paper name- introduction to locomotor and …archive.uou.ac.in/system/files/slm/b9-book.pdfइस...

44
Paper Name- Introduction to Locomotor and Multiple Disabilities Course Code B9

Upload: others

Post on 22-Jan-2020

11 views

Category:

Documents


0 download

TRANSCRIPT

  • Paper Name- Introduction to Locomotor

    and Multiple Disabilities

    Course Code B9

  • Block 1

  • �मि�त�क�य प�ाघात ्

    ईकाई

    �मि�त�क�य प�ाघात् �कृित �कार और इससे स�बि�धत ि�थितयॉ

    1.1 ��तावना

    1.2 उ� ेय

    1.3 �मि�त�क�य प�ाघात का अथ" एवं प%रभाषा

    1.4 �मि�त�क�य प�ाघात क� �कृित एवं �कार

    1.5 �मि�त�क�य प�ाघात से स�बि�धत ि�थितयॉ

    1.6 �मि�त�क�य प�ाघात के काया"(मक म*ूयांकन म+ आने वाली किठनाइयॉ तथा जोड़3 क� गित म+

    असमानताय+

    1.7 �मि�त�क�य ब5च3 के स��ेषण का �ावधान एवं िचिक(सीय ह�त�ेप

    1.8 स�दभ" :ंथ व कुछ उपयोगी पु�तक+

    1.1 ��तावना:

    �व�=य शरीर म+ �व�=य मि�त�क का िनमा"ण होता ह।ै जब तक शरीर �व�=य नहA होगा तब तक मन�ुय

    सामा�य Bप से काम नहA कर सकता ह।ै �मि�त�क�य प�ाघात मि�त�क म+ िकसी भी �कार क� चोट

    लगने के कारण होती ह।ै इस �कार क� मि�त�क चोट �ायः गभा"व�था म+ लगती ह।ै इस �कार क�

    अ�मता म+ ऐि5छक शामक िFया �णाली गड़बड़ा जाती ह।ै अ�म व बीमार दोन3 ही �कार के बालक

    िविशG बालक3 क� Hेणी म+ आते ह।ै ये िवशेष िश�ा के माIयम से इनका शैि�क पनु"वास िकया जाता ह।ै

    1.2 उ� ेय:

  • इस इकाई के माIयम स े �मि�त�क�य प�ाघात क� �कृित �कार और इससे स�बि�धत ि�थितय3 स े

    प%रिचत हो सक+ गे।

    िवशेष िश�ा के माIयम से �मि�त�क�य प�ाघात वाले ब5च3 का शैि�क पनु"वास, सामािजक पनु"वास

    एवं िचिक(सीय आकलन तथा म*ूयांकन एवं िवशेषताओ ंको समझने म+ मदद िमलेगी।

    इस इकाई के अIययन के पMात आप -

    1. �मि�त�क�य प�ाघात का अथ" एवं प%रभाषा को बता पाय+गे।

    2. �मि�त�क�य प�ाघात क� �कृित एवं �कार के बारे म+ जान सक+ गे।

    3. �मि�त�क�य प�ाघात से स�बि�धत ि�थितय3 के बारे म+ जान पाय+गे।

    4. �मि�त�क�य प�ाघात के काया"(मक म*ूयांकन म+ आने वाली किठनाई तथा जोड़3 के गित म+

    असमानताओ ंके बारे म+ जान सक+ गे।

    5. �मि�त�क�य प�ाघात से :िसत ब5च3 के स��ेषण का �ावधान एवं िचिक(सीय ह�ता�ेप के

    बारे म+ जान सक+ गे।

    1.3 �मि�त�क�य प�ाघात का अथ" एवं प%रभाषा:

    �मि�त�क�य प�ाघात को अं:ेजी म+ ‘Cerebral Palsy’ कहते हN। Cerebral का अथ" मि�त�क को

    दोन3 भाग तथा Palsy का अथ" िकसी ऐसी असमानता या �ित से ह ैजो शारी%रक गित के िनयंOण को

    नG करता ह ैया जीवन के �ारि�भक वषP म+ िदखता ह।ै

    प%रभाषा:

    बैटसो एRड पेरेट (1986) के अनसुार �मि�त�क�य प�ाघात एक जिटल अ�गितशील अव�था ह ैजो

    जीवन के �थम तीन वषP म+ हTई मि�त�क�य �ित के कारण उ(प�न होती ह।ै िजसके फल�वBप

    मांसपेिसय3 म+ सामंज�य न होने के कारण तथा कमजोरी स े अ�मता हो जाती ह।ै एक बार मि�त�क

    �ित:�त हो जाता ह,ै पनुः ठीक नहA िकया जा सकता और न ही यह बढ़ता ह।ै इसके बावजदू भी

    संचालन एवं शरीर क� ि�थितय3 तथा उससे जड़ुी सम�याओ ंको थोड़ा सधुारा जा सकता ह।ै

  • 1.4 �मि�त�क�य प�ाघात क� �कृित एवं �कार:

    �मि�त�क�य प�ाघात क� �कृित का ता(पय" यह ह ैिक प�ाघात अिधकांशता मि�त�क के आगे के भाग

    म+ खराबी से होता ह।ै लेिकन अ�य भाग3 जैसे अनुमि�त�क तथा मि�त�क �त�भ म+ खरािबय3 से यह दशा

    पैदा हो जाती ह।ै के�Wीय ति�Oका त�O का कोई भी भाग इस प�ाघात से अछूता नहA ह।ै लेिकन

    Xयवहा%रक एवं उपचार क� YिG से मि�त�क क� खराबी पर ही Iयान केि�Wत रखना ही ठीक होगा और

    इसे �मि�त�क�य प�ाघात के बजाय �मि�त�क�य अंगाघात कहना उिचत रहगेा।

    िविशG �कार के अगंाघात से ता(पय" ह ैिक पिेशया भली �कार काम नहA कर पाती ह,ै वे या तो बहTत

    अकड़ जाती ह,ै गित असंतुिलत या असम�वियत हो जाती ह ैया अनैि5छक Bप से बार बार बहTत दरे तक

    िसकुड़ी रह कर पुनः ढीली हो जाती ह ैआिद आिद।

    �मि�त�क�य प�ाघात के �कार :

    �मि�त�क�य प�ाघात का वगZकरण िन�निलिखत �कार से कर सकते हN -

    ऽ ती[ता �माण के अनुसार वगZकरण

    ऽ �भािवत अंग3 क� सं\या के अनुसार वगZकरण

    ऽ िचिक(सीय ल�ण3 के अनसुार वगZकरण

    ती[ता �माण के अनुसार वगZकरण:

    1. अितअ*प �मि�त�क�य अंगाघात

    2. अ*प �मि�त�क�य अंगाघात

    3. ग�भीर �मि�त�क�य अंगाघात

    अित अ*प �मि�त�क�य अंगाघात:

    इस ती[ता के अनुसार इसम+ गामक तथा शरीर से ि�थित स�बि�धत िवकलांगता �यूनतम होती ह।ै ब5चा

    पणू"तया �वतंO होता ह,ै पर�तु सीखने क� सम�याय+ हो सकती हN।

  • अ*प �मि�त�क�य अंगाघात:

    इसम+ गामक तथा शरीर क� ि�थित से स�बि�धत िवकलांगता का �भाव अिधक होता ह।ै िवशेष

    आव यकता वाला �मि�त�क�य अंगाघात से :िसत ब5चा उपकरण3 क� मदद से बहTत हद तक दिैनक

    जीवन म+ �वतंO हो सकता ह।ै

    ग�भीर �मि�त�क�य प�ाघात:

    गामक तथा शारी%रक ि�थित स ेस�बि�धत िवकलांगता पणू"तया �भािवत होती ह।ै इस अव�था म+ इस

    �कार के ब5चे दसूरे पर पणू"तया िनभ"र रहते हN।

    1.5 �भािवत अंग3 क� सं\या के अनुसार वगZकरण:

    �भािवत अंग3 क� सं\या के अनुसार इसे िन�निलिखत वगP म+ बांटा गया ह ै-

    1. मोनो]लेिजया: इसके अ�तग"त आने वाले �मि�त�क�य प�ाघात से कोई एक हाथ या एक पैच

    �भािवत होता ह।ै अमनूता कोई भी एक हाथ �भािवत होता ह।ै

    2. हमैी]लेिजया: इसम+ Xयि^ /ब5चे के एक ही तरफ के हाथ या पैर �भािवत होते हN, िजस े इस

    अव�था को हमैी]लेिजया कहते हN।

    3. डाई]लेिजया: इसम+ दोन3 परै �भािवत हो जाते हN। कभी-कभी हाथ म+ भी �भाव िदखता ह।ै इसके

    डाई]लेिजया कहते हN।

    4. पैरा]लेिजया: इसम+ Xयि^/ब5चे के दोन3 पैर �भािवत होते हN, इसे पैरा]लेिजया कहते हN।

    5. _वाि`]लेिजया: इसम+ Xयि^ का दोन3 हाथ एवं दोन3 पैर �भािवत हो जाते हN यािन क� स�पणू"

    शरीर �भािवत हो जाता ह।ै इसिलये इसे _वाि`]लेिजया कहते हN।

    िचिक(सीय ल�ण3 के अनसुार वगZकरण:

    �मि�त�क�य प�ाघात से :िसत Xयि^ या ब5चे अलग-अलग �कार के होते हN। अतः िचिक(सीय

    ल�ण3 के अनसुार इ�ह+ 4 वगP म+ िवभ^ करते हN, जो िन�न �कार से हN -

  • 1. �पा�टीिसटी: �पा�टीिसटी का अथ" ह ै िक कड़ी या तनी हTई मांशपेिशयॉ ब5चे सु�त एवं भ� े

    िदखते हN। गित बढ़ने के साथ मांशपेिशय3 म+ तनाव बढ़ने लगता ह।ै Fोध या उaेजना क� ि�थित म+

