shirdi shri sai baba ji - real story 013

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Page 1: Shirdi Shri Sai Baba Ji - Real Story 013
Page 2: Shirdi Shri Sai Baba Ji - Real Story 013

दामोदर को सांप के काटने और साईं बाबा द्वारा बिबना बिकसी मंत्र-तंत्र अथवा दवा-दारू के उसके शरीर से जहर का बूंद-बूंद करके टपक जाना, सारे गांव में इसी की ही सब जगह पर चचा$ हो रही थी|

गांव के कुछ नवयुवकों ने द्वारिरकामाई मस्जि,जद में आकर साईं बाबा के अपने कंधों पर बैठा लि2या और उनकी जय-जयकार करने 2गे| सभी छोटे-बडे़, ,त्री-पुरुष साईं बाबा की जय-जयकार के नारे पूरे जोर-शोर से 2गा रहे थे|

"हम तो साईं बाबा को इसी तरह से सारे गांव में घुमायेंगे|" नयी मस्जि,जद के मौ2वी ने कहा - "मैंने तो पह2े ही कह दिदया था बिक यह कोई साधारण पुरुष नहीं हैं| यह इंसान नहीं फरिरश्ते हैं| यह तो लिशरडी का अहोभाग्य है बिक जो यह यहां पर आ गए हैं|"

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"हा,ं हां, हम साईं बाबा का जु2ूस बिनका2ेंगे|" अभी उपस्जिBत व्यलिD एक ,वर में बो2े|

बिफर उसके बाद सब जु2ूस बिनका2न ेकी तैयारी करने में 2ग गये|

यह सब देख-सुनकर पंबिडतजी को बहुत ज्यादा दुःख हुआ| पूरे गांव में केव2 वे ही एक ऐसे व्यलिD थे जो नये मंदिदर के पुजारी के साथ-साथ पुरोबिहताई और वैद्य का भी काय$ बिकया करते थे| यह बात उनकी समझ में जरा-सी भी नहीं आयी बिक साईं बाबा के हाथ फेरने से ही जहर कैसे उतर सकता है?

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इस बात को वह ढोंग मान रहे थे| इसमें उनको साईं बाबा की कुछ चा2 नजर आ रही थी| वह गांव के 2ोगों का इ2ाज भी बिकया करते थे| साईं बाबा के प्रबित उनके मन में ईर्ष्याया$ पैदा हो गयी थी|

साईं बाबा एक चमत्कारी पुरुष हैं, पंबिडतजी इस बात को मानने के लि2ए बिबल्कु2 भी तैयार न थे| वह ईर्ष्याया$ में भरकर साईं बाबा के बिवरुद्ध उल्टी-सीधी बातें बो2ने 2गे|

सब जगह केव2 साईं बाबा की ही चचा$ थी| पर, पंबिडतजी की ईर्ष्याया$ का कोई दिठकाना न था|

"जरूर कोई महात्मा हैं|“

"लिसद्धपुरुष हैं|"

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"देखो न ! कैसे-कैसे चमत्कार करता है !“

अब आस-पास के 2ोग जिजन्होंने साईं बाबा के चमत्कार के बारे में सुना, उनके दश$न करने के लि2ए आ रहे थे| उधर पंबिडतजी न नाग के जहर को शरीर से बंूद-बंूद कर टपक जाने की बात सुनी तो आगबबू2ा हो गये-और गांव के चौपा2 पर बैठे 2ोगों से बो2े-

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"यह गांव ही मूखV से भरा पड़ा ह|ै" पंबिडत ने क्रोध से कांपते हुए कहा - "वह क2 का मामू2ी छोकरा भ2ा लिसद्धपुरुष कैसे हो सकता है ? कई-कई जन्म बीत जाते हैं साधना करते हुए, तब कहीं जाकर लिसजिद्ध प्राप्त होती है| नाग का जहर तो संपेरे भी उतार देते हैं| मुझे तो पह2े ही दिदन पता च2 गया था बिक वह कोई संपेरा हैं| एक संपेरों की ही ऐसी कौम होती है, जिजनका कोई दीन-धम$ नहीं होता| वह भ2ा लिसद्धपुरुष कैसे हो सकता है?"

