दर क सबधी स हम जब बात करत ह तो उस यऽ म स आन वाली

धविन अपन सबधी की होती ह ऐस ही शरीर पी यऽो स जो कछ ःनह सातवना सहानभित म या काश हम पात ह वह भीतर वाल परम र का ही होता ह उनको या उनक िचऽो को

दखो तो उन िचऽो क पीछ खड़ उस शा त सतय को परम िमऽ को पयार करो और उनह भी याद िदलाओ िकः ह शा त आतमा ह परातन ह अिवनाशी नाशवान ससार और शरीर बदलत ह लिकन तम अबदल आतमा हो ॐॐॐ

बचपन बदल गया यौवन बदल गया बढ़ापा बदल गया शरीर बदल गया िफर

तम भी हो तम वह अमर आतमा हो िजस पर काल का भी कोई भाव नही चलता ह अकाल आतमा अपनी मिहमा म जागो इस कार क िवचार भजन स मगल करोग और मगल को पाओग जीवन मगलमय होन

लगगा मतको की मतय भी मगलमय हो जायगी मगल भवन अमगलहारी िवचारो को सदव एक दसर क ित सािरत करो ॐ आननद

आननद आननद रोत चीखत मोहमाया म पड़कर उनको याद करत हो तो उनका और अपना सतयानाश

करत हो उनको नीच िगरात हो उनकी आतमा को भटकात हो अपन को तचछ बनात हो अमागिलक िवचारो को कतई ःफिरत न होन दो सदव मगलमय िवचार हो जायगा मगलमय जीवन मतय भी मगलमय हो जायगी ॐ ॐ ॐ

ॐॐॐॐॐॐॐॐ जीवन और मतय आतमा-परमातमा को पान क दो पहल ह रात क बाद िदन िदन क

बाद रात होती ह इसी तरह जीवन और मतय चोल बदलत हए अनभवो स गजरत हए अपन आतमःव प को ःव प को पान क िलए मगलमयी अवःथा ह

िदन िजतना पयारा ह रात भी उतनी ही आवयक ह जीवन िजतना पयारा ह मतय भी

उतनी ही आवयक ह मतय मान आतमिशव क मिनदर म जान क िलए ऊची सीिढ़या मतय मान मा की गोद म बालक सो गया और उमा शि ताजगी ःफितर पाकर िफर सबह खलता ह मतय मान मा की गोद म थकान िमटान को जाना िफर नया तन ा करक अपनी मगलमय याऽा करना

त वदि स दखा जाय तो यह जीवन-मतय की याऽा कित म हो रही ह तमह

परमातमाःव प म जगान क िलए गीता म भगवान ौी कण कहत ह-

न जायत ियत वा कदािचननाय भतवा भिवता वा न भयः अजो िनतयः शा तोऽयपराणो न हनयत हनयमान शरीर

त वतः यह आतमा न कभी जनमता ह और न मरता ह न यह उतपनन होकर िफर होन

वाला ही ह यह जनमरिहत िनतय िनरनतर रहन वाला शा त और परातन अनािद ह शरीर क मार जान पर भी वह नही मारा जाता

(गीताः 220) शव की ःमशानयाऽा म मटका ल जात ह फोड़ दत ह यह याद िदलान क िलए िक दह

मानो मटका ह इस मगलमय मतय को पीछ िव ल होन की आवयकता नही ह यह मटका सवा करन क िलए िमला था जीणर-शीणर हआ टट गया िफर नया िमलगा मगलमय आतमा-परमातमा की ाि तक यह मगलमय जनम-मरण की याऽा तो चलती ही रहगी इसम िव ल होकर रोना-चीखना िनरा मोह ह अगर इस मोह को पोसा जाय और िकसी की मतय न हो तो ससार महा नरक हो जायगा माली अगर बगीच म काट-छाट न कर तो बगीचा बगीचा ही न रहगा अिपत भयानकर जगल हो जायगा

स ा न मतय का मगलमय िवधान न बनाया होता तो आदमी म तयाग सवा नता क

सदगण ही नही िखलत सब अमर होकर अिड़यल की तरह उलझ रहत रािऽ स अरणोदय अरणोदय स िफर मगलमयी रािऽ की अिनवायर आवयकता ह िवराट

की यह चणड बीड़ा तमह अपन िवराट ःवभाव म जगान क िलए आवयक ह मतय मान महायाऽा महाःथान महािनिा अतः जो मर गय ह उनकी याऽा मगलमय

हो आतमोननितद हो ऐसा िचनतन कर न िक अपन मोह और अजञान क कारण उनको भी भटकाए और खद भी परशान हो

कइयो की मतय बालयकाल म या यौवन म हो जाती ह जस मा न बचच को कपड़

पहनाए और नही जच उठा िलय िफर नय व ो स सजाया-धजाया अथवा यो कहो िक बचचा िखलौनो म रम जाता ह िखलौन नही छोड़ना चाहता परनत मगलमयी मा उस बलात उठा लती ह अपनी गोद म सलाती ह अपनी उमा सािननधय िवौािनत स उस प करक िफर नतन भात को उस खलन क िलए बीडागन म भज दती ह ऐस ही जीवातमा का बीडागन ससार ह अतः अनक शरीर बदलत हए अबदल की मगलमय याऽा करन क िलए जीवन और मतय को मगल िवधान समझकर ई र की हा म हा करत हए अपनी याऽा उननत कर

ॐॐॐ

ॐॐॐॐॐॐॐॐ

अनबम

िचतन पराग ई र का बनाया हआ त भल ही बना रह उसको िमथया समझ लन माऽ स का

बोध हो सकता ह साधक का काम त को िमथया समझन स ही चलता ह इचछाओ की ति का उपाय एक ही ह िक इचछाए तयाग दी जाए िजस िववकी न इस

जगत को सपन या इनिजाल क समान समझ िलया ह िजस दय न प म िदखन लगा ह वह दोषदश िववकी भला बताओ इसम अनराग कस कर

जञानी जागरण को सतय समझना छोड़ दन पर िफर पहल की भाित अनर नही होता

जञानी तयक वःत को अपना आतमा समझता ह मद की कलपना को बार-बार मन म लाना काम-वासना स म होन का सव म उपाय

बताया गया ह मद को पड़ हए दखकर मन घबरान लगता ह पिरणाम की कयो परवाह करत हो अपनी तनखवाह क बार म कभी िफब मत करो

अजञानी लोग समझत ह िक कायर की सफलता म कायर करन की अपकषा अिधक आननद ह इन अनधो को यह मालम ही नही ह िकसी पिरणाम स उतना सख नही िमलता िजतना काम करन स िमलता ह

अपन िवचारो को सदा वाःतिवक आतमा म रखो और पिरिःथितयो की परवाह मत करो तब तक आपकी हािन नही हो सकती जब तक िक आप ःवय उस नही बलात तलवार

तब तक नही काट सकती जब तक आप यह न सोच िक यह काटती ह ऐ पणर तर िलए कोई कतरवय या कायर शष नही ह सारी कित सास रोक तरी

सवा क िलए खड़ी ह ससार तरी पजा करन का अवसर पाकर अपन को कतकतय करना चाहता ह कया त कित की शि यो को अपन चरणो म झकन का अवसर दगा

अपन भीतर सतय क काश को सदा चमकता रखो भय और लोभन का शतान तमहार

पास नही फटकगा

बाहर की बातो म कछ भी नही मान अपमान अपना काम िकय जा िनिशिदन इसम ही सममान

दसर लोग तमहारी आलोचना िनदा करत हो उनह रोकन की च ा न करो कयोिक इनही

सब बातो क ारा तमम सदगणो की वि होगी जब तक तमहारा दय इतना दढ़ नही ह िक तम मख क बकन पर िःथर और शात बन रहो अथवा तमम इतनी सहनशीलता नही ह िक अजञानी मख को कषमा कर सको तब तक तम अपन को कही जञानी न समझ बठना

यिद तम शरीर और मन स ऊपर उठ जाओ तो सब िचनता और भयो स छट हो

जाओग िकसी भी आकिःमक दघरटना स धयर न छोड़ो कयोिक घबराहट स शि तथा बि का

नाश होता ह िकसी भी कार की किठनाइयो क आग दःिखत न होकर गमभीरतापवरक उनका सामना करो तभी तम िनःसनदह िवजय ा करोग तम कही भी हतोतसािहत होकर िनराश न होओ

ऐसी कौन-सी िवपि ह जो मरी सननता को न कर सकती ह वह कौन-सा रज ह जो

मर आननद म िव न डाल सकता ह म तो िव ाणड का भ ह म बि का भ ह िदमाग का मािलक ह और मन का शासक ह ससार मझम ह म ससार म नही आ सकता िव मझम ह म िव म नही बध

सकता सयर और नकषऽ मझम उदय और अःत होत ह दह और दिनया दोनो ई र क भीतर ह वही ई र म ह म िनिलर आतमा ह मरा जनम नही मतय नही म अजर-अमर ह म िचदाननद

आतमःव प ह म िमथया त िमथया धमर िमथया कमर िमथया और जगत िमथया और ऐसा तीत

होता ह िक म सवरःव ह म ही सवरजञ सवरगत आतमा ह अपना साकषी ह कदािप उन नाम पो म फसा नही ह

म िवश ह असखय ाणड मझम पड़ ह म असःपयर ह मरा ःव प िनिलर ह

मझ दःख स कोई भय नही ह मझ समय की जरा भी िचनता नही आतमाननद वाल को भय और आशका कसी

िकसी भी डर को अपन पास मत फटकन दो लोग यिद तमहार बराई करत ह तो तम उनह आशीवारद दो ऐस ःथान पर जाओ जहा

लोग तमस घणा कर तम तो म हो पहल स ही म हो सवरदा कहोः म सदा आननदःव प ह म

म ःवभाव ह म अननत ःव प ह मरी आतमा का आिद और अनत नही ह सभी मर आतमःव प ह

सननतापवरक अपमान सहन करन स और नता धारण करन स अिभमान की िनवि

होती ह िकसी पिवऽ ःथान पर जाओ तो वहा क अनशासन का पालन करो वहा चपपलो की

चटाक-पटाक आभषणो की खनखनाहट भड़कील व ो की फरफराहट आिद हमस न हो इसका परा धयान रखो कही भी िकसी क भी िच को या शात वातावरण को अशात करन का हम कोई अिधकार नही ह

अपन िकसी भी दःख या अशाित का कारण बाहर मत ढढो बाहर की पिरिःथितयो या

वयि यो को दोष मत दो कारण अपन भीतर ढढो िनद ष भाव स ढढोग तो कारण भीतर ही िमल जायगा उस दर करन की च ा करो शातिच रहन का यही बहमलय उपाय ह

जो आतम-अनशािसत ह व ही शासन कर सकत ह ऐसा करन क िलए नाम-जप कर

धयान कर िकसी आतमिन सत का पावन सािननधय ा कर सब तरह स िनभरय एव सनन बनन का यह ौ साधन ह

िवन बनो िनरहकारी बनो अपन आपको बड़ा बतान की च ा न करो िवनता एव

िनरािभमानता ही तमह बड़ा बनायगी िवनता मनय का बहत बड़ा भषण ह िनमरल दि रखो िकसी क दोष दखना यह बहत बड़ा दगरण ह िछिानवषी न बनो

दसरो क दोष दखना पाप अजरन करना ह गणमाही बनो

ॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐ

अनबम

  • मगलमय जीवन-मतय
  • मतय क परकार
  • मतय भी जीवन क समान आवशयक
  • सिकनदर न अमत कयो नही पिया
  • बिना मतय को जान जीवन जीवन नही
  • मतय किसकी होती ह
  • भगवान शरीराम और तारा
  • मतयः कवल वसतर परिवरतन
  • फकीरी मौतः आननदमय जीवन का दवारः
  • यमराज और नचिकताः
  • सचच सत मतय का रहसय समझात ह
  • मतयः एक विशरानति-सथानः
  • वासना की मतय क बाद परम विशरानति
  • धतराषटर का शोकः
  • घाटवाल बाबा का एक परसग
  • फकीरी मौत ही असली जीवन
    • फकीरी मौत कया ह
      • सकरात का अनभव
      • आधयातमविदयाः भारत की विशषताः
      • तीन परकार क लोगः
      • जञान को आय स कोई निसबत नही
      • योगसामरथयः एक परतयकष उदाहरण
      • योग भी साधना का आखिरी शिखर नही
      • गणातीत सत ही परम निरभयः
      • सतो का सनदशः
      • चितन पराग

तमको जल पीना हो तो अवय िपयो िसकदर लिकन मरी बात परी सन लो यह जल

पीकर म अमर हो गया ह जो कछ जीवन म करन की इचछा थी वह सब म कर चका ह िजतना घमना था घम िलया सनना था सन िलया गाना था गा िलया खाना था खा िलया जो भी मौज करन की इचछा थी सब कर िलया अब करन क िलए कछ बचा ही नही अब यह जीवन मर िलय भार बन गया ह म अब मरना चाहता ह परनत मर नही सकता मरन क िलए पानी म कदा परनत पानी न मझ डबाया नही पहाड़ो पर स कदा िफर भी मरा नही आग की वालाओ म कदकर दखा उसन भी मझ जलाया नही तलवार की धार स मन गदरन िघसी परनत धार खराब हो गई गदरन न कटी यह सब इस अमतजल क कारण

सोचा था िक अमर होकर सखी होऊगा परनत अब पता चला िक मन मसीबत मोल ल

ली ह तमको यह जल पीना हो तो अवय िपयो म मना नही करता परनत मरी तमस िवनती ह िक यहा स जान क बाद मरन की कोई िविध का पता लग तो मझ अवय समाचार दना

थोड़ी दर क िलए गफा म नीरव शाित छा गई िसकदर क हाथ की उगिलया िशिथल हो

ग उनक बीच म स सारा अमतजल िगर कर पनः झरन म समा गया दसरी बार उसन झरन क जल म हाथ डालन की िहममत नही की मन ही मन िवचार करत हए वह उठ खड़ा हआ और पीछ मड़कर गफा क ार की ओर चल पड़ा आिहःत-आिहःत िबना अमतजल क िपय

यह घटना सच हो या झठ उसस कोई सरोकार नही परनत इसम एक तथय छपा हआ

ह िक िजतना जीवन ज री ह उतनी ही मौत भी ज री ह पिरवतरन होना ही चािहए

अनबम

िबना मतय को जान जीवन जीवन नही िजस जीवन क िलए अपनी लाश की सरकषा हत करोड़ो रपयो की वसीयत करक लोग

चल गय िजस जीवन को िटकाए रखन क िलए हम लोग भी अपार धन-समपि इक ठ करन म लग हए ह दसरो को दःखी करक भी जीवन क ऐश ETHआराम क साधन समह करन म हम लग हए ह वह जीवन िटक जान क प ात भी अमर हो जान क बाद भी कया हमको आननद द सकगा कया हम सखी हो सक ग यह जरा िवचार करन यो य ह मौत स मनय डरता ह परनत ऐसा जीवन भी कोई जीवन ह िजसम सदव मौत का भय बना रह जहा पग-पग मतय

का भय हम किमपत करता रह ऐसा नीरस जीवन भयपणर जीवन मौत स भी बदतर जीवन ह ऐसा जीवन जीन म कोई सार नही यह जीवन जीवन नही ह

यिद जीवन ही जीना ह यिद रसमय जीवन जीना ह यिद जीवन का ःवाद लत हए

जीवन को जीना ह तो मौत को आमिऽत करो मौत को बलाओ और होशपवरक मौत का अनभव करो जो सत मौत का अनभव कर चक ह उनका सग करक मौत की पोल को जान लो िफर तो आप भी मःत होकर उनकी तरह कह उठ गः

जा मरन त जग डर मोर मन आननद

अनबम

मतय िकसकी होती ह अभी तो िजस तम जीवन कहत हो वह जीवन नही और िजस तम मौत कहत हो वह

मौत नही ह कवल कित म पिरवतरन हो रहा ह कित म जो रहा ह वह सब पिरवतरन ह जो पदा होता िदख रहा ह वही न होता नजर आता ह िजसका सजरन होता िदखता ह वही िवसजरन की ओर जाता नजर आता ह पड़-पौध हो या खाइया हो सागर हो या मरःथल हो सब पिरवतरन पी सिरता म बह जा रह ह जहा नगर थ वहा वीरान हो गय जहा बिःतया थी वहा आज उलल बोल रह ह और जहा उलल बोल रह थ वहा बिःतया खड़ी ह जहा मरःथल थ वहा आज महासागर िहलोर ल रह ह और जहा महासागर थ वहा मरःथर खड़ ह बड़-बड़ ख डो की जगह पहाड़ खड़ हो गय और जहा पहाड़ थ वहा आज घािटया खाइया बनी हई ह जहा बड़ -बड़ वन थ वह भिम बजर और पथरीली हो गई और जो बजर थी पथरीली थी वहा आज वन और बाग-बगीचो क प म हिरयाली फली हई ह

चाद सफर म िसतार सफर म

हवाए सफर म दिरया क िकनार सफर म अर शायर वहा की हर चीज सफर म तो आप बसफर कस रह सकत ह

आप िजस शरीर को म मानत ह वह शरीर भी पिरवतरन की धारा म बह रहा ह

ितिदन शरीर क परान कोष न हो रह ह और उनकी जगह नय कोष बनत जा रह ह सात वषर म तो परा शरीर ही बदल जाता ह ऐसा वजञािनक भी कहत ह इस ःथल शरीर स सआम

शरीर का िवयोग होता ह अथारत सआम शरीर दह पी व बदलता ह इसको लोग मौत कहत ह और शोक म फट-फट कर रोत ह

अनबम

भगवान ौीराम और तारा भगवान राम न जब बाली का वध िकया तो बाली की प ी राम क पास आई और अपन

पित क िवयोग म फट-फट कर रोन लगी राम न उसको धीरज बधात हए कहाः

िकषित जल पावक गगन समीरा पच रिचत यह अधम शरीरा सो तन तव आग सोहा जीव िनतय त कहा लिग रोवा

ह तारा त िकसक िलए िवलाप कर रही ह शरीर क िलए या जीव क िलए

पचमहाभतो ारा रिचत शरीर क िलए यिद त रोती ह तो यह तर सामन ही पड़ा ह और यिद जीव क िलए रोती ह तो जीव िनतय ह वह मरता नही

मतयः कवल व पिरवतरन यिद वाःतव म मौत होती तो हजारो-हजारो बार होन वाली तमहारी मौत क साथ तम भी

मर चक होत आज तम इस शरीर म नही होत यह शरीर तो माऽ व ह और आज तक आपन हजारो व बदल ह अपना ई र कगाल नही ह िदवािलया नही ह िक िजसक पास दो चार ही व हो उसक पास तो अपन बालको क िलए चौरासी-चौरासी लाख व ह कभी चह का तो कभी िबलली का कभी दव का तो कभी गधवर का न जान िकतन-िकतन वश आज तक हम बदलत आय ह व बदलन म भय कसा

यही बात भगवान ौीकण न अजरन स कही हः

वासािस जीणारिन यथा िवहाय नवािन ग ाित नरोऽपरािण तथा शरीरािण िवहाय जीणारनयनयािन सयाित नवािन दही

ह अजरन त यिद शरीरो क िवयोग का शोक करता ह तो यह भी उिचत नही ह कयोिक

जस मनय परान व ो का तयागकर दसर नय व ो को महण करता ह वस ही जीवातमा परान शरीरो को तयाग कर दसर नय शरीरो को ा होता ह

(गीताः 222)

बालक की च डी (नकर) फटन पर उसकी मा उसको िनकाल कर नई पहनाती तो बालक

रोता ह िचललाता ह वही बालक बड़ा होता ह पहल की चि डया छोटी पड़ जाती ह उनह छोड़ता ह बड़ी पहनता ह िफर वह भी छोड़कर पनट पाजामा या धोती आिद पहनता ह ऐस ही परमातमा की सतान भी यो- यो बड़ी होती ह िवकिसत होती ह तयो-तयो उस पहल स अिधक यो य ददीपयमान नय शरीर िमलत ह जीव-जतओ स िवकिसत होत-होत बनदर गाय और आिखर मनय दह िमलती ह मनय िदवय कमर कर स वगण-धान बन तो दव गधवर की योिन िमलती ह उसका ःवभाव रजस धान हो तो वह िफर मनय बनता ह और यिद तामसी ःवभाव रखता ह तो पनः हलकी योिनयो म जाता ह उस मानव को यिद ई र भि क साथ कोई समथर सदगर िमल जाय उस आतमधयान आतमजञान की भख जग वह गरकपा पचा ल तो वही मन य चौरासी क चब म घमन वाला जीव अपन िशवःवभाव को जानकर तीनो गणो स पार हो जाय परमातमा म िमल जाय

व पिरवतरन स भय कसा व बदलन वाला तो कभी भी मरता नही वह अमर ह और पिरवतरन कित का ःवभाव ह तो िफर मौत ह ही कहा यही बात समझात हए गीता म भगवान ौी कण कहत ह अजरन स िक तमह भय िकस बात का ह

हतो वा ापःयिस ःवग िजतवा वा भोआयस महीम

यिद य म शरीर छट गया तो ःवगर को ा करोग और यिद जीत गय तो पथवी का

रा य भोगग (सभी ौोतागण तनमयता स जीवन मतय पर मीमासा सन रह ह ःवामी जी कछ कषण

रककर सभी पर एक रहःयमय दि फ कत ह वातावरण म थोड़ी गमभीरता छाई हई जानकर करत ह)

फकीरी मौतः आननदमय जीवन का ारः आप लोग उदास तो नही हो रह ह न आपको मौत का भय तो नही लग रहा ह न

अभी कवल जीवन पर बात ही चल रही ह िकसी की मौत नही आ रही ह (यह सनकर सभी िखलिखलाकर हस पड़त ह ःवामी जी फकीर मःती म आग कहत

ह)

अर मौत तो इतनी पयारी ह िक उस यिद आमिऽत िकया जाय तो आननदमय जीवन क ार खोल दती ह

एक जवान साध था घमत-घमत वह नपाल क एक पहाड़ की तलहटी म जा पहचा वहा

उसन दखा एक व सत एक िशला पर बठ ह शाम का समय ह सरज िछपन की तयारी म ह उन सत न उस जवान साध को तो दखा तो बोलः

मर परो म इतनी ताकत नही िक अभी म ऊपर पहाड़ पर चढ़कर अपनी गफा तक पहच सक बटा तम मझ अपन कध पर चढ़ाकर गफा तक पहचा दो

यवा साध भी अलमःत था उसन सत को अपन कध पर िबठा िलया और चल पड़ा

उनकी गफा की ओर चढ़ाई बड़ी किठन थी परनत वह भी जवान था चढ़ाई चढ़ता रहा काफी ऊपर चढ़ चकन पर उसन सत स पछाः

गफा अभी िकतनी दर ह

बस अब थोड़ी दर ह चलत-चलत काफी समय हो गया साध पछता रहा और व सत कहत रहः बस अब

थोड़ी ही दर ह मामा का घर िजतना दर िदया िदख उतना दर ऐसा करत-करत रात को यारह बज क करीब गफा पर पहच साध न व सत को कध स नीच उतारा और बोलाः

और कोई सवा

सत उसकी सवा स बड़ सनन थ बोलः बटा तमन बड़ी अचछ सवा की ह बोल अब तझ कया परःकार द वह दख

सामन तीन-चार भर हए बोर रख ह उसम स िजतना उठा सको उतना उठा ल जाओ यवा साध न जाकर बोरो को छकर दखा अनमान लगाया शायद र ी कागजो स भर हए

ह िफर धयान स दखा को अनमान गलत िनकला व बोर नपाली नोटो स भर हए थ उसन अनमन मन स उनको दखा और उलट परो लौट पड़ा सत की ओर सत न पछाः

कयो माल पसनद नही आया व सत पहच हए योगी थ अपन योगबल ारा उनहोन नोटो क बडलो स भर बोर

उतपनन कर िदय थ उनको ऐसी आशा थी िक वह यवा साध अपनी सवा क बदल इस परःकार स खश हो जायगा परनत वह यवा साध बोलाः

ऐसी सब चीज तो म पहल ही छोड़ आया ह इनस कया जीवन की रकषा होगी इनस कया जीवन का रहःय समझ म आएगा इनस कया मौत जानी जा सकगी कया म इनही चीजो क िलए घर बार छोड़कर दर-दर भटक रहा ह जगलो और पहाड़ो को छान रहा ह य सब तो न र हऔर अगर सतो क पास भी न र िमलगा तो िफर शा त कहा स िमलगा

अनबम

यमराज और निचकताः निचकता भी यमराज क सममख ऐसी ही माग पश करता ह कठोपिनषद म निचकता

की कथा आती ह निचकता कहता ह यमराज सः ह यमराज कोई कहता ह मतय क बाद मनय रहता ह और कोई कहता ह नही रहता ह इसम बहत सदह ह इसिलए मझ मतय का रहःय समझाओ तािक सतय कया ह यह म जान सक परनत यमराज निचकता की िजजञासा को परखन क िलए पहल भौितक भोग और वभव का लोभ दत हए कहत ह -

शतायषः पऽपौऽानवणीव बहनपशनहिःतिहरणयम ान भममरहदायतन वणीव ःवय च जीव शरदोयाविदचछिस

ह निचकता त सौ वषर की आयय वाल पऽ-पौऽ बहत स पश हाथी-घोड़ सोना माग

ल पथवी का िवशाल रा य माग ल तथा ःवय भी िजतन वषर इचछा हो जीिवत रह

(वललीः 123) इतना ही नही यमराज आग कहत ह- मनयलोक म जो भोग दलरभ ह उन सबको ःवचछनदतापवरक त माग ल यहा जो रथ

और बाजो सिहत सनदर रमिणया ह व मनयो क िलए दलरभ ह ऐसी कािमनयो को त ल जा इनस अपनी सवा करा परनत ह निचकता त मरण समबनधी मत पछ

िफर भी निचकता इन लोभनो म नही फसता ह और कहता हः य सब भोग सदव रहन वाल नही ह और इनको भोगन स तज बल और आयय कषीण

हो जात ह मझ य भोग नही चािहए मझ तो मतय का रहःत समझाओ

अनबम

सचच सत मतय का रहःय समझात ह ठ क इसी कार वह यवा साध उन व सत स कहता हः मझ य नोटो क बडल नही

चािहए आप यिद मझ कछ दना ही चाहत ह तो मझ मौत दीिजए म जानना चाहता ह िक मौत कया ह मन सना ह िक सचच सत मरना िसखात ह म उस मौत का अनभव करना चाहता ह

वःततः सत मरना िसखात ह इसीिलए तो लोग रोत हए बचचो को चप करान क िलए

कहत ह - रो मत चप हो जा नही तो वह दख बाबा आया ह न वह पकड़कर ल जायगा भल ही लोग अजञानतावश बाबाओ अथवा सतो स बचचो को डरात हए कहत ह िक व ल जायग परनत िजनको सचच सत ल जात ह अथवा जो उनका हाथ पकड़ लत ह व तर जात ह सचच सत उनको सब भयो स म कर दत ह और उनको ऐस पद पर िबठा दत ह िक िजसक आग ससार क सार भोग-वभव धन-समपि पऽ-पौऽ यश-ित ा सब तचछ भािसत होत ह परनत ऐस सचच सत िमलन दलरभ ह और दढ़ता स उनका हाथ पकड़न वाल भी दलरभ ह िजनहोन ऐस सतो का हाथ पकड़ा ह व िनहाल हो गय

उस यवा साध न भी ऐस ही सत का हाथ पकड़ा था मौत को जानन की उसकी बल

िजजञासा को दखकर व व सत बोल उठः अर यह कया मागता ह यह भी कोई मागन की चीज ह ऐसा कहकर उनहोन यवा साध को थोड़ी दर इधर-उधर की बातो म लगाया और मौका दखकर उसको एक तमाचा मार िदया यवक की आखो क सामन जस िबजली चमक उठ हो ऐसा अनभव हआ और दसर ही कषण उसका ःथल शरीर भिम पर लट गया उसका सआम शरीर दह स अलग होकर लोक-लोकानतर की याऽा म िनकल पड़ा लोग िजसको मतय कहत ह ऐसी घटना घट गई

ातःकाल हआ रात भर आननदमय मतय क ःवाद म डब हए उस यवा साध क ःथल

शरीर को िहलाकर व सत न कहाः बटा उठ सबह हो गई ह ऐस कब तक सोता रहगा यवा साध आख मलता हआ सननवदन उठ बठा िजसको मतय कहत ह उस मतय को

उसन दख िलया अहा कसा अदभत अनभव उसका दय कतजञता स भर उठा वह उठकर फकीर क चरणो म िगर पड़ा

लोग कहत ह िक मरना दःखद ह और इसीिलए मौत स डरत ह िजनको ससार म मोह

ह उनक िलए मौत भयद ह परनत सतो क िलए मोह रिहत आतमाओ क िलए ऐसा नही ह

अनबम

मतयः एक िवौािनत-ःथानः मौत तो एक पड़ाव ह एक िवौािनत-ःथान ह उसस भय कसा यह तो कित की एक

वयवःथा ह यह एक ःथानानतर माऽ ह उदाहरणाथर जस म अभी यहा ह यहा स आब चला जाऊ तो यहा मरा अभाव हो गया परनत आब म मरी उपिःथित हो गई आब स िहमालय चला जाऊ तो आब म मरा अभाव हो जायगा और िहमालय म मरी हािजरी हो जायगी इस कार म तो ह ही माऽ ःथान का पिरवतरन हआ

तमहारी अवःथाए बदलती ह तम नही बदलत पहल तम सआम प म थ िफर बालक

का प धारण िकया बालयावःथा छट गई तो िकशोर बन गय िकशोरावःथा छट गई तो जवान बन गय जवानी गई तो व ावःथा आ गई तम नही बदल परनत तमहारी अवःथाए बदलती ग

हमारी भल यह ह िक अवःथाए बदलन को हम अपना बदलना मान लत ह वःततः न

तो हम जनमत-मरत ह और न ही हम बालक िकशोर यवा और व बनत ह य सब हमारी दह क धमर ह और हम दह नही ह सतो का यह अनभव ह िकः

मझ म न तीनो दह ह तीनो अवःथाए नही मझ म नही बालकपना यौवन बढ़ापा ह नही जनम नही मरता नही होता नही म बश-कम म ह म ह ितह काल म ह एक सम

मतय नवीनता को जनम दन म एक सिधःथान ह यह एक िवौाम ःथल ह िजस

कार िदन भर क पिरौम स थका मनय रािऽ को मीठ नीद लकर दसर िदन ातः नवीन ःफितर लकर जागता ह उसी कार यह जीव अपना जीणर-शीणर ःथल शरीर छोड़कर आग की याऽा क िलए नया शरीर धारण करता ह परान शरीर क साथ लग हए टी बी दमा कनसर जस भयकर रोग िचनताए आिद भी छट जात ह

वासना की मतय क बाद परम िवौािनत ःथल शरीर स सआम शरीर का िवयोग िजसको मतय कहा जाता ह वह िवौाम-ःथल तो

ह परनत पणर िवौाित उसम भी नही ह यह फकीरी मौत नही ह फकीरी मौत तो वह ह िजसम सारी वासनाए जड़ सिहत भःम हो जाए भीतर यिद सआम वासना भी बची रही तो जीव िफर स नया शरीर धारण कर लगा और

िफर स सख-दःख की ठोकर खाना चाल कर दगा िफर स वहीः

पनरिप जनन पनरिप मरण पनरिप जननी जठर शयनम

अनबम

धतरा का शोकः करकषऽ क य म दय धन सिहत जब सार पऽ मार गय तो धतरा खब दःखी हए और

िवदर स कहन लगः कण और पाडवो न िमलकर मर सब पऽो का सहार कर िदया ह इसका दःख मझस सहन नही होता एक एक कषण वयतीत करना मझ वष जसा लमबा लग रहा ह

िवदर धतरा को समझात हए कहत ह - जो होना होता ह वह होकर ही रहता ह आप

वयथर म शोक न करो आतमा अमर ह उसक िलए मतय जसी कोई चीज नही ह इस शरीर को छोड़कर जो जाता ह वह वापस नही आता इस बात को समझकरः राम राख तम रिहय ह भाई शोक न करो

परनत धतरा का शोक कम नही हआ वह दढ़तापवरक कहन लगाः तम कहत हो वह

सब समझता ह िफर भी मरा दःख कम नही हो ता मझ अपन पऽो क िबना चन नही पड़ रहा ह पलभर को भी िच शात नही रहता

अजञानी सोचता ह िक िजस कार म चाहता ह उसी कार सब हो जाय तो मझ सख

हो यही मनय का अजञान ह शा और सतो का िकतना ही उपदश सनन को िमल जाय तो भी वह अपनी मानयताओ

का मोह सरलता स छोड़न को तयार नही होता िवदर का धमरय उपदश धतरा को सानतवना नही द सका धतरा शा ो स िबलकल अनिभजञ था ऐसी बात नही थी िफर भी उसका शा जञान उस पऽो क मोह स म नही कर सका

अनबम

घाटवाल बाबा का एक सग हिर ार म घाटवाला बाबा क नाम स िस एक महान सत रहत थ बहत सीध -साद

और सरल कमर म कतान (टाट) लपट रहत थ ऊपर स िदखन म िभखारी जस लगत मगर भीतर स साट थ उनक पास एक वयि आया और बोलाः महाराज मझ शाित चािहए

महाराज न पहल उस धयान स दखा िफर कहाः शाित चािहए तो तम गीता पढ़ो

यह सनकर वह च ककर बोलाः गीता गीता तो म िव ािथरयो को पढ़ाता ह म कालज म ोफसर ह गीता मरा िवषय ह गीता म कई बार पढ़ चका ह उस पर तो मरा काब ह

महाराज बोलः यह ठ क ह अब तक तो लोगो को पढ़ाकर पसो क लाभ क िलए गीता

पढ़ी होगी अब मन को िनयिऽत करक शाित लाभ क िलए पढ़ो लोग शा ो म स सचनाए और जानकािरया इक ठ करक उस ही जञान मान लत ह

दसरो को भािवत करन क िलए लोग शा ो की बात करत ह उपदश दत ह परनत उनह अपन आपको कोई अनभित नही होती मतय क िवषय म भी लोग िव तापणर वचन कर सकत ह मतय स डरन वालो को आ ासन और धयर द सकत ह परनत मौत जब उनही क सममख साकषात आकर खड़ी होती ह तो उनकी रग -रग काप उठती ह कयोिक उनको फकीरी मौत का अनभव नही

कई लोग कहत ह िक जीवन और मौत अपन हाथ म नही ह परनत यह उनक िलए

ठ क ह िजनको आधयाितमक रहःय का पता नही जो ःवय को शरीर मानत ह दीन-हीन मानत ह परनत योगी जानत ह िक जीवन और मतय इन दोनो पर मनय का अिधकार ह इस अिधकार को ा करन की तरकीब भी व जानत ह कोई िहममतवान जानन को ततपर हो तो व उस बता भी सकत ह व तो खललमखलला कहत ह िक यिद रोत-कलपत हए मरना हो तो खब भोग-भोगो िकसी की परवाह न करत हए खब खाओ िपयो और अमयारिदत िवषय-सवन करो ऐसा जीवन आपको अपन आप मौत की ओर शीयता स आग बढ़ा दगा परनत

यिद मौत पर िवजय ा करनी हो जीवन को सही तरीक स जीना हो तो योिगयो क

कह अनसार करो ाणायाम करो धयान करो योग करो आतमिचनतन करो और ऐसा कोई योगी डॉकटरो क सामन आकर दय की गित बनद करक बता दता ह तो वह बात भी लोगो को

बड़ी आ यरजनक लगती ह लोगो क टोल क टोल उसको दखन क िलए उमड़ पड़त ह परनत यह भी कोई योग की पराका ा नही ह

फकीरी मौत ही असली जीवन इितहास म जञान र महाराज और योगी चागदव का सग आता ह वह तो आप लोग

जानत ही होग चागदव न मतय को चौदह बार धोखा िदया था अथारत जब -जब मौत का समय आता तब-तब चागदव योग की कला स अपन ाण ऊपर चढ़ाकर मौत टाल िदया करत थ ऐसा करत-करत चागदव न अपनी उ 1400 वषर तक बढ़ा दी िफर भी उनको आतमशािनत नही िमली फकीरी मौत ही आतमशाित द सकती ह और इसीिलए चागदव को आिखर म जञान र महाराज क चरणो म समिपरत होना पड़ा

अनबम

फकीरी मौत कया ह

फकीरी मौत ही असली जीवन ह फकीरी मौत अथारत अपन अह की मतय अपन जीवभाव की मतय म दह ह म जीव ह इस पिरिचछनन भाव की मतय

ःथल शरीर स सआम शरीर का िवयोग यह कोई फकीरी मौत नही ह अगर वासना शष

हो तो सआम शरीर बार-बार ःथल शरीर धारण करक इस ससार म जनम-मरण क दःख पणर चककर म भटकता रहता ह

जब तक फकीरी मौत नही हो तब तक चागदव की तरह चौदह बार कया चौदह हजार

बार भी ःथल शरीर को बचाय रखा जाय तो भी परम शाित क िबना यह बकार ह लाबधवा जञान परा शाित आतमजञान स ही परम शाित िमलती ह इसी कारण चागदव को फकीरी मौत सीखन क िलए जञान र महाराज क पास आना पड़ा था 1400 वषर का िशय और 22 वषर क गर यही जञान का आदर करन वाली भारतीय सःकित ह जञान स उ को कोई समबनध नही ह

हम तो जीवन म पग-पग पर छोटी-मोटी पिरिःथितयो स घबरा उठत ह ऐसा भयभीत

जीवन भी कोई जीवन ह यह तो मौत स भी बदतर ह इसीिलए कहता ह िक असली जीवन जीना हो िनभरय जीवन जीना हो तो फकीरी मौत को एक बार जान लो

फकीरी मौत अथारत अपन अमरतव को जान लना फकीरी मौत अथारत उस पद पर आ ढ़ हो जाना जहा स जीवन भी दखा जा सक और मौत भी दखी जा सक जहा स ःप प स िदख िक सख-दःख आय और गय बालयावःथा यवावःथा और व ावःथा आई और गई परनत य सब शरीर स ही समबिनधत थ मझ तो व ःपशर तक नही कर सक म तो असग ह अमर ह मरा तो जनम भी नही मतय भी नही

सकरात का अनभव सकरात को जब जहर िदया जान लगा तो उसक िशय रोन लग कयोिक उनको यह

अजञान था िक सकरात अब बचग नही मर जायग सकरात न कहाः अर तम रोत कयो हो अब तक मन जीवन दखा अब मौत को दखगा यिद म मर

जाऊगा तो आज नही तो कल मरन ही वाला था इसिलए रोन की कया ज रत ह और यिद मरत हए भी नही मरा कवल शरीर स ही िछनन-िभनन हआ तो भी रोन की कया ज रत

सकरात न िबना िहचिकचाहट क राजी-खशी स जहर का पयाला पी िलया और िशयो स

कहाः दखो यह रोन का समय नही ह बहत ही महतवपणर बात समझन का समय आया ह

मर शरीर पर जहर का भाव होन लगा ह पर सनन होत जा रह ह घटनो तक जड़ता वया हो गई ह जहर का असर बढ़ता जा रहा ह मर पर ह िक नही इसकी अनभित नही हो रही ह अब कमर तक का भाग सवदनहीन बन गया ह

इस कार सकरात का सारा शरीर ठडा होन लगा सकरात न कहाः अब जहर क भाव स हाथ पर छाती जड़ हो गई ह थोड़ी ही दर म मरी िज ा भी

िनःपद हो जायगी उसस पहल एक मह वपणर बात सन लो जीवन म िजसको नही जान सका उसका अनभव हो रहा ह शरीर क सब अग एक क एक बाद एक िनःपद होत जा रह ह परनत उसस मझम कोई फकर नही पड़ रहा ह म इतना ही पणर ह िजतना पहल था शरीर स म ःवय को अलग असग महसस कर रहा ह अब तक जस जीवन को दखा वस ही अभी मौत को भी दख रहा ह यह मौत मरी नही बिलक शरीर की ह

अनबम

आधयातमिव ाः भारत की िवशषताः सकरात तो शरीर छोड़त-छोड़त अपना अनभव लोगो को बतात गय िक शरीर की मतय

यह तमहारी मतय नही शरीर क जात हए भी तम इतन क इतन ही पणर हो परनत भारत क ऋिष तो आिद काल स कहत आय ह-

शणवनत िव अमतःय पऽा

आ य धामािन िदवयािन तःयः वदाहमत परष महानतम

आिदतयवण तमसः परःतात तमव िविदतवाऽितमतयमित नानयः पनथा िव तऽयनाय

ह अमतपऽो सनो उस महान परम परषो म को म जानता ह वह अिव ा प अधकार

स सवरथा अतीत ह वह सयर की तरह ःवयकाश-ःव प ह उसको जानकर ही मनय मतय का उललघन करन म जनम-मतय क बधनो स सदव क िलए छटन म समथर होता ह परम पद की ाि क िलए इसक अितिर कोई दसरा मागर नही ह

( ता तरोपिनषद) यह कोई वद-उपिनषद काल की बात ह उस समय क ऋिष चल गय और अब नही ह

ऐसी बात नही ह आज भी ऐस ऋिष और ऐस सत ह िजनहोन सतय की अनभित की ह अपन अमरतव का अनभव िकया ह इतना ही नही बिलक दसरो को भी इस अनभव म उतार सकत ह रामकण परमहस ःवामी िववकाननद ःवामी रामतीथर महिषर रमण इतयािद ऐस ही त वव ा महापरष थ और आज भी ऐस महापरष जगलो म और समाज क बीच म भी ह यहा इस ःथान पर भी हो सकत ह परनत उनको दखन की आख चािहए इन चमरचकषओ स उनह पहचानना मिकल ह िफर भी िजजञास और ममकष वि क लोग उनकी कपा स उनक बार म थोड़ा सकत यह इशारा पा सकत ह

अनबम

तीन कार क लोगः ऐस सतो क पास तीन कार क लोग आत ह- दशरक िव ाथ और साधक

दशरक अथारत ऐस लोग जो कवल दशरन करन और यह दखन क िल ए आत ह िक सत कस ह कया करत ह कया कहत ह उपदश भी सन तो लत ह पर उसक अनसार कछ करना ह इसक साथ उनका कोई समबनध नही होता आग बढ़न क िलए उनम कोई उतसाह नही होता

िव ाथ अथारत व जो शा एव उपदश समबनधी अपनी जानकारी बढ़ान क िलए आत ह

अपन पास जो जानकारी ह उसम और वि होव तािक दसरो को यह सब सनाकर अपनी िव ा की छाप उन पर छोड़ी जा सक दसरो स सना याद रखा और जाकर दसरो को सना िदया जस ग स शानसपोटर कमपनी ाईवट िलिमटड- यहा का माल वहा और वहा का माल यहा लाना और ल जाना ऐस लोग भी त व समझन क मागर पर चलन का पिरौम उठान को तयार नही

तीसर कार क लोग होत ह साधक य ऐस लोग होत ह िक जो साधनामागर पर चलन

को तयार होत ह इनको जसा बताया ह वसा करन को पणर प स किटब होत ह अपनी सारी शि उसम लगान को ततपर होत ह उसक िलए अपना मान-सममान तन-मन-धन सब कछ होम दन को तयार होत ह सत क ित और अपन धयय क ित इनम पणर िन ा होती ह य लोग फकीर अथवा सत क सकत क अनसार लआय की िसि क िलए साहसपवरक चल पड़त ह

िव ाथ अपन वयि तव का ौगार करन क िलए आत ह जबिक साधक वयि तव का िवसजरन करन क िलए आत ह साधक अपन लआय की तलना म अपन वयि तव या अपन अह का कोई भी मलय नही समझत जबिक िव ाथ क िलए अपना अह और वयि तव का ौगार ही सब कछ ह अपनी िव ता म वि जानकारी को बढ़ाना वयि तव को और आकषरक बनाना इसी म उस सार िदखता ह त वानभित की तरफ उसका कोई धयान नही होता

यही कारण ह िक सतो क पास आत तो बहत लोग ह परनत साधक बनकर वही िटक

कर त व का साकषातकार करन वाल कछ िवरल ही होत ह

जञान को आय स कोई िनःबत नही िजसन फकीरी मौत को जान िलया हो अथारत िजस आतमजञान हो गया हो वह शरीर की

दि स कम उ का हो परनत उसक आग लौिकक िव ा म वीण और अिधक वय क सफद दाढ़ी-मछ वाल लोग भी बालक क समान होत ह इसीिलए योगिव ा म वीण 1400 वषर क चागदव को कम उवाल जञान र महाराज क चरणो म समिपरत होना पड़ा था ाचीन काल म ऐस कई उदाहरण दखन म आत ह

िचऽ वटतरोमरल व ाः िशया गरयरवा

गरोःत मौन वयाखयान िशयाःतिचछननसशयाः अथारत यह कसा विच य ह िक वटवकष क नीच यवा गर और व िशय बठ ह गर

ारा मौन वयाखयान हो रहा ह और िशयो क सब सशयो और शकाओ का समाधान होता जा रहा ह

अनबम

योगसामथयरः एक तयकष उदाहरण अपन मोटरा आौम म भी ऐस ही करीब स र वषर क सफद बाल वाल एक साधक ह

पहल डीसा म व एक सत क पास गय गय तो थ दशरक बनकर ही परनत सत की दि पड़त ही व दशरक म स साधक बन गय म कछ वषर पवर डीसा क आौम म था तब व मर पास आय थ पकी हई उ म भी व 18 वषर की उ की एक बाला क साथ बयाह रचान की तयारी म थ और आशीवारद मागन हत वहा आय थ उनको दखकर ही मर मह स िनकल पड़ाः

अब तमहारी शादी ई र क साथ कराएग यह सनकर उनको बड़ा आ यर हआ कयोिक न तो व मझ पहल स जानत थ और न ही

म उनह जानता था उस व उनका शरीर भी कसा था चरबी और कफ-िप स ठसाठस भरा हआ एकदम ःथल दमा आिद रोगो का िशकार डीसा म कपड़ क बड़ वयापारी थ धप म िबना छाता िलए दकान स नीच नही उतर पात थ कित ऐसी थी िक िकसी भी सत महातमा को नही गाठ और काम-वासना भीतर इतनी भरी हई थी िक आग की दो पि या शरीर छोड़ चकी थी िफर भी इस उ म तीसरी शादी करन को तयार थ प ी िबना एक िदन भी नही रह सकत थ

घर पहचन पर उनको पता चला िक उनक अनदर जो काम -िवकार का तफान आया था

वह एकदम शात हो गया ह भिवय म प ी बनन वाली उस कमारी क साथ एकात म अनक च ाए करक भी व उस काम-िवकार को पनः नही जगा सक इतना बल िवकार एकाएक कहा चला गया िफर उनको समझ म आया िक सत की ई रीय अहत की कपा उनम उतरी ह उनको सारा ससार सना-सना लगन लगा उनहोन तरनत ही उस कमारी यवती को कछ पय और कपड़ िदय और बटी कहकर रवाना कर िदया उसक बाद उनहोन आसन ाणायाम गजकरणी नित धोित आिद िबयाए सीख ली और िनयिमत प स करन लग इसस उनक शरीर क सार परान कफ-िप -दमा आिद दर हो गय और शरीर म स आवयकता स अिधक चब घटकर शरीर हलका फल जसा हो गया अब तो जवानो क साथ दौड़न की भी ःपधार करत

ह धयानयोग की साधना म उनहोन इतनी गित की ह िक उनको कई कार क अलौिकक अनभव हआ करत ह अपन सआम शरीर ारा व लोक -लोकानतर म घम आया करत ह

योग भी साधना का आिखरी िशखर नही यह भी साधना की कोई आिखरी भिमका नही ह सव चच िशखर नही ह यह भी सब

माया की सीमा म ही ह िफर चमर-चकषओ स दखो अथवा धयान म बठकर दखो कयोिकः

यद दय तद अिनतयम जो िदखता ह वह अिनतय ह जो िदख सो चालनहार चागदव भी योग म कशल थ

काल को कई बार धोखा द चक थ परनत माया को धोखा न द सक व भी साि वक माया म थ माया स पर नही थ

माया ऐसी ठिगनी ठगत िफरत सब दश जो ठग या ठिगनी ठग वा ठग को आदश

कोई िवरल सत ही इस माया को ठग सकत ह माया स पार जा सकत ह बाकी क

लोगो का तो यह माया न र म ही शा त का आभास करा दती ह अिःथरता म िःथरता िदखा दती ह ऐसी मोिहना माया क िवषय म ौी कण कहत ह-

दवी षा गणमयी मम माया दरतयया मामव य प नत मायामता तरिनत त

मरी यह अदभत िऽगणमयी माया का तरना अतयनत दकर ह परनत जो मरी शरण म

आत ह व तर जात ह (गीता)

अनबम

गणातीत सत ही परम िनभरयः ऐसी दःतर माया को जो सत अथवा फकीर तर जात ह और मौत की पोल जान जात ह

व कहत ह- एक ऐसी जगह ह जहा मौत की पहच नही जहा मौत का कोई भय नही िजसस मौत भी भयभीत होती ह उस जगह म हम बठ ह तम चाहो तो तम भी बठ सकत हो

तमहार म एक ऐसा चतन ह जो कभी मरता नही िजसन मौत कभी दखी ही नही जो जीवन और मौत क समय पिरवतरन को दखता ह परनत उन सबस पर ह

यिद घड़ म आया हआ चनिमा का ितिबमब घड़ क पानी को उबलता हआ जानकर यह

मान की म उबल रहा ह पानी िहल तो समझ िक म िहलता ह घड़ा फट गया तो समझ िक म मर गया तो यह उसका अजञान ह परनत उसको यह पता चल जाय िक पानी क उबलन स म नही उबलता पानी क िहलन स म नही िहलता म तो वह चनिमा ह जो हजारो घड़ो म चमक रहा ह िकतन ही घड़ टट -फट गय परनत म मरा नही मरा कछ भी िबगड़ा नही म इन सबस असग ह तो वह कभी दःखी नही होगा

इसी कार हम यिद अपन असगपन को जान ल अथारत म शरीर-मन-बि नही अिपत

आतमा ह- यह हम जान ल तो िफर िकतन ही दह पी घड़ बन और टट -िबखर िकतनी ही सि या बन और उनका लय हो जाय हमको कोई भय नही होगा कयोिक आतमा का ःवभाव हः

न जायत ियत वा कदािचननाय भतवा भिवता वा न भयः अजो िनतयः शा तोऽयपराणो न हनयत हनयमान शरीर

यह आतमा िकसी काल म भी न तो जनमता ह और न मरता ही ह तथा न यह उतपनन

होकर िफर होन वाला ही ह कयोिक यह अजनमा िनतय सनातन और परातन ह शरीर क मार जान पर भी यह नही मारा जाता

(भगवदगीताः 223) अनबम

सतो का सनदशः िजन सतो न यह रहःय जान िलया ह जो इस अमतमय अनभव म स गजर चक ह व

सब भयो स म हो गय ह इसीिलए व अपनी अनभविस वाणी म कहत ह- अपन आतमदव स अपिरिचत होन क कारण ही तम अपन को दीन-हीन और दःखी

मानत हो इसिलए अपनी आतम-मिहमा म जाग जाओ यिद अपन आपको दीन ही मानत रह तो रोत रहोग ऐसा कौन ह जो तमह दःखी कर सक तम यिद न चाहो तो दःख की कया मजाल ह िक तमह ःपशर भी कर सक अननत-अननत ाणड को जो चल रहा ह वह चतन तमहार भीतर चमक रहा ह उसकी अनभित कर लो वही तमहारा वाःतिवक ःव प ह

मनसर को सली पर चढ़ा िदया गया था परनत उनको सली का कोई भय नही था सली

का क उनको ःपशर भी नही कर सका कयोिक मनसर अपनी मिहमा म जग हए थ व यह जान चक थ िक म शरीर नही ह सली शरीर को लग सकती ह मझ नही इसिलए व हसत-हसत सली पर चढ़ गय थ

हम ही जानबझकर अपनी सननता की अपन सख-दःख की चाबी दसरो क हाथो म

स प दत ह कोई थोड़ा हस दता ह तो हम बोिधत हो उठत ह कोई थोड़ी शसा कर दता ह तो हषर स फल उठत ह कयोिक हम अपन को सीिमत पिरिचछनन शरीर या मन ही मान बठ ह

हम अपन वाःतिवक ःव प अपनी असीम मिहमा को नही जानत नही तो मजाल ह

िक जगत क सार लोग और ततीस करोड़ दवता भी िमलकर हम दःखी करना चाह और हम दःखी हो जाय जब हम ही भीतर स सख अथवा दःख को ःवीकित दत ह तभी सख अथवा दःख हमको भािवत करता ह सदव सनन रहना ई र की सव परी भि ह

ःवामी रामतीथर कहा करत थ िक कोई यिद तमहारी सननता छ नकर उसक बदल म

तमको ःवगर का फिरता भी बनाना चाह तो फिरतापद को ठोकर मार दो मगर अपनी सननता मत बचो

हम इस जीवन और मतय का कई बार अनभव कर चक ह सत कहत ह- तमहारा न तो जीवन ह और न ही मतय ह तम जीव नही तम िशव हो तम अमर

हो तम अननत अनािद सिचचदाननद परमातमा हो यिद इस जनम-मरण क खल स थक चक हो इनक खोखल पन को जान चक हो इसक असारपन स पिरिचत हो चक हो तो िकसी सत क सािननधय का लाभ उठाकर फकीरी मौत को जान लो िफर तमह कोई दःख कोई मतय भयभीत नही कर सकगी िफर िजस आना हो वह आव जाना हो वह चला जाव सख आव तो आन दो दःख आव तो आन तो जो आयगा वह जायगा तम द ा बनकर दखत रहो तम अपनी मिहमा म मःत रहो

मौत स भी मौत का भय बदतर ह भय म स ही सार पाप पदा होत ह भय ही मतय

ह लोग पछत ह- ःवामी जी आतम-साकषातकार हो जाता ह िफर उसक बाद कया होता

ह होता कया ह हम अपन ःव प म जाग जात ह उसक बाद हमस जो भी वि होती ह वह आननदमय ही होती ह ससार की कोई भी दःखपणर घटना हमको दःखी नही कर सकती

िफर यह शरीर रह या न रह हमार आननद म कोई अनतर नही पड़ता उस आननदःव प अपन आतमदव को जानना-यही जीवन का परम कतरवय ह परनत इस परम कतरवय की ओर मनय का धयान जाता नही और छोटी-मोटी तचछ वि यो म ही अटका रह जाता ह

हम कही याऽा म िनकलत ह तो राःत क िलए िटिफन भरकर भोजन साथ ल लत ह

भोजन स भी अिधक महतव पानी का ह परनत उसक िलए सोच लत ह िक चलो ःटशन पर भर लग घर स पानी लकर चलन की िचनता नही करत पानी स भी यादा ज री हवा ह उसक िबना तो एक िमनट भी नही चलता िफर भी हवा का कोई िसलनडर भरकर साथ नही लत कयोिक हम सब जानत ह िक वह तो सवरऽ ह इसिलए हवा क िलए हम कोई िचनता नही करत

हवा स कम ज री पानी क िलए पानी स कम ज री भोजन क िलए हम यादा िचनता करत ह उसी कार अपन आननदःव प आतमा म जागन क परम कतरवय को छोड़कर कम महतव क ःथल शरीर क लालन पालन एव उसस सबिधत वयवहार को सभालन म ही हम लग रहत ह शरीर असत जड़ और दःख प ह उसको चलान वाला सआम भतो स िनिमरत सआम शरीर ह उसको भी चतन स ा दन वाला सत-िचत-आननदःव प आतमा ह इस आननद-ःव प आतमा को असत-जड़ दःख प और मरणधमार समझकर जीवनभर मौत क भय स भयभीत बन रहत ह

अनत परमातमा म न तो उतथान ह न पतन न जनम ह न मरण वहा तो सब एकरस

ह हम ही मोहवश अपना ससार खड़ा कर लत ह और एक दसर क साथ सबध बनाकर अपन को जानबझकर बधन म डाल दत ह

एक सत क पास एक स जन का पऽ आया उसम िलखा थाः ःवामी जी आपक

आशीवारद स हमार यहा पऽ का जनम हआ ह सत न उ र म उस िलखा िकः तम झठ बोलत हो िफर जब स जन सत क पास गया तब कहा िकः ःवामी जी म सच कहता ह मर यहा पऽ का जनम हआ ह इस पर सत न िफर स कहा िकः तम झठ बोलत हो यह सनकर उन स जन को बड़ा आ यर हआ वह िवःफािरत नऽो स सत की ओर दखन लगा तब सत न कहाः

पऽ का जनम नही हआ िपता का जनम हआ ह माता का जनम हआ ह काका-मामा

का जनम हआ ह पऽ को तो खबर ही नही ह िक मरा जनम हआ ह और म िकसी का पऽ भी ह परनत हम उस पर सार समबनध आरोिपत कर दत ह

वःततः पचभतो म कोई आकार बना ह उस पऽ का नाम द िदया समय आन पर यह आकार िबखर जायगा यह आकार बन उसम हषर और यह आकार िबखर जाय उसम शोक कसा भय कसा

िजस शरीर को हम म मानत ह उसकी कित तो दखो िपया तो था अमत जसा

मीठा जल और िनकाला मऽ प म गदा पानी खाय तो थ मोहनथाल दधपाक छपपन भोग पर बन गया सब िव ा प शरीर का सग करन पदाथर की ऐसी अवःथा बन जाती ह सत-िचत-आननदःव प आतमा भी अपन को भलकर शरीर क साथ एक होकर ःवय को म शरीर मान लती ह और दीन हीन एव दःखी बन जाती ह परनत जब वह अपन आपम जाग जाती ह तब अपन को दवो का दव अनभव करती ह

यिद हमन शरीर क साथ अहबि की तो हम म भय वया हो ही जायगा कयोिक शरीर

की मतय िनि त ह उसका पिरवतरन अवयभावी ह उसको तो ःवय ाजी भी नही रोक सकत परनत यिद हमन अपन आतमःव प को जान िलया ःव प म हमारी िन ा हो गई तो हम िनभरय हो गय कयोिक ःव प की मतय होती नही मौत भी उसस डरती ह

ःवामी अखणडाननद सरःवती एक बार रल क तीसर दज म याऽा कर रह थ व यह

जानना चाहत थ िक तीसर दज म लोगो ारा िकय जान वाल मान-अपमान का भाव उनक िदल पर होता ह िक नही आतमिनरीकषण स उनह पता चला िक भाव तो होता ह यह बात उनहोन ौी उिड़या बाबा को बतायी उिड़या बाबा न कहाः

तम बठत ही कचर क ढर पर हो आशा करत हो िक मझ पर कोई कचरा न फ क मझ

कचर की दगरनध न आव यह कस हो सकता ह तम बठत हो शरीर म और आशा रखत हो िक मान-अपमान का असर न हो ःवय को शरीर माना तो मान-अपमान सख-दःख होगा और जनम-मतय भी होगी

वदानत क रहःय को समझना यह कोई ि यो का काम नही ह ी अथारत कित क

शरीर क म मानकर जीनवाला एक बार राजा जनक िव ानो की सभा म बठ थ उस सभा म गाग आई वह िबलकल

िदगमबर (न न) थी ऐसी अवःथा म सभा म गाग का वश पिडतो को रचा नही इसिलए उनहोन नाक-भ िसकोड़ िलया परषो स भरी सभा म एक न न ी

गाग बोलीः ऐ पिडतो नाक भ कयो िसकोड़त हो

पिडतो न कहाः तम एक अबला ऐसी अवःथा म परषो की सभा म जो आई हो

गाग तरनत बोलीः कौन कहता ह िक म अबला ह म सबला ह अबला तो तम हो जो अपना रकषक बाहर ढढत हो म अपना रकषक आप ह म यह शरीर नही ह म तो सत -िचत-आननदःव प आतमा ह म अपन आपको जानती ह

िजसको जानकर गाग िनभरय बन गई थी उस आननदःव प अपन आतमदव को जो

जान लता ह उसी म िःथत हो जाता ह वह जीवन और मौत दोनो स पर दोनो का द ा बन जाता ह उस िफर कोई भय नही रहता वह सदव आननद म मःत रहता ह

मरो मरो सब कोई कह मरना न जान कोई एक बार ऐसा मरो िक िफर मरना न होई

मगलमय जीवन मगलमय िववाह मगलमय सबध उस परम मगल चतनय क कारण ही

हो सकत ह न िक शि शरीर क बा प-रग पर िवमोिहत होन स महाराज जी क पास आकर एक मिहला कहन लगीः मर पित ःवगरःथ हो गय ह

उनका िवयोग सहा नही जाता ऐसा कोई उपाय बताओ िक उनका िहत हो और मझ शाित िमल

दसरा एक वयि आया और बोलाः मरी प ी मझ अकला छोड़कर चल बसी ह

तीसर न कहाः मरा बटा ःवगरःथ हो गया ह उसकी मीठ याद आती ह मर मन म आता ह िक उसक पीछ म भी आतमहतया करक मर जाऊ बाबा जी शािनत का कछ उपाय बताइय

महाराज जी न कहाः ह भि मिहला पित की याद आय तो उनह खब आदरपवरक कहोः

मरणधमार शरीर म होत हए भी आप अमर थ शरीर क मरन पर भी आप नही मर दह न र ह आप शा त हो चतनय हो आप परम र का अिवनाशी अश हो जनम-मतय आपका धमर नही ह पाप-पणय आपका कमर नही ह आप अजर हो श ब हो हम परःपर पािथरव शरीर की ीित करक मोह म सड़ रह थ िवकारो म दब रह थ अब पािथरव शरीर की ीित स म होकर अपािथरव आतमा म िःथत हो जाओ

वह शादी बरबादी म बदल जाती ह िजसम एक दसर क शरीर को पयार करत ह वह

मगलमय शादी आबादी की ओर ल जाती ह जहा प ी पित को पित प ी को पऽ िपता को िपता पऽ को शरीर क प म नही अिपत शरीरो क आधार श चतनयःव प म दख परःपर अपन चतनयःव प की याद िदलाव और रणा द

ह भि मिहला अपन पित को याद करक उनक जीवातमा को यह रणा दो इसस

उनकी भी उननित होगी और तमहारी उननित होगी ऐसा िचनतन करो िकः ह चतनयःव प मर आतमन शरीर को पाच भत क पतल

को तयागन क बाद भी आपका अिःततव ह आप आतमा हो परम र हो अमर हो चतनय हो शा त हो

इसी कार अपनी प ी को और ःवगरःथ पऽ पिरवार को ःमरण करक उनको उननत

करो और आप भी उननत बनो जीत-जी भी परःपर इसी भाव स उननत करो मतय मगलमय हो जाय ऐसा वातावरण बनाओ

जो वयि मतय को ा हो चक ह उनक ौा ो क िदनो म तथा ःमरण क व उनह

सझाव दो िकः जनम-मतय तमहारा धमर नही था पाप-पणय तमहारा कमर नही था तम अजर

अिवनाशी िनलप शा त सनातन नारायण क अश हो अतः अपन परम र ःवभाव को सभालो ःमरण करो

अपन पित प ी पऽ का नाम लकर कहो िकः तम वही हो सचमच म वही हो जो

मरन क बाद भी नही मरता ॐॐॐ तम चतनय आतमा हो ॐॐॐ शा त परम र हो ॐॐॐ अिवनाशी परमातमा हो ॐॐॐ

पथवी पर क ःवपन तलय सबधो का ःमरण करक तम नीच न िगरो अिपत आतमा-

परमातमा क सबध को याद करत हए अपना ऐिहक जीवन मगलमय बनाओ ससार स कच करक जाओ उस समय तमहार कटमबी आतमा परमा तमा की एकता और अमरता तमहारी िनतयता और म ता का ःमरण तमह अत समय म करा द ऐसी वयवःथा करो

कोई चल बसन वाल हो या चल बस हो उनको याद करक उनकी ओर िदवय िवचार

अमर आतमा का सनदश भजो इस कार तम उ म सवा कर सकत हो और जीिवतो को जीवनदाता म जगा सकत हो दोनो इस कार परःपर सहायता करोग और पाओग

टिलफोन पर अपन दर क सबधी स हम जब बात करत ह तो उस यऽ म स आन वाली

धविन अपन सबधी की होती ह ऐस ही शरीर पी यऽो स जो कछ ःनह सातवना सहानभित म या काश हम पात ह वह भीतर वाल परम र का ही होता ह उनको या उनक िचऽो को

दखो तो उन िचऽो क पीछ खड़ उस शा त सतय को परम िमऽ को पयार करो और उनह भी याद िदलाओ िकः ह शा त आतमा ह परातन ह अिवनाशी नाशवान ससार और शरीर बदलत ह लिकन तम अबदल आतमा हो ॐॐॐ

बचपन बदल गया यौवन बदल गया बढ़ापा बदल गया शरीर बदल गया िफर

तम भी हो तम वह अमर आतमा हो िजस पर काल का भी कोई भाव नही चलता ह अकाल आतमा अपनी मिहमा म जागो इस कार क िवचार भजन स मगल करोग और मगल को पाओग जीवन मगलमय होन

लगगा मतको की मतय भी मगलमय हो जायगी मगल भवन अमगलहारी िवचारो को सदव एक दसर क ित सािरत करो ॐ आननद

आननद आननद रोत चीखत मोहमाया म पड़कर उनको याद करत हो तो उनका और अपना सतयानाश

करत हो उनको नीच िगरात हो उनकी आतमा को भटकात हो अपन को तचछ बनात हो अमागिलक िवचारो को कतई ःफिरत न होन दो सदव मगलमय िवचार हो जायगा मगलमय जीवन मतय भी मगलमय हो जायगी ॐ ॐ ॐ

ॐॐॐॐॐॐॐॐ जीवन और मतय आतमा-परमातमा को पान क दो पहल ह रात क बाद िदन िदन क

बाद रात होती ह इसी तरह जीवन और मतय चोल बदलत हए अनभवो स गजरत हए अपन आतमःव प को ःव प को पान क िलए मगलमयी अवःथा ह

िदन िजतना पयारा ह रात भी उतनी ही आवयक ह जीवन िजतना पयारा ह मतय भी

उतनी ही आवयक ह मतय मान आतमिशव क मिनदर म जान क िलए ऊची सीिढ़या मतय मान मा की गोद म बालक सो गया और उमा शि ताजगी ःफितर पाकर िफर सबह खलता ह मतय मान मा की गोद म थकान िमटान को जाना िफर नया तन ा करक अपनी मगलमय याऽा करना

त वदि स दखा जाय तो यह जीवन-मतय की याऽा कित म हो रही ह तमह

परमातमाःव प म जगान क िलए गीता म भगवान ौी कण कहत ह-

न जायत ियत वा कदािचननाय भतवा भिवता वा न भयः अजो िनतयः शा तोऽयपराणो न हनयत हनयमान शरीर

त वतः यह आतमा न कभी जनमता ह और न मरता ह न यह उतपनन होकर िफर होन

वाला ही ह यह जनमरिहत िनतय िनरनतर रहन वाला शा त और परातन अनािद ह शरीर क मार जान पर भी वह नही मारा जाता

(गीताः 220) शव की ःमशानयाऽा म मटका ल जात ह फोड़ दत ह यह याद िदलान क िलए िक दह

मानो मटका ह इस मगलमय मतय को पीछ िव ल होन की आवयकता नही ह यह मटका सवा करन क िलए िमला था जीणर-शीणर हआ टट गया िफर नया िमलगा मगलमय आतमा-परमातमा की ाि तक यह मगलमय जनम-मरण की याऽा तो चलती ही रहगी इसम िव ल होकर रोना-चीखना िनरा मोह ह अगर इस मोह को पोसा जाय और िकसी की मतय न हो तो ससार महा नरक हो जायगा माली अगर बगीच म काट-छाट न कर तो बगीचा बगीचा ही न रहगा अिपत भयानकर जगल हो जायगा

स ा न मतय का मगलमय िवधान न बनाया होता तो आदमी म तयाग सवा नता क

सदगण ही नही िखलत सब अमर होकर अिड़यल की तरह उलझ रहत रािऽ स अरणोदय अरणोदय स िफर मगलमयी रािऽ की अिनवायर आवयकता ह िवराट

की यह चणड बीड़ा तमह अपन िवराट ःवभाव म जगान क िलए आवयक ह मतय मान महायाऽा महाःथान महािनिा अतः जो मर गय ह उनकी याऽा मगलमय

हो आतमोननितद हो ऐसा िचनतन कर न िक अपन मोह और अजञान क कारण उनको भी भटकाए और खद भी परशान हो

कइयो की मतय बालयकाल म या यौवन म हो जाती ह जस मा न बचच को कपड़

पहनाए और नही जच उठा िलय िफर नय व ो स सजाया-धजाया अथवा यो कहो िक बचचा िखलौनो म रम जाता ह िखलौन नही छोड़ना चाहता परनत मगलमयी मा उस बलात उठा लती ह अपनी गोद म सलाती ह अपनी उमा सािननधय िवौािनत स उस प करक िफर नतन भात को उस खलन क िलए बीडागन म भज दती ह ऐस ही जीवातमा का बीडागन ससार ह अतः अनक शरीर बदलत हए अबदल की मगलमय याऽा करन क िलए जीवन और मतय को मगल िवधान समझकर ई र की हा म हा करत हए अपनी याऽा उननत कर

ॐॐॐ

ॐॐॐॐॐॐॐॐ

अनबम

िचतन पराग ई र का बनाया हआ त भल ही बना रह उसको िमथया समझ लन माऽ स का

बोध हो सकता ह साधक का काम त को िमथया समझन स ही चलता ह इचछाओ की ति का उपाय एक ही ह िक इचछाए तयाग दी जाए िजस िववकी न इस

जगत को सपन या इनिजाल क समान समझ िलया ह िजस दय न प म िदखन लगा ह वह दोषदश िववकी भला बताओ इसम अनराग कस कर

जञानी जागरण को सतय समझना छोड़ दन पर िफर पहल की भाित अनर नही होता

जञानी तयक वःत को अपना आतमा समझता ह मद की कलपना को बार-बार मन म लाना काम-वासना स म होन का सव म उपाय

बताया गया ह मद को पड़ हए दखकर मन घबरान लगता ह पिरणाम की कयो परवाह करत हो अपनी तनखवाह क बार म कभी िफब मत करो

अजञानी लोग समझत ह िक कायर की सफलता म कायर करन की अपकषा अिधक आननद ह इन अनधो को यह मालम ही नही ह िकसी पिरणाम स उतना सख नही िमलता िजतना काम करन स िमलता ह

अपन िवचारो को सदा वाःतिवक आतमा म रखो और पिरिःथितयो की परवाह मत करो तब तक आपकी हािन नही हो सकती जब तक िक आप ःवय उस नही बलात तलवार

तब तक नही काट सकती जब तक आप यह न सोच िक यह काटती ह ऐ पणर तर िलए कोई कतरवय या कायर शष नही ह सारी कित सास रोक तरी

सवा क िलए खड़ी ह ससार तरी पजा करन का अवसर पाकर अपन को कतकतय करना चाहता ह कया त कित की शि यो को अपन चरणो म झकन का अवसर दगा

अपन भीतर सतय क काश को सदा चमकता रखो भय और लोभन का शतान तमहार

पास नही फटकगा

बाहर की बातो म कछ भी नही मान अपमान अपना काम िकय जा िनिशिदन इसम ही सममान

दसर लोग तमहारी आलोचना िनदा करत हो उनह रोकन की च ा न करो कयोिक इनही

सब बातो क ारा तमम सदगणो की वि होगी जब तक तमहारा दय इतना दढ़ नही ह िक तम मख क बकन पर िःथर और शात बन रहो अथवा तमम इतनी सहनशीलता नही ह िक अजञानी मख को कषमा कर सको तब तक तम अपन को कही जञानी न समझ बठना

यिद तम शरीर और मन स ऊपर उठ जाओ तो सब िचनता और भयो स छट हो

जाओग िकसी भी आकिःमक दघरटना स धयर न छोड़ो कयोिक घबराहट स शि तथा बि का

नाश होता ह िकसी भी कार की किठनाइयो क आग दःिखत न होकर गमभीरतापवरक उनका सामना करो तभी तम िनःसनदह िवजय ा करोग तम कही भी हतोतसािहत होकर िनराश न होओ

ऐसी कौन-सी िवपि ह जो मरी सननता को न कर सकती ह वह कौन-सा रज ह जो

मर आननद म िव न डाल सकता ह म तो िव ाणड का भ ह म बि का भ ह िदमाग का मािलक ह और मन का शासक ह ससार मझम ह म ससार म नही आ सकता िव मझम ह म िव म नही बध

सकता सयर और नकषऽ मझम उदय और अःत होत ह दह और दिनया दोनो ई र क भीतर ह वही ई र म ह म िनिलर आतमा ह मरा जनम नही मतय नही म अजर-अमर ह म िचदाननद

आतमःव प ह म िमथया त िमथया धमर िमथया कमर िमथया और जगत िमथया और ऐसा तीत

होता ह िक म सवरःव ह म ही सवरजञ सवरगत आतमा ह अपना साकषी ह कदािप उन नाम पो म फसा नही ह

म िवश ह असखय ाणड मझम पड़ ह म असःपयर ह मरा ःव प िनिलर ह

मझ दःख स कोई भय नही ह मझ समय की जरा भी िचनता नही आतमाननद वाल को भय और आशका कसी

िकसी भी डर को अपन पास मत फटकन दो लोग यिद तमहार बराई करत ह तो तम उनह आशीवारद दो ऐस ःथान पर जाओ जहा

लोग तमस घणा कर तम तो म हो पहल स ही म हो सवरदा कहोः म सदा आननदःव प ह म

म ःवभाव ह म अननत ःव प ह मरी आतमा का आिद और अनत नही ह सभी मर आतमःव प ह

सननतापवरक अपमान सहन करन स और नता धारण करन स अिभमान की िनवि

होती ह िकसी पिवऽ ःथान पर जाओ तो वहा क अनशासन का पालन करो वहा चपपलो की

चटाक-पटाक आभषणो की खनखनाहट भड़कील व ो की फरफराहट आिद हमस न हो इसका परा धयान रखो कही भी िकसी क भी िच को या शात वातावरण को अशात करन का हम कोई अिधकार नही ह

अपन िकसी भी दःख या अशाित का कारण बाहर मत ढढो बाहर की पिरिःथितयो या

वयि यो को दोष मत दो कारण अपन भीतर ढढो िनद ष भाव स ढढोग तो कारण भीतर ही िमल जायगा उस दर करन की च ा करो शातिच रहन का यही बहमलय उपाय ह

जो आतम-अनशािसत ह व ही शासन कर सकत ह ऐसा करन क िलए नाम-जप कर

धयान कर िकसी आतमिन सत का पावन सािननधय ा कर सब तरह स िनभरय एव सनन बनन का यह ौ साधन ह

िवन बनो िनरहकारी बनो अपन आपको बड़ा बतान की च ा न करो िवनता एव

िनरािभमानता ही तमह बड़ा बनायगी िवनता मनय का बहत बड़ा भषण ह िनमरल दि रखो िकसी क दोष दखना यह बहत बड़ा दगरण ह िछिानवषी न बनो

दसरो क दोष दखना पाप अजरन करना ह गणमाही बनो

ॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐ

अनबम

  • मगलमय जीवन-मतय
  • मतय क परकार
  • मतय भी जीवन क समान आवशयक
  • सिकनदर न अमत कयो नही पिया
  • बिना मतय को जान जीवन जीवन नही
  • मतय किसकी होती ह
  • भगवान शरीराम और तारा
  • मतयः कवल वसतर परिवरतन
  • फकीरी मौतः आननदमय जीवन का दवारः
  • यमराज और नचिकताः
  • सचच सत मतय का रहसय समझात ह
  • मतयः एक विशरानति-सथानः
  • वासना की मतय क बाद परम विशरानति
  • धतराषटर का शोकः
  • घाटवाल बाबा का एक परसग
  • फकीरी मौत ही असली जीवन
    • फकीरी मौत कया ह
      • सकरात का अनभव
      • आधयातमविदयाः भारत की विशषताः
      • तीन परकार क लोगः
      • जञान को आय स कोई निसबत नही
      • योगसामरथयः एक परतयकष उदाहरण
      • योग भी साधना का आखिरी शिखर नही
      • गणातीत सत ही परम निरभयः
      • सतो का सनदशः
      • चितन पराग

का भय हम किमपत करता रह ऐसा नीरस जीवन भयपणर जीवन मौत स भी बदतर जीवन ह ऐसा जीवन जीन म कोई सार नही यह जीवन जीवन नही ह

यिद जीवन ही जीना ह यिद रसमय जीवन जीना ह यिद जीवन का ःवाद लत हए

जीवन को जीना ह तो मौत को आमिऽत करो मौत को बलाओ और होशपवरक मौत का अनभव करो जो सत मौत का अनभव कर चक ह उनका सग करक मौत की पोल को जान लो िफर तो आप भी मःत होकर उनकी तरह कह उठ गः

जा मरन त जग डर मोर मन आननद

अनबम

मतय िकसकी होती ह अभी तो िजस तम जीवन कहत हो वह जीवन नही और िजस तम मौत कहत हो वह

मौत नही ह कवल कित म पिरवतरन हो रहा ह कित म जो रहा ह वह सब पिरवतरन ह जो पदा होता िदख रहा ह वही न होता नजर आता ह िजसका सजरन होता िदखता ह वही िवसजरन की ओर जाता नजर आता ह पड़-पौध हो या खाइया हो सागर हो या मरःथल हो सब पिरवतरन पी सिरता म बह जा रह ह जहा नगर थ वहा वीरान हो गय जहा बिःतया थी वहा आज उलल बोल रह ह और जहा उलल बोल रह थ वहा बिःतया खड़ी ह जहा मरःथल थ वहा आज महासागर िहलोर ल रह ह और जहा महासागर थ वहा मरःथर खड़ ह बड़-बड़ ख डो की जगह पहाड़ खड़ हो गय और जहा पहाड़ थ वहा आज घािटया खाइया बनी हई ह जहा बड़ -बड़ वन थ वह भिम बजर और पथरीली हो गई और जो बजर थी पथरीली थी वहा आज वन और बाग-बगीचो क प म हिरयाली फली हई ह

चाद सफर म िसतार सफर म

हवाए सफर म दिरया क िकनार सफर म अर शायर वहा की हर चीज सफर म तो आप बसफर कस रह सकत ह

आप िजस शरीर को म मानत ह वह शरीर भी पिरवतरन की धारा म बह रहा ह

ितिदन शरीर क परान कोष न हो रह ह और उनकी जगह नय कोष बनत जा रह ह सात वषर म तो परा शरीर ही बदल जाता ह ऐसा वजञािनक भी कहत ह इस ःथल शरीर स सआम

शरीर का िवयोग होता ह अथारत सआम शरीर दह पी व बदलता ह इसको लोग मौत कहत ह और शोक म फट-फट कर रोत ह

अनबम

भगवान ौीराम और तारा भगवान राम न जब बाली का वध िकया तो बाली की प ी राम क पास आई और अपन

पित क िवयोग म फट-फट कर रोन लगी राम न उसको धीरज बधात हए कहाः

िकषित जल पावक गगन समीरा पच रिचत यह अधम शरीरा सो तन तव आग सोहा जीव िनतय त कहा लिग रोवा

ह तारा त िकसक िलए िवलाप कर रही ह शरीर क िलए या जीव क िलए

पचमहाभतो ारा रिचत शरीर क िलए यिद त रोती ह तो यह तर सामन ही पड़ा ह और यिद जीव क िलए रोती ह तो जीव िनतय ह वह मरता नही

मतयः कवल व पिरवतरन यिद वाःतव म मौत होती तो हजारो-हजारो बार होन वाली तमहारी मौत क साथ तम भी

मर चक होत आज तम इस शरीर म नही होत यह शरीर तो माऽ व ह और आज तक आपन हजारो व बदल ह अपना ई र कगाल नही ह िदवािलया नही ह िक िजसक पास दो चार ही व हो उसक पास तो अपन बालको क िलए चौरासी-चौरासी लाख व ह कभी चह का तो कभी िबलली का कभी दव का तो कभी गधवर का न जान िकतन-िकतन वश आज तक हम बदलत आय ह व बदलन म भय कसा

यही बात भगवान ौीकण न अजरन स कही हः

वासािस जीणारिन यथा िवहाय नवािन ग ाित नरोऽपरािण तथा शरीरािण िवहाय जीणारनयनयािन सयाित नवािन दही

ह अजरन त यिद शरीरो क िवयोग का शोक करता ह तो यह भी उिचत नही ह कयोिक

जस मनय परान व ो का तयागकर दसर नय व ो को महण करता ह वस ही जीवातमा परान शरीरो को तयाग कर दसर नय शरीरो को ा होता ह

(गीताः 222)

बालक की च डी (नकर) फटन पर उसकी मा उसको िनकाल कर नई पहनाती तो बालक

रोता ह िचललाता ह वही बालक बड़ा होता ह पहल की चि डया छोटी पड़ जाती ह उनह छोड़ता ह बड़ी पहनता ह िफर वह भी छोड़कर पनट पाजामा या धोती आिद पहनता ह ऐस ही परमातमा की सतान भी यो- यो बड़ी होती ह िवकिसत होती ह तयो-तयो उस पहल स अिधक यो य ददीपयमान नय शरीर िमलत ह जीव-जतओ स िवकिसत होत-होत बनदर गाय और आिखर मनय दह िमलती ह मनय िदवय कमर कर स वगण-धान बन तो दव गधवर की योिन िमलती ह उसका ःवभाव रजस धान हो तो वह िफर मनय बनता ह और यिद तामसी ःवभाव रखता ह तो पनः हलकी योिनयो म जाता ह उस मानव को यिद ई र भि क साथ कोई समथर सदगर िमल जाय उस आतमधयान आतमजञान की भख जग वह गरकपा पचा ल तो वही मन य चौरासी क चब म घमन वाला जीव अपन िशवःवभाव को जानकर तीनो गणो स पार हो जाय परमातमा म िमल जाय

व पिरवतरन स भय कसा व बदलन वाला तो कभी भी मरता नही वह अमर ह और पिरवतरन कित का ःवभाव ह तो िफर मौत ह ही कहा यही बात समझात हए गीता म भगवान ौी कण कहत ह अजरन स िक तमह भय िकस बात का ह

हतो वा ापःयिस ःवग िजतवा वा भोआयस महीम

यिद य म शरीर छट गया तो ःवगर को ा करोग और यिद जीत गय तो पथवी का

रा य भोगग (सभी ौोतागण तनमयता स जीवन मतय पर मीमासा सन रह ह ःवामी जी कछ कषण

रककर सभी पर एक रहःयमय दि फ कत ह वातावरण म थोड़ी गमभीरता छाई हई जानकर करत ह)

फकीरी मौतः आननदमय जीवन का ारः आप लोग उदास तो नही हो रह ह न आपको मौत का भय तो नही लग रहा ह न

अभी कवल जीवन पर बात ही चल रही ह िकसी की मौत नही आ रही ह (यह सनकर सभी िखलिखलाकर हस पड़त ह ःवामी जी फकीर मःती म आग कहत

ह)

अर मौत तो इतनी पयारी ह िक उस यिद आमिऽत िकया जाय तो आननदमय जीवन क ार खोल दती ह

एक जवान साध था घमत-घमत वह नपाल क एक पहाड़ की तलहटी म जा पहचा वहा

उसन दखा एक व सत एक िशला पर बठ ह शाम का समय ह सरज िछपन की तयारी म ह उन सत न उस जवान साध को तो दखा तो बोलः

मर परो म इतनी ताकत नही िक अभी म ऊपर पहाड़ पर चढ़कर अपनी गफा तक पहच सक बटा तम मझ अपन कध पर चढ़ाकर गफा तक पहचा दो

यवा साध भी अलमःत था उसन सत को अपन कध पर िबठा िलया और चल पड़ा

उनकी गफा की ओर चढ़ाई बड़ी किठन थी परनत वह भी जवान था चढ़ाई चढ़ता रहा काफी ऊपर चढ़ चकन पर उसन सत स पछाः

गफा अभी िकतनी दर ह

बस अब थोड़ी दर ह चलत-चलत काफी समय हो गया साध पछता रहा और व सत कहत रहः बस अब

थोड़ी ही दर ह मामा का घर िजतना दर िदया िदख उतना दर ऐसा करत-करत रात को यारह बज क करीब गफा पर पहच साध न व सत को कध स नीच उतारा और बोलाः

और कोई सवा

सत उसकी सवा स बड़ सनन थ बोलः बटा तमन बड़ी अचछ सवा की ह बोल अब तझ कया परःकार द वह दख

सामन तीन-चार भर हए बोर रख ह उसम स िजतना उठा सको उतना उठा ल जाओ यवा साध न जाकर बोरो को छकर दखा अनमान लगाया शायद र ी कागजो स भर हए

ह िफर धयान स दखा को अनमान गलत िनकला व बोर नपाली नोटो स भर हए थ उसन अनमन मन स उनको दखा और उलट परो लौट पड़ा सत की ओर सत न पछाः

कयो माल पसनद नही आया व सत पहच हए योगी थ अपन योगबल ारा उनहोन नोटो क बडलो स भर बोर

उतपनन कर िदय थ उनको ऐसी आशा थी िक वह यवा साध अपनी सवा क बदल इस परःकार स खश हो जायगा परनत वह यवा साध बोलाः

ऐसी सब चीज तो म पहल ही छोड़ आया ह इनस कया जीवन की रकषा होगी इनस कया जीवन का रहःय समझ म आएगा इनस कया मौत जानी जा सकगी कया म इनही चीजो क िलए घर बार छोड़कर दर-दर भटक रहा ह जगलो और पहाड़ो को छान रहा ह य सब तो न र हऔर अगर सतो क पास भी न र िमलगा तो िफर शा त कहा स िमलगा

अनबम

यमराज और निचकताः निचकता भी यमराज क सममख ऐसी ही माग पश करता ह कठोपिनषद म निचकता

की कथा आती ह निचकता कहता ह यमराज सः ह यमराज कोई कहता ह मतय क बाद मनय रहता ह और कोई कहता ह नही रहता ह इसम बहत सदह ह इसिलए मझ मतय का रहःय समझाओ तािक सतय कया ह यह म जान सक परनत यमराज निचकता की िजजञासा को परखन क िलए पहल भौितक भोग और वभव का लोभ दत हए कहत ह -

शतायषः पऽपौऽानवणीव बहनपशनहिःतिहरणयम ान भममरहदायतन वणीव ःवय च जीव शरदोयाविदचछिस

ह निचकता त सौ वषर की आयय वाल पऽ-पौऽ बहत स पश हाथी-घोड़ सोना माग

ल पथवी का िवशाल रा य माग ल तथा ःवय भी िजतन वषर इचछा हो जीिवत रह

(वललीः 123) इतना ही नही यमराज आग कहत ह- मनयलोक म जो भोग दलरभ ह उन सबको ःवचछनदतापवरक त माग ल यहा जो रथ

और बाजो सिहत सनदर रमिणया ह व मनयो क िलए दलरभ ह ऐसी कािमनयो को त ल जा इनस अपनी सवा करा परनत ह निचकता त मरण समबनधी मत पछ

िफर भी निचकता इन लोभनो म नही फसता ह और कहता हः य सब भोग सदव रहन वाल नही ह और इनको भोगन स तज बल और आयय कषीण

हो जात ह मझ य भोग नही चािहए मझ तो मतय का रहःत समझाओ

अनबम

सचच सत मतय का रहःय समझात ह ठ क इसी कार वह यवा साध उन व सत स कहता हः मझ य नोटो क बडल नही

चािहए आप यिद मझ कछ दना ही चाहत ह तो मझ मौत दीिजए म जानना चाहता ह िक मौत कया ह मन सना ह िक सचच सत मरना िसखात ह म उस मौत का अनभव करना चाहता ह

वःततः सत मरना िसखात ह इसीिलए तो लोग रोत हए बचचो को चप करान क िलए

कहत ह - रो मत चप हो जा नही तो वह दख बाबा आया ह न वह पकड़कर ल जायगा भल ही लोग अजञानतावश बाबाओ अथवा सतो स बचचो को डरात हए कहत ह िक व ल जायग परनत िजनको सचच सत ल जात ह अथवा जो उनका हाथ पकड़ लत ह व तर जात ह सचच सत उनको सब भयो स म कर दत ह और उनको ऐस पद पर िबठा दत ह िक िजसक आग ससार क सार भोग-वभव धन-समपि पऽ-पौऽ यश-ित ा सब तचछ भािसत होत ह परनत ऐस सचच सत िमलन दलरभ ह और दढ़ता स उनका हाथ पकड़न वाल भी दलरभ ह िजनहोन ऐस सतो का हाथ पकड़ा ह व िनहाल हो गय

उस यवा साध न भी ऐस ही सत का हाथ पकड़ा था मौत को जानन की उसकी बल

िजजञासा को दखकर व व सत बोल उठः अर यह कया मागता ह यह भी कोई मागन की चीज ह ऐसा कहकर उनहोन यवा साध को थोड़ी दर इधर-उधर की बातो म लगाया और मौका दखकर उसको एक तमाचा मार िदया यवक की आखो क सामन जस िबजली चमक उठ हो ऐसा अनभव हआ और दसर ही कषण उसका ःथल शरीर भिम पर लट गया उसका सआम शरीर दह स अलग होकर लोक-लोकानतर की याऽा म िनकल पड़ा लोग िजसको मतय कहत ह ऐसी घटना घट गई

ातःकाल हआ रात भर आननदमय मतय क ःवाद म डब हए उस यवा साध क ःथल

शरीर को िहलाकर व सत न कहाः बटा उठ सबह हो गई ह ऐस कब तक सोता रहगा यवा साध आख मलता हआ सननवदन उठ बठा िजसको मतय कहत ह उस मतय को

उसन दख िलया अहा कसा अदभत अनभव उसका दय कतजञता स भर उठा वह उठकर फकीर क चरणो म िगर पड़ा

लोग कहत ह िक मरना दःखद ह और इसीिलए मौत स डरत ह िजनको ससार म मोह

ह उनक िलए मौत भयद ह परनत सतो क िलए मोह रिहत आतमाओ क िलए ऐसा नही ह

अनबम

मतयः एक िवौािनत-ःथानः मौत तो एक पड़ाव ह एक िवौािनत-ःथान ह उसस भय कसा यह तो कित की एक

वयवःथा ह यह एक ःथानानतर माऽ ह उदाहरणाथर जस म अभी यहा ह यहा स आब चला जाऊ तो यहा मरा अभाव हो गया परनत आब म मरी उपिःथित हो गई आब स िहमालय चला जाऊ तो आब म मरा अभाव हो जायगा और िहमालय म मरी हािजरी हो जायगी इस कार म तो ह ही माऽ ःथान का पिरवतरन हआ

तमहारी अवःथाए बदलती ह तम नही बदलत पहल तम सआम प म थ िफर बालक

का प धारण िकया बालयावःथा छट गई तो िकशोर बन गय िकशोरावःथा छट गई तो जवान बन गय जवानी गई तो व ावःथा आ गई तम नही बदल परनत तमहारी अवःथाए बदलती ग

हमारी भल यह ह िक अवःथाए बदलन को हम अपना बदलना मान लत ह वःततः न

तो हम जनमत-मरत ह और न ही हम बालक िकशोर यवा और व बनत ह य सब हमारी दह क धमर ह और हम दह नही ह सतो का यह अनभव ह िकः

मझ म न तीनो दह ह तीनो अवःथाए नही मझ म नही बालकपना यौवन बढ़ापा ह नही जनम नही मरता नही होता नही म बश-कम म ह म ह ितह काल म ह एक सम

मतय नवीनता को जनम दन म एक सिधःथान ह यह एक िवौाम ःथल ह िजस

कार िदन भर क पिरौम स थका मनय रािऽ को मीठ नीद लकर दसर िदन ातः नवीन ःफितर लकर जागता ह उसी कार यह जीव अपना जीणर-शीणर ःथल शरीर छोड़कर आग की याऽा क िलए नया शरीर धारण करता ह परान शरीर क साथ लग हए टी बी दमा कनसर जस भयकर रोग िचनताए आिद भी छट जात ह

वासना की मतय क बाद परम िवौािनत ःथल शरीर स सआम शरीर का िवयोग िजसको मतय कहा जाता ह वह िवौाम-ःथल तो

ह परनत पणर िवौाित उसम भी नही ह यह फकीरी मौत नही ह फकीरी मौत तो वह ह िजसम सारी वासनाए जड़ सिहत भःम हो जाए भीतर यिद सआम वासना भी बची रही तो जीव िफर स नया शरीर धारण कर लगा और

िफर स सख-दःख की ठोकर खाना चाल कर दगा िफर स वहीः

पनरिप जनन पनरिप मरण पनरिप जननी जठर शयनम

अनबम

धतरा का शोकः करकषऽ क य म दय धन सिहत जब सार पऽ मार गय तो धतरा खब दःखी हए और

िवदर स कहन लगः कण और पाडवो न िमलकर मर सब पऽो का सहार कर िदया ह इसका दःख मझस सहन नही होता एक एक कषण वयतीत करना मझ वष जसा लमबा लग रहा ह

िवदर धतरा को समझात हए कहत ह - जो होना होता ह वह होकर ही रहता ह आप

वयथर म शोक न करो आतमा अमर ह उसक िलए मतय जसी कोई चीज नही ह इस शरीर को छोड़कर जो जाता ह वह वापस नही आता इस बात को समझकरः राम राख तम रिहय ह भाई शोक न करो

परनत धतरा का शोक कम नही हआ वह दढ़तापवरक कहन लगाः तम कहत हो वह

सब समझता ह िफर भी मरा दःख कम नही हो ता मझ अपन पऽो क िबना चन नही पड़ रहा ह पलभर को भी िच शात नही रहता

अजञानी सोचता ह िक िजस कार म चाहता ह उसी कार सब हो जाय तो मझ सख

हो यही मनय का अजञान ह शा और सतो का िकतना ही उपदश सनन को िमल जाय तो भी वह अपनी मानयताओ

का मोह सरलता स छोड़न को तयार नही होता िवदर का धमरय उपदश धतरा को सानतवना नही द सका धतरा शा ो स िबलकल अनिभजञ था ऐसी बात नही थी िफर भी उसका शा जञान उस पऽो क मोह स म नही कर सका

अनबम

घाटवाल बाबा का एक सग हिर ार म घाटवाला बाबा क नाम स िस एक महान सत रहत थ बहत सीध -साद

और सरल कमर म कतान (टाट) लपट रहत थ ऊपर स िदखन म िभखारी जस लगत मगर भीतर स साट थ उनक पास एक वयि आया और बोलाः महाराज मझ शाित चािहए

महाराज न पहल उस धयान स दखा िफर कहाः शाित चािहए तो तम गीता पढ़ो

यह सनकर वह च ककर बोलाः गीता गीता तो म िव ािथरयो को पढ़ाता ह म कालज म ोफसर ह गीता मरा िवषय ह गीता म कई बार पढ़ चका ह उस पर तो मरा काब ह

महाराज बोलः यह ठ क ह अब तक तो लोगो को पढ़ाकर पसो क लाभ क िलए गीता

पढ़ी होगी अब मन को िनयिऽत करक शाित लाभ क िलए पढ़ो लोग शा ो म स सचनाए और जानकािरया इक ठ करक उस ही जञान मान लत ह

दसरो को भािवत करन क िलए लोग शा ो की बात करत ह उपदश दत ह परनत उनह अपन आपको कोई अनभित नही होती मतय क िवषय म भी लोग िव तापणर वचन कर सकत ह मतय स डरन वालो को आ ासन और धयर द सकत ह परनत मौत जब उनही क सममख साकषात आकर खड़ी होती ह तो उनकी रग -रग काप उठती ह कयोिक उनको फकीरी मौत का अनभव नही

कई लोग कहत ह िक जीवन और मौत अपन हाथ म नही ह परनत यह उनक िलए

ठ क ह िजनको आधयाितमक रहःय का पता नही जो ःवय को शरीर मानत ह दीन-हीन मानत ह परनत योगी जानत ह िक जीवन और मतय इन दोनो पर मनय का अिधकार ह इस अिधकार को ा करन की तरकीब भी व जानत ह कोई िहममतवान जानन को ततपर हो तो व उस बता भी सकत ह व तो खललमखलला कहत ह िक यिद रोत-कलपत हए मरना हो तो खब भोग-भोगो िकसी की परवाह न करत हए खब खाओ िपयो और अमयारिदत िवषय-सवन करो ऐसा जीवन आपको अपन आप मौत की ओर शीयता स आग बढ़ा दगा परनत

यिद मौत पर िवजय ा करनी हो जीवन को सही तरीक स जीना हो तो योिगयो क

कह अनसार करो ाणायाम करो धयान करो योग करो आतमिचनतन करो और ऐसा कोई योगी डॉकटरो क सामन आकर दय की गित बनद करक बता दता ह तो वह बात भी लोगो को

बड़ी आ यरजनक लगती ह लोगो क टोल क टोल उसको दखन क िलए उमड़ पड़त ह परनत यह भी कोई योग की पराका ा नही ह

फकीरी मौत ही असली जीवन इितहास म जञान र महाराज और योगी चागदव का सग आता ह वह तो आप लोग

जानत ही होग चागदव न मतय को चौदह बार धोखा िदया था अथारत जब -जब मौत का समय आता तब-तब चागदव योग की कला स अपन ाण ऊपर चढ़ाकर मौत टाल िदया करत थ ऐसा करत-करत चागदव न अपनी उ 1400 वषर तक बढ़ा दी िफर भी उनको आतमशािनत नही िमली फकीरी मौत ही आतमशाित द सकती ह और इसीिलए चागदव को आिखर म जञान र महाराज क चरणो म समिपरत होना पड़ा

अनबम

फकीरी मौत कया ह

फकीरी मौत ही असली जीवन ह फकीरी मौत अथारत अपन अह की मतय अपन जीवभाव की मतय म दह ह म जीव ह इस पिरिचछनन भाव की मतय

ःथल शरीर स सआम शरीर का िवयोग यह कोई फकीरी मौत नही ह अगर वासना शष

हो तो सआम शरीर बार-बार ःथल शरीर धारण करक इस ससार म जनम-मरण क दःख पणर चककर म भटकता रहता ह

जब तक फकीरी मौत नही हो तब तक चागदव की तरह चौदह बार कया चौदह हजार

बार भी ःथल शरीर को बचाय रखा जाय तो भी परम शाित क िबना यह बकार ह लाबधवा जञान परा शाित आतमजञान स ही परम शाित िमलती ह इसी कारण चागदव को फकीरी मौत सीखन क िलए जञान र महाराज क पास आना पड़ा था 1400 वषर का िशय और 22 वषर क गर यही जञान का आदर करन वाली भारतीय सःकित ह जञान स उ को कोई समबनध नही ह

हम तो जीवन म पग-पग पर छोटी-मोटी पिरिःथितयो स घबरा उठत ह ऐसा भयभीत

जीवन भी कोई जीवन ह यह तो मौत स भी बदतर ह इसीिलए कहता ह िक असली जीवन जीना हो िनभरय जीवन जीना हो तो फकीरी मौत को एक बार जान लो

फकीरी मौत अथारत अपन अमरतव को जान लना फकीरी मौत अथारत उस पद पर आ ढ़ हो जाना जहा स जीवन भी दखा जा सक और मौत भी दखी जा सक जहा स ःप प स िदख िक सख-दःख आय और गय बालयावःथा यवावःथा और व ावःथा आई और गई परनत य सब शरीर स ही समबिनधत थ मझ तो व ःपशर तक नही कर सक म तो असग ह अमर ह मरा तो जनम भी नही मतय भी नही

सकरात का अनभव सकरात को जब जहर िदया जान लगा तो उसक िशय रोन लग कयोिक उनको यह

अजञान था िक सकरात अब बचग नही मर जायग सकरात न कहाः अर तम रोत कयो हो अब तक मन जीवन दखा अब मौत को दखगा यिद म मर

जाऊगा तो आज नही तो कल मरन ही वाला था इसिलए रोन की कया ज रत ह और यिद मरत हए भी नही मरा कवल शरीर स ही िछनन-िभनन हआ तो भी रोन की कया ज रत

सकरात न िबना िहचिकचाहट क राजी-खशी स जहर का पयाला पी िलया और िशयो स

कहाः दखो यह रोन का समय नही ह बहत ही महतवपणर बात समझन का समय आया ह

मर शरीर पर जहर का भाव होन लगा ह पर सनन होत जा रह ह घटनो तक जड़ता वया हो गई ह जहर का असर बढ़ता जा रहा ह मर पर ह िक नही इसकी अनभित नही हो रही ह अब कमर तक का भाग सवदनहीन बन गया ह

इस कार सकरात का सारा शरीर ठडा होन लगा सकरात न कहाः अब जहर क भाव स हाथ पर छाती जड़ हो गई ह थोड़ी ही दर म मरी िज ा भी

िनःपद हो जायगी उसस पहल एक मह वपणर बात सन लो जीवन म िजसको नही जान सका उसका अनभव हो रहा ह शरीर क सब अग एक क एक बाद एक िनःपद होत जा रह ह परनत उसस मझम कोई फकर नही पड़ रहा ह म इतना ही पणर ह िजतना पहल था शरीर स म ःवय को अलग असग महसस कर रहा ह अब तक जस जीवन को दखा वस ही अभी मौत को भी दख रहा ह यह मौत मरी नही बिलक शरीर की ह

अनबम

आधयातमिव ाः भारत की िवशषताः सकरात तो शरीर छोड़त-छोड़त अपना अनभव लोगो को बतात गय िक शरीर की मतय

यह तमहारी मतय नही शरीर क जात हए भी तम इतन क इतन ही पणर हो परनत भारत क ऋिष तो आिद काल स कहत आय ह-

शणवनत िव अमतःय पऽा

आ य धामािन िदवयािन तःयः वदाहमत परष महानतम

आिदतयवण तमसः परःतात तमव िविदतवाऽितमतयमित नानयः पनथा िव तऽयनाय

ह अमतपऽो सनो उस महान परम परषो म को म जानता ह वह अिव ा प अधकार

स सवरथा अतीत ह वह सयर की तरह ःवयकाश-ःव प ह उसको जानकर ही मनय मतय का उललघन करन म जनम-मतय क बधनो स सदव क िलए छटन म समथर होता ह परम पद की ाि क िलए इसक अितिर कोई दसरा मागर नही ह

( ता तरोपिनषद) यह कोई वद-उपिनषद काल की बात ह उस समय क ऋिष चल गय और अब नही ह

ऐसी बात नही ह आज भी ऐस ऋिष और ऐस सत ह िजनहोन सतय की अनभित की ह अपन अमरतव का अनभव िकया ह इतना ही नही बिलक दसरो को भी इस अनभव म उतार सकत ह रामकण परमहस ःवामी िववकाननद ःवामी रामतीथर महिषर रमण इतयािद ऐस ही त वव ा महापरष थ और आज भी ऐस महापरष जगलो म और समाज क बीच म भी ह यहा इस ःथान पर भी हो सकत ह परनत उनको दखन की आख चािहए इन चमरचकषओ स उनह पहचानना मिकल ह िफर भी िजजञास और ममकष वि क लोग उनकी कपा स उनक बार म थोड़ा सकत यह इशारा पा सकत ह

अनबम

तीन कार क लोगः ऐस सतो क पास तीन कार क लोग आत ह- दशरक िव ाथ और साधक

दशरक अथारत ऐस लोग जो कवल दशरन करन और यह दखन क िल ए आत ह िक सत कस ह कया करत ह कया कहत ह उपदश भी सन तो लत ह पर उसक अनसार कछ करना ह इसक साथ उनका कोई समबनध नही होता आग बढ़न क िलए उनम कोई उतसाह नही होता

िव ाथ अथारत व जो शा एव उपदश समबनधी अपनी जानकारी बढ़ान क िलए आत ह

अपन पास जो जानकारी ह उसम और वि होव तािक दसरो को यह सब सनाकर अपनी िव ा की छाप उन पर छोड़ी जा सक दसरो स सना याद रखा और जाकर दसरो को सना िदया जस ग स शानसपोटर कमपनी ाईवट िलिमटड- यहा का माल वहा और वहा का माल यहा लाना और ल जाना ऐस लोग भी त व समझन क मागर पर चलन का पिरौम उठान को तयार नही

तीसर कार क लोग होत ह साधक य ऐस लोग होत ह िक जो साधनामागर पर चलन

को तयार होत ह इनको जसा बताया ह वसा करन को पणर प स किटब होत ह अपनी सारी शि उसम लगान को ततपर होत ह उसक िलए अपना मान-सममान तन-मन-धन सब कछ होम दन को तयार होत ह सत क ित और अपन धयय क ित इनम पणर िन ा होती ह य लोग फकीर अथवा सत क सकत क अनसार लआय की िसि क िलए साहसपवरक चल पड़त ह

िव ाथ अपन वयि तव का ौगार करन क िलए आत ह जबिक साधक वयि तव का िवसजरन करन क िलए आत ह साधक अपन लआय की तलना म अपन वयि तव या अपन अह का कोई भी मलय नही समझत जबिक िव ाथ क िलए अपना अह और वयि तव का ौगार ही सब कछ ह अपनी िव ता म वि जानकारी को बढ़ाना वयि तव को और आकषरक बनाना इसी म उस सार िदखता ह त वानभित की तरफ उसका कोई धयान नही होता

यही कारण ह िक सतो क पास आत तो बहत लोग ह परनत साधक बनकर वही िटक

कर त व का साकषातकार करन वाल कछ िवरल ही होत ह

जञान को आय स कोई िनःबत नही िजसन फकीरी मौत को जान िलया हो अथारत िजस आतमजञान हो गया हो वह शरीर की

दि स कम उ का हो परनत उसक आग लौिकक िव ा म वीण और अिधक वय क सफद दाढ़ी-मछ वाल लोग भी बालक क समान होत ह इसीिलए योगिव ा म वीण 1400 वषर क चागदव को कम उवाल जञान र महाराज क चरणो म समिपरत होना पड़ा था ाचीन काल म ऐस कई उदाहरण दखन म आत ह

िचऽ वटतरोमरल व ाः िशया गरयरवा

गरोःत मौन वयाखयान िशयाःतिचछननसशयाः अथारत यह कसा विच य ह िक वटवकष क नीच यवा गर और व िशय बठ ह गर

ारा मौन वयाखयान हो रहा ह और िशयो क सब सशयो और शकाओ का समाधान होता जा रहा ह

अनबम

योगसामथयरः एक तयकष उदाहरण अपन मोटरा आौम म भी ऐस ही करीब स र वषर क सफद बाल वाल एक साधक ह

पहल डीसा म व एक सत क पास गय गय तो थ दशरक बनकर ही परनत सत की दि पड़त ही व दशरक म स साधक बन गय म कछ वषर पवर डीसा क आौम म था तब व मर पास आय थ पकी हई उ म भी व 18 वषर की उ की एक बाला क साथ बयाह रचान की तयारी म थ और आशीवारद मागन हत वहा आय थ उनको दखकर ही मर मह स िनकल पड़ाः

अब तमहारी शादी ई र क साथ कराएग यह सनकर उनको बड़ा आ यर हआ कयोिक न तो व मझ पहल स जानत थ और न ही

म उनह जानता था उस व उनका शरीर भी कसा था चरबी और कफ-िप स ठसाठस भरा हआ एकदम ःथल दमा आिद रोगो का िशकार डीसा म कपड़ क बड़ वयापारी थ धप म िबना छाता िलए दकान स नीच नही उतर पात थ कित ऐसी थी िक िकसी भी सत महातमा को नही गाठ और काम-वासना भीतर इतनी भरी हई थी िक आग की दो पि या शरीर छोड़ चकी थी िफर भी इस उ म तीसरी शादी करन को तयार थ प ी िबना एक िदन भी नही रह सकत थ

घर पहचन पर उनको पता चला िक उनक अनदर जो काम -िवकार का तफान आया था

वह एकदम शात हो गया ह भिवय म प ी बनन वाली उस कमारी क साथ एकात म अनक च ाए करक भी व उस काम-िवकार को पनः नही जगा सक इतना बल िवकार एकाएक कहा चला गया िफर उनको समझ म आया िक सत की ई रीय अहत की कपा उनम उतरी ह उनको सारा ससार सना-सना लगन लगा उनहोन तरनत ही उस कमारी यवती को कछ पय और कपड़ िदय और बटी कहकर रवाना कर िदया उसक बाद उनहोन आसन ाणायाम गजकरणी नित धोित आिद िबयाए सीख ली और िनयिमत प स करन लग इसस उनक शरीर क सार परान कफ-िप -दमा आिद दर हो गय और शरीर म स आवयकता स अिधक चब घटकर शरीर हलका फल जसा हो गया अब तो जवानो क साथ दौड़न की भी ःपधार करत

ह धयानयोग की साधना म उनहोन इतनी गित की ह िक उनको कई कार क अलौिकक अनभव हआ करत ह अपन सआम शरीर ारा व लोक -लोकानतर म घम आया करत ह

योग भी साधना का आिखरी िशखर नही यह भी साधना की कोई आिखरी भिमका नही ह सव चच िशखर नही ह यह भी सब

माया की सीमा म ही ह िफर चमर-चकषओ स दखो अथवा धयान म बठकर दखो कयोिकः

यद दय तद अिनतयम जो िदखता ह वह अिनतय ह जो िदख सो चालनहार चागदव भी योग म कशल थ

काल को कई बार धोखा द चक थ परनत माया को धोखा न द सक व भी साि वक माया म थ माया स पर नही थ

माया ऐसी ठिगनी ठगत िफरत सब दश जो ठग या ठिगनी ठग वा ठग को आदश

कोई िवरल सत ही इस माया को ठग सकत ह माया स पार जा सकत ह बाकी क

लोगो का तो यह माया न र म ही शा त का आभास करा दती ह अिःथरता म िःथरता िदखा दती ह ऐसी मोिहना माया क िवषय म ौी कण कहत ह-

दवी षा गणमयी मम माया दरतयया मामव य प नत मायामता तरिनत त

मरी यह अदभत िऽगणमयी माया का तरना अतयनत दकर ह परनत जो मरी शरण म

आत ह व तर जात ह (गीता)

अनबम

गणातीत सत ही परम िनभरयः ऐसी दःतर माया को जो सत अथवा फकीर तर जात ह और मौत की पोल जान जात ह

व कहत ह- एक ऐसी जगह ह जहा मौत की पहच नही जहा मौत का कोई भय नही िजसस मौत भी भयभीत होती ह उस जगह म हम बठ ह तम चाहो तो तम भी बठ सकत हो

तमहार म एक ऐसा चतन ह जो कभी मरता नही िजसन मौत कभी दखी ही नही जो जीवन और मौत क समय पिरवतरन को दखता ह परनत उन सबस पर ह

यिद घड़ म आया हआ चनिमा का ितिबमब घड़ क पानी को उबलता हआ जानकर यह

मान की म उबल रहा ह पानी िहल तो समझ िक म िहलता ह घड़ा फट गया तो समझ िक म मर गया तो यह उसका अजञान ह परनत उसको यह पता चल जाय िक पानी क उबलन स म नही उबलता पानी क िहलन स म नही िहलता म तो वह चनिमा ह जो हजारो घड़ो म चमक रहा ह िकतन ही घड़ टट -फट गय परनत म मरा नही मरा कछ भी िबगड़ा नही म इन सबस असग ह तो वह कभी दःखी नही होगा

इसी कार हम यिद अपन असगपन को जान ल अथारत म शरीर-मन-बि नही अिपत

आतमा ह- यह हम जान ल तो िफर िकतन ही दह पी घड़ बन और टट -िबखर िकतनी ही सि या बन और उनका लय हो जाय हमको कोई भय नही होगा कयोिक आतमा का ःवभाव हः

न जायत ियत वा कदािचननाय भतवा भिवता वा न भयः अजो िनतयः शा तोऽयपराणो न हनयत हनयमान शरीर

यह आतमा िकसी काल म भी न तो जनमता ह और न मरता ही ह तथा न यह उतपनन

होकर िफर होन वाला ही ह कयोिक यह अजनमा िनतय सनातन और परातन ह शरीर क मार जान पर भी यह नही मारा जाता

(भगवदगीताः 223) अनबम

सतो का सनदशः िजन सतो न यह रहःय जान िलया ह जो इस अमतमय अनभव म स गजर चक ह व

सब भयो स म हो गय ह इसीिलए व अपनी अनभविस वाणी म कहत ह- अपन आतमदव स अपिरिचत होन क कारण ही तम अपन को दीन-हीन और दःखी

मानत हो इसिलए अपनी आतम-मिहमा म जाग जाओ यिद अपन आपको दीन ही मानत रह तो रोत रहोग ऐसा कौन ह जो तमह दःखी कर सक तम यिद न चाहो तो दःख की कया मजाल ह िक तमह ःपशर भी कर सक अननत-अननत ाणड को जो चल रहा ह वह चतन तमहार भीतर चमक रहा ह उसकी अनभित कर लो वही तमहारा वाःतिवक ःव प ह

मनसर को सली पर चढ़ा िदया गया था परनत उनको सली का कोई भय नही था सली

का क उनको ःपशर भी नही कर सका कयोिक मनसर अपनी मिहमा म जग हए थ व यह जान चक थ िक म शरीर नही ह सली शरीर को लग सकती ह मझ नही इसिलए व हसत-हसत सली पर चढ़ गय थ

हम ही जानबझकर अपनी सननता की अपन सख-दःख की चाबी दसरो क हाथो म

स प दत ह कोई थोड़ा हस दता ह तो हम बोिधत हो उठत ह कोई थोड़ी शसा कर दता ह तो हषर स फल उठत ह कयोिक हम अपन को सीिमत पिरिचछनन शरीर या मन ही मान बठ ह

हम अपन वाःतिवक ःव प अपनी असीम मिहमा को नही जानत नही तो मजाल ह

िक जगत क सार लोग और ततीस करोड़ दवता भी िमलकर हम दःखी करना चाह और हम दःखी हो जाय जब हम ही भीतर स सख अथवा दःख को ःवीकित दत ह तभी सख अथवा दःख हमको भािवत करता ह सदव सनन रहना ई र की सव परी भि ह

ःवामी रामतीथर कहा करत थ िक कोई यिद तमहारी सननता छ नकर उसक बदल म

तमको ःवगर का फिरता भी बनाना चाह तो फिरतापद को ठोकर मार दो मगर अपनी सननता मत बचो

हम इस जीवन और मतय का कई बार अनभव कर चक ह सत कहत ह- तमहारा न तो जीवन ह और न ही मतय ह तम जीव नही तम िशव हो तम अमर

