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सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 1

इकाई-1 सानामक मनोिवान क13 ऐितहािसक परय

(Historical perspective of Cognitive Psychology)

इकाई सरचना

11 तावना

12 उय

13 सानामक मनोिवान का आशय

14 सानामक ि याओ क िवशषता

15 सानामक मनोिवान का ऐितहािसक पर(य

16 साराश

17 श)दावली

18 वम-याकन हत

19 सदभ1 2थ सची

110 िनबधामक

11 तावना

सानामक मनोिवान मनोिवान क एक नई शाखा ह कछ मनोवािनक न मनोवािनक सान को सचना

ससाधन क ि या माना ह तो कछ लोग उस मानिसक तीक क हतन क =प मgt मानत ह कछ

मनोवािनक का मत ह िक मनोवािनक सान समया समाधान क =प मgt िचतन क =प मgt तथा िविभन

मानिसक ि याओ क =प मgt होता ह इस कार मनोवािनक सान क बार मgt पाच CिDकोण या उपागम

चिलत ह इसिलय सानामक ि याओ पर िवचार करत समय हमgt इन सभी उपागम को Eयान मgt रखना

चािहए

इस कार हम कह सकत ह िक सान का तापय1 ान ाF करन क ि या स ह िजसमgt समत

मानिसक ि यायgt शािमल होती ह सान या मानिसक ि या मgt अज1न स2हण पना1िF एव ान क उपयोग

क ि यायgt शािमल ह इस कार कहा जा सकता ह िक सान मgt अनक मानिसक ि यायgt सिनिहत होती ह

सानामक मनोिवान को परभािषत करत हJए राबट1 न कहा ह िक rdquoसानामक मनोिवान

मनोवािनक ि याओ क सLपण1 सार-सवदना स यMीकरण तिNका िवान ित=प ितिभा अवधान

चतना अिधगम मित सLयय िनमा1ण िचतन क-पना भाषा बिP सवग एव िवकासाक ि याओ को

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 2

सिLमिलत करता ह और Rयवहार क अCय MN को सीमा स बाहर करता हldquo इस कार पD ह िक

सानामक मनोिवान सान का एक वािनक अEययन ह िजसमgt अनक मानिसक ि यायgt सिLमिलत ह

सानामक ि याओ क अनक िवशषताए होती ह जो आतरक तर पर घिटत होती ह उनका

बाT Mण नहU िकया जा सकता ह जब हम सानामक मनोिवान क िवकास क परी ऐितहािसक समीMा

करत ह तो पD होता ह िक सन 1950 एव 1960 क दशक मgt हJय वािनक परवत1न स सानामक

मनोिवान को काफ सहायता िमली ह मानिसक ि याओ क वािनक अEययन का माग1 शत होन लगा

12 उय

इस इकाई क अEययन क पWात आप जान सकgt ग

1 सानामक मनोिवान Yया ह

2 सानामक ि याओ क Yया िवशषता होती ह

3 सानामक मनोिवान का ऐितहािसक पर(य Yया ह

13 सानामक मनोिवान का आशय

जसा िक इसक नाम स ही सकत ाF हो रहा ह सानामक मनोिवान मgt सानामक ि याओ (Cognitive

processes) का अEययन िकया जाता ह इसका ल(य योग करना तथा ऐस िसPात को िवकिसत करना ह

िजनस यह RयाZया हो सक िक मानिसक ि याओ को सगिठत (organized) कस िकया जाता ह तथा वह

िकस तरह स काय1 करता ह कछ परभाषाए यहा तत ह

िनसर (Neisser 1967) क अनसार -rdquoसानामक मनोिवान का आशय उन सभी ि याओ स ह

िजनक ारा सवदी िनवश परवित1त होता ह घटता ह िवतत होता ह सिचत होता ह उसक पनः ािF होती ह

तथा पनः उसका उपयोग िकया जाता हldquo

एटिकसन इयािद (Atkinson etal 1985) क अनसार ndash ldquoसानामक मनोिवान सान का

वािनक अEययन ह उसका उय योग करना तथा ऐस िसPात का िवकास करना होता ह िजनस इस बात

क RयाZया हो िक मानिसक ि याओ को िकस तरह स सगिठत िकया जाता ह तथा व िकस कार काय1 करती

हrdquo

इस कार पD होता ह िक सानामक मनोिवान मgt यह जानन का यास िकया जाता ह िक मन^य

ससार क बार मgt िकस तरह स सचना ाF करत ह तथा उस पर Eयान दत ह वसी सचनाए िकस तरह स

सLबिधत होती ह और मित^क ारा ससािधत होती ह एव हम लोग िकस तरह स समयाओ क बार मgt सोचत

ह उनका समाधान करत ह तथा भाषा का िनमा1ण करत ह

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 3

उपय1 परभाषाओ क आधार पर सानामक मनोिवान क बार मgt िनLनािकत िन^कष1 तत कर

सकत ह -

(i) इसमgt सानामक ि याओ जस- यMण मित समया समाधान सLयय िनमा1ण तक1 ना िनण1य

ि या भाषा आिद मZय ह का अEययन िकया जाता ह

(ii) सानामक ि या सवदी िनवश (sensory input) स ारLभ होती ह Rयि वातावरण मgt उपिथत

उीपक का सबस पहल यMीकरण करता ह और तब उसक ित अनि या करता ह यMीकरण एव Eयान

क माEयम स ही सवदी िनवश क ि या सLपन होती ह

(iii) सवदी िनवश को परवित1त भी िकया जाता ह अथा1त वातावरण क उीपक स ाF सचनाओ को सवदी

उपकरण (sensory apparatus) िजसमgt ानि_या तथा मित^क मZय =प स सिLमिलत ह अिधक या कम

करक उनका =प परवित1त कर दता ह

(iv) सानामक मनोिवान का मख काय1 सानामक ि याओ का अEययन करना तथा उनक बार मgt कछ

ऐस िसPात को िवकिसत करना तािक यह RयाZया क जा सक िक मानिसक ि याओ को िकस तरह

सगिठत िकया जाता ह तथा व िकस तरह स काय1 करती ह

सMप मgt पD ह िक सानामक मनोिवान मgt सानामक ि याओ का वािनक अEययन िकया जाता ह

14 सानामक ियाओ क िवशषताए

i सानामक ि याए परपर सLबिधत होती ह - सानामक ि या क िविभन तव क बीच जिटल

अतःि या होती ह एक िनिWत सयय सीखन मgt कई सोपान तथा ि याए सिनिहत होती ह

ii सानामक ि याए सि य होती ह - सानामक उपागम क मायता ह िक Rयि वातावरण स िभन-

िभन तरह क सचनाओ को 2हण करन क िलए तपर रहता ह वह नय-नय ान एव िवकास क िलए

सतत यास करता ह

iii सानामक ि याओ मgt स(मता तथा शPता पाई जाती ह - इसस िनण1य मgt शPता बढ़ती ह

iv सानामक मनोिवान मgt धनामक सचनाओ क RयाZया नकारामक सचनाओ क तलना मgt अिधक

अ`छ ढग स क जाती ह धनामक सचनाए अिधक उपयोगी ह

v सानामक ि याए आतरक तर पर घिटत होती ह - सानामक ि याओ का यMतः Mण नहU

कर सकत ह जस - यिद हम िकसी को कोई पाठ याद करत हJए या समया का समाधान करत हJए या कोई

िनण1य करत हJए दखत ह तो माNा दखकर िनिहत सानामक ि याओ क बार मgt अनमान नहU लगाया

जा सकता ह

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 4

सMप मgt सानामक ि याओ क कितपय िवशषताए होती ह तथा सानामक ि याए आतरक तर पर

घिटत होती ह उनका बाT Mण नहU िकया जा सकता ह

15 सानामक मनोिवान का ऐितहािसक पर$य

मन मgt ान का िन=पण िकस तरह स होता ह ान िकस तरह स अिज1त िकया जाता ह सिचत िकया जाता ह

तथा उसका उपयोग िकया जाता ह चतना Yया ह तथा िकस तरह स चतन िवचार क उपि होती ह

यMीकरण तथा मित का व=प Yया ह िचतन Yया ह उनस सLबP Mमताओ का िवकास कस होता ह

ऐस ही का उर दना सानामक मनोिवान का काय1 ह ऐस ही का उर खोजन क यास मgt

सानामक मनोिवान क उपि हJई ह इस सग मgt दो िवचारधाराओ का उ-लख करना ासिगक होगा

(i) अनभववािदय (empiricists) का मत ह िक Rयि मgt ान का अज1न अनभव स होता ह

(ii) सहजवािदय (nativist) का मत ह िक ान का अज1न Rयि क जमजात िवशषताओ (innate

characteristics) क कारण हो पाता ह

2ीक दाश1िनक अरत (Aristotle) का मत ह िक ान Rयि क bदय मgt अविथत होता ह हालािक

cलटो (Plato) का मत था िक ान का क_ bदय न होकर मित^क होता ह पनजा1गरण दाश1िनक

(Renaissance philsopher) न भी कहा ह िक ान Rयि क मित^क मgt अविथत होता ह 18वU शता)दी

क कछ दाश1िनक मनोवािनक जस जॉज1 वक1 ली डिवड Tम जLस िमल तथा उनक िश^य जLस टअट1 िमल न

इस बात पर बल िदया िक ान का आतरक िन=पण (internal representation) तीन कार का होता ह -

1 यM सवदी अनभव

2 घटनाओ क धिमल ितमा

3 उ ितमाओ का =पातरण

ऐितहािसक समीMा स पD होता ह िक 19वU शता)दी मgt कछ दिहकशािeाय जस फकनर (Fechner) एव

ह-महोज (Helmholtz) तथा कछ मनोवािनक जस- fनटानो (Berntano) ह-महोज (Helmholtz)

िवलहम उट (Wilhelm Wundt) जीई मलर (GE Muller) क-प (Kulpe) हरमन इिवगहॉस

(Hermann Ebbinghaus) सर gािसस गा-टन (Sir Francis Galton) िटचनर (Titchener) तथा

िविलयम जLस (William James) क यास क फलव=प मनोिवान दश1नशाeा स अलग होकर एक

वतN शाखा क =प मgt थािपत होन लगा और 19वU शता)दी क उराP1 मgt ान का िन=पण क िसPात का

व=प पDतः ििवभािजत (dichotomous) था िजसमgt उट तथा िटचनर न मानिसक िन=पण क सरचना पर

बल िदया जबिक fनटानो (Brentano) आिद न ि या या ि या पर अिधक बल िदया fनटानो न

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 5

सानामक ि याओ जस िनण1य करना तलना करना भाव आिद को मनोिवान क अEययन का उिचत

िवषयवत बताया

1879 मgt िवलहम वhट न जम1नी क िलपिजग िव13िवालय मgt मानिसक ि याओ का अEययन करन

क िलए थम योगशाला थािपत क िहयट1 (Hearst 1979) क अनसार वhट क िदशा िनदiश मgt 186 लोग

न मनोिवान मgt पी-एचडी क उपािध ाF क एव मनोिवान क योगशालाओ क थापना का दौर ारLभ

हो गया वhट तथा उनक सहयोगी मानिसक ि याओ का अEययन अतिन1रीMण िविध (introspection

method) स करत थ

वhट क यह िविध कई अथk मgt आधिनक सानामक शोध िविधय स िमलती-जलती ह वhट क

अनसार उ`चतर मानिसक ि याओ जस - िचतन भाषा तथा समया समाधान आिद का अEययन

योगशाला मgt अतिन1रीMण िविध ारा नहU िकया जा सकता ह परत ओवा-ड क-प (Oswald Kulpe) न

उजा1 बग1 िव13िवालय (Wurzburg University) मgt शोध क आधार पर कहा िक िकसी समया क समाधान

क दौरान योlय क मन मgt िकसी तरह क कोई ितमा नहU बनती ह इस ितमारिहत िचतन का नाम िदया

गया अय मानिसक ि याओ का वhट ारा अEययन िकया गया जो आज क सानामक मनोिवान क िलय

आधार बना

परत अमरीक मनोवािनक न अतः िनरीMण को वीकारन पर आपि िकया िविलयम जLस

(William James) उस समय क सबस महवपण1 मनोवािनक थ जो इसक जगह पर एक अिधक

अनौपचारक उपागम या िविध का उपयोग पसद करत थ और उहन अपनी पतक िसप-स ऑफ

साइकोलोजी (principles of pyschology1880) मानव अनभितय का िवतत अEययन भी तत िकया

सानामक मनोिवान क MN मgt उनका महवपण1 योगदान उनक ारा तािवत मित (memory) का

िसPात था िजसमgt उहन मित को दो वगk मgt िवभ िकया - ाथिमक मित (primary memory) तथा

गौण मित (scondary memory) ाथिमक मित को आजकल लघ कालीन मित (Short-term

memory or STM) तथा गौण मित को दीघ1कालीन मित (long term memory or LTM) कहा जाता ह

Rयवहारवाद क सथापक वाटसन (1913) थ इहन अतःिनरीMण का िवरोध िकया इस कल न

वतिनn Mण एव योगामक िविध को ही वािनक िविध माना Rयवहारवािदय का मत था िक अतिन1रीMण

िविध एक अवािनक िविध ह तथा चतन अपन आप मgt इतना अपD ह िक उसका अEययन सभव नहU ह

Rयवहारवािदय न ऐस पद जस ितमा िवचार िचतन को अवीकत कर िदया यिप Rयवहारवािदय न

मानिसक ि याओ को तो अवीकत कर िदया िफर भी वािनक िवचाराधारा क उपयोग पर बल िदया इसस

सानामक मनोिवान को आग चलकर काफ लाभ िमला ऐसी ि याओ क अEययन क िलए वािनक

उपागम क िवकास पर बल िदया जान लगा

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 6

अमरका मgt िवकिसत Rयवहारवाद क सामानातर मgt एक और कल िवकिसत हJआ िजस गटा-ट

कल (Gestalt Psychology) कहा गया इसका मत था िक सम2 इसक अश क योग स कहU अिधक होता

ह तथा मन य मgt सगिठत करन क एक मौिलक वि होती ह गटा-टवािदय िजनमgt वदा1इमर

(Wertheimer) कोहलर (Kohler) तथा कौoका (Koffka) का नाम मZय ह न मानव अनभितय को

िविभन तव मgt िवpषण करन वाल अतिन1रीMण िविध क आलोचना क उन लोग का मत था िक सपण1

क अनभित उसक अलग-अलग तव क योग स कही अिधक होती ह जस एक िNभज माNा तीन रखाओ का

योग नहU होता ह गटा-ट मनोवािनक न समया समाधान मgt सझ क भिमका पर Rयापक काश डाला

सन 1950 एव 1960 क दशक मgt हJए वािनक परवत1न स सानामक मनोिवान को काफ

सहायता िमली मानिसक ि याओ क वािनक अEययन का माग1 शत होन लगा इस CिD स िनLनािकत

पाच उपलि)धय न िचतन का CिDकोण परवित1त कर िदया

i वाटसन एव अय Rयवहारवािदय क िवचार स असहमित Rय करत हJए मनोवािनक न कहा िक उनक

उपागम ारा मानिसक ि याओ का अEययन सभव नहU ह और इनक िबना Rयवहार क सLयक RयाZया

नहU क जा सकती ह मानिसक ि याओ क अEययन तथा िवpषण हत उपकरण क िवकास पर बल

िदया गया इस म मgt िमलर इयािद (1960) न एक िवशष मॉडल तयार िकया िजसक ारा यह पD करन

का यास िकया गया िक Rयि कवल सचनाए 2हण ही नहU करता अिपत उसक छानबीन भी करता ह

तदोपरात अपनी िति या Rय करता ह

ii मख भाषा िवानी चोमक (1957) न मत Rय िकया िक भाषा अिधगम का Rयवहारवादी CिDकोण

उिचत नहU ह इहन भाषा क योrयता को जमजात बताया जबिक Rयवहारवादी (जस िकनर) इस

अिज1त कहत थ

iii कLcयटर तथा अय सचार माEयम क िवकास स भाषा क अEययन मgt अयिधक सहायता ाF हJई

iv 1950 क दशक स मित क MN मgt काफ नय-नय शोध िकय गए शोधकता1ओ िजनमgt वॉघ एव नारमन

(Waugh amp Norman 1965) एटिकसन एव िशgन (Atkinson amp Shiffrin 1968) मडा1क

(Murdock 1970) का नाम मख ह न मित क िविभन कार क होन क सLभावना जताया मित क

सगठन ि याओ पर बल िदया तथा मित क िविभन तरह क मॉडल भी तत िकय

v िपयाज (Jean Piaget) न भी सानामक मनोिवान क िवकास मgt महवपण1 भिमका िनभाई ह इहgt

िवकासामक मनोिवान क MN मgt काफ ितnा ाF ह इनक शोध काय1 सानामक मनोिवान क

िवकास मgt काफ महवपण1 ह इहन सानामक विP एव िवकास पर काफ बल डाला ब`च मgt

सानामक िवकास पर इनका काय1 अयिधक महवपण1 ह

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 7

सMप मgt कह सकत ह िक सानामक मनोिवान क िवकास मgt Rयवहारवािदय न जो कछ आधार तत िकया

उसको आग चलकर वािनक व=प नवीन तकनीक क आधार पर िदया जा सका

16 साराश

इस इकाई क अEययन क बाद आप जान चक ह िक सानामक मनोिवान स तापय1 Yया ह सानामक

मनािवान चतन मन का वािनक अEययन ह और यह सLबिधत होता ह हम लोग ससार क बार मgt िकस तरह

स सचना ाF करत ह तथा उस पर Eयान दत ह वसी सचनायgt िकस तरह स सLबिधत होती ह और मित^क

ारा सशािधत होती ह तथा हम लोग िकस तरह स समयाओ क बार मgt सोचत ह उनका समाधान करत ह तथा

भाषा िनमा1ण करत ह

सानामक ि याओ क Yया िवशषताए होती ह इनक बार मgt भी आपको इस इकाई मgt जानकारी ाF

हJई होगी सानामक ि याओ क मZय िवशषताए यह होती ह िक - सानामक ि याए परपर सLबिधत

होती ह सि य रहती ह इनमgt स(मता तथा शPता पाई जाती ह य आतरक तर पर घिटत होती ह तथा य

धनामक सचनाओ क RयाZया अ`छ ढग स करती ह

इस इकाई मgt सानामक मनोिवान क ऐितहािसक परप(य का भी वण1न िकया गया ह ऐितहािसक

समीMा स पD होता ह िक सन 1950 एव 1960 क दशक मgt वािनक परवत1न स सानामक मनोिवान को

काफ सहायता िमली

17 शदावली

सानामक मनोिवान सानामक मनोिवान सान का वािनक अEययन ह इसका उय योग करना

तथा ऐस िसPात का िवकास करना होता ह िजनस इस बात क RयाZया हो िक मानिसक ि याओ को िकस

तरह स सगिठत िकया जाता ह तथा व िकस कार काय1 करती ह सानामक ियाय( सानामक ि याओ स परवश मgt उपिथत समत उीपक क सLबध मgt सान

ाF होता ह

18 वमयाकन हत

1 सानामक मनोिवान मgt का अEययन िकया जाता ह

2 सानामक मनोिवान का वािनक अEययन ह

3 सानामक ि या स ारLभ होती ह

4 यMीकरणर एव Eयान क माEयम स ही क ि या सLपन होती ह

5 सवदी िनवश को भी िकया जाता ह

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 8

6 सानामक ि यायgt पर घिटत होती ह

7 मनोिवान क थम योगशाला कब थािपत हJई

(i) 1879 (ii) 1869 (iii) 1979 (iv) 1989

उ-र (1) सानामक ि याओ (2) सान (3) सवदी िनवश (4) सवदी िनवश

(5) परवित1त (6) आतरक तर (7) 1879

19 सदभ0 1थ सची

bull िसह अsण कमार (2011) सानामक मनोिवान

bull tीवातव रामजी (सLपादक) (2003) सानामक मनोिवान

bull िसह आरएन एव भाराज एसएस (2010) उ`च ायोिगक मनोिवान

bull Colin Martindale (1981) Cognition and Consciousness

bull Geryd YDewalle (1985) Cognition Information Processing and Motivation

bull Kathleen M Galotti (1999) Cognitive Psychology in and Out of the Laboratory

bull Margaret Matlin (1982) Cognition

110 िनबधामक

1 सानामक मनोिवान क अथ1 को पD किजए

2 सानामक ि याओ क िवशषताओ का वण1न किजए

3 सानामक मनोिवान क ऐितहािसक पर(य का वण1न किजए

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 9

इकाई-2 सानामक मनोिवान का िवषय

(Scope of Cognitive Psychology)

इकाई सरचना

21 तावना

22 उय

23 सानामक मनोिवान का MN

24 साराश

25 श)दावली

26 वम-याकन हत

27 सदभ1 2थ सची

28 िनबधामक

21 तावना

सानामक मनोिवान का MN काफ िवतत ह मख =प स सानामक मनोिवान मgt सानामक

यरोिवान यMीकरणपटन1 पहचान अवधान चतना मित िचतन िवकासामक मनोिवान भाषा

ितमावली ान का िन=पण और मानव-बिP एव किNम बिP का अEययन िकया जाता ह

इस कार पD हJआ िक सानामक मनोिवान का काय1MN िवतत ह सानामक मनोवािनक का यह यास रहा ह िक इन MN का गहन अEययन करक उनक व=प को ठीक ढग स समझा जाए तथा सामायीकरण िकया जाय

22 उय

इस इकाई क अEययन क पWात जान सकgt ग िक सानामक मनोिवान क अEययन क कौन-कौन स MN ह तथा

इन MN क सLबध मgt आपको िवतत जानकारी ाF होगी

23 सानामक मनोिवान का 67

सLित सानामक मनोिवान का MN काफ Rयापक हो चका ह इसका MN िनLनवत रखािकत िकया जा सकता ह - 1- सानामक यरोिवान (Cognitive neuroscience)

2- यMीकरण (Perception)

3- पटन1 पहचान (Pattern recognition)

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 10

4- अवधान (Attention)

5- चतना (Consciousness)

6- मित (Memory)

7- िचतन (Thinking)

8- िवकासामक मनोिवान (Developmental Psychology)

9- भाषा (Language)

10- ितमावली (Imagery)

11- ान का िन=पण (Representation of Knowledge)

12- मानव बिP एव किNम बिP (Human intelligence and Artificial intelligence)

1 सानामक यरोिवान (Cognitive neuroscience)- यह सानामक मनोिवान एव यरोिवान का

सिLमtण ह इस यरोमनोिवान या सानामक यरोिवान भी कहा जाता ह यह िवशषतः मित

सवदना यMीकरण समया समाधान भाषा ससाधन आिद स सLबिधत िसPात एव उनक जिवक

आधार क RयाZया करता ह यरोमनोिवािनय क यास क फलव=प ही मित क कार तथा भाषा

ससाधन जस सयय का वािनक अEययन सLभव हो सका ह

2 यMीकरण (Perception)- सवदना को अथ1 दना यMीकरण ह सानामक मनोिवान का यह मख

MN ह

3 पटन1 पहचान (Pattern recognition)- इसक अतग1त Rयि अपन पया1वरणीय उीपक का शायद ही

कभी एक एकाक सवदी घटना क =प मgt यM करता ह बि-क इन उीपक को वह एक जिटल पटन1

(complex pattern) क =प मgt यMण करता ह

4 अवधान (Attention)- अवधान सानामक ि या ह Rयि िकसी भी समय या एक समय पर सीिमत

वतओ पर ही Eयान द पाता ह

5 चतना (Consciousness)- चतना का अEययन सानामक मनोवािनक क िलए काफ महवपण1 माना

गया ह Yयिक इन अEययन स Rयि क कई सानामक ि याओ को समझन मgt मदद िमलती ह इसका

आशय वातावरण क बार मgt बोध या समझ स ह

6 मित (Memory)- सानामक मनोवािनक क िलए मित महवपण1 MN ह इनक मित क दो कार ह-

लघकालीन मित एव दीघ1कालीन मित लघकालीन मित मgt Rयि सचनाओ को करीब 20-30 सकhड

तक ही सिचत रख पाता ह दीघ1काल मित मgt Rयि सचनाओ को लLब समय तक या थायी तौर पर

सिचत करक रखता ह

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 11

7 िचतन (Thinking)- िचतन ऐसी ि या ह िजसक माEयम स ाणी िविभन तरह क मानिसक

ि याओ ारा मानिसक ितमाओ का िनमा1ण करता ह इसी कार सयय भी एक महवपण1 MN ह

8 िवकासामक मनोिवान (Developmental Psychology)- इसक अतग1त िविभन कार क

िवकासामक ि याओ का अEययन िकया जाता ह िपयाज न इस MN मgt िवशष काय1 िकया ह

9 भाषा (Language)- भाषा सषण का सश माEयम ह यह योrयता माN मन य मgt पाई जाती ह चौमक

न इस MN मgt उ-लखनीय काय1 िकया ह

10 ितमावली (Imagery)- मानिसक ितमावली को परभािषत करत हJए यह कहा जाता ह िक िकसी

अनपिथत वत या घटना का मानिसक िचNण करना ही मानिसक ितमावली ह ऐस अEययन स

सानामक मनोवािनक को मित का व=प समझन मgt सहायता ाF हJई ह सचनाओ को मित मgt

शि)दक तथा का-पिनक मgt स िकसी =प मgt या दोन ही =प मgt सिचत िकया जा सकता ह उस िकट

सकतन परक-पना कहत ह

11 ान का िन=पण (Representation of Knowledge)- ान क िन=पण स तापय1 ह िक सचनाओ का

सकतीकरण िकस तरह स होता ह और मित^क मgt सिचत सचनाओ क साथ व िकस तरह स सयोिजत होती

ह यह काय1 सयामक िन=पण तथा सानामक श)दाथ1 सरचना क आधार पर होता ह

12 मानव बिP एव किNम बिP (Human intelligence and Artificial intelligence)- बिP एक मख

सानामक ि या ह िजसमgt अनक मानिसक Mमताए सिLमिलत होती ह सचमच मgt यह एक साव1भौम

Mमता ह यह समायोजन िचतन तथा उयपरक Rयवहार करन मgt सहायक ह यह MN भी सानामक

मनोिवान मgt सिLमिलत ह

किNम बिP (Artificial intelligence) का आशय कLcयटर उपन उपाद (computer produced

output) स ह िजस यिद मानव ारा िकया जाता तो उस बिPमापण1 काय1 कहा जाता ह किNम बिP कLcयटर

िवान क ऐसी शाखा ह िजसका सLबध कLcयटर क िवकास (हाड1वयर) तथा काय1 म (सॉoटवयर) स होता ह

तथा जो मानव क सानामक कायu का अनकरण करता ह किNम बिP क माEयम स सानामक मनोवािनक

यMीकरण भाषा समया समाधान आिद जसी मानिसक ि याओ का गहन अEययन करक उसक व=प

क िविशD RयाZया करत ह

िफर भी इस िविध क कछ अलाभ ह जो इस कार ह -

(i) ऐसा मत ह िक अभी कछ सानामक ि याए ऐसी ह िजनक बार मgt बहJत िवतत पता नहU ह अतः

ऐसी ि याओ का अEययन कLcयटर ो2ाम स नहU कर सकत ह

(ii) इसमgt कLcयटर एव मानव मित को समान होन क बात क जाती ह जबिक ऐसा वातव मgt नहU ह

कLcयटर तो काय1 करन क िलए काय1 िमत (Programmed) होता ह परत मन य क साथ ऐसा नहU ह

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 12

(iii) यह भी उ-लखनीय ह िक मानव मित^क का दिहक आधार कLcयटर क वतीय MN स काफ िभन होता ह अथा1त मित^क एव कLcयटर दिहक =प स एक दसर स काफ िभन होत ह परत िफर भी काय1 क CिDकोण स एक-दसर क काफ समान ह

24 साराश

आज सानामक मनोिवान का MN काफ िवतत हो चका ह सानामक मनोिवान क अत2त

सानामक यरोिवान यMीकरण पटन1 पहचान अवधान चतना मित िचतन िवकासामक मनोिवान

भाषा ितमावली ान का िन=पण एव मानव बिP एव किNम बिP का िवतारपव1क अEययन िकया जान

लगा ह

25 शदावली

bull सानामक यरोिवान यह यरोिवान तथा सानामक मनोिवान का सिLमtण ह इस यरो

मनोिवान या सानामक मनोिवान भी कहा जाता ह

bull य6ीकरण सवदना को अथ1 दान करना ही यMीकरण ह

bull पटन0 पहचान इसक अतग1त सानामक मनोवािनक ारा िवशष कार का योग करक उन

सानामक ि याओ का यास िकया जाता ह िजनक माEयम स Rयि जिटल उीपक पटन1 को समझता

ह तथा उस वगvकत करता ह

bull अवधान अवधान वह मनोवािनक चयनामक ि या ह िजसक ारा हम परवश मgt उपिथत अनक

उीपक मgt स कवल उहU उीपक को चनत ह तथा उनक ित िति या करत ह िजसका वत1मान sिचय

एव आवयकताओ स सLबध होता ह

bull चतना इसका तापय1 बाT या आतरक परिथितय क वत1मान जानकारी स होता ह

bull मित समयोपरात कट सकतन भhडारण एव पनsPार क माEयम स सचनाओ क धारणा िकय रहना

मित ह

bull िचतन यह मित^क मgt चलन वाली एक मानिसक ि या ह यह िकसी सचना क सगिठत करन तथा

समझन एव अय िकसी को सLिषत करन मgt घिटत होती ह

bull िवकासामक मनोिवान यह मनोिवान क एक शाखा ह इसका उय ाणी मgt जीवनपय1त होन

वाल हर कार क परवत1न को पD करना ह

bull भाषा भाषा सLषण का एक सश माEयम ह Rयापक अथk मgt भाषा का तापय1 िनःसदह ऐस साधन स

ह िजसक ारा अथ1 एव भाव का लोग क बीच सLषण होता ह

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 13

bull ितमावली िकसी अनपिथत वत या घटना का मानिसक िचNाण करना ही मानिसक ितमावली

कहलाता ह

bull ान का िनltपण इसस तापय1 ह िक सचनाओ का सकतीकरण िकस तरह स होता ह और मित^क मgt

सिचत सचनाओ क साथ व िकस तरह स सयोिजत होती ह

bull मानव बि= एव कि7म बि= मानव बिP एक सानामक ि या ह िजसमgt कई तरह क Mमताए

शािमल होती ह किNम बिP स तापय1 उन सभी कLcयटर उपन उपादक स होता ह िजस यिद मानव ारा िकया जाता तो उस बिPमापण1 काय1 कहा जाता ह किNम बिP कLcयटर िवान क एक शाखा ह

26 वमयाकन हत

1) सानामक मनोिवान क कल िकतन MN ह (1) 10 (2) 08 (3) 11 (4) 12

2) सवदना को अथ1 दना ह

3) अवधान ि या ह

4) चतना का आशय स ह

5) िकसी अनपिथत वत या घटना का मानिसक िचNण करना ही ह

उ-र(1) 12 (2) यMीकरण (3) सानामक (4) बोध या समह (5) मानिसक ितमावली

27 सदभ0 1थ सची

bull िसह अsण कमार (2011) सानामक मनोिवान

bull tीवातव रामजी (सLपादक) (2003) सानामक मनोिवान

bull िसह आरएन एव भाराज एसएस (2010) उ`च ायोिगक मनोिवान

bull Colin Martindale (1981) Cognition and Consciousness

bull Geryd YDewalle (1985) Cognition Information Processing and Motivation

bull Kathleen M Galotti (1999) Cognitive Psychology in and Out of the Laboratory

bull Margaret Matlin (1982) Cognition

28 िनबधामक

1 सानामक मनोिवान क MN का वण1न किजए

2 िटcपणी िलिखए - (i) सानामक यरोिवान (ii) मानव बिP एव किNम बिP

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 14

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 15

इकाई-3 सानामक मनोिवान क13 िविधया

(Methods of Cognitive Psychology)

इकाई सरचना

31 तावना

32 उय

33 सानामक मनोिवान क उपागम

34 सानामक मनोिवान क िविधया

35 साराश

36 श)दावली

37 वम-याकन हत

38 सदभ1 2थ सची

39 िनबधामक

31 तावना

सानामक मनोिवान मgt मZय =प स सानामक ि याओ का वािनक अEययन िकया जाता ह इन

ि याओ क माEयम स Rयि वातावरण क भौितक ऊजा1 को तNकय ऊजा1 मgt बदलता ह और उसका िवशष

अEययन करता ह सानामक ि याओ क कछ िवशषताए ह िजनका अEययन करन पर ही सानामक

मनोिवान क व=प को ठीक ढग स समझा जा सकता ह सानामक मनोिवान मgt सानामक ि याओ क

अEययन क िलय दो तरह क उपागम का योग िकया जाता ह य उपागम ह - 1- सचना ससाधन उपागम 2

सLबधवादी उपागम सानामक मनोिवान का काय1 MN भी िवकिसत ह

सानामक मनोिवान मgt सानामक ि याओ का अEययन करन क िलए वस तो कई िविधया ह

लिकन मख =प स दो िविधय का उपयोग िकया जाता ह िजनका आग वण1न िकया जायगा

32 उय

इस इकाई क अEययन क पWात आप समझ सकgt ग

bull सानामक मनोिवान क उपागम कौन-कौन स ह

bull सानामक मनोिवान क िविधया कौन-सी ह

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 16

33 सानामक मनोिवान क उपागम

सानामक मनोिवान मgt सानामक ि याओ क अEययन क िलय मZय =प स दो उपागम का योग िकया

जाता ह -

1- सचना ससाधन उपागम

2- सLबधवादी उपागम

1- सचना ससाधन उपागम

मानव वातावरण स सचनाओ को कLcयटर क तरह 2हण करता ह इसक बाद उहgt एक अवथा स दसरी

अवथा होत हJय एक म मgt ससािधत करता ह और तब अत मgt िकसी िनण1य पर पहJचता ह तथा िफर कोई

खास अनि या करता ह सचना ससाधन क इस CिDकोण को lsquoकLcयटर =पकrsquo कहा जाता ह इस उपागम को

अYसर एक अमत1 िवpषण क =प मgt विण1त िकया जाता ह अमत1 िवpषण स अथ1 यह ह िक इस उपागम मgt

तNकय घटनाओ क RयाZया पD नहU होती ह सानामक मनोवािनक मानिसक ि याओ का सचना

ससाधन उपागम क CिDकोण स जो वण1न करत ह उसक तलना एक कLcयटर ो2ामर स क जाती ह

सानामक मनोवािनक िकसी मानिसक ि या क पीछ होन वाल तNकय आधार स कोई सLबध नहU

रखत बि-क उनका सLबध कवल इस बात स होता ह िक अमक तरह क सचना िमलन पर सानामक या

मानिसक ि याओ का सचालन िकस कार स होता ह

वातव मgt सचना ससाधन उपागम मgt तीन मख पव1 क-पनायgt होती ह-

1- सान क िमक अवथाओ क एक tखला मgt िवpिषत करक समझा जा सकता ह

2- यक अवथा पर सचनाओ क ािF पर अनोखी ि यायgt सLपन होती ह

3- इस उपागम मgt यक अवथा अपन िवगत अवथाओ स सचनायgt ाF करती ह और तब अपना

उसका काय1 करती ह

इस कार पD ह िक सचना ससाधन उपागम ारा सानामक ि याओ का एक अमत1 एव िमक

िवpषण होता ह सानामक तN एक माणीय सगठन क =प मgt काय1 करता ह िजसमgt कई छोटी-छोटी

इकाईया होती ह जो एक दसर स िभन होती ह और वतN =प स काय1 करती ह

2- सबधवादी उपागम

इस उपागम क जड़gt नायिवक तN मgt िनिहत ह उसमgt मानिसक ि याओ का िवpषण तNाकय घटनाओ तथा

उनक आपसी सLबध पर आधारत होती ह अथा1त सLबधवादी उपागम ारा मित^कय =पक का CिDकोण

अपनाया जाता ह इस उपागम का आधार तNकय एव गिणतीय होता ह इस उपागम क समथ1क का मत ह िक

यह मॉडल (उपागम) तNकय घटनाओ पर आधारत होता ह यह अमत1 नहU होता ह इसमgt मानिसक ि याओ

का िवpषण जो तNाकय घटनाओ पर आधारत होता ह िकया जाता ह इस उपागम मgt मानिसक ि याओ

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 17

का िवpषण िमक ससाधन स न होकर समानातर ससाधन ारा होता ह इस ि या मgt मानिसक ि यायgt

एक साथ एक स अिधक सानामक कट सकत मgt परवित1त होती ह Feldman (1985) क अनसार सLबध

वािदय का मZय मत यह भी ह िक बहJत सारी साथ1क सानामक ि यायgt एक सकhड क भीतर ही सLपन क

जा सकती ह इस उपागम क यह भी मायता ह िक यरोन का अय यरोन क साथ एक पदान िमक सLबध

नहU होता ह इसक अलावा इसमgt सानामक तNा का व=प माणीय नहU होता ह अथा1त उस छोट-छोट भाग

मgt नहU बाटा जा सकता ह यक सानामक काय1 मgt तNकय एव सानामक तN एक सLपण1 इकाई क =प मgt

काय1 करता ह इस कार मानव मित^क तथा हमारा सानामक तN एक पण1 इकाई क =प मgt होकर एक समय

मgt एक स अिधक काय1 करत ह

34 सानामक मनोिवान क िविधया

सानामक िति याओ का अEययन करन क िलए सानामक मनोिवान मgt मZय =प स दो कार क

िविधय का उपयोग िकया जाता ह - 1 योगामक िविध 2 कLपयटर आधारत िविध

1- योगामक िविध-

इस िविध मgt सानामक मनोवािनक कछ परवयk मgt परवत1न करक उसक दसर चर पर पड़न वाल

भाव का िनरीMण करत ह सानामक ि याओ क अEययन मgt मनोवािनक ारा िवशष =प स यह जानन

का यास िकया जाता ह िक सLबP मानिसक ि या को परा करन मgt Rयि िकस तरह क Nिट कर रहा ह

gोमिकम तथा गरट न इस एक उदाहरण ारा समझान का यास िकया ह मान लीिजय िकसी Rयि को िकसी

भाषण क एक अश मgt Current argument कहना ह और उसक बदल मgt गलती स An arrent curgument

Corrent कहता ह इस ढग क Nिट स हमgt भाषण मgt सिLमिलत सानामक ि या क बार मgt महवपण1 सचना

िमलती ह इस Nिट को Eयान मgt रखकर यह कहा जा सकता ह िक ऐस िट पदिवच क कारण हJयी ह Current

का थम पद argument क थम पद क साथ िमल जान स यह Nिट उपन हJयी ह इसस हम Nिट इस िन^कष1

पर पहJच सकत ह िक मन य मित^क श)द का िनमा1ण एक-एक पद को सयोिजत करक तयार करता ह

उपिथत िकय गय उीपक क ित िति या समय का मापन करक भी सानामक ि या क बार मgt जाना

जाता ह

इस कार पD हJआ िक सानामक मनोवािनक Nिटय क ढग तथा िति या काल जस सचकाक

क आधार पर मानिसक ि याओ क बार मgt महवपण1 िनण1य लन मgt सMम हो पाता ह 2- कयटर आधारत िविध-

इस िविध मgt सानामक मनोवािनक कLcयटर का उपयोग करक सानामक ि याओ का अEययन करना ह सचना ससाधन उपागम एव सLबधवादी उपागम इन दोन क ही समथ1क अपन अEययन मgt इस िविध

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 18

का उपयोग करत ह चिक मानव मित^क कLcयटर क तरह काय1 करता ह इसिलय आसानी स हमgt मानिसक ि या क व=प क बार मgt जानकारी हो जाती ह वस इस िविध क काफ आलोचना भी हJयी ह कछ लोग का मत ह िक कछ ऐसी सानामक ि याए ह िजनक िवतत जानकारी अभी तक ाF नहU हJई ह इसिलय ऐसी ि याओ का अEययन कLcयटर ो2ाम स नहU हो सकता ह मित^क एव कLcयटर दिहक =प स एक-दसर स िभन होत ह इसस भी मानिसक ि याओ को समझन मgt किठनाई होती ह

35 साराश

इस इकाई क अEययन क पWात आप जान चक ह िक सानामक उपागम कौन-कौन स ह तथा सानामक

ि याओ क अEययन क िलय कौन सी िविधया ह सानामक मनोिवान क मZय =प स दो उपागम होत ह-

सचना ससाधन उपागम तथा सLबधवादी उपागम इसी कार सानामक ि याओ का अEययन करन क

िलए योगामक िविध तथा कLcयटर आधारत िविध का योग िकया जाता ह

36 शदावली

bull सचना ससाधन उपागम इसमgt सानामक ि याओ का एक अमत1 एव िमक िवpषण होता ह

सानामक तN एक माणीय सगठन क =प मgt काय1 करता ह िजसमgt कई उप इकाइया होती ह जो एक

दसर स िभन होती ह और वतN =प स काय1 करती ह

bull सबधवादी उपागम इस उपागम मgt मानिसक ि याओ का िवpषण िमक ससाधन स न होकर

समानातर ससाधन ारा होता ह समानातर ससाधन क ि या मgt मानिसक ि यायgt एक साथ एक स

अिधक सानामक कट सकत मgt परवित1त होती ह

bull सानामक मनोिवान क योगामक िविध इस िविध मgt मनोवािनक कछ चर मgt परवत1न करत ह

और उस पर पड़न वाल भाव का दसर चर पर Mण करत ह इसमgt उपिथत िकय गय उीपक क ित

िति या समय का मापन करक भी सानामक ि या क बार मgt जानत ह

bull कयटर आधारत िविध इस िविध मgt सानामक मनोवािनक कLcयटर का उपयोग करक सानामक

ि याओ एव सLबिधत तNकय ि याओ का अEययन करत ह

37 वमयाकन हत

1- सानामक मनोिवान मgt का अEययन करत ह

2- सानामक मनोिवान क उपागम ह

3- सचना ससाधन ि या क CिDकोण स सानामक मनोवािनक जो मानिसक ि याओ का वण1न करत

ह उसक तलना स क जाती ह

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 19

4- सLबधवादी उपागम मgt मानिसक ि याओ का िवpषण तथा उनक अपसी सLबध पर

आधारत होता ह

5- सानामक मनोिवान क मख िविधया ह

6- सानामक मनोवािनक कLcयटर का उपयोग करक एव सLबिधत तN क िति याओ का

अEययन करत ह

7- मित^क एव कLcयटर एक-दसर स काफ िभन होत ह

उ-र (1) सानामक ि याओ (2) दो (3) एक कLcयटर ो2ामर

(4) तNकय घटनाओ (5) दो (6) सानामक ि याओ

(7) दिहक =प स

38 सदभ0 1थ सची

bull िसह अsण कमार (2011) सानामक मनोिवान

bull tीवातव रामजी (सLपादक) (2003) सानामक मनोिवान

bull िसह आरएन एव भाराज एसएस (2010) उ`च ायोिगक मनोिवान

bull Colin Martindale (1981) Cognition and Consciousness

bull Geryd YDewalle (1985) Cognition Information Processing and Motivation

bull Kathleen M Galotti (1999) Cognitive Psychology in and Out of the Laboratory

bull Margaret Matlin (1982) Cognition

39 िनबधामक

1) सानामक मनोिवान क उपागम का वण1न किजए

2) सानामक मनोिवान क िविधय का वण1न किजए

3) िटcपणी िलिखए -

(क) सचना ससाधन उपागम

(ख) कLcयटर आधारत िविध

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 20

इकाई-4 मनोभौितक13 का अथ वबर और फकनर का िनयम

(Meaning of Psychophysics Law of Weber and Fechner)

इकाई सरचना

41 तावना

42 उय

43 अथ1 एव वsप

44 मनोभौितक क मलभत समयाए

45 वबर का िनयम

46 फकनर का िनयम

47 साराश

48 श)दावली

49 वम-याकन हत

410 सदभ1 2थ सची

411 िनबधामक

41 तावना

मनोभौितक श)द स सामाय परचय होन क पव1 कछ ाथिमक बात का उ-लख कर दना वाछनीय ही नहU

अिपत आवयक भी ह वतिथित यह ह िक हम लोग सामायतः नातक तर स ही मनोिवान का अEययन

करत आ रह ह और इस बात स पण1 अवगत ह िक मनोिवान को पहल आमा और मन का और िफर चतना

का िवान माना जाता था वाभािवक था िक उस समय योग क िलए कोई थान नहU था दसर Rयिय क

आमा मन तथा चतनता का अEययन करना असभव था साथ ही बहJत सी बात क अEययन क िलए मन य

को योlय (Subject) क =प मgt तयार नहU िकया जा सकता िजसस जानवर आिद का अEययन आवयक

महसस िकया जान लगा कछ समय बाद मनोिवान को मानिसक ि याओ और अततः Rयि क Rयवहार क

अनभव का अEययन करन वाला िवान माना जान लगा परत मनोिवान मgt जब Rयवहार क बात क जा रही

थी तभी मनोभौितक (Psychophysics) भी एक महवपण1 कारक (Factor) क =प मgt उिलत हो रहा था

42 उय

मनोभौितक (Pshychophysics) मनोिवान क वह शाखा ह िजसक अतग1त मानिसक (Mental) और

भौितक (Physical) तyय का एक साथ अEययन िकया जाता ह अयत ाचीन काल स ही दश1न शािeय न

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 21

lsquoमनrsquo और lsquoशरीरrsquo क सLबध को तािक1 क आधार पर समझन का यास िकया था िजसमgt डकोट1 का

अति 1 यावाद (Decartesrsquo interactionalism) लाइवनीज़ का मनोभौितक समानातरवाद (Leibnitzrsquos

Psycho-physical Parallelism) डमोि टस का भौितकवाद (Democratesrsquo materialism) उ-लखनीय

ह इन दाश1िनक न मन तथा शरीर क बीच माNामक सबध क िनधा1रण का यन िकया था इहोनgt lsquoमनrsquo को

मानिसक घटनाओ तथा lsquoशरीरrsquo को भौितक घटनाओ क =प मgt य िकया उहन यह जानन का यन िकया

िक मापन योrय उीपक िवशषताओ और उनस उपन सवदनाओ क बीच िकस कार क िनयम पण1 सLबध ह

इसी मल समया का हल ाF करन क िलए योगामक िवान क शाखा मनोभौितक क थापना क गयी

मनोभौितक का ारभ GT Fechner (1801-1887) क पतक lsquoElement-der-

Psychophysicsrsquo क 1860 मgt काशन स हJआ चिक यह पतक gासीसी भाषा मgt कािशत हJई थी िजसका

िहदी =पातरण lsquoमनोभौितक क मल तवrsquo (Element of Psychophysics) ह मनोभौितक मgt मन अनि या

(Response) तथा शरीर मgt सबध का अEययन िकया गया इस कार यह कहा जा सकता ह िक मनोभौितक

मgt भौितक (Physical) एव मानिसक (Mental) ि याए सिLमिलत ह भौितक ि या का तापय1 उजना

तथा मानिसक ि या का तापय1 सवदना स ह मनोभौितक मgt उीपक (उजना) तथा सवदना क बीच

माNामक सबध का अEययन िकया जाता ह

43 अथ0 एव वltप

मनोभौितक क परभाषाए (Definition of Phsycophysics)

मनोभौितक श)द को सव1थम GT Fechner न अपनी पतक lsquoमनोभौितक क मल तवrsquo मgt परभािषत

करत हJए िलखा ह िक ndash मनोभौितक वह सय िवान ह जो शरीर एव मन क बीच काया1मक सबध क

िनभ1रता का अEययन करता ह (Psychophysics is the true science of functional relations

between body and mind)

Guilford (1954) क अनसार ndash मनोभौितक वह िवान ह जो भौितक घटनाओ और उनस

सLबिधत मनोवािनक घटनाओ क बीच माNामक सबध क िनभ1रता का अEययन करता ह

(Psychophysics has been regarded as the science that investigates the Quantitative

Relationships between physical events and corresponding psychological events)

James Drever (1968) क अनसार ndash ldquoमनोभौितक ायोिगक मनोिवान क वह शाखा ह जो

भौितक उीपक तथा साविदक घटनाओ क बीच काया1मक तथा माNामक सबध का अवषण करता ह

(Psychophysics is that branch of Experimental psychology which investigates that

functional and Quantitative relations between physical Stimuli and sensory events)

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 22

Chaplin (1975) क अनसार ndash ldquoमनोभौितक मनोिवान क एक शाखा ह जो उीपक माNाओ

उीपक िभनताओ तथा उनक अन=प सवदी ि याओ क बीच सबध का अनसधान करता हrdquo

(Pshychophysics is the branch of psychology which investigates Relationship between

Stimulus magnitudes Stimulus Differences and their corresponding sesory processes)

Candland (1968) क अनसार ndash ldquoमनोभौितक उीपक एव उन उीपक क ित मनोवािनक

अनि याओ क सLबध थािपत करन स सLबिधत हrdquo (Psychophysics is concerned with

establishing Relationship between Stimuli and the psychological responses to these

Stimuli)

English amp English (1950) क अनसार ndash ldquoमनोभौितक उीपक क भौितक गण एव सवदनाओ

क परणामक गण क सबध को अEययन करता हrdquo (Pshychophysics is the study of the relation

between the physical attributes of the Stimulus and the Quantitative attributes of

sensation)

इन परभाषाओ क आधार पर यह कहा जा सकता ह िक मनोभौितक मन तथा शरीर (शारीरक एव

मानिसक ि याओ) क बीच काया1मक तथा माNामक सबध का अEययन करता ह दसर श)द मgt कहgt तो

ldquoभौितक उदीपक तथा उसक कारण िकसी मानव Mक मgt उपन होन वाली सवदनाओ क बीच सबध का

अEययन ही मनोभौितक हrdquo

आजकल मनोभौितक (Pshychophysics) को योगामक मनोिवान (Experimental

Psychology) क एक शाखा क =प मgt माना जाता ह और इसमgt उीपक (Stimulus) तथा उसस उपन होन

वाली अनभितय (Experiences) क परणामक सबध (Qualitative Relationship) का अEययन िकया

जाता ह

जस Yया उीपक क तीता (Intensity) मgt विP होन स अनभित (Experience) मgt भी ती(णता

आती ह यिद आती ह तो Yया उसी अनपात मgt या उसस अिधक या कम अनपात मgt इन सब का

अEययन मनोभौितक मgt िकया जाता ह उदाहरणवsप यिद िकसी बद कमर मgt Eविन क तीता क 100 HZ स

बढ़ाकर 200 HZ कर िदया जाता ह तो Yया इसस सनन क अनभित पहल स बढ़कर दगनी हो जायगी या कम

हो जायगी इस कार क का अEययन मनोभौितक मgt करक एक िनिWत िन^कष1 पर पहJचा जाता ह

44 मनोभौितक क मलभत समयाए

उीपक को परभािषत करना मनोभौितक क मल समया ह Yय िक मनोभौितक का मZय उय उीपक

और अनि याओ क बीच माNामक सबध को ात करना ह उीपक (Stimulus) क वह यनतम माN Yया

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 23

ह िजसको ाणी 2हण कर सक तथा अनि या (Response) कर सक योlय (Subject) िकसी उीपक का

म-याकन तथा िविभन उीपक क तलना िकतनी परशPता स कर सकता ह दो उीपक मgt यनतम िकतना

अतर होन पर भी व एक समान तीत होत ह उपय1 समत को उीपक (Stimulus) और उसस उपन

सवदना (Sensory) क सLबध मgt उठाय गए ह इसी कार क अय भी सLबध मgt तत िकय जा सकत ह

जो सिLमिलत =प स मनोभौितक क समयाए कहलाती ह ऐसी समयाए िनLनािकत ह

अिभान स सबिधत समयाए (Detection Probems) -

यक ानि_य (Sense Organ) को उिजत करन क िलए एव यनतम या अयत तीता क उीपक क

ज़=रत होती ह यिद उीपक इस यनतम तीता का होता ह तब तो Rयि इसक पहचान (Detection) कर

लता ह उीपक क इस यनतम तर को सीमात उीपक (Threshold Stimulus) कहा जाता ह कछ उीपक

क तीता इस सीमात उीपक स ऊपर या यादा होती ह पहल कार क उीपक को अवचतन उीपक

(Subliminal Stimulus) तथा दसर कार क उीपक को अिधसीमा उीपक (Supraliminal Stimulus)

कहा जाता ह अ-पतम उीपक क पहचान स सLबिधत अEययन करत समय कछ ख़ास-2 समयाए होती ह

जस ndash िकसी उीपक क पहचान करन क िलए यनतम तर (Lowest Level) कौन सा होगा िकस तरह क

उीपक (Stimulus) का अEययन उपय होगा उीपक का यनतम तर िकतना हो िक उसस ऊपर क तर क

उीपक को आसानी स पहचान कर सक आिद इन समयाओ क जिटलता इस कारण स और बढ़ जाती ह िक

अनि या (Response) उपन करन क िलए उीपक का जो अ-पतम तर (Minimal Level) होता ह वह

परिथित क अनसार बदलता रहता ह

इस उदाहरण ारा समझgt ndash अधर कमर मgt ह-क रोशनी को भी तरत दख लत ह परत यिद कमरा मgt

पहल स ही काफ़ रोशनी ह तो उस ह-क रोशनी को सभवतः हम दख नहU पात ह उसी कार िकसी Eविनरोधी

कमर (Soundproof Room) मgt साधारण ती Eविन को आसानी स सना जा सकता ह परत ऐस कमर मgt जहा

शोरगल काफ़ हो रहा ह उसी Eविन को सनन लायक होन क िलए उस काफ़ ती (Intense) होना आवयक

मनोवािनक क अEययन मgt दो कार क अिभान (Detections) क चचा1 क जाती ह

िनरपM सीमात या दहली (Absolute Threshold or Limen)

िभनता सीमात या दहली (Differential Threshold or Limen)

(i) िनरप6 सीमात या दहली (Absolute Threshold or Limen) -

िनरपM सीमात (Absolute Threshold) क िलए RL श)द का योग अिधक िकया जाता ह जो जम1न ldquoरज

लाईमनrdquo (Reiz Limen) का सिMF =प ह RL स तापय1 उस यनतम उीपक मान (Minimal Stimulus

Value) स होता ह जो Rयि मgt अनि या उपन करन मgt समथ1 होता ह ाणी क ानि_य (Sense

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 24

Organs) क सवदनशीलता (Sensitivity) मgt घट-बढ़ (Fluctuation) होती रहती ह अतः एक ही Rयि क

िलए RL हमशा एक समान नहU होता ह यही कारण ह िक RL को मनोवािनक न सािZयकय =प स

परभािषत िकया ह और कहा ह िक RL वह उीपक मान ह जो 50 यास मgt अनि या उपन करता ह और

50 यास मgt अनि या उपन नहU करता ह दसर श)द मgt यह कहा जा सकता ह िक RL कई यास मgt

Rयि ारा उीपक क बार मgt िकय िनण1य का माEय (Mean) होता ह उदाहरणवsप मान लgt िक कोई

योगकता1 योlय स िलए गए िभन-िभन Eविन क क तीता का RL ात करना चाहता ह ऐसी परिथित

मgt वह योlय क Eविन क िभन-िभन तीता तर को उपिथत कर उस यह बतलान क िलए कहगा िक उसन

उस Eविन को सना या नहU जब Eविन क तीता काफ़ कम होगी तो योlय को Eविन सनाई नहU दगी जब

Eविन क तीता का तर थोड़ा और अिधक होगा तो योlय को कभी Eविन सनाई दगी और कभी नहU यिद

Eविन क तीता का तर थोड़ा और अिधक बढ़ा िदया जाय तो Eविन पDतः सनाई दगी इस कार योlय का

िनण1य कई यास मgt योगकता1 ाF करता ह और िफर इसका माEय (Mean) ात कर िदया जाता ह और वही

RL कहलाता ह

(ii) िभनता या िवभद सीमात या दहली या जएनडी (Diffential discrimiation Threshold

or Limen or Just Noteable Difference ndash JND) -

िभनता या िवभदन सीमात िजसको िवभदक सीमात DL जो (Differential Limen) का सिMF =प ह

तथा िवभदन सीमन को यनतम भद JND जो (Just Noteable Difference) भी कहा जाता ह

पोटमन तथा ईगन न (Postman amp Egan) न 1949 मgt DL को परभािषत करत हJए कहा ह िक वह

उीपक अतर जो 50 यास (trails) मgt िभनता िनण1य उपन करता ह को िवभदक सीमात कहा जाता ह

(The Differential Threshold is defined as that Stimulus Difference which gives rise to

judgment at Difference in 50 of the time) उदाहरणवsप अगर योlय को दो Eविन िजसक

आपस मgt तीता का अतर बहJत ही कम ह िदया जाता ह तो सभवतः वह इस अतर को पहचान नहU पाएगा या

कभी पहचान पाएगा और कभी नहU परत यही दोन Eविन क तीता क अतर को अिधक कर िदया जाता ह

तो वसी परिथित मgt वह इस अतर को पD पहचान लगा दसरा उदाहरण ndash िवभदन सीमात को दखgt तो यिद

िकसी योगी क हथली पर सौ 2ाम वज़न क वत मgt अितर पाच 2ाम का वज़न रखन पर योlय को उसस

अिधक भारी (heavier than) का अनभव होता ह तो 100 2ाम वज़न क िलए 5 2ाम का अितर भार

JND कहा जायगा इसी तरह िकस उजना म-य क उस लघतम अतर को JND कहा जाता ह िजसक

कारण समान सावदिनक माग1 (Same Sensory Channel) स उपन अनभव मgt िवभद या िभनता का

आभास होता ह

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उराखड म िव13िवालय 25

उपय1 दोन कार क सीमात या दहिलय का िनधा1रण िकन बात पर िनभ1र करता ह इस सLबध मgt

मनोभौितक वािनक न गहन और िवतत अEययन िकया ह तथा इस सLबध मgt अनक कारक तव क चचा1

क ह ऐस िनधा1रक कारक का अEययन करन क म मgt यह भी पD हJआ ह िक इस सीमात (Thresholds)

क िनण1य मgt वयिक िविभनता भी पाई जाती ह Yय िक इसका िनण1य Rयि क वयिक िवशषताओ पर

िनभ1र करता ह इस CिD स मनोवािनक क िलए मनोभौितक स सLबिधत अEययन महवपण1 ह

45 वबर का िनयम

EH Weber (1834) िलपिज़ग िव13िवालय (Leipzig University) क िसP शरीर शाeी थ 1829 स

1834 क बीच उहन वक और मासपशीय सवदनाओ क सदभ1 मgt ायोिगक अEययन िकया िजनक ारा वह

यह जानना चाहत थ िक Rयि छोट स छोट भार मgt िकतनी कशलता स अतर कर सकता ह इस तरह क शोध

क आधार पर िवभदन सीमात (Differential Limen) या सMप मgt DL तथा उीपक क तीता (Stimulus

Intensity) क बीच मgt एक िवशष कार का सLबध बताया गया ह DL तथा उीपक क तीता (Stimulus

Intensity) क सबध पर बहJत स योग मgt कई लोग न काफ़ गभीरतापव1क िवचार िकया वह था ndash Yया DL

या JND (Just Noteable Difference) िकसी सवदी MN (Sense Modality) क िलए एक िनिWत

(Fixed) मान होता ह इस पर वबर ारा बताया गया िक DL या JND िकसी भी सवदी MN क िलए एक

िनिWत मान नहU होता ह बि-क रखीय (Linear) ढग स मानक उीपक क मान मgt परवत1न होन क साथ-साथ

परवित1त होत जाता ह दसर श)द मgt जब मानक उीपक का मान बढ़ता ह तो उस तलनामक उीपक

(Comparable Stimulus) स िभन महसस करन क िलए उीपक मgt जो िनLनतम परवत1न होता ह (अथा1त

DL या JND) वह भी बढ़ता ह अथा1त मानक उीपक का मान (Value) जब बड़ा होगा तो DL भी बड़ा

होगा और यिद मानक उीपक का मान जब छोटा होगा तो DL भी कम होगा वबर क िनयम को एक गिणतीय

कथन क =प मgt दखgt तो इस गिणतीय =प मgt परभािषत करत हJए कहा जा सकता ह िक मानक उीपक

(Standard Stimulus) क मान तथा DL या JND को उपन करन क िलए िनLनतम मान क बीच एक िनिWत

एव सतत अनपात (constant ratio) होता ह िजसक अनसार दोन मgt परवत1न होता ह उदाहरणवsप माना

जाए िक िकसी अधर कमर मgt िकसी मज़ पर 10 मोमबिया पहल स जल रही ह और यही उसी कमर मgt उसी

आकार क एक और मोमबी जला दी जाय तो पहल क रोशनी तथा बाद क रोशनी मgt Rयि साफ़-साफ़

यMण (Percieve) कर लता ह तो अगर 100 मोमबिया पहल स िकसी अधर कमर मgt जल रही ह तो वहा

अतर पD करन क िलए 10 मोमबिय को जलाना आवयक होगा ठीक उसी कार जस यिद 100 क एक

रखा मgt बढ़ा िदया जाए तथा 200 मgt 2 रखा क विP कर दी जाए तथा 50 क रखा मgt frac12 और बढ़ा िदया जाए

तभी दो रखाओ क मEय अतर का यMण नज़र आएगा वबर जो इस सN क माEयम स बताया ह ndash

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उराखड म िव13िवालय 26

∆RR=K

जहा ∆R=DL या JND

R= मानक उीपक (Standard Stimulus)

K= सतत (constant) ह िजसका ान ∆RR स होता ह

इस सN को िनLन कार स कहा जा सकता ह ndash

DLStandard Stimulus=constant

या इसको श)द मgt Rय करgt तो कहा जा सकता ह ndash ldquoिकसी िभनता का अनमान कवल िभनता क माN पर

िनभ1र नहU करता बि-क इस िभनता का अनपात तलना क जान वाली वतओ क माN मgt िकतना ह इस पर

िनभ1र करता हrdquo (ldquoOur Estimation of a Difference depends not on the absolute magnitude of

the Difference but on the ratio of the magnitude of the things comparedrdquo)

इस िनयम मgt जो सतत (Constant) होता ह उनक अिभRयि (Expression) हमशा िभन

(Fraction) मgt होती ह िजस वबर िभन या वबर अनपात (Weberrsquos Fraction or Weberrsquos Proportion)

कहा जाता ह वबर अनपात या िभन स यह पता चलता ह िक मानक उीपक मgt िकस अनपात मgt विP (या

कमी) क जाए िक Rयि (उीपक स) सवदनशीलता मgt होन वाल परवत1न का सही-सही यMण कर सक

अथा1त Rयि न यनतम य भद (Just Noteable Difference or JND) उपन हो सक

उदाहरणवsप यिद 100 2ाम क मानक उीपक क साथ 80 2ाम का दसरा उीपक दन स Rयि इन

दोन उीपक स उपन भार सवदनशीलता (Weight Sensitivity) मgt अतर का यMण कर लता ह तो वबर

अनपात 80100 = 80 हJआ िजसका अथ1 यह हJआ िक यनतम य भद उपन करन क िलए मानक उीपक

मgt 80 गणा (Times) क विP करनी आवयक ह अथा1त अगर 1000 2ाम का मानक उीपक ह तो JND

उपन करन क िलए 800 2ाम का होना चािहए

इस कार वबर न कछ भौितक वतओ का मानक जस वबर अनपात (Weberrsquos Fraction) 20 रखा क

लLबाई (Line Length) क िलए 30 चमक (Brightness) क िलए 019 िबजली शॉक (Electric

Shock) क िलए 014 नमकन वाद (salty taste) क िलए 84 अपन शोध क माEयम स पाया ह इस

आधार पर िसPात को साथ1क िकय

वबर िनयम क परसीमा (Limitation)- यह ह िक उनक परशPता तथा यथाथ1ता (Accuracy and

Precision) उस समय न क बराबर रह जाती ह जब मानक उीपक (Standard Stimulus) का मान िकसी

एक छोर (Extreme) पर पहJच जाता ह मानक उीपक का मान बीच मgt होता ह तब तो वबर अनपात क

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उराखड म िव13िवालय 27

परशPता बनी रहती ह परत जब मानक उीपक का मान बहJत ही कम या बहJत ही यादा हो जाता ह तो वबर

अनपात क परशPता लगभग समाF हो जाती ह

ओनो (Ono) न 1979 मgt यह िदखा िदया िक जब उीपक को Rयि क सामन उपिथत (present)

करन क तरीक मgt परवत1न कर िदया जाता ह तो इसस वबर अनपात भी परवित1त हो जाता ह अथा1त जब

तरीका ऐसा होता ह िक मानक उीपक (Standard Stimulus) क बाद तलनामक उीपक (Comparable

Stimulus) िदया जाता ह तो वबर अनपात क परशPता अिधक होती ह परत यिद मानक उीपक

तलनामक उीपक क बाद िदया जाता ह तो इसस वबर अनपात क परशPता काफ़ कम हो जाती ह इहU

कारण स मनोभौितकय क िवशष न वबर िनयम स असतD होकर अय िनयम का ितपादन िकया

46 फकनर का िनयम

गताव फकनर (Gustav Fechner 1801-1887) एक दश1नशाeी तथा योrय िवचारक थ सवदना क मापन

क सवा1िधक चिलत िविध का tय फकनर (1860) को ही ह परत स`चाई यह ह िक फकनर न अपन िनयम

(Fechnarrsquos Law) का ितपादन वबर िनयम (Webarrsquos Law) मgt कछ सधार लान क यास स िकया था

वबर िनयम योlय या Rयि ारा िकय गए िनण1य को मापन क एक अयM िविध (indirect method) ह

जहा DL क समान अतराल मापनी क एक इकाई क =प मgt Rय िकया जाता ह

फकनर न वबर अनपात को ldquoमलभत सNrdquo माना तथा इसक उपयोिगता बतात हJए कहा ndash ldquo lsquoमलभत

सNrsquo सवदना क मापन क पव1क-पना नहU करता बि-क यह साधारणतः यन सापिMक उजक विP तथा

साविदक विP क मEय पाए जान वाल सLबध को दिश1त करता हrdquo (The fundamental formula does

not presuppose the measurement of sensation nor does it establish it simply expresses

the relation holding between small relative Stimulus increments and sesation increments)

परत मलभत सN स ारभ करक फकनर न यह सझाव िदया िक सN मgt विPय क मEय सLबध

लघगणकय (Logarithmic) ह िजस कार सवदना शय स ऊपर कछ माN स ारभ होती ह (सीमात) उसी

कार लघगणक भी एक सीिमत सZया स ही ारभ होता ह इस कार सवदना तथा उीपक क मEय सLबध

लघगणक तथा सZया क मEय सLबध ह इस कथन क साथ िक - सवदना दहली तथा उीपक माN पर िनभ1र

करती ह ndash सवदना उजक क तीता परणाम क लघगणक पर िनभ1र करती ह इस कार फकनर न वबर िनयम

को नए ढग स समझाया ndash ldquoजब उीपक एक थायी अनपात क ारा बढ़त ह तब उनस उीF सवदना समान

उनित या वगk ारा बढ़ती हrdquo (When Stimuli increase by a constant ration the sensation

aroused by them increases by equal increments or steps)

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 28

इसका अथ1 ह िक उीपक और उसक सवदना दोन एक ही गित स नहU बढती जब उीपक क

उजना िनरतर अनपात क ारा बढती ह सवदना क उजना एक िनिWत म क अनसार बढती ह इस कार

क िवचारधारा को एक उदाहरण ारा पD िकया जा सकता ह

मान िलया जाए िकसी सवदना का वबर अनपात 25 (यानी frac14) ह इसका मतलब यह हJआ िक यिद एक

उीपक का मान 20 इकाई (Unit) ह तो यनतम य भद (JND) उपन करन क िलए दसरा उीपक को 20

का frac14 (या 20 का 25) यानी 5 इकाई उसस अिधक होना चािहए दसर श)द मgt दसरा उीपक को 20+5 =

25 इकाई का होना चािहए इसी कार अगला चरण (Step) पर यनतम य भद उपन करन क िलए दसरा

उीपक को 25x25 = 625 इकाई मल उीपक अथा1त 25 इकाई क उीपक स अिधक होना चािहए इसका

मतलब यह हJआ िक दसरा उीपक को 25x625 = 3125 इकाई का होना चािहए उसी तरह तीसरा चरण पर

यनतम य भद उपन करन क िलए एक उीपक तो 3125 इकाई का ही होगा परत दसरा उीपक को

3125+772 = 3897 इकाई का होना चािहए इसी तरह स यक उरोर क़दम पर उीपक क मान 125

गणा अिधक होना चािहए अतः यक उ`चरोर क़दम पर Rयि क सवदनशीलता मgt समान विP क िलए

उीपक क मान मgt अिधक विP क ज़=रत होती ह फकनर क अनसार उीपक क मान मgt विP होन क

फलव=प Rयि क सवदनशीलता मgt हJई विP को लघगणकय सLबध (Logarithmic Relationship) क

आधार पर भी RयाZया क जा सकती ह

ऊपर क उदाहरण मgt यक उरोर क़दम पर DL को एक सतत गणज ारा आसानी स पता लगाया

जा सकता ह जस पहला क़दम पर जहा उीपक का मान 20 इकाई ह वहा वह अथा1त DL क िलए दसरा

उीपक 34 x 20 = 25 होगा दसरा कदम पर वह 5

4 x 20 = 3125 होगा तथा इसी कार तीसरा क़दम पर

वह 54 x 3125 = 3897 होगा ऊपर क उदाहरण स पD ह िक उीपक क मान मgt गणा (Multiplication)

क ि या क =प मgt विP होती ह गणा क ि या क =प मgt विP को lयािमतीय म मgt विP

(Geometrical Progression) (as 248163264 आिद lयािमतीय म मgt विP क उदाहरण ह) तथा

जोड़ क ि या क =प मgt विP को अकगिणतीय म मgt विP क सा दी जाती ह जब दो चर मgt स िकसी एक

मgt lयािमतीय ढग स विP होती ह और दसर मgt अकगिणतीय ढग स विP होती ह तो इस कार क सLबध को

लघगणकय सLबध (Logarithmic Relationship) कहा जाता ह फकनर क िनयम क अनसार उीपक क

मान तथा उसस उपन होन वाल सवदन इसी कार का लघगणकय सLबध होता ह इसी िनयम क अनसार

यिद उीपक क मान मgt lयािमतीय विP क जाती ह तो उसस उपन सवदन मgt भी विP होती ह परत

अकगिणतीय म मgt न िक lयािमतीय म मgt फकनर न इस िदखलान क िलए सN िवकिसत िकय ह िजसमgt स

िनLनािकत सN अिधक लोकिय हो गया

R=K log S

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उराखड म िव13िवालय 29

जहा R= सवदन क माNा (Magnitude of Sensation)

K= थायी अनपात (वबर क सतत) (Weberrsquos Constant)

S= उीपक मान क माNा (Magnitude of Stimulus Value)

फकनर न अपन िनयम क दो मख पव1क-पनाओ (Assumptions) का वण1न िकया ह जो िनLन ह

1) चाह उीपक क िकसी भी तर (Level) पर Yय न उपन हJआ हो DL या यनतम य भद (JND) ारा

सवदन मgt हमशा विP होती ह

2) सवदन उन सभी DL या JND का योग होता ह जो सवदन उपन करन क पहल आत ह

यह मायताए फकनर क मनोभौितक िविधय को आधार दान करती ह

वबर अनपात तथा फकनर िनयम दोन का ही योग अनक कार क द क RयाZया करन क िलए िकया

जाता ह तथा उनक वधता को िनधा1रत करन क मनोभौितकय िविधया न कवल सीमात तथा साविदक

मनोिवान क अEययन मgt ही योग क जाती ह वरन योगामक मनोिवान क अय MN न भी इसका योग

िकया जाता ह उीपक तथा िति या क मEय सबध का मापन करन वाली िविधया दान करन का tय

फकनर को ही ह

फकनर क िनयम क सीमाए (Limitations of Fechner Law) -

फकनर न उीपक सवदना (Stimulus-Sensitivity) क सLबध को लकर एक िनयम क =प मgt जो

सामायीकरण तत िकया वह सव1माय नही ह बि-क वह कई कारण स आलोचना का िवषय ह

bull वबर क िनयम अनसार ही फकनर का िनयम िकसी उीपक क ाLभ और अत मgt न रहकर कवल मEय

भाग स सLबिधत रहता ह

bull फकनर का िनयम इस धारणा पर आधारत ह िक एक बड़ी सवदना कई सवदनाओ का योग ह िकत

कछ मनोवािनक क अनसार छोटी सवदना क िमलन पर बड़ी सवदना नहU अिपत एक नवीन अनभव

तयार होता ह

bull दो काश या दो वर तीताओ क मEय यनतम य भद (JND) एक िनरीMणकता1 स दसर

िनरीMणकता1 तक तथा एक ही िनरीMणकता1 क िलए समय-समय पर परवत1नीय होता ह (गरट)

अतः फकनर क JND क सLबध मgt िवचारधारा उिचत नहU ह इस कार फकनर क िनयम मgt कई दोष पाए

जात ह िजनक आधार पर यह कहा जा सकता ह िक फकनर का सामायीकरण पण1=प स िनयमबP नहU िकया

जा सकता

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 30

47 साराश

मनोभौितक को योगामक मनोिवान क एक मख शाखा माना गया ह इस शाखा मgt उीपक तथा उसस

उपन होन वाली अनभितय (Experiences) को परणामक सबध (Quantitative Relationship) का

अEययन करना ह

bull मनोभौितक क अतग1त मZय =प स अिभान (Detection) समयाए एव उजना अकन

(Stimulus Estimation) स सLबिधत समयाओ का अEययन िकया जाता ह

bull मनोभौितक क बार मgt वबर फकनर का िनयम काफ़ चिलत ह िजहन यनतम या माN असिमय

िभनता (Just Noteable Difference JND) क सLबध मgt िथर रािश सLबिधत िनयम का

ितपादन िकया ह यह िनयम मल =प स वबर का ह

bull अिभान समयाओ मgt मZय =प स दहली या सीमात का िनधा1रण िकया जाता ह य सीमात दो तरह

क होत ह - 1 िनरपM या उजना सीमात (Absolute or Stimulus Threshold - RL) 2

िभनता सीमात (Differential Threshold)

bull उीपक क मान तथा उसस उपन होन वाल सवदन मgt लघ-गणकय सLबध (Logarithmic

Relationship) होता ह

bull फकनर क िनयम मgt जब उीपक क मान मgt lयािमतीय म मgt विP होती ह तो उसस उपन सवदना मgt

विP अकगिणतीय म मgt होती ह

bull Absolute Threshold (RL) का तापय1 उस यनतम उीपक मान (Minimal Stimulus Value)

स होता ह जो Rयि मgt अनि या 50 यास मgt उपन करता ह

bull Differential Limen (DL) का तापय1 एक ही सवदी MN स दो उीपक क बीच का अतर होता ह

जो 50 यास मgt अनि या उपन करता ह

48 शदावली

bull योग (Experiment) चन हJए चर क मEय काया1मक सLबध क जाच क िलए िनयिNत परिथित

क अतग1त िकय गए Mण क एक tखला होती ह

bull दहली (Threshold) दहली या सीमात उीपक तीता क उस तर को कहा जाता ह जो शारीरक या

मानिसक ि या उपन करता ह

bull मनोभौितक (Psychophysics) मनोभौितक मनोिवान क वह शाखा ह िजसम उीपक तथा उसस

उपन होन वाली अनभितय क परणामक सबध का अEययन िकया जाता ह

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 31

bull िनरप6 सीमात (Absolute Threshold or RL) यह यनतम उीपक मान होता ह जो Rयि मgt

अनि या उपन करन मgt समथ1 होता ह

bull िभनता सीमात (Differential Threshold) यह उीपक जो आध यास मgt िभनता उपन करता ह

उस िवभदन सीमात कहा जाता ह

bull उीपक (Stimulus) वातावरण मgt िथत कोई परभािषत तव जो ाणी को भािवत करता हो तथा जो

यM अथवा परोM अनि या को जम दता हो उीपक (Stimulus) कहा जाता ह

bull मानक उीपक (Standard Stimulus) वह मानक तर िजस पर अय अनि याओ का तर ात

िकया जाता ह उस मानक उीपक कहा जाता ह

bull सवदना (Sensation) िकसी उीपक का मानिसक अनभव ही सवदना ह

bull मEयमान (Mean) ाFाक क एक समदाय का एक अकगिणतीय मEयिबद को मEयमान कहत ह

bull य6ीकरण (Perception) व ि याए जो सवदी सचना को सगिठत करती ह और उसक परवशगत

ोत क =प मgt परभािषत करती ह यMीकरण कहलाती ह

49 वमयाकन हत

1 JND Yया ह

2 DL और RL को बताइय तथा अतर पD किजय

3 िनरपM िभनता तथा अितम दहिलय मgt अतर बताइय

4 मनोभौितक का सिMF इितहास िलिखए

410 सदभ0 1थ सची

bull िसह अsण कमार (2002) आधिनक सामाय मनोिवान ततीय सकरण मोतीलाल बनारसीदास पटना

bull िम fज कमार (2010) मनोिवान मानव Rयवहार का अEययन पीएच आई learning private

limited नई िद-ली

bull tीवातव बीना एhड आनद वषा1 एhड आनद बानी (2003) सानामक मनोिवान मोतीलाल

बनारसीदास

bull अथाना मध (1999) मनोभौितक य एस पि)लशस1 वाराणसी

bull एनसीईआरटी11 (2002)

bull सYसना एनक एव भाग1व महश (1996) मनोभौितक एव मनोमापन भाग1व बक हाउस राजामडी

आगरा

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 32

bull िसह अsण कमार (2002) आधिनक सामाय मनोिवान ततीय सकरण मोतीलाल बनारसीदास

पटना

bull अथाना मध (1999) मनोभौितक यएस पि)लशस1 वाराणसी

411 िनबधामक

1 मनोभौितक Yया ह िवpषणपव1क समझाइय

2 मनोभौितक को परभािषत करत हJए इसक अथ1 को पD किजय योगामक मनोिवान मgt इसका Yया

महव ह

3 मनोभौितक क मल समयाओ का वण1न किजय

4 मनोभौितक मgt वबर का Yया योगदान रहा तथा उसक आलोचना िकन कारण स हJई बताईय

5 फकनर को मनोभौितक का िपता कहा जाता ह इस कथन क पिD करत हJए उनक योगदान का उ-लख

करgt तथा उनक ारा ितपािदत िनयम क आलोचनामक RयाZया करgt

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 33

इकाई-5 अवसीमा या दहली का सयय एव स ाितक िकोण

(Concept and Theoretical View of Threshold)

इकाई सरचना

51 तावना

52 उय

53 दहली या सीमात क सयय या मनोभौितक क कछ महवपण1 सयय

531 सवदनशीलता

532 दहली या सीमात

533 Rयि (आमपरक) समातर का िबद

534 परवय1 Nिट तथा सतत Nिट

535 िथर अशिP

54 िवpषण एव िन^कष1

55 साराश

56 श)दावली

57 वम-याकन हत

58 सदभ1 2थ सची

59 िनबधामक

51 तावना

ायोिगक मनोिवान ािणय क Rयवहार का अEययन करता ह ाणी क अनि या उीपक क काय1 क =प मgt

होती ह वातावरण मgt िवमान भौितक ऊजा1 मgt ही नहU ित Mण परवत1न होता रहता ह वरन ाणी क आतरक

परवश मgt भी ऊजा1 परवित1त होती रहती ह ाणी क बाT एव आतरक जगत मgt होन वाल ऊजा1 परवत1न को

ही उीपक कहत ह यहा पर पD कर दना आवयक ह क इि_य ारा 2हण क जान वाली परवित1त ऊजा1

क माNा को भी उीपक कहत ह जब हम उीपक क बार मgt अनक करत ह जस Yया िकसी अनि या क

कट होन क िलए उीपक का होना आवयक ह Yया अनि या कट होन क िलए उीपक क कोई यनतम

माNा होनी चािहए Yया सभी दशाओ मgt सभी ािणय क िलए उीपक क यनतम माNा िथर रहती ह

उीपक क माNा मgt कम स कम िकतना परवत1न िकया जाए िक ाणी को भी सवदना हो ऐस का उर भी

मनोभौितक क अतग1त दखन को िमलता ह और इन सब उर का क_ िबद दहली (Threshold) ह

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 34

52 उय

हम लोग हो रह छोट-छोट परवत1न िकसी दो उीपक क बीच मgt कब अचानक महवपण1 परवत1न हो जाता ह

कभी-कभी चीनी का एक कण पानी क वाद को परवित1त कर दता ह और वह परवत1न दसर वाद का कारण

बन जाता ह दरवाज़ क एक तरफ घर और एक तरफ बाहर रहता ह तो हम लोग इस बात को कभी आभास नहU

िकय इस कार इन सारी छोटी-छोटी िबद का अनभव करन क िलए दहली (Threshold) क अतग1त ही इन

सब का अEययन करत ह

53 दहली या सीमात क सयय या मनोभौितक क कछ महवपण0 सयय

मनोभौितक अEययन मgt कछ श)दाविलय या सयय (determinologies or Concepts) का उपयोग

िकया जाता ह िजनक बार मgt िवतत =प स ान आवयक ह जस कछ सयय िनLनािकत ह ndash

1 सवदनशीलता (Sensitivity)

2 दहली या सीमात (Threshold)

3 Rयि (आमपरक) समातर का िबद (Points of Subjective Equality or PSE)

4 परवय1 Nिट तथा सतत Nिट (Variable Error and Constant Error)

5 िथर अशिP (Constant Error)

531 सवदनशीलता (Sensitivity) -

िभन-िभन तरह क उीपक क ित या िविशD उजनाओ (Specific Stimuli) क ित अनि या

करन हत हमार शरीर मgt अलग-अलग िविशD ानि_य (Sense Organs) या 2ाहक (Receptor) ह जस ndash

रोशनी क ित आख Eविन क ित कान पश1 क ित वचा वाद क ित जीभ तथा गध क ित नाक

अनि याशील (Responsive) होत ह परत हमार इन ानि_य क अनि याशील होन क Mमता

(Capacity) सीिमत होती ह िजसक कारण उीपक (Stimuli) क ित एक ख़ास ढग स तथा चयनामक =प

स (Selectively) उनक ारा अनि या क जाती ह जस 20 Hz स 20000 Hz क Eविन तरग (Sound

Wave) को ही हम सन सकत ह 20 Hz स कम तथा 20000 Hz स अिधक क Eविन तरग क ित मानव

कान (Human Ear) अनि याशील नहU होता ह ानि_य को उजनाओ क ित सीिमत =प स तथा

चयनामक =प स अनि या करन क Mमता को हम सवदशीलता क सा दत ह (Senisitivity refers to

the Limited and selective Response capacities of the sense orgarns to the stimuli)

सवदशीलता दो कार क होती ह

(i) िनरपM सवदनशीलता (Absolute Sensitivity)

(ii) िभनता सवदनशीलता (Differential Sensitivity)

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 35

(i) िनरप6 सवदनशीलता (Absolute Sensitivity) -

ाणी (ORGANISM) ारा उजनाओ क ित अनि याशील होन क सीिमत Mमता (Limited

Capacity to Response) को िनरपM सवदनशीलता कहत ह

(ii) िभनता या िवभदक सवदनशीलता (Differential Sensitivity) -

िविभन उजनाओ क ित गणामक (Qualitative) अथवा परमाणामक ढग स िवभद या अतर क

ित अनि या करन क Mमता को िवभदक सवदनशीलता कहत ह

532 दहली या सीमात या अवसीमा (Threshold or Limen) -

दहली अ2ज़ी क lsquoThresholdrsquo तथा लिटन क lsquoLimenrsquo का पया1यवाची ह Threshold का अथ1 होता ह

lsquoदहलीrsquo या lsquoचौखटrsquo जो दरवाज़ का एक भाग होता ह चौखट क एक ओर घर का भीतरी भाग तथा दसरी ओर

बाहरी भाग होता ह इस कार दहली वह रखा िबद ह िजसक दोन ओर दो िभन-िभन सवदनाए होती ह दहली

का अथ1 ह िजस अनभव िकया जा सक अथा1त उीपक क वह माNा िजसस कम पर उसक उपिथित का

अनभव न हो

यिप अनि या (Response) कट करान वाल और न कट करान वाल उीपक क बीच सीमा रखा

खUचना मनोवािनक क िलए एक जिटल काय1 ह िफर भी मनोवािनक न िभन-िभन साविदक उीपक क

िलए दहलीसीमात थािपत करन मgt सफलता ाF क ह

Brown amp Cook (1986) न दहली को परभािषत करत हJए िलखा ह िक ldquoदहली उीपक तीता क

उस तर को कहत ह िजसस शारीरक या मानिसक ि या उपन होती हrdquo (Threshold can be defined as

the level of stimulus intensity at which a logical or psychological response is produced)

Stevens (1954) क अनसार ndash ldquoदहली उीपक क वह माNा ह िजसस कम और अिधक पर िभन-

िभन सवदनाए होती हrdquo (The threshold is the Value that divides the continum of stimuli into

two classes those to which organism reacts and those to which it does not)

Underwood (1966) क अनसार ndash ldquoयनतम भौितक उीपक म-य जो 50 बार अनि या को

कट कराए दहली हrdquo (The minimal physical stimulus Value which will produce a response

50 at the time)

Guilford (1954) न दहली क परभाषा उीपक क उस यनतम माNा क =प मgt क ह जो 50

बार अनि याओ को जागत कता1 ह इस कार हम यह कह सकत ह िक उीपक दहली वह उीपक माNा ह जो

सिचत करन योrय अनि या को 50 बार कट करती ह (It is defined as that low stimulus

quantity that arouses a response 50 of the time We can also say that it is stimulus

quantity whose probability of arousing a reportable response is 50)

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 36

इस कार lsquoदहलीrsquo या अवसीमा (Threshold or Limen) िकसी उजना म-य (Stimulus Value) क वह

सीमा रखा (Boundary Line) या सRय सीमा (Distinct Border) होती ह जो उसक बार मgt अवगत होन

या अवगत नहU होन क िथित को इिगत करती ह इस एक उदाहरण क ारा समझgt मान लgt िक कछ काश

इतना धीमा या दब1ल ह िक कछ भी िदखाई पड़ना सभव नहU ह जब िक कछ काश इतना ती हो सकती ह िक

वह िबलकल पD =प स दखी जा सकती ह इन दोन काश मgt एक ऐसी परिथित या एक ऐसा समय आयगा

जहा पर धीम काश को धीर-धीर बढ़ान पर िदखाई दन लग बस वही काश क िथित दहली कही जायगी

इसी कार मान लgt एक rलास मgt पानी ह पानी मgt धीर-धीर एक-एक कण चीनी डालgt और पानी का वाद चखgt

इसी कार चीनी डालन क बाद वाद चखgt एक िथित ऐसी आएगी िक चीनी का एक कण डालन पर पानी

मीठा लगन लगगा अतः िमठास क अनभित क िलए वह चीनी का कण ही दहली कहा जायगा मनोवािनक

न दहली मgt दो कार क अिभान क चचा1 क ह

(i) िनरपM सीमात या दहली (Absolute Threshold or Limen)

(ii) िभनता सीमात या दहली (Differential Threshold or Limen)

इन दोन का िवतत अEययन इकाई-4 मgt िकया जा चका ह

533 आमपरक समता िबद (Point of Subjective Equality PSE) -

आमपरक समता िबद या िजस सMप मgt PSE भी कहा जाता ह मनोभौितक का एक मख सयय

(Concept) ह जब Rयि िकसी बाT उजनाओ का यMीकरण कता1 ह तो वही उजनाओ क बार मgt कछ

आकलन (Estimation) भी करता ह तो इस आकलन मgt थोड़ी बहJत Nिटया (Errors) भी सभािवत ह या आ

जाती ह जो या तो अयािकत जब दो उजनाओ क बीच क समानताओ का आकलन (Estimation of

Equality or Similarity) करता ह जो या तो वातिवकता स अिधक या कम (अयािकत या यनािकत) हो

सकता ह Rयि ारा मानिसक तर पर दो उजनाओ को िजस म-य पर समान होन का अनभव (Experience

of Similarity) करता ह Rयि का वही म-य वयिक समानता का िबद (Point of Subjective equaity

PSE) होता ह जस ndash मान लgt मलर लॉयर िवपय1य (Muller Lyer Illusion) सLबधी योग मgt ldquoबाण रखाrdquo

(Arrow Headed Line) 50mm लबी ह योlय ldquoपखवाली रखाrdquo क लLबाई यिद िकसी यास मgt 45

mm पर बराबर अनभव करता ह तो उस यास िवशष मgt इस उजना क िलए वयिक समानता िबद (PSE)

45 mm होगा इस तरह उसक आकलन मgt 5 mm क Nिट होती ह जो िक यनािकत Nिट (Under

Estimated Error) कहलाती ह इसी कार मान लgt 100 बार योlय को इन दोन रखाओ को समानता का

आकलन करन हत अवसर िदया गया और यक बार समानता क आकलन का लखा तयार कर औसत मान

िनकाला गया इस कार योlय क िनरीMण क कल यास का औसत मान (average Value) ही उसका

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 37

वयिक समानता का िबद (PSE) होगा जो वातिवकता स या तो अिधक या कम हो सकता ह दखgt िचN सndash

1

िच7 ndash 1 (मलर लॉयर िवपय0य)

534 िथर अशि= (Constant Error) -

Rयि जब कभी भी बाT उजनाओ क बार मgt अपन अनभव क आधार पर आकलन (Estimation) करता ह

तो ायः यह दखा जाता ह िक Rयि का आकलन अिधाYकलन (Over Estimation) कता1 ह अथवा

यनाYकलन (under Estimation) करता ह इस तरह क िथर अशिP िकसी एक ही िदशा मgt सदव अथा1त

िनरीMण क यक यास मgt होती ह अथा1त इस कार क आकलन Nिट (Estimation Error) िभन-िभन

िनरीMण यास मgt अलग-अलग न होकर सतत वsप क होती ह इस कार अशिP क माNा को औसत

वयिक समानता िबद (averagemean Point of Subjective Equality MPSE) क मान क माण

उजना मान (Standard Stimulus Value) स घटाकर ाF िकया जाता ह यिद PSEM

यादा ह तो

अयाकन िथर अशिP (Over Estimation Error) होगी और यही PSEM

माण स कम ह तो यनाकन

िथर अशिP (Under Estimation Error) होगी

535 परवय0 अशि= (Variable Error) -

जब एक ही उीपक को समान योगामक परिथित मgt अYसर उपिथत िकया जाता ह तो Rयि ारा

उन उीपक क तीता क बार मgt िदया गया उर (िनण1य) कई कारण स समान न होकर परवय1 (Variable)

अथा1त िभन-िभन होत ह जब उीपक क तीता एक ही ह योगामक परिथित एक ह तथा Rयि भी वही

ह तो उसक ारा िकया गया िनण1य भी िभन-िभन यास मgt एक ही होना चािहए परत ऐसा नहU होता ह

िनण1य मgt इस तरह क िविभनता को परवय1 Nिट (Variable Error) क सा दी जाती ह

इस कार क अशिPय क कई ोत होत ह ndash

bull Rयि क सवदनशीलता (Sensitivity) एक समय स दसर समय समान नहU होती ह

bull योगामक परिथित िकतनी भी िनयिNत Yय न हो उीपक क भौितक गण मgt कछ न कछ अतर आ ही

जाता ह िजसक कारण Rयि का िनण1य एक यास स दसर यास मgt परवित1त हो जाता ह

bull Rयि क मनोवि (Attitude) तथा अिभsिच हर समय एक समान नहU होती ह

A B

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 38

bull Rयि क योग क समय क मनोदशा स भी परणाम भािवत होता ह

54 िवHषण एव िनIकष0

उपरो अEययन स पता चलता ह िक मनोभौितक क महवपण1 सयय मgt सवदनशीलता िजसमgt दो कार

क सवदनशीलता मZय ह - िनरपM सवदनशीलता िवभदन सवदनशीलता ह इसी कार दहली या सीमात

(Threshold) मनोभौितक क महवपण1 सयय ह इसी क कारण उीपक क ित शारीरक या मानिसक

अनि या उपन करता ह इसी कार हम जानत ह दहली सीमात भी दो तरह क होत ह

आमपरक समता िबद मनोभौितक क मख सयय ह िजसम पता चलता ह िक Rयि जो आकलन

करता ह और उस Mण मgt कछ न कछ गलितया आ ही जाती ह और Rयि उन गलितय को समझ नहU पता ह

परवय1 स तापय1 यह ह िक अगर कोई एक ही Rयि िकसी एक परिथित मgt कई यास (Trial) दता ह तो

उसमgt कछ न कछ Nिटया आ ही जाती ह ऊपर वण1न िकय गए तyय स पD ह िक मनोदिहक योग मgt कछ

Nिटया भी होती ह कछ उपय िविधया अपनाकर इन Nिटय को कम करन का यास मनोवािनक क बीच

जारी ह

55 साराश

मनोभौितक क MN मgt कछ महवपण1 सयय इस कार ह - दहली या सीमात (Threshold) आमपरक

समता िबद (Point of Subjective Equality PSE) परवय1 Nिट (Variable Error) तथा सतत Nिट

(Constant Error) इसमgt सीमात (Threshold) का सयय महवपण1 ह

bull दहली या सीमात उीपक तीता क उस तर को कहा जाता ह जो शारीरक या मानिसक अनि या

िकसी Rयि मgt उपन करता ह जब उीपक क तीता सीमात या दहली स नीच होता ह तो वह िकसी

भी कार क अनि या उपन नहU करता

bull सीमात या दहली दो कार का होता ह - उीपक सीमात या िनरपM सीमात (Stimulus Threshold

or Absolute Threshold RL) एव िभनता सीमात (Differential Threshold DL) RL स तापय1

उस यनतम उीपक मान (Minimal Stimulus Value) स होता ह जो Rयि मgt अनि या 50 यास

मgt उपन करता ह

bull DL स तापय1 एक ही सवदी ह जो 50 यास मgt अनि या उपन करता ह

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 39

56 शदावली

bull मय (Value) Rयि क ाथिमकताए आशाए मानक तथा सामािजक =प स अनमोिदत जीवन ल(य

को म-य कहत ह

bull 6ण (Observation) िकसी वत या घटना क सािभाय जाच तािक उसक बार मgt तyय ाF िकय

जा सक अथवा जो भी दखा गया उसक बार मgt Rयि का अपना िन^कष1 स होता ह

bull दहली (Threshold) दहली या सीमात उीपक तीता क उस तर को कहा जाता ह जो शारीरक या

मानिसक ि या उपन करता ह

bull चर (Variable) कोई भी घटक जो मापा जा सक और परवित1त िकया जा सक

bull िनरप6 दहली (Absolute Threshold) इसका तापय1 िकसी उीपक क उस यनतम ऊजा1 स ह

िजसका होना उस उीपक क सापन क िलए अिनवाय1 ह

bull िवभदन दहली (Differential Threshold) िकसी उीपक मgt होन वाला वह यनतम परवत1न ह

िजसका सान हमgt हो सक

bull अिभवि- (Attitude) एक Rयि वत घटना थान िवचार या दशा क ित धनामक या ऋणामक

=प स िति या करन क वि इसमgt सानामक भावामक और Rयवहारामक अवयव होत ह

57 वमयाकन हत

1 िनरपM दहली स Yया तापय1 ह

2 िभनता दहली स Yया तापय1 ह

3 सतत Nिट को पD करgt

4 परवय1 Nिट का वण1न करgt

5 दहली स आप Yया समझत ह सोदाहरण समझाइए

58 सदभ0 1थ सची

bull िसह अsण कमार (2002)आधिनक सामाय मनोिवान ततीय सकरण मोतीलाल बनारसीदास पटना

bull िम fज कमार (2010) मनोिवान मानव Rयवहार का अEययन पीएच आई learning private

Limited नई िद-ली

bull tीवातव बीना एhड आनद वषा1 एhड आनद बानी (2003) सानामक मनोिवान मोतीलाल

बनारसीदास

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 40

bull अथाना मध (1999) मनोभौितक य एस पि)लशस1 वाराणसी

bull एनसीईआरटी 11(2002)

bull सYसना एनक एव भाग1व महश (1996) मनोभौितक एव मनोमापनज भाग1व बक हाउस राजामडी

आगरा

bull िसह अsण कमार (2002) आधिनक सामाय मनोिवान ततीय सकरण मोतीलाल बनारसीदास पटना

bull अथाना मध (1999) मनोभौितक यएस पि)लशस1 वाराणसी

59 िनबधामक

1 मनोभौितक क सयय को िवतारपव1क वण1न करय

2 दहली का उपयोग Rयवहारक जीवन क आधार पर पD किजय

3 मनोभौितक क सLयय को िवतारपवक1 वण1न किजय

4 परवय1 Nिट और सतत Nिट का अथ1 बतात हJए अतर पD किजय

5 सवदनशीलता क अथ1 को बतात हJए उनक कार का वण1न किजय

6 दहली का अथ1 बतात हJए एक उदाहरण पD किजय

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 41

इकाई-6 अवसीमा का ाचीन (सकत सान) िस ात सकत सापन िस ात

(Classical (Signal Detection) Theory of Threshold)

इकाई सरचना

61 तावना

62 उय

63 अथ1 एव वsप

64 योlय क ारा िदए गए िनण1य क कार

641 िहट अनमान

642 िमस अनि या

643 ग़लत अलाम1 क अनि या

644 सही अवीकार क अनि या

65 िवpषण एव िन^कष1

66 साराश

67 श)दावली

68 वम-याकन हत

69 सदभ1 2थ सची

610 िनबधामक

61 तावना

ाचीन मनोभौितक क योग मgt योlय को दो मgt स एक िनण1य अYसर लना पड़ता ह - हा या नहU यह

िविधया इस यय को जम दती ह िक दहली एक वातिवक िबद ह दसर श)द मgt यह वह थान ह िजसमgt

50-50 खोज होती ह अतः कछ लखक न इस िबद को िनरपM दहली क थान पर यािन सापन दहली

(Detection Threshold) कहना अिधक उिचत समझा ह इस कार िनरपM दहली वही िबद ह जहा पर हा

अनि या क सZया नहU अनि या क समान ह

62 उय

सकत सापन िसPात का मनोिवान क MN मgt बहJत महवपण1 योगदान ह और इस िसPात का उय यह

म-याकन करना होता ह िक कोई ितभागी जो कछ दखता ह उसको परशPता तथा सयता क िकस सीमा

तक बता सकता ह और यह भी िनिWत नहU होता क यिद ितभागी यह बता रहा ह िक उसन उीपक को

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 42

यMीकत िकया ह तो वातव मgt उसन उीपक का यMीकरण िकया भी ह या नहU इस िसPात मgt इस Nिट

का यMण करना और उसस परवत1न का सही आकलन करना दशा1ता ह

63 अथ0 एव वltप

Yलािसकल मनोभौितक िविधय (Classical Psychophysical Methods) का मZय सLबध lsquoदहलीrsquo

(Threshold) क िनधा1रण स रहा ह लिकन य िविधया कवल आदश1 िथित (Ideal Situation) मgt ही lsquoदहलीrsquo

िनधा1रण क िलए उपय मानी जा सकती ह न िक सामाय अवथाओ मgt अथा1त दहिलय क परभाषा

सािZयक िविधय स क गयी ह और यह दखा गया ह िक उन िविधय क ारा दहली मापन मgt कई Nिटया होती

ह जस आहात Nिट पवा1नमान Nिट थान Nिट आिद य सभी Nिटया दहली म-य को भािवत करती ह

इसिलए उीपक म-य तथा सवदनशीलता क सLबध का िनधा1रण सभव नहU हो सका इसिलए मनोभौितक मgt

नया िसPात िवकिसत हJआ िजसक वत1क Swets (1954) और उनक सहयोगी Tanner ह उहन िजस

िसात का ितपादन िकया ह उस मनोिवान मgt सकत सापन िसPात (Theory of Signal Detection

Theory of Signal Delectbility ndash TSD STD) कहत ह

Swets न यह सकत िकया िक योlय (Subject) कवल उीपक का ही यMीकरण करक अनि या

नहU करता बि-क यक योlय अनि या क िलए अपना मापदड (Criteria) भी िवकिसत करता ह और उस

योग मgt लाता ह िनण1य लन क िलए योlय क_ीय नायिवक भाव क िकसी एक िनिWत भाव को मापदड

क =प मgt चन लता ह और इसी मापदड क अनसार अनि या (Response) करता ह इस िसात क अनसार

(STD क अनसार) lsquoमनोवािनक िनण1यrsquo (Psychological Judgement) क िनधा1रण मgt सवदी Mमता या

ि या (Sensory Ability or Activity) क साथ-साथ असवदी पMपात क भी मZय भिमका होती ह अतः

सापन सLबधी समयाओ (Detection Problem) का अEययन करन हत सकत सापन िवpषण (Signal

Detection Analysis) क आधार पर िनण1य को भािवत करन वाल सवदी और असवदी (Sensory and

Non-Sensory) दोन कार क कारक को एक दसर स पथक करक समझन का यास िकया जाना चािहए

64 योJयK क Lारा िदए गए िनण0यK क कार

सकत सापन िवpषण क िलए योगकता1 योlय क अनक यास क िनण1य (Judgements) को अिकत

करता ह इस कार क िनण1य िनLनिलिखत चार कार क होत ह ndash

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 43

641 िहट अनमान (Hit Response) ndash

वसी अनि या को कहा जाता ह जब उीपक या सकत उपिथत ह और योlय उसक उपिथित क पहचान

करन मgt सफल हो जाता ह दसर श)द मgt िसrनल यािन उजना उपिथत ह और योlय उसक उपिथित क

पहचान करन मgt सफल होता ह अथा1त सही िहट (Correct Hit) करता ह

642 िमस अनिया (Miss Response) ndash

वसी अनि या को कहा जाता ह जब उीपक या सकत उपिथत रहता ह परत योlय उसक उपिथित क

पहचान करन मgt िमस कर दता ह दसर श)द मgt िसrनल यािन उजना उपिथत ह लिकन योlय उसक पहचान

करन मgt चक यािन िमस कर दता ह

643 ग़लत अलाम0 क अनिया (False Alarm Response) ndash

वसी अनि या को कहा जाता ह जबिक िकसी यास (Trial) मgt सकत अनपिथत (Absent) होता ह परत

योlय को यह आभास होता ह िक सकत उपिथत था दसर श)द मgt जब िकसी यास मgt िसrनल (उजना)

अनपिथत रहता ह परत योlय उजना क उपिथित बताता ह तो यहा lsquoिहटrsquo ग़लत होता ह इस कार यह

ग़लत चतावनी (अलाम1) (False Alarm Response) ह

644 सही अवीकार क अनिया (Correct Rejection) ndash

वसी अनि या को कहा जाता ह जब िकसी यास मgt सकत अनपिथत होता ह और साथ ही साथ योlय भी

यही कहता ह िक सकत अनपिथत था दसर श)द मgt िकसी यास मgt िसrनल उजना अनपिथत होता ह और

योlय भी उसक अनपिथित क सही पहचान करता ह इस कार वह उजना क उपिथित को सही =प मgt

अवीकार करता ह

उपय1 चार कार क अनि याओ को एक तािलका क =प मgt इस कार दिश1त िकया जा सकता

अनिया (Response)

हा (Yes) नहU (No)

उपिथत (Present) सही (Correct) ग़लत (Incoreect)

अनपिथत (Absent) ग़लत (Incoreect) सही (Correct)

स शअिस मgt चार तरह क अनि या ह (Four types of Response in SDT)

उपय1 तािलका मgt उजना सकत क दो कार क अनि याओ सहीग़लत क िमलन स चार कार क

सभािवत परणाम को िदखाया गया ह उदाहरण क िलए यिद आप शोरगल क वातावरण मgt भी वातिवक

िसrनल उजना क पहचान कर लत ह तो आपको सही (हा) का अक ाF होगा िसrनल क उपिथत रहन पर

सकत

(Signal)

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 44

यिद आप नहU पहचान पात ह तो ग़लत (नहU) का अक ाF होगा इसी कार यिद उजना उपिथत नहU हो

परत आप उसक उपिथित क =प मgt पहचान करgtग तो ग़लत (सही) का अक िमलगा और यिद अनपिथत

उजना को अनपिथत क =प मgt पहचान करत ह तो चौथी tणी क अनि या सही (नहU) का अक िमलगा

अथा1त यहा lsquoनहUrsquo क अनि या सही मानी जाएगी

सकत सापन योlय ारा lsquoदहलीrsquo क आसपास क उजनाओ (Stimuli That Surround the Subjects

Threshold) क अिभान (Detection) को िनण1य लन (Decision Taking) क ि या क =प मgt दखता ह

योlय को यह िनण1य करना होता ह िक उसन उजना क पहचान क ह अथवा नहU योlय का िनण1य उसक

रणा सवदनशीलता उजना क वsप तथा अनक अय पया1वरणीय कारक पर िनभ1र करता ह

सही अथवा ग़लत अनि याओ क सभावनाओ (Probabilities of Correct and inCorrect

Response) क आधार पर योlय क अनि याओ का व बनाकर दशा1या जा सकता ह इसी व को

lsquoरसीवर ऑपरिटग करYटरिटक व rsquo अथा1त आरओसी कव1 (Receiver operating Characteristics

Curve ndash ROC Curve) कहत ह दसर श)द मgt कहgt तो सही अनमान (Hit) क अनि या क अनपात तथा

ग़लत अलाम1 (False Alarm) क अनि या क अनपात को आलख (Graph) पर एक िवशष बल रखा

(Curve) ारा िदखलाया ह इस तरह का व जो इन दोन तरह क अनपात क सबध को िदखलाता ह उस ही

ROC Curve कहत ह ROC क िवशष आकार को िचN क माEयम स िदखाया गया ह

िचN - २ ndash आर ओ सी व का एक नमना (Example of a ROC Curve)

जब सकत को योlय क सामन तत िकया जाता ह तथा कछ यास मgt तत नहU िकया जाता ह तो उसस

उपन होन वाल गण का वण1न (ROC) व क माEयम स पD िकया जाता ह इन िवशषताओ या गण का

वण1न िनLनािकत ह ndash

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 45

bull 2ाफ़ (Graph) मgt दशा1यी गई सीधी ितरछी (Diagonal) रखा ारा सवदना का सकत िमलता ह इसस

तापय1 यह ह िक योlय उीपक या सकत को नहU पहचान पाता ह परत सीधी रखा उस िथित मgt भी ाF

हो सकता ह जब सकत lsquoदहलीrsquo (Threshold) क नीच होता ह

bull सीधी ितरछी रखा स ऊपर अथा1त बायU ओर क बल रखा ारा सकत क तीता मgt विP और उसक

फलव=प उस पहचान करन क अनि या क अनपात मgt भी विP का पता चलता ह

bull व (Curve) मgt धनषाकार िजतना ही अिधक होगा सही अनमान (Hit) का अनपात ग़लत अलाम1 क

अनपात स अिधक होगा और यह आकार अथा1त बीच क दरी (अदर का कल MN) िजतनी होगी Rयि क

सवदनशीलता उतनी ही अिधक होगी इस MN को drsquo (डी ाईम) कहा जाता ह

65 िवHषण एव िनIकष0

इस तरह स हम दखत ह िक सकत सापन िसPात (Signal Detection Theory) मgt िकसी सकत या उीपक

क ित Rयि क सवदनशीलता उसक याशा (Expectation) अिभरणा आिद स भी भािवत होती ह

परत सकत सापन िसPात मgt शP सवदनशीलता का अEययन (drsquo का माप ात कर) िकया जाता ह और इस

िविध का उपयोग सिनक अपन दश क सीमा मgt आ रह जहाज़ का पता लगान मgt करत ह

इस िसPात का अपना एक िवशष महव ह परत इसक आलोचना भी हJई िक इनमgt समय काफ़

लगता ह अथा1त इसमgt उीपक क पहचान करन क िलए काफ़ लबा चौड़ा तरीका अपनाया जाता ह िजसस

समय क बबा1दी होती ह परत यह आलोचना सही नहU ह Yयिक मानव एक सजीव ाणी ह िजसमgt सवदना

अिभरणा जस असवदी कारक मौजद होत ह जो मानव िनण1य को एक शP िनण1य नहU रहन दत ह इस िसPात

क िवतत िवpषण ारा Rयि क िनण1य को असवदी कारक स दर रखकर अEययन करना सभव होता ह

66 साराश

सकत सापन िसPात मनोदिहक MN मgt एक मख िसPात ह इस िसPात स हमgt यह पता चलता ह िक िकसी

सकत क पहचान स सLबिधत िनण1य कहा तक सवदी कारक स तथा कहा तक असवदी कारक स भािवत

होता ह

- सकत सापन िसPात सवदी कारक और असवदी कारक को अलग-अलग करन क एक महवपण1 िविध

या िसPात ह

- सही अनमान (Hit Response) स तापय1 Rयि या योlय का सही िनण1य दन स ह

- गलत अनमान (Miss Response) स तापय1 योlय क गलत या चक कर दन क िथित ह

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 46

- गलत चतावनी क अनि या (False Alarm Response) स तापय1 यह ह िक सकत अनपिथत रहता ह

परत योlय इस चीज़ को समझ नहU पाता और गलत अनि या दता ह

- सही वीकार क अनि या (Correct Response) का तापय1 यह ह िक जब सकत अनपितत हो और

योlय को भी अनपिथित का आभास हो जाए तो ऐसी िथित को सही वीकार क अनि या कहत ह

67 शदावली

bull अनिया (Response) Rयि ारा दी गयी सही या गलत िनण1य को ही अनि या कहत ह

bull मयाकन (Judgment) उपल)ध साम2ी क आधार पर मत िथर करन िनण1य पर पहJचन और

म-याकन करन क ि या िनण1य क ि या का उपाद

bull आरओसी व (ROC Curve) Rयि ारा दी गयी सही अनमान (Hit Response) क अनि या

क अनपात का आलख (Graph) पर एक िवशष व रखा (Curve) ारा इन दोन तरह क अनपात क

सबध को िदखाया जाता ह उस (Receiver operating characteristic ROC) व कहा जाता ह

bull डी मय (D value) डी म-य स तापय1 यह होता ह िक धनषाकार आकित क अदर क कल MN को

डी म-य कहत ह

68 वमयाकन हत

1 सकत सापन िसPात का अथ1 बताइय

2 सकgt त सापन िसPात मgt चार अनि याओ का वण1न किजय

3 सकत सापन िसPात मgt (ROC) व का एक िचN बनाईय

4 सकत सापन िसPात क आधार पर एक उदाहरण दीिजए

69 सदभ0 1थ सची

bull िसह अsण कमार (2002) आधिनक सामाय मनोिवान ततीय सकरण मोतीलाल बनारसीदास पटना

bull िम fज कमार (2010) मनोिवान मानव Rयवहार का अEययन पीएच आई learning private

limited नई िद-ली

bull tीवातव बीना एhड आनद वषा1 एhड आनद बानी (2003) सानामक मनोिवान मोतीलाल

बनारसीदास

bull अथाना मध (1999) मनोभौितक य एस पि)लशस1 वाराणसी

bull एनसीईआरटी 11(2002)

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 47

bull सYसना एनक एव भाग1व महश (1996) मनोभौितक एव मनोमापनज भाग1व बक हाउस राजामडी

आगरा

bull िसह अsण कमार (2002) आधिनक सामाय मनोिवान ततीय सकरण मोतीलाल बनारसीदास पटना

bull अथाना मध (1999) मनोभौितक यएस पि)लशस1 वाराणसी

610 िनबधामक

1 सकत सापन िसPात क चार अनि याओ का वण1न किजय

2 सकत सापन िसात क आलोचनामक RयाZया किजय

3 सकत सापन िसPात का वण1न किजय

4 सकत सापन िसPात मgt आरओसी व Yया होता ह समझाइय

5 सकत सापन िसPात का उदाहरण दत हJए िचN क माEयम स पD किजय

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 48

इकाईndash7 मनोभौितक13 िविधया ाचीन िविध आधिनक िविध (Psychophysical

Methods- Classical and Modern)

इकाई सरचना

71 तावना

72 उय

73 Yलािसकल मनोभौितक िविधया

731 औसत अशिP या अिभयोजन िविध

732 सीमा िविध या यनतम परवत1न िविध

733 िथर उजना एव िथर उजना अतरिविध

74 मनोभौितक क िविधया आधिनक िविध

741 फलट1न-किटल िसPात

742 थस1टन का तलनामक िनण1य का िनयम

743 ह-सन का अनकलन तर

75 िवpषण एव िन^कष1

76 साराश

77 श)दाली

78 वम-याकन हत

79 सदभ1 2थ सची

710 िनबधामक

71 तावना

मनोभौितक का शोध MN काफ़ Rयापक ह शोधMN मgt िनरतर ही िवकास होता रहा ह जसा िक फकनर न कहा

ह गगनचLबी इमारत क ऊचाई कभी समाF नहU होती Yयिक मजदर उस बनान का तरीका कभी नहU जान

सक इस कार यिप मन तथा उसक आयाम (Dimension) को समझन मgt मनोभौितक का योगदान इतना

अिधक नहU ह िजतना क फकनर तथा अय मनोवािनक न माना परत िफर भी साविदक तN (Sensory

System) क सLबध मgt मनोभौितक न बहJत उपयोगी तyय तत िकय ह िपछल सौ वषk स साविदक दहली

का मापन करन क िलए मनोभौितक का योग िकया जाता रहा ह परत यहः कहना गलत होगा िक मनोभौितक

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 49

कवल Rयावहारक या साविदक मनोिवान तक ही सीिमत ह 20वU शता)दी क अनसधान स यह ात हो

चका ह िक दहली क मापन तथा साव1भौिमक मनोभौितक िनयम क खोज अब भी अपण1 ह

72 उय

मनोभौितक मनोिवान क वह शाखा ह िजसक अतग1त मानिसक और भौितक जगत क सबध का माNामक

अEययन िकया जाता ह मनोिवान का सबध उीपक तथा अनि याओ क मEय पाए जान वाल सबध का

अEययन करन स ह बाT परवश स ाणी (Organism) ारा 2हण क जान वाली घटना को उीपक कहत ह

तथा ाणी क अदर होन वाल परवत1न को अनि या कहत ह जो िक मापन योrय होती ह चिक मनोभौितक

मनोिवान क ही एक शाखा ह अतः इसका सLबध भी उीपक तथा उसक ित ाणी क अनि या स ह इस

कार मनोभौितक मgt अनक िसPात िनयम का अEययन करन क बाद इसक िविधय का अEययन समयाओ

का अEययन करना भी वाछनीय ह

73 Nलािसकल मनोभौितक िविधया

मनोभौितक मgt अगर ाचीन िविधय (Classical Method)क बात क जाए तो GT Fechner क ारा दी

गई तीन िविधया ह जो िक मनोभौितक क समयाओ का अEययन करन क िलए महवपण1 ह ndash

(i) औसत अशिP या अिभयोजन िविध (Average Error or Adjustment)

(ii) सीमा िविध या यनतम परवत1न िविध या उरोर खोज क िविध (Method of Limit or the

Method of Minimal Changes or the Method of Successive Exploration)

(iii) िथर उजना एव िथर उजना अतरिविध (Method of Constant Stimuli and the Method

of Constant Stimulus Difference)

731 औसत अशि= या अिभयोजन िविध (Average Error or Adjustment Method) ndash

इस िविध को कई अय नाम स जाना जाता ह जस ndash समायोजन या अिभयोजन िविध (Method of

Adjustment) पनsपादन िविध (Method of Average Error) तथा त-य उीपक िविध

(Method of Equivalent Stimuli) स जाना जाता ह जसा िक इस िविध क नाम स पD ह इस

िविध का उपयोग िकसी उजना क परणाम म-य (Magnitude or Value) क यMीकरण

(Perception) यािन अनभव (Experience) मgt होन वाली Nिटय का औसत ात िकया जाता ह

इस िविध को उपयोग मgt लान हत अEययनकता1 कसी िथर म-य क lsquoमाण उजनाrsquo (Standard

Stimulus of a Fixed Value) क साथ एक तलनीय उजना (Comparison Stimulus) यािन

िजसक म-य को घटाकर या बढ़ाकर माण क बराबर िकया जा सकता ह (इसिलए इस परवय1

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 50

उजना Variable Stimulus कहत ह) को तत िकया जाता ह तथा योlय (Subject) को इस

lsquoपरवय1rsquo उजना क म-य को आवयकतानसार कभी घटाकर तो कभी बढ़ाकर lsquoमाण उजनाrsquo

(Standard Stimulus) क बराबर म-य पर अिभयोिजत या समायोिजत करन को कहा जाता ह

इसिलए इस समायोजन क िविध (Method of Adjustment) भी कहत ह इसी तरह क कई

lsquoसमायोजन यासrsquo िलए जात ह यक यास मgt योlय ारा परवतv उजना और माण उजना

क म-य को बराबर करन क म मgt (माण उजना) क वातिवक परमाण या म-य और योlय

ारा परवय1 उजना म-य को परवित1त कर िजस म-य पर बराबर िकया गया ह उन दोन म-य क

अतर स म-य क यMीकरण मgt होन वाली Nिट का आकलन िकया जाता ह इन मान क िनधा1रण

ारा Rयि क िनण1य करन क परशPता सवदनशीलता क ती(णता आिद का िवpषण िकया जाता

732 सीमा िविध या यनतम परवत0न िविध (Method of Limit or the Method of Minimal

Changes or the Method of Successive Exploration) ndash

इसको उरोर ( िमक) खोज िविध (Method of Successive or Serial Exploration) भी कहा

जाता ह इस िविध का उपयोग मZय =प स (RL) अथवा उजना सीमात (Stimulus Threshold) एक

िभनता सीमात (Differential Threshold) का पता लगान या िनधा1रत करन हत िकया जाता ह यही RL

का तापय1 उजना क उस म-य या परमाण स ह िजसका अिभान किठनाई स होता ह अतः RL अिभान

क यनतम माNा होती होती ह इस माN अिभान कहत ह (माN अिभान (Just Noteable) स तापय1 िकसी

उजना क उस म-य स ह िजसका अिभान कल Rयवहार क आध यास मgt होता ह और शष आध यास मgt

नहU होता ह) और माN अिभान क ि या को उजना या िनरपM समात (Stimulus or Absolute

Threshold) कहत ह इसी कार िभनता सीमात (Differential Threshold) स तापय1 िकसी उजना क

म-य क यनतम या लघतम उस अतर म-य को कहत ह िजसका आभास 50 अवसर पर होता ह तथा शष

50 अवसर पर नहU होता ह इस कार उजना म-य मgt यनतम परवत1न क सीमा िजसक कारण म-य मgt

िभनता का अनभव होता ह को ही lsquoमाN िभनता सीमातrsquo कहत ह

इन म-य क िनधा1रण क िलए इस िविध मgt परवय1 उजना (Variable Stimulus) को िमक म

मgt यनतम म-य का वकि-पक रीित स उरोर (Successively) बढ़त हJए या घटत हJए म मgt परवित1त करत

हJए तत िकया जाता ह और इस कार योlय यक वकि-पक यास मgt िजस यनतम म-य पर अपनी

िभनता सLबधी अनि या Rय करता ह उनका िवpषण कर वािछत अिभान सीमात का पता लगाया

जाता ह इसिलए इस lsquoउरोरrsquo क िविध भी कहत ह चिक इस िविध मgt यक वकि-पक यास (बढ़न या

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 51

घटन पर) परवय1 उजना क म-य मgt यनतम िबद का परवत1न लाकर योlय क अनि या ली जाती ह

इसिलए इस lsquoयनतम परवत1न क िविधrsquo (Method of Minimal Changes) भी कहत ह

733 िथर उ-जना एव िथर उ-जना अतरिविध (Method of Constant Stimuli and

Constant Stimuli Difference) ndash

इस िविध को बारबारता िविध क नाम स भी जाना जाता ह इसका मZय उय िनरपM सीमात (Obsolute

Threshold) अथवा िभनता सीमात (Differential Threshold) का पता लगाना होता ह यह िविध सीमा

िविध (Method of Limit) स िमलती-जलती िविध ह इस िविध मgt एक िथर म-य क भाव उजना

(Standard Stimulus of a Fixed Value) और िविभन म-य वाली परवतv उजना को बारी-बारी स एक

दसर क बाद तत िकया जाता ह और योlय को इन दोन क बीच तल1ना करत हJए यह बताना होता ह िक उस

िकस म-य वाली परवय1 उजना माण उजना क बराबर भारी या हलक अथवा छोटी अनभव होती ह जब

इस िविध का योग RL का पता लगान हत िकया जाता ह तो इस िथर उजना िविध कहत ह और जब इस

िविध का उपयोग िभनता सीमात (DL) का पता लगान हत िकया जाता ह तो इस lsquoिथर उजना अतर िविधrsquo

(Constant Stimuli Difference Method) कहत ह इस िविध को बारबारता िविध (Frequency

Method) क नाम स भी जाना जाता ह इसका कारण यह ह िक िथर म-य वाली उजना को िविभन म-य

वाली परवय1 या तलनीय उजनाओ क साथ तलनामक िनण1य कई बार िलए जात ह और इस कार योlय

क िनण1य क बारबारताओ (Frequencies of Judgements) का िवpषण कर सीमात का िनधा1रण िकया

जाता ह

सीमा िविध और िथर उजना िविध मgt एक और समानता यह ह िक इन दोन िविधय मgt परवय1

उजना िविध क म-य मgt होकर या जोड़-तोड़ योगकता1 ारा ही िकया जाता ह योlय को कवल अनि या

दनी होती होती ह इस कार य दोन िविधया औसत अशिP िविध स िभन ह Yयिक औसत अशिP िविध स

योlय एव परवय1 उजना मgt हरफर या जोड़-तोड़ लाकर उस माण उजना क बराबर अिभयोिजत करना ह

74 मनोभौितक क िविधया आधिनक िविध

आधिनक िविध (Modern Method)- फकनर क पारपरक मनोभौितक ािविधय तथा मापन क

िविभन कार क सशोधन मgt चार सीमा िच (Landmark) दखन को िमलत ह िजनक फलव=प

मनोभौितकय िविधय का अयतम िवकास हJआ ह य ह ndash (i) फलट1न-किटल िसPात (ii) थस1टन का

तलनामक िनण1य का िनयम (iii) हलसन का अनकलन तर तथा (iv) टीवgtस का घाताक फलन

741 फलट0न-किटल िस=ात (Fullerton-Cattell Principle 1892) -

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 52

इस िनयम क अनसार ldquoायः समान =प स य भद एक स होत ह जब तक िक उनको सदव या कभी नहU जाना

जा सकrdquo (Equally often noticed Differences are equal unless always or never noticed) इस

िनयम क यह मायता ह िक यिद उीपक इस कार क हग ndash िजनमgt या तो कभी भी िभनता CिDगोचर नहU

होगी या सदव ही िभनता CिDगोचर होगी तो िवचलन असमान हग इस तyय क माण भी िमलत ह सMप मgt

इस िनयम का योग उसी समय िकया जा सकता ह जबिक उीपक क मEय सबध को िनरतर एक ही कार स

न समझा जा सक फकनर न अपन िनयम को वबर क अनपात (Weberrsquos Ratio) स सLबिधत माना परत

थस1टन (1927) तथा िगलफड1 (1954) दोन क ही अनसार यह कवल तभी सय ह जब उीपक-सातय

(Stimulus continuum) मgt िवचलन समान हो

मनोभौितक मgt िवचलन क अनसधान मgt फलट1न तथा किटल न योlय स एक उीपक को अनक

बार पनःिनिम1त करन को कहा तपWात उहन पनsपादन क सभाRय Nिट (Probable Error) ात क अब

यिद lsquoवबर-अनपातrsquo तथा lsquoफलट1न-किटल िनयमrsquo दोन ही सय ह तो िवचलन िथर होना चािहए अथा1त

सभाRय-Nिट का मEयमान (mean) स अनपात िथर (Constant) होना चािहए परत उहन यह पाया िक

पनsपादन क औसत Nिट उीपक क वग1मल क यM अनपात मgt बढती ह इस कार फलट1न-किटल िनयम

को िनLन सN क माEयम स जाना जा सकता ह ndash

∆S=CradicS

जहा पर C= Constant सLभाRय या औसत Nिट

परत िगलफड1 (1932) न पाया िक अनभवामक द वबर अनपात तथा lsquoफलट1न-किटल िनयमrsquo क बीच मgt

ह उहन नया ताव िदया िजस nth घाताक िनयम (Power Law) कहत ह िगलफड1 न कहा िक चिक

फलट1न-किटल िनयम को इस कार िलखा जा सकता ह ∆S=CS5 तथा वबर क अनपात मgt घात 10 ह अतः

दो फलन क बीच उिचत द क म-याकन क िलए यह माना जाता ह िक घाताक मgt परवत1न द पर िनभ1र

कता1 ह इसी कार िगलफड1-काय1 को इस कार िलखा जा सकता ह ∆S=KSn जहा पर n को द स ाF

िकया गया ह और आवयक =प स नहU पर शायद 05 (फलट1न-किटल) तथा 10 (वबर) क बीच ह तथा

K=Constant ह

742 थस0टन का तलनामक िनण0य का िनयम (Thurstonrsquos Law of Comparative Judgment)

-

मनोभौितक क िकसी भी योग मgt योlय क सLमख दो उीपक को तत िकया जाता ह तथा उसस यह पछा

जाता ह िक दोन मgt वह िकसी गण क आधार पर भद कर सकता ह यिद वह िकसी िवशष गण क आधार पर उन

दोन उीपक मgt िवभद करता ह तो दो यर क सभावना ह ndash या तो lsquoअrsquo उजना lsquoबrsquo स िकसी गण मgt

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 53

अिधक होगी या lsquoबrsquo lsquoअrsquo स यिद योlय उनक कभी भी िभनता नहU जान पाता तब भी भाव एक ही होगा

Yयिक दोन ही परिथितय मgt वह अपन िनण1य को नहU बदलता ह इसी कारण फलट1न-किटल िनयम को यह

कहकर सशोिधत कर िदया गया ह िक जब तक अतर सदव एव कभी CिDगत होत ह यर मgt परवत1नशीलता

नहU पाई जाती ह जब दो उीपक आपस मgt बहJत समान होत ह तो योlय क यर मgt िभनताए पाई जाती ह

िवचलन क मख समया दो उीपक मgt िविभनता क माNा का म-याकन करना ह यह म-याकन

इस आधार पर िकया जा सकता ह िक उीपक lsquoअrsquo उीपक lsquoबrsquo स िकतनी बार lsquoबड़ाrsquo बताया गया ह तथा

िकतनी बार lsquoबrsquo तथा lsquoअrsquo उीपक अय उीपक स lsquoिभनrsquo बताय गए ह यही तyय वबर अनपात तथा

फलट1न-किटल िनयम मgt पाया जाता ह Yयिक यह यक िनण1य क क_ीय झकाव क मापन स सLबिधत

िवचलन का अयM म-याकन ह तलनामक िनण1य का िनयम इसी समया स सLबिधत ह िनयम यह ह ndash

X1 ndash X

2 = Zab radicσ2a+ σ σ2b-2rabσaσb

जहा पर Zab=सामाय िवचलन

σa तथा σb= X1 तथा X

2 क िवचलन (dispersion) स सLबिधत मानक िवचलन(σ)

rab=दोन उीपक क मEय सहसबध का मान

X1 तथा

X

2 उीपक का मािपत म-य (Scaled Values)

थस1टन का िनयम परपरागत मनोभौितक क समयाओ को समझन तथा मािपत िविधय (Scaling

Techiniques) मgt उपयोगी होन क कारण अित महवपण1 ह

743 हसन का अनकलन तर (Helsonrsquos Adaptation Level) -

अनकलन तर िसPात का ितपादन ह-सन (1964) न िकया था मनोभौितकय अनसधान स ाF

िवरोधामक घटनाओ (Phenomena) क अEययन क िलए इस िसPात क थापना क गयी थी बाद मgt इस

िसPात का योग अय जिटल सावदिनक तथा Rयावहारक ि याओ क िलए िकया गया अनकलन तर पर

अनसधान तथा िसात क परणामव=प फकनर क िनयम का पनःRयवथापन िकया गया तथा अब इसका

योग सीखन तथा अनबधन (Conditioning) क ि याओ क िलए भी िकया जान लगा ह

ह-सन (1938) न रग क चार गण ndash िथरता (Constancy) िवरोध (Contrast) =पातर

(Conversion) अनकलन (Adaptation) क सापिMक भाव को परखन क िलए एक योग िकया उहन

इसक िलए तीन परिथितय (i) वत का रग (Colour of the Object) (ii) पnभिम (Background) (iii)

काश क माNा (Amount of Illumination Present) का सहारा िलया इस योगामक CिDकोण मgt इन

तyय तथा योlय ारा उनक िवषय मgt िलए गए िनण1य क मEय अतस1Lबध पD हो गया वत क रग का

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 54

िनण1य योग मgt िलए गए अय चर (Variables) पर िनभ1र था इसक आधार पर यह कहा जा सकता ह िक

िनण1य अय उीपक स अनकलन क तर पर िनभ1र करता ह उदाहरणाथ1 योlय का वत क रग सLबधी

िनण1य इस पर आधारत था िक उसन चमक (Illumination) क साथ िकस तर तक अनकलन कर िलया था

ह-सन न अनकलन तर क परभाषा इस कार दी ह ndash ldquoअनकलन तर ाणी को दोन ओर बाहर तथा भीतर स भािवत करन वाल उीपक का सम2 भाव ह तथा इसमgt पव1 अनभव क अवशष भी िनिहत हrdquo (Adaptation level is a pooled effect of all stimuli impinging upon the organism both from without and within and includes residuals from past experience) इसक बाद यह भी माना गया िक अनकलन तर इन सभी उीपक का मानक औसत (Weighted Mean) ह इस कार पहल स ाF िनण1य को इस कार भारत (Weighted) िकया गया िक य घटनामक िनण1य (Eventual Judgments) का पव1कथन कर सकgt

ह-सन तथा अय िवान ारा िकय गए अEययन क परणामव=प मनोभौितकय मापन क ित

CिDकोण मgt अनक महवपण1 परवत1न हJए िमचल तथा हसन (1949) न फकनर क िनयम का पनRय1वथापन

िकया ह इसक अनसार िकसी यास मgt योlय क अनि या तकालीन या अय पहल क यास पर िनभ1र

करती ह

अनकलन तर क यय को Rयवहार क अनक MNो-अमत1 िचतन सवग आिद मgt सामायीकत िकया

जा सकता ह अतः इसक योग का MN िवतत हो गया ह परत इसका मZय उय मनोभौितकय िनण1य क

अEययन मgt पाए जान वाल कछ िवरोध को सलझाना था अय जिटल Rयवहार को जानन क िलए

मनोभौितक क समयाए अिधक उपयोगी िविधया दान करती ह अतः यह कहा जा सकता ह िक

मनोभौितक वह थान ह जहा स Rयवहार क ान का उदगम होता ह

744 टीव(स का शिP काय0 (Stevenrsquos Power Function) -

फकनर क मलभत मायता यह थी िक सामान उीपक अनपात सामान सावदिनक िभनताओ क सम=प होत

ह अनक योग क अधर पर टीवgtस न बताया िक मनोवािनक सवदना स सLबिधत भौितक उीपक होत ह ndash

ψ =K (γ - γo)n

जहा पर K= एक िथराक (Constant) जो िक इकाइय क चयन स िनधा1रत िकय जात ह

n=An exponent जो िक साविदक तN क साथ-साथ परवित1त होत ह

ψ=उीपक का मनोवािनक परमाण

γ=शारीरक उीपक

γo=भावकारी दहली (Effective Threshold) ndash भौितक मान का वह िबद जहा स भावकारी

उीपक का मापन ारभ होता ह

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 55

टीवgtस क सN मgt वबर अनपात तथा फकनर िनयम दोन क िवशषताए िनिहत ह फकनर िनयम क

समान यह इसिलए ह Yयिक इसमgt उस दहली म-य (Threshold Value) का मापन िनिहत ह िजस पर

मनोवािनक िनण1य िदया गया ह Exponent lsquonrsquo क योग क कारण इनक सN मgt lsquoवबर अनपातrsquo का मZय

तव िनिहत ह जो िक अEययन क जान वाली ानि_य क साथ-साथ बदलती ह योग क आधार पर टीवgtस

तथा उसक सहयोिगय न पाया क lsquonrsquo साविदक (Sensory Modality) क साथ-साथ बदलता रहता ह चमक

(brightness) को 033 तथा िबजली क आघात (Electric Shock) को 35 का म-य दान िकया गया

75 िवHषण एव िनIकष0

फकनर न अपन िनयम मgt िजस द क RयाZया क ह वह lsquoटीवgtस शि काय1rsquo स िभन ह सवदना क मापन क परानी मनोभौितक िविधय क कछ अपनी ही िवशषताए ह कछ िविधय मgt योlय स यह पछा जाता ह िक lsquoYया दो उीपक समान हrsquo अथवा lsquoYया दो उीपक एक दसर स िभन हrsquo िफर भी इन िविधय क कछ अपनी सीमायgt एव किमया ह

इस अEययन क एक महवपण1 उपलि)ध यह ह िक िन^कषा1मक काय1 योग िविध पर िनभ1र करता ह समकालीन िविधय क अपMा ाचीन (classical) मनोभौितकय िविधया िकसी एक कार क काय1 क अEययन मgt अिधक समथ1 ह Yयिक आजकल योlय स माग गए िनण1य मgt िभनता पाई जाती ह टीवgtस तथा उसक सहयोिगय क योग इस तyय क पिD करत ह

76 साराश

मनोभौितक क ाचीन (Classical Method) िविध मgt मZय - 1 औसत अशिP या अिभयोजन िविध

(Average Error or Adjustment Method) 2 सीमा िविध या यनतम परवत1न िविध (Method of

Limit or Method of Minimal Changes) 3 िथर उजना एव िथर उजना अतर िविध (Method of

Constant Stimuli and Constant Stimuli Difference) सिLमिलत ह मनोभौितक क आधिनक िविध

मgt फलट1न-किटल िसPात (Fullerton-Cattell Theory) थस1टन का तलनामक िनण1य का िनयम

(Thurston Law of Comparative Decision) ह-सन का अनकलन तर (Helsons Adaptation

Level) टीवgtस का शि काय1 (Stevens Power Function) मख ह

टीवgtसन न फकनर क िनयम को ही सशोिधत करत हJए घात िनयम (Power Law) को ितपािदत िकया ह

77 शदावली

bull उीपक (Stimulus) बाT परवश स ाणी ारा 2हण क जान वाली घटना को उीपक कहत ह

bull अनिया (Response) ाणी क अदर होन वाल परवत1न को अनि या कहत ह

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 56

bull सीमा िविध सीमा का उय मZय =प स RL अथवा उजना सीमात (Stimulus Threshold) एव

िभनता सीमात (Differential Threshold) पता लगान या िनधा1रत करन स ह

bull िथर उ-जना िविध इसका आशय िनरपM सीमात (Absolute Threshold) अथवा िभनता सीमात

(Differential Threshold) का पता लगाना होता ह

bull औसत अशि= (Method of Average Error) इसका आशय यह ह िक िकसी उजना क परणाम

का म-य को दखन या अनभव मgt होन वाली Nिट (Error) का औसत ात करना होता ह

78 वमयाकन हत

1 ाचीन िविध Yया ह

2 ाचीन िविध क कार बताइय

3 आधिनक िविध Yया ह

4 ाचीन िविध और आधिनक िविध मgt अतर पD किजय

79 सदभ0 1थ सची

bull िसह अsण कमार (2002) आधिनक सामाय मनोिवान ततीय सकरण मोतीलाल बनारसीदास पटना

bull िम fज कमार (2010) मनोिवान मानव Rयवहार का अEययन पीएच आई learning private

Limited नई िद-ली

bull tीवातव बीना एhड आनद वषा1 एhड आनद बानी (2003) सानामक मनोिवान मोतीलाल

बनारसीदास

bull अथाना मध (1999) मनोभौितक य एस पि)लशस1 वाराणसी

bull एनसीईआरटी 11(2002)

bull सYसना एनक एव भाग1व महश (1996) मनोभौितक एव मनोमापनज भाग1व बक हाउस राजामडी

आगरा

bull िसह अsण कमार (2002) आधिनक सामाय मनोिवान ततीय सकरण मोतीलाल बनारसीदास पटना

bull अथाना मध (1999) मनोभौितक यएस पि)लशस1 वाराणसी

710 िनबधामक

1 मनोभौितक मgt ाचीन िविध तथा आधिनक िविध को पD किजय

2 मनोभौितक मgt ाचीन िविध तथा आधिनक िविध क आलोचनामक RयाZया किजय

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 57

3 मनोभौितक मgt ाचीन िविध का िवतत वण1न किजय

4 मनोभौितक मgt आधिनक िविध को पD किजय

5 मनोभौितक मgt िविधय का उपयोग बतात हJए उनका वण1न किजय

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 58

इकाई-8 अवधान )वप कार एवम िस ात अवधान भग एव अवधान परवतन

(Attention- Nature Types and Theories Shift and distraction in

attention)

इकाई सरचना

81 तावना

82 उय

83 अवधान का व=प

84 अवधान क कार

841 ऐि`छक अवधान

842 अनि`छक अवधान

843 वाभािवक अवधान

85 अवधान क िसPात वगvकरण

851 चयनामक अवधान क िसPात

852 दीघा1विध अवधान क िसPात

86 अवधान भग एव परवत1न

87 साराश

88 श)दावली

89 वम-याकन हत

810 सदभ1 2थ सची

811 िनबधामक

81 तावना

अवधान Rयि क जीवन मgt हर पल हर Mण घटन वाली मानिसक ि या ह िवाथv जीवन मgt यक िवाथv

को अवधान अविध को बढ़ान क िचता सताती रहती ह

वातव मgt इस अवधान का व=प कसा होता ह यह िकतन कार का होता ह यह िकस िसPात पर

आधारत ह इन सबक जानकारी आपको इस इकाई मgt दी जा रही ह

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 59

82 उय

इस इकाई को पढ़न क बाद आप-

1 अवधान क व=प को जान सकgt ग

2 अवधान क कार का वण1न कर सकgt ग

3 अवधान पर लख िलख सकgt ग

4 अवधान क िसPात का वगvकरण कर सकgt ग

5 अवधान Yय भग हो जाता ह एव अवधान म परवत1न कस होता ह इसक जानकारी ाF कर सकgt ग

83 अवधान का वQप

अवधान का सबध हमार नN कान नाक वचा आिद ानि_य स ह य ानि_या हर पल अपन आस-पास क

वातावरण मgt उपिथत उीपक क सपक1 मgt आती रहती ह तथा उीपक क भावोपादक Mमता क अनसार

भािवत भी होती ह परत Rयि उन सभी उीपक क ित अनि या नहU करता ह वह अपनी इ`छा तथा

ज=रत क अनसार कछ खास-खास उीपक को चन लता ह और उसक ित अनि या करता ह एक उदाहरण

लीिजए - आप कMा मgt बठ ह एव िशMक आपको पढ़ा रह ह िजस कमर मgt कMा हो रही ह वह कई उीपक स

भरा होगा जस िक कसv मज ब-ब दीवार घड़ी पखा अय साथी िवाथv आिद परत इन सभी उीपक पर

आप Eयान नहU दत ह आप का Eयान िशMक ारा बोल जा रह श)द एव उसक चहर क भाव-भिगमा पर

lयादा रहता ह अपन कान ारा िशMक क श)द एव भाव-भिगमा पर Eयान दत समय आप िवशष शारीरक

म_ा मgt रहत ह अतः पD ह िक -

1 अवधान एक ऐसी मानिसक ि या ह िजसमgt उीपक का चयन िकया जाता ह

2 अवधान क अवथा मgt शरीर तदन=प समायोजन मgt रहता ह

3 अवधान क िथित मgt सबिधत उीपक क ित अनि याशीलता होती ह

4 अवधान का िवतार सीिमत होता ह - जस िक िशMक ारा कMा मgt पढ़ाय जात समय अचानक

बाहर शोर होन पर आपका Eयान बट जाता ह

5 अवधान मgt अिथरता का गण पाया जाता ह

6 अवधान मgt िवभाजन का गण पाया जाता ह - जस िक जब Rयि एक ही परिथित मgt अलग-अलग

दो या दो स अिधक काय1 करना ारLभ कर दता ह तब Rयि अपना Eयान उन दोन ही कायu पर

होता ह अवधान क इस िथित को अवधान िवभाजन क सा दी जाती ह उदाहरणाथ1 - जब आप

भोजन कर रह ह एव साथ ही साथ टलीिवजन भी दख रह ह तो इसस आपका Eयान दोन पर यानी

भोजन एव टलीिवजन पर िवभािजत हो जाता ह

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 60

इस कार हम दखत ह िक अवधान जो मलतः ानि_य क वातावरण मgt उपिथत कछ खास उीपक

क ित अनि या करन पर होता ह अथा1त इसमgt चयनामक मानिसक ि या घिटत होती ह क अय कई

िवशषताए होती ह िजसक आधार पर उस अय मानिसक ि याओ क बीच िवशष थान ाF ह

84 अवधान क कार

841 ऐिRछक अवधान ndash

इस अवधान म Rयि क इ`छा धान होती ह वातावरण मgt उपिथत िविभन कार क उीपक मgt स Rयि

अपनी इ`छानसार कछ खास िकम क उीपक क ित ही आकिष1त होता ह अथवा वह उहgt चन लता ह

उदाहरण क िलए आपक दो िदन क बाद परीMा ह लिकन आपक पास एक िवशष िवषय स सबिधत पतक

नहU ह तथा आप उस खरीदन बाजार मgt आए ह ऐसी िथित मgt बाजार मgt उपिथत दकान मgt स पतक क

दकान क ओर आप ज-दी Eयान दgtग हालॉिक इधर-उधर नजर दौड़ान पर आपक सामन अनक कार क

दकानgt हगी ऐसा इसिलए होता ह Yयिक उस समय आपक िसफ1 पतक क आवयकता ह यानी आपक

इ`छा िसफ1 पतक खरीदन क ह

इस कार पD ह िक इस कार क अवधान मgt -

1 Rयि क एक पD इ`छा आवयकता होती ह जस- पतक खरीदना

2 एक पD उय होता ह जस- पतक क दकान खोजना

3 बाधक वतओ क ओर Rयि का Eयान नहU दना

842 अनिRछक अवधान ndash

इस तरह क अवधान मgt Rयि क इ`छा या आवयकता धान नहU होती ह बि-क उीपक वत क आकष1क

शि व उसक गण क धानता होती ह इस तरह क अवधान मgt Rयि वय अपनी इ`छा या आवयकता क

कारण िकसी वत पर Eयान नहU दता ह बि-क उस वत का गण उसका अपनी ओर Eयान आकिष1त कर लता

ह उदाहरण क िलए आप अपन िवालय क कMा मgt बठकर िशMक क बात सन रह ह अचानक बाहर सड़क

पर शोर होता ह और आपका Eयान उस शोर क ओर चला जाता ह Yयिक उस शोर क आवाज मgt तीता (जो

िक शोर का िवशष गण ह) अिधक ह इसी तरह रलव टशन पर लोग क भीड़ क वजह स बहJत शोर होता ह

परत िफर भी हमारा Eयान उोषणा एव रल क हान1 क आवाज क ओर बरबस ही चला जाता ह Yय िक उन

दोन ही आवाज मgt तीता अिधक होती ह

इसस पD ह िक इस कार क अवधान मgt -

1 Rयि क पD इ`छा या आवयकता नहU होती ह

2 न ही कोई िवशष ल(य होता ह

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 61

3 Rयि वय अपना Eयान लगान का अितर यास नहU करता ह 843 वाभािवक अवधान ndash

वाभािवक अवधान मgt Rयि का Eयान िकसी वत आवाज उीपक क ओर उसक िवशष वभाव अथवा

आदत क वजह स िबना िकसी यास क कारण ही चला जाता ह उदाहरण क िलए िवाथv का Eयान िकताब

क दकान क ओर पानीपरी खान वाल का Eयान पानीपरी क दकान क ओर शराब पीन वाल का Eयान

शराब क ओर मोची का Eयान लोग क जत क ओर जाना वाभािवक अवधान ह

इसस पD ह िक इस कार क अवधान मgt -

1 Rयि क इ`छा अथवा आवयकता क कोई धानता नहU होती ह

2 Rयि अपन वभाव आदत एव िवशष Rयवहार क अयास क वजह स Eयान दता ह

85 अवधान क िस=ात वगSकरण

वगvकरण- अवधान पर उपल)ध िसPात को दो वगk मgt बॉटा जा सकता ह-1 चयनामक अवधान क

िसPात 2 दीघा1विध अवधान क िसPात

851 चयनामक अवधान क िस=ात

1) बॉटलनक (बोतल-गला-अवरोध) िस=ात ndash

बॉटलनक िसPात क नाम क अनसार इस िसPात क मायता ह िक वातावरण मgt उपिथत िविभन उीपक मgt

स चयनामक ि या क तहत कछ उीपक अथवा एक उीपक क अवधान मgt आन स पव1 ही उस एक िवशष

कार क ोसिसग (सचना ससाधन) स गजरना पड़ता ह तापय1 यह ह िक िजस कार एक बोतल का गला

बहJत ही सकरा होता ह तथा उसमgt स एक समय मgt बहJत ही कम साम2ी अदर वश कर सकती ह अवधान भी

Rयि क जीवन मgt उसी तरह घटन वाली एक महवपण1 घटना ह उदाहरण क िलए िजस तरह स यिद हम एक

ऐसी बोतल मgt पानी डालन क कोिशश करत ह िजसका मह छोटा ह तो पानी क भीतर जान मgt एक तरह का

अवरोध उपन होता ह और कछ माNा मgt पानी बोतल क भीतर जाता ह और कछ माNा मgt पानी बोतल क बाहर

िगर जाता ह ठीक इसी तरह यिद Rयि को एक ही साथ कई तरह क सचनाओ को ससािधत करना पड़ता ह या

उस पर Eयान दना पड़ता ह तो वह सभी ऐसी सचनाओ पर एक साथ Eयान नहU द पाता ह Yयिक अिधक

सचनाओ क कारण माग1 अव=P हो जाता ह कछ सचनायgt इस माग1 अवरोध को पार करत हJए Rयि क

अवधान का िवषय बन जाती ह परत कछ सचनायgt पीछ ही रह जाती ह Yयिक व माग1 अवरोध को पार नहU

कर पाती ह जो सचनायgt पीछ रह जाती ह वह Rयि क अवधान MN स बाहर हो जाती ह

2) िफटर िस=ात -

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 62

िफ-टर िसPात fॉडबट न सन 1958 मgt ितपािदत िकया था इसक अनसार जब Rयि को एक ही साथ कई

तरह क सचनाओ को ससािधत करना पड़ता ह अथा1त Eयान दना पड़ता ह तो इस आरिLभक अवथा मgt माग1

अव=P (बॉटलनक) हो जाता ह इसिलए इस बॉटलनक िसPात क ही वग1 मgt रखा जाता ह सरल श)द मgt

जस ही हमारी ानि_यॉ (ऑख नाक कान आिद) वातावरण ारा िषत कई कार क सचनाओ क सपक1 मgt

आती ह तो व सव1थम व उन सचनाओ स सविदत होती ह इस ि या को सवदन कहा जाता ह सवदन तरत

बाद इन सचनाओ क ससाधन क ि या घिटत होती ह चिक सामाय तौर पर Rयि क ारा एक साथ बहJत

सारी सचनाओ का ससाधन करन क Mमता सीिमत होती ह अतः वह उन सचनाओ मgt स कछ पर ही Eयान द

पाता ह एक कार स यहॉ पर Rयि सचनाओ =पी साम2ी मgt स आवयक सचनाओ को िफ-टर कर रहा होता

ह Eयान नहU दी गयी सचनाओ का अितव अवधान क ारिभक अवथा मgt ही समाF हो जाता ह fॉडबट

क इस िसPात को िफ-टर िसPात कहा जाता ह एव अिधक सचनाओ मgt स कम सचनाओ gt क चयन ारा

अवधान दन क िलए चन जान क कारण यह बॉटलनक िसPात क tणी का ही एक कार ह

fाडबट क िसPात क अनसार हम सचना क भौितक गण क आधार पर उसका चयन करत ह या उस

एक तरह स छानत (िफ-टर) ह तथा उस पर Eयान द पात ह उदाहरणाथ1 - Rयि तज आवाज पर Eयान द पाता

ह परत मिPम आवाज पर नहU इसका कारण यह ह िक मिPम आवाज बॉटलनक को पार करन मgt असमथ1

रहती ह इस तरह स हम दखत ह िक fॉडबट क िसPात ारा इस बात क RयाZया तो आसानी स हो जाती ह

िक Rयि सचना क सभी िवशषताओ मgt स कछ पर Eयान Yय नहU द पाता ह पर Rयि सचना क कछ बहJत

खास िवशषताओ जस िक सचनाओ क सम_ मgt उसका नाम आन पर वह तरत Eयान दन मgt समथ1 Yय हो जाता

ह तथा Eयान नहU दी गयी सचना क कछ िवशषताओ स Rयि अवगत Yय हो जाता ह 3) तनकरण िस=ात ndash

इस िसPात अथवा मॉडल का ितपादन ीसमन ारा सन 1964 मgt िकया गया इस िसPात क अनसार

सामायतया Rयि क सभी ानि_यॉ वातावरण मgt उपिथत सचनाओ स सविदत उिजत होती रहती ह जस

िक आखgt दखन को काय1 कर रही होती ह कान सनन का व नाक गध लन का परत िजस ानि_य िवशष स

सबिधत सचनाओ मgt अयिधक आकष1ण का गण होता या वह उन पर Eयान दना चाहता ह सचना ससाधन क

ि या मgt Rयि कवल उहU सचनाओ को Eयान दन हत चयन कर पाता ह इस कार अय सचनाओ क िलए

अवधान हत वश का माग1 सकिचत हो जाता ह परत यहॉ पर परी तरह स इन सचनाओ क वश का माग1

अव=P नहU होता ह बि-क वह कछ सकिचत हो जाता ह अतएव Rयि Eयान नहU दी गयी इन सचनाओ क

कछ िवशषताओ स भी अवगत हो जाता ह ीसमन न fॉडबट क इस बात को नकारा ह िक सचनाओ क

ससाधन क ारिभक अवथा मgt ही बहJत सी सचनायgt होन पर माग1 अवरोध उपन हो जान क कारण बहJत सी

सचनायgt Rयि क अवधान मgt वश करन स बची रह जाती ह एव Eयान नहU द पान क कारण उस ारिLभक

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उराखड म िव13िवालय 63

अवथा मgt ही उनका अितव समाF हो जाता ह fॉडबट क बात को नकारन क िलए ीसमन न एक योग

िकया था इस योग क अतग1त एक Rयि को एक साथ एक ही समय मgt दो कार क गाश सनाय गय िजनमgt

एक गाश अ2जी उपयास का एक भाग था तथा दसरा गाश जवरसायन िवान का िववचन था Rयि

िनदiश िदया गया था िक उस अ2जी उपयास क गाश को बाद मgt बोलकर सनाना होगा परणाम मgt Rयि न

कवल अ2जी गाश क सभी अश पर Eयान दन मgt सफल नहU हJआ यािन िक Eयान दन क िनदiश क बावजद

कछ अश अवधान मgt आन स बच रह गए बि-क दसर कार क गाश क भी कछ अश Rयि क अवधान मgt

वश कर गए इस योग स यह पD हो जाता ह िक िजन सचनाओ पर Rयि Eयान नहU द पाता ह या उहgt

Eयान नहU दना रहता ह उनका भी िवpषण वह करता ह तथा व उसक अवधान मgt कछ अश तक वश कर

जाती ह

4) डयश एव डयश का िस=ात ndash

बॉटलनक िसPात का ही एक कार डयश उव डयश का िसPात ह इस िसPात क अनसार ानि_य को

िमलन वाली सारी सचनाओ का Rयि यMणामक =प स िवpषण करता ह तथा उनमgt स िकसी िवशष

सचना का चयन तब होता ह जब Rयि को उीपक क ित अनि या करनी होती ह कहन का तापय1 यह ह

िक Rयि िविभन उीपक स िमलन वाली यक सचना को ससािधत करता ह तथा अनि या करन क ठीक

पहल Rयि मgt सचना पथ अवरोध अथा1त बॉटलनक हो जाता ह बॉटलनक स यह पता चलता ह िक Rयि क

मित सीिमत ह Rयि कछ सचनाओ को भल जान क िलए तथा कछ को याद रखन क िलउ वातावरण मgt

उपिथित उीपक मgt स चनता ह परणामव=प Rयि याद रख जान वाली सचना पर Eयान दता ह तथा

िवमत िकय जान वाली सचना पर Eयान नहU दता पाता ह इस िसPात क मॉडल को िवलिLबत चयन मॉडल

भी कहा जाता ह Yयिक इसमgt सचनाओ क चन जान क घटना मित मgt घटती ह न िक सवदन (इि_य मgt

सचनाओ क सपक1 मgt आन स उपन उजन) क तरत बाद और इस कार सचना ससाधन क अवथा मgt यह

िवलLब स होता ह

852 दीघा0विध अवधान क िस=ात

दीघा1विध अवधान क िसPात का ितपादन मZय =प स िनगरानी कायk मgt सही सकत क पहचान मgt कछ

परिथितय मgt कछ समय क बीतन क साथ होन वाली Nिटय क RयाZया एव वहU कछ परिथितय मgt समय

बीतन क साथ िमलन वाली सफलता क RयाZया करन हत िकया गया ह कछ मख िसPात का वण1न िनLन

ह -

1) सकत अिभान िस=ात ndash

इस िसPात का ितपादन सन 1952 स 1954 क दौरान जॉन वटस नामक मनोवािनक क नतव मgt कई

अमरक शोधकता1ओ न िकया सोक नामक मनोवािनक क अनसार lsquoयह एक ऐसा िसPात ह जो यह

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उराखड म िव13िवालय 64

बतलाता ह िक सवदी उीपक क ित सवदनशीलता Mक क सवदी Mमताओ तथा उीपक क भौितक

तीता क अलावा िविभन कारक पर िनभ1र करती ह इन कारक मgt वयिक तथा परिथितजय बदलाव जस

िक थकान याशा परिथित क ज=रत आिद सिLमिलत होत हrsquo इसक RयाZया इस कार क जा सकती

ह जब कोई भी उीपक या िसगलन (सकत) हमार सामन उपिथत िकया जाता ह तो इसस उपन

सवदनशीलता मल =प स दो बात पर िनभ1र करती ह पहली तो यह होती ह िक उस सकत स सबिधत ानि_य

जस आवाज सकत ह तो कान उस पहचानन वाली ानि_य कोई Cय वत सकत ह तो ऑख उस दखन वाली

ानि_य आिद क सवदी Mमता िकतनी ह यिद इनक सवदी Mमता अिधक होगी तो Rयि उस उीपक या

सकत का यMण पD =प स कर लगा इस सवदी कारक कहा गया ह दसरी बात वह ह िजसपर िकसी सकत

क ित हमारी पहचान िनभ1र करती ह और उसमgt कई कारक एक साथ िमल हJए होत ह जस Rयि क

अिभरणा आकष1ण अपMा-याशा शोरगल कछ ऐस कारक ह िजन पर िकसी उीपक या सकत क ित

हमारी सवदनशीलता िनभ1र करती ह इन कारक को असवदी कारक कहा जाता ह सकत अिभान िसPात

ऐसा िसPात ह जो हमgt बताता ह िक िकसी सकत क पहचान स सबिधत िनण1य िकस सीमा तक सवदी कारक

ारा भािवत होता ह तथा िकस सीमा तक असवदी कारक ारा भािवत होता ह

अब उठता ह िक यह िसPात िनगरानी अथवा सतक1 ता जस काय1 िजनमgt िक आसपास क

वातावरण मgt हो रही यक हलचल स सबिधत सकत को पकड़न क िलए दीघा1विध अवधान क ज=रत होती

ह अथवा Rयि को अपना Eयान लLब समय तक लगाए रखना होता ह ऐसी िथित मgt काय1 क िन^पादन मgt हो

रही अ`छी बढ़ोरी अथवा िन^पादन मgt िगरावट अथा1त सकत क पहचान मgt होन वाली Nिटय क RयाZया

िकस कार करता ह इगन 2ीनबग1 आिद मनोवािनक न इस सदभ1 मgt काफ योग िकय एव यह पाया िक

सतक1 ता स सबिधत कायu मgt जहॉ सकत क पहचान क िलए लLब समय तक Eयान दन क ज=रत पड़ती ह

जस-जस सकत पहचान क यास क सZया बढ़ती जाती ह गलत पहचान क अनि या मgt कमी आन लगती

ह तथा सही पहचान क अनि या मgt बढ़ोरी होती ह अतएव सतक1 ता सबधी कायk मgt दीघा1विध अवधान क

दौरान मEयाविध मgt जो सकत क पहचान क काय1 मgt ास िदखलाई दता ह वह lयादा बड़ी िचता का िवषय

नहU ह बि-क कछ समय और बीत जान पर सही काय1 िन^पादन मgt बढ़ोरी ही होती ह

2) जरीसन का िस=ात ndash

इस िसPात का ितपादन जरीसन ारा सन 1970 मgt िकया गया इस िसPात क मायता ह िक वातावरण मgt

उपिथत उीपक ारा दान क जा रही सचनाओ िजहgt िक सकत भी कहा जा सकता ह मgt स कछ िवशष

वािछत सकतो क पहचान (सही अथवा गलत) तथा पहचानकता1 ारा Mण हत िकय जा रह अनि यामक

Rयवहार मgt एक जिटल सबध होता ह इस जिटल सबध को इस कार समझा जा सकता ह िक Rयि िकसी

िवशष वािछत सकत क सही पहचान करन मgt तभी सफल होता ह जब वह सही Mण हत सही अनि यामक

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उराखड म िव13िवालय 65

Rयवहार करता ह इसस उसक दीघा1विध अवधान मgt लगा समय साथ1क हो जाता ह तथा उस सनता होती ह

परणाम व=प Rयि दीघा1विध अवधान क कारण हJई थकान को भल जाता ह तथा उसका काय1 िन^पादन

सचा= होन लगता ह वहU जब Rयि उपय समय पर सही अनि यामक Rयवहार करन का िनण1य नहU ल

पाता व परणाम व=प वािछत सकत क सही पहचान नहU कर पाता ह तब वह दखी हो जाता ह इसस उसक

अिभरणा तर मgt िगरावट आती ह व दीघा1विध अवधान क थकान उस घर लती ह परणामव=प इसक

उपरात भी Rयि स Nिटयॉ होती रहती ह यिप जरीसन का यह िसPात साधारण एव सरल ह िफर भी

आलोचक का मत ह िक इस िसPात क योगामक जॉच करना किठन ह Yयिक इसमgt Mण हत

अनि यामक Rयवहार क आमिनn व=प क सही सही RयाZया नहU क गयी ह

3) याशा िस=ात ndash

बकर तथा डीज नामक मनोवािनक का याशा िसPात क ितपादन एव RयाZया मgt महवपण1 योगदान रहा

ह इस िसPात क अनसार िनगरानी जस कायk िजनमgt िक महवपण1 सकत क पहचान हत दीघा1विध अवधान

क ज=रत पड़ती ह को करत समय Rयि कछ समय बीतन क दौरान सकत क उपिथत होन क समय एव

उनक व=प का अEययन कर क उनक भिव^य मgt उपिथित क सबध मgt एक याशा िवकिसत कर लता ह वह

पवा1नमान लगान लगता ह िक िविशD वॉिछत सकत िकस समय उपिथत हो सकता ह इस सकत क सही

पहचान करन क तपरता इस याशा तर स धनामक =प स सहसबिधत होती ह इसक अनसार Rयि ारा

िनगरानी कायk को करन क दौरान सही सकत क पहचान करन क काय1 िन^पादन मgt जो कमी आती ह उसका

कारण सकत क उपिथित क सही समय का पवा1नमान लगान क Mमता मgt आयी कमी होती ह

इस कार हम दखत ह िक िनगरानी कायk मgt सही सकत क पहचान करन मgt होन वाली Nिटय एव सही

सकत क पहचान करन मgt सफल होन क बारबारता मgt बढ़ोरी क RयाZया उपरो िसPात क आलोक मgt

िभन-िभन कार स क जा सकती ह

4) अWयतता िस=ात ndash

इस िसPात का ितपादन जन मकवथ1 ारा सन 1968 मgt िकया गया उठता ह िक अयतता या अयसन

Yया ह अयसन स तापय1 एक ऐसी ि या स होता ह िजसक कारण िकसी एक ही उीपक क बार-बार Rयि

क सामन आन स तNकय अनि याशीलता मgt उरोर कमी आती जाती ह सामायतः जब उीपक पटन1 क

आवि अिधक होती ह तो तNकय अयसन क माNा भी अिधक होती ह अयसन थकान स इस अथ1 मgt

िभन होता ह िक जब उीपक पटन1 मgt गणामक परमाणामक या सामियक परवत1न होता ह तो इसमgt

अनायसन क ि या होन लगती ह अथा1त अनि याशीलता क अचानक पनः उपिथित हो जाती ह मकवथ1

क अनसार अयसन अवरोध क एक सि य ि या ह और अिनयिमत सकत क तलना मgt िनयिमत सकत क

साथ अयसन का िवकास तजी स होता ह दसर श)द मgt कहा जा सकता ह िक जब उीपक पटन1 मgt िनयिमतता

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 66

होती ह तो अयसन का िवकास उस परिथित क तलना मgt तजी स होता ह जब उीपक पटन1 अिनयिमत होता

इस िसPात क अनसार यिद दीघा1विध अवधान काय1 मgt यिद एक ही तरह क उीपक पटन1 स बार -बार

योlय भािवत हो रह ह तो ऐस उीपक पटन1 स मिति^कय अनि याओ मgt एक तरह का अयसन उपन

होन लगता ह जब इस तरह का अयसन अिधक माNा मgt उपन हो जाता ह जो योlय मgt ि िटकल िसrनल

को अय िसrनल स अलग पहचानन क Mमता कम हो जाती ह योlय वय को अपन काय1 मgt लLब समय

तक Eयान लगान मgt असमथ1 पात ह तथा उनक काय1 िन^पादन मgt धीर-धीर ास होन लगता ह

5) उ-जन िस=ात ndash

उजन िसPात को एिYटवशन yयोरी अथा1त सि यण िसPात भी कहा जाता ह इस िसPात मgt दीघा1विध

अवधान क RयाZया यरोिफिजयोलॉिजकल आधार पर क जाती ह इसक अनसार दीघा1विध अवधान या ऐस

काय1 िजनमgt लLबी अविध तक िनगरानी जसा काय1 करन क आवयकता होती ह मgt रटीकलर फॉरमशन क

िवशष भिमका होती ह इस आर ए एस यािन रटीकलर एिYटविटग फारमशन भी कहत ह आरएएस

मित^क मgt एक जालीनमा सरचना होती ह जो सषLना क ऊपरी भाग स ारLभ होकर थलमस तक फला होता

ह जब सवदी िनवश (ससरी इनपट) पाइनल कॉड1 ारा आरएएस मgt पहJचत ह तो इसस सरीfल कॉटiYस क

पर MN मgt आवग का एक िवतत पमान पर सजन होता ह िजसस Rयि उजन या सतक1 ता का एक सामाय

तर पर िनमा1ण होता ह अब यह उठता ह िक आरएएस क उजन म (एिYटविटग मकिनlम) ारा

दीघा1विध अवधान क RयाZया कस होती ह उजन िसPात क अनसार आरएएस क ारा ठीक कार स

काय1 करन क िलए यह आवयक ह िक Rयि क यMानामक वातावरण (परसcचअल इवायरमgtट) मgt

पया1F परवत1नशीलता हो अथा1त उीपक मgt पया1F परवत1नशीलता हो यिद उीपक परवत1नशीलता एक

ि िटकल लवल स नीच होता ह तो Rयि मgt उजनशीलता का तर कम होता ह तथा दीघा1विध अवधान मgt

ास उपन होता ह

86 अवधान भग एव परवत0न

(i) अवधान भग का वQप - अवधान भग Rयि क जीवन मgt घटन वाली एक बड़ी ही महवपण1 घटना ह

िजसका मनोवािनक ारा िवशष =प स अEययन िकया गया ह जब Rयि िकसी वातावरण मgt िकसी एक

उीपक वत पर अपना Eयान लगाए हJए होता ह और उसी बीच मgt कोई दसरा उीपक वत आ जान स Rयि

का Eयान पहली वत स हटकर दसरी वत पर चला जाता ह इस ि या को अवधान भग कहा जाता ह

उदाहरण क िलए अभी आप इस पतक को पढ़ रह ह अतः आपका Eयान इस पतक क िवशष पज पर ह िजस

आप पढ़ रह ह परत यिद अचानक कोई आपक कमर क दरवाज को जोर-जोर स खटखटाए अथवा डोर बल

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 67

बजाए तो आपको Eयान पतक स हटकर दरवाज क खटखटान क अथवा डोर बल क आवाज क ओर चला

जाता ह यािन आपका अवधान भग हो जाता ह

(ii) अवधान भग स सबिधत योग - मनोवािनक न अवधान भग स सLबिधत कई योग िकय ह और यिद

इन सभी योग क परणाम को दखा जाए तो हम िकसी िनिWत िन^कष1 पर नहU पहचत ह Yयिक कछ योग मgt

Eयान भग स िन^पादन मgt कमी होती पायी गयी ह तो कछ योग मgt ऐसी बात नहU दखी गयी ह उदाहरण क िलए

हॉव न 1928 मgt एक योग िकया िजसमgt उनन कॉलज क िवािथ1य को आमv अ-फा परीMण पर ाF ाFाक

क आधार पर दो भाग मgt बॉट िदया इनमgt स एक समह को उहन योगामक समह तथा दसर को िनयिNत

समह बनाया छः सFाह बाद दोन ही समह को दो अलग-अलग परिथितय मgt आमv अ-फा परीMण का

दसरा फाम1 भरवाया गया योगामक समह को फाम1 भरन का काय1 ऐसी परिथित मgt करना था जहॉ िक अनक

सनाई दन वाली आवाजgt एव Cय काश िवकष1क क =प मgt मौजद थ य दोन तरह क िवकष1क काफ ती

शि वाल थ िनयिNत समह को वही फाम1 भरन का काय1 सामाय परिथित िजसमgt िक कोई िवकष1क मौजद

नहU था करन को िदया गया परणाम मgt पाया गया िक योगामक समह क परिथित मgt Eयान भग होन क

सारी सभावनाए मौजद होन क बावजद उनक परीMण पर ाF औसत ाFाक एव िनयिNत समह ारा ाF

औसत ाFाक क बीच कोई साथ1क अतर नहU था दोन ही समह क औसत ाFाक करीब-करीब बराबर थ

दसर श)द मgt यिप योगामक समह क सदय का Eयान भग हो रहा था िफर भी इनक िन^पादन पर कोई

िवशष असर नहU पड़ा

अवधान भग ारा िन^पादन मgt िगरावट स सबिधत योग - कछ ऐस भी मनोवािनक ह िजहन यह

िदखलाया ह िक Eयान भग स िन^पादन मgt िगरावट आती ह फिक नामक मनोवािनक न सन 1937 मgt एक

योग िकया िजसमgt िवािथ1य को एक कहानी पढ़नी थी तथा उस समझना था जब व कहानी पढ़ रह थ उनक

नजदीक एक फोनो2ाफ बजाया जा रहा था तािक उन िवािथ1य क Eयान न कछ बाधा उपन हो सक परणाम

म दखा गया िक ऐसी अवथा मgt छाN को कहानी पढ़न मgt काफ Nिटयॉ हJई तथा उसक अथ1 को समझन मgt

काफ किठनाई हJई हhडरसन एव उनक सहयोिगय न सन 1945 मgt िकय गय अपन योग मgt पाया िक जब

लोग को कहानी एक ऐसी परिथित मgt पढ़न को कही गयी िजसमgt बगल मgt सगीत बज रहा था तो उस कहानी

को पढ़न मgt तो लोग को कोई िवशष किठनाई नहU हJई लिकन उस कहानी क तyय को समझन क माNा मgt

अवय ही साथ1क =प स कमी आयी

(iii) अवधान भग पर हXए कछ अय योग - मनोवािनक न कछ ऐस भी योग िकए ह िजनमgt यह दिश1त

िकया गया ह िक अवधान भग मgt िसफ1 बाहरी उीपक का ही िवकष1क क =प मgt महव नहU होता बि-क Rयि

का िपछला अनभव उसक अपMाए िजस याशा कहा जाता ह एव मनोवि भी उतनी ही महवपण1 होती ह

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 68

बकर ारा सन 1937 मgt एक योग िकया गया िजसमgt यह दिश1त िकया गया ह िक अवधान भग मgt

Rयि क मनोवि तथा याशा का काफ महव होता ह इस योग मgt कल 40 ितभागी थ इहgt चार बराबर

समह मgt बॉटा गया िजसमgt यक मgt 10 ितभािगय को रखा गया इनमgt स एक समह को िनयिNत समह क =प

मgt रखा गया तथा तीन समह को तीन अलग-अलग कार क जानकारी एव सझाव दकर उनमgt अलग-अलग

कार क मनोवि एव याशा उपन क गयी इन सभी समह को मौिखक =प स हल करन क िलए कछ

िवशष कार क अकगिणतीय समयायgt दी गयU तथा उहgt एक ऐस कM मgt रखा गया जहॉ पर िक कछ लोग

जोर-जोर स बातचीत करन मgt सलrन थ तथा सगीत िनरतर बज रहा था समया दत समय तीन समह को िनLन

कार क जानकारयॉ एव सझाव िदय गय-

1 पहल समह को कहा गया िक सगीत या दसर लोग ारा बातचीत करन क परिथित मgt अकगिणतीय

समयाओ को हल करन क उनक Mमता मgt कमी आयगी

2 दसर समह को कहा गया िक सगीत या दसर लोग ारा बातचीत करन क परिथित मgt अकगिणतीय

समयाओ को सलझान मgt मदद िमलगी

3 तीसर समह को कहा गया िक सगीत या दसर लोग ारा बातचीत करन क परिथित मgt अकगिणतीय

समयाओ को सलझान मgt पहल तो उहgt किठनाई होगी परत कछ समय क बाद उहgt लाभ होगा या ऐसी

परिथित स उहgt मदद िमलगी

4 चौथ समह अथा1त िनयिNत समह को कोई भी जानकारी अथवा सझाव नहU िदया गया

इस अनसधान मgt बड़gt ही रोचक परणाम ाF हJए थम तीन समह का िन^पादन ठीक वसा ही था

जसा िक सझाव दन स उनमgt याशा एव मनोवि उपन हJई थी चिक िनयिNत समह को िकसी कार का कोई

सझाव नहU िदया गया था अतः उनक िन^पादन मgt इस कार क कोई पDता नहU थी इसस यह सािबत हो गया

िक अवधान भग होन मgt न कवल िवकष1क बि-क Rयि क वय क याशा एव मनोवि भी महवपण1

भिमका िनभात ह

(iv) अवधान भग स बचाव क तरीक - मनोवािनक न अवधान भग पर अपन शोध क दौरान पाया िक कई

बार िवकष1क क मौजद होन क बावजद Rयि क काय1 िन^पादन मgt कोई कमी नहU आती ह अथवा काय1

िन^पादन क ारिभक अवथा मgt तो िवकष1क क उपिथित स काय1 िन^पादन क गणवा भािवत होती ह

परत जस-जस समय बीतता जाता ह वस-वस िवकष1क क उपिथत रहन पर भी काय1 िन^पादन क गणवा मgt

उरोर बढ़ोरी होती जाती ह मनोवािनक न इसक पीछ िछप कारण को खोजन अथवा इसक ि या का

पता लगान क िलए पनः योग िकय व दो कार क उपाय खोज िनकाल व दो उपाय अथवा अवधान भग नहU

होन दन क िविधयॉ िनLनिलिखत ह-

1 शारीरक यास शि का योग

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 69

2 अनकलन क ि या

शारीरक यास शि का योग - मॉग1न न 1936 मgt एक योग िकया िजसमgt उहन एक योlय को

टाइपराइटर पर एक लख टाइप करन क िलए िदया टाइप करत समय टाइपराइटर पर अगिलय ारा पड़न वाल

दबाव तथा योlय क 13सन दर आिद शारीरक अनि याओ क शि मापन क परी Rयवथा क गयी

योlय को योग मgt लख टाइप करत समय कई ायोिगक अवथाओ स गजरना पड़ा िजसक अतग1त योlय

को शात वातावरण मgt लख टाइप करत करत अचानक शोर-गल आिद क अवथा मgt िजसमgt क िविभन कार

क घिटयॉ एव रिडयो आिद बजत थ मgt टाइप करना जारी रखना पड़ता था तथा कछ ही समय उपरात िफर स

शात अवथा मgt टाइप करना होता था परणाम मgt पाया गया िक शोर गल क अवथा मgt योlय क अगिलय

का दबाव टाइपराइटर पर काफ बढ़ जाता था तथा वह टाइप करत समय उसका Eयान भग न हो इसक िलय लख

क साम2ी को जोर-जोर स पढ़न भी लगता था इसस उसक 13सन दर मgt भी विP हो जाती थी वहU शात

अवथा मgt उसक अगिलय का टाइपराइटर पर दबाव व वय क 13सन दर सामाय रहती थी इसस यह िसP

हो गया िक Rयि अवधान भग स बचन क िलए शारीरक यास अथवा शारीरक शि का योग भी करता ह

(v) अनकलन क िया ndash अनकलन दसरी िविध ह िजसक सहार Rयि का Eयान भग होन स बचता ह

इस इस कार समझ सकत ह िक आप न रलव अथवा बस टशन क अित िनकट रहन क िलए मकान िलया ह

तो ारLभ क कछ िदन तक आप परशान रहत ह और आप का Eयान रल व बस क आवाज क शोर क कारण

िकया काय1 मgt ठीक स नहU लग पाता ह परत कछ िदन या पॉच छः सFाह क बाद आप अपना यक काम

िबना िकसी परशानी क कर लत ह यहॉ तक िक गहरी नUद सो भी लत ह जबिक रल अथवा बस क आवाज

पव1वत आती रहती ह कहन का तापय1 यह ह िक आप अपन यक काय1 मgt अ`छी तरह Eयान लगा पात ह

इसका कारण यह ह िक आपन अपन आपको उस िवशष परिथित क साथ अनकिलत कर िलया ह इस

ि या को मनोिवान मgt अनकलन कहा जाता ह

इस तरह स हम दखत ह िक Rयि मgt अवधान भग एक महवपण1 घटना ह इस पर िसफ1 बाहरी उीपक

जो िक िवकष1क क =प मgt काय1 करत ह का ही भाव नहU पड़ता ह बि-क Rयि क मनोवि तथा याशा का

भी भाव पड़ता ह शारीरक शि व यास तथा अनकलन ारा अवधान मgt बाधक िवकष1ण क भाव को

कम िकया जा सकता ह

87 साराश

अवधान एक ऐसी चयनामक ि या ह िजसमgt Rयि एक िवशष शारीरक म_ा बनाकर िकसी वत या उदीपक

को चतना क_ स लान क िलए तपर रहता ह

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 70

अवधान क मZय तीन कार होत ह - ऐि`छक Eयान अनि`छक Eयान तथा वाभािवक Eयान

ऐि`छक Eयान मgt Rयि क इ`छा तथा आवयकता क धानता होती ह अनि`छक Eयान मgt उीपक क कछ

खास-खास गण होत ह िजनक धानता होती ह वाभािवक Eयान मgt Rयि का Eयान िकसी वत उजना या

घटना क ओर उसक िवशष िशMण एव आदत क कारण जाता ह

अवधान क मZय तीन काय1 बतलाए गए ह - अवधान एक सवदी िफ-टर क =प मgt काय1 करता ह

अवधान ारा अनि याओ का चयन होता ह तथा अवधान चतन क एक वश ार क =प मgt काय1 करता ह

दीघा1विध अवधान क सPाितक RयाZया करन क िलए कई तरह क िसPात का ितपादन िकया

गया ह िजनमgt पॉच मख ह- याशा िसPात जरीसन का िसPात सकत-पहचान िसPात उजन िसPात

तथा अयसन िसPात इनमgt स थम तीन सानामक िसPात ह तथा अितम दो यरोदिहक िसPात ह

88 शदावली

bull अवधान एक ऐसी चयनामक ि या ह िजसमgt Rयि एक िवशष शारीरक म_ा बनाकर िकसी वत या

उदीपक को चतना क_ स लान क िलए तपर रहता ह

bull चयनामक अवधान एक ऐसी ि या ह िजसमgt Rयि कछ खास ि या या उीपक पर अपनी मानिसक

एका2ता िदखलाता ह तथा अय ि याओ या उीपक पर न क बराबर Eयान दता ह

bull दीघा0विध अवधान एक ऐसी यMानामक ि या ह िजस िनगरानी भी कहा जाता ह िजसमgt Rयि

अिधक समय तक अपना Eयान िकसी उीपक पर कि_त िकय रहता ह तथा उस उीपक क ित सतक1 ता

बनाय रखता ह

89 वमयाकन हत

1 रोगी का अवधान दवा क दकान क ओर जाना को आप िनLनािकत मgt स िकस tणी अवधान कहgtग

(क) ऐि`छक अवधान

(ख) अनि`छक अवधान

(ग) वाभािवक अवधान

(घ) अिथर अवधान

2 िनLनािकत मgt स कौन सा गण अवधान मgt नहU पाया जाता ह

क) अवधान मgt िवशष कार का शारीरक अिभयोजन होता ह

ख) अवधान का िवतार सीिमत होता ह

ग) अवधान मgt िवभाजन का गण पाया जाता ह

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 71

घ) अवधान का व=प भावामक होता ह

3 चयनामक अवरोध क िसPात मgt सबस पहला िसPात िकनक ारा ितपािदत िकया गया

क) ीसमन ारा

ख) fौडबट ारा

ग) नॉरमन एव बोबरो ारा

घ) नाइसर ारा

4 दीघा1विध अवधान क MN मgt िकय गय योग क आलोक मgt िनLनािकत मgt स कौन कथन सय ह

क) दीघा1विध अवधान एक ती ि या ह िजसमgt Rयि को काफ मानिसक यास करना पड़ता ह

ख) दीघा1विध अवधान मgt Rयि मgt सतक1 ता का तर िनLन होता ह

ग) दीघा1विध अवधान एक तरह का िवभािजत अवधान होता ह

घ) दीघा1विध अवधान मgt अिथरता नहU पायी जाती ह

5 जरीसन मॉडल क अनसार दीघा1विध अवधान क RयाZया िकस कार क गयी ह

क) उपन Mण दर ाक-पना क =प मgt

ख) ऐिकक एका2 काय1 क =प मgt

ग) Rयि क याशा क =प मgt

घ) Rयि क िनण1य ि याओ क =प मgt

उ-र 1 - क 2 - घ 3 - ख 4 - क 5 ndash ग

810 सदभ0 1थ सची

bull उ`चतर ायोिगक मनोिवान - डा अ=ण कमार िसह - मोतीलाल ndash बनारसीदास

bull सामाय मनोिवान - िसहा एव िमtा - भारतीय भवन

bull आधिनक सामाय मनोिवान - सलमान एव खान - शYला बक िडपो पटना

bull एYसपरमटल साइकोलॉजी - कॉिलस एव क

bull एYसपरमटल साइकोलॉजी - ऑएगड

811 िनबधामक

1 Eयान क मख कार का सोदाहरण वण1न करgt

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 72

2 चयनामक अवधान स आप Yया समझत ह मागा1वरोधी िसPात ारा इसक RयाZया िकस

तरह स होती ह

3 अवधान भग एव अवधान परवत1न क बार मgt िवतार स समझायgt

4 दीघा1विध अवधान क मख िसात का सिवतार वण1न करgt

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 73

इकाई-9 यीकरण )वप एव िस ात यण को भािवत करन वाल कारक

आकित एव आधार यण(Perception- Nature and Theory

Influencing Factors of Perception Figure and Background

Perception)

इकाई सरचना

91 तावना

92 उय

93 यMण का व=प

94 यMण क िसPात

95 यMण को भािवत करन वाल कारक

96 आकित एव पnभिम यMण

97 साराश

98 श)दावली

99 वम-याकन हत

910 सदभ1 2थ सची

911 िनबधामक

91 तावना

यMण एक मानिसक ि या ह यह एक िनरतर चलन वाली ि या ह इसका मानव Rयवहार स बड़ा गहरा

सबध ह Rयवहार एव मानिसक ि याओ का सही अEययन सही यMण पर ही िनभ1र करता ह यMण क

ि या सवदन क ि या स आरभ होती ह और िकसी Rयवहार करन क ि या क पहल तक होती रहती ह इस

कार यMण क ि या सवदन तथा Rयवहार करन क बीच क ि या होती ह इस इकाई मgt यMण क

यथाथ1 व=प उसक िविभन िसPात क बार मgt जानकारी ाF कर सकgt ग

92 उय

इस इकाई को पढ़न क बाद आप-

bull यMण क व=प को जान सकgt ग

bull यMण क िसPात का वगvकरण एव वण1न कर सकgt ग

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 74

bull यMण को भािवत करन वाल कारक क सची बना सकgt ग

bull आकित एव पnभिम यMण क व=प को जान सकgt ग

bull आकित एव पnभिम यMण को दिनक जीवन मgt समझ सकgt ग

93 य6ण का वQप

यMण क व=प को िनLन परभाषाओ क अEययन ारा बड़ी ही आसानी स समझा जा सकता ह एटिकसन

एटिकसन एव िहलगाड1 क अनसार lsquoयMण एक ऐसी ि या ह िजसक ारा हम वातावरण मgt उपिथत

उीपक क ित=प क RयाZया करत ह एव उनका सगठन करत हrsquo अ=ण कमार िसह क अनसार lsquoयMण

एक सि य चयनामक एव सानामक मानिसक ि या ह िजसक ारा Rयि को अपन आतरक अग

(आतरक वातावरण) तथा बाT वातावरण मgt उपिथत वतओ का उसी Mण अनभव होता हrsquo

कोलमन क अनसार lsquoयMण एक ऐसी ि या ह िजसक ारा Rयि अपन शरीर क भीतरी अग एव

बाहरी दिनया क बार मgt जानकारी ाF करता हrsquo

सनोक क अनसार lsquoसवदी सचनाओ को अथ1 दान करन क िलए मित^क ारा सचनाओ को

सगिठत करन एव RयाZया करन क ि या को ही यMण कहा जाता हrsquo

इन परभाषाओ क अEययन स यMण क व=प क सबध मgt िनLन बातgt पD हो जाती ह-

1 यMण क िलए वातावरण मgt उीपक का होना आवयक ह

2 यMण मgt उीपक का तकाल अनभव होता ह

3 यMण एक सि य मानिसक ि या ह

4 यMण एक सानामक ि या ह

5 यMण क ि या क दौरान उीपक को सगिठत करन क मानिसक ि या घिटत होती ह

6 यMण एक चयनामक ि या ह

94 य6ण क िस=ात

यMण क ि या को परी तरह समझन क िलए मनोवािनक न मZयतः सात तरह क िसPात का ितपादन

िकया ह जो िक िनLनािकत ह-

bull दिहक िसPात

bull यM िसPात

bull सचना-ससाधन िसPात

bull गटा-टवादी िसPात

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 75

bull Rयवहारवादी िसPात

bull िनदiश अवथा िसPात

bull किNम बिP िसPात

इन िसPात का िवशद वण1न मानसार िनLन कार स ह-

1) य6ण का दिहक िस=ात -

इस िसPात क अतग1त यMण क ि या क दौरान होन वाली अनभितय क RयाZया करन क िलए शरीर मgt

RयाF अगिणत यरोन क बीच होन वाली आवशीय ि या को आधार बनाया जाता ह इस िसPात क मZय

मायता यह ह िक Rयि ानि_य क माEयम स वातावरण मgt फल हJए उीपक क सपक1 मgt आता ह उीपक

क सपक1 मgt आत ही उसक तिNका तN मgt तिNका आवश उपन हो जाता ह जो तकाल मित^क क िविशD MN