    मांशपेिशय3 म+ तनाव या कड़ापन और भी बढ़ जाता ह।ै पीठ के बल लेटने पर ब5च3 का िसर एक तरफ

    घमुा होता ह ैऔर पैर अ�दर क� तरफ मड़ुा होता ह।ै

    2. एथेटोिसस: एथेटोिसस का अथ" अिनयंिOत गित से ब5चा जब अपनी इ5छा से कोई अगं

    संचालन करना चाहता ह ैतो उसका शरीर अिनयंिOत गित करने लगता ह,ै िजससे मांशपेिशया तनाव

    लगातार बदलता रहता ह।ै एथेटोिसस से :िसत ब5चे न�ह+ ब5च3 क� तरह लचीले िदखते हN।

    3. एटैि_सया: इसका अथ" ह ै िक अि�थर और अिनयंिOत गित का होना। इसम+ ब5च3 का संतलुन

    खराब होता ह।ै ऐसे ब5चे बैठने व खड़े होने पर िगर जाते हN। इसम+ मांशपेिशयॉ तनाव कम होता ह।ै गामक

    िवकास िपछड़ा होता ह।ै

    4. िमिHत: �पा�टीिसटी और एथेटोिसस दोन3 म+ िदखने वाले ल�ण जब िकसी ब5च3 म+ दोन3

    ल�ण एक साथ िदखते हN तो िमिHत �कार का �मि�त�क�य प�ाघात कहलाता ह।ै

    1.6 �मि�त�क�य प�ाघात के काया"(मक म*ूयांकन म+ आने वाली किठनाईयॉ तथा जोड़3 क� गित म+

    असमानताएं

    �मि�त�क�य प�ाघात वाले ब5चे का जब हम काया"(मक म*ूयांकन करते हN तो बहTत किठनाईय3 का

    सामना करना पड़ता ह,ै बहTत जिटलताए उ(प�न होती ह ै-

    ऽ पेशीय जिटलताएं (Musculor)

    1. पेशीय अवकंुचन

    ऽ अ�थीय जिटलताएं (Bony)

    1. अि�थ िव�थापन (Bony Dislocation)

    2. हड्डी गलना (Osteoporosis)

  • 3. हड्डी टूटना (Bony Fracture)

    4. हड्डी एवं मेBदRड का टेड़ा हो जाना (Kyphosocoliosis)

    ऽ अ�य जिटलताएं

    1. दद" एवं पीड़ा होना

    2. कुपोषण (Malnutrition)

    3. अितपोषण (Over Nutrition)

    4. अ*प पोषण (Under Nutrition)

    5. छाती क� बीमा%रयॉ

    जोड़3 क� गित म+ असमानताएं :

    �मि�त�क�य प�ाघात वाले जब ब5चे का म*ूयांकन िकया जाता ह ै तो उनके जोड़3 क� गित म+

    िन�निलिखत असमानताएं पायी जाती हN -

    शरीर के �भािवत भाग जैसे (हाथ या पॉव) म+ अनेकानेक �कार क� जोड़3 क� गित म+ �ेरक िFया(मक

    असमानताएं (Motor Impairments) पायी जाती हN -

    1. सं�तंभता

    2. अकड़न

    3. द�ुतानता

    4. वलन

    5. ला�य

    6. गित िवbम

    7. क�पन

  • 8. बेिल�मस

    9. अ*पत�यता

    10. िमिHत

    जब �मि�त�क�य प�ाघात वाले ब5चे म+ जोड़3 क� गित म+ असमानताएं के�Wीय तंिOका तंO (मि�त�क

    एवं मेBरcज)ु क� कोिशकाओ ंस ेउ(प�न िवdतु उ(प�न होती ह।ै इसी तंO म+ कमी या अवरोध होने म+

    जोड़3 क� गित म+ असमानताएं उ(प�न होती हN।

    1.7 �मि�त�क�य प�ाघात ब5च3 के स�पेषण का �ािवधान एवं िचिक(सीय ह�ता�ेप:

    �मि�त�क�य प�ाघात का िनदान अिधकांशता इस दशा के ल�ण3 के आधार पर िकया जा सकता ह।ै

    अतः िसर का िसटी �कैन या एम0आर0आई0 जैसे प%र�ण3 क� कोई खास आव यकता नहA पड़ती ह।ै

    इसके अलावा इन परी�ण3 का बालक के ........................ स�ब�ध नहA होता ह.ै.......... से आिथ"क

    बोझ डालना ह।ै

    अनवुांिशक बीमा%रय3 के परी�ण भी �ायः इलाज म+ सहायक नहA होत,े लेिकन कुछ मेटाबोिलक रोग3

    का इलाज स�भव ह।ै अतः अनुभवी िवशेषe से परी�ण करवा कर बालक व मॉ के र^ क� जॉच क� जा

    सकती ह।ै

    एक और ब5चे को ज�म दनेे क� इ5छा रखने वाले अिभभावक3 के िलए टाच" टै�ट (TORCH TEST)

    करवाना बहTत ही जBरी होता ह।ै

    उपचार के िन�निलिखत तरीक3 को इनके िलख ेFमानसुार ही �योग म+ लाया जाना चािहए -

    1. fेन टॉिनक (Brain Tonic) �मि�त�क�य प�ाघात क� जानकारी होते ही यह दवा मि�त�क क�

    �ित के तरु�त बाद चाल ूकरना चािहए तथा लगभग 01 वष" तक दनेी चािहए।

    2. िचिक(सीय Xयायाम (Therapeutic Exercise) इस अgयास से �ायः शारी%रक ताकत तथा

    संतुलन को बढ़ाया जाता ह।ै साथ ही �पा�टीिसटी को भी कम िकया जा सकता ह।ै इस िचिक(सा को

    सी0पी0 म+ एक िविशG िविध से करना पड़ता ह।ै इसे �नाय ु िवकास िचिक(सा कहते हN। इस िविध म+

  • तंिOका तंO को वाh िविभ�न �कार के �व�दन3 के माIयम से जागिृत एवं िवकिसत िकया जाता ह,ै इसे

    �नायु संवेदन नामक िचिक(सा भी कहते हN।

    (i) भौितक िचिक(सा - ................ब5च3 के शारी%रक िवकास का मूल .................... सामा�यता

    इस िचिक(सा के jारा Xयि^ म+ एक जगह से दसूरी जगह जाने क� �मता लाना होता ह।ै इसके अित%र^

    ि�थर अव�था के िविभ�न भी सुधारा जाता ह,ै जैसे बैठना आिद।

    (ii) Xयवसाियक िचिक(सा - सामा�यता Xयवसाियक िचिक(सा हाथ3 के कायP म+ सधुार हतेु क� जाती

    ह।ै पिेशय3 के अ(यिधक तनाव (�पा�टीिसटी) को तंिOका रोधक सईु या श*य िचिक(सा के jारा सही

    समय पर कम कर दनेे से भौितक और Xयवसाियक िचिक(सा अिधक लाभकारी हो सकती ह।ै

  • bdkbZ

    izeLr’dh; i{kk?kkr ds dk;kZRed lhekvksa ds fufgrkFkZ – f”k{kk ds {ks= esa izeLr’dh; i{kk?kkr ds cPpksa ds lkFk lEHkkyus dh rduhdh

    izLrkouk :

    fodykax cPps lek t dk ,d vax gksrs gS vr: mUgsa Hkh mu dh { ker k ds vuqlkj

    f”k{ k.k-izf”k{ k.k izn ku djs A ; Fk klEHko vkRefuHkZj cuku k dY;k.k d kjh jk T; dk mRrjnkf; Ro gSA r kfd o g ifjo kj rFkk lek t ds } kjk mi sf{ kr O;o gkj dk f ”k dk j u gksA ge kj s ns”k e sa H kh “k kjhfjd] e kufld , o a lke kftd nk s’kksa ls ;qDr ,sl s O;fDr ik; s tkrs gS] tk s viuh nSf ud vko ”; dr kvksa dh i wfrZ djus esa vle F kZ g S vk Sj lekt ds i zf r vuwd wy cu us dh lke F;Z u gha j[krs gSA

    mn~ns”; :

    bl b dkbZ ds e k/;e ls i zeLr’dh; i{ kk?kkr ds dk;k ZRed lhe kvksa ds fu fgr kFkZ ls ifjfpr g ks ld saxs A fo”ks’k f ”k{k k ds ek/; e ls f”k{ kk ds { ks= esa i zeLr’dh; i {kk?kkr ok ys c Ppsa ds cSBus dh

    rduhfd dks tku l dsa xsA b l b dk bZ ds v/ ; ;u d s i”pkr~ vki :-

    1. ize Lr ’dh; i{ kk?k kr ds dk;kZRe d lhe kvksa dk s tku l ds axs A

    2. ize Lr ’dh; cPpksa d s f y, f ”k {k k ds { ks= esa L dw y rFkk ?kj e sa d`f=e o krk oj.k ds ckjsa esa tku l d saxs A