हो तम अननत अनािद सिचचदाननद परमातमा हो यिद इस जनम-मरण क खल स थक चक हो इनक खोखल पन को जान चक हो इसक असारपन स पिरिचत हो चक हो तो िकसी सत क सािननधय का लाभ उठाकर फकीरी मौत को जान लो िफर तमह कोई दःख कोई मतय भयभीत नही कर सकगी िफर िजस आना हो वह आव जाना हो वह चला जाव सख आव तो आन दो दःख आव तो आन तो जो आयगा वह जायगा तम द ा बनकर दखत रहो तम अपनी मिहमा म मःत रहो

मौत स भी मौत का भय बदतर ह भय म स ही सार पाप पदा होत ह भय ही मतय

ह लोग पछत ह- ःवामी जी आतम-साकषातकार हो जाता ह िफर उसक बाद कया होता

ह होता कया ह हम अपन ःव प म जाग जात ह उसक बाद हमस जो भी वि होती ह वह आननदमय ही होती ह ससार की कोई भी दःखपणर घटना हमको दःखी नही कर सकती

िफर यह शरीर रह या न रह हमार आननद म कोई अनतर नही पड़ता उस आननदःव प अपन आतमदव को जानना-यही जीवन का परम कतरवय ह परनत इस परम कतरवय की ओर मनय का धयान जाता नही और छोटी-मोटी तचछ वि यो म ही अटका रह जाता ह

हम कही याऽा म िनकलत ह तो राःत क िलए िटिफन भरकर भोजन साथ ल लत ह

भोजन स भी अिधक महतव पानी का ह परनत उसक िलए सोच लत ह िक चलो ःटशन पर भर लग घर स पानी लकर चलन की िचनता नही करत पानी स भी यादा ज री हवा ह उसक िबना तो एक िमनट भी नही चलता िफर भी हवा का कोई िसलनडर भरकर साथ नही लत कयोिक हम सब जानत ह िक वह तो सवरऽ ह इसिलए हवा क िलए हम कोई िचनता नही करत

हवा स कम ज री पानी क िलए पानी स कम ज री भोजन क िलए हम यादा िचनता करत ह उसी कार अपन आननदःव प आतमा म जागन क परम कतरवय को छोड़कर कम महतव क ःथल शरीर क लालन पालन एव उसस सबिधत वयवहार को सभालन म ही हम लग रहत ह शरीर असत जड़ और दःख प ह उसको चलान वाला सआम भतो स िनिमरत सआम शरीर ह उसको भी चतन स ा दन वाला सत-िचत-आननदःव प आतमा ह इस आननद-ःव प आतमा को असत-जड़ दःख प और मरणधमार समझकर जीवनभर मौत क भय स भयभीत बन रहत ह

अनत परमातमा म न तो उतथान ह न पतन न जनम ह न मरण वहा तो सब एकरस

ह हम ही मोहवश अपना ससार खड़ा कर लत ह और एक दसर क साथ सबध बनाकर अपन को जानबझकर बधन म डाल दत ह

एक सत क पास एक स जन का पऽ आया उसम िलखा थाः ःवामी जी आपक

आशीवारद स हमार यहा पऽ का जनम हआ ह सत न उ र म उस िलखा िकः तम झठ बोलत हो िफर जब स जन सत क पास गया तब कहा िकः ःवामी जी म सच कहता ह मर यहा पऽ का जनम हआ ह इस पर सत न िफर स कहा िकः तम झठ बोलत हो यह सनकर उन स जन को बड़ा आ यर हआ वह िवःफािरत नऽो स सत की ओर दखन लगा तब सत न कहाः

पऽ का जनम नही हआ िपता का जनम हआ ह माता का जनम हआ ह काका-मामा

का जनम हआ ह पऽ को तो खबर ही नही ह िक मरा जनम हआ ह और म िकसी का पऽ भी ह परनत हम उस पर सार समबनध आरोिपत कर दत ह

वःततः पचभतो म कोई आकार बना ह उस पऽ का नाम द िदया समय आन पर यह आकार िबखर जायगा यह आकार बन उसम हषर और यह आकार िबखर जाय उसम शोक कसा भय कसा

िजस शरीर को हम म मानत ह उसकी कित तो दखो िपया तो था अमत जसा

मीठा जल और िनकाला मऽ प म गदा पानी खाय तो थ मोहनथाल दधपाक छपपन भोग पर बन गया सब िव ा प शरीर का सग करन पदाथर की ऐसी अवःथा बन जाती ह सत-िचत-आननदःव प आतमा भी अपन को भलकर शरीर क साथ एक होकर ःवय को म शरीर मान लती ह और दीन हीन एव दःखी बन जाती ह परनत जब वह अपन आपम जाग जाती ह तब अपन को दवो का दव अनभव करती ह

यिद हमन शरीर क साथ अहबि की तो हम म भय वया हो ही जायगा कयोिक शरीर

की मतय िनि त ह उसका पिरवतरन अवयभावी ह उसको तो ःवय ाजी भी नही रोक सकत परनत यिद हमन अपन आतमःव प को जान िलया ःव प म हमारी िन ा हो गई तो हम िनभरय हो गय कयोिक ःव प की मतय होती नही मौत भी उसस डरती ह

ःवामी अखणडाननद सरःवती एक बार रल क तीसर दज म याऽा कर रह थ व यह

जानना चाहत थ िक तीसर दज म लोगो ारा िकय जान वाल मान-अपमान का भाव उनक िदल पर होता ह िक नही आतमिनरीकषण स उनह पता चला िक भाव तो होता ह यह बात उनहोन ौी उिड़या बाबा को बतायी उिड़या बाबा न कहाः

तम बठत ही कचर क ढर पर हो आशा करत हो िक मझ पर कोई कचरा न फ क मझ

कचर की दगरनध न आव यह कस हो सकता ह तम बठत हो शरीर म और आशा रखत हो िक मान-अपमान का असर न हो ःवय को शरीर माना तो मान-अपमान सख-दःख होगा और जनम-मतय भी होगी

वदानत क रहःय को समझना यह कोई ि यो का काम नही ह ी अथारत कित क

शरीर क म मानकर जीनवाला एक बार राजा जनक िव ानो की सभा म बठ थ उस सभा म गाग आई वह िबलकल

िदगमबर (न न) थी ऐसी अवःथा म सभा म गाग का वश पिडतो को रचा नही इसिलए उनहोन नाक-भ िसकोड़ िलया परषो स भरी सभा म एक न न ी

गाग बोलीः ऐ पिडतो नाक भ कयो िसकोड़त हो

पिडतो न कहाः तम एक अबला ऐसी अवःथा म परषो की सभा म जो आई हो

गाग तरनत बोलीः कौन कहता ह िक म अबला ह म सबला ह अबला तो तम हो जो अपना रकषक बाहर ढढत हो म अपना रकषक आप ह म यह शरीर नही ह म तो सत -िचत-आननदःव प आतमा ह म अपन आपको जानती ह

िजसको जानकर गाग िनभरय बन गई थी उस आननदःव प अपन आतमदव को जो

जान लता ह उसी म िःथत हो जाता ह वह जीवन और मौत दोनो स पर दोनो का द ा बन जाता ह उस िफर कोई भय नही रहता वह सदव आननद म मःत रहता ह

मरो मरो सब कोई कह मरना न जान कोई एक बार ऐसा मरो िक िफर मरना न होई

मगलमय जीवन मगलमय िववाह मगलमय सबध उस परम मगल चतनय क कारण ही

हो सकत ह न िक शि शरीर क बा प-रग पर िवमोिहत होन स महाराज जी क पास आकर एक मिहला कहन लगीः मर पित ःवगरःथ हो गय ह

उनका िवयोग सहा नही जाता ऐसा कोई उपाय बताओ िक उनका िहत हो और मझ शाित िमल

दसरा एक वयि आया और बोलाः मरी प ी मझ अकला छोड़कर चल बसी ह

तीसर न कहाः मरा बटा ःवगरःथ हो गया ह उसकी मीठ याद आती ह मर मन म आता ह िक उसक पीछ म भी आतमहतया करक मर जाऊ बाबा जी शािनत का कछ उपाय बताइय

महाराज जी न कहाः ह भि मिहला पित की याद आय तो उनह खब आदरपवरक कहोः

मरणधमार शरीर म होत हए भी आप अमर थ शरीर क मरन पर भी आप नही मर दह न र ह आप शा त हो चतनय हो आप परम र का अिवनाशी अश हो जनम-मतय आपका धमर नही ह पाप-पणय आपका कमर नही ह आप अजर हो श ब हो हम परःपर पािथरव शरीर की ीित करक मोह म सड़ रह थ िवकारो म दब रह थ अब पािथरव शरीर की ीित स म होकर अपािथरव आतमा म िःथत हो जाओ

वह शादी बरबादी म बदल जाती ह िजसम एक दसर क शरीर को पयार करत ह वह

मगलमय शादी आबादी की ओर ल जाती ह जहा प ी पित को पित प ी को पऽ िपता को िपता पऽ को शरीर क प म नही अिपत शरीरो क आधार श चतनयःव प म दख परःपर अपन चतनयःव प की याद िदलाव और रणा द

ह भि मिहला अपन पित को याद करक उनक जीवातमा को यह रणा दो इसस

उनकी भी उननित होगी और तमहारी उननित होगी ऐसा िचनतन करो िकः ह चतनयःव प मर आतमन शरीर को पाच भत क पतल

को तयागन क बाद भी आपका अिःततव ह आप आतमा हो परम र हो अमर हो चतनय हो शा त हो

इसी कार अपनी प ी को और ःवगरःथ पऽ पिरवार को ःमरण करक उनको उननत

करो और आप भी उननत बनो जीत-जी भी परःपर इसी भाव स उननत करो मतय मगलमय हो जाय ऐसा वातावरण बनाओ

जो वयि मतय को ा हो चक ह उनक ौा ो क िदनो म तथा ःमरण क व उनह

सझाव दो िकः जनम-मतय तमहारा धमर नही था पाप-पणय तमहारा कमर नही था तम अजर

अिवनाशी िनलप शा त सनातन नारायण क अश हो अतः अपन परम र ःवभाव को सभालो ःमरण करो

अपन पित प ी पऽ का नाम लकर कहो िकः तम वही हो सचमच म वही हो जो

मरन क बाद भी नही मरता ॐॐॐ तम चतनय आतमा हो ॐॐॐ शा त परम र हो ॐॐॐ अिवनाशी परमातमा हो ॐॐॐ

पथवी पर क ःवपन तलय सबधो का ःमरण करक तम नीच न िगरो अिपत आतमा-

परमातमा क सबध को याद करत हए अपना ऐिहक जीवन मगलमय बनाओ ससार स कच करक जाओ उस समय तमहार कटमबी आतमा परमा तमा की एकता और अमरता तमहारी िनतयता और म ता का ःमरण तमह अत समय म करा द ऐसी वयवःथा करो

कोई चल बसन वाल हो या चल बस हो उनको याद करक उनकी ओर िदवय िवचार

अमर आतमा का सनदश भजो इस कार तम उ म सवा कर सकत हो और जीिवतो को जीवनदाता म जगा सकत हो दोनो इस कार परःपर सहायता करोग और पाओग

टिलफोन पर अपन दर क सबधी स हम जब बात करत ह तो उस यऽ म स आन वाली

धविन अपन सबधी की होती ह ऐस ही शरीर पी यऽो स जो कछ ःनह सातवना सहानभित म या काश हम पात ह वह भीतर वाल परम र का ही होता ह उनको या उनक िचऽो को

दखो तो उन िचऽो क पीछ खड़ उस शा त सतय को परम िमऽ को पयार करो और उनह भी याद िदलाओ िकः ह शा त आतमा ह परातन ह अिवनाशी नाशवान ससार और शरीर बदलत ह लिकन तम अबदल आतमा हो ॐॐॐ

बचपन बदल गया यौवन बदल गया बढ़ापा बदल गया शरीर बदल गया िफर

तम भी हो तम वह अमर आतमा हो िजस पर काल का भी कोई भाव नही चलता ह अकाल आतमा अपनी मिहमा म जागो इस कार क िवचार भजन स मगल करोग और मगल को पाओग जीवन मगलमय होन

लगगा मतको की मतय भी मगलमय हो जायगी मगल भवन अमगलहारी िवचारो को सदव एक दसर क ित सािरत करो ॐ आननद

आननद आननद रोत चीखत मोहमाया म पड़कर उनको याद करत हो तो उनका और अपना सतयानाश

करत हो उनको नीच िगरात हो उनकी आतमा को भटकात हो अपन को तचछ बनात हो अमागिलक िवचारो को कतई ःफिरत न होन दो सदव मगलमय िवचार हो जायगा मगलमय जीवन मतय भी मगलमय हो जायगी ॐ ॐ ॐ

ॐॐॐॐॐॐॐॐ जीवन और मतय आतमा-परमातमा को पान क दो पहल ह रात क बाद िदन िदन क

बाद रात होती ह इसी तरह जीवन और मतय चोल बदलत हए अनभवो स गजरत हए अपन आतमःव प को ःव प को पान क िलए मगलमयी अवःथा ह

िदन िजतना पयारा ह रात भी उतनी ही आवयक ह जीवन िजतना पयारा ह मतय भी

उतनी ही आवयक ह मतय मान आतमिशव क मिनदर म जान क िलए ऊची सीिढ़या मतय मान मा की गोद म बालक सो गया और उमा शि ताजगी ःफितर पाकर िफर सबह खलता ह मतय मान मा की गोद म थकान िमटान को जाना िफर नया तन ा करक अपनी मगलमय याऽा करना

त वदि स दखा जाय तो यह जीवन-मतय की याऽा कित म हो रही ह तमह

परमातमाःव प म जगान क िलए गीता म भगवान ौी कण कहत ह-

न जायत ियत वा कदािचननाय भतवा भिवता वा न भयः अजो िनतयः शा तोऽयपराणो न हनयत हनयमान शरीर

त वतः यह आतमा न कभी जनमता ह और न मरता ह न यह उतपनन होकर िफर होन

वाला ही ह यह जनमरिहत िनतय िनरनतर रहन वाला शा त और परातन अनािद ह शरीर क मार जान पर भी वह नही मारा जाता

(गीताः 220) शव की ःमशानयाऽा म मटका ल जात ह फोड़ दत ह यह याद िदलान क िलए िक दह

मानो मटका ह इस मगलमय मतय को पीछ िव ल होन की आवयकता नही ह यह मटका सवा करन क िलए िमला था जीणर-शीणर हआ टट गया िफर नया िमलगा मगलमय आतमा-परमातमा की ाि तक यह मगलमय जनम-मरण की याऽा तो चलती ही रहगी इसम िव ल होकर रोना-चीखना िनरा मोह ह अगर इस मोह को पोसा जाय और िकसी की मतय न हो तो ससार महा नरक हो जायगा माली अगर बगीच म काट-छाट न कर तो बगीचा बगीचा ही न रहगा अिपत भयानकर जगल हो जायगा

स ा न मतय का मगलमय िवधान न बनाया होता तो आदमी म तयाग सवा नता क

सदगण ही नही िखलत सब अमर होकर अिड़यल की तरह उलझ रहत रािऽ स अरणोदय अरणोदय स िफर मगलमयी रािऽ की अिनवायर आवयकता ह िवराट

की यह चणड बीड़ा तमह अपन िवराट ःवभाव म जगान क िलए आवयक ह मतय मान महायाऽा महाःथान महािनिा अतः जो मर गय ह उनकी याऽा मगलमय

हो आतमोननितद हो ऐसा िचनतन कर न िक अपन मोह और अजञान क कारण उनको भी भटकाए और खद भी परशान हो

कइयो की मतय बालयकाल म या यौवन म हो जाती ह जस मा न बचच को कपड़

पहनाए और नही जच उठा िलय िफर नय व ो स सजाया-धजाया अथवा यो कहो िक बचचा िखलौनो म रम जाता ह िखलौन नही छोड़ना चाहता परनत मगलमयी मा उस बलात उठा लती ह अपनी गोद म सलाती ह अपनी उमा सािननधय िवौािनत स उस प करक िफर नतन भात को उस खलन क िलए बीडागन म भज दती ह ऐस ही जीवातमा का बीडागन ससार ह अतः अनक शरीर बदलत हए अबदल की मगलमय याऽा करन क िलए जीवन और मतय को मगल िवधान समझकर ई र की हा म हा करत हए अपनी याऽा उननत कर

ॐॐॐ

ॐॐॐॐॐॐॐॐ

अनबम

िचतन पराग ई र का बनाया हआ त भल ही बना रह उसको िमथया समझ लन माऽ स का

बोध हो सकता ह साधक का काम त को िमथया समझन स ही चलता ह इचछाओ की ति का उपाय एक ही ह िक इचछाए तयाग दी जाए िजस िववकी न इस

जगत को सपन या इनिजाल क समान समझ िलया ह िजस दय न प म िदखन लगा ह वह दोषदश िववकी भला बताओ इसम अनराग कस कर

जञानी जागरण को सतय समझना छोड़ दन पर िफर पहल की भाित अनर नही होता

जञानी तयक वःत को अपना आतमा समझता ह मद की कलपना को बार-बार मन म लाना काम-वासना स म होन का सव म उपाय

बताया गया ह मद को पड़ हए दखकर मन घबरान लगता ह पिरणाम की कयो परवाह करत हो अपनी तनखवाह क बार म कभी िफब मत करो

अजञानी लोग समझत ह िक कायर की सफलता म कायर करन की अपकषा अिधक आननद ह इन अनधो को यह मालम ही नही ह िकसी पिरणाम स उतना सख नही िमलता िजतना काम करन स िमलता ह

अपन िवचारो को सदा वाःतिवक आतमा म रखो और पिरिःथितयो की परवाह मत करो तब तक आपकी हािन नही हो सकती जब तक िक आप ःवय उस नही बलात तलवार

तब तक नही काट सकती जब तक आप यह न सोच िक यह काटती ह ऐ पणर तर िलए कोई कतरवय या कायर शष नही ह सारी कित सास रोक तरी

सवा क िलए खड़ी ह ससार तरी पजा करन का अवसर पाकर अपन को कतकतय करना चाहता ह कया त कित की शि यो को अपन चरणो म झकन का अवसर दगा

अपन भीतर सतय क काश को सदा चमकता रखो भय और लोभन का शतान तमहार

पास नही फटकगा

बाहर की बातो म कछ भी नही मान अपमान अपना काम िकय जा िनिशिदन इसम ही सममान

दसर लोग तमहारी आलोचना िनदा करत हो उनह रोकन की च ा न करो कयोिक इनही

सब बातो क ारा तमम सदगणो की वि होगी जब तक तमहारा दय इतना दढ़ नही ह िक तम मख क बकन पर िःथर और शात बन रहो अथवा तमम इतनी सहनशीलता नही ह िक अजञानी मख को कषमा कर सको तब तक तम अपन को कही जञानी न समझ बठना

यिद तम शरीर और मन स ऊपर उठ जाओ तो सब िचनता और भयो स छट हो

जाओग िकसी भी आकिःमक दघरटना स धयर न छोड़ो कयोिक घबराहट स शि तथा बि का

नाश होता ह िकसी भी कार की किठनाइयो क आग दःिखत न होकर गमभीरतापवरक उनका सामना करो तभी तम िनःसनदह िवजय ा करोग तम कही भी हतोतसािहत होकर िनराश न होओ

ऐसी कौन-सी िवपि ह जो मरी सननता को न कर सकती ह वह कौन-सा रज ह जो

मर आननद म िव न डाल सकता ह म तो िव ाणड का भ ह म बि का भ ह िदमाग का मािलक ह और मन का शासक ह ससार मझम ह म ससार म नही आ सकता िव मझम ह म िव म नही बध

सकता सयर और नकषऽ मझम उदय और अःत होत ह दह और दिनया दोनो ई र क भीतर ह वही ई र म ह म िनिलर आतमा ह मरा जनम नही मतय नही म अजर-अमर ह म िचदाननद

आतमःव प ह म िमथया त िमथया धमर िमथया कमर िमथया और जगत िमथया और ऐसा तीत

होता ह िक म सवरःव ह म ही सवरजञ सवरगत आतमा ह अपना साकषी ह कदािप उन नाम पो म फसा नही ह

म िवश ह असखय ाणड मझम पड़ ह म असःपयर ह मरा ःव प िनिलर ह

मझ दःख स कोई भय नही ह मझ समय की जरा भी िचनता नही आतमाननद वाल को भय और आशका कसी

िकसी भी डर को अपन पास मत फटकन दो लोग यिद तमहार बराई करत ह तो तम उनह आशीवारद दो ऐस ःथान पर जाओ जहा

लोग तमस घणा कर तम तो म हो पहल स ही म हो सवरदा कहोः म सदा आननदःव प ह म

म ःवभाव ह म अननत ःव प ह मरी आतमा का आिद और अनत नही ह सभी मर आतमःव प ह

सननतापवरक अपमान सहन करन स और नता धारण करन स अिभमान की िनवि

होती ह िकसी पिवऽ ःथान पर जाओ तो वहा क अनशासन का पालन करो वहा चपपलो की

चटाक-पटाक आभषणो की खनखनाहट भड़कील व ो की फरफराहट आिद हमस न हो इसका परा धयान रखो कही भी िकसी क भी िच को या शात वातावरण को अशात करन का हम कोई अिधकार नही ह

अपन िकसी भी दःख या अशाित का कारण बाहर मत ढढो बाहर की पिरिःथितयो या

वयि यो को दोष मत दो कारण अपन भीतर ढढो िनद ष भाव स ढढोग तो कारण भीतर ही िमल जायगा उस दर करन की च ा करो शातिच रहन का यही बहमलय उपाय ह

जो आतम-अनशािसत ह व ही शासन कर सकत ह ऐसा करन क िलए नाम-जप कर

धयान कर िकसी आतमिन सत का पावन सािननधय ा कर सब तरह स िनभरय एव सनन बनन का यह ौ साधन ह

िवन बनो िनरहकारी बनो अपन आपको बड़ा बतान की च ा न करो िवनता एव

िनरािभमानता ही तमह बड़ा बनायगी िवनता मनय का बहत बड़ा भषण ह िनमरल दि रखो िकसी क दोष दखना यह बहत बड़ा दगरण ह िछिानवषी न बनो

दसरो क दोष दखना पाप अजरन करना ह गणमाही बनो

ॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐ

अनबम

  • मगलमय जीवन-मतय
  • मतय क परकार
  • मतय भी जीवन क समान आवशयक
  • सिकनदर न अमत कयो नही पिया
  • बिना मतय को जान जीवन जीवन नही
  • मतय किसकी होती ह
  • भगवान शरीराम और तारा
  • मतयः कवल वसतर परिवरतन
  • फकीरी मौतः आननदमय जीवन का दवारः
  • यमराज और नचिकताः
  • सचच सत मतय का रहसय समझात ह
  • मतयः एक विशरानति-सथानः
  • वासना की मतय क बाद परम विशरानति
  • धतराषटर का शोकः
  • घाटवाल बाबा का एक परसग
  • फकीरी मौत ही असली जीवन
    • फकीरी मौत कया ह
      • सकरात का अनभव
      • आधयातमविदयाः भारत की विशषताः
      • तीन परकार क लोगः
      • जञान को आय स कोई निसबत नही
      • योगसामरथयः एक परतयकष उदाहरण
      • योग भी साधना का आखिरी शिखर नही
      • गणातीत सत ही परम निरभयः
      • सतो का सनदशः
      • चितन पराग

शरीर का िवयोग होता ह अथारत सआम शरीर दह पी व बदलता ह इसको लोग मौत कहत ह और शोक म फट-फट कर रोत ह

अनबम

भगवान ौीराम और तारा भगवान राम न जब बाली का वध िकया तो बाली की प ी राम क पास आई और अपन

पित क िवयोग म फट-फट कर रोन लगी राम न उसको धीरज बधात हए कहाः

िकषित जल पावक गगन समीरा पच रिचत यह अधम शरीरा सो तन तव आग सोहा जीव िनतय त कहा लिग रोवा

ह तारा त िकसक िलए िवलाप कर रही ह शरीर क िलए या जीव क िलए

पचमहाभतो ारा रिचत शरीर क िलए यिद त रोती ह तो यह तर सामन ही पड़ा ह और यिद जीव क िलए रोती ह तो जीव िनतय ह वह मरता नही

मतयः कवल व पिरवतरन यिद वाःतव म मौत होती तो हजारो-हजारो बार होन वाली तमहारी मौत क साथ तम भी

मर चक होत आज तम इस शरीर म नही होत यह शरीर तो माऽ व ह और आज तक आपन हजारो व बदल ह अपना ई र कगाल नही ह िदवािलया नही ह िक िजसक पास दो चार ही व हो उसक पास तो अपन बालको क िलए चौरासी-चौरासी लाख व ह कभी चह का तो कभी िबलली का कभी दव का तो कभी गधवर का न जान िकतन-िकतन वश आज तक हम बदलत आय ह व बदलन म भय कसा

यही बात भगवान ौीकण न अजरन स कही हः

वासािस जीणारिन यथा िवहाय नवािन ग ाित नरोऽपरािण तथा शरीरािण िवहाय जीणारनयनयािन सयाित नवािन दही

ह अजरन त यिद शरीरो क िवयोग का शोक करता ह तो यह भी उिचत नही ह कयोिक

जस मनय परान व ो का तयागकर दसर नय व ो को महण करता ह वस ही जीवातमा परान शरीरो को तयाग कर दसर नय शरीरो को ा होता ह

(गीताः 222)

बालक की च डी (नकर) फटन पर उसकी मा उसको िनकाल कर नई पहनाती तो बालक

रोता ह िचललाता ह वही बालक बड़ा होता ह पहल की चि डया छोटी पड़ जाती ह उनह छोड़ता ह बड़ी पहनता ह िफर वह भी छोड़कर पनट पाजामा या धोती आिद पहनता ह ऐस ही परमातमा की सतान भी यो- यो बड़ी होती ह िवकिसत होती ह तयो-तयो उस पहल स अिधक यो य ददीपयमान नय शरीर िमलत ह जीव-जतओ स िवकिसत होत-होत बनदर गाय और आिखर मनय दह िमलती ह मनय िदवय कमर कर स वगण-धान बन तो दव गधवर की योिन िमलती ह उसका ःवभाव रजस धान हो तो वह िफर मनय बनता ह और यिद तामसी ःवभाव रखता ह तो पनः हलकी योिनयो म जाता ह उस मानव को यिद ई र भि क साथ कोई समथर सदगर िमल जाय उस आतमधयान आतमजञान की भख जग वह गरकपा पचा ल तो वही मन य चौरासी क चब म घमन वाला जीव अपन िशवःवभाव को जानकर तीनो गणो स पार हो जाय परमातमा म िमल जाय

व पिरवतरन स भय कसा व बदलन वाला तो कभी भी मरता नही वह अमर ह और पिरवतरन कित का ःवभाव ह तो िफर मौत ह ही कहा यही बात समझात हए गीता म भगवान ौी कण कहत ह अजरन स िक तमह भय िकस बात का ह

हतो वा ापःयिस ःवग िजतवा वा भोआयस महीम

यिद य म शरीर छट गया तो ःवगर को ा करोग और यिद जीत गय तो पथवी का

रा य भोगग (सभी ौोतागण तनमयता स जीवन मतय पर मीमासा सन रह ह ःवामी जी कछ कषण

रककर सभी पर एक रहःयमय दि फ कत ह वातावरण म थोड़ी गमभीरता छाई हई जानकर करत ह)

फकीरी मौतः आननदमय जीवन का ारः आप लोग उदास तो नही हो रह ह न आपको मौत का भय तो नही लग रहा ह न

अभी कवल जीवन पर बात ही चल रही ह िकसी की मौत नही आ रही ह (यह सनकर सभी िखलिखलाकर हस पड़त ह ःवामी जी फकीर मःती म आग कहत

ह)

अर मौत तो इतनी पयारी ह िक उस यिद आमिऽत िकया जाय तो आननदमय जीवन क ार खोल दती ह

एक जवान साध था घमत-घमत वह नपाल क एक पहाड़ की तलहटी म जा पहचा वहा

उसन दखा एक व सत एक िशला पर बठ ह शाम का समय ह सरज िछपन की तयारी म ह उन सत न उस जवान साध को तो दखा तो बोलः

मर परो म इतनी ताकत नही िक अभी म ऊपर पहाड़ पर चढ़कर अपनी गफा तक पहच सक बटा तम मझ अपन कध पर चढ़ाकर गफा तक पहचा दो

यवा साध भी अलमःत था उसन सत को अपन कध पर िबठा िलया और चल पड़ा

उनकी गफा की ओर चढ़ाई बड़ी किठन थी परनत वह भी जवान था चढ़ाई चढ़ता रहा काफी ऊपर चढ़ चकन पर उसन सत स पछाः

गफा अभी िकतनी दर ह

बस अब थोड़ी दर ह चलत-चलत काफी समय हो गया साध पछता रहा और व सत कहत रहः बस अब

थोड़ी ही दर ह मामा का घर िजतना दर िदया िदख उतना दर ऐसा करत-करत रात को यारह बज क करीब गफा पर पहच साध न व सत को कध स नीच उतारा और बोलाः

और कोई सवा

सत उसकी सवा स बड़ सनन थ बोलः बटा तमन बड़ी अचछ सवा की ह बोल अब तझ कया परःकार द वह दख

सामन तीन-चार भर हए बोर रख ह उसम स िजतना उठा सको उतना उठा ल जाओ यवा साध न जाकर बोरो को छकर दखा अनमान लगाया शायद र ी कागजो स भर हए

ह िफर धयान स दखा को अनमान गलत िनकला व बोर नपाली नोटो स भर हए थ उसन अनमन मन स उनको दखा और उलट परो लौट पड़ा सत की ओर सत न पछाः

कयो माल पसनद नही आया व सत पहच हए योगी थ अपन योगबल ारा उनहोन नोटो क बडलो स भर बोर

उतपनन कर िदय थ उनको ऐसी आशा थी िक वह यवा साध अपनी सवा क बदल इस परःकार स खश हो जायगा परनत वह यवा साध बोलाः

ऐसी सब चीज तो म पहल ही छोड़ आया ह इनस कया जीवन की रकषा होगी इनस कया जीवन का रहःय समझ म आएगा इनस कया मौत जानी जा सकगी कया म इनही चीजो क िलए घर बार छोड़कर दर-दर भटक रहा ह जगलो और पहाड़ो को छान रहा ह य सब तो न र हऔर अगर सतो क पास भी न र िमलगा तो िफर शा त कहा स िमलगा

अनबम

यमराज और निचकताः निचकता भी यमराज क सममख ऐसी ही माग पश करता ह कठोपिनषद म निचकता

की कथा आती ह निचकता कहता ह यमराज सः ह यमराज कोई कहता ह मतय क बाद मनय रहता ह और कोई कहता ह नही रहता ह इसम बहत सदह ह इसिलए मझ मतय का रहःय समझाओ तािक सतय कया ह यह म जान सक परनत यमराज निचकता की िजजञासा को परखन क िलए पहल भौितक भोग और वभव का लोभ दत हए कहत ह -

शतायषः पऽपौऽानवणीव बहनपशनहिःतिहरणयम ान भममरहदायतन वणीव ःवय च जीव शरदोयाविदचछिस

ह निचकता त सौ वषर की आयय वाल पऽ-पौऽ बहत स पश हाथी-घोड़ सोना माग

ल पथवी का िवशाल रा य माग ल तथा ःवय भी िजतन वषर इचछा हो जीिवत रह

(वललीः 123) इतना ही नही यमराज आग कहत ह- मनयलोक म जो भोग दलरभ ह उन सबको ःवचछनदतापवरक त माग ल यहा जो रथ

और बाजो सिहत सनदर रमिणया ह व मनयो क िलए दलरभ ह ऐसी कािमनयो को त ल जा इनस अपनी सवा करा परनत ह निचकता त मरण समबनधी मत पछ

िफर भी निचकता इन लोभनो म नही फसता ह और कहता हः य सब भोग सदव रहन वाल नही ह और इनको भोगन स तज बल और आयय कषीण

हो जात ह मझ य भोग नही चािहए मझ तो मतय का रहःत समझाओ

अनबम

सचच सत मतय का रहःय समझात ह ठ क इसी कार वह यवा साध उन व सत स कहता हः मझ य नोटो क बडल नही

चािहए आप यिद मझ कछ दना ही चाहत ह तो मझ मौत दीिजए म जानना चाहता ह िक मौत कया ह मन सना ह िक सचच सत मरना िसखात ह म उस मौत का अनभव करना चाहता ह

वःततः सत मरना िसखात ह इसीिलए तो लोग रोत हए बचचो को चप करान क िलए

कहत ह - रो मत चप हो जा नही तो वह दख बाबा आया ह न वह पकड़कर ल जायगा भल ही लोग अजञानतावश बाबाओ अथवा सतो स बचचो को डरात हए कहत ह िक व ल जायग परनत िजनको सचच सत ल जात ह अथवा जो उनका हाथ पकड़ लत ह व तर जात ह सचच सत उनको सब भयो स म कर दत ह और उनको ऐस पद पर िबठा दत ह िक िजसक आग ससार क सार भोग-वभव धन-समपि पऽ-पौऽ यश-ित ा सब तचछ भािसत होत ह परनत ऐस सचच सत िमलन दलरभ ह और दढ़ता स उनका हाथ पकड़न वाल भी दलरभ ह िजनहोन ऐस सतो का हाथ पकड़ा ह व िनहाल हो गय

उस यवा साध न भी ऐस ही सत का हाथ पकड़ा था मौत को जानन की उसकी बल

िजजञासा को दखकर व व सत बोल उठः अर यह कया मागता ह यह भी कोई मागन की चीज ह ऐसा कहकर उनहोन यवा साध को थोड़ी दर इधर-उधर की बातो म लगाया और मौका दखकर उसको एक तमाचा मार िदया यवक की आखो क सामन जस िबजली चमक उठ हो ऐसा अनभव हआ और दसर ही कषण उसका ःथल शरीर भिम पर लट गया उसका सआम शरीर दह स अलग होकर लोक-लोकानतर की याऽा म िनकल पड़ा लोग िजसको मतय कहत ह ऐसी घटना घट गई

ातःकाल हआ रात भर आननदमय मतय क ःवाद म डब हए उस यवा साध क ःथल

शरीर को िहलाकर व सत न कहाः बटा उठ सबह हो गई ह ऐस कब तक सोता रहगा यवा साध आख मलता हआ सननवदन उठ बठा िजसको मतय कहत ह उस मतय को

उसन दख िलया अहा कसा अदभत अनभव उसका दय कतजञता स भर उठा वह उठकर फकीर क चरणो म िगर पड़ा

लोग कहत ह िक मरना दःखद ह और इसीिलए मौत स डरत ह िजनको ससार म मोह

ह उनक िलए मौत भयद ह परनत सतो क िलए मोह रिहत आतमाओ क िलए ऐसा नही ह

अनबम

मतयः एक िवौािनत-ःथानः मौत तो एक पड़ाव ह एक िवौािनत-ःथान ह उसस भय कसा यह तो कित की एक

वयवःथा ह यह एक ःथानानतर माऽ ह उदाहरणाथर जस म अभी यहा ह यहा स आब चला जाऊ तो यहा मरा अभाव हो गया परनत आब म मरी उपिःथित हो गई आब स िहमालय चला जाऊ तो आब म मरा अभाव हो जायगा और िहमालय म मरी हािजरी हो जायगी इस कार म तो ह ही माऽ ःथान का पिरवतरन हआ

तमहारी अवःथाए बदलती ह तम नही बदलत पहल तम सआम प म थ िफर बालक

का प धारण िकया बालयावःथा छट गई तो िकशोर बन गय िकशोरावःथा छट गई तो जवान बन गय जवानी गई तो व ावःथा आ गई तम नही बदल परनत तमहारी अवःथाए बदलती ग

हमारी भल यह ह िक अवःथाए बदलन को हम अपना बदलना मान लत ह वःततः न

तो हम जनमत-मरत ह और न ही हम बालक िकशोर यवा और व बनत ह य सब हमारी दह क धमर ह और हम दह नही ह सतो का यह अनभव ह िकः

मझ म न तीनो दह ह तीनो अवःथाए नही मझ म नही बालकपना यौवन बढ़ापा ह नही जनम नही मरता नही होता नही म बश-कम म ह म ह ितह काल म ह एक सम

मतय नवीनता को जनम दन म एक सिधःथान ह यह एक िवौाम ःथल ह िजस

कार िदन भर क पिरौम स थका मनय रािऽ को मीठ नीद लकर दसर िदन ातः नवीन ःफितर लकर जागता ह उसी कार यह जीव अपना जीणर-शीणर ःथल शरीर छोड़कर आग की याऽा क िलए नया शरीर धारण करता ह परान शरीर क साथ लग हए टी बी दमा कनसर जस भयकर रोग िचनताए आिद भी छट जात ह

वासना की मतय क बाद परम िवौािनत ःथल शरीर स सआम शरीर का िवयोग िजसको मतय कहा जाता ह वह िवौाम-ःथल तो

ह परनत पणर िवौाित उसम भी नही ह यह फकीरी मौत नही ह फकीरी मौत तो वह ह िजसम सारी वासनाए जड़ सिहत भःम हो जाए भीतर यिद सआम वासना भी बची रही तो जीव िफर स नया शरीर धारण कर लगा और

िफर स सख-दःख की ठोकर खाना चाल कर दगा िफर स वहीः

पनरिप जनन पनरिप मरण पनरिप जननी जठर शयनम

अनबम

धतरा का शोकः करकषऽ क य म दय धन सिहत जब सार पऽ मार गय तो धतरा खब दःखी हए और

िवदर स कहन लगः कण और पाडवो न िमलकर मर सब पऽो का सहार कर िदया ह इसका दःख मझस सहन नही होता एक एक कषण वयतीत करना मझ वष जसा लमबा लग रहा ह

िवदर धतरा को समझात हए कहत ह - जो होना होता ह वह होकर ही रहता ह आप

वयथर म शोक न करो आतमा अमर ह उसक िलए मतय जसी कोई चीज नही ह इस शरीर को छोड़कर जो जाता ह वह वापस नही आता इस बात को समझकरः राम राख तम रिहय ह भाई शोक न करो

परनत धतरा का शोक कम नही हआ वह दढ़तापवरक कहन लगाः तम कहत हो वह

सब समझता ह िफर भी मरा दःख कम नही हो ता मझ अपन पऽो क िबना चन नही पड़ रहा ह पलभर को भी िच शात नही रहता

अजञानी सोचता ह िक िजस कार म चाहता ह उसी कार सब हो जाय तो मझ सख

हो यही मनय का अजञान ह शा और सतो का िकतना ही उपदश सनन को िमल जाय तो भी वह अपनी मानयताओ

का मोह सरलता स छोड़न को तयार नही होता िवदर का धमरय उपदश धतरा को सानतवना नही द सका धतरा शा ो स िबलकल अनिभजञ था ऐसी बात नही थी िफर भी उसका शा जञान उस पऽो क मोह स म नही कर सका

अनबम

घाटवाल बाबा का एक सग हिर ार म घाटवाला बाबा क नाम स िस एक महान सत रहत थ बहत सीध -साद

और सरल कमर म कतान (टाट) लपट रहत थ ऊपर स िदखन म िभखारी जस लगत मगर भीतर स साट थ उनक पास एक वयि आया और बोलाः महाराज मझ शाित चािहए

महाराज न पहल उस धयान स दखा िफर कहाः शाित चािहए तो तम गीता पढ़ो

यह सनकर वह च ककर बोलाः गीता गीता तो म िव ािथरयो को पढ़ाता ह म कालज म ोफसर ह गीता मरा िवषय ह गीता म कई बार पढ़ चका ह उस पर तो मरा काब ह

महाराज बोलः यह ठ क ह अब तक तो लोगो को पढ़ाकर पसो क लाभ क िलए गीता

पढ़ी होगी अब मन को िनयिऽत करक शाित लाभ क िलए पढ़ो लोग शा ो म स सचनाए और जानकािरया इक ठ करक उस ही जञान मान लत ह

दसरो को भािवत करन क िलए लोग शा ो की बात करत ह उपदश दत ह परनत उनह अपन आपको कोई अनभित नही होती मतय क िवषय म भी लोग िव तापणर वचन कर सकत ह मतय स डरन वालो को आ ासन और धयर द सकत ह परनत मौत जब उनही क सममख साकषात आकर खड़ी होती ह तो उनकी रग -रग काप उठती ह कयोिक उनको फकीरी मौत का अनभव नही

कई लोग कहत ह िक जीवन और मौत अपन हाथ म नही ह परनत यह उनक िलए

ठ क ह िजनको आधयाितमक रहःय का पता नही जो ःवय को शरीर मानत ह दीन-हीन मानत ह परनत योगी जानत ह िक जीवन और मतय इन दोनो पर मनय का अिधकार ह इस अिधकार को ा करन की तरकीब भी व जानत ह कोई िहममतवान जानन को ततपर हो तो व उस बता भी सकत ह व तो खललमखलला कहत ह िक यिद रोत-कलपत हए मरना हो तो खब भोग-भोगो िकसी की परवाह न करत हए खब खाओ िपयो और अमयारिदत िवषय-सवन करो ऐसा जीवन आपको अपन आप मौत की ओर शीयता स आग बढ़ा दगा परनत

यिद मौत पर िवजय ा करनी हो जीवन को सही तरीक स जीना हो तो योिगयो क

कह अनसार करो ाणायाम करो धयान करो योग करो आतमिचनतन करो और ऐसा कोई योगी डॉकटरो क सामन आकर दय की गित बनद करक बता दता ह तो वह बात भी लोगो को

बड़ी आ यरजनक लगती ह लोगो क टोल क टोल उसको दखन क िलए उमड़ पड़त ह परनत यह भी कोई योग की पराका ा नही ह

फकीरी मौत ही असली जीवन इितहास म जञान र महाराज और योगी चागदव का सग आता ह वह तो आप लोग

जानत ही होग चागदव न मतय को चौदह बार धोखा िदया था अथारत जब -जब मौत का समय आता तब-तब चागदव योग की कला स अपन ाण ऊपर चढ़ाकर मौत टाल िदया करत थ ऐसा करत-करत चागदव न अपनी उ 1400 वषर तक बढ़ा दी िफर भी उनको आतमशािनत नही िमली फकीरी मौत ही आतमशाित द सकती ह और इसीिलए चागदव को आिखर म जञान र महाराज क चरणो म समिपरत होना पड़ा

अनबम

फकीरी मौत कया ह

फकीरी मौत ही असली जीवन ह फकीरी मौत अथारत अपन अह की मतय अपन जीवभाव की मतय म दह ह म जीव ह इस पिरिचछनन भाव की मतय

ःथल शरीर स सआम शरीर का िवयोग यह कोई फकीरी मौत नही ह अगर वासना शष

हो तो सआम शरीर बार-बार ःथल शरीर धारण करक इस ससार म जनम-मरण क दःख पणर चककर म भटकता रहता ह

जब तक फकीरी मौत नही हो तब तक चागदव की तरह चौदह बार कया चौदह हजार

बार भी ःथल शरीर को बचाय रखा जाय तो भी परम शाित क िबना यह बकार ह लाबधवा जञान परा शाित आतमजञान स ही परम शाित िमलती ह इसी कारण चागदव को फकीरी मौत सीखन क िलए जञान र महाराज क पास आना पड़ा था 1400 वषर का िशय और 22 वषर क गर यही जञान का आदर करन वाली भारतीय सःकित ह जञान स उ को कोई समबनध नही ह

हम तो जीवन म पग-पग पर छोटी-मोटी पिरिःथितयो स घबरा उठत ह ऐसा भयभीत

जीवन भी कोई जीवन ह यह तो मौत स भी बदतर ह इसीिलए कहता ह िक असली जीवन जीना हो िनभरय जीवन जीना हो तो फकीरी मौत को एक बार जान लो

फकीरी मौत अथारत अपन अमरतव को जान लना फकीरी मौत अथारत उस पद पर आ ढ़ हो जाना जहा स जीवन भी दखा जा सक और मौत भी दखी जा सक जहा स ःप प स िदख िक सख-दःख आय और गय बालयावःथा यवावःथा और व ावःथा आई और गई परनत य सब शरीर स ही समबिनधत थ मझ तो व ःपशर तक नही कर सक म तो असग ह अमर ह मरा तो जनम भी नही मतय भी नही

सकरात का अनभव सकरात को जब जहर िदया जान लगा तो उसक िशय रोन लग कयोिक उनको यह

अजञान था िक सकरात अब बचग नही मर जायग सकरात न कहाः अर तम रोत कयो हो अब तक मन जीवन दखा अब मौत को दखगा यिद म मर

जाऊगा तो आज नही तो कल मरन ही वाला था इसिलए रोन की कया ज रत ह और यिद मरत हए भी नही मरा कवल शरीर स ही िछनन-िभनन हआ तो भी रोन की कया ज रत

सकरात न िबना िहचिकचाहट क राजी-खशी स जहर का पयाला पी िलया और िशयो स

कहाः दखो यह रोन का समय नही ह बहत ही महतवपणर बात समझन का समय आया ह

मर शरीर पर जहर का भाव होन लगा ह पर सनन होत जा रह ह घटनो तक जड़ता वया हो गई ह जहर का असर बढ़ता जा रहा ह मर पर ह िक नही इसकी अनभित नही हो रही ह अब कमर तक का भाग सवदनहीन बन गया ह

इस कार सकरात का सारा शरीर ठडा होन लगा सकरात न कहाः अब जहर क भाव स हाथ पर छाती जड़ हो गई ह थोड़ी ही दर म मरी िज ा भी

िनःपद हो जायगी उसस पहल एक मह वपणर बात सन लो जीवन म िजसको नही जान सका उसका अनभव हो रहा ह शरीर क सब अग एक क एक बाद एक िनःपद होत जा रह ह परनत उसस मझम कोई फकर नही पड़ रहा ह म इतना ही पणर ह िजतना पहल था शरीर स म ःवय को अलग असग महसस कर रहा ह अब तक जस जीवन को दखा वस ही अभी मौत को भी दख रहा ह यह मौत मरी नही बिलक शरीर की ह

अनबम

आधयातमिव ाः भारत की िवशषताः सकरात तो शरीर छोड़त-छोड़त अपना अनभव लोगो को बतात गय िक शरीर की मतय

यह तमहारी मतय नही शरीर क जात हए भी तम इतन क इतन ही पणर हो परनत भारत क ऋिष तो आिद काल स कहत आय ह-

शणवनत िव अमतःय पऽा

आ य धामािन िदवयािन तःयः वदाहमत परष महानतम

आिदतयवण तमसः परःतात तमव िविदतवाऽितमतयमित नानयः पनथा िव तऽयनाय

ह अमतपऽो सनो उस महान परम परषो म को म जानता ह वह अिव ा प अधकार

स सवरथा अतीत ह वह सयर की तरह ःवयकाश-ःव प ह उसको जानकर ही मनय मतय का उललघन करन म जनम-मतय क बधनो स सदव क िलए छटन म समथर होता ह परम पद की ाि क िलए इसक अितिर कोई दसरा मागर नही ह

( ता तरोपिनषद) यह कोई वद-उपिनषद काल की बात ह उस समय क ऋिष चल गय और अब नही ह

ऐसी बात नही ह आज भी ऐस ऋिष और ऐस सत ह िजनहोन सतय की अनभित की ह अपन अमरतव का अनभव िकया ह इतना ही नही बिलक दसरो को भी इस अनभव म उतार सकत ह रामकण परमहस ःवामी िववकाननद ःवामी रामतीथर महिषर रमण इतयािद ऐस ही त वव ा महापरष थ और आज भी ऐस महापरष जगलो म और समाज क बीच म भी ह यहा इस ःथान पर भी हो सकत ह परनत उनको दखन की आख चािहए इन चमरचकषओ स उनह पहचानना मिकल ह िफर भी िजजञास और ममकष वि क लोग उनकी कपा स उनक बार म थोड़ा सकत यह इशारा पा सकत ह

अनबम

तीन कार क लोगः ऐस सतो क पास तीन कार क लोग आत ह- दशरक िव ाथ और साधक

दशरक अथारत ऐस लोग जो कवल दशरन करन और यह दखन क िल ए आत ह िक सत कस ह कया करत ह कया कहत ह उपदश भी सन तो लत ह पर उसक अनसार कछ करना ह इसक साथ उनका कोई समबनध नही होता आग बढ़न क िलए उनम कोई उतसाह नही होता

िव ाथ अथारत व जो शा एव उपदश समबनधी अपनी जानकारी बढ़ान क िलए आत ह

अपन पास जो जानकारी ह उसम और वि होव तािक दसरो को यह सब सनाकर अपनी िव ा की छाप उन पर छोड़ी जा सक दसरो स सना याद रखा और जाकर दसरो को सना िदया जस ग स शानसपोटर कमपनी ाईवट िलिमटड- यहा का माल वहा और वहा का माल यहा लाना और ल जाना ऐस लोग भी त व समझन क मागर पर चलन का पिरौम उठान को तयार नही

तीसर कार क लोग होत ह साधक य ऐस लोग होत ह िक जो साधनामागर पर चलन

को तयार होत ह इनको जसा बताया ह वसा करन को पणर प स किटब होत ह अपनी सारी शि उसम लगान को ततपर होत ह उसक िलए अपना मान-सममान तन-मन-धन सब कछ होम दन को तयार होत ह सत क ित और अपन धयय क ित इनम पणर िन ा होती ह य लोग फकीर अथवा सत क सकत क अनसार लआय की िसि क िलए साहसपवरक चल पड़त ह

िव ाथ अपन वयि तव का ौगार करन क िलए आत ह जबिक साधक वयि तव का िवसजरन करन क िलए आत ह साधक अपन लआय की तलना म अपन वयि तव या अपन अह का कोई भी मलय नही समझत जबिक िव ाथ क िलए अपना अह और वयि तव का ौगार ही सब कछ ह अपनी िव ता म वि जानकारी को बढ़ाना वयि तव को और आकषरक बनाना इसी म उस सार िदखता ह त वानभित की तरफ उसका कोई धयान नही होता

यही कारण ह िक सतो क पास आत तो बहत लोग ह परनत साधक बनकर वही िटक

कर त व का साकषातकार करन वाल कछ िवरल ही होत ह

जञान को आय स कोई िनःबत नही िजसन फकीरी मौत को जान िलया हो अथारत िजस आतमजञान हो गया हो वह शरीर की

दि स कम उ का हो परनत उसक आग लौिकक िव ा म वीण और अिधक वय क सफद दाढ़ी-मछ वाल लोग भी बालक क समान होत ह इसीिलए योगिव ा म वीण 1400 वषर क चागदव को कम उवाल जञान र महाराज क चरणो म समिपरत होना पड़ा था ाचीन काल म ऐस कई उदाहरण दखन म आत ह

िचऽ वटतरोमरल व ाः िशया गरयरवा

गरोःत मौन वयाखयान िशयाःतिचछननसशयाः अथारत यह कसा विच य ह िक वटवकष क नीच यवा गर और व िशय बठ ह गर

ारा मौन वयाखयान हो रहा ह और िशयो क सब सशयो और शकाओ का समाधान होता जा रहा ह

अनबम

योगसामथयरः एक तयकष उदाहरण अपन मोटरा आौम म भी ऐस ही करीब स र वषर क सफद बाल वाल एक साधक ह

पहल डीसा म व एक सत क पास गय गय तो थ दशरक बनकर ही परनत सत की दि पड़त ही व दशरक म स साधक बन गय म कछ वषर पवर डीसा क आौम म था तब व मर पास आय थ पकी हई उ म भी व 18 वषर की उ की एक बाला क साथ बयाह रचान की तयारी म थ और आशीवारद मागन हत वहा आय थ उनको दखकर ही मर मह स िनकल पड़ाः

अब तमहारी शादी ई र क साथ कराएग यह सनकर उनको बड़ा आ यर हआ कयोिक न तो व मझ पहल स जानत थ और न ही

म उनह जानता था उस व उनका शरीर भी कसा था चरबी और कफ-िप स ठसाठस भरा हआ एकदम ःथल दमा आिद रोगो का िशकार डीसा म कपड़ क बड़ वयापारी थ धप म िबना छाता िलए दकान स नीच नही उतर पात थ कित ऐसी थी िक िकसी भी सत महातमा को नही गाठ और काम-वासना भीतर इतनी भरी हई थी िक आग की दो पि या शरीर छोड़ चकी थी िफर भी इस उ म तीसरी शादी करन को तयार थ प ी िबना एक िदन भी नही रह सकत थ

घर पहचन पर उनको पता चला िक उनक अनदर जो काम -िवकार का तफान आया था

वह एकदम शात हो गया ह भिवय म प ी बनन वाली उस कमारी क साथ एकात म अनक च ाए करक भी व उस काम-िवकार को पनः नही जगा सक इतना बल िवकार एकाएक कहा चला गया िफर उनको समझ म आया िक सत की ई रीय अहत की कपा उनम उतरी ह उनको सारा ससार सना-सना लगन लगा उनहोन तरनत ही उस कमारी यवती को कछ पय और कपड़ िदय और बटी कहकर रवाना कर िदया उसक बाद उनहोन आसन ाणायाम गजकरणी नित धोित आिद िबयाए सीख ली और िनयिमत प स करन लग इसस उनक शरीर क सार परान कफ-िप -दमा आिद दर हो गय और शरीर म स आवयकता स अिधक चब घटकर शरीर हलका फल जसा हो गया अब तो जवानो क साथ दौड़न की भी ःपधार करत

ह धयानयोग की साधना म उनहोन इतनी गित की ह िक उनको कई कार क अलौिकक अनभव हआ करत ह अपन सआम शरीर ारा व लोक -लोकानतर म घम आया करत ह

योग भी साधना का आिखरी िशखर नही यह भी साधना की कोई आिखरी भिमका नही ह सव चच िशखर नही ह यह भी सब

माया की सीमा म ही ह िफर चमर-चकषओ स दखो अथवा धयान म बठकर दखो कयोिकः

यद दय तद अिनतयम जो िदखता ह वह अिनतय ह जो िदख सो चालनहार चागदव भी योग म कशल थ

काल को कई बार धोखा द चक थ परनत माया को धोखा न द सक व भी साि वक माया म थ माया स पर नही थ

माया ऐसी ठिगनी ठगत िफरत सब दश जो ठग या ठिगनी ठग वा ठग को आदश

कोई िवरल सत ही इस माया को ठग सकत ह माया स पार जा सकत ह बाकी क

लोगो का तो यह माया न र म ही शा त का आभास करा दती ह अिःथरता म िःथरता िदखा दती ह ऐसी मोिहना माया क िवषय म ौी कण कहत ह-

दवी षा गणमयी मम माया दरतयया मामव य प नत मायामता तरिनत त

मरी यह अदभत िऽगणमयी माया का तरना अतयनत दकर ह परनत जो मरी शरण म

आत ह व तर जात ह (गीता)

अनबम

गणातीत सत ही परम िनभरयः ऐसी दःतर माया को जो सत अथवा फकीर तर जात ह और मौत की पोल जान जात ह

व कहत ह- एक ऐसी जगह ह जहा मौत की पहच नही जहा मौत का कोई भय नही िजसस मौत भी भयभीत होती ह उस जगह म हम बठ ह तम चाहो तो तम भी बठ सकत हो

तमहार म एक ऐसा चतन ह जो कभी मरता नही िजसन मौत कभी दखी ही नही जो जीवन और मौत क समय पिरवतरन को दखता ह परनत उन सबस पर ह

यिद घड़ म आया हआ चनिमा का ितिबमब घड़ क पानी को उबलता हआ जानकर यह

मान की म उबल रहा ह पानी िहल तो समझ िक म िहलता ह घड़ा फट गया तो समझ िक म मर गया तो यह उसका अजञान ह परनत उसको यह पता चल जाय िक पानी क उबलन स म नही उबलता पानी क िहलन स म नही िहलता म तो वह चनिमा ह जो हजारो घड़ो म चमक रहा ह िकतन ही घड़ टट -फट गय परनत म मरा नही मरा कछ भी िबगड़ा नही म इन सबस असग ह तो वह कभी दःखी नही होगा

इसी कार हम यिद अपन असगपन को जान ल अथारत म शरीर-मन-बि नही अिपत

आतमा ह- यह हम जान ल तो िफर िकतन ही दह पी घड़ बन और टट -िबखर िकतनी ही सि या बन और उनका लय हो जाय हमको कोई भय नही होगा कयोिक आतमा का ःवभाव हः

न जायत ियत वा कदािचननाय भतवा भिवता वा न भयः अजो िनतयः शा तोऽयपराणो न हनयत हनयमान शरीर

यह आतमा िकसी काल म भी न तो जनमता ह और न मरता ही ह तथा न यह उतपनन

होकर िफर होन वाला ही ह कयोिक यह अजनमा िनतय सनातन और परातन ह शरीर क मार जान पर भी यह नही मारा जाता

(भगवदगीताः 223) अनबम

सतो का सनदशः िजन सतो न यह रहःय जान िलया ह जो इस अमतमय अनभव म स गजर चक ह व

सब भयो स म हो गय ह इसीिलए व अपनी अनभविस वाणी म कहत ह- अपन आतमदव स अपिरिचत होन क कारण ही तम अपन को दीन-हीन और दःखी

मानत हो इसिलए अपनी आतम-मिहमा म जाग जाओ यिद अपन आपको दीन ही मानत रह तो रोत रहोग ऐसा कौन ह जो तमह दःखी कर सक तम यिद न चाहो तो दःख की कया मजाल ह िक तमह ःपशर भी कर सक अननत-अननत ाणड को जो चल रहा ह वह चतन तमहार भीतर चमक रहा ह उसकी अनभित कर लो वही तमहारा वाःतिवक ःव प ह

मनसर को सली पर चढ़ा िदया गया था परनत उनको सली का कोई भय नही था सली

का क उनको ःपशर भी नही कर सका कयोिक मनसर अपनी मिहमा म जग हए थ व यह जान चक थ िक म शरीर नही ह सली शरीर को लग सकती ह मझ नही इसिलए व हसत-हसत सली पर चढ़ गय थ

हम ही जानबझकर अपनी सननता की अपन सख-दःख की चाबी दसरो क हाथो म

स प दत ह कोई थोड़ा हस दता ह तो हम बोिधत हो उठत ह कोई थोड़ी शसा कर दता ह तो हषर स फल उठत ह कयोिक हम अपन को सीिमत पिरिचछनन शरीर या मन ही मान बठ ह

हम अपन वाःतिवक ःव प अपनी असीम मिहमा को नही जानत नही तो मजाल ह

िक जगत क सार लोग और ततीस करोड़ दवता भी िमलकर हम दःखी करना चाह और हम दःखी हो जाय जब हम ही भीतर स सख अथवा दःख को ःवीकित दत ह तभी सख अथवा दःख हमको भािवत करता ह सदव सनन रहना ई र की सव परी भि ह

ःवामी रामतीथर कहा करत थ िक कोई यिद तमहारी सननता छ नकर उसक बदल म

तमको ःवगर का फिरता भी बनाना चाह तो फिरतापद को ठोकर मार दो मगर अपनी सननता मत बचो

हम इस जीवन और मतय का कई बार अनभव कर चक ह सत कहत ह- तमहारा न तो जीवन ह और न ही मतय ह तम जीव नही तम िशव हो तम अमर

हो तम अननत अनािद सिचचदाननद परमातमा हो यिद इस जनम-मरण क खल स थक चक हो इनक खोखल पन को जान चक हो इसक असारपन स पिरिचत हो चक हो तो िकसी सत क सािननधय का लाभ उठाकर फकीरी मौत को जान लो िफर तमह कोई दःख कोई मतय भयभीत नही कर सकगी िफर िजस आना हो वह आव जाना हो वह चला जाव सख आव तो आन दो दःख आव तो आन तो जो आयगा वह जायगा तम द ा बनकर दखत रहो तम अपनी मिहमा म मःत रहो

मौत स भी मौत का भय बदतर ह भय म स ही सार पाप पदा होत ह भय ही मतय

ह लोग पछत ह- ःवामी जी आतम-साकषातकार हो जाता ह िफर उसक बाद कया होता

ह होता कया ह हम अपन ःव प म जाग जात ह उसक बाद हमस जो भी वि होती ह वह आननदमय ही होती ह ससार की कोई भी दःखपणर घटना हमको दःखी नही कर सकती

िफर यह शरीर रह या न रह हमार आननद म कोई अनतर नही पड़ता उस आननदःव प अपन आतमदव को जानना-यही जीवन का परम कतरवय ह परनत इस परम कतरवय की ओर मनय का धयान जाता नही और छोटी-मोटी तचछ वि यो म ही अटका रह जाता ह

हम कही याऽा म िनकलत ह तो राःत क िलए िटिफन भरकर भोजन साथ ल लत ह

भोजन स भी अिधक महतव पानी का ह परनत उसक िलए सोच लत ह िक चलो ःटशन पर भर लग घर स पानी लकर चलन की िचनता नही करत पानी स भी यादा ज री हवा ह उसक िबना तो एक िमनट भी नही चलता िफर भी हवा का कोई िसलनडर भरकर साथ नही लत कयोिक हम सब जानत ह िक वह तो सवरऽ ह इसिलए हवा क िलए हम कोई िचनता नही करत

हवा स कम ज री पानी क िलए पानी स कम ज री भोजन क िलए हम यादा िचनता करत ह उसी कार अपन आननदःव प आतमा म जागन क परम कतरवय को छोड़कर कम महतव क ःथल शरीर क लालन पालन एव उसस सबिधत वयवहार को सभालन म ही हम लग रहत ह शरीर असत जड़ और दःख प ह उसको चलान वाला सआम भतो स िनिमरत सआम शरीर ह उसको भी चतन स ा दन वाला सत-िचत-आननदःव प आतमा ह इस आननद-ःव प आतमा को असत-जड़ दःख प और मरणधमार समझकर जीवनभर मौत क भय स भयभीत बन रहत ह

अनत परमातमा म न तो उतथान ह न पतन न जनम ह न मरण वहा तो सब एकरस

ह हम ही मोहवश अपना ससार खड़ा कर लत ह और एक दसर क साथ सबध बनाकर अपन को जानबझकर बधन म डाल दत ह

एक सत क पास एक स जन का पऽ आया उसम िलखा थाः ःवामी जी आपक

आशीवारद स हमार यहा पऽ का जनम हआ ह सत न उ र म उस िलखा िकः तम झठ बोलत हो िफर जब स जन सत क पास गया तब कहा िकः ःवामी जी म सच कहता ह मर यहा पऽ का जनम हआ ह इस पर सत न िफर स कहा िकः तम झठ बोलत हो यह सनकर उन स जन को बड़ा आ यर हआ वह िवःफािरत नऽो स सत की ओर दखन लगा तब सत न कहाः

पऽ का जनम नही हआ िपता का जनम हआ ह माता का जनम हआ ह काका-मामा

का जनम हआ ह पऽ को तो खबर ही नही ह िक मरा जनम हआ ह और म िकसी का पऽ भी ह परनत हम उस पर सार समबनध आरोिपत कर दत ह

वःततः पचभतो म कोई आकार बना ह उस पऽ का नाम द िदया समय आन पर यह आकार िबखर जायगा यह आकार बन उसम हषर और यह आकार िबखर जाय उसम शोक कसा भय कसा

िजस शरीर को हम म मानत ह उसकी कित तो दखो िपया तो था अमत जसा

मीठा जल और िनकाला मऽ प म गदा पानी खाय तो थ मोहनथाल दधपाक छपपन भोग पर बन गया सब िव ा प शरीर का सग करन पदाथर की ऐसी अवःथा बन जाती ह सत-िचत-आननदःव प आतमा भी अपन को भलकर शरीर क साथ एक होकर ःवय को म शरीर मान लती ह और दीन हीन एव दःखी बन जाती ह परनत जब वह अपन आपम जाग जाती ह तब अपन को दवो का दव अनभव करती ह

यिद हमन शरीर क साथ अहबि की तो हम म भय वया हो ही जायगा कयोिक शरीर

की मतय िनि त ह उसका पिरवतरन अवयभावी ह उसको तो ःवय ाजी भी नही रोक सकत परनत यिद हमन अपन आतमःव प को जान िलया ःव प म हमारी िन ा हो गई तो हम िनभरय हो गय कयोिक ःव प की मतय होती नही मौत भी उसस डरती ह

ःवामी अखणडाननद सरःवती एक बार रल क तीसर दज म याऽा कर रह थ व यह

जानना चाहत थ िक तीसर दज म लोगो ारा िकय जान वाल मान-अपमान का भाव उनक िदल पर होता ह िक नही आतमिनरीकषण स उनह पता चला िक भाव तो होता ह यह बात उनहोन ौी उिड़या बाबा को बतायी उिड़या बाबा न कहाः

तम बठत ही कचर क ढर पर हो आशा करत हो िक मझ पर कोई कचरा न फ क मझ

कचर की दगरनध न आव यह कस हो सकता ह तम बठत हो शरीर म और आशा रखत हो िक मान-अपमान का असर न हो ःवय को शरीर माना तो मान-अपमान सख-दःख होगा और जनम-मतय भी होगी

वदानत क रहःय को समझना यह कोई ि यो का काम नही ह ी अथारत कित क

शरीर क म मानकर जीनवाला एक बार राजा जनक िव ानो की सभा म बठ थ उस सभा म गाग आई वह िबलकल

िदगमबर (न न) थी ऐसी अवःथा म सभा म गाग का वश पिडतो को रचा नही इसिलए उनहोन नाक-भ िसकोड़ िलया परषो स भरी सभा म एक न न ी

गाग बोलीः ऐ पिडतो नाक भ कयो िसकोड़त हो

पिडतो न कहाः तम एक अबला ऐसी अवःथा म परषो की सभा म जो आई हो

गाग तरनत बोलीः कौन कहता ह िक म अबला ह म सबला ह अबला तो तम हो जो अपना रकषक बाहर ढढत हो म अपना रकषक आप ह म यह शरीर नही ह म तो सत -िचत-आननदःव प आतमा ह म अपन आपको जानती ह

िजसको जानकर गाग िनभरय बन गई थी उस आननदःव प अपन आतमदव को जो

जान लता ह उसी म िःथत हो जाता ह वह जीवन और मौत दोनो स पर दोनो का द ा बन जाता ह उस िफर कोई भय नही रहता वह सदव आननद म मःत रहता ह

मरो मरो सब कोई कह मरना न जान कोई एक बार ऐसा मरो िक िफर मरना न होई

मगलमय जीवन मगलमय िववाह मगलमय सबध उस परम मगल चतनय क कारण ही

हो सकत ह न िक शि शरीर क बा प-रग पर िवमोिहत होन स महाराज जी क पास आकर एक मिहला कहन लगीः मर पित ःवगरःथ हो गय ह

उनका िवयोग सहा नही जाता ऐसा कोई उपाय बताओ िक उनका िहत हो और मझ शाित िमल

दसरा एक वयि आया और बोलाः मरी प ी मझ अकला छोड़कर चल बसी ह

तीसर न कहाः मरा बटा ःवगरःथ हो गया ह उसकी मीठ याद आती ह मर मन म आता ह िक उसक पीछ म भी आतमहतया करक मर जाऊ बाबा जी शािनत का कछ उपाय बताइय

महाराज जी न कहाः ह भि मिहला पित की याद आय तो उनह खब आदरपवरक कहोः

मरणधमार शरीर म होत हए भी आप अमर थ शरीर क मरन पर भी आप नही मर दह न र ह आप शा त हो चतनय हो आप परम र का अिवनाशी अश हो जनम-मतय आपका धमर नही ह पाप-पणय आपका कमर नही ह आप अजर हो श ब हो हम परःपर पािथरव शरीर की ीित करक मोह म सड़ रह थ िवकारो म दब रह थ अब पािथरव शरीर की ीित स म होकर अपािथरव आतमा म िःथत हो जाओ

वह शादी बरबादी म बदल जाती ह िजसम एक दसर क शरीर को पयार करत ह वह

मगलमय शादी आबादी की ओर ल जाती ह जहा प ी पित को पित प ी को पऽ िपता को िपता पऽ को शरीर क प म नही अिपत शरीरो क आधार श चतनयःव प म दख परःपर अपन चतनयःव प की याद िदलाव और रणा द

ह भि मिहला अपन पित को याद करक उनक जीवातमा को यह रणा दो इसस

उनकी भी उननित होगी और तमहारी उननित होगी ऐसा िचनतन करो िकः ह चतनयःव प मर आतमन शरीर को पाच भत क पतल

को तयागन क बाद भी आपका अिःततव ह आप आतमा हो परम र हो अमर हो चतनय हो शा त हो

इसी कार अपनी प ी को और ःवगरःथ पऽ पिरवार को ःमरण करक उनको उननत

करो और आप भी उननत बनो जीत-जी भी परःपर इसी भाव स उननत करो मतय मगलमय हो जाय ऐसा वातावरण बनाओ

जो वयि मतय को ा हो चक ह उनक ौा ो क िदनो म तथा ःमरण क व उनह

सझाव दो िकः जनम-मतय तमहारा धमर नही था पाप-पणय तमहारा कमर नही था तम अजर

अिवनाशी िनलप शा त सनातन नारायण क अश हो अतः अपन परम र ःवभाव को सभालो ःमरण करो

अपन पित प ी पऽ का नाम लकर कहो िकः तम वही हो सचमच म वही हो जो

मरन क बाद भी नही मरता ॐॐॐ तम चतनय आतमा हो ॐॐॐ शा त परम र हो ॐॐॐ अिवनाशी परमातमा हो ॐॐॐ

पथवी पर क ःवपन तलय सबधो का ःमरण करक तम नीच न िगरो अिपत आतमा-

परमातमा क सबध को याद करत हए अपना ऐिहक जीवन मगलमय बनाओ ससार स कच करक जाओ उस समय तमहार कटमबी आतमा परमा तमा की एकता और अमरता तमहारी िनतयता और म ता का ःमरण तमह अत समय म करा द ऐसी वयवःथा करो

कोई चल बसन वाल हो या चल बस हो उनको याद करक उनकी ओर िदवय िवचार

अमर आतमा का सनदश भजो इस कार तम उ म सवा कर सकत हो और जीिवतो को जीवनदाता म जगा सकत हो दोनो इस कार परःपर सहायता करोग और पाओग

टिलफोन पर अपन दर क सबधी स हम जब बात करत ह तो उस यऽ म स आन वाली

धविन अपन सबधी की होती ह ऐस ही शरीर पी यऽो स जो कछ ःनह सातवना सहानभित म या काश हम पात ह वह भीतर वाल परम र का ही होता ह उनको या उनक िचऽो को

दखो तो उन िचऽो क पीछ खड़ उस शा त सतय को परम िमऽ को पयार करो और उनह भी याद िदलाओ िकः ह शा त आतमा ह परातन ह अिवनाशी नाशवान ससार और शरीर बदलत ह लिकन तम अबदल आतमा हो ॐॐॐ

बचपन बदल गया यौवन बदल गया बढ़ापा बदल गया शरीर बदल गया िफर

तम भी हो तम वह अमर आतमा हो िजस पर काल का भी कोई भाव नही चलता ह अकाल आतमा अपनी मिहमा म जागो इस कार क िवचार भजन स मगल करोग और मगल को पाओग जीवन मगलमय होन

लगगा मतको की मतय भी मगलमय हो जायगी मगल भवन अमगलहारी िवचारो को सदव एक दसर क ित सािरत करो ॐ आननद

आननद आननद रोत चीखत मोहमाया म पड़कर उनको याद करत हो तो उनका और अपना सतयानाश

करत हो उनको नीच िगरात हो उनकी आतमा को भटकात हो अपन को तचछ बनात हो अमागिलक िवचारो को कतई ःफिरत न होन दो सदव मगलमय िवचार हो जायगा मगलमय जीवन मतय भी मगलमय हो जायगी ॐ ॐ ॐ

ॐॐॐॐॐॐॐॐ जीवन और मतय आतमा-परमातमा को पान क दो पहल ह रात क बाद िदन िदन क

बाद रात होती ह इसी तरह जीवन और मतय चोल बदलत हए अनभवो स गजरत हए अपन आतमःव प को ःव प को पान क िलए मगलमयी अवःथा ह

िदन िजतना पयारा ह रात भी उतनी ही आवयक ह जीवन िजतना पयारा ह मतय भी

उतनी ही आवयक ह मतय मान आतमिशव क मिनदर म जान क िलए ऊची सीिढ़या मतय मान मा की गोद म बालक सो गया और उमा शि ताजगी ःफितर पाकर िफर सबह खलता ह मतय मान मा की गोद म थकान िमटान को जाना िफर नया तन ा करक अपनी मगलमय याऽा करना

त वदि स दखा जाय तो यह जीवन-मतय की याऽा कित म हो रही ह तमह

परमातमाःव प म जगान क िलए गीता म भगवान ौी कण कहत ह-

न जायत ियत वा कदािचननाय भतवा भिवता वा न भयः अजो िनतयः शा तोऽयपराणो न हनयत हनयमान शरीर

त वतः यह आतमा न कभी जनमता ह और न मरता ह न यह उतपनन होकर िफर होन

वाला ही ह यह जनमरिहत िनतय िनरनतर रहन वाला शा त और परातन अनािद ह शरीर क मार जान पर भी वह नही मारा जाता

(गीताः 220) शव की ःमशानयाऽा म मटका ल जात ह फोड़ दत ह यह याद िदलान क िलए िक दह

मानो मटका ह इस मगलमय मतय को पीछ िव ल होन की आवयकता नही ह यह मटका सवा करन क िलए िमला था जीणर-शीणर हआ टट गया िफर नया िमलगा मगलमय आतमा-परमातमा की ाि तक यह मगलमय जनम-मरण की याऽा तो चलती ही रहगी इसम िव ल होकर रोना-चीखना िनरा मोह ह अगर इस मोह को पोसा जाय और िकसी की मतय न हो तो ससार महा नरक हो जायगा माली अगर बगीच म काट-छाट न कर तो बगीचा बगीचा ही न रहगा अिपत भयानकर जगल हो जायगा

स ा न मतय का मगलमय िवधान न बनाया होता तो आदमी म तयाग सवा नता क

सदगण ही नही िखलत सब अमर होकर अिड़यल की तरह उलझ रहत रािऽ स अरणोदय अरणोदय स िफर मगलमयी रािऽ की अिनवायर आवयकता ह िवराट

की यह चणड बीड़ा तमह अपन िवराट ःवभाव म जगान क िलए आवयक ह मतय मान महायाऽा महाःथान महािनिा अतः जो मर गय ह उनकी याऽा मगलमय

हो आतमोननितद हो ऐसा िचनतन कर न िक अपन मोह और अजञान क कारण उनको भी भटकाए और खद भी परशान हो

कइयो की मतय बालयकाल म या यौवन म हो जाती ह जस मा न बचच को कपड़

पहनाए और नही जच उठा िलय िफर नय व ो स सजाया-धजाया अथवा यो कहो िक बचचा िखलौनो म रम जाता ह िखलौन नही छोड़ना चाहता परनत मगलमयी मा उस बलात उठा लती ह अपनी गोद म सलाती ह अपनी उमा सािननधय िवौािनत स उस प करक िफर नतन भात को उस खलन क िलए बीडागन म भज दती ह ऐस ही जीवातमा का बीडागन ससार ह अतः अनक शरीर बदलत हए अबदल की मगलमय याऽा करन क िलए जीवन और मतय को मगल िवधान समझकर ई र की हा म हा करत हए अपनी याऽा उननत कर

ॐॐॐ

ॐॐॐॐॐॐॐॐ

अनबम

िचतन पराग ई र का बनाया हआ त भल ही बना रह उसको िमथया समझ लन माऽ स का

बोध हो सकता ह साधक का काम त को िमथया समझन स ही चलता ह इचछाओ की ति का उपाय एक ही ह िक इचछाए तयाग दी जाए िजस िववकी न इस

जगत को सपन या इनिजाल क समान समझ िलया ह िजस दय न प म िदखन लगा ह वह दोषदश िववकी भला बताओ इसम अनराग कस कर

जञानी जागरण को सतय समझना छोड़ दन पर िफर पहल की भाित अनर नही होता

जञानी तयक वःत को अपना आतमा समझता ह मद की कलपना को बार-बार मन म लाना काम-वासना स म होन का सव म उपाय

बताया गया ह मद को पड़ हए दखकर मन घबरान लगता ह पिरणाम की कयो परवाह करत हो अपनी तनखवाह क बार म कभी िफब मत करो

अजञानी लोग समझत ह िक कायर की सफलता म कायर करन की अपकषा अिधक आननद ह इन अनधो को यह मालम ही नही ह िकसी पिरणाम स उतना सख नही िमलता िजतना काम करन स िमलता ह

अपन िवचारो को सदा वाःतिवक आतमा म रखो और पिरिःथितयो की परवाह मत करो तब तक आपकी हािन नही हो सकती जब तक िक आप ःवय उस नही बलात तलवार

तब तक नही काट सकती जब तक आप यह न सोच िक यह काटती ह ऐ पणर तर िलए कोई कतरवय या कायर शष नही ह सारी कित सास रोक तरी

सवा क िलए खड़ी ह ससार तरी पजा करन का अवसर पाकर अपन को कतकतय करना चाहता ह कया त कित की शि यो को अपन चरणो म झकन का अवसर दगा

अपन भीतर सतय क काश को सदा चमकता रखो भय और लोभन का शतान तमहार

पास नही फटकगा

बाहर की बातो म कछ भी नही मान अपमान अपना काम िकय जा िनिशिदन इसम ही सममान

दसर लोग तमहारी आलोचना िनदा करत हो उनह रोकन की च ा न करो कयोिक इनही

सब बातो क ारा तमम सदगणो की वि होगी जब तक तमहारा दय इतना दढ़ नही ह िक तम मख क बकन पर िःथर और शात बन रहो अथवा तमम इतनी सहनशीलता नही ह िक अजञानी मख को कषमा कर सको तब तक तम अपन को कही जञानी न समझ बठना

यिद तम शरीर और मन स ऊपर उठ जाओ तो सब िचनता और भयो स छट हो

जाओग िकसी भी आकिःमक दघरटना स धयर न छोड़ो कयोिक घबराहट स शि तथा बि का

नाश होता ह िकसी भी कार की किठनाइयो क आग दःिखत न होकर गमभीरतापवरक उनका सामना करो तभी तम िनःसनदह िवजय ा करोग तम कही भी हतोतसािहत होकर िनराश न होओ

ऐसी कौन-सी िवपि ह जो मरी सननता को न कर सकती ह वह कौन-सा रज ह जो

मर आननद म िव न डाल सकता ह म तो िव ाणड का भ ह म बि का भ ह िदमाग का मािलक ह और मन का शासक ह ससार मझम ह म ससार म नही आ सकता िव मझम ह म िव म नही बध

सकता सयर और नकषऽ मझम उदय और अःत होत ह दह और दिनया दोनो ई र क भीतर ह वही ई र म ह म िनिलर आतमा ह मरा जनम नही मतय नही म अजर-अमर ह म िचदाननद

आतमःव प ह म िमथया त िमथया धमर िमथया कमर िमथया और जगत िमथया और ऐसा तीत

होता ह िक म सवरःव ह म ही सवरजञ सवरगत आतमा ह अपना साकषी ह कदािप उन नाम पो म फसा नही ह

म िवश ह असखय ाणड मझम पड़ ह म असःपयर ह मरा ःव प िनिलर ह

मझ दःख स कोई भय नही ह मझ समय की जरा भी िचनता नही आतमाननद वाल को भय और आशका कसी

िकसी भी डर को अपन पास मत फटकन दो लोग यिद तमहार बराई करत ह तो तम उनह आशीवारद दो ऐस ःथान पर जाओ जहा

लोग तमस घणा कर तम तो म हो पहल स ही म हो सवरदा कहोः म सदा आननदःव प ह म

म ःवभाव ह म अननत ःव प ह मरी आतमा का आिद और अनत नही ह सभी मर आतमःव प ह

सननतापवरक अपमान सहन करन स और नता धारण करन स अिभमान की िनवि

होती ह िकसी पिवऽ ःथान पर जाओ तो वहा क अनशासन का पालन करो वहा चपपलो की

चटाक-पटाक आभषणो की खनखनाहट भड़कील व ो की फरफराहट आिद हमस न हो इसका परा धयान रखो कही भी िकसी क भी िच को या शात वातावरण को अशात करन का हम कोई अिधकार नही ह

अपन िकसी भी दःख या अशाित का कारण बाहर मत ढढो बाहर की पिरिःथितयो या

वयि यो को दोष मत दो कारण अपन भीतर ढढो िनद ष भाव स ढढोग तो कारण भीतर ही िमल जायगा उस दर करन की च ा करो शातिच रहन का यही बहमलय उपाय ह

जो आतम-अनशािसत ह व ही शासन कर सकत ह ऐसा करन क िलए नाम-जप कर

धयान कर िकसी आतमिन सत का पावन सािननधय ा कर सब तरह स िनभरय एव सनन बनन का यह ौ साधन ह

िवन बनो िनरहकारी बनो अपन आपको बड़ा बतान की च ा न करो िवनता एव

िनरािभमानता ही तमह बड़ा बनायगी िवनता मनय का बहत बड़ा भषण ह िनमरल दि रखो िकसी क दोष दखना यह बहत बड़ा दगरण ह िछिानवषी न बनो

दसरो क दोष दखना पाप अजरन करना ह गणमाही बनो

ॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐ

अनबम

  • मगलमय जीवन-मतय
  • मतय क परकार
  • मतय भी जीवन क समान आवशयक
  • सिकनदर न अमत कयो नही पिया
  • बिना मतय को जान जीवन जीवन नही
  • मतय किसकी होती ह
  • भगवान शरीराम और तारा
  • मतयः कवल वसतर परिवरतन
  • फकीरी मौतः आननदमय जीवन का दवारः
  • यमराज और नचिकताः
  • सचच सत मतय का रहसय समझात ह
  • मतयः एक विशरानति-सथानः
  • वासना की मतय क बाद परम विशरानति
  • धतराषटर का शोकः
  • घाटवाल बाबा का एक परसग
  • फकीरी मौत ही असली जीवन
    • फकीरी मौत कया ह
      • सकरात का अनभव
      • आधयातमविदयाः भारत की विशषताः
      • तीन परकार क लोगः
      • जञान को आय स कोई निसबत नही
      • योगसामरथयः एक परतयकष उदाहरण
      • योग भी साधना का आखिरी शिखर नही
      • गणातीत सत ही परम निरभयः
      • सतो का सनदशः
      • चितन पराग

बालक की च डी (नकर) फटन पर उसकी मा उसको िनकाल कर नई पहनाती तो बालक

रोता ह िचललाता ह वही बालक बड़ा होता ह पहल की चि डया छोटी पड़ जाती ह उनह छोड़ता ह बड़ी पहनता ह िफर वह भी छोड़कर पनट पाजामा या धोती आिद पहनता ह ऐस ही परमातमा की सतान भी यो- यो बड़ी होती ह िवकिसत होती ह तयो-तयो उस पहल स अिधक यो य ददीपयमान नय शरीर िमलत ह जीव-जतओ स िवकिसत होत-होत बनदर गाय और आिखर मनय दह िमलती ह मनय िदवय कमर कर स वगण-धान बन तो दव गधवर की योिन िमलती ह उसका ःवभाव रजस धान हो तो वह िफर मनय बनता ह और यिद तामसी ःवभाव रखता ह तो पनः हलकी योिनयो म जाता ह उस मानव को यिद ई र भि क साथ कोई समथर सदगर िमल जाय उस आतमधयान आतमजञान की भख जग वह गरकपा पचा ल तो वही मन य चौरासी क चब म घमन वाला जीव अपन िशवःवभाव को जानकर तीनो गणो स पार हो जाय परमातमा म िमल जाय

व पिरवतरन स भय कसा व बदलन वाला तो कभी भी मरता नही वह अमर ह और पिरवतरन कित का ःवभाव ह तो िफर मौत ह ही कहा यही बात समझात हए गीता म भगवान ौी कण कहत ह अजरन स िक तमह भय िकस बात का ह

हतो वा ापःयिस ःवग िजतवा वा भोआयस महीम

यिद य म शरीर छट गया तो ःवगर को ा करोग और यिद जीत गय तो पथवी का

रा य भोगग (सभी ौोतागण तनमयता स जीवन मतय पर मीमासा सन रह ह ःवामी जी कछ कषण

रककर सभी पर एक रहःयमय दि फ कत ह वातावरण म थोड़ी गमभीरता छाई हई जानकर करत ह)

फकीरी मौतः आननदमय जीवन का ारः आप लोग उदास तो नही हो रह ह न आपको मौत का भय तो नही लग रहा ह न

अभी कवल जीवन पर बात ही चल रही ह िकसी की मौत नही आ रही ह (यह सनकर सभी िखलिखलाकर हस पड़त ह ःवामी जी फकीर मःती म आग कहत

ह)

अर मौत तो इतनी पयारी ह िक उस यिद आमिऽत िकया जाय तो आननदमय जीवन क ार खोल दती ह

एक जवान साध था घमत-घमत वह नपाल क एक पहाड़ की तलहटी म जा पहचा वहा

उसन दखा एक व सत एक िशला पर बठ ह शाम का समय ह सरज िछपन की तयारी म ह उन सत न उस जवान साध को तो दखा तो बोलः

मर परो म इतनी ताकत नही िक अभी म ऊपर पहाड़ पर चढ़कर अपनी गफा तक पहच सक बटा तम मझ अपन कध पर चढ़ाकर गफा तक पहचा दो

यवा साध भी अलमःत था उसन सत को अपन कध पर िबठा िलया और चल पड़ा

उनकी गफा की ओर चढ़ाई बड़ी किठन थी परनत वह भी जवान था चढ़ाई चढ़ता रहा काफी ऊपर चढ़ चकन पर उसन सत स पछाः

गफा अभी िकतनी दर ह

बस अब थोड़ी दर ह चलत-चलत काफी समय हो गया साध पछता रहा और व सत कहत रहः बस अब

थोड़ी ही दर ह मामा का घर िजतना दर िदया िदख उतना दर ऐसा करत-करत रात को यारह बज क करीब गफा पर पहच साध न व सत को कध स नीच उतारा और बोलाः

और कोई सवा

सत उसकी सवा स बड़ सनन थ बोलः बटा तमन बड़ी अचछ सवा की ह बोल अब तझ कया परःकार द वह दख

सामन तीन-चार भर हए बोर रख ह उसम स िजतना उठा सको उतना उठा ल जाओ यवा साध न जाकर बोरो को छकर दखा अनमान लगाया शायद र ी कागजो स भर हए

ह िफर धयान स दखा को अनमान गलत िनकला व बोर नपाली नोटो स भर हए थ उसन अनमन मन स उनको दखा और उलट परो लौट पड़ा सत की ओर सत न पछाः

कयो माल पसनद नही आया व सत पहच हए योगी थ अपन योगबल ारा उनहोन नोटो क बडलो स भर बोर

उतपनन कर िदय थ उनको ऐसी आशा थी िक वह यवा साध अपनी सवा क बदल इस परःकार स खश हो जायगा परनत वह यवा साध बोलाः

ऐसी सब चीज तो म पहल ही छोड़ आया ह इनस कया जीवन की रकषा होगी इनस कया जीवन का रहःय समझ म आएगा इनस कया मौत जानी जा सकगी कया म इनही चीजो क िलए घर बार छोड़कर दर-दर भटक रहा ह जगलो और पहाड़ो को छान रहा ह य सब तो न र हऔर अगर सतो क पास भी न र िमलगा तो िफर शा त कहा स िमलगा

अनबम

यमराज और निचकताः निचकता भी यमराज क सममख ऐसी ही माग पश करता ह कठोपिनषद म निचकता

की कथा आती ह निचकता कहता ह यमराज सः ह यमराज कोई कहता ह मतय क बाद मनय रहता ह और कोई कहता ह नही रहता ह इसम बहत सदह ह इसिलए मझ मतय का रहःय समझाओ तािक सतय कया ह यह म जान सक परनत यमराज निचकता की िजजञासा को परखन क िलए पहल भौितक भोग और वभव का लोभ दत हए कहत ह -

शतायषः पऽपौऽानवणीव बहनपशनहिःतिहरणयम ान भममरहदायतन वणीव ःवय च जीव शरदोयाविदचछिस

ह निचकता त सौ वषर की आयय वाल पऽ-पौऽ बहत स पश हाथी-घोड़ सोना माग

ल पथवी का िवशाल रा य माग ल तथा ःवय भी िजतन वषर इचछा हो जीिवत रह

(वललीः 123) इतना ही नही यमराज आग कहत ह- मनयलोक म जो भोग दलरभ ह उन सबको ःवचछनदतापवरक त माग ल यहा जो रथ

और बाजो सिहत सनदर रमिणया ह व मनयो क िलए दलरभ ह ऐसी कािमनयो को त ल जा इनस अपनी सवा करा परनत ह निचकता त मरण समबनधी मत पछ

िफर भी निचकता इन लोभनो म नही फसता ह और कहता हः य सब भोग सदव रहन वाल नही ह और इनको भोगन स तज बल और आयय कषीण

हो जात ह मझ य भोग नही चािहए मझ तो मतय का रहःत समझाओ

अनबम

सचच सत मतय का रहःय समझात ह ठ क इसी कार वह यवा साध उन व सत स कहता हः मझ य नोटो क बडल नही

चािहए आप यिद मझ कछ दना ही चाहत ह तो मझ मौत दीिजए म जानना चाहता ह िक मौत कया ह मन सना ह िक सचच सत मरना िसखात ह म उस मौत का अनभव करना चाहता ह

वःततः सत मरना िसखात ह इसीिलए तो लोग रोत हए बचचो को चप करान क िलए

कहत ह - रो मत चप हो जा नही तो वह दख बाबा आया ह न वह पकड़कर ल जायगा भल ही लोग अजञानतावश बाबाओ अथवा सतो स बचचो को डरात हए कहत ह िक व ल जायग परनत िजनको सचच सत ल जात ह अथवा जो उनका हाथ पकड़ लत ह व तर जात ह सचच सत उनको सब भयो स म कर दत ह और उनको ऐस पद पर िबठा दत ह िक िजसक आग ससार क सार भोग-वभव धन-समपि पऽ-पौऽ यश-ित ा सब तचछ भािसत होत ह परनत ऐस सचच सत िमलन दलरभ ह और दढ़ता स उनका हाथ पकड़न वाल भी दलरभ ह िजनहोन ऐस सतो का हाथ पकड़ा ह व िनहाल हो गय

उस यवा साध न भी ऐस ही सत का हाथ पकड़ा था मौत को जानन की उसकी बल

िजजञासा को दखकर व व सत बोल उठः अर यह कया मागता ह यह भी कोई मागन की चीज ह ऐसा कहकर उनहोन यवा साध को थोड़ी दर इधर-उधर की बातो म लगाया और मौका दखकर उसको एक तमाचा मार िदया यवक की आखो क सामन जस िबजली चमक उठ हो ऐसा अनभव हआ और दसर ही कषण उसका ःथल शरीर भिम पर लट गया उसका सआम शरीर दह स अलग होकर लोक-लोकानतर की याऽा म िनकल पड़ा लोग िजसको मतय कहत ह ऐसी घटना घट गई

ातःकाल हआ रात भर आननदमय मतय क ःवाद म डब हए उस यवा साध क ःथल

शरीर को िहलाकर व सत न कहाः बटा उठ सबह हो गई ह ऐस कब तक सोता रहगा यवा साध आख मलता हआ सननवदन उठ बठा िजसको मतय कहत ह उस मतय को

उसन दख िलया अहा कसा अदभत अनभव उसका दय कतजञता स भर उठा वह उठकर फकीर क चरणो म िगर पड़ा

लोग कहत ह िक मरना दःखद ह और इसीिलए मौत स डरत ह िजनको ससार म मोह

ह उनक िलए मौत भयद ह परनत सतो क िलए मोह रिहत आतमाओ क िलए ऐसा नही ह

अनबम

मतयः एक िवौािनत-ःथानः मौत तो एक पड़ाव ह एक िवौािनत-ःथान ह उसस भय कसा यह तो कित की एक

वयवःथा ह यह एक ःथानानतर माऽ ह उदाहरणाथर जस म अभी यहा ह यहा स आब चला जाऊ तो यहा मरा अभाव हो गया परनत आब म मरी उपिःथित हो गई आब स िहमालय चला जाऊ तो आब म मरा अभाव हो जायगा और िहमालय म मरी हािजरी हो जायगी इस कार म तो ह ही माऽ ःथान का पिरवतरन हआ

तमहारी अवःथाए बदलती ह तम नही बदलत पहल तम सआम प म थ िफर बालक

का प धारण िकया बालयावःथा छट गई तो िकशोर बन गय िकशोरावःथा छट गई तो जवान बन गय जवानी गई तो व ावःथा आ गई तम नही बदल परनत तमहारी अवःथाए बदलती ग

हमारी भल यह ह िक अवःथाए बदलन को हम अपना बदलना मान लत ह वःततः न

तो हम जनमत-मरत ह और न ही हम बालक िकशोर यवा और व बनत ह य सब हमारी दह क धमर ह और हम दह नही ह सतो का यह अनभव ह िकः

मझ म न तीनो दह ह तीनो अवःथाए नही मझ म नही बालकपना यौवन बढ़ापा ह नही जनम नही मरता नही होता नही म बश-कम म ह म ह ितह काल म ह एक सम

मतय नवीनता को जनम दन म एक सिधःथान ह यह एक िवौाम ःथल ह िजस

कार िदन भर क पिरौम स थका मनय रािऽ को मीठ नीद लकर दसर िदन ातः नवीन ःफितर लकर जागता ह उसी कार यह जीव अपना जीणर-शीणर ःथल शरीर छोड़कर आग की याऽा क िलए नया शरीर धारण करता ह परान शरीर क साथ लग हए टी बी दमा कनसर जस भयकर रोग िचनताए आिद भी छट जात ह

वासना की मतय क बाद परम िवौािनत ःथल शरीर स सआम शरीर का िवयोग िजसको मतय कहा जाता ह वह िवौाम-ःथल तो

ह परनत पणर िवौाित उसम भी नही ह यह फकीरी मौत नही ह फकीरी मौत तो वह ह िजसम सारी वासनाए जड़ सिहत भःम हो जाए भीतर यिद सआम वासना भी बची रही तो जीव िफर स नया शरीर धारण कर लगा और

िफर स सख-दःख की ठोकर खाना चाल कर दगा िफर स वहीः

पनरिप जनन पनरिप मरण पनरिप जननी जठर शयनम

अनबम

धतरा का शोकः करकषऽ क य म दय धन सिहत जब सार पऽ मार गय तो धतरा खब दःखी हए और

िवदर स कहन लगः कण और पाडवो न िमलकर मर सब पऽो का सहार कर िदया ह इसका दःख मझस सहन नही होता एक एक कषण वयतीत करना मझ वष जसा लमबा लग रहा ह

िवदर धतरा को समझात हए कहत ह - जो होना होता ह वह होकर ही रहता ह आप

वयथर म शोक न करो आतमा अमर ह उसक िलए मतय जसी कोई चीज नही ह इस शरीर को छोड़कर जो जाता ह वह वापस नही आता इस बात को समझकरः राम राख तम रिहय ह भाई शोक न करो

परनत धतरा का शोक कम नही हआ वह दढ़तापवरक कहन लगाः तम कहत हो वह

सब समझता ह िफर भी मरा दःख कम नही हो ता मझ अपन पऽो क िबना चन नही पड़ रहा ह पलभर को भी िच शात नही रहता

अजञानी सोचता ह िक िजस कार म चाहता ह उसी कार सब हो जाय तो मझ सख

हो यही मनय का अजञान ह शा और सतो का िकतना ही उपदश सनन को िमल जाय तो भी वह अपनी मानयताओ

का मोह सरलता स छोड़न को तयार नही होता िवदर का धमरय उपदश धतरा को सानतवना नही द सका धतरा शा ो स िबलकल अनिभजञ था ऐसी बात नही थी िफर भी उसका शा जञान उस पऽो क मोह स म नही कर सका

अनबम

घाटवाल बाबा का एक सग हिर ार म घाटवाला बाबा क नाम स िस एक महान सत रहत थ बहत सीध -साद

और सरल कमर म कतान (टाट) लपट रहत थ ऊपर स िदखन म िभखारी जस लगत मगर भीतर स साट थ उनक पास एक वयि आया और बोलाः महाराज मझ शाित चािहए

महाराज न पहल उस धयान स दखा िफर कहाः शाित चािहए तो तम गीता पढ़ो

यह सनकर वह च ककर बोलाः गीता गीता तो म िव ािथरयो को पढ़ाता ह म कालज म ोफसर ह गीता मरा िवषय ह गीता म कई बार पढ़ चका ह उस पर तो मरा काब ह

महाराज बोलः यह ठ क ह अब तक तो लोगो को पढ़ाकर पसो क लाभ क िलए गीता

पढ़ी होगी अब मन को िनयिऽत करक शाित लाभ क िलए पढ़ो लोग शा ो म स सचनाए और जानकािरया इक ठ करक उस ही जञान मान लत ह

दसरो को भािवत करन क िलए लोग शा ो की बात करत ह उपदश दत ह परनत उनह अपन आपको कोई अनभित नही होती मतय क िवषय म भी लोग िव तापणर वचन कर सकत ह मतय स डरन वालो को आ ासन और धयर द सकत ह परनत मौत जब उनही क सममख साकषात आकर खड़ी होती ह तो उनकी रग -रग काप उठती ह कयोिक उनको फकीरी मौत का अनभव नही

कई लोग कहत ह िक जीवन और मौत अपन हाथ म नही ह परनत यह उनक िलए

ठ क ह िजनको आधयाितमक रहःय का पता नही जो ःवय को शरीर मानत ह दीन-हीन मानत ह परनत योगी जानत ह िक जीवन और मतय इन दोनो पर मनय का अिधकार ह इस अिधकार को ा करन की तरकीब भी व जानत ह कोई िहममतवान जानन को ततपर हो तो व उस बता भी सकत ह व तो खललमखलला कहत ह िक यिद रोत-कलपत हए मरना हो तो खब भोग-भोगो िकसी की परवाह न करत हए खब खाओ िपयो और अमयारिदत िवषय-सवन करो ऐसा जीवन आपको अपन आप मौत की ओर शीयता स आग बढ़ा दगा परनत

यिद मौत पर िवजय ा करनी हो जीवन को सही तरीक स जीना हो तो योिगयो क

कह अनसार करो ाणायाम करो धयान करो योग करो आतमिचनतन करो और ऐसा कोई योगी डॉकटरो क सामन आकर दय की गित बनद करक बता दता ह तो वह बात भी लोगो को

बड़ी आ यरजनक लगती ह लोगो क टोल क टोल उसको दखन क िलए उमड़ पड़त ह परनत यह भी कोई योग की पराका ा नही ह

फकीरी मौत ही असली जीवन इितहास म जञान र महाराज और योगी चागदव का सग आता ह वह तो आप लोग

जानत ही होग चागदव न मतय को चौदह बार धोखा िदया था अथारत जब -जब मौत का समय आता तब-तब चागदव योग की कला स अपन ाण ऊपर चढ़ाकर मौत टाल िदया करत थ ऐसा करत-करत चागदव न अपनी उ 1400 वषर तक बढ़ा दी िफर भी उनको आतमशािनत नही िमली फकीरी मौत ही आतमशाित द सकती ह और इसीिलए चागदव को आिखर म जञान र महाराज क चरणो म समिपरत होना पड़ा

अनबम

फकीरी मौत कया ह

फकीरी मौत ही असली जीवन ह फकीरी मौत अथारत अपन अह की मतय अपन जीवभाव की मतय म दह ह म जीव ह इस पिरिचछनन भाव की मतय

ःथल शरीर स सआम शरीर का िवयोग यह कोई फकीरी मौत नही ह अगर वासना शष

हो तो सआम शरीर बार-बार ःथल शरीर धारण करक इस ससार म जनम-मरण क दःख पणर चककर म भटकता रहता ह

जब तक फकीरी मौत नही हो तब तक चागदव की तरह चौदह बार कया चौदह हजार

बार भी ःथल शरीर को बचाय रखा जाय तो भी परम शाित क िबना यह बकार ह लाबधवा जञान परा शाित आतमजञान स ही परम शाित िमलती ह इसी कारण चागदव को फकीरी मौत सीखन क िलए जञान र महाराज क पास आना पड़ा था 1400 वषर का िशय और 22 वषर क गर यही जञान का आदर करन वाली भारतीय सःकित ह जञान स उ को कोई समबनध नही ह

हम तो जीवन म पग-पग पर छोटी-मोटी पिरिःथितयो स घबरा उठत ह ऐसा भयभीत

जीवन भी कोई जीवन ह यह तो मौत स भी बदतर ह इसीिलए कहता ह िक असली जीवन जीना हो िनभरय जीवन जीना हो तो फकीरी मौत को एक बार जान लो

फकीरी मौत अथारत अपन अमरतव को जान लना फकीरी मौत अथारत उस पद पर आ ढ़ हो जाना जहा स जीवन भी दखा जा सक और मौत भी दखी जा सक जहा स ःप प स िदख िक सख-दःख आय और गय बालयावःथा यवावःथा और व ावःथा आई और गई परनत य सब शरीर स ही समबिनधत थ मझ तो व ःपशर तक नही कर सक म तो असग ह अमर ह मरा तो जनम भी नही मतय भी नही

सकरात का अनभव सकरात को जब जहर िदया जान लगा तो उसक िशय रोन लग कयोिक उनको यह

अजञान था िक सकरात अब बचग नही मर जायग सकरात न कहाः अर तम रोत कयो हो अब तक मन जीवन दखा अब मौत को दखगा यिद म मर

जाऊगा तो आज नही तो कल मरन ही वाला था इसिलए रोन की कया ज रत ह और यिद मरत हए भी नही मरा कवल शरीर स ही िछनन-िभनन हआ तो भी रोन की कया ज रत

सकरात न िबना िहचिकचाहट क राजी-खशी स जहर का पयाला पी िलया और िशयो स

कहाः दखो यह रोन का समय नही ह बहत ही महतवपणर बात समझन का समय आया ह

मर शरीर पर जहर का भाव होन लगा ह पर सनन होत जा रह ह घटनो तक जड़ता वया हो गई ह जहर का असर बढ़ता जा रहा ह मर पर ह िक नही इसकी अनभित नही हो रही ह अब कमर तक का भाग सवदनहीन बन गया ह

इस कार सकरात का सारा शरीर ठडा होन लगा सकरात न कहाः अब जहर क भाव स हाथ पर छाती जड़ हो गई ह थोड़ी ही दर म मरी िज ा भी

िनःपद हो जायगी उसस पहल एक मह वपणर बात सन लो जीवन म िजसको नही जान सका उसका अनभव हो रहा ह शरीर क सब अग एक क एक बाद एक िनःपद होत जा रह ह परनत उसस मझम कोई फकर नही पड़ रहा ह म इतना ही पणर ह िजतना पहल था शरीर स म ःवय को अलग असग महसस कर रहा ह अब तक जस जीवन को दखा वस ही अभी मौत को भी दख रहा ह यह मौत मरी नही बिलक शरीर की ह

अनबम

आधयातमिव ाः भारत की िवशषताः सकरात तो शरीर छोड़त-छोड़त अपना अनभव लोगो को बतात गय िक शरीर की मतय

यह तमहारी मतय नही शरीर क जात हए भी तम इतन क इतन ही पणर हो परनत भारत क ऋिष तो आिद काल स कहत आय ह-

शणवनत िव अमतःय पऽा

आ य धामािन िदवयािन तःयः वदाहमत परष महानतम

आिदतयवण तमसः परःतात तमव िविदतवाऽितमतयमित नानयः पनथा िव तऽयनाय

ह अमतपऽो सनो उस महान परम परषो म को म जानता ह वह अिव ा प अधकार

स सवरथा अतीत ह वह सयर की तरह ःवयकाश-ःव प ह उसको जानकर ही मनय मतय का उललघन करन म जनम-मतय क बधनो स सदव क िलए छटन म समथर होता ह परम पद की ाि क िलए इसक अितिर कोई दसरा मागर नही ह

( ता तरोपिनषद) यह कोई वद-उपिनषद काल की बात ह उस समय क ऋिष चल गय और अब नही ह

ऐसी बात नही ह आज भी ऐस ऋिष और ऐस सत ह िजनहोन सतय की अनभित की ह अपन अमरतव का अनभव िकया ह इतना ही नही बिलक दसरो को भी इस अनभव म उतार सकत ह रामकण परमहस ःवामी िववकाननद ःवामी रामतीथर महिषर रमण इतयािद ऐस ही त वव ा महापरष थ और आज भी ऐस महापरष जगलो म और समाज क बीच म भी ह यहा इस ःथान पर भी हो सकत ह परनत उनको दखन की आख चािहए इन चमरचकषओ स उनह पहचानना मिकल ह िफर भी िजजञास और ममकष वि क लोग उनकी कपा स उनक बार म थोड़ा सकत यह इशारा पा सकत ह

अनबम

तीन कार क लोगः ऐस सतो क पास तीन कार क लोग आत ह- दशरक िव ाथ और साधक

दशरक अथारत ऐस लोग जो कवल दशरन करन और यह दखन क िल ए आत ह िक सत कस ह कया करत ह कया कहत ह उपदश भी सन तो लत ह पर उसक अनसार कछ करना ह इसक साथ उनका कोई समबनध नही होता आग बढ़न क िलए उनम कोई उतसाह नही होता

िव ाथ अथारत व जो शा एव उपदश समबनधी अपनी जानकारी बढ़ान क िलए आत ह

अपन पास जो जानकारी ह उसम और वि होव तािक दसरो को यह सब सनाकर अपनी िव ा की छाप उन पर छोड़ी जा सक दसरो स सना याद रखा और जाकर दसरो को सना िदया जस ग स शानसपोटर कमपनी ाईवट िलिमटड- यहा का माल वहा और वहा का माल यहा लाना और ल जाना ऐस लोग भी त व समझन क मागर पर चलन का पिरौम उठान को तयार नही

तीसर कार क लोग होत ह साधक य ऐस लोग होत ह िक जो साधनामागर पर चलन

को तयार होत ह इनको जसा बताया ह वसा करन को पणर प स किटब होत ह अपनी सारी शि उसम लगान को ततपर होत ह उसक िलए अपना मान-सममान तन-मन-धन सब कछ होम दन को तयार होत ह सत क ित और अपन धयय क ित इनम पणर िन ा होती ह य लोग फकीर अथवा सत क सकत क अनसार लआय की िसि क िलए साहसपवरक चल पड़त ह

िव ाथ अपन वयि तव का ौगार करन क िलए आत ह जबिक साधक वयि तव का िवसजरन करन क िलए आत ह साधक अपन लआय की तलना म अपन वयि तव या अपन अह का कोई भी मलय नही समझत जबिक िव ाथ क िलए अपना अह और वयि तव का ौगार ही सब कछ ह अपनी िव ता म वि जानकारी को बढ़ाना वयि तव को और आकषरक बनाना इसी म उस सार िदखता ह त वानभित की तरफ उसका कोई धयान नही होता

यही कारण ह िक सतो क पास आत तो बहत लोग ह परनत साधक बनकर वही िटक

कर त व का साकषातकार करन वाल कछ िवरल ही होत ह

जञान को आय स कोई िनःबत नही िजसन फकीरी मौत को जान िलया हो अथारत िजस आतमजञान हो गया हो वह शरीर की

दि स कम उ का हो परनत उसक आग लौिकक िव ा म वीण और अिधक वय क सफद दाढ़ी-मछ वाल लोग भी बालक क समान होत ह इसीिलए योगिव ा म वीण 1400 वषर क चागदव को कम उवाल जञान र महाराज क चरणो म समिपरत होना पड़ा था ाचीन काल म ऐस कई उदाहरण दखन म आत ह

िचऽ वटतरोमरल व ाः िशया गरयरवा

गरोःत मौन वयाखयान िशयाःतिचछननसशयाः अथारत यह कसा विच य ह िक वटवकष क नीच यवा गर और व िशय बठ ह गर

ारा मौन वयाखयान हो रहा ह और िशयो क सब सशयो और शकाओ का समाधान होता जा रहा ह

अनबम

योगसामथयरः एक तयकष उदाहरण अपन मोटरा आौम म भी ऐस ही करीब स र वषर क सफद बाल वाल एक साधक ह

पहल डीसा म व एक सत क पास गय गय तो थ दशरक बनकर ही परनत सत की दि पड़त ही व दशरक म स साधक बन गय म कछ वषर पवर डीसा क आौम म था तब व मर पास आय थ पकी हई उ म भी व 18 वषर की उ की एक बाला क साथ बयाह रचान की तयारी म थ और आशीवारद मागन हत वहा आय थ उनको दखकर ही मर मह स िनकल पड़ाः

अब तमहारी शादी ई र क साथ कराएग यह सनकर उनको बड़ा आ यर हआ कयोिक न तो व मझ पहल स जानत थ और न ही

म उनह जानता था उस व उनका शरीर भी कसा था चरबी और कफ-िप स ठसाठस भरा हआ एकदम ःथल दमा आिद रोगो का िशकार डीसा म कपड़ क बड़ वयापारी थ धप म िबना छाता िलए दकान स नीच नही उतर पात थ कित ऐसी थी िक िकसी भी सत महातमा को नही गाठ और काम-वासना भीतर इतनी भरी हई थी िक आग की दो पि या शरीर छोड़ चकी थी िफर भी इस उ म तीसरी शादी करन को तयार थ प ी िबना एक िदन भी नही रह सकत थ

घर पहचन पर उनको पता चला िक उनक अनदर जो काम -िवकार का तफान आया था

वह एकदम शात हो गया ह भिवय म प ी बनन वाली उस कमारी क साथ एकात म अनक च ाए करक भी व उस काम-िवकार को पनः नही जगा सक इतना बल िवकार एकाएक कहा चला गया िफर उनको समझ म आया िक सत की ई रीय अहत की कपा उनम उतरी ह उनको सारा ससार सना-सना लगन लगा उनहोन तरनत ही उस कमारी यवती को कछ पय और कपड़ िदय और बटी कहकर रवाना कर िदया उसक बाद उनहोन आसन ाणायाम गजकरणी नित धोित आिद िबयाए सीख ली और िनयिमत प स करन लग इसस उनक शरीर क सार परान कफ-िप -दमा आिद दर हो गय और शरीर म स आवयकता स अिधक चब घटकर शरीर हलका फल जसा हो गया अब तो जवानो क साथ दौड़न की भी ःपधार करत

ह धयानयोग की साधना म उनहोन इतनी गित की ह िक उनको कई कार क अलौिकक अनभव हआ करत ह अपन सआम शरीर ारा व लोक -लोकानतर म घम आया करत ह

योग भी साधना का आिखरी िशखर नही यह भी साधना की कोई आिखरी भिमका नही ह सव चच िशखर नही ह यह भी सब

माया की सीमा म ही ह िफर चमर-चकषओ स दखो अथवा धयान म बठकर दखो कयोिकः

यद दय तद अिनतयम जो िदखता ह वह अिनतय ह जो िदख सो चालनहार चागदव भी योग म कशल थ

काल को कई बार धोखा द चक थ परनत माया को धोखा न द सक व भी साि वक माया म थ माया स पर नही थ

माया ऐसी ठिगनी ठगत िफरत सब दश जो ठग या ठिगनी ठग वा ठग को आदश

कोई िवरल सत ही इस माया को ठग सकत ह माया स पार जा सकत ह बाकी क

लोगो का तो यह माया न र म ही शा त का आभास करा दती ह अिःथरता म िःथरता िदखा दती ह ऐसी मोिहना माया क िवषय म ौी कण कहत ह-

दवी षा गणमयी मम माया दरतयया मामव य प नत मायामता तरिनत त

मरी यह अदभत िऽगणमयी माया का तरना अतयनत दकर ह परनत जो मरी शरण म

आत ह व तर जात ह (गीता)

अनबम

गणातीत सत ही परम िनभरयः ऐसी दःतर माया को जो सत अथवा फकीर तर जात ह और मौत की पोल जान जात ह

व कहत ह- एक ऐसी जगह ह जहा मौत की पहच नही जहा मौत का कोई भय नही िजसस मौत भी भयभीत होती ह उस जगह म हम बठ ह तम चाहो तो तम भी बठ सकत हो

तमहार म एक ऐसा चतन ह जो कभी मरता नही िजसन मौत कभी दखी ही नही जो जीवन और मौत क समय पिरवतरन को दखता ह परनत उन सबस पर ह

यिद घड़ म आया हआ चनिमा का ितिबमब घड़ क पानी को उबलता हआ जानकर यह

मान की म उबल रहा ह पानी िहल तो समझ िक म िहलता ह घड़ा फट गया तो समझ िक म मर गया तो यह उसका अजञान ह परनत उसको यह पता चल जाय िक पानी क उबलन स म नही उबलता पानी क िहलन स म नही िहलता म तो वह चनिमा ह जो हजारो घड़ो म चमक रहा ह िकतन ही घड़ टट -फट गय परनत म मरा नही मरा कछ भी िबगड़ा नही म इन सबस असग ह तो वह कभी दःखी नही होगा

इसी कार हम यिद अपन असगपन को जान ल अथारत म शरीर-मन-बि नही अिपत

आतमा ह- यह हम जान ल तो िफर िकतन ही दह पी घड़ बन और टट -िबखर िकतनी ही सि या बन और उनका लय हो जाय हमको कोई भय नही होगा कयोिक आतमा का ःवभाव हः

न जायत ियत वा कदािचननाय भतवा भिवता वा न भयः अजो िनतयः शा तोऽयपराणो न हनयत हनयमान शरीर

यह आतमा िकसी काल म भी न तो जनमता ह और न मरता ही ह तथा न यह उतपनन

होकर िफर होन वाला ही ह कयोिक यह अजनमा िनतय सनातन और परातन ह शरीर क मार जान पर भी यह नही मारा जाता

(भगवदगीताः 223) अनबम

सतो का सनदशः िजन सतो न यह रहःय जान िलया ह जो इस अमतमय अनभव म स गजर चक ह व

सब भयो स म हो गय ह इसीिलए व अपनी अनभविस वाणी म कहत ह- अपन आतमदव स अपिरिचत होन क कारण ही तम अपन को दीन-हीन और दःखी

मानत हो इसिलए अपनी आतम-मिहमा म जाग जाओ यिद अपन आपको दीन ही मानत रह तो रोत रहोग ऐसा कौन ह जो तमह दःखी कर सक तम यिद न चाहो तो दःख की कया मजाल ह िक तमह ःपशर भी कर सक अननत-अननत ाणड को जो चल रहा ह वह चतन तमहार भीतर चमक रहा ह उसकी अनभित कर लो वही तमहारा वाःतिवक ःव प ह

मनसर को सली पर चढ़ा िदया गया था परनत उनको सली का कोई भय नही था सली

का क उनको ःपशर भी नही कर सका कयोिक मनसर अपनी मिहमा म जग हए थ व यह जान चक थ िक म शरीर नही ह सली शरीर को लग सकती ह मझ नही इसिलए व हसत-हसत सली पर चढ़ गय थ

