प्रारंभिक स्तर पर सीखने के प्त ......प र र...

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रंभिक र पर सीखने के तफल हि दी िष थमिक र परिचय बच अपन साथ बहुत क ु छ लकर विालय आत ह – अपनी भाषा, अपन अनुभि और वनया को दखन का अपना नररया आवद। बच घर-परिार एि पररिश स विन अनुभि को लकर विालय आत ह, ि बहुत समृ होत ह। उनकी इस भाषायी पँूिी का इसतमाल भाषा सीखन-वसखान क वलए वकया िाना ावहए। पहली बार विालय म आन िाला बचा अनक शबद क अथ और उनक भाि स परवत होता है। वलवपब (व और उनस िुडी धिवनयाँ बच क वलए अमूत होती ह, इसवलए पन का ार भ अथपूर सामी स ही होना ावहए और वकसी उशय क वलए होना ावहए। यह उशय कहानी सुनकर-पकर आन द लना भी हो सकता है। धीर-धीर बच म भाषा की वलवप स पररवत होन क बाद अपन परिश म उपलबध वलवखत भाषा को पन-समझन की विासा उतपनन होन लगती है। भाषा सीखन- वसखान की इस वया क मूल म बच क बार म यह अिधाररा है वक बच द वनया क बार म अपनी समझ और ान का वनमा र सिय करत ह। यह वनमा र वकसी क वसखाए िन या ोर-बरदसती स नह बवक बच क सिय क अनुभि और आिशयकताओ स होता है। इसवलए बच को ऐसा िातािरर वमलना री है िहाँ ि वबना रोक-टोक क अपनी उतसुकता क अनुसार अपन परिश की खोि-बीन कर सक। यही अिधाररा बच की भाषायी मताओ पर भी लागू होती है। विालय म आन पर बच ायः सिय को बवझझक अवभवयत करन म असमथ पात ह, यवक विस भाषा म ि सहि प स अपनी राय, अनुभि, भािनाएँ आवद वयत करना ाहत ह, िह विालय म ायः सिीकृत नह होत। भाषा-वशर को बहुभाषी स दभ म रखकर दखन की आिशयकता है। का म बच अलग-अलग भाषायी-सा सकृवतक पृभूवम स आत ह। का म इनकी भाषाओ का सिागत वकया िाना ावहए, यवक बच की भाषा को नकारन का अथ है– उनकी अवसमता को नकारना। ाथवमक सतर पर भाषा सीखन-वसखान क स ध म यह एक री बात है वक बच विवभनन कार क परवत और अपरवत स दभ क अनुसार भाषा का सही योग कर सक। ि सहि, कपनाशील, भािशाली और वयिवसथत ढ ग स वकसम-वकसम का लखन कर सक। ि भाषा को भािी बनान क वलए सही शबद का योग कर सक। यह भी री है वक पना, सुनना, वलखना, बोलना – इन ार वयाओ म बच अपन पूिान की सहायता स अथ की रना कर पाएँ और कही गई बात क वनवहताथ को भी पकड पाएँ। भाषा-स ावत स धी आग की ा म पन को लकर विस बात पर बल वदया गया है उसक अनुसार ‘पना’ मा वकताबी कौशल न होकर एक तहीब और तरकीब है। पना, पकर समझन और उस पर वतवया करन की एक वया है। द सर शबद म, हम यह कह सकत ह वक पना बुवनयादी तौर स एक अथिान गवतविवध है। हम ऐसा भी कह सकत ह वक मुवत

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Page 1: प्रारंभिक स्तर पर सीखने के प्त ......प र र भ क स तर पर स खन क प त तफल ह द र षर प

