pad parichay

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pd pirca ya

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Page 1: Pad parichay

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Page 2: Pad parichay

शब्द का� सं�बं�ध वा�क्य का� अन्य शब्द� सं� बंता�ना� ही� पद परि�चय ही�। शब्द का� द� मु�ख्य भे�द ही�ता� ही! - 1. विवाका��� शब्द औ�2. अविवाका��� शब्द 

का) विवाका��� शब्द (1) सं�ज्ञा� (2) संवा&ना�मु (3) विवाश�षण (4) वि)य�।

ख) अविवाका��� (1) वि)य� विवाश�षण (2) सं�बं�ध बं�धका(3) संमु�च्चय बं�धका(4) विवास्मुय�दिद बं�धका। 

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सं�ज्ञा� उसं वि�का�री� शब्द का� काहते� ह� जि�संसं� विकासं� �स्ते� का� ना�म सं�चि�ते ह�, ��सं� पह�ड़, नाद ।

भे�द - सं�ज्ञा� का� म�ख्य ते�ना भे�द ह� - का) ��विते���का सं�ज्ञा� - जि�संसं� विकासं� ��विते का� सं�प�र्ण& पद�र्थों( का� बो�ध ह�ते� ह� उसं� ��विते���का सं�ज्ञा� काहते� ह�। ��सं - री�म, गं�गं�, मना�ष्य, घरी, पह�ड़, संभे�।

ख) व्यचि0���का सं�ज्ञा� - जि�संसं� एका ह� पद�र्थों& का� बो�ध ह�ते� ह� उसं� व्यचि0���का सं�ज्ञा� काहते� ह�। ��सं� - री�म, गं�गं�, ��री�र्णसं� आदिद।

गं) भे�����का सं�ज्ञा� - जि�संसं� पद�र्थों( का�  विकासं� गं�र्ण, व्य�प�री, धम& आदिद का� बो�ध ह�ते� ह� उसं� भे�����का सं�ज्ञा� काहते� ह�। ��सं� - म�टा�ई, �ते�रीते�, लड़कापना, ��रीत्�, नाम्रते�।

सं�ज्ञा�

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सं�&ना�मसंवा&ना�मु उसं विवाका��� शब्द का� काहीता� ही� जो� सं�ज्ञा� का� बंदले� मु1 आता� ही� जो�सं� मु!, ता�मु, वाही आदिद। संवा&ना�मु का� मु�ख्य भे�द 6 ही! - 

1) प�रुषवा�चका - स्वाय� काहीना� वा�ले�, सं�नाना� वा�ले� य� अन्य का� लिलेए प्रय�क्त ही�ना� वा�ले� शब्द आता� ही!। जो�सं� मु!, ता8, आप इत्य�दिद।2) विनाश्चयवा�चका - जिजोसंसं� विकासं� विनाश्चिश्चता वास्ता� का� बं�ध ही�ता� ही�, जो�सं� यही, वाही।3) अविनाश्चयवा�चका - विकासं� वास्ता� का� विनाश्चिश्चता ज्ञा�ना प्रकाट ना ही� जो�सं� का�ई, का� छ।4) अविनाश्चयवा�चका- विकासं� सं�ज्ञा� सं� जिजोसंमु1 संम्बंन्ध प्रकाट ही�, जो�सं� जो�,  सं�।5) प्रश्नवा�चका - जिजोसंसं� का�ई प्रश्न प्रकाट ही�, जो�सं� काDना, क्य�।6) विनाजोवा�चका - जिजोसंसं� विनाजोता� य� अपना�पना का� बं�ध ही�, जो�सं� आप ही�,  स्वाय� ही� आदिद। 

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वि�श�षर्णविवाश�षण - जिजोसं विवाका��� शब्द सं� सं�ज्ञा� काE विवाश�षता� प्रकाट ही�ता� ही� उसं� विवाश�षण काहीता� ही!। जो�सं� का�ले� मुट�, च�� प�स्ताका1 । 

विवाश�षण का� 5 भे�द ही! –(1) गु�णवा�चका - यही विकासं� वास्ता� का� गु�ण प्रकाट का�ता� ही�। जो�सं� - प्र�च�ना, ना8ताना, का�ले�।(2) परि�ण�मुवा�चका -  यही विकासं� वास्ता� का� परि�मु�ण (ना�प,ताDले) बं�ध का��ता� ही�। जो�सं� प�Kच विकाले� टमु�ट�, थो�ड़ा� दूध।(3) सं�ख्य�वा�चका - जिजोसंसं� सं�ज्ञा� अथोवा� संवा&ना�मु काE सं�ख्य� प्रकाट ही�ता� ही�। जो�सं� का� छ व्यलिक्त, ता�सं�� आदमु�(4) सं�का� तावा�चका - जो� सं�ख्य� अथोवा� संवा&ना�मु काE ओ� सं�का� ता का�ता� ही� जो�सं� वाही बं�लेका बं�जिQमु�ना ही�।(5) व्यलिक्तवा�चका - जो� विवाश�षण व्यलिक्तवा�चका सं�ज्ञा� सं� बंनाता� ही! जो�सं� बंना��सं� सं�ड़ा�, इले�ही�बं�दR अमुरूद

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वि)य� जिजोसं विवाका��� शब्द सं� हीमु विकासं� वास्ता� का� का�ना� य� ही�ना� का� विवाषय मु1 का� छ काहीता� ही! उसं� वि)य� काहीता� ही!। जो�सं� - मु�हीना प�स्ताका पढ़ता� ही�, ��मु जो�ता� ही�, आदिद वा�क्य�मु1"पढ़ता� ही�" ताथो�"जो�ता� ही�" वि)य� ही� क्य�विका वा�क्य मु1 मु�हीना ताथो� ��मु का� का�यU का� बं��� मु1 बंता�य� गुय� ही�।

वि)य� का� द� मु�ख्य भे�द ही�ता� ही!- 

(1)संकामु&का वि)य� - का�य& य� व्य�प�� का� फले कार्त्ता�& का� छ�ड़ाका� कामु& प� पड़ाता� ही�। जो�सं�-"�मु�श पत्र लिलेखता� ही�" 

(2)अकामु&का वि)य� -  इसंका� व्य�प�� फले कार्त्ता�& मु1 ही�ता� ही�। जो�सं� �मु� दDड़ाता� ही�। 

वि)य