हम ही जानबझकर अपनी सननता की अपन सख-दःख की चाबी दसरो क हाथो म

स प दत ह कोई थोड़ा हस दता ह तो हम बोिधत हो उठत ह कोई थोड़ी शसा कर दता ह तो हषर स फल उठत ह कयोिक हम अपन को सीिमत पिरिचछनन शरीर या मन ही मान बठ ह

हम अपन वाःतिवक ःव प अपनी असीम मिहमा को नही जानत नही तो मजाल ह

िक जगत क सार लोग और ततीस करोड़ दवता भी िमलकर हम दःखी करना चाह और हम दःखी हो जाय जब हम ही भीतर स सख अथवा दःख को ःवीकित दत ह तभी सख अथवा दःख हमको भािवत करता ह सदव सनन रहना ई र की सव परी भि ह

ःवामी रामतीथर कहा करत थ िक कोई यिद तमहारी सननता छ नकर उसक बदल म

तमको ःवगर का फिरता भी बनाना चाह तो फिरतापद को ठोकर मार दो मगर अपनी सननता मत बचो

हम इस जीवन और मतय का कई बार अनभव कर चक ह सत कहत ह- तमहारा न तो जीवन ह और न ही मतय ह तम जीव नही तम िशव हो तम अमर

हो तम अननत अनािद सिचचदाननद परमातमा हो यिद इस जनम-मरण क खल स थक चक हो इनक खोखल पन को जान चक हो इसक असारपन स पिरिचत हो चक हो तो िकसी सत क सािननधय का लाभ उठाकर फकीरी मौत को जान लो िफर तमह कोई दःख कोई मतय भयभीत नही कर सकगी िफर िजस आना हो वह आव जाना हो वह चला जाव सख आव तो आन दो दःख आव तो आन तो जो आयगा वह जायगा तम द ा बनकर दखत रहो तम अपनी मिहमा म मःत रहो

मौत स भी मौत का भय बदतर ह भय म स ही सार पाप पदा होत ह भय ही मतय

ह लोग पछत ह- ःवामी जी आतम-साकषातकार हो जाता ह िफर उसक बाद कया होता

ह होता कया ह हम अपन ःव प म जाग जात ह उसक बाद हमस जो भी वि होती ह वह आननदमय ही होती ह ससार की कोई भी दःखपणर घटना हमको दःखी नही कर सकती

िफर यह शरीर रह या न रह हमार आननद म कोई अनतर नही पड़ता उस आननदःव प अपन आतमदव को जानना-यही जीवन का परम कतरवय ह परनत इस परम कतरवय की ओर मनय का धयान जाता नही और छोटी-मोटी तचछ वि यो म ही अटका रह जाता ह

हम कही याऽा म िनकलत ह तो राःत क िलए िटिफन भरकर भोजन साथ ल लत ह

भोजन स भी अिधक महतव पानी का ह परनत उसक िलए सोच लत ह िक चलो ःटशन पर भर लग घर स पानी लकर चलन की िचनता नही करत पानी स भी यादा ज री हवा ह उसक िबना तो एक िमनट भी नही चलता िफर भी हवा का कोई िसलनडर भरकर साथ नही लत कयोिक हम सब जानत ह िक वह तो सवरऽ ह इसिलए हवा क िलए हम कोई िचनता नही करत

हवा स कम ज री पानी क िलए पानी स कम ज री भोजन क िलए हम यादा िचनता करत ह उसी कार अपन आननदःव प आतमा म जागन क परम कतरवय को छोड़कर कम महतव क ःथल शरीर क लालन पालन एव उसस सबिधत वयवहार को सभालन म ही हम लग रहत ह शरीर असत जड़ और दःख प ह उसको चलान वाला सआम भतो स िनिमरत सआम शरीर ह उसको भी चतन स ा दन वाला सत-िचत-आननदःव प आतमा ह इस आननद-ःव प आतमा को असत-जड़ दःख प और मरणधमार समझकर जीवनभर मौत क भय स भयभीत बन रहत ह

अनत परमातमा म न तो उतथान ह न पतन न जनम ह न मरण वहा तो सब एकरस

ह हम ही मोहवश अपना ससार खड़ा कर लत ह और एक दसर क साथ सबध बनाकर अपन को जानबझकर बधन म डाल दत ह

एक सत क पास एक स जन का पऽ आया उसम िलखा थाः ःवामी जी आपक

आशीवारद स हमार यहा पऽ का जनम हआ ह सत न उ र म उस िलखा िकः तम झठ बोलत हो िफर जब स जन सत क पास गया तब कहा िकः ःवामी जी म सच कहता ह मर यहा पऽ का जनम हआ ह इस पर सत न िफर स कहा िकः तम झठ बोलत हो यह सनकर उन स जन को बड़ा आ यर हआ वह िवःफािरत नऽो स सत की ओर दखन लगा तब सत न कहाः

पऽ का जनम नही हआ िपता का जनम हआ ह माता का जनम हआ ह काका-मामा

का जनम हआ ह पऽ को तो खबर ही नही ह िक मरा जनम हआ ह और म िकसी का पऽ भी ह परनत हम उस पर सार समबनध आरोिपत कर दत ह

वःततः पचभतो म कोई आकार बना ह उस पऽ का नाम द िदया समय आन पर यह आकार िबखर जायगा यह आकार बन उसम हषर और यह आकार िबखर जाय उसम शोक कसा भय कसा

िजस शरीर को हम म मानत ह उसकी कित तो दखो िपया तो था अमत जसा

मीठा जल और िनकाला मऽ प म गदा पानी खाय तो थ मोहनथाल दधपाक छपपन भोग पर बन गया सब िव ा प शरीर का सग करन पदाथर की ऐसी अवःथा बन जाती ह सत-िचत-आननदःव प आतमा भी अपन को भलकर शरीर क साथ एक होकर ःवय को म शरीर मान लती ह और दीन हीन एव दःखी बन जाती ह परनत जब वह अपन आपम जाग जाती ह तब अपन को दवो का दव अनभव करती ह

यिद हमन शरीर क साथ अहबि की तो हम म भय वया हो ही जायगा कयोिक शरीर

की मतय िनि त ह उसका पिरवतरन अवयभावी ह उसको तो ःवय ाजी भी नही रोक सकत परनत यिद हमन अपन आतमःव प को जान िलया ःव प म हमारी िन ा हो गई तो हम िनभरय हो गय कयोिक ःव प की मतय होती नही मौत भी उसस डरती ह

ःवामी अखणडाननद सरःवती एक बार रल क तीसर दज म याऽा कर रह थ व यह

जानना चाहत थ िक तीसर दज म लोगो ारा िकय जान वाल मान-अपमान का भाव उनक िदल पर होता ह िक नही आतमिनरीकषण स उनह पता चला िक भाव तो होता ह यह बात उनहोन ौी उिड़या बाबा को बतायी उिड़या बाबा न कहाः

तम बठत ही कचर क ढर पर हो आशा करत हो िक मझ पर कोई कचरा न फ क मझ

कचर की दगरनध न आव यह कस हो सकता ह तम बठत हो शरीर म और आशा रखत हो िक मान-अपमान का असर न हो ःवय को शरीर माना तो मान-अपमान सख-दःख होगा और जनम-मतय भी होगी

वदानत क रहःय को समझना यह कोई ि यो का काम नही ह ी अथारत कित क

शरीर क म मानकर जीनवाला एक बार राजा जनक िव ानो की सभा म बठ थ उस सभा म गाग आई वह िबलकल

िदगमबर (न न) थी ऐसी अवःथा म सभा म गाग का वश पिडतो को रचा नही इसिलए उनहोन नाक-भ िसकोड़ िलया परषो स भरी सभा म एक न न ी

गाग बोलीः ऐ पिडतो नाक भ कयो िसकोड़त हो

पिडतो न कहाः तम एक अबला ऐसी अवःथा म परषो की सभा म जो आई हो

गाग तरनत बोलीः कौन कहता ह िक म अबला ह म सबला ह अबला तो तम हो जो अपना रकषक बाहर ढढत हो म अपना रकषक आप ह म यह शरीर नही ह म तो सत -िचत-आननदःव प आतमा ह म अपन आपको जानती ह

िजसको जानकर गाग िनभरय बन गई थी उस आननदःव प अपन आतमदव को जो

जान लता ह उसी म िःथत हो जाता ह वह जीवन और मौत दोनो स पर दोनो का द ा बन जाता ह उस िफर कोई भय नही रहता वह सदव आननद म मःत रहता ह

मरो मरो सब कोई कह मरना न जान कोई एक बार ऐसा मरो िक िफर मरना न होई

मगलमय जीवन मगलमय िववाह मगलमय सबध उस परम मगल चतनय क कारण ही

हो सकत ह न िक शि शरीर क बा प-रग पर िवमोिहत होन स महाराज जी क पास आकर एक मिहला कहन लगीः मर पित ःवगरःथ हो गय ह

उनका िवयोग सहा नही जाता ऐसा कोई उपाय बताओ िक उनका िहत हो और मझ शाित िमल

दसरा एक वयि आया और बोलाः मरी प ी मझ अकला छोड़कर चल बसी ह

तीसर न कहाः मरा बटा ःवगरःथ हो गया ह उसकी मीठ याद आती ह मर मन म आता ह िक उसक पीछ म भी आतमहतया करक मर जाऊ बाबा जी शािनत का कछ उपाय बताइय

महाराज जी न कहाः ह भि मिहला पित की याद आय तो उनह खब आदरपवरक कहोः

मरणधमार शरीर म होत हए भी आप अमर थ शरीर क मरन पर भी आप नही मर दह न र ह आप शा त हो चतनय हो आप परम र का अिवनाशी अश हो जनम-मतय आपका धमर नही ह पाप-पणय आपका कमर नही ह आप अजर हो श ब हो हम परःपर पािथरव शरीर की ीित करक मोह म सड़ रह थ िवकारो म दब रह थ अब पािथरव शरीर की ीित स म होकर अपािथरव आतमा म िःथत हो जाओ

वह शादी बरबादी म बदल जाती ह िजसम एक दसर क शरीर को पयार करत ह वह

मगलमय शादी आबादी की ओर ल जाती ह जहा प ी पित को पित प ी को पऽ िपता को िपता पऽ को शरीर क प म नही अिपत शरीरो क आधार श चतनयःव प म दख परःपर अपन चतनयःव प की याद िदलाव और रणा द

ह भि मिहला अपन पित को याद करक उनक जीवातमा को यह रणा दो इसस

उनकी भी उननित होगी और तमहारी उननित होगी ऐसा िचनतन करो िकः ह चतनयःव प मर आतमन शरीर को पाच भत क पतल

को तयागन क बाद भी आपका अिःततव ह आप आतमा हो परम र हो अमर हो चतनय हो शा त हो

इसी कार अपनी प ी को और ःवगरःथ पऽ पिरवार को ःमरण करक उनको उननत

करो और आप भी उननत बनो जीत-जी भी परःपर इसी भाव स उननत करो मतय मगलमय हो जाय ऐसा वातावरण बनाओ

जो वयि मतय को ा हो चक ह उनक ौा ो क िदनो म तथा ःमरण क व उनह

सझाव दो िकः जनम-मतय तमहारा धमर नही था पाप-पणय तमहारा कमर नही था तम अजर

अिवनाशी िनलप शा त सनातन नारायण क अश हो अतः अपन परम र ःवभाव को सभालो ःमरण करो

अपन पित प ी पऽ का नाम लकर कहो िकः तम वही हो सचमच म वही हो जो

मरन क बाद भी नही मरता ॐॐॐ तम चतनय आतमा हो ॐॐॐ शा त परम र हो ॐॐॐ अिवनाशी परमातमा हो ॐॐॐ

पथवी पर क ःवपन तलय सबधो का ःमरण करक तम नीच न िगरो अिपत आतमा-

परमातमा क सबध को याद करत हए अपना ऐिहक जीवन मगलमय बनाओ ससार स कच करक जाओ उस समय तमहार कटमबी आतमा परमा तमा की एकता और अमरता तमहारी िनतयता और म ता का ःमरण तमह अत समय म करा द ऐसी वयवःथा करो

कोई चल बसन वाल हो या चल बस हो उनको याद करक उनकी ओर िदवय िवचार

अमर आतमा का सनदश भजो इस कार तम उ म सवा कर सकत हो और जीिवतो को जीवनदाता म जगा सकत हो दोनो इस कार परःपर सहायता करोग और पाओग

टिलफोन पर अपन दर क सबधी स हम जब बात करत ह तो उस यऽ म स आन वाली

धविन अपन सबधी की होती ह ऐस ही शरीर पी यऽो स जो कछ ःनह सातवना सहानभित म या काश हम पात ह वह भीतर वाल परम र का ही होता ह उनको या उनक िचऽो को

दखो तो उन िचऽो क पीछ खड़ उस शा त सतय को परम िमऽ को पयार करो और उनह भी याद िदलाओ िकः ह शा त आतमा ह परातन ह अिवनाशी नाशवान ससार और शरीर बदलत ह लिकन तम अबदल आतमा हो ॐॐॐ

बचपन बदल गया यौवन बदल गया बढ़ापा बदल गया शरीर बदल गया िफर

तम भी हो तम वह अमर आतमा हो िजस पर काल का भी कोई भाव नही चलता ह अकाल आतमा अपनी मिहमा म जागो इस कार क िवचार भजन स मगल करोग और मगल को पाओग जीवन मगलमय होन

लगगा मतको की मतय भी मगलमय हो जायगी मगल भवन अमगलहारी िवचारो को सदव एक दसर क ित सािरत करो ॐ आननद

आननद आननद रोत चीखत मोहमाया म पड़कर उनको याद करत हो तो उनका और अपना सतयानाश

करत हो उनको नीच िगरात हो उनकी आतमा को भटकात हो अपन को तचछ बनात हो अमागिलक िवचारो को कतई ःफिरत न होन दो सदव मगलमय िवचार हो जायगा मगलमय जीवन मतय भी मगलमय हो जायगी ॐ ॐ ॐ

ॐॐॐॐॐॐॐॐ जीवन और मतय आतमा-परमातमा को पान क दो पहल ह रात क बाद िदन िदन क

बाद रात होती ह इसी तरह जीवन और मतय चोल बदलत हए अनभवो स गजरत हए अपन आतमःव प को ःव प को पान क िलए मगलमयी अवःथा ह

िदन िजतना पयारा ह रात भी उतनी ही आवयक ह जीवन िजतना पयारा ह मतय भी

उतनी ही आवयक ह मतय मान आतमिशव क मिनदर म जान क िलए ऊची सीिढ़या मतय मान मा की गोद म बालक सो गया और उमा शि ताजगी ःफितर पाकर िफर सबह खलता ह मतय मान मा की गोद म थकान िमटान को जाना िफर नया तन ा करक अपनी मगलमय याऽा करना

त वदि स दखा जाय तो यह जीवन-मतय की याऽा कित म हो रही ह तमह

परमातमाःव प म जगान क िलए गीता म भगवान ौी कण कहत ह-

न जायत ियत वा कदािचननाय भतवा भिवता वा न भयः अजो िनतयः शा तोऽयपराणो न हनयत हनयमान शरीर

त वतः यह आतमा न कभी जनमता ह और न मरता ह न यह उतपनन होकर िफर होन

वाला ही ह यह जनमरिहत िनतय िनरनतर रहन वाला शा त और परातन अनािद ह शरीर क मार जान पर भी वह नही मारा जाता

(गीताः 220) शव की ःमशानयाऽा म मटका ल जात ह फोड़ दत ह यह याद िदलान क िलए िक दह

मानो मटका ह इस मगलमय मतय को पीछ िव ल होन की आवयकता नही ह यह मटका सवा करन क िलए िमला था जीणर-शीणर हआ टट गया िफर नया िमलगा मगलमय आतमा-परमातमा की ाि तक यह मगलमय जनम-मरण की याऽा तो चलती ही रहगी इसम िव ल होकर रोना-चीखना िनरा मोह ह अगर इस मोह को पोसा जाय और िकसी की मतय न हो तो ससार महा नरक हो जायगा माली अगर बगीच म काट-छाट न कर तो बगीचा बगीचा ही न रहगा अिपत भयानकर जगल हो जायगा

स ा न मतय का मगलमय िवधान न बनाया होता तो आदमी म तयाग सवा नता क

सदगण ही नही िखलत सब अमर होकर अिड़यल की तरह उलझ रहत रािऽ स अरणोदय अरणोदय स िफर मगलमयी रािऽ की अिनवायर आवयकता ह िवराट

की यह चणड बीड़ा तमह अपन िवराट ःवभाव म जगान क िलए आवयक ह मतय मान महायाऽा महाःथान महािनिा अतः जो मर गय ह उनकी याऽा मगलमय

हो आतमोननितद हो ऐसा िचनतन कर न िक अपन मोह और अजञान क कारण उनको भी भटकाए और खद भी परशान हो

कइयो की मतय बालयकाल म या यौवन म हो जाती ह जस मा न बचच को कपड़

पहनाए और नही जच उठा िलय िफर नय व ो स सजाया-धजाया अथवा यो कहो िक बचचा िखलौनो म रम जाता ह िखलौन नही छोड़ना चाहता परनत मगलमयी मा उस बलात उठा लती ह अपनी गोद म सलाती ह अपनी उमा सािननधय िवौािनत स उस प करक िफर नतन भात को उस खलन क िलए बीडागन म भज दती ह ऐस ही जीवातमा का बीडागन ससार ह अतः अनक शरीर बदलत हए अबदल की मगलमय याऽा करन क िलए जीवन और मतय को मगल िवधान समझकर ई र की हा म हा करत हए अपनी याऽा उननत कर

ॐॐॐ

ॐॐॐॐॐॐॐॐ

अनबम

िचतन पराग ई र का बनाया हआ त भल ही बना रह उसको िमथया समझ लन माऽ स का

बोध हो सकता ह साधक का काम त को िमथया समझन स ही चलता ह इचछाओ की ति का उपाय एक ही ह िक इचछाए तयाग दी जाए िजस िववकी न इस

जगत को सपन या इनिजाल क समान समझ िलया ह िजस दय न प म िदखन लगा ह वह दोषदश िववकी भला बताओ इसम अनराग कस कर

जञानी जागरण को सतय समझना छोड़ दन पर िफर पहल की भाित अनर नही होता

जञानी तयक वःत को अपना आतमा समझता ह मद की कलपना को बार-बार मन म लाना काम-वासना स म होन का सव म उपाय

बताया गया ह मद को पड़ हए दखकर मन घबरान लगता ह पिरणाम की कयो परवाह करत हो अपनी तनखवाह क बार म कभी िफब मत करो

अजञानी लोग समझत ह िक कायर की सफलता म कायर करन की अपकषा अिधक आननद ह इन अनधो को यह मालम ही नही ह िकसी पिरणाम स उतना सख नही िमलता िजतना काम करन स िमलता ह

अपन िवचारो को सदा वाःतिवक आतमा म रखो और पिरिःथितयो की परवाह मत करो तब तक आपकी हािन नही हो सकती जब तक िक आप ःवय उस नही बलात तलवार

तब तक नही काट सकती जब तक आप यह न सोच िक यह काटती ह ऐ पणर तर िलए कोई कतरवय या कायर शष नही ह सारी कित सास रोक तरी

सवा क िलए खड़ी ह ससार तरी पजा करन का अवसर पाकर अपन को कतकतय करना चाहता ह कया त कित की शि यो को अपन चरणो म झकन का अवसर दगा

अपन भीतर सतय क काश को सदा चमकता रखो भय और लोभन का शतान तमहार

पास नही फटकगा

बाहर की बातो म कछ भी नही मान अपमान अपना काम िकय जा िनिशिदन इसम ही सममान

दसर लोग तमहारी आलोचना िनदा करत हो उनह रोकन की च ा न करो कयोिक इनही

सब बातो क ारा तमम सदगणो की वि होगी जब तक तमहारा दय इतना दढ़ नही ह िक तम मख क बकन पर िःथर और शात बन रहो अथवा तमम इतनी सहनशीलता नही ह िक अजञानी मख को कषमा कर सको तब तक तम अपन को कही जञानी न समझ बठना

यिद तम शरीर और मन स ऊपर उठ जाओ तो सब िचनता और भयो स छट हो

जाओग िकसी भी आकिःमक दघरटना स धयर न छोड़ो कयोिक घबराहट स शि तथा बि का

नाश होता ह िकसी भी कार की किठनाइयो क आग दःिखत न होकर गमभीरतापवरक उनका सामना करो तभी तम िनःसनदह िवजय ा करोग तम कही भी हतोतसािहत होकर िनराश न होओ

ऐसी कौन-सी िवपि ह जो मरी सननता को न कर सकती ह वह कौन-सा रज ह जो

मर आननद म िव न डाल सकता ह म तो िव ाणड का भ ह म बि का भ ह िदमाग का मािलक ह और मन का शासक ह ससार मझम ह म ससार म नही आ सकता िव मझम ह म िव म नही बध

सकता सयर और नकषऽ मझम उदय और अःत होत ह दह और दिनया दोनो ई र क भीतर ह वही ई र म ह म िनिलर आतमा ह मरा जनम नही मतय नही म अजर-अमर ह म िचदाननद

आतमःव प ह म िमथया त िमथया धमर िमथया कमर िमथया और जगत िमथया और ऐसा तीत

होता ह िक म सवरःव ह म ही सवरजञ सवरगत आतमा ह अपना साकषी ह कदािप उन नाम पो म फसा नही ह

म िवश ह असखय ाणड मझम पड़ ह म असःपयर ह मरा ःव प िनिलर ह

मझ दःख स कोई भय नही ह मझ समय की जरा भी िचनता नही आतमाननद वाल को भय और आशका कसी

िकसी भी डर को अपन पास मत फटकन दो लोग यिद तमहार बराई करत ह तो तम उनह आशीवारद दो ऐस ःथान पर जाओ जहा

लोग तमस घणा कर तम तो म हो पहल स ही म हो सवरदा कहोः म सदा आननदःव प ह म

म ःवभाव ह म अननत ःव प ह मरी आतमा का आिद और अनत नही ह सभी मर आतमःव प ह

सननतापवरक अपमान सहन करन स और नता धारण करन स अिभमान की िनवि

होती ह िकसी पिवऽ ःथान पर जाओ तो वहा क अनशासन का पालन करो वहा चपपलो की

चटाक-पटाक आभषणो की खनखनाहट भड़कील व ो की फरफराहट आिद हमस न हो इसका परा धयान रखो कही भी िकसी क भी िच को या शात वातावरण को अशात करन का हम कोई अिधकार नही ह

अपन िकसी भी दःख या अशाित का कारण बाहर मत ढढो बाहर की पिरिःथितयो या

वयि यो को दोष मत दो कारण अपन भीतर ढढो िनद ष भाव स ढढोग तो कारण भीतर ही िमल जायगा उस दर करन की च ा करो शातिच रहन का यही बहमलय उपाय ह

जो आतम-अनशािसत ह व ही शासन कर सकत ह ऐसा करन क िलए नाम-जप कर

धयान कर िकसी आतमिन सत का पावन सािननधय ा कर सब तरह स िनभरय एव सनन बनन का यह ौ साधन ह

िवन बनो िनरहकारी बनो अपन आपको बड़ा बतान की च ा न करो िवनता एव

िनरािभमानता ही तमह बड़ा बनायगी िवनता मनय का बहत बड़ा भषण ह िनमरल दि रखो िकसी क दोष दखना यह बहत बड़ा दगरण ह िछिानवषी न बनो

दसरो क दोष दखना पाप अजरन करना ह गणमाही बनो

ॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐ

अनबम

  • मगलमय जीवन-मतय
  • मतय क परकार
  • मतय भी जीवन क समान आवशयक
  • सिकनदर न अमत कयो नही पिया
  • बिना मतय को जान जीवन जीवन नही
  • मतय किसकी होती ह
  • भगवान शरीराम और तारा
  • मतयः कवल वसतर परिवरतन
  • फकीरी मौतः आननदमय जीवन का दवारः
  • यमराज और नचिकताः
  • सचच सत मतय का रहसय समझात ह
  • मतयः एक विशरानति-सथानः
  • वासना की मतय क बाद परम विशरानति
  • धतराषटर का शोकः
  • घाटवाल बाबा का एक परसग
  • फकीरी मौत ही असली जीवन
    • फकीरी मौत कया ह
      • सकरात का अनभव
      • आधयातमविदयाः भारत की विशषताः
      • तीन परकार क लोगः
      • जञान को आय स कोई निसबत नही
      • योगसामरथयः एक परतयकष उदाहरण
      • योग भी साधना का आखिरी शिखर नही
      • गणातीत सत ही परम निरभयः
      • सतो का सनदशः
      • चितन पराग

अर मौत तो इतनी पयारी ह िक उस यिद आमिऽत िकया जाय तो आननदमय जीवन क ार खोल दती ह

एक जवान साध था घमत-घमत वह नपाल क एक पहाड़ की तलहटी म जा पहचा वहा

उसन दखा एक व सत एक िशला पर बठ ह शाम का समय ह सरज िछपन की तयारी म ह उन सत न उस जवान साध को तो दखा तो बोलः

मर परो म इतनी ताकत नही िक अभी म ऊपर पहाड़ पर चढ़कर अपनी गफा तक पहच सक बटा तम मझ अपन कध पर चढ़ाकर गफा तक पहचा दो

यवा साध भी अलमःत था उसन सत को अपन कध पर िबठा िलया और चल पड़ा

उनकी गफा की ओर चढ़ाई बड़ी किठन थी परनत वह भी जवान था चढ़ाई चढ़ता रहा काफी ऊपर चढ़ चकन पर उसन सत स पछाः

गफा अभी िकतनी दर ह

बस अब थोड़ी दर ह चलत-चलत काफी समय हो गया साध पछता रहा और व सत कहत रहः बस अब

थोड़ी ही दर ह मामा का घर िजतना दर िदया िदख उतना दर ऐसा करत-करत रात को यारह बज क करीब गफा पर पहच साध न व सत को कध स नीच उतारा और बोलाः

और कोई सवा

सत उसकी सवा स बड़ सनन थ बोलः बटा तमन बड़ी अचछ सवा की ह बोल अब तझ कया परःकार द वह दख

सामन तीन-चार भर हए बोर रख ह उसम स िजतना उठा सको उतना उठा ल जाओ यवा साध न जाकर बोरो को छकर दखा अनमान लगाया शायद र ी कागजो स भर हए

ह िफर धयान स दखा को अनमान गलत िनकला व बोर नपाली नोटो स भर हए थ उसन अनमन मन स उनको दखा और उलट परो लौट पड़ा सत की ओर सत न पछाः

कयो माल पसनद नही आया व सत पहच हए योगी थ अपन योगबल ारा उनहोन नोटो क बडलो स भर बोर

उतपनन कर िदय थ उनको ऐसी आशा थी िक वह यवा साध अपनी सवा क बदल इस परःकार स खश हो जायगा परनत वह यवा साध बोलाः

ऐसी सब चीज तो म पहल ही छोड़ आया ह इनस कया जीवन की रकषा होगी इनस कया जीवन का रहःय समझ म आएगा इनस कया मौत जानी जा सकगी कया म इनही चीजो क िलए घर बार छोड़कर दर-दर भटक रहा ह जगलो और पहाड़ो को छान रहा ह य सब तो न र हऔर अगर सतो क पास भी न र िमलगा तो िफर शा त कहा स िमलगा

अनबम

यमराज और निचकताः निचकता भी यमराज क सममख ऐसी ही माग पश करता ह कठोपिनषद म निचकता

की कथा आती ह निचकता कहता ह यमराज सः ह यमराज कोई कहता ह मतय क बाद मनय रहता ह और कोई कहता ह नही रहता ह इसम बहत सदह ह इसिलए मझ मतय का रहःय समझाओ तािक सतय कया ह यह म जान सक परनत यमराज निचकता की िजजञासा को परखन क िलए पहल भौितक भोग और वभव का लोभ दत हए कहत ह -

शतायषः पऽपौऽानवणीव बहनपशनहिःतिहरणयम ान भममरहदायतन वणीव ःवय च जीव शरदोयाविदचछिस

ह निचकता त सौ वषर की आयय वाल पऽ-पौऽ बहत स पश हाथी-घोड़ सोना माग

ल पथवी का िवशाल रा य माग ल तथा ःवय भी िजतन वषर इचछा हो जीिवत रह

(वललीः 123) इतना ही नही यमराज आग कहत ह- मनयलोक म जो भोग दलरभ ह उन सबको ःवचछनदतापवरक त माग ल यहा जो रथ

और बाजो सिहत सनदर रमिणया ह व मनयो क िलए दलरभ ह ऐसी कािमनयो को त ल जा इनस अपनी सवा करा परनत ह निचकता त मरण समबनधी मत पछ

िफर भी निचकता इन लोभनो म नही फसता ह और कहता हः य सब भोग सदव रहन वाल नही ह और इनको भोगन स तज बल और आयय कषीण

हो जात ह मझ य भोग नही चािहए मझ तो मतय का रहःत समझाओ

अनबम

सचच सत मतय का रहःय समझात ह ठ क इसी कार वह यवा साध उन व सत स कहता हः मझ य नोटो क बडल नही

चािहए आप यिद मझ कछ दना ही चाहत ह तो मझ मौत दीिजए म जानना चाहता ह िक मौत कया ह मन सना ह िक सचच सत मरना िसखात ह म उस मौत का अनभव करना चाहता ह

वःततः सत मरना िसखात ह इसीिलए तो लोग रोत हए बचचो को चप करान क िलए

कहत ह - रो मत चप हो जा नही तो वह दख बाबा आया ह न वह पकड़कर ल जायगा भल ही लोग अजञानतावश बाबाओ अथवा सतो स बचचो को डरात हए कहत ह िक व ल जायग परनत िजनको सचच सत ल जात ह अथवा जो उनका हाथ पकड़ लत ह व तर जात ह सचच सत उनको सब भयो स म कर दत ह और उनको ऐस पद पर िबठा दत ह िक िजसक आग ससार क सार भोग-वभव धन-समपि पऽ-पौऽ यश-ित ा सब तचछ भािसत होत ह परनत ऐस सचच सत िमलन दलरभ ह और दढ़ता स उनका हाथ पकड़न वाल भी दलरभ ह िजनहोन ऐस सतो का हाथ पकड़ा ह व िनहाल हो गय

उस यवा साध न भी ऐस ही सत का हाथ पकड़ा था मौत को जानन की उसकी बल

िजजञासा को दखकर व व सत बोल उठः अर यह कया मागता ह यह भी कोई मागन की चीज ह ऐसा कहकर उनहोन यवा साध को थोड़ी दर इधर-उधर की बातो म लगाया और मौका दखकर उसको एक तमाचा मार िदया यवक की आखो क सामन जस िबजली चमक उठ हो ऐसा अनभव हआ और दसर ही कषण उसका ःथल शरीर भिम पर लट गया उसका सआम शरीर दह स अलग होकर लोक-लोकानतर की याऽा म िनकल पड़ा लोग िजसको मतय कहत ह ऐसी घटना घट गई

ातःकाल हआ रात भर आननदमय मतय क ःवाद म डब हए उस यवा साध क ःथल

शरीर को िहलाकर व सत न कहाः बटा उठ सबह हो गई ह ऐस कब तक सोता रहगा यवा साध आख मलता हआ सननवदन उठ बठा िजसको मतय कहत ह उस मतय को

उसन दख िलया अहा कसा अदभत अनभव उसका दय कतजञता स भर उठा वह उठकर फकीर क चरणो म िगर पड़ा

लोग कहत ह िक मरना दःखद ह और इसीिलए मौत स डरत ह िजनको ससार म मोह

ह उनक िलए मौत भयद ह परनत सतो क िलए मोह रिहत आतमाओ क िलए ऐसा नही ह

अनबम

मतयः एक िवौािनत-ःथानः मौत तो एक पड़ाव ह एक िवौािनत-ःथान ह उसस भय कसा यह तो कित की एक

वयवःथा ह यह एक ःथानानतर माऽ ह उदाहरणाथर जस म अभी यहा ह यहा स आब चला जाऊ तो यहा मरा अभाव हो गया परनत आब म मरी उपिःथित हो गई आब स िहमालय चला जाऊ तो आब म मरा अभाव हो जायगा और िहमालय म मरी हािजरी हो जायगी इस कार म तो ह ही माऽ ःथान का पिरवतरन हआ

तमहारी अवःथाए बदलती ह तम नही बदलत पहल तम सआम प म थ िफर बालक

का प धारण िकया बालयावःथा छट गई तो िकशोर बन गय िकशोरावःथा छट गई तो जवान बन गय जवानी गई तो व ावःथा आ गई तम नही बदल परनत तमहारी अवःथाए बदलती ग

हमारी भल यह ह िक अवःथाए बदलन को हम अपना बदलना मान लत ह वःततः न

तो हम जनमत-मरत ह और न ही हम बालक िकशोर यवा और व बनत ह य सब हमारी दह क धमर ह और हम दह नही ह सतो का यह अनभव ह िकः

मझ म न तीनो दह ह तीनो अवःथाए नही मझ म नही बालकपना यौवन बढ़ापा ह नही जनम नही मरता नही होता नही म बश-कम म ह म ह ितह काल म ह एक सम

मतय नवीनता को जनम दन म एक सिधःथान ह यह एक िवौाम ःथल ह िजस

कार िदन भर क पिरौम स थका मनय रािऽ को मीठ नीद लकर दसर िदन ातः नवीन ःफितर लकर जागता ह उसी कार यह जीव अपना जीणर-शीणर ःथल शरीर छोड़कर आग की याऽा क िलए नया शरीर धारण करता ह परान शरीर क साथ लग हए टी बी दमा कनसर जस भयकर रोग िचनताए आिद भी छट जात ह

वासना की मतय क बाद परम िवौािनत ःथल शरीर स सआम शरीर का िवयोग िजसको मतय कहा जाता ह वह िवौाम-ःथल तो

ह परनत पणर िवौाित उसम भी नही ह यह फकीरी मौत नही ह फकीरी मौत तो वह ह िजसम सारी वासनाए जड़ सिहत भःम हो जाए भीतर यिद सआम वासना भी बची रही तो जीव िफर स नया शरीर धारण कर लगा और

िफर स सख-दःख की ठोकर खाना चाल कर दगा िफर स वहीः

पनरिप जनन पनरिप मरण पनरिप जननी जठर शयनम

अनबम

धतरा का शोकः करकषऽ क य म दय धन सिहत जब सार पऽ मार गय तो धतरा खब दःखी हए और

िवदर स कहन लगः कण और पाडवो न िमलकर मर सब पऽो का सहार कर िदया ह इसका दःख मझस सहन नही होता एक एक कषण वयतीत करना मझ वष जसा लमबा लग रहा ह

िवदर धतरा को समझात हए कहत ह - जो होना होता ह वह होकर ही रहता ह आप

वयथर म शोक न करो आतमा अमर ह उसक िलए मतय जसी कोई चीज नही ह इस शरीर को छोड़कर जो जाता ह वह वापस नही आता इस बात को समझकरः राम राख तम रिहय ह भाई शोक न करो

परनत धतरा का शोक कम नही हआ वह दढ़तापवरक कहन लगाः तम कहत हो वह

सब समझता ह िफर भी मरा दःख कम नही हो ता मझ अपन पऽो क िबना चन नही पड़ रहा ह पलभर को भी िच शात नही रहता

अजञानी सोचता ह िक िजस कार म चाहता ह उसी कार सब हो जाय तो मझ सख

हो यही मनय का अजञान ह शा और सतो का िकतना ही उपदश सनन को िमल जाय तो भी वह अपनी मानयताओ

का मोह सरलता स छोड़न को तयार नही होता िवदर का धमरय उपदश धतरा को सानतवना नही द सका धतरा शा ो स िबलकल अनिभजञ था ऐसी बात नही थी िफर भी उसका शा जञान उस पऽो क मोह स म नही कर सका

अनबम

घाटवाल बाबा का एक सग हिर ार म घाटवाला बाबा क नाम स िस एक महान सत रहत थ बहत सीध -साद

और सरल कमर म कतान (टाट) लपट रहत थ ऊपर स िदखन म िभखारी जस लगत मगर भीतर स साट थ उनक पास एक वयि आया और बोलाः महाराज मझ शाित चािहए

महाराज न पहल उस धयान स दखा िफर कहाः शाित चािहए तो तम गीता पढ़ो

यह सनकर वह च ककर बोलाः गीता गीता तो म िव ािथरयो को पढ़ाता ह म कालज म ोफसर ह गीता मरा िवषय ह गीता म कई बार पढ़ चका ह उस पर तो मरा काब ह

महाराज बोलः यह ठ क ह अब तक तो लोगो को पढ़ाकर पसो क लाभ क िलए गीता

पढ़ी होगी अब मन को िनयिऽत करक शाित लाभ क िलए पढ़ो लोग शा ो म स सचनाए और जानकािरया इक ठ करक उस ही जञान मान लत ह

दसरो को भािवत करन क िलए लोग शा ो की बात करत ह उपदश दत ह परनत उनह अपन आपको कोई अनभित नही होती मतय क िवषय म भी लोग िव तापणर वचन कर सकत ह मतय स डरन वालो को आ ासन और धयर द सकत ह परनत मौत जब उनही क सममख साकषात आकर खड़ी होती ह तो उनकी रग -रग काप उठती ह कयोिक उनको फकीरी मौत का अनभव नही

कई लोग कहत ह िक जीवन और मौत अपन हाथ म नही ह परनत यह उनक िलए

ठ क ह िजनको आधयाितमक रहःय का पता नही जो ःवय को शरीर मानत ह दीन-हीन मानत ह परनत योगी जानत ह िक जीवन और मतय इन दोनो पर मनय का अिधकार ह इस अिधकार को ा करन की तरकीब भी व जानत ह कोई िहममतवान जानन को ततपर हो तो व उस बता भी सकत ह व तो खललमखलला कहत ह िक यिद रोत-कलपत हए मरना हो तो खब भोग-भोगो िकसी की परवाह न करत हए खब खाओ िपयो और अमयारिदत िवषय-सवन करो ऐसा जीवन आपको अपन आप मौत की ओर शीयता स आग बढ़ा दगा परनत

यिद मौत पर िवजय ा करनी हो जीवन को सही तरीक स जीना हो तो योिगयो क

कह अनसार करो ाणायाम करो धयान करो योग करो आतमिचनतन करो और ऐसा कोई योगी डॉकटरो क सामन आकर दय की गित बनद करक बता दता ह तो वह बात भी लोगो को

बड़ी आ यरजनक लगती ह लोगो क टोल क टोल उसको दखन क िलए उमड़ पड़त ह परनत यह भी कोई योग की पराका ा नही ह

फकीरी मौत ही असली जीवन इितहास म जञान र महाराज और योगी चागदव का सग आता ह वह तो आप लोग

जानत ही होग चागदव न मतय को चौदह बार धोखा िदया था अथारत जब -जब मौत का समय आता तब-तब चागदव योग की कला स अपन ाण ऊपर चढ़ाकर मौत टाल िदया करत थ ऐसा करत-करत चागदव न अपनी उ 1400 वषर तक बढ़ा दी िफर भी उनको आतमशािनत नही िमली फकीरी मौत ही आतमशाित द सकती ह और इसीिलए चागदव को आिखर म जञान र महाराज क चरणो म समिपरत होना पड़ा

अनबम

फकीरी मौत कया ह

फकीरी मौत ही असली जीवन ह फकीरी मौत अथारत अपन अह की मतय अपन जीवभाव की मतय म दह ह म जीव ह इस पिरिचछनन भाव की मतय

ःथल शरीर स सआम शरीर का िवयोग यह कोई फकीरी मौत नही ह अगर वासना शष

हो तो सआम शरीर बार-बार ःथल शरीर धारण करक इस ससार म जनम-मरण क दःख पणर चककर म भटकता रहता ह

जब तक फकीरी मौत नही हो तब तक चागदव की तरह चौदह बार कया चौदह हजार

बार भी ःथल शरीर को बचाय रखा जाय तो भी परम शाित क िबना यह बकार ह लाबधवा जञान परा शाित आतमजञान स ही परम शाित िमलती ह इसी कारण चागदव को फकीरी मौत सीखन क िलए जञान र महाराज क पास आना पड़ा था 1400 वषर का िशय और 22 वषर क गर यही जञान का आदर करन वाली भारतीय सःकित ह जञान स उ को कोई समबनध नही ह

हम तो जीवन म पग-पग पर छोटी-मोटी पिरिःथितयो स घबरा उठत ह ऐसा भयभीत

जीवन भी कोई जीवन ह यह तो मौत स भी बदतर ह इसीिलए कहता ह िक असली जीवन जीना हो िनभरय जीवन जीना हो तो फकीरी मौत को एक बार जान लो

फकीरी मौत अथारत अपन अमरतव को जान लना फकीरी मौत अथारत उस पद पर आ ढ़ हो जाना जहा स जीवन भी दखा जा सक और मौत भी दखी जा सक जहा स ःप प स िदख िक सख-दःख आय और गय बालयावःथा यवावःथा और व ावःथा आई और गई परनत य सब शरीर स ही समबिनधत थ मझ तो व ःपशर तक नही कर सक म तो असग ह अमर ह मरा तो जनम भी नही मतय भी नही

सकरात का अनभव सकरात को जब जहर िदया जान लगा तो उसक िशय रोन लग कयोिक उनको यह

अजञान था िक सकरात अब बचग नही मर जायग सकरात न कहाः अर तम रोत कयो हो अब तक मन जीवन दखा अब मौत को दखगा यिद म मर

जाऊगा तो आज नही तो कल मरन ही वाला था इसिलए रोन की कया ज रत ह और यिद मरत हए भी नही मरा कवल शरीर स ही िछनन-िभनन हआ तो भी रोन की कया ज रत

सकरात न िबना िहचिकचाहट क राजी-खशी स जहर का पयाला पी िलया और िशयो स

कहाः दखो यह रोन का समय नही ह बहत ही महतवपणर बात समझन का समय आया ह

मर शरीर पर जहर का भाव होन लगा ह पर सनन होत जा रह ह घटनो तक जड़ता वया हो गई ह जहर का असर बढ़ता जा रहा ह मर पर ह िक नही इसकी अनभित नही हो रही ह अब कमर तक का भाग सवदनहीन बन गया ह

इस कार सकरात का सारा शरीर ठडा होन लगा सकरात न कहाः अब जहर क भाव स हाथ पर छाती जड़ हो गई ह थोड़ी ही दर म मरी िज ा भी

िनःपद हो जायगी उसस पहल एक मह वपणर बात सन लो जीवन म िजसको नही जान सका उसका अनभव हो रहा ह शरीर क सब अग एक क एक बाद एक िनःपद होत जा रह ह परनत उसस मझम कोई फकर नही पड़ रहा ह म इतना ही पणर ह िजतना पहल था शरीर स म ःवय को अलग असग महसस कर रहा ह अब तक जस जीवन को दखा वस ही अभी मौत को भी दख रहा ह यह मौत मरी नही बिलक शरीर की ह

अनबम

आधयातमिव ाः भारत की िवशषताः सकरात तो शरीर छोड़त-छोड़त अपना अनभव लोगो को बतात गय िक शरीर की मतय

यह तमहारी मतय नही शरीर क जात हए भी तम इतन क इतन ही पणर हो परनत भारत क ऋिष तो आिद काल स कहत आय ह-

शणवनत िव अमतःय पऽा

आ य धामािन िदवयािन तःयः वदाहमत परष महानतम

आिदतयवण तमसः परःतात तमव िविदतवाऽितमतयमित नानयः पनथा िव तऽयनाय

ह अमतपऽो सनो उस महान परम परषो म को म जानता ह वह अिव ा प अधकार

स सवरथा अतीत ह वह सयर की तरह ःवयकाश-ःव प ह उसको जानकर ही मनय मतय का उललघन करन म जनम-मतय क बधनो स सदव क िलए छटन म समथर होता ह परम पद की ाि क िलए इसक अितिर कोई दसरा मागर नही ह

( ता तरोपिनषद) यह कोई वद-उपिनषद काल की बात ह उस समय क ऋिष चल गय और अब नही ह

ऐसी बात नही ह आज भी ऐस ऋिष और ऐस सत ह िजनहोन सतय की अनभित की ह अपन अमरतव का अनभव िकया ह इतना ही नही बिलक दसरो को भी इस अनभव म उतार सकत ह रामकण परमहस ःवामी िववकाननद ःवामी रामतीथर महिषर रमण इतयािद ऐस ही त वव ा महापरष थ और आज भी ऐस महापरष जगलो म और समाज क बीच म भी ह यहा इस ःथान पर भी हो सकत ह परनत उनको दखन की आख चािहए इन चमरचकषओ स उनह पहचानना मिकल ह िफर भी िजजञास और ममकष वि क लोग उनकी कपा स उनक बार म थोड़ा सकत यह इशारा पा सकत ह

अनबम

तीन कार क लोगः ऐस सतो क पास तीन कार क लोग आत ह- दशरक िव ाथ और साधक

दशरक अथारत ऐस लोग जो कवल दशरन करन और यह दखन क िल ए आत ह िक सत कस ह कया करत ह कया कहत ह उपदश भी सन तो लत ह पर उसक अनसार कछ करना ह इसक साथ उनका कोई समबनध नही होता आग बढ़न क िलए उनम कोई उतसाह नही होता

िव ाथ अथारत व जो शा एव उपदश समबनधी अपनी जानकारी बढ़ान क िलए आत ह

अपन पास जो जानकारी ह उसम और वि होव तािक दसरो को यह सब सनाकर अपनी िव ा की छाप उन पर छोड़ी जा सक दसरो स सना याद रखा और जाकर दसरो को सना िदया जस ग स शानसपोटर कमपनी ाईवट िलिमटड- यहा का माल वहा और वहा का माल यहा लाना और ल जाना ऐस लोग भी त व समझन क मागर पर चलन का पिरौम उठान को तयार नही

तीसर कार क लोग होत ह साधक य ऐस लोग होत ह िक जो साधनामागर पर चलन

को तयार होत ह इनको जसा बताया ह वसा करन को पणर प स किटब होत ह अपनी सारी शि उसम लगान को ततपर होत ह उसक िलए अपना मान-सममान तन-मन-धन सब कछ होम दन को तयार होत ह सत क ित और अपन धयय क ित इनम पणर िन ा होती ह य लोग फकीर अथवा सत क सकत क अनसार लआय की िसि क िलए साहसपवरक चल पड़त ह

िव ाथ अपन वयि तव का ौगार करन क िलए आत ह जबिक साधक वयि तव का िवसजरन करन क िलए आत ह साधक अपन लआय की तलना म अपन वयि तव या अपन अह का कोई भी मलय नही समझत जबिक िव ाथ क िलए अपना अह और वयि तव का ौगार ही सब कछ ह अपनी िव ता म वि जानकारी को बढ़ाना वयि तव को और आकषरक बनाना इसी म उस सार िदखता ह त वानभित की तरफ उसका कोई धयान नही होता

यही कारण ह िक सतो क पास आत तो बहत लोग ह परनत साधक बनकर वही िटक

कर त व का साकषातकार करन वाल कछ िवरल ही होत ह

जञान को आय स कोई िनःबत नही िजसन फकीरी मौत को जान िलया हो अथारत िजस आतमजञान हो गया हो वह शरीर की

दि स कम उ का हो परनत उसक आग लौिकक िव ा म वीण और अिधक वय क सफद दाढ़ी-मछ वाल लोग भी बालक क समान होत ह इसीिलए योगिव ा म वीण 1400 वषर क चागदव को कम उवाल जञान र महाराज क चरणो म समिपरत होना पड़ा था ाचीन काल म ऐस कई उदाहरण दखन म आत ह

िचऽ वटतरोमरल व ाः िशया गरयरवा

गरोःत मौन वयाखयान िशयाःतिचछननसशयाः अथारत यह कसा विच य ह िक वटवकष क नीच यवा गर और व िशय बठ ह गर

ारा मौन वयाखयान हो रहा ह और िशयो क सब सशयो और शकाओ का समाधान होता जा रहा ह

अनबम

योगसामथयरः एक तयकष उदाहरण अपन मोटरा आौम म भी ऐस ही करीब स र वषर क सफद बाल वाल एक साधक ह

पहल डीसा म व एक सत क पास गय गय तो थ दशरक बनकर ही परनत सत की दि पड़त ही व दशरक म स साधक बन गय म कछ वषर पवर डीसा क आौम म था तब व मर पास आय थ पकी हई उ म भी व 18 वषर की उ की एक बाला क साथ बयाह रचान की तयारी म थ और आशीवारद मागन हत वहा आय थ उनको दखकर ही मर मह स िनकल पड़ाः

अब तमहारी शादी ई र क साथ कराएग यह सनकर उनको बड़ा आ यर हआ कयोिक न तो व मझ पहल स जानत थ और न ही

म उनह जानता था उस व उनका शरीर भी कसा था चरबी और कफ-िप स ठसाठस भरा हआ एकदम ःथल दमा आिद रोगो का िशकार डीसा म कपड़ क बड़ वयापारी थ धप म िबना छाता िलए दकान स नीच नही उतर पात थ कित ऐसी थी िक िकसी भी सत महातमा को नही गाठ और काम-वासना भीतर इतनी भरी हई थी िक आग की दो पि या शरीर छोड़ चकी थी िफर भी इस उ म तीसरी शादी करन को तयार थ प ी िबना एक िदन भी नही रह सकत थ

घर पहचन पर उनको पता चला िक उनक अनदर जो काम -िवकार का तफान आया था

वह एकदम शात हो गया ह भिवय म प ी बनन वाली उस कमारी क साथ एकात म अनक च ाए करक भी व उस काम-िवकार को पनः नही जगा सक इतना बल िवकार एकाएक कहा चला गया िफर उनको समझ म आया िक सत की ई रीय अहत की कपा उनम उतरी ह उनको सारा ससार सना-सना लगन लगा उनहोन तरनत ही उस कमारी यवती को कछ पय और कपड़ िदय और बटी कहकर रवाना कर िदया उसक बाद उनहोन आसन ाणायाम गजकरणी नित धोित आिद िबयाए सीख ली और िनयिमत प स करन लग इसस उनक शरीर क सार परान कफ-िप -दमा आिद दर हो गय और शरीर म स आवयकता स अिधक चब घटकर शरीर हलका फल जसा हो गया अब तो जवानो क साथ दौड़न की भी ःपधार करत

ह धयानयोग की साधना म उनहोन इतनी गित की ह िक उनको कई कार क अलौिकक अनभव हआ करत ह अपन सआम शरीर ारा व लोक -लोकानतर म घम आया करत ह

योग भी साधना का आिखरी िशखर नही यह भी साधना की कोई आिखरी भिमका नही ह सव चच िशखर नही ह यह भी सब

माया की सीमा म ही ह िफर चमर-चकषओ स दखो अथवा धयान म बठकर दखो कयोिकः

यद दय तद अिनतयम जो िदखता ह वह अिनतय ह जो िदख सो चालनहार चागदव भी योग म कशल थ

काल को कई बार धोखा द चक थ परनत माया को धोखा न द सक व भी साि वक माया म थ माया स पर नही थ

माया ऐसी ठिगनी ठगत िफरत सब दश जो ठग या ठिगनी ठग वा ठग को आदश

कोई िवरल सत ही इस माया को ठग सकत ह माया स पार जा सकत ह बाकी क

लोगो का तो यह माया न र म ही शा त का आभास करा दती ह अिःथरता म िःथरता िदखा दती ह ऐसी मोिहना माया क िवषय म ौी कण कहत ह-

दवी षा गणमयी मम माया दरतयया मामव य प नत मायामता तरिनत त

मरी यह अदभत िऽगणमयी माया का तरना अतयनत दकर ह परनत जो मरी शरण म

आत ह व तर जात ह (गीता)

अनबम

गणातीत सत ही परम िनभरयः ऐसी दःतर माया को जो सत अथवा फकीर तर जात ह और मौत की पोल जान जात ह

व कहत ह- एक ऐसी जगह ह जहा मौत की पहच नही जहा मौत का कोई भय नही िजसस मौत भी भयभीत होती ह उस जगह म हम बठ ह तम चाहो तो तम भी बठ सकत हो

तमहार म एक ऐसा चतन ह जो कभी मरता नही िजसन मौत कभी दखी ही नही जो जीवन और मौत क समय पिरवतरन को दखता ह परनत उन सबस पर ह

यिद घड़ म आया हआ चनिमा का ितिबमब घड़ क पानी को उबलता हआ जानकर यह

मान की म उबल रहा ह पानी िहल तो समझ िक म िहलता ह घड़ा फट गया तो समझ िक म मर गया तो यह उसका अजञान ह परनत उसको यह पता चल जाय िक पानी क उबलन स म नही उबलता पानी क िहलन स म नही िहलता म तो वह चनिमा ह जो हजारो घड़ो म चमक रहा ह िकतन ही घड़ टट -फट गय परनत म मरा नही मरा कछ भी िबगड़ा नही म इन सबस असग ह तो वह कभी दःखी नही होगा

इसी कार हम यिद अपन असगपन को जान ल अथारत म शरीर-मन-बि नही अिपत

आतमा ह- यह हम जान ल तो िफर िकतन ही दह पी घड़ बन और टट -िबखर िकतनी ही सि या बन और उनका लय हो जाय हमको कोई भय नही होगा कयोिक आतमा का ःवभाव हः

न जायत ियत वा कदािचननाय भतवा भिवता वा न भयः अजो िनतयः शा तोऽयपराणो न हनयत हनयमान शरीर

यह आतमा िकसी काल म भी न तो जनमता ह और न मरता ही ह तथा न यह उतपनन

होकर िफर होन वाला ही ह कयोिक यह अजनमा िनतय सनातन और परातन ह शरीर क मार जान पर भी यह नही मारा जाता

(भगवदगीताः 223) अनबम

सतो का सनदशः िजन सतो न यह रहःय जान िलया ह जो इस अमतमय अनभव म स गजर चक ह व

सब भयो स म हो गय ह इसीिलए व अपनी अनभविस वाणी म कहत ह- अपन आतमदव स अपिरिचत होन क कारण ही तम अपन को दीन-हीन और दःखी

मानत हो इसिलए अपनी आतम-मिहमा म जाग जाओ यिद अपन आपको दीन ही मानत रह तो रोत रहोग ऐसा कौन ह जो तमह दःखी कर सक तम यिद न चाहो तो दःख की कया मजाल ह िक तमह ःपशर भी कर सक अननत-अननत ाणड को जो चल रहा ह वह चतन तमहार भीतर चमक रहा ह उसकी अनभित कर लो वही तमहारा वाःतिवक ःव प ह

मनसर को सली पर चढ़ा िदया गया था परनत उनको सली का कोई भय नही था सली

का क उनको ःपशर भी नही कर सका कयोिक मनसर अपनी मिहमा म जग हए थ व यह जान चक थ िक म शरीर नही ह सली शरीर को लग सकती ह मझ नही इसिलए व हसत-हसत सली पर चढ़ गय थ

हम ही जानबझकर अपनी सननता की अपन सख-दःख की चाबी दसरो क हाथो म

स प दत ह कोई थोड़ा हस दता ह तो हम बोिधत हो उठत ह कोई थोड़ी शसा कर दता ह तो हषर स फल उठत ह कयोिक हम अपन को सीिमत पिरिचछनन शरीर या मन ही मान बठ ह

हम अपन वाःतिवक ःव प अपनी असीम मिहमा को नही जानत नही तो मजाल ह

िक जगत क सार लोग और ततीस करोड़ दवता भी िमलकर हम दःखी करना चाह और हम दःखी हो जाय जब हम ही भीतर स सख अथवा दःख को ःवीकित दत ह तभी सख अथवा दःख हमको भािवत करता ह सदव सनन रहना ई र की सव परी भि ह

ःवामी रामतीथर कहा करत थ िक कोई यिद तमहारी सननता छ नकर उसक बदल म

तमको ःवगर का फिरता भी बनाना चाह तो फिरतापद को ठोकर मार दो मगर अपनी सननता मत बचो

हम इस जीवन और मतय का कई बार अनभव कर चक ह सत कहत ह- तमहारा न तो जीवन ह और न ही मतय ह तम जीव नही तम िशव हो तम अमर

हो तम अननत अनािद सिचचदाननद परमातमा हो यिद इस जनम-मरण क खल स थक चक हो इनक खोखल पन को जान चक हो इसक असारपन स पिरिचत हो चक हो तो िकसी सत क सािननधय का लाभ उठाकर फकीरी मौत को जान लो िफर तमह कोई दःख कोई मतय भयभीत नही कर सकगी िफर िजस आना हो वह आव जाना हो वह चला जाव सख आव तो आन दो दःख आव तो आन तो जो आयगा वह जायगा तम द ा बनकर दखत रहो तम अपनी मिहमा म मःत रहो

मौत स भी मौत का भय बदतर ह भय म स ही सार पाप पदा होत ह भय ही मतय

ह लोग पछत ह- ःवामी जी आतम-साकषातकार हो जाता ह िफर उसक बाद कया होता

ह होता कया ह हम अपन ःव प म जाग जात ह उसक बाद हमस जो भी वि होती ह वह आननदमय ही होती ह ससार की कोई भी दःखपणर घटना हमको दःखी नही कर सकती

िफर यह शरीर रह या न रह हमार आननद म कोई अनतर नही पड़ता उस आननदःव प अपन आतमदव को जानना-यही जीवन का परम कतरवय ह परनत इस परम कतरवय की ओर मनय का धयान जाता नही और छोटी-मोटी तचछ वि यो म ही अटका रह जाता ह

हम कही याऽा म िनकलत ह तो राःत क िलए िटिफन भरकर भोजन साथ ल लत ह

भोजन स भी अिधक महतव पानी का ह परनत उसक िलए सोच लत ह िक चलो ःटशन पर भर लग घर स पानी लकर चलन की िचनता नही करत पानी स भी यादा ज री हवा ह उसक िबना तो एक िमनट भी नही चलता िफर भी हवा का कोई िसलनडर भरकर साथ नही लत कयोिक हम सब जानत ह िक वह तो सवरऽ ह इसिलए हवा क िलए हम कोई िचनता नही करत

हवा स कम ज री पानी क िलए पानी स कम ज री भोजन क िलए हम यादा िचनता करत ह उसी कार अपन आननदःव प आतमा म जागन क परम कतरवय को छोड़कर कम महतव क ःथल शरीर क लालन पालन एव उसस सबिधत वयवहार को सभालन म ही हम लग रहत ह शरीर असत जड़ और दःख प ह उसको चलान वाला सआम भतो स िनिमरत सआम शरीर ह उसको भी चतन स ा दन वाला सत-िचत-आननदःव प आतमा ह इस आननद-ःव प आतमा को असत-जड़ दःख प और मरणधमार समझकर जीवनभर मौत क भय स भयभीत बन रहत ह

अनत परमातमा म न तो उतथान ह न पतन न जनम ह न मरण वहा तो सब एकरस

ह हम ही मोहवश अपना ससार खड़ा कर लत ह और एक दसर क साथ सबध बनाकर अपन को जानबझकर बधन म डाल दत ह

एक सत क पास एक स जन का पऽ आया उसम िलखा थाः ःवामी जी आपक

आशीवारद स हमार यहा पऽ का जनम हआ ह सत न उ र म उस िलखा िकः तम झठ बोलत हो िफर जब स जन सत क पास गया तब कहा िकः ःवामी जी म सच कहता ह मर यहा पऽ का जनम हआ ह इस पर सत न िफर स कहा िकः तम झठ बोलत हो यह सनकर उन स जन को बड़ा आ यर हआ वह िवःफािरत नऽो स सत की ओर दखन लगा तब सत न कहाः

पऽ का जनम नही हआ िपता का जनम हआ ह माता का जनम हआ ह काका-मामा

का जनम हआ ह पऽ को तो खबर ही नही ह िक मरा जनम हआ ह और म िकसी का पऽ भी ह परनत हम उस पर सार समबनध आरोिपत कर दत ह

वःततः पचभतो म कोई आकार बना ह उस पऽ का नाम द िदया समय आन पर यह आकार िबखर जायगा यह आकार बन उसम हषर और यह आकार िबखर जाय उसम शोक कसा भय कसा

िजस शरीर को हम म मानत ह उसकी कित तो दखो िपया तो था अमत जसा

मीठा जल और िनकाला मऽ प म गदा पानी खाय तो थ मोहनथाल दधपाक छपपन भोग पर बन गया सब िव ा प शरीर का सग करन पदाथर की ऐसी अवःथा बन जाती ह सत-िचत-आननदःव प आतमा भी अपन को भलकर शरीर क साथ एक होकर ःवय को म शरीर मान लती ह और दीन हीन एव दःखी बन जाती ह परनत जब वह अपन आपम जाग जाती ह तब अपन को दवो का दव अनभव करती ह

यिद हमन शरीर क साथ अहबि की तो हम म भय वया हो ही जायगा कयोिक शरीर

की मतय िनि त ह उसका पिरवतरन अवयभावी ह उसको तो ःवय ाजी भी नही रोक सकत परनत यिद हमन अपन आतमःव प को जान िलया ःव प म हमारी िन ा हो गई तो हम िनभरय हो गय कयोिक ःव प की मतय होती नही मौत भी उसस डरती ह

ःवामी अखणडाननद सरःवती एक बार रल क तीसर दज म याऽा कर रह थ व यह

जानना चाहत थ िक तीसर दज म लोगो ारा िकय जान वाल मान-अपमान का भाव उनक िदल पर होता ह िक नही आतमिनरीकषण स उनह पता चला िक भाव तो होता ह यह बात उनहोन ौी उिड़या बाबा को बतायी उिड़या बाबा न कहाः

तम बठत ही कचर क ढर पर हो आशा करत हो िक मझ पर कोई कचरा न फ क मझ

कचर की दगरनध न आव यह कस हो सकता ह तम बठत हो शरीर म और आशा रखत हो िक मान-अपमान का असर न हो ःवय को शरीर माना तो मान-अपमान सख-दःख होगा और जनम-मतय भी होगी

वदानत क रहःय को समझना यह कोई ि यो का काम नही ह ी अथारत कित क

शरीर क म मानकर जीनवाला एक बार राजा जनक िव ानो की सभा म बठ थ उस सभा म गाग आई वह िबलकल

िदगमबर (न न) थी ऐसी अवःथा म सभा म गाग का वश पिडतो को रचा नही इसिलए उनहोन नाक-भ िसकोड़ िलया परषो स भरी सभा म एक न न ी

गाग बोलीः ऐ पिडतो नाक भ कयो िसकोड़त हो

पिडतो न कहाः तम एक अबला ऐसी अवःथा म परषो की सभा म जो आई हो

गाग तरनत बोलीः कौन कहता ह िक म अबला ह म सबला ह अबला तो तम हो जो अपना रकषक बाहर ढढत हो म अपना रकषक आप ह म यह शरीर नही ह म तो सत -िचत-आननदःव प आतमा ह म अपन आपको जानती ह

िजसको जानकर गाग िनभरय बन गई थी उस आननदःव प अपन आतमदव को जो

जान लता ह उसी म िःथत हो जाता ह वह जीवन और मौत दोनो स पर दोनो का द ा बन जाता ह उस िफर कोई भय नही रहता वह सदव आननद म मःत रहता ह

मरो मरो सब कोई कह मरना न जान कोई एक बार ऐसा मरो िक िफर मरना न होई

मगलमय जीवन मगलमय िववाह मगलमय सबध उस परम मगल चतनय क कारण ही

हो सकत ह न िक शि शरीर क बा प-रग पर िवमोिहत होन स महाराज जी क पास आकर एक मिहला कहन लगीः मर पित ःवगरःथ हो गय ह

उनका िवयोग सहा नही जाता ऐसा कोई उपाय बताओ िक उनका िहत हो और मझ शाित िमल

दसरा एक वयि आया और बोलाः मरी प ी मझ अकला छोड़कर चल बसी ह

तीसर न कहाः मरा बटा ःवगरःथ हो गया ह उसकी मीठ याद आती ह मर मन म आता ह िक उसक पीछ म भी आतमहतया करक मर जाऊ बाबा जी शािनत का कछ उपाय बताइय

महाराज जी न कहाः ह भि मिहला पित की याद आय तो उनह खब आदरपवरक कहोः

मरणधमार शरीर म होत हए भी आप अमर थ शरीर क मरन पर भी आप नही मर दह न र ह आप शा त हो चतनय हो आप परम र का अिवनाशी अश हो जनम-मतय आपका धमर नही ह पाप-पणय आपका कमर नही ह आप अजर हो श ब हो हम परःपर पािथरव शरीर की ीित करक मोह म सड़ रह थ िवकारो म दब रह थ अब पािथरव शरीर की ीित स म होकर अपािथरव आतमा म िःथत हो जाओ

वह शादी बरबादी म बदल जाती ह िजसम एक दसर क शरीर को पयार करत ह वह

मगलमय शादी आबादी की ओर ल जाती ह जहा प ी पित को पित प ी को पऽ िपता को िपता पऽ को शरीर क प म नही अिपत शरीरो क आधार श चतनयःव प म दख परःपर अपन चतनयःव प की याद िदलाव और रणा द

ह भि मिहला अपन पित को याद करक उनक जीवातमा को यह रणा दो इसस

उनकी भी उननित होगी और तमहारी उननित होगी ऐसा िचनतन करो िकः ह चतनयःव प मर आतमन शरीर को पाच भत क पतल

को तयागन क बाद भी आपका अिःततव ह आप आतमा हो परम र हो अमर हो चतनय हो शा त हो

इसी कार अपनी प ी को और ःवगरःथ पऽ पिरवार को ःमरण करक उनको उननत

करो और आप भी उननत बनो जीत-जी भी परःपर इसी भाव स उननत करो मतय मगलमय हो जाय ऐसा वातावरण बनाओ

जो वयि मतय को ा हो चक ह उनक ौा ो क िदनो म तथा ःमरण क व उनह

सझाव दो िकः जनम-मतय तमहारा धमर नही था पाप-पणय तमहारा कमर नही था तम अजर

अिवनाशी िनलप शा त सनातन नारायण क अश हो अतः अपन परम र ःवभाव को सभालो ःमरण करो

अपन पित प ी पऽ का नाम लकर कहो िकः तम वही हो सचमच म वही हो जो

मरन क बाद भी नही मरता ॐॐॐ तम चतनय आतमा हो ॐॐॐ शा त परम र हो ॐॐॐ अिवनाशी परमातमा हो ॐॐॐ

पथवी पर क ःवपन तलय सबधो का ःमरण करक तम नीच न िगरो अिपत आतमा-

परमातमा क सबध को याद करत हए अपना ऐिहक जीवन मगलमय बनाओ ससार स कच करक जाओ उस समय तमहार कटमबी आतमा परमा तमा की एकता और अमरता तमहारी िनतयता और म ता का ःमरण तमह अत समय म करा द ऐसी वयवःथा करो

कोई चल बसन वाल हो या चल बस हो उनको याद करक उनकी ओर िदवय िवचार

अमर आतमा का सनदश भजो इस कार तम उ म सवा कर सकत हो और जीिवतो को जीवनदाता म जगा सकत हो दोनो इस कार परःपर सहायता करोग और पाओग

टिलफोन पर अपन दर क सबधी स हम जब बात करत ह तो उस यऽ म स आन वाली

धविन अपन सबधी की होती ह ऐस ही शरीर पी यऽो स जो कछ ःनह सातवना सहानभित म या काश हम पात ह वह भीतर वाल परम र का ही होता ह उनको या उनक िचऽो को

दखो तो उन िचऽो क पीछ खड़ उस शा त सतय को परम िमऽ को पयार करो और उनह भी याद िदलाओ िकः ह शा त आतमा ह परातन ह अिवनाशी नाशवान ससार और शरीर बदलत ह लिकन तम अबदल आतमा हो ॐॐॐ

बचपन बदल गया यौवन बदल गया बढ़ापा बदल गया शरीर बदल गया िफर

तम भी हो तम वह अमर आतमा हो िजस पर काल का भी कोई भाव नही चलता ह अकाल आतमा अपनी मिहमा म जागो इस कार क िवचार भजन स मगल करोग और मगल को पाओग जीवन मगलमय होन

लगगा मतको की मतय भी मगलमय हो जायगी मगल भवन अमगलहारी िवचारो को सदव एक दसर क ित सािरत करो ॐ आननद

आननद आननद रोत चीखत मोहमाया म पड़कर उनको याद करत हो तो उनका और अपना सतयानाश

करत हो उनको नीच िगरात हो उनकी आतमा को भटकात हो अपन को तचछ बनात हो अमागिलक िवचारो को कतई ःफिरत न होन दो सदव मगलमय िवचार हो जायगा मगलमय जीवन मतय भी मगलमय हो जायगी ॐ ॐ ॐ

ॐॐॐॐॐॐॐॐ जीवन और मतय आतमा-परमातमा को पान क दो पहल ह रात क बाद िदन िदन क

बाद रात होती ह इसी तरह जीवन और मतय चोल बदलत हए अनभवो स गजरत हए अपन आतमःव प को ःव प को पान क िलए मगलमयी अवःथा ह

िदन िजतना पयारा ह रात भी उतनी ही आवयक ह जीवन िजतना पयारा ह मतय भी

उतनी ही आवयक ह मतय मान आतमिशव क मिनदर म जान क िलए ऊची सीिढ़या मतय मान मा की गोद म बालक सो गया और उमा शि ताजगी ःफितर पाकर िफर सबह खलता ह मतय मान मा की गोद म थकान िमटान को जाना िफर नया तन ा करक अपनी मगलमय याऽा करना

त वदि स दखा जाय तो यह जीवन-मतय की याऽा कित म हो रही ह तमह

परमातमाःव प म जगान क िलए गीता म भगवान ौी कण कहत ह-

न जायत ियत वा कदािचननाय भतवा भिवता वा न भयः अजो िनतयः शा तोऽयपराणो न हनयत हनयमान शरीर

त वतः यह आतमा न कभी जनमता ह और न मरता ह न यह उतपनन होकर िफर होन

वाला ही ह यह जनमरिहत िनतय िनरनतर रहन वाला शा त और परातन अनािद ह शरीर क मार जान पर भी वह नही मारा जाता

(गीताः 220) शव की ःमशानयाऽा म मटका ल जात ह फोड़ दत ह यह याद िदलान क िलए िक दह

मानो मटका ह इस मगलमय मतय को पीछ िव ल होन की आवयकता नही ह यह मटका सवा करन क िलए िमला था जीणर-शीणर हआ टट गया िफर नया िमलगा मगलमय आतमा-परमातमा की ाि तक यह मगलमय जनम-मरण की याऽा तो चलती ही रहगी इसम िव ल होकर रोना-चीखना िनरा मोह ह अगर इस मोह को पोसा जाय और िकसी की मतय न हो तो ससार महा नरक हो जायगा माली अगर बगीच म काट-छाट न कर तो बगीचा बगीचा ही न रहगा अिपत भयानकर जगल हो जायगा

स ा न मतय का मगलमय िवधान न बनाया होता तो आदमी म तयाग सवा नता क

सदगण ही नही िखलत सब अमर होकर अिड़यल की तरह उलझ रहत रािऽ स अरणोदय अरणोदय स िफर मगलमयी रािऽ की अिनवायर आवयकता ह िवराट

की यह चणड बीड़ा तमह अपन िवराट ःवभाव म जगान क िलए आवयक ह मतय मान महायाऽा महाःथान महािनिा अतः जो मर गय ह उनकी याऽा मगलमय

हो आतमोननितद हो ऐसा िचनतन कर न िक अपन मोह और अजञान क कारण उनको भी भटकाए और खद भी परशान हो

कइयो की मतय बालयकाल म या यौवन म हो जाती ह जस मा न बचच को कपड़

पहनाए और नही जच उठा िलय िफर नय व ो स सजाया-धजाया अथवा यो कहो िक बचचा िखलौनो म रम जाता ह िखलौन नही छोड़ना चाहता परनत मगलमयी मा उस बलात उठा लती ह अपनी गोद म सलाती ह अपनी उमा सािननधय िवौािनत स उस प करक िफर नतन भात को उस खलन क िलए बीडागन म भज दती ह ऐस ही जीवातमा का बीडागन ससार ह अतः अनक शरीर बदलत हए अबदल की मगलमय याऽा करन क िलए जीवन और मतय को मगल िवधान समझकर ई र की हा म हा करत हए अपनी याऽा उननत कर

ॐॐॐ

ॐॐॐॐॐॐॐॐ

अनबम

िचतन पराग ई र का बनाया हआ त भल ही बना रह उसको िमथया समझ लन माऽ स का

बोध हो सकता ह साधक का काम त को िमथया समझन स ही चलता ह इचछाओ की ति का उपाय एक ही ह िक इचछाए तयाग दी जाए िजस िववकी न इस

जगत को सपन या इनिजाल क समान समझ िलया ह िजस दय न प म िदखन लगा ह वह दोषदश िववकी भला बताओ इसम अनराग कस कर

जञानी जागरण को सतय समझना छोड़ दन पर िफर पहल की भाित अनर नही होता

जञानी तयक वःत को अपना आतमा समझता ह मद की कलपना को बार-बार मन म लाना काम-वासना स म होन का सव म उपाय

बताया गया ह मद को पड़ हए दखकर मन घबरान लगता ह पिरणाम की कयो परवाह करत हो अपनी तनखवाह क बार म कभी िफब मत करो

अजञानी लोग समझत ह िक कायर की सफलता म कायर करन की अपकषा अिधक आननद ह इन अनधो को यह मालम ही नही ह िकसी पिरणाम स उतना सख नही िमलता िजतना काम करन स िमलता ह

अपन िवचारो को सदा वाःतिवक आतमा म रखो और पिरिःथितयो की परवाह मत करो तब तक आपकी हािन नही हो सकती जब तक िक आप ःवय उस नही बलात तलवार

तब तक नही काट सकती जब तक आप यह न सोच िक यह काटती ह ऐ पणर तर िलए कोई कतरवय या कायर शष नही ह सारी कित सास रोक तरी

सवा क िलए खड़ी ह ससार तरी पजा करन का अवसर पाकर अपन को कतकतय करना चाहता ह कया त कित की शि यो को अपन चरणो म झकन का अवसर दगा

अपन भीतर सतय क काश को सदा चमकता रखो भय और लोभन का शतान तमहार

पास नही फटकगा

बाहर की बातो म कछ भी नही मान अपमान अपना काम िकय जा िनिशिदन इसम ही सममान

दसर लोग तमहारी आलोचना िनदा करत हो उनह रोकन की च ा न करो कयोिक इनही

सब बातो क ारा तमम सदगणो की वि होगी जब तक तमहारा दय इतना दढ़ नही ह िक तम मख क बकन पर िःथर और शात बन रहो अथवा तमम इतनी सहनशीलता नही ह िक अजञानी मख को कषमा कर सको तब तक तम अपन को कही जञानी न समझ बठना

यिद तम शरीर और मन स ऊपर उठ जाओ तो सब िचनता और भयो स छट हो

जाओग िकसी भी आकिःमक दघरटना स धयर न छोड़ो कयोिक घबराहट स शि तथा बि का

नाश होता ह िकसी भी कार की किठनाइयो क आग दःिखत न होकर गमभीरतापवरक उनका सामना करो तभी तम िनःसनदह िवजय ा करोग तम कही भी हतोतसािहत होकर िनराश न होओ

ऐसी कौन-सी िवपि ह जो मरी सननता को न कर सकती ह वह कौन-सा रज ह जो

मर आननद म िव न डाल सकता ह म तो िव ाणड का भ ह म बि का भ ह िदमाग का मािलक ह और मन का शासक ह ससार मझम ह म ससार म नही आ सकता िव मझम ह म िव म नही बध

सकता सयर और नकषऽ मझम उदय और अःत होत ह दह और दिनया दोनो ई र क भीतर ह वही ई र म ह म िनिलर आतमा ह मरा जनम नही मतय नही म अजर-अमर ह म िचदाननद

आतमःव प ह म िमथया त िमथया धमर िमथया कमर िमथया और जगत िमथया और ऐसा तीत

होता ह िक म सवरःव ह म ही सवरजञ सवरगत आतमा ह अपना साकषी ह कदािप उन नाम पो म फसा नही ह

म िवश ह असखय ाणड मझम पड़ ह म असःपयर ह मरा ःव प िनिलर ह

मझ दःख स कोई भय नही ह मझ समय की जरा भी िचनता नही आतमाननद वाल को भय और आशका कसी

िकसी भी डर को अपन पास मत फटकन दो लोग यिद तमहार बराई करत ह तो तम उनह आशीवारद दो ऐस ःथान पर जाओ जहा

लोग तमस घणा कर तम तो म हो पहल स ही म हो सवरदा कहोः म सदा आननदःव प ह म

म ःवभाव ह म अननत ःव प ह मरी आतमा का आिद और अनत नही ह सभी मर आतमःव प ह

सननतापवरक अपमान सहन करन स और नता धारण करन स अिभमान की िनवि

होती ह िकसी पिवऽ ःथान पर जाओ तो वहा क अनशासन का पालन करो वहा चपपलो की

चटाक-पटाक आभषणो की खनखनाहट भड़कील व ो की फरफराहट आिद हमस न हो इसका परा धयान रखो कही भी िकसी क भी िच को या शात वातावरण को अशात करन का हम कोई अिधकार नही ह

अपन िकसी भी दःख या अशाित का कारण बाहर मत ढढो बाहर की पिरिःथितयो या

वयि यो को दोष मत दो कारण अपन भीतर ढढो िनद ष भाव स ढढोग तो कारण भीतर ही िमल जायगा उस दर करन की च ा करो शातिच रहन का यही बहमलय उपाय ह

जो आतम-अनशािसत ह व ही शासन कर सकत ह ऐसा करन क िलए नाम-जप कर

धयान कर िकसी आतमिन सत का पावन सािननधय ा कर सब तरह स िनभरय एव सनन बनन का यह ौ साधन ह

िवन बनो िनरहकारी बनो अपन आपको बड़ा बतान की च ा न करो िवनता एव

िनरािभमानता ही तमह बड़ा बनायगी िवनता मनय का बहत बड़ा भषण ह िनमरल दि रखो िकसी क दोष दखना यह बहत बड़ा दगरण ह िछिानवषी न बनो

दसरो क दोष दखना पाप अजरन करना ह गणमाही बनो

ॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐ

अनबम

  • मगलमय जीवन-मतय
  • मतय क परकार
  • मतय भी जीवन क समान आवशयक
  • सिकनदर न अमत कयो नही पिया
  • बिना मतय को जान जीवन जीवन नही
  • मतय किसकी होती ह
  • भगवान शरीराम और तारा
  • मतयः कवल वसतर परिवरतन
  • फकीरी मौतः आननदमय जीवन का दवारः
  • यमराज और नचिकताः
  • सचच सत मतय का रहसय समझात ह
  • मतयः एक विशरानति-सथानः
  • वासना की मतय क बाद परम विशरानति
  • धतराषटर का शोकः
  • घाटवाल बाबा का एक परसग
  • फकीरी मौत ही असली जीवन
    • फकीरी मौत कया ह
      • सकरात का अनभव
      • आधयातमविदयाः भारत की विशषताः
      • तीन परकार क लोगः
      • जञान को आय स कोई निसबत नही
      • योगसामरथयः एक परतयकष उदाहरण
      • योग भी साधना का आखिरी शिखर नही
      • गणातीत सत ही परम निरभयः
      • सतो का सनदशः
      • चितन पराग

ऐसी सब चीज तो म पहल ही छोड़ आया ह इनस कया जीवन की रकषा होगी इनस कया जीवन का रहःय समझ म आएगा इनस कया मौत जानी जा सकगी कया म इनही चीजो क िलए घर बार छोड़कर दर-दर भटक रहा ह जगलो और पहाड़ो को छान रहा ह य सब तो न र हऔर अगर सतो क पास भी न र िमलगा तो िफर शा त कहा स िमलगा

अनबम

यमराज और निचकताः निचकता भी यमराज क सममख ऐसी ही माग पश करता ह कठोपिनषद म निचकता

की कथा आती ह निचकता कहता ह यमराज सः ह यमराज कोई कहता ह मतय क बाद मनय रहता ह और कोई कहता ह नही रहता ह इसम बहत सदह ह इसिलए मझ मतय का रहःय समझाओ तािक सतय कया ह यह म जान सक परनत यमराज निचकता की िजजञासा को परखन क िलए पहल भौितक भोग और वभव का लोभ दत हए कहत ह -

शतायषः पऽपौऽानवणीव बहनपशनहिःतिहरणयम ान भममरहदायतन वणीव ःवय च जीव शरदोयाविदचछिस

ह निचकता त सौ वषर की आयय वाल पऽ-पौऽ बहत स पश हाथी-घोड़ सोना माग

ल पथवी का िवशाल रा य माग ल तथा ःवय भी िजतन वषर इचछा हो जीिवत रह

(वललीः 123) इतना ही नही यमराज आग कहत ह- मनयलोक म जो भोग दलरभ ह उन सबको ःवचछनदतापवरक त माग ल यहा जो रथ

और बाजो सिहत सनदर रमिणया ह व मनयो क िलए दलरभ ह ऐसी कािमनयो को त ल जा इनस अपनी सवा करा परनत ह निचकता त मरण समबनधी मत पछ

िफर भी निचकता इन लोभनो म नही फसता ह और कहता हः य सब भोग सदव रहन वाल नही ह और इनको भोगन स तज बल और आयय कषीण

हो जात ह मझ य भोग नही चािहए मझ तो मतय का रहःत समझाओ

अनबम

सचच सत मतय का रहःय समझात ह ठ क इसी कार वह यवा साध उन व सत स कहता हः मझ य नोटो क बडल नही

चािहए आप यिद मझ कछ दना ही चाहत ह तो मझ मौत दीिजए म जानना चाहता ह िक मौत कया ह मन सना ह िक सचच सत मरना िसखात ह म उस मौत का अनभव करना चाहता ह

वःततः सत मरना िसखात ह इसीिलए तो लोग रोत हए बचचो को चप करान क िलए

कहत ह - रो मत चप हो जा नही तो वह दख बाबा आया ह न वह पकड़कर ल जायगा भल ही लोग अजञानतावश बाबाओ अथवा सतो स बचचो को डरात हए कहत ह िक व ल जायग परनत िजनको सचच सत ल जात ह अथवा जो उनका हाथ पकड़ लत ह व तर जात ह सचच सत उनको सब भयो स म कर दत ह और उनको ऐस पद पर िबठा दत ह िक िजसक आग ससार क सार भोग-वभव धन-समपि पऽ-पौऽ यश-ित ा सब तचछ भािसत होत ह परनत ऐस सचच सत िमलन दलरभ ह और दढ़ता स उनका हाथ पकड़न वाल भी दलरभ ह िजनहोन ऐस सतो का हाथ पकड़ा ह व िनहाल हो गय

उस यवा साध न भी ऐस ही सत का हाथ पकड़ा था मौत को जानन की उसकी बल

िजजञासा को दखकर व व सत बोल उठः अर यह कया मागता ह यह भी कोई मागन की चीज ह ऐसा कहकर उनहोन यवा साध को थोड़ी दर इधर-उधर की बातो म लगाया और मौका दखकर उसको एक तमाचा मार िदया यवक की आखो क सामन जस िबजली चमक उठ हो ऐसा अनभव हआ और दसर ही कषण उसका ःथल शरीर भिम पर लट गया उसका सआम शरीर दह स अलग होकर लोक-लोकानतर की याऽा म िनकल पड़ा लोग िजसको मतय कहत ह ऐसी घटना घट गई

ातःकाल हआ रात भर आननदमय मतय क ःवाद म डब हए उस यवा साध क ःथल

शरीर को िहलाकर व सत न कहाः बटा उठ सबह हो गई ह ऐस कब तक सोता रहगा यवा साध आख मलता हआ सननवदन उठ बठा िजसको मतय कहत ह उस मतय को

उसन दख िलया अहा कसा अदभत अनभव उसका दय कतजञता स भर उठा वह उठकर फकीर क चरणो म िगर पड़ा

लोग कहत ह िक मरना दःखद ह और इसीिलए मौत स डरत ह िजनको ससार म मोह

ह उनक िलए मौत भयद ह परनत सतो क िलए मोह रिहत आतमाओ क िलए ऐसा नही ह

अनबम

मतयः एक िवौािनत-ःथानः मौत तो एक पड़ाव ह एक िवौािनत-ःथान ह उसस भय कसा यह तो कित की एक

वयवःथा ह यह एक ःथानानतर माऽ ह उदाहरणाथर जस म अभी यहा ह यहा स आब चला जाऊ तो यहा मरा अभाव हो गया परनत आब म मरी उपिःथित हो गई आब स िहमालय चला जाऊ तो आब म मरा अभाव हो जायगा और िहमालय म मरी हािजरी हो जायगी इस कार म तो ह ही माऽ ःथान का पिरवतरन हआ

तमहारी अवःथाए बदलती ह तम नही बदलत पहल तम सआम प म थ िफर बालक

का प धारण िकया बालयावःथा छट गई तो िकशोर बन गय िकशोरावःथा छट गई तो जवान बन गय जवानी गई तो व ावःथा आ गई तम नही बदल परनत तमहारी अवःथाए बदलती ग

हमारी भल यह ह िक अवःथाए बदलन को हम अपना बदलना मान लत ह वःततः न

तो हम जनमत-मरत ह और न ही हम बालक िकशोर यवा और व बनत ह य सब हमारी दह क धमर ह और हम दह नही ह सतो का यह अनभव ह िकः

मझ म न तीनो दह ह तीनो अवःथाए नही मझ म नही बालकपना यौवन बढ़ापा ह नही जनम नही मरता नही होता नही म बश-कम म ह म ह ितह काल म ह एक सम

मतय नवीनता को जनम दन म एक सिधःथान ह यह एक िवौाम ःथल ह िजस

कार िदन भर क पिरौम स थका मनय रािऽ को मीठ नीद लकर दसर िदन ातः नवीन ःफितर लकर जागता ह उसी कार यह जीव अपना जीणर-शीणर ःथल शरीर छोड़कर आग की याऽा क िलए नया शरीर धारण करता ह परान शरीर क साथ लग हए टी बी दमा कनसर जस भयकर रोग िचनताए आिद भी छट जात ह

वासना की मतय क बाद परम िवौािनत ःथल शरीर स सआम शरीर का िवयोग िजसको मतय कहा जाता ह वह िवौाम-ःथल तो

ह परनत पणर िवौाित उसम भी नही ह यह फकीरी मौत नही ह फकीरी मौत तो वह ह िजसम सारी वासनाए जड़ सिहत भःम हो जाए भीतर यिद सआम वासना भी बची रही तो जीव िफर स नया शरीर धारण कर लगा और

िफर स सख-दःख की ठोकर खाना चाल कर दगा िफर स वहीः

पनरिप जनन पनरिप मरण पनरिप जननी जठर शयनम

अनबम

धतरा का शोकः करकषऽ क य म दय धन सिहत जब सार पऽ मार गय तो धतरा खब दःखी हए और

िवदर स कहन लगः कण और पाडवो न िमलकर मर सब पऽो का सहार कर िदया ह इसका दःख मझस सहन नही होता एक एक कषण वयतीत करना मझ वष जसा लमबा लग रहा ह

िवदर धतरा को समझात हए कहत ह - जो होना होता ह वह होकर ही रहता ह आप

वयथर म शोक न करो आतमा अमर ह उसक िलए मतय जसी कोई चीज नही ह इस शरीर को छोड़कर जो जाता ह वह वापस नही आता इस बात को समझकरः राम राख तम रिहय ह भाई शोक न करो

परनत धतरा का शोक कम नही हआ वह दढ़तापवरक कहन लगाः तम कहत हो वह

सब समझता ह िफर भी मरा दःख कम नही हो ता मझ अपन पऽो क िबना चन नही पड़ रहा ह पलभर को भी िच शात नही रहता

अजञानी सोचता ह िक िजस कार म चाहता ह उसी कार सब हो जाय तो मझ सख

हो यही मनय का अजञान ह शा और सतो का िकतना ही उपदश सनन को िमल जाय तो भी वह अपनी मानयताओ

का मोह सरलता स छोड़न को तयार नही होता िवदर का धमरय उपदश धतरा को सानतवना नही द सका धतरा शा ो स िबलकल अनिभजञ था ऐसी बात नही थी िफर भी उसका शा जञान उस पऽो क मोह स म नही कर सका

अनबम

घाटवाल बाबा का एक सग हिर ार म घाटवाला बाबा क नाम स िस एक महान सत रहत थ बहत सीध -साद

और सरल कमर म कतान (टाट) लपट रहत थ ऊपर स िदखन म िभखारी जस लगत मगर भीतर स साट थ उनक पास एक वयि आया और बोलाः महाराज मझ शाित चािहए

महाराज न पहल उस धयान स दखा िफर कहाः शाित चािहए तो तम गीता पढ़ो

यह सनकर वह च ककर बोलाः गीता गीता तो म िव ािथरयो को पढ़ाता ह म कालज म ोफसर ह गीता मरा िवषय ह गीता म कई बार पढ़ चका ह उस पर तो मरा काब ह

महाराज बोलः यह ठ क ह अब तक तो लोगो को पढ़ाकर पसो क लाभ क िलए गीता

पढ़ी होगी अब मन को िनयिऽत करक शाित लाभ क िलए पढ़ो लोग शा ो म स सचनाए और जानकािरया इक ठ करक उस ही जञान मान लत ह

दसरो को भािवत करन क िलए लोग शा ो की बात करत ह उपदश दत ह परनत उनह अपन आपको कोई अनभित नही होती मतय क िवषय म भी लोग िव तापणर वचन कर सकत ह मतय स डरन वालो को आ ासन और धयर द सकत ह परनत मौत जब उनही क सममख साकषात आकर खड़ी होती ह तो उनकी रग -रग काप उठती ह कयोिक उनको फकीरी मौत का अनभव नही

कई लोग कहत ह िक जीवन और मौत अपन हाथ म नही ह परनत यह उनक िलए

ठ क ह िजनको आधयाितमक रहःय का पता नही जो ःवय को शरीर मानत ह दीन-हीन मानत ह परनत योगी जानत ह िक जीवन और मतय इन दोनो पर मनय का अिधकार ह इस अिधकार को ा करन की तरकीब भी व जानत ह कोई िहममतवान जानन को ततपर हो तो व उस बता भी सकत ह व तो खललमखलला कहत ह िक यिद रोत-कलपत हए मरना हो तो खब भोग-भोगो िकसी की परवाह न करत हए खब खाओ िपयो और अमयारिदत िवषय-सवन करो ऐसा जीवन आपको अपन आप मौत की ओर शीयता स आग बढ़ा दगा परनत

यिद मौत पर िवजय ा करनी हो जीवन को सही तरीक स जीना हो तो योिगयो क

कह अनसार करो ाणायाम करो धयान करो योग करो आतमिचनतन करो और ऐसा कोई योगी डॉकटरो क सामन आकर दय की गित बनद करक बता दता ह तो वह बात भी लोगो को

बड़ी आ यरजनक लगती ह लोगो क टोल क टोल उसको दखन क िलए उमड़ पड़त ह परनत यह भी कोई योग की पराका ा नही ह

फकीरी मौत ही असली जीवन इितहास म जञान र महाराज और योगी चागदव का सग आता ह वह तो आप लोग

जानत ही होग चागदव न मतय को चौदह बार धोखा िदया था अथारत जब -जब मौत का समय आता तब-तब चागदव योग की कला स अपन ाण ऊपर चढ़ाकर मौत टाल िदया करत थ ऐसा करत-करत चागदव न अपनी उ 1400 वषर तक बढ़ा दी िफर भी उनको आतमशािनत नही िमली फकीरी मौत ही आतमशाित द सकती ह और इसीिलए चागदव को आिखर म जञान र महाराज क चरणो म समिपरत होना पड़ा

अनबम

फकीरी मौत कया ह

फकीरी मौत ही असली जीवन ह फकीरी मौत अथारत अपन अह की मतय अपन जीवभाव की मतय म दह ह म जीव ह इस पिरिचछनन भाव की मतय

ःथल शरीर स सआम शरीर का िवयोग यह कोई फकीरी मौत नही ह अगर वासना शष

हो तो सआम शरीर बार-बार ःथल शरीर धारण करक इस ससार म जनम-मरण क दःख पणर चककर म भटकता रहता ह

जब तक फकीरी मौत नही हो तब तक चागदव की तरह चौदह बार कया चौदह हजार

बार भी ःथल शरीर को बचाय रखा जाय तो भी परम शाित क िबना यह बकार ह लाबधवा जञान परा शाित आतमजञान स ही परम शाित िमलती ह इसी कारण चागदव को फकीरी मौत सीखन क िलए जञान र महाराज क पास आना पड़ा था 1400 वषर का िशय और 22 वषर क गर यही जञान का आदर करन वाली भारतीय सःकित ह जञान स उ को कोई समबनध नही ह

हम तो जीवन म पग-पग पर छोटी-मोटी पिरिःथितयो स घबरा उठत ह ऐसा भयभीत

जीवन भी कोई जीवन ह यह तो मौत स भी बदतर ह इसीिलए कहता ह िक असली जीवन जीना हो िनभरय जीवन जीना हो तो फकीरी मौत को एक बार जान लो

फकीरी मौत अथारत अपन अमरतव को जान लना फकीरी मौत अथारत उस पद पर आ ढ़ हो जाना जहा स जीवन भी दखा जा सक और मौत भी दखी जा सक जहा स ःप प स िदख िक सख-दःख आय और गय बालयावःथा यवावःथा और व ावःथा आई और गई परनत य सब शरीर स ही समबिनधत थ मझ तो व ःपशर तक नही कर सक म तो असग ह अमर ह मरा तो जनम भी नही मतय भी नही

सकरात का अनभव सकरात को जब जहर िदया जान लगा तो उसक िशय रोन लग कयोिक उनको यह

अजञान था िक सकरात अब बचग नही मर जायग सकरात न कहाः अर तम रोत कयो हो अब तक मन जीवन दखा अब मौत को दखगा यिद म मर

जाऊगा तो आज नही तो कल मरन ही वाला था इसिलए रोन की कया ज रत ह और यिद मरत हए भी नही मरा कवल शरीर स ही िछनन-िभनन हआ तो भी रोन की कया ज रत

सकरात न िबना िहचिकचाहट क राजी-खशी स जहर का पयाला पी िलया और िशयो स

कहाः दखो यह रोन का समय नही ह बहत ही महतवपणर बात समझन का समय आया ह

मर शरीर पर जहर का भाव होन लगा ह पर सनन होत जा रह ह घटनो तक जड़ता वया हो गई ह जहर का असर बढ़ता जा रहा ह मर पर ह िक नही इसकी अनभित नही हो रही ह अब कमर तक का भाग सवदनहीन बन गया ह

इस कार सकरात का सारा शरीर ठडा होन लगा सकरात न कहाः अब जहर क भाव स हाथ पर छाती जड़ हो गई ह थोड़ी ही दर म मरी िज ा भी

िनःपद हो जायगी उसस पहल एक मह वपणर बात सन लो जीवन म िजसको नही जान सका उसका अनभव हो रहा ह शरीर क सब अग एक क एक बाद एक िनःपद होत जा रह ह परनत उसस मझम कोई फकर नही पड़ रहा ह म इतना ही पणर ह िजतना पहल था शरीर स म ःवय को अलग असग महसस कर रहा ह अब तक जस जीवन को दखा वस ही अभी मौत को भी दख रहा ह यह मौत मरी नही बिलक शरीर की ह

अनबम

आधयातमिव ाः भारत की िवशषताः सकरात तो शरीर छोड़त-छोड़त अपना अनभव लोगो को बतात गय िक शरीर की मतय

यह तमहारी मतय नही शरीर क जात हए भी तम इतन क इतन ही पणर हो परनत भारत क ऋिष तो आिद काल स कहत आय ह-

शणवनत िव अमतःय पऽा

आ य धामािन िदवयािन तःयः वदाहमत परष महानतम

आिदतयवण तमसः परःतात तमव िविदतवाऽितमतयमित नानयः पनथा िव तऽयनाय

ह अमतपऽो सनो उस महान परम परषो म को म जानता ह वह अिव ा प अधकार

स सवरथा अतीत ह वह सयर की तरह ःवयकाश-ःव प ह उसको जानकर ही मनय मतय का उललघन करन म जनम-मतय क बधनो स सदव क िलए छटन म समथर होता ह परम पद की ाि क िलए इसक अितिर कोई दसरा मागर नही ह

( ता तरोपिनषद) यह कोई वद-उपिनषद काल की बात ह उस समय क ऋिष चल गय और अब नही ह

ऐसी बात नही ह आज भी ऐस ऋिष और ऐस सत ह िजनहोन सतय की अनभित की ह अपन अमरतव का अनभव िकया ह इतना ही नही बिलक दसरो को भी इस अनभव म उतार सकत ह रामकण परमहस ःवामी िववकाननद ःवामी रामतीथर महिषर रमण इतयािद ऐस ही त वव ा महापरष थ और आज भी ऐस महापरष जगलो म और समाज क बीच म भी ह यहा इस ःथान पर भी हो सकत ह परनत उनको दखन की आख चािहए इन चमरचकषओ स उनह पहचानना मिकल ह िफर भी िजजञास और ममकष वि क लोग उनकी कपा स उनक बार म थोड़ा सकत यह इशारा पा सकत ह

अनबम

तीन कार क लोगः ऐस सतो क पास तीन कार क लोग आत ह- दशरक िव ाथ और साधक

दशरक अथारत ऐस लोग जो कवल दशरन करन और यह दखन क िल ए आत ह िक सत कस ह कया करत ह कया कहत ह उपदश भी सन तो लत ह पर उसक अनसार कछ करना ह इसक साथ उनका कोई समबनध नही होता आग बढ़न क िलए उनम कोई उतसाह नही होता

िव ाथ अथारत व जो शा एव उपदश समबनधी अपनी जानकारी बढ़ान क िलए आत ह

अपन पास जो जानकारी ह उसम और वि होव तािक दसरो को यह सब सनाकर अपनी िव ा की छाप उन पर छोड़ी जा सक दसरो स सना याद रखा और जाकर दसरो को सना िदया जस ग स शानसपोटर कमपनी ाईवट िलिमटड- यहा का माल वहा और वहा का माल यहा लाना और ल जाना ऐस लोग भी त व समझन क मागर पर चलन का पिरौम उठान को तयार नही

तीसर कार क लोग होत ह साधक य ऐस लोग होत ह िक जो साधनामागर पर चलन

को तयार होत ह इनको जसा बताया ह वसा करन को पणर प स किटब होत ह अपनी सारी शि उसम लगान को ततपर होत ह उसक िलए अपना मान-सममान तन-मन-धन सब कछ होम दन को तयार होत ह सत क ित और अपन धयय क ित इनम पणर िन ा होती ह य लोग फकीर अथवा सत क सकत क अनसार लआय की िसि क िलए साहसपवरक चल पड़त ह

िव ाथ अपन वयि तव का ौगार करन क िलए आत ह जबिक साधक वयि तव का िवसजरन करन क िलए आत ह साधक अपन लआय की तलना म अपन वयि तव या अपन अह का कोई भी मलय नही समझत जबिक िव ाथ क िलए अपना अह और वयि तव का ौगार ही सब कछ ह अपनी िव ता म वि जानकारी को बढ़ाना वयि तव को और आकषरक बनाना इसी म उस सार िदखता ह त वानभित की तरफ उसका कोई धयान नही होता

यही कारण ह िक सतो क पास आत तो बहत लोग ह परनत साधक बनकर वही िटक

कर त व का साकषातकार करन वाल कछ िवरल ही होत ह

जञान को आय स कोई िनःबत नही िजसन फकीरी मौत को जान िलया हो अथारत िजस आतमजञान हो गया हो वह शरीर की

दि स कम उ का हो परनत उसक आग लौिकक िव ा म वीण और अिधक वय क सफद दाढ़ी-मछ वाल लोग भी बालक क समान होत ह इसीिलए योगिव ा म वीण 1400 वषर क चागदव को कम उवाल जञान र महाराज क चरणो म समिपरत होना पड़ा था ाचीन काल म ऐस कई उदाहरण दखन म आत ह

िचऽ वटतरोमरल व ाः िशया गरयरवा

गरोःत मौन वयाखयान िशयाःतिचछननसशयाः अथारत यह कसा विच य ह िक वटवकष क नीच यवा गर और व िशय बठ ह गर

ारा मौन वयाखयान हो रहा ह और िशयो क सब सशयो और शकाओ का समाधान होता जा रहा ह

अनबम

योगसामथयरः एक तयकष उदाहरण अपन मोटरा आौम म भी ऐस ही करीब स र वषर क सफद बाल वाल एक साधक ह

पहल डीसा म व एक सत क पास गय गय तो थ दशरक बनकर ही परनत सत की दि पड़त ही व दशरक म स साधक बन गय म कछ वषर पवर डीसा क आौम म था तब व मर पास आय थ पकी हई उ म भी व 18 वषर की उ की एक बाला क साथ बयाह रचान की तयारी म थ और आशीवारद मागन हत वहा आय थ उनको दखकर ही मर मह स िनकल पड़ाः

अब तमहारी शादी ई र क साथ कराएग यह सनकर उनको बड़ा आ यर हआ कयोिक न तो व मझ पहल स जानत थ और न ही

म उनह जानता था उस व उनका शरीर भी कसा था चरबी और कफ-िप स ठसाठस भरा हआ एकदम ःथल दमा आिद रोगो का िशकार डीसा म कपड़ क बड़ वयापारी थ धप म िबना छाता िलए दकान स नीच नही उतर पात थ कित ऐसी थी िक िकसी भी सत महातमा को नही गाठ और काम-वासना भीतर इतनी भरी हई थी िक आग की दो पि या शरीर छोड़ चकी थी िफर भी इस उ म तीसरी शादी करन को तयार थ प ी िबना एक िदन भी नही रह सकत थ

घर पहचन पर उनको पता चला िक उनक अनदर जो काम -िवकार का तफान आया था

वह एकदम शात हो गया ह भिवय म प ी बनन वाली उस कमारी क साथ एकात म अनक च ाए करक भी व उस काम-िवकार को पनः नही जगा सक इतना बल िवकार एकाएक कहा चला गया िफर उनको समझ म आया िक सत की ई रीय अहत की कपा उनम उतरी ह उनको सारा ससार सना-सना लगन लगा उनहोन तरनत ही उस कमारी यवती को कछ पय और कपड़ िदय और बटी कहकर रवाना कर िदया उसक बाद उनहोन आसन ाणायाम गजकरणी नित धोित आिद िबयाए सीख ली और िनयिमत प स करन लग इसस उनक शरीर क सार परान कफ-िप -दमा आिद दर हो गय और शरीर म स आवयकता स अिधक चब घटकर शरीर हलका फल जसा हो गया अब तो जवानो क साथ दौड़न की भी ःपधार करत

ह धयानयोग की साधना म उनहोन इतनी गित की ह िक उनको कई कार क अलौिकक अनभव हआ करत ह अपन सआम शरीर ारा व लोक -लोकानतर म घम आया करत ह

योग भी साधना का आिखरी िशखर नही यह भी साधना की कोई आिखरी भिमका नही ह सव चच िशखर नही ह यह भी सब

माया की सीमा म ही ह िफर चमर-चकषओ स दखो अथवा धयान म बठकर दखो कयोिकः

यद दय तद अिनतयम जो िदखता ह वह अिनतय ह जो िदख सो चालनहार चागदव भी योग म कशल थ

काल को कई बार धोखा द चक थ परनत माया को धोखा न द सक व भी साि वक माया म थ माया स पर नही थ

माया ऐसी ठिगनी ठगत िफरत सब दश जो ठग या ठिगनी ठग वा ठग को आदश

कोई िवरल सत ही इस माया को ठग सकत ह माया स पार जा सकत ह बाकी क

लोगो का तो यह माया न र म ही शा त का आभास करा दती ह अिःथरता म िःथरता िदखा दती ह ऐसी मोिहना माया क िवषय म ौी कण कहत ह-

दवी षा गणमयी मम माया दरतयया मामव य प नत मायामता तरिनत त

मरी यह अदभत िऽगणमयी माया का तरना अतयनत दकर ह परनत जो मरी शरण म

आत ह व तर जात ह (गीता)

अनबम

गणातीत सत ही परम िनभरयः ऐसी दःतर माया को जो सत अथवा फकीर तर जात ह और मौत की पोल जान जात ह

व कहत ह- एक ऐसी जगह ह जहा मौत की पहच नही जहा मौत का कोई भय नही िजसस मौत भी भयभीत होती ह उस जगह म हम बठ ह तम चाहो तो तम भी बठ सकत हो

तमहार म एक ऐसा चतन ह जो कभी मरता नही िजसन मौत कभी दखी ही नही जो जीवन और मौत क समय पिरवतरन को दखता ह परनत उन सबस पर ह

यिद घड़ म आया हआ चनिमा का ितिबमब घड़ क पानी को उबलता हआ जानकर यह

मान की म उबल रहा ह पानी िहल तो समझ िक म िहलता ह घड़ा फट गया तो समझ िक म मर गया तो यह उसका अजञान ह परनत उसको यह पता चल जाय िक पानी क उबलन स म नही उबलता पानी क िहलन स म नही िहलता म तो वह चनिमा ह जो हजारो घड़ो म चमक रहा ह िकतन ही घड़ टट -फट गय परनत म मरा नही मरा कछ भी िबगड़ा नही म इन सबस असग ह तो वह कभी दःखी नही होगा

इसी कार हम यिद अपन असगपन को जान ल अथारत म शरीर-मन-बि नही अिपत

आतमा ह- यह हम जान ल तो िफर िकतन ही दह पी घड़ बन और टट -िबखर िकतनी ही सि या बन और उनका लय हो जाय हमको कोई भय नही होगा कयोिक आतमा का ःवभाव हः

न जायत ियत वा कदािचननाय भतवा भिवता वा न भयः अजो िनतयः शा तोऽयपराणो न हनयत हनयमान शरीर

यह आतमा िकसी काल म भी न तो जनमता ह और न मरता ही ह तथा न यह उतपनन

होकर िफर होन वाला ही ह कयोिक यह अजनमा िनतय सनातन और परातन ह शरीर क मार जान पर भी यह नही मारा जाता

(भगवदगीताः 223) अनबम

सतो का सनदशः िजन सतो न यह रहःय जान िलया ह जो इस अमतमय अनभव म स गजर चक ह व

सब भयो स म हो गय ह इसीिलए व अपनी अनभविस वाणी म कहत ह- अपन आतमदव स अपिरिचत होन क कारण ही तम अपन को दीन-हीन और दःखी

मानत हो इसिलए अपनी आतम-मिहमा म जाग जाओ यिद अपन आपको दीन ही मानत रह तो रोत रहोग ऐसा कौन ह जो तमह दःखी कर सक तम यिद न चाहो तो दःख की कया मजाल ह िक तमह ःपशर भी कर सक अननत-अननत ाणड को जो चल रहा ह वह चतन तमहार भीतर चमक रहा ह उसकी अनभित कर लो वही तमहारा वाःतिवक ःव प ह

मनसर को सली पर चढ़ा िदया गया था परनत उनको सली का कोई भय नही था सली

का क उनको ःपशर भी नही कर सका कयोिक मनसर अपनी मिहमा म जग हए थ व यह जान चक थ िक म शरीर नही ह सली शरीर को लग सकती ह मझ नही इसिलए व हसत-हसत सली पर चढ़ गय थ

हम ही जानबझकर अपनी सननता की अपन सख-दःख की चाबी दसरो क हाथो म

स प दत ह कोई थोड़ा हस दता ह तो हम बोिधत हो उठत ह कोई थोड़ी शसा कर दता ह तो हषर स फल उठत ह कयोिक हम अपन को सीिमत पिरिचछनन शरीर या मन ही मान बठ ह

हम अपन वाःतिवक ःव प अपनी असीम मिहमा को नही जानत नही तो मजाल ह

िक जगत क सार लोग और ततीस करोड़ दवता भी िमलकर हम दःखी करना चाह और हम दःखी हो जाय जब हम ही भीतर स सख अथवा दःख को ःवीकित दत ह तभी सख अथवा दःख हमको भािवत करता ह सदव सनन रहना ई र की सव परी भि ह

ःवामी रामतीथर कहा करत थ िक कोई यिद तमहारी सननता छ नकर उसक बदल म

तमको ःवगर का फिरता भी बनाना चाह तो फिरतापद को ठोकर मार दो मगर अपनी सननता मत बचो

हम इस जीवन और मतय का कई बार अनभव कर चक ह सत कहत ह- तमहारा न तो जीवन ह और न ही मतय ह तम जीव नही तम िशव हो तम अमर

हो तम अननत अनािद सिचचदाननद परमातमा हो यिद इस जनम-मरण क खल स थक चक हो इनक खोखल पन को जान चक हो इसक असारपन स पिरिचत हो चक हो तो िकसी सत क सािननधय का लाभ उठाकर फकीरी मौत को जान लो िफर तमह कोई दःख कोई मतय भयभीत नही कर सकगी िफर िजस आना हो वह आव जाना हो वह चला जाव सख आव तो आन दो दःख आव तो आन तो जो आयगा वह जायगा तम द ा बनकर दखत रहो तम अपनी मिहमा म मःत रहो

मौत स भी मौत का भय बदतर ह भय म स ही सार पाप पदा होत ह भय ही मतय

ह लोग पछत ह- ःवामी जी आतम-साकषातकार हो जाता ह िफर उसक बाद कया होता

ह होता कया ह हम अपन ःव प म जाग जात ह उसक बाद हमस जो भी वि होती ह वह आननदमय ही होती ह ससार की कोई भी दःखपणर घटना हमको दःखी नही कर सकती

िफर यह शरीर रह या न रह हमार आननद म कोई अनतर नही पड़ता उस आननदःव प अपन आतमदव को जानना-यही जीवन का परम कतरवय ह परनत इस परम कतरवय की ओर मनय का धयान जाता नही और छोटी-मोटी तचछ वि यो म ही अटका रह जाता ह

हम कही याऽा म िनकलत ह तो राःत क िलए िटिफन भरकर भोजन साथ ल लत ह

भोजन स भी अिधक महतव पानी का ह परनत उसक िलए सोच लत ह िक चलो ःटशन पर भर लग घर स पानी लकर चलन की िचनता नही करत पानी स भी यादा ज री हवा ह उसक िबना तो एक िमनट भी नही चलता िफर भी हवा का कोई िसलनडर भरकर साथ नही लत कयोिक हम सब जानत ह िक वह तो सवरऽ ह इसिलए हवा क िलए हम कोई िचनता नही करत

हवा स कम ज री पानी क िलए पानी स कम ज री भोजन क िलए हम यादा िचनता करत ह उसी कार अपन आननदःव प आतमा म जागन क परम कतरवय को छोड़कर कम महतव क ःथल शरीर क लालन पालन एव उसस सबिधत वयवहार को सभालन म ही हम लग रहत ह शरीर असत जड़ और दःख प ह उसको चलान वाला सआम भतो स िनिमरत सआम शरीर ह उसको भी चतन स ा दन वाला सत-िचत-आननदःव प आतमा ह इस आननद-ःव प आतमा को असत-जड़ दःख प और मरणधमार समझकर जीवनभर मौत क भय स भयभीत बन रहत ह

अनत परमातमा म न तो उतथान ह न पतन न जनम ह न मरण वहा तो सब एकरस

ह हम ही मोहवश अपना ससार खड़ा कर लत ह और एक दसर क साथ सबध बनाकर अपन को जानबझकर बधन म डाल दत ह

एक सत क पास एक स जन का पऽ आया उसम िलखा थाः ःवामी जी आपक

आशीवारद स हमार यहा पऽ का जनम हआ ह सत न उ र म उस िलखा िकः तम झठ बोलत हो िफर जब स जन सत क पास गया तब कहा िकः ःवामी जी म सच कहता ह मर यहा पऽ का जनम हआ ह इस पर सत न िफर स कहा िकः तम झठ बोलत हो यह सनकर उन स जन को बड़ा आ यर हआ वह िवःफािरत नऽो स सत की ओर दखन लगा तब सत न कहाः

पऽ का जनम नही हआ िपता का जनम हआ ह माता का जनम हआ ह काका-मामा

का जनम हआ ह पऽ को तो खबर ही नही ह िक मरा जनम हआ ह और म िकसी का पऽ भी ह परनत हम उस पर सार समबनध आरोिपत कर दत ह

वःततः पचभतो म कोई आकार बना ह उस पऽ का नाम द िदया समय आन पर यह आकार िबखर जायगा यह आकार बन उसम हषर और यह आकार िबखर जाय उसम शोक कसा भय कसा

िजस शरीर को हम म मानत ह उसकी कित तो दखो िपया तो था अमत जसा

मीठा जल और िनकाला मऽ प म गदा पानी खाय तो थ मोहनथाल दधपाक छपपन भोग पर बन गया सब िव ा प शरीर का सग करन पदाथर की ऐसी अवःथा बन जाती ह सत-िचत-आननदःव प आतमा भी अपन को भलकर शरीर क साथ एक होकर ःवय को म शरीर मान लती ह और दीन हीन एव दःखी बन जाती ह परनत जब वह अपन आपम जाग जाती ह तब अपन को दवो का दव अनभव करती ह

यिद हमन शरीर क साथ अहबि की तो हम म भय वया हो ही जायगा कयोिक शरीर

की मतय िनि त ह उसका पिरवतरन अवयभावी ह उसको तो ःवय ाजी भी नही रोक सकत परनत यिद हमन अपन आतमःव प को जान िलया ःव प म हमारी िन ा हो गई तो हम िनभरय हो गय कयोिक ःव प की मतय होती नही मौत भी उसस डरती ह

ःवामी अखणडाननद सरःवती एक बार रल क तीसर दज म याऽा कर रह थ व यह

जानना चाहत थ िक तीसर दज म लोगो ारा िकय जान वाल मान-अपमान का भाव उनक िदल पर होता ह िक नही आतमिनरीकषण स उनह पता चला िक भाव तो होता ह यह बात उनहोन ौी उिड़या बाबा को बतायी उिड़या बाबा न कहाः

तम बठत ही कचर क ढर पर हो आशा करत हो िक मझ पर कोई कचरा न फ क मझ

कचर की दगरनध न आव यह कस हो सकता ह तम बठत हो शरीर म और आशा रखत हो िक मान-अपमान का असर न हो ःवय को शरीर माना तो मान-अपमान सख-दःख होगा और जनम-मतय भी होगी

वदानत क रहःय को समझना यह कोई ि यो का काम नही ह ी अथारत कित क

शरीर क म मानकर जीनवाला एक बार राजा जनक िव ानो की सभा म बठ थ उस सभा म गाग आई वह िबलकल

िदगमबर (न न) थी ऐसी अवःथा म सभा म गाग का वश पिडतो को रचा नही इसिलए उनहोन नाक-भ िसकोड़ िलया परषो स भरी सभा म एक न न ी

गाग बोलीः ऐ पिडतो नाक भ कयो िसकोड़त हो

पिडतो न कहाः तम एक अबला ऐसी अवःथा म परषो की सभा म जो आई हो

गाग तरनत बोलीः कौन कहता ह िक म अबला ह म सबला ह अबला तो तम हो जो अपना रकषक बाहर ढढत हो म अपना रकषक आप ह म यह शरीर नही ह म तो सत -िचत-आननदःव प आतमा ह म अपन आपको जानती ह