परारभिक स‍तर पर सीखन क पत‍तफल हिदी िराषरा

पराथमिक स‍तरपरिचयबचच अपनच साथ बहत कछ लचकर विदालय आतच ह – अपनी भाषा, अपनच अनभि और दवनया को दचखनच का अपना नजररया आवद। बचच घर-पररिार एि पररिचश सच विन अनभिो को लचकर विदालय आतच ह, िच बहत समदध होतच ह। उनकी इस भाषायी पिी का इसतचमाल भाषा सीखनच-वसखानच कच वलए वकया िाना ावहए। पहली बार विदालय म आनच िाला बचा अनचक शबदो कच अथथ और उनकच परभाि सच पररवत होता ह। वलवपबदध (वहन और उनसच िडी धिवनया बचो कच वलए अमतथ होती ह, इसवलए पढनच का परारभ अथथपरथ सामगी सच ही होना ावहए और वकसी उदचशय कच वलए होना ावहए। यह उदचशय कहानी सनकर-पढकर आनद लचना भी हो सकता ह। धीरच-धीरच बचो म भाषा की वलवप सच पररवत होनच कच बाद अपनच पररिचश म उपलबध वलवखत भाषा को पढनच-समझनच की विजासा उतपनन होनच लगती ह। भाषा सीखनच-वसखानच की इस परवरिया कच मल म बचो कच बारच म यह अिधाररा ह वक बचच दवनया कच बारच म अपनी समझ और जान का वनमाथर सिय करतच ह। यह वनमाथर वकसी कच वसखाए िानच या जोर-जबरदसती सच नही बवक बचो कच सिय कच अनभिो और आिशयकताओ सच होता ह। इसवलए बचो को ऐसा िातािरर वमलना जररी ह िहा िच वबना रोक-टोक कच अपनी उतसकता कच अनसार अपनच पररिचश की खोि-बीन कर सक । यही अिधाररा बचो की भाषायी कषमताओ पर भी लाग होती ह। विदालय म आनच पर बचच परायः सिय को बचवझझक अवभवयकत करनच म असमथथ पातच ह, कयोवक विस भाषा म िच सहि रप सच अपनी राय, अनभि, भािनाए आवद वयकत करना ाहतच ह, िह विदालय म परायः सिीकत नही होती। भाषा-वशकषर को बहभाषी सदभथ म रखकर दचखनच की आिशयकता ह। ककषा म बचच अलग-अलग भाषायी-सासकवतक पष‍ठभवम सच आतच ह। ककषा म इनकी भाषाओ का सिागत वकया िाना ावहए, कयोवक बचो की भाषा को नकारनच का अथथ ह– उनकी अवसमता को नकारना। पराथवमक सतर पर भाषा सीखनच-वसखानच कच सबध म यह एक जररी बात ह वक बचच विवभनन परकार कच पररवत और अपररवत सदभभो कच अनसार भाषा का सही परयोग कर सक । िच सहि, कपनाशील, परभािशाली और वयिवसथत ढग सच वकसम-वकसम का लचखन कर सक । िच भाषा को परभािी बनानच कच वलए सही शबदो का परयोग कर सक । यह भी जररी ह वक पढना, सनना, वलखना, बोलना – इन ारो परवरियाओ म बचच अपनच पिथजान की सहायता सच अथथ की रना कर पाए और कही गई बात कच वनवहताथथ को भी पकड पाए। भाषा-सपराव‍तत सबधी आगच की ाथ म पढनच को लचकर विस बात पर बल वदया गया ह उसकच अनसार ‘पढना’ मातर वकताबी कौशल न होकर एक तहजीब और तरकीब ह। पढना, पढकर समझनच और उस पर परवतवरिया करनच की एक परवरिया ह। दसरच शबदो म, हम यह कह सकतच ह वक पढना बवनयादी तौर सच एक अथथिान गवतविवध ह। हम ऐसा भी कह सकतच ह वक मवरित

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2 परारभिक सतर पर सीखन क पभतफल

अथिा वलवखत सामगी सच कछ सदभभो ि अनमान कच आधार पर अथथ पकडनच की कोवशश ‘पढना’ ह। ऐसी वसथवत म हम अनचक बार वकसी पा‍ठय-िसत को पढनच कच दौरान, वकसी वबद पर जररत महसस होनच पर उसी को आगच कच सदभथ म समझनच कच वलए लौटकर व फर पढतच ह। पढनच का यह दोहराि ‘अथथ की खोि’ का परमार बन िाता ह। पढनच कच दौरान अथथ-वनमाथर कच वलए इस बात की भी समझ होनी ावहए वक अथथ कच िल शबदो और परयकत िाकयो म ही वनवहत नही ह, बवक िह पा‍ठ की समगता म भी मौिद होता ह और कई बार उसम िो साफ तौर पर नही कहा गया होता ह, उसच भी समझ पानच की जररत होती ह।

यह समझना भी जररी ह वक प‍ठन सामगी की अपनी एक अन‍ठी सरना होती ह और उस सरना की समझ रखना पररवत अथथ-वनमाथर म सहायक होता ह।

वलखना एक साथथक गवतविवध तभी बन पाएगी िब बचो को अपनी भाषा, अपनी कपना, अपनी दवषट सच वलखनच की आजादी वमलच। बचो को ऐसच अिसर वमल वक िच अपनी भाषा और शली विकवसत कर सक न वक बलकबोरथ, वकताबो या व फर वशकषक कच वलखच हए की नकल करतच रह। पढना-वलखना सीखनच का एकमातर उदचशय यह नही ह वक बचच अपनी पा‍ठयपसतक को पढना सीख िाए और अपनी पा‍ठयपसतक म आए विवभनन पा‍ठो कच अत म वदए गए परशनो कच उततर वलख सक बवक इसका उदचशय यह ह वक िच अपनी रोजमराथ की विदगी म पढनच-वलखनच का इसतचमाल कर सक । िच विवभनन उदचशयो कच वलए समझ कच साथ पढ और वलख सक । पढना-वलखना सीखनच की परवरिया म यह बात भी शावमल हो िाए वक विवभनन उदचशयो कच वलए पढनच और वलखनच कच तरीको म अतर होता ह। हमारच पढनच का तरीका इस बात पर भी वनभथर करता ह वक हमारच पढनच का उदचशय कया ह। एक विजापन को पढना और एक स ना को पढनच कच तरीकच म फकथ होता ह। लचखन कच सदभथ म भी यह बात महतिपरथ ह वक हमारा ‘पा‍ठक’ कौन ह यानी हम वकसकच वलए वलख रहच ह। अगर हम विदालय कच खचल-कद समारोह की स ना वलखकर लगानी ह तो इसकच ‘पा‍ठक’ विदालय कच बचच, वशकषक और अनय कमथ ारीगर ह। लचवकन अगर यही स ना समदाय और अवभभािको को दचनी ह तो इसकच पा‍ठको म अवभभािक और समदाय कच वयवकत भी शावमल हो िाएगच। दोनो वसथवतयो म हमारच वलखनच कच तरीकच और भाषा म बदलाि आना सिाभाविक ह। इसी तरह सच तरह-