    3. ize Lr ’dh; i{ kk?k kr cPpksa dh O;SfDr d f ”k{ k .k dk;Zdze ,oa vf /kxe f”k { k.k lkex zh dk fodkl ,o a dk; kZRed x frfo f/k;k sa dh lqfo/k k ds ck js e sa tku l dsax s A

    izeLr’dh; i{kk?kkr ds dk;kZRed lhek,aW :-

    izeLr’ dh ; n ”k k ds cPpksa es a is”kh ;rU;r k db Z xqu k c

  • ;g vo LFkk c Pp sa e sa lq/kk j dh lEHk kou k dks de d j nsrh g S A ,slh n”kk ge kjh tk x: dr k e s a deh ] va /kfo ”o kl r Fkk viw.kZ mipkj ds dkj.k c Pps a dh n”kk fc xM+rh tk rh gSA

    izeLr’dh; i{kk?kkr okys cPpksa ds f”k{kk ds {ks= esa Ldwy rFkk ?kj esa d`f=e okrkoj.k

    lkekU; ck yd d s le k u i zeLr’dh; i{ kk?kkr c kyd ds fy, Hk h vPNh c krksa r Fkk vknrk sa dks lh[ku k mlds Hkkoh tho u dh lQ yr k ds fy, ije vko”; d g SA fd lh cPpsa dh f”k{ kk dh ckr lkspr s gh ] g e L dwy ds ck jssa esa lkspr s gSA i jUr q ,slh dbZ { kerk,a gS f tUgsa cPpk ? kj i j viu h e kWa r Fkk ifjok j ds vU; lnL ;ksa ls lh [k l drk gSA ;g lh[k uk o g Ldwy tkus ls igys gh dj y srk gSA ?kj gh euq’ ; dh i zFke ikB ”kkyk gSA

    b lfy, tks c Ppk i zeLr’dh; i {kk?kkr ls xzLr g S vkSj Ld wy ugha tk ldrk ?kj ij jg dj cgqr lh ck rs lh[k l drk gSA

    d`f =e okr koj.k ds :i esa ge fu Eufyf[kr fdz;k dykiks dk rS;kj djrs gSA

    1. fuR; fdz;k vkSj f”k{ kk

    2. “k kjhfjd vkSj dk ;Z dk jh f odkl

    3. Lo kLF; lEc U/kh

    4. di M+ksa ds uk e o diM+ksa dh igpk u

    5. jax ks dk uk e o igpk u

    6. crZu kasa dk mi ;ksx o igpku

    7. fof HkUu izdkj ds Hkks tu dh igp ku

    8. iSls vkSj :i; s dh ig p ku

    9. lkekf td O;o gkj dk Kku bl izdkj ds cPpksa d s f y, f”k { kk ds mn~n s”; ds fufg rkFkZ cgqr lk jh c krksa dks

    tk uuk pkf g,-tSls-

    1. lke kU; f”k{ kk

    2. O; olkf; d izf ”k {k .k

    3. vo dk l ds le ; dk l ni z;ksx

    4. fo dy vaxks d s vf rfj Dr vU; vaxks dk fo dkl

    5. mi pkj lqfo /kk

  • 6. fo ”ks’k fo|k y;

    7. fo ”ks’k vfrfjDr d{ k

    izeLr’dh; i{kk?kkr cPpksa dh O;SfDrd f”k{k.k dk;Zdze ,oa vf/kxe f”k{k.k lkekxzh dk

    fodkl ,oa dk;kZRed xfrfof/k;ksa dh lqfo/kk :

    bu ck ydk sa dks fo”ks’k r;k vko kxeu esa vlqfo /kk gksr h g SA fo |ky; igqWap tkus ds c kn lkekU; d{ kk xf rfof /k;ksa l s Hkh yk HkkfUo r gks l drs g S A f Qj lke kU; d{ kk esa b u

    ckydksa dks f uEufyf [kr lqfo /kk,Wa iznku dh tk ldrh gaS –

    1. fo”ks’k /; ku

    2. mi;qDr cSBus dh O;o LFk k

    3. vUnj [ ksys tku s o kys [ ksykas dk vk ;ks tu

    4. fdz;kvksa dk ew Y;ka du m fpr izdkj ls

    5. O;o lk f;d funsZ”ku

    6. fo”ks’k mi dj.kksa , oa d`f =e vaxks dh O; oLFkk vko”;d f”k{ k.k lkek xzh dk vf /k dkf/kd iz; ksx f”k{ kd ds }k jk f d; k tk uk pkfg ,A d{ kk esa dbZ ize Lr ’dh ; i { kk?kkr ok ys ck yd gksr s gSA c kyd ksa dks f”k { kk

    iznk u djrs le; f”k{ kd dk s fu Eufyf[ kr ckrksa dks /;k u e sa j[k uk vko”;d gS :-

    1. f”k{ kdksa dks bu ck ydk s ds izfr lgk uqHkwfr i w.k Z O; ogk j d ju k pkfg, A

    2. b u ckydksa dh lhe kvksa dk s n s[krs gq, mUgsa lh[kus dh f dz;kvksa esa Hkk x ysus ds fy, i zksRlkfg r djuk p k fg, A

    3. f”k{ kd dks bu ckydksa dh ikfjo kfjd i`’ BHkwfe dh tkudk jh j[ kuh pkf g,A

    4. b u ckydksa ds lkFk vP Nk O ;og kj d juk pkfg ,A 5. f”k{ kd gh d{ kk ds vU; Nk=ksa dks b l c kr ds fy, rS; kj d jsa vkSj vU ; Nk= ksa d s

    lkFk fe yd j bu ckyd ksa dks Hkh fon ~;ky;h xfr fof/ k;ksa esa “kkfe y d jsa A

  • Block 2

    Block 2

    अपंग, पोिलयो, |㣠aþ Ümòmã z¬ fñk äΘzí⌂pâ [ÇO zâOÉvíäÉ{ –|o

    2.1 ��तावना

    2.2 उ� ेय

  • 2.3 काया"(मक किठनाईय3 का आकलन

    2.4 िचिक(सीय ह�त�ेप एवं स��ेषण का �ावधान

    2.5 संदभ" :�थ

    2.1 ��तावना:

    मानव शरीर म+ असं\य कोिशकाओ ं के साथ-साथ िविभ�न पेिशयॉ एवं 12 जोड़ी मि�त�क�य सषु�ना

    तथा 31 जोड़ी मेBदRडीय सषु�ुना पायी जाती ह।ै इनका �मखु काय" सोचन,े समझने, िनण"य लेन,े दखेने,

    सनुन,े सूंघने एवं �वाद का पता लगाना होता ह।ै इसके साथ-साथ बदलती हTई वातावरणीय दशाओ ंके

    अनसुार िक�हA �ितिFयाओ ं को रोकना तो िक�हA को �ार�भ करना तो िक�हA को ती[ करना तथा

    िक�हA को धीमा करना होता ह।ै इन �ितिFयाओ ंम+ एक सkूमतम Oुिट भी म(ृय ुका कारण बन सकती ह।ै

    अतः शरीर क� जिटल �िFया के िलए इसक� स�पूण" कोिशकाओ ंक� �िFयाओ ंम+ पूण" सम�वय एवं

    समाकलन आव यक होता ह।ै

    2.2 उ� ेय:

    इस ईकाई के माIयम से अपंग, पोिलयो, रीढ़ क� हड्डी म+ चोट, दिवमेBता एवं मांशपेिशय �रण को और

    इसक� ि�थितय3 से प%रिचत हो सक+ गे।

    िवशेष िश�ा के jारा अपंग, पोिलयो, रीढ़ क� हड्डी म+ चोट, WिवमेBता वाले ब5च3 का शैि�क

    पनुवा"स, सामािजक पनु"वास एवं िचिक(सीय आकलन, ह�ता�ेप तथा स��ेषण को समझन े म+ मदद

    िमलेगी -

    इस इकाई के अIययन के बाद आप -

    1. अपंग, पोिलयो, रीढ़ क� हड्डी, WिवमेBता एवं मांसपेिशय3 का �रण का अथ", प%रभाषा एवं

    वगZकरण को जान सक+ गे।

    2. िचिक(सीय ह�ता�ेप एवं स��ेषण के बारे म+ जान सक+ गे।

    2.3 पोिलयो -

  • पोिलयो एक बीमारी ह,ै जो िवशेषकर �दषूण यु̂ वातावरण म+ उपि�थत वायरस के कारण होती ह।ै यह

    वायरस अिधकतर उन �ेO3 म+ पाये जाते ह ैिजन �ेO3 म+ पानी का जमाव होता ह।ै यह वायरस 0-5 वष" के

    ब5च3 म+ िजनक� रोग�ितरोधक �मता कम होती ह,ै उ�ह+ �भािवत करता ह।ै यह छोटे ब5च3 को भी

    �भािवत करता ह ै इसे बाल प�ाघात भी कहते हN। यह ब5चे के शरीर म+ नाक, मुंह, गदुा इ(यािद के

    माIयम से �पाइनल कॉड" म+ ए�टी%रयल हान" सेल के .......................... को भेदता ह,ै िजससे ब5चा

    bामक Bप से अ�म हो जाता ह।ै

    िjवशॉखी रीढ़ -

    िjवशॉखी रीढ़ एक ज�मजात ऐसी मा�यता ह,ै िजसम+ मेBदRड क� हड्डी म+ रचना(मक दोष होता ह।ै रीढ़

    क� हड्डी के �यरूल आक" के आपस म+ न जड़ु पाल ेक� ि�थित म+ दोन3 के बीच म+ �थान %र^ हो जाता ह ै

    िजसम+ हड्डी के छेद म+ सेरेजो �पाइनल WXय भर जाता ह ैऔर कभी-कभी आवरण के भाग से बाहर भी

    िनकलने लगता ह।ै सषु�न �ित वाले अथवा �पाइना वाइिफडा वाल ेअिधक लोग सामा�य मOू िनयंOण,

    बाh शौच िनयंOण नहA रख पाते हN। इस िनयंOण क� सम�या होने से असिुवधा एवं लcजा का अनुभव

    करते हN। साथ ही उ�ह+ सामािजक Xयवभावना(मक कG भी होता ह।ै िनयंOण के अभाव म+ (वचा क�

    सम�या तथा घातक मOूीय िवकृितयॉ भी आ सकती हN। यह िवकृित िशश ुके गभ" म+ आने के शBुआती

    समय के िवकास क� कमी ह।ै यह रीढ़ क� उस हड्डी क� कमी ह ैजो के�Wीय नाड़ी (सषु�ना नाड़ी) के

    काफ� भाग को नहA ढकती ह,ै िजसके प%रणाम�वBप सषु�ना नाड़ी का नरम भाग असरुि�त रह जाता ह ै

    जो पीठ के बीच म+ उभार के Bप म+ �कट होता ह।ै इस उभरे हTए भाग के अ�तग"त सषु�ना को ढकने के