िजसको जानकर गाग िनभरय बन गई थी उस आननदःव प अपन आतमदव को जो

जान लता ह उसी म िःथत हो जाता ह वह जीवन और मौत दोनो स पर दोनो का द ा बन जाता ह उस िफर कोई भय नही रहता वह सदव आननद म मःत रहता ह

मरो मरो सब कोई कह मरना न जान कोई एक बार ऐसा मरो िक िफर मरना न होई

मगलमय जीवन मगलमय िववाह मगलमय सबध उस परम मगल चतनय क कारण ही

हो सकत ह न िक शि शरीर क बा प-रग पर िवमोिहत होन स महाराज जी क पास आकर एक मिहला कहन लगीः मर पित ःवगरःथ हो गय ह

उनका िवयोग सहा नही जाता ऐसा कोई उपाय बताओ िक उनका िहत हो और मझ शाित िमल

दसरा एक वयि आया और बोलाः मरी प ी मझ अकला छोड़कर चल बसी ह

तीसर न कहाः मरा बटा ःवगरःथ हो गया ह उसकी मीठ याद आती ह मर मन म आता ह िक उसक पीछ म भी आतमहतया करक मर जाऊ बाबा जी शािनत का कछ उपाय बताइय

महाराज जी न कहाः ह भि मिहला पित की याद आय तो उनह खब आदरपवरक कहोः

मरणधमार शरीर म होत हए भी आप अमर थ शरीर क मरन पर भी आप नही मर दह न र ह आप शा त हो चतनय हो आप परम र का अिवनाशी अश हो जनम-मतय आपका धमर नही ह पाप-पणय आपका कमर नही ह आप अजर हो श ब हो हम परःपर पािथरव शरीर की ीित करक मोह म सड़ रह थ िवकारो म दब रह थ अब पािथरव शरीर की ीित स म होकर अपािथरव आतमा म िःथत हो जाओ

वह शादी बरबादी म बदल जाती ह िजसम एक दसर क शरीर को पयार करत ह वह

मगलमय शादी आबादी की ओर ल जाती ह जहा प ी पित को पित प ी को पऽ िपता को िपता पऽ को शरीर क प म नही अिपत शरीरो क आधार श चतनयःव प म दख परःपर अपन चतनयःव प की याद िदलाव और रणा द

ह भि मिहला अपन पित को याद करक उनक जीवातमा को यह रणा दो इसस

उनकी भी उननित होगी और तमहारी उननित होगी ऐसा िचनतन करो िकः ह चतनयःव प मर आतमन शरीर को पाच भत क पतल

को तयागन क बाद भी आपका अिःततव ह आप आतमा हो परम र हो अमर हो चतनय हो शा त हो

इसी कार अपनी प ी को और ःवगरःथ पऽ पिरवार को ःमरण करक उनको उननत

करो और आप भी उननत बनो जीत-जी भी परःपर इसी भाव स उननत करो मतय मगलमय हो जाय ऐसा वातावरण बनाओ

जो वयि मतय को ा हो चक ह उनक ौा ो क िदनो म तथा ःमरण क व उनह

सझाव दो िकः जनम-मतय तमहारा धमर नही था पाप-पणय तमहारा कमर नही था तम अजर

अिवनाशी िनलप शा त सनातन नारायण क अश हो अतः अपन परम र ःवभाव को सभालो ःमरण करो

अपन पित प ी पऽ का नाम लकर कहो िकः तम वही हो सचमच म वही हो जो

मरन क बाद भी नही मरता ॐॐॐ तम चतनय आतमा हो ॐॐॐ शा त परम र हो ॐॐॐ अिवनाशी परमातमा हो ॐॐॐ

पथवी पर क ःवपन तलय सबधो का ःमरण करक तम नीच न िगरो अिपत आतमा-

परमातमा क सबध को याद करत हए अपना ऐिहक जीवन मगलमय बनाओ ससार स कच करक जाओ उस समय तमहार कटमबी आतमा परमा तमा की एकता और अमरता तमहारी िनतयता और म ता का ःमरण तमह अत समय म करा द ऐसी वयवःथा करो

कोई चल बसन वाल हो या चल बस हो उनको याद करक उनकी ओर िदवय िवचार

अमर आतमा का सनदश भजो इस कार तम उ म सवा कर सकत हो और जीिवतो को जीवनदाता म जगा सकत हो दोनो इस कार परःपर सहायता करोग और पाओग

टिलफोन पर अपन दर क सबधी स हम जब बात करत ह तो उस यऽ म स आन वाली

धविन अपन सबधी की होती ह ऐस ही शरीर पी यऽो स जो कछ ःनह सातवना सहानभित म या काश हम पात ह वह भीतर वाल परम र का ही होता ह उनको या उनक िचऽो को

दखो तो उन िचऽो क पीछ खड़ उस शा त सतय को परम िमऽ को पयार करो और उनह भी याद िदलाओ िकः ह शा त आतमा ह परातन ह अिवनाशी नाशवान ससार और शरीर बदलत ह लिकन तम अबदल आतमा हो ॐॐॐ

बचपन बदल गया यौवन बदल गया बढ़ापा बदल गया शरीर बदल गया िफर

तम भी हो तम वह अमर आतमा हो िजस पर काल का भी कोई भाव नही चलता ह अकाल आतमा अपनी मिहमा म जागो इस कार क िवचार भजन स मगल करोग और मगल को पाओग जीवन मगलमय होन

लगगा मतको की मतय भी मगलमय हो जायगी मगल भवन अमगलहारी िवचारो को सदव एक दसर क ित सािरत करो ॐ आननद

आननद आननद रोत चीखत मोहमाया म पड़कर उनको याद करत हो तो उनका और अपना सतयानाश

करत हो उनको नीच िगरात हो उनकी आतमा को भटकात हो अपन को तचछ बनात हो अमागिलक िवचारो को कतई ःफिरत न होन दो सदव मगलमय िवचार हो जायगा मगलमय जीवन मतय भी मगलमय हो जायगी ॐ ॐ ॐ

ॐॐॐॐॐॐॐॐ जीवन और मतय आतमा-परमातमा को पान क दो पहल ह रात क बाद िदन िदन क

बाद रात होती ह इसी तरह जीवन और मतय चोल बदलत हए अनभवो स गजरत हए अपन आतमःव प को ःव प को पान क िलए मगलमयी अवःथा ह

िदन िजतना पयारा ह रात भी उतनी ही आवयक ह जीवन िजतना पयारा ह मतय भी

उतनी ही आवयक ह मतय मान आतमिशव क मिनदर म जान क िलए ऊची सीिढ़या मतय मान मा की गोद म बालक सो गया और उमा शि ताजगी ःफितर पाकर िफर सबह खलता ह मतय मान मा की गोद म थकान िमटान को जाना िफर नया तन ा करक अपनी मगलमय याऽा करना

त वदि स दखा जाय तो यह जीवन-मतय की याऽा कित म हो रही ह तमह

परमातमाःव प म जगान क िलए गीता म भगवान ौी कण कहत ह-

न जायत ियत वा कदािचननाय भतवा भिवता वा न भयः अजो िनतयः शा तोऽयपराणो न हनयत हनयमान शरीर

त वतः यह आतमा न कभी जनमता ह और न मरता ह न यह उतपनन होकर िफर होन

वाला ही ह यह जनमरिहत िनतय िनरनतर रहन वाला शा त और परातन अनािद ह शरीर क मार जान पर भी वह नही मारा जाता

(गीताः 220) शव की ःमशानयाऽा म मटका ल जात ह फोड़ दत ह यह याद िदलान क िलए िक दह

मानो मटका ह इस मगलमय मतय को पीछ िव ल होन की आवयकता नही ह यह मटका सवा करन क िलए िमला था जीणर-शीणर हआ टट गया िफर नया िमलगा मगलमय आतमा-परमातमा की ाि तक यह मगलमय जनम-मरण की याऽा तो चलती ही रहगी इसम िव ल होकर रोना-चीखना िनरा मोह ह अगर इस मोह को पोसा जाय और िकसी की मतय न हो तो ससार महा नरक हो जायगा माली अगर बगीच म काट-छाट न कर तो बगीचा बगीचा ही न रहगा अिपत भयानकर जगल हो जायगा

स ा न मतय का मगलमय िवधान न बनाया होता तो आदमी म तयाग सवा नता क

सदगण ही नही िखलत सब अमर होकर अिड़यल की तरह उलझ रहत रािऽ स अरणोदय अरणोदय स िफर मगलमयी रािऽ की अिनवायर आवयकता ह िवराट

की यह चणड बीड़ा तमह अपन िवराट ःवभाव म जगान क िलए आवयक ह मतय मान महायाऽा महाःथान महािनिा अतः जो मर गय ह उनकी याऽा मगलमय

हो आतमोननितद हो ऐसा िचनतन कर न िक अपन मोह और अजञान क कारण उनको भी भटकाए और खद भी परशान हो

कइयो की मतय बालयकाल म या यौवन म हो जाती ह जस मा न बचच को कपड़

पहनाए और नही जच उठा िलय िफर नय व ो स सजाया-धजाया अथवा यो कहो िक बचचा िखलौनो म रम जाता ह िखलौन नही छोड़ना चाहता परनत मगलमयी मा उस बलात उठा लती ह अपनी गोद म सलाती ह अपनी उमा सािननधय िवौािनत स उस प करक िफर नतन भात को उस खलन क िलए बीडागन म भज दती ह ऐस ही जीवातमा का बीडागन ससार ह अतः अनक शरीर बदलत हए अबदल की मगलमय याऽा करन क िलए जीवन और मतय को मगल िवधान समझकर ई र की हा म हा करत हए अपनी याऽा उननत कर

ॐॐॐ

ॐॐॐॐॐॐॐॐ

अनबम

िचतन पराग ई र का बनाया हआ त भल ही बना रह उसको िमथया समझ लन माऽ स का

बोध हो सकता ह साधक का काम त को िमथया समझन स ही चलता ह इचछाओ की ति का उपाय एक ही ह िक इचछाए तयाग दी जाए िजस िववकी न इस

जगत को सपन या इनिजाल क समान समझ िलया ह िजस दय न प म िदखन लगा ह वह दोषदश िववकी भला बताओ इसम अनराग कस कर

जञानी जागरण को सतय समझना छोड़ दन पर िफर पहल की भाित अनर नही होता

जञानी तयक वःत को अपना आतमा समझता ह मद की कलपना को बार-बार मन म लाना काम-वासना स म होन का सव म उपाय

बताया गया ह मद को पड़ हए दखकर मन घबरान लगता ह पिरणाम की कयो परवाह करत हो अपनी तनखवाह क बार म कभी िफब मत करो

अजञानी लोग समझत ह िक कायर की सफलता म कायर करन की अपकषा अिधक आननद ह इन अनधो को यह मालम ही नही ह िकसी पिरणाम स उतना सख नही िमलता िजतना काम करन स िमलता ह

अपन िवचारो को सदा वाःतिवक आतमा म रखो और पिरिःथितयो की परवाह मत करो तब तक आपकी हािन नही हो सकती जब तक िक आप ःवय उस नही बलात तलवार

तब तक नही काट सकती जब तक आप यह न सोच िक यह काटती ह ऐ पणर तर िलए कोई कतरवय या कायर शष नही ह सारी कित सास रोक तरी

सवा क िलए खड़ी ह ससार तरी पजा करन का अवसर पाकर अपन को कतकतय करना चाहता ह कया त कित की शि यो को अपन चरणो म झकन का अवसर दगा

अपन भीतर सतय क काश को सदा चमकता रखो भय और लोभन का शतान तमहार

पास नही फटकगा

बाहर की बातो म कछ भी नही मान अपमान अपना काम िकय जा िनिशिदन इसम ही सममान

दसर लोग तमहारी आलोचना िनदा करत हो उनह रोकन की च ा न करो कयोिक इनही

सब बातो क ारा तमम सदगणो की वि होगी जब तक तमहारा दय इतना दढ़ नही ह िक तम मख क बकन पर िःथर और शात बन रहो अथवा तमम इतनी सहनशीलता नही ह िक अजञानी मख को कषमा कर सको तब तक तम अपन को कही जञानी न समझ बठना

यिद तम शरीर और मन स ऊपर उठ जाओ तो सब िचनता और भयो स छट हो

जाओग िकसी भी आकिःमक दघरटना स धयर न छोड़ो कयोिक घबराहट स शि तथा बि का

नाश होता ह िकसी भी कार की किठनाइयो क आग दःिखत न होकर गमभीरतापवरक उनका सामना करो तभी तम िनःसनदह िवजय ा करोग तम कही भी हतोतसािहत होकर िनराश न होओ

ऐसी कौन-सी िवपि ह जो मरी सननता को न कर सकती ह वह कौन-सा रज ह जो

मर आननद म िव न डाल सकता ह म तो िव ाणड का भ ह म बि का भ ह िदमाग का मािलक ह और मन का शासक ह ससार मझम ह म ससार म नही आ सकता िव मझम ह म िव म नही बध

सकता सयर और नकषऽ मझम उदय और अःत होत ह दह और दिनया दोनो ई र क भीतर ह वही ई र म ह म िनिलर आतमा ह मरा जनम नही मतय नही म अजर-अमर ह म िचदाननद

आतमःव प ह म िमथया त िमथया धमर िमथया कमर िमथया और जगत िमथया और ऐसा तीत

होता ह िक म सवरःव ह म ही सवरजञ सवरगत आतमा ह अपना साकषी ह कदािप उन नाम पो म फसा नही ह

म िवश ह असखय ाणड मझम पड़ ह म असःपयर ह मरा ःव प िनिलर ह

मझ दःख स कोई भय नही ह मझ समय की जरा भी िचनता नही आतमाननद वाल को भय और आशका कसी

िकसी भी डर को अपन पास मत फटकन दो लोग यिद तमहार बराई करत ह तो तम उनह आशीवारद दो ऐस ःथान पर जाओ जहा

लोग तमस घणा कर तम तो म हो पहल स ही म हो सवरदा कहोः म सदा आननदःव प ह म

म ःवभाव ह म अननत ःव प ह मरी आतमा का आिद और अनत नही ह सभी मर आतमःव प ह

सननतापवरक अपमान सहन करन स और नता धारण करन स अिभमान की िनवि

होती ह िकसी पिवऽ ःथान पर जाओ तो वहा क अनशासन का पालन करो वहा चपपलो की

चटाक-पटाक आभषणो की खनखनाहट भड़कील व ो की फरफराहट आिद हमस न हो इसका परा धयान रखो कही भी िकसी क भी िच को या शात वातावरण को अशात करन का हम कोई अिधकार नही ह

अपन िकसी भी दःख या अशाित का कारण बाहर मत ढढो बाहर की पिरिःथितयो या

वयि यो को दोष मत दो कारण अपन भीतर ढढो िनद ष भाव स ढढोग तो कारण भीतर ही िमल जायगा उस दर करन की च ा करो शातिच रहन का यही बहमलय उपाय ह

जो आतम-अनशािसत ह व ही शासन कर सकत ह ऐसा करन क िलए नाम-जप कर

धयान कर िकसी आतमिन सत का पावन सािननधय ा कर सब तरह स िनभरय एव सनन बनन का यह ौ साधन ह

िवन बनो िनरहकारी बनो अपन आपको बड़ा बतान की च ा न करो िवनता एव

िनरािभमानता ही तमह बड़ा बनायगी िवनता मनय का बहत बड़ा भषण ह िनमरल दि रखो िकसी क दोष दखना यह बहत बड़ा दगरण ह िछिानवषी न बनो

दसरो क दोष दखना पाप अजरन करना ह गणमाही बनो

ॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐ

अनबम

  • मगलमय जीवन-मतय
  • मतय क परकार
  • मतय भी जीवन क समान आवशयक
  • सिकनदर न अमत कयो नही पिया
  • बिना मतय को जान जीवन जीवन नही
  • मतय किसकी होती ह
  • भगवान शरीराम और तारा
  • मतयः कवल वसतर परिवरतन
  • फकीरी मौतः आननदमय जीवन का दवारः
  • यमराज और नचिकताः
  • सचच सत मतय का रहसय समझात ह
  • मतयः एक विशरानति-सथानः
  • वासना की मतय क बाद परम विशरानति
  • धतराषटर का शोकः
  • घाटवाल बाबा का एक परसग
  • फकीरी मौत ही असली जीवन
    • फकीरी मौत कया ह
      • सकरात का अनभव
      • आधयातमविदयाः भारत की विशषताः
      • तीन परकार क लोगः
      • जञान को आय स कोई निसबत नही
      • योगसामरथयः एक परतयकष उदाहरण
      • योग भी साधना का आखिरी शिखर नही
      • गणातीत सत ही परम निरभयः
      • सतो का सनदशः
      • चितन पराग

सचच सत मतय का रहःय समझात ह ठ क इसी कार वह यवा साध उन व सत स कहता हः मझ य नोटो क बडल नही

चािहए आप यिद मझ कछ दना ही चाहत ह तो मझ मौत दीिजए म जानना चाहता ह िक मौत कया ह मन सना ह िक सचच सत मरना िसखात ह म उस मौत का अनभव करना चाहता ह

वःततः सत मरना िसखात ह इसीिलए तो लोग रोत हए बचचो को चप करान क िलए

कहत ह - रो मत चप हो जा नही तो वह दख बाबा आया ह न वह पकड़कर ल जायगा भल ही लोग अजञानतावश बाबाओ अथवा सतो स बचचो को डरात हए कहत ह िक व ल जायग परनत िजनको सचच सत ल जात ह अथवा जो उनका हाथ पकड़ लत ह व तर जात ह सचच सत उनको सब भयो स म कर दत ह और उनको ऐस पद पर िबठा दत ह िक िजसक आग ससार क सार भोग-वभव धन-समपि पऽ-पौऽ यश-ित ा सब तचछ भािसत होत ह परनत ऐस सचच सत िमलन दलरभ ह और दढ़ता स उनका हाथ पकड़न वाल भी दलरभ ह िजनहोन ऐस सतो का हाथ पकड़ा ह व िनहाल हो गय

उस यवा साध न भी ऐस ही सत का हाथ पकड़ा था मौत को जानन की उसकी बल

िजजञासा को दखकर व व सत बोल उठः अर यह कया मागता ह यह भी कोई मागन की चीज ह ऐसा कहकर उनहोन यवा साध को थोड़ी दर इधर-उधर की बातो म लगाया और मौका दखकर उसको एक तमाचा मार िदया यवक की आखो क सामन जस िबजली चमक उठ हो ऐसा अनभव हआ और दसर ही कषण उसका ःथल शरीर भिम पर लट गया उसका सआम शरीर दह स अलग होकर लोक-लोकानतर की याऽा म िनकल पड़ा लोग िजसको मतय कहत ह ऐसी घटना घट गई

ातःकाल हआ रात भर आननदमय मतय क ःवाद म डब हए उस यवा साध क ःथल

शरीर को िहलाकर व सत न कहाः बटा उठ सबह हो गई ह ऐस कब तक सोता रहगा यवा साध आख मलता हआ सननवदन उठ बठा िजसको मतय कहत ह उस मतय को

उसन दख िलया अहा कसा अदभत अनभव उसका दय कतजञता स भर उठा वह उठकर फकीर क चरणो म िगर पड़ा

लोग कहत ह िक मरना दःखद ह और इसीिलए मौत स डरत ह िजनको ससार म मोह

ह उनक िलए मौत भयद ह परनत सतो क िलए मोह रिहत आतमाओ क िलए ऐसा नही ह

अनबम

मतयः एक िवौािनत-ःथानः मौत तो एक पड़ाव ह एक िवौािनत-ःथान ह उसस भय कसा यह तो कित की एक

वयवःथा ह यह एक ःथानानतर माऽ ह उदाहरणाथर जस म अभी यहा ह यहा स आब चला जाऊ तो यहा मरा अभाव हो गया परनत आब म मरी उपिःथित हो गई आब स िहमालय चला जाऊ तो आब म मरा अभाव हो जायगा और िहमालय म मरी हािजरी हो जायगी इस कार म तो ह ही माऽ ःथान का पिरवतरन हआ

तमहारी अवःथाए बदलती ह तम नही बदलत पहल तम सआम प म थ िफर बालक

का प धारण िकया बालयावःथा छट गई तो िकशोर बन गय िकशोरावःथा छट गई तो जवान बन गय जवानी गई तो व ावःथा आ गई तम नही बदल परनत तमहारी अवःथाए बदलती ग

हमारी भल यह ह िक अवःथाए बदलन को हम अपना बदलना मान लत ह वःततः न

तो हम जनमत-मरत ह और न ही हम बालक िकशोर यवा और व बनत ह य सब हमारी दह क धमर ह और हम दह नही ह सतो का यह अनभव ह िकः

मझ म न तीनो दह ह तीनो अवःथाए नही मझ म नही बालकपना यौवन बढ़ापा ह नही जनम नही मरता नही होता नही म बश-कम म ह म ह ितह काल म ह एक सम

मतय नवीनता को जनम दन म एक सिधःथान ह यह एक िवौाम ःथल ह िजस

कार िदन भर क पिरौम स थका मनय रािऽ को मीठ नीद लकर दसर िदन ातः नवीन ःफितर लकर जागता ह उसी कार यह जीव अपना जीणर-शीणर ःथल शरीर छोड़कर आग की याऽा क िलए नया शरीर धारण करता ह परान शरीर क साथ लग हए टी बी दमा कनसर जस भयकर रोग िचनताए आिद भी छट जात ह

वासना की मतय क बाद परम िवौािनत ःथल शरीर स सआम शरीर का िवयोग िजसको मतय कहा जाता ह वह िवौाम-ःथल तो

ह परनत पणर िवौाित उसम भी नही ह यह फकीरी मौत नही ह फकीरी मौत तो वह ह िजसम सारी वासनाए जड़ सिहत भःम हो जाए भीतर यिद सआम वासना भी बची रही तो जीव िफर स नया शरीर धारण कर लगा और

िफर स सख-दःख की ठोकर खाना चाल कर दगा िफर स वहीः

पनरिप जनन पनरिप मरण पनरिप जननी जठर शयनम

अनबम

धतरा का शोकः करकषऽ क य म दय धन सिहत जब सार पऽ मार गय तो धतरा खब दःखी हए और

िवदर स कहन लगः कण और पाडवो न िमलकर मर सब पऽो का सहार कर िदया ह इसका दःख मझस सहन नही होता एक एक कषण वयतीत करना मझ वष जसा लमबा लग रहा ह

िवदर धतरा को समझात हए कहत ह - जो होना होता ह वह होकर ही रहता ह आप

वयथर म शोक न करो आतमा अमर ह उसक िलए मतय जसी कोई चीज नही ह इस शरीर को छोड़कर जो जाता ह वह वापस नही आता इस बात को समझकरः राम राख तम रिहय ह भाई शोक न करो

परनत धतरा का शोक कम नही हआ वह दढ़तापवरक कहन लगाः तम कहत हो वह

सब समझता ह िफर भी मरा दःख कम नही हो ता मझ अपन पऽो क िबना चन नही पड़ रहा ह पलभर को भी िच शात नही रहता

अजञानी सोचता ह िक िजस कार म चाहता ह उसी कार सब हो जाय तो मझ सख

हो यही मनय का अजञान ह शा और सतो का िकतना ही उपदश सनन को िमल जाय तो भी वह अपनी मानयताओ

का मोह सरलता स छोड़न को तयार नही होता िवदर का धमरय उपदश धतरा को सानतवना नही द सका धतरा शा ो स िबलकल अनिभजञ था ऐसी बात नही थी िफर भी उसका शा जञान उस पऽो क मोह स म नही कर सका

अनबम

घाटवाल बाबा का एक सग हिर ार म घाटवाला बाबा क नाम स िस एक महान सत रहत थ बहत सीध -साद

और सरल कमर म कतान (टाट) लपट रहत थ ऊपर स िदखन म िभखारी जस लगत मगर भीतर स साट थ उनक पास एक वयि आया और बोलाः महाराज मझ शाित चािहए

महाराज न पहल उस धयान स दखा िफर कहाः शाित चािहए तो तम गीता पढ़ो

यह सनकर वह च ककर बोलाः गीता गीता तो म िव ािथरयो को पढ़ाता ह म कालज म ोफसर ह गीता मरा िवषय ह गीता म कई बार पढ़ चका ह उस पर तो मरा काब ह

महाराज बोलः यह ठ क ह अब तक तो लोगो को पढ़ाकर पसो क लाभ क िलए गीता

पढ़ी होगी अब मन को िनयिऽत करक शाित लाभ क िलए पढ़ो लोग शा ो म स सचनाए और जानकािरया इक ठ करक उस ही जञान मान लत ह

दसरो को भािवत करन क िलए लोग शा ो की बात करत ह उपदश दत ह परनत उनह अपन आपको कोई अनभित नही होती मतय क िवषय म भी लोग िव तापणर वचन कर सकत ह मतय स डरन वालो को आ ासन और धयर द सकत ह परनत मौत जब उनही क सममख साकषात आकर खड़ी होती ह तो उनकी रग -रग काप उठती ह कयोिक उनको फकीरी मौत का अनभव नही

कई लोग कहत ह िक जीवन और मौत अपन हाथ म नही ह परनत यह उनक िलए

ठ क ह िजनको आधयाितमक रहःय का पता नही जो ःवय को शरीर मानत ह दीन-हीन मानत ह परनत योगी जानत ह िक जीवन और मतय इन दोनो पर मनय का अिधकार ह इस अिधकार को ा करन की तरकीब भी व जानत ह कोई िहममतवान जानन को ततपर हो तो व उस बता भी सकत ह व तो खललमखलला कहत ह िक यिद रोत-कलपत हए मरना हो तो खब भोग-भोगो िकसी की परवाह न करत हए खब खाओ िपयो और अमयारिदत िवषय-सवन करो ऐसा जीवन आपको अपन आप मौत की ओर शीयता स आग बढ़ा दगा परनत

यिद मौत पर िवजय ा करनी हो जीवन को सही तरीक स जीना हो तो योिगयो क

कह अनसार करो ाणायाम करो धयान करो योग करो आतमिचनतन करो और ऐसा कोई योगी डॉकटरो क सामन आकर दय की गित बनद करक बता दता ह तो वह बात भी लोगो को

बड़ी आ यरजनक लगती ह लोगो क टोल क टोल उसको दखन क िलए उमड़ पड़त ह परनत यह भी कोई योग की पराका ा नही ह

फकीरी मौत ही असली जीवन इितहास म जञान र महाराज और योगी चागदव का सग आता ह वह तो आप लोग

जानत ही होग चागदव न मतय को चौदह बार धोखा िदया था अथारत जब -जब मौत का समय आता तब-तब चागदव योग की कला स अपन ाण ऊपर चढ़ाकर मौत टाल िदया करत थ ऐसा करत-करत चागदव न अपनी उ 1400 वषर तक बढ़ा दी िफर भी उनको आतमशािनत नही िमली फकीरी मौत ही आतमशाित द सकती ह और इसीिलए चागदव को आिखर म जञान र महाराज क चरणो म समिपरत होना पड़ा

अनबम

फकीरी मौत कया ह

फकीरी मौत ही असली जीवन ह फकीरी मौत अथारत अपन अह की मतय अपन जीवभाव की मतय म दह ह म जीव ह इस पिरिचछनन भाव की मतय

ःथल शरीर स सआम शरीर का िवयोग यह कोई फकीरी मौत नही ह अगर वासना शष

हो तो सआम शरीर बार-बार ःथल शरीर धारण करक इस ससार म जनम-मरण क दःख पणर चककर म भटकता रहता ह

जब तक फकीरी मौत नही हो तब तक चागदव की तरह चौदह बार कया चौदह हजार

बार भी ःथल शरीर को बचाय रखा जाय तो भी परम शाित क िबना यह बकार ह लाबधवा जञान परा शाित आतमजञान स ही परम शाित िमलती ह इसी कारण चागदव को फकीरी मौत सीखन क िलए जञान र महाराज क पास आना पड़ा था 1400 वषर का िशय और 22 वषर क गर यही जञान का आदर करन वाली भारतीय सःकित ह जञान स उ को कोई समबनध नही ह

हम तो जीवन म पग-पग पर छोटी-मोटी पिरिःथितयो स घबरा उठत ह ऐसा भयभीत

जीवन भी कोई जीवन ह यह तो मौत स भी बदतर ह इसीिलए कहता ह िक असली जीवन जीना हो िनभरय जीवन जीना हो तो फकीरी मौत को एक बार जान लो

फकीरी मौत अथारत अपन अमरतव को जान लना फकीरी मौत अथारत उस पद पर आ ढ़ हो जाना जहा स जीवन भी दखा जा सक और मौत भी दखी जा सक जहा स ःप प स िदख िक सख-दःख आय और गय बालयावःथा यवावःथा और व ावःथा आई और गई परनत य सब शरीर स ही समबिनधत थ मझ तो व ःपशर तक नही कर सक म तो असग ह अमर ह मरा तो जनम भी नही मतय भी नही

सकरात का अनभव सकरात को जब जहर िदया जान लगा तो उसक िशय रोन लग कयोिक उनको यह

अजञान था िक सकरात अब बचग नही मर जायग सकरात न कहाः अर तम रोत कयो हो अब तक मन जीवन दखा अब मौत को दखगा यिद म मर

जाऊगा तो आज नही तो कल मरन ही वाला था इसिलए रोन की कया ज रत ह और यिद मरत हए भी नही मरा कवल शरीर स ही िछनन-िभनन हआ तो भी रोन की कया ज रत

सकरात न िबना िहचिकचाहट क राजी-खशी स जहर का पयाला पी िलया और िशयो स

कहाः दखो यह रोन का समय नही ह बहत ही महतवपणर बात समझन का समय आया ह

मर शरीर पर जहर का भाव होन लगा ह पर सनन होत जा रह ह घटनो तक जड़ता वया हो गई ह जहर का असर बढ़ता जा रहा ह मर पर ह िक नही इसकी अनभित नही हो रही ह अब कमर तक का भाग सवदनहीन बन गया ह

इस कार सकरात का सारा शरीर ठडा होन लगा सकरात न कहाः अब जहर क भाव स हाथ पर छाती जड़ हो गई ह थोड़ी ही दर म मरी िज ा भी

िनःपद हो जायगी उसस पहल एक मह वपणर बात सन लो जीवन म िजसको नही जान सका उसका अनभव हो रहा ह शरीर क सब अग एक क एक बाद एक िनःपद होत जा रह ह परनत उसस मझम कोई फकर नही पड़ रहा ह म इतना ही पणर ह िजतना पहल था शरीर स म ःवय को अलग असग महसस कर रहा ह अब तक जस जीवन को दखा वस ही अभी मौत को भी दख रहा ह यह मौत मरी नही बिलक शरीर की ह

अनबम

आधयातमिव ाः भारत की िवशषताः सकरात तो शरीर छोड़त-छोड़त अपना अनभव लोगो को बतात गय िक शरीर की मतय

यह तमहारी मतय नही शरीर क जात हए भी तम इतन क इतन ही पणर हो परनत भारत क ऋिष तो आिद काल स कहत आय ह-

शणवनत िव अमतःय पऽा

आ य धामािन िदवयािन तःयः वदाहमत परष महानतम

आिदतयवण तमसः परःतात तमव िविदतवाऽितमतयमित नानयः पनथा िव तऽयनाय

ह अमतपऽो सनो उस महान परम परषो म को म जानता ह वह अिव ा प अधकार

स सवरथा अतीत ह वह सयर की तरह ःवयकाश-ःव प ह उसको जानकर ही मनय मतय का उललघन करन म जनम-मतय क बधनो स सदव क िलए छटन म समथर होता ह परम पद की ाि क िलए इसक अितिर कोई दसरा मागर नही ह

( ता तरोपिनषद) यह कोई वद-उपिनषद काल की बात ह उस समय क ऋिष चल गय और अब नही ह

ऐसी बात नही ह आज भी ऐस ऋिष और ऐस सत ह िजनहोन सतय की अनभित की ह अपन अमरतव का अनभव िकया ह इतना ही नही बिलक दसरो को भी इस अनभव म उतार सकत ह रामकण परमहस ःवामी िववकाननद ःवामी रामतीथर महिषर रमण इतयािद ऐस ही त वव ा महापरष थ और आज भी ऐस महापरष जगलो म और समाज क बीच म भी ह यहा इस ःथान पर भी हो सकत ह परनत उनको दखन की आख चािहए इन चमरचकषओ स उनह पहचानना मिकल ह िफर भी िजजञास और ममकष वि क लोग उनकी कपा स उनक बार म थोड़ा सकत यह इशारा पा सकत ह

अनबम

तीन कार क लोगः ऐस सतो क पास तीन कार क लोग आत ह- दशरक िव ाथ और साधक

दशरक अथारत ऐस लोग जो कवल दशरन करन और यह दखन क िल ए आत ह िक सत कस ह कया करत ह कया कहत ह उपदश भी सन तो लत ह पर उसक अनसार कछ करना ह इसक साथ उनका कोई समबनध नही होता आग बढ़न क िलए उनम कोई उतसाह नही होता

िव ाथ अथारत व जो शा एव उपदश समबनधी अपनी जानकारी बढ़ान क िलए आत ह

अपन पास जो जानकारी ह उसम और वि होव तािक दसरो को यह सब सनाकर अपनी िव ा की छाप उन पर छोड़ी जा सक दसरो स सना याद रखा और जाकर दसरो को सना िदया जस ग स शानसपोटर कमपनी ाईवट िलिमटड- यहा का माल वहा और वहा का माल यहा लाना और ल जाना ऐस लोग भी त व समझन क मागर पर चलन का पिरौम उठान को तयार नही

तीसर कार क लोग होत ह साधक य ऐस लोग होत ह िक जो साधनामागर पर चलन

को तयार होत ह इनको जसा बताया ह वसा करन को पणर प स किटब होत ह अपनी सारी शि उसम लगान को ततपर होत ह उसक िलए अपना मान-सममान तन-मन-धन सब कछ होम दन को तयार होत ह सत क ित और अपन धयय क ित इनम पणर िन ा होती ह य लोग फकीर अथवा सत क सकत क अनसार लआय की िसि क िलए साहसपवरक चल पड़त ह

िव ाथ अपन वयि तव का ौगार करन क िलए आत ह जबिक साधक वयि तव का िवसजरन करन क िलए आत ह साधक अपन लआय की तलना म अपन वयि तव या अपन अह का कोई भी मलय नही समझत जबिक िव ाथ क िलए अपना अह और वयि तव का ौगार ही सब कछ ह अपनी िव ता म वि जानकारी को बढ़ाना वयि तव को और आकषरक बनाना इसी म उस सार िदखता ह त वानभित की तरफ उसका कोई धयान नही होता

यही कारण ह िक सतो क पास आत तो बहत लोग ह परनत साधक बनकर वही िटक

कर त व का साकषातकार करन वाल कछ िवरल ही होत ह

जञान को आय स कोई िनःबत नही िजसन फकीरी मौत को जान िलया हो अथारत िजस आतमजञान हो गया हो वह शरीर की

दि स कम उ का हो परनत उसक आग लौिकक िव ा म वीण और अिधक वय क सफद दाढ़ी-मछ वाल लोग भी बालक क समान होत ह इसीिलए योगिव ा म वीण 1400 वषर क चागदव को कम उवाल जञान र महाराज क चरणो म समिपरत होना पड़ा था ाचीन काल म ऐस कई उदाहरण दखन म आत ह

िचऽ वटतरोमरल व ाः िशया गरयरवा

गरोःत मौन वयाखयान िशयाःतिचछननसशयाः अथारत यह कसा विच य ह िक वटवकष क नीच यवा गर और व िशय बठ ह गर

ारा मौन वयाखयान हो रहा ह और िशयो क सब सशयो और शकाओ का समाधान होता जा रहा ह

अनबम

योगसामथयरः एक तयकष उदाहरण अपन मोटरा आौम म भी ऐस ही करीब स र वषर क सफद बाल वाल एक साधक ह

पहल डीसा म व एक सत क पास गय गय तो थ दशरक बनकर ही परनत सत की दि पड़त ही व दशरक म स साधक बन गय म कछ वषर पवर डीसा क आौम म था तब व मर पास आय थ पकी हई उ म भी व 18 वषर की उ की एक बाला क साथ बयाह रचान की तयारी म थ और आशीवारद मागन हत वहा आय थ उनको दखकर ही मर मह स िनकल पड़ाः

अब तमहारी शादी ई र क साथ कराएग यह सनकर उनको बड़ा आ यर हआ कयोिक न तो व मझ पहल स जानत थ और न ही

म उनह जानता था उस व उनका शरीर भी कसा था चरबी और कफ-िप स ठसाठस भरा हआ एकदम ःथल दमा आिद रोगो का िशकार डीसा म कपड़ क बड़ वयापारी थ धप म िबना छाता िलए दकान स नीच नही उतर पात थ कित ऐसी थी िक िकसी भी सत महातमा को नही गाठ और काम-वासना भीतर इतनी भरी हई थी िक आग की दो पि या शरीर छोड़ चकी थी िफर भी इस उ म तीसरी शादी करन को तयार थ प ी िबना एक िदन भी नही रह सकत थ

घर पहचन पर उनको पता चला िक उनक अनदर जो काम -िवकार का तफान आया था

वह एकदम शात हो गया ह भिवय म प ी बनन वाली उस कमारी क साथ एकात म अनक च ाए करक भी व उस काम-िवकार को पनः नही जगा सक इतना बल िवकार एकाएक कहा चला गया िफर उनको समझ म आया िक सत की ई रीय अहत की कपा उनम उतरी ह उनको सारा ससार सना-सना लगन लगा उनहोन तरनत ही उस कमारी यवती को कछ पय और कपड़ िदय और बटी कहकर रवाना कर िदया उसक बाद उनहोन आसन ाणायाम गजकरणी नित धोित आिद िबयाए सीख ली और िनयिमत प स करन लग इसस उनक शरीर क सार परान कफ-िप -दमा आिद दर हो गय और शरीर म स आवयकता स अिधक चब घटकर शरीर हलका फल जसा हो गया अब तो जवानो क साथ दौड़न की भी ःपधार करत

ह धयानयोग की साधना म उनहोन इतनी गित की ह िक उनको कई कार क अलौिकक अनभव हआ करत ह अपन सआम शरीर ारा व लोक -लोकानतर म घम आया करत ह

योग भी साधना का आिखरी िशखर नही यह भी साधना की कोई आिखरी भिमका नही ह सव चच िशखर नही ह यह भी सब

माया की सीमा म ही ह िफर चमर-चकषओ स दखो अथवा धयान म बठकर दखो कयोिकः

यद दय तद अिनतयम जो िदखता ह वह अिनतय ह जो िदख सो चालनहार चागदव भी योग म कशल थ

काल को कई बार धोखा द चक थ परनत माया को धोखा न द सक व भी साि वक माया म थ माया स पर नही थ

माया ऐसी ठिगनी ठगत िफरत सब दश जो ठग या ठिगनी ठग वा ठग को आदश

कोई िवरल सत ही इस माया को ठग सकत ह माया स पार जा सकत ह बाकी क

लोगो का तो यह माया न र म ही शा त का आभास करा दती ह अिःथरता म िःथरता िदखा दती ह ऐसी मोिहना माया क िवषय म ौी कण कहत ह-

दवी षा गणमयी मम माया दरतयया मामव य प नत मायामता तरिनत त

मरी यह अदभत िऽगणमयी माया का तरना अतयनत दकर ह परनत जो मरी शरण म

आत ह व तर जात ह (गीता)

अनबम

गणातीत सत ही परम िनभरयः ऐसी दःतर माया को जो सत अथवा फकीर तर जात ह और मौत की पोल जान जात ह

व कहत ह- एक ऐसी जगह ह जहा मौत की पहच नही जहा मौत का कोई भय नही िजसस मौत भी भयभीत होती ह उस जगह म हम बठ ह तम चाहो तो तम भी बठ सकत हो

तमहार म एक ऐसा चतन ह जो कभी मरता नही िजसन मौत कभी दखी ही नही जो जीवन और मौत क समय पिरवतरन को दखता ह परनत उन सबस पर ह

यिद घड़ म आया हआ चनिमा का ितिबमब घड़ क पानी को उबलता हआ जानकर यह

मान की म उबल रहा ह पानी िहल तो समझ िक म िहलता ह घड़ा फट गया तो समझ िक म मर गया तो यह उसका अजञान ह परनत उसको यह पता चल जाय िक पानी क उबलन स म नही उबलता पानी क िहलन स म नही िहलता म तो वह चनिमा ह जो हजारो घड़ो म चमक रहा ह िकतन ही घड़ टट -फट गय परनत म मरा नही मरा कछ भी िबगड़ा नही म इन सबस असग ह तो वह कभी दःखी नही होगा

इसी कार हम यिद अपन असगपन को जान ल अथारत म शरीर-मन-बि नही अिपत

आतमा ह- यह हम जान ल तो िफर िकतन ही दह पी घड़ बन और टट -िबखर िकतनी ही सि या बन और उनका लय हो जाय हमको कोई भय नही होगा कयोिक आतमा का ःवभाव हः

न जायत ियत वा कदािचननाय भतवा भिवता वा न भयः अजो िनतयः शा तोऽयपराणो न हनयत हनयमान शरीर

यह आतमा िकसी काल म भी न तो जनमता ह और न मरता ही ह तथा न यह उतपनन

होकर िफर होन वाला ही ह कयोिक यह अजनमा िनतय सनातन और परातन ह शरीर क मार जान पर भी यह नही मारा जाता

(भगवदगीताः 223) अनबम

सतो का सनदशः िजन सतो न यह रहःय जान िलया ह जो इस अमतमय अनभव म स गजर चक ह व

सब भयो स म हो गय ह इसीिलए व अपनी अनभविस वाणी म कहत ह- अपन आतमदव स अपिरिचत होन क कारण ही तम अपन को दीन-हीन और दःखी

मानत हो इसिलए अपनी आतम-मिहमा म जाग जाओ यिद अपन आपको दीन ही मानत रह तो रोत रहोग ऐसा कौन ह जो तमह दःखी कर सक तम यिद न चाहो तो दःख की कया मजाल ह िक तमह ःपशर भी कर सक अननत-अननत ाणड को जो चल रहा ह वह चतन तमहार भीतर चमक रहा ह उसकी अनभित कर लो वही तमहारा वाःतिवक ःव प ह

मनसर को सली पर चढ़ा िदया गया था परनत उनको सली का कोई भय नही था सली

का क उनको ःपशर भी नही कर सका कयोिक मनसर अपनी मिहमा म जग हए थ व यह जान चक थ िक म शरीर नही ह सली शरीर को लग सकती ह मझ नही इसिलए व हसत-हसत सली पर चढ़ गय थ

हम ही जानबझकर अपनी सननता की अपन सख-दःख की चाबी दसरो क हाथो म

स प दत ह कोई थोड़ा हस दता ह तो हम बोिधत हो उठत ह कोई थोड़ी शसा कर दता ह तो हषर स फल उठत ह कयोिक हम अपन को सीिमत पिरिचछनन शरीर या मन ही मान बठ ह

हम अपन वाःतिवक ःव प अपनी असीम मिहमा को नही जानत नही तो मजाल ह

िक जगत क सार लोग और ततीस करोड़ दवता भी िमलकर हम दःखी करना चाह और हम दःखी हो जाय जब हम ही भीतर स सख अथवा दःख को ःवीकित दत ह तभी सख अथवा दःख हमको भािवत करता ह सदव सनन रहना ई र की सव परी भि ह

ःवामी रामतीथर कहा करत थ िक कोई यिद तमहारी सननता छ नकर उसक बदल म

तमको ःवगर का फिरता भी बनाना चाह तो फिरतापद को ठोकर मार दो मगर अपनी सननता मत बचो

हम इस जीवन और मतय का कई बार अनभव कर चक ह सत कहत ह- तमहारा न तो जीवन ह और न ही मतय ह तम जीव नही तम िशव हो तम अमर

हो तम अननत अनािद सिचचदाननद परमातमा हो यिद इस जनम-मरण क खल स थक चक हो इनक खोखल पन को जान चक हो इसक असारपन स पिरिचत हो चक हो तो िकसी सत क सािननधय का लाभ उठाकर फकीरी मौत को जान लो िफर तमह कोई दःख कोई मतय भयभीत नही कर सकगी िफर िजस आना हो वह आव जाना हो वह चला जाव सख आव तो आन दो दःख आव तो आन तो जो आयगा वह जायगा तम द ा बनकर दखत रहो तम अपनी मिहमा म मःत रहो

मौत स भी मौत का भय बदतर ह भय म स ही सार पाप पदा होत ह भय ही मतय

ह लोग पछत ह- ःवामी जी आतम-साकषातकार हो जाता ह िफर उसक बाद कया होता

ह होता कया ह हम अपन ःव प म जाग जात ह उसक बाद हमस जो भी वि होती ह वह आननदमय ही होती ह ससार की कोई भी दःखपणर घटना हमको दःखी नही कर सकती

िफर यह शरीर रह या न रह हमार आननद म कोई अनतर नही पड़ता उस आननदःव प अपन आतमदव को जानना-यही जीवन का परम कतरवय ह परनत इस परम कतरवय की ओर मनय का धयान जाता नही और छोटी-मोटी तचछ वि यो म ही अटका रह जाता ह

हम कही याऽा म िनकलत ह तो राःत क िलए िटिफन भरकर भोजन साथ ल लत ह

भोजन स भी अिधक महतव पानी का ह परनत उसक िलए सोच लत ह िक चलो ःटशन पर भर लग घर स पानी लकर चलन की िचनता नही करत पानी स भी यादा ज री हवा ह उसक िबना तो एक िमनट भी नही चलता िफर भी हवा का कोई िसलनडर भरकर साथ नही लत कयोिक हम सब जानत ह िक वह तो सवरऽ ह इसिलए हवा क िलए हम कोई िचनता नही करत

हवा स कम ज री पानी क िलए पानी स कम ज री भोजन क िलए हम यादा िचनता करत ह उसी कार अपन आननदःव प आतमा म जागन क परम कतरवय को छोड़कर कम महतव क ःथल शरीर क लालन पालन एव उसस सबिधत वयवहार को सभालन म ही हम लग रहत ह शरीर असत जड़ और दःख प ह उसको चलान वाला सआम भतो स िनिमरत सआम शरीर ह उसको भी चतन स ा दन वाला सत-िचत-आननदःव प आतमा ह इस आननद-ःव प आतमा को असत-जड़ दःख प और मरणधमार समझकर जीवनभर मौत क भय स भयभीत बन रहत ह

अनत परमातमा म न तो उतथान ह न पतन न जनम ह न मरण वहा तो सब एकरस

ह हम ही मोहवश अपना ससार खड़ा कर लत ह और एक दसर क साथ सबध बनाकर अपन को जानबझकर बधन म डाल दत ह

एक सत क पास एक स जन का पऽ आया उसम िलखा थाः ःवामी जी आपक

आशीवारद स हमार यहा पऽ का जनम हआ ह सत न उ र म उस िलखा िकः तम झठ बोलत हो िफर जब स जन सत क पास गया तब कहा िकः ःवामी जी म सच कहता ह मर यहा पऽ का जनम हआ ह इस पर सत न िफर स कहा िकः तम झठ बोलत हो यह सनकर उन स जन को बड़ा आ यर हआ वह िवःफािरत नऽो स सत की ओर दखन लगा तब सत न कहाः

पऽ का जनम नही हआ िपता का जनम हआ ह माता का जनम हआ ह काका-मामा

का जनम हआ ह पऽ को तो खबर ही नही ह िक मरा जनम हआ ह और म िकसी का पऽ भी ह परनत हम उस पर सार समबनध आरोिपत कर दत ह

वःततः पचभतो म कोई आकार बना ह उस पऽ का नाम द िदया समय आन पर यह आकार िबखर जायगा यह आकार बन उसम हषर और यह आकार िबखर जाय उसम शोक कसा भय कसा

िजस शरीर को हम म मानत ह उसकी कित तो दखो िपया तो था अमत जसा

मीठा जल और िनकाला मऽ प म गदा पानी खाय तो थ मोहनथाल दधपाक छपपन भोग पर बन गया सब िव ा प शरीर का सग करन पदाथर की ऐसी अवःथा बन जाती ह सत-िचत-आननदःव प आतमा भी अपन को भलकर शरीर क साथ एक होकर ःवय को म शरीर मान लती ह और दीन हीन एव दःखी बन जाती ह परनत जब वह अपन आपम जाग जाती ह तब अपन को दवो का दव अनभव करती ह

यिद हमन शरीर क साथ अहबि की तो हम म भय वया हो ही जायगा कयोिक शरीर

की मतय िनि त ह उसका पिरवतरन अवयभावी ह उसको तो ःवय ाजी भी नही रोक सकत परनत यिद हमन अपन आतमःव प को जान िलया ःव प म हमारी िन ा हो गई तो हम िनभरय हो गय कयोिक ःव प की मतय होती नही मौत भी उसस डरती ह

ःवामी अखणडाननद सरःवती एक बार रल क तीसर दज म याऽा कर रह थ व यह

जानना चाहत थ िक तीसर दज म लोगो ारा िकय जान वाल मान-अपमान का भाव उनक िदल पर होता ह िक नही आतमिनरीकषण स उनह पता चला िक भाव तो होता ह यह बात उनहोन ौी उिड़या बाबा को बतायी उिड़या बाबा न कहाः

तम बठत ही कचर क ढर पर हो आशा करत हो िक मझ पर कोई कचरा न फ क मझ

कचर की दगरनध न आव यह कस हो सकता ह तम बठत हो शरीर म और आशा रखत हो िक मान-अपमान का असर न हो ःवय को शरीर माना तो मान-अपमान सख-दःख होगा और जनम-मतय भी होगी

वदानत क रहःय को समझना यह कोई ि यो का काम नही ह ी अथारत कित क

शरीर क म मानकर जीनवाला एक बार राजा जनक िव ानो की सभा म बठ थ उस सभा म गाग आई वह िबलकल

िदगमबर (न न) थी ऐसी अवःथा म सभा म गाग का वश पिडतो को रचा नही इसिलए उनहोन नाक-भ िसकोड़ िलया परषो स भरी सभा म एक न न ी

गाग बोलीः ऐ पिडतो नाक भ कयो िसकोड़त हो

पिडतो न कहाः तम एक अबला ऐसी अवःथा म परषो की सभा म जो आई हो

गाग तरनत बोलीः कौन कहता ह िक म अबला ह म सबला ह अबला तो तम हो जो अपना रकषक बाहर ढढत हो म अपना रकषक आप ह म यह शरीर नही ह म तो सत -िचत-आननदःव प आतमा ह म अपन आपको जानती ह

िजसको जानकर गाग िनभरय बन गई थी उस आननदःव प अपन आतमदव को जो

जान लता ह उसी म िःथत हो जाता ह वह जीवन और मौत दोनो स पर दोनो का द ा बन जाता ह उस िफर कोई भय नही रहता वह सदव आननद म मःत रहता ह

मरो मरो सब कोई कह मरना न जान कोई एक बार ऐसा मरो िक िफर मरना न होई

मगलमय जीवन मगलमय िववाह मगलमय सबध उस परम मगल चतनय क कारण ही

हो सकत ह न िक शि शरीर क बा प-रग पर िवमोिहत होन स महाराज जी क पास आकर एक मिहला कहन लगीः मर पित ःवगरःथ हो गय ह

उनका िवयोग सहा नही जाता ऐसा कोई उपाय बताओ िक उनका िहत हो और मझ शाित िमल

दसरा एक वयि आया और बोलाः मरी प ी मझ अकला छोड़कर चल बसी ह

तीसर न कहाः मरा बटा ःवगरःथ हो गया ह उसकी मीठ याद आती ह मर मन म आता ह िक उसक पीछ म भी आतमहतया करक मर जाऊ बाबा जी शािनत का कछ उपाय बताइय

महाराज जी न कहाः ह भि मिहला पित की याद आय तो उनह खब आदरपवरक कहोः

मरणधमार शरीर म होत हए भी आप अमर थ शरीर क मरन पर भी आप नही मर दह न र ह आप शा त हो चतनय हो आप परम र का अिवनाशी अश हो जनम-मतय आपका धमर नही ह पाप-पणय आपका कमर नही ह आप अजर हो श ब हो हम परःपर पािथरव शरीर की ीित करक मोह म सड़ रह थ िवकारो म दब रह थ अब पािथरव शरीर की ीित स म होकर अपािथरव आतमा म िःथत हो जाओ

वह शादी बरबादी म बदल जाती ह िजसम एक दसर क शरीर को पयार करत ह वह

मगलमय शादी आबादी की ओर ल जाती ह जहा प ी पित को पित प ी को पऽ िपता को िपता पऽ को शरीर क प म नही अिपत शरीरो क आधार श चतनयःव प म दख परःपर अपन चतनयःव प की याद िदलाव और रणा द

ह भि मिहला अपन पित को याद करक उनक जीवातमा को यह रणा दो इसस

उनकी भी उननित होगी और तमहारी उननित होगी ऐसा िचनतन करो िकः ह चतनयःव प मर आतमन शरीर को पाच भत क पतल

को तयागन क बाद भी आपका अिःततव ह आप आतमा हो परम र हो अमर हो चतनय हो शा त हो

इसी कार अपनी प ी को और ःवगरःथ पऽ पिरवार को ःमरण करक उनको उननत

करो और आप भी उननत बनो जीत-जी भी परःपर इसी भाव स उननत करो मतय मगलमय हो जाय ऐसा वातावरण बनाओ

जो वयि मतय को ा हो चक ह उनक ौा ो क िदनो म तथा ःमरण क व उनह

सझाव दो िकः जनम-मतय तमहारा धमर नही था पाप-पणय तमहारा कमर नही था तम अजर

अिवनाशी िनलप शा त सनातन नारायण क अश हो अतः अपन परम र ःवभाव को सभालो ःमरण करो

अपन पित प ी पऽ का नाम लकर कहो िकः तम वही हो सचमच म वही हो जो

मरन क बाद भी नही मरता ॐॐॐ तम चतनय आतमा हो ॐॐॐ शा त परम र हो ॐॐॐ अिवनाशी परमातमा हो ॐॐॐ

पथवी पर क ःवपन तलय सबधो का ःमरण करक तम नीच न िगरो अिपत आतमा-

परमातमा क सबध को याद करत हए अपना ऐिहक जीवन मगलमय बनाओ ससार स कच करक जाओ उस समय तमहार कटमबी आतमा परमा तमा की एकता और अमरता तमहारी िनतयता और म ता का ःमरण तमह अत समय म करा द ऐसी वयवःथा करो

कोई चल बसन वाल हो या चल बस हो उनको याद करक उनकी ओर िदवय िवचार

अमर आतमा का सनदश भजो इस कार तम उ म सवा कर सकत हो और जीिवतो को जीवनदाता म जगा सकत हो दोनो इस कार परःपर सहायता करोग और पाओग

टिलफोन पर अपन दर क सबधी स हम जब बात करत ह तो उस यऽ म स आन वाली

धविन अपन सबधी की होती ह ऐस ही शरीर पी यऽो स जो कछ ःनह सातवना सहानभित म या काश हम पात ह वह भीतर वाल परम र का ही होता ह उनको या उनक िचऽो को

दखो तो उन िचऽो क पीछ खड़ उस शा त सतय को परम िमऽ को पयार करो और उनह भी याद िदलाओ िकः ह शा त आतमा ह परातन ह अिवनाशी नाशवान ससार और शरीर बदलत ह लिकन तम अबदल आतमा हो ॐॐॐ

बचपन बदल गया यौवन बदल गया बढ़ापा बदल गया शरीर बदल गया िफर

तम भी हो तम वह अमर आतमा हो िजस पर काल का भी कोई भाव नही चलता ह अकाल आतमा अपनी मिहमा म जागो इस कार क िवचार भजन स मगल करोग और मगल को पाओग जीवन मगलमय होन

लगगा मतको की मतय भी मगलमय हो जायगी मगल भवन अमगलहारी िवचारो को सदव एक दसर क ित सािरत करो ॐ आननद

आननद आननद रोत चीखत मोहमाया म पड़कर उनको याद करत हो तो उनका और अपना सतयानाश

करत हो उनको नीच िगरात हो उनकी आतमा को भटकात हो अपन को तचछ बनात हो अमागिलक िवचारो को कतई ःफिरत न होन दो सदव मगलमय िवचार हो जायगा मगलमय जीवन मतय भी मगलमय हो जायगी ॐ ॐ ॐ

ॐॐॐॐॐॐॐॐ जीवन और मतय आतमा-परमातमा को पान क दो पहल ह रात क बाद िदन िदन क

बाद रात होती ह इसी तरह जीवन और मतय चोल बदलत हए अनभवो स गजरत हए अपन आतमःव प को ःव प को पान क िलए मगलमयी अवःथा ह

िदन िजतना पयारा ह रात भी उतनी ही आवयक ह जीवन िजतना पयारा ह मतय भी

उतनी ही आवयक ह मतय मान आतमिशव क मिनदर म जान क िलए ऊची सीिढ़या मतय मान मा की गोद म बालक सो गया और उमा शि ताजगी ःफितर पाकर िफर सबह खलता ह मतय मान मा की गोद म थकान िमटान को जाना िफर नया तन ा करक अपनी मगलमय याऽा करना

त वदि स दखा जाय तो यह जीवन-मतय की याऽा कित म हो रही ह तमह

परमातमाःव प म जगान क िलए गीता म भगवान ौी कण कहत ह-

न जायत ियत वा कदािचननाय भतवा भिवता वा न भयः अजो िनतयः शा तोऽयपराणो न हनयत हनयमान शरीर

त वतः यह आतमा न कभी जनमता ह और न मरता ह न यह उतपनन होकर िफर होन

वाला ही ह यह जनमरिहत िनतय िनरनतर रहन वाला शा त और परातन अनािद ह शरीर क मार जान पर भी वह नही मारा जाता

(गीताः 220) शव की ःमशानयाऽा म मटका ल जात ह फोड़ दत ह यह याद िदलान क िलए िक दह

मानो मटका ह इस मगलमय मतय को पीछ िव ल होन की आवयकता नही ह यह मटका सवा करन क िलए िमला था जीणर-शीणर हआ टट गया िफर नया िमलगा मगलमय आतमा-परमातमा की ाि तक यह मगलमय जनम-मरण की याऽा तो चलती ही रहगी इसम िव ल होकर रोना-चीखना िनरा मोह ह अगर इस मोह को पोसा जाय और िकसी की मतय न हो तो ससार महा नरक हो जायगा माली अगर बगीच म काट-छाट न कर तो बगीचा बगीचा ही न रहगा अिपत भयानकर जगल हो जायगा

स ा न मतय का मगलमय िवधान न बनाया होता तो आदमी म तयाग सवा नता क

सदगण ही नही िखलत सब अमर होकर अिड़यल की तरह उलझ रहत रािऽ स अरणोदय अरणोदय स िफर मगलमयी रािऽ की अिनवायर आवयकता ह िवराट

की यह चणड बीड़ा तमह अपन िवराट ःवभाव म जगान क िलए आवयक ह मतय मान महायाऽा महाःथान महािनिा अतः जो मर गय ह उनकी याऽा मगलमय

हो आतमोननितद हो ऐसा िचनतन कर न िक अपन मोह और अजञान क कारण उनको भी भटकाए और खद भी परशान हो

कइयो की मतय बालयकाल म या यौवन म हो जाती ह जस मा न बचच को कपड़

पहनाए और नही जच उठा िलय िफर नय व ो स सजाया-धजाया अथवा यो कहो िक बचचा िखलौनो म रम जाता ह िखलौन नही छोड़ना चाहता परनत मगलमयी मा उस बलात उठा लती ह अपनी गोद म सलाती ह अपनी उमा सािननधय िवौािनत स उस प करक िफर नतन भात को उस खलन क िलए बीडागन म भज दती ह ऐस ही जीवातमा का बीडागन ससार ह अतः अनक शरीर बदलत हए अबदल की मगलमय याऽा करन क िलए जीवन और मतय को मगल िवधान समझकर ई र की हा म हा करत हए अपनी याऽा उननत कर

ॐॐॐ

ॐॐॐॐॐॐॐॐ

अनबम

िचतन पराग ई र का बनाया हआ त भल ही बना रह उसको िमथया समझ लन माऽ स का

बोध हो सकता ह साधक का काम त को िमथया समझन स ही चलता ह इचछाओ की ति का उपाय एक ही ह िक इचछाए तयाग दी जाए िजस िववकी न इस

जगत को सपन या इनिजाल क समान समझ िलया ह िजस दय न प म िदखन लगा ह वह दोषदश िववकी भला बताओ इसम अनराग कस कर

जञानी जागरण को सतय समझना छोड़ दन पर िफर पहल की भाित अनर नही होता

जञानी तयक वःत को अपना आतमा समझता ह मद की कलपना को बार-बार मन म लाना काम-वासना स म होन का सव म उपाय

बताया गया ह मद को पड़ हए दखकर मन घबरान लगता ह पिरणाम की कयो परवाह करत हो अपनी तनखवाह क बार म कभी िफब मत करो

अजञानी लोग समझत ह िक कायर की सफलता म कायर करन की अपकषा अिधक आननद ह इन अनधो को यह मालम ही नही ह िकसी पिरणाम स उतना सख नही िमलता िजतना काम करन स िमलता ह

अपन िवचारो को सदा वाःतिवक आतमा म रखो और पिरिःथितयो की परवाह मत करो तब तक आपकी हािन नही हो सकती जब तक िक आप ःवय उस नही बलात तलवार

तब तक नही काट सकती जब तक आप यह न सोच िक यह काटती ह ऐ पणर तर िलए कोई कतरवय या कायर शष नही ह सारी कित सास रोक तरी

सवा क िलए खड़ी ह ससार तरी पजा करन का अवसर पाकर अपन को कतकतय करना चाहता ह कया त कित की शि यो को अपन चरणो म झकन का अवसर दगा

अपन भीतर सतय क काश को सदा चमकता रखो भय और लोभन का शतान तमहार

पास नही फटकगा

बाहर की बातो म कछ भी नही मान अपमान अपना काम िकय जा िनिशिदन इसम ही सममान

दसर लोग तमहारी आलोचना िनदा करत हो उनह रोकन की च ा न करो कयोिक इनही

सब बातो क ारा तमम सदगणो की वि होगी जब तक तमहारा दय इतना दढ़ नही ह िक तम मख क बकन पर िःथर और शात बन रहो अथवा तमम इतनी सहनशीलता नही ह िक अजञानी मख को कषमा कर सको तब तक तम अपन को कही जञानी न समझ बठना

यिद तम शरीर और मन स ऊपर उठ जाओ तो सब िचनता और भयो स छट हो

जाओग िकसी भी आकिःमक दघरटना स धयर न छोड़ो कयोिक घबराहट स शि तथा बि का

नाश होता ह िकसी भी कार की किठनाइयो क आग दःिखत न होकर गमभीरतापवरक उनका सामना करो तभी तम िनःसनदह िवजय ा करोग तम कही भी हतोतसािहत होकर िनराश न होओ

ऐसी कौन-सी िवपि ह जो मरी सननता को न कर सकती ह वह कौन-सा रज ह जो

मर आननद म िव न डाल सकता ह म तो िव ाणड का भ ह म बि का भ ह िदमाग का मािलक ह और मन का शासक ह ससार मझम ह म ससार म नही आ सकता िव मझम ह म िव म नही बध

सकता सयर और नकषऽ मझम उदय और अःत होत ह दह और दिनया दोनो ई र क भीतर ह वही ई र म ह म िनिलर आतमा ह मरा जनम नही मतय नही म अजर-अमर ह म िचदाननद

आतमःव प ह म िमथया त िमथया धमर िमथया कमर िमथया और जगत िमथया और ऐसा तीत

होता ह िक म सवरःव ह म ही सवरजञ सवरगत आतमा ह अपना साकषी ह कदािप उन नाम पो म फसा नही ह

म िवश ह असखय ाणड मझम पड़ ह म असःपयर ह मरा ःव प िनिलर ह

मझ दःख स कोई भय नही ह मझ समय की जरा भी िचनता नही आतमाननद वाल को भय और आशका कसी

िकसी भी डर को अपन पास मत फटकन दो लोग यिद तमहार बराई करत ह तो तम उनह आशीवारद दो ऐस ःथान पर जाओ जहा

लोग तमस घणा कर तम तो म हो पहल स ही म हो सवरदा कहोः म सदा आननदःव प ह म

म ःवभाव ह म अननत ःव प ह मरी आतमा का आिद और अनत नही ह सभी मर आतमःव प ह

सननतापवरक अपमान सहन करन स और नता धारण करन स अिभमान की िनवि

होती ह िकसी पिवऽ ःथान पर जाओ तो वहा क अनशासन का पालन करो वहा चपपलो की

चटाक-पटाक आभषणो की खनखनाहट भड़कील व ो की फरफराहट आिद हमस न हो इसका परा धयान रखो कही भी िकसी क भी िच को या शात वातावरण को अशात करन का हम कोई अिधकार नही ह

अपन िकसी भी दःख या अशाित का कारण बाहर मत ढढो बाहर की पिरिःथितयो या

वयि यो को दोष मत दो कारण अपन भीतर ढढो िनद ष भाव स ढढोग तो कारण भीतर ही िमल जायगा उस दर करन की च ा करो शातिच रहन का यही बहमलय उपाय ह

जो आतम-अनशािसत ह व ही शासन कर सकत ह ऐसा करन क िलए नाम-जप कर

धयान कर िकसी आतमिन सत का पावन सािननधय ा कर सब तरह स िनभरय एव सनन बनन का यह ौ साधन ह

िवन बनो िनरहकारी बनो अपन आपको बड़ा बतान की च ा न करो िवनता एव

िनरािभमानता ही तमह बड़ा बनायगी िवनता मनय का बहत बड़ा भषण ह िनमरल दि रखो िकसी क दोष दखना यह बहत बड़ा दगरण ह िछिानवषी न बनो

दसरो क दोष दखना पाप अजरन करना ह गणमाही बनो

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अनबम

  • मगलमय जीवन-मतय
  • मतय क परकार
  • मतय भी जीवन क समान आवशयक
  • सिकनदर न अमत कयो नही पिया
  • बिना मतय को जान जीवन जीवन नही
  • मतय किसकी होती ह
  • भगवान शरीराम और तारा
  • मतयः कवल वसतर परिवरतन
  • फकीरी मौतः आननदमय जीवन का दवारः
  • यमराज और नचिकताः
  • सचच सत मतय का रहसय समझात ह
  • मतयः एक विशरानति-सथानः
  • वासना की मतय क बाद परम विशरानति
  • धतराषटर का शोकः
  • घाटवाल बाबा का एक परसग
  • फकीरी मौत ही असली जीवन
    • फकीरी मौत कया ह
      • सकरात का अनभव
      • आधयातमविदयाः भारत की विशषताः
      • तीन परकार क लोगः
      • जञान को आय स कोई निसबत नही
      • योगसामरथयः एक परतयकष उदाहरण
      • योग भी साधना का आखिरी शिखर नही
      • गणातीत सत ही परम निरभयः
      • सतो का सनदशः
      • चितन पराग

अनबम

मतयः एक िवौािनत-ःथानः मौत तो एक पड़ाव ह एक िवौािनत-ःथान ह उसस भय कसा यह तो कित की एक

वयवःथा ह यह एक ःथानानतर माऽ ह उदाहरणाथर जस म अभी यहा ह यहा स आब चला जाऊ तो यहा मरा अभाव हो गया परनत आब म मरी उपिःथित हो गई आब स िहमालय चला जाऊ तो आब म मरा अभाव हो जायगा और िहमालय म मरी हािजरी हो जायगी इस कार म तो ह ही माऽ ःथान का पिरवतरन हआ

तमहारी अवःथाए बदलती ह तम नही बदलत पहल तम सआम प म थ िफर बालक

का प धारण िकया बालयावःथा छट गई तो िकशोर बन गय िकशोरावःथा छट गई तो जवान बन गय जवानी गई तो व ावःथा आ गई तम नही बदल परनत तमहारी अवःथाए बदलती ग

हमारी भल यह ह िक अवःथाए बदलन को हम अपना बदलना मान लत ह वःततः न

तो हम जनमत-मरत ह और न ही हम बालक िकशोर यवा और व बनत ह य सब हमारी दह क धमर ह और हम दह नही ह सतो का यह अनभव ह िकः

मझ म न तीनो दह ह तीनो अवःथाए नही मझ म नही बालकपना यौवन बढ़ापा ह नही जनम नही मरता नही होता नही म बश-कम म ह म ह ितह काल म ह एक सम

मतय नवीनता को जनम दन म एक सिधःथान ह यह एक िवौाम ःथल ह िजस

कार िदन भर क पिरौम स थका मनय रािऽ को मीठ नीद लकर दसर िदन ातः नवीन ःफितर लकर जागता ह उसी कार यह जीव अपना जीणर-शीणर ःथल शरीर छोड़कर आग की याऽा क िलए नया शरीर धारण करता ह परान शरीर क साथ लग हए टी बी दमा कनसर जस भयकर रोग िचनताए आिद भी छट जात ह

वासना की मतय क बाद परम िवौािनत ःथल शरीर स सआम शरीर का िवयोग िजसको मतय कहा जाता ह वह िवौाम-ःथल तो

ह परनत पणर िवौाित उसम भी नही ह यह फकीरी मौत नही ह फकीरी मौत तो वह ह िजसम सारी वासनाए जड़ सिहत भःम हो जाए भीतर यिद सआम वासना भी बची रही तो जीव िफर स नया शरीर धारण कर लगा और

िफर स सख-दःख की ठोकर खाना चाल कर दगा िफर स वहीः

पनरिप जनन पनरिप मरण पनरिप जननी जठर शयनम

अनबम

धतरा का शोकः करकषऽ क य म दय धन सिहत जब सार पऽ मार गय तो धतरा खब दःखी हए और

िवदर स कहन लगः कण और पाडवो न िमलकर मर सब पऽो का सहार कर िदया ह इसका दःख मझस सहन नही होता एक एक कषण वयतीत करना मझ वष जसा लमबा लग रहा ह

िवदर धतरा को समझात हए कहत ह - जो होना होता ह वह होकर ही रहता ह आप

वयथर म शोक न करो आतमा अमर ह उसक िलए मतय जसी कोई चीज नही ह इस शरीर को छोड़कर जो जाता ह वह वापस नही आता इस बात को समझकरः राम राख तम रिहय ह भाई शोक न करो

परनत धतरा का शोक कम नही हआ वह दढ़तापवरक कहन लगाः तम कहत हो वह

सब समझता ह िफर भी मरा दःख कम नही हो ता मझ अपन पऽो क िबना चन नही पड़ रहा ह पलभर को भी िच शात नही रहता

अजञानी सोचता ह िक िजस कार म चाहता ह उसी कार सब हो जाय तो मझ सख

हो यही मनय का अजञान ह शा और सतो का िकतना ही उपदश सनन को िमल जाय तो भी वह अपनी मानयताओ

का मोह सरलता स छोड़न को तयार नही होता िवदर का धमरय उपदश धतरा को सानतवना नही द सका धतरा शा ो स िबलकल अनिभजञ था ऐसी बात नही थी िफर भी उसका शा जञान उस पऽो क मोह स म नही कर सका

अनबम

घाटवाल बाबा का एक सग हिर ार म घाटवाला बाबा क नाम स िस एक महान सत रहत थ बहत सीध -साद

और सरल कमर म कतान (टाट) लपट रहत थ ऊपर स िदखन म िभखारी जस लगत मगर भीतर स साट थ उनक पास एक वयि आया और बोलाः महाराज मझ शाित चािहए

महाराज न पहल उस धयान स दखा िफर कहाः शाित चािहए तो तम गीता पढ़ो

यह सनकर वह च ककर बोलाः गीता गीता तो म िव ािथरयो को पढ़ाता ह म कालज म ोफसर ह गीता मरा िवषय ह गीता म कई बार पढ़ चका ह उस पर तो मरा काब ह

महाराज बोलः यह ठ क ह अब तक तो लोगो को पढ़ाकर पसो क लाभ क िलए गीता

पढ़ी होगी अब मन को िनयिऽत करक शाित लाभ क िलए पढ़ो लोग शा ो म स सचनाए और जानकािरया इक ठ करक उस ही जञान मान लत ह

दसरो को भािवत करन क िलए लोग शा ो की बात करत ह उपदश दत ह परनत उनह अपन आपको कोई अनभित नही होती मतय क िवषय म भी लोग िव तापणर वचन कर सकत ह मतय स डरन वालो को आ ासन और धयर द सकत ह परनत मौत जब उनही क सममख साकषात आकर खड़ी होती ह तो उनकी रग -रग काप उठती ह कयोिक उनको फकीरी मौत का अनभव नही

कई लोग कहत ह िक जीवन और मौत अपन हाथ म नही ह परनत यह उनक िलए

ठ क ह िजनको आधयाितमक रहःय का पता नही जो ःवय को शरीर मानत ह दीन-हीन मानत ह परनत योगी जानत ह िक जीवन और मतय इन दोनो पर मनय का अिधकार ह इस अिधकार को ा करन की तरकीब भी व जानत ह कोई िहममतवान जानन को ततपर हो तो व उस बता भी सकत ह व तो खललमखलला कहत ह िक यिद रोत-कलपत हए मरना हो तो खब भोग-भोगो िकसी की परवाह न करत हए खब खाओ िपयो और अमयारिदत िवषय-सवन करो ऐसा जीवन आपको अपन आप मौत की ओर शीयता स आग बढ़ा दगा परनत

यिद मौत पर िवजय ा करनी हो जीवन को सही तरीक स जीना हो तो योिगयो क

कह अनसार करो ाणायाम करो धयान करो योग करो आतमिचनतन करो और ऐसा कोई योगी डॉकटरो क सामन आकर दय की गित बनद करक बता दता ह तो वह बात भी लोगो को

बड़ी आ यरजनक लगती ह लोगो क टोल क टोल उसको दखन क िलए उमड़ पड़त ह परनत यह भी कोई योग की पराका ा नही ह

फकीरी मौत ही असली जीवन इितहास म जञान र महाराज और योगी चागदव का सग आता ह वह तो आप लोग

जानत ही होग चागदव न मतय को चौदह बार धोखा िदया था अथारत जब -जब मौत का समय आता तब-तब चागदव योग की कला स अपन ाण ऊपर चढ़ाकर मौत टाल िदया करत थ ऐसा करत-करत चागदव न अपनी उ 1400 वषर तक बढ़ा दी िफर भी उनको आतमशािनत नही िमली फकीरी मौत ही आतमशाित द सकती ह और इसीिलए चागदव को आिखर म जञान र महाराज क चरणो म समिपरत होना पड़ा

अनबम

फकीरी मौत कया ह

फकीरी मौत ही असली जीवन ह फकीरी मौत अथारत अपन अह की मतय अपन जीवभाव की मतय म दह ह म जीव ह इस पिरिचछनन भाव की मतय

ःथल शरीर स सआम शरीर का िवयोग यह कोई फकीरी मौत नही ह अगर वासना शष

हो तो सआम शरीर बार-बार ःथल शरीर धारण करक इस ससार म जनम-मरण क दःख पणर चककर म भटकता रहता ह

जब तक फकीरी मौत नही हो तब तक चागदव की तरह चौदह बार कया चौदह हजार

बार भी ःथल शरीर को बचाय रखा जाय तो भी परम शाित क िबना यह बकार ह लाबधवा जञान परा शाित आतमजञान स ही परम शाित िमलती ह इसी कारण चागदव को फकीरी मौत सीखन क िलए जञान र महाराज क पास आना पड़ा था 1400 वषर का िशय और 22 वषर क गर यही जञान का आदर करन वाली भारतीय सःकित ह जञान स उ को कोई समबनध नही ह

हम तो जीवन म पग-पग पर छोटी-मोटी पिरिःथितयो स घबरा उठत ह ऐसा भयभीत

जीवन भी कोई जीवन ह यह तो मौत स भी बदतर ह इसीिलए कहता ह िक असली जीवन जीना हो िनभरय जीवन जीना हो तो फकीरी मौत को एक बार जान लो

फकीरी मौत अथारत अपन अमरतव को जान लना फकीरी मौत अथारत उस पद पर आ ढ़ हो जाना जहा स जीवन भी दखा जा सक और मौत भी दखी जा सक जहा स ःप प स िदख िक सख-दःख आय और गय बालयावःथा यवावःथा और व ावःथा आई और गई परनत य सब शरीर स ही समबिनधत थ मझ तो व ःपशर तक नही कर सक म तो असग ह अमर ह मरा तो जनम भी नही मतय भी नही

सकरात का अनभव सकरात को जब जहर िदया जान लगा तो उसक िशय रोन लग कयोिक उनको यह

अजञान था िक सकरात अब बचग नही मर जायग सकरात न कहाः अर तम रोत कयो हो अब तक मन जीवन दखा अब मौत को दखगा यिद म मर

जाऊगा तो आज नही तो कल मरन ही वाला था इसिलए रोन की कया ज रत ह और यिद मरत हए भी नही मरा कवल शरीर स ही िछनन-िभनन हआ तो भी रोन की कया ज रत

सकरात न िबना िहचिकचाहट क राजी-खशी स जहर का पयाला पी िलया और िशयो स

कहाः दखो यह रोन का समय नही ह बहत ही महतवपणर बात समझन का समय आया ह

मर शरीर पर जहर का भाव होन लगा ह पर सनन होत जा रह ह घटनो तक जड़ता वया हो गई ह जहर का असर बढ़ता जा रहा ह मर पर ह िक नही इसकी अनभित नही हो रही ह अब कमर तक का भाग सवदनहीन बन गया ह

इस कार सकरात का सारा शरीर ठडा होन लगा सकरात न कहाः अब जहर क भाव स हाथ पर छाती जड़ हो गई ह थोड़ी ही दर म मरी िज ा भी

िनःपद हो जायगी उसस पहल एक मह वपणर बात सन लो जीवन म िजसको नही जान सका उसका अनभव हो रहा ह शरीर क सब अग एक क एक बाद एक िनःपद होत जा रह ह परनत उसस मझम कोई फकर नही पड़ रहा ह म इतना ही पणर ह िजतना पहल था शरीर स म ःवय को अलग असग महसस कर रहा ह अब तक जस जीवन को दखा वस ही अभी मौत को भी दख रहा ह यह मौत मरी नही बिलक शरीर की ह

अनबम

आधयातमिव ाः भारत की िवशषताः सकरात तो शरीर छोड़त-छोड़त अपना अनभव लोगो को बतात गय िक शरीर की मतय

यह तमहारी मतय नही शरीर क जात हए भी तम इतन क इतन ही पणर हो परनत भारत क ऋिष तो आिद काल स कहत आय ह-

शणवनत िव अमतःय पऽा

आ य धामािन िदवयािन तःयः वदाहमत परष महानतम

आिदतयवण तमसः परःतात तमव िविदतवाऽितमतयमित नानयः पनथा िव तऽयनाय

ह अमतपऽो सनो उस महान परम परषो म को म जानता ह वह अिव ा प अधकार

स सवरथा अतीत ह वह सयर की तरह ःवयकाश-ःव प ह उसको जानकर ही मनय मतय का उललघन करन म जनम-मतय क बधनो स सदव क िलए छटन म समथर होता ह परम पद की ाि क िलए इसक अितिर कोई दसरा मागर नही ह

( ता तरोपिनषद) यह कोई वद-उपिनषद काल की बात ह उस समय क ऋिष चल गय और अब नही ह

ऐसी बात नही ह आज भी ऐस ऋिष और ऐस सत ह िजनहोन सतय की अनभित की ह अपन अमरतव का अनभव िकया ह इतना ही नही बिलक दसरो को भी इस अनभव म उतार सकत ह रामकण परमहस ःवामी िववकाननद ःवामी रामतीथर महिषर रमण इतयािद ऐस ही त वव ा महापरष थ और आज भी ऐस महापरष जगलो म और समाज क बीच म भी ह यहा इस ःथान पर भी हो सकत ह परनत उनको दखन की आख चािहए इन चमरचकषओ स उनह पहचानना मिकल ह िफर भी िजजञास और ममकष वि क लोग उनकी कपा स उनक बार म थोड़ा सकत यह इशारा पा सकत ह

अनबम

तीन कार क लोगः ऐस सतो क पास तीन कार क लोग आत ह- दशरक िव ाथ और साधक

दशरक अथारत ऐस लोग जो कवल दशरन करन और यह दखन क िल ए आत ह िक सत कस ह कया करत ह कया कहत ह उपदश भी सन तो लत ह पर उसक अनसार कछ करना ह इसक साथ उनका कोई समबनध नही होता आग बढ़न क िलए उनम कोई उतसाह नही होता

िव ाथ अथारत व जो शा एव उपदश समबनधी अपनी जानकारी बढ़ान क िलए आत ह

अपन पास जो जानकारी ह उसम और वि होव तािक दसरो को यह सब सनाकर अपनी िव ा की छाप उन पर छोड़ी जा सक दसरो स सना याद रखा और जाकर दसरो को सना िदया जस ग स शानसपोटर कमपनी ाईवट िलिमटड- यहा का माल वहा और वहा का माल यहा लाना और ल जाना ऐस लोग भी त व समझन क मागर पर चलन का पिरौम उठान को तयार नही

तीसर कार क लोग होत ह साधक य ऐस लोग होत ह िक जो साधनामागर पर चलन

को तयार होत ह इनको जसा बताया ह वसा करन को पणर प स किटब होत ह अपनी सारी शि उसम लगान को ततपर होत ह उसक िलए अपना मान-सममान तन-मन-धन सब कछ होम दन को तयार होत ह सत क ित और अपन धयय क ित इनम पणर िन ा होती ह य लोग फकीर अथवा सत क सकत क अनसार लआय की िसि क िलए साहसपवरक चल पड़त ह

िव ाथ अपन वयि तव का ौगार करन क िलए आत ह जबिक साधक वयि तव का िवसजरन करन क िलए आत ह साधक अपन लआय की तलना म अपन वयि तव या अपन अह का कोई भी मलय नही समझत जबिक िव ाथ क िलए अपना अह और वयि तव का ौगार ही सब कछ ह अपनी िव ता म वि जानकारी को बढ़ाना वयि तव को और आकषरक बनाना इसी म उस सार िदखता ह त वानभित की तरफ उसका कोई धयान नही होता

यही कारण ह िक सतो क पास आत तो बहत लोग ह परनत साधक बनकर वही िटक

कर त व का साकषातकार करन वाल कछ िवरल ही होत ह

जञान को आय स कोई िनःबत नही िजसन फकीरी मौत को जान िलया हो अथारत िजस आतमजञान हो गया हो वह शरीर की

दि स कम उ का हो परनत उसक आग लौिकक िव ा म वीण और अिधक वय क सफद दाढ़ी-मछ वाल लोग भी बालक क समान होत ह इसीिलए योगिव ा म वीण 1400 वषर क चागदव को कम उवाल जञान र महाराज क चरणो म समिपरत होना पड़ा था ाचीन काल म ऐस कई उदाहरण दखन म आत ह

िचऽ वटतरोमरल व ाः िशया गरयरवा

गरोःत मौन वयाखयान िशयाःतिचछननसशयाः अथारत यह कसा विच य ह िक वटवकष क नीच यवा गर और व िशय बठ ह गर

ारा मौन वयाखयान हो रहा ह और िशयो क सब सशयो और शकाओ का समाधान होता जा रहा ह

अनबम

योगसामथयरः एक तयकष उदाहरण अपन मोटरा आौम म भी ऐस ही करीब स र वषर क सफद बाल वाल एक साधक ह

पहल डीसा म व एक सत क पास गय गय तो थ दशरक बनकर ही परनत सत की दि पड़त ही व दशरक म स साधक बन गय म कछ वषर पवर डीसा क आौम म था तब व मर पास आय थ पकी हई उ म भी व 18 वषर की उ की एक बाला क साथ बयाह रचान की तयारी म थ और आशीवारद मागन हत वहा आय थ उनको दखकर ही मर मह स िनकल पड़ाः

अब तमहारी शादी ई र क साथ कराएग यह सनकर उनको बड़ा आ यर हआ कयोिक न तो व मझ पहल स जानत थ और न ही

म उनह जानता था उस व उनका शरीर भी कसा था चरबी और कफ-िप स ठसाठस भरा हआ एकदम ःथल दमा आिद रोगो का िशकार डीसा म कपड़ क बड़ वयापारी थ धप म िबना छाता िलए दकान स नीच नही उतर पात थ कित ऐसी थी िक िकसी भी सत महातमा को नही गाठ और काम-वासना भीतर इतनी भरी हई थी िक आग की दो पि या शरीर छोड़ चकी थी िफर भी इस उ म तीसरी शादी करन को तयार थ प ी िबना एक िदन भी नही रह सकत थ

घर पहचन पर उनको पता चला िक उनक अनदर जो काम -िवकार का तफान आया था

वह एकदम शात हो गया ह भिवय म प ी बनन वाली उस कमारी क साथ एकात म अनक च ाए करक भी व उस काम-िवकार को पनः नही जगा सक इतना बल िवकार एकाएक कहा चला गया िफर उनको समझ म आया िक सत की ई रीय अहत की कपा उनम उतरी ह उनको सारा ससार सना-सना लगन लगा उनहोन तरनत ही उस कमारी यवती को कछ पय और कपड़ िदय और बटी कहकर रवाना कर िदया उसक बाद उनहोन आसन ाणायाम गजकरणी नित धोित आिद िबयाए सीख ली और िनयिमत प स करन लग इसस उनक शरीर क सार परान कफ-िप -दमा आिद दर हो गय और शरीर म स आवयकता स अिधक चब घटकर शरीर हलका फल जसा हो गया अब तो जवानो क साथ दौड़न की भी ःपधार करत

ह धयानयोग की साधना म उनहोन इतनी गित की ह िक उनको कई कार क अलौिकक अनभव हआ करत ह अपन सआम शरीर ारा व लोक -लोकानतर म घम आया करत ह

योग भी साधना का आिखरी िशखर नही यह भी साधना की कोई आिखरी भिमका नही ह सव चच िशखर नही ह यह भी सब

माया की सीमा म ही ह िफर चमर-चकषओ स दखो अथवा धयान म बठकर दखो कयोिकः

यद दय तद अिनतयम जो िदखता ह वह अिनतय ह जो िदख सो चालनहार चागदव भी योग म कशल थ

काल को कई बार धोखा द चक थ परनत माया को धोखा न द सक व भी साि वक माया म थ माया स पर नही थ

माया ऐसी ठिगनी ठगत िफरत सब दश जो ठग या ठिगनी ठग वा ठग को आदश

कोई िवरल सत ही इस माया को ठग सकत ह माया स पार जा सकत ह बाकी क

लोगो का तो यह माया न र म ही शा त का आभास करा दती ह अिःथरता म िःथरता िदखा दती ह ऐसी मोिहना माया क िवषय म ौी कण कहत ह-

दवी षा गणमयी मम माया दरतयया मामव य प नत मायामता तरिनत त

मरी यह अदभत िऽगणमयी माया का तरना अतयनत दकर ह परनत जो मरी शरण म

आत ह व तर जात ह (गीता)

अनबम

गणातीत सत ही परम िनभरयः ऐसी दःतर माया को जो सत अथवा फकीर तर जात ह और मौत की पोल जान जात ह

व कहत ह- एक ऐसी जगह ह जहा मौत की पहच नही जहा मौत का कोई भय नही िजसस मौत भी भयभीत होती ह उस जगह म हम बठ ह तम चाहो तो तम भी बठ सकत हो

तमहार म एक ऐसा चतन ह जो कभी मरता नही िजसन मौत कभी दखी ही नही जो जीवन और मौत क समय पिरवतरन को दखता ह परनत उन सबस पर ह

यिद घड़ म आया हआ चनिमा का ितिबमब घड़ क पानी को उबलता हआ जानकर यह

मान की म उबल रहा ह पानी िहल तो समझ िक म िहलता ह घड़ा फट गया तो समझ िक म मर गया तो यह उसका अजञान ह परनत उसको यह पता चल जाय िक पानी क उबलन स म नही उबलता पानी क िहलन स म नही िहलता म तो वह चनिमा ह जो हजारो घड़ो म चमक रहा ह िकतन ही घड़ टट -फट गय परनत म मरा नही मरा कछ भी िबगड़ा नही म इन सबस असग ह तो वह कभी दःखी नही होगा

इसी कार हम यिद अपन असगपन को जान ल अथारत म शरीर-मन-बि नही अिपत

आतमा ह- यह हम जान ल तो िफर िकतन ही दह पी घड़ बन और टट -िबखर िकतनी ही सि या बन और उनका लय हो जाय हमको कोई भय नही होगा कयोिक आतमा का ःवभाव हः

न जायत ियत वा कदािचननाय भतवा भिवता वा न भयः अजो िनतयः शा तोऽयपराणो न हनयत हनयमान शरीर

यह आतमा िकसी काल म भी न तो जनमता ह और न मरता ही ह तथा न यह उतपनन

होकर िफर होन वाला ही ह कयोिक यह अजनमा िनतय सनातन और परातन ह शरीर क मार जान पर भी यह नही मारा जाता

(भगवदगीताः 223) अनबम

सतो का सनदशः िजन सतो न यह रहःय जान िलया ह जो इस अमतमय अनभव म स गजर चक ह व

सब भयो स म हो गय ह इसीिलए व अपनी अनभविस वाणी म कहत ह- अपन आतमदव स अपिरिचत होन क कारण ही तम अपन को दीन-हीन और दःखी

मानत हो इसिलए अपनी आतम-मिहमा म जाग जाओ यिद अपन आपको दीन ही मानत रह तो रोत रहोग ऐसा कौन ह जो तमह दःखी कर सक तम यिद न चाहो तो दःख की कया मजाल ह िक तमह ःपशर भी कर सक अननत-अननत ाणड को जो चल रहा ह वह चतन तमहार भीतर चमक रहा ह उसकी अनभित कर लो वही तमहारा वाःतिवक ःव प ह

मनसर को सली पर चढ़ा िदया गया था परनत उनको सली का कोई भय नही था सली

का क उनको ःपशर भी नही कर सका कयोिक मनसर अपनी मिहमा म जग हए थ व यह जान चक थ िक म शरीर नही ह सली शरीर को लग सकती ह मझ नही इसिलए व हसत-हसत सली पर चढ़ गय थ

हम ही जानबझकर अपनी सननता की अपन सख-दःख की चाबी दसरो क हाथो म

स प दत ह कोई थोड़ा हस दता ह तो हम बोिधत हो उठत ह कोई थोड़ी शसा कर दता ह तो हषर स फल उठत ह कयोिक हम अपन को सीिमत पिरिचछनन शरीर या मन ही मान बठ ह

हम अपन वाःतिवक ःव प अपनी असीम मिहमा को नही जानत नही तो मजाल ह

िक जगत क सार लोग और ततीस करोड़ दवता भी िमलकर हम दःखी करना चाह और हम दःखी हो जाय जब हम ही भीतर स सख अथवा दःख को ःवीकित दत ह तभी सख अथवा दःख हमको भािवत करता ह सदव सनन रहना ई र की सव परी भि ह

ःवामी रामतीथर कहा करत थ िक कोई यिद तमहारी सननता छ नकर उसक बदल म

तमको ःवगर का फिरता भी बनाना चाह तो फिरतापद को ठोकर मार दो मगर अपनी सननता मत बचो

हम इस जीवन और मतय का कई बार अनभव कर चक ह सत कहत ह- तमहारा न तो जीवन ह और न ही मतय ह तम जीव नही तम िशव हो तम अमर

हो तम अननत अनािद सिचचदाननद परमातमा हो यिद इस जनम-मरण क खल स थक चक हो इनक खोखल पन को जान चक हो इसक असारपन स पिरिचत हो चक हो तो िकसी सत क सािननधय का लाभ उठाकर फकीरी मौत को जान लो िफर तमह कोई दःख कोई मतय भयभीत नही कर सकगी िफर िजस आना हो वह आव जाना हो वह चला जाव सख आव तो आन दो दःख आव तो आन तो जो आयगा वह जायगा तम द ा बनकर दखत रहो तम अपनी मिहमा म मःत रहो

मौत स भी मौत का भय बदतर ह भय म स ही सार पाप पदा होत ह भय ही मतय

ह लोग पछत ह- ःवामी जी आतम-साकषातकार हो जाता ह िफर उसक बाद कया होता

ह होता कया ह हम अपन ःव प म जाग जात ह उसक बाद हमस जो भी वि होती ह वह आननदमय ही होती ह ससार की कोई भी दःखपणर घटना हमको दःखी नही कर सकती

िफर यह शरीर रह या न रह हमार आननद म कोई अनतर नही पड़ता उस आननदःव प अपन आतमदव को जानना-यही जीवन का परम कतरवय ह परनत इस परम कतरवय की ओर मनय का धयान जाता नही और छोटी-मोटी तचछ वि यो म ही अटका रह जाता ह

हम कही याऽा म िनकलत ह तो राःत क िलए िटिफन भरकर भोजन साथ ल लत ह

भोजन स भी अिधक महतव पानी का ह परनत उसक िलए सोच लत ह िक चलो ःटशन पर भर लग घर स पानी लकर चलन की िचनता नही करत पानी स भी यादा ज री हवा ह उसक िबना तो एक िमनट भी नही चलता िफर भी हवा का कोई िसलनडर भरकर साथ नही लत कयोिक हम सब जानत ह िक वह तो सवरऽ ह इसिलए हवा क िलए हम कोई िचनता नही करत

हवा स कम ज री पानी क िलए पानी स कम ज री भोजन क िलए हम यादा िचनता करत ह उसी कार अपन आननदःव प आतमा म जागन क परम कतरवय को छोड़कर कम महतव क ःथल शरीर क लालन पालन एव उसस सबिधत वयवहार को सभालन म ही हम लग रहत ह शरीर असत जड़ और दःख प ह उसको चलान वाला सआम भतो स िनिमरत सआम शरीर ह उसको भी चतन स ा दन वाला सत-िचत-आननदःव प आतमा ह इस आननद-ःव प आतमा को असत-जड़ दःख प और मरणधमार समझकर जीवनभर मौत क भय स भयभीत बन रहत ह

अनत परमातमा म न तो उतथान ह न पतन न जनम ह न मरण वहा तो सब एकरस

ह हम ही मोहवश अपना ससार खड़ा कर लत ह और एक दसर क साथ सबध बनाकर अपन को जानबझकर बधन म डाल दत ह

एक सत क पास एक स जन का पऽ आया उसम िलखा थाः ःवामी जी आपक

आशीवारद स हमार यहा पऽ का जनम हआ ह सत न उ र म उस िलखा िकः तम झठ बोलत हो िफर जब स जन सत क पास गया तब कहा िकः ःवामी जी म सच कहता ह मर यहा पऽ का जनम हआ ह इस पर सत न िफर स कहा िकः तम झठ बोलत हो यह सनकर उन स जन को बड़ा आ यर हआ वह िवःफािरत नऽो स सत की ओर दखन लगा तब सत न कहाः

पऽ का जनम नही हआ िपता का जनम हआ ह माता का जनम हआ ह काका-मामा

का जनम हआ ह पऽ को तो खबर ही नही ह िक मरा जनम हआ ह और म िकसी का पऽ भी ह परनत हम उस पर सार समबनध आरोिपत कर दत ह

वःततः पचभतो म कोई आकार बना ह उस पऽ का नाम द िदया समय आन पर यह आकार िबखर जायगा यह आकार बन उसम हषर और यह आकार िबखर जाय उसम शोक कसा भय कसा

िजस शरीर को हम म मानत ह उसकी कित तो दखो िपया तो था अमत जसा

मीठा जल और िनकाला मऽ प म गदा पानी खाय तो थ मोहनथाल दधपाक छपपन भोग पर बन गया सब िव ा प शरीर का सग करन पदाथर की ऐसी अवःथा बन जाती ह सत-िचत-आननदःव प आतमा भी अपन को भलकर शरीर क साथ एक होकर ःवय को म शरीर मान लती ह और दीन हीन एव दःखी बन जाती ह परनत जब वह अपन आपम जाग जाती ह तब अपन को दवो का दव अनभव करती ह

यिद हमन शरीर क साथ अहबि की तो हम म भय वया हो ही जायगा कयोिक शरीर

की मतय िनि त ह उसका पिरवतरन अवयभावी ह उसको तो ःवय ाजी भी नही रोक सकत परनत यिद हमन अपन आतमःव प को जान िलया ःव प म हमारी िन ा हो गई तो हम िनभरय हो गय कयोिक ःव प की मतय होती नही मौत भी उसस डरती ह

ःवामी अखणडाननद सरःवती एक बार रल क तीसर दज म याऽा कर रह थ व यह

जानना चाहत थ िक तीसर दज म लोगो ारा िकय जान वाल मान-अपमान का भाव उनक िदल पर होता ह िक नही आतमिनरीकषण स उनह पता चला िक भाव तो होता ह यह बात उनहोन ौी उिड़या बाबा को बतायी उिड़या बाबा न कहाः

तम बठत ही कचर क ढर पर हो आशा करत हो िक मझ पर कोई कचरा न फ क मझ

कचर की दगरनध न आव यह कस हो सकता ह तम बठत हो शरीर म और आशा रखत हो िक मान-अपमान का असर न हो ःवय को शरीर माना तो मान-अपमान सख-दःख होगा और जनम-मतय भी होगी

वदानत क रहःय को समझना यह कोई ि यो का काम नही ह ी अथारत कित क

शरीर क म मानकर जीनवाला एक बार राजा जनक िव ानो की सभा म बठ थ उस सभा म गाग आई वह िबलकल

िदगमबर (न न) थी ऐसी अवःथा म सभा म गाग का वश पिडतो को रचा नही इसिलए उनहोन नाक-भ िसकोड़ िलया परषो स भरी सभा म एक न न ी

गाग बोलीः ऐ पिडतो नाक भ कयो िसकोड़त हो

पिडतो न कहाः तम एक अबला ऐसी अवःथा म परषो की सभा म जो आई हो

गाग तरनत बोलीः कौन कहता ह िक म अबला ह म सबला ह अबला तो तम हो जो अपना रकषक बाहर ढढत हो म अपना रकषक आप ह म यह शरीर नही ह म तो सत -िचत-आननदःव प आतमा ह म अपन आपको जानती ह

िजसको जानकर गाग िनभरय बन गई थी उस आननदःव प अपन आतमदव को जो

जान लता ह उसी म िःथत हो जाता ह वह जीवन और मौत दोनो स पर दोनो का द ा बन जाता ह उस िफर कोई भय नही रहता वह सदव आननद म मःत रहता ह

मरो मरो सब कोई कह मरना न जान कोई एक बार ऐसा मरो िक िफर मरना न होई

मगलमय जीवन मगलमय िववाह मगलमय सबध उस परम मगल चतनय क कारण ही

हो सकत ह न िक शि शरीर क बा प-रग पर िवमोिहत होन स महाराज जी क पास आकर एक मिहला कहन लगीः मर पित ःवगरःथ हो गय ह

उनका िवयोग सहा नही जाता ऐसा कोई उपाय बताओ िक उनका िहत हो और मझ शाित िमल

दसरा एक वयि आया और बोलाः मरी प ी मझ अकला छोड़कर चल बसी ह

तीसर न कहाः मरा बटा ःवगरःथ हो गया ह उसकी मीठ याद आती ह मर मन म आता ह िक उसक पीछ म भी आतमहतया करक मर जाऊ बाबा जी शािनत का कछ उपाय बताइय

महाराज जी न कहाः ह भि मिहला पित की याद आय तो उनह खब आदरपवरक कहोः

मरणधमार शरीर म होत हए भी आप अमर थ शरीर क मरन पर भी आप नही मर दह न र ह आप शा त हो चतनय हो आप परम र का अिवनाशी अश हो जनम-मतय आपका धमर नही ह पाप-पणय आपका कमर नही ह आप अजर हो श ब हो हम परःपर पािथरव शरीर की ीित करक मोह म सड़ रह थ िवकारो म दब रह थ अब पािथरव शरीर की ीित स म होकर अपािथरव आतमा म िःथत हो जाओ

वह शादी बरबादी म बदल जाती ह िजसम एक दसर क शरीर को पयार करत ह वह

मगलमय शादी आबादी की ओर ल जाती ह जहा प ी पित को पित प ी को पऽ िपता को िपता पऽ को शरीर क प म नही अिपत शरीरो क आधार श चतनयःव प म दख परःपर अपन चतनयःव प की याद िदलाव और रणा द

ह भि मिहला अपन पित को याद करक उनक जीवातमा को यह रणा दो इसस

उनकी भी उननित होगी और तमहारी उननित होगी ऐसा िचनतन करो िकः ह चतनयःव प मर आतमन शरीर को पाच भत क पतल

को तयागन क बाद भी आपका अिःततव ह आप आतमा हो परम र हो अमर हो चतनय हो शा त हो

इसी कार अपनी प ी को और ःवगरःथ पऽ पिरवार को ःमरण करक उनको उननत

करो और आप भी उननत बनो जीत-जी भी परःपर इसी भाव स उननत करो मतय मगलमय हो जाय ऐसा वातावरण बनाओ

जो वयि मतय को ा हो चक ह उनक ौा ो क िदनो म तथा ःमरण क व उनह

सझाव दो िकः जनम-मतय तमहारा धमर नही था पाप-पणय तमहारा कमर नही था तम अजर

अिवनाशी िनलप शा त सनातन नारायण क अश हो अतः अपन परम र ःवभाव को सभालो ःमरण करो

अपन पित प ी पऽ का नाम लकर कहो िकः तम वही हो सचमच म वही हो जो

मरन क बाद भी नही मरता ॐॐॐ तम चतनय आतमा हो ॐॐॐ शा त परम र हो ॐॐॐ अिवनाशी परमातमा हो ॐॐॐ

पथवी पर क ःवपन तलय सबधो का ःमरण करक तम नीच न िगरो अिपत आतमा-

परमातमा क सबध को याद करत हए अपना ऐिहक जीवन मगलमय बनाओ ससार स कच करक जाओ उस समय तमहार कटमबी आतमा परमा तमा की एकता और अमरता तमहारी िनतयता और म ता का ःमरण तमह अत समय म करा द ऐसी वयवःथा करो

कोई चल बसन वाल हो या चल बस हो उनको याद करक उनकी ओर िदवय िवचार

अमर आतमा का सनदश भजो इस कार तम उ म सवा कर सकत हो और जीिवतो को जीवनदाता म जगा सकत हो दोनो इस कार परःपर सहायता करोग और पाओग

टिलफोन पर अपन दर क सबधी स हम जब बात करत ह तो उस यऽ म स आन वाली

धविन अपन सबधी की होती ह ऐस ही शरीर पी यऽो स जो कछ ःनह सातवना सहानभित म या काश हम पात ह वह भीतर वाल परम र का ही होता ह उनको या उनक िचऽो को

दखो तो उन िचऽो क पीछ खड़ उस शा त सतय को परम िमऽ को पयार करो और उनह भी याद िदलाओ िकः ह शा त आतमा ह परातन ह अिवनाशी नाशवान ससार और शरीर बदलत ह लिकन तम अबदल आतमा हो ॐॐॐ

बचपन बदल गया यौवन बदल गया बढ़ापा बदल गया शरीर बदल गया िफर

तम भी हो तम वह अमर आतमा हो िजस पर काल का भी कोई भाव नही चलता ह अकाल आतमा अपनी मिहमा म जागो इस कार क िवचार भजन स मगल करोग और मगल को पाओग जीवन मगलमय होन

लगगा मतको की मतय भी मगलमय हो जायगी मगल भवन अमगलहारी िवचारो को सदव एक दसर क ित सािरत करो ॐ आननद

आननद आननद रोत चीखत मोहमाया म पड़कर उनको याद करत हो तो उनका और अपना सतयानाश

करत हो उनको नीच िगरात हो उनकी आतमा को भटकात हो अपन को तचछ बनात हो अमागिलक िवचारो को कतई ःफिरत न होन दो सदव मगलमय िवचार हो जायगा मगलमय जीवन मतय भी मगलमय हो जायगी ॐ ॐ ॐ

ॐॐॐॐॐॐॐॐ जीवन और मतय आतमा-परमातमा को पान क दो पहल ह रात क बाद िदन िदन क

बाद रात होती ह इसी तरह जीवन और मतय चोल बदलत हए अनभवो स गजरत हए अपन आतमःव प को ःव प को पान क िलए मगलमयी अवःथा ह

िदन िजतना पयारा ह रात भी उतनी ही आवयक ह जीवन िजतना पयारा ह मतय भी

उतनी ही आवयक ह मतय मान आतमिशव क मिनदर म जान क िलए ऊची सीिढ़या मतय मान मा की गोद म बालक सो गया और उमा शि ताजगी ःफितर पाकर िफर सबह खलता ह मतय मान मा की गोद म थकान िमटान को जाना िफर नया तन ा करक अपनी मगलमय याऽा करना

त वदि स दखा जाय तो यह जीवन-मतय की याऽा कित म हो रही ह तमह

परमातमाःव प म जगान क िलए गीता म भगवान ौी कण कहत ह-

न जायत ियत वा कदािचननाय भतवा भिवता वा न भयः अजो िनतयः शा तोऽयपराणो न हनयत हनयमान शरीर

त वतः यह आतमा न कभी जनमता ह और न मरता ह न यह उतपनन होकर िफर होन

वाला ही ह यह जनमरिहत िनतय िनरनतर रहन वाला शा त और परातन अनािद ह शरीर क मार जान पर भी वह नही मारा जाता

(गीताः 220) शव की ःमशानयाऽा म मटका ल जात ह फोड़ दत ह यह याद िदलान क िलए िक दह

मानो मटका ह इस मगलमय मतय को पीछ िव ल होन की आवयकता नही ह यह मटका सवा करन क िलए िमला था जीणर-शीणर हआ टट गया िफर नया िमलगा मगलमय आतमा-परमातमा की ाि तक यह मगलमय जनम-मरण की याऽा तो चलती ही रहगी इसम िव ल होकर रोना-चीखना िनरा मोह ह अगर इस मोह को पोसा जाय और िकसी की मतय न हो तो ससार महा नरक हो जायगा माली अगर बगीच म काट-छाट न कर तो बगीचा बगीचा ही न रहगा अिपत भयानकर जगल हो जायगा

स ा न मतय का मगलमय िवधान न बनाया होता तो आदमी म तयाग सवा नता क

सदगण ही नही िखलत सब अमर होकर अिड़यल की तरह उलझ रहत रािऽ स अरणोदय अरणोदय स िफर मगलमयी रािऽ की अिनवायर आवयकता ह िवराट

की यह चणड बीड़ा तमह अपन िवराट ःवभाव म जगान क िलए आवयक ह मतय मान महायाऽा महाःथान महािनिा अतः जो मर गय ह उनकी याऽा मगलमय

हो आतमोननितद हो ऐसा िचनतन कर न िक अपन मोह और अजञान क कारण उनको भी भटकाए और खद भी परशान हो

कइयो की मतय बालयकाल म या यौवन म हो जाती ह जस मा न बचच को कपड़

पहनाए और नही जच उठा िलय िफर नय व ो स सजाया-धजाया अथवा यो कहो िक बचचा िखलौनो म रम जाता ह िखलौन नही छोड़ना चाहता परनत मगलमयी मा उस बलात उठा लती ह अपनी गोद म सलाती ह अपनी उमा सािननधय िवौािनत स उस प करक िफर नतन भात को उस खलन क िलए बीडागन म भज दती ह ऐस ही जीवातमा का बीडागन ससार ह अतः अनक शरीर बदलत हए अबदल की मगलमय याऽा करन क िलए जीवन और मतय को मगल िवधान समझकर ई र की हा म हा करत हए अपनी याऽा उननत कर

ॐॐॐ

ॐॐॐॐॐॐॐॐ

अनबम

िचतन पराग ई र का बनाया हआ त भल ही बना रह उसको िमथया समझ लन माऽ स का

बोध हो सकता ह साधक का काम त को िमथया समझन स ही चलता ह इचछाओ की ति का उपाय एक ही ह िक इचछाए तयाग दी जाए िजस िववकी न इस

जगत को सपन या इनिजाल क समान समझ िलया ह िजस दय न प म िदखन लगा ह वह दोषदश िववकी भला बताओ इसम अनराग कस कर

जञानी जागरण को सतय समझना छोड़ दन पर िफर पहल की भाित अनर नही होता

जञानी तयक वःत को अपना आतमा समझता ह मद की कलपना को बार-बार मन म लाना काम-वासना स म होन का सव म उपाय

बताया गया ह मद को पड़ हए दखकर मन घबरान लगता ह पिरणाम की कयो परवाह करत हो अपनी तनखवाह क बार म कभी िफब मत करो

अजञानी लोग समझत ह िक कायर की सफलता म कायर करन की अपकषा अिधक आननद ह इन अनधो को यह मालम ही नही ह िकसी पिरणाम स उतना सख नही िमलता िजतना काम करन स िमलता ह

अपन िवचारो को सदा वाःतिवक आतमा म रखो और पिरिःथितयो की परवाह मत करो तब तक आपकी हािन नही हो सकती जब तक िक आप ःवय उस नही बलात तलवार

तब तक नही काट सकती जब तक आप यह न सोच िक यह काटती ह ऐ पणर तर िलए कोई कतरवय या कायर शष नही ह सारी कित सास रोक तरी

सवा क िलए खड़ी ह ससार तरी पजा करन का अवसर पाकर अपन को कतकतय करना चाहता ह कया त कित की शि यो को अपन चरणो म झकन का अवसर दगा

अपन भीतर सतय क काश को सदा चमकता रखो भय और लोभन का शतान तमहार

पास नही फटकगा

बाहर की बातो म कछ भी नही मान अपमान अपना काम िकय जा िनिशिदन इसम ही सममान

दसर लोग तमहारी आलोचना िनदा करत हो उनह रोकन की च ा न करो कयोिक इनही

सब बातो क ारा तमम सदगणो की वि होगी जब तक तमहारा दय इतना दढ़ नही ह िक तम मख क बकन पर िःथर और शात बन रहो अथवा तमम इतनी सहनशीलता नही ह िक अजञानी मख को कषमा कर सको तब तक तम अपन को कही जञानी न समझ बठना

यिद तम शरीर और मन स ऊपर उठ जाओ तो सब िचनता और भयो स छट हो

जाओग िकसी भी आकिःमक दघरटना स धयर न छोड़ो कयोिक घबराहट स शि तथा बि का

नाश होता ह िकसी भी कार की किठनाइयो क आग दःिखत न होकर गमभीरतापवरक उनका सामना करो तभी तम िनःसनदह िवजय ा करोग तम कही भी हतोतसािहत होकर िनराश न होओ

ऐसी कौन-सी िवपि ह जो मरी सननता को न कर सकती ह वह कौन-सा रज ह जो

मर आननद म िव न डाल सकता ह म तो िव ाणड का भ ह म बि का भ ह िदमाग का मािलक ह और मन का शासक ह ससार मझम ह म ससार म नही आ सकता िव मझम ह म िव म नही बध

सकता सयर और नकषऽ मझम उदय और अःत होत ह दह और दिनया दोनो ई र क भीतर ह वही ई र म ह म िनिलर आतमा ह मरा जनम नही मतय नही म अजर-अमर ह म िचदाननद

आतमःव प ह म िमथया त िमथया धमर िमथया कमर िमथया और जगत िमथया और ऐसा तीत

होता ह िक म सवरःव ह म ही सवरजञ सवरगत आतमा ह अपना साकषी ह कदािप उन नाम पो म फसा नही ह

म िवश ह असखय ाणड मझम पड़ ह म असःपयर ह मरा ःव प िनिलर ह

मझ दःख स कोई भय नही ह मझ समय की जरा भी िचनता नही आतमाननद वाल को भय और आशका कसी

िकसी भी डर को अपन पास मत फटकन दो लोग यिद तमहार बराई करत ह तो तम उनह आशीवारद दो ऐस ःथान पर जाओ जहा

लोग तमस घणा कर तम तो म हो पहल स ही म हो सवरदा कहोः म सदा आननदःव प ह म

म ःवभाव ह म अननत ःव प ह मरी आतमा का आिद और अनत नही ह सभी मर आतमःव प ह

सननतापवरक अपमान सहन करन स और नता धारण करन स अिभमान की िनवि

होती ह िकसी पिवऽ ःथान पर जाओ तो वहा क अनशासन का पालन करो वहा चपपलो की

चटाक-पटाक आभषणो की खनखनाहट भड़कील व ो की फरफराहट आिद हमस न हो इसका परा धयान रखो कही भी िकसी क भी िच को या शात वातावरण को अशात करन का हम कोई अिधकार नही ह

अपन िकसी भी दःख या अशाित का कारण बाहर मत ढढो बाहर की पिरिःथितयो या

वयि यो को दोष मत दो कारण अपन भीतर ढढो िनद ष भाव स ढढोग तो कारण भीतर ही िमल जायगा उस दर करन की च ा करो शातिच रहन का यही बहमलय उपाय ह

जो आतम-अनशािसत ह व ही शासन कर सकत ह ऐसा करन क िलए नाम-जप कर

धयान कर िकसी आतमिन सत का पावन सािननधय ा कर सब तरह स िनभरय एव सनन बनन का यह ौ साधन ह

िवन बनो िनरहकारी बनो अपन आपको बड़ा बतान की च ा न करो िवनता एव

िनरािभमानता ही तमह बड़ा बनायगी िवनता मनय का बहत बड़ा भषण ह िनमरल दि रखो िकसी क दोष दखना यह बहत बड़ा दगरण ह िछिानवषी न बनो

दसरो क दोष दखना पाप अजरन करना ह गणमाही बनो

ॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐ

अनबम

  • मगलमय जीवन-मतय
  • मतय क परकार
  • मतय भी जीवन क समान आवशयक
  • सिकनदर न अमत कयो नही पिया
  • बिना मतय को जान जीवन जीवन नही
  • मतय किसकी होती ह
  • भगवान शरीराम और तारा
  • मतयः कवल वसतर परिवरतन
  • फकीरी मौतः आननदमय जीवन का दवारः
  • यमराज और नचिकताः
  • सचच सत मतय का रहसय समझात ह
  • मतयः एक विशरानति-सथानः
  • वासना की मतय क बाद परम विशरानति
  • धतराषटर का शोकः
  • घाटवाल बाबा का एक परसग
  • फकीरी मौत ही असली जीवन
    • फकीरी मौत कया ह
      • सकरात का अनभव
      • आधयातमविदयाः भारत की विशषताः
      • तीन परकार क लोगः
      • जञान को आय स कोई निसबत नही
      • योगसामरथयः एक परतयकष उदाहरण
      • योग भी साधना का आखिरी शिखर नही
      • गणातीत सत ही परम निरभयः
      • सतो का सनदशः
      • चितन पराग

वासना की मतय क बाद परम िवौािनत ःथल शरीर स सआम शरीर का िवयोग िजसको मतय कहा जाता ह वह िवौाम-ःथल तो