तरह की सामगी को पढनच का उदचशय पढनच कच तरीकच को वनधाथररत करता ह। अगर आप सकल कच नोवटस बोरथ पर विदालय-िावषथकोतसि की स ना पढना ाहतच ह तो इसम आपका धयान वकनही खास वबदओ की ओर िाएगा, िसच– समारोह कौन-सी तारीख को ह, समारोचह कहा आयोवित वकया िाएगा, समय कया ह आवद, आवद। यवद कोई कहानी पढतच ह तो उसकच पातरो और घटनारिम कच बारच म गहराई सच सोतच ह वक यवद ऐसा हआ तो कयो हआ, कहानी म ऐसा कया ह, िो अगर नही होता तो कहानी का रख कया होता आवद, आवद। हमारच पढनच-वलखनच कच अनचक आयाम ह, अनचक पडाि ह और हर पडाि अपनच आप म महतिपरथ ह – इनह ककषा म समवत सथान वमलना ावहए।

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3हिदी भाषा — पाथहिक सतर

पराथवमक सतर पर भी बचो सच यह अपचकषा रहती ह वक िच कही या वलखी गई बात पर अपनी परवतवरिया वयकत कर सक और परशन पछ सक । बचो की भाषा इस बात का परमार ह वक िच अपनी भाषा का वयाकरर अचछी तरह िानतच ह, परत वयाकरर की सचत समझ बनानच कच वलए यह आिशयक ह वक बचो को उसकच विवभनन पहलओ की पहान विविध पा‍ठो कच सदभथ म और आस-पास कच पररिचश सच िोडकर कराई िाए। भाषा कच अलग-अलग तरह कच परयोगो की ओर उनका धयान वदलाया िाए तावक िच भाषा की बारीवकयो को पकड सक और अपनी भाषा म उनका उवत रप सच परयोग कर सक । भाषा सीखनच-वसखानच की परवरिया और माहौल कच सदभथ म यह बात धयान म रखना जररी ह वक एक सतर पर की िानच िाली परवरियाओ को अगलच सतर की ककषाओ कच वलए इसतचमाल वकया िा सकता ह। ककषािार या सतरानसार रोक विषय-सामगी का यन वकया िाना ावहए विससच बचो को वहदी भाषा की विवभनन शवलयो और रगतो सच पररवत होनच और उनका परभािी परयोग करनच कच अिसर वमल सक । रोक और विविधतापरथ बाल सावहतय का इस सदभथ म विशचष महति ह। भाषा सबधी सभी कषमताए, िसच – सनना, बोलना, पढना, वलखना एक-दसरच सच िडी हई होती ह और एक-दसरच कच विकास म सहायक होती ह। अतः इनह अलग-अलग करकच नही दचखा िाना ावहए। यहा यह समझना भी जररी होगा वक वहदी भाषा सबधी िो भाषा-सपराव‍तत कच वबद वदए गए ह उनम परसपर िडाि ह और एक सच अवधक भाषायी कषमताओ की झलक उनम वमलती ह। वकसी रना को सनकर अथिा पढकर उस पर गहन ाथ करना, अपनी परवतवरिया वयकत करना, परशन पछना पढनच की कषमता सच भी िडा ह और सननच-बोलनच की कषमता सच भी। परवतवरिया, परशन और वट‍तपरी को वलखकर भी अवभवयकत वकया िा सकता ह। इस तरह सच भाषा की ककषा म एक साथ सनना, बोलना, पढना और वलखना िडा ह। इन सभी बातो को धयान म रखतच हए यहा पा‍ठययाथ सबधी अपचकषाए, सीखनच-वसखानच की परवरिया तथा सीखनच सबधी सपराव‍तत को दशाथनच िालच वबद वदए गए ह। पा‍ठययाथ सबधी अपचचकषाओ को परा करनच म सीखनच सबधी परवरियाओ की बडी भवमका होगी। सीखनच की उपयकत परवरियाओ कच वबना सीखनच सबधी अपचवकषत सपराव‍तत नही की िा सकच गी।