मgt पहJचता ह इसक परणाम व=प Rयि को उस उीपक का यMण होता ह यह िसPात कवल इस

अEययन तक ही सीिमत नहU ह िक यMण िकस कार स होता ह एव उसक RयाZया िकस तरह स क जाय

बि-क इसमgt अलग-अलग कार क यMण क दौरान मित^क क िजन MN मgt अतःि याए होती ह उनक

आधार को भी जानन क कोिशश क जाती ह यMणामक िथरता आिद क RयाZया क जाती ह इस

िसPात क सबध मgt हब नामक वािनक का मत ह िक क_ीय तिNका तN क िवशष MN क कोिशका क

उिजत होन क ि या पर यMण िनभ1र करता ह जब तक उस िवशष कोिशका मgt उजन नहU होगा

यMण नहU होगा

2) य6ण का य6 िस=ात -

यM िसPात का ितपादन िग)सन नामक वािनक ारा सन 1966 मgt िकया गया ितीय िव13 यP क दौरान

िग)सन lsquoआमv एयर कौप1सrsquo मgt एक अिधकारी क =प मgt काय1 करत थ जहॉ उनक मZय भिमका हवाई जहाज क

उड़ान भरत एव उतरत समय उसमgt हJई समयाओ का गहन =प स अEययन करना थी इसी अEययन क दौरान

उनक मन मgt एक िवचार आया िजसमgt यMण क िसPात क नUव पड़ी वह िवचार था िक Rयि क ऑख क

अिMपटल (रटीना) पर पड़न वाली रोशनी अपन आप मgt ऐसा सगिठत व=प िलए हJए होती ह िजसमgt िक वह

रोशनी िजस उीपक स टकराकर आ रही ह उसस सबिधत ान समािहत होता ह और उस अथ1पण1 होन क िलए

क_ीय तिNका तN ारा िवतत RयाZया िकए जान क आवयकता नहU होती ह

िग)सन का मानना ह िक हमारी ऑख मgt वश करन वाली रोशनी काफ सगिठत एव सरिचत होती ह

अब उठता ह िक रोशनी मgt इस तरह क सगठन Mमता िकस तरह स उपन हो जाती ह इस का उर

िग)सन न बड़ ही सीध ढग स िदया ह ओर कहा ह िक रोशनी जो िक हमारी ऑख मgt वश करती ह वातावरण

मgt उपिथत उीपक (वतओ) स परावित1त होती ह और इस रोशनी मgt इन वतओ स सगत सारी सचनाए

समािहत होती ह चिक वातावरण क ऐसी वतए अपन आप मgt सगिठत एव सरिचत होती ह और चिक रोशनी

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 76

का परावत1न भी मबP ढग स होता ह अतः रोशनी मgt उन वतओ क गण का सगठन व=प अपन आप आ

जाता ह इस तरह स िग)सन न इस बात पर िवशष =प स जोर डाला ह िक यMण को उस वातावरण का

िवpषण करक ठीक ढग स समझा जा सकता ह

3) य6ण का सचना-ससाधन िस=ात -

इस िसPात का ितपादन कLcयटर तथा सचार िवान मgt अिभ=िच रखन वाल मनोवािनक ारा िकया गया

ह इस िसPात मgt वातावरण मgt उपिथत िविभन उीपक (वतओ) स ाF सचनाओ क ससाधन ारा

यMण क RयाZया क गई ह यहॉ पर सचना क ससाधन स तापय1 िविभन सचनाओ क िविभन कार क

बन सकन वाल सगठन ारा कट िकय जान वाल िविशD अथ1 स ह सचना स तापय1 एक ऐस ानामक

अनभव स ह िजसक हो जान पर Rयि क मन मgt उीपक वत क बार मgt बनी अिनिWतता समाF हो जाती ह

उदाहरण क िलए आप अपन िव13िवालय क पतकालय मgt मनोिवान क एक िवशष िकताब खोज रह ह

आपको जानकारी ह िक पतकालय मgt वह पतक उपल)ध ह परत वह िकताब ठीक ठीक कहॉ पर रखी हJई ह

यह आपको मालम नहU ह अगर कोई सहपाठी आपको यह बताए िक वह िकताब पतकालय मgt ह तो यह तyय

आपक िलए कोई lsquoसचनाrsquo नहU हो सकता ह Yयिक आपको यह मालम नहU होता ह िक पतक वातव मgt कहॉ

ह दसर श)द मgt आपक मन मgt अिनिWतता बनी क बनी ही रह जाती ह

सचना ससाधन िसPात क यह मायता ह िक Rयि क यMण Mमता सीिमत होती ह अतः कोई

Rयि वातावरण मgt उपिथत बहJत सार उीपक मgt स कछ का ही यMण कर पाता ह अगर Rयि िकसी एक

सचना पर Eयान दता ह तो उस दसर तरह क सचना को छोड़ना पड़ता ह यMणकता1 मgt िकसी भी सचना का

वाह कई चरण मgt सLपन होता ह इसका वण1न िनLनािकत ह-

1 उीपक - थम चरण मgt Rयि का सामना उीपक स होता ह

2 सवदी 2ाहक - ितीय चरण मgt उीपक Rयि क सवदी 2ाहक अथा1त ानि_य अथा1त नN कान

नाक वचा आिद को भािवत करता ह िजसस सचनायgt क_ीय तिNका तN मgt पहJचती ह

3 कgt _ीय तिNका तN - कgt _ीय तिNका तN उन सचनाओ को 2हण करता ह ऐसी सचनायgt वहॉ पहल स

उपिथत सचनाओ स भािवत होती ह पहल स उपिथत सचनाओ को मनोवािनक शोर क सा दी

जाती ह

4 कॉिट1कल मित^कय क_ - कgt _ीय तिNका तN ारा 2हण क गई सचनाओ को मित^क क िविभन

कgt _ ारा ससािधत िकया जाता ह

5 अनि या - अत मgt कॉिट1कल मित^कय कgt _ स ाF सचना क आधार पर Rयि यMण क

अनि या ठीक ढग स कर पाता ह

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 77

सचना ससाधन िसPात क अनसार यMण सवदन तथा अय उ`चतर मानिसक ि यायgt एक दसर स िभन

नहU होती ह बि-क एक-दसर स अतरसबिधत होती ह अतः उहgt एक-दसर स अलग कर अEययन करना उिचत

नहU ह जब Rयि क ानि_यॉ िकसी उीपक स भािवत होती ह तब सवदन क मानिसक ि या घिटत

होती ह इसक उपरात उसका ससाधन करन स Rयि को यMण होता ह यिMत वतओ अथवा घटनाओ

को ससािधत कर Rयि उस मित मgt लाना ह

4) य6ण का गटाटवादी िस=ात -

गटा-ट िसPात क ितपादन मgt lsquoकल ऑफ गटा-ट साइकोलॉजीrsquo क वदा1इमर कोहलर कोoका का

सवा1िधक योगदान रहा ह इस िसPात क महवपण1 बात को िनLन िबदओ क अतग1त समझाया गया ह

1 सपण0ता म( य6ण- गटा-ट िसPात क अनसार Rयि िकसी वत का यMण अलग-अलग =प मgt

न कर सLपण1 =प (as a whole) करता ह इस सLपण1ता मgt घिटत होन वाल यMण का अपनी एक

िवशषता होती ह इस िवशषता क अनसार Rयि िकसी वत का यMण करत समय उस वत क गठन मgt

य सभी िहस को एक साथ दखन पर जो िवशषता उभर कर सामन आती ह जो िक वत क अय सभी

िहस क िवशषताओ गण स िभन होती ह इस इस कार समझा जा सकता ह Rयि जब िकसी दसर

Rयि क चहर को दखता ह तो उसक ऑख नाक कान भहgt आिद जो भी चहर क िहस ह को अलग-

अलग नहU दखता ह बि-क इनक आपस मgt जड़ होन स जो एक िवशष गण उभर कर चहर क =प मgt बनता

ह उस ही दखता ह हालॉिक चहर क अय िहस क अपन अपन िविशD गण होत ह परत इन सभी क

िमलन स उभरा िवशष गण इन सभी क गण स िभन होता ह

2 य6णामक सगठन क आधार भत तZय या िनयम (principles of perceptual

organisation) - गटा-वादी उपागम को मानन वाल िवान क अनसार यMण क ि या मgt Rयि

िजस वत का यMण कर रहा होता ह उस वत क एक खास-पटन1 को खोज लता ह दसर श)द मgt वह

उस खास पटन1 क =प मgt वत को Rयविथत सगिठत पाता ह जब Rयि उीपक को एक पटन1 मgt

Rयविथत दखता ह तो इसका गण उन गण स िभन होता ह िजसक जानकारी उसक िहस क िवpषण

स ाF होती ह यMणामक सगठन दो तरह क िनयम पर आधारत होता ह 1 परधीय िनयम तथा 2

क_ीय िनयम परधीय िनयम मgt उन िनयम को रखा जाता ह जो िक उीपक स सबिधत होत ह जस िक

उीपक क िविभन अग या िहस मgt सिनकटता समानता िनरतरता सदर आकित गप आिद कछ

गण ऐस होत ह िजनस यMण मgt सगठन उपन होता ह उीपक क इन गण स सबिधत सभी िनयम

जमजात होत ह क_ीय िनयम मgt अिभरण मनोवि आिद आत ह इन िनयम का उपयोग करना Rयि

अनभव स सीखता ह गटा-टवािदय न मZय =प स परधीय िनयम पर ही अिधक जोर िदया ह

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 78

3 समाकितकता का आधारभत िनयम (Principle of isomorphism) - इस िनयम क अनसार Rयि

िजस वत अथवा घटना का यMण करता ह उसस मित^क क सबिधत िहस मgt भी कछ िविशD

परवत1न होत ह अथा1त यMण क दौरान मित^क मgt होन वाल परवत1न एव वत या घटना क बीच एक

सीधा एव पD सबध होता ह इस िनयम को मािणत करन हत कोहलर न ह-ड नामक मनोवािनक क

साथ सन 1949 मgt एक योग िकया इस योग क अतग1त उहन योlय क मित^क क CिD MN

(िवजअल एरया) स ई ई जी (इलYोइसफलो2ाम) यािन मित^क तरग क रकािडग क इस योग मgt

पाया गया िक जब योlय क सLमख रखी गयी वत िजसका क वह उस समय यMण कर रहा था मgt

गित उपन क गयी तो इसस मित^कय तरग मgt भी कछ परवत1न आ गए इसस य सािबत हो गया िक

वत एव एव मित^क क सबिधत िहस मgt हJए परवत1न का सीधा सबध होता ह

5) य6ण का [यवहारवादी उपागम (behaviouristic approach) -

Rयवहारवािदय क अनसार यMण पण1=पण एक सीखा गया Rयवहार होता ह और िजन िनयम एव

िसPात ारा अय Rयवहार िनधा1रत होत ह ठीक उहU िनयम एव िसPात ारा यMण भी िनधा1रत

होता ह Rयवहारवािदय मgt सवा1िधक सफल RयाZया वािनक हल ारा सन 1943 मgt क गयी ह िजस तरह

स िकसी सीख गय Rयवहार का िनधा1रण आदत सामायीकरण तथा सीखन मgt अवरोध आिद िनयम ारा

होता ह उसी तरह स यMण भी इहU िनयम स िनधा1रत होता ह हल क अनसार नव1स िसटम मgt सवदी

तिNका आवग आपस मgt अनि या करत ह एव इसस नव1स िसटम मgt इन सवदी तिNका आवग ारा

Rयिगत =प स उपन िकय जा रह परवत1न स िभन परवत1न उपन होन लगत ह उदाहरण क िलए यिद

धसर रग क कागज क टकड़ को बगनी रग क बड़ कागज क टकड़ क बीच मgt रखा जाता ह तो िवजअल

िसटम धसर कागज स उपन सवदी तिNका आवग बगनी रग क कागज स उपन सवदी तिNका आवग

क साथ अतःि या कर दोन तरह क सवदी आवग को परवित1त कर एक नया =प दता ह िजसक

परणामव=प धसर रग क कागज का टकड़ा कछ पीलापन िलए िदखाई पड़ता ह

6) िनदश अवथा िस=ात (Directive-state theory) ndash

इस िसPात क िवकास मgt fनर आलपोट1 शफर तथा मफv नामक वािनक को महवपण1 योगदान ह इस

िसPात का िवकास गटा-टवािदय ारा यMण मgt Rयिगत कारक को महव न िदय जान क कारण भल

सधार क =प मgt हJआ इस िसPात क अतग1त Rयवहारपरक कारक एव अिभरणामक कारक को सवा1िधक

महव िदया गया ह इस हत कई िवशष परक-पनाओ का िनमा1ण िकया गया ह िजनक ारा इस िसPात क

RयाZया क जाती ह इनका वण1न िनLनािकत ह-

थम परकपना - यMण Rयि क शारीरक आवयकताओ ारा िनधा1रत होता ह इस

परक-पना क अनसार Rयि क शारीरक आवयकताए यMण मgt िवकित अथवा Nिट उपन कर दती ह

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 79

उदाहरणाथ1 - ऑसगड (1953) नामक मनोवािनक न अपनी पतक मgt अपन एक अनभव का वण1न िकया ह

िजसक ारा इस परक-पना क पिD होती ह व िलखत ह िक जब व अपन ऑिफस स दोपहर मgt भोजन करन क

िलए जात थ तो रात मgt एक दoतर िमलता था िजसका नाम 400D था िजस व ायः FOOD पढ़ा करत थ

इस उदाहरण स पD होता ह िक ऑसगड क भख िमटान क आवयकता उनक यMण मgt Nिट पदा कर दती

थी

िLतीय परकपना - वत यMण स सबिधत परकार एव दhड स यMण क ि या का िनधा1रण

होता ह इस परक-पना क अनसार जब िकसी वत क यMण स Rयि को परकार व=प सख क अनभित

होती ह तो उस वत का यMण िकसी ऐसी वत िजसक क यMण क साथ दख क अनभित जड़ी होती ह

िक अपMा अिधक पD होता ह इस तyय क पिD शफर एव मफv ारा 1943 मgt िकए गए एक योग ारा पD

=प स होती ह

ततीय परकपना - िजन वतओ क िलए Rयि क Rयिव मgt कछ िवशषता म-य होता ह उन

वतओ का यMण Rयि तजी स करता ह इस परक-पना क अनसार यक िजन वतओ क सबध मgt

Rयि अिभ=िच रखता ह एव वह उहgt कछ मान दता ह तो ऐसी वतओ अथवा घटनाओ क यMण मgt वतः

ही तीता एव पDता आ जाती ह चतथ0 परकपना- यिद िकसी वत का मान या म-य Rयि क िलय अिधक होता ह तो Rयि

उसका यMण अिधक बढ़ा चढ़ा कर करता ह

पाचवी परकपना - Rयि अपन शीलगण क अन=प वत या उीपक का यMण करता ह

यक Rयि मgt िभन-िभन कार क शीलगण होत ह और जब वह िकसी वत या उीपक का यMण करता

ह तो इन शीलगण का उस पर काफ भाव पड़ता ह आलपोट1 क अनसार बिहम1खता तथा अतमख1ता का

शीलगण अिधक होन पर Rयि को यिद याही-ध)बा परीMण (ink-blot test) क काड1 िदखलाए जात ह तो

उसमgt वह गित का यMण अिधक करता ह

छठी परकपना - शाि)दक उीपक िजनका व=प साविगक एव धमकान वाला होता ह का

यMण तटथ उीपक क अपMा Rयि दरी स करता ह तथा साथ ही ऐस श)द Rयि ारा सही-सही

पहचान जान क पहल ही उनमgt साविगक िति या उपन कर दता ह

7) कि7म बि= उपागम (Artificial intelligence approach)

किNम बिP उपागम क अनसार यMण क सLपण1 िसPात मgt मलतः तीन तर होत ह-

1 यMणामक ि याओ क दिहक म (िफिजयोलॉिजकल मकिनlम ऑफ परLचअल ोससस)

2 ऐस िनयम जो िक ि याओ को िविशDता दान करत ह

3 तथा यMण का काय1 या उन दिहक गण का िवpषण जो उीपक तक पहJचन मgt मदद करता ह

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 80

यMण क य तीन तर अभी तक यMण क एक समिवत िसPात क =प मgt नहU रख जा सक ह

िफिजयोलॉिजट बायलॉिजट एव यरोसाइिटट पहल क तर अथा1त यMण क िफिजयोलॉिजकल

मकिनlम पर जोर दत ह मनोवािनक िग)सन एव उनक िवचार क समथ1क यMण क तीसर तर पर बल

डालत ह तथा किNम बिP उपागम क समथ1क ारा यMण क सि यामक िनयम पर अिधक जोर दन को

कहत ह ऐस शोध कता1ओ ारा मानव को छोड़कर अय जीव क यMणामक ि याओ क अEययन मgt

कLcयटर आिद क इतमाल पर बल िदया जाता रहा ह िबन (1989) तथा बYस एव ािजसक (1991) ारा

िकय गय अEययन स यह ात होता ह िक किNम बिP मॉडल दो कार क िवषय पर मल =प स बल डालता

ह- पहला उन म पर िजसक सहार उीपक स सबP सचनाओ को ाF िकया जाता ह तथा दसरा व अनमान

एव िनण1य िजनका उपयोग करक Rयि िकसी यMणामक RयाZया या िन^कष1 पर पहJच जाता ह

95 य6ण को भािवत करन वाल कारक

Rयि ारा िदन ितिदन क जीवन मgt िकया जान वाला िविभन वतओ एव घटनाओ को यMण मgt पDता

एव Nिट उपन होती रहती ह यMण क इस अRवल दजi क पDता एव Nिट दोन ही मgt कई महवपण1

कारक क महती भिमका अथवा योगदान होता ह यMण क सबध मgt यथोिचत जानकारी ाF करन क िलए

इन कारक को अEययन आवयक होता ह इस MN मgt िकए गए अEययन स यह पD हJआ ह िक यMण पर

Rयि क मानिसक वि मनोवि अिभरण तथा सामािजक साकितक कारक का काफ भाव पड़ता ह

इन सभी तरह क कारक को िनLनािकत तीन मZय भाग मgt बॉटकर अEययन िकया जा सकता ह-

(i) यMण मgt Rयिगत कारक क भिमका

(ii) यMण मgt सामािजक कारक क भिमका

(iii) यMण मgt साकितक कारक क भिमका

(i) य6ण म( [यिPगत कारकK क भिमका -

मनोवािनक न अपन शोध अनसधान क िन^कषk मgt पाया ह िक यMण मgt यMण करन वाल Rयि क

Rयिगत कारक क महवपण1 भिमका होती ह य कारक यMण को बहJत तरीक स भािवत करत ह इन

कारक मgt िनLन कारक अित महवपण1 ह - यMण कता1 क शारीरक एव मानिसक आवयकता यMण

कता1 क िलए यिMत िकए जा रह उीपक का म-य यMण कता1 क म-य यMण कता1 क Rयिव क

शीलगण मानिसक वि उीपक का यMणकता1 क िलए तीकामक अथ1

यMणकता1 क शारीरक एव मानिसक आवयकता - Rयि क शारीरक आवयकताओ मgt भख

cयास नUद आिद मख ह इसक साथ ही उसमgt मनोवािनक आवयकताए भी होती ह जस िक सबधन क

आवयकता अनमोदन क आवयकता म क आवयकता शि क आवयकता आिद इन आवयकता

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 81

कारक का यMण पर सीधा भाव पड़ता ह इस सदभ1 मgt लवाइन िचन एव मफv ारा सन 1942 मgt िकया

गया योग उ-लखनीय ह इस अEययन मgt छाN क दो समह िविनिम1त िकए गए थ एक योगामक समह एव

दसरा िनयिNत समह योगामक समह क छाN भखा रख कर उनमgt भख क आवयकता उपन क गयी एव

िनयिNत समह क िवािथ1य को भरपट भोजन कराकर उन क भख क आवयकता को समाF कर िदया गया

इसक बाद एक दप1ण मgt उहgt कछ धधल िचN को िदखलाया गया िजमgt िदखलाई पड़न वाली चीजgt पD नहU

थU दोन समह क िवािथ1य को िनदiश िदया गया िक व िचN मgt िदखाई पड़न वाली वतओ क बार मgt बताए

परणाम मgt पाया गया िक योगामक समह क िवािथ1य न िनयिNत समह क िवािथ1य क अपMा खान पीन

क वतओ क बार मgt अिधक बताया इस योग क िन^कष1 मgt कहा गया िक Rयि क शारीरक आवयकता

यMण क दौरान आवयकता िवशष क सदभ1 मgt ही सोचन हत Rयि को अिभरत करती ह िजसक वजह

स उसम यMण मgt उसक आवयकता परलिMत होन लगती ह

इसी तरह क परणाम मनोवािनक आवयकताओ क सदभ1 मgt भी ाF हJए ह इस सदभ1 मgt मिYललhड

एव िलबरमन ारा सन 1949 मgt िकया गया अEययन उ-लखनीय ह इन वािनक न उपलि)ध आवयकता को

अपन अEययन क मZय िवषयवत बनाया उहन इस हत उपलि)ध आवयकता क दो tिणय को िनधा1रत

िकया अिधक उपलि)ध अिभरक वाला समह तथा कम उपलि)ध अिभरक वाला समह इन दोन ही समह

को तीस श)द टिचटोकोप क सहायता स िदखलाय गय इन तीस श)द मgt दस श)द अिधक उपलि)ध स

सबिधत थ तथा 20 अय श)द कम उपलि)ध वाल अिभरक स सबिधत थ परणाम मgt पाया गया िक अिधक

उपलि)ध अिभरक वाल समह क सदय मgt उपलि)ध अिभरक स सबिधत श)द को यMण तटथ श)द

क अपMा िनLनतरीय यMणामक दहली पर कर िलए गए तथा कम उपलि)ध अिभरक वाल समह क

ितभािगय ारा उपलि)ध अिभरक स सबिधत श)द का यMण तटथ श)द क अपMा उ`चतर

यMणामक दहली पर िकया गया इस अEययन क परणाम व=प यह पD हो गया िक Rयि क यMण

पर उसक मनोवािनक आवयकता उपलि)ध अिभरक का भाव पड़ता ह उपय1 सभी योग क परणाम

का िन^कष1 यही ह िक आवयकता चाह वह शारीरक हो या मनोवािनक Rयि क यMण को भािवत

करता ह

यMण कता1 क िलए यिMत िकए जा रह उीपक का म-य- यMण पर इस बात का भी भाव

पड़ता ह िक Rयि क िलए वतओ या उीपक का म-य िकतना ह मनोवािनक ारा िकए गय अEयन स

यह पD हJआ ह िक िजस वत का म-य यMणकता1 क िलए अिधक होता ह उसका आकार उस बड़ा मालम

होता ह fनर एव गडमन न 1947 मgt इस सबध मgt एक अEययन िकया इसक अतग1त उहन 10 ब`च क दो

समह िलए एक समह मgt सभी धनी परवार क ब`च थ तथा दसर समह मgt सभी गरीब परवार क ब`च थ इन

दोन समह क ब`च को 1 5 10 20 25 तथा 50 सट क िसYक क आकार का आकलन एक काश

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 82

ोजYटर ारा करन को कहा गया काश ोजYटर ारा परद पर िसYक क आकार क गोल रोशनी पड़ती थी

िजस योlय आवयकता पड़न पर ोजYटर क हिडल को घमाकर छोटा या बड़ा कर लता था परणाम मgt दखा

गया िक गरीब परवार क सभी ब`च न सभी कार क िसYक क आकार को वातिवक आकार स अिधक

बड़ा बतलाया जबिक धनी परवार क ब`च न इन िसYक क आकार को वातिवक आकार स छोटा

बतलाया शोध कता1ओ क अनसार ऐसा इसिलए हJआ Yयिक धनी परवार क ब`च क िलए िसYक का मान

कम था जबिक गरीब परवार क ब`च क िलए इन िसYक का मान अिधक था

यMण पर मानिसक वि का भाव - यMण पर यMणकता1 क मानिसक वि का भी भाव

पड़ता ह मानिसक वि स तापय1 एक िवशष तरह क मानिसक तपरता स होता ह योlया म िवशष शाि)दक

िनदiश दकर मानिसक तपरता उपन क जाती ह या िफर गत अनभितय स उपन याशाओ स योlय मgt

वि उपन हो सकती ह कई ऐस शोध िकए गए ह िजनमgt शाि)दक िनदiश दकर योlय मgt एक तरह क

मानिसक वि उपन क गयी ह और उसस यMण सीध भािवत होता पाया गया ह इस सदभ1 मgt ीट ारा

सन 1931 मgt िकया गया अEययन उ-लखनीय ह इस अEययन क अतग1त ीट न योlय को एक अपD

छपाई वाली तवीर िदखलाई जो िक एक कार स बहJत स ध)ब स बनी हJई थी इस तवीर मgt िकसी कार क

िवशष वत सीध तौर पर िदखाई नहU पड़ती थी योlय को िनदiश िदया गया िक आपको ऐसी तवीर िदखलाई

जा रही ह िजसमgt ऐस Cय ह िजहgt आपन घोड़ क रस क दौरान दखा होगा इस िनदiश स योlय मgt एक

िवशष मानिसक वि उपन हो गयी िजसक कारण उहन अपD िचN मgt घोड़ पर सवार एक Rयि का

यMण िकया इस योग स यह पD होता ह िक यMण क दौरान Rयि मgt उपन क गई िवशष कार क

मानिसक वि का उसक यMण पर भाव पड़ता ह

उीपक का यMणकता1 क िलए तीकामक अथ1 - हमार सLपक1 मgt आन वाली बहJत कार क

वतओ एव उीपक मgt स कछ वतओ एव उीपक का हमार िलए तीकामक अथ1 होता ह अथा1त इन कछ

वतओ को हम िकसी िवशष अथ1 भाव अथवा िवचार आिद क तीक क =प मgt दखत ह साराशतः कछ

वतओ का Rयि क िलए अकट अथ1 होता ह िजनका व=प Rयिगत तथा तीकामक होता ह वतओ

क तीकामक अथ1 Rयि क िलए सामाय अथ1 स हटकर कछ दसर अथ1 क ओर इशारा करत ह वतओ का

यह तीकामक अथ1 Rयि क िलए सकारामक महव या नकारामक महव भी रख सकता ह और इसस

Rयि का यMण काफ हद तक भािवत होता ह इसक पिD पोटमन एव fनर ारा सन 1948 मgt िकए गए

योग स होती ह इस योग मgt तीन तरह क िच (डॉलर वितक एव lयािमितक आकित) का उपयोग िकया

गया इसक िलए अमरकन नागरक का योlय क =प मgt चयन िकया गया इन िच का अमरकन योlय

क िलए अलग-अलग तीकामक अथ1 था डॉलर अमरका क म_ा ह एव िव13 मgt इस अयिधक सLमान ाF

ह अतएव इसका उनक िलए धनामक म-य था वितक का सबध िहटलर ारा ितीय िव13 यP क समय

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 83

य रा^ीय िच स होन एव िहटलर ारा अमरका स घणा िकय जान क कारण सभी अमरक उसस घणा

करत ह अतः इस िच का भी उसक िलए नकारामक म-य ह वहU lयािमितक आकित का म-य न तो

धनामक ह और न ही नकारामक अतः इनका तटथ म-य ह सभी तीक िच समान आकार क थ इन

योlय को िनदiश िदया गया िक व इन तीक िच को ोजYटर क सहायता स परद पर बनायgt परणाम मgt

पाया गया िक योlय न तटथ म-य वाली lयािमितक आकितय क तलना मgt डॉलर एव वितक दोन क

वातिवक आकार स बड़ा आकार पदi पर बनाया अथा1त उहन इन दोन िच का आकितय क तलना मgt

अितआकलन िकया इसस यह पD हो जाता ह िक उीपक क साकितक म-य का Rयि क यMण पर

िवशष भाव पड़ता ह

(ii) य6ण म( सामािजक कारकK क भिमका -

मन य एक सामािजक ाणी ह अतः उसक यMण पर भी सामािजक वातावरण स ाF अनभव का भाव

पड़ता ह

यहा िनLनिलिखत कारक क चचा1 करना आवयक ह-

(क) सामािजक आदश0-

सामािजक आदश1 यMण का िनधा1रक ह हम िकसी वत Rयि या घटना का यMण सामािजक आदश1 क

सदभ1 मgt करत ह जस-सZया 13 को कछ दश मgt अशभ सZया माना जाता ह इसिलए उन दश मgt इसका

यMण िकसी अिय या अशभ घटना क सकत क =प मgt िकया जाता ह ायः माता-िपता क चहर क बनावट

और ब`च क चहर क बनावट मgt कछ समानता दखी जाती ह लिकन lsquoोिfयाडरrsquo जाित क लोग मgt ब`च

और माता-िपता क चहर मgt समानता रहत हJए भी समानता का अनभव नहU होता मिलनोवकी न इसक

RयाZया करत हJए यह बताया ह िक ोिfयाडर जाित क लोग मgt ब`च और माता-िपता मgt समानता िदखाई

पड़ना बरा माना जाता ह इसिलए उहgt समानता िदखाई नहU पड़ती अत पD ह िक सामािजक िनयम आदश1

रीित-रवाज या परपरा यMण क ि या को भािवत करत ह

(ख) सामािजक मनोवि--

सामािजक मनोवि भी यMण को िनधा1रत करती ह िजि-लग न एक कल क िय और अिय छाN पर

एक अEययन िकया ह इहन इन दोन समह क बालक को अलग-अलग कछ िलखन को कहा इहन िय

समह क बालक को जान-बझकर गलत िलखन का िनदiश िदया जबिक अिय समह क बालक को सही

िलखन का िनदiश बाद मgt जब सामाय लोग स िय और अिय समह क छाN क काम क िवषय मgt राय ली तो

तब दखा गया िक अिधकतर लोग न िय समह क छाN क काम को अ`छा और अिय समह क छाN क

काम को खराब बताया इस कार पD ह िक िय छाN क ित सामाय लोग क मनोवि चिक अनकल थी

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 84

इसिलए उहन िय छाN क काय1 सपादन का यMण अ`द िन^पादन क =प मgt तथा अिय छाN क ित

ितकल मनोवि क कारण उनक काय1सपादन का यMण खराब िन^पादनक =प मgt िकया

हम अपन सामाय जीवन मgt भी सामािजक मनोवि पवा12ह आिद का महव यMण मgt दखत ह

पवा12ह क फलव=प ही बरा काय1 करन वाला भी अ`छा िदखाई पड़ता ह और अ`छा काय1 करन वाला भी

बरा िदखाई दता ह जस- मान लgt lsquoकrsquo नाम का कोई Rयि गमv क मौसम मgt भखा रहन और धप लगन क

कारण अचतावथा मgt सड़क क िकनार लटा हJआ ह उसक पास स उसका कोइ परिचत िमN lsquoखrsquo गजरता ह

तथा उस लट हJए Rयि को दखता ह लिकन पहल स वह जानता ह िक लटा हJआ Rयि शराब क नश मgt

ायः इसी तरह जहा-तहा पड़ा हJआ रहता ह इस पवा12ह क आलोक मgt वह वत1मान मgt भी यह अनभव करता ह

िक उसन शराब पी रखी ह और उसी नश मgt लटा हJआ ह

(iii) य6ण म( साकितक कारकK क भिमका -

सकित का भी महवपण1 भाव यMण पर पड़ता ह इसका सबस सदर उदाहरण हमgt आिदम जाितय क

लोग मgt िमलता ह आिदम जाित क लोग मgt एक अत शि पाई जाती ह इस शि क कारण व जगल क

बहJत दर क भाग मgt भी िकसी जानवर को दख लत ह इतनी दरी पर उपिथत जानवर को दखन और पहचानन

क इतनी ती(ण Mमता अय िवकिसत सयतावाल सकित क लोग मgt ायः नहU पाई जाती यह अतर आिदम

जाित एव आधिनक िवकिसत समाज क सकित मgt अतर होन क कारण पाया जाता ह

समाज ारा अव=P या ितबिधक कय क ित हमारी िति याओ स भी यMण पर सकित क

भाव का पD सकत िमलता ह यMामक सरMा क सदभ1 मgt ऐस योग क चचा1 क गई ह िजनस यह िसP

हJआ िक समाज या सकित ारा विज1त ि याओ स सबिधत श)द का यMण सखद एव तटथ श)द क

अपMा िवलब स होता ह अतः पD ह िक साकितक आदश1 िनयम आिद यMण क ि या का िनदiशन

करता ह और एक िवशष कार क आकित का =प दता ह इसीिलए हमgt वत Rयि या परिथित का

यMण सकित क आधार पर ही होता ह

96 आकित एव प]भिम य6ण

गटा-ट िसPात क अनसार Rयि िकसी वत का यMण अलग-अलग =प मgt न कर सLपण1 =प स करता ह

इस सLपण1ता मgt घिटत होन वाल यMण का अपनी एक िवशषता होती ह इस िवशषता क अनसार Rयि

िकसी वत का यMण करत समय उस वत क गठन मgt य सभी िहस को एक साथ दखन पर जो िवशषता

उभर कर सामन आती ह जो िक वत क अय सभी िहस क िवशषताओ गण स िभन होती ह इस इस

कार समझा जा सकता ह Rयि जब िकसी दसर Rयि क चहर को दखता ह तो उसक ऑख नाक कान

भहgt आिद जो भी चहर क िहस ह को अलग-अलग नहU दखता ह बि-क इनक आपस मgt जड़ होन स जो एक

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 85

िवशष गण उभर कर चहर क =प मgt बनता ह उस ही दखता ह हालॉिक चहर क अय िहस क अपन अपन

िविशD गण होत ह परत इन सभी क िमलन स उभरा िवशष गण इन सभी क गण स िभन होता ह

जब Rयि िकसी वत िवशष का यMण करता ह तो उस उस वत का कछ भाग बहJत पD िदखाई

दता ह तथा कछ भाग तलनामक =प स कम पD िदखाई दता ह य कम पD भाग उस वत क पn भाग मgt

उपिथत तीत होता ह जो भाग बहJत पD होता ह उस आकित कहा जाता ह तथा जो भाग कम पD िदखाई

पड़ता ह उस पnभिम कहा जाता ह इस तरह क यMण को आकित-पnभिम यMण कहा जाता ह

आकित एव पnभिम क बीच अतर को गटा-टवािदय क अनसार िनLन िबदओ ारा पD िकया जा सकता ह

(क) आकित का एक िनिWत आकार-व=प होता ह जबिक पnभिम आकारहीन होता ह या यिद आकार होता

भी ह तो उसस िकसी कार क आकित नहU बनती ह

(ख) पnभिम हमशा आकित क पीछ होती ह और आकित िनिWत आकार-व=प िलए हJए उसी पnभिम पर

उभरी हJई िदखाई पड़ती ह

(ग) आकित का िनिWत आकार-व=प होन क कारण वह अिधक भावपण1 तथा मरणीय होता ह परत

पnभिम चिक अपD एव अिनिWत आकार का होता ह अतः वह भावहीन होता ह तथा उसका िवमरण

भी ज-दी होता ह

(घ) आकित का थान करीब-करीब िनिWत तथा सीिमत होता ह परत पnभिम पीछ क ओर अनत फला होता

(ङ) गयामक =प स भी आकित तथा पnभिम मgt अतर होता ह इसका मतलब यह हJआ िक एक परिथित मgt

जो वत आकित क =प मgt िदखलाई दती ह थोड़ समय क बाद वही वत िफर पnभिम क =प मgt िदखलाई

दती ह और पहल जो पnभिम क =प मgt िदखलाई द रही थी वह अब आकित क =प मgt िदखलाई दती ह

पलटावी य6ण (reversible perception) -

ऐसी वतए िजनमgt गयामक =प स आकित एव पnभिम मgt अतर होता ह अथा1त एक परिथित मgt जो वत

आकित क =प मgt िदखलाई दती ह कछ Mण उपरात पnभिम मgt चली जाती ह एव पव1 पnभिम अब आकित

क =प मgt िदखलाई दती ह इस तरह क समत वतए पलटावी कहलाती ह एव इन वतओ का यMण

पलटावी यMण कहलाता ह

पलटावी यMण क lsquoपरतिF घटनाrsquo (satiation phenomenon) ारा RयाZया- कोहलर एव

वालाक न परतिF घटना ारा पलटावी यMण क RयाZया क ह पलटावी यMण क अEययन क दौरान इन

वािनक न पाया िक जब Rयि िचN मgt काल िहस (यािन आमन-सामन दो Rयिय क आकितय पर) कम

स कम 35 सकhड तक दखता रहता ह तो इसस सबिधत मित^क MN पण1तः सतF एव परतF हो जाता ह

परणामव=प वतः िचN का उजला पM अथा1त फलदान क आकित Rयि Rयि को िदखलाई पड़न लगती

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 86

ह और िफर इसस सबिधत मित^क का िहसा उिजत होता ह तथा िफर धीर-धीर परतिF क ओर अ2सर होन

लगता ह परतिF होत ही पनः वतः काली आकित Rयि क सLमख आ जाती ह इस आकित अनभाव

(Figural effect) भी कहा जाता ह इस तरह क यMण का व=प मौिलक एव जमजात होता ह

गटा-टवािदय क अनसार पलटावी आकित क यMण स यMण क बहJिथरता नामक िवशष पहल का भी

पता चलता ह बहJिथरता स तापय1 इस बात स होता ह िक एक ही उीपक को यिद अलग-अलग ढग स

Rयविथत िकया जाय तो इसस अलग-अलग तरह क आकित का यMण होता ह इस तरह का यMण िसफ1

िवजअल एरया मgt ही नहU बि-क ऑिडटरी एरया आिद मgt भी होता ह

97 साराश

यMण एक जिटल मानिसक ि या ह िजसक ारा Rयि अपनी िविभन ानि_य ारा वातावरण मgt

उपिथत वतओ Rयिय या घटनाओ का ान ाF करता ह यह ान ताकािलक होता ह यMण को

यMण या यMण नाम स भी जाना जाता ह

यMण का गटा-टवादी िसPात CिD MN क शिय क आधार पर आकार और पnभिम क पर(य

मgt यMण क RयाZया करता ह जबिक Rयवहारवादी िसPात यMण को सीखा हJआ Rयवहार मानत ह और

इसक RयाZया आदत िनमा1ण अवरोध आिद क आधार पर करत ह

98 शदावली

bull य6ण यMण एक जिटल मानिसक ि या ह िजसक ारा Rयि अपनी िविभन ानि_य ारा

वातावरण मgt उपिथत वतओ अथवा घटनाओ का ान ाF करता ह

99 वमयाकन हत

1 जब सवदना मgt अथ1 जड़ जाता ह तो उस कहत ह

2 यMण का िसPात इस एक सीखा हJआ Rयवहार मानता ह

उीपक सवदी 2ाहक

क_ीय तिNका तN

कािट1कल मित^क

क_

अनि या

मनोवािनक शोर

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 87

3 CिD MN क शिय क आधार पर यMण क RयाZया िसPात करता ह उ-र 1) यMण 2) Rयवहारवादी 3) गटा-टवादी

910 सदभ0 1थ सची

bull उ`चतर ायोिगक मनोिवान - डा अ=ण कमार िसह - मोतीलाल ndash बनारसीदास

bull सामाय मनोिवान - िसहा एव िमtा - भारतीय भवन

bull आधिनक सामाय मनोिवान - सलमान एव खान - शYला बक िडपो पटना

bull एYसपरमटल साइकोलॉजी - कॉिलस एव क

bull एYसपरमटल साइकोलॉजी ndash ऑसगड

911 िनबधामक

1 यMण स आप Yया समझत ह

2 यMण क गटा-टवादी CिDकोण क RयाZया करgt

3 यMण क िसPात क चचा1 कर

4 यMण को भािवत करन वाल वयिक एव सामािजक कारक क िववचना करgt

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 88

इकाई-10 गहराई का यण पटन यिभान यणामक ि)थरता- चमक13लापन

आकार एव प (Depth Perception Pattern Recognition and Perceptual

Constancy- Brightness Size and Shape)

इकाई सरचना

101 तावना

102 उय

103 गहराई का यMण

104 पटन1 यिभान

105 यMणामक िथरता

106 साराश

107 श)दावली

108 वम-याकन हत

109 सदभ1 2थ सची

1010 िनबधामक

101 तावना

अभी तक आपन यMण क व=प यMण क िविभन िसात एव यMण को भािवत करन वाल

िविभन कारक क बार मgt जानकारी ाF क ह इस जानकारी क काश मgt िवािथ1य क मन मgt वतओ क

गहराई क यMण स सबिधत कई कार क िजासायgt उपन होती ह इसक अलावा आस पास क वातावरण

मgt उपिथत िविभन उीपक कई बार िवशष कार क उीपक पटन1 िविनिम1त करत ह िजनका अथ1 Rयि को

वातावरण क साथ साथ1क एव सही अतःि या करन क िलए समझना ज=री होता ह अतः ऐस भी िवाथv

क िजासा का अग होत ह इसी क साथ िवाथv क मन मgt िविभन वतओ का चमकलापन उनका आकार

एव =प स सबिधत िजासाओ का उतपन होना एक वाभािवक घटना ह जो सभी िवािथ1य क साथ िदन

ितिदन क जीवन मgt सहज ही घटती रहती ह इस इकाई क अतग1त आपक इहU िजासाओ स सबिधत

क उर क बार मgt Rयापक जानकारी दी जा रही ह

102 उय

इस इकाई को पढ़न क बाद आप-

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 89

1 गहराई यMण को समझ सकgt ग एव उसका Rयापक वण1न कर सकgt ग

2 वतओ क पटन1 यिभान को समझ सकgt ग

3 यMणामक िथरता क Rयावहारक जानकारी ाF कर सकgt ग

4 वतओ क चमकलापन स सबिधत यMण क िजासाओ का समाधान ाF कर सकgt ग

5 वतओ क आकार एव =प मgt यMणामक िथरता को समझ सकgt ग

6 गहराई यMण पटन1 यिभान एव यMणामक िथरता स सबिधत क उर सहजता पव1क

समझ एव िलख सकgt ग

103 गहराई का य6ण

अपन जीवन मgt हम िदन ितिदन बहJत सी वतओ का यMण करत रहत ह िजन वतओ का हम यMण

करत ह व मलतः िNिवमीय हो सकती ह िNिवमीय स तापय1 िकसी भी वत मgt लLबाई चौड़ाई एव ऊचाई स

होता ह सामाय =प मgt यMण क जान वाली वतए िकसी भी िथित मgt हो सकती ह जस िक वत Rयि स

अिधक ऊचाई अथवा िनचल थान पर अविथत हो सकती ह वत Rयि क बॉयी ओर अथवा दायU िथत हो

सकती ह पास या नजदीक हो सकती ह वत Rयि क चाह पास हो अथवा दर बायU ओर हो या दायU ओर

ऊपर हो या नीच जब उसका ितिबLब अिMपटल या CिDपटल िजस अ2जी मgt रटीना कहत ह पर पड़ता ह तो

उसमgt कवल लLबाई एव चौड़ाई होती ह दसर श)द मgt रटीना पर जो ितिबLब बनता ह उसमgt माN दो ही िवमा

होती ह एक िवमा लLबाई एव दसरी िवमा चौड़ाइ1 होती ह तीसरी िवमा यानी मोटाई नहU होती ह इस मोटाई का

मापन वत क ऊचाई स िकया जाता ह अतः रटीना पर बन ितिबLब िकसी कागज क टकड़ पर बन िचN क

िबलकल सम=प होत ह िजसमgt कवल लLबाई तथा चौड़ाई होती ह इस CिD स यिद दखgt तो कवल लLबाई एव

चौड़ाई क ितिबLब क वजह स Rयि को िसफ1 वत क लLबाई एव चौड़ाई का ही ान होना चािहए था

परत ऐसा Rयवहार मgt नहU पाया जाता ह हमgt वतओ क मोटाई सघनता दरी एव गहराई का भी ान होता ह

अब यह िजासा उपन होती ह िक रटीना पर बनन वाल ििवमीय ितिबLब स हमgt िNिवमीय

यMण कस होता ह इस िजासा क समाधान हत वािनक न बहJत स शोध एव अनसधान िकए इन

अनसधान क काश मgt यह पD हJआ िक हमgt वतओ क मोटाई अथवा गहराई का यMण कछ खास-खास

सकत क आधार पर होता ह य सकत दो कार क होत ह 1 एक-अMीय सकत (monocular cures) 2 ि-

अMीय सकत (binocular cues)

1 एक-अMीय सकत (monocular cures) - एक-अMीय सकत उन सकत को कहा जाता ह िजहgt

कवल एक ही नN ारा 2हण िकया जा सकता ह इसका अथ1 यह हJआ िक अगर कोई Rयि िकसी बीमारी या

दघ1टना आिद क कारण अपनी एक ऑख खो दता ह तो उस अवथा मgt भी उस बची हJए एक ऑख ारा इन

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 90

सकत क 2हण ारा वतओ क मोटाई अथवा गहराई का ान हो सकता ह एक-अMीय सकत को िचNीय

सकत (Pictorial cues) भी कहा जाता ह एक-अMीय सकत को 2हण करन क कला Rयि अपन अनभव

ारा सीखता ह यही कारण ह िक इस Rयि क जमजात िवशषता नहU माना जाता ह एक-अMीय सकत दो

कार क होत ह 1 गितरिहत एक-अMीय सकत 2 गितय एक-अMीय सकत

(i) गितरिहत एक-अMीय सकत -इस सकत का वण1न िनLन िबदओ को आधार पर िकया जाता ह-

क) अतःिथित (interposition)

ख) अिMपटलीय ितिबLब का आकार (size of retinal image)

ग) रखीय सदश1 (linear perspctive)

घ) गठन वणता (texture gradient)

च) छाया सकत (shadow cue)

छ) वायवीय सदश1 (aerial perspective)

ज) सापM चमकलापन (relative brightness)

झ) ऊचाई सकत (height cue)

क) अतःिथित (interposition) - जब वतए एक सीध मgt तथा साथ ही साथ अपारदशv होती ह तो

सLमख वत पीछ क वत क कछ िहस या भाग को ायः िछपा लती ह इस ही अतः िथित अथवा

अतःMप कहा जाता ह जब ऊपर क वत अपन नीच क वत को अशतः िछपा लती ह तो Rयि को नीच

क वत अिधक गहराई पर मालम पड़ती ह तथा ऊपर ही वत िजसका परा भाग वह दख रहा ह काफ नजदीक

मालम पड़ता ह

िवशष बात यह ह िक अतःिथित सकत अथवा अतःMप सकत ारा वतओ क गहराई का ान तभी

हो सकता ह जब वतए करीब करीब एक सीध मgt हो तथा उन सभी वतओ मgt एक दसर को ढकन क Mमता

हो अथा1त व सभी अपारदशv ह इन दशाओ क अभाव मgt अतःिथित सकत ारा वतओ क गहराई का

यMण नहU होगा ख) अि6पटलीय ितिबब का आकार (size of retinal image) - जब कोई वत Rयि क नजदीक

होती ह तो अिMपटल पर बनन वाल इसक ितिबLब का आकार बड़ा होता ह फलव=प वत का आकार भी

बड़ा िदखाई दता ह उदाहरणतः यिद हम गस क उड़ रह ग)बार को ही लgt तो हम पात ह िक जस-जस गस का

ग)बारा हमार नजदीक आता ह वस वस उसका अिMपटलीय ितिबLब बड़ा होता जाता ह फलव=प गस का

ग)बारा आकार मgt पहल क अपMा बड़ा िदखलाई पड़न लगता ह ठीक उसक िवपरीत जस-जस गस का

ग)बारा हमस दर होता जाता ह उसका अिMपटलीय ितिबLब छोटा होता जाता ह फलव=प उस ग)बार का

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 91

आकार भी छोटा िदखलाई पड़न लगता ह और अयिधक दर चल जान पर माN एक ध)ब क समान िदखलाई

दता ह और अत मgt वह हमारी नजर स ओझल हो जाता ह

इट-सन एव िकलपिक का योग - इट-सन एव िकलपिक ारा सन 1950 मgt एक योग िकया गया

इस योग मgt उहन दो ग)बार का उपयोग िकया उहन एक अधर कमर मgt समान दरी पर हवा स भर दो

ग)बार को लटका िदया

ग) रखीय सदश0 (linear perspctive) - रखीय सदश1 स तापय1 उस घटना स होता ह जहॉ समानातर रखाए

जस-जस Rयि क नजर स दर होती जाती ह वस-वस व आपस मgt एक दसर स सटती नजर आती ह इसी

कार दर िMितज क ओर जाती हJई दो समानातर रखाए िMितज क सीमा पर आपस मgt िमलती हJई तीत होती

ह अथा1त दोन रखाए अत मgt एक दसर क अिभमख हो जाती ह इसस Rयि को दरी एव गहराई का यMण

होता ह तथा इस सकत को रखीय सदश1 कहा जाता ह अपन दिनक जीवन मgt इसका उदाहरण हमgt रल क

पटरय को दखन स िमलता ह अगर हम रल क पटरय क बीच खड़ा होकर दखgt तो हम पाएग िक जस-जस

पटरयॉ आग बढ़ती जाती ह वस-वस एक दसर क नजदीक आती हJई मालम पड़ती ह अिधकतम दरी पर यािन

िक िMितज पर ऐसा महसस होता ह िक य दोन पटरयॉ िबलकल ही एक दसर स सट गयU

घ) गठन वणता (texture gradient) - गठन वणता का सकत एक ऐसा सकत ह िजसमgt रखीय सदश1 एव

आकार दोन तरह क सकत सिLमिलत होत ह गठन स तापय1 वत एव उसक आकार मgt िमक परवत1न स

होता ह मनोवािनक िग)सन ारा सन 1950 मgt गठन वणता पर िकए गए एक योग ारा यह िदखलाया गया

ह िक जब िकसी वत क गठन मgt सिLमिलत तव का आकार छोटा होता ह एव व काफ सघन होत ह तो इसस

Rयि को दरी एव गहराई का यMण होता ह परत जब गठन मgt सिLमिलत सभी तव का आकार एक समान

होता ह तथा व सघन नहU होकर फल होत ह तो इसस वत क तव मgt आपस मgt Rयि को दरी अथवा गहराई

का कोई यMण Rयि को नहU होता ह

च) छाया सकत (shadow cue) - छाया को एक मख एक-अMीय सकत माना गया ह िजसक आधार पर

हमgt गहराई तथा दरी का यMण होता ह छाया सकत क मख पव1क-पना यह होती ह िक रोशनी वत क

ऊपर स आ रही ह इस पव1क-पना को Eयान मgt रखत हJए कहा जा सकता ह िक जब एक वत क छाया दसर

वत पर पड़ती ह तो दखन वाल Rयि को दसर वत क दरी एव गहराई क अपMा अिधक मालम पड़ती ह

वातिवकता यह ह िक छाया सकत ारा वतओ क चमक मgt थोड़ा अतर आ जाता ह िजसस दरी एव गहराई

का यMण होता ह

छ) वायवीय सदश0 (aerial perspective) - वायवीय सदश1 का सबध रोशनी स ह वाय मgt जस-जस रोशनी

आग क ओर बढ़ती ह वस-वस वाय मgt उपिथत धिलकण तथा नमी क कारण रोशनी मgt अिधक धधलापन तथा

फलाव बढ़ जाता ह इसका परणाम यह होता ह िक वातावरण मgt उपिथत दर क पहािड़यॉ घर पड़ आिद

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 92

काफ धधल अपD तथा साथ-ही-साथ बगनी रग जस िदखलाई दन लगत ह इस ही वायवीय सदश1 का सकत

कहा जाता ह वातावरण मgt जो वतए यािन पहािड़यॉ घर पड़-पौध Rयि स नजदीक होत ह व न तो धधल

अपD और न ही बगनी रग सCश िदखलाई दत ह अतः वत क अपDता धधलापन आिद जो वायवीय

परCय क सकत मgt सिLमिलत होता ह ारा भी हमgt दरी एव गहराई का यMण होता ह

ज) साप6 चमकलापन (relative brightness) - अधर मgt रखी हJई कई वतओ को िजनक चमकलपन

का तर असमान होता ह जब हम दखत ह तब हमgt अिधक चमकली वत नजदीक तथा कम चमकली वत

अिधक दरी पर एव गहराई पर िथत िदखलाई दती ह

झ) ऊचाई सकत (height cue) - इस सकत क अनसार जो वत िMितज क नजदीक होती ह उस Rयि

तलनामक =प स अिधक दरी पर होन का यMण करता ह जस

(ii) कछ एक-अMीय सकत ऐस ह िजनमgt गित सिLमिलत होती ह ऐस मख एक-अMीय सकत िनLनािकत दो

कार क ह- 1 गितबोधक गहराई सकत (kinetic depth cue) 2 गित सकत (motion cue)

क) गितबोधक गहराई सकत (kinetic depth cue) - इस सकत का सबध वतओ या उीपक क गित स

ह न िक यMणकता1 क गित स ह कोई वत िथरावथा मgt होन पर चपटी िदखती ह परत जब उसमgt गित

उपन हो जाती ह या वह घमन लगती ह तो उसमgt गहराई एव दरी का यMण होन लगता ह इस तyय क पिD

कई अEययन मgt क गई िजसमgt एक महवपण1 अEययन वालक एव ओकोनल ारा सन 1953 मgt िकया गया

इस अEययन मgt ितभािगय को कछ ठोस )लाक तार स बनी कछ आकितयॉ एव सीधी छड़ी आिद िदखलाई

गयU अपनी िथरावथा मgt य सभी वतए ितभािगय को सपाट एव िचपटी तीत हJई परत जब उहgt तजी स

घमत हJयी िथित मgt िदखलाया गया तो व िNिवमीय तीत हJई ख) गित सकत (motion cue) - वतओ मgt गित का यMण होन क कारण भी हमgt दरी तथा गहराई का

ान होता ह इस सकत को गित लLबन (movement parallax) भी कहा जाता ह इसका सबस अ`छा

उदाहरण चलती रलगाड़ी मgt िखड़क या दरवाज स बाहर दखन पर िमलता ह चलती रलगाड़ी स बाहर दखन पर

लगता ह िक नजदीक क पड़-पौध मकान Rयि आिद िवपरीत िदशा मgt भागत जा रह ह तथा दर क पड़-पौध

मकान पहाड़ आिद उसी िदशा मgt िजसमgt िक रलगाड़ी चल रही ह भागत तीत होत ह हालािक स`चाई यह

होती ह िक न तो नजदीक क पड़-पौध मकान पहाड़ आिद भाग रह ह या चल रह ह और न तो दर क ही परत

जब Rयि को ऐसा तीत होता ह तो इसस उस वतओ क दरी तथा नजदीक का पD यMण होता ह

उपरो विण1त तyय क आधार पर यह कहा जा सकता ह िक इन एक-अMीय सकतो ारा हमgt दरी एव

गहराई क यMण मgt काफ मदद िमलती ह सभी एक-अMीय सकत क एक सामाय िवशषता या गण यह ह

िक Rयि इस अपन अनभव ारा सीखता ह न िक जम स ही इन सकत का उपयोग करन क Mमता उसमgt

मौजद रहती ह

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 93

104 पटन0 यिभान

पटन1 यिभान रोजमरा1 क एक बहJत ही महवपण1 घटना ह िजसक सहार हम अपन आस-पास क घटनाओ

का अथ1 समझत ह Rयि को साथ1क ढग स वातावरण क साथ अतःि या करन क िलए यह आवयक ह िक

वह उस वातावरण क िविभन उीपक पटन1 क पहचान कर मटिलन नामक मनोवािनक न सन 1983 मgt

अपनी पतक lsquoपरसcसनrsquo मgt इस परभािषत करत हJए कहा ह िक lsquolsquo पटन1 यिभान स तापय1 सवदी उीपक

ारा क जा रही जिटल Rयवथाओ क पहचान कर लन स होता ह rdquo (Pattern recognition referes to

the identification of complex management of sensory stimuli) इस उदाहरण ारा इस कार

समझा जा सकता ह Rयि lsquoिकताबrsquo श)द क यक अMर को दख रहा ह और उसक पहचान कर लता ह

Rयि मदान मgt एक गाय दखता ह और समझ जाता ह िक यह मर पड़ोसी क गाय ह इन सभी उदाहरण मgt

Rयि उीपक क ारा अिभRय एव दिश1त िकय जा रह एक िवशष पटन1 को दखता ह एव उस पटन1 को

समझ कर उस उीपक क सही पहचान कर लता ह उपरो उदाहरण मgt िकताब एव गाय उीपक क =प मgt

िलए गए ह

पटन1 यिभान क RयाZया करन क िलए दो तरह क ि याओ (ोसस) स सबिधत मॉडल का

वण1न िमलता ह 1 बॉटम-अप ोसिसग (bottom up processing) 2 टॉप-डाउन ोसिसग (top-down

processing)

बॉटम-अप ोसिसग मgt उीपक क Rय िवशषताओ एव उनस सबिधत महवपण1 तyय स श=आत

करक िन^कष1 ािF क ऊच तर पर पहJचा जाता ह अथा1त िन^कष1 हत आधार बनन वाली जानकारय का

ससाधन िकया जाता ह अथा1त इस ससाधन मgt हम नीच स श=आत कर ऊपर तक पहJचत ह इस तर पर

उदीपक क अथ1 एव सदभ1 को समझा जाता ह टॉप-डाउन ोसिसग मgt पटन1 मgt पहचान मgt Rयि मgt पव1 अनभित

एव सदभ1 स िवशष याशा उपन होती ह और उसी क आलोक मgt उीपक क RयाZया क जाती ह

बॉटम-अप ोसिसग मॉडल क तहत दो तरह क िसPात को वण1न िकया गया ह जो इस कार ह-

(अ) िविशD =परखा िसPात (distinctive features theory)

(ब) मलित िमलान िसPात (prototype-matching theory)

(अ) िविश` Qपरखा िस=ात - इस िसPात का ितपादन सन 1975 मgt मनोवािनक िग)सन ारा िकया

गया व िसP कानiन यनीविस1टी स सबध रखत थ उहन इस िसPात का ितपादन लोग अMर क पहचान

िकस तरह स करत ह इसक RयाZया हत िकया था इनक अनसार Rयि अMर क पहचान उनक िविशD

िवशषता या =परखा क आधार पर करता ह यक अMर क एक िविशD =परखा एव िवशषता होती ह िजसक

आधार पर उसक पहचान सभव होती ह उदाहरण क िलए अ2जी क अMर A एव H को ही लgt अMर A मgt

तीन रखाए ह एव अMर H मgt भी तीन रखाए ह परत दोन क ही =परखा अलग-अलग ह अMर A मgt दो बड़ी

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 94

रखाए एक िबद पर आपस मgt िमलती ह एव इन दोन बड़ी रखाओ को एक छोटी रखा बीच स जोड़ती ह इस

अMर मgt दोन बड़ी रखाओ का िमलन िबद ही इनक िविशD िवशषता या =परखा ह वहU अMर H मgt दोन

बड़ी रखाए एक दसर क समानातर ह एव य यM मgt कहU नहU िमलतU हालॉिक य बड़ रखाए भी एक छोटी

रखा ारा एक दसर स जड़ी हJई ह इस कार हम दखत ह िक इन दोन ही अMर मgt कछ िविशD िवशषताए

िवमान ह िजनक ारा इनका एक िवशष पटन1 बनता ह िजसक ारा इनक पहचान व RयाZया सभव होती ह

अMर का कछ समह तो ऐसा होता ह िजनक िविशD िवशषता या =परखा एक दसर स पण1तः िभन होती ह

जस O W R G L S D आिद िग)सन स सभी अ2जी अMर क िविशD =परखाओ का एक चाट1 बनाया

ह इहन कई तरह क िवशषताओ का वण1न िकया ह िजसमgt तीन िवशषताए सबस lयादा महवपण1 ह 1

सीधा (ट) 2 मड़ा हJआ (कRड1) 3 ित`छदन (इटरसYशन)

एक सहज ही उठता ह िक जब Rयि िकसी अMर क पहचान कर रहा होता ह तो वह िकन

िवशषताओ पर सवा1िधक िनभ1र करता ह इस का उर िग)सन सािपरो एव योनास न सन 1968 मgt िकए

गए एक योग ारा िदया ह इस योग क अतग1त ितभािगय को अMर का एक-एक जोड़ा बारी-बारी स

िदखलाया गया उहgt िनदiश िदया गया िक जब उहgt दोन अMर एक समान लग तो व िवशष बटन को दबाकर

अपनी अनि या करgtग और जब उहgt महसस हो िक अMर क जोड़ मgt दोन अMर एक दसर स िभन ह तो व

दसरा बटन दबाकर अनि या करgtग इस तरह स योगकताओ ारा यक यास मgt अनि या करन मgt लगा

समय क आधार पर समानता क माप क गयी अगर अनि या करन मgt समय कम लगता था जसा िक O एव

W क जोड़ मgt होता था तो यह समझा जाता था िक दोन अMर एक दसर स काफ िभन ह अगर अतिन1िहत

समय लLबा होता था जसा िक P और R क जोड़ मgt होता था तो यह समझा जाता था िक अMर एक-दसर क

काफ समान ह इस योग क परणाम मgt यह भी पता चला िक ितभागी सबस पहल उन अMर क बीच अतर

करत ह िजनक =परखा मgt सीधी रखाओ का इतमाल िकया गया होता ह जस M W N आिद और उसक

बाद उन अMर मgt िवभद करत ह िजनक =परखा मgt घमाव अथवा मोड़ यािन कव1 lयादा होत ह जस P एव R

इसक उपरात तीसर तर पर व उन अMर मgt अतर करत ह िजनक =परखा मgt गोलाई जस तव होत ह जस C

G

इस िसPात मgt RयाF बहJत सी अ`छाइय क बावजद कछ मनोवािनक न इसक किमय क ओर

Eयान आकिष1त िकया ह इनमgt नॉस एव िशलमन का नामक मख ह इन मनोवािनक न 1976 मgt एक

सययामक किठनाई क ओर मनोवािनक का Eयान आकD कराया ह इहन यह बतलाया ह िक ायः

अMर क िविशD िवशषताओ एव =परखाओ क बीच अतर करना सभव नहU हो पाता ह उदाहरणव=प

यिद Rयि का िबदओ स िनिम1त िNभज िजसमgt िक यक दो िबदओ क बीच कछ दरी हो एव रखाओ स बना

िNभज क बीच अतर करन क िलए कहा जाय तो उस कठ किठनाई होगी तीन िबदओ क घर को भी Rयि

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 95

एक िNभज ही समझता ह हालािक एक िNभज क दो िविशD िवशषताओ क इसमgt कमी ह - तीन सीधी रखा

एव तीन कोण पD हJआ िक कभी-कभी उीपक क िविशD िवशषताओ मgt अतर होन क बावजद भी Rयि

उहgt एक समान होन का यMण करता ह और इस तyय क RयाZया इस िसPात ारा नहU हो पाती ह ऐसी

दशा मgt एक अय िसPात ारा इसक RयाZया क जाती ह इसका वण1न नीच क पिय मgt िकया गया ह

(ब) मलित िमलान िस=ात - इस िसPात क अनसार Rयि अपनी मित मgt उीपक का एक अमत1 एव

आदश1 पटन1 सिचत करक रखता ह जब Rयि कोई िवशष वत को दखता ह तो वह उसक तलना मन मgt

सिचत मलित या आदश1 आकित स करता ह अगर वह उसस समिलत होता ह तो Rयि उस पटन1 क

पहचान कर लता ह अगर वह समिलत नहU होता ह तो Rयि उस अय ोटोटाइप स एक-एक करक तब तक

िमलात जाता ह जब तक िक सही समल न ाF हो जाय इस िसPात क मायता यह ह िक मन मgt सिचत

मलित-ोटोटाइप क िनLनािकत तीन िवशषताए होती ह-

1 ोटोटाइप अमत1 होता ह

2 ोटोटाइप आदश1व=प होत ह

3 ोटोटाइप का आकार दढ़ =प स िविशD नहU होता ह

ोटोटाइप-िमलान िसPात िविशD =परखा िसPात स िकस तरह िभन ह इन दोन िसPात मgt सबस मख

अतर यह ह िक ोटोटाइप िसPात मgt उीपक क सLपण1 आकार क महव पर बल डाला जाता ह जबिक

िविशD =परखा िसPात यह बतलाता ह िक उीपक क िविशD महवपण1 भाग क पहचान करन क बाद ही

पटन1 यिभान होता ह इस तरह स िविशD =परखा िसPात क अनसार मित मgt सिचत पटन1 दढ़ =प स

आकार मgt िविशD होता ह जबिक मलित िमलान िसPात क अनसार ऐस सिचत पटन1 मgt लचीलापन का गण

होता ह इस लचीलपन क िवचार को एक उदाहरण ारा इस कार समझाया जा सकता ह Rयि वस अMर को

भी अपन वातिवक व=प मgt पहचान लता ह िजसक आकित िवकत होती ह िचN मgt अMर को हम W

(डब-य) क =प मgt आसानी स पहचान कर लत ह हालॉिक उनक वातिवक आकित िवकत ह ऐसा इसिलए

सभव हो पाता ह िक अMर W क एक मलित (ोटोटाइप) Rयि क मन मgt होता ह

टॉप-डाउन ोसिसग (top-down processing) मॉडल - इस मॉडल क क ारा पटन1 पहचान क

RयाZया मgt वत क सदभ1 पर िवशष बल डाला जाता ह इसमgt उीपक क RयाZया Rयि क पव1 ान एव

उदीपक क सदभ1 सबध मgt क जाती ह पटन1 पहचान पर सदभ1 क पड़न वाल भाव को िनLन िचN मgt िदखलाया

गया ह

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 96

इस िचN मgt अMर lsquoबीrsquo तथा अक तरह एक ही समान िलखgt गए ह परत जब उस अMर क समह क

सदभ1 मgt उपिथत िकया गया तो उस अMर बी क =प मgt पढ़ा जाता ह परत जब उस अक क समह क सदभ1 म

उपिथत िकया जाता ह तो उस अक तरह क =प मgt पढ़ा जाता ह

105 य6णामक िथरता

हम सभी को अपन िदन ितिदन क जीवन मgt यMण स सबिधत एक िवशष अनभव अवय ही होता ह

िजसक RयाZया यMणामक िथरता क =प मgt क जाती ह यMण का एक िवशष गण यह ह िक इसक

ारा हमgt वातावरण मgt उपिथत वतओ का ान उनक भौितक परिथितय मgt परवत1न क बावजद भी समान

=प स होता ह दसर श)द मgt कहा जा सकता ह िक वतओ या उीपक क भौितक परिथितय मgt यिप

परवत1न हो जाता ह तथािप उसक यMण मgt कोई परवत1न न होकर िथरता बनी रहती ह इस ही

यMणामक िथरता कहा जाता ह

परभाषा

lsquolsquoअलग-अलग परिथितय मgt उीपक वतओ को करीब-करीब सम=प ढग स यMण करन क वि को

यMणामक िथरता कहा जाता हrsquorsquo

Perceptual constancy is the tendency of a stimulus situation to be perceived in

approximately the same way under varying circumstances (Sartain North Strange amp

Chapman Psychology 1973 p222)

यMणामक िथरता का उदाहरण - सगिधत कपर क टकड़ का कमर क अदर रखन पर तथा दोपहर

मgt सय1 क रोशनी मgt रखन पर Rयि उस कपर क टकड़ क =प मgt ही यिMत करगा हालॉिक सय1 क रोशनी मgt

कपर क चमकलपन का तर कमर मgt उपन चमकलपन क तर क अपMा अिधक होता ह ठीक इसी कार

स िकसी बालक वयक अथवा eी को हम पॉच फट क दरी स दखgt या 10 फट क दरी स दखgt उस वही

Rयि क =प मgt हम दखत ह हालॉिक पॉच फट क दरी स दखन पर जो अिMपटलीय ितिबLब (रटीनल इमज)

A I3 C D E

I0 II I2 I3 I4

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 97

बनती ह 10 फट क दरी स दखनपर बन अिMपटलीय ितिबLब क अपMा बड़ा ही होता ह इस तरह स हम

माण िमलत ह िक भौितक वातावरण मgt परिथितय मgt परवत1न होन क बावजद भी हम वतओ या उीपक

को यMण पहल क तरह ही करत ह

अब उठता ह िक यMणामक िथरता क इस घटना क RयाZया िकस कार स क जाती ह

मनोवािनक न इसक RयाZया मgt दो मZय कारण पर काश डाला ह

थम कारण - िजस उीपक वत का यMण िकया जाता ह उसक अपनी पnभिम क साथ एक

िनिWत एव िथर सबध होता ह इस सLबध क कारण भौितक वातावरणीय परिथित मgt बदलाव होन क

बावजद भी Rयि िकसी वत को पहल क समान ही यिMत करता ह उदाहरणाथ1 - अगर एक नील पन को

सफद कागज क टकड़ पर रखकर दिश1त िकया जाय और िफर पील कागज क टकड़ पर उसी पन को रखकर

दिश1त िकया जाय तो हम दोन ही परिथितय मgt नील पन को नीला ही दखत ह Yयिक पन जो िक इस

उदाहरण मgt उीपक क =प मgt ह इसका अपनी पnभिम अथा1त नीला रग क साथ एक अटल सLबध ह

ितीय कारण - मनोवािनक क अनसार मन य मgt वातावरण मgt उपिथत उीपक क कछ खास-खास

गण एव िवशषताओ को पहचान हत चन लन क वि होती ह इन खास गण एव िवशषताओ क सहायता

स हम उदीपक वत अथवा Rयि मgt थोड़ अश मgt हJय बदलाव व िवकित क बावजद पहल ही क तरह

यMण कर लत ह उदाहरण क िलए िसनमा मgt हम एक ही अिभनता अथवा अिभनNी को कई कार क चरN

का अिभनय करत हJए दखत ह इन चरN पाN मgt ढलन क िलए अिभनता Rयि को कई कार क वe एव

tगार करना पड़ता ह बावजद इसक हम उनक कछ मZय गण एव िवशषताओ जस िक बोलन का ढग चलन

का ढग सवाद अदायगी भाव भिगमा बनावट आिद को अपन मन मgt इस तरह स सजो कर रख रहत ह िक उहgt

पहचानन मgt अथा1त उनक सही यMण मgt कोई िवशष किठनाई नहU होती ह कभी कभी हम ठीक-ठीक

यMण कर पान मgt सफल नहU भी हो पात ह मनोवािनक क अनसार अगर उीपक क अवथाओ मgt बहJत

अिधक बदलाव क दशा मgt यMण मgt िथरता सभव नहU होती ह

यMणामक िथरता का अEययन दो कार स िकया जाता ह 1 वतओ स सबिधत यMणामक

िथरता 2 वतओ क गण स सबिधत यMणामक िथरता वतओ स सबिधत यMणामक िथरता मgt

वत क आकार तथा =प क यMणामक िथरता का अEययन िकया जाता ह वतओ क गण स सबिधत

यMणामक मgt वतओ क िवशषताओ जस िक वत का रग वत क चमक आिद क यMणामक

िथरता अEययन क िवषयवत होती ह कछ मख िथरताओ का वण1न िनLनािकत ह

आकार िथरता (size constancy) - जब हम िकसी वत को दखत ह तो उस वत का ितिबLब

हमार अिMपटल (रटीना) पर बनता ह इस ितिबLब को अिMपटलीय ितिबLब कहा जाता ह िजसका आकार

Rयि तथा दख जान वाली वत क दरी पर िनभ1र करता ह यिद यह दरी अिधक ह तो अिMपटलीय ितिबLब

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 98

क आकार मgt परवत1न होन स हमgt वत क आकर मgt भी उसी अनपात मgt बदलाव का यMण होना चािहए था

परत वततः स`चाइ य नहU ह हम अपन िमN को 10 फट क दरी स दखgt अथवा दो फट क दरी स दखgt

उसक ऊचाई चौड़ाई और कद को हम समान =प स दखत ह हालॉिक इन दोन दरय क कारण रटीना पर

बनन वाल ितिबLब क आकार मgt काफ परवत1न हो जाता ह रटीनल इमज क आकार मgt तथा दख जान वाली

वत क दरी क परणामव=प हJए बदलाव क बावजद भी वत क आकार क यMण मgt जो िथरता होती ह

उस यMणामक िथरता कहा जाता ह

आकार िथरता क सPाितक RयाZया - इसक RयाZया तीन कार स िमलती ह थम RयाZया क

अनसार आकार िथरता का कारण यह ह िक Rयि को दख जान वाली वत का वातिवक आकार उसक दरी

आिद पहल स उस ात होती ह फलतः वत या Rयि चाह दो फट क दरी पर हो या 10 फट क दरी पर हम

उसक आकार का यMण ठीक पहल क समान ही करत ह

ितीय RयाZया क अनसार आकार िथरता का कारण दखी जान वाली वत या Rयि क गठन तथा

उस वत क पnभिम दोन मgt एक साथ होन वाला परवत1न ह इसक परणामव=प वत तथा उसक पnभिम

क बीच का सबध पव1वत बना रहता ह जब वत Rयि स दरी पर होती ह तो उस वत तथा उसक पnभिम मgt

एक साथ ही परवत1न होता ह फलतः इन दोन क बीच का अनपात वही रह जाता ह उसी तरह जब वत Rयि

क नजदीक होती ह तो उस वत एव उसक पnभिम मgt एक ही साथ परवत1न होता ह और यहॉ भी अनपात वही

रहता ह अतः हमgt वत क आकार िथरता का यMण होता ह इस RयाZया मgt िग)सन ारा 1950 मgt िकय

गय काय1 का महवपण1 योगदान ह

तीसरी RयाZया रॉक एव इबनहो-टज ारा 1959 मgt ितपािदत क गयी ह इस RयाZया का आधार

दखी जान वाली वतओ का सापM आकार होता ह इस RयाZया क अनसार Rयि िकसी वत क आकार को

अय आस-पास क वतओ क आकार क सदभ1 मgt इस ढग स दखता ह िक उनका आपसी अनपात िथर रहता

ह इसक फलव=प आकार िथरता का अनभव Rयि को होता ह

=प िथरता (Shape constancy) - वत क =प क यMण मgt भी िथरता होती ह िभन-िभन

परिथितय मgt यिद एक ही वत को िभन-िभन कोण स हम दखत ह तो इसस उपन अिMपटलीय ितिबLब

मgt परवत1न आ जाता ह इसक बावजद भी Rयि उस वत को ठीक पहल क =प मgt ही दखता ह इस ही =प

िथरता कहा जाता ह उदाहरण क िलए हम कमर क दरवाज को चाह िकसी भी कोण स दखgt वह हमgt

आयताकार ही िदखाई दता ह

=प िथरता क सPाितक RयाZया - =प िथरता क RयाZया करन क िलए मनोवािनक न =प

ितरMपन अपरवय1 ाक-पना (shape-slant invariance hypothesis) का िनमा1ण िकया ह इस

ाYक-पना क अनसार यMणकता1 िकसी वत क अिMपटलीय =प तथा उसक ितरMपन स ाF सचनाओ

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 99

को सयोिजत करक उसका एक वतिनn =प का परकलन करता ह यही कारण ह िक िविभन ितरMपन क

परिथित मgt वत क होन क बावजद भी Rयि वत क वातिवक =प का यMण कर लता ह

दीिF या चमक िथरता (brightness constancy)- िजन वतओ को हम दखत ह उनक चमक क तर मgt

एक तरह क िथरता का यMण हम उन परिथितय मgt भी करत ह जब उन वतओ ारा परावित1त रोशनी क

माNा िभन-िभन होती ह इस ही चमक िथरता क सा दी गयी ह उदाहरण क िलए बफ1 क टकड़ को चाह

सEया समय दखgt अथवा दोपहर क रोशनी मgt वह समान ढग स उजला नजर आता ह दोपहर मgt बफ1 ारा

परावित1त रोशनी क माNा सEया क अपMा कहU अिधक होती ह

रग िथरता (Colour constancy) - एक ात रग क वत को यिद हम िभन रग क सदभ1 मgt रखकर

दखgt तो वत का रग वही दीख पड़ता ह जो पहल था उदाहरण क िलए एक हर अम=द को आप पील कागज

क टकड़ पर रखकर दखgt या सफद कागज क टकड़ पर रखकर दखgt वह हरा ही नजर आयगा हालॉिक दोनो

परिथितय मgt पnभिम का रग अलग-अलग ह

106 साराश

गहराई का यMण Rयि को कछ सकत क सहायता स होता ह य सकत दो कार क होत ह एक-अMीय

अथवा एकनNीय सकत एव िनNी सकत गहराई का यMण दोन ही सकत क आधार पर होता ह

वातिवकता यह ह िक हम इन दोन तरह क सकत का जब उपयोग करत ह तो गहराई का यMण परशP

हाता ह अगर हम िसफ1 एक ही कार क सकत का उपयोग करgt तो गहराई का यMण उतना सही नहU हो

पायगा यही कारण ह िक एक ऑख क Rयि मgt गहराई का यMण दो ऑख वाल Rयि क यMण स थोड़ा

अपD एव िनLन कोिट का होता ह

पटन1 यिभान रोजमरा1 क एक बहJत ही महवपण1 घटना ह िजसक सहार हम अपन आस-पास क

घटनाओ का अथ1 समझत ह Rयि को साथ1क ढग स वातावरण क साथ अतःि या करन क िलए यह

आवयक ह िक वह उस वातावरण क िविभन उीपक पटन1 क पहचान कर मटिलन नामक मनोवािनक न

सन 1983 मgt अपनी पतक lsquoपरसcसनrsquo मgt इस परभािषत करत हJए कहा ह िक lsquolsquo पटन1 यिभान स तापय1

सवदी उीपक ारा क जा रही जिटल Rयवथाओ क पहचान कर लन स होता ह (Pattern recognition

referes to the identification of complex management of sensory stimuli)

यखण का एक िवशष गण यह ह िक इसक ारा हमgt वतओ का ान उसक भौितक परिथितय मgt

परवत1न क बावजद भी समान =प स होता ह िभन िभन परिथितय मgt उीपक को करीब-करीब सम=प ढग

स यMण करन क इस वि को यMणामक िथरता क सा दी जाती ह िकसी Rयि को हम चार फट

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 100

क दरी स दखgt या 15 फट क दरी स दखgt उस हम समान दखत ह इस तरह क िथरता को यMणामक

िथरता क सा दी जाती ह यह कई कार क होती ह आकार िथरता =प िथरता एव चमक िथरता

107 शदावली

bull य6ण यMण एक जिटल मानिसक ि या ह िजसक ारा Rयि अपनी िविभन ानि_य ारा

वातावरण मgt उपिथत वतओ अथवा घटनाओ का ान ाF करता ह

bull पटन0 यिभान सवदी उीपक ारा क जा रही जिटल Rयवथाओ क पहचान कर लना होता ह

bull य6णामक िथरता अलग-अलग परिथितय मgt उीपक वतओ को करीब-करीब सम=प ढग स

यMण करन क वि

108 वमयाकन हत

1) एक कलम को Rयि दो मीटर क दरी स दख या पॉच मीटर क दरी स दख उसका यMण िबलकल ही

एक समान होता ह इसका कारण िनLनािकत मgt स Yया हो सकता ह

(क) यMणामक आमसामकर (perceptual assimilation)

(ख) यMणामक िथरता (perceptual constancy)

(ग) यMणामक िवरोध (perceptual contrast)

(घ) यMणामक आमसामकर (perceptual vigilance)

2) र थान क पित1 करgt-

i) यMणामक िथरता एक तरह का यMणामकह

ii) ऊचाई सकत एक तरह कासकत ह

उ-र 1 - ख 2 - i) िवकित ii) एकनNी

109 सदभ0 1थ सची

bull उ`चतर ायोिगक मनोिवान - डा अ=ण कमार िसह - मोतीलाल ndash बनारसीदा

bull सामाय मनोिवान - िसहा एव िमtा - भारतीय भवन

bull आधिनक सामाय मनोिवान - सलमान एव खान - शYला बक िडपो पटना

bull एYसपरमटल साइकोलॉजी - कॉिलस एव क

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 101

1010 िनबधामक

1 गहराई यMण क िसPात का सोदाहरण वण1न करgt

2 िविभन कार क यMणामक िथरता क सPाितक म का वण1न करgt

3 यMणामक िथरता स आप Yया समझत ह इसक िविभन कार का वण1न करgt

4 गहराई क यMण मgt एकनNी सकत तथा िनNी सकत क महव का वण1न करgt

5 पटन1 पहचान क RयाZया स सबिधत िसPात का िवशद वण1न करgt

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 102

इकाई-11 म एव उसक िस ात

(Illusion and its Theories)

इकाई सरचना

111 तावना

112 उय

113 म का व=प

114 म क कार

115 म क िसPात

116 साराश

117 श)दावली

118 वम-याकन हत

119 सदभ1 2थ सची

1110 िनबधामक

111 तावना

यMण क अEययन क दौरान िवािथ1य क जहन मgt एक सवाल हमशा कध उठता ह िक हमार िदन ितिदन

क जीवन मgt हमgt गलत यMण Yय कर होता ह अथा1त जो वत िजस =प मgt िवमान होती ह उस उसक उसी

यथाथ1 =प मgt न दख कर िकसी और =प मgt दखना तथा तदन=प िववचन करना इस कार क घटना को वतत

गलत यMण यािन क म क सा दी जाती ह उदाहरणाथ1 यिद रसी को कम रोशनी होन क वजह स आप

साप समझ बठत ह तो यह गलत यMण यािन िक म का उदाहरण होगा इस इकाई आप को म क सबध मgt

समत कार क जानकारी ाF होगी

112 उय

इस इकाई को पढ़न क बाद आप-

bull म क व=प को जान सकgt ग

bull म क कार का वण1न कर सकgt ग

bull म पर लख िलख सकgt ग

bull म क िसPात का वगvकरण कर सकgt ग

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 103

bull यMण एव म मgt अतर पD कर सकgt ग

113 aम का वQप

गलत यMण को म कहा जाता ह उदाहरणाथ1 यिद अधर मgt भस को आप गाय क =प मgt अथवा क को

बकरी क =प मgt यMण करत ह तो यह म का उदाहरण होगा कई बार शाम क समय जब िक सया1त हो रहा

हो गोधिल िक वला हो ऐस समय मgt वातावरण मgt एक कार का धधलका सा छाया रहता ह एव तकरीबन सभी

rवाल को अपन पशधन को पहचानन मgt अYसर गलती हो जाया करती ह यह कवल rवाल क साथ ही नहU

होता बि-क हम लोग अपन सबिधय इD िमN सहपािठय आिद को पहचानन मgt भी कई बार गलती कर बठत

ह एव उसक बाद वतिथित ात होन पर हम उनस यह कहत पाय जात ह िक हमgt म हो गया था उपरो

उदाहरण स म क कई िवशषताओ पर काश पड़ता ह य िवशषताए िनLन ह

म एक तरह का यMण न िक अयMण या धोखा ह यMण क tणी मgt आत हJए भी इस म

इसिलए कहा जाता ह Yयिक इसमgt जो यMण होता ह वह पव1 मgt हJए यMण स िभन होता ह जस - भस

को जब हम अधर मgt गाय यMण करत ह अथवा रसी को हम साप यिMत करत ह तो यह यMण पव1 मgt

हJए यMण यानी भस को भस क =प मgt व रसी को रसी क =प मgt िकए गए यMण स िभन होता ह

चिक म एक कार का यMण ही ह अतः म क उपि क िलए यह आवयक ह िक उीपक

उपिथत हो उपय1 उदाहरण मgt रसी एक उीपक ह िजसका यMण सॉप क =प मgt िकया गया ह यिद िकसी

Rयि को िबना उीपक क ही कछ यMण होता ह तो वह म नहU बि-क िवम कहलाता ह म एव

यMण मgt Yया समानता एव अतर ह एव म िकस कार िवम स िभन ह इसका वण1न िनLनािकत पिय

िकया गया ह

य6ण तथा aम म( बिनयादी समानता -

यMण एक सानामक मानिसक ि या ह िजसक ारा हमgt उपिथत Rयिय वतओ एव घटनाओ का

अथ1पण1 ान होता ह म भी एक कार का यMण ह िजसक ारा हमgt वतओ Rयिय एव घटनाओ का

अथ1पण1 ान होता ह अथा1त इस CिD स दोन मgt काफ समानता ह यह इसिलए ह Yयिक म यMण का ही

एक कार ह य दोन ही मानिकस ि याए ह िजनक सहार वातावरण मgt उपिथत वतओ एव Rयिय क बार

मgt ान ाF होता ह इन दोन क िलए उीपक का होना भी अिनवाय1 ह िबना उीपक क उपिथित क यMण

एव म दोन ही नहU हो सकत ह य दोन ही एक कार क चयनामक ि यायgt ह इन समानताओ क बावजद

दोन मgt अतर ह

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 104

य6ण एव aम म( बिनयादी अतर -

1) यMण मgt Rयि को उीपक का यथाथ1 एव सही ान होता ह परत म मgt उीपक का अयथाथ1 एव गलत

ान होता ह अधर मgt रसी को रसी क =प मgt दखना यMण कहलायगा परत रसी को सॉप क =प मgt

दखना म का उदाहरण होगा

2) यMण का व=प थायी होता ह परत म का व=प अथायी एव Mिणक होता ह जस-एक पgtिसल को

हम हमशा पgtिसल क =प मgt यMण करत ह परत थोड़ी सी रोशनी होत ही रसी को साप क =प मgt दखन

का म समाF हो जाता ह

3) अयास स यMण मgt थोड़ी पDता बढ़ जाती ह तथा म क माNा मgt कमी होन लगती ह जस यिद हम

िकसी सब क पड़ को बार-बार दखत ह तो उस पड़ क टहिनया फल प क बीच बन मकडी क जाल

आिद का भी यMण होन लगता ह दसरी तरफ अयास क भाव स म क माNा घटती ह Yयिक

अयास स यMण क पDता बढ़ जाती ह

4) सभी सामाय Rयिय मgt िकसी उीपक का यMण करीब-करीब एक समान होता ह परत एक ही

उीपक सभी Rयिय मgt समान म पदा करgt ऐसी ज=री नहU ह उदाहरणाथ1 एक भस को सभी सामाय

भस क =प मgt ही यिMत करgtग परत अधर मgt बठी हJई गाय को दखकर कोई भस कोई बल कोई कड़ का

ढर आिद क =प मgt उस यMण कर सकता ह

इस कार हम पात ह िक यMण एव म मgt बिनयािद समानताए होन क बावजद बहJत बड़ा अतर ह

aम तथा िवaम म( अतर -

म एक कार का गलत यMण ह चिक म एक कार का यMण ही ह अतः इसक िलए उीपक का होना अिनवाय1 ह परत कभी-कभी हमgt यMण िबना िकसी उीपक का ही होता ह इस तरह क यMण को िवम क सा दी जाती ह िवम एक कार का गलत सवदी यMण होता ह इस गलत इि_य यMण भी कहा जाता ह गलत इि_य यMण स तापय1 यह होता ह िक यिद हमारी चM-इि_य यािन िक हमारी ऑख िकसी उदीपक क हमार वातावरण मgt उपिथत नहU होन क बावजद भी उसका यMण करती ह अथवा हमार कान हमार वातावरण मgt न गजन वाली आवाज को भी सन रही ह िजसका िक अनभव अय Rयिय को अपनी इि_य क माEयम स न हो रहा हो ऐसी अनभव को गलत इि_य यMण कहा जाता ह इस सMप मgt िवम कहत ह उदाहरणव=प अधर कमर मgt यिद आपको िकसी क उपिथत न होन पर भी िकसी Rयि का यMण होता ह तो यह पD =प स नNइि_य क िवम का उदाहरण होगा वहU यिद िकसी वत जस आलमारी को दखकर उस अधर कमर मgt यMणकता1 को िकसी Rयि का यMण होता हो तो इस म का एक पD उदाहरण कहा जायगा इस तरह स हम दखत ह िक म तथा िवम दोन ही मgt Rयिय को गलत ान होता ह इस समानता क बावजद भी इन तीन मgt िनLनािकत अतर ह-

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 105

(i) म मgt उीपक उपिथत होता ह परत िवम मgt उीपक नहU होता ह जस अधर मgt भस को गाय क =प

मgt दखना एक म का उदाहरण ह परत अधर थान पर कछ नहU होन पर भी यिद कोई िकसी पश

अथवा Rयि को दखता ह तो यह िवम का उदाहरण ह

(ii) म अिधकतर बाT कारण स होता ह परत िवम अिधकतम आमिनn कारक जस - िचता भय

मानिसक रोग आिद कारक स होता ह

(iii) चिक म मgt उीपक मौजद रहता ह अतः इसका व=प करीब-करीब पD होता ह परत िवम मgt

उीपक नहU होता ह अतः इसका व=प अपD होता ह उदाहरणव=प अधर मgt रसी को दखकर

कोई Rयि सॉप या लLब आकार क ही कोई वत समझ सकता ह कोई eी या प=ष को नहU परत

यिद िवम हो रहा हो तो Rयि उस िवम मgt कछ भी दख सकता ह मिहला प=ष आलमारी आिद

कछ भी िदखाई द सकता ह पDतः िवम का व=प कछ अिनिWत होता ह

(iv) िवम मख =प स मनोरोिगय मgt पाया जाता ह मनोरोिगय मgt भी यह lयादा माNा मgt साइकोिसस क रोिगय मgt पाया जाता ह िसजोgिनया िजस िक िहदी भाषा मgt मनोिवदािलता कहा जाता ह मgt िवम पण1 =प स पाया जाता ह एक कार स यह मनोिवदािलता का मख लMण ह इस मानिसक िवकित मgt रोगी को िविचN कार क िवम होत ह इसमgt कछ को तो दवदत तो कछ को शतान अथवा अपन मत सबधी आिद क साथ िमलन अथवा जीन का अनभव होता ह सामाय Rयि क म का व=प थायी तथा अथायी दोन ही होता ह परत सामाय Rयिय मgt िवम का व=प हमशा अथायी होता ह परत असामाय Rयिय मgt िवम का व=प थायी होता ह

114 aम क कार

म कई कार क होत ह मनोवािनक न सामाय =प स दो तरह क म का उ-लख िकया ह- भौितक म (िफिजकल इ-यजन) तथा यMानामक म (परसcचअल इ-यजन) भौितक म क उपि 2ाहक कोिशकाओ तक पहJचन वाली सचनाओ मgt िवकित उपन होन स होती ह यMानामक म क उपि उीपक मgt सिनिहत कछ ामक सकत स होता ह भौितक म ऐस होत ह जो अिधकाशतः Rयिय मgt समान =प स होत ह मनोवािनक न इस तरह क म को सव1Rयापी या सामाय म (यनीवस1ल म) भी कहा ह कछ दरी पर आकाश का पyवी स सटा हJआ िदखाई दना दो रल क पटरय का कछ दर आग चलकर आपस मgt सटा हJआ नजर आना तथा पानी मgt रखी छड़ी का झका हJआ यMण करना आिद सव1Rयापी म क कछ उदाहरण ह इस तरह क म क एक िवशषता ह िक यह थायी होता ह अतः इस थायी म (परमानट इ-यजन) भी कहा जाता ह यMानामक म ऐस होत ह जो Rयिगत होत ह अथा1त एक Rयि को वह म होगा तो दसर Rयि को वही म न होकर कछ दसरा होगा उदाहरणाथ1 अधर मgt िकसी खLभ को सीध गड़ा दखकर एक Rयि को िकसी आदमी का म तो दसर को कोई भत-त का तीसर को चोर क िछप होन का म हो सकता ह काश उपिथत होन पर य सभी म दर हो जात ह यही कारण ह िक Rयिगत म Mिणक होता ह मनोवािनक न म का बहJिवध अEययन कर इसक कई कार का वण1न िकया ह

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उराखड म िव13िवालय 106

1) मलर लायर म (Muller-Lyer illusion) इस म का नामकरण दो मनोवािनक क नाम पर िकया

गया ह मलर एव लायर इन दोन न ही इसका ितपादन िकया था इस म मgt दो समान लLबाई क

रखाए होती ह- एक तीर रखा तथा दसरी पख रखा इन दोन रखाओ मgt Rयि तीर रखा को पख रखा स

छोटा समझता ह हालॉिक दोन रखाओ क लLबाई बराबर होती ह िचN lsquoकrsquo मgt दखgt

िचN lsquoकrsquo

2) पोजो म (Ponzo illusion) इस िचN lsquoखrsquo मgt दखgt इस िचN मgt दो असामातर रखायgt फलाव लत हJए

िनकल रही ह एव इस फलाव क बीच दो समानातर Mितज रखाए िवमान ह इन रखाओ मgt ऊपर क

रखा नीच क समानातर =प स पड़ी रखा स बड़ी मालम होती ह हालॉिक वतिथित यह ह िक दोन

समानातर रखाओ क लLबाई बराबर ह

िचN lsquoखrsquo

3) Mितज-लLबवत म (horizontal-Vertical illusion) - इस म को िचN lsquoगrsquo क ारा समझा जा सकता ह इस िचN मgt दो रखायgt ह िजनमgt एक Mितज रखा तथा दसरी लLबवत रखा ह लLबवत रखा Mितज रखा क ऊपर खड़ी ह इस कार क िचN को दखन पर Rयि यही कहता ह िक लLबवत रखा Mितज रखा यािन पड़ी रखा स बड़ी ह जबिक वातिवकता यह ह िक Mितज एव लLबवत दोन ही रखायgt एक दसर क बराबर ह इसीिलए इस Mितज-लLबवत म कहा जाता ह

िचN lsquoगrsquo

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उराखड म िव13िवालय 107

4) जो म (Jastrow illusion) - जो म को िचN lsquoघrsquo मgt िदखलाया गया ह इस िचN मgt दो पटन1

िदखलाय गय ह दोन पटन1 िबलकल एक दसर क समान ह परत ऊपर का पटन1 नीच क पटन1 स छोटा

िदखलाई पड़ता ह

िचN lsquoघrsquo

5) डलबोफ म (Delboef illusion) - इस तरह क म को िचN lsquoचrsquo मgt िदखाया गया ह इस िचN मgt दो

समान व को दो परिथितय मgt रखा गया ह एक व बड़ गोल क भीतर ह तथा दसरा व छोट गोल

क भीतर ह बड़ा गोला क भीतर का व छोट गोल क भीतर क व स छोटा िदखलाई पड़ता ह

हालॉिक दोन व समान ह

िचN lsquoचrsquo

6) ऑिब1स म (Orbison illusion) - इस म को िचN lsquoछrsquo मgt िदखलाया गया ह इस िचN मgt एक बड़

च क भीतर एक छोटा व ह परत यह छोटा व बड़ च क भीतर कछ िवकत सा िदखलाई पड़ता

ह जबिक वातिवकता यह ह िक छोट व मgt िकसी कार क कोई lयािमतीय िवकित नहU ह बि-क

यह बड़ च क भीतर होन क वजह स िवकित का म पदा हो रहा ह

िचN lsquoछrsquo

7) अन1टीन म (Ehrnestein illusion) - इस तरह क म को िचN lsquoजrsquo मgt िदखलाया गया ह इस िचN

मgt बीच का वग1 कछ िवकत िदखलाई पड़ता ह हालॉिक वग1 क चार भजाओ क लLबाई समान ह

और सभी रखाए सीधी ह

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 108

िचN lsquoजrsquo

8) जॉलनर म (Zollner illusion) - इस म को िचN lsquoझrsquo मgt िदखलाया गया ह इस िचN मgt छोटी बड़ी

सात समानातर रखायgt ह जो सभी एक ही िदशा मgt ह परत दखन मgt ऐसा लगता ह िक इन सात

समानातर रखाओ क िदशा मgt िवकित ह अथा1त व अलग-अलग दशाओ मgt ह

िचN lsquoझrsquo

9) वट म (Wundt illusion) - इस म को िचN lsquoटrsquo मgt िदखलाया गया ह इस िचN मgt दोन पड़ी

समानातर रखाए यिप िबलकल सीधी िदशा मgt ह िफर भी बीच मgt कछ िवकत दीख पड़ती ह दसर

श)द मgt बीच मgt य दोन रखाए कछ एक-दसर क ओर सटती हJई दीख पड़ती ह

िचN lsquoटrsquo

10) घमाव रसी म (Twisted-cord illusion) - इस म को िचN lsquoठrsquo मgt िदखलाया गया ह इस िचN मgt

एक घमावदार रसी ह अगर कोई Rयि इस िचN मgt घमावदार रसी क बाहरी एव ऊपरी छोर पर भीतर

जान क िलए चलना ारभ करता ह तो वह भीतर जान क बजाय घमत-घमत पनः उसी थान पर पहJच

जाता ह

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उराखड म िव13िवालय 109

िचN lsquoठrsquo

11) सhडर समानातर चतभ1ज म (Sander parallelogram illusion) इस म को िचN lsquoडrsquo मgt

िदखलाया गया ह इस िचN मgt एक समानातर चतभ1ज ह इस चतभ1ज मgt दा िवकण1 ह य दोन िवकण1 मgt

पहला यािन िक बायU तरफ वाला िवकण1 अिधकाशतः Rयिय को दसर िवकण1 यािन िक दायU तरफ

वाल िवकण1 स बड़ा िदखलाई पड़ता ह हालॉिक स`चाई यह ह िक दोन िवकण1 लLबाई मgt एक दसर

क समान ह

िचN lsquoडrsquo

12) पोगनडॉफ1 म (Poggendorff illusion) - इस म को िचN lsquoढrsquo मgt िदखलाया गया ह इस िचN मgt

एक ही ितरछी रखा िजस िक िवकण1 कहा जा सकता ह दो समान आयत को काटती ह परत ऐसा

लगता ह िक एक ही ितरछी रखा नहU बि-क तीन अलग-अलग ितरछी रखाए ह जो इन दोन आयत

को काट रही ह

िचN lsquoढrsquo

115 aम क िस=ात

म का सबस पहला वािनक िवpषण जज ओcपल ारा सन 1854 मgt िकया गया और उसक बाद िफर

उसक गहन अEययन मgt कई मनोवािनक न =िच िदखलाई मनोवािनक न म स सबिधत अनक अEययन

िकए िजनक आधार पर म क कई िसPात का ितपादन िकया गया ह ओवर-1968 रॉक-1975 जसन-

1970 तथा हॉकबग1-1971 आिद मख मनोवािनक ह िजनका िसPात क ितपादन मgt महवपण1 योगदान ह

इन वािनक न िसPात को तीन tिणय मgt बॉटा ह थम tणी मgt म का कारण उीपक स ाF होन वाली

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उराखड म िव13िवालय 110

सचनाओ मgt Nिटयॉ ह ितीय tणी मgt म क RयाZया यरल लवल यािन तिNकय तर पर क गई ह तीसरी

tणी मgt म क RयाZया सानामक उपागम क तहत क गयी ह इनस सबिधत कछ मख िसPात का वण1न

िनLनािकत ह

1) न7-हलचल िस=ात (Eye movement theory) -

इस िसPात का ितपादन ओवर ारा सन 1968 मgt िकया गया ह यह िसPात थम tणी यानी उीपक स

िमलन वाली सचनाओ मgt सिनिहत Nिटय ारा म क RयाZया करन वाला िसPात ह इस िसPात क मZय

बात यह ह िक Rयि जब िकसी lयािमितक िचN (lयोिमिकल फगर) को दखता ह तो उस िचN का आकार

एव पररखा ारा Rयि क ऑख क गित मgt कछ परवत1न हो जाता ह इस परवत1न क कारण Rयि को म

होता ह उदाहरण क िलए - Mितज-लLबवत म को ही लgt लLबवत रखा को दखन मgt जो नN गोलक मgt गित

हाती ह उसमgt Rयि को अिधक यास करना पड़ता ह परत Mितज रखा िजस पर िक लLबवत रखा खड़ी ह को

दखन मgt नN गोलक मgt जो गित होती ह उसमgt Rयि को कम यास करना पड़ता ह यही कारण ह िक लLबवत

रखा क लLबाई Mितज रखा क लLबाई क अपMा अिधक मालम पड़ती ह उसी तरह मलर लायर म क भी

RयाZया क जा सकती ह जब पख रखा को Rयि दखता ह तो इसक दोन िकनार को दखन मgt जो नN गोलक

मgt गित होती ह वह अिधक दर तक होती ह परत तीर रखा को दखत समय जो नN गोलक मgt गित होती ह वह

थोड़ी दर तक होती ह यही कारण ह िक Rयि पख रखा को तीर रखा स बड़ा यिMत करता ह

2) तbभित िस=ात (Empathy theory) -

यह िसPात म क एक Yलािसकल yयोरी ह इसका ितपादन मZयतः िलcपस-1897 क यास क

परणामव=प हJआ इस िसPात क अनसार lयािमितक िचN को दखत समय Rयि मgt कछ िवशष साविगक

िथित उपन हो जाती ह िजसक कारण म होता ह उदाहरण क िलए मलर-लायर म मgt पख रखा को दखन

स Rयि मgt फलाव क साविगक अनभित होती ह जबिक तीर रखा को दखत समय िसकड़न क साविगक

अनभित होती ह यही कारण ह िक पख रखा तीर रखा स बड़ी दीख पड़ती ह परत यह िसPात बहJत वािनक

नहU ह और सचमच मgt इस िसPात ारा म क बार मgt हमgt पD जानकारी भी नहU िमलती ह 3) 67 िस=ात (Field theory) -

इस िसPात का ितपादन गटा-टवािदय ारा िकया गया ह इस िसPात क अनसार म क परिथित मgt

उीपक का परा MN उीपक क िकसी एक भाग क यMण को भािवत करता ह जब भी Rयि िकसी उीपक

िचN को दखता ह जो उस िचN मgt सतलन का एक िबद िजस लोकस ऑफ इYवीिलिबरयम कहा जाता ह

उपन होता ह जहॉ आकष1ण बल तथा िवकष1ण बल समान होता ह ऐसी परिथित मgt यिद कोई दसरा िचN या

रखा को उसमgt जोड़ा जाता ह तो उसस सतलन मgt गड़बड़ी उपन हो जाती ह िजसक कारण दसरा िचN या रखा

अपन मल =प स िवकत नजर आता ह और हमgt म होता ह उदाहरण क िलए अन1टीन म मgt वग1 अपन मल

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उराखड म िव13िवालय 111

=प स कछ िवकत इसिलए दीख पड़ता ह Yयिक वग1 स धारीदार व क सतलन क_ मgt गड़बड़ी होन लगती ह

ठीक यही बात ऑरिबसन म क साथ भी होती ह कछ मनोवािनक न MN िसPात क आलोचना करत हJए

कहा ह िक इस िसPात ारा सभी तरह क RयाZया नहU होती ह इसक ारा अन1टीन म ऑिब1सन म वट

म आिद िजनका आधार आकार तथा िदशा मgt िवकित ह क RयाZया तो होती ह परत मलर-लायर म

Mितज-लLबवत म आिद क RयाZया नहU हो पाती ह

4) परcय िस=ात (Perspective theory) -

परCय िसPात को सम=पता िसPात भी कहा जाता ह इस िसPात क अनसार म होन का घान कारण

Rयि ारा रखाओ या िचN क बीच एक खास परCय या पnभिम को दखना होता ह उदाहरण क िलए

मलर-लायर म मgt ितरछी रखाओ ारा एक िवशष कार का परCय िविनिम1त होता ह िजसक कारण तीर रखा

पख रखा स कछ छोटी मालम पड़ती ह िभन- िभन Rयि िभन-िभन सकित मgt पाला पोषा जाता ह तथा

अपन समाज एव सकित क िनयम को सीख हJए होता ह इन िनयम क अनसार ही वह िकसी वत Rयि

अथवा घटना को दखता सीखता ह और इस तरह स Rयि मgt िकसी वत Rयि या घटना को दखन समझन

का एक खास परCय िवकिसत होता ह इस परCय क कारण Rयि मgt म उपन होता ह अगर परCय

िसPात क यह RयाZया ठीक ह तो एक सकित स दसर सकित क Rयिय ारा अनभव िकय गय म क

माNा मgt अतर होना चािहए इस तyय क पिD सीगल कमपबल और गस1कोिवटस ारार सन 1963 स 1966

क बीच िकए गए योग स होती ह इन मनोवािनक न यरोिपयन अgकन तथा अय समदाय क कछ योlय

को मलर-लायर म सhडर म तथा Mितज-लLबवत म क िचN क ित अनि या करन को कहा गया

परणाम मgt पाया गया िक यरोिपयन ितभािगय मgt मलर-लायर म तथा सhडर समानातर चतभ1ज म क माNा

सबस अिधक थी जबिक अय दसरी सकित तथा समदाय क योlय मgt Mितज-लLबवत म क माNा सबस

अिधक थी योगकता1ओ क अनसार म क माNा मgt इस तरह क अतर का कारण िभन िभन समदाय एव

सकित मgt वतओ को िभन-िभन परCय मgt दखन क आदत ह मनोवािनक न परCय िसPात क

आलोचना करत हJए कहा ह िक इस िसPात ारा िजन म क RयाZया होती ह उसक RयाZया दसर ढग स

आसानी स हो सकती ह जस कनापास-1957 क अनसार Mितज-लLबवत म इसिलए होता ह Yयिक CिD

MN वातव मgt अhडाकार होता ह िजसका परणाम यह होता ह िक लLबवत रखा का Rयि अितआकलन

करता ह Yयिक यह CिD MN क सीमा क नजदीक होता ह

5) िवaाित िस=ात -

इस िसPात क अनसार Rयि िभन-िभन रखाओ तथा िचN को जब दखता ह तो वह उसका िवतत िवpषण

करना ारLभ कर दता ह इस िवpषण क दौरान उसमgt िवाित उपन होती ह और इसक परणामव=प म

क ही उपि होती ह उदाहरण क िलए मलर लायर म को ही लgt जब Rयि तीर रखा तथा पख रखा पर

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 112

गौरपव1क दखता ह तो वह िसफ1 दखता ही नहU बि-क उसका िवpषण भी करता ह वह पख रखा तथा तीर रखा

क िकनार क ितरछी रखाओ को दखता ह तथा उसक मोटाई तथा लLबाई को एक-दसर स िभन-िभन

CिDकोण स तलना करता ह इसक परणाम व=प Rयि क मन मgt साित उपन हाती ह तथा इसस उसमgt म

होता ह

6) 7िटपण0 तलना िस=ात (Incorrect comparison theory) -

इस िसPात क मायता यह ह िक Rयि को म इसिलए होता ह Yयिक आकित क गलत िहस क तलना पर

वह अपना िनण1य आधारत करता ह उदाहरण क िलए मलर लायर म क RयाZया करन म यह िसPात काफ

सटीक बठता ह इस म मgt Rयि आकित मgt रखाओ को पख स अलग करन मgt असफल रहता ह और इसिलए

वह पख क अितम छोर क बीच क दरी क तलना करता ह चिक यह तलना अनपय एव गलत होती ह

इसिलए यह म Rयि को होता ह इस िसPात क समथ1न मgt कछ योगामक सबत भी ह उदाहरण क िलए

कोरन एव गाइरस न सन 1972 मgt योlय को मलर लायर म का यMण करवाया िजसमgt दानgt रखाओ क

डन को रखा क रग स अलग रग मgt िदखलाया गया था तािक योlय ारा दोन रखाओ क जान वाली तलना

म डन क दरी क तलना न हो परणाम मgt दखा गया िक इस तरह क बध होन स म क माNा मgt कमी आ

गयी िजसस इस िसPात क वधता को परोM =प स समथ1न िमलता ह 7) दIयP िथरता का िस=ात (Theory of misapplied constancy) -

इस िसPात क अनसार म मgt उपल)ध कछ सकत का आकार िथरता को बरकार रखन वाल सकत क =प मgt

Rयि यMण करन लगता ह और उसी आकार िथरता क आधार पर लकर या रखाओ क लLबाई का

िनण1य करत ह जो रखा उहgt दर नजर आती ह उस वह उस रखा स बड़ा होन का यMण करता ह जो उहgt

अपMाकत नजदीक नजर आती ह जस पोजो म मgt ऊपरी रखा िनचली रखा स समान होत हJए भी बड़ी नजर

आती ह Yयिक वह िनचली रखा स दर नजर आती ह

8) आभासी-दरी िस=ात (Apparent distance theory) -

इस िसPात का ितपादन कॉफमन तथा रॉक ारा सन 1962 मgt िकया गया वातव मgt यह िसPात आकार-दरी

अपरवत1नशील ाYक-पना (size distance invariance hypothesis)स सबिधत ह इस ाYक-पना क

अनसार यिद दो वतओ क अिMपटलीय ितमा (रटीनल इमज) का आकार एक ही होता ह तो वह वत जो

अिधक दरी पर तीत होती ह वह उस वत क अपMा बड़ा नजर आता ह जो कम दरी पर तीत होता ह इस

िसPात ारा मन इ-यजन क RयाZया काफ सटीक ढग स होती ह मन इ-यजन मgt मन जब Mितज पर होता ह

तो वह बड़ा नजर आता ह परत जब वही चॉद यMणकता1 क िसर क ठीक ऊपर अथा1त िशरोिबद पर होता ह

तो छोटा नजर आता ह इस िसPात क अनसार चॉद जब Mितज पर होता ह तो वह यMणकता1 को अिधक

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 113

दर पर तथा ज बवह िशरोिबद पर होता ह तो वह कम दरी पर अविथत तीत होता ह इस आभासी दरी मgt

अतर होन क कारण Rयि को मन इ-यजन का म होता ह

116 साराश

सMप मgt यिद कहा जाय तो म अपन आप मgt एक कार का यMण ही ह हा इसका व=प वातिवक

यMण क िबलकल उलट ह वातिवक यMण मgt जहॉ यMण िकय जा रह उीपक को उसी =प मgt

यMण िकया जाता ह वहU म मgt उीपक क वातिवक व=प का यMण न करत हJए उस कोई अय वत

Rयि अथवा घटना समझ कर यMण कर िलया जाता ह अथा1त गलत यMण िकया जाता ह इस गलत

यMण को ही म क सा दी जाती ह इस म मgt यMण क समान ही उीपक का उपिथत होना बहJत

आवयक ह

म क कई कार ह िजनमgt मलर-लायर म पोजो म जोलनर म ऑरिबसन म जोो म

अन1टीन म ड-बोफ म आिद मख ह

मनोवािनक न म क RयाZया करन क िलए अनक िसPात को ितपादन िकया ह िजसमgt नN-

गित िसPात तदनभित िसPात MN िसPात परCय िसPात िवाित िसPात तलनामक =प स मख ह

117 शदावली

bull aम गलत यMण को म कहा जाता ह

118 वमयाकन हत

1) म क आभासी दरी िसPात (Apparent distance theory) क अनसार िनLनािकत मgt स कौन कथन सय ह

(क) म का कारण नN गोलक क गित मgt उपन तनाव ह

(ख) म का कारण आकितय क िवतत िवpषण स यMणकता1 क मन मgt उपन साित ह

(ग) म का कारण अिMपटलीय ितमा (Retinal Image) क आकार मgt दरी क कारण होन वाला परवत1न ह

(घ) आकितय या वतओ का यMणकता1 स अिधक दरी पर होना ह

2) कभी कभी Rयि िजस वत का यMण कर रहा होता ह उस उस वत Rयि अथवा घटना क वातिवक

व=प का यMण न होकर उस कोई अय वत Rयि अथवा घटना समझ लता ह इस Yया कहा जाता

क) अवचतन यMण ख) अिति_य यMण

ग) यMाणामक िनगरानी घ) म

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 114

3) कभी कभी Rयि को उीपक वत क उपिथत न होन पर भी उसक यMण का अनभव होता ह इस Yया

कहा जाता ह

क) म ख) िवम ग) Rयामोह घ) यMण

उ-र 1 - ग) 2 - घ) 3 - ख)

119 सदभ0 1थ सची

bull उ`चतर ायोिगक मनोिवान - डा अ=ण कमार िसह - मोतीलाल ndash बनारसीदास

bull सामाय मनोिवान - िसहा एव िमtा - भारतीय भवन

bull आधिनक सामाय मनोिवान - सलमान एव खान - शYला बक िडपो पटना

bull एYसपरमटल साइकोलॉजी - कॉिलस एव क

bull एYसपरमटल साइकोलॉजी ndash ऑएगड

1110 िनबधामक

1 म क व=प एव िवशषताओ का सोदाहरण वण1न करgt

2 म क िविभन कार का वण1न करgt

3 म एव यMण क बीच अतर पD करgt

4 म एव िवम क बीच अतर पD करgt

5 म क िविभन िसPात का समालोचनामक वण1न करgt

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 115

इकाई-12 अिधगम का )वप एवम कार वािचक अिधगम क13 िविधया

(Nature and Types of Learning Methods of Verbal Learning)

इकाई सरचना

121 तावना

122 उय

123 अिधगम का व=प

124 अिधगम का मापन

125 अिधगम क कार

126 वािचक अिधगम एव उसक पM

127 वािचक अिधगम क िविधया

128 साराश

129 श)दावली

1210 वम-याकन हत

1211 सदभ1 2थ सची

1212 िनबधामक

121 तावना

अिधगम एक Rयापक एव महवपण1 श)द ह मनोवािनक न अिधगम क परभाषा वािनक ढग स दन का

यास िकया ह वस तो मनोवािनक न इसक परभाषा अलग-अलग ढग स िदया ह लिकन उनक िवचार मgt

इस पद क मल अथ1 क बार मgt काफ सहमित ह अिधगम मलतः अयास या यास पर िनभ1र करता ह िकसी

भी काय1 मgt कौशल या दMता ाF करन स पहल हमgt उस पहल सीखन का यास करना पड़ता ह अिधगम

Rयवहार या Rयवहारामक अतःशि मgt अपMाकत अथाई परवत1न ह और Rयवहार मgt यह परवत1न अयास

या अनभित क फलव=प होता ह

इस कार कहा जा सकता ह िक अिधगम एक ऐसी ि या ह िजसक ारा अनभत या अयास क

फलव=प अपMाकत या थाई परवत1न होता ह

अिधगम का मापन गणामक या माNामक =प मgt िकया जा सकता ह अनि या क शPता ता

अनि या क गित अनि या क शि एव अनि या म मgt कमी क आधार पर यह पता लगाया जा सकता ह

िक अयास या अनभित क आधार पर अिधगम मgt विP हJई या कमी अिधगम कई कार का होता ह इस

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 116

सामायतः पाच वगk मgt िवभ िकया जाता ह वािचक अिधगम क तीन मख पM ह इहgt मशः योlय

अिधगम साम2ी एव अिधगम िविधय का नाम िदया जाता ह वािचक अिधगम क अनक िविधया ह िजसमgt

मख ह - िमक अिधगम िविध यगल साहचय1 िविध उोधन एव पवा1नमान िविध तथा समय िविध

122 उय

इस इकाई क अEययन क पWात आप जान सकgt ग

bull अिधगम स Yया तापय1 ह

bull अिधगम का मापन कस िकया जाता ह

bull अिधगम क मख कार कौन-कौन स ह

bull वािचक अिधगम क िविभन पM

bull वािचक अिधगम क िविधया कौन-कौन सी ह

123 अिधगम का वQप

मानव जीवन मgt अिधगम का महव सव1िविदत ह अिधगम जीवन भर चलता रहता ह इसीिलए कहा जाता ह िक

मानव जीवन मgt इसक बहJत ही Rयापक भिमका ह इसका योगदान कवल कछ काय1 कौशल या िशMा अज1न मgt

ही नहU ह अिपत समायोजन थािपत करन एव Rयिव क िवकास आिद मgt भी ह िकसी भी Rयि ारा िकय

जान वाल Rयवहार मgt अिधकाश Rयवहार अिज1त या सीख हJए होत ह हम जानत ह िक जम क समय ब`च मgt

कछ सीिमत जिवक िवशषताओ का ही दश1न होता ह परत उसक आय (परपYवता) एव अनभव मgt विP क

साथ-साथ उसका Rयवहार भी िनरतर परमािज1त होता रहता ह वह अनकानक योrयताए अिज1त करक िविभन

पया1वरणीय परथितय मgt समायोजन थािपत करन मgt सफलता ाF करता ह इसस सकत िमल रहा ह िक

मानव जीवन मgt अिधगम ि या का िवशष महव ह तथा इसका काफ Rयापक भाव होता ह

अिधगम का अथ0 (Meaning of learning) -

अिधगम (सीखना) मलतः अयास या यास पर िनभ1र करता ह िकसी भी काय1 मgt कौशल या दMता ाF करन

क िलए हमgt उस पहल सीखन का यास करना पड़ता ह ारLभ मgt िकसी नवीन काय1 को करन मgt किठनाई

अिधक अनभव क जाती ह तथा ऋिटया भी अिधक होती ह परत अयास करन स किठनाई एव Nिटय मgt

कमी आती ह ऐसा होना पD करता ह िक अिधगम हो रहा ह इसी कारण अिधगम को ऐसी ि या क =प मgt

परभािषत िकया जाता ह िजसस अनभव स ाणी क ि याओ मgt सधार होता ह (Osgood 1953) अिधगम

क परणामव=प ाणी का Rयवहार मशः जिटल एव परमािज1त होता रहता ह इसस पD ह िक अिधगम क

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 117

िलए अयास करना आवयक ह अयास ारा अिज1त Rयावहारक परवत1न Rयि क Rयवहार का अपMाकत

थाई अग बन जात ह और समायोजन मgt सहायता पहJचात ह (King and Riggs 1971)

कन (Coon 2003) न कहा ह rdquoअनभव क परणामव=प Rयवहार मgt अपMाकत थाई परवत1न अिधगम ह

थकान कपोषण चोट या अय कारण स उपन परवत1न इसमgt सिLमिलत नहU हldquo

मYrय (McGeoch 1942) क अनसार rdquoअिधगम जसा िक इस हम जानत ह अयास क परणामव=प

Rयवहार मgt होन वाला परवत1न ह ायः इस परवत1तन क एक िदशा होती ह जो ाणी क वत1मान रणामक

अवथा क सतिD करती हldquo

इस कार पD हो रहा ह िक Rयवहार सLबधी कवल उहU परवत1न को ही अिधगम कहा जाता ह जो

िनिWत =प स पव1 अयास ि या या Rयवहार क परणामव=प उपन होत ह अथा1त रणा थकान िवकास

(विP) या अय कारण स उपन परवत1न अिधगम नहU ह (Hilgard and Bower 1975) अयास स

उपन परवत1न स काय1 मgt उनित या Rयवहार मgt परमाज1न होता ह

उपय1 िववचन क आधार पर अिधगम क बार मgt कछ िन^कष1 तत िकए जा सकत ह ndash

1 अयास ारा Rयवहार मgt उपन परवत1न ही अिधगम कहा जाता ह

2 अयास स काय1 मgt उनित होनी चािहए

3 उपन परवत1न Rयवहार क अग बन जात ह

4 उरोर यास करन स काय1 मgt सधार होता रहता ह

5 अिधगम स नवीन ि या का अज1न तथा परानी ि या मgt परमाज1न होता ह

6 अिधगम का मापन िन^पादन (Performance) क आधार पर होता ह

7 अिधगम उयपण1 होता ह

8 Rयवहार सLबधी अय िनधा1रक (जस- थकान रणा परपYवता आिद) स उपन परवत1न को अिधगम

नहU कहा जा सकता ह

124 अिधगम का मापन

Rयि ारा िकए जान वाल काय1 का मापन िकया जा सकता ह मापन गणामक (Qualitative) या माNामक

(Quantitative) =प मgt िकया जा सकता ह यिद यह दखा जा रहा ह िक अयास स सधार हो रहा ह तो यह

गणामक मापन होगा और यिद यह दखा जा रहा ह िक अिधगम िकतन ितशत या माNा मgt हJआ ह तो यह

माNामक मापन होगा अयास क अवसर बढ़ान स काय1 क माNा मgt विP या Rयवहार मgt परमाज1न आता ह

इसका अनमान िनLनािकत माप (Measure) क आधार पर लगा सकत ह -

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 118

1 अनि या क शPता (Accurancy of Response) - चिक अिधगम (सीखन) क िलए अयास करना

आवयक ह अतः अयास क अवसर मgt विP होन स अनि या ितमान मgt सधार होना अपिMत ह

Rयवहार मgt ऐसा होता भी ह जस-जस सीखन क िलए यास को सZया उरोर बढ़ती ह वस-वस

अशPता अनि याओ क सZया मgt कमी आती ह और शPता अनि याओ क उपन होन क

सLभावना बल होती जाती ह इसस सीखन क ि या क सचाs =प स पिD होती ह

2 अनि या क गित (Speed of Response) - यास मgt उरोर विP होन स अनि याओ क उपन होन

मgt लगन वाला समय घटता जाता ह यह सीखन क ि या मgt उनित का लMण ह ऐसा न होन पर ास क

दशा मानी जाती ह

3 अनि या क शि - यास मgt सZया मgt विP होन स अनि याओ क उपन होन क सLभावना बलतर

हो जाती ह यह सीखन का अ`छा लMण ह

4 अनि या-tम मgt कमी - सीखन क ारिLभक अवथा मgt अनि या करन मgt शारीरक एव मानिसक tम

अिधक करना पड़ता ह परत अयास मgt विP होन स इस tम मgt कमी आती ह इसस भी सीखन क

ि या का आभास िमलता ह

125 अिधगम क कार

अिधगम कई कार का होता ह सामायतः इस पाच वगk मgt िवभ िकया जाता ह कछ अिधगम ि याओ मgt

आतरक अनि याओ क मखता होती ह तो कछ मgt बाT अनि याओ का उपयोग अपMाकत अिधक होता

ह परत कछ मgt दोन कार क अनि याओ का (Covert and Overt) सिLमtण पाया जाता ह अतः

अिधगम िति याओ को बाT-आतरक Rयवहार आयाम (Overt-Covert behaviour dimension) पर

मशः दशा1या जा सकता ह

1 पशीय कौशल अिधगम (Motor Skills Learning) - पशीय अिधगम स तापय1 ऐस कायk को सीखन

स ह िजसमgt बाT Rयवहार या शारीरक ि याए मख =प मgt दिश1त होती ह इसस Rयवहार का बाT

Mण िकया जा सकता ह यथा-तरना साइिकल चलाना नय इयािद इसक िवशष उदाहरण ह ऐस कायk

पर रणा अयास परवश एव ितपधा1 आिद का अिधक भाव पड़ता ह

2 अनबधन (Conditioning) - अिधगम क ऐसी परिथितया िजनमgt नवीन कार क उीपक अनि या

सLबध (साहचय1) सीख जात ह उहgt अनबधन का नाम िदया जाता ह (Marx 1976) अनबधन को

ाचीन एव निमिक ि याओ मgt वगvकत िकया जाता ह अनबधन पर बलन (Reinforcement) का

िवशष भाव पड़ता ह

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 119

3 वािचक अिधगम (Verbal Learning) - अिधगम क िविभन कार मgt वािचक अिधगम या शाि)दक

अिधगम का मन य क जीवन मgt अयिधक महव ह Yयिक यह योrयता मन य मgt ही पाई जाती ह और

बात िवचार एव भावनाओ क पारपरक अदान-दान मgt इसी Mमता का उपयोग होता ह

यहा पर वािचक अिधगम का आशय भाषा या वािचक साम2ी क मौिलक इकाइय क अिधगम स ह

उदाहरणाथ1 दी गई सची सZयाए किवता क अश तथा अMर को िनदiशानसार याद करना वािचक अिधगम का

उदाहरण ह

126 वािचक अिधगम क प6

अिधगम क अय MN क भाित वािचक अिधगम क तीन मख पM ह इहgt मशः योlय अिधगम साम2ी

एव अिधगम-िविधय का नाम िदया जाता ह

1 वािचक अिधगम मgt योlय (Subjects) - वािचक अिधगम क िलए मानव योlय क आवयकता पड़ती

ह Yयिक अय ािणय मgt वािचक का अभाव होता ह इस काय1 हत िविभन आय बिP तथा अय

िवशषता वाल Rयिय ब`च या छाN को योlय क =प मgt चना जा सकता ह

2 वािचक अिधगम क साम2ी (Material) - वािचक अिधगम क अEययन मgt ायः दो कार क वािचक

सामि2य का उपयोग होता ह इहgt साथ1क एव िनरथ1क साम2ी का नाम िदया जाता ह

साथ1क साम2ी का आशय ऐसी वािचक साम2ी स ह जो अथ1पण1 होती ह या िजसका श)दकोशीय अथ1 उपल)ध

ह यथा वतओ क नाम किवताए तथा कहानी आिद साथ1क साम2ी क उदाहरण ह अथा1त अMर या श)द स

िनिम1त ऐस श)द या वाYय िजनका श)दकोशीय अथ1 उपल)ध होता ह साथ1क साम2ी कह जात ह ारLभ मgt

ऐसी ही सामि2य का उपयोग अिधक होता था

िनरथ1क साम2ी भी भाषा क अMर स िनिम1त क जाती ह परत उसका कोई श)दकोशीय अथ1 उपल)ध नहU

होता ह इनक भी िनमा1ण मgt वर एव Rयजन ही सिLमिलत होत ह ऐस श)द या पद को िनरथ1क पद

(Nonsense syllables) भी कहत ह ऐस श)द क िनमा1ण का काय1 पहल एिबगहास (1885) ारा ारLभ

िकया गया इसमgt साहचय1 म-य (Association value) कम पाया जाता ह तथा उ`चारण भी किठनाई स हो

पाता ह जस -

िहदी मgt - ख आ क छ आ न स ई त त य क

अ2जी मgt - NEK SIW MAZ

वािचक अिधगम क MNा मgt एिबगहास (1885) न सराहनीय काय1 िकया ह उहन इस तरह क 2300 िनरथ1क

पद क रचना क जो वािचक अिधगम क योग मgt साम2ी क =प म य होत रह ह िनरथ1क पद अपरिचत

होत ह अतः इनक अिधगम पर पवा1नभव का भाव नहU पड़ता ह तथा यिद दो समह पर योग करना ह तो

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 120

उनक िलए समत-य साम2ी क Rयवथा सरलता स क जा सकती ह इनका िनमा1ण ायः वर-Rयजन-वर

(CWC) ारा िकया जाता ह

127 वािचक अिधगम क िविधया

वािचक सामि2य को सीखन क िलए िमक अिधगम यगल साहचय1 उोधन एव पवा1नभव तथा अिधगम

समय नामक िविधय का योग िकया जाता ह

(i) िमक अिधगम िविध (Serial Learning Methods) - िमक अिधगम िविध स वािचक साम2ी

को एक िनिWत म मgt तत िकया जाता ह और योlय उसका उसी म मgt पनरोपादन करता ह या

उस म मgt दहराता ह यथा ब`च ारा A-B-C-D या क-ख-ग सीखना िमक अिधगम का उदाहरण

ह Yयिक अMर को एक िनिWत म मgt िदया जाता ह तथा ब`च उहgt उसी म मgt दहरात ह इनमgt एक

पद उजक तो दसरा अनि या और पनः दसरा उजक का और तीसरा पद अनि या का काय1 करता

ह Yयिक कोई भी एक पद दसर क बोल जान का सकत होता ह िमक अिधगम मgt कभी-कभी ऐसा

भी दखन को िमलता ह िक योlय आग या पीछ स पद बोल जात ह इसस म भग हो जाता ह इस

Nिट माना जाता ह ऐसा तभी होता ह जबिक योlय को साम2ी मानसार ठीक स याद नहU हो पाती

ह ारिLभक यास मgt अशPता साहचयu क सZया अिधक िमलती ह परत यास मgt उरोर विP

होन स अशPता साहचयu क सZया घटती ह

(ii) यगल साहचय1 िविध (Paired Associate Learning) - इस िविध मgt पद या श)द को जोड़ मgt

तत िकया जाता ह यह बहJत ही चिलत िविध ह (कािकस 1894 1896 जॉट 1897 Lयलर

एव िप-जकर 1900 ऐिhयाज 1960) इस िविध मgt श)द क यrम (जोड़) बनाकर सची तयार क

जाती ह और पहल यास मgt परी सची िदखा दी जाती ह यrम को तत करन क िलए मित ढोल

(Memory drum) का योग िकया जा सकता ह इसक ारा पहल-पहल दो स क िलए यrम का

उजक श)द (थम श)द) िखड़क पर आता ह और तपWात अनि या एव उजक दो स क िलए

साथ-साथ तत िकए जात ह इस तरह परी सची एक बार िदखा दी जाती ह इसक उपरात सची क

थम यrम क पहली इकाई तत क जाती ह और योlय उसस सLबिधत ितीय इकाई का

याान करता ह इसी कार अय यrम क भी ित पनम1रण कराया जाता ह इसमgt थम श)द

उजक का और ितीय श)द अनि या का काय1 करता ह

इन यिrमत साहचय1 िविध मgt यिद योlय गलत अनि या दता ह तो उस सही अनि या क जानकारी द दी जाती

ह तािक वह आवयक सधार कर ल इस कार पD हो रहा ह िक िमक अिधगम क अपMा यिrमत अिधगम

किठन होता ह इस िविध मgt योlय को यक यrम क सLबध मgt तीन बातgt सीखनी पड़ती ह

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 121

यrम मgt उजक श)द क पहचान करना

उजक स सLबP अनि या को याद करना

उजक एव अनि या मgt साहचय1 थािपत करना

उजक एव अनि या क बीच ारLभ मgt साहचय1 क थापना करन मgt किठनाई होती ह और ऋिटया अिधक

ाF होती ह परत अयास क अवसर बढ़ान स साहचय1 थापना का काय1 सहज होता जाता ह

(iii) उोधन एव पवा1नमान िविध (Prompting and Anticipation Method) - इस िविध स अिधगम

करात समय पहल योlय को पव1िनिम1त सची क श)द एक-एक करक िदखात जात ह सची क थम

श)द क ठीक ऊपर कोई एक िच बना िदया जाता ह मित ढोल स सची िदखान क बाद उसक

िखड़क पर िचह लाया जाता ह यह िच उोधन का काय1 करता ह तथा योlय सLबिधत श)द

बोलता ह यिद योlय का उर गलत ह तो सही श)द उस पनः िदखा जाता ह तािक अगल यास मgt

उस सहायता िमल सक पवा1नमान िविध मgt उसस पछा जाता ह िक rdquoआग Yया श)द हldquo योlय स

पवा1नमान ाF कर लन क बाद वातिवक श)द िदखाया भी जाता ह यह उसक िलए बलन का काय1

करता ह यिद अनि या गलत ह तो उस शPता करन का अवसर िमल जायगा और यिद सही ह तो

िदखान स शPता अनि या क िथरीकरण मgt सहायता िमल जाती ह दोन िविधय को सय =प मgt

उोधन एव पवा1नमान िविध कहा जाता ह

(iv) अिधगम समय िविध (Learning Time Method) - इस िविध मgt योlय को परी साम2ी याद करन

क िलए द दी जाती ह तथा उस पण1तः याद करन मgt वह जो समय लता ह उस अिकत कर िलया जाता

ह चिक इसमgt समय ही अिकत िकया जाता ह इसी कारण इस अिधगम समय िविध कहा जाता ह वस

यह िविध कम उपयोगी ह Yयिक इसस अिधगम क गित का अनमान नहU लग पाता ह इसमgt यह भी

कमी ह िक यिद योlय वाचाल वभाव का ह तो उसी मgt काफ समय तक उलझा रह जायगा

128 साराश

इस इकाई क अEययन क बाद आप जान चक ह िक अिधगम Yया ह अिधगम नई परिथितय क िति याओ

को ाF करना या महान िति याओ क ि याशीलता को बढ़ाना ह इसी कार अिधगम का मापन दो =प मgt

गणामक एव माNामक मgt िकया जा सकता ह

अिधगम क कई कार होत ह पशीय कौशल अिधगम अनबध एव वािचक अिधगम यहा वािचक

अिधगम स तापय1 भाषा या वािचक साम2ी को मौिलक इकाईय क अिधगम स ह इस इकाई मgt वािचक

अिधगम क तीन मख पM का भी वण1न िकया गया ह िजसमgt मख ह - योlय एव साम2ी वािचक अिधगम

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 122

क कई िविधया ह िजसमgt मख ह - िमक अिधगम िविध यगल साहचय1 िविध उोधन एव पवा1नमान िविध

तथा अिधगम समय िविध

129 शदावली

bull अिधगम अिधगम एक ऐसी ि या ह िजसक ारा िकसी अनि या वग1 क मापनीय िवशषताओ मgt

ताकािलक या िवलिLबत रीित स थायी परवत1न होता ह और यह परवत1न बिलत अयास क काय1 या

परणाम व=प होता ह

bull पशीय कौशल अिधगम इसस तापय1 ऐस कायk को सीखन स ह िजसमgt बाT Rयवहार या शारीरक

ि यायgt मख =प स दिश1त होती ह

bull अनबधन अिधगम क ऐसी परिथितया िजनमgt नवीन कार क उीपक अनि या सLबध सीख जात ह

bull वािचक अिधगम इसस तापय1 भाषा या वािचक साम2ी क मौिलक इकाईय क अिधगम स ह

1210 वमयाकन हत

1- अिधगम मलतः पर िनभ1र करता ह

2- अयास स काय1 मgt होनी चािहए

3- अिधगम सामायतः कई वगk मgt िवभ होता ह

(1) 4 (2) 3 (3) 6 (4) 5

4- वािचक अिधगम क कई पM ह

(1) 2 (2) 3 (3) 5 (4) 4

5- पवा1नमान िविध मgt योlय स पछा जाता ह िक

(1) आग Yया श)द ह (2) पीछ Yया श)द ह (3) पवा1नमान करो

(4) बलन का काय1 Yया ह

उ-र (1) अयास या यास (2) उनित (3) पाच (4) तीन

(5) (1) आग Yया श)द ह

1211 सदभ0 1थ सची

bull िसह अsण कमार (2011) सानामक मनोिवान

bull tीवातव रामजी (सLपादक) (2003) सानामक मनोिवान

bull िसह आरएन एव भाराज एसएस (2010) उ`च ायोिगक मनोिवान

bull Colin Martindale (1981) Cognition and Consciousness

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 123

bull Geryd YDewalle (1985) Cognition Information Processing and Motivation

bull Kathleen M Galotti (1999) Cognitive Psychology in and Out of the Laboratory

bull Margaret Matlin (1982) Cognition

1212 िनबधामक

1) अिधगम क व=प को पD किजय अिधगम का मापन कस करत ह वण1न किजए

2) वािचक अिधगम क िविभन पM का वण1न किजए

3) वािचक अिधगम क िविधय का वण1न किजए

4) अिधगम का अथ1 पD करत हJय इसक मख कार का वण1न किजए

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 124

इकाई-13 ाचीन एव निमि1क अनबधनसीखन स5बधी िस ात(हल टालमन एव

गथरी) (Classical and Instrumental Conditioning Theory of

Learning- Hull Tollman and Guthrie)

इकाई सरचना

131 तावना

132 उय

133 अनबधन िसPात

134 ाचीन या पवलािवयन अनबधन

135 निमिक अनबधन

136 ाचीन एव निमिक अनबधन मgt अतर

137 अनबधन क िनधा1रक

138 हल का बलन िसPात

139 टालमन का सकत अिधगम िसPात

1310 गथरी का सािनEय िसPात

1311 साराश

1312 श)दावली

1313 वम-याकन हत

1314 सदभ1 2थ सची

1315 िनबधामक

131 तावना

अिधगम क RयाZया करन वाल उपागम मgt अनबधन एक बहJचिच1त उपागम ह रथस क अनसार अनबधन

अिधगम का एक ऐसा सरल =प ह िजसमgt उीपक एव अनि याओ क बीच साहचय1 थािपत िकय जात ह

इसक दो ा=प ह- िजहgt ाचीन एव निमिक अनबधन कहत ह ाचीन अनबधन क आधारिशला पवलाव न

रखी थी तथा निमिक अनबधन का tय िकनर थान1डाइक तथा वZटरव को ह

ाचीन अनबधन अिधगम का सरलतम =प ह िजसमgt ाणी दो उीपक मgt साहचय1 सीखता ह

निमिक अनबधन क ारा जिटल Rयवहार का अज1न िकया जा सकता ह इसक उपयोिगता ाचीन अनबधन

क तलना मgt अिधक ह इस तकनीक का अिभ2ह ह िक ाणी क अनि या का कोई न कोई िनिम होता ह

इसी आधार पर इसका नाम निमिक पड़ा ह इस सि यामक अनबधन भी कहत ह Yयिक इसमgt ाणी

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 125

अिधगम परिथित का अवषण करक ल(य ािF क िलए Rयवहार करता ह रथस क अनसार निमिक

अनबधन सि यामक अिधगम का एक =प ह Yयिक इसमgt ाणी का सि यामक Rयवहार िकसी िनिWत

ल(य क ािF मgt निमिक काय1 करता ह

ाचीन अनबधन क कई कार ह िजनमgt भख ह - अ2मखी अनबधन पnमखी अनबधन कािलक

अनबधन सहसामियक अनबधन इसी कार निमिक अनबधन क कार को कई वगk मgt िवभ करत ह

िजनमgt मख ह - परकार िशMण परहार िशMण अकम1 िशMण दhड िशMण निमिक अनबधन मgt

बलन क िवशष भिमका होती ह ाचीन एव निमिक अनबधन क ि याओ मgt कछ िवशष कार क

घटनायgt ाF होती ह िजहgt अनबधन क गोचर कहा जाता ह य गोचर ह - िवलोप वतः पनरावत1न अवरोध

िवलLब का अवरोध अनबिधत अवरोध सकलन भाव सामयीकरण िवभदन एव उ`च म अनबधन

अनबधन क कई मख िनधा1रक ह - अयास समय अतराल बलन अिभरणा बलन क िविध

आिद बलन क कई िसPात ह - िजसमgt हल का म Rयवहार िसPात टालमन का सकत अिधगम िसPात

एव गथरी का सािनEय िसPात मख ह इनका िवशद वण1न इस इकाई मgt िकया जायगा

132 उय

इस इकाई क अEययन क पWात आप जान सकgt ग

bull ाचीन या पवलािवयन अनबधन Yया ह

bull निमिक अनबधन एव उसक मख कार

bull अनबधन क कौन-कौन स िनधा1रक ह

bull हल का बलन िसPात

bull टालमन का सकत अिधगम िसPात

bull गथरी कार सािनEय िसPात

133 अनबधन िस=ात

अिधगम क िविभन िसPात क तलना मgt अनबधन पर अयिधक ायोिगक काय1 हJए ह अनबधन को ऐस

साहचया1मक या अिधगम ि या क =प मgt परभािषत िकया जाता ह िजसमgt नवीन कार क उीपक-

अनि या साहचया का िनमा1ण करना सीखा जाता ह (Conditioning is the process by which

conditioned response are learned-Hilgard etal 1975) अनबधन को ाचीन एव निमिक

अनबधन मgt वगvकत िकया गया ह

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 126

134 ाचीन या पवलािवयन

ाचीन अनबधन ि या को ितिnत करन का tय नोबल परकार िवजता =सी दिहकशाeी पवलाव

(Pavlov 1927) को िदया जाता ह वस कछ अय मनोवािनक क भी कायk स इस अवधारणा का चार

तथा सार हJआ ह यह वह अिधगम ि या ह िजसमgt एक वाभािवक (Natural) या अनबिधत उीपक एव

एक तटथ (Neutral) या अनबिधत उीपक क बीच साहचय1 सीखकर अनबिधत उीपक (CS) क ित वह

अनि या ाणी करन लगता ह जो पहल कवल अनानबिधत उीपक (UCS) क ित करता था (Ruch

1967 D Amato 1970 Marx 1976) इस दशा मgt उपन Rयवहार को अनबिधत अनि या

(Conditioned Response CR) कहा जाता ह ाचीन अनबधन को और अिधक पD करन क िलए

पवलाव क ायोग का उ-लख िकया जा सकता ह

पवलाव का योग - पवलाव न एक योग मgt यह ात करन का यास िकया िक Yया योlय (का)

भोजन क अितर िकसी अय तटथ या अवाभािवक अनबिधत उीपक (CS) क भी ित लार ाव का

दश1न कर सकता ह इसक िलए पवलाव न एक क क लार 2िथ का आपरशन करक उसस एक नली को

जोड़ िदया तथा उसका सLबध एक परखनली (Test tube) स कर िदया तािक लार-ाव को उसमgt एकिNत

िकया जा सक (दिखए िचNा-1) आपरशन क बाद क को योगशाला क परिथित स अवगत कराया गया

तािक वह योग क अविध मgt कोई असगत Rयवहार न कर तपWात उस उपकरण म बाध िदया गया तािक िहल

न सक योlय पहल स ही भखा रखा गया था भोजन तत करन स पहल Eविन तत क गई Eविन सनन

पर उसन चकन एव कान खड़ा करन का Rयवहार िकया इस ि या क पनरावि स Eविन को भोजन तत

िकय जान का सकत समझ िलया और भोजन क ित क जान वाली लार ाव क अनि या Eविन क भी ित

करन लगा यह ि या िचNा मgt दशा1यी गयी ह Eविन एव भोजन को उरोर यास स यिrमत करक तत

करन स लार ाव क माNा बढ़ती गयी एव अनि या दिश1त करन मgt लगन वाला समय घटता गया तीसर

यास मgt ाव 60 बद हो गया एव समय कवल 2 स िलया गया

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 127

अथा1त उसन घhटी क Eविन एव भोजन मgt साहचय1 सीख िलया चिक िशMण क पव1 Eविन मgt अनि या

उपन करान क Mमता नहU थी अतः Eविन का अनबिधत उीपक (CS) और उसक ित लार eाव को

अनबिधत अनि या (CR) का नाम िदया गया इसक िवपरीत भोजन को अनानबिधत उीपक (UCS) एव

उसक ित यािशत अनि या लार ाव को अनानबिधत (UCR) कहा जायगा

ाचीन अनबधन क कार (Types of Classical Conditioning) -

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 128

ाचीन अनबधन क िनLनािकत भद ह इहgt िचNा 03 मgt दशा1या गया

1 अ2मखी अनबधन (Forward Conditioning) - इस िविध मgt अनबिधत उीपक (CS) पहल और

अनानबिधत उीपक (UCS) बाद मgt तत िकया जाता ह यह सवा1िधक सफल िविध ह इसक दो कार

ह थम-िवलिLबत अनबधन -इसमgt अनबिधत उीपक क कछ समय बाद अनानबिधत उीपक िदया जाता

ह ितीय-िच अनबधन - इसमgt अनबिधत उीपक क काफ समय बाद अनानबिधत उीपक तत िकया

जाता ह अथा1त योlय को मित क आधार पर अनि या करनी होती ह यह अपMाकत कम सफल िविध

ह (मारिYवस 1961)

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 129

2 पnमखी अनबधन (Backward Conditioning)- इस िविध मgt अनानबिधत उीपक (UCS) पहल और

अनबिधत उीपक (CS) बाद मgt तत िकया जाता ह अनक लोग न असफल िविध कहा ह (जस-कसन

1935य पोट1र 1938य िहलगाड1 एव मारिYवस 1961) परत वीजर (1930) न इसक आधार पर

साहचय1 थािपत होन का माण ाF िकया ह

3 कािलक अनबधन (TemporalConditioning)- इसमgt कोई अनबिधत उीपक (CS) य नहU होता ह

बि-क अनानबिधत उीपक ही िनिWत अतराल पर तत करक योlय को उसी िनिWत अतराल पर

Rयवहार करन का िशMण िदया जाता ह जस यक दो िमनट पर भोजन दकर लार ाव 2-2 िमनट पर

करन का िशMण दना इसस पD ह िक इसमgt समय अतराल ही अनबिधत उीपक का काय1 करता ह

4 सहसामाियक अनबधन (Stimultaneous Conditioning)- इस िविध मgt अनबिधत (CS) एव

अनानबिधत (UCS) दोन उीपक एक ही साथ तत तथा अCय होत ह

135 निमि-क अनबधन

िकनर (1938) ारा ितपािदत िसPात निमिक अनबधन कहा जाता ह यह ाचीन अनबधन क अपMा

अिधक उपयोगी तथा Rयावहारक ह ाचीन अनबधन मgt वािछत Rयवहार उपन करन क िलए सLबिधत

उीपक पहल दिश1त िकया जाता ह इसक िवपरीत निमिक अनबधन क अवधारणा यह ह िक ाणी को

वािछत उीपक या परणाम ाF करन या कDादायक उीपक स बचन क िलए यािशत उिचत या सही

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 130

अनि या (Rयवहार) पहल वय दिश1त करना होता ह अथा1त उीपक या परिथित क िनिम ाणी ारा

िकया जान वाला Rयवहार ही परणाम का व=प िनधा1रत करता ह इसी कारण इस निमिक अनबधन कहत ह

(Hulse et al 1975) इसी आधार पर इस सि यामक या ि यासत अिधगम (Operant learning) भी

कहा जाता ह (Hilgard and Bower 1981) पोटमन एव इगन (1967) न भी िलखा ह िक निमिक

अनबधन मgt धनामक बलन (S+) का ाF होना या नकारामक बलन (S-) स बचना इस बात पर िनभ1र

(Contigent) करता ह िक िकसी अिधगम परिथित मgt योlय कसा Rयवहार (उिचतअनिचत) करता ह

निमिक अनबधन क कार (Types of Instrumental conditioning) - निमिक अनबधन को

मZयतया चार वगk मgt िवभ िकया जाता ह -

1 परकार िशMण (Reward Training) - परकार िशMण स तापय1 ह उिचत या शPता अनि या

करक परकार या धनामक बलन ाF करना इसक िलए ायः कनर बॉYस का उपयोग िकया जाता

ह इसमgt योlय (चह) को भोजन स काफ समय तक विचत करक रखा जाता ह ारLभ मgt योlय

अनकानक कार क असगत Rयवहार (जस-उछलना कदना काटना आिद) दिश1त करत ह य Rयवहार

उपय नहU ह अतः उस भोजन नहU िमलगा यिद उस भोजन ाF करना ह तो बॉYस मgt लग लीवर को

दबाना होगा इस परिथित मgt यही शPता अनि या (Correct Response CR) ह यिद लीवर

अचानक दब जाता ह तो ततरी मgt वतः भोजन आ जाता ह िजस योrय 2हण (UCR) कर सकता ह

इस ि या क पनरावि करन स योlय अततः लीवर दबाकर (RC) भोजन ाF करना सीख जाता ह

इसस पD ह िक सही अनि या करन पर (लीवर दबाना) ही परकार ाF होगा इसस यह भी पD ह िक

निमिक अिधगम मgt ाचीन अनबधन क िवपरीत योlय को पया1वरण क सि य छानबीन करनी पड़ती

ह और शPता अनि या (RC) का चयन करना पड़ता ह तत परिथित मgt लीवर का उीपक क =प

मgt कोई महव नहU ह वह सही अनि या क घिटत होन का माEयम माNा ह (िचNा 713) वातव मgt वह

उीपक नहU ह

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 131

2 परहार िशMण (Avoidance Training) - परहार िशMण िविध मgt योlय को िकसी सकत क

दिश1त होन पर वािछत Rयवहार करक कDदायक उीपक स बचन का िशMण िदया जाता ह इसका

उपयोग मावरर (1940) और िसडमन (1953) न अिधक िकया ह जस िकनर बाYस मgt योlय को

रखकर काश उपन करना यिद वह लीवर नहU दबाता ह तो उस िवत आघात स किDत िकया जाता ह

उदाहरणाथ1 - एक दो कMीय बाYस िजसक बीच मgt फाटक होता ह बनाकर उसक फश1 मgt िवत आघात

क Rयवथा क जाती ह सव1थम योlय को थम कM मgt रखा जाता ह तथा कछ समय बाद काश

उपन करत ह योlय पावदान दबाकर दरवाजा खोल सकता ह और दसर कM मgt जा सकता ह ब-व

जलान क कछ समय बाद िवत आघात चाल िकया जाता ह तथा तब तक जारी रहता ह जब िक वह

पावदान खोलकर दसर कM मgt नहU चला जाता ह योlय ारLभ मgt असगत Rयवहार करता ह और यिद

ऐसा करन क अविध मgt पावदान दब जाता ह तो दरवाजा खला रहता ह और वह उसमgt जाकर कD स बच

जाता ह इस ि या क पनरावि करत रहन स योlय अततोगवा दरवाजा खोलकर दसर कM मgt जाना

सीख जाता ह इसस पD ह िक इसमgt काश एक सकत क =प मgt य होता ह और कD स बचन क

िलए पावदान दबाकर दरवाजा खोलना तथा दसर कM मgt चला जाना शPता अनि या (RR) ह

3 अकम1 िशMण (Omission Training) - जसा िक इसक नाम स ही सकत िमल रहा ह इसमgt िकसी

सीख गय Rयवहार को यागकर परकार या बलन ाF करन का िशMण िदया जाता ह जस िकनर

बॉYस मgt परकार िशMण दन क बाद योlय को उसी मgt पनः रखकर यह िशMण िदया जा सकता ह िक

लीवर दबान पर परकार ाF नहU होगा और लीवर न दबन पर (अकम1) परकार ाF होगा ऐसा करन स

योlय लीवर दबाना बद कर दगा इसस पD ह िक अिज1त Rयवहार को समाF करना अकम1 ह या िकसी

ब`च स कहना िक lsquoटॉफ लना ह तो रोना बद करोrsquo अकम1 Rयवहार ह

4 दhड िशMण (Punishment Training) - अवािछत Rयवहार या कायk को समाF करन मgt इस िविध

का ायः उपयोग होता ह इस िविध मgt योlय को सLबिधत Rयवहार का परयाग न करन पर दिhडत

करन क Rयवथा क जाती ह जस- िकनर बॉYस मgt योlय को लीवर दबान का िशMण दन क बाद

पनः उसी मgt रखgt तो पवा1नभव क आधार पर वह लीवर दबाएगा परत इस अविध मgt उस परकत करन क

थान पर दिhडत िकया जाय तो इस ि या क पनरावि करन स योlय सीखी गई अनि या का

परयाग कर दगा

निमि-क अनबधन म( बलन (Training Reinforcement in Instrumental conditioning) -

निमिक अनबधन या सि यामक अनबधन मgt बलन क िवशष भिमका होती ह जस-उिचत या सही

Rयवहार (अनि या) िकय जान पर धनामक बलन (Positive Reinforcement) क आपित1 क जाती ह या

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 132

अनिचत Rयवहार िकय जान पर नकारामक उीपक (दhड) का उपयोग िकया जाता ह तािक उसक पनरावि न

हो सक बलन को चार वगk मgt िवभ कर सकत ह -

1 धनामक बलन (Positive Reinforcement) - कोई भी सखद वत या उीपक जो उिचत Rयवहार होन

पर योlय को ाF होता ह जस-अ`छ अक ाF करना यह सLबिधत Rयवहार क दश1न क सभावना मgt

विP करता ह

2 नकारामक बलन (Negative Reinforcement) - िकसी उिचत Rयवहार क दिश1त होन पर कDद

वत क आपित1 रोक दना इसस उिचत Rयवहार क घिटत होन क सभावना बढ़ती ह जस-शरारत कर रह िकसी

ब`च को तब जान दना जब वह नोक-झक बद कर द

3 धनामक दhड (Positive Punishment) - िकसी अनिचत Rयवहार क घिटत होन पर िकसी कDद वत

या उीपक को तत करना जस-परीMा मgt कम अक ाF करन पर छाNा क शसा न करना या िनदा करना

इसस अनिचत Rयवहार क पनरावि क सभावना घटती ह

4 नकारामक दhड (NegativePunishment) - िकसी अनिचत Rयवहार क घिटत होन पर सखद वत क

आपित1 रोक दना इसस अनिचत Rयवहार क सभावना घटती ह जस-उदhड Rयवहार कर रह बालक को टीवी

दखन स रोक दना

बलन अनसची (Schedules of Reinforcement)

बलन क आपित1 कई =प मgt क जा सकती ह

1 िथर अनपात सची (Fixed Ratio Schedule) - िनिWत सZया मgt अनि या करन पर परकार दना

2 परवत1नीय अनपात अनसची (Variable Ratio Schedule) - िभन-िभन सZया मgt अनि याए करन पर

परकार दना

3 िथर अतराल अनसची (Fixed Interval Schedule) - एक िनिWत अतराल पर परकार क आपित1

करना

4 परवत1नीय अतराल अनसची (Variable Interval Schedule) - िभन-िभन अतराल पर बलन या

परकार क आपित1 करना

ाचीन एव निमिक अनबधन क ि याओ मgt कछ िवशष कार क घटनाए ाF होती ह इहgt अनबधन

क गोचर कहा जाता ह

1 िवलोप (Extinction) - िवलोप का आशय िकसी सीखी हJई अनि या को समाF या बद करन स ह

योग मgt यह दखा गया ह िक यिद योlय ारा अनबिधत उीपक (CS) क ित अनि या (CR) करन

पर बलन (पनब1लन) न िदया जाय तो इसस अनि या क माNा मgt कमी आती ह और यिद ऐस यास क

पनरावि क जाती रह तो अनि या क माNा मशः घटती जाती ह और एक अवथा ऐसी आती ह

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 133

जबिक योlय अनि या दिश1त करना बद कर दता ह इसी गोचर को िवलोप का नाम िदया जाता ह

(Pavlov 1927 Skinner 1938) इसस पD ह िक अनबिधत अनि या करन पर बलन या पनब1लन

स विचत करन पर इसका अनि या क दश1न क सभावना पर नकारामक भाव पड़ता ह इस सग मgt

कछ िन^कष1 भी ाF हJए ह

1 यिद िवलोप क ि या न य क जाय तो अनबिधत का दश1न दीघ1 अतराल पर भी होता ह अथा1त

माNा समय Rयतीत होन स अनि या मgt ास कम होता ह (Hilgard and Humphreys 1938 Wundt

1937 Razarn 1939 Skinner 1950)

2 यिद अनबिधत अनि या का अयिधक िशMण िकया गया ह तो िवलोप िवलLब स होता (Elson

1938 Osgood 1953)

3 यिद िवलोप क समय यास क बीच मEयातर (Interval) दीघ1 रहा ह तो िवलोप सरलता स नहU होगा

(रना-डस 1945 रोहट 1947)

4 ारLभ मgt िवलोप क गित अिधक और बाद मgt मद हो जाती ह (Osgood 1953)

5 िजन अनि याओ को सीखन मgt परtम अिधक लगता ह उनका िवलोप शी होता ह (कपहाट1 आिद

1958)

6 सतत बलन क अपMा आिशक बलन क दशा मgt सीखी गई अनि या का िवलोप िवलLब स होता ह

(हLgज 1939)

7 िवतरत िविध स सीखी गई अनि या का िवलोप िवलLब स होता (रना-डस 1954)

8 अवसादी (Depressive) - दवाओ क योग मgt यह भी दखा गया ह उजक दवाओ क उपयोग स िवलोप

िवलLब स होता ह (कनर 1935)

2 वतः पनरावत1न (Spontaneous Recovery) - अनबधन क योग मgt यह भी दखा गया ह िक यिद

िवलोप क ि या परी होन क कछ समय बाद अनबिधत उीपक पनः तत िकया जाय तो अनबिधत

अनि या (CR) क कछ न कछ माNा दिश1त होती ह इसस पD ह िक अनि या क पनः दिश1त होन मgt

कवल िवtाम कारक का महव ह इस गोचर को वतः पनरावत1न कहत ह (दिखए िचN 714) पवलाव

(1927) एव एलसन (1938) न मशः ाचीन एव निमिक अनबधन मgt वतः पनरावत1न गोचर ाF

िकया ह इस सग मgt भी कछ िन^कष1 ाF हJए ह -

(i) वतः पनरावत1न स ाF अनि या क माNा कभी भी शत ितशत नहU होती ह

(ii) यिद मEयातर (िवtाम) दीघ1 रखा जाय तो अनि या क माNा अपMाकत अिधक ाF होती ह

(iii) वतः पनरावत1न िवtाम का परणाम ह

(iv) वतः पनरावत1न का सLबध िवलोप स ह

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 134

3 अवरोध (Inhibition) - िजन कारक का अनबधन पर बाधक भाव पड़ता ह उहgt अवरोध

का नाम िदया जाता ह अवरोध भाव अनक कार क हो सकत ह यथा बाT अवरोध (External

Inhibition) - यिद अिधगम क समय अासिगक कारक सि य होकर अिधगम को अवरोिधत करत ह तो उहgt

बाT अवरोध कहा जाता ह (जस शोर का बाधक भाव) पवलाव न यह िन^कष1 भी िदया ह िक लार ाव क

समय उनक उपिथित का अनि या पर अवरोधक भाव पड़ता था इसक अितर िवलLब का अवरोध

(Inhibition Of Delay) भी पाया जाता ह ऐसा पाया गया ह िक अनबिधत उीपक क दश1न क समय पर

अनि या क माNा परी नहU ाF होती ह परत जस-जस अनानबिधत उीपक क तत होन का समय समीप

आता जाता ह वस-वस अनि या क माNा बढ़ती ह इस िवलLब का अवरोध कहत ह अथा1त अनानबिधत

उीपक क दश1न का समय भी अनि या क माNा को भािवत करता ह

अनबिधत अवरोध (Conditioned Inhibition) - यिद अनबिधत उीपक क साथ कोई नया उीपक

सLबPकर िदया जाय परत ऐस यास मgt बलन न िदया जाय तो योlय ऐसी दशा म अनि या बद कर दता

ह जस वर उीपक क ित अनबिधत अनि या का िशMण दन क बाद यिद वर क साथ कोई नया उीपक

(जस-पश1) भी िदया जाय परत अनि या होन पर बलन न िदया जाय तो आग चलकर वरपश1 क दशा मgt

अनि या अवरोिधत होती ह अतः इस अनबिधत अवरोध कहत ह

अवरोध क भाव को समाF भी िकया जा सकता ह ऐसा करन स अवरोिधत अनि या क माNा मgt

विP होती ह ऐस गोचर को अनावरोध (Disinhibition) कहत ह ऐसा करन क िलए एक नवीन तटथ

उीपक तत िकया जाता ह और इस दशा मgt बलन िकया जाता ह इसस िवलF अनि या का पनः दश1न

होन लगता ह तथा अनि या क माNा भी बढ़ती ह वडवरी (1943) न निमिक अनबधन मgt भी इसको ाF

िकया ह

4 सकलन भाव (Summation Effect) - यिद एक अनि या दो अनबिधत उीपक क ित अनबिधत क

गई ह तो दोन उीपक को एक साथ तत करन पर ाF होन वाली अनि या क माNा मgt विP होती ह

अथा1त अनि या क माNा अलग-अलग उीपक क ित ाF होन वाली माNा क बराबर भी हो सकती ह

(Pavlov 1927) एिनजर (1952) न निमिक अनबधन मgt भी यह भाव ाF िकया ह इस सकलन

भाव कहा जाता ह

5 सामायीकरण (Generalization) - उीपक क परवित1त होन पर अनि याओ का उपन होना या

उीपक क िथर रहन पर अनि या ितमान का परवित1त होना सामायीकरण कहा जाता ह ाचीन एव

निमिक दोन ही अनबधन मgt यह गोचर पाया जाता ह सामायीकरण मख कार िनLनािकत ह -

(i) उीपक सामायीकरण (Stimulus Generalization) - इसस तापय1 ह िक यिद मल अनबिधत उीपक

(CS) स िभन परत िमलता-जलता नया उीपक तत िकया गया जाय तो उसक भी ित अनबिधत अनि या

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 135

ाF होगी जस यिद एक िनिWत तीता क काश (जस L5) क ित अनि या अनबिधत क जाय और बाद

मgt कछ नय काश उीपक (जस L1L2L3L4L5L6L7L8L9) तत िकय जायgt तो उनक भी ित

अनबिधत अनि या हो सकती ह जस-जस मल एव नवीन उीपक मgt समानता सLबधी विP होगी वस-वस

अनबिधत क उपन होन क सभावना भी बढ़गी (Hovland 1937 Candland 1968) इसस पD ह िक

उीपक सामायीकरण क वणता (Gradient) या माNा मल एव नवीन उीपक मgt समानता क माNा पर

िनभ1र करती ह (इcसटीन एव वस1टीन 1966 वस1टीन 1967) गटमन एव किलश (1956) न कबतर पर योग

करक निमिक अनबधन मgt भी यह गोचर ाF िकया ह

(ii) अनि या सामायीकरण (Response Generalization) - इस गोचर क दशा म उीपक पव1वत रहता ह

परत अनि या ितमान परवित1त होता ह जस- बखटरव (1932) न क को िवत आघात स बचन क िलए

एक पर उठान का िशMण िदया और उसक बाद वह पर बाध िदया गया इस बार योlय न आघात स बचन क

िलए दसरा पर उठाया जबिक वह पर उठान का िशMण नहU िदया गया था यहा पD ह िक उीपक पव1वत था

परत अनि या का ितमान परवित1त हो गया अय लोग न भी यह गोचर ाF िकया ह (जस-जस 1924

हल 1943 बान 1958)

(iii) िवलोप का सामायीकरण (Generalization Of Extinction) - यिद एक दशा मgt दो या दो स अिधक

अनि याओ का अनबधन कराया गया हो तो उसमgt िकसी एक का िवलोप कर दन स अय अनि याओ का

िवलोप सरलता स हो जाता ह (वास एव हल 1934)

6 िवभदन (Discrimination) - िदए गए उीपक मgt अतर सीखकर उनक ित िभन-िभन Rयवहार करना

िवभदन कहा जाता ह जस यिद एक उीपक क ित अनि या करन पर परकार और दसर क ित

अनि या करन पर दhड िदया जाय तो योlय थम को धनामक उीपक (S+) एव ितीय को नकारामक

उीपक (S-) क =प मgt म-यािकत करगा और नकारामक उीपक क ित Rयवहार करना बद कर दगा

अथा1त वह दोन उीपक मgt अतर थािपत कर लगा लp (1930) न चह पर योग करक िन^कष1 िदया

ह िक िवभदन अिधगम मgt बलन का अयिधक भाव पड़ता ह यिद िशMणोपरात कछ नवीन उीपक

तत िकय जायgt तो योlय उनमgt स उस उीपक क ित Rयवहार करगा जो िशMण अविध क धनामक

उीपक (S+) स िमलता-जलता होगा अय उीपक क ित वह Rयवहार नहU करगा इसस सकत िमल

रहा ह िक िवभदन सीखना सामायीकरण क ि या स सLबिधत ह इस गोचर पर अनक लोग न काय1

िकया ह (जस-हल 1952 पस 1942 हिनग 1962 मyयज 1966 मिकटश 1965)

7 उ`च म अनबधन (Higher Order of Conditioning) - यिद मल अनबिधत उीपक (CS) क साथ

कोई नया उीपक यिrमत िकया जाय तो योlय उसक भी ित अनबिधत अनि या (SR) करन लगता ह

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 136

इस गोचर को उ`च म अनबधन का नाम िदया गया ह पवलाव (1927) एव बखटरव (1932) न इसका

ायोिगक अEययन भी िकया ह

136 ाचीन एव निमि-क अनबधन म( अतर

दोन िविधय मgt पाय जान वाल अतर इस कार ह ndash

izkphu vuqcaku uSfefUgravekd vuqcaku

1- blds kjk ljy Oogkjksa dk gh vfkxe gksrk gSA

1- blds kjk tfVy Oogkjksa dk Hkh vfkxe fdk tk ldrk gSA

2- blesa izkkh dks nks mn~nhidksa ds chp lkgpZ lh[kuk iM+rk gS frac14tSls] izdkrdquok oa Hkkstu esa lEcUk lh[kukfrac12A vr bls mn~nhid izdkj (S-type) dk lh[kuk dgrs gSaA

2- blesa mn~nhid rFkk vuqfOslashk esa lkgpZ lh[kk tkrk gSA vr bls vuqfOslashkampizdkj (R-type) dk vfkxe dgk tkrk gSA

3- izkphu vuqcaku esa mn~nhidksa ds chp lkfUu (Contiguity) dk izHkko lkgpZ ij iM+rk gSA vFkkZr~] ledkjd frac14UCS CS dk vUrjkyfrac12 dk blesa fordquoksrsquok egRo gSA

3- uSfefUgravekd vuqcaku esa izHkko dk fue dkZ djrk gSA tSls] vuqfOslashk djus dk iqjLdkj izkIr gksus ij mn~nhid vuqfOslashk lEcUk n`lt+ gksrk gSA

4- izkphu vuqcaku esa Oogkj mRiUu gksus ds fy mn~nhid igys fnk tkrk gSA bls izfrNtilder (Elicited) Oogkj dgrs gSaA

4- uSfefUgravekd vuqcaku esa izkkh dks Loa mfpr vuqfOslashk djds izcyu izkIr djuk gksrk gSA bls kfVr (Emitted) k lafOslashkRed (Operant) Oogkj dgrs gSaA

5- izkphu vuqcaku esa vuSfPNd fOslashkvksa (Involuntary actions) dk gh vfkxe fdk tkrk gSSA bl ij Lokr raf=dk ra= dk fua=k jgrk gS frac14tSls] ykj lzkofrac12A

5- uSfefUgravekd vuqcaku esa sfPNd fOslashkvksa dk vfkxe gksrk gSA bu ij dsUnzh raf=dk ra= (CNS) dk fua=k jgrk gSA

6- fn izRsd izkl esa iqjLdkj u fnk tk rks vuqfOslashk dk vuqcaku dfBu gks tkrk gSA

6- uSfefUgravekd vuqcaku esa lrr ds LFkku ij vkafrdquokd izcyu ls Hkh ljyrkiwoZd vfkxe gksrk gSA

137 अनबधक क िनधा0रक

अनबधन क मख िनधा1रक िनLनािकत ह -

1 अयास (Practice) - नवीन कार क साहचय1 सीखन क िलए यथोिचत तर तक अयास कराना

आवयक होता ह अयथा योlय समिचत =प मgt अिधगम नहU कर पाता ह Yलीटमन एव ि सलर

(1927) न िन^कष1 ाF िकया ह िक यास क सZया बढ़ान स अनि याओ क दिश1त होन क सभावना

मgt विP होती ह

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 137

2 समय अतराल (Time Interval) - यिद उीपक (CS एव UCS) क बीच अतराल दीघ1 ह तो साहचय1

सीखन मgt किठनाई होती ह अतः इनक बीच अतराल समिचत =प मgt रखना आवयक ह (पवलाव

1938) यही कारण ह िक िच अनबधन थािपत करना किठन हो जाता ह वोिफल (1932) क अनसार-

यिद दोन उीपक क बीच का अतराल मशः बढ़ाया जाय तो अनि या क सभावना घटती ह ायः

04 स का अतराल अिधक उपय पाया गया ह (िgजवाटर तथा स 1957)

3 बलन (Reinforcement) - योग क अविध मgt अनि या दिश1त होन पर परकार क Rयवथा कर दन

पर अिधगम पर अ`छा भाव पड़ता ह बलन क अभाव मgt उीपक अनि या मgt थािपत होन वाला

साहचय1 कमजोर पड़ता ह बलन क कारण अनि या क माNा तथा शPता ता मgt विP होती ह (ह

1954 बकन 1962)

4 अिभरणा (Motivation) - अनबधन क आधार पर सीखन क Rयवहार पर अिभरणा का भी भाव

पड़ता ह यही कारण था िक पवलाव एव कनर आिद न अपन योlय को पहल स ही भखा रखा था

भख आवयकता क कारण योlय क Rयवहार मgt सि यता बनी रहती ह एव व ल(य ाF करन क यास

मgt यनशील रहत ह

5 बलन क िविध (Method of Reinforcement) - िकसी योग मgt Rयवहार िकय जान पर बलन या तो

सतत =प मgt या आिशक =प मgt िदय जा सकत ह ऐसा पाया गया ह िक यिद यक यास मgt बलन िदया

जाय तो आिशक िविध क अपMा अिधगम शी होता ह इस सग मgt यह भी पाया गया ह िक सतत िविध

स थािपत अनबिधत अनि या का िवलोप करना सरल एव आिशक िविध स अिज1त अनि या का िवलोप

करना किठन होता ह

6 अय कारक (Other Factors) - उपय1 कारक क अितर अनबधन पर कछ अय कारक का भी

भाव पड़ता ह पालi (1962) क अनसार- यिद मानव योlय पर योग िकया जाय तो अनबधन पर

वयिक िभनताओ (Individual Differences) का पD =प मgt भाव पाया जाता ह इसक अितर

अनि याओ क जिटलता भी अनबधन को भािवत करती ह कछ लोग न आय तथा अनबधन मgt

नकारामक सLबध ाF िकया ह (fान एव गीसलहाट1 1959 मािYव1स 1931)

138 हल का बलन िस=ात

बलन िसPात का ितपादन हल (Hull 1942) ारा िकया गया ह इस मब) Rयवहार िसPात

(Systematic behaviour theory) भी कहत ह

हल क अनसार- जब ाणी मgt कोई आवयकता (Need) उपन होती ह (जस-भख cयास या अय

आवयकताए) तभी उस आवयकता क पित1 क िलए Rयवहार िकया जाता ह आवयकता स उपन दशा क

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 138

पित1 क िलए िकया जान वाला Rयवहार पवा1नभव या आदत पर िनभ1र करता ह आवयकता स उपन िथित

को अतनuद (Drive) कहा जाता ह यिद पवा1नभव या आदतशि (Habit Strength) स समया का

समाधान नहU होता ह तो ाणी अय अनि याए करता ह अथा1त सही अनि या अचानक उपन होगी और

परकत होन पर भिव^य मgt उसक पनरावि क सभावना बढ़ती ह इस कार पD हो रहा ह िक आदत शि

(SHR) या उीपक-अनि या सLबध का Cढ़ होना परकार या बलन क ित पर िनभ1र करता ह SHR =f

(Reinforcement) हल क अनसार उीपक या समया (S) तत होन पर मित^क मgt उसक नायिवक

िचह (s) बनत ह और इसस ाणी मgt अRय अनि या वि (r) सि य होती ह यिद मgt बाT अनि या (R)

क =प मgt Rय होती ह अब यिद अनि या परकत क जाती ह तो उीपक (S) एव अनि या (R) मgt साहचय1

थािपत होगा हल ारा तत Rयवहार सLबधी RयाZया का िचNाण िचNा 5 मgt िकया गया ह

हल क अनसार Rयवहार का दश1न होन क िलए अतनuद क अवथा का उपन होना आवयक ह Yयिक

यही आदत शि (SHR) को सि या करता ह इस कार पD ह िक अतनuद उीपक का काय1 करता ह

इसीिलए इस अतनuद (Stimulus Drive SD) कहा गया ह उदाहरणाथ1- भोजन स विचत होन पर भख

अतनuद और पानी क आवयकता होन पर cयास अतनuद उपन होगा यही अतनuद ाणी को ल(योमख

बनाता ह और ाणी आदतानसार उसक पित1 का यास करता ह या नवीन अनि याओ का भी उपयोग कर

सकता ह अतः िकसी परिथित मgt दिश1त होन वाली िति या क शि (SDReaction potential) आिद

शि (SER) एव अतनuद (D) क अतरि या (Interaction) पर िनभ1र करगी एव इन कारक मgt स िकसी

एक क शय होन पर िति या दिश1त नहU होगी अथा1त SER=f (SHR)x(D)

उपय1 सN स पD ह िक अनि या क तीता आदत शि एव अतनuद क माNा पर िनभ1र करती ह

और अनि या स ाF होन वाला परणाम (सतिD या असतिD) ही भिव^य मgt उसक पनरावि िनिWत करगा

हल क िसPात का म-याकन (Evaluation) - यिप हल न एक Rयापक िसPात ितपािदत करन का यास

िकया ह लिकन इसमgt भी कछ किमया ह

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 139

1 हल का िसPात अयिधक जिटल ह इसस इसक उपयोिगता सीिमत रह गई ह

2 इस सLबध मgt यह िकया जाता ह िक यिद आदत िनमा1ण मgt सतिD आवयक ह तो ाणी िनषधामक

या कDदायक काय1 Yय करता ह

3 इसमgt वयिक िभनताओ मgt महव पर बल नहU िदया गया ह इसी कारण इसका व=प यािNक हो गया ह

139 टालमन का सकत अिधगम िस=ात

टालमन (1886-1959) ारा ितपािदत सकत अिधगम िसPात (1932) उयपण1 Rयवहारवाद (Purposive

behaviourism) याशा (Expectancy) िसPात सकत जटा-ट (Sign-Gestalt) िसPात या सकत

साथ1कता (Sign-significate) िसPात क भी नाम स जाना जाता ह इसस पD ह िक टालमन का िसPात

अनक िवचार स भािवत िसPात ह इसक मख िवशषताए िनLनािकत ह -

1 यह िसPात Rयवहारवादी िवचारधारा का समथ1न करता ह

2 यह Rयवहार क सम2ता एव सानामकता पर बल दता ह न आणिवक िवचारधारा पर

3 यह िसPात Rयवहार को ल(योमख मानता ह

4 यह िसPात यह भी मानता ह िक पया1वरणीय सकत का अिधगम मgt महव ह

5 इस िसPात क मायता ह िक अिधगम परिथित मgt Rयवहार परवत1नशील हो जाता ह और ाणी ल(य

तक पहJचन क िलए उस माग1 का चयन करता ह िजसमgt शि कम खच1 होती ह अथा1त सानामक

ि याए मEयवतv परवयk क भिमका िनभाती ह

टालमन न अिधगम Rयवहार क RयाZया करत हJए कहा ह िक अिधगम क परिथित मgt आन पर ाणी उस

परिथित का मित^क मgt सानामक मानिचNा िनिम1त करता ह जस भल-भलया मgt बाए मड़ना या दाए मड़ना

सीखना अिधगम परिथित क पM (सकत) का म-याकन करक ाणी यह िनिWत करन का यास करता ह

िक िकस Rयवहार का परणाम Yया होगा अथा1त उसका Rयवहार याशा ारा िनधा1रत होता ह याशा एव

अनि या क अनभव स सान का परमाज1न होता रहता ह और परिथित क िविभन घटक का ल(य ाF

करन क CिDकोण स म-याकन िकया जाता ह िजस वत उीपक या सकत क ित Rयवहार करन पर ल(य या

अथ1 ाF ह उसमgt तथा ल(य मgt सLबध थािपत िकया जाता ह जस- अनबधन क योग मgt Eविन (CS) को

सकत समझकर भोजन क याशा मgt Rयवहार करना (CR) इसस सकत एव अथ1 सLबध Cढ़ होत ह अयथा

कमजोर पड़त ह इस शि वध1न िसPात कहा गया ह (Osgood 1953)

1 यह िसPात िविभन अवधारणाओ क िमtण पर ही अिधक आधारत ह

2 इसमgt अिधगम रणा क महव को सीिमत कर िदया गया ह

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 140

3 जटा-टवािदय क भाित टालमन न भी उ`च मानिसक ि याओ को महवपण1 माना ह अतः इस

िसPात क आधार पर िनLनतरीय ािणय क Rयवहार क समिचत RयाZया करना किठन ह

4 टालमन क िसPात क ायोिगक उपलि)ध कम ही रही ह

5 टालमन क RयाZयाओ मgt वयिक िभनताओ क महव का उ-लख कम िमलता ह

1310 सािनEय िस=ात

मलतः Rयवहारवादी यािNक ढाच का ितिनिधव करन वाल सािनEय िसPात का ितपादन गथरी (Guthie

1946) ारा िकया गया ह गथरी का िन^कष1 ह िक ाणी अिधगम परिथित मgt समया का समाधान करन क

िलए िविशD गितय (Specific movements) को सीखता ह न िक काय1 (Act) सीखता ह िजस गित स ल(य

(S) क ािF होती ह भिव^य मgt भी पव1वत परिथित मgt उसी कार क गित ाणी ारा क जाती ह अथा1त

ाणी क Rयवहार मgt =िढ़वािदता (Stereotype) आ जाती ह गथरी का यह भी कहना ह उीपक (ल(य) एव

अनि या मgt समीपता बढ़न स अिधगम क माNा बढ़ती ह अयथा घटती ह समीपता स उीपक (S) एव

अनि या (R) क साहचय1 Cढ़ होत ह इसक अितर उीपक एव अनि या क बीच साहचय1 एक ही बार मgt

थािपत हो जाता ह और बाद क यास मgt उसक पनरावि माNा होती ह यिद अनि या क साथ ही साथ

उीपक (ल(य) का भी दश1न होता ह तो दोन मgt पण1 साहचय1 थािपत हो जायगा

अपनी िवचारधारा को मािणत करन क िलए हाट1न क साथ गथरी (1946) न िवशष कार क समया

बाYस मgt िबि-लय को रखकर योग िकया इसमgt एक खLभा (Pole) था योग मgt दखा गया िक यास एव

Nिट Rयवहार करन क अविध मgt िजस कार शारीरक गित स िकसी िब-ली को खLभा दबाकर मिार खोलन

मgt सहायता िमली उसी गित का िबि-लय न अगल यास मgt भी उपयोग िकया जस-खLभ को काटना दबाना

उस पर कदना या धYका मारना आिद इसस पD ह िक योlय न उीपक सकत (खLभा) एव अनि या मgt

साहचय1 एक ही बार मgt सीख िलया

गथरी क िसPात का म-याकन (Evaluation) - यिप गथरी न एक सरिलत िसPात ितपािदत करन का

यास िकया ह परत इसक वधता िविधवत मािणत नहU हो पाई ह (सवाड1 आिद 1944 सवाड1 1942

जीमन एव राइनर 1953 वीकस एव cलाट 1954) गथरी क िश^या वोYस (Voeks 1950) न इस िसPात

को उिचत माना ह इस पर कछ आMप लगाय गय ह -

1 अिधगम क िविभन ि याओ क सतोषजनक RयाZया इस िसPात स सभव नहU ह

2 Rयवहार को =िढ़वादी मानना उिचत नहU ह यह गयामक एव परवत1नशील होता ह

3 यह िक साहचय1 एक ही बार मgt थािपत हो जाता ह उिचत नहU ह

4 इस िसPात मgt वयि िभनताओ क महव को वीकार नहU िकया गया ह यह उिचत नहU ह

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 141

1311 साराश

इस इकाई क अEययन क पWात आप जान चक ह िक ाचीन अनबधन Yया ह ाचीन अनबधन अिधक क

एक ि या ह िजसमgt एक वाभािवक एव एक तटथ उीपक क बीच साहचय1 सीखकर अनबिधत उीपक क

ित वह अनि या ाणी करन लगता ह जो पहल कवल अनानबिधत उीपक क ित करता था ाचीन

अनबधन क कई कार ह - अ2मखी पnमखी कािलक सहसामियक

निमिक अनबधन क अवधारणा यह ह िक ाणी को वािछत उीपक या परणाम ाF करन या

कDदायक उीपक स बचन क िलए यािशत उिचत या सही अनि या पहल वय दिश1त करना होता ह

अथा1त उीपक या परिथित क िनिम ाणी ारा िकए जान वाला Rयवहार ही परणाम का व=प िनधा1रत

करता ह निमिक अनबधन भी कई कार ह - परकार िशMण परहार िशMण अकम1 िशMण एव दhड

िशMण

निमिक अनबधन मgt बलन क िवशष भिमका होती ह बलन को चार वगk मgt िवभ करत ह -

धनामक बलन नकारातमक बलन धनामक दhड एव नकारामक दhड ाचीन एव निमिक दोन ही

अनबधन मgt कछ गोचर ाF होत ह - िवलोप वतः पनरावत1न अवरोध सकलन भाव सामायीकरण

िवभदन एव उ`च म अनबधन

अनबधन क कछ मख िनधा1रक ह - अयास समय अतराल बलन अिभरणा बलन क िविध

तथा इसक अलावा भी ऐस तव ह जो अनबधन को िकसी न िकसी =प मgt भािवत करत ह

ाचीन एव निमिक अनबधन िसPात क अितर कछ अय िसPात भी ह िजनमgt हल का बलन

िसPात टालमन का सकत अिधगम िसPात एव गथरी का सािनEय िसPात इन िसPात का िवशद वण1न

इस इकाई मgt िकया गया ह

1312 शदावली

bull अिधगम यह वह ि या ह िजसमgt एक उजना वत या परिथित क ारा एक यर ाF होता ह

इसक अितर यह यर एक ाकितक या सामाय य ह

bull ाचीन अनबधन उजना और अनि या क बीच साहचय1 थािपत करन क थम िविध ाचीन

अनबधन ह यह वह अिधगम ि या ह िजसमgt एक वाभािवक एव एक तटथ उीपक क बीच साहचय1

सीखकर अनबिधत उीपक क ित वह अनि या ाणी करन लगता ह जो पहल कवल अनानबिधत

उीपक क ित करता था

bull अ1मखी अनबधन इस िविध मgt अनबिधत उीपक पहल और अनानबिधत उीपक बाद मgt तत िकया

जाता ह

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 142

bull प]मखी अनबधन इस िविध मgt अनानबिधत उीपक पहल और अनबिधत उीपक बाद मgt तत िकया

जाता ह

bull कािलक अनबधन इसमgt कोई अनबिधत उीपक य नहU होता ह बि-क अनानबिधत उीपक ही

िनिWत अतराल पर तत करक योlय को िकसी िनिWत अतराल पर Rयवहार करन का िशMण िदया

जाता ह

bull सहसामियक अनबधन इस िविध मgt अनबिधत एव अनानबिधत दोन उीपक एक साथ तत तथा

अCय होत ह

bull निमि-क अनबधन निमिक अनबधन वह कोई भी सीखना ह िजसमgt अनि या अवलिLबत पनब1लन

पर आधारत हो तथा िजसमgt योगामक =प स परभािषत िवक-प का चयन सिLमिलत न हो

bull परकार िश6ण परकार िशMण स तापय1 ह उिचत या शPता अनि या करक परकार या

धनामक बलन ाF करना

bull परहार िश6ण इसमgt योlय को िकसी सकत न दिश1त होन पर वािछत Rयवहार करक कDदादयक

उीपक स बचन का िशMण िदया जाता ह

bull अकम0 िश6ण इसमgt िकसी सीख गय Rयवहार को याग कर परकार या बलन ाF करन का िशMण

िदया जाता ह

bull दdड िश6ण इस िविध मgt योlय को सLबिधत Rयवहार का परयाग न करन पर दिhडत करन क

Rयवथा क जाती ह

bull बलन ऐसी कोई वत कारक या उीपक ह िजसक य िकय जान पर ि या क सLभाRयता भािवत

होती ह

bull धनामक बलन कोई भी सखद वत या उीपक जो उिचत Rयवहार होन पर योlय को ाF होता ह

bull नकारामक बलन िकसी उिचत Rयवहार क दिश1त होन पर कDद वत क आपित1 रोक दना

bull धनामक दdड िकसी अनिचत Rयवहार क घिटत होन पर िकसी कDद वत या उीपक को तत

करना

bull नकारामक दdड िकसी अनिचत Rयवहार क घिटत होन पर सखद वत क आपित1 रोक दना

bull िवलोप िकसी सीखी हJयी अनि या को समाF या बद करन स ह

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 143

bull वतः पनरावत0न अनबध क योग मgt यह दखा गया ह िक यिद िवलोप क ि या परी होन क कछ

समय बाद अनबिधत उीपक पनः तत िकया जाय तो अनबिधत अनि या क कछ न कछ माNा दिश1त

होती ह इस गोचर को वतः पनरावत1न कहत ह

bull अवरोध िजन कारक का अनबधन पर बाधक भाव पड़ता ह उहgt अवरोध का नाम िदया जाता ह

bull सकलन भाव यिद एक अनि या दो अनबिधत उीपक क ित अनबिधत क गयी ह तो दोन

उदीपक को एक साथ तत करन पर ाF होन वाली अनि या क माNा मgt विP होती ह इस सकलन

भाव कहत ह

bull सामायीकरण उीपक क परवित1त होन पर अनि याओ का उपन होना या उीपक क िथर रहन पर

अनि या ितमान का परवित1त होन सामयीकरण कहा जाता ह

bull िवभदन िदय गय उीपक मgt अतर सीखकर उनक ित िभन-िभन Rयवहार करना िवभदन कहलाता ह

bull उRचम अनबधन यिद मल अनबिधत उीपक क साथ कोई नया उीपक यिrमत िकया जाय तो योlय

उसक भी ित अनबिधत अनि या करन लगता ह इस गोचर को उ`च म अनबधन कहा जाता ह

1313 वमयाकन हत

1- अनबधन को एव निमिक अनबधन मgt वगvकत िकया गया ह

2- ाचीन अनबधन क मख कार ह

(1) 3 (2) 4 (3) 5 (4) 6

3- इनमgt स ाचीन अनबधन का कौन सा कार ह

(1) परहार िशMण (2) अकम1 िशMण (3) दhड िशMण (4) कािलक

अनबधन

4- ाचीन अनबधन क णता कौन ह

(1) थान1डाइक (2) पोटमन (3) हल (4) पवलाव

5- निमिक अनबधन क ितपादन मgt इनमgt स िकसका योगदान ह -

(1) िटचनर (2) एिवगहास (3) माक1 िYवस (4) िकनर

6- िवलोप का आशय िकसी सीखी हJयी अनि या को करन स ह

7- िजन कारक का अनबधन पर बाधक भाव पड़ता ह उस कहा जाता ह -

(1) अवरोध (2) िवलोप (3) वतः पनरावत1न (4) सामायीकरण

8- िदय गय उीपक मgt अतर सीखकर उनक ित िनLन Rयवहार करन को कहा जाता ह -

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 144

(1) िवलोप (2) उ`च म अनबधन (3) अवरोध (4) िवभदन

उर - (1) ाचीन (2) 4 (3) 4- कािलक अनबधन (4) 4- पवलाव

(5) 4- िकनर (6) समाF (7) 1- अवरोध (8) 4- िवभदन

1314 सदभ0 1थ सची

bull िसह अsण कमार (2011) सानामक मनोिवान

bull tीवातव रामजी (सLपादक) (2003) सानामक मनोिवान

bull िसह आरएन एव भाराज एसएस (2010) उ`च ायोिगक मनोिवान

bull Colin Martindale (1981) Cognition and Consciousness

bull Geryd YDewalle (1985) Cognition Information Processing and Motivation

bull Kathleen M Galotti (1999) Cognitive Psychology in and Out of the Laboratory

bull Margaret Matlin (1982) Cognition

1315 िनबधामक

1) ाचीन या पवलािवयन अनबधन का उदाहरण सिहत वण1न किजय

2) ाचीन अनबधन क मख कार का वण1न किजए

3) निमिक अनबधन एव उसक मख कार का वण1न किजए

4) निमिक अनबधन मgt बलन क िवशष भिमका का वण1न किजए

5) ाचीन अनबधन Yया ह ाचीन एव निमिक अनबधन मgt अतर पD किजए

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 145

इकाई-14 )मित क कार- अ6पकालीन एव दीघकालीन )मित (अथगत एव ासिगक

)मित) (Types of Memory- Short term and Long term memory (Episodic

and Semantic memory)