ह परनत पणर िवौाित उसम भी नही ह यह फकीरी मौत नही ह फकीरी मौत तो वह ह िजसम सारी वासनाए जड़ सिहत भःम हो जाए भीतर यिद सआम वासना भी बची रही तो जीव िफर स नया शरीर धारण कर लगा और

िफर स सख-दःख की ठोकर खाना चाल कर दगा िफर स वहीः

पनरिप जनन पनरिप मरण पनरिप जननी जठर शयनम

अनबम

धतरा का शोकः करकषऽ क य म दय धन सिहत जब सार पऽ मार गय तो धतरा खब दःखी हए और

िवदर स कहन लगः कण और पाडवो न िमलकर मर सब पऽो का सहार कर िदया ह इसका दःख मझस सहन नही होता एक एक कषण वयतीत करना मझ वष जसा लमबा लग रहा ह

िवदर धतरा को समझात हए कहत ह - जो होना होता ह वह होकर ही रहता ह आप

वयथर म शोक न करो आतमा अमर ह उसक िलए मतय जसी कोई चीज नही ह इस शरीर को छोड़कर जो जाता ह वह वापस नही आता इस बात को समझकरः राम राख तम रिहय ह भाई शोक न करो

परनत धतरा का शोक कम नही हआ वह दढ़तापवरक कहन लगाः तम कहत हो वह

सब समझता ह िफर भी मरा दःख कम नही हो ता मझ अपन पऽो क िबना चन नही पड़ रहा ह पलभर को भी िच शात नही रहता

अजञानी सोचता ह िक िजस कार म चाहता ह उसी कार सब हो जाय तो मझ सख

हो यही मनय का अजञान ह शा और सतो का िकतना ही उपदश सनन को िमल जाय तो भी वह अपनी मानयताओ

का मोह सरलता स छोड़न को तयार नही होता िवदर का धमरय उपदश धतरा को सानतवना नही द सका धतरा शा ो स िबलकल अनिभजञ था ऐसी बात नही थी िफर भी उसका शा जञान उस पऽो क मोह स म नही कर सका

अनबम

घाटवाल बाबा का एक सग हिर ार म घाटवाला बाबा क नाम स िस एक महान सत रहत थ बहत सीध -साद

और सरल कमर म कतान (टाट) लपट रहत थ ऊपर स िदखन म िभखारी जस लगत मगर भीतर स साट थ उनक पास एक वयि आया और बोलाः महाराज मझ शाित चािहए

महाराज न पहल उस धयान स दखा िफर कहाः शाित चािहए तो तम गीता पढ़ो

यह सनकर वह च ककर बोलाः गीता गीता तो म िव ािथरयो को पढ़ाता ह म कालज म ोफसर ह गीता मरा िवषय ह गीता म कई बार पढ़ चका ह उस पर तो मरा काब ह

महाराज बोलः यह ठ क ह अब तक तो लोगो को पढ़ाकर पसो क लाभ क िलए गीता

पढ़ी होगी अब मन को िनयिऽत करक शाित लाभ क िलए पढ़ो लोग शा ो म स सचनाए और जानकािरया इक ठ करक उस ही जञान मान लत ह

दसरो को भािवत करन क िलए लोग शा ो की बात करत ह उपदश दत ह परनत उनह अपन आपको कोई अनभित नही होती मतय क िवषय म भी लोग िव तापणर वचन कर सकत ह मतय स डरन वालो को आ ासन और धयर द सकत ह परनत मौत जब उनही क सममख साकषात आकर खड़ी होती ह तो उनकी रग -रग काप उठती ह कयोिक उनको फकीरी मौत का अनभव नही

कई लोग कहत ह िक जीवन और मौत अपन हाथ म नही ह परनत यह उनक िलए

ठ क ह िजनको आधयाितमक रहःय का पता नही जो ःवय को शरीर मानत ह दीन-हीन मानत ह परनत योगी जानत ह िक जीवन और मतय इन दोनो पर मनय का अिधकार ह इस अिधकार को ा करन की तरकीब भी व जानत ह कोई िहममतवान जानन को ततपर हो तो व उस बता भी सकत ह व तो खललमखलला कहत ह िक यिद रोत-कलपत हए मरना हो तो खब भोग-भोगो िकसी की परवाह न करत हए खब खाओ िपयो और अमयारिदत िवषय-सवन करो ऐसा जीवन आपको अपन आप मौत की ओर शीयता स आग बढ़ा दगा परनत

यिद मौत पर िवजय ा करनी हो जीवन को सही तरीक स जीना हो तो योिगयो क

कह अनसार करो ाणायाम करो धयान करो योग करो आतमिचनतन करो और ऐसा कोई योगी डॉकटरो क सामन आकर दय की गित बनद करक बता दता ह तो वह बात भी लोगो को

बड़ी आ यरजनक लगती ह लोगो क टोल क टोल उसको दखन क िलए उमड़ पड़त ह परनत यह भी कोई योग की पराका ा नही ह

फकीरी मौत ही असली जीवन इितहास म जञान र महाराज और योगी चागदव का सग आता ह वह तो आप लोग

जानत ही होग चागदव न मतय को चौदह बार धोखा िदया था अथारत जब -जब मौत का समय आता तब-तब चागदव योग की कला स अपन ाण ऊपर चढ़ाकर मौत टाल िदया करत थ ऐसा करत-करत चागदव न अपनी उ 1400 वषर तक बढ़ा दी िफर भी उनको आतमशािनत नही िमली फकीरी मौत ही आतमशाित द सकती ह और इसीिलए चागदव को आिखर म जञान र महाराज क चरणो म समिपरत होना पड़ा

अनबम

फकीरी मौत कया ह

फकीरी मौत ही असली जीवन ह फकीरी मौत अथारत अपन अह की मतय अपन जीवभाव की मतय म दह ह म जीव ह इस पिरिचछनन भाव की मतय

ःथल शरीर स सआम शरीर का िवयोग यह कोई फकीरी मौत नही ह अगर वासना शष

हो तो सआम शरीर बार-बार ःथल शरीर धारण करक इस ससार म जनम-मरण क दःख पणर चककर म भटकता रहता ह

जब तक फकीरी मौत नही हो तब तक चागदव की तरह चौदह बार कया चौदह हजार

बार भी ःथल शरीर को बचाय रखा जाय तो भी परम शाित क िबना यह बकार ह लाबधवा जञान परा शाित आतमजञान स ही परम शाित िमलती ह इसी कारण चागदव को फकीरी मौत सीखन क िलए जञान र महाराज क पास आना पड़ा था 1400 वषर का िशय और 22 वषर क गर यही जञान का आदर करन वाली भारतीय सःकित ह जञान स उ को कोई समबनध नही ह

हम तो जीवन म पग-पग पर छोटी-मोटी पिरिःथितयो स घबरा उठत ह ऐसा भयभीत

जीवन भी कोई जीवन ह यह तो मौत स भी बदतर ह इसीिलए कहता ह िक असली जीवन जीना हो िनभरय जीवन जीना हो तो फकीरी मौत को एक बार जान लो

फकीरी मौत अथारत अपन अमरतव को जान लना फकीरी मौत अथारत उस पद पर आ ढ़ हो जाना जहा स जीवन भी दखा जा सक और मौत भी दखी जा सक जहा स ःप प स िदख िक सख-दःख आय और गय बालयावःथा यवावःथा और व ावःथा आई और गई परनत य सब शरीर स ही समबिनधत थ मझ तो व ःपशर तक नही कर सक म तो असग ह अमर ह मरा तो जनम भी नही मतय भी नही

सकरात का अनभव सकरात को जब जहर िदया जान लगा तो उसक िशय रोन लग कयोिक उनको यह

अजञान था िक सकरात अब बचग नही मर जायग सकरात न कहाः अर तम रोत कयो हो अब तक मन जीवन दखा अब मौत को दखगा यिद म मर

जाऊगा तो आज नही तो कल मरन ही वाला था इसिलए रोन की कया ज रत ह और यिद मरत हए भी नही मरा कवल शरीर स ही िछनन-िभनन हआ तो भी रोन की कया ज रत

सकरात न िबना िहचिकचाहट क राजी-खशी स जहर का पयाला पी िलया और िशयो स

कहाः दखो यह रोन का समय नही ह बहत ही महतवपणर बात समझन का समय आया ह

मर शरीर पर जहर का भाव होन लगा ह पर सनन होत जा रह ह घटनो तक जड़ता वया हो गई ह जहर का असर बढ़ता जा रहा ह मर पर ह िक नही इसकी अनभित नही हो रही ह अब कमर तक का भाग सवदनहीन बन गया ह

इस कार सकरात का सारा शरीर ठडा होन लगा सकरात न कहाः अब जहर क भाव स हाथ पर छाती जड़ हो गई ह थोड़ी ही दर म मरी िज ा भी

िनःपद हो जायगी उसस पहल एक मह वपणर बात सन लो जीवन म िजसको नही जान सका उसका अनभव हो रहा ह शरीर क सब अग एक क एक बाद एक िनःपद होत जा रह ह परनत उसस मझम कोई फकर नही पड़ रहा ह म इतना ही पणर ह िजतना पहल था शरीर स म ःवय को अलग असग महसस कर रहा ह अब तक जस जीवन को दखा वस ही अभी मौत को भी दख रहा ह यह मौत मरी नही बिलक शरीर की ह

अनबम

आधयातमिव ाः भारत की िवशषताः सकरात तो शरीर छोड़त-छोड़त अपना अनभव लोगो को बतात गय िक शरीर की मतय

यह तमहारी मतय नही शरीर क जात हए भी तम इतन क इतन ही पणर हो परनत भारत क ऋिष तो आिद काल स कहत आय ह-

शणवनत िव अमतःय पऽा

आ य धामािन िदवयािन तःयः वदाहमत परष महानतम

आिदतयवण तमसः परःतात तमव िविदतवाऽितमतयमित नानयः पनथा िव तऽयनाय

ह अमतपऽो सनो उस महान परम परषो म को म जानता ह वह अिव ा प अधकार

स सवरथा अतीत ह वह सयर की तरह ःवयकाश-ःव प ह उसको जानकर ही मनय मतय का उललघन करन म जनम-मतय क बधनो स सदव क िलए छटन म समथर होता ह परम पद की ाि क िलए इसक अितिर कोई दसरा मागर नही ह

( ता तरोपिनषद) यह कोई वद-उपिनषद काल की बात ह उस समय क ऋिष चल गय और अब नही ह

ऐसी बात नही ह आज भी ऐस ऋिष और ऐस सत ह िजनहोन सतय की अनभित की ह अपन अमरतव का अनभव िकया ह इतना ही नही बिलक दसरो को भी इस अनभव म उतार सकत ह रामकण परमहस ःवामी िववकाननद ःवामी रामतीथर महिषर रमण इतयािद ऐस ही त वव ा महापरष थ और आज भी ऐस महापरष जगलो म और समाज क बीच म भी ह यहा इस ःथान पर भी हो सकत ह परनत उनको दखन की आख चािहए इन चमरचकषओ स उनह पहचानना मिकल ह िफर भी िजजञास और ममकष वि क लोग उनकी कपा स उनक बार म थोड़ा सकत यह इशारा पा सकत ह

अनबम

तीन कार क लोगः ऐस सतो क पास तीन कार क लोग आत ह- दशरक िव ाथ और साधक

दशरक अथारत ऐस लोग जो कवल दशरन करन और यह दखन क िल ए आत ह िक सत कस ह कया करत ह कया कहत ह उपदश भी सन तो लत ह पर उसक अनसार कछ करना ह इसक साथ उनका कोई समबनध नही होता आग बढ़न क िलए उनम कोई उतसाह नही होता

िव ाथ अथारत व जो शा एव उपदश समबनधी अपनी जानकारी बढ़ान क िलए आत ह

अपन पास जो जानकारी ह उसम और वि होव तािक दसरो को यह सब सनाकर अपनी िव ा की छाप उन पर छोड़ी जा सक दसरो स सना याद रखा और जाकर दसरो को सना िदया जस ग स शानसपोटर कमपनी ाईवट िलिमटड- यहा का माल वहा और वहा का माल यहा लाना और ल जाना ऐस लोग भी त व समझन क मागर पर चलन का पिरौम उठान को तयार नही

तीसर कार क लोग होत ह साधक य ऐस लोग होत ह िक जो साधनामागर पर चलन

को तयार होत ह इनको जसा बताया ह वसा करन को पणर प स किटब होत ह अपनी सारी शि उसम लगान को ततपर होत ह उसक िलए अपना मान-सममान तन-मन-धन सब कछ होम दन को तयार होत ह सत क ित और अपन धयय क ित इनम पणर िन ा होती ह य लोग फकीर अथवा सत क सकत क अनसार लआय की िसि क िलए साहसपवरक चल पड़त ह

िव ाथ अपन वयि तव का ौगार करन क िलए आत ह जबिक साधक वयि तव का िवसजरन करन क िलए आत ह साधक अपन लआय की तलना म अपन वयि तव या अपन अह का कोई भी मलय नही समझत जबिक िव ाथ क िलए अपना अह और वयि तव का ौगार ही सब कछ ह अपनी िव ता म वि जानकारी को बढ़ाना वयि तव को और आकषरक बनाना इसी म उस सार िदखता ह त वानभित की तरफ उसका कोई धयान नही होता

यही कारण ह िक सतो क पास आत तो बहत लोग ह परनत साधक बनकर वही िटक

कर त व का साकषातकार करन वाल कछ िवरल ही होत ह

जञान को आय स कोई िनःबत नही िजसन फकीरी मौत को जान िलया हो अथारत िजस आतमजञान हो गया हो वह शरीर की

दि स कम उ का हो परनत उसक आग लौिकक िव ा म वीण और अिधक वय क सफद दाढ़ी-मछ वाल लोग भी बालक क समान होत ह इसीिलए योगिव ा म वीण 1400 वषर क चागदव को कम उवाल जञान र महाराज क चरणो म समिपरत होना पड़ा था ाचीन काल म ऐस कई उदाहरण दखन म आत ह

िचऽ वटतरोमरल व ाः िशया गरयरवा

गरोःत मौन वयाखयान िशयाःतिचछननसशयाः अथारत यह कसा विच य ह िक वटवकष क नीच यवा गर और व िशय बठ ह गर

ारा मौन वयाखयान हो रहा ह और िशयो क सब सशयो और शकाओ का समाधान होता जा रहा ह

अनबम

योगसामथयरः एक तयकष उदाहरण अपन मोटरा आौम म भी ऐस ही करीब स र वषर क सफद बाल वाल एक साधक ह

पहल डीसा म व एक सत क पास गय गय तो थ दशरक बनकर ही परनत सत की दि पड़त ही व दशरक म स साधक बन गय म कछ वषर पवर डीसा क आौम म था तब व मर पास आय थ पकी हई उ म भी व 18 वषर की उ की एक बाला क साथ बयाह रचान की तयारी म थ और आशीवारद मागन हत वहा आय थ उनको दखकर ही मर मह स िनकल पड़ाः

अब तमहारी शादी ई र क साथ कराएग यह सनकर उनको बड़ा आ यर हआ कयोिक न तो व मझ पहल स जानत थ और न ही

म उनह जानता था उस व उनका शरीर भी कसा था चरबी और कफ-िप स ठसाठस भरा हआ एकदम ःथल दमा आिद रोगो का िशकार डीसा म कपड़ क बड़ वयापारी थ धप म िबना छाता िलए दकान स नीच नही उतर पात थ कित ऐसी थी िक िकसी भी सत महातमा को नही गाठ और काम-वासना भीतर इतनी भरी हई थी िक आग की दो पि या शरीर छोड़ चकी थी िफर भी इस उ म तीसरी शादी करन को तयार थ प ी िबना एक िदन भी नही रह सकत थ

घर पहचन पर उनको पता चला िक उनक अनदर जो काम -िवकार का तफान आया था

वह एकदम शात हो गया ह भिवय म प ी बनन वाली उस कमारी क साथ एकात म अनक च ाए करक भी व उस काम-िवकार को पनः नही जगा सक इतना बल िवकार एकाएक कहा चला गया िफर उनको समझ म आया िक सत की ई रीय अहत की कपा उनम उतरी ह उनको सारा ससार सना-सना लगन लगा उनहोन तरनत ही उस कमारी यवती को कछ पय और कपड़ िदय और बटी कहकर रवाना कर िदया उसक बाद उनहोन आसन ाणायाम गजकरणी नित धोित आिद िबयाए सीख ली और िनयिमत प स करन लग इसस उनक शरीर क सार परान कफ-िप -दमा आिद दर हो गय और शरीर म स आवयकता स अिधक चब घटकर शरीर हलका फल जसा हो गया अब तो जवानो क साथ दौड़न की भी ःपधार करत

ह धयानयोग की साधना म उनहोन इतनी गित की ह िक उनको कई कार क अलौिकक अनभव हआ करत ह अपन सआम शरीर ारा व लोक -लोकानतर म घम आया करत ह

योग भी साधना का आिखरी िशखर नही यह भी साधना की कोई आिखरी भिमका नही ह सव चच िशखर नही ह यह भी सब

माया की सीमा म ही ह िफर चमर-चकषओ स दखो अथवा धयान म बठकर दखो कयोिकः

यद दय तद अिनतयम जो िदखता ह वह अिनतय ह जो िदख सो चालनहार चागदव भी योग म कशल थ

काल को कई बार धोखा द चक थ परनत माया को धोखा न द सक व भी साि वक माया म थ माया स पर नही थ

माया ऐसी ठिगनी ठगत िफरत सब दश जो ठग या ठिगनी ठग वा ठग को आदश

कोई िवरल सत ही इस माया को ठग सकत ह माया स पार जा सकत ह बाकी क

लोगो का तो यह माया न र म ही शा त का आभास करा दती ह अिःथरता म िःथरता िदखा दती ह ऐसी मोिहना माया क िवषय म ौी कण कहत ह-

दवी षा गणमयी मम माया दरतयया मामव य प नत मायामता तरिनत त

मरी यह अदभत िऽगणमयी माया का तरना अतयनत दकर ह परनत जो मरी शरण म

आत ह व तर जात ह (गीता)

अनबम

गणातीत सत ही परम िनभरयः ऐसी दःतर माया को जो सत अथवा फकीर तर जात ह और मौत की पोल जान जात ह

व कहत ह- एक ऐसी जगह ह जहा मौत की पहच नही जहा मौत का कोई भय नही िजसस मौत भी भयभीत होती ह उस जगह म हम बठ ह तम चाहो तो तम भी बठ सकत हो

तमहार म एक ऐसा चतन ह जो कभी मरता नही िजसन मौत कभी दखी ही नही जो जीवन और मौत क समय पिरवतरन को दखता ह परनत उन सबस पर ह

यिद घड़ म आया हआ चनिमा का ितिबमब घड़ क पानी को उबलता हआ जानकर यह

मान की म उबल रहा ह पानी िहल तो समझ िक म िहलता ह घड़ा फट गया तो समझ िक म मर गया तो यह उसका अजञान ह परनत उसको यह पता चल जाय िक पानी क उबलन स म नही उबलता पानी क िहलन स म नही िहलता म तो वह चनिमा ह जो हजारो घड़ो म चमक रहा ह िकतन ही घड़ टट -फट गय परनत म मरा नही मरा कछ भी िबगड़ा नही म इन सबस असग ह तो वह कभी दःखी नही होगा

इसी कार हम यिद अपन असगपन को जान ल अथारत म शरीर-मन-बि नही अिपत

आतमा ह- यह हम जान ल तो िफर िकतन ही दह पी घड़ बन और टट -िबखर िकतनी ही सि या बन और उनका लय हो जाय हमको कोई भय नही होगा कयोिक आतमा का ःवभाव हः

न जायत ियत वा कदािचननाय भतवा भिवता वा न भयः अजो िनतयः शा तोऽयपराणो न हनयत हनयमान शरीर

यह आतमा िकसी काल म भी न तो जनमता ह और न मरता ही ह तथा न यह उतपनन

होकर िफर होन वाला ही ह कयोिक यह अजनमा िनतय सनातन और परातन ह शरीर क मार जान पर भी यह नही मारा जाता

(भगवदगीताः 223) अनबम

सतो का सनदशः िजन सतो न यह रहःय जान िलया ह जो इस अमतमय अनभव म स गजर चक ह व

सब भयो स म हो गय ह इसीिलए व अपनी अनभविस वाणी म कहत ह- अपन आतमदव स अपिरिचत होन क कारण ही तम अपन को दीन-हीन और दःखी

मानत हो इसिलए अपनी आतम-मिहमा म जाग जाओ यिद अपन आपको दीन ही मानत रह तो रोत रहोग ऐसा कौन ह जो तमह दःखी कर सक तम यिद न चाहो तो दःख की कया मजाल ह िक तमह ःपशर भी कर सक अननत-अननत ाणड को जो चल रहा ह वह चतन तमहार भीतर चमक रहा ह उसकी अनभित कर लो वही तमहारा वाःतिवक ःव प ह

मनसर को सली पर चढ़ा िदया गया था परनत उनको सली का कोई भय नही था सली

का क उनको ःपशर भी नही कर सका कयोिक मनसर अपनी मिहमा म जग हए थ व यह जान चक थ िक म शरीर नही ह सली शरीर को लग सकती ह मझ नही इसिलए व हसत-हसत सली पर चढ़ गय थ

हम ही जानबझकर अपनी सननता की अपन सख-दःख की चाबी दसरो क हाथो म

स प दत ह कोई थोड़ा हस दता ह तो हम बोिधत हो उठत ह कोई थोड़ी शसा कर दता ह तो हषर स फल उठत ह कयोिक हम अपन को सीिमत पिरिचछनन शरीर या मन ही मान बठ ह

हम अपन वाःतिवक ःव प अपनी असीम मिहमा को नही जानत नही तो मजाल ह

िक जगत क सार लोग और ततीस करोड़ दवता भी िमलकर हम दःखी करना चाह और हम दःखी हो जाय जब हम ही भीतर स सख अथवा दःख को ःवीकित दत ह तभी सख अथवा दःख हमको भािवत करता ह सदव सनन रहना ई र की सव परी भि ह

ःवामी रामतीथर कहा करत थ िक कोई यिद तमहारी सननता छ नकर उसक बदल म

तमको ःवगर का फिरता भी बनाना चाह तो फिरतापद को ठोकर मार दो मगर अपनी सननता मत बचो

हम इस जीवन और मतय का कई बार अनभव कर चक ह सत कहत ह- तमहारा न तो जीवन ह और न ही मतय ह तम जीव नही तम िशव हो तम अमर

हो तम अननत अनािद सिचचदाननद परमातमा हो यिद इस जनम-मरण क खल स थक चक हो इनक खोखल पन को जान चक हो इसक असारपन स पिरिचत हो चक हो तो िकसी सत क सािननधय का लाभ उठाकर फकीरी मौत को जान लो िफर तमह कोई दःख कोई मतय भयभीत नही कर सकगी िफर िजस आना हो वह आव जाना हो वह चला जाव सख आव तो आन दो दःख आव तो आन तो जो आयगा वह जायगा तम द ा बनकर दखत रहो तम अपनी मिहमा म मःत रहो

मौत स भी मौत का भय बदतर ह भय म स ही सार पाप पदा होत ह भय ही मतय

ह लोग पछत ह- ःवामी जी आतम-साकषातकार हो जाता ह िफर उसक बाद कया होता

ह होता कया ह हम अपन ःव प म जाग जात ह उसक बाद हमस जो भी वि होती ह वह आननदमय ही होती ह ससार की कोई भी दःखपणर घटना हमको दःखी नही कर सकती

िफर यह शरीर रह या न रह हमार आननद म कोई अनतर नही पड़ता उस आननदःव प अपन आतमदव को जानना-यही जीवन का परम कतरवय ह परनत इस परम कतरवय की ओर मनय का धयान जाता नही और छोटी-मोटी तचछ वि यो म ही अटका रह जाता ह

हम कही याऽा म िनकलत ह तो राःत क िलए िटिफन भरकर भोजन साथ ल लत ह

भोजन स भी अिधक महतव पानी का ह परनत उसक िलए सोच लत ह िक चलो ःटशन पर भर लग घर स पानी लकर चलन की िचनता नही करत पानी स भी यादा ज री हवा ह उसक िबना तो एक िमनट भी नही चलता िफर भी हवा का कोई िसलनडर भरकर साथ नही लत कयोिक हम सब जानत ह िक वह तो सवरऽ ह इसिलए हवा क िलए हम कोई िचनता नही करत

हवा स कम ज री पानी क िलए पानी स कम ज री भोजन क िलए हम यादा िचनता करत ह उसी कार अपन आननदःव प आतमा म जागन क परम कतरवय को छोड़कर कम महतव क ःथल शरीर क लालन पालन एव उसस सबिधत वयवहार को सभालन म ही हम लग रहत ह शरीर असत जड़ और दःख प ह उसको चलान वाला सआम भतो स िनिमरत सआम शरीर ह उसको भी चतन स ा दन वाला सत-िचत-आननदःव प आतमा ह इस आननद-ःव प आतमा को असत-जड़ दःख प और मरणधमार समझकर जीवनभर मौत क भय स भयभीत बन रहत ह

अनत परमातमा म न तो उतथान ह न पतन न जनम ह न मरण वहा तो सब एकरस

ह हम ही मोहवश अपना ससार खड़ा कर लत ह और एक दसर क साथ सबध बनाकर अपन को जानबझकर बधन म डाल दत ह

एक सत क पास एक स जन का पऽ आया उसम िलखा थाः ःवामी जी आपक

आशीवारद स हमार यहा पऽ का जनम हआ ह सत न उ र म उस िलखा िकः तम झठ बोलत हो िफर जब स जन सत क पास गया तब कहा िकः ःवामी जी म सच कहता ह मर यहा पऽ का जनम हआ ह इस पर सत न िफर स कहा िकः तम झठ बोलत हो यह सनकर उन स जन को बड़ा आ यर हआ वह िवःफािरत नऽो स सत की ओर दखन लगा तब सत न कहाः

पऽ का जनम नही हआ िपता का जनम हआ ह माता का जनम हआ ह काका-मामा

का जनम हआ ह पऽ को तो खबर ही नही ह िक मरा जनम हआ ह और म िकसी का पऽ भी ह परनत हम उस पर सार समबनध आरोिपत कर दत ह

वःततः पचभतो म कोई आकार बना ह उस पऽ का नाम द िदया समय आन पर यह आकार िबखर जायगा यह आकार बन उसम हषर और यह आकार िबखर जाय उसम शोक कसा भय कसा

िजस शरीर को हम म मानत ह उसकी कित तो दखो िपया तो था अमत जसा

मीठा जल और िनकाला मऽ प म गदा पानी खाय तो थ मोहनथाल दधपाक छपपन भोग पर बन गया सब िव ा प शरीर का सग करन पदाथर की ऐसी अवःथा बन जाती ह सत-िचत-आननदःव प आतमा भी अपन को भलकर शरीर क साथ एक होकर ःवय को म शरीर मान लती ह और दीन हीन एव दःखी बन जाती ह परनत जब वह अपन आपम जाग जाती ह तब अपन को दवो का दव अनभव करती ह

यिद हमन शरीर क साथ अहबि की तो हम म भय वया हो ही जायगा कयोिक शरीर

की मतय िनि त ह उसका पिरवतरन अवयभावी ह उसको तो ःवय ाजी भी नही रोक सकत परनत यिद हमन अपन आतमःव प को जान िलया ःव प म हमारी िन ा हो गई तो हम िनभरय हो गय कयोिक ःव प की मतय होती नही मौत भी उसस डरती ह

ःवामी अखणडाननद सरःवती एक बार रल क तीसर दज म याऽा कर रह थ व यह

जानना चाहत थ िक तीसर दज म लोगो ारा िकय जान वाल मान-अपमान का भाव उनक िदल पर होता ह िक नही आतमिनरीकषण स उनह पता चला िक भाव तो होता ह यह बात उनहोन ौी उिड़या बाबा को बतायी उिड़या बाबा न कहाः

तम बठत ही कचर क ढर पर हो आशा करत हो िक मझ पर कोई कचरा न फ क मझ

कचर की दगरनध न आव यह कस हो सकता ह तम बठत हो शरीर म और आशा रखत हो िक मान-अपमान का असर न हो ःवय को शरीर माना तो मान-अपमान सख-दःख होगा और जनम-मतय भी होगी

वदानत क रहःय को समझना यह कोई ि यो का काम नही ह ी अथारत कित क

शरीर क म मानकर जीनवाला एक बार राजा जनक िव ानो की सभा म बठ थ उस सभा म गाग आई वह िबलकल

िदगमबर (न न) थी ऐसी अवःथा म सभा म गाग का वश पिडतो को रचा नही इसिलए उनहोन नाक-भ िसकोड़ िलया परषो स भरी सभा म एक न न ी

गाग बोलीः ऐ पिडतो नाक भ कयो िसकोड़त हो

पिडतो न कहाः तम एक अबला ऐसी अवःथा म परषो की सभा म जो आई हो

गाग तरनत बोलीः कौन कहता ह िक म अबला ह म सबला ह अबला तो तम हो जो अपना रकषक बाहर ढढत हो म अपना रकषक आप ह म यह शरीर नही ह म तो सत -िचत-आननदःव प आतमा ह म अपन आपको जानती ह

िजसको जानकर गाग िनभरय बन गई थी उस आननदःव प अपन आतमदव को जो

जान लता ह उसी म िःथत हो जाता ह वह जीवन और मौत दोनो स पर दोनो का द ा बन जाता ह उस िफर कोई भय नही रहता वह सदव आननद म मःत रहता ह

मरो मरो सब कोई कह मरना न जान कोई एक बार ऐसा मरो िक िफर मरना न होई

मगलमय जीवन मगलमय िववाह मगलमय सबध उस परम मगल चतनय क कारण ही

हो सकत ह न िक शि शरीर क बा प-रग पर िवमोिहत होन स महाराज जी क पास आकर एक मिहला कहन लगीः मर पित ःवगरःथ हो गय ह

उनका िवयोग सहा नही जाता ऐसा कोई उपाय बताओ िक उनका िहत हो और मझ शाित िमल

दसरा एक वयि आया और बोलाः मरी प ी मझ अकला छोड़कर चल बसी ह

तीसर न कहाः मरा बटा ःवगरःथ हो गया ह उसकी मीठ याद आती ह मर मन म आता ह िक उसक पीछ म भी आतमहतया करक मर जाऊ बाबा जी शािनत का कछ उपाय बताइय

महाराज जी न कहाः ह भि मिहला पित की याद आय तो उनह खब आदरपवरक कहोः

मरणधमार शरीर म होत हए भी आप अमर थ शरीर क मरन पर भी आप नही मर दह न र ह आप शा त हो चतनय हो आप परम र का अिवनाशी अश हो जनम-मतय आपका धमर नही ह पाप-पणय आपका कमर नही ह आप अजर हो श ब हो हम परःपर पािथरव शरीर की ीित करक मोह म सड़ रह थ िवकारो म दब रह थ अब पािथरव शरीर की ीित स म होकर अपािथरव आतमा म िःथत हो जाओ

वह शादी बरबादी म बदल जाती ह िजसम एक दसर क शरीर को पयार करत ह वह

मगलमय शादी आबादी की ओर ल जाती ह जहा प ी पित को पित प ी को पऽ िपता को िपता पऽ को शरीर क प म नही अिपत शरीरो क आधार श चतनयःव प म दख परःपर अपन चतनयःव प की याद िदलाव और रणा द

ह भि मिहला अपन पित को याद करक उनक जीवातमा को यह रणा दो इसस

उनकी भी उननित होगी और तमहारी उननित होगी ऐसा िचनतन करो िकः ह चतनयःव प मर आतमन शरीर को पाच भत क पतल

को तयागन क बाद भी आपका अिःततव ह आप आतमा हो परम र हो अमर हो चतनय हो शा त हो

इसी कार अपनी प ी को और ःवगरःथ पऽ पिरवार को ःमरण करक उनको उननत

करो और आप भी उननत बनो जीत-जी भी परःपर इसी भाव स उननत करो मतय मगलमय हो जाय ऐसा वातावरण बनाओ

जो वयि मतय को ा हो चक ह उनक ौा ो क िदनो म तथा ःमरण क व उनह

सझाव दो िकः जनम-मतय तमहारा धमर नही था पाप-पणय तमहारा कमर नही था तम अजर

अिवनाशी िनलप शा त सनातन नारायण क अश हो अतः अपन परम र ःवभाव को सभालो ःमरण करो

अपन पित प ी पऽ का नाम लकर कहो िकः तम वही हो सचमच म वही हो जो

मरन क बाद भी नही मरता ॐॐॐ तम चतनय आतमा हो ॐॐॐ शा त परम र हो ॐॐॐ अिवनाशी परमातमा हो ॐॐॐ

पथवी पर क ःवपन तलय सबधो का ःमरण करक तम नीच न िगरो अिपत आतमा-

परमातमा क सबध को याद करत हए अपना ऐिहक जीवन मगलमय बनाओ ससार स कच करक जाओ उस समय तमहार कटमबी आतमा परमा तमा की एकता और अमरता तमहारी िनतयता और म ता का ःमरण तमह अत समय म करा द ऐसी वयवःथा करो

कोई चल बसन वाल हो या चल बस हो उनको याद करक उनकी ओर िदवय िवचार

अमर आतमा का सनदश भजो इस कार तम उ म सवा कर सकत हो और जीिवतो को जीवनदाता म जगा सकत हो दोनो इस कार परःपर सहायता करोग और पाओग

टिलफोन पर अपन दर क सबधी स हम जब बात करत ह तो उस यऽ म स आन वाली

धविन अपन सबधी की होती ह ऐस ही शरीर पी यऽो स जो कछ ःनह सातवना सहानभित म या काश हम पात ह वह भीतर वाल परम र का ही होता ह उनको या उनक िचऽो को

दखो तो उन िचऽो क पीछ खड़ उस शा त सतय को परम िमऽ को पयार करो और उनह भी याद िदलाओ िकः ह शा त आतमा ह परातन ह अिवनाशी नाशवान ससार और शरीर बदलत ह लिकन तम अबदल आतमा हो ॐॐॐ

बचपन बदल गया यौवन बदल गया बढ़ापा बदल गया शरीर बदल गया िफर

तम भी हो तम वह अमर आतमा हो िजस पर काल का भी कोई भाव नही चलता ह अकाल आतमा अपनी मिहमा म जागो इस कार क िवचार भजन स मगल करोग और मगल को पाओग जीवन मगलमय होन

लगगा मतको की मतय भी मगलमय हो जायगी मगल भवन अमगलहारी िवचारो को सदव एक दसर क ित सािरत करो ॐ आननद

आननद आननद रोत चीखत मोहमाया म पड़कर उनको याद करत हो तो उनका और अपना सतयानाश

करत हो उनको नीच िगरात हो उनकी आतमा को भटकात हो अपन को तचछ बनात हो अमागिलक िवचारो को कतई ःफिरत न होन दो सदव मगलमय िवचार हो जायगा मगलमय जीवन मतय भी मगलमय हो जायगी ॐ ॐ ॐ

ॐॐॐॐॐॐॐॐ जीवन और मतय आतमा-परमातमा को पान क दो पहल ह रात क बाद िदन िदन क

बाद रात होती ह इसी तरह जीवन और मतय चोल बदलत हए अनभवो स गजरत हए अपन आतमःव प को ःव प को पान क िलए मगलमयी अवःथा ह

िदन िजतना पयारा ह रात भी उतनी ही आवयक ह जीवन िजतना पयारा ह मतय भी

उतनी ही आवयक ह मतय मान आतमिशव क मिनदर म जान क िलए ऊची सीिढ़या मतय मान मा की गोद म बालक सो गया और उमा शि ताजगी ःफितर पाकर िफर सबह खलता ह मतय मान मा की गोद म थकान िमटान को जाना िफर नया तन ा करक अपनी मगलमय याऽा करना

त वदि स दखा जाय तो यह जीवन-मतय की याऽा कित म हो रही ह तमह

परमातमाःव प म जगान क िलए गीता म भगवान ौी कण कहत ह-

न जायत ियत वा कदािचननाय भतवा भिवता वा न भयः अजो िनतयः शा तोऽयपराणो न हनयत हनयमान शरीर

त वतः यह आतमा न कभी जनमता ह और न मरता ह न यह उतपनन होकर िफर होन

वाला ही ह यह जनमरिहत िनतय िनरनतर रहन वाला शा त और परातन अनािद ह शरीर क मार जान पर भी वह नही मारा जाता

(गीताः 220) शव की ःमशानयाऽा म मटका ल जात ह फोड़ दत ह यह याद िदलान क िलए िक दह

मानो मटका ह इस मगलमय मतय को पीछ िव ल होन की आवयकता नही ह यह मटका सवा करन क िलए िमला था जीणर-शीणर हआ टट गया िफर नया िमलगा मगलमय आतमा-परमातमा की ाि तक यह मगलमय जनम-मरण की याऽा तो चलती ही रहगी इसम िव ल होकर रोना-चीखना िनरा मोह ह अगर इस मोह को पोसा जाय और िकसी की मतय न हो तो ससार महा नरक हो जायगा माली अगर बगीच म काट-छाट न कर तो बगीचा बगीचा ही न रहगा अिपत भयानकर जगल हो जायगा

स ा न मतय का मगलमय िवधान न बनाया होता तो आदमी म तयाग सवा नता क

सदगण ही नही िखलत सब अमर होकर अिड़यल की तरह उलझ रहत रािऽ स अरणोदय अरणोदय स िफर मगलमयी रािऽ की अिनवायर आवयकता ह िवराट

की यह चणड बीड़ा तमह अपन िवराट ःवभाव म जगान क िलए आवयक ह मतय मान महायाऽा महाःथान महािनिा अतः जो मर गय ह उनकी याऽा मगलमय

हो आतमोननितद हो ऐसा िचनतन कर न िक अपन मोह और अजञान क कारण उनको भी भटकाए और खद भी परशान हो

कइयो की मतय बालयकाल म या यौवन म हो जाती ह जस मा न बचच को कपड़

पहनाए और नही जच उठा िलय िफर नय व ो स सजाया-धजाया अथवा यो कहो िक बचचा िखलौनो म रम जाता ह िखलौन नही छोड़ना चाहता परनत मगलमयी मा उस बलात उठा लती ह अपनी गोद म सलाती ह अपनी उमा सािननधय िवौािनत स उस प करक िफर नतन भात को उस खलन क िलए बीडागन म भज दती ह ऐस ही जीवातमा का बीडागन ससार ह अतः अनक शरीर बदलत हए अबदल की मगलमय याऽा करन क िलए जीवन और मतय को मगल िवधान समझकर ई र की हा म हा करत हए अपनी याऽा उननत कर

ॐॐॐ

ॐॐॐॐॐॐॐॐ

अनबम

िचतन पराग ई र का बनाया हआ त भल ही बना रह उसको िमथया समझ लन माऽ स का

बोध हो सकता ह साधक का काम त को िमथया समझन स ही चलता ह इचछाओ की ति का उपाय एक ही ह िक इचछाए तयाग दी जाए िजस िववकी न इस

जगत को सपन या इनिजाल क समान समझ िलया ह िजस दय न प म िदखन लगा ह वह दोषदश िववकी भला बताओ इसम अनराग कस कर

जञानी जागरण को सतय समझना छोड़ दन पर िफर पहल की भाित अनर नही होता

जञानी तयक वःत को अपना आतमा समझता ह मद की कलपना को बार-बार मन म लाना काम-वासना स म होन का सव म उपाय

बताया गया ह मद को पड़ हए दखकर मन घबरान लगता ह पिरणाम की कयो परवाह करत हो अपनी तनखवाह क बार म कभी िफब मत करो

अजञानी लोग समझत ह िक कायर की सफलता म कायर करन की अपकषा अिधक आननद ह इन अनधो को यह मालम ही नही ह िकसी पिरणाम स उतना सख नही िमलता िजतना काम करन स िमलता ह

अपन िवचारो को सदा वाःतिवक आतमा म रखो और पिरिःथितयो की परवाह मत करो तब तक आपकी हािन नही हो सकती जब तक िक आप ःवय उस नही बलात तलवार

तब तक नही काट सकती जब तक आप यह न सोच िक यह काटती ह ऐ पणर तर िलए कोई कतरवय या कायर शष नही ह सारी कित सास रोक तरी

सवा क िलए खड़ी ह ससार तरी पजा करन का अवसर पाकर अपन को कतकतय करना चाहता ह कया त कित की शि यो को अपन चरणो म झकन का अवसर दगा

अपन भीतर सतय क काश को सदा चमकता रखो भय और लोभन का शतान तमहार

पास नही फटकगा

बाहर की बातो म कछ भी नही मान अपमान अपना काम िकय जा िनिशिदन इसम ही सममान

दसर लोग तमहारी आलोचना िनदा करत हो उनह रोकन की च ा न करो कयोिक इनही

सब बातो क ारा तमम सदगणो की वि होगी जब तक तमहारा दय इतना दढ़ नही ह िक तम मख क बकन पर िःथर और शात बन रहो अथवा तमम इतनी सहनशीलता नही ह िक अजञानी मख को कषमा कर सको तब तक तम अपन को कही जञानी न समझ बठना

यिद तम शरीर और मन स ऊपर उठ जाओ तो सब िचनता और भयो स छट हो

जाओग िकसी भी आकिःमक दघरटना स धयर न छोड़ो कयोिक घबराहट स शि तथा बि का

नाश होता ह िकसी भी कार की किठनाइयो क आग दःिखत न होकर गमभीरतापवरक उनका सामना करो तभी तम िनःसनदह िवजय ा करोग तम कही भी हतोतसािहत होकर िनराश न होओ

ऐसी कौन-सी िवपि ह जो मरी सननता को न कर सकती ह वह कौन-सा रज ह जो

मर आननद म िव न डाल सकता ह म तो िव ाणड का भ ह म बि का भ ह िदमाग का मािलक ह और मन का शासक ह ससार मझम ह म ससार म नही आ सकता िव मझम ह म िव म नही बध

सकता सयर और नकषऽ मझम उदय और अःत होत ह दह और दिनया दोनो ई र क भीतर ह वही ई र म ह म िनिलर आतमा ह मरा जनम नही मतय नही म अजर-अमर ह म िचदाननद

आतमःव प ह म िमथया त िमथया धमर िमथया कमर िमथया और जगत िमथया और ऐसा तीत

होता ह िक म सवरःव ह म ही सवरजञ सवरगत आतमा ह अपना साकषी ह कदािप उन नाम पो म फसा नही ह

म िवश ह असखय ाणड मझम पड़ ह म असःपयर ह मरा ःव प िनिलर ह

मझ दःख स कोई भय नही ह मझ समय की जरा भी िचनता नही आतमाननद वाल को भय और आशका कसी

िकसी भी डर को अपन पास मत फटकन दो लोग यिद तमहार बराई करत ह तो तम उनह आशीवारद दो ऐस ःथान पर जाओ जहा

लोग तमस घणा कर तम तो म हो पहल स ही म हो सवरदा कहोः म सदा आननदःव प ह म

म ःवभाव ह म अननत ःव प ह मरी आतमा का आिद और अनत नही ह सभी मर आतमःव प ह

सननतापवरक अपमान सहन करन स और नता धारण करन स अिभमान की िनवि

होती ह िकसी पिवऽ ःथान पर जाओ तो वहा क अनशासन का पालन करो वहा चपपलो की

चटाक-पटाक आभषणो की खनखनाहट भड़कील व ो की फरफराहट आिद हमस न हो इसका परा धयान रखो कही भी िकसी क भी िच को या शात वातावरण को अशात करन का हम कोई अिधकार नही ह

अपन िकसी भी दःख या अशाित का कारण बाहर मत ढढो बाहर की पिरिःथितयो या

वयि यो को दोष मत दो कारण अपन भीतर ढढो िनद ष भाव स ढढोग तो कारण भीतर ही िमल जायगा उस दर करन की च ा करो शातिच रहन का यही बहमलय उपाय ह

जो आतम-अनशािसत ह व ही शासन कर सकत ह ऐसा करन क िलए नाम-जप कर

धयान कर िकसी आतमिन सत का पावन सािननधय ा कर सब तरह स िनभरय एव सनन बनन का यह ौ साधन ह

िवन बनो िनरहकारी बनो अपन आपको बड़ा बतान की च ा न करो िवनता एव

िनरािभमानता ही तमह बड़ा बनायगी िवनता मनय का बहत बड़ा भषण ह िनमरल दि रखो िकसी क दोष दखना यह बहत बड़ा दगरण ह िछिानवषी न बनो

दसरो क दोष दखना पाप अजरन करना ह गणमाही बनो

ॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐ

अनबम

  • मगलमय जीवन-मतय
  • मतय क परकार
  • मतय भी जीवन क समान आवशयक
  • सिकनदर न अमत कयो नही पिया
  • बिना मतय को जान जीवन जीवन नही
  • मतय किसकी होती ह
  • भगवान शरीराम और तारा
  • मतयः कवल वसतर परिवरतन
  • फकीरी मौतः आननदमय जीवन का दवारः
  • यमराज और नचिकताः
  • सचच सत मतय का रहसय समझात ह
  • मतयः एक विशरानति-सथानः
  • वासना की मतय क बाद परम विशरानति
  • धतराषटर का शोकः
  • घाटवाल बाबा का एक परसग
  • फकीरी मौत ही असली जीवन
    • फकीरी मौत कया ह
      • सकरात का अनभव
      • आधयातमविदयाः भारत की विशषताः
      • तीन परकार क लोगः
      • जञान को आय स कोई निसबत नही
      • योगसामरथयः एक परतयकष उदाहरण
      • योग भी साधना का आखिरी शिखर नही
      • गणातीत सत ही परम निरभयः
      • सतो का सनदशः
      • चितन पराग

अनबम

घाटवाल बाबा का एक सग हिर ार म घाटवाला बाबा क नाम स िस एक महान सत रहत थ बहत सीध -साद

और सरल कमर म कतान (टाट) लपट रहत थ ऊपर स िदखन म िभखारी जस लगत मगर भीतर स साट थ उनक पास एक वयि आया और बोलाः महाराज मझ शाित चािहए

महाराज न पहल उस धयान स दखा िफर कहाः शाित चािहए तो तम गीता पढ़ो

यह सनकर वह च ककर बोलाः गीता गीता तो म िव ािथरयो को पढ़ाता ह म कालज म ोफसर ह गीता मरा िवषय ह गीता म कई बार पढ़ चका ह उस पर तो मरा काब ह

महाराज बोलः यह ठ क ह अब तक तो लोगो को पढ़ाकर पसो क लाभ क िलए गीता

पढ़ी होगी अब मन को िनयिऽत करक शाित लाभ क िलए पढ़ो लोग शा ो म स सचनाए और जानकािरया इक ठ करक उस ही जञान मान लत ह

दसरो को भािवत करन क िलए लोग शा ो की बात करत ह उपदश दत ह परनत उनह अपन आपको कोई अनभित नही होती मतय क िवषय म भी लोग िव तापणर वचन कर सकत ह मतय स डरन वालो को आ ासन और धयर द सकत ह परनत मौत जब उनही क सममख साकषात आकर खड़ी होती ह तो उनकी रग -रग काप उठती ह कयोिक उनको फकीरी मौत का अनभव नही

कई लोग कहत ह िक जीवन और मौत अपन हाथ म नही ह परनत यह उनक िलए

ठ क ह िजनको आधयाितमक रहःय का पता नही जो ःवय को शरीर मानत ह दीन-हीन मानत ह परनत योगी जानत ह िक जीवन और मतय इन दोनो पर मनय का अिधकार ह इस अिधकार को ा करन की तरकीब भी व जानत ह कोई िहममतवान जानन को ततपर हो तो व उस बता भी सकत ह व तो खललमखलला कहत ह िक यिद रोत-कलपत हए मरना हो तो खब भोग-भोगो िकसी की परवाह न करत हए खब खाओ िपयो और अमयारिदत िवषय-सवन करो ऐसा जीवन आपको अपन आप मौत की ओर शीयता स आग बढ़ा दगा परनत

यिद मौत पर िवजय ा करनी हो जीवन को सही तरीक स जीना हो तो योिगयो क

कह अनसार करो ाणायाम करो धयान करो योग करो आतमिचनतन करो और ऐसा कोई योगी डॉकटरो क सामन आकर दय की गित बनद करक बता दता ह तो वह बात भी लोगो को

बड़ी आ यरजनक लगती ह लोगो क टोल क टोल उसको दखन क िलए उमड़ पड़त ह परनत यह भी कोई योग की पराका ा नही ह

फकीरी मौत ही असली जीवन इितहास म जञान र महाराज और योगी चागदव का सग आता ह वह तो आप लोग

जानत ही होग चागदव न मतय को चौदह बार धोखा िदया था अथारत जब -जब मौत का समय आता तब-तब चागदव योग की कला स अपन ाण ऊपर चढ़ाकर मौत टाल िदया करत थ ऐसा करत-करत चागदव न अपनी उ 1400 वषर तक बढ़ा दी िफर भी उनको आतमशािनत नही िमली फकीरी मौत ही आतमशाित द सकती ह और इसीिलए चागदव को आिखर म जञान र महाराज क चरणो म समिपरत होना पड़ा

अनबम

फकीरी मौत कया ह

फकीरी मौत ही असली जीवन ह फकीरी मौत अथारत अपन अह की मतय अपन जीवभाव की मतय म दह ह म जीव ह इस पिरिचछनन भाव की मतय

ःथल शरीर स सआम शरीर का िवयोग यह कोई फकीरी मौत नही ह अगर वासना शष

हो तो सआम शरीर बार-बार ःथल शरीर धारण करक इस ससार म जनम-मरण क दःख पणर चककर म भटकता रहता ह

जब तक फकीरी मौत नही हो तब तक चागदव की तरह चौदह बार कया चौदह हजार

बार भी ःथल शरीर को बचाय रखा जाय तो भी परम शाित क िबना यह बकार ह लाबधवा जञान परा शाित आतमजञान स ही परम शाित िमलती ह इसी कारण चागदव को फकीरी मौत सीखन क िलए जञान र महाराज क पास आना पड़ा था 1400 वषर का िशय और 22 वषर क गर यही जञान का आदर करन वाली भारतीय सःकित ह जञान स उ को कोई समबनध नही ह

हम तो जीवन म पग-पग पर छोटी-मोटी पिरिःथितयो स घबरा उठत ह ऐसा भयभीत

जीवन भी कोई जीवन ह यह तो मौत स भी बदतर ह इसीिलए कहता ह िक असली जीवन जीना हो िनभरय जीवन जीना हो तो फकीरी मौत को एक बार जान लो

फकीरी मौत अथारत अपन अमरतव को जान लना फकीरी मौत अथारत उस पद पर आ ढ़ हो जाना जहा स जीवन भी दखा जा सक और मौत भी दखी जा सक जहा स ःप प स िदख िक सख-दःख आय और गय बालयावःथा यवावःथा और व ावःथा आई और गई परनत य सब शरीर स ही समबिनधत थ मझ तो व ःपशर तक नही कर सक म तो असग ह अमर ह मरा तो जनम भी नही मतय भी नही

सकरात का अनभव सकरात को जब जहर िदया जान लगा तो उसक िशय रोन लग कयोिक उनको यह

अजञान था िक सकरात अब बचग नही मर जायग सकरात न कहाः अर तम रोत कयो हो अब तक मन जीवन दखा अब मौत को दखगा यिद म मर

जाऊगा तो आज नही तो कल मरन ही वाला था इसिलए रोन की कया ज रत ह और यिद मरत हए भी नही मरा कवल शरीर स ही िछनन-िभनन हआ तो भी रोन की कया ज रत

सकरात न िबना िहचिकचाहट क राजी-खशी स जहर का पयाला पी िलया और िशयो स

कहाः दखो यह रोन का समय नही ह बहत ही महतवपणर बात समझन का समय आया ह

मर शरीर पर जहर का भाव होन लगा ह पर सनन होत जा रह ह घटनो तक जड़ता वया हो गई ह जहर का असर बढ़ता जा रहा ह मर पर ह िक नही इसकी अनभित नही हो रही ह अब कमर तक का भाग सवदनहीन बन गया ह

इस कार सकरात का सारा शरीर ठडा होन लगा सकरात न कहाः अब जहर क भाव स हाथ पर छाती जड़ हो गई ह थोड़ी ही दर म मरी िज ा भी

िनःपद हो जायगी उसस पहल एक मह वपणर बात सन लो जीवन म िजसको नही जान सका उसका अनभव हो रहा ह शरीर क सब अग एक क एक बाद एक िनःपद होत जा रह ह परनत उसस मझम कोई फकर नही पड़ रहा ह म इतना ही पणर ह िजतना पहल था शरीर स म ःवय को अलग असग महसस कर रहा ह अब तक जस जीवन को दखा वस ही अभी मौत को भी दख रहा ह यह मौत मरी नही बिलक शरीर की ह

अनबम

आधयातमिव ाः भारत की िवशषताः सकरात तो शरीर छोड़त-छोड़त अपना अनभव लोगो को बतात गय िक शरीर की मतय

यह तमहारी मतय नही शरीर क जात हए भी तम इतन क इतन ही पणर हो परनत भारत क ऋिष तो आिद काल स कहत आय ह-

शणवनत िव अमतःय पऽा

आ य धामािन िदवयािन तःयः वदाहमत परष महानतम

आिदतयवण तमसः परःतात तमव िविदतवाऽितमतयमित नानयः पनथा िव तऽयनाय

ह अमतपऽो सनो उस महान परम परषो म को म जानता ह वह अिव ा प अधकार

स सवरथा अतीत ह वह सयर की तरह ःवयकाश-ःव प ह उसको जानकर ही मनय मतय का उललघन करन म जनम-मतय क बधनो स सदव क िलए छटन म समथर होता ह परम पद की ाि क िलए इसक अितिर कोई दसरा मागर नही ह

( ता तरोपिनषद) यह कोई वद-उपिनषद काल की बात ह उस समय क ऋिष चल गय और अब नही ह

ऐसी बात नही ह आज भी ऐस ऋिष और ऐस सत ह िजनहोन सतय की अनभित की ह अपन अमरतव का अनभव िकया ह इतना ही नही बिलक दसरो को भी इस अनभव म उतार सकत ह रामकण परमहस ःवामी िववकाननद ःवामी रामतीथर महिषर रमण इतयािद ऐस ही त वव ा महापरष थ और आज भी ऐस महापरष जगलो म और समाज क बीच म भी ह यहा इस ःथान पर भी हो सकत ह परनत उनको दखन की आख चािहए इन चमरचकषओ स उनह पहचानना मिकल ह िफर भी िजजञास और ममकष वि क लोग उनकी कपा स उनक बार म थोड़ा सकत यह इशारा पा सकत ह

अनबम

तीन कार क लोगः ऐस सतो क पास तीन कार क लोग आत ह- दशरक िव ाथ और साधक

दशरक अथारत ऐस लोग जो कवल दशरन करन और यह दखन क िल ए आत ह िक सत कस ह कया करत ह कया कहत ह उपदश भी सन तो लत ह पर उसक अनसार कछ करना ह इसक साथ उनका कोई समबनध नही होता आग बढ़न क िलए उनम कोई उतसाह नही होता

िव ाथ अथारत व जो शा एव उपदश समबनधी अपनी जानकारी बढ़ान क िलए आत ह

अपन पास जो जानकारी ह उसम और वि होव तािक दसरो को यह सब सनाकर अपनी िव ा की छाप उन पर छोड़ी जा सक दसरो स सना याद रखा और जाकर दसरो को सना िदया जस ग स शानसपोटर कमपनी ाईवट िलिमटड- यहा का माल वहा और वहा का माल यहा लाना और ल जाना ऐस लोग भी त व समझन क मागर पर चलन का पिरौम उठान को तयार नही

तीसर कार क लोग होत ह साधक य ऐस लोग होत ह िक जो साधनामागर पर चलन

को तयार होत ह इनको जसा बताया ह वसा करन को पणर प स किटब होत ह अपनी सारी शि उसम लगान को ततपर होत ह उसक िलए अपना मान-सममान तन-मन-धन सब कछ होम दन को तयार होत ह सत क ित और अपन धयय क ित इनम पणर िन ा होती ह य लोग फकीर अथवा सत क सकत क अनसार लआय की िसि क िलए साहसपवरक चल पड़त ह

िव ाथ अपन वयि तव का ौगार करन क िलए आत ह जबिक साधक वयि तव का िवसजरन करन क िलए आत ह साधक अपन लआय की तलना म अपन वयि तव या अपन अह का कोई भी मलय नही समझत जबिक िव ाथ क िलए अपना अह और वयि तव का ौगार ही सब कछ ह अपनी िव ता म वि जानकारी को बढ़ाना वयि तव को और आकषरक बनाना इसी म उस सार िदखता ह त वानभित की तरफ उसका कोई धयान नही होता

यही कारण ह िक सतो क पास आत तो बहत लोग ह परनत साधक बनकर वही िटक

कर त व का साकषातकार करन वाल कछ िवरल ही होत ह

जञान को आय स कोई िनःबत नही िजसन फकीरी मौत को जान िलया हो अथारत िजस आतमजञान हो गया हो वह शरीर की

दि स कम उ का हो परनत उसक आग लौिकक िव ा म वीण और अिधक वय क सफद दाढ़ी-मछ वाल लोग भी बालक क समान होत ह इसीिलए योगिव ा म वीण 1400 वषर क चागदव को कम उवाल जञान र महाराज क चरणो म समिपरत होना पड़ा था ाचीन काल म ऐस कई उदाहरण दखन म आत ह

िचऽ वटतरोमरल व ाः िशया गरयरवा

गरोःत मौन वयाखयान िशयाःतिचछननसशयाः अथारत यह कसा विच य ह िक वटवकष क नीच यवा गर और व िशय बठ ह गर

ारा मौन वयाखयान हो रहा ह और िशयो क सब सशयो और शकाओ का समाधान होता जा रहा ह

अनबम

योगसामथयरः एक तयकष उदाहरण अपन मोटरा आौम म भी ऐस ही करीब स र वषर क सफद बाल वाल एक साधक ह

पहल डीसा म व एक सत क पास गय गय तो थ दशरक बनकर ही परनत सत की दि पड़त ही व दशरक म स साधक बन गय म कछ वषर पवर डीसा क आौम म था तब व मर पास आय थ पकी हई उ म भी व 18 वषर की उ की एक बाला क साथ बयाह रचान की तयारी म थ और आशीवारद मागन हत वहा आय थ उनको दखकर ही मर मह स िनकल पड़ाः

अब तमहारी शादी ई र क साथ कराएग यह सनकर उनको बड़ा आ यर हआ कयोिक न तो व मझ पहल स जानत थ और न ही

म उनह जानता था उस व उनका शरीर भी कसा था चरबी और कफ-िप स ठसाठस भरा हआ एकदम ःथल दमा आिद रोगो का िशकार डीसा म कपड़ क बड़ वयापारी थ धप म िबना छाता िलए दकान स नीच नही उतर पात थ कित ऐसी थी िक िकसी भी सत महातमा को नही गाठ और काम-वासना भीतर इतनी भरी हई थी िक आग की दो पि या शरीर छोड़ चकी थी िफर भी इस उ म तीसरी शादी करन को तयार थ प ी िबना एक िदन भी नही रह सकत थ

घर पहचन पर उनको पता चला िक उनक अनदर जो काम -िवकार का तफान आया था

वह एकदम शात हो गया ह भिवय म प ी बनन वाली उस कमारी क साथ एकात म अनक च ाए करक भी व उस काम-िवकार को पनः नही जगा सक इतना बल िवकार एकाएक कहा चला गया िफर उनको समझ म आया िक सत की ई रीय अहत की कपा उनम उतरी ह उनको सारा ससार सना-सना लगन लगा उनहोन तरनत ही उस कमारी यवती को कछ पय और कपड़ िदय और बटी कहकर रवाना कर िदया उसक बाद उनहोन आसन ाणायाम गजकरणी नित धोित आिद िबयाए सीख ली और िनयिमत प स करन लग इसस उनक शरीर क सार परान कफ-िप -दमा आिद दर हो गय और शरीर म स आवयकता स अिधक चब घटकर शरीर हलका फल जसा हो गया अब तो जवानो क साथ दौड़न की भी ःपधार करत

ह धयानयोग की साधना म उनहोन इतनी गित की ह िक उनको कई कार क अलौिकक अनभव हआ करत ह अपन सआम शरीर ारा व लोक -लोकानतर म घम आया करत ह

योग भी साधना का आिखरी िशखर नही यह भी साधना की कोई आिखरी भिमका नही ह सव चच िशखर नही ह यह भी सब

माया की सीमा म ही ह िफर चमर-चकषओ स दखो अथवा धयान म बठकर दखो कयोिकः

यद दय तद अिनतयम जो िदखता ह वह अिनतय ह जो िदख सो चालनहार चागदव भी योग म कशल थ

काल को कई बार धोखा द चक थ परनत माया को धोखा न द सक व भी साि वक माया म थ माया स पर नही थ

माया ऐसी ठिगनी ठगत िफरत सब दश जो ठग या ठिगनी ठग वा ठग को आदश

कोई िवरल सत ही इस माया को ठग सकत ह माया स पार जा सकत ह बाकी क

लोगो का तो यह माया न र म ही शा त का आभास करा दती ह अिःथरता म िःथरता िदखा दती ह ऐसी मोिहना माया क िवषय म ौी कण कहत ह-

दवी षा गणमयी मम माया दरतयया मामव य प नत मायामता तरिनत त

मरी यह अदभत िऽगणमयी माया का तरना अतयनत दकर ह परनत जो मरी शरण म

आत ह व तर जात ह (गीता)

अनबम

गणातीत सत ही परम िनभरयः ऐसी दःतर माया को जो सत अथवा फकीर तर जात ह और मौत की पोल जान जात ह

व कहत ह- एक ऐसी जगह ह जहा मौत की पहच नही जहा मौत का कोई भय नही िजसस मौत भी भयभीत होती ह उस जगह म हम बठ ह तम चाहो तो तम भी बठ सकत हो

तमहार म एक ऐसा चतन ह जो कभी मरता नही िजसन मौत कभी दखी ही नही जो जीवन और मौत क समय पिरवतरन को दखता ह परनत उन सबस पर ह

यिद घड़ म आया हआ चनिमा का ितिबमब घड़ क पानी को उबलता हआ जानकर यह

मान की म उबल रहा ह पानी िहल तो समझ िक म िहलता ह घड़ा फट गया तो समझ िक म मर गया तो यह उसका अजञान ह परनत उसको यह पता चल जाय िक पानी क उबलन स म नही उबलता पानी क िहलन स म नही िहलता म तो वह चनिमा ह जो हजारो घड़ो म चमक रहा ह िकतन ही घड़ टट -फट गय परनत म मरा नही मरा कछ भी िबगड़ा नही म इन सबस असग ह तो वह कभी दःखी नही होगा

इसी कार हम यिद अपन असगपन को जान ल अथारत म शरीर-मन-बि नही अिपत

आतमा ह- यह हम जान ल तो िफर िकतन ही दह पी घड़ बन और टट -िबखर िकतनी ही सि या बन और उनका लय हो जाय हमको कोई भय नही होगा कयोिक आतमा का ःवभाव हः

न जायत ियत वा कदािचननाय भतवा भिवता वा न भयः अजो िनतयः शा तोऽयपराणो न हनयत हनयमान शरीर

यह आतमा िकसी काल म भी न तो जनमता ह और न मरता ही ह तथा न यह उतपनन

होकर िफर होन वाला ही ह कयोिक यह अजनमा िनतय सनातन और परातन ह शरीर क मार जान पर भी यह नही मारा जाता

(भगवदगीताः 223) अनबम

सतो का सनदशः िजन सतो न यह रहःय जान िलया ह जो इस अमतमय अनभव म स गजर चक ह व

सब भयो स म हो गय ह इसीिलए व अपनी अनभविस वाणी म कहत ह- अपन आतमदव स अपिरिचत होन क कारण ही तम अपन को दीन-हीन और दःखी

मानत हो इसिलए अपनी आतम-मिहमा म जाग जाओ यिद अपन आपको दीन ही मानत रह तो रोत रहोग ऐसा कौन ह जो तमह दःखी कर सक तम यिद न चाहो तो दःख की कया मजाल ह िक तमह ःपशर भी कर सक अननत-अननत ाणड को जो चल रहा ह वह चतन तमहार भीतर चमक रहा ह उसकी अनभित कर लो वही तमहारा वाःतिवक ःव प ह

मनसर को सली पर चढ़ा िदया गया था परनत उनको सली का कोई भय नही था सली

का क उनको ःपशर भी नही कर सका कयोिक मनसर अपनी मिहमा म जग हए थ व यह जान चक थ िक म शरीर नही ह सली शरीर को लग सकती ह मझ नही इसिलए व हसत-हसत सली पर चढ़ गय थ

हम ही जानबझकर अपनी सननता की अपन सख-दःख की चाबी दसरो क हाथो म

स प दत ह कोई थोड़ा हस दता ह तो हम बोिधत हो उठत ह कोई थोड़ी शसा कर दता ह तो हषर स फल उठत ह कयोिक हम अपन को सीिमत पिरिचछनन शरीर या मन ही मान बठ ह

हम अपन वाःतिवक ःव प अपनी असीम मिहमा को नही जानत नही तो मजाल ह

िक जगत क सार लोग और ततीस करोड़ दवता भी िमलकर हम दःखी करना चाह और हम दःखी हो जाय जब हम ही भीतर स सख अथवा दःख को ःवीकित दत ह तभी सख अथवा दःख हमको भािवत करता ह सदव सनन रहना ई र की सव परी भि ह

ःवामी रामतीथर कहा करत थ िक कोई यिद तमहारी सननता छ नकर उसक बदल म

तमको ःवगर का फिरता भी बनाना चाह तो फिरतापद को ठोकर मार दो मगर अपनी सननता मत बचो

हम इस जीवन और मतय का कई बार अनभव कर चक ह सत कहत ह- तमहारा न तो जीवन ह और न ही मतय ह तम जीव नही तम िशव हो तम अमर

हो तम अननत अनािद सिचचदाननद परमातमा हो यिद इस जनम-मरण क खल स थक चक हो इनक खोखल पन को जान चक हो इसक असारपन स पिरिचत हो चक हो तो िकसी सत क सािननधय का लाभ उठाकर फकीरी मौत को जान लो िफर तमह कोई दःख कोई मतय भयभीत नही कर सकगी िफर िजस आना हो वह आव जाना हो वह चला जाव सख आव तो आन दो दःख आव तो आन तो जो आयगा वह जायगा तम द ा बनकर दखत रहो तम अपनी मिहमा म मःत रहो

मौत स भी मौत का भय बदतर ह भय म स ही सार पाप पदा होत ह भय ही मतय

ह लोग पछत ह- ःवामी जी आतम-साकषातकार हो जाता ह िफर उसक बाद कया होता

ह होता कया ह हम अपन ःव प म जाग जात ह उसक बाद हमस जो भी वि होती ह वह आननदमय ही होती ह ससार की कोई भी दःखपणर घटना हमको दःखी नही कर सकती

िफर यह शरीर रह या न रह हमार आननद म कोई अनतर नही पड़ता उस आननदःव प अपन आतमदव को जानना-यही जीवन का परम कतरवय ह परनत इस परम कतरवय की ओर मनय का धयान जाता नही और छोटी-मोटी तचछ वि यो म ही अटका रह जाता ह

हम कही याऽा म िनकलत ह तो राःत क िलए िटिफन भरकर भोजन साथ ल लत ह

भोजन स भी अिधक महतव पानी का ह परनत उसक िलए सोच लत ह िक चलो ःटशन पर भर लग घर स पानी लकर चलन की िचनता नही करत पानी स भी यादा ज री हवा ह उसक िबना तो एक िमनट भी नही चलता िफर भी हवा का कोई िसलनडर भरकर साथ नही लत कयोिक हम सब जानत ह िक वह तो सवरऽ ह इसिलए हवा क िलए हम कोई िचनता नही करत

हवा स कम ज री पानी क िलए पानी स कम ज री भोजन क िलए हम यादा िचनता करत ह उसी कार अपन आननदःव प आतमा म जागन क परम कतरवय को छोड़कर कम महतव क ःथल शरीर क लालन पालन एव उसस सबिधत वयवहार को सभालन म ही हम लग रहत ह शरीर असत जड़ और दःख प ह उसको चलान वाला सआम भतो स िनिमरत सआम शरीर ह उसको भी चतन स ा दन वाला सत-िचत-आननदःव प आतमा ह इस आननद-ःव प आतमा को असत-जड़ दःख प और मरणधमार समझकर जीवनभर मौत क भय स भयभीत बन रहत ह

अनत परमातमा म न तो उतथान ह न पतन न जनम ह न मरण वहा तो सब एकरस

ह हम ही मोहवश अपना ससार खड़ा कर लत ह और एक दसर क साथ सबध बनाकर अपन को जानबझकर बधन म डाल दत ह

एक सत क पास एक स जन का पऽ आया उसम िलखा थाः ःवामी जी आपक

आशीवारद स हमार यहा पऽ का जनम हआ ह सत न उ र म उस िलखा िकः तम झठ बोलत हो िफर जब स जन सत क पास गया तब कहा िकः ःवामी जी म सच कहता ह मर यहा पऽ का जनम हआ ह इस पर सत न िफर स कहा िकः तम झठ बोलत हो यह सनकर उन स जन को बड़ा आ यर हआ वह िवःफािरत नऽो स सत की ओर दखन लगा तब सत न कहाः

पऽ का जनम नही हआ िपता का जनम हआ ह माता का जनम हआ ह काका-मामा

का जनम हआ ह पऽ को तो खबर ही नही ह िक मरा जनम हआ ह और म िकसी का पऽ भी ह परनत हम उस पर सार समबनध आरोिपत कर दत ह

वःततः पचभतो म कोई आकार बना ह उस पऽ का नाम द िदया समय आन पर यह आकार िबखर जायगा यह आकार बन उसम हषर और यह आकार िबखर जाय उसम शोक कसा भय कसा

िजस शरीर को हम म मानत ह उसकी कित तो दखो िपया तो था अमत जसा

मीठा जल और िनकाला मऽ प म गदा पानी खाय तो थ मोहनथाल दधपाक छपपन भोग पर बन गया सब िव ा प शरीर का सग करन पदाथर की ऐसी अवःथा बन जाती ह सत-िचत-आननदःव प आतमा भी अपन को भलकर शरीर क साथ एक होकर ःवय को म शरीर मान लती ह और दीन हीन एव दःखी बन जाती ह परनत जब वह अपन आपम जाग जाती ह तब अपन को दवो का दव अनभव करती ह

यिद हमन शरीर क साथ अहबि की तो हम म भय वया हो ही जायगा कयोिक शरीर

की मतय िनि त ह उसका पिरवतरन अवयभावी ह उसको तो ःवय ाजी भी नही रोक सकत परनत यिद हमन अपन आतमःव प को जान िलया ःव प म हमारी िन ा हो गई तो हम िनभरय हो गय कयोिक ःव प की मतय होती नही मौत भी उसस डरती ह

ःवामी अखणडाननद सरःवती एक बार रल क तीसर दज म याऽा कर रह थ व यह

जानना चाहत थ िक तीसर दज म लोगो ारा िकय जान वाल मान-अपमान का भाव उनक िदल पर होता ह िक नही आतमिनरीकषण स उनह पता चला िक भाव तो होता ह यह बात उनहोन ौी उिड़या बाबा को बतायी उिड़या बाबा न कहाः

तम बठत ही कचर क ढर पर हो आशा करत हो िक मझ पर कोई कचरा न फ क मझ

कचर की दगरनध न आव यह कस हो सकता ह तम बठत हो शरीर म और आशा रखत हो िक मान-अपमान का असर न हो ःवय को शरीर माना तो मान-अपमान सख-दःख होगा और जनम-मतय भी होगी

वदानत क रहःय को समझना यह कोई ि यो का काम नही ह ी अथारत कित क

शरीर क म मानकर जीनवाला एक बार राजा जनक िव ानो की सभा म बठ थ उस सभा म गाग आई वह िबलकल

िदगमबर (न न) थी ऐसी अवःथा म सभा म गाग का वश पिडतो को रचा नही इसिलए उनहोन नाक-भ िसकोड़ िलया परषो स भरी सभा म एक न न ी

गाग बोलीः ऐ पिडतो नाक भ कयो िसकोड़त हो

पिडतो न कहाः तम एक अबला ऐसी अवःथा म परषो की सभा म जो आई हो

गाग तरनत बोलीः कौन कहता ह िक म अबला ह म सबला ह अबला तो तम हो जो अपना रकषक बाहर ढढत हो म अपना रकषक आप ह म यह शरीर नही ह म तो सत -िचत-आननदःव प आतमा ह म अपन आपको जानती ह

िजसको जानकर गाग िनभरय बन गई थी उस आननदःव प अपन आतमदव को जो

जान लता ह उसी म िःथत हो जाता ह वह जीवन और मौत दोनो स पर दोनो का द ा बन जाता ह उस िफर कोई भय नही रहता वह सदव आननद म मःत रहता ह

मरो मरो सब कोई कह मरना न जान कोई एक बार ऐसा मरो िक िफर मरना न होई

मगलमय जीवन मगलमय िववाह मगलमय सबध उस परम मगल चतनय क कारण ही

हो सकत ह न िक शि शरीर क बा प-रग पर िवमोिहत होन स महाराज जी क पास आकर एक मिहला कहन लगीः मर पित ःवगरःथ हो गय ह

उनका िवयोग सहा नही जाता ऐसा कोई उपाय बताओ िक उनका िहत हो और मझ शाित िमल

दसरा एक वयि आया और बोलाः मरी प ी मझ अकला छोड़कर चल बसी ह

तीसर न कहाः मरा बटा ःवगरःथ हो गया ह उसकी मीठ याद आती ह मर मन म आता ह िक उसक पीछ म भी आतमहतया करक मर जाऊ बाबा जी शािनत का कछ उपाय बताइय

महाराज जी न कहाः ह भि मिहला पित की याद आय तो उनह खब आदरपवरक कहोः

मरणधमार शरीर म होत हए भी आप अमर थ शरीर क मरन पर भी आप नही मर दह न र ह आप शा त हो चतनय हो आप परम र का अिवनाशी अश हो जनम-मतय आपका धमर नही ह पाप-पणय आपका कमर नही ह आप अजर हो श ब हो हम परःपर पािथरव शरीर की ीित करक मोह म सड़ रह थ िवकारो म दब रह थ अब पािथरव शरीर की ीित स म होकर अपािथरव आतमा म िःथत हो जाओ

वह शादी बरबादी म बदल जाती ह िजसम एक दसर क शरीर को पयार करत ह वह

मगलमय शादी आबादी की ओर ल जाती ह जहा प ी पित को पित प ी को पऽ िपता को िपता पऽ को शरीर क प म नही अिपत शरीरो क आधार श चतनयःव प म दख परःपर अपन चतनयःव प की याद िदलाव और रणा द

ह भि मिहला अपन पित को याद करक उनक जीवातमा को यह रणा दो इसस

उनकी भी उननित होगी और तमहारी उननित होगी ऐसा िचनतन करो िकः ह चतनयःव प मर आतमन शरीर को पाच भत क पतल

को तयागन क बाद भी आपका अिःततव ह आप आतमा हो परम र हो अमर हो चतनय हो शा त हो

इसी कार अपनी प ी को और ःवगरःथ पऽ पिरवार को ःमरण करक उनको उननत

करो और आप भी उननत बनो जीत-जी भी परःपर इसी भाव स उननत करो मतय मगलमय हो जाय ऐसा वातावरण बनाओ

जो वयि मतय को ा हो चक ह उनक ौा ो क िदनो म तथा ःमरण क व उनह

सझाव दो िकः जनम-मतय तमहारा धमर नही था पाप-पणय तमहारा कमर नही था तम अजर

अिवनाशी िनलप शा त सनातन नारायण क अश हो अतः अपन परम र ःवभाव को सभालो ःमरण करो

अपन पित प ी पऽ का नाम लकर कहो िकः तम वही हो सचमच म वही हो जो

मरन क बाद भी नही मरता ॐॐॐ तम चतनय आतमा हो ॐॐॐ शा त परम र हो ॐॐॐ अिवनाशी परमातमा हो ॐॐॐ

पथवी पर क ःवपन तलय सबधो का ःमरण करक तम नीच न िगरो अिपत आतमा-

परमातमा क सबध को याद करत हए अपना ऐिहक जीवन मगलमय बनाओ ससार स कच करक जाओ उस समय तमहार कटमबी आतमा परमा तमा की एकता और अमरता तमहारी िनतयता और म ता का ःमरण तमह अत समय म करा द ऐसी वयवःथा करो

कोई चल बसन वाल हो या चल बस हो उनको याद करक उनकी ओर िदवय िवचार

अमर आतमा का सनदश भजो इस कार तम उ म सवा कर सकत हो और जीिवतो को जीवनदाता म जगा सकत हो दोनो इस कार परःपर सहायता करोग और पाओग

टिलफोन पर अपन दर क सबधी स हम जब बात करत ह तो उस यऽ म स आन वाली

धविन अपन सबधी की होती ह ऐस ही शरीर पी यऽो स जो कछ ःनह सातवना सहानभित म या काश हम पात ह वह भीतर वाल परम र का ही होता ह उनको या उनक िचऽो को

दखो तो उन िचऽो क पीछ खड़ उस शा त सतय को परम िमऽ को पयार करो और उनह भी याद िदलाओ िकः ह शा त आतमा ह परातन ह अिवनाशी नाशवान ससार और शरीर बदलत ह लिकन तम अबदल आतमा हो ॐॐॐ

बचपन बदल गया यौवन बदल गया बढ़ापा बदल गया शरीर बदल गया िफर

तम भी हो तम वह अमर आतमा हो िजस पर काल का भी कोई भाव नही चलता ह अकाल आतमा अपनी मिहमा म जागो इस कार क िवचार भजन स मगल करोग और मगल को पाओग जीवन मगलमय होन

लगगा मतको की मतय भी मगलमय हो जायगी मगल भवन अमगलहारी िवचारो को सदव एक दसर क ित सािरत करो ॐ आननद

आननद आननद रोत चीखत मोहमाया म पड़कर उनको याद करत हो तो उनका और अपना सतयानाश

करत हो उनको नीच िगरात हो उनकी आतमा को भटकात हो अपन को तचछ बनात हो अमागिलक िवचारो को कतई ःफिरत न होन दो सदव मगलमय िवचार हो जायगा मगलमय जीवन मतय भी मगलमय हो जायगी ॐ ॐ ॐ

ॐॐॐॐॐॐॐॐ जीवन और मतय आतमा-परमातमा को पान क दो पहल ह रात क बाद िदन िदन क

बाद रात होती ह इसी तरह जीवन और मतय चोल बदलत हए अनभवो स गजरत हए अपन आतमःव प को ःव प को पान क िलए मगलमयी अवःथा ह

िदन िजतना पयारा ह रात भी उतनी ही आवयक ह जीवन िजतना पयारा ह मतय भी

उतनी ही आवयक ह मतय मान आतमिशव क मिनदर म जान क िलए ऊची सीिढ़या मतय मान मा की गोद म बालक सो गया और उमा शि ताजगी ःफितर पाकर िफर सबह खलता ह मतय मान मा की गोद म थकान िमटान को जाना िफर नया तन ा करक अपनी मगलमय याऽा करना

त वदि स दखा जाय तो यह जीवन-मतय की याऽा कित म हो रही ह तमह

परमातमाःव प म जगान क िलए गीता म भगवान ौी कण कहत ह-

न जायत ियत वा कदािचननाय भतवा भिवता वा न भयः अजो िनतयः शा तोऽयपराणो न हनयत हनयमान शरीर

त वतः यह आतमा न कभी जनमता ह और न मरता ह न यह उतपनन होकर िफर होन

वाला ही ह यह जनमरिहत िनतय िनरनतर रहन वाला शा त और परातन अनािद ह शरीर क मार जान पर भी वह नही मारा जाता

(गीताः 220) शव की ःमशानयाऽा म मटका ल जात ह फोड़ दत ह यह याद िदलान क िलए िक दह

मानो मटका ह इस मगलमय मतय को पीछ िव ल होन की आवयकता नही ह यह मटका सवा करन क िलए िमला था जीणर-शीणर हआ टट गया िफर नया िमलगा मगलमय आतमा-परमातमा की ाि तक यह मगलमय जनम-मरण की याऽा तो चलती ही रहगी इसम िव ल होकर रोना-चीखना िनरा मोह ह अगर इस मोह को पोसा जाय और िकसी की मतय न हो तो ससार महा नरक हो जायगा माली अगर बगीच म काट-छाट न कर तो बगीचा बगीचा ही न रहगा अिपत भयानकर जगल हो जायगा

स ा न मतय का मगलमय िवधान न बनाया होता तो आदमी म तयाग सवा नता क

सदगण ही नही िखलत सब अमर होकर अिड़यल की तरह उलझ रहत रािऽ स अरणोदय अरणोदय स िफर मगलमयी रािऽ की अिनवायर आवयकता ह िवराट

की यह चणड बीड़ा तमह अपन िवराट ःवभाव म जगान क िलए आवयक ह मतय मान महायाऽा महाःथान महािनिा अतः जो मर गय ह उनकी याऽा मगलमय

हो आतमोननितद हो ऐसा िचनतन कर न िक अपन मोह और अजञान क कारण उनको भी भटकाए और खद भी परशान हो

कइयो की मतय बालयकाल म या यौवन म हो जाती ह जस मा न बचच को कपड़

पहनाए और नही जच उठा िलय िफर नय व ो स सजाया-धजाया अथवा यो कहो िक बचचा िखलौनो म रम जाता ह िखलौन नही छोड़ना चाहता परनत मगलमयी मा उस बलात उठा लती ह अपनी गोद म सलाती ह अपनी उमा सािननधय िवौािनत स उस प करक िफर नतन भात को उस खलन क िलए बीडागन म भज दती ह ऐस ही जीवातमा का बीडागन ससार ह अतः अनक शरीर बदलत हए अबदल की मगलमय याऽा करन क िलए जीवन और मतय को मगल िवधान समझकर ई र की हा म हा करत हए अपनी याऽा उननत कर

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अनबम

िचतन पराग ई र का बनाया हआ त भल ही बना रह उसको िमथया समझ लन माऽ स का

बोध हो सकता ह साधक का काम त को िमथया समझन स ही चलता ह इचछाओ की ति का उपाय एक ही ह िक इचछाए तयाग दी जाए िजस िववकी न इस

जगत को सपन या इनिजाल क समान समझ िलया ह िजस दय न प म िदखन लगा ह वह दोषदश िववकी भला बताओ इसम अनराग कस कर

जञानी जागरण को सतय समझना छोड़ दन पर िफर पहल की भाित अनर नही होता

जञानी तयक वःत को अपना आतमा समझता ह मद की कलपना को बार-बार मन म लाना काम-वासना स म होन का सव म उपाय

बताया गया ह मद को पड़ हए दखकर मन घबरान लगता ह पिरणाम की कयो परवाह करत हो अपनी तनखवाह क बार म कभी िफब मत करो

अजञानी लोग समझत ह िक कायर की सफलता म कायर करन की अपकषा अिधक आननद ह इन अनधो को यह मालम ही नही ह िकसी पिरणाम स उतना सख नही िमलता िजतना काम करन स िमलता ह

अपन िवचारो को सदा वाःतिवक आतमा म रखो और पिरिःथितयो की परवाह मत करो तब तक आपकी हािन नही हो सकती जब तक िक आप ःवय उस नही बलात तलवार

तब तक नही काट सकती जब तक आप यह न सोच िक यह काटती ह ऐ पणर तर िलए कोई कतरवय या कायर शष नही ह सारी कित सास रोक तरी

सवा क िलए खड़ी ह ससार तरी पजा करन का अवसर पाकर अपन को कतकतय करना चाहता ह कया त कित की शि यो को अपन चरणो म झकन का अवसर दगा

अपन भीतर सतय क काश को सदा चमकता रखो भय और लोभन का शतान तमहार

पास नही फटकगा

बाहर की बातो म कछ भी नही मान अपमान अपना काम िकय जा िनिशिदन इसम ही सममान

दसर लोग तमहारी आलोचना िनदा करत हो उनह रोकन की च ा न करो कयोिक इनही

सब बातो क ारा तमम सदगणो की वि होगी जब तक तमहारा दय इतना दढ़ नही ह िक तम मख क बकन पर िःथर और शात बन रहो अथवा तमम इतनी सहनशीलता नही ह िक अजञानी मख को कषमा कर सको तब तक तम अपन को कही जञानी न समझ बठना

यिद तम शरीर और मन स ऊपर उठ जाओ तो सब िचनता और भयो स छट हो

जाओग िकसी भी आकिःमक दघरटना स धयर न छोड़ो कयोिक घबराहट स शि तथा बि का

नाश होता ह िकसी भी कार की किठनाइयो क आग दःिखत न होकर गमभीरतापवरक उनका सामना करो तभी तम िनःसनदह िवजय ा करोग तम कही भी हतोतसािहत होकर िनराश न होओ

ऐसी कौन-सी िवपि ह जो मरी सननता को न कर सकती ह वह कौन-सा रज ह जो

मर आननद म िव न डाल सकता ह म तो िव ाणड का भ ह म बि का भ ह िदमाग का मािलक ह और मन का शासक ह ससार मझम ह म ससार म नही आ सकता िव मझम ह म िव म नही बध

सकता सयर और नकषऽ मझम उदय और अःत होत ह दह और दिनया दोनो ई र क भीतर ह वही ई र म ह म िनिलर आतमा ह मरा जनम नही मतय नही म अजर-अमर ह म िचदाननद

आतमःव प ह म िमथया त िमथया धमर िमथया कमर िमथया और जगत िमथया और ऐसा तीत

होता ह िक म सवरःव ह म ही सवरजञ सवरगत आतमा ह अपना साकषी ह कदािप उन नाम पो म फसा नही ह

म िवश ह असखय ाणड मझम पड़ ह म असःपयर ह मरा ःव प िनिलर ह

मझ दःख स कोई भय नही ह मझ समय की जरा भी िचनता नही आतमाननद वाल को भय और आशका कसी

िकसी भी डर को अपन पास मत फटकन दो लोग यिद तमहार बराई करत ह तो तम उनह आशीवारद दो ऐस ःथान पर जाओ जहा

लोग तमस घणा कर तम तो म हो पहल स ही म हो सवरदा कहोः म सदा आननदःव प ह म

म ःवभाव ह म अननत ःव प ह मरी आतमा का आिद और अनत नही ह सभी मर आतमःव प ह

सननतापवरक अपमान सहन करन स और नता धारण करन स अिभमान की िनवि

होती ह िकसी पिवऽ ःथान पर जाओ तो वहा क अनशासन का पालन करो वहा चपपलो की

चटाक-पटाक आभषणो की खनखनाहट भड़कील व ो की फरफराहट आिद हमस न हो इसका परा धयान रखो कही भी िकसी क भी िच को या शात वातावरण को अशात करन का हम कोई अिधकार नही ह

अपन िकसी भी दःख या अशाित का कारण बाहर मत ढढो बाहर की पिरिःथितयो या

वयि यो को दोष मत दो कारण अपन भीतर ढढो िनद ष भाव स ढढोग तो कारण भीतर ही िमल जायगा उस दर करन की च ा करो शातिच रहन का यही बहमलय उपाय ह

जो आतम-अनशािसत ह व ही शासन कर सकत ह ऐसा करन क िलए नाम-जप कर

धयान कर िकसी आतमिन सत का पावन सािननधय ा कर सब तरह स िनभरय एव सनन बनन का यह ौ साधन ह

िवन बनो िनरहकारी बनो अपन आपको बड़ा बतान की च ा न करो िवनता एव

िनरािभमानता ही तमह बड़ा बनायगी िवनता मनय का बहत बड़ा भषण ह िनमरल दि रखो िकसी क दोष दखना यह बहत बड़ा दगरण ह िछिानवषी न बनो

दसरो क दोष दखना पाप अजरन करना ह गणमाही बनो

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अनबम

  • मगलमय जीवन-मतय
  • मतय क परकार
  • मतय भी जीवन क समान आवशयक
  • सिकनदर न अमत कयो नही पिया
  • बिना मतय को जान जीवन जीवन नही
  • मतय किसकी होती ह
  • भगवान शरीराम और तारा
  • मतयः कवल वसतर परिवरतन
  • फकीरी मौतः आननदमय जीवन का दवारः
  • यमराज और नचिकताः
  • सचच सत मतय का रहसय समझात ह
  • मतयः एक विशरानति-सथानः
  • वासना की मतय क बाद परम विशरानति
  • धतराषटर का शोकः
  • घाटवाल बाबा का एक परसग
  • फकीरी मौत ही असली जीवन
    • फकीरी मौत कया ह
      • सकरात का अनभव
      • आधयातमविदयाः भारत की विशषताः
      • तीन परकार क लोगः
      • जञान को आय स कोई निसबत नही
      • योगसामरथयः एक परतयकष उदाहरण
      • योग भी साधना का आखिरी शिखर नही
      • गणातीत सत ही परम निरभयः
      • सतो का सनदशः
      • चितन पराग

बड़ी आ यरजनक लगती ह लोगो क टोल क टोल उसको दखन क िलए उमड़ पड़त ह परनत यह भी कोई योग की पराका ा नही ह

फकीरी मौत ही असली जीवन इितहास म जञान र महाराज और योगी चागदव का सग आता ह वह तो आप लोग

जानत ही होग चागदव न मतय को चौदह बार धोखा िदया था अथारत जब -जब मौत का समय आता तब-तब चागदव योग की कला स अपन ाण ऊपर चढ़ाकर मौत टाल िदया करत थ ऐसा करत-करत चागदव न अपनी उ 1400 वषर तक बढ़ा दी िफर भी उनको आतमशािनत नही िमली फकीरी मौत ही आतमशाित द सकती ह और इसीिलए चागदव को आिखर म जञान र महाराज क चरणो म समिपरत होना पड़ा

अनबम

फकीरी मौत कया ह

फकीरी मौत ही असली जीवन ह फकीरी मौत अथारत अपन अह की मतय अपन जीवभाव की मतय म दह ह म जीव ह इस पिरिचछनन भाव की मतय

ःथल शरीर स सआम शरीर का िवयोग यह कोई फकीरी मौत नही ह अगर वासना शष

हो तो सआम शरीर बार-बार ःथल शरीर धारण करक इस ससार म जनम-मरण क दःख पणर चककर म भटकता रहता ह

जब तक फकीरी मौत नही हो तब तक चागदव की तरह चौदह बार कया चौदह हजार

बार भी ःथल शरीर को बचाय रखा जाय तो भी परम शाित क िबना यह बकार ह लाबधवा जञान परा शाित आतमजञान स ही परम शाित िमलती ह इसी कारण चागदव को फकीरी मौत सीखन क िलए जञान र महाराज क पास आना पड़ा था 1400 वषर का िशय और 22 वषर क गर यही जञान का आदर करन वाली भारतीय सःकित ह जञान स उ को कोई समबनध नही ह

हम तो जीवन म पग-पग पर छोटी-मोटी पिरिःथितयो स घबरा उठत ह ऐसा भयभीत

जीवन भी कोई जीवन ह यह तो मौत स भी बदतर ह इसीिलए कहता ह िक असली जीवन जीना हो िनभरय जीवन जीना हो तो फकीरी मौत को एक बार जान लो

फकीरी मौत अथारत अपन अमरतव को जान लना फकीरी मौत अथारत उस पद पर आ ढ़ हो जाना जहा स जीवन भी दखा जा सक और मौत भी दखी जा सक जहा स ःप प स िदख िक सख-दःख आय और गय बालयावःथा यवावःथा और व ावःथा आई और गई परनत य सब शरीर स ही समबिनधत थ मझ तो व ःपशर तक नही कर सक म तो असग ह अमर ह मरा तो जनम भी नही मतय भी नही

सकरात का अनभव सकरात को जब जहर िदया जान लगा तो उसक िशय रोन लग कयोिक उनको यह

अजञान था िक सकरात अब बचग नही मर जायग सकरात न कहाः अर तम रोत कयो हो अब तक मन जीवन दखा अब मौत को दखगा यिद म मर

जाऊगा तो आज नही तो कल मरन ही वाला था इसिलए रोन की कया ज रत ह और यिद मरत हए भी नही मरा कवल शरीर स ही िछनन-िभनन हआ तो भी रोन की कया ज रत

सकरात न िबना िहचिकचाहट क राजी-खशी स जहर का पयाला पी िलया और िशयो स

कहाः दखो यह रोन का समय नही ह बहत ही महतवपणर बात समझन का समय आया ह

मर शरीर पर जहर का भाव होन लगा ह पर सनन होत जा रह ह घटनो तक जड़ता वया हो गई ह जहर का असर बढ़ता जा रहा ह मर पर ह िक नही इसकी अनभित नही हो रही ह अब कमर तक का भाग सवदनहीन बन गया ह

इस कार सकरात का सारा शरीर ठडा होन लगा सकरात न कहाः अब जहर क भाव स हाथ पर छाती जड़ हो गई ह थोड़ी ही दर म मरी िज ा भी

िनःपद हो जायगी उसस पहल एक मह वपणर बात सन लो जीवन म िजसको नही जान सका उसका अनभव हो रहा ह शरीर क सब अग एक क एक बाद एक िनःपद होत जा रह ह परनत उसस मझम कोई फकर नही पड़ रहा ह म इतना ही पणर ह िजतना पहल था शरीर स म ःवय को अलग असग महसस कर रहा ह अब तक जस जीवन को दखा वस ही अभी मौत को भी दख रहा ह यह मौत मरी नही बिलक शरीर की ह

अनबम

आधयातमिव ाः भारत की िवशषताः सकरात तो शरीर छोड़त-छोड़त अपना अनभव लोगो को बतात गय िक शरीर की मतय

यह तमहारी मतय नही शरीर क जात हए भी तम इतन क इतन ही पणर हो परनत भारत क ऋिष तो आिद काल स कहत आय ह-

शणवनत िव अमतःय पऽा

आ य धामािन िदवयािन तःयः वदाहमत परष महानतम

आिदतयवण तमसः परःतात तमव िविदतवाऽितमतयमित नानयः पनथा िव तऽयनाय

ह अमतपऽो सनो उस महान परम परषो म को म जानता ह वह अिव ा प अधकार

स सवरथा अतीत ह वह सयर की तरह ःवयकाश-ःव प ह उसको जानकर ही मनय मतय का उललघन करन म जनम-मतय क बधनो स सदव क िलए छटन म समथर होता ह परम पद की ाि क िलए इसक अितिर कोई दसरा मागर नही ह

( ता तरोपिनषद) यह कोई वद-उपिनषद काल की बात ह उस समय क ऋिष चल गय और अब नही ह

ऐसी बात नही ह आज भी ऐस ऋिष और ऐस सत ह िजनहोन सतय की अनभित की ह अपन अमरतव का अनभव िकया ह इतना ही नही बिलक दसरो को भी इस अनभव म उतार सकत ह रामकण परमहस ःवामी िववकाननद ःवामी रामतीथर महिषर रमण इतयािद ऐस ही त वव ा महापरष थ और आज भी ऐस महापरष जगलो म और समाज क बीच म भी ह यहा इस ःथान पर भी हो सकत ह परनत उनको दखन की आख चािहए इन चमरचकषओ स उनह पहचानना मिकल ह िफर भी िजजञास और ममकष वि क लोग उनकी कपा स उनक बार म थोड़ा सकत यह इशारा पा सकत ह

अनबम

तीन कार क लोगः ऐस सतो क पास तीन कार क लोग आत ह- दशरक िव ाथ और साधक

दशरक अथारत ऐस लोग जो कवल दशरन करन और यह दखन क िल ए आत ह िक सत कस ह कया करत ह कया कहत ह उपदश भी सन तो लत ह पर उसक अनसार कछ करना ह इसक साथ उनका कोई समबनध नही होता आग बढ़न क िलए उनम कोई उतसाह नही होता

िव ाथ अथारत व जो शा एव उपदश समबनधी अपनी जानकारी बढ़ान क िलए आत ह

अपन पास जो जानकारी ह उसम और वि होव तािक दसरो को यह सब सनाकर अपनी िव ा की छाप उन पर छोड़ी जा सक दसरो स सना याद रखा और जाकर दसरो को सना िदया जस ग स शानसपोटर कमपनी ाईवट िलिमटड- यहा का माल वहा और वहा का माल यहा लाना और ल जाना ऐस लोग भी त व समझन क मागर पर चलन का पिरौम उठान को तयार नही

तीसर कार क लोग होत ह साधक य ऐस लोग होत ह िक जो साधनामागर पर चलन

को तयार होत ह इनको जसा बताया ह वसा करन को पणर प स किटब होत ह अपनी सारी शि उसम लगान को ततपर होत ह उसक िलए अपना मान-सममान तन-मन-धन सब कछ होम दन को तयार होत ह सत क ित और अपन धयय क ित इनम पणर िन ा होती ह य लोग फकीर अथवा सत क सकत क अनसार लआय की िसि क िलए साहसपवरक चल पड़त ह

िव ाथ अपन वयि तव का ौगार करन क िलए आत ह जबिक साधक वयि तव का िवसजरन करन क िलए आत ह साधक अपन लआय की तलना म अपन वयि तव या अपन अह का कोई भी मलय नही समझत जबिक िव ाथ क िलए अपना अह और वयि तव का ौगार ही सब कछ ह अपनी िव ता म वि जानकारी को बढ़ाना वयि तव को और आकषरक बनाना इसी म उस सार िदखता ह त वानभित की तरफ उसका कोई धयान नही होता

यही कारण ह िक सतो क पास आत तो बहत लोग ह परनत साधक बनकर वही िटक

कर त व का साकषातकार करन वाल कछ िवरल ही होत ह

जञान को आय स कोई िनःबत नही िजसन फकीरी मौत को जान िलया हो अथारत िजस आतमजञान हो गया हो वह शरीर की

दि स कम उ का हो परनत उसक आग लौिकक िव ा म वीण और अिधक वय क सफद दाढ़ी-मछ वाल लोग भी बालक क समान होत ह इसीिलए योगिव ा म वीण 1400 वषर क चागदव को कम उवाल जञान र महाराज क चरणो म समिपरत होना पड़ा था ाचीन काल म ऐस कई उदाहरण दखन म आत ह

िचऽ वटतरोमरल व ाः िशया गरयरवा

गरोःत मौन वयाखयान िशयाःतिचछननसशयाः अथारत यह कसा विच य ह िक वटवकष क नीच यवा गर और व िशय बठ ह गर

ारा मौन वयाखयान हो रहा ह और िशयो क सब सशयो और शकाओ का समाधान होता जा रहा ह

अनबम

योगसामथयरः एक तयकष उदाहरण अपन मोटरा आौम म भी ऐस ही करीब स र वषर क सफद बाल वाल एक साधक ह

पहल डीसा म व एक सत क पास गय गय तो थ दशरक बनकर ही परनत सत की दि पड़त ही व दशरक म स साधक बन गय म कछ वषर पवर डीसा क आौम म था तब व मर पास आय थ पकी हई उ म भी व 18 वषर की उ की एक बाला क साथ बयाह रचान की तयारी म थ और आशीवारद मागन हत वहा आय थ उनको दखकर ही मर मह स िनकल पड़ाः

अब तमहारी शादी ई र क साथ कराएग यह सनकर उनको बड़ा आ यर हआ कयोिक न तो व मझ पहल स जानत थ और न ही

म उनह जानता था उस व उनका शरीर भी कसा था चरबी और कफ-िप स ठसाठस भरा हआ एकदम ःथल दमा आिद रोगो का िशकार डीसा म कपड़ क बड़ वयापारी थ धप म िबना छाता िलए दकान स नीच नही उतर पात थ कित ऐसी थी िक िकसी भी सत महातमा को नही गाठ और काम-वासना भीतर इतनी भरी हई थी िक आग की दो पि या शरीर छोड़ चकी थी िफर भी इस उ म तीसरी शादी करन को तयार थ प ी िबना एक िदन भी नही रह सकत थ

घर पहचन पर उनको पता चला िक उनक अनदर जो काम -िवकार का तफान आया था

वह एकदम शात हो गया ह भिवय म प ी बनन वाली उस कमारी क साथ एकात म अनक च ाए करक भी व उस काम-िवकार को पनः नही जगा सक इतना बल िवकार एकाएक कहा चला गया िफर उनको समझ म आया िक सत की ई रीय अहत की कपा उनम उतरी ह उनको सारा ससार सना-सना लगन लगा उनहोन तरनत ही उस कमारी यवती को कछ पय और कपड़ िदय और बटी कहकर रवाना कर िदया उसक बाद उनहोन आसन ाणायाम गजकरणी नित धोित आिद िबयाए सीख ली और िनयिमत प स करन लग इसस उनक शरीर क सार परान कफ-िप -दमा आिद दर हो गय और शरीर म स आवयकता स अिधक चब घटकर शरीर हलका फल जसा हो गया अब तो जवानो क साथ दौड़न की भी ःपधार करत

ह धयानयोग की साधना म उनहोन इतनी गित की ह िक उनको कई कार क अलौिकक अनभव हआ करत ह अपन सआम शरीर ारा व लोक -लोकानतर म घम आया करत ह

योग भी साधना का आिखरी िशखर नही यह भी साधना की कोई आिखरी भिमका नही ह सव चच िशखर नही ह यह भी सब

माया की सीमा म ही ह िफर चमर-चकषओ स दखो अथवा धयान म बठकर दखो कयोिकः

यद दय तद अिनतयम जो िदखता ह वह अिनतय ह जो िदख सो चालनहार चागदव भी योग म कशल थ

काल को कई बार धोखा द चक थ परनत माया को धोखा न द सक व भी साि वक माया म थ माया स पर नही थ

माया ऐसी ठिगनी ठगत िफरत सब दश जो ठग या ठिगनी ठग वा ठग को आदश

कोई िवरल सत ही इस माया को ठग सकत ह माया स पार जा सकत ह बाकी क

लोगो का तो यह माया न र म ही शा त का आभास करा दती ह अिःथरता म िःथरता िदखा दती ह ऐसी मोिहना माया क िवषय म ौी कण कहत ह-

दवी षा गणमयी मम माया दरतयया मामव य प नत मायामता तरिनत त

मरी यह अदभत िऽगणमयी माया का तरना अतयनत दकर ह परनत जो मरी शरण म

आत ह व तर जात ह (गीता)

अनबम

गणातीत सत ही परम िनभरयः ऐसी दःतर माया को जो सत अथवा फकीर तर जात ह और मौत की पोल जान जात ह

व कहत ह- एक ऐसी जगह ह जहा मौत की पहच नही जहा मौत का कोई भय नही िजसस मौत भी भयभीत होती ह उस जगह म हम बठ ह तम चाहो तो तम भी बठ सकत हो

तमहार म एक ऐसा चतन ह जो कभी मरता नही िजसन मौत कभी दखी ही नही जो जीवन और मौत क समय पिरवतरन को दखता ह परनत उन सबस पर ह

यिद घड़ म आया हआ चनिमा का ितिबमब घड़ क पानी को उबलता हआ जानकर यह

मान की म उबल रहा ह पानी िहल तो समझ िक म िहलता ह घड़ा फट गया तो समझ िक म मर गया तो यह उसका अजञान ह परनत उसको यह पता चल जाय िक पानी क उबलन स म नही उबलता पानी क िहलन स म नही िहलता म तो वह चनिमा ह जो हजारो घड़ो म चमक रहा ह िकतन ही घड़ टट -फट गय परनत म मरा नही मरा कछ भी िबगड़ा नही म इन सबस असग ह तो वह कभी दःखी नही होगा

इसी कार हम यिद अपन असगपन को जान ल अथारत म शरीर-मन-बि नही अिपत

आतमा ह- यह हम जान ल तो िफर िकतन ही दह पी घड़ बन और टट -िबखर िकतनी ही सि या बन और उनका लय हो जाय हमको कोई भय नही होगा कयोिक आतमा का ःवभाव हः

न जायत ियत वा कदािचननाय भतवा भिवता वा न भयः अजो िनतयः शा तोऽयपराणो न हनयत हनयमान शरीर

यह आतमा िकसी काल म भी न तो जनमता ह और न मरता ही ह तथा न यह उतपनन

होकर िफर होन वाला ही ह कयोिक यह अजनमा िनतय सनातन और परातन ह शरीर क मार जान पर भी यह नही मारा जाता

(भगवदगीताः 223) अनबम

सतो का सनदशः िजन सतो न यह रहःय जान िलया ह जो इस अमतमय अनभव म स गजर चक ह व

सब भयो स म हो गय ह इसीिलए व अपनी अनभविस वाणी म कहत ह- अपन आतमदव स अपिरिचत होन क कारण ही तम अपन को दीन-हीन और दःखी

मानत हो इसिलए अपनी आतम-मिहमा म जाग जाओ यिद अपन आपको दीन ही मानत रह तो रोत रहोग ऐसा कौन ह जो तमह दःखी कर सक तम यिद न चाहो तो दःख की कया मजाल ह िक तमह ःपशर भी कर सक अननत-अननत ाणड को जो चल रहा ह वह चतन तमहार भीतर चमक रहा ह उसकी अनभित कर लो वही तमहारा वाःतिवक ःव प ह

मनसर को सली पर चढ़ा िदया गया था परनत उनको सली का कोई भय नही था सली

का क उनको ःपशर भी नही कर सका कयोिक मनसर अपनी मिहमा म जग हए थ व यह जान चक थ िक म शरीर नही ह सली शरीर को लग सकती ह मझ नही इसिलए व हसत-हसत सली पर चढ़ गय थ

हम ही जानबझकर अपनी सननता की अपन सख-दःख की चाबी दसरो क हाथो म

स प दत ह कोई थोड़ा हस दता ह तो हम बोिधत हो उठत ह कोई थोड़ी शसा कर दता ह तो हषर स फल उठत ह कयोिक हम अपन को सीिमत पिरिचछनन शरीर या मन ही मान बठ ह

हम अपन वाःतिवक ःव प अपनी असीम मिहमा को नही जानत नही तो मजाल ह

िक जगत क सार लोग और ततीस करोड़ दवता भी िमलकर हम दःखी करना चाह और हम दःखी हो जाय जब हम ही भीतर स सख अथवा दःख को ःवीकित दत ह तभी सख अथवा दःख हमको भािवत करता ह सदव सनन रहना ई र की सव परी भि ह

ःवामी रामतीथर कहा करत थ िक कोई यिद तमहारी सननता छ नकर उसक बदल म

तमको ःवगर का फिरता भी बनाना चाह तो फिरतापद को ठोकर मार दो मगर अपनी सननता मत बचो

हम इस जीवन और मतय का कई बार अनभव कर चक ह सत कहत ह- तमहारा न तो जीवन ह और न ही मतय ह तम जीव नही तम िशव हो तम अमर

हो तम अननत अनािद सिचचदाननद परमातमा हो यिद इस जनम-मरण क खल स थक चक हो इनक खोखल पन को जान चक हो इसक असारपन स पिरिचत हो चक हो तो िकसी सत क सािननधय का लाभ उठाकर फकीरी मौत को जान लो िफर तमह कोई दःख कोई मतय भयभीत नही कर सकगी िफर िजस आना हो वह आव जाना हो वह चला जाव सख आव तो आन दो दःख आव तो आन तो जो आयगा वह जायगा तम द ा बनकर दखत रहो तम अपनी मिहमा म मःत रहो

मौत स भी मौत का भय बदतर ह भय म स ही सार पाप पदा होत ह भय ही मतय

ह लोग पछत ह- ःवामी जी आतम-साकषातकार हो जाता ह िफर उसक बाद कया होता

ह होता कया ह हम अपन ःव प म जाग जात ह उसक बाद हमस जो भी वि होती ह वह आननदमय ही होती ह ससार की कोई भी दःखपणर घटना हमको दःखी नही कर सकती

िफर यह शरीर रह या न रह हमार आननद म कोई अनतर नही पड़ता उस आननदःव प अपन आतमदव को जानना-यही जीवन का परम कतरवय ह परनत इस परम कतरवय की ओर मनय का धयान जाता नही और छोटी-मोटी तचछ वि यो म ही अटका रह जाता ह

हम कही याऽा म िनकलत ह तो राःत क िलए िटिफन भरकर भोजन साथ ल लत ह

भोजन स भी अिधक महतव पानी का ह परनत उसक िलए सोच लत ह िक चलो ःटशन पर भर लग घर स पानी लकर चलन की िचनता नही करत पानी स भी यादा ज री हवा ह उसक िबना तो एक िमनट भी नही चलता िफर भी हवा का कोई िसलनडर भरकर साथ नही लत कयोिक हम सब जानत ह िक वह तो सवरऽ ह इसिलए हवा क िलए हम कोई िचनता नही करत

हवा स कम ज री पानी क िलए पानी स कम ज री भोजन क िलए हम यादा िचनता करत ह उसी कार अपन आननदःव प आतमा म जागन क परम कतरवय को छोड़कर कम महतव क ःथल शरीर क लालन पालन एव उसस सबिधत वयवहार को सभालन म ही हम लग रहत ह शरीर असत जड़ और दःख प ह उसको चलान वाला सआम भतो स िनिमरत सआम शरीर ह उसको भी चतन स ा दन वाला सत-िचत-आननदःव प आतमा ह इस आननद-ःव प आतमा को असत-जड़ दःख प और मरणधमार समझकर जीवनभर मौत क भय स भयभीत बन रहत ह

अनत परमातमा म न तो उतथान ह न पतन न जनम ह न मरण वहा तो सब एकरस

ह हम ही मोहवश अपना ससार खड़ा कर लत ह और एक दसर क साथ सबध बनाकर अपन को जानबझकर बधन म डाल दत ह

एक सत क पास एक स जन का पऽ आया उसम िलखा थाः ःवामी जी आपक

आशीवारद स हमार यहा पऽ का जनम हआ ह सत न उ र म उस िलखा िकः तम झठ बोलत हो िफर जब स जन सत क पास गया तब कहा िकः ःवामी जी म सच कहता ह मर यहा पऽ का जनम हआ ह इस पर सत न िफर स कहा िकः तम झठ बोलत हो यह सनकर उन स जन को बड़ा आ यर हआ वह िवःफािरत नऽो स सत की ओर दखन लगा तब सत न कहाः

पऽ का जनम नही हआ िपता का जनम हआ ह माता का जनम हआ ह काका-मामा

का जनम हआ ह पऽ को तो खबर ही नही ह िक मरा जनम हआ ह और म िकसी का पऽ भी ह परनत हम उस पर सार समबनध आरोिपत कर दत ह

वःततः पचभतो म कोई आकार बना ह उस पऽ का नाम द िदया समय आन पर यह आकार िबखर जायगा यह आकार बन उसम हषर और यह आकार िबखर जाय उसम शोक कसा भय कसा

िजस शरीर को हम म मानत ह उसकी कित तो दखो िपया तो था अमत जसा

मीठा जल और िनकाला मऽ प म गदा पानी खाय तो थ मोहनथाल दधपाक छपपन भोग पर बन गया सब िव ा प शरीर का सग करन पदाथर की ऐसी अवःथा बन जाती ह सत-िचत-आननदःव प आतमा भी अपन को भलकर शरीर क साथ एक होकर ःवय को म शरीर मान लती ह और दीन हीन एव दःखी बन जाती ह परनत जब वह अपन आपम जाग जाती ह तब अपन को दवो का दव अनभव करती ह

यिद हमन शरीर क साथ अहबि की तो हम म भय वया हो ही जायगा कयोिक शरीर

की मतय िनि त ह उसका पिरवतरन अवयभावी ह उसको तो ःवय ाजी भी नही रोक सकत परनत यिद हमन अपन आतमःव प को जान िलया ःव प म हमारी िन ा हो गई तो हम िनभरय हो गय कयोिक ःव प की मतय होती नही मौत भी उसस डरती ह

ःवामी अखणडाननद सरःवती एक बार रल क तीसर दज म याऽा कर रह थ व यह

जानना चाहत थ िक तीसर दज म लोगो ारा िकय जान वाल मान-अपमान का भाव उनक िदल पर होता ह िक नही आतमिनरीकषण स उनह पता चला िक भाव तो होता ह यह बात उनहोन ौी उिड़या बाबा को बतायी उिड़या बाबा न कहाः

तम बठत ही कचर क ढर पर हो आशा करत हो िक मझ पर कोई कचरा न फ क मझ

कचर की दगरनध न आव यह कस हो सकता ह तम बठत हो शरीर म और आशा रखत हो िक मान-अपमान का असर न हो ःवय को शरीर माना तो मान-अपमान सख-दःख होगा और जनम-मतय भी होगी

वदानत क रहःय को समझना यह कोई ि यो का काम नही ह ी अथारत कित क

शरीर क म मानकर जीनवाला एक बार राजा जनक िव ानो की सभा म बठ थ उस सभा म गाग आई वह िबलकल

िदगमबर (न न) थी ऐसी अवःथा म सभा म गाग का वश पिडतो को रचा नही इसिलए उनहोन नाक-भ िसकोड़ िलया परषो स भरी सभा म एक न न ी

गाग बोलीः ऐ पिडतो नाक भ कयो िसकोड़त हो

पिडतो न कहाः तम एक अबला ऐसी अवःथा म परषो की सभा म जो आई हो

गाग तरनत बोलीः कौन कहता ह िक म अबला ह म सबला ह अबला तो तम हो जो अपना रकषक बाहर ढढत हो म अपना रकषक आप ह म यह शरीर नही ह म तो सत -िचत-आननदःव प आतमा ह म अपन आपको जानती ह

िजसको जानकर गाग िनभरय बन गई थी उस आननदःव प अपन आतमदव को जो

जान लता ह उसी म िःथत हो जाता ह वह जीवन और मौत दोनो स पर दोनो का द ा बन जाता ह उस िफर कोई भय नही रहता वह सदव आननद म मःत रहता ह

मरो मरो सब कोई कह मरना न जान कोई एक बार ऐसा मरो िक िफर मरना न होई

मगलमय जीवन मगलमय िववाह मगलमय सबध उस परम मगल चतनय क कारण ही

हो सकत ह न िक शि शरीर क बा प-रग पर िवमोिहत होन स महाराज जी क पास आकर एक मिहला कहन लगीः मर पित ःवगरःथ हो गय ह

उनका िवयोग सहा नही जाता ऐसा कोई उपाय बताओ िक उनका िहत हो और मझ शाित िमल

दसरा एक वयि आया और बोलाः मरी प ी मझ अकला छोड़कर चल बसी ह

तीसर न कहाः मरा बटा ःवगरःथ हो गया ह उसकी मीठ याद आती ह मर मन म आता ह िक उसक पीछ म भी आतमहतया करक मर जाऊ बाबा जी शािनत का कछ उपाय बताइय