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"आप बिबल्कु2 ठीक कहत ेहैं पंबिडतजी!"-एक व्यलिD ने कहा - "पन्द्रह-सो2ह वष$ का छोकरा है और गांव वा2ों ने उसका नाम रख दिदया है 'साईं बाबा'| यह साईं बाबा का क्या अथ$ होता है, पंबिडतजी ! जरा हमें भी समझाइये?“

"इसका अथ$ तो तुम उन्हीं 2ोगों से जाकर पूछो, जिजन्होंने उसका यह नाम रखा है|" पंबिडतजी ने ईर्ष्याया$ में भरकर कहा| बिफर रह,यपूण$ ,वर में बो2े-"जाओ, पुरानी मस्जि,जद में देखकर आओ, वहां पर क्या हो रहा है?"

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तभी अचानक झांझ, मदंृग, ढो2 और अन्य वाद्यों की आवाज तथा 2ोगों का को2ाह2 सुनकर पंबिडतजी चौंक गये| बाजों की आवाज के साथ-साथ जय-जयकार के नारे भी सुनायी दे रहे थे|

उन्होंने देखा, सामने से एक जु2ूस आ रहा था|

"पंबिडतजी! बाहर आइए|साईं बाबा की शोभायात्रा आ रही है|" एक व्यलिD ने बडे़ जोर से लिचल्2ाकर कहा|

पंबिडतजी उस नजारे को देखकर बडे़ हैरान थे| पा2की के आगे-आगे कुछ गांववासी झांझ, मंजीरे और ढो2 बजाते हुए च2 रहे थे| उनके पीछे एक पा2की में साईं बाबा बैठे थे| दामोदर और उसके सालिथयों ने पा2की अपने कंधों पर उठा रखी थी| उनके साथ गांव के पटे2 भी थे और नई मस्जि,जद के इमाम भी|

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साथ ही प्रबितष्ठि`त 2ोगों की भीड़ भी च2 रही थी| इन सबके साथ गांव की बहुत सारी मबिह2ाए ंभी थीं| ऐसा 2गता था बिक जैसे सारा गांव ही उमड़ पड़ा हो| सभी साईं बाबा की जय-जयकार कर रहे थे|

साई बाबा का ऐसा ,वागत-सत्कार देखकर पंबिडतजी के होश उड़ गये, मारे क्रोध के बुरा हा2 हो गया| वह ग2ा फाड़कर लिचल्2ाकर बो2े-"सत्यानाश! ये ब्राह्मण के 2ड़के इस संपेरे के बहकावे में आ गए हैं| यह बहुत बड़ा जादूगर है| नौजवानों को इसने अपन ेवश में कर रखा है| यह बहुत बड़ा जादूगर है| नौजवानों को इसने अपने वश में कर रखा है| देख 2ेना, एक दिदन यह सब भी इसी की तरह शैतान बन जायेंगे| हे भगवान! क्या मेरे भाग्य में यह दिदन भी देखना बाकी था?"

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जैसे-जैसे शोभायात्रा आगे बढ़ती जा रही थी और उसमें शाष्ठिम2 होने वा2े 2ोगों की भीड़ भी बढ़ती जा रही रही, साईं बाबा बिक पा2की के आगे-आगे नवयुवक नाचत,े गाते और जय-जयकार से वातावरण को गंूजा रहे थे|

अपने-अपने घरों के दरवाजों पर खड़ी स्त्रि,त्रया ंफू2 बरसाकर शोभायात्रा का ,वागत कर रही थीं|

पंबिडतजी से साईं बाबा का यह ,वागत देखा न गया| वह गु,से में पैर पटकते हुए घर के अंदर च2े गए और दरवाजा बंद करके, कमरे मैं जाकर प2ंग पर 2ेट गए और मन-ही-मन साईं बाबा को कोसने 2गे| कैसा जमाना आ गया है, इस क2 के छोकरे ने तो सारे गांव को बिबगाड़कर रख दिदया है| पंबिडतजी को साईं बाबा अपना सबसे बड़ा दुश्मन दिदखाई दे रहे थे| जु2ूस गांवभर में घूमता रहा और हर जबान पर साईं बाबा की चचा$ होती रही|