इकाई सरचना

141 तावना

142 उय

143 मित का अथ1

144 मित क कार एव उनक िवशषताए

145 साराश

146 श)दावली

147 वम-याकन हत

148 सदभ1 2थ सची

149 िनबधामक

141 तावना

मित एक Rयापक श)द ह ायोिगक मनोिवान मgt अिधगम क मित का सवा1िधक िवतार स ायोिगक

अEययन िकया गया ह लकमन आिद न Rयि ारा अिज1त सचनाओ क अपन जीवनकाल मgt बनाय रखन क

मानिसक ि या को मित कहा ह िकसी सचना क मित मgt बन रहन क अविध एक सकhड स भी कम हो

सकती ह या जीवनपय1त बनी रह सकती ह मित मgt सचनाओ को बनाय रखन क ि या क अतग1त

अन िमक रीित स 3 कार क मानिसक ि यायgt होती ह सबस पहल स2हको क माEयम स होन वाल सचना

िनवश का कट सकतन होता ह कट सकितक सचना को मित मgt बनाय रखन क ि या होती ह इस ि या को

भhडारण कहत ह जो मित क दसरी अवथा ह कभी-कभी इस सचना सचय भी कहा जाता ह मित क

तीसरी अवथा होती ह सचना का पनsPार िजस सामायतः याान एव ितिभा भी कहत ह

ायोिगक मनोिवान मgt मित क व=प का िववचन दो कार स िकया जाता ह कछ लोग इस

बहJअवथा म क सरचना क =प मgt समयाियत करत ह तो कछ लोग एकNा िथित वाली ऐसी Rयवथा

मानत ह िजसमgt सचनाओ क मण अलग-अलग तर पर होता ह ऐसा माना जाता ह िक मित अिधगम का

परणाम होती ह मित क आधार पर हम पव1 मgt सीखी गयी साम2ी या पव1 अनभव को वत1मान मgt पनः मरण

=प स या दोहरान मgt सफल होत ह

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 146

मित को सामायतः तीन कार का माना जाता ह इहgt साविदक मित अ-पकािलक मित एव दीघ1

कािलक मित कहत ह इन तीन कार क मितय मgt भी िभन-िभन कार क मितया पायी जाती ह िजनका

िवषद वण1न इस इकाई मgt आग िकया जायगा

142 उय

इस इकाई क अEययन क पWात आप जान सकgt ग

bull मित Yया ह तथा यह िकतन कार क होती ह

bull सवदी मित Yया ह इसक मख कार एव िवशषताए Yया ह

bull अ-पकािलक मित Yया ह उसक मख कार एव उसक Yया िवशषताए ह

bull दीघ1कािलक मित क मख कार एव दीघ1कािलक मित क िवशषताए Yया ह

bull अ-पकािलक एव दीघ1कािलक मित मgt Yया अतर ह

bull श)दाथ1 मित Yया ह

143 मित का अथ0

मित अिधगम का परणाम ह मित क ही आधार पर हम पव1 मgt सीखी गई साम2ी या पवा1नभव को वत1मान मgt

पनःमरण करन या दहरान मgt सफल होत ह मित क अभाव मgt हम कछ भी याद नहU रख पायgtग इस इकाई मgt

इस पर चचा1 क जायगी

ऐसी मायता ह िक ाणी जो कछ सीखता ह उसक मित^क मgt बनती ह इन छाप को मित िचह

कहा जाता ह इस lsquoयरो2ामrsquo या lsquoइन2ामrsquo (Neurogram or Engram) भी कहत ह (Munn 1967) मित

या सीखी गई साम2ी या कायk का पनम1रण मित िचह पर ही िनभ1र करता ह

कन (Coon 2003) क अनसार मित^क मgt सचना भhडारण क परणामव=प होन वाल

परक-पनामक परवत1न को मित िचह कहा जाता ह

ऐसा माना जाता ह िक मित धारणा या पनम1रण क िलए lsquoमित िचहrsquo का सि य रहना आवयक

ह यिद य कमजोर या धिमल पड़त ह तो सीखी गई बात का िवमरण होन लगता ह rलीटमन (1983) क

अनसार rdquoअिधगम (सीखन) या अनभव स उपन तNकय परवत1न ही मित िच ह परत वातव मgt परवत1न

कसा होता ह यह अभी ात नहU हldquo

इस कार पD होता ह िक मित का आधार मित िच ह मित का व=प पD करन क िलए कछ

परभाषाओ का उ-लख कर सकत ह

मित क परभाषाए (Definitions of Memory)-

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 147

कन (Coon 2003) क अनसार- rdquoमित एक मानिसक णाली ह जो सचनाओ का सकतन भhडारण

सगठन परवत1न एव पनम1रण करती हldquo

आइिजक (Eysenck 1970) क अनसार- rdquoमित Rयि क वह योrयता ह िजसक ारा वह पहल

क अिधगम ि या स सचना स2ह करता ह और आवयकता पड़न पर उसका पनरोपादन करता हldquo

ाइस इयािद (Marx 1976) क अनसार- rdquoअतीत क पवा1नभव एव िवचार को पनस1िजत या पनरोपािदत

करन क मित^क क योrयता मित हldquo

िविभन परभाषाओ स पD होता ह िक मित एक ऐसी मनोवािनक ि या ह िजसक ारा

पवा1नभव िवचार या सीखी गई सामि2य क अनभव को चतना मgt लान मgt सहायता िमलती ह हम पवा1नभव

को पनः सिजत करत ह या उहgt पनरोपािदत करत ह तािक वत1मान परिथित मgt उनस लाभ उठा सकgt

समायोजन थािपत कर सकgt और आवयकतानसार उनका दश1न कर सकgt मित ि या एक अयत

लाभदायक ि या ह इसी क कारण हमgt अपन पवा1नभव याद रहत ह मित क अभाव मgt जीवन िनरथ1क एव

बोझ सा बन सकता ह यिद हमgt कछ याद ही न रह तो वह िथित िकतनी िविचN सी हो जायगी उपय1

परभाषाओ तथा िववचन क आधार पर मित क बार मgt िनLनािकत िन^कष1 िदय जा सकत ह-

1) मित एक मानसिक ि या ह

2) यह मित िच पर िनभ1र होती ह

3) अिधगम या अनभव क परणामव=प तिNाका तN मgt जो परवत1न होता ह वही मित का आधार बनता

4) मित ारा पवा1नभव या पव1 मgt सीखी गई बातgt चतना मgt लायी जाती ह

5) पवा1नभव को पनः सिजत या पनरोपािदत करना मित ह

6) मित मgt कट सकतन सचयन एव पनsPार क ि याए सिनिहत होती ह

7) मित ारा पवा1नभव या पव1 क ान को वत1मान परिथित मgt य िकया जाना सLभव हो पाता ह

144 मित क कार

मित को सामायतः तीन कार का माना जाता ह इहgt सवदी मित अ-पकािलक मित एव दीघ1कािलक

मित कहत ह इन तीन कार क मितय मgt भी िभन-िभन कार क मितया पाई जाती ह इहgt तत िचN

82 एव 83 मgt दशा1या गया ह ऐसी मायता ह िक मित-णाली मgt इनक क िलए िभन-िभन कार क मित

िचह बनत ह

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 148

िच7 82- मित क कार

1) सवदी मित (Sensory Memory)-

सवदी मित को मित क ारिLभक अवथा अथवा उीपन सचना या अिधगम स उपन भाव भी कहा

जाता ह यह मित साविदक िनवश पर ही िनभ1र करती ह इसक अविध एक सकhड स भी कम मानी गई ह

इस मित क िलए सवदी पिजका सLयय भी य िकया जाता ह ाइस इयािद (Price etal 1982) क

अनसार rdquoउीपक हटा लन क बाद भी सवदी सचना का कछ Mण तक िवलिLबत रहना सवदी मित हldquo

मित (Memory)

सवदी मित (SM)

अ-पकािलक मित (STM)

दीघ1कािलक मित (LTM)

ताकालक (Immediate)

ितEवयामक

(Econic)

ितमामक मित

(Iconic)

िववरणामक (Declarati

ve)

ि यक (Procedur

al)

ि याक (Working)

ासिगक (Episodic)

)

अथ1गत (Semantic)

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 149

मित क इस अवथा मgt मित मgt कोई परवत1न या मण नहU होता ह इसी कारण यह मित

Mणभगर होती ह rलीटमन (1983) क अनसार rdquoमित भhडार क यह वह Rयवथा (णाली) ह िजसमgt

साम2ी लगभग एक सकhड क िलए अपन मल अकिमत सवदी =प मgt रहती हldquo

िच7 83 मित क अवथाए

इस कार पD हो रहा ह िक सवदी मित वह मित ह जो लगभग एक सकhड क भीतर जाच करन पर ाF

होती ह अिधगम साम2ी या उीपक को सामन स हटा दन क बाद भी कछ Mण क िलए उसक जो यादात

रहती ह उस ही सवदी मित कहा जाता ह इसी कार इस Mिणक ितमा (Momentary image) भी कहत

ह मित ि या यहU स ारLभ होती ह इस मानिसक िचNा (Mental photograph) भी कहा जाता ह

(Bourne and Ekstrand 1982) सवदी मित णाली इस ितमा को lय का य बनाय रखन का यास

करती ह

सवदी मित क कार (Types of Sensory Memory) -

सवदी मित दो कार क होती ह इहgt ितमामक या ितिचNामक मित या चाMष मित एव

ितEवयामक मित या tवणामक मित भी कहत ह

(i) ितमामक मित (Iconic Memory)- िकसी उीपक या अिधगम साम2ी को योlय या Rयि

क सामन स हटा लन क बाद भी जो Mिणक ितमा रिटना पर बनती ह उस ितमामक या चाMष मित

कहत ह इसमgt उीपक या साम2ी अयत लघकाल क िलए (जस-50 िम0स0) दिश1त क जाती ह

ाइस इयािद (1992) क अनसार rdquoितमामक मित ऐसा चाMष मित िचह या उीपक का सतत

पWात भाव ह िजसक सचयन Mमता अपMाकत िवतत परत एक सकhड स अिधक नहU होती हldquo

बाT घटना या सचना

सवदी मित (SM)

अ-पकािलक मित (STM)

दीघ1कािलक मित (LTM)

असीिमत Mमता सीिमत Mमता Mणभगर

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 150

अथा1त ितमामक मित Mिणक होती ह वत या उीपक दश1न क बाद िवलLब बढ़न क साथ मित

मgt ास भी बढ़ता जाता ह वस इसक अविध ितEवयामक मित (Echoic memory) स अिधक होती ह

इस पर जॉज1 पिलग (Geogre Sperling 1960)तथा कछ अय शोधका1ओ न भी उ-लखनीय काय1 िकया

ह (Posner and Keele 1967 Averback and Coriell 1961) पिलग(1960) न एक योग मgt

योlय क समM टिचटोकोप क सहायता स अMर-अक क कछ पिया 110 स क दर स तत कU

इसक बाद योlय स दहरान क िलए कहा गया योlय न औसतन 350 सZया तक तत उीपक (अMर-

अक) को दहरान मgt सफलता ाF क इसस पD होता ह िक यह मित अयत Mिणक होती ह इसका कारण

सLभवतः यही ह िक योlय दिश1त साम2ी को िनधा1रत समय मgt न तो ठीक स यिMत कर पात ह और न ही

मित िचह का Mिणक समय मgt मण (Processing) ही हो पाता ह (जस-कटसकतन नामकरण सचयन

इयािद) (Posner and Keele 1967) इस कारण व कमजोर पड़ जात ह और िवमरण गित बढ़ जाती ह

(ii) ितEवयामक मित (Echoic Memory) - ितमामक मित क अितर ितEवयामक या

tवणामक सवदी मित का भी अितव मािणत करन मgt शोधका1ओ को सफलता ाF हJई ह

(Crowder 1967 1971 Massaro 1970) नीशर (UNeisser 1967) न कहा ह िक इसक

भी िवशषताए ितमामक मित (Iconic Memory) क ही भाित होती ह अतर यह ह िक

ितमामक मित CिD उीपक (Visual Stimulus) क दशा मgt और ितEवयामक मित

tवणामक उीपक क य करन पर ाF होती ह ाइस इयािद (1982) क अनसार-

rdquoितEवयामक मित tवणामक मित िचह या उीपक का सतत पWात भाव ह चाMष या

ितमामक मित क भाित इसक भी अविध अयत लघ होती हldquo

इसस पD होता ह िक ितEवयामक मित भी अयत Mणभगर होती ह मशारो (Massaro1970)

न इस पर िवशष अEययन िकया ह इनक अनसार मित णाली मgt tवणामक सचना भhडार पाया जाता ह

इनका िन^कष1 ह िक यिद िकसी Eविन उीपक क बाद कोई `छादन Eविन उीपक भी िदया जाय तो थम

Eविन उीपक क पहचान मgt किठनाई आती ह यिद दोन उीपक क बीच समय अतराल बढ़ाया जाय (जस-

20 स 250 ड) तो थम उीपक क पहचान क शPता मgt विP होती ह इसस पD ह िक बाद वाला उीपक

पव1 क उीपक क पहचान को अवरोिधत करता ह इनक योग क यह िविध पWगामी `छादन अिभक-प

तक कहा जाता ह इस मित क अविध ितमामक मित (Iconic Memory) क अपMा कम होती ह

परत कछ शोधका1ओ न इसक अविध अपMाकत कछ अिधक होन का उ-लख िकया ह जस-दो स0 तक

(Triesman 1964 Darwin Turvey and Crowder 1972 Crowder 1978)

ितEवयामक मित को एक उदाहरण ारा और भी सरलता स पD िकया जा सकता ह जस-कोई

श)द बोलन पर योlय उसका अशPता उ`चारण करता ह तो पD ह िक वह शPता उ`चारण समझ नहU

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 151

पाया अतः शPता उ`चारण पनः बोलकर सधार कराया जा सकता ह जस- lsquoश)दrsquo या lsquoिववrsquo अशPता

उ`चारण ह इन पर Eयान दकर शPता उ`चारण lsquoश)दrsquo एव lsquoिव13rsquo िकया जा सकता ह

सवदी मित क िवशषताए (Characteristics of Sensory Memory)-

सवदी मित मgt पाई जान वाली मख िवशषताए इस कार ह -

1 सवदी मित अयत Mिणक होती ह

2 सवदी मित क अवथा मgt सचनाओ का मण नहU हो पाता ह जस- कटसकत या नामकरण आिद

ि याए इसमgt सिनिहत नहU होती ह

3 सवदी मित मgt सचनाए मल =प मgt रहती ह इसक िवपरीत अय मितय (जस-STMLTM) मgt उनका

=प परवित1त भी होता ह जस- lsquoBTUrsquo को lsquoTUBrsquo या lsquoBUTrsquo क =प मgt कटसकितत करना और दहरान

क समय मल =प मgt बोलना परत यह सवदी मित मgt नहU हो पाता ह

4 इसक सचयन Mमता अिधक परत अविध अयत कम होती ह (जस-एक स)

5 सवदी मित पर अयास का भाव नहU पड़ता ह

ितमामक मित एव ितEवयामक मित मgt अतर (Differences Between Iconic and Echoic

Memory) -

इन मितय मgt मख अतर इस कार ह-

ितमामक मित ितEवयामक मित

1 इसक अविध अिधक होती ह

2 इसमgt मण ायः नहU हो पाती

3 इसमgt रिटना (नNपटल) क भिमका होती ह

4 यह ममित CिD उीपक क िलए पाई जाती

5 इसक बार मgt ाF िन^कषk मgt समानता ह

1 इसक अविध कम होती ह

2 इसमgt मण का कछ लाभ िमल जाता ह

3 इसमgt कोिट1 क अग क भिमका होती ह

4 यह मित Eविन उीपक क िलए पाई जाती

5 इसक बार मgt ाF िन^कष1 िववादापद ह

2) अपकािलक मित (Short-Term Memory STM) -

मित णाली क दसरी अवथा अ-पकािलक मित कही जाती ह ाचीन दाश1िनक िविलयम जLस(1890) न

इस ाथिमक मित का नाम िदया था सवदी अवथा स जब सचनाए मित णाली क ितीय अवथा मgt वश

करती ह तो उहgt अ-पकािलक मित कहा जाता ह रथम (1984) क अनसार rdquoअ-पकािलक मित का

आशय ऐसी मित स ह िजसमgt सवदी सचनाए लगभग 15-20 स तक पनम1रण क िलए उपल)ध रहती ह

अथा1त इसक भी अविध कम ही होती हldquo(Price etal 1982 Bruno1980) rलीटमन (Gleitman

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 152

1983) क अनसार ldquoअ-पकािलक मित वह मित णाली ह जो सामि2य (सचनाओ) को लगभग एक िमनट

तक सिचत िकय रहती ह िजसक भhडारण (सचयन) Mमता कम होती ह और िजसमgt दीघ1कािलक मित क

तलना मgt सामि2य का मण अपMाकत कम होता हldquo

इस कार पD हो रहा ह िक अ-पकािलक मित क भी अविध अपMाकत कम ही होती ह (Coon

2003) इसक अविध अिधकतम एक िमनट तक मानी गई ह इस अवथा मgt ायः सीखी गई सामि2य का

मण कम हो पाता ह जस-कटसकत अRय अयास नामकरण एव िवpषण इयािद इसक कारण इसमgt

भी िवमरण तज गित स होता ह िफर भी सवदी मित क तलना मgt िवमरण मद गित स होता ह यिद मण

क ि याए सि य हो जाती ह तो यह मित Cढ़ होन लगती ह और दीघ1कािलक मित मgt परवित1त हो जाती

ह (Keels 1973 Fish and Karsh 1971 Loftus 1981) ऐसी मायता ह िक अ-पकािलक मित क

अवथा मgt िवमरण ायः मित िचह क िवथापन क कारण होता ह

अपकािलक मित क कार (Types of Short-term Memory STM)-

अ-पकािलक मित को दो कार का माना गया ह इहgt ताकािलक मित एव ि यामक मित कहत ह

(i) ताकािलक मित (Immediate Memory) - अिधगम क िकसी परिथित मgt कोई Rयि एक

बार मgt िजतन अक या अMर को सही-सही दहरा लता ह उस ताकािलक मित कहत ह अवधान

िवतार क योग ारा इसका मापन सरलता स कर सकत ह इसमgt अक या अMर सम`चय तत

िकय जात ह इनमgt सZया अलग-अलग होती ह योlय उहgt सनन क बाद तरत दहराता ह

सामायतः लोग 7 2 (सात धन या ऋण दो) अक तक दहरा पात ह इसीिलए इस lsquoजादई अक सातrsquo

भी कहा जाता ह

(ii) ियामक मित (Working Memory) - यह वह मित ह जो सचनाओ क छानबीन इस कार

करती ह िक उसका व=प परवित1त हो जाता ह बडडल (Baddley 1950) का मत ह िक

अ-पकािलक मित मgt कछ िवशष कार क ि याए सि य होती ह यह कवल एक अथाई सचयन

णाली नहU ह इसमgt सचनाओ का सLपोषण होता रहता ह और इस काय1 मgt lsquoसि य अवधान

िनयNाकrsquo सहायता करता ह चाMष एव tवणामक सचनाओ क िलए अलग-अलग तN होत ह

इनमgt tवणामक सचनाओ का सLपोषण करन वाल तN को Eविन2ामीय लप कहत ह (Craik and

Levy 1976 Lewi 1979 Matlin 1983)

अपकािलक मित का अEययन (Studying STM) -

अ-पकािलक मित क अEययन मgt दो िविधय का योग िकया जा सकता ह इहgt उचाट या िवकष1ण

तकनीक एव छानबीन तकनीक कहत ह

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 153

a) उचाट या िवकष1ण तकनीक (Distraction Technique) - यह िविध िपटरसन एव िपटरसन ारा िवकिसत

क गई ह इसमgt Rयजन स िनिम1त पद या साथ1क पद एक-एक सकhड क अतराल पर तत िकय जात ह

तपWात िवtाम दत ह परत िवtामावथा मgt मानिसक अयास रोकन क िलए उ-टी िगनती िगनवात ह

इस अतवiशी काय1 कहत ह इसक बाद िविभन अतराल पर पनम1रण कराया जाता ह िविभन अतराल

पर ाF पनम1रण क माNाओ क तलना करक मित या िवमरण का आकलन कर सकत ह इस िविध क

आधार पर fाउन (Brown 1958) न भी काय1 िकया ह इसक कारण इस fाउन-िपटरसन तकनीक भी

कहत ह

b) छानबीन तकनीक (Probing Technique) - इस िविध मgt अिधगम साम2ी को एक-एक करक तत

िकया जाता ह इसक बाद बीच-बीच क पद दिश1त करत ह और योlय स यह पछा जाता ह िक उसक

बाद कौन सा श)द या पद आना चािहए योlय को बाद मgt दश1न का म ात नहU रहता ह वह यादात

या अनमान क आधार पर बोलता ह इसीिलए इस छानबीन या जाच तकनीक कहा जाता ह इसमgt

अतवiशी काय1 नहU िदया जाता ह

अ-पकािलक मित पर ायोिगक अEययन (Experimental Study on Short-term Memory) -

अ-पकािलक मित का ायोिगक अEययन करन क िलए वािचक सामि2य (जस-श)द या सZयाए) का बहJधा

उपयोग होता ह कोनाड1 (1960) fाउन (1958) िपटरसन एव िपटरसन (1959) िपटरसन (1963) एव म-टन

(1963) आिद न इस पर उ`च तरीय काय1 िकया ह यहा पर िपटरसन एव िपटरसन 1959) क योग क चचा1

क जायगी Yयिक यह इस MNा का एक ितिnत योग ह इनक िविध को उचाट या िवकष1ण िविध

(Distraction method) कहा जाता ह

उचाट िविध मgt योlय क समM िNपदीय Rयजन श)द दो सकhड क अतर पर तत िकय जात ह और योlय

उहgt जोर स पढ़ता ह तपWात िवtाम दत ह परत अRय अयास को िनयिNात करन क िलए कछ काय1 िदय

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 154

जात ह जस- उ-टी िगनती िगनना इस अतवiशी काय1 (Interpolated task) कहत ह योगका1ओ न धारणा

अतराल 3 6 9 12 15 18 रखा इन अतराल पर ाF धारणा ितशत िचNा मgt तत िकय गय ह

अतराल धारणा

3 स

6 स

9 स

12 स

15 स

18 स

75

55

32

18

10

6

िचN को दखन स पD होता ह िक धारणा अतराल (Retention intervals) बढ़न क साथ-साथ धारणा

ितशत (Recall percentage) घटता गया ह जस- तीन स0 बाद धारणा 75 ितशत 6 स बाद 55 और

9 स पर 32 हो गई ह बारहवgt तथा प_हवgt सकhड पर िवमरण और भी _त गित स हJआ ह Rयावहारक

CिD स दखgt तो अारहवgt स पर धारणा क माNा लगभग शय हो गई ह Yयिक िवमरण 90 स अिधक हो

चका ह इसस पD ह िक अ-पकािलक मित क अवथा मgt िवमरण _त गित स होता ह

परत मरडॉक (1961) न यह तक1 िदया ह िक धारणा मgt कमी माNा समय बीतन क कारण नहU हJई

तीत होती ह Yयिक िवtाम अविध मgt अतवiशी काय1 का भी मल अिधगम क धारणा पर नकारामक भाव

पड़ता ह इस कारण उसक मित धिमल होन लगती ह और िवमरण क माNा बढ़ जाती ह

कcपल (1965) न अ-पकािलक मित का अEययन करन क िलए छानबीन तकनीक का उपयोग

िकया ह इस िविध मgt यिrमत साहचय1 अिधगम िविध क आधार पर सची क पद तत िकय जात ह और पनः

बीच मgt सची क कछ पद तत करत ह तथा योlय उसस सLबिधत अनि या पद दहराता ह इस िविध मgt

धारणा क जाच ारिLभक अिधगम क बाद ही ारLभ हो जाती ह परत योlय को इसक जानकारी नहU दी

जाती ह

अपकारक मित क िवशषताए (Characteristics of STM)-

अ-पकािलक मित पर कछ िवशष कारक का भाव पड़ता ह इहgt ही अ-पकािलक मित क िवशषता क भी

नाम स जानत ह

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 155

1 अ-पकािलक मित मgt अयास स विP (Increase in STM from Practice) अ-पकािलक मित क

माNा मgt अयास क अवसर बढ़न स विP होती ह इसमgt यM अयास एव अRय अयास दोन सहायक

मान गय ह िपटरसन एव िपटरसन क ारिLभक योग एिबगहास (1913) और पोटमन (1962) क

परणाम इसक पिD करत ह

2 अवरोध का भाव (Effects of Interference) अ-पकािलक मित पर अ2ोमख एव पnोमख अवरोध

का भी भाव पड़ता ह मरडॉक (1961) न इसी आधार पर िपटरसन एव िपटरसन (1959) क योग पर

आपि क थी अhडरवड (1962) क भी अEययन स इसक पिD होती ह

3 यास क बीच अतराल (Interval between Trials) यह भी पाया गया ह िक यिद यास क बीच

अतराल दीघ1 हो तो अ-पकािलक मित अिधक ाF होती ह इसस मित िचह को सगिठत होन का

अवसर िमलता ह और धारणा ितशत बढ़ता ह (Kepple amp Underwood 1962)

4 लोभन का भाव (Effects of Incentives) धारणा क जाच क िलए अवसर दन पर लोभन तथा

परकार क Rयवथा करन स अ-पकािलक मित क माNा मgt विP होती ह (करनाफ इयािद 1966)

5 धारणा मgt _त ास (Rapid Decrease in Retention) अ-पकािलक मित क िवमरण क गित

अपMाकत ती होती ह Yयिक इनमgt सचयन तथा कट सकतन क ि याए सिनिहत नहU होती ह

(Hilgard etal 1975 Marx 1976 Adams 1967) िपटरसन एव िपटरसन (1959) क योग स

इस कथन को समथ1न िमलता ह

3) दीघ0कािलक मित (Long-Term Memory LTM) -

मित णाली क यह ततीय एव अितम अवथा ह इस िविलयम जLस (1980) न गौण मित का नाम िदया

था यह अिधक थाई होती ह मानव जीवन मgt इसका अयिधक महव ह Yयिक हम जो कछ सीखत ह या याद

करत ह उसका उपयोग जीवन मgt काफ लLब-लLब अतराल पर होता ह दीघ1 अतराल पर (जस-घhट

सFाह महीन या वषk बाद) जो मित दिश1त होती ह उस ही दीघ1कािलक मित कहा जाता ह (Bourn amp

Ekstrand 1982) अनभव या सचनाओ को दीघ1कािलक मित भhडार मgt सिचत होन क िलए आवयक ह

िक व अ-पकािलक मित क अवथा स दीघ1कािलक मित क अवथा मgt थानातरत ह इसक िलए

अयास तN का सि य होना आवयक ह जापदवद - (Atkinson amp Schiffrin 1971 1977 Rundus

1971)

कन (Coon 2003) क अनसार rdquoदीघ1कािलक मित वह मित ह जो साथ1क सचनाओ को दीघ1काल

तक भhडारत िकय रहती हldquo

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 156

rलीटमन (Gleitman 1983) क अनसार rdquoदीघ1कािलक मित ऐसी मित णाली ह िजसमgt मितया

दीघ1काल तक रहती ह िजसक Mमता काफ अिधक होती ह और जो सामि2य को अपMाकत िमत

(ससािधत) =प मgt सिचत िकय रहती हldquo

इस कार पD होता ह िक दीघ1कािलक मित अपMाकत अिधक थाई ससािधत तथा असीिमत

Mमताय होती ह मानव जीवन मgt इसका सवा1िधक उपयोग होता ह Yयिक आज हम जो याद करत ह या

सीखत ह उसका उपयोग हम ायः लLब अतराल पर करत ह कMा मgt पढ़ या पाठ को परीMा मgt िलखना

ऐसा ही एक उदहरण ह (Loftus 1980 1981 Postman 1975 Rundus 1971) इसस यह पD ह िक

दीघ1कािलक मित मgt िवमरण क गित मद होती ह इसक बार मgt मायता ह िक इस अवथा मgt िवमरण ायः

पनsPार क असफलता (Failure of retrieval) क कारण न िक Mय (ास) क कारण होता ह इसमgt िकसी

घटना सचना साम2ी या कहानी का सारा िववरण नहU स2हीत रहता ह बि-क उसक िविशD या महवपण1 अश

ही सिचत िकय जात ह

दीघ0कािलक मित क कार (Types of LTM)-

दीघ1कािलक मित को िववरणामक एव ि यामक वगk मgt िवभ िकया जाता ह

1 िववरणामक मित (Declarative Memory) िववरणामक मित का आशय िकसी वत Rयि साम2ी

या घटना क बार मgt िवतत जानकारी स ह जस- यह कहना िक हम जानत ह िक गाधी जी सय अिहसा

एव मानतवा क पजारी गरीब क मसीहा थ िववरणामक मित का उदाहरण ह

िववरणामक मित को भी दो वगk मgt िवभ िकया जाता ह इहgt ासिगक या वामक मित एव अथ1गत या

श)दाथ1 मित कहत ह िकसी घटना या जानकारी का मवार वण1न करना ासिगक या वामक मित कहा

जाता ह इसमgt Rयिगत अनभव का समय आधारत वण1न भी सिLमिलत ह इसिलए इस आमचरत मित भी

कहत ह दसरी तरफ िकसी वत क बार मgt सLययामक अवधारणाए िवकिसत करना श)दाथ1 या अथ1गत

मित कहा जाता ह जस-अमक वत मgt य िवशषताए ह यह अथ1गत मित ह इस सामाय या Rयापक मित भी

कहत ह

2 ि यामक मित (Procedural Memory) ि यामक मित का आशय िकसी काय1 ि या या

कौशल क तकनीक क जानकारी स ह जस- गाड़ी चलाना मशीन बनाना साइिकल चलाना या टाईप

करना आिद इसक उदाहरण ह Yयिक इनमgt काय1 करन क ि या Rयि जानता ह आवयकता पड़न पर

उसका उपयोग भी करता ह

दीघ1कािलक मित क िवशषताए (Characteristics of LTM) इनमgt भी कितपय िवशषताए पाई जाती ह

1) सगिठत सचयन (Organized Storage) - दीघ1कािलक मित मgt सचनाए अपMाकत अिधक सगिठत =प

मgt भhडारत रहती ह इसी कारण उनमgt िवमरण क गित मद होती ह

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 157

2) दीघ1कािलक सचयन (Longer Storage) - इसमgt मितय का भhडारण अपMाकत दीघ1काल तक रहता

ह जस-कई िदन सFाह महीन या वषk तक

3) असीिमत Mमता (Unlimited Capacity) - दीघ1कािलक मित क Mमता असीिमत होती ह इसमgt

अिधक स अिधक सचनाए स2हीत रहती ह

4) ससािधत या िमत सचयन (Processed Storage) - इसमgt ान या सचनाए अपMाकत अिधक मण

क बाद सिचत होती ह इसमgt इस काय1 मgt सकतीकरण िवतारण मानिसक अयासए यन अथ1गत

िवतारण एव tणी ग`छन आिद जसी ि याओ स सहायता िमलती ह (Craick and Lockhart 1972

Craick and Tulving 1975)

5) शPता (Accuracy) - इस मित मgt शPता ता क माNा अिधक पाई जाती ह यिद सीखी गई साम2ी

चाMष ह (जस-श)द वाYय आिद) तो पनम1रण क शPता ता और भी बढ़ जाती ह (Shepard 1967)

6) =पातरण (Transformation)- दीघ1कािलक मित क अवथा मgt सिचत सचनाओ या जानकारय का

=पातरण भी हो सकता ह इस बाट1लट (Bartlet 1932) न मित मgt पनर1चना का नाम िदया ह अथा1त

मल साम2ी का पनरोपादन करत समय योlय कछ नया अश उसमgt जोड़ दत ह परान अश िवमरत हो

जात ह और तyय का िव=पण (Distortion) भी होता ह

अ-पकािलक एव दीघ1कािलक मित मgt अतर (Differences Between STM amp LTM) - उपय1 दोन

कार क मितय मgt कितपय अतर पाया जाता ह जस -

a) Mमता मgt अतर (Differences in Capacity) - एडLस (1967) क अनसार अ-पकािलक मित मgt

सचयन क Mमता कम और दीघ1कािलक मित मgt सचयन क Mमता अिधक होती ह इसी कारण

अ-पकािलक मित का िवमरण अपMाकत शी होता ह माYस1 (1976) का भी ऐसा ही िवचार ह

b) Rयितकरण या बाधा का भाव (Effects of Inteference) - बाधाओ का भाव दोन कार क मितय

पर पड़ता ह कोनाड1 (1964) gमन एव हल आिद क अनसार अ-पकािलक मित मgt उजक सLबधी

Eवयामक समानता होन क कारण बाधा पहJचती ह जबिक दीघ1कािलक मित मgt उजक मgt अथ1

सLबधी समानता क कारण बाधा भाव पाया जाता ह बडल (1964) का भी ऐसा ही िन^कष1 ह सामाय

भाषा मgt यह कहा जा सकता ह िक Rयितकरण का भाव अ-पकािलक मित पर अिधक और दीघ1कािलक

मित पर कम पड़ता ह

c) दिहक आधार मgt (Differences in Physiological Bases) - अ-पकािलक एव दीघ1कािलक मित क

वगvकरण क वधता को दिहक अEययन स भी भी समथ1न िमला ह पनफ-ड (1959) का िन^कष1 ह िक

यिद िहcपोकLपस (मित^क का भाग) को नD कर िदया जाय तो अ-पकािलक मित दीघ1किलक मित मgt

=पातरत नहU हो पाती ह अथा1त दोन मितय मgt सिनिहत दिहक ि याओ मgt भी अतर ह

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 158

d) कटसकत मgt अतर (Differences in Coding) - िवान का मत ह िक दोन मितय मgt अ-पकािलक

मित का िवमरण ती गित स होता ह Yयिक इस अवथा मgt सचनाओ का अपिMत =प मgt कटसकत नहU

हो पाता ह कटसकतन एव सचयन आिद दीघ1कािलक मित क अवथा मgt अवय ही होता ह इसी कारण

इसक िवमरण गित कम होती ह (Tulving and Thompson 1973 Atkinson amp Shiffrin

19711977 Craick and Lockhart1972)

e) ाथिमकता बनाम नवीनता भाव (Primacy Recency Verses Effects) - अ-पकािलक एव

दीघ1कािलक मितय क वगvकरण क वधता क पिD ाथिमकता एव नवीनता भावो स भी होती ह

वािचक अिधगम का यह महवपण1 गोचर ह इसका आशय यह ह िक यिद कोई सची िमक िविध स याद

क जाती ह तो सची क ारिLभक पद का मरण अिधक होता ह इस ाथिमकता भाव कहत ह

मEय क पद का मरण बहJत कम हो पाता ह परत पनः सची क अत क पद का पनम1रण अिधक होता ह िफर

भी यह माNा ारिLभक पद क तलना मgt कम होती ह इस नवीनता भाव कहत ह

शदाथ0-मित (Semantic Memory)-

श)दाथ1 मित दीघ1कािलक मित का ही एक पM ह Yयिक इस मित-भhडार मgt श)द का अथ1 श)द या

वतओ मgt सLबध भाषा ान आिद स सLबिधत सचनाए स2हीत रहती ह परत ऐसा नहU ह िक सचनाए

lय क य पड़ी रहती ह बि-क उनमgt =पातरण या परवत1न भी होता ह यह परवत1न गणामक होता ह

एिबगहास न मित-अEययन क जो परLपरा थािपत क ह उसमgt मित मgt होन वाल माNामक परवत1न का

अEययन िकया जाता ह मित मgt होन वाल गणामक परवत1न क परLपरा बाट1लट (SF Bartlett 1886-

1969) ारा ारLभ क गई

श)दाथ1-मित का आशय यह ह िक हम जो सीखत या याद करत ह उसका व=प भाषामक एव

बौिPक म ारा परवित1त तथा =पातरत होता रहता ह (Hulse etal 1980) इसस पD ह िक हम जो

कछ जानत ह उसमgt हमारी भाषा तथा सानामक म क कारण परवत1न होता ह श)दाथ1 मित स सLबधी

अEययन मgt यह जानन पर बल िदया जाता ह िक कोई Rयि या योlय िकसी श)द या वत का अथ1 कस

मरत करता ह और िकस कार उसका

अथ1 भाषामक तथा बौिPक म ारा =पातरत होता ह श)दाथ1 मित स सLबिधत पM (कारक)

िवशषकर वािचक अिधगम तथा उसक धारणा को Rयापक =प मgt भािवत करत ह

मित म( शदाथ0 भdडारण (Semantic Storage in Memory) -

Rयि क श)दाथ1 मित भhडार मgt असZय श)द सिचत रहत ह और वह आवयकतानसार उनका उपयोग भी

करता ह यहा पर यह िकया जा सकता ह िक व िकस तरह मित भhडार मgt सिचत या भhडारत रहत ह कछ

लोग का मत ह िक हमार मित^क मgt भी श)दकोष जसी िथित होती ह इस आमगत श)दकोष कह सकत ह

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 159

कछ लोग न इनक RयाZया अय =प मgt भी (भाषामक एव मनोवािनक आिद) क ह अतः इस क

पDीकरण क िलए कछ माडल क चचा1 अपिMत ह

जाल सरचना माडल (Network Structure Model) -

श)दाथ1 मित क बार मgt एक चिलत अवधारणा यह ह िक इसमgt िविभन कार क श)द स सLबिधत

अथ1 जाल क =प मgt परपर अतःसLबिधत होत ह जाल सरचना क अवधारणा पर आधारत श)दाथ1 मित

क कई माडल तािवत िकए गय ह इनमgt Yवीिलयन का माडल (Quillian 1968) काफ चिच1त रहा ह इस

पदान िमक माडल (Hierarchical model) कहा जाता ह

पदान िमक माडल क अनसार Rयि क श)द भhडार मgt सिचत यक श)द स सLबिधत लMण का

एक सम`चय पाया जाता ह और िविभन लMण या िवशषताअgt का िविभन उपय तर या िबदओ पर

भhडारण िकया जाता ह ऐस सम चय सLबध क अतःसLबिधत पथ णािलय ारा सLबP होकर जाल

जसी सरचना का िनमा1ण करत ह कछ िवशषताए उस वग1 क िकसी सदय क िविशD िवशषताए हो सकती ह

और कछ िवशषताए उस वग1 क िकसी सदय क िविशD िवशषताए हो सकती ह इनका भhडारण एक ही िबद

या गाठ पर न होकर अलग-अलग होता ह िचNा मgt श)दाथ1-मित मgt पदान िमक भhडारण का एक उदाहरण

तत िकया गया ह उदाहरण क िलए िचNा मgt lsquoउड़ना पख का होनाrsquo इयािद जसी िवशषताए lsquoपMीrsquo श)द क

साथ दशा1ई गई ह दसरी तरफ गाती ह काली होती ह जसी िवशषताए lsquoकोयलrsquo क साथ सLबP करक

भhडारत िदखाई गई ह य उसक िविशD िवशषताए ह तथा उसमgt पिMय क अय िवशषताए भी पाई जाती ह

इसस पD हो रहा ह िक िकसी वत या श)द स सLबिधत अथ1 या िवशषताए एक िनिWत तर या िबद पर

भhडारत क जाती ह अतः यिद कोई यह करता ह lsquoYया कोयल गा सकती ह तो इसका उर lsquoकोयल

िविD िबदrsquo पर भhडारत िवशषता क पनsPार स िदया जाएगा परत यिद ह lsquoYया कोयल उड़ सकती ह

तो इसका उर lsquoपMी िविD िबद स िवशषता का पनsPार करक िदया जाएगा Yयिक मित भhडार मgt यह

िवशषता lsquoकोयलrsquo स ऊपर वाल तर या िविD िबद पर भhडारत ह भhडारण क यह Rयवथा पदान िमक

कही जाती ह

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 160

पदान िमक िसPात का अिभ2ह ह िक िकसी का उर दन मgt जो िति या काल ाF होगा वह इस तyय

पर िनभ1र करगा िक तत स सLबिधत सचना श)दाथ1 मित भhडार मgt िकस िबद पर भhडारत ह जस

Yया कोयल गा सकती ह इसका उर दन मgt जो समय लगगा उसक तलना मgt Yया कोयल उड़ सकती ह

का उर दन मgt समय अिधक लगगा Yयिक lsquoउड़नrsquo क िवशषता lsquoपMीrsquo िविD िबद पर भhडारत ह

सट सरचना माडल (Set Structure model) -

श)दाथ1 मित मgt श)द क भhडारण क RयाZया क िलए एक और भी माडल या उपागम तत िकया

गया ह इस ानकित-सरचना कहत ह जाल सरचना क भाित इस िवचार पर भी आधारत कई माडल तत

िकए गए ह इनमgt ानकित सPाितक माडल एक बहJत ही उपयोगी तथा भावशाली माडल ह जसा िक इसक

पहल पD िकया जा चका ह िक जाल सरचना माडल मgt यह परक-पना क गई ह िक श)दाथ1 मित मgt

भhडारत श)द क बीच पाए जान वाल सLबध अतःसLबिधत पथ णािलय ारा परपर सLबिघत होत ह

इसक िवपरीत ानकित सरचना माडल मgt यह अिभ2ह तत िकया गया ह िक श)दाथ1 मित भhडारण मgt श)द

का भhडारण िवशषताओ या लMण क सम चय क =प मgt िकया जाता ह इसीिलए इस लMण माडल भी कहत

ह इस माडल को Rयापक समथ1न ाF हJआ ह (Schaiffer amp Wallace 1969)

सट-सरचना माडल को िविभन उभयिनD वगk क वतओ स सLबिघत वाYय को सही या गलत

िनणvत करन क िलए िवकिसत िकया गया ह ऐस िनण1य करान क िलए मयर (1970) न दो कार क वाYय का

उपयोग िकया जस सभी का1 (Subject S) िवधय (Predicate P) ह एव कछ का1 (S) िवधय (P) ह

इनमgt थम कार क वाYय साव1भौिमक िवधायक या वीकारामक और ितीय कार क वाYय िविशD

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 161

िवधायक या वीकारामक वाYय कह जात ह उपय1 दोन वगk क वाYय मgt सट-सLबध को हितत करक

मयर न यह जानन का यास िकया िक उनका योlय क िनण1य-िति या काल पर कसा भाव पड़ता ह

इसक िलए यक वाYय-वग1 मgt चार कार क सLबध पर आधारत वाYय रख गय ऐस वाYय तथा उनक ित

ाF िति या काल तािलका मgt तत िकय गय ह

साव1भौिमक वीकारामक

सट-सLबध उदाहरण सयअसय औसत 0का0

(RTMS)

उपसट Subset - सभी दवदार वM होत ह

सपरसट Superset - सभी पथर लाल होत ह

आ`छादन overlapping - सभी मिहलाए लखक होती ह

िवयोिजत Disjoint - सभी बादल मिणबध होत ह

सय

असय

असय

असय

1182

1339

1263

1154

िविशD वीकारामक

उपसट Subset - कछ दवदार वM होत ह

सपरसट Superset - कछ पथर लाल होत ह

आ`छादन overlapping - कछ मिहलाए लखक होती ह

िवयोिजत Disjoint - कछ बादल मिणबध होत ह

सय

सय

सय

असय

998

1017

1108

1115

तत वत श)द या वाYय क बार मgt िनण1य लत समय Rयि उसक सामाय एव िविशD दोन कार क

िवशषताओ पर Eयान कि_त करता ह जस Yया कोयल एक पMी ह इसका उर दन क िलए पिMय एव

कोयल क िवशषताओक तलना क जाती ह और उसक बाद ही उर -हाrsquo मgt िदया जाता ह िमथ इयािद

(1974) क अनसार िनण1य दो अवथाओ मgt िलया जाता ह िनण1य लन मgt समानता कारक क मख भिमका

होती ह जसािक तत िचNा स पD हो रहा ह यिद तलनीय पM मgt समानता िनLनतर मापदhड स भी कम ह

तो तकाल lsquoअसयrsquo क अनि या ाF होगी और इसी कार समानता उ`चतर मापदhड स अिधक होन पर

lsquoसयrsquo क अनि या तकाल ाF होगी (Meyers 1970) इसी म को थम अवथा क छानबीन कहत

ह उदाहरणाथ1 कोयल कबतर तोता एव कौवा इयािद को पMी कहन मgt समय कम लगगा Yयिक इनक

िवशषताए पMी सLयय स सLबPिवशषताओ क समान ह परत बख को पMी कहन मgt योlय किठनाई

अनभव कर सकता ह एव उर दन मgt समय भी अिधक लगगा Yयिक उसक अपनी िवशषताए पिMय क

सामाय िवशषताओ क पण1तः अन=प नहU ह

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 162

िचN स

यह भी पD हो

रहा ह िक यिद

सLबिधत

वतओ मgt

समानता मEयम

तरीय ह तो का उर थम अवथा क छानबीन स नहU िमल पायगा अतः ितीय अवथा क उपयोग क

आवयकता पड़गी इस अवथा मgt सLबिधत वतओ क परभाषक िवशषताओ पर Eयान कि_त िकया जाता

ह परभाषक िवशषताओ क कमी स िनण1य लन मgt किठनाई बढ़ती ह (Rosch 1973) यिद दोन परभाषक

िवशषताए एक जसी ह तो को lsquoसयrsquo अयथा lsquoअसयrsquo मान िलया जाएगा यिद िनण1य लन मgt ितीय

तरीय छानबीन क आवयकता पड़ती ह तो िति या काल बढ़ जाता ह

मित म( पनर0चना (Reconstruction in Memory)-

इसका आशय यह ह िक पनः मरण क वातिवक म मgt मित भhडार मgt कवल पनsPार ही नहU होता ह

बि-क इसमgt कछ नवीन बात या पM का सजन तथा वत1मान अनभव क साथ पवा1नभव क आमसातीकरण का

भी म सिनिहत होता ह (Hulse et al 1980) अथा1त Rयि सनी हJई या पढ़ी गई बात या कहािनय मgt

अपनी पव1 मितय अनभव िवचार या भावनाओ क सदभ1 मgt परवत1न एव परमाज1न भी करता ह वह उसक

आकार को घटा सकता ह व=प को और भी समिवत करन का यास कर सकता ह उसमgt कछ नवीन बातgt

जोड़ सकता ह या कछ परानी बात को िनकाल भी सकता ह इसस सकत िमलता ह िक मित मgt गयामक

परवत1न भी होता ह श)दाथ1 मित क सग मgt दिश1त होन वाल इस म या गोचर को मित मgt पनर1चना का

नाम िदया गया ह यह पM एिबगहास स िभन परLपरा का ोतक ह एिबगहास-उपागम मgt मित मgt होन वाल

माNामक परवत1न क अEययन पर बल िदया जाता ह पनर1चनामक मित क अतग1त उसमgt होन वाल

गणामक परवत1न को िववचन का िवषय माना जाता ह इस उपागम को तत करन का tय बाट1लट (1932)

को िदया जाता ह

बाट1लट का अEययन (Bartletts Study)

बाट1लट (1932) न अपनी पतक मgt यMीकरण ितमा एव पनम1रण स सLबिधत अनक महवपण1

अEययन का उ-लख िकया ह परत इस सग मgt कवल मित क बार मgt िदए गए उनक िवचार क ही समीMा

क जाएगी बाट1लट न अपन योlय को एक कहानी पढ़न को िदया और िविभन अिनयिमत अतराल पर

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 163

(यनतम 15 िम0) कहानी का पनरोपादन कराया अनक योlय स पनरोपादन बार-बार तथा कई स वषk बाद

भी (जस 10 वष1) कराया गया इस कहानी का शीष1क lsquoत का यP था यक योlय को कहानी दो बार

पढ़न को दी गई लगभग 24 घhट बाद कहानी का जो पनरोपादन एक योlय न तत िकया उसमgt अनक

अशिPया पाई गई अपन Mण क आधार पर बाट1लट न िनLनािकत िन^कष1 तत िकया

(i) योlय न कहानी क अनक अश को छोड़त हJए उस काफ छोटा कर िदया

(ii) योlय न कहानी क भाषा को अपनी वय क भाषा सLबधी आदत क अन=प परवित1त कर िदया

उनक भाषा पर^कत अ2जी भाषा क अन=प थी जबिक कहानी क मल भाषा जनजातीय तर क

थी

(iii) योlय न कहानी को अपनी सयता और सकित क CिD स अपMाकत अिधक सगिठत तथा ठोस

=प द िदया

(iv) कहानी क पनरोपादन मgt अनक मल बात को छोड़ िदया गया था एव अनक बात को =पातरत भी

कर िदया गया

इन Mण क आधार पर बाट1लट न यह मत Rय िकया िक पनम1रण कवल तत साम2ी ारा ही

भािवत नहU होता ह बि-क पवा1नभव-िवचार एव परवश स भी रभािवत होता ह इस बाट1लट न कमा कहा

ह कमा जिटल घटनाओ क यMीकरण तथा उनक मित को Rयापक =प मgt भािवत करता ह

कमा का ायोिगक वत1न (Experimental induction of Schema) - बाट1लट क अEययन क इस

आधार पर आलोचना क गई ह िक उहन न यह पD नहU िकया ह िक िकस कार योlय मgt कमा उपन

या हितत िकया जा सकता ह तािक उसका मब) िव=पण पर भाव ात िकया जा सक इस सग मgt ऐस

कछ अEययन हJए ह िजनस यह िन^कष1 िमला ह िक वत क यMीकरण क समय यिद उसक बार मgt कोई िवशष

सचना उपल)ध क जाती ह तो उसस योlय मgt एक िवशष कमा या मानिसकता उपन हो जायगी और वह

पनरोपादन क व=प को िनधा1रत करगी ऐसा एक िसP अEययन कारमाइकल इयािद (1932) का ह

कारमाइकल इयािद क अEययन मgt कछ आकितया चाMष यMीकरण क िलए तत क गई इहgt

उीपक आकितया कहा गया एक समह को इन आकितय का नाम कछ तथा दसर को उसस िभन बताया गया

यक आकित एक-एक करक िदखाई गई और उहgt तत करन स पहल सिचत िकया गया इसका आकार

अमक वत जसा ह एक समह को थम सची जस अ2जी का अMर ब और दसर को ितीय सची जस- दज

का चाद स नाम बताय गए अEययन क तीसर समह को िकसी भी कार क सचना नहU दी गई योlय ारा

पहचान योrय आकितय क पनरोपादन तक यास जारी रहा परणाम यह रहा िक योlय क पनरोपादन पर

वािचक सचना का पD भाव पड़ा योlय को जसी सचना दी गई थU उसी क अन=प उस वत का

पनरोपादन भी हJआ जस- एक अध1वाकार आकित को एक समह न पव1 सचना क कारण उस अ2जी क

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 164

अMर-सी क =प मgt और ितीय समह न उसका यMीकरण lsquoचादrsquo क =प मgt िकया इसस पD ह िकसी भी

कारण स उपन कमा अिधगम साम2ी क पनरोपादन को िव=िपत करता ह और यक उीपक या वत क

िलए अलग-अलग lsquoकमाrsquo का िनमा1ण होता ह यिप इस अEयन स पनरोपादन पर वािचक सचना सममस

का भाव अवय पD होता ह परत यह नहU पD हो पाता ह िक सचनाओ क कारण िव=पण कब होता होगा

145 साराश

इस इकाई क अEययन क बाद आप जान चक ह िक मित Yया होती ह कन न बताया ह िक मित^क मgt सचना

भhडारण क परणामव=प परक-पनामक परवत1न का मित िचNा कहा जाता ह मित इहU मित िचह

पर ही िनभ1र करती ह मित क अभाव मgt हम कछ भी याद नहU रख पात ह मित को परभािषत करत हJए

आइजक न कहा ह िक मित Rयि क वह योrयता ह िक िजसक ारा वह पहल क अिधगम ि या स सचना

स2ह करता ह और आवयकता पड़न पर उसका पनsपादान करता ह

मितया कई कार क होती ह िजसमgt मख ह - सवदी मित अ-पकािलक मित एव दीघ1कािलक

मित यक कार क मितय क अपनी अलग-अलग िवशषताए होती ह इस इकाई मgt श)दाथ1 मित क

भी चचा1 क गयी ह यह दीघ1कािलक मित का ही एक पM ह श)दाथ1 मित का तापय1 ह िक हम जो सीखत

या याद करत ह उसका व=प भावामक तथा दिहक म ारा परवित1त तथा =पातरत होता रहता ह

146 शदावली

bull मित एक मानिसक णाली ह जो सचनाओ का सकतन भhडारण सगठन परवत1न एव पनम1रण करती

bull मित-िच मित^क मgt सचना भhडारण क परणामव=प होन वाल परक-पनामक परणाम को मित

िच कहा जाता ह

bull सवदी मित उीपक हटा लन क बाद भी सवदी सचना का कछ Mण तक िवलिLबत रहना सवदी मित

bull ितमामक मित ऐसा चाMष मित िच या उीपक का सतत पWात भाव ह िजसक सचयन Mमता

अपMाकत िवतत परत एक सकhड स अिधक नहU ह

bull ितEवयामक मित ितEवयामक मित tवणामक मित िच या उीपक का सतत पWात भाव

ह चाMष या ितमामक मित क तरह इसक भी अविध अयत लघ होती ह

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 165

bull अपकािलक मित अ-पकािलक मित वह मित णाली ह जो सामि2य को एक िमनट तक सिचत

रखती ह िजसक भhडारण Mमता कम होती ह और िजसस दीघ1कािलक मित क तलना मgt सामि2य का

मण अपMाकत कम होता ह

bull ताकािलक मित अिधगम क िकसी परिथित मgt कोई Rयि एक बार मgt िजसमgt अक या अMर को

दहरा लता ह उस ताकािलक मित कहत ह

bull ियामक मित यह वह मित ह जो सचनाओ क छान-बीन इस कार करती ह िक उसका व=प

परवित1त हो जाता ह

bull दीघ0कािलक मित दीघ1 अतराल पर जो मित दिश1त होती ह उस दीघ1कािलक मित कहा जाता ह

यह सचनाओ को दीघ1काल तक भhडारत िकय रखती ह

bull िववरणामक मित इसका तापय1 िकसी वत Rय साम2ी या घटना क बार मgt िवतत जानकारी स ह

bull व-ामक मित िकसी घटना या जानकारी का मवार वण1न करना ासिगक या वामक मित कहा

जाता ह

bull शदाथ0 मित िकसी वत क बार मgt सLयामक अवधारणायgt िवकिसत करना श)दाथ1 या अथ1गत मित

कहा जाता ह

bull ियामक मित इसका तापय1 िकसी काय1 ि या या कौशल क तकनीक क जानकारी स ह

147 वमयाकन हत

1- मित का परणाम ह

2- मित एक णाली ह

3- मित क िकतन कार ह

(1) 4 (2) 5 (3) 2 (4) 3

4- इसमgt स सवदी मित का कौन सा कार नहU ह -

(1) ितमामक मित (2) ितEवयामक (3) ताकािलक मित

उ-र (1) अिधगम (2) मानिसक (3) 3 (4) 4- ताकािलक मित

148 सदभ0 1थ सची

bull िसह अsण कमार (2011) सानामक मनोिवान

bull tीवातव रामजी (सLपादक) (2003) सानामक मनोिवान

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 166

bull िसह आरएन एव भाराज एसएस (2010) उ`च ायोिगक मनोिवान

bull Colin Martindale (1981) Cognition and Consciousness

bull Geryd YDewalle (1985) Cognition Information Processing and Motivation

bull Kathleen M Galotti (1999) Cognitive Psychology in and Out of the Laboratory

bull Margaret Matlin (1982) Cognition

149 िनबधामक

1 मित का अथ1 पD करत हJए उसक मख कार का वण1न किजए

2 सवदी मित Yया ह सवदी मित क िवशषताओ का वण1न किजए

3 अ-पकािलक मित क कार का वण1न करत हJय इसक अEययन क तकनीक का वण1न किजए

4 दीघ1कािलक मित को पD किजए तथा अ-पकािलक एव दीघ1कािलक मित मgt अतर पD किजए

5 दीघ1कािलक मित क कार का वण1न करत हJय इसक मख िवशषताओ का वण1न किजए

6 िटcपणी िलिखए -

(i) श)दाथ1 मित (ii) मित मgt पनर1चना (iii) कमा का ायोिगक वत1न

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 167

इकाई-15 प9ोमख अवरोध और उसक िस ात(Retroactive Inhibition and its

theories)

इकाई सरचना

151 तावना

152 उय

153 पnोमख अवरोध

154 पnोमख अवरोध क िनधा1रक

155 पnोमख अवरोध क िसPात

156 साराश

157 श)दावली

158 वम-याकन हत

159 सदभ1 2थ सची

1510 िनबधामक

151 तावना

अवरोध िवमरण का एक मख कारण ह यह अवरोध दो कार क होत ह - पnोमख एव अ2ोमख पnोमख

अवरोध क दशा मgt वत1मान मgt सीखी जान वाली साम2ी का अतीत या पव1 मgt सीखी गयी साम2ी क धारणा पर

नकारामक भाव पड़ता ह और उसका िवमरण बढ़ जाता ह पnोमख अवरोध पर अनक िवान न महवपण1

ायोिगक काय1 िकया ह इन अEययनकता1ओ क अनसार अतवiशीय काय1 करन स उपन पnोमख अवरोध क

कारण पव1 अिधगम क मित िचह का Cढ़ एव सगिठत होन का समिचत अवसर नहU िमल पाता ह इसी कारण

िवमरण बढ़ जाता ह पnोमख अवरोध क अनक िनधा1रक ह इसी कार इसक RयाZया क िलए कछ िसPात

भी ितपािदत िकए गए ह िजनका िवतत वण1न इस इकाई मgt िकया जायगा

152 उय

इस इकाई क अEययन क पWात आप कर सकgt ग

bull पnोमख अवरोध Yया ह तथा इसक मख िनधा1रक Yया ह

bull पnोमख अवरोध क मख िसPात िजसक ारा इसक RयाZया क जा सकती ह

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 168

153 प]ोमख अवरोध

पnोमख अवरोध िवमरण का एक मख कारण ह पnोमख Rयितकरण या अवरोध क दशा मgt वत1मान मgt

सीखी जान वाली साम2ी का अतीत या पव1 मgt सीखी साम2ी क धारणा पर नकारामक भाव पड़ता ह और

उसका िवमरण बढ़ जाता ह इस परभािषत करत हJए रच (1967) न िलखा ह rdquoमल अिधगम एव उसक

याान क बीच िकय गय अतवiशी काय1 क व=प स पनम1रण मgt जो किठनाई पदा होती ह उस पnोमख

अवरोध कहत हldquo

िहलगाड1 आिद (1975) न भी िलखा ह rdquoपnोमख अवरोध स तापय1 बाद मgt सीख गय िकसी काय1

का पव1 अिधगम क याान मgt Rयितकरण (बाधा) हldquo

इस कार पD हो रहा ह िक पnोमख अवरोध उस समय ाF होता ह जब नवीन काय1 अतीत क

अिधगम क मित को कमजोर बनाता ह या उसक िवमरण को बढ़ाता ह

पnोमख अवरोध पर मलर-िप-जकर (1900) ए डीकLप (1915) व)ब (1921) वान आरमर (1932)

जिकस तथा डालनवक (1924) टीवसन (1941) अडरवड (1957) तथा लोव एव वार (1968) न

महवपण1 ायोिगक काय1 िकया ह इन शोधका1ओ क अनसार अतवiशी काय1 (Interpolated learning)

करन स उपन पnोमख अवरोध क कारण पव1 अिधगम क मित िचह को Cढ़ एव सगिठत होन का समिचत

अवसर नहU िमल पाता ह इसी कारण िवमरण बढ़ जाता ह परत यिद अिधगम क बाद िवtाम िकया जाय या

Rयि सो जाय तो मित िचह सचाs =प स Cढ़ एव सगिठत हो जात ह और िवमरण क माNा घट जाती ह

लोव एव वार (1968) क एक योग मgt योlय न िदन एव रात मgt अिधगम िकया और पनः पनम1रण कराया

गया परणाम स पD हJआ िक यिद अिधगम क बाद योlय को िवtाम िदया जाय तो िवमरण क माNा

अपMाकत कम ाF होती ह परत अय गितिविधय मgt लग रहन स उनका मल काय1 पर बाधक भाव पड़ता ह

और िवमरण बढ़ जाता ह

प]ोमख अवरोध का अिभकप (Design)

पnोमख अवरोध का ायोिगक अEययन करन क िलए इस कार काय1 िकया जा सकता ह योlय को

ायोिगक अवथा मgt काय1 करन पर lsquoअrsquo क बाद lsquoबrsquo सीखना पड़ता ह और पनः काय1 lsquoअrsquo का पनम1रण करना

पड़ता ह िनयिNात अवथा मgt काय1 lsquoअrsquo क बाद िवtाम दत ह और इसक बाद पनः काय1 lsquoअrsquo का पनम1रण

कराया जाता ह यिद दोन दशाओ क कायk मgt अतर आता ह तो इस पnोमख अवरोध का परणाम माना

जायगा इस कार दोन अवथाओ क परणाम क आधार पर पnोमख अवरोध (RI) का माNामक िनधा1रण

कर सकत ह

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 169

154 प]ोमख अवरोध क िनधा0रक

पnोमख अवरोध क माNा पर अनक कारक का भाव पड़ता ह कछ कारक इस कार ह -

1) मल एव अतवiशी अिधगम मgt समानता (Similarity Between Ol and IL) यिद मल अिधगम साम2ी

एव अतवiशी अिधगम मgt समानता ह तो अवरोध भाव अिधक उपन होगा इसक परणामव=प

िवमरण क माNा बढ़ जायगी मYrय एव मYडोना-ड (1931) क अEययन स यह िन^कष1 िमला ह िक

दोन कायk (OL-IL) मgt समानता मgt मशः विP होन स धारणा मgt विP हJई ह इसस यह सकत िमल रहा ह

िक समानता स पनम1रण मgt सगमता हो सकती ह इसी आधार पर कrस-रािबसन परक-पना तािवत

क गई ह रािबसन (1927) क अनसार समानता मgt अयिधक विP कर दन स

धनामक अतरण (Positive transfer) भाव उपन होगा जो धारणा मgt विP करगा समानता शय होन पर

सगमता भी शय हो जायगी मEयम समानता होन पर याान कशलता यनतम ाF होगी

2) अिधगम का तर (Degree of Learning) यिद मल अिधगम का अिधक स अिधक अयास िकया जाय

तो अतवiशी काय1 का भाव कम बाधा उपन कर पाता ह इसक िवपरीत यिद मल अिधगम का तर िथर

रखकर अतवiशी काय1 का तर बढ़ा िदया जाय तो पnोमख भाव अिधक ाF होगा (Meltan and

Irvine 1940 Underwood 1943)

3) अतवiशी अिधगम क माNा (Quantity of IL) अतवiशी काय1 क माNा िजतनी ही अिधक होगी

पnोमख अवरोध भी उतना ही अिधक ाF होगा एक अEययन मgt टिविनग (1940) न 8 िनरथ1क पदक

सची याद करान क बाद अतवiशी काय1 क =प मgt 1 2 3 4 या 5 सिचया दU परणाम यह रहा िक सिचय

क सZया मgt विP होन स धारणा फलाक घटता गया

4) मल एव अतवiशी अिधगम क बीच का समय (Time Between OL and IL) - ऐस भी िन^कष1 िमल ह

िक यिद मल अिधगम क तरत बाद अतवiशी अिधगम कराया जाता ह या धारणा क जाच स थोड़ा पहल

इस िदया जाता ह तो पnोमख अवरोध अिधकतम ाF होता ह अथा1त धारणा ाFाक इस बात पर भी

िनभ1र करता ह िक मल अिधगम क बाद अतवiशी अिधगम कब कराया जाता ह

5) िवtाम का भाव (Effects of Rest) यिद मल अिधगम क बाद योlय को िवtाम द िदया जाय तो

िवमरण कम होता ह जबिक जागत रहन पर अिधक िवमरण होता ह जिकसन एव डालनवक (1924)

तथा लोवट एव वार (1968) न यह िन^कष1 ाF िकया ह िक अिधगम क बाद शयन करन स धारणा ाFाक

अिधक ाF होत ह इसक अनसार िवtाम या शयन स मित िचह को सगिठत एव िथर होन का अवसर

िमल जाता ह इसक परणामव=प िवमरण क माNा घटती ह एव धारणा क माNा बढ़ती ह

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 170

155 प]ोमख अवरोध क िस=ात

पnोमख अवरोध भाव Yय उपन होता ह इसक RयाZया क िलए कछ िसPात ितपािदत िकए गए ह

तत सग मgt उनका उ-लख िकया जायगा

अनि या ितपधा1 िसPात (Two-factor Theory) - पnोमख अवरोध क RयाZया करत हJए कहा गया ह

िक जब दो काय1 बारी-बारी सीख जात ह तो याान क समय दोन ही कायk स सLबिधत अनि याए िजा

पर आन को यास करती ह इस अनि या पधा1 कहत ह इसी कारण अतीत मgt सीखी गई साम2ी का िवमरण

बढ़ जाता ह (Barnes amp Underwood 1959) Yयिक अनि याओ मgt पधा1 क कारण अपिMत अनि या

का पनम1रण नहU हो पाता ह अतः यिद

पधा1 क िथित समाF हो जाय तो पनम1रण क माNा बढ़ जायगी परत यह िसPात पण1तः वीकाय1 नहU ह

Yयिक शोधकता1ओ का मत ह िक माNा वधा1 क ही आधार पर पnोमख अवरोध क सLयक RयाZया नहU क

जा सकती ह

ि-तव िसPात (Two-factor Theory)- म-टन एव इरिबन (1940) न lsquoवातN परक-पनाrsquo को अपन

अEययन क आधार पर परमािज1त कर िदया इनक अनसार माNा ितपधा1 ही िवमरण का कारण नहU ह एक

अEययन मgt योlय को िनरथ1क पद का िमक पवा1भास िविध स पाच यास तक अिधगम कराया इसक

बाद योlय न या तो िवtाम िकया था या उहgt अतवiशी अिधगम (IL) का िविभन तर तक अिधगम कराया

गया मल अिधगगम (OL) क 30 िम0 बाद उनस उसका पनः अिधगम कराया गया पnोमख अवरोध (RI)

क गणना िवtाम अवथा क याान फलाक को घटा कर क गई

योग मgt आया िक अतवiशी अिधगम (IL) पर अयास शय स आग बढ़ान पर पnोमख अवरोध

(RI) क सLपण1 माNा मgt ती गित स विP हJई ह बीसवgt यास मgt प0अ0 (RI) क माNा अिधकतम हो गई ह

और उसक बाद उसमgt कछ कमी आई ह ऐसा Yय इसक RयाZया दन क िलए म-टन एव इरिवन न यह तक1

िदया ह िक अतवiशी अिधगम (IL) पर यास क सZया मgt विP करन स थम सची (OL) क याान क

समय ितीय सची (IL) क पद भी पनः मरत हो जात ह अथा1त व मल सची क याान क समय हतMप

(Intrusion) करत ह इसस मल सची क याान मgt और भी कमी आ जाती ह अथा1त पnोमख अवरोध

उपन करन मgt अनि याओ क बाT ितपधा1 (Overt competition) भी उरदायी ह ऐसी Nिटया ारLभ

मgt अिधक होगी और अतदiशी अिधगम (IL) पर यास मgt विP करत रहन स कम हगी यास मgt विP क

कारण योlय थम (OL) ओर ितीय (IL) सची क पद मgt पDतः िवभदन (Differentiation) सीख लता

ह इसिलए आग चलकर ितीय सची (IL) क पद क याान (Nिटय) क सLभावना कम हो जाती ह इस

सची-िवभदीकरण (List-differentition) परक-पना कहत ह (Underwood 1965)

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 171

म-टन एव इरिवन क अनसार क अनसार पnोमख Rयितकरण (RI) क पण1 माNा मgt पधा1 क

अितर एक अय कारक स भी उपन अवरोध िमला होता ह इस इन लोग न कारक-एYस (Factor-x) का

नाम िदया ह इसी क कारण अनि या ितपधा1 क सLभावना कम होन पर भी अवरोध क माNा मgt विP पाई

जाती ह प0अ0 (RI) क सLपण1 माNा और बाT ितपधा1 स उपन अवरोध मgt अतर क िलए इन लोग न

कारक-एYस को उरदायी माना ह अतवiशी अिधगम (IL) क तर मgt विP करन स इसक भाव मgt भी विP

होती रहती ह इनका कहना ह िक अतवiशी अिधगम क अविध मgt मल साम2ी (OL) का अनािधगम

(Unlearning) होता ह इसिलए उसका िवमरण बढ़ जाता ह इस ही कारक एYस कहा जा सकता ह इस

कार ितीय सची (IL) क अिधगम क कारण थम सची (OL) क पद क पनः मरण क िलए उपल)धता

कम हो जाती ह और ितीय सची (IL) स पद याान क िलए ितपधा1 करत ह पD ह िवमरण क िलए इन

दो कारक को उरदायी माना गया ह इसीिलए इस िकारक िसPात कहा जाता ह

वतः पनरावत1न - कछ शोधकता1ओ का मत ह िक अतवiशी अिधगम स उपन अनािधगम का भाव समय

अतराल क साथ कम भी हो सकता ह यह अवधारणा वतः पनरावत1न (Spontaneous recovery) जसी ह

अनबधन मgt अनि या िवलोप क बाद िवtाम या अतराल दन क बाद अनि या का पन दश1न होता ह उसी

कार यिद ितीय साम2ी (IL) क अिधगम क बाद िवtामोपरात थम सची का पनः मरण कराया जाय तो

िवमरण क माNा मgt कमी आ सकती ह (Underwood 1948 Postman etc 1968 Ekstrand 1967)

िविभन अEययन मgt शयन क बाद काफ माNा मgt वतः पनरावत1न पाया गया

परमािज1त म याान - इस सग मgt कछ अय शोधकता1ओ का कहना ह िक यिद ितीय सची (IL) क

अिधगम क अविध मgt िविभन यास क बाद थम सची क भी पद का याान कराया जाय तो यह अनमान

लगाया जा सकता ह िक उनका िकस कार िवमरण होता जाता ह इस परमािज1त म याान (MFR)

तकनीक कहा गया ह बानiस एव अhडरवड (1959) क अEययन स पD हJआ ह िक ितीय सची पर यास

बढ़ान स उसक पद क उपल)धता बढ़ती ह और थम सची (OL) क पद क उपल)धता घटती ह ितीय

सची पर यास बढ़ान पर थम सची क पद या अनि याओ क पनः मरण मgt कमी आती ह Yयिक अतवiशी

अिधगम (IL) क कारण उनक अनि या शि (Response strength) घटती ह और उनका याान किठन

हो जाता ह

अनिया-िवयास [यितकरण - कछ िवान का मत ह िक ितीय सची का अिधगम करन स थम सची क

पद का पनः मरण न करन क वि बन जाती ह ऐसा चयनकारी यNायास (Selector mechnism) ारा

सLभव होता ह (Newton amp Wickens 1956) ऐसा ही मत कछ अय शोधकता1ओ न भी Rय िकया ह

(Postman Stark amp Fraser1968) इस अनि या-िवयास Rयिरण (Response set interference)

परक-पना कहा गया ह इस अय अEययन स भी समथ1न िमला ह (McGovern 1964 Postman amp

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 172

Stark 1969) वस इस ितव िसPात का िवतार ही माना जाना चािहए (Postman amp

Underwood1973) सMप मgt यही कहा जाना उिचत होगा िक अनि या िवयास दमन और अनािधगम दोन

ही िवमरण का िनधा1रण करत ह (Anderson amp Bower 1973)

उपय1 िववचन स पD हो रहा ह िक Rयिकरण क िलए िजस भी कारण को उरदायी माना जाय या

उसक RयाZया चाह जस भी क जाय यह िवमरण का एक बहJत ही महवपण1 कारण ह इस कार इस

अवधारणा का खhडन होता ह िक िवमरण माNा समय अतराल का परणाम ह

156 साराश

इस इकाई क अEययन क बाद आप जान चक ह िक पnोमख अवरोध Yया ह िहलगाड1 आिद न पD िकया ह

िक - पnोमख अवरोध स तापय1 बाद मgt सीख गय िकसी काय1 को पव1 अिधगम क याान मgt Rयतीकरण

(बाधा) ह पnोमख अवरोध क =प मgt अिधगम क समानता अिधगम का तर अतवiशीय अिधगम क माNा

मल एव अतवiशीय अिधगम क बीच का समय एव िवकास जस कारक आत ह पnोमख अवरोध भाव Yय

उपन होता ह इसक RयाZया क िलए कछ िसPात ितपािदत िकए गए ह िजनमgt मख ह - अनि या

ितपधा1 िसPात एव ितव िसPात

157 शदावली

bull प]ोमख अवरोध पnोमख अवरोध स तापय1 बाद मgt सीख गए िकसी काय1 या पव1 अिधगम क

याान मgt Rयितकरण (बाधा) ह

bull अतवशीय अिधगम िजस साम2ी का अिधगम कराना होता ह उसक बाद जो साम2ी बाधा थम क

पनः मरण पर पड़ता ह उस ही अतवiशीय अिधगम कहत ह

158 वमयाकन हत

1) पnोमख अवरोध का एक मख कारण ह

2) अतवiशीय काय1 क माNा िजतनी ही अिधक होगी भी उतना ही अिधक ाF होगा

उ-र (1) िवमरण (2) पnोमख अवरोध

159 सदभ0 1थ सची

bull िसह अsण कमार (2011) सानामक मनोिवान

bull tीवातव रामजी (सLपादक) (2003) सानामक मनोिवान

bull िसह आरएन एव भाराज एसएस (2010) उ`च ायोिगक मनोिवान

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 173

bull Colin Martindale (1981) Cognition and Consciousness

bull Geryd YDewalle (1985) Cognition Information Processing and Motivation

bull Kathleen M Galotti (1999) Cognitive Psychology in and Out of the Laboratory

bull Margaret Matlin (1982) Cognition

1510 िनबधामक

1 पnोमख अवरोध को पD करत हJए इसक मख िनधा1रक का वण1न किजए

2 पnोमख अवरोध क RयाZया हत ितपािदत मख िसPात का वण1न किजए

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 174

इकाई-16 िचतन का )वप एव कार िचतन मlt मानिसक वि1 या तपरता का महव

भाषा एव िचतन (Nature and Types of Thinking Role of Set in thinking

Language and Thinking)

इकाई सरचना

161 तावना

162 उय

163 िचतन अथ1 एव परभाषा

164 िचतन का व=प

165 िचतन कार

166 िचतन मgt वि या तपरता का महव

167 भाषा एव िचतन

168 साराश

169 श)दावली

1610 वम-याकन हत

1611 सदभ1 2थ सची

1612 िनबधामक

161 तावना

िय िवािथ1य सामायतया िचतन श)द स हम सभी परिचत ह Yयिक यह एक ऐसी अRय मानिसक

ि या ह जो ायः सभी ािणय मgt िनरतर चलती रहती ह

िचतन का हमार Rयिव स यM सबध ह हमारा िचतन िजतना tn होगा हमारा Rयिव भी

उतना ही िवकिसत एव परपYव होगा यिद हम िकसी क Rयिव स परिचत होना चाहत ह तो हम यह जान लgt

िक उस Rयि क िवचार कस ह उसका िचतन सकारामक ह या नकारामक यह अयिधक tn साधन ह

िकसी भी Rयि क Rयिव स परिचत होन का हमार िचतन का हमार वाyय मgt भी अित महवपण1 थान

ह वाyय क कजी सकारामक सोच ह हमार िचतन का हमार वाyय पर बहJत गहरा भाव पड़ता ह हम

जसा सोचत ह हमारा शरीर वसा ही रएYट करता ह नकारामक िचतन शरीर क ितरोधक Mमता को कम

कर इस अवथ बना दता ह सकारामक रहना आसान ह और िचतन को सकारामक व=प दना उसस भी

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 175

lयादा आसान ह आवयकता िसफ1 सकारामक रवया इिZतयार करन क ह जीवन मgt िजतनी भी किठनाइय

एव सघष1 Yय न आयgt सकारामक =ख अपनाय रखgt यही उम वाyय एव tn Rयिव क कजी ह

अब आपक मन मgt यह उपन हो रहा होगा िक यह िचतन आिखर ह Yया हम सभी हर पल हर

समय कछ न कछ सोचत तो रहत ह िकत इस सोचन क ि या स Yया आशय ह यह ठीक-ठीक बतान मgt हम

ायः असमथ1 रहत ह तत ईकाई मgt आप इसी िचतन ि या का अथ1 इसक िविभन परभाषाओ का

िवpषण इसक िवशषताओ कार इयािद का अEययन कर सकgt ग

वततः िचतन यM =प स िदखाई न दन वाली एक ऐसी मानिसक ि या ह जो यक ाणी मgt

िनरतर चलती रहती ह जब ाणी क सामन कोई समया उपन होती ह तो िचतन क श=आत होती ह और

जब तक समया का समाधान नहU हो जाता तब तक िचतन क ि या िनरतर चलती रहती ह

पाठक इस िचतन क व=प को ठीक ढग स समझन क िलय आप वय अपन Rयावहारक जीवन स

अपन Rयिगत जीवन स इस ि या को जोड़कर दखgt िक िकस कार वय हमारी िनयित क िजदगी मgt यह

ि या घिटत होती ह हम िकस कार स इसका उपयोग करत ह यिद आप इस पPित स अEययन करgtग तो

िनिWत ही अपन िवषय को भली-भाित जानन-समझन मgt सMम हो सकत ह

162 उय

िवािथ1य तत ईकाई का अEययन करन क बाद आप -

bull िचतन क अथ1 को पD कर सकgt ग

bull इसक िविभन परभाषाओ का िवpषण कर सकgt ग

bull िचतन क िविभन िवशषताओ का अEययन कर सकgt ग

bull िचतन क िविभन कार का वगvकरण कर सकgt ग

bull िचतन मgt तपरता का Yया महव ह इस पD कर सकgt ग

bull िचतन एव भाषा का एक दसर स Yया सबध ह इसक जानकारी ाF कर सकgt ग

bull िचतन ि या को हम िकस कार िवकिसत कर सकत ह इस पD कर सकgt ग

bull Rयावहारक जीवन मgt िचतन क महव को पD कर सकgt ग

163 िचतन अथ0 एव परभाषा

मानव क Rयवहार मgt िचतन का िवशष महव ह िचतन क कारण ही मन य पशओ स िभन ह आधिनक यग मgt

िदखाई दन वाली सभी कार क कगित चाह वह वािनक ह दाश1िनक हो या तकनीक सािहियक हो या

सासारकिचतन का ही परणाम ह अपनी िचतन Mमता ारा ही मन य एक नयी सयता और सकित का

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 176

िनमा1ण कर सका जबिक पश ऐसा न कर सका िचतन क सहायता स मन य अनक कार क समयाओ का

समाधान करता ह िचतन का योग समया समाधान मgt ही नहU अिपत ओर कार क अिधगम मgt ही िकया जाता

ह िचतन मgt परव1तन स Rयि क आदतgt और Rयवहार परवित1त हो जात ह िशिMत लोग क वाता1लाप मgt

िचतन श)द का उपयोग अनक कार क अकट मानिसक ि याओ का उ-लख करन क िलए िकया जाता ह

िचतन श)द क थान पर ि या सचक श)द सोचन का उपयोग सभी वग1 कgt लोग बहJतायत मgt करत ह जब कोई

किव किवता िलखता ह या कोई कलाकार कलाकितय का िनमा1ण करता हतब वह अपनी क-पना क माEयम

स अनक कार क िवLब को उभारन का यन करता ह उसस करन पर उसका उर होता ह िक वह सच

रहा ह वह शायद ही कभी कहता ह िक वह क-पना कर रहा ह एक बरोजगार यवक बठा ह आखgt बद ह िकत

चहर स पD लगता ह िक वह अपन िवचार मgt खोया हJआ ह वह क-पना करता ह िक उस एक बहJत अ`छी

नौकरी िमल गई ह उसक पास एक बहJत अ`छा मकान ह गणवान तथा सशील पनी व ब`च ह उसक पास

सख सिवधाओ क सभी साधन उपल)ध ह पछन पर वह बताता ह िक वह कछ सोच रहा ह वह यह नहU रहता

िक वह िदवावcन दख रहा ह एक नववध अभी -2 शादी होकर ससराल आई ह उस अपन घर परवार क

याद सता रही ह पछन पर वह भी यही रहती ह िक वह अपन घर परवार क बार मgt सोच रही ह जब मन य को

िकसी समया का समाधान खोजना होता ह तब वह िचतन ि या का ही आtय लता ह वह िचतन ि या

ारा वातावरण उसक वतओ और वतओ क पारपरक सबध को जानन का यास करता ह अतः कहा जा

सकता ह िक िचतन एक महवपण1 मानिसक िकया ह जो समया समाधान क ओर उमख होती ह िचतन क

दो पM होत ह थम Rयवहारक तथा ितीय सPाितक इस सबध मgt कछ भी कहन स पव1 इसक िविभन

परभाषाओ को जानना एव उनका िवpषण करना आवयक ह परभाषा -

इगिलश और इगिलश (1980) क अनसार- िचतन क चार मZय अथ1 ह-

a) कोई भी ि या या काय1 जो मZयतः यMामक नहU िचतन हो सकता ह

b) दसर अथ1 मgt समया का समाधान ही िचतन ह िजसमgt कट हतन औ यMीकरण न होकर मZयतः

िवचार होत ह

c) तीसर अथ1 मgt िचतन का अथ1 िकसी समया मgt िनिहत सबध को समझना अथवा उस पर िवचार करना ह

d) िचतन का अथ1 आतरक और मख वाणी Rयवहार स िमलाया जाता ह

एटिकसन एटिकसन एव िहलगाड0 (1998) क अनसार- lsquolsquoिचतन एक ानामक ि या ह िजसमgt

घटनाओ तथा वतओ क ितिनिधय क =प मgt तीक क िवशषता होती ह rsquorsquo

बरोन(1992) क अनसार-lsquolsquoिचतन मgt सLयय ितािF तथा ितमाओ का मानिसक जोड़ तोड़ होता ह

rsquorsquo

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 177

गरट (1961) क अनसार-lsquolsquoिचतन एक ऐसा आतरक Rयवहार ह िजसमgt वतओ िवचार क िलए तीक

य होत हlsquolsquo

सनeोक (1995) क अनसार-lsquolsquoिचतन मgt मानिसक =प स सचनाओ का जोड़-तोड़ सिLमिलत होता ह

िवशष कर जब हम सLयय का िनम1ण करत ह समयाओ का समाधान करत हतक1 करत ह तथा िनण1य लत

हlsquolsquo

रबर तथा रबर (2001)क अनसार- सामायतः िचतन का अथ1 ह िवचार ितमाओ तीक ष)द

कथन मितय यय अवबोधन िव^वास तथा अिभाय का अतःानामक तथा मानिसक परचालन lsquolsquo

कागन तथा हवमन (1976) क अनसार- lsquolsquoितमाओतीक सLयय िनयम तथा अय मEयथ

इकाइय क मानिसक जोड़ तोड़ को िचतन कहा ताता ह lsquolsquo

वारन क अनसार- lsquolsquoिचतन एक िवचारामक ि या ह िजसका व=प तीकामक ह इसका ारLभ

Rयि क समM उपिथत िकसी समया या काय1 स होता ह इसमgt कछ माNा मgt यन सिनिहत होता ह िकत

यह िचतन इस समया क यM भाव मgt हाता ह और यह अितम =प स समया सलझान और उसक िन^कष1

क ओर ल जाता ह lsquolsquo

आइजक तथा उनक सािथयK (1972) क अनसार- lsquolsquoका-पिनक परभाषा क =प मgt िचतन का

का-पिनक जगत मgt Rयवथा थािपत करना ह यह Rयवथा थािपत करना वतओ स सबिधत होता ह तथा

साथ ही साथ वतओ क जगत क तीकामकता स भी सबिधत होता हवतओ मgt सबध क Rयवथा तथ

वतओ मgt तीकामक सबध क Rयवथा का नाम िचतन ह lsquolsquo

कोिलस एव gवर क अनसार-िचतन परिथित क ित चतन समायोजन ह

जॉन डीव क अनसार- lsquolsquoिचतन िकसी िव13ास या अनमािनत कार क ान का उसक आधार तथा

िन^कष1 क काश मgt सि य िनतर एव सावधानी पव1क िवचार करना हlsquolsquo

वडवथ0 का मत ह lsquolsquo िचतन करना एक किठनाई को दर करना ह lsquolsquo

डिशयल (1949)क अनसार- उ`च तरीय समया समाधान क आतरक कहानी ही िचतन ह lsquolsquo

जॉस0िवक (1970) क अनसार- lsquolsquo िचतन क काया1मक परभाषा यह ह िक इसक ारा अनभव क गई

सासारक घटनाओ अथवा उनक ितिनिधय क बीच Rयवथा थािपत क जाती ह lsquolsquo

िचतन क सबध मgt हh (1963) न िनLन िवचार Rय िकय ह-

i) जब ाणी िकसी समया का समाधान करता ह तो इस ि या मgt वह पवा1 अनभव का योग करता ह

ii) समया ाणी को उसक उय तक पहJचन मgt बाधा उपन करती ह अतः िचतन क आवयकता

पड़ती ह

iii) समया समाधान क परिथित मgt िचतन ि याशील होता ह

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 178

iv) सभी िवचारपण1 ि याओ मgt यास और भत का व=प दखा जाता ह चाह व ि या मgt आतरक हो

अथवा बाT

v) िचतन म रणा पाई जाती ह इसका अथ1 यह ह िक िचतन उय पण1 होता ह

vi) िचतन ि या स भाषा को अलग नहU िकया जा सकता भाषा मानव िचतन मgt अित आवयक ह

vii) समया क समाधान मgt जब िचतन ि या ारLभ होती ह तो उसमgt ितमाए पषीय ि याए तथा

आतरक सLभाषण आिद पाय जात ह

उपरो परभाषाओ स पD ह िक िचतन का सबध उपिथत वततओ स कम और उनक ितिनिधय और

तीको स अिधक ह तीक हमार मानिसक जगत मgt पव1 अनभव क ित िनिध क =प मgt काय1 करत ह िकसी

वत क अनपिथित मgt जब कोई मानिसक ि या उस वत का ितिनिधव करती ह तो उस मEयथ इकाई

कहत ह िचतन मgt भौितक वतओ क उपिथित विज1त नहU ह परत िचतन ि या अनपिyत वतओ क

अनपिथत क तीक को भी अपन अदर अिनवाय1 =प स समट लती ह चिक िचतन मgt वतओ एव िवषय

क भौिमक उपिथित आवयक नहU ह इसिलए इसमgt सLपण1 जीवन म सीखी गयी मEयथ इकाईय क वश

करन क परी गजाइश रहती हिकसी उददीपन अथवा समया न मित^क मgt कछ सचना भजी जाती ह उस

सचना क ित उपय ि या होन स पहल सचना ससाधन ि या होती ह उस सचना ससाधन का काय1थ

धानतः मित^क होता ह यिप सLपण1 शरीर स सोचन का भी दसवा िकया गया ह िवचार िवLब यय

आिद को मानिसक तर पर नय - नय ढग स िमलान एव सगिठत करन क ि या होती ह आरLभ मgt अनक

सगठन को र िकया जाता ह और अत क िकसी सगठन को समया क उपय माना जाता ह इसस पD ह

िक िचतन मgt मानिसक तर पर यन एव भल या Nिट होती ह जो समया का समाधान ाF हात तक चलती

रहती ह य यन एव भल अिनयिमत ढग स नहU बि-क समया स उपन एक िवशष कार क तपरता ारा

सचािलत होत ह िकसी समया का समाधान कब ाF होगा अथवा समया पर िचतन कब समाF होगा इस

िनिWत नहU िकया जा सकता िकसी -िकसी समया पर िचतन ि या जीवन भर चलती रहती ह

िचतन म भत वत1मान और भिव^य तीन स Rयि का सबध रहता ह भतकाल स िचतन क सामि2या

िमलती ह वत1मान िचतन को समया दता ह और भिव^य िचतन क फल दशा1ता ह क-पना क कोई िदशा नहU

होती ह और न इसक कोई अितम सीमा होती हजबिक िचतन क एक िनिWत िदशा होती ह और समया

समाधान होत ही यह िचतन ि या समाF हो जाती ह इसी आधार पर िवान न िनिद1D िचतन तथा अिनिद1D

िचतन म भद िकया ह िनिद1D िचतन िकसी समया स उपन होता ह और साहचयk क आधार पर एक ल(य

तक पहJचता ह इसक िवपरीत अिनिद1D िचतन वतः उपन होता ह और इसका कोई ल(य नहU होता ह

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 179

164 िचतन का वQप

पाठक िचतन क िविभन परभाषाओ का िवpषण करन क उपरात िचतन क व=प क सबध मgt

िनLनिलिखत तyय उजागर होत ह-

1) जब ाणी क सामन कोई ऐसी परिथित उपन होती ह िजसका समाधान तो वह करना चाहता ह िकत

उस समाधान का उपाय या राता िदखाई नहU दता ह तो वह सोचना श= करता ह अथा1त- उसमgt िचतन क

ि या ारभ होती ह अतः पD ह िक िचतन एक समया समाधान Rयवहार ह

2) िचतन एक अRय मानिसक ि या ह अथा1त- इस थल वतओ क भाित यM =प स आख स नहU

दखा जा सकता वरन-ाणी क Rयवहार क आधार पर यह पता लगता ह िक वह Yया सोच रहा ह उसक

िचतन का तर Yया ह

3) िचतन ि या का सबध भत वत1मान एव भिव^य तीन स होता ह

4) िचतन का मख उय िकसी समया का समाधान करना होता ह अतः इसमgt यन एव tित क ि या

शािमल होती ह

5) िचतन क एक िनिWत िदशा होती ह Yयिक यह ल(य िनदiिशत होता ह

6) िचतन मgt भाषा तथा तीक का भी उपयोग होता ह िवािथ1य आपन अYसर अनभव िकया होगा िक

सोचत-सोचत कभी-कभी हम अपन मन मgt कछ-कछ बोलन भी लगत ह अथा1त भाषा का योग करत ह

इसी कार िदखायी एव सनायी दन वाली ितभाओ का उपयोग भी हम सोचन मgt करत ह

िय पाठक िचतन क उपय1 िवशषताओ को जानन क बाद आशा ह िक आप इसक अथ1 एव

व=प को भलीभाित समझ गय हग

अब अगल पर`छद मgt िचतन िकस-िकस कार स िकया जाता ह इसक िविभन कार कौन-कौन स

ह इस पर चचा1 िक जायगी िजसस िक आप िवषय को ठीक ढग स आमसात कर सकgt

165 िचतन कार

अतः िय िवािथ1य आप जान गय हग िक िभन-िभन िवान न िचतन क िभन कार बतलाय ह वततः

समया क व=प पर भी बहJत कछ हद तक यह िनभ1र करता ह िक िचतन िकस कार का ह

मनोवािनक न िचतन को कई भाग मgt बाटकर अEययन िकया ह

िजबाडi तथा Qक (1977) न िचतन को िनLनािकत दो भाग मgt बाटा ह-

1) वली िचतन (ऑिटिटक िथिकग)

2) यथाथ1वादी िचतन (रयिलिटक िथिकग)

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 180

1) वली िचतन (ऑिटिटक िथिकग)- वली िचतन का तापय1 ऐस िचतन स होता ह िजका सबध

क-पनाओ स होता ह वली िचतन म Rयि क इ`छाए तथा िवचार ही क-पनाओ क =प म अिभRयि

होत ह िविभन कार क वcन तथा इन वcन मgt िदखन वाल Cय साथ ही Rयि क अिभलाषाए वली

िचतन क उदाहरण ह मिडकल वश परीMा क तयारी कर रहा कोई छाN यिद यह क-पना करता ह िक

मिडकल वश परीMा पास करन क पWात वह िकसी िसP मिडकल कॉलज मgt एडिमशन लगा तथा पढ़ाई

परी करन क पWात वह एक बहJत बड़ा हॉिपटल खोलगा बहJत स लोग क सफलता पव1क िचिकसा

करन पर उसका दश िवदश मgt नाम हागा तथ वह खब सारा पसा कमायगा तो यह वली िचतन का उदाहरण

हागा इस तरह क िचतन का कोई वातिवक आधार नहU होता ह साथ ही इसका सबध िकसी भी कार क

समया क समाधान स नहU होता ह

वली िचतन का कोई वातिवक आधार न होन क कारण कई बार Rयि अपन उददय स भटककर

भी िचतन करना ारLभ कर दकता ह िजसस उसक समय व ऊजा1 दोन क बबा1दी होती ह िजस समय का

सदपयोग वह अपन उददय क पित1 हत यन करन मgt कर सकता या उस समय को वह यही Rयथ1 क-पनाओ

मgt िबता दता ह

2) यथाथ0वादी िचतन (रयिलिटक िथिकग)- यथाथ1वादी िचतन का तापय1 ऐस िचतन स होता ह

िजसका सबध Rयि क वातिवक जीवन स होता ह यथाथ1वादी िचतन Rयि क समयाओ का समाधान

करन मgt मदत करता ह उदाहरणाथ1 - यिद कोई Rयि बस मgt बठकर माNा कर रहा ह और अचानक बस

=क जाती ह तब वह िविभन कार स सोचना ारLभ कर दता ह िक कहU ाइवर न कोई एYसीडgtट तो नहU

कर िदया ह कहU बस का डीजल तो नहU खम हा गया ह कहU बस क इजन म कोई खराबी तो नहU आ

गयी ह कहU पिहय का टायर तो नहU फट गया ह आिद आिद इस कार Rयि समया उपन करन म

सभािवत िविभन कारण पर िचतन करन क पWात मZय कारण तक पहJचता ह तथा िनिWत करता ह िक

बस इस कारण स ही बद हJई ह िफर वह तत समया क समाधान का यास करता ह इस कार का

िचतन यथाथ1वादी िचतन का उदाहरण ह

यथाथ1वादी िचतन ि या क अतग1त कई बातgt आती ह-

i) नयी समया क खोज करक उसको पहचानना

ii) समया क सकत का अथ1 समझना

iii) अतीत क अनभव का मरण करना

iv) अतीत क अनभव का लाभ उठाकर उनक आधार पर क-पना करना

v) परक-पना क आधार पर िनयम खोजना तथा िनयम क आधार पर सही िन^कष1 तक पहJचना ह

मनोवािनक न यथाथ1वादी िचतन को िनLन िलिखत भाग मgt िवभािजत िकया ह-

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 181

1) अिभसारी िचतन (कॉनवजट िथिकग)- इस तरह क िचतन को िनगमनामक िचतन (डडिYटव िथिकग)

भी कहा जाता ह अिभसारी िचतन का ितपादन सव1थम जाय पॉल िग-फोड1 न िकया अिभसारी िचतन

िचतन का एक ऐसा कार ह िजसमgt Rयि बहJत सारी जानकारय तथा तyय का िवpषण करक िकसी

एक उर को खोजता ह अथा1त िकसी एक िन^कष1 पर पहJचता ह िवालय मgt िवािथ1य ारा िकया जान

वाला िचतन िजसक आधार पर व िविभन पतक को पढ़कर जानकारया एकN करत िफर अपन िलए

उपयोगी जानकारी तक पहJच जात ह तथा अEयापक ारा पछ गय का समाधान करत ह अिभसारी

िचतनमgt गित परशPता तथ तक1 णा का िवशष महव ह अिभसारी िचतन का ाथिमक उददय कम स कम

समय मgt सव1tn तािक1 क उर तक पहJचना होता ह एक अिभसारी िचतक ायः ऐसी जानकारय क

एकNीकरण का यास करता ह अथा1त ऐस ान को ाF करता ह िजसका उपयोग वह भिव^य मgt आन वाल

समयाओ क समाधान मgt करता ह अिभसारी िचतन मgt हम सामाय स िविशD क ओर जात ह अथा1त

इसमgt ात सामाय िनयम क अनसार िकसी िविशD बात या घटना म का हम िवpषण करत ह जब

िकसी द िनयम क आधार पर हम िविशD िन^कष1 पर पहJचत ह तब हमारा िचतन अिभसारी िचतन क

कार का होता ह अिभसारी िचतन का क_ िबद िकसी समया का समाधान करना होता ह इसक िलए

हम िविभन सा(य व तyय एकN करत ह उनका िव^लशण करत ह और समया का समाधन करत ह इस

तरह क िचतन मgt Rयि अपनी िजदगी क िभन -िभन MN मgt ाF अनभव को एक साथ िमलाकर उसक

आधार पर एक समाधान खोजता ह ऐस िचतन ारा िजस समया का समाधान होता ह उसका एक

िनिWत उर होता ह

उदाहरण- बहJिवक-पी मgt अिभसारी िचतन का योग करना होता ह िजसमgt िदय गय 4 या 5 उर

का िव^लशण कर सही उर तक पहJचत ह इसी कार यिद हमस पछा जाय िक 10 का गणा 15 स करन पर

Yया उर आयगा तो इसक उर दन म िनिहत िचतन अिभसारी िचतन का उदाहरण होगा

2) अपसारी िचतन (डाइवजट िथिकग)- अपसारी िचतन का ितपादन सव1थम जाय पॉल िगलफोड1 न

िकया अपसारी िचतन मgt िकसी भी समया का समाधान करन हत िविभन जानकारया सा(य व तyय

एकN िकय जात ह िफर इन जानकारय सा(य व तyय क आधार पर अलग-अलग तरीक स समया

समाधान िकया जाता जाता ह अपसारी िचतन सामायतः वतN व वि`छ होता ह िजसमgt हमारा मित^क

अRयविथत =प स समया समाधान क उपाय खोजता ह और िविभन तरीक स समया समाधान करता

ह अपसारी िचतन का योग सामायातः ओपन इडड क समाधान मgt िकया जाता ह िजसमgt उरदाता

अपन अनसार कोई भी उर दन क िलए वतN होता ह उर दत समय वह िविभन उदाहरण क माEयम स

अपनी बात पD करता ह

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 182

अपसारी िचतन म( यP तकनीक( -

(क) fनटािमगः- fनटािमग का तापय1 ऐसी तकनीक स ह िजसमgt अ-प अविध मgt अनक िवक-प पर

िवचार करत हJए िकसी समया का समाधान िकया जाता ह या कोई िनण1य िलया जाता ह fनटािमग मgt

मZय तव िपिगबिकक ह िजसमgt एक िवचार दसर िवचार क िलए अिभरक का काय1 करता ह इसमgt बहJत

सार िवचार क एकN करन क पWात हर िवचार का िवpषण करक उर ािF का यास िकया जाता ह

(ख) शोध पिNकाओ का योग- शोध पिNकाओए अपसारी िचतन मgt महवपण1 eोत सािबत हJई ह इन शोध

पिNकाओ मgt िकसी िविशD िवषय पर अलग -2 लोग ारा तत शोध िन^कष1 होत ह िजनका योग

िचतन को एक िदशा दान करता ह

(ग) वतN लखन- वतN लखन Rयि िकसी िवषय मgt िबना =क िलखना ारLभ कर दता ह उसक िदमाग म

जो कछ भी िव^खय सबिधत आता ह वह िलखता जाता ह इसस अ-प समय मgt ही बहJत स िवचार एकN

हो जात ह िजनका िविशD म मgt बाद भी सगठन कर िलया जाता ह

(घ) मानिसक ितमा का िनमा1णः- इसमgt fनटािमग स उपन िविभन िवचार क एक मानिसक ितमा तयार

कर ली जाती ह िजसका उपयग अय िवचार क उपि मgt सहायक क =प मgt िकया जाता ह

इस कार अपसारी िचतन मgt अलग -2 तकनीक का योग करक समकया समाधान का यास िकया

जाता ह साधारण श)द मgt अपसारी िचतन को एक समया तथा उसक िविभनन हल (उर) स समझ सकत ह

3) रचनामक िचतन (ियिटव िथिकग)- रचानामक िचतन िचतन क एक सकारामक ि या ह

िजसमgt Rयि िदय गय तyय मgt कछ नय तyय जोड़कर एक िन^कष1 तक पहJचता ह िवान सािहय और

कला का िवकास रचनामक िचतन का ही परणम ह िहदी क श)द जानन वाल तो करोड़ ह परत इहU

श)द क अनपम योग स कछ लोग बड़ किव तथा कलाकार बन जात ह पड़ स पक फल टटकर जमीन

पर िगरत तो बहJत न दखा था परत यटन न इसी साधारण सी घटना स ग=वाकष1ण का िनयम िनकाला

हाडी मgt उबलत पानी और वा^प को दखकर जLस वाट न रल क इदजन का अिव^कार कर िदया य सब

रचनामक िचतन क ही परणाम ह िकसी भी Rयि का रचनामक िचतन उसक िलए एक आWय1जनक

घटाना हो सकती ह पड़ स जमीन पर िगरत फल तथा उबलत हJए पानी क भाप स ढYकन िहलत बहJत न

दखा परत ग=वाकष1ण का िनयम यटन न ही तथा भाप क इजन का अिव^कार जLस वॉट न ही िकया

रचनामक िचतन करन वाल Rयि क क-पनाओ मgt इतनी नवीनता तथा सहजता होती ह िक वह िविभन

वतओ क असाधारण उपयोग बता सकता ह

मनोवािनक न रचनामक िचतन को िभन-2 श)द मgt परभािषत िकया ह-

रास क अनसार- रचनामक िचतन ानामक पM क मानिसक ि या ह

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 183

वलटाइन क श)द मgt- रचनामक िचतन श)द का योग उस ि या क िलए िकया जाता ह िजसमgt

tखलाबP िवचार िकसी ल(य अथवा उददय क ओर वािहत होत ह

समाधान क नवीनता और सहजता रचनामक िचतन क मZय गण ह अनक िवान न सज1नामक

अथवा रचनामक िचतन और रचनामक समया समाधान को एक ही माना ह

gवडाल (1956) न रचनामक िचतन क सबस उिचत तथा िवतत परभाषा दी ह- सज1नामक िचतन

अथवा सज1नामकता Rयि क उस Mमता को कहा जाता ह िजसस कछ ऐसी नयी चीज रचनाओ या िवचार

को पदा करता ह जो नया होता ह एव जो पहल स उस ात नहU होता ह यह एक का-पिनक ि या या िचतन

सpषण हो सकता ह इसमgt गत अनभितय स उपन सचनाओ का एक नया पटन1 और सिLमtण सिLमिलत हो

जाता ह ना िक िनराधार वcन िचN होता ह यह वािनक कलाकार या सािहियक रचना क =प मgt हो सकता

बरोन (2001) न रचनामक िचतन क एक सटीक परभाषा दी ह जो इस कार ह- lsquolsquoमनोवािनक

ारा सज1नामकता को ऐसी काय1 करन क Mमता क =प मgt परभािषत िकया जाता ह जो नवीन (मौिलक

अयािशत) तथा उिचत (लाभदायक या काय1 अव=Pता को दर करन लायक) दोन ही होत ह

उपरो परभाषाओ क िवpषण स रचनामक िचतन क िवशषताओgt का पता चलता ह जो इस कार

ह-

रचनामक िचतन क िवशषताए -

1) रचनामक िचतन एक जिटल मानिसक ि या ह िजसमgt अनक सरल मानिसक ि याए िनिहत होती ह

2) रचनामक िचतन ल(य िनदiिषत होता ह इसमgt Rयि को अपन ल(य का पD ान होता ह तथा उसका

यक Rयवहार इसी ल(य ािF हत होता ह

3) रचनामक िचतन मgt Rयि कछ नई तथा िभन चीज क रचना करता ह जो अपन आप मgt अनठी होती ह

इस तरह क रचना षाि)दक अषाि)दक मत1 तथा अमत1 कछ भी हा सकती ह जो Rयि क िलए

लाभदायक होती ह

4) रचनामक िचतन मgt Rयि समया समाधान क अनक उपाय पर िवचार करता ह और अत मgt िकसी एक

उपाय का योग करक समया का समिचत समाधान करता ह

5) रचनामक िचतन क िदषा स(म क ओर होती ह

6) रचनामक िचतन मgt सकत सLयय एव भाषा का िवशष योगदान रहता ह

7) सज1नामक िचतन पर Rयि क पव1 अनभव का पD भाव पड़ता ह य पव1 अनभव िजतन lयादा हग

रचनामक िचतन करन क Mमता उतनी ही अिधक होगी

8) रचनामक िचतन उय पण1 होता ह तथा यह Rयि को ि याषील बनाता ह

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 184

9) रचनामक िचतन मgt वली िचतन िनयिNत ढग स मौजद होता ह दसर श)द म रचनामक ढग स सोचत

समय Rयि कछ अथ1 पण1 क-पनाए करता ह इसी अथ1 पण1 क-पना का ही परणाम ह िक Rयि कछ

वािनक कलामक तथा सािहियक रचना कर पाता ह

10) रचनामक िचतन म अपसारी िचतन मौजद होता ह िजसमgt Rयि समया क िभन -िभन िदषाओ म

सोचता ह

11) रचनामक िचतन मgt अिभसारी िचतन भी मौजद होता ह िजसमgt Rयि कछ इस तरह स जानकारय को

एकN करता ह िजसस समया समाधान मgt मदद िमलती ह

12) रचनामक िचतन मानव का एक िविषD गण ह जो उस ाणी जगत मgt सवu`च थान दान करता ह

13) रचनामक िचतन मgt Rयिगत िभनता पाई जाती ह िभन - िभन Rयिय क रचनामक िचतन ि या

उनक उय परिथय अथवा समयाओ क अन=प िभन -िभन होती ह

14) रचनामक िचतन वातावरण क साथ Rयि क अतःि या का एक पM ह

15) रचनामक िचतन िचतन का एक िवशष तरीका ह यह बिP स एक अलग सLयय ह Yयिक बिP मgt

रचनामक िचतन क अलावा भी अय मानिसक Mमताए सिLमिलत होती ह

उपरो िववरण स पD ह िक रचनामक िचतन एक जिटल सानामक ि या ह इस तरह का िचतन

करन क Mमता सभी Rयिय मgt अिधक ही हो यह आवयक नहU ह

िगलफोड0 (1967) न िचतन को दो भाग मgt िवभािजत िकया ह

(1) अिभसारी िचतन

(2) अपसारी िचतन

इन दोन िचतन कार क RयाZया पव1 मgt क जा चक ह कछ मनोवािनक न अपसारी िचतन को रचनामक

िचतन क समत-य माना ह

बचर (1968) क अनसारः- िजन लोग मgt अपसारी िचतन करन क Mमता अिधक होती ह उस लोग

सज1नामक िचतन कहत ह

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 185

रचनामक िचतन क अवथाए-

रचनामक िचतन मgt िवचार का आगमन अथवा समया समाधान पायः बड़ सहज ढग स अचानक होता ह

कभी ऐसा भी होता ह िक समया आत ही कछ नय ढग का समाधान अचानक सझ गया अिधकाश समया

और उसक सज1नामक समाधान क बीच कछ समय बीतता ह ह-महो-डा (1896) न सव1थम रचनामक

िचतन क अवथाओ पर काय1 िकया एक समया क हल करन क ि या मgt उहgt जब कछ किठनाई हJई तो

उस समया पर िवचार करना कछ समय क िलए उहन थिगत कर िदया परत थोड़ा आराम कर लन क बाद

समकया का समाधान उहgt वय िमल गया जब व आराम कर रह थ तब उनका अवचतन मन उस समया क

ित सि य रहा

वलस (1926) क अनसार - चाह Rयि सामाय िविध ारा िकसी समया का समाधान कर रहा हो

या रचनामक िचतन कर रहा हो िचतन क सLपण1 ि या चार मZय अवथाओ म बाटी जा सकती ह य

अवथाए ह-

1) तयारी या आयोजन (िपरशन)

2) उव या परपाक (इनकबशन)

3) दीिF या बोधन (इ-यिमनशन)

4) माणीकरण (वरीिफकशन)

1) तयारी या आयोजन (Preparation)- तयारी या आयोजन रचनामक िचतन का आरिLभक चरण या

पद ह इस पद पर िचतक िविभन घटनाओ को सगिठत करता ह अथा1त समया स सबिधत आवयक

तyय एव माण को एकिNत करता ह समया को ठीक ढग स परभािषत करक उसक पM तथा िवपM मgt

माण एकिNत िकय जात ह ऐसा करन मgt यन तथा Nिट का सहारा िलया जाता ह उदाहरणाथ1 -यटन न

रचनामक 3- iznhfIr k izcksku

1-rSkjh k vkkstu

4- Ikzekkhdjk

2- mn~Hko k ifjikd

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 186

दखा िक पड़ स फल जमीन पर ही िगरता ह अथवा िकसी ऊच थान स जब कोई वत िगरती ह तो वह

जमीन क ओर ही जाती ह इस वत िथित क आधार पर यटन न परक-पना बनायी िक पyवी मgt सभी

वतओ को अपनी ओर खUचन क शि होती ह पyवी मgt िजस ग=वाकष1ण क शि क उसन क-पना

क उस क-पना क पिD हत उसन िविभन सा(य तथा तyय का एकNीकरण िकया अतः अपनी

परक-पना को भािवत करन क िलए ही िविभन सा(य तथा तyय का सकलन करना रचनामक िचतन

क तयारी या आयोजन ह समया क व=प तथा Rयि क ान क अनसार यह अवथा लLब या कम

समय क हो सकती ह तो यह अवथा लLब समय तक जारी रह सकती ह िकत यिद समया क जिटलता

कम ह तथा Rयि कम ान भडार अिधक परपYव ह तो यह अवथा कम समय तक जारी रहती ह

सामायतः समया समाधान इसी बात पर िनभ1र करता ह िक समया िववरण िकस ढग स िकया गया और

सा(य को िकस कार सकN तथा Rयविथत िकया गया सज1नामक ढग स सोचन वाला Rयि बड़ कौ स

सा(य का गठन एव पनग1ठन करता ह और समया का िववरण व पनिव1वरण करता ह पिक

(19351938) न अपन परीMण क आधार पर यह दावा िकया ह िक आयोजन का अिधक या कम समय

लगन पर आय िलग तथा बिP का भाव पड़ता ह

2) उkव या परपाक (Incubation)- िकसी भी सज1नामक िचतन या समया समाधान क दसरी अवथा

उव उवन क होती ह इस अवथा मgt िचतक समया पर आग िवचार करना बदकर दता ह इस

अवथा मgt उसक िनि^ यता बढ़ जाती ह जब कई तरह स समया समाधान का यास करन क बाद भी

सफलता नहU िमलती ह तब इस अवथा क उपित होती ह इस अवथा मgt Rयि समया क समाधान

क बार मgt िचतन करना छोड़कर या तो सो जाता ह या िकtाम करन लगता ह इस अवथा मgt समया का

चतन मन स हटाकर अवचतन मन मgt डाल िदया जाता ह धीर -धीर समाधान को अव=P करन वाल िवचार

हटन लगत ह और दशा1न वाल िवचार लगत हRयिगत भद क कारण यह अवथा अयिधक दर या थोड़ी

दर क हो सकती ह Rयि क अनभव तथा अिधगम तथा अिधगम भी समया समाधान मgt सहायक होत ह

एक ऐसी अवथा आती ह जब अचानक समाधान कट हो जाता ह और उव क अवथा समाF हो

जाती ह पिक (1935) न किवय तथा कलाकार पर अEययन करक इस बात क पिD क ह िक

सज1नातमक िचतन मgt उव क अवथा होती ह

3) दीिl या बोधन (Illumination)- दीिF या बोधन समया समाधान क तीसरी अवथा ह इस

अवथा मgt अचानक Rयि को समया का समाधान िमल जाता ह उव क अवथा कछ िमनट क हो

या कछ वषk क जब बोधन ाF होता ह तो समाF हो जाती ह बोधन वततः समाधान का अचानक

कट होना ह जस-बटन दबान ही अधकार मgt रोशनी फल जाती ह बोधन क मल बात यह ह िक यह

अचानक कट होता ह

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 187

िसलवरमन (1978) क अनसार- समया समाधान क अकमात अनभव को बोधन कहा जाता ह

मनोवािनक क अनसार Rयि मgt उदभवन क अवथा क बाद बोधन क अवथा कमी भी कट हो

सकती ह यहा तक िक कभी -कभी Rयि को वF मgt भी बोधन का अनभव होत पाया गया ह गटा-ट

मनोवािनक न इस कार समाधान पान क ि या को सझ का परणाम माना ह

4) माणीकरण (Authentication)- माणीकरण सज1नामक िचतन या समया समाधान क चौथी

अवथा ह बधान स ाF समाधान का शP होना आवयक नहU ह इस अवथा मgt बोधन स ाF

परणाम का म-याकन िकया जाता ह इस अवथा मgt Rयि यह दखन क कोिशश करता ह िक उस जो

समाधान ाF हJआ ह वह ठीक ह या नहU म-याकन करन क बाद जब Rयि इस िन^कष1 पर पहJचता ह िक

समाधान या िन^कष1 सही नहU था तो वह सLपण1 काय1 िविध का सशोधन करता ह और पनः एक दसर

समाधान क खोज करता ह कछ मनोवािनक न इस अवथाओ क आलोचना क ह और कहा ह िक

सभी सज1नामक िचतन मgt य सभी अवथाए नहU होती ह जसः- सर एलYजhडर oलिमग िजनमgt पिनिसलीन

क और ना ही बोधन क अवथा पायी गयी

िफर भी हमार िदन ितिदन क अनभव तथा अिधकतर वािनक कलाकार तथा किवय क सज1नामक

िचतन का िवpषण इस बात का सबत ह िक इस कार का िचतन उपय1 अवथाओ क अनसार ही होता ह रचनामक िचतन का िवकास

रचनामक िचतन क MN मgt िकय गय अनसधान इस बात क घोतक ह िक रचनामक िचतन क िवकास मgt वश

परLपरा तथा वातावरण दोन ही आवयक तव ह इितहास स हमgt ऐस उदाहरण िमलत ह िक कछ महाप=ष न

बा-यकाल स ही अपनी ितमा तथा रचनामकता का परचय िदया ह अतः हम कह सकत हgt िक इस कार

क ितमा अवय ही वश परLपरा सबधी होती चािहए

रचनामक िचतन क िवकास मgt सकित भी महवपण1 भिमका अदा करती ह माता िपता तथा घर का

वातावरण रचनामक िचतन को भािवत करता ह इस सबध मgt गज-स तथा जYसन (1961) क अनसधान

काय1 अित िवचारणीय ह यक कल मgt यह उददय रखा जाता ह िक िशMा क आधार पर उस कल क

िवाथv अिधक रचनामक िनकलgt रचनामक िचतन क ि या ारLभ करन क िलए िवालय मgt िवािथ1य

को ोसाहन िदया जाता ह गो-ड (1965) न रचनामक िचतन को ोसािहत करन क िलए कई सकत का

परचय िदया ह िजहgt िवालय मgt योग मgt लाया जाता ह

1) आलोचनामक िचतन (evaluative thinking) - आलोचनामक िचतन मgt Rयि िकसी वत घटना

या तyय क स`चाई को वीकार करन स पहल उनक गण दोष परख लता ह हमार समाज मgt कछ Rयि

ऐस होत हgt िजहgt िकसी Rयि वत या घटना क बार मgt जो कछ भी कहा जाता ह व उस उसी =प मgt

सLयस मानकर वीकार कर लत ह अतः पD ह िक उनमgt आलोचनामक िचतन क कमी ह जबक कछ

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 188

Rयि ऐस होत ह िजनक सामन जब कोई भी वत या घटना उपिथत होती ह तो वो उसक बार मgt दोष

को परखत ह उसका िविभन CिDकोण स िचतन करत ह तथा िफर उसक आधार पर अपनी राय दत ह इस

कार का िचतन आलोचनामक िचतन का उदाहरण ह

2) यामक िचतन (conceptual thinking) - यामक िचतन अय कार क िचतन क अपMा

अिधक जिटल होता ह इसमgt मानिसक ि या क अतग1त िचतन का1 को अमत1ता और सामायीकरण

क ि याओ स गजरना पड़ता हइसी िचतन क आधार पर Rयि वय को वातावरण मgt Rयविथत रखन

मgt समथ1 हो पाता ह वह वातावरण क परिथित का िवpषण करता ह उसक घटनाओ वतओ और

भाव क बीच सबध का अEययन करक नया सबध दखता ह यह नया सबध उसका मौिलक िचतन होता

ह यही उ`च िचतन िजसमgt मौिलक होती ह यावत1न तर का सीखना होता ह और यामक िचतन

कहलाता ह यामक िचतन मgt यय का िवकास होता ह

166 िचतन म( वि- या तपरता का महव

तपरता स तापय1 ाणी क ऐसी मानिसक िथित स होता ह िजसक सहार वह िकसी िनिWत उीपन परिथित

अथवा समया क ित एक िवशष ढग स ि या करता ह िजसस क उस उीपन परिथित अथवा समया का

समाधान हो सक यह तपरता थायी हो जान पर अिभवि और आदत कहलाती ह तपरता क उपि या तो

Rयि क अपन पव1 अनभव स होती ह या योग कता1 ारा िदय गय िवशष कार क िनदiश स

समया समाधान मgt तपरता का महव सव1थम मायर(1930) न अपन योग स दिश1त िकया

यक समया का समाधान करन क पहल Rयि एक कार क मानिसक तयारी करता ह िक इसक समाधान क

िलए वह िकस तरह क अनि या करगा इस ही मानिसक तपरता या वि कहत ह िबना मानिसक तपरता क

समया का समाधान करना किठन ही नहU वरन असLभव भी होता ह

मायर (1930) न मानिसक तपरता क भाव को िदखान क िलए कई योग िकय ह िजनमgt मानिसक

तपरता क लाभकारी भाव शािमल ह साथ ही हािनकारक भाव भी शािमल ह साथ ही हािनकारक भाव भी

शािमल ह मानिसक तपरता क लाभकारी भाव मgt समया समाधान मgt मदत िमलती ह तथा हािनकारक भाव

मgt समया समाधान मgt बाधा पहJचती ह य समया समाधान िवलिLबत हो जाता ह मानिसक तपरता क

लाभदायक भाव - मानिसक तपरता क लाभकारी भाव को Rय करन क िलए मायर ारा िकय गय तीन

योग उ-लखनीय ह

1 एक योग मgt कॉलज क िवािथय को बहJत सी सामि2या जस डड िशकज रसी खिड़या आिद दकर

कहा गया िक इनक सहायता स दो दोलक बनाकर उहgt इस कार झलायgt िक व िनधा1रत थल पर िचह

बनात गजरgt योlयो क कई समह बनाय गय िकसी को कवल समया दी गई िकसी को समया क कछ

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 189

भाग का समाधान भी िदखाया गया जस दो डड को िशकज क सहायता स कस जोड़ा जा सकता ह- और

एक समह को आिशक दश1न क साथ-साथ समाधान क सही िदशा अथवा सही तपरता भी दी गई जस

उहgt यह बताया गया िक छत मgt कल ठक कर उसस रसी लटका सकत ह जो दोलक क समान झलगी

िबना िदशा वाल 62 योlय मgt स कवल 2 न समया का समाधान िकया जबिक िदशा पान वाल 22

योlय मgt स 8 न समया का समाधान िकया कवल सही तपरता िमल जान स अथवा यह मालम हो जान

स िक िकस ढग स सोचन पर समाधान होगा सफलता मgt िकतना अतर हJआ यह इस योग स पD ह

2 मायर (1930) न समया समाधान मgt तपरता क महव को Rय करन क िलए एक अय योग िकया इस

योग का उय यह िदखलाता था िक जब योग मgt शाि)दक सकत तथा अशाि)दक सकत िकसी समया

का समाधान करत समय द िदया जाता ह तो इसस योlय मgt िवशष तपरता उपन हो जाती ह िजसस उस

समया का सममधान करन मgt मदत िमलती ह योlय को बारी-बारी स एक ऐस कमर मgt लाया जाता था

िजसक छत स दो रसी लटक रही थी रसी इतनी छोटी तथा उनक बीच क दरी इतनी अिधक थी िक

योlय क िलए एक साथ दोन को छना सभव नहU था समया यह थी िक इन दोन रिसय को आपस मgt

कस बाधा जा सकता ह कमर मgt कई सामि2या उपिथत थU परत उन सबक जsरत समया समाधान मgt

नहU थी ऐस मgt इस समया क कई समाधान थ परत मायर एक िनिWत समाधान ही चाहत थ व चाहत थ

व चाहत थ िक योlय िकसी एक रसी क लटकत छोर स कोई भारी चीज बाध दgt तािक वह दोलक क

समान झलन लग िफर इस जोर स झला दgt और झलत-झलत वह जब दसरी रसी क ओर अिधकतम दरी

तक पहJच जाय तो योlय इस पकड़कर दसरी रसी स बाध दgt

यक योlय को समया समाधान क िलए माN 10 सकhड का समय िदया जाता था कछ लोग न

इस समय क भीतर िनिद1D समाधान कर िलया परत कछ लोग असफल भी रह असफल रहन पर मायर न दो

तरह क सकत िदए परणाम मgt यह दखा गया िक िबना सकत 39 योlय न समया का समाधान िकया

सकत दन क बाद 38 योlय न समया का समाधान िकया बाक 23 इस तरह क सकत क बावजद भी

असफल रह इस योग क परणाम क आधार पर यह बतलाया िक सकत दन स योlय मgt कछ िवशष तपरता

उपन हो गयी िजसक कारण 38 अितर योlय न समया का समाधान िकया

3 मायर का तीसरा योग दो योग क एक िवशष Mण पर आधारत था माया न उपरो दोन योग मgt

पाया िक कछ योlय ारा समया क समाधान मgt जो असफलता ाF हJई उसका एक धान कारण यह था

िक उनमgt एक गलत तपरता िवकिसत हो गई थी Yया यह सभव नहU ह िक इस तरह क तपरता को

परवत1न करक योlय दसरी ऐसी तपरता िवकिसत करgt िजसस उस समया क समाधान मgt मदत िमल

मायर न तीसरा योग इसी उय क पित1 क िलया िकया इस योग मgt योlय क दो समह िलय गय

योगामक समह तथा िनयिNत समह दोन समह क योlय को अलग-अलग तीन सम=प समयाओ

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 190

का समाधान करन क िलए कहा गया योगामक समह को समया का समाधान करन स पहल 20 िमनट

का एक भाषण िदया गया िजसम िवशष =प स इस बात पर बल डाला गया था िक िकसी तरह िकसी

समया क समाधान मgt जब गलत तपरता िवकिसत हो जाती ह तो इस बदलकर इसक जगह दसरी तपरता

िवकिसत क जा सकती ह तािक समया का समाधान आसानी स हो सक परणाम मgt दखा गया िक

योगामक समी तथा िनयिNत समह ारा तीन समयाओ क सही समाधान क ितशतता मgt अिधक

अतर तो नहU था परत िनिWत =प स कम अतर परही योगामक समह क सही समाधान का ितशत

अपMाकत अिधक था अतः मायर का िन^कष1 यह था िक यिद गलत तपरता क जगह पर सही तपरता

िवकिसत हो जाती ह तो इसस समया समाधान मgt काफ मदत िमलती ह

मानिसक तपरता क हािनकारक भाव -

मायर क योग स हमgt इस बात का सकत ह िक समया समाधान मgt जब अनिचत तपरता िवकिसत हो जाती ह

तो इसस समया समाधान मgt बाधा पहJचती ह मानिसक तपरता क हािनकारक भाव को िदखान क िलए

मनोवािनक न कई योग िकय ह डकर(1945) न गलत तपरता क इस अध भाव को िजसक कारण Rयि

समया का समाधान नहU कर पाता ह ि यामक अटलता या िथरता कहा ह ऐसा इसिलए कहा गया ह

Yयिक Rयि नयी समया क समाधान मgt एक तरह स ि यामक =प स िथर हो जाता ह यािन बार-बार एक

ही अनि या करता ह िजसस वत1मान समया का समाधान नहU हो पाता ह

इसी म मgt रीस तथा इजरल (1935) क योग स भी तपरता क अधभाव का पता चलता ह

उहनgt तपरता क अधभाव को िदखान क िलए एना2ाम क सहार योग िकया अथ1पण1 श)द क अMर क

म को बदलन स जो अथ1 हीन श)द बनता ह उस एना2ाम कहा जाता ह जस CAMEL स ELAMC बन

सकता ह या और भी कोई अथ1हीन श)द बन सकता ह िजस एना2ाम कहा जाता ह योग कता1ओ न 30

एना2ाम क एक सची बनाई िजसस स थम 15 एना2ाम को एक िनिWत िनयम स समाधान करन पर एक

अथ1पण1 श)द बन जाता था अितम 15 एना2ाम मgt अय वकि-पक समाधान भी सभव था परणाम मgt दखा

गया िक अिधकतर योlय न थम 15 एना2ाम क समाधान मgt िजस िनयम का उपयोग िकया था उसी िनयम

ारा अितम 15 एना2ाम क समाधान मgt उपन मानिसक तपरता स ितीय 15 एना2ाम क वकि-पक समाधान

ढढन मgt एक तरह स बािधत िकया Yयिक योlया इस तपरता क कारण वकि-पक समाधान क बात सोच ही

नहU पा रह थ

अतः पD ह िक समया समाधान मgt यानी िचतन मgt िकसी तपरता का भाव सहायक भी होता ह

और बाधक भी तपरता क इस हािनकारक भाव को कछ योग ारा कम भी िकया जा सकता ह

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उराखड म िव13िवालय 191

167 भाषा एव िचतन

मानव क िचतन ि याओ क िलए भाषा का होना आवयक ह कॉिलस और gवर क अनसार -

lsquolsquoिचतनकला भाषा क सहायता स अपन िवचार को िनयिNत करता ह और िचतन ि या का ठीक-ठीक

सचालन भी करता हlsquolsquo डिबल क कथनानसार lsquolsquoमानव क भाषा िवकास मानव क बिP िवकास पर आधारत

हिचतन मgt भाषा का योग होता ह भाषा क माEयम स ही िचतन क िन^कष1 व समया समाधान तत िकय

जात हlsquolsquolsquo िचतन तथा भाषा क सLबध को एक उदाहरण ारा इस कार समझ सकत ह - हाइव मgt जात समय

जाम लग जाता ह जो कई घhट बीतन क बाद भी आग नहU बढ़ रहा ह यह समया भाषा मgt ढ़ल अनgtक क

=प मgt कट होती ह Yया हाईव मgt कोई दघ1टना हो गयी ह Yया कोई जलस या रली िनकल रही ह इयािद यह

समया वततः भाषा मgt और उर क =प मgt बदल जाती ह िजसस िचतन और भाषा मgt भद करना किठन

हो जाता ह

भाषा क िनLनिलिखत 4 काय1 होत ह -

i) भाषा को िवचार िवनयम का साधन कहा गया ह इसक माEयम स Rयि अपन िवचार दसर तक पहJचाता

ह और दसर क िवचार को 2हण करक सामािजकता क गण एव भाव अपनाता ह

ii) Rयि भाषा क सहायता स ि याशील होन क रणा ाF करता ह

iii) भाषा Rयि को अत1द एव तनाव स छटकारा िदलाती ह Yयिक इसक योग क ारा Rयि अपन मनक

िवचार Rय करक अपन मन को ह-का कर लता ह

iv) भाषा क सहायता स हम तक1 कर सकत ह वाद िववाद कर सकत ह तथा अपन िचतन क उम RयाZया

कर सकत ह

मनोवािनक न िचतन मgt भाषा को महवपण1 मानत हJए इसका िनLन कार वण1न िकया ह

(i) भाषा को िचतन का माEयम कहा जाता ह भाषा क अभाव मgt िचतन ि या नहU हो सकती ह Rयि

भाषा क ारा ही अपन िवचार तत करता ह और दसर क िवचार 2हण करक उनपर िति या करता

ह िचतन क ि या भाषा ारा भािवत तथा िनधा1रत होती ह

सािपर क परक-पना भी िक भाषा ारा िचतन क ि या काफ हद तक भािवत होती ह इस

परक-पना का समथ1न fनर (1964) ारा िकय गय योग स होता ह इहन िशशओ तथा ि कली ब`च पर

अEययन िकया और पाया िक इन ब`च क िचतन क ि या तथा सानामक िवकास अिधक सीिमत

इसिलए होता ह Yयिक इनमgt भाषा पण1=प स िवकिसत नहU होती ह इनक अEययन क अनसार 6-7 साल क

उ मgt ब`च सोचन क िलए अ`छीतरह स भाषा का उपयोग ारLभ कर दत ह चक ी कली छाN क उ 6

साल स नीच होती ह और उनमgt भाषा का िवकास पण1 नहU रहता ह अतः उनका सानामक िवकास िवशषकर

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 192

िचतन क ि या ठीक ढ़ग स नहU हो पाती ह इस योग पD ह िक भाषा ारा िचतन क ि या भािवत

होती ह

ओफ1 (1956) न सािपर क इस कथन को िक भाषा ारा िचतन भािव होता ह और भी अिधक पD

करत हJए कहा िक भाषा ारा िचतन भािवत ही नहU िनधा1रत भी होता ह ओफ1 क योगदान को मनोवािनक

ारा अिधक मायता िमली ह ओफ1 क परक-पना थी िक भाषा का िवकास िचतन क ि या स पहल होता

ह तथा िचतन क ि या का िनधा1रण पण1 =प स भाषा ारा ही होता ह इस भाषाई िनयितवाद कहा गया और

आम लोग मgt यह ओफ1 परक-पना क नाम स मशहर हJआ इस परक-पना क अनसार कभी उ`च तरीय

िचतन भाषा ारा ही िनधा1रत होत ह

ओफ1 न अपनी परक-पना को सय सािबत करन क िलए एक अEययन िकया िजसमgt 2ीनलड मgt रहन

वाली जाित एिकमो तथा अ2जी भाषा बोलन वाल Rयिय क यMण एव िचतन क ि याओ का

तलनामक अEययन िकया गया एिकमो क भाषा मgt बफ1 क िलए कम स कम 12 श)द और ह िजनका अथ1

बफ1 ही होता ह परत उसका योग िभन-िभन कार क बफu को समझन तथा यMण करन मgt होता ह

अ2जी भाषा मgt बफ1 क िलए िसफ1 एक या दो श)द ह ओफ1 न अपन अEययन मgt पाया िक िजतन पD =प स

िभन -िभन कार क बफk का यMण एव उसक बार मgt िचतन एिकया ारा िकया जाता ह उतना पD

यMण एव िचतन अ2जी भाषा बोलन वाल Rयिय ारा नहU िकया जाता ह इस अEययन स पD ह िक

भाषा िवकिसत होन स यMण एव िचतन भी पD होत ह

यिप आफ1 परक-पना काफ महवपण1 परक-पना ह िफर भी कछ मनोवािनक न इसक

आलोचना क ह कजम (1976) न ओफ1 परक-पना क आलोचना करत हJए कहा िक भाषा मgt िविभनता स

यह तो पD =प स पता चलता ह िक भाषाए एकदसर स िभन होती ह परत इसक आधार पर िबना िकसी

वतN माप क यह कह दना िक इसक कारण िचतन Mमता मgt भी अतर होता ह उिचत नहU ह

ओफ1 परक-पना क दसरी आलोचना इस आधार पर क गयी ह िक िभन-िभन भाषाओ मgt

िविभनता क बावजद काफ अिधक समानता होती ह जस- यक भाषा मgt सा और ि या होत ह और

यक भाषा मgt कछ िनयम होत ह िजनक अनसार श)द क म का िनधा1रण होता ह इतना ही नहU भाषा क

िकसी िवशष सरचना जस श)द िमलाकर बोलना परा-परा शP वाYय बोलना आिद यक भाषा बोलन वाल

ब`च मgt करीब-करीब एक ही समय मgt िवकिसत होती ह fाउन तथा कफ (1986) क अनसार ऐसी परिथित

मgt िभन-िभन भाषा बोलन वाल एक उ क सभसी ब`च क िचतन Mमता समान होनी चािहए थी ऐसा होता

तो वोफ1 परक-पना को पण1 समथ1न िमलता परत भाषा मgt इस समानता क बावजद भी उनक िचतन Mमता

समान नहU होती ह

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उराखड म िव13िवालय 193

गrन एव िमथ(1962) न अपन योग मgt िजन योlय को इस बात क िशMा दी िक समया समाधान

करत समय व अपन िवचार को श)द मgt Rय करत जायgt और सामाय िनयम को बोलत जायgt व अय

समयाओ क समाधान मgt उन योlय स tn हो गय िजहgt ऐसी िशMा नहU दी गयी थी

भाषा क अतग1त श)द िवयास िवचार क सकत क =प मgt काय1 करत ह मॉग1न तथा िगली लhड यह

वीकार करत ह िक वयक का अिधकाश िचतन श)द क माEयम स होता ह

कछ मनोवािनक का कथन ह िक भाषा िचतन क िलए सहायक हो सकती ह आवयक नहU ह यिद

भाषा िचतन क िलए आवयक होती तो छोट ब`च और पश िजहgt भाषा नहU आती समयाओ का समाधान

नहU कर पात समया समाधान मलतः िचतन का एक =प ह और चह भी समया समाधान और अतC1िD

दिश1त करत ह इस िवषय पर टौलमन एव हौिजक (1930) ारा चह पर िकय गय एक योग स पया1F काश

पड़ता ह योगकता1ओ न 15 चह को 24 घट भखा रखकर एक Rयह मgt 10 बार दौडाया Rयह मgt आरLभ पटी

स ल(य तक पहJचन क तीन माग1 म सबस छोटा उसस लLबा और सबस लLबा सबस छोट और उसस लLब

मागk का कछ अितम भाग उभयिनn था िशMण अविध मgt तीन माग1 खल थ चह न तीन मागk स ल(य

तक पहJचना सीखा परत सबस छोट माग1 स ही ल(य तक जान लग जब पहला (उसस लLब) स ल(यतक

गय जब पहल माग1 को ऐसी जगह बद िकया गया जो दसर माग1 मgt भी उभयिनn था तो चह दसर माग1 स नहU

बि-क तीसर माग1 स ल(य तक गय जो सबस लLबा था इसस पD हJआ िक उस बाधा य चह मgt अतC1िD हो

गयी िक बाधा ऐयी जगी पर ह िजसस कवल पहला ही नहU बि-क दसरा राता भी बद हो गया ह इसी कारण

उहन तीसरा राता चना

(ii) मनोवािनक का एक समह ऐसा भी ह िजसन उपय1 िवचार क ठीक िवपरीत िवचार Rय िकया ह

इसम िपयाज (1932) तथा Yलाक1 (1973) का नाम िसP ह इन मनोवािनक का कथन ह िक

िचतन क ि या Rयि मgt पहल होती ह िचतन क ि या पहल होती ह और बाद मgt उसस

सLबिधत श)द का िवकास होता ह िचतन क ि या भाषा ारा ितिबिLबत होती ह न िक

िनधा1रत िपयाज न अपन योग क आधार पर बताया िक कछ श)द जस बड़ा छोटा लLबा दर आिद

का अथ1 ब`चा तब तक नहU समझता ह जब तक िक उसमgt इन श)द स सबिधत तािक1 क सLयय का

िवकास नहU होता ह

(iii) कछ मनोवािनक इन दो िवचार क ठीक बीच बीच अपन िवचार रचात ह उनका कथन ह िक भाषा

तथा िचतन दो ऐसी ि याए ह जो ारभ मgt अलग-अलग तथा वतN =प स िवकिसत होती ह िकसी

एम का िवकास दसर क ारा भािवत नहU होता ह इन िवान क अनसार ब`च का िचतन और

भाषा का िवकास लगभग वतN =प स साथ-साथ चलता ह ब`च जस-जस नय श)द सीखत ह व

अपन िचतन को अिधक पDता स Rय करन लगत ह और िन^कषk का मरण भी अ`छा हो जाता

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 194

ह वाइगोटक (1962) इस िवचार क मZय समथ1क ह जब मानव भाषा का योग िवचार क

अिभRयि क िलए करता ह तब उस कम परtम करना पड़ता ह भाषा क माEयम स वह िवचार =प

सागर को गागर क =प मgt Rय कर सकता ह

िचतन मgt भाषा बहJत सहायक होती ह परत कभी-कभी यह धोखा भी द सकती ह सदर श)द क हर फर स

Rयि कछ का कछ समझ कर गलत धारणा भी बना लता ह यही कारण ह िक कभी-कभी उसक श)द उसक

मन क धारणा मgt भली कार पD नहU कर पात ह हायाकावा (1941) क अनसार गव1 दःख तथा घणा भर

श)द िचतन का ारा ही बद कर दत ह बालक रटा हJआ भाषण िबना िचतन क सना सकता ह इसिलए कवल

बातचीत को हम िचतन नही मान सकत ह वातव मgt िचतन स तापय1 आशय पण1 भाषा स ह कवल रट हJए

श)द स नहU उपरो वण1न स पD ह िक िचतन ि या मgt भाषा का महवपण1 योगदान ह िकत सभी िचतन

भाषा पर हो िनभ1र होत ह ऐसा नहU कहा जा सकता मनोवािनक ारा इस िवषय पर िनणा1यक =प स कछ भी

रहना अब भी किठन ह

168 साराश

1) िचतन यक ाणी मgt होन वाली एक अRय मानिसक ि या ह जो समया समाधान क ओर उमख

होती ह

2) िचतन ल(य िनदiिशत होता ह अथा1त- इसक एक िनिWत िदशा होती ह

3) िचतन का सबध समया समाधान स होन क कारण इसमgt यन एव Nिट क ि या शािमल होती ह

4) िचतन ि या तीन काल भत वत1मान एव भिव^य स सLबP होती ह

5) िजLबाडu तथा =क (1977) न िचतन क िनLन दो कार बताय ह-

अ वली िचतन

ब यथाथ1वादी िचतन

6) यथाथ1वादी िचतन को मनोवािनक न पाच भाग मgt वगvकत िकया ह जो िनLन ह-

i)अिभसारी िचतन ii) अपसारी िचतन iii) रचनामक िचतन

iv) आलोचनामक िचतन v) यामक िचतन

7) रचनामक िचतन क मZयतः चार चरण ह- 1 तयारी या आयोजन (Preparation)

2 उव या परयाक (Incubation)

3 दीिF या बोधन (Ilumination)

4 माणीकरण (Verification or Revision)

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 195

8) मनोवािनक न िविभन योग क माEयम स िचतन मgt तपरता क महव को पD िकया ह सही एव उिचत

तपरता स समया समाधान हत िचतन मgt सहायता िमलती ह इसक िवपरीत अनिचत तपरता स िचतन मgt

बाधा उपिथत होती ह

9) िविभन योग क माEयम स मनोवािनक न िचतन मgt भाषा क महव को भी वीकार िकया ह

169 शदावली

bull िचतन सोचन क ि या

bull अ[यP िजस यM =प स दखा ना जा सक

bull सयय अवधारणा

bull यथाथ0वादी वातिवक

bull यामक अवधारणामक

bull तपरता एक ऐसी मानिसक िथित िजसक सहार ाणी समया का समाधान करन क कोिशश करता ह

1610 वमयाकन हत

नीच कछ कथन िदय गय ह जो कथन सय ह उनक आग सही का िनशान एव जो गलत ह उनक आग ास का

िनशान लगायgt -

1) िचतन एक Rय मानिसक ि या ह ( )

2) िचतन मgt यनएव tित क ि या सिLमिलत होती ह ( )

3) िचतन क एक िनिWत िदशा नहU होती ह ( )

4) िचतन का सबध समया समाधान स होता ह ( )

5) बरोन क अनसार िचतन मgt सLयय ितािF एव ितभाओ का मानिसक जोड़-तोड़ होता ह ( )

6) यथाथ1वादी िचतन का सबध क-पनाओ स होता ह ( )

7) अिभसारी िचतन का सव1थम ितपादन जाय पॉल िग-फोड1 न िकया था ( )

8) तयारी उव दीिF एव माणीकरण रचनामक िचतन क अवथायgt ह ( )

9) सजनामक िचतन क उयन अवथा मgt Rयि मgt िनि^ यता बढ़ जाती ह ( )

10) अवसारी िचतन का ितपादन सव1थम जाय पॉल िग-फोड1 न िकया था ( )

उ-र 1) गलत 2) सही 3) गलत 4) सही 5) सही

6) गलत 7) सही 8) सही 9) सही 10) सही

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 196

1611 सदभ0 1थ सची

bull िसह अ=ण कमार (2006) उ`चतर सामाय मनोिवान मोतीलाल बनारसीदास बगलो रोड जवाहर

नगर िद-ली

bull िसह अ=ण कमार (2006) सानामक मनोिवान मोतीलाल बनारसीदास बगालो रोड जवाहर नगर

िद-ली

bull अजvमर1 रहमान (2003) सामाय मनोिवान िवषय और RयाZया

bull tीवातव रामजी आलम आिसम (2004) आधिनक सामाय मनोिवान

bull tीवातव रामजी (2003) सानामक मनोिवान

1612 िनबधामक

1 िचतन को परभािषत हJय इसक व=प पर काश डालgt

2 रचनामक िचतन स आप Yया समझत ह इसक िवशषताओ एव अवथाओ का िववचन किजए

3 िचतन क िविभन कार का वण1न किजय

4 िचतन ि या मgt भाषा क महव को पD किजए

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 197

इकाई-17 िचतन क िस ात

(Theories of Thinking)

इकाई सरचना

171 तावना

172 उय

173 िचतन क िसPात

1731 क_ीय िसPात

1732 परधीय या गित िसPात

1733 जीन िपयाज का िसPात

174 साराश

175 श)दावली

176 वम-याकन हत

177 सदभ1 2थ सची

178 िनबधामक

171 तावना

िय िवािथ1य इसस पव1 क ईकाई का अEययन करन क बाद आप िचतन क अथ1 िवशषताओ एव इसक

िविभन कार स परिचत हो चक हग तत ईकाई मgt िचतन क सबध मgt िविभन मनोवािनक ारा

ितपािदत िसPात को समझाया जायगा

करीब-करीब सभी मनोवािनक इस बात स सहमत ह िक िचतन क शsआत उस समय होती ह जब

Rयि क सामन समया उपन होती ह और िचतन का अत उस समय होता ह जब समया का समाधान हो

जाता ह िकत िचतन ारा समयाओ क समाधान मgt य ि याओ का वण1न करन मgt मनोवािनक क

बीच ारLभ स ही मतभद रहा ह कछ मनोवािनक न िचतन ि या मgt क_ीय तिNका तN को महव िदया ह

जबिक कछ मनोवािनक न िचतन को सवदी गितवाही घटना म क =प मgt वीकार िकया ह वाटसन जो

Rयवहारवाद क जनक ह इहन िचतन क उपवािचक बातचीत माना ह तथा इसक पM मgt कछ योगामक

सबत भी तत िकय ह वहU पर जीन िपयाज न ब`च क िचतन क RयाZया उनक परपYवता तर अनभव

तथा इनक मEय अतःि या क आधार पर क ह साथ ही ब`च मgt सानामक िवकास क RयाZया मgt चार

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 198

अवथाओ का भी वण1न िकया ह इस कार पD ह िक अलग-अलग मनोवािनक न िचतन का वण1न

अलग-अलग कार स िकया ह

अतः य तो िब-कल पD ह िक िचतन मgt समया समाधान मgt य होन वाली ि या क सबध मgt

सभी िवान एकमत नहU ह इसिलय िय िवािथ1य आपक मन मgt भी यह जानन क इ`छा उपन हो रही

होगी िक समया समाधान मgt िचतन क ि या िकस कार स होती ह िकन-िकन मनोवािनक न इस सबध मgt

कौन-कौन स योग िकय ह इयािद

आशा ह िक तत ईकाई क अEययन क बाद आपक इन सभी िजासाओ का समाधान हो जायगा

172 उय

िय पाठक इस ईकाई क अEययन क बाद आप -

bull िचतन क ारा समया का समाधान िकस कार स होता ह इस पD कर सकgt ग

bull समया समाधान क िविभन ि याओ का अEययन कर सकgt ग

bull िचतन क िविभन िसPात का िवpषण कर सकgt ग

bull िचतन ि या क सबध मgt िकय गय िविभन मनोवािनक योग का ान ाF कर सकgt ग

173 िचतन क िस=ात

िय िवािथ1य जब Rयि िकसी समया का अनभव करता ह तो उसक समाधान क िलए वह िचतन करता ह

इस तyय को सभी मनोवािनक न वीकार िकया ह परत िचतन क इस ि या मgt यािन समया उपन होन

तथा उसक समाधान होन तक कौन - कौन सी मEयवतv ि याए होती ह तथा उनक RयाZया कस हो सकती ह

इस लकर मनोवािनक मgt मतभद रहा ह इन मEयवतv ि याओ क RयाZया िचतन क िविभन िसPात क

माEयम स क जा सकती ह िजनका िववचन िनLनानसार ह-

1 क_ीय िसPात (Central theory)

2 परधीय िसPात या गित िसPात (Peripheral or Motor theory)

3 जीन िपयाज का िसPात (Piagetrsquos theory)

1731 कmीय िस=ात -

िचतन का क_ीय िसPात ाचीन िसPात ह इस िसPात क अनसार मित^क ही िचतन का आधार ह

मित^कय व-क मgt जो ि याए होती ह उही स समाया का समाधान होता ह इस िसPात क अनसार िचतन

ि या मgt अय शारीरक ि याओ का कोई योगदान नहU होता ह क_ीय िसPात क अनसार िकसी उजना

(stimulus) स 2ाहक (receptor) उिजत होता ह यह नाय वाह (nerve impulse) पदा होता ह यह

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 199

नाय वाह सवदी नाय (Sensory nerves) क सहायता स कॉटiYस मgt पहJचता ह और वहा आतरक

ि याए ारLभ हो जाती ह फलवsप Rयि क मित^क मgt िभन िभन कार क ितमाए एव िवचार उपन

होन लगत ह यय (concept) तथा तीक (Symbol) क सहायता स मgt िवचार और ितमाए ससगिठत होन

लगत ह िजनक सहार Rयि समाया का समाधान कर लता ह इस कार क_ीय िसPात क अनसार समाया

क अनभित और उसक समाधान क बीच होन वाली सभी ि याए मित^क मgt होती ह सरचनावादी

मनोवािनक तथा गटा-ट वािदय क िवचार धाराओ क आधार पर ही िचतन क क_ीय िसPात का

ितपादन िकया गया ह सरचनावािदय न िचतन मgt अतः िनरीMण को महव दत हJए क_ीय िसPात क

क-पना क ह गटा-ट मनोवािनक न िचतन को मित^क का एक क_ीय घटना म माना ह और इसमgt सझ

(insight) को िवशष महव िदया ह

क_ीय िसPात क आलोचना-

कछ मनोवािनक न िचतन क क_ीय िसPात क आलोचना इस कार क हः-

(i) िचतन का क_ीय िसPात एक पराना िसPात ह जो कोई िवशष बात हमार सामन नहU लाता ह इसक

समथ1न मgt कोई योगामक सबत उपल)ध नहU ह इस िसPात स कवल यही पD होता ह िक िचतन

एक आतरक मानिसक ि या ह इस िसPात स यह मािणत नहU होता िक िचतन का आधार

कॉटiYस कस ह तथा इसस यह भी पD नहU होता ह िक िचतन ि या मgt कौन कौन सी सरचनाए

(मकिनlम) सिLमिलत होती ह फलवsप मनोवािनक न इस िसPात को एक काम चलाऊ िसPात

कहा ह िजसक RयाZया क आधार पर िकसी भी कार का सामायीकरण नहU िकया जा सकता ह

(ii) इस िसPात मgt शरीर क पशीय अग ारा क गई ि याओ को वीकित नहU दी गई ह आज

मनोवािनक क सामन अनgtक इस तरह क सबत उपल)ध ह िजनक आधार पर यह िसP हो चका ह

िक िचतन मgt मित^क क साथ साथ पशीय ि याओ का भी महव होता ह

1732 परधीय या गित िस=ात -

इस िसPात क जमदाता िविलयम जLस (1890) ह परत इसgt एक Rयविथत sप दन का tय वाटसन (1914)

को िदया जा सकता ह िविलयम जLस न िचतन मgt क_ीय मकिनlम को महव न दकर परधीय मकिनlम को

िवशषतः महवपण1 माना ह वाटसन न िचतन को Rयवहारवादी जामा पहनाकर इस सवदी गितवाही घटना म

(Sensory motor phenomenon) क sप मgt वीकार िकया ह वाटसन जो Rयवहारवाद क जनक ह क

अनसार िचतन एक कार क उपवािचक बातचीत ह दसर श)द मgt िचतन मgt Rयि धीर धीर वय स ही

बातचीत करता ह इस तरह स िचतन मgt वागीि_य मgt पशीय ि याए होती ह और Rयि अपन आप स ही

बातचीत करना ारLभ कर दता ह बाद मgt वाटसन न बताया िक िचतन मgt न कवल वागीि_य मgt ि याए होती

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 200

ह बि-क शरीर क अय अग जस हाथ एव पर क मासपिशय मgt भी ि याए होती ह जस एक बहर एव गग

Rयि क िचतन ि या मgt हाथ क अगिलय क मासपिशय मgt अिधक ि याए होती पाई गई

इस तरह वाटसन (1914) न कहा िक-

lsquolsquo हम लोग पर शरीर क सहार िचतन ि या करत हrsquorsquo

वाटसन क उपरो िवचार स परधीय िसPात या गित िसPात का ितपादन हJआ इस िसPात क अनसार जब

Rयि क सामन कोई उीपक अथवा समाया आती ह तो सLबिधत ानि_य उिजत होती ह तो एक नाय

वाह उपन होता ह जो कॉटiYस तक जाता ह फलवsप कॉटiYस मgt चयन सबधी एक िति या होती ह

कॉटiYस एक रलटशन क समान काय1 करता ह इस िति या क कारण नाय वाह उपन होता ह जो सीध

उपय मासपिशय अथवा कमiि_य तक भद िदया जाता ह फलवsप Rयि कोई अनि या करता ह

मासपिशय क इस अनि या स पनः एक नाय वाह उपन होता ह जो कॉटiYस म वापस चला जाता ह इस

नाय वाह क पनरावि तब तक होती रहती ह जब तक Rयि समया क एक िनिWत समाधान तक नहU

पहJच जाता नाय वाह क मासपिशय अथवा कमiि_य स वापसी ि या को मनोवािनक न पनिन1वशन

(feedback) क सा दी ह

इस RयाZया स पD ह िक परधीय िसPात मgt मित^क मgt होन वाली अतः ि याओ को भी धानता

दी गई ह साथ ही साथ परधीय िसPात क RयाZया क_ीय िसPात स िभन भी ह परधीय िसPात मgt पशीय

ि याओ को अिधक महवपण1 माना गया ह

परधीय िसPात स सबिधत योग -

जकोबसन(1932) न अपन योlय स कभी वायgt हाथ स कभी दायgt हाथ स 10 पौhड वजन उठान क क-पना

करन को कहा िनदiश दन क साथ साथ जकोवसन योlय क बायgt हाथ और दायgt हाथ क पशीय ि याओ को

िवशष उपकरण ारा रकाड1 करत गय उहोनgt पाया िक जब योlय दायgt हाथ स 10 पौhड वजन उठान क बात

सोचता था तो उसक दायgt हाथ क मासपिशय क सि यता बढ़ जाती थी उसी कार जब वायgt हाथ स 10

पौhड वनज उठान क बात सोचता था तो बायgt हाथ क मासपिशय क सि यता बढ़ जाती थी इस शोध

अEययन स यह पD हो गया िक िचतन क ि या मgt पशीय ि याए होती ह

मNस (1937) न गित िसPात क जाच क िलए एक योग िकया उसमgt 18 बहर (डीफ) तथा 16 सामाय (जो

अ`छी तरह स सन सकत थ) योlय थ इन दोन तरह क योlय को ऐसी क-पना करन को कहा गया िक व

अपन हाथ क सहार भारी वजन उठा रह ह ऐसा सोचत समय इन सभी योlय क बाह का भी रकाड1 तयार

िकया गया परणाम मgt दखा गया िक बहर योlय क बाह क मासपशीय ि याए सामाय योlय क बाह

क मासपशीय ि याओ क लगभग बराबर थी परणाम स यह पD ह िक सामाय Rयि क समान बहर Rयि

क िचतन मgt भी मासपशीय ि याए होती ह अमत1 िचतन करत समय जस मन मgt जोड़ घटाना गणा भाग करत

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 201

समय बहर मgt उनक बाहरी मासपशीय ि याए 4 ितशत हJई जबिक इसी परिथित मgt सामाय Rयि मgt ऐसी

मासपशीय ि याए 31 ितशत हJई इसस पD ह िक अमत1 िचतन करत समय बहर Rयिय मgt सामाय Rयिय

क अपMा पशीय ि याए तीता स होती ह

टोटन(1935) न एक अEययन िकया िजसमgt योlय को कछ lयािमतीय िडजाइन क बार मgt सोचन

को कहा गया ऐसा करन पर दखा गया िक योlय क आख व पलक क मासपशीय मgt ि याए बढ़ गई

उपरो योग स यह पD ह िक िचतन करत समय पशीय ि याए होती ह मनोवािनक न यह भी िदखलाया

ह िक इस तरह क मासपशीय मgt पनिन1वान(feedback) ारा इनक सि यता का ान होता ह चिक

पनिन1वशन आतरक होता ह अतः Rयि को इसका पD ान नहU होता ह

इस तरह क पनिन1वशन म को िजLबाडu तथ sक (1977) न सवu मgt किनlम क सा दी

सवuमकिनlम- सवuमकिनlम क चार भाग होत ह िजसक ारा िचतन मgt क गई मासपशीय ि याओ

का ान Rयि को होता ह -

(i) ससाधन िनवश- ससाधन िनवश का तापय1 ऐस उीपक स ह जो Rयि मgt नायवाह उपन करत

(ii) पट- उीपक स नाय वाह उपन होकर पट मgt पहJचता ह िजस तिNकातN कहा जाता ह इन

आवग को तिNका तN मgt सगिठत िकया जाता ह

(iii) िनग1त- नाय वाह तिNका तN मgt सगिठत होन क बाद मासपशीय को उिजत करत ह फलवsप

Rयि मासपशीय ि याओ को करता ह

(iv) पनिन1वशन- क गई मासपशीय ि याओ िक मबPता का िनधा1रण उन सचनाओ क आधार पर होता

ह िजनका पनिन1वiशन Rयि को पनः होता ह

य चार ि याए िचतन क मख चरण मान गय ह

पशीय िस=ात क आलोचना-

कछ मनोवािनक न पशीय िसPात क अलोचना क ह इस आलोचना मgt यह कहा गया ह िक यिप िचतन मgt

अRय पशीय ि याए घिटत होती ह परत य ि याए सदव आवयक नहU होती ह व तो िकसी Rयि का

आकिमक परवाह (ओवरoलो) मानी जा सकती ह

िवनाक (1952) क अनसार- अRयि िति या को यिद िचतन मgt आवयक मान भी िलया जाय तो

भी यह नहU माना जा सकता िक अRय िति या ही िचतन ह इसक ठीक िवपरीत जकोबसन (1930) का

कथन ह िक अRय िति या क िबना िचतन सLभव ही नहU ह पD ह िक परधीय िसPात क कोई भी

आलोचना कवल एक अनमान ही ह

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 202

उपय1 िववचन स यह पD ह िक योगामक अEययन ारा उपिथत िकय गय तyय क आधार पर

यह पD =प स कहा जा सकता िक क_ीय िसPात िब-कल गलत ह

औसगड (1953) क अनसार दोन ही िसPात सही ह Yयिक िचतन मgt सवदी ि याए तथा पशीय

ि यायgt दोन ही होती ह जस एक ब`च क िचतन मgt पशीय ि यायgt (मोटर एिYटिवटीस) अिधक होती ह

जबिक एक Rयक क िचतन मgt सवदी ि याए (क_ीय ि याए) अिधक होती ह िचतन ि या िक व=प को

पD करन क िलय भिव^य मgt और अिधक शोध िकय जान आवयकता ह

1733 जीन िपयाज का िस=ात -

ब`च और Rयक क िचतन मgt पD भद होत ह वततः बाल िचतन क व=प िवकास क िविभन

अवथाओ मgt बदलत हJय Rयक िचतन का व=प ाF करत ह Rयक तो अपनी भाषा क ारा यह बता दत

ह िक उहन िकसी समया का समाधान िकस कार िकया िकत छोट ब`च िजनक भाषा िवकिसत नहU हJई

ह यह बता पान मgt अमथ1 रहत ह

इस कारण उनक िचतन का अEययन कछ अयM िविधय ारा िकया जाता ह बालक क

सानामक िवकास पर िवस मनोवािनक जीन िपयाज (1896-1980) क काय1 बडी सLमान क CिD स दख

जात ह िपयाज क सानामक िवकास क िसPात क सबस मZय बात यह ह िक िपयाज क अनसार बालक

मgt वातिवकता क वsप क बार मgt िचतन करन तथा उस खोज करन क शि बालक क परपYवता तर

तथा उनक अनभव इन दोन क अतः ि या ारा िनधा1रत होती ह पD ह िक सानामक िवकास क

RयाZया मgt िपयाज ारा Rय क गई िवचारधारा एक अतः ि या वादी िवचार धारा का उदाहरण ह

िपयाज क सानामक िवकास क RयाZया करन स पहल इस िसPात क कछ महवपण1 सLयय क

RयाZया करना आवयक ह -

(1) अनकलन- िपयाज का कथन ह िक बालक मgt वातावरण क साथ सामजय करन क जमजात वि को

अनकलन कहा जाता ह अनकलन मZयतः दो ि याओ स होकर गजरता ह - थम आमसाव करण ह

िजसमgt बालक समाया क समाधान क िलए या वातिवकता स सामजय िबठान क िलए पव1 मgt सीखी गई

योजनाओ या मानिसक ि याओ का सहारा लता ह जस िकसी वत को उठाकर मह मgt रख लना आम

सावकरण का उदाहरण ह Yयिक इसमgt बालक िकसी वत को एक खान क ि या क साथ आमसात कर

रहा ह इसी कार जब िकसी नयी सचना स परान मनोबध मgt परवत1न हो जाता ह तो मनोबध म परवत1न

को समायोजन कहत ह जस ब`चा पहल यही जानता था िक िब-ली एक सदर मलायम खाल वाली खलन

क चीज ह जो Lयाऊ बोलती ह जब िकसी सवदी eोत स उस यह सचना िमली क िब-ली काटती भी ह

तो उसका पराना मनोबध बदल गया

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 203

(2) सायधारण- साLसधारण का तापय1 एक ऐसी ि या स ह िजसमgt बालक आमसाकरण तथा समायोजन

क ि याओ क बीच एक सतलन कायम करता ह यह एक कार स आम िनयNक ि या ह िपयाज

का कथन ह िक जब बालक क सामन कोई ऐसी समाया आती ह िजसका उस अनभव नहU हJआ था तो

उसमgt एक कार का सानामक असतलन उपन लान क िलए वह आमसाLवकरण या समायोजन या

दोनो ही ि याए ारLभ कर दता ह

(3) सर6ण- िपयाज क िसात मgt यह सबसgt महवपण1 सLयय ह िजस पर मनोवािनक न सबस lयादा शोध

िकय ह िपयाज क अनसार सरMण स तापय1 वातावरण मgt परवत1न तथा िथरता दोनो को पहचानन एव

समझन क Mमता तथा िकसी वत क sप रग मgt परवत1न को उस वत क तव मgt परवत1न स अलग करन

क Mमता स होता ह

(4) सानामक सरचना- िकसी बालक क मानिसक सगठन या Mमताओ को ही सानामक सरचना कहा

जाता ह सानामक सरचना क आधार पर ही एक 5 साल क बालक को तीन साल क बालक स िभन

समझा जाता ह

(5) मानिसक सिया- जब बालक िकसी समया क समाधान का यास करता ह तब वह मानिसक सि या

करत समझा जाता ह

(6) कस- कLस मानिसक ि या का अिभRयYम sप ह इसमgt Rयवहार क सगिठत पटन1 को िजस

आसानी स दोहराया जा सकता ह कLस कहा जाता ह

(7) कमा- िपयाज क अनसार कमा स तापय1 एक ऐसी मानिसक सरचना स होता ह िजसका

सामायीकरण िकया जा सकता ह (8) िवकmण- िपयाज क अनसार िवक_ण स तापय1 िकसी वत या चीज क बार मgt वतिनn या वातिवक

ढ़ग स सोचन क Mमता स होता ह इनका कथन था िक 3-4 महीन क उ क बालक मgt िवक_ण क

Mमता नहU होती ह वह िकसी वत या चीज क बार मgt आमकि_त ढ़ग स सोचता ह परत कछ उ बीतन

पर जब वह 24-25 महीन का हो जाता ह उसमgt वत क बार मgt वतिनn ढग या वातिवक ढग स सोचन

क Mमता िवकिसत हो जाती ह

जीन िपयाज न बालक क िचतन या सानामक िवकास क RयाZया करन क िलए चार अवथा

िसPात का ितपादन िकया हः-

1 सवदी पशीय अवथा (Sensory motor stage)

2 ाYसि यामक अवथा (preoperational stage)

3 ठोस सि या क अवथा (stage of concreat opration)

4 औपचारक सि या क अवथा(State of formal operation)

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 204

1 सवदी पशीय अवथा (Sensory motor stage)- यह अवथा जम स 1 या 2 वष1 तक रहती हइस

अवथा मgt ब`चा धानतः शारीरक ि याओ एव उनक सवदी भाव क बीच सLबध का बोध ाF

करता ह जस शारीरक sप स चीज को इधर उधर करना वतओ क पहचान का यास करना िकसी चीज

का पकड़कर मह मgt डालन का यास करना आिद मख ह

िपयाज न बताया िक इस अवथा मgt िशशओ का सानामक िवकास छह उप अवथाओ स होकर गजरता ह-

i) ितवत1 ि याओ क अवथा (State of reflex action)- यह अवथा जम स 30 िदन तक क

होती ह इस अवथा मgt बालक माN ितवत1 ि याए करता ह िजनमgt चसन का ितवत1 सबस बल

होता ह

ii) मख वीय ि याओ क अवथा (State of major circular reaction) - यह अवथा एक महीन

स 4 महीन तक क अविध क होती ह इस अवथा मgt िशशओ क ितवत1 ि याए उनक अनभितय

ारा कछ हद तक परवित1त होती ह व दोहरायी जाती ह और एक दसर क साथ अिधक समिवत हो

जाती ह

iii) गौण वीय ि याओ क अवथा (State of secondary circular)- यह अवथा 4 स 8 महीन

तक क अविध क होती ह इस अवथा मgt िशश वतओ को छन तथा उलटन-पलटन पर अिधक

Eयान दता ह न िक अपन शरीर क ितवत1 ि याओ पर इसक अलावा वह जानबझकर कछ ऐसी

ि याए करता ह जो दखन मgt रोचक व मनोरजक होती ह

iv) गौण कमटा क समवय क अवथा (Co-ordination stage of secondary schemata)- यह

अवथा 8 स 12 महीन क अविध क होती ह इस अविध मgt बालक िकसी ल(य तथा उस तक

पहJचन क साधन क मEय िवभद करना सीख लता ह जस- यिद िकसी वत को िछपा िदया जाय तो

वह अय वतओ को हटात हJए उस वत क खोज करता ह इसक बाद वह Rयक क कायk का

अनकरण भी ारLभ कर दता ह इस अवथा मgt िशश कमा सLयय का उपयोग भी करन लगत ह

v) ततीय वीय ि याओ क अवथा (stage of tertiary circular reactions)- यह अवथा 12

महीन स 18 महीन क अविध क होती ह इस अवथा मgt बालक वतओ क गण को यन एव Nिट

क ारा सीखन का यास करता ह बालक मgt उसकता अिभरक ती हो जाता ह

vi) मानिसक सयोग ारा नय साधन क खोज क अवथा (invention of new means through

mental combination) यह अितम अवथा ह जो 18 स 24 महीन तक क अविध क होती ह यह

वह अवथा ह िजसमgt बालक वतओ क बार मgt िचतन ारLभ कर दता ह इस अवथा मgt बालक उन

वतओ क ित भी अनि या करता ह जो यM िदखाई नहU दती इस वत थाियव का गण कहा

जाता ह

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 205

2 ाNसियामक अवथा (preoprational stage)- सानामक िवकास क यह अवथा 2 स 7

साल तक रहती ह यह ारिLभक बा-यावथा क अवथा होती ह िपयाज न इस अवथा को दो

उपअवथाओ मgt बाटा ह-

i) ाYसLयामक अविध (preconceptual period)- यह अवथा 2 स 4 साल क होती ह इस

अवथा मgt बालक वत श)द ितमा आिद क ित पहचान िवकिसत कर लत ह व सकत तथा िचह

क आधार पर पहचान िवकिसत करत ह जस जब बालक मा क आवाज सनता ह तो उसक मन मgt मा

क एक ितमा बन जाती ह तथा मा ारा कह गय श)द िचह का काम करत ह

ii) अतद1शvय अविध (इटयिटव पीरयड)- यह अवथा 4 स 7 साल तक क होती ह इस अवथा मgt

बालक क िचतन व तक1 करन क Mमता िवकिसत हो जाती ह वह जोड़ गणा घटाना भाग आिद

मानिसक ि याओ को कर लता ह िकत इनक पीछ िछप िनयम को नहU समझ पाता

3 ठोस सिया क अवथा (stage of concreat opration) - यह अवथा 7 स 12 वष1 क आय तक

रहती ह इस अवथा मgt ब`च ि याओ क एक लLब म को मानिसक तर पर दखन क योrयता ाF कर

लत ह जस- व िबना चल हJए इस बात का बोध कर लत ह िक कल पहJचन मgt िकन-िकन रात स

िकतनी-िकतनी दर चलना ह इसी अवथा मgt ब`च को माNा सZया वजन आिद का भी बोध हो जाता ह

दसर क CिDकोण स िकसी िवषय को सोचन क योrयता भी इसी अवथा मgt कट होन लगती ह अथा1त

अपन िचतन मgt आमकि_त होन क लMण कम हान लगत ह

4 औपचारक सिया क अवथा (State of formal operation) - यह अवथा 11-12 साल स

ारLभ होकर वयकावथा तक रहती ह इस अविध मgt िकशोर क िचतन क ि या मgt अिधक

लचीलापन आ जाता ह व िकसी भी िवषय पर िविभन CिDकोण स सोचन और कई कार क समाधान

ढढन क योrय हो जात ह इस अवथा मgt िकशोर मgt िनगमनामक ढग स सोचन क Mमता का िवकास हो

जाता ह अथा1त अब व आधार वावYय क सयता जाच िबना कवल तािक1 क िनयम क अनसार िन^कष1

िनकाल लत ह इस अवथा मgt बालक मgt िवक_ण क Mमता का िवकास हो जाता ह अथा1त व िकसी भी

िवषय का िचतन वतिनn तथा वातिवक ढग स करना ारLभ कर दत ह औपचारक सि या क

अवथा िकशोर क िशMा क तर स सीध भािवत होती ह िजन बालक का िशMा तर काफ नीचा होता

ह उनमgt औपचारक सि यामक िचतन क Mमता काफ कम होती ह परत िजस बालक का िशMा तर

काफ अ`छा होता ह उनमgt औपचारक सि यामक िचतन क Mमता अिधक होती ह

िपयाज क िस=ात का मयाकन -

यिप ब`च क सानामक िवकास क RयाZया मgt िपयाज क िसPात क महवपण1 भिमका ह तथािप

कितपय िवान न िनLन िबदओ क आधार पर इसक आलोचना क ह-

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 206

1) आलोचक का मत ह िक बालक क Rयवहार क Mण (Observation) क िलय िपयाज ारा

अपनायी गई तकनीक या िविध अिधक आमिनn (Subjective) ह

2) आलोचक का यह भी कहना ह िक सानामक िवकास क िविभन अवथाओ को एक-दसर स

पण1तः वतN नहU माना जा सकता

3) कछ आलोचक का मानना ह िक िपयाज अपन िसPात मgt इस बात को पD नहU कर पाय ह िक िकसी

सानामक सरचना क िवकास मgt अनभव या परपYवता क माNा िकतनी होनी चािहय अथा1त उस

बालक क अनभव या परपYवता का तर Yया होना चािहय

उपय1 िववचन स यह पD ह िक यिप मनोिवािनक न अनक आधार पर िपयाज क िसPात क

आलोचना क ह िकत इन सबक बावजद ब`च क सानामक या बौिPक िवकास क सतोषजनक RयाZया

करन मgt िपयाज क िसPात क महव को नकारा नहU जा सकता

174 साराश

bull िचतन क िविभन िसPात क माEयम स इस बात का िववचन िकया गया ह िक िचतन ि या मgt अथा1त

समया उपन होन स लकर उसका समाधान होन तक इसमgt कौन -कौन सी ि यायgt सिLमिलत होती ह

तथा िकस कार स उनक RयाZया क जा सकती ह

bull िचतन क सबध मgt िनLन तीन मख िसPात का ितपादन िकया गया-

1 क_ीय िसPात 2 गित या परधीय िसPात 3 जीन िपयाज का िसPात

1 क_ीय िसPात -इसक अनसार िचतन का मZय आधार मित^क ह िचतन मgt क_ीय ि याओ जस

सवदी ि याओ (Sensory Processes) तथा मित^क ि याओ (Brain Processes) क भिमका

मZय =प स होती ह

2 परधीय या गित िसPात- इस िसPात क अनसार िचतन मgt मित^क का नहU वरन मासपशीय

अनि याओ का थान मZय =प स होता ह

3 जीन िपयाज का िसPात-

bull िचतन क सबध मgt िवस मनोवािनक ारा िजस िसPात का ितपादन िकया गया वह ब`च क

सानामक िवकास स सबध रखता ह

bull िपयाज का िसPात अतःि यावादी िवचारधारा का उदाहरण ह

bull Yयिक िपयाज का मानना ह िक ब`च मgt वातिवकता क बार मgt सोचन एव खोज करन क शि उनक

परपYवता क तर एव अनभव इन दोन क अतःि या क ारा िनधा1रत होती ह

िपयाज क िसPात क महवपण1 सLयय-

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 207

1 अनकलन (Adaptation)

2 साLयधारण (Equilibration processes)

3 सरMण (Conservation)

4 सानामक सरचना (Cognitive sturucture)

5 मानिसक सि या (Mental operations)

6 कLस (Schemes)

7 कमा (Schema)

8 िवक_ण (Decentering)

िपयाज क अनसार सानामक िवकास क अवथायgt-

1 सवदी पशीय अवथा

2 ाYसि यामक अवथा

3 ठोस सि या क अवथा

4 औपचारक सि या क अवथा

bull िचतन क सबध मgt जो भी िसPात ितपािदत िकय गय ह उनमgt स िकसी भी एक िसPात को पण1=पण

tn नहU कहा जा सकता सभी िसPात का अपना-अपना महव ह एव उनक कछ सीमायgt ह

bull बालक क बौिPक िवकास क सतोषजनक RयाZया करन मgt जीन िपयाज क िसPात का महवपण1

योगदान माना जाता ह

175 शदावली

bull पशीय ियाय( मासपिशय स सLबP ि याकलाप

bull योJय िकसी योग मgt जो Rयि सिLमिलत िकय जात ह

bull सानामक िवकास बौिPक िवकास अथा1त- िचतन तक1 िवpषण इयािद क Mमताओ का िवकास

bull िनगमनामक िचतन िदय गय तyय क आधार पर िकसी सही िन^कष1 पर पहJचन क कोिशश करना

जस- िक यिद िकसी Rयि स पछा जाय िक 10 मgt 2 जोड़ दन पर Yया उर आयगा तो इसका उर दन मgt

िनिहत िचतन िनगमनामक िचतन का उदाहरण होगा

176 वमयाकन हत

नीच कछ कथन िदय गय ह जो कथन सही ह उनक आग सही का िनशान तथा जो गलत ह उनक आग

ास का िनशान लगायgt-

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 208

1) क_ीय िसPात क अनसार मित^क ही िचतन का आधार ह ( )

2) गित िसPात को Rयविथत =प दन का tय िविलयम जLस को ह ( )

3) वाटसन क अनसार हम लोग पर शरीर क सहार िचतन ि या करत ह ( )

4) परधीय िसPात मgt पशीय ि याओ को महवपण1 माना गया ह ( )

5) सवuमकिनlम क_ीय िसPात स सबिधत ह ( )

6) सवu मकिनlम क छः भाग होत ह ( )

7) ब`च क सानामक िवकास क िसPात का ितपादन जीन िपया थ ारा िकया गया ( )

8) िपयाज एक िवस मनोवािनक ह ( )

9) िपयाज का िसPात अतः ि यावादी िवचारधारा का उदाहरण नहU ह ( )

10) िपयाज क अनसार बालक मgt वातिवकता क व=प क बार मgt िचतन करन एव खोज करन क शि

उनक अनभव एव परपYवता क तर दोन पर िनभ1र करती ह ( )

11) िपयाज न बालक क सानामक िवकास क चार अवथायgt बतायी ह ( )

12) िपयाज क अनसार ब`च क सानामक िवकास क अितम अवथा औपचारक सि या क अवथा ह(

)

13) िचतन क िनLनािकत मgt स िकस िसPात मgt मित^क क कायk क भिमका पर बल डाला गया ह

i) परधीय िसPात ii) क_ीय िसPात

iii) पनिन1वशन िसPात iv) उपय1 मgt स िकसी भी िसPात मgt नहU

14) गटा-ट मनोवािनक न अपन योग क आधार पर िनLनािकत मgt स िकस िसPात का समथ1न िकया ह

i) परधीय िसPात ii) क_ीय िसPात

iii) पनिन1वशन िसPात iv) िपयाज का िसPात

15) वाटसन न िचतन मgt िनLनािकत मgt स िकसक महव पर अिधक बल डाला ह

i) मित^कय ि याए ii) पशीय ि याए

iii) अमत1 ि याए iv) मsदडीय ि याए

16) िकसक िसPात मgt िचतन को एक उपवािचक बातचीत कहा गया ह

i) वाटसन ii) िपयाज iii) औसगड iv) वदा1इमर

17) िपयाज न सवदी पशीय अवथा को िकतन उपभाग मgt बाटा ह

i) पाच ii) तीन iii) चार iv) छः

18) िपयाज क िसPात मgt सवदी पशीय अवथा क सही अविध कौन सी ह

i) दो स चार साल ii) जम स दो साल

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 209

iii) 4 स 5 साल iv) 5 स 11 साल

19) िपयाज न ाक सि यामक अवथा क दो अवथाओ का वण1न िकया ह जो िनLनािकत मgt स कौन-सा

i) ितवत1 ि याओ क अवथा तथा गौण कमटा क समवय क अवथा

ii) औपचारक सि या क अवथा तथा ठोस सि या क अवथा

iii) अतह1शी अवथा तथा ाकसयामक अवथा

iv) मख ततीय िति याओ क अवथा तथा गौण वीय िति याओ क अवथा

उ-र 1) सही 2) गलत 3) सह 4) सही 5) गलत 6) गलत

7) सही 8) सही 9) गलत 10) सही 11) सही 12) सही

13) ii 14) ii 15) ii 16) i 17) iv 18) ii 19) iii

177 सदभ0 1थ सची

bull िसह अ=ण कमार (2006) उ`चतर सामाय मनोिवान मोतीलाल बनारसीदास बगलो रोड जवाहर

नगर िद-ली

bull िसह अ=ण कमार (2006) सानामक मनोिवान मोतीलाल बनारसीदास बगालो रोड जवाहर नगर

िद-ली

bull अजvमर1 रहमान (2003) सामाय मनोिवान िवषय और RयाZया

bull tीवातव रामजी आलम आिसम (2004) आधिनक सामाय मनोिवान

bull tीवातव रामजी (2003) सानामक मनोिवान

bull 178 िनबधामक

1 िचतन क िकस िसPात को आप अिधक उपय मानत ह अपन उर का योगामक समथ1न दgt

2 ब`च क िचतन क RयाZया मgt िपयाज क योगदान क RयाZया तत करgt

3 िचतन क परधीय िसPात का वण1न करgt

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 210

इकाई-18 िनगमनामक एव आगमनामक तक ना सम)या समाधान क उपागम एव चरण

का-क सम)या समाधान(Deductive and Inductive Reasoning

Approaches and Steps of Problem Solving Classroom Problem

Solving)

इकाई सरचना

181 तावना

182 उय

183 तक1 णा

1831 तक1 णा अथ1 एव व=प

1832 तक1 णा क कार

1833 तक1 णा मgt महवपण1 सोपान

184 समया समाधान उपागम

1841 समया समाधान स Yया अिभाय ह

1842 समया समाधान क िविधया

1843 समया समाधान को भािवत करन वाल कारक

1844 समया समाधान क िसPात

1845 समया समाधान क चरण

185 साराश

186 श)दावली

187 वम-याकन हत

188 सदभ1 2थ सची

189 िनबधामक

181 तावना

िय िवािथ1य इसस पव1 क इकाईय मgt आप जान चक ह िक िचतन Yया ह इसका व=प Yया ह िचतन क

िभन - िभन कौन स कार ह तथा िचतन क ि या िकस कार होती ह िचतन ि या ारा समया

समाधान मgt िकन - िकन कारक का महव होता ह इयािद अब इसी म को आग बढ़ात हJय तक1 णा एव

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 211

समया समाधान Yया ह इस िवषय पर चचा1 क जायगी इकाई क शीष1क को पढ़न क बाद स ही आपक मन मgt

सभवतया अनक उपन हो रह हग जस िक -

तक1 णा का अथ1 Yया ह

Yया तक1 णा का िचतन स कोई सबध ह

तक1 करन स Yया िकसी समया का समाधान होता ह

यिद समया का समाधान होता ह तो िकन - िकन िविधय स

समया समाधान क िविभन सोपान Yया ह

समया समाधान क सLबध मgt िकन - िकन िसPात का ितपादन िकया गया ह इयािद

तो िजास िवािथ1य इस इकाई को पढ़न - समझन क बाद अपनी िजासाओ का समाधान पा सकत ह

तक1 णा को मनोवािनक न वातिवक िचतन कहा ह वातव मgt तक1 णा एक माEयम ह िजसमgt Rयि

तक1 िवतक1 करत हJए अपन िचतन को मबP बनाता ह तथा समया का समाधान करता ह तक1 णा एक कार