महाराज जी न कहाः ह भि मिहला पित की याद आय तो उनह खब आदरपवरक कहोः

मरणधमार शरीर म होत हए भी आप अमर थ शरीर क मरन पर भी आप नही मर दह न र ह आप शा त हो चतनय हो आप परम र का अिवनाशी अश हो जनम-मतय आपका धमर नही ह पाप-पणय आपका कमर नही ह आप अजर हो श ब हो हम परःपर पािथरव शरीर की ीित करक मोह म सड़ रह थ िवकारो म दब रह थ अब पािथरव शरीर की ीित स म होकर अपािथरव आतमा म िःथत हो जाओ

वह शादी बरबादी म बदल जाती ह िजसम एक दसर क शरीर को पयार करत ह वह

मगलमय शादी आबादी की ओर ल जाती ह जहा प ी पित को पित प ी को पऽ िपता को िपता पऽ को शरीर क प म नही अिपत शरीरो क आधार श चतनयःव प म दख परःपर अपन चतनयःव प की याद िदलाव और रणा द

ह भि मिहला अपन पित को याद करक उनक जीवातमा को यह रणा दो इसस

उनकी भी उननित होगी और तमहारी उननित होगी ऐसा िचनतन करो िकः ह चतनयःव प मर आतमन शरीर को पाच भत क पतल

को तयागन क बाद भी आपका अिःततव ह आप आतमा हो परम र हो अमर हो चतनय हो शा त हो

इसी कार अपनी प ी को और ःवगरःथ पऽ पिरवार को ःमरण करक उनको उननत

करो और आप भी उननत बनो जीत-जी भी परःपर इसी भाव स उननत करो मतय मगलमय हो जाय ऐसा वातावरण बनाओ

जो वयि मतय को ा हो चक ह उनक ौा ो क िदनो म तथा ःमरण क व उनह

सझाव दो िकः जनम-मतय तमहारा धमर नही था पाप-पणय तमहारा कमर नही था तम अजर

अिवनाशी िनलप शा त सनातन नारायण क अश हो अतः अपन परम र ःवभाव को सभालो ःमरण करो

अपन पित प ी पऽ का नाम लकर कहो िकः तम वही हो सचमच म वही हो जो

मरन क बाद भी नही मरता ॐॐॐ तम चतनय आतमा हो ॐॐॐ शा त परम र हो ॐॐॐ अिवनाशी परमातमा हो ॐॐॐ

पथवी पर क ःवपन तलय सबधो का ःमरण करक तम नीच न िगरो अिपत आतमा-

परमातमा क सबध को याद करत हए अपना ऐिहक जीवन मगलमय बनाओ ससार स कच करक जाओ उस समय तमहार कटमबी आतमा परमा तमा की एकता और अमरता तमहारी िनतयता और म ता का ःमरण तमह अत समय म करा द ऐसी वयवःथा करो

कोई चल बसन वाल हो या चल बस हो उनको याद करक उनकी ओर िदवय िवचार

अमर आतमा का सनदश भजो इस कार तम उ म सवा कर सकत हो और जीिवतो को जीवनदाता म जगा सकत हो दोनो इस कार परःपर सहायता करोग और पाओग

टिलफोन पर अपन दर क सबधी स हम जब बात करत ह तो उस यऽ म स आन वाली

धविन अपन सबधी की होती ह ऐस ही शरीर पी यऽो स जो कछ ःनह सातवना सहानभित म या काश हम पात ह वह भीतर वाल परम र का ही होता ह उनको या उनक िचऽो को

दखो तो उन िचऽो क पीछ खड़ उस शा त सतय को परम िमऽ को पयार करो और उनह भी याद िदलाओ िकः ह शा त आतमा ह परातन ह अिवनाशी नाशवान ससार और शरीर बदलत ह लिकन तम अबदल आतमा हो ॐॐॐ

बचपन बदल गया यौवन बदल गया बढ़ापा बदल गया शरीर बदल गया िफर

तम भी हो तम वह अमर आतमा हो िजस पर काल का भी कोई भाव नही चलता ह अकाल आतमा अपनी मिहमा म जागो इस कार क िवचार भजन स मगल करोग और मगल को पाओग जीवन मगलमय होन

लगगा मतको की मतय भी मगलमय हो जायगी मगल भवन अमगलहारी िवचारो को सदव एक दसर क ित सािरत करो ॐ आननद

आननद आननद रोत चीखत मोहमाया म पड़कर उनको याद करत हो तो उनका और अपना सतयानाश

करत हो उनको नीच िगरात हो उनकी आतमा को भटकात हो अपन को तचछ बनात हो अमागिलक िवचारो को कतई ःफिरत न होन दो सदव मगलमय िवचार हो जायगा मगलमय जीवन मतय भी मगलमय हो जायगी ॐ ॐ ॐ

ॐॐॐॐॐॐॐॐ जीवन और मतय आतमा-परमातमा को पान क दो पहल ह रात क बाद िदन िदन क

बाद रात होती ह इसी तरह जीवन और मतय चोल बदलत हए अनभवो स गजरत हए अपन आतमःव प को ःव प को पान क िलए मगलमयी अवःथा ह

िदन िजतना पयारा ह रात भी उतनी ही आवयक ह जीवन िजतना पयारा ह मतय भी

उतनी ही आवयक ह मतय मान आतमिशव क मिनदर म जान क िलए ऊची सीिढ़या मतय मान मा की गोद म बालक सो गया और उमा शि ताजगी ःफितर पाकर िफर सबह खलता ह मतय मान मा की गोद म थकान िमटान को जाना िफर नया तन ा करक अपनी मगलमय याऽा करना

त वदि स दखा जाय तो यह जीवन-मतय की याऽा कित म हो रही ह तमह

परमातमाःव प म जगान क िलए गीता म भगवान ौी कण कहत ह-

न जायत ियत वा कदािचननाय भतवा भिवता वा न भयः अजो िनतयः शा तोऽयपराणो न हनयत हनयमान शरीर

त वतः यह आतमा न कभी जनमता ह और न मरता ह न यह उतपनन होकर िफर होन

वाला ही ह यह जनमरिहत िनतय िनरनतर रहन वाला शा त और परातन अनािद ह शरीर क मार जान पर भी वह नही मारा जाता

(गीताः 220) शव की ःमशानयाऽा म मटका ल जात ह फोड़ दत ह यह याद िदलान क िलए िक दह

मानो मटका ह इस मगलमय मतय को पीछ िव ल होन की आवयकता नही ह यह मटका सवा करन क िलए िमला था जीणर-शीणर हआ टट गया िफर नया िमलगा मगलमय आतमा-परमातमा की ाि तक यह मगलमय जनम-मरण की याऽा तो चलती ही रहगी इसम िव ल होकर रोना-चीखना िनरा मोह ह अगर इस मोह को पोसा जाय और िकसी की मतय न हो तो ससार महा नरक हो जायगा माली अगर बगीच म काट-छाट न कर तो बगीचा बगीचा ही न रहगा अिपत भयानकर जगल हो जायगा

स ा न मतय का मगलमय िवधान न बनाया होता तो आदमी म तयाग सवा नता क

सदगण ही नही िखलत सब अमर होकर अिड़यल की तरह उलझ रहत रािऽ स अरणोदय अरणोदय स िफर मगलमयी रािऽ की अिनवायर आवयकता ह िवराट

की यह चणड बीड़ा तमह अपन िवराट ःवभाव म जगान क िलए आवयक ह मतय मान महायाऽा महाःथान महािनिा अतः जो मर गय ह उनकी याऽा मगलमय

हो आतमोननितद हो ऐसा िचनतन कर न िक अपन मोह और अजञान क कारण उनको भी भटकाए और खद भी परशान हो

कइयो की मतय बालयकाल म या यौवन म हो जाती ह जस मा न बचच को कपड़

पहनाए और नही जच उठा िलय िफर नय व ो स सजाया-धजाया अथवा यो कहो िक बचचा िखलौनो म रम जाता ह िखलौन नही छोड़ना चाहता परनत मगलमयी मा उस बलात उठा लती ह अपनी गोद म सलाती ह अपनी उमा सािननधय िवौािनत स उस प करक िफर नतन भात को उस खलन क िलए बीडागन म भज दती ह ऐस ही जीवातमा का बीडागन ससार ह अतः अनक शरीर बदलत हए अबदल की मगलमय याऽा करन क िलए जीवन और मतय को मगल िवधान समझकर ई र की हा म हा करत हए अपनी याऽा उननत कर

ॐॐॐ

ॐॐॐॐॐॐॐॐ

अनबम

िचतन पराग ई र का बनाया हआ त भल ही बना रह उसको िमथया समझ लन माऽ स का

बोध हो सकता ह साधक का काम त को िमथया समझन स ही चलता ह इचछाओ की ति का उपाय एक ही ह िक इचछाए तयाग दी जाए िजस िववकी न इस

जगत को सपन या इनिजाल क समान समझ िलया ह िजस दय न प म िदखन लगा ह वह दोषदश िववकी भला बताओ इसम अनराग कस कर

जञानी जागरण को सतय समझना छोड़ दन पर िफर पहल की भाित अनर नही होता

जञानी तयक वःत को अपना आतमा समझता ह मद की कलपना को बार-बार मन म लाना काम-वासना स म होन का सव म उपाय

बताया गया ह मद को पड़ हए दखकर मन घबरान लगता ह पिरणाम की कयो परवाह करत हो अपनी तनखवाह क बार म कभी िफब मत करो

अजञानी लोग समझत ह िक कायर की सफलता म कायर करन की अपकषा अिधक आननद ह इन अनधो को यह मालम ही नही ह िकसी पिरणाम स उतना सख नही िमलता िजतना काम करन स िमलता ह

अपन िवचारो को सदा वाःतिवक आतमा म रखो और पिरिःथितयो की परवाह मत करो तब तक आपकी हािन नही हो सकती जब तक िक आप ःवय उस नही बलात तलवार

तब तक नही काट सकती जब तक आप यह न सोच िक यह काटती ह ऐ पणर तर िलए कोई कतरवय या कायर शष नही ह सारी कित सास रोक तरी

सवा क िलए खड़ी ह ससार तरी पजा करन का अवसर पाकर अपन को कतकतय करना चाहता ह कया त कित की शि यो को अपन चरणो म झकन का अवसर दगा

अपन भीतर सतय क काश को सदा चमकता रखो भय और लोभन का शतान तमहार

पास नही फटकगा

बाहर की बातो म कछ भी नही मान अपमान अपना काम िकय जा िनिशिदन इसम ही सममान

दसर लोग तमहारी आलोचना िनदा करत हो उनह रोकन की च ा न करो कयोिक इनही

सब बातो क ारा तमम सदगणो की वि होगी जब तक तमहारा दय इतना दढ़ नही ह िक तम मख क बकन पर िःथर और शात बन रहो अथवा तमम इतनी सहनशीलता नही ह िक अजञानी मख को कषमा कर सको तब तक तम अपन को कही जञानी न समझ बठना

यिद तम शरीर और मन स ऊपर उठ जाओ तो सब िचनता और भयो स छट हो

जाओग िकसी भी आकिःमक दघरटना स धयर न छोड़ो कयोिक घबराहट स शि तथा बि का

नाश होता ह िकसी भी कार की किठनाइयो क आग दःिखत न होकर गमभीरतापवरक उनका सामना करो तभी तम िनःसनदह िवजय ा करोग तम कही भी हतोतसािहत होकर िनराश न होओ

ऐसी कौन-सी िवपि ह जो मरी सननता को न कर सकती ह वह कौन-सा रज ह जो

मर आननद म िव न डाल सकता ह म तो िव ाणड का भ ह म बि का भ ह िदमाग का मािलक ह और मन का शासक ह ससार मझम ह म ससार म नही आ सकता िव मझम ह म िव म नही बध

सकता सयर और नकषऽ मझम उदय और अःत होत ह दह और दिनया दोनो ई र क भीतर ह वही ई र म ह म िनिलर आतमा ह मरा जनम नही मतय नही म अजर-अमर ह म िचदाननद

आतमःव प ह म िमथया त िमथया धमर िमथया कमर िमथया और जगत िमथया और ऐसा तीत

होता ह िक म सवरःव ह म ही सवरजञ सवरगत आतमा ह अपना साकषी ह कदािप उन नाम पो म फसा नही ह

म िवश ह असखय ाणड मझम पड़ ह म असःपयर ह मरा ःव प िनिलर ह

मझ दःख स कोई भय नही ह मझ समय की जरा भी िचनता नही आतमाननद वाल को भय और आशका कसी

िकसी भी डर को अपन पास मत फटकन दो लोग यिद तमहार बराई करत ह तो तम उनह आशीवारद दो ऐस ःथान पर जाओ जहा

लोग तमस घणा कर तम तो म हो पहल स ही म हो सवरदा कहोः म सदा आननदःव प ह म

म ःवभाव ह म अननत ःव प ह मरी आतमा का आिद और अनत नही ह सभी मर आतमःव प ह

सननतापवरक अपमान सहन करन स और नता धारण करन स अिभमान की िनवि

होती ह िकसी पिवऽ ःथान पर जाओ तो वहा क अनशासन का पालन करो वहा चपपलो की

चटाक-पटाक आभषणो की खनखनाहट भड़कील व ो की फरफराहट आिद हमस न हो इसका परा धयान रखो कही भी िकसी क भी िच को या शात वातावरण को अशात करन का हम कोई अिधकार नही ह

अपन िकसी भी दःख या अशाित का कारण बाहर मत ढढो बाहर की पिरिःथितयो या

वयि यो को दोष मत दो कारण अपन भीतर ढढो िनद ष भाव स ढढोग तो कारण भीतर ही िमल जायगा उस दर करन की च ा करो शातिच रहन का यही बहमलय उपाय ह

जो आतम-अनशािसत ह व ही शासन कर सकत ह ऐसा करन क िलए नाम-जप कर

धयान कर िकसी आतमिन सत का पावन सािननधय ा कर सब तरह स िनभरय एव सनन बनन का यह ौ साधन ह

िवन बनो िनरहकारी बनो अपन आपको बड़ा बतान की च ा न करो िवनता एव

िनरािभमानता ही तमह बड़ा बनायगी िवनता मनय का बहत बड़ा भषण ह िनमरल दि रखो िकसी क दोष दखना यह बहत बड़ा दगरण ह िछिानवषी न बनो

दसरो क दोष दखना पाप अजरन करना ह गणमाही बनो

ॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐ

अनबम

  • मगलमय जीवन-मतय
  • मतय क परकार
  • मतय भी जीवन क समान आवशयक
  • सिकनदर न अमत कयो नही पिया
  • बिना मतय को जान जीवन जीवन नही
  • मतय किसकी होती ह
  • भगवान शरीराम और तारा
  • मतयः कवल वसतर परिवरतन
  • फकीरी मौतः आननदमय जीवन का दवारः
  • यमराज और नचिकताः
  • सचच सत मतय का रहसय समझात ह
  • मतयः एक विशरानति-सथानः
  • वासना की मतय क बाद परम विशरानति
  • धतराषटर का शोकः
  • घाटवाल बाबा का एक परसग
  • फकीरी मौत ही असली जीवन
    • फकीरी मौत कया ह
      • सकरात का अनभव
      • आधयातमविदयाः भारत की विशषताः
      • तीन परकार क लोगः
      • जञान को आय स कोई निसबत नही
      • योगसामरथयः एक परतयकष उदाहरण
      • योग भी साधना का आखिरी शिखर नही
      • गणातीत सत ही परम निरभयः
      • सतो का सनदशः
      • चितन पराग

फकीरी मौत अथारत अपन अमरतव को जान लना फकीरी मौत अथारत उस पद पर आ ढ़ हो जाना जहा स जीवन भी दखा जा सक और मौत भी दखी जा सक जहा स ःप प स िदख िक सख-दःख आय और गय बालयावःथा यवावःथा और व ावःथा आई और गई परनत य सब शरीर स ही समबिनधत थ मझ तो व ःपशर तक नही कर सक म तो असग ह अमर ह मरा तो जनम भी नही मतय भी नही

सकरात का अनभव सकरात को जब जहर िदया जान लगा तो उसक िशय रोन लग कयोिक उनको यह

अजञान था िक सकरात अब बचग नही मर जायग सकरात न कहाः अर तम रोत कयो हो अब तक मन जीवन दखा अब मौत को दखगा यिद म मर

जाऊगा तो आज नही तो कल मरन ही वाला था इसिलए रोन की कया ज रत ह और यिद मरत हए भी नही मरा कवल शरीर स ही िछनन-िभनन हआ तो भी रोन की कया ज रत

सकरात न िबना िहचिकचाहट क राजी-खशी स जहर का पयाला पी िलया और िशयो स

कहाः दखो यह रोन का समय नही ह बहत ही महतवपणर बात समझन का समय आया ह

मर शरीर पर जहर का भाव होन लगा ह पर सनन होत जा रह ह घटनो तक जड़ता वया हो गई ह जहर का असर बढ़ता जा रहा ह मर पर ह िक नही इसकी अनभित नही हो रही ह अब कमर तक का भाग सवदनहीन बन गया ह

इस कार सकरात का सारा शरीर ठडा होन लगा सकरात न कहाः अब जहर क भाव स हाथ पर छाती जड़ हो गई ह थोड़ी ही दर म मरी िज ा भी

िनःपद हो जायगी उसस पहल एक मह वपणर बात सन लो जीवन म िजसको नही जान सका उसका अनभव हो रहा ह शरीर क सब अग एक क एक बाद एक िनःपद होत जा रह ह परनत उसस मझम कोई फकर नही पड़ रहा ह म इतना ही पणर ह िजतना पहल था शरीर स म ःवय को अलग असग महसस कर रहा ह अब तक जस जीवन को दखा वस ही अभी मौत को भी दख रहा ह यह मौत मरी नही बिलक शरीर की ह

अनबम

आधयातमिव ाः भारत की िवशषताः सकरात तो शरीर छोड़त-छोड़त अपना अनभव लोगो को बतात गय िक शरीर की मतय

यह तमहारी मतय नही शरीर क जात हए भी तम इतन क इतन ही पणर हो परनत भारत क ऋिष तो आिद काल स कहत आय ह-

शणवनत िव अमतःय पऽा

आ य धामािन िदवयािन तःयः वदाहमत परष महानतम

आिदतयवण तमसः परःतात तमव िविदतवाऽितमतयमित नानयः पनथा िव तऽयनाय

ह अमतपऽो सनो उस महान परम परषो म को म जानता ह वह अिव ा प अधकार

स सवरथा अतीत ह वह सयर की तरह ःवयकाश-ःव प ह उसको जानकर ही मनय मतय का उललघन करन म जनम-मतय क बधनो स सदव क िलए छटन म समथर होता ह परम पद की ाि क िलए इसक अितिर कोई दसरा मागर नही ह

( ता तरोपिनषद) यह कोई वद-उपिनषद काल की बात ह उस समय क ऋिष चल गय और अब नही ह

ऐसी बात नही ह आज भी ऐस ऋिष और ऐस सत ह िजनहोन सतय की अनभित की ह अपन अमरतव का अनभव िकया ह इतना ही नही बिलक दसरो को भी इस अनभव म उतार सकत ह रामकण परमहस ःवामी िववकाननद ःवामी रामतीथर महिषर रमण इतयािद ऐस ही त वव ा महापरष थ और आज भी ऐस महापरष जगलो म और समाज क बीच म भी ह यहा इस ःथान पर भी हो सकत ह परनत उनको दखन की आख चािहए इन चमरचकषओ स उनह पहचानना मिकल ह िफर भी िजजञास और ममकष वि क लोग उनकी कपा स उनक बार म थोड़ा सकत यह इशारा पा सकत ह

अनबम

तीन कार क लोगः ऐस सतो क पास तीन कार क लोग आत ह- दशरक िव ाथ और साधक

दशरक अथारत ऐस लोग जो कवल दशरन करन और यह दखन क िल ए आत ह िक सत कस ह कया करत ह कया कहत ह उपदश भी सन तो लत ह पर उसक अनसार कछ करना ह इसक साथ उनका कोई समबनध नही होता आग बढ़न क िलए उनम कोई उतसाह नही होता

िव ाथ अथारत व जो शा एव उपदश समबनधी अपनी जानकारी बढ़ान क िलए आत ह

अपन पास जो जानकारी ह उसम और वि होव तािक दसरो को यह सब सनाकर अपनी िव ा की छाप उन पर छोड़ी जा सक दसरो स सना याद रखा और जाकर दसरो को सना िदया जस ग स शानसपोटर कमपनी ाईवट िलिमटड- यहा का माल वहा और वहा का माल यहा लाना और ल जाना ऐस लोग भी त व समझन क मागर पर चलन का पिरौम उठान को तयार नही

तीसर कार क लोग होत ह साधक य ऐस लोग होत ह िक जो साधनामागर पर चलन

को तयार होत ह इनको जसा बताया ह वसा करन को पणर प स किटब होत ह अपनी सारी शि उसम लगान को ततपर होत ह उसक िलए अपना मान-सममान तन-मन-धन सब कछ होम दन को तयार होत ह सत क ित और अपन धयय क ित इनम पणर िन ा होती ह य लोग फकीर अथवा सत क सकत क अनसार लआय की िसि क िलए साहसपवरक चल पड़त ह

िव ाथ अपन वयि तव का ौगार करन क िलए आत ह जबिक साधक वयि तव का िवसजरन करन क िलए आत ह साधक अपन लआय की तलना म अपन वयि तव या अपन अह का कोई भी मलय नही समझत जबिक िव ाथ क िलए अपना अह और वयि तव का ौगार ही सब कछ ह अपनी िव ता म वि जानकारी को बढ़ाना वयि तव को और आकषरक बनाना इसी म उस सार िदखता ह त वानभित की तरफ उसका कोई धयान नही होता

यही कारण ह िक सतो क पास आत तो बहत लोग ह परनत साधक बनकर वही िटक

कर त व का साकषातकार करन वाल कछ िवरल ही होत ह

जञान को आय स कोई िनःबत नही िजसन फकीरी मौत को जान िलया हो अथारत िजस आतमजञान हो गया हो वह शरीर की

दि स कम उ का हो परनत उसक आग लौिकक िव ा म वीण और अिधक वय क सफद दाढ़ी-मछ वाल लोग भी बालक क समान होत ह इसीिलए योगिव ा म वीण 1400 वषर क चागदव को कम उवाल जञान र महाराज क चरणो म समिपरत होना पड़ा था ाचीन काल म ऐस कई उदाहरण दखन म आत ह

िचऽ वटतरोमरल व ाः िशया गरयरवा

गरोःत मौन वयाखयान िशयाःतिचछननसशयाः अथारत यह कसा विच य ह िक वटवकष क नीच यवा गर और व िशय बठ ह गर

ारा मौन वयाखयान हो रहा ह और िशयो क सब सशयो और शकाओ का समाधान होता जा रहा ह

अनबम

योगसामथयरः एक तयकष उदाहरण अपन मोटरा आौम म भी ऐस ही करीब स र वषर क सफद बाल वाल एक साधक ह

पहल डीसा म व एक सत क पास गय गय तो थ दशरक बनकर ही परनत सत की दि पड़त ही व दशरक म स साधक बन गय म कछ वषर पवर डीसा क आौम म था तब व मर पास आय थ पकी हई उ म भी व 18 वषर की उ की एक बाला क साथ बयाह रचान की तयारी म थ और आशीवारद मागन हत वहा आय थ उनको दखकर ही मर मह स िनकल पड़ाः

अब तमहारी शादी ई र क साथ कराएग यह सनकर उनको बड़ा आ यर हआ कयोिक न तो व मझ पहल स जानत थ और न ही

म उनह जानता था उस व उनका शरीर भी कसा था चरबी और कफ-िप स ठसाठस भरा हआ एकदम ःथल दमा आिद रोगो का िशकार डीसा म कपड़ क बड़ वयापारी थ धप म िबना छाता िलए दकान स नीच नही उतर पात थ कित ऐसी थी िक िकसी भी सत महातमा को नही गाठ और काम-वासना भीतर इतनी भरी हई थी िक आग की दो पि या शरीर छोड़ चकी थी िफर भी इस उ म तीसरी शादी करन को तयार थ प ी िबना एक िदन भी नही रह सकत थ

घर पहचन पर उनको पता चला िक उनक अनदर जो काम -िवकार का तफान आया था

वह एकदम शात हो गया ह भिवय म प ी बनन वाली उस कमारी क साथ एकात म अनक च ाए करक भी व उस काम-िवकार को पनः नही जगा सक इतना बल िवकार एकाएक कहा चला गया िफर उनको समझ म आया िक सत की ई रीय अहत की कपा उनम उतरी ह उनको सारा ससार सना-सना लगन लगा उनहोन तरनत ही उस कमारी यवती को कछ पय और कपड़ िदय और बटी कहकर रवाना कर िदया उसक बाद उनहोन आसन ाणायाम गजकरणी नित धोित आिद िबयाए सीख ली और िनयिमत प स करन लग इसस उनक शरीर क सार परान कफ-िप -दमा आिद दर हो गय और शरीर म स आवयकता स अिधक चब घटकर शरीर हलका फल जसा हो गया अब तो जवानो क साथ दौड़न की भी ःपधार करत

ह धयानयोग की साधना म उनहोन इतनी गित की ह िक उनको कई कार क अलौिकक अनभव हआ करत ह अपन सआम शरीर ारा व लोक -लोकानतर म घम आया करत ह

योग भी साधना का आिखरी िशखर नही यह भी साधना की कोई आिखरी भिमका नही ह सव चच िशखर नही ह यह भी सब

माया की सीमा म ही ह िफर चमर-चकषओ स दखो अथवा धयान म बठकर दखो कयोिकः

यद दय तद अिनतयम जो िदखता ह वह अिनतय ह जो िदख सो चालनहार चागदव भी योग म कशल थ

काल को कई बार धोखा द चक थ परनत माया को धोखा न द सक व भी साि वक माया म थ माया स पर नही थ

माया ऐसी ठिगनी ठगत िफरत सब दश जो ठग या ठिगनी ठग वा ठग को आदश

कोई िवरल सत ही इस माया को ठग सकत ह माया स पार जा सकत ह बाकी क

लोगो का तो यह माया न र म ही शा त का आभास करा दती ह अिःथरता म िःथरता िदखा दती ह ऐसी मोिहना माया क िवषय म ौी कण कहत ह-

दवी षा गणमयी मम माया दरतयया मामव य प नत मायामता तरिनत त

मरी यह अदभत िऽगणमयी माया का तरना अतयनत दकर ह परनत जो मरी शरण म

आत ह व तर जात ह (गीता)

अनबम

गणातीत सत ही परम िनभरयः ऐसी दःतर माया को जो सत अथवा फकीर तर जात ह और मौत की पोल जान जात ह

व कहत ह- एक ऐसी जगह ह जहा मौत की पहच नही जहा मौत का कोई भय नही िजसस मौत भी भयभीत होती ह उस जगह म हम बठ ह तम चाहो तो तम भी बठ सकत हो

तमहार म एक ऐसा चतन ह जो कभी मरता नही िजसन मौत कभी दखी ही नही जो जीवन और मौत क समय पिरवतरन को दखता ह परनत उन सबस पर ह

यिद घड़ म आया हआ चनिमा का ितिबमब घड़ क पानी को उबलता हआ जानकर यह

मान की म उबल रहा ह पानी िहल तो समझ िक म िहलता ह घड़ा फट गया तो समझ िक म मर गया तो यह उसका अजञान ह परनत उसको यह पता चल जाय िक पानी क उबलन स म नही उबलता पानी क िहलन स म नही िहलता म तो वह चनिमा ह जो हजारो घड़ो म चमक रहा ह िकतन ही घड़ टट -फट गय परनत म मरा नही मरा कछ भी िबगड़ा नही म इन सबस असग ह तो वह कभी दःखी नही होगा

इसी कार हम यिद अपन असगपन को जान ल अथारत म शरीर-मन-बि नही अिपत

आतमा ह- यह हम जान ल तो िफर िकतन ही दह पी घड़ बन और टट -िबखर िकतनी ही सि या बन और उनका लय हो जाय हमको कोई भय नही होगा कयोिक आतमा का ःवभाव हः

न जायत ियत वा कदािचननाय भतवा भिवता वा न भयः अजो िनतयः शा तोऽयपराणो न हनयत हनयमान शरीर

यह आतमा िकसी काल म भी न तो जनमता ह और न मरता ही ह तथा न यह उतपनन

होकर िफर होन वाला ही ह कयोिक यह अजनमा िनतय सनातन और परातन ह शरीर क मार जान पर भी यह नही मारा जाता

(भगवदगीताः 223) अनबम

सतो का सनदशः िजन सतो न यह रहःय जान िलया ह जो इस अमतमय अनभव म स गजर चक ह व

सब भयो स म हो गय ह इसीिलए व अपनी अनभविस वाणी म कहत ह- अपन आतमदव स अपिरिचत होन क कारण ही तम अपन को दीन-हीन और दःखी

मानत हो इसिलए अपनी आतम-मिहमा म जाग जाओ यिद अपन आपको दीन ही मानत रह तो रोत रहोग ऐसा कौन ह जो तमह दःखी कर सक तम यिद न चाहो तो दःख की कया मजाल ह िक तमह ःपशर भी कर सक अननत-अननत ाणड को जो चल रहा ह वह चतन तमहार भीतर चमक रहा ह उसकी अनभित कर लो वही तमहारा वाःतिवक ःव प ह

मनसर को सली पर चढ़ा िदया गया था परनत उनको सली का कोई भय नही था सली

का क उनको ःपशर भी नही कर सका कयोिक मनसर अपनी मिहमा म जग हए थ व यह जान चक थ िक म शरीर नही ह सली शरीर को लग सकती ह मझ नही इसिलए व हसत-हसत सली पर चढ़ गय थ

हम ही जानबझकर अपनी सननता की अपन सख-दःख की चाबी दसरो क हाथो म

स प दत ह कोई थोड़ा हस दता ह तो हम बोिधत हो उठत ह कोई थोड़ी शसा कर दता ह तो हषर स फल उठत ह कयोिक हम अपन को सीिमत पिरिचछनन शरीर या मन ही मान बठ ह

हम अपन वाःतिवक ःव प अपनी असीम मिहमा को नही जानत नही तो मजाल ह

िक जगत क सार लोग और ततीस करोड़ दवता भी िमलकर हम दःखी करना चाह और हम दःखी हो जाय जब हम ही भीतर स सख अथवा दःख को ःवीकित दत ह तभी सख अथवा दःख हमको भािवत करता ह सदव सनन रहना ई र की सव परी भि ह

ःवामी रामतीथर कहा करत थ िक कोई यिद तमहारी सननता छ नकर उसक बदल म

तमको ःवगर का फिरता भी बनाना चाह तो फिरतापद को ठोकर मार दो मगर अपनी सननता मत बचो

हम इस जीवन और मतय का कई बार अनभव कर चक ह सत कहत ह- तमहारा न तो जीवन ह और न ही मतय ह तम जीव नही तम िशव हो तम अमर

हो तम अननत अनािद सिचचदाननद परमातमा हो यिद इस जनम-मरण क खल स थक चक हो इनक खोखल पन को जान चक हो इसक असारपन स पिरिचत हो चक हो तो िकसी सत क सािननधय का लाभ उठाकर फकीरी मौत को जान लो िफर तमह कोई दःख कोई मतय भयभीत नही कर सकगी िफर िजस आना हो वह आव जाना हो वह चला जाव सख आव तो आन दो दःख आव तो आन तो जो आयगा वह जायगा तम द ा बनकर दखत रहो तम अपनी मिहमा म मःत रहो

मौत स भी मौत का भय बदतर ह भय म स ही सार पाप पदा होत ह भय ही मतय

ह लोग पछत ह- ःवामी जी आतम-साकषातकार हो जाता ह िफर उसक बाद कया होता

ह होता कया ह हम अपन ःव प म जाग जात ह उसक बाद हमस जो भी वि होती ह वह आननदमय ही होती ह ससार की कोई भी दःखपणर घटना हमको दःखी नही कर सकती

िफर यह शरीर रह या न रह हमार आननद म कोई अनतर नही पड़ता उस आननदःव प अपन आतमदव को जानना-यही जीवन का परम कतरवय ह परनत इस परम कतरवय की ओर मनय का धयान जाता नही और छोटी-मोटी तचछ वि यो म ही अटका रह जाता ह

हम कही याऽा म िनकलत ह तो राःत क िलए िटिफन भरकर भोजन साथ ल लत ह

भोजन स भी अिधक महतव पानी का ह परनत उसक िलए सोच लत ह िक चलो ःटशन पर भर लग घर स पानी लकर चलन की िचनता नही करत पानी स भी यादा ज री हवा ह उसक िबना तो एक िमनट भी नही चलता िफर भी हवा का कोई िसलनडर भरकर साथ नही लत कयोिक हम सब जानत ह िक वह तो सवरऽ ह इसिलए हवा क िलए हम कोई िचनता नही करत

हवा स कम ज री पानी क िलए पानी स कम ज री भोजन क िलए हम यादा िचनता करत ह उसी कार अपन आननदःव प आतमा म जागन क परम कतरवय को छोड़कर कम महतव क ःथल शरीर क लालन पालन एव उसस सबिधत वयवहार को सभालन म ही हम लग रहत ह शरीर असत जड़ और दःख प ह उसको चलान वाला सआम भतो स िनिमरत सआम शरीर ह उसको भी चतन स ा दन वाला सत-िचत-आननदःव प आतमा ह इस आननद-ःव प आतमा को असत-जड़ दःख प और मरणधमार समझकर जीवनभर मौत क भय स भयभीत बन रहत ह

अनत परमातमा म न तो उतथान ह न पतन न जनम ह न मरण वहा तो सब एकरस

ह हम ही मोहवश अपना ससार खड़ा कर लत ह और एक दसर क साथ सबध बनाकर अपन को जानबझकर बधन म डाल दत ह

एक सत क पास एक स जन का पऽ आया उसम िलखा थाः ःवामी जी आपक

आशीवारद स हमार यहा पऽ का जनम हआ ह सत न उ र म उस िलखा िकः तम झठ बोलत हो िफर जब स जन सत क पास गया तब कहा िकः ःवामी जी म सच कहता ह मर यहा पऽ का जनम हआ ह इस पर सत न िफर स कहा िकः तम झठ बोलत हो यह सनकर उन स जन को बड़ा आ यर हआ वह िवःफािरत नऽो स सत की ओर दखन लगा तब सत न कहाः

पऽ का जनम नही हआ िपता का जनम हआ ह माता का जनम हआ ह काका-मामा

का जनम हआ ह पऽ को तो खबर ही नही ह िक मरा जनम हआ ह और म िकसी का पऽ भी ह परनत हम उस पर सार समबनध आरोिपत कर दत ह

वःततः पचभतो म कोई आकार बना ह उस पऽ का नाम द िदया समय आन पर यह आकार िबखर जायगा यह आकार बन उसम हषर और यह आकार िबखर जाय उसम शोक कसा भय कसा

िजस शरीर को हम म मानत ह उसकी कित तो दखो िपया तो था अमत जसा

मीठा जल और िनकाला मऽ प म गदा पानी खाय तो थ मोहनथाल दधपाक छपपन भोग पर बन गया सब िव ा प शरीर का सग करन पदाथर की ऐसी अवःथा बन जाती ह सत-िचत-आननदःव प आतमा भी अपन को भलकर शरीर क साथ एक होकर ःवय को म शरीर मान लती ह और दीन हीन एव दःखी बन जाती ह परनत जब वह अपन आपम जाग जाती ह तब अपन को दवो का दव अनभव करती ह

यिद हमन शरीर क साथ अहबि की तो हम म भय वया हो ही जायगा कयोिक शरीर

की मतय िनि त ह उसका पिरवतरन अवयभावी ह उसको तो ःवय ाजी भी नही रोक सकत परनत यिद हमन अपन आतमःव प को जान िलया ःव प म हमारी िन ा हो गई तो हम िनभरय हो गय कयोिक ःव प की मतय होती नही मौत भी उसस डरती ह

ःवामी अखणडाननद सरःवती एक बार रल क तीसर दज म याऽा कर रह थ व यह

जानना चाहत थ िक तीसर दज म लोगो ारा िकय जान वाल मान-अपमान का भाव उनक िदल पर होता ह िक नही आतमिनरीकषण स उनह पता चला िक भाव तो होता ह यह बात उनहोन ौी उिड़या बाबा को बतायी उिड़या बाबा न कहाः

तम बठत ही कचर क ढर पर हो आशा करत हो िक मझ पर कोई कचरा न फ क मझ

कचर की दगरनध न आव यह कस हो सकता ह तम बठत हो शरीर म और आशा रखत हो िक मान-अपमान का असर न हो ःवय को शरीर माना तो मान-अपमान सख-दःख होगा और जनम-मतय भी होगी

वदानत क रहःय को समझना यह कोई ि यो का काम नही ह ी अथारत कित क

शरीर क म मानकर जीनवाला एक बार राजा जनक िव ानो की सभा म बठ थ उस सभा म गाग आई वह िबलकल

िदगमबर (न न) थी ऐसी अवःथा म सभा म गाग का वश पिडतो को रचा नही इसिलए उनहोन नाक-भ िसकोड़ िलया परषो स भरी सभा म एक न न ी

गाग बोलीः ऐ पिडतो नाक भ कयो िसकोड़त हो

पिडतो न कहाः तम एक अबला ऐसी अवःथा म परषो की सभा म जो आई हो

गाग तरनत बोलीः कौन कहता ह िक म अबला ह म सबला ह अबला तो तम हो जो अपना रकषक बाहर ढढत हो म अपना रकषक आप ह म यह शरीर नही ह म तो सत -िचत-आननदःव प आतमा ह म अपन आपको जानती ह

िजसको जानकर गाग िनभरय बन गई थी उस आननदःव प अपन आतमदव को जो

जान लता ह उसी म िःथत हो जाता ह वह जीवन और मौत दोनो स पर दोनो का द ा बन जाता ह उस िफर कोई भय नही रहता वह सदव आननद म मःत रहता ह

मरो मरो सब कोई कह मरना न जान कोई एक बार ऐसा मरो िक िफर मरना न होई

मगलमय जीवन मगलमय िववाह मगलमय सबध उस परम मगल चतनय क कारण ही

हो सकत ह न िक शि शरीर क बा प-रग पर िवमोिहत होन स महाराज जी क पास आकर एक मिहला कहन लगीः मर पित ःवगरःथ हो गय ह

उनका िवयोग सहा नही जाता ऐसा कोई उपाय बताओ िक उनका िहत हो और मझ शाित िमल

दसरा एक वयि आया और बोलाः मरी प ी मझ अकला छोड़कर चल बसी ह

तीसर न कहाः मरा बटा ःवगरःथ हो गया ह उसकी मीठ याद आती ह मर मन म आता ह िक उसक पीछ म भी आतमहतया करक मर जाऊ बाबा जी शािनत का कछ उपाय बताइय

महाराज जी न कहाः ह भि मिहला पित की याद आय तो उनह खब आदरपवरक कहोः

मरणधमार शरीर म होत हए भी आप अमर थ शरीर क मरन पर भी आप नही मर दह न र ह आप शा त हो चतनय हो आप परम र का अिवनाशी अश हो जनम-मतय आपका धमर नही ह पाप-पणय आपका कमर नही ह आप अजर हो श ब हो हम परःपर पािथरव शरीर की ीित करक मोह म सड़ रह थ िवकारो म दब रह थ अब पािथरव शरीर की ीित स म होकर अपािथरव आतमा म िःथत हो जाओ

वह शादी बरबादी म बदल जाती ह िजसम एक दसर क शरीर को पयार करत ह वह

मगलमय शादी आबादी की ओर ल जाती ह जहा प ी पित को पित प ी को पऽ िपता को िपता पऽ को शरीर क प म नही अिपत शरीरो क आधार श चतनयःव प म दख परःपर अपन चतनयःव प की याद िदलाव और रणा द

ह भि मिहला अपन पित को याद करक उनक जीवातमा को यह रणा दो इसस

उनकी भी उननित होगी और तमहारी उननित होगी ऐसा िचनतन करो िकः ह चतनयःव प मर आतमन शरीर को पाच भत क पतल

को तयागन क बाद भी आपका अिःततव ह आप आतमा हो परम र हो अमर हो चतनय हो शा त हो

इसी कार अपनी प ी को और ःवगरःथ पऽ पिरवार को ःमरण करक उनको उननत

करो और आप भी उननत बनो जीत-जी भी परःपर इसी भाव स उननत करो मतय मगलमय हो जाय ऐसा वातावरण बनाओ

जो वयि मतय को ा हो चक ह उनक ौा ो क िदनो म तथा ःमरण क व उनह

सझाव दो िकः जनम-मतय तमहारा धमर नही था पाप-पणय तमहारा कमर नही था तम अजर

अिवनाशी िनलप शा त सनातन नारायण क अश हो अतः अपन परम र ःवभाव को सभालो ःमरण करो

अपन पित प ी पऽ का नाम लकर कहो िकः तम वही हो सचमच म वही हो जो

मरन क बाद भी नही मरता ॐॐॐ तम चतनय आतमा हो ॐॐॐ शा त परम र हो ॐॐॐ अिवनाशी परमातमा हो ॐॐॐ

पथवी पर क ःवपन तलय सबधो का ःमरण करक तम नीच न िगरो अिपत आतमा-

परमातमा क सबध को याद करत हए अपना ऐिहक जीवन मगलमय बनाओ ससार स कच करक जाओ उस समय तमहार कटमबी आतमा परमा तमा की एकता और अमरता तमहारी िनतयता और म ता का ःमरण तमह अत समय म करा द ऐसी वयवःथा करो

कोई चल बसन वाल हो या चल बस हो उनको याद करक उनकी ओर िदवय िवचार

अमर आतमा का सनदश भजो इस कार तम उ म सवा कर सकत हो और जीिवतो को जीवनदाता म जगा सकत हो दोनो इस कार परःपर सहायता करोग और पाओग

टिलफोन पर अपन दर क सबधी स हम जब बात करत ह तो उस यऽ म स आन वाली

धविन अपन सबधी की होती ह ऐस ही शरीर पी यऽो स जो कछ ःनह सातवना सहानभित म या काश हम पात ह वह भीतर वाल परम र का ही होता ह उनको या उनक िचऽो को

दखो तो उन िचऽो क पीछ खड़ उस शा त सतय को परम िमऽ को पयार करो और उनह भी याद िदलाओ िकः ह शा त आतमा ह परातन ह अिवनाशी नाशवान ससार और शरीर बदलत ह लिकन तम अबदल आतमा हो ॐॐॐ

बचपन बदल गया यौवन बदल गया बढ़ापा बदल गया शरीर बदल गया िफर

तम भी हो तम वह अमर आतमा हो िजस पर काल का भी कोई भाव नही चलता ह अकाल आतमा अपनी मिहमा म जागो इस कार क िवचार भजन स मगल करोग और मगल को पाओग जीवन मगलमय होन

लगगा मतको की मतय भी मगलमय हो जायगी मगल भवन अमगलहारी िवचारो को सदव एक दसर क ित सािरत करो ॐ आननद

आननद आननद रोत चीखत मोहमाया म पड़कर उनको याद करत हो तो उनका और अपना सतयानाश

करत हो उनको नीच िगरात हो उनकी आतमा को भटकात हो अपन को तचछ बनात हो अमागिलक िवचारो को कतई ःफिरत न होन दो सदव मगलमय िवचार हो जायगा मगलमय जीवन मतय भी मगलमय हो जायगी ॐ ॐ ॐ

ॐॐॐॐॐॐॐॐ जीवन और मतय आतमा-परमातमा को पान क दो पहल ह रात क बाद िदन िदन क

बाद रात होती ह इसी तरह जीवन और मतय चोल बदलत हए अनभवो स गजरत हए अपन आतमःव प को ःव प को पान क िलए मगलमयी अवःथा ह

िदन िजतना पयारा ह रात भी उतनी ही आवयक ह जीवन िजतना पयारा ह मतय भी

उतनी ही आवयक ह मतय मान आतमिशव क मिनदर म जान क िलए ऊची सीिढ़या मतय मान मा की गोद म बालक सो गया और उमा शि ताजगी ःफितर पाकर िफर सबह खलता ह मतय मान मा की गोद म थकान िमटान को जाना िफर नया तन ा करक अपनी मगलमय याऽा करना

त वदि स दखा जाय तो यह जीवन-मतय की याऽा कित म हो रही ह तमह

परमातमाःव प म जगान क िलए गीता म भगवान ौी कण कहत ह-

न जायत ियत वा कदािचननाय भतवा भिवता वा न भयः अजो िनतयः शा तोऽयपराणो न हनयत हनयमान शरीर

त वतः यह आतमा न कभी जनमता ह और न मरता ह न यह उतपनन होकर िफर होन

वाला ही ह यह जनमरिहत िनतय िनरनतर रहन वाला शा त और परातन अनािद ह शरीर क मार जान पर भी वह नही मारा जाता

(गीताः 220) शव की ःमशानयाऽा म मटका ल जात ह फोड़ दत ह यह याद िदलान क िलए िक दह

मानो मटका ह इस मगलमय मतय को पीछ िव ल होन की आवयकता नही ह यह मटका सवा करन क िलए िमला था जीणर-शीणर हआ टट गया िफर नया िमलगा मगलमय आतमा-परमातमा की ाि तक यह मगलमय जनम-मरण की याऽा तो चलती ही रहगी इसम िव ल होकर रोना-चीखना िनरा मोह ह अगर इस मोह को पोसा जाय और िकसी की मतय न हो तो ससार महा नरक हो जायगा माली अगर बगीच म काट-छाट न कर तो बगीचा बगीचा ही न रहगा अिपत भयानकर जगल हो जायगा

स ा न मतय का मगलमय िवधान न बनाया होता तो आदमी म तयाग सवा नता क

सदगण ही नही िखलत सब अमर होकर अिड़यल की तरह उलझ रहत रािऽ स अरणोदय अरणोदय स िफर मगलमयी रािऽ की अिनवायर आवयकता ह िवराट

की यह चणड बीड़ा तमह अपन िवराट ःवभाव म जगान क िलए आवयक ह मतय मान महायाऽा महाःथान महािनिा अतः जो मर गय ह उनकी याऽा मगलमय

हो आतमोननितद हो ऐसा िचनतन कर न िक अपन मोह और अजञान क कारण उनको भी भटकाए और खद भी परशान हो

कइयो की मतय बालयकाल म या यौवन म हो जाती ह जस मा न बचच को कपड़

पहनाए और नही जच उठा िलय िफर नय व ो स सजाया-धजाया अथवा यो कहो िक बचचा िखलौनो म रम जाता ह िखलौन नही छोड़ना चाहता परनत मगलमयी मा उस बलात उठा लती ह अपनी गोद म सलाती ह अपनी उमा सािननधय िवौािनत स उस प करक िफर नतन भात को उस खलन क िलए बीडागन म भज दती ह ऐस ही जीवातमा का बीडागन ससार ह अतः अनक शरीर बदलत हए अबदल की मगलमय याऽा करन क िलए जीवन और मतय को मगल िवधान समझकर ई र की हा म हा करत हए अपनी याऽा उननत कर

ॐॐॐ

ॐॐॐॐॐॐॐॐ

अनबम

िचतन पराग ई र का बनाया हआ त भल ही बना रह उसको िमथया समझ लन माऽ स का

बोध हो सकता ह साधक का काम त को िमथया समझन स ही चलता ह इचछाओ की ति का उपाय एक ही ह िक इचछाए तयाग दी जाए िजस िववकी न इस

जगत को सपन या इनिजाल क समान समझ िलया ह िजस दय न प म िदखन लगा ह वह दोषदश िववकी भला बताओ इसम अनराग कस कर

जञानी जागरण को सतय समझना छोड़ दन पर िफर पहल की भाित अनर नही होता

जञानी तयक वःत को अपना आतमा समझता ह मद की कलपना को बार-बार मन म लाना काम-वासना स म होन का सव म उपाय

बताया गया ह मद को पड़ हए दखकर मन घबरान लगता ह पिरणाम की कयो परवाह करत हो अपनी तनखवाह क बार म कभी िफब मत करो

अजञानी लोग समझत ह िक कायर की सफलता म कायर करन की अपकषा अिधक आननद ह इन अनधो को यह मालम ही नही ह िकसी पिरणाम स उतना सख नही िमलता िजतना काम करन स िमलता ह

अपन िवचारो को सदा वाःतिवक आतमा म रखो और पिरिःथितयो की परवाह मत करो तब तक आपकी हािन नही हो सकती जब तक िक आप ःवय उस नही बलात तलवार

तब तक नही काट सकती जब तक आप यह न सोच िक यह काटती ह ऐ पणर तर िलए कोई कतरवय या कायर शष नही ह सारी कित सास रोक तरी

सवा क िलए खड़ी ह ससार तरी पजा करन का अवसर पाकर अपन को कतकतय करना चाहता ह कया त कित की शि यो को अपन चरणो म झकन का अवसर दगा

अपन भीतर सतय क काश को सदा चमकता रखो भय और लोभन का शतान तमहार

पास नही फटकगा

बाहर की बातो म कछ भी नही मान अपमान अपना काम िकय जा िनिशिदन इसम ही सममान

दसर लोग तमहारी आलोचना िनदा करत हो उनह रोकन की च ा न करो कयोिक इनही

सब बातो क ारा तमम सदगणो की वि होगी जब तक तमहारा दय इतना दढ़ नही ह िक तम मख क बकन पर िःथर और शात बन रहो अथवा तमम इतनी सहनशीलता नही ह िक अजञानी मख को कषमा कर सको तब तक तम अपन को कही जञानी न समझ बठना

यिद तम शरीर और मन स ऊपर उठ जाओ तो सब िचनता और भयो स छट हो

जाओग िकसी भी आकिःमक दघरटना स धयर न छोड़ो कयोिक घबराहट स शि तथा बि का

नाश होता ह िकसी भी कार की किठनाइयो क आग दःिखत न होकर गमभीरतापवरक उनका सामना करो तभी तम िनःसनदह िवजय ा करोग तम कही भी हतोतसािहत होकर िनराश न होओ

ऐसी कौन-सी िवपि ह जो मरी सननता को न कर सकती ह वह कौन-सा रज ह जो

मर आननद म िव न डाल सकता ह म तो िव ाणड का भ ह म बि का भ ह िदमाग का मािलक ह और मन का शासक ह ससार मझम ह म ससार म नही आ सकता िव मझम ह म िव म नही बध

सकता सयर और नकषऽ मझम उदय और अःत होत ह दह और दिनया दोनो ई र क भीतर ह वही ई र म ह म िनिलर आतमा ह मरा जनम नही मतय नही म अजर-अमर ह म िचदाननद

आतमःव प ह म िमथया त िमथया धमर िमथया कमर िमथया और जगत िमथया और ऐसा तीत

होता ह िक म सवरःव ह म ही सवरजञ सवरगत आतमा ह अपना साकषी ह कदािप उन नाम पो म फसा नही ह

म िवश ह असखय ाणड मझम पड़ ह म असःपयर ह मरा ःव प िनिलर ह

मझ दःख स कोई भय नही ह मझ समय की जरा भी िचनता नही आतमाननद वाल को भय और आशका कसी

िकसी भी डर को अपन पास मत फटकन दो लोग यिद तमहार बराई करत ह तो तम उनह आशीवारद दो ऐस ःथान पर जाओ जहा

लोग तमस घणा कर तम तो म हो पहल स ही म हो सवरदा कहोः म सदा आननदःव प ह म

म ःवभाव ह म अननत ःव प ह मरी आतमा का आिद और अनत नही ह सभी मर आतमःव प ह

सननतापवरक अपमान सहन करन स और नता धारण करन स अिभमान की िनवि

होती ह िकसी पिवऽ ःथान पर जाओ तो वहा क अनशासन का पालन करो वहा चपपलो की

चटाक-पटाक आभषणो की खनखनाहट भड़कील व ो की फरफराहट आिद हमस न हो इसका परा धयान रखो कही भी िकसी क भी िच को या शात वातावरण को अशात करन का हम कोई अिधकार नही ह

अपन िकसी भी दःख या अशाित का कारण बाहर मत ढढो बाहर की पिरिःथितयो या

वयि यो को दोष मत दो कारण अपन भीतर ढढो िनद ष भाव स ढढोग तो कारण भीतर ही िमल जायगा उस दर करन की च ा करो शातिच रहन का यही बहमलय उपाय ह

जो आतम-अनशािसत ह व ही शासन कर सकत ह ऐसा करन क िलए नाम-जप कर

धयान कर िकसी आतमिन सत का पावन सािननधय ा कर सब तरह स िनभरय एव सनन बनन का यह ौ साधन ह

िवन बनो िनरहकारी बनो अपन आपको बड़ा बतान की च ा न करो िवनता एव

िनरािभमानता ही तमह बड़ा बनायगी िवनता मनय का बहत बड़ा भषण ह िनमरल दि रखो िकसी क दोष दखना यह बहत बड़ा दगरण ह िछिानवषी न बनो

दसरो क दोष दखना पाप अजरन करना ह गणमाही बनो

ॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐ

अनबम

  • मगलमय जीवन-मतय
  • मतय क परकार
  • मतय भी जीवन क समान आवशयक
  • सिकनदर न अमत कयो नही पिया
  • बिना मतय को जान जीवन जीवन नही
  • मतय किसकी होती ह
  • भगवान शरीराम और तारा
  • मतयः कवल वसतर परिवरतन
  • फकीरी मौतः आननदमय जीवन का दवारः
  • यमराज और नचिकताः
  • सचच सत मतय का रहसय समझात ह
  • मतयः एक विशरानति-सथानः
  • वासना की मतय क बाद परम विशरानति
  • धतराषटर का शोकः
  • घाटवाल बाबा का एक परसग
  • फकीरी मौत ही असली जीवन
    • फकीरी मौत कया ह
      • सकरात का अनभव
      • आधयातमविदयाः भारत की विशषताः
      • तीन परकार क लोगः
      • जञान को आय स कोई निसबत नही
      • योगसामरथयः एक परतयकष उदाहरण
      • योग भी साधना का आखिरी शिखर नही
      • गणातीत सत ही परम निरभयः
      • सतो का सनदशः
      • चितन पराग

आधयातमिव ाः भारत की िवशषताः सकरात तो शरीर छोड़त-छोड़त अपना अनभव लोगो को बतात गय िक शरीर की मतय

यह तमहारी मतय नही शरीर क जात हए भी तम इतन क इतन ही पणर हो परनत भारत क ऋिष तो आिद काल स कहत आय ह-

शणवनत िव अमतःय पऽा

आ य धामािन िदवयािन तःयः वदाहमत परष महानतम

आिदतयवण तमसः परःतात तमव िविदतवाऽितमतयमित नानयः पनथा िव तऽयनाय

ह अमतपऽो सनो उस महान परम परषो म को म जानता ह वह अिव ा प अधकार

स सवरथा अतीत ह वह सयर की तरह ःवयकाश-ःव प ह उसको जानकर ही मनय मतय का उललघन करन म जनम-मतय क बधनो स सदव क िलए छटन म समथर होता ह परम पद की ाि क िलए इसक अितिर कोई दसरा मागर नही ह

( ता तरोपिनषद) यह कोई वद-उपिनषद काल की बात ह उस समय क ऋिष चल गय और अब नही ह

ऐसी बात नही ह आज भी ऐस ऋिष और ऐस सत ह िजनहोन सतय की अनभित की ह अपन अमरतव का अनभव िकया ह इतना ही नही बिलक दसरो को भी इस अनभव म उतार सकत ह रामकण परमहस ःवामी िववकाननद ःवामी रामतीथर महिषर रमण इतयािद ऐस ही त वव ा महापरष थ और आज भी ऐस महापरष जगलो म और समाज क बीच म भी ह यहा इस ःथान पर भी हो सकत ह परनत उनको दखन की आख चािहए इन चमरचकषओ स उनह पहचानना मिकल ह िफर भी िजजञास और ममकष वि क लोग उनकी कपा स उनक बार म थोड़ा सकत यह इशारा पा सकत ह

अनबम

तीन कार क लोगः ऐस सतो क पास तीन कार क लोग आत ह- दशरक िव ाथ और साधक

दशरक अथारत ऐस लोग जो कवल दशरन करन और यह दखन क िल ए आत ह िक सत कस ह कया करत ह कया कहत ह उपदश भी सन तो लत ह पर उसक अनसार कछ करना ह इसक साथ उनका कोई समबनध नही होता आग बढ़न क िलए उनम कोई उतसाह नही होता

िव ाथ अथारत व जो शा एव उपदश समबनधी अपनी जानकारी बढ़ान क िलए आत ह

अपन पास जो जानकारी ह उसम और वि होव तािक दसरो को यह सब सनाकर अपनी िव ा की छाप उन पर छोड़ी जा सक दसरो स सना याद रखा और जाकर दसरो को सना िदया जस ग स शानसपोटर कमपनी ाईवट िलिमटड- यहा का माल वहा और वहा का माल यहा लाना और ल जाना ऐस लोग भी त व समझन क मागर पर चलन का पिरौम उठान को तयार नही

तीसर कार क लोग होत ह साधक य ऐस लोग होत ह िक जो साधनामागर पर चलन

को तयार होत ह इनको जसा बताया ह वसा करन को पणर प स किटब होत ह अपनी सारी शि उसम लगान को ततपर होत ह उसक िलए अपना मान-सममान तन-मन-धन सब कछ होम दन को तयार होत ह सत क ित और अपन धयय क ित इनम पणर िन ा होती ह य लोग फकीर अथवा सत क सकत क अनसार लआय की िसि क िलए साहसपवरक चल पड़त ह

िव ाथ अपन वयि तव का ौगार करन क िलए आत ह जबिक साधक वयि तव का िवसजरन करन क िलए आत ह साधक अपन लआय की तलना म अपन वयि तव या अपन अह का कोई भी मलय नही समझत जबिक िव ाथ क िलए अपना अह और वयि तव का ौगार ही सब कछ ह अपनी िव ता म वि जानकारी को बढ़ाना वयि तव को और आकषरक बनाना इसी म उस सार िदखता ह त वानभित की तरफ उसका कोई धयान नही होता

यही कारण ह िक सतो क पास आत तो बहत लोग ह परनत साधक बनकर वही िटक

कर त व का साकषातकार करन वाल कछ िवरल ही होत ह

जञान को आय स कोई िनःबत नही िजसन फकीरी मौत को जान िलया हो अथारत िजस आतमजञान हो गया हो वह शरीर की

दि स कम उ का हो परनत उसक आग लौिकक िव ा म वीण और अिधक वय क सफद दाढ़ी-मछ वाल लोग भी बालक क समान होत ह इसीिलए योगिव ा म वीण 1400 वषर क चागदव को कम उवाल जञान र महाराज क चरणो म समिपरत होना पड़ा था ाचीन काल म ऐस कई उदाहरण दखन म आत ह

िचऽ वटतरोमरल व ाः िशया गरयरवा

गरोःत मौन वयाखयान िशयाःतिचछननसशयाः अथारत यह कसा विच य ह िक वटवकष क नीच यवा गर और व िशय बठ ह गर

ारा मौन वयाखयान हो रहा ह और िशयो क सब सशयो और शकाओ का समाधान होता जा रहा ह

अनबम

योगसामथयरः एक तयकष उदाहरण अपन मोटरा आौम म भी ऐस ही करीब स र वषर क सफद बाल वाल एक साधक ह

पहल डीसा म व एक सत क पास गय गय तो थ दशरक बनकर ही परनत सत की दि पड़त ही व दशरक म स साधक बन गय म कछ वषर पवर डीसा क आौम म था तब व मर पास आय थ पकी हई उ म भी व 18 वषर की उ की एक बाला क साथ बयाह रचान की तयारी म थ और आशीवारद मागन हत वहा आय थ उनको दखकर ही मर मह स िनकल पड़ाः

अब तमहारी शादी ई र क साथ कराएग यह सनकर उनको बड़ा आ यर हआ कयोिक न तो व मझ पहल स जानत थ और न ही

म उनह जानता था उस व उनका शरीर भी कसा था चरबी और कफ-िप स ठसाठस भरा हआ एकदम ःथल दमा आिद रोगो का िशकार डीसा म कपड़ क बड़ वयापारी थ धप म िबना छाता िलए दकान स नीच नही उतर पात थ कित ऐसी थी िक िकसी भी सत महातमा को नही गाठ और काम-वासना भीतर इतनी भरी हई थी िक आग की दो पि या शरीर छोड़ चकी थी िफर भी इस उ म तीसरी शादी करन को तयार थ प ी िबना एक िदन भी नही रह सकत थ

घर पहचन पर उनको पता चला िक उनक अनदर जो काम -िवकार का तफान आया था

वह एकदम शात हो गया ह भिवय म प ी बनन वाली उस कमारी क साथ एकात म अनक च ाए करक भी व उस काम-िवकार को पनः नही जगा सक इतना बल िवकार एकाएक कहा चला गया िफर उनको समझ म आया िक सत की ई रीय अहत की कपा उनम उतरी ह उनको सारा ससार सना-सना लगन लगा उनहोन तरनत ही उस कमारी यवती को कछ पय और कपड़ िदय और बटी कहकर रवाना कर िदया उसक बाद उनहोन आसन ाणायाम गजकरणी नित धोित आिद िबयाए सीख ली और िनयिमत प स करन लग इसस उनक शरीर क सार परान कफ-िप -दमा आिद दर हो गय और शरीर म स आवयकता स अिधक चब घटकर शरीर हलका फल जसा हो गया अब तो जवानो क साथ दौड़न की भी ःपधार करत

ह धयानयोग की साधना म उनहोन इतनी गित की ह िक उनको कई कार क अलौिकक अनभव हआ करत ह अपन सआम शरीर ारा व लोक -लोकानतर म घम आया करत ह

योग भी साधना का आिखरी िशखर नही यह भी साधना की कोई आिखरी भिमका नही ह सव चच िशखर नही ह यह भी सब

माया की सीमा म ही ह िफर चमर-चकषओ स दखो अथवा धयान म बठकर दखो कयोिकः

यद दय तद अिनतयम जो िदखता ह वह अिनतय ह जो िदख सो चालनहार चागदव भी योग म कशल थ

काल को कई बार धोखा द चक थ परनत माया को धोखा न द सक व भी साि वक माया म थ माया स पर नही थ

माया ऐसी ठिगनी ठगत िफरत सब दश जो ठग या ठिगनी ठग वा ठग को आदश

कोई िवरल सत ही इस माया को ठग सकत ह माया स पार जा सकत ह बाकी क

लोगो का तो यह माया न र म ही शा त का आभास करा दती ह अिःथरता म िःथरता िदखा दती ह ऐसी मोिहना माया क िवषय म ौी कण कहत ह-

दवी षा गणमयी मम माया दरतयया मामव य प नत मायामता तरिनत त

मरी यह अदभत िऽगणमयी माया का तरना अतयनत दकर ह परनत जो मरी शरण म

आत ह व तर जात ह (गीता)

अनबम

गणातीत सत ही परम िनभरयः ऐसी दःतर माया को जो सत अथवा फकीर तर जात ह और मौत की पोल जान जात ह

व कहत ह- एक ऐसी जगह ह जहा मौत की पहच नही जहा मौत का कोई भय नही िजसस मौत भी भयभीत होती ह उस जगह म हम बठ ह तम चाहो तो तम भी बठ सकत हो

तमहार म एक ऐसा चतन ह जो कभी मरता नही िजसन मौत कभी दखी ही नही जो जीवन और मौत क समय पिरवतरन को दखता ह परनत उन सबस पर ह

यिद घड़ म आया हआ चनिमा का ितिबमब घड़ क पानी को उबलता हआ जानकर यह

मान की म उबल रहा ह पानी िहल तो समझ िक म िहलता ह घड़ा फट गया तो समझ िक म मर गया तो यह उसका अजञान ह परनत उसको यह पता चल जाय िक पानी क उबलन स म नही उबलता पानी क िहलन स म नही िहलता म तो वह चनिमा ह जो हजारो घड़ो म चमक रहा ह िकतन ही घड़ टट -फट गय परनत म मरा नही मरा कछ भी िबगड़ा नही म इन सबस असग ह तो वह कभी दःखी नही होगा

इसी कार हम यिद अपन असगपन को जान ल अथारत म शरीर-मन-बि नही अिपत

आतमा ह- यह हम जान ल तो िफर िकतन ही दह पी घड़ बन और टट -िबखर िकतनी ही सि या बन और उनका लय हो जाय हमको कोई भय नही होगा कयोिक आतमा का ःवभाव हः

न जायत ियत वा कदािचननाय भतवा भिवता वा न भयः अजो िनतयः शा तोऽयपराणो न हनयत हनयमान शरीर

यह आतमा िकसी काल म भी न तो जनमता ह और न मरता ही ह तथा न यह उतपनन

होकर िफर होन वाला ही ह कयोिक यह अजनमा िनतय सनातन और परातन ह शरीर क मार जान पर भी यह नही मारा जाता

(भगवदगीताः 223) अनबम

सतो का सनदशः िजन सतो न यह रहःय जान िलया ह जो इस अमतमय अनभव म स गजर चक ह व

सब भयो स म हो गय ह इसीिलए व अपनी अनभविस वाणी म कहत ह- अपन आतमदव स अपिरिचत होन क कारण ही तम अपन को दीन-हीन और दःखी

मानत हो इसिलए अपनी आतम-मिहमा म जाग जाओ यिद अपन आपको दीन ही मानत रह तो रोत रहोग ऐसा कौन ह जो तमह दःखी कर सक तम यिद न चाहो तो दःख की कया मजाल ह िक तमह ःपशर भी कर सक अननत-अननत ाणड को जो चल रहा ह वह चतन तमहार भीतर चमक रहा ह उसकी अनभित कर लो वही तमहारा वाःतिवक ःव प ह

मनसर को सली पर चढ़ा िदया गया था परनत उनको सली का कोई भय नही था सली

का क उनको ःपशर भी नही कर सका कयोिक मनसर अपनी मिहमा म जग हए थ व यह जान चक थ िक म शरीर नही ह सली शरीर को लग सकती ह मझ नही इसिलए व हसत-हसत सली पर चढ़ गय थ

हम ही जानबझकर अपनी सननता की अपन सख-दःख की चाबी दसरो क हाथो म

स प दत ह कोई थोड़ा हस दता ह तो हम बोिधत हो उठत ह कोई थोड़ी शसा कर दता ह तो हषर स फल उठत ह कयोिक हम अपन को सीिमत पिरिचछनन शरीर या मन ही मान बठ ह

हम अपन वाःतिवक ःव प अपनी असीम मिहमा को नही जानत नही तो मजाल ह

िक जगत क सार लोग और ततीस करोड़ दवता भी िमलकर हम दःखी करना चाह और हम दःखी हो जाय जब हम ही भीतर स सख अथवा दःख को ःवीकित दत ह तभी सख अथवा दःख हमको भािवत करता ह सदव सनन रहना ई र की सव परी भि ह

ःवामी रामतीथर कहा करत थ िक कोई यिद तमहारी सननता छ नकर उसक बदल म

तमको ःवगर का फिरता भी बनाना चाह तो फिरतापद को ठोकर मार दो मगर अपनी सननता मत बचो

हम इस जीवन और मतय का कई बार अनभव कर चक ह सत कहत ह- तमहारा न तो जीवन ह और न ही मतय ह तम जीव नही तम िशव हो तम अमर

हो तम अननत अनािद सिचचदाननद परमातमा हो यिद इस जनम-मरण क खल स थक चक हो इनक खोखल पन को जान चक हो इसक असारपन स पिरिचत हो चक हो तो िकसी सत क सािननधय का लाभ उठाकर फकीरी मौत को जान लो िफर तमह कोई दःख कोई मतय भयभीत नही कर सकगी िफर िजस आना हो वह आव जाना हो वह चला जाव सख आव तो आन दो दःख आव तो आन तो जो आयगा वह जायगा तम द ा बनकर दखत रहो तम अपनी मिहमा म मःत रहो

मौत स भी मौत का भय बदतर ह भय म स ही सार पाप पदा होत ह भय ही मतय

ह लोग पछत ह- ःवामी जी आतम-साकषातकार हो जाता ह िफर उसक बाद कया होता

ह होता कया ह हम अपन ःव प म जाग जात ह उसक बाद हमस जो भी वि होती ह वह आननदमय ही होती ह ससार की कोई भी दःखपणर घटना हमको दःखी नही कर सकती

िफर यह शरीर रह या न रह हमार आननद म कोई अनतर नही पड़ता उस आननदःव प अपन आतमदव को जानना-यही जीवन का परम कतरवय ह परनत इस परम कतरवय की ओर मनय का धयान जाता नही और छोटी-मोटी तचछ वि यो म ही अटका रह जाता ह

हम कही याऽा म िनकलत ह तो राःत क िलए िटिफन भरकर भोजन साथ ल लत ह

भोजन स भी अिधक महतव पानी का ह परनत उसक िलए सोच लत ह िक चलो ःटशन पर भर लग घर स पानी लकर चलन की िचनता नही करत पानी स भी यादा ज री हवा ह उसक िबना तो एक िमनट भी नही चलता िफर भी हवा का कोई िसलनडर भरकर साथ नही लत कयोिक हम सब जानत ह िक वह तो सवरऽ ह इसिलए हवा क िलए हम कोई िचनता नही करत

हवा स कम ज री पानी क िलए पानी स कम ज री भोजन क िलए हम यादा िचनता करत ह उसी कार अपन आननदःव प आतमा म जागन क परम कतरवय को छोड़कर कम महतव क ःथल शरीर क लालन पालन एव उसस सबिधत वयवहार को सभालन म ही हम लग रहत ह शरीर असत जड़ और दःख प ह उसको चलान वाला सआम भतो स िनिमरत सआम शरीर ह उसको भी चतन स ा दन वाला सत-िचत-आननदःव प आतमा ह इस आननद-ःव प आतमा को असत-जड़ दःख प और मरणधमार समझकर जीवनभर मौत क भय स भयभीत बन रहत ह

अनत परमातमा म न तो उतथान ह न पतन न जनम ह न मरण वहा तो सब एकरस

ह हम ही मोहवश अपना ससार खड़ा कर लत ह और एक दसर क साथ सबध बनाकर अपन को जानबझकर बधन म डाल दत ह

एक सत क पास एक स जन का पऽ आया उसम िलखा थाः ःवामी जी आपक

आशीवारद स हमार यहा पऽ का जनम हआ ह सत न उ र म उस िलखा िकः तम झठ बोलत हो िफर जब स जन सत क पास गया तब कहा िकः ःवामी जी म सच कहता ह मर यहा पऽ का जनम हआ ह इस पर सत न िफर स कहा िकः तम झठ बोलत हो यह सनकर उन स जन को बड़ा आ यर हआ वह िवःफािरत नऽो स सत की ओर दखन लगा तब सत न कहाः

पऽ का जनम नही हआ िपता का जनम हआ ह माता का जनम हआ ह काका-मामा

का जनम हआ ह पऽ को तो खबर ही नही ह िक मरा जनम हआ ह और म िकसी का पऽ भी ह परनत हम उस पर सार समबनध आरोिपत कर दत ह

वःततः पचभतो म कोई आकार बना ह उस पऽ का नाम द िदया समय आन पर यह आकार िबखर जायगा यह आकार बन उसम हषर और यह आकार िबखर जाय उसम शोक कसा भय कसा

िजस शरीर को हम म मानत ह उसकी कित तो दखो िपया तो था अमत जसा

मीठा जल और िनकाला मऽ प म गदा पानी खाय तो थ मोहनथाल दधपाक छपपन भोग पर बन गया सब िव ा प शरीर का सग करन पदाथर की ऐसी अवःथा बन जाती ह सत-िचत-आननदःव प आतमा भी अपन को भलकर शरीर क साथ एक होकर ःवय को म शरीर मान लती ह और दीन हीन एव दःखी बन जाती ह परनत जब वह अपन आपम जाग जाती ह तब अपन को दवो का दव अनभव करती ह

यिद हमन शरीर क साथ अहबि की तो हम म भय वया हो ही जायगा कयोिक शरीर

की मतय िनि त ह उसका पिरवतरन अवयभावी ह उसको तो ःवय ाजी भी नही रोक सकत परनत यिद हमन अपन आतमःव प को जान िलया ःव प म हमारी िन ा हो गई तो हम िनभरय हो गय कयोिक ःव प की मतय होती नही मौत भी उसस डरती ह

ःवामी अखणडाननद सरःवती एक बार रल क तीसर दज म याऽा कर रह थ व यह

जानना चाहत थ िक तीसर दज म लोगो ारा िकय जान वाल मान-अपमान का भाव उनक िदल पर होता ह िक नही आतमिनरीकषण स उनह पता चला िक भाव तो होता ह यह बात उनहोन ौी उिड़या बाबा को बतायी उिड़या बाबा न कहाः

तम बठत ही कचर क ढर पर हो आशा करत हो िक मझ पर कोई कचरा न फ क मझ

कचर की दगरनध न आव यह कस हो सकता ह तम बठत हो शरीर म और आशा रखत हो िक मान-अपमान का असर न हो ःवय को शरीर माना तो मान-अपमान सख-दःख होगा और जनम-मतय भी होगी

वदानत क रहःय को समझना यह कोई ि यो का काम नही ह ी अथारत कित क

शरीर क म मानकर जीनवाला एक बार राजा जनक िव ानो की सभा म बठ थ उस सभा म गाग आई वह िबलकल

िदगमबर (न न) थी ऐसी अवःथा म सभा म गाग का वश पिडतो को रचा नही इसिलए उनहोन नाक-भ िसकोड़ िलया परषो स भरी सभा म एक न न ी

गाग बोलीः ऐ पिडतो नाक भ कयो िसकोड़त हो

पिडतो न कहाः तम एक अबला ऐसी अवःथा म परषो की सभा म जो आई हो

गाग तरनत बोलीः कौन कहता ह िक म अबला ह म सबला ह अबला तो तम हो जो अपना रकषक बाहर ढढत हो म अपना रकषक आप ह म यह शरीर नही ह म तो सत -िचत-आननदःव प आतमा ह म अपन आपको जानती ह

िजसको जानकर गाग िनभरय बन गई थी उस आननदःव प अपन आतमदव को जो

जान लता ह उसी म िःथत हो जाता ह वह जीवन और मौत दोनो स पर दोनो का द ा बन जाता ह उस िफर कोई भय नही रहता वह सदव आननद म मःत रहता ह

मरो मरो सब कोई कह मरना न जान कोई एक बार ऐसा मरो िक िफर मरना न होई

मगलमय जीवन मगलमय िववाह मगलमय सबध उस परम मगल चतनय क कारण ही

हो सकत ह न िक शि शरीर क बा प-रग पर िवमोिहत होन स महाराज जी क पास आकर एक मिहला कहन लगीः मर पित ःवगरःथ हो गय ह

उनका िवयोग सहा नही जाता ऐसा कोई उपाय बताओ िक उनका िहत हो और मझ शाित िमल

दसरा एक वयि आया और बोलाः मरी प ी मझ अकला छोड़कर चल बसी ह

तीसर न कहाः मरा बटा ःवगरःथ हो गया ह उसकी मीठ याद आती ह मर मन म आता ह िक उसक पीछ म भी आतमहतया करक मर जाऊ बाबा जी शािनत का कछ उपाय बताइय

महाराज जी न कहाः ह भि मिहला पित की याद आय तो उनह खब आदरपवरक कहोः

मरणधमार शरीर म होत हए भी आप अमर थ शरीर क मरन पर भी आप नही मर दह न र ह आप शा त हो चतनय हो आप परम र का अिवनाशी अश हो जनम-मतय आपका धमर नही ह पाप-पणय आपका कमर नही ह आप अजर हो श ब हो हम परःपर पािथरव शरीर की ीित करक मोह म सड़ रह थ िवकारो म दब रह थ अब पािथरव शरीर की ीित स म होकर अपािथरव आतमा म िःथत हो जाओ

वह शादी बरबादी म बदल जाती ह िजसम एक दसर क शरीर को पयार करत ह वह

मगलमय शादी आबादी की ओर ल जाती ह जहा प ी पित को पित प ी को पऽ िपता को िपता पऽ को शरीर क प म नही अिपत शरीरो क आधार श चतनयःव प म दख परःपर अपन चतनयःव प की याद िदलाव और रणा द

ह भि मिहला अपन पित को याद करक उनक जीवातमा को यह रणा दो इसस

उनकी भी उननित होगी और तमहारी उननित होगी ऐसा िचनतन करो िकः ह चतनयःव प मर आतमन शरीर को पाच भत क पतल

को तयागन क बाद भी आपका अिःततव ह आप आतमा हो परम र हो अमर हो चतनय हो शा त हो

इसी कार अपनी प ी को और ःवगरःथ पऽ पिरवार को ःमरण करक उनको उननत

करो और आप भी उननत बनो जीत-जी भी परःपर इसी भाव स उननत करो मतय मगलमय हो जाय ऐसा वातावरण बनाओ

जो वयि मतय को ा हो चक ह उनक ौा ो क िदनो म तथा ःमरण क व उनह

सझाव दो िकः जनम-मतय तमहारा धमर नही था पाप-पणय तमहारा कमर नही था तम अजर

अिवनाशी िनलप शा त सनातन नारायण क अश हो अतः अपन परम र ःवभाव को सभालो ःमरण करो

अपन पित प ी पऽ का नाम लकर कहो िकः तम वही हो सचमच म वही हो जो

मरन क बाद भी नही मरता ॐॐॐ तम चतनय आतमा हो ॐॐॐ शा त परम र हो ॐॐॐ अिवनाशी परमातमा हो ॐॐॐ

पथवी पर क ःवपन तलय सबधो का ःमरण करक तम नीच न िगरो अिपत आतमा-

परमातमा क सबध को याद करत हए अपना ऐिहक जीवन मगलमय बनाओ ससार स कच करक जाओ उस समय तमहार कटमबी आतमा परमा तमा की एकता और अमरता तमहारी िनतयता और म ता का ःमरण तमह अत समय म करा द ऐसी वयवःथा करो

कोई चल बसन वाल हो या चल बस हो उनको याद करक उनकी ओर िदवय िवचार

अमर आतमा का सनदश भजो इस कार तम उ म सवा कर सकत हो और जीिवतो को जीवनदाता म जगा सकत हो दोनो इस कार परःपर सहायता करोग और पाओग

टिलफोन पर अपन दर क सबधी स हम जब बात करत ह तो उस यऽ म स आन वाली

धविन अपन सबधी की होती ह ऐस ही शरीर पी यऽो स जो कछ ःनह सातवना सहानभित म या काश हम पात ह वह भीतर वाल परम र का ही होता ह उनको या उनक िचऽो को

दखो तो उन िचऽो क पीछ खड़ उस शा त सतय को परम िमऽ को पयार करो और उनह भी याद िदलाओ िकः ह शा त आतमा ह परातन ह अिवनाशी नाशवान ससार और शरीर बदलत ह लिकन तम अबदल आतमा हो ॐॐॐ

बचपन बदल गया यौवन बदल गया बढ़ापा बदल गया शरीर बदल गया िफर

तम भी हो तम वह अमर आतमा हो िजस पर काल का भी कोई भाव नही चलता ह अकाल आतमा अपनी मिहमा म जागो इस कार क िवचार भजन स मगल करोग और मगल को पाओग जीवन मगलमय होन

लगगा मतको की मतय भी मगलमय हो जायगी मगल भवन अमगलहारी िवचारो को सदव एक दसर क ित सािरत करो ॐ आननद

आननद आननद रोत चीखत मोहमाया म पड़कर उनको याद करत हो तो उनका और अपना सतयानाश

करत हो उनको नीच िगरात हो उनकी आतमा को भटकात हो अपन को तचछ बनात हो अमागिलक िवचारो को कतई ःफिरत न होन दो सदव मगलमय िवचार हो जायगा मगलमय जीवन मतय भी मगलमय हो जायगी ॐ ॐ ॐ

ॐॐॐॐॐॐॐॐ जीवन और मतय आतमा-परमातमा को पान क दो पहल ह रात क बाद िदन िदन क

बाद रात होती ह इसी तरह जीवन और मतय चोल बदलत हए अनभवो स गजरत हए अपन आतमःव प को ःव प को पान क िलए मगलमयी अवःथा ह

िदन िजतना पयारा ह रात भी उतनी ही आवयक ह जीवन िजतना पयारा ह मतय भी

उतनी ही आवयक ह मतय मान आतमिशव क मिनदर म जान क िलए ऊची सीिढ़या मतय मान मा की गोद म बालक सो गया और उमा शि ताजगी ःफितर पाकर िफर सबह खलता ह मतय मान मा की गोद म थकान िमटान को जाना िफर नया तन ा करक अपनी मगलमय याऽा करना

त वदि स दखा जाय तो यह जीवन-मतय की याऽा कित म हो रही ह तमह

परमातमाःव प म जगान क िलए गीता म भगवान ौी कण कहत ह-

न जायत ियत वा कदािचननाय भतवा भिवता वा न भयः अजो िनतयः शा तोऽयपराणो न हनयत हनयमान शरीर

त वतः यह आतमा न कभी जनमता ह और न मरता ह न यह उतपनन होकर िफर होन

वाला ही ह यह जनमरिहत िनतय िनरनतर रहन वाला शा त और परातन अनािद ह शरीर क मार जान पर भी वह नही मारा जाता

(गीताः 220) शव की ःमशानयाऽा म मटका ल जात ह फोड़ दत ह यह याद िदलान क िलए िक दह

मानो मटका ह इस मगलमय मतय को पीछ िव ल होन की आवयकता नही ह यह मटका सवा करन क िलए िमला था जीणर-शीणर हआ टट गया िफर नया िमलगा मगलमय आतमा-परमातमा की ाि तक यह मगलमय जनम-मरण की याऽा तो चलती ही रहगी इसम िव ल होकर रोना-चीखना िनरा मोह ह अगर इस मोह को पोसा जाय और िकसी की मतय न हो तो ससार महा नरक हो जायगा माली अगर बगीच म काट-छाट न कर तो बगीचा बगीचा ही न रहगा अिपत भयानकर जगल हो जायगा

स ा न मतय का मगलमय िवधान न बनाया होता तो आदमी म तयाग सवा नता क

सदगण ही नही िखलत सब अमर होकर अिड़यल की तरह उलझ रहत रािऽ स अरणोदय अरणोदय स िफर मगलमयी रािऽ की अिनवायर आवयकता ह िवराट

की यह चणड बीड़ा तमह अपन िवराट ःवभाव म जगान क िलए आवयक ह मतय मान महायाऽा महाःथान महािनिा अतः जो मर गय ह उनकी याऽा मगलमय

हो आतमोननितद हो ऐसा िचनतन कर न िक अपन मोह और अजञान क कारण उनको भी भटकाए और खद भी परशान हो

कइयो की मतय बालयकाल म या यौवन म हो जाती ह जस मा न बचच को कपड़

पहनाए और नही जच उठा िलय िफर नय व ो स सजाया-धजाया अथवा यो कहो िक बचचा िखलौनो म रम जाता ह िखलौन नही छोड़ना चाहता परनत मगलमयी मा उस बलात उठा लती ह अपनी गोद म सलाती ह अपनी उमा सािननधय िवौािनत स उस प करक िफर नतन भात को उस खलन क िलए बीडागन म भज दती ह ऐस ही जीवातमा का बीडागन ससार ह अतः अनक शरीर बदलत हए अबदल की मगलमय याऽा करन क िलए जीवन और मतय को मगल िवधान समझकर ई र की हा म हा करत हए अपनी याऽा उननत कर

ॐॐॐ

ॐॐॐॐॐॐॐॐ

अनबम

िचतन पराग ई र का बनाया हआ त भल ही बना रह उसको िमथया समझ लन माऽ स का

बोध हो सकता ह साधक का काम त को िमथया समझन स ही चलता ह इचछाओ की ति का उपाय एक ही ह िक इचछाए तयाग दी जाए िजस िववकी न इस

जगत को सपन या इनिजाल क समान समझ िलया ह िजस दय न प म िदखन लगा ह वह दोषदश िववकी भला बताओ इसम अनराग कस कर

जञानी जागरण को सतय समझना छोड़ दन पर िफर पहल की भाित अनर नही होता

जञानी तयक वःत को अपना आतमा समझता ह मद की कलपना को बार-बार मन म लाना काम-वासना स म होन का सव म उपाय

बताया गया ह मद को पड़ हए दखकर मन घबरान लगता ह पिरणाम की कयो परवाह करत हो अपनी तनखवाह क बार म कभी िफब मत करो

अजञानी लोग समझत ह िक कायर की सफलता म कायर करन की अपकषा अिधक आननद ह इन अनधो को यह मालम ही नही ह िकसी पिरणाम स उतना सख नही िमलता िजतना काम करन स िमलता ह

अपन िवचारो को सदा वाःतिवक आतमा म रखो और पिरिःथितयो की परवाह मत करो तब तक आपकी हािन नही हो सकती जब तक िक आप ःवय उस नही बलात तलवार

तब तक नही काट सकती जब तक आप यह न सोच िक यह काटती ह ऐ पणर तर िलए कोई कतरवय या कायर शष नही ह सारी कित सास रोक तरी

सवा क िलए खड़ी ह ससार तरी पजा करन का अवसर पाकर अपन को कतकतय करना चाहता ह कया त कित की शि यो को अपन चरणो म झकन का अवसर दगा

अपन भीतर सतय क काश को सदा चमकता रखो भय और लोभन का शतान तमहार

पास नही फटकगा

बाहर की बातो म कछ भी नही मान अपमान अपना काम िकय जा िनिशिदन इसम ही सममान

दसर लोग तमहारी आलोचना िनदा करत हो उनह रोकन की च ा न करो कयोिक इनही

सब बातो क ारा तमम सदगणो की वि होगी जब तक तमहारा दय इतना दढ़ नही ह िक तम मख क बकन पर िःथर और शात बन रहो अथवा तमम इतनी सहनशीलता नही ह िक अजञानी मख को कषमा कर सको तब तक तम अपन को कही जञानी न समझ बठना

यिद तम शरीर और मन स ऊपर उठ जाओ तो सब िचनता और भयो स छट हो

जाओग िकसी भी आकिःमक दघरटना स धयर न छोड़ो कयोिक घबराहट स शि तथा बि का

नाश होता ह िकसी भी कार की किठनाइयो क आग दःिखत न होकर गमभीरतापवरक उनका सामना करो तभी तम िनःसनदह िवजय ा करोग तम कही भी हतोतसािहत होकर िनराश न होओ

ऐसी कौन-सी िवपि ह जो मरी सननता को न कर सकती ह वह कौन-सा रज ह जो

मर आननद म िव न डाल सकता ह म तो िव ाणड का भ ह म बि का भ ह िदमाग का मािलक ह और मन का शासक ह ससार मझम ह म ससार म नही आ सकता िव मझम ह म िव म नही बध

सकता सयर और नकषऽ मझम उदय और अःत होत ह दह और दिनया दोनो ई र क भीतर ह वही ई र म ह म िनिलर आतमा ह मरा जनम नही मतय नही म अजर-अमर ह म िचदाननद

आतमःव प ह म िमथया त िमथया धमर िमथया कमर िमथया और जगत िमथया और ऐसा तीत

होता ह िक म सवरःव ह म ही सवरजञ सवरगत आतमा ह अपना साकषी ह कदािप उन नाम पो म फसा नही ह

म िवश ह असखय ाणड मझम पड़ ह म असःपयर ह मरा ःव प िनिलर ह

मझ दःख स कोई भय नही ह मझ समय की जरा भी िचनता नही आतमाननद वाल को भय और आशका कसी

िकसी भी डर को अपन पास मत फटकन दो लोग यिद तमहार बराई करत ह तो तम उनह आशीवारद दो ऐस ःथान पर जाओ जहा

लोग तमस घणा कर तम तो म हो पहल स ही म हो सवरदा कहोः म सदा आननदःव प ह म

म ःवभाव ह म अननत ःव प ह मरी आतमा का आिद और अनत नही ह सभी मर आतमःव प ह

सननतापवरक अपमान सहन करन स और नता धारण करन स अिभमान की िनवि

होती ह िकसी पिवऽ ःथान पर जाओ तो वहा क अनशासन का पालन करो वहा चपपलो की

चटाक-पटाक आभषणो की खनखनाहट भड़कील व ो की फरफराहट आिद हमस न हो इसका परा धयान रखो कही भी िकसी क भी िच को या शात वातावरण को अशात करन का हम कोई अिधकार नही ह

अपन िकसी भी दःख या अशाित का कारण बाहर मत ढढो बाहर की पिरिःथितयो या

वयि यो को दोष मत दो कारण अपन भीतर ढढो िनद ष भाव स ढढोग तो कारण भीतर ही िमल जायगा उस दर करन की च ा करो शातिच रहन का यही बहमलय उपाय ह

जो आतम-अनशािसत ह व ही शासन कर सकत ह ऐसा करन क िलए नाम-जप कर

धयान कर िकसी आतमिन सत का पावन सािननधय ा कर सब तरह स िनभरय एव सनन बनन का यह ौ साधन ह

िवन बनो िनरहकारी बनो अपन आपको बड़ा बतान की च ा न करो िवनता एव

िनरािभमानता ही तमह बड़ा बनायगी िवनता मनय का बहत बड़ा भषण ह िनमरल दि रखो िकसी क दोष दखना यह बहत बड़ा दगरण ह िछिानवषी न बनो

दसरो क दोष दखना पाप अजरन करना ह गणमाही बनो

ॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐ

अनबम

  • मगलमय जीवन-मतय
  • मतय क परकार
  • मतय भी जीवन क समान आवशयक
  • सिकनदर न अमत कयो नही पिया
  • बिना मतय को जान जीवन जीवन नही
  • मतय किसकी होती ह
  • भगवान शरीराम और तारा
  • मतयः कवल वसतर परिवरतन
  • फकीरी मौतः आननदमय जीवन का दवारः
  • यमराज और नचिकताः
  • सचच सत मतय का रहसय समझात ह
  • मतयः एक विशरानति-सथानः
  • वासना की मतय क बाद परम विशरानति
  • धतराषटर का शोकः
  • घाटवाल बाबा का एक परसग
  • फकीरी मौत ही असली जीवन
    • फकीरी मौत कया ह
      • सकरात का अनभव
      • आधयातमविदयाः भारत की विशषताः
      • तीन परकार क लोगः
      • जञान को आय स कोई निसबत नही
      • योगसामरथयः एक परतयकष उदाहरण
      • योग भी साधना का आखिरी शिखर नही
      • गणातीत सत ही परम निरभयः
      • सतो का सनदशः
      • चितन पराग

दशरक अथारत ऐस लोग जो कवल दशरन करन और यह दखन क िल ए आत ह िक सत कस ह कया करत ह कया कहत ह उपदश भी सन तो लत ह पर उसक अनसार कछ करना ह इसक साथ उनका कोई समबनध नही होता आग बढ़न क िलए उनम कोई उतसाह नही होता

िव ाथ अथारत व जो शा एव उपदश समबनधी अपनी जानकारी बढ़ान क िलए आत ह

अपन पास जो जानकारी ह उसम और वि होव तािक दसरो को यह सब सनाकर अपनी िव ा की छाप उन पर छोड़ी जा सक दसरो स सना याद रखा और जाकर दसरो को सना िदया जस ग स शानसपोटर कमपनी ाईवट िलिमटड- यहा का माल वहा और वहा का माल यहा लाना और ल जाना ऐस लोग भी त व समझन क मागर पर चलन का पिरौम उठान को तयार नही

तीसर कार क लोग होत ह साधक य ऐस लोग होत ह िक जो साधनामागर पर चलन

को तयार होत ह इनको जसा बताया ह वसा करन को पणर प स किटब होत ह अपनी सारी शि उसम लगान को ततपर होत ह उसक िलए अपना मान-सममान तन-मन-धन सब कछ होम दन को तयार होत ह सत क ित और अपन धयय क ित इनम पणर िन ा होती ह य लोग फकीर अथवा सत क सकत क अनसार लआय की िसि क िलए साहसपवरक चल पड़त ह

िव ाथ अपन वयि तव का ौगार करन क िलए आत ह जबिक साधक वयि तव का िवसजरन करन क िलए आत ह साधक अपन लआय की तलना म अपन वयि तव या अपन अह का कोई भी मलय नही समझत जबिक िव ाथ क िलए अपना अह और वयि तव का ौगार ही सब कछ ह अपनी िव ता म वि जानकारी को बढ़ाना वयि तव को और आकषरक बनाना इसी म उस सार िदखता ह त वानभित की तरफ उसका कोई धयान नही होता

यही कारण ह िक सतो क पास आत तो बहत लोग ह परनत साधक बनकर वही िटक

कर त व का साकषातकार करन वाल कछ िवरल ही होत ह

जञान को आय स कोई िनःबत नही िजसन फकीरी मौत को जान िलया हो अथारत िजस आतमजञान हो गया हो वह शरीर की

दि स कम उ का हो परनत उसक आग लौिकक िव ा म वीण और अिधक वय क सफद दाढ़ी-मछ वाल लोग भी बालक क समान होत ह इसीिलए योगिव ा म वीण 1400 वषर क चागदव को कम उवाल जञान र महाराज क चरणो म समिपरत होना पड़ा था ाचीन काल म ऐस कई उदाहरण दखन म आत ह

िचऽ वटतरोमरल व ाः िशया गरयरवा

गरोःत मौन वयाखयान िशयाःतिचछननसशयाः अथारत यह कसा विच य ह िक वटवकष क नीच यवा गर और व िशय बठ ह गर

ारा मौन वयाखयान हो रहा ह और िशयो क सब सशयो और शकाओ का समाधान होता जा रहा ह

अनबम

योगसामथयरः एक तयकष उदाहरण अपन मोटरा आौम म भी ऐस ही करीब स र वषर क सफद बाल वाल एक साधक ह

पहल डीसा म व एक सत क पास गय गय तो थ दशरक बनकर ही परनत सत की दि पड़त ही व दशरक म स साधक बन गय म कछ वषर पवर डीसा क आौम म था तब व मर पास आय थ पकी हई उ म भी व 18 वषर की उ की एक बाला क साथ बयाह रचान की तयारी म थ और आशीवारद मागन हत वहा आय थ उनको दखकर ही मर मह स िनकल पड़ाः

अब तमहारी शादी ई र क साथ कराएग यह सनकर उनको बड़ा आ यर हआ कयोिक न तो व मझ पहल स जानत थ और न ही

म उनह जानता था उस व उनका शरीर भी कसा था चरबी और कफ-िप स ठसाठस भरा हआ एकदम ःथल दमा आिद रोगो का िशकार डीसा म कपड़ क बड़ वयापारी थ धप म िबना छाता िलए दकान स नीच नही उतर पात थ कित ऐसी थी िक िकसी भी सत महातमा को नही गाठ और काम-वासना भीतर इतनी भरी हई थी िक आग की दो पि या शरीर छोड़ चकी थी िफर भी इस उ म तीसरी शादी करन को तयार थ प ी िबना एक िदन भी नही रह सकत थ

घर पहचन पर उनको पता चला िक उनक अनदर जो काम -िवकार का तफान आया था

वह एकदम शात हो गया ह भिवय म प ी बनन वाली उस कमारी क साथ एकात म अनक च ाए करक भी व उस काम-िवकार को पनः नही जगा सक इतना बल िवकार एकाएक कहा चला गया िफर उनको समझ म आया िक सत की ई रीय अहत की कपा उनम उतरी ह उनको सारा ससार सना-सना लगन लगा उनहोन तरनत ही उस कमारी यवती को कछ पय और कपड़ िदय और बटी कहकर रवाना कर िदया उसक बाद उनहोन आसन ाणायाम गजकरणी नित धोित आिद िबयाए सीख ली और िनयिमत प स करन लग इसस उनक शरीर क सार परान कफ-िप -दमा आिद दर हो गय और शरीर म स आवयकता स अिधक चब घटकर शरीर हलका फल जसा हो गया अब तो जवानो क साथ दौड़न की भी ःपधार करत

ह धयानयोग की साधना म उनहोन इतनी गित की ह िक उनको कई कार क अलौिकक अनभव हआ करत ह अपन सआम शरीर ारा व लोक -लोकानतर म घम आया करत ह

योग भी साधना का आिखरी िशखर नही यह भी साधना की कोई आिखरी भिमका नही ह सव चच िशखर नही ह यह भी सब

माया की सीमा म ही ह िफर चमर-चकषओ स दखो अथवा धयान म बठकर दखो कयोिकः

यद दय तद अिनतयम जो िदखता ह वह अिनतय ह जो िदख सो चालनहार चागदव भी योग म कशल थ

काल को कई बार धोखा द चक थ परनत माया को धोखा न द सक व भी साि वक माया म थ माया स पर नही थ

माया ऐसी ठिगनी ठगत िफरत सब दश जो ठग या ठिगनी ठग वा ठग को आदश

कोई िवरल सत ही इस माया को ठग सकत ह माया स पार जा सकत ह बाकी क

लोगो का तो यह माया न र म ही शा त का आभास करा दती ह अिःथरता म िःथरता िदखा दती ह ऐसी मोिहना माया क िवषय म ौी कण कहत ह-

दवी षा गणमयी मम माया दरतयया मामव य प नत मायामता तरिनत त

मरी यह अदभत िऽगणमयी माया का तरना अतयनत दकर ह परनत जो मरी शरण म

आत ह व तर जात ह (गीता)

अनबम

गणातीत सत ही परम िनभरयः ऐसी दःतर माया को जो सत अथवा फकीर तर जात ह और मौत की पोल जान जात ह

व कहत ह- एक ऐसी जगह ह जहा मौत की पहच नही जहा मौत का कोई भय नही िजसस मौत भी भयभीत होती ह उस जगह म हम बठ ह तम चाहो तो तम भी बठ सकत हो

तमहार म एक ऐसा चतन ह जो कभी मरता नही िजसन मौत कभी दखी ही नही जो जीवन और मौत क समय पिरवतरन को दखता ह परनत उन सबस पर ह

यिद घड़ म आया हआ चनिमा का ितिबमब घड़ क पानी को उबलता हआ जानकर यह

मान की म उबल रहा ह पानी िहल तो समझ िक म िहलता ह घड़ा फट गया तो समझ िक म मर गया तो यह उसका अजञान ह परनत उसको यह पता चल जाय िक पानी क उबलन स म नही उबलता पानी क िहलन स म नही िहलता म तो वह चनिमा ह जो हजारो घड़ो म चमक रहा ह िकतन ही घड़ टट -फट गय परनत म मरा नही मरा कछ भी िबगड़ा नही म इन सबस असग ह तो वह कभी दःखी नही होगा

इसी कार हम यिद अपन असगपन को जान ल अथारत म शरीर-मन-बि नही अिपत

आतमा ह- यह हम जान ल तो िफर िकतन ही दह पी घड़ बन और टट -िबखर िकतनी ही सि या बन और उनका लय हो जाय हमको कोई भय नही होगा कयोिक आतमा का ःवभाव हः

न जायत ियत वा कदािचननाय भतवा भिवता वा न भयः अजो िनतयः शा तोऽयपराणो न हनयत हनयमान शरीर

यह आतमा िकसी काल म भी न तो जनमता ह और न मरता ही ह तथा न यह उतपनन

होकर िफर होन वाला ही ह कयोिक यह अजनमा िनतय सनातन और परातन ह शरीर क मार जान पर भी यह नही मारा जाता

(भगवदगीताः 223) अनबम

सतो का सनदशः िजन सतो न यह रहःय जान िलया ह जो इस अमतमय अनभव म स गजर चक ह व

सब भयो स म हो गय ह इसीिलए व अपनी अनभविस वाणी म कहत ह- अपन आतमदव स अपिरिचत होन क कारण ही तम अपन को दीन-हीन और दःखी

मानत हो इसिलए अपनी आतम-मिहमा म जाग जाओ यिद अपन आपको दीन ही मानत रह तो रोत रहोग ऐसा कौन ह जो तमह दःखी कर सक तम यिद न चाहो तो दःख की कया मजाल ह िक तमह ःपशर भी कर सक अननत-अननत ाणड को जो चल रहा ह वह चतन तमहार भीतर चमक रहा ह उसकी अनभित कर लो वही तमहारा वाःतिवक ःव प ह

मनसर को सली पर चढ़ा िदया गया था परनत उनको सली का कोई भय नही था सली

का क उनको ःपशर भी नही कर सका कयोिक मनसर अपनी मिहमा म जग हए थ व यह जान चक थ िक म शरीर नही ह सली शरीर को लग सकती ह मझ नही इसिलए व हसत-हसत सली पर चढ़ गय थ

हम ही जानबझकर अपनी सननता की अपन सख-दःख की चाबी दसरो क हाथो म

स प दत ह कोई थोड़ा हस दता ह तो हम बोिधत हो उठत ह कोई थोड़ी शसा कर दता ह तो हषर स फल उठत ह कयोिक हम अपन को सीिमत पिरिचछनन शरीर या मन ही मान बठ ह

हम अपन वाःतिवक ःव प अपनी असीम मिहमा को नही जानत नही तो मजाल ह

िक जगत क सार लोग और ततीस करोड़ दवता भी िमलकर हम दःखी करना चाह और हम दःखी हो जाय जब हम ही भीतर स सख अथवा दःख को ःवीकित दत ह तभी सख अथवा दःख हमको भािवत करता ह सदव सनन रहना ई र की सव परी भि ह

ःवामी रामतीथर कहा करत थ िक कोई यिद तमहारी सननता छ नकर उसक बदल म

तमको ःवगर का फिरता भी बनाना चाह तो फिरतापद को ठोकर मार दो मगर अपनी सननता मत बचो

हम इस जीवन और मतय का कई बार अनभव कर चक ह सत कहत ह- तमहारा न तो जीवन ह और न ही मतय ह तम जीव नही तम िशव हो तम अमर

हो तम अननत अनािद सिचचदाननद परमातमा हो यिद इस जनम-मरण क खल स थक चक हो इनक खोखल पन को जान चक हो इसक असारपन स पिरिचत हो चक हो तो िकसी सत क सािननधय का लाभ उठाकर फकीरी मौत को जान लो िफर तमह कोई दःख कोई मतय भयभीत नही कर सकगी िफर िजस आना हो वह आव जाना हो वह चला जाव सख आव तो आन दो दःख आव तो आन तो जो आयगा वह जायगा तम द ा बनकर दखत रहो तम अपनी मिहमा म मःत रहो

मौत स भी मौत का भय बदतर ह भय म स ही सार पाप पदा होत ह भय ही मतय

ह लोग पछत ह- ःवामी जी आतम-साकषातकार हो जाता ह िफर उसक बाद कया होता

ह होता कया ह हम अपन ःव प म जाग जात ह उसक बाद हमस जो भी वि होती ह वह आननदमय ही होती ह ससार की कोई भी दःखपणर घटना हमको दःखी नही कर सकती

िफर यह शरीर रह या न रह हमार आननद म कोई अनतर नही पड़ता उस आननदःव प अपन आतमदव को जानना-यही जीवन का परम कतरवय ह परनत इस परम कतरवय की ओर मनय का धयान जाता नही और छोटी-मोटी तचछ वि यो म ही अटका रह जाता ह

हम कही याऽा म िनकलत ह तो राःत क िलए िटिफन भरकर भोजन साथ ल लत ह

भोजन स भी अिधक महतव पानी का ह परनत उसक िलए सोच लत ह िक चलो ःटशन पर भर लग घर स पानी लकर चलन की िचनता नही करत पानी स भी यादा ज री हवा ह उसक िबना तो एक िमनट भी नही चलता िफर भी हवा का कोई िसलनडर भरकर साथ नही लत कयोिक हम सब जानत ह िक वह तो सवरऽ ह इसिलए हवा क िलए हम कोई िचनता नही करत

हवा स कम ज री पानी क िलए पानी स कम ज री भोजन क िलए हम यादा िचनता करत ह उसी कार अपन आननदःव प आतमा म जागन क परम कतरवय को छोड़कर कम महतव क ःथल शरीर क लालन पालन एव उसस सबिधत वयवहार को सभालन म ही हम लग रहत ह शरीर असत जड़ और दःख प ह उसको चलान वाला सआम भतो स िनिमरत सआम शरीर ह उसको भी चतन स ा दन वाला सत-िचत-आननदःव प आतमा ह इस आननद-ःव प आतमा को असत-जड़ दःख प और मरणधमार समझकर जीवनभर मौत क भय स भयभीत बन रहत ह

अनत परमातमा म न तो उतथान ह न पतन न जनम ह न मरण वहा तो सब एकरस

ह हम ही मोहवश अपना ससार खड़ा कर लत ह और एक दसर क साथ सबध बनाकर अपन को जानबझकर बधन म डाल दत ह

एक सत क पास एक स जन का पऽ आया उसम िलखा थाः ःवामी जी आपक

आशीवारद स हमार यहा पऽ का जनम हआ ह सत न उ र म उस िलखा िकः तम झठ बोलत हो िफर जब स जन सत क पास गया तब कहा िकः ःवामी जी म सच कहता ह मर यहा पऽ का जनम हआ ह इस पर सत न िफर स कहा िकः तम झठ बोलत हो यह सनकर उन स जन को बड़ा आ यर हआ वह िवःफािरत नऽो स सत की ओर दखन लगा तब सत न कहाः

पऽ का जनम नही हआ िपता का जनम हआ ह माता का जनम हआ ह काका-मामा

का जनम हआ ह पऽ को तो खबर ही नही ह िक मरा जनम हआ ह और म िकसी का पऽ भी ह परनत हम उस पर सार समबनध आरोिपत कर दत ह

वःततः पचभतो म कोई आकार बना ह उस पऽ का नाम द िदया समय आन पर यह आकार िबखर जायगा यह आकार बन उसम हषर और यह आकार िबखर जाय उसम शोक कसा भय कसा

िजस शरीर को हम म मानत ह उसकी कित तो दखो िपया तो था अमत जसा

मीठा जल और िनकाला मऽ प म गदा पानी खाय तो थ मोहनथाल दधपाक छपपन भोग पर बन गया सब िव ा प शरीर का सग करन पदाथर की ऐसी अवःथा बन जाती ह सत-िचत-आननदःव प आतमा भी अपन को भलकर शरीर क साथ एक होकर ःवय को म शरीर मान लती ह और दीन हीन एव दःखी बन जाती ह परनत जब वह अपन आपम जाग जाती ह तब अपन को दवो का दव अनभव करती ह

यिद हमन शरीर क साथ अहबि की तो हम म भय वया हो ही जायगा कयोिक शरीर

की मतय िनि त ह उसका पिरवतरन अवयभावी ह उसको तो ःवय ाजी भी नही रोक सकत परनत यिद हमन अपन आतमःव प को जान िलया ःव प म हमारी िन ा हो गई तो हम िनभरय हो गय कयोिक ःव प की मतय होती नही मौत भी उसस डरती ह

ःवामी अखणडाननद सरःवती एक बार रल क तीसर दज म याऽा कर रह थ व यह

जानना चाहत थ िक तीसर दज म लोगो ारा िकय जान वाल मान-अपमान का भाव उनक िदल पर होता ह िक नही आतमिनरीकषण स उनह पता चला िक भाव तो होता ह यह बात उनहोन ौी उिड़या बाबा को बतायी उिड़या बाबा न कहाः

तम बठत ही कचर क ढर पर हो आशा करत हो िक मझ पर कोई कचरा न फ क मझ

कचर की दगरनध न आव यह कस हो सकता ह तम बठत हो शरीर म और आशा रखत हो िक मान-अपमान का असर न हो ःवय को शरीर माना तो मान-अपमान सख-दःख होगा और जनम-मतय भी होगी

वदानत क रहःय को समझना यह कोई ि यो का काम नही ह ी अथारत कित क

शरीर क म मानकर जीनवाला एक बार राजा जनक िव ानो की सभा म बठ थ उस सभा म गाग आई वह िबलकल

िदगमबर (न न) थी ऐसी अवःथा म सभा म गाग का वश पिडतो को रचा नही इसिलए उनहोन नाक-भ िसकोड़ िलया परषो स भरी सभा म एक न न ी

गाग बोलीः ऐ पिडतो नाक भ कयो िसकोड़त हो

पिडतो न कहाः तम एक अबला ऐसी अवःथा म परषो की सभा म जो आई हो

गाग तरनत बोलीः कौन कहता ह िक म अबला ह म सबला ह अबला तो तम हो जो अपना रकषक बाहर ढढत हो म अपना रकषक आप ह म यह शरीर नही ह म तो सत -िचत-आननदःव प आतमा ह म अपन आपको जानती ह

िजसको जानकर गाग िनभरय बन गई थी उस आननदःव प अपन आतमदव को जो

जान लता ह उसी म िःथत हो जाता ह वह जीवन और मौत दोनो स पर दोनो का द ा बन जाता ह उस िफर कोई भय नही रहता वह सदव आननद म मःत रहता ह

मरो मरो सब कोई कह मरना न जान कोई एक बार ऐसा मरो िक िफर मरना न होई

मगलमय जीवन मगलमय िववाह मगलमय सबध उस परम मगल चतनय क कारण ही

हो सकत ह न िक शि शरीर क बा प-रग पर िवमोिहत होन स महाराज जी क पास आकर एक मिहला कहन लगीः मर पित ःवगरःथ हो गय ह

उनका िवयोग सहा नही जाता ऐसा कोई उपाय बताओ िक उनका िहत हो और मझ शाित िमल

दसरा एक वयि आया और बोलाः मरी प ी मझ अकला छोड़कर चल बसी ह

तीसर न कहाः मरा बटा ःवगरःथ हो गया ह उसकी मीठ याद आती ह मर मन म आता ह िक उसक पीछ म भी आतमहतया करक मर जाऊ बाबा जी शािनत का कछ उपाय बताइय

महाराज जी न कहाः ह भि मिहला पित की याद आय तो उनह खब आदरपवरक कहोः

मरणधमार शरीर म होत हए भी आप अमर थ शरीर क मरन पर भी आप नही मर दह न र ह आप शा त हो चतनय हो आप परम र का अिवनाशी अश हो जनम-मतय आपका धमर नही ह पाप-पणय आपका कमर नही ह आप अजर हो श ब हो हम परःपर पािथरव शरीर की ीित करक मोह म सड़ रह थ िवकारो म दब रह थ अब पािथरव शरीर की ीित स म होकर अपािथरव आतमा म िःथत हो जाओ

वह शादी बरबादी म बदल जाती ह िजसम एक दसर क शरीर को पयार करत ह वह

मगलमय शादी आबादी की ओर ल जाती ह जहा प ी पित को पित प ी को पऽ िपता को िपता पऽ को शरीर क प म नही अिपत शरीरो क आधार श चतनयःव प म दख परःपर अपन चतनयःव प की याद िदलाव और रणा द

ह भि मिहला अपन पित को याद करक उनक जीवातमा को यह रणा दो इसस

उनकी भी उननित होगी और तमहारी उननित होगी ऐसा िचनतन करो िकः ह चतनयःव प मर आतमन शरीर को पाच भत क पतल

को तयागन क बाद भी आपका अिःततव ह आप आतमा हो परम र हो अमर हो चतनय हो शा त हो

इसी कार अपनी प ी को और ःवगरःथ पऽ पिरवार को ःमरण करक उनको उननत

करो और आप भी उननत बनो जीत-जी भी परःपर इसी भाव स उननत करो मतय मगलमय हो जाय ऐसा वातावरण बनाओ

जो वयि मतय को ा हो चक ह उनक ौा ो क िदनो म तथा ःमरण क व उनह

सझाव दो िकः जनम-मतय तमहारा धमर नही था पाप-पणय तमहारा कमर नही था तम अजर

अिवनाशी िनलप शा त सनातन नारायण क अश हो अतः अपन परम र ःवभाव को सभालो ःमरण करो

अपन पित प ी पऽ का नाम लकर कहो िकः तम वही हो सचमच म वही हो जो

मरन क बाद भी नही मरता ॐॐॐ तम चतनय आतमा हो ॐॐॐ शा त परम र हो ॐॐॐ अिवनाशी परमातमा हो ॐॐॐ

पथवी पर क ःवपन तलय सबधो का ःमरण करक तम नीच न िगरो अिपत आतमा-

परमातमा क सबध को याद करत हए अपना ऐिहक जीवन मगलमय बनाओ ससार स कच करक जाओ उस समय तमहार कटमबी आतमा परमा तमा की एकता और अमरता तमहारी िनतयता और म ता का ःमरण तमह अत समय म करा द ऐसी वयवःथा करो

कोई चल बसन वाल हो या चल बस हो उनको याद करक उनकी ओर िदवय िवचार

अमर आतमा का सनदश भजो इस कार तम उ म सवा कर सकत हो और जीिवतो को जीवनदाता म जगा सकत हो दोनो इस कार परःपर सहायता करोग और पाओग

टिलफोन पर अपन दर क सबधी स हम जब बात करत ह तो उस यऽ म स आन वाली

धविन अपन सबधी की होती ह ऐस ही शरीर पी यऽो स जो कछ ःनह सातवना सहानभित म या काश हम पात ह वह भीतर वाल परम र का ही होता ह उनको या उनक िचऽो को

दखो तो उन िचऽो क पीछ खड़ उस शा त सतय को परम िमऽ को पयार करो और उनह भी याद िदलाओ िकः ह शा त आतमा ह परातन ह अिवनाशी नाशवान ससार और शरीर बदलत ह लिकन तम अबदल आतमा हो ॐॐॐ

बचपन बदल गया यौवन बदल गया बढ़ापा बदल गया शरीर बदल गया िफर

तम भी हो तम वह अमर आतमा हो िजस पर काल का भी कोई भाव नही चलता ह अकाल आतमा अपनी मिहमा म जागो इस कार क िवचार भजन स मगल करोग और मगल को पाओग जीवन मगलमय होन

लगगा मतको की मतय भी मगलमय हो जायगी मगल भवन अमगलहारी िवचारो को सदव एक दसर क ित सािरत करो ॐ आननद

आननद आननद रोत चीखत मोहमाया म पड़कर उनको याद करत हो तो उनका और अपना सतयानाश

करत हो उनको नीच िगरात हो उनकी आतमा को भटकात हो अपन को तचछ बनात हो अमागिलक िवचारो को कतई ःफिरत न होन दो सदव मगलमय िवचार हो जायगा मगलमय जीवन मतय भी मगलमय हो जायगी ॐ ॐ ॐ

ॐॐॐॐॐॐॐॐ जीवन और मतय आतमा-परमातमा को पान क दो पहल ह रात क बाद िदन िदन क

बाद रात होती ह इसी तरह जीवन और मतय चोल बदलत हए अनभवो स गजरत हए अपन आतमःव प को ःव प को पान क िलए मगलमयी अवःथा ह

िदन िजतना पयारा ह रात भी उतनी ही आवयक ह जीवन िजतना पयारा ह मतय भी

उतनी ही आवयक ह मतय मान आतमिशव क मिनदर म जान क िलए ऊची सीिढ़या मतय मान मा की गोद म बालक सो गया और उमा शि ताजगी ःफितर पाकर िफर सबह खलता ह मतय मान मा की गोद म थकान िमटान को जाना िफर नया तन ा करक अपनी मगलमय याऽा करना