    िलए सेरेfो�पाइल WXय होता ह।ै यह बहTत ही पतली (वचा एवं सामा�य (वचा से ढका होता ह।ै

    �पाइनल काड":

    यह के�Wीय ताि�Oका त�O का एक भाग ह,ै जो वटmfल केनाल से होकर जाता ह।ै यह मि�त�क के

    फोरामने, मैगनम के ऊपर से होकर मेडुला आवलागाटा से गजुरता ह।ै यह Xय�क मे 18 इचं ल�बा होता

    ह ैजो कमर क� पहली वटैfी म+ समाo हो जाता ह।ै

  • �पाइनल नरवस ये तंिOकाय+ 31 जोड़ी होती हN और अलग-अलग �ेO3 म+ िनकलती हTई वगZकृत हो जाती

    ह ैये ति�Oकाय+ िन�निलिखत �कार क� ह ै-

    1. सरवाइकल नरवस 0-8

    2. थोरेिसक या डोरसल 12

    3. ]ल�बर 05

    4. सेFल 05

    5. काि_सिजयल 01

    ति�Oका कोिशकाएं �(येक जीव कोश म+ वातावरणीय प%रवत"न3 से उjीिपत होकर �ितिFया के िलए

    समा�य िवHामालय से उaिेजत अव�था म+ आ जाती ह।ै उaेजनशीलता (जीव WXय) का मूलभतू गणु ह।ै

    OंिOका कोिशकाएं तंिOका तंO बनाती हN जो सवंेदी अंग3 से वातावरणीय प%रवत"न3 अथवा उ�ीपन3 क�

    सचूनाओ ंको :हण करना और िफर (िवdतु रासायिनक �ेरणाओ ंके Bप म+) इन सचूनाओ ंका �सारण

    करना इनका िवशेष काय" होता ह।ै �(येक तंिOका कोष म+ एक छोटा सा गोल अRडाकार के�Wक�य

    कोशाकाय होता ह।ै कोशाकाय से कुछ छोटे व महीन शाखाि�वत लोम तथा एक अपे�ाकृत मोटा व

    ल�बा अ�त�तु या ऐ_जान िनकला होता ह।ै लोम संवदेांग3 या अ�य तंिOका कोिशकाओ ंसे �ेरणा :हण

    करते हN।

    अ�त�त ु इ�हA �ेरणाओ ं का िवdतु रासायिनक �सारण करके इ�ह+ अ�य तंिOका कोिशकाओ ं या

    अपवाहक रचनाओ ंअथवा पिेशय3 एवं :ि�थय3 म+ पहॅुचाते हN। इस �कार अ�त�त ुही तंिOका तंO क�

    �मुख संचार लाइन3 का कम करते हN। इसीिलए इ�ह+ तंिOका त�त ुकहते हN। इस �कार सैकड़3 ऐसे त�त ु

    ग5ुछ3 से िमलकर तंिOकाएं बनाते हN।

    मांसपेशीय �रण:

    मांसपेिशय �रण सव"�थम 1890 म+ पहचानी गई। यह एक वंशानगुत बीमारी ह।ै जो धीरे-धीरे उq के साथ

    बढ़ती रहती ह।ै यह �नाय ुमांसपेशीय िवकलांगता के समूह म+ आती ह ै िजसम+ म\ुय अधा%रत Bप म+

    गामक नव" कोिशका क�ढ़ रcज ूके इ�डीिसयर हान" स*ेस से संिलo होते हN। रीढ़ रcज ूसे*स से पेशीय हो

  • जाने वाले त�त ुएवं �नायतुंOीय जोड़ जो आवेग को रासायिनक �ािविधय3 के jारा त�तुओ ंतक पहॅुचाता

    ह,ै सि�मिलत होता ह।ै इसे मायोपैथी के नाम से भी जाना जाता है। इससे बीमारी अथवा असमा�यता से

    मांशपेशीय िFयाएं अवrs हो जाती हN। यह पूण" Bप से सभी मांशपेिशय3 को �भािवत नहA करता,

    बि*क कुछ ही भाग जो उसके स�पक" म+ आते हN, वहA �भािवत होते हN।

    यह एक ऐसी िवकृित ह ै िजसम+ मांशपेिशय3 का �रण हो जाता ह,ै िजसके प%रणाम�वBप पेिशय3 का

    काय" �भािवत हो जाता ह।ै यह अलग-अलग उq म+ अलग-अलग Bप से होती ह।ै

    मांशपेिशय3 �रण के �कार:

    1. ड्यूशन मांशपेशीय �रण

    2. अब" जवुनेाइल �रण

    3. इ�फे�टाइल टाइप अथवा फN िसओ hमूरो टाइप

    2.4 िचिक(सीय ह�ता�ेप एवं स��ेषण का �ावधान

    अपंग, पोलयो, रीढ़ क� हड्डी म+ चोट WिवमेBता एवं मांशपेशीय �रण म+ िचिक(सीय ह�ति�ण �ब�ध

    एवं स��ेषण के िलए िन�निलिखत �ावधान िकया जाता ह।ै

    �ब�धन एवं िचिक(सा

    मांशपेिशयॉ �रण क� िचिक(सा एवं �ब�धन दोन3 अ(य�त ही मिु कल काय" हN। इसका �ब�धन

    िन�निलिखत �कार एवं उपचार jारा िकया जा सकता ह।ै

    1. सावधािनयॉ - मांशपेशीय �रण के �ब�धन हते ुिन�निलिखत �कार एवं उपचार jारा सावधािनयॉ

    बरतनी चािहए -

    (i) सभी �कार क� मांशपेिशय3 के �रण को शि^वध"क बनाने का �यास िकया जाता ह।ै

    (ii) मांशपेशीय के िनग"मन को सधुारा जाता ह।ै

    (iii) tसन स�ब�धी मांशपिेशय3 क� ताकत म+ विृs क� जाती ह।ै

  • (iv) िवशेष Bप से फेफड़3 म+ संFमण होने से बचाया जाता ह।ै

    2. समा�य उपचार - िचिक(सीय उपचार के अ�तग"त उसे बलवs"क सीरप, मछली का तेल �योग

    िकया जाता ह।ै इसके सफल उपचार के िलए आज भी कोई दवा नहA ह।ै अतः इसका पूरी तरह से उपचार

    नहA िकया जा सकता ह।ै

    3. शारी%रक उपचार - ये परूी तरह से ठीक होने वाली बीमारी नहA ह,ै बि*क इसके बढ़ते हTए �भाव

    को कम िकया जा सकता ह।ै िजसम+ से अब" जवुेवाइल का भौितक िचिक(सा jारा आशाजनक उपचार हो

    सकता ह।ै

    4. मािलश - र^ संचार के िलए बहTत ही आसानी से पैर एवं हाथ क� मािलश क� जाती ह।ै सामा�य

    मािलश से िनि�Fय गित को सहारा िमलता ह।ै इसके िलए जोड़3 पर िवशेष Iयान दनेे क� जBरत होती ह।ै

    यह िनि�Fय गित िसकुड़न को रोकने के साथ-साथ िकसी अ�य स े स�बि�धत िवकृित को रोकता ह।ै

    िनि�Fय गित िन�निलिखत �कार से क� जानी चािहए।

    (i) पैर का डासZuले_शन

    (ii) कू*ह ेका �सार

    (iii) घटुने का �सार

    (iv) कुहनी

    5. कंधे के जोड़ म+ कड़ापन न हो इसके िलए सावधानीपूव"क दखेभाल करनी चािहए।

    6. दाएं से बाएं करवट बदलना तथा कू*हा म+ िसकुड़न एवं �सार कराना।

    7. बाएं से दाएं करवट बदलना तथा दोन3 पैर मोड़ना तथा फैलाना।

    8. बैठाना व अs"िवHाम कराना। इस ि�थित म+ भजुा स ेघणु"न कराना, कू*ह ेका िसकुड़ना कराया

    जाता ह,ै िजसम+ िपिRडका क� मांशपेिशयॉ संिलo होती हN तथा कू*ह ेक� vलिूटयल मांशपेशी भी संिलo

    होती ह।ै भजुाओ ंएवं कंधे क� मांशपेिशय3 म+ से सेरेटस एRटी%रयर, लैिटसमस, डारसाई, इ�wा�पाइनेटस

    इ(यािद सि�मिलत होती ह।ै

  • 9. अs"िवHाम - दोन3 हाथ3 के कंध,े कोहनी तथा कलाई के जोड़3 को िसकोड़ना एवं फैलाना,

    िजसम+ भजुा क� मांशपिेशयॉ-बाइसपेस एवं xाइसपेस बलवध"क हो जाये।

    10. घटुना मोड़कर लेटना - दोन3 भुजाओ ं क� ि�थित को मोड़ने एवं खAचने के िलये बाh Xयि^

    अथवा िचिक(सक का होना जBरी ह।ै इससे पहले उससे (रोगी) स�प+शन बार का �योग करना चािहये।

    11. गहरी tास लेना - Xयि^ को �व5छ एवं खलेु वातावरण म+ िदन म+ दो से तीन बार tसन िFया

    करने के िलए �ो(सािहत करना चािहए तथा ती[ �वर म+ गाने एवं िच*लाने के िलए �े%रत करना चािहए।

    12. बॅधनी का �योग करना - जब तक बहTत ही अिनवाय" न हो जाय पैर3 क� बंधनी (खप5ची) �योग

    म+ न लाए। _य3िक इससे ब5च3 क� टॉग3 म+ तेजी से कमजोरी आती ह।ै बहTत ही आव यक हो जाने पर

    ]लाि�टक क� टांगने वाली बंधनी िदन व रात को �योग म+ लायी जा सकती ह ैजो टखन3 के संकुचन

    रोकने एवं चलने िफरने म+ सहायक होती ह।ै

    13. अ�य सहायक सामि:यॉ - कुछ ऐसे ब5चे जो चलने म+ असमथ" हाते हN उ�ह+ बैशाखी क� जBरत