का समया समाधान Rयवहार ह िजसमgt Rयि तत समया क सLभािवत उर क जाच तािक1 क ढग स करता

ह तथा इनक आलोचनामक RयाZया तत करता ह तक1 णा मgt Rयि अपनी ओर स कछ नय समाधान तत

करता ह अथवा िदय गय तyय मgt स ही समया क समाधान तक पहJचन का यास करता ह अतः पD ह िक

तक1 णा Rयि क वह योrयता ह िजसका उपयोग करक Rयि अपनी समया का समाधान ाF कर लता ह

िवािथ1य यिद तत ईकाई का अEययन करत समय आप एक बार िचतन क अथ1 को भी पनः मरण

कर लgt तो तत िवषय को अिधक अ`छ ढग स समझ सकत ह तो

आइय सव1थम चचा1 करत ह तक1 णा क अथ1 एव व=प क सबध मgt

182 उय

पाठक तत ईकाई का अEययन करन क उपरात आप -

bull तक1 णा क अथ1 को पD कर सकgt ग

bull तक1 णा क िविभन परभाषाओ का िवpषण कर सकgt ग

bull तक1 णा क िविभन िवशषताओ का वण1न कर सकgt ग

bull तक1 णा एव िचतन क पारपरक सबध को सपD कर सकgt ग

bull तक1 णा क िविभन कार का िववचन कर सकgt ग

bull तक1 क माEयम स आप अपन Rयवहारक जीवन मgt िकस कार समया का समाधान कर सकत ह इसका

अEययन कर सकgt ग

bull समया समाधान क व=प क पD कर सकgt ग

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 212

bull समया समाधान क िविभन उपाय का अEययन कर सकgt ग

bull समया समाधान को भािवत करन वाल कारक का िवpषण कर सकgt ग

bull समया समाधान क िविभन िसPात का अEययन कर सकgt ग

bull समया समाधान क महवपण1 चरण का ान ाF कर सकgt ग

हम अपन दिनक जीवन मgt िकस कार सरलतापव1क अपनी समयाओ का समाधान कर सकत ह इसका

अEययन कर सकgt ग

183 तक0 णा

1831 तक0 णा अथ0 एव वQप -

िय पाठक तक1 णा वततः एक कार का वातिवक या यथा1थ िचतन ह िजसमgt Rयि अपनी िचतन ि या

को एक मबP =प दान करता ह तथा तक1 - िवत1क क माEयम स िकसी िन^कष1 या परणाम पर पहJचता ह

तक1 णा एक मानिसक ि या ह जो िचतन का ही एक जिटल =प ह

रबर (1985) न तक1 णा क दो अथ1 बताए ह -

सामाय अथ1 मgt तक1 णा एक कार का िचतन ह िजसक ि या तािक1 क तथा सगत होती ह िविशD

अथ1 मgt तक1 णा समया समाधान Rयवहार ह जहा अ`छीतरह स निम1त परक-पनाओ क मबP =प स जाच

क जाती ह तथा समाधान तािक1 क ढग स िनगिमत िकया जाता ह रबर क िवचार स पD ह िक तक1 णा मgt Rयि

िकसी घटना या िवशय क पM तथा िवपM मgt तक1 करत हJए एक परणाम पर पहJचता अतः हम कह सकत ह िक

तक1 काय1 कारण मgt सLबध थािपत करक हमgt िकसी िन^कष1 पर पहJचन या िकसी समया का समाधान करन मgt

सहायता दता ह

कनर क अनसार - lsquolsquoतक1 श)द का योग कारण और भाव क सLबध क मानिसक वीकित Rय

करन क िलए िकया जाता ह यह िकसी अवलोिकत कारण स एक घटना क भिवयवाणी या िकसी अवलोिकत

घटना क िकसी कारण का अनमान हो सकती हlsquolsquo

अतः तक1 णा क व=प क बार मgt हमgt िनLनिलिखत तyय ाF होत ह -

bull तक1 णा िचतन एक ि या ह

bull तक1 णा मgt मबPता पायी जाती ह

bull तक1 णा मgt Rयि पM िवपM मgt तक1 करत हJए एक िनि^चत िन^कष1 पर पहJचता ह

तक1 णा सबधी रबर क िवचार स पD होता ह िक तक1 णा मgt Rयि िकसी िवषय अथवा घटना क पM

एव िवपM दोन मgt तक1 करत हJय िकसी एक िनिWत िन^कष1 पर पहJचता ह

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 213

उदाहरण - उदाहरणाथ1 मान लgt िक हम अपनी कलम कहU पर रखकर भल जात ह हम िवचार करत ह िक हमन

उसस अितम बार कहा िलखा था इस कार तक1 करक हम इस िन^कष1 पर पहJच जात ह िक कलम पढ़न क

कमर मgt होगा हम वहा जात ह और वह हमgt िमल जाता ह ह इस कार हमारी समया का समाधान हो जाता

व=प - तक1 णा क उपय1 परभाषाओ का िवpषण करन क उपरात इसक व=प क सबध मgt कछ तyय ाF

होत ह िजनको िनLनिलिखत िबदओ क अतग1त विण1त िकया जा सकता ह-

bull तक1 णा िचतन क एक जिटल मानिसक ि या ह

bull तक1 णा मबP होती ह

bull तक1 णा मgt Rयि पM - िवपM मgt तािक1 क िचतन करत हJय एक िनिWत परणाम पर पहJचता ह

अतः िवािथ1य उपय1 िववचन स आप समझ गय हो या नहU िक तक1 णा स हमारा Yया अिभाय ह

1832 तक0 णा क कार -

मनोिवािनक ारा तक1 णा को मZय =प स चार भाग मgt वगvकत िकया गया ह जो िनLनिलिखत ह -

1 िनगमनामक तक1 णा (Deductive reasoning)

2 आगमनामक तक1 णा (Inductive reasoning)

3 आलोचनामक तक1 णा (Evaluative reasoning)

4 साCयवाची तक1 णा (Analogical reasoning)

इनमgt स िनगमनामक एव आगमनाक तक1 णा का िववचन िनLनानसार ह ndash

1) िनगमनामक तक0 णा - ऐसी तक1 णा िजसमgt Rयि पहल स ात िनयम एव तyय को आधार मानकर

िकसी िनिWत िन^कष1 या परणाम पर पहJचता ह उस िनगमनामक तक1 णा कहत ह

इस कार क तक1 णा मन य एव पश दोन ारा क जाती ह

उदाहरण -

सभी मन य मरणशील ह

ममता एक मन य ह

इसिलय ममता मरणशील ह

2) अगमनामक तक0 णा - अगनामक तक1 णा तक1 णा का दसरा कार ह िजसमgt Rयि को जो तyय िदय हJय

होत ह उनमgt िचतन क आधार पर कछ और नय तyय को जोड़ता ह तथा उसक बाद िकसी िनिWत

िन^कष1 पर पहJचता ह इसमgt उस समय तक समया का समाधान नहU हो पाता ह जब तक िक Rयि िदय

गय तyय मgt अपनी ओर स कछ नय तyय को नहU जोड़ता

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 214

lsquolsquoअगनामक िचतन मgt िचतक अपनी क-पना क आधार पर कछ ऐसी नयी चीज को जोड़ता हlsquolsquo

जो तत आकड स सीध ात नहU कर िलय जा सकत ह जो Rयि रचनामक पवित क होत ह उनमgt

अगनामक िचतन क वित अपMाकत अिधक होती ह

1833 तक0 णा म( महवपण0 सोपान -

पाठक अब आपक मन मgt यह उपन हो रहा होगा िक तक1 णा क सोपान या चरण स हमारा Yया आशय ह

तक1 णा क अथ1 को पD करत हJय हमन आपको बताया था िक तक1 णा मgt मबPता का गण पाया जाता ह

अथा1त िचतक एक िनिWत िदशा क मgt मबP ढग स सोचत हJय समया समाधान क ओर अ2सर होता ह

अतः तक1 णा क चरण (सोपान) स तापय1 उन अवथाओ स ह िजनस एक तािक1 क िचतन करता हJआ Rयि

मशः गजरता ह तक1 णा क य महवपण1 सोपान िनLनानसार ह

1 समया क पहचान (Recognition of a problem)

2 आकड़ पर पहJचना (collection of data)

3 अनमान पर पहJचना (Drawing inference)

4 अनमान क अनसार योग करना (To do experiment according to inference)

5 िनण1य करना (decision making)

1) समया क पहचान - िवािथ1य तक1 णा का थम चरण समया क पहचान करना ह

Yयिक तक1 णा भी एक कार का समया समाधान Rयवहार ह

जब तक हमार सामन िकसी कार क कोई समया ही उपन नहU होगी तो उसक समाधान क बार मgt

सोचन का तो ही नहU उठता

अतः समाधान स पव1 समया क पहचान एक अिनवाय1 आवयकता ह

उदाहरण - जस कोई Rयि अपना चमा कहU रख कर भल जाता ह तो उसक सामन एक समया

उपन होती ह िक उसन अपना चमा कहा रख िदया ह

2) आकड़K पर पहXचना - तक1 णा का यह दसरा महवपण1 सोपान ह िजसमgt Rयि समया समाधान स

सबिधत िविभन तyय को एकिNत करता ह

आकड़ा स2हण मgt Rयि अपनी िपछली अथा1त गत अनभितय क सहायता लता ह

उदाहरण - जस उपय1 चमा खो जान क समया उपन होन पर इस दसर चरhपा मgt वह तyय क

स2हण क ि या मgt याद करगा िक वह अपना चमा कहा रखता ह हो सकता ह उसक परवार क िकसी

सदय न कहU पर रख िदया हो अतः उनस भी पछ लना उिचत होगा इयािद

3) अनमान पर पहXचना - तक1 णा क ततीय चरण मgt Rयि एकिNत आकड़ क आधार पर िकसी न िकसी

अनमान पर पहJचता ह

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 215

उदाहरण - जस उपय1 उदाहरण मgt Rयि यह अनमान लगा सकता ह िक lsquolsquoम अपना चमा अपन

दोत क घर भल आया हगाlsquolsquo

4) अनमान क अनसार योग करना - तक1 णा का यह चौथा चरण ह

इसमgt Rयि अपन अनमान क आधार पर अपन आग क कायu को करता ह

उदाहरण - जस तत उदाहरण मgt Rयि इस अनमान पर पहJचता ह िक वह अपन िमN क घर अपना

चमा भल आया ह तो तक1 णा क ारा इस चतथ1 सोपान मgt वह अपन िमN क घर जाकर इस सबध मgt पछताछ

करगा

5) िनण0य करना - यह तक1 णा का अितम चरण ह

इसमgt Rयि एक िनण1य लकर िनिWत िन^कष1 पर पहJचता जाता ह

िकत िवािथ1य यहा यह Eयान दना आवयक ह िक यह कोई ज=री नहU िक Rयि ारा जो िनण1य

िलया गया ह उसस उनक समया का समाधान हो ही जायगा समया का समाधान हो भी सकता ह

और नहU भी

यिद समया पव1वत बनी रहती ह तो वह एकिNत तyय क आधार पर िफर िकसी नय अनमान पर

पहJचता ह उसक अनसार काय1 करता ह और पनः एक िनण1य लता ह इस कार जब तक समया का

समाधान नहU हो जाता तब तक यह म लगातार चलता ही रहता ह

उदाहरण - जस उपय1 उदाहरण मgt उस Rयि को अपन िमN क बार मgt घर जान पर भी चमा नहU िमलता ह

Yयिक िमN क कहन पर पता चलता ह िक यहा स तो व चमा लकर गया था तो वह पनः एकिNत तyय क

अनसार एक नय अनमान पर पहJचगा और उनक अनसार काय1 करगा

अतः िय पाठक अब आप समझ गय हग िक तक1 णा एक ऐसी िचतन ि या ह िजसमgt Rयि

समया समाधान क िलय तक1 - िवत1क करत हJय मबP ढग स सोचता ह और उसक आधार पर िकसी िनिWत

परणाम या िन^कष1 पर पहJचता ह

184 समया समाधान उपागम

1841 समया समाधान स Nया अिभाय ह

जब Rयि िकसी ल(य तक पहJचना चाहता ह और िकसी कारण वश नहU पहJच पाता ह तो उसक सामन एक

समया उपन हो जाती ह जसका समाधान उस खोजना होता ह जस यिद Rयि अपन परवार क साथ कहU

बाहर घमन जाना चाहता ह और घमन जान क िलए उसक पास कोई साधन उपल)ध नहU ह तो यह उसक िलए

एक समया होगी यिद वह इस किठनाई पर िवजय ाF करक ल(य तक पहJच जाता ह तो वह समया का

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 216

समाधान कर लगा इस कार समया सामाधान का अथ1 ह - किठनाइय पर िवजय ाF करक ल(य को ाF

करना

lsquolsquo समया समाधान मgt िविभन अनि याओ को करन या उनमgt स चनन का यास सिLमिलत होता ह

तािक वािछत ल(य क ािF क जा सकlsquolsquo (बरोन साइकोलॉजी प0स0 - 267)

lsquolsquoसमया समाधान का अ होता ह बाधाओ को दर करन तथा लय क ओर पहचन क िलय िचतन

ियाओ का उपयोग करनाlsquolsquo (साइकोलॉजी एन इोडMन 1984 प0स0- 239)

समया समाधान क िनLन तीन महवपण1 पहल ह -

1 मौिलक अवथा (original state)

2 ल(य अवथा (goal state)

3 िनयम (rules)

1) मौिलक अवथा -समया क सामन आन पर उपन होन वाली अवथा

2) ल(य अवथा - ल(य अथा1त समया समाधान क बाद उपन होन वाली अवथा

3) िनयम - वह ि या िजसस Rयि समया क मौिलक अवथा स ल(य अवथा तक पहJचता ह

उदाहरण- जस िकसी Rयि को 5 िकमी क दरी तय करक रलव cलटफाम1 पर जाना ह तो इस उदाहरण मgt

समया क मौिलक अवथा यह सोचना ह िक मझ अभी 5 िकमी तक जाना ह ल(य अवथा मgt Rयि

cलटफाम1 तक पहJच जाता ह िनयम मgt व साधन आयgtग िजसक माEयम स वह cलटफाम1 तक पहJचता ह

पाठक िकसी समया का समाधान कब और िकस कार स होगा यह उस समया क व=प पर

िनभ1र करता ह कछ समयायgt आसान होती ह िजनका समाधान आसानी स हो जाता ह िकत कछ समयाओ

का व=प अयत जिटल होन क कारण उनक समाधान मgt भी समय लगता ह

1842 समया समाधान क िविधया

िय पाठक अब आप सोच रह हग िक कोई समया उपन होन पर उसका समाधान िकस कार स िकया

जाता ह Yया मनोिवान क MN मgt समया समाधान क िविशD तकनीकgt या उपाय ह जी हा समया समाधान

क MN मgt मनोवािनक ारा अनक शोध अनसधान िकय गय और उनक आधार पर िकसी भी समया का

समाधान करन मgt िनLन दो िबिधय या उपाय को महवपण1 थान दान िकया -

1 याCि`छक अवषण िविध (Random search method)

2 वतः शोध अवषण िविध (Heuristnc search method)

इनका िववचन िनLनानसार ह-

1 याcिRछक अवषण िविध -

इस तकनीक मgt Rयि यन एव Nिट उपाय का सहारा लत हJय समया का समाधान करता ह

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 217

याCि`छक अवषण िविध को भी दो भाग मgt वगvकत िकया गया ह -

i) अ मबP याCि`छक अवषण िविध तथा

ii) मबP याCि`छक अवषण िविध

i) अमब= याcिRछक अवषण िविध - इस िविध मgt Rयि िकसी समया का समाधान करन क

िलय सभी सभािवत अनि याओ को अ मबP िविध स अपनाता ह अथा1त कायu का न तो कोई

िनिWत म होता ह और न वह पहल स अपनायी गयी ि यािविधय का कोई रकाड1 ही रखता ह

ii) मब= याcिRछक अवषण िविध - इस िविध मgt समया का समाधान एक िनिWत म मgt िकया

जाता ह तथा समाधानकता1 पहल स क गई अनि याओ का एक रका1ड भी रखता ह िजसस िक

पहल हJयी Nिटय क पनः होन क सभवना नहU होती ह यिप मबP िविध मgt अ मबP िविध क

तलना मgt समय अिधक लगता ह िकत यह िविध ( मबP याCि`छक अवषण िविध) अिधक

भावी ह

2 वतः शोध अवषण िविध -

इस िविध क अतग1त Rयि समया क समाधान क िलय कवल उहU िवक-प का चयन करता ह जो उस

सगत लगत ह सभी सभािवत िवक-प क खोज नहU क जाती ह

इस िविध मgt इस बात क काई गारटी नहU होती िक समया का समाधान िनिWत =प स ही हो जायगा

लिकन ह समाधान हो क सभावना बहJत रहती ह

याCि`छक अवषण िविध क तलना मgt इनमgt समय कम लगता ह

वतः शोध अवषण िविध मgt िनLन िविधय को शािमल िकया गया ह

(i) साधन साEय िव^लषण (Means ndash ends analysis)

(ii) पWगामी अवषण (Backward search)

(iii) योजना िविध (Planing or Strategy Method) (i) साधन साEय िवIलषण -

इस िविध मgt मZय समया को अनक छोटी - छोटी समयाओ अथा1त उपसमयाओ मgt बॉट िदया जा जाता

जब इन उपसमयाओ को समाधान होता जाता ह तो मौिलक अवथा एव ल(य अवथा क बीच अतर

कम होता जाता ह अथा1त Rयि समया समाधान क अयत िनकट पहJच जाता ह इस िविध का उपयोग

मZय =प स शतरज क समया क समाधान मgt गिणतीय समयाओ को हल करन मgt कLcयटर ारा िकसी

समया क समाधान हत काय1 म तयार करन मgt इयािद मgt िकया जाता ह

(ii) पoगामी अवषण -

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 218

इसमgt Rयि समया समाधान क िलय मशः ल(य अवथा स मौिलक अवथा तक पहJचन का यास

करता ह

इस िविध का िनLन िथितय मgt योग िकया जाता ह-

bull जब समया क ल(य अवथा मgt मौिलक अवथा क तलना मgt अिधक सचनायgt उपल)ध रहती ह

bull जब समया समाधान क िलय अ2गामी एव पWगामी दोन िदशाओ मgt यास सभव हो

(iii) योजना िविध -

इस िविध मgt मZय समया को दो भाग मgt वगvकत कर िदया जाता ह -

1 साधारण पहल 2 जिटल पहल

Rयि सव1थम साधारण पहल का समाधान करता ह उसक बाद जिटल पहल क समाधान क िदशा मgt

अ2सर होता ह

िय िवािथ1य अब आप समझ गय हग िक िकसी समया का समाधान करन क अनक िविधया हो

सकती ह िजनको Rयि उन समयाओ क व=प एव अपनी योrयता क आधार पर अपनाता ह

1843 समया समाधान को भािवत करन वाल कारक -

िय पाठक अब आप सोच रह हग िक समया समाधान क कारक का Yया अथ1 ह कारक का अथ1 यहा पर

यह ह िक जब हम िकसी समया का समाधान करत ह तो वह समया समाधान िकन - िकन Rयिय वतओ

अथवा घटनाओ स भािवत होता ह

मनोवािनक न समया समाधान को भािवत करन वाल िविभन कारक का िववचन िनLन िबदओ

क अतग1त िकया ह -

1 काया1मक अटलता

2 मानिसक वि

3 िशMण

4 दिWता

5 उवन

6 समया का व=प

7 अवधान िवतार

8 िविMिFकरण

1844 समया समाधान क िस=ात -

समया समाधान हत मनोवािनक न दो तरह क िसPात क RयाZया क ह िजनमgt थम ह गटा-ट वािदय

का अतC1िD िसPात तथा दसरा ह समया समाधान का Rयवहार वादी CिD कण

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 219

1) सीखन का अतc0ि` िस=ात-

गटा-टवादी मनोवािनक कोहलर न सन 1925 मgt बदर क मनोयोrयता नायक पतक कािशत क िजसम

पश अिधगम क सLबध मgt िजतनी भी बातgt थी व सब क सब थॉन1डाइक का िसPात हीमाना जाता था िजसक

अनसार (1) अिधगम यन एव भल क दन होता ह (2) शP अनि या क थापना धीर-2 होती ह (3)

अिधगम बहJत सी छोटी-2 अनि याओ और उनस ाF अनभव क परणाम व=प होता ह कोहलर न इनमgt स

यक का खhडन िकया

कोहलर न ब`च जानवर तथा बदर पर योग करको यह िनWय िकया िक य अपनी समया का

समाधान अतC1िD ारा खोजत ह थॉन1डाइकन अपन पशओ को योगामक अवथा मgt ऐसी जिटल िथित मgt

रखा था िक व सझ का परचय द ही नहU सकत थ उनक िलए यास और Nिट करना ही सLभव था परत

कोहलर का कथन ह िक इन जानवर न भी अतC1िD ारा ही सीखा था भल एव यारन ारा नहU थॉन1डाइक न

अपन योग मgt सीखन का व तयार िकया था इस व मgt गटा-टवािदय क अनसार जो आकिमक उतार ह

वह अतC1िD का ही सचक ह यिद योlय समया को परी तरह स समझत नहU तो यह उतार नहU आ सकता

था

कोहलर न अिधगम क अतC1िD िसPात क RयाZया करन क िलए एक योग िकया -

इस योग मgt िचLपजी क िपजड क हद मgt कला लटका िदया गया कला इतनी ऊचाई पर था िक उस तक हलाग

लगाकर नहU पहJचा जा सकता था िपजड मgt एक बॉLस रखाया िजस पर चढकर छलाग लगान स कल तक

पहJचा जा सकता था स-तान जो एक बिPमान िचLपजी था एक बार सीध उछला और असफल रहा िफर वह

बॉLस खUचकर लाया और उसस छलाग लगाकर कला ाF कर िलया अब कल क ऊचाई कछ बढ़ादी गयी

और िपजड़ मgt दो बॉLस रख िदय गय स-तान न एक बॉLस क ऊपर दसरा बॉLसरखकर छलाग लगाई और कल

ाF करिलय

एक दसर अEययन मgt सलतान िपजड़ मgt दो छिड़या पडी थी एक मोटी तथा खोखली और दसरी पतली

कोई एक छडी कल तक नहU पहJचती थी सलतान पहल हाथ बढ़ाकर कला पकड़ना चाहा पर असफल रहा

िफर बारी-बारी स दोन छिड़ाय स दोिभय क िकत असफल रहा िफर बारी-बारी स दोन छिड़य को हाथ मgt

लकर घमान लगा सयोगवश एक सीध मgt आ जान क कारण दोन छिड़या जड़ गयी और उसन उनस खUचकर

कला ाF कर िलया अतः बॉLस पर चढ़कर छलाग लगान स कला ाF िकया जा सकता ह उसी कार दो

छिड़य को जोड़कर खUचन स भी आसानी स कला खUचा जा सकता ह बदर क सझ क उदाहरण ह जो

साधन और साEय क यMामक सLबध स सLबिधत ह अतः सLबध का यही यMामक बोध सझ

अथवा अतC1िD ह जो गटा-टवािदय क अनसार अिधगम अथवा समया समाधान का आधार ह

अतC1िD िसPत क िनयम -

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 220

औगड ारा थािपत अतC1िD क कछ िनयम इस कार ह -

1 ल(य तक पहJचन क िलए पश सबस सीधा राता अपनाता ह उपरो उदाहरण स पD ह िक जबतक कोई

अड़चन नहU हो पश सीध ही अपना ल(य ाF कर लना चाहता ह यिद इसमgt कोई अड़चन हJई तो इस

छोड़कर कोई दसरी सरल माग1 अपनाता ह

2 ाणी तथा ल(य क बीच िकसी कार क बाधा आ जान पर एक कार का तनाव उपन हो जाता ह

कोहलर क अनसार तनाव क माNा दो बात पर िनभ1र करती ह (क) ल(य ाF करन क इ`छा िकतनी

बल ह (ख) ल(य पर िकतना Eयान िदया गया ह

3 मनोवािनक MN अिवयोिजत तनाव का एक ित=प होता ह जो ल(य क आकष1क शि और

भौगोिलक MN क अवरोधक शिय स िनधा1रत होता ह ाणी जस-जस ल(य क समीप होता जाता ह

ल(य क आक1 षक शि मशः बढ़ती जाती ह भौगोिलक MN मgt ाणी क थान परवत1न स आकष1क व

अवरोघक शिय का =प बदलता जाता ह

4 ल(य तक जान वाल िकसी माग1 का बोध होत ही सLपण1 मनोवािनक MN का अकमात पनग1ठन हो जाता

ह और उसका तनाव घट जाता ह मनोवािनक MN क इसी अवमात पनग1ठन स अतC1िD उcपन होती ह

अिधगम क गटा-ट अपवा अतC1िD िसPात क यही मख बात ह अतc0ि` क िनधा0रक - अतC1िD को कोहलर तथा अय गटा-ट वािडय न Rयवहार का एक उामी िनयम

माना ह अतC1िD क कछ िनधा1रक तव क चचा1 इस कार ह -

1 अतC1िD क उपी मनोवािनक MN क तनाव क माNा पर िनभ1र करती ह यिद सLभावना lयादा होती ह

बहJत अिधक या बहJत कम तनाव अतC1िD क उपि मgt बाधक का काय1 करत ह

2 भौगोिलक MN मgt इधर उधर घमन स अतC1िD क उपि मgt सिवधा होती ह इसस पD ह िक यिप

गटा-टवादी अिधगम मgt Rयवहारक तर पर यन एव मल का िनयम वीकार नहU करत ह िफर भी उनक

मनोवािनक MN का पनग1ठन कछ अश मgt इन ि याओ पर िनभ1र करता ह

3 यिद कोई नया माग1 अथवा यN ल(य ािF मgt सहायक होता ह तो अतC1िD क पनग1ठन मgt सिवधा होती ह

4 मनोवािनक MN मgt यN और ल(य क दरी िजतनी कम होगी या माग1 ल(य क सीध मgt िजतना अिधक

होगा अतC1िD का पनग1ठन उतना ही शी होगा

5 िवकिसत ािणय मgt अतC1िD शी होती ह

6 सीखन क आय अनभव और बिP का भाव भी अतC1िD पर दखा गया ह

अतc0`यामक [यवहार क ल6ण -

समया समाधान क अतC1Dयामक िसPात क िनLनिलिखत िवशषताए उ-लखनUय ह -

1 आकािमकता - अतC1Dयामक अिधगम अचानक होता ह जो ती हष1 और उ-लास कट करता ह

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 221

2 अिधक धारण एव अतरण - अतC1िD स सीखा गया Rयवहार लगभग थायी होता ह और इसका धनामक

अतरण भी अिधक होता ह

3 अतC1िD िमक होती ह - कोहलर न भल क सLभावना मानी ह तथा अ`छी और बरी भल मgt िवभद िकया

ह अ`छी भल ल(य क अनकल होती ह

4 सहजता - अतC1Dयामक अिधगम मgt समाधान बड़ सहज ढग स हो जाता ह

5 शP ि या और समाधान क थान - अतC1Dयामक अिधगम मgt समाधान पहल होता ह और शP ि या

बाद मgt होती ह अतः यह समाधान मानिसक तर पर पहल होता ह

6 समाधान और नवीनता - यिद परिथित नभी हो और समया का अचानक और सहज ढग स समाधन हो

जाय तो इस अतC1िD का ोतक मानgtग

अतc0ि` िस=ात का मयाकन -

अतC1िD िसPात मgt अनgtक गण होन क बावजद इसक कछ पट दोष भी ह िजसपर चचा1 िकया जाना

आवयक ह

1 अिधगम क RयाZया मgt कोहलर न अनक का-पिनक यय का योग िकया ह िजसक पट RयाZया नहU

क गयी ह

2 इस बात क माण उपल)ध ह अतC1िD अचानक उपन न होकर िमक =प स िवकिसत होती ह

3 अिधगम मgt पव1 अनभव क महव को नकारा नहU जा सकता Yयिक पव1अनभव अतC1िD क िवकास मgt

सहायक ह

4 अतC1िD िसPात अिधगम क सLपण1 RयाZया क िलए एक पया1F िसPात नहU ह

5 अतC1िD िसPात उ`च मानिसक Mमताओ वाल ािणय क समयाओ क समाधान का िसPात ह

2) समया समाधान का [यवहारवादी िस=ात -

जब कोई समया ाणी क सामन आती ह तो वह उसका समाधान करना चाहता ह िजसक िलए वह आसान

उपाय अपनाता ह जस कोहलर क स-तान नामक िचLपजी न सव1थम हाथ बढाकर कल को खUचना चाहा इसी

कार थान1डाइक क योग मgt िब-ली न अपन भोजन क ािF क िलए िपजड़ क छड को खरोचना या इधर

उधर कदन का सहारा िलया हल कर िवचार ह िक ाणी मgt ल(य तक पहJचान वाल अनक Rयवहार होत ह

परत इनक सLभावना अलग-अलग होती ह एक ही ल(य तक पहJचान वाल Rयवहार क उcपिD सभावना मgt

भद इसिलए होता ह िक अतीत मgt इन Rयवहार स िकसी स अिधक सफलता िमली ह और िकसी स कम

इसी वत िथित क कारण हल न आदत परवार पद सोपान (हिबट फिमली हाइरारक) क बात कही

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 222

आदत परवार पद सोपान क कपना - इस पद सोपान क अतग1त िकसी अनि या मgt ल(य क ओर बढ़न

क सLभावना अिधक होती ह और िकसी मgt कम अिधक या कम सभावना ाणी क पव1 अनभव पर िनभ1र

करती ह िजस अनि या ारा ाणी अपन ल(य को ाF करलता ह उसस उसक समया का समाधान हो जाता

ह अथा1त वह सीख लता ह जस स-तान िचLपजी न छोटी छड़ी को बड़ी छडी स जोडकर अपन ल(य को ाF

कर िलया तो िफर बाद मgt वसी परिथित आन पर वह उसी पPित स अपना ल(य ाF कर लगा Rयवहार

वािदय का कथन ह िक ाणी यास और Nिट क आधार पर समया समाधान कर लता ह

समया समाधान मgt िजतना िवलLब होता जाता ह ाणी िविवध कार क नयी-नयी ि याए दिश1त

करन लगता ह िकसी परिथित मgt सबस पहल अनि या पदान म क सब स ऊपर वाली अनि या कट

होती ह यिद उसम सफलता नहU िमल सक तो उसक बाद वाली अनि याए बारी-बारी स दोहराई जाती ह जब

तक िक समया का समाधान नहU हो जाता ह जब परिथित बार-बार दोहराई जाती ह तो पदान म क

अनि याओ क शाित मgt परवत1न होता ह

हल न ल(य वणता सLबधी िवचार तत करक समया समाधान क Rयवहारवादी िसPात को और

भी पट कर िदया ह वातव मgt ल(य वणता तथा आउत परवार पद सोपान को िमलान पर ही Rयवहारवादी

CिDकण पट होता ह ल(य वणता िनयम मgt हल न दावा िकया ह िक ाणी जसट ल(य क िनकट होता

जाता ह उसका कौशल मशः बढ़ता जाता ह इस िनयम स यह बात पD ह िक ाणी ल(य तक पहJचन क

िलए सबस आसान माग1 चनता ह अतः यक ाणी मgt िविभन कार क ि याओ क अलग-अलग

सभावनाए थािपत हो जाती ह जो आदत पदान म क =प मgt ाणी क थायी सLपि हो जाती ह

Rयवहारवािदय क अनसार िकसी समया का सामना होन पर ाणी एक ही बार मgt आदत परवार पद

सोपसन स कोई शP और सीधा माग1 नहU चन लता ह बि-क अकट यन एव भल व=प क ि याए होन क

पWात ही कोई ि या चनी जाती ह बहJत सी परिथितय मgt ाणी िब-कल नय ढग स समया का समाधान

करता ह गटा-ट मनोवािनक कोहलर का िचLपजी अपनी सझ ारा कल को छड़ी स खUचन मgt सफल हJआ

Rयवहारवादी मनोवािनक इस कार क Rयवहार क RयाZया सामायीकरण क आधार पर करत ह क6ा म( समया समाधान -

मरसल का कथन ह - समया समाधान क िविध का िशMा मgt सवा1िधक महव ह मन य क जीवन मgt पग-पग

पर समयाए आती ह िजनका उह तकाल पर समाधान करना होता ह यह काय1 व Rयि सरलता स कर लत

ह जो इस ि या मgt िशिMत होत ह ब`च को इस ि या मgt िशिMत करन का काय1 िशMक का होता ह

समया समाधान को िचतन एव तक1 क तरह एक कला कहा जाता ह िजसका िशिMण समया समाधान

िविध क योग स सही =प मgt िदया जा कसता ह इस िविध क ारा िशMण करन स ब`च समया समाधान

क िविध मgt ही िशिMत नहU होत अिपत व जो कछ भी सीखत ह वह भी पD =प स लीखत ह इस िविध स

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 223

सीखा गया ान थायी होता ह यह उनक =ची को जा2त करती ह समया समाधान िविध का योग छाN मgt

आम-िव13ास का जागरण करता ह तथा उहgt वय काय1 करन क िलए रत करता ह यह उनक समयाओ का

समाधान करन क िलए वािनक िविधय क योग का अनभव दान करती ह यह उनक िवचारामक और

सजनामक िचतन एव तािक1 क शि का िवकास करती ह यह उनक भावी जीवन क समयाओ का समाधान

करन का िशMण करन का िशMण दती ह

इन लाभ क कारण ो एव ो का सझाव ह- िशMक को समया समाधान क वािनक िविध मgt

िशMण िदया जाना चािहए कवल तभी व शP पD और िन^पM िचतन का िवकास करन क िलए छाN का

दश1न कर सकgt ग

बालकK को समया समाधान म( िशि6त करन क उपाय -

पव1 मgt िकय गय वण1न स यह पD ह िक िचतन ि या क शsआत समया क उपिथित स होती ह इसक

िलए परवार व िवालय को सय यास करन हग ब`च मgt िचतन शि क िवकास और इसक ारा

समया समाधान क िलए िवालय को िनrनिलिखत उपाय करन चािहए इन उपाय मgt जहा और िजतना सहयोग

परवार कह सकgt उहgt करना चािहए

i) भाषा िवकास - िचतन का मल आधार भाषा ह भाषा एव िवचार का अटट सLबध ह िविभन शोध

अEययन मgt यह दखा गया ह िक िजन ब`च का भाषा पर िजतना अिधकार होता ह व उतन ही अ`छ

तरीक स िचतन करत ह अतः ब`च क िचतन शि बढ़ान क िलए सव1थम उहgt भाषा का पD ान

कराना चािहए

ii) प` ान का िवकास - ब`च को िजतना अिधक ान होगा और सही व पD होगा व उस ान क

आधार पर उतन ही अिधक अ`छ =प स िचतन कर सकgt ग अतः आवयक ह िक ारLभ स ही ब`च को

सवदना तथा यMीकरण क अवसर िदए जाए और उहgt िविभन यय का पD ान कराया जाय ान

क िनरतर योग स ान पD व थायी होता ह

iii) समया समाधान िविध का योग - िचतन क श=आत ायः समया क शsआत क साथ होती ह

और समाधान क साथ समाF हो जाती ह अतः आवयक ह िक ब`च मgt जस ही ान का िवकास हो और

उहgt िविभन यय पD ह वस ही उहgt समया समाधान िविध स पढ़ाया िलखाया जाय इस िविध स

सीखन पर उहgt बलात िचतन करना पड़गा और व समया समाधान करन मgt सMमा हग

iv) रणा Qिच एव अवधान का योग - ब`च मgt सीखन क िलए अिभरणा एव =िच जा2त क जाय

ब`च मgt िचतन शि क िवकास क िलए इन सबका िवकास आवयक ह

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 224

v) िवचारामक K का योग - िशMक को ब`च को कछ भी पढ़ात िसखात समय िवचारामक

पछन चािहए िजनका उर दन क िलए व बरबस िवचार कहgtग और इसकार व धीर-धीर िचतन क कला

मgt िशिMत हो जायgtग

vi) वत7 अिभ[यिP क अवसर - ब`च अपन िदन ितिदन क जीवन म अनक समयाओ का सामना

करत ह इन समयाओ क सLबध मgt छाN को वय सोचन क अवसर दन चािहए इसस उहgt वतN

िचतन का अवसर िमलता ह िजसस व िचतन कला मgt िशिMत होत ह

vii) रटन क आदत पर िनय7ण - रटन क आदत पड़जान स ब`च िचतन करना नहU सीख पात अतः

िशMक को ब`च क इस आदत पर िनयNण करना चािहए व जो कछ पढ़gt-सीखgt समझ क साथ पढ़-

सीख

viii) सह पाढयचारी ियाओ का आयोजन - कछ पाढयचारी ि याए ऐसी होती ह िजसमgt ब`च क

=िच होती ह और िजनमgt भाग लन स उनमgt िचतन शि का िवकास होता ह जस िवचार-िवमश1 और वाद

िववाद ितयोिगता इनका आयोजन िकया जाए

ix) उ-रदाियवपण0 काय0 - यिद परवार एव िवालय मgt ब`च क ऊपर कछ उर दाियव पण1 काय1 सौप

जाए जो उनक Mमता क अन=प ह तो इहgt परा करन मgt उनक सामन वाभािवक =प स कछ समयाए

आयgtगी उन समयाओ का समाधान व वय करgtग यही तो िचतन क ि या ह

अतः उपरो िविधया अपना कद िशMक िवािथ1य को समया समाधान हत िशिMत कर सकत ह

1845 समया समाधान क चरण -

मनोवािनक न समया समाधान हत सात पद का उ-लख िकया ह - 1 समया क वQप का ान - समया समाधान क पहली अवथा समया क व=प को समझन क

होती ह इस अवथा मgt समया को पD =प स परभािषत िकया जाता ह Yयोिक समया को ठीक-ठीक

समझ िबना उसका समाधान ाF नहU िकया जा सकता

2 परभाषा सयापन क अवथा - दसरी अवथा मgt परभाषा का सयापन िकया जाता ह यिद परभाषा

ही गलत समझी गयी तो सारा समया समाधान गलत हो जायगा इस अवथा मgt यह जाच क जाती ह िक

परभाषा को ठीक-ठीक समझा गया ह या नहU

3 समया को अपन मरण म( रखना - समया समाधान कतीसरी अवथा मgt समया को सदव अपनी

मित मgt रखा जाता ह

4 परकपनाओ का िनमा0ण - समया समाधान क इस चौथी अवथा मgt Rयि परक-पनाओ का िनमा1ण

करता ह उदाहरणाथ1 यिद कोई िवाथv िवालय मgt थम थान ाF करना चाहता ह तो उस यह िनWय

करना होगा िक उस Yया-Yया करना चािहए िजसस िवालय मgt थम आ सक जस वह िनWय करता ह िक

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 225

वह अनावयक बात चीत मgt समय नD नहU करगा इधर उधर नहU घमगा आवयक परीMापयोगी अEययन

साम2ी एकN करगा तथा तरीMा मgt आन वाल सLभािवत का िनमा1ण करक उनक उर ढढन का यास

करगा

5 मqय परकपना का चयन - िनिम1त परक-पनाओ मgt स मZय परक-पना पर lयादा Eयान कि_त

िकया जाता ह िजसस समया का समाधान आसानी स ाF हो सक

6 चनी गयी परकपना का सयापन - समया समाधान क छठवU अवथा मgt Rयि िचतन करता ह

िक Yया सभी परक-पनाए जाच ली गई ह व सव1tn परक-पना का चयन िकया गया ह

7 चनी गयी सवi-म परकपना को काया0िवत करना - यह अवथा समया समाधान करलन क होती

ह अथा1त वह समया का समाधान कर लता ह

8 काया0िवत समाधान का मयाकन करना - इस अवथा मgt Rयि समया समाधान क परणाम का

म-याकन करता ह इस अवथा मgt Rयि समया मgt सिLमिलत चरण क गण दोष परखता ह तथा इन

चरण क महवपण1 तyय को पनः ािF सकत क =प मgt सिचत करक रखता ह िक उनका उपयोग अय

समयाओ क समाधान मgt भिव^य मgt कर सक

पD हJआ िक समया समाधान क कई चरण होत ह इन कदम या चरण का यिद Rयि ठीक ढग स उपयोग

करता ह तो समया का समाधान करन मgt उस काफ सफलता िमलती ह

185 साराश

तक1 णा एक कार का यथा1थ एव मबP िचतन िजसमgt Rयि तक1 - िवत1क ारा अपनी समया का समाधान

करता ह

तक1 णा क कार - तक1 णा क मनोवािनक न िनLन चार कार बताय ह -

1 िनगमनामक तक1 णा

2 आगमनामक तक1 णा

3 आलोचनामक तक1 णा

4 साCयवाची तक1 णा

तक1 णा क महवपण1 सोपान - तक1 णा क िनLन पाच मख सोपान बताय गय ह -

1 समया क पहचान

2 आकड़ क पहJचना

3 अनमान पर पहJचना

4 अनमान क अनसार योग करना

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 226

5 िनण1य करना

समया समाधान - lsquolsquoसमया समाधान का आशय किठनाईय पर िवजय ाFर करक ल(य को ाF करनाlsquolsquo

समया समाधान को भािवत करन वाल कारक - मनोवािनक न समया समाधान को भािवत करन वाल

िनLन 8 कारक बताय ह-

1 काया1मक अटलता

2 मानिसक वि

3 िशMण

4 दिWता

5 उवन

6 समया का व=प

7 अवधान िवतार

8 िविMिFकरण

समया समाधान क िसPात - समया समाधान क िलय मZय =प स िनLन दो िसPात का ितपादन िकया

गया ह -

1 गटा-टवािदय का अतC1िD िसPात

2 समया समाधान का Rयवहारवादी CिDकोण

186 शदावली

bull तक0 णा मबP =प स िचतन या तक1 - िवत1क करना

bull अवलोिकत जो दखी गई ह

bull अतc0ि` अता1न

bull पनग0ठन िफर स िनमा1ण होना

bull पदानम मशः अथा1त एक िनिWत म

bull िनिम0त बनायी गई

bull सयापन िकसी घटना या वत को सय सािबत करना

bull अवषण ढढना खोजना

bull स1हण एकिNत या इका करना

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 227

187 वमयाकन हत

नीच कछ कथन िदय गय ह जो कथन सही ह उनक आग ( ل ) का तथा जो गलत ह उनक समान गलत (X)

का िचह लगायgt ndash

1) तक1 णा मgt मबPता का गण नहU पाया जाता ह ( )

2) िनण1य करना तक1 णा का थम सोपान ह ( )

3) समया क पहचान तक1 णा का थम सोपान ह ( )

4) िनण1य करना तक1 णा का अितम सोपान ह ( )

5) सजनामक िचतक आगमनामक िचतन का योग अिधक करत ह ( )

6) िनगमनामक तक1 णा मानव एव पश दोन क ारा क जाती ह ( )

7) तक1 णा एक कार का वातिवक िचतन ह ( )

8) तक1 णा क दसर चरण मgt Rयि िकसी अनमान पर पहJचता ह ( )

9) तक1 णा क दसर सोपान मgt आकड़ का स2हण िकया जाता ह ( )

10) तक1 णा क ितीय सोपान मgt अनमान क अनसार योग िकया जाता ह ( )

11) समया समाधान का अथ1 ह किठनाईय पर िवजय ाF करक ल(य को ाF करना ( )

12) बरोन क अनसार समया समाधान मgt िविभन अनि याओ को करन या उनमgt स चनन का यास

सिLमिलत होता ह तािक वािछत ल(य क ािF क जा सक ( )

13) याCि`छक अवषण िविध मबP एव अ मबP दो कार क होती ह ( )

14) वतः शोध अवषण िविध मgt Rयि समया समाधान करन क िलय सभी िवक-प को ढढता ह ( )

15) पWगामी अवषण मgt Rयि समया का समाधान करन क िलय मौिलक अवथा स अपना यास ारभ

करता ह ( )

16) समया का व=प समया समाधान को भािवत नहU करता ह ( )

17) दिWता भी समया समाधान को भािवत करती ह ( )

18) Rयि क मानिसक वि समया समाधान को भािवत करती ह ( )

19) Rयि क मानिसक वि समया समाधान को भािवत नहU करती ह ( )

20) अतC1िD िसPात का ितपादन गटाटटवािदय ारा िकया गया ( )

उ-र 1) गलत 2) गलत 3) सही 4) सही 5) सही

6) सही 7) सही 8) गलत 9) सही 10) गलत

11) सही 12) सही 13) सही 14) गलत 15) गलत

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 228

16) गलत 17) सही 18) सही 19) गलत 20) सही

188 सदभ0 1थ सची

bull िसह अ=ण कमार (2006) उ`चतर सामाय मनोिवान मोतीलाल बनारसीदास बगलो रोड जवाहर

नगर िद-ली

bull िसह अ=ण कमार (2006) सानामक मनोिवान मोतीलाल बनारसीदास बगालो रोड जवाहर नगर

िद-ली

bull अजvमर1 रहमान (2003) सामाय मनोिवान िवषय और RयाZया

bull tीवातव रामजी आलम आिसम (2004) आधिनक सामाय मनोिवान

bull tीवातव रामजी (2003) सानामक मनोिवान

189 िनबधामक

1 तक1 णा का व=प पD करत हJए आगमनामक तथा िनगमनामक तक1 णा मgt अतर पD करgt

2 समया समाधान मgt गटा-टवािदय ारा तत िसPात क RयाZया करgt

3 समया समाधान मgt Rयवहारवादी CिDकोण क RयाZया तत करgt

4 ब`च क समया समाधान हत िशिMत करन क उपाय का वण1न करgt

5 समया समाधान मgt य चरण का वण1न करgt

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 229

इकाई-19 बि का )वप एव िस ात मानिसक आय का स5यय और बि लिgtध

(Nature and Theories of Intelligence Concept of Mental Age and

Intelligence Quotient (IQ)

इकाई सरचना

191 तावना

192 उय

193 बिP

1931 बिP अथ1 एव परभाषा

1932 बिP का व=प

1933 बिP क िसPात

194 मानिसक आय

195 बिP लि)ध

1951 बिP लि)ध (IQ) स Yया आशय ह

1952 बिP लि)ध क मान तथा उसका अथ1

196 साराश

197 श)दावली

198 वम-याकन हत

199 सदभ1 2थ सची

1910 िनबधामक

191 तावना

िय िवािथ1य इसस पव1 क इकाइय मgt आप मन य क िविभन मानिसक Mमताओ जस िक िचतन तक1

करना िकसी समया का समाधान करना इयािद का अEययन कर चक हो और उहgt समझ चक हो तत

इकाई मgt हमार अEययन का िवषय बिP इसक िविभन िसPात मानिसक आय तथा बिP लि)ध ह य सभी

सLRयय Yया ह तथा िकस कार हमार जीवन एव िनयित क कायu को भािवत करत ह इसका अEययन

तत इकाई मgt िकया जायगा

बिP Rयि क जमजात मानिसक Mमता ह बिP एक ऐसा श)द ह िजसस हम सभी परिचत ह पढ़-

िलख ह या अनपढ़ हम सभी क जीवन मgt बिP का महवपण1 थान ह यह ई13र-द वह योrयता ह जो उसक

यक काय1 मgt पायी जाती ह सामायतः बिP को बिPमान Rयि क साथ सहसबिधत करक जाना समझा

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 230

जाता ह जो Rयि िजतनी ही सगमता एव कशलतापव1क िनयित जीवन मgt घिटत होन वाली घटनाओ एव

कायk का सामना कर लता ह वह उतना ही बिPमान माना जाता ह अथा1त उसक बिP उतनी ही ती होती ह

कछ िवान न बिP को तक1 िनण1य एव आमआलोचना करन क योrयता माना ह िकत परLपरागत =प मgt

बिP िविभन मानिसक गण का सम`चय ह जो िविभन परिथितय मgt सघन =प स काय1 करती ह तथा Rयि

क समयाओ का समाधान करन तथा उय क ािF क ओर ल जाती ह

lsquoबिPrsquo वततः Yया ह यह िकन-िकन गण का सम चय ह इसक सतोषजनक एव वािनक RयाZया

करन क िलय मनोवािनक न िविभन िसPात का ितपादन िकया तथा साथ ही तिथक आय क समान

Rयिय क एक मानिसक आय भी होती ह इस धारणा का िवकास हJआ िफर एक और मनोवािनक क

सामन उपन हJआ िक कौन Rयि िकतना बिPमान ह इस बात का िनधा1रण िकस कार स हो तो िवािथ1य

िफर बिPलि)ध क सLयय का िवकास हJआ

तो आइय सबस पहल हम चचा1 करत ह िक बिP स मनोवािनक का Yया आशय ह इसक िविभन

आयाम Yया ह ाणी क कौन-कौन सी Mमताओ को बिP क अतग1त शािमल िकया जा सकता ह

192 उय

िय िवािथ1य तत इकाई को पढ़न क बाद आप-

bull बिP Yया ह इस पD कर सकgt ग

bull बिP क व=प का िवpषण कर सकgt ग

bull बिP क िविभन िसPात का अEययन कर सकgt ग

bull मानिसक आय क अथ1 को पD कर सकgt ग

bull बिPलि)ध Yया ह इसका वण1न कर सकgt ग

193 बि=

1931 बि= अथ0 एव परभाषा -

बिP एक ऐसा सामाय श)द हिजसका योग हम साधारण बोलचाल क भाषा मgt लगभग रोज ही करत ह बिP

को सामायतः सोचन समझन और सीखन एव िनण1य करन क शि क =प मgt दखा समझा जाता ह परत

वातव मgt बिP इसस कछ अिधक होती ह बिP क िवषय मgt सव1थम भारतीय दाश1िनक न िचतन िकया था

ाचीन भारतीय दाश1िनक क अनसार मन य क अतःकरण क तीन अग ह मन बिP और अहकार इनमgt मन

वाT इि_य और बिP क बीच सयोजक का काय1 करता ह मन क सयोग स बाहय इि_यॉ ि याशील होती ह

और मन क सयोग स ही बिP ि याशील होती ह इनक अनसार इि_य स ाF ान मन क ारा बिP तक

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 231

पहJचती ह बिP इसमgt कॉट-छॉट करक इस अह स जोड़ती ह और अत मgt इस स(म शरीर पर पहJचा दती ह

जहॉ वह सिचत हो जाती ह जब कभी ाणी िवशष को इस ान क आवयकता होती ह ता उसक बिP उस

स(म शरीर स मन पर पहचा दती ह और मन ाणी को तदनकल ि याशील कर दती ह

बिP Yया ह तथा इसका व=प कसा ह इस सदभ1 मgt आधिनक मनोवािनक मgt सदा स ही मतभद

रहा ह अलग अगल मनोवािनक न बिP क अपन-अपन ढग स समझन का यास िकया ह िकत सभी

एकमत होकर अभी तक बिP क वातिवक व=प को पD नहU कर सकgt ह परत यह सय ह िक इस िववाद

क बाद भी मनोवािनक िनरतर यास करत ह और बड़ी महवपण1 और उपयोगी जानकारी बिP क सबध मgt

आज उपल)ध ह सबस पहल बोरग (1923) न बिP क एक औपचारक परभाषा दी और कहा िक lsquolsquoबिP

परीMण जो मापता ह वही बिP हlsquolsquo

िकत इस परभाषा स बिP क व=प क बार मgt पD ान ाF नहU होता ह बिP मापन क बहJत सार

परीMण ह इनमgt स िकस परीMण ारा िकय गय मापन को बिP कहा जायगा बोरग क बाद अनक

मनोवािनक न बिP को िभन - िभन ढग स परभािषत करन क कोिशश क ह इन परभाषाओ क िवpषण

क आधार पर इन परभाषाओ का इस कार tणीगत िकया जा सकता ह-

1) थम tणी क परभाषाओ मgt बिP सीखन क Mमता का नाम ह तथा जो सीखा जा चका ह उस नई

दशाओ मgt योग करन का गण ह इस कार मनोवािनका का एक वग1 िजनमgt बि घम डारिवन तथा

एिबगहास क नाम मख ह यह मानत ह िक बिP सीखन क Mमता ह

2) ितीय tणी क परभाषाओ मgt बिP को वातावरण क साथ समायोजन करन क Mमता क =प मgt परभािषत

िकया गया ह जीवन क नई परिथितय मgt Rयविथत होन तथा नई समयाओ को सलझान मgt बिP क

Mमता को कोि-वनटन1 तथ िपयाज न महव िदया ह

3) मनोवािनक का एक ऐसा समह भी ह जो अमत1 िचतन को ही बिP का धान लMण मानता ह इन

मनोवािनक न अपनी परभाषाओ मgt बिP को अमत1 िचतन करन क Mमता क =प मgt परभािषत िकया ह

gास क मनोवािनक िबन तथा अमरका क टरमन जस मनोवािनक न बिP क ारा अमत1 िचतन करन

क Mमता या तीको ारा िकसी समया क समाधान को ाF करन पर बल िदया ह इसी कार िगलफोड1

टोडड1 तथा वYसलर क अितर अय बहJत स मनोवािनक ह िजहन बिP क िकसी न िकसी पM को

लकर परभाषायgt िनिम1त क ह यह कहना अितयोि नहU होगा िक आज िजतन मनोवािनक ह बिP क

उतनी ही परभाषाए ह इन कारण स ही इस िववादाद सLयय माना जाता ह

1932 बि= का वQप -

बिP क व=प को पD करन क िलए कछ परभाषाओ पर Eयान िदया जाना आवयक तीत होता ह-

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 232

वNसलर (1939) क अनसार- lsquolsquoबिP एक सम`चय या साव1जिनक Mमता ह िजसस सहार Rयि

उय पण1 ि या करता ह िववकशील िचतन करता ह तथा वातावरण क साथ भावकारी ढग स समायोजन

करता ह lsquolsquo

बिकघम क अनसार-lsquolsquoबिP एक सीखन क योrयता हlsquolsquo

टन0 क अनसार-lsquolsquoबिP एक सामाय योrयता हिजसक सहार Rयि नई परिथितय मgt अपन िवचार

को जानबझकर समायोिजत करता हlsquolsquo

कोलिवन क अनसार- lsquolsquoयिद Rयि न अपन वातावरण क साथ सामजय करना सीख िलया ह या

सीखता ह तो उसमgt बिP हlsquolsquo

रॉिबस तथा रॉिबस (1965) क अनसार- lsquolsquoबिP स तापय1 सानामक Rयवहार क सLपण1 वग1 स

होता ह जो Rयि मgt सझ ारा समया समाधान करन क Mमता नयी परिथितय क साथ समायोजन करन क

Mमता अमत1 =प स सोचन क Mमता तथा अनभव स लाभ उठान क Mमता को िदखलाता ह

िनसर तथा उनक सहयोिगयK (1996) क अनसार- lsquolsquo बिP जिटल िवचार को समझन पया1वरण क

साथ भावी ढग स समायोजन करन अनभव स सीखन िविभन तरह क तक1 मgt सिLमिलत होन और िचतन

ारा बाधाओ को दर करन क Mमता होती ह टोटाड0 (1941) क अनसार- lsquolsquoबिP उन ि याओ को समझन क Mमता ह िजसक िवशषताए -

1 किठनता

2 जिटलता

3 अमत1ता

4 िमतRयियता

5 िकसी ल(य क ित अनकलनशीलता

6 सामािजक मान तथा

7 मौिलकता क उपि होती ह और कछ परिथित मgt वसी ि याओ का जो शि क

एका2ता तथा साविगक कारक क ित ितरोध िदखलाता ह करन क रणा दती ह

थॉन0डाइक क अनसार- lsquolsquoउम िति या करन और नवीन परिथितय मgt सामजय करन क योrयता बिP

हlsquolsquo

िबन क अनसार-lsquolsquoबिP इन चार श)द मgt िनिहत ह- ानआिव^कारिनदiश और आलोचना lsquolsquo

hमन क अनसार-िजस अनपात मgt Rयि मgt अमत1 िचतन करन क योrयता ह उसी अनपात मgt Rयि

बिPमान ह lsquolsquo बट0 क अनसार-lsquolsquoबिP जमजात मानिसक Mमता हlsquolsquo

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 233

बिP क उपरो परभाषाओ मgt वततः पारपारक िवरोध नहU ह वरन इनक एक िवशषता यह ह िक य सभी

बिP को िकसी न िकसी Mमता क =प मgt परभािषत करती ह बिP स सबिधत उपरो सभी उदाहरण

महवपण1 ह Yयिक य सभी िविभन CिDकोण स बिP क व=प पर काश डालत ह और उनक िकसी न

िकसी =प मgt RयाZया करत ह

इन परभाषाओ क आधार पर हमgt बिP क िनLनिलिखत िवशषताओ का पता चलता ह-

1) बिP Rयि क जमजात शि ह

2) बिP Rयि को वातावरण क साथ भावकारी ढग सामजय करन क Mमता दान करती ह

3) बिP Rयि को अमत1 िचतन करन क योrयता दान करती ह

4) बिP Rयि को उय पण1 ि यायgtक रन क िलए रत करती ह जो Rयि िजतनी ही अिधक उयपण1

ि यायgt करता ह उस उतना ही अिधक बिPमान समझा जाता ह

5) बिP Rयि को परान अनभव स लाभ उठान क योrयता दान करती ह

6) एक स अिधक मानिसक गण का समह बिP ह

7) बिP Rयि को िकसी भी समया क समाधान मgt अतC1िD दान करती ह

8) बिP क सहायता स ही Rयि िववकपण1 तक1 पण1 एव सगत ढग स िविभन िवषय पर िचतन कर पाता ह

उपरो वण1न स हमgt बिP क व=प का पता चलता ह कछ ऐसा ह िजस िकसी एक Mमता क आधार

पर समझना सभव नहU होता ह Yयिक बिP अलग-अलग Mमताओ तथा मानिसक योrयताओ का एक

सम`चय होती ह

1933 बि= क िस=ात -

िजास पाठक बिP क िविभन िसPात क RयाZया करन स पव1 यह जान लना आवयक ह िक बिP क

िसPात स हमारा Yया आशय ह

बिP का व=प Yया ह और बिP कस काय1 करती ह इस सबध मgt िभन-िभन मनोवािनक न अपन

योग क आधार पर िभन -िभन िन^कष1 िनकाल ह इन िन^कषk को बिP क िसPात कहा जाता ह य

िसPात बिP क व=प एव उसक काय1 िविध पर काश डालत ह इन िसPात को मZयतः दो tिणय मgt

िवभािजत िकया जा सकता ह

A) कारकय िसPात

B) ि या उमखी िसPात

A) कारकय िस=ात- कारकय िसPात क अतग1त दो कार क मनोवािनका क समह ह एक कार क

मनोवािनक का कथन ह िक सामाय एव सगिठत Mमता ह पीयरमन इस समह क अ2णी मनोवािनक

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 234

ह िजनका मत ह िक िकसी भी सानामक काय1 क िन^पादन का आधार ाथिमक सामाय कारक होता ह

इस समह क मनोवािनक को िपhडक कहा जाता ह

दसर कार क मनोवािनक का कथन ह िक बिP बहJत सारी पथक मानिसक Mमताओ जो करीब -

करीब वतN =प स ि याशील होत ह का योग होता ह इसमgt थट1न िगलफोड1 गाड1नर कटल

थॉनडाइकवन1र मनोवािनक क नाम मख ह इस समह क मनोवािनक को िवभाजक कहा जाता ह

िपhडक तथा िवभाजक समह क मनोवािनक क िसPात का वण1न इस कार ह-

1) पीयरमन का िLकारक िस=ात- िकारक िसPात का ितपादन िfटन क मनोवािनक पीयरमन

न 1904 मgt िकया उनक अनसार यक Rयि मgt दो कार क बिP हाती ह सामाय तथा िविशD अथा1त

इसमgt दो कारक शािमल होत ह सामाय कारक तथा िविशD कारक

(i) सामाय कारक- पीयरमन न सामाय कारक को जी कारक क सा दी ह जी कारक स तापय1 यह

होता ह िक यक Rयि मgt कोई भी मानिसक काय1 करन क एक सामाय Mमता िभन -2 माNा मgt

मौजद होती ह इसक कछ मख िवशषताए इस कार ह

bull यह योrयता सभी Rयिय मgt कम या अिधक माNा मgt मौजद होती ह

bull यह मानिसक योrयता जमजात होती ह

bull जीवन क िकसी भी अविध मgt इसमgt परवत1न सभव नहU ह अथा1त चह सदव एक सी रहती ह

अथा1त आिद का भाव नहU पड़ता ह

(ii) िविशD कारक- पीयरमन न िविशD कारक को एस कारक क सा दी ह एस कारक स तापय1 यह

होता ह िक यक मानिसक काय1 को करन म कछ िविशDता क ज=रत होती ह Yयिक यक

मानिसक काय1 एक दसर स कछ न कछ िभन हाता ह इसक कछ मख िवशषताए इस कार ह-

bull एस कारक क माNा िभन-2 कायu क िलए िनिWत नहU हाती ह एक काय1 क िलए एक Rयि मgt

एस कारक क माNा अिधक हो सकती ह परत उसी Rयि मgt दसर कायu क िलए एस कारक क

माNा कम हो सकती ह जस एक Rयि मgt किवताए िलखन का एस कारक अिधक हो सकता ह

परत उसी Rयि मgt पिटग क ि या क िलए िजस एस कारक क ज=रत ह उसक माNा कछ कम

हो सकती ह

bull एस कारक पर Rयि क िशMण पव1 अनभितय आिद का काफ अिधक भाव पड़ता ह

िशMण दकर एस कारक क माNा को बढ़ाया जा सकता ह

bull िजस Rयि मgt जो योrयता अिधक होती ह उसी स सबिधत कशलता मgt वह िवशष योrयता ाF

करता ह

bull य योrयताए भाषािवानदश1न आिद मgt िवशष सफलता दान करती ह

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उराखड म िव13िवालय 235

पीयरमन क िकारक िसPात क उपय1 RयाZया स पD ह िक िकसी भी Rयि ारा िकय जान वाल काय1 मgt

जी कारक तथा एस कारक दोन ही मौजद होत ह इन दोन कारक म जी कारक क महव अिधक ह जी कारक

कम होन स Rयि को िकसी भी बौिPक िसPात जी कारक िसPात कहा जाता ह

2) थट0न का समह कारक िस=ात- पीयरमन क िकारक िसPात पर कई वषk तक काय1 करक थट1न

(1938) मgt समह कारक िसPात का ितपादन िकया थट1नन न बिP क RयाZया कई कारक क आधार

पर क उहन िकसी भी बौिPक काय1 को करन मgt सामाय कारक तथा िविशD कारक क सLयय को

अवीकत करत हJए कहा िक मानिसक ि याओ को करन का एक सामाय धान कारक होता ह जो

इन सभी मानिसक ि याओ को आपस मgt बॉध रखता ह साथ ही इन मानिसक ि याओ को अय

मानिसक ि याए िजनका एक धान कारक होता ह आपस मgt सहसबिधत होती ह तथा एक साथ

िमलकर एक समह का िनमा1ण करती ह इस समह का ितिनिधव करन वाल कारक को धान Mमता क

सा दी जाती ह

इसी कार दसर तरह क मानिसक ि याओ को एक सN मgt बॉधन वाला एक अय धान कारक या Mमता

होती ह इसी कार तीसरी चौथी व पॉचवU कार क मानिसक ि याओ को बॉधन वाली बिP मgt मानिसक

Mमताओ क कई समह होत ह और यक समह का अपना धान कारक होता ह

ऐस धान कारक एक दसर स वतN होत ह अथा1त उनमgt नाम माN का ही सबध होता ह परत िकसी

एक धान कारक क अतग1त आन वाल सभी तरह क मानिसक Mमताओ आपस मgt काफ सहसबिधत होती

इस िसPात का अ-पतNीय िसPात कहा जाता ह Yयिक इस िसPात क अनसार बिP सात धान

Mमताओ का एक जमावड़ा होती ह इन सभी को एक मgt बॉधन वाली कोई साव1भौम Mमता नहU होती ह

थट1न न अपन िसPात मgt सात धान Mमताओ का वण1न िकया जो इस कार ह-

(i) शािदक अथ0 6मता अथवा वी 6मता- श)द तथा वाYय क अथ1 समझन क Mमताओ को

शाि)दक अथ1 Mमता कहा जाता ह इस वी Mमता भी कहत ह (ii) शद वाह 6मता अथवा डय 6मता- िदय गय श)द मgt स असबिधत श)द को सोचना तथा

अलग करन क Mमता को श)द वाह कहा जाता ह इस ड)-य Mमता भी कहा जाता ह

(iii) थािनक 6मता अथवा एस 6मता- िकसी िदय हJए थान मgt वतओ का परचालन करन क

Mमता उसक दरी का यMण करन क Mमता तथा आकार क पहचान करन क Mमता को

थािनक Mमता कहा जाता ह इस एस Mमता भी कहत ह

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उराखड म िव13िवालय 236

(iv) आिकक 6मता अथवा एन 6मता- परशPता तथा तीता क साथ आिकक परकलन करन क

Mमता क आिकक Mमता कहा गया इस अMर एन ारा सबोिधत िकया गया इस एन Mमता भी

कहत ह

(v) तक0 6मता अथवा आर 6मता- वाYय क समह अMर क समह मgt िछप िनयम क खोज कन क

Mमता को तक1 Mमता कहा जाता ह इस आर Mमता भी कहत ह

(vi) मित 6मता अथवा एम 6मता- िकसी पाठ िवषय या घटना को ज-द स ज-द याद कर लन क

Mमता को मित Mमता कहत ह इस एम Mमता भी कहत ह

(vii) य6 ानामक गित 6मता अथवा पी 6मता- िकसी घटना या वत िवतता का तजी स

यMण कर लन क Mमता को यMण ानामक गित Mमता अथवा पी Mमता कहत ह इस कार

पD ह िक थट1न न सात धान Mमताओ क आधार पर अपन िसPात क RयाZया क ह

3) बहXकारक िस=ात-बहJ कारक िसPात का ितपादन थॉन1डाइक (1926) न िकया थॉन1डाइक न

बहJकारक िसPात ितपािदत करत हJए पीयरमन क िसPात क िवपM मgt अपना मत कािशत िकया

इस िसPात क अनसार बिP अनक तव अथा1त कारक का योग ह यक कारक एक िविशD

मानिसक Mमता का ितिनिधव करता ह जो आपस मgt वतN होत ह िकत इनक योगदान स ही बिP

का िनमा1ण होता ह थॉन1डाइक क इस िव13ास क कारण ही उनका बिP सबधी िवचार बहJतव िसPात

क नाम स िसP हJआ

थॉन1डाइक न पीयरमन क िसPात का खhडन करत हJए कहा िक Rयि क सानामक ि याओ मgt सहसबध

का कारण जी कारक नहU होता ह बि-क इन ि याओ क बीच कई उभयिनn तव पाय जात ह सानामक

ि याओ मgt िजतन ही अिधक उभयिनn तव हग उनक बीच का सहसबध उतना ही अिधक होगा उदाहरणाथ1

िकसी Rयि का क तथा ख कार क दो िविभन काय1 करन म अलग -अलग 15-15 कारक क ज=रत ह

सभव ह िक इन 15 मgt स 10 कारक ऐस ह जो क तथा ख दोन कार क कायu म समान =प स सहायक ह तो

इस कार ऐसी िथित मgt उन दोन कायk क बीच उ`च धनामक सहसबध होगा जस -2 समान कायk क

सZया घटती जाएगी इनक बीच धनामक सहसबध भी कम होता जाएगा

थॉन1डाइक का यह भी िवचार था िक कछ मानिसक काय1 ऐस होत ह िजनक तव या कारक मgt

उभयिनnता कम होती ह ऐसा इसिलए होता ह िक यक ऐस मानिसक काय1 का व=प िभन-2 होता ह

उदाहरणाथ1 िकसी Rयि को क तथा ख कायk को करन मgt अलग-2 15-15 कारक क ज=रत ह सभव यह ह

िक इन 15 कारक मgt स 11 कारक ऐस ह जो उभयिनn न ह ऐसी िथित मgt उन कायk क बीच धनामक

सहसबध क माNा कम होगी

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 237

इस कार थॉन1डाइक न तव या कारक क सZया क आधार पर दो कार क बौिPक कायk मgt समता या

िवषमता क RयाZया क इस कार क RयाZया दकर थॉन1डाइक न पीयरमन क एस कारक क भी आलोचना

क ह

पीयरमन तथा थॉन1डाइक क िसPात क तलना करन पर उनक बीच कोई मौिलक अतर नहU िदखाई

पड़ता ह थॉन1डाइक न जी कारक को एक तरह स वीकार िकया ह पीयरमन न िजस जी कारक कहा

थॉन1डाइक उस उभयिनn तव कहा ह तथा पीयरमन न िजस एस कारक कहा थॉन1डाइक न उस अउभयिनn

तव कहा ह अगर इन दोन िसPात मgt अतर ह तो िसफ1 इतना ह िक पीयरमन न जी कारक को छोटी-छोटी

इकाइय मgt नहU बॉटा ह जबिक थॉन1डाइक न इस अनक छोटी-छोटी इकाइय या उपकारक का योग माना ह

4) ि7िवमीय िस=ात- इस िसPात का ितपादन िगलफोड1 (1967)न िकया इस िसPात को बिP

सरचना िसPात भी कहा जाता ह िगलफोड1 क अनसार बिP कछ ाथिमक बौिPक योrयताओ क

सरचना ह यक बौिPक योrयता अपन मgt अनठी होती ह तथा यक काय1 को करन क िलए कछ

बौिPक योrयता क आवयकता होती ह िगलफोड1 न बिP क सभी तव को तीन िवमाओ मgt ससिlजत

िकया जो इस कार ह - 1 सि य 2 िवषयवत 3 उपादन

i) सि य (ऑपरशन)- सि य स तापय1 Rयि ारा िकय जान वाल मानिसक ि या क व=प स

होता ह िगलफोड1 न सि य क आधान पर मानिसक Mमताओ को छह भाग मgt िवभािजत िकया -

म-याकन अिभसारी िचतन अपसारी िचतन मित धारणा मित अिभलख तथा सान उदाहरणाथ1-

यिद Rयि को पन का अपरिमत उपयोग बतान क िलए कहा जाय तो इसक अतग1त होन सि या मgt

अपसारी िचतन का योग हागा इसी कार यिद Rयि को सह िशMा क बार मgt िवचार Rय करन को

कहा जाय तो इसमgt म-याकन का योग होगा

ii) िवषय वत (कॉटट) - इस िवमा स तापय1 उस MN स होता ह िजसक एकाश या सचनाओ क

आधार पर सि या की जाती ह िगलफोड1 न ऐस एकाश या सचनाओ को 5 भाग मgt बॉटा ह- CिD

tवण साकितक शाि)दक Rयवहारपरक उदाहरणाथ1 -यिद Rयि को दखी गयी खगोलीय घटना क

िवतत जानकारी दन क कहा जाय तो वह CिD िवषयवत क अतग1त घटना क जानकारी दान

करगा

iii) उपादन (ोडYटस) - इस िवमा स तापय1 िकसी िवशष कार क िवषयवत ारा क गई सि या क

परणाम स होता ह िगलफोड1 न परणाम को छः भाग मgt िवभिजत िकया - इकाई वग1 सबध

पPितयॉ =पातरण तथा आशय

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 238

उदाहरणाथ1- योlय ारा बताया गया ईट का असाधारण योग सबध उपादन क अतग1त आयगा

इस कार पDक ह िक िगलफोड1 न अपन िसPात क RयाZया तीन िवमाओ क आधार पर क सि या क

छह भाग िवषयवत क पॉच तथा उपादन क छः इस कार बिP क कल 656 =180 कारक हJए

5) कटल का िस=ात- कटल (19631967) न अपन बिP क िसPात मgt बिP को दो महवपण1 भाग मgt

िवभािजत िकया - तरल बिP ठोस बिP तरल बिP (फलड इटलीजस) -तरल बिP का िनधा1रण

आनविशक तyयामक ान स होता ह ठोस बिP मgt व Mमताए आती ह िजहgt Rयि अपनी िजदगी क

अनभितय मgt तरल बिP का उपयोग करक अिज1त करता ह

कटल क अनसार तरल बिP िवकास िकशोरावथा मgt अिधकतम हाता ह परत ठोस बिP का िवकास

वयकावथा मgt भी होता रहता ह

6) गाड0नर का बहXबि= का िस=ात- गाड1नर क बहJबिP क िसPात क अनसार बिP का व=प एकाक

न होकर बहJकारकय होता ह तथा सामाय बिP मgt सात कार क Mमताए या बिP सिLमिलत होती ह

जो एक दसर स वतN होती ह तथा िजनका सचालन मित^क क ारा होता ह

(i) भाषाई बिP- श)द तथा वाYय क अथ1 समझन क Mमता तथा श)दावली मgt श)द क म तथा उनक

मEय सबध पहचान क Mमता

(ii) तािक1 क गिणतीय बिP-तक1 करन क Mमता गिणतीय समयाओ का समाधान करन क Mमता अक

को म मgt Rयविथत करन क Mमता तथा साCयता Mमता

(iii) थािनक बिP- िकसी थान िवशष को पहचानन क Mमता िदशा पहचानन क Mमता मानिसक

धरातल या िकसी थान िवशष का िनमा1ण करान क Mमता थानीक क-पना करन क Mमता

(iv) शारीरक गितक बिP- अपनी शारीरक गित पर िनयNण करन क Mमता वतओ को सावधानी पव1क

कौशल पण1 ढग स उपयोग करन क Mमता सिLमिलत ह इस कार क बिP का उपयोग एथलीटस

नत1क ि कट िखलाड़ी टॉिनस िखलाड़ी यरोसज1न आिद करत ह

(v) सगीितक बिP- सगीत म तारव तथा लय का यMण करन क Mमता सगीत म िनपणता िवकिसत

करन क Mमता सगीितक बिP सगीत गान वाल न अिधक पाई जाती ह

(vi) Rयिगत आम बिP- अपन सवग को जानन क Mमता उनमgt िवभद करक उनका परचालन करन क

Mमता इस अतराRयिक बिP भी कहत ह

(vii) Rयिगत अय बिP- दसर Rयिय की रणाओ इ`छाओ एव आवयकताओ को समझन क

Mमता तथा उनक मनोदशाओ एव िचकित को पिMत करक Rयवहार का पव1 कथन करन क

Mमता इस अतविक बिP भी कहत ह

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 239

गाड1नर क अनसार सात तरह क बिP यक Rयिय म िवामान होती ह िकत आनवािशक

कारण या अयास क ारा Rयि मgt िकसी बिP का िवकास अिधक हा जाता ह य सभी सात कार क बिP

आपस मgt अतः ि या करती ह िकत मित^क मgt यक बिP का अपना िविशD MN होता ह जहा स यह

सचािलत होती ह एक तरह क बिP का सचालन करन वाल मित^क MN मgt आघात लगन पर उस बिP क

ि या =क जाती ह िकत इसस अय कार क बिPय पर भाव नहU पड़ता ह उपरो बिPय म जो बिP

Rयि मgt अिधक होती ह उसी काय1 MN मgt Rयि सफलता अिज1त करता ह

B) िया उमखी िस=ात - इस कार क िसPात मgt बिP क RयाZया िभन-2 कारक क =प मgt न

करक उन बौिPक ि याओ क =प मgt क गई ह िजस Rयि िकसी समया का समाधान करन मgt या सोच

िवचार करन म लगता ह

ि या उमखी िसPात मgt बिP क िलए सान तथा सानामक ि या श)द का योग अिधक िकया गया ह

1) सानामक िवकास का िस=ात- िपयाज (192030) न इस िसPात का ितपादन िकया तथा

1970 म इस िसPात का िवतत =प तत िकया सानामक िवकास क िसPात मgt बिP को

अनकली ि या माना गया ह िजसमgt जिवक परपYवता तथा वातावरण क साथ होन वाली अतः

ि यायgt सिLमिलत होती ह िपयाज का कथन ह िक जस-जस ब`च म सानामक ि याओ का

िवकास हाता जाता ह वस -वस ही उनका बौिPक िवकास भी हाता ता जाता ह िपयाज न इन

सानामक ि याओ का िवकास चार अवथाओ क अतग1त माना ह

(i) ानामक ि यामक अवथा- ससरी मोटर टज सानामक ि याओ क िवकास का यह थम

चरण ह जो जम स लकर 2 वष1 तक ही होती ह इसक दो िवशषताए होती ह थम िवशषता मgt ब`चा

अपन Rयवहार तथा उनक परणाम क बीच सबध कायम करन का यास करता ह जस-जब ब`चा

िकसी आवाज सनता ह तो वह उस Rयि तथा आवाज क मEय सबध थािपत करता ह इस तरह

ब`च मgt एक िवशष सानामक ि या का िवकास हाता ह ब`चा उस Rयि क आवाज सनकर उस

पहचानन लगता ह दसरी िवशषता यह ह िक इस अवथा मgt ब`चा अपन आपक वातावरण क

वतओ स अलग करन क Mमता िवकिसत कर लता ह वह अपन आपक वातावरण क वतओ स

िभन समझन लगता ह कछ खास-खास ि यामक Rयवहार स उस वतओ क थािनक सबध को

ान भी हो जाता ह ब`च उन Rयिय क नकल भी उतारत ह जो अनपिथत होत ह इस अवथा का

सबस मZय गण यह ह िक इस अवथा मgt ब`च मgt वत पनमानटस का िनगम िवकसित हो जाता ह

अथा1त ब`च य समझन लगत ह िक नजर क सामन न होन पर भी िकसी वतत का अितव ह वत

परमानटस का गण ब`चा 20-24 महीन क उ म िवकिसत होता ह

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 240

(ii) ाक चलनामक अवथा- (ी ऑपरशनल टज) यह अवथा 2 स 7 साल तक क होती ह ाक

चलानामक अवथा दो भाग मgt िवभािजत ह- 2स 4 साल तक क ाक सLयामक अविध तथ

4स7 साल तक क अतद1शv अविध ाक सLयामक अवथा म ब`चा िभन -2 कार क सकत

ितमाए श)द तथा उसक अथ1 को सीखता गहण करता ह इस तरह स ब`च मgt भाषा का िवकास

आरLभ होन लगता ह इन ितमाओ सकत आिद क सहार ब`च को ठीक सोचन मgt सहायता िमलती

ह इस अविध मgt सानामक िति याओ का िवकास मZयतः अनकरण तथा खल ारा होता ह

अतद1शी अवथा मgt ब`च अतद1शv िचतन क ओर उमख होत ह िजसमgt मबP तक1 का अभाव

होता ह इस अविध मgt ब`चा गिणतीय हल करना सीख लता ह लिकन इनक पीछ िछप िनयम नहU

समझ पाता ह

(iii) मF1 चलनामक अवथा (क ट ऑपरशनल टज)-यह अवथा 7 स 11 साल तक क होती ह

इस अवथा मgt ब`च मgt तािक1 क िचतन उनक सोचन क ढग मgt मबPता तथा जिटलता इयािद बढन

लगत ह इस अवथा मgt ब`च वतओ को िवमाओ क आधार पर वगvकत करना सीख जात ह अथा1त

वतओ का आकार ऊचाई भार रग आिद क आरधार पर उनमgt िवभद कर लत ह

(iv) औपचारक चलनामक अवथा (फॉम1ल ऑपरशनल टज)- यह अवथा 12 साल स 15 साल क

होती ह इस अवथा म ब`च मgt अमत1 तथा अपसारी िचतन आिद गण िवकिसत हा जात ह व अब

सामाय िनयम समझन लगत ह तथा 15 वष1 क उ म व वयक क समान तािक1 क िनयम का योग

सीख लत ह

इस कार पD ह िक िपयाज क सानामक िवकास क िसPात म बिP क िभन -िभन अवथाओ

मgt होन वाल सानामक ि याओ मgt हJए परवत1न क =प मgt RयाZया क गई ह

2) ि7त7 िस=ात- िNतN िसPात का ितपादन टन1बग1 (1985) न िकया टन1बग1 न अपन

िसPात मgt बिP को आलोचनामक ढग स सोचन क Mमता क =प मgt ितपािदत िकया टन1बग1 न

सचना ससाधन हत Rयि ारा ि यािवत पॉच चरण बताय

(i) कटसकतन (इनकोिडग)- इस चरण मgt Rयि अपन मित^क म सगत ाcय सचनाओ क पहचान

करता ह

(ii) अनमान (इनफरग)- ाcय सचनाओ क आधार पर कछ अनमान लगता ह

(iii) Rयवथा (मिपग)- इस चरण मgt Rयि वत1मान परिथित का अतीत क परिथित क साथ सबध

जोड़ता ह

(iv) उपयोग (एिcलकशन) - इस चरण मgt Rयि अनमािनत सबध का वातिवक उपयोग करता ह

(v) अनि या (रपॉस) -इस अितम चरण मgt Rयि समया का सभािवत सबस उम समाधान ढढता ह

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 241

िकसी मानिसक काय1 को सLपािदत करन क िलय िजस कार स सचनाओ को ससािधत करता ह उस

Eयान मgt रखत हJए टन1बग1 न तीन उप िसPात क आधार पर बिP क िजस िसPात को ितपािदत

िकया ह उस िNतN िसPात कहत ह व तीन उपिसPात िनLन कार ह-

i) सदभा1मक उपिसPात- सदभा1मक उपिसPात क अनसार Rयि वातावरण को अपन अनकल

िनिम1त करता ह िजसस वह अपनी Mमताओ का उम उपयोग करत हJए समायोजन कर सक Rयि

क इस Mमता को सदभा1मक बिP कहत ह

ii) अनभवजय उपिसPात- इस उपिसPात क अनसार Rयि बदलत परवश तथा परिथितय क साथ

वय म परवत1न लाता ह िजसस वह अपनी Mमताओ का अिधक स अिधक स अिधक उपयोग करत

हJए समायोजन कर सक इस कार क Mमता अनभवजय बिP कहलाती ह

iii) घटक उपिसPात- इस उपिसPात क अनसार Rयि क बिP मgt अमत1 िचतन करन तथा सचनाओ

को ससािधत करन क Mमता सिLमिलत होती ह इस कार क Mमता वाल Rयिय क बिP घटकय

बिP कहलाती ह ऐसी बिP वाल Rयि आलोचनामक तथा िवpषणामक ढग स सोचन म िनपण

हात ह इस कार क बिP वाल Rयिय मgt शMिणक उपलि)ध सवा1िधक होती ह इस कार उपरो

उपिसPात स टन1बग1 क िNतN िसPात क RयाZया होती ह

194 मानिसक आय

िय पाठक आप सभी न तिथक आय क बार मgt तो सना होगा िकत यह मानिसक आय Yया ह इस सLबध

मgt जानन क आपक िजासा हो रही होगी तथा यह वाभािवक भी ह िनिWत ही इस अन छद का जानन-

समझन क बाद आपको अपन का समाधान िमल जायगा

िविभन मनोवािनक न अपन शोध िन^कषu क आधार पर Rयि क आय को दो भाग मgt बॉटा ह-

1 तिथक आय ( ोनोलॉिजकल ऐज) - यह िकसी Rयि क वातिवक आय होती ह िजसका आरLभ जम

क िदन स ही होता ह तिथक आय स अिभाय ह Rयि क जम स लकर अब तक का समय जस- िकसी

Rयि का जम 20 वष1 पहल हJआ तो उसक तिथक आय 20 वष1 होगी

2 मानिसक आय (मटल ऐज) - मानिसक आय का तापय1 िकसी एक आय मgt सामाय मानिसक योrयता को

2हण कर लन स ह जस- कोई 8 वष1 का बालक 7 वष1 क आय क बालक क िलए िनधा1रत क

उर ही द पाता ह तो उसक मानिसक आय 7 वष1 होगी

अथा1त उसक मानिसक योrयता उतनी ही ह िजनती िक 7 वष1 क बालक क होगी यिद यह 8 वष1 का

बालक 9 वष1 क बालक क िलए िनध1रत क उर द दता ह तो उसक मानिसक आय 9 वष1 मान ली जाती

ह यिद यह 8 वष1 का बालक 8 वष1 क बालक क िलए िनधा1रत क उर द दता ह तो उसक मानिसक

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 242

आय 8 वष1 मान ली जाती ह अतः पD ह िक मानिसक आय तिथक आय स कम अिधक या बराबर कछ भी

हो सकती ह जब मानिसक आय तिथक आय स कम होती ह तब Rयि मद बिP माना जाता ह जब मानिसक

आय तिथक आय स अिधक होती ह तो Rयि बिPमान समझा जाता ह और जब मानिसक आय तिथक आय

क बराबर होती ह तब Rयि ती बिP का माना जाता ह इस कार मानिसक आय क आधार पर Rयि क

बिP का अदाजा लगाया जाता ह इस मानिसक आय का बोध एक िनिWत समय क िलए ही होता ह

195 बि= लिध

1951 बि= लिध (IQ) स Nया आशय ह

िय िवािथ1य आप मgt स ायः सभी न IQ का नाम सना होगा िजस Rयि का IQ तर िजतना lयादा होता

ह ऐसा माना जाता ह िक वह Rयि उतना ही अिधक बिPमान होता ह यह IQ या बिP लि)ध Yया ह इसको

ात करन का तरीका Yया ह बिP लि)ध क िविभन तर Yया ह बिP लि)ध क िविभन तर बिP क िकन-

िकन tिणय को Rय करत ह तो आइय आपक इहU िविभन िजासाओ का समाधान करत ह तत

अन`छद मgt

बिP का मापन करन क िलए सव1थम बिP परीMण िबन तथा साइमन (1905) न िवकिसत िकया

उहन बिP का मापन मानिसक आय को आधार मान कर िकया टरमन (1916) न िबन साइमन परीMण का

सशोधन िकया िजसस lsquolsquoबिP लि)धlsquolsquo क सLयय का जम हJआ तथा बिP मापन मgt मानिसक आय क थान

पर बिP लि)ध का योग होन लगा

टरमन न मानिसक आय तथा तिथक आय क अनपात को 100 स गणा करक बिP लि)ध ात करन

का िनयम िनकाला

बिP लि)ध = मानिसक आय times 100

तिथक आय

IQ = MA times 100

CA

उदाहरणाथ1ः-

यिद महश क आय 12 वष1 ह तथा उसक मानिसक आय 10 वष1 ह तो महश क बिP लि)ध

िनLनिलिखत होगी -महश क बिP लि)ध = 10times10012 = 8333

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 243

आधिनक शोध िन^कषk क आधार पर यह पD हो गया ह िक उपरो सN स बिPलि)ध का मापन

15-16 वष1 क उ क ब`च तक ही हो सकता ह Yयिक इसक बाद Rयि क मानिसक आय सामायतः नहU

बढ़ती ह

1952 बि= लिध क मान तथा उसका अथ0 -

बिP लि)ध क मान अथ1

140 या इसस अिधक ितभाशाली

120 स139 तक अितtn

110 स119 तक tn

90 स 109 तक सामाय

80 स 89 तक मद

70 स 79 तक सीमात मद बिP

60स 69 तक मद बिP

20स 59 तक हीन बिP

20 या इसस कम जड़ बिP

इस कार पD ह िक बिP लि)ध क आधार पर Rयि क बौिPक तर का पता आसानी स लगाया जा सकता

196 साराश

बिP Rयि क एक जमजात शि ह जो उस वातावरण क साथ भावकारी सामजय थािपत करन तथा

िववकशील एव अमत1 िचतन करन मgt सहायता दान करती ह बिP िविभन Mमताओ का सLपण1 योग होता ह

बिP क िसPात- बिP क िविभन िसPात मgt बिP क व=प एव काय1िविध पर भाव डाला गया ह

बिP क िसPात का वगvकरण- दो tिणया -

bull थम tणी - कारकय िसPात

bull ितीय tणी - ि या उमखी िसPात इसमgt िनLन छः िसPात ह-

कारकय िसPात-

1 पीयरमन का िकारक िसPात

2 थट1न का समह कारक िसPात

3 बहJकारक िसPात

4 िNिवमीय िसPात

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 244

5 कटल का िसPात

6 गाड1नर का बहJबिP का िसPात

ि या उमखी िसPात-

इसमgt िनLन तीन िसPात शािमल ह-

1 सानामक िवकास का िसPात (िपयाज का िसPात)

2 टन1वग1 का िNतN िसPात

3 घटक उपिसPात

आय- दो भद-

1 तिथक आयवातिवक आय

2 मानिसक आय

तिथक आय- Rयि क वातिवक आय िजसका ारभ जम स ही माना जाता ह

मानिसक आय- िकसी एक आय मgt सामाय मानिसक योrयता को 2हण कर लना

बिP लि)ध-वातिवक आय तथा मानिसक आय का एक ऐसा अनपात िजसमgt 100 गणा करक ाF िकया

जाता ह

बिP लि)ध (IQ) ात करन का सN-

बिP लि)ध = मानिसक आय times 100

तिथक आय

बिP लि)ध क माEयम स Rयि क बौिPक तर का पता चलता ह

197 शदावली

bull जमजात जम स ही उपन होन वाली

bull िनयित ितिदन

bull सयोजक जो जोड़न का काय1 कर

bull िमत[यियता कम खच1 करन क वि

bull अम-0ता ऐसी मानिसक Mमता िजसक कारण Rयि शाि)दक एव गिणतीय सकत एव िचह क सबध

को सरलता पव1क समझ जाता ह तथा उसक उिचत RयाZया कर पान मgt सMम होता ह

bull तिथक आय ितिथ स सLबिधत वातिवक आय

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 245

bull मानिसक आय मानिसक योrयता स सबिधत आय

bull बि=लिध िजसक माEयम स िकसी Rयि क बौिPक तर को ात िकया जाता ह

198 वमयाकन हत

नीच कछ कथन िदय गय ह जो कथन सही ह उनक आग सही का तथा जो गलत ह उनक आग गलत का

िनशान लगायgt-

1) भारतीय दश1न क अनसार मन य क अतःकरण क मन बिP तथा अहकार- य तीन अग ह ( )

2) इि_य एव बिP क बीच सयोजक का काय1 मन क ारा िकया जाता ह ( )

3) थॉन1डाइक क अनसार बिP परीMण जो मापता ह वही बिP ह ( )

4) बिP क सव1थम परभाषा बोरग न दी ( )

5) िबन क अनसार बिP ान आिव^कार िनदiश और आलोचना इन चार श)द मgt िनिहत ह ( )

6) बिP Rयि क जमजात शि नहU ह ( )

7) बिP एक स अिधक मानिसक गण का समह ह ( )

8) बिP क िसPात को कारकय एव ि या उमखी िसPात इन दो tिणय मgt िवभािजत िकया गया ह

( )

9) िकारक िसPात का ितपादन जीन िपयाज न िकया ( )

10) समह कारक िसPात क णता थॉन1डाइक ह ( )

11) बहJकारक िसPात क गणना ि या उमखी िसPात मgt क जाती ह

12) िNिवजीय िसPात का ितपादन िगलफोड1 ारा िकया गया

13) कटल न बिP को तरल एव ठोस दो भाग मgt वगvकत िकया ( )

14) कटल का िसPात बहJबिP का िसPात ह ( )

15) सानामक िवकास का िसPात ि या उमखी िसPात ह ( )

16) िNतN िसPात क णता टन1बग1 ह ( )

17) िपयाज न सानामक िवकास क छः अवथायgt बतायी ह ( )

18) बिकघम क अनसार बिP एक सीखन क योrयता ह ( )

19) बिP Rयि को अमF1 िचतन करन क योrयता दान करती ह ( )

20) बिP Rयि को वातावरण क साथ भावकारी ढग स सामजय करन क Mमता दान नहU करती ह (

)

21) तिथक आय का अथ1 िकसी Rयि क वातिवक आय स होता ह ( )

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 246

22) यक Rयि क मानिसक आय िभन-िभन होती ह ( )

23) तिथक आय मानिसक योrयता पर िनभ1र करती ह ( )

24) मानिसक आय क तिथक आय स अिधक होन पर Rयि को मद बिP माना जाता ह ( )

25) मािनसक आय क तिथक आय स अिधक होन पर Rयि को ती बिP माना जाता ह ( )

26) यिद िकसी 10 साल क ब`च क मानिसक आय 12 साल क ह तो उसक बिP लि)ध िकतनी होगी

i) 110 ii) 120 iii) 100 iv) 130

27) यिद बिP लि)ध मgt िथरता क कारक को मान िलया जाता ह तो इसस िनLनािकत मgt स िकस कथन को

समथ1न िमलता ह

i) बिP का व=प जमजात होता ह

ii) बिP का व=प अिज1त होता ह

iii) बिP का व=प अशतः जमजात तथा अशतः अिज1त होता ह

iv) बिP का व=प मापनीय होता ह

28) अगर 10 साल का एक ब`चा 7 साल क िलए बन सभी परीMण पर सफल हो जाता ह तथा 8 साल क

ब`च क िलए बन कल परीMण क आध पर ही सफल होता ह तो उसक बिPलि)ध Yया होगी

i) 80 ii) 85 iii) 75 iv) 90

उ-र 1) सही 2) सही 3) गलत 4) सही 5) सही 6) गलत 7) सही

8) सही 9) गलत 10) गलत 11) गलत 12) सही 13) सही 14) गलत

15) सही 16) सही 17) गलत 18) सही 19) सही 20) गलत 21) सही

22) सही 23) गलत 24) गलत 25) सही 26) ii 27) i 28) iii

199 सदभ0 1थ सची

bull िसह अ=ण कमार (2006) सानामक मनोिवान मोतीलाल बनारसीदास बगलो रोड जवाहर नगर

िद-ली

bull tीवातव रामजी (2003) सानामक मनोिवान मोतीलाल बनारसीदास बगलो रोड जवाहर नगर

िद-ली

bull सलमान महLमद एव तरनम रजवान (2005) मनोिवान मgt योग एव परीMण मोतीलाल

बनारसीदास बगलो रोड जवाहर नगर िद-ली

bull सलमान महLमद (2001) मनोवािनक योग और परीMण शYला बक िडपो पटना

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 247

bull वमा1 ीित एव tीवातव डीएन (1996) आधिनक योगामक मनोिवान िवनोद

पतक मिदर आगरा

bull भाग1व महश (2001) आधिनक मनोवािनक परीMण एव मापन

1910 िनबधामक

1 बिP स आप Yया समझत ह इस परभािषत करत हJय बिP क व=प क RयाZया करgt

2 बिP लि)ध स Yया आशय ह बिP लि)ध क िविभन मान एव उसक अथ1 को पD करgt

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 248

इकाई-20 सवग का )वप एव िस ात सवग मlt होन वाल शारीरक परवतन साविगक

बि (Nature and Theories of Emotion Physical changes in Emotion

Emotional Intelligence)

इकाई सरचना

201 तावना

202 उय

203 सवग

2031 सवग का अथ1 एव परभाषाए

2032 सवग का व=प

2033 सवग क िविभन िसPात

2034 सवग मgt शारीरक परवत1न

204 साविगक बिP

2041 अथ1 एव परभाषा

2042 साविगक बिP का िवकास

205 साराश

206 श)दावली

207 वम-याकन हत

208 सदभ1 2थ सची

209 िनबधामक

201 तावना

िय िवािथ1य इसस पव1 क इकाईय मgt आपन बिP क अथ1 व=प इसक िविभन िवशषताओ तथा

मानिसक आय एव बिP लि)ध क बार मgt अEययन िकया ह अब बिP क पWात हमार अEययन का अगला

िवषय lsquolsquoसवगlsquolsquo (Emotion) ह सवग Yया ह इसक Yया - Yया िवशषताए ह िभन - िभन Rयिय मgt िकस

कार िभन - िभन कार क सवग क उपि होती ह सवgtग उपन होन पर िकस कार क परवत1न होत ह

सवग क सबध मgt िविभन िवान न िकन िसPात का ितपादन िकया ह तथा भावनामक बिP Yया ह

इयािद

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 249

सवग एक ऐसा पद ह िजसस हम सभी परिचत ह तथा िजसका अथ1 हम सभी समझत ह हममgt स यक Rयि

अपन जीवन मgt सवग का अनभव करता ह ोध भय खशी हमार जीवन क मख सवग मgt स ह सवग क

उपिथित हमार जीवन मgt अित आवयक ह Yयिक इहU स हमार Rयवहार का िनधा1रण होता ह सवग का

िनमा1ण तीन कार क तव क िमलन स होता ह जो इस कार ह - दिहक तव सानामक तव Rयवहारामक

तव सवग का पD ान ाF करन क िलए सवग क इन तीन तव को समझना आवयक ह सवग मgt

भावनाओ का अित महवपण1 थान ह यक सवग मgt कोई न कोई भावना अवय ही िछपी हJई होती ह भय

क िथित मgt दःखद भावना क अनभित तथा खशी मgt सखद भावना क अनभित होती ह यही बात अय सवग

क िथित मgt भी CिDगोचर होती ह सवग एक ऐसा गितशील आतरक समायोजन ह जो सभी क सतोष सरMा

तथा क-याण क िलए काय1 करता ह

तो आइय अब हम सबस पहल यह जानत ह िक सवग ह Yया इसक Yया िवशषताए ह इसका व=प Yया

202 उय

िजास पाठक ईकाई का अEययन करन क उपरात आप -

bull सवग क व=प का ान ाF कर सकgt ग

bull सवग क िविभन कार का अEययन कर सकgt ग

bull सवग क िविभन िसPात का िवpषण कर सकgt ग

bull सवग क कारण होन वाल परवत1न को पD कर सकgt ग

bull सवगामक बिP क अथ1 का अEययन कर सकgt ग

bull सवगामक बिP क िवकास क ि या को पD कर सकgt ग

203 सवग

2031 सवग का अथ0 एव परभाषाए -

ाणी क रागामक ि याओ मgt सवग का महमपण1 थान ह सवग एक ऐसा पद ह िजस हम सभी अपन िदन-

ितिदन क जीवन मgt अनभव करत ह हम कभी सख कभी दःख कभी भय कभी म कभी ोध कभी िचता

और कभी आWय1 का अनभव करत ह इस कार क बहJत सी अनभितया ह जो सवग कहलाती ह सवग का

िनमा1ण मZयतः तीन कार क तव क िमलन स होता ह दिहक तव सवगामक तव तथा अवथाओ मgt

परवत1न होता ह िजनक कारण वह सवग का अनभव करता ह- इनमgt bदय क गित 13ासगित नाड़ी क गित

रचाप मgt परवत1न आिद मख आतरक दिहक परवत1न क उदाहरण ह सानामक तव मgt Rयि िकसी

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 250

घटना या परिथित का यMण करक उस समझता ह तथा इसी क अन=प वह सवग अनभव करता ह जस

यिद Rयि रात मgt िकसी रात मgt पड़ी रसी को साप समझ बठता ह तो वह डर जायगा इसस उसमgt भय का सवग

उपन हो जायगा Rयवहार परक तव मgt सवग वाT अिभRयि क =प मgt Rय होत ह उदाहरणव=प चहर क

हावभाव मgt परवत1न शारीरक म_ा शरीर मgt कपन आवाज मgt उतार-चढाव आिद स Rयि मgt सवग ारा उपन

होन वाल Rयवहारपरक तव का ान िमलता ह

सवग क व=प समझन क ि या मgt इन तीन तव पर Eयान िदया जाना अयिधक आवयक ह

मनोवािनक न सवग क व=प को पD करन क िलए अपन-2 ढग स अलग-2 परभाषाए दी ह िकत Yयिक

यह एक जिटल अवथा ह अतः मनोवािनक क बीच िकसी एक परभाषा को लकर पण1 सहमत नहU ह

वडवथ0 क अनसारlsquolsquoसवग ाणी क उ)िजतावथा हrsquorsquo

इगिलश तथा इगिलश(1958) क अनसार- lsquolsquoसवग एक जिटल भाव क अवथा होती ह िजसम

कछ खास-2 शारी1रक एव 2थीय ियाय होती ह3rsquorsquo

बरोन बन0 तथा कटोिवज (1980) क अनसार -lsquolsquoसवग स ता4पय5 एक ऐस भाव क अवथा स

होता ह िजसम कछ शारी1रक उ)जना पदा होता ह और िफर िजसम कछ खास-खास ltयवहार होत ह3

ो एव ो क अनसार - lsquolsquoसवग गितशील आत1रक समायोजन ह जो ltयिgt क सतोष सरा बौर

कBयान क िलए काय5 करता हrsquorsquo

gवर क अनसार- lsquolsquoसवग ाणी क जिटल दसा हिजसम कछ सारी1रक प1रवत5न तथा बल भावना क

कारण उ)िजत दसा और एक िनिसचत कार का ltयवहार करन क वि) िनिहत रहती हrsquorsquo

सeोक (2000) क अनसार- lsquolsquoहम लोग को भाव िजसम दिहक उ)जन चतन अनभित तथा

ltयवहार4मक अिभltयिgt सिDमिलत होत ह3 क Eप म प1रभािषत करत ह3rsquorsquo

जरसीड क अनसारlsquolsquo िकसी भी कार क आवस आन पर भड़क उठन तथा उ)िजत हो जान क

अवथा को सवग कहत ह3rsquorsquo

2032 सवग का वQप -

उपरो परभाषाओ क िवpषण स हमgt सवग क िनLनिलिखत िवशषताओ का पता चलता ह-

1) सवग और भावनायgt- िकसी भी कार क सवग क उपि क िलए िकसी न िकसी कार क भावना का

होना आवयक ह अतः हर सवग क पीछ कोई न कोई भावना काय1रत होती ह

2) तीता- सवग मgt तीता पाई जाती ह और यह Rयि मgt एक कार का तफान उन कर दता ह

3) शारीरक परवत1न- सवग क परणाम सव=प Rयि मgt अनक कार क वाT तथा आतरक सारीरक

परवत1न परलिMत होत ह जस नाड़ी क गित का बढ़ जाना र चाप मgt परवत1न वसन गित bदय गित मgt

परवत1न चीर क हाव-भाव मख म_ा सारीरक म_ायgt अग मgt कपन आिद

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 251

4) मानिसक दशा मgt परवत1न- सवग क समय Rयि क मानिसक दसा मgt िनLनिलिखत म मgt परवत1न होत

ह-(क) िकसी वत या िथित का ान मरण या क-पना (ख) ान क कारण सख या दख क अनभित

(ग) उजना क कारण काय1 करन क वि

5) Rयवहार मgt परवत1न- सवग क समय Rयि क सLपण1 व=प मgt परवत1न हो जाता ह उदाहरणाथ1- दया स

ओत ोत Rयि का Rयवहार उसक सामाय Rयवहार स िब-कल अलग होता ह इसी कार ोध क

अवथा मgt Rयि का Rयवहार सामाय Rयवहार स िब-कल अलग होता ह

6) िवशाल MN - सवग का MN बहJत ही िवसाल होता ह यह िवकास क यक अवथा मgt िदखाई दता ह

नवजात िसश स लकर वP तक सभी मgt सवग क उपि होती ह

7) Rयापकता- िनLनतर ािणय स लकर उ`चतर तक सभी मgt सवग उपिथत होत ह उदाहरणाथ1 िब-ली को

उसक ब`च स दर करन पर ब`च स उसका िखलौना छीनन पर तथा मन य को उसक आलोचना करन पर

ोध आ जाता ह

8) अिभरणामक वि- ायः यह दखा जाता ह िक सवग क वि अिभरणामक होती ह जब Rयि मgt

कोई ती सवग उनcप होती ह तो उसका Rयवहार िकसी खास ज(य क ओर अिभरत होता ह जस- यिद

कोई Rयि िकसी परिथित मgt काफ डर गया ह तो ऐसी हालत मgt वह या तो वहा स भाग जायगा या अपन

आप को िकसी ऐसी जगह िछपा लगा िजसस डर उपन करन वाला उीपक स िदखाई ही न पड़

9) सचयी वि- सवग क वि सचयी होती ह जब काई सवग एक बार उपन हो जाता ह तो थोड़ी दर क

िलए वह उरोN वतः ही बढ़ता चला जाता ह ऐसा सवग ारा एक खास कार क मानिसक तपरता

उपन कर िदय जान क कारण होता ह

10) िनरतरता- सवग मgt िनरतरता का गण पाया जाता ह जब भी िकसी उीपक क कारण सवग उपन होता ह

उस उीपक क हट जान क बाद भी Rयि मgt कछ दर तक वह सवग बना रहता ह उदाहरणाथ1 - यिद Rयि

क सामन कोई जगली जानवर आ जाय तो उस दखकर Rयि मgt भय का सवग उपन हो जायगा वह

जानवर Rयि को दखकर डर जाता ह और कहU िछप जाता ह या दर चला जाता ह तब भी Rयि मgt भय

का सवग कछ समय तक बना रहगा सभी सवग मgt िनरतरता का गण उपिथत होता ह

उपरो पणन1 स पD हो जाता ह िक सवग क कछ सामाय िवसषताए होती ह िजनक आधार पर

सवग क व=प को भली भाित समझा जा सकता ह सवग का सबध मल वितय स होता ह चौदह मल

वितय क चौदह ही सवग ह जो इस कार ह-

भय ( िफयर) ोध (एगर)

घणा (िडगट) वास-य (टडरमोसन)

णा व दःख (िडस) कामकता( लट)

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 252

आचय1(वॉhडर) आमहीनता(िनगिटव स-फफिलग)

आमिभमान( पॉिजिटवस-फ फिलग) एकाकनप( लोनलीनस)

भख ( हगर) अिधकार भावना(फिलग ऑफ ओनरिथज)

कितभाव ( ि यिटवनस) आमोद ( एमसमट)

2033 सवग क िविभन िस=ात -

िजास पाठको अब आपक मन मgt अनक कार क उपन हो रह हग जस िक सवग क अनभव और

Rयवहार िकस कार होत ह सवगामक अनभव और Rयवहार मgt Yया सबध ह सवग परधीय अग स ही होता

ह या मित^क का भी इसमgt कछ महव ह सवग ाणी क जीवन क िलए उपयोगी ह या नहU सवग क सबध मgt

इस ढग क और भी बहJत स ह िजन पर सभी िवान एक मत नहU ह इहU मतभद क कारण सवग क अनक

िसPात का ितपादन हJआ ह इनमgt स कछ मख िसPात का वण1न इस कार ह-

1) जLस लाज का िसPात

2) कनन बाड1 का िसPात

3) ककटर िसगर िसPात

4) सानामक म-याकन िसPात

5) िलडल सिकयण िसPात

6) िवरोधी ि या िसPात

1) जस लाज िस=ात-

इस िसPात का ितपादन दो वािनक िविलयम जLस तथा काल1 लाज ारा वतN =प स 1880 मgt िकया

गया इन दोन वािनक क िवचार सवग क बार मgt एक दसर स काफ समानता रखत थ इसिलय इस

िसPात का नाम दोन क नाम पर रखा गया जो आज जLस लॉज िसPात क =प मgt िसP ह इस िसPात

का अधार जिवक या दिहक ह इस िसPात क मल धारण यह ह िक पहल हमgt सवगामक अनभव होता ह

उनक पWात सवगामक Rयवहार होता ह इसिलय जब हम कोई भय उपन करन वाली घटना या

परिथित का सामना करत ह तो डर जात ह इसिलय भाग जात ह जLस लाज क धारण इसक ठीक

िवपरीत थी जLस लाज क इस िसPात क अनसार पहल सवगामक Rयवहार होता ह उसक पWात

सवगामक अनभव होत ह अथा1त जब हम कोई भय उपन करन वाली घटना या परिथित दखत ह तो

हम भाग जात ह इसिलए डर जात ह जLस लाज िसPात सवग क RयाZया तीन चरण मgt क गई ह -

i) थम चरण - सबस पहल Rयि सवग उपन करन वाल उीपक का सामना करता ह तो इसक ारा

ानि_य मgt उपन तिNका आवग पथ (सZया) स होता माित^क मgt पहJचता ह िजसस Rयि को

उीपक का यMण होता ह उदाहरणाथ1- Rयि साप को अपन सामन होन का यMण करत ह

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 253

ii) ितीय चरण - िकसी उीपक का यMण होन स षरीर क भीतर अग एव वाT अग क

ि याशीलता मgt परवत1न हो जाता ह फलव=प Rयि सवगामक Rयवहार कर दता ह तिNका

आवग मित^क स िनकलकर शरीर क अतरावयव जस bदय फफड़ ऐिनल 2िथ वYक आिद को

उिजत करता ह तथा साथ ही साथ शरीर क बाहरी अग यानी हाथ पर क मासपिशया को

ि याशील कर दता ह उदाहरणाथ1 साप तजी स चलन लगती ह तथा ऐिनल 2िथ स एिनिलन

िनकलकर खन मgt िमलन लगता ह इन सबका परणाम यह होता ह िक Rयि मgt ती शारीरक

वरवत1न होता ह परणामव=प वह साप दख कर भाग जाता ह अथा1त सवगामक Rयवहार करता ह

iii) ततीय चरण - सवगामक Rयवहार क उपरात मित^क का यह सचना ाF होती ह िक अमक Rयवहार

िकया गया ह शरीर क भीतरी अग स तथा शरीर क बाT अग स मित^क को अमक साविगक

Rयवहार क सचना ाF होती ह जLस लाज न बताया िक इस RयाZया स दो बातgt पता चलती ह-

थम तो िक सवगामक Rयवहार पहल होता ह तथा सवगामक अनभित बाद मgt ितीय यह िक

सवगामक अनभव का होना सवगामक Rयवहार पर िनभ1र होता ह सवगामक Rयवहार न होन पर

सवगामक अनभित भी नहU होती यिद Rयि साप को दखकर नहU भागता ह तो डरता भी नहU ह

जब भागन क सचना मित^क को िमलती ह तब हममgt सवगामक अनभित होती ह अथा1त हम

भयभीत हो जात ह

2) कनन बाड0 िस=ात -

यह िसPात कनन(1927) ारा ितपािदत िकया गया था बाद मgt बाड1 (1934) न इसका अपन अEययन क

आधार पर समथ1न िकया दोन मनोवािनक क नाम स इस िसPात का नाम कनन बाड1 िसPात िसP हJआ

कनन बाड1 िसPात क अनसार सवग स होन वाल साविगक Rयवहार तथा साविगक अनभव दोन एक

दसर स वतN होत ह तथा दोन क उपि एक साथ होती ह कनन बाड1 िसPात को िनLनिलिखत चरण क

आधार पर पD िकया जा सकता ह-

bull सवग क उपि क िलए िकसी उीपक ारा ानि_य का उिजत होना आवयक ह

bull ानि_य स तिNका आवग हाइपोथलमस स होता हJआ सरfल कॉटiYस मgt पहJच जाता ह

bull सरfल कॉटiYस हाइपोथलमस पर स अपना िनयNण कम कर दता ह एव कछ िविशD परिथित मgt ऐस

तिNका आवग को भी हाइपोथलमस मgt भजता ह िजसक उपि िवक-प मgt हJई होती ह

bull इसक कारण हाइपोथलमस पण1तः ि याशील हो जाता ह

bull जब हाइपोथलमस ि याशील हो जाता ह तब तिNका आवग दो िदशा मgt यानी ऊपर क िदशा मgt अथा1त

सरfल कॉटiYस क ओर तथा नीच क िदशा मgt अथा1त आतरक तथा बाहरी शारीरक अग क

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 254

मासपिशय क ओर एक साथ जात ह तिNका आवग क सरfल एव पहJचन पर सवग क अनभित होती

ह तथा अतराग एव मासपिशय मgt तिNका आवग क पहJचन पर साविगक Rयवहार होता ह

कनन (1927) तथा बाड0 (1934) क ारा कई योग क तथा िबि-लय पर िकय इन योग मgt

हाइपोथलमस मgt छोटा घाव कर दन पर सवग मgt कमी तथा हाइपोथलमस को काटकर िनकाल दन पर सवग का

पण1तः ास दखा गया अतः पD ह िक हाइपोथलमस सवग का उम थान ह इसी कारण कनन बाड1 िसPात

को हाइपोथलमस yयोरी क नाम स भी जाना जाता ह

3) ककटर िसगर िस=ात-

सवग क इस िसPात को कटर तथा िसगर (1962) ारा ितपािदत िकया गया यह िसPात

सानामक िसPात तथा सानामक शारीरक िसPात क नाम स भी जाना जाता ह इस िसPात क मायता ह

िक सवग उपन करन वाल उीपक का वयि पहल यMण करता ह इस यMण क बाद शारीरक

परवत1न होता ह ककटर क अनसार एक ही कार क शारीरक परवत1न िविभन सवग उपन करन क

सामyय1 रखत ह इसक बाद Rयि अपन पव1 अनभव क पर(य मgt इन परवत1न को पD करता ह जो एक

सानामक ि या क अतग1त आत ह इस वयाZया क फलव=प वह समझ जाता ह िक सवग िकस कार

का ह अतः यह कहा जा सकता ह िक इस िसPात मgt सवग का ान होना सवगामक कारक तथा शारीरक

परवत1न क RयाZया पर िनभ1र करता ह अतः इस िसPात क अनसार सवग को तीन चरण क आधार पर पD

िकया जा सकता ह-

bull सव1थम पहल Rयि सवग उपन करन वाल उीपक का यMण करता ह

इस यMण क परणामव=प Rयि मgt कछ आतरक शारीरक परवत1न होत ह जो अपD होत ह

वय क पव1 अनभितय क सदभ1 मgt Rयि इन शारीरक परवत1न को पD करता ह जो एक

सानामक म-याकन क ि या ह Rयि मgt कौन सा सवग उपन हो रहा ह वह इसी पDीकरण पर िनभ1र

करता ह RयाZया क अनसार Rयि िजस तरह का आशय लगाता ह उस वसी ही सवगामक अनभित होती ह

ककटर तथा िसगर न अपन िसPात क पिD क िलए अनक योग िकय इनमgt स एक अयत िसP

योग इस कार ह- इस योग मgt तीन योगामक समह बनाय गय तीन समह को एिनिलन का इजYशन

िदया गया यह इजYशन दत समय यह कहा गया िक सोिYसन जो एक कार का िवटािमस ह वह उहgt िदया

जा रहा ह

इन तीन योगामक समह मgt एक सिचत समह था ितीय असिचत तथा ततीय गलत सिचत समह था

सिचत समह को ऐिनिलन स उपन होन वाल साविगक लMण जस- हाथ मकLपन bदय क गित मgt तीता

चहर का लाल होना आिद सही-2 बता िदय गय असिचत समह को ऐिनिलन क भाव क गलत सचना दी

गयी इजYशन दन क तरत बाद तीन योगामक समह क कछ योlय को उ-लास क िथित मgt तथा कछ

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 255

योlय को ोध उपन करन वाली िथित मgt रखा गया उ-लास क िथित वाल योlय मgt योका1 का एक

सहकमu हसी पदा करन क यास करता था तथा ोध क अवथा वाल योlय क साथ सहकमv ऐसा

Rयवहार करता था िक उनमgt ोध क उपि हो

परणाम मgt पाया गया िक सिचत समह पर सहकमv ारा िकय गय िकसी भी Rयवहार का भाव नहU

पड़ा Yयिक वह समह अपन अदर उपन सवग का कारण इजYशन को ही समझता था असिचत समह तथा

गलत सिचत समह क सदय को उ-लास क िथित मgt खशी का अनभव हJआ तथा ोध क िथित मgt इन

लोग मgt ोध उपन होत हJय पाया गया अतः पD ह िक ऐिनिलन क इजYशन स तीन योगामक समह

मgt जो शरीर मgt परवत1न हJए व एकसमान थ परत िजहgt उ-लास क अवथा मgt रखा गया उहgt खशी का

अनभव हJआ तथा िजहgt ोध क िथित मgt रखा गया उहgt ोध इस कारण हJआ Yयिक उनका यMण उस

िविशD परिथित मgt होन वाल घटना म ारा भािवत हो रहा था अतः सवग का अनभित कवल शारीरक

परवत1न स ही नहU होती ह वरन उसक सानामक ि याओ क आधार पर भी होती ह

कYटर िसगर िसPात स यह पD ह िक Rयि दिहक उततजन क RयाZया करन क िलए वाT सकत

का उपयोग करता ह और तब सवग का नामकरण करता ह

4) सानामक मयाकन िस=ात-

सानामक म-याकन िसPात का ितपादन रचाड1 लजारस (1970) ारा िकया गया इस िसPात क मायता

ह िक वातावरण क िभन-2 वतओ तथा शरीर क अदर स िमलन वाली सचनाओ का जब ाणी ठीक-2

म-याकन करता ह तो उस सवगामक अनभित होती ह अतः इस सानामक िसPात क नाम स जाना जाता

ह Rयि मgt सवग क उपि तब होती ह जब वह यह अनभव करता ह िक िकसी घटना या परिथित तथा िकय

गय Rयवहार का एक िवशष अथ1 होता ह तथा यह हमारी वत1मान अ`छाइय एव दीघ1कालीन ल(य क िलए

लाभकारी या नकसानदायक हो सकता ह इस ि या को म-याकन कहत ह इसमgt कवल सचनाओ का स2हण

ही नहU होता वरन इस बात िनण1य लत ह िक Rयि क िलए इन सचनाओ का Yया अिभाय ह हमारा सवग

िकसी वतिनn परवत1न िजसमgt Rयि अतःि या करता ह का परणाम नहU होता ह वरन उस िथित का वय

क आवयकताओ इ`छाओ एव साधन क सदभ1 मgt िकय गय म-याकन का परणाम होता ह

लजारस क अनसार म-याकन दो कार का होता ह-

bull ाथिमक म-याकन

bull गौण म-याकन

ाथिमक म-याकन वह होता ह िजसमgt Rयि परिथित या घटना क गभीरता का म-याकन करता ह यहा वह

इस बात का म-याकन करता ह िक जो घटना घट रही ह उसस वह िकतना भािवत हो रहा ह िजस समय

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 256

ाथिमक म-याकन क ि या िन^पन हो जाती ह तो उसक उपरात गौण म-याकन क ि या क श=आत

होती ह इसमgt ाणी उस घटना या िथित स िनपटन क वय क सामyय1 एव साधन का आकलन करता ह

ाणी मgt अनभव िकया गया सवग ाथिमक म-याकन तथा गौण मलयाकन क बीच सतलन क परणामव=प

उपन होता ह उस समय Rयि इस बात का म-याकन करता ह िक परिथित क गभीरता lयादा ह तथा उसस

िनपटन क सामyय1 तथा साधन कम ह तो इसक कारण सवग क तीता lयादा होती ह िकत इसक िवपरीत

परिथित हान पर सवग क तीता कम होती ह

उपय1 िववचन स यह पD ह िक इस िसPात मgt सवग का मZय आधार िभन-2 कार क सचनाओ का

म-याकन ह

5) िलडल का सियण िस=ात -

िलडल (1951) न सवग क सि यण िसPात का ितपादन िकया इस िसPात क मायता ह िक सवग

सरfल कॉटiYस क सि यण तर पर िनभ1र करता ह िलडल न सि यण तर क चार कार बताय ह -

1- शय तर

2- िनLन तर

3- उ`च तर

4- मEयम तर

सि यण का शय तर मय क उपरात होता ह िनLन तर नUद क दौरान होता ह ोध डर आिद

ती सवग मgt सरीfल कॉटiYस का सि यण तर उ`च होता ह सामाय ि याओ जस- पढन-िलखन खान-पीन

आिद क दौरान सरीfल कॉटiYस का सि यण तर मEयय होता ह

िलडल का सि यण िसPात इलYोइिसफलो2ाम अथवा ईईजी स सLबP रखता ह

इलYोइिसफलो2ाम स कई तरह क माित^क तरग का अEययन िकया जाता ह इनमgt ए-फा तथा बीटा

मित^कय तरगgt मख ह तब Rयि आराम क िथित मgt होता ह तो उस समय ईईजी ारा रकाड1 क गई

मित^क तरगgt ए-फा तरगgt कहलाती ह इनक ऊचाई अिधक तथा िनयिमत होती ह और यह ित सकhड 8 स

12 च क दर स उपन होती ह ती सवग क िथित मgt सरी fलकॉटिYस का सि यण तर मgt विP हो

जाती ह तब उ-फा तरग क जगह बीटा तरगgt िनकलन लगती ह इन तरग ऊचाई कम तथा अिनयिमत होती ह

जो ितसकhड 18 स 30 च क दर स िनकलती ह

िलडल का यह िसPात अयिधक िवत ह एव इसक अनसार सवग क उपि एव उसक अनभित मgt

मित^क क अनक भाग यथा रिटकलर फॉम1षन थलमस हाइपोथलमस तथा सरीfल कॉटiYस क सय =प स

भिमका होती ह िलडल का कहना ह िक जब ाणी सवग क उपि करन वाल उीपक का यMण करता ह

तो इसस उपन होन वाला नायवाह रिटकलर फॉमiषन मgt पहJचन क बाद उसमgt उजन उपन कर दता ह

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 257

इसक परणामव=प रिटकलर फॉमiषन नायवाह को थलमस तथा हाइपोथलमस मgt भज दता ह इसस उन

दोन मgt उजन हो जाता ह तथा व नाय वाह को सरfल कॉटiLस मgt भजन का काय1 करत ह जब नाय वाह

काटiYस मgt पहJचता ह तो Rयि को सवग क अनभित होती ह अतः िलडल क अनसार सवग तथा उसस

उपन सि यता का आधार रिटकलर फॉमiषन ह यिद रिटकलर फॉमiषन मgt िकसी कारण स उजन नहU होता ह

तो ाणी मgt सवग भी उपन नहU होता और ना ही िकसी कार क ि याशीलता क उपि होती ह

िलडल न िसPात क RयाZया पाच मख परक-पनाओ क आधार पर क-

bull सवग मgt ईईजी एक िविशD सि यता पटन1 को बताता ह इसमgt ए-फा तरगgt समाF होकर उसक थान पर

कम ऊचाई क ती बीटा तरगgt िनकलती ह

bull ईईजी मgt सवग मgt जो सि यता पटन1 होता ह उस मित^क तभ क रिटकलर फॉमiषन मgt उजन को उपन

करक ाF िकया जा सकता ह

bull जब Rयि क डाइसफलॉन िजसमgt मल =प स थलमस तथा हाइपोथलमस आत ह को िवनD कर दत ह

तो सरfल कारअLस मgt सि यण खम हो जाता ह और उसमgt ए-फा तरगgt िफर स बननी श= हो जाती ह

bull ाणी क हाइपोथलमस तथा थलमस को नD कर दन क कारण जो साविगक Rयवहार होत ह व

हाइपोथलमस तथा थलमस क उिजत होन स उपन साविगक Rयवहार स ठीक अलग होत ह जब

हापोथलमस तथा थलमस घायल या नD हो जाता ह तो ाणी मgt सती िन_ालता उदासीनता ति)ध

आिद अिधक हो जाती ह

bull डाइसफलॉन एव िनLन मित^क तभ क रिटकलर फॉमiषन क म ईईजी क सि यता म क या तो

समान होत ह या परपर Rयापी होत ह

अतः पD ह िक िलडल का सि यण िसPात काफ मख िसPात ह तथा मनोवािनक क मEय इस

िसPात क मायता अयिधक ह

िवरोधी िया िस=ात ( ओपोनट ॉसस Zयोरी) -

िवरोधी ि या िसPात मgt सवग क गयामक गण क RयाZया क गई ह सोलोमन तथा कॉरिबट (1974) तथा

सोलोमन (1980) न इस िसPात को पD करत हJए बताया ह िक यक सवग उपन करन वाला उीपक दो

तरह क ि याए Rयि मgt उपन करता ह-थम को ाथिमक ि या तथा ितीय को िवरोधी ि या माना

जाता ह ाथिमक ि या सवगक क उपि करन वाल उीपक क ित एक अनािज1त तथा वतः िति या

होती ह यह सखद या असखद कछ भी हो सकती ह ाथिमक ि या क यह िवशषता ह िक यह अितशी

अिधकतम तीता क िबद पर पहJच जाती ह एव उीपक क हटत ही तरत इसक तीता अयिधक कम हो

जाती ह

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 258

सवग उपन करन वाल उीपक स एक दसरी ि या उपन होती ह यह पहली ि या क िवपरीत

होती ह इस िवरोधी ि या कहत ह इसक कारण ाथिमक िथित क िवपरीत सावगामक अवथा ाणी मgt

उपन होती ह इस िवरोधी ि या का ारLभ धीर-2 होता ह तथा Mय भी धीर-2 होता ह िवरोधी ि या

ाथिमक ि या स कम ती होती ह िकत जब ाणी क समM उस उीपक को बार-2 लाया जाता ह तो पनः

िवरोधी ि या क तीता मgt धीर-2 विP होन लगती ह

जब सवग उपन करन वाला उीपक थम बार Rयि क समM आता ह तो ाथिमक िथित क

बलता अिधक होती ह Yयिक वह बहJत तीता स अपनी तीता क अिधकतम िबद पर पहJच जाता ह समय

बीतन क साथ - साथ िवरोधी ि या तीता क अिधकतम िबद पर पहJचन लगती ह Yयिक कल भाव

अथा1त ाथिमक एव िवरोधी ि या का सय =प स पड़न वाला भाव धीर-2 कम होन लगता ह

कई बार ऐसा भी होता ह िक जब उीपक एकदम स ाणी क सामन स हट जाता ह तो ाथिमक िथित

अचानक स शय िबद पर आ पहJचती ह लिकन िवरोधी ि या क तीता अयिधक धीर-2 घटती ह इस

िथित मgt ाथिमक अवथा क न होन पर िवरोधी िथित सि य होती ह और अनभव िकया गया सवग (दोन

िथितय का बीज गिणतीय योग) मल =प स िवरोधी िथित का ही होता ह इस िति या भाव (रबाउhड

इफYट) क नाम स जाना जाता ह

इस कार हम कह सकत ह िक भौितक िवान का ि या िति या का िनयम सवग पर भी लाग होता

ह यक कार क साविगक ि या स एक िति या उपन होती ह तथा इस म का हमार Rयवहार पर

अयिधक साथ1क भाव पड़ता ह

2034 सवग म( शारीरक परवत0न -

सवग मgt शारीरक परवत1न का महवपण1 थान होता ह कछ परवत1न का ान बाहर स दखन पर हो जाता ह

िकत कछ परवत1न क जानकारी क िलए यN क सहायता ली जाती ह सवग क सभी िसPात मgt सवग स

होन वाल षरीरक परवत1न का महव वीकार िकया गया ह मनोवािनक न अपन शोध िन^कषk क आधार

पर सवग स होन वाल शारीरक परवत1न को दो मख भाग मgt िवभािजत िकया ह-

bull वाT शारीरक परवत1न

bull आतरक शारीरक परवत1न

bull वाT शारीरक परवत1न

सवग मgt होन वाल वाT शारीरक परवत1न स अिभाय ऐस परवत1न स ह िजहgt पD =प स Rयि ारा

अिभRय िकया जाता ह तथा िजहgt िबना िकसी उपकरण क सहायता स आख स दख सकत ह जस- ोध

क अवथा मgt Rयि क चहर का लाल हो जाना हठ कापना तथा आख को बढा-2 कर बोलना आिद-आिद

भय क सवग क अवथा मgt Rयि का चहरा सखा िदखाई दता ह एव वह परिथित स भाग जाता ह Yयिक

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 259

इन शारीरक परवत1न को कोई भी Rयि आसानी स दख सकता ह अतः इस कार क शारीरक परवत1न को

वाT शारीरक परवत1न कहा जाता ह

मनोवािनक न वाT शारीरक परवत1न को तीन भाग मgt िवभािजत िकया ह-

(1) मखािभRयि मgt परवत1न (Changes in facial expressions)

(2) वर अिभRयि मgt परवत1न (Changes in vocal expression)

(3) शारीरक म_ा मgt परवत1न (Changes in bodily postures)

इन परवत1न का िववचन िनLन कार ह-

1) मखािभ[यिP म( परवत0न - सवग क समय होन वाल वाT शारीरक परवत1न मgt मखािभRयि क

परवत1न सवा1िधक पD होत ह

डािव1न (1872) न अपनी पतक मन य एव पश मgt सवग क अिभRयि मgt दावा िकया िक सवग स वतः एक

िनिWत कार क मखाकित उपन हो जाती ह य मखाकितया जमजात होती ह तथा इनका एक जिवक महव

होता ह मनोवािनक क अनसार चहर मgt अित सवदनशील तथा छोटी - छोटी अनक मासपिशया पायी जाती

ह जो सवग क उपि क समय फलना और िसकड़ना आरLभ कर दती ह अतः चहर मgt सवग क िथित मgt

बहJत शी परवत1न िदखाई दता ह इजाड1 (19701990) क अनसार चहर क ारा छः मख सवग क पD

अिभRयि होती ह- खशी उदासी आWय1 डर ोध एव घणा इस िदशा मgt सवा1िधक महवपण1 अEययन

लिडस (1924) न िकया इसक अतग1त योlय को िविभन कार क सवग उपन करन वाल काय1 करन क

िलय कहा गया काय1 क दौरान उनक मखािभRयि क तवीर ली गई अEययन मgt पाया िक िभन-2 योlय

समान सवग उपन करन वाल काय1 को करन पर िभन - िभन मखािभवयि करत ह अतः माN मखािभRयि

क आधार पर सवग का िनण1य करना किठन काय1 ह फलक (1922) न कछ लोग को मखािभRयि इस

कार करन को कहा िजसस कछ िविशD सवग िदखलाई दgt कछ योlय को इन मखािभवयिय को Eयान स

दखकर यह बतलान को कहा गया िक उसस िकस तरह का सवग उपन हो रहा ह योlय मgt मखािभRयि क

आधार पर सवग का िनण1य करन मgt काफ सहमित पाई गई सिकम गर तथा साउसी1978 न अपन शोध

अEययन क आधार पर बताया िक िकसी सवग क अिभRयि मgt चहर क दायgt भाग का योगदान बायgt भाग क

अपMा अिधक होता ह इसका मZय कारण यह ह िक दायgt भाग का िनयNण मित^क क बायgt गोलाP1 ारा

िकया जाता ह

एकमन और उनक सहयोगी(1971) न सवग क अतर साकितक अEययन मgt पाया गया िक ाथिमक

सवग क मखाकितया सभी मgt समान होती ह यिप थानीय रीित रवाज क कारण उनमgt कछ िविशDताए भी

आती ह यथा जापािनय क िलए आवयक ह िक व सभी परिथितय मgt थोड़ा मकरायgt पाWाय दश मgt

आख का अिधक खलना आWय1 मgt चीनी लोग अपनी िजभ मह स बाहर िनकाल लत ह हमार दश मgt कान

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 260

खजलाना सकोच दिश1त करता ह और चीनीय मgt यह हष1 का िचह ह बक एव सिवन (1972) क अनसार

मखाकित को दखकर एक प=ष दसर प=ष क सवग को िजतना पहचानता ह उसस कहU अिधक एक मिहला मgt

दसरी मिहला क सवग को पहचानन क Mमता होती ह मखाकितक परवत1न मgt पतली क परवत1न का

महवपण1 थान ह पतिलय का आकार सवग का अयिधक सवदनशील सचक ह मखािभRयि ारा सवग

क सही-2 पहचान तीन कारक ारा अव=P हो जाती ह-

i थम ायः लोग सवग को िछपाना सीख लत ह ायः समाज मgt ऐस लोग होत ह जो ोिधत होन पर

भी िजसस व ोिधत ह हसकर अ`छी - अ`छी बातgt करत ह उनक चहर को दखकर पता नहU चल

पाता िक व ोिधत ह

ii दसरा कई बार ऐसा होता ह िक Rयि कई सवग एक ही साथ Rय करता ह ऐसी िथित मgt

मखािभRयि इतनी अपD तथा िमिtत होती ह िक उसस िनिWत =प स िकसी िविशD सवग क बार

मgt अनमान लगाना अयिधक किठन होता ह

iii तीसरा कवल चहरा दखकर सवग का िनण1य करना ठीक नहU ह Yयिक जब तक उस परिथित क

िवषय मgt ान नहU होता िजसमgt Rयि न आनन क अमक अिभRयि क ह सवग का ठीक - ठीक

िनण1य लना किठन हो जाता ह 2) वरािभ[यिP म( परवत0न-

सवगावथा मgt Rयि क आवाज मgt परवत1न हो जाता ह िजस सनकर आसानी स उसमgt उपन सवग का पता

चल जाता ह िकसी Rयि क आवाज क तीता उसक बोलन का तरीका वर िवराम तथा वर आरLभ

इयािद क आधार पर Rयि क सवग का पता चल जाता ह जस- यिद Rयि बहJत जोर-जोर स िच-लाकर तथा

ज-दी-ज-दी बोलता ह तो इसस उसक ोध का पता लग जाता ह फयरबYस तथा ोनोमोट (1939) न

िविभन शोध अEययन क आधार पर बताया िक सवगावथा मgt Rयि क आवाज मgt परवत1न आ जाता ह

डसनवरी तथा नोरर (1939) न िविभन सवगामक आवाज को रकॉड1 करक कछ योlय को सनवाया

अिधकतर योlय न इन सवग क सही पहचान क

अतः पD ह िक सवग स Rयि क आवाज मgt परवत1न हो जाता ह

3) शारीरक मmा म( परवत0न-

िविभन शोध अEययन स यह िसP हो चका ह िक सवग Rयि मgt एक खास शारीरक म_ा उपन करत ह

िविभन योग क आधार पर यह ात हो चका ह िक यक सवग मgt Rयि का हाथ पर िसर आिद िवशष

िथित मgt होत ह इसी कारण जब हम िफ-म मgt िकसी नायक या नाियका क मक तित दखत ह िजसमgt व

अपनी बात को कवल हाथ व पर क सहायता स िबना कछ कह कहत ह तो हम माN उनक अग का सचालन

दखकर उनक सवग पहचान लत ह जस-यिद वह अपन िसर क बाल नोचता ह तथा Rयाकलता Rय करता ह

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 261

तो इसस पD हो जाता ह िक वह तनाव तथा िचता क अवथा मgt ह यिद Rयि पर पटक-पटक कर तथा हाथ

झटकत हJए चलता ह तो इसस उसक ोध मgt होन का पता चलता ह जब Rयि अयिधक तनाव मgt होता ह

अथवा उपन िकसी ती सवग को दबान का यास करता ह तब उसक दोन हाथ क मया बद हो जाती ह

आWय1 क िथित मgt तथा सन अवथा मgt दोन हाथ क हथिलया खल जाती ह

िविभन सकितय मgt शारीरक म_ाओ मgt िभनता दखन को िमलती ह कछ खास-खास सवग जस- िकसी को

शभकामना दना अलिवदा कहना अपमान करना आिद मgt सवग को अिभRय करन क सभी तरीक मgt

समानता पायी जाती ह कछ सकितय मgt हाथ क अगठ एव तज1िनय क सहायता स नाक को पकड़त हJए

बोलना घणा एव अपमान सचक माना जाता ह

कई मनोवािनक जस बरोन बन1 तथा कटोिवज (1980) का मानना ह िक कवल शारीरक म_ा क

आधार पर सवग क पहचान करना एक किठन काय1 ह Yयिक िविभन सवग स उपन शारीरक म_ाओ मgt

बहJत अिधक अतर नहU होता ह अतः कवल शारीरक म_ा क आधार पर सवग को आसानी स नहU समझा जा

सकता ह

आतरक शारीरक परवत1न-

1 रचाप मgt परवत1न

2 र मgt रासायिनक परवत1न

3 13सन गित मgt परवत1न

4 bदय एव नाड़ी गित मgt परवत1न

5 पाचन ि या मgt परवत1न

6 2थीय eाव मgt परवत1न

7 ग-विनक वक अनि या मgt परवत1न

8 आख क पतली क अनि या मgt परवत1न

9 मित^कय तरग मgt परवत1न

सवगावथा मgt बाT शारीरक परवत1न क साथ-साथ Rयि मgt कछ आतरक परवत1न भी होत ह िजहgt आख

स दखकर पहचाना नहU जा सकता ह इन सवग क पहचान करन क िलए िवशष यN क आवयकता होती ह

Rयि क रचाप मgt परवत1न र मgt रासायिनक परवत1न आख क पतली मgt परवत1न मित^कय तरग मgt

परवत1न bदय गित मgt परवत1न नाड़ी क गित मgt परवत1न 13सन गित मgt परवत1न ग-विनक वचा अनि या मgt

परवत1न पाचन ि या मgt परवत1न आिद कछ िवशष परवत1न ह िजन पर मनोवािनक न िविभन शोध िकय

ह इन आतरक शारीरक परवत1न का वण1न िनLन कार ह-

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उराखड म िव13िवालय 262

(1) रPचाप म( परवत0न- िविभन सवगावथा मgt Rयि क रचाप मgt या तो कमी आ जाती ह अथवा

अिभविP हो जाती ह इसका मापन िफrनोमनोमीटर नामक एक िवशष यN ारा िकया जाता ह सामायतः

ोध भय और हष1 मgt Rयि का रचाप बढ़ जाता ह तथा दःख क अवथा मgt Rयि का रचाप कम हो

जाता ह एYस (1953) ारा एक शोध कॉलज क छाN पर िकया िजसमgt ोध क अवथा मgt छाN क

रचाप मgt विP पायी गयी टाइगरटड (1926) न 13 छाN क रचाप का मापन परीMा ारLभ होन क

पहल तथा बाद मgt िकया परणाम मgt पाया िक परीMा ारLभ होन स पहल छाN का रचाप अिधक था

तथा खम होन क बाद रचाप मgt कमी आ गयी वो-फ तथा वो-फ (1943) न अपन अEययन क आधार

पर यह िन^कष1 बताया िक ोध मgt eी तथा प=ष दोन क ही रचाप मgt विP हो जाती ह तथा भय क सवग

मgt दोन का ही रचाप कम हो जाता ह

(2) रP म( रासायिनक परवत0न- िविभन शोध अEययन क आधार पर यह पD हो चका ह िक सवगावथा

मgt Rयि क र मgt उपिथत रासायिनक तव मgt परवत1न हो जात ह सवगावथा मgt एीनल rलhड स

ािवत हॉमuन एिनिलन क माNा बढ़ जाती ह इसक परणामव=प Rयि मgt सि यता तथा फतv का

तर बढ़ जाता ह इस कार सवगामक िथित मgt एिनिलन क र मgt िमल जान स Rयि भय ोध आिद

सवग ारा उपन आपात िथित मgt ठीक ढग स Rयवहार कर पाता ह तथा वह वय को इस िथित मgt ठीक

ढग स समायोिजत कर लता ह यही कारण ह िक इस एमरजसी हामuन भी कहा जाता ह सि यता बढ़न क

साथ 13सन गित तथा bदय क गित बढ़ जाती ह और पाचन ि या थिगत हो जाती ह खन मgt rलकोस क

माNा भी बढ़ जाती ह इन सभी शारीरक परवत1न का परणाम यह होता ह िक साविगक =प स सजग

होकर Rयि परिथित का सामना कर पाता ह साविगक अवथा मgt Rयि क र मgt िसLपिथन नामक

रासायिनक तव क माNा बढ़ जाती ह इसस साविगक उीपक हट जान क बाद भी Rयि काफ दर तक

साविगक अवथा मgt बना रहता ह साविगक अवथा मgt Rयि क लाल रकण मgt भी परवत1न दखा गया

ह इस कार पD ह िक साविगक िथित मgt Rयि क र मgt रासायिनक तव मgt भी अयिधक परवत1न हो

जाता ह

(3) आखK क पतली क अनिया म( परवत0न- आख क पतली ऑटोनोिमक नव1स िसटम क िनयNण

मgt होती ह मनोवािनक न िविभन शोध अEययन क आधार पर बताया िक सवग क अवथा मgt आख

क पतली मgt भी परवत1न होत ह बडर (1933) क अनसार ती सवग जस- हष1 सनता आWय1 आिद

अवथाओ मgt आख क पतली फल जाती ह एLस (1953) क अEययन क अनसार दःख तथा िवरि क

सवग मgt आख क पतली िसकड़ जाती ह

(4) मितIकय तरगK म( परवत0न- शरीरि या मनोवािनक न िविभन शोध िन^कषk क आधार पर यह पD

िकया ह िक सवगावथा मgt मित^कय तरग मgt भी परवत1न होत ह मित^कय तरग को

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उराखड म िव13िवालय 263

इलYोइिसफलो2ाम (ईईजी) क सहायता स मापा जाता ह जब Rयि शात तथा सन मनःिथित मgt

होता ह उस समय मित^क स ए-फा तरग का उसज1न होता ह इसक बारबारता ित सकhड 8 स 12

मानी जाती ह जब Rयि िचता तनाव या साविगक उजन क अवथा मgt होता ह उस समय बीटा तरग

का उसज1न बढ़ जाता ह इनक बारबारता ित सकhड 18 स 30 मानी जाती ह

(5) rदय क गित तथा नाड़ी क गित म( परवत0न- सावगामक अवथा मgt Rयि क bदय क गित एव

नाड़ी क गित मgt भी परवत1न हो जाता ह

लgानकोईस (1983) क अनसार- lsquolsquo ोध तथा cयार क अवथा मgt bदय क गित बढ़ जाती हlsquolsquo

शपाड1(1962) क अनसार- lsquolsquoिचता क अवथा मgt bदय तथा नाड़ी क गित ती हो जाती हlsquolsquo

(6) sसन गित म( परवत0न- सवग का Rयि क 13सन गित पर भी भाव पड़ता ह कछ सवग क उपन

होन पर 13सन ि

कrस (1930) क अनसार- lsquolsquoमानिसक काय1 करत समय सास क गित तज िकत अिनयिमत होती ह

दःख अवसाद तथा मानिसक अत1 क िथित मgt सास क गित धीमी हो जाती ह ोध क अवथा मgt सास

क गित ती हो जाती हlsquolsquo

(7) पाचन िया म( परवत0न- सवग स पाचन ि या भी भािवत होती ह ती सवग जस- भय ोध

िचता आिद मgt पाचन ि या अयिधक धीमी हो जाती ह ती सवगामक िथित मgt Rयि मgt या तो क)ज

क (कॉटीपशन) या दत (लज मोशन) क समया उपन हो सकती ह इसी कारण ायः परीMा क

समय ब`च को लज मोशन क िशकायत हो जाया करती ह

कनन (1915) न अपन योग क आधार पर यह िन^कष1 िदया िक जब िब-ली क सामन क को लाया

जाता था तो िब-ली मgt ती डर का सवग उपन हो जाता था

(8) 1थीय tाव म( परवत0न- सवग क दौरान Rयि क लार 2िथय तथा एीनल 2िथ मgt महवपण1

परवत1न होत ह

बगर तथा इिलगटन (1943) क अनसार- lsquolsquoती सवग क िथित मgt Rयि क लार 2िथ स ाव कम

िनकलता हlsquolsquo

फलतः उस मह क अदर सखा-सखा अनभव होता ह सवग क अवथा मgt एीनल rलhड स

एिनिलन काफ माNा मgt eािवत होता ह िजसक र मgt िमलन स Rयि मgt महवपण1 परवत1न होत ह ऐस कछ

महवपण1 शारीरक परवत1न िनLनानसार ह-

bull एिनिलन क र मgt िमलन स Rयि सि यता का अनभव करता ह

bull एिनिलन क र मgt िमलन स र मgt जमन क वि अिधक बढ़ जाती ह

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 264

bull एिनिलन क र मgt िमलन स रचाप बढ़ जाता ह लाल र कण क सZया मgt विP तथा र मgt

rलकोस क माNा मgt विP हो जाती ह

(9) गविनक वक अनिया म( परवत0न- सवग उपन होन क िथित मgt ग-विनक वक अनि या या

जीएसआर मgt भी अनक परवत1न होन लगत ह

एYस (1953) क अनसार- lsquolsquo ोध मgt जीएसआर मgt कमी हो जाती हlsquolsquo

शॉक तथा कLबस (1937) क अनसार- lsquolsquoकाफ सखद तथा काफ दःखद सवग मgt जीएसआर

लड़िकय मgt लड़क क अपMा अिधक होता हlsquolsquo

204 साविगक बि=

सवगामक बिP स Yया आशय ह

साविगक बिP पद का ितपादन सव1थम 1970 मgt हावड1 गाड1नर पीटर सलोवी तथा जॉन जक मायर ारा

िकया गया इसक सPाितक RयाZया गोलमन (1995) न अपनी पतक इमोशनल इटलीजसः Rहाई इट कन

मटर मोर दन आईYय मgt िकया साविगक बिP का तापय1 Rयि क उस Mमता स ह िजसमgt वह अपन सवग

को सकारामक तथा सरचनामक ढग स यिMत िनयिNत तथा म-यािकत करता ह साविगक बिP क ारा

Rयि अपनी तथा दसर क साविगक अवथाओ क पहचान करता ह कछ शोधकता1ओ क अनसार

साविगक बिP सीखी जा सकती ह जबिक कछ अय क अनसार यह एक जमजात Mमता ह 2041 अथ0 एव परभाषा -

गोलमन क अनसार- lsquolsquoसाविगक बिP दसर एव वय क भाव को पहचानन क Mमता तथा अपन आप को

अिभरत करन एव अपन तथा अपन सLबध मgt सवग को बिधत करन क Mमता हlsquolsquo

पीटर सलोवी तथा जॉन डी मॉयर (1990) क अनसार -lsquolsquoसाविगक बिP सामािजक बिP का एक भाग

ह जो अपनी तथा दसर क भावनाओ को पहचानन तथा उनमgt िवभद करन क Mमता रखती ह तथा िजसक

ारा Rयि अपन िचतन तथा ि याओ को िनदiिशत करता हlsquolsquo

2042 साविगक बि= का िवकास -

पाच मZय कौशल क योग ारा साविगक बिP को िवकिसत िकया जा सकता ह-

1 तनाव को शीता स कम करन क Mमता- जब हम वय मgt िदन-ितिदन क जीवन मgt आन वाल तनाव को

कम करन क Mमता िवकिसत कर लत ह तब इसक ारा हम साविगक बिP का िवकास कर सकत ह

2 अपन सवग को पहचानन तथा उनका बधन करन क Mमता- साविगक बिP क िवकास हत आवयक ह

िक हम अपन भीतर उपन होन वाल सवग को पहचान कर उनका कशल बधन कर सकgt

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 265

3 अभािषक वाता1लाप का योग- साविगक बिP क िवकास हत आवयक ह िक हम अभािषक वाता1लाप

करन मgt सMम ह

4 चनौितय का सामना करन मgt मित^कय कौशल का योग - साविगक बिP क िवकास हत आवयक ह

िक Rयि चनौितय का सामना करन तथा उनका समाधान करन मgt बौिPक Mमताओ का योग करgt वह

सही तथा गलत का Mण करक ही Rयवहार का िनदiशन कर

5 अत1 का सकारामक िनपटारा- जब Rयि अत1 का सकारामक िनपटारा करता ह तब वह

िनिWत =प स साविगक बिP का िवकास करन मgt सफल होता ह

इस कार साविगक बिP Rयि क एक अित महवपण1 Mमता ह तथा उसक सभी कार क सफलताओ का

एक मZय आधारिबद भी

साविगक बिP को िनधा1रत करन वाल कारक -

सलोवी तथा मॉयर न अपन मॉडल मgt साविगक बिP को िनधा1रत करन वाल चार कारक का वण1न िकया ह-

1 सवग का यMण

2 सवग का उपभोग करन क Mमता

3 सवग को समझन क Mमता

4 सवग का बधन करन क Mमता

साविगक 6मताए -

डिनयल गोलमन न चार साविगक Mमताओ का वण1न िकया ह जो Rयिय को एक दसर स िभन करता ह-

1 आम अवगतता- अपन सवग को पहचानना तथा कस व हमार िवचार तथा Rयवहार को भािवत करत ह

का पता लगान क Mमता अपनी शिय तथा कमजोरय को समझन क Mमता आिद सिLमिलत होत ह

2 आम बधन- आवगी भावनाओ तथा Rयवहार को िनयिNत करन क Mमता अपन सवग को वथकर

ढग स बिधत करन क Mमता ारभ करन वाद करन तथा उहgt िनभान क Mमता तथा बदलती

परिथितय क साथ सामजय करन क Mमता सिLमिलत होती ह

3 सामािजक चतना- इसमgt दसर लोग Yया कह रह ह या अनभव कर रह ह और Yय कह रह ह और कसा

अनभव कर रह ह को समझन क Mमता सिLमिलत होती ह

4 सामािजक कौशल- इसमgt इस ढग स Rयवहार करन क Mमता सिLमिलत होती ह िजसक माEयम स Rयि

दसर स वािछत परणाम ाF करन मgt सफल होता ह और इस तरह वह Rयिगत ल(य क ािF कर लता

साविगक बिP क ारा Rयि अपन सLबध का बधन करन मgt भी सफल होता ह वह वथ सLबध

िवकिसत करता ह तथा उहgt बनाय रखता ह वह दसर स भािवत होता ह तथा दसर को भािवत करता ह

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 266

समह मgt काय1 करन पर उसका िन^पादन उम होता ह वह अत1 का कशल बधन करन क Mमता रखता

205 साराश

सवग- एक ऐसी जिटल भाव क अवथा िजसमgt शरीर मgt उजना पदा होती ह 2िथय मgt ि यायgt होती ह तथा

कछ िविशD कार क Rयवहार होत ह

मख सवग - मनोवािनक क अनसार ािणय मgt अनक कार क सवग पाय जात ह िकत इनमgt स

मख िनLन कार ह

सवग क कार -

1) भय

2) घणा

3) क=णा व दःख

4) आWय1

5) आमिभमान

6) भख

7) कितभाव

8) ोध

9) वास-य

10) कामकता

11) आमहीनता

12) एकाकपन

13) अिधकार भावना

14) आमोद

सवग क मZय तव - तीन तव

1 दिहक (Physical)

2 सानामक (Cognitive)

3 Rयवहारपरक (Behavioral)

सवग क मख िसPात -

1 जLस लाज का िसPात

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 267

2 कनन बाड1 का िसPात

3 ककटर िसगर िसPात

4 सानामक म-याकन िसPात

5 िलडल सिकयण िसPात

6 िवरोधी ि या िसPात

सवग मgt शारीरक परवत1न - दो कार क परवत1न

1 वाT शारीरक परवत1न

2 आतरक शारीरक परवत1न

साविगक बिP- सवग का सकारामक एव सरचनामक ढग स यMण िनयNण एव म-याकन करन क Mमता

सविगक बिP को िनधा1रत करन वाल कारक-

bull सवग का यMण

bull सवग का उपयोग करन क Mमता

bull सवग को समझन क Mमता

bull सवग का बधन करन क Mमता

सविगक Mमताए (डिनयल गोलमन क अनसार)-

bull आम अवगतता

bull आम बधन

bull सामािजक चतना

bull सामािजक कौशल

सविगक बिP को िवकिसत करन क उपाय-

bull तनाव को शीता स कम करन क Mमता

bull अपन सवग को पहचानन एव बधन करन क Mमता

bull अभािषक वाता1लाप का योग

bull चनौितय का सामना करन मgt मित^कय कौशल का योग

bull अत1 का सकारामक िनपटारा

206 शदावली

bull अतरावयव आतरक अग

bull उदLीपक जो उिजत करन का काय1 करता ह

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 268

bull सानामक िजसका सबध मानिसक ि याओ स ह जस - सोचना समझना िनण1य लना तक1 - िवत1क

करना इयािद

bull योJय िजन पर कोई योगामक या शोध अEययन िकया जाता ह अथा1त शोध काय1 मgt शािमल हान

वाल ितदश1

bull वक वचा

bull यि6त यMण करना

bull मयािकत म-याकन करना

bull अभािसक वाता0लाप िजस वाता1लाप मgt भाषा या श)द का योग नहU होता ह

bull अतL0द एक कार क मानिसक समया िजसमgt Rयि उिचत िवक-प का चयन करन उिचत िनण1य लन

मgt वय को असमथ1 महसस करता ह

207 वमयाकन हत

1 Rयि भाल को दखकर भाग जाता ह इसिलए डर जाता ह जसी उि का सबध िनLनािकत मgt स िकस

िसPात मgt स ह -

(अ) जLस लाग िसPात (ब) कनन बाड1 िसPात

(स) ककटर िसगर िसPात (द) िलडल िसPात

2 िनLनािकत मgt स िकस िसPात क अनसार Rयि मgt सवगामक अनभित तथा सवगामक Rयवहार एक ही

साथ मgt उपन होत ह-

(अ) ककटर िसगर िसPात (ब) जLस लाग िसPात

(स) िलडल िसPात (द) इनमgt स िकसी भी िसPात ारा नहU

3 िनLनािकत मgt स कौन एक ाथिमक सवग का उदाहरण नहU ह -

(अ) घणा (ब) ोध (स) िवरि (द) आमािभमान

4 िनLनिलिखत मgt स कौन सवग का क_ माना गया ह-

(अ) थलमस (ब) एिमगडला

(स) हाइपोथलमस (द) िलिLबक तN

5 िनLनािकत मgt स िकस सवग क िवशषता मgt शािमल नहU िकया जा सकता ह-

(अ) सवग िवकण1 होता ह (ब) सवग रणामक होता ह

(स) सवग सचयी होता ह (द) सवग मgt सातय नहU होता ह

6 सवग क उपि मgt िनLनािकत मgt स कौन स तN क भिमका अहम होती ह

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 269

(अ) अनकLपी तिNका तN (ब) उपअनकLपी तिNका तN

(स) काियक तिNका तN (द) क_ीय तिNका तN

नीच कछ कथन िदय गय ह जो कथन सही ह उनक आग सही का तथा जो गलत ह उनक आग गलत

का िचह लगायgt ndash

7 साविगक बिP क सPाितक RयाZया हावड1 गाड1नर ारा क गई ( )

8 साविगक बिP क सPाितक RयाZया डिनयल गालमन ारा क गई ( )

9 ldquoEmotion intelligence why EI matter than IQrdquo पतक क लखक जोन जक मायर ह ( )

10 सलोबी तथा मायर न साविगक बिP को िनधा1रत करन मgt चार कारक क भिमका को वीकार िकया ह (

)

11 डिनयल गोलमन क अनसार साविगक बिP दसर एव वय क भाव को पहचानन क Mमता तथा वय को

अिभरत करन एव अपन सबध मgt सवग को बिधत करन क Mमता ह ( )

12 साविगक बिP पद का सव1थम पितपादन 1970 मgt िकया गया ( )

13 सविगक बिP पद का सव1थम ितपादन 1972 मgt िकया गया ( )

14 अपन सवग को सकारामकएव सरचनामक ढग स यिMत िनयिNत एव म-यािकत करन क Mमता ही

सवगामक बिP ह ( )

15 साविगक बिP क सPाितक RयाZया 1990 मgt क गई ( )

16 ldquoEmotion intelligence why EI matter than IQrdquo डिनयल गौलमन क रचना ह ( )

उ-र 1) अ 2) द 3) स 4) स 5) द 6) अ 7) गलत

8) सही 9) गलत 10) सही 11) सही 12) सही

13) गलत 14) सही 15) गलत 16) सही

208 सदभ0 1थ सची

bull िसह अ=ण कमार (2006) उ`चतर सामाय मनोिवान मोतीलाल बनारसीदास बगलो रोड जवाहर

नगर िद-ली

bull िसह अ=ण कमार (2006) सानामक मनोिवान मोतीलाल बनारसीदास बगालो रोड जवाहर नगर

िद-ली

bull अजvमर1 रहमान (2003) सामाय मनोिवान िवषय और RयाZया

bull tीवातव रामजी आलम आिसम (2004) आधिनक सामाय मनोिवान

bull tीवातव रामजी (2003) सानामक मनोिवान

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 270

209 िनबधामक

1 सवग का व=प पD करत हJए इसक िवशषताओ का वण1न करgt

2 जLस लाग िसPात का वण1न करgt

3 सवग मgt होन वाल शारीरक परवत1न का वण1न करgt

4 सवग क िलडलम िसPात क RयाZया करgt

5 सवग मgt होन वाल आतरक शारीरक परवत1न का वण1न करgt

6 सवगामक बिP स आप Yया समझत ह साविगक बिP को िकस कार स िवकिसत िकया जा

सकता ह

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 271

ईकाई-21 उ1जना एव समि)थित अतनAद Bास िस ात अिजत िन)सहायता

(Arousal and Homeostasis Drive Reduction Theory Learned

Helplessness)

इकाई सरचना

211 तावना

212 उय

213 उजना

2131 उजना अथ1 एव परभाषा

2132 उजना ोत

214 समिथित

2141 समिथित अथ1 एव परभाषा

2142 समिथित क कार

2143 समिथित का रणा स सबध

215 अतनuद िसPात

2151 अतनuद िसPात Yया ह

2152 िसPात का म-याकन

216 अिज1त िनसहायता

2161 अिज1त िनसहायता स Yया आशय ह

2162 अिज1त िनसहायता क भाव या परणाम

217 साराश

218 श)दावली

219 वम-याकन हत

2110 सदभ1 2थ सची

2111 िनबधामक

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 272

211 तावना

िय िवािथ1य इसस पव1 क ईकाइय मgt आप िचतन क ि या इसक िविभन कार एव िसPात तक1 णा

बिP बिP लि)ध सवग तथा सवग क ाणी शरीर पर पड़न वाल भाव इयािद िवषय का अEययन कर चक

तत इकाई मgt इसी म को आग बढ़ात हJय कछ नय िवषय जस उजना समिथित अतनuद का

िसPात अिज1त िनसहायता इन चार िबदओ पर मशः चचा1 क जायगी

उजना का तापय1 Rयि क बढ़ी हJई सि यता स ह सामाय तर पर सि यता सभी क िलए आवयक ह

Yयिक यह हमgt अपन कायk को सचा= =प स करन क शि दान करती ह िकत इसका िनLन एव बढ़ा हJआ

तर हािनकारक होता ह Yयिक िनLन उजना मgt Rयि अपन िकसी भी काय1 को ठीक ढग स नहU कर पाता

और बढ़ी हJई उजना मgt उसका वय पर िनयNण किठन हो जाता ह उजना क मEयमतर को समिथितक क

साथ जोड़ सकत ह Yयिक इसमgt Rयि क मन शरीर ाण इि_या सभी मgt तालमल होता ह तथा सभी सचा=

=प स अपन काय1 करत ह उजना क बढ़ जान पर Rयि अयिधक तनाव महसस करता ह तथा इसक

समाधान हत यास करता ह िकत उजना का िनLन तर Rयि को िनि^ य कर दता ह उस लगता ह िक वह

कोई काम नहU कर सकता ह वह वय को िनसहाय महसस करता ह अतः उजना का होना हम सभी क िलए

आवयक ह उजना यM =प स अिभरण स सLबिधत ह

अतः पD ह िक उजना समिथित अतनuद एव िनसहायता चार एक दसर स सLबP ह

पाठक िनिWत ही आपक मन मgt इनक िवतत जानकारी ाF करन क िजासा उपन हो रही होगी

तत ईकाई क अEययन क उपरात हमgt आशा ह िक आप अपनी िजासाओ का समाधान करन मgt समथ1 हग

212 उय

तत ईकाई का अEययन करन क उपरात आप -

bull उजना क अथ1 को पD कर सकgt ग

bull उजना क िविभन तर का अEययन कर सकgt ग

bull उजना क िविभन ोत का ान ाF कर सकgt ग

bull उजना क ािणय पर पड़न वाल भाव को पD कर सकgt ग

bull समिथित स Yया आशय ह इस पD कर सकgt ग

bull समिथित क िविभन कार का िवpषण कर सकgt ग

bull समिथित एव रणा क पारपरक सबध को पD कर सकgt ग

bull उजना एव समिथित क आपसी सबध का अEययन कर सकgt ग

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 273

bull अतनuद क अथ1 को पD कर सकgt ग

bull अतनuद स िकस कार तनाव दर होता ह इसका िवpषण कर सकgt ग

bull अिज1त िनसहायता क अिभाय को पD कर सकgt ग

bull ाणी मgt िनसहायता क भावना िकस कार स िवकिसत होती ह इसका अEययन कर सकgt ग

bull अिज1त िनसहायता क ाणी क Rयिव पर पड़न वाल भाव का िवpषण कर सकgt ग

bull उजना समिथित अतनuद एव अिज1त िनसहायता क पारपरक सबध को पD कर सकgt ग

213 उ-जना

2131 उ-जना अथ0 एव परभाषा -

िय िवािथ1य अब आपक मन मgt िजासा उपन हो रही होगी िक यह उFजना आिखर ह Yया हम अपनी

िनयित क िजदगी मgt अनक बार वय को उFिजत होता हJआ अनभव भी करत ह िकत आिखर ाणी क

िकस मनः िथित को उजना क सा दी जाती ह यह जानन-समझन का िवषय ह तो आइय जानन क

कोिशश करत ह िक उजना स मनोवािनक का Yया अिभाय ह

उजना िकसी ाणी क उिजत होन क सामाय अवथा ह उजना स अिभाय Rयि क सामाय

जागित और अनि यामकता स ह उजना को कई नाम स पकारत ह जस सचत जागा हJआ चकना आिद

वततः जीवन मgt कोई भी काय1 सि य हJए या उिजत हJए िबना परा नहU हो सकता

सामायता उजना का अथ1 ाणी क सि यता का बढ़ जाना ह एक सामाय तर पर िकसी भी काय1

को सLपािदत करन क िलय सि यता अिनवाय1 =प स आवयक ह िकत आवयकता स अिधक या कम

उजना ाणी क िलय हािनकारक िसP होती ह Yयिक िनLन उजना क कारण ाणी िकसी भी काय1 को

भलीभाित नहU कर पाता ह और अयिधक उिजत होन पर वह वय पर िनयNण खो दता ह िजसस भी काय1

सचा= =प स सLपन नहU हो पाता अतः उजना का तर मEयम होना चािहय िजसस िक काय1 भी परा हो

सक और ाणी का वय पर िनयNण भी बना रह

परभाषाए-

डोना-ड हब क अनसार- lsquolsquo उजना अथवा जाग=कता शि दान करती ह लिकन िदशा िनदiश दान नहU

करती यह एक इजन क समान ह लिकन उसका माग1 परवित1त करन वाला साधन नहUrsquorsquo

जोन पी िडसको और िविलयम ाराफोड1 क अनसार- lsquolsquoउजना िकसी Rयि क जोश क सामाय

िथित का वण1न करती हrsquorsquo

उजना क िविभन तर-

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 274

उजना को Rयि क सि यता क िलए आवयक घटक माना जाता ह इसक तीन तर होत ह- उ`च मEयम

तथा िनLन ाणी को ि याशील बनाए रखन क िलए जाग=कता का मEयम तर पया1F होता ह ायः यह दखन

मgt आता ह िक ाणी यक सरल उीपक को तो ाF करना चाहता ह लिकन कठोर उीपक स दर भागना

चाहता ह इसिलए यास िकया जाता ह िक Rयि का उजना तर मEयम अवय बना रह

उदाहरण- इन तीन तर को इस कार समझा जा सकता ह- मान िलिजए एक Rयि सो रहा ह दसरा Rयि

सतक1 ह तथा तीसरा Rयि उतावला तथा िचितत ह तो हम कहgtग िक य तीन Rयि मशः िनLन मEयम तथा

उ`च उजना तर पर ह

2132 उ-जना tोत ndash

[यिP को उ-जना दो tोतK स िमलती हu-

1 आतरक उजना ोत

2 बाT उजना ोत

1 आतरक उजना ोत- सामाय =प स शारीरक आवयकताओ क सतिD क िलए Rयि सि य होता

ह Rयि वभाव स ही सि य होता ह आतरक उजना ोत शारीरक िनLन तर क आवयकताओ स

लकर मानिसक उ`च तर क आवयकताओ तक होता ह िजासा तथा उजना क मEय धनामक

सहसLबध ह इसी कार मEयम तर क िचता तथा उजना क मEयम भी धनामक सहसLबध पाया

जाता ह

2 बाT उजना ोत- सामायतः वातावरण स Rयि को उजना िमलती ह वातावरण क तव उीपक का

काय1 करत ह वातावरण क नवीनता भी Rयि को अिभरत करती ह नीरसता को दर करन क िलए

परवत1न तथा वातावरण क नवीनता आवयकता होती ह

उसकता तथा उजना दोन ही भावना क तर को उठान मgt सहायक होत ह उजना मgt भावकता क माNा

अिधक होती ह उजना का छाN क िन^पिय स धनामक सहसLबध होता ह

मानव को अपन जीवन क आरLभ क वषk मgt बहJत बड़ी माNा मgt अपन क-याण क िलए वातावरणीय

उजना क आवयकता होती ह िनध1न वातावरण स उजना तर कम हो जाता ह Yयिक पहल जीिवत रहन

क आवयकता क सतिD होनी चािहए व Rयि िजहgt उजना ाF नहU होती व ि या करन क सब जोश को

खो दत ह

उदाहरणाथ1 - व Rयि जो लLब समय तक बकार रहत ह व अपन जीवन क ओर स उदासीन हो जात

ह और उनका CिDकोण सकण1 हो जाता ह

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 275

214 समिथित

2141 समिथित अथ0 एव परभाषा -

उजना क बाद अब समिथित क व=प क सबध मgt चचा1 क जायगी िवािथ1य जब िकसी Rयि मgt

उजना अयिधक बढ़ जाती ह तो वह अपन आपको सतिलत नहU रख पाता ह उसक िचतन चरN एव

Rयवहार मgt गड़बिड़या उपन होन लगती ह वततः उसका Rयिव सयिमत एव सतिलत नहU रह पाता ह और

ऐसी िथित उपन होन पर यन-कन कारण वह उस सतलन को ाF करन क कोिशश करता ह

वय को सतिलत रखन एव िथरता बनाय रखन क ािणय मgt जो वि पायी जाती ह उस

lsquolsquoसमिथितrsquorsquo कहत ह अथा1त ाणी क शरीर मन ाण इि_य मgt एक ऐसा सामजय एव सतलन िजसस

उसक समत काय1 सचा= =प स सLपन हो सक

उजना का मEयम तर समिथित स सLबP ह िविभन िवान न समिथित को अलग-अलग ढग स

परभािषत िकया ह उनमgt स कितपय महवपण1 परभाषाए िनLनानसार ह-

चपिलन न समिथितक क परभाषा इस कार दी ह-

1) ाणी क एक पण1 क =प मgt ऐसी वि ह िजसस वह िथरता बनाय रखता ह और यिद उसक िथरता भग

होती ह तो वह सतलन ाF करन का यास करता ह उदाहरणाथ1- यिद एक चह क एीनल 2िथ काट दी

जाय तो वह सोिडयम क कमी को अिधक नमक खाकर परा करगा

2) शरीर क अग तथा र क िथरता बनाय रखन क वि उदाहरणाथ1- र सापM =प स कछ पदाथk का

िथर तर बनाय रखता ह जस- नमक शYकर इलYोलाइटस आिद यिद ऐसा नहU हो पाता तो Rयि

बीमार हो जाता ह और ऐसा रहन पर उसक मय तक हो जाती ह

2142 समिथित क कार -

मनोवािनक न समिथित क अनक कार बताय ह इनमgt स कोफर तथा एपल न समिथित का जो वगvकरण

िकया ह उसका िववचन िनLनानसार -

1) दिहक समिथित

2) मनोवािनक समिथित

3) सामािजक समिथित

1) दिहक समिथित- इसक अतग1त परवहन लिसका तथा िसLफिटक तN स बनी हJई िथरता आती ह

अथा1त र मgt पानी नमक शYकर क माNा र ोटीन र मgt कि-शयम आिद क साथ-साथ शरीर क

ताप म िथरता ऑYसीजन क आपित1 आिद भी आत ह इसका कनन न अपनी योगशाला मgt अEययन

िकया इस कार क िथरता Mितपित1 ि या क ारा होती ह िजसमgt शरीर क अितर आतरक अग

नायमhडल अतःावी 2िथया तथा शरीर मgt अय वत1मान रासायिनक तव होत ह

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 276

इसी कार समायोजन ि याए जस- चोट लगन पर खन का थYका बनना आिद ि याए भी समिथित बनाय

रखन मgt सहायक होती ह इसी कार कनन न इस ओर भी Eयान िदलाया िक भख cयास नमक लन क चाह भी

शारीरक समिथित बनाए रखन मgt सहायक होती ह

2) मनोवािनक समिथित- oलचर (1936) थम मनोवािनक था िजसन सबस पहल मनोवािनक

समिथित क िसPात को दिश1त िकया उसन आदत =िचय सामािजक रक Rयिव क लMण

नशाखोरी क लत आिद को मनोवािनक समिथित क अतग1त रखा यिप इस िसPात को मानन मgt

कछ समयाए उपन हJई परत िविवध MN मgt ऐस माण उपल)ध हJए िजनस Rयवहार मgt सतलन ि याए

िदखलायी पड़ती ह

इस िसPात क पिD क िलए िनLन चार MN स माण उपल)ध ह-

bull मनोवािनक द- इसक अतग1त आकित या आकार थय1 आत ह इसी कार यMीकरण का सगठन

अ`छी आकित आिद भी सतलनामक विया ह

bull काय1 तथा काय1कशलता क अEययन- इस MN मgt अनक अEययन स पता चला ह िक Eयान म और

तनाव क अवथा मgt भी पया1F =प स काय1 तर िथर रहता ह

bull आकाMा क तर सLबधी अEययन- लिवन और उनक सािथय ारा यह दिश1त कर िदया गया ह िक

अनक परिथितय मgt आकाMा का तर िथर बना रहता ह इस कार अधरी समयाए िमलन पर व परी

कर ली जाती ह

bull औपचारक द- gायड (1920) फनीशल (1945) तथा यटन (1955) आिद क अEययन स पता

चला ह िक बाEयता और ितरMा क मनोरचना स भी िकसी न िकसी कार का मानिसक सतलन बना

रहता ह

2143 समिथित का रणा स सबध -

मनोवािनक समिथित क अतग1त हम यह दख चक ह िक आदतgt उरक Rयिव क िवकिसत शीलगण

एक बार िवकिसत होन पर िनरतर चलत रहत ह इस बार मgt टगनर oलवन स सहमत ह और मYलीड न इसक

RयाZया का आधार पनब1लन माना ह

इस कार क तyय स भािवत होकर िनLन चार मनोवािनक न समिथित क आधार पर रणा क

चार िसPात िदय ह-

1) जीएल gमन (1948) का धनामक उजनाओ क आधार पर िदया गया रणा का िसPात

2) न-सन क िनण1य को भािवत करन वाल सामाय और सामािजक तव पर आधारत एडॉcटशन लवल

मॉडल

3) वीिनमस साइबरनिटYस मॉडल जो सचार अनसधान तथा gडबक क िसPात पर आधारत ह

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 277

4) लिवस फ-ड yयोरी जो मल =प स उ िसPात क श)दावली मgt तो नहU ह परत सतलन क िवचार क

अन=प ह

215 अतनiद िस=ात

2151 अतनiद िस=ात Nया ह

इस िसPात क अनसार अतनuद वह तनाव क अवथा ह जो ाणी को तनाव दर करन क िलए उीF करती ह

इसमgt भख cयासख काम नUद तथा आराम सिLमिलत ह यिप इस िवचारधारा का सNपात वडवथ1 (1918) न

िकया था परत सी हल (1943) न रणा तथा अिधगम क MN मgt इस िवचारधारा का महवपण1 उपयोग िकया

हल का कथन ह िक अतनuद शारीरक कमी क कारण जम लता ह और यह शारीरक यनता शरीर मgt सतलन

को िबगाड़ती ह िकसी ती पीड़ादायी उीपक तथा िवत आघात स भी ऐसी परिथित जम लती ह उीपक

यनता स भी शारीरक सतलन िबगड़ता ह परत मित^क क क_ इस पण1 आवयक अवथा यथा 996 िड2ी

पर शरीर का ताप बनाय रखन मgt मदद करत रहत ह (वीिसगर तथा सहयोगी 1993)

बा-डीरव (1993) तथा टलर (1993) का कथन ह िक शरीर मgt उिचत माNा मgt ऑYसीजन काब1न

डाई ऑYसाइड लवण शक1 रा तथा अय पदाथk का तर भी बनाए रखना इसी िसPात क अतग1त ह उ

विण1त अवथाओ मgt जीन क आवयकताओ क पित1 होती ह इसी पित1 स अतनuद क तीता मgt कमी आती

2152 िस=ात का मयाकन -

िवािथ1य कछ मनोवािनक क कितपय आधार पर अतनuद िसPात का खhडन िकया ह अब आप सोच

रह हग िक आिखर इस िसPात मgt ऐसी Yया खािमया या Nिटया रही िजसक कारण इसक आलोचना हJयी तो

आइय चचा1 करत ह उन िबदओ क िजस आधार पर इस िसPात क आलोचना हJयी य िबद िनLनिलिखत

ह-

1 कछ मनोवािनक न णोद िसPात क आलोचना इस आधार पर क ह िक यह िसPात जिवक

अिभरक जस- भख cयास काम आिद क RयाZया वािनक ढग स करता ह परत अिज1त अिभरक

क RयाZया ठीक ढग स नहU हो पाती

2 इस िसPात क दसरी आलोचना यह ह िक माN णोद तथा उसक कमी होन स भी अिभरक क पण1

RयाZया नहU हो पाती ह सचमच मgt णोद अपन आप मgt अिभरत Rयवहार पदा तब तक उपन नहU

करता ह जब तक सभव नहU ह Rयि क सामन उस णोद को कम करन क िलए उपय ोसाहन

िवमान न हो

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 278

उपय1 िववचन स यह पD ह िक यिप अनक आधार पर अतनuद िसPात क आलोचना क गई ह तथािप

इसक महव को नकारा नहU जा सकता

216 अिज0त िनसहायता

2161 अिज0त िनसहायता स Nया आशय ह

िय पाठक यक ाणी अपनी िजदगी मgt कभी-कभी ना कभी ऐसी अनक परिथितय घटनाओ एव

समयाओ का सामना करता ह िजसस िनपटना आसान नहU होता ह उस समया क समाधान मgt वह वय को

असमथ1 महसस करता ह यह िकसी एक Rयि का उदाहरण नहU ह वरन िजन Rयिय मgt आमबल क कमी

होती ह ायः उन सभी क साथ अYसर ऐसा होता रहता ह और यिद असफल होन का अनभव बार-बार होता ह

तो Rयि वय को असमथ1 या िनसहाय रखना सीख लता ह

अिज1त िनसहायता पद का ितपादन मािट1न सिलगमन (1975) न अपन अिज1त िनसहायता क

िसPात मgt िकया इस िसPात का सार तव यह ह िक तनाव स Rयि मgt िनसहायता का भाव उपन हो जाता

ह जब Rयि िकसी तनाव2त उीपक या घटना का सामना करता ह तो उसक साथ िनबटन क िलए एक

िवशष Rयवहार करता ह परत जब इस Rयवहार मgt उस सफलता नहU िमलती ह और ऐसा कई बार हो चका

होता ह तो वह अपन आप को िनसहाय अनभव करता ह इसका मतलब यह हJआ िक तनाव उपन करन

वाली परिथित पर िनयNण न करन का अनभव बार-बार होन स Rयि वय को िनसहाय रखना सीख लता ह

इस तyय क सLपिD िहरोटो एव सिलगमन (1975) न अपन योग क आधार पर िकया ह

2162 अिज0त िनसहायता क भाव या परणाम -

अब यह उपन होता ह िक इस िनसहायता क ाणी क Rयिव पर Yया भाव पड़ता ह पाठक इतना

तो आप भी जान ही गय हग िक असहाय या असमथ1 या आमहीन होन का भाव िकसी भी कार का

सकारामक या अ`छा परणाम तो उपन नहU ही करता ह अिज1त िनसहायता अनक कार क खािमया क

जननी ह िजसका वण1न िनLनिलिखत िबदओ क अतग1त िकया जा सकता ह-

अिज1त िनसहायता स तीन तरह क किमया उपन होती ह-

1) अिभरणामक कमी

2) सानामक कमी

3) साविगक कमी

1) अिभपरणामक कमी - िनसहाय Rयि कोई ऐसा यास नहU करता ह िजसस उसक परणाम मgt परवत1न

हो सक यह अिभरणामक कमी का उदाहरण ह

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 279

2) सानामक कमी - िनसहाय Rयि उन नयी अनि याओ को नहU सीख पाता ह िजसस वह तनावपण1

उीपक स वय को छटकारा िदला सक यह सानामक कमी का उदाहरण ह

3) साविगक कमी - ह अिज1त िनसहायता Rयि मgt ह-का या ती िवषाद भी

उपन कर सकती ह यह साविगक कमी का उदाहरण ह पDतः इस िसPात क अनसार तनाव क

नकारामक भाव क RयाZया Rयि मgt उसमgt उपन िनसहायता क माEयम स क गयी ह

217 साराश

उजना- ाणी क उFिजत होन क सामाय अवथा

उजना क तर- तीन तर

1 उ`च तर

2 मEयम तर

3 िनLन तर

उजना क ोत - दो ोत

1 आतरक उजना ोत - Rयि मgt वभाव स सि य होन का गण िवमान होना

2 बाbय उजना ोत - वातावरण क तव स Rयि का उिजत होना

समिथित- ाणी क पण1 क =प मgt ऐसी वि िजसस वह िथरता बनाय रखता ह तथा िथरता भग होन पर उस

ाF करन का यास करता ह

समिथित क कार - कोफर तथा एपल क अनसार समिथित क िनLन तीन कार ह-

1 दिहक समिथित

2 मनोवािनक समिथित

3 सामािजक समिथित

bull समिथित एव रणा को मनोवािनक न एक-दसर स सबिधत माना ह

अतनuद- तनाव क वह अवथा जो ाणी को तनाव दर करन क िलय उीF कर अतनuद िसPात का सNपात

वडवथ1 न 1918 मgt िकया था लिकन सी हल न अिधगम एव रणा क MN मgt इस िवचारधारा का मZय =प स

योग िकया अतनuद िसPात क माEयम स जिवक अिभरक जस भख cयास नUद काम आिद क

वािनक RयाZया क गई

अिज1त िनसहायता- इस पद का सव1थम ितपादन मािट1न सिलगमन ारा 1975 मgt िकया गया

अिज1त िनसहायता का अथ1 - तनाव2त परिथित पर िनयNण न करन का अनभव बार-बार होन स Rयि का

वय को िनसहाय रखाना सीख लना

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 280

अिज1त िनसहायता स उपन होन वाली किमया- तीन कार क किमया-

1 अिभरणामक कमी

2 सानामक कमी

3 साविगक कमी

218 शदावली

bull उ-जना (Arousal) ाणी क सामाय जागित और अनि यामकता

bull िनिIय (Inactive) ि या रिहत अथा1त ओर काय1 ना करना

bull सिय (Active) ि या य अथा1त काय1 करना

bull अिभरणा (Motivation) रणा

bull उीपक (Stimulus) ऐस तव जो ाणी को ि याशील या सि य करन का काय1 करत ह

bull समिथित (Homeostasis) सतलन एव िथरता

bull दिहक (Physical) शारीरक

bull अिज0त (Acquired) जम क बाद ाF होन वाली या सीधी जान वाली

bull िनसहायता (Helplessness) सहायता रिहत या असमथ1 होन का भाव

bull िवषाद (depression) अवसाद

bull सानामक (Cognitive) िजसका सबध मानिसक ि याओ स हो जस- सोचना तक1 करना बिP

का योग करना िवpषण करना RयाZया करना इयािद

bull साविगक (Emotional) िजसका सबध हमारी भावनाओ स हो भावनायgt सZयारामक एव नकारामक

दोन कार का हो सकता ह जस- म दया सहयोग हष1 इयािद सकारामक भावनायgt ह िकत दःख

िचता उदासी िनराशा तनाव अवसाद भय ई^या1 ष ोध लोभ मोह इयािद नकारामक भाव ह

िजसका सबध हमारी रणाओ स हो

219 वमयाकन हत

नीच कछ कथन िदय गय ह जो कथन सही ह उनक आग सही का िचह तथा जो गलत ह उनक आग गलत का

िनशान लगायgt-

1) उजना का तापय1 Rयि क बढ़ी हJयी सि यता स ह ( )

2) सामाय तर पर उFजना हमgt अपन कायu को सचा= =प स करन क शि दान करती ह ( )

3) उजना क माEयम तर का सबध समिथित स ह( )

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 281

4) उजना क अयिधक बढ़ जान पर Rयि तनाव महसस नहU करता ह( )

5) उजना का िनLन तर Rयि को सि य कर दता ह( )

6) हब क अनसार उFजना शि दान करती ह लिकन िदशा िनदiश नहU दान करती ( )

7) उजना हमgt वातावरण एव वभाव दोन स ही ाF होती ह( )

8) उजना क तीन तर होत ह( )

9) वाT उजना ोत का अथ1 ह Rयि का वभाव स ही सि य होना( )

10) ाणी क पण1 क =प मgt ऐसी वि िजसस वह िथरता बनाय रखता ह समिथित कहलाती ह( )

11) लोफर एव एपल न समिथित क छः कार बताय ह( )

12) धनामक उFजनाओ क आधार पर रणा क िसPात का ितपादन gमन ारा िकया गया( )

13) मनोवािनक समिथित क िसPात का सव1थम ितपादन oलच (1936) ारा िकया गया( )

14) 1 कोफर तथा एपल न समािथित को िकतन कार का माना ह

i) 4 ii) 5 iii) 3 iv) 2

15) अिज1त िनसहायता क िसPात क ितपादक ह-

i) मािट1न सिलगमन ii) कनन iii) मसलो iv) काल1 रोजस1

16) अतनuद िसPात बताता ह िक-

i) अतनuद वह तनाव क अवथा ह जो Rयि को तनाव कम करन क िलए रत करता ह

ii) अतनuद वह तनाव क अवथा ह जो Rयि मgt तनाव क तर को बढ़ाता ह

iii) अतनuद का तनाव स कोई सLबध नहU ह

iv) उपरो मgt स कोई नहU

17) अिज1त िनसहायता

i) अिभरणामक कमी का उदाहरण ह

ii) सानामक कमी का उदाहरण ह

iii) साविगक कमी का उदाहरण ह

iv) उपरो सभी

18) Rयि क उजना क ोत ह-

i)आतरक ii) सामािजक iii) भौितक iv) उपरो सभी

उ-र 1) सही 2) सही 3) सही 4) गलत 5) गलत 6) सही 7) सही

8) सही 9) गलत 10) सही 11) गलत 12) सही 13) सही

14) iii 15) i 16) i 17) iv 18) iv

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 282

2110 सदभ0 1थ सची

bull िसह अ=ण कमार (2006) सामाय मनोिवान उ`चतर मोतीलाल बनारसीदास बगलो रोड जवाहर

नगर िद-ली

bull सलमान मोहLमत (2006) उ`चतर सामाय मनािवान मोतीलाल बनारसीदास बगलो रोड जवाहर

नगर िद-ली

bull आलम आिसम एव tीवातव रामजी (2004) आधिनक सामाय मनोिवान मोतीलाल बनारसीदास

बगलो रोड जवाहर नगर िद-ली

bull रकमान अजvमई (2004) सामाय मनोिवान िवषय और RयाZया मोतीलाल बनारसीदास बगलो रोड

जवाहर नगर िद-ली

bull िसह अ=ण कमार (2006) सरल सामाय मनोिवान मोतीलाल बनारसीदास बगलो रोड जवाहर नगर

िद-ली

bull िसह अ=ण कमार (2006) आधिनक सामाय मनोिवान मोतीलाल बनारसीदास बगलो रोड जवाहर

नगर िद-ली

2111 िनबधामक

1 उजना का अथ1 पD करत हJए इसक ोत का वण1न करgt

2 समािथित का व=प पD करत हJए कोफर तथा एपल ारा विण1त कार का वण1न करgt

3 अतनuद िसPात क RयाZया तत करgt

4 अिज1त िनसहायता स आप Yया समझत ह इसस उपन किमय का वण1न किजय

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सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 2