त वदि स दखा जाय तो यह जीवन-मतय की याऽा कित म हो रही ह तमह

परमातमाःव प म जगान क िलए गीता म भगवान ौी कण कहत ह-

न जायत ियत वा कदािचननाय भतवा भिवता वा न भयः अजो िनतयः शा तोऽयपराणो न हनयत हनयमान शरीर

त वतः यह आतमा न कभी जनमता ह और न मरता ह न यह उतपनन होकर िफर होन

वाला ही ह यह जनमरिहत िनतय िनरनतर रहन वाला शा त और परातन अनािद ह शरीर क मार जान पर भी वह नही मारा जाता

(गीताः 220) शव की ःमशानयाऽा म मटका ल जात ह फोड़ दत ह यह याद िदलान क िलए िक दह

मानो मटका ह इस मगलमय मतय को पीछ िव ल होन की आवयकता नही ह यह मटका सवा करन क िलए िमला था जीणर-शीणर हआ टट गया िफर नया िमलगा मगलमय आतमा-परमातमा की ाि तक यह मगलमय जनम-मरण की याऽा तो चलती ही रहगी इसम िव ल होकर रोना-चीखना िनरा मोह ह अगर इस मोह को पोसा जाय और िकसी की मतय न हो तो ससार महा नरक हो जायगा माली अगर बगीच म काट-छाट न कर तो बगीचा बगीचा ही न रहगा अिपत भयानकर जगल हो जायगा

स ा न मतय का मगलमय िवधान न बनाया होता तो आदमी म तयाग सवा नता क

सदगण ही नही िखलत सब अमर होकर अिड़यल की तरह उलझ रहत रािऽ स अरणोदय अरणोदय स िफर मगलमयी रािऽ की अिनवायर आवयकता ह िवराट

की यह चणड बीड़ा तमह अपन िवराट ःवभाव म जगान क िलए आवयक ह मतय मान महायाऽा महाःथान महािनिा अतः जो मर गय ह उनकी याऽा मगलमय

हो आतमोननितद हो ऐसा िचनतन कर न िक अपन मोह और अजञान क कारण उनको भी भटकाए और खद भी परशान हो

कइयो की मतय बालयकाल म या यौवन म हो जाती ह जस मा न बचच को कपड़

पहनाए और नही जच उठा िलय िफर नय व ो स सजाया-धजाया अथवा यो कहो िक बचचा िखलौनो म रम जाता ह िखलौन नही छोड़ना चाहता परनत मगलमयी मा उस बलात उठा लती ह अपनी गोद म सलाती ह अपनी उमा सािननधय िवौािनत स उस प करक िफर नतन भात को उस खलन क िलए बीडागन म भज दती ह ऐस ही जीवातमा का बीडागन ससार ह अतः अनक शरीर बदलत हए अबदल की मगलमय याऽा करन क िलए जीवन और मतय को मगल िवधान समझकर ई र की हा म हा करत हए अपनी याऽा उननत कर

ॐॐॐ

ॐॐॐॐॐॐॐॐ

अनबम

िचतन पराग ई र का बनाया हआ त भल ही बना रह उसको िमथया समझ लन माऽ स का

बोध हो सकता ह साधक का काम त को िमथया समझन स ही चलता ह इचछाओ की ति का उपाय एक ही ह िक इचछाए तयाग दी जाए िजस िववकी न इस

जगत को सपन या इनिजाल क समान समझ िलया ह िजस दय न प म िदखन लगा ह वह दोषदश िववकी भला बताओ इसम अनराग कस कर

जञानी जागरण को सतय समझना छोड़ दन पर िफर पहल की भाित अनर नही होता

जञानी तयक वःत को अपना आतमा समझता ह मद की कलपना को बार-बार मन म लाना काम-वासना स म होन का सव म उपाय

बताया गया ह मद को पड़ हए दखकर मन घबरान लगता ह पिरणाम की कयो परवाह करत हो अपनी तनखवाह क बार म कभी िफब मत करो

अजञानी लोग समझत ह िक कायर की सफलता म कायर करन की अपकषा अिधक आननद ह इन अनधो को यह मालम ही नही ह िकसी पिरणाम स उतना सख नही िमलता िजतना काम करन स िमलता ह

अपन िवचारो को सदा वाःतिवक आतमा म रखो और पिरिःथितयो की परवाह मत करो तब तक आपकी हािन नही हो सकती जब तक िक आप ःवय उस नही बलात तलवार

तब तक नही काट सकती जब तक आप यह न सोच िक यह काटती ह ऐ पणर तर िलए कोई कतरवय या कायर शष नही ह सारी कित सास रोक तरी

सवा क िलए खड़ी ह ससार तरी पजा करन का अवसर पाकर अपन को कतकतय करना चाहता ह कया त कित की शि यो को अपन चरणो म झकन का अवसर दगा

अपन भीतर सतय क काश को सदा चमकता रखो भय और लोभन का शतान तमहार

पास नही फटकगा

बाहर की बातो म कछ भी नही मान अपमान अपना काम िकय जा िनिशिदन इसम ही सममान

दसर लोग तमहारी आलोचना िनदा करत हो उनह रोकन की च ा न करो कयोिक इनही

सब बातो क ारा तमम सदगणो की वि होगी जब तक तमहारा दय इतना दढ़ नही ह िक तम मख क बकन पर िःथर और शात बन रहो अथवा तमम इतनी सहनशीलता नही ह िक अजञानी मख को कषमा कर सको तब तक तम अपन को कही जञानी न समझ बठना

यिद तम शरीर और मन स ऊपर उठ जाओ तो सब िचनता और भयो स छट हो

जाओग िकसी भी आकिःमक दघरटना स धयर न छोड़ो कयोिक घबराहट स शि तथा बि का

नाश होता ह िकसी भी कार की किठनाइयो क आग दःिखत न होकर गमभीरतापवरक उनका सामना करो तभी तम िनःसनदह िवजय ा करोग तम कही भी हतोतसािहत होकर िनराश न होओ

ऐसी कौन-सी िवपि ह जो मरी सननता को न कर सकती ह वह कौन-सा रज ह जो

मर आननद म िव न डाल सकता ह म तो िव ाणड का भ ह म बि का भ ह िदमाग का मािलक ह और मन का शासक ह ससार मझम ह म ससार म नही आ सकता िव मझम ह म िव म नही बध

सकता सयर और नकषऽ मझम उदय और अःत होत ह दह और दिनया दोनो ई र क भीतर ह वही ई र म ह म िनिलर आतमा ह मरा जनम नही मतय नही म अजर-अमर ह म िचदाननद

आतमःव प ह म िमथया त िमथया धमर िमथया कमर िमथया और जगत िमथया और ऐसा तीत

होता ह िक म सवरःव ह म ही सवरजञ सवरगत आतमा ह अपना साकषी ह कदािप उन नाम पो म फसा नही ह

म िवश ह असखय ाणड मझम पड़ ह म असःपयर ह मरा ःव प िनिलर ह

मझ दःख स कोई भय नही ह मझ समय की जरा भी िचनता नही आतमाननद वाल को भय और आशका कसी

िकसी भी डर को अपन पास मत फटकन दो लोग यिद तमहार बराई करत ह तो तम उनह आशीवारद दो ऐस ःथान पर जाओ जहा

लोग तमस घणा कर तम तो म हो पहल स ही म हो सवरदा कहोः म सदा आननदःव प ह म

म ःवभाव ह म अननत ःव प ह मरी आतमा का आिद और अनत नही ह सभी मर आतमःव प ह

सननतापवरक अपमान सहन करन स और नता धारण करन स अिभमान की िनवि

होती ह िकसी पिवऽ ःथान पर जाओ तो वहा क अनशासन का पालन करो वहा चपपलो की

चटाक-पटाक आभषणो की खनखनाहट भड़कील व ो की फरफराहट आिद हमस न हो इसका परा धयान रखो कही भी िकसी क भी िच को या शात वातावरण को अशात करन का हम कोई अिधकार नही ह

अपन िकसी भी दःख या अशाित का कारण बाहर मत ढढो बाहर की पिरिःथितयो या

वयि यो को दोष मत दो कारण अपन भीतर ढढो िनद ष भाव स ढढोग तो कारण भीतर ही िमल जायगा उस दर करन की च ा करो शातिच रहन का यही बहमलय उपाय ह

जो आतम-अनशािसत ह व ही शासन कर सकत ह ऐसा करन क िलए नाम-जप कर

धयान कर िकसी आतमिन सत का पावन सािननधय ा कर सब तरह स िनभरय एव सनन बनन का यह ौ साधन ह

िवन बनो िनरहकारी बनो अपन आपको बड़ा बतान की च ा न करो िवनता एव

िनरािभमानता ही तमह बड़ा बनायगी िवनता मनय का बहत बड़ा भषण ह िनमरल दि रखो िकसी क दोष दखना यह बहत बड़ा दगरण ह िछिानवषी न बनो

दसरो क दोष दखना पाप अजरन करना ह गणमाही बनो

ॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐ

अनबम

  • मगलमय जीवन-मतय
  • मतय क परकार
  • मतय भी जीवन क समान आवशयक
  • सिकनदर न अमत कयो नही पिया
  • बिना मतय को जान जीवन जीवन नही
  • मतय किसकी होती ह
  • भगवान शरीराम और तारा
  • मतयः कवल वसतर परिवरतन
  • फकीरी मौतः आननदमय जीवन का दवारः
  • यमराज और नचिकताः
  • सचच सत मतय का रहसय समझात ह
  • मतयः एक विशरानति-सथानः
  • वासना की मतय क बाद परम विशरानति
  • धतराषटर का शोकः
  • घाटवाल बाबा का एक परसग
  • फकीरी मौत ही असली जीवन
    • फकीरी मौत कया ह
      • सकरात का अनभव
      • आधयातमविदयाः भारत की विशषताः
      • तीन परकार क लोगः
      • जञान को आय स कोई निसबत नही
      • योगसामरथयः एक परतयकष उदाहरण
      • योग भी साधना का आखिरी शिखर नही
      • गणातीत सत ही परम निरभयः
      • सतो का सनदशः
      • चितन पराग

गरोःत मौन वयाखयान िशयाःतिचछननसशयाः अथारत यह कसा विच य ह िक वटवकष क नीच यवा गर और व िशय बठ ह गर

ारा मौन वयाखयान हो रहा ह और िशयो क सब सशयो और शकाओ का समाधान होता जा रहा ह

अनबम

योगसामथयरः एक तयकष उदाहरण अपन मोटरा आौम म भी ऐस ही करीब स र वषर क सफद बाल वाल एक साधक ह

पहल डीसा म व एक सत क पास गय गय तो थ दशरक बनकर ही परनत सत की दि पड़त ही व दशरक म स साधक बन गय म कछ वषर पवर डीसा क आौम म था तब व मर पास आय थ पकी हई उ म भी व 18 वषर की उ की एक बाला क साथ बयाह रचान की तयारी म थ और आशीवारद मागन हत वहा आय थ उनको दखकर ही मर मह स िनकल पड़ाः

अब तमहारी शादी ई र क साथ कराएग यह सनकर उनको बड़ा आ यर हआ कयोिक न तो व मझ पहल स जानत थ और न ही

म उनह जानता था उस व उनका शरीर भी कसा था चरबी और कफ-िप स ठसाठस भरा हआ एकदम ःथल दमा आिद रोगो का िशकार डीसा म कपड़ क बड़ वयापारी थ धप म िबना छाता िलए दकान स नीच नही उतर पात थ कित ऐसी थी िक िकसी भी सत महातमा को नही गाठ और काम-वासना भीतर इतनी भरी हई थी िक आग की दो पि या शरीर छोड़ चकी थी िफर भी इस उ म तीसरी शादी करन को तयार थ प ी िबना एक िदन भी नही रह सकत थ

घर पहचन पर उनको पता चला िक उनक अनदर जो काम -िवकार का तफान आया था

वह एकदम शात हो गया ह भिवय म प ी बनन वाली उस कमारी क साथ एकात म अनक च ाए करक भी व उस काम-िवकार को पनः नही जगा सक इतना बल िवकार एकाएक कहा चला गया िफर उनको समझ म आया िक सत की ई रीय अहत की कपा उनम उतरी ह उनको सारा ससार सना-सना लगन लगा उनहोन तरनत ही उस कमारी यवती को कछ पय और कपड़ िदय और बटी कहकर रवाना कर िदया उसक बाद उनहोन आसन ाणायाम गजकरणी नित धोित आिद िबयाए सीख ली और िनयिमत प स करन लग इसस उनक शरीर क सार परान कफ-िप -दमा आिद दर हो गय और शरीर म स आवयकता स अिधक चब घटकर शरीर हलका फल जसा हो गया अब तो जवानो क साथ दौड़न की भी ःपधार करत

ह धयानयोग की साधना म उनहोन इतनी गित की ह िक उनको कई कार क अलौिकक अनभव हआ करत ह अपन सआम शरीर ारा व लोक -लोकानतर म घम आया करत ह

योग भी साधना का आिखरी िशखर नही यह भी साधना की कोई आिखरी भिमका नही ह सव चच िशखर नही ह यह भी सब

माया की सीमा म ही ह िफर चमर-चकषओ स दखो अथवा धयान म बठकर दखो कयोिकः

यद दय तद अिनतयम जो िदखता ह वह अिनतय ह जो िदख सो चालनहार चागदव भी योग म कशल थ

काल को कई बार धोखा द चक थ परनत माया को धोखा न द सक व भी साि वक माया म थ माया स पर नही थ

माया ऐसी ठिगनी ठगत िफरत सब दश जो ठग या ठिगनी ठग वा ठग को आदश

कोई िवरल सत ही इस माया को ठग सकत ह माया स पार जा सकत ह बाकी क

लोगो का तो यह माया न र म ही शा त का आभास करा दती ह अिःथरता म िःथरता िदखा दती ह ऐसी मोिहना माया क िवषय म ौी कण कहत ह-

दवी षा गणमयी मम माया दरतयया मामव य प नत मायामता तरिनत त

मरी यह अदभत िऽगणमयी माया का तरना अतयनत दकर ह परनत जो मरी शरण म

आत ह व तर जात ह (गीता)

अनबम

गणातीत सत ही परम िनभरयः ऐसी दःतर माया को जो सत अथवा फकीर तर जात ह और मौत की पोल जान जात ह

व कहत ह- एक ऐसी जगह ह जहा मौत की पहच नही जहा मौत का कोई भय नही िजसस मौत भी भयभीत होती ह उस जगह म हम बठ ह तम चाहो तो तम भी बठ सकत हो

तमहार म एक ऐसा चतन ह जो कभी मरता नही िजसन मौत कभी दखी ही नही जो जीवन और मौत क समय पिरवतरन को दखता ह परनत उन सबस पर ह

यिद घड़ म आया हआ चनिमा का ितिबमब घड़ क पानी को उबलता हआ जानकर यह

मान की म उबल रहा ह पानी िहल तो समझ िक म िहलता ह घड़ा फट गया तो समझ िक म मर गया तो यह उसका अजञान ह परनत उसको यह पता चल जाय िक पानी क उबलन स म नही उबलता पानी क िहलन स म नही िहलता म तो वह चनिमा ह जो हजारो घड़ो म चमक रहा ह िकतन ही घड़ टट -फट गय परनत म मरा नही मरा कछ भी िबगड़ा नही म इन सबस असग ह तो वह कभी दःखी नही होगा

इसी कार हम यिद अपन असगपन को जान ल अथारत म शरीर-मन-बि नही अिपत

आतमा ह- यह हम जान ल तो िफर िकतन ही दह पी घड़ बन और टट -िबखर िकतनी ही सि या बन और उनका लय हो जाय हमको कोई भय नही होगा कयोिक आतमा का ःवभाव हः

न जायत ियत वा कदािचननाय भतवा भिवता वा न भयः अजो िनतयः शा तोऽयपराणो न हनयत हनयमान शरीर

यह आतमा िकसी काल म भी न तो जनमता ह और न मरता ही ह तथा न यह उतपनन

होकर िफर होन वाला ही ह कयोिक यह अजनमा िनतय सनातन और परातन ह शरीर क मार जान पर भी यह नही मारा जाता

(भगवदगीताः 223) अनबम

सतो का सनदशः िजन सतो न यह रहःय जान िलया ह जो इस अमतमय अनभव म स गजर चक ह व

सब भयो स म हो गय ह इसीिलए व अपनी अनभविस वाणी म कहत ह- अपन आतमदव स अपिरिचत होन क कारण ही तम अपन को दीन-हीन और दःखी

मानत हो इसिलए अपनी आतम-मिहमा म जाग जाओ यिद अपन आपको दीन ही मानत रह तो रोत रहोग ऐसा कौन ह जो तमह दःखी कर सक तम यिद न चाहो तो दःख की कया मजाल ह िक तमह ःपशर भी कर सक अननत-अननत ाणड को जो चल रहा ह वह चतन तमहार भीतर चमक रहा ह उसकी अनभित कर लो वही तमहारा वाःतिवक ःव प ह

मनसर को सली पर चढ़ा िदया गया था परनत उनको सली का कोई भय नही था सली

का क उनको ःपशर भी नही कर सका कयोिक मनसर अपनी मिहमा म जग हए थ व यह जान चक थ िक म शरीर नही ह सली शरीर को लग सकती ह मझ नही इसिलए व हसत-हसत सली पर चढ़ गय थ

हम ही जानबझकर अपनी सननता की अपन सख-दःख की चाबी दसरो क हाथो म

स प दत ह कोई थोड़ा हस दता ह तो हम बोिधत हो उठत ह कोई थोड़ी शसा कर दता ह तो हषर स फल उठत ह कयोिक हम अपन को सीिमत पिरिचछनन शरीर या मन ही मान बठ ह

हम अपन वाःतिवक ःव प अपनी असीम मिहमा को नही जानत नही तो मजाल ह

िक जगत क सार लोग और ततीस करोड़ दवता भी िमलकर हम दःखी करना चाह और हम दःखी हो जाय जब हम ही भीतर स सख अथवा दःख को ःवीकित दत ह तभी सख अथवा दःख हमको भािवत करता ह सदव सनन रहना ई र की सव परी भि ह

ःवामी रामतीथर कहा करत थ िक कोई यिद तमहारी सननता छ नकर उसक बदल म

तमको ःवगर का फिरता भी बनाना चाह तो फिरतापद को ठोकर मार दो मगर अपनी सननता मत बचो

हम इस जीवन और मतय का कई बार अनभव कर चक ह सत कहत ह- तमहारा न तो जीवन ह और न ही मतय ह तम जीव नही तम िशव हो तम अमर

हो तम अननत अनािद सिचचदाननद परमातमा हो यिद इस जनम-मरण क खल स थक चक हो इनक खोखल पन को जान चक हो इसक असारपन स पिरिचत हो चक हो तो िकसी सत क सािननधय का लाभ उठाकर फकीरी मौत को जान लो िफर तमह कोई दःख कोई मतय भयभीत नही कर सकगी िफर िजस आना हो वह आव जाना हो वह चला जाव सख आव तो आन दो दःख आव तो आन तो जो आयगा वह जायगा तम द ा बनकर दखत रहो तम अपनी मिहमा म मःत रहो

मौत स भी मौत का भय बदतर ह भय म स ही सार पाप पदा होत ह भय ही मतय

ह लोग पछत ह- ःवामी जी आतम-साकषातकार हो जाता ह िफर उसक बाद कया होता

ह होता कया ह हम अपन ःव प म जाग जात ह उसक बाद हमस जो भी वि होती ह वह आननदमय ही होती ह ससार की कोई भी दःखपणर घटना हमको दःखी नही कर सकती

िफर यह शरीर रह या न रह हमार आननद म कोई अनतर नही पड़ता उस आननदःव प अपन आतमदव को जानना-यही जीवन का परम कतरवय ह परनत इस परम कतरवय की ओर मनय का धयान जाता नही और छोटी-मोटी तचछ वि यो म ही अटका रह जाता ह

हम कही याऽा म िनकलत ह तो राःत क िलए िटिफन भरकर भोजन साथ ल लत ह

भोजन स भी अिधक महतव पानी का ह परनत उसक िलए सोच लत ह िक चलो ःटशन पर भर लग घर स पानी लकर चलन की िचनता नही करत पानी स भी यादा ज री हवा ह उसक िबना तो एक िमनट भी नही चलता िफर भी हवा का कोई िसलनडर भरकर साथ नही लत कयोिक हम सब जानत ह िक वह तो सवरऽ ह इसिलए हवा क िलए हम कोई िचनता नही करत

हवा स कम ज री पानी क िलए पानी स कम ज री भोजन क िलए हम यादा िचनता करत ह उसी कार अपन आननदःव प आतमा म जागन क परम कतरवय को छोड़कर कम महतव क ःथल शरीर क लालन पालन एव उसस सबिधत वयवहार को सभालन म ही हम लग रहत ह शरीर असत जड़ और दःख प ह उसको चलान वाला सआम भतो स िनिमरत सआम शरीर ह उसको भी चतन स ा दन वाला सत-िचत-आननदःव प आतमा ह इस आननद-ःव प आतमा को असत-जड़ दःख प और मरणधमार समझकर जीवनभर मौत क भय स भयभीत बन रहत ह

अनत परमातमा म न तो उतथान ह न पतन न जनम ह न मरण वहा तो सब एकरस

ह हम ही मोहवश अपना ससार खड़ा कर लत ह और एक दसर क साथ सबध बनाकर अपन को जानबझकर बधन म डाल दत ह

एक सत क पास एक स जन का पऽ आया उसम िलखा थाः ःवामी जी आपक

आशीवारद स हमार यहा पऽ का जनम हआ ह सत न उ र म उस िलखा िकः तम झठ बोलत हो िफर जब स जन सत क पास गया तब कहा िकः ःवामी जी म सच कहता ह मर यहा पऽ का जनम हआ ह इस पर सत न िफर स कहा िकः तम झठ बोलत हो यह सनकर उन स जन को बड़ा आ यर हआ वह िवःफािरत नऽो स सत की ओर दखन लगा तब सत न कहाः

पऽ का जनम नही हआ िपता का जनम हआ ह माता का जनम हआ ह काका-मामा

का जनम हआ ह पऽ को तो खबर ही नही ह िक मरा जनम हआ ह और म िकसी का पऽ भी ह परनत हम उस पर सार समबनध आरोिपत कर दत ह

वःततः पचभतो म कोई आकार बना ह उस पऽ का नाम द िदया समय आन पर यह आकार िबखर जायगा यह आकार बन उसम हषर और यह आकार िबखर जाय उसम शोक कसा भय कसा

िजस शरीर को हम म मानत ह उसकी कित तो दखो िपया तो था अमत जसा

मीठा जल और िनकाला मऽ प म गदा पानी खाय तो थ मोहनथाल दधपाक छपपन भोग पर बन गया सब िव ा प शरीर का सग करन पदाथर की ऐसी अवःथा बन जाती ह सत-िचत-आननदःव प आतमा भी अपन को भलकर शरीर क साथ एक होकर ःवय को म शरीर मान लती ह और दीन हीन एव दःखी बन जाती ह परनत जब वह अपन आपम जाग जाती ह तब अपन को दवो का दव अनभव करती ह

यिद हमन शरीर क साथ अहबि की तो हम म भय वया हो ही जायगा कयोिक शरीर

की मतय िनि त ह उसका पिरवतरन अवयभावी ह उसको तो ःवय ाजी भी नही रोक सकत परनत यिद हमन अपन आतमःव प को जान िलया ःव प म हमारी िन ा हो गई तो हम िनभरय हो गय कयोिक ःव प की मतय होती नही मौत भी उसस डरती ह

ःवामी अखणडाननद सरःवती एक बार रल क तीसर दज म याऽा कर रह थ व यह

जानना चाहत थ िक तीसर दज म लोगो ारा िकय जान वाल मान-अपमान का भाव उनक िदल पर होता ह िक नही आतमिनरीकषण स उनह पता चला िक भाव तो होता ह यह बात उनहोन ौी उिड़या बाबा को बतायी उिड़या बाबा न कहाः

तम बठत ही कचर क ढर पर हो आशा करत हो िक मझ पर कोई कचरा न फ क मझ

कचर की दगरनध न आव यह कस हो सकता ह तम बठत हो शरीर म और आशा रखत हो िक मान-अपमान का असर न हो ःवय को शरीर माना तो मान-अपमान सख-दःख होगा और जनम-मतय भी होगी

वदानत क रहःय को समझना यह कोई ि यो का काम नही ह ी अथारत कित क

शरीर क म मानकर जीनवाला एक बार राजा जनक िव ानो की सभा म बठ थ उस सभा म गाग आई वह िबलकल

िदगमबर (न न) थी ऐसी अवःथा म सभा म गाग का वश पिडतो को रचा नही इसिलए उनहोन नाक-भ िसकोड़ िलया परषो स भरी सभा म एक न न ी

गाग बोलीः ऐ पिडतो नाक भ कयो िसकोड़त हो

पिडतो न कहाः तम एक अबला ऐसी अवःथा म परषो की सभा म जो आई हो

गाग तरनत बोलीः कौन कहता ह िक म अबला ह म सबला ह अबला तो तम हो जो अपना रकषक बाहर ढढत हो म अपना रकषक आप ह म यह शरीर नही ह म तो सत -िचत-आननदःव प आतमा ह म अपन आपको जानती ह

िजसको जानकर गाग िनभरय बन गई थी उस आननदःव प अपन आतमदव को जो

जान लता ह उसी म िःथत हो जाता ह वह जीवन और मौत दोनो स पर दोनो का द ा बन जाता ह उस िफर कोई भय नही रहता वह सदव आननद म मःत रहता ह

मरो मरो सब कोई कह मरना न जान कोई एक बार ऐसा मरो िक िफर मरना न होई

मगलमय जीवन मगलमय िववाह मगलमय सबध उस परम मगल चतनय क कारण ही

हो सकत ह न िक शि शरीर क बा प-रग पर िवमोिहत होन स महाराज जी क पास आकर एक मिहला कहन लगीः मर पित ःवगरःथ हो गय ह

उनका िवयोग सहा नही जाता ऐसा कोई उपाय बताओ िक उनका िहत हो और मझ शाित िमल

दसरा एक वयि आया और बोलाः मरी प ी मझ अकला छोड़कर चल बसी ह

तीसर न कहाः मरा बटा ःवगरःथ हो गया ह उसकी मीठ याद आती ह मर मन म आता ह िक उसक पीछ म भी आतमहतया करक मर जाऊ बाबा जी शािनत का कछ उपाय बताइय

महाराज जी न कहाः ह भि मिहला पित की याद आय तो उनह खब आदरपवरक कहोः

मरणधमार शरीर म होत हए भी आप अमर थ शरीर क मरन पर भी आप नही मर दह न र ह आप शा त हो चतनय हो आप परम र का अिवनाशी अश हो जनम-मतय आपका धमर नही ह पाप-पणय आपका कमर नही ह आप अजर हो श ब हो हम परःपर पािथरव शरीर की ीित करक मोह म सड़ रह थ िवकारो म दब रह थ अब पािथरव शरीर की ीित स म होकर अपािथरव आतमा म िःथत हो जाओ

वह शादी बरबादी म बदल जाती ह िजसम एक दसर क शरीर को पयार करत ह वह

मगलमय शादी आबादी की ओर ल जाती ह जहा प ी पित को पित प ी को पऽ िपता को िपता पऽ को शरीर क प म नही अिपत शरीरो क आधार श चतनयःव प म दख परःपर अपन चतनयःव प की याद िदलाव और रणा द

ह भि मिहला अपन पित को याद करक उनक जीवातमा को यह रणा दो इसस

उनकी भी उननित होगी और तमहारी उननित होगी ऐसा िचनतन करो िकः ह चतनयःव प मर आतमन शरीर को पाच भत क पतल

को तयागन क बाद भी आपका अिःततव ह आप आतमा हो परम र हो अमर हो चतनय हो शा त हो

इसी कार अपनी प ी को और ःवगरःथ पऽ पिरवार को ःमरण करक उनको उननत

करो और आप भी उननत बनो जीत-जी भी परःपर इसी भाव स उननत करो मतय मगलमय हो जाय ऐसा वातावरण बनाओ

जो वयि मतय को ा हो चक ह उनक ौा ो क िदनो म तथा ःमरण क व उनह

सझाव दो िकः जनम-मतय तमहारा धमर नही था पाप-पणय तमहारा कमर नही था तम अजर

अिवनाशी िनलप शा त सनातन नारायण क अश हो अतः अपन परम र ःवभाव को सभालो ःमरण करो

अपन पित प ी पऽ का नाम लकर कहो िकः तम वही हो सचमच म वही हो जो

मरन क बाद भी नही मरता ॐॐॐ तम चतनय आतमा हो ॐॐॐ शा त परम र हो ॐॐॐ अिवनाशी परमातमा हो ॐॐॐ

पथवी पर क ःवपन तलय सबधो का ःमरण करक तम नीच न िगरो अिपत आतमा-

परमातमा क सबध को याद करत हए अपना ऐिहक जीवन मगलमय बनाओ ससार स कच करक जाओ उस समय तमहार कटमबी आतमा परमा तमा की एकता और अमरता तमहारी िनतयता और म ता का ःमरण तमह अत समय म करा द ऐसी वयवःथा करो

कोई चल बसन वाल हो या चल बस हो उनको याद करक उनकी ओर िदवय िवचार

अमर आतमा का सनदश भजो इस कार तम उ म सवा कर सकत हो और जीिवतो को जीवनदाता म जगा सकत हो दोनो इस कार परःपर सहायता करोग और पाओग

टिलफोन पर अपन दर क सबधी स हम जब बात करत ह तो उस यऽ म स आन वाली

धविन अपन सबधी की होती ह ऐस ही शरीर पी यऽो स जो कछ ःनह सातवना सहानभित म या काश हम पात ह वह भीतर वाल परम र का ही होता ह उनको या उनक िचऽो को

दखो तो उन िचऽो क पीछ खड़ उस शा त सतय को परम िमऽ को पयार करो और उनह भी याद िदलाओ िकः ह शा त आतमा ह परातन ह अिवनाशी नाशवान ससार और शरीर बदलत ह लिकन तम अबदल आतमा हो ॐॐॐ

बचपन बदल गया यौवन बदल गया बढ़ापा बदल गया शरीर बदल गया िफर

तम भी हो तम वह अमर आतमा हो िजस पर काल का भी कोई भाव नही चलता ह अकाल आतमा अपनी मिहमा म जागो इस कार क िवचार भजन स मगल करोग और मगल को पाओग जीवन मगलमय होन

लगगा मतको की मतय भी मगलमय हो जायगी मगल भवन अमगलहारी िवचारो को सदव एक दसर क ित सािरत करो ॐ आननद

आननद आननद रोत चीखत मोहमाया म पड़कर उनको याद करत हो तो उनका और अपना सतयानाश

करत हो उनको नीच िगरात हो उनकी आतमा को भटकात हो अपन को तचछ बनात हो अमागिलक िवचारो को कतई ःफिरत न होन दो सदव मगलमय िवचार हो जायगा मगलमय जीवन मतय भी मगलमय हो जायगी ॐ ॐ ॐ

ॐॐॐॐॐॐॐॐ जीवन और मतय आतमा-परमातमा को पान क दो पहल ह रात क बाद िदन िदन क

बाद रात होती ह इसी तरह जीवन और मतय चोल बदलत हए अनभवो स गजरत हए अपन आतमःव प को ःव प को पान क िलए मगलमयी अवःथा ह

िदन िजतना पयारा ह रात भी उतनी ही आवयक ह जीवन िजतना पयारा ह मतय भी

उतनी ही आवयक ह मतय मान आतमिशव क मिनदर म जान क िलए ऊची सीिढ़या मतय मान मा की गोद म बालक सो गया और उमा शि ताजगी ःफितर पाकर िफर सबह खलता ह मतय मान मा की गोद म थकान िमटान को जाना िफर नया तन ा करक अपनी मगलमय याऽा करना

त वदि स दखा जाय तो यह जीवन-मतय की याऽा कित म हो रही ह तमह

परमातमाःव प म जगान क िलए गीता म भगवान ौी कण कहत ह-

न जायत ियत वा कदािचननाय भतवा भिवता वा न भयः अजो िनतयः शा तोऽयपराणो न हनयत हनयमान शरीर

त वतः यह आतमा न कभी जनमता ह और न मरता ह न यह उतपनन होकर िफर होन

वाला ही ह यह जनमरिहत िनतय िनरनतर रहन वाला शा त और परातन अनािद ह शरीर क मार जान पर भी वह नही मारा जाता

(गीताः 220) शव की ःमशानयाऽा म मटका ल जात ह फोड़ दत ह यह याद िदलान क िलए िक दह

मानो मटका ह इस मगलमय मतय को पीछ िव ल होन की आवयकता नही ह यह मटका सवा करन क िलए िमला था जीणर-शीणर हआ टट गया िफर नया िमलगा मगलमय आतमा-परमातमा की ाि तक यह मगलमय जनम-मरण की याऽा तो चलती ही रहगी इसम िव ल होकर रोना-चीखना िनरा मोह ह अगर इस मोह को पोसा जाय और िकसी की मतय न हो तो ससार महा नरक हो जायगा माली अगर बगीच म काट-छाट न कर तो बगीचा बगीचा ही न रहगा अिपत भयानकर जगल हो जायगा

स ा न मतय का मगलमय िवधान न बनाया होता तो आदमी म तयाग सवा नता क

सदगण ही नही िखलत सब अमर होकर अिड़यल की तरह उलझ रहत रािऽ स अरणोदय अरणोदय स िफर मगलमयी रािऽ की अिनवायर आवयकता ह िवराट

की यह चणड बीड़ा तमह अपन िवराट ःवभाव म जगान क िलए आवयक ह मतय मान महायाऽा महाःथान महािनिा अतः जो मर गय ह उनकी याऽा मगलमय

हो आतमोननितद हो ऐसा िचनतन कर न िक अपन मोह और अजञान क कारण उनको भी भटकाए और खद भी परशान हो

कइयो की मतय बालयकाल म या यौवन म हो जाती ह जस मा न बचच को कपड़

पहनाए और नही जच उठा िलय िफर नय व ो स सजाया-धजाया अथवा यो कहो िक बचचा िखलौनो म रम जाता ह िखलौन नही छोड़ना चाहता परनत मगलमयी मा उस बलात उठा लती ह अपनी गोद म सलाती ह अपनी उमा सािननधय िवौािनत स उस प करक िफर नतन भात को उस खलन क िलए बीडागन म भज दती ह ऐस ही जीवातमा का बीडागन ससार ह अतः अनक शरीर बदलत हए अबदल की मगलमय याऽा करन क िलए जीवन और मतय को मगल िवधान समझकर ई र की हा म हा करत हए अपनी याऽा उननत कर

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अनबम

िचतन पराग ई र का बनाया हआ त भल ही बना रह उसको िमथया समझ लन माऽ स का

बोध हो सकता ह साधक का काम त को िमथया समझन स ही चलता ह इचछाओ की ति का उपाय एक ही ह िक इचछाए तयाग दी जाए िजस िववकी न इस

जगत को सपन या इनिजाल क समान समझ िलया ह िजस दय न प म िदखन लगा ह वह दोषदश िववकी भला बताओ इसम अनराग कस कर

जञानी जागरण को सतय समझना छोड़ दन पर िफर पहल की भाित अनर नही होता

जञानी तयक वःत को अपना आतमा समझता ह मद की कलपना को बार-बार मन म लाना काम-वासना स म होन का सव म उपाय

बताया गया ह मद को पड़ हए दखकर मन घबरान लगता ह पिरणाम की कयो परवाह करत हो अपनी तनखवाह क बार म कभी िफब मत करो

अजञानी लोग समझत ह िक कायर की सफलता म कायर करन की अपकषा अिधक आननद ह इन अनधो को यह मालम ही नही ह िकसी पिरणाम स उतना सख नही िमलता िजतना काम करन स िमलता ह

अपन िवचारो को सदा वाःतिवक आतमा म रखो और पिरिःथितयो की परवाह मत करो तब तक आपकी हािन नही हो सकती जब तक िक आप ःवय उस नही बलात तलवार

तब तक नही काट सकती जब तक आप यह न सोच िक यह काटती ह ऐ पणर तर िलए कोई कतरवय या कायर शष नही ह सारी कित सास रोक तरी

सवा क िलए खड़ी ह ससार तरी पजा करन का अवसर पाकर अपन को कतकतय करना चाहता ह कया त कित की शि यो को अपन चरणो म झकन का अवसर दगा

अपन भीतर सतय क काश को सदा चमकता रखो भय और लोभन का शतान तमहार

पास नही फटकगा

बाहर की बातो म कछ भी नही मान अपमान अपना काम िकय जा िनिशिदन इसम ही सममान

दसर लोग तमहारी आलोचना िनदा करत हो उनह रोकन की च ा न करो कयोिक इनही

सब बातो क ारा तमम सदगणो की वि होगी जब तक तमहारा दय इतना दढ़ नही ह िक तम मख क बकन पर िःथर और शात बन रहो अथवा तमम इतनी सहनशीलता नही ह िक अजञानी मख को कषमा कर सको तब तक तम अपन को कही जञानी न समझ बठना

यिद तम शरीर और मन स ऊपर उठ जाओ तो सब िचनता और भयो स छट हो

जाओग िकसी भी आकिःमक दघरटना स धयर न छोड़ो कयोिक घबराहट स शि तथा बि का

नाश होता ह िकसी भी कार की किठनाइयो क आग दःिखत न होकर गमभीरतापवरक उनका सामना करो तभी तम िनःसनदह िवजय ा करोग तम कही भी हतोतसािहत होकर िनराश न होओ

ऐसी कौन-सी िवपि ह जो मरी सननता को न कर सकती ह वह कौन-सा रज ह जो

मर आननद म िव न डाल सकता ह म तो िव ाणड का भ ह म बि का भ ह िदमाग का मािलक ह और मन का शासक ह ससार मझम ह म ससार म नही आ सकता िव मझम ह म िव म नही बध

सकता सयर और नकषऽ मझम उदय और अःत होत ह दह और दिनया दोनो ई र क भीतर ह वही ई र म ह म िनिलर आतमा ह मरा जनम नही मतय नही म अजर-अमर ह म िचदाननद

आतमःव प ह म िमथया त िमथया धमर िमथया कमर िमथया और जगत िमथया और ऐसा तीत

होता ह िक म सवरःव ह म ही सवरजञ सवरगत आतमा ह अपना साकषी ह कदािप उन नाम पो म फसा नही ह

म िवश ह असखय ाणड मझम पड़ ह म असःपयर ह मरा ःव प िनिलर ह

मझ दःख स कोई भय नही ह मझ समय की जरा भी िचनता नही आतमाननद वाल को भय और आशका कसी

िकसी भी डर को अपन पास मत फटकन दो लोग यिद तमहार बराई करत ह तो तम उनह आशीवारद दो ऐस ःथान पर जाओ जहा

लोग तमस घणा कर तम तो म हो पहल स ही म हो सवरदा कहोः म सदा आननदःव प ह म

म ःवभाव ह म अननत ःव प ह मरी आतमा का आिद और अनत नही ह सभी मर आतमःव प ह

सननतापवरक अपमान सहन करन स और नता धारण करन स अिभमान की िनवि

होती ह िकसी पिवऽ ःथान पर जाओ तो वहा क अनशासन का पालन करो वहा चपपलो की

चटाक-पटाक आभषणो की खनखनाहट भड़कील व ो की फरफराहट आिद हमस न हो इसका परा धयान रखो कही भी िकसी क भी िच को या शात वातावरण को अशात करन का हम कोई अिधकार नही ह

अपन िकसी भी दःख या अशाित का कारण बाहर मत ढढो बाहर की पिरिःथितयो या

वयि यो को दोष मत दो कारण अपन भीतर ढढो िनद ष भाव स ढढोग तो कारण भीतर ही िमल जायगा उस दर करन की च ा करो शातिच रहन का यही बहमलय उपाय ह

जो आतम-अनशािसत ह व ही शासन कर सकत ह ऐसा करन क िलए नाम-जप कर

धयान कर िकसी आतमिन सत का पावन सािननधय ा कर सब तरह स िनभरय एव सनन बनन का यह ौ साधन ह

िवन बनो िनरहकारी बनो अपन आपको बड़ा बतान की च ा न करो िवनता एव

िनरािभमानता ही तमह बड़ा बनायगी िवनता मनय का बहत बड़ा भषण ह िनमरल दि रखो िकसी क दोष दखना यह बहत बड़ा दगरण ह िछिानवषी न बनो

दसरो क दोष दखना पाप अजरन करना ह गणमाही बनो

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अनबम

  • मगलमय जीवन-मतय
  • मतय क परकार
  • मतय भी जीवन क समान आवशयक
  • सिकनदर न अमत कयो नही पिया
  • बिना मतय को जान जीवन जीवन नही
  • मतय किसकी होती ह
  • भगवान शरीराम और तारा
  • मतयः कवल वसतर परिवरतन
  • फकीरी मौतः आननदमय जीवन का दवारः
  • यमराज और नचिकताः
  • सचच सत मतय का रहसय समझात ह
  • मतयः एक विशरानति-सथानः
  • वासना की मतय क बाद परम विशरानति
  • धतराषटर का शोकः
  • घाटवाल बाबा का एक परसग
  • फकीरी मौत ही असली जीवन
    • फकीरी मौत कया ह
      • सकरात का अनभव
      • आधयातमविदयाः भारत की विशषताः
      • तीन परकार क लोगः
      • जञान को आय स कोई निसबत नही
      • योगसामरथयः एक परतयकष उदाहरण
      • योग भी साधना का आखिरी शिखर नही
      • गणातीत सत ही परम निरभयः
      • सतो का सनदशः
      • चितन पराग

ह धयानयोग की साधना म उनहोन इतनी गित की ह िक उनको कई कार क अलौिकक अनभव हआ करत ह अपन सआम शरीर ारा व लोक -लोकानतर म घम आया करत ह

योग भी साधना का आिखरी िशखर नही यह भी साधना की कोई आिखरी भिमका नही ह सव चच िशखर नही ह यह भी सब

माया की सीमा म ही ह िफर चमर-चकषओ स दखो अथवा धयान म बठकर दखो कयोिकः

यद दय तद अिनतयम जो िदखता ह वह अिनतय ह जो िदख सो चालनहार चागदव भी योग म कशल थ

काल को कई बार धोखा द चक थ परनत माया को धोखा न द सक व भी साि वक माया म थ माया स पर नही थ

माया ऐसी ठिगनी ठगत िफरत सब दश जो ठग या ठिगनी ठग वा ठग को आदश

कोई िवरल सत ही इस माया को ठग सकत ह माया स पार जा सकत ह बाकी क

लोगो का तो यह माया न र म ही शा त का आभास करा दती ह अिःथरता म िःथरता िदखा दती ह ऐसी मोिहना माया क िवषय म ौी कण कहत ह-

दवी षा गणमयी मम माया दरतयया मामव य प नत मायामता तरिनत त

मरी यह अदभत िऽगणमयी माया का तरना अतयनत दकर ह परनत जो मरी शरण म

आत ह व तर जात ह (गीता)

अनबम

गणातीत सत ही परम िनभरयः ऐसी दःतर माया को जो सत अथवा फकीर तर जात ह और मौत की पोल जान जात ह

व कहत ह- एक ऐसी जगह ह जहा मौत की पहच नही जहा मौत का कोई भय नही िजसस मौत भी भयभीत होती ह उस जगह म हम बठ ह तम चाहो तो तम भी बठ सकत हो

तमहार म एक ऐसा चतन ह जो कभी मरता नही िजसन मौत कभी दखी ही नही जो जीवन और मौत क समय पिरवतरन को दखता ह परनत उन सबस पर ह

यिद घड़ म आया हआ चनिमा का ितिबमब घड़ क पानी को उबलता हआ जानकर यह

मान की म उबल रहा ह पानी िहल तो समझ िक म िहलता ह घड़ा फट गया तो समझ िक म मर गया तो यह उसका अजञान ह परनत उसको यह पता चल जाय िक पानी क उबलन स म नही उबलता पानी क िहलन स म नही िहलता म तो वह चनिमा ह जो हजारो घड़ो म चमक रहा ह िकतन ही घड़ टट -फट गय परनत म मरा नही मरा कछ भी िबगड़ा नही म इन सबस असग ह तो वह कभी दःखी नही होगा

इसी कार हम यिद अपन असगपन को जान ल अथारत म शरीर-मन-बि नही अिपत

आतमा ह- यह हम जान ल तो िफर िकतन ही दह पी घड़ बन और टट -िबखर िकतनी ही सि या बन और उनका लय हो जाय हमको कोई भय नही होगा कयोिक आतमा का ःवभाव हः

न जायत ियत वा कदािचननाय भतवा भिवता वा न भयः अजो िनतयः शा तोऽयपराणो न हनयत हनयमान शरीर

यह आतमा िकसी काल म भी न तो जनमता ह और न मरता ही ह तथा न यह उतपनन

होकर िफर होन वाला ही ह कयोिक यह अजनमा िनतय सनातन और परातन ह शरीर क मार जान पर भी यह नही मारा जाता

(भगवदगीताः 223) अनबम

सतो का सनदशः िजन सतो न यह रहःय जान िलया ह जो इस अमतमय अनभव म स गजर चक ह व

सब भयो स म हो गय ह इसीिलए व अपनी अनभविस वाणी म कहत ह- अपन आतमदव स अपिरिचत होन क कारण ही तम अपन को दीन-हीन और दःखी

मानत हो इसिलए अपनी आतम-मिहमा म जाग जाओ यिद अपन आपको दीन ही मानत रह तो रोत रहोग ऐसा कौन ह जो तमह दःखी कर सक तम यिद न चाहो तो दःख की कया मजाल ह िक तमह ःपशर भी कर सक अननत-अननत ाणड को जो चल रहा ह वह चतन तमहार भीतर चमक रहा ह उसकी अनभित कर लो वही तमहारा वाःतिवक ःव प ह

मनसर को सली पर चढ़ा िदया गया था परनत उनको सली का कोई भय नही था सली

का क उनको ःपशर भी नही कर सका कयोिक मनसर अपनी मिहमा म जग हए थ व यह जान चक थ िक म शरीर नही ह सली शरीर को लग सकती ह मझ नही इसिलए व हसत-हसत सली पर चढ़ गय थ

हम ही जानबझकर अपनी सननता की अपन सख-दःख की चाबी दसरो क हाथो म

स प दत ह कोई थोड़ा हस दता ह तो हम बोिधत हो उठत ह कोई थोड़ी शसा कर दता ह तो हषर स फल उठत ह कयोिक हम अपन को सीिमत पिरिचछनन शरीर या मन ही मान बठ ह

हम अपन वाःतिवक ःव प अपनी असीम मिहमा को नही जानत नही तो मजाल ह

िक जगत क सार लोग और ततीस करोड़ दवता भी िमलकर हम दःखी करना चाह और हम दःखी हो जाय जब हम ही भीतर स सख अथवा दःख को ःवीकित दत ह तभी सख अथवा दःख हमको भािवत करता ह सदव सनन रहना ई र की सव परी भि ह

ःवामी रामतीथर कहा करत थ िक कोई यिद तमहारी सननता छ नकर उसक बदल म

तमको ःवगर का फिरता भी बनाना चाह तो फिरतापद को ठोकर मार दो मगर अपनी सननता मत बचो

हम इस जीवन और मतय का कई बार अनभव कर चक ह सत कहत ह- तमहारा न तो जीवन ह और न ही मतय ह तम जीव नही तम िशव हो तम अमर

हो तम अननत अनािद सिचचदाननद परमातमा हो यिद इस जनम-मरण क खल स थक चक हो इनक खोखल पन को जान चक हो इसक असारपन स पिरिचत हो चक हो तो िकसी सत क सािननधय का लाभ उठाकर फकीरी मौत को जान लो िफर तमह कोई दःख कोई मतय भयभीत नही कर सकगी िफर िजस आना हो वह आव जाना हो वह चला जाव सख आव तो आन दो दःख आव तो आन तो जो आयगा वह जायगा तम द ा बनकर दखत रहो तम अपनी मिहमा म मःत रहो

मौत स भी मौत का भय बदतर ह भय म स ही सार पाप पदा होत ह भय ही मतय

ह लोग पछत ह- ःवामी जी आतम-साकषातकार हो जाता ह िफर उसक बाद कया होता

ह होता कया ह हम अपन ःव प म जाग जात ह उसक बाद हमस जो भी वि होती ह वह आननदमय ही होती ह ससार की कोई भी दःखपणर घटना हमको दःखी नही कर सकती

िफर यह शरीर रह या न रह हमार आननद म कोई अनतर नही पड़ता उस आननदःव प अपन आतमदव को जानना-यही जीवन का परम कतरवय ह परनत इस परम कतरवय की ओर मनय का धयान जाता नही और छोटी-मोटी तचछ वि यो म ही अटका रह जाता ह

हम कही याऽा म िनकलत ह तो राःत क िलए िटिफन भरकर भोजन साथ ल लत ह

भोजन स भी अिधक महतव पानी का ह परनत उसक िलए सोच लत ह िक चलो ःटशन पर भर लग घर स पानी लकर चलन की िचनता नही करत पानी स भी यादा ज री हवा ह उसक िबना तो एक िमनट भी नही चलता िफर भी हवा का कोई िसलनडर भरकर साथ नही लत कयोिक हम सब जानत ह िक वह तो सवरऽ ह इसिलए हवा क िलए हम कोई िचनता नही करत

हवा स कम ज री पानी क िलए पानी स कम ज री भोजन क िलए हम यादा िचनता करत ह उसी कार अपन आननदःव प आतमा म जागन क परम कतरवय को छोड़कर कम महतव क ःथल शरीर क लालन पालन एव उसस सबिधत वयवहार को सभालन म ही हम लग रहत ह शरीर असत जड़ और दःख प ह उसको चलान वाला सआम भतो स िनिमरत सआम शरीर ह उसको भी चतन स ा दन वाला सत-िचत-आननदःव प आतमा ह इस आननद-ःव प आतमा को असत-जड़ दःख प और मरणधमार समझकर जीवनभर मौत क भय स भयभीत बन रहत ह

अनत परमातमा म न तो उतथान ह न पतन न जनम ह न मरण वहा तो सब एकरस

ह हम ही मोहवश अपना ससार खड़ा कर लत ह और एक दसर क साथ सबध बनाकर अपन को जानबझकर बधन म डाल दत ह

एक सत क पास एक स जन का पऽ आया उसम िलखा थाः ःवामी जी आपक

आशीवारद स हमार यहा पऽ का जनम हआ ह सत न उ र म उस िलखा िकः तम झठ बोलत हो िफर जब स जन सत क पास गया तब कहा िकः ःवामी जी म सच कहता ह मर यहा पऽ का जनम हआ ह इस पर सत न िफर स कहा िकः तम झठ बोलत हो यह सनकर उन स जन को बड़ा आ यर हआ वह िवःफािरत नऽो स सत की ओर दखन लगा तब सत न कहाः

पऽ का जनम नही हआ िपता का जनम हआ ह माता का जनम हआ ह काका-मामा

का जनम हआ ह पऽ को तो खबर ही नही ह िक मरा जनम हआ ह और म िकसी का पऽ भी ह परनत हम उस पर सार समबनध आरोिपत कर दत ह

वःततः पचभतो म कोई आकार बना ह उस पऽ का नाम द िदया समय आन पर यह आकार िबखर जायगा यह आकार बन उसम हषर और यह आकार िबखर जाय उसम शोक कसा भय कसा

िजस शरीर को हम म मानत ह उसकी कित तो दखो िपया तो था अमत जसा

मीठा जल और िनकाला मऽ प म गदा पानी खाय तो थ मोहनथाल दधपाक छपपन भोग पर बन गया सब िव ा प शरीर का सग करन पदाथर की ऐसी अवःथा बन जाती ह सत-िचत-आननदःव प आतमा भी अपन को भलकर शरीर क साथ एक होकर ःवय को म शरीर मान लती ह और दीन हीन एव दःखी बन जाती ह परनत जब वह अपन आपम जाग जाती ह तब अपन को दवो का दव अनभव करती ह

यिद हमन शरीर क साथ अहबि की तो हम म भय वया हो ही जायगा कयोिक शरीर

की मतय िनि त ह उसका पिरवतरन अवयभावी ह उसको तो ःवय ाजी भी नही रोक सकत परनत यिद हमन अपन आतमःव प को जान िलया ःव प म हमारी िन ा हो गई तो हम िनभरय हो गय कयोिक ःव प की मतय होती नही मौत भी उसस डरती ह

ःवामी अखणडाननद सरःवती एक बार रल क तीसर दज म याऽा कर रह थ व यह

जानना चाहत थ िक तीसर दज म लोगो ारा िकय जान वाल मान-अपमान का भाव उनक िदल पर होता ह िक नही आतमिनरीकषण स उनह पता चला िक भाव तो होता ह यह बात उनहोन ौी उिड़या बाबा को बतायी उिड़या बाबा न कहाः

तम बठत ही कचर क ढर पर हो आशा करत हो िक मझ पर कोई कचरा न फ क मझ

कचर की दगरनध न आव यह कस हो सकता ह तम बठत हो शरीर म और आशा रखत हो िक मान-अपमान का असर न हो ःवय को शरीर माना तो मान-अपमान सख-दःख होगा और जनम-मतय भी होगी

वदानत क रहःय को समझना यह कोई ि यो का काम नही ह ी अथारत कित क

शरीर क म मानकर जीनवाला एक बार राजा जनक िव ानो की सभा म बठ थ उस सभा म गाग आई वह िबलकल

िदगमबर (न न) थी ऐसी अवःथा म सभा म गाग का वश पिडतो को रचा नही इसिलए उनहोन नाक-भ िसकोड़ िलया परषो स भरी सभा म एक न न ी

गाग बोलीः ऐ पिडतो नाक भ कयो िसकोड़त हो

पिडतो न कहाः तम एक अबला ऐसी अवःथा म परषो की सभा म जो आई हो

गाग तरनत बोलीः कौन कहता ह िक म अबला ह म सबला ह अबला तो तम हो जो अपना रकषक बाहर ढढत हो म अपना रकषक आप ह म यह शरीर नही ह म तो सत -िचत-आननदःव प आतमा ह म अपन आपको जानती ह

िजसको जानकर गाग िनभरय बन गई थी उस आननदःव प अपन आतमदव को जो

जान लता ह उसी म िःथत हो जाता ह वह जीवन और मौत दोनो स पर दोनो का द ा बन जाता ह उस िफर कोई भय नही रहता वह सदव आननद म मःत रहता ह

मरो मरो सब कोई कह मरना न जान कोई एक बार ऐसा मरो िक िफर मरना न होई

मगलमय जीवन मगलमय िववाह मगलमय सबध उस परम मगल चतनय क कारण ही

हो सकत ह न िक शि शरीर क बा प-रग पर िवमोिहत होन स महाराज जी क पास आकर एक मिहला कहन लगीः मर पित ःवगरःथ हो गय ह

उनका िवयोग सहा नही जाता ऐसा कोई उपाय बताओ िक उनका िहत हो और मझ शाित िमल

दसरा एक वयि आया और बोलाः मरी प ी मझ अकला छोड़कर चल बसी ह

तीसर न कहाः मरा बटा ःवगरःथ हो गया ह उसकी मीठ याद आती ह मर मन म आता ह िक उसक पीछ म भी आतमहतया करक मर जाऊ बाबा जी शािनत का कछ उपाय बताइय

महाराज जी न कहाः ह भि मिहला पित की याद आय तो उनह खब आदरपवरक कहोः

मरणधमार शरीर म होत हए भी आप अमर थ शरीर क मरन पर भी आप नही मर दह न र ह आप शा त हो चतनय हो आप परम र का अिवनाशी अश हो जनम-मतय आपका धमर नही ह पाप-पणय आपका कमर नही ह आप अजर हो श ब हो हम परःपर पािथरव शरीर की ीित करक मोह म सड़ रह थ िवकारो म दब रह थ अब पािथरव शरीर की ीित स म होकर अपािथरव आतमा म िःथत हो जाओ

वह शादी बरबादी म बदल जाती ह िजसम एक दसर क शरीर को पयार करत ह वह

मगलमय शादी आबादी की ओर ल जाती ह जहा प ी पित को पित प ी को पऽ िपता को िपता पऽ को शरीर क प म नही अिपत शरीरो क आधार श चतनयःव प म दख परःपर अपन चतनयःव प की याद िदलाव और रणा द

ह भि मिहला अपन पित को याद करक उनक जीवातमा को यह रणा दो इसस

उनकी भी उननित होगी और तमहारी उननित होगी ऐसा िचनतन करो िकः ह चतनयःव प मर आतमन शरीर को पाच भत क पतल

को तयागन क बाद भी आपका अिःततव ह आप आतमा हो परम र हो अमर हो चतनय हो शा त हो

इसी कार अपनी प ी को और ःवगरःथ पऽ पिरवार को ःमरण करक उनको उननत

करो और आप भी उननत बनो जीत-जी भी परःपर इसी भाव स उननत करो मतय मगलमय हो जाय ऐसा वातावरण बनाओ

जो वयि मतय को ा हो चक ह उनक ौा ो क िदनो म तथा ःमरण क व उनह

सझाव दो िकः जनम-मतय तमहारा धमर नही था पाप-पणय तमहारा कमर नही था तम अजर

अिवनाशी िनलप शा त सनातन नारायण क अश हो अतः अपन परम र ःवभाव को सभालो ःमरण करो

अपन पित प ी पऽ का नाम लकर कहो िकः तम वही हो सचमच म वही हो जो

मरन क बाद भी नही मरता ॐॐॐ तम चतनय आतमा हो ॐॐॐ शा त परम र हो ॐॐॐ अिवनाशी परमातमा हो ॐॐॐ

पथवी पर क ःवपन तलय सबधो का ःमरण करक तम नीच न िगरो अिपत आतमा-

परमातमा क सबध को याद करत हए अपना ऐिहक जीवन मगलमय बनाओ ससार स कच करक जाओ उस समय तमहार कटमबी आतमा परमा तमा की एकता और अमरता तमहारी िनतयता और म ता का ःमरण तमह अत समय म करा द ऐसी वयवःथा करो

कोई चल बसन वाल हो या चल बस हो उनको याद करक उनकी ओर िदवय िवचार

अमर आतमा का सनदश भजो इस कार तम उ म सवा कर सकत हो और जीिवतो को जीवनदाता म जगा सकत हो दोनो इस कार परःपर सहायता करोग और पाओग

टिलफोन पर अपन दर क सबधी स हम जब बात करत ह तो उस यऽ म स आन वाली

धविन अपन सबधी की होती ह ऐस ही शरीर पी यऽो स जो कछ ःनह सातवना सहानभित म या काश हम पात ह वह भीतर वाल परम र का ही होता ह उनको या उनक िचऽो को

दखो तो उन िचऽो क पीछ खड़ उस शा त सतय को परम िमऽ को पयार करो और उनह भी याद िदलाओ िकः ह शा त आतमा ह परातन ह अिवनाशी नाशवान ससार और शरीर बदलत ह लिकन तम अबदल आतमा हो ॐॐॐ

बचपन बदल गया यौवन बदल गया बढ़ापा बदल गया शरीर बदल गया िफर

तम भी हो तम वह अमर आतमा हो िजस पर काल का भी कोई भाव नही चलता ह अकाल आतमा अपनी मिहमा म जागो इस कार क िवचार भजन स मगल करोग और मगल को पाओग जीवन मगलमय होन

लगगा मतको की मतय भी मगलमय हो जायगी मगल भवन अमगलहारी िवचारो को सदव एक दसर क ित सािरत करो ॐ आननद

आननद आननद रोत चीखत मोहमाया म पड़कर उनको याद करत हो तो उनका और अपना सतयानाश

करत हो उनको नीच िगरात हो उनकी आतमा को भटकात हो अपन को तचछ बनात हो अमागिलक िवचारो को कतई ःफिरत न होन दो सदव मगलमय िवचार हो जायगा मगलमय जीवन मतय भी मगलमय हो जायगी ॐ ॐ ॐ

ॐॐॐॐॐॐॐॐ जीवन और मतय आतमा-परमातमा को पान क दो पहल ह रात क बाद िदन िदन क

बाद रात होती ह इसी तरह जीवन और मतय चोल बदलत हए अनभवो स गजरत हए अपन आतमःव प को ःव प को पान क िलए मगलमयी अवःथा ह

िदन िजतना पयारा ह रात भी उतनी ही आवयक ह जीवन िजतना पयारा ह मतय भी

उतनी ही आवयक ह मतय मान आतमिशव क मिनदर म जान क िलए ऊची सीिढ़या मतय मान मा की गोद म बालक सो गया और उमा शि ताजगी ःफितर पाकर िफर सबह खलता ह मतय मान मा की गोद म थकान िमटान को जाना िफर नया तन ा करक अपनी मगलमय याऽा करना

त वदि स दखा जाय तो यह जीवन-मतय की याऽा कित म हो रही ह तमह

परमातमाःव प म जगान क िलए गीता म भगवान ौी कण कहत ह-

न जायत ियत वा कदािचननाय भतवा भिवता वा न भयः अजो िनतयः शा तोऽयपराणो न हनयत हनयमान शरीर

त वतः यह आतमा न कभी जनमता ह और न मरता ह न यह उतपनन होकर िफर होन

वाला ही ह यह जनमरिहत िनतय िनरनतर रहन वाला शा त और परातन अनािद ह शरीर क मार जान पर भी वह नही मारा जाता

(गीताः 220) शव की ःमशानयाऽा म मटका ल जात ह फोड़ दत ह यह याद िदलान क िलए िक दह

मानो मटका ह इस मगलमय मतय को पीछ िव ल होन की आवयकता नही ह यह मटका सवा करन क िलए िमला था जीणर-शीणर हआ टट गया िफर नया िमलगा मगलमय आतमा-परमातमा की ाि तक यह मगलमय जनम-मरण की याऽा तो चलती ही रहगी इसम िव ल होकर रोना-चीखना िनरा मोह ह अगर इस मोह को पोसा जाय और िकसी की मतय न हो तो ससार महा नरक हो जायगा माली अगर बगीच म काट-छाट न कर तो बगीचा बगीचा ही न रहगा अिपत भयानकर जगल हो जायगा

स ा न मतय का मगलमय िवधान न बनाया होता तो आदमी म तयाग सवा नता क

सदगण ही नही िखलत सब अमर होकर अिड़यल की तरह उलझ रहत रािऽ स अरणोदय अरणोदय स िफर मगलमयी रािऽ की अिनवायर आवयकता ह िवराट

की यह चणड बीड़ा तमह अपन िवराट ःवभाव म जगान क िलए आवयक ह मतय मान महायाऽा महाःथान महािनिा अतः जो मर गय ह उनकी याऽा मगलमय

हो आतमोननितद हो ऐसा िचनतन कर न िक अपन मोह और अजञान क कारण उनको भी भटकाए और खद भी परशान हो

कइयो की मतय बालयकाल म या यौवन म हो जाती ह जस मा न बचच को कपड़

पहनाए और नही जच उठा िलय िफर नय व ो स सजाया-धजाया अथवा यो कहो िक बचचा िखलौनो म रम जाता ह िखलौन नही छोड़ना चाहता परनत मगलमयी मा उस बलात उठा लती ह अपनी गोद म सलाती ह अपनी उमा सािननधय िवौािनत स उस प करक िफर नतन भात को उस खलन क िलए बीडागन म भज दती ह ऐस ही जीवातमा का बीडागन ससार ह अतः अनक शरीर बदलत हए अबदल की मगलमय याऽा करन क िलए जीवन और मतय को मगल िवधान समझकर ई र की हा म हा करत हए अपनी याऽा उननत कर

ॐॐॐ

ॐॐॐॐॐॐॐॐ

अनबम

िचतन पराग ई र का बनाया हआ त भल ही बना रह उसको िमथया समझ लन माऽ स का

बोध हो सकता ह साधक का काम त को िमथया समझन स ही चलता ह इचछाओ की ति का उपाय एक ही ह िक इचछाए तयाग दी जाए िजस िववकी न इस

जगत को सपन या इनिजाल क समान समझ िलया ह िजस दय न प म िदखन लगा ह वह दोषदश िववकी भला बताओ इसम अनराग कस कर

जञानी जागरण को सतय समझना छोड़ दन पर िफर पहल की भाित अनर नही होता

जञानी तयक वःत को अपना आतमा समझता ह मद की कलपना को बार-बार मन म लाना काम-वासना स म होन का सव म उपाय

बताया गया ह मद को पड़ हए दखकर मन घबरान लगता ह पिरणाम की कयो परवाह करत हो अपनी तनखवाह क बार म कभी िफब मत करो

अजञानी लोग समझत ह िक कायर की सफलता म कायर करन की अपकषा अिधक आननद ह इन अनधो को यह मालम ही नही ह िकसी पिरणाम स उतना सख नही िमलता िजतना काम करन स िमलता ह

अपन िवचारो को सदा वाःतिवक आतमा म रखो और पिरिःथितयो की परवाह मत करो तब तक आपकी हािन नही हो सकती जब तक िक आप ःवय उस नही बलात तलवार

तब तक नही काट सकती जब तक आप यह न सोच िक यह काटती ह ऐ पणर तर िलए कोई कतरवय या कायर शष नही ह सारी कित सास रोक तरी

सवा क िलए खड़ी ह ससार तरी पजा करन का अवसर पाकर अपन को कतकतय करना चाहता ह कया त कित की शि यो को अपन चरणो म झकन का अवसर दगा

अपन भीतर सतय क काश को सदा चमकता रखो भय और लोभन का शतान तमहार

पास नही फटकगा

बाहर की बातो म कछ भी नही मान अपमान अपना काम िकय जा िनिशिदन इसम ही सममान

दसर लोग तमहारी आलोचना िनदा करत हो उनह रोकन की च ा न करो कयोिक इनही

सब बातो क ारा तमम सदगणो की वि होगी जब तक तमहारा दय इतना दढ़ नही ह िक तम मख क बकन पर िःथर और शात बन रहो अथवा तमम इतनी सहनशीलता नही ह िक अजञानी मख को कषमा कर सको तब तक तम अपन को कही जञानी न समझ बठना

यिद तम शरीर और मन स ऊपर उठ जाओ तो सब िचनता और भयो स छट हो

जाओग िकसी भी आकिःमक दघरटना स धयर न छोड़ो कयोिक घबराहट स शि तथा बि का

नाश होता ह िकसी भी कार की किठनाइयो क आग दःिखत न होकर गमभीरतापवरक उनका सामना करो तभी तम िनःसनदह िवजय ा करोग तम कही भी हतोतसािहत होकर िनराश न होओ

ऐसी कौन-सी िवपि ह जो मरी सननता को न कर सकती ह वह कौन-सा रज ह जो

मर आननद म िव न डाल सकता ह म तो िव ाणड का भ ह म बि का भ ह िदमाग का मािलक ह और मन का शासक ह ससार मझम ह म ससार म नही आ सकता िव मझम ह म िव म नही बध

सकता सयर और नकषऽ मझम उदय और अःत होत ह दह और दिनया दोनो ई र क भीतर ह वही ई र म ह म िनिलर आतमा ह मरा जनम नही मतय नही म अजर-अमर ह म िचदाननद

आतमःव प ह म िमथया त िमथया धमर िमथया कमर िमथया और जगत िमथया और ऐसा तीत

होता ह िक म सवरःव ह म ही सवरजञ सवरगत आतमा ह अपना साकषी ह कदािप उन नाम पो म फसा नही ह

म िवश ह असखय ाणड मझम पड़ ह म असःपयर ह मरा ःव प िनिलर ह

मझ दःख स कोई भय नही ह मझ समय की जरा भी िचनता नही आतमाननद वाल को भय और आशका कसी

िकसी भी डर को अपन पास मत फटकन दो लोग यिद तमहार बराई करत ह तो तम उनह आशीवारद दो ऐस ःथान पर जाओ जहा

लोग तमस घणा कर तम तो म हो पहल स ही म हो सवरदा कहोः म सदा आननदःव प ह म

म ःवभाव ह म अननत ःव प ह मरी आतमा का आिद और अनत नही ह सभी मर आतमःव प ह

सननतापवरक अपमान सहन करन स और नता धारण करन स अिभमान की िनवि

होती ह िकसी पिवऽ ःथान पर जाओ तो वहा क अनशासन का पालन करो वहा चपपलो की

चटाक-पटाक आभषणो की खनखनाहट भड़कील व ो की फरफराहट आिद हमस न हो इसका परा धयान रखो कही भी िकसी क भी िच को या शात वातावरण को अशात करन का हम कोई अिधकार नही ह

अपन िकसी भी दःख या अशाित का कारण बाहर मत ढढो बाहर की पिरिःथितयो या

वयि यो को दोष मत दो कारण अपन भीतर ढढो िनद ष भाव स ढढोग तो कारण भीतर ही िमल जायगा उस दर करन की च ा करो शातिच रहन का यही बहमलय उपाय ह

जो आतम-अनशािसत ह व ही शासन कर सकत ह ऐसा करन क िलए नाम-जप कर

धयान कर िकसी आतमिन सत का पावन सािननधय ा कर सब तरह स िनभरय एव सनन बनन का यह ौ साधन ह

िवन बनो िनरहकारी बनो अपन आपको बड़ा बतान की च ा न करो िवनता एव

िनरािभमानता ही तमह बड़ा बनायगी िवनता मनय का बहत बड़ा भषण ह िनमरल दि रखो िकसी क दोष दखना यह बहत बड़ा दगरण ह िछिानवषी न बनो

दसरो क दोष दखना पाप अजरन करना ह गणमाही बनो

ॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐ

अनबम

  • मगलमय जीवन-मतय
  • मतय क परकार
  • मतय भी जीवन क समान आवशयक
  • सिकनदर न अमत कयो नही पिया
  • बिना मतय को जान जीवन जीवन नही
  • मतय किसकी होती ह
  • भगवान शरीराम और तारा
  • मतयः कवल वसतर परिवरतन
  • फकीरी मौतः आननदमय जीवन का दवारः
  • यमराज और नचिकताः
  • सचच सत मतय का रहसय समझात ह
  • मतयः एक विशरानति-सथानः
  • वासना की मतय क बाद परम विशरानति
  • धतराषटर का शोकः
  • घाटवाल बाबा का एक परसग
  • फकीरी मौत ही असली जीवन
    • फकीरी मौत कया ह
      • सकरात का अनभव
      • आधयातमविदयाः भारत की विशषताः
      • तीन परकार क लोगः
      • जञान को आय स कोई निसबत नही
      • योगसामरथयः एक परतयकष उदाहरण
      • योग भी साधना का आखिरी शिखर नही
      • गणातीत सत ही परम निरभयः
      • सतो का सनदशः
      • चितन पराग

तमहार म एक ऐसा चतन ह जो कभी मरता नही िजसन मौत कभी दखी ही नही जो जीवन और मौत क समय पिरवतरन को दखता ह परनत उन सबस पर ह

यिद घड़ म आया हआ चनिमा का ितिबमब घड़ क पानी को उबलता हआ जानकर यह

मान की म उबल रहा ह पानी िहल तो समझ िक म िहलता ह घड़ा फट गया तो समझ िक म मर गया तो यह उसका अजञान ह परनत उसको यह पता चल जाय िक पानी क उबलन स म नही उबलता पानी क िहलन स म नही िहलता म तो वह चनिमा ह जो हजारो घड़ो म चमक रहा ह िकतन ही घड़ टट -फट गय परनत म मरा नही मरा कछ भी िबगड़ा नही म इन सबस असग ह तो वह कभी दःखी नही होगा

इसी कार हम यिद अपन असगपन को जान ल अथारत म शरीर-मन-बि नही अिपत

आतमा ह- यह हम जान ल तो िफर िकतन ही दह पी घड़ बन और टट -िबखर िकतनी ही सि या बन और उनका लय हो जाय हमको कोई भय नही होगा कयोिक आतमा का ःवभाव हः

न जायत ियत वा कदािचननाय भतवा भिवता वा न भयः अजो िनतयः शा तोऽयपराणो न हनयत हनयमान शरीर

यह आतमा िकसी काल म भी न तो जनमता ह और न मरता ही ह तथा न यह उतपनन

होकर िफर होन वाला ही ह कयोिक यह अजनमा िनतय सनातन और परातन ह शरीर क मार जान पर भी यह नही मारा जाता

(भगवदगीताः 223) अनबम

सतो का सनदशः िजन सतो न यह रहःय जान िलया ह जो इस अमतमय अनभव म स गजर चक ह व

सब भयो स म हो गय ह इसीिलए व अपनी अनभविस वाणी म कहत ह- अपन आतमदव स अपिरिचत होन क कारण ही तम अपन को दीन-हीन और दःखी

मानत हो इसिलए अपनी आतम-मिहमा म जाग जाओ यिद अपन आपको दीन ही मानत रह तो रोत रहोग ऐसा कौन ह जो तमह दःखी कर सक तम यिद न चाहो तो दःख की कया मजाल ह िक तमह ःपशर भी कर सक अननत-अननत ाणड को जो चल रहा ह वह चतन तमहार भीतर चमक रहा ह उसकी अनभित कर लो वही तमहारा वाःतिवक ःव प ह

मनसर को सली पर चढ़ा िदया गया था परनत उनको सली का कोई भय नही था सली

का क उनको ःपशर भी नही कर सका कयोिक मनसर अपनी मिहमा म जग हए थ व यह जान चक थ िक म शरीर नही ह सली शरीर को लग सकती ह मझ नही इसिलए व हसत-हसत सली पर चढ़ गय थ

हम ही जानबझकर अपनी सननता की अपन सख-दःख की चाबी दसरो क हाथो म

स प दत ह कोई थोड़ा हस दता ह तो हम बोिधत हो उठत ह कोई थोड़ी शसा कर दता ह तो हषर स फल उठत ह कयोिक हम अपन को सीिमत पिरिचछनन शरीर या मन ही मान बठ ह

हम अपन वाःतिवक ःव प अपनी असीम मिहमा को नही जानत नही तो मजाल ह

िक जगत क सार लोग और ततीस करोड़ दवता भी िमलकर हम दःखी करना चाह और हम दःखी हो जाय जब हम ही भीतर स सख अथवा दःख को ःवीकित दत ह तभी सख अथवा दःख हमको भािवत करता ह सदव सनन रहना ई र की सव परी भि ह

ःवामी रामतीथर कहा करत थ िक कोई यिद तमहारी सननता छ नकर उसक बदल म

तमको ःवगर का फिरता भी बनाना चाह तो फिरतापद को ठोकर मार दो मगर अपनी सननता मत बचो

हम इस जीवन और मतय का कई बार अनभव कर चक ह सत कहत ह- तमहारा न तो जीवन ह और न ही मतय ह तम जीव नही तम िशव हो तम अमर

हो तम अननत अनािद सिचचदाननद परमातमा हो यिद इस जनम-मरण क खल स थक चक हो इनक खोखल पन को जान चक हो इसक असारपन स पिरिचत हो चक हो तो िकसी सत क सािननधय का लाभ उठाकर फकीरी मौत को जान लो िफर तमह कोई दःख कोई मतय भयभीत नही कर सकगी िफर िजस आना हो वह आव जाना हो वह चला जाव सख आव तो आन दो दःख आव तो आन तो जो आयगा वह जायगा तम द ा बनकर दखत रहो तम अपनी मिहमा म मःत रहो

मौत स भी मौत का भय बदतर ह भय म स ही सार पाप पदा होत ह भय ही मतय

ह लोग पछत ह- ःवामी जी आतम-साकषातकार हो जाता ह िफर उसक बाद कया होता

ह होता कया ह हम अपन ःव प म जाग जात ह उसक बाद हमस जो भी वि होती ह वह आननदमय ही होती ह ससार की कोई भी दःखपणर घटना हमको दःखी नही कर सकती

िफर यह शरीर रह या न रह हमार आननद म कोई अनतर नही पड़ता उस आननदःव प अपन आतमदव को जानना-यही जीवन का परम कतरवय ह परनत इस परम कतरवय की ओर मनय का धयान जाता नही और छोटी-मोटी तचछ वि यो म ही अटका रह जाता ह

हम कही याऽा म िनकलत ह तो राःत क िलए िटिफन भरकर भोजन साथ ल लत ह

भोजन स भी अिधक महतव पानी का ह परनत उसक िलए सोच लत ह िक चलो ःटशन पर भर लग घर स पानी लकर चलन की िचनता नही करत पानी स भी यादा ज री हवा ह उसक िबना तो एक िमनट भी नही चलता िफर भी हवा का कोई िसलनडर भरकर साथ नही लत कयोिक हम सब जानत ह िक वह तो सवरऽ ह इसिलए हवा क िलए हम कोई िचनता नही करत

हवा स कम ज री पानी क िलए पानी स कम ज री भोजन क िलए हम यादा िचनता करत ह उसी कार अपन आननदःव प आतमा म जागन क परम कतरवय को छोड़कर कम महतव क ःथल शरीर क लालन पालन एव उसस सबिधत वयवहार को सभालन म ही हम लग रहत ह शरीर असत जड़ और दःख प ह उसको चलान वाला सआम भतो स िनिमरत सआम शरीर ह उसको भी चतन स ा दन वाला सत-िचत-आननदःव प आतमा ह इस आननद-ःव प आतमा को असत-जड़ दःख प और मरणधमार समझकर जीवनभर मौत क भय स भयभीत बन रहत ह

अनत परमातमा म न तो उतथान ह न पतन न जनम ह न मरण वहा तो सब एकरस

ह हम ही मोहवश अपना ससार खड़ा कर लत ह और एक दसर क साथ सबध बनाकर अपन को जानबझकर बधन म डाल दत ह

एक सत क पास एक स जन का पऽ आया उसम िलखा थाः ःवामी जी आपक

आशीवारद स हमार यहा पऽ का जनम हआ ह सत न उ र म उस िलखा िकः तम झठ बोलत हो िफर जब स जन सत क पास गया तब कहा िकः ःवामी जी म सच कहता ह मर यहा पऽ का जनम हआ ह इस पर सत न िफर स कहा िकः तम झठ बोलत हो यह सनकर उन स जन को बड़ा आ यर हआ वह िवःफािरत नऽो स सत की ओर दखन लगा तब सत न कहाः

पऽ का जनम नही हआ िपता का जनम हआ ह माता का जनम हआ ह काका-मामा

का जनम हआ ह पऽ को तो खबर ही नही ह िक मरा जनम हआ ह और म िकसी का पऽ भी ह परनत हम उस पर सार समबनध आरोिपत कर दत ह

वःततः पचभतो म कोई आकार बना ह उस पऽ का नाम द िदया समय आन पर यह आकार िबखर जायगा यह आकार बन उसम हषर और यह आकार िबखर जाय उसम शोक कसा भय कसा

िजस शरीर को हम म मानत ह उसकी कित तो दखो िपया तो था अमत जसा

मीठा जल और िनकाला मऽ प म गदा पानी खाय तो थ मोहनथाल दधपाक छपपन भोग पर बन गया सब िव ा प शरीर का सग करन पदाथर की ऐसी अवःथा बन जाती ह सत-िचत-आननदःव प आतमा भी अपन को भलकर शरीर क साथ एक होकर ःवय को म शरीर मान लती ह और दीन हीन एव दःखी बन जाती ह परनत जब वह अपन आपम जाग जाती ह तब अपन को दवो का दव अनभव करती ह

यिद हमन शरीर क साथ अहबि की तो हम म भय वया हो ही जायगा कयोिक शरीर

की मतय िनि त ह उसका पिरवतरन अवयभावी ह उसको तो ःवय ाजी भी नही रोक सकत परनत यिद हमन अपन आतमःव प को जान िलया ःव प म हमारी िन ा हो गई तो हम िनभरय हो गय कयोिक ःव प की मतय होती नही मौत भी उसस डरती ह

ःवामी अखणडाननद सरःवती एक बार रल क तीसर दज म याऽा कर रह थ व यह

जानना चाहत थ िक तीसर दज म लोगो ारा िकय जान वाल मान-अपमान का भाव उनक िदल पर होता ह िक नही आतमिनरीकषण स उनह पता चला िक भाव तो होता ह यह बात उनहोन ौी उिड़या बाबा को बतायी उिड़या बाबा न कहाः

तम बठत ही कचर क ढर पर हो आशा करत हो िक मझ पर कोई कचरा न फ क मझ

कचर की दगरनध न आव यह कस हो सकता ह तम बठत हो शरीर म और आशा रखत हो िक मान-अपमान का असर न हो ःवय को शरीर माना तो मान-अपमान सख-दःख होगा और जनम-मतय भी होगी

वदानत क रहःय को समझना यह कोई ि यो का काम नही ह ी अथारत कित क

शरीर क म मानकर जीनवाला एक बार राजा जनक िव ानो की सभा म बठ थ उस सभा म गाग आई वह िबलकल

िदगमबर (न न) थी ऐसी अवःथा म सभा म गाग का वश पिडतो को रचा नही इसिलए उनहोन नाक-भ िसकोड़ िलया परषो स भरी सभा म एक न न ी

गाग बोलीः ऐ पिडतो नाक भ कयो िसकोड़त हो

पिडतो न कहाः तम एक अबला ऐसी अवःथा म परषो की सभा म जो आई हो

गाग तरनत बोलीः कौन कहता ह िक म अबला ह म सबला ह अबला तो तम हो जो अपना रकषक बाहर ढढत हो म अपना रकषक आप ह म यह शरीर नही ह म तो सत -िचत-आननदःव प आतमा ह म अपन आपको जानती ह

िजसको जानकर गाग िनभरय बन गई थी उस आननदःव प अपन आतमदव को जो

जान लता ह उसी म िःथत हो जाता ह वह जीवन और मौत दोनो स पर दोनो का द ा बन जाता ह उस िफर कोई भय नही रहता वह सदव आननद म मःत रहता ह

मरो मरो सब कोई कह मरना न जान कोई एक बार ऐसा मरो िक िफर मरना न होई

मगलमय जीवन मगलमय िववाह मगलमय सबध उस परम मगल चतनय क कारण ही

हो सकत ह न िक शि शरीर क बा प-रग पर िवमोिहत होन स महाराज जी क पास आकर एक मिहला कहन लगीः मर पित ःवगरःथ हो गय ह

उनका िवयोग सहा नही जाता ऐसा कोई उपाय बताओ िक उनका िहत हो और मझ शाित िमल

दसरा एक वयि आया और बोलाः मरी प ी मझ अकला छोड़कर चल बसी ह

तीसर न कहाः मरा बटा ःवगरःथ हो गया ह उसकी मीठ याद आती ह मर मन म आता ह िक उसक पीछ म भी आतमहतया करक मर जाऊ बाबा जी शािनत का कछ उपाय बताइय

महाराज जी न कहाः ह भि मिहला पित की याद आय तो उनह खब आदरपवरक कहोः

मरणधमार शरीर म होत हए भी आप अमर थ शरीर क मरन पर भी आप नही मर दह न र ह आप शा त हो चतनय हो आप परम र का अिवनाशी अश हो जनम-मतय आपका धमर नही ह पाप-पणय आपका कमर नही ह आप अजर हो श ब हो हम परःपर पािथरव शरीर की ीित करक मोह म सड़ रह थ िवकारो म दब रह थ अब पािथरव शरीर की ीित स म होकर अपािथरव आतमा म िःथत हो जाओ

वह शादी बरबादी म बदल जाती ह िजसम एक दसर क शरीर को पयार करत ह वह

मगलमय शादी आबादी की ओर ल जाती ह जहा प ी पित को पित प ी को पऽ िपता को िपता पऽ को शरीर क प म नही अिपत शरीरो क आधार श चतनयःव प म दख परःपर अपन चतनयःव प की याद िदलाव और रणा द

ह भि मिहला अपन पित को याद करक उनक जीवातमा को यह रणा दो इसस

उनकी भी उननित होगी और तमहारी उननित होगी ऐसा िचनतन करो िकः ह चतनयःव प मर आतमन शरीर को पाच भत क पतल

को तयागन क बाद भी आपका अिःततव ह आप आतमा हो परम र हो अमर हो चतनय हो शा त हो

इसी कार अपनी प ी को और ःवगरःथ पऽ पिरवार को ःमरण करक उनको उननत

करो और आप भी उननत बनो जीत-जी भी परःपर इसी भाव स उननत करो मतय मगलमय हो जाय ऐसा वातावरण बनाओ

जो वयि मतय को ा हो चक ह उनक ौा ो क िदनो म तथा ःमरण क व उनह

सझाव दो िकः जनम-मतय तमहारा धमर नही था पाप-पणय तमहारा कमर नही था तम अजर

अिवनाशी िनलप शा त सनातन नारायण क अश हो अतः अपन परम र ःवभाव को सभालो ःमरण करो

अपन पित प ी पऽ का नाम लकर कहो िकः तम वही हो सचमच म वही हो जो

मरन क बाद भी नही मरता ॐॐॐ तम चतनय आतमा हो ॐॐॐ शा त परम र हो ॐॐॐ अिवनाशी परमातमा हो ॐॐॐ

पथवी पर क ःवपन तलय सबधो का ःमरण करक तम नीच न िगरो अिपत आतमा-

परमातमा क सबध को याद करत हए अपना ऐिहक जीवन मगलमय बनाओ ससार स कच करक जाओ उस समय तमहार कटमबी आतमा परमा तमा की एकता और अमरता तमहारी िनतयता और म ता का ःमरण तमह अत समय म करा द ऐसी वयवःथा करो

कोई चल बसन वाल हो या चल बस हो उनको याद करक उनकी ओर िदवय िवचार

अमर आतमा का सनदश भजो इस कार तम उ म सवा कर सकत हो और जीिवतो को जीवनदाता म जगा सकत हो दोनो इस कार परःपर सहायता करोग और पाओग

टिलफोन पर अपन दर क सबधी स हम जब बात करत ह तो उस यऽ म स आन वाली

धविन अपन सबधी की होती ह ऐस ही शरीर पी यऽो स जो कछ ःनह सातवना सहानभित म या काश हम पात ह वह भीतर वाल परम र का ही होता ह उनको या उनक िचऽो को

दखो तो उन िचऽो क पीछ खड़ उस शा त सतय को परम िमऽ को पयार करो और उनह भी याद िदलाओ िकः ह शा त आतमा ह परातन ह अिवनाशी नाशवान ससार और शरीर बदलत ह लिकन तम अबदल आतमा हो ॐॐॐ

बचपन बदल गया यौवन बदल गया बढ़ापा बदल गया शरीर बदल गया िफर

तम भी हो तम वह अमर आतमा हो िजस पर काल का भी कोई भाव नही चलता ह अकाल आतमा अपनी मिहमा म जागो इस कार क िवचार भजन स मगल करोग और मगल को पाओग जीवन मगलमय होन

लगगा मतको की मतय भी मगलमय हो जायगी मगल भवन अमगलहारी िवचारो को सदव एक दसर क ित सािरत करो ॐ आननद

आननद आननद रोत चीखत मोहमाया म पड़कर उनको याद करत हो तो उनका और अपना सतयानाश

करत हो उनको नीच िगरात हो उनकी आतमा को भटकात हो अपन को तचछ बनात हो अमागिलक िवचारो को कतई ःफिरत न होन दो सदव मगलमय िवचार हो जायगा मगलमय जीवन मतय भी मगलमय हो जायगी ॐ ॐ ॐ

ॐॐॐॐॐॐॐॐ जीवन और मतय आतमा-परमातमा को पान क दो पहल ह रात क बाद िदन िदन क

बाद रात होती ह इसी तरह जीवन और मतय चोल बदलत हए अनभवो स गजरत हए अपन आतमःव प को ःव प को पान क िलए मगलमयी अवःथा ह

िदन िजतना पयारा ह रात भी उतनी ही आवयक ह जीवन िजतना पयारा ह मतय भी

उतनी ही आवयक ह मतय मान आतमिशव क मिनदर म जान क िलए ऊची सीिढ़या मतय मान मा की गोद म बालक सो गया और उमा शि ताजगी ःफितर पाकर िफर सबह खलता ह मतय मान मा की गोद म थकान िमटान को जाना िफर नया तन ा करक अपनी मगलमय याऽा करना

त वदि स दखा जाय तो यह जीवन-मतय की याऽा कित म हो रही ह तमह

परमातमाःव प म जगान क िलए गीता म भगवान ौी कण कहत ह-

न जायत ियत वा कदािचननाय भतवा भिवता वा न भयः अजो िनतयः शा तोऽयपराणो न हनयत हनयमान शरीर

त वतः यह आतमा न कभी जनमता ह और न मरता ह न यह उतपनन होकर िफर होन

वाला ही ह यह जनमरिहत िनतय िनरनतर रहन वाला शा त और परातन अनािद ह शरीर क मार जान पर भी वह नही मारा जाता

(गीताः 220) शव की ःमशानयाऽा म मटका ल जात ह फोड़ दत ह यह याद िदलान क िलए िक दह

मानो मटका ह इस मगलमय मतय को पीछ िव ल होन की आवयकता नही ह यह मटका सवा करन क िलए िमला था जीणर-शीणर हआ टट गया िफर नया िमलगा मगलमय आतमा-परमातमा की ाि तक यह मगलमय जनम-मरण की याऽा तो चलती ही रहगी इसम िव ल होकर रोना-चीखना िनरा मोह ह अगर इस मोह को पोसा जाय और िकसी की मतय न हो तो ससार महा नरक हो जायगा माली अगर बगीच म काट-छाट न कर तो बगीचा बगीचा ही न रहगा अिपत भयानकर जगल हो जायगा

स ा न मतय का मगलमय िवधान न बनाया होता तो आदमी म तयाग सवा नता क

सदगण ही नही िखलत सब अमर होकर अिड़यल की तरह उलझ रहत रािऽ स अरणोदय अरणोदय स िफर मगलमयी रािऽ की अिनवायर आवयकता ह िवराट

की यह चणड बीड़ा तमह अपन िवराट ःवभाव म जगान क िलए आवयक ह मतय मान महायाऽा महाःथान महािनिा अतः जो मर गय ह उनकी याऽा मगलमय

हो आतमोननितद हो ऐसा िचनतन कर न िक अपन मोह और अजञान क कारण उनको भी भटकाए और खद भी परशान हो

कइयो की मतय बालयकाल म या यौवन म हो जाती ह जस मा न बचच को कपड़

पहनाए और नही जच उठा िलय िफर नय व ो स सजाया-धजाया अथवा यो कहो िक बचचा िखलौनो म रम जाता ह िखलौन नही छोड़ना चाहता परनत मगलमयी मा उस बलात उठा लती ह अपनी गोद म सलाती ह अपनी उमा सािननधय िवौािनत स उस प करक िफर नतन भात को उस खलन क िलए बीडागन म भज दती ह ऐस ही जीवातमा का बीडागन ससार ह अतः अनक शरीर बदलत हए अबदल की मगलमय याऽा करन क िलए जीवन और मतय को मगल िवधान समझकर ई र की हा म हा करत हए अपनी याऽा उननत कर

ॐॐॐ

ॐॐॐॐॐॐॐॐ

अनबम

िचतन पराग ई र का बनाया हआ त भल ही बना रह उसको िमथया समझ लन माऽ स का

बोध हो सकता ह साधक का काम त को िमथया समझन स ही चलता ह इचछाओ की ति का उपाय एक ही ह िक इचछाए तयाग दी जाए िजस िववकी न इस

जगत को सपन या इनिजाल क समान समझ िलया ह िजस दय न प म िदखन लगा ह वह दोषदश िववकी भला बताओ इसम अनराग कस कर

जञानी जागरण को सतय समझना छोड़ दन पर िफर पहल की भाित अनर नही होता

जञानी तयक वःत को अपना आतमा समझता ह मद की कलपना को बार-बार मन म लाना काम-वासना स म होन का सव म उपाय

बताया गया ह मद को पड़ हए दखकर मन घबरान लगता ह पिरणाम की कयो परवाह करत हो अपनी तनखवाह क बार म कभी िफब मत करो

अजञानी लोग समझत ह िक कायर की सफलता म कायर करन की अपकषा अिधक आननद ह इन अनधो को यह मालम ही नही ह िकसी पिरणाम स उतना सख नही िमलता िजतना काम करन स िमलता ह

अपन िवचारो को सदा वाःतिवक आतमा म रखो और पिरिःथितयो की परवाह मत करो तब तक आपकी हािन नही हो सकती जब तक िक आप ःवय उस नही बलात तलवार

तब तक नही काट सकती जब तक आप यह न सोच िक यह काटती ह ऐ पणर तर िलए कोई कतरवय या कायर शष नही ह सारी कित सास रोक तरी

सवा क िलए खड़ी ह ससार तरी पजा करन का अवसर पाकर अपन को कतकतय करना चाहता ह कया त कित की शि यो को अपन चरणो म झकन का अवसर दगा

अपन भीतर सतय क काश को सदा चमकता रखो भय और लोभन का शतान तमहार

पास नही फटकगा

बाहर की बातो म कछ भी नही मान अपमान अपना काम िकय जा िनिशिदन इसम ही सममान

दसर लोग तमहारी आलोचना िनदा करत हो उनह रोकन की च ा न करो कयोिक इनही

सब बातो क ारा तमम सदगणो की वि होगी जब तक तमहारा दय इतना दढ़ नही ह िक तम मख क बकन पर िःथर और शात बन रहो अथवा तमम इतनी सहनशीलता नही ह िक अजञानी मख को कषमा कर सको तब तक तम अपन को कही जञानी न समझ बठना

यिद तम शरीर और मन स ऊपर उठ जाओ तो सब िचनता और भयो स छट हो

जाओग िकसी भी आकिःमक दघरटना स धयर न छोड़ो कयोिक घबराहट स शि तथा बि का

नाश होता ह िकसी भी कार की किठनाइयो क आग दःिखत न होकर गमभीरतापवरक उनका सामना करो तभी तम िनःसनदह िवजय ा करोग तम कही भी हतोतसािहत होकर िनराश न होओ

ऐसी कौन-सी िवपि ह जो मरी सननता को न कर सकती ह वह कौन-सा रज ह जो

मर आननद म िव न डाल सकता ह म तो िव ाणड का भ ह म बि का भ ह िदमाग का मािलक ह और मन का शासक ह ससार मझम ह म ससार म नही आ सकता िव मझम ह म िव म नही बध

सकता सयर और नकषऽ मझम उदय और अःत होत ह दह और दिनया दोनो ई र क भीतर ह वही ई र म ह म िनिलर आतमा ह मरा जनम नही मतय नही म अजर-अमर ह म िचदाननद

आतमःव प ह म िमथया त िमथया धमर िमथया कमर िमथया और जगत िमथया और ऐसा तीत

होता ह िक म सवरःव ह म ही सवरजञ सवरगत आतमा ह अपना साकषी ह कदािप उन नाम पो म फसा नही ह

म िवश ह असखय ाणड मझम पड़ ह म असःपयर ह मरा ःव प िनिलर ह

मझ दःख स कोई भय नही ह मझ समय की जरा भी िचनता नही आतमाननद वाल को भय और आशका कसी

िकसी भी डर को अपन पास मत फटकन दो लोग यिद तमहार बराई करत ह तो तम उनह आशीवारद दो ऐस ःथान पर जाओ जहा

लोग तमस घणा कर तम तो म हो पहल स ही म हो सवरदा कहोः म सदा आननदःव प ह म

म ःवभाव ह म अननत ःव प ह मरी आतमा का आिद और अनत नही ह सभी मर आतमःव प ह

सननतापवरक अपमान सहन करन स और नता धारण करन स अिभमान की िनवि

होती ह िकसी पिवऽ ःथान पर जाओ तो वहा क अनशासन का पालन करो वहा चपपलो की

चटाक-पटाक आभषणो की खनखनाहट भड़कील व ो की फरफराहट आिद हमस न हो इसका परा धयान रखो कही भी िकसी क भी िच को या शात वातावरण को अशात करन का हम कोई अिधकार नही ह

अपन िकसी भी दःख या अशाित का कारण बाहर मत ढढो बाहर की पिरिःथितयो या

वयि यो को दोष मत दो कारण अपन भीतर ढढो िनद ष भाव स ढढोग तो कारण भीतर ही िमल जायगा उस दर करन की च ा करो शातिच रहन का यही बहमलय उपाय ह

जो आतम-अनशािसत ह व ही शासन कर सकत ह ऐसा करन क िलए नाम-जप कर

धयान कर िकसी आतमिन सत का पावन सािननधय ा कर सब तरह स िनभरय एव सनन बनन का यह ौ साधन ह

िवन बनो िनरहकारी बनो अपन आपको बड़ा बतान की च ा न करो िवनता एव

िनरािभमानता ही तमह बड़ा बनायगी िवनता मनय का बहत बड़ा भषण ह िनमरल दि रखो िकसी क दोष दखना यह बहत बड़ा दगरण ह िछिानवषी न बनो

दसरो क दोष दखना पाप अजरन करना ह गणमाही बनो

ॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐ

अनबम

  • मगलमय जीवन-मतय
  • मतय क परकार
  • मतय भी जीवन क समान आवशयक
  • सिकनदर न अमत कयो नही पिया
  • बिना मतय को जान जीवन जीवन नही
  • मतय किसकी होती ह
  • भगवान शरीराम और तारा
  • मतयः कवल वसतर परिवरतन
  • फकीरी मौतः आननदमय जीवन का दवारः
  • यमराज और नचिकताः
  • सचच सत मतय का रहसय समझात ह
  • मतयः एक विशरानति-सथानः
  • वासना की मतय क बाद परम विशरानति
  • धतराषटर का शोकः
  • घाटवाल बाबा का एक परसग
  • फकीरी मौत ही असली जीवन
    • फकीरी मौत कया ह
      • सकरात का अनभव
      • आधयातमविदयाः भारत की विशषताः
      • तीन परकार क लोगः
      • जञान को आय स कोई निसबत नही
      • योगसामरथयः एक परतयकष उदाहरण
      • योग भी साधना का आखिरी शिखर नही
      • गणातीत सत ही परम निरभयः
      • सतो का सनदशः
      • चितन पराग

मनसर को सली पर चढ़ा िदया गया था परनत उनको सली का कोई भय नही था सली

का क उनको ःपशर भी नही कर सका कयोिक मनसर अपनी मिहमा म जग हए थ व यह जान चक थ िक म शरीर नही ह सली शरीर को लग सकती ह मझ नही इसिलए व हसत-हसत सली पर चढ़ गय थ

हम ही जानबझकर अपनी सननता की अपन सख-दःख की चाबी दसरो क हाथो म

स प दत ह कोई थोड़ा हस दता ह तो हम बोिधत हो उठत ह कोई थोड़ी शसा कर दता ह तो हषर स फल उठत ह कयोिक हम अपन को सीिमत पिरिचछनन शरीर या मन ही मान बठ ह

हम अपन वाःतिवक ःव प अपनी असीम मिहमा को नही जानत नही तो मजाल ह

िक जगत क सार लोग और ततीस करोड़ दवता भी िमलकर हम दःखी करना चाह और हम दःखी हो जाय जब हम ही भीतर स सख अथवा दःख को ःवीकित दत ह तभी सख अथवा दःख हमको भािवत करता ह सदव सनन रहना ई र की सव परी भि ह

ःवामी रामतीथर कहा करत थ िक कोई यिद तमहारी सननता छ नकर उसक बदल म

तमको ःवगर का फिरता भी बनाना चाह तो फिरतापद को ठोकर मार दो मगर अपनी सननता मत बचो

हम इस जीवन और मतय का कई बार अनभव कर चक ह सत कहत ह- तमहारा न तो जीवन ह और न ही मतय ह तम जीव नही तम िशव हो तम अमर

हो तम अननत अनािद सिचचदाननद परमातमा हो यिद इस जनम-मरण क खल स थक चक हो इनक खोखल पन को जान चक हो इसक असारपन स पिरिचत हो चक हो तो िकसी सत क सािननधय का लाभ उठाकर फकीरी मौत को जान लो िफर तमह कोई दःख कोई मतय भयभीत नही कर सकगी िफर िजस आना हो वह आव जाना हो वह चला जाव सख आव तो आन दो दःख आव तो आन तो जो आयगा वह जायगा तम द ा बनकर दखत रहो तम अपनी मिहमा म मःत रहो

मौत स भी मौत का भय बदतर ह भय म स ही सार पाप पदा होत ह भय ही मतय

ह लोग पछत ह- ःवामी जी आतम-साकषातकार हो जाता ह िफर उसक बाद कया होता

ह होता कया ह हम अपन ःव प म जाग जात ह उसक बाद हमस जो भी वि होती ह वह आननदमय ही होती ह ससार की कोई भी दःखपणर घटना हमको दःखी नही कर सकती

िफर यह शरीर रह या न रह हमार आननद म कोई अनतर नही पड़ता उस आननदःव प अपन आतमदव को जानना-यही जीवन का परम कतरवय ह परनत इस परम कतरवय की ओर मनय का धयान जाता नही और छोटी-मोटी तचछ वि यो म ही अटका रह जाता ह

हम कही याऽा म िनकलत ह तो राःत क िलए िटिफन भरकर भोजन साथ ल लत ह

भोजन स भी अिधक महतव पानी का ह परनत उसक िलए सोच लत ह िक चलो ःटशन पर भर लग घर स पानी लकर चलन की िचनता नही करत पानी स भी यादा ज री हवा ह उसक िबना तो एक िमनट भी नही चलता िफर भी हवा का कोई िसलनडर भरकर साथ नही लत कयोिक हम सब जानत ह िक वह तो सवरऽ ह इसिलए हवा क िलए हम कोई िचनता नही करत

हवा स कम ज री पानी क िलए पानी स कम ज री भोजन क िलए हम यादा िचनता करत ह उसी कार अपन आननदःव प आतमा म जागन क परम कतरवय को छोड़कर कम महतव क ःथल शरीर क लालन पालन एव उसस सबिधत वयवहार को सभालन म ही हम लग रहत ह शरीर असत जड़ और दःख प ह उसको चलान वाला सआम भतो स िनिमरत सआम शरीर ह उसको भी चतन स ा दन वाला सत-िचत-आननदःव प आतमा ह इस आननद-ःव प आतमा को असत-जड़ दःख प और मरणधमार समझकर जीवनभर मौत क भय स भयभीत बन रहत ह

अनत परमातमा म न तो उतथान ह न पतन न जनम ह न मरण वहा तो सब एकरस

ह हम ही मोहवश अपना ससार खड़ा कर लत ह और एक दसर क साथ सबध बनाकर अपन को जानबझकर बधन म डाल दत ह

एक सत क पास एक स जन का पऽ आया उसम िलखा थाः ःवामी जी आपक

आशीवारद स हमार यहा पऽ का जनम हआ ह सत न उ र म उस िलखा िकः तम झठ बोलत हो िफर जब स जन सत क पास गया तब कहा िकः ःवामी जी म सच कहता ह मर यहा पऽ का जनम हआ ह इस पर सत न िफर स कहा िकः तम झठ बोलत हो यह सनकर उन स जन को बड़ा आ यर हआ वह िवःफािरत नऽो स सत की ओर दखन लगा तब सत न कहाः

पऽ का जनम नही हआ िपता का जनम हआ ह माता का जनम हआ ह काका-मामा

का जनम हआ ह पऽ को तो खबर ही नही ह िक मरा जनम हआ ह और म िकसी का पऽ भी ह परनत हम उस पर सार समबनध आरोिपत कर दत ह

वःततः पचभतो म कोई आकार बना ह उस पऽ का नाम द िदया समय आन पर यह आकार िबखर जायगा यह आकार बन उसम हषर और यह आकार िबखर जाय उसम शोक कसा भय कसा

िजस शरीर को हम म मानत ह उसकी कित तो दखो िपया तो था अमत जसा

मीठा जल और िनकाला मऽ प म गदा पानी खाय तो थ मोहनथाल दधपाक छपपन भोग पर बन गया सब िव ा प शरीर का सग करन पदाथर की ऐसी अवःथा बन जाती ह सत-िचत-आननदःव प आतमा भी अपन को भलकर शरीर क साथ एक होकर ःवय को म शरीर मान लती ह और दीन हीन एव दःखी बन जाती ह परनत जब वह अपन आपम जाग जाती ह तब अपन को दवो का दव अनभव करती ह

यिद हमन शरीर क साथ अहबि की तो हम म भय वया हो ही जायगा कयोिक शरीर

की मतय िनि त ह उसका पिरवतरन अवयभावी ह उसको तो ःवय ाजी भी नही रोक सकत परनत यिद हमन अपन आतमःव प को जान िलया ःव प म हमारी िन ा हो गई तो हम िनभरय हो गय कयोिक ःव प की मतय होती नही मौत भी उसस डरती ह

ःवामी अखणडाननद सरःवती एक बार रल क तीसर दज म याऽा कर रह थ व यह

जानना चाहत थ िक तीसर दज म लोगो ारा िकय जान वाल मान-अपमान का भाव उनक िदल पर होता ह िक नही आतमिनरीकषण स उनह पता चला िक भाव तो होता ह यह बात उनहोन ौी उिड़या बाबा को बतायी उिड़या बाबा न कहाः

तम बठत ही कचर क ढर पर हो आशा करत हो िक मझ पर कोई कचरा न फ क मझ

कचर की दगरनध न आव यह कस हो सकता ह तम बठत हो शरीर म और आशा रखत हो िक मान-अपमान का असर न हो ःवय को शरीर माना तो मान-अपमान सख-दःख होगा और जनम-मतय भी होगी

वदानत क रहःय को समझना यह कोई ि यो का काम नही ह ी अथारत कित क

शरीर क म मानकर जीनवाला एक बार राजा जनक िव ानो की सभा म बठ थ उस सभा म गाग आई वह िबलकल

िदगमबर (न न) थी ऐसी अवःथा म सभा म गाग का वश पिडतो को रचा नही इसिलए उनहोन नाक-भ िसकोड़ िलया परषो स भरी सभा म एक न न ी

गाग बोलीः ऐ पिडतो नाक भ कयो िसकोड़त हो

पिडतो न कहाः तम एक अबला ऐसी अवःथा म परषो की सभा म जो आई हो

गाग तरनत बोलीः कौन कहता ह िक म अबला ह म सबला ह अबला तो तम हो जो अपना रकषक बाहर ढढत हो म अपना रकषक आप ह म यह शरीर नही ह म तो सत -िचत-आननदःव प आतमा ह म अपन आपको जानती ह

िजसको जानकर गाग िनभरय बन गई थी उस आननदःव प अपन आतमदव को जो

जान लता ह उसी म िःथत हो जाता ह वह जीवन और मौत दोनो स पर दोनो का द ा बन जाता ह उस िफर कोई भय नही रहता वह सदव आननद म मःत रहता ह

मरो मरो सब कोई कह मरना न जान कोई एक बार ऐसा मरो िक िफर मरना न होई

मगलमय जीवन मगलमय िववाह मगलमय सबध उस परम मगल चतनय क कारण ही

हो सकत ह न िक शि शरीर क बा प-रग पर िवमोिहत होन स महाराज जी क पास आकर एक मिहला कहन लगीः मर पित ःवगरःथ हो गय ह

उनका िवयोग सहा नही जाता ऐसा कोई उपाय बताओ िक उनका िहत हो और मझ शाित िमल

दसरा एक वयि आया और बोलाः मरी प ी मझ अकला छोड़कर चल बसी ह

तीसर न कहाः मरा बटा ःवगरःथ हो गया ह उसकी मीठ याद आती ह मर मन म आता ह िक उसक पीछ म भी आतमहतया करक मर जाऊ बाबा जी शािनत का कछ उपाय बताइय

महाराज जी न कहाः ह भि मिहला पित की याद आय तो उनह खब आदरपवरक कहोः

मरणधमार शरीर म होत हए भी आप अमर थ शरीर क मरन पर भी आप नही मर दह न र ह आप शा त हो चतनय हो आप परम र का अिवनाशी अश हो जनम-मतय आपका धमर नही ह पाप-पणय आपका कमर नही ह आप अजर हो श ब हो हम परःपर पािथरव शरीर की ीित करक मोह म सड़ रह थ िवकारो म दब रह थ अब पािथरव शरीर की ीित स म होकर अपािथरव आतमा म िःथत हो जाओ

वह शादी बरबादी म बदल जाती ह िजसम एक दसर क शरीर को पयार करत ह वह

मगलमय शादी आबादी की ओर ल जाती ह जहा प ी पित को पित प ी को पऽ िपता को िपता पऽ को शरीर क प म नही अिपत शरीरो क आधार श चतनयःव प म दख परःपर अपन चतनयःव प की याद िदलाव और रणा द

ह भि मिहला अपन पित को याद करक उनक जीवातमा को यह रणा दो इसस

उनकी भी उननित होगी और तमहारी उननित होगी ऐसा िचनतन करो िकः ह चतनयःव प मर आतमन शरीर को पाच भत क पतल

को तयागन क बाद भी आपका अिःततव ह आप आतमा हो परम र हो अमर हो चतनय हो शा त हो

इसी कार अपनी प ी को और ःवगरःथ पऽ पिरवार को ःमरण करक उनको उननत

करो और आप भी उननत बनो जीत-जी भी परःपर इसी भाव स उननत करो मतय मगलमय हो जाय ऐसा वातावरण बनाओ

जो वयि मतय को ा हो चक ह उनक ौा ो क िदनो म तथा ःमरण क व उनह

सझाव दो िकः जनम-मतय तमहारा धमर नही था पाप-पणय तमहारा कमर नही था तम अजर

अिवनाशी िनलप शा त सनातन नारायण क अश हो अतः अपन परम र ःवभाव को सभालो ःमरण करो

अपन पित प ी पऽ का नाम लकर कहो िकः तम वही हो सचमच म वही हो जो

मरन क बाद भी नही मरता ॐॐॐ तम चतनय आतमा हो ॐॐॐ शा त परम र हो ॐॐॐ अिवनाशी परमातमा हो ॐॐॐ

पथवी पर क ःवपन तलय सबधो का ःमरण करक तम नीच न िगरो अिपत आतमा-

परमातमा क सबध को याद करत हए अपना ऐिहक जीवन मगलमय बनाओ ससार स कच करक जाओ उस समय तमहार कटमबी आतमा परमा तमा की एकता और अमरता तमहारी िनतयता और म ता का ःमरण तमह अत समय म करा द ऐसी वयवःथा करो

कोई चल बसन वाल हो या चल बस हो उनको याद करक उनकी ओर िदवय िवचार

अमर आतमा का सनदश भजो इस कार तम उ म सवा कर सकत हो और जीिवतो को जीवनदाता म जगा सकत हो दोनो इस कार परःपर सहायता करोग और पाओग

टिलफोन पर अपन दर क सबधी स हम जब बात करत ह तो उस यऽ म स आन वाली

धविन अपन सबधी की होती ह ऐस ही शरीर पी यऽो स जो कछ ःनह सातवना सहानभित म या काश हम पात ह वह भीतर वाल परम र का ही होता ह उनको या उनक िचऽो को

दखो तो उन िचऽो क पीछ खड़ उस शा त सतय को परम िमऽ को पयार करो और उनह भी याद िदलाओ िकः ह शा त आतमा ह परातन ह अिवनाशी नाशवान ससार और शरीर बदलत ह लिकन तम अबदल आतमा हो ॐॐॐ

बचपन बदल गया यौवन बदल गया बढ़ापा बदल गया शरीर बदल गया िफर

तम भी हो तम वह अमर आतमा हो िजस पर काल का भी कोई भाव नही चलता ह अकाल आतमा अपनी मिहमा म जागो इस कार क िवचार भजन स मगल करोग और मगल को पाओग जीवन मगलमय होन

लगगा मतको की मतय भी मगलमय हो जायगी मगल भवन अमगलहारी िवचारो को सदव एक दसर क ित सािरत करो ॐ आननद

आननद आननद रोत चीखत मोहमाया म पड़कर उनको याद करत हो तो उनका और अपना सतयानाश

करत हो उनको नीच िगरात हो उनकी आतमा को भटकात हो अपन को तचछ बनात हो अमागिलक िवचारो को कतई ःफिरत न होन दो सदव मगलमय िवचार हो जायगा मगलमय जीवन मतय भी मगलमय हो जायगी ॐ ॐ ॐ

ॐॐॐॐॐॐॐॐ जीवन और मतय आतमा-परमातमा को पान क दो पहल ह रात क बाद िदन िदन क

बाद रात होती ह इसी तरह जीवन और मतय चोल बदलत हए अनभवो स गजरत हए अपन आतमःव प को ःव प को पान क िलए मगलमयी अवःथा ह

िदन िजतना पयारा ह रात भी उतनी ही आवयक ह जीवन िजतना पयारा ह मतय भी

उतनी ही आवयक ह मतय मान आतमिशव क मिनदर म जान क िलए ऊची सीिढ़या मतय मान मा की गोद म बालक सो गया और उमा शि ताजगी ःफितर पाकर िफर सबह खलता ह मतय मान मा की गोद म थकान िमटान को जाना िफर नया तन ा करक अपनी मगलमय याऽा करना

त वदि स दखा जाय तो यह जीवन-मतय की याऽा कित म हो रही ह तमह

परमातमाःव प म जगान क िलए गीता म भगवान ौी कण कहत ह-

न जायत ियत वा कदािचननाय भतवा भिवता वा न भयः अजो िनतयः शा तोऽयपराणो न हनयत हनयमान शरीर

त वतः यह आतमा न कभी जनमता ह और न मरता ह न यह उतपनन होकर िफर होन

वाला ही ह यह जनमरिहत िनतय िनरनतर रहन वाला शा त और परातन अनािद ह शरीर क मार जान पर भी वह नही मारा जाता

(गीताः 220) शव की ःमशानयाऽा म मटका ल जात ह फोड़ दत ह यह याद िदलान क िलए िक दह

मानो मटका ह इस मगलमय मतय को पीछ िव ल होन की आवयकता नही ह यह मटका सवा करन क िलए िमला था जीणर-शीणर हआ टट गया िफर नया िमलगा मगलमय आतमा-परमातमा की ाि तक यह मगलमय जनम-मरण की याऽा तो चलती ही रहगी इसम िव ल होकर रोना-चीखना िनरा मोह ह अगर इस मोह को पोसा जाय और िकसी की मतय न हो तो ससार महा नरक हो जायगा माली अगर बगीच म काट-छाट न कर तो बगीचा बगीचा ही न रहगा अिपत भयानकर जगल हो जायगा

स ा न मतय का मगलमय िवधान न बनाया होता तो आदमी म तयाग सवा नता क

सदगण ही नही िखलत सब अमर होकर अिड़यल की तरह उलझ रहत रािऽ स अरणोदय अरणोदय स िफर मगलमयी रािऽ की अिनवायर आवयकता ह िवराट

की यह चणड बीड़ा तमह अपन िवराट ःवभाव म जगान क िलए आवयक ह मतय मान महायाऽा महाःथान महािनिा अतः जो मर गय ह उनकी याऽा मगलमय

हो आतमोननितद हो ऐसा िचनतन कर न िक अपन मोह और अजञान क कारण उनको भी भटकाए और खद भी परशान हो