    पड़ सकती ह।ै जब वह चल सकने योvय नहA रहता ह ैतो उसे चलाने के िलए दबाव न डाल+ और न ही

    चलाएं, हो सके तो पिहया कुसZ क� Xयव�था कर ल+। लेिकन जब वह पिहया कुसZ को भी चलाने म+

    असमथ" होता ह ैतो उसे िकसी सहायक क� जBरत पड़ सकती ह।ै उपयु"^ सभी िनयम3 एवं Xयव�थाओ ं

    को ब5च3 पर लाग ूिकया जाए तो ब5च3 क� जीवन िFया बढ़ सकती ह।ै

    äÇäy t ÖO{ñht├ Öí hå¢ã Épƒ hìÖí äzcý, सवेंदी व गामक

    गामक – गामक अ�मता का अथ" हड्िडय3, जोड़3 एवं वेशीय िवकलांगता से ह ैिजसके प%रणाम� वBप

    अंगीय संचालन म+ किठनाई होती ह ै।

  • गामक अ�मता के �कार

    1. Spinal Cord � पाइनल काड"

    2. Spinal Bigida िjशाखी रीढ़ - िjशाखी रीढ़ एक ज� मजात असमा� यता ह ैिजसम+ मेBदR ड

    क� हड्डी म+ रचना( मक दोष होता ह ैरीढ़ क� हड्डी के � यरूल आक" के आपस म+ न जड़ु पाने क�

    ि�थित म+ दोन3 के बीच म+ � थान %र_ त हो जाता ह ै। िजसम+ हड्डी के छेद म+ सेरेfो � पाइनल WX य

    भर जाता ह ैऔर कभी-कभी आवरण के भाग से बाहर भी िनकलने लगता ह ै।

    3. मि�त� क�य प�ाघात –

    मि�त� क�य प�ाघात एक अव� था अथवा बीमारी ह ैजो ज� म के पहले ज� म के समय एवं ज� म

    के बाद मि�त � क म+ �ित होने के कारण हाती ह ै।

    4. मांसपेशीय �रण –

    यह एक वंशानगुत बीमारी ह ैजो धीरे-धीरे उq के साथ बढ़ती रहती ह ै। यह � नाय ुिवकलांगता के

    समहू म+ आती ह ै।

    5. मानिसक मंद एवं YिG बािधत – सीखने म+ कमी व सीखन ेम+ अ�त एवं सामा� य प%रवशे म+ व� त ु

    को � प� ट दखेने म+ किठनाई हो तो उसे YिG बािधत एवं मानिसक मंदता कहते हN ।

    6. �मि�ति�कय प�ाघात एवं मानिसक मंदता – मि�ति�कय �ित होने के साथ-साथ उसके अंग

    लकवा:� त हो, मांसपिेशयां असामा� य हो तथा सोचने, समझन,े सीखने एवं िनण"य लेन ेम+ अ�म

    हो तो उसे �मि�ति�कय प�ाघात एवं मानिसक मंदता से :िसतिवकलांग कहते हN ।

    7. गामक �मता, Hवण अ�म एवं YिG बािधत – HX य एवं Y य सम� य के साथ जब िकसीX यि^

    को चोट अथवादघु"टना के कारण शारी%रक िवकलांगता हो जाती ह ैउसे YिG बािधत Hवण अ�म

    एवं गामकअ�मता से :िसत बहTिवकलांग कहते हN ।

    8. मानिसक मंद व शारी%रक अ�मता- मानिसक मंदता के साथ यिद उसे शारी%रक सम� या होती ह ै

    िजसकेकारण वह चलने िफरने म+ असमथ" हो जाता ह ैउसे मानिसक वशारी%रक िवकलांग कहत े

    हN ।

  • कु� ठ रोग वसन तंOीय संFमण से फैलता ह ै। यह माइFोबै_ टी%रयम ले�ी जीवाण ुके jारा होता

    ह।ै यह बहTत धीमी गित से अपना �भाव िदखाता ह ै। िकसी X यि^ को पहली बार संFमण होन

    के लगभग चार वष" बाद इस बीमारी के ल�ण िदखाई पड़ते हN ।

    कु� ठ रोग के कारण –

    �ाय: कु� ठ रोग के ल�ण3 क� शीy पहचान कर पाना किठन होता ह ै । इनक� ज* द से

    ज* द पहचान कर रोक थाम िकया जा सकता ह ै। कु� ठ रोग के ल�ण3 को मु\ यत: तीन भाग3 म+

    बांटा गया ह ैजो इस �कार ह ै–

    1. आरि�भक ल�ण – ( वचा म+ एक खास �कार के धz ब3 का उभरना व धz ब3 का रंग ( वचा के रंग से िभनन होता ह ै। इसम+ खुजली एवं जलन नहA होती ह ै। शBुआता म+ इन धz ब3 म+ � पश"

    �ाय: सामा� य होता ह ै। धीरे-धीरे धz बे के भीतर का � पश" पणू"त: समा] त हो जाता है िजसस े

    ( वचा के छूने का आभास नहA होता।

    • कु� ठ रोग से �भािवत उस िवशेष � थान पर ह* का पीला धz बा हो जाता ह ै।

    • इसम+ माइFो बै_ टी%रयम लै�ी उपि�थत होता ह ै।

    • एने� थीिसया इसम+ संवेदना श�ू य हो जाती ह ै।

    • िजस िवशेष भाग म+ यह रोग होता ह ैउसम+ अित%र_ त उभार आ जाता ह ै।

    2. िjतीयक ल�ण – हाथ और पैर झनुझनुाहट या � पश" क� कमी से यु_ त होते हN । पैर आगे क� और झकुा होता ह ै। हाथ या पांव म+ कमजोरी या िवकृित आ जाती ह ै।िकसी खास नस म+

    सजून और दद" होती ह ैएवं नस क� विृs होने लगती ह ै। नस अ( यिधक मोटी होने पर ( वचा

    के उपर से आसानी से िदखने लगती ह ै।

    3. बाद के ल�ण- ( वचा का उपरी भाग मोटा लािलमा य_ु त हो सकता ह ै। भ3ह+ समा] त हो

    जाती हN, नथनुा िव कृत हो जाता ह,ै कान3 के िकनार3 म+ लाल-लाल हो जाता ह,ै नाक का

    उठान धीरे –धीरे िसकुड़ जाती ह ै। नस3 क� �ित तथा लकवा म+ �ाय: दरे से � पश"बोध जैसी

    कमी होती ह ै। पैर म+ दद"रिहत फोड़े या [ण इ( यािद ल�ण3 के आधार पर कु� ठ रोग का शीy

    पहचान कर सकते ह ै।

  • कु� ठ रोग के कारण – कु� ठ रोग का म\ु य कारण ‘माइFो बै_ टी%रयम लै�ी’ िजसका �भाव

    म\ु यत: चोट लगने के कारण या शारी%रक �मता कम होने के कारण होता है । यह दबाब य_ु त

    भाग जैसे हथेली, पैर क� ऐड़ी एवं पैर क� अंगिुलय3 म+ अिधकतर होता ह ै।

  • Block 3

    cgqfodykaxrk

  • vke O;fDr d s n`f’V dk s.k l s c gqfo dyk axrk ls lk/k kj.k r kSj ij rkRi ;Z ,d ls vf/k d fo dyk axrk gSA “kS{ kf .k d mns~” ; ds fy, c gqfo dyk ax O; f Dr ;ksa dk s b l i zdk j if jHk kf’kr djrs

    gSa –

    vxj v{ ke rk ds dkj.kksa ds la;k stuk sa l s tSls xa Hkh j “kS{ kf.kd le L; k;sa mRiUu gksa f tUg sa e k= ,d v{ k erk ds fy, f o ”ks’k “kS{ kf .k d dk ;Zdze esa lek;k sftr u f d; k tk l drk gS] ,sls cPpk sa dk s cg qfodykax eku k tk rk gSA

    (;w0 ,l0 QsMjy jftLVj 1977)

    ;g i fjHkk’kk ; g Hkh bafxr djrh gS fd , d f odykaxrk ds f y, “kS{ k f.k d i zk o/kku ,sls c Ppksa ds f y, m i;qDr u gha gksr s g SA ge ;g kW n s[ksr s gSa fd ,sl s c Ppksa dh l gk ;rk dSls dj l drs gSaA

    शारी%रक और मानिसक िवकलांगता बालक को िविश� ट बालक3 क� Hेणी म+ होते ह ै। कुछ बालक ऐस े

    होते हN िजनमे कई �कार क� शारी%रक व मानिसक िवकलांगता होती ह ै । इ� ह+ बहTल िवकलांग बालक

    कहते हN ।सचवाट"ज ने बहTल िवकलांग बालक प%रभाषा इस �कार दी ह ै–

    प%रभाषानुसार बहTल िवकलांक बालक म+ दो या दो से अिधक अयोv यताएं ह ै िज� ह+ उनक� दखेभाल,

    िश�ा और युवा जीवन क� योजना के िलए I यान म+ रखना चािहए ।

    ( By definition, multiple, handicapped, individuals have two or disabilities that

    have to be considered in regard to their care. Education planning for adult life.)

    बहTल िवकलांग के कुछ उदाहरण हN – बहरा-अ� धा बालक, � मि�त� क�य प� अ◌ौर मेBदR डीय

    िjशाखी और गॅ ूगेपन से पीिड़त बालक,मॉसपेशीय डाय� ट पॉव िफरा-वाक दोष से पीिड़त बालक बहरा,

    एक ऑख वाला, हथकटा- वाक दोष से.. बालक, अ◌ािद। शारी%रक Bप से िवकलांग बालक’ अI याय

    म+ अपंगता के िविभO िदय ेहN । उन िविभO �कार3 तथा अ� य का कोई भी संचय (Combination) बहTल

    िवकलांग के अ� तग"त आता ह ै ।

    cgqfodykaxrk O;fDr dkSu gSa?