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शोभायात्रा घूमकर वापस 2ौट आयी|साईं बाबा के पास कुछ ही व्यलिD रह गए| वह चुपचाप आँखें बंद बिकये बैठे थे|

"बाबा, जब आप पह2े-पह2 गांव में आए थे और 2ोगों ने आपसे पूछा था बिक आप कौन हैं, तो आपने कहा था, मैं साईं बाबा हूं| साईं बाबा का क्या अथ$ होता है?" दामो2कर ने पूछा| उसके इस प्रश्न पर साईं बाबा मु,करा दिदए|

"देखो, दो अक्षर का शब्द है-सा और ईं| सा का अथ$ है देवी और ईं का अथ$ होता है मां| बाबा का अथ$ होता है बिपता| इस प्रकार साईं बाबा का अथ$ हुआ-देवी,माता और बिपता|"

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"जन्म देन ेवा2 ेमाता-बिपता के पे्रम में ,वाथ$ की भावना बिनबिहत होती है| जबबिक देवी माता-बिपता के ,नेह में जरा-सा भी ,वाथ$ नहीं होता है| वह तुम्हारा माग$दश$न करते हैं और तुम्हें पे्ररणा देते हैं| आत्मदश$न, आत्मज्ञान की सीधी और सच्ची राह दिदखाते हैं|" साईं बाबा ने समझाते हुए कहा - "वैस ेसाईं बाबा को प्रयोग परमबिपता परमात्मा, ईश्वर, अल्2ाता2ा और मालि2क के लि2ए भी बिकया जाता है|"

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"आप वा,तव में ही साईं बाबा हैं|" सभी उपस्जिBत 2ोगों ने एक ,वर में कहा - "आपने हम सभी को सही रा,ता दिदखाया है| सबको आपने ईश्वर की भलिD के माग$ पर 2गाया है|“

"यह मनुर्ष्याय शरीर न जाने बिकतने बिपछ2े जन्मों के पुण्य कमV को करने के पश्चात् प्राप्त होता है| इस संसार में जिजतने भी शरीरधारी हैं, उन सबमें केव2 मनुर्ष्याय ही सबसे अष्ठिधक बुजिद्धमान प्राणी है| वह इस जन्म में और भी अष्ठिधक पुण्य कम$ कर सकता है|

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उसके पास बुजिद्ध है, ज्ञान है और इसके बावजूद भी वह मानव शरीर पाकर मोह-माया और वासना के द2द2 में फंस जाता है| इससे छुटकारा पाना असंभव हो जाता है| उसका मन रात-दिदन वासना और ,वाथ$ में लि2प्त रहता है| धन-सम्पत्तिt पान ेके लि2ए वह कैसे-कैसे काय$ नहीं करता है| मनुर्ष्याय को इस द2द2 से यदिद कोई मुलिD दिद2ा सकता है, तो वह है गुरु... केव2 सद्गरुु|

2ेबिकन आज के समय में सच्चा गुरु कहा ष्ठिम2ता है| सच्च ेइंसान ही बड़ी मुश्किश्क2 से ष्ठिम2ते हैं| बिफर सच्चे गुरु का ष्ठिम2ना तो और भी अष्ठिधक कदिठन है|“

"सच्चे गुरु बिक पहचान क्या है साईं बाबा?" एक व्यलिD ने पूछा|

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"सच्चा गुरु वही है, जो लिशर्ष्याय को अच्छाई-बुराई का भेद बता सके| उलिचत-अनुलिचत का अंतर बता सके| आत्मप्रकाश, आत्मज्ञान दे सके| जिजसके मन में रtीभर भी ,वाथ$ की भावना न हो, जो लिशर्ष्याय को अपना ही अंश मानता हो| वही सच्चा सद्गरुु है|" साईं बाबा ने बताया और बिफर अचानक उन्हें जैसे कुछ याद आया, तो वह बो2े - " आज तात्या नहीं आया क्या?“

"बाबा, मैं आपको बताना ही भू2 गया| तात्या को आज बहुत तेज बुखार आया है|"

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"तो आओ च2ो, तात्या को देख आयें|" साईं बाबा ने अपने आसन से उठते हुए कहा| साथ ही अपनी धूनी में से चुटकी भभूबित अपन ेलिसर के दुपटे्ट में बांधकर च2 पडे़|