PITRA MOKSH MOKSH ============पितृ हमारी वैपदक स ं कृपत का एक ऄयपधक महवि ू णण भाग है . अध ु पनक िााय पवान के सामने भी अज कइ कार के अज पवमान है की मानव याा मा जम से मृय ु तक ही नह है तो पिर ईसके िहले या बाद म मन ु य की या और पकस कार गपत होती है . लेपकन हमारे ाचीन ऋपषय तथा पस ने आस सब ं ध म बहोत ही स ू म से स ू मतम शोध और खोज कर के कइ कार के तय को सामने रखा था. आसम से कइ महवि ू णण ि म से एक ि पितृ सब ं पधत भी है . पितृ का ऄथण ऄयपधक वृहद है लेपकन सामायजन को समजने के पलए आसका पववरण क ु छ आस कार से पदया जा सकता है . मन ु य शरीर तथा अम तव से पनपमणत है . ाण तव का भी ि ू णण योगदान है . जब शरीर थ ू ल होता है और ईसके साथ अमतव का स ं योग होता है तो वह मन ु य के ऱि म होता है . लेपकन थ ू ल शरीर का नाश होने िर अम तव बचता है आस तव को भी गपतशीलता के पलए स ू म लोक म भी एक शरीर की ज़ऱरत िड़ती है , यह वासना शरीर होता है . यह थम स ू म शरीर है . आस शरीर के कारण यपि के मानस मृय ु के ियात भी वेसा ही रहता है जेसा मृय ु से िहले होता है . आसी को ही हम अमा का नाम देते है . अम तव के साथ स ू म शरीर का स ं योग वही अमा है . ऄब मन ु य के जो भी सब ं धी होते है ऄथाणत पजसको हम िररवार का सदय कहते है ईनकी मृय ु ियात ईनके अिसे सब ं ध पवछेद नह होते य की ईह वासना शरीर ा है पजसमे ईनकी वासना ऄथाणत ब ं धन वही होते है जो की मृय ु से िहले . आसी पलए िीढ़ी या व ं सज से ईनकी ऄिेाए ं ठीक ईसी कार से होती है पजस कार मृय ु से िहले . ऄब यहा िर बात आस कार से है की वासनामक ब ं धन के कारण ईनकी गपत श ु म लोक म ना हो कर वासनाजगत म होती है ऄथाणत वह िृवी िर ही हमारी द ु पनया से सब ं पधत रहते है और ईनकी गपत स ू म हो जाती है . आस कार ब ं धन म ु ि ना होने के कारण वे न ू तन गभण को भी वीकार नह कर िाते पजसके मायम से वे जम ले कर नया जीवन श ु ऱ कर सके या स ू म लोक म जा कर वहा िर गभाणधान से िहले पवाम ा कर सके . और आन सब पथपतय म ईनकी ऄिेा और अशा ऄिने व ं श से सवाणपधक होती है . आसी पलए हमारी स ं कृपत म पितृ मो का ऄयपधक महवि ू णण थान और महव है . ा ि का अर ं भ ऄपिन महीने के कृण ि की पतिदा से हो रहा है . यह योग तारीख १ ऄट ू बर को करना चापहए. आस पदन सोमवार है तथा यह योग भगवान पशव मृय ु ं जय वरि का है ऄतः आस कार यह पितृकृिा ाप सब ं पधत आस साधना योग के पलए एक े म ु हूतण है , आस पदन यह योग सिन न कर सके वे यपि आस योग को पकसी भी सोमवार िर कर सकते है . आस योग से साधक को पनन लाभ की ाप होती है