  • tSlk Åi j ns[k k x;k fd dk sb Z O; fDr ] f tlls fo dyk axrk dk la; ks tu g ks] cg qfodykax gk srk gSA

    la;ks tu e U n cqf+) dk Jo .k v{k erk r Fk k / ; k n`f’V v{ ke rk rFkk / ;k “kkjhf jd fo dyk axrk ftle sa g kFk i Sj lfEef yr g Sa tSl s os fo :i rk,Wa tks n q?kZVuk Lo:i mRiUu gk srh gSa] t Uetkr nks’ k ;k ls jsoy i kYlh g ks l drh gSA cg qfodykaxr k Åij n ”k kZ;h x;h nks ;k vf/kd f o dykaxrkvk sa dk la;ks tu g ks l drk g SA tSlk fd g ekjk ds Unz f cUnq e kufldl

    fo dyk axrk gS g e mu i j / ;ku nsr s g Sa ek ufld fo dyk axrk ds lkFk–lkFk n`f’ V] Jo.k ;k xfr fo’k ;d f od ykax gSA

    fo”ks’krk,W

    tSlk ig ys n s[kk x ;k gS fd xaHk hj /vf r xaHkhj ek ufld fodyka x c Pp ksa esa vfrf jDr

    fo dyk axrk gks l dr h g SA ;g Hkh laHko gS f d vf r vYi /vYi e kufl d fodykax cPpksa es a Hkh n`f’V] Jo.k ;k xf r f o’k; d fo dyk axrk gks l drh gSA

    eUncqf) ds lkFk xfrfo’k;d fodykaxrk

    cg qfodykax cPpksa esa c gqr vf /kd la[;k e sa c Ppksa d s lk Fk xked l e L; k;sa g ksrh gSaA dbZ

    xaHkh j /vfr xaHkhj fo dykax izd`fr :i l s vlapk jh gk srh g SA v U; dks o kd le L; k;sa tUe tkr dq:irk] ls jsczy ik Ylh ;k la dze.k dss dk j.k rFk k n q?kZVukvksa ds dk j.k gk srh gSa A

    eUn cqf) rFkk xfr fo’ k;d f odykax c Pps i zk;: ls jsc zy ik Ylh (CP) ls i zHkkfor i k;s tkrs

    gSaA dqN de l a[;k esa cPps nksuk sa nk s’kksa ls izHk kfor ns[ ks tkr s g SaA db Z CP c Pp ksa dh cqf) lkek U; ;k lkekU ; ls vf/kd gksr h gS ysf du vf/k dk a”k e Uncqf) gk srs g SaA

    Ldwy rS;kjh ds fy;s izdkj

    ,d CP cPpk Vuh] ladqfpr isf”k;k sa ds lkFk Li kfLVd g ks l drk gSA ,FksV O;kM ds lk Fk flj gk Fk iSj RkFkk vkWa [kksa dh fuj Urj vfu ;f U=r xfr dBk sj r Fk k ru h gq;h isf ”k; ka tks mudks pykus e ss izfr jk s/k iSn k djrh g S ,V sfU t d esa de tksj l Urqyu ftl ls yM +[kM+k dj

    pyuk rFkk /;k f xj tkrk g SA

    gk Fk iSj lfEe fyr gk sus ds vk/kk j mUgsa e kseksI yh ft;k] MkbI yh ft;k ;k gse hIyhft;k cPps dgk tkrk g SA

    बहTिवकलांगता के �कार –

  • यह �ाय:िन� निलिखत �कार क� हो सकती ह ै–

    1. Hवणअ�म एवंYिG बािधत – जब X यि^ बा}य वातावरण क� I विन को सुनने म+ अ�म होने के

    साथ –साथ िकसी व� तु इ( यािद को सामा� य दरूी पर � प� ट Bप स ेदखेने म+ स�म होता ह ैतो उस े

    Hवण एवं YिG बािधत बहTिवकलांग कहते ह ै।

    2. मानिसक मंद, Hवण अ�म एवं YिG बािधत- जब िकसी X यि^ म+ सोचन,े समझन,े सीखने,िनण"य

    लेने आिद म+ दरेी अथवा अ�मताहो , बा}य वातावरण को I विन को सुनन ेम+ अ�म हो एवं

    सामा� य दरूी पर िकसी व� त ुको � प� ट दखेने म+ किठनाई हो रही हो तो उसे YिG बािधत, Hवण

    अ�म एवं मानिसक मंदता से :िसत बहTिवकलांग कहते ह ै।

    3. मानिसक मंद एवं YिG बािधत – सीखने म+ कमी व सीखन ेम+ अ�म एवं सामा� य प%रवेश म ेव� त ु

    का � प� ट दखेने म+ किठनाईहो, तो उसे YिGबािधत एवं मानिसक मंदता कहते ह ै।

    1- �मि�ति�कय प�ाघात एवं मानिसक मंदता – मि�ति�कय �ित होने के साथ – साथ उसके अंग

    लकवा:� त हो, मॉसपेिशया असामा� य हो तथा सोचने, समझन,े सीखने एवं िनण"य लेने मे अ�म अथवा

    किठनाई हो तो उसे �मि�ति�कय प�ाघात एवं मानिसक मंदता से :िसत िवकलांग कहते ह ै।

    2- गामक �मता, Hवण अ�म एवंYिG बािधत – HX य एवं Y य सम� या के साथ जब िकसी X यि^ को

    चोट अथवा दघु"टना के कारण शारी%रक िवकलांगता हो जाती ह ैतो उसे YिG बािधत, Hवण अ�म एवं

    गामक अ�मतासे :िसत बहTिवकलांग कहते ह ै।

    3- मानिसक मंद व शारी%रक अ�मता – मानिसक मदता के साथ यिद उसे शारी%रक सम� या होती ह ै

    िजसके कारण वह चलने-िफरने म+ असमथ" हो जाता ह ैतो उसे मानिसक व शारी%रकिवकलांग कहते ह ै।

    बहTिवकलांगता के ल�ण :- बहTिवकलांगता दो या दो से अिधक िवकलांगता का िमला –जलुा Bप होता

    ह,ै िविभ� न �कार क� िवकलांगता से जड़ेु बहTिवकलांगता के िन� निलिखत ल�ण हो सकते ह ै–

    बहTिवकलांगता म+ ब5 च3 क� शरी%रक िवकास क� �िFया धीमी होती ह ै । जैसे गद"न िनयंOण, बैठना,

    घटुने के बल चलना,खड़ा होना इ( यािद ।

  • • शौच िनयंOण का अभाव होता हN ।

    • कुछ ब5 च3 को िनगलने, चबाने हाथ के उपयोग इ( यािद कौशल म+ अ�मता होती ह ै।

    • वे आसानी से दखेन,ेसनुन,े � पश" , गंध � वाद क� नहA समझत ेह ै।

    • वे � प� ट Bप से अपनी भावनाओ,ं िवचार3 एवं आव यकताओ ंको X य_ त नहA कर सकते ह ै।

    • वे उन नए कौशल3 को नहA सीख पाते ह ैिजसे दसूरे को करते दखेते ह ै।

    • वे सीखन म+ धीमे अथवा अ�म होते ह ै।

    (4) बहTल िवकलांगता के कारण –

    (Causes of Multiple Handicappedness )

    बहTल िवकलांगता के कुछ कारण इस �कार हN –

    i) मॉ क� बीमारी ।

    ii) मॉ jारा ली गई दवाइय3 का �भाव, मु\ यत: उन दवाइय3 का जो थैलीडेन ( Thalidomite) से

    बनायी जाती हN ।

    iii) दघु"टना म+ �ा] त चोट+ ।

    iv) रोग:� तता ।

    bfUnz; v{ke cPps

    blls r kRi; Z cPpksa ls gS ftue sa n`f’ V RkFkk / ;k Jo.k v{ ke rk g ksrh gSA ,sls c Ppksa dks lh[k us e s sa dfBuk bZ g ksrh gSA ge tkur s gSa f d eUn cqf) c Pps cg qbfUn z; fu os”k } kjk vPNk lh[k rs g Sa rFk k b u c Ppksa e sa bf Unz; ;ksX;rk dk vHkko gksr k g SaA mn kg j.kk Fk Z eUn cqf) c Ppksa dk fo dkl /khek g ksrk gS rFkk ge mu dks fo fHkUu fdz;kvksa }kjk izzsf jr d jr s g Sa f tles a n`f’V ] Jo.k Li”kZ] xU/k rFkk Lo kn lfEefyr gSA tc ns[ kus dh { ke rk ekStw n ugha gk srh r ks c Ppk lkeu s ds f[ kykSus ls vkdf’kZr ugha gk sxk rFkk mu dh r jQ ug ha tk ,xkA bl izdkj lapyu”khyrk dh xke d f dz; k /khe h g ks tk rh g SA mlh izdkj c Ppk ] ft lesa e Unc qf)rk

    ig ys ls gS mudk Hkk ’kk–fodkl /k hek gksrk gSA tc og dk sbZ /o fu u gh lqu ikr s gSa rks fuf ”pr :i l s okP; , oa laizs’k.k esa vkSj /k hekiu vk tk rk gSA

  • bl r jg ls eUnc qf) cPps r Fk k vfrf jDr b fUnz; / x ked fo dykax rk,Wa lEi w.kZ :i ls fo fHkUu fdz;k;k sa] n Sfud thou ] lap yu”kh yr k lai zs’k.k dkS”ky d s f ”k{ k.k esa pqu kSfr; kWa [k M+h d jr h gSaA

    “kS{kf.kd izko/kku

    fo ”k s’k Ldwy ds :i esa blds f y, “kS{ kf .k d l s ok, W ;k fdlh vU ; :i e sa ns”k e sa c gqr de

    gSaA bl ds dbZ dkj .k g Sa:

    • fo dyk axrkvksa ds l a;ks tu b rus f HkUu g Sa fd ,d fof ”k ’V dk;Z dze f odflr ug ha fd;k tk l dr kA

    • voLFkk viu s vki e sa g h de nj dh g Sa] b lfy , fo ”ks’ k f o|ky;k sa esa Hk h b udh l a[ ;k i; kZIr ug ha gks l dr hA

    • bl NksVh lh l a[;k ds fy, fo ”ks’ k fo |ky;ksa dk s [kk syu k vkf Fk Zd :i ls O ;og k;Z ug ha gS D;k sf da blesa f ofHk Uu { ks=k sa ds midj .k O;ko lkf;d f tu esa ok P;] “kkjhf jd O;k olkf; d] f pfdRl d] f o”ks’k f”k{ kd] mUeq[ khd j.k rFkk l apyu”kh yr k funsZ”kd r Fkk fpf dRlk O; kolkf ;d l fEe fyr gSaA

    • ,slh lqf o/kk vksa dk s LFk k fir d jus d s fy, i fjogu lqf o/kkvk sa dk vHkko Hk h ,d lk/kk j.k dkj.k g S A

    • ns”k esa cg qfodykaxrk ds { ks= esa izf”kf{ kr vfHkHkko dk sa dh deh gS A

    bu lHkh dfe ;ksa ds c kotwn Hkh ns”k esa db Z lso k l axBu gSaA Hk kjr d s c M+s “kgjks a esa Li kfLVd lkslkb Vht] fo”ks’ k] l axBu] ls jsczy I kkYlh O ;fD r;ksa ds fy ;s [ kksys g SaA Jo.k rFkk n`f’V l s v{ ke cPpksa ds fy, dqN lqf o/kk, Wa f odflr dh tk jg h g Sa A bld s lk Fk xwWaxs] rFk k n f̀ ’Vg hu yksxksa ds f y, dk ;Z dj jg k g S r Fk k bfUnz; v{ke O ;fDr ;ksa ds fy;s dk ;Z d ju s o kys l axB uksa ds f odkl dk s c

  • eUnc qf) r Fkk vYi x ked fodykax cPps d s i kB~;dze fo ’k; esa c SB us dh vo LFkk ] lapyu”khyrk ] vk RefuHkZj cu kus okyh dk;kZRe d f dz;kvk sa ds f y ;s g kF kksa vkSj i Sjksa dk i zHkkoh iz; ksx lai zs’k.k] lkek th dj.k r Fkk vx j mles a { ke rk gS rks dk ;kZRed f ”k {k k e sa e q[; :i ls /;k u f n;k tkuk pkf g;s A

    dbZ ckj cPps fcu k f y[kkbZ–ik;h x;h fdz;k,Wa

    n`f’V (1) fo |kFkhZ dks lk Fk-lk Fk pyk; s ;k Q ”kZ ij c us uewu s dks

  • (3) c

  • lwW?kuk (1) fof HkUu izdkj dh lqxU/kksa ([kq”kcw) dk s ?k j ds pkjks a vksj eglw l d ju s dks izk sRlk fgr djsa A

    (2) fo ”k s’k lqxU/kksa ls cPps dh tku dkjh d jk ;sa A

    (3) lke qnkf; d vuqHko izn ku djs a] lqi j ek dsZ V] t wrs dh nqdku r Fkk Hkkstu ky; dh lqx U/kksa e sa v arj c rkus ds fy, eg Roiw.kZ lzksr gS r Fk k f”k{ kd vo lj iznku d jr s g Sa A

    Lokn (1) fo fHkUu O;atu ksa l s iz;ksx djs a A

    (2) lq[k nk;h Lokn ksa dk s vPNs f d;s x ;s dk; ksZa ls ;qXe c uk,WaA

    (3) vP Ns Lok nksa dks mud s O;a tuk sa l s lacaf /kr d js a ;k rks Lo j ; k b”kk js ls m u ds uk e crk ,WaA

    fexhZ (Epilesy)

    ifjp;

  • fe xhZ ;k vi Lekj ,d raf =dk ra=h; fodk j gSA f tles a jksxh dks ckj-ckj nk Sjs i M+rs gS A ef Lr ’d esa f dlh

    xM+c M+h ds dkj.k ck j-c kj nkSjs iM +us dh le L;k gks tk rh g SA nkSjs ds le ; O ;f Dr dk fne kxh larqyu i wjh rj g ls xM+c M+k tk rk g S vkSj ml dk “k jh j yM+[ kM+k us yxrk gSA b u

    nkSjksa esa rjg-rjg d s y { k.k gk srs gS] csg ks”kh vkuk] g kFk-ik ¡o esa >V ds vk uk f xj iM +uk vkfnA ;g , d vke c hekjh gS] tks yxHkx lkS yksxksa esa l s , d dks gksrh g SaA fo”o e sa 5 d jksM + yksx vkSj Hk kjr esa yxHkx ,d d jksM+ yk sx fe xhZ ds jksx h g SaA 17 u oEcj dks fo ”o Hkj e sa fe xhZ fno l dk vk ;kstu f d; k tkr k gSA e k dyu ds vuqlk j yxHkx 1 0 izfr”kr e kufld e an O;f Dr; ksa dks nk Sjs iM+r s g SaA fe xhZ ds c kjs esa ,d v k e xyr /kkj.k ; g g S fd bles a e jht dks g es ”kk c sgks”kh ds >V ds

    ,oa f [kapo k vk rs gSa A cP pk sa e sa ik bZ tk us o kyh fexh Z dbZ izdkj dh gk s ldrh gS] ft Ug sa i zk;:

    ig pkuk u gha tkrk gSA i gpkuus es a db Z dfB ukb ;ksa gksr h g Sa tSl s –

    1– c Pp s e sa vfHk O;fDr dh vle FkZr k A

    2– vfHkHkkod dh vufHk KrkA

    3– fexhZ ds dqN nkSjksa dk lw{ e Lo :iA

    4– fexhZ ds lE cU/k es a izpf yr xyr /kk j.kk ,¡A

    mnk gj.k:- ,d c Pps e sa nk s e ghus dh vk ;q ls ,d rj Q ds g kFk-ik¡o e sa dqN { k .kk sa ds fy,

    f[ kapko vkrk FkkA p waf d ;g cg qr Fk ksM+s le ; (dqN ls ds .M ksa ) ds fy , jg rk Fkk vk Sj cPps dks tc rd ek¡ xksn esa s ysrh Fkh] rc rd lek Ir gk s tkrk Fkk ] m lds ?kj ok yk sa u s bl ij T;knk /;ku ugh a fn; kA os le >rs jg s c Ppk f dlh dk j.ko ”k M j jgk gSA ij o gh c Ppk

    vkB eg hus dh me z rd xnZu Hkh ug ha l¡Hk ky i k;k rks ml dh n ok “kq: dhA vr: ge ns[ k ldrs g Sa fd tku dkjh ds vHkko esa fexh Z dk b yk t le; ls u “kq: d j i kus ds dk j.k cPps dk fodkl f d l r jg i zHkkfor gksr k gSA ,d nw ljk mn kgj.k , d vkB lky ds cPpsa dk g S] tks dqN le ; i gys r d i

  • Vh0 oh0 i j fe xhZ ds y{ k.k d s ckjs e sa , d d k;Zdze ugh a ns[ kkA b ykt djk us l s og h c Ppk ig ys dh r jg fQ j i

  • fe xhZ dk ;g i zk:i lokZf /kd i zfpyr izk:i g SA izk;: 6 0% jksxh bl izdkj dh fexhZ ds f”k dkj g ksrs g SA b l jksx ds y{ k.kksa e sa O;fDr eqfPNr p sr uk dk gk zl r Fkk

    “kkjhfjd r hoz ,saBu dh fLFkfr mRiU u g ks tk rh gSA jksxh dh izolu i zfdz;k Hkh :d-: ddj p yr h g S jksxh dk tc M+k cUn gk s tkr k g S] e kalisf”k; k¡ vdM + dj gM~Mh dh

    rjg l[r gks tkrh gS jk sxh ds ph[k us-djkg us ds lkFk-lkFk o g vius gkFk-i Sjk sa dks

    Åij-uhps fxjkrk g S] Q M+QM+k rk gS A e q¡g ls rs t >k x vk us yx rs g SA jksxh tehu ij dVs i sM+ dh r jg fxj tkrk gSA ml dk psg jk / kq/kyk] f Qj ih yk g ks tkrk gSA ,slh

    fLFkfr es a ml dh th Hk ds dVus dk Hk; c uk jg rk g S] e y-e w= vkf n fdz;k vk sa ij mldk fu;U= .k lek Ir gks tkrk gS] tc nk Sjsa ds nk Sjk u m lds Qs QM +ksa e sa o k;q ig q¡p rh

    gS r ks mldh ek alisf”k ;ka dq N u kgV lh “k kjhfjd vax ksa esa g ks sus

    yxrh gSA nkSjs dh vkjfEHkd vo f/k esa jk sx h lpsr c uk jg rk gSa fdUrq tSl s-tSls nkSj s

  • dh fLFk fr vk xs c

  • Tumour), e f Lr ’dh; dql ajpuk (Brain Mal-formation),efL r’dh; e sa jDr ifjo gu ;k /k efu; ka lEcU/kh n ks’k mRi Uu gks tku k ;k fo ?k Vudkjh fod`fr; ksa dk mRi Uu gks tkuk vkfn A