सिLमिलत करता ह और Rयवहार क अCय MN को सीमा स बाहर करता हldquo इस कार पD ह िक

सानामक मनोिवान सान का एक वािनक अEययन ह िजसमgt अनक मानिसक ि यायgt सिLमिलत ह

सानामक ि याओ क अनक िवशषताए होती ह जो आतरक तर पर घिटत होती ह उनका

बाT Mण नहU िकया जा सकता ह जब हम सानामक मनोिवान क िवकास क परी ऐितहािसक समीMा

करत ह तो पD होता ह िक सन 1950 एव 1960 क दशक मgt हJय वािनक परवत1न स सानामक

मनोिवान को काफ सहायता िमली ह मानिसक ि याओ क वािनक अEययन का माग1 शत होन लगा

12 उय

इस इकाई क अEययन क पWात आप जान सकgt ग

1 सानामक मनोिवान Yया ह

2 सानामक ि याओ क Yया िवशषता होती ह

3 सानामक मनोिवान का ऐितहािसक पर(य Yया ह

13 सानामक मनोिवान का आशय

जसा िक इसक नाम स ही सकत ाF हो रहा ह सानामक मनोिवान मgt सानामक ि याओ (Cognitive

processes) का अEययन िकया जाता ह इसका ल(य योग करना तथा ऐस िसPात को िवकिसत करना ह

िजनस यह RयाZया हो सक िक मानिसक ि याओ को सगिठत (organized) कस िकया जाता ह तथा वह

िकस तरह स काय1 करता ह कछ परभाषाए यहा तत ह

िनसर (Neisser 1967) क अनसार -rdquoसानामक मनोिवान का आशय उन सभी ि याओ स ह

िजनक ारा सवदी िनवश परवित1त होता ह घटता ह िवतत होता ह सिचत होता ह उसक पनः ािF होती ह

तथा पनः उसका उपयोग िकया जाता हldquo

एटिकसन इयािद (Atkinson etal 1985) क अनसार ndash ldquoसानामक मनोिवान सान का

वािनक अEययन ह उसका उय योग करना तथा ऐस िसPात का िवकास करना होता ह िजनस इस बात

क RयाZया हो िक मानिसक ि याओ को िकस तरह स सगिठत िकया जाता ह तथा व िकस कार काय1 करती

हrdquo

इस कार पD होता ह िक सानामक मनोिवान मgt यह जानन का यास िकया जाता ह िक मन^य

ससार क बार मgt िकस तरह स सचना ाF करत ह तथा उस पर Eयान दत ह वसी सचनाए िकस तरह स

सLबिधत होती ह और मित^क ारा ससािधत होती ह एव हम लोग िकस तरह स समयाओ क बार मgt सोचत

ह उनका समाधान करत ह तथा भाषा का िनमा1ण करत ह

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 3

उपय1 परभाषाओ क आधार पर सानामक मनोिवान क बार मgt िनLनािकत िन^कष1 तत कर

सकत ह -

(i) इसमgt सानामक ि याओ जस- यMण मित समया समाधान सLयय िनमा1ण तक1 ना िनण1य

ि या भाषा आिद मZय ह का अEययन िकया जाता ह

(ii) सानामक ि या सवदी िनवश (sensory input) स ारLभ होती ह Rयि वातावरण मgt उपिथत

उीपक का सबस पहल यMीकरण करता ह और तब उसक ित अनि या करता ह यMीकरण एव Eयान

क माEयम स ही सवदी िनवश क ि या सLपन होती ह

(iii) सवदी िनवश को परवित1त भी िकया जाता ह अथा1त वातावरण क उीपक स ाF सचनाओ को सवदी

उपकरण (sensory apparatus) िजसमgt ानि_या तथा मित^क मZय =प स सिLमिलत ह अिधक या कम

करक उनका =प परवित1त कर दता ह

(iv) सानामक मनोिवान का मख काय1 सानामक ि याओ का अEययन करना तथा उनक बार मgt कछ

ऐस िसPात को िवकिसत करना तािक यह RयाZया क जा सक िक मानिसक ि याओ को िकस तरह

सगिठत िकया जाता ह तथा व िकस तरह स काय1 करती ह

सMप मgt पD ह िक सानामक मनोिवान मgt सानामक ि याओ का वािनक अEययन िकया जाता ह

14 सानामक ियाओ क िवशषताए

i सानामक ि याए परपर सLबिधत होती ह - सानामक ि या क िविभन तव क बीच जिटल

अतःि या होती ह एक िनिWत सयय सीखन मgt कई सोपान तथा ि याए सिनिहत होती ह

ii सानामक ि याए सि य होती ह - सानामक उपागम क मायता ह िक Rयि वातावरण स िभन-

िभन तरह क सचनाओ को 2हण करन क िलए तपर रहता ह वह नय-नय ान एव िवकास क िलए

सतत यास करता ह

iii सानामक ि याओ मgt स(मता तथा शPता पाई जाती ह - इसस िनण1य मgt शPता बढ़ती ह

iv सानामक मनोिवान मgt धनामक सचनाओ क RयाZया नकारामक सचनाओ क तलना मgt अिधक

अ`छ ढग स क जाती ह धनामक सचनाए अिधक उपयोगी ह

v सानामक ि याए आतरक तर पर घिटत होती ह - सानामक ि याओ का यMतः Mण नहU

कर सकत ह जस - यिद हम िकसी को कोई पाठ याद करत हJए या समया का समाधान करत हJए या कोई

िनण1य करत हJए दखत ह तो माNा दखकर िनिहत सानामक ि याओ क बार मgt अनमान नहU लगाया

जा सकता ह

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 4

सMप मgt सानामक ि याओ क कितपय िवशषताए होती ह तथा सानामक ि याए आतरक तर पर

घिटत होती ह उनका बाT Mण नहU िकया जा सकता ह

15 सानामक मनोिवान का ऐितहािसक पर$य

मन मgt ान का िन=पण िकस तरह स होता ह ान िकस तरह स अिज1त िकया जाता ह सिचत िकया जाता ह

तथा उसका उपयोग िकया जाता ह चतना Yया ह तथा िकस तरह स चतन िवचार क उपि होती ह

यMीकरण तथा मित का व=प Yया ह िचतन Yया ह उनस सLबP Mमताओ का िवकास कस होता ह

ऐस ही का उर दना सानामक मनोिवान का काय1 ह ऐस ही का उर खोजन क यास मgt

सानामक मनोिवान क उपि हJई ह इस सग मgt दो िवचारधाराओ का उ-लख करना ासिगक होगा

(i) अनभववािदय (empiricists) का मत ह िक Rयि मgt ान का अज1न अनभव स होता ह

(ii) सहजवािदय (nativist) का मत ह िक ान का अज1न Rयि क जमजात िवशषताओ (innate

characteristics) क कारण हो पाता ह

2ीक दाश1िनक अरत (Aristotle) का मत ह िक ान Rयि क bदय मgt अविथत होता ह हालािक

cलटो (Plato) का मत था िक ान का क_ bदय न होकर मित^क होता ह पनजा1गरण दाश1िनक

(Renaissance philsopher) न भी कहा ह िक ान Rयि क मित^क मgt अविथत होता ह 18वU शता)दी

क कछ दाश1िनक मनोवािनक जस जॉज1 वक1 ली डिवड Tम जLस िमल तथा उनक िश^य जLस टअट1 िमल न

इस बात पर बल िदया िक ान का आतरक िन=पण (internal representation) तीन कार का होता ह -

1 यM सवदी अनभव

2 घटनाओ क धिमल ितमा

3 उ ितमाओ का =पातरण

ऐितहािसक समीMा स पD होता ह िक 19वU शता)दी मgt कछ दिहकशािeाय जस फकनर (Fechner) एव

ह-महोज (Helmholtz) तथा कछ मनोवािनक जस- fनटानो (Berntano) ह-महोज (Helmholtz)

िवलहम उट (Wilhelm Wundt) जीई मलर (GE Muller) क-प (Kulpe) हरमन इिवगहॉस

(Hermann Ebbinghaus) सर gािसस गा-टन (Sir Francis Galton) िटचनर (Titchener) तथा

िविलयम जLस (William James) क यास क फलव=प मनोिवान दश1नशाeा स अलग होकर एक

वतN शाखा क =प मgt थािपत होन लगा और 19वU शता)दी क उराP1 मgt ान का िन=पण क िसPात का

व=प पDतः ििवभािजत (dichotomous) था िजसमgt उट तथा िटचनर न मानिसक िन=पण क सरचना पर

बल िदया जबिक fनटानो (Brentano) आिद न ि या या ि या पर अिधक बल िदया fनटानो न

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 5

सानामक ि याओ जस िनण1य करना तलना करना भाव आिद को मनोिवान क अEययन का उिचत

िवषयवत बताया

1879 मgt िवलहम वhट न जम1नी क िलपिजग िव13िवालय मgt मानिसक ि याओ का अEययन करन

क िलए थम योगशाला थािपत क िहयट1 (Hearst 1979) क अनसार वhट क िदशा िनदiश मgt 186 लोग

न मनोिवान मgt पी-एचडी क उपािध ाF क एव मनोिवान क योगशालाओ क थापना का दौर ारLभ

हो गया वhट तथा उनक सहयोगी मानिसक ि याओ का अEययन अतिन1रीMण िविध (introspection

method) स करत थ

वhट क यह िविध कई अथk मgt आधिनक सानामक शोध िविधय स िमलती-जलती ह वhट क

अनसार उ`चतर मानिसक ि याओ जस - िचतन भाषा तथा समया समाधान आिद का अEययन

योगशाला मgt अतिन1रीMण िविध ारा नहU िकया जा सकता ह परत ओवा-ड क-प (Oswald Kulpe) न

उजा1 बग1 िव13िवालय (Wurzburg University) मgt शोध क आधार पर कहा िक िकसी समया क समाधान

क दौरान योlय क मन मgt िकसी तरह क कोई ितमा नहU बनती ह इस ितमारिहत िचतन का नाम िदया

गया अय मानिसक ि याओ का वhट ारा अEययन िकया गया जो आज क सानामक मनोिवान क िलय

आधार बना

परत अमरीक मनोवािनक न अतः िनरीMण को वीकारन पर आपि िकया िविलयम जLस

(William James) उस समय क सबस महवपण1 मनोवािनक थ जो इसक जगह पर एक अिधक

अनौपचारक उपागम या िविध का उपयोग पसद करत थ और उहन अपनी पतक िसप-स ऑफ

साइकोलोजी (principles of pyschology1880) मानव अनभितय का िवतत अEययन भी तत िकया

सानामक मनोिवान क MN मgt उनका महवपण1 योगदान उनक ारा तािवत मित (memory) का

िसPात था िजसमgt उहन मित को दो वगk मgt िवभ िकया - ाथिमक मित (primary memory) तथा

गौण मित (scondary memory) ाथिमक मित को आजकल लघ कालीन मित (Short-term

memory or STM) तथा गौण मित को दीघ1कालीन मित (long term memory or LTM) कहा जाता ह

Rयवहारवाद क सथापक वाटसन (1913) थ इहन अतःिनरीMण का िवरोध िकया इस कल न

वतिनn Mण एव योगामक िविध को ही वािनक िविध माना Rयवहारवािदय का मत था िक अतिन1रीMण

िविध एक अवािनक िविध ह तथा चतन अपन आप मgt इतना अपD ह िक उसका अEययन सभव नहU ह

Rयवहारवािदय न ऐस पद जस ितमा िवचार िचतन को अवीकत कर िदया यिप Rयवहारवािदय न

मानिसक ि याओ को तो अवीकत कर िदया िफर भी वािनक िवचाराधारा क उपयोग पर बल िदया इसस

सानामक मनोिवान को आग चलकर काफ लाभ िमला ऐसी ि याओ क अEययन क िलए वािनक

उपागम क िवकास पर बल िदया जान लगा

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 6

अमरका मgt िवकिसत Rयवहारवाद क सामानातर मgt एक और कल िवकिसत हJआ िजस गटा-ट

कल (Gestalt Psychology) कहा गया इसका मत था िक सम2 इसक अश क योग स कहU अिधक होता

ह तथा मन य मgt सगिठत करन क एक मौिलक वि होती ह गटा-टवािदय िजनमgt वदा1इमर

(Wertheimer) कोहलर (Kohler) तथा कौoका (Koffka) का नाम मZय ह न मानव अनभितय को

िविभन तव मgt िवpषण करन वाल अतिन1रीMण िविध क आलोचना क उन लोग का मत था िक सपण1

क अनभित उसक अलग-अलग तव क योग स कही अिधक होती ह जस एक िNभज माNा तीन रखाओ का

योग नहU होता ह गटा-ट मनोवािनक न समया समाधान मgt सझ क भिमका पर Rयापक काश डाला

सन 1950 एव 1960 क दशक मgt हJए वािनक परवत1न स सानामक मनोिवान को काफ

सहायता िमली मानिसक ि याओ क वािनक अEययन का माग1 शत होन लगा इस CिD स िनLनािकत

पाच उपलि)धय न िचतन का CिDकोण परवित1त कर िदया

i वाटसन एव अय Rयवहारवािदय क िवचार स असहमित Rय करत हJए मनोवािनक न कहा िक उनक

उपागम ारा मानिसक ि याओ का अEययन सभव नहU ह और इनक िबना Rयवहार क सLयक RयाZया

नहU क जा सकती ह मानिसक ि याओ क अEययन तथा िवpषण हत उपकरण क िवकास पर बल

िदया गया इस म मgt िमलर इयािद (1960) न एक िवशष मॉडल तयार िकया िजसक ारा यह पD करन

का यास िकया गया िक Rयि कवल सचनाए 2हण ही नहU करता अिपत उसक छानबीन भी करता ह

तदोपरात अपनी िति या Rय करता ह

ii मख भाषा िवानी चोमक (1957) न मत Rय िकया िक भाषा अिधगम का Rयवहारवादी CिDकोण

उिचत नहU ह इहन भाषा क योrयता को जमजात बताया जबिक Rयवहारवादी (जस िकनर) इस

अिज1त कहत थ

iii कLcयटर तथा अय सचार माEयम क िवकास स भाषा क अEययन मgt अयिधक सहायता ाF हJई

iv 1950 क दशक स मित क MN मgt काफ नय-नय शोध िकय गए शोधकता1ओ िजनमgt वॉघ एव नारमन

(Waugh amp Norman 1965) एटिकसन एव िशgन (Atkinson amp Shiffrin 1968) मडा1क

(Murdock 1970) का नाम मख ह न मित क िविभन कार क होन क सLभावना जताया मित क

सगठन ि याओ पर बल िदया तथा मित क िविभन तरह क मॉडल भी तत िकय

v िपयाज (Jean Piaget) न भी सानामक मनोिवान क िवकास मgt महवपण1 भिमका िनभाई ह इहgt

िवकासामक मनोिवान क MN मgt काफ ितnा ाF ह इनक शोध काय1 सानामक मनोिवान क

िवकास मgt काफ महवपण1 ह इहन सानामक विP एव िवकास पर काफ बल डाला ब`च मgt

सानामक िवकास पर इनका काय1 अयिधक महवपण1 ह

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 7

सMप मgt कह सकत ह िक सानामक मनोिवान क िवकास मgt Rयवहारवािदय न जो कछ आधार तत िकया

उसको आग चलकर वािनक व=प नवीन तकनीक क आधार पर िदया जा सका

16 साराश

इस इकाई क अEययन क बाद आप जान चक ह िक सानामक मनोिवान स तापय1 Yया ह सानामक

मनािवान चतन मन का वािनक अEययन ह और यह सLबिधत होता ह हम लोग ससार क बार मgt िकस तरह

स सचना ाF करत ह तथा उस पर Eयान दत ह वसी सचनायgt िकस तरह स सLबिधत होती ह और मित^क

ारा सशािधत होती ह तथा हम लोग िकस तरह स समयाओ क बार मgt सोचत ह उनका समाधान करत ह तथा

भाषा िनमा1ण करत ह

सानामक ि याओ क Yया िवशषताए होती ह इनक बार मgt भी आपको इस इकाई मgt जानकारी ाF

हJई होगी सानामक ि याओ क मZय िवशषताए यह होती ह िक - सानामक ि याए परपर सLबिधत

होती ह सि य रहती ह इनमgt स(मता तथा शPता पाई जाती ह य आतरक तर पर घिटत होती ह तथा य

धनामक सचनाओ क RयाZया अ`छ ढग स करती ह

इस इकाई मgt सानामक मनोिवान क ऐितहािसक परप(य का भी वण1न िकया गया ह ऐितहािसक

समीMा स पD होता ह िक सन 1950 एव 1960 क दशक मgt वािनक परवत1न स सानामक मनोिवान को

काफ सहायता िमली

17 शदावली

सानामक मनोिवान सानामक मनोिवान सान का वािनक अEययन ह इसका उय योग करना

तथा ऐस िसPात का िवकास करना होता ह िजनस इस बात क RयाZया हो िक मानिसक ि याओ को िकस

तरह स सगिठत िकया जाता ह तथा व िकस कार काय1 करती ह सानामक ियाय( सानामक ि याओ स परवश मgt उपिथत समत उीपक क सLबध मgt सान

ाF होता ह

18 वमयाकन हत

1 सानामक मनोिवान मgt का अEययन िकया जाता ह

2 सानामक मनोिवान का वािनक अEययन ह

3 सानामक ि या स ारLभ होती ह

4 यMीकरणर एव Eयान क माEयम स ही क ि या सLपन होती ह

5 सवदी िनवश को भी िकया जाता ह

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 8

6 सानामक ि यायgt पर घिटत होती ह

7 मनोिवान क थम योगशाला कब थािपत हJई

(i) 1879 (ii) 1869 (iii) 1979 (iv) 1989

उ-र (1) सानामक ि याओ (2) सान (3) सवदी िनवश (4) सवदी िनवश

(5) परवित1त (6) आतरक तर (7) 1879

19 सदभ0 1थ सची

bull िसह अsण कमार (2011) सानामक मनोिवान

bull tीवातव रामजी (सLपादक) (2003) सानामक मनोिवान

bull िसह आरएन एव भाराज एसएस (2010) उ`च ायोिगक मनोिवान

bull Colin Martindale (1981) Cognition and Consciousness

bull Geryd YDewalle (1985) Cognition Information Processing and Motivation

bull Kathleen M Galotti (1999) Cognitive Psychology in and Out of the Laboratory

bull Margaret Matlin (1982) Cognition

110 िनबधामक

1 सानामक मनोिवान क अथ1 को पD किजए

2 सानामक ि याओ क िवशषताओ का वण1न किजए

3 सानामक मनोिवान क ऐितहािसक पर(य का वण1न किजए

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 9

इकाई-2 सानामक मनोिवान का िवषय

(Scope of Cognitive Psychology)

इकाई सरचना

21 तावना

22 उय

23 सानामक मनोिवान का MN

24 साराश

25 श)दावली

26 वम-याकन हत

27 सदभ1 2थ सची

28 िनबधामक

21 तावना

सानामक मनोिवान का MN काफ िवतत ह मख =प स सानामक मनोिवान मgt सानामक

यरोिवान यMीकरणपटन1 पहचान अवधान चतना मित िचतन िवकासामक मनोिवान भाषा

ितमावली ान का िन=पण और मानव-बिP एव किNम बिP का अEययन िकया जाता ह

इस कार पD हJआ िक सानामक मनोिवान का काय1MN िवतत ह सानामक मनोवािनक का यह यास रहा ह िक इन MN का गहन अEययन करक उनक व=प को ठीक ढग स समझा जाए तथा सामायीकरण िकया जाय

22 उय

इस इकाई क अEययन क पWात जान सकgt ग िक सानामक मनोिवान क अEययन क कौन-कौन स MN ह तथा

इन MN क सLबध मgt आपको िवतत जानकारी ाF होगी

23 सानामक मनोिवान का 67

सLित सानामक मनोिवान का MN काफ Rयापक हो चका ह इसका MN िनLनवत रखािकत िकया जा सकता ह - 1- सानामक यरोिवान (Cognitive neuroscience)

2- यMीकरण (Perception)

3- पटन1 पहचान (Pattern recognition)

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 10

4- अवधान (Attention)

5- चतना (Consciousness)

6- मित (Memory)

7- िचतन (Thinking)

8- िवकासामक मनोिवान (Developmental Psychology)

9- भाषा (Language)

10- ितमावली (Imagery)

11- ान का िन=पण (Representation of Knowledge)

12- मानव बिP एव किNम बिP (Human intelligence and Artificial intelligence)

1 सानामक यरोिवान (Cognitive neuroscience)- यह सानामक मनोिवान एव यरोिवान का

सिLमtण ह इस यरोमनोिवान या सानामक यरोिवान भी कहा जाता ह यह िवशषतः मित

सवदना यMीकरण समया समाधान भाषा ससाधन आिद स सLबिधत िसPात एव उनक जिवक

आधार क RयाZया करता ह यरोमनोिवािनय क यास क फलव=प ही मित क कार तथा भाषा

ससाधन जस सयय का वािनक अEययन सLभव हो सका ह

2 यMीकरण (Perception)- सवदना को अथ1 दना यMीकरण ह सानामक मनोिवान का यह मख

MN ह

3 पटन1 पहचान (Pattern recognition)- इसक अतग1त Rयि अपन पया1वरणीय उीपक का शायद ही

कभी एक एकाक सवदी घटना क =प मgt यM करता ह बि-क इन उीपक को वह एक जिटल पटन1

(complex pattern) क =प मgt यMण करता ह

4 अवधान (Attention)- अवधान सानामक ि या ह Rयि िकसी भी समय या एक समय पर सीिमत

वतओ पर ही Eयान द पाता ह

5 चतना (Consciousness)- चतना का अEययन सानामक मनोवािनक क िलए काफ महवपण1 माना

गया ह Yयिक इन अEययन स Rयि क कई सानामक ि याओ को समझन मgt मदद िमलती ह इसका

आशय वातावरण क बार मgt बोध या समझ स ह

6 मित (Memory)- सानामक मनोवािनक क िलए मित महवपण1 MN ह इनक मित क दो कार ह-

लघकालीन मित एव दीघ1कालीन मित लघकालीन मित मgt Rयि सचनाओ को करीब 20-30 सकhड

तक ही सिचत रख पाता ह दीघ1काल मित मgt Rयि सचनाओ को लLब समय तक या थायी तौर पर

सिचत करक रखता ह

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 11

7 िचतन (Thinking)- िचतन ऐसी ि या ह िजसक माEयम स ाणी िविभन तरह क मानिसक

ि याओ ारा मानिसक ितमाओ का िनमा1ण करता ह इसी कार सयय भी एक महवपण1 MN ह

8 िवकासामक मनोिवान (Developmental Psychology)- इसक अतग1त िविभन कार क

िवकासामक ि याओ का अEययन िकया जाता ह िपयाज न इस MN मgt िवशष काय1 िकया ह

9 भाषा (Language)- भाषा सषण का सश माEयम ह यह योrयता माN मन य मgt पाई जाती ह चौमक

न इस MN मgt उ-लखनीय काय1 िकया ह

10 ितमावली (Imagery)- मानिसक ितमावली को परभािषत करत हJए यह कहा जाता ह िक िकसी

अनपिथत वत या घटना का मानिसक िचNण करना ही मानिसक ितमावली ह ऐस अEययन स

सानामक मनोवािनक को मित का व=प समझन मgt सहायता ाF हJई ह सचनाओ को मित मgt

शि)दक तथा का-पिनक मgt स िकसी =प मgt या दोन ही =प मgt सिचत िकया जा सकता ह उस िकट

सकतन परक-पना कहत ह

11 ान का िन=पण (Representation of Knowledge)- ान क िन=पण स तापय1 ह िक सचनाओ का

सकतीकरण िकस तरह स होता ह और मित^क मgt सिचत सचनाओ क साथ व िकस तरह स सयोिजत होती

ह यह काय1 सयामक िन=पण तथा सानामक श)दाथ1 सरचना क आधार पर होता ह

12 मानव बिP एव किNम बिP (Human intelligence and Artificial intelligence)- बिP एक मख

सानामक ि या ह िजसमgt अनक मानिसक Mमताए सिLमिलत होती ह सचमच मgt यह एक साव1भौम

Mमता ह यह समायोजन िचतन तथा उयपरक Rयवहार करन मgt सहायक ह यह MN भी सानामक

मनोिवान मgt सिLमिलत ह

किNम बिP (Artificial intelligence) का आशय कLcयटर उपन उपाद (computer produced

output) स ह िजस यिद मानव ारा िकया जाता तो उस बिPमापण1 काय1 कहा जाता ह किNम बिP कLcयटर

िवान क ऐसी शाखा ह िजसका सLबध कLcयटर क िवकास (हाड1वयर) तथा काय1 म (सॉoटवयर) स होता ह

तथा जो मानव क सानामक कायu का अनकरण करता ह किNम बिP क माEयम स सानामक मनोवािनक

यMीकरण भाषा समया समाधान आिद जसी मानिसक ि याओ का गहन अEययन करक उसक व=प

क िविशD RयाZया करत ह

िफर भी इस िविध क कछ अलाभ ह जो इस कार ह -

(i) ऐसा मत ह िक अभी कछ सानामक ि याए ऐसी ह िजनक बार मgt बहJत िवतत पता नहU ह अतः

ऐसी ि याओ का अEययन कLcयटर ो2ाम स नहU कर सकत ह

(ii) इसमgt कLcयटर एव मानव मित को समान होन क बात क जाती ह जबिक ऐसा वातव मgt नहU ह

कLcयटर तो काय1 करन क िलए काय1 िमत (Programmed) होता ह परत मन य क साथ ऐसा नहU ह

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 12

(iii) यह भी उ-लखनीय ह िक मानव मित^क का दिहक आधार कLcयटर क वतीय MN स काफ िभन होता ह अथा1त मित^क एव कLcयटर दिहक =प स एक दसर स काफ िभन होत ह परत िफर भी काय1 क CिDकोण स एक-दसर क काफ समान ह

24 साराश

आज सानामक मनोिवान का MN काफ िवतत हो चका ह सानामक मनोिवान क अत2त

सानामक यरोिवान यMीकरण पटन1 पहचान अवधान चतना मित िचतन िवकासामक मनोिवान

भाषा ितमावली ान का िन=पण एव मानव बिP एव किNम बिP का िवतारपव1क अEययन िकया जान

लगा ह

25 शदावली

bull सानामक यरोिवान यह यरोिवान तथा सानामक मनोिवान का सिLमtण ह इस यरो

मनोिवान या सानामक मनोिवान भी कहा जाता ह

bull य6ीकरण सवदना को अथ1 दान करना ही यMीकरण ह

bull पटन0 पहचान इसक अतग1त सानामक मनोवािनक ारा िवशष कार का योग करक उन

सानामक ि याओ का यास िकया जाता ह िजनक माEयम स Rयि जिटल उीपक पटन1 को समझता

ह तथा उस वगvकत करता ह

bull अवधान अवधान वह मनोवािनक चयनामक ि या ह िजसक ारा हम परवश मgt उपिथत अनक

उीपक मgt स कवल उहU उीपक को चनत ह तथा उनक ित िति या करत ह िजसका वत1मान sिचय

एव आवयकताओ स सLबध होता ह

bull चतना इसका तापय1 बाT या आतरक परिथितय क वत1मान जानकारी स होता ह

bull मित समयोपरात कट सकतन भhडारण एव पनsPार क माEयम स सचनाओ क धारणा िकय रहना

मित ह

bull िचतन यह मित^क मgt चलन वाली एक मानिसक ि या ह यह िकसी सचना क सगिठत करन तथा

समझन एव अय िकसी को सLिषत करन मgt घिटत होती ह

bull िवकासामक मनोिवान यह मनोिवान क एक शाखा ह इसका उय ाणी मgt जीवनपय1त होन

वाल हर कार क परवत1न को पD करना ह

bull भाषा भाषा सLषण का एक सश माEयम ह Rयापक अथk मgt भाषा का तापय1 िनःसदह ऐस साधन स

ह िजसक ारा अथ1 एव भाव का लोग क बीच सLषण होता ह

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 13

bull ितमावली िकसी अनपिथत वत या घटना का मानिसक िचNाण करना ही मानिसक ितमावली

कहलाता ह

bull ान का िनltपण इसस तापय1 ह िक सचनाओ का सकतीकरण िकस तरह स होता ह और मित^क मgt

सिचत सचनाओ क साथ व िकस तरह स सयोिजत होती ह

bull मानव बि= एव कि7म बि= मानव बिP एक सानामक ि या ह िजसमgt कई तरह क Mमताए

शािमल होती ह किNम बिP स तापय1 उन सभी कLcयटर उपन उपादक स होता ह िजस यिद मानव ारा िकया जाता तो उस बिPमापण1 काय1 कहा जाता ह किNम बिP कLcयटर िवान क एक शाखा ह

26 वमयाकन हत

1) सानामक मनोिवान क कल िकतन MN ह (1) 10 (2) 08 (3) 11 (4) 12

2) सवदना को अथ1 दना ह

3) अवधान ि या ह

4) चतना का आशय स ह

5) िकसी अनपिथत वत या घटना का मानिसक िचNण करना ही ह

उ-र(1) 12 (2) यMीकरण (3) सानामक (4) बोध या समह (5) मानिसक ितमावली

27 सदभ0 1थ सची

bull िसह अsण कमार (2011) सानामक मनोिवान

bull tीवातव रामजी (सLपादक) (2003) सानामक मनोिवान

bull िसह आरएन एव भाराज एसएस (2010) उ`च ायोिगक मनोिवान

bull Colin Martindale (1981) Cognition and Consciousness

bull Geryd YDewalle (1985) Cognition Information Processing and Motivation

bull Kathleen M Galotti (1999) Cognitive Psychology in and Out of the Laboratory

bull Margaret Matlin (1982) Cognition

28 िनबधामक

1 सानामक मनोिवान क MN का वण1न किजए

2 िटcपणी िलिखए - (i) सानामक यरोिवान (ii) मानव बिP एव किNम बिP

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 14

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 15

इकाई-3 सानामक मनोिवान क13 िविधया

(Methods of Cognitive Psychology)

इकाई सरचना

31 तावना

32 उय

33 सानामक मनोिवान क उपागम

34 सानामक मनोिवान क िविधया

35 साराश

36 श)दावली

37 वम-याकन हत

38 सदभ1 2थ सची

39 िनबधामक

31 तावना

सानामक मनोिवान मgt मZय =प स सानामक ि याओ का वािनक अEययन िकया जाता ह इन

ि याओ क माEयम स Rयि वातावरण क भौितक ऊजा1 को तNकय ऊजा1 मgt बदलता ह और उसका िवशष

अEययन करता ह सानामक ि याओ क कछ िवशषताए ह िजनका अEययन करन पर ही सानामक

मनोिवान क व=प को ठीक ढग स समझा जा सकता ह सानामक मनोिवान मgt सानामक ि याओ क

अEययन क िलय दो तरह क उपागम का योग िकया जाता ह य उपागम ह - 1- सचना ससाधन उपागम 2

सLबधवादी उपागम सानामक मनोिवान का काय1 MN भी िवकिसत ह

सानामक मनोिवान मgt सानामक ि याओ का अEययन करन क िलए वस तो कई िविधया ह

लिकन मख =प स दो िविधय का उपयोग िकया जाता ह िजनका आग वण1न िकया जायगा

32 उय

इस इकाई क अEययन क पWात आप समझ सकgt ग

bull सानामक मनोिवान क उपागम कौन-कौन स ह

bull सानामक मनोिवान क िविधया कौन-सी ह

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 16

33 सानामक मनोिवान क उपागम

सानामक मनोिवान मgt सानामक ि याओ क अEययन क िलय मZय =प स दो उपागम का योग िकया

जाता ह -

1- सचना ससाधन उपागम

2- सLबधवादी उपागम

1- सचना ससाधन उपागम

मानव वातावरण स सचनाओ को कLcयटर क तरह 2हण करता ह इसक बाद उहgt एक अवथा स दसरी

अवथा होत हJय एक म मgt ससािधत करता ह और तब अत मgt िकसी िनण1य पर पहJचता ह तथा िफर कोई

खास अनि या करता ह सचना ससाधन क इस CिDकोण को lsquoकLcयटर =पकrsquo कहा जाता ह इस उपागम को

अYसर एक अमत1 िवpषण क =प मgt विण1त िकया जाता ह अमत1 िवpषण स अथ1 यह ह िक इस उपागम मgt

तNकय घटनाओ क RयाZया पD नहU होती ह सानामक मनोवािनक मानिसक ि याओ का सचना

ससाधन उपागम क CिDकोण स जो वण1न करत ह उसक तलना एक कLcयटर ो2ामर स क जाती ह

सानामक मनोवािनक िकसी मानिसक ि या क पीछ होन वाल तNकय आधार स कोई सLबध नहU

रखत बि-क उनका सLबध कवल इस बात स होता ह िक अमक तरह क सचना िमलन पर सानामक या

मानिसक ि याओ का सचालन िकस कार स होता ह

वातव मgt सचना ससाधन उपागम मgt तीन मख पव1 क-पनायgt होती ह-

1- सान क िमक अवथाओ क एक tखला मgt िवpिषत करक समझा जा सकता ह

2- यक अवथा पर सचनाओ क ािF पर अनोखी ि यायgt सLपन होती ह

3- इस उपागम मgt यक अवथा अपन िवगत अवथाओ स सचनायgt ाF करती ह और तब अपना

उसका काय1 करती ह

इस कार पD ह िक सचना ससाधन उपागम ारा सानामक ि याओ का एक अमत1 एव िमक

िवpषण होता ह सानामक तN एक माणीय सगठन क =प मgt काय1 करता ह िजसमgt कई छोटी-छोटी

इकाईया होती ह जो एक दसर स िभन होती ह और वतN =प स काय1 करती ह

2- सबधवादी उपागम

इस उपागम क जड़gt नायिवक तN मgt िनिहत ह उसमgt मानिसक ि याओ का िवpषण तNाकय घटनाओ तथा

उनक आपसी सLबध पर आधारत होती ह अथा1त सLबधवादी उपागम ारा मित^कय =पक का CिDकोण

अपनाया जाता ह इस उपागम का आधार तNकय एव गिणतीय होता ह इस उपागम क समथ1क का मत ह िक

यह मॉडल (उपागम) तNकय घटनाओ पर आधारत होता ह यह अमत1 नहU होता ह इसमgt मानिसक ि याओ

का िवpषण जो तNाकय घटनाओ पर आधारत होता ह िकया जाता ह इस उपागम मgt मानिसक ि याओ

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 17

का िवpषण िमक ससाधन स न होकर समानातर ससाधन ारा होता ह इस ि या मgt मानिसक ि यायgt

एक साथ एक स अिधक सानामक कट सकत मgt परवित1त होती ह Feldman (1985) क अनसार सLबध

वािदय का मZय मत यह भी ह िक बहJत सारी साथ1क सानामक ि यायgt एक सकhड क भीतर ही सLपन क

जा सकती ह इस उपागम क यह भी मायता ह िक यरोन का अय यरोन क साथ एक पदान िमक सLबध

नहU होता ह इसक अलावा इसमgt सानामक तNा का व=प माणीय नहU होता ह अथा1त उस छोट-छोट भाग

मgt नहU बाटा जा सकता ह यक सानामक काय1 मgt तNकय एव सानामक तN एक सLपण1 इकाई क =प मgt

काय1 करता ह इस कार मानव मित^क तथा हमारा सानामक तN एक पण1 इकाई क =प मgt होकर एक समय

मgt एक स अिधक काय1 करत ह

34 सानामक मनोिवान क िविधया

सानामक िति याओ का अEययन करन क िलए सानामक मनोिवान मgt मZय =प स दो कार क

िविधय का उपयोग िकया जाता ह - 1 योगामक िविध 2 कLपयटर आधारत िविध

1- योगामक िविध-

इस िविध मgt सानामक मनोवािनक कछ परवयk मgt परवत1न करक उसक दसर चर पर पड़न वाल

भाव का िनरीMण करत ह सानामक ि याओ क अEययन मgt मनोवािनक ारा िवशष =प स यह जानन

का यास िकया जाता ह िक सLबP मानिसक ि या को परा करन मgt Rयि िकस तरह क Nिट कर रहा ह

gोमिकम तथा गरट न इस एक उदाहरण ारा समझान का यास िकया ह मान लीिजय िकसी Rयि को िकसी

भाषण क एक अश मgt Current argument कहना ह और उसक बदल मgt गलती स An arrent curgument

Corrent कहता ह इस ढग क Nिट स हमgt भाषण मgt सिLमिलत सानामक ि या क बार मgt महवपण1 सचना

िमलती ह इस Nिट को Eयान मgt रखकर यह कहा जा सकता ह िक ऐस िट पदिवच क कारण हJयी ह Current

का थम पद argument क थम पद क साथ िमल जान स यह Nिट उपन हJयी ह इसस हम Nिट इस िन^कष1

पर पहJच सकत ह िक मन य मित^क श)द का िनमा1ण एक-एक पद को सयोिजत करक तयार करता ह

उपिथत िकय गय उीपक क ित िति या समय का मापन करक भी सानामक ि या क बार मgt जाना

जाता ह

इस कार पD हJआ िक सानामक मनोवािनक Nिटय क ढग तथा िति या काल जस सचकाक

क आधार पर मानिसक ि याओ क बार मgt महवपण1 िनण1य लन मgt सMम हो पाता ह 2- कयटर आधारत िविध-

इस िविध मgt सानामक मनोवािनक कLcयटर का उपयोग करक सानामक ि याओ का अEययन करना ह सचना ससाधन उपागम एव सLबधवादी उपागम इन दोन क ही समथ1क अपन अEययन मgt इस िविध

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 18

का उपयोग करत ह चिक मानव मित^क कLcयटर क तरह काय1 करता ह इसिलय आसानी स हमgt मानिसक ि या क व=प क बार मgt जानकारी हो जाती ह वस इस िविध क काफ आलोचना भी हJयी ह कछ लोग का मत ह िक कछ ऐसी सानामक ि याए ह िजनक िवतत जानकारी अभी तक ाF नहU हJई ह इसिलय ऐसी ि याओ का अEययन कLcयटर ो2ाम स नहU हो सकता ह मित^क एव कLcयटर दिहक =प स एक-दसर स िभन होत ह इसस भी मानिसक ि याओ को समझन मgt किठनाई होती ह

35 साराश

इस इकाई क अEययन क पWात आप जान चक ह िक सानामक उपागम कौन-कौन स ह तथा सानामक

ि याओ क अEययन क िलय कौन सी िविधया ह सानामक मनोिवान क मZय =प स दो उपागम होत ह-

सचना ससाधन उपागम तथा सLबधवादी उपागम इसी कार सानामक ि याओ का अEययन करन क

िलए योगामक िविध तथा कLcयटर आधारत िविध का योग िकया जाता ह

36 शदावली

bull सचना ससाधन उपागम इसमgt सानामक ि याओ का एक अमत1 एव िमक िवpषण होता ह

सानामक तN एक माणीय सगठन क =प मgt काय1 करता ह िजसमgt कई उप इकाइया होती ह जो एक

दसर स िभन होती ह और वतN =प स काय1 करती ह

bull सबधवादी उपागम इस उपागम मgt मानिसक ि याओ का िवpषण िमक ससाधन स न होकर

समानातर ससाधन ारा होता ह समानातर ससाधन क ि या मgt मानिसक ि यायgt एक साथ एक स

अिधक सानामक कट सकत मgt परवित1त होती ह

bull सानामक मनोिवान क योगामक िविध इस िविध मgt मनोवािनक कछ चर मgt परवत1न करत ह

और उस पर पड़न वाल भाव का दसर चर पर Mण करत ह इसमgt उपिथत िकय गय उीपक क ित

िति या समय का मापन करक भी सानामक ि या क बार मgt जानत ह

bull कयटर आधारत िविध इस िविध मgt सानामक मनोवािनक कLcयटर का उपयोग करक सानामक

ि याओ एव सLबिधत तNकय ि याओ का अEययन करत ह

37 वमयाकन हत

1- सानामक मनोिवान मgt का अEययन करत ह

2- सानामक मनोिवान क उपागम ह

3- सचना ससाधन ि या क CिDकोण स सानामक मनोवािनक जो मानिसक ि याओ का वण1न करत

ह उसक तलना स क जाती ह

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 19

4- सLबधवादी उपागम मgt मानिसक ि याओ का िवpषण तथा उनक अपसी सLबध पर

आधारत होता ह

5- सानामक मनोिवान क मख िविधया ह

6- सानामक मनोवािनक कLcयटर का उपयोग करक एव सLबिधत तN क िति याओ का

अEययन करत ह

7- मित^क एव कLcयटर एक-दसर स काफ िभन होत ह

उ-र (1) सानामक ि याओ (2) दो (3) एक कLcयटर ो2ामर

(4) तNकय घटनाओ (5) दो (6) सानामक ि याओ

(7) दिहक =प स

38 सदभ0 1थ सची

bull िसह अsण कमार (2011) सानामक मनोिवान

bull tीवातव रामजी (सLपादक) (2003) सानामक मनोिवान

bull िसह आरएन एव भाराज एसएस (2010) उ`च ायोिगक मनोिवान

bull Colin Martindale (1981) Cognition and Consciousness

bull Geryd YDewalle (1985) Cognition Information Processing and Motivation

bull Kathleen M Galotti (1999) Cognitive Psychology in and Out of the Laboratory

bull Margaret Matlin (1982) Cognition

39 िनबधामक

1) सानामक मनोिवान क उपागम का वण1न किजए

2) सानामक मनोिवान क िविधय का वण1न किजए

3) िटcपणी िलिखए -

(क) सचना ससाधन उपागम

(ख) कLcयटर आधारत िविध

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 20

इकाई-4 मनोभौितक13 का अथ वबर और फकनर का िनयम

(Meaning of Psychophysics Law of Weber and Fechner)

इकाई सरचना

41 तावना

42 उय

43 अथ1 एव वsप

44 मनोभौितक क मलभत समयाए

45 वबर का िनयम

46 फकनर का िनयम

47 साराश

48 श)दावली

49 वम-याकन हत

410 सदभ1 2थ सची

411 िनबधामक

41 तावना

मनोभौितक श)द स सामाय परचय होन क पव1 कछ ाथिमक बात का उ-लख कर दना वाछनीय ही नहU

अिपत आवयक भी ह वतिथित यह ह िक हम लोग सामायतः नातक तर स ही मनोिवान का अEययन

करत आ रह ह और इस बात स पण1 अवगत ह िक मनोिवान को पहल आमा और मन का और िफर चतना

का िवान माना जाता था वाभािवक था िक उस समय योग क िलए कोई थान नहU था दसर Rयिय क

आमा मन तथा चतनता का अEययन करना असभव था साथ ही बहJत सी बात क अEययन क िलए मन य

को योlय (Subject) क =प मgt तयार नहU िकया जा सकता िजसस जानवर आिद का अEययन आवयक

महसस िकया जान लगा कछ समय बाद मनोिवान को मानिसक ि याओ और अततः Rयि क Rयवहार क

अनभव का अEययन करन वाला िवान माना जान लगा परत मनोिवान मgt जब Rयवहार क बात क जा रही

थी तभी मनोभौितक (Psychophysics) भी एक महवपण1 कारक (Factor) क =प मgt उिलत हो रहा था

42 उय

मनोभौितक (Pshychophysics) मनोिवान क वह शाखा ह िजसक अतग1त मानिसक (Mental) और

भौितक (Physical) तyय का एक साथ अEययन िकया जाता ह अयत ाचीन काल स ही दश1न शािeय न

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 21

lsquoमनrsquo और lsquoशरीरrsquo क सLबध को तािक1 क आधार पर समझन का यास िकया था िजसमgt डकोट1 का

अति 1 यावाद (Decartesrsquo interactionalism) लाइवनीज़ का मनोभौितक समानातरवाद (Leibnitzrsquos

Psycho-physical Parallelism) डमोि टस का भौितकवाद (Democratesrsquo materialism) उ-लखनीय

ह इन दाश1िनक न मन तथा शरीर क बीच माNामक सबध क िनधा1रण का यन िकया था इहोनgt lsquoमनrsquo को

मानिसक घटनाओ तथा lsquoशरीरrsquo को भौितक घटनाओ क =प मgt य िकया उहन यह जानन का यन िकया

िक मापन योrय उीपक िवशषताओ और उनस उपन सवदनाओ क बीच िकस कार क िनयम पण1 सLबध ह

इसी मल समया का हल ाF करन क िलए योगामक िवान क शाखा मनोभौितक क थापना क गयी

मनोभौितक का ारभ GT Fechner (1801-1887) क पतक lsquoElement-der-

Psychophysicsrsquo क 1860 मgt काशन स हJआ चिक यह पतक gासीसी भाषा मgt कािशत हJई थी िजसका

िहदी =पातरण lsquoमनोभौितक क मल तवrsquo (Element of Psychophysics) ह मनोभौितक मgt मन अनि या

(Response) तथा शरीर मgt सबध का अEययन िकया गया इस कार यह कहा जा सकता ह िक मनोभौितक

मgt भौितक (Physical) एव मानिसक (Mental) ि याए सिLमिलत ह भौितक ि या का तापय1 उजना

तथा मानिसक ि या का तापय1 सवदना स ह मनोभौितक मgt उीपक (उजना) तथा सवदना क बीच

माNामक सबध का अEययन िकया जाता ह

43 अथ0 एव वltप

मनोभौितक क परभाषाए (Definition of Phsycophysics)

मनोभौितक श)द को सव1थम GT Fechner न अपनी पतक lsquoमनोभौितक क मल तवrsquo मgt परभािषत

करत हJए िलखा ह िक ndash मनोभौितक वह सय िवान ह जो शरीर एव मन क बीच काया1मक सबध क

िनभ1रता का अEययन करता ह (Psychophysics is the true science of functional relations

between body and mind)

Guilford (1954) क अनसार ndash मनोभौितक वह िवान ह जो भौितक घटनाओ और उनस

सLबिधत मनोवािनक घटनाओ क बीच माNामक सबध क िनभ1रता का अEययन करता ह

(Psychophysics has been regarded as the science that investigates the Quantitative

Relationships between physical events and corresponding psychological events)

James Drever (1968) क अनसार ndash ldquoमनोभौितक ायोिगक मनोिवान क वह शाखा ह जो

भौितक उीपक तथा साविदक घटनाओ क बीच काया1मक तथा माNामक सबध का अवषण करता ह

(Psychophysics is that branch of Experimental psychology which investigates that

functional and Quantitative relations between physical Stimuli and sensory events)

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 22

Chaplin (1975) क अनसार ndash ldquoमनोभौितक मनोिवान क एक शाखा ह जो उीपक माNाओ

उीपक िभनताओ तथा उनक अन=प सवदी ि याओ क बीच सबध का अनसधान करता हrdquo

(Pshychophysics is the branch of psychology which investigates Relationship between

Stimulus magnitudes Stimulus Differences and their corresponding sesory processes)

Candland (1968) क अनसार ndash ldquoमनोभौितक उीपक एव उन उीपक क ित मनोवािनक

अनि याओ क सLबध थािपत करन स सLबिधत हrdquo (Psychophysics is concerned with

establishing Relationship between Stimuli and the psychological responses to these

Stimuli)

English amp English (1950) क अनसार ndash ldquoमनोभौितक उीपक क भौितक गण एव सवदनाओ

क परणामक गण क सबध को अEययन करता हrdquo (Pshychophysics is the study of the relation

between the physical attributes of the Stimulus and the Quantitative attributes of

sensation)

इन परभाषाओ क आधार पर यह कहा जा सकता ह िक मनोभौितक मन तथा शरीर (शारीरक एव

मानिसक ि याओ) क बीच काया1मक तथा माNामक सबध का अEययन करता ह दसर श)द मgt कहgt तो

ldquoभौितक उदीपक तथा उसक कारण िकसी मानव Mक मgt उपन होन वाली सवदनाओ क बीच सबध का

अEययन ही मनोभौितक हrdquo

आजकल मनोभौितक (Pshychophysics) को योगामक मनोिवान (Experimental

Psychology) क एक शाखा क =प मgt माना जाता ह और इसमgt उीपक (Stimulus) तथा उसस उपन होन

वाली अनभितय (Experiences) क परणामक सबध (Qualitative Relationship) का अEययन िकया

जाता ह

जस Yया उीपक क तीता (Intensity) मgt विP होन स अनभित (Experience) मgt भी ती(णता

आती ह यिद आती ह तो Yया उसी अनपात मgt या उसस अिधक या कम अनपात मgt इन सब का

अEययन मनोभौितक मgt िकया जाता ह उदाहरणवsप यिद िकसी बद कमर मgt Eविन क तीता क 100 HZ स

बढ़ाकर 200 HZ कर िदया जाता ह तो Yया इसस सनन क अनभित पहल स बढ़कर दगनी हो जायगी या कम

हो जायगी इस कार क का अEययन मनोभौितक मgt करक एक िनिWत िन^कष1 पर पहJचा जाता ह

44 मनोभौितक क मलभत समयाए

उीपक को परभािषत करना मनोभौितक क मल समया ह Yय िक मनोभौितक का मZय उय उीपक

और अनि याओ क बीच माNामक सबध को ात करना ह उीपक (Stimulus) क वह यनतम माN Yया

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 23

ह िजसको ाणी 2हण कर सक तथा अनि या (Response) कर सक योlय (Subject) िकसी उीपक का

म-याकन तथा िविभन उीपक क तलना िकतनी परशPता स कर सकता ह दो उीपक मgt यनतम िकतना

अतर होन पर भी व एक समान तीत होत ह उपय1 समत को उीपक (Stimulus) और उसस उपन

सवदना (Sensory) क सLबध मgt उठाय गए ह इसी कार क अय भी सLबध मgt तत िकय जा सकत ह

जो सिLमिलत =प स मनोभौितक क समयाए कहलाती ह ऐसी समयाए िनLनािकत ह

अिभान स सबिधत समयाए (Detection Probems) -

यक ानि_य (Sense Organ) को उिजत करन क िलए एव यनतम या अयत तीता क उीपक क

ज़=रत होती ह यिद उीपक इस यनतम तीता का होता ह तब तो Rयि इसक पहचान (Detection) कर

लता ह उीपक क इस यनतम तर को सीमात उीपक (Threshold Stimulus) कहा जाता ह कछ उीपक

क तीता इस सीमात उीपक स ऊपर या यादा होती ह पहल कार क उीपक को अवचतन उीपक

(Subliminal Stimulus) तथा दसर कार क उीपक को अिधसीमा उीपक (Supraliminal Stimulus)

कहा जाता ह अ-पतम उीपक क पहचान स सLबिधत अEययन करत समय कछ ख़ास-2 समयाए होती ह

जस ndash िकसी उीपक क पहचान करन क िलए यनतम तर (Lowest Level) कौन सा होगा िकस तरह क

उीपक (Stimulus) का अEययन उपय होगा उीपक का यनतम तर िकतना हो िक उसस ऊपर क तर क

उीपक को आसानी स पहचान कर सक आिद इन समयाओ क जिटलता इस कारण स और बढ़ जाती ह िक

अनि या (Response) उपन करन क िलए उीपक का जो अ-पतम तर (Minimal Level) होता ह वह

परिथित क अनसार बदलता रहता ह

इस उदाहरण ारा समझgt ndash अधर कमर मgt ह-क रोशनी को भी तरत दख लत ह परत यिद कमरा मgt

पहल स ही काफ़ रोशनी ह तो उस ह-क रोशनी को सभवतः हम दख नहU पात ह उसी कार िकसी Eविनरोधी

कमर (Soundproof Room) मgt साधारण ती Eविन को आसानी स सना जा सकता ह परत ऐस कमर मgt जहा

शोरगल काफ़ हो रहा ह उसी Eविन को सनन लायक होन क िलए उस काफ़ ती (Intense) होना आवयक

मनोवािनक क अEययन मgt दो कार क अिभान (Detections) क चचा1 क जाती ह

िनरपM सीमात या दहली (Absolute Threshold or Limen)

िभनता सीमात या दहली (Differential Threshold or Limen)

(i) िनरप6 सीमात या दहली (Absolute Threshold or Limen) -

िनरपM सीमात (Absolute Threshold) क िलए RL श)द का योग अिधक िकया जाता ह जो जम1न ldquoरज

लाईमनrdquo (Reiz Limen) का सिMF =प ह RL स तापय1 उस यनतम उीपक मान (Minimal Stimulus

Value) स होता ह जो Rयि मgt अनि या उपन करन मgt समथ1 होता ह ाणी क ानि_य (Sense

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 24

Organs) क सवदनशीलता (Sensitivity) मgt घट-बढ़ (Fluctuation) होती रहती ह अतः एक ही Rयि क

िलए RL हमशा एक समान नहU होता ह यही कारण ह िक RL को मनोवािनक न सािZयकय =प स

परभािषत िकया ह और कहा ह िक RL वह उीपक मान ह जो 50 यास मgt अनि या उपन करता ह और

50 यास मgt अनि या उपन नहU करता ह दसर श)द मgt यह कहा जा सकता ह िक RL कई यास मgt

Rयि ारा उीपक क बार मgt िकय िनण1य का माEय (Mean) होता ह उदाहरणवsप मान लgt िक कोई

योगकता1 योlय स िलए गए िभन-िभन Eविन क क तीता का RL ात करना चाहता ह ऐसी परिथित

मgt वह योlय क Eविन क िभन-िभन तीता तर को उपिथत कर उस यह बतलान क िलए कहगा िक उसन

उस Eविन को सना या नहU जब Eविन क तीता काफ़ कम होगी तो योlय को Eविन सनाई नहU दगी जब

Eविन क तीता का तर थोड़ा और अिधक होगा तो योlय को कभी Eविन सनाई दगी और कभी नहU यिद

Eविन क तीता का तर थोड़ा और अिधक बढ़ा िदया जाय तो Eविन पDतः सनाई दगी इस कार योlय का

िनण1य कई यास मgt योगकता1 ाF करता ह और िफर इसका माEय (Mean) ात कर िदया जाता ह और वही

RL कहलाता ह

(ii) िभनता या िवभद सीमात या दहली या जएनडी (Diffential discrimiation Threshold

or Limen or Just Noteable Difference ndash JND) -

िभनता या िवभदन सीमात िजसको िवभदक सीमात DL जो (Differential Limen) का सिMF =प ह

तथा िवभदन सीमन को यनतम भद JND जो (Just Noteable Difference) भी कहा जाता ह

पोटमन तथा ईगन न (Postman amp Egan) न 1949 मgt DL को परभािषत करत हJए कहा ह िक वह

उीपक अतर जो 50 यास (trails) मgt िभनता िनण1य उपन करता ह को िवभदक सीमात कहा जाता ह

(The Differential Threshold is defined as that Stimulus Difference which gives rise to

judgment at Difference in 50 of the time) उदाहरणवsप अगर योlय को दो Eविन िजसक

आपस मgt तीता का अतर बहJत ही कम ह िदया जाता ह तो सभवतः वह इस अतर को पहचान नहU पाएगा या

कभी पहचान पाएगा और कभी नहU परत यही दोन Eविन क तीता क अतर को अिधक कर िदया जाता ह

तो वसी परिथित मgt वह इस अतर को पD पहचान लगा दसरा उदाहरण ndash िवभदन सीमात को दखgt तो यिद

िकसी योगी क हथली पर सौ 2ाम वज़न क वत मgt अितर पाच 2ाम का वज़न रखन पर योlय को उसस

अिधक भारी (heavier than) का अनभव होता ह तो 100 2ाम वज़न क िलए 5 2ाम का अितर भार

JND कहा जायगा इसी तरह िकस उजना म-य क उस लघतम अतर को JND कहा जाता ह िजसक

कारण समान सावदिनक माग1 (Same Sensory Channel) स उपन अनभव मgt िवभद या िभनता का

आभास होता ह

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 25

उपय1 दोन कार क सीमात या दहिलय का िनधा1रण िकन बात पर िनभ1र करता ह इस सLबध मgt

मनोभौितक वािनक न गहन और िवतत अEययन िकया ह तथा इस सLबध मgt अनक कारक तव क चचा1

क ह ऐस िनधा1रक कारक का अEययन करन क म मgt यह भी पD हJआ ह िक इस सीमात (Thresholds)

क िनण1य मgt वयिक िविभनता भी पाई जाती ह Yय िक इसका िनण1य Rयि क वयिक िवशषताओ पर

िनभ1र करता ह इस CिD स मनोवािनक क िलए मनोभौितक स सLबिधत अEययन महवपण1 ह

45 वबर का िनयम

EH Weber (1834) िलपिज़ग िव13िवालय (Leipzig University) क िसP शरीर शाeी थ 1829 स

1834 क बीच उहन वक और मासपशीय सवदनाओ क सदभ1 मgt ायोिगक अEययन िकया िजनक ारा वह

यह जानना चाहत थ िक Rयि छोट स छोट भार मgt िकतनी कशलता स अतर कर सकता ह इस तरह क शोध

क आधार पर िवभदन सीमात (Differential Limen) या सMप मgt DL तथा उीपक क तीता (Stimulus

Intensity) क बीच मgt एक िवशष कार का सLबध बताया गया ह DL तथा उीपक क तीता (Stimulus

Intensity) क सबध पर बहJत स योग मgt कई लोग न काफ़ गभीरतापव1क िवचार िकया वह था ndash Yया DL

या JND (Just Noteable Difference) िकसी सवदी MN (Sense Modality) क िलए एक िनिWत

(Fixed) मान होता ह इस पर वबर ारा बताया गया िक DL या JND िकसी भी सवदी MN क िलए एक

िनिWत मान नहU होता ह बि-क रखीय (Linear) ढग स मानक उीपक क मान मgt परवत1न होन क साथ-साथ

परवित1त होत जाता ह दसर श)द मgt जब मानक उीपक का मान बढ़ता ह तो उस तलनामक उीपक

(Comparable Stimulus) स िभन महसस करन क िलए उीपक मgt जो िनLनतम परवत1न होता ह (अथा1त

DL या JND) वह भी बढ़ता ह अथा1त मानक उीपक का मान (Value) जब बड़ा होगा तो DL भी बड़ा

होगा और यिद मानक उीपक का मान जब छोटा होगा तो DL भी कम होगा वबर क िनयम को एक गिणतीय

कथन क =प मgt दखgt तो इस गिणतीय =प मgt परभािषत करत हJए कहा जा सकता ह िक मानक उीपक

(Standard Stimulus) क मान तथा DL या JND को उपन करन क िलए िनLनतम मान क बीच एक िनिWत

एव सतत अनपात (constant ratio) होता ह िजसक अनसार दोन मgt परवत1न होता ह उदाहरणवsप माना

जाए िक िकसी अधर कमर मgt िकसी मज़ पर 10 मोमबिया पहल स जल रही ह और यही उसी कमर मgt उसी

आकार क एक और मोमबी जला दी जाय तो पहल क रोशनी तथा बाद क रोशनी मgt Rयि साफ़-साफ़

यMण (Percieve) कर लता ह तो अगर 100 मोमबिया पहल स िकसी अधर कमर मgt जल रही ह तो वहा

अतर पD करन क िलए 10 मोमबिय को जलाना आवयक होगा ठीक उसी कार जस यिद 100 क एक

रखा मgt बढ़ा िदया जाए तथा 200 मgt 2 रखा क विP कर दी जाए तथा 50 क रखा मgt frac12 और बढ़ा िदया जाए

तभी दो रखाओ क मEय अतर का यMण नज़र आएगा वबर जो इस सN क माEयम स बताया ह ndash

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 26

∆RR=K

जहा ∆R=DL या JND

R= मानक उीपक (Standard Stimulus)

K= सतत (constant) ह िजसका ान ∆RR स होता ह

इस सN को िनLन कार स कहा जा सकता ह ndash

DLStandard Stimulus=constant

या इसको श)द मgt Rय करgt तो कहा जा सकता ह ndash ldquoिकसी िभनता का अनमान कवल िभनता क माN पर

िनभ1र नहU करता बि-क इस िभनता का अनपात तलना क जान वाली वतओ क माN मgt िकतना ह इस पर

िनभ1र करता हrdquo (ldquoOur Estimation of a Difference depends not on the absolute magnitude of

the Difference but on the ratio of the magnitude of the things comparedrdquo)

इस िनयम मgt जो सतत (Constant) होता ह उनक अिभRयि (Expression) हमशा िभन

(Fraction) मgt होती ह िजस वबर िभन या वबर अनपात (Weberrsquos Fraction or Weberrsquos Proportion)

कहा जाता ह वबर अनपात या िभन स यह पता चलता ह िक मानक उीपक मgt िकस अनपात मgt विP (या

कमी) क जाए िक Rयि (उीपक स) सवदनशीलता मgt होन वाल परवत1न का सही-सही यMण कर सक

अथा1त Rयि न यनतम य भद (Just Noteable Difference or JND) उपन हो सक

उदाहरणवsप यिद 100 2ाम क मानक उीपक क साथ 80 2ाम का दसरा उीपक दन स Rयि इन

दोन उीपक स उपन भार सवदनशीलता (Weight Sensitivity) मgt अतर का यMण कर लता ह तो वबर

अनपात 80100 = 80 हJआ िजसका अथ1 यह हJआ िक यनतम य भद उपन करन क िलए मानक उीपक

मgt 80 गणा (Times) क विP करनी आवयक ह अथा1त अगर 1000 2ाम का मानक उीपक ह तो JND

उपन करन क िलए 800 2ाम का होना चािहए

इस कार वबर न कछ भौितक वतओ का मानक जस वबर अनपात (Weberrsquos Fraction) 20 रखा क

लLबाई (Line Length) क िलए 30 चमक (Brightness) क िलए 019 िबजली शॉक (Electric

Shock) क िलए 014 नमकन वाद (salty taste) क िलए 84 अपन शोध क माEयम स पाया ह इस

आधार पर िसPात को साथ1क िकय

वबर िनयम क परसीमा (Limitation)- यह ह िक उनक परशPता तथा यथाथ1ता (Accuracy and

Precision) उस समय न क बराबर रह जाती ह जब मानक उीपक (Standard Stimulus) का मान िकसी

एक छोर (Extreme) पर पहJच जाता ह मानक उीपक का मान बीच मgt होता ह तब तो वबर अनपात क

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 27

परशPता बनी रहती ह परत जब मानक उीपक का मान बहJत ही कम या बहJत ही यादा हो जाता ह तो वबर

अनपात क परशPता लगभग समाF हो जाती ह

ओनो (Ono) न 1979 मgt यह िदखा िदया िक जब उीपक को Rयि क सामन उपिथत (present)

करन क तरीक मgt परवत1न कर िदया जाता ह तो इसस वबर अनपात भी परवित1त हो जाता ह अथा1त जब

तरीका ऐसा होता ह िक मानक उीपक (Standard Stimulus) क बाद तलनामक उीपक (Comparable

Stimulus) िदया जाता ह तो वबर अनपात क परशPता अिधक होती ह परत यिद मानक उीपक

तलनामक उीपक क बाद िदया जाता ह तो इसस वबर अनपात क परशPता काफ़ कम हो जाती ह इहU

कारण स मनोभौितकय क िवशष न वबर िनयम स असतD होकर अय िनयम का ितपादन िकया

46 फकनर का िनयम

गताव फकनर (Gustav Fechner 1801-1887) एक दश1नशाeी तथा योrय िवचारक थ सवदना क मापन

क सवा1िधक चिलत िविध का tय फकनर (1860) को ही ह परत स`चाई यह ह िक फकनर न अपन िनयम

(Fechnarrsquos Law) का ितपादन वबर िनयम (Webarrsquos Law) मgt कछ सधार लान क यास स िकया था

वबर िनयम योlय या Rयि ारा िकय गए िनण1य को मापन क एक अयM िविध (indirect method) ह

जहा DL क समान अतराल मापनी क एक इकाई क =प मgt Rय िकया जाता ह

फकनर न वबर अनपात को ldquoमलभत सNrdquo माना तथा इसक उपयोिगता बतात हJए कहा ndash ldquo lsquoमलभत

सNrsquo सवदना क मापन क पव1क-पना नहU करता बि-क यह साधारणतः यन सापिMक उजक विP तथा

साविदक विP क मEय पाए जान वाल सLबध को दिश1त करता हrdquo (The fundamental formula does

not presuppose the measurement of sensation nor does it establish it simply expresses

the relation holding between small relative Stimulus increments and sesation increments)

परत मलभत सN स ारभ करक फकनर न यह सझाव िदया िक सN मgt विPय क मEय सLबध

लघगणकय (Logarithmic) ह िजस कार सवदना शय स ऊपर कछ माN स ारभ होती ह (सीमात) उसी

कार लघगणक भी एक सीिमत सZया स ही ारभ होता ह इस कार सवदना तथा उीपक क मEय सLबध

लघगणक तथा सZया क मEय सLबध ह इस कथन क साथ िक - सवदना दहली तथा उीपक माN पर िनभ1र

करती ह ndash सवदना उजक क तीता परणाम क लघगणक पर िनभ1र करती ह इस कार फकनर न वबर िनयम

को नए ढग स समझाया ndash ldquoजब उीपक एक थायी अनपात क ारा बढ़त ह तब उनस उीF सवदना समान

उनित या वगk ारा बढ़ती हrdquo (When Stimuli increase by a constant ration the sensation

aroused by them increases by equal increments or steps)

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 28

इसका अथ1 ह िक उीपक और उसक सवदना दोन एक ही गित स नहU बढती जब उीपक क

उजना िनरतर अनपात क ारा बढती ह सवदना क उजना एक िनिWत म क अनसार बढती ह इस कार

क िवचारधारा को एक उदाहरण ारा पD िकया जा सकता ह

मान िलया जाए िकसी सवदना का वबर अनपात 25 (यानी frac14) ह इसका मतलब यह हJआ िक यिद एक

उीपक का मान 20 इकाई (Unit) ह तो यनतम य भद (JND) उपन करन क िलए दसरा उीपक को 20

का frac14 (या 20 का 25) यानी 5 इकाई उसस अिधक होना चािहए दसर श)द मgt दसरा उीपक को 20+5 =

25 इकाई का होना चािहए इसी कार अगला चरण (Step) पर यनतम य भद उपन करन क िलए दसरा

उीपक को 25x25 = 625 इकाई मल उीपक अथा1त 25 इकाई क उीपक स अिधक होना चािहए इसका

मतलब यह हJआ िक दसरा उीपक को 25x625 = 3125 इकाई का होना चािहए उसी तरह तीसरा चरण पर

यनतम य भद उपन करन क िलए एक उीपक तो 3125 इकाई का ही होगा परत दसरा उीपक को

3125+772 = 3897 इकाई का होना चािहए इसी तरह स यक उरोर क़दम पर उीपक क मान 125

गणा अिधक होना चािहए अतः यक उ`चरोर क़दम पर Rयि क सवदनशीलता मgt समान विP क िलए

उीपक क मान मgt अिधक विP क ज़=रत होती ह फकनर क अनसार उीपक क मान मgt विP होन क

फलव=प Rयि क सवदनशीलता मgt हJई विP को लघगणकय सLबध (Logarithmic Relationship) क

आधार पर भी RयाZया क जा सकती ह

ऊपर क उदाहरण मgt यक उरोर क़दम पर DL को एक सतत गणज ारा आसानी स पता लगाया

जा सकता ह जस पहला क़दम पर जहा उीपक का मान 20 इकाई ह वहा वह अथा1त DL क िलए दसरा

उीपक 34 x 20 = 25 होगा दसरा कदम पर वह 5

4 x 20 = 3125 होगा तथा इसी कार तीसरा क़दम पर

वह 54 x 3125 = 3897 होगा ऊपर क उदाहरण स पD ह िक उीपक क मान मgt गणा (Multiplication)

क ि या क =प मgt विP होती ह गणा क ि या क =प मgt विP को lयािमतीय म मgt विP

(Geometrical Progression) (as 248163264 आिद lयािमतीय म मgt विP क उदाहरण ह) तथा

जोड़ क ि या क =प मgt विP को अकगिणतीय म मgt विP क सा दी जाती ह जब दो चर मgt स िकसी एक

मgt lयािमतीय ढग स विP होती ह और दसर मgt अकगिणतीय ढग स विP होती ह तो इस कार क सLबध को

लघगणकय सLबध (Logarithmic Relationship) कहा जाता ह फकनर क िनयम क अनसार उीपक क

मान तथा उसस उपन होन वाल सवदन इसी कार का लघगणकय सLबध होता ह इसी िनयम क अनसार

यिद उीपक क मान मgt lयािमतीय विP क जाती ह तो उसस उपन सवदन मgt भी विP होती ह परत

अकगिणतीय म मgt न िक lयािमतीय म मgt फकनर न इस िदखलान क िलए सN िवकिसत िकय ह िजसमgt स

िनLनािकत सN अिधक लोकिय हो गया

R=K log S

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 29

जहा R= सवदन क माNा (Magnitude of Sensation)

K= थायी अनपात (वबर क सतत) (Weberrsquos Constant)

S= उीपक मान क माNा (Magnitude of Stimulus Value)

फकनर न अपन िनयम क दो मख पव1क-पनाओ (Assumptions) का वण1न िकया ह जो िनLन ह

1) चाह उीपक क िकसी भी तर (Level) पर Yय न उपन हJआ हो DL या यनतम य भद (JND) ारा

सवदन मgt हमशा विP होती ह

2) सवदन उन सभी DL या JND का योग होता ह जो सवदन उपन करन क पहल आत ह

यह मायताए फकनर क मनोभौितक िविधय को आधार दान करती ह

वबर अनपात तथा फकनर िनयम दोन का ही योग अनक कार क द क RयाZया करन क िलए िकया

जाता ह तथा उनक वधता को िनधा1रत करन क मनोभौितकय िविधया न कवल सीमात तथा साविदक

मनोिवान क अEययन मgt ही योग क जाती ह वरन योगामक मनोिवान क अय MN न भी इसका योग

िकया जाता ह उीपक तथा िति या क मEय सबध का मापन करन वाली िविधया दान करन का tय

फकनर को ही ह

फकनर क िनयम क सीमाए (Limitations of Fechner Law) -

फकनर न उीपक सवदना (Stimulus-Sensitivity) क सLबध को लकर एक िनयम क =प मgt जो

सामायीकरण तत िकया वह सव1माय नही ह बि-क वह कई कारण स आलोचना का िवषय ह

bull वबर क िनयम अनसार ही फकनर का िनयम िकसी उीपक क ाLभ और अत मgt न रहकर कवल मEय

भाग स सLबिधत रहता ह

bull फकनर का िनयम इस धारणा पर आधारत ह िक एक बड़ी सवदना कई सवदनाओ का योग ह िकत

कछ मनोवािनक क अनसार छोटी सवदना क िमलन पर बड़ी सवदना नहU अिपत एक नवीन अनभव

तयार होता ह

bull दो काश या दो वर तीताओ क मEय यनतम य भद (JND) एक िनरीMणकता1 स दसर

िनरीMणकता1 तक तथा एक ही िनरीMणकता1 क िलए समय-समय पर परवत1नीय होता ह (गरट)

अतः फकनर क JND क सLबध मgt िवचारधारा उिचत नहU ह इस कार फकनर क िनयम मgt कई दोष पाए

जात ह िजनक आधार पर यह कहा जा सकता ह िक फकनर का सामायीकरण पण1=प स िनयमबP नहU िकया

जा सकता

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 30

47 साराश

मनोभौितक को योगामक मनोिवान क एक मख शाखा माना गया ह इस शाखा मgt उीपक तथा उसस

उपन होन वाली अनभितय (Experiences) को परणामक सबध (Quantitative Relationship) का

अEययन करना ह

bull मनोभौितक क अतग1त मZय =प स अिभान (Detection) समयाए एव उजना अकन

(Stimulus Estimation) स सLबिधत समयाओ का अEययन िकया जाता ह

bull मनोभौितक क बार मgt वबर फकनर का िनयम काफ़ चिलत ह िजहन यनतम या माN असिमय

िभनता (Just Noteable Difference JND) क सLबध मgt िथर रािश सLबिधत िनयम का

ितपादन िकया ह यह िनयम मल =प स वबर का ह

bull अिभान समयाओ मgt मZय =प स दहली या सीमात का िनधा1रण िकया जाता ह य सीमात दो तरह

क होत ह - 1 िनरपM या उजना सीमात (Absolute or Stimulus Threshold - RL) 2

िभनता सीमात (Differential Threshold)

bull उीपक क मान तथा उसस उपन होन वाल सवदन मgt लघ-गणकय सLबध (Logarithmic

Relationship) होता ह

bull फकनर क िनयम मgt जब उीपक क मान मgt lयािमतीय म मgt विP होती ह तो उसस उपन सवदना मgt

विP अकगिणतीय म मgt होती ह

bull Absolute Threshold (RL) का तापय1 उस यनतम उीपक मान (Minimal Stimulus Value)

स होता ह जो Rयि मgt अनि या 50 यास मgt उपन करता ह

bull Differential Limen (DL) का तापय1 एक ही सवदी MN स दो उीपक क बीच का अतर होता ह

जो 50 यास मgt अनि या उपन करता ह

48 शदावली

bull योग (Experiment) चन हJए चर क मEय काया1मक सLबध क जाच क िलए िनयिNत परिथित

क अतग1त िकय गए Mण क एक tखला होती ह

bull दहली (Threshold) दहली या सीमात उीपक तीता क उस तर को कहा जाता ह जो शारीरक या

मानिसक ि या उपन करता ह

bull मनोभौितक (Psychophysics) मनोभौितक मनोिवान क वह शाखा ह िजसम उीपक तथा उसस

उपन होन वाली अनभितय क परणामक सबध का अEययन िकया जाता ह

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 31

bull िनरप6 सीमात (Absolute Threshold or RL) यह यनतम उीपक मान होता ह जो Rयि मgt

अनि या उपन करन मgt समथ1 होता ह

bull िभनता सीमात (Differential Threshold) यह उीपक जो आध यास मgt िभनता उपन करता ह

उस िवभदन सीमात कहा जाता ह

bull उीपक (Stimulus) वातावरण मgt िथत कोई परभािषत तव जो ाणी को भािवत करता हो तथा जो

यM अथवा परोM अनि या को जम दता हो उीपक (Stimulus) कहा जाता ह

bull मानक उीपक (Standard Stimulus) वह मानक तर िजस पर अय अनि याओ का तर ात

िकया जाता ह उस मानक उीपक कहा जाता ह

bull सवदना (Sensation) िकसी उीपक का मानिसक अनभव ही सवदना ह

bull मEयमान (Mean) ाFाक क एक समदाय का एक अकगिणतीय मEयिबद को मEयमान कहत ह

bull य6ीकरण (Perception) व ि याए जो सवदी सचना को सगिठत करती ह और उसक परवशगत

ोत क =प मgt परभािषत करती ह यMीकरण कहलाती ह

49 वमयाकन हत

1 JND Yया ह

2 DL और RL को बताइय तथा अतर पD किजय

3 िनरपM िभनता तथा अितम दहिलय मgt अतर बताइय

4 मनोभौितक का सिMF इितहास िलिखए

410 सदभ0 1थ सची

bull िसह अsण कमार (2002) आधिनक सामाय मनोिवान ततीय सकरण मोतीलाल बनारसीदास पटना

bull िम fज कमार (2010) मनोिवान मानव Rयवहार का अEययन पीएच आई learning private

limited नई िद-ली

bull tीवातव बीना एhड आनद वषा1 एhड आनद बानी (2003) सानामक मनोिवान मोतीलाल

बनारसीदास

bull अथाना मध (1999) मनोभौितक य एस पि)लशस1 वाराणसी

bull एनसीईआरटी11 (2002)

bull सYसना एनक एव भाग1व महश (1996) मनोभौितक एव मनोमापन भाग1व बक हाउस राजामडी

आगरा

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 32

bull िसह अsण कमार (2002) आधिनक सामाय मनोिवान ततीय सकरण मोतीलाल बनारसीदास

पटना

bull अथाना मध (1999) मनोभौितक यएस पि)लशस1 वाराणसी

411 िनबधामक

1 मनोभौितक Yया ह िवpषणपव1क समझाइय

2 मनोभौितक को परभािषत करत हJए इसक अथ1 को पD किजय योगामक मनोिवान मgt इसका Yया

महव ह

3 मनोभौितक क मल समयाओ का वण1न किजय

4 मनोभौितक मgt वबर का Yया योगदान रहा तथा उसक आलोचना िकन कारण स हJई बताईय

5 फकनर को मनोभौितक का िपता कहा जाता ह इस कथन क पिD करत हJए उनक योगदान का उ-लख

करgt तथा उनक ारा ितपािदत िनयम क आलोचनामक RयाZया करgt

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 33

इकाई-5 अवसीमा या दहली का सयय एव स ाितक िकोण

(Concept and Theoretical View of Threshold)

इकाई सरचना

51 तावना

52 उय

53 दहली या सीमात क सयय या मनोभौितक क कछ महवपण1 सयय

531 सवदनशीलता

532 दहली या सीमात

533 Rयि (आमपरक) समातर का िबद

534 परवय1 Nिट तथा सतत Nिट

535 िथर अशिP

54 िवpषण एव िन^कष1

55 साराश

56 श)दावली

57 वम-याकन हत

58 सदभ1 2थ सची

59 िनबधामक

51 तावना

ायोिगक मनोिवान ािणय क Rयवहार का अEययन करता ह ाणी क अनि या उीपक क काय1 क =प मgt

होती ह वातावरण मgt िवमान भौितक ऊजा1 मgt ही नहU ित Mण परवत1न होता रहता ह वरन ाणी क आतरक

परवश मgt भी ऊजा1 परवित1त होती रहती ह ाणी क बाT एव आतरक जगत मgt होन वाल ऊजा1 परवत1न को

ही उीपक कहत ह यहा पर पD कर दना आवयक ह क इि_य ारा 2हण क जान वाली परवित1त ऊजा1

क माNा को भी उीपक कहत ह जब हम उीपक क बार मgt अनक करत ह जस Yया िकसी अनि या क

कट होन क िलए उीपक का होना आवयक ह Yया अनि या कट होन क िलए उीपक क कोई यनतम

माNा होनी चािहए Yया सभी दशाओ मgt सभी ािणय क िलए उीपक क यनतम माNा िथर रहती ह

उीपक क माNा मgt कम स कम िकतना परवत1न िकया जाए िक ाणी को भी सवदना हो ऐस का उर भी

मनोभौितक क अतग1त दखन को िमलता ह और इन सब उर का क_ िबद दहली (Threshold) ह

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 34

52 उय

हम लोग हो रह छोट-छोट परवत1न िकसी दो उीपक क बीच मgt कब अचानक महवपण1 परवत1न हो जाता ह

कभी-कभी चीनी का एक कण पानी क वाद को परवित1त कर दता ह और वह परवत1न दसर वाद का कारण

बन जाता ह दरवाज़ क एक तरफ घर और एक तरफ बाहर रहता ह तो हम लोग इस बात को कभी आभास नहU

िकय इस कार इन सारी छोटी-छोटी िबद का अनभव करन क िलए दहली (Threshold) क अतग1त ही इन

सब का अEययन करत ह

53 दहली या सीमात क सयय या मनोभौितक क कछ महवपण0 सयय

मनोभौितक अEययन मgt कछ श)दाविलय या सयय (determinologies or Concepts) का उपयोग

िकया जाता ह िजनक बार मgt िवतत =प स ान आवयक ह जस कछ सयय िनLनािकत ह ndash

1 सवदनशीलता (Sensitivity)

2 दहली या सीमात (Threshold)

3 Rयि (आमपरक) समातर का िबद (Points of Subjective Equality or PSE)

4 परवय1 Nिट तथा सतत Nिट (Variable Error and Constant Error)

5 िथर अशिP (Constant Error)

531 सवदनशीलता (Sensitivity) -

िभन-िभन तरह क उीपक क ित या िविशD उजनाओ (Specific Stimuli) क ित अनि या

करन हत हमार शरीर मgt अलग-अलग िविशD ानि_य (Sense Organs) या 2ाहक (Receptor) ह जस ndash

रोशनी क ित आख Eविन क ित कान पश1 क ित वचा वाद क ित जीभ तथा गध क ित नाक

अनि याशील (Responsive) होत ह परत हमार इन ानि_य क अनि याशील होन क Mमता

(Capacity) सीिमत होती ह िजसक कारण उीपक (Stimuli) क ित एक ख़ास ढग स तथा चयनामक =प

स (Selectively) उनक ारा अनि या क जाती ह जस 20 Hz स 20000 Hz क Eविन तरग (Sound

Wave) को ही हम सन सकत ह 20 Hz स कम तथा 20000 Hz स अिधक क Eविन तरग क ित मानव

कान (Human Ear) अनि याशील नहU होता ह ानि_य को उजनाओ क ित सीिमत =प स तथा

चयनामक =प स अनि या करन क Mमता को हम सवदशीलता क सा दत ह (Senisitivity refers to

the Limited and selective Response capacities of the sense orgarns to the stimuli)

सवदशीलता दो कार क होती ह

(i) िनरपM सवदनशीलता (Absolute Sensitivity)

(ii) िभनता सवदनशीलता (Differential Sensitivity)

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 35

(i) िनरप6 सवदनशीलता (Absolute Sensitivity) -

ाणी (ORGANISM) ारा उजनाओ क ित अनि याशील होन क सीिमत Mमता (Limited

Capacity to Response) को िनरपM सवदनशीलता कहत ह

(ii) िभनता या िवभदक सवदनशीलता (Differential Sensitivity) -

िविभन उजनाओ क ित गणामक (Qualitative) अथवा परमाणामक ढग स िवभद या अतर क

ित अनि या करन क Mमता को िवभदक सवदनशीलता कहत ह

532 दहली या सीमात या अवसीमा (Threshold or Limen) -

दहली अ2ज़ी क lsquoThresholdrsquo तथा लिटन क lsquoLimenrsquo का पया1यवाची ह Threshold का अथ1 होता ह

lsquoदहलीrsquo या lsquoचौखटrsquo जो दरवाज़ का एक भाग होता ह चौखट क एक ओर घर का भीतरी भाग तथा दसरी ओर

बाहरी भाग होता ह इस कार दहली वह रखा िबद ह िजसक दोन ओर दो िभन-िभन सवदनाए होती ह दहली

का अथ1 ह िजस अनभव िकया जा सक अथा1त उीपक क वह माNा िजसस कम पर उसक उपिथित का

अनभव न हो

यिप अनि या (Response) कट करान वाल और न कट करान वाल उीपक क बीच सीमा रखा

खUचना मनोवािनक क िलए एक जिटल काय1 ह िफर भी मनोवािनक न िभन-िभन साविदक उीपक क

िलए दहलीसीमात थािपत करन मgt सफलता ाF क ह

Brown amp Cook (1986) न दहली को परभािषत करत हJए िलखा ह िक ldquoदहली उीपक तीता क

उस तर को कहत ह िजसस शारीरक या मानिसक ि या उपन होती हrdquo (Threshold can be defined as

the level of stimulus intensity at which a logical or psychological response is produced)

Stevens (1954) क अनसार ndash ldquoदहली उीपक क वह माNा ह िजसस कम और अिधक पर िभन-

िभन सवदनाए होती हrdquo (The threshold is the Value that divides the continum of stimuli into

two classes those to which organism reacts and those to which it does not)

Underwood (1966) क अनसार ndash ldquoयनतम भौितक उीपक म-य जो 50 बार अनि या को

कट कराए दहली हrdquo (The minimal physical stimulus Value which will produce a response

50 at the time)

Guilford (1954) न दहली क परभाषा उीपक क उस यनतम माNा क =प मgt क ह जो 50

बार अनि याओ को जागत कता1 ह इस कार हम यह कह सकत ह िक उीपक दहली वह उीपक माNा ह जो

सिचत करन योrय अनि या को 50 बार कट करती ह (It is defined as that low stimulus

quantity that arouses a response 50 of the time We can also say that it is stimulus

quantity whose probability of arousing a reportable response is 50)

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 36

इस कार lsquoदहलीrsquo या अवसीमा (Threshold or Limen) िकसी उजना म-य (Stimulus Value) क वह

सीमा रखा (Boundary Line) या सRय सीमा (Distinct Border) होती ह जो उसक बार मgt अवगत होन

या अवगत नहU होन क िथित को इिगत करती ह इस एक उदाहरण क ारा समझgt मान लgt िक कछ काश

इतना धीमा या दब1ल ह िक कछ भी िदखाई पड़ना सभव नहU ह जब िक कछ काश इतना ती हो सकती ह िक

वह िबलकल पD =प स दखी जा सकती ह इन दोन काश मgt एक ऐसी परिथित या एक ऐसा समय आयगा

जहा पर धीम काश को धीर-धीर बढ़ान पर िदखाई दन लग बस वही काश क िथित दहली कही जायगी

इसी कार मान लgt एक rलास मgt पानी ह पानी मgt धीर-धीर एक-एक कण चीनी डालgt और पानी का वाद चखgt

इसी कार चीनी डालन क बाद वाद चखgt एक िथित ऐसी आएगी िक चीनी का एक कण डालन पर पानी

मीठा लगन लगगा अतः िमठास क अनभित क िलए वह चीनी का कण ही दहली कहा जायगा मनोवािनक

न दहली मgt दो कार क अिभान क चचा1 क ह

(i) िनरपM सीमात या दहली (Absolute Threshold or Limen)

(ii) िभनता सीमात या दहली (Differential Threshold or Limen)

इन दोन का िवतत अEययन इकाई-4 मgt िकया जा चका ह

533 आमपरक समता िबद (Point of Subjective Equality PSE) -

आमपरक समता िबद या िजस सMप मgt PSE भी कहा जाता ह मनोभौितक का एक मख सयय

(Concept) ह जब Rयि िकसी बाT उजनाओ का यMीकरण कता1 ह तो वही उजनाओ क बार मgt कछ

आकलन (Estimation) भी करता ह तो इस आकलन मgt थोड़ी बहJत Nिटया (Errors) भी सभािवत ह या आ

जाती ह जो या तो अयािकत जब दो उजनाओ क बीच क समानताओ का आकलन (Estimation of

Equality or Similarity) करता ह जो या तो वातिवकता स अिधक या कम (अयािकत या यनािकत) हो

सकता ह Rयि ारा मानिसक तर पर दो उजनाओ को िजस म-य पर समान होन का अनभव (Experience

of Similarity) करता ह Rयि का वही म-य वयिक समानता का िबद (Point of Subjective equaity

PSE) होता ह जस ndash मान लgt मलर लॉयर िवपय1य (Muller Lyer Illusion) सLबधी योग मgt ldquoबाण रखाrdquo

(Arrow Headed Line) 50mm लबी ह योlय ldquoपखवाली रखाrdquo क लLबाई यिद िकसी यास मgt 45

mm पर बराबर अनभव करता ह तो उस यास िवशष मgt इस उजना क िलए वयिक समानता िबद (PSE)

45 mm होगा इस तरह उसक आकलन मgt 5 mm क Nिट होती ह जो िक यनािकत Nिट (Under

Estimated Error) कहलाती ह इसी कार मान लgt 100 बार योlय को इन दोन रखाओ को समानता का

आकलन करन हत अवसर िदया गया और यक बार समानता क आकलन का लखा तयार कर औसत मान

िनकाला गया इस कार योlय क िनरीMण क कल यास का औसत मान (average Value) ही उसका

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 37

वयिक समानता का िबद (PSE) होगा जो वातिवकता स या तो अिधक या कम हो सकता ह दखgt िचN सndash

1

िच7 ndash 1 (मलर लॉयर िवपय0य)

534 िथर अशि= (Constant Error) -

Rयि जब कभी भी बाT उजनाओ क बार मgt अपन अनभव क आधार पर आकलन (Estimation) करता ह

तो ायः यह दखा जाता ह िक Rयि का आकलन अिधाYकलन (Over Estimation) कता1 ह अथवा

यनाYकलन (under Estimation) करता ह इस तरह क िथर अशिP िकसी एक ही िदशा मgt सदव अथा1त

िनरीMण क यक यास मgt होती ह अथा1त इस कार क आकलन Nिट (Estimation Error) िभन-िभन

िनरीMण यास मgt अलग-अलग न होकर सतत वsप क होती ह इस कार अशिP क माNा को औसत

वयिक समानता िबद (averagemean Point of Subjective Equality MPSE) क मान क माण

उजना मान (Standard Stimulus Value) स घटाकर ाF िकया जाता ह यिद PSEM

यादा ह तो

अयाकन िथर अशिP (Over Estimation Error) होगी और यही PSEM

माण स कम ह तो यनाकन

िथर अशिP (Under Estimation Error) होगी

535 परवय0 अशि= (Variable Error) -

जब एक ही उीपक को समान योगामक परिथित मgt अYसर उपिथत िकया जाता ह तो Rयि ारा

उन उीपक क तीता क बार मgt िदया गया उर (िनण1य) कई कारण स समान न होकर परवय1 (Variable)

अथा1त िभन-िभन होत ह जब उीपक क तीता एक ही ह योगामक परिथित एक ह तथा Rयि भी वही

ह तो उसक ारा िकया गया िनण1य भी िभन-िभन यास मgt एक ही होना चािहए परत ऐसा नहU होता ह

िनण1य मgt इस तरह क िविभनता को परवय1 Nिट (Variable Error) क सा दी जाती ह

इस कार क अशिPय क कई ोत होत ह ndash

bull Rयि क सवदनशीलता (Sensitivity) एक समय स दसर समय समान नहU होती ह

bull योगामक परिथित िकतनी भी िनयिNत Yय न हो उीपक क भौितक गण मgt कछ न कछ अतर आ ही

जाता ह िजसक कारण Rयि का िनण1य एक यास स दसर यास मgt परवित1त हो जाता ह

bull Rयि क मनोवि (Attitude) तथा अिभsिच हर समय एक समान नहU होती ह

A B

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 38

bull Rयि क योग क समय क मनोदशा स भी परणाम भािवत होता ह

54 िवHषण एव िनIकष0

उपरो अEययन स पता चलता ह िक मनोभौितक क महवपण1 सयय मgt सवदनशीलता िजसमgt दो कार

क सवदनशीलता मZय ह - िनरपM सवदनशीलता िवभदन सवदनशीलता ह इसी कार दहली या सीमात

(Threshold) मनोभौितक क महवपण1 सयय ह इसी क कारण उीपक क ित शारीरक या मानिसक

अनि या उपन करता ह इसी कार हम जानत ह दहली सीमात भी दो तरह क होत ह

आमपरक समता िबद मनोभौितक क मख सयय ह िजसम पता चलता ह िक Rयि जो आकलन

करता ह और उस Mण मgt कछ न कछ गलितया आ ही जाती ह और Rयि उन गलितय को समझ नहU पता ह

परवय1 स तापय1 यह ह िक अगर कोई एक ही Rयि िकसी एक परिथित मgt कई यास (Trial) दता ह तो

उसमgt कछ न कछ Nिटया आ ही जाती ह ऊपर वण1न िकय गए तyय स पD ह िक मनोदिहक योग मgt कछ

Nिटया भी होती ह कछ उपय िविधया अपनाकर इन Nिटय को कम करन का यास मनोवािनक क बीच

जारी ह

55 साराश

मनोभौितक क MN मgt कछ महवपण1 सयय इस कार ह - दहली या सीमात (Threshold) आमपरक

समता िबद (Point of Subjective Equality PSE) परवय1 Nिट (Variable Error) तथा सतत Nिट

(Constant Error) इसमgt सीमात (Threshold) का सयय महवपण1 ह

bull दहली या सीमात उीपक तीता क उस तर को कहा जाता ह जो शारीरक या मानिसक अनि या

िकसी Rयि मgt उपन करता ह जब उीपक क तीता सीमात या दहली स नीच होता ह तो वह िकसी

भी कार क अनि या उपन नहU करता

bull सीमात या दहली दो कार का होता ह - उीपक सीमात या िनरपM सीमात (Stimulus Threshold

or Absolute Threshold RL) एव िभनता सीमात (Differential Threshold DL) RL स तापय1

उस यनतम उीपक मान (Minimal Stimulus Value) स होता ह जो Rयि मgt अनि या 50 यास

मgt उपन करता ह

bull DL स तापय1 एक ही सवदी ह जो 50 यास मgt अनि या उपन करता ह

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 39

56 शदावली

bull मय (Value) Rयि क ाथिमकताए आशाए मानक तथा सामािजक =प स अनमोिदत जीवन ल(य

को म-य कहत ह

bull 6ण (Observation) िकसी वत या घटना क सािभाय जाच तािक उसक बार मgt तyय ाF िकय

जा सक अथवा जो भी दखा गया उसक बार मgt Rयि का अपना िन^कष1 स होता ह

bull दहली (Threshold) दहली या सीमात उीपक तीता क उस तर को कहा जाता ह जो शारीरक या

मानिसक ि या उपन करता ह

bull चर (Variable) कोई भी घटक जो मापा जा सक और परवित1त िकया जा सक

bull िनरप6 दहली (Absolute Threshold) इसका तापय1 िकसी उीपक क उस यनतम ऊजा1 स ह

िजसका होना उस उीपक क सापन क िलए अिनवाय1 ह

bull िवभदन दहली (Differential Threshold) िकसी उीपक मgt होन वाला वह यनतम परवत1न ह

िजसका सान हमgt हो सक

bull अिभवि- (Attitude) एक Rयि वत घटना थान िवचार या दशा क ित धनामक या ऋणामक

=प स िति या करन क वि इसमgt सानामक भावामक और Rयवहारामक अवयव होत ह

57 वमयाकन हत

1 िनरपM दहली स Yया तापय1 ह

2 िभनता दहली स Yया तापय1 ह

3 सतत Nिट को पD करgt

4 परवय1 Nिट का वण1न करgt

5 दहली स आप Yया समझत ह सोदाहरण समझाइए

58 सदभ0 1थ सची

bull िसह अsण कमार (2002)आधिनक सामाय मनोिवान ततीय सकरण मोतीलाल बनारसीदास पटना

bull िम fज कमार (2010) मनोिवान मानव Rयवहार का अEययन पीएच आई learning private

Limited नई िद-ली

bull tीवातव बीना एhड आनद वषा1 एhड आनद बानी (2003) सानामक मनोिवान मोतीलाल

बनारसीदास

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 40

bull अथाना मध (1999) मनोभौितक य एस पि)लशस1 वाराणसी

bull एनसीईआरटी 11(2002)

bull सYसना एनक एव भाग1व महश (1996) मनोभौितक एव मनोमापनज भाग1व बक हाउस राजामडी

आगरा

bull िसह अsण कमार (2002) आधिनक सामाय मनोिवान ततीय सकरण मोतीलाल बनारसीदास पटना

bull अथाना मध (1999) मनोभौितक यएस पि)लशस1 वाराणसी

59 िनबधामक

1 मनोभौितक क सयय को िवतारपव1क वण1न करय

2 दहली का उपयोग Rयवहारक जीवन क आधार पर पD किजय

3 मनोभौितक क सLयय को िवतारपवक1 वण1न किजय

4 परवय1 Nिट और सतत Nिट का अथ1 बतात हJए अतर पD किजय

5 सवदनशीलता क अथ1 को बतात हJए उनक कार का वण1न किजय

6 दहली का अथ1 बतात हJए एक उदाहरण पD किजय

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 41

इकाई-6 अवसीमा का ाचीन (सकत सान) िस ात सकत सापन िस ात

(Classical (Signal Detection) Theory of Threshold)

इकाई सरचना

61 तावना

62 उय

63 अथ1 एव वsप

64 योlय क ारा िदए गए िनण1य क कार

641 िहट अनमान

642 िमस अनि या

643 ग़लत अलाम1 क अनि या

644 सही अवीकार क अनि या

65 िवpषण एव िन^कष1

66 साराश

67 श)दावली

68 वम-याकन हत

69 सदभ1 2थ सची

610 िनबधामक

61 तावना

ाचीन मनोभौितक क योग मgt योlय को दो मgt स एक िनण1य अYसर लना पड़ता ह - हा या नहU यह

िविधया इस यय को जम दती ह िक दहली एक वातिवक िबद ह दसर श)द मgt यह वह थान ह िजसमgt

50-50 खोज होती ह अतः कछ लखक न इस िबद को िनरपM दहली क थान पर यािन सापन दहली

(Detection Threshold) कहना अिधक उिचत समझा ह इस कार िनरपM दहली वही िबद ह जहा पर हा

अनि या क सZया नहU अनि या क समान ह

62 उय

सकत सापन िसPात का मनोिवान क MN मgt बहJत महवपण1 योगदान ह और इस िसPात का उय यह

म-याकन करना होता ह िक कोई ितभागी जो कछ दखता ह उसको परशPता तथा सयता क िकस सीमा

तक बता सकता ह और यह भी िनिWत नहU होता क यिद ितभागी यह बता रहा ह िक उसन उीपक को

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 42

यMीकत िकया ह तो वातव मgt उसन उीपक का यMीकरण िकया भी ह या नहU इस िसPात मgt इस Nिट

का यMण करना और उसस परवत1न का सही आकलन करना दशा1ता ह

63 अथ0 एव वltप

Yलािसकल मनोभौितक िविधय (Classical Psychophysical Methods) का मZय सLबध lsquoदहलीrsquo

(Threshold) क िनधा1रण स रहा ह लिकन य िविधया कवल आदश1 िथित (Ideal Situation) मgt ही lsquoदहलीrsquo

िनधा1रण क िलए उपय मानी जा सकती ह न िक सामाय अवथाओ मgt अथा1त दहिलय क परभाषा

सािZयक िविधय स क गयी ह और यह दखा गया ह िक उन िविधय क ारा दहली मापन मgt कई Nिटया होती

ह जस आहात Nिट पवा1नमान Nिट थान Nिट आिद य सभी Nिटया दहली म-य को भािवत करती ह

इसिलए उीपक म-य तथा सवदनशीलता क सLबध का िनधा1रण सभव नहU हो सका इसिलए मनोभौितक मgt

नया िसPात िवकिसत हJआ िजसक वत1क Swets (1954) और उनक सहयोगी Tanner ह उहन िजस

िसात का ितपादन िकया ह उस मनोिवान मgt सकत सापन िसPात (Theory of Signal Detection

Theory of Signal Delectbility ndash TSD STD) कहत ह

Swets न यह सकत िकया िक योlय (Subject) कवल उीपक का ही यMीकरण करक अनि या

नहU करता बि-क यक योlय अनि या क िलए अपना मापदड (Criteria) भी िवकिसत करता ह और उस

योग मgt लाता ह िनण1य लन क िलए योlय क_ीय नायिवक भाव क िकसी एक िनिWत भाव को मापदड

क =प मgt चन लता ह और इसी मापदड क अनसार अनि या (Response) करता ह इस िसात क अनसार

(STD क अनसार) lsquoमनोवािनक िनण1यrsquo (Psychological Judgement) क िनधा1रण मgt सवदी Mमता या

ि या (Sensory Ability or Activity) क साथ-साथ असवदी पMपात क भी मZय भिमका होती ह अतः

सापन सLबधी समयाओ (Detection Problem) का अEययन करन हत सकत सापन िवpषण (Signal

Detection Analysis) क आधार पर िनण1य को भािवत करन वाल सवदी और असवदी (Sensory and

Non-Sensory) दोन कार क कारक को एक दसर स पथक करक समझन का यास िकया जाना चािहए

64 योJयK क Lारा िदए गए िनण0यK क कार

सकत सापन िवpषण क िलए योगकता1 योlय क अनक यास क िनण1य (Judgements) को अिकत

करता ह इस कार क िनण1य िनLनिलिखत चार कार क होत ह ndash

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 43

641 िहट अनमान (Hit Response) ndash

वसी अनि या को कहा जाता ह जब उीपक या सकत उपिथत ह और योlय उसक उपिथित क पहचान

करन मgt सफल हो जाता ह दसर श)द मgt िसrनल यािन उजना उपिथत ह और योlय उसक उपिथित क

पहचान करन मgt सफल होता ह अथा1त सही िहट (Correct Hit) करता ह

642 िमस अनिया (Miss Response) ndash

वसी अनि या को कहा जाता ह जब उीपक या सकत उपिथत रहता ह परत योlय उसक उपिथित क

पहचान करन मgt िमस कर दता ह दसर श)द मgt िसrनल यािन उजना उपिथत ह लिकन योlय उसक पहचान

करन मgt चक यािन िमस कर दता ह

643 ग़लत अलाम0 क अनिया (False Alarm Response) ndash

वसी अनि या को कहा जाता ह जबिक िकसी यास (Trial) मgt सकत अनपिथत (Absent) होता ह परत

योlय को यह आभास होता ह िक सकत उपिथत था दसर श)द मgt जब िकसी यास मgt िसrनल (उजना)

अनपिथत रहता ह परत योlय उजना क उपिथित बताता ह तो यहा lsquoिहटrsquo ग़लत होता ह इस कार यह

ग़लत चतावनी (अलाम1) (False Alarm Response) ह

644 सही अवीकार क अनिया (Correct Rejection) ndash

वसी अनि या को कहा जाता ह जब िकसी यास मgt सकत अनपिथत होता ह और साथ ही साथ योlय भी

यही कहता ह िक सकत अनपिथत था दसर श)द मgt िकसी यास मgt िसrनल उजना अनपिथत होता ह और

योlय भी उसक अनपिथित क सही पहचान करता ह इस कार वह उजना क उपिथित को सही =प मgt

अवीकार करता ह

उपय1 चार कार क अनि याओ को एक तािलका क =प मgt इस कार दिश1त िकया जा सकता

अनिया (Response)

हा (Yes) नहU (No)

उपिथत (Present) सही (Correct) ग़लत (Incoreect)

अनपिथत (Absent) ग़लत (Incoreect) सही (Correct)

स शअिस मgt चार तरह क अनि या ह (Four types of Response in SDT)

उपय1 तािलका मgt उजना सकत क दो कार क अनि याओ सहीग़लत क िमलन स चार कार क

सभािवत परणाम को िदखाया गया ह उदाहरण क िलए यिद आप शोरगल क वातावरण मgt भी वातिवक

िसrनल उजना क पहचान कर लत ह तो आपको सही (हा) का अक ाF होगा िसrनल क उपिथत रहन पर

सकत

(Signal)

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 44

यिद आप नहU पहचान पात ह तो ग़लत (नहU) का अक ाF होगा इसी कार यिद उजना उपिथत नहU हो

परत आप उसक उपिथित क =प मgt पहचान करgtग तो ग़लत (सही) का अक िमलगा और यिद अनपिथत

उजना को अनपिथत क =प मgt पहचान करत ह तो चौथी tणी क अनि या सही (नहU) का अक िमलगा

अथा1त यहा lsquoनहUrsquo क अनि या सही मानी जाएगी

सकत सापन योlय ारा lsquoदहलीrsquo क आसपास क उजनाओ (Stimuli That Surround the Subjects

Threshold) क अिभान (Detection) को िनण1य लन (Decision Taking) क ि या क =प मgt दखता ह

योlय को यह िनण1य करना होता ह िक उसन उजना क पहचान क ह अथवा नहU योlय का िनण1य उसक

रणा सवदनशीलता उजना क वsप तथा अनक अय पया1वरणीय कारक पर िनभ1र करता ह

सही अथवा ग़लत अनि याओ क सभावनाओ (Probabilities of Correct and inCorrect

Response) क आधार पर योlय क अनि याओ का व बनाकर दशा1या जा सकता ह इसी व को

lsquoरसीवर ऑपरिटग करYटरिटक व rsquo अथा1त आरओसी कव1 (Receiver operating Characteristics

Curve ndash ROC Curve) कहत ह दसर श)द मgt कहgt तो सही अनमान (Hit) क अनि या क अनपात तथा

ग़लत अलाम1 (False Alarm) क अनि या क अनपात को आलख (Graph) पर एक िवशष बल रखा

(Curve) ारा िदखलाया ह इस तरह का व जो इन दोन तरह क अनपात क सबध को िदखलाता ह उस ही

ROC Curve कहत ह ROC क िवशष आकार को िचN क माEयम स िदखाया गया ह

िचN - २ ndash आर ओ सी व का एक नमना (Example of a ROC Curve)

जब सकत को योlय क सामन तत िकया जाता ह तथा कछ यास मgt तत नहU िकया जाता ह तो उसस

उपन होन वाल गण का वण1न (ROC) व क माEयम स पD िकया जाता ह इन िवशषताओ या गण का

वण1न िनLनािकत ह ndash

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 45

bull 2ाफ़ (Graph) मgt दशा1यी गई सीधी ितरछी (Diagonal) रखा ारा सवदना का सकत िमलता ह इसस

तापय1 यह ह िक योlय उीपक या सकत को नहU पहचान पाता ह परत सीधी रखा उस िथित मgt भी ाF

हो सकता ह जब सकत lsquoदहलीrsquo (Threshold) क नीच होता ह

bull सीधी ितरछी रखा स ऊपर अथा1त बायU ओर क बल रखा ारा सकत क तीता मgt विP और उसक

फलव=प उस पहचान करन क अनि या क अनपात मgt भी विP का पता चलता ह

bull व (Curve) मgt धनषाकार िजतना ही अिधक होगा सही अनमान (Hit) का अनपात ग़लत अलाम1 क

अनपात स अिधक होगा और यह आकार अथा1त बीच क दरी (अदर का कल MN) िजतनी होगी Rयि क

सवदनशीलता उतनी ही अिधक होगी इस MN को drsquo (डी ाईम) कहा जाता ह

65 िवHषण एव िनIकष0

इस तरह स हम दखत ह िक सकत सापन िसPात (Signal Detection Theory) मgt िकसी सकत या उीपक

क ित Rयि क सवदनशीलता उसक याशा (Expectation) अिभरणा आिद स भी भािवत होती ह

परत सकत सापन िसPात मgt शP सवदनशीलता का अEययन (drsquo का माप ात कर) िकया जाता ह और इस

िविध का उपयोग सिनक अपन दश क सीमा मgt आ रह जहाज़ का पता लगान मgt करत ह

इस िसPात का अपना एक िवशष महव ह परत इसक आलोचना भी हJई िक इनमgt समय काफ़

लगता ह अथा1त इसमgt उीपक क पहचान करन क िलए काफ़ लबा चौड़ा तरीका अपनाया जाता ह िजसस

समय क बबा1दी होती ह परत यह आलोचना सही नहU ह Yयिक मानव एक सजीव ाणी ह िजसमgt सवदना

अिभरणा जस असवदी कारक मौजद होत ह जो मानव िनण1य को एक शP िनण1य नहU रहन दत ह इस िसPात

क िवतत िवpषण ारा Rयि क िनण1य को असवदी कारक स दर रखकर अEययन करना सभव होता ह

66 साराश

सकत सापन िसPात मनोदिहक MN मgt एक मख िसPात ह इस िसPात स हमgt यह पता चलता ह िक िकसी

सकत क पहचान स सLबिधत िनण1य कहा तक सवदी कारक स तथा कहा तक असवदी कारक स भािवत

होता ह

- सकत सापन िसPात सवदी कारक और असवदी कारक को अलग-अलग करन क एक महवपण1 िविध

या िसPात ह

- सही अनमान (Hit Response) स तापय1 Rयि या योlय का सही िनण1य दन स ह

- गलत अनमान (Miss Response) स तापय1 योlय क गलत या चक कर दन क िथित ह

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 46

- गलत चतावनी क अनि या (False Alarm Response) स तापय1 यह ह िक सकत अनपिथत रहता ह

परत योlय इस चीज़ को समझ नहU पाता और गलत अनि या दता ह

- सही वीकार क अनि या (Correct Response) का तापय1 यह ह िक जब सकत अनपितत हो और

योlय को भी अनपिथित का आभास हो जाए तो ऐसी िथित को सही वीकार क अनि या कहत ह

67 शदावली

bull अनिया (Response) Rयि ारा दी गयी सही या गलत िनण1य को ही अनि या कहत ह

bull मयाकन (Judgment) उपल)ध साम2ी क आधार पर मत िथर करन िनण1य पर पहJचन और

म-याकन करन क ि या िनण1य क ि या का उपाद

bull आरओसी व (ROC Curve) Rयि ारा दी गयी सही अनमान (Hit Response) क अनि या

क अनपात का आलख (Graph) पर एक िवशष व रखा (Curve) ारा इन दोन तरह क अनपात क

सबध को िदखाया जाता ह उस (Receiver operating characteristic ROC) व कहा जाता ह

bull डी मय (D value) डी म-य स तापय1 यह होता ह िक धनषाकार आकित क अदर क कल MN को

डी म-य कहत ह

68 वमयाकन हत

1 सकत सापन िसPात का अथ1 बताइय

2 सकgt त सापन िसPात मgt चार अनि याओ का वण1न किजय

3 सकत सापन िसPात मgt (ROC) व का एक िचN बनाईय

4 सकत सापन िसPात क आधार पर एक उदाहरण दीिजए

69 सदभ0 1थ सची

bull िसह अsण कमार (2002) आधिनक सामाय मनोिवान ततीय सकरण मोतीलाल बनारसीदास पटना

bull िम fज कमार (2010) मनोिवान मानव Rयवहार का अEययन पीएच आई learning private

limited नई िद-ली

bull tीवातव बीना एhड आनद वषा1 एhड आनद बानी (2003) सानामक मनोिवान मोतीलाल

बनारसीदास

bull अथाना मध (1999) मनोभौितक य एस पि)लशस1 वाराणसी

bull एनसीईआरटी 11(2002)

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 47

bull सYसना एनक एव भाग1व महश (1996) मनोभौितक एव मनोमापनज भाग1व बक हाउस राजामडी

आगरा

bull िसह अsण कमार (2002) आधिनक सामाय मनोिवान ततीय सकरण मोतीलाल बनारसीदास पटना

bull अथाना मध (1999) मनोभौितक यएस पि)लशस1 वाराणसी

610 िनबधामक

1 सकत सापन िसPात क चार अनि याओ का वण1न किजय

2 सकत सापन िसात क आलोचनामक RयाZया किजय

3 सकत सापन िसPात का वण1न किजय

4 सकत सापन िसPात मgt आरओसी व Yया होता ह समझाइय

5 सकत सापन िसPात का उदाहरण दत हJए िचN क माEयम स पD किजय

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 48

इकाईndash7 मनोभौितक13 िविधया ाचीन िविध आधिनक िविध (Psychophysical

Methods- Classical and Modern)

इकाई सरचना

71 तावना

72 उय

73 Yलािसकल मनोभौितक िविधया

731 औसत अशिP या अिभयोजन िविध

732 सीमा िविध या यनतम परवत1न िविध

733 िथर उजना एव िथर उजना अतरिविध

74 मनोभौितक क िविधया आधिनक िविध

741 फलट1न-किटल िसPात

742 थस1टन का तलनामक िनण1य का िनयम

743 ह-सन का अनकलन तर

75 िवpषण एव िन^कष1

76 साराश

77 श)दाली

78 वम-याकन हत

79 सदभ1 2थ सची

710 िनबधामक

71 तावना

मनोभौितक का शोध MN काफ़ Rयापक ह शोधMN मgt िनरतर ही िवकास होता रहा ह जसा िक फकनर न कहा

ह गगनचLबी इमारत क ऊचाई कभी समाF नहU होती Yयिक मजदर उस बनान का तरीका कभी नहU जान

सक इस कार यिप मन तथा उसक आयाम (Dimension) को समझन मgt मनोभौितक का योगदान इतना

अिधक नहU ह िजतना क फकनर तथा अय मनोवािनक न माना परत िफर भी साविदक तN (Sensory

System) क सLबध मgt मनोभौितक न बहJत उपयोगी तyय तत िकय ह िपछल सौ वषk स साविदक दहली

का मापन करन क िलए मनोभौितक का योग िकया जाता रहा ह परत यहः कहना गलत होगा िक मनोभौितक

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 49

कवल Rयावहारक या साविदक मनोिवान तक ही सीिमत ह 20वU शता)दी क अनसधान स यह ात हो

चका ह िक दहली क मापन तथा साव1भौिमक मनोभौितक िनयम क खोज अब भी अपण1 ह

72 उय

मनोभौितक मनोिवान क वह शाखा ह िजसक अतग1त मानिसक और भौितक जगत क सबध का माNामक

अEययन िकया जाता ह मनोिवान का सबध उीपक तथा अनि याओ क मEय पाए जान वाल सबध का

अEययन करन स ह बाT परवश स ाणी (Organism) ारा 2हण क जान वाली घटना को उीपक कहत ह

तथा ाणी क अदर होन वाल परवत1न को अनि या कहत ह जो िक मापन योrय होती ह चिक मनोभौितक

मनोिवान क ही एक शाखा ह अतः इसका सLबध भी उीपक तथा उसक ित ाणी क अनि या स ह इस

कार मनोभौितक मgt अनक िसPात िनयम का अEययन करन क बाद इसक िविधय का अEययन समयाओ

का अEययन करना भी वाछनीय ह

73 Nलािसकल मनोभौितक िविधया

मनोभौितक मgt अगर ाचीन िविधय (Classical Method)क बात क जाए तो GT Fechner क ारा दी

गई तीन िविधया ह जो िक मनोभौितक क समयाओ का अEययन करन क िलए महवपण1 ह ndash

(i) औसत अशिP या अिभयोजन िविध (Average Error or Adjustment)

(ii) सीमा िविध या यनतम परवत1न िविध या उरोर खोज क िविध (Method of Limit or the

Method of Minimal Changes or the Method of Successive Exploration)

(iii) िथर उजना एव िथर उजना अतरिविध (Method of Constant Stimuli and the Method

of Constant Stimulus Difference)

731 औसत अशि= या अिभयोजन िविध (Average Error or Adjustment Method) ndash

इस िविध को कई अय नाम स जाना जाता ह जस ndash समायोजन या अिभयोजन िविध (Method of

Adjustment) पनsपादन िविध (Method of Average Error) तथा त-य उीपक िविध

(Method of Equivalent Stimuli) स जाना जाता ह जसा िक इस िविध क नाम स पD ह इस

िविध का उपयोग िकसी उजना क परणाम म-य (Magnitude or Value) क यMीकरण

(Perception) यािन अनभव (Experience) मgt होन वाली Nिटय का औसत ात िकया जाता ह

इस िविध को उपयोग मgt लान हत अEययनकता1 कसी िथर म-य क lsquoमाण उजनाrsquo (Standard

Stimulus of a Fixed Value) क साथ एक तलनीय उजना (Comparison Stimulus) यािन

िजसक म-य को घटाकर या बढ़ाकर माण क बराबर िकया जा सकता ह (इसिलए इस परवय1

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 50

उजना Variable Stimulus कहत ह) को तत िकया जाता ह तथा योlय (Subject) को इस

lsquoपरवय1rsquo उजना क म-य को आवयकतानसार कभी घटाकर तो कभी बढ़ाकर lsquoमाण उजनाrsquo

(Standard Stimulus) क बराबर म-य पर अिभयोिजत या समायोिजत करन को कहा जाता ह

इसिलए इस समायोजन क िविध (Method of Adjustment) भी कहत ह इसी तरह क कई

lsquoसमायोजन यासrsquo िलए जात ह यक यास मgt योlय ारा परवतv उजना और माण उजना

क म-य को बराबर करन क म मgt (माण उजना) क वातिवक परमाण या म-य और योlय

ारा परवय1 उजना म-य को परवित1त कर िजस म-य पर बराबर िकया गया ह उन दोन म-य क

अतर स म-य क यMीकरण मgt होन वाली Nिट का आकलन िकया जाता ह इन मान क िनधा1रण

ारा Rयि क िनण1य करन क परशPता सवदनशीलता क ती(णता आिद का िवpषण िकया जाता

732 सीमा िविध या यनतम परवत0न िविध (Method of Limit or the Method of Minimal

Changes or the Method of Successive Exploration) ndash

इसको उरोर ( िमक) खोज िविध (Method of Successive or Serial Exploration) भी कहा

जाता ह इस िविध का उपयोग मZय =प स (RL) अथवा उजना सीमात (Stimulus Threshold) एक

िभनता सीमात (Differential Threshold) का पता लगान या िनधा1रत करन हत िकया जाता ह यही RL

का तापय1 उजना क उस म-य या परमाण स ह िजसका अिभान किठनाई स होता ह अतः RL अिभान

क यनतम माNा होती होती ह इस माN अिभान कहत ह (माN अिभान (Just Noteable) स तापय1 िकसी

उजना क उस म-य स ह िजसका अिभान कल Rयवहार क आध यास मgt होता ह और शष आध यास मgt

नहU होता ह) और माN अिभान क ि या को उजना या िनरपM समात (Stimulus or Absolute

Threshold) कहत ह इसी कार िभनता सीमात (Differential Threshold) स तापय1 िकसी उजना क

म-य क यनतम या लघतम उस अतर म-य को कहत ह िजसका आभास 50 अवसर पर होता ह तथा शष

50 अवसर पर नहU होता ह इस कार उजना म-य मgt यनतम परवत1न क सीमा िजसक कारण म-य मgt

िभनता का अनभव होता ह को ही lsquoमाN िभनता सीमातrsquo कहत ह

इन म-य क िनधा1रण क िलए इस िविध मgt परवय1 उजना (Variable Stimulus) को िमक म

मgt यनतम म-य का वकि-पक रीित स उरोर (Successively) बढ़त हJए या घटत हJए म मgt परवित1त करत

हJए तत िकया जाता ह और इस कार योlय यक वकि-पक यास मgt िजस यनतम म-य पर अपनी

िभनता सLबधी अनि या Rय करता ह उनका िवpषण कर वािछत अिभान सीमात का पता लगाया

जाता ह इसिलए इस lsquoउरोरrsquo क िविध भी कहत ह चिक इस िविध मgt यक वकि-पक यास (बढ़न या

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 51

घटन पर) परवय1 उजना क म-य मgt यनतम िबद का परवत1न लाकर योlय क अनि या ली जाती ह

इसिलए इस lsquoयनतम परवत1न क िविधrsquo (Method of Minimal Changes) भी कहत ह

733 िथर उ-जना एव िथर उ-जना अतरिविध (Method of Constant Stimuli and

Constant Stimuli Difference) ndash

इस िविध को बारबारता िविध क नाम स भी जाना जाता ह इसका मZय उय िनरपM सीमात (Obsolute

Threshold) अथवा िभनता सीमात (Differential Threshold) का पता लगाना होता ह यह िविध सीमा

िविध (Method of Limit) स िमलती-जलती िविध ह इस िविध मgt एक िथर म-य क भाव उजना

(Standard Stimulus of a Fixed Value) और िविभन म-य वाली परवतv उजना को बारी-बारी स एक

दसर क बाद तत िकया जाता ह और योlय को इन दोन क बीच तल1ना करत हJए यह बताना होता ह िक उस

िकस म-य वाली परवय1 उजना माण उजना क बराबर भारी या हलक अथवा छोटी अनभव होती ह जब

इस िविध का योग RL का पता लगान हत िकया जाता ह तो इस िथर उजना िविध कहत ह और जब इस

िविध का उपयोग िभनता सीमात (DL) का पता लगान हत िकया जाता ह तो इस lsquoिथर उजना अतर िविधrsquo

(Constant Stimuli Difference Method) कहत ह इस िविध को बारबारता िविध (Frequency

Method) क नाम स भी जाना जाता ह इसका कारण यह ह िक िथर म-य वाली उजना को िविभन म-य

वाली परवय1 या तलनीय उजनाओ क साथ तलनामक िनण1य कई बार िलए जात ह और इस कार योlय

क िनण1य क बारबारताओ (Frequencies of Judgements) का िवpषण कर सीमात का िनधा1रण िकया

जाता ह

सीमा िविध और िथर उजना िविध मgt एक और समानता यह ह िक इन दोन िविधय मgt परवय1

उजना िविध क म-य मgt होकर या जोड़-तोड़ योगकता1 ारा ही िकया जाता ह योlय को कवल अनि या

दनी होती होती ह इस कार य दोन िविधया औसत अशिP िविध स िभन ह Yयिक औसत अशिP िविध स

योlय एव परवय1 उजना मgt हरफर या जोड़-तोड़ लाकर उस माण उजना क बराबर अिभयोिजत करना ह

74 मनोभौितक क िविधया आधिनक िविध

आधिनक िविध (Modern Method)- फकनर क पारपरक मनोभौितक ािविधय तथा मापन क

िविभन कार क सशोधन मgt चार सीमा िच (Landmark) दखन को िमलत ह िजनक फलव=प

मनोभौितकय िविधय का अयतम िवकास हJआ ह य ह ndash (i) फलट1न-किटल िसPात (ii) थस1टन का

तलनामक िनण1य का िनयम (iii) हलसन का अनकलन तर तथा (iv) टीवgtस का घाताक फलन

741 फलट0न-किटल िस=ात (Fullerton-Cattell Principle 1892) -

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 52

इस िनयम क अनसार ldquoायः समान =प स य भद एक स होत ह जब तक िक उनको सदव या कभी नहU जाना

जा सकrdquo (Equally often noticed Differences are equal unless always or never noticed) इस

िनयम क यह मायता ह िक यिद उीपक इस कार क हग ndash िजनमgt या तो कभी भी िभनता CिDगोचर नहU

होगी या सदव ही िभनता CिDगोचर होगी तो िवचलन असमान हग इस तyय क माण भी िमलत ह सMप मgt

इस िनयम का योग उसी समय िकया जा सकता ह जबिक उीपक क मEय सबध को िनरतर एक ही कार स

न समझा जा सक फकनर न अपन िनयम को वबर क अनपात (Weberrsquos Ratio) स सLबिधत माना परत

थस1टन (1927) तथा िगलफड1 (1954) दोन क ही अनसार यह कवल तभी सय ह जब उीपक-सातय

(Stimulus continuum) मgt िवचलन समान हो

मनोभौितक मgt िवचलन क अनसधान मgt फलट1न तथा किटल न योlय स एक उीपक को अनक

बार पनःिनिम1त करन को कहा तपWात उहन पनsपादन क सभाRय Nिट (Probable Error) ात क अब

यिद lsquoवबर-अनपातrsquo तथा lsquoफलट1न-किटल िनयमrsquo दोन ही सय ह तो िवचलन िथर होना चािहए अथा1त

सभाRय-Nिट का मEयमान (mean) स अनपात िथर (Constant) होना चािहए परत उहन यह पाया िक

पनsपादन क औसत Nिट उीपक क वग1मल क यM अनपात मgt बढती ह इस कार फलट1न-किटल िनयम

को िनLन सN क माEयम स जाना जा सकता ह ndash

∆S=CradicS

जहा पर C= Constant सLभाRय या औसत Nिट

परत िगलफड1 (1932) न पाया िक अनभवामक द वबर अनपात तथा lsquoफलट1न-किटल िनयमrsquo क बीच मgt

ह उहन नया ताव िदया िजस nth घाताक िनयम (Power Law) कहत ह िगलफड1 न कहा िक चिक

फलट1न-किटल िनयम को इस कार िलखा जा सकता ह ∆S=CS5 तथा वबर क अनपात मgt घात 10 ह अतः

दो फलन क बीच उिचत द क म-याकन क िलए यह माना जाता ह िक घाताक मgt परवत1न द पर िनभ1र

कता1 ह इसी कार िगलफड1-काय1 को इस कार िलखा जा सकता ह ∆S=KSn जहा पर n को द स ाF

िकया गया ह और आवयक =प स नहU पर शायद 05 (फलट1न-किटल) तथा 10 (वबर) क बीच ह तथा

K=Constant ह

742 थस0टन का तलनामक िनण0य का िनयम (Thurstonrsquos Law of Comparative Judgment)

-

मनोभौितक क िकसी भी योग मgt योlय क सLमख दो उीपक को तत िकया जाता ह तथा उसस यह पछा

जाता ह िक दोन मgt वह िकसी गण क आधार पर भद कर सकता ह यिद वह िकसी िवशष गण क आधार पर उन

दोन उीपक मgt िवभद करता ह तो दो यर क सभावना ह ndash या तो lsquoअrsquo उजना lsquoबrsquo स िकसी गण मgt

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 53

अिधक होगी या lsquoबrsquo lsquoअrsquo स यिद योlय उनक कभी भी िभनता नहU जान पाता तब भी भाव एक ही होगा

Yयिक दोन ही परिथितय मgt वह अपन िनण1य को नहU बदलता ह इसी कारण फलट1न-किटल िनयम को यह

कहकर सशोिधत कर िदया गया ह िक जब तक अतर सदव एव कभी CिDगत होत ह यर मgt परवत1नशीलता

नहU पाई जाती ह जब दो उीपक आपस मgt बहJत समान होत ह तो योlय क यर मgt िभनताए पाई जाती ह

िवचलन क मख समया दो उीपक मgt िविभनता क माNा का म-याकन करना ह यह म-याकन

इस आधार पर िकया जा सकता ह िक उीपक lsquoअrsquo उीपक lsquoबrsquo स िकतनी बार lsquoबड़ाrsquo बताया गया ह तथा

िकतनी बार lsquoबrsquo तथा lsquoअrsquo उीपक अय उीपक स lsquoिभनrsquo बताय गए ह यही तyय वबर अनपात तथा

फलट1न-किटल िनयम मgt पाया जाता ह Yयिक यह यक िनण1य क क_ीय झकाव क मापन स सLबिधत

िवचलन का अयM म-याकन ह तलनामक िनण1य का िनयम इसी समया स सLबिधत ह िनयम यह ह ndash

X1 ndash X

2 = Zab radicσ2a+ σ σ2b-2rabσaσb

जहा पर Zab=सामाय िवचलन

σa तथा σb= X1 तथा X

2 क िवचलन (dispersion) स सLबिधत मानक िवचलन(σ)

rab=दोन उीपक क मEय सहसबध का मान

X1 तथा

X

2 उीपक का मािपत म-य (Scaled Values)

थस1टन का िनयम परपरागत मनोभौितक क समयाओ को समझन तथा मािपत िविधय (Scaling

Techiniques) मgt उपयोगी होन क कारण अित महवपण1 ह

743 हसन का अनकलन तर (Helsonrsquos Adaptation Level) -

अनकलन तर िसPात का ितपादन ह-सन (1964) न िकया था मनोभौितकय अनसधान स ाF

िवरोधामक घटनाओ (Phenomena) क अEययन क िलए इस िसPात क थापना क गयी थी बाद मgt इस

िसPात का योग अय जिटल सावदिनक तथा Rयावहारक ि याओ क िलए िकया गया अनकलन तर पर

अनसधान तथा िसात क परणामव=प फकनर क िनयम का पनःRयवथापन िकया गया तथा अब इसका

योग सीखन तथा अनबधन (Conditioning) क ि याओ क िलए भी िकया जान लगा ह

ह-सन (1938) न रग क चार गण ndash िथरता (Constancy) िवरोध (Contrast) =पातर

(Conversion) अनकलन (Adaptation) क सापिMक भाव को परखन क िलए एक योग िकया उहन

इसक िलए तीन परिथितय (i) वत का रग (Colour of the Object) (ii) पnभिम (Background) (iii)

काश क माNा (Amount of Illumination Present) का सहारा िलया इस योगामक CिDकोण मgt इन

तyय तथा योlय ारा उनक िवषय मgt िलए गए िनण1य क मEय अतस1Lबध पD हो गया वत क रग का

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 54

िनण1य योग मgt िलए गए अय चर (Variables) पर िनभ1र था इसक आधार पर यह कहा जा सकता ह िक

िनण1य अय उीपक स अनकलन क तर पर िनभ1र करता ह उदाहरणाथ1 योlय का वत क रग सLबधी

िनण1य इस पर आधारत था िक उसन चमक (Illumination) क साथ िकस तर तक अनकलन कर िलया था

ह-सन न अनकलन तर क परभाषा इस कार दी ह ndash ldquoअनकलन तर ाणी को दोन ओर बाहर तथा भीतर स भािवत करन वाल उीपक का सम2 भाव ह तथा इसमgt पव1 अनभव क अवशष भी िनिहत हrdquo (Adaptation level is a pooled effect of all stimuli impinging upon the organism both from without and within and includes residuals from past experience) इसक बाद यह भी माना गया िक अनकलन तर इन सभी उीपक का मानक औसत (Weighted Mean) ह इस कार पहल स ाF िनण1य को इस कार भारत (Weighted) िकया गया िक य घटनामक िनण1य (Eventual Judgments) का पव1कथन कर सकgt

ह-सन तथा अय िवान ारा िकय गए अEययन क परणामव=प मनोभौितकय मापन क ित

CिDकोण मgt अनक महवपण1 परवत1न हJए िमचल तथा हसन (1949) न फकनर क िनयम का पनRय1वथापन

िकया ह इसक अनसार िकसी यास मgt योlय क अनि या तकालीन या अय पहल क यास पर िनभ1र

करती ह

अनकलन तर क यय को Rयवहार क अनक MNो-अमत1 िचतन सवग आिद मgt सामायीकत िकया

जा सकता ह अतः इसक योग का MN िवतत हो गया ह परत इसका मZय उय मनोभौितकय िनण1य क

अEययन मgt पाए जान वाल कछ िवरोध को सलझाना था अय जिटल Rयवहार को जानन क िलए

मनोभौितक क समयाए अिधक उपयोगी िविधया दान करती ह अतः यह कहा जा सकता ह िक

मनोभौितक वह थान ह जहा स Rयवहार क ान का उदगम होता ह

744 टीव(स का शिP काय0 (Stevenrsquos Power Function) -

फकनर क मलभत मायता यह थी िक सामान उीपक अनपात सामान सावदिनक िभनताओ क सम=प होत

ह अनक योग क अधर पर टीवgtस न बताया िक मनोवािनक सवदना स सLबिधत भौितक उीपक होत ह ndash

ψ =K (γ - γo)n

जहा पर K= एक िथराक (Constant) जो िक इकाइय क चयन स िनधा1रत िकय जात ह

n=An exponent जो िक साविदक तN क साथ-साथ परवित1त होत ह

ψ=उीपक का मनोवािनक परमाण

γ=शारीरक उीपक

γo=भावकारी दहली (Effective Threshold) ndash भौितक मान का वह िबद जहा स भावकारी

उीपक का मापन ारभ होता ह

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उराखड म िव13िवालय 55

टीवgtस क सN मgt वबर अनपात तथा फकनर िनयम दोन क िवशषताए िनिहत ह फकनर िनयम क

समान यह इसिलए ह Yयिक इसमgt उस दहली म-य (Threshold Value) का मापन िनिहत ह िजस पर

मनोवािनक िनण1य िदया गया ह Exponent lsquonrsquo क योग क कारण इनक सN मgt lsquoवबर अनपातrsquo का मZय

तव िनिहत ह जो िक अEययन क जान वाली ानि_य क साथ-साथ बदलती ह योग क आधार पर टीवgtस

तथा उसक सहयोिगय न पाया क lsquonrsquo साविदक (Sensory Modality) क साथ-साथ बदलता रहता ह चमक

(brightness) को 033 तथा िबजली क आघात (Electric Shock) को 35 का म-य दान िकया गया

75 िवHषण एव िनIकष0

फकनर न अपन िनयम मgt िजस द क RयाZया क ह वह lsquoटीवgtस शि काय1rsquo स िभन ह सवदना क मापन क परानी मनोभौितक िविधय क कछ अपनी ही िवशषताए ह कछ िविधय मgt योlय स यह पछा जाता ह िक lsquoYया दो उीपक समान हrsquo अथवा lsquoYया दो उीपक एक दसर स िभन हrsquo िफर भी इन िविधय क कछ अपनी सीमायgt एव किमया ह

इस अEययन क एक महवपण1 उपलि)ध यह ह िक िन^कषा1मक काय1 योग िविध पर िनभ1र करता ह समकालीन िविधय क अपMा ाचीन (classical) मनोभौितकय िविधया िकसी एक कार क काय1 क अEययन मgt अिधक समथ1 ह Yयिक आजकल योlय स माग गए िनण1य मgt िभनता पाई जाती ह टीवgtस तथा उसक सहयोिगय क योग इस तyय क पिD करत ह

76 साराश

मनोभौितक क ाचीन (Classical Method) िविध मgt मZय - 1 औसत अशिP या अिभयोजन िविध

(Average Error or Adjustment Method) 2 सीमा िविध या यनतम परवत1न िविध (Method of

Limit or Method of Minimal Changes) 3 िथर उजना एव िथर उजना अतर िविध (Method of

Constant Stimuli and Constant Stimuli Difference) सिLमिलत ह मनोभौितक क आधिनक िविध

मgt फलट1न-किटल िसPात (Fullerton-Cattell Theory) थस1टन का तलनामक िनण1य का िनयम

(Thurston Law of Comparative Decision) ह-सन का अनकलन तर (Helsons Adaptation

Level) टीवgtस का शि काय1 (Stevens Power Function) मख ह

टीवgtसन न फकनर क िनयम को ही सशोिधत करत हJए घात िनयम (Power Law) को ितपािदत िकया ह

77 शदावली

bull उीपक (Stimulus) बाT परवश स ाणी ारा 2हण क जान वाली घटना को उीपक कहत ह

bull अनिया (Response) ाणी क अदर होन वाल परवत1न को अनि या कहत ह

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उराखड म िव13िवालय 56

bull सीमा िविध सीमा का उय मZय =प स RL अथवा उजना सीमात (Stimulus Threshold) एव

िभनता सीमात (Differential Threshold) पता लगान या िनधा1रत करन स ह

bull िथर उ-जना िविध इसका आशय िनरपM सीमात (Absolute Threshold) अथवा िभनता सीमात

(Differential Threshold) का पता लगाना होता ह

bull औसत अशि= (Method of Average Error) इसका आशय यह ह िक िकसी उजना क परणाम

का म-य को दखन या अनभव मgt होन वाली Nिट (Error) का औसत ात करना होता ह

78 वमयाकन हत

1 ाचीन िविध Yया ह

2 ाचीन िविध क कार बताइय

3 आधिनक िविध Yया ह

4 ाचीन िविध और आधिनक िविध मgt अतर पD किजय

79 सदभ0 1थ सची

bull िसह अsण कमार (2002) आधिनक सामाय मनोिवान ततीय सकरण मोतीलाल बनारसीदास पटना

bull िम fज कमार (2010) मनोिवान मानव Rयवहार का अEययन पीएच आई learning private

Limited नई िद-ली

bull tीवातव बीना एhड आनद वषा1 एhड आनद बानी (2003) सानामक मनोिवान मोतीलाल

बनारसीदास

bull अथाना मध (1999) मनोभौितक य एस पि)लशस1 वाराणसी

bull एनसीईआरटी 11(2002)

bull सYसना एनक एव भाग1व महश (1996) मनोभौितक एव मनोमापनज भाग1व बक हाउस राजामडी

आगरा

bull िसह अsण कमार (2002) आधिनक सामाय मनोिवान ततीय सकरण मोतीलाल बनारसीदास पटना

bull अथाना मध (1999) मनोभौितक यएस पि)लशस1 वाराणसी

710 िनबधामक

1 मनोभौितक मgt ाचीन िविध तथा आधिनक िविध को पD किजय

2 मनोभौितक मgt ाचीन िविध तथा आधिनक िविध क आलोचनामक RयाZया किजय

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 57

3 मनोभौितक मgt ाचीन िविध का िवतत वण1न किजय

4 मनोभौितक मgt आधिनक िविध को पD किजय

5 मनोभौितक मgt िविधय का उपयोग बतात हJए उनका वण1न किजय

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 58

इकाई-8 अवधान )वप कार एवम िस ात अवधान भग एव अवधान परवतन

(Attention- Nature Types and Theories Shift and distraction in

attention)

इकाई सरचना

81 तावना

82 उय

83 अवधान का व=प

84 अवधान क कार

841 ऐि`छक अवधान

842 अनि`छक अवधान

843 वाभािवक अवधान

85 अवधान क िसPात वगvकरण

851 चयनामक अवधान क िसPात

852 दीघा1विध अवधान क िसPात

86 अवधान भग एव परवत1न

87 साराश

88 श)दावली

89 वम-याकन हत

810 सदभ1 2थ सची

811 िनबधामक

81 तावना

अवधान Rयि क जीवन मgt हर पल हर Mण घटन वाली मानिसक ि या ह िवाथv जीवन मgt यक िवाथv

को अवधान अविध को बढ़ान क िचता सताती रहती ह

वातव मgt इस अवधान का व=प कसा होता ह यह िकतन कार का होता ह यह िकस िसPात पर

आधारत ह इन सबक जानकारी आपको इस इकाई मgt दी जा रही ह

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 59

82 उय

इस इकाई को पढ़न क बाद आप-

1 अवधान क व=प को जान सकgt ग

2 अवधान क कार का वण1न कर सकgt ग

3 अवधान पर लख िलख सकgt ग

4 अवधान क िसPात का वगvकरण कर सकgt ग

5 अवधान Yय भग हो जाता ह एव अवधान म परवत1न कस होता ह इसक जानकारी ाF कर सकgt ग

83 अवधान का वQप

अवधान का सबध हमार नN कान नाक वचा आिद ानि_य स ह य ानि_या हर पल अपन आस-पास क

वातावरण मgt उपिथत उीपक क सपक1 मgt आती रहती ह तथा उीपक क भावोपादक Mमता क अनसार

भािवत भी होती ह परत Rयि उन सभी उीपक क ित अनि या नहU करता ह वह अपनी इ`छा तथा

ज=रत क अनसार कछ खास-खास उीपक को चन लता ह और उसक ित अनि या करता ह एक उदाहरण

लीिजए - आप कMा मgt बठ ह एव िशMक आपको पढ़ा रह ह िजस कमर मgt कMा हो रही ह वह कई उीपक स

भरा होगा जस िक कसv मज ब-ब दीवार घड़ी पखा अय साथी िवाथv आिद परत इन सभी उीपक पर

आप Eयान नहU दत ह आप का Eयान िशMक ारा बोल जा रह श)द एव उसक चहर क भाव-भिगमा पर

lयादा रहता ह अपन कान ारा िशMक क श)द एव भाव-भिगमा पर Eयान दत समय आप िवशष शारीरक

म_ा मgt रहत ह अतः पD ह िक -

1 अवधान एक ऐसी मानिसक ि या ह िजसमgt उीपक का चयन िकया जाता ह

2 अवधान क अवथा मgt शरीर तदन=प समायोजन मgt रहता ह

3 अवधान क िथित मgt सबिधत उीपक क ित अनि याशीलता होती ह

4 अवधान का िवतार सीिमत होता ह - जस िक िशMक ारा कMा मgt पढ़ाय जात समय अचानक

बाहर शोर होन पर आपका Eयान बट जाता ह

5 अवधान मgt अिथरता का गण पाया जाता ह

6 अवधान मgt िवभाजन का गण पाया जाता ह - जस िक जब Rयि एक ही परिथित मgt अलग-अलग

दो या दो स अिधक काय1 करना ारLभ कर दता ह तब Rयि अपना Eयान उन दोन ही कायu पर

होता ह अवधान क इस िथित को अवधान िवभाजन क सा दी जाती ह उदाहरणाथ1 - जब आप

भोजन कर रह ह एव साथ ही साथ टलीिवजन भी दख रह ह तो इसस आपका Eयान दोन पर यानी

भोजन एव टलीिवजन पर िवभािजत हो जाता ह

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 60

इस कार हम दखत ह िक अवधान जो मलतः ानि_य क वातावरण मgt उपिथत कछ खास उीपक

क ित अनि या करन पर होता ह अथा1त इसमgt चयनामक मानिसक ि या घिटत होती ह क अय कई

िवशषताए होती ह िजसक आधार पर उस अय मानिसक ि याओ क बीच िवशष थान ाF ह

84 अवधान क कार

841 ऐिRछक अवधान ndash

इस अवधान म Rयि क इ`छा धान होती ह वातावरण मgt उपिथत िविभन कार क उीपक मgt स Rयि

अपनी इ`छानसार कछ खास िकम क उीपक क ित ही आकिष1त होता ह अथवा वह उहgt चन लता ह

उदाहरण क िलए आपक दो िदन क बाद परीMा ह लिकन आपक पास एक िवशष िवषय स सबिधत पतक

नहU ह तथा आप उस खरीदन बाजार मgt आए ह ऐसी िथित मgt बाजार मgt उपिथत दकान मgt स पतक क

दकान क ओर आप ज-दी Eयान दgtग हालॉिक इधर-उधर नजर दौड़ान पर आपक सामन अनक कार क

दकानgt हगी ऐसा इसिलए होता ह Yयिक उस समय आपक िसफ1 पतक क आवयकता ह यानी आपक

इ`छा िसफ1 पतक खरीदन क ह

इस कार पD ह िक इस कार क अवधान मgt -

1 Rयि क एक पD इ`छा आवयकता होती ह जस- पतक खरीदना

2 एक पD उय होता ह जस- पतक क दकान खोजना

3 बाधक वतओ क ओर Rयि का Eयान नहU दना

842 अनिRछक अवधान ndash

इस तरह क अवधान मgt Rयि क इ`छा या आवयकता धान नहU होती ह बि-क उीपक वत क आकष1क

शि व उसक गण क धानता होती ह इस तरह क अवधान मgt Rयि वय अपनी इ`छा या आवयकता क

कारण िकसी वत पर Eयान नहU दता ह बि-क उस वत का गण उसका अपनी ओर Eयान आकिष1त कर लता

ह उदाहरण क िलए आप अपन िवालय क कMा मgt बठकर िशMक क बात सन रह ह अचानक बाहर सड़क

पर शोर होता ह और आपका Eयान उस शोर क ओर चला जाता ह Yयिक उस शोर क आवाज मgt तीता (जो

िक शोर का िवशष गण ह) अिधक ह इसी तरह रलव टशन पर लोग क भीड़ क वजह स बहJत शोर होता ह

परत िफर भी हमारा Eयान उोषणा एव रल क हान1 क आवाज क ओर बरबस ही चला जाता ह Yय िक उन

दोन ही आवाज मgt तीता अिधक होती ह

इसस पD ह िक इस कार क अवधान मgt -

1 Rयि क पD इ`छा या आवयकता नहU होती ह

2 न ही कोई िवशष ल(य होता ह

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उराखड म िव13िवालय 61

3 Rयि वय अपना Eयान लगान का अितर यास नहU करता ह 843 वाभािवक अवधान ndash

वाभािवक अवधान मgt Rयि का Eयान िकसी वत आवाज उीपक क ओर उसक िवशष वभाव अथवा

आदत क वजह स िबना िकसी यास क कारण ही चला जाता ह उदाहरण क िलए िवाथv का Eयान िकताब

क दकान क ओर पानीपरी खान वाल का Eयान पानीपरी क दकान क ओर शराब पीन वाल का Eयान

शराब क ओर मोची का Eयान लोग क जत क ओर जाना वाभािवक अवधान ह

इसस पD ह िक इस कार क अवधान मgt -

1 Rयि क इ`छा अथवा आवयकता क कोई धानता नहU होती ह

2 Rयि अपन वभाव आदत एव िवशष Rयवहार क अयास क वजह स Eयान दता ह

85 अवधान क िस=ात वगSकरण

वगvकरण- अवधान पर उपल)ध िसPात को दो वगk मgt बॉटा जा सकता ह-1 चयनामक अवधान क

िसPात 2 दीघा1विध अवधान क िसPात

851 चयनामक अवधान क िस=ात

1) बॉटलनक (बोतल-गला-अवरोध) िस=ात ndash

बॉटलनक िसPात क नाम क अनसार इस िसPात क मायता ह िक वातावरण मgt उपिथत िविभन उीपक मgt

स चयनामक ि या क तहत कछ उीपक अथवा एक उीपक क अवधान मgt आन स पव1 ही उस एक िवशष

कार क ोसिसग (सचना ससाधन) स गजरना पड़ता ह तापय1 यह ह िक िजस कार एक बोतल का गला

बहJत ही सकरा होता ह तथा उसमgt स एक समय मgt बहJत ही कम साम2ी अदर वश कर सकती ह अवधान भी

Rयि क जीवन मgt उसी तरह घटन वाली एक महवपण1 घटना ह उदाहरण क िलए िजस तरह स यिद हम एक

ऐसी बोतल मgt पानी डालन क कोिशश करत ह िजसका मह छोटा ह तो पानी क भीतर जान मgt एक तरह का

अवरोध उपन होता ह और कछ माNा मgt पानी बोतल क भीतर जाता ह और कछ माNा मgt पानी बोतल क बाहर

िगर जाता ह ठीक इसी तरह यिद Rयि को एक ही साथ कई तरह क सचनाओ को ससािधत करना पड़ता ह या

उस पर Eयान दना पड़ता ह तो वह सभी ऐसी सचनाओ पर एक साथ Eयान नहU द पाता ह Yयिक अिधक

सचनाओ क कारण माग1 अव=P हो जाता ह कछ सचनायgt इस माग1 अवरोध को पार करत हJए Rयि क

अवधान का िवषय बन जाती ह परत कछ सचनायgt पीछ ही रह जाती ह Yयिक व माग1 अवरोध को पार नहU

कर पाती ह जो सचनायgt पीछ रह जाती ह वह Rयि क अवधान MN स बाहर हो जाती ह

2) िफटर िस=ात -

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उराखड म िव13िवालय 62

िफ-टर िसPात fॉडबट न सन 1958 मgt ितपािदत िकया था इसक अनसार जब Rयि को एक ही साथ कई

तरह क सचनाओ को ससािधत करना पड़ता ह अथा1त Eयान दना पड़ता ह तो इस आरिLभक अवथा मgt माग1

अव=P (बॉटलनक) हो जाता ह इसिलए इस बॉटलनक िसPात क ही वग1 मgt रखा जाता ह सरल श)द मgt

जस ही हमारी ानि_यॉ (ऑख नाक कान आिद) वातावरण ारा िषत कई कार क सचनाओ क सपक1 मgt

आती ह तो व सव1थम व उन सचनाओ स सविदत होती ह इस ि या को सवदन कहा जाता ह सवदन तरत

बाद इन सचनाओ क ससाधन क ि या घिटत होती ह चिक सामाय तौर पर Rयि क ारा एक साथ बहJत

सारी सचनाओ का ससाधन करन क Mमता सीिमत होती ह अतः वह उन सचनाओ मgt स कछ पर ही Eयान द

पाता ह एक कार स यहॉ पर Rयि सचनाओ =पी साम2ी मgt स आवयक सचनाओ को िफ-टर कर रहा होता

ह Eयान नहU दी गयी सचनाओ का अितव अवधान क ारिभक अवथा मgt ही समाF हो जाता ह fॉडबट

क इस िसPात को िफ-टर िसPात कहा जाता ह एव अिधक सचनाओ मgt स कम सचनाओ gt क चयन ारा

अवधान दन क िलए चन जान क कारण यह बॉटलनक िसPात क tणी का ही एक कार ह

fाडबट क िसPात क अनसार हम सचना क भौितक गण क आधार पर उसका चयन करत ह या उस

एक तरह स छानत (िफ-टर) ह तथा उस पर Eयान द पात ह उदाहरणाथ1 - Rयि तज आवाज पर Eयान द पाता

ह परत मिPम आवाज पर नहU इसका कारण यह ह िक मिPम आवाज बॉटलनक को पार करन मgt असमथ1

रहती ह इस तरह स हम दखत ह िक fॉडबट क िसPात ारा इस बात क RयाZया तो आसानी स हो जाती ह

िक Rयि सचना क सभी िवशषताओ मgt स कछ पर Eयान Yय नहU द पाता ह पर Rयि सचना क कछ बहJत

खास िवशषताओ जस िक सचनाओ क सम_ मgt उसका नाम आन पर वह तरत Eयान दन मgt समथ1 Yय हो जाता

ह तथा Eयान नहU दी गयी सचना क कछ िवशषताओ स Rयि अवगत Yय हो जाता ह 3) तनकरण िस=ात ndash

इस िसPात अथवा मॉडल का ितपादन ीसमन ारा सन 1964 मgt िकया गया इस िसPात क अनसार

सामायतया Rयि क सभी ानि_यॉ वातावरण मgt उपिथत सचनाओ स सविदत उिजत होती रहती ह जस

िक आखgt दखन को काय1 कर रही होती ह कान सनन का व नाक गध लन का परत िजस ानि_य िवशष स

सबिधत सचनाओ मgt अयिधक आकष1ण का गण होता या वह उन पर Eयान दना चाहता ह सचना ससाधन क

ि या मgt Rयि कवल उहU सचनाओ को Eयान दन हत चयन कर पाता ह इस कार अय सचनाओ क िलए

अवधान हत वश का माग1 सकिचत हो जाता ह परत यहॉ पर परी तरह स इन सचनाओ क वश का माग1

अव=P नहU होता ह बि-क वह कछ सकिचत हो जाता ह अतएव Rयि Eयान नहU दी गयी इन सचनाओ क

कछ िवशषताओ स भी अवगत हो जाता ह ीसमन न fॉडबट क इस बात को नकारा ह िक सचनाओ क

ससाधन क ारिभक अवथा मgt ही बहJत सी सचनायgt होन पर माग1 अवरोध उपन हो जान क कारण बहJत सी

सचनायgt Rयि क अवधान मgt वश करन स बची रह जाती ह एव Eयान नहU द पान क कारण उस ारिLभक

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उराखड म िव13िवालय 63

अवथा मgt ही उनका अितव समाF हो जाता ह fॉडबट क बात को नकारन क िलए ीसमन न एक योग

िकया था इस योग क अतग1त एक Rयि को एक साथ एक ही समय मgt दो कार क गाश सनाय गय िजनमgt

एक गाश अ2जी उपयास का एक भाग था तथा दसरा गाश जवरसायन िवान का िववचन था Rयि

िनदiश िदया गया था िक उस अ2जी उपयास क गाश को बाद मgt बोलकर सनाना होगा परणाम मgt Rयि न

कवल अ2जी गाश क सभी अश पर Eयान दन मgt सफल नहU हJआ यािन िक Eयान दन क िनदiश क बावजद

कछ अश अवधान मgt आन स बच रह गए बि-क दसर कार क गाश क भी कछ अश Rयि क अवधान मgt

वश कर गए इस योग स यह पD हो जाता ह िक िजन सचनाओ पर Rयि Eयान नहU द पाता ह या उहgt

Eयान नहU दना रहता ह उनका भी िवpषण वह करता ह तथा व उसक अवधान मgt कछ अश तक वश कर

जाती ह

4) डयश एव डयश का िस=ात ndash

बॉटलनक िसPात का ही एक कार डयश उव डयश का िसPात ह इस िसPात क अनसार ानि_य को

िमलन वाली सारी सचनाओ का Rयि यMणामक =प स िवpषण करता ह तथा उनमgt स िकसी िवशष

सचना का चयन तब होता ह जब Rयि को उीपक क ित अनि या करनी होती ह कहन का तापय1 यह ह

िक Rयि िविभन उीपक स िमलन वाली यक सचना को ससािधत करता ह तथा अनि या करन क ठीक

पहल Rयि मgt सचना पथ अवरोध अथा1त बॉटलनक हो जाता ह बॉटलनक स यह पता चलता ह िक Rयि क

मित सीिमत ह Rयि कछ सचनाओ को भल जान क िलए तथा कछ को याद रखन क िलउ वातावरण मgt

उपिथित उीपक मgt स चनता ह परणामव=प Rयि याद रख जान वाली सचना पर Eयान दता ह तथा

िवमत िकय जान वाली सचना पर Eयान नहU दता पाता ह इस िसPात क मॉडल को िवलिLबत चयन मॉडल

भी कहा जाता ह Yयिक इसमgt सचनाओ क चन जान क घटना मित मgt घटती ह न िक सवदन (इि_य मgt

सचनाओ क सपक1 मgt आन स उपन उजन) क तरत बाद और इस कार सचना ससाधन क अवथा मgt यह

िवलLब स होता ह

852 दीघा0विध अवधान क िस=ात

दीघा1विध अवधान क िसPात का ितपादन मZय =प स िनगरानी कायk मgt सही सकत क पहचान मgt कछ

परिथितय मgt कछ समय क बीतन क साथ होन वाली Nिटय क RयाZया एव वहU कछ परिथितय मgt समय

बीतन क साथ िमलन वाली सफलता क RयाZया करन हत िकया गया ह कछ मख िसPात का वण1न िनLन

ह -

1) सकत अिभान िस=ात ndash

इस िसPात का ितपादन सन 1952 स 1954 क दौरान जॉन वटस नामक मनोवािनक क नतव मgt कई

अमरक शोधकता1ओ न िकया सोक नामक मनोवािनक क अनसार lsquoयह एक ऐसा िसPात ह जो यह

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 64

बतलाता ह िक सवदी उीपक क ित सवदनशीलता Mक क सवदी Mमताओ तथा उीपक क भौितक

तीता क अलावा िविभन कारक पर िनभ1र करती ह इन कारक मgt वयिक तथा परिथितजय बदलाव जस

िक थकान याशा परिथित क ज=रत आिद सिLमिलत होत हrsquo इसक RयाZया इस कार क जा सकती

ह जब कोई भी उीपक या िसगलन (सकत) हमार सामन उपिथत िकया जाता ह तो इसस उपन

सवदनशीलता मल =प स दो बात पर िनभ1र करती ह पहली तो यह होती ह िक उस सकत स सबिधत ानि_य

जस आवाज सकत ह तो कान उस पहचानन वाली ानि_य कोई Cय वत सकत ह तो ऑख उस दखन वाली

ानि_य आिद क सवदी Mमता िकतनी ह यिद इनक सवदी Mमता अिधक होगी तो Rयि उस उीपक या

सकत का यMण पD =प स कर लगा इस सवदी कारक कहा गया ह दसरी बात वह ह िजसपर िकसी सकत

क ित हमारी पहचान िनभ1र करती ह और उसमgt कई कारक एक साथ िमल हJए होत ह जस Rयि क

अिभरणा आकष1ण अपMा-याशा शोरगल कछ ऐस कारक ह िजन पर िकसी उीपक या सकत क ित

हमारी सवदनशीलता िनभ1र करती ह इन कारक को असवदी कारक कहा जाता ह सकत अिभान िसPात

ऐसा िसPात ह जो हमgt बताता ह िक िकसी सकत क पहचान स सबिधत िनण1य िकस सीमा तक सवदी कारक

ारा भािवत होता ह तथा िकस सीमा तक असवदी कारक ारा भािवत होता ह

अब उठता ह िक यह िसPात िनगरानी अथवा सतक1 ता जस काय1 िजनमgt िक आसपास क

वातावरण मgt हो रही यक हलचल स सबिधत सकत को पकड़न क िलए दीघा1विध अवधान क ज=रत होती

ह अथवा Rयि को अपना Eयान लLब समय तक लगाए रखना होता ह ऐसी िथित मgt काय1 क िन^पादन मgt हो

रही अ`छी बढ़ोरी अथवा िन^पादन मgt िगरावट अथा1त सकत क पहचान मgt होन वाली Nिटय क RयाZया

िकस कार करता ह इगन 2ीनबग1 आिद मनोवािनक न इस सदभ1 मgt काफ योग िकय एव यह पाया िक

सतक1 ता स सबिधत कायu मgt जहॉ सकत क पहचान क िलए लLब समय तक Eयान दन क ज=रत पड़ती ह

जस-जस सकत पहचान क यास क सZया बढ़ती जाती ह गलत पहचान क अनि या मgt कमी आन लगती

ह तथा सही पहचान क अनि या मgt बढ़ोरी होती ह अतएव सतक1 ता सबधी कायk मgt दीघा1विध अवधान क

दौरान मEयाविध मgt जो सकत क पहचान क काय1 मgt ास िदखलाई दता ह वह lयादा बड़ी िचता का िवषय

नहU ह बि-क कछ समय और बीत जान पर सही काय1 िन^पादन मgt बढ़ोरी ही होती ह

2) जरीसन का िस=ात ndash

इस िसPात का ितपादन जरीसन ारा सन 1970 मgt िकया गया इस िसPात क मायता ह िक वातावरण मgt

उपिथत उीपक ारा दान क जा रही सचनाओ िजहgt िक सकत भी कहा जा सकता ह मgt स कछ िवशष

वािछत सकतो क पहचान (सही अथवा गलत) तथा पहचानकता1 ारा Mण हत िकय जा रह अनि यामक

Rयवहार मgt एक जिटल सबध होता ह इस जिटल सबध को इस कार समझा जा सकता ह िक Rयि िकसी

िवशष वािछत सकत क सही पहचान करन मgt तभी सफल होता ह जब वह सही Mण हत सही अनि यामक

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उराखड म िव13िवालय 65

Rयवहार करता ह इसस उसक दीघा1विध अवधान मgt लगा समय साथ1क हो जाता ह तथा उस सनता होती ह

परणाम व=प Rयि दीघा1विध अवधान क कारण हJई थकान को भल जाता ह तथा उसका काय1 िन^पादन

सचा= होन लगता ह वहU जब Rयि उपय समय पर सही अनि यामक Rयवहार करन का िनण1य नहU ल

पाता व परणाम व=प वािछत सकत क सही पहचान नहU कर पाता ह तब वह दखी हो जाता ह इसस उसक

अिभरणा तर मgt िगरावट आती ह व दीघा1विध अवधान क थकान उस घर लती ह परणामव=प इसक

उपरात भी Rयि स Nिटयॉ होती रहती ह यिप जरीसन का यह िसPात साधारण एव सरल ह िफर भी

आलोचक का मत ह िक इस िसPात क योगामक जॉच करना किठन ह Yयिक इसमgt Mण हत

अनि यामक Rयवहार क आमिनn व=प क सही सही RयाZया नहU क गयी ह

3) याशा िस=ात ndash

बकर तथा डीज नामक मनोवािनक का याशा िसPात क ितपादन एव RयाZया मgt महवपण1 योगदान रहा

ह इस िसPात क अनसार िनगरानी जस कायk िजनमgt िक महवपण1 सकत क पहचान हत दीघा1विध अवधान

क ज=रत पड़ती ह को करत समय Rयि कछ समय बीतन क दौरान सकत क उपिथत होन क समय एव

उनक व=प का अEययन कर क उनक भिव^य मgt उपिथित क सबध मgt एक याशा िवकिसत कर लता ह वह

पवा1नमान लगान लगता ह िक िविशD वॉिछत सकत िकस समय उपिथत हो सकता ह इस सकत क सही

पहचान करन क तपरता इस याशा तर स धनामक =प स सहसबिधत होती ह इसक अनसार Rयि ारा

िनगरानी कायk को करन क दौरान सही सकत क पहचान करन क काय1 िन^पादन मgt जो कमी आती ह उसका

कारण सकत क उपिथित क सही समय का पवा1नमान लगान क Mमता मgt आयी कमी होती ह

इस कार हम दखत ह िक िनगरानी कायk मgt सही सकत क पहचान करन मgt होन वाली Nिटय एव सही

सकत क पहचान करन मgt सफल होन क बारबारता मgt बढ़ोरी क RयाZया उपरो िसPात क आलोक मgt

िभन-िभन कार स क जा सकती ह

4) अWयतता िस=ात ndash

इस िसPात का ितपादन जन मकवथ1 ारा सन 1968 मgt िकया गया उठता ह िक अयतता या अयसन

Yया ह अयसन स तापय1 एक ऐसी ि या स होता ह िजसक कारण िकसी एक ही उीपक क बार-बार Rयि

क सामन आन स तNकय अनि याशीलता मgt उरोर कमी आती जाती ह सामायतः जब उीपक पटन1 क

आवि अिधक होती ह तो तNकय अयसन क माNा भी अिधक होती ह अयसन थकान स इस अथ1 मgt

िभन होता ह िक जब उीपक पटन1 मgt गणामक परमाणामक या सामियक परवत1न होता ह तो इसमgt

अनायसन क ि या होन लगती ह अथा1त अनि याशीलता क अचानक पनः उपिथित हो जाती ह मकवथ1

क अनसार अयसन अवरोध क एक सि य ि या ह और अिनयिमत सकत क तलना मgt िनयिमत सकत क

साथ अयसन का िवकास तजी स होता ह दसर श)द मgt कहा जा सकता ह िक जब उीपक पटन1 मgt िनयिमतता

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 66

होती ह तो अयसन का िवकास उस परिथित क तलना मgt तजी स होता ह जब उीपक पटन1 अिनयिमत होता

इस िसPात क अनसार यिद दीघा1विध अवधान काय1 मgt यिद एक ही तरह क उीपक पटन1 स बार -बार

योlय भािवत हो रह ह तो ऐस उीपक पटन1 स मिति^कय अनि याओ मgt एक तरह का अयसन उपन

होन लगता ह जब इस तरह का अयसन अिधक माNा मgt उपन हो जाता ह जो योlय मgt ि िटकल िसrनल

को अय िसrनल स अलग पहचानन क Mमता कम हो जाती ह योlय वय को अपन काय1 मgt लLब समय

तक Eयान लगान मgt असमथ1 पात ह तथा उनक काय1 िन^पादन मgt धीर-धीर ास होन लगता ह

5) उ-जन िस=ात ndash

उजन िसPात को एिYटवशन yयोरी अथा1त सि यण िसPात भी कहा जाता ह इस िसPात मgt दीघा1विध

अवधान क RयाZया यरोिफिजयोलॉिजकल आधार पर क जाती ह इसक अनसार दीघा1विध अवधान या ऐस

काय1 िजनमgt लLबी अविध तक िनगरानी जसा काय1 करन क आवयकता होती ह मgt रटीकलर फॉरमशन क

िवशष भिमका होती ह इस आर ए एस यािन रटीकलर एिYटविटग फारमशन भी कहत ह आरएएस

मित^क मgt एक जालीनमा सरचना होती ह जो सषLना क ऊपरी भाग स ारLभ होकर थलमस तक फला होता

ह जब सवदी िनवश (ससरी इनपट) पाइनल कॉड1 ारा आरएएस मgt पहJचत ह तो इसस सरीfल कॉटiYस क

पर MN मgt आवग का एक िवतत पमान पर सजन होता ह िजसस Rयि उजन या सतक1 ता का एक सामाय

तर पर िनमा1ण होता ह अब यह उठता ह िक आरएएस क उजन म (एिYटविटग मकिनlम) ारा

दीघा1विध अवधान क RयाZया कस होती ह उजन िसPात क अनसार आरएएस क ारा ठीक कार स

काय1 करन क िलए यह आवयक ह िक Rयि क यMानामक वातावरण (परसcचअल इवायरमgtट) मgt

पया1F परवत1नशीलता हो अथा1त उीपक मgt पया1F परवत1नशीलता हो यिद उीपक परवत1नशीलता एक

ि िटकल लवल स नीच होता ह तो Rयि मgt उजनशीलता का तर कम होता ह तथा दीघा1विध अवधान मgt

ास उपन होता ह

86 अवधान भग एव परवत0न

(i) अवधान भग का वQप - अवधान भग Rयि क जीवन मgt घटन वाली एक बड़ी ही महवपण1 घटना ह

िजसका मनोवािनक ारा िवशष =प स अEययन िकया गया ह जब Rयि िकसी वातावरण मgt िकसी एक

उीपक वत पर अपना Eयान लगाए हJए होता ह और उसी बीच मgt कोई दसरा उीपक वत आ जान स Rयि

का Eयान पहली वत स हटकर दसरी वत पर चला जाता ह इस ि या को अवधान भग कहा जाता ह

उदाहरण क िलए अभी आप इस पतक को पढ़ रह ह अतः आपका Eयान इस पतक क िवशष पज पर ह िजस

आप पढ़ रह ह परत यिद अचानक कोई आपक कमर क दरवाज को जोर-जोर स खटखटाए अथवा डोर बल

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 67

बजाए तो आपको Eयान पतक स हटकर दरवाज क खटखटान क अथवा डोर बल क आवाज क ओर चला

जाता ह यािन आपका अवधान भग हो जाता ह

(ii) अवधान भग स सबिधत योग - मनोवािनक न अवधान भग स सLबिधत कई योग िकय ह और यिद

इन सभी योग क परणाम को दखा जाए तो हम िकसी िनिWत िन^कष1 पर नहU पहचत ह Yयिक कछ योग मgt

Eयान भग स िन^पादन मgt कमी होती पायी गयी ह तो कछ योग मgt ऐसी बात नहU दखी गयी ह उदाहरण क िलए

हॉव न 1928 मgt एक योग िकया िजसमgt उनन कॉलज क िवािथ1य को आमv अ-फा परीMण पर ाF ाFाक

क आधार पर दो भाग मgt बॉट िदया इनमgt स एक समह को उहन योगामक समह तथा दसर को िनयिNत

समह बनाया छः सFाह बाद दोन ही समह को दो अलग-अलग परिथितय मgt आमv अ-फा परीMण का

दसरा फाम1 भरवाया गया योगामक समह को फाम1 भरन का काय1 ऐसी परिथित मgt करना था जहॉ िक अनक

सनाई दन वाली आवाजgt एव Cय काश िवकष1क क =प मgt मौजद थ य दोन तरह क िवकष1क काफ ती

शि वाल थ िनयिNत समह को वही फाम1 भरन का काय1 सामाय परिथित िजसमgt िक कोई िवकष1क मौजद

नहU था करन को िदया गया परणाम मgt पाया गया िक योगामक समह क परिथित मgt Eयान भग होन क

सारी सभावनाए मौजद होन क बावजद उनक परीMण पर ाF औसत ाFाक एव िनयिNत समह ारा ाF

औसत ाFाक क बीच कोई साथ1क अतर नहU था दोन ही समह क औसत ाFाक करीब-करीब बराबर थ

दसर श)द मgt यिप योगामक समह क सदय का Eयान भग हो रहा था िफर भी इनक िन^पादन पर कोई

िवशष असर नहU पड़ा

अवधान भग ारा िन^पादन मgt िगरावट स सबिधत योग - कछ ऐस भी मनोवािनक ह िजहन यह

िदखलाया ह िक Eयान भग स िन^पादन मgt िगरावट आती ह फिक नामक मनोवािनक न सन 1937 मgt एक

योग िकया िजसमgt िवािथ1य को एक कहानी पढ़नी थी तथा उस समझना था जब व कहानी पढ़ रह थ उनक

नजदीक एक फोनो2ाफ बजाया जा रहा था तािक उन िवािथ1य क Eयान न कछ बाधा उपन हो सक परणाम

म दखा गया िक ऐसी अवथा मgt छाN को कहानी पढ़न मgt काफ Nिटयॉ हJई तथा उसक अथ1 को समझन मgt

काफ किठनाई हJई हhडरसन एव उनक सहयोिगय न सन 1945 मgt िकय गय अपन योग मgt पाया िक जब

लोग को कहानी एक ऐसी परिथित मgt पढ़न को कही गयी िजसमgt बगल मgt सगीत बज रहा था तो उस कहानी

को पढ़न मgt तो लोग को कोई िवशष किठनाई नहU हJई लिकन उस कहानी क तyय को समझन क माNा मgt

अवय ही साथ1क =प स कमी आयी

(iii) अवधान भग पर हXए कछ अय योग - मनोवािनक न कछ ऐस भी योग िकए ह िजनमgt यह दिश1त

िकया गया ह िक अवधान भग मgt िसफ1 बाहरी उीपक का ही िवकष1क क =प मgt महव नहU होता बि-क Rयि

का िपछला अनभव उसक अपMाए िजस याशा कहा जाता ह एव मनोवि भी उतनी ही महवपण1 होती ह

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 68

बकर ारा सन 1937 मgt एक योग िकया गया िजसमgt यह दिश1त िकया गया ह िक अवधान भग मgt

Rयि क मनोवि तथा याशा का काफ महव होता ह इस योग मgt कल 40 ितभागी थ इहgt चार बराबर

समह मgt बॉटा गया िजसमgt यक मgt 10 ितभािगय को रखा गया इनमgt स एक समह को िनयिNत समह क =प

मgt रखा गया तथा तीन समह को तीन अलग-अलग कार क जानकारी एव सझाव दकर उनमgt अलग-अलग

कार क मनोवि एव याशा उपन क गयी इन सभी समह को मौिखक =प स हल करन क िलए कछ

िवशष कार क अकगिणतीय समयायgt दी गयU तथा उहgt एक ऐस कM मgt रखा गया जहॉ पर िक कछ लोग

जोर-जोर स बातचीत करन मgt सलrन थ तथा सगीत िनरतर बज रहा था समया दत समय तीन समह को िनLन

कार क जानकारयॉ एव सझाव िदय गय-

1 पहल समह को कहा गया िक सगीत या दसर लोग ारा बातचीत करन क परिथित मgt अकगिणतीय

समयाओ को हल करन क उनक Mमता मgt कमी आयगी

2 दसर समह को कहा गया िक सगीत या दसर लोग ारा बातचीत करन क परिथित मgt अकगिणतीय

समयाओ को सलझान मgt मदद िमलगी

3 तीसर समह को कहा गया िक सगीत या दसर लोग ारा बातचीत करन क परिथित मgt अकगिणतीय

समयाओ को सलझान मgt पहल तो उहgt किठनाई होगी परत कछ समय क बाद उहgt लाभ होगा या ऐसी

परिथित स उहgt मदद िमलगी

4 चौथ समह अथा1त िनयिNत समह को कोई भी जानकारी अथवा सझाव नहU िदया गया

इस अनसधान मgt बड़gt ही रोचक परणाम ाF हJए थम तीन समह का िन^पादन ठीक वसा ही था

जसा िक सझाव दन स उनमgt याशा एव मनोवि उपन हJई थी चिक िनयिNत समह को िकसी कार का कोई

सझाव नहU िदया गया था अतः उनक िन^पादन मgt इस कार क कोई पDता नहU थी इसस यह सािबत हो गया

िक अवधान भग होन मgt न कवल िवकष1क बि-क Rयि क वय क याशा एव मनोवि भी महवपण1

भिमका िनभात ह

(iv) अवधान भग स बचाव क तरीक - मनोवािनक न अवधान भग पर अपन शोध क दौरान पाया िक कई

बार िवकष1क क मौजद होन क बावजद Rयि क काय1 िन^पादन मgt कोई कमी नहU आती ह अथवा काय1

िन^पादन क ारिभक अवथा मgt तो िवकष1क क उपिथित स काय1 िन^पादन क गणवा भािवत होती ह

परत जस-जस समय बीतता जाता ह वस-वस िवकष1क क उपिथत रहन पर भी काय1 िन^पादन क गणवा मgt

उरोर बढ़ोरी होती जाती ह मनोवािनक न इसक पीछ िछप कारण को खोजन अथवा इसक ि या का

पता लगान क िलए पनः योग िकय व दो कार क उपाय खोज िनकाल व दो उपाय अथवा अवधान भग नहU

होन दन क िविधयॉ िनLनिलिखत ह-

1 शारीरक यास शि का योग

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 69

2 अनकलन क ि या

शारीरक यास शि का योग - मॉग1न न 1936 मgt एक योग िकया िजसमgt उहन एक योlय को

टाइपराइटर पर एक लख टाइप करन क िलए िदया टाइप करत समय टाइपराइटर पर अगिलय ारा पड़न वाल

दबाव तथा योlय क 13सन दर आिद शारीरक अनि याओ क शि मापन क परी Rयवथा क गयी

योlय को योग मgt लख टाइप करत समय कई ायोिगक अवथाओ स गजरना पड़ा िजसक अतग1त योlय

को शात वातावरण मgt लख टाइप करत करत अचानक शोर-गल आिद क अवथा मgt िजसमgt क िविभन कार

क घिटयॉ एव रिडयो आिद बजत थ मgt टाइप करना जारी रखना पड़ता था तथा कछ ही समय उपरात िफर स

शात अवथा मgt टाइप करना होता था परणाम मgt पाया गया िक शोर गल क अवथा मgt योlय क अगिलय

का दबाव टाइपराइटर पर काफ बढ़ जाता था तथा वह टाइप करत समय उसका Eयान भग न हो इसक िलय लख

क साम2ी को जोर-जोर स पढ़न भी लगता था इसस उसक 13सन दर मgt भी विP हो जाती थी वहU शात

अवथा मgt उसक अगिलय का टाइपराइटर पर दबाव व वय क 13सन दर सामाय रहती थी इसस यह िसP

हो गया िक Rयि अवधान भग स बचन क िलए शारीरक यास अथवा शारीरक शि का योग भी करता ह

(v) अनकलन क िया ndash अनकलन दसरी िविध ह िजसक सहार Rयि का Eयान भग होन स बचता ह

इस इस कार समझ सकत ह िक आप न रलव अथवा बस टशन क अित िनकट रहन क िलए मकान िलया ह

तो ारLभ क कछ िदन तक आप परशान रहत ह और आप का Eयान रल व बस क आवाज क शोर क कारण

िकया काय1 मgt ठीक स नहU लग पाता ह परत कछ िदन या पॉच छः सFाह क बाद आप अपना यक काम

िबना िकसी परशानी क कर लत ह यहॉ तक िक गहरी नUद सो भी लत ह जबिक रल अथवा बस क आवाज

पव1वत आती रहती ह कहन का तापय1 यह ह िक आप अपन यक काय1 मgt अ`छी तरह Eयान लगा पात ह

इसका कारण यह ह िक आपन अपन आपको उस िवशष परिथित क साथ अनकिलत कर िलया ह इस

ि या को मनोिवान मgt अनकलन कहा जाता ह

इस तरह स हम दखत ह िक Rयि मgt अवधान भग एक महवपण1 घटना ह इस पर िसफ1 बाहरी उीपक

जो िक िवकष1क क =प मgt काय1 करत ह का ही भाव नहU पड़ता ह बि-क Rयि क मनोवि तथा याशा का

भी भाव पड़ता ह शारीरक शि व यास तथा अनकलन ारा अवधान मgt बाधक िवकष1ण क भाव को

कम िकया जा सकता ह

87 साराश

अवधान एक ऐसी चयनामक ि या ह िजसमgt Rयि एक िवशष शारीरक म_ा बनाकर िकसी वत या उदीपक

को चतना क_ स लान क िलए तपर रहता ह

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 70

अवधान क मZय तीन कार होत ह - ऐि`छक Eयान अनि`छक Eयान तथा वाभािवक Eयान

ऐि`छक Eयान मgt Rयि क इ`छा तथा आवयकता क धानता होती ह अनि`छक Eयान मgt उीपक क कछ

खास-खास गण होत ह िजनक धानता होती ह वाभािवक Eयान मgt Rयि का Eयान िकसी वत उजना या

घटना क ओर उसक िवशष िशMण एव आदत क कारण जाता ह

अवधान क मZय तीन काय1 बतलाए गए ह - अवधान एक सवदी िफ-टर क =प मgt काय1 करता ह

अवधान ारा अनि याओ का चयन होता ह तथा अवधान चतन क एक वश ार क =प मgt काय1 करता ह

दीघा1विध अवधान क सPाितक RयाZया करन क िलए कई तरह क िसPात का ितपादन िकया

गया ह िजनमgt पॉच मख ह- याशा िसPात जरीसन का िसPात सकत-पहचान िसPात उजन िसPात

तथा अयसन िसPात इनमgt स थम तीन सानामक िसPात ह तथा अितम दो यरोदिहक िसPात ह

88 शदावली

bull अवधान एक ऐसी चयनामक ि या ह िजसमgt Rयि एक िवशष शारीरक म_ा बनाकर िकसी वत या

उदीपक को चतना क_ स लान क िलए तपर रहता ह

bull चयनामक अवधान एक ऐसी ि या ह िजसमgt Rयि कछ खास ि या या उीपक पर अपनी मानिसक

एका2ता िदखलाता ह तथा अय ि याओ या उीपक पर न क बराबर Eयान दता ह

bull दीघा0विध अवधान एक ऐसी यMानामक ि या ह िजस िनगरानी भी कहा जाता ह िजसमgt Rयि

अिधक समय तक अपना Eयान िकसी उीपक पर कि_त िकय रहता ह तथा उस उीपक क ित सतक1 ता

बनाय रखता ह

89 वमयाकन हत

1 रोगी का अवधान दवा क दकान क ओर जाना को आप िनLनािकत मgt स िकस tणी अवधान कहgtग

(क) ऐि`छक अवधान

(ख) अनि`छक अवधान

(ग) वाभािवक अवधान

(घ) अिथर अवधान

2 िनLनािकत मgt स कौन सा गण अवधान मgt नहU पाया जाता ह

क) अवधान मgt िवशष कार का शारीरक अिभयोजन होता ह

ख) अवधान का िवतार सीिमत होता ह

ग) अवधान मgt िवभाजन का गण पाया जाता ह

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 71

घ) अवधान का व=प भावामक होता ह

3 चयनामक अवरोध क िसPात मgt सबस पहला िसPात िकनक ारा ितपािदत िकया गया

क) ीसमन ारा

ख) fौडबट ारा

ग) नॉरमन एव बोबरो ारा

घ) नाइसर ारा

4 दीघा1विध अवधान क MN मgt िकय गय योग क आलोक मgt िनLनािकत मgt स कौन कथन सय ह

क) दीघा1विध अवधान एक ती ि या ह िजसमgt Rयि को काफ मानिसक यास करना पड़ता ह

ख) दीघा1विध अवधान मgt Rयि मgt सतक1 ता का तर िनLन होता ह

ग) दीघा1विध अवधान एक तरह का िवभािजत अवधान होता ह

घ) दीघा1विध अवधान मgt अिथरता नहU पायी जाती ह

5 जरीसन मॉडल क अनसार दीघा1विध अवधान क RयाZया िकस कार क गयी ह

क) उपन Mण दर ाक-पना क =प मgt

ख) ऐिकक एका2 काय1 क =प मgt

ग) Rयि क याशा क =प मgt

घ) Rयि क िनण1य ि याओ क =प मgt

उ-र 1 - क 2 - घ 3 - ख 4 - क 5 ndash ग

810 सदभ0 1थ सची

bull उ`चतर ायोिगक मनोिवान - डा अ=ण कमार िसह - मोतीलाल ndash बनारसीदास

bull सामाय मनोिवान - िसहा एव िमtा - भारतीय भवन

bull आधिनक सामाय मनोिवान - सलमान एव खान - शYला बक िडपो पटना

bull एYसपरमटल साइकोलॉजी - कॉिलस एव क

bull एYसपरमटल साइकोलॉजी - ऑएगड

811 िनबधामक

1 Eयान क मख कार का सोदाहरण वण1न करgt

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 72

2 चयनामक अवधान स आप Yया समझत ह मागा1वरोधी िसPात ारा इसक RयाZया िकस

तरह स होती ह

3 अवधान भग एव अवधान परवत1न क बार मgt िवतार स समझायgt

4 दीघा1विध अवधान क मख िसात का सिवतार वण1न करgt

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 73

इकाई-9 यीकरण )वप एव िस ात यण को भािवत करन वाल कारक

आकित एव आधार यण(Perception- Nature and Theory

Influencing Factors of Perception Figure and Background

Perception)

इकाई सरचना

91 तावना

92 उय

93 यMण का व=प

94 यMण क िसPात

95 यMण को भािवत करन वाल कारक

96 आकित एव पnभिम यMण

97 साराश

98 श)दावली

99 वम-याकन हत

910 सदभ1 2थ सची

911 िनबधामक

91 तावना

यMण एक मानिसक ि या ह यह एक िनरतर चलन वाली ि या ह इसका मानव Rयवहार स बड़ा गहरा

सबध ह Rयवहार एव मानिसक ि याओ का सही अEययन सही यMण पर ही िनभ1र करता ह यMण क

ि या सवदन क ि या स आरभ होती ह और िकसी Rयवहार करन क ि या क पहल तक होती रहती ह इस

कार यMण क ि या सवदन तथा Rयवहार करन क बीच क ि या होती ह इस इकाई मgt यMण क

यथाथ1 व=प उसक िविभन िसPात क बार मgt जानकारी ाF कर सकgt ग

92 उय

इस इकाई को पढ़न क बाद आप-

bull यMण क व=प को जान सकgt ग

bull यMण क िसPात का वगvकरण एव वण1न कर सकgt ग

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 74

bull यMण को भािवत करन वाल कारक क सची बना सकgt ग

bull आकित एव पnभिम यMण क व=प को जान सकgt ग

bull आकित एव पnभिम यMण को दिनक जीवन मgt समझ सकgt ग

93 य6ण का वQप

यMण क व=प को िनLन परभाषाओ क अEययन ारा बड़ी ही आसानी स समझा जा सकता ह एटिकसन

एटिकसन एव िहलगाड1 क अनसार lsquoयMण एक ऐसी ि या ह िजसक ारा हम वातावरण मgt उपिथत

उीपक क ित=प क RयाZया करत ह एव उनका सगठन करत हrsquo अ=ण कमार िसह क अनसार lsquoयMण

एक सि य चयनामक एव सानामक मानिसक ि या ह िजसक ारा Rयि को अपन आतरक अग

(आतरक वातावरण) तथा बाT वातावरण मgt उपिथत वतओ का उसी Mण अनभव होता हrsquo

कोलमन क अनसार lsquoयMण एक ऐसी ि या ह िजसक ारा Rयि अपन शरीर क भीतरी अग एव

बाहरी दिनया क बार मgt जानकारी ाF करता हrsquo

सनोक क अनसार lsquoसवदी सचनाओ को अथ1 दान करन क िलए मित^क ारा सचनाओ को

सगिठत करन एव RयाZया करन क ि या को ही यMण कहा जाता हrsquo

इन परभाषाओ क अEययन स यMण क व=प क सबध मgt िनLन बातgt पD हो जाती ह-

1 यMण क िलए वातावरण मgt उीपक का होना आवयक ह

2 यMण मgt उीपक का तकाल अनभव होता ह

3 यMण एक सि य मानिसक ि या ह

4 यMण एक सानामक ि या ह

5 यMण क ि या क दौरान उीपक को सगिठत करन क मानिसक ि या घिटत होती ह

6 यMण एक चयनामक ि या ह

94 य6ण क िस=ात

यMण क ि या को परी तरह समझन क िलए मनोवािनक न मZयतः सात तरह क िसPात का ितपादन

िकया ह जो िक िनLनािकत ह-

bull दिहक िसPात

bull यM िसPात

bull सचना-ससाधन िसPात

bull गटा-टवादी िसPात

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 75

bull Rयवहारवादी िसPात

bull िनदiश अवथा िसPात

bull किNम बिP िसPात

इन िसPात का िवशद वण1न मानसार िनLन कार स ह-

1) य6ण का दिहक िस=ात -

इस िसPात क अतग1त यMण क ि या क दौरान होन वाली अनभितय क RयाZया करन क िलए शरीर मgt

RयाF अगिणत यरोन क बीच होन वाली आवशीय ि या को आधार बनाया जाता ह इस िसPात क मZय

मायता यह ह िक Rयि ानि_य क माEयम स वातावरण मgt फल हJए उीपक क सपक1 मgt आता ह उीपक

क सपक1 मgt आत ही उसक तिNका तN मgt तिNका आवश उपन हो जाता ह जो तकाल मित^क क िविशD MN