पाठयचयाया सबधी अपकाए पा‍ठययाथ सबधी अपचकषाओ को परच दचश कच बचो को धयान म रख कर (परथम भाषा कच रप म वहदी पढनच िालच और ववितीय भाषा कच रप म वहदी पढनच िालच, दोनो) तयार वकया गया ह।ककषा एक सच पा तक —

y दसरो की बातो को रव कच साथ और धयान सच सनना। y अपनच अनभि-ससार और कपना-ससार को बचवझझक और सहि ढग सच अवभवयकत करना। y अलग-अलग सदभभो म अपनी बात कहनच की कोवशश करना (बोलकर/ इशारो सच/ ‘साइन

लगिचि’ विारा/वतर बनाकर)। y सतरानसार कहानी, कविता आवद को सननच म रव लचना और उनह मजच सच सनना और सनाना। y दचखी, सनी और पढी गई बातो को अपनी भाषा म कहना, उसकच बारच म विार करना और

अपनी परवतवरिया/वट‍तपरी (मौवखक और वलवखत रप सच) वयकत करना।

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4 परारभिक सतर पर सीखन क पभतफल

y सनी और पढी कहावनयो और कविताओ को समझकर उनह अपनच अनभिो सच िोड पाना तथा उनह अपनच शबदो म कहना और वलखना।

y सतरानसार कहानी, कविता या अनभि कच सतर पर वकसी वसथवत का वनषकषथ या उपाय वनकालना।

y वलवप-वहनो को दचखकर और उनकी धिवनयो को सनकर और समझकर उनम सहसबध बनातच हए वलखनच का परयास करना।

y वतर और सदभथ कच आधर पर अनमान लगातच हए पढना। y पढनच की परवरिया को दवनक िीिन की (सकल और बाहर की) जररतो सच िोडना,

िसच – ककषा और सकल म अपना नाम, पा‍ठयपसतक का नाम और अपनी मनपसद पा‍ठयसामगी पढना।

y सनी और पढी गई बातो को समझकर अपनच शबदो म कहना और वलखना। y वतरो को सिय की अवभवयवकत का माधयम बनाना। y पसतकालय और विवभनन सोतो (रीवरग कॉनथर, पोसटर, तरह-तरह की ीजो कच रपर, बाल

पवतरकाए, साइन लगिचि, बचल वलवप आवद) सच अपनी पसद की वकताब/सामगी ढढकर पढना। y अलग-अलग विषयो पर और अलग-अलग उदचशयो कच वलए वलखना। y अपनी कपना सच कहानी, कविता आवद वलखना। y मखय वबद/विार को ढढनच कच वलए विषय-सामगी की बारीकी सच िा करना। y विषय-सामगी कच माधयम सच सदभथ कच अनसार नए शबदो का अथथ िानना। y मनपसद विषय का नाि करकच वलखना। y विवभनन विराम-वहनो का समझ कच साथ परयोग

करना। y सदभथ और वलखनच कच उदचशय कच अनसार उपयकत

भाषा (शबदाच, िाकयाच आवद) का यन और परयोग करना।

y नए शबदो को वतर-शबदकोश/शबदकोश म दचखना । y भाषा की लय और तक की समझ होना तथा

उसका परयोग करना। y घर और विदालय की भाषा कच बी सबध बनाना।

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5हिदी भाषा — पाथहिक सतर

कका एक (हिदी)

सीखन-हसखान की परहरिया सीखन क परहिफल (Learning Outcomes)

सभी हिकाह यायो (हभनन रप स सकम बचचो सहिि) को वयह‍िगि, सामहिक रप स कायया किन क अवसि औि परोतसािन हदया जाए, िाहक उनि–

y अपनी भाषा म अपनी बात कहनच, बातीत करनच की भरपर आजादी और अिसर हो। अपनी बात कहनच (भावषक और साकच वतक माधयम सच) कच वलए अिसर एि परोतसाहन हो।

y बचो विारा अपनी भाषा म कही गई बातो को वहदी भाषा और अनय भाषाओ (िो भाषाए ककषा म मौिद ह या विन भाषाओ कच बचच ककषा म ह) म दोहरानच कच अिसर उपलबध हो। इससच भाषाओ को ककषा म समवत सथान वमल सकच गा और उनका शबद-भरार, अवभवयवकतयो का भी विकास करनच कच अिसर वमल सक गच।

y कहानी, कविता आवद को बोलकर सनानच कच अिसर हो और उस पर बातीत करनच कच अिसर हो।

y वहदी म सनी गई बात, कविता, खचल-गीत, कहानी आवद को अपनच तरीकच और अपनी भाषा म कहनच-सनानच कच अिसर उपलबध हो।

y परशन पछनच एि अपनी बात िोडनच कच अिसर उपलबध हो। y ककषा अथिा विदालय (पढनच का कोना/पसतकालय) म