    (iii) efLr’dh; rjax v/;;u (Braub Waves Studies) – O; f Dr dh

    efLr’dh; rjaxksa dk v/;;u ize fLr’dh; fo |qr r jaxh (Electro

    Encephalograph- E.E.G) } kjk f d ;k tkrk gSA Luk; w dksf”k dk

    (U; w jk sxh) vfL Fk jr k ds dkj.k] o s lajp ukRed v Fkok p;ki p;h nk s’k

    (Metabolic Defects) gSa tks vR;f/kd v Fk ok U;wu Luk;q dksf”k dk izltZu

    (Neuronal Firing) ds dkj .k mRi Uu gksr s g SA

    2. eu ksoSKkfud dkjd (Psychological Factors) ; |fi ;g loZl R; gS f d fdlh u f dlh izdkj ds e fLr’dh; f odk jksa d s QyLo:i g h fe xhZ jksx dh mRi fRr g ksrh g S] f dUr q fexh Z ds dqN x kS.k vFkok vo{ksi h dkj d Hk h gksrs gSA vusd izdk j d s lao snh] ck Sf)d rFkk lkao sfxd m} hid iwoZo `r jksf x;ksa esa fexh Z dk

    nkSjk mRiU u dj n srs g SA tS ls- Vsyho htu dk yqiyqik uk fo”ks’ k vko`fr dk lax hr Loj] fof ”k’ V i zdkj dk ekuf ld ruko ; k vk?k kr] vFkok lkao fxd i zfrc yA bl izdkj ds rF;k sa dh O ;k[; k g srq mRrstuk fl)k Ur dk lgk jk fy ;k tk rk g SA bl fl)kUr ds vu qlk j Luk;q dksf”k dk;sa , d f o”ks’k izdkj d s m)hid v Fk ok nks’kiw.kZ Luk;q dk sf”k dh; fo ltZu gksus yxrs gSa] ftlds QyLo :i fexh Z jk sx ds y{ k.k izdV gk s tkr s g SA

  • O;fDrxr “kS{kf.kd dk;Zdze (IEP)

    ck Sf)d v{k erk ds dk j.k eUnc qf) cPpksa ds dk S”ky lh[ku s dh { ker k xSj fo dyk ax c Ppk sa dh rqyuk esa de g ksrh gSA b uds c hp e sa O; f Dr xr vUr j br uk vf/kd g ksrk gS f d fo” ks’k vko”;drk, sa iwjh djus d s f y, O;f Drx r “kS{ kf.kd dk;Zdze dh vko ”; dr k g ksrh gSA lHk h f odyka x c Ppksa ds fy, f ”k{ kk vf/kfu; e

    (PL 94.142) u oEcj 1975 esa USA esa c uk;k x;k FkkA nwljk vf/kfu; e

    PL 99.157 tUe l s 2 o’kZ rd ds cPpk sa dks mfpr l sok ;sa lqf uf”pr d jkr k gS

    tcfd PL 99.457 “k h?k zz g Lr{ ksi lsokvksa ds izko/kku PL 94.142 tSlk gh gSA nksu ks vf/kf u;e d s v uqlkj fo”ks’ k cPpksa dks mfpr ,oa e qDr lso k,¡ fe yuh pkf g;sA f tl ek/ ; e l s ,slh lsokvk sa dks fn;k tkrk g SA og fyf[ kr lsokvksa dk ,d dk;Zdze ,o a O ;fDrxr vko ”;drk vksa ds vk/k kj i j ,d l fef r }kjk fo df lr f d; k gqvk nLrkost gS A

    vf/kf u;e ds eq[; m)s ”; f uEufyf[ kr gSa:

    • mfpr ,o a e qDr lkoZtfud f”k{ kk lqf uf”pr djuk tks fo ”ks’k f”k{ kk rFkk lacaf /kr lso kvksa ij tks j n srh g ks rFkk mls fo ”k s’k vko”;drkvksa dh i w frZ gsr q r S; kj f d;k x ;k gksA

    • fo dyk ax cPpksa rFkk muds vfHkHk kodksa ds vf / kdkj dh lqj{ kk lqf uf”pr d ju kA

    • LFkkuh; { ks=k sa rFkk jk T;k sa ds lHkh fo dykax ksa dks f ”k {k k mi yC/k d jkus e sa lgk ;rk dju kA

    • fo dyk ax cPpk sa dks f ”k f { kr djus ds fy, f d;s x; s iz; klksa dk e wY;ka du rFkk ml dh izHkko”khyrk lqfu f”pr djukA

    IEP fodflr djuk O;f Drx r “kS{ kf.kd dk; Zdze dks fo dflr d j uk rFkk ml dk e wY;ka d u d ju s esa vfH kHkko d] f”k{ kd rFkk vU; O ;kolk f;d l axks’Bh esa mudh g Lr {k sfid vko ”; dr kvksa ds lan HkZ esa Hkkx ysrs g SaA ; s l a xksf ’B;k¡ vfHkHkkodksa vk Sj Ldw y ds yksxksa ds lk Fk laizs’ k.k ok gu dk dke d j rh gSa rFk k laxBu vkSj mu ds

  • ch p ds er Hksnksa dk s g y d jus e sa lgk; d gks rh gSaA fyf[ kr nLr kost IEP izc a/ku ;U= dk dk;Z djrk gS A ;g e kfuV fjax r Fkk fyf[k r ;ks tuk ds

    fdz;kUo ;u (fo|kFkh Z dh izxfr ds vk/k kj ij ) esa e w Y; ka du e sa lgk ; d gk srk gSA

    IEP e sa “k kfey gSa:

    • fo |kFkhZ ds o rZeku Lrj dk fo oj.k

    • fo ”k s’k lsok; sa r Fk k fn ;s tkus ok ys dk;Zdze k sa d s izdkj ,o a l so k;sa

    mi yC /k d jkus dh le;-lhek

    • ok f’kZd y{;

    • vYidkyhu m)s ”;

    • y{ ;ksa ,oa m)s”;k sa d k ewY;kadu djus ds fy, dk;Ziz.kk yh ,oa vuqlwphA

    IEP fy[kus dk izk:i: “kSf{ kd dk; Zdze ksa d s fy [ kus d s f y, fo ”ks’k izk:i dk iz;k sx d jrs g Sa f tle s tulkaf[ ;dh; vk¡dM + s] lf Eefyr voLFkk;sa] y{ ;] f dz;k;sa] o rZeku Lrj] lkex zh] dk; Ziz.kkyh ,oa ewY;ka du lf Eefyr g ksrs gSaA ;g nks Hk kxksa esa fy[ kk

    tkrk g SA Hkkx-A rFkk H kkx –B

    Hkkx-A

    tulkaf[;dh; vk¡dM+s :- ble sa c Pp sa dk u ke] vk ;q] f yax ] f ”k{ k k] ekr` Hkk’ kk] vfHkHk kod dk ir k] mu dh f”k{ kk ] O;olk; r Fk k vk; l s l acf /kr lwpuk, ¡ gksrh gSaA

    lfEe fyr vo LFk k;sa :- fo f”k’V f odykaxrk ds vyko k dqN cPpksa e sa lf Eefyr vo LFk k;sa g k srh gSaA mnk gj.k d s rkSj ij , d e Uncqf ) cPps esa n`f ’V fodykaxr k ;k Jo.k fo dyk axrk ;k lsjsc zyh i kYlh ] cPps dk ck Sf)d v{ ke gksu k ; k e Uncqf) gk suk ;k mls nkSjs iM+us dh che kjh g ks l dr h g SA

    lkek U; i`’BHkwfe laca/k h lwpu k;sa :-

    cPps ds i fjokj dh i`’ BHkwfe lac a/kh lwpuk;sa ,d f=r dh tkrh gSaA (Hk kbZ cg uksa

    dh la[; k]i fjokj ds l nL;ksa dk lk ekft d] vk fFkZd] “kS{ kf.kd Lrj ) tUe

    bf rgk l] fodkl lac/kh bfrg kl] fo dk l lac /kh bf rgk l] (iwoZ Ldw y dk

    bf rgk l)] O;ko lkf;d bf rgkl (O;k olkf; d dk; Z /izf”k{ k.k lwpuk ,¡)A b u

  • lwpukvk sa l s IEP dh ; kstuk djus e sa lg k;rk fe yrh gSaA ; s l wpuk ;sa cgqr gh la{ ksi esa fy[k h tkr h gSa blesa mfpr “kS{ kf.kd lwp ukvksa ij / ;ku dsfU nzr gk srk gSA orZeku Lrj dk nLrkost cukuk

    ;g IEP ; ks tuk dk , d eg Roiw.k Z fg Llk g SA f”k{ kd dk fu.kZ; ewY ;ka du f d

    D;k f o’k; i

  • f”k{ k.k lkexzh :- ,d f ”k {k .k fu nsZ”k ; kstuk rc rd v/k wjh g S tc rd m fpr f”k{ k.k lkexzh dk p;u fun sZ”kk sa d s fy, u f d; k tk; sA f”k{ k.k lkexzh f”k{ kd dks vfr vFkZi w.k Z c ukr h gS rFkk lh [kus e sa lgk;d gk srh gSA f dlh , d fo |kFkhZ esa i z;qDr f ”k{ k .k lkex zh n wljs fo|kFkh Z ds lk Fk mru h m lh f dz ;k dks lh[k kus d s f y, izHkkoh ugh a gks l dr h] b lfy, f ”k {k d dk s pkfg ;s fd o g fo |kFkhZ ds lh[ kus ds r jhs ds ds vuqlkj f”k{ k.k lk exzh rS;k jh dj sA

    dk;Zi z.k kyh :- fd l i zdk j d`R;d cy dk;Z xfrfo f/k fl[k k;k tk,xk ml dk fooj.k dk;Zi z.k kyh ds vUrxZr n”kkZ, ¡xsA dk;Z iz.kk yh esa iz; qDr f”k{ k.k f of/k ;k¡ rFkk f”k{ k.k dks izHkkoh cu kus gsrq iz; qDr iqucZyu lfEefyr g SaA

    ewY;ka du :- fo|k Fkh Z }kjk f of”k’V d`R; d cy lh[ kus dh j ¶rkj fn; s x; s

    ek un.M ds vuqlk j djuk/e wY; ka du dk;Zi z.k kyh rFkk nLrkost d s j [kj[kko dh ppkZ ew Y;ka du ds v UrxZr vyx ls dh tk rh g SA