मgt पहJचता ह इसक परणाम व=प Rयि को उस उीपक का यMण होता ह यह िसPात कवल इस

अEययन तक ही सीिमत नहU ह िक यMण िकस कार स होता ह एव उसक RयाZया िकस तरह स क जाय

बि-क इसमgt अलग-अलग कार क यMण क दौरान मित^क क िजन MN मgt अतःि याए होती ह उनक

आधार को भी जानन क कोिशश क जाती ह यMणामक िथरता आिद क RयाZया क जाती ह इस

िसPात क सबध मgt हब नामक वािनक का मत ह िक क_ीय तिNका तN क िवशष MN क कोिशका क

उिजत होन क ि या पर यMण िनभ1र करता ह जब तक उस िवशष कोिशका मgt उजन नहU होगा

यMण नहU होगा

2) य6ण का य6 िस=ात -

यM िसPात का ितपादन िग)सन नामक वािनक ारा सन 1966 मgt िकया गया ितीय िव13 यP क दौरान

िग)सन lsquoआमv एयर कौप1सrsquo मgt एक अिधकारी क =प मgt काय1 करत थ जहॉ उनक मZय भिमका हवाई जहाज क

उड़ान भरत एव उतरत समय उसमgt हJई समयाओ का गहन =प स अEययन करना थी इसी अEययन क दौरान

उनक मन मgt एक िवचार आया िजसमgt यMण क िसPात क नUव पड़ी वह िवचार था िक Rयि क ऑख क

अिMपटल (रटीना) पर पड़न वाली रोशनी अपन आप मgt ऐसा सगिठत व=प िलए हJए होती ह िजसमgt िक वह

रोशनी िजस उीपक स टकराकर आ रही ह उसस सबिधत ान समािहत होता ह और उस अथ1पण1 होन क िलए

क_ीय तिNका तN ारा िवतत RयाZया िकए जान क आवयकता नहU होती ह

िग)सन का मानना ह िक हमारी ऑख मgt वश करन वाली रोशनी काफ सगिठत एव सरिचत होती ह

अब उठता ह िक रोशनी मgt इस तरह क सगठन Mमता िकस तरह स उपन हो जाती ह इस का उर

िग)सन न बड़ ही सीध ढग स िदया ह ओर कहा ह िक रोशनी जो िक हमारी ऑख मgt वश करती ह वातावरण

मgt उपिथत उीपक (वतओ) स परावित1त होती ह और इस रोशनी मgt इन वतओ स सगत सारी सचनाए

समािहत होती ह चिक वातावरण क ऐसी वतए अपन आप मgt सगिठत एव सरिचत होती ह और चिक रोशनी

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 76

का परावत1न भी मबP ढग स होता ह अतः रोशनी मgt उन वतओ क गण का सगठन व=प अपन आप आ

जाता ह इस तरह स िग)सन न इस बात पर िवशष =प स जोर डाला ह िक यMण को उस वातावरण का

िवpषण करक ठीक ढग स समझा जा सकता ह

3) य6ण का सचना-ससाधन िस=ात -

इस िसPात का ितपादन कLcयटर तथा सचार िवान मgt अिभ=िच रखन वाल मनोवािनक ारा िकया गया

ह इस िसPात मgt वातावरण मgt उपिथत िविभन उीपक (वतओ) स ाF सचनाओ क ससाधन ारा

यMण क RयाZया क गई ह यहॉ पर सचना क ससाधन स तापय1 िविभन सचनाओ क िविभन कार क

बन सकन वाल सगठन ारा कट िकय जान वाल िविशD अथ1 स ह सचना स तापय1 एक ऐस ानामक

अनभव स ह िजसक हो जान पर Rयि क मन मgt उीपक वत क बार मgt बनी अिनिWतता समाF हो जाती ह

उदाहरण क िलए आप अपन िव13िवालय क पतकालय मgt मनोिवान क एक िवशष िकताब खोज रह ह

आपको जानकारी ह िक पतकालय मgt वह पतक उपल)ध ह परत वह िकताब ठीक ठीक कहॉ पर रखी हJई ह

यह आपको मालम नहU ह अगर कोई सहपाठी आपको यह बताए िक वह िकताब पतकालय मgt ह तो यह तyय

आपक िलए कोई lsquoसचनाrsquo नहU हो सकता ह Yयिक आपको यह मालम नहU होता ह िक पतक वातव मgt कहॉ

ह दसर श)द मgt आपक मन मgt अिनिWतता बनी क बनी ही रह जाती ह

सचना ससाधन िसPात क यह मायता ह िक Rयि क यMण Mमता सीिमत होती ह अतः कोई

Rयि वातावरण मgt उपिथत बहJत सार उीपक मgt स कछ का ही यMण कर पाता ह अगर Rयि िकसी एक

सचना पर Eयान दता ह तो उस दसर तरह क सचना को छोड़ना पड़ता ह यMणकता1 मgt िकसी भी सचना का

वाह कई चरण मgt सLपन होता ह इसका वण1न िनLनािकत ह-

1 उीपक - थम चरण मgt Rयि का सामना उीपक स होता ह

2 सवदी 2ाहक - ितीय चरण मgt उीपक Rयि क सवदी 2ाहक अथा1त ानि_य अथा1त नN कान

नाक वचा आिद को भािवत करता ह िजसस सचनायgt क_ीय तिNका तN मgt पहJचती ह

3 कgt _ीय तिNका तN - कgt _ीय तिNका तN उन सचनाओ को 2हण करता ह ऐसी सचनायgt वहॉ पहल स

उपिथत सचनाओ स भािवत होती ह पहल स उपिथत सचनाओ को मनोवािनक शोर क सा दी

जाती ह

4 कॉिट1कल मित^कय क_ - कgt _ीय तिNका तN ारा 2हण क गई सचनाओ को मित^क क िविभन

कgt _ ारा ससािधत िकया जाता ह

5 अनि या - अत मgt कॉिट1कल मित^कय कgt _ स ाF सचना क आधार पर Rयि यMण क

अनि या ठीक ढग स कर पाता ह

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 77

सचना ससाधन िसPात क अनसार यMण सवदन तथा अय उ`चतर मानिसक ि यायgt एक दसर स िभन

नहU होती ह बि-क एक-दसर स अतरसबिधत होती ह अतः उहgt एक-दसर स अलग कर अEययन करना उिचत

नहU ह जब Rयि क ानि_यॉ िकसी उीपक स भािवत होती ह तब सवदन क मानिसक ि या घिटत

होती ह इसक उपरात उसका ससाधन करन स Rयि को यMण होता ह यिMत वतओ अथवा घटनाओ

को ससािधत कर Rयि उस मित मgt लाना ह

4) य6ण का गटाटवादी िस=ात -

गटा-ट िसPात क ितपादन मgt lsquoकल ऑफ गटा-ट साइकोलॉजीrsquo क वदा1इमर कोहलर कोoका का

सवा1िधक योगदान रहा ह इस िसPात क महवपण1 बात को िनLन िबदओ क अतग1त समझाया गया ह

1 सपण0ता म( य6ण- गटा-ट िसPात क अनसार Rयि िकसी वत का यMण अलग-अलग =प मgt

न कर सLपण1 =प (as a whole) करता ह इस सLपण1ता मgt घिटत होन वाल यMण का अपनी एक

िवशषता होती ह इस िवशषता क अनसार Rयि िकसी वत का यMण करत समय उस वत क गठन मgt

य सभी िहस को एक साथ दखन पर जो िवशषता उभर कर सामन आती ह जो िक वत क अय सभी

िहस क िवशषताओ गण स िभन होती ह इस इस कार समझा जा सकता ह Rयि जब िकसी दसर

Rयि क चहर को दखता ह तो उसक ऑख नाक कान भहgt आिद जो भी चहर क िहस ह को अलग-

अलग नहU दखता ह बि-क इनक आपस मgt जड़ होन स जो एक िवशष गण उभर कर चहर क =प मgt बनता

ह उस ही दखता ह हालॉिक चहर क अय िहस क अपन अपन िविशD गण होत ह परत इन सभी क

िमलन स उभरा िवशष गण इन सभी क गण स िभन होता ह

2 य6णामक सगठन क आधार भत तZय या िनयम (principles of perceptual

organisation) - गटा-वादी उपागम को मानन वाल िवान क अनसार यMण क ि या मgt Rयि

िजस वत का यMण कर रहा होता ह उस वत क एक खास-पटन1 को खोज लता ह दसर श)द मgt वह

उस खास पटन1 क =प मgt वत को Rयविथत सगिठत पाता ह जब Rयि उीपक को एक पटन1 मgt

Rयविथत दखता ह तो इसका गण उन गण स िभन होता ह िजसक जानकारी उसक िहस क िवpषण

स ाF होती ह यMणामक सगठन दो तरह क िनयम पर आधारत होता ह 1 परधीय िनयम तथा 2

क_ीय िनयम परधीय िनयम मgt उन िनयम को रखा जाता ह जो िक उीपक स सबिधत होत ह जस िक

उीपक क िविभन अग या िहस मgt सिनकटता समानता िनरतरता सदर आकित गप आिद कछ

गण ऐस होत ह िजनस यMण मgt सगठन उपन होता ह उीपक क इन गण स सबिधत सभी िनयम

जमजात होत ह क_ीय िनयम मgt अिभरण मनोवि आिद आत ह इन िनयम का उपयोग करना Rयि

अनभव स सीखता ह गटा-टवािदय न मZय =प स परधीय िनयम पर ही अिधक जोर िदया ह

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 78

3 समाकितकता का आधारभत िनयम (Principle of isomorphism) - इस िनयम क अनसार Rयि

िजस वत अथवा घटना का यMण करता ह उसस मित^क क सबिधत िहस मgt भी कछ िविशD

परवत1न होत ह अथा1त यMण क दौरान मित^क मgt होन वाल परवत1न एव वत या घटना क बीच एक

सीधा एव पD सबध होता ह इस िनयम को मािणत करन हत कोहलर न ह-ड नामक मनोवािनक क

साथ सन 1949 मgt एक योग िकया इस योग क अतग1त उहन योlय क मित^क क CिD MN

(िवजअल एरया) स ई ई जी (इलYोइसफलो2ाम) यािन मित^क तरग क रकािडग क इस योग मgt

पाया गया िक जब योlय क सLमख रखी गयी वत िजसका क वह उस समय यMण कर रहा था मgt

गित उपन क गयी तो इसस मित^कय तरग मgt भी कछ परवत1न आ गए इसस य सािबत हो गया िक

वत एव एव मित^क क सबिधत िहस मgt हJए परवत1न का सीधा सबध होता ह

5) य6ण का [यवहारवादी उपागम (behaviouristic approach) -

Rयवहारवािदय क अनसार यMण पण1=पण एक सीखा गया Rयवहार होता ह और िजन िनयम एव

िसPात ारा अय Rयवहार िनधा1रत होत ह ठीक उहU िनयम एव िसPात ारा यMण भी िनधा1रत

होता ह Rयवहारवािदय मgt सवा1िधक सफल RयाZया वािनक हल ारा सन 1943 मgt क गयी ह िजस तरह

स िकसी सीख गय Rयवहार का िनधा1रण आदत सामायीकरण तथा सीखन मgt अवरोध आिद िनयम ारा

होता ह उसी तरह स यMण भी इहU िनयम स िनधा1रत होता ह हल क अनसार नव1स िसटम मgt सवदी

तिNका आवग आपस मgt अनि या करत ह एव इसस नव1स िसटम मgt इन सवदी तिNका आवग ारा

Rयिगत =प स उपन िकय जा रह परवत1न स िभन परवत1न उपन होन लगत ह उदाहरण क िलए यिद

धसर रग क कागज क टकड़ को बगनी रग क बड़ कागज क टकड़ क बीच मgt रखा जाता ह तो िवजअल

िसटम धसर कागज स उपन सवदी तिNका आवग बगनी रग क कागज स उपन सवदी तिNका आवग

क साथ अतःि या कर दोन तरह क सवदी आवग को परवित1त कर एक नया =प दता ह िजसक

परणामव=प धसर रग क कागज का टकड़ा कछ पीलापन िलए िदखाई पड़ता ह

6) िनदश अवथा िस=ात (Directive-state theory) ndash

इस िसPात क िवकास मgt fनर आलपोट1 शफर तथा मफv नामक वािनक को महवपण1 योगदान ह इस

िसPात का िवकास गटा-टवािदय ारा यMण मgt Rयिगत कारक को महव न िदय जान क कारण भल

सधार क =प मgt हJआ इस िसPात क अतग1त Rयवहारपरक कारक एव अिभरणामक कारक को सवा1िधक

महव िदया गया ह इस हत कई िवशष परक-पनाओ का िनमा1ण िकया गया ह िजनक ारा इस िसPात क

RयाZया क जाती ह इनका वण1न िनLनािकत ह-

थम परकपना - यMण Rयि क शारीरक आवयकताओ ारा िनधा1रत होता ह इस

परक-पना क अनसार Rयि क शारीरक आवयकताए यMण मgt िवकित अथवा Nिट उपन कर दती ह

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 79

उदाहरणाथ1 - ऑसगड (1953) नामक मनोवािनक न अपनी पतक मgt अपन एक अनभव का वण1न िकया ह

िजसक ारा इस परक-पना क पिD होती ह व िलखत ह िक जब व अपन ऑिफस स दोपहर मgt भोजन करन क

िलए जात थ तो रात मgt एक दoतर िमलता था िजसका नाम 400D था िजस व ायः FOOD पढ़ा करत थ

इस उदाहरण स पD होता ह िक ऑसगड क भख िमटान क आवयकता उनक यMण मgt Nिट पदा कर दती

थी

िLतीय परकपना - वत यMण स सबिधत परकार एव दhड स यMण क ि या का िनधा1रण

होता ह इस परक-पना क अनसार जब िकसी वत क यMण स Rयि को परकार व=प सख क अनभित

होती ह तो उस वत का यMण िकसी ऐसी वत िजसक क यMण क साथ दख क अनभित जड़ी होती ह

िक अपMा अिधक पD होता ह इस तyय क पिD शफर एव मफv ारा 1943 मgt िकए गए एक योग ारा पD

=प स होती ह

ततीय परकपना - िजन वतओ क िलए Rयि क Rयिव मgt कछ िवशषता म-य होता ह उन

वतओ का यMण Rयि तजी स करता ह इस परक-पना क अनसार यक िजन वतओ क सबध मgt

Rयि अिभ=िच रखता ह एव वह उहgt कछ मान दता ह तो ऐसी वतओ अथवा घटनाओ क यMण मgt वतः

ही तीता एव पDता आ जाती ह चतथ0 परकपना- यिद िकसी वत का मान या म-य Rयि क िलय अिधक होता ह तो Rयि

उसका यMण अिधक बढ़ा चढ़ा कर करता ह

पाचवी परकपना - Rयि अपन शीलगण क अन=प वत या उीपक का यMण करता ह

यक Rयि मgt िभन-िभन कार क शीलगण होत ह और जब वह िकसी वत या उीपक का यMण करता

ह तो इन शीलगण का उस पर काफ भाव पड़ता ह आलपोट1 क अनसार बिहम1खता तथा अतमख1ता का

शीलगण अिधक होन पर Rयि को यिद याही-ध)बा परीMण (ink-blot test) क काड1 िदखलाए जात ह तो

उसमgt वह गित का यMण अिधक करता ह

छठी परकपना - शाि)दक उीपक िजनका व=प साविगक एव धमकान वाला होता ह का

यMण तटथ उीपक क अपMा Rयि दरी स करता ह तथा साथ ही ऐस श)द Rयि ारा सही-सही

पहचान जान क पहल ही उनमgt साविगक िति या उपन कर दता ह

7) कि7म बि= उपागम (Artificial intelligence approach)

किNम बिP उपागम क अनसार यMण क सLपण1 िसPात मgt मलतः तीन तर होत ह-

1 यMणामक ि याओ क दिहक म (िफिजयोलॉिजकल मकिनlम ऑफ परLचअल ोससस)

2 ऐस िनयम जो िक ि याओ को िविशDता दान करत ह

3 तथा यMण का काय1 या उन दिहक गण का िवpषण जो उीपक तक पहJचन मgt मदद करता ह

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 80

यMण क य तीन तर अभी तक यMण क एक समिवत िसPात क =प मgt नहU रख जा सक ह

िफिजयोलॉिजट बायलॉिजट एव यरोसाइिटट पहल क तर अथा1त यMण क िफिजयोलॉिजकल

मकिनlम पर जोर दत ह मनोवािनक िग)सन एव उनक िवचार क समथ1क यMण क तीसर तर पर बल

डालत ह तथा किNम बिP उपागम क समथ1क ारा यMण क सि यामक िनयम पर अिधक जोर दन को

कहत ह ऐस शोध कता1ओ ारा मानव को छोड़कर अय जीव क यMणामक ि याओ क अEययन मgt

कLcयटर आिद क इतमाल पर बल िदया जाता रहा ह िबन (1989) तथा बYस एव ािजसक (1991) ारा

िकय गय अEययन स यह ात होता ह िक किNम बिP मॉडल दो कार क िवषय पर मल =प स बल डालता

ह- पहला उन म पर िजसक सहार उीपक स सबP सचनाओ को ाF िकया जाता ह तथा दसरा व अनमान

एव िनण1य िजनका उपयोग करक Rयि िकसी यMणामक RयाZया या िन^कष1 पर पहJच जाता ह

95 य6ण को भािवत करन वाल कारक

Rयि ारा िदन ितिदन क जीवन मgt िकया जान वाला िविभन वतओ एव घटनाओ को यMण मgt पDता

एव Nिट उपन होती रहती ह यMण क इस अRवल दजi क पDता एव Nिट दोन ही मgt कई महवपण1

कारक क महती भिमका अथवा योगदान होता ह यMण क सबध मgt यथोिचत जानकारी ाF करन क िलए

इन कारक को अEययन आवयक होता ह इस MN मgt िकए गए अEययन स यह पD हJआ ह िक यMण पर

Rयि क मानिसक वि मनोवि अिभरण तथा सामािजक साकितक कारक का काफ भाव पड़ता ह

इन सभी तरह क कारक को िनLनािकत तीन मZय भाग मgt बॉटकर अEययन िकया जा सकता ह-

(i) यMण मgt Rयिगत कारक क भिमका

(ii) यMण मgt सामािजक कारक क भिमका

(iii) यMण मgt साकितक कारक क भिमका

(i) य6ण म( [यिPगत कारकK क भिमका -

मनोवािनक न अपन शोध अनसधान क िन^कषk मgt पाया ह िक यMण मgt यMण करन वाल Rयि क

Rयिगत कारक क महवपण1 भिमका होती ह य कारक यMण को बहJत तरीक स भािवत करत ह इन

कारक मgt िनLन कारक अित महवपण1 ह - यMण कता1 क शारीरक एव मानिसक आवयकता यMण

कता1 क िलए यिMत िकए जा रह उीपक का म-य यMण कता1 क म-य यMण कता1 क Rयिव क

शीलगण मानिसक वि उीपक का यMणकता1 क िलए तीकामक अथ1

यMणकता1 क शारीरक एव मानिसक आवयकता - Rयि क शारीरक आवयकताओ मgt भख

cयास नUद आिद मख ह इसक साथ ही उसमgt मनोवािनक आवयकताए भी होती ह जस िक सबधन क

आवयकता अनमोदन क आवयकता म क आवयकता शि क आवयकता आिद इन आवयकता

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 81

कारक का यMण पर सीधा भाव पड़ता ह इस सदभ1 मgt लवाइन िचन एव मफv ारा सन 1942 मgt िकया

गया योग उ-लखनीय ह इस अEययन मgt छाN क दो समह िविनिम1त िकए गए थ एक योगामक समह एव

दसरा िनयिNत समह योगामक समह क छाN भखा रख कर उनमgt भख क आवयकता उपन क गयी एव

िनयिNत समह क िवािथ1य को भरपट भोजन कराकर उन क भख क आवयकता को समाF कर िदया गया

इसक बाद एक दप1ण मgt उहgt कछ धधल िचN को िदखलाया गया िजमgt िदखलाई पड़न वाली चीजgt पD नहU

थU दोन समह क िवािथ1य को िनदiश िदया गया िक व िचN मgt िदखाई पड़न वाली वतओ क बार मgt बताए

परणाम मgt पाया गया िक योगामक समह क िवािथ1य न िनयिNत समह क िवािथ1य क अपMा खान पीन

क वतओ क बार मgt अिधक बताया इस योग क िन^कष1 मgt कहा गया िक Rयि क शारीरक आवयकता

यMण क दौरान आवयकता िवशष क सदभ1 मgt ही सोचन हत Rयि को अिभरत करती ह िजसक वजह

स उसम यMण मgt उसक आवयकता परलिMत होन लगती ह

इसी तरह क परणाम मनोवािनक आवयकताओ क सदभ1 मgt भी ाF हJए ह इस सदभ1 मgt मिYललhड

एव िलबरमन ारा सन 1949 मgt िकया गया अEययन उ-लखनीय ह इन वािनक न उपलि)ध आवयकता को

अपन अEययन क मZय िवषयवत बनाया उहन इस हत उपलि)ध आवयकता क दो tिणय को िनधा1रत

िकया अिधक उपलि)ध अिभरक वाला समह तथा कम उपलि)ध अिभरक वाला समह इन दोन ही समह

को तीस श)द टिचटोकोप क सहायता स िदखलाय गय इन तीस श)द मgt दस श)द अिधक उपलि)ध स

सबिधत थ तथा 20 अय श)द कम उपलि)ध वाल अिभरक स सबिधत थ परणाम मgt पाया गया िक अिधक

उपलि)ध अिभरक वाल समह क सदय मgt उपलि)ध अिभरक स सबिधत श)द को यMण तटथ श)द

क अपMा िनLनतरीय यMणामक दहली पर कर िलए गए तथा कम उपलि)ध अिभरक वाल समह क

ितभािगय ारा उपलि)ध अिभरक स सबिधत श)द का यMण तटथ श)द क अपMा उ`चतर

यMणामक दहली पर िकया गया इस अEययन क परणाम व=प यह पD हो गया िक Rयि क यMण

पर उसक मनोवािनक आवयकता उपलि)ध अिभरक का भाव पड़ता ह उपय1 सभी योग क परणाम

का िन^कष1 यही ह िक आवयकता चाह वह शारीरक हो या मनोवािनक Rयि क यMण को भािवत

करता ह

यMण कता1 क िलए यिMत िकए जा रह उीपक का म-य- यMण पर इस बात का भी भाव

पड़ता ह िक Rयि क िलए वतओ या उीपक का म-य िकतना ह मनोवािनक ारा िकए गय अEयन स

यह पD हJआ ह िक िजस वत का म-य यMणकता1 क िलए अिधक होता ह उसका आकार उस बड़ा मालम

होता ह fनर एव गडमन न 1947 मgt इस सबध मgt एक अEययन िकया इसक अतग1त उहन 10 ब`च क दो

समह िलए एक समह मgt सभी धनी परवार क ब`च थ तथा दसर समह मgt सभी गरीब परवार क ब`च थ इन

दोन समह क ब`च को 1 5 10 20 25 तथा 50 सट क िसYक क आकार का आकलन एक काश

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 82

ोजYटर ारा करन को कहा गया काश ोजYटर ारा परद पर िसYक क आकार क गोल रोशनी पड़ती थी

िजस योlय आवयकता पड़न पर ोजYटर क हिडल को घमाकर छोटा या बड़ा कर लता था परणाम मgt दखा

गया िक गरीब परवार क सभी ब`च न सभी कार क िसYक क आकार को वातिवक आकार स अिधक

बड़ा बतलाया जबिक धनी परवार क ब`च न इन िसYक क आकार को वातिवक आकार स छोटा

बतलाया शोध कता1ओ क अनसार ऐसा इसिलए हJआ Yयिक धनी परवार क ब`च क िलए िसYक का मान

कम था जबिक गरीब परवार क ब`च क िलए इन िसYक का मान अिधक था

यMण पर मानिसक वि का भाव - यMण पर यMणकता1 क मानिसक वि का भी भाव

पड़ता ह मानिसक वि स तापय1 एक िवशष तरह क मानिसक तपरता स होता ह योlया म िवशष शाि)दक

िनदiश दकर मानिसक तपरता उपन क जाती ह या िफर गत अनभितय स उपन याशाओ स योlय मgt

वि उपन हो सकती ह कई ऐस शोध िकए गए ह िजनमgt शाि)दक िनदiश दकर योlय मgt एक तरह क

मानिसक वि उपन क गयी ह और उसस यMण सीध भािवत होता पाया गया ह इस सदभ1 मgt ीट ारा

सन 1931 मgt िकया गया अEययन उ-लखनीय ह इस अEययन क अतग1त ीट न योlय को एक अपD

छपाई वाली तवीर िदखलाई जो िक एक कार स बहJत स ध)ब स बनी हJई थी इस तवीर मgt िकसी कार क

िवशष वत सीध तौर पर िदखाई नहU पड़ती थी योlय को िनदiश िदया गया िक आपको ऐसी तवीर िदखलाई

जा रही ह िजसमgt ऐस Cय ह िजहgt आपन घोड़ क रस क दौरान दखा होगा इस िनदiश स योlय मgt एक

िवशष मानिसक वि उपन हो गयी िजसक कारण उहन अपD िचN मgt घोड़ पर सवार एक Rयि का

यMण िकया इस योग स यह पD होता ह िक यMण क दौरान Rयि मgt उपन क गई िवशष कार क

मानिसक वि का उसक यMण पर भाव पड़ता ह

उीपक का यMणकता1 क िलए तीकामक अथ1 - हमार सLपक1 मgt आन वाली बहJत कार क

वतओ एव उीपक मgt स कछ वतओ एव उीपक का हमार िलए तीकामक अथ1 होता ह अथा1त इन कछ

वतओ को हम िकसी िवशष अथ1 भाव अथवा िवचार आिद क तीक क =प मgt दखत ह साराशतः कछ

वतओ का Rयि क िलए अकट अथ1 होता ह िजनका व=प Rयिगत तथा तीकामक होता ह वतओ

क तीकामक अथ1 Rयि क िलए सामाय अथ1 स हटकर कछ दसर अथ1 क ओर इशारा करत ह वतओ का

यह तीकामक अथ1 Rयि क िलए सकारामक महव या नकारामक महव भी रख सकता ह और इसस

Rयि का यMण काफ हद तक भािवत होता ह इसक पिD पोटमन एव fनर ारा सन 1948 मgt िकए गए

योग स होती ह इस योग मgt तीन तरह क िच (डॉलर वितक एव lयािमितक आकित) का उपयोग िकया

गया इसक िलए अमरकन नागरक का योlय क =प मgt चयन िकया गया इन िच का अमरकन योlय

क िलए अलग-अलग तीकामक अथ1 था डॉलर अमरका क म_ा ह एव िव13 मgt इस अयिधक सLमान ाF

ह अतएव इसका उनक िलए धनामक म-य था वितक का सबध िहटलर ारा ितीय िव13 यP क समय

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 83

य रा^ीय िच स होन एव िहटलर ारा अमरका स घणा िकय जान क कारण सभी अमरक उसस घणा

करत ह अतः इस िच का भी उसक िलए नकारामक म-य ह वहU lयािमितक आकित का म-य न तो

धनामक ह और न ही नकारामक अतः इनका तटथ म-य ह सभी तीक िच समान आकार क थ इन

योlय को िनदiश िदया गया िक व इन तीक िच को ोजYटर क सहायता स परद पर बनायgt परणाम मgt

पाया गया िक योlय न तटथ म-य वाली lयािमितक आकितय क तलना मgt डॉलर एव वितक दोन क

वातिवक आकार स बड़ा आकार पदi पर बनाया अथा1त उहन इन दोन िच का आकितय क तलना मgt

अितआकलन िकया इसस यह पD हो जाता ह िक उीपक क साकितक म-य का Rयि क यMण पर

िवशष भाव पड़ता ह

(ii) य6ण म( सामािजक कारकK क भिमका -

मन य एक सामािजक ाणी ह अतः उसक यMण पर भी सामािजक वातावरण स ाF अनभव का भाव

पड़ता ह

यहा िनLनिलिखत कारक क चचा1 करना आवयक ह-

(क) सामािजक आदश0-

सामािजक आदश1 यMण का िनधा1रक ह हम िकसी वत Rयि या घटना का यMण सामािजक आदश1 क

सदभ1 मgt करत ह जस-सZया 13 को कछ दश मgt अशभ सZया माना जाता ह इसिलए उन दश मgt इसका

यMण िकसी अिय या अशभ घटना क सकत क =प मgt िकया जाता ह ायः माता-िपता क चहर क बनावट

और ब`च क चहर क बनावट मgt कछ समानता दखी जाती ह लिकन lsquoोिfयाडरrsquo जाित क लोग मgt ब`च

और माता-िपता क चहर मgt समानता रहत हJए भी समानता का अनभव नहU होता मिलनोवकी न इसक

RयाZया करत हJए यह बताया ह िक ोिfयाडर जाित क लोग मgt ब`च और माता-िपता मgt समानता िदखाई

पड़ना बरा माना जाता ह इसिलए उहgt समानता िदखाई नहU पड़ती अत पD ह िक सामािजक िनयम आदश1

रीित-रवाज या परपरा यMण क ि या को भािवत करत ह

(ख) सामािजक मनोवि--

सामािजक मनोवि भी यMण को िनधा1रत करती ह िजि-लग न एक कल क िय और अिय छाN पर

एक अEययन िकया ह इहन इन दोन समह क बालक को अलग-अलग कछ िलखन को कहा इहन िय

समह क बालक को जान-बझकर गलत िलखन का िनदiश िदया जबिक अिय समह क बालक को सही

िलखन का िनदiश बाद मgt जब सामाय लोग स िय और अिय समह क छाN क काम क िवषय मgt राय ली तो

तब दखा गया िक अिधकतर लोग न िय समह क छाN क काम को अ`छा और अिय समह क छाN क

काम को खराब बताया इस कार पD ह िक िय छाN क ित सामाय लोग क मनोवि चिक अनकल थी

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 84

इसिलए उहन िय छाN क काय1 सपादन का यMण अ`द िन^पादन क =प मgt तथा अिय छाN क ित

ितकल मनोवि क कारण उनक काय1सपादन का यMण खराब िन^पादनक =प मgt िकया

हम अपन सामाय जीवन मgt भी सामािजक मनोवि पवा12ह आिद का महव यMण मgt दखत ह

पवा12ह क फलव=प ही बरा काय1 करन वाला भी अ`छा िदखाई पड़ता ह और अ`छा काय1 करन वाला भी

बरा िदखाई दता ह जस- मान लgt lsquoकrsquo नाम का कोई Rयि गमv क मौसम मgt भखा रहन और धप लगन क

कारण अचतावथा मgt सड़क क िकनार लटा हJआ ह उसक पास स उसका कोइ परिचत िमN lsquoखrsquo गजरता ह

तथा उस लट हJए Rयि को दखता ह लिकन पहल स वह जानता ह िक लटा हJआ Rयि शराब क नश मgt

ायः इसी तरह जहा-तहा पड़ा हJआ रहता ह इस पवा12ह क आलोक मgt वह वत1मान मgt भी यह अनभव करता ह

िक उसन शराब पी रखी ह और उसी नश मgt लटा हJआ ह

(iii) य6ण म( साकितक कारकK क भिमका -

सकित का भी महवपण1 भाव यMण पर पड़ता ह इसका सबस सदर उदाहरण हमgt आिदम जाितय क

लोग मgt िमलता ह आिदम जाित क लोग मgt एक अत शि पाई जाती ह इस शि क कारण व जगल क

बहJत दर क भाग मgt भी िकसी जानवर को दख लत ह इतनी दरी पर उपिथत जानवर को दखन और पहचानन

क इतनी ती(ण Mमता अय िवकिसत सयतावाल सकित क लोग मgt ायः नहU पाई जाती यह अतर आिदम

जाित एव आधिनक िवकिसत समाज क सकित मgt अतर होन क कारण पाया जाता ह

समाज ारा अव=P या ितबिधक कय क ित हमारी िति याओ स भी यMण पर सकित क

भाव का पD सकत िमलता ह यMामक सरMा क सदभ1 मgt ऐस योग क चचा1 क गई ह िजनस यह िसP

हJआ िक समाज या सकित ारा विज1त ि याओ स सबिधत श)द का यMण सखद एव तटथ श)द क

अपMा िवलब स होता ह अतः पD ह िक साकितक आदश1 िनयम आिद यMण क ि या का िनदiशन

करता ह और एक िवशष कार क आकित का =प दता ह इसीिलए हमgt वत Rयि या परिथित का

यMण सकित क आधार पर ही होता ह

96 आकित एव प]भिम य6ण

गटा-ट िसPात क अनसार Rयि िकसी वत का यMण अलग-अलग =प मgt न कर सLपण1 =प स करता ह

इस सLपण1ता मgt घिटत होन वाल यMण का अपनी एक िवशषता होती ह इस िवशषता क अनसार Rयि

िकसी वत का यMण करत समय उस वत क गठन मgt य सभी िहस को एक साथ दखन पर जो िवशषता

उभर कर सामन आती ह जो िक वत क अय सभी िहस क िवशषताओ गण स िभन होती ह इस इस

कार समझा जा सकता ह Rयि जब िकसी दसर Rयि क चहर को दखता ह तो उसक ऑख नाक कान

भहgt आिद जो भी चहर क िहस ह को अलग-अलग नहU दखता ह बि-क इनक आपस मgt जड़ होन स जो एक

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 85

िवशष गण उभर कर चहर क =प मgt बनता ह उस ही दखता ह हालॉिक चहर क अय िहस क अपन अपन

िविशD गण होत ह परत इन सभी क िमलन स उभरा िवशष गण इन सभी क गण स िभन होता ह

जब Rयि िकसी वत िवशष का यMण करता ह तो उस उस वत का कछ भाग बहJत पD िदखाई

दता ह तथा कछ भाग तलनामक =प स कम पD िदखाई दता ह य कम पD भाग उस वत क पn भाग मgt

उपिथत तीत होता ह जो भाग बहJत पD होता ह उस आकित कहा जाता ह तथा जो भाग कम पD िदखाई

पड़ता ह उस पnभिम कहा जाता ह इस तरह क यMण को आकित-पnभिम यMण कहा जाता ह

आकित एव पnभिम क बीच अतर को गटा-टवािदय क अनसार िनLन िबदओ ारा पD िकया जा सकता ह

(क) आकित का एक िनिWत आकार-व=प होता ह जबिक पnभिम आकारहीन होता ह या यिद आकार होता

भी ह तो उसस िकसी कार क आकित नहU बनती ह

(ख) पnभिम हमशा आकित क पीछ होती ह और आकित िनिWत आकार-व=प िलए हJए उसी पnभिम पर

उभरी हJई िदखाई पड़ती ह

(ग) आकित का िनिWत आकार-व=प होन क कारण वह अिधक भावपण1 तथा मरणीय होता ह परत

पnभिम चिक अपD एव अिनिWत आकार का होता ह अतः वह भावहीन होता ह तथा उसका िवमरण

भी ज-दी होता ह

(घ) आकित का थान करीब-करीब िनिWत तथा सीिमत होता ह परत पnभिम पीछ क ओर अनत फला होता

(ङ) गयामक =प स भी आकित तथा पnभिम मgt अतर होता ह इसका मतलब यह हJआ िक एक परिथित मgt

जो वत आकित क =प मgt िदखलाई दती ह थोड़ समय क बाद वही वत िफर पnभिम क =प मgt िदखलाई

दती ह और पहल जो पnभिम क =प मgt िदखलाई द रही थी वह अब आकित क =प मgt िदखलाई दती ह

पलटावी य6ण (reversible perception) -

ऐसी वतए िजनमgt गयामक =प स आकित एव पnभिम मgt अतर होता ह अथा1त एक परिथित मgt जो वत

आकित क =प मgt िदखलाई दती ह कछ Mण उपरात पnभिम मgt चली जाती ह एव पव1 पnभिम अब आकित

क =प मgt िदखलाई दती ह इस तरह क समत वतए पलटावी कहलाती ह एव इन वतओ का यMण

पलटावी यMण कहलाता ह

पलटावी यMण क lsquoपरतिF घटनाrsquo (satiation phenomenon) ारा RयाZया- कोहलर एव

वालाक न परतिF घटना ारा पलटावी यMण क RयाZया क ह पलटावी यMण क अEययन क दौरान इन

वािनक न पाया िक जब Rयि िचN मgt काल िहस (यािन आमन-सामन दो Rयिय क आकितय पर) कम

स कम 35 सकhड तक दखता रहता ह तो इसस सबिधत मित^क MN पण1तः सतF एव परतF हो जाता ह

परणामव=प वतः िचN का उजला पM अथा1त फलदान क आकित Rयि Rयि को िदखलाई पड़न लगती

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 86

ह और िफर इसस सबिधत मित^क का िहसा उिजत होता ह तथा िफर धीर-धीर परतिF क ओर अ2सर होन

लगता ह परतिF होत ही पनः वतः काली आकित Rयि क सLमख आ जाती ह इस आकित अनभाव

(Figural effect) भी कहा जाता ह इस तरह क यMण का व=प मौिलक एव जमजात होता ह

गटा-टवािदय क अनसार पलटावी आकित क यMण स यMण क बहJिथरता नामक िवशष पहल का भी

पता चलता ह बहJिथरता स तापय1 इस बात स होता ह िक एक ही उीपक को यिद अलग-अलग ढग स

Rयविथत िकया जाय तो इसस अलग-अलग तरह क आकित का यMण होता ह इस तरह का यMण िसफ1

िवजअल एरया मgt ही नहU बि-क ऑिडटरी एरया आिद मgt भी होता ह

97 साराश

यMण एक जिटल मानिसक ि या ह िजसक ारा Rयि अपनी िविभन ानि_य ारा वातावरण मgt

उपिथत वतओ Rयिय या घटनाओ का ान ाF करता ह यह ान ताकािलक होता ह यMण को

यMण या यMण नाम स भी जाना जाता ह

यMण का गटा-टवादी िसPात CिD MN क शिय क आधार पर आकार और पnभिम क पर(य

मgt यMण क RयाZया करता ह जबिक Rयवहारवादी िसPात यMण को सीखा हJआ Rयवहार मानत ह और

इसक RयाZया आदत िनमा1ण अवरोध आिद क आधार पर करत ह

98 शदावली

bull य6ण यMण एक जिटल मानिसक ि या ह िजसक ारा Rयि अपनी िविभन ानि_य ारा

वातावरण मgt उपिथत वतओ अथवा घटनाओ का ान ाF करता ह

99 वमयाकन हत

1 जब सवदना मgt अथ1 जड़ जाता ह तो उस कहत ह

2 यMण का िसPात इस एक सीखा हJआ Rयवहार मानता ह

उीपक सवदी 2ाहक

क_ीय तिNका तN

कािट1कल मित^क

क_

अनि या

मनोवािनक शोर

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 87

3 CिD MN क शिय क आधार पर यMण क RयाZया िसPात करता ह उ-र 1) यMण 2) Rयवहारवादी 3) गटा-टवादी

910 सदभ0 1थ सची

bull उ`चतर ायोिगक मनोिवान - डा अ=ण कमार िसह - मोतीलाल ndash बनारसीदास

bull सामाय मनोिवान - िसहा एव िमtा - भारतीय भवन

bull आधिनक सामाय मनोिवान - सलमान एव खान - शYला बक िडपो पटना

bull एYसपरमटल साइकोलॉजी - कॉिलस एव क

bull एYसपरमटल साइकोलॉजी ndash ऑसगड

911 िनबधामक

1 यMण स आप Yया समझत ह

2 यMण क गटा-टवादी CिDकोण क RयाZया करgt

3 यMण क िसPात क चचा1 कर

4 यMण को भािवत करन वाल वयिक एव सामािजक कारक क िववचना करgt

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 88

इकाई-10 गहराई का यण पटन यिभान यणामक ि)थरता- चमक13लापन

आकार एव प (Depth Perception Pattern Recognition and Perceptual

Constancy- Brightness Size and Shape)

इकाई सरचना

101 तावना

102 उय

103 गहराई का यMण

104 पटन1 यिभान

105 यMणामक िथरता

106 साराश

107 श)दावली

108 वम-याकन हत

109 सदभ1 2थ सची

1010 िनबधामक

101 तावना

अभी तक आपन यMण क व=प यMण क िविभन िसात एव यMण को भािवत करन वाल

िविभन कारक क बार मgt जानकारी ाF क ह इस जानकारी क काश मgt िवािथ1य क मन मgt वतओ क

गहराई क यMण स सबिधत कई कार क िजासायgt उपन होती ह इसक अलावा आस पास क वातावरण

मgt उपिथत िविभन उीपक कई बार िवशष कार क उीपक पटन1 िविनिम1त करत ह िजनका अथ1 Rयि को

वातावरण क साथ साथ1क एव सही अतःि या करन क िलए समझना ज=री होता ह अतः ऐस भी िवाथv

क िजासा का अग होत ह इसी क साथ िवाथv क मन मgt िविभन वतओ का चमकलापन उनका आकार

एव =प स सबिधत िजासाओ का उतपन होना एक वाभािवक घटना ह जो सभी िवािथ1य क साथ िदन

ितिदन क जीवन मgt सहज ही घटती रहती ह इस इकाई क अतग1त आपक इहU िजासाओ स सबिधत

क उर क बार मgt Rयापक जानकारी दी जा रही ह

102 उय

इस इकाई को पढ़न क बाद आप-

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 89

1 गहराई यMण को समझ सकgt ग एव उसका Rयापक वण1न कर सकgt ग

2 वतओ क पटन1 यिभान को समझ सकgt ग

3 यMणामक िथरता क Rयावहारक जानकारी ाF कर सकgt ग

4 वतओ क चमकलापन स सबिधत यMण क िजासाओ का समाधान ाF कर सकgt ग

5 वतओ क आकार एव =प मgt यMणामक िथरता को समझ सकgt ग

6 गहराई यMण पटन1 यिभान एव यMणामक िथरता स सबिधत क उर सहजता पव1क

समझ एव िलख सकgt ग

103 गहराई का य6ण

अपन जीवन मgt हम िदन ितिदन बहJत सी वतओ का यMण करत रहत ह िजन वतओ का हम यMण

करत ह व मलतः िNिवमीय हो सकती ह िNिवमीय स तापय1 िकसी भी वत मgt लLबाई चौड़ाई एव ऊचाई स

होता ह सामाय =प मgt यMण क जान वाली वतए िकसी भी िथित मgt हो सकती ह जस िक वत Rयि स

अिधक ऊचाई अथवा िनचल थान पर अविथत हो सकती ह वत Rयि क बॉयी ओर अथवा दायU िथत हो

सकती ह पास या नजदीक हो सकती ह वत Rयि क चाह पास हो अथवा दर बायU ओर हो या दायU ओर

ऊपर हो या नीच जब उसका ितिबLब अिMपटल या CिDपटल िजस अ2जी मgt रटीना कहत ह पर पड़ता ह तो

उसमgt कवल लLबाई एव चौड़ाई होती ह दसर श)द मgt रटीना पर जो ितिबLब बनता ह उसमgt माN दो ही िवमा

होती ह एक िवमा लLबाई एव दसरी िवमा चौड़ाइ1 होती ह तीसरी िवमा यानी मोटाई नहU होती ह इस मोटाई का

मापन वत क ऊचाई स िकया जाता ह अतः रटीना पर बन ितिबLब िकसी कागज क टकड़ पर बन िचN क

िबलकल सम=प होत ह िजसमgt कवल लLबाई तथा चौड़ाई होती ह इस CिD स यिद दखgt तो कवल लLबाई एव

चौड़ाई क ितिबLब क वजह स Rयि को िसफ1 वत क लLबाई एव चौड़ाई का ही ान होना चािहए था

परत ऐसा Rयवहार मgt नहU पाया जाता ह हमgt वतओ क मोटाई सघनता दरी एव गहराई का भी ान होता ह

अब यह िजासा उपन होती ह िक रटीना पर बनन वाल ििवमीय ितिबLब स हमgt िNिवमीय

यMण कस होता ह इस िजासा क समाधान हत वािनक न बहJत स शोध एव अनसधान िकए इन

अनसधान क काश मgt यह पD हJआ िक हमgt वतओ क मोटाई अथवा गहराई का यMण कछ खास-खास

सकत क आधार पर होता ह य सकत दो कार क होत ह 1 एक-अMीय सकत (monocular cures) 2 ि-

अMीय सकत (binocular cues)

1 एक-अMीय सकत (monocular cures) - एक-अMीय सकत उन सकत को कहा जाता ह िजहgt

कवल एक ही नN ारा 2हण िकया जा सकता ह इसका अथ1 यह हJआ िक अगर कोई Rयि िकसी बीमारी या

दघ1टना आिद क कारण अपनी एक ऑख खो दता ह तो उस अवथा मgt भी उस बची हJए एक ऑख ारा इन

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 90

सकत क 2हण ारा वतओ क मोटाई अथवा गहराई का ान हो सकता ह एक-अMीय सकत को िचNीय

सकत (Pictorial cues) भी कहा जाता ह एक-अMीय सकत को 2हण करन क कला Rयि अपन अनभव

ारा सीखता ह यही कारण ह िक इस Rयि क जमजात िवशषता नहU माना जाता ह एक-अMीय सकत दो

कार क होत ह 1 गितरिहत एक-अMीय सकत 2 गितय एक-अMीय सकत

(i) गितरिहत एक-अMीय सकत -इस सकत का वण1न िनLन िबदओ को आधार पर िकया जाता ह-

क) अतःिथित (interposition)

ख) अिMपटलीय ितिबLब का आकार (size of retinal image)

ग) रखीय सदश1 (linear perspctive)

घ) गठन वणता (texture gradient)

च) छाया सकत (shadow cue)

छ) वायवीय सदश1 (aerial perspective)

ज) सापM चमकलापन (relative brightness)

झ) ऊचाई सकत (height cue)

क) अतःिथित (interposition) - जब वतए एक सीध मgt तथा साथ ही साथ अपारदशv होती ह तो

सLमख वत पीछ क वत क कछ िहस या भाग को ायः िछपा लती ह इस ही अतः िथित अथवा

अतःMप कहा जाता ह जब ऊपर क वत अपन नीच क वत को अशतः िछपा लती ह तो Rयि को नीच

क वत अिधक गहराई पर मालम पड़ती ह तथा ऊपर ही वत िजसका परा भाग वह दख रहा ह काफ नजदीक

मालम पड़ता ह

िवशष बात यह ह िक अतःिथित सकत अथवा अतःMप सकत ारा वतओ क गहराई का ान तभी

हो सकता ह जब वतए करीब करीब एक सीध मgt हो तथा उन सभी वतओ मgt एक दसर को ढकन क Mमता

हो अथा1त व सभी अपारदशv ह इन दशाओ क अभाव मgt अतःिथित सकत ारा वतओ क गहराई का

यMण नहU होगा ख) अि6पटलीय ितिबब का आकार (size of retinal image) - जब कोई वत Rयि क नजदीक

होती ह तो अिMपटल पर बनन वाल इसक ितिबLब का आकार बड़ा होता ह फलव=प वत का आकार भी

बड़ा िदखाई दता ह उदाहरणतः यिद हम गस क उड़ रह ग)बार को ही लgt तो हम पात ह िक जस-जस गस का

ग)बारा हमार नजदीक आता ह वस वस उसका अिMपटलीय ितिबLब बड़ा होता जाता ह फलव=प गस का

ग)बारा आकार मgt पहल क अपMा बड़ा िदखलाई पड़न लगता ह ठीक उसक िवपरीत जस-जस गस का

ग)बारा हमस दर होता जाता ह उसका अिMपटलीय ितिबLब छोटा होता जाता ह फलव=प उस ग)बार का

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 91

आकार भी छोटा िदखलाई पड़न लगता ह और अयिधक दर चल जान पर माN एक ध)ब क समान िदखलाई

दता ह और अत मgt वह हमारी नजर स ओझल हो जाता ह

इट-सन एव िकलपिक का योग - इट-सन एव िकलपिक ारा सन 1950 मgt एक योग िकया गया

इस योग मgt उहन दो ग)बार का उपयोग िकया उहन एक अधर कमर मgt समान दरी पर हवा स भर दो

ग)बार को लटका िदया

ग) रखीय सदश0 (linear perspctive) - रखीय सदश1 स तापय1 उस घटना स होता ह जहॉ समानातर रखाए

जस-जस Rयि क नजर स दर होती जाती ह वस-वस व आपस मgt एक दसर स सटती नजर आती ह इसी

कार दर िMितज क ओर जाती हJई दो समानातर रखाए िMितज क सीमा पर आपस मgt िमलती हJई तीत होती

ह अथा1त दोन रखाए अत मgt एक दसर क अिभमख हो जाती ह इसस Rयि को दरी एव गहराई का यMण

होता ह तथा इस सकत को रखीय सदश1 कहा जाता ह अपन दिनक जीवन मgt इसका उदाहरण हमgt रल क

पटरय को दखन स िमलता ह अगर हम रल क पटरय क बीच खड़ा होकर दखgt तो हम पाएग िक जस-जस

पटरयॉ आग बढ़ती जाती ह वस-वस एक दसर क नजदीक आती हJई मालम पड़ती ह अिधकतम दरी पर यािन

िक िMितज पर ऐसा महसस होता ह िक य दोन पटरयॉ िबलकल ही एक दसर स सट गयU

घ) गठन वणता (texture gradient) - गठन वणता का सकत एक ऐसा सकत ह िजसमgt रखीय सदश1 एव

आकार दोन तरह क सकत सिLमिलत होत ह गठन स तापय1 वत एव उसक आकार मgt िमक परवत1न स

होता ह मनोवािनक िग)सन ारा सन 1950 मgt गठन वणता पर िकए गए एक योग ारा यह िदखलाया गया

ह िक जब िकसी वत क गठन मgt सिLमिलत तव का आकार छोटा होता ह एव व काफ सघन होत ह तो इसस

Rयि को दरी एव गहराई का यMण होता ह परत जब गठन मgt सिLमिलत सभी तव का आकार एक समान

होता ह तथा व सघन नहU होकर फल होत ह तो इसस वत क तव मgt आपस मgt Rयि को दरी अथवा गहराई

का कोई यMण Rयि को नहU होता ह

च) छाया सकत (shadow cue) - छाया को एक मख एक-अMीय सकत माना गया ह िजसक आधार पर

हमgt गहराई तथा दरी का यMण होता ह छाया सकत क मख पव1क-पना यह होती ह िक रोशनी वत क

ऊपर स आ रही ह इस पव1क-पना को Eयान मgt रखत हJए कहा जा सकता ह िक जब एक वत क छाया दसर

वत पर पड़ती ह तो दखन वाल Rयि को दसर वत क दरी एव गहराई क अपMा अिधक मालम पड़ती ह

वातिवकता यह ह िक छाया सकत ारा वतओ क चमक मgt थोड़ा अतर आ जाता ह िजसस दरी एव गहराई

का यMण होता ह

छ) वायवीय सदश0 (aerial perspective) - वायवीय सदश1 का सबध रोशनी स ह वाय मgt जस-जस रोशनी

आग क ओर बढ़ती ह वस-वस वाय मgt उपिथत धिलकण तथा नमी क कारण रोशनी मgt अिधक धधलापन तथा

फलाव बढ़ जाता ह इसका परणाम यह होता ह िक वातावरण मgt उपिथत दर क पहािड़यॉ घर पड़ आिद

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 92

काफ धधल अपD तथा साथ-ही-साथ बगनी रग जस िदखलाई दन लगत ह इस ही वायवीय सदश1 का सकत

कहा जाता ह वातावरण मgt जो वतए यािन पहािड़यॉ घर पड़-पौध Rयि स नजदीक होत ह व न तो धधल

अपD और न ही बगनी रग सCश िदखलाई दत ह अतः वत क अपDता धधलापन आिद जो वायवीय

परCय क सकत मgt सिLमिलत होता ह ारा भी हमgt दरी एव गहराई का यMण होता ह

ज) साप6 चमकलापन (relative brightness) - अधर मgt रखी हJई कई वतओ को िजनक चमकलपन

का तर असमान होता ह जब हम दखत ह तब हमgt अिधक चमकली वत नजदीक तथा कम चमकली वत

अिधक दरी पर एव गहराई पर िथत िदखलाई दती ह

झ) ऊचाई सकत (height cue) - इस सकत क अनसार जो वत िMितज क नजदीक होती ह उस Rयि

तलनामक =प स अिधक दरी पर होन का यMण करता ह जस

(ii) कछ एक-अMीय सकत ऐस ह िजनमgt गित सिLमिलत होती ह ऐस मख एक-अMीय सकत िनLनािकत दो

कार क ह- 1 गितबोधक गहराई सकत (kinetic depth cue) 2 गित सकत (motion cue)

क) गितबोधक गहराई सकत (kinetic depth cue) - इस सकत का सबध वतओ या उीपक क गित स

ह न िक यMणकता1 क गित स ह कोई वत िथरावथा मgt होन पर चपटी िदखती ह परत जब उसमgt गित

उपन हो जाती ह या वह घमन लगती ह तो उसमgt गहराई एव दरी का यMण होन लगता ह इस तyय क पिD

कई अEययन मgt क गई िजसमgt एक महवपण1 अEययन वालक एव ओकोनल ारा सन 1953 मgt िकया गया

इस अEययन मgt ितभािगय को कछ ठोस )लाक तार स बनी कछ आकितयॉ एव सीधी छड़ी आिद िदखलाई

गयU अपनी िथरावथा मgt य सभी वतए ितभािगय को सपाट एव िचपटी तीत हJई परत जब उहgt तजी स

घमत हJयी िथित मgt िदखलाया गया तो व िNिवमीय तीत हJई ख) गित सकत (motion cue) - वतओ मgt गित का यMण होन क कारण भी हमgt दरी तथा गहराई का

ान होता ह इस सकत को गित लLबन (movement parallax) भी कहा जाता ह इसका सबस अ`छा

उदाहरण चलती रलगाड़ी मgt िखड़क या दरवाज स बाहर दखन पर िमलता ह चलती रलगाड़ी स बाहर दखन पर

लगता ह िक नजदीक क पड़-पौध मकान Rयि आिद िवपरीत िदशा मgt भागत जा रह ह तथा दर क पड़-पौध

मकान पहाड़ आिद उसी िदशा मgt िजसमgt िक रलगाड़ी चल रही ह भागत तीत होत ह हालािक स`चाई यह

होती ह िक न तो नजदीक क पड़-पौध मकान पहाड़ आिद भाग रह ह या चल रह ह और न तो दर क ही परत

जब Rयि को ऐसा तीत होता ह तो इसस उस वतओ क दरी तथा नजदीक का पD यMण होता ह

उपरो विण1त तyय क आधार पर यह कहा जा सकता ह िक इन एक-अMीय सकतो ारा हमgt दरी एव

गहराई क यMण मgt काफ मदद िमलती ह सभी एक-अMीय सकत क एक सामाय िवशषता या गण यह ह

िक Rयि इस अपन अनभव ारा सीखता ह न िक जम स ही इन सकत का उपयोग करन क Mमता उसमgt

मौजद रहती ह

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 93

104 पटन0 यिभान

पटन1 यिभान रोजमरा1 क एक बहJत ही महवपण1 घटना ह िजसक सहार हम अपन आस-पास क घटनाओ

का अथ1 समझत ह Rयि को साथ1क ढग स वातावरण क साथ अतःि या करन क िलए यह आवयक ह िक

वह उस वातावरण क िविभन उीपक पटन1 क पहचान कर मटिलन नामक मनोवािनक न सन 1983 मgt

अपनी पतक lsquoपरसcसनrsquo मgt इस परभािषत करत हJए कहा ह िक lsquolsquo पटन1 यिभान स तापय1 सवदी उीपक

ारा क जा रही जिटल Rयवथाओ क पहचान कर लन स होता ह rdquo (Pattern recognition referes to

the identification of complex management of sensory stimuli) इस उदाहरण ारा इस कार

समझा जा सकता ह Rयि lsquoिकताबrsquo श)द क यक अMर को दख रहा ह और उसक पहचान कर लता ह

Rयि मदान मgt एक गाय दखता ह और समझ जाता ह िक यह मर पड़ोसी क गाय ह इन सभी उदाहरण मgt

Rयि उीपक क ारा अिभRय एव दिश1त िकय जा रह एक िवशष पटन1 को दखता ह एव उस पटन1 को

समझ कर उस उीपक क सही पहचान कर लता ह उपरो उदाहरण मgt िकताब एव गाय उीपक क =प मgt

िलए गए ह

पटन1 यिभान क RयाZया करन क िलए दो तरह क ि याओ (ोसस) स सबिधत मॉडल का

वण1न िमलता ह 1 बॉटम-अप ोसिसग (bottom up processing) 2 टॉप-डाउन ोसिसग (top-down

processing)

बॉटम-अप ोसिसग मgt उीपक क Rय िवशषताओ एव उनस सबिधत महवपण1 तyय स श=आत

करक िन^कष1 ािF क ऊच तर पर पहJचा जाता ह अथा1त िन^कष1 हत आधार बनन वाली जानकारय का

ससाधन िकया जाता ह अथा1त इस ससाधन मgt हम नीच स श=आत कर ऊपर तक पहJचत ह इस तर पर

उदीपक क अथ1 एव सदभ1 को समझा जाता ह टॉप-डाउन ोसिसग मgt पटन1 मgt पहचान मgt Rयि मgt पव1 अनभित

एव सदभ1 स िवशष याशा उपन होती ह और उसी क आलोक मgt उीपक क RयाZया क जाती ह

बॉटम-अप ोसिसग मॉडल क तहत दो तरह क िसPात को वण1न िकया गया ह जो इस कार ह-

(अ) िविशD =परखा िसPात (distinctive features theory)

(ब) मलित िमलान िसPात (prototype-matching theory)

(अ) िविश` Qपरखा िस=ात - इस िसPात का ितपादन सन 1975 मgt मनोवािनक िग)सन ारा िकया

गया व िसP कानiन यनीविस1टी स सबध रखत थ उहन इस िसPात का ितपादन लोग अMर क पहचान

िकस तरह स करत ह इसक RयाZया हत िकया था इनक अनसार Rयि अMर क पहचान उनक िविशD

िवशषता या =परखा क आधार पर करता ह यक अMर क एक िविशD =परखा एव िवशषता होती ह िजसक

आधार पर उसक पहचान सभव होती ह उदाहरण क िलए अ2जी क अMर A एव H को ही लgt अMर A मgt

तीन रखाए ह एव अMर H मgt भी तीन रखाए ह परत दोन क ही =परखा अलग-अलग ह अMर A मgt दो बड़ी

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 94

रखाए एक िबद पर आपस मgt िमलती ह एव इन दोन बड़ी रखाओ को एक छोटी रखा बीच स जोड़ती ह इस

अMर मgt दोन बड़ी रखाओ का िमलन िबद ही इनक िविशD िवशषता या =परखा ह वहU अMर H मgt दोन

बड़ी रखाए एक दसर क समानातर ह एव य यM मgt कहU नहU िमलतU हालॉिक य बड़ रखाए भी एक छोटी

रखा ारा एक दसर स जड़ी हJई ह इस कार हम दखत ह िक इन दोन ही अMर मgt कछ िविशD िवशषताए

िवमान ह िजनक ारा इनका एक िवशष पटन1 बनता ह िजसक ारा इनक पहचान व RयाZया सभव होती ह

अMर का कछ समह तो ऐसा होता ह िजनक िविशD िवशषता या =परखा एक दसर स पण1तः िभन होती ह

जस O W R G L S D आिद िग)सन स सभी अ2जी अMर क िविशD =परखाओ का एक चाट1 बनाया

ह इहन कई तरह क िवशषताओ का वण1न िकया ह िजसमgt तीन िवशषताए सबस lयादा महवपण1 ह 1

सीधा (ट) 2 मड़ा हJआ (कRड1) 3 ित`छदन (इटरसYशन)

एक सहज ही उठता ह िक जब Rयि िकसी अMर क पहचान कर रहा होता ह तो वह िकन

िवशषताओ पर सवा1िधक िनभ1र करता ह इस का उर िग)सन सािपरो एव योनास न सन 1968 मgt िकए

गए एक योग ारा िदया ह इस योग क अतग1त ितभािगय को अMर का एक-एक जोड़ा बारी-बारी स

िदखलाया गया उहgt िनदiश िदया गया िक जब उहgt दोन अMर एक समान लग तो व िवशष बटन को दबाकर

अपनी अनि या करgtग और जब उहgt महसस हो िक अMर क जोड़ मgt दोन अMर एक दसर स िभन ह तो व

दसरा बटन दबाकर अनि या करgtग इस तरह स योगकताओ ारा यक यास मgt अनि या करन मgt लगा

समय क आधार पर समानता क माप क गयी अगर अनि या करन मgt समय कम लगता था जसा िक O एव

W क जोड़ मgt होता था तो यह समझा जाता था िक दोन अMर एक दसर स काफ िभन ह अगर अतिन1िहत

समय लLबा होता था जसा िक P और R क जोड़ मgt होता था तो यह समझा जाता था िक अMर एक-दसर क

काफ समान ह इस योग क परणाम मgt यह भी पता चला िक ितभागी सबस पहल उन अMर क बीच अतर

करत ह िजनक =परखा मgt सीधी रखाओ का इतमाल िकया गया होता ह जस M W N आिद और उसक

बाद उन अMर मgt िवभद करत ह िजनक =परखा मgt घमाव अथवा मोड़ यािन कव1 lयादा होत ह जस P एव R

इसक उपरात तीसर तर पर व उन अMर मgt अतर करत ह िजनक =परखा मgt गोलाई जस तव होत ह जस C

G

इस िसPात मgt RयाF बहJत सी अ`छाइय क बावजद कछ मनोवािनक न इसक किमय क ओर

Eयान आकिष1त िकया ह इनमgt नॉस एव िशलमन का नामक मख ह इन मनोवािनक न 1976 मgt एक

सययामक किठनाई क ओर मनोवािनक का Eयान आकD कराया ह इहन यह बतलाया ह िक ायः

अMर क िविशD िवशषताओ एव =परखाओ क बीच अतर करना सभव नहU हो पाता ह उदाहरणव=प

यिद Rयि का िबदओ स िनिम1त िNभज िजसमgt िक यक दो िबदओ क बीच कछ दरी हो एव रखाओ स बना

िNभज क बीच अतर करन क िलए कहा जाय तो उस कठ किठनाई होगी तीन िबदओ क घर को भी Rयि

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 95

एक िNभज ही समझता ह हालािक एक िNभज क दो िविशD िवशषताओ क इसमgt कमी ह - तीन सीधी रखा

एव तीन कोण पD हJआ िक कभी-कभी उीपक क िविशD िवशषताओ मgt अतर होन क बावजद भी Rयि

उहgt एक समान होन का यMण करता ह और इस तyय क RयाZया इस िसPात ारा नहU हो पाती ह ऐसी

दशा मgt एक अय िसPात ारा इसक RयाZया क जाती ह इसका वण1न नीच क पिय मgt िकया गया ह

(ब) मलित िमलान िस=ात - इस िसPात क अनसार Rयि अपनी मित मgt उीपक का एक अमत1 एव

आदश1 पटन1 सिचत करक रखता ह जब Rयि कोई िवशष वत को दखता ह तो वह उसक तलना मन मgt

सिचत मलित या आदश1 आकित स करता ह अगर वह उसस समिलत होता ह तो Rयि उस पटन1 क

पहचान कर लता ह अगर वह समिलत नहU होता ह तो Rयि उस अय ोटोटाइप स एक-एक करक तब तक

िमलात जाता ह जब तक िक सही समल न ाF हो जाय इस िसPात क मायता यह ह िक मन मgt सिचत

मलित-ोटोटाइप क िनLनािकत तीन िवशषताए होती ह-

1 ोटोटाइप अमत1 होता ह

2 ोटोटाइप आदश1व=प होत ह

3 ोटोटाइप का आकार दढ़ =प स िविशD नहU होता ह

ोटोटाइप-िमलान िसPात िविशD =परखा िसPात स िकस तरह िभन ह इन दोन िसPात मgt सबस मख

अतर यह ह िक ोटोटाइप िसPात मgt उीपक क सLपण1 आकार क महव पर बल डाला जाता ह जबिक

िविशD =परखा िसPात यह बतलाता ह िक उीपक क िविशD महवपण1 भाग क पहचान करन क बाद ही

पटन1 यिभान होता ह इस तरह स िविशD =परखा िसPात क अनसार मित मgt सिचत पटन1 दढ़ =प स

आकार मgt िविशD होता ह जबिक मलित िमलान िसPात क अनसार ऐस सिचत पटन1 मgt लचीलापन का गण

होता ह इस लचीलपन क िवचार को एक उदाहरण ारा इस कार समझाया जा सकता ह Rयि वस अMर को

भी अपन वातिवक व=प मgt पहचान लता ह िजसक आकित िवकत होती ह िचN मgt अMर को हम W

(डब-य) क =प मgt आसानी स पहचान कर लत ह हालॉिक उनक वातिवक आकित िवकत ह ऐसा इसिलए

सभव हो पाता ह िक अMर W क एक मलित (ोटोटाइप) Rयि क मन मgt होता ह

टॉप-डाउन ोसिसग (top-down processing) मॉडल - इस मॉडल क क ारा पटन1 पहचान क

RयाZया मgt वत क सदभ1 पर िवशष बल डाला जाता ह इसमgt उीपक क RयाZया Rयि क पव1 ान एव

उदीपक क सदभ1 सबध मgt क जाती ह पटन1 पहचान पर सदभ1 क पड़न वाल भाव को िनLन िचN मgt िदखलाया

गया ह

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 96

इस िचN मgt अMर lsquoबीrsquo तथा अक तरह एक ही समान िलखgt गए ह परत जब उस अMर क समह क

सदभ1 मgt उपिथत िकया गया तो उस अMर बी क =प मgt पढ़ा जाता ह परत जब उस अक क समह क सदभ1 म

उपिथत िकया जाता ह तो उस अक तरह क =प मgt पढ़ा जाता ह

105 य6णामक िथरता

हम सभी को अपन िदन ितिदन क जीवन मgt यMण स सबिधत एक िवशष अनभव अवय ही होता ह

िजसक RयाZया यMणामक िथरता क =प मgt क जाती ह यMण का एक िवशष गण यह ह िक इसक

ारा हमgt वातावरण मgt उपिथत वतओ का ान उनक भौितक परिथितय मgt परवत1न क बावजद भी समान

=प स होता ह दसर श)द मgt कहा जा सकता ह िक वतओ या उीपक क भौितक परिथितय मgt यिप

परवत1न हो जाता ह तथािप उसक यMण मgt कोई परवत1न न होकर िथरता बनी रहती ह इस ही

यMणामक िथरता कहा जाता ह

परभाषा

lsquolsquoअलग-अलग परिथितय मgt उीपक वतओ को करीब-करीब सम=प ढग स यMण करन क वि को

यMणामक िथरता कहा जाता हrsquorsquo

Perceptual constancy is the tendency of a stimulus situation to be perceived in

approximately the same way under varying circumstances (Sartain North Strange amp

Chapman Psychology 1973 p222)

यMणामक िथरता का उदाहरण - सगिधत कपर क टकड़ का कमर क अदर रखन पर तथा दोपहर

मgt सय1 क रोशनी मgt रखन पर Rयि उस कपर क टकड़ क =प मgt ही यिMत करगा हालॉिक सय1 क रोशनी मgt

कपर क चमकलपन का तर कमर मgt उपन चमकलपन क तर क अपMा अिधक होता ह ठीक इसी कार

स िकसी बालक वयक अथवा eी को हम पॉच फट क दरी स दखgt या 10 फट क दरी स दखgt उस वही

Rयि क =प मgt हम दखत ह हालॉिक पॉच फट क दरी स दखन पर जो अिMपटलीय ितिबLब (रटीनल इमज)

A I3 C D E

I0 II I2 I3 I4

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 97

बनती ह 10 फट क दरी स दखनपर बन अिMपटलीय ितिबLब क अपMा बड़ा ही होता ह इस तरह स हम

माण िमलत ह िक भौितक वातावरण मgt परिथितय मgt परवत1न होन क बावजद भी हम वतओ या उीपक

को यMण पहल क तरह ही करत ह

अब उठता ह िक यMणामक िथरता क इस घटना क RयाZया िकस कार स क जाती ह

मनोवािनक न इसक RयाZया मgt दो मZय कारण पर काश डाला ह

थम कारण - िजस उीपक वत का यMण िकया जाता ह उसक अपनी पnभिम क साथ एक

िनिWत एव िथर सबध होता ह इस सLबध क कारण भौितक वातावरणीय परिथित मgt बदलाव होन क

बावजद भी Rयि िकसी वत को पहल क समान ही यिMत करता ह उदाहरणाथ1 - अगर एक नील पन को

सफद कागज क टकड़ पर रखकर दिश1त िकया जाय और िफर पील कागज क टकड़ पर उसी पन को रखकर

दिश1त िकया जाय तो हम दोन ही परिथितय मgt नील पन को नीला ही दखत ह Yयिक पन जो िक इस

उदाहरण मgt उीपक क =प मgt ह इसका अपनी पnभिम अथा1त नीला रग क साथ एक अटल सLबध ह

ितीय कारण - मनोवािनक क अनसार मन य मgt वातावरण मgt उपिथत उीपक क कछ खास-खास

गण एव िवशषताओ को पहचान हत चन लन क वि होती ह इन खास गण एव िवशषताओ क सहायता

स हम उदीपक वत अथवा Rयि मgt थोड़ अश मgt हJय बदलाव व िवकित क बावजद पहल ही क तरह

यMण कर लत ह उदाहरण क िलए िसनमा मgt हम एक ही अिभनता अथवा अिभनNी को कई कार क चरN

का अिभनय करत हJए दखत ह इन चरN पाN मgt ढलन क िलए अिभनता Rयि को कई कार क वe एव

tगार करना पड़ता ह बावजद इसक हम उनक कछ मZय गण एव िवशषताओ जस िक बोलन का ढग चलन

का ढग सवाद अदायगी भाव भिगमा बनावट आिद को अपन मन मgt इस तरह स सजो कर रख रहत ह िक उहgt

पहचानन मgt अथा1त उनक सही यMण मgt कोई िवशष किठनाई नहU होती ह कभी कभी हम ठीक-ठीक

यMण कर पान मgt सफल नहU भी हो पात ह मनोवािनक क अनसार अगर उीपक क अवथाओ मgt बहJत

अिधक बदलाव क दशा मgt यMण मgt िथरता सभव नहU होती ह

यMणामक िथरता का अEययन दो कार स िकया जाता ह 1 वतओ स सबिधत यMणामक

िथरता 2 वतओ क गण स सबिधत यMणामक िथरता वतओ स सबिधत यMणामक िथरता मgt

वत क आकार तथा =प क यMणामक िथरता का अEययन िकया जाता ह वतओ क गण स सबिधत

यMणामक मgt वतओ क िवशषताओ जस िक वत का रग वत क चमक आिद क यMणामक

िथरता अEययन क िवषयवत होती ह कछ मख िथरताओ का वण1न िनLनािकत ह

आकार िथरता (size constancy) - जब हम िकसी वत को दखत ह तो उस वत का ितिबLब

हमार अिMपटल (रटीना) पर बनता ह इस ितिबLब को अिMपटलीय ितिबLब कहा जाता ह िजसका आकार

Rयि तथा दख जान वाली वत क दरी पर िनभ1र करता ह यिद यह दरी अिधक ह तो अिMपटलीय ितिबLब

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 98

क आकार मgt परवत1न होन स हमgt वत क आकर मgt भी उसी अनपात मgt बदलाव का यMण होना चािहए था

परत वततः स`चाइ य नहU ह हम अपन िमN को 10 फट क दरी स दखgt अथवा दो फट क दरी स दखgt

उसक ऊचाई चौड़ाई और कद को हम समान =प स दखत ह हालॉिक इन दोन दरय क कारण रटीना पर

बनन वाल ितिबLब क आकार मgt काफ परवत1न हो जाता ह रटीनल इमज क आकार मgt तथा दख जान वाली

वत क दरी क परणामव=प हJए बदलाव क बावजद भी वत क आकार क यMण मgt जो िथरता होती ह

उस यMणामक िथरता कहा जाता ह

आकार िथरता क सPाितक RयाZया - इसक RयाZया तीन कार स िमलती ह थम RयाZया क

अनसार आकार िथरता का कारण यह ह िक Rयि को दख जान वाली वत का वातिवक आकार उसक दरी

आिद पहल स उस ात होती ह फलतः वत या Rयि चाह दो फट क दरी पर हो या 10 फट क दरी पर हम

उसक आकार का यMण ठीक पहल क समान ही करत ह

ितीय RयाZया क अनसार आकार िथरता का कारण दखी जान वाली वत या Rयि क गठन तथा

उस वत क पnभिम दोन मgt एक साथ होन वाला परवत1न ह इसक परणामव=प वत तथा उसक पnभिम

क बीच का सबध पव1वत बना रहता ह जब वत Rयि स दरी पर होती ह तो उस वत तथा उसक पnभिम मgt

एक साथ ही परवत1न होता ह फलतः इन दोन क बीच का अनपात वही रह जाता ह उसी तरह जब वत Rयि

क नजदीक होती ह तो उस वत एव उसक पnभिम मgt एक ही साथ परवत1न होता ह और यहॉ भी अनपात वही

रहता ह अतः हमgt वत क आकार िथरता का यMण होता ह इस RयाZया मgt िग)सन ारा 1950 मgt िकय

गय काय1 का महवपण1 योगदान ह

तीसरी RयाZया रॉक एव इबनहो-टज ारा 1959 मgt ितपािदत क गयी ह इस RयाZया का आधार

दखी जान वाली वतओ का सापM आकार होता ह इस RयाZया क अनसार Rयि िकसी वत क आकार को

अय आस-पास क वतओ क आकार क सदभ1 मgt इस ढग स दखता ह िक उनका आपसी अनपात िथर रहता

ह इसक फलव=प आकार िथरता का अनभव Rयि को होता ह

=प िथरता (Shape constancy) - वत क =प क यMण मgt भी िथरता होती ह िभन-िभन

परिथितय मgt यिद एक ही वत को िभन-िभन कोण स हम दखत ह तो इसस उपन अिMपटलीय ितिबLब

मgt परवत1न आ जाता ह इसक बावजद भी Rयि उस वत को ठीक पहल क =प मgt ही दखता ह इस ही =प

िथरता कहा जाता ह उदाहरण क िलए हम कमर क दरवाज को चाह िकसी भी कोण स दखgt वह हमgt

आयताकार ही िदखाई दता ह

=प िथरता क सPाितक RयाZया - =प िथरता क RयाZया करन क िलए मनोवािनक न =प

ितरMपन अपरवय1 ाक-पना (shape-slant invariance hypothesis) का िनमा1ण िकया ह इस

ाYक-पना क अनसार यMणकता1 िकसी वत क अिMपटलीय =प तथा उसक ितरMपन स ाF सचनाओ

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 99

को सयोिजत करक उसका एक वतिनn =प का परकलन करता ह यही कारण ह िक िविभन ितरMपन क

परिथित मgt वत क होन क बावजद भी Rयि वत क वातिवक =प का यMण कर लता ह

दीिF या चमक िथरता (brightness constancy)- िजन वतओ को हम दखत ह उनक चमक क तर मgt

एक तरह क िथरता का यMण हम उन परिथितय मgt भी करत ह जब उन वतओ ारा परावित1त रोशनी क

माNा िभन-िभन होती ह इस ही चमक िथरता क सा दी गयी ह उदाहरण क िलए बफ1 क टकड़ को चाह

सEया समय दखgt अथवा दोपहर क रोशनी मgt वह समान ढग स उजला नजर आता ह दोपहर मgt बफ1 ारा

परावित1त रोशनी क माNा सEया क अपMा कहU अिधक होती ह

रग िथरता (Colour constancy) - एक ात रग क वत को यिद हम िभन रग क सदभ1 मgt रखकर

दखgt तो वत का रग वही दीख पड़ता ह जो पहल था उदाहरण क िलए एक हर अम=द को आप पील कागज

क टकड़ पर रखकर दखgt या सफद कागज क टकड़ पर रखकर दखgt वह हरा ही नजर आयगा हालॉिक दोनो

परिथितय मgt पnभिम का रग अलग-अलग ह

106 साराश

गहराई का यMण Rयि को कछ सकत क सहायता स होता ह य सकत दो कार क होत ह एक-अMीय

अथवा एकनNीय सकत एव िनNी सकत गहराई का यMण दोन ही सकत क आधार पर होता ह

वातिवकता यह ह िक हम इन दोन तरह क सकत का जब उपयोग करत ह तो गहराई का यMण परशP

हाता ह अगर हम िसफ1 एक ही कार क सकत का उपयोग करgt तो गहराई का यMण उतना सही नहU हो

पायगा यही कारण ह िक एक ऑख क Rयि मgt गहराई का यMण दो ऑख वाल Rयि क यMण स थोड़ा

अपD एव िनLन कोिट का होता ह

पटन1 यिभान रोजमरा1 क एक बहJत ही महवपण1 घटना ह िजसक सहार हम अपन आस-पास क

घटनाओ का अथ1 समझत ह Rयि को साथ1क ढग स वातावरण क साथ अतःि या करन क िलए यह

आवयक ह िक वह उस वातावरण क िविभन उीपक पटन1 क पहचान कर मटिलन नामक मनोवािनक न

सन 1983 मgt अपनी पतक lsquoपरसcसनrsquo मgt इस परभािषत करत हJए कहा ह िक lsquolsquo पटन1 यिभान स तापय1

सवदी उीपक ारा क जा रही जिटल Rयवथाओ क पहचान कर लन स होता ह (Pattern recognition

referes to the identification of complex management of sensory stimuli)

यखण का एक िवशष गण यह ह िक इसक ारा हमgt वतओ का ान उसक भौितक परिथितय मgt

परवत1न क बावजद भी समान =प स होता ह िभन िभन परिथितय मgt उीपक को करीब-करीब सम=प ढग

स यMण करन क इस वि को यMणामक िथरता क सा दी जाती ह िकसी Rयि को हम चार फट

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 100

क दरी स दखgt या 15 फट क दरी स दखgt उस हम समान दखत ह इस तरह क िथरता को यMणामक

िथरता क सा दी जाती ह यह कई कार क होती ह आकार िथरता =प िथरता एव चमक िथरता

107 शदावली

bull य6ण यMण एक जिटल मानिसक ि या ह िजसक ारा Rयि अपनी िविभन ानि_य ारा

वातावरण मgt उपिथत वतओ अथवा घटनाओ का ान ाF करता ह

bull पटन0 यिभान सवदी उीपक ारा क जा रही जिटल Rयवथाओ क पहचान कर लना होता ह

bull य6णामक िथरता अलग-अलग परिथितय मgt उीपक वतओ को करीब-करीब सम=प ढग स

यMण करन क वि

108 वमयाकन हत

1) एक कलम को Rयि दो मीटर क दरी स दख या पॉच मीटर क दरी स दख उसका यMण िबलकल ही

एक समान होता ह इसका कारण िनLनािकत मgt स Yया हो सकता ह

(क) यMणामक आमसामकर (perceptual assimilation)

(ख) यMणामक िथरता (perceptual constancy)

(ग) यMणामक िवरोध (perceptual contrast)

(घ) यMणामक आमसामकर (perceptual vigilance)

2) र थान क पित1 करgt-

i) यMणामक िथरता एक तरह का यMणामकह

ii) ऊचाई सकत एक तरह कासकत ह

उ-र 1 - ख 2 - i) िवकित ii) एकनNी

109 सदभ0 1थ सची

bull उ`चतर ायोिगक मनोिवान - डा अ=ण कमार िसह - मोतीलाल ndash बनारसीदा

bull सामाय मनोिवान - िसहा एव िमtा - भारतीय भवन

bull आधिनक सामाय मनोिवान - सलमान एव खान - शYला बक िडपो पटना

bull एYसपरमटल साइकोलॉजी - कॉिलस एव क

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 101

1010 िनबधामक

1 गहराई यMण क िसPात का सोदाहरण वण1न करgt

2 िविभन कार क यMणामक िथरता क सPाितक म का वण1न करgt

3 यMणामक िथरता स आप Yया समझत ह इसक िविभन कार का वण1न करgt

4 गहराई क यMण मgt एकनNी सकत तथा िनNी सकत क महव का वण1न करgt

5 पटन1 पहचान क RयाZया स सबिधत िसPात का िवशद वण1न करgt

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 102

इकाई-11 म एव उसक िस ात

(Illusion and its Theories)

इकाई सरचना

111 तावना

112 उय

113 म का व=प

114 म क कार

115 म क िसPात

116 साराश

117 श)दावली

118 वम-याकन हत

119 सदभ1 2थ सची

1110 िनबधामक

111 तावना

यMण क अEययन क दौरान िवािथ1य क जहन मgt एक सवाल हमशा कध उठता ह िक हमार िदन ितिदन

क जीवन मgt हमgt गलत यMण Yय कर होता ह अथा1त जो वत िजस =प मgt िवमान होती ह उस उसक उसी

यथाथ1 =प मgt न दख कर िकसी और =प मgt दखना तथा तदन=प िववचन करना इस कार क घटना को वतत

गलत यMण यािन क म क सा दी जाती ह उदाहरणाथ1 यिद रसी को कम रोशनी होन क वजह स आप

साप समझ बठत ह तो यह गलत यMण यािन िक म का उदाहरण होगा इस इकाई आप को म क सबध मgt

समत कार क जानकारी ाF होगी

112 उय

इस इकाई को पढ़न क बाद आप-

bull म क व=प को जान सकgt ग

bull म क कार का वण1न कर सकgt ग

bull म पर लख िलख सकgt ग

bull म क िसPात का वगvकरण कर सकgt ग

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 103

bull यMण एव म मgt अतर पD कर सकgt ग

113 aम का वQप

गलत यMण को म कहा जाता ह उदाहरणाथ1 यिद अधर मgt भस को आप गाय क =प मgt अथवा क को

बकरी क =प मgt यMण करत ह तो यह म का उदाहरण होगा कई बार शाम क समय जब िक सया1त हो रहा

हो गोधिल िक वला हो ऐस समय मgt वातावरण मgt एक कार का धधलका सा छाया रहता ह एव तकरीबन सभी

rवाल को अपन पशधन को पहचानन मgt अYसर गलती हो जाया करती ह यह कवल rवाल क साथ ही नहU

होता बि-क हम लोग अपन सबिधय इD िमN सहपािठय आिद को पहचानन मgt भी कई बार गलती कर बठत

ह एव उसक बाद वतिथित ात होन पर हम उनस यह कहत पाय जात ह िक हमgt म हो गया था उपरो

उदाहरण स म क कई िवशषताओ पर काश पड़ता ह य िवशषताए िनLन ह

म एक तरह का यMण न िक अयMण या धोखा ह यMण क tणी मgt आत हJए भी इस म

इसिलए कहा जाता ह Yयिक इसमgt जो यMण होता ह वह पव1 मgt हJए यMण स िभन होता ह जस - भस

को जब हम अधर मgt गाय यMण करत ह अथवा रसी को हम साप यिMत करत ह तो यह यMण पव1 मgt

हJए यMण यानी भस को भस क =प मgt व रसी को रसी क =प मgt िकए गए यMण स िभन होता ह

चिक म एक कार का यMण ही ह अतः म क उपि क िलए यह आवयक ह िक उीपक

उपिथत हो उपय1 उदाहरण मgt रसी एक उीपक ह िजसका यMण सॉप क =प मgt िकया गया ह यिद िकसी

Rयि को िबना उीपक क ही कछ यMण होता ह तो वह म नहU बि-क िवम कहलाता ह म एव

यMण मgt Yया समानता एव अतर ह एव म िकस कार िवम स िभन ह इसका वण1न िनLनािकत पिय

िकया गया ह

य6ण तथा aम म( बिनयादी समानता -

यMण एक सानामक मानिसक ि या ह िजसक ारा हमgt उपिथत Rयिय वतओ एव घटनाओ का

अथ1पण1 ान होता ह म भी एक कार का यMण ह िजसक ारा हमgt वतओ Rयिय एव घटनाओ का

अथ1पण1 ान होता ह अथा1त इस CिD स दोन मgt काफ समानता ह यह इसिलए ह Yयिक म यMण का ही

एक कार ह य दोन ही मानिकस ि याए ह िजनक सहार वातावरण मgt उपिथत वतओ एव Rयिय क बार

मgt ान ाF होता ह इन दोन क िलए उीपक का होना भी अिनवाय1 ह िबना उीपक क उपिथित क यMण

एव म दोन ही नहU हो सकत ह य दोन ही एक कार क चयनामक ि यायgt ह इन समानताओ क बावजद

दोन मgt अतर ह

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 104

य6ण एव aम म( बिनयादी अतर -

1) यMण मgt Rयि को उीपक का यथाथ1 एव सही ान होता ह परत म मgt उीपक का अयथाथ1 एव गलत

ान होता ह अधर मgt रसी को रसी क =प मgt दखना यMण कहलायगा परत रसी को सॉप क =प मgt

दखना म का उदाहरण होगा

2) यMण का व=प थायी होता ह परत म का व=प अथायी एव Mिणक होता ह जस-एक पgtिसल को

हम हमशा पgtिसल क =प मgt यMण करत ह परत थोड़ी सी रोशनी होत ही रसी को साप क =प मgt दखन

का म समाF हो जाता ह

3) अयास स यMण मgt थोड़ी पDता बढ़ जाती ह तथा म क माNा मgt कमी होन लगती ह जस यिद हम

िकसी सब क पड़ को बार-बार दखत ह तो उस पड़ क टहिनया फल प क बीच बन मकडी क जाल

आिद का भी यMण होन लगता ह दसरी तरफ अयास क भाव स म क माNा घटती ह Yयिक

अयास स यMण क पDता बढ़ जाती ह

4) सभी सामाय Rयिय मgt िकसी उीपक का यMण करीब-करीब एक समान होता ह परत एक ही

उीपक सभी Rयिय मgt समान म पदा करgt ऐसी ज=री नहU ह उदाहरणाथ1 एक भस को सभी सामाय

भस क =प मgt ही यिMत करgtग परत अधर मgt बठी हJई गाय को दखकर कोई भस कोई बल कोई कड़ का

ढर आिद क =प मgt उस यMण कर सकता ह

इस कार हम पात ह िक यMण एव म मgt बिनयािद समानताए होन क बावजद बहJत बड़ा अतर ह

aम तथा िवaम म( अतर -

म एक कार का गलत यMण ह चिक म एक कार का यMण ही ह अतः इसक िलए उीपक का होना अिनवाय1 ह परत कभी-कभी हमgt यMण िबना िकसी उीपक का ही होता ह इस तरह क यMण को िवम क सा दी जाती ह िवम एक कार का गलत सवदी यMण होता ह इस गलत इि_य यMण भी कहा जाता ह गलत इि_य यMण स तापय1 यह होता ह िक यिद हमारी चM-इि_य यािन िक हमारी ऑख िकसी उदीपक क हमार वातावरण मgt उपिथत नहU होन क बावजद भी उसका यMण करती ह अथवा हमार कान हमार वातावरण मgt न गजन वाली आवाज को भी सन रही ह िजसका िक अनभव अय Rयिय को अपनी इि_य क माEयम स न हो रहा हो ऐसी अनभव को गलत इि_य यMण कहा जाता ह इस सMप मgt िवम कहत ह उदाहरणव=प अधर कमर मgt यिद आपको िकसी क उपिथत न होन पर भी िकसी Rयि का यMण होता ह तो यह पD =प स नNइि_य क िवम का उदाहरण होगा वहU यिद िकसी वत जस आलमारी को दखकर उस अधर कमर मgt यMणकता1 को िकसी Rयि का यMण होता हो तो इस म का एक पD उदाहरण कहा जायगा इस तरह स हम दखत ह िक म तथा िवम दोन ही मgt Rयिय को गलत ान होता ह इस समानता क बावजद भी इन तीन मgt िनLनािकत अतर ह-

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 105

(i) म मgt उीपक उपिथत होता ह परत िवम मgt उीपक नहU होता ह जस अधर मgt भस को गाय क =प

मgt दखना एक म का उदाहरण ह परत अधर थान पर कछ नहU होन पर भी यिद कोई िकसी पश

अथवा Rयि को दखता ह तो यह िवम का उदाहरण ह

(ii) म अिधकतर बाT कारण स होता ह परत िवम अिधकतम आमिनn कारक जस - िचता भय

मानिसक रोग आिद कारक स होता ह

(iii) चिक म मgt उीपक मौजद रहता ह अतः इसका व=प करीब-करीब पD होता ह परत िवम मgt

उीपक नहU होता ह अतः इसका व=प अपD होता ह उदाहरणव=प अधर मgt रसी को दखकर

कोई Rयि सॉप या लLब आकार क ही कोई वत समझ सकता ह कोई eी या प=ष को नहU परत

यिद िवम हो रहा हो तो Rयि उस िवम मgt कछ भी दख सकता ह मिहला प=ष आलमारी आिद

कछ भी िदखाई द सकता ह पDतः िवम का व=प कछ अिनिWत होता ह

(iv) िवम मख =प स मनोरोिगय मgt पाया जाता ह मनोरोिगय मgt भी यह lयादा माNा मgt साइकोिसस क रोिगय मgt पाया जाता ह िसजोgिनया िजस िक िहदी भाषा मgt मनोिवदािलता कहा जाता ह मgt िवम पण1 =प स पाया जाता ह एक कार स यह मनोिवदािलता का मख लMण ह इस मानिसक िवकित मgt रोगी को िविचN कार क िवम होत ह इसमgt कछ को तो दवदत तो कछ को शतान अथवा अपन मत सबधी आिद क साथ िमलन अथवा जीन का अनभव होता ह सामाय Rयि क म का व=प थायी तथा अथायी दोन ही होता ह परत सामाय Rयिय मgt िवम का व=प हमशा अथायी होता ह परत असामाय Rयिय मgt िवम का व=प थायी होता ह

114 aम क कार

म कई कार क होत ह मनोवािनक न सामाय =प स दो तरह क म का उ-लख िकया ह- भौितक म (िफिजकल इ-यजन) तथा यMानामक म (परसcचअल इ-यजन) भौितक म क उपि 2ाहक कोिशकाओ तक पहJचन वाली सचनाओ मgt िवकित उपन होन स होती ह यMानामक म क उपि उीपक मgt सिनिहत कछ ामक सकत स होता ह भौितक म ऐस होत ह जो अिधकाशतः Rयिय मgt समान =प स होत ह मनोवािनक न इस तरह क म को सव1Rयापी या सामाय म (यनीवस1ल म) भी कहा ह कछ दरी पर आकाश का पyवी स सटा हJआ िदखाई दना दो रल क पटरय का कछ दर आग चलकर आपस मgt सटा हJआ नजर आना तथा पानी मgt रखी छड़ी का झका हJआ यMण करना आिद सव1Rयापी म क कछ उदाहरण ह इस तरह क म क एक िवशषता ह िक यह थायी होता ह अतः इस थायी म (परमानट इ-यजन) भी कहा जाता ह यMानामक म ऐस होत ह जो Rयिगत होत ह अथा1त एक Rयि को वह म होगा तो दसर Rयि को वही म न होकर कछ दसरा होगा उदाहरणाथ1 अधर मgt िकसी खLभ को सीध गड़ा दखकर एक Rयि को िकसी आदमी का म तो दसर को कोई भत-त का तीसर को चोर क िछप होन का म हो सकता ह काश उपिथत होन पर य सभी म दर हो जात ह यही कारण ह िक Rयिगत म Mिणक होता ह मनोवािनक न म का बहJिवध अEययन कर इसक कई कार का वण1न िकया ह

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 106

1) मलर लायर म (Muller-Lyer illusion) इस म का नामकरण दो मनोवािनक क नाम पर िकया

गया ह मलर एव लायर इन दोन न ही इसका ितपादन िकया था इस म मgt दो समान लLबाई क

रखाए होती ह- एक तीर रखा तथा दसरी पख रखा इन दोन रखाओ मgt Rयि तीर रखा को पख रखा स

छोटा समझता ह हालॉिक दोन रखाओ क लLबाई बराबर होती ह िचN lsquoकrsquo मgt दखgt

िचN lsquoकrsquo

2) पोजो म (Ponzo illusion) इस िचN lsquoखrsquo मgt दखgt इस िचN मgt दो असामातर रखायgt फलाव लत हJए

िनकल रही ह एव इस फलाव क बीच दो समानातर Mितज रखाए िवमान ह इन रखाओ मgt ऊपर क

रखा नीच क समानातर =प स पड़ी रखा स बड़ी मालम होती ह हालॉिक वतिथित यह ह िक दोन

समानातर रखाओ क लLबाई बराबर ह

िचN lsquoखrsquo

3) Mितज-लLबवत म (horizontal-Vertical illusion) - इस म को िचN lsquoगrsquo क ारा समझा जा सकता ह इस िचN मgt दो रखायgt ह िजनमgt एक Mितज रखा तथा दसरी लLबवत रखा ह लLबवत रखा Mितज रखा क ऊपर खड़ी ह इस कार क िचN को दखन पर Rयि यही कहता ह िक लLबवत रखा Mितज रखा यािन पड़ी रखा स बड़ी ह जबिक वातिवकता यह ह िक Mितज एव लLबवत दोन ही रखायgt एक दसर क बराबर ह इसीिलए इस Mितज-लLबवत म कहा जाता ह

िचN lsquoगrsquo

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 107

4) जो म (Jastrow illusion) - जो म को िचN lsquoघrsquo मgt िदखलाया गया ह इस िचN मgt दो पटन1

िदखलाय गय ह दोन पटन1 िबलकल एक दसर क समान ह परत ऊपर का पटन1 नीच क पटन1 स छोटा

िदखलाई पड़ता ह

िचN lsquoघrsquo

5) डलबोफ म (Delboef illusion) - इस तरह क म को िचN lsquoचrsquo मgt िदखाया गया ह इस िचN मgt दो

समान व को दो परिथितय मgt रखा गया ह एक व बड़ गोल क भीतर ह तथा दसरा व छोट गोल

क भीतर ह बड़ा गोला क भीतर का व छोट गोल क भीतर क व स छोटा िदखलाई पड़ता ह

हालॉिक दोन व समान ह

िचN lsquoचrsquo

6) ऑिब1स म (Orbison illusion) - इस म को िचN lsquoछrsquo मgt िदखलाया गया ह इस िचN मgt एक बड़

च क भीतर एक छोटा व ह परत यह छोटा व बड़ च क भीतर कछ िवकत सा िदखलाई पड़ता

ह जबिक वातिवकता यह ह िक छोट व मgt िकसी कार क कोई lयािमतीय िवकित नहU ह बि-क

यह बड़ च क भीतर होन क वजह स िवकित का म पदा हो रहा ह

िचN lsquoछrsquo

7) अन1टीन म (Ehrnestein illusion) - इस तरह क म को िचN lsquoजrsquo मgt िदखलाया गया ह इस िचN

मgt बीच का वग1 कछ िवकत िदखलाई पड़ता ह हालॉिक वग1 क चार भजाओ क लLबाई समान ह

और सभी रखाए सीधी ह

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 108

िचN lsquoजrsquo

8) जॉलनर म (Zollner illusion) - इस म को िचN lsquoझrsquo मgt िदखलाया गया ह इस िचN मgt छोटी बड़ी

सात समानातर रखायgt ह जो सभी एक ही िदशा मgt ह परत दखन मgt ऐसा लगता ह िक इन सात

समानातर रखाओ क िदशा मgt िवकित ह अथा1त व अलग-अलग दशाओ मgt ह

िचN lsquoझrsquo

9) वट म (Wundt illusion) - इस म को िचN lsquoटrsquo मgt िदखलाया गया ह इस िचN मgt दोन पड़ी

समानातर रखाए यिप िबलकल सीधी िदशा मgt ह िफर भी बीच मgt कछ िवकत दीख पड़ती ह दसर

श)द मgt बीच मgt य दोन रखाए कछ एक-दसर क ओर सटती हJई दीख पड़ती ह

िचN lsquoटrsquo

10) घमाव रसी म (Twisted-cord illusion) - इस म को िचN lsquoठrsquo मgt िदखलाया गया ह इस िचN मgt

एक घमावदार रसी ह अगर कोई Rयि इस िचN मgt घमावदार रसी क बाहरी एव ऊपरी छोर पर भीतर

जान क िलए चलना ारभ करता ह तो वह भीतर जान क बजाय घमत-घमत पनः उसी थान पर पहJच

जाता ह

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 109

िचN lsquoठrsquo

11) सhडर समानातर चतभ1ज म (Sander parallelogram illusion) इस म को िचN lsquoडrsquo मgt

िदखलाया गया ह इस िचN मgt एक समानातर चतभ1ज ह इस चतभ1ज मgt दा िवकण1 ह य दोन िवकण1 मgt

पहला यािन िक बायU तरफ वाला िवकण1 अिधकाशतः Rयिय को दसर िवकण1 यािन िक दायU तरफ

वाल िवकण1 स बड़ा िदखलाई पड़ता ह हालॉिक स`चाई यह ह िक दोन िवकण1 लLबाई मgt एक दसर

क समान ह

िचN lsquoडrsquo

12) पोगनडॉफ1 म (Poggendorff illusion) - इस म को िचN lsquoढrsquo मgt िदखलाया गया ह इस िचN मgt

एक ही ितरछी रखा िजस िक िवकण1 कहा जा सकता ह दो समान आयत को काटती ह परत ऐसा

लगता ह िक एक ही ितरछी रखा नहU बि-क तीन अलग-अलग ितरछी रखाए ह जो इन दोन आयत

को काट रही ह

िचN lsquoढrsquo

115 aम क िस=ात

म का सबस पहला वािनक िवpषण जज ओcपल ारा सन 1854 मgt िकया गया और उसक बाद िफर

उसक गहन अEययन मgt कई मनोवािनक न =िच िदखलाई मनोवािनक न म स सबिधत अनक अEययन

िकए िजनक आधार पर म क कई िसPात का ितपादन िकया गया ह ओवर-1968 रॉक-1975 जसन-

1970 तथा हॉकबग1-1971 आिद मख मनोवािनक ह िजनका िसPात क ितपादन मgt महवपण1 योगदान ह

इन वािनक न िसPात को तीन tिणय मgt बॉटा ह थम tणी मgt म का कारण उीपक स ाF होन वाली

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 110

सचनाओ मgt Nिटयॉ ह ितीय tणी मgt म क RयाZया यरल लवल यािन तिNकय तर पर क गई ह तीसरी

tणी मgt म क RयाZया सानामक उपागम क तहत क गयी ह इनस सबिधत कछ मख िसPात का वण1न

िनLनािकत ह

1) न7-हलचल िस=ात (Eye movement theory) -

इस िसPात का ितपादन ओवर ारा सन 1968 मgt िकया गया ह यह िसPात थम tणी यानी उीपक स

िमलन वाली सचनाओ मgt सिनिहत Nिटय ारा म क RयाZया करन वाला िसPात ह इस िसPात क मZय

बात यह ह िक Rयि जब िकसी lयािमितक िचN (lयोिमिकल फगर) को दखता ह तो उस िचN का आकार

एव पररखा ारा Rयि क ऑख क गित मgt कछ परवत1न हो जाता ह इस परवत1न क कारण Rयि को म

होता ह उदाहरण क िलए - Mितज-लLबवत म को ही लgt लLबवत रखा को दखन मgt जो नN गोलक मgt गित

हाती ह उसमgt Rयि को अिधक यास करना पड़ता ह परत Mितज रखा िजस पर िक लLबवत रखा खड़ी ह को

दखन मgt नN गोलक मgt जो गित होती ह उसमgt Rयि को कम यास करना पड़ता ह यही कारण ह िक लLबवत

रखा क लLबाई Mितज रखा क लLबाई क अपMा अिधक मालम पड़ती ह उसी तरह मलर लायर म क भी

RयाZया क जा सकती ह जब पख रखा को Rयि दखता ह तो इसक दोन िकनार को दखन मgt जो नN गोलक

मgt गित होती ह वह अिधक दर तक होती ह परत तीर रखा को दखत समय जो नN गोलक मgt गित होती ह वह

थोड़ी दर तक होती ह यही कारण ह िक Rयि पख रखा को तीर रखा स बड़ा यिMत करता ह

2) तbभित िस=ात (Empathy theory) -

यह िसPात म क एक Yलािसकल yयोरी ह इसका ितपादन मZयतः िलcपस-1897 क यास क

परणामव=प हJआ इस िसPात क अनसार lयािमितक िचN को दखत समय Rयि मgt कछ िवशष साविगक

िथित उपन हो जाती ह िजसक कारण म होता ह उदाहरण क िलए मलर-लायर म मgt पख रखा को दखन

स Rयि मgt फलाव क साविगक अनभित होती ह जबिक तीर रखा को दखत समय िसकड़न क साविगक

अनभित होती ह यही कारण ह िक पख रखा तीर रखा स बड़ी दीख पड़ती ह परत यह िसPात बहJत वािनक

नहU ह और सचमच मgt इस िसPात ारा म क बार मgt हमgt पD जानकारी भी नहU िमलती ह 3) 67 िस=ात (Field theory) -

इस िसPात का ितपादन गटा-टवािदय ारा िकया गया ह इस िसPात क अनसार म क परिथित मgt

उीपक का परा MN उीपक क िकसी एक भाग क यMण को भािवत करता ह जब भी Rयि िकसी उीपक

िचN को दखता ह जो उस िचN मgt सतलन का एक िबद िजस लोकस ऑफ इYवीिलिबरयम कहा जाता ह

उपन होता ह जहॉ आकष1ण बल तथा िवकष1ण बल समान होता ह ऐसी परिथित मgt यिद कोई दसरा िचN या

रखा को उसमgt जोड़ा जाता ह तो उसस सतलन मgt गड़बड़ी उपन हो जाती ह िजसक कारण दसरा िचN या रखा

अपन मल =प स िवकत नजर आता ह और हमgt म होता ह उदाहरण क िलए अन1टीन म मgt वग1 अपन मल

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 111

=प स कछ िवकत इसिलए दीख पड़ता ह Yयिक वग1 स धारीदार व क सतलन क_ मgt गड़बड़ी होन लगती ह

ठीक यही बात ऑरिबसन म क साथ भी होती ह कछ मनोवािनक न MN िसPात क आलोचना करत हJए

कहा ह िक इस िसPात ारा सभी तरह क RयाZया नहU होती ह इसक ारा अन1टीन म ऑिब1सन म वट

म आिद िजनका आधार आकार तथा िदशा मgt िवकित ह क RयाZया तो होती ह परत मलर-लायर म

Mितज-लLबवत म आिद क RयाZया नहU हो पाती ह

4) परcय िस=ात (Perspective theory) -

परCय िसPात को सम=पता िसPात भी कहा जाता ह इस िसPात क अनसार म होन का घान कारण

Rयि ारा रखाओ या िचN क बीच एक खास परCय या पnभिम को दखना होता ह उदाहरण क िलए

मलर-लायर म मgt ितरछी रखाओ ारा एक िवशष कार का परCय िविनिम1त होता ह िजसक कारण तीर रखा

पख रखा स कछ छोटी मालम पड़ती ह िभन- िभन Rयि िभन-िभन सकित मgt पाला पोषा जाता ह तथा

अपन समाज एव सकित क िनयम को सीख हJए होता ह इन िनयम क अनसार ही वह िकसी वत Rयि

अथवा घटना को दखता सीखता ह और इस तरह स Rयि मgt िकसी वत Rयि या घटना को दखन समझन

का एक खास परCय िवकिसत होता ह इस परCय क कारण Rयि मgt म उपन होता ह अगर परCय

िसPात क यह RयाZया ठीक ह तो एक सकित स दसर सकित क Rयिय ारा अनभव िकय गय म क

माNा मgt अतर होना चािहए इस तyय क पिD सीगल कमपबल और गस1कोिवटस ारार सन 1963 स 1966

क बीच िकए गए योग स होती ह इन मनोवािनक न यरोिपयन अgकन तथा अय समदाय क कछ योlय

को मलर-लायर म सhडर म तथा Mितज-लLबवत म क िचN क ित अनि या करन को कहा गया

परणाम मgt पाया गया िक यरोिपयन ितभािगय मgt मलर-लायर म तथा सhडर समानातर चतभ1ज म क माNा

सबस अिधक थी जबिक अय दसरी सकित तथा समदाय क योlय मgt Mितज-लLबवत म क माNा सबस

अिधक थी योगकता1ओ क अनसार म क माNा मgt इस तरह क अतर का कारण िभन िभन समदाय एव

सकित मgt वतओ को िभन-िभन परCय मgt दखन क आदत ह मनोवािनक न परCय िसPात क

आलोचना करत हJए कहा ह िक इस िसPात ारा िजन म क RयाZया होती ह उसक RयाZया दसर ढग स

आसानी स हो सकती ह जस कनापास-1957 क अनसार Mितज-लLबवत म इसिलए होता ह Yयिक CिD

MN वातव मgt अhडाकार होता ह िजसका परणाम यह होता ह िक लLबवत रखा का Rयि अितआकलन

करता ह Yयिक यह CिD MN क सीमा क नजदीक होता ह

5) िवaाित िस=ात -

इस िसPात क अनसार Rयि िभन-िभन रखाओ तथा िचN को जब दखता ह तो वह उसका िवतत िवpषण

करना ारLभ कर दता ह इस िवpषण क दौरान उसमgt िवाित उपन होती ह और इसक परणामव=प म

क ही उपि होती ह उदाहरण क िलए मलर लायर म को ही लgt जब Rयि तीर रखा तथा पख रखा पर

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 112

गौरपव1क दखता ह तो वह िसफ1 दखता ही नहU बि-क उसका िवpषण भी करता ह वह पख रखा तथा तीर रखा

क िकनार क ितरछी रखाओ को दखता ह तथा उसक मोटाई तथा लLबाई को एक-दसर स िभन-िभन

CिDकोण स तलना करता ह इसक परणाम व=प Rयि क मन मgt साित उपन हाती ह तथा इसस उसमgt म

होता ह

6) 7िटपण0 तलना िस=ात (Incorrect comparison theory) -

इस िसPात क मायता यह ह िक Rयि को म इसिलए होता ह Yयिक आकित क गलत िहस क तलना पर

वह अपना िनण1य आधारत करता ह उदाहरण क िलए मलर लायर म क RयाZया करन म यह िसPात काफ

सटीक बठता ह इस म मgt Rयि आकित मgt रखाओ को पख स अलग करन मgt असफल रहता ह और इसिलए

वह पख क अितम छोर क बीच क दरी क तलना करता ह चिक यह तलना अनपय एव गलत होती ह

इसिलए यह म Rयि को होता ह इस िसPात क समथ1न मgt कछ योगामक सबत भी ह उदाहरण क िलए

कोरन एव गाइरस न सन 1972 मgt योlय को मलर लायर म का यMण करवाया िजसमgt दानgt रखाओ क

डन को रखा क रग स अलग रग मgt िदखलाया गया था तािक योlय ारा दोन रखाओ क जान वाली तलना

म डन क दरी क तलना न हो परणाम मgt दखा गया िक इस तरह क बध होन स म क माNा मgt कमी आ

गयी िजसस इस िसPात क वधता को परोM =प स समथ1न िमलता ह 7) दIयP िथरता का िस=ात (Theory of misapplied constancy) -

इस िसPात क अनसार म मgt उपल)ध कछ सकत का आकार िथरता को बरकार रखन वाल सकत क =प मgt

Rयि यMण करन लगता ह और उसी आकार िथरता क आधार पर लकर या रखाओ क लLबाई का

िनण1य करत ह जो रखा उहgt दर नजर आती ह उस वह उस रखा स बड़ा होन का यMण करता ह जो उहgt

अपMाकत नजदीक नजर आती ह जस पोजो म मgt ऊपरी रखा िनचली रखा स समान होत हJए भी बड़ी नजर

आती ह Yयिक वह िनचली रखा स दर नजर आती ह

8) आभासी-दरी िस=ात (Apparent distance theory) -

इस िसPात का ितपादन कॉफमन तथा रॉक ारा सन 1962 मgt िकया गया वातव मgt यह िसPात आकार-दरी

अपरवत1नशील ाYक-पना (size distance invariance hypothesis)स सबिधत ह इस ाYक-पना क

अनसार यिद दो वतओ क अिMपटलीय ितमा (रटीनल इमज) का आकार एक ही होता ह तो वह वत जो

अिधक दरी पर तीत होती ह वह उस वत क अपMा बड़ा नजर आता ह जो कम दरी पर तीत होता ह इस

िसPात ारा मन इ-यजन क RयाZया काफ सटीक ढग स होती ह मन इ-यजन मgt मन जब Mितज पर होता ह

तो वह बड़ा नजर आता ह परत जब वही चॉद यMणकता1 क िसर क ठीक ऊपर अथा1त िशरोिबद पर होता ह

तो छोटा नजर आता ह इस िसPात क अनसार चॉद जब Mितज पर होता ह तो वह यMणकता1 को अिधक

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 113

दर पर तथा ज बवह िशरोिबद पर होता ह तो वह कम दरी पर अविथत तीत होता ह इस आभासी दरी मgt

अतर होन क कारण Rयि को मन इ-यजन का म होता ह

116 साराश

सMप मgt यिद कहा जाय तो म अपन आप मgt एक कार का यMण ही ह हा इसका व=प वातिवक

यMण क िबलकल उलट ह वातिवक यMण मgt जहॉ यMण िकय जा रह उीपक को उसी =प मgt

यMण िकया जाता ह वहU म मgt उीपक क वातिवक व=प का यMण न करत हJए उस कोई अय वत

Rयि अथवा घटना समझ कर यMण कर िलया जाता ह अथा1त गलत यMण िकया जाता ह इस गलत

यMण को ही म क सा दी जाती ह इस म मgt यMण क समान ही उीपक का उपिथत होना बहJत

आवयक ह

म क कई कार ह िजनमgt मलर-लायर म पोजो म जोलनर म ऑरिबसन म जोो म

अन1टीन म ड-बोफ म आिद मख ह

मनोवािनक न म क RयाZया करन क िलए अनक िसPात को ितपादन िकया ह िजसमgt नN-

गित िसPात तदनभित िसPात MN िसPात परCय िसPात िवाित िसPात तलनामक =प स मख ह

117 शदावली

bull aम गलत यMण को म कहा जाता ह

118 वमयाकन हत

1) म क आभासी दरी िसPात (Apparent distance theory) क अनसार िनLनािकत मgt स कौन कथन सय ह

(क) म का कारण नN गोलक क गित मgt उपन तनाव ह

(ख) म का कारण आकितय क िवतत िवpषण स यMणकता1 क मन मgt उपन साित ह

(ग) म का कारण अिMपटलीय ितमा (Retinal Image) क आकार मgt दरी क कारण होन वाला परवत1न ह

(घ) आकितय या वतओ का यMणकता1 स अिधक दरी पर होना ह

2) कभी कभी Rयि िजस वत का यMण कर रहा होता ह उस उस वत Rयि अथवा घटना क वातिवक

व=प का यMण न होकर उस कोई अय वत Rयि अथवा घटना समझ लता ह इस Yया कहा जाता

क) अवचतन यMण ख) अिति_य यMण

ग) यMाणामक िनगरानी घ) म

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 114

3) कभी कभी Rयि को उीपक वत क उपिथत न होन पर भी उसक यMण का अनभव होता ह इस Yया

कहा जाता ह

क) म ख) िवम ग) Rयामोह घ) यMण

उ-र 1 - ग) 2 - घ) 3 - ख)

119 सदभ0 1थ सची

bull उ`चतर ायोिगक मनोिवान - डा अ=ण कमार िसह - मोतीलाल ndash बनारसीदास

bull सामाय मनोिवान - िसहा एव िमtा - भारतीय भवन

bull आधिनक सामाय मनोिवान - सलमान एव खान - शYला बक िडपो पटना

bull एYसपरमटल साइकोलॉजी - कॉिलस एव क

bull एYसपरमटल साइकोलॉजी ndash ऑएगड

1110 िनबधामक

1 म क व=प एव िवशषताओ का सोदाहरण वण1न करgt

2 म क िविभन कार का वण1न करgt

3 म एव यMण क बीच अतर पD करgt

4 म एव िवम क बीच अतर पD करgt

5 म क िविभन िसPात का समालोचनामक वण1न करgt

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उराखड म िव13िवालय 115

इकाई-12 अिधगम का )वप एवम कार वािचक अिधगम क13 िविधया

(Nature and Types of Learning Methods of Verbal Learning)

इकाई सरचना

121 तावना

122 उय

123 अिधगम का व=प

124 अिधगम का मापन

125 अिधगम क कार

126 वािचक अिधगम एव उसक पM

127 वािचक अिधगम क िविधया

128 साराश

129 श)दावली

1210 वम-याकन हत

1211 सदभ1 2थ सची

1212 िनबधामक

121 तावना

अिधगम एक Rयापक एव महवपण1 श)द ह मनोवािनक न अिधगम क परभाषा वािनक ढग स दन का

यास िकया ह वस तो मनोवािनक न इसक परभाषा अलग-अलग ढग स िदया ह लिकन उनक िवचार मgt

इस पद क मल अथ1 क बार मgt काफ सहमित ह अिधगम मलतः अयास या यास पर िनभ1र करता ह िकसी

भी काय1 मgt कौशल या दMता ाF करन स पहल हमgt उस पहल सीखन का यास करना पड़ता ह अिधगम

Rयवहार या Rयवहारामक अतःशि मgt अपMाकत अथाई परवत1न ह और Rयवहार मgt यह परवत1न अयास

या अनभित क फलव=प होता ह

इस कार कहा जा सकता ह िक अिधगम एक ऐसी ि या ह िजसक ारा अनभत या अयास क

फलव=प अपMाकत या थाई परवत1न होता ह

अिधगम का मापन गणामक या माNामक =प मgt िकया जा सकता ह अनि या क शPता ता

अनि या क गित अनि या क शि एव अनि या म मgt कमी क आधार पर यह पता लगाया जा सकता ह

िक अयास या अनभित क आधार पर अिधगम मgt विP हJई या कमी अिधगम कई कार का होता ह इस

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 116

सामायतः पाच वगk मgt िवभ िकया जाता ह वािचक अिधगम क तीन मख पM ह इहgt मशः योlय

अिधगम साम2ी एव अिधगम िविधय का नाम िदया जाता ह वािचक अिधगम क अनक िविधया ह िजसमgt

मख ह - िमक अिधगम िविध यगल साहचय1 िविध उोधन एव पवा1नमान िविध तथा समय िविध

122 उय

इस इकाई क अEययन क पWात आप जान सकgt ग

bull अिधगम स Yया तापय1 ह

bull अिधगम का मापन कस िकया जाता ह

bull अिधगम क मख कार कौन-कौन स ह

bull वािचक अिधगम क िविभन पM

bull वािचक अिधगम क िविधया कौन-कौन सी ह

123 अिधगम का वQप

मानव जीवन मgt अिधगम का महव सव1िविदत ह अिधगम जीवन भर चलता रहता ह इसीिलए कहा जाता ह िक

मानव जीवन मgt इसक बहJत ही Rयापक भिमका ह इसका योगदान कवल कछ काय1 कौशल या िशMा अज1न मgt

ही नहU ह अिपत समायोजन थािपत करन एव Rयिव क िवकास आिद मgt भी ह िकसी भी Rयि ारा िकय

जान वाल Rयवहार मgt अिधकाश Rयवहार अिज1त या सीख हJए होत ह हम जानत ह िक जम क समय ब`च मgt

कछ सीिमत जिवक िवशषताओ का ही दश1न होता ह परत उसक आय (परपYवता) एव अनभव मgt विP क

साथ-साथ उसका Rयवहार भी िनरतर परमािज1त होता रहता ह वह अनकानक योrयताए अिज1त करक िविभन

पया1वरणीय परथितय मgt समायोजन थािपत करन मgt सफलता ाF करता ह इसस सकत िमल रहा ह िक

मानव जीवन मgt अिधगम ि या का िवशष महव ह तथा इसका काफ Rयापक भाव होता ह

अिधगम का अथ0 (Meaning of learning) -

अिधगम (सीखना) मलतः अयास या यास पर िनभ1र करता ह िकसी भी काय1 मgt कौशल या दMता ाF करन

क िलए हमgt उस पहल सीखन का यास करना पड़ता ह ारLभ मgt िकसी नवीन काय1 को करन मgt किठनाई

अिधक अनभव क जाती ह तथा ऋिटया भी अिधक होती ह परत अयास करन स किठनाई एव Nिटय मgt

कमी आती ह ऐसा होना पD करता ह िक अिधगम हो रहा ह इसी कारण अिधगम को ऐसी ि या क =प मgt

परभािषत िकया जाता ह िजसस अनभव स ाणी क ि याओ मgt सधार होता ह (Osgood 1953) अिधगम

क परणामव=प ाणी का Rयवहार मशः जिटल एव परमािज1त होता रहता ह इसस पD ह िक अिधगम क

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उराखड म िव13िवालय 117

िलए अयास करना आवयक ह अयास ारा अिज1त Rयावहारक परवत1न Rयि क Rयवहार का अपMाकत

थाई अग बन जात ह और समायोजन मgt सहायता पहJचात ह (King and Riggs 1971)

कन (Coon 2003) न कहा ह rdquoअनभव क परणामव=प Rयवहार मgt अपMाकत थाई परवत1न अिधगम ह

थकान कपोषण चोट या अय कारण स उपन परवत1न इसमgt सिLमिलत नहU हldquo

मYrय (McGeoch 1942) क अनसार rdquoअिधगम जसा िक इस हम जानत ह अयास क परणामव=प

Rयवहार मgt होन वाला परवत1न ह ायः इस परवत1तन क एक िदशा होती ह जो ाणी क वत1मान रणामक

अवथा क सतिD करती हldquo

इस कार पD हो रहा ह िक Rयवहार सLबधी कवल उहU परवत1न को ही अिधगम कहा जाता ह जो

िनिWत =प स पव1 अयास ि या या Rयवहार क परणामव=प उपन होत ह अथा1त रणा थकान िवकास

(विP) या अय कारण स उपन परवत1न अिधगम नहU ह (Hilgard and Bower 1975) अयास स

उपन परवत1न स काय1 मgt उनित या Rयवहार मgt परमाज1न होता ह

उपय1 िववचन क आधार पर अिधगम क बार मgt कछ िन^कष1 तत िकए जा सकत ह ndash

1 अयास ारा Rयवहार मgt उपन परवत1न ही अिधगम कहा जाता ह

2 अयास स काय1 मgt उनित होनी चािहए

3 उपन परवत1न Rयवहार क अग बन जात ह

4 उरोर यास करन स काय1 मgt सधार होता रहता ह

5 अिधगम स नवीन ि या का अज1न तथा परानी ि या मgt परमाज1न होता ह

6 अिधगम का मापन िन^पादन (Performance) क आधार पर होता ह

7 अिधगम उयपण1 होता ह

8 Rयवहार सLबधी अय िनधा1रक (जस- थकान रणा परपYवता आिद) स उपन परवत1न को अिधगम

नहU कहा जा सकता ह

124 अिधगम का मापन

Rयि ारा िकए जान वाल काय1 का मापन िकया जा सकता ह मापन गणामक (Qualitative) या माNामक

(Quantitative) =प मgt िकया जा सकता ह यिद यह दखा जा रहा ह िक अयास स सधार हो रहा ह तो यह

गणामक मापन होगा और यिद यह दखा जा रहा ह िक अिधगम िकतन ितशत या माNा मgt हJआ ह तो यह

माNामक मापन होगा अयास क अवसर बढ़ान स काय1 क माNा मgt विP या Rयवहार मgt परमाज1न आता ह

इसका अनमान िनLनािकत माप (Measure) क आधार पर लगा सकत ह -

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उराखड म िव13िवालय 118

1 अनि या क शPता (Accurancy of Response) - चिक अिधगम (सीखन) क िलए अयास करना

आवयक ह अतः अयास क अवसर मgt विP होन स अनि या ितमान मgt सधार होना अपिMत ह

Rयवहार मgt ऐसा होता भी ह जस-जस सीखन क िलए यास को सZया उरोर बढ़ती ह वस-वस

अशPता अनि याओ क सZया मgt कमी आती ह और शPता अनि याओ क उपन होन क

सLभावना बल होती जाती ह इसस सीखन क ि या क सचाs =प स पिD होती ह

2 अनि या क गित (Speed of Response) - यास मgt उरोर विP होन स अनि याओ क उपन होन

मgt लगन वाला समय घटता जाता ह यह सीखन क ि या मgt उनित का लMण ह ऐसा न होन पर ास क

दशा मानी जाती ह

3 अनि या क शि - यास मgt सZया मgt विP होन स अनि याओ क उपन होन क सLभावना बलतर

हो जाती ह यह सीखन का अ`छा लMण ह

4 अनि या-tम मgt कमी - सीखन क ारिLभक अवथा मgt अनि या करन मgt शारीरक एव मानिसक tम

अिधक करना पड़ता ह परत अयास मgt विP होन स इस tम मgt कमी आती ह इसस भी सीखन क

ि या का आभास िमलता ह

125 अिधगम क कार

अिधगम कई कार का होता ह सामायतः इस पाच वगk मgt िवभ िकया जाता ह कछ अिधगम ि याओ मgt

आतरक अनि याओ क मखता होती ह तो कछ मgt बाT अनि याओ का उपयोग अपMाकत अिधक होता

ह परत कछ मgt दोन कार क अनि याओ का (Covert and Overt) सिLमtण पाया जाता ह अतः

अिधगम िति याओ को बाT-आतरक Rयवहार आयाम (Overt-Covert behaviour dimension) पर

मशः दशा1या जा सकता ह

1 पशीय कौशल अिधगम (Motor Skills Learning) - पशीय अिधगम स तापय1 ऐस कायk को सीखन

स ह िजसमgt बाT Rयवहार या शारीरक ि याए मख =प मgt दिश1त होती ह इसस Rयवहार का बाT

Mण िकया जा सकता ह यथा-तरना साइिकल चलाना नय इयािद इसक िवशष उदाहरण ह ऐस कायk

पर रणा अयास परवश एव ितपधा1 आिद का अिधक भाव पड़ता ह

2 अनबधन (Conditioning) - अिधगम क ऐसी परिथितया िजनमgt नवीन कार क उीपक अनि या

सLबध (साहचय1) सीख जात ह उहgt अनबधन का नाम िदया जाता ह (Marx 1976) अनबधन को

ाचीन एव निमिक ि याओ मgt वगvकत िकया जाता ह अनबधन पर बलन (Reinforcement) का

िवशष भाव पड़ता ह

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 119

3 वािचक अिधगम (Verbal Learning) - अिधगम क िविभन कार मgt वािचक अिधगम या शाि)दक

अिधगम का मन य क जीवन मgt अयिधक महव ह Yयिक यह योrयता मन य मgt ही पाई जाती ह और

बात िवचार एव भावनाओ क पारपरक अदान-दान मgt इसी Mमता का उपयोग होता ह

यहा पर वािचक अिधगम का आशय भाषा या वािचक साम2ी क मौिलक इकाइय क अिधगम स ह

उदाहरणाथ1 दी गई सची सZयाए किवता क अश तथा अMर को िनदiशानसार याद करना वािचक अिधगम का

उदाहरण ह

126 वािचक अिधगम क प6

अिधगम क अय MN क भाित वािचक अिधगम क तीन मख पM ह इहgt मशः योlय अिधगम साम2ी

एव अिधगम-िविधय का नाम िदया जाता ह

1 वािचक अिधगम मgt योlय (Subjects) - वािचक अिधगम क िलए मानव योlय क आवयकता पड़ती

ह Yयिक अय ािणय मgt वािचक का अभाव होता ह इस काय1 हत िविभन आय बिP तथा अय

िवशषता वाल Rयिय ब`च या छाN को योlय क =प मgt चना जा सकता ह

2 वािचक अिधगम क साम2ी (Material) - वािचक अिधगम क अEययन मgt ायः दो कार क वािचक

सामि2य का उपयोग होता ह इहgt साथ1क एव िनरथ1क साम2ी का नाम िदया जाता ह

साथ1क साम2ी का आशय ऐसी वािचक साम2ी स ह जो अथ1पण1 होती ह या िजसका श)दकोशीय अथ1 उपल)ध

ह यथा वतओ क नाम किवताए तथा कहानी आिद साथ1क साम2ी क उदाहरण ह अथा1त अMर या श)द स

िनिम1त ऐस श)द या वाYय िजनका श)दकोशीय अथ1 उपल)ध होता ह साथ1क साम2ी कह जात ह ारLभ मgt

ऐसी ही सामि2य का उपयोग अिधक होता था

िनरथ1क साम2ी भी भाषा क अMर स िनिम1त क जाती ह परत उसका कोई श)दकोशीय अथ1 उपल)ध नहU

होता ह इनक भी िनमा1ण मgt वर एव Rयजन ही सिLमिलत होत ह ऐस श)द या पद को िनरथ1क पद

(Nonsense syllables) भी कहत ह ऐस श)द क िनमा1ण का काय1 पहल एिबगहास (1885) ारा ारLभ

िकया गया इसमgt साहचय1 म-य (Association value) कम पाया जाता ह तथा उ`चारण भी किठनाई स हो

पाता ह जस -

िहदी मgt - ख आ क छ आ न स ई त त य क

अ2जी मgt - NEK SIW MAZ

वािचक अिधगम क MNा मgt एिबगहास (1885) न सराहनीय काय1 िकया ह उहन इस तरह क 2300 िनरथ1क

पद क रचना क जो वािचक अिधगम क योग मgt साम2ी क =प म य होत रह ह िनरथ1क पद अपरिचत

होत ह अतः इनक अिधगम पर पवा1नभव का भाव नहU पड़ता ह तथा यिद दो समह पर योग करना ह तो

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 120

उनक िलए समत-य साम2ी क Rयवथा सरलता स क जा सकती ह इनका िनमा1ण ायः वर-Rयजन-वर

(CWC) ारा िकया जाता ह

127 वािचक अिधगम क िविधया

वािचक सामि2य को सीखन क िलए िमक अिधगम यगल साहचय1 उोधन एव पवा1नभव तथा अिधगम

समय नामक िविधय का योग िकया जाता ह

(i) िमक अिधगम िविध (Serial Learning Methods) - िमक अिधगम िविध स वािचक साम2ी

को एक िनिWत म मgt तत िकया जाता ह और योlय उसका उसी म मgt पनरोपादन करता ह या

उस म मgt दहराता ह यथा ब`च ारा A-B-C-D या क-ख-ग सीखना िमक अिधगम का उदाहरण

ह Yयिक अMर को एक िनिWत म मgt िदया जाता ह तथा ब`च उहgt उसी म मgt दहरात ह इनमgt एक

पद उजक तो दसरा अनि या और पनः दसरा उजक का और तीसरा पद अनि या का काय1 करता

ह Yयिक कोई भी एक पद दसर क बोल जान का सकत होता ह िमक अिधगम मgt कभी-कभी ऐसा

भी दखन को िमलता ह िक योlय आग या पीछ स पद बोल जात ह इसस म भग हो जाता ह इस

Nिट माना जाता ह ऐसा तभी होता ह जबिक योlय को साम2ी मानसार ठीक स याद नहU हो पाती

ह ारिLभक यास मgt अशPता साहचयu क सZया अिधक िमलती ह परत यास मgt उरोर विP

होन स अशPता साहचयu क सZया घटती ह

(ii) यगल साहचय1 िविध (Paired Associate Learning) - इस िविध मgt पद या श)द को जोड़ मgt

तत िकया जाता ह यह बहJत ही चिलत िविध ह (कािकस 1894 1896 जॉट 1897 Lयलर

एव िप-जकर 1900 ऐिhयाज 1960) इस िविध मgt श)द क यrम (जोड़) बनाकर सची तयार क

जाती ह और पहल यास मgt परी सची िदखा दी जाती ह यrम को तत करन क िलए मित ढोल

(Memory drum) का योग िकया जा सकता ह इसक ारा पहल-पहल दो स क िलए यrम का

उजक श)द (थम श)द) िखड़क पर आता ह और तपWात अनि या एव उजक दो स क िलए

साथ-साथ तत िकए जात ह इस तरह परी सची एक बार िदखा दी जाती ह इसक उपरात सची क

थम यrम क पहली इकाई तत क जाती ह और योlय उसस सLबिधत ितीय इकाई का

याान करता ह इसी कार अय यrम क भी ित पनम1रण कराया जाता ह इसमgt थम श)द

उजक का और ितीय श)द अनि या का काय1 करता ह

इन यिrमत साहचय1 िविध मgt यिद योlय गलत अनि या दता ह तो उस सही अनि या क जानकारी द दी जाती

ह तािक वह आवयक सधार कर ल इस कार पD हो रहा ह िक िमक अिधगम क अपMा यिrमत अिधगम

किठन होता ह इस िविध मgt योlय को यक यrम क सLबध मgt तीन बातgt सीखनी पड़ती ह

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 121

यrम मgt उजक श)द क पहचान करना

उजक स सLबP अनि या को याद करना

उजक एव अनि या मgt साहचय1 थािपत करना

उजक एव अनि या क बीच ारLभ मgt साहचय1 क थापना करन मgt किठनाई होती ह और ऋिटया अिधक

ाF होती ह परत अयास क अवसर बढ़ान स साहचय1 थापना का काय1 सहज होता जाता ह

(iii) उोधन एव पवा1नमान िविध (Prompting and Anticipation Method) - इस िविध स अिधगम

करात समय पहल योlय को पव1िनिम1त सची क श)द एक-एक करक िदखात जात ह सची क थम

श)द क ठीक ऊपर कोई एक िच बना िदया जाता ह मित ढोल स सची िदखान क बाद उसक

िखड़क पर िचह लाया जाता ह यह िच उोधन का काय1 करता ह तथा योlय सLबिधत श)द

बोलता ह यिद योlय का उर गलत ह तो सही श)द उस पनः िदखा जाता ह तािक अगल यास मgt

उस सहायता िमल सक पवा1नमान िविध मgt उसस पछा जाता ह िक rdquoआग Yया श)द हldquo योlय स

पवा1नमान ाF कर लन क बाद वातिवक श)द िदखाया भी जाता ह यह उसक िलए बलन का काय1

करता ह यिद अनि या गलत ह तो उस शPता करन का अवसर िमल जायगा और यिद सही ह तो

िदखान स शPता अनि या क िथरीकरण मgt सहायता िमल जाती ह दोन िविधय को सय =प मgt

उोधन एव पवा1नमान िविध कहा जाता ह

(iv) अिधगम समय िविध (Learning Time Method) - इस िविध मgt योlय को परी साम2ी याद करन

क िलए द दी जाती ह तथा उस पण1तः याद करन मgt वह जो समय लता ह उस अिकत कर िलया जाता

ह चिक इसमgt समय ही अिकत िकया जाता ह इसी कारण इस अिधगम समय िविध कहा जाता ह वस

यह िविध कम उपयोगी ह Yयिक इसस अिधगम क गित का अनमान नहU लग पाता ह इसमgt यह भी

कमी ह िक यिद योlय वाचाल वभाव का ह तो उसी मgt काफ समय तक उलझा रह जायगा

128 साराश

इस इकाई क अEययन क बाद आप जान चक ह िक अिधगम Yया ह अिधगम नई परिथितय क िति याओ

को ाF करना या महान िति याओ क ि याशीलता को बढ़ाना ह इसी कार अिधगम का मापन दो =प मgt

गणामक एव माNामक मgt िकया जा सकता ह

अिधगम क कई कार होत ह पशीय कौशल अिधगम अनबध एव वािचक अिधगम यहा वािचक

अिधगम स तापय1 भाषा या वािचक साम2ी को मौिलक इकाईय क अिधगम स ह इस इकाई मgt वािचक

अिधगम क तीन मख पM का भी वण1न िकया गया ह िजसमgt मख ह - योlय एव साम2ी वािचक अिधगम

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 122

क कई िविधया ह िजसमgt मख ह - िमक अिधगम िविध यगल साहचय1 िविध उोधन एव पवा1नमान िविध

तथा अिधगम समय िविध

129 शदावली

bull अिधगम अिधगम एक ऐसी ि या ह िजसक ारा िकसी अनि या वग1 क मापनीय िवशषताओ मgt

ताकािलक या िवलिLबत रीित स थायी परवत1न होता ह और यह परवत1न बिलत अयास क काय1 या

परणाम व=प होता ह

bull पशीय कौशल अिधगम इसस तापय1 ऐस कायk को सीखन स ह िजसमgt बाT Rयवहार या शारीरक

ि यायgt मख =प स दिश1त होती ह

bull अनबधन अिधगम क ऐसी परिथितया िजनमgt नवीन कार क उीपक अनि या सLबध सीख जात ह

bull वािचक अिधगम इसस तापय1 भाषा या वािचक साम2ी क मौिलक इकाईय क अिधगम स ह

1210 वमयाकन हत

1- अिधगम मलतः पर िनभ1र करता ह

2- अयास स काय1 मgt होनी चािहए

3- अिधगम सामायतः कई वगk मgt िवभ होता ह

(1) 4 (2) 3 (3) 6 (4) 5

4- वािचक अिधगम क कई पM ह

(1) 2 (2) 3 (3) 5 (4) 4

5- पवा1नमान िविध मgt योlय स पछा जाता ह िक

(1) आग Yया श)द ह (2) पीछ Yया श)द ह (3) पवा1नमान करो

(4) बलन का काय1 Yया ह

उ-र (1) अयास या यास (2) उनित (3) पाच (4) तीन

(5) (1) आग Yया श)द ह

1211 सदभ0 1थ सची

bull िसह अsण कमार (2011) सानामक मनोिवान

bull tीवातव रामजी (सLपादक) (2003) सानामक मनोिवान

bull िसह आरएन एव भाराज एसएस (2010) उ`च ायोिगक मनोिवान

bull Colin Martindale (1981) Cognition and Consciousness

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 123

bull Geryd YDewalle (1985) Cognition Information Processing and Motivation

bull Kathleen M Galotti (1999) Cognitive Psychology in and Out of the Laboratory

bull Margaret Matlin (1982) Cognition

1212 िनबधामक

1) अिधगम क व=प को पD किजय अिधगम का मापन कस करत ह वण1न किजए

2) वािचक अिधगम क िविभन पM का वण1न किजए

3) वािचक अिधगम क िविधय का वण1न किजए

4) अिधगम का अथ1 पD करत हJय इसक मख कार का वण1न किजए

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 124

इकाई-13 ाचीन एव निमि1क अनबधनसीखन स5बधी िस ात(हल टालमन एव

गथरी) (Classical and Instrumental Conditioning Theory of

Learning- Hull Tollman and Guthrie)

इकाई सरचना

131 तावना

132 उय

133 अनबधन िसPात

134 ाचीन या पवलािवयन अनबधन

135 निमिक अनबधन

136 ाचीन एव निमिक अनबधन मgt अतर

137 अनबधन क िनधा1रक

138 हल का बलन िसPात

139 टालमन का सकत अिधगम िसPात

1310 गथरी का सािनEय िसPात

1311 साराश

1312 श)दावली

1313 वम-याकन हत

1314 सदभ1 2थ सची

1315 िनबधामक

131 तावना

अिधगम क RयाZया करन वाल उपागम मgt अनबधन एक बहJचिच1त उपागम ह रथस क अनसार अनबधन

अिधगम का एक ऐसा सरल =प ह िजसमgt उीपक एव अनि याओ क बीच साहचय1 थािपत िकय जात ह

इसक दो ा=प ह- िजहgt ाचीन एव निमिक अनबधन कहत ह ाचीन अनबधन क आधारिशला पवलाव न

रखी थी तथा निमिक अनबधन का tय िकनर थान1डाइक तथा वZटरव को ह

ाचीन अनबधन अिधगम का सरलतम =प ह िजसमgt ाणी दो उीपक मgt साहचय1 सीखता ह

निमिक अनबधन क ारा जिटल Rयवहार का अज1न िकया जा सकता ह इसक उपयोिगता ाचीन अनबधन

क तलना मgt अिधक ह इस तकनीक का अिभ2ह ह िक ाणी क अनि या का कोई न कोई िनिम होता ह

इसी आधार पर इसका नाम निमिक पड़ा ह इस सि यामक अनबधन भी कहत ह Yयिक इसमgt ाणी

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 125

अिधगम परिथित का अवषण करक ल(य ािF क िलए Rयवहार करता ह रथस क अनसार निमिक

अनबधन सि यामक अिधगम का एक =प ह Yयिक इसमgt ाणी का सि यामक Rयवहार िकसी िनिWत

ल(य क ािF मgt निमिक काय1 करता ह

ाचीन अनबधन क कई कार ह िजनमgt भख ह - अ2मखी अनबधन पnमखी अनबधन कािलक

अनबधन सहसामियक अनबधन इसी कार निमिक अनबधन क कार को कई वगk मgt िवभ करत ह

िजनमgt मख ह - परकार िशMण परहार िशMण अकम1 िशMण दhड िशMण निमिक अनबधन मgt

बलन क िवशष भिमका होती ह ाचीन एव निमिक अनबधन क ि याओ मgt कछ िवशष कार क

घटनायgt ाF होती ह िजहgt अनबधन क गोचर कहा जाता ह य गोचर ह - िवलोप वतः पनरावत1न अवरोध

िवलLब का अवरोध अनबिधत अवरोध सकलन भाव सामयीकरण िवभदन एव उ`च म अनबधन

अनबधन क कई मख िनधा1रक ह - अयास समय अतराल बलन अिभरणा बलन क िविध

आिद बलन क कई िसPात ह - िजसमgt हल का म Rयवहार िसPात टालमन का सकत अिधगम िसPात

एव गथरी का सािनEय िसPात मख ह इनका िवशद वण1न इस इकाई मgt िकया जायगा

132 उय

इस इकाई क अEययन क पWात आप जान सकgt ग

bull ाचीन या पवलािवयन अनबधन Yया ह

bull निमिक अनबधन एव उसक मख कार

bull अनबधन क कौन-कौन स िनधा1रक ह

bull हल का बलन िसPात

bull टालमन का सकत अिधगम िसPात

bull गथरी कार सािनEय िसPात

133 अनबधन िस=ात

अिधगम क िविभन िसPात क तलना मgt अनबधन पर अयिधक ायोिगक काय1 हJए ह अनबधन को ऐस

साहचया1मक या अिधगम ि या क =प मgt परभािषत िकया जाता ह िजसमgt नवीन कार क उीपक-

अनि या साहचया का िनमा1ण करना सीखा जाता ह (Conditioning is the process by which

conditioned response are learned-Hilgard etal 1975) अनबधन को ाचीन एव निमिक

अनबधन मgt वगvकत िकया गया ह

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 126

134 ाचीन या पवलािवयन

ाचीन अनबधन ि या को ितिnत करन का tय नोबल परकार िवजता =सी दिहकशाeी पवलाव

(Pavlov 1927) को िदया जाता ह वस कछ अय मनोवािनक क भी कायk स इस अवधारणा का चार

तथा सार हJआ ह यह वह अिधगम ि या ह िजसमgt एक वाभािवक (Natural) या अनबिधत उीपक एव

एक तटथ (Neutral) या अनबिधत उीपक क बीच साहचय1 सीखकर अनबिधत उीपक (CS) क ित वह

अनि या ाणी करन लगता ह जो पहल कवल अनानबिधत उीपक (UCS) क ित करता था (Ruch

1967 D Amato 1970 Marx 1976) इस दशा मgt उपन Rयवहार को अनबिधत अनि या

(Conditioned Response CR) कहा जाता ह ाचीन अनबधन को और अिधक पD करन क िलए

पवलाव क ायोग का उ-लख िकया जा सकता ह

पवलाव का योग - पवलाव न एक योग मgt यह ात करन का यास िकया िक Yया योlय (का)

भोजन क अितर िकसी अय तटथ या अवाभािवक अनबिधत उीपक (CS) क भी ित लार ाव का

दश1न कर सकता ह इसक िलए पवलाव न एक क क लार 2िथ का आपरशन करक उसस एक नली को

जोड़ िदया तथा उसका सLबध एक परखनली (Test tube) स कर िदया तािक लार-ाव को उसमgt एकिNत

िकया जा सक (दिखए िचNा-1) आपरशन क बाद क को योगशाला क परिथित स अवगत कराया गया

तािक वह योग क अविध मgt कोई असगत Rयवहार न कर तपWात उस उपकरण म बाध िदया गया तािक िहल

न सक योlय पहल स ही भखा रखा गया था भोजन तत करन स पहल Eविन तत क गई Eविन सनन

पर उसन चकन एव कान खड़ा करन का Rयवहार िकया इस ि या क पनरावि स Eविन को भोजन तत

िकय जान का सकत समझ िलया और भोजन क ित क जान वाली लार ाव क अनि या Eविन क भी ित

करन लगा यह ि या िचNा मgt दशा1यी गयी ह Eविन एव भोजन को उरोर यास स यिrमत करक तत

करन स लार ाव क माNा बढ़ती गयी एव अनि या दिश1त करन मgt लगन वाला समय घटता गया तीसर

यास मgt ाव 60 बद हो गया एव समय कवल 2 स िलया गया

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 127

अथा1त उसन घhटी क Eविन एव भोजन मgt साहचय1 सीख िलया चिक िशMण क पव1 Eविन मgt अनि या

उपन करान क Mमता नहU थी अतः Eविन का अनबिधत उीपक (CS) और उसक ित लार eाव को

अनबिधत अनि या (CR) का नाम िदया गया इसक िवपरीत भोजन को अनानबिधत उीपक (UCS) एव

उसक ित यािशत अनि या लार ाव को अनानबिधत (UCR) कहा जायगा

ाचीन अनबधन क कार (Types of Classical Conditioning) -

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 128

ाचीन अनबधन क िनLनािकत भद ह इहgt िचNा 03 मgt दशा1या गया

1 अ2मखी अनबधन (Forward Conditioning) - इस िविध मgt अनबिधत उीपक (CS) पहल और

अनानबिधत उीपक (UCS) बाद मgt तत िकया जाता ह यह सवा1िधक सफल िविध ह इसक दो कार

ह थम-िवलिLबत अनबधन -इसमgt अनबिधत उीपक क कछ समय बाद अनानबिधत उीपक िदया जाता

ह ितीय-िच अनबधन - इसमgt अनबिधत उीपक क काफ समय बाद अनानबिधत उीपक तत िकया

जाता ह अथा1त योlय को मित क आधार पर अनि या करनी होती ह यह अपMाकत कम सफल िविध

ह (मारिYवस 1961)

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 129

2 पnमखी अनबधन (Backward Conditioning)- इस िविध मgt अनानबिधत उीपक (UCS) पहल और

अनबिधत उीपक (CS) बाद मgt तत िकया जाता ह अनक लोग न असफल िविध कहा ह (जस-कसन

1935य पोट1र 1938य िहलगाड1 एव मारिYवस 1961) परत वीजर (1930) न इसक आधार पर

साहचय1 थािपत होन का माण ाF िकया ह

3 कािलक अनबधन (TemporalConditioning)- इसमgt कोई अनबिधत उीपक (CS) य नहU होता ह

बि-क अनानबिधत उीपक ही िनिWत अतराल पर तत करक योlय को उसी िनिWत अतराल पर

Rयवहार करन का िशMण िदया जाता ह जस यक दो िमनट पर भोजन दकर लार ाव 2-2 िमनट पर

करन का िशMण दना इसस पD ह िक इसमgt समय अतराल ही अनबिधत उीपक का काय1 करता ह

4 सहसामाियक अनबधन (Stimultaneous Conditioning)- इस िविध मgt अनबिधत (CS) एव

अनानबिधत (UCS) दोन उीपक एक ही साथ तत तथा अCय होत ह

135 निमि-क अनबधन

िकनर (1938) ारा ितपािदत िसPात निमिक अनबधन कहा जाता ह यह ाचीन अनबधन क अपMा

अिधक उपयोगी तथा Rयावहारक ह ाचीन अनबधन मgt वािछत Rयवहार उपन करन क िलए सLबिधत

उीपक पहल दिश1त िकया जाता ह इसक िवपरीत निमिक अनबधन क अवधारणा यह ह िक ाणी को

वािछत उीपक या परणाम ाF करन या कDादायक उीपक स बचन क िलए यािशत उिचत या सही

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 130

अनि या (Rयवहार) पहल वय दिश1त करना होता ह अथा1त उीपक या परिथित क िनिम ाणी ारा

िकया जान वाला Rयवहार ही परणाम का व=प िनधा1रत करता ह इसी कारण इस निमिक अनबधन कहत ह

(Hulse et al 1975) इसी आधार पर इस सि यामक या ि यासत अिधगम (Operant learning) भी

कहा जाता ह (Hilgard and Bower 1981) पोटमन एव इगन (1967) न भी िलखा ह िक निमिक

अनबधन मgt धनामक बलन (S+) का ाF होना या नकारामक बलन (S-) स बचना इस बात पर िनभ1र

(Contigent) करता ह िक िकसी अिधगम परिथित मgt योlय कसा Rयवहार (उिचतअनिचत) करता ह

निमिक अनबधन क कार (Types of Instrumental conditioning) - निमिक अनबधन को

मZयतया चार वगk मgt िवभ िकया जाता ह -

1 परकार िशMण (Reward Training) - परकार िशMण स तापय1 ह उिचत या शPता अनि या

करक परकार या धनामक बलन ाF करना इसक िलए ायः कनर बॉYस का उपयोग िकया जाता

ह इसमgt योlय (चह) को भोजन स काफ समय तक विचत करक रखा जाता ह ारLभ मgt योlय

अनकानक कार क असगत Rयवहार (जस-उछलना कदना काटना आिद) दिश1त करत ह य Rयवहार

उपय नहU ह अतः उस भोजन नहU िमलगा यिद उस भोजन ाF करना ह तो बॉYस मgt लग लीवर को

दबाना होगा इस परिथित मgt यही शPता अनि या (Correct Response CR) ह यिद लीवर

अचानक दब जाता ह तो ततरी मgt वतः भोजन आ जाता ह िजस योrय 2हण (UCR) कर सकता ह

इस ि या क पनरावि करन स योlय अततः लीवर दबाकर (RC) भोजन ाF करना सीख जाता ह

इसस पD ह िक सही अनि या करन पर (लीवर दबाना) ही परकार ाF होगा इसस यह भी पD ह िक

निमिक अिधगम मgt ाचीन अनबधन क िवपरीत योlय को पया1वरण क सि य छानबीन करनी पड़ती

ह और शPता अनि या (RC) का चयन करना पड़ता ह तत परिथित मgt लीवर का उीपक क =प

मgt कोई महव नहU ह वह सही अनि या क घिटत होन का माEयम माNा ह (िचNा 713) वातव मgt वह

उीपक नहU ह

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 131

2 परहार िशMण (Avoidance Training) - परहार िशMण िविध मgt योlय को िकसी सकत क

दिश1त होन पर वािछत Rयवहार करक कDदायक उीपक स बचन का िशMण िदया जाता ह इसका

उपयोग मावरर (1940) और िसडमन (1953) न अिधक िकया ह जस िकनर बाYस मgt योlय को

रखकर काश उपन करना यिद वह लीवर नहU दबाता ह तो उस िवत आघात स किDत िकया जाता ह

उदाहरणाथ1 - एक दो कMीय बाYस िजसक बीच मgt फाटक होता ह बनाकर उसक फश1 मgt िवत आघात

क Rयवथा क जाती ह सव1थम योlय को थम कM मgt रखा जाता ह तथा कछ समय बाद काश

उपन करत ह योlय पावदान दबाकर दरवाजा खोल सकता ह और दसर कM मgt जा सकता ह ब-व

जलान क कछ समय बाद िवत आघात चाल िकया जाता ह तथा तब तक जारी रहता ह जब िक वह

पावदान खोलकर दसर कM मgt नहU चला जाता ह योlय ारLभ मgt असगत Rयवहार करता ह और यिद

ऐसा करन क अविध मgt पावदान दब जाता ह तो दरवाजा खला रहता ह और वह उसमgt जाकर कD स बच

जाता ह इस ि या क पनरावि करत रहन स योlय अततोगवा दरवाजा खोलकर दसर कM मgt जाना

सीख जाता ह इसस पD ह िक इसमgt काश एक सकत क =प मgt य होता ह और कD स बचन क

िलए पावदान दबाकर दरवाजा खोलना तथा दसर कM मgt चला जाना शPता अनि या (RR) ह

3 अकम1 िशMण (Omission Training) - जसा िक इसक नाम स ही सकत िमल रहा ह इसमgt िकसी

सीख गय Rयवहार को यागकर परकार या बलन ाF करन का िशMण िदया जाता ह जस िकनर

बॉYस मgt परकार िशMण दन क बाद योlय को उसी मgt पनः रखकर यह िशMण िदया जा सकता ह िक

लीवर दबान पर परकार ाF नहU होगा और लीवर न दबन पर (अकम1) परकार ाF होगा ऐसा करन स

योlय लीवर दबाना बद कर दगा इसस पD ह िक अिज1त Rयवहार को समाF करना अकम1 ह या िकसी

ब`च स कहना िक lsquoटॉफ लना ह तो रोना बद करोrsquo अकम1 Rयवहार ह

4 दhड िशMण (Punishment Training) - अवािछत Rयवहार या कायk को समाF करन मgt इस िविध

का ायः उपयोग होता ह इस िविध मgt योlय को सLबिधत Rयवहार का परयाग न करन पर दिhडत

करन क Rयवथा क जाती ह जस- िकनर बॉYस मgt योlय को लीवर दबान का िशMण दन क बाद

पनः उसी मgt रखgt तो पवा1नभव क आधार पर वह लीवर दबाएगा परत इस अविध मgt उस परकत करन क

थान पर दिhडत िकया जाय तो इस ि या क पनरावि करन स योlय सीखी गई अनि या का

परयाग कर दगा

निमि-क अनबधन म( बलन (Training Reinforcement in Instrumental conditioning) -

निमिक अनबधन या सि यामक अनबधन मgt बलन क िवशष भिमका होती ह जस-उिचत या सही

Rयवहार (अनि या) िकय जान पर धनामक बलन (Positive Reinforcement) क आपित1 क जाती ह या

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 132

अनिचत Rयवहार िकय जान पर नकारामक उीपक (दhड) का उपयोग िकया जाता ह तािक उसक पनरावि न

हो सक बलन को चार वगk मgt िवभ कर सकत ह -

1 धनामक बलन (Positive Reinforcement) - कोई भी सखद वत या उीपक जो उिचत Rयवहार होन

पर योlय को ाF होता ह जस-अ`छ अक ाF करना यह सLबिधत Rयवहार क दश1न क सभावना मgt

विP करता ह

2 नकारामक बलन (Negative Reinforcement) - िकसी उिचत Rयवहार क दिश1त होन पर कDद

वत क आपित1 रोक दना इसस उिचत Rयवहार क घिटत होन क सभावना बढ़ती ह जस-शरारत कर रह िकसी

ब`च को तब जान दना जब वह नोक-झक बद कर द

3 धनामक दhड (Positive Punishment) - िकसी अनिचत Rयवहार क घिटत होन पर िकसी कDद वत

या उीपक को तत करना जस-परीMा मgt कम अक ाF करन पर छाNा क शसा न करना या िनदा करना

इसस अनिचत Rयवहार क पनरावि क सभावना घटती ह

4 नकारामक दhड (NegativePunishment) - िकसी अनिचत Rयवहार क घिटत होन पर सखद वत क

आपित1 रोक दना इसस अनिचत Rयवहार क सभावना घटती ह जस-उदhड Rयवहार कर रह बालक को टीवी

दखन स रोक दना

बलन अनसची (Schedules of Reinforcement)

बलन क आपित1 कई =प मgt क जा सकती ह

1 िथर अनपात सची (Fixed Ratio Schedule) - िनिWत सZया मgt अनि या करन पर परकार दना

2 परवत1नीय अनपात अनसची (Variable Ratio Schedule) - िभन-िभन सZया मgt अनि याए करन पर

परकार दना

3 िथर अतराल अनसची (Fixed Interval Schedule) - एक िनिWत अतराल पर परकार क आपित1

करना

4 परवत1नीय अतराल अनसची (Variable Interval Schedule) - िभन-िभन अतराल पर बलन या

परकार क आपित1 करना

ाचीन एव निमिक अनबधन क ि याओ मgt कछ िवशष कार क घटनाए ाF होती ह इहgt अनबधन

क गोचर कहा जाता ह

1 िवलोप (Extinction) - िवलोप का आशय िकसी सीखी हJई अनि या को समाF या बद करन स ह

योग मgt यह दखा गया ह िक यिद योlय ारा अनबिधत उीपक (CS) क ित अनि या (CR) करन

पर बलन (पनब1लन) न िदया जाय तो इसस अनि या क माNा मgt कमी आती ह और यिद ऐस यास क

पनरावि क जाती रह तो अनि या क माNा मशः घटती जाती ह और एक अवथा ऐसी आती ह

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 133

जबिक योlय अनि या दिश1त करना बद कर दता ह इसी गोचर को िवलोप का नाम िदया जाता ह

(Pavlov 1927 Skinner 1938) इसस पD ह िक अनबिधत अनि या करन पर बलन या पनब1लन

स विचत करन पर इसका अनि या क दश1न क सभावना पर नकारामक भाव पड़ता ह इस सग मgt

कछ िन^कष1 भी ाF हJए ह

1 यिद िवलोप क ि या न य क जाय तो अनबिधत का दश1न दीघ1 अतराल पर भी होता ह अथा1त

माNा समय Rयतीत होन स अनि या मgt ास कम होता ह (Hilgard and Humphreys 1938 Wundt

1937 Razarn 1939 Skinner 1950)

2 यिद अनबिधत अनि या का अयिधक िशMण िकया गया ह तो िवलोप िवलLब स होता (Elson

1938 Osgood 1953)

3 यिद िवलोप क समय यास क बीच मEयातर (Interval) दीघ1 रहा ह तो िवलोप सरलता स नहU होगा

(रना-डस 1945 रोहट 1947)

4 ारLभ मgt िवलोप क गित अिधक और बाद मgt मद हो जाती ह (Osgood 1953)

5 िजन अनि याओ को सीखन मgt परtम अिधक लगता ह उनका िवलोप शी होता ह (कपहाट1 आिद

1958)

6 सतत बलन क अपMा आिशक बलन क दशा मgt सीखी गई अनि या का िवलोप िवलLब स होता ह

(हLgज 1939)

7 िवतरत िविध स सीखी गई अनि या का िवलोप िवलLब स होता (रना-डस 1954)

8 अवसादी (Depressive) - दवाओ क योग मgt यह भी दखा गया ह उजक दवाओ क उपयोग स िवलोप

िवलLब स होता ह (कनर 1935)

2 वतः पनरावत1न (Spontaneous Recovery) - अनबधन क योग मgt यह भी दखा गया ह िक यिद

िवलोप क ि या परी होन क कछ समय बाद अनबिधत उीपक पनः तत िकया जाय तो अनबिधत

अनि या (CR) क कछ न कछ माNा दिश1त होती ह इसस पD ह िक अनि या क पनः दिश1त होन मgt

कवल िवtाम कारक का महव ह इस गोचर को वतः पनरावत1न कहत ह (दिखए िचN 714) पवलाव

(1927) एव एलसन (1938) न मशः ाचीन एव निमिक अनबधन मgt वतः पनरावत1न गोचर ाF

िकया ह इस सग मgt भी कछ िन^कष1 ाF हJए ह -

(i) वतः पनरावत1न स ाF अनि या क माNा कभी भी शत ितशत नहU होती ह

(ii) यिद मEयातर (िवtाम) दीघ1 रखा जाय तो अनि या क माNा अपMाकत अिधक ाF होती ह

(iii) वतः पनरावत1न िवtाम का परणाम ह

(iv) वतः पनरावत1न का सLबध िवलोप स ह

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 134

3 अवरोध (Inhibition) - िजन कारक का अनबधन पर बाधक भाव पड़ता ह उहgt अवरोध

का नाम िदया जाता ह अवरोध भाव अनक कार क हो सकत ह यथा बाT अवरोध (External

Inhibition) - यिद अिधगम क समय अासिगक कारक सि य होकर अिधगम को अवरोिधत करत ह तो उहgt

बाT अवरोध कहा जाता ह (जस शोर का बाधक भाव) पवलाव न यह िन^कष1 भी िदया ह िक लार ाव क

समय उनक उपिथित का अनि या पर अवरोधक भाव पड़ता था इसक अितर िवलLब का अवरोध

(Inhibition Of Delay) भी पाया जाता ह ऐसा पाया गया ह िक अनबिधत उीपक क दश1न क समय पर

अनि या क माNा परी नहU ाF होती ह परत जस-जस अनानबिधत उीपक क तत होन का समय समीप

आता जाता ह वस-वस अनि या क माNा बढ़ती ह इस िवलLब का अवरोध कहत ह अथा1त अनानबिधत

उीपक क दश1न का समय भी अनि या क माNा को भािवत करता ह

अनबिधत अवरोध (Conditioned Inhibition) - यिद अनबिधत उीपक क साथ कोई नया उीपक

सLबPकर िदया जाय परत ऐस यास मgt बलन न िदया जाय तो योlय ऐसी दशा म अनि या बद कर दता

ह जस वर उीपक क ित अनबिधत अनि या का िशMण दन क बाद यिद वर क साथ कोई नया उीपक

(जस-पश1) भी िदया जाय परत अनि या होन पर बलन न िदया जाय तो आग चलकर वरपश1 क दशा मgt

अनि या अवरोिधत होती ह अतः इस अनबिधत अवरोध कहत ह

अवरोध क भाव को समाF भी िकया जा सकता ह ऐसा करन स अवरोिधत अनि या क माNा मgt

विP होती ह ऐस गोचर को अनावरोध (Disinhibition) कहत ह ऐसा करन क िलए एक नवीन तटथ

उीपक तत िकया जाता ह और इस दशा मgt बलन िकया जाता ह इसस िवलF अनि या का पनः दश1न

होन लगता ह तथा अनि या क माNा भी बढ़ती ह वडवरी (1943) न निमिक अनबधन मgt भी इसको ाF

िकया ह

4 सकलन भाव (Summation Effect) - यिद एक अनि या दो अनबिधत उीपक क ित अनबिधत क

गई ह तो दोन उीपक को एक साथ तत करन पर ाF होन वाली अनि या क माNा मgt विP होती ह

अथा1त अनि या क माNा अलग-अलग उीपक क ित ाF होन वाली माNा क बराबर भी हो सकती ह

(Pavlov 1927) एिनजर (1952) न निमिक अनबधन मgt भी यह भाव ाF िकया ह इस सकलन

भाव कहा जाता ह

5 सामायीकरण (Generalization) - उीपक क परवित1त होन पर अनि याओ का उपन होना या

उीपक क िथर रहन पर अनि या ितमान का परवित1त होना सामायीकरण कहा जाता ह ाचीन एव

निमिक दोन ही अनबधन मgt यह गोचर पाया जाता ह सामायीकरण मख कार िनLनािकत ह -

(i) उीपक सामायीकरण (Stimulus Generalization) - इसस तापय1 ह िक यिद मल अनबिधत उीपक

(CS) स िभन परत िमलता-जलता नया उीपक तत िकया गया जाय तो उसक भी ित अनबिधत अनि या

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 135

ाF होगी जस यिद एक िनिWत तीता क काश (जस L5) क ित अनि या अनबिधत क जाय और बाद

मgt कछ नय काश उीपक (जस L1L2L3L4L5L6L7L8L9) तत िकय जायgt तो उनक भी ित

अनबिधत अनि या हो सकती ह जस-जस मल एव नवीन उीपक मgt समानता सLबधी विP होगी वस-वस

अनबिधत क उपन होन क सभावना भी बढ़गी (Hovland 1937 Candland 1968) इसस पD ह िक

उीपक सामायीकरण क वणता (Gradient) या माNा मल एव नवीन उीपक मgt समानता क माNा पर

िनभ1र करती ह (इcसटीन एव वस1टीन 1966 वस1टीन 1967) गटमन एव किलश (1956) न कबतर पर योग

करक निमिक अनबधन मgt भी यह गोचर ाF िकया ह

(ii) अनि या सामायीकरण (Response Generalization) - इस गोचर क दशा म उीपक पव1वत रहता ह

परत अनि या ितमान परवित1त होता ह जस- बखटरव (1932) न क को िवत आघात स बचन क िलए

एक पर उठान का िशMण िदया और उसक बाद वह पर बाध िदया गया इस बार योlय न आघात स बचन क

िलए दसरा पर उठाया जबिक वह पर उठान का िशMण नहU िदया गया था यहा पD ह िक उीपक पव1वत था

परत अनि या का ितमान परवित1त हो गया अय लोग न भी यह गोचर ाF िकया ह (जस-जस 1924

हल 1943 बान 1958)

(iii) िवलोप का सामायीकरण (Generalization Of Extinction) - यिद एक दशा मgt दो या दो स अिधक

अनि याओ का अनबधन कराया गया हो तो उसमgt िकसी एक का िवलोप कर दन स अय अनि याओ का

िवलोप सरलता स हो जाता ह (वास एव हल 1934)

6 िवभदन (Discrimination) - िदए गए उीपक मgt अतर सीखकर उनक ित िभन-िभन Rयवहार करना

िवभदन कहा जाता ह जस यिद एक उीपक क ित अनि या करन पर परकार और दसर क ित

अनि या करन पर दhड िदया जाय तो योlय थम को धनामक उीपक (S+) एव ितीय को नकारामक

उीपक (S-) क =प मgt म-यािकत करगा और नकारामक उीपक क ित Rयवहार करना बद कर दगा

अथा1त वह दोन उीपक मgt अतर थािपत कर लगा लp (1930) न चह पर योग करक िन^कष1 िदया

ह िक िवभदन अिधगम मgt बलन का अयिधक भाव पड़ता ह यिद िशMणोपरात कछ नवीन उीपक

तत िकय जायgt तो योlय उनमgt स उस उीपक क ित Rयवहार करगा जो िशMण अविध क धनामक

उीपक (S+) स िमलता-जलता होगा अय उीपक क ित वह Rयवहार नहU करगा इसस सकत िमल

रहा ह िक िवभदन सीखना सामायीकरण क ि या स सLबिधत ह इस गोचर पर अनक लोग न काय1

िकया ह (जस-हल 1952 पस 1942 हिनग 1962 मyयज 1966 मिकटश 1965)

7 उ`च म अनबधन (Higher Order of Conditioning) - यिद मल अनबिधत उीपक (CS) क साथ

कोई नया उीपक यिrमत िकया जाय तो योlय उसक भी ित अनबिधत अनि या (SR) करन लगता ह

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 136

इस गोचर को उ`च म अनबधन का नाम िदया गया ह पवलाव (1927) एव बखटरव (1932) न इसका

ायोिगक अEययन भी िकया ह

136 ाचीन एव निमि-क अनबधन म( अतर

दोन िविधय मgt पाय जान वाल अतर इस कार ह ndash

izkphu vuqcaku uSfefUgravekd vuqcaku

1- blds kjk ljy Oogkjksa dk gh vfkxe gksrk gSA

1- blds kjk tfVy Oogkjksa dk Hkh vfkxe fdk tk ldrk gSA

2- blesa izkkh dks nks mn~nhidksa ds chp lkgpZ lh[kuk iM+rk gS frac14tSls] izdkrdquok oa Hkkstu esa lEcUk lh[kukfrac12A vr bls mn~nhid izdkj (S-type) dk lh[kuk dgrs gSaA

2- blesa mn~nhid rFkk vuqfOslashk esa lkgpZ lh[kk tkrk gSA vr bls vuqfOslashkampizdkj (R-type) dk vfkxe dgk tkrk gSA

3- izkphu vuqcaku esa mn~nhidksa ds chp lkfUu (Contiguity) dk izHkko lkgpZ ij iM+rk gSA vFkkZr~] ledkjd frac14UCS CS dk vUrjkyfrac12 dk blesa fordquoksrsquok egRo gSA

3- uSfefUgravekd vuqcaku esa izHkko dk fue dkZ djrk gSA tSls] vuqfOslashk djus dk iqjLdkj izkIr gksus ij mn~nhid vuqfOslashk lEcUk n`lt+ gksrk gSA

4- izkphu vuqcaku esa Oogkj mRiUu gksus ds fy mn~nhid igys fnk tkrk gSA bls izfrNtilder (Elicited) Oogkj dgrs gSaA

4- uSfefUgravekd vuqcaku esa izkkh dks Loa mfpr vuqfOslashk djds izcyu izkIr djuk gksrk gSA bls kfVr (Emitted) k lafOslashkRed (Operant) Oogkj dgrs gSaA

5- izkphu vuqcaku esa vuSfPNd fOslashkvksa (Involuntary actions) dk gh vfkxe fdk tkrk gSSA bl ij Lokr raf=dk ra= dk fua=k jgrk gS frac14tSls] ykj lzkofrac12A

5- uSfefUgravekd vuqcaku esa sfPNd fOslashkvksa dk vfkxe gksrk gSA bu ij dsUnzh raf=dk ra= (CNS) dk fua=k jgrk gSA

6- fn izRsd izkl esa iqjLdkj u fnk tk rks vuqfOslashk dk vuqcaku dfBu gks tkrk gSA

6- uSfefUgravekd vuqcaku esa lrr ds LFkku ij vkafrdquokd izcyu ls Hkh ljyrkiwoZd vfkxe gksrk gSA

137 अनबधक क िनधा0रक

अनबधन क मख िनधा1रक िनLनािकत ह -

1 अयास (Practice) - नवीन कार क साहचय1 सीखन क िलए यथोिचत तर तक अयास कराना

आवयक होता ह अयथा योlय समिचत =प मgt अिधगम नहU कर पाता ह Yलीटमन एव ि सलर

(1927) न िन^कष1 ाF िकया ह िक यास क सZया बढ़ान स अनि याओ क दिश1त होन क सभावना

मgt विP होती ह

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 137

2 समय अतराल (Time Interval) - यिद उीपक (CS एव UCS) क बीच अतराल दीघ1 ह तो साहचय1

सीखन मgt किठनाई होती ह अतः इनक बीच अतराल समिचत =प मgt रखना आवयक ह (पवलाव

1938) यही कारण ह िक िच अनबधन थािपत करना किठन हो जाता ह वोिफल (1932) क अनसार-

यिद दोन उीपक क बीच का अतराल मशः बढ़ाया जाय तो अनि या क सभावना घटती ह ायः

04 स का अतराल अिधक उपय पाया गया ह (िgजवाटर तथा स 1957)

3 बलन (Reinforcement) - योग क अविध मgt अनि या दिश1त होन पर परकार क Rयवथा कर दन

पर अिधगम पर अ`छा भाव पड़ता ह बलन क अभाव मgt उीपक अनि या मgt थािपत होन वाला

साहचय1 कमजोर पड़ता ह बलन क कारण अनि या क माNा तथा शPता ता मgt विP होती ह (ह

1954 बकन 1962)

4 अिभरणा (Motivation) - अनबधन क आधार पर सीखन क Rयवहार पर अिभरणा का भी भाव

पड़ता ह यही कारण था िक पवलाव एव कनर आिद न अपन योlय को पहल स ही भखा रखा था

भख आवयकता क कारण योlय क Rयवहार मgt सि यता बनी रहती ह एव व ल(य ाF करन क यास

मgt यनशील रहत ह

5 बलन क िविध (Method of Reinforcement) - िकसी योग मgt Rयवहार िकय जान पर बलन या तो

सतत =प मgt या आिशक =प मgt िदय जा सकत ह ऐसा पाया गया ह िक यिद यक यास मgt बलन िदया

जाय तो आिशक िविध क अपMा अिधगम शी होता ह इस सग मgt यह भी पाया गया ह िक सतत िविध

स थािपत अनबिधत अनि या का िवलोप करना सरल एव आिशक िविध स अिज1त अनि या का िवलोप

करना किठन होता ह

6 अय कारक (Other Factors) - उपय1 कारक क अितर अनबधन पर कछ अय कारक का भी

भाव पड़ता ह पालi (1962) क अनसार- यिद मानव योlय पर योग िकया जाय तो अनबधन पर

वयिक िभनताओ (Individual Differences) का पD =प मgt भाव पाया जाता ह इसक अितर

अनि याओ क जिटलता भी अनबधन को भािवत करती ह कछ लोग न आय तथा अनबधन मgt

नकारामक सLबध ाF िकया ह (fान एव गीसलहाट1 1959 मािYव1स 1931)

138 हल का बलन िस=ात

बलन िसPात का ितपादन हल (Hull 1942) ारा िकया गया ह इस मब) Rयवहार िसPात

(Systematic behaviour theory) भी कहत ह

हल क अनसार- जब ाणी मgt कोई आवयकता (Need) उपन होती ह (जस-भख cयास या अय

आवयकताए) तभी उस आवयकता क पित1 क िलए Rयवहार िकया जाता ह आवयकता स उपन दशा क

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 138

पित1 क िलए िकया जान वाला Rयवहार पवा1नभव या आदत पर िनभ1र करता ह आवयकता स उपन िथित

को अतनuद (Drive) कहा जाता ह यिद पवा1नभव या आदतशि (Habit Strength) स समया का

समाधान नहU होता ह तो ाणी अय अनि याए करता ह अथा1त सही अनि या अचानक उपन होगी और

परकत होन पर भिव^य मgt उसक पनरावि क सभावना बढ़ती ह इस कार पD हो रहा ह िक आदत शि

(SHR) या उीपक-अनि या सLबध का Cढ़ होना परकार या बलन क ित पर िनभ1र करता ह SHR =f

(Reinforcement) हल क अनसार उीपक या समया (S) तत होन पर मित^क मgt उसक नायिवक

िचह (s) बनत ह और इसस ाणी मgt अRय अनि या वि (r) सि य होती ह यिद मgt बाT अनि या (R)

क =प मgt Rय होती ह अब यिद अनि या परकत क जाती ह तो उीपक (S) एव अनि या (R) मgt साहचय1

थािपत होगा हल ारा तत Rयवहार सLबधी RयाZया का िचNाण िचNा 5 मgt िकया गया ह

हल क अनसार Rयवहार का दश1न होन क िलए अतनuद क अवथा का उपन होना आवयक ह Yयिक

यही आदत शि (SHR) को सि या करता ह इस कार पD ह िक अतनuद उीपक का काय1 करता ह

इसीिलए इस अतनuद (Stimulus Drive SD) कहा गया ह उदाहरणाथ1- भोजन स विचत होन पर भख

अतनuद और पानी क आवयकता होन पर cयास अतनuद उपन होगा यही अतनuद ाणी को ल(योमख

बनाता ह और ाणी आदतानसार उसक पित1 का यास करता ह या नवीन अनि याओ का भी उपयोग कर

सकता ह अतः िकसी परिथित मgt दिश1त होन वाली िति या क शि (SDReaction potential) आिद

शि (SER) एव अतनuद (D) क अतरि या (Interaction) पर िनभ1र करगी एव इन कारक मgt स िकसी

एक क शय होन पर िति या दिश1त नहU होगी अथा1त SER=f (SHR)x(D)

उपय1 सN स पD ह िक अनि या क तीता आदत शि एव अतनuद क माNा पर िनभ1र करती ह

और अनि या स ाF होन वाला परणाम (सतिD या असतिD) ही भिव^य मgt उसक पनरावि िनिWत करगा

हल क िसPात का म-याकन (Evaluation) - यिप हल न एक Rयापक िसPात ितपािदत करन का यास

िकया ह लिकन इसमgt भी कछ किमया ह

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 139

1 हल का िसPात अयिधक जिटल ह इसस इसक उपयोिगता सीिमत रह गई ह

2 इस सLबध मgt यह िकया जाता ह िक यिद आदत िनमा1ण मgt सतिD आवयक ह तो ाणी िनषधामक

या कDदायक काय1 Yय करता ह

3 इसमgt वयिक िभनताओ मgt महव पर बल नहU िदया गया ह इसी कारण इसका व=प यािNक हो गया ह

139 टालमन का सकत अिधगम िस=ात

टालमन (1886-1959) ारा ितपािदत सकत अिधगम िसPात (1932) उयपण1 Rयवहारवाद (Purposive

behaviourism) याशा (Expectancy) िसPात सकत जटा-ट (Sign-Gestalt) िसPात या सकत

साथ1कता (Sign-significate) िसPात क भी नाम स जाना जाता ह इसस पD ह िक टालमन का िसPात

अनक िवचार स भािवत िसPात ह इसक मख िवशषताए िनLनािकत ह -

1 यह िसPात Rयवहारवादी िवचारधारा का समथ1न करता ह

2 यह Rयवहार क सम2ता एव सानामकता पर बल दता ह न आणिवक िवचारधारा पर

3 यह िसPात Rयवहार को ल(योमख मानता ह

4 यह िसPात यह भी मानता ह िक पया1वरणीय सकत का अिधगम मgt महव ह

5 इस िसPात क मायता ह िक अिधगम परिथित मgt Rयवहार परवत1नशील हो जाता ह और ाणी ल(य

तक पहJचन क िलए उस माग1 का चयन करता ह िजसमgt शि कम खच1 होती ह अथा1त सानामक

ि याए मEयवतv परवयk क भिमका िनभाती ह

टालमन न अिधगम Rयवहार क RयाZया करत हJए कहा ह िक अिधगम क परिथित मgt आन पर ाणी उस

परिथित का मित^क मgt सानामक मानिचNा िनिम1त करता ह जस भल-भलया मgt बाए मड़ना या दाए मड़ना

सीखना अिधगम परिथित क पM (सकत) का म-याकन करक ाणी यह िनिWत करन का यास करता ह

िक िकस Rयवहार का परणाम Yया होगा अथा1त उसका Rयवहार याशा ारा िनधा1रत होता ह याशा एव

अनि या क अनभव स सान का परमाज1न होता रहता ह और परिथित क िविभन घटक का ल(य ाF

करन क CिDकोण स म-याकन िकया जाता ह िजस वत उीपक या सकत क ित Rयवहार करन पर ल(य या

अथ1 ाF ह उसमgt तथा ल(य मgt सLबध थािपत िकया जाता ह जस- अनबधन क योग मgt Eविन (CS) को

सकत समझकर भोजन क याशा मgt Rयवहार करना (CR) इसस सकत एव अथ1 सLबध Cढ़ होत ह अयथा

कमजोर पड़त ह इस शि वध1न िसPात कहा गया ह (Osgood 1953)

1 यह िसPात िविभन अवधारणाओ क िमtण पर ही अिधक आधारत ह

2 इसमgt अिधगम रणा क महव को सीिमत कर िदया गया ह

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 140

3 जटा-टवािदय क भाित टालमन न भी उ`च मानिसक ि याओ को महवपण1 माना ह अतः इस

िसPात क आधार पर िनLनतरीय ािणय क Rयवहार क समिचत RयाZया करना किठन ह

4 टालमन क िसPात क ायोिगक उपलि)ध कम ही रही ह

5 टालमन क RयाZयाओ मgt वयिक िभनताओ क महव का उ-लख कम िमलता ह

1310 सािनEय िस=ात

मलतः Rयवहारवादी यािNक ढाच का ितिनिधव करन वाल सािनEय िसPात का ितपादन गथरी (Guthie

1946) ारा िकया गया ह गथरी का िन^कष1 ह िक ाणी अिधगम परिथित मgt समया का समाधान करन क

िलए िविशD गितय (Specific movements) को सीखता ह न िक काय1 (Act) सीखता ह िजस गित स ल(य

(S) क ािF होती ह भिव^य मgt भी पव1वत परिथित मgt उसी कार क गित ाणी ारा क जाती ह अथा1त

ाणी क Rयवहार मgt =िढ़वािदता (Stereotype) आ जाती ह गथरी का यह भी कहना ह उीपक (ल(य) एव

अनि या मgt समीपता बढ़न स अिधगम क माNा बढ़ती ह अयथा घटती ह समीपता स उीपक (S) एव

अनि या (R) क साहचय1 Cढ़ होत ह इसक अितर उीपक एव अनि या क बीच साहचय1 एक ही बार मgt

थािपत हो जाता ह और बाद क यास मgt उसक पनरावि माNा होती ह यिद अनि या क साथ ही साथ

उीपक (ल(य) का भी दश1न होता ह तो दोन मgt पण1 साहचय1 थािपत हो जायगा

अपनी िवचारधारा को मािणत करन क िलए हाट1न क साथ गथरी (1946) न िवशष कार क समया

बाYस मgt िबि-लय को रखकर योग िकया इसमgt एक खLभा (Pole) था योग मgt दखा गया िक यास एव

Nिट Rयवहार करन क अविध मgt िजस कार शारीरक गित स िकसी िब-ली को खLभा दबाकर मिार खोलन

मgt सहायता िमली उसी गित का िबि-लय न अगल यास मgt भी उपयोग िकया जस-खLभ को काटना दबाना

उस पर कदना या धYका मारना आिद इसस पD ह िक योlय न उीपक सकत (खLभा) एव अनि या मgt

साहचय1 एक ही बार मgt सीख िलया

गथरी क िसPात का म-याकन (Evaluation) - यिप गथरी न एक सरिलत िसPात ितपािदत करन का

यास िकया ह परत इसक वधता िविधवत मािणत नहU हो पाई ह (सवाड1 आिद 1944 सवाड1 1942

जीमन एव राइनर 1953 वीकस एव cलाट 1954) गथरी क िश^या वोYस (Voeks 1950) न इस िसPात

को उिचत माना ह इस पर कछ आMप लगाय गय ह -

1 अिधगम क िविभन ि याओ क सतोषजनक RयाZया इस िसPात स सभव नहU ह

2 Rयवहार को =िढ़वादी मानना उिचत नहU ह यह गयामक एव परवत1नशील होता ह

3 यह िक साहचय1 एक ही बार मgt थािपत हो जाता ह उिचत नहU ह

4 इस िसPात मgt वयि िभनताओ क महव को वीकार नहU िकया गया ह यह उिचत नहU ह

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 141

1311 साराश

इस इकाई क अEययन क पWात आप जान चक ह िक ाचीन अनबधन Yया ह ाचीन अनबधन अिधक क

एक ि या ह िजसमgt एक वाभािवक एव एक तटथ उीपक क बीच साहचय1 सीखकर अनबिधत उीपक क

ित वह अनि या ाणी करन लगता ह जो पहल कवल अनानबिधत उीपक क ित करता था ाचीन

अनबधन क कई कार ह - अ2मखी पnमखी कािलक सहसामियक

निमिक अनबधन क अवधारणा यह ह िक ाणी को वािछत उीपक या परणाम ाF करन या

कDदायक उीपक स बचन क िलए यािशत उिचत या सही अनि या पहल वय दिश1त करना होता ह

अथा1त उीपक या परिथित क िनिम ाणी ारा िकए जान वाला Rयवहार ही परणाम का व=प िनधा1रत

करता ह निमिक अनबधन भी कई कार ह - परकार िशMण परहार िशMण अकम1 िशMण एव दhड

िशMण

निमिक अनबधन मgt बलन क िवशष भिमका होती ह बलन को चार वगk मgt िवभ करत ह -

धनामक बलन नकारातमक बलन धनामक दhड एव नकारामक दhड ाचीन एव निमिक दोन ही

अनबधन मgt कछ गोचर ाF होत ह - िवलोप वतः पनरावत1न अवरोध सकलन भाव सामायीकरण

िवभदन एव उ`च म अनबधन

अनबधन क कछ मख िनधा1रक ह - अयास समय अतराल बलन अिभरणा बलन क िविध

तथा इसक अलावा भी ऐस तव ह जो अनबधन को िकसी न िकसी =प मgt भािवत करत ह

ाचीन एव निमिक अनबधन िसPात क अितर कछ अय िसPात भी ह िजनमgt हल का बलन

िसPात टालमन का सकत अिधगम िसPात एव गथरी का सािनEय िसPात इन िसPात का िवशद वण1न

इस इकाई मgt िकया गया ह

1312 शदावली

bull अिधगम यह वह ि या ह िजसमgt एक उजना वत या परिथित क ारा एक यर ाF होता ह

इसक अितर यह यर एक ाकितक या सामाय य ह

bull ाचीन अनबधन उजना और अनि या क बीच साहचय1 थािपत करन क थम िविध ाचीन

अनबधन ह यह वह अिधगम ि या ह िजसमgt एक वाभािवक एव एक तटथ उीपक क बीच साहचय1

सीखकर अनबिधत उीपक क ित वह अनि या ाणी करन लगता ह जो पहल कवल अनानबिधत

उीपक क ित करता था

bull अ1मखी अनबधन इस िविध मgt अनबिधत उीपक पहल और अनानबिधत उीपक बाद मgt तत िकया

जाता ह

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 142

bull प]मखी अनबधन इस िविध मgt अनानबिधत उीपक पहल और अनबिधत उीपक बाद मgt तत िकया

जाता ह

bull कािलक अनबधन इसमgt कोई अनबिधत उीपक य नहU होता ह बि-क अनानबिधत उीपक ही

िनिWत अतराल पर तत करक योlय को िकसी िनिWत अतराल पर Rयवहार करन का िशMण िदया

जाता ह

bull सहसामियक अनबधन इस िविध मgt अनबिधत एव अनानबिधत दोन उीपक एक साथ तत तथा

अCय होत ह

bull निमि-क अनबधन निमिक अनबधन वह कोई भी सीखना ह िजसमgt अनि या अवलिLबत पनब1लन

पर आधारत हो तथा िजसमgt योगामक =प स परभािषत िवक-प का चयन सिLमिलत न हो

bull परकार िश6ण परकार िशMण स तापय1 ह उिचत या शPता अनि या करक परकार या

धनामक बलन ाF करना

bull परहार िश6ण इसमgt योlय को िकसी सकत न दिश1त होन पर वािछत Rयवहार करक कDदादयक

उीपक स बचन का िशMण िदया जाता ह

bull अकम0 िश6ण इसमgt िकसी सीख गय Rयवहार को याग कर परकार या बलन ाF करन का िशMण

िदया जाता ह

bull दdड िश6ण इस िविध मgt योlय को सLबिधत Rयवहार का परयाग न करन पर दिhडत करन क

Rयवथा क जाती ह

bull बलन ऐसी कोई वत कारक या उीपक ह िजसक य िकय जान पर ि या क सLभाRयता भािवत

होती ह

bull धनामक बलन कोई भी सखद वत या उीपक जो उिचत Rयवहार होन पर योlय को ाF होता ह

bull नकारामक बलन िकसी उिचत Rयवहार क दिश1त होन पर कDद वत क आपित1 रोक दना

bull धनामक दdड िकसी अनिचत Rयवहार क घिटत होन पर िकसी कDद वत या उीपक को तत

करना

bull नकारामक दdड िकसी अनिचत Rयवहार क घिटत होन पर सखद वत क आपित1 रोक दना

bull िवलोप िकसी सीखी हJयी अनि या को समाF या बद करन स ह

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 143

bull वतः पनरावत0न अनबध क योग मgt यह दखा गया ह िक यिद िवलोप क ि या परी होन क कछ

समय बाद अनबिधत उीपक पनः तत िकया जाय तो अनबिधत अनि या क कछ न कछ माNा दिश1त

होती ह इस गोचर को वतः पनरावत1न कहत ह

bull अवरोध िजन कारक का अनबधन पर बाधक भाव पड़ता ह उहgt अवरोध का नाम िदया जाता ह

bull सकलन भाव यिद एक अनि या दो अनबिधत उीपक क ित अनबिधत क गयी ह तो दोन

उदीपक को एक साथ तत करन पर ाF होन वाली अनि या क माNा मgt विP होती ह इस सकलन

भाव कहत ह

bull सामायीकरण उीपक क परवित1त होन पर अनि याओ का उपन होना या उीपक क िथर रहन पर

अनि या ितमान का परवित1त होन सामयीकरण कहा जाता ह

bull िवभदन िदय गय उीपक मgt अतर सीखकर उनक ित िभन-िभन Rयवहार करना िवभदन कहलाता ह

bull उRचम अनबधन यिद मल अनबिधत उीपक क साथ कोई नया उीपक यिrमत िकया जाय तो योlय

उसक भी ित अनबिधत अनि या करन लगता ह इस गोचर को उ`च म अनबधन कहा जाता ह

1313 वमयाकन हत

1- अनबधन को एव निमिक अनबधन मgt वगvकत िकया गया ह

2- ाचीन अनबधन क मख कार ह

(1) 3 (2) 4 (3) 5 (4) 6

3- इनमgt स ाचीन अनबधन का कौन सा कार ह

(1) परहार िशMण (2) अकम1 िशMण (3) दhड िशMण (4) कािलक

अनबधन

4- ाचीन अनबधन क णता कौन ह

(1) थान1डाइक (2) पोटमन (3) हल (4) पवलाव

5- निमिक अनबधन क ितपादन मgt इनमgt स िकसका योगदान ह -

(1) िटचनर (2) एिवगहास (3) माक1 िYवस (4) िकनर

6- िवलोप का आशय िकसी सीखी हJयी अनि या को करन स ह

7- िजन कारक का अनबधन पर बाधक भाव पड़ता ह उस कहा जाता ह -

(1) अवरोध (2) िवलोप (3) वतः पनरावत1न (4) सामायीकरण

8- िदय गय उीपक मgt अतर सीखकर उनक ित िनLन Rयवहार करन को कहा जाता ह -

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 144

(1) िवलोप (2) उ`च म अनबधन (3) अवरोध (4) िवभदन

उर - (1) ाचीन (2) 4 (3) 4- कािलक अनबधन (4) 4- पवलाव

(5) 4- िकनर (6) समाF (7) 1- अवरोध (8) 4- िवभदन

1314 सदभ0 1थ सची

bull िसह अsण कमार (2011) सानामक मनोिवान

bull tीवातव रामजी (सLपादक) (2003) सानामक मनोिवान

bull िसह आरएन एव भाराज एसएस (2010) उ`च ायोिगक मनोिवान

bull Colin Martindale (1981) Cognition and Consciousness

bull Geryd YDewalle (1985) Cognition Information Processing and Motivation

bull Kathleen M Galotti (1999) Cognitive Psychology in and Out of the Laboratory

bull Margaret Matlin (1982) Cognition

1315 िनबधामक

1) ाचीन या पवलािवयन अनबधन का उदाहरण सिहत वण1न किजय

2) ाचीन अनबधन क मख कार का वण1न किजए

3) निमिक अनबधन एव उसक मख कार का वण1न किजए

4) निमिक अनबधन मgt बलन क िवशष भिमका का वण1न किजए

5) ाचीन अनबधन Yया ह ाचीन एव निमिक अनबधन मgt अतर पD किजए

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 145

इकाई-14 )मित क कार- अ6पकालीन एव दीघकालीन )मित (अथगत एव ासिगक

)मित) (Types of Memory- Short term and Long term memory (Episodic

and Semantic memory)