कइयो की मतय बालयकाल म या यौवन म हो जाती ह जस मा न बचच को कपड़

पहनाए और नही जच उठा िलय िफर नय व ो स सजाया-धजाया अथवा यो कहो िक बचचा िखलौनो म रम जाता ह िखलौन नही छोड़ना चाहता परनत मगलमयी मा उस बलात उठा लती ह अपनी गोद म सलाती ह अपनी उमा सािननधय िवौािनत स उस प करक िफर नतन भात को उस खलन क िलए बीडागन म भज दती ह ऐस ही जीवातमा का बीडागन ससार ह अतः अनक शरीर बदलत हए अबदल की मगलमय याऽा करन क िलए जीवन और मतय को मगल िवधान समझकर ई र की हा म हा करत हए अपनी याऽा उननत कर

ॐॐॐ

ॐॐॐॐॐॐॐॐ

अनबम

िचतन पराग ई र का बनाया हआ त भल ही बना रह उसको िमथया समझ लन माऽ स का

बोध हो सकता ह साधक का काम त को िमथया समझन स ही चलता ह इचछाओ की ति का उपाय एक ही ह िक इचछाए तयाग दी जाए िजस िववकी न इस

जगत को सपन या इनिजाल क समान समझ िलया ह िजस दय न प म िदखन लगा ह वह दोषदश िववकी भला बताओ इसम अनराग कस कर

जञानी जागरण को सतय समझना छोड़ दन पर िफर पहल की भाित अनर नही होता

जञानी तयक वःत को अपना आतमा समझता ह मद की कलपना को बार-बार मन म लाना काम-वासना स म होन का सव म उपाय

बताया गया ह मद को पड़ हए दखकर मन घबरान लगता ह पिरणाम की कयो परवाह करत हो अपनी तनखवाह क बार म कभी िफब मत करो

अजञानी लोग समझत ह िक कायर की सफलता म कायर करन की अपकषा अिधक आननद ह इन अनधो को यह मालम ही नही ह िकसी पिरणाम स उतना सख नही िमलता िजतना काम करन स िमलता ह

अपन िवचारो को सदा वाःतिवक आतमा म रखो और पिरिःथितयो की परवाह मत करो तब तक आपकी हािन नही हो सकती जब तक िक आप ःवय उस नही बलात तलवार

तब तक नही काट सकती जब तक आप यह न सोच िक यह काटती ह ऐ पणर तर िलए कोई कतरवय या कायर शष नही ह सारी कित सास रोक तरी

सवा क िलए खड़ी ह ससार तरी पजा करन का अवसर पाकर अपन को कतकतय करना चाहता ह कया त कित की शि यो को अपन चरणो म झकन का अवसर दगा

अपन भीतर सतय क काश को सदा चमकता रखो भय और लोभन का शतान तमहार

पास नही फटकगा

बाहर की बातो म कछ भी नही मान अपमान अपना काम िकय जा िनिशिदन इसम ही सममान

दसर लोग तमहारी आलोचना िनदा करत हो उनह रोकन की च ा न करो कयोिक इनही

सब बातो क ारा तमम सदगणो की वि होगी जब तक तमहारा दय इतना दढ़ नही ह िक तम मख क बकन पर िःथर और शात बन रहो अथवा तमम इतनी सहनशीलता नही ह िक अजञानी मख को कषमा कर सको तब तक तम अपन को कही जञानी न समझ बठना

यिद तम शरीर और मन स ऊपर उठ जाओ तो सब िचनता और भयो स छट हो

जाओग िकसी भी आकिःमक दघरटना स धयर न छोड़ो कयोिक घबराहट स शि तथा बि का

नाश होता ह िकसी भी कार की किठनाइयो क आग दःिखत न होकर गमभीरतापवरक उनका सामना करो तभी तम िनःसनदह िवजय ा करोग तम कही भी हतोतसािहत होकर िनराश न होओ

ऐसी कौन-सी िवपि ह जो मरी सननता को न कर सकती ह वह कौन-सा रज ह जो

मर आननद म िव न डाल सकता ह म तो िव ाणड का भ ह म बि का भ ह िदमाग का मािलक ह और मन का शासक ह ससार मझम ह म ससार म नही आ सकता िव मझम ह म िव म नही बध

सकता सयर और नकषऽ मझम उदय और अःत होत ह दह और दिनया दोनो ई र क भीतर ह वही ई र म ह म िनिलर आतमा ह मरा जनम नही मतय नही म अजर-अमर ह म िचदाननद

आतमःव प ह म िमथया त िमथया धमर िमथया कमर िमथया और जगत िमथया और ऐसा तीत

होता ह िक म सवरःव ह म ही सवरजञ सवरगत आतमा ह अपना साकषी ह कदािप उन नाम पो म फसा नही ह

म िवश ह असखय ाणड मझम पड़ ह म असःपयर ह मरा ःव प िनिलर ह

मझ दःख स कोई भय नही ह मझ समय की जरा भी िचनता नही आतमाननद वाल को भय और आशका कसी

िकसी भी डर को अपन पास मत फटकन दो लोग यिद तमहार बराई करत ह तो तम उनह आशीवारद दो ऐस ःथान पर जाओ जहा

लोग तमस घणा कर तम तो म हो पहल स ही म हो सवरदा कहोः म सदा आननदःव प ह म

म ःवभाव ह म अननत ःव प ह मरी आतमा का आिद और अनत नही ह सभी मर आतमःव प ह

सननतापवरक अपमान सहन करन स और नता धारण करन स अिभमान की िनवि

होती ह िकसी पिवऽ ःथान पर जाओ तो वहा क अनशासन का पालन करो वहा चपपलो की

चटाक-पटाक आभषणो की खनखनाहट भड़कील व ो की फरफराहट आिद हमस न हो इसका परा धयान रखो कही भी िकसी क भी िच को या शात वातावरण को अशात करन का हम कोई अिधकार नही ह

अपन िकसी भी दःख या अशाित का कारण बाहर मत ढढो बाहर की पिरिःथितयो या

वयि यो को दोष मत दो कारण अपन भीतर ढढो िनद ष भाव स ढढोग तो कारण भीतर ही िमल जायगा उस दर करन की च ा करो शातिच रहन का यही बहमलय उपाय ह

जो आतम-अनशािसत ह व ही शासन कर सकत ह ऐसा करन क िलए नाम-जप कर

धयान कर िकसी आतमिन सत का पावन सािननधय ा कर सब तरह स िनभरय एव सनन बनन का यह ौ साधन ह

िवन बनो िनरहकारी बनो अपन आपको बड़ा बतान की च ा न करो िवनता एव

िनरािभमानता ही तमह बड़ा बनायगी िवनता मनय का बहत बड़ा भषण ह िनमरल दि रखो िकसी क दोष दखना यह बहत बड़ा दगरण ह िछिानवषी न बनो

दसरो क दोष दखना पाप अजरन करना ह गणमाही बनो

ॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐ

अनबम

  • मगलमय जीवन-मतय
  • मतय क परकार
  • मतय भी जीवन क समान आवशयक
  • सिकनदर न अमत कयो नही पिया
  • बिना मतय को जान जीवन जीवन नही
  • मतय किसकी होती ह
  • भगवान शरीराम और तारा
  • मतयः कवल वसतर परिवरतन
  • फकीरी मौतः आननदमय जीवन का दवारः
  • यमराज और नचिकताः
  • सचच सत मतय का रहसय समझात ह
  • मतयः एक विशरानति-सथानः
  • वासना की मतय क बाद परम विशरानति
  • धतराषटर का शोकः
  • घाटवाल बाबा का एक परसग
  • फकीरी मौत ही असली जीवन
    • फकीरी मौत कया ह
      • सकरात का अनभव
      • आधयातमविदयाः भारत की विशषताः
      • तीन परकार क लोगः
      • जञान को आय स कोई निसबत नही
      • योगसामरथयः एक परतयकष उदाहरण
      • योग भी साधना का आखिरी शिखर नही
      • गणातीत सत ही परम निरभयः
      • सतो का सनदशः
      • चितन पराग

िफर यह शरीर रह या न रह हमार आननद म कोई अनतर नही पड़ता उस आननदःव प अपन आतमदव को जानना-यही जीवन का परम कतरवय ह परनत इस परम कतरवय की ओर मनय का धयान जाता नही और छोटी-मोटी तचछ वि यो म ही अटका रह जाता ह

हम कही याऽा म िनकलत ह तो राःत क िलए िटिफन भरकर भोजन साथ ल लत ह

भोजन स भी अिधक महतव पानी का ह परनत उसक िलए सोच लत ह िक चलो ःटशन पर भर लग घर स पानी लकर चलन की िचनता नही करत पानी स भी यादा ज री हवा ह उसक िबना तो एक िमनट भी नही चलता िफर भी हवा का कोई िसलनडर भरकर साथ नही लत कयोिक हम सब जानत ह िक वह तो सवरऽ ह इसिलए हवा क िलए हम कोई िचनता नही करत

हवा स कम ज री पानी क िलए पानी स कम ज री भोजन क िलए हम यादा िचनता करत ह उसी कार अपन आननदःव प आतमा म जागन क परम कतरवय को छोड़कर कम महतव क ःथल शरीर क लालन पालन एव उसस सबिधत वयवहार को सभालन म ही हम लग रहत ह शरीर असत जड़ और दःख प ह उसको चलान वाला सआम भतो स िनिमरत सआम शरीर ह उसको भी चतन स ा दन वाला सत-िचत-आननदःव प आतमा ह इस आननद-ःव प आतमा को असत-जड़ दःख प और मरणधमार समझकर जीवनभर मौत क भय स भयभीत बन रहत ह

अनत परमातमा म न तो उतथान ह न पतन न जनम ह न मरण वहा तो सब एकरस

ह हम ही मोहवश अपना ससार खड़ा कर लत ह और एक दसर क साथ सबध बनाकर अपन को जानबझकर बधन म डाल दत ह

एक सत क पास एक स जन का पऽ आया उसम िलखा थाः ःवामी जी आपक

आशीवारद स हमार यहा पऽ का जनम हआ ह सत न उ र म उस िलखा िकः तम झठ बोलत हो िफर जब स जन सत क पास गया तब कहा िकः ःवामी जी म सच कहता ह मर यहा पऽ का जनम हआ ह इस पर सत न िफर स कहा िकः तम झठ बोलत हो यह सनकर उन स जन को बड़ा आ यर हआ वह िवःफािरत नऽो स सत की ओर दखन लगा तब सत न कहाः

पऽ का जनम नही हआ िपता का जनम हआ ह माता का जनम हआ ह काका-मामा

का जनम हआ ह पऽ को तो खबर ही नही ह िक मरा जनम हआ ह और म िकसी का पऽ भी ह परनत हम उस पर सार समबनध आरोिपत कर दत ह

वःततः पचभतो म कोई आकार बना ह उस पऽ का नाम द िदया समय आन पर यह आकार िबखर जायगा यह आकार बन उसम हषर और यह आकार िबखर जाय उसम शोक कसा भय कसा

िजस शरीर को हम म मानत ह उसकी कित तो दखो िपया तो था अमत जसा

मीठा जल और िनकाला मऽ प म गदा पानी खाय तो थ मोहनथाल दधपाक छपपन भोग पर बन गया सब िव ा प शरीर का सग करन पदाथर की ऐसी अवःथा बन जाती ह सत-िचत-आननदःव प आतमा भी अपन को भलकर शरीर क साथ एक होकर ःवय को म शरीर मान लती ह और दीन हीन एव दःखी बन जाती ह परनत जब वह अपन आपम जाग जाती ह तब अपन को दवो का दव अनभव करती ह

यिद हमन शरीर क साथ अहबि की तो हम म भय वया हो ही जायगा कयोिक शरीर

की मतय िनि त ह उसका पिरवतरन अवयभावी ह उसको तो ःवय ाजी भी नही रोक सकत परनत यिद हमन अपन आतमःव प को जान िलया ःव प म हमारी िन ा हो गई तो हम िनभरय हो गय कयोिक ःव प की मतय होती नही मौत भी उसस डरती ह

ःवामी अखणडाननद सरःवती एक बार रल क तीसर दज म याऽा कर रह थ व यह

जानना चाहत थ िक तीसर दज म लोगो ारा िकय जान वाल मान-अपमान का भाव उनक िदल पर होता ह िक नही आतमिनरीकषण स उनह पता चला िक भाव तो होता ह यह बात उनहोन ौी उिड़या बाबा को बतायी उिड़या बाबा न कहाः

तम बठत ही कचर क ढर पर हो आशा करत हो िक मझ पर कोई कचरा न फ क मझ

कचर की दगरनध न आव यह कस हो सकता ह तम बठत हो शरीर म और आशा रखत हो िक मान-अपमान का असर न हो ःवय को शरीर माना तो मान-अपमान सख-दःख होगा और जनम-मतय भी होगी

वदानत क रहःय को समझना यह कोई ि यो का काम नही ह ी अथारत कित क

शरीर क म मानकर जीनवाला एक बार राजा जनक िव ानो की सभा म बठ थ उस सभा म गाग आई वह िबलकल

िदगमबर (न न) थी ऐसी अवःथा म सभा म गाग का वश पिडतो को रचा नही इसिलए उनहोन नाक-भ िसकोड़ िलया परषो स भरी सभा म एक न न ी

गाग बोलीः ऐ पिडतो नाक भ कयो िसकोड़त हो

पिडतो न कहाः तम एक अबला ऐसी अवःथा म परषो की सभा म जो आई हो

गाग तरनत बोलीः कौन कहता ह िक म अबला ह म सबला ह अबला तो तम हो जो अपना रकषक बाहर ढढत हो म अपना रकषक आप ह म यह शरीर नही ह म तो सत -िचत-आननदःव प आतमा ह म अपन आपको जानती ह

िजसको जानकर गाग िनभरय बन गई थी उस आननदःव प अपन आतमदव को जो

जान लता ह उसी म िःथत हो जाता ह वह जीवन और मौत दोनो स पर दोनो का द ा बन जाता ह उस िफर कोई भय नही रहता वह सदव आननद म मःत रहता ह

मरो मरो सब कोई कह मरना न जान कोई एक बार ऐसा मरो िक िफर मरना न होई

मगलमय जीवन मगलमय िववाह मगलमय सबध उस परम मगल चतनय क कारण ही

हो सकत ह न िक शि शरीर क बा प-रग पर िवमोिहत होन स महाराज जी क पास आकर एक मिहला कहन लगीः मर पित ःवगरःथ हो गय ह

उनका िवयोग सहा नही जाता ऐसा कोई उपाय बताओ िक उनका िहत हो और मझ शाित िमल

दसरा एक वयि आया और बोलाः मरी प ी मझ अकला छोड़कर चल बसी ह

तीसर न कहाः मरा बटा ःवगरःथ हो गया ह उसकी मीठ याद आती ह मर मन म आता ह िक उसक पीछ म भी आतमहतया करक मर जाऊ बाबा जी शािनत का कछ उपाय बताइय

महाराज जी न कहाः ह भि मिहला पित की याद आय तो उनह खब आदरपवरक कहोः

मरणधमार शरीर म होत हए भी आप अमर थ शरीर क मरन पर भी आप नही मर दह न र ह आप शा त हो चतनय हो आप परम र का अिवनाशी अश हो जनम-मतय आपका धमर नही ह पाप-पणय आपका कमर नही ह आप अजर हो श ब हो हम परःपर पािथरव शरीर की ीित करक मोह म सड़ रह थ िवकारो म दब रह थ अब पािथरव शरीर की ीित स म होकर अपािथरव आतमा म िःथत हो जाओ

वह शादी बरबादी म बदल जाती ह िजसम एक दसर क शरीर को पयार करत ह वह

मगलमय शादी आबादी की ओर ल जाती ह जहा प ी पित को पित प ी को पऽ िपता को िपता पऽ को शरीर क प म नही अिपत शरीरो क आधार श चतनयःव प म दख परःपर अपन चतनयःव प की याद िदलाव और रणा द

ह भि मिहला अपन पित को याद करक उनक जीवातमा को यह रणा दो इसस

उनकी भी उननित होगी और तमहारी उननित होगी ऐसा िचनतन करो िकः ह चतनयःव प मर आतमन शरीर को पाच भत क पतल

को तयागन क बाद भी आपका अिःततव ह आप आतमा हो परम र हो अमर हो चतनय हो शा त हो

इसी कार अपनी प ी को और ःवगरःथ पऽ पिरवार को ःमरण करक उनको उननत

करो और आप भी उननत बनो जीत-जी भी परःपर इसी भाव स उननत करो मतय मगलमय हो जाय ऐसा वातावरण बनाओ

जो वयि मतय को ा हो चक ह उनक ौा ो क िदनो म तथा ःमरण क व उनह

सझाव दो िकः जनम-मतय तमहारा धमर नही था पाप-पणय तमहारा कमर नही था तम अजर

अिवनाशी िनलप शा त सनातन नारायण क अश हो अतः अपन परम र ःवभाव को सभालो ःमरण करो

अपन पित प ी पऽ का नाम लकर कहो िकः तम वही हो सचमच म वही हो जो

मरन क बाद भी नही मरता ॐॐॐ तम चतनय आतमा हो ॐॐॐ शा त परम र हो ॐॐॐ अिवनाशी परमातमा हो ॐॐॐ

पथवी पर क ःवपन तलय सबधो का ःमरण करक तम नीच न िगरो अिपत आतमा-

परमातमा क सबध को याद करत हए अपना ऐिहक जीवन मगलमय बनाओ ससार स कच करक जाओ उस समय तमहार कटमबी आतमा परमा तमा की एकता और अमरता तमहारी िनतयता और म ता का ःमरण तमह अत समय म करा द ऐसी वयवःथा करो

कोई चल बसन वाल हो या चल बस हो उनको याद करक उनकी ओर िदवय िवचार

अमर आतमा का सनदश भजो इस कार तम उ म सवा कर सकत हो और जीिवतो को जीवनदाता म जगा सकत हो दोनो इस कार परःपर सहायता करोग और पाओग

टिलफोन पर अपन दर क सबधी स हम जब बात करत ह तो उस यऽ म स आन वाली

धविन अपन सबधी की होती ह ऐस ही शरीर पी यऽो स जो कछ ःनह सातवना सहानभित म या काश हम पात ह वह भीतर वाल परम र का ही होता ह उनको या उनक िचऽो को

दखो तो उन िचऽो क पीछ खड़ उस शा त सतय को परम िमऽ को पयार करो और उनह भी याद िदलाओ िकः ह शा त आतमा ह परातन ह अिवनाशी नाशवान ससार और शरीर बदलत ह लिकन तम अबदल आतमा हो ॐॐॐ

बचपन बदल गया यौवन बदल गया बढ़ापा बदल गया शरीर बदल गया िफर

तम भी हो तम वह अमर आतमा हो िजस पर काल का भी कोई भाव नही चलता ह अकाल आतमा अपनी मिहमा म जागो इस कार क िवचार भजन स मगल करोग और मगल को पाओग जीवन मगलमय होन

लगगा मतको की मतय भी मगलमय हो जायगी मगल भवन अमगलहारी िवचारो को सदव एक दसर क ित सािरत करो ॐ आननद

आननद आननद रोत चीखत मोहमाया म पड़कर उनको याद करत हो तो उनका और अपना सतयानाश

करत हो उनको नीच िगरात हो उनकी आतमा को भटकात हो अपन को तचछ बनात हो अमागिलक िवचारो को कतई ःफिरत न होन दो सदव मगलमय िवचार हो जायगा मगलमय जीवन मतय भी मगलमय हो जायगी ॐ ॐ ॐ

ॐॐॐॐॐॐॐॐ जीवन और मतय आतमा-परमातमा को पान क दो पहल ह रात क बाद िदन िदन क

बाद रात होती ह इसी तरह जीवन और मतय चोल बदलत हए अनभवो स गजरत हए अपन आतमःव प को ःव प को पान क िलए मगलमयी अवःथा ह

िदन िजतना पयारा ह रात भी उतनी ही आवयक ह जीवन िजतना पयारा ह मतय भी

उतनी ही आवयक ह मतय मान आतमिशव क मिनदर म जान क िलए ऊची सीिढ़या मतय मान मा की गोद म बालक सो गया और उमा शि ताजगी ःफितर पाकर िफर सबह खलता ह मतय मान मा की गोद म थकान िमटान को जाना िफर नया तन ा करक अपनी मगलमय याऽा करना

त वदि स दखा जाय तो यह जीवन-मतय की याऽा कित म हो रही ह तमह

परमातमाःव प म जगान क िलए गीता म भगवान ौी कण कहत ह-

न जायत ियत वा कदािचननाय भतवा भिवता वा न भयः अजो िनतयः शा तोऽयपराणो न हनयत हनयमान शरीर

त वतः यह आतमा न कभी जनमता ह और न मरता ह न यह उतपनन होकर िफर होन

वाला ही ह यह जनमरिहत िनतय िनरनतर रहन वाला शा त और परातन अनािद ह शरीर क मार जान पर भी वह नही मारा जाता

(गीताः 220) शव की ःमशानयाऽा म मटका ल जात ह फोड़ दत ह यह याद िदलान क िलए िक दह

मानो मटका ह इस मगलमय मतय को पीछ िव ल होन की आवयकता नही ह यह मटका सवा करन क िलए िमला था जीणर-शीणर हआ टट गया िफर नया िमलगा मगलमय आतमा-परमातमा की ाि तक यह मगलमय जनम-मरण की याऽा तो चलती ही रहगी इसम िव ल होकर रोना-चीखना िनरा मोह ह अगर इस मोह को पोसा जाय और िकसी की मतय न हो तो ससार महा नरक हो जायगा माली अगर बगीच म काट-छाट न कर तो बगीचा बगीचा ही न रहगा अिपत भयानकर जगल हो जायगा

स ा न मतय का मगलमय िवधान न बनाया होता तो आदमी म तयाग सवा नता क

सदगण ही नही िखलत सब अमर होकर अिड़यल की तरह उलझ रहत रािऽ स अरणोदय अरणोदय स िफर मगलमयी रािऽ की अिनवायर आवयकता ह िवराट

की यह चणड बीड़ा तमह अपन िवराट ःवभाव म जगान क िलए आवयक ह मतय मान महायाऽा महाःथान महािनिा अतः जो मर गय ह उनकी याऽा मगलमय

हो आतमोननितद हो ऐसा िचनतन कर न िक अपन मोह और अजञान क कारण उनको भी भटकाए और खद भी परशान हो

कइयो की मतय बालयकाल म या यौवन म हो जाती ह जस मा न बचच को कपड़

पहनाए और नही जच उठा िलय िफर नय व ो स सजाया-धजाया अथवा यो कहो िक बचचा िखलौनो म रम जाता ह िखलौन नही छोड़ना चाहता परनत मगलमयी मा उस बलात उठा लती ह अपनी गोद म सलाती ह अपनी उमा सािननधय िवौािनत स उस प करक िफर नतन भात को उस खलन क िलए बीडागन म भज दती ह ऐस ही जीवातमा का बीडागन ससार ह अतः अनक शरीर बदलत हए अबदल की मगलमय याऽा करन क िलए जीवन और मतय को मगल िवधान समझकर ई र की हा म हा करत हए अपनी याऽा उननत कर

ॐॐॐ

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अनबम

िचतन पराग ई र का बनाया हआ त भल ही बना रह उसको िमथया समझ लन माऽ स का

बोध हो सकता ह साधक का काम त को िमथया समझन स ही चलता ह इचछाओ की ति का उपाय एक ही ह िक इचछाए तयाग दी जाए िजस िववकी न इस

जगत को सपन या इनिजाल क समान समझ िलया ह िजस दय न प म िदखन लगा ह वह दोषदश िववकी भला बताओ इसम अनराग कस कर

जञानी जागरण को सतय समझना छोड़ दन पर िफर पहल की भाित अनर नही होता

जञानी तयक वःत को अपना आतमा समझता ह मद की कलपना को बार-बार मन म लाना काम-वासना स म होन का सव म उपाय

बताया गया ह मद को पड़ हए दखकर मन घबरान लगता ह पिरणाम की कयो परवाह करत हो अपनी तनखवाह क बार म कभी िफब मत करो

अजञानी लोग समझत ह िक कायर की सफलता म कायर करन की अपकषा अिधक आननद ह इन अनधो को यह मालम ही नही ह िकसी पिरणाम स उतना सख नही िमलता िजतना काम करन स िमलता ह

अपन िवचारो को सदा वाःतिवक आतमा म रखो और पिरिःथितयो की परवाह मत करो तब तक आपकी हािन नही हो सकती जब तक िक आप ःवय उस नही बलात तलवार

तब तक नही काट सकती जब तक आप यह न सोच िक यह काटती ह ऐ पणर तर िलए कोई कतरवय या कायर शष नही ह सारी कित सास रोक तरी

सवा क िलए खड़ी ह ससार तरी पजा करन का अवसर पाकर अपन को कतकतय करना चाहता ह कया त कित की शि यो को अपन चरणो म झकन का अवसर दगा

अपन भीतर सतय क काश को सदा चमकता रखो भय और लोभन का शतान तमहार

पास नही फटकगा

बाहर की बातो म कछ भी नही मान अपमान अपना काम िकय जा िनिशिदन इसम ही सममान

दसर लोग तमहारी आलोचना िनदा करत हो उनह रोकन की च ा न करो कयोिक इनही

सब बातो क ारा तमम सदगणो की वि होगी जब तक तमहारा दय इतना दढ़ नही ह िक तम मख क बकन पर िःथर और शात बन रहो अथवा तमम इतनी सहनशीलता नही ह िक अजञानी मख को कषमा कर सको तब तक तम अपन को कही जञानी न समझ बठना

यिद तम शरीर और मन स ऊपर उठ जाओ तो सब िचनता और भयो स छट हो

जाओग िकसी भी आकिःमक दघरटना स धयर न छोड़ो कयोिक घबराहट स शि तथा बि का

नाश होता ह िकसी भी कार की किठनाइयो क आग दःिखत न होकर गमभीरतापवरक उनका सामना करो तभी तम िनःसनदह िवजय ा करोग तम कही भी हतोतसािहत होकर िनराश न होओ

ऐसी कौन-सी िवपि ह जो मरी सननता को न कर सकती ह वह कौन-सा रज ह जो

मर आननद म िव न डाल सकता ह म तो िव ाणड का भ ह म बि का भ ह िदमाग का मािलक ह और मन का शासक ह ससार मझम ह म ससार म नही आ सकता िव मझम ह म िव म नही बध

सकता सयर और नकषऽ मझम उदय और अःत होत ह दह और दिनया दोनो ई र क भीतर ह वही ई र म ह म िनिलर आतमा ह मरा जनम नही मतय नही म अजर-अमर ह म िचदाननद

आतमःव प ह म िमथया त िमथया धमर िमथया कमर िमथया और जगत िमथया और ऐसा तीत

होता ह िक म सवरःव ह म ही सवरजञ सवरगत आतमा ह अपना साकषी ह कदािप उन नाम पो म फसा नही ह

म िवश ह असखय ाणड मझम पड़ ह म असःपयर ह मरा ःव प िनिलर ह

मझ दःख स कोई भय नही ह मझ समय की जरा भी िचनता नही आतमाननद वाल को भय और आशका कसी

िकसी भी डर को अपन पास मत फटकन दो लोग यिद तमहार बराई करत ह तो तम उनह आशीवारद दो ऐस ःथान पर जाओ जहा

लोग तमस घणा कर तम तो म हो पहल स ही म हो सवरदा कहोः म सदा आननदःव प ह म

म ःवभाव ह म अननत ःव प ह मरी आतमा का आिद और अनत नही ह सभी मर आतमःव प ह

सननतापवरक अपमान सहन करन स और नता धारण करन स अिभमान की िनवि

होती ह िकसी पिवऽ ःथान पर जाओ तो वहा क अनशासन का पालन करो वहा चपपलो की

चटाक-पटाक आभषणो की खनखनाहट भड़कील व ो की फरफराहट आिद हमस न हो इसका परा धयान रखो कही भी िकसी क भी िच को या शात वातावरण को अशात करन का हम कोई अिधकार नही ह

अपन िकसी भी दःख या अशाित का कारण बाहर मत ढढो बाहर की पिरिःथितयो या

वयि यो को दोष मत दो कारण अपन भीतर ढढो िनद ष भाव स ढढोग तो कारण भीतर ही िमल जायगा उस दर करन की च ा करो शातिच रहन का यही बहमलय उपाय ह

जो आतम-अनशािसत ह व ही शासन कर सकत ह ऐसा करन क िलए नाम-जप कर

धयान कर िकसी आतमिन सत का पावन सािननधय ा कर सब तरह स िनभरय एव सनन बनन का यह ौ साधन ह

िवन बनो िनरहकारी बनो अपन आपको बड़ा बतान की च ा न करो िवनता एव

िनरािभमानता ही तमह बड़ा बनायगी िवनता मनय का बहत बड़ा भषण ह िनमरल दि रखो िकसी क दोष दखना यह बहत बड़ा दगरण ह िछिानवषी न बनो

दसरो क दोष दखना पाप अजरन करना ह गणमाही बनो

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अनबम

  • मगलमय जीवन-मतय
  • मतय क परकार
  • मतय भी जीवन क समान आवशयक
  • सिकनदर न अमत कयो नही पिया
  • बिना मतय को जान जीवन जीवन नही
  • मतय किसकी होती ह
  • भगवान शरीराम और तारा
  • मतयः कवल वसतर परिवरतन
  • फकीरी मौतः आननदमय जीवन का दवारः
  • यमराज और नचिकताः
  • सचच सत मतय का रहसय समझात ह
  • मतयः एक विशरानति-सथानः
  • वासना की मतय क बाद परम विशरानति
  • धतराषटर का शोकः
  • घाटवाल बाबा का एक परसग
  • फकीरी मौत ही असली जीवन
    • फकीरी मौत कया ह
      • सकरात का अनभव
      • आधयातमविदयाः भारत की विशषताः
      • तीन परकार क लोगः
      • जञान को आय स कोई निसबत नही
      • योगसामरथयः एक परतयकष उदाहरण
      • योग भी साधना का आखिरी शिखर नही
      • गणातीत सत ही परम निरभयः
      • सतो का सनदशः
      • चितन पराग

वःततः पचभतो म कोई आकार बना ह उस पऽ का नाम द िदया समय आन पर यह आकार िबखर जायगा यह आकार बन उसम हषर और यह आकार िबखर जाय उसम शोक कसा भय कसा

िजस शरीर को हम म मानत ह उसकी कित तो दखो िपया तो था अमत जसा

मीठा जल और िनकाला मऽ प म गदा पानी खाय तो थ मोहनथाल दधपाक छपपन भोग पर बन गया सब िव ा प शरीर का सग करन पदाथर की ऐसी अवःथा बन जाती ह सत-िचत-आननदःव प आतमा भी अपन को भलकर शरीर क साथ एक होकर ःवय को म शरीर मान लती ह और दीन हीन एव दःखी बन जाती ह परनत जब वह अपन आपम जाग जाती ह तब अपन को दवो का दव अनभव करती ह

यिद हमन शरीर क साथ अहबि की तो हम म भय वया हो ही जायगा कयोिक शरीर

की मतय िनि त ह उसका पिरवतरन अवयभावी ह उसको तो ःवय ाजी भी नही रोक सकत परनत यिद हमन अपन आतमःव प को जान िलया ःव प म हमारी िन ा हो गई तो हम िनभरय हो गय कयोिक ःव प की मतय होती नही मौत भी उसस डरती ह

ःवामी अखणडाननद सरःवती एक बार रल क तीसर दज म याऽा कर रह थ व यह

जानना चाहत थ िक तीसर दज म लोगो ारा िकय जान वाल मान-अपमान का भाव उनक िदल पर होता ह िक नही आतमिनरीकषण स उनह पता चला िक भाव तो होता ह यह बात उनहोन ौी उिड़या बाबा को बतायी उिड़या बाबा न कहाः

तम बठत ही कचर क ढर पर हो आशा करत हो िक मझ पर कोई कचरा न फ क मझ

कचर की दगरनध न आव यह कस हो सकता ह तम बठत हो शरीर म और आशा रखत हो िक मान-अपमान का असर न हो ःवय को शरीर माना तो मान-अपमान सख-दःख होगा और जनम-मतय भी होगी

वदानत क रहःय को समझना यह कोई ि यो का काम नही ह ी अथारत कित क

शरीर क म मानकर जीनवाला एक बार राजा जनक िव ानो की सभा म बठ थ उस सभा म गाग आई वह िबलकल

िदगमबर (न न) थी ऐसी अवःथा म सभा म गाग का वश पिडतो को रचा नही इसिलए उनहोन नाक-भ िसकोड़ िलया परषो स भरी सभा म एक न न ी

गाग बोलीः ऐ पिडतो नाक भ कयो िसकोड़त हो

पिडतो न कहाः तम एक अबला ऐसी अवःथा म परषो की सभा म जो आई हो

गाग तरनत बोलीः कौन कहता ह िक म अबला ह म सबला ह अबला तो तम हो जो अपना रकषक बाहर ढढत हो म अपना रकषक आप ह म यह शरीर नही ह म तो सत -िचत-आननदःव प आतमा ह म अपन आपको जानती ह

िजसको जानकर गाग िनभरय बन गई थी उस आननदःव प अपन आतमदव को जो

जान लता ह उसी म िःथत हो जाता ह वह जीवन और मौत दोनो स पर दोनो का द ा बन जाता ह उस िफर कोई भय नही रहता वह सदव आननद म मःत रहता ह

मरो मरो सब कोई कह मरना न जान कोई एक बार ऐसा मरो िक िफर मरना न होई

मगलमय जीवन मगलमय िववाह मगलमय सबध उस परम मगल चतनय क कारण ही

हो सकत ह न िक शि शरीर क बा प-रग पर िवमोिहत होन स महाराज जी क पास आकर एक मिहला कहन लगीः मर पित ःवगरःथ हो गय ह

उनका िवयोग सहा नही जाता ऐसा कोई उपाय बताओ िक उनका िहत हो और मझ शाित िमल

दसरा एक वयि आया और बोलाः मरी प ी मझ अकला छोड़कर चल बसी ह

तीसर न कहाः मरा बटा ःवगरःथ हो गया ह उसकी मीठ याद आती ह मर मन म आता ह िक उसक पीछ म भी आतमहतया करक मर जाऊ बाबा जी शािनत का कछ उपाय बताइय

महाराज जी न कहाः ह भि मिहला पित की याद आय तो उनह खब आदरपवरक कहोः

मरणधमार शरीर म होत हए भी आप अमर थ शरीर क मरन पर भी आप नही मर दह न र ह आप शा त हो चतनय हो आप परम र का अिवनाशी अश हो जनम-मतय आपका धमर नही ह पाप-पणय आपका कमर नही ह आप अजर हो श ब हो हम परःपर पािथरव शरीर की ीित करक मोह म सड़ रह थ िवकारो म दब रह थ अब पािथरव शरीर की ीित स म होकर अपािथरव आतमा म िःथत हो जाओ

वह शादी बरबादी म बदल जाती ह िजसम एक दसर क शरीर को पयार करत ह वह

मगलमय शादी आबादी की ओर ल जाती ह जहा प ी पित को पित प ी को पऽ िपता को िपता पऽ को शरीर क प म नही अिपत शरीरो क आधार श चतनयःव प म दख परःपर अपन चतनयःव प की याद िदलाव और रणा द

ह भि मिहला अपन पित को याद करक उनक जीवातमा को यह रणा दो इसस

उनकी भी उननित होगी और तमहारी उननित होगी ऐसा िचनतन करो िकः ह चतनयःव प मर आतमन शरीर को पाच भत क पतल

को तयागन क बाद भी आपका अिःततव ह आप आतमा हो परम र हो अमर हो चतनय हो शा त हो

इसी कार अपनी प ी को और ःवगरःथ पऽ पिरवार को ःमरण करक उनको उननत

करो और आप भी उननत बनो जीत-जी भी परःपर इसी भाव स उननत करो मतय मगलमय हो जाय ऐसा वातावरण बनाओ

जो वयि मतय को ा हो चक ह उनक ौा ो क िदनो म तथा ःमरण क व उनह

सझाव दो िकः जनम-मतय तमहारा धमर नही था पाप-पणय तमहारा कमर नही था तम अजर

अिवनाशी िनलप शा त सनातन नारायण क अश हो अतः अपन परम र ःवभाव को सभालो ःमरण करो

अपन पित प ी पऽ का नाम लकर कहो िकः तम वही हो सचमच म वही हो जो

मरन क बाद भी नही मरता ॐॐॐ तम चतनय आतमा हो ॐॐॐ शा त परम र हो ॐॐॐ अिवनाशी परमातमा हो ॐॐॐ

पथवी पर क ःवपन तलय सबधो का ःमरण करक तम नीच न िगरो अिपत आतमा-

परमातमा क सबध को याद करत हए अपना ऐिहक जीवन मगलमय बनाओ ससार स कच करक जाओ उस समय तमहार कटमबी आतमा परमा तमा की एकता और अमरता तमहारी िनतयता और म ता का ःमरण तमह अत समय म करा द ऐसी वयवःथा करो

कोई चल बसन वाल हो या चल बस हो उनको याद करक उनकी ओर िदवय िवचार

अमर आतमा का सनदश भजो इस कार तम उ म सवा कर सकत हो और जीिवतो को जीवनदाता म जगा सकत हो दोनो इस कार परःपर सहायता करोग और पाओग

टिलफोन पर अपन दर क सबधी स हम जब बात करत ह तो उस यऽ म स आन वाली

धविन अपन सबधी की होती ह ऐस ही शरीर पी यऽो स जो कछ ःनह सातवना सहानभित म या काश हम पात ह वह भीतर वाल परम र का ही होता ह उनको या उनक िचऽो को

दखो तो उन िचऽो क पीछ खड़ उस शा त सतय को परम िमऽ को पयार करो और उनह भी याद िदलाओ िकः ह शा त आतमा ह परातन ह अिवनाशी नाशवान ससार और शरीर बदलत ह लिकन तम अबदल आतमा हो ॐॐॐ

बचपन बदल गया यौवन बदल गया बढ़ापा बदल गया शरीर बदल गया िफर

तम भी हो तम वह अमर आतमा हो िजस पर काल का भी कोई भाव नही चलता ह अकाल आतमा अपनी मिहमा म जागो इस कार क िवचार भजन स मगल करोग और मगल को पाओग जीवन मगलमय होन

लगगा मतको की मतय भी मगलमय हो जायगी मगल भवन अमगलहारी िवचारो को सदव एक दसर क ित सािरत करो ॐ आननद

आननद आननद रोत चीखत मोहमाया म पड़कर उनको याद करत हो तो उनका और अपना सतयानाश

करत हो उनको नीच िगरात हो उनकी आतमा को भटकात हो अपन को तचछ बनात हो अमागिलक िवचारो को कतई ःफिरत न होन दो सदव मगलमय िवचार हो जायगा मगलमय जीवन मतय भी मगलमय हो जायगी ॐ ॐ ॐ

ॐॐॐॐॐॐॐॐ जीवन और मतय आतमा-परमातमा को पान क दो पहल ह रात क बाद िदन िदन क

बाद रात होती ह इसी तरह जीवन और मतय चोल बदलत हए अनभवो स गजरत हए अपन आतमःव प को ःव प को पान क िलए मगलमयी अवःथा ह

िदन िजतना पयारा ह रात भी उतनी ही आवयक ह जीवन िजतना पयारा ह मतय भी

उतनी ही आवयक ह मतय मान आतमिशव क मिनदर म जान क िलए ऊची सीिढ़या मतय मान मा की गोद म बालक सो गया और उमा शि ताजगी ःफितर पाकर िफर सबह खलता ह मतय मान मा की गोद म थकान िमटान को जाना िफर नया तन ा करक अपनी मगलमय याऽा करना

त वदि स दखा जाय तो यह जीवन-मतय की याऽा कित म हो रही ह तमह

परमातमाःव प म जगान क िलए गीता म भगवान ौी कण कहत ह-

न जायत ियत वा कदािचननाय भतवा भिवता वा न भयः अजो िनतयः शा तोऽयपराणो न हनयत हनयमान शरीर

त वतः यह आतमा न कभी जनमता ह और न मरता ह न यह उतपनन होकर िफर होन

वाला ही ह यह जनमरिहत िनतय िनरनतर रहन वाला शा त और परातन अनािद ह शरीर क मार जान पर भी वह नही मारा जाता

(गीताः 220) शव की ःमशानयाऽा म मटका ल जात ह फोड़ दत ह यह याद िदलान क िलए िक दह

मानो मटका ह इस मगलमय मतय को पीछ िव ल होन की आवयकता नही ह यह मटका सवा करन क िलए िमला था जीणर-शीणर हआ टट गया िफर नया िमलगा मगलमय आतमा-परमातमा की ाि तक यह मगलमय जनम-मरण की याऽा तो चलती ही रहगी इसम िव ल होकर रोना-चीखना िनरा मोह ह अगर इस मोह को पोसा जाय और िकसी की मतय न हो तो ससार महा नरक हो जायगा माली अगर बगीच म काट-छाट न कर तो बगीचा बगीचा ही न रहगा अिपत भयानकर जगल हो जायगा

स ा न मतय का मगलमय िवधान न बनाया होता तो आदमी म तयाग सवा नता क

सदगण ही नही िखलत सब अमर होकर अिड़यल की तरह उलझ रहत रािऽ स अरणोदय अरणोदय स िफर मगलमयी रािऽ की अिनवायर आवयकता ह िवराट

की यह चणड बीड़ा तमह अपन िवराट ःवभाव म जगान क िलए आवयक ह मतय मान महायाऽा महाःथान महािनिा अतः जो मर गय ह उनकी याऽा मगलमय

हो आतमोननितद हो ऐसा िचनतन कर न िक अपन मोह और अजञान क कारण उनको भी भटकाए और खद भी परशान हो

कइयो की मतय बालयकाल म या यौवन म हो जाती ह जस मा न बचच को कपड़

पहनाए और नही जच उठा िलय िफर नय व ो स सजाया-धजाया अथवा यो कहो िक बचचा िखलौनो म रम जाता ह िखलौन नही छोड़ना चाहता परनत मगलमयी मा उस बलात उठा लती ह अपनी गोद म सलाती ह अपनी उमा सािननधय िवौािनत स उस प करक िफर नतन भात को उस खलन क िलए बीडागन म भज दती ह ऐस ही जीवातमा का बीडागन ससार ह अतः अनक शरीर बदलत हए अबदल की मगलमय याऽा करन क िलए जीवन और मतय को मगल िवधान समझकर ई र की हा म हा करत हए अपनी याऽा उननत कर

ॐॐॐ

ॐॐॐॐॐॐॐॐ

अनबम

िचतन पराग ई र का बनाया हआ त भल ही बना रह उसको िमथया समझ लन माऽ स का

बोध हो सकता ह साधक का काम त को िमथया समझन स ही चलता ह इचछाओ की ति का उपाय एक ही ह िक इचछाए तयाग दी जाए िजस िववकी न इस

जगत को सपन या इनिजाल क समान समझ िलया ह िजस दय न प म िदखन लगा ह वह दोषदश िववकी भला बताओ इसम अनराग कस कर

जञानी जागरण को सतय समझना छोड़ दन पर िफर पहल की भाित अनर नही होता

जञानी तयक वःत को अपना आतमा समझता ह मद की कलपना को बार-बार मन म लाना काम-वासना स म होन का सव म उपाय

बताया गया ह मद को पड़ हए दखकर मन घबरान लगता ह पिरणाम की कयो परवाह करत हो अपनी तनखवाह क बार म कभी िफब मत करो

अजञानी लोग समझत ह िक कायर की सफलता म कायर करन की अपकषा अिधक आननद ह इन अनधो को यह मालम ही नही ह िकसी पिरणाम स उतना सख नही िमलता िजतना काम करन स िमलता ह

अपन िवचारो को सदा वाःतिवक आतमा म रखो और पिरिःथितयो की परवाह मत करो तब तक आपकी हािन नही हो सकती जब तक िक आप ःवय उस नही बलात तलवार

तब तक नही काट सकती जब तक आप यह न सोच िक यह काटती ह ऐ पणर तर िलए कोई कतरवय या कायर शष नही ह सारी कित सास रोक तरी

सवा क िलए खड़ी ह ससार तरी पजा करन का अवसर पाकर अपन को कतकतय करना चाहता ह कया त कित की शि यो को अपन चरणो म झकन का अवसर दगा

अपन भीतर सतय क काश को सदा चमकता रखो भय और लोभन का शतान तमहार

पास नही फटकगा

बाहर की बातो म कछ भी नही मान अपमान अपना काम िकय जा िनिशिदन इसम ही सममान

दसर लोग तमहारी आलोचना िनदा करत हो उनह रोकन की च ा न करो कयोिक इनही

सब बातो क ारा तमम सदगणो की वि होगी जब तक तमहारा दय इतना दढ़ नही ह िक तम मख क बकन पर िःथर और शात बन रहो अथवा तमम इतनी सहनशीलता नही ह िक अजञानी मख को कषमा कर सको तब तक तम अपन को कही जञानी न समझ बठना

यिद तम शरीर और मन स ऊपर उठ जाओ तो सब िचनता और भयो स छट हो

जाओग िकसी भी आकिःमक दघरटना स धयर न छोड़ो कयोिक घबराहट स शि तथा बि का

नाश होता ह िकसी भी कार की किठनाइयो क आग दःिखत न होकर गमभीरतापवरक उनका सामना करो तभी तम िनःसनदह िवजय ा करोग तम कही भी हतोतसािहत होकर िनराश न होओ

ऐसी कौन-सी िवपि ह जो मरी सननता को न कर सकती ह वह कौन-सा रज ह जो

मर आननद म िव न डाल सकता ह म तो िव ाणड का भ ह म बि का भ ह िदमाग का मािलक ह और मन का शासक ह ससार मझम ह म ससार म नही आ सकता िव मझम ह म िव म नही बध

सकता सयर और नकषऽ मझम उदय और अःत होत ह दह और दिनया दोनो ई र क भीतर ह वही ई र म ह म िनिलर आतमा ह मरा जनम नही मतय नही म अजर-अमर ह म िचदाननद

आतमःव प ह म िमथया त िमथया धमर िमथया कमर िमथया और जगत िमथया और ऐसा तीत

होता ह िक म सवरःव ह म ही सवरजञ सवरगत आतमा ह अपना साकषी ह कदािप उन नाम पो म फसा नही ह

म िवश ह असखय ाणड मझम पड़ ह म असःपयर ह मरा ःव प िनिलर ह

मझ दःख स कोई भय नही ह मझ समय की जरा भी िचनता नही आतमाननद वाल को भय और आशका कसी

िकसी भी डर को अपन पास मत फटकन दो लोग यिद तमहार बराई करत ह तो तम उनह आशीवारद दो ऐस ःथान पर जाओ जहा

लोग तमस घणा कर तम तो म हो पहल स ही म हो सवरदा कहोः म सदा आननदःव प ह म

म ःवभाव ह म अननत ःव प ह मरी आतमा का आिद और अनत नही ह सभी मर आतमःव प ह

सननतापवरक अपमान सहन करन स और नता धारण करन स अिभमान की िनवि

होती ह िकसी पिवऽ ःथान पर जाओ तो वहा क अनशासन का पालन करो वहा चपपलो की

चटाक-पटाक आभषणो की खनखनाहट भड़कील व ो की फरफराहट आिद हमस न हो इसका परा धयान रखो कही भी िकसी क भी िच को या शात वातावरण को अशात करन का हम कोई अिधकार नही ह

अपन िकसी भी दःख या अशाित का कारण बाहर मत ढढो बाहर की पिरिःथितयो या

वयि यो को दोष मत दो कारण अपन भीतर ढढो िनद ष भाव स ढढोग तो कारण भीतर ही िमल जायगा उस दर करन की च ा करो शातिच रहन का यही बहमलय उपाय ह

जो आतम-अनशािसत ह व ही शासन कर सकत ह ऐसा करन क िलए नाम-जप कर

धयान कर िकसी आतमिन सत का पावन सािननधय ा कर सब तरह स िनभरय एव सनन बनन का यह ौ साधन ह

िवन बनो िनरहकारी बनो अपन आपको बड़ा बतान की च ा न करो िवनता एव

िनरािभमानता ही तमह बड़ा बनायगी िवनता मनय का बहत बड़ा भषण ह िनमरल दि रखो िकसी क दोष दखना यह बहत बड़ा दगरण ह िछिानवषी न बनो

दसरो क दोष दखना पाप अजरन करना ह गणमाही बनो

ॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐ

अनबम

  • मगलमय जीवन-मतय
  • मतय क परकार
  • मतय भी जीवन क समान आवशयक
  • सिकनदर न अमत कयो नही पिया
  • बिना मतय को जान जीवन जीवन नही
  • मतय किसकी होती ह
  • भगवान शरीराम और तारा
  • मतयः कवल वसतर परिवरतन
  • फकीरी मौतः आननदमय जीवन का दवारः
  • यमराज और नचिकताः
  • सचच सत मतय का रहसय समझात ह
  • मतयः एक विशरानति-सथानः
  • वासना की मतय क बाद परम विशरानति
  • धतराषटर का शोकः
  • घाटवाल बाबा का एक परसग
  • फकीरी मौत ही असली जीवन
    • फकीरी मौत कया ह
      • सकरात का अनभव
      • आधयातमविदयाः भारत की विशषताः
      • तीन परकार क लोगः
      • जञान को आय स कोई निसबत नही
      • योगसामरथयः एक परतयकष उदाहरण
      • योग भी साधना का आखिरी शिखर नही
      • गणातीत सत ही परम निरभयः
      • सतो का सनदशः
      • चितन पराग

पिडतो न कहाः तम एक अबला ऐसी अवःथा म परषो की सभा म जो आई हो

गाग तरनत बोलीः कौन कहता ह िक म अबला ह म सबला ह अबला तो तम हो जो अपना रकषक बाहर ढढत हो म अपना रकषक आप ह म यह शरीर नही ह म तो सत -िचत-आननदःव प आतमा ह म अपन आपको जानती ह

िजसको जानकर गाग िनभरय बन गई थी उस आननदःव प अपन आतमदव को जो

जान लता ह उसी म िःथत हो जाता ह वह जीवन और मौत दोनो स पर दोनो का द ा बन जाता ह उस िफर कोई भय नही रहता वह सदव आननद म मःत रहता ह

मरो मरो सब कोई कह मरना न जान कोई एक बार ऐसा मरो िक िफर मरना न होई

मगलमय जीवन मगलमय िववाह मगलमय सबध उस परम मगल चतनय क कारण ही

हो सकत ह न िक शि शरीर क बा प-रग पर िवमोिहत होन स महाराज जी क पास आकर एक मिहला कहन लगीः मर पित ःवगरःथ हो गय ह

उनका िवयोग सहा नही जाता ऐसा कोई उपाय बताओ िक उनका िहत हो और मझ शाित िमल

दसरा एक वयि आया और बोलाः मरी प ी मझ अकला छोड़कर चल बसी ह

तीसर न कहाः मरा बटा ःवगरःथ हो गया ह उसकी मीठ याद आती ह मर मन म आता ह िक उसक पीछ म भी आतमहतया करक मर जाऊ बाबा जी शािनत का कछ उपाय बताइय

महाराज जी न कहाः ह भि मिहला पित की याद आय तो उनह खब आदरपवरक कहोः

मरणधमार शरीर म होत हए भी आप अमर थ शरीर क मरन पर भी आप नही मर दह न र ह आप शा त हो चतनय हो आप परम र का अिवनाशी अश हो जनम-मतय आपका धमर नही ह पाप-पणय आपका कमर नही ह आप अजर हो श ब हो हम परःपर पािथरव शरीर की ीित करक मोह म सड़ रह थ िवकारो म दब रह थ अब पािथरव शरीर की ीित स म होकर अपािथरव आतमा म िःथत हो जाओ

वह शादी बरबादी म बदल जाती ह िजसम एक दसर क शरीर को पयार करत ह वह

मगलमय शादी आबादी की ओर ल जाती ह जहा प ी पित को पित प ी को पऽ िपता को िपता पऽ को शरीर क प म नही अिपत शरीरो क आधार श चतनयःव प म दख परःपर अपन चतनयःव प की याद िदलाव और रणा द

ह भि मिहला अपन पित को याद करक उनक जीवातमा को यह रणा दो इसस

उनकी भी उननित होगी और तमहारी उननित होगी ऐसा िचनतन करो िकः ह चतनयःव प मर आतमन शरीर को पाच भत क पतल

को तयागन क बाद भी आपका अिःततव ह आप आतमा हो परम र हो अमर हो चतनय हो शा त हो

इसी कार अपनी प ी को और ःवगरःथ पऽ पिरवार को ःमरण करक उनको उननत

करो और आप भी उननत बनो जीत-जी भी परःपर इसी भाव स उननत करो मतय मगलमय हो जाय ऐसा वातावरण बनाओ

जो वयि मतय को ा हो चक ह उनक ौा ो क िदनो म तथा ःमरण क व उनह

सझाव दो िकः जनम-मतय तमहारा धमर नही था पाप-पणय तमहारा कमर नही था तम अजर

अिवनाशी िनलप शा त सनातन नारायण क अश हो अतः अपन परम र ःवभाव को सभालो ःमरण करो

अपन पित प ी पऽ का नाम लकर कहो िकः तम वही हो सचमच म वही हो जो

मरन क बाद भी नही मरता ॐॐॐ तम चतनय आतमा हो ॐॐॐ शा त परम र हो ॐॐॐ अिवनाशी परमातमा हो ॐॐॐ

पथवी पर क ःवपन तलय सबधो का ःमरण करक तम नीच न िगरो अिपत आतमा-

परमातमा क सबध को याद करत हए अपना ऐिहक जीवन मगलमय बनाओ ससार स कच करक जाओ उस समय तमहार कटमबी आतमा परमा तमा की एकता और अमरता तमहारी िनतयता और म ता का ःमरण तमह अत समय म करा द ऐसी वयवःथा करो

कोई चल बसन वाल हो या चल बस हो उनको याद करक उनकी ओर िदवय िवचार

अमर आतमा का सनदश भजो इस कार तम उ म सवा कर सकत हो और जीिवतो को जीवनदाता म जगा सकत हो दोनो इस कार परःपर सहायता करोग और पाओग

टिलफोन पर अपन दर क सबधी स हम जब बात करत ह तो उस यऽ म स आन वाली

धविन अपन सबधी की होती ह ऐस ही शरीर पी यऽो स जो कछ ःनह सातवना सहानभित म या काश हम पात ह वह भीतर वाल परम र का ही होता ह उनको या उनक िचऽो को

दखो तो उन िचऽो क पीछ खड़ उस शा त सतय को परम िमऽ को पयार करो और उनह भी याद िदलाओ िकः ह शा त आतमा ह परातन ह अिवनाशी नाशवान ससार और शरीर बदलत ह लिकन तम अबदल आतमा हो ॐॐॐ

बचपन बदल गया यौवन बदल गया बढ़ापा बदल गया शरीर बदल गया िफर

तम भी हो तम वह अमर आतमा हो िजस पर काल का भी कोई भाव नही चलता ह अकाल आतमा अपनी मिहमा म जागो इस कार क िवचार भजन स मगल करोग और मगल को पाओग जीवन मगलमय होन

लगगा मतको की मतय भी मगलमय हो जायगी मगल भवन अमगलहारी िवचारो को सदव एक दसर क ित सािरत करो ॐ आननद

आननद आननद रोत चीखत मोहमाया म पड़कर उनको याद करत हो तो उनका और अपना सतयानाश

करत हो उनको नीच िगरात हो उनकी आतमा को भटकात हो अपन को तचछ बनात हो अमागिलक िवचारो को कतई ःफिरत न होन दो सदव मगलमय िवचार हो जायगा मगलमय जीवन मतय भी मगलमय हो जायगी ॐ ॐ ॐ

ॐॐॐॐॐॐॐॐ जीवन और मतय आतमा-परमातमा को पान क दो पहल ह रात क बाद िदन िदन क

बाद रात होती ह इसी तरह जीवन और मतय चोल बदलत हए अनभवो स गजरत हए अपन आतमःव प को ःव प को पान क िलए मगलमयी अवःथा ह

िदन िजतना पयारा ह रात भी उतनी ही आवयक ह जीवन िजतना पयारा ह मतय भी

उतनी ही आवयक ह मतय मान आतमिशव क मिनदर म जान क िलए ऊची सीिढ़या मतय मान मा की गोद म बालक सो गया और उमा शि ताजगी ःफितर पाकर िफर सबह खलता ह मतय मान मा की गोद म थकान िमटान को जाना िफर नया तन ा करक अपनी मगलमय याऽा करना

त वदि स दखा जाय तो यह जीवन-मतय की याऽा कित म हो रही ह तमह

परमातमाःव प म जगान क िलए गीता म भगवान ौी कण कहत ह-

न जायत ियत वा कदािचननाय भतवा भिवता वा न भयः अजो िनतयः शा तोऽयपराणो न हनयत हनयमान शरीर

त वतः यह आतमा न कभी जनमता ह और न मरता ह न यह उतपनन होकर िफर होन

वाला ही ह यह जनमरिहत िनतय िनरनतर रहन वाला शा त और परातन अनािद ह शरीर क मार जान पर भी वह नही मारा जाता

(गीताः 220) शव की ःमशानयाऽा म मटका ल जात ह फोड़ दत ह यह याद िदलान क िलए िक दह

मानो मटका ह इस मगलमय मतय को पीछ िव ल होन की आवयकता नही ह यह मटका सवा करन क िलए िमला था जीणर-शीणर हआ टट गया िफर नया िमलगा मगलमय आतमा-परमातमा की ाि तक यह मगलमय जनम-मरण की याऽा तो चलती ही रहगी इसम िव ल होकर रोना-चीखना िनरा मोह ह अगर इस मोह को पोसा जाय और िकसी की मतय न हो तो ससार महा नरक हो जायगा माली अगर बगीच म काट-छाट न कर तो बगीचा बगीचा ही न रहगा अिपत भयानकर जगल हो जायगा

स ा न मतय का मगलमय िवधान न बनाया होता तो आदमी म तयाग सवा नता क

सदगण ही नही िखलत सब अमर होकर अिड़यल की तरह उलझ रहत रािऽ स अरणोदय अरणोदय स िफर मगलमयी रािऽ की अिनवायर आवयकता ह िवराट

की यह चणड बीड़ा तमह अपन िवराट ःवभाव म जगान क िलए आवयक ह मतय मान महायाऽा महाःथान महािनिा अतः जो मर गय ह उनकी याऽा मगलमय

हो आतमोननितद हो ऐसा िचनतन कर न िक अपन मोह और अजञान क कारण उनको भी भटकाए और खद भी परशान हो

कइयो की मतय बालयकाल म या यौवन म हो जाती ह जस मा न बचच को कपड़

पहनाए और नही जच उठा िलय िफर नय व ो स सजाया-धजाया अथवा यो कहो िक बचचा िखलौनो म रम जाता ह िखलौन नही छोड़ना चाहता परनत मगलमयी मा उस बलात उठा लती ह अपनी गोद म सलाती ह अपनी उमा सािननधय िवौािनत स उस प करक िफर नतन भात को उस खलन क िलए बीडागन म भज दती ह ऐस ही जीवातमा का बीडागन ससार ह अतः अनक शरीर बदलत हए अबदल की मगलमय याऽा करन क िलए जीवन और मतय को मगल िवधान समझकर ई र की हा म हा करत हए अपनी याऽा उननत कर

ॐॐॐ

ॐॐॐॐॐॐॐॐ

अनबम

िचतन पराग ई र का बनाया हआ त भल ही बना रह उसको िमथया समझ लन माऽ स का

बोध हो सकता ह साधक का काम त को िमथया समझन स ही चलता ह इचछाओ की ति का उपाय एक ही ह िक इचछाए तयाग दी जाए िजस िववकी न इस

जगत को सपन या इनिजाल क समान समझ िलया ह िजस दय न प म िदखन लगा ह वह दोषदश िववकी भला बताओ इसम अनराग कस कर

जञानी जागरण को सतय समझना छोड़ दन पर िफर पहल की भाित अनर नही होता

जञानी तयक वःत को अपना आतमा समझता ह मद की कलपना को बार-बार मन म लाना काम-वासना स म होन का सव म उपाय

बताया गया ह मद को पड़ हए दखकर मन घबरान लगता ह पिरणाम की कयो परवाह करत हो अपनी तनखवाह क बार म कभी िफब मत करो

अजञानी लोग समझत ह िक कायर की सफलता म कायर करन की अपकषा अिधक आननद ह इन अनधो को यह मालम ही नही ह िकसी पिरणाम स उतना सख नही िमलता िजतना काम करन स िमलता ह

अपन िवचारो को सदा वाःतिवक आतमा म रखो और पिरिःथितयो की परवाह मत करो तब तक आपकी हािन नही हो सकती जब तक िक आप ःवय उस नही बलात तलवार

तब तक नही काट सकती जब तक आप यह न सोच िक यह काटती ह ऐ पणर तर िलए कोई कतरवय या कायर शष नही ह सारी कित सास रोक तरी

सवा क िलए खड़ी ह ससार तरी पजा करन का अवसर पाकर अपन को कतकतय करना चाहता ह कया त कित की शि यो को अपन चरणो म झकन का अवसर दगा

अपन भीतर सतय क काश को सदा चमकता रखो भय और लोभन का शतान तमहार

पास नही फटकगा

बाहर की बातो म कछ भी नही मान अपमान अपना काम िकय जा िनिशिदन इसम ही सममान

दसर लोग तमहारी आलोचना िनदा करत हो उनह रोकन की च ा न करो कयोिक इनही

सब बातो क ारा तमम सदगणो की वि होगी जब तक तमहारा दय इतना दढ़ नही ह िक तम मख क बकन पर िःथर और शात बन रहो अथवा तमम इतनी सहनशीलता नही ह िक अजञानी मख को कषमा कर सको तब तक तम अपन को कही जञानी न समझ बठना

यिद तम शरीर और मन स ऊपर उठ जाओ तो सब िचनता और भयो स छट हो

जाओग िकसी भी आकिःमक दघरटना स धयर न छोड़ो कयोिक घबराहट स शि तथा बि का

नाश होता ह िकसी भी कार की किठनाइयो क आग दःिखत न होकर गमभीरतापवरक उनका सामना करो तभी तम िनःसनदह िवजय ा करोग तम कही भी हतोतसािहत होकर िनराश न होओ

ऐसी कौन-सी िवपि ह जो मरी सननता को न कर सकती ह वह कौन-सा रज ह जो

मर आननद म िव न डाल सकता ह म तो िव ाणड का भ ह म बि का भ ह िदमाग का मािलक ह और मन का शासक ह ससार मझम ह म ससार म नही आ सकता िव मझम ह म िव म नही बध

सकता सयर और नकषऽ मझम उदय और अःत होत ह दह और दिनया दोनो ई र क भीतर ह वही ई र म ह म िनिलर आतमा ह मरा जनम नही मतय नही म अजर-अमर ह म िचदाननद

आतमःव प ह म िमथया त िमथया धमर िमथया कमर िमथया और जगत िमथया और ऐसा तीत

होता ह िक म सवरःव ह म ही सवरजञ सवरगत आतमा ह अपना साकषी ह कदािप उन नाम पो म फसा नही ह

म िवश ह असखय ाणड मझम पड़ ह म असःपयर ह मरा ःव प िनिलर ह

मझ दःख स कोई भय नही ह मझ समय की जरा भी िचनता नही आतमाननद वाल को भय और आशका कसी

िकसी भी डर को अपन पास मत फटकन दो लोग यिद तमहार बराई करत ह तो तम उनह आशीवारद दो ऐस ःथान पर जाओ जहा

लोग तमस घणा कर तम तो म हो पहल स ही म हो सवरदा कहोः म सदा आननदःव प ह म

म ःवभाव ह म अननत ःव प ह मरी आतमा का आिद और अनत नही ह सभी मर आतमःव प ह

सननतापवरक अपमान सहन करन स और नता धारण करन स अिभमान की िनवि

होती ह िकसी पिवऽ ःथान पर जाओ तो वहा क अनशासन का पालन करो वहा चपपलो की

चटाक-पटाक आभषणो की खनखनाहट भड़कील व ो की फरफराहट आिद हमस न हो इसका परा धयान रखो कही भी िकसी क भी िच को या शात वातावरण को अशात करन का हम कोई अिधकार नही ह

अपन िकसी भी दःख या अशाित का कारण बाहर मत ढढो बाहर की पिरिःथितयो या

वयि यो को दोष मत दो कारण अपन भीतर ढढो िनद ष भाव स ढढोग तो कारण भीतर ही िमल जायगा उस दर करन की च ा करो शातिच रहन का यही बहमलय उपाय ह

जो आतम-अनशािसत ह व ही शासन कर सकत ह ऐसा करन क िलए नाम-जप कर

धयान कर िकसी आतमिन सत का पावन सािननधय ा कर सब तरह स िनभरय एव सनन बनन का यह ौ साधन ह

िवन बनो िनरहकारी बनो अपन आपको बड़ा बतान की च ा न करो िवनता एव

िनरािभमानता ही तमह बड़ा बनायगी िवनता मनय का बहत बड़ा भषण ह िनमरल दि रखो िकसी क दोष दखना यह बहत बड़ा दगरण ह िछिानवषी न बनो

दसरो क दोष दखना पाप अजरन करना ह गणमाही बनो

ॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐ

अनबम

  • मगलमय जीवन-मतय
  • मतय क परकार
  • मतय भी जीवन क समान आवशयक
  • सिकनदर न अमत कयो नही पिया
  • बिना मतय को जान जीवन जीवन नही
  • मतय किसकी होती ह
  • भगवान शरीराम और तारा
  • मतयः कवल वसतर परिवरतन
  • फकीरी मौतः आननदमय जीवन का दवारः
  • यमराज और नचिकताः
  • सचच सत मतय का रहसय समझात ह
  • मतयः एक विशरानति-सथानः
  • वासना की मतय क बाद परम विशरानति
  • धतराषटर का शोकः
  • घाटवाल बाबा का एक परसग
  • फकीरी मौत ही असली जीवन
    • फकीरी मौत कया ह
      • सकरात का अनभव
      • आधयातमविदयाः भारत की विशषताः
      • तीन परकार क लोगः
      • जञान को आय स कोई निसबत नही
      • योगसामरथयः एक परतयकष उदाहरण
      • योग भी साधना का आखिरी शिखर नही
      • गणातीत सत ही परम निरभयः
      • सतो का सनदशः
      • चितन पराग

ह भि मिहला अपन पित को याद करक उनक जीवातमा को यह रणा दो इसस

उनकी भी उननित होगी और तमहारी उननित होगी ऐसा िचनतन करो िकः ह चतनयःव प मर आतमन शरीर को पाच भत क पतल

को तयागन क बाद भी आपका अिःततव ह आप आतमा हो परम र हो अमर हो चतनय हो शा त हो

इसी कार अपनी प ी को और ःवगरःथ पऽ पिरवार को ःमरण करक उनको उननत

करो और आप भी उननत बनो जीत-जी भी परःपर इसी भाव स उननत करो मतय मगलमय हो जाय ऐसा वातावरण बनाओ

जो वयि मतय को ा हो चक ह उनक ौा ो क िदनो म तथा ःमरण क व उनह

सझाव दो िकः जनम-मतय तमहारा धमर नही था पाप-पणय तमहारा कमर नही था तम अजर

अिवनाशी िनलप शा त सनातन नारायण क अश हो अतः अपन परम र ःवभाव को सभालो ःमरण करो

अपन पित प ी पऽ का नाम लकर कहो िकः तम वही हो सचमच म वही हो जो

मरन क बाद भी नही मरता ॐॐॐ तम चतनय आतमा हो ॐॐॐ शा त परम र हो ॐॐॐ अिवनाशी परमातमा हो ॐॐॐ

पथवी पर क ःवपन तलय सबधो का ःमरण करक तम नीच न िगरो अिपत आतमा-

परमातमा क सबध को याद करत हए अपना ऐिहक जीवन मगलमय बनाओ ससार स कच करक जाओ उस समय तमहार कटमबी आतमा परमा तमा की एकता और अमरता तमहारी िनतयता और म ता का ःमरण तमह अत समय म करा द ऐसी वयवःथा करो

कोई चल बसन वाल हो या चल बस हो उनको याद करक उनकी ओर िदवय िवचार

अमर आतमा का सनदश भजो इस कार तम उ म सवा कर सकत हो और जीिवतो को जीवनदाता म जगा सकत हो दोनो इस कार परःपर सहायता करोग और पाओग

टिलफोन पर अपन दर क सबधी स हम जब बात करत ह तो उस यऽ म स आन वाली

धविन अपन सबधी की होती ह ऐस ही शरीर पी यऽो स जो कछ ःनह सातवना सहानभित म या काश हम पात ह वह भीतर वाल परम र का ही होता ह उनको या उनक िचऽो को

दखो तो उन िचऽो क पीछ खड़ उस शा त सतय को परम िमऽ को पयार करो और उनह भी याद िदलाओ िकः ह शा त आतमा ह परातन ह अिवनाशी नाशवान ससार और शरीर बदलत ह लिकन तम अबदल आतमा हो ॐॐॐ

बचपन बदल गया यौवन बदल गया बढ़ापा बदल गया शरीर बदल गया िफर

तम भी हो तम वह अमर आतमा हो िजस पर काल का भी कोई भाव नही चलता ह अकाल आतमा अपनी मिहमा म जागो इस कार क िवचार भजन स मगल करोग और मगल को पाओग जीवन मगलमय होन

लगगा मतको की मतय भी मगलमय हो जायगी मगल भवन अमगलहारी िवचारो को सदव एक दसर क ित सािरत करो ॐ आननद

आननद आननद रोत चीखत मोहमाया म पड़कर उनको याद करत हो तो उनका और अपना सतयानाश

करत हो उनको नीच िगरात हो उनकी आतमा को भटकात हो अपन को तचछ बनात हो अमागिलक िवचारो को कतई ःफिरत न होन दो सदव मगलमय िवचार हो जायगा मगलमय जीवन मतय भी मगलमय हो जायगी ॐ ॐ ॐ

ॐॐॐॐॐॐॐॐ जीवन और मतय आतमा-परमातमा को पान क दो पहल ह रात क बाद िदन िदन क

बाद रात होती ह इसी तरह जीवन और मतय चोल बदलत हए अनभवो स गजरत हए अपन आतमःव प को ःव प को पान क िलए मगलमयी अवःथा ह

िदन िजतना पयारा ह रात भी उतनी ही आवयक ह जीवन िजतना पयारा ह मतय भी

उतनी ही आवयक ह मतय मान आतमिशव क मिनदर म जान क िलए ऊची सीिढ़या मतय मान मा की गोद म बालक सो गया और उमा शि ताजगी ःफितर पाकर िफर सबह खलता ह मतय मान मा की गोद म थकान िमटान को जाना िफर नया तन ा करक अपनी मगलमय याऽा करना

त वदि स दखा जाय तो यह जीवन-मतय की याऽा कित म हो रही ह तमह

परमातमाःव प म जगान क िलए गीता म भगवान ौी कण कहत ह-

न जायत ियत वा कदािचननाय भतवा भिवता वा न भयः अजो िनतयः शा तोऽयपराणो न हनयत हनयमान शरीर

त वतः यह आतमा न कभी जनमता ह और न मरता ह न यह उतपनन होकर िफर होन

वाला ही ह यह जनमरिहत िनतय िनरनतर रहन वाला शा त और परातन अनािद ह शरीर क मार जान पर भी वह नही मारा जाता

(गीताः 220) शव की ःमशानयाऽा म मटका ल जात ह फोड़ दत ह यह याद िदलान क िलए िक दह

मानो मटका ह इस मगलमय मतय को पीछ िव ल होन की आवयकता नही ह यह मटका सवा करन क िलए िमला था जीणर-शीणर हआ टट गया िफर नया िमलगा मगलमय आतमा-परमातमा की ाि तक यह मगलमय जनम-मरण की याऽा तो चलती ही रहगी इसम िव ल होकर रोना-चीखना िनरा मोह ह अगर इस मोह को पोसा जाय और िकसी की मतय न हो तो ससार महा नरक हो जायगा माली अगर बगीच म काट-छाट न कर तो बगीचा बगीचा ही न रहगा अिपत भयानकर जगल हो जायगा

स ा न मतय का मगलमय िवधान न बनाया होता तो आदमी म तयाग सवा नता क

सदगण ही नही िखलत सब अमर होकर अिड़यल की तरह उलझ रहत रािऽ स अरणोदय अरणोदय स िफर मगलमयी रािऽ की अिनवायर आवयकता ह िवराट

की यह चणड बीड़ा तमह अपन िवराट ःवभाव म जगान क िलए आवयक ह मतय मान महायाऽा महाःथान महािनिा अतः जो मर गय ह उनकी याऽा मगलमय

हो आतमोननितद हो ऐसा िचनतन कर न िक अपन मोह और अजञान क कारण उनको भी भटकाए और खद भी परशान हो

कइयो की मतय बालयकाल म या यौवन म हो जाती ह जस मा न बचच को कपड़

पहनाए और नही जच उठा िलय िफर नय व ो स सजाया-धजाया अथवा यो कहो िक बचचा िखलौनो म रम जाता ह िखलौन नही छोड़ना चाहता परनत मगलमयी मा उस बलात उठा लती ह अपनी गोद म सलाती ह अपनी उमा सािननधय िवौािनत स उस प करक िफर नतन भात को उस खलन क िलए बीडागन म भज दती ह ऐस ही जीवातमा का बीडागन ससार ह अतः अनक शरीर बदलत हए अबदल की मगलमय याऽा करन क िलए जीवन और मतय को मगल िवधान समझकर ई र की हा म हा करत हए अपनी याऽा उननत कर

ॐॐॐ

ॐॐॐॐॐॐॐॐ

अनबम

िचतन पराग ई र का बनाया हआ त भल ही बना रह उसको िमथया समझ लन माऽ स का

बोध हो सकता ह साधक का काम त को िमथया समझन स ही चलता ह इचछाओ की ति का उपाय एक ही ह िक इचछाए तयाग दी जाए िजस िववकी न इस

जगत को सपन या इनिजाल क समान समझ िलया ह िजस दय न प म िदखन लगा ह वह दोषदश िववकी भला बताओ इसम अनराग कस कर

जञानी जागरण को सतय समझना छोड़ दन पर िफर पहल की भाित अनर नही होता

जञानी तयक वःत को अपना आतमा समझता ह मद की कलपना को बार-बार मन म लाना काम-वासना स म होन का सव म उपाय

बताया गया ह मद को पड़ हए दखकर मन घबरान लगता ह पिरणाम की कयो परवाह करत हो अपनी तनखवाह क बार म कभी िफब मत करो

अजञानी लोग समझत ह िक कायर की सफलता म कायर करन की अपकषा अिधक आननद ह इन अनधो को यह मालम ही नही ह िकसी पिरणाम स उतना सख नही िमलता िजतना काम करन स िमलता ह

अपन िवचारो को सदा वाःतिवक आतमा म रखो और पिरिःथितयो की परवाह मत करो तब तक आपकी हािन नही हो सकती जब तक िक आप ःवय उस नही बलात तलवार

तब तक नही काट सकती जब तक आप यह न सोच िक यह काटती ह ऐ पणर तर िलए कोई कतरवय या कायर शष नही ह सारी कित सास रोक तरी

सवा क िलए खड़ी ह ससार तरी पजा करन का अवसर पाकर अपन को कतकतय करना चाहता ह कया त कित की शि यो को अपन चरणो म झकन का अवसर दगा

अपन भीतर सतय क काश को सदा चमकता रखो भय और लोभन का शतान तमहार

पास नही फटकगा

बाहर की बातो म कछ भी नही मान अपमान अपना काम िकय जा िनिशिदन इसम ही सममान

दसर लोग तमहारी आलोचना िनदा करत हो उनह रोकन की च ा न करो कयोिक इनही

सब बातो क ारा तमम सदगणो की वि होगी जब तक तमहारा दय इतना दढ़ नही ह िक तम मख क बकन पर िःथर और शात बन रहो अथवा तमम इतनी सहनशीलता नही ह िक अजञानी मख को कषमा कर सको तब तक तम अपन को कही जञानी न समझ बठना

यिद तम शरीर और मन स ऊपर उठ जाओ तो सब िचनता और भयो स छट हो

जाओग िकसी भी आकिःमक दघरटना स धयर न छोड़ो कयोिक घबराहट स शि तथा बि का

नाश होता ह िकसी भी कार की किठनाइयो क आग दःिखत न होकर गमभीरतापवरक उनका सामना करो तभी तम िनःसनदह िवजय ा करोग तम कही भी हतोतसािहत होकर िनराश न होओ

ऐसी कौन-सी िवपि ह जो मरी सननता को न कर सकती ह वह कौन-सा रज ह जो

मर आननद म िव न डाल सकता ह म तो िव ाणड का भ ह म बि का भ ह िदमाग का मािलक ह और मन का शासक ह ससार मझम ह म ससार म नही आ सकता िव मझम ह म िव म नही बध

सकता सयर और नकषऽ मझम उदय और अःत होत ह दह और दिनया दोनो ई र क भीतर ह वही ई र म ह म िनिलर आतमा ह मरा जनम नही मतय नही म अजर-अमर ह म िचदाननद

आतमःव प ह म िमथया त िमथया धमर िमथया कमर िमथया और जगत िमथया और ऐसा तीत

होता ह िक म सवरःव ह म ही सवरजञ सवरगत आतमा ह अपना साकषी ह कदािप उन नाम पो म फसा नही ह

म िवश ह असखय ाणड मझम पड़ ह म असःपयर ह मरा ःव प िनिलर ह

मझ दःख स कोई भय नही ह मझ समय की जरा भी िचनता नही आतमाननद वाल को भय और आशका कसी

िकसी भी डर को अपन पास मत फटकन दो लोग यिद तमहार बराई करत ह तो तम उनह आशीवारद दो ऐस ःथान पर जाओ जहा

लोग तमस घणा कर तम तो म हो पहल स ही म हो सवरदा कहोः म सदा आननदःव प ह म

म ःवभाव ह म अननत ःव प ह मरी आतमा का आिद और अनत नही ह सभी मर आतमःव प ह

सननतापवरक अपमान सहन करन स और नता धारण करन स अिभमान की िनवि

होती ह िकसी पिवऽ ःथान पर जाओ तो वहा क अनशासन का पालन करो वहा चपपलो की

चटाक-पटाक आभषणो की खनखनाहट भड़कील व ो की फरफराहट आिद हमस न हो इसका परा धयान रखो कही भी िकसी क भी िच को या शात वातावरण को अशात करन का हम कोई अिधकार नही ह

अपन िकसी भी दःख या अशाित का कारण बाहर मत ढढो बाहर की पिरिःथितयो या

वयि यो को दोष मत दो कारण अपन भीतर ढढो िनद ष भाव स ढढोग तो कारण भीतर ही िमल जायगा उस दर करन की च ा करो शातिच रहन का यही बहमलय उपाय ह

जो आतम-अनशािसत ह व ही शासन कर सकत ह ऐसा करन क िलए नाम-जप कर

धयान कर िकसी आतमिन सत का पावन सािननधय ा कर सब तरह स िनभरय एव सनन बनन का यह ौ साधन ह

िवन बनो िनरहकारी बनो अपन आपको बड़ा बतान की च ा न करो िवनता एव

िनरािभमानता ही तमह बड़ा बनायगी िवनता मनय का बहत बड़ा भषण ह िनमरल दि रखो िकसी क दोष दखना यह बहत बड़ा दगरण ह िछिानवषी न बनो

दसरो क दोष दखना पाप अजरन करना ह गणमाही बनो

ॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐ

अनबम

  • मगलमय जीवन-मतय
  • मतय क परकार
  • मतय भी जीवन क समान आवशयक
  • सिकनदर न अमत कयो नही पिया
  • बिना मतय को जान जीवन जीवन नही
  • मतय किसकी होती ह
  • भगवान शरीराम और तारा
  • मतयः कवल वसतर परिवरतन
  • फकीरी मौतः आननदमय जीवन का दवारः
  • यमराज और नचिकताः
  • सचच सत मतय का रहसय समझात ह
  • मतयः एक विशरानति-सथानः
  • वासना की मतय क बाद परम विशरानति
  • धतराषटर का शोकः
  • घाटवाल बाबा का एक परसग
  • फकीरी मौत ही असली जीवन
    • फकीरी मौत कया ह
      • सकरात का अनभव
      • आधयातमविदयाः भारत की विशषताः
      • तीन परकार क लोगः
      • जञान को आय स कोई निसबत नही
      • योगसामरथयः एक परतयकष उदाहरण
      • योग भी साधना का आखिरी शिखर नही
      • गणातीत सत ही परम निरभयः
      • सतो का सनदशः
      • चितन पराग

दखो तो उन िचऽो क पीछ खड़ उस शा त सतय को परम िमऽ को पयार करो और उनह भी याद िदलाओ िकः ह शा त आतमा ह परातन ह अिवनाशी नाशवान ससार और शरीर बदलत ह लिकन तम अबदल आतमा हो ॐॐॐ

बचपन बदल गया यौवन बदल गया बढ़ापा बदल गया शरीर बदल गया िफर

तम भी हो तम वह अमर आतमा हो िजस पर काल का भी कोई भाव नही चलता ह अकाल आतमा अपनी मिहमा म जागो इस कार क िवचार भजन स मगल करोग और मगल को पाओग जीवन मगलमय होन

लगगा मतको की मतय भी मगलमय हो जायगी मगल भवन अमगलहारी िवचारो को सदव एक दसर क ित सािरत करो ॐ आननद

आननद आननद रोत चीखत मोहमाया म पड़कर उनको याद करत हो तो उनका और अपना सतयानाश

करत हो उनको नीच िगरात हो उनकी आतमा को भटकात हो अपन को तचछ बनात हो अमागिलक िवचारो को कतई ःफिरत न होन दो सदव मगलमय िवचार हो जायगा मगलमय जीवन मतय भी मगलमय हो जायगी ॐ ॐ ॐ

ॐॐॐॐॐॐॐॐ जीवन और मतय आतमा-परमातमा को पान क दो पहल ह रात क बाद िदन िदन क

बाद रात होती ह इसी तरह जीवन और मतय चोल बदलत हए अनभवो स गजरत हए अपन आतमःव प को ःव प को पान क िलए मगलमयी अवःथा ह

िदन िजतना पयारा ह रात भी उतनी ही आवयक ह जीवन िजतना पयारा ह मतय भी

उतनी ही आवयक ह मतय मान आतमिशव क मिनदर म जान क िलए ऊची सीिढ़या मतय मान मा की गोद म बालक सो गया और उमा शि ताजगी ःफितर पाकर िफर सबह खलता ह मतय मान मा की गोद म थकान िमटान को जाना िफर नया तन ा करक अपनी मगलमय याऽा करना

त वदि स दखा जाय तो यह जीवन-मतय की याऽा कित म हो रही ह तमह

परमातमाःव प म जगान क िलए गीता म भगवान ौी कण कहत ह-

न जायत ियत वा कदािचननाय भतवा भिवता वा न भयः अजो िनतयः शा तोऽयपराणो न हनयत हनयमान शरीर

त वतः यह आतमा न कभी जनमता ह और न मरता ह न यह उतपनन होकर िफर होन

वाला ही ह यह जनमरिहत िनतय िनरनतर रहन वाला शा त और परातन अनािद ह शरीर क मार जान पर भी वह नही मारा जाता

(गीताः 220) शव की ःमशानयाऽा म मटका ल जात ह फोड़ दत ह यह याद िदलान क िलए िक दह

मानो मटका ह इस मगलमय मतय को पीछ िव ल होन की आवयकता नही ह यह मटका सवा करन क िलए िमला था जीणर-शीणर हआ टट गया िफर नया िमलगा मगलमय आतमा-परमातमा की ाि तक यह मगलमय जनम-मरण की याऽा तो चलती ही रहगी इसम िव ल होकर रोना-चीखना िनरा मोह ह अगर इस मोह को पोसा जाय और िकसी की मतय न हो तो ससार महा नरक हो जायगा माली अगर बगीच म काट-छाट न कर तो बगीचा बगीचा ही न रहगा अिपत भयानकर जगल हो जायगा

स ा न मतय का मगलमय िवधान न बनाया होता तो आदमी म तयाग सवा नता क

सदगण ही नही िखलत सब अमर होकर अिड़यल की तरह उलझ रहत रािऽ स अरणोदय अरणोदय स िफर मगलमयी रािऽ की अिनवायर आवयकता ह िवराट

की यह चणड बीड़ा तमह अपन िवराट ःवभाव म जगान क िलए आवयक ह मतय मान महायाऽा महाःथान महािनिा अतः जो मर गय ह उनकी याऽा मगलमय

हो आतमोननितद हो ऐसा िचनतन कर न िक अपन मोह और अजञान क कारण उनको भी भटकाए और खद भी परशान हो

कइयो की मतय बालयकाल म या यौवन म हो जाती ह जस मा न बचच को कपड़

पहनाए और नही जच उठा िलय िफर नय व ो स सजाया-धजाया अथवा यो कहो िक बचचा िखलौनो म रम जाता ह िखलौन नही छोड़ना चाहता परनत मगलमयी मा उस बलात उठा लती ह अपनी गोद म सलाती ह अपनी उमा सािननधय िवौािनत स उस प करक िफर नतन भात को उस खलन क िलए बीडागन म भज दती ह ऐस ही जीवातमा का बीडागन ससार ह अतः अनक शरीर बदलत हए अबदल की मगलमय याऽा करन क िलए जीवन और मतय को मगल िवधान समझकर ई र की हा म हा करत हए अपनी याऽा उननत कर

ॐॐॐ

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अनबम

िचतन पराग ई र का बनाया हआ त भल ही बना रह उसको िमथया समझ लन माऽ स का

बोध हो सकता ह साधक का काम त को िमथया समझन स ही चलता ह इचछाओ की ति का उपाय एक ही ह िक इचछाए तयाग दी जाए िजस िववकी न इस

जगत को सपन या इनिजाल क समान समझ िलया ह िजस दय न प म िदखन लगा ह वह दोषदश िववकी भला बताओ इसम अनराग कस कर

जञानी जागरण को सतय समझना छोड़ दन पर िफर पहल की भाित अनर नही होता

जञानी तयक वःत को अपना आतमा समझता ह मद की कलपना को बार-बार मन म लाना काम-वासना स म होन का सव म उपाय

बताया गया ह मद को पड़ हए दखकर मन घबरान लगता ह पिरणाम की कयो परवाह करत हो अपनी तनखवाह क बार म कभी िफब मत करो

अजञानी लोग समझत ह िक कायर की सफलता म कायर करन की अपकषा अिधक आननद ह इन अनधो को यह मालम ही नही ह िकसी पिरणाम स उतना सख नही िमलता िजतना काम करन स िमलता ह

अपन िवचारो को सदा वाःतिवक आतमा म रखो और पिरिःथितयो की परवाह मत करो तब तक आपकी हािन नही हो सकती जब तक िक आप ःवय उस नही बलात तलवार

तब तक नही काट सकती जब तक आप यह न सोच िक यह काटती ह ऐ पणर तर िलए कोई कतरवय या कायर शष नही ह सारी कित सास रोक तरी

सवा क िलए खड़ी ह ससार तरी पजा करन का अवसर पाकर अपन को कतकतय करना चाहता ह कया त कित की शि यो को अपन चरणो म झकन का अवसर दगा

अपन भीतर सतय क काश को सदा चमकता रखो भय और लोभन का शतान तमहार

पास नही फटकगा

बाहर की बातो म कछ भी नही मान अपमान अपना काम िकय जा िनिशिदन इसम ही सममान

दसर लोग तमहारी आलोचना िनदा करत हो उनह रोकन की च ा न करो कयोिक इनही

सब बातो क ारा तमम सदगणो की वि होगी जब तक तमहारा दय इतना दढ़ नही ह िक तम मख क बकन पर िःथर और शात बन रहो अथवा तमम इतनी सहनशीलता नही ह िक अजञानी मख को कषमा कर सको तब तक तम अपन को कही जञानी न समझ बठना

यिद तम शरीर और मन स ऊपर उठ जाओ तो सब िचनता और भयो स छट हो

जाओग िकसी भी आकिःमक दघरटना स धयर न छोड़ो कयोिक घबराहट स शि तथा बि का

नाश होता ह िकसी भी कार की किठनाइयो क आग दःिखत न होकर गमभीरतापवरक उनका सामना करो तभी तम िनःसनदह िवजय ा करोग तम कही भी हतोतसािहत होकर िनराश न होओ

ऐसी कौन-सी िवपि ह जो मरी सननता को न कर सकती ह वह कौन-सा रज ह जो

मर आननद म िव न डाल सकता ह म तो िव ाणड का भ ह म बि का भ ह िदमाग का मािलक ह और मन का शासक ह ससार मझम ह म ससार म नही आ सकता िव मझम ह म िव म नही बध

सकता सयर और नकषऽ मझम उदय और अःत होत ह दह और दिनया दोनो ई र क भीतर ह वही ई र म ह म िनिलर आतमा ह मरा जनम नही मतय नही म अजर-अमर ह म िचदाननद

आतमःव प ह म िमथया त िमथया धमर िमथया कमर िमथया और जगत िमथया और ऐसा तीत

होता ह िक म सवरःव ह म ही सवरजञ सवरगत आतमा ह अपना साकषी ह कदािप उन नाम पो म फसा नही ह

म िवश ह असखय ाणड मझम पड़ ह म असःपयर ह मरा ःव प िनिलर ह

मझ दःख स कोई भय नही ह मझ समय की जरा भी िचनता नही आतमाननद वाल को भय और आशका कसी

िकसी भी डर को अपन पास मत फटकन दो लोग यिद तमहार बराई करत ह तो तम उनह आशीवारद दो ऐस ःथान पर जाओ जहा

लोग तमस घणा कर तम तो म हो पहल स ही म हो सवरदा कहोः म सदा आननदःव प ह म

म ःवभाव ह म अननत ःव प ह मरी आतमा का आिद और अनत नही ह सभी मर आतमःव प ह

सननतापवरक अपमान सहन करन स और नता धारण करन स अिभमान की िनवि

होती ह िकसी पिवऽ ःथान पर जाओ तो वहा क अनशासन का पालन करो वहा चपपलो की

चटाक-पटाक आभषणो की खनखनाहट भड़कील व ो की फरफराहट आिद हमस न हो इसका परा धयान रखो कही भी िकसी क भी िच को या शात वातावरण को अशात करन का हम कोई अिधकार नही ह

अपन िकसी भी दःख या अशाित का कारण बाहर मत ढढो बाहर की पिरिःथितयो या

वयि यो को दोष मत दो कारण अपन भीतर ढढो िनद ष भाव स ढढोग तो कारण भीतर ही िमल जायगा उस दर करन की च ा करो शातिच रहन का यही बहमलय उपाय ह

जो आतम-अनशािसत ह व ही शासन कर सकत ह ऐसा करन क िलए नाम-जप कर

धयान कर िकसी आतमिन सत का पावन सािननधय ा कर सब तरह स िनभरय एव सनन बनन का यह ौ साधन ह

िवन बनो िनरहकारी बनो अपन आपको बड़ा बतान की च ा न करो िवनता एव

िनरािभमानता ही तमह बड़ा बनायगी िवनता मनय का बहत बड़ा भषण ह िनमरल दि रखो िकसी क दोष दखना यह बहत बड़ा दगरण ह िछिानवषी न बनो

दसरो क दोष दखना पाप अजरन करना ह गणमाही बनो

ॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐ

अनबम

  • मगलमय जीवन-मतय
  • मतय क परकार
  • मतय भी जीवन क समान आवशयक
  • सिकनदर न अमत कयो नही पिया
  • बिना मतय को जान जीवन जीवन नही
  • मतय किसकी होती ह
  • भगवान शरीराम और तारा
  • मतयः कवल वसतर परिवरतन
  • फकीरी मौतः आननदमय जीवन का दवारः
  • यमराज और नचिकताः
  • सचच सत मतय का रहसय समझात ह
  • मतयः एक विशरानति-सथानः
  • वासना की मतय क बाद परम विशरानति
  • धतराषटर का शोकः
  • घाटवाल बाबा का एक परसग
  • फकीरी मौत ही असली जीवन
    • फकीरी मौत कया ह
      • सकरात का अनभव
      • आधयातमविदयाः भारत की विशषताः
      • तीन परकार क लोगः
      • जञान को आय स कोई निसबत नही
      • योगसामरथयः एक परतयकष उदाहरण
      • योग भी साधना का आखिरी शिखर नही
      • गणातीत सत ही परम निरभयः
      • सतो का सनदशः
      • चितन पराग

न जायत ियत वा कदािचननाय भतवा भिवता वा न भयः अजो िनतयः शा तोऽयपराणो न हनयत हनयमान शरीर

त वतः यह आतमा न कभी जनमता ह और न मरता ह न यह उतपनन होकर िफर होन

वाला ही ह यह जनमरिहत िनतय िनरनतर रहन वाला शा त और परातन अनािद ह शरीर क मार जान पर भी वह नही मारा जाता

(गीताः 220) शव की ःमशानयाऽा म मटका ल जात ह फोड़ दत ह यह याद िदलान क िलए िक दह

मानो मटका ह इस मगलमय मतय को पीछ िव ल होन की आवयकता नही ह यह मटका सवा करन क िलए िमला था जीणर-शीणर हआ टट गया िफर नया िमलगा मगलमय आतमा-परमातमा की ाि तक यह मगलमय जनम-मरण की याऽा तो चलती ही रहगी इसम िव ल होकर रोना-चीखना िनरा मोह ह अगर इस मोह को पोसा जाय और िकसी की मतय न हो तो ससार महा नरक हो जायगा माली अगर बगीच म काट-छाट न कर तो बगीचा बगीचा ही न रहगा अिपत भयानकर जगल हो जायगा

स ा न मतय का मगलमय िवधान न बनाया होता तो आदमी म तयाग सवा नता क

सदगण ही नही िखलत सब अमर होकर अिड़यल की तरह उलझ रहत रािऽ स अरणोदय अरणोदय स िफर मगलमयी रािऽ की अिनवायर आवयकता ह िवराट

की यह चणड बीड़ा तमह अपन िवराट ःवभाव म जगान क िलए आवयक ह मतय मान महायाऽा महाःथान महािनिा अतः जो मर गय ह उनकी याऽा मगलमय

हो आतमोननितद हो ऐसा िचनतन कर न िक अपन मोह और अजञान क कारण उनको भी भटकाए और खद भी परशान हो

कइयो की मतय बालयकाल म या यौवन म हो जाती ह जस मा न बचच को कपड़

पहनाए और नही जच उठा िलय िफर नय व ो स सजाया-धजाया अथवा यो कहो िक बचचा िखलौनो म रम जाता ह िखलौन नही छोड़ना चाहता परनत मगलमयी मा उस बलात उठा लती ह अपनी गोद म सलाती ह अपनी उमा सािननधय िवौािनत स उस प करक िफर नतन भात को उस खलन क िलए बीडागन म भज दती ह ऐस ही जीवातमा का बीडागन ससार ह अतः अनक शरीर बदलत हए अबदल की मगलमय याऽा करन क िलए जीवन और मतय को मगल िवधान समझकर ई र की हा म हा करत हए अपनी याऽा उननत कर

ॐॐॐ

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अनबम

िचतन पराग ई र का बनाया हआ त भल ही बना रह उसको िमथया समझ लन माऽ स का

बोध हो सकता ह साधक का काम त को िमथया समझन स ही चलता ह इचछाओ की ति का उपाय एक ही ह िक इचछाए तयाग दी जाए िजस िववकी न इस

जगत को सपन या इनिजाल क समान समझ िलया ह िजस दय न प म िदखन लगा ह वह दोषदश िववकी भला बताओ इसम अनराग कस कर

जञानी जागरण को सतय समझना छोड़ दन पर िफर पहल की भाित अनर नही होता

जञानी तयक वःत को अपना आतमा समझता ह मद की कलपना को बार-बार मन म लाना काम-वासना स म होन का सव म उपाय

बताया गया ह मद को पड़ हए दखकर मन घबरान लगता ह पिरणाम की कयो परवाह करत हो अपनी तनखवाह क बार म कभी िफब मत करो

अजञानी लोग समझत ह िक कायर की सफलता म कायर करन की अपकषा अिधक आननद ह इन अनधो को यह मालम ही नही ह िकसी पिरणाम स उतना सख नही िमलता िजतना काम करन स िमलता ह

अपन िवचारो को सदा वाःतिवक आतमा म रखो और पिरिःथितयो की परवाह मत करो तब तक आपकी हािन नही हो सकती जब तक िक आप ःवय उस नही बलात तलवार

तब तक नही काट सकती जब तक आप यह न सोच िक यह काटती ह ऐ पणर तर िलए कोई कतरवय या कायर शष नही ह सारी कित सास रोक तरी

सवा क िलए खड़ी ह ससार तरी पजा करन का अवसर पाकर अपन को कतकतय करना चाहता ह कया त कित की शि यो को अपन चरणो म झकन का अवसर दगा

अपन भीतर सतय क काश को सदा चमकता रखो भय और लोभन का शतान तमहार

पास नही फटकगा

बाहर की बातो म कछ भी नही मान अपमान अपना काम िकय जा िनिशिदन इसम ही सममान

दसर लोग तमहारी आलोचना िनदा करत हो उनह रोकन की च ा न करो कयोिक इनही

सब बातो क ारा तमम सदगणो की वि होगी जब तक तमहारा दय इतना दढ़ नही ह िक तम मख क बकन पर िःथर और शात बन रहो अथवा तमम इतनी सहनशीलता नही ह िक अजञानी मख को कषमा कर सको तब तक तम अपन को कही जञानी न समझ बठना

यिद तम शरीर और मन स ऊपर उठ जाओ तो सब िचनता और भयो स छट हो

जाओग िकसी भी आकिःमक दघरटना स धयर न छोड़ो कयोिक घबराहट स शि तथा बि का

नाश होता ह िकसी भी कार की किठनाइयो क आग दःिखत न होकर गमभीरतापवरक उनका सामना करो तभी तम िनःसनदह िवजय ा करोग तम कही भी हतोतसािहत होकर िनराश न होओ

ऐसी कौन-सी िवपि ह जो मरी सननता को न कर सकती ह वह कौन-सा रज ह जो

मर आननद म िव न डाल सकता ह म तो िव ाणड का भ ह म बि का भ ह िदमाग का मािलक ह और मन का शासक ह ससार मझम ह म ससार म नही आ सकता िव मझम ह म िव म नही बध

सकता सयर और नकषऽ मझम उदय और अःत होत ह दह और दिनया दोनो ई र क भीतर ह वही ई र म ह म िनिलर आतमा ह मरा जनम नही मतय नही म अजर-अमर ह म िचदाननद

आतमःव प ह म िमथया त िमथया धमर िमथया कमर िमथया और जगत िमथया और ऐसा तीत

होता ह िक म सवरःव ह म ही सवरजञ सवरगत आतमा ह अपना साकषी ह कदािप उन नाम पो म फसा नही ह

म िवश ह असखय ाणड मझम पड़ ह म असःपयर ह मरा ःव प िनिलर ह

मझ दःख स कोई भय नही ह मझ समय की जरा भी िचनता नही आतमाननद वाल को भय और आशका कसी

िकसी भी डर को अपन पास मत फटकन दो लोग यिद तमहार बराई करत ह तो तम उनह आशीवारद दो ऐस ःथान पर जाओ जहा

लोग तमस घणा कर तम तो म हो पहल स ही म हो सवरदा कहोः म सदा आननदःव प ह म

म ःवभाव ह म अननत ःव प ह मरी आतमा का आिद और अनत नही ह सभी मर आतमःव प ह

सननतापवरक अपमान सहन करन स और नता धारण करन स अिभमान की िनवि

होती ह िकसी पिवऽ ःथान पर जाओ तो वहा क अनशासन का पालन करो वहा चपपलो की

चटाक-पटाक आभषणो की खनखनाहट भड़कील व ो की फरफराहट आिद हमस न हो इसका परा धयान रखो कही भी िकसी क भी िच को या शात वातावरण को अशात करन का हम कोई अिधकार नही ह

अपन िकसी भी दःख या अशाित का कारण बाहर मत ढढो बाहर की पिरिःथितयो या

वयि यो को दोष मत दो कारण अपन भीतर ढढो िनद ष भाव स ढढोग तो कारण भीतर ही िमल जायगा उस दर करन की च ा करो शातिच रहन का यही बहमलय उपाय ह

जो आतम-अनशािसत ह व ही शासन कर सकत ह ऐसा करन क िलए नाम-जप कर

धयान कर िकसी आतमिन सत का पावन सािननधय ा कर सब तरह स िनभरय एव सनन बनन का यह ौ साधन ह

िवन बनो िनरहकारी बनो अपन आपको बड़ा बतान की च ा न करो िवनता एव

िनरािभमानता ही तमह बड़ा बनायगी िवनता मनय का बहत बड़ा भषण ह िनमरल दि रखो िकसी क दोष दखना यह बहत बड़ा दगरण ह िछिानवषी न बनो

दसरो क दोष दखना पाप अजरन करना ह गणमाही बनो

ॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐ

अनबम

  • मगलमय जीवन-मतय
  • मतय क परकार
  • मतय भी जीवन क समान आवशयक
  • सिकनदर न अमत कयो नही पिया
  • बिना मतय को जान जीवन जीवन नही
  • मतय किसकी होती ह
  • भगवान शरीराम और तारा
  • मतयः कवल वसतर परिवरतन
  • फकीरी मौतः आननदमय जीवन का दवारः
  • यमराज और नचिकताः
  • सचच सत मतय का रहसय समझात ह
  • मतयः एक विशरानति-सथानः
  • वासना की मतय क बाद परम विशरानति
  • धतराषटर का शोकः
  • घाटवाल बाबा का एक परसग
  • फकीरी मौत ही असली जीवन
    • फकीरी मौत कया ह
      • सकरात का अनभव
      • आधयातमविदयाः भारत की विशषताः
      • तीन परकार क लोगः
      • जञान को आय स कोई निसबत नही
      • योगसामरथयः एक परतयकष उदाहरण
      • योग भी साधना का आखिरी शिखर नही
      • गणातीत सत ही परम निरभयः
      • सतो का सनदशः
      • चितन पराग

ॐॐॐॐॐॐॐॐ

अनबम

िचतन पराग ई र का बनाया हआ त भल ही बना रह उसको िमथया समझ लन माऽ स का

बोध हो सकता ह साधक का काम त को िमथया समझन स ही चलता ह इचछाओ की ति का उपाय एक ही ह िक इचछाए तयाग दी जाए िजस िववकी न इस

जगत को सपन या इनिजाल क समान समझ िलया ह िजस दय न प म िदखन लगा ह वह दोषदश िववकी भला बताओ इसम अनराग कस कर

जञानी जागरण को सतय समझना छोड़ दन पर िफर पहल की भाित अनर नही होता

जञानी तयक वःत को अपना आतमा समझता ह मद की कलपना को बार-बार मन म लाना काम-वासना स म होन का सव म उपाय

बताया गया ह मद को पड़ हए दखकर मन घबरान लगता ह पिरणाम की कयो परवाह करत हो अपनी तनखवाह क बार म कभी िफब मत करो

अजञानी लोग समझत ह िक कायर की सफलता म कायर करन की अपकषा अिधक आननद ह इन अनधो को यह मालम ही नही ह िकसी पिरणाम स उतना सख नही िमलता िजतना काम करन स िमलता ह

अपन िवचारो को सदा वाःतिवक आतमा म रखो और पिरिःथितयो की परवाह मत करो तब तक आपकी हािन नही हो सकती जब तक िक आप ःवय उस नही बलात तलवार

तब तक नही काट सकती जब तक आप यह न सोच िक यह काटती ह ऐ पणर तर िलए कोई कतरवय या कायर शष नही ह सारी कित सास रोक तरी

सवा क िलए खड़ी ह ससार तरी पजा करन का अवसर पाकर अपन को कतकतय करना चाहता ह कया त कित की शि यो को अपन चरणो म झकन का अवसर दगा

अपन भीतर सतय क काश को सदा चमकता रखो भय और लोभन का शतान तमहार

पास नही फटकगा

बाहर की बातो म कछ भी नही मान अपमान अपना काम िकय जा िनिशिदन इसम ही सममान

दसर लोग तमहारी आलोचना िनदा करत हो उनह रोकन की च ा न करो कयोिक इनही

सब बातो क ारा तमम सदगणो की वि होगी जब तक तमहारा दय इतना दढ़ नही ह िक तम मख क बकन पर िःथर और शात बन रहो अथवा तमम इतनी सहनशीलता नही ह िक अजञानी मख को कषमा कर सको तब तक तम अपन को कही जञानी न समझ बठना

यिद तम शरीर और मन स ऊपर उठ जाओ तो सब िचनता और भयो स छट हो

जाओग िकसी भी आकिःमक दघरटना स धयर न छोड़ो कयोिक घबराहट स शि तथा बि का

नाश होता ह िकसी भी कार की किठनाइयो क आग दःिखत न होकर गमभीरतापवरक उनका सामना करो तभी तम िनःसनदह िवजय ा करोग तम कही भी हतोतसािहत होकर िनराश न होओ

ऐसी कौन-सी िवपि ह जो मरी सननता को न कर सकती ह वह कौन-सा रज ह जो

मर आननद म िव न डाल सकता ह म तो िव ाणड का भ ह म बि का भ ह िदमाग का मािलक ह और मन का शासक ह ससार मझम ह म ससार म नही आ सकता िव मझम ह म िव म नही बध

सकता सयर और नकषऽ मझम उदय और अःत होत ह दह और दिनया दोनो ई र क भीतर ह वही ई र म ह म िनिलर आतमा ह मरा जनम नही मतय नही म अजर-अमर ह म िचदाननद

आतमःव प ह म िमथया त िमथया धमर िमथया कमर िमथया और जगत िमथया और ऐसा तीत

होता ह िक म सवरःव ह म ही सवरजञ सवरगत आतमा ह अपना साकषी ह कदािप उन नाम पो म फसा नही ह

म िवश ह असखय ाणड मझम पड़ ह म असःपयर ह मरा ःव प िनिलर ह

मझ दःख स कोई भय नही ह मझ समय की जरा भी िचनता नही आतमाननद वाल को भय और आशका कसी

िकसी भी डर को अपन पास मत फटकन दो लोग यिद तमहार बराई करत ह तो तम उनह आशीवारद दो ऐस ःथान पर जाओ जहा

लोग तमस घणा कर तम तो म हो पहल स ही म हो सवरदा कहोः म सदा आननदःव प ह म

म ःवभाव ह म अननत ःव प ह मरी आतमा का आिद और अनत नही ह सभी मर आतमःव प ह

सननतापवरक अपमान सहन करन स और नता धारण करन स अिभमान की िनवि

होती ह िकसी पिवऽ ःथान पर जाओ तो वहा क अनशासन का पालन करो वहा चपपलो की

चटाक-पटाक आभषणो की खनखनाहट भड़कील व ो की फरफराहट आिद हमस न हो इसका परा धयान रखो कही भी िकसी क भी िच को या शात वातावरण को अशात करन का हम कोई अिधकार नही ह

अपन िकसी भी दःख या अशाित का कारण बाहर मत ढढो बाहर की पिरिःथितयो या

वयि यो को दोष मत दो कारण अपन भीतर ढढो िनद ष भाव स ढढोग तो कारण भीतर ही िमल जायगा उस दर करन की च ा करो शातिच रहन का यही बहमलय उपाय ह

जो आतम-अनशािसत ह व ही शासन कर सकत ह ऐसा करन क िलए नाम-जप कर

धयान कर िकसी आतमिन सत का पावन सािननधय ा कर सब तरह स िनभरय एव सनन बनन का यह ौ साधन ह

िवन बनो िनरहकारी बनो अपन आपको बड़ा बतान की च ा न करो िवनता एव

िनरािभमानता ही तमह बड़ा बनायगी िवनता मनय का बहत बड़ा भषण ह िनमरल दि रखो िकसी क दोष दखना यह बहत बड़ा दगरण ह िछिानवषी न बनो

दसरो क दोष दखना पाप अजरन करना ह गणमाही बनो

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बाहर की बातो म कछ भी नही मान अपमान अपना काम िकय जा िनिशिदन इसम ही सममान

दसर लोग तमहारी आलोचना िनदा करत हो उनह रोकन की च ा न करो कयोिक इनही

सब बातो क ारा तमम सदगणो की वि होगी जब तक तमहारा दय इतना दढ़ नही ह िक तम मख क बकन पर िःथर और शात बन रहो अथवा तमम इतनी सहनशीलता नही ह िक अजञानी मख को कषमा कर सको तब तक तम अपन को कही जञानी न समझ बठना

यिद तम शरीर और मन स ऊपर उठ जाओ तो सब िचनता और भयो स छट हो

जाओग िकसी भी आकिःमक दघरटना स धयर न छोड़ो कयोिक घबराहट स शि तथा बि का

नाश होता ह िकसी भी कार की किठनाइयो क आग दःिखत न होकर गमभीरतापवरक उनका सामना करो तभी तम िनःसनदह िवजय ा करोग तम कही भी हतोतसािहत होकर िनराश न होओ

ऐसी कौन-सी िवपि ह जो मरी सननता को न कर सकती ह वह कौन-सा रज ह जो

मर आननद म िव न डाल सकता ह म तो िव ाणड का भ ह म बि का भ ह िदमाग का मािलक ह और मन का शासक ह ससार मझम ह म ससार म नही आ सकता िव मझम ह म िव म नही बध

सकता सयर और नकषऽ मझम उदय और अःत होत ह दह और दिनया दोनो ई र क भीतर ह वही ई र म ह म िनिलर आतमा ह मरा जनम नही मतय नही म अजर-अमर ह म िचदाननद

आतमःव प ह म िमथया त िमथया धमर िमथया कमर िमथया और जगत िमथया और ऐसा तीत

होता ह िक म सवरःव ह म ही सवरजञ सवरगत आतमा ह अपना साकषी ह कदािप उन नाम पो म फसा नही ह

म िवश ह असखय ाणड मझम पड़ ह म असःपयर ह मरा ःव प िनिलर ह

मझ दःख स कोई भय नही ह मझ समय की जरा भी िचनता नही आतमाननद वाल को भय और आशका कसी

िकसी भी डर को अपन पास मत फटकन दो लोग यिद तमहार बराई करत ह तो तम उनह आशीवारद दो ऐस ःथान पर जाओ जहा

लोग तमस घणा कर तम तो म हो पहल स ही म हो सवरदा कहोः म सदा आननदःव प ह म

म ःवभाव ह म अननत ःव प ह मरी आतमा का आिद और अनत नही ह सभी मर आतमःव प ह

सननतापवरक अपमान सहन करन स और नता धारण करन स अिभमान की िनवि

होती ह िकसी पिवऽ ःथान पर जाओ तो वहा क अनशासन का पालन करो वहा चपपलो की

चटाक-पटाक आभषणो की खनखनाहट भड़कील व ो की फरफराहट आिद हमस न हो इसका परा धयान रखो कही भी िकसी क भी िच को या शात वातावरण को अशात करन का हम कोई अिधकार नही ह

अपन िकसी भी दःख या अशाित का कारण बाहर मत ढढो बाहर की पिरिःथितयो या

वयि यो को दोष मत दो कारण अपन भीतर ढढो िनद ष भाव स ढढोग तो कारण भीतर ही िमल जायगा उस दर करन की च ा करो शातिच रहन का यही बहमलय उपाय ह

जो आतम-अनशािसत ह व ही शासन कर सकत ह ऐसा करन क िलए नाम-जप कर

धयान कर िकसी आतमिन सत का पावन सािननधय ा कर सब तरह स िनभरय एव सनन बनन का यह ौ साधन ह

िवन बनो िनरहकारी बनो अपन आपको बड़ा बतान की च ा न करो िवनता एव

िनरािभमानता ही तमह बड़ा बनायगी िवनता मनय का बहत बड़ा भषण ह िनमरल दि रखो िकसी क दोष दखना यह बहत बड़ा दगरण ह िछिानवषी न बनो

दसरो क दोष दखना पाप अजरन करना ह गणमाही बनो

ॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐ

अनबम

  • मगलमय जीवन-मतय
  • मतय क परकार
  • मतय भी जीवन क समान आवशयक
  • सिकनदर न अमत कयो नही पिया
  • बिना मतय को जान जीवन जीवन नही
  • मतय किसकी होती ह
  • भगवान शरीराम और तारा
  • मतयः कवल वसतर परिवरतन
  • फकीरी मौतः आननदमय जीवन का दवारः
  • यमराज और नचिकताः
  • सचच सत मतय का रहसय समझात ह
  • मतयः एक विशरानति-सथानः
  • वासना की मतय क बाद परम विशरानति
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  • घाटवाल बाबा का एक परसग
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    • फकीरी मौत कया ह
      • सकरात का अनभव
      • आधयातमविदयाः भारत की विशषताः
      • तीन परकार क लोगः
      • जञान को आय स कोई निसबत नही
      • योगसामरथयः एक परतयकष उदाहरण
      • योग भी साधना का आखिरी शिखर नही
      • गणातीत सत ही परम निरभयः
      • सतो का सनदशः
      • चितन पराग

िकसी भी डर को अपन पास मत फटकन दो लोग यिद तमहार बराई करत ह तो तम उनह आशीवारद दो ऐस ःथान पर जाओ जहा

लोग तमस घणा कर तम तो म हो पहल स ही म हो सवरदा कहोः म सदा आननदःव प ह म

म ःवभाव ह म अननत ःव प ह मरी आतमा का आिद और अनत नही ह सभी मर आतमःव प ह

सननतापवरक अपमान सहन करन स और नता धारण करन स अिभमान की िनवि

होती ह िकसी पिवऽ ःथान पर जाओ तो वहा क अनशासन का पालन करो वहा चपपलो की

चटाक-पटाक आभषणो की खनखनाहट भड़कील व ो की फरफराहट आिद हमस न हो इसका परा धयान रखो कही भी िकसी क भी िच को या शात वातावरण को अशात करन का हम कोई अिधकार नही ह

अपन िकसी भी दःख या अशाित का कारण बाहर मत ढढो बाहर की पिरिःथितयो या

वयि यो को दोष मत दो कारण अपन भीतर ढढो िनद ष भाव स ढढोग तो कारण भीतर ही िमल जायगा उस दर करन की च ा करो शातिच रहन का यही बहमलय उपाय ह

जो आतम-अनशािसत ह व ही शासन कर सकत ह ऐसा करन क िलए नाम-जप कर

धयान कर िकसी आतमिन सत का पावन सािननधय ा कर सब तरह स िनभरय एव सनन बनन का यह ौ साधन ह

िवन बनो िनरहकारी बनो अपन आपको बड़ा बतान की च ा न करो िवनता एव

िनरािभमानता ही तमह बड़ा बनायगी िवनता मनय का बहत बड़ा भषण ह िनमरल दि रखो िकसी क दोष दखना यह बहत बड़ा दगरण ह िछिानवषी न बनो

दसरो क दोष दखना पाप अजरन करना ह गणमाही बनो

ॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐ

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  • भगवान शरीराम और तारा
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      • योग भी साधना का आखिरी शिखर नही
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