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8/17/2019 SHIV CHALISA.pdf
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सहस कमल म हो रहे ार। कह परा तबह प रुार॥
एक कमल भ ुराखेउ जोई। कमल नयन प जून चह सोई॥
कन भत देखी भ ुशकर। भये सन दए इिछत वर॥
जय जय जय अनत अवनाशी। करत क ृ पा सब
के घटवासी॥
द ुट सकल नत मोह सतावै । मत रहे मोह चैन न आवै॥
ाह ाह म नाथ प कुारो। यह अवसर मोह आन उबारो॥
ल ैश लू श नु को मारो। सकट से मोह आन उबारो॥
मात ुपता ाता सब कोई। सकट म प िूत नह कोई॥
वामी एक है आस त ुहार। आय हरह ु
अब सकट भार॥
न नधन को देत सदाह। जो कोई जाचे वो फल पाह॥
अत ुत केह व कर त ुहार। मह ु नाथ अब च कू हमार॥
शकर हो सकट के नाशन। मगल कारण वन वनाशन॥
योगी यत म ुन यान लगाव । नारद शारद शीश नवाव ॥
नमो नमो जय नमो शवाय। स रु
मादक पार न पाय॥
जो यह पा करे मन लाई। ता पार होत है शभ ुसहाई॥
ॠनया जो कोई हो अकार। पा करे सो पावन हार॥
प ु होन कर इिछा कोई। नचय शव साद तेह होई॥
पडत योदशी को लावे। यान प वूधक होम करावे ॥
योदशी त करे हमेशा। तन नह
ताके रहे कलेशा॥
पू दप नैवे चढ़ावे। शकर सम खु पा स नुाव॥े
जम जम के पाप नसाव।े अतवास शवप रु म पावे॥
कहत अयोया आस त ुहार। जान सकल द ुख हरह ु हमार॥ ॥दोहा॥
ि िमे क ातः ह ,
पाठ को चालस। त मु मे िमोकािमा ,
प रूण को
जगदश॥
मगस छठ हमेनत ॠत ु, सवंत चौसठ िजा। अत ुत चालसा शवह , प रूणकि कयार॥
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ी शव चालसादोहा।
ी गरशे गजा स िुव , मगंल म लू स िुजा।
कहत अयोधयादास त मु , देह ु अभय विदा॥
जय गरजा पत दन दयाला। सदा करत सतन तपाला॥
भाल चमा सोहत नीके। कानन क ु डल नागफनी के॥
अग गौर शर गग बहाये। म डुमाल तन ार लगाये॥
व खाल बाघबर सोहे। िव को देख
नाग म ुन मोहे॥
मनैा मात ुक व ैद लुार। बाम अग सोहत िव यार॥
कर श लू सोहत िव भार। करत सदा श नु यकार॥
नद गणेश सोहै तह ँ कैसे। सागर मय कमल ह जसैे॥
कातधक याम और गणराऊ। या िव को कह जात न काऊ॥
देवन जबह जाय प कुारा। तब ह द खु
भ ुआप नवारा॥
कया उपव तारक भार। देवन सब मल त मुह ज हुार॥
त रुत षानन आप पायउ। लवनमेष मह ँ मार गरायउ॥
आप जलर अस रु सहारा। स युश त ुहार वदत ससारा॥
प रुास रु सन य ु मचाई। सबह क ृ पा कर लन बचाई॥
कया तपह भागीरथ भार। प रुब ता तास ुप रुार॥
दानन मह त मु सम कोउ नाह। सेवक त ुत करत सदाह॥
वेद नाम महमा तब गाई। अकथ अनाद भेद नह पाई॥
गट उद मथन म वाला। जरत स रुास रु भये वहाला॥
कह दया तह ँ कर सहाई। नीलकड तब नाम कहाई॥
प जून रामच जब कहा। जीत के लक वभीषण दहा॥