इकाई सरचना

141 तावना

142 उय

143 मित का अथ1

144 मित क कार एव उनक िवशषताए

145 साराश

146 श)दावली

147 वम-याकन हत

148 सदभ1 2थ सची

149 िनबधामक

141 तावना

मित एक Rयापक श)द ह ायोिगक मनोिवान मgt अिधगम क मित का सवा1िधक िवतार स ायोिगक

अEययन िकया गया ह लकमन आिद न Rयि ारा अिज1त सचनाओ क अपन जीवनकाल मgt बनाय रखन क

मानिसक ि या को मित कहा ह िकसी सचना क मित मgt बन रहन क अविध एक सकhड स भी कम हो

सकती ह या जीवनपय1त बनी रह सकती ह मित मgt सचनाओ को बनाय रखन क ि या क अतग1त

अन िमक रीित स 3 कार क मानिसक ि यायgt होती ह सबस पहल स2हको क माEयम स होन वाल सचना

िनवश का कट सकतन होता ह कट सकितक सचना को मित मgt बनाय रखन क ि या होती ह इस ि या को

भhडारण कहत ह जो मित क दसरी अवथा ह कभी-कभी इस सचना सचय भी कहा जाता ह मित क

तीसरी अवथा होती ह सचना का पनsPार िजस सामायतः याान एव ितिभा भी कहत ह

ायोिगक मनोिवान मgt मित क व=प का िववचन दो कार स िकया जाता ह कछ लोग इस

बहJअवथा म क सरचना क =प मgt समयाियत करत ह तो कछ लोग एकNा िथित वाली ऐसी Rयवथा

मानत ह िजसमgt सचनाओ क मण अलग-अलग तर पर होता ह ऐसा माना जाता ह िक मित अिधगम का

परणाम होती ह मित क आधार पर हम पव1 मgt सीखी गयी साम2ी या पव1 अनभव को वत1मान मgt पनः मरण

=प स या दोहरान मgt सफल होत ह

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 146

मित को सामायतः तीन कार का माना जाता ह इहgt साविदक मित अ-पकािलक मित एव दीघ1

कािलक मित कहत ह इन तीन कार क मितय मgt भी िभन-िभन कार क मितया पायी जाती ह िजनका

िवषद वण1न इस इकाई मgt आग िकया जायगा

142 उय

इस इकाई क अEययन क पWात आप जान सकgt ग

bull मित Yया ह तथा यह िकतन कार क होती ह

bull सवदी मित Yया ह इसक मख कार एव िवशषताए Yया ह

bull अ-पकािलक मित Yया ह उसक मख कार एव उसक Yया िवशषताए ह

bull दीघ1कािलक मित क मख कार एव दीघ1कािलक मित क िवशषताए Yया ह

bull अ-पकािलक एव दीघ1कािलक मित मgt Yया अतर ह

bull श)दाथ1 मित Yया ह

143 मित का अथ0

मित अिधगम का परणाम ह मित क ही आधार पर हम पव1 मgt सीखी गई साम2ी या पवा1नभव को वत1मान मgt

पनःमरण करन या दहरान मgt सफल होत ह मित क अभाव मgt हम कछ भी याद नहU रख पायgtग इस इकाई मgt

इस पर चचा1 क जायगी

ऐसी मायता ह िक ाणी जो कछ सीखता ह उसक मित^क मgt बनती ह इन छाप को मित िचह

कहा जाता ह इस lsquoयरो2ामrsquo या lsquoइन2ामrsquo (Neurogram or Engram) भी कहत ह (Munn 1967) मित

या सीखी गई साम2ी या कायk का पनम1रण मित िचह पर ही िनभ1र करता ह

कन (Coon 2003) क अनसार मित^क मgt सचना भhडारण क परणामव=प होन वाल

परक-पनामक परवत1न को मित िचह कहा जाता ह

ऐसा माना जाता ह िक मित धारणा या पनम1रण क िलए lsquoमित िचहrsquo का सि य रहना आवयक

ह यिद य कमजोर या धिमल पड़त ह तो सीखी गई बात का िवमरण होन लगता ह rलीटमन (1983) क

अनसार rdquoअिधगम (सीखन) या अनभव स उपन तNकय परवत1न ही मित िच ह परत वातव मgt परवत1न

कसा होता ह यह अभी ात नहU हldquo

इस कार पD होता ह िक मित का आधार मित िच ह मित का व=प पD करन क िलए कछ

परभाषाओ का उ-लख कर सकत ह

मित क परभाषाए (Definitions of Memory)-

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 147

कन (Coon 2003) क अनसार- rdquoमित एक मानिसक णाली ह जो सचनाओ का सकतन भhडारण

सगठन परवत1न एव पनम1रण करती हldquo

आइिजक (Eysenck 1970) क अनसार- rdquoमित Rयि क वह योrयता ह िजसक ारा वह पहल

क अिधगम ि या स सचना स2ह करता ह और आवयकता पड़न पर उसका पनरोपादन करता हldquo

ाइस इयािद (Marx 1976) क अनसार- rdquoअतीत क पवा1नभव एव िवचार को पनस1िजत या पनरोपािदत

करन क मित^क क योrयता मित हldquo

िविभन परभाषाओ स पD होता ह िक मित एक ऐसी मनोवािनक ि या ह िजसक ारा

पवा1नभव िवचार या सीखी गई सामि2य क अनभव को चतना मgt लान मgt सहायता िमलती ह हम पवा1नभव

को पनः सिजत करत ह या उहgt पनरोपािदत करत ह तािक वत1मान परिथित मgt उनस लाभ उठा सकgt

समायोजन थािपत कर सकgt और आवयकतानसार उनका दश1न कर सकgt मित ि या एक अयत

लाभदायक ि या ह इसी क कारण हमgt अपन पवा1नभव याद रहत ह मित क अभाव मgt जीवन िनरथ1क एव

बोझ सा बन सकता ह यिद हमgt कछ याद ही न रह तो वह िथित िकतनी िविचN सी हो जायगी उपय1

परभाषाओ तथा िववचन क आधार पर मित क बार मgt िनLनािकत िन^कष1 िदय जा सकत ह-

1) मित एक मानसिक ि या ह

2) यह मित िच पर िनभ1र होती ह

3) अिधगम या अनभव क परणामव=प तिNाका तN मgt जो परवत1न होता ह वही मित का आधार बनता

4) मित ारा पवा1नभव या पव1 मgt सीखी गई बातgt चतना मgt लायी जाती ह

5) पवा1नभव को पनः सिजत या पनरोपािदत करना मित ह

6) मित मgt कट सकतन सचयन एव पनsPार क ि याए सिनिहत होती ह

7) मित ारा पवा1नभव या पव1 क ान को वत1मान परिथित मgt य िकया जाना सLभव हो पाता ह

144 मित क कार

मित को सामायतः तीन कार का माना जाता ह इहgt सवदी मित अ-पकािलक मित एव दीघ1कािलक

मित कहत ह इन तीन कार क मितय मgt भी िभन-िभन कार क मितया पाई जाती ह इहgt तत िचN

82 एव 83 मgt दशा1या गया ह ऐसी मायता ह िक मित-णाली मgt इनक क िलए िभन-िभन कार क मित

िचह बनत ह

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 148

िच7 82- मित क कार

1) सवदी मित (Sensory Memory)-

सवदी मित को मित क ारिLभक अवथा अथवा उीपन सचना या अिधगम स उपन भाव भी कहा

जाता ह यह मित साविदक िनवश पर ही िनभ1र करती ह इसक अविध एक सकhड स भी कम मानी गई ह

इस मित क िलए सवदी पिजका सLयय भी य िकया जाता ह ाइस इयािद (Price etal 1982) क

अनसार rdquoउीपक हटा लन क बाद भी सवदी सचना का कछ Mण तक िवलिLबत रहना सवदी मित हldquo

मित (Memory)

सवदी मित (SM)

अ-पकािलक मित (STM)

दीघ1कािलक मित (LTM)

ताकालक (Immediate)

ितEवयामक

(Econic)

ितमामक मित

(Iconic)

िववरणामक (Declarati

ve)

ि यक (Procedur

al)

ि याक (Working)

ासिगक (Episodic)

)

अथ1गत (Semantic)

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 149

मित क इस अवथा मgt मित मgt कोई परवत1न या मण नहU होता ह इसी कारण यह मित

Mणभगर होती ह rलीटमन (1983) क अनसार rdquoमित भhडार क यह वह Rयवथा (णाली) ह िजसमgt

साम2ी लगभग एक सकhड क िलए अपन मल अकिमत सवदी =प मgt रहती हldquo

िच7 83 मित क अवथाए

इस कार पD हो रहा ह िक सवदी मित वह मित ह जो लगभग एक सकhड क भीतर जाच करन पर ाF

होती ह अिधगम साम2ी या उीपक को सामन स हटा दन क बाद भी कछ Mण क िलए उसक जो यादात

रहती ह उस ही सवदी मित कहा जाता ह इसी कार इस Mिणक ितमा (Momentary image) भी कहत

ह मित ि या यहU स ारLभ होती ह इस मानिसक िचNा (Mental photograph) भी कहा जाता ह

(Bourne and Ekstrand 1982) सवदी मित णाली इस ितमा को lय का य बनाय रखन का यास

करती ह

सवदी मित क कार (Types of Sensory Memory) -

सवदी मित दो कार क होती ह इहgt ितमामक या ितिचNामक मित या चाMष मित एव

ितEवयामक मित या tवणामक मित भी कहत ह

(i) ितमामक मित (Iconic Memory)- िकसी उीपक या अिधगम साम2ी को योlय या Rयि

क सामन स हटा लन क बाद भी जो Mिणक ितमा रिटना पर बनती ह उस ितमामक या चाMष मित

कहत ह इसमgt उीपक या साम2ी अयत लघकाल क िलए (जस-50 िम0स0) दिश1त क जाती ह

ाइस इयािद (1992) क अनसार rdquoितमामक मित ऐसा चाMष मित िचह या उीपक का सतत

पWात भाव ह िजसक सचयन Mमता अपMाकत िवतत परत एक सकhड स अिधक नहU होती हldquo

बाT घटना या सचना

सवदी मित (SM)

अ-पकािलक मित (STM)

दीघ1कािलक मित (LTM)

असीिमत Mमता सीिमत Mमता Mणभगर

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 150

अथा1त ितमामक मित Mिणक होती ह वत या उीपक दश1न क बाद िवलLब बढ़न क साथ मित

मgt ास भी बढ़ता जाता ह वस इसक अविध ितEवयामक मित (Echoic memory) स अिधक होती ह

इस पर जॉज1 पिलग (Geogre Sperling 1960)तथा कछ अय शोधका1ओ न भी उ-लखनीय काय1 िकया

ह (Posner and Keele 1967 Averback and Coriell 1961) पिलग(1960) न एक योग मgt

योlय क समM टिचटोकोप क सहायता स अMर-अक क कछ पिया 110 स क दर स तत कU

इसक बाद योlय स दहरान क िलए कहा गया योlय न औसतन 350 सZया तक तत उीपक (अMर-

अक) को दहरान मgt सफलता ाF क इसस पD होता ह िक यह मित अयत Mिणक होती ह इसका कारण

सLभवतः यही ह िक योlय दिश1त साम2ी को िनधा1रत समय मgt न तो ठीक स यिMत कर पात ह और न ही

मित िचह का Mिणक समय मgt मण (Processing) ही हो पाता ह (जस-कटसकतन नामकरण सचयन

इयािद) (Posner and Keele 1967) इस कारण व कमजोर पड़ जात ह और िवमरण गित बढ़ जाती ह

(ii) ितEवयामक मित (Echoic Memory) - ितमामक मित क अितर ितEवयामक या

tवणामक सवदी मित का भी अितव मािणत करन मgt शोधका1ओ को सफलता ाF हJई ह

(Crowder 1967 1971 Massaro 1970) नीशर (UNeisser 1967) न कहा ह िक इसक

भी िवशषताए ितमामक मित (Iconic Memory) क ही भाित होती ह अतर यह ह िक

ितमामक मित CिD उीपक (Visual Stimulus) क दशा मgt और ितEवयामक मित

tवणामक उीपक क य करन पर ाF होती ह ाइस इयािद (1982) क अनसार-

rdquoितEवयामक मित tवणामक मित िचह या उीपक का सतत पWात भाव ह चाMष या

ितमामक मित क भाित इसक भी अविध अयत लघ होती हldquo

इसस पD होता ह िक ितEवयामक मित भी अयत Mणभगर होती ह मशारो (Massaro1970)

न इस पर िवशष अEययन िकया ह इनक अनसार मित णाली मgt tवणामक सचना भhडार पाया जाता ह

इनका िन^कष1 ह िक यिद िकसी Eविन उीपक क बाद कोई `छादन Eविन उीपक भी िदया जाय तो थम

Eविन उीपक क पहचान मgt किठनाई आती ह यिद दोन उीपक क बीच समय अतराल बढ़ाया जाय (जस-

20 स 250 ड) तो थम उीपक क पहचान क शPता मgt विP होती ह इसस पD ह िक बाद वाला उीपक

पव1 क उीपक क पहचान को अवरोिधत करता ह इनक योग क यह िविध पWगामी `छादन अिभक-प

तक कहा जाता ह इस मित क अविध ितमामक मित (Iconic Memory) क अपMा कम होती ह

परत कछ शोधका1ओ न इसक अविध अपMाकत कछ अिधक होन का उ-लख िकया ह जस-दो स0 तक

(Triesman 1964 Darwin Turvey and Crowder 1972 Crowder 1978)

ितEवयामक मित को एक उदाहरण ारा और भी सरलता स पD िकया जा सकता ह जस-कोई

श)द बोलन पर योlय उसका अशPता उ`चारण करता ह तो पD ह िक वह शPता उ`चारण समझ नहU

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 151

पाया अतः शPता उ`चारण पनः बोलकर सधार कराया जा सकता ह जस- lsquoश)दrsquo या lsquoिववrsquo अशPता

उ`चारण ह इन पर Eयान दकर शPता उ`चारण lsquoश)दrsquo एव lsquoिव13rsquo िकया जा सकता ह

सवदी मित क िवशषताए (Characteristics of Sensory Memory)-

सवदी मित मgt पाई जान वाली मख िवशषताए इस कार ह -

1 सवदी मित अयत Mिणक होती ह

2 सवदी मित क अवथा मgt सचनाओ का मण नहU हो पाता ह जस- कटसकत या नामकरण आिद

ि याए इसमgt सिनिहत नहU होती ह

3 सवदी मित मgt सचनाए मल =प मgt रहती ह इसक िवपरीत अय मितय (जस-STMLTM) मgt उनका

=प परवित1त भी होता ह जस- lsquoBTUrsquo को lsquoTUBrsquo या lsquoBUTrsquo क =प मgt कटसकितत करना और दहरान

क समय मल =प मgt बोलना परत यह सवदी मित मgt नहU हो पाता ह

4 इसक सचयन Mमता अिधक परत अविध अयत कम होती ह (जस-एक स)

5 सवदी मित पर अयास का भाव नहU पड़ता ह

ितमामक मित एव ितEवयामक मित मgt अतर (Differences Between Iconic and Echoic

Memory) -

इन मितय मgt मख अतर इस कार ह-

ितमामक मित ितEवयामक मित

1 इसक अविध अिधक होती ह

2 इसमgt मण ायः नहU हो पाती

3 इसमgt रिटना (नNपटल) क भिमका होती ह

4 यह ममित CिD उीपक क िलए पाई जाती

5 इसक बार मgt ाF िन^कषk मgt समानता ह

1 इसक अविध कम होती ह

2 इसमgt मण का कछ लाभ िमल जाता ह

3 इसमgt कोिट1 क अग क भिमका होती ह

4 यह मित Eविन उीपक क िलए पाई जाती

5 इसक बार मgt ाF िन^कष1 िववादापद ह

2) अपकािलक मित (Short-Term Memory STM) -

मित णाली क दसरी अवथा अ-पकािलक मित कही जाती ह ाचीन दाश1िनक िविलयम जLस(1890) न

इस ाथिमक मित का नाम िदया था सवदी अवथा स जब सचनाए मित णाली क ितीय अवथा मgt वश

करती ह तो उहgt अ-पकािलक मित कहा जाता ह रथम (1984) क अनसार rdquoअ-पकािलक मित का

आशय ऐसी मित स ह िजसमgt सवदी सचनाए लगभग 15-20 स तक पनम1रण क िलए उपल)ध रहती ह

अथा1त इसक भी अविध कम ही होती हldquo(Price etal 1982 Bruno1980) rलीटमन (Gleitman

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 152

1983) क अनसार ldquoअ-पकािलक मित वह मित णाली ह जो सामि2य (सचनाओ) को लगभग एक िमनट

तक सिचत िकय रहती ह िजसक भhडारण (सचयन) Mमता कम होती ह और िजसमgt दीघ1कािलक मित क

तलना मgt सामि2य का मण अपMाकत कम होता हldquo

इस कार पD हो रहा ह िक अ-पकािलक मित क भी अविध अपMाकत कम ही होती ह (Coon

2003) इसक अविध अिधकतम एक िमनट तक मानी गई ह इस अवथा मgt ायः सीखी गई सामि2य का

मण कम हो पाता ह जस-कटसकत अRय अयास नामकरण एव िवpषण इयािद इसक कारण इसमgt

भी िवमरण तज गित स होता ह िफर भी सवदी मित क तलना मgt िवमरण मद गित स होता ह यिद मण

क ि याए सि य हो जाती ह तो यह मित Cढ़ होन लगती ह और दीघ1कािलक मित मgt परवित1त हो जाती

ह (Keels 1973 Fish and Karsh 1971 Loftus 1981) ऐसी मायता ह िक अ-पकािलक मित क

अवथा मgt िवमरण ायः मित िचह क िवथापन क कारण होता ह

अपकािलक मित क कार (Types of Short-term Memory STM)-

अ-पकािलक मित को दो कार का माना गया ह इहgt ताकािलक मित एव ि यामक मित कहत ह

(i) ताकािलक मित (Immediate Memory) - अिधगम क िकसी परिथित मgt कोई Rयि एक

बार मgt िजतन अक या अMर को सही-सही दहरा लता ह उस ताकािलक मित कहत ह अवधान

िवतार क योग ारा इसका मापन सरलता स कर सकत ह इसमgt अक या अMर सम`चय तत

िकय जात ह इनमgt सZया अलग-अलग होती ह योlय उहgt सनन क बाद तरत दहराता ह

सामायतः लोग 7 2 (सात धन या ऋण दो) अक तक दहरा पात ह इसीिलए इस lsquoजादई अक सातrsquo

भी कहा जाता ह

(ii) ियामक मित (Working Memory) - यह वह मित ह जो सचनाओ क छानबीन इस कार

करती ह िक उसका व=प परवित1त हो जाता ह बडडल (Baddley 1950) का मत ह िक

अ-पकािलक मित मgt कछ िवशष कार क ि याए सि य होती ह यह कवल एक अथाई सचयन

णाली नहU ह इसमgt सचनाओ का सLपोषण होता रहता ह और इस काय1 मgt lsquoसि य अवधान

िनयNाकrsquo सहायता करता ह चाMष एव tवणामक सचनाओ क िलए अलग-अलग तN होत ह

इनमgt tवणामक सचनाओ का सLपोषण करन वाल तN को Eविन2ामीय लप कहत ह (Craik and

Levy 1976 Lewi 1979 Matlin 1983)

अपकािलक मित का अEययन (Studying STM) -

अ-पकािलक मित क अEययन मgt दो िविधय का योग िकया जा सकता ह इहgt उचाट या िवकष1ण

तकनीक एव छानबीन तकनीक कहत ह

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 153

a) उचाट या िवकष1ण तकनीक (Distraction Technique) - यह िविध िपटरसन एव िपटरसन ारा िवकिसत

क गई ह इसमgt Rयजन स िनिम1त पद या साथ1क पद एक-एक सकhड क अतराल पर तत िकय जात ह

तपWात िवtाम दत ह परत िवtामावथा मgt मानिसक अयास रोकन क िलए उ-टी िगनती िगनवात ह

इस अतवiशी काय1 कहत ह इसक बाद िविभन अतराल पर पनम1रण कराया जाता ह िविभन अतराल

पर ाF पनम1रण क माNाओ क तलना करक मित या िवमरण का आकलन कर सकत ह इस िविध क

आधार पर fाउन (Brown 1958) न भी काय1 िकया ह इसक कारण इस fाउन-िपटरसन तकनीक भी

कहत ह

b) छानबीन तकनीक (Probing Technique) - इस िविध मgt अिधगम साम2ी को एक-एक करक तत

िकया जाता ह इसक बाद बीच-बीच क पद दिश1त करत ह और योlय स यह पछा जाता ह िक उसक

बाद कौन सा श)द या पद आना चािहए योlय को बाद मgt दश1न का म ात नहU रहता ह वह यादात

या अनमान क आधार पर बोलता ह इसीिलए इस छानबीन या जाच तकनीक कहा जाता ह इसमgt

अतवiशी काय1 नहU िदया जाता ह

अ-पकािलक मित पर ायोिगक अEययन (Experimental Study on Short-term Memory) -

अ-पकािलक मित का ायोिगक अEययन करन क िलए वािचक सामि2य (जस-श)द या सZयाए) का बहJधा

उपयोग होता ह कोनाड1 (1960) fाउन (1958) िपटरसन एव िपटरसन (1959) िपटरसन (1963) एव म-टन

(1963) आिद न इस पर उ`च तरीय काय1 िकया ह यहा पर िपटरसन एव िपटरसन 1959) क योग क चचा1

क जायगी Yयिक यह इस MNा का एक ितिnत योग ह इनक िविध को उचाट या िवकष1ण िविध

(Distraction method) कहा जाता ह

उचाट िविध मgt योlय क समM िNपदीय Rयजन श)द दो सकhड क अतर पर तत िकय जात ह और योlय

उहgt जोर स पढ़ता ह तपWात िवtाम दत ह परत अRय अयास को िनयिNात करन क िलए कछ काय1 िदय

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 154

जात ह जस- उ-टी िगनती िगनना इस अतवiशी काय1 (Interpolated task) कहत ह योगका1ओ न धारणा

अतराल 3 6 9 12 15 18 रखा इन अतराल पर ाF धारणा ितशत िचNा मgt तत िकय गय ह

अतराल धारणा

3 स

6 स

9 स

12 स

15 स

18 स

75

55

32

18

10

6

िचN को दखन स पD होता ह िक धारणा अतराल (Retention intervals) बढ़न क साथ-साथ धारणा

ितशत (Recall percentage) घटता गया ह जस- तीन स0 बाद धारणा 75 ितशत 6 स बाद 55 और

9 स पर 32 हो गई ह बारहवgt तथा प_हवgt सकhड पर िवमरण और भी _त गित स हJआ ह Rयावहारक

CिD स दखgt तो अारहवgt स पर धारणा क माNा लगभग शय हो गई ह Yयिक िवमरण 90 स अिधक हो

चका ह इसस पD ह िक अ-पकािलक मित क अवथा मgt िवमरण _त गित स होता ह

परत मरडॉक (1961) न यह तक1 िदया ह िक धारणा मgt कमी माNा समय बीतन क कारण नहU हJई

तीत होती ह Yयिक िवtाम अविध मgt अतवiशी काय1 का भी मल अिधगम क धारणा पर नकारामक भाव

पड़ता ह इस कारण उसक मित धिमल होन लगती ह और िवमरण क माNा बढ़ जाती ह

कcपल (1965) न अ-पकािलक मित का अEययन करन क िलए छानबीन तकनीक का उपयोग

िकया ह इस िविध मgt यिrमत साहचय1 अिधगम िविध क आधार पर सची क पद तत िकय जात ह और पनः

बीच मgt सची क कछ पद तत करत ह तथा योlय उसस सLबिधत अनि या पद दहराता ह इस िविध मgt

धारणा क जाच ारिLभक अिधगम क बाद ही ारLभ हो जाती ह परत योlय को इसक जानकारी नहU दी

जाती ह

अपकारक मित क िवशषताए (Characteristics of STM)-

अ-पकािलक मित पर कछ िवशष कारक का भाव पड़ता ह इहgt ही अ-पकािलक मित क िवशषता क भी

नाम स जानत ह

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 155

1 अ-पकािलक मित मgt अयास स विP (Increase in STM from Practice) अ-पकािलक मित क

माNा मgt अयास क अवसर बढ़न स विP होती ह इसमgt यM अयास एव अRय अयास दोन सहायक

मान गय ह िपटरसन एव िपटरसन क ारिLभक योग एिबगहास (1913) और पोटमन (1962) क

परणाम इसक पिD करत ह

2 अवरोध का भाव (Effects of Interference) अ-पकािलक मित पर अ2ोमख एव पnोमख अवरोध

का भी भाव पड़ता ह मरडॉक (1961) न इसी आधार पर िपटरसन एव िपटरसन (1959) क योग पर

आपि क थी अhडरवड (1962) क भी अEययन स इसक पिD होती ह

3 यास क बीच अतराल (Interval between Trials) यह भी पाया गया ह िक यिद यास क बीच

अतराल दीघ1 हो तो अ-पकािलक मित अिधक ाF होती ह इसस मित िचह को सगिठत होन का

अवसर िमलता ह और धारणा ितशत बढ़ता ह (Kepple amp Underwood 1962)

4 लोभन का भाव (Effects of Incentives) धारणा क जाच क िलए अवसर दन पर लोभन तथा

परकार क Rयवथा करन स अ-पकािलक मित क माNा मgt विP होती ह (करनाफ इयािद 1966)

5 धारणा मgt _त ास (Rapid Decrease in Retention) अ-पकािलक मित क िवमरण क गित

अपMाकत ती होती ह Yयिक इनमgt सचयन तथा कट सकतन क ि याए सिनिहत नहU होती ह

(Hilgard etal 1975 Marx 1976 Adams 1967) िपटरसन एव िपटरसन (1959) क योग स

इस कथन को समथ1न िमलता ह

3) दीघ0कािलक मित (Long-Term Memory LTM) -

मित णाली क यह ततीय एव अितम अवथा ह इस िविलयम जLस (1980) न गौण मित का नाम िदया

था यह अिधक थाई होती ह मानव जीवन मgt इसका अयिधक महव ह Yयिक हम जो कछ सीखत ह या याद

करत ह उसका उपयोग जीवन मgt काफ लLब-लLब अतराल पर होता ह दीघ1 अतराल पर (जस-घhट

सFाह महीन या वषk बाद) जो मित दिश1त होती ह उस ही दीघ1कािलक मित कहा जाता ह (Bourn amp

Ekstrand 1982) अनभव या सचनाओ को दीघ1कािलक मित भhडार मgt सिचत होन क िलए आवयक ह

िक व अ-पकािलक मित क अवथा स दीघ1कािलक मित क अवथा मgt थानातरत ह इसक िलए

अयास तN का सि य होना आवयक ह जापदवद - (Atkinson amp Schiffrin 1971 1977 Rundus

1971)

कन (Coon 2003) क अनसार rdquoदीघ1कािलक मित वह मित ह जो साथ1क सचनाओ को दीघ1काल

तक भhडारत िकय रहती हldquo

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 156

rलीटमन (Gleitman 1983) क अनसार rdquoदीघ1कािलक मित ऐसी मित णाली ह िजसमgt मितया

दीघ1काल तक रहती ह िजसक Mमता काफ अिधक होती ह और जो सामि2य को अपMाकत िमत

(ससािधत) =प मgt सिचत िकय रहती हldquo

इस कार पD होता ह िक दीघ1कािलक मित अपMाकत अिधक थाई ससािधत तथा असीिमत

Mमताय होती ह मानव जीवन मgt इसका सवा1िधक उपयोग होता ह Yयिक आज हम जो याद करत ह या

सीखत ह उसका उपयोग हम ायः लLब अतराल पर करत ह कMा मgt पढ़ या पाठ को परीMा मgt िलखना

ऐसा ही एक उदहरण ह (Loftus 1980 1981 Postman 1975 Rundus 1971) इसस यह पD ह िक

दीघ1कािलक मित मgt िवमरण क गित मद होती ह इसक बार मgt मायता ह िक इस अवथा मgt िवमरण ायः

पनsPार क असफलता (Failure of retrieval) क कारण न िक Mय (ास) क कारण होता ह इसमgt िकसी

घटना सचना साम2ी या कहानी का सारा िववरण नहU स2हीत रहता ह बि-क उसक िविशD या महवपण1 अश

ही सिचत िकय जात ह

दीघ0कािलक मित क कार (Types of LTM)-

दीघ1कािलक मित को िववरणामक एव ि यामक वगk मgt िवभ िकया जाता ह

1 िववरणामक मित (Declarative Memory) िववरणामक मित का आशय िकसी वत Rयि साम2ी

या घटना क बार मgt िवतत जानकारी स ह जस- यह कहना िक हम जानत ह िक गाधी जी सय अिहसा

एव मानतवा क पजारी गरीब क मसीहा थ िववरणामक मित का उदाहरण ह

िववरणामक मित को भी दो वगk मgt िवभ िकया जाता ह इहgt ासिगक या वामक मित एव अथ1गत या

श)दाथ1 मित कहत ह िकसी घटना या जानकारी का मवार वण1न करना ासिगक या वामक मित कहा

जाता ह इसमgt Rयिगत अनभव का समय आधारत वण1न भी सिLमिलत ह इसिलए इस आमचरत मित भी

कहत ह दसरी तरफ िकसी वत क बार मgt सLययामक अवधारणाए िवकिसत करना श)दाथ1 या अथ1गत

मित कहा जाता ह जस-अमक वत मgt य िवशषताए ह यह अथ1गत मित ह इस सामाय या Rयापक मित भी

कहत ह

2 ि यामक मित (Procedural Memory) ि यामक मित का आशय िकसी काय1 ि या या

कौशल क तकनीक क जानकारी स ह जस- गाड़ी चलाना मशीन बनाना साइिकल चलाना या टाईप

करना आिद इसक उदाहरण ह Yयिक इनमgt काय1 करन क ि या Rयि जानता ह आवयकता पड़न पर

उसका उपयोग भी करता ह

दीघ1कािलक मित क िवशषताए (Characteristics of LTM) इनमgt भी कितपय िवशषताए पाई जाती ह

1) सगिठत सचयन (Organized Storage) - दीघ1कािलक मित मgt सचनाए अपMाकत अिधक सगिठत =प

मgt भhडारत रहती ह इसी कारण उनमgt िवमरण क गित मद होती ह

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 157

2) दीघ1कािलक सचयन (Longer Storage) - इसमgt मितय का भhडारण अपMाकत दीघ1काल तक रहता

ह जस-कई िदन सFाह महीन या वषk तक

3) असीिमत Mमता (Unlimited Capacity) - दीघ1कािलक मित क Mमता असीिमत होती ह इसमgt

अिधक स अिधक सचनाए स2हीत रहती ह

4) ससािधत या िमत सचयन (Processed Storage) - इसमgt ान या सचनाए अपMाकत अिधक मण

क बाद सिचत होती ह इसमgt इस काय1 मgt सकतीकरण िवतारण मानिसक अयासए यन अथ1गत

िवतारण एव tणी ग`छन आिद जसी ि याओ स सहायता िमलती ह (Craick and Lockhart 1972

Craick and Tulving 1975)

5) शPता (Accuracy) - इस मित मgt शPता ता क माNा अिधक पाई जाती ह यिद सीखी गई साम2ी

चाMष ह (जस-श)द वाYय आिद) तो पनम1रण क शPता ता और भी बढ़ जाती ह (Shepard 1967)

6) =पातरण (Transformation)- दीघ1कािलक मित क अवथा मgt सिचत सचनाओ या जानकारय का

=पातरण भी हो सकता ह इस बाट1लट (Bartlet 1932) न मित मgt पनर1चना का नाम िदया ह अथा1त

मल साम2ी का पनरोपादन करत समय योlय कछ नया अश उसमgt जोड़ दत ह परान अश िवमरत हो

जात ह और तyय का िव=पण (Distortion) भी होता ह

अ-पकािलक एव दीघ1कािलक मित मgt अतर (Differences Between STM amp LTM) - उपय1 दोन

कार क मितय मgt कितपय अतर पाया जाता ह जस -

a) Mमता मgt अतर (Differences in Capacity) - एडLस (1967) क अनसार अ-पकािलक मित मgt

सचयन क Mमता कम और दीघ1कािलक मित मgt सचयन क Mमता अिधक होती ह इसी कारण

अ-पकािलक मित का िवमरण अपMाकत शी होता ह माYस1 (1976) का भी ऐसा ही िवचार ह

b) Rयितकरण या बाधा का भाव (Effects of Inteference) - बाधाओ का भाव दोन कार क मितय

पर पड़ता ह कोनाड1 (1964) gमन एव हल आिद क अनसार अ-पकािलक मित मgt उजक सLबधी

Eवयामक समानता होन क कारण बाधा पहJचती ह जबिक दीघ1कािलक मित मgt उजक मgt अथ1

सLबधी समानता क कारण बाधा भाव पाया जाता ह बडल (1964) का भी ऐसा ही िन^कष1 ह सामाय

भाषा मgt यह कहा जा सकता ह िक Rयितकरण का भाव अ-पकािलक मित पर अिधक और दीघ1कािलक

मित पर कम पड़ता ह

c) दिहक आधार मgt (Differences in Physiological Bases) - अ-पकािलक एव दीघ1कािलक मित क

वगvकरण क वधता को दिहक अEययन स भी भी समथ1न िमला ह पनफ-ड (1959) का िन^कष1 ह िक

यिद िहcपोकLपस (मित^क का भाग) को नD कर िदया जाय तो अ-पकािलक मित दीघ1किलक मित मgt

=पातरत नहU हो पाती ह अथा1त दोन मितय मgt सिनिहत दिहक ि याओ मgt भी अतर ह

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 158

d) कटसकत मgt अतर (Differences in Coding) - िवान का मत ह िक दोन मितय मgt अ-पकािलक

मित का िवमरण ती गित स होता ह Yयिक इस अवथा मgt सचनाओ का अपिMत =प मgt कटसकत नहU

हो पाता ह कटसकतन एव सचयन आिद दीघ1कािलक मित क अवथा मgt अवय ही होता ह इसी कारण

इसक िवमरण गित कम होती ह (Tulving and Thompson 1973 Atkinson amp Shiffrin

19711977 Craick and Lockhart1972)

e) ाथिमकता बनाम नवीनता भाव (Primacy Recency Verses Effects) - अ-पकािलक एव

दीघ1कािलक मितय क वगvकरण क वधता क पिD ाथिमकता एव नवीनता भावो स भी होती ह

वािचक अिधगम का यह महवपण1 गोचर ह इसका आशय यह ह िक यिद कोई सची िमक िविध स याद

क जाती ह तो सची क ारिLभक पद का मरण अिधक होता ह इस ाथिमकता भाव कहत ह

मEय क पद का मरण बहJत कम हो पाता ह परत पनः सची क अत क पद का पनम1रण अिधक होता ह िफर

भी यह माNा ारिLभक पद क तलना मgt कम होती ह इस नवीनता भाव कहत ह

शदाथ0-मित (Semantic Memory)-

श)दाथ1 मित दीघ1कािलक मित का ही एक पM ह Yयिक इस मित-भhडार मgt श)द का अथ1 श)द या

वतओ मgt सLबध भाषा ान आिद स सLबिधत सचनाए स2हीत रहती ह परत ऐसा नहU ह िक सचनाए

lय क य पड़ी रहती ह बि-क उनमgt =पातरण या परवत1न भी होता ह यह परवत1न गणामक होता ह

एिबगहास न मित-अEययन क जो परLपरा थािपत क ह उसमgt मित मgt होन वाल माNामक परवत1न का

अEययन िकया जाता ह मित मgt होन वाल गणामक परवत1न क परLपरा बाट1लट (SF Bartlett 1886-

1969) ारा ारLभ क गई

श)दाथ1-मित का आशय यह ह िक हम जो सीखत या याद करत ह उसका व=प भाषामक एव

बौिPक म ारा परवित1त तथा =पातरत होता रहता ह (Hulse etal 1980) इसस पD ह िक हम जो

कछ जानत ह उसमgt हमारी भाषा तथा सानामक म क कारण परवत1न होता ह श)दाथ1 मित स सLबधी

अEययन मgt यह जानन पर बल िदया जाता ह िक कोई Rयि या योlय िकसी श)द या वत का अथ1 कस

मरत करता ह और िकस कार उसका

अथ1 भाषामक तथा बौिPक म ारा =पातरत होता ह श)दाथ1 मित स सLबिधत पM (कारक)

िवशषकर वािचक अिधगम तथा उसक धारणा को Rयापक =प मgt भािवत करत ह

मित म( शदाथ0 भdडारण (Semantic Storage in Memory) -

Rयि क श)दाथ1 मित भhडार मgt असZय श)द सिचत रहत ह और वह आवयकतानसार उनका उपयोग भी

करता ह यहा पर यह िकया जा सकता ह िक व िकस तरह मित भhडार मgt सिचत या भhडारत रहत ह कछ

लोग का मत ह िक हमार मित^क मgt भी श)दकोष जसी िथित होती ह इस आमगत श)दकोष कह सकत ह

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 159

कछ लोग न इनक RयाZया अय =प मgt भी (भाषामक एव मनोवािनक आिद) क ह अतः इस क

पDीकरण क िलए कछ माडल क चचा1 अपिMत ह

जाल सरचना माडल (Network Structure Model) -

श)दाथ1 मित क बार मgt एक चिलत अवधारणा यह ह िक इसमgt िविभन कार क श)द स सLबिधत

अथ1 जाल क =प मgt परपर अतःसLबिधत होत ह जाल सरचना क अवधारणा पर आधारत श)दाथ1 मित

क कई माडल तािवत िकए गय ह इनमgt Yवीिलयन का माडल (Quillian 1968) काफ चिच1त रहा ह इस

पदान िमक माडल (Hierarchical model) कहा जाता ह

पदान िमक माडल क अनसार Rयि क श)द भhडार मgt सिचत यक श)द स सLबिधत लMण का

एक सम`चय पाया जाता ह और िविभन लMण या िवशषताअgt का िविभन उपय तर या िबदओ पर

भhडारण िकया जाता ह ऐस सम चय सLबध क अतःसLबिधत पथ णािलय ारा सLबP होकर जाल

जसी सरचना का िनमा1ण करत ह कछ िवशषताए उस वग1 क िकसी सदय क िविशD िवशषताए हो सकती ह

और कछ िवशषताए उस वग1 क िकसी सदय क िविशD िवशषताए हो सकती ह इनका भhडारण एक ही िबद

या गाठ पर न होकर अलग-अलग होता ह िचNा मgt श)दाथ1-मित मgt पदान िमक भhडारण का एक उदाहरण

तत िकया गया ह उदाहरण क िलए िचNा मgt lsquoउड़ना पख का होनाrsquo इयािद जसी िवशषताए lsquoपMीrsquo श)द क

साथ दशा1ई गई ह दसरी तरफ गाती ह काली होती ह जसी िवशषताए lsquoकोयलrsquo क साथ सLबP करक

भhडारत िदखाई गई ह य उसक िविशD िवशषताए ह तथा उसमgt पिMय क अय िवशषताए भी पाई जाती ह

इसस पD हो रहा ह िक िकसी वत या श)द स सLबिधत अथ1 या िवशषताए एक िनिWत तर या िबद पर

भhडारत क जाती ह अतः यिद कोई यह करता ह lsquoYया कोयल गा सकती ह तो इसका उर lsquoकोयल

िविD िबदrsquo पर भhडारत िवशषता क पनsPार स िदया जाएगा परत यिद ह lsquoYया कोयल उड़ सकती ह

तो इसका उर lsquoपMी िविD िबद स िवशषता का पनsPार करक िदया जाएगा Yयिक मित भhडार मgt यह

िवशषता lsquoकोयलrsquo स ऊपर वाल तर या िविD िबद पर भhडारत ह भhडारण क यह Rयवथा पदान िमक

कही जाती ह

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 160

पदान िमक िसPात का अिभ2ह ह िक िकसी का उर दन मgt जो िति या काल ाF होगा वह इस तyय

पर िनभ1र करगा िक तत स सLबिधत सचना श)दाथ1 मित भhडार मgt िकस िबद पर भhडारत ह जस

Yया कोयल गा सकती ह इसका उर दन मgt जो समय लगगा उसक तलना मgt Yया कोयल उड़ सकती ह

का उर दन मgt समय अिधक लगगा Yयिक lsquoउड़नrsquo क िवशषता lsquoपMीrsquo िविD िबद पर भhडारत ह

सट सरचना माडल (Set Structure model) -

श)दाथ1 मित मgt श)द क भhडारण क RयाZया क िलए एक और भी माडल या उपागम तत िकया

गया ह इस ानकित-सरचना कहत ह जाल सरचना क भाित इस िवचार पर भी आधारत कई माडल तत

िकए गए ह इनमgt ानकित सPाितक माडल एक बहJत ही उपयोगी तथा भावशाली माडल ह जसा िक इसक

पहल पD िकया जा चका ह िक जाल सरचना माडल मgt यह परक-पना क गई ह िक श)दाथ1 मित मgt

भhडारत श)द क बीच पाए जान वाल सLबध अतःसLबिधत पथ णािलय ारा परपर सLबिघत होत ह

इसक िवपरीत ानकित सरचना माडल मgt यह अिभ2ह तत िकया गया ह िक श)दाथ1 मित भhडारण मgt श)द

का भhडारण िवशषताओ या लMण क सम चय क =प मgt िकया जाता ह इसीिलए इस लMण माडल भी कहत

ह इस माडल को Rयापक समथ1न ाF हJआ ह (Schaiffer amp Wallace 1969)

सट-सरचना माडल को िविभन उभयिनD वगk क वतओ स सLबिघत वाYय को सही या गलत

िनणvत करन क िलए िवकिसत िकया गया ह ऐस िनण1य करान क िलए मयर (1970) न दो कार क वाYय का

उपयोग िकया जस सभी का1 (Subject S) िवधय (Predicate P) ह एव कछ का1 (S) िवधय (P) ह

इनमgt थम कार क वाYय साव1भौिमक िवधायक या वीकारामक और ितीय कार क वाYय िविशD

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 161

िवधायक या वीकारामक वाYय कह जात ह उपय1 दोन वगk क वाYय मgt सट-सLबध को हितत करक

मयर न यह जानन का यास िकया िक उनका योlय क िनण1य-िति या काल पर कसा भाव पड़ता ह

इसक िलए यक वाYय-वग1 मgt चार कार क सLबध पर आधारत वाYय रख गय ऐस वाYय तथा उनक ित

ाF िति या काल तािलका मgt तत िकय गय ह

साव1भौिमक वीकारामक

सट-सLबध उदाहरण सयअसय औसत 0का0

(RTMS)

उपसट Subset - सभी दवदार वM होत ह

सपरसट Superset - सभी पथर लाल होत ह

आ`छादन overlapping - सभी मिहलाए लखक होती ह

िवयोिजत Disjoint - सभी बादल मिणबध होत ह

सय

असय

असय

असय

1182

1339

1263

1154

िविशD वीकारामक

उपसट Subset - कछ दवदार वM होत ह

सपरसट Superset - कछ पथर लाल होत ह

आ`छादन overlapping - कछ मिहलाए लखक होती ह

िवयोिजत Disjoint - कछ बादल मिणबध होत ह

सय

सय

सय

असय

998

1017

1108

1115

तत वत श)द या वाYय क बार मgt िनण1य लत समय Rयि उसक सामाय एव िविशD दोन कार क

िवशषताओ पर Eयान कि_त करता ह जस Yया कोयल एक पMी ह इसका उर दन क िलए पिMय एव

कोयल क िवशषताओक तलना क जाती ह और उसक बाद ही उर -हाrsquo मgt िदया जाता ह िमथ इयािद

(1974) क अनसार िनण1य दो अवथाओ मgt िलया जाता ह िनण1य लन मgt समानता कारक क मख भिमका

होती ह जसािक तत िचNा स पD हो रहा ह यिद तलनीय पM मgt समानता िनLनतर मापदhड स भी कम ह

तो तकाल lsquoअसयrsquo क अनि या ाF होगी और इसी कार समानता उ`चतर मापदhड स अिधक होन पर

lsquoसयrsquo क अनि या तकाल ाF होगी (Meyers 1970) इसी म को थम अवथा क छानबीन कहत

ह उदाहरणाथ1 कोयल कबतर तोता एव कौवा इयािद को पMी कहन मgt समय कम लगगा Yयिक इनक

िवशषताए पMी सLयय स सLबPिवशषताओ क समान ह परत बख को पMी कहन मgt योlय किठनाई

अनभव कर सकता ह एव उर दन मgt समय भी अिधक लगगा Yयिक उसक अपनी िवशषताए पिMय क

सामाय िवशषताओ क पण1तः अन=प नहU ह

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 162

िचN स

यह भी पD हो

रहा ह िक यिद

सLबिधत

वतओ मgt

समानता मEयम

तरीय ह तो का उर थम अवथा क छानबीन स नहU िमल पायगा अतः ितीय अवथा क उपयोग क

आवयकता पड़गी इस अवथा मgt सLबिधत वतओ क परभाषक िवशषताओ पर Eयान कि_त िकया जाता

ह परभाषक िवशषताओ क कमी स िनण1य लन मgt किठनाई बढ़ती ह (Rosch 1973) यिद दोन परभाषक

िवशषताए एक जसी ह तो को lsquoसयrsquo अयथा lsquoअसयrsquo मान िलया जाएगा यिद िनण1य लन मgt ितीय

तरीय छानबीन क आवयकता पड़ती ह तो िति या काल बढ़ जाता ह

मित म( पनर0चना (Reconstruction in Memory)-

इसका आशय यह ह िक पनः मरण क वातिवक म मgt मित भhडार मgt कवल पनsPार ही नहU होता ह

बि-क इसमgt कछ नवीन बात या पM का सजन तथा वत1मान अनभव क साथ पवा1नभव क आमसातीकरण का

भी म सिनिहत होता ह (Hulse et al 1980) अथा1त Rयि सनी हJई या पढ़ी गई बात या कहािनय मgt

अपनी पव1 मितय अनभव िवचार या भावनाओ क सदभ1 मgt परवत1न एव परमाज1न भी करता ह वह उसक

आकार को घटा सकता ह व=प को और भी समिवत करन का यास कर सकता ह उसमgt कछ नवीन बातgt

जोड़ सकता ह या कछ परानी बात को िनकाल भी सकता ह इसस सकत िमलता ह िक मित मgt गयामक

परवत1न भी होता ह श)दाथ1 मित क सग मgt दिश1त होन वाल इस म या गोचर को मित मgt पनर1चना का

नाम िदया गया ह यह पM एिबगहास स िभन परLपरा का ोतक ह एिबगहास-उपागम मgt मित मgt होन वाल

माNामक परवत1न क अEययन पर बल िदया जाता ह पनर1चनामक मित क अतग1त उसमgt होन वाल

गणामक परवत1न को िववचन का िवषय माना जाता ह इस उपागम को तत करन का tय बाट1लट (1932)

को िदया जाता ह

बाट1लट का अEययन (Bartletts Study)

बाट1लट (1932) न अपनी पतक मgt यMीकरण ितमा एव पनम1रण स सLबिधत अनक महवपण1

अEययन का उ-लख िकया ह परत इस सग मgt कवल मित क बार मgt िदए गए उनक िवचार क ही समीMा

क जाएगी बाट1लट न अपन योlय को एक कहानी पढ़न को िदया और िविभन अिनयिमत अतराल पर

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 163

(यनतम 15 िम0) कहानी का पनरोपादन कराया अनक योlय स पनरोपादन बार-बार तथा कई स वषk बाद

भी (जस 10 वष1) कराया गया इस कहानी का शीष1क lsquoत का यP था यक योlय को कहानी दो बार

पढ़न को दी गई लगभग 24 घhट बाद कहानी का जो पनरोपादन एक योlय न तत िकया उसमgt अनक

अशिPया पाई गई अपन Mण क आधार पर बाट1लट न िनLनािकत िन^कष1 तत िकया

(i) योlय न कहानी क अनक अश को छोड़त हJए उस काफ छोटा कर िदया

(ii) योlय न कहानी क भाषा को अपनी वय क भाषा सLबधी आदत क अन=प परवित1त कर िदया

उनक भाषा पर^कत अ2जी भाषा क अन=प थी जबिक कहानी क मल भाषा जनजातीय तर क

थी

(iii) योlय न कहानी को अपनी सयता और सकित क CिD स अपMाकत अिधक सगिठत तथा ठोस

=प द िदया

(iv) कहानी क पनरोपादन मgt अनक मल बात को छोड़ िदया गया था एव अनक बात को =पातरत भी

कर िदया गया

इन Mण क आधार पर बाट1लट न यह मत Rय िकया िक पनम1रण कवल तत साम2ी ारा ही

भािवत नहU होता ह बि-क पवा1नभव-िवचार एव परवश स भी रभािवत होता ह इस बाट1लट न कमा कहा

ह कमा जिटल घटनाओ क यMीकरण तथा उनक मित को Rयापक =प मgt भािवत करता ह

कमा का ायोिगक वत1न (Experimental induction of Schema) - बाट1लट क अEययन क इस

आधार पर आलोचना क गई ह िक उहन न यह पD नहU िकया ह िक िकस कार योlय मgt कमा उपन

या हितत िकया जा सकता ह तािक उसका मब) िव=पण पर भाव ात िकया जा सक इस सग मgt ऐस

कछ अEययन हJए ह िजनस यह िन^कष1 िमला ह िक वत क यMीकरण क समय यिद उसक बार मgt कोई िवशष

सचना उपल)ध क जाती ह तो उसस योlय मgt एक िवशष कमा या मानिसकता उपन हो जायगी और वह

पनरोपादन क व=प को िनधा1रत करगी ऐसा एक िसP अEययन कारमाइकल इयािद (1932) का ह

कारमाइकल इयािद क अEययन मgt कछ आकितया चाMष यMीकरण क िलए तत क गई इहgt

उीपक आकितया कहा गया एक समह को इन आकितय का नाम कछ तथा दसर को उसस िभन बताया गया

यक आकित एक-एक करक िदखाई गई और उहgt तत करन स पहल सिचत िकया गया इसका आकार

अमक वत जसा ह एक समह को थम सची जस अ2जी का अMर ब और दसर को ितीय सची जस- दज

का चाद स नाम बताय गए अEययन क तीसर समह को िकसी भी कार क सचना नहU दी गई योlय ारा

पहचान योrय आकितय क पनरोपादन तक यास जारी रहा परणाम यह रहा िक योlय क पनरोपादन पर

वािचक सचना का पD भाव पड़ा योlय को जसी सचना दी गई थU उसी क अन=प उस वत का

पनरोपादन भी हJआ जस- एक अध1वाकार आकित को एक समह न पव1 सचना क कारण उस अ2जी क

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 164

अMर-सी क =प मgt और ितीय समह न उसका यMीकरण lsquoचादrsquo क =प मgt िकया इसस पD ह िकसी भी

कारण स उपन कमा अिधगम साम2ी क पनरोपादन को िव=िपत करता ह और यक उीपक या वत क

िलए अलग-अलग lsquoकमाrsquo का िनमा1ण होता ह यिप इस अEयन स पनरोपादन पर वािचक सचना सममस

का भाव अवय पD होता ह परत यह नहU पD हो पाता ह िक सचनाओ क कारण िव=पण कब होता होगा

145 साराश

इस इकाई क अEययन क बाद आप जान चक ह िक मित Yया होती ह कन न बताया ह िक मित^क मgt सचना

भhडारण क परणामव=प परक-पनामक परवत1न का मित िचNा कहा जाता ह मित इहU मित िचह

पर ही िनभ1र करती ह मित क अभाव मgt हम कछ भी याद नहU रख पात ह मित को परभािषत करत हJए

आइजक न कहा ह िक मित Rयि क वह योrयता ह िक िजसक ारा वह पहल क अिधगम ि या स सचना

स2ह करता ह और आवयकता पड़न पर उसका पनsपादान करता ह

मितया कई कार क होती ह िजसमgt मख ह - सवदी मित अ-पकािलक मित एव दीघ1कािलक

मित यक कार क मितय क अपनी अलग-अलग िवशषताए होती ह इस इकाई मgt श)दाथ1 मित क

भी चचा1 क गयी ह यह दीघ1कािलक मित का ही एक पM ह श)दाथ1 मित का तापय1 ह िक हम जो सीखत

या याद करत ह उसका व=प भावामक तथा दिहक म ारा परवित1त तथा =पातरत होता रहता ह

146 शदावली

bull मित एक मानिसक णाली ह जो सचनाओ का सकतन भhडारण सगठन परवत1न एव पनम1रण करती

bull मित-िच मित^क मgt सचना भhडारण क परणामव=प होन वाल परक-पनामक परणाम को मित

िच कहा जाता ह

bull सवदी मित उीपक हटा लन क बाद भी सवदी सचना का कछ Mण तक िवलिLबत रहना सवदी मित

bull ितमामक मित ऐसा चाMष मित िच या उीपक का सतत पWात भाव ह िजसक सचयन Mमता

अपMाकत िवतत परत एक सकhड स अिधक नहU ह

bull ितEवयामक मित ितEवयामक मित tवणामक मित िच या उीपक का सतत पWात भाव

ह चाMष या ितमामक मित क तरह इसक भी अविध अयत लघ होती ह

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 165

bull अपकािलक मित अ-पकािलक मित वह मित णाली ह जो सामि2य को एक िमनट तक सिचत

रखती ह िजसक भhडारण Mमता कम होती ह और िजसस दीघ1कािलक मित क तलना मgt सामि2य का

मण अपMाकत कम होता ह

bull ताकािलक मित अिधगम क िकसी परिथित मgt कोई Rयि एक बार मgt िजसमgt अक या अMर को

दहरा लता ह उस ताकािलक मित कहत ह

bull ियामक मित यह वह मित ह जो सचनाओ क छान-बीन इस कार करती ह िक उसका व=प

परवित1त हो जाता ह

bull दीघ0कािलक मित दीघ1 अतराल पर जो मित दिश1त होती ह उस दीघ1कािलक मित कहा जाता ह

यह सचनाओ को दीघ1काल तक भhडारत िकय रखती ह

bull िववरणामक मित इसका तापय1 िकसी वत Rय साम2ी या घटना क बार मgt िवतत जानकारी स ह

bull व-ामक मित िकसी घटना या जानकारी का मवार वण1न करना ासिगक या वामक मित कहा

जाता ह

bull शदाथ0 मित िकसी वत क बार मgt सLयामक अवधारणायgt िवकिसत करना श)दाथ1 या अथ1गत मित

कहा जाता ह

bull ियामक मित इसका तापय1 िकसी काय1 ि या या कौशल क तकनीक क जानकारी स ह

147 वमयाकन हत

1- मित का परणाम ह

2- मित एक णाली ह

3- मित क िकतन कार ह

(1) 4 (2) 5 (3) 2 (4) 3

4- इसमgt स सवदी मित का कौन सा कार नहU ह -

(1) ितमामक मित (2) ितEवयामक (3) ताकािलक मित

उ-र (1) अिधगम (2) मानिसक (3) 3 (4) 4- ताकािलक मित

148 सदभ0 1थ सची

bull िसह अsण कमार (2011) सानामक मनोिवान

bull tीवातव रामजी (सLपादक) (2003) सानामक मनोिवान

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 166

bull िसह आरएन एव भाराज एसएस (2010) उ`च ायोिगक मनोिवान

bull Colin Martindale (1981) Cognition and Consciousness

bull Geryd YDewalle (1985) Cognition Information Processing and Motivation

bull Kathleen M Galotti (1999) Cognitive Psychology in and Out of the Laboratory

bull Margaret Matlin (1982) Cognition

149 िनबधामक

1 मित का अथ1 पD करत हJए उसक मख कार का वण1न किजए

2 सवदी मित Yया ह सवदी मित क िवशषताओ का वण1न किजए

3 अ-पकािलक मित क कार का वण1न करत हJय इसक अEययन क तकनीक का वण1न किजए

4 दीघ1कािलक मित को पD किजए तथा अ-पकािलक एव दीघ1कािलक मित मgt अतर पD किजए

5 दीघ1कािलक मित क कार का वण1न करत हJय इसक मख िवशषताओ का वण1न किजए

6 िटcपणी िलिखए -

(i) श)दाथ1 मित (ii) मित मgt पनर1चना (iii) कमा का ायोिगक वत1न

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 167

इकाई-15 प9ोमख अवरोध और उसक िस ात(Retroactive Inhibition and its

theories)

इकाई सरचना

151 तावना

152 उय

153 पnोमख अवरोध

154 पnोमख अवरोध क िनधा1रक

155 पnोमख अवरोध क िसPात

156 साराश

157 श)दावली

158 वम-याकन हत

159 सदभ1 2थ सची

1510 िनबधामक

151 तावना

अवरोध िवमरण का एक मख कारण ह यह अवरोध दो कार क होत ह - पnोमख एव अ2ोमख पnोमख

अवरोध क दशा मgt वत1मान मgt सीखी जान वाली साम2ी का अतीत या पव1 मgt सीखी गयी साम2ी क धारणा पर

नकारामक भाव पड़ता ह और उसका िवमरण बढ़ जाता ह पnोमख अवरोध पर अनक िवान न महवपण1

ायोिगक काय1 िकया ह इन अEययनकता1ओ क अनसार अतवiशीय काय1 करन स उपन पnोमख अवरोध क

कारण पव1 अिधगम क मित िचह का Cढ़ एव सगिठत होन का समिचत अवसर नहU िमल पाता ह इसी कारण

िवमरण बढ़ जाता ह पnोमख अवरोध क अनक िनधा1रक ह इसी कार इसक RयाZया क िलए कछ िसPात

भी ितपािदत िकए गए ह िजनका िवतत वण1न इस इकाई मgt िकया जायगा

152 उय

इस इकाई क अEययन क पWात आप कर सकgt ग

bull पnोमख अवरोध Yया ह तथा इसक मख िनधा1रक Yया ह

bull पnोमख अवरोध क मख िसPात िजसक ारा इसक RयाZया क जा सकती ह

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 168

153 प]ोमख अवरोध

पnोमख अवरोध िवमरण का एक मख कारण ह पnोमख Rयितकरण या अवरोध क दशा मgt वत1मान मgt

सीखी जान वाली साम2ी का अतीत या पव1 मgt सीखी साम2ी क धारणा पर नकारामक भाव पड़ता ह और

उसका िवमरण बढ़ जाता ह इस परभािषत करत हJए रच (1967) न िलखा ह rdquoमल अिधगम एव उसक

याान क बीच िकय गय अतवiशी काय1 क व=प स पनम1रण मgt जो किठनाई पदा होती ह उस पnोमख

अवरोध कहत हldquo

िहलगाड1 आिद (1975) न भी िलखा ह rdquoपnोमख अवरोध स तापय1 बाद मgt सीख गय िकसी काय1

का पव1 अिधगम क याान मgt Rयितकरण (बाधा) हldquo

इस कार पD हो रहा ह िक पnोमख अवरोध उस समय ाF होता ह जब नवीन काय1 अतीत क

अिधगम क मित को कमजोर बनाता ह या उसक िवमरण को बढ़ाता ह

पnोमख अवरोध पर मलर-िप-जकर (1900) ए डीकLप (1915) व)ब (1921) वान आरमर (1932)

जिकस तथा डालनवक (1924) टीवसन (1941) अडरवड (1957) तथा लोव एव वार (1968) न

महवपण1 ायोिगक काय1 िकया ह इन शोधका1ओ क अनसार अतवiशी काय1 (Interpolated learning)

करन स उपन पnोमख अवरोध क कारण पव1 अिधगम क मित िचह को Cढ़ एव सगिठत होन का समिचत

अवसर नहU िमल पाता ह इसी कारण िवमरण बढ़ जाता ह परत यिद अिधगम क बाद िवtाम िकया जाय या

Rयि सो जाय तो मित िचह सचाs =प स Cढ़ एव सगिठत हो जात ह और िवमरण क माNा घट जाती ह

लोव एव वार (1968) क एक योग मgt योlय न िदन एव रात मgt अिधगम िकया और पनः पनम1रण कराया

गया परणाम स पD हJआ िक यिद अिधगम क बाद योlय को िवtाम िदया जाय तो िवमरण क माNा

अपMाकत कम ाF होती ह परत अय गितिविधय मgt लग रहन स उनका मल काय1 पर बाधक भाव पड़ता ह

और िवमरण बढ़ जाता ह

प]ोमख अवरोध का अिभकप (Design)

पnोमख अवरोध का ायोिगक अEययन करन क िलए इस कार काय1 िकया जा सकता ह योlय को

ायोिगक अवथा मgt काय1 करन पर lsquoअrsquo क बाद lsquoबrsquo सीखना पड़ता ह और पनः काय1 lsquoअrsquo का पनम1रण करना

पड़ता ह िनयिNात अवथा मgt काय1 lsquoअrsquo क बाद िवtाम दत ह और इसक बाद पनः काय1 lsquoअrsquo का पनम1रण

कराया जाता ह यिद दोन दशाओ क कायk मgt अतर आता ह तो इस पnोमख अवरोध का परणाम माना

जायगा इस कार दोन अवथाओ क परणाम क आधार पर पnोमख अवरोध (RI) का माNामक िनधा1रण

कर सकत ह

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 169

154 प]ोमख अवरोध क िनधा0रक

पnोमख अवरोध क माNा पर अनक कारक का भाव पड़ता ह कछ कारक इस कार ह -

1) मल एव अतवiशी अिधगम मgt समानता (Similarity Between Ol and IL) यिद मल अिधगम साम2ी

एव अतवiशी अिधगम मgt समानता ह तो अवरोध भाव अिधक उपन होगा इसक परणामव=प

िवमरण क माNा बढ़ जायगी मYrय एव मYडोना-ड (1931) क अEययन स यह िन^कष1 िमला ह िक

दोन कायk (OL-IL) मgt समानता मgt मशः विP होन स धारणा मgt विP हJई ह इसस यह सकत िमल रहा ह

िक समानता स पनम1रण मgt सगमता हो सकती ह इसी आधार पर कrस-रािबसन परक-पना तािवत

क गई ह रािबसन (1927) क अनसार समानता मgt अयिधक विP कर दन स

धनामक अतरण (Positive transfer) भाव उपन होगा जो धारणा मgt विP करगा समानता शय होन पर

सगमता भी शय हो जायगी मEयम समानता होन पर याान कशलता यनतम ाF होगी

2) अिधगम का तर (Degree of Learning) यिद मल अिधगम का अिधक स अिधक अयास िकया जाय

तो अतवiशी काय1 का भाव कम बाधा उपन कर पाता ह इसक िवपरीत यिद मल अिधगम का तर िथर

रखकर अतवiशी काय1 का तर बढ़ा िदया जाय तो पnोमख भाव अिधक ाF होगा (Meltan and

Irvine 1940 Underwood 1943)

3) अतवiशी अिधगम क माNा (Quantity of IL) अतवiशी काय1 क माNा िजतनी ही अिधक होगी

पnोमख अवरोध भी उतना ही अिधक ाF होगा एक अEययन मgt टिविनग (1940) न 8 िनरथ1क पदक

सची याद करान क बाद अतवiशी काय1 क =प मgt 1 2 3 4 या 5 सिचया दU परणाम यह रहा िक सिचय

क सZया मgt विP होन स धारणा फलाक घटता गया

4) मल एव अतवiशी अिधगम क बीच का समय (Time Between OL and IL) - ऐस भी िन^कष1 िमल ह

िक यिद मल अिधगम क तरत बाद अतवiशी अिधगम कराया जाता ह या धारणा क जाच स थोड़ा पहल

इस िदया जाता ह तो पnोमख अवरोध अिधकतम ाF होता ह अथा1त धारणा ाFाक इस बात पर भी

िनभ1र करता ह िक मल अिधगम क बाद अतवiशी अिधगम कब कराया जाता ह

5) िवtाम का भाव (Effects of Rest) यिद मल अिधगम क बाद योlय को िवtाम द िदया जाय तो

िवमरण कम होता ह जबिक जागत रहन पर अिधक िवमरण होता ह जिकसन एव डालनवक (1924)

तथा लोवट एव वार (1968) न यह िन^कष1 ाF िकया ह िक अिधगम क बाद शयन करन स धारणा ाFाक

अिधक ाF होत ह इसक अनसार िवtाम या शयन स मित िचह को सगिठत एव िथर होन का अवसर

िमल जाता ह इसक परणामव=प िवमरण क माNा घटती ह एव धारणा क माNा बढ़ती ह

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 170

155 प]ोमख अवरोध क िस=ात

पnोमख अवरोध भाव Yय उपन होता ह इसक RयाZया क िलए कछ िसPात ितपािदत िकए गए ह

तत सग मgt उनका उ-लख िकया जायगा

अनि या ितपधा1 िसPात (Two-factor Theory) - पnोमख अवरोध क RयाZया करत हJए कहा गया ह

िक जब दो काय1 बारी-बारी सीख जात ह तो याान क समय दोन ही कायk स सLबिधत अनि याए िजा

पर आन को यास करती ह इस अनि या पधा1 कहत ह इसी कारण अतीत मgt सीखी गई साम2ी का िवमरण

बढ़ जाता ह (Barnes amp Underwood 1959) Yयिक अनि याओ मgt पधा1 क कारण अपिMत अनि या

का पनम1रण नहU हो पाता ह अतः यिद

पधा1 क िथित समाF हो जाय तो पनम1रण क माNा बढ़ जायगी परत यह िसPात पण1तः वीकाय1 नहU ह

Yयिक शोधकता1ओ का मत ह िक माNा वधा1 क ही आधार पर पnोमख अवरोध क सLयक RयाZया नहU क

जा सकती ह

ि-तव िसPात (Two-factor Theory)- म-टन एव इरिबन (1940) न lsquoवातN परक-पनाrsquo को अपन

अEययन क आधार पर परमािज1त कर िदया इनक अनसार माNा ितपधा1 ही िवमरण का कारण नहU ह एक

अEययन मgt योlय को िनरथ1क पद का िमक पवा1भास िविध स पाच यास तक अिधगम कराया इसक

बाद योlय न या तो िवtाम िकया था या उहgt अतवiशी अिधगम (IL) का िविभन तर तक अिधगम कराया

गया मल अिधगगम (OL) क 30 िम0 बाद उनस उसका पनः अिधगम कराया गया पnोमख अवरोध (RI)

क गणना िवtाम अवथा क याान फलाक को घटा कर क गई

योग मgt आया िक अतवiशी अिधगम (IL) पर अयास शय स आग बढ़ान पर पnोमख अवरोध

(RI) क सLपण1 माNा मgt ती गित स विP हJई ह बीसवgt यास मgt प0अ0 (RI) क माNा अिधकतम हो गई ह

और उसक बाद उसमgt कछ कमी आई ह ऐसा Yय इसक RयाZया दन क िलए म-टन एव इरिवन न यह तक1

िदया ह िक अतवiशी अिधगम (IL) पर यास क सZया मgt विP करन स थम सची (OL) क याान क

समय ितीय सची (IL) क पद भी पनः मरत हो जात ह अथा1त व मल सची क याान क समय हतMप

(Intrusion) करत ह इसस मल सची क याान मgt और भी कमी आ जाती ह अथा1त पnोमख अवरोध

उपन करन मgt अनि याओ क बाT ितपधा1 (Overt competition) भी उरदायी ह ऐसी Nिटया ारLभ

मgt अिधक होगी और अतदiशी अिधगम (IL) पर यास मgt विP करत रहन स कम हगी यास मgt विP क

कारण योlय थम (OL) ओर ितीय (IL) सची क पद मgt पDतः िवभदन (Differentiation) सीख लता

ह इसिलए आग चलकर ितीय सची (IL) क पद क याान (Nिटय) क सLभावना कम हो जाती ह इस

सची-िवभदीकरण (List-differentition) परक-पना कहत ह (Underwood 1965)

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 171

म-टन एव इरिवन क अनसार क अनसार पnोमख Rयितकरण (RI) क पण1 माNा मgt पधा1 क

अितर एक अय कारक स भी उपन अवरोध िमला होता ह इस इन लोग न कारक-एYस (Factor-x) का

नाम िदया ह इसी क कारण अनि या ितपधा1 क सLभावना कम होन पर भी अवरोध क माNा मgt विP पाई

जाती ह प0अ0 (RI) क सLपण1 माNा और बाT ितपधा1 स उपन अवरोध मgt अतर क िलए इन लोग न

कारक-एYस को उरदायी माना ह अतवiशी अिधगम (IL) क तर मgt विP करन स इसक भाव मgt भी विP

होती रहती ह इनका कहना ह िक अतवiशी अिधगम क अविध मgt मल साम2ी (OL) का अनािधगम

(Unlearning) होता ह इसिलए उसका िवमरण बढ़ जाता ह इस ही कारक एYस कहा जा सकता ह इस

कार ितीय सची (IL) क अिधगम क कारण थम सची (OL) क पद क पनः मरण क िलए उपल)धता

कम हो जाती ह और ितीय सची (IL) स पद याान क िलए ितपधा1 करत ह पD ह िवमरण क िलए इन

दो कारक को उरदायी माना गया ह इसीिलए इस िकारक िसPात कहा जाता ह

वतः पनरावत1न - कछ शोधकता1ओ का मत ह िक अतवiशी अिधगम स उपन अनािधगम का भाव समय

अतराल क साथ कम भी हो सकता ह यह अवधारणा वतः पनरावत1न (Spontaneous recovery) जसी ह

अनबधन मgt अनि या िवलोप क बाद िवtाम या अतराल दन क बाद अनि या का पन दश1न होता ह उसी

कार यिद ितीय साम2ी (IL) क अिधगम क बाद िवtामोपरात थम सची का पनः मरण कराया जाय तो

िवमरण क माNा मgt कमी आ सकती ह (Underwood 1948 Postman etc 1968 Ekstrand 1967)

िविभन अEययन मgt शयन क बाद काफ माNा मgt वतः पनरावत1न पाया गया

परमािज1त म याान - इस सग मgt कछ अय शोधकता1ओ का कहना ह िक यिद ितीय सची (IL) क

अिधगम क अविध मgt िविभन यास क बाद थम सची क भी पद का याान कराया जाय तो यह अनमान

लगाया जा सकता ह िक उनका िकस कार िवमरण होता जाता ह इस परमािज1त म याान (MFR)

तकनीक कहा गया ह बानiस एव अhडरवड (1959) क अEययन स पD हJआ ह िक ितीय सची पर यास

बढ़ान स उसक पद क उपल)धता बढ़ती ह और थम सची (OL) क पद क उपल)धता घटती ह ितीय

सची पर यास बढ़ान पर थम सची क पद या अनि याओ क पनः मरण मgt कमी आती ह Yयिक अतवiशी

अिधगम (IL) क कारण उनक अनि या शि (Response strength) घटती ह और उनका याान किठन

हो जाता ह

अनिया-िवयास [यितकरण - कछ िवान का मत ह िक ितीय सची का अिधगम करन स थम सची क

पद का पनः मरण न करन क वि बन जाती ह ऐसा चयनकारी यNायास (Selector mechnism) ारा

सLभव होता ह (Newton amp Wickens 1956) ऐसा ही मत कछ अय शोधकता1ओ न भी Rय िकया ह

(Postman Stark amp Fraser1968) इस अनि या-िवयास Rयिरण (Response set interference)

परक-पना कहा गया ह इस अय अEययन स भी समथ1न िमला ह (McGovern 1964 Postman amp

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 172

Stark 1969) वस इस ितव िसPात का िवतार ही माना जाना चािहए (Postman amp

Underwood1973) सMप मgt यही कहा जाना उिचत होगा िक अनि या िवयास दमन और अनािधगम दोन

ही िवमरण का िनधा1रण करत ह (Anderson amp Bower 1973)

उपय1 िववचन स पD हो रहा ह िक Rयिकरण क िलए िजस भी कारण को उरदायी माना जाय या

उसक RयाZया चाह जस भी क जाय यह िवमरण का एक बहJत ही महवपण1 कारण ह इस कार इस

अवधारणा का खhडन होता ह िक िवमरण माNा समय अतराल का परणाम ह

156 साराश

इस इकाई क अEययन क बाद आप जान चक ह िक पnोमख अवरोध Yया ह िहलगाड1 आिद न पD िकया ह

िक - पnोमख अवरोध स तापय1 बाद मgt सीख गय िकसी काय1 को पव1 अिधगम क याान मgt Rयतीकरण

(बाधा) ह पnोमख अवरोध क =प मgt अिधगम क समानता अिधगम का तर अतवiशीय अिधगम क माNा

मल एव अतवiशीय अिधगम क बीच का समय एव िवकास जस कारक आत ह पnोमख अवरोध भाव Yय

उपन होता ह इसक RयाZया क िलए कछ िसPात ितपािदत िकए गए ह िजनमgt मख ह - अनि या

ितपधा1 िसPात एव ितव िसPात

157 शदावली

bull प]ोमख अवरोध पnोमख अवरोध स तापय1 बाद मgt सीख गए िकसी काय1 या पव1 अिधगम क

याान मgt Rयितकरण (बाधा) ह

bull अतवशीय अिधगम िजस साम2ी का अिधगम कराना होता ह उसक बाद जो साम2ी बाधा थम क

पनः मरण पर पड़ता ह उस ही अतवiशीय अिधगम कहत ह

158 वमयाकन हत

1) पnोमख अवरोध का एक मख कारण ह

2) अतवiशीय काय1 क माNा िजतनी ही अिधक होगी भी उतना ही अिधक ाF होगा

उ-र (1) िवमरण (2) पnोमख अवरोध

159 सदभ0 1थ सची

bull िसह अsण कमार (2011) सानामक मनोिवान

bull tीवातव रामजी (सLपादक) (2003) सानामक मनोिवान

bull िसह आरएन एव भाराज एसएस (2010) उ`च ायोिगक मनोिवान

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 173

bull Colin Martindale (1981) Cognition and Consciousness

bull Geryd YDewalle (1985) Cognition Information Processing and Motivation

bull Kathleen M Galotti (1999) Cognitive Psychology in and Out of the Laboratory

bull Margaret Matlin (1982) Cognition

1510 िनबधामक

1 पnोमख अवरोध को पD करत हJए इसक मख िनधा1रक का वण1न किजए

2 पnोमख अवरोध क RयाZया हत ितपािदत मख िसPात का वण1न किजए

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 174

इकाई-16 िचतन का )वप एव कार िचतन मlt मानिसक वि1 या तपरता का महव

भाषा एव िचतन (Nature and Types of Thinking Role of Set in thinking

Language and Thinking)

इकाई सरचना

161 तावना

162 उय

163 िचतन अथ1 एव परभाषा

164 िचतन का व=प

165 िचतन कार

166 िचतन मgt वि या तपरता का महव

167 भाषा एव िचतन

168 साराश

169 श)दावली

1610 वम-याकन हत

1611 सदभ1 2थ सची

1612 िनबधामक

161 तावना

िय िवािथ1य सामायतया िचतन श)द स हम सभी परिचत ह Yयिक यह एक ऐसी अRय मानिसक

ि या ह जो ायः सभी ािणय मgt िनरतर चलती रहती ह

िचतन का हमार Rयिव स यM सबध ह हमारा िचतन िजतना tn होगा हमारा Rयिव भी

उतना ही िवकिसत एव परपYव होगा यिद हम िकसी क Rयिव स परिचत होना चाहत ह तो हम यह जान लgt

िक उस Rयि क िवचार कस ह उसका िचतन सकारामक ह या नकारामक यह अयिधक tn साधन ह

िकसी भी Rयि क Rयिव स परिचत होन का हमार िचतन का हमार वाyय मgt भी अित महवपण1 थान

ह वाyय क कजी सकारामक सोच ह हमार िचतन का हमार वाyय पर बहJत गहरा भाव पड़ता ह हम

जसा सोचत ह हमारा शरीर वसा ही रएYट करता ह नकारामक िचतन शरीर क ितरोधक Mमता को कम

कर इस अवथ बना दता ह सकारामक रहना आसान ह और िचतन को सकारामक व=प दना उसस भी

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 175

lयादा आसान ह आवयकता िसफ1 सकारामक रवया इिZतयार करन क ह जीवन मgt िजतनी भी किठनाइय

एव सघष1 Yय न आयgt सकारामक =ख अपनाय रखgt यही उम वाyय एव tn Rयिव क कजी ह

अब आपक मन मgt यह उपन हो रहा होगा िक यह िचतन आिखर ह Yया हम सभी हर पल हर

समय कछ न कछ सोचत तो रहत ह िकत इस सोचन क ि या स Yया आशय ह यह ठीक-ठीक बतान मgt हम

ायः असमथ1 रहत ह तत ईकाई मgt आप इसी िचतन ि या का अथ1 इसक िविभन परभाषाओ का

िवpषण इसक िवशषताओ कार इयािद का अEययन कर सकgt ग

वततः िचतन यM =प स िदखाई न दन वाली एक ऐसी मानिसक ि या ह जो यक ाणी मgt

िनरतर चलती रहती ह जब ाणी क सामन कोई समया उपन होती ह तो िचतन क श=आत होती ह और

जब तक समया का समाधान नहU हो जाता तब तक िचतन क ि या िनरतर चलती रहती ह

पाठक इस िचतन क व=प को ठीक ढग स समझन क िलय आप वय अपन Rयावहारक जीवन स

अपन Rयिगत जीवन स इस ि या को जोड़कर दखgt िक िकस कार वय हमारी िनयित क िजदगी मgt यह

ि या घिटत होती ह हम िकस कार स इसका उपयोग करत ह यिद आप इस पPित स अEययन करgtग तो

िनिWत ही अपन िवषय को भली-भाित जानन-समझन मgt सMम हो सकत ह

162 उय

िवािथ1य तत ईकाई का अEययन करन क बाद आप -

bull िचतन क अथ1 को पD कर सकgt ग

bull इसक िविभन परभाषाओ का िवpषण कर सकgt ग

bull िचतन क िविभन िवशषताओ का अEययन कर सकgt ग

bull िचतन क िविभन कार का वगvकरण कर सकgt ग

bull िचतन मgt तपरता का Yया महव ह इस पD कर सकgt ग

bull िचतन एव भाषा का एक दसर स Yया सबध ह इसक जानकारी ाF कर सकgt ग

bull िचतन ि या को हम िकस कार िवकिसत कर सकत ह इस पD कर सकgt ग

bull Rयावहारक जीवन मgt िचतन क महव को पD कर सकgt ग

163 िचतन अथ0 एव परभाषा

मानव क Rयवहार मgt िचतन का िवशष महव ह िचतन क कारण ही मन य पशओ स िभन ह आधिनक यग मgt

िदखाई दन वाली सभी कार क कगित चाह वह वािनक ह दाश1िनक हो या तकनीक सािहियक हो या

सासारकिचतन का ही परणाम ह अपनी िचतन Mमता ारा ही मन य एक नयी सयता और सकित का

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 176

िनमा1ण कर सका जबिक पश ऐसा न कर सका िचतन क सहायता स मन य अनक कार क समयाओ का

समाधान करता ह िचतन का योग समया समाधान मgt ही नहU अिपत ओर कार क अिधगम मgt ही िकया जाता

ह िचतन मgt परव1तन स Rयि क आदतgt और Rयवहार परवित1त हो जात ह िशिMत लोग क वाता1लाप मgt

िचतन श)द का उपयोग अनक कार क अकट मानिसक ि याओ का उ-लख करन क िलए िकया जाता ह

िचतन श)द क थान पर ि या सचक श)द सोचन का उपयोग सभी वग1 कgt लोग बहJतायत मgt करत ह जब कोई

किव किवता िलखता ह या कोई कलाकार कलाकितय का िनमा1ण करता हतब वह अपनी क-पना क माEयम

स अनक कार क िवLब को उभारन का यन करता ह उसस करन पर उसका उर होता ह िक वह सच

रहा ह वह शायद ही कभी कहता ह िक वह क-पना कर रहा ह एक बरोजगार यवक बठा ह आखgt बद ह िकत

चहर स पD लगता ह िक वह अपन िवचार मgt खोया हJआ ह वह क-पना करता ह िक उस एक बहJत अ`छी

नौकरी िमल गई ह उसक पास एक बहJत अ`छा मकान ह गणवान तथा सशील पनी व ब`च ह उसक पास

सख सिवधाओ क सभी साधन उपल)ध ह पछन पर वह बताता ह िक वह कछ सोच रहा ह वह यह नहU रहता

िक वह िदवावcन दख रहा ह एक नववध अभी -2 शादी होकर ससराल आई ह उस अपन घर परवार क

याद सता रही ह पछन पर वह भी यही रहती ह िक वह अपन घर परवार क बार मgt सोच रही ह जब मन य को

िकसी समया का समाधान खोजना होता ह तब वह िचतन ि या का ही आtय लता ह वह िचतन ि या

ारा वातावरण उसक वतओ और वतओ क पारपरक सबध को जानन का यास करता ह अतः कहा जा

सकता ह िक िचतन एक महवपण1 मानिसक िकया ह जो समया समाधान क ओर उमख होती ह िचतन क

दो पM होत ह थम Rयवहारक तथा ितीय सPाितक इस सबध मgt कछ भी कहन स पव1 इसक िविभन

परभाषाओ को जानना एव उनका िवpषण करना आवयक ह परभाषा -

इगिलश और इगिलश (1980) क अनसार- िचतन क चार मZय अथ1 ह-

a) कोई भी ि या या काय1 जो मZयतः यMामक नहU िचतन हो सकता ह

b) दसर अथ1 मgt समया का समाधान ही िचतन ह िजसमgt कट हतन औ यMीकरण न होकर मZयतः

िवचार होत ह

c) तीसर अथ1 मgt िचतन का अथ1 िकसी समया मgt िनिहत सबध को समझना अथवा उस पर िवचार करना ह

d) िचतन का अथ1 आतरक और मख वाणी Rयवहार स िमलाया जाता ह

एटिकसन एटिकसन एव िहलगाड0 (1998) क अनसार- lsquolsquoिचतन एक ानामक ि या ह िजसमgt

घटनाओ तथा वतओ क ितिनिधय क =प मgt तीक क िवशषता होती ह rsquorsquo

बरोन(1992) क अनसार-lsquolsquoिचतन मgt सLयय ितािF तथा ितमाओ का मानिसक जोड़ तोड़ होता ह

rsquorsquo

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 177

गरट (1961) क अनसार-lsquolsquoिचतन एक ऐसा आतरक Rयवहार ह िजसमgt वतओ िवचार क िलए तीक

य होत हlsquolsquo

सनeोक (1995) क अनसार-lsquolsquoिचतन मgt मानिसक =प स सचनाओ का जोड़-तोड़ सिLमिलत होता ह

िवशष कर जब हम सLयय का िनम1ण करत ह समयाओ का समाधान करत हतक1 करत ह तथा िनण1य लत

हlsquolsquo

रबर तथा रबर (2001)क अनसार- सामायतः िचतन का अथ1 ह िवचार ितमाओ तीक ष)द

कथन मितय यय अवबोधन िव^वास तथा अिभाय का अतःानामक तथा मानिसक परचालन lsquolsquo

कागन तथा हवमन (1976) क अनसार- lsquolsquoितमाओतीक सLयय िनयम तथा अय मEयथ

इकाइय क मानिसक जोड़ तोड़ को िचतन कहा ताता ह lsquolsquo

वारन क अनसार- lsquolsquoिचतन एक िवचारामक ि या ह िजसका व=प तीकामक ह इसका ारLभ

Rयि क समM उपिथत िकसी समया या काय1 स होता ह इसमgt कछ माNा मgt यन सिनिहत होता ह िकत

यह िचतन इस समया क यM भाव मgt हाता ह और यह अितम =प स समया सलझान और उसक िन^कष1

क ओर ल जाता ह lsquolsquo

आइजक तथा उनक सािथयK (1972) क अनसार- lsquolsquoका-पिनक परभाषा क =प मgt िचतन का

का-पिनक जगत मgt Rयवथा थािपत करना ह यह Rयवथा थािपत करना वतओ स सबिधत होता ह तथा

साथ ही साथ वतओ क जगत क तीकामकता स भी सबिधत होता हवतओ मgt सबध क Rयवथा तथ

वतओ मgt तीकामक सबध क Rयवथा का नाम िचतन ह lsquolsquo

कोिलस एव gवर क अनसार-िचतन परिथित क ित चतन समायोजन ह

जॉन डीव क अनसार- lsquolsquoिचतन िकसी िव13ास या अनमािनत कार क ान का उसक आधार तथा

िन^कष1 क काश मgt सि य िनतर एव सावधानी पव1क िवचार करना हlsquolsquo

वडवथ0 का मत ह lsquolsquo िचतन करना एक किठनाई को दर करना ह lsquolsquo

डिशयल (1949)क अनसार- उ`च तरीय समया समाधान क आतरक कहानी ही िचतन ह lsquolsquo

जॉस0िवक (1970) क अनसार- lsquolsquo िचतन क काया1मक परभाषा यह ह िक इसक ारा अनभव क गई

सासारक घटनाओ अथवा उनक ितिनिधय क बीच Rयवथा थािपत क जाती ह lsquolsquo

िचतन क सबध मgt हh (1963) न िनLन िवचार Rय िकय ह-

i) जब ाणी िकसी समया का समाधान करता ह तो इस ि या मgt वह पवा1 अनभव का योग करता ह

ii) समया ाणी को उसक उय तक पहJचन मgt बाधा उपन करती ह अतः िचतन क आवयकता

पड़ती ह

iii) समया समाधान क परिथित मgt िचतन ि याशील होता ह

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 178

iv) सभी िवचारपण1 ि याओ मgt यास और भत का व=प दखा जाता ह चाह व ि या मgt आतरक हो

अथवा बाT

v) िचतन म रणा पाई जाती ह इसका अथ1 यह ह िक िचतन उय पण1 होता ह

vi) िचतन ि या स भाषा को अलग नहU िकया जा सकता भाषा मानव िचतन मgt अित आवयक ह

vii) समया क समाधान मgt जब िचतन ि या ारLभ होती ह तो उसमgt ितमाए पषीय ि याए तथा

आतरक सLभाषण आिद पाय जात ह

उपरो परभाषाओ स पD ह िक िचतन का सबध उपिथत वततओ स कम और उनक ितिनिधय और

तीको स अिधक ह तीक हमार मानिसक जगत मgt पव1 अनभव क ित िनिध क =प मgt काय1 करत ह िकसी

वत क अनपिथित मgt जब कोई मानिसक ि या उस वत का ितिनिधव करती ह तो उस मEयथ इकाई

कहत ह िचतन मgt भौितक वतओ क उपिथित विज1त नहU ह परत िचतन ि या अनपिyत वतओ क

अनपिथत क तीक को भी अपन अदर अिनवाय1 =प स समट लती ह चिक िचतन मgt वतओ एव िवषय

क भौिमक उपिथित आवयक नहU ह इसिलए इसमgt सLपण1 जीवन म सीखी गयी मEयथ इकाईय क वश

करन क परी गजाइश रहती हिकसी उददीपन अथवा समया न मित^क मgt कछ सचना भजी जाती ह उस

सचना क ित उपय ि या होन स पहल सचना ससाधन ि या होती ह उस सचना ससाधन का काय1थ

धानतः मित^क होता ह यिप सLपण1 शरीर स सोचन का भी दसवा िकया गया ह िवचार िवLब यय

आिद को मानिसक तर पर नय - नय ढग स िमलान एव सगिठत करन क ि या होती ह आरLभ मgt अनक

सगठन को र िकया जाता ह और अत क िकसी सगठन को समया क उपय माना जाता ह इसस पD ह

िक िचतन मgt मानिसक तर पर यन एव भल या Nिट होती ह जो समया का समाधान ाF हात तक चलती

रहती ह य यन एव भल अिनयिमत ढग स नहU बि-क समया स उपन एक िवशष कार क तपरता ारा

सचािलत होत ह िकसी समया का समाधान कब ाF होगा अथवा समया पर िचतन कब समाF होगा इस

िनिWत नहU िकया जा सकता िकसी -िकसी समया पर िचतन ि या जीवन भर चलती रहती ह

िचतन म भत वत1मान और भिव^य तीन स Rयि का सबध रहता ह भतकाल स िचतन क सामि2या

िमलती ह वत1मान िचतन को समया दता ह और भिव^य िचतन क फल दशा1ता ह क-पना क कोई िदशा नहU

होती ह और न इसक कोई अितम सीमा होती हजबिक िचतन क एक िनिWत िदशा होती ह और समया

समाधान होत ही यह िचतन ि या समाF हो जाती ह इसी आधार पर िवान न िनिद1D िचतन तथा अिनिद1D

िचतन म भद िकया ह िनिद1D िचतन िकसी समया स उपन होता ह और साहचयk क आधार पर एक ल(य

तक पहJचता ह इसक िवपरीत अिनिद1D िचतन वतः उपन होता ह और इसका कोई ल(य नहU होता ह

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 179

164 िचतन का वQप

पाठक िचतन क िविभन परभाषाओ का िवpषण करन क उपरात िचतन क व=प क सबध मgt

िनLनिलिखत तyय उजागर होत ह-

1) जब ाणी क सामन कोई ऐसी परिथित उपन होती ह िजसका समाधान तो वह करना चाहता ह िकत

उस समाधान का उपाय या राता िदखाई नहU दता ह तो वह सोचना श= करता ह अथा1त- उसमgt िचतन क

ि या ारभ होती ह अतः पD ह िक िचतन एक समया समाधान Rयवहार ह

2) िचतन एक अRय मानिसक ि या ह अथा1त- इस थल वतओ क भाित यM =प स आख स नहU

दखा जा सकता वरन-ाणी क Rयवहार क आधार पर यह पता लगता ह िक वह Yया सोच रहा ह उसक

िचतन का तर Yया ह

3) िचतन ि या का सबध भत वत1मान एव भिव^य तीन स होता ह

4) िचतन का मख उय िकसी समया का समाधान करना होता ह अतः इसमgt यन एव tित क ि या

शािमल होती ह

5) िचतन क एक िनिWत िदशा होती ह Yयिक यह ल(य िनदiिशत होता ह

6) िचतन मgt भाषा तथा तीक का भी उपयोग होता ह िवािथ1य आपन अYसर अनभव िकया होगा िक

सोचत-सोचत कभी-कभी हम अपन मन मgt कछ-कछ बोलन भी लगत ह अथा1त भाषा का योग करत ह

इसी कार िदखायी एव सनायी दन वाली ितभाओ का उपयोग भी हम सोचन मgt करत ह

िय पाठक िचतन क उपय1 िवशषताओ को जानन क बाद आशा ह िक आप इसक अथ1 एव

व=प को भलीभाित समझ गय हग

अब अगल पर`छद मgt िचतन िकस-िकस कार स िकया जाता ह इसक िविभन कार कौन-कौन स

ह इस पर चचा1 िक जायगी िजसस िक आप िवषय को ठीक ढग स आमसात कर सकgt

165 िचतन कार

अतः िय िवािथ1य आप जान गय हग िक िभन-िभन िवान न िचतन क िभन कार बतलाय ह वततः

समया क व=प पर भी बहJत कछ हद तक यह िनभ1र करता ह िक िचतन िकस कार का ह

मनोवािनक न िचतन को कई भाग मgt बाटकर अEययन िकया ह

िजबाडi तथा Qक (1977) न िचतन को िनLनािकत दो भाग मgt बाटा ह-

1) वली िचतन (ऑिटिटक िथिकग)

2) यथाथ1वादी िचतन (रयिलिटक िथिकग)

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 180

1) वली िचतन (ऑिटिटक िथिकग)- वली िचतन का तापय1 ऐस िचतन स होता ह िजका सबध

क-पनाओ स होता ह वली िचतन म Rयि क इ`छाए तथा िवचार ही क-पनाओ क =प म अिभRयि

होत ह िविभन कार क वcन तथा इन वcन मgt िदखन वाल Cय साथ ही Rयि क अिभलाषाए वली

िचतन क उदाहरण ह मिडकल वश परीMा क तयारी कर रहा कोई छाN यिद यह क-पना करता ह िक

मिडकल वश परीMा पास करन क पWात वह िकसी िसP मिडकल कॉलज मgt एडिमशन लगा तथा पढ़ाई

परी करन क पWात वह एक बहJत बड़ा हॉिपटल खोलगा बहJत स लोग क सफलता पव1क िचिकसा

करन पर उसका दश िवदश मgt नाम हागा तथ वह खब सारा पसा कमायगा तो यह वली िचतन का उदाहरण

हागा इस तरह क िचतन का कोई वातिवक आधार नहU होता ह साथ ही इसका सबध िकसी भी कार क

समया क समाधान स नहU होता ह

वली िचतन का कोई वातिवक आधार न होन क कारण कई बार Rयि अपन उददय स भटककर

भी िचतन करना ारLभ कर दकता ह िजसस उसक समय व ऊजा1 दोन क बबा1दी होती ह िजस समय का

सदपयोग वह अपन उददय क पित1 हत यन करन मgt कर सकता या उस समय को वह यही Rयथ1 क-पनाओ

मgt िबता दता ह

2) यथाथ0वादी िचतन (रयिलिटक िथिकग)- यथाथ1वादी िचतन का तापय1 ऐस िचतन स होता ह

िजसका सबध Rयि क वातिवक जीवन स होता ह यथाथ1वादी िचतन Rयि क समयाओ का समाधान

करन मgt मदत करता ह उदाहरणाथ1 - यिद कोई Rयि बस मgt बठकर माNा कर रहा ह और अचानक बस

=क जाती ह तब वह िविभन कार स सोचना ारLभ कर दता ह िक कहU ाइवर न कोई एYसीडgtट तो नहU

कर िदया ह कहU बस का डीजल तो नहU खम हा गया ह कहU बस क इजन म कोई खराबी तो नहU आ

गयी ह कहU पिहय का टायर तो नहU फट गया ह आिद आिद इस कार Rयि समया उपन करन म

सभािवत िविभन कारण पर िचतन करन क पWात मZय कारण तक पहJचता ह तथा िनिWत करता ह िक

बस इस कारण स ही बद हJई ह िफर वह तत समया क समाधान का यास करता ह इस कार का

िचतन यथाथ1वादी िचतन का उदाहरण ह

यथाथ1वादी िचतन ि या क अतग1त कई बातgt आती ह-

i) नयी समया क खोज करक उसको पहचानना

ii) समया क सकत का अथ1 समझना

iii) अतीत क अनभव का मरण करना

iv) अतीत क अनभव का लाभ उठाकर उनक आधार पर क-पना करना

v) परक-पना क आधार पर िनयम खोजना तथा िनयम क आधार पर सही िन^कष1 तक पहJचना ह

मनोवािनक न यथाथ1वादी िचतन को िनLन िलिखत भाग मgt िवभािजत िकया ह-

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 181

1) अिभसारी िचतन (कॉनवजट िथिकग)- इस तरह क िचतन को िनगमनामक िचतन (डडिYटव िथिकग)

भी कहा जाता ह अिभसारी िचतन का ितपादन सव1थम जाय पॉल िग-फोड1 न िकया अिभसारी िचतन

िचतन का एक ऐसा कार ह िजसमgt Rयि बहJत सारी जानकारय तथा तyय का िवpषण करक िकसी

एक उर को खोजता ह अथा1त िकसी एक िन^कष1 पर पहJचता ह िवालय मgt िवािथ1य ारा िकया जान

वाला िचतन िजसक आधार पर व िविभन पतक को पढ़कर जानकारया एकN करत िफर अपन िलए

उपयोगी जानकारी तक पहJच जात ह तथा अEयापक ारा पछ गय का समाधान करत ह अिभसारी

िचतनमgt गित परशPता तथ तक1 णा का िवशष महव ह अिभसारी िचतन का ाथिमक उददय कम स कम

समय मgt सव1tn तािक1 क उर तक पहJचना होता ह एक अिभसारी िचतक ायः ऐसी जानकारय क

एकNीकरण का यास करता ह अथा1त ऐस ान को ाF करता ह िजसका उपयोग वह भिव^य मgt आन वाल

समयाओ क समाधान मgt करता ह अिभसारी िचतन मgt हम सामाय स िविशD क ओर जात ह अथा1त

इसमgt ात सामाय िनयम क अनसार िकसी िविशD बात या घटना म का हम िवpषण करत ह जब

िकसी द िनयम क आधार पर हम िविशD िन^कष1 पर पहJचत ह तब हमारा िचतन अिभसारी िचतन क

कार का होता ह अिभसारी िचतन का क_ िबद िकसी समया का समाधान करना होता ह इसक िलए

हम िविभन सा(य व तyय एकN करत ह उनका िव^लशण करत ह और समया का समाधन करत ह इस

तरह क िचतन मgt Rयि अपनी िजदगी क िभन -िभन MN मgt ाF अनभव को एक साथ िमलाकर उसक

आधार पर एक समाधान खोजता ह ऐस िचतन ारा िजस समया का समाधान होता ह उसका एक

िनिWत उर होता ह

उदाहरण- बहJिवक-पी मgt अिभसारी िचतन का योग करना होता ह िजसमgt िदय गय 4 या 5 उर

का िव^लशण कर सही उर तक पहJचत ह इसी कार यिद हमस पछा जाय िक 10 का गणा 15 स करन पर

Yया उर आयगा तो इसक उर दन म िनिहत िचतन अिभसारी िचतन का उदाहरण होगा

2) अपसारी िचतन (डाइवजट िथिकग)- अपसारी िचतन का ितपादन सव1थम जाय पॉल िगलफोड1 न

िकया अपसारी िचतन मgt िकसी भी समया का समाधान करन हत िविभन जानकारया सा(य व तyय

एकN िकय जात ह िफर इन जानकारय सा(य व तyय क आधार पर अलग-अलग तरीक स समया

समाधान िकया जाता जाता ह अपसारी िचतन सामायतः वतN व वि`छ होता ह िजसमgt हमारा मित^क

अRयविथत =प स समया समाधान क उपाय खोजता ह और िविभन तरीक स समया समाधान करता

ह अपसारी िचतन का योग सामायातः ओपन इडड क समाधान मgt िकया जाता ह िजसमgt उरदाता

अपन अनसार कोई भी उर दन क िलए वतN होता ह उर दत समय वह िविभन उदाहरण क माEयम स

अपनी बात पD करता ह

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 182

अपसारी िचतन म( यP तकनीक( -

(क) fनटािमगः- fनटािमग का तापय1 ऐसी तकनीक स ह िजसमgt अ-प अविध मgt अनक िवक-प पर

िवचार करत हJए िकसी समया का समाधान िकया जाता ह या कोई िनण1य िलया जाता ह fनटािमग मgt

मZय तव िपिगबिकक ह िजसमgt एक िवचार दसर िवचार क िलए अिभरक का काय1 करता ह इसमgt बहJत

सार िवचार क एकN करन क पWात हर िवचार का िवpषण करक उर ािF का यास िकया जाता ह

(ख) शोध पिNकाओ का योग- शोध पिNकाओए अपसारी िचतन मgt महवपण1 eोत सािबत हJई ह इन शोध

पिNकाओ मgt िकसी िविशD िवषय पर अलग -2 लोग ारा तत शोध िन^कष1 होत ह िजनका योग

िचतन को एक िदशा दान करता ह

(ग) वतN लखन- वतN लखन Rयि िकसी िवषय मgt िबना =क िलखना ारLभ कर दता ह उसक िदमाग म

जो कछ भी िव^खय सबिधत आता ह वह िलखता जाता ह इसस अ-प समय मgt ही बहJत स िवचार एकN

हो जात ह िजनका िविशD म मgt बाद भी सगठन कर िलया जाता ह

(घ) मानिसक ितमा का िनमा1णः- इसमgt fनटािमग स उपन िविभन िवचार क एक मानिसक ितमा तयार

कर ली जाती ह िजसका उपयग अय िवचार क उपि मgt सहायक क =प मgt िकया जाता ह

इस कार अपसारी िचतन मgt अलग -2 तकनीक का योग करक समकया समाधान का यास िकया

जाता ह साधारण श)द मgt अपसारी िचतन को एक समया तथा उसक िविभनन हल (उर) स समझ सकत ह

3) रचनामक िचतन (ियिटव िथिकग)- रचानामक िचतन िचतन क एक सकारामक ि या ह

िजसमgt Rयि िदय गय तyय मgt कछ नय तyय जोड़कर एक िन^कष1 तक पहJचता ह िवान सािहय और

कला का िवकास रचनामक िचतन का ही परणम ह िहदी क श)द जानन वाल तो करोड़ ह परत इहU

श)द क अनपम योग स कछ लोग बड़ किव तथा कलाकार बन जात ह पड़ स पक फल टटकर जमीन

पर िगरत तो बहJत न दखा था परत यटन न इसी साधारण सी घटना स ग=वाकष1ण का िनयम िनकाला

हाडी मgt उबलत पानी और वा^प को दखकर जLस वाट न रल क इदजन का अिव^कार कर िदया य सब

रचनामक िचतन क ही परणाम ह िकसी भी Rयि का रचनामक िचतन उसक िलए एक आWय1जनक

घटाना हो सकती ह पड़ स जमीन पर िगरत फल तथा उबलत हJए पानी क भाप स ढYकन िहलत बहJत न

दखा परत ग=वाकष1ण का िनयम यटन न ही तथा भाप क इजन का अिव^कार जLस वॉट न ही िकया

रचनामक िचतन करन वाल Rयि क क-पनाओ मgt इतनी नवीनता तथा सहजता होती ह िक वह िविभन

वतओ क असाधारण उपयोग बता सकता ह

मनोवािनक न रचनामक िचतन को िभन-2 श)द मgt परभािषत िकया ह-

रास क अनसार- रचनामक िचतन ानामक पM क मानिसक ि या ह

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 183

वलटाइन क श)द मgt- रचनामक िचतन श)द का योग उस ि या क िलए िकया जाता ह िजसमgt

tखलाबP िवचार िकसी ल(य अथवा उददय क ओर वािहत होत ह

समाधान क नवीनता और सहजता रचनामक िचतन क मZय गण ह अनक िवान न सज1नामक

अथवा रचनामक िचतन और रचनामक समया समाधान को एक ही माना ह

gवडाल (1956) न रचनामक िचतन क सबस उिचत तथा िवतत परभाषा दी ह- सज1नामक िचतन

अथवा सज1नामकता Rयि क उस Mमता को कहा जाता ह िजसस कछ ऐसी नयी चीज रचनाओ या िवचार

को पदा करता ह जो नया होता ह एव जो पहल स उस ात नहU होता ह यह एक का-पिनक ि या या िचतन

सpषण हो सकता ह इसमgt गत अनभितय स उपन सचनाओ का एक नया पटन1 और सिLमtण सिLमिलत हो

जाता ह ना िक िनराधार वcन िचN होता ह यह वािनक कलाकार या सािहियक रचना क =प मgt हो सकता

बरोन (2001) न रचनामक िचतन क एक सटीक परभाषा दी ह जो इस कार ह- lsquolsquoमनोवािनक

ारा सज1नामकता को ऐसी काय1 करन क Mमता क =प मgt परभािषत िकया जाता ह जो नवीन (मौिलक

अयािशत) तथा उिचत (लाभदायक या काय1 अव=Pता को दर करन लायक) दोन ही होत ह

उपरो परभाषाओ क िवpषण स रचनामक िचतन क िवशषताओgt का पता चलता ह जो इस कार

ह-

रचनामक िचतन क िवशषताए -

1) रचनामक िचतन एक जिटल मानिसक ि या ह िजसमgt अनक सरल मानिसक ि याए िनिहत होती ह

2) रचनामक िचतन ल(य िनदiिषत होता ह इसमgt Rयि को अपन ल(य का पD ान होता ह तथा उसका

यक Rयवहार इसी ल(य ािF हत होता ह

3) रचनामक िचतन मgt Rयि कछ नई तथा िभन चीज क रचना करता ह जो अपन आप मgt अनठी होती ह

इस तरह क रचना षाि)दक अषाि)दक मत1 तथा अमत1 कछ भी हा सकती ह जो Rयि क िलए

लाभदायक होती ह

4) रचनामक िचतन मgt Rयि समया समाधान क अनक उपाय पर िवचार करता ह और अत मgt िकसी एक

उपाय का योग करक समया का समिचत समाधान करता ह

5) रचनामक िचतन क िदषा स(म क ओर होती ह

6) रचनामक िचतन मgt सकत सLयय एव भाषा का िवशष योगदान रहता ह

7) सज1नामक िचतन पर Rयि क पव1 अनभव का पD भाव पड़ता ह य पव1 अनभव िजतन lयादा हग

रचनामक िचतन करन क Mमता उतनी ही अिधक होगी

8) रचनामक िचतन उय पण1 होता ह तथा यह Rयि को ि याषील बनाता ह

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 184

9) रचनामक िचतन मgt वली िचतन िनयिNत ढग स मौजद होता ह दसर श)द म रचनामक ढग स सोचत

समय Rयि कछ अथ1 पण1 क-पनाए करता ह इसी अथ1 पण1 क-पना का ही परणाम ह िक Rयि कछ

वािनक कलामक तथा सािहियक रचना कर पाता ह

10) रचनामक िचतन म अपसारी िचतन मौजद होता ह िजसमgt Rयि समया क िभन -िभन िदषाओ म

सोचता ह

11) रचनामक िचतन मgt अिभसारी िचतन भी मौजद होता ह िजसमgt Rयि कछ इस तरह स जानकारय को

एकN करता ह िजसस समया समाधान मgt मदद िमलती ह

12) रचनामक िचतन मानव का एक िविषD गण ह जो उस ाणी जगत मgt सवu`च थान दान करता ह

13) रचनामक िचतन मgt Rयिगत िभनता पाई जाती ह िभन - िभन Rयिय क रचनामक िचतन ि या

उनक उय परिथय अथवा समयाओ क अन=प िभन -िभन होती ह

14) रचनामक िचतन वातावरण क साथ Rयि क अतःि या का एक पM ह

15) रचनामक िचतन िचतन का एक िवशष तरीका ह यह बिP स एक अलग सLयय ह Yयिक बिP मgt

रचनामक िचतन क अलावा भी अय मानिसक Mमताए सिLमिलत होती ह

उपरो िववरण स पD ह िक रचनामक िचतन एक जिटल सानामक ि या ह इस तरह का िचतन

करन क Mमता सभी Rयिय मgt अिधक ही हो यह आवयक नहU ह

िगलफोड0 (1967) न िचतन को दो भाग मgt िवभािजत िकया ह

(1) अिभसारी िचतन

(2) अपसारी िचतन

इन दोन िचतन कार क RयाZया पव1 मgt क जा चक ह कछ मनोवािनक न अपसारी िचतन को रचनामक

िचतन क समत-य माना ह

बचर (1968) क अनसारः- िजन लोग मgt अपसारी िचतन करन क Mमता अिधक होती ह उस लोग

सज1नामक िचतन कहत ह

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 185

रचनामक िचतन क अवथाए-

रचनामक िचतन मgt िवचार का आगमन अथवा समया समाधान पायः बड़ सहज ढग स अचानक होता ह

कभी ऐसा भी होता ह िक समया आत ही कछ नय ढग का समाधान अचानक सझ गया अिधकाश समया

और उसक सज1नामक समाधान क बीच कछ समय बीतता ह ह-महो-डा (1896) न सव1थम रचनामक

िचतन क अवथाओ पर काय1 िकया एक समया क हल करन क ि या मgt उहgt जब कछ किठनाई हJई तो

उस समया पर िवचार करना कछ समय क िलए उहन थिगत कर िदया परत थोड़ा आराम कर लन क बाद

समकया का समाधान उहgt वय िमल गया जब व आराम कर रह थ तब उनका अवचतन मन उस समया क

ित सि य रहा

वलस (1926) क अनसार - चाह Rयि सामाय िविध ारा िकसी समया का समाधान कर रहा हो

या रचनामक िचतन कर रहा हो िचतन क सLपण1 ि या चार मZय अवथाओ म बाटी जा सकती ह य

अवथाए ह-

1) तयारी या आयोजन (िपरशन)

2) उव या परपाक (इनकबशन)

3) दीिF या बोधन (इ-यिमनशन)

4) माणीकरण (वरीिफकशन)

1) तयारी या आयोजन (Preparation)- तयारी या आयोजन रचनामक िचतन का आरिLभक चरण या

पद ह इस पद पर िचतक िविभन घटनाओ को सगिठत करता ह अथा1त समया स सबिधत आवयक

तyय एव माण को एकिNत करता ह समया को ठीक ढग स परभािषत करक उसक पM तथा िवपM मgt

माण एकिNत िकय जात ह ऐसा करन मgt यन तथा Nिट का सहारा िलया जाता ह उदाहरणाथ1 -यटन न

रचनामक 3- iznhfIr k izcksku

1-rSkjh k vkkstu

4- Ikzekkhdjk

2- mn~Hko k ifjikd

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 186

दखा िक पड़ स फल जमीन पर ही िगरता ह अथवा िकसी ऊच थान स जब कोई वत िगरती ह तो वह

जमीन क ओर ही जाती ह इस वत िथित क आधार पर यटन न परक-पना बनायी िक पyवी मgt सभी

वतओ को अपनी ओर खUचन क शि होती ह पyवी मgt िजस ग=वाकष1ण क शि क उसन क-पना

क उस क-पना क पिD हत उसन िविभन सा(य तथा तyय का एकNीकरण िकया अतः अपनी

परक-पना को भािवत करन क िलए ही िविभन सा(य तथा तyय का सकलन करना रचनामक िचतन

क तयारी या आयोजन ह समया क व=प तथा Rयि क ान क अनसार यह अवथा लLब या कम

समय क हो सकती ह तो यह अवथा लLब समय तक जारी रह सकती ह िकत यिद समया क जिटलता

कम ह तथा Rयि कम ान भडार अिधक परपYव ह तो यह अवथा कम समय तक जारी रहती ह

सामायतः समया समाधान इसी बात पर िनभ1र करता ह िक समया िववरण िकस ढग स िकया गया और

सा(य को िकस कार सकN तथा Rयविथत िकया गया सज1नामक ढग स सोचन वाला Rयि बड़ कौ स

सा(य का गठन एव पनग1ठन करता ह और समया का िववरण व पनिव1वरण करता ह पिक

(19351938) न अपन परीMण क आधार पर यह दावा िकया ह िक आयोजन का अिधक या कम समय

लगन पर आय िलग तथा बिP का भाव पड़ता ह

2) उkव या परपाक (Incubation)- िकसी भी सज1नामक िचतन या समया समाधान क दसरी अवथा

उव उवन क होती ह इस अवथा मgt िचतक समया पर आग िवचार करना बदकर दता ह इस

अवथा मgt उसक िनि^ यता बढ़ जाती ह जब कई तरह स समया समाधान का यास करन क बाद भी

सफलता नहU िमलती ह तब इस अवथा क उपित होती ह इस अवथा मgt Rयि समया क समाधान

क बार मgt िचतन करना छोड़कर या तो सो जाता ह या िकtाम करन लगता ह इस अवथा मgt समया का

चतन मन स हटाकर अवचतन मन मgt डाल िदया जाता ह धीर -धीर समाधान को अव=P करन वाल िवचार

हटन लगत ह और दशा1न वाल िवचार लगत हRयिगत भद क कारण यह अवथा अयिधक दर या थोड़ी

दर क हो सकती ह Rयि क अनभव तथा अिधगम तथा अिधगम भी समया समाधान मgt सहायक होत ह

एक ऐसी अवथा आती ह जब अचानक समाधान कट हो जाता ह और उव क अवथा समाF हो

जाती ह पिक (1935) न किवय तथा कलाकार पर अEययन करक इस बात क पिD क ह िक

सज1नातमक िचतन मgt उव क अवथा होती ह

3) दीिl या बोधन (Illumination)- दीिF या बोधन समया समाधान क तीसरी अवथा ह इस

अवथा मgt अचानक Rयि को समया का समाधान िमल जाता ह उव क अवथा कछ िमनट क हो

या कछ वषk क जब बोधन ाF होता ह तो समाF हो जाती ह बोधन वततः समाधान का अचानक

कट होना ह जस-बटन दबान ही अधकार मgt रोशनी फल जाती ह बोधन क मल बात यह ह िक यह

अचानक कट होता ह

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 187

िसलवरमन (1978) क अनसार- समया समाधान क अकमात अनभव को बोधन कहा जाता ह

मनोवािनक क अनसार Rयि मgt उदभवन क अवथा क बाद बोधन क अवथा कमी भी कट हो

सकती ह यहा तक िक कभी -कभी Rयि को वF मgt भी बोधन का अनभव होत पाया गया ह गटा-ट

मनोवािनक न इस कार समाधान पान क ि या को सझ का परणाम माना ह

4) माणीकरण (Authentication)- माणीकरण सज1नामक िचतन या समया समाधान क चौथी

अवथा ह बधान स ाF समाधान का शP होना आवयक नहU ह इस अवथा मgt बोधन स ाF

परणाम का म-याकन िकया जाता ह इस अवथा मgt Rयि यह दखन क कोिशश करता ह िक उस जो

समाधान ाF हJआ ह वह ठीक ह या नहU म-याकन करन क बाद जब Rयि इस िन^कष1 पर पहJचता ह िक

समाधान या िन^कष1 सही नहU था तो वह सLपण1 काय1 िविध का सशोधन करता ह और पनः एक दसर

समाधान क खोज करता ह कछ मनोवािनक न इस अवथाओ क आलोचना क ह और कहा ह िक

सभी सज1नामक िचतन मgt य सभी अवथाए नहU होती ह जसः- सर एलYजhडर oलिमग िजनमgt पिनिसलीन

क और ना ही बोधन क अवथा पायी गयी

िफर भी हमार िदन ितिदन क अनभव तथा अिधकतर वािनक कलाकार तथा किवय क सज1नामक

िचतन का िवpषण इस बात का सबत ह िक इस कार का िचतन उपय1 अवथाओ क अनसार ही होता ह रचनामक िचतन का िवकास

रचनामक िचतन क MN मgt िकय गय अनसधान इस बात क घोतक ह िक रचनामक िचतन क िवकास मgt वश

परLपरा तथा वातावरण दोन ही आवयक तव ह इितहास स हमgt ऐस उदाहरण िमलत ह िक कछ महाप=ष न

बा-यकाल स ही अपनी ितमा तथा रचनामकता का परचय िदया ह अतः हम कह सकत हgt िक इस कार

क ितमा अवय ही वश परLपरा सबधी होती चािहए

रचनामक िचतन क िवकास मgt सकित भी महवपण1 भिमका अदा करती ह माता िपता तथा घर का

वातावरण रचनामक िचतन को भािवत करता ह इस सबध मgt गज-स तथा जYसन (1961) क अनसधान

काय1 अित िवचारणीय ह यक कल मgt यह उददय रखा जाता ह िक िशMा क आधार पर उस कल क

िवाथv अिधक रचनामक िनकलgt रचनामक िचतन क ि या ारLभ करन क िलए िवालय मgt िवािथ1य

को ोसाहन िदया जाता ह गो-ड (1965) न रचनामक िचतन को ोसािहत करन क िलए कई सकत का

परचय िदया ह िजहgt िवालय मgt योग मgt लाया जाता ह

1) आलोचनामक िचतन (evaluative thinking) - आलोचनामक िचतन मgt Rयि िकसी वत घटना

या तyय क स`चाई को वीकार करन स पहल उनक गण दोष परख लता ह हमार समाज मgt कछ Rयि

ऐस होत हgt िजहgt िकसी Rयि वत या घटना क बार मgt जो कछ भी कहा जाता ह व उस उसी =प मgt

सLयस मानकर वीकार कर लत ह अतः पD ह िक उनमgt आलोचनामक िचतन क कमी ह जबक कछ

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 188

Rयि ऐस होत ह िजनक सामन जब कोई भी वत या घटना उपिथत होती ह तो वो उसक बार मgt दोष

को परखत ह उसका िविभन CिDकोण स िचतन करत ह तथा िफर उसक आधार पर अपनी राय दत ह इस

कार का िचतन आलोचनामक िचतन का उदाहरण ह

2) यामक िचतन (conceptual thinking) - यामक िचतन अय कार क िचतन क अपMा

अिधक जिटल होता ह इसमgt मानिसक ि या क अतग1त िचतन का1 को अमत1ता और सामायीकरण

क ि याओ स गजरना पड़ता हइसी िचतन क आधार पर Rयि वय को वातावरण मgt Rयविथत रखन

मgt समथ1 हो पाता ह वह वातावरण क परिथित का िवpषण करता ह उसक घटनाओ वतओ और

भाव क बीच सबध का अEययन करक नया सबध दखता ह यह नया सबध उसका मौिलक िचतन होता

ह यही उ`च िचतन िजसमgt मौिलक होती ह यावत1न तर का सीखना होता ह और यामक िचतन

कहलाता ह यामक िचतन मgt यय का िवकास होता ह

166 िचतन म( वि- या तपरता का महव

तपरता स तापय1 ाणी क ऐसी मानिसक िथित स होता ह िजसक सहार वह िकसी िनिWत उीपन परिथित

अथवा समया क ित एक िवशष ढग स ि या करता ह िजसस क उस उीपन परिथित अथवा समया का

समाधान हो सक यह तपरता थायी हो जान पर अिभवि और आदत कहलाती ह तपरता क उपि या तो

Rयि क अपन पव1 अनभव स होती ह या योग कता1 ारा िदय गय िवशष कार क िनदiश स

समया समाधान मgt तपरता का महव सव1थम मायर(1930) न अपन योग स दिश1त िकया

यक समया का समाधान करन क पहल Rयि एक कार क मानिसक तयारी करता ह िक इसक समाधान क

िलए वह िकस तरह क अनि या करगा इस ही मानिसक तपरता या वि कहत ह िबना मानिसक तपरता क

समया का समाधान करना किठन ही नहU वरन असLभव भी होता ह

मायर (1930) न मानिसक तपरता क भाव को िदखान क िलए कई योग िकय ह िजनमgt मानिसक

तपरता क लाभकारी भाव शािमल ह साथ ही हािनकारक भाव भी शािमल ह साथ ही हािनकारक भाव भी

शािमल ह मानिसक तपरता क लाभकारी भाव मgt समया समाधान मgt मदत िमलती ह तथा हािनकारक भाव

मgt समया समाधान मgt बाधा पहJचती ह य समया समाधान िवलिLबत हो जाता ह मानिसक तपरता क

लाभदायक भाव - मानिसक तपरता क लाभकारी भाव को Rय करन क िलए मायर ारा िकय गय तीन

योग उ-लखनीय ह

1 एक योग मgt कॉलज क िवािथय को बहJत सी सामि2या जस डड िशकज रसी खिड़या आिद दकर

कहा गया िक इनक सहायता स दो दोलक बनाकर उहgt इस कार झलायgt िक व िनधा1रत थल पर िचह

बनात गजरgt योlयो क कई समह बनाय गय िकसी को कवल समया दी गई िकसी को समया क कछ

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उराखड म िव13िवालय 189

भाग का समाधान भी िदखाया गया जस दो डड को िशकज क सहायता स कस जोड़ा जा सकता ह- और

एक समह को आिशक दश1न क साथ-साथ समाधान क सही िदशा अथवा सही तपरता भी दी गई जस

उहgt यह बताया गया िक छत मgt कल ठक कर उसस रसी लटका सकत ह जो दोलक क समान झलगी

िबना िदशा वाल 62 योlय मgt स कवल 2 न समया का समाधान िकया जबिक िदशा पान वाल 22

योlय मgt स 8 न समया का समाधान िकया कवल सही तपरता िमल जान स अथवा यह मालम हो जान

स िक िकस ढग स सोचन पर समाधान होगा सफलता मgt िकतना अतर हJआ यह इस योग स पD ह

2 मायर (1930) न समया समाधान मgt तपरता क महव को Rय करन क िलए एक अय योग िकया इस

योग का उय यह िदखलाता था िक जब योग मgt शाि)दक सकत तथा अशाि)दक सकत िकसी समया

का समाधान करत समय द िदया जाता ह तो इसस योlय मgt िवशष तपरता उपन हो जाती ह िजसस उस

समया का सममधान करन मgt मदत िमलती ह योlय को बारी-बारी स एक ऐस कमर मgt लाया जाता था

िजसक छत स दो रसी लटक रही थी रसी इतनी छोटी तथा उनक बीच क दरी इतनी अिधक थी िक

योlय क िलए एक साथ दोन को छना सभव नहU था समया यह थी िक इन दोन रिसय को आपस मgt

कस बाधा जा सकता ह कमर मgt कई सामि2या उपिथत थU परत उन सबक जsरत समया समाधान मgt

नहU थी ऐस मgt इस समया क कई समाधान थ परत मायर एक िनिWत समाधान ही चाहत थ व चाहत थ

व चाहत थ िक योlय िकसी एक रसी क लटकत छोर स कोई भारी चीज बाध दgt तािक वह दोलक क

समान झलन लग िफर इस जोर स झला दgt और झलत-झलत वह जब दसरी रसी क ओर अिधकतम दरी

तक पहJच जाय तो योlय इस पकड़कर दसरी रसी स बाध दgt

यक योlय को समया समाधान क िलए माN 10 सकhड का समय िदया जाता था कछ लोग न

इस समय क भीतर िनिद1D समाधान कर िलया परत कछ लोग असफल भी रह असफल रहन पर मायर न दो

तरह क सकत िदए परणाम मgt यह दखा गया िक िबना सकत 39 योlय न समया का समाधान िकया

सकत दन क बाद 38 योlय न समया का समाधान िकया बाक 23 इस तरह क सकत क बावजद भी

असफल रह इस योग क परणाम क आधार पर यह बतलाया िक सकत दन स योlय मgt कछ िवशष तपरता

उपन हो गयी िजसक कारण 38 अितर योlय न समया का समाधान िकया

3 मायर का तीसरा योग दो योग क एक िवशष Mण पर आधारत था माया न उपरो दोन योग मgt

पाया िक कछ योlय ारा समया क समाधान मgt जो असफलता ाF हJई उसका एक धान कारण यह था

िक उनमgt एक गलत तपरता िवकिसत हो गई थी Yया यह सभव नहU ह िक इस तरह क तपरता को

परवत1न करक योlय दसरी ऐसी तपरता िवकिसत करgt िजसस उस समया क समाधान मgt मदत िमल

मायर न तीसरा योग इसी उय क पित1 क िलया िकया इस योग मgt योlय क दो समह िलय गय

योगामक समह तथा िनयिNत समह दोन समह क योlय को अलग-अलग तीन सम=प समयाओ

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उराखड म िव13िवालय 190

का समाधान करन क िलए कहा गया योगामक समह को समया का समाधान करन स पहल 20 िमनट

का एक भाषण िदया गया िजसम िवशष =प स इस बात पर बल डाला गया था िक िकसी तरह िकसी

समया क समाधान मgt जब गलत तपरता िवकिसत हो जाती ह तो इस बदलकर इसक जगह दसरी तपरता

िवकिसत क जा सकती ह तािक समया का समाधान आसानी स हो सक परणाम मgt दखा गया िक

योगामक समी तथा िनयिNत समह ारा तीन समयाओ क सही समाधान क ितशतता मgt अिधक

अतर तो नहU था परत िनिWत =प स कम अतर परही योगामक समह क सही समाधान का ितशत

अपMाकत अिधक था अतः मायर का िन^कष1 यह था िक यिद गलत तपरता क जगह पर सही तपरता

िवकिसत हो जाती ह तो इसस समया समाधान मgt काफ मदत िमलती ह

मानिसक तपरता क हािनकारक भाव -

मायर क योग स हमgt इस बात का सकत ह िक समया समाधान मgt जब अनिचत तपरता िवकिसत हो जाती ह

तो इसस समया समाधान मgt बाधा पहJचती ह मानिसक तपरता क हािनकारक भाव को िदखान क िलए

मनोवािनक न कई योग िकय ह डकर(1945) न गलत तपरता क इस अध भाव को िजसक कारण Rयि

समया का समाधान नहU कर पाता ह ि यामक अटलता या िथरता कहा ह ऐसा इसिलए कहा गया ह

Yयिक Rयि नयी समया क समाधान मgt एक तरह स ि यामक =प स िथर हो जाता ह यािन बार-बार एक

ही अनि या करता ह िजसस वत1मान समया का समाधान नहU हो पाता ह

इसी म मgt रीस तथा इजरल (1935) क योग स भी तपरता क अधभाव का पता चलता ह

उहनgt तपरता क अधभाव को िदखान क िलए एना2ाम क सहार योग िकया अथ1पण1 श)द क अMर क

म को बदलन स जो अथ1 हीन श)द बनता ह उस एना2ाम कहा जाता ह जस CAMEL स ELAMC बन

सकता ह या और भी कोई अथ1हीन श)द बन सकता ह िजस एना2ाम कहा जाता ह योग कता1ओ न 30

एना2ाम क एक सची बनाई िजसस स थम 15 एना2ाम को एक िनिWत िनयम स समाधान करन पर एक

अथ1पण1 श)द बन जाता था अितम 15 एना2ाम मgt अय वकि-पक समाधान भी सभव था परणाम मgt दखा

गया िक अिधकतर योlय न थम 15 एना2ाम क समाधान मgt िजस िनयम का उपयोग िकया था उसी िनयम

ारा अितम 15 एना2ाम क समाधान मgt उपन मानिसक तपरता स ितीय 15 एना2ाम क वकि-पक समाधान

ढढन मgt एक तरह स बािधत िकया Yयिक योlया इस तपरता क कारण वकि-पक समाधान क बात सोच ही

नहU पा रह थ

अतः पD ह िक समया समाधान मgt यानी िचतन मgt िकसी तपरता का भाव सहायक भी होता ह

और बाधक भी तपरता क इस हािनकारक भाव को कछ योग ारा कम भी िकया जा सकता ह

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उराखड म िव13िवालय 191

167 भाषा एव िचतन

मानव क िचतन ि याओ क िलए भाषा का होना आवयक ह कॉिलस और gवर क अनसार -

lsquolsquoिचतनकला भाषा क सहायता स अपन िवचार को िनयिNत करता ह और िचतन ि या का ठीक-ठीक

सचालन भी करता हlsquolsquo डिबल क कथनानसार lsquolsquoमानव क भाषा िवकास मानव क बिP िवकास पर आधारत

हिचतन मgt भाषा का योग होता ह भाषा क माEयम स ही िचतन क िन^कष1 व समया समाधान तत िकय

जात हlsquolsquolsquo िचतन तथा भाषा क सLबध को एक उदाहरण ारा इस कार समझ सकत ह - हाइव मgt जात समय

जाम लग जाता ह जो कई घhट बीतन क बाद भी आग नहU बढ़ रहा ह यह समया भाषा मgt ढ़ल अनgtक क

=प मgt कट होती ह Yया हाईव मgt कोई दघ1टना हो गयी ह Yया कोई जलस या रली िनकल रही ह इयािद यह

समया वततः भाषा मgt और उर क =प मgt बदल जाती ह िजसस िचतन और भाषा मgt भद करना किठन

हो जाता ह

भाषा क िनLनिलिखत 4 काय1 होत ह -

i) भाषा को िवचार िवनयम का साधन कहा गया ह इसक माEयम स Rयि अपन िवचार दसर तक पहJचाता

ह और दसर क िवचार को 2हण करक सामािजकता क गण एव भाव अपनाता ह

ii) Rयि भाषा क सहायता स ि याशील होन क रणा ाF करता ह

iii) भाषा Rयि को अत1द एव तनाव स छटकारा िदलाती ह Yयिक इसक योग क ारा Rयि अपन मनक

िवचार Rय करक अपन मन को ह-का कर लता ह

iv) भाषा क सहायता स हम तक1 कर सकत ह वाद िववाद कर सकत ह तथा अपन िचतन क उम RयाZया

कर सकत ह

मनोवािनक न िचतन मgt भाषा को महवपण1 मानत हJए इसका िनLन कार वण1न िकया ह

(i) भाषा को िचतन का माEयम कहा जाता ह भाषा क अभाव मgt िचतन ि या नहU हो सकती ह Rयि

भाषा क ारा ही अपन िवचार तत करता ह और दसर क िवचार 2हण करक उनपर िति या करता

ह िचतन क ि या भाषा ारा भािवत तथा िनधा1रत होती ह

सािपर क परक-पना भी िक भाषा ारा िचतन क ि या काफ हद तक भािवत होती ह इस

परक-पना का समथ1न fनर (1964) ारा िकय गय योग स होता ह इहन िशशओ तथा ि कली ब`च पर

अEययन िकया और पाया िक इन ब`च क िचतन क ि या तथा सानामक िवकास अिधक सीिमत

इसिलए होता ह Yयिक इनमgt भाषा पण1=प स िवकिसत नहU होती ह इनक अEययन क अनसार 6-7 साल क

उ मgt ब`च सोचन क िलए अ`छीतरह स भाषा का उपयोग ारLभ कर दत ह चक ी कली छाN क उ 6

साल स नीच होती ह और उनमgt भाषा का िवकास पण1 नहU रहता ह अतः उनका सानामक िवकास िवशषकर

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 192

िचतन क ि या ठीक ढ़ग स नहU हो पाती ह इस योग पD ह िक भाषा ारा िचतन क ि या भािवत

होती ह

ओफ1 (1956) न सािपर क इस कथन को िक भाषा ारा िचतन भािव होता ह और भी अिधक पD

करत हJए कहा िक भाषा ारा िचतन भािवत ही नहU िनधा1रत भी होता ह ओफ1 क योगदान को मनोवािनक

ारा अिधक मायता िमली ह ओफ1 क परक-पना थी िक भाषा का िवकास िचतन क ि या स पहल होता

ह तथा िचतन क ि या का िनधा1रण पण1 =प स भाषा ारा ही होता ह इस भाषाई िनयितवाद कहा गया और

आम लोग मgt यह ओफ1 परक-पना क नाम स मशहर हJआ इस परक-पना क अनसार कभी उ`च तरीय

िचतन भाषा ारा ही िनधा1रत होत ह

ओफ1 न अपनी परक-पना को सय सािबत करन क िलए एक अEययन िकया िजसमgt 2ीनलड मgt रहन

वाली जाित एिकमो तथा अ2जी भाषा बोलन वाल Rयिय क यMण एव िचतन क ि याओ का

तलनामक अEययन िकया गया एिकमो क भाषा मgt बफ1 क िलए कम स कम 12 श)द और ह िजनका अथ1

बफ1 ही होता ह परत उसका योग िभन-िभन कार क बफu को समझन तथा यMण करन मgt होता ह

अ2जी भाषा मgt बफ1 क िलए िसफ1 एक या दो श)द ह ओफ1 न अपन अEययन मgt पाया िक िजतन पD =प स

िभन -िभन कार क बफk का यMण एव उसक बार मgt िचतन एिकया ारा िकया जाता ह उतना पD

यMण एव िचतन अ2जी भाषा बोलन वाल Rयिय ारा नहU िकया जाता ह इस अEययन स पD ह िक

भाषा िवकिसत होन स यMण एव िचतन भी पD होत ह

यिप आफ1 परक-पना काफ महवपण1 परक-पना ह िफर भी कछ मनोवािनक न इसक

आलोचना क ह कजम (1976) न ओफ1 परक-पना क आलोचना करत हJए कहा िक भाषा मgt िविभनता स

यह तो पD =प स पता चलता ह िक भाषाए एकदसर स िभन होती ह परत इसक आधार पर िबना िकसी

वतN माप क यह कह दना िक इसक कारण िचतन Mमता मgt भी अतर होता ह उिचत नहU ह

ओफ1 परक-पना क दसरी आलोचना इस आधार पर क गयी ह िक िभन-िभन भाषाओ मgt

िविभनता क बावजद काफ अिधक समानता होती ह जस- यक भाषा मgt सा और ि या होत ह और

यक भाषा मgt कछ िनयम होत ह िजनक अनसार श)द क म का िनधा1रण होता ह इतना ही नहU भाषा क

िकसी िवशष सरचना जस श)द िमलाकर बोलना परा-परा शP वाYय बोलना आिद यक भाषा बोलन वाल

ब`च मgt करीब-करीब एक ही समय मgt िवकिसत होती ह fाउन तथा कफ (1986) क अनसार ऐसी परिथित

मgt िभन-िभन भाषा बोलन वाल एक उ क सभसी ब`च क िचतन Mमता समान होनी चािहए थी ऐसा होता

तो वोफ1 परक-पना को पण1 समथ1न िमलता परत भाषा मgt इस समानता क बावजद भी उनक िचतन Mमता

समान नहU होती ह

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 193

गrन एव िमथ(1962) न अपन योग मgt िजन योlय को इस बात क िशMा दी िक समया समाधान

करत समय व अपन िवचार को श)द मgt Rय करत जायgt और सामाय िनयम को बोलत जायgt व अय

समयाओ क समाधान मgt उन योlय स tn हो गय िजहgt ऐसी िशMा नहU दी गयी थी

भाषा क अतग1त श)द िवयास िवचार क सकत क =प मgt काय1 करत ह मॉग1न तथा िगली लhड यह

वीकार करत ह िक वयक का अिधकाश िचतन श)द क माEयम स होता ह

कछ मनोवािनक का कथन ह िक भाषा िचतन क िलए सहायक हो सकती ह आवयक नहU ह यिद

भाषा िचतन क िलए आवयक होती तो छोट ब`च और पश िजहgt भाषा नहU आती समयाओ का समाधान

नहU कर पात समया समाधान मलतः िचतन का एक =प ह और चह भी समया समाधान और अतC1िD

दिश1त करत ह इस िवषय पर टौलमन एव हौिजक (1930) ारा चह पर िकय गय एक योग स पया1F काश

पड़ता ह योगकता1ओ न 15 चह को 24 घट भखा रखकर एक Rयह मgt 10 बार दौडाया Rयह मgt आरLभ पटी

स ल(य तक पहJचन क तीन माग1 म सबस छोटा उसस लLबा और सबस लLबा सबस छोट और उसस लLब

मागk का कछ अितम भाग उभयिनn था िशMण अविध मgt तीन माग1 खल थ चह न तीन मागk स ल(य

तक पहJचना सीखा परत सबस छोट माग1 स ही ल(य तक जान लग जब पहला (उसस लLब) स ल(यतक

गय जब पहल माग1 को ऐसी जगह बद िकया गया जो दसर माग1 मgt भी उभयिनn था तो चह दसर माग1 स नहU

बि-क तीसर माग1 स ल(य तक गय जो सबस लLबा था इसस पD हJआ िक उस बाधा य चह मgt अतC1िD हो

गयी िक बाधा ऐयी जगी पर ह िजसस कवल पहला ही नहU बि-क दसरा राता भी बद हो गया ह इसी कारण

उहन तीसरा राता चना

(ii) मनोवािनक का एक समह ऐसा भी ह िजसन उपय1 िवचार क ठीक िवपरीत िवचार Rय िकया ह

इसम िपयाज (1932) तथा Yलाक1 (1973) का नाम िसP ह इन मनोवािनक का कथन ह िक

िचतन क ि या Rयि मgt पहल होती ह िचतन क ि या पहल होती ह और बाद मgt उसस

सLबिधत श)द का िवकास होता ह िचतन क ि या भाषा ारा ितिबिLबत होती ह न िक

िनधा1रत िपयाज न अपन योग क आधार पर बताया िक कछ श)द जस बड़ा छोटा लLबा दर आिद

का अथ1 ब`चा तब तक नहU समझता ह जब तक िक उसमgt इन श)द स सबिधत तािक1 क सLयय का

िवकास नहU होता ह

(iii) कछ मनोवािनक इन दो िवचार क ठीक बीच बीच अपन िवचार रचात ह उनका कथन ह िक भाषा

तथा िचतन दो ऐसी ि याए ह जो ारभ मgt अलग-अलग तथा वतN =प स िवकिसत होती ह िकसी

एम का िवकास दसर क ारा भािवत नहU होता ह इन िवान क अनसार ब`च का िचतन और

भाषा का िवकास लगभग वतN =प स साथ-साथ चलता ह ब`च जस-जस नय श)द सीखत ह व

अपन िचतन को अिधक पDता स Rय करन लगत ह और िन^कषk का मरण भी अ`छा हो जाता

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 194

ह वाइगोटक (1962) इस िवचार क मZय समथ1क ह जब मानव भाषा का योग िवचार क

अिभRयि क िलए करता ह तब उस कम परtम करना पड़ता ह भाषा क माEयम स वह िवचार =प

सागर को गागर क =प मgt Rय कर सकता ह

िचतन मgt भाषा बहJत सहायक होती ह परत कभी-कभी यह धोखा भी द सकती ह सदर श)द क हर फर स

Rयि कछ का कछ समझ कर गलत धारणा भी बना लता ह यही कारण ह िक कभी-कभी उसक श)द उसक

मन क धारणा मgt भली कार पD नहU कर पात ह हायाकावा (1941) क अनसार गव1 दःख तथा घणा भर

श)द िचतन का ारा ही बद कर दत ह बालक रटा हJआ भाषण िबना िचतन क सना सकता ह इसिलए कवल

बातचीत को हम िचतन नही मान सकत ह वातव मgt िचतन स तापय1 आशय पण1 भाषा स ह कवल रट हJए

श)द स नहU उपरो वण1न स पD ह िक िचतन ि या मgt भाषा का महवपण1 योगदान ह िकत सभी िचतन

भाषा पर हो िनभ1र होत ह ऐसा नहU कहा जा सकता मनोवािनक ारा इस िवषय पर िनणा1यक =प स कछ भी

रहना अब भी किठन ह

168 साराश

1) िचतन यक ाणी मgt होन वाली एक अRय मानिसक ि या ह जो समया समाधान क ओर उमख

होती ह

2) िचतन ल(य िनदiिशत होता ह अथा1त- इसक एक िनिWत िदशा होती ह

3) िचतन का सबध समया समाधान स होन क कारण इसमgt यन एव Nिट क ि या शािमल होती ह

4) िचतन ि या तीन काल भत वत1मान एव भिव^य स सLबP होती ह

5) िजLबाडu तथा =क (1977) न िचतन क िनLन दो कार बताय ह-

अ वली िचतन

ब यथाथ1वादी िचतन

6) यथाथ1वादी िचतन को मनोवािनक न पाच भाग मgt वगvकत िकया ह जो िनLन ह-

i)अिभसारी िचतन ii) अपसारी िचतन iii) रचनामक िचतन

iv) आलोचनामक िचतन v) यामक िचतन

7) रचनामक िचतन क मZयतः चार चरण ह- 1 तयारी या आयोजन (Preparation)

2 उव या परयाक (Incubation)

3 दीिF या बोधन (Ilumination)

4 माणीकरण (Verification or Revision)

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 195

8) मनोवािनक न िविभन योग क माEयम स िचतन मgt तपरता क महव को पD िकया ह सही एव उिचत

तपरता स समया समाधान हत िचतन मgt सहायता िमलती ह इसक िवपरीत अनिचत तपरता स िचतन मgt

बाधा उपिथत होती ह

9) िविभन योग क माEयम स मनोवािनक न िचतन मgt भाषा क महव को भी वीकार िकया ह

169 शदावली

bull िचतन सोचन क ि या

bull अ[यP िजस यM =प स दखा ना जा सक

bull सयय अवधारणा

bull यथाथ0वादी वातिवक

bull यामक अवधारणामक

bull तपरता एक ऐसी मानिसक िथित िजसक सहार ाणी समया का समाधान करन क कोिशश करता ह

1610 वमयाकन हत

नीच कछ कथन िदय गय ह जो कथन सय ह उनक आग सही का िनशान एव जो गलत ह उनक आग ास का

िनशान लगायgt -

1) िचतन एक Rय मानिसक ि या ह ( )

2) िचतन मgt यनएव tित क ि या सिLमिलत होती ह ( )

3) िचतन क एक िनिWत िदशा नहU होती ह ( )

4) िचतन का सबध समया समाधान स होता ह ( )

5) बरोन क अनसार िचतन मgt सLयय ितािF एव ितभाओ का मानिसक जोड़-तोड़ होता ह ( )

6) यथाथ1वादी िचतन का सबध क-पनाओ स होता ह ( )

7) अिभसारी िचतन का सव1थम ितपादन जाय पॉल िग-फोड1 न िकया था ( )

8) तयारी उव दीिF एव माणीकरण रचनामक िचतन क अवथायgt ह ( )

9) सजनामक िचतन क उयन अवथा मgt Rयि मgt िनि^ यता बढ़ जाती ह ( )

10) अवसारी िचतन का ितपादन सव1थम जाय पॉल िग-फोड1 न िकया था ( )

उ-र 1) गलत 2) सही 3) गलत 4) सही 5) सही

6) गलत 7) सही 8) सही 9) सही 10) सही

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 196

1611 सदभ0 1थ सची

bull िसह अ=ण कमार (2006) उ`चतर सामाय मनोिवान मोतीलाल बनारसीदास बगलो रोड जवाहर

नगर िद-ली

bull िसह अ=ण कमार (2006) सानामक मनोिवान मोतीलाल बनारसीदास बगालो रोड जवाहर नगर

िद-ली

bull अजvमर1 रहमान (2003) सामाय मनोिवान िवषय और RयाZया

bull tीवातव रामजी आलम आिसम (2004) आधिनक सामाय मनोिवान

bull tीवातव रामजी (2003) सानामक मनोिवान

1612 िनबधामक

1 िचतन को परभािषत हJय इसक व=प पर काश डालgt

2 रचनामक िचतन स आप Yया समझत ह इसक िवशषताओ एव अवथाओ का िववचन किजए

3 िचतन क िविभन कार का वण1न किजय

4 िचतन ि या मgt भाषा क महव को पD किजए

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 197

इकाई-17 िचतन क िस ात

(Theories of Thinking)

इकाई सरचना

171 तावना

172 उय

173 िचतन क िसPात

1731 क_ीय िसPात

1732 परधीय या गित िसPात

1733 जीन िपयाज का िसPात

174 साराश

175 श)दावली

176 वम-याकन हत

177 सदभ1 2थ सची

178 िनबधामक

171 तावना

िय िवािथ1य इसस पव1 क ईकाई का अEययन करन क बाद आप िचतन क अथ1 िवशषताओ एव इसक

िविभन कार स परिचत हो चक हग तत ईकाई मgt िचतन क सबध मgt िविभन मनोवािनक ारा

ितपािदत िसPात को समझाया जायगा

करीब-करीब सभी मनोवािनक इस बात स सहमत ह िक िचतन क शsआत उस समय होती ह जब

Rयि क सामन समया उपन होती ह और िचतन का अत उस समय होता ह जब समया का समाधान हो

जाता ह िकत िचतन ारा समयाओ क समाधान मgt य ि याओ का वण1न करन मgt मनोवािनक क

बीच ारLभ स ही मतभद रहा ह कछ मनोवािनक न िचतन ि या मgt क_ीय तिNका तN को महव िदया ह

जबिक कछ मनोवािनक न िचतन को सवदी गितवाही घटना म क =प मgt वीकार िकया ह वाटसन जो

Rयवहारवाद क जनक ह इहन िचतन क उपवािचक बातचीत माना ह तथा इसक पM मgt कछ योगामक

सबत भी तत िकय ह वहU पर जीन िपयाज न ब`च क िचतन क RयाZया उनक परपYवता तर अनभव

तथा इनक मEय अतःि या क आधार पर क ह साथ ही ब`च मgt सानामक िवकास क RयाZया मgt चार

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 198

अवथाओ का भी वण1न िकया ह इस कार पD ह िक अलग-अलग मनोवािनक न िचतन का वण1न

अलग-अलग कार स िकया ह

अतः य तो िब-कल पD ह िक िचतन मgt समया समाधान मgt य होन वाली ि या क सबध मgt

सभी िवान एकमत नहU ह इसिलय िय िवािथ1य आपक मन मgt भी यह जानन क इ`छा उपन हो रही

होगी िक समया समाधान मgt िचतन क ि या िकस कार स होती ह िकन-िकन मनोवािनक न इस सबध मgt

कौन-कौन स योग िकय ह इयािद

आशा ह िक तत ईकाई क अEययन क बाद आपक इन सभी िजासाओ का समाधान हो जायगा

172 उय

िय पाठक इस ईकाई क अEययन क बाद आप -

bull िचतन क ारा समया का समाधान िकस कार स होता ह इस पD कर सकgt ग

bull समया समाधान क िविभन ि याओ का अEययन कर सकgt ग

bull िचतन क िविभन िसPात का िवpषण कर सकgt ग

bull िचतन ि या क सबध मgt िकय गय िविभन मनोवािनक योग का ान ाF कर सकgt ग

173 िचतन क िस=ात

िय िवािथ1य जब Rयि िकसी समया का अनभव करता ह तो उसक समाधान क िलए वह िचतन करता ह

इस तyय को सभी मनोवािनक न वीकार िकया ह परत िचतन क इस ि या मgt यािन समया उपन होन

तथा उसक समाधान होन तक कौन - कौन सी मEयवतv ि याए होती ह तथा उनक RयाZया कस हो सकती ह

इस लकर मनोवािनक मgt मतभद रहा ह इन मEयवतv ि याओ क RयाZया िचतन क िविभन िसPात क

माEयम स क जा सकती ह िजनका िववचन िनLनानसार ह-

1 क_ीय िसPात (Central theory)

2 परधीय िसPात या गित िसPात (Peripheral or Motor theory)

3 जीन िपयाज का िसPात (Piagetrsquos theory)

1731 कmीय िस=ात -

िचतन का क_ीय िसPात ाचीन िसPात ह इस िसPात क अनसार मित^क ही िचतन का आधार ह

मित^कय व-क मgt जो ि याए होती ह उही स समाया का समाधान होता ह इस िसPात क अनसार िचतन

ि या मgt अय शारीरक ि याओ का कोई योगदान नहU होता ह क_ीय िसPात क अनसार िकसी उजना

(stimulus) स 2ाहक (receptor) उिजत होता ह यह नाय वाह (nerve impulse) पदा होता ह यह

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 199

नाय वाह सवदी नाय (Sensory nerves) क सहायता स कॉटiYस मgt पहJचता ह और वहा आतरक

ि याए ारLभ हो जाती ह फलवsप Rयि क मित^क मgt िभन िभन कार क ितमाए एव िवचार उपन

होन लगत ह यय (concept) तथा तीक (Symbol) क सहायता स मgt िवचार और ितमाए ससगिठत होन

लगत ह िजनक सहार Rयि समाया का समाधान कर लता ह इस कार क_ीय िसPात क अनसार समाया

क अनभित और उसक समाधान क बीच होन वाली सभी ि याए मित^क मgt होती ह सरचनावादी

मनोवािनक तथा गटा-ट वािदय क िवचार धाराओ क आधार पर ही िचतन क क_ीय िसPात का

ितपादन िकया गया ह सरचनावािदय न िचतन मgt अतः िनरीMण को महव दत हJए क_ीय िसPात क

क-पना क ह गटा-ट मनोवािनक न िचतन को मित^क का एक क_ीय घटना म माना ह और इसमgt सझ

(insight) को िवशष महव िदया ह

क_ीय िसPात क आलोचना-

कछ मनोवािनक न िचतन क क_ीय िसPात क आलोचना इस कार क हः-

(i) िचतन का क_ीय िसPात एक पराना िसPात ह जो कोई िवशष बात हमार सामन नहU लाता ह इसक

समथ1न मgt कोई योगामक सबत उपल)ध नहU ह इस िसPात स कवल यही पD होता ह िक िचतन

एक आतरक मानिसक ि या ह इस िसPात स यह मािणत नहU होता िक िचतन का आधार

कॉटiYस कस ह तथा इसस यह भी पD नहU होता ह िक िचतन ि या मgt कौन कौन सी सरचनाए

(मकिनlम) सिLमिलत होती ह फलवsप मनोवािनक न इस िसPात को एक काम चलाऊ िसPात

कहा ह िजसक RयाZया क आधार पर िकसी भी कार का सामायीकरण नहU िकया जा सकता ह

(ii) इस िसPात मgt शरीर क पशीय अग ारा क गई ि याओ को वीकित नहU दी गई ह आज

मनोवािनक क सामन अनgtक इस तरह क सबत उपल)ध ह िजनक आधार पर यह िसP हो चका ह

िक िचतन मgt मित^क क साथ साथ पशीय ि याओ का भी महव होता ह

1732 परधीय या गित िस=ात -

इस िसPात क जमदाता िविलयम जLस (1890) ह परत इसgt एक Rयविथत sप दन का tय वाटसन (1914)

को िदया जा सकता ह िविलयम जLस न िचतन मgt क_ीय मकिनlम को महव न दकर परधीय मकिनlम को

िवशषतः महवपण1 माना ह वाटसन न िचतन को Rयवहारवादी जामा पहनाकर इस सवदी गितवाही घटना म

(Sensory motor phenomenon) क sप मgt वीकार िकया ह वाटसन जो Rयवहारवाद क जनक ह क

अनसार िचतन एक कार क उपवािचक बातचीत ह दसर श)द मgt िचतन मgt Rयि धीर धीर वय स ही

बातचीत करता ह इस तरह स िचतन मgt वागीि_य मgt पशीय ि याए होती ह और Rयि अपन आप स ही

बातचीत करना ारLभ कर दता ह बाद मgt वाटसन न बताया िक िचतन मgt न कवल वागीि_य मgt ि याए होती

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 200

ह बि-क शरीर क अय अग जस हाथ एव पर क मासपिशय मgt भी ि याए होती ह जस एक बहर एव गग

Rयि क िचतन ि या मgt हाथ क अगिलय क मासपिशय मgt अिधक ि याए होती पाई गई

इस तरह वाटसन (1914) न कहा िक-

lsquolsquo हम लोग पर शरीर क सहार िचतन ि या करत हrsquorsquo

वाटसन क उपरो िवचार स परधीय िसPात या गित िसPात का ितपादन हJआ इस िसPात क अनसार जब

Rयि क सामन कोई उीपक अथवा समाया आती ह तो सLबिधत ानि_य उिजत होती ह तो एक नाय

वाह उपन होता ह जो कॉटiYस तक जाता ह फलवsप कॉटiYस मgt चयन सबधी एक िति या होती ह

कॉटiYस एक रलटशन क समान काय1 करता ह इस िति या क कारण नाय वाह उपन होता ह जो सीध

उपय मासपिशय अथवा कमiि_य तक भद िदया जाता ह फलवsप Rयि कोई अनि या करता ह

मासपिशय क इस अनि या स पनः एक नाय वाह उपन होता ह जो कॉटiYस म वापस चला जाता ह इस

नाय वाह क पनरावि तब तक होती रहती ह जब तक Rयि समया क एक िनिWत समाधान तक नहU

पहJच जाता नाय वाह क मासपिशय अथवा कमiि_य स वापसी ि या को मनोवािनक न पनिन1वशन

(feedback) क सा दी ह

इस RयाZया स पD ह िक परधीय िसPात मgt मित^क मgt होन वाली अतः ि याओ को भी धानता

दी गई ह साथ ही साथ परधीय िसPात क RयाZया क_ीय िसPात स िभन भी ह परधीय िसPात मgt पशीय

ि याओ को अिधक महवपण1 माना गया ह

परधीय िसPात स सबिधत योग -

जकोबसन(1932) न अपन योlय स कभी वायgt हाथ स कभी दायgt हाथ स 10 पौhड वजन उठान क क-पना

करन को कहा िनदiश दन क साथ साथ जकोवसन योlय क बायgt हाथ और दायgt हाथ क पशीय ि याओ को

िवशष उपकरण ारा रकाड1 करत गय उहोनgt पाया िक जब योlय दायgt हाथ स 10 पौhड वजन उठान क बात

सोचता था तो उसक दायgt हाथ क मासपिशय क सि यता बढ़ जाती थी उसी कार जब वायgt हाथ स 10

पौhड वनज उठान क बात सोचता था तो बायgt हाथ क मासपिशय क सि यता बढ़ जाती थी इस शोध

अEययन स यह पD हो गया िक िचतन क ि या मgt पशीय ि याए होती ह

मNस (1937) न गित िसPात क जाच क िलए एक योग िकया उसमgt 18 बहर (डीफ) तथा 16 सामाय (जो

अ`छी तरह स सन सकत थ) योlय थ इन दोन तरह क योlय को ऐसी क-पना करन को कहा गया िक व

अपन हाथ क सहार भारी वजन उठा रह ह ऐसा सोचत समय इन सभी योlय क बाह का भी रकाड1 तयार

िकया गया परणाम मgt दखा गया िक बहर योlय क बाह क मासपशीय ि याए सामाय योlय क बाह

क मासपशीय ि याओ क लगभग बराबर थी परणाम स यह पD ह िक सामाय Rयि क समान बहर Rयि

क िचतन मgt भी मासपशीय ि याए होती ह अमत1 िचतन करत समय जस मन मgt जोड़ घटाना गणा भाग करत

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 201

समय बहर मgt उनक बाहरी मासपशीय ि याए 4 ितशत हJई जबिक इसी परिथित मgt सामाय Rयि मgt ऐसी

मासपशीय ि याए 31 ितशत हJई इसस पD ह िक अमत1 िचतन करत समय बहर Rयिय मgt सामाय Rयिय

क अपMा पशीय ि याए तीता स होती ह

टोटन(1935) न एक अEययन िकया िजसमgt योlय को कछ lयािमतीय िडजाइन क बार मgt सोचन

को कहा गया ऐसा करन पर दखा गया िक योlय क आख व पलक क मासपशीय मgt ि याए बढ़ गई

उपरो योग स यह पD ह िक िचतन करत समय पशीय ि याए होती ह मनोवािनक न यह भी िदखलाया

ह िक इस तरह क मासपशीय मgt पनिन1वान(feedback) ारा इनक सि यता का ान होता ह चिक

पनिन1वशन आतरक होता ह अतः Rयि को इसका पD ान नहU होता ह

इस तरह क पनिन1वशन म को िजLबाडu तथ sक (1977) न सवu मgt किनlम क सा दी

सवuमकिनlम- सवuमकिनlम क चार भाग होत ह िजसक ारा िचतन मgt क गई मासपशीय ि याओ

का ान Rयि को होता ह -

(i) ससाधन िनवश- ससाधन िनवश का तापय1 ऐस उीपक स ह जो Rयि मgt नायवाह उपन करत

(ii) पट- उीपक स नाय वाह उपन होकर पट मgt पहJचता ह िजस तिNकातN कहा जाता ह इन

आवग को तिNका तN मgt सगिठत िकया जाता ह

(iii) िनग1त- नाय वाह तिNका तN मgt सगिठत होन क बाद मासपशीय को उिजत करत ह फलवsप

Rयि मासपशीय ि याओ को करता ह

(iv) पनिन1वशन- क गई मासपशीय ि याओ िक मबPता का िनधा1रण उन सचनाओ क आधार पर होता

ह िजनका पनिन1वiशन Rयि को पनः होता ह

य चार ि याए िचतन क मख चरण मान गय ह

पशीय िस=ात क आलोचना-

कछ मनोवािनक न पशीय िसPात क अलोचना क ह इस आलोचना मgt यह कहा गया ह िक यिप िचतन मgt

अRय पशीय ि याए घिटत होती ह परत य ि याए सदव आवयक नहU होती ह व तो िकसी Rयि का

आकिमक परवाह (ओवरoलो) मानी जा सकती ह

िवनाक (1952) क अनसार- अRयि िति या को यिद िचतन मgt आवयक मान भी िलया जाय तो

भी यह नहU माना जा सकता िक अRय िति या ही िचतन ह इसक ठीक िवपरीत जकोबसन (1930) का

कथन ह िक अRय िति या क िबना िचतन सLभव ही नहU ह पD ह िक परधीय िसPात क कोई भी

आलोचना कवल एक अनमान ही ह

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 202

उपय1 िववचन स यह पD ह िक योगामक अEययन ारा उपिथत िकय गय तyय क आधार पर

यह पD =प स कहा जा सकता िक क_ीय िसPात िब-कल गलत ह

औसगड (1953) क अनसार दोन ही िसPात सही ह Yयिक िचतन मgt सवदी ि याए तथा पशीय

ि यायgt दोन ही होती ह जस एक ब`च क िचतन मgt पशीय ि यायgt (मोटर एिYटिवटीस) अिधक होती ह

जबिक एक Rयक क िचतन मgt सवदी ि याए (क_ीय ि याए) अिधक होती ह िचतन ि या िक व=प को

पD करन क िलय भिव^य मgt और अिधक शोध िकय जान आवयकता ह

1733 जीन िपयाज का िस=ात -

ब`च और Rयक क िचतन मgt पD भद होत ह वततः बाल िचतन क व=प िवकास क िविभन

अवथाओ मgt बदलत हJय Rयक िचतन का व=प ाF करत ह Rयक तो अपनी भाषा क ारा यह बता दत

ह िक उहन िकसी समया का समाधान िकस कार िकया िकत छोट ब`च िजनक भाषा िवकिसत नहU हJई

ह यह बता पान मgt अमथ1 रहत ह

इस कारण उनक िचतन का अEययन कछ अयM िविधय ारा िकया जाता ह बालक क

सानामक िवकास पर िवस मनोवािनक जीन िपयाज (1896-1980) क काय1 बडी सLमान क CिD स दख

जात ह िपयाज क सानामक िवकास क िसPात क सबस मZय बात यह ह िक िपयाज क अनसार बालक

मgt वातिवकता क वsप क बार मgt िचतन करन तथा उस खोज करन क शि बालक क परपYवता तर

तथा उनक अनभव इन दोन क अतः ि या ारा िनधा1रत होती ह पD ह िक सानामक िवकास क

RयाZया मgt िपयाज ारा Rय क गई िवचारधारा एक अतः ि या वादी िवचार धारा का उदाहरण ह

िपयाज क सानामक िवकास क RयाZया करन स पहल इस िसPात क कछ महवपण1 सLयय क

RयाZया करना आवयक ह -

(1) अनकलन- िपयाज का कथन ह िक बालक मgt वातावरण क साथ सामजय करन क जमजात वि को

अनकलन कहा जाता ह अनकलन मZयतः दो ि याओ स होकर गजरता ह - थम आमसाव करण ह

िजसमgt बालक समाया क समाधान क िलए या वातिवकता स सामजय िबठान क िलए पव1 मgt सीखी गई

योजनाओ या मानिसक ि याओ का सहारा लता ह जस िकसी वत को उठाकर मह मgt रख लना आम

सावकरण का उदाहरण ह Yयिक इसमgt बालक िकसी वत को एक खान क ि या क साथ आमसात कर

रहा ह इसी कार जब िकसी नयी सचना स परान मनोबध मgt परवत1न हो जाता ह तो मनोबध म परवत1न

को समायोजन कहत ह जस ब`चा पहल यही जानता था िक िब-ली एक सदर मलायम खाल वाली खलन

क चीज ह जो Lयाऊ बोलती ह जब िकसी सवदी eोत स उस यह सचना िमली क िब-ली काटती भी ह

तो उसका पराना मनोबध बदल गया

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 203

(2) सायधारण- साLसधारण का तापय1 एक ऐसी ि या स ह िजसमgt बालक आमसाकरण तथा समायोजन

क ि याओ क बीच एक सतलन कायम करता ह यह एक कार स आम िनयNक ि या ह िपयाज

का कथन ह िक जब बालक क सामन कोई ऐसी समाया आती ह िजसका उस अनभव नहU हJआ था तो

उसमgt एक कार का सानामक असतलन उपन लान क िलए वह आमसाLवकरण या समायोजन या

दोनो ही ि याए ारLभ कर दता ह

(3) सर6ण- िपयाज क िसात मgt यह सबसgt महवपण1 सLयय ह िजस पर मनोवािनक न सबस lयादा शोध

िकय ह िपयाज क अनसार सरMण स तापय1 वातावरण मgt परवत1न तथा िथरता दोनो को पहचानन एव

समझन क Mमता तथा िकसी वत क sप रग मgt परवत1न को उस वत क तव मgt परवत1न स अलग करन

क Mमता स होता ह

(4) सानामक सरचना- िकसी बालक क मानिसक सगठन या Mमताओ को ही सानामक सरचना कहा

जाता ह सानामक सरचना क आधार पर ही एक 5 साल क बालक को तीन साल क बालक स िभन

समझा जाता ह

(5) मानिसक सिया- जब बालक िकसी समया क समाधान का यास करता ह तब वह मानिसक सि या

करत समझा जाता ह

(6) कस- कLस मानिसक ि या का अिभRयYम sप ह इसमgt Rयवहार क सगिठत पटन1 को िजस

आसानी स दोहराया जा सकता ह कLस कहा जाता ह

(7) कमा- िपयाज क अनसार कमा स तापय1 एक ऐसी मानिसक सरचना स होता ह िजसका

सामायीकरण िकया जा सकता ह (8) िवकmण- िपयाज क अनसार िवक_ण स तापय1 िकसी वत या चीज क बार मgt वतिनn या वातिवक

ढ़ग स सोचन क Mमता स होता ह इनका कथन था िक 3-4 महीन क उ क बालक मgt िवक_ण क

Mमता नहU होती ह वह िकसी वत या चीज क बार मgt आमकि_त ढ़ग स सोचता ह परत कछ उ बीतन

पर जब वह 24-25 महीन का हो जाता ह उसमgt वत क बार मgt वतिनn ढग या वातिवक ढग स सोचन

क Mमता िवकिसत हो जाती ह

जीन िपयाज न बालक क िचतन या सानामक िवकास क RयाZया करन क िलए चार अवथा

िसPात का ितपादन िकया हः-

1 सवदी पशीय अवथा (Sensory motor stage)

2 ाYसि यामक अवथा (preoperational stage)

3 ठोस सि या क अवथा (stage of concreat opration)

4 औपचारक सि या क अवथा(State of formal operation)

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 204

1 सवदी पशीय अवथा (Sensory motor stage)- यह अवथा जम स 1 या 2 वष1 तक रहती हइस

अवथा मgt ब`चा धानतः शारीरक ि याओ एव उनक सवदी भाव क बीच सLबध का बोध ाF

करता ह जस शारीरक sप स चीज को इधर उधर करना वतओ क पहचान का यास करना िकसी चीज

का पकड़कर मह मgt डालन का यास करना आिद मख ह

िपयाज न बताया िक इस अवथा मgt िशशओ का सानामक िवकास छह उप अवथाओ स होकर गजरता ह-

i) ितवत1 ि याओ क अवथा (State of reflex action)- यह अवथा जम स 30 िदन तक क

होती ह इस अवथा मgt बालक माN ितवत1 ि याए करता ह िजनमgt चसन का ितवत1 सबस बल

होता ह

ii) मख वीय ि याओ क अवथा (State of major circular reaction) - यह अवथा एक महीन

स 4 महीन तक क अविध क होती ह इस अवथा मgt िशशओ क ितवत1 ि याए उनक अनभितय

ारा कछ हद तक परवित1त होती ह व दोहरायी जाती ह और एक दसर क साथ अिधक समिवत हो

जाती ह

iii) गौण वीय ि याओ क अवथा (State of secondary circular)- यह अवथा 4 स 8 महीन

तक क अविध क होती ह इस अवथा मgt िशश वतओ को छन तथा उलटन-पलटन पर अिधक

Eयान दता ह न िक अपन शरीर क ितवत1 ि याओ पर इसक अलावा वह जानबझकर कछ ऐसी

ि याए करता ह जो दखन मgt रोचक व मनोरजक होती ह

iv) गौण कमटा क समवय क अवथा (Co-ordination stage of secondary schemata)- यह

अवथा 8 स 12 महीन क अविध क होती ह इस अविध मgt बालक िकसी ल(य तथा उस तक

पहJचन क साधन क मEय िवभद करना सीख लता ह जस- यिद िकसी वत को िछपा िदया जाय तो

वह अय वतओ को हटात हJए उस वत क खोज करता ह इसक बाद वह Rयक क कायk का

अनकरण भी ारLभ कर दता ह इस अवथा मgt िशश कमा सLयय का उपयोग भी करन लगत ह

v) ततीय वीय ि याओ क अवथा (stage of tertiary circular reactions)- यह अवथा 12

महीन स 18 महीन क अविध क होती ह इस अवथा मgt बालक वतओ क गण को यन एव Nिट

क ारा सीखन का यास करता ह बालक मgt उसकता अिभरक ती हो जाता ह

vi) मानिसक सयोग ारा नय साधन क खोज क अवथा (invention of new means through

mental combination) यह अितम अवथा ह जो 18 स 24 महीन तक क अविध क होती ह यह

वह अवथा ह िजसमgt बालक वतओ क बार मgt िचतन ारLभ कर दता ह इस अवथा मgt बालक उन

वतओ क ित भी अनि या करता ह जो यM िदखाई नहU दती इस वत थाियव का गण कहा

जाता ह

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 205

2 ाNसियामक अवथा (preoprational stage)- सानामक िवकास क यह अवथा 2 स 7

साल तक रहती ह यह ारिLभक बा-यावथा क अवथा होती ह िपयाज न इस अवथा को दो

उपअवथाओ मgt बाटा ह-

i) ाYसLयामक अविध (preconceptual period)- यह अवथा 2 स 4 साल क होती ह इस

अवथा मgt बालक वत श)द ितमा आिद क ित पहचान िवकिसत कर लत ह व सकत तथा िचह

क आधार पर पहचान िवकिसत करत ह जस जब बालक मा क आवाज सनता ह तो उसक मन मgt मा

क एक ितमा बन जाती ह तथा मा ारा कह गय श)द िचह का काम करत ह

ii) अतद1शvय अविध (इटयिटव पीरयड)- यह अवथा 4 स 7 साल तक क होती ह इस अवथा मgt

बालक क िचतन व तक1 करन क Mमता िवकिसत हो जाती ह वह जोड़ गणा घटाना भाग आिद

मानिसक ि याओ को कर लता ह िकत इनक पीछ िछप िनयम को नहU समझ पाता

3 ठोस सिया क अवथा (stage of concreat opration) - यह अवथा 7 स 12 वष1 क आय तक

रहती ह इस अवथा मgt ब`च ि याओ क एक लLब म को मानिसक तर पर दखन क योrयता ाF कर

लत ह जस- व िबना चल हJए इस बात का बोध कर लत ह िक कल पहJचन मgt िकन-िकन रात स

िकतनी-िकतनी दर चलना ह इसी अवथा मgt ब`च को माNा सZया वजन आिद का भी बोध हो जाता ह

दसर क CिDकोण स िकसी िवषय को सोचन क योrयता भी इसी अवथा मgt कट होन लगती ह अथा1त

अपन िचतन मgt आमकि_त होन क लMण कम हान लगत ह

4 औपचारक सिया क अवथा (State of formal operation) - यह अवथा 11-12 साल स

ारLभ होकर वयकावथा तक रहती ह इस अविध मgt िकशोर क िचतन क ि या मgt अिधक

लचीलापन आ जाता ह व िकसी भी िवषय पर िविभन CिDकोण स सोचन और कई कार क समाधान

ढढन क योrय हो जात ह इस अवथा मgt िकशोर मgt िनगमनामक ढग स सोचन क Mमता का िवकास हो

जाता ह अथा1त अब व आधार वावYय क सयता जाच िबना कवल तािक1 क िनयम क अनसार िन^कष1

िनकाल लत ह इस अवथा मgt बालक मgt िवक_ण क Mमता का िवकास हो जाता ह अथा1त व िकसी भी

िवषय का िचतन वतिनn तथा वातिवक ढग स करना ारLभ कर दत ह औपचारक सि या क

अवथा िकशोर क िशMा क तर स सीध भािवत होती ह िजन बालक का िशMा तर काफ नीचा होता

ह उनमgt औपचारक सि यामक िचतन क Mमता काफ कम होती ह परत िजस बालक का िशMा तर

काफ अ`छा होता ह उनमgt औपचारक सि यामक िचतन क Mमता अिधक होती ह

िपयाज क िस=ात का मयाकन -

यिप ब`च क सानामक िवकास क RयाZया मgt िपयाज क िसPात क महवपण1 भिमका ह तथािप

कितपय िवान न िनLन िबदओ क आधार पर इसक आलोचना क ह-

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 206

1) आलोचक का मत ह िक बालक क Rयवहार क Mण (Observation) क िलय िपयाज ारा

अपनायी गई तकनीक या िविध अिधक आमिनn (Subjective) ह

2) आलोचक का यह भी कहना ह िक सानामक िवकास क िविभन अवथाओ को एक-दसर स

पण1तः वतN नहU माना जा सकता

3) कछ आलोचक का मानना ह िक िपयाज अपन िसPात मgt इस बात को पD नहU कर पाय ह िक िकसी

सानामक सरचना क िवकास मgt अनभव या परपYवता क माNा िकतनी होनी चािहय अथा1त उस

बालक क अनभव या परपYवता का तर Yया होना चािहय

उपय1 िववचन स यह पD ह िक यिप मनोिवािनक न अनक आधार पर िपयाज क िसPात क

आलोचना क ह िकत इन सबक बावजद ब`च क सानामक या बौिPक िवकास क सतोषजनक RयाZया

करन मgt िपयाज क िसPात क महव को नकारा नहU जा सकता

174 साराश

bull िचतन क िविभन िसPात क माEयम स इस बात का िववचन िकया गया ह िक िचतन ि या मgt अथा1त

समया उपन होन स लकर उसका समाधान होन तक इसमgt कौन -कौन सी ि यायgt सिLमिलत होती ह

तथा िकस कार स उनक RयाZया क जा सकती ह

bull िचतन क सबध मgt िनLन तीन मख िसPात का ितपादन िकया गया-

1 क_ीय िसPात 2 गित या परधीय िसPात 3 जीन िपयाज का िसPात

1 क_ीय िसPात -इसक अनसार िचतन का मZय आधार मित^क ह िचतन मgt क_ीय ि याओ जस

सवदी ि याओ (Sensory Processes) तथा मित^क ि याओ (Brain Processes) क भिमका

मZय =प स होती ह

2 परधीय या गित िसPात- इस िसPात क अनसार िचतन मgt मित^क का नहU वरन मासपशीय

अनि याओ का थान मZय =प स होता ह

3 जीन िपयाज का िसPात-

bull िचतन क सबध मgt िवस मनोवािनक ारा िजस िसPात का ितपादन िकया गया वह ब`च क

सानामक िवकास स सबध रखता ह

bull िपयाज का िसPात अतःि यावादी िवचारधारा का उदाहरण ह

bull Yयिक िपयाज का मानना ह िक ब`च मgt वातिवकता क बार मgt सोचन एव खोज करन क शि उनक

परपYवता क तर एव अनभव इन दोन क अतःि या क ारा िनधा1रत होती ह

िपयाज क िसPात क महवपण1 सLयय-

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 207

1 अनकलन (Adaptation)

2 साLयधारण (Equilibration processes)

3 सरMण (Conservation)

4 सानामक सरचना (Cognitive sturucture)

5 मानिसक सि या (Mental operations)

6 कLस (Schemes)

7 कमा (Schema)

8 िवक_ण (Decentering)

िपयाज क अनसार सानामक िवकास क अवथायgt-

1 सवदी पशीय अवथा

2 ाYसि यामक अवथा

3 ठोस सि या क अवथा

4 औपचारक सि या क अवथा

bull िचतन क सबध मgt जो भी िसPात ितपािदत िकय गय ह उनमgt स िकसी भी एक िसPात को पण1=पण

tn नहU कहा जा सकता सभी िसPात का अपना-अपना महव ह एव उनक कछ सीमायgt ह

bull बालक क बौिPक िवकास क सतोषजनक RयाZया करन मgt जीन िपयाज क िसPात का महवपण1

योगदान माना जाता ह

175 शदावली

bull पशीय ियाय( मासपिशय स सLबP ि याकलाप

bull योJय िकसी योग मgt जो Rयि सिLमिलत िकय जात ह

bull सानामक िवकास बौिPक िवकास अथा1त- िचतन तक1 िवpषण इयािद क Mमताओ का िवकास

bull िनगमनामक िचतन िदय गय तyय क आधार पर िकसी सही िन^कष1 पर पहJचन क कोिशश करना

जस- िक यिद िकसी Rयि स पछा जाय िक 10 मgt 2 जोड़ दन पर Yया उर आयगा तो इसका उर दन मgt

िनिहत िचतन िनगमनामक िचतन का उदाहरण होगा

176 वमयाकन हत

नीच कछ कथन िदय गय ह जो कथन सही ह उनक आग सही का िनशान तथा जो गलत ह उनक आग

ास का िनशान लगायgt-

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 208

1) क_ीय िसPात क अनसार मित^क ही िचतन का आधार ह ( )

2) गित िसPात को Rयविथत =प दन का tय िविलयम जLस को ह ( )

3) वाटसन क अनसार हम लोग पर शरीर क सहार िचतन ि या करत ह ( )

4) परधीय िसPात मgt पशीय ि याओ को महवपण1 माना गया ह ( )

5) सवuमकिनlम क_ीय िसPात स सबिधत ह ( )

6) सवu मकिनlम क छः भाग होत ह ( )

7) ब`च क सानामक िवकास क िसPात का ितपादन जीन िपया थ ारा िकया गया ( )

8) िपयाज एक िवस मनोवािनक ह ( )

9) िपयाज का िसPात अतः ि यावादी िवचारधारा का उदाहरण नहU ह ( )

10) िपयाज क अनसार बालक मgt वातिवकता क व=प क बार मgt िचतन करन एव खोज करन क शि

उनक अनभव एव परपYवता क तर दोन पर िनभ1र करती ह ( )

11) िपयाज न बालक क सानामक िवकास क चार अवथायgt बतायी ह ( )

12) िपयाज क अनसार ब`च क सानामक िवकास क अितम अवथा औपचारक सि या क अवथा ह(

)

13) िचतन क िनLनािकत मgt स िकस िसPात मgt मित^क क कायk क भिमका पर बल डाला गया ह

i) परधीय िसPात ii) क_ीय िसPात

iii) पनिन1वशन िसPात iv) उपय1 मgt स िकसी भी िसPात मgt नहU

14) गटा-ट मनोवािनक न अपन योग क आधार पर िनLनािकत मgt स िकस िसPात का समथ1न िकया ह

i) परधीय िसPात ii) क_ीय िसPात

iii) पनिन1वशन िसPात iv) िपयाज का िसPात

15) वाटसन न िचतन मgt िनLनािकत मgt स िकसक महव पर अिधक बल डाला ह

i) मित^कय ि याए ii) पशीय ि याए

iii) अमत1 ि याए iv) मsदडीय ि याए

16) िकसक िसPात मgt िचतन को एक उपवािचक बातचीत कहा गया ह

i) वाटसन ii) िपयाज iii) औसगड iv) वदा1इमर

17) िपयाज न सवदी पशीय अवथा को िकतन उपभाग मgt बाटा ह

i) पाच ii) तीन iii) चार iv) छः

18) िपयाज क िसPात मgt सवदी पशीय अवथा क सही अविध कौन सी ह

i) दो स चार साल ii) जम स दो साल

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 209

iii) 4 स 5 साल iv) 5 स 11 साल

19) िपयाज न ाक सि यामक अवथा क दो अवथाओ का वण1न िकया ह जो िनLनािकत मgt स कौन-सा

i) ितवत1 ि याओ क अवथा तथा गौण कमटा क समवय क अवथा

ii) औपचारक सि या क अवथा तथा ठोस सि या क अवथा

iii) अतह1शी अवथा तथा ाकसयामक अवथा

iv) मख ततीय िति याओ क अवथा तथा गौण वीय िति याओ क अवथा

उ-र 1) सही 2) गलत 3) सह 4) सही 5) गलत 6) गलत

7) सही 8) सही 9) गलत 10) सही 11) सही 12) सही

13) ii 14) ii 15) ii 16) i 17) iv 18) ii 19) iii

177 सदभ0 1थ सची

bull िसह अ=ण कमार (2006) उ`चतर सामाय मनोिवान मोतीलाल बनारसीदास बगलो रोड जवाहर

नगर िद-ली

bull िसह अ=ण कमार (2006) सानामक मनोिवान मोतीलाल बनारसीदास बगालो रोड जवाहर नगर

िद-ली

bull अजvमर1 रहमान (2003) सामाय मनोिवान िवषय और RयाZया

bull tीवातव रामजी आलम आिसम (2004) आधिनक सामाय मनोिवान

bull tीवातव रामजी (2003) सानामक मनोिवान

bull 178 िनबधामक

1 िचतन क िकस िसPात को आप अिधक उपय मानत ह अपन उर का योगामक समथ1न दgt

2 ब`च क िचतन क RयाZया मgt िपयाज क योगदान क RयाZया तत करgt

3 िचतन क परधीय िसPात का वण1न करgt

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 210

इकाई-18 िनगमनामक एव आगमनामक तक ना सम)या समाधान क उपागम एव चरण

का-क सम)या समाधान(Deductive and Inductive Reasoning

Approaches and Steps of Problem Solving Classroom Problem

Solving)

इकाई सरचना

181 तावना

182 उय

183 तक1 णा

1831 तक1 णा अथ1 एव व=प

1832 तक1 णा क कार

1833 तक1 णा मgt महवपण1 सोपान

184 समया समाधान उपागम

1841 समया समाधान स Yया अिभाय ह

1842 समया समाधान क िविधया

1843 समया समाधान को भािवत करन वाल कारक

1844 समया समाधान क िसPात

1845 समया समाधान क चरण

185 साराश

186 श)दावली

187 वम-याकन हत

188 सदभ1 2थ सची

189 िनबधामक

181 तावना

िय िवािथ1य इसस पव1 क इकाईय मgt आप जान चक ह िक िचतन Yया ह इसका व=प Yया ह िचतन क

िभन - िभन कौन स कार ह तथा िचतन क ि या िकस कार होती ह िचतन ि या ारा समया

समाधान मgt िकन - िकन कारक का महव होता ह इयािद अब इसी म को आग बढ़ात हJय तक1 णा एव

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 211

समया समाधान Yया ह इस िवषय पर चचा1 क जायगी इकाई क शीष1क को पढ़न क बाद स ही आपक मन मgt

सभवतया अनक उपन हो रह हग जस िक -

तक1 णा का अथ1 Yया ह

Yया तक1 णा का िचतन स कोई सबध ह

तक1 करन स Yया िकसी समया का समाधान होता ह

यिद समया का समाधान होता ह तो िकन - िकन िविधय स

समया समाधान क िविभन सोपान Yया ह

समया समाधान क सLबध मgt िकन - िकन िसPात का ितपादन िकया गया ह इयािद

तो िजास िवािथ1य इस इकाई को पढ़न - समझन क बाद अपनी िजासाओ का समाधान पा सकत ह

तक1 णा को मनोवािनक न वातिवक िचतन कहा ह वातव मgt तक1 णा एक माEयम ह िजसमgt Rयि

तक1 िवतक1 करत हJए अपन िचतन को मबP बनाता ह तथा समया का समाधान करता ह तक1 णा एक कार