सतरानसार विवभनन परकार की एि विवभनन भाषाओ (बचो की अपनी भाषा/ए, वहदी आवद) म रोक सामगी, िसच – बाल सावहतय, बाल पवतरकाए, पोसटर, ऑवरयो-िीवरयो सामगी उपलबध हो। सामगी बचल म भी उपलबध हो, कमजोर दवषट िालच बचो को धयान म रखतच हए कछ सामगी बडच अकषरो म भी छपी हई हो।

y तरह-तरह की कहावनयो, कविताओ को वतरो कच आधार पर अनमान लगाकर पढनच कच अिसर उपलबध हो।

y विवभनन उदचशयो को धयान म रखतच हए पढनच कच विवभनन आयामो को ककषा म उवत सथान दचनच कच आिसर उपलबध हो, िसच– वकसी कहानी म वकसी िानकारी को खोिना, कहानी म घटी विवभनन घटनाओ कच रिम को तय करना, उसच अनभि ससार सच िोडकर दचख पाना आवद।

y सनी, दचखी, बातो को अपनच तरीकच सच कागज पर उतारनच कच अिसर हो।

बचच – y विविध उदचशयो कच वलए अपनी भाषा अथिा/और सकल की

भाषा का इसतचमाल करतच हए बातीत करतच ह, िसच – कविता, कहानी सनाना, िानकारी कच वलए परशन पछना, वनिी अनभिो को साझा करना।

y सनी सामगी (कहानी, कविता आवद) कच बारच म बातीत करतच ह, अपनी राय दचतच ह, परशन पछतच ह।

y भाषा म वनवहत धिवनयो और शबदो कच साथ खचलनच का आनद लचतच ह, िसच – इनना, वबनना, वतनना।

y व परट (वलखा या छपा हआ) और गर-वपरट सामगी (िसच, वतर या अनय गाव फकस) म अतर करतच ह।

y वतर कच सकम और परतयकष पहलओ पर बारीक अिलोकन करतच ह।

y वतर म या रिमिार सिाए वतरो म घट रही अलग-अलग घटनाओ, गवतविवधयो और पातरो को एक सदभथ या कहानी कच सतर म दचखकर समझतच ह और सराहना करतच ह।

y पढी कहानी, कविताओ आवद म वलवप वहनो/शबदो/िाकयो आवद को दचखकर और उनकी धिवनयो को सनकर, समझकर उनकी पहान करतच ह।

y सदभथ की मदद सच आस-पास मौिद वपरट कच अथथ और उदचशय का अनमान लगातच ह, िसच – टॉफी कच किर पर वलखच नाम को ‘टॉफी’, ‘लॉलीपॉप’ या ‘ॉकलचट’ बताना।

y वपरट (वलखा या छपा हआ) म मौिद अकषर, शबद और िाकय की इकाइयो को पहानतच ह, िसच – ‘मचरा नाम विमला ह।’ बताओ, यह कहा वलखा हआ ह?/ इसम ‘नाम’ कहा वलखा हआ ह?/ ‘नाम’ म म ‘म’ पर अगली रखो।

y पररवत/अपररवत वलवखत सामगी (िसच – वमर-रच मील का ाटथ, अपना नाम, ककषा का नाम, मनपसद वकताब का शीचषथक आवद) म रव वदखातच ह, बातीत करतच ह और अथथ की खोि म विविध परकार की यवकतयो का इसतचमाल करतच ह, िसच – कच िल वतरो या वतरो और वपरट की मदद सच अनमान लगाना, अकषर-धिवन सबध का इसतचमाल करना, शबदो को पहानना, पिथ अनभिो और िानकारी का इसतचमाल करतच हए अनमान लगाना।

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6 परारभिक सतर पर सीखन क पभतफल

y बचच अकषरो की आकवत बनाना शर करतच ह भलच ही उनकच विारा बनाए गए अकषरो म सघडता न हो – इसच ककषा म सिीकार वकया िाए।

y बचो विारा अपनी ितथनी गढनच की परिवतत को भाषा सीखनच की परवरिया का वहससा समझा िाए।

y वहदी कच िरथमाला कच अकषरो की आकवत और धिवन को पहानतच ह।

y सकल कच बाहर और सकल कच भीतर (पसतक कोना/पसतकालय सच) अपनी पसद की वकताबो को सिय नतच ह और पढनच की कोवशश करतच ह।

y वलखना सीखनच की परवरिया कच दौरान अपनच विकासातमक सतर कच अनसार वतरो, आडी-वतरछी रचखाओ (कीरम-काटच), अकषर-आकवतयो, सि-ितथनी (इनिवटर सपवलग) और सि-वनयवतरत लचखन (कनिशनल राइवटग) कच माधयम सच सनी हई और अपनच मन की बातो को अपनच तरीकच सच वलखनच का परयास करतच ह।

y सिय बनाए गए वतरो कच नाम वलखतच (लचबवलग) ह, िसच – हाथ कच बनच पखच का वतर बनाकर उसकच नीच ‘बीिना’ (बिभाषा, िो वक बचच की घर की भाषा हो सकती ह।) वलखना।

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7हिदी भाषा — पाथहिक सतर

कका दो (हिदी)

सीखन-हसखान की परहरिया सीखन क परहिफल (Learning Outcomes)

सभी हिकाह यायो (हभनन रप स सकम बचचो सहिि) को वयह‍िगि, सामहिक रप स कायया किन क अवसि औि परोतसािन हदया जाए िाहक उनि –

y अपनी भाषा म अपनी बात कहनच, बातीत करनच की भरपर आजादी और अिसर हो।

y वहदी म सनी गई बात, कविता, कहानी आवद को अपनच तरीकच और अपनी भाषा म कहनच-सनानच/परशन पछनच एि अपनी बात िोडनच कच अिसर उपलबध हो।

y बचो विारा अपनी भाषा म कही गई बातो को वहदी भाषा और अनय भाषाओ (िो भाषाए ककषा म मौिद ह या विन भाषाओ कच बचच ककषा म ह) म दोहरानच कच अिसर उपलबध हो। इससच भाषाओ को ककषा म समवत सथान वमल सकच गा और उनका शबद-भरार, अवभवयवकतयो का भी विकास करनच कच अिसर वमल सक गच।

y ‘पढनच का कोना’ म सतरानसार विवभनन परकार की और विवभनन भाषाओ (बचो की अपनी भाषा/ए, वहदी आवद) म रोक सामगी, िसच – बाल सावहतय, बाल पवतरकाए, पोसटर, ऑवरयो-िीवरयो सामगी उपलबध हो।

y वतरो कच आधार पर अनमान लगाकर तरह-तरह की कहावनयो, कविताओ को पढनच कच अिसर उपलबध हो।

y विवभनन उदचशयो को धयान म रखतच हए पढनच कच विवभनन आयामो को ककषा म उवत सथान दचनच कच अिसर उपलबध हो, िसच – वकसी कहानी म वकसी िानकारी को खोिना, कहानी म घटी विवभनन घटनाओ कच रिम को तय करना, वकसी घटना कच होनच कच वलए तकथ दच पाना, पातर कच सबध म अपनी पसद या नापसद कच बारच म बता पाना आवद।

y कहानी, कविता आवद को बोलकर, पढकर सनानच कच अिसर हो और उस पर बातीत करनच कच अिसर हो।

y सनी, दचखी, पढी बातो को अपनच तरीकच सच कागज पर उतारनच कच अिसर हो। यच वतर भी हो सकतच ह, शबद भी और िाकय भी।

y बचच अकषरो की आकवत को बनानच म अपचकषाकत सघडता का परदशथन करतच ह। इसच ककषा म परोतसावहत वकया िाए।

y बचो विारा अपनी ितथनी गढनच की परिवतत को भाषा सीखनच की परवरिया का वहससा समझा िाए।

बचच – y विविध उदचशयो कच वलए अपनी भाषा अथिा/और सकल की

भाषा का इसतचमाल करतच हए बातीत करतच ह, िसच – िानकारी पानच कच वलए परशन पछना, वनिी अनभिो को साझा करना, अपना तकथ दचना आवद।

y कही िा रही बात, कहानी, कविता आवद को धयान सच सनकर अपनी भाषा म बतातच/सनातच ह।

y दचखी, सनी बातो, कहानी, कविता आवद कच बारच म बातीत करतच ह और अपनी परवतवरिया वयकत करतच ह।

y अपनी वनिी विदगी और पररिचश पर आधाररत अनभिो को सनाई िा रही सामगी, िसच – कविता, कहानी, पोसटर, विजापन आवद सच िोडतच हए बातीत म शावमल करतच ह।

y भाषा म वनवहत शबदो और धिवनयो कच साथ खचल का मजा लचतच हए लय और तक िालच शबद बनातच ह, िसच – एक था पहाड, उसका भाई था दहाड, दोनो गए खचलनच ....।

y अपनी कपना सच कहानी, कविता आवद कहतच/ सनातच ह/आगच बढातच ह।

y अपनच सतर और पसद कच अनसार कहानी, कविता, वतर, पोसटर आवद को आनद कच साथ पढकर अपनी परवतवरिया वयकत करतच ह/परशन पछतच ह।

y वतर कच सकम और परतयकष पहलओ पर बारीक अिलोकन करतच ह।

y वतर म या रिमिार सिाए वतरो म घट रही अलग-अलग घटनाओ, गवतविवधयो और पातरो को एक सदभथ या कहानी कच सतर म दचखकर समझतच ह और सराहना करतच ह।

y पररवत/अपररवत वलवखत सामगी म रव वदखातच ह और अथथ की खोि म विविध परकार की यवकतयो का इसतचमाल करतच ह, िसच – वतरो और वपरट की मदद सच अनमान लगाना, अकषर-धिवन सबध का इसतचमाल करना, शबदो को पहानना, पिथ अनभिो और िानकारी का इसतचमाल करतच हए अनमान लगाना।

y वपरट (वलखा या छपा हआ) म मौिद अकषर, शबद और िाकय की इकाइयो की अिधाररा को समझतच ह, िसच – ‘मचरा नाम विमला ह।’ बताओ, इस िाकय म वकतनच शबद ह? / ‘नाम’ शबद म वकतनच अकषर ह या ‘नाम’ शबद म कौन-कौन सच अकषर ह?