का समया समाधान Rयवहार ह िजसमgt Rयि तत समया क सLभािवत उर क जाच तािक1 क ढग स करता

ह तथा इनक आलोचनामक RयाZया तत करता ह तक1 णा मgt Rयि अपनी ओर स कछ नय समाधान तत

करता ह अथवा िदय गय तyय मgt स ही समया क समाधान तक पहJचन का यास करता ह अतः पD ह िक

तक1 णा Rयि क वह योrयता ह िजसका उपयोग करक Rयि अपनी समया का समाधान ाF कर लता ह

िवािथ1य यिद तत ईकाई का अEययन करत समय आप एक बार िचतन क अथ1 को भी पनः मरण

कर लgt तो तत िवषय को अिधक अ`छ ढग स समझ सकत ह तो

आइय सव1थम चचा1 करत ह तक1 णा क अथ1 एव व=प क सबध मgt

182 उय

पाठक तत ईकाई का अEययन करन क उपरात आप -

bull तक1 णा क अथ1 को पD कर सकgt ग

bull तक1 णा क िविभन परभाषाओ का िवpषण कर सकgt ग

bull तक1 णा क िविभन िवशषताओ का वण1न कर सकgt ग

bull तक1 णा एव िचतन क पारपरक सबध को सपD कर सकgt ग

bull तक1 णा क िविभन कार का िववचन कर सकgt ग

bull तक1 क माEयम स आप अपन Rयवहारक जीवन मgt िकस कार समया का समाधान कर सकत ह इसका

अEययन कर सकgt ग

bull समया समाधान क व=प क पD कर सकgt ग

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 212

bull समया समाधान क िविभन उपाय का अEययन कर सकgt ग

bull समया समाधान को भािवत करन वाल कारक का िवpषण कर सकgt ग

bull समया समाधान क िविभन िसPात का अEययन कर सकgt ग

bull समया समाधान क महवपण1 चरण का ान ाF कर सकgt ग

हम अपन दिनक जीवन मgt िकस कार सरलतापव1क अपनी समयाओ का समाधान कर सकत ह इसका

अEययन कर सकgt ग

183 तक0 णा

1831 तक0 णा अथ0 एव वQप -

िय पाठक तक1 णा वततः एक कार का वातिवक या यथा1थ िचतन ह िजसमgt Rयि अपनी िचतन ि या

को एक मबP =प दान करता ह तथा तक1 - िवत1क क माEयम स िकसी िन^कष1 या परणाम पर पहJचता ह

तक1 णा एक मानिसक ि या ह जो िचतन का ही एक जिटल =प ह

रबर (1985) न तक1 णा क दो अथ1 बताए ह -

सामाय अथ1 मgt तक1 णा एक कार का िचतन ह िजसक ि या तािक1 क तथा सगत होती ह िविशD

अथ1 मgt तक1 णा समया समाधान Rयवहार ह जहा अ`छीतरह स निम1त परक-पनाओ क मबP =प स जाच

क जाती ह तथा समाधान तािक1 क ढग स िनगिमत िकया जाता ह रबर क िवचार स पD ह िक तक1 णा मgt Rयि

िकसी घटना या िवशय क पM तथा िवपM मgt तक1 करत हJए एक परणाम पर पहJचता अतः हम कह सकत ह िक

तक1 काय1 कारण मgt सLबध थािपत करक हमgt िकसी िन^कष1 पर पहJचन या िकसी समया का समाधान करन मgt

सहायता दता ह

कनर क अनसार - lsquolsquoतक1 श)द का योग कारण और भाव क सLबध क मानिसक वीकित Rय

करन क िलए िकया जाता ह यह िकसी अवलोिकत कारण स एक घटना क भिवयवाणी या िकसी अवलोिकत

घटना क िकसी कारण का अनमान हो सकती हlsquolsquo

अतः तक1 णा क व=प क बार मgt हमgt िनLनिलिखत तyय ाF होत ह -

bull तक1 णा िचतन एक ि या ह

bull तक1 णा मgt मबPता पायी जाती ह

bull तक1 णा मgt Rयि पM िवपM मgt तक1 करत हJए एक िनि^चत िन^कष1 पर पहJचता ह

तक1 णा सबधी रबर क िवचार स पD होता ह िक तक1 णा मgt Rयि िकसी िवषय अथवा घटना क पM

एव िवपM दोन मgt तक1 करत हJय िकसी एक िनिWत िन^कष1 पर पहJचता ह

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 213

उदाहरण - उदाहरणाथ1 मान लgt िक हम अपनी कलम कहU पर रखकर भल जात ह हम िवचार करत ह िक हमन

उसस अितम बार कहा िलखा था इस कार तक1 करक हम इस िन^कष1 पर पहJच जात ह िक कलम पढ़न क

कमर मgt होगा हम वहा जात ह और वह हमgt िमल जाता ह ह इस कार हमारी समया का समाधान हो जाता

व=प - तक1 णा क उपय1 परभाषाओ का िवpषण करन क उपरात इसक व=प क सबध मgt कछ तyय ाF

होत ह िजनको िनLनिलिखत िबदओ क अतग1त विण1त िकया जा सकता ह-

bull तक1 णा िचतन क एक जिटल मानिसक ि या ह

bull तक1 णा मबP होती ह

bull तक1 णा मgt Rयि पM - िवपM मgt तािक1 क िचतन करत हJय एक िनिWत परणाम पर पहJचता ह

अतः िवािथ1य उपय1 िववचन स आप समझ गय हो या नहU िक तक1 णा स हमारा Yया अिभाय ह

1832 तक0 णा क कार -

मनोिवािनक ारा तक1 णा को मZय =प स चार भाग मgt वगvकत िकया गया ह जो िनLनिलिखत ह -

1 िनगमनामक तक1 णा (Deductive reasoning)

2 आगमनामक तक1 णा (Inductive reasoning)

3 आलोचनामक तक1 णा (Evaluative reasoning)

4 साCयवाची तक1 णा (Analogical reasoning)

इनमgt स िनगमनामक एव आगमनाक तक1 णा का िववचन िनLनानसार ह ndash

1) िनगमनामक तक0 णा - ऐसी तक1 णा िजसमgt Rयि पहल स ात िनयम एव तyय को आधार मानकर

िकसी िनिWत िन^कष1 या परणाम पर पहJचता ह उस िनगमनामक तक1 णा कहत ह

इस कार क तक1 णा मन य एव पश दोन ारा क जाती ह

उदाहरण -

सभी मन य मरणशील ह

ममता एक मन य ह

इसिलय ममता मरणशील ह

2) अगमनामक तक0 णा - अगनामक तक1 णा तक1 णा का दसरा कार ह िजसमgt Rयि को जो तyय िदय हJय

होत ह उनमgt िचतन क आधार पर कछ और नय तyय को जोड़ता ह तथा उसक बाद िकसी िनिWत

िन^कष1 पर पहJचता ह इसमgt उस समय तक समया का समाधान नहU हो पाता ह जब तक िक Rयि िदय

गय तyय मgt अपनी ओर स कछ नय तyय को नहU जोड़ता

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 214

lsquolsquoअगनामक िचतन मgt िचतक अपनी क-पना क आधार पर कछ ऐसी नयी चीज को जोड़ता हlsquolsquo

जो तत आकड स सीध ात नहU कर िलय जा सकत ह जो Rयि रचनामक पवित क होत ह उनमgt

अगनामक िचतन क वित अपMाकत अिधक होती ह

1833 तक0 णा म( महवपण0 सोपान -

पाठक अब आपक मन मgt यह उपन हो रहा होगा िक तक1 णा क सोपान या चरण स हमारा Yया आशय ह

तक1 णा क अथ1 को पD करत हJय हमन आपको बताया था िक तक1 णा मgt मबPता का गण पाया जाता ह

अथा1त िचतक एक िनिWत िदशा क मgt मबP ढग स सोचत हJय समया समाधान क ओर अ2सर होता ह

अतः तक1 णा क चरण (सोपान) स तापय1 उन अवथाओ स ह िजनस एक तािक1 क िचतन करता हJआ Rयि

मशः गजरता ह तक1 णा क य महवपण1 सोपान िनLनानसार ह

1 समया क पहचान (Recognition of a problem)

2 आकड़ पर पहJचना (collection of data)

3 अनमान पर पहJचना (Drawing inference)

4 अनमान क अनसार योग करना (To do experiment according to inference)

5 िनण1य करना (decision making)

1) समया क पहचान - िवािथ1य तक1 णा का थम चरण समया क पहचान करना ह

Yयिक तक1 णा भी एक कार का समया समाधान Rयवहार ह

जब तक हमार सामन िकसी कार क कोई समया ही उपन नहU होगी तो उसक समाधान क बार मgt

सोचन का तो ही नहU उठता

अतः समाधान स पव1 समया क पहचान एक अिनवाय1 आवयकता ह

उदाहरण - जस कोई Rयि अपना चमा कहU रख कर भल जाता ह तो उसक सामन एक समया

उपन होती ह िक उसन अपना चमा कहा रख िदया ह

2) आकड़K पर पहXचना - तक1 णा का यह दसरा महवपण1 सोपान ह िजसमgt Rयि समया समाधान स

सबिधत िविभन तyय को एकिNत करता ह

आकड़ा स2हण मgt Rयि अपनी िपछली अथा1त गत अनभितय क सहायता लता ह

उदाहरण - जस उपय1 चमा खो जान क समया उपन होन पर इस दसर चरhपा मgt वह तyय क

स2हण क ि या मgt याद करगा िक वह अपना चमा कहा रखता ह हो सकता ह उसक परवार क िकसी

सदय न कहU पर रख िदया हो अतः उनस भी पछ लना उिचत होगा इयािद

3) अनमान पर पहXचना - तक1 णा क ततीय चरण मgt Rयि एकिNत आकड़ क आधार पर िकसी न िकसी

अनमान पर पहJचता ह

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 215

उदाहरण - जस उपय1 उदाहरण मgt Rयि यह अनमान लगा सकता ह िक lsquolsquoम अपना चमा अपन

दोत क घर भल आया हगाlsquolsquo

4) अनमान क अनसार योग करना - तक1 णा का यह चौथा चरण ह

इसमgt Rयि अपन अनमान क आधार पर अपन आग क कायu को करता ह

उदाहरण - जस तत उदाहरण मgt Rयि इस अनमान पर पहJचता ह िक वह अपन िमN क घर अपना

चमा भल आया ह तो तक1 णा क ारा इस चतथ1 सोपान मgt वह अपन िमN क घर जाकर इस सबध मgt पछताछ

करगा

5) िनण0य करना - यह तक1 णा का अितम चरण ह

इसमgt Rयि एक िनण1य लकर िनिWत िन^कष1 पर पहJचता जाता ह

िकत िवािथ1य यहा यह Eयान दना आवयक ह िक यह कोई ज=री नहU िक Rयि ारा जो िनण1य

िलया गया ह उसस उनक समया का समाधान हो ही जायगा समया का समाधान हो भी सकता ह

और नहU भी

यिद समया पव1वत बनी रहती ह तो वह एकिNत तyय क आधार पर िफर िकसी नय अनमान पर

पहJचता ह उसक अनसार काय1 करता ह और पनः एक िनण1य लता ह इस कार जब तक समया का

समाधान नहU हो जाता तब तक यह म लगातार चलता ही रहता ह

उदाहरण - जस उपय1 उदाहरण मgt उस Rयि को अपन िमN क बार मgt घर जान पर भी चमा नहU िमलता ह

Yयिक िमN क कहन पर पता चलता ह िक यहा स तो व चमा लकर गया था तो वह पनः एकिNत तyय क

अनसार एक नय अनमान पर पहJचगा और उनक अनसार काय1 करगा

अतः िय पाठक अब आप समझ गय हग िक तक1 णा एक ऐसी िचतन ि या ह िजसमgt Rयि

समया समाधान क िलय तक1 - िवत1क करत हJय मबP ढग स सोचता ह और उसक आधार पर िकसी िनिWत

परणाम या िन^कष1 पर पहJचता ह

184 समया समाधान उपागम

1841 समया समाधान स Nया अिभाय ह

जब Rयि िकसी ल(य तक पहJचना चाहता ह और िकसी कारण वश नहU पहJच पाता ह तो उसक सामन एक

समया उपन हो जाती ह जसका समाधान उस खोजना होता ह जस यिद Rयि अपन परवार क साथ कहU

बाहर घमन जाना चाहता ह और घमन जान क िलए उसक पास कोई साधन उपल)ध नहU ह तो यह उसक िलए

एक समया होगी यिद वह इस किठनाई पर िवजय ाF करक ल(य तक पहJच जाता ह तो वह समया का

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 216

समाधान कर लगा इस कार समया सामाधान का अथ1 ह - किठनाइय पर िवजय ाF करक ल(य को ाF

करना

lsquolsquo समया समाधान मgt िविभन अनि याओ को करन या उनमgt स चनन का यास सिLमिलत होता ह

तािक वािछत ल(य क ािF क जा सकlsquolsquo (बरोन साइकोलॉजी प0स0 - 267)

lsquolsquoसमया समाधान का अ होता ह बाधाओ को दर करन तथा लय क ओर पहचन क िलय िचतन

ियाओ का उपयोग करनाlsquolsquo (साइकोलॉजी एन इोडMन 1984 प0स0- 239)

समया समाधान क िनLन तीन महवपण1 पहल ह -

1 मौिलक अवथा (original state)

2 ल(य अवथा (goal state)

3 िनयम (rules)

1) मौिलक अवथा -समया क सामन आन पर उपन होन वाली अवथा

2) ल(य अवथा - ल(य अथा1त समया समाधान क बाद उपन होन वाली अवथा

3) िनयम - वह ि या िजसस Rयि समया क मौिलक अवथा स ल(य अवथा तक पहJचता ह

उदाहरण- जस िकसी Rयि को 5 िकमी क दरी तय करक रलव cलटफाम1 पर जाना ह तो इस उदाहरण मgt

समया क मौिलक अवथा यह सोचना ह िक मझ अभी 5 िकमी तक जाना ह ल(य अवथा मgt Rयि

cलटफाम1 तक पहJच जाता ह िनयम मgt व साधन आयgtग िजसक माEयम स वह cलटफाम1 तक पहJचता ह

पाठक िकसी समया का समाधान कब और िकस कार स होगा यह उस समया क व=प पर

िनभ1र करता ह कछ समयायgt आसान होती ह िजनका समाधान आसानी स हो जाता ह िकत कछ समयाओ

का व=प अयत जिटल होन क कारण उनक समाधान मgt भी समय लगता ह

1842 समया समाधान क िविधया

िय पाठक अब आप सोच रह हग िक कोई समया उपन होन पर उसका समाधान िकस कार स िकया

जाता ह Yया मनोिवान क MN मgt समया समाधान क िविशD तकनीकgt या उपाय ह जी हा समया समाधान

क MN मgt मनोवािनक ारा अनक शोध अनसधान िकय गय और उनक आधार पर िकसी भी समया का

समाधान करन मgt िनLन दो िबिधय या उपाय को महवपण1 थान दान िकया -

1 याCि`छक अवषण िविध (Random search method)

2 वतः शोध अवषण िविध (Heuristnc search method)

इनका िववचन िनLनानसार ह-

1 याcिRछक अवषण िविध -

इस तकनीक मgt Rयि यन एव Nिट उपाय का सहारा लत हJय समया का समाधान करता ह

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 217

याCि`छक अवषण िविध को भी दो भाग मgt वगvकत िकया गया ह -

i) अ मबP याCि`छक अवषण िविध तथा

ii) मबP याCि`छक अवषण िविध

i) अमब= याcिRछक अवषण िविध - इस िविध मgt Rयि िकसी समया का समाधान करन क

िलय सभी सभािवत अनि याओ को अ मबP िविध स अपनाता ह अथा1त कायu का न तो कोई

िनिWत म होता ह और न वह पहल स अपनायी गयी ि यािविधय का कोई रकाड1 ही रखता ह

ii) मब= याcिRछक अवषण िविध - इस िविध मgt समया का समाधान एक िनिWत म मgt िकया

जाता ह तथा समाधानकता1 पहल स क गई अनि याओ का एक रका1ड भी रखता ह िजसस िक

पहल हJयी Nिटय क पनः होन क सभवना नहU होती ह यिप मबP िविध मgt अ मबP िविध क

तलना मgt समय अिधक लगता ह िकत यह िविध ( मबP याCि`छक अवषण िविध) अिधक

भावी ह

2 वतः शोध अवषण िविध -

इस िविध क अतग1त Rयि समया क समाधान क िलय कवल उहU िवक-प का चयन करता ह जो उस

सगत लगत ह सभी सभािवत िवक-प क खोज नहU क जाती ह

इस िविध मgt इस बात क काई गारटी नहU होती िक समया का समाधान िनिWत =प स ही हो जायगा

लिकन ह समाधान हो क सभावना बहJत रहती ह

याCि`छक अवषण िविध क तलना मgt इनमgt समय कम लगता ह

वतः शोध अवषण िविध मgt िनLन िविधय को शािमल िकया गया ह

(i) साधन साEय िव^लषण (Means ndash ends analysis)

(ii) पWगामी अवषण (Backward search)

(iii) योजना िविध (Planing or Strategy Method) (i) साधन साEय िवIलषण -

इस िविध मgt मZय समया को अनक छोटी - छोटी समयाओ अथा1त उपसमयाओ मgt बॉट िदया जा जाता

जब इन उपसमयाओ को समाधान होता जाता ह तो मौिलक अवथा एव ल(य अवथा क बीच अतर

कम होता जाता ह अथा1त Rयि समया समाधान क अयत िनकट पहJच जाता ह इस िविध का उपयोग

मZय =प स शतरज क समया क समाधान मgt गिणतीय समयाओ को हल करन मgt कLcयटर ारा िकसी

समया क समाधान हत काय1 म तयार करन मgt इयािद मgt िकया जाता ह

(ii) पoगामी अवषण -

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 218

इसमgt Rयि समया समाधान क िलय मशः ल(य अवथा स मौिलक अवथा तक पहJचन का यास

करता ह

इस िविध का िनLन िथितय मgt योग िकया जाता ह-

bull जब समया क ल(य अवथा मgt मौिलक अवथा क तलना मgt अिधक सचनायgt उपल)ध रहती ह

bull जब समया समाधान क िलय अ2गामी एव पWगामी दोन िदशाओ मgt यास सभव हो

(iii) योजना िविध -

इस िविध मgt मZय समया को दो भाग मgt वगvकत कर िदया जाता ह -

1 साधारण पहल 2 जिटल पहल

Rयि सव1थम साधारण पहल का समाधान करता ह उसक बाद जिटल पहल क समाधान क िदशा मgt

अ2सर होता ह

िय िवािथ1य अब आप समझ गय हग िक िकसी समया का समाधान करन क अनक िविधया हो

सकती ह िजनको Rयि उन समयाओ क व=प एव अपनी योrयता क आधार पर अपनाता ह

1843 समया समाधान को भािवत करन वाल कारक -

िय पाठक अब आप सोच रह हग िक समया समाधान क कारक का Yया अथ1 ह कारक का अथ1 यहा पर

यह ह िक जब हम िकसी समया का समाधान करत ह तो वह समया समाधान िकन - िकन Rयिय वतओ

अथवा घटनाओ स भािवत होता ह

मनोवािनक न समया समाधान को भािवत करन वाल िविभन कारक का िववचन िनLन िबदओ

क अतग1त िकया ह -

1 काया1मक अटलता

2 मानिसक वि

3 िशMण

4 दिWता

5 उवन

6 समया का व=प

7 अवधान िवतार

8 िविMिFकरण

1844 समया समाधान क िस=ात -

समया समाधान हत मनोवािनक न दो तरह क िसPात क RयाZया क ह िजनमgt थम ह गटा-ट वािदय

का अतC1िD िसPात तथा दसरा ह समया समाधान का Rयवहार वादी CिD कण

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 219

1) सीखन का अतc0ि` िस=ात-

गटा-टवादी मनोवािनक कोहलर न सन 1925 मgt बदर क मनोयोrयता नायक पतक कािशत क िजसम

पश अिधगम क सLबध मgt िजतनी भी बातgt थी व सब क सब थॉन1डाइक का िसPात हीमाना जाता था िजसक

अनसार (1) अिधगम यन एव भल क दन होता ह (2) शP अनि या क थापना धीर-2 होती ह (3)

अिधगम बहJत सी छोटी-2 अनि याओ और उनस ाF अनभव क परणाम व=प होता ह कोहलर न इनमgt स

यक का खhडन िकया

कोहलर न ब`च जानवर तथा बदर पर योग करको यह िनWय िकया िक य अपनी समया का

समाधान अतC1िD ारा खोजत ह थॉन1डाइकन अपन पशओ को योगामक अवथा मgt ऐसी जिटल िथित मgt

रखा था िक व सझ का परचय द ही नहU सकत थ उनक िलए यास और Nिट करना ही सLभव था परत

कोहलर का कथन ह िक इन जानवर न भी अतC1िD ारा ही सीखा था भल एव यारन ारा नहU थॉन1डाइक न

अपन योग मgt सीखन का व तयार िकया था इस व मgt गटा-टवािदय क अनसार जो आकिमक उतार ह

वह अतC1िD का ही सचक ह यिद योlय समया को परी तरह स समझत नहU तो यह उतार नहU आ सकता

था

कोहलर न अिधगम क अतC1िD िसPात क RयाZया करन क िलए एक योग िकया -

इस योग मgt िचLपजी क िपजड क हद मgt कला लटका िदया गया कला इतनी ऊचाई पर था िक उस तक हलाग

लगाकर नहU पहJचा जा सकता था िपजड मgt एक बॉLस रखाया िजस पर चढकर छलाग लगान स कल तक

पहJचा जा सकता था स-तान जो एक बिPमान िचLपजी था एक बार सीध उछला और असफल रहा िफर वह

बॉLस खUचकर लाया और उसस छलाग लगाकर कला ाF कर िलया अब कल क ऊचाई कछ बढ़ादी गयी

और िपजड़ मgt दो बॉLस रख िदय गय स-तान न एक बॉLस क ऊपर दसरा बॉLसरखकर छलाग लगाई और कल

ाF करिलय

एक दसर अEययन मgt सलतान िपजड़ मgt दो छिड़या पडी थी एक मोटी तथा खोखली और दसरी पतली

कोई एक छडी कल तक नहU पहJचती थी सलतान पहल हाथ बढ़ाकर कला पकड़ना चाहा पर असफल रहा

िफर बारी-बारी स दोन छिड़ाय स दोिभय क िकत असफल रहा िफर बारी-बारी स दोन छिड़य को हाथ मgt

लकर घमान लगा सयोगवश एक सीध मgt आ जान क कारण दोन छिड़या जड़ गयी और उसन उनस खUचकर

कला ाF कर िलया अतः बॉLस पर चढ़कर छलाग लगान स कला ाF िकया जा सकता ह उसी कार दो

छिड़य को जोड़कर खUचन स भी आसानी स कला खUचा जा सकता ह बदर क सझ क उदाहरण ह जो

साधन और साEय क यMामक सLबध स सLबिधत ह अतः सLबध का यही यMामक बोध सझ

अथवा अतC1िD ह जो गटा-टवािदय क अनसार अिधगम अथवा समया समाधान का आधार ह

अतC1िD िसPत क िनयम -

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 220

औगड ारा थािपत अतC1िD क कछ िनयम इस कार ह -

1 ल(य तक पहJचन क िलए पश सबस सीधा राता अपनाता ह उपरो उदाहरण स पD ह िक जबतक कोई

अड़चन नहU हो पश सीध ही अपना ल(य ाF कर लना चाहता ह यिद इसमgt कोई अड़चन हJई तो इस

छोड़कर कोई दसरी सरल माग1 अपनाता ह

2 ाणी तथा ल(य क बीच िकसी कार क बाधा आ जान पर एक कार का तनाव उपन हो जाता ह

कोहलर क अनसार तनाव क माNा दो बात पर िनभ1र करती ह (क) ल(य ाF करन क इ`छा िकतनी

बल ह (ख) ल(य पर िकतना Eयान िदया गया ह

3 मनोवािनक MN अिवयोिजत तनाव का एक ित=प होता ह जो ल(य क आकष1क शि और

भौगोिलक MN क अवरोधक शिय स िनधा1रत होता ह ाणी जस-जस ल(य क समीप होता जाता ह

ल(य क आक1 षक शि मशः बढ़ती जाती ह भौगोिलक MN मgt ाणी क थान परवत1न स आकष1क व

अवरोघक शिय का =प बदलता जाता ह

4 ल(य तक जान वाल िकसी माग1 का बोध होत ही सLपण1 मनोवािनक MN का अकमात पनग1ठन हो जाता

ह और उसका तनाव घट जाता ह मनोवािनक MN क इसी अवमात पनग1ठन स अतC1िD उcपन होती ह

अिधगम क गटा-ट अपवा अतC1िD िसPात क यही मख बात ह अतc0ि` क िनधा0रक - अतC1िD को कोहलर तथा अय गटा-ट वािडय न Rयवहार का एक उामी िनयम

माना ह अतC1िD क कछ िनधा1रक तव क चचा1 इस कार ह -

1 अतC1िD क उपी मनोवािनक MN क तनाव क माNा पर िनभ1र करती ह यिद सLभावना lयादा होती ह

बहJत अिधक या बहJत कम तनाव अतC1िD क उपि मgt बाधक का काय1 करत ह

2 भौगोिलक MN मgt इधर उधर घमन स अतC1िD क उपि मgt सिवधा होती ह इसस पD ह िक यिप

गटा-टवादी अिधगम मgt Rयवहारक तर पर यन एव मल का िनयम वीकार नहU करत ह िफर भी उनक

मनोवािनक MN का पनग1ठन कछ अश मgt इन ि याओ पर िनभ1र करता ह

3 यिद कोई नया माग1 अथवा यN ल(य ािF मgt सहायक होता ह तो अतC1िD क पनग1ठन मgt सिवधा होती ह

4 मनोवािनक MN मgt यN और ल(य क दरी िजतनी कम होगी या माग1 ल(य क सीध मgt िजतना अिधक

होगा अतC1िD का पनग1ठन उतना ही शी होगा

5 िवकिसत ािणय मgt अतC1िD शी होती ह

6 सीखन क आय अनभव और बिP का भाव भी अतC1िD पर दखा गया ह

अतc0`यामक [यवहार क ल6ण -

समया समाधान क अतC1Dयामक िसPात क िनLनिलिखत िवशषताए उ-लखनUय ह -

1 आकािमकता - अतC1Dयामक अिधगम अचानक होता ह जो ती हष1 और उ-लास कट करता ह

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 221

2 अिधक धारण एव अतरण - अतC1िD स सीखा गया Rयवहार लगभग थायी होता ह और इसका धनामक

अतरण भी अिधक होता ह

3 अतC1िD िमक होती ह - कोहलर न भल क सLभावना मानी ह तथा अ`छी और बरी भल मgt िवभद िकया

ह अ`छी भल ल(य क अनकल होती ह

4 सहजता - अतC1Dयामक अिधगम मgt समाधान बड़ सहज ढग स हो जाता ह

5 शP ि या और समाधान क थान - अतC1Dयामक अिधगम मgt समाधान पहल होता ह और शP ि या

बाद मgt होती ह अतः यह समाधान मानिसक तर पर पहल होता ह

6 समाधान और नवीनता - यिद परिथित नभी हो और समया का अचानक और सहज ढग स समाधन हो

जाय तो इस अतC1िD का ोतक मानgtग

अतc0ि` िस=ात का मयाकन -

अतC1िD िसPात मgt अनgtक गण होन क बावजद इसक कछ पट दोष भी ह िजसपर चचा1 िकया जाना

आवयक ह

1 अिधगम क RयाZया मgt कोहलर न अनक का-पिनक यय का योग िकया ह िजसक पट RयाZया नहU

क गयी ह

2 इस बात क माण उपल)ध ह अतC1िD अचानक उपन न होकर िमक =प स िवकिसत होती ह

3 अिधगम मgt पव1 अनभव क महव को नकारा नहU जा सकता Yयिक पव1अनभव अतC1िD क िवकास मgt

सहायक ह

4 अतC1िD िसPात अिधगम क सLपण1 RयाZया क िलए एक पया1F िसPात नहU ह

5 अतC1िD िसPात उ`च मानिसक Mमताओ वाल ािणय क समयाओ क समाधान का िसPात ह

2) समया समाधान का [यवहारवादी िस=ात -

जब कोई समया ाणी क सामन आती ह तो वह उसका समाधान करना चाहता ह िजसक िलए वह आसान

उपाय अपनाता ह जस कोहलर क स-तान नामक िचLपजी न सव1थम हाथ बढाकर कल को खUचना चाहा इसी

कार थान1डाइक क योग मgt िब-ली न अपन भोजन क ािF क िलए िपजड़ क छड को खरोचना या इधर

उधर कदन का सहारा िलया हल कर िवचार ह िक ाणी मgt ल(य तक पहJचान वाल अनक Rयवहार होत ह

परत इनक सLभावना अलग-अलग होती ह एक ही ल(य तक पहJचान वाल Rयवहार क उcपिD सभावना मgt

भद इसिलए होता ह िक अतीत मgt इन Rयवहार स िकसी स अिधक सफलता िमली ह और िकसी स कम

इसी वत िथित क कारण हल न आदत परवार पद सोपान (हिबट फिमली हाइरारक) क बात कही

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 222

आदत परवार पद सोपान क कपना - इस पद सोपान क अतग1त िकसी अनि या मgt ल(य क ओर बढ़न

क सLभावना अिधक होती ह और िकसी मgt कम अिधक या कम सभावना ाणी क पव1 अनभव पर िनभ1र

करती ह िजस अनि या ारा ाणी अपन ल(य को ाF करलता ह उसस उसक समया का समाधान हो जाता

ह अथा1त वह सीख लता ह जस स-तान िचLपजी न छोटी छड़ी को बड़ी छडी स जोडकर अपन ल(य को ाF

कर िलया तो िफर बाद मgt वसी परिथित आन पर वह उसी पPित स अपना ल(य ाF कर लगा Rयवहार

वािदय का कथन ह िक ाणी यास और Nिट क आधार पर समया समाधान कर लता ह

समया समाधान मgt िजतना िवलLब होता जाता ह ाणी िविवध कार क नयी-नयी ि याए दिश1त

करन लगता ह िकसी परिथित मgt सबस पहल अनि या पदान म क सब स ऊपर वाली अनि या कट

होती ह यिद उसम सफलता नहU िमल सक तो उसक बाद वाली अनि याए बारी-बारी स दोहराई जाती ह जब

तक िक समया का समाधान नहU हो जाता ह जब परिथित बार-बार दोहराई जाती ह तो पदान म क

अनि याओ क शाित मgt परवत1न होता ह

हल न ल(य वणता सLबधी िवचार तत करक समया समाधान क Rयवहारवादी िसPात को और

भी पट कर िदया ह वातव मgt ल(य वणता तथा आउत परवार पद सोपान को िमलान पर ही Rयवहारवादी

CिDकण पट होता ह ल(य वणता िनयम मgt हल न दावा िकया ह िक ाणी जसट ल(य क िनकट होता

जाता ह उसका कौशल मशः बढ़ता जाता ह इस िनयम स यह बात पD ह िक ाणी ल(य तक पहJचन क

िलए सबस आसान माग1 चनता ह अतः यक ाणी मgt िविभन कार क ि याओ क अलग-अलग

सभावनाए थािपत हो जाती ह जो आदत पदान म क =प मgt ाणी क थायी सLपि हो जाती ह

Rयवहारवािदय क अनसार िकसी समया का सामना होन पर ाणी एक ही बार मgt आदत परवार पद

सोपसन स कोई शP और सीधा माग1 नहU चन लता ह बि-क अकट यन एव भल व=प क ि याए होन क

पWात ही कोई ि या चनी जाती ह बहJत सी परिथितय मgt ाणी िब-कल नय ढग स समया का समाधान

करता ह गटा-ट मनोवािनक कोहलर का िचLपजी अपनी सझ ारा कल को छड़ी स खUचन मgt सफल हJआ

Rयवहारवादी मनोवािनक इस कार क Rयवहार क RयाZया सामायीकरण क आधार पर करत ह क6ा म( समया समाधान -

मरसल का कथन ह - समया समाधान क िविध का िशMा मgt सवा1िधक महव ह मन य क जीवन मgt पग-पग

पर समयाए आती ह िजनका उह तकाल पर समाधान करना होता ह यह काय1 व Rयि सरलता स कर लत

ह जो इस ि या मgt िशिMत होत ह ब`च को इस ि या मgt िशिMत करन का काय1 िशMक का होता ह

समया समाधान को िचतन एव तक1 क तरह एक कला कहा जाता ह िजसका िशिMण समया समाधान

िविध क योग स सही =प मgt िदया जा कसता ह इस िविध क ारा िशMण करन स ब`च समया समाधान

क िविध मgt ही िशिMत नहU होत अिपत व जो कछ भी सीखत ह वह भी पD =प स लीखत ह इस िविध स

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 223

सीखा गया ान थायी होता ह यह उनक =ची को जा2त करती ह समया समाधान िविध का योग छाN मgt

आम-िव13ास का जागरण करता ह तथा उहgt वय काय1 करन क िलए रत करता ह यह उनक समयाओ का

समाधान करन क िलए वािनक िविधय क योग का अनभव दान करती ह यह उनक िवचारामक और

सजनामक िचतन एव तािक1 क शि का िवकास करती ह यह उनक भावी जीवन क समयाओ का समाधान

करन का िशMण करन का िशMण दती ह

इन लाभ क कारण ो एव ो का सझाव ह- िशMक को समया समाधान क वािनक िविध मgt

िशMण िदया जाना चािहए कवल तभी व शP पD और िन^पM िचतन का िवकास करन क िलए छाN का

दश1न कर सकgt ग

बालकK को समया समाधान म( िशि6त करन क उपाय -

पव1 मgt िकय गय वण1न स यह पD ह िक िचतन ि या क शsआत समया क उपिथित स होती ह इसक

िलए परवार व िवालय को सय यास करन हग ब`च मgt िचतन शि क िवकास और इसक ारा

समया समाधान क िलए िवालय को िनrनिलिखत उपाय करन चािहए इन उपाय मgt जहा और िजतना सहयोग

परवार कह सकgt उहgt करना चािहए

i) भाषा िवकास - िचतन का मल आधार भाषा ह भाषा एव िवचार का अटट सLबध ह िविभन शोध

अEययन मgt यह दखा गया ह िक िजन ब`च का भाषा पर िजतना अिधकार होता ह व उतन ही अ`छ

तरीक स िचतन करत ह अतः ब`च क िचतन शि बढ़ान क िलए सव1थम उहgt भाषा का पD ान

कराना चािहए

ii) प` ान का िवकास - ब`च को िजतना अिधक ान होगा और सही व पD होगा व उस ान क

आधार पर उतन ही अिधक अ`छ =प स िचतन कर सकgt ग अतः आवयक ह िक ारLभ स ही ब`च को

सवदना तथा यMीकरण क अवसर िदए जाए और उहgt िविभन यय का पD ान कराया जाय ान

क िनरतर योग स ान पD व थायी होता ह

iii) समया समाधान िविध का योग - िचतन क श=आत ायः समया क शsआत क साथ होती ह

और समाधान क साथ समाF हो जाती ह अतः आवयक ह िक ब`च मgt जस ही ान का िवकास हो और

उहgt िविभन यय पD ह वस ही उहgt समया समाधान िविध स पढ़ाया िलखाया जाय इस िविध स

सीखन पर उहgt बलात िचतन करना पड़गा और व समया समाधान करन मgt सMमा हग

iv) रणा Qिच एव अवधान का योग - ब`च मgt सीखन क िलए अिभरणा एव =िच जा2त क जाय

ब`च मgt िचतन शि क िवकास क िलए इन सबका िवकास आवयक ह

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 224

v) िवचारामक K का योग - िशMक को ब`च को कछ भी पढ़ात िसखात समय िवचारामक

पछन चािहए िजनका उर दन क िलए व बरबस िवचार कहgtग और इसकार व धीर-धीर िचतन क कला

मgt िशिMत हो जायgtग

vi) वत7 अिभ[यिP क अवसर - ब`च अपन िदन ितिदन क जीवन म अनक समयाओ का सामना

करत ह इन समयाओ क सLबध मgt छाN को वय सोचन क अवसर दन चािहए इसस उहgt वतN

िचतन का अवसर िमलता ह िजसस व िचतन कला मgt िशिMत होत ह

vii) रटन क आदत पर िनय7ण - रटन क आदत पड़जान स ब`च िचतन करना नहU सीख पात अतः

िशMक को ब`च क इस आदत पर िनयNण करना चािहए व जो कछ पढ़gt-सीखgt समझ क साथ पढ़-

सीख

viii) सह पाढयचारी ियाओ का आयोजन - कछ पाढयचारी ि याए ऐसी होती ह िजसमgt ब`च क

=िच होती ह और िजनमgt भाग लन स उनमgt िचतन शि का िवकास होता ह जस िवचार-िवमश1 और वाद

िववाद ितयोिगता इनका आयोजन िकया जाए

ix) उ-रदाियवपण0 काय0 - यिद परवार एव िवालय मgt ब`च क ऊपर कछ उर दाियव पण1 काय1 सौप

जाए जो उनक Mमता क अन=प ह तो इहgt परा करन मgt उनक सामन वाभािवक =प स कछ समयाए

आयgtगी उन समयाओ का समाधान व वय करgtग यही तो िचतन क ि या ह

अतः उपरो िविधया अपना कद िशMक िवािथ1य को समया समाधान हत िशिMत कर सकत ह

1845 समया समाधान क चरण -

मनोवािनक न समया समाधान हत सात पद का उ-लख िकया ह - 1 समया क वQप का ान - समया समाधान क पहली अवथा समया क व=प को समझन क

होती ह इस अवथा मgt समया को पD =प स परभािषत िकया जाता ह Yयोिक समया को ठीक-ठीक

समझ िबना उसका समाधान ाF नहU िकया जा सकता

2 परभाषा सयापन क अवथा - दसरी अवथा मgt परभाषा का सयापन िकया जाता ह यिद परभाषा

ही गलत समझी गयी तो सारा समया समाधान गलत हो जायगा इस अवथा मgt यह जाच क जाती ह िक

परभाषा को ठीक-ठीक समझा गया ह या नहU

3 समया को अपन मरण म( रखना - समया समाधान कतीसरी अवथा मgt समया को सदव अपनी

मित मgt रखा जाता ह

4 परकपनाओ का िनमा0ण - समया समाधान क इस चौथी अवथा मgt Rयि परक-पनाओ का िनमा1ण

करता ह उदाहरणाथ1 यिद कोई िवाथv िवालय मgt थम थान ाF करना चाहता ह तो उस यह िनWय

करना होगा िक उस Yया-Yया करना चािहए िजसस िवालय मgt थम आ सक जस वह िनWय करता ह िक

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 225

वह अनावयक बात चीत मgt समय नD नहU करगा इधर उधर नहU घमगा आवयक परीMापयोगी अEययन

साम2ी एकN करगा तथा तरीMा मgt आन वाल सLभािवत का िनमा1ण करक उनक उर ढढन का यास

करगा

5 मqय परकपना का चयन - िनिम1त परक-पनाओ मgt स मZय परक-पना पर lयादा Eयान कि_त

िकया जाता ह िजसस समया का समाधान आसानी स ाF हो सक

6 चनी गयी परकपना का सयापन - समया समाधान क छठवU अवथा मgt Rयि िचतन करता ह

िक Yया सभी परक-पनाए जाच ली गई ह व सव1tn परक-पना का चयन िकया गया ह

7 चनी गयी सवi-म परकपना को काया0िवत करना - यह अवथा समया समाधान करलन क होती

ह अथा1त वह समया का समाधान कर लता ह

8 काया0िवत समाधान का मयाकन करना - इस अवथा मgt Rयि समया समाधान क परणाम का

म-याकन करता ह इस अवथा मgt Rयि समया मgt सिLमिलत चरण क गण दोष परखता ह तथा इन

चरण क महवपण1 तyय को पनः ािF सकत क =प मgt सिचत करक रखता ह िक उनका उपयोग अय

समयाओ क समाधान मgt भिव^य मgt कर सक

पD हJआ िक समया समाधान क कई चरण होत ह इन कदम या चरण का यिद Rयि ठीक ढग स उपयोग

करता ह तो समया का समाधान करन मgt उस काफ सफलता िमलती ह

185 साराश

तक1 णा एक कार का यथा1थ एव मबP िचतन िजसमgt Rयि तक1 - िवत1क ारा अपनी समया का समाधान

करता ह

तक1 णा क कार - तक1 णा क मनोवािनक न िनLन चार कार बताय ह -

1 िनगमनामक तक1 णा

2 आगमनामक तक1 णा

3 आलोचनामक तक1 णा

4 साCयवाची तक1 णा

तक1 णा क महवपण1 सोपान - तक1 णा क िनLन पाच मख सोपान बताय गय ह -

1 समया क पहचान

2 आकड़ क पहJचना

3 अनमान पर पहJचना

4 अनमान क अनसार योग करना

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 226

5 िनण1य करना

समया समाधान - lsquolsquoसमया समाधान का आशय किठनाईय पर िवजय ाFर करक ल(य को ाF करनाlsquolsquo

समया समाधान को भािवत करन वाल कारक - मनोवािनक न समया समाधान को भािवत करन वाल

िनLन 8 कारक बताय ह-

1 काया1मक अटलता

2 मानिसक वि

3 िशMण

4 दिWता

5 उवन

6 समया का व=प

7 अवधान िवतार

8 िविMिFकरण

समया समाधान क िसPात - समया समाधान क िलय मZय =प स िनLन दो िसPात का ितपादन िकया

गया ह -

1 गटा-टवािदय का अतC1िD िसPात

2 समया समाधान का Rयवहारवादी CिDकोण

186 शदावली

bull तक0 णा मबP =प स िचतन या तक1 - िवत1क करना

bull अवलोिकत जो दखी गई ह

bull अतc0ि` अता1न

bull पनग0ठन िफर स िनमा1ण होना

bull पदानम मशः अथा1त एक िनिWत म

bull िनिम0त बनायी गई

bull सयापन िकसी घटना या वत को सय सािबत करना

bull अवषण ढढना खोजना

bull स1हण एकिNत या इका करना

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 227

187 वमयाकन हत

नीच कछ कथन िदय गय ह जो कथन सही ह उनक आग ( ل ) का तथा जो गलत ह उनक समान गलत (X)

का िचह लगायgt ndash

1) तक1 णा मgt मबPता का गण नहU पाया जाता ह ( )

2) िनण1य करना तक1 णा का थम सोपान ह ( )

3) समया क पहचान तक1 णा का थम सोपान ह ( )

4) िनण1य करना तक1 णा का अितम सोपान ह ( )

5) सजनामक िचतक आगमनामक िचतन का योग अिधक करत ह ( )

6) िनगमनामक तक1 णा मानव एव पश दोन क ारा क जाती ह ( )

7) तक1 णा एक कार का वातिवक िचतन ह ( )

8) तक1 णा क दसर चरण मgt Rयि िकसी अनमान पर पहJचता ह ( )

9) तक1 णा क दसर सोपान मgt आकड़ का स2हण िकया जाता ह ( )

10) तक1 णा क ितीय सोपान मgt अनमान क अनसार योग िकया जाता ह ( )

11) समया समाधान का अथ1 ह किठनाईय पर िवजय ाF करक ल(य को ाF करना ( )

12) बरोन क अनसार समया समाधान मgt िविभन अनि याओ को करन या उनमgt स चनन का यास

सिLमिलत होता ह तािक वािछत ल(य क ािF क जा सक ( )

13) याCि`छक अवषण िविध मबP एव अ मबP दो कार क होती ह ( )

14) वतः शोध अवषण िविध मgt Rयि समया समाधान करन क िलय सभी िवक-प को ढढता ह ( )

15) पWगामी अवषण मgt Rयि समया का समाधान करन क िलय मौिलक अवथा स अपना यास ारभ

करता ह ( )

16) समया का व=प समया समाधान को भािवत नहU करता ह ( )

17) दिWता भी समया समाधान को भािवत करती ह ( )

18) Rयि क मानिसक वि समया समाधान को भािवत करती ह ( )

19) Rयि क मानिसक वि समया समाधान को भािवत नहU करती ह ( )

20) अतC1िD िसPात का ितपादन गटाटटवािदय ारा िकया गया ( )

उ-र 1) गलत 2) गलत 3) सही 4) सही 5) सही

6) सही 7) सही 8) गलत 9) सही 10) गलत

11) सही 12) सही 13) सही 14) गलत 15) गलत

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 228

16) गलत 17) सही 18) सही 19) गलत 20) सही

188 सदभ0 1थ सची

bull िसह अ=ण कमार (2006) उ`चतर सामाय मनोिवान मोतीलाल बनारसीदास बगलो रोड जवाहर

नगर िद-ली

bull िसह अ=ण कमार (2006) सानामक मनोिवान मोतीलाल बनारसीदास बगालो रोड जवाहर नगर

िद-ली

bull अजvमर1 रहमान (2003) सामाय मनोिवान िवषय और RयाZया

bull tीवातव रामजी आलम आिसम (2004) आधिनक सामाय मनोिवान

bull tीवातव रामजी (2003) सानामक मनोिवान

189 िनबधामक

1 तक1 णा का व=प पD करत हJए आगमनामक तथा िनगमनामक तक1 णा मgt अतर पD करgt

2 समया समाधान मgt गटा-टवािदय ारा तत िसPात क RयाZया करgt

3 समया समाधान मgt Rयवहारवादी CिDकोण क RयाZया तत करgt

4 ब`च क समया समाधान हत िशिMत करन क उपाय का वण1न करgt

5 समया समाधान मgt य चरण का वण1न करgt

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 229

इकाई-19 बि का )वप एव िस ात मानिसक आय का स5यय और बि लिgtध

(Nature and Theories of Intelligence Concept of Mental Age and

Intelligence Quotient (IQ)

इकाई सरचना

191 तावना

192 उय

193 बिP

1931 बिP अथ1 एव परभाषा

1932 बिP का व=प

1933 बिP क िसPात

194 मानिसक आय

195 बिP लि)ध

1951 बिP लि)ध (IQ) स Yया आशय ह

1952 बिP लि)ध क मान तथा उसका अथ1

196 साराश

197 श)दावली

198 वम-याकन हत

199 सदभ1 2थ सची

1910 िनबधामक

191 तावना

िय िवािथ1य इसस पव1 क इकाइय मgt आप मन य क िविभन मानिसक Mमताओ जस िक िचतन तक1

करना िकसी समया का समाधान करना इयािद का अEययन कर चक हो और उहgt समझ चक हो तत

इकाई मgt हमार अEययन का िवषय बिP इसक िविभन िसPात मानिसक आय तथा बिP लि)ध ह य सभी

सLRयय Yया ह तथा िकस कार हमार जीवन एव िनयित क कायu को भािवत करत ह इसका अEययन

तत इकाई मgt िकया जायगा

बिP Rयि क जमजात मानिसक Mमता ह बिP एक ऐसा श)द ह िजसस हम सभी परिचत ह पढ़-

िलख ह या अनपढ़ हम सभी क जीवन मgt बिP का महवपण1 थान ह यह ई13र-द वह योrयता ह जो उसक

यक काय1 मgt पायी जाती ह सामायतः बिP को बिPमान Rयि क साथ सहसबिधत करक जाना समझा

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 230

जाता ह जो Rयि िजतनी ही सगमता एव कशलतापव1क िनयित जीवन मgt घिटत होन वाली घटनाओ एव

कायk का सामना कर लता ह वह उतना ही बिPमान माना जाता ह अथा1त उसक बिP उतनी ही ती होती ह

कछ िवान न बिP को तक1 िनण1य एव आमआलोचना करन क योrयता माना ह िकत परLपरागत =प मgt

बिP िविभन मानिसक गण का सम`चय ह जो िविभन परिथितय मgt सघन =प स काय1 करती ह तथा Rयि

क समयाओ का समाधान करन तथा उय क ािF क ओर ल जाती ह

lsquoबिPrsquo वततः Yया ह यह िकन-िकन गण का सम चय ह इसक सतोषजनक एव वािनक RयाZया

करन क िलय मनोवािनक न िविभन िसPात का ितपादन िकया तथा साथ ही तिथक आय क समान

Rयिय क एक मानिसक आय भी होती ह इस धारणा का िवकास हJआ िफर एक और मनोवािनक क

सामन उपन हJआ िक कौन Rयि िकतना बिPमान ह इस बात का िनधा1रण िकस कार स हो तो िवािथ1य

िफर बिPलि)ध क सLयय का िवकास हJआ

तो आइय सबस पहल हम चचा1 करत ह िक बिP स मनोवािनक का Yया आशय ह इसक िविभन

आयाम Yया ह ाणी क कौन-कौन सी Mमताओ को बिP क अतग1त शािमल िकया जा सकता ह

192 उय

िय िवािथ1य तत इकाई को पढ़न क बाद आप-

bull बिP Yया ह इस पD कर सकgt ग

bull बिP क व=प का िवpषण कर सकgt ग

bull बिP क िविभन िसPात का अEययन कर सकgt ग

bull मानिसक आय क अथ1 को पD कर सकgt ग

bull बिPलि)ध Yया ह इसका वण1न कर सकgt ग

193 बि=

1931 बि= अथ0 एव परभाषा -

बिP एक ऐसा सामाय श)द हिजसका योग हम साधारण बोलचाल क भाषा मgt लगभग रोज ही करत ह बिP

को सामायतः सोचन समझन और सीखन एव िनण1य करन क शि क =प मgt दखा समझा जाता ह परत

वातव मgt बिP इसस कछ अिधक होती ह बिP क िवषय मgt सव1थम भारतीय दाश1िनक न िचतन िकया था

ाचीन भारतीय दाश1िनक क अनसार मन य क अतःकरण क तीन अग ह मन बिP और अहकार इनमgt मन

वाT इि_य और बिP क बीच सयोजक का काय1 करता ह मन क सयोग स बाहय इि_यॉ ि याशील होती ह

और मन क सयोग स ही बिP ि याशील होती ह इनक अनसार इि_य स ाF ान मन क ारा बिP तक

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 231

पहJचती ह बिP इसमgt कॉट-छॉट करक इस अह स जोड़ती ह और अत मgt इस स(म शरीर पर पहJचा दती ह

जहॉ वह सिचत हो जाती ह जब कभी ाणी िवशष को इस ान क आवयकता होती ह ता उसक बिP उस

स(म शरीर स मन पर पहचा दती ह और मन ाणी को तदनकल ि याशील कर दती ह

बिP Yया ह तथा इसका व=प कसा ह इस सदभ1 मgt आधिनक मनोवािनक मgt सदा स ही मतभद

रहा ह अलग अगल मनोवािनक न बिP क अपन-अपन ढग स समझन का यास िकया ह िकत सभी

एकमत होकर अभी तक बिP क वातिवक व=प को पD नहU कर सकgt ह परत यह सय ह िक इस िववाद

क बाद भी मनोवािनक िनरतर यास करत ह और बड़ी महवपण1 और उपयोगी जानकारी बिP क सबध मgt

आज उपल)ध ह सबस पहल बोरग (1923) न बिP क एक औपचारक परभाषा दी और कहा िक lsquolsquoबिP

परीMण जो मापता ह वही बिP हlsquolsquo

िकत इस परभाषा स बिP क व=प क बार मgt पD ान ाF नहU होता ह बिP मापन क बहJत सार

परीMण ह इनमgt स िकस परीMण ारा िकय गय मापन को बिP कहा जायगा बोरग क बाद अनक

मनोवािनक न बिP को िभन - िभन ढग स परभािषत करन क कोिशश क ह इन परभाषाओ क िवpषण

क आधार पर इन परभाषाओ का इस कार tणीगत िकया जा सकता ह-

1) थम tणी क परभाषाओ मgt बिP सीखन क Mमता का नाम ह तथा जो सीखा जा चका ह उस नई

दशाओ मgt योग करन का गण ह इस कार मनोवािनका का एक वग1 िजनमgt बि घम डारिवन तथा

एिबगहास क नाम मख ह यह मानत ह िक बिP सीखन क Mमता ह

2) ितीय tणी क परभाषाओ मgt बिP को वातावरण क साथ समायोजन करन क Mमता क =प मgt परभािषत

िकया गया ह जीवन क नई परिथितय मgt Rयविथत होन तथा नई समयाओ को सलझान मgt बिP क

Mमता को कोि-वनटन1 तथ िपयाज न महव िदया ह

3) मनोवािनक का एक ऐसा समह भी ह जो अमत1 िचतन को ही बिP का धान लMण मानता ह इन

मनोवािनक न अपनी परभाषाओ मgt बिP को अमत1 िचतन करन क Mमता क =प मgt परभािषत िकया ह

gास क मनोवािनक िबन तथा अमरका क टरमन जस मनोवािनक न बिP क ारा अमत1 िचतन करन

क Mमता या तीको ारा िकसी समया क समाधान को ाF करन पर बल िदया ह इसी कार िगलफोड1

टोडड1 तथा वYसलर क अितर अय बहJत स मनोवािनक ह िजहन बिP क िकसी न िकसी पM को

लकर परभाषायgt िनिम1त क ह यह कहना अितयोि नहU होगा िक आज िजतन मनोवािनक ह बिP क

उतनी ही परभाषाए ह इन कारण स ही इस िववादाद सLयय माना जाता ह

1932 बि= का वQप -

बिP क व=प को पD करन क िलए कछ परभाषाओ पर Eयान िदया जाना आवयक तीत होता ह-

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 232

वNसलर (1939) क अनसार- lsquolsquoबिP एक सम`चय या साव1जिनक Mमता ह िजसस सहार Rयि

उय पण1 ि या करता ह िववकशील िचतन करता ह तथा वातावरण क साथ भावकारी ढग स समायोजन

करता ह lsquolsquo

बिकघम क अनसार-lsquolsquoबिP एक सीखन क योrयता हlsquolsquo

टन0 क अनसार-lsquolsquoबिP एक सामाय योrयता हिजसक सहार Rयि नई परिथितय मgt अपन िवचार

को जानबझकर समायोिजत करता हlsquolsquo

कोलिवन क अनसार- lsquolsquoयिद Rयि न अपन वातावरण क साथ सामजय करना सीख िलया ह या

सीखता ह तो उसमgt बिP हlsquolsquo

रॉिबस तथा रॉिबस (1965) क अनसार- lsquolsquoबिP स तापय1 सानामक Rयवहार क सLपण1 वग1 स

होता ह जो Rयि मgt सझ ारा समया समाधान करन क Mमता नयी परिथितय क साथ समायोजन करन क

Mमता अमत1 =प स सोचन क Mमता तथा अनभव स लाभ उठान क Mमता को िदखलाता ह

िनसर तथा उनक सहयोिगयK (1996) क अनसार- lsquolsquo बिP जिटल िवचार को समझन पया1वरण क

साथ भावी ढग स समायोजन करन अनभव स सीखन िविभन तरह क तक1 मgt सिLमिलत होन और िचतन

ारा बाधाओ को दर करन क Mमता होती ह टोटाड0 (1941) क अनसार- lsquolsquoबिP उन ि याओ को समझन क Mमता ह िजसक िवशषताए -

1 किठनता

2 जिटलता

3 अमत1ता

4 िमतRयियता

5 िकसी ल(य क ित अनकलनशीलता

6 सामािजक मान तथा

7 मौिलकता क उपि होती ह और कछ परिथित मgt वसी ि याओ का जो शि क

एका2ता तथा साविगक कारक क ित ितरोध िदखलाता ह करन क रणा दती ह

थॉन0डाइक क अनसार- lsquolsquoउम िति या करन और नवीन परिथितय मgt सामजय करन क योrयता बिP

हlsquolsquo

िबन क अनसार-lsquolsquoबिP इन चार श)द मgt िनिहत ह- ानआिव^कारिनदiश और आलोचना lsquolsquo

hमन क अनसार-िजस अनपात मgt Rयि मgt अमत1 िचतन करन क योrयता ह उसी अनपात मgt Rयि

बिPमान ह lsquolsquo बट0 क अनसार-lsquolsquoबिP जमजात मानिसक Mमता हlsquolsquo

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उराखड म िव13िवालय 233

बिP क उपरो परभाषाओ मgt वततः पारपारक िवरोध नहU ह वरन इनक एक िवशषता यह ह िक य सभी

बिP को िकसी न िकसी Mमता क =प मgt परभािषत करती ह बिP स सबिधत उपरो सभी उदाहरण

महवपण1 ह Yयिक य सभी िविभन CिDकोण स बिP क व=प पर काश डालत ह और उनक िकसी न

िकसी =प मgt RयाZया करत ह

इन परभाषाओ क आधार पर हमgt बिP क िनLनिलिखत िवशषताओ का पता चलता ह-

1) बिP Rयि क जमजात शि ह

2) बिP Rयि को वातावरण क साथ भावकारी ढग सामजय करन क Mमता दान करती ह

3) बिP Rयि को अमत1 िचतन करन क योrयता दान करती ह

4) बिP Rयि को उय पण1 ि यायgtक रन क िलए रत करती ह जो Rयि िजतनी ही अिधक उयपण1

ि यायgt करता ह उस उतना ही अिधक बिPमान समझा जाता ह

5) बिP Rयि को परान अनभव स लाभ उठान क योrयता दान करती ह

6) एक स अिधक मानिसक गण का समह बिP ह

7) बिP Rयि को िकसी भी समया क समाधान मgt अतC1िD दान करती ह

8) बिP क सहायता स ही Rयि िववकपण1 तक1 पण1 एव सगत ढग स िविभन िवषय पर िचतन कर पाता ह

उपरो वण1न स हमgt बिP क व=प का पता चलता ह कछ ऐसा ह िजस िकसी एक Mमता क आधार

पर समझना सभव नहU होता ह Yयिक बिP अलग-अलग Mमताओ तथा मानिसक योrयताओ का एक

सम`चय होती ह

1933 बि= क िस=ात -

िजास पाठक बिP क िविभन िसPात क RयाZया करन स पव1 यह जान लना आवयक ह िक बिP क

िसPात स हमारा Yया आशय ह

बिP का व=प Yया ह और बिP कस काय1 करती ह इस सबध मgt िभन-िभन मनोवािनक न अपन

योग क आधार पर िभन -िभन िन^कष1 िनकाल ह इन िन^कषk को बिP क िसPात कहा जाता ह य

िसPात बिP क व=प एव उसक काय1 िविध पर काश डालत ह इन िसPात को मZयतः दो tिणय मgt

िवभािजत िकया जा सकता ह

A) कारकय िसPात

B) ि या उमखी िसPात

A) कारकय िस=ात- कारकय िसPात क अतग1त दो कार क मनोवािनका क समह ह एक कार क

मनोवािनक का कथन ह िक सामाय एव सगिठत Mमता ह पीयरमन इस समह क अ2णी मनोवािनक

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उराखड म िव13िवालय 234

ह िजनका मत ह िक िकसी भी सानामक काय1 क िन^पादन का आधार ाथिमक सामाय कारक होता ह

इस समह क मनोवािनक को िपhडक कहा जाता ह

दसर कार क मनोवािनक का कथन ह िक बिP बहJत सारी पथक मानिसक Mमताओ जो करीब -

करीब वतN =प स ि याशील होत ह का योग होता ह इसमgt थट1न िगलफोड1 गाड1नर कटल

थॉनडाइकवन1र मनोवािनक क नाम मख ह इस समह क मनोवािनक को िवभाजक कहा जाता ह

िपhडक तथा िवभाजक समह क मनोवािनक क िसPात का वण1न इस कार ह-

1) पीयरमन का िLकारक िस=ात- िकारक िसPात का ितपादन िfटन क मनोवािनक पीयरमन

न 1904 मgt िकया उनक अनसार यक Rयि मgt दो कार क बिP हाती ह सामाय तथा िविशD अथा1त

इसमgt दो कारक शािमल होत ह सामाय कारक तथा िविशD कारक

(i) सामाय कारक- पीयरमन न सामाय कारक को जी कारक क सा दी ह जी कारक स तापय1 यह

होता ह िक यक Rयि मgt कोई भी मानिसक काय1 करन क एक सामाय Mमता िभन -2 माNा मgt

मौजद होती ह इसक कछ मख िवशषताए इस कार ह

bull यह योrयता सभी Rयिय मgt कम या अिधक माNा मgt मौजद होती ह

bull यह मानिसक योrयता जमजात होती ह

bull जीवन क िकसी भी अविध मgt इसमgt परवत1न सभव नहU ह अथा1त चह सदव एक सी रहती ह

अथा1त आिद का भाव नहU पड़ता ह

(ii) िविशD कारक- पीयरमन न िविशD कारक को एस कारक क सा दी ह एस कारक स तापय1 यह

होता ह िक यक मानिसक काय1 को करन म कछ िविशDता क ज=रत होती ह Yयिक यक

मानिसक काय1 एक दसर स कछ न कछ िभन हाता ह इसक कछ मख िवशषताए इस कार ह-

bull एस कारक क माNा िभन-2 कायu क िलए िनिWत नहU हाती ह एक काय1 क िलए एक Rयि मgt

एस कारक क माNा अिधक हो सकती ह परत उसी Rयि मgt दसर कायu क िलए एस कारक क

माNा कम हो सकती ह जस एक Rयि मgt किवताए िलखन का एस कारक अिधक हो सकता ह

परत उसी Rयि मgt पिटग क ि या क िलए िजस एस कारक क ज=रत ह उसक माNा कछ कम

हो सकती ह

bull एस कारक पर Rयि क िशMण पव1 अनभितय आिद का काफ अिधक भाव पड़ता ह

िशMण दकर एस कारक क माNा को बढ़ाया जा सकता ह

bull िजस Rयि मgt जो योrयता अिधक होती ह उसी स सबिधत कशलता मgt वह िवशष योrयता ाF

करता ह

bull य योrयताए भाषािवानदश1न आिद मgt िवशष सफलता दान करती ह

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उराखड म िव13िवालय 235

पीयरमन क िकारक िसPात क उपय1 RयाZया स पD ह िक िकसी भी Rयि ारा िकय जान वाल काय1 मgt

जी कारक तथा एस कारक दोन ही मौजद होत ह इन दोन कारक म जी कारक क महव अिधक ह जी कारक

कम होन स Rयि को िकसी भी बौिPक िसPात जी कारक िसPात कहा जाता ह

2) थट0न का समह कारक िस=ात- पीयरमन क िकारक िसPात पर कई वषk तक काय1 करक थट1न

(1938) मgt समह कारक िसPात का ितपादन िकया थट1नन न बिP क RयाZया कई कारक क आधार

पर क उहन िकसी भी बौिPक काय1 को करन मgt सामाय कारक तथा िविशD कारक क सLयय को

अवीकत करत हJए कहा िक मानिसक ि याओ को करन का एक सामाय धान कारक होता ह जो

इन सभी मानिसक ि याओ को आपस मgt बॉध रखता ह साथ ही इन मानिसक ि याओ को अय

मानिसक ि याए िजनका एक धान कारक होता ह आपस मgt सहसबिधत होती ह तथा एक साथ

िमलकर एक समह का िनमा1ण करती ह इस समह का ितिनिधव करन वाल कारक को धान Mमता क

सा दी जाती ह

इसी कार दसर तरह क मानिसक ि याओ को एक सN मgt बॉधन वाला एक अय धान कारक या Mमता

होती ह इसी कार तीसरी चौथी व पॉचवU कार क मानिसक ि याओ को बॉधन वाली बिP मgt मानिसक

Mमताओ क कई समह होत ह और यक समह का अपना धान कारक होता ह

ऐस धान कारक एक दसर स वतN होत ह अथा1त उनमgt नाम माN का ही सबध होता ह परत िकसी

एक धान कारक क अतग1त आन वाल सभी तरह क मानिसक Mमताओ आपस मgt काफ सहसबिधत होती

इस िसPात का अ-पतNीय िसPात कहा जाता ह Yयिक इस िसPात क अनसार बिP सात धान

Mमताओ का एक जमावड़ा होती ह इन सभी को एक मgt बॉधन वाली कोई साव1भौम Mमता नहU होती ह

थट1न न अपन िसPात मgt सात धान Mमताओ का वण1न िकया जो इस कार ह-

(i) शािदक अथ0 6मता अथवा वी 6मता- श)द तथा वाYय क अथ1 समझन क Mमताओ को

शाि)दक अथ1 Mमता कहा जाता ह इस वी Mमता भी कहत ह (ii) शद वाह 6मता अथवा डय 6मता- िदय गय श)द मgt स असबिधत श)द को सोचना तथा

अलग करन क Mमता को श)द वाह कहा जाता ह इस ड)-य Mमता भी कहा जाता ह

(iii) थािनक 6मता अथवा एस 6मता- िकसी िदय हJए थान मgt वतओ का परचालन करन क

Mमता उसक दरी का यMण करन क Mमता तथा आकार क पहचान करन क Mमता को

थािनक Mमता कहा जाता ह इस एस Mमता भी कहत ह

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उराखड म िव13िवालय 236

(iv) आिकक 6मता अथवा एन 6मता- परशPता तथा तीता क साथ आिकक परकलन करन क

Mमता क आिकक Mमता कहा गया इस अMर एन ारा सबोिधत िकया गया इस एन Mमता भी

कहत ह

(v) तक0 6मता अथवा आर 6मता- वाYय क समह अMर क समह मgt िछप िनयम क खोज कन क

Mमता को तक1 Mमता कहा जाता ह इस आर Mमता भी कहत ह

(vi) मित 6मता अथवा एम 6मता- िकसी पाठ िवषय या घटना को ज-द स ज-द याद कर लन क

Mमता को मित Mमता कहत ह इस एम Mमता भी कहत ह

(vii) य6 ानामक गित 6मता अथवा पी 6मता- िकसी घटना या वत िवतता का तजी स

यMण कर लन क Mमता को यMण ानामक गित Mमता अथवा पी Mमता कहत ह इस कार

पD ह िक थट1न न सात धान Mमताओ क आधार पर अपन िसPात क RयाZया क ह

3) बहXकारक िस=ात-बहJ कारक िसPात का ितपादन थॉन1डाइक (1926) न िकया थॉन1डाइक न

बहJकारक िसPात ितपािदत करत हJए पीयरमन क िसPात क िवपM मgt अपना मत कािशत िकया

इस िसPात क अनसार बिP अनक तव अथा1त कारक का योग ह यक कारक एक िविशD

मानिसक Mमता का ितिनिधव करता ह जो आपस मgt वतN होत ह िकत इनक योगदान स ही बिP

का िनमा1ण होता ह थॉन1डाइक क इस िव13ास क कारण ही उनका बिP सबधी िवचार बहJतव िसPात

क नाम स िसP हJआ

थॉन1डाइक न पीयरमन क िसPात का खhडन करत हJए कहा िक Rयि क सानामक ि याओ मgt सहसबध

का कारण जी कारक नहU होता ह बि-क इन ि याओ क बीच कई उभयिनn तव पाय जात ह सानामक

ि याओ मgt िजतन ही अिधक उभयिनn तव हग उनक बीच का सहसबध उतना ही अिधक होगा उदाहरणाथ1

िकसी Rयि का क तथा ख कार क दो िविभन काय1 करन म अलग -अलग 15-15 कारक क ज=रत ह

सभव ह िक इन 15 मgt स 10 कारक ऐस ह जो क तथा ख दोन कार क कायu म समान =प स सहायक ह तो

इस कार ऐसी िथित मgt उन दोन कायk क बीच उ`च धनामक सहसबध होगा जस -2 समान कायk क

सZया घटती जाएगी इनक बीच धनामक सहसबध भी कम होता जाएगा

थॉन1डाइक का यह भी िवचार था िक कछ मानिसक काय1 ऐस होत ह िजनक तव या कारक मgt

उभयिनnता कम होती ह ऐसा इसिलए होता ह िक यक ऐस मानिसक काय1 का व=प िभन-2 होता ह

उदाहरणाथ1 िकसी Rयि को क तथा ख कायk को करन मgt अलग-2 15-15 कारक क ज=रत ह सभव यह ह

िक इन 15 कारक मgt स 11 कारक ऐस ह जो उभयिनn न ह ऐसी िथित मgt उन कायk क बीच धनामक

सहसबध क माNा कम होगी

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 237

इस कार थॉन1डाइक न तव या कारक क सZया क आधार पर दो कार क बौिPक कायk मgt समता या

िवषमता क RयाZया क इस कार क RयाZया दकर थॉन1डाइक न पीयरमन क एस कारक क भी आलोचना

क ह

पीयरमन तथा थॉन1डाइक क िसPात क तलना करन पर उनक बीच कोई मौिलक अतर नहU िदखाई

पड़ता ह थॉन1डाइक न जी कारक को एक तरह स वीकार िकया ह पीयरमन न िजस जी कारक कहा

थॉन1डाइक उस उभयिनn तव कहा ह तथा पीयरमन न िजस एस कारक कहा थॉन1डाइक न उस अउभयिनn

तव कहा ह अगर इन दोन िसPात मgt अतर ह तो िसफ1 इतना ह िक पीयरमन न जी कारक को छोटी-छोटी

इकाइय मgt नहU बॉटा ह जबिक थॉन1डाइक न इस अनक छोटी-छोटी इकाइय या उपकारक का योग माना ह

4) ि7िवमीय िस=ात- इस िसPात का ितपादन िगलफोड1 (1967)न िकया इस िसPात को बिP

सरचना िसPात भी कहा जाता ह िगलफोड1 क अनसार बिP कछ ाथिमक बौिPक योrयताओ क

सरचना ह यक बौिPक योrयता अपन मgt अनठी होती ह तथा यक काय1 को करन क िलए कछ

बौिPक योrयता क आवयकता होती ह िगलफोड1 न बिP क सभी तव को तीन िवमाओ मgt ससिlजत

िकया जो इस कार ह - 1 सि य 2 िवषयवत 3 उपादन

i) सि य (ऑपरशन)- सि य स तापय1 Rयि ारा िकय जान वाल मानिसक ि या क व=प स

होता ह िगलफोड1 न सि य क आधान पर मानिसक Mमताओ को छह भाग मgt िवभािजत िकया -

म-याकन अिभसारी िचतन अपसारी िचतन मित धारणा मित अिभलख तथा सान उदाहरणाथ1-

यिद Rयि को पन का अपरिमत उपयोग बतान क िलए कहा जाय तो इसक अतग1त होन सि या मgt

अपसारी िचतन का योग हागा इसी कार यिद Rयि को सह िशMा क बार मgt िवचार Rय करन को

कहा जाय तो इसमgt म-याकन का योग होगा

ii) िवषय वत (कॉटट) - इस िवमा स तापय1 उस MN स होता ह िजसक एकाश या सचनाओ क

आधार पर सि या की जाती ह िगलफोड1 न ऐस एकाश या सचनाओ को 5 भाग मgt बॉटा ह- CिD

tवण साकितक शाि)दक Rयवहारपरक उदाहरणाथ1 -यिद Rयि को दखी गयी खगोलीय घटना क

िवतत जानकारी दन क कहा जाय तो वह CिD िवषयवत क अतग1त घटना क जानकारी दान

करगा

iii) उपादन (ोडYटस) - इस िवमा स तापय1 िकसी िवशष कार क िवषयवत ारा क गई सि या क

परणाम स होता ह िगलफोड1 न परणाम को छः भाग मgt िवभिजत िकया - इकाई वग1 सबध

पPितयॉ =पातरण तथा आशय

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 238

उदाहरणाथ1- योlय ारा बताया गया ईट का असाधारण योग सबध उपादन क अतग1त आयगा

इस कार पDक ह िक िगलफोड1 न अपन िसPात क RयाZया तीन िवमाओ क आधार पर क सि या क

छह भाग िवषयवत क पॉच तथा उपादन क छः इस कार बिP क कल 656 =180 कारक हJए

5) कटल का िस=ात- कटल (19631967) न अपन बिP क िसPात मgt बिP को दो महवपण1 भाग मgt

िवभािजत िकया - तरल बिP ठोस बिP तरल बिP (फलड इटलीजस) -तरल बिP का िनधा1रण

आनविशक तyयामक ान स होता ह ठोस बिP मgt व Mमताए आती ह िजहgt Rयि अपनी िजदगी क

अनभितय मgt तरल बिP का उपयोग करक अिज1त करता ह

कटल क अनसार तरल बिP िवकास िकशोरावथा मgt अिधकतम हाता ह परत ठोस बिP का िवकास

वयकावथा मgt भी होता रहता ह

6) गाड0नर का बहXबि= का िस=ात- गाड1नर क बहJबिP क िसPात क अनसार बिP का व=प एकाक

न होकर बहJकारकय होता ह तथा सामाय बिP मgt सात कार क Mमताए या बिP सिLमिलत होती ह

जो एक दसर स वतN होती ह तथा िजनका सचालन मित^क क ारा होता ह

(i) भाषाई बिP- श)द तथा वाYय क अथ1 समझन क Mमता तथा श)दावली मgt श)द क म तथा उनक

मEय सबध पहचान क Mमता

(ii) तािक1 क गिणतीय बिP-तक1 करन क Mमता गिणतीय समयाओ का समाधान करन क Mमता अक

को म मgt Rयविथत करन क Mमता तथा साCयता Mमता

(iii) थािनक बिP- िकसी थान िवशष को पहचानन क Mमता िदशा पहचानन क Mमता मानिसक

धरातल या िकसी थान िवशष का िनमा1ण करान क Mमता थानीक क-पना करन क Mमता

(iv) शारीरक गितक बिP- अपनी शारीरक गित पर िनयNण करन क Mमता वतओ को सावधानी पव1क

कौशल पण1 ढग स उपयोग करन क Mमता सिLमिलत ह इस कार क बिP का उपयोग एथलीटस

नत1क ि कट िखलाड़ी टॉिनस िखलाड़ी यरोसज1न आिद करत ह

(v) सगीितक बिP- सगीत म तारव तथा लय का यMण करन क Mमता सगीत म िनपणता िवकिसत

करन क Mमता सगीितक बिP सगीत गान वाल न अिधक पाई जाती ह

(vi) Rयिगत आम बिP- अपन सवग को जानन क Mमता उनमgt िवभद करक उनका परचालन करन क

Mमता इस अतराRयिक बिP भी कहत ह

(vii) Rयिगत अय बिP- दसर Rयिय की रणाओ इ`छाओ एव आवयकताओ को समझन क

Mमता तथा उनक मनोदशाओ एव िचकित को पिMत करक Rयवहार का पव1 कथन करन क

Mमता इस अतविक बिP भी कहत ह

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 239

गाड1नर क अनसार सात तरह क बिP यक Rयिय म िवामान होती ह िकत आनवािशक

कारण या अयास क ारा Rयि मgt िकसी बिP का िवकास अिधक हा जाता ह य सभी सात कार क बिP

आपस मgt अतः ि या करती ह िकत मित^क मgt यक बिP का अपना िविशD MN होता ह जहा स यह

सचािलत होती ह एक तरह क बिP का सचालन करन वाल मित^क MN मgt आघात लगन पर उस बिP क

ि या =क जाती ह िकत इसस अय कार क बिPय पर भाव नहU पड़ता ह उपरो बिPय म जो बिP

Rयि मgt अिधक होती ह उसी काय1 MN मgt Rयि सफलता अिज1त करता ह

B) िया उमखी िस=ात - इस कार क िसPात मgt बिP क RयाZया िभन-2 कारक क =प मgt न

करक उन बौिPक ि याओ क =प मgt क गई ह िजस Rयि िकसी समया का समाधान करन मgt या सोच

िवचार करन म लगता ह

ि या उमखी िसPात मgt बिP क िलए सान तथा सानामक ि या श)द का योग अिधक िकया गया ह

1) सानामक िवकास का िस=ात- िपयाज (192030) न इस िसPात का ितपादन िकया तथा

1970 म इस िसPात का िवतत =प तत िकया सानामक िवकास क िसPात मgt बिP को

अनकली ि या माना गया ह िजसमgt जिवक परपYवता तथा वातावरण क साथ होन वाली अतः

ि यायgt सिLमिलत होती ह िपयाज का कथन ह िक जस-जस ब`च म सानामक ि याओ का

िवकास हाता जाता ह वस -वस ही उनका बौिPक िवकास भी हाता ता जाता ह िपयाज न इन

सानामक ि याओ का िवकास चार अवथाओ क अतग1त माना ह

(i) ानामक ि यामक अवथा- ससरी मोटर टज सानामक ि याओ क िवकास का यह थम

चरण ह जो जम स लकर 2 वष1 तक ही होती ह इसक दो िवशषताए होती ह थम िवशषता मgt ब`चा

अपन Rयवहार तथा उनक परणाम क बीच सबध कायम करन का यास करता ह जस-जब ब`चा

िकसी आवाज सनता ह तो वह उस Rयि तथा आवाज क मEय सबध थािपत करता ह इस तरह

ब`च मgt एक िवशष सानामक ि या का िवकास हाता ह ब`चा उस Rयि क आवाज सनकर उस

पहचानन लगता ह दसरी िवशषता यह ह िक इस अवथा मgt ब`चा अपन आपक वातावरण क

वतओ स अलग करन क Mमता िवकिसत कर लता ह वह अपन आपक वातावरण क वतओ स

िभन समझन लगता ह कछ खास-खास ि यामक Rयवहार स उस वतओ क थािनक सबध को

ान भी हो जाता ह ब`च उन Rयिय क नकल भी उतारत ह जो अनपिथत होत ह इस अवथा का

सबस मZय गण यह ह िक इस अवथा मgt ब`च मgt वत पनमानटस का िनगम िवकसित हो जाता ह

अथा1त ब`च य समझन लगत ह िक नजर क सामन न होन पर भी िकसी वतत का अितव ह वत

परमानटस का गण ब`चा 20-24 महीन क उ म िवकिसत होता ह

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 240

(ii) ाक चलनामक अवथा- (ी ऑपरशनल टज) यह अवथा 2 स 7 साल तक क होती ह ाक

चलानामक अवथा दो भाग मgt िवभािजत ह- 2स 4 साल तक क ाक सLयामक अविध तथ

4स7 साल तक क अतद1शv अविध ाक सLयामक अवथा म ब`चा िभन -2 कार क सकत

ितमाए श)द तथा उसक अथ1 को सीखता गहण करता ह इस तरह स ब`च मgt भाषा का िवकास

आरLभ होन लगता ह इन ितमाओ सकत आिद क सहार ब`च को ठीक सोचन मgt सहायता िमलती

ह इस अविध मgt सानामक िति याओ का िवकास मZयतः अनकरण तथा खल ारा होता ह

अतद1शी अवथा मgt ब`च अतद1शv िचतन क ओर उमख होत ह िजसमgt मबP तक1 का अभाव

होता ह इस अविध मgt ब`चा गिणतीय हल करना सीख लता ह लिकन इनक पीछ िछप िनयम नहU

समझ पाता ह

(iii) मF1 चलनामक अवथा (क ट ऑपरशनल टज)-यह अवथा 7 स 11 साल तक क होती ह

इस अवथा मgt ब`च मgt तािक1 क िचतन उनक सोचन क ढग मgt मबPता तथा जिटलता इयािद बढन

लगत ह इस अवथा मgt ब`च वतओ को िवमाओ क आधार पर वगvकत करना सीख जात ह अथा1त

वतओ का आकार ऊचाई भार रग आिद क आरधार पर उनमgt िवभद कर लत ह

(iv) औपचारक चलनामक अवथा (फॉम1ल ऑपरशनल टज)- यह अवथा 12 साल स 15 साल क

होती ह इस अवथा म ब`च मgt अमत1 तथा अपसारी िचतन आिद गण िवकिसत हा जात ह व अब

सामाय िनयम समझन लगत ह तथा 15 वष1 क उ म व वयक क समान तािक1 क िनयम का योग

सीख लत ह

इस कार पD ह िक िपयाज क सानामक िवकास क िसPात म बिP क िभन -िभन अवथाओ

मgt होन वाल सानामक ि याओ मgt हJए परवत1न क =प मgt RयाZया क गई ह

2) ि7त7 िस=ात- िNतN िसPात का ितपादन टन1बग1 (1985) न िकया टन1बग1 न अपन

िसPात मgt बिP को आलोचनामक ढग स सोचन क Mमता क =प मgt ितपािदत िकया टन1बग1 न

सचना ससाधन हत Rयि ारा ि यािवत पॉच चरण बताय

(i) कटसकतन (इनकोिडग)- इस चरण मgt Rयि अपन मित^क म सगत ाcय सचनाओ क पहचान

करता ह

(ii) अनमान (इनफरग)- ाcय सचनाओ क आधार पर कछ अनमान लगता ह

(iii) Rयवथा (मिपग)- इस चरण मgt Rयि वत1मान परिथित का अतीत क परिथित क साथ सबध

जोड़ता ह

(iv) उपयोग (एिcलकशन) - इस चरण मgt Rयि अनमािनत सबध का वातिवक उपयोग करता ह

(v) अनि या (रपॉस) -इस अितम चरण मgt Rयि समया का सभािवत सबस उम समाधान ढढता ह

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 241

िकसी मानिसक काय1 को सLपािदत करन क िलय िजस कार स सचनाओ को ससािधत करता ह उस

Eयान मgt रखत हJए टन1बग1 न तीन उप िसPात क आधार पर बिP क िजस िसPात को ितपािदत

िकया ह उस िNतN िसPात कहत ह व तीन उपिसPात िनLन कार ह-

i) सदभा1मक उपिसPात- सदभा1मक उपिसPात क अनसार Rयि वातावरण को अपन अनकल

िनिम1त करता ह िजसस वह अपनी Mमताओ का उम उपयोग करत हJए समायोजन कर सक Rयि

क इस Mमता को सदभा1मक बिP कहत ह

ii) अनभवजय उपिसPात- इस उपिसPात क अनसार Rयि बदलत परवश तथा परिथितय क साथ

वय म परवत1न लाता ह िजसस वह अपनी Mमताओ का अिधक स अिधक स अिधक उपयोग करत

हJए समायोजन कर सक इस कार क Mमता अनभवजय बिP कहलाती ह

iii) घटक उपिसPात- इस उपिसPात क अनसार Rयि क बिP मgt अमत1 िचतन करन तथा सचनाओ

को ससािधत करन क Mमता सिLमिलत होती ह इस कार क Mमता वाल Rयिय क बिP घटकय

बिP कहलाती ह ऐसी बिP वाल Rयि आलोचनामक तथा िवpषणामक ढग स सोचन म िनपण

हात ह इस कार क बिP वाल Rयिय मgt शMिणक उपलि)ध सवा1िधक होती ह इस कार उपरो

उपिसPात स टन1बग1 क िNतN िसPात क RयाZया होती ह

194 मानिसक आय

िय पाठक आप सभी न तिथक आय क बार मgt तो सना होगा िकत यह मानिसक आय Yया ह इस सLबध

मgt जानन क आपक िजासा हो रही होगी तथा यह वाभािवक भी ह िनिWत ही इस अन छद का जानन-

समझन क बाद आपको अपन का समाधान िमल जायगा

िविभन मनोवािनक न अपन शोध िन^कषu क आधार पर Rयि क आय को दो भाग मgt बॉटा ह-

1 तिथक आय ( ोनोलॉिजकल ऐज) - यह िकसी Rयि क वातिवक आय होती ह िजसका आरLभ जम

क िदन स ही होता ह तिथक आय स अिभाय ह Rयि क जम स लकर अब तक का समय जस- िकसी

Rयि का जम 20 वष1 पहल हJआ तो उसक तिथक आय 20 वष1 होगी

2 मानिसक आय (मटल ऐज) - मानिसक आय का तापय1 िकसी एक आय मgt सामाय मानिसक योrयता को

2हण कर लन स ह जस- कोई 8 वष1 का बालक 7 वष1 क आय क बालक क िलए िनधा1रत क

उर ही द पाता ह तो उसक मानिसक आय 7 वष1 होगी

अथा1त उसक मानिसक योrयता उतनी ही ह िजनती िक 7 वष1 क बालक क होगी यिद यह 8 वष1 का

बालक 9 वष1 क बालक क िलए िनध1रत क उर द दता ह तो उसक मानिसक आय 9 वष1 मान ली जाती

ह यिद यह 8 वष1 का बालक 8 वष1 क बालक क िलए िनधा1रत क उर द दता ह तो उसक मानिसक

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 242

आय 8 वष1 मान ली जाती ह अतः पD ह िक मानिसक आय तिथक आय स कम अिधक या बराबर कछ भी

हो सकती ह जब मानिसक आय तिथक आय स कम होती ह तब Rयि मद बिP माना जाता ह जब मानिसक

आय तिथक आय स अिधक होती ह तो Rयि बिPमान समझा जाता ह और जब मानिसक आय तिथक आय

क बराबर होती ह तब Rयि ती बिP का माना जाता ह इस कार मानिसक आय क आधार पर Rयि क

बिP का अदाजा लगाया जाता ह इस मानिसक आय का बोध एक िनिWत समय क िलए ही होता ह

195 बि= लिध

1951 बि= लिध (IQ) स Nया आशय ह

िय िवािथ1य आप मgt स ायः सभी न IQ का नाम सना होगा िजस Rयि का IQ तर िजतना lयादा होता

ह ऐसा माना जाता ह िक वह Rयि उतना ही अिधक बिPमान होता ह यह IQ या बिP लि)ध Yया ह इसको

ात करन का तरीका Yया ह बिP लि)ध क िविभन तर Yया ह बिP लि)ध क िविभन तर बिP क िकन-

िकन tिणय को Rय करत ह तो आइय आपक इहU िविभन िजासाओ का समाधान करत ह तत

अन`छद मgt

बिP का मापन करन क िलए सव1थम बिP परीMण िबन तथा साइमन (1905) न िवकिसत िकया

उहन बिP का मापन मानिसक आय को आधार मान कर िकया टरमन (1916) न िबन साइमन परीMण का

सशोधन िकया िजसस lsquolsquoबिP लि)धlsquolsquo क सLयय का जम हJआ तथा बिP मापन मgt मानिसक आय क थान

पर बिP लि)ध का योग होन लगा

टरमन न मानिसक आय तथा तिथक आय क अनपात को 100 स गणा करक बिP लि)ध ात करन

का िनयम िनकाला

बिP लि)ध = मानिसक आय times 100

तिथक आय

IQ = MA times 100

CA

उदाहरणाथ1ः-

यिद महश क आय 12 वष1 ह तथा उसक मानिसक आय 10 वष1 ह तो महश क बिP लि)ध

िनLनिलिखत होगी -महश क बिP लि)ध = 10times10012 = 8333

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 243

आधिनक शोध िन^कषk क आधार पर यह पD हो गया ह िक उपरो सN स बिPलि)ध का मापन

15-16 वष1 क उ क ब`च तक ही हो सकता ह Yयिक इसक बाद Rयि क मानिसक आय सामायतः नहU

बढ़ती ह

1952 बि= लिध क मान तथा उसका अथ0 -

बिP लि)ध क मान अथ1

140 या इसस अिधक ितभाशाली

120 स139 तक अितtn

110 स119 तक tn

90 स 109 तक सामाय

80 स 89 तक मद

70 स 79 तक सीमात मद बिP

60स 69 तक मद बिP

20स 59 तक हीन बिP

20 या इसस कम जड़ बिP

इस कार पD ह िक बिP लि)ध क आधार पर Rयि क बौिPक तर का पता आसानी स लगाया जा सकता

196 साराश

बिP Rयि क एक जमजात शि ह जो उस वातावरण क साथ भावकारी सामजय थािपत करन तथा

िववकशील एव अमत1 िचतन करन मgt सहायता दान करती ह बिP िविभन Mमताओ का सLपण1 योग होता ह

बिP क िसPात- बिP क िविभन िसPात मgt बिP क व=प एव काय1िविध पर भाव डाला गया ह

बिP क िसPात का वगvकरण- दो tिणया -

bull थम tणी - कारकय िसPात

bull ितीय tणी - ि या उमखी िसPात इसमgt िनLन छः िसPात ह-

कारकय िसPात-

1 पीयरमन का िकारक िसPात

2 थट1न का समह कारक िसPात

3 बहJकारक िसPात

4 िNिवमीय िसPात

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 244

5 कटल का िसPात

6 गाड1नर का बहJबिP का िसPात

ि या उमखी िसPात-

इसमgt िनLन तीन िसPात शािमल ह-

1 सानामक िवकास का िसPात (िपयाज का िसPात)

2 टन1वग1 का िNतN िसPात

3 घटक उपिसPात

आय- दो भद-

1 तिथक आयवातिवक आय

2 मानिसक आय

तिथक आय- Rयि क वातिवक आय िजसका ारभ जम स ही माना जाता ह

मानिसक आय- िकसी एक आय मgt सामाय मानिसक योrयता को 2हण कर लना

बिP लि)ध-वातिवक आय तथा मानिसक आय का एक ऐसा अनपात िजसमgt 100 गणा करक ाF िकया

जाता ह

बिP लि)ध (IQ) ात करन का सN-

बिP लि)ध = मानिसक आय times 100

तिथक आय

बिP लि)ध क माEयम स Rयि क बौिPक तर का पता चलता ह

197 शदावली

bull जमजात जम स ही उपन होन वाली

bull िनयित ितिदन

bull सयोजक जो जोड़न का काय1 कर

bull िमत[यियता कम खच1 करन क वि

bull अम-0ता ऐसी मानिसक Mमता िजसक कारण Rयि शाि)दक एव गिणतीय सकत एव िचह क सबध

को सरलता पव1क समझ जाता ह तथा उसक उिचत RयाZया कर पान मgt सMम होता ह

bull तिथक आय ितिथ स सLबिधत वातिवक आय

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 245

bull मानिसक आय मानिसक योrयता स सबिधत आय

bull बि=लिध िजसक माEयम स िकसी Rयि क बौिPक तर को ात िकया जाता ह

198 वमयाकन हत

नीच कछ कथन िदय गय ह जो कथन सही ह उनक आग सही का तथा जो गलत ह उनक आग गलत का

िनशान लगायgt-

1) भारतीय दश1न क अनसार मन य क अतःकरण क मन बिP तथा अहकार- य तीन अग ह ( )

2) इि_य एव बिP क बीच सयोजक का काय1 मन क ारा िकया जाता ह ( )

3) थॉन1डाइक क अनसार बिP परीMण जो मापता ह वही बिP ह ( )

4) बिP क सव1थम परभाषा बोरग न दी ( )

5) िबन क अनसार बिP ान आिव^कार िनदiश और आलोचना इन चार श)द मgt िनिहत ह ( )

6) बिP Rयि क जमजात शि नहU ह ( )

7) बिP एक स अिधक मानिसक गण का समह ह ( )

8) बिP क िसPात को कारकय एव ि या उमखी िसPात इन दो tिणय मgt िवभािजत िकया गया ह

( )

9) िकारक िसPात का ितपादन जीन िपयाज न िकया ( )

10) समह कारक िसPात क णता थॉन1डाइक ह ( )

11) बहJकारक िसPात क गणना ि या उमखी िसPात मgt क जाती ह

12) िNिवजीय िसPात का ितपादन िगलफोड1 ारा िकया गया

13) कटल न बिP को तरल एव ठोस दो भाग मgt वगvकत िकया ( )

14) कटल का िसPात बहJबिP का िसPात ह ( )

15) सानामक िवकास का िसPात ि या उमखी िसPात ह ( )

16) िNतN िसPात क णता टन1बग1 ह ( )

17) िपयाज न सानामक िवकास क छः अवथायgt बतायी ह ( )

18) बिकघम क अनसार बिP एक सीखन क योrयता ह ( )

19) बिP Rयि को अमF1 िचतन करन क योrयता दान करती ह ( )

20) बिP Rयि को वातावरण क साथ भावकारी ढग स सामजय करन क Mमता दान नहU करती ह (

)

21) तिथक आय का अथ1 िकसी Rयि क वातिवक आय स होता ह ( )

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 246

22) यक Rयि क मानिसक आय िभन-िभन होती ह ( )

23) तिथक आय मानिसक योrयता पर िनभ1र करती ह ( )

24) मानिसक आय क तिथक आय स अिधक होन पर Rयि को मद बिP माना जाता ह ( )

25) मािनसक आय क तिथक आय स अिधक होन पर Rयि को ती बिP माना जाता ह ( )

26) यिद िकसी 10 साल क ब`च क मानिसक आय 12 साल क ह तो उसक बिP लि)ध िकतनी होगी

i) 110 ii) 120 iii) 100 iv) 130

27) यिद बिP लि)ध मgt िथरता क कारक को मान िलया जाता ह तो इसस िनLनािकत मgt स िकस कथन को

समथ1न िमलता ह

i) बिP का व=प जमजात होता ह

ii) बिP का व=प अिज1त होता ह

iii) बिP का व=प अशतः जमजात तथा अशतः अिज1त होता ह

iv) बिP का व=प मापनीय होता ह

28) अगर 10 साल का एक ब`चा 7 साल क िलए बन सभी परीMण पर सफल हो जाता ह तथा 8 साल क

ब`च क िलए बन कल परीMण क आध पर ही सफल होता ह तो उसक बिPलि)ध Yया होगी

i) 80 ii) 85 iii) 75 iv) 90

उ-र 1) सही 2) सही 3) गलत 4) सही 5) सही 6) गलत 7) सही

8) सही 9) गलत 10) गलत 11) गलत 12) सही 13) सही 14) गलत

15) सही 16) सही 17) गलत 18) सही 19) सही 20) गलत 21) सही

22) सही 23) गलत 24) गलत 25) सही 26) ii 27) i 28) iii

199 सदभ0 1थ सची

bull िसह अ=ण कमार (2006) सानामक मनोिवान मोतीलाल बनारसीदास बगलो रोड जवाहर नगर

िद-ली

bull tीवातव रामजी (2003) सानामक मनोिवान मोतीलाल बनारसीदास बगलो रोड जवाहर नगर

िद-ली

bull सलमान महLमद एव तरनम रजवान (2005) मनोिवान मgt योग एव परीMण मोतीलाल

बनारसीदास बगलो रोड जवाहर नगर िद-ली

bull सलमान महLमद (2001) मनोवािनक योग और परीMण शYला बक िडपो पटना

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 247

bull वमा1 ीित एव tीवातव डीएन (1996) आधिनक योगामक मनोिवान िवनोद

पतक मिदर आगरा

bull भाग1व महश (2001) आधिनक मनोवािनक परीMण एव मापन

1910 िनबधामक

1 बिP स आप Yया समझत ह इस परभािषत करत हJय बिP क व=प क RयाZया करgt

2 बिP लि)ध स Yया आशय ह बिP लि)ध क िविभन मान एव उसक अथ1 को पD करgt

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 248

इकाई-20 सवग का )वप एव िस ात सवग मlt होन वाल शारीरक परवतन साविगक

बि (Nature and Theories of Emotion Physical changes in Emotion

Emotional Intelligence)

इकाई सरचना

201 तावना

202 उय

203 सवग

2031 सवग का अथ1 एव परभाषाए

2032 सवग का व=प

2033 सवग क िविभन िसPात

2034 सवग मgt शारीरक परवत1न

204 साविगक बिP

2041 अथ1 एव परभाषा

2042 साविगक बिP का िवकास

205 साराश

206 श)दावली

207 वम-याकन हत

208 सदभ1 2थ सची

209 िनबधामक

201 तावना

िय िवािथ1य इसस पव1 क इकाईय मgt आपन बिP क अथ1 व=प इसक िविभन िवशषताओ तथा

मानिसक आय एव बिP लि)ध क बार मgt अEययन िकया ह अब बिP क पWात हमार अEययन का अगला

िवषय lsquolsquoसवगlsquolsquo (Emotion) ह सवग Yया ह इसक Yया - Yया िवशषताए ह िभन - िभन Rयिय मgt िकस

कार िभन - िभन कार क सवग क उपि होती ह सवgtग उपन होन पर िकस कार क परवत1न होत ह

सवग क सबध मgt िविभन िवान न िकन िसPात का ितपादन िकया ह तथा भावनामक बिP Yया ह

इयािद

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 249

सवग एक ऐसा पद ह िजसस हम सभी परिचत ह तथा िजसका अथ1 हम सभी समझत ह हममgt स यक Rयि

अपन जीवन मgt सवग का अनभव करता ह ोध भय खशी हमार जीवन क मख सवग मgt स ह सवग क

उपिथित हमार जीवन मgt अित आवयक ह Yयिक इहU स हमार Rयवहार का िनधा1रण होता ह सवग का

िनमा1ण तीन कार क तव क िमलन स होता ह जो इस कार ह - दिहक तव सानामक तव Rयवहारामक

तव सवग का पD ान ाF करन क िलए सवग क इन तीन तव को समझना आवयक ह सवग मgt

भावनाओ का अित महवपण1 थान ह यक सवग मgt कोई न कोई भावना अवय ही िछपी हJई होती ह भय

क िथित मgt दःखद भावना क अनभित तथा खशी मgt सखद भावना क अनभित होती ह यही बात अय सवग

क िथित मgt भी CिDगोचर होती ह सवग एक ऐसा गितशील आतरक समायोजन ह जो सभी क सतोष सरMा

तथा क-याण क िलए काय1 करता ह

तो आइय अब हम सबस पहल यह जानत ह िक सवग ह Yया इसक Yया िवशषताए ह इसका व=प Yया

202 उय

िजास पाठक ईकाई का अEययन करन क उपरात आप -

bull सवग क व=प का ान ाF कर सकgt ग

bull सवग क िविभन कार का अEययन कर सकgt ग

bull सवग क िविभन िसPात का िवpषण कर सकgt ग

bull सवग क कारण होन वाल परवत1न को पD कर सकgt ग

bull सवगामक बिP क अथ1 का अEययन कर सकgt ग

bull सवगामक बिP क िवकास क ि या को पD कर सकgt ग

203 सवग

2031 सवग का अथ0 एव परभाषाए -

ाणी क रागामक ि याओ मgt सवग का महमपण1 थान ह सवग एक ऐसा पद ह िजस हम सभी अपन िदन-

ितिदन क जीवन मgt अनभव करत ह हम कभी सख कभी दःख कभी भय कभी म कभी ोध कभी िचता

और कभी आWय1 का अनभव करत ह इस कार क बहJत सी अनभितया ह जो सवग कहलाती ह सवग का

िनमा1ण मZयतः तीन कार क तव क िमलन स होता ह दिहक तव सवगामक तव तथा अवथाओ मgt

परवत1न होता ह िजनक कारण वह सवग का अनभव करता ह- इनमgt bदय क गित 13ासगित नाड़ी क गित

रचाप मgt परवत1न आिद मख आतरक दिहक परवत1न क उदाहरण ह सानामक तव मgt Rयि िकसी

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 250

घटना या परिथित का यMण करक उस समझता ह तथा इसी क अन=प वह सवग अनभव करता ह जस

यिद Rयि रात मgt िकसी रात मgt पड़ी रसी को साप समझ बठता ह तो वह डर जायगा इसस उसमgt भय का सवग

उपन हो जायगा Rयवहार परक तव मgt सवग वाT अिभRयि क =प मgt Rय होत ह उदाहरणव=प चहर क

हावभाव मgt परवत1न शारीरक म_ा शरीर मgt कपन आवाज मgt उतार-चढाव आिद स Rयि मgt सवग ारा उपन

होन वाल Rयवहारपरक तव का ान िमलता ह

सवग क व=प समझन क ि या मgt इन तीन तव पर Eयान िदया जाना अयिधक आवयक ह

मनोवािनक न सवग क व=प को पD करन क िलए अपन-2 ढग स अलग-2 परभाषाए दी ह िकत Yयिक

यह एक जिटल अवथा ह अतः मनोवािनक क बीच िकसी एक परभाषा को लकर पण1 सहमत नहU ह

वडवथ0 क अनसारlsquolsquoसवग ाणी क उ)िजतावथा हrsquorsquo

इगिलश तथा इगिलश(1958) क अनसार- lsquolsquoसवग एक जिटल भाव क अवथा होती ह िजसम

कछ खास-2 शारी1रक एव 2थीय ियाय होती ह3rsquorsquo

बरोन बन0 तथा कटोिवज (1980) क अनसार -lsquolsquoसवग स ता4पय5 एक ऐस भाव क अवथा स

होता ह िजसम कछ शारी1रक उ)जना पदा होता ह और िफर िजसम कछ खास-खास ltयवहार होत ह3

ो एव ो क अनसार - lsquolsquoसवग गितशील आत1रक समायोजन ह जो ltयिgt क सतोष सरा बौर

कBयान क िलए काय5 करता हrsquorsquo

gवर क अनसार- lsquolsquoसवग ाणी क जिटल दसा हिजसम कछ सारी1रक प1रवत5न तथा बल भावना क

कारण उ)िजत दसा और एक िनिसचत कार का ltयवहार करन क वि) िनिहत रहती हrsquorsquo

सeोक (2000) क अनसार- lsquolsquoहम लोग को भाव िजसम दिहक उ)जन चतन अनभित तथा

ltयवहार4मक अिभltयिgt सिDमिलत होत ह3 क Eप म प1रभािषत करत ह3rsquorsquo

जरसीड क अनसारlsquolsquo िकसी भी कार क आवस आन पर भड़क उठन तथा उ)िजत हो जान क

अवथा को सवग कहत ह3rsquorsquo

2032 सवग का वQप -

उपरो परभाषाओ क िवpषण स हमgt सवग क िनLनिलिखत िवशषताओ का पता चलता ह-

1) सवग और भावनायgt- िकसी भी कार क सवग क उपि क िलए िकसी न िकसी कार क भावना का

होना आवयक ह अतः हर सवग क पीछ कोई न कोई भावना काय1रत होती ह

2) तीता- सवग मgt तीता पाई जाती ह और यह Rयि मgt एक कार का तफान उन कर दता ह

3) शारीरक परवत1न- सवग क परणाम सव=प Rयि मgt अनक कार क वाT तथा आतरक सारीरक

परवत1न परलिMत होत ह जस नाड़ी क गित का बढ़ जाना र चाप मgt परवत1न वसन गित bदय गित मgt

परवत1न चीर क हाव-भाव मख म_ा सारीरक म_ायgt अग मgt कपन आिद

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 251

4) मानिसक दशा मgt परवत1न- सवग क समय Rयि क मानिसक दसा मgt िनLनिलिखत म मgt परवत1न होत

ह-(क) िकसी वत या िथित का ान मरण या क-पना (ख) ान क कारण सख या दख क अनभित

(ग) उजना क कारण काय1 करन क वि

5) Rयवहार मgt परवत1न- सवग क समय Rयि क सLपण1 व=प मgt परवत1न हो जाता ह उदाहरणाथ1- दया स

ओत ोत Rयि का Rयवहार उसक सामाय Rयवहार स िब-कल अलग होता ह इसी कार ोध क

अवथा मgt Rयि का Rयवहार सामाय Rयवहार स िब-कल अलग होता ह

6) िवशाल MN - सवग का MN बहJत ही िवसाल होता ह यह िवकास क यक अवथा मgt िदखाई दता ह

नवजात िसश स लकर वP तक सभी मgt सवग क उपि होती ह

7) Rयापकता- िनLनतर ािणय स लकर उ`चतर तक सभी मgt सवग उपिथत होत ह उदाहरणाथ1 िब-ली को

उसक ब`च स दर करन पर ब`च स उसका िखलौना छीनन पर तथा मन य को उसक आलोचना करन पर

ोध आ जाता ह

8) अिभरणामक वि- ायः यह दखा जाता ह िक सवग क वि अिभरणामक होती ह जब Rयि मgt

कोई ती सवग उनcप होती ह तो उसका Rयवहार िकसी खास ज(य क ओर अिभरत होता ह जस- यिद

कोई Rयि िकसी परिथित मgt काफ डर गया ह तो ऐसी हालत मgt वह या तो वहा स भाग जायगा या अपन

आप को िकसी ऐसी जगह िछपा लगा िजसस डर उपन करन वाला उीपक स िदखाई ही न पड़

9) सचयी वि- सवग क वि सचयी होती ह जब काई सवग एक बार उपन हो जाता ह तो थोड़ी दर क

िलए वह उरोN वतः ही बढ़ता चला जाता ह ऐसा सवग ारा एक खास कार क मानिसक तपरता

उपन कर िदय जान क कारण होता ह

10) िनरतरता- सवग मgt िनरतरता का गण पाया जाता ह जब भी िकसी उीपक क कारण सवग उपन होता ह

उस उीपक क हट जान क बाद भी Rयि मgt कछ दर तक वह सवग बना रहता ह उदाहरणाथ1 - यिद Rयि

क सामन कोई जगली जानवर आ जाय तो उस दखकर Rयि मgt भय का सवग उपन हो जायगा वह

जानवर Rयि को दखकर डर जाता ह और कहU िछप जाता ह या दर चला जाता ह तब भी Rयि मgt भय

का सवग कछ समय तक बना रहगा सभी सवग मgt िनरतरता का गण उपिथत होता ह

उपरो पणन1 स पD हो जाता ह िक सवग क कछ सामाय िवसषताए होती ह िजनक आधार पर

सवग क व=प को भली भाित समझा जा सकता ह सवग का सबध मल वितय स होता ह चौदह मल

वितय क चौदह ही सवग ह जो इस कार ह-

भय ( िफयर) ोध (एगर)

घणा (िडगट) वास-य (टडरमोसन)

णा व दःख (िडस) कामकता( लट)

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 252

आचय1(वॉhडर) आमहीनता(िनगिटव स-फफिलग)

आमिभमान( पॉिजिटवस-फ फिलग) एकाकनप( लोनलीनस)

भख ( हगर) अिधकार भावना(फिलग ऑफ ओनरिथज)

कितभाव ( ि यिटवनस) आमोद ( एमसमट)

2033 सवग क िविभन िस=ात -

िजास पाठको अब आपक मन मgt अनक कार क उपन हो रह हग जस िक सवग क अनभव और

Rयवहार िकस कार होत ह सवगामक अनभव और Rयवहार मgt Yया सबध ह सवग परधीय अग स ही होता

ह या मित^क का भी इसमgt कछ महव ह सवग ाणी क जीवन क िलए उपयोगी ह या नहU सवग क सबध मgt

इस ढग क और भी बहJत स ह िजन पर सभी िवान एक मत नहU ह इहU मतभद क कारण सवग क अनक

िसPात का ितपादन हJआ ह इनमgt स कछ मख िसPात का वण1न इस कार ह-

1) जLस लाज का िसPात

2) कनन बाड1 का िसPात

3) ककटर िसगर िसPात

4) सानामक म-याकन िसPात

5) िलडल सिकयण िसPात

6) िवरोधी ि या िसPात

1) जस लाज िस=ात-

इस िसPात का ितपादन दो वािनक िविलयम जLस तथा काल1 लाज ारा वतN =प स 1880 मgt िकया

गया इन दोन वािनक क िवचार सवग क बार मgt एक दसर स काफ समानता रखत थ इसिलय इस

िसPात का नाम दोन क नाम पर रखा गया जो आज जLस लॉज िसPात क =प मgt िसP ह इस िसPात

का अधार जिवक या दिहक ह इस िसPात क मल धारण यह ह िक पहल हमgt सवगामक अनभव होता ह

उनक पWात सवगामक Rयवहार होता ह इसिलय जब हम कोई भय उपन करन वाली घटना या

परिथित का सामना करत ह तो डर जात ह इसिलय भाग जात ह जLस लाज क धारण इसक ठीक

िवपरीत थी जLस लाज क इस िसPात क अनसार पहल सवगामक Rयवहार होता ह उसक पWात

सवगामक अनभव होत ह अथा1त जब हम कोई भय उपन करन वाली घटना या परिथित दखत ह तो

हम भाग जात ह इसिलए डर जात ह जLस लाज िसPात सवग क RयाZया तीन चरण मgt क गई ह -

i) थम चरण - सबस पहल Rयि सवग उपन करन वाल उीपक का सामना करता ह तो इसक ारा

ानि_य मgt उपन तिNका आवग पथ (सZया) स होता माित^क मgt पहJचता ह िजसस Rयि को

उीपक का यMण होता ह उदाहरणाथ1- Rयि साप को अपन सामन होन का यMण करत ह

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 253

ii) ितीय चरण - िकसी उीपक का यMण होन स षरीर क भीतर अग एव वाT अग क

ि याशीलता मgt परवत1न हो जाता ह फलव=प Rयि सवगामक Rयवहार कर दता ह तिNका

आवग मित^क स िनकलकर शरीर क अतरावयव जस bदय फफड़ ऐिनल 2िथ वYक आिद को

उिजत करता ह तथा साथ ही साथ शरीर क बाहरी अग यानी हाथ पर क मासपिशया को

ि याशील कर दता ह उदाहरणाथ1 साप तजी स चलन लगती ह तथा ऐिनल 2िथ स एिनिलन

िनकलकर खन मgt िमलन लगता ह इन सबका परणाम यह होता ह िक Rयि मgt ती शारीरक

वरवत1न होता ह परणामव=प वह साप दख कर भाग जाता ह अथा1त सवगामक Rयवहार करता ह

iii) ततीय चरण - सवगामक Rयवहार क उपरात मित^क का यह सचना ाF होती ह िक अमक Rयवहार

िकया गया ह शरीर क भीतरी अग स तथा शरीर क बाT अग स मित^क को अमक साविगक

Rयवहार क सचना ाF होती ह जLस लाज न बताया िक इस RयाZया स दो बातgt पता चलती ह-

थम तो िक सवगामक Rयवहार पहल होता ह तथा सवगामक अनभित बाद मgt ितीय यह िक

सवगामक अनभव का होना सवगामक Rयवहार पर िनभ1र होता ह सवगामक Rयवहार न होन पर

सवगामक अनभित भी नहU होती यिद Rयि साप को दखकर नहU भागता ह तो डरता भी नहU ह

जब भागन क सचना मित^क को िमलती ह तब हममgt सवगामक अनभित होती ह अथा1त हम

भयभीत हो जात ह

2) कनन बाड0 िस=ात -

यह िसPात कनन(1927) ारा ितपािदत िकया गया था बाद मgt बाड1 (1934) न इसका अपन अEययन क

आधार पर समथ1न िकया दोन मनोवािनक क नाम स इस िसPात का नाम कनन बाड1 िसPात िसP हJआ

कनन बाड1 िसPात क अनसार सवग स होन वाल साविगक Rयवहार तथा साविगक अनभव दोन एक

दसर स वतN होत ह तथा दोन क उपि एक साथ होती ह कनन बाड1 िसPात को िनLनिलिखत चरण क

आधार पर पD िकया जा सकता ह-

bull सवग क उपि क िलए िकसी उीपक ारा ानि_य का उिजत होना आवयक ह

bull ानि_य स तिNका आवग हाइपोथलमस स होता हJआ सरfल कॉटiYस मgt पहJच जाता ह

bull सरfल कॉटiYस हाइपोथलमस पर स अपना िनयNण कम कर दता ह एव कछ िविशD परिथित मgt ऐस

तिNका आवग को भी हाइपोथलमस मgt भजता ह िजसक उपि िवक-प मgt हJई होती ह

bull इसक कारण हाइपोथलमस पण1तः ि याशील हो जाता ह

bull जब हाइपोथलमस ि याशील हो जाता ह तब तिNका आवग दो िदशा मgt यानी ऊपर क िदशा मgt अथा1त

सरfल कॉटiYस क ओर तथा नीच क िदशा मgt अथा1त आतरक तथा बाहरी शारीरक अग क

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 254

मासपिशय क ओर एक साथ जात ह तिNका आवग क सरfल एव पहJचन पर सवग क अनभित होती

ह तथा अतराग एव मासपिशय मgt तिNका आवग क पहJचन पर साविगक Rयवहार होता ह

कनन (1927) तथा बाड0 (1934) क ारा कई योग क तथा िबि-लय पर िकय इन योग मgt

हाइपोथलमस मgt छोटा घाव कर दन पर सवग मgt कमी तथा हाइपोथलमस को काटकर िनकाल दन पर सवग का

पण1तः ास दखा गया अतः पD ह िक हाइपोथलमस सवग का उम थान ह इसी कारण कनन बाड1 िसPात

को हाइपोथलमस yयोरी क नाम स भी जाना जाता ह

3) ककटर िसगर िस=ात-

सवग क इस िसPात को कटर तथा िसगर (1962) ारा ितपािदत िकया गया यह िसPात

सानामक िसPात तथा सानामक शारीरक िसPात क नाम स भी जाना जाता ह इस िसPात क मायता ह

िक सवग उपन करन वाल उीपक का वयि पहल यMण करता ह इस यMण क बाद शारीरक

परवत1न होता ह ककटर क अनसार एक ही कार क शारीरक परवत1न िविभन सवग उपन करन क

सामyय1 रखत ह इसक बाद Rयि अपन पव1 अनभव क पर(य मgt इन परवत1न को पD करता ह जो एक

सानामक ि या क अतग1त आत ह इस वयाZया क फलव=प वह समझ जाता ह िक सवग िकस कार

का ह अतः यह कहा जा सकता ह िक इस िसPात मgt सवग का ान होना सवगामक कारक तथा शारीरक

परवत1न क RयाZया पर िनभ1र करता ह अतः इस िसPात क अनसार सवग को तीन चरण क आधार पर पD

िकया जा सकता ह-

bull सव1थम पहल Rयि सवग उपन करन वाल उीपक का यMण करता ह

इस यMण क परणामव=प Rयि मgt कछ आतरक शारीरक परवत1न होत ह जो अपD होत ह

वय क पव1 अनभितय क सदभ1 मgt Rयि इन शारीरक परवत1न को पD करता ह जो एक

सानामक म-याकन क ि या ह Rयि मgt कौन सा सवग उपन हो रहा ह वह इसी पDीकरण पर िनभ1र

करता ह RयाZया क अनसार Rयि िजस तरह का आशय लगाता ह उस वसी ही सवगामक अनभित होती ह

ककटर तथा िसगर न अपन िसPात क पिD क िलए अनक योग िकय इनमgt स एक अयत िसP

योग इस कार ह- इस योग मgt तीन योगामक समह बनाय गय तीन समह को एिनिलन का इजYशन

िदया गया यह इजYशन दत समय यह कहा गया िक सोिYसन जो एक कार का िवटािमस ह वह उहgt िदया

जा रहा ह

इन तीन योगामक समह मgt एक सिचत समह था ितीय असिचत तथा ततीय गलत सिचत समह था

सिचत समह को ऐिनिलन स उपन होन वाल साविगक लMण जस- हाथ मकLपन bदय क गित मgt तीता

चहर का लाल होना आिद सही-2 बता िदय गय असिचत समह को ऐिनिलन क भाव क गलत सचना दी

गयी इजYशन दन क तरत बाद तीन योगामक समह क कछ योlय को उ-लास क िथित मgt तथा कछ

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 255

योlय को ोध उपन करन वाली िथित मgt रखा गया उ-लास क िथित वाल योlय मgt योका1 का एक

सहकमu हसी पदा करन क यास करता था तथा ोध क अवथा वाल योlय क साथ सहकमv ऐसा

Rयवहार करता था िक उनमgt ोध क उपि हो

परणाम मgt पाया गया िक सिचत समह पर सहकमv ारा िकय गय िकसी भी Rयवहार का भाव नहU

पड़ा Yयिक वह समह अपन अदर उपन सवग का कारण इजYशन को ही समझता था असिचत समह तथा

गलत सिचत समह क सदय को उ-लास क िथित मgt खशी का अनभव हJआ तथा ोध क िथित मgt इन

लोग मgt ोध उपन होत हJय पाया गया अतः पD ह िक ऐिनिलन क इजYशन स तीन योगामक समह

मgt जो शरीर मgt परवत1न हJए व एकसमान थ परत िजहgt उ-लास क अवथा मgt रखा गया उहgt खशी का

अनभव हJआ तथा िजहgt ोध क िथित मgt रखा गया उहgt ोध इस कारण हJआ Yयिक उनका यMण उस

िविशD परिथित मgt होन वाल घटना म ारा भािवत हो रहा था अतः सवग का अनभित कवल शारीरक

परवत1न स ही नहU होती ह वरन उसक सानामक ि याओ क आधार पर भी होती ह

कYटर िसगर िसPात स यह पD ह िक Rयि दिहक उततजन क RयाZया करन क िलए वाT सकत

का उपयोग करता ह और तब सवग का नामकरण करता ह

4) सानामक मयाकन िस=ात-

सानामक म-याकन िसPात का ितपादन रचाड1 लजारस (1970) ारा िकया गया इस िसPात क मायता

ह िक वातावरण क िभन-2 वतओ तथा शरीर क अदर स िमलन वाली सचनाओ का जब ाणी ठीक-2

म-याकन करता ह तो उस सवगामक अनभित होती ह अतः इस सानामक िसPात क नाम स जाना जाता

ह Rयि मgt सवग क उपि तब होती ह जब वह यह अनभव करता ह िक िकसी घटना या परिथित तथा िकय

गय Rयवहार का एक िवशष अथ1 होता ह तथा यह हमारी वत1मान अ`छाइय एव दीघ1कालीन ल(य क िलए

लाभकारी या नकसानदायक हो सकता ह इस ि या को म-याकन कहत ह इसमgt कवल सचनाओ का स2हण

ही नहU होता वरन इस बात िनण1य लत ह िक Rयि क िलए इन सचनाओ का Yया अिभाय ह हमारा सवग

िकसी वतिनn परवत1न िजसमgt Rयि अतःि या करता ह का परणाम नहU होता ह वरन उस िथित का वय

क आवयकताओ इ`छाओ एव साधन क सदभ1 मgt िकय गय म-याकन का परणाम होता ह

लजारस क अनसार म-याकन दो कार का होता ह-

bull ाथिमक म-याकन

bull गौण म-याकन

ाथिमक म-याकन वह होता ह िजसमgt Rयि परिथित या घटना क गभीरता का म-याकन करता ह यहा वह

इस बात का म-याकन करता ह िक जो घटना घट रही ह उसस वह िकतना भािवत हो रहा ह िजस समय

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 256

ाथिमक म-याकन क ि या िन^पन हो जाती ह तो उसक उपरात गौण म-याकन क ि या क श=आत

होती ह इसमgt ाणी उस घटना या िथित स िनपटन क वय क सामyय1 एव साधन का आकलन करता ह

ाणी मgt अनभव िकया गया सवग ाथिमक म-याकन तथा गौण मलयाकन क बीच सतलन क परणामव=प

उपन होता ह उस समय Rयि इस बात का म-याकन करता ह िक परिथित क गभीरता lयादा ह तथा उसस

िनपटन क सामyय1 तथा साधन कम ह तो इसक कारण सवग क तीता lयादा होती ह िकत इसक िवपरीत

परिथित हान पर सवग क तीता कम होती ह

उपय1 िववचन स यह पD ह िक इस िसPात मgt सवग का मZय आधार िभन-2 कार क सचनाओ का

म-याकन ह

5) िलडल का सियण िस=ात -

िलडल (1951) न सवग क सि यण िसPात का ितपादन िकया इस िसPात क मायता ह िक सवग

सरfल कॉटiYस क सि यण तर पर िनभ1र करता ह िलडल न सि यण तर क चार कार बताय ह -

1- शय तर

2- िनLन तर

3- उ`च तर

4- मEयम तर

सि यण का शय तर मय क उपरात होता ह िनLन तर नUद क दौरान होता ह ोध डर आिद

ती सवग मgt सरीfल कॉटiYस का सि यण तर उ`च होता ह सामाय ि याओ जस- पढन-िलखन खान-पीन

आिद क दौरान सरीfल कॉटiYस का सि यण तर मEयय होता ह

िलडल का सि यण िसPात इलYोइिसफलो2ाम अथवा ईईजी स सLबP रखता ह

इलYोइिसफलो2ाम स कई तरह क माित^क तरग का अEययन िकया जाता ह इनमgt ए-फा तथा बीटा

मित^कय तरगgt मख ह तब Rयि आराम क िथित मgt होता ह तो उस समय ईईजी ारा रकाड1 क गई

मित^क तरगgt ए-फा तरगgt कहलाती ह इनक ऊचाई अिधक तथा िनयिमत होती ह और यह ित सकhड 8 स

12 च क दर स उपन होती ह ती सवग क िथित मgt सरी fलकॉटिYस का सि यण तर मgt विP हो

जाती ह तब उ-फा तरग क जगह बीटा तरगgt िनकलन लगती ह इन तरग ऊचाई कम तथा अिनयिमत होती ह

जो ितसकhड 18 स 30 च क दर स िनकलती ह

िलडल का यह िसPात अयिधक िवत ह एव इसक अनसार सवग क उपि एव उसक अनभित मgt

मित^क क अनक भाग यथा रिटकलर फॉम1षन थलमस हाइपोथलमस तथा सरीfल कॉटiYस क सय =प स

भिमका होती ह िलडल का कहना ह िक जब ाणी सवग क उपि करन वाल उीपक का यMण करता ह

तो इसस उपन होन वाला नायवाह रिटकलर फॉमiषन मgt पहJचन क बाद उसमgt उजन उपन कर दता ह

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 257

इसक परणामव=प रिटकलर फॉमiषन नायवाह को थलमस तथा हाइपोथलमस मgt भज दता ह इसस उन

दोन मgt उजन हो जाता ह तथा व नाय वाह को सरfल कॉटiLस मgt भजन का काय1 करत ह जब नाय वाह

काटiYस मgt पहJचता ह तो Rयि को सवग क अनभित होती ह अतः िलडल क अनसार सवग तथा उसस

उपन सि यता का आधार रिटकलर फॉमiषन ह यिद रिटकलर फॉमiषन मgt िकसी कारण स उजन नहU होता ह

तो ाणी मgt सवग भी उपन नहU होता और ना ही िकसी कार क ि याशीलता क उपि होती ह

िलडल न िसPात क RयाZया पाच मख परक-पनाओ क आधार पर क-

bull सवग मgt ईईजी एक िविशD सि यता पटन1 को बताता ह इसमgt ए-फा तरगgt समाF होकर उसक थान पर

कम ऊचाई क ती बीटा तरगgt िनकलती ह

bull ईईजी मgt सवग मgt जो सि यता पटन1 होता ह उस मित^क तभ क रिटकलर फॉमiषन मgt उजन को उपन

करक ाF िकया जा सकता ह

bull जब Rयि क डाइसफलॉन िजसमgt मल =प स थलमस तथा हाइपोथलमस आत ह को िवनD कर दत ह

तो सरfल कारअLस मgt सि यण खम हो जाता ह और उसमgt ए-फा तरगgt िफर स बननी श= हो जाती ह

bull ाणी क हाइपोथलमस तथा थलमस को नD कर दन क कारण जो साविगक Rयवहार होत ह व

हाइपोथलमस तथा थलमस क उिजत होन स उपन साविगक Rयवहार स ठीक अलग होत ह जब

हापोथलमस तथा थलमस घायल या नD हो जाता ह तो ाणी मgt सती िन_ालता उदासीनता ति)ध

आिद अिधक हो जाती ह

bull डाइसफलॉन एव िनLन मित^क तभ क रिटकलर फॉमiषन क म ईईजी क सि यता म क या तो

समान होत ह या परपर Rयापी होत ह

अतः पD ह िक िलडल का सि यण िसPात काफ मख िसPात ह तथा मनोवािनक क मEय इस

िसPात क मायता अयिधक ह

िवरोधी िया िस=ात ( ओपोनट ॉसस Zयोरी) -

िवरोधी ि या िसPात मgt सवग क गयामक गण क RयाZया क गई ह सोलोमन तथा कॉरिबट (1974) तथा

सोलोमन (1980) न इस िसPात को पD करत हJए बताया ह िक यक सवग उपन करन वाला उीपक दो

तरह क ि याए Rयि मgt उपन करता ह-थम को ाथिमक ि या तथा ितीय को िवरोधी ि या माना

जाता ह ाथिमक ि या सवगक क उपि करन वाल उीपक क ित एक अनािज1त तथा वतः िति या

होती ह यह सखद या असखद कछ भी हो सकती ह ाथिमक ि या क यह िवशषता ह िक यह अितशी

अिधकतम तीता क िबद पर पहJच जाती ह एव उीपक क हटत ही तरत इसक तीता अयिधक कम हो

जाती ह

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 258

सवग उपन करन वाल उीपक स एक दसरी ि या उपन होती ह यह पहली ि या क िवपरीत

होती ह इस िवरोधी ि या कहत ह इसक कारण ाथिमक िथित क िवपरीत सावगामक अवथा ाणी मgt

उपन होती ह इस िवरोधी ि या का ारLभ धीर-2 होता ह तथा Mय भी धीर-2 होता ह िवरोधी ि या

ाथिमक ि या स कम ती होती ह िकत जब ाणी क समM उस उीपक को बार-2 लाया जाता ह तो पनः

िवरोधी ि या क तीता मgt धीर-2 विP होन लगती ह

जब सवग उपन करन वाला उीपक थम बार Rयि क समM आता ह तो ाथिमक िथित क

बलता अिधक होती ह Yयिक वह बहJत तीता स अपनी तीता क अिधकतम िबद पर पहJच जाता ह समय

बीतन क साथ - साथ िवरोधी ि या तीता क अिधकतम िबद पर पहJचन लगती ह Yयिक कल भाव

अथा1त ाथिमक एव िवरोधी ि या का सय =प स पड़न वाला भाव धीर-2 कम होन लगता ह

कई बार ऐसा भी होता ह िक जब उीपक एकदम स ाणी क सामन स हट जाता ह तो ाथिमक िथित

अचानक स शय िबद पर आ पहJचती ह लिकन िवरोधी ि या क तीता अयिधक धीर-2 घटती ह इस

िथित मgt ाथिमक अवथा क न होन पर िवरोधी िथित सि य होती ह और अनभव िकया गया सवग (दोन

िथितय का बीज गिणतीय योग) मल =प स िवरोधी िथित का ही होता ह इस िति या भाव (रबाउhड

इफYट) क नाम स जाना जाता ह

इस कार हम कह सकत ह िक भौितक िवान का ि या िति या का िनयम सवग पर भी लाग होता

ह यक कार क साविगक ि या स एक िति या उपन होती ह तथा इस म का हमार Rयवहार पर

अयिधक साथ1क भाव पड़ता ह

2034 सवग म( शारीरक परवत0न -

सवग मgt शारीरक परवत1न का महवपण1 थान होता ह कछ परवत1न का ान बाहर स दखन पर हो जाता ह

िकत कछ परवत1न क जानकारी क िलए यN क सहायता ली जाती ह सवग क सभी िसPात मgt सवग स

होन वाल षरीरक परवत1न का महव वीकार िकया गया ह मनोवािनक न अपन शोध िन^कषk क आधार

पर सवग स होन वाल शारीरक परवत1न को दो मख भाग मgt िवभािजत िकया ह-

bull वाT शारीरक परवत1न

bull आतरक शारीरक परवत1न

bull वाT शारीरक परवत1न

सवग मgt होन वाल वाT शारीरक परवत1न स अिभाय ऐस परवत1न स ह िजहgt पD =प स Rयि ारा

अिभRय िकया जाता ह तथा िजहgt िबना िकसी उपकरण क सहायता स आख स दख सकत ह जस- ोध

क अवथा मgt Rयि क चहर का लाल हो जाना हठ कापना तथा आख को बढा-2 कर बोलना आिद-आिद

भय क सवग क अवथा मgt Rयि का चहरा सखा िदखाई दता ह एव वह परिथित स भाग जाता ह Yयिक

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 259

इन शारीरक परवत1न को कोई भी Rयि आसानी स दख सकता ह अतः इस कार क शारीरक परवत1न को

वाT शारीरक परवत1न कहा जाता ह

मनोवािनक न वाT शारीरक परवत1न को तीन भाग मgt िवभािजत िकया ह-

(1) मखािभRयि मgt परवत1न (Changes in facial expressions)

(2) वर अिभRयि मgt परवत1न (Changes in vocal expression)

(3) शारीरक म_ा मgt परवत1न (Changes in bodily postures)

इन परवत1न का िववचन िनLन कार ह-

1) मखािभ[यिP म( परवत0न - सवग क समय होन वाल वाT शारीरक परवत1न मgt मखािभRयि क

परवत1न सवा1िधक पD होत ह

डािव1न (1872) न अपनी पतक मन य एव पश मgt सवग क अिभRयि मgt दावा िकया िक सवग स वतः एक

िनिWत कार क मखाकित उपन हो जाती ह य मखाकितया जमजात होती ह तथा इनका एक जिवक महव

होता ह मनोवािनक क अनसार चहर मgt अित सवदनशील तथा छोटी - छोटी अनक मासपिशया पायी जाती

ह जो सवग क उपि क समय फलना और िसकड़ना आरLभ कर दती ह अतः चहर मgt सवग क िथित मgt

बहJत शी परवत1न िदखाई दता ह इजाड1 (19701990) क अनसार चहर क ारा छः मख सवग क पD

अिभRयि होती ह- खशी उदासी आWय1 डर ोध एव घणा इस िदशा मgt सवा1िधक महवपण1 अEययन

लिडस (1924) न िकया इसक अतग1त योlय को िविभन कार क सवग उपन करन वाल काय1 करन क

िलय कहा गया काय1 क दौरान उनक मखािभRयि क तवीर ली गई अEययन मgt पाया िक िभन-2 योlय

समान सवग उपन करन वाल काय1 को करन पर िभन - िभन मखािभवयि करत ह अतः माN मखािभRयि

क आधार पर सवग का िनण1य करना किठन काय1 ह फलक (1922) न कछ लोग को मखािभRयि इस

कार करन को कहा िजसस कछ िविशD सवग िदखलाई दgt कछ योlय को इन मखािभवयिय को Eयान स

दखकर यह बतलान को कहा गया िक उसस िकस तरह का सवग उपन हो रहा ह योlय मgt मखािभRयि क

आधार पर सवग का िनण1य करन मgt काफ सहमित पाई गई सिकम गर तथा साउसी1978 न अपन शोध

अEययन क आधार पर बताया िक िकसी सवग क अिभRयि मgt चहर क दायgt भाग का योगदान बायgt भाग क

अपMा अिधक होता ह इसका मZय कारण यह ह िक दायgt भाग का िनयNण मित^क क बायgt गोलाP1 ारा

िकया जाता ह

एकमन और उनक सहयोगी(1971) न सवग क अतर साकितक अEययन मgt पाया गया िक ाथिमक

सवग क मखाकितया सभी मgt समान होती ह यिप थानीय रीित रवाज क कारण उनमgt कछ िविशDताए भी

आती ह यथा जापािनय क िलए आवयक ह िक व सभी परिथितय मgt थोड़ा मकरायgt पाWाय दश मgt

आख का अिधक खलना आWय1 मgt चीनी लोग अपनी िजभ मह स बाहर िनकाल लत ह हमार दश मgt कान

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 260

खजलाना सकोच दिश1त करता ह और चीनीय मgt यह हष1 का िचह ह बक एव सिवन (1972) क अनसार

मखाकित को दखकर एक प=ष दसर प=ष क सवग को िजतना पहचानता ह उसस कहU अिधक एक मिहला मgt

दसरी मिहला क सवग को पहचानन क Mमता होती ह मखाकितक परवत1न मgt पतली क परवत1न का

महवपण1 थान ह पतिलय का आकार सवग का अयिधक सवदनशील सचक ह मखािभRयि ारा सवग

क सही-2 पहचान तीन कारक ारा अव=P हो जाती ह-

i थम ायः लोग सवग को िछपाना सीख लत ह ायः समाज मgt ऐस लोग होत ह जो ोिधत होन पर

भी िजसस व ोिधत ह हसकर अ`छी - अ`छी बातgt करत ह उनक चहर को दखकर पता नहU चल

पाता िक व ोिधत ह

ii दसरा कई बार ऐसा होता ह िक Rयि कई सवग एक ही साथ Rय करता ह ऐसी िथित मgt

मखािभRयि इतनी अपD तथा िमिtत होती ह िक उसस िनिWत =प स िकसी िविशD सवग क बार

मgt अनमान लगाना अयिधक किठन होता ह

iii तीसरा कवल चहरा दखकर सवग का िनण1य करना ठीक नहU ह Yयिक जब तक उस परिथित क

िवषय मgt ान नहU होता िजसमgt Rयि न आनन क अमक अिभRयि क ह सवग का ठीक - ठीक

िनण1य लना किठन हो जाता ह 2) वरािभ[यिP म( परवत0न-

सवगावथा मgt Rयि क आवाज मgt परवत1न हो जाता ह िजस सनकर आसानी स उसमgt उपन सवग का पता

चल जाता ह िकसी Rयि क आवाज क तीता उसक बोलन का तरीका वर िवराम तथा वर आरLभ

इयािद क आधार पर Rयि क सवग का पता चल जाता ह जस- यिद Rयि बहJत जोर-जोर स िच-लाकर तथा

ज-दी-ज-दी बोलता ह तो इसस उसक ोध का पता लग जाता ह फयरबYस तथा ोनोमोट (1939) न

िविभन शोध अEययन क आधार पर बताया िक सवगावथा मgt Rयि क आवाज मgt परवत1न आ जाता ह

डसनवरी तथा नोरर (1939) न िविभन सवगामक आवाज को रकॉड1 करक कछ योlय को सनवाया

अिधकतर योlय न इन सवग क सही पहचान क

अतः पD ह िक सवग स Rयि क आवाज मgt परवत1न हो जाता ह

3) शारीरक मmा म( परवत0न-

िविभन शोध अEययन स यह िसP हो चका ह िक सवग Rयि मgt एक खास शारीरक म_ा उपन करत ह

िविभन योग क आधार पर यह ात हो चका ह िक यक सवग मgt Rयि का हाथ पर िसर आिद िवशष

िथित मgt होत ह इसी कारण जब हम िफ-म मgt िकसी नायक या नाियका क मक तित दखत ह िजसमgt व

अपनी बात को कवल हाथ व पर क सहायता स िबना कछ कह कहत ह तो हम माN उनक अग का सचालन

दखकर उनक सवग पहचान लत ह जस-यिद वह अपन िसर क बाल नोचता ह तथा Rयाकलता Rय करता ह

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 261

तो इसस पD हो जाता ह िक वह तनाव तथा िचता क अवथा मgt ह यिद Rयि पर पटक-पटक कर तथा हाथ

झटकत हJए चलता ह तो इसस उसक ोध मgt होन का पता चलता ह जब Rयि अयिधक तनाव मgt होता ह

अथवा उपन िकसी ती सवग को दबान का यास करता ह तब उसक दोन हाथ क मया बद हो जाती ह

आWय1 क िथित मgt तथा सन अवथा मgt दोन हाथ क हथिलया खल जाती ह

िविभन सकितय मgt शारीरक म_ाओ मgt िभनता दखन को िमलती ह कछ खास-खास सवग जस- िकसी को

शभकामना दना अलिवदा कहना अपमान करना आिद मgt सवग को अिभRय करन क सभी तरीक मgt

समानता पायी जाती ह कछ सकितय मgt हाथ क अगठ एव तज1िनय क सहायता स नाक को पकड़त हJए

बोलना घणा एव अपमान सचक माना जाता ह

कई मनोवािनक जस बरोन बन1 तथा कटोिवज (1980) का मानना ह िक कवल शारीरक म_ा क

आधार पर सवग क पहचान करना एक किठन काय1 ह Yयिक िविभन सवग स उपन शारीरक म_ाओ मgt

बहJत अिधक अतर नहU होता ह अतः कवल शारीरक म_ा क आधार पर सवग को आसानी स नहU समझा जा

सकता ह

आतरक शारीरक परवत1न-

1 रचाप मgt परवत1न

2 र मgt रासायिनक परवत1न

3 13सन गित मgt परवत1न

4 bदय एव नाड़ी गित मgt परवत1न

5 पाचन ि या मgt परवत1न

6 2थीय eाव मgt परवत1न

7 ग-विनक वक अनि या मgt परवत1न

8 आख क पतली क अनि या मgt परवत1न

9 मित^कय तरग मgt परवत1न

सवगावथा मgt बाT शारीरक परवत1न क साथ-साथ Rयि मgt कछ आतरक परवत1न भी होत ह िजहgt आख

स दखकर पहचाना नहU जा सकता ह इन सवग क पहचान करन क िलए िवशष यN क आवयकता होती ह

Rयि क रचाप मgt परवत1न र मgt रासायिनक परवत1न आख क पतली मgt परवत1न मित^कय तरग मgt

परवत1न bदय गित मgt परवत1न नाड़ी क गित मgt परवत1न 13सन गित मgt परवत1न ग-विनक वचा अनि या मgt

परवत1न पाचन ि या मgt परवत1न आिद कछ िवशष परवत1न ह िजन पर मनोवािनक न िविभन शोध िकय

ह इन आतरक शारीरक परवत1न का वण1न िनLन कार ह-

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 262

(1) रPचाप म( परवत0न- िविभन सवगावथा मgt Rयि क रचाप मgt या तो कमी आ जाती ह अथवा

अिभविP हो जाती ह इसका मापन िफrनोमनोमीटर नामक एक िवशष यN ारा िकया जाता ह सामायतः

ोध भय और हष1 मgt Rयि का रचाप बढ़ जाता ह तथा दःख क अवथा मgt Rयि का रचाप कम हो

जाता ह एYस (1953) ारा एक शोध कॉलज क छाN पर िकया िजसमgt ोध क अवथा मgt छाN क

रचाप मgt विP पायी गयी टाइगरटड (1926) न 13 छाN क रचाप का मापन परीMा ारLभ होन क

पहल तथा बाद मgt िकया परणाम मgt पाया िक परीMा ारLभ होन स पहल छाN का रचाप अिधक था

तथा खम होन क बाद रचाप मgt कमी आ गयी वो-फ तथा वो-फ (1943) न अपन अEययन क आधार

पर यह िन^कष1 बताया िक ोध मgt eी तथा प=ष दोन क ही रचाप मgt विP हो जाती ह तथा भय क सवग

मgt दोन का ही रचाप कम हो जाता ह

(2) रP म( रासायिनक परवत0न- िविभन शोध अEययन क आधार पर यह पD हो चका ह िक सवगावथा

मgt Rयि क र मgt उपिथत रासायिनक तव मgt परवत1न हो जात ह सवगावथा मgt एीनल rलhड स

ािवत हॉमuन एिनिलन क माNा बढ़ जाती ह इसक परणामव=प Rयि मgt सि यता तथा फतv का

तर बढ़ जाता ह इस कार सवगामक िथित मgt एिनिलन क र मgt िमल जान स Rयि भय ोध आिद

सवग ारा उपन आपात िथित मgt ठीक ढग स Rयवहार कर पाता ह तथा वह वय को इस िथित मgt ठीक

ढग स समायोिजत कर लता ह यही कारण ह िक इस एमरजसी हामuन भी कहा जाता ह सि यता बढ़न क

साथ 13सन गित तथा bदय क गित बढ़ जाती ह और पाचन ि या थिगत हो जाती ह खन मgt rलकोस क

माNा भी बढ़ जाती ह इन सभी शारीरक परवत1न का परणाम यह होता ह िक साविगक =प स सजग

होकर Rयि परिथित का सामना कर पाता ह साविगक अवथा मgt Rयि क र मgt िसLपिथन नामक

रासायिनक तव क माNा बढ़ जाती ह इसस साविगक उीपक हट जान क बाद भी Rयि काफ दर तक

साविगक अवथा मgt बना रहता ह साविगक अवथा मgt Rयि क लाल रकण मgt भी परवत1न दखा गया

ह इस कार पD ह िक साविगक िथित मgt Rयि क र मgt रासायिनक तव मgt भी अयिधक परवत1न हो

जाता ह

(3) आखK क पतली क अनिया म( परवत0न- आख क पतली ऑटोनोिमक नव1स िसटम क िनयNण

मgt होती ह मनोवािनक न िविभन शोध अEययन क आधार पर बताया िक सवग क अवथा मgt आख

क पतली मgt भी परवत1न होत ह बडर (1933) क अनसार ती सवग जस- हष1 सनता आWय1 आिद

अवथाओ मgt आख क पतली फल जाती ह एLस (1953) क अEययन क अनसार दःख तथा िवरि क

सवग मgt आख क पतली िसकड़ जाती ह

(4) मितIकय तरगK म( परवत0न- शरीरि या मनोवािनक न िविभन शोध िन^कषk क आधार पर यह पD

िकया ह िक सवगावथा मgt मित^कय तरग मgt भी परवत1न होत ह मित^कय तरग को

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 263

इलYोइिसफलो2ाम (ईईजी) क सहायता स मापा जाता ह जब Rयि शात तथा सन मनःिथित मgt

होता ह उस समय मित^क स ए-फा तरग का उसज1न होता ह इसक बारबारता ित सकhड 8 स 12

मानी जाती ह जब Rयि िचता तनाव या साविगक उजन क अवथा मgt होता ह उस समय बीटा तरग

का उसज1न बढ़ जाता ह इनक बारबारता ित सकhड 18 स 30 मानी जाती ह

(5) rदय क गित तथा नाड़ी क गित म( परवत0न- सावगामक अवथा मgt Rयि क bदय क गित एव

नाड़ी क गित मgt भी परवत1न हो जाता ह

लgानकोईस (1983) क अनसार- lsquolsquo ोध तथा cयार क अवथा मgt bदय क गित बढ़ जाती हlsquolsquo

शपाड1(1962) क अनसार- lsquolsquoिचता क अवथा मgt bदय तथा नाड़ी क गित ती हो जाती हlsquolsquo

(6) sसन गित म( परवत0न- सवग का Rयि क 13सन गित पर भी भाव पड़ता ह कछ सवग क उपन

होन पर 13सन ि

कrस (1930) क अनसार- lsquolsquoमानिसक काय1 करत समय सास क गित तज िकत अिनयिमत होती ह

दःख अवसाद तथा मानिसक अत1 क िथित मgt सास क गित धीमी हो जाती ह ोध क अवथा मgt सास

क गित ती हो जाती हlsquolsquo

(7) पाचन िया म( परवत0न- सवग स पाचन ि या भी भािवत होती ह ती सवग जस- भय ोध

िचता आिद मgt पाचन ि या अयिधक धीमी हो जाती ह ती सवगामक िथित मgt Rयि मgt या तो क)ज

क (कॉटीपशन) या दत (लज मोशन) क समया उपन हो सकती ह इसी कारण ायः परीMा क

समय ब`च को लज मोशन क िशकायत हो जाया करती ह

कनन (1915) न अपन योग क आधार पर यह िन^कष1 िदया िक जब िब-ली क सामन क को लाया

जाता था तो िब-ली मgt ती डर का सवग उपन हो जाता था

(8) 1थीय tाव म( परवत0न- सवग क दौरान Rयि क लार 2िथय तथा एीनल 2िथ मgt महवपण1

परवत1न होत ह

बगर तथा इिलगटन (1943) क अनसार- lsquolsquoती सवग क िथित मgt Rयि क लार 2िथ स ाव कम

िनकलता हlsquolsquo

फलतः उस मह क अदर सखा-सखा अनभव होता ह सवग क अवथा मgt एीनल rलhड स

एिनिलन काफ माNा मgt eािवत होता ह िजसक र मgt िमलन स Rयि मgt महवपण1 परवत1न होत ह ऐस कछ

महवपण1 शारीरक परवत1न िनLनानसार ह-

bull एिनिलन क र मgt िमलन स Rयि सि यता का अनभव करता ह

bull एिनिलन क र मgt िमलन स र मgt जमन क वि अिधक बढ़ जाती ह

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 264

bull एिनिलन क र मgt िमलन स रचाप बढ़ जाता ह लाल र कण क सZया मgt विP तथा र मgt

rलकोस क माNा मgt विP हो जाती ह

(9) गविनक वक अनिया म( परवत0न- सवग उपन होन क िथित मgt ग-विनक वक अनि या या

जीएसआर मgt भी अनक परवत1न होन लगत ह

एYस (1953) क अनसार- lsquolsquo ोध मgt जीएसआर मgt कमी हो जाती हlsquolsquo

शॉक तथा कLबस (1937) क अनसार- lsquolsquoकाफ सखद तथा काफ दःखद सवग मgt जीएसआर

लड़िकय मgt लड़क क अपMा अिधक होता हlsquolsquo

204 साविगक बि=

सवगामक बिP स Yया आशय ह

साविगक बिP पद का ितपादन सव1थम 1970 मgt हावड1 गाड1नर पीटर सलोवी तथा जॉन जक मायर ारा

िकया गया इसक सPाितक RयाZया गोलमन (1995) न अपनी पतक इमोशनल इटलीजसः Rहाई इट कन

मटर मोर दन आईYय मgt िकया साविगक बिP का तापय1 Rयि क उस Mमता स ह िजसमgt वह अपन सवग

को सकारामक तथा सरचनामक ढग स यिMत िनयिNत तथा म-यािकत करता ह साविगक बिP क ारा

Rयि अपनी तथा दसर क साविगक अवथाओ क पहचान करता ह कछ शोधकता1ओ क अनसार

साविगक बिP सीखी जा सकती ह जबिक कछ अय क अनसार यह एक जमजात Mमता ह 2041 अथ0 एव परभाषा -

गोलमन क अनसार- lsquolsquoसाविगक बिP दसर एव वय क भाव को पहचानन क Mमता तथा अपन आप को

अिभरत करन एव अपन तथा अपन सLबध मgt सवग को बिधत करन क Mमता हlsquolsquo

पीटर सलोवी तथा जॉन डी मॉयर (1990) क अनसार -lsquolsquoसाविगक बिP सामािजक बिP का एक भाग

ह जो अपनी तथा दसर क भावनाओ को पहचानन तथा उनमgt िवभद करन क Mमता रखती ह तथा िजसक

ारा Rयि अपन िचतन तथा ि याओ को िनदiिशत करता हlsquolsquo

2042 साविगक बि= का िवकास -

पाच मZय कौशल क योग ारा साविगक बिP को िवकिसत िकया जा सकता ह-

1 तनाव को शीता स कम करन क Mमता- जब हम वय मgt िदन-ितिदन क जीवन मgt आन वाल तनाव को

कम करन क Mमता िवकिसत कर लत ह तब इसक ारा हम साविगक बिP का िवकास कर सकत ह

2 अपन सवग को पहचानन तथा उनका बधन करन क Mमता- साविगक बिP क िवकास हत आवयक ह

िक हम अपन भीतर उपन होन वाल सवग को पहचान कर उनका कशल बधन कर सकgt

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 265

3 अभािषक वाता1लाप का योग- साविगक बिP क िवकास हत आवयक ह िक हम अभािषक वाता1लाप

करन मgt सMम ह

4 चनौितय का सामना करन मgt मित^कय कौशल का योग - साविगक बिP क िवकास हत आवयक ह

िक Rयि चनौितय का सामना करन तथा उनका समाधान करन मgt बौिPक Mमताओ का योग करgt वह

सही तथा गलत का Mण करक ही Rयवहार का िनदiशन कर

5 अत1 का सकारामक िनपटारा- जब Rयि अत1 का सकारामक िनपटारा करता ह तब वह

िनिWत =प स साविगक बिP का िवकास करन मgt सफल होता ह

इस कार साविगक बिP Rयि क एक अित महवपण1 Mमता ह तथा उसक सभी कार क सफलताओ का

एक मZय आधारिबद भी

साविगक बिP को िनधा1रत करन वाल कारक -

सलोवी तथा मॉयर न अपन मॉडल मgt साविगक बिP को िनधा1रत करन वाल चार कारक का वण1न िकया ह-

1 सवग का यMण

2 सवग का उपभोग करन क Mमता

3 सवग को समझन क Mमता

4 सवग का बधन करन क Mमता

साविगक 6मताए -

डिनयल गोलमन न चार साविगक Mमताओ का वण1न िकया ह जो Rयिय को एक दसर स िभन करता ह-

1 आम अवगतता- अपन सवग को पहचानना तथा कस व हमार िवचार तथा Rयवहार को भािवत करत ह

का पता लगान क Mमता अपनी शिय तथा कमजोरय को समझन क Mमता आिद सिLमिलत होत ह

2 आम बधन- आवगी भावनाओ तथा Rयवहार को िनयिNत करन क Mमता अपन सवग को वथकर

ढग स बिधत करन क Mमता ारभ करन वाद करन तथा उहgt िनभान क Mमता तथा बदलती

परिथितय क साथ सामजय करन क Mमता सिLमिलत होती ह

3 सामािजक चतना- इसमgt दसर लोग Yया कह रह ह या अनभव कर रह ह और Yय कह रह ह और कसा

अनभव कर रह ह को समझन क Mमता सिLमिलत होती ह

4 सामािजक कौशल- इसमgt इस ढग स Rयवहार करन क Mमता सिLमिलत होती ह िजसक माEयम स Rयि

दसर स वािछत परणाम ाF करन मgt सफल होता ह और इस तरह वह Rयिगत ल(य क ािF कर लता

साविगक बिP क ारा Rयि अपन सLबध का बधन करन मgt भी सफल होता ह वह वथ सLबध

िवकिसत करता ह तथा उहgt बनाय रखता ह वह दसर स भािवत होता ह तथा दसर को भािवत करता ह

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 266

समह मgt काय1 करन पर उसका िन^पादन उम होता ह वह अत1 का कशल बधन करन क Mमता रखता

205 साराश

सवग- एक ऐसी जिटल भाव क अवथा िजसमgt शरीर मgt उजना पदा होती ह 2िथय मgt ि यायgt होती ह तथा

कछ िविशD कार क Rयवहार होत ह

मख सवग - मनोवािनक क अनसार ािणय मgt अनक कार क सवग पाय जात ह िकत इनमgt स

मख िनLन कार ह

सवग क कार -

1) भय

2) घणा

3) क=णा व दःख

4) आWय1

5) आमिभमान

6) भख

7) कितभाव

8) ोध

9) वास-य

10) कामकता

11) आमहीनता

12) एकाकपन

13) अिधकार भावना

14) आमोद

सवग क मZय तव - तीन तव

1 दिहक (Physical)

2 सानामक (Cognitive)

3 Rयवहारपरक (Behavioral)

सवग क मख िसPात -

1 जLस लाज का िसPात

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 267

2 कनन बाड1 का िसPात

3 ककटर िसगर िसPात

4 सानामक म-याकन िसPात

5 िलडल सिकयण िसPात

6 िवरोधी ि या िसPात

सवग मgt शारीरक परवत1न - दो कार क परवत1न

1 वाT शारीरक परवत1न

2 आतरक शारीरक परवत1न

साविगक बिP- सवग का सकारामक एव सरचनामक ढग स यMण िनयNण एव म-याकन करन क Mमता

सविगक बिP को िनधा1रत करन वाल कारक-

bull सवग का यMण

bull सवग का उपयोग करन क Mमता

bull सवग को समझन क Mमता

bull सवग का बधन करन क Mमता

सविगक Mमताए (डिनयल गोलमन क अनसार)-

bull आम अवगतता

bull आम बधन

bull सामािजक चतना

bull सामािजक कौशल

सविगक बिP को िवकिसत करन क उपाय-

bull तनाव को शीता स कम करन क Mमता

bull अपन सवग को पहचानन एव बधन करन क Mमता

bull अभािषक वाता1लाप का योग

bull चनौितय का सामना करन मgt मित^कय कौशल का योग

bull अत1 का सकारामक िनपटारा

206 शदावली

bull अतरावयव आतरक अग

bull उदLीपक जो उिजत करन का काय1 करता ह

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 268

bull सानामक िजसका सबध मानिसक ि याओ स ह जस - सोचना समझना िनण1य लना तक1 - िवत1क

करना इयािद

bull योJय िजन पर कोई योगामक या शोध अEययन िकया जाता ह अथा1त शोध काय1 मgt शािमल हान

वाल ितदश1

bull वक वचा

bull यि6त यMण करना

bull मयािकत म-याकन करना

bull अभािसक वाता0लाप िजस वाता1लाप मgt भाषा या श)द का योग नहU होता ह

bull अतL0द एक कार क मानिसक समया िजसमgt Rयि उिचत िवक-प का चयन करन उिचत िनण1य लन

मgt वय को असमथ1 महसस करता ह

207 वमयाकन हत

1 Rयि भाल को दखकर भाग जाता ह इसिलए डर जाता ह जसी उि का सबध िनLनािकत मgt स िकस

िसPात मgt स ह -

(अ) जLस लाग िसPात (ब) कनन बाड1 िसPात

(स) ककटर िसगर िसPात (द) िलडल िसPात

2 िनLनािकत मgt स िकस िसPात क अनसार Rयि मgt सवगामक अनभित तथा सवगामक Rयवहार एक ही

साथ मgt उपन होत ह-

(अ) ककटर िसगर िसPात (ब) जLस लाग िसPात

(स) िलडल िसPात (द) इनमgt स िकसी भी िसPात ारा नहU

3 िनLनािकत मgt स कौन एक ाथिमक सवग का उदाहरण नहU ह -

(अ) घणा (ब) ोध (स) िवरि (द) आमािभमान

4 िनLनिलिखत मgt स कौन सवग का क_ माना गया ह-

(अ) थलमस (ब) एिमगडला

(स) हाइपोथलमस (द) िलिLबक तN

5 िनLनािकत मgt स िकस सवग क िवशषता मgt शािमल नहU िकया जा सकता ह-

(अ) सवग िवकण1 होता ह (ब) सवग रणामक होता ह

(स) सवग सचयी होता ह (द) सवग मgt सातय नहU होता ह

6 सवग क उपि मgt िनLनािकत मgt स कौन स तN क भिमका अहम होती ह

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 269

(अ) अनकLपी तिNका तN (ब) उपअनकLपी तिNका तN

(स) काियक तिNका तN (द) क_ीय तिNका तN

नीच कछ कथन िदय गय ह जो कथन सही ह उनक आग सही का तथा जो गलत ह उनक आग गलत

का िचह लगायgt ndash

7 साविगक बिP क सPाितक RयाZया हावड1 गाड1नर ारा क गई ( )

8 साविगक बिP क सPाितक RयाZया डिनयल गालमन ारा क गई ( )

9 ldquoEmotion intelligence why EI matter than IQrdquo पतक क लखक जोन जक मायर ह ( )

10 सलोबी तथा मायर न साविगक बिP को िनधा1रत करन मgt चार कारक क भिमका को वीकार िकया ह (

)

11 डिनयल गोलमन क अनसार साविगक बिP दसर एव वय क भाव को पहचानन क Mमता तथा वय को

अिभरत करन एव अपन सबध मgt सवग को बिधत करन क Mमता ह ( )

12 साविगक बिP पद का सव1थम पितपादन 1970 मgt िकया गया ( )

13 सविगक बिP पद का सव1थम ितपादन 1972 मgt िकया गया ( )

14 अपन सवग को सकारामकएव सरचनामक ढग स यिMत िनयिNत एव म-यािकत करन क Mमता ही

सवगामक बिP ह ( )

15 साविगक बिP क सPाितक RयाZया 1990 मgt क गई ( )

16 ldquoEmotion intelligence why EI matter than IQrdquo डिनयल गौलमन क रचना ह ( )

उ-र 1) अ 2) द 3) स 4) स 5) द 6) अ 7) गलत

8) सही 9) गलत 10) सही 11) सही 12) सही

13) गलत 14) सही 15) गलत 16) सही

208 सदभ0 1थ सची

bull िसह अ=ण कमार (2006) उ`चतर सामाय मनोिवान मोतीलाल बनारसीदास बगलो रोड जवाहर

नगर िद-ली

bull िसह अ=ण कमार (2006) सानामक मनोिवान मोतीलाल बनारसीदास बगालो रोड जवाहर नगर

िद-ली

bull अजvमर1 रहमान (2003) सामाय मनोिवान िवषय और RयाZया

bull tीवातव रामजी आलम आिसम (2004) आधिनक सामाय मनोिवान

bull tीवातव रामजी (2003) सानामक मनोिवान

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 270

209 िनबधामक

1 सवग का व=प पD करत हJए इसक िवशषताओ का वण1न करgt

2 जLस लाग िसPात का वण1न करgt

3 सवग मgt होन वाल शारीरक परवत1न का वण1न करgt

4 सवग क िलडलम िसPात क RयाZया करgt

5 सवग मgt होन वाल आतरक शारीरक परवत1न का वण1न करgt

6 सवगामक बिP स आप Yया समझत ह साविगक बिP को िकस कार स िवकिसत िकया जा

सकता ह

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 271

ईकाई-21 उ1जना एव समि)थित अतनAद Bास िस ात अिजत िन)सहायता

(Arousal and Homeostasis Drive Reduction Theory Learned

Helplessness)

इकाई सरचना

211 तावना

212 उय

213 उजना

2131 उजना अथ1 एव परभाषा

2132 उजना ोत

214 समिथित

2141 समिथित अथ1 एव परभाषा

2142 समिथित क कार

2143 समिथित का रणा स सबध

215 अतनuद िसPात

2151 अतनuद िसPात Yया ह

2152 िसPात का म-याकन

216 अिज1त िनसहायता

2161 अिज1त िनसहायता स Yया आशय ह

2162 अिज1त िनसहायता क भाव या परणाम

217 साराश

218 श)दावली

219 वम-याकन हत

2110 सदभ1 2थ सची

2111 िनबधामक

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 272

211 तावना

िय िवािथ1य इसस पव1 क ईकाइय मgt आप िचतन क ि या इसक िविभन कार एव िसPात तक1 णा

बिP बिP लि)ध सवग तथा सवग क ाणी शरीर पर पड़न वाल भाव इयािद िवषय का अEययन कर चक

तत इकाई मgt इसी म को आग बढ़ात हJय कछ नय िवषय जस उजना समिथित अतनuद का

िसPात अिज1त िनसहायता इन चार िबदओ पर मशः चचा1 क जायगी

उजना का तापय1 Rयि क बढ़ी हJई सि यता स ह सामाय तर पर सि यता सभी क िलए आवयक ह

Yयिक यह हमgt अपन कायk को सचा= =प स करन क शि दान करती ह िकत इसका िनLन एव बढ़ा हJआ

तर हािनकारक होता ह Yयिक िनLन उजना मgt Rयि अपन िकसी भी काय1 को ठीक ढग स नहU कर पाता

और बढ़ी हJई उजना मgt उसका वय पर िनयNण किठन हो जाता ह उजना क मEयमतर को समिथितक क

साथ जोड़ सकत ह Yयिक इसमgt Rयि क मन शरीर ाण इि_या सभी मgt तालमल होता ह तथा सभी सचा=

=प स अपन काय1 करत ह उजना क बढ़ जान पर Rयि अयिधक तनाव महसस करता ह तथा इसक

समाधान हत यास करता ह िकत उजना का िनLन तर Rयि को िनि^ य कर दता ह उस लगता ह िक वह

कोई काम नहU कर सकता ह वह वय को िनसहाय महसस करता ह अतः उजना का होना हम सभी क िलए

आवयक ह उजना यM =प स अिभरण स सLबिधत ह

अतः पD ह िक उजना समिथित अतनuद एव िनसहायता चार एक दसर स सLबP ह

पाठक िनिWत ही आपक मन मgt इनक िवतत जानकारी ाF करन क िजासा उपन हो रही होगी

तत ईकाई क अEययन क उपरात हमgt आशा ह िक आप अपनी िजासाओ का समाधान करन मgt समथ1 हग

212 उय

तत ईकाई का अEययन करन क उपरात आप -

bull उजना क अथ1 को पD कर सकgt ग

bull उजना क िविभन तर का अEययन कर सकgt ग

bull उजना क िविभन ोत का ान ाF कर सकgt ग

bull उजना क ािणय पर पड़न वाल भाव को पD कर सकgt ग

bull समिथित स Yया आशय ह इस पD कर सकgt ग

bull समिथित क िविभन कार का िवpषण कर सकgt ग

bull समिथित एव रणा क पारपरक सबध को पD कर सकgt ग

bull उजना एव समिथित क आपसी सबध का अEययन कर सकgt ग

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 273

bull अतनuद क अथ1 को पD कर सकgt ग

bull अतनuद स िकस कार तनाव दर होता ह इसका िवpषण कर सकgt ग

bull अिज1त िनसहायता क अिभाय को पD कर सकgt ग

bull ाणी मgt िनसहायता क भावना िकस कार स िवकिसत होती ह इसका अEययन कर सकgt ग

bull अिज1त िनसहायता क ाणी क Rयिव पर पड़न वाल भाव का िवpषण कर सकgt ग

bull उजना समिथित अतनuद एव अिज1त िनसहायता क पारपरक सबध को पD कर सकgt ग

213 उ-जना

2131 उ-जना अथ0 एव परभाषा -

िय िवािथ1य अब आपक मन मgt िजासा उपन हो रही होगी िक यह उFजना आिखर ह Yया हम अपनी

िनयित क िजदगी मgt अनक बार वय को उFिजत होता हJआ अनभव भी करत ह िकत आिखर ाणी क

िकस मनः िथित को उजना क सा दी जाती ह यह जानन-समझन का िवषय ह तो आइय जानन क

कोिशश करत ह िक उजना स मनोवािनक का Yया अिभाय ह

उजना िकसी ाणी क उिजत होन क सामाय अवथा ह उजना स अिभाय Rयि क सामाय

जागित और अनि यामकता स ह उजना को कई नाम स पकारत ह जस सचत जागा हJआ चकना आिद

वततः जीवन मgt कोई भी काय1 सि य हJए या उिजत हJए िबना परा नहU हो सकता

सामायता उजना का अथ1 ाणी क सि यता का बढ़ जाना ह एक सामाय तर पर िकसी भी काय1

को सLपािदत करन क िलय सि यता अिनवाय1 =प स आवयक ह िकत आवयकता स अिधक या कम

उजना ाणी क िलय हािनकारक िसP होती ह Yयिक िनLन उजना क कारण ाणी िकसी भी काय1 को

भलीभाित नहU कर पाता ह और अयिधक उिजत होन पर वह वय पर िनयNण खो दता ह िजसस भी काय1

सचा= =प स सLपन नहU हो पाता अतः उजना का तर मEयम होना चािहय िजसस िक काय1 भी परा हो

सक और ाणी का वय पर िनयNण भी बना रह

परभाषाए-

डोना-ड हब क अनसार- lsquolsquo उजना अथवा जाग=कता शि दान करती ह लिकन िदशा िनदiश दान नहU

करती यह एक इजन क समान ह लिकन उसका माग1 परवित1त करन वाला साधन नहUrsquorsquo

जोन पी िडसको और िविलयम ाराफोड1 क अनसार- lsquolsquoउजना िकसी Rयि क जोश क सामाय

िथित का वण1न करती हrsquorsquo

उजना क िविभन तर-

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 274

उजना को Rयि क सि यता क िलए आवयक घटक माना जाता ह इसक तीन तर होत ह- उ`च मEयम

तथा िनLन ाणी को ि याशील बनाए रखन क िलए जाग=कता का मEयम तर पया1F होता ह ायः यह दखन

मgt आता ह िक ाणी यक सरल उीपक को तो ाF करना चाहता ह लिकन कठोर उीपक स दर भागना

चाहता ह इसिलए यास िकया जाता ह िक Rयि का उजना तर मEयम अवय बना रह

उदाहरण- इन तीन तर को इस कार समझा जा सकता ह- मान िलिजए एक Rयि सो रहा ह दसरा Rयि

सतक1 ह तथा तीसरा Rयि उतावला तथा िचितत ह तो हम कहgtग िक य तीन Rयि मशः िनLन मEयम तथा

उ`च उजना तर पर ह

2132 उ-जना tोत ndash

[यिP को उ-जना दो tोतK स िमलती हu-

1 आतरक उजना ोत

2 बाT उजना ोत

1 आतरक उजना ोत- सामाय =प स शारीरक आवयकताओ क सतिD क िलए Rयि सि य होता

ह Rयि वभाव स ही सि य होता ह आतरक उजना ोत शारीरक िनLन तर क आवयकताओ स

लकर मानिसक उ`च तर क आवयकताओ तक होता ह िजासा तथा उजना क मEय धनामक

सहसLबध ह इसी कार मEयम तर क िचता तथा उजना क मEयम भी धनामक सहसLबध पाया

जाता ह

2 बाT उजना ोत- सामायतः वातावरण स Rयि को उजना िमलती ह वातावरण क तव उीपक का

काय1 करत ह वातावरण क नवीनता भी Rयि को अिभरत करती ह नीरसता को दर करन क िलए

परवत1न तथा वातावरण क नवीनता आवयकता होती ह

उसकता तथा उजना दोन ही भावना क तर को उठान मgt सहायक होत ह उजना मgt भावकता क माNा

अिधक होती ह उजना का छाN क िन^पिय स धनामक सहसLबध होता ह

मानव को अपन जीवन क आरLभ क वषk मgt बहJत बड़ी माNा मgt अपन क-याण क िलए वातावरणीय

उजना क आवयकता होती ह िनध1न वातावरण स उजना तर कम हो जाता ह Yयिक पहल जीिवत रहन

क आवयकता क सतिD होनी चािहए व Rयि िजहgt उजना ाF नहU होती व ि या करन क सब जोश को

खो दत ह

उदाहरणाथ1 - व Rयि जो लLब समय तक बकार रहत ह व अपन जीवन क ओर स उदासीन हो जात

ह और उनका CिDकोण सकण1 हो जाता ह

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 275

214 समिथित

2141 समिथित अथ0 एव परभाषा -

उजना क बाद अब समिथित क व=प क सबध मgt चचा1 क जायगी िवािथ1य जब िकसी Rयि मgt

उजना अयिधक बढ़ जाती ह तो वह अपन आपको सतिलत नहU रख पाता ह उसक िचतन चरN एव

Rयवहार मgt गड़बिड़या उपन होन लगती ह वततः उसका Rयिव सयिमत एव सतिलत नहU रह पाता ह और

ऐसी िथित उपन होन पर यन-कन कारण वह उस सतलन को ाF करन क कोिशश करता ह

वय को सतिलत रखन एव िथरता बनाय रखन क ािणय मgt जो वि पायी जाती ह उस

lsquolsquoसमिथितrsquorsquo कहत ह अथा1त ाणी क शरीर मन ाण इि_य मgt एक ऐसा सामजय एव सतलन िजसस

उसक समत काय1 सचा= =प स सLपन हो सक

उजना का मEयम तर समिथित स सLबP ह िविभन िवान न समिथित को अलग-अलग ढग स

परभािषत िकया ह उनमgt स कितपय महवपण1 परभाषाए िनLनानसार ह-

चपिलन न समिथितक क परभाषा इस कार दी ह-

1) ाणी क एक पण1 क =प मgt ऐसी वि ह िजसस वह िथरता बनाय रखता ह और यिद उसक िथरता भग

होती ह तो वह सतलन ाF करन का यास करता ह उदाहरणाथ1- यिद एक चह क एीनल 2िथ काट दी

जाय तो वह सोिडयम क कमी को अिधक नमक खाकर परा करगा

2) शरीर क अग तथा र क िथरता बनाय रखन क वि उदाहरणाथ1- र सापM =प स कछ पदाथk का

िथर तर बनाय रखता ह जस- नमक शYकर इलYोलाइटस आिद यिद ऐसा नहU हो पाता तो Rयि

बीमार हो जाता ह और ऐसा रहन पर उसक मय तक हो जाती ह

2142 समिथित क कार -

मनोवािनक न समिथित क अनक कार बताय ह इनमgt स कोफर तथा एपल न समिथित का जो वगvकरण

िकया ह उसका िववचन िनLनानसार -

1) दिहक समिथित

2) मनोवािनक समिथित

3) सामािजक समिथित

1) दिहक समिथित- इसक अतग1त परवहन लिसका तथा िसLफिटक तN स बनी हJई िथरता आती ह

अथा1त र मgt पानी नमक शYकर क माNा र ोटीन र मgt कि-शयम आिद क साथ-साथ शरीर क

ताप म िथरता ऑYसीजन क आपित1 आिद भी आत ह इसका कनन न अपनी योगशाला मgt अEययन

िकया इस कार क िथरता Mितपित1 ि या क ारा होती ह िजसमgt शरीर क अितर आतरक अग

नायमhडल अतःावी 2िथया तथा शरीर मgt अय वत1मान रासायिनक तव होत ह

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 276

इसी कार समायोजन ि याए जस- चोट लगन पर खन का थYका बनना आिद ि याए भी समिथित बनाय

रखन मgt सहायक होती ह इसी कार कनन न इस ओर भी Eयान िदलाया िक भख cयास नमक लन क चाह भी

शारीरक समिथित बनाए रखन मgt सहायक होती ह

2) मनोवािनक समिथित- oलचर (1936) थम मनोवािनक था िजसन सबस पहल मनोवािनक

समिथित क िसPात को दिश1त िकया उसन आदत =िचय सामािजक रक Rयिव क लMण

नशाखोरी क लत आिद को मनोवािनक समिथित क अतग1त रखा यिप इस िसPात को मानन मgt

कछ समयाए उपन हJई परत िविवध MN मgt ऐस माण उपल)ध हJए िजनस Rयवहार मgt सतलन ि याए

िदखलायी पड़ती ह

इस िसPात क पिD क िलए िनLन चार MN स माण उपल)ध ह-

bull मनोवािनक द- इसक अतग1त आकित या आकार थय1 आत ह इसी कार यMीकरण का सगठन

अ`छी आकित आिद भी सतलनामक विया ह

bull काय1 तथा काय1कशलता क अEययन- इस MN मgt अनक अEययन स पता चला ह िक Eयान म और

तनाव क अवथा मgt भी पया1F =प स काय1 तर िथर रहता ह

bull आकाMा क तर सLबधी अEययन- लिवन और उनक सािथय ारा यह दिश1त कर िदया गया ह िक

अनक परिथितय मgt आकाMा का तर िथर बना रहता ह इस कार अधरी समयाए िमलन पर व परी

कर ली जाती ह

bull औपचारक द- gायड (1920) फनीशल (1945) तथा यटन (1955) आिद क अEययन स पता

चला ह िक बाEयता और ितरMा क मनोरचना स भी िकसी न िकसी कार का मानिसक सतलन बना

रहता ह

2143 समिथित का रणा स सबध -

मनोवािनक समिथित क अतग1त हम यह दख चक ह िक आदतgt उरक Rयिव क िवकिसत शीलगण

एक बार िवकिसत होन पर िनरतर चलत रहत ह इस बार मgt टगनर oलवन स सहमत ह और मYलीड न इसक

RयाZया का आधार पनब1लन माना ह

इस कार क तyय स भािवत होकर िनLन चार मनोवािनक न समिथित क आधार पर रणा क

चार िसPात िदय ह-

1) जीएल gमन (1948) का धनामक उजनाओ क आधार पर िदया गया रणा का िसPात

2) न-सन क िनण1य को भािवत करन वाल सामाय और सामािजक तव पर आधारत एडॉcटशन लवल

मॉडल

3) वीिनमस साइबरनिटYस मॉडल जो सचार अनसधान तथा gडबक क िसPात पर आधारत ह

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 277

4) लिवस फ-ड yयोरी जो मल =प स उ िसPात क श)दावली मgt तो नहU ह परत सतलन क िवचार क

अन=प ह

215 अतनiद िस=ात

2151 अतनiद िस=ात Nया ह

इस िसPात क अनसार अतनuद वह तनाव क अवथा ह जो ाणी को तनाव दर करन क िलए उीF करती ह

इसमgt भख cयासख काम नUद तथा आराम सिLमिलत ह यिप इस िवचारधारा का सNपात वडवथ1 (1918) न

िकया था परत सी हल (1943) न रणा तथा अिधगम क MN मgt इस िवचारधारा का महवपण1 उपयोग िकया

हल का कथन ह िक अतनuद शारीरक कमी क कारण जम लता ह और यह शारीरक यनता शरीर मgt सतलन

को िबगाड़ती ह िकसी ती पीड़ादायी उीपक तथा िवत आघात स भी ऐसी परिथित जम लती ह उीपक

यनता स भी शारीरक सतलन िबगड़ता ह परत मित^क क क_ इस पण1 आवयक अवथा यथा 996 िड2ी

पर शरीर का ताप बनाय रखन मgt मदद करत रहत ह (वीिसगर तथा सहयोगी 1993)

बा-डीरव (1993) तथा टलर (1993) का कथन ह िक शरीर मgt उिचत माNा मgt ऑYसीजन काब1न

डाई ऑYसाइड लवण शक1 रा तथा अय पदाथk का तर भी बनाए रखना इसी िसPात क अतग1त ह उ

विण1त अवथाओ मgt जीन क आवयकताओ क पित1 होती ह इसी पित1 स अतनuद क तीता मgt कमी आती

2152 िस=ात का मयाकन -

िवािथ1य कछ मनोवािनक क कितपय आधार पर अतनuद िसPात का खhडन िकया ह अब आप सोच

रह हग िक आिखर इस िसPात मgt ऐसी Yया खािमया या Nिटया रही िजसक कारण इसक आलोचना हJयी तो

आइय चचा1 करत ह उन िबदओ क िजस आधार पर इस िसPात क आलोचना हJयी य िबद िनLनिलिखत

ह-

1 कछ मनोवािनक न णोद िसPात क आलोचना इस आधार पर क ह िक यह िसPात जिवक

अिभरक जस- भख cयास काम आिद क RयाZया वािनक ढग स करता ह परत अिज1त अिभरक

क RयाZया ठीक ढग स नहU हो पाती

2 इस िसPात क दसरी आलोचना यह ह िक माN णोद तथा उसक कमी होन स भी अिभरक क पण1

RयाZया नहU हो पाती ह सचमच मgt णोद अपन आप मgt अिभरत Rयवहार पदा तब तक उपन नहU

करता ह जब तक सभव नहU ह Rयि क सामन उस णोद को कम करन क िलए उपय ोसाहन

िवमान न हो

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 278

उपय1 िववचन स यह पD ह िक यिप अनक आधार पर अतनuद िसPात क आलोचना क गई ह तथािप

इसक महव को नकारा नहU जा सकता

216 अिज0त िनसहायता

2161 अिज0त िनसहायता स Nया आशय ह

िय पाठक यक ाणी अपनी िजदगी मgt कभी-कभी ना कभी ऐसी अनक परिथितय घटनाओ एव

समयाओ का सामना करता ह िजसस िनपटना आसान नहU होता ह उस समया क समाधान मgt वह वय को

असमथ1 महसस करता ह यह िकसी एक Rयि का उदाहरण नहU ह वरन िजन Rयिय मgt आमबल क कमी

होती ह ायः उन सभी क साथ अYसर ऐसा होता रहता ह और यिद असफल होन का अनभव बार-बार होता ह

तो Rयि वय को असमथ1 या िनसहाय रखना सीख लता ह

अिज1त िनसहायता पद का ितपादन मािट1न सिलगमन (1975) न अपन अिज1त िनसहायता क

िसPात मgt िकया इस िसPात का सार तव यह ह िक तनाव स Rयि मgt िनसहायता का भाव उपन हो जाता

ह जब Rयि िकसी तनाव2त उीपक या घटना का सामना करता ह तो उसक साथ िनबटन क िलए एक

िवशष Rयवहार करता ह परत जब इस Rयवहार मgt उस सफलता नहU िमलती ह और ऐसा कई बार हो चका

होता ह तो वह अपन आप को िनसहाय अनभव करता ह इसका मतलब यह हJआ िक तनाव उपन करन

वाली परिथित पर िनयNण न करन का अनभव बार-बार होन स Rयि वय को िनसहाय रखना सीख लता ह

इस तyय क सLपिD िहरोटो एव सिलगमन (1975) न अपन योग क आधार पर िकया ह

2162 अिज0त िनसहायता क भाव या परणाम -

अब यह उपन होता ह िक इस िनसहायता क ाणी क Rयिव पर Yया भाव पड़ता ह पाठक इतना

तो आप भी जान ही गय हग िक असहाय या असमथ1 या आमहीन होन का भाव िकसी भी कार का

सकारामक या अ`छा परणाम तो उपन नहU ही करता ह अिज1त िनसहायता अनक कार क खािमया क

जननी ह िजसका वण1न िनLनिलिखत िबदओ क अतग1त िकया जा सकता ह-

अिज1त िनसहायता स तीन तरह क किमया उपन होती ह-

1) अिभरणामक कमी

2) सानामक कमी

3) साविगक कमी

1) अिभपरणामक कमी - िनसहाय Rयि कोई ऐसा यास नहU करता ह िजसस उसक परणाम मgt परवत1न

हो सक यह अिभरणामक कमी का उदाहरण ह

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 279

2) सानामक कमी - िनसहाय Rयि उन नयी अनि याओ को नहU सीख पाता ह िजसस वह तनावपण1

उीपक स वय को छटकारा िदला सक यह सानामक कमी का उदाहरण ह

3) साविगक कमी - ह अिज1त िनसहायता Rयि मgt ह-का या ती िवषाद भी

उपन कर सकती ह यह साविगक कमी का उदाहरण ह पDतः इस िसPात क अनसार तनाव क

नकारामक भाव क RयाZया Rयि मgt उसमgt उपन िनसहायता क माEयम स क गयी ह

217 साराश

उजना- ाणी क उFिजत होन क सामाय अवथा

उजना क तर- तीन तर

1 उ`च तर

2 मEयम तर

3 िनLन तर

उजना क ोत - दो ोत

1 आतरक उजना ोत - Rयि मgt वभाव स सि य होन का गण िवमान होना

2 बाbय उजना ोत - वातावरण क तव स Rयि का उिजत होना

समिथित- ाणी क पण1 क =प मgt ऐसी वि िजसस वह िथरता बनाय रखता ह तथा िथरता भग होन पर उस

ाF करन का यास करता ह

समिथित क कार - कोफर तथा एपल क अनसार समिथित क िनLन तीन कार ह-

1 दिहक समिथित

2 मनोवािनक समिथित

3 सामािजक समिथित

bull समिथित एव रणा को मनोवािनक न एक-दसर स सबिधत माना ह

अतनuद- तनाव क वह अवथा जो ाणी को तनाव दर करन क िलय उीF कर अतनuद िसPात का सNपात

वडवथ1 न 1918 मgt िकया था लिकन सी हल न अिधगम एव रणा क MN मgt इस िवचारधारा का मZय =प स

योग िकया अतनuद िसPात क माEयम स जिवक अिभरक जस भख cयास नUद काम आिद क

वािनक RयाZया क गई

अिज1त िनसहायता- इस पद का सव1थम ितपादन मािट1न सिलगमन ारा 1975 मgt िकया गया

अिज1त िनसहायता का अथ1 - तनाव2त परिथित पर िनयNण न करन का अनभव बार-बार होन स Rयि का

वय को िनसहाय रखाना सीख लना

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 280

अिज1त िनसहायता स उपन होन वाली किमया- तीन कार क किमया-

1 अिभरणामक कमी

2 सानामक कमी

3 साविगक कमी

218 शदावली

bull उ-जना (Arousal) ाणी क सामाय जागित और अनि यामकता

bull िनिIय (Inactive) ि या रिहत अथा1त ओर काय1 ना करना

bull सिय (Active) ि या य अथा1त काय1 करना

bull अिभरणा (Motivation) रणा

bull उीपक (Stimulus) ऐस तव जो ाणी को ि याशील या सि य करन का काय1 करत ह

bull समिथित (Homeostasis) सतलन एव िथरता

bull दिहक (Physical) शारीरक

bull अिज0त (Acquired) जम क बाद ाF होन वाली या सीधी जान वाली

bull िनसहायता (Helplessness) सहायता रिहत या असमथ1 होन का भाव

bull िवषाद (depression) अवसाद

bull सानामक (Cognitive) िजसका सबध मानिसक ि याओ स हो जस- सोचना तक1 करना बिP

का योग करना िवpषण करना RयाZया करना इयािद

bull साविगक (Emotional) िजसका सबध हमारी भावनाओ स हो भावनायgt सZयारामक एव नकारामक

दोन कार का हो सकता ह जस- म दया सहयोग हष1 इयािद सकारामक भावनायgt ह िकत दःख

िचता उदासी िनराशा तनाव अवसाद भय ई^या1 ष ोध लोभ मोह इयािद नकारामक भाव ह

िजसका सबध हमारी रणाओ स हो

219 वमयाकन हत

नीच कछ कथन िदय गय ह जो कथन सही ह उनक आग सही का िचह तथा जो गलत ह उनक आग गलत का

िनशान लगायgt-

1) उजना का तापय1 Rयि क बढ़ी हJयी सि यता स ह ( )

2) सामाय तर पर उFजना हमgt अपन कायu को सचा= =प स करन क शि दान करती ह ( )

3) उजना क माEयम तर का सबध समिथित स ह( )

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 281

4) उजना क अयिधक बढ़ जान पर Rयि तनाव महसस नहU करता ह( )

5) उजना का िनLन तर Rयि को सि य कर दता ह( )

6) हब क अनसार उFजना शि दान करती ह लिकन िदशा िनदiश नहU दान करती ( )

7) उजना हमgt वातावरण एव वभाव दोन स ही ाF होती ह( )

8) उजना क तीन तर होत ह( )

9) वाT उजना ोत का अथ1 ह Rयि का वभाव स ही सि य होना( )

10) ाणी क पण1 क =प मgt ऐसी वि िजसस वह िथरता बनाय रखता ह समिथित कहलाती ह( )

11) लोफर एव एपल न समिथित क छः कार बताय ह( )

12) धनामक उFजनाओ क आधार पर रणा क िसPात का ितपादन gमन ारा िकया गया( )

13) मनोवािनक समिथित क िसPात का सव1थम ितपादन oलच (1936) ारा िकया गया( )

14) 1 कोफर तथा एपल न समािथित को िकतन कार का माना ह

i) 4 ii) 5 iii) 3 iv) 2

15) अिज1त िनसहायता क िसPात क ितपादक ह-

i) मािट1न सिलगमन ii) कनन iii) मसलो iv) काल1 रोजस1

16) अतनuद िसPात बताता ह िक-

i) अतनuद वह तनाव क अवथा ह जो Rयि को तनाव कम करन क िलए रत करता ह

ii) अतनuद वह तनाव क अवथा ह जो Rयि मgt तनाव क तर को बढ़ाता ह

iii) अतनuद का तनाव स कोई सLबध नहU ह

iv) उपरो मgt स कोई नहU

17) अिज1त िनसहायता

i) अिभरणामक कमी का उदाहरण ह

ii) सानामक कमी का उदाहरण ह

iii) साविगक कमी का उदाहरण ह

iv) उपरो सभी

18) Rयि क उजना क ोत ह-

i)आतरक ii) सामािजक iii) भौितक iv) उपरो सभी

उ-र 1) सही 2) सही 3) सही 4) गलत 5) गलत 6) सही 7) सही

8) सही 9) गलत 10) सही 11) गलत 12) सही 13) सही

14) iii 15) i 16) i 17) iv 18) iv

सानामक मनोिवान मौिलक ियाए MAPSY 103

उराखड म िव13िवालय 282

2110 सदभ0 1थ सची

bull िसह अ=ण कमार (2006) सामाय मनोिवान उ`चतर मोतीलाल बनारसीदास बगलो रोड जवाहर

नगर िद-ली

bull सलमान मोहLमत (2006) उ`चतर सामाय मनािवान मोतीलाल बनारसीदास बगलो रोड जवाहर

नगर िद-ली

bull आलम आिसम एव tीवातव रामजी (2004) आधिनक सामाय मनोिवान मोतीलाल बनारसीदास

बगलो रोड जवाहर नगर िद-ली

bull रकमान अजvमई (2004) सामाय मनोिवान िवषय और RयाZया मोतीलाल बनारसीदास बगलो रोड

जवाहर नगर िद-ली

bull िसह अ=ण कमार (2006) सरल सामाय मनोिवान मोतीलाल बनारसीदास बगलो रोड जवाहर नगर

िद-ली

bull िसह अ=ण कमार (2006) आधिनक सामाय मनोिवान मोतीलाल बनारसीदास बगलो रोड जवाहर

नगर िद-ली

2111 िनबधामक

1 उजना का अथ1 पD करत हJए इसक ोत का वण1न करgt

2 समािथित का व=प पD करत हJए कोफर तथा एपल ारा विण1त कार का वण1न करgt

3 अतनuद िसPात क RयाZया तत करgt

4 अिज1त िनसहायता स आप Yया समझत ह इसस उपन किमय का वण1न किजय

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