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8 परारभिक सतर पर सीखन क पभतफल

y सदभथ और उदचशय कच अनसार उपयकत शबदो और िाकयो का यन करनच, उनकी सरना करनच कच अिसर उपलबध हो।

y वहदी कच िरथमाला कच अकषरो की आकवत और धिवन को पहानतच ह।

y सकल कच बाहर और सकल कच भीतर (पसतक कोना/पसतकालय सच) अपनी पसद की वकताबो को सिय नकर पढनच का परयास करतच ह।

y सिचचछा सच या वशकषक विारा तय गवतविव ध कच अतगथत वतरो, आडी-वतरछी रचखाओ (कीरम-काटच), अकषर-आकवतयो सच आगच बढतच हए सि-ितथनी का उपयोग और सि-वनयवतरत लचखन (कनिशनल राइवटग) करतच ह।

y सनी हई और अपनच मन की बातो को अपनच तरीकच सच और तरह-तरह सच वतरो/शबदो/िाकयो विारा (वलवखत रप सच) अवभवयकत करतच ह।

y अपनी वनिी विदगी और पररिचश पर आधाररत अनभिो को अपनच लचखन म शावमल करतच ह।

y अपनी कपना सच कहानी, कविता आवद आगच बढातच ह।

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9हिदी भाषा — पाथहिक सतर

कका िीन (हिदी)

सीखन-हसखान की परहरिया सीखन क परहिफल (Learning Outcomes)

सभी हिकाह यायो (हभनन रप स सकम बचचो सहिि) को वयह‍िगि, सामहिक रप स कायया किन क अवसि औि परोतसािन हदया जाए, िाहक उनि –

y अपनी भाषा म अपनी बात कहनच, बातीत करनच की भरपर आजादी और अिसर हो।

y वहदी म सनी गई बात, कविता, कहानी आवद को अपनच तरीकच और अपनी भाषा म कहनच-सनानच/परशन पछनच एि अपनी बात िोडनच, परवतवरिया दचनच कच अिसर उपलबध हो।

y बचो विारा अपनी भाषा म कही गई बातो को वहदी भाषा और अनय भाषाओ (िो भाषाए ककषा म मौिद ह या विन भाषाओ कच बचच ककषा म ह) म दोहरानच कच अिसर उपलबध हो। इससच भाषाओ को ककषा म समवत सथान वमल सकच गा और उनकच शबद-भरार, अवभवयवकतयो का भी विकास करनच कच अिसर वमल सक गच।

y ‘पढनच का कोना’/पसतकालय म सतरानसार विवभनन परकार की रोक सामगी, िसच – बाल सावहतय, बाल पवतरकाए, पोसटर, ऑवरयो-िीवरयो सामगी उपलबध हो।

y तरह-तरह की कहावनयो, कविताओ, पोसटर आवद को वतरो और सदभथ कच आधार पर समझनच-समझानच कच अिसर उपलबध हो।

y विवभनन उदचशयो को धयान म रखतच हए पढनच कच विवभनन आयामो को ककषा म उवत सथान दचनच कच अिसर उपलबध हो, िसच – वकसी कहानी म वकसी िानकारी को खोिना, वकसी िानकारी को वनकाल पाना, वकसी घटना या पातर कच सबध म तकथ , अपनी राय दच पाना आवद।

y सनी, दचखी बातो को अपनच तरीकच सच, अपनी भाषा म वलखनच कच अिसर हो।

y अपनी भाषा गढनच (नए शबद/िाकय/अवभवयवकतया बनानच) और उनका इसतचमाल करनच कच अिसर हो।

y सदभथ और उदचशय कच अनसार उपयकत शबदो और िाकयो का यन करनच, उनकी सरना करनच कच अिसर उपलबध हो।

y अपना पररिार, विदालय, मोहला, खचल का मदान, गाि की ौपाल िसच विषयो पर अथिा सिय विषय का नाि कर अनभिो को वलखकर एक-दसरच सच बाटनच कच अिसर हो।

बचच –

y कही िा रही बात, कहानी, कविता आवद को धयान सच समझतच

हए सनतच और अपनी परवतवरिया वयकत करतच ह।

y कहानी, कविता आवद को उपयकत उतार-ढाि, गवत, परिाह और

सही पट कच साथ सनातच ह।

y सनी हई रनाओ की विषय-िसत, घटनाओ, पातरो, शीषथक आवद

कच बारच म बातीत करतच ह, परशन पछतच ह, अपनी परवतवरिया दचतच

ह, राय बतातच ह/अपनच तरीकच सच (कहानी, कविता आवद) अपनी

भाषा म वयकत करतच ह।

y आस-पास होनच िाली गवतविवधयो/घटनाओ और विवभनन

वसथवतयो म हए अपनच अनभिो कच बारच म बतातच, बातीत करतच

और परशन पछतच ह।

y कहानी, कविता अथिा अनय सामगी को समझतच हए उसम अपनी

कहानी/बात िोडतच ह।

y अलग-अलग तरह की रनाओ/सामगी (अखबार, बाल

पवतरका, होवरिगस आवद) को समझकर पढनच कच बाद उस पर

आधाररत परशन पछतच ह/अपनी राय दचतच ह/ वशकषक एि अपनच

सहपाव‍ठयोच कच साथ ाथ करतच ह, पछच गए परशनो कच उततर

(मौवखक, साकच वतक) दचतच ह।

y अलग-अलग तरह की रनाओ म आए नए शबदो को सदभथ म

समझकर उनका अथथ सवनवशत करतच ह।

y तरह-तरह की कहावनयो, कविताओ/रनाओ की भाषा की बारीवकयो

(िसच – शबदो की पनरािवतत, सजा, सिथनाम, विवभनन विराम-वहनो का

परयोग आवद) की पहान और परयोग करतच ह।

y सिचचछा सच या वशकषक विारा तय गवतविवध कच अतगथत ितथनी कच

परवत सचत होतच हए सि-वनयवतरत लचखन (कनिशनल राइवटग)

करतच ह।

y विवभनन उदचशयो कच वलए वलखतच हए अपनच लचखन म शबदो कच

नाि, िाकय सरना और लचखन कच सिरप (िसच – दोसत को

पतर वलखना, पवतरका कच सपादक को पतर वलखना) को लचकर

वनरथय लचतच हए वलखतच ह।

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10 परारभिक सतर पर सीखन क पभतफल

y एक-दसरच की वलखी हई रनाओ को सननच, पढनच और उन पर अपनी राय दचनच, उनम अपनी बात को िोडनच, बढानच और अलग-अलग ढग सच वलखनच कच अिसर हो।

y विवभनन उदचशयो कच वलए वलखतच हए अपनच लचखन म विराम-वहनो, िसच– परथ विराम, अप विराम, परशनिाक वहन का सचत इसतचमाल करतच ह।

y अलग-अलग तरह की रनाओ/सामगी (अखबार, बाल पवतरका, होवरिगस आवद) को समझकर पढनच कच बाद उस पर अपनी परवतवरिया वलखतच ह, पछच गए परशनो कच उततर (वलवखत/बचल वलवप आवद म) दचतच ह।

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11हिदी भाषा — पाथहिक सतर

कका चाि (हिदी)

सीखन-हसखान की परहरिया सीखन क परहिफल (Learning Outcomes)

सभी हिकाह यायो (हभनन रप स सकम बचचो सहिि) को वयह‍िगि, सामहिक रप स कायया किन क अवसि औि परोतसािन हदया जाए, िाहक उनि –

y विवभनन विषयो, वसथवतयो, घटनाओ, अनभिो, कहावनयो, कविताओ आवद को अपनच तरीकच और अपनी भाषा म कहनच-सनानच/परशन पछनच एि अपनी बात िोडनच कच अिसर उपलबध हो।

y ‘पढनच का कोना’/पसतकालय म सतरानसार विवभनन परकार की रोक सामगी, िसच – बाल सावहतय, बाल पवतरकाए, पोसटर, ऑवरयो-िीवरयो सामगी, अखबार आवद उपलबध हो।

y तरह-तरह की कहावनयो, कविताओ, पोसटर आवद को पढकर समझनच-समझानच, उस पर अपनी परवतवरिया दचनच, बातीत करनच, परशन करनच कच अिसर उपलबध हो।

y विवभनन उदचशयो को धयान म रखतच हए पढनच कच विवभनन आयामो को ककषा म उवत सथान दचनच कच अिसर उपलबध हो, िसच – वकसी घटना या पातर कच सबध म अपनी परवतवरिया, राय, तकथ दचना, विशलचषर करना, आवद।

y कहानी, कविता आवद को बोलकर पढनच-सनानच और सनी, दचखी, पढी बातो को अपनच तरीकच सच, अपनी भाषा म कहनच और वलखनच (भावषक और साकच वतक माधयम सच) कच अिसर एि परोतसाहन उपलबध हो।

y जररत और सदभथ कच अनसार अपनी भाषा गढनच (नए शबद/िाकय/अवभवयवकतया बनानच) और उनका इसतचमाल करनच कच अिसर उपलबध हो।

y एक-दसरच की वलखी हई रनाओ को सननच, पढनच और उस पर अपनी राय दचनच, उसम अपनी बात को िोडनच, बढानच और अलग-अलग ढग सच वलखनच कच अिसर हो।

y अपनी बात को अपनच ढग सच/सिनातमक तरीकच सच अवभवयकत (मौवखक, वलवखत, साकच वतक रप सच) करनच की आजादी हो।

y आस-पास होनच िाली गवतविवधयो/घटनाओ (िसच – मचरच घर की छत सच सरि कयो नही वदखता? सामनच िालच पचड पर ब‍ठनच िाली ववडया कहा ली गई?) को लचकर परशन करनच, सहपाव‍ठयो सच बातीत या ाथ करनच कच अिसर उपलबध हो।

y ककषा म अपनच सावथयो की भाषाओ पर गौर करनच कच अिसर हो, िसच – आम, रोटी, तोता आवद शबदो को अपनी-अपनी भाषा म कहच िानच कच अिसर उपलबध हो।

बचच – y दसरो विारा कही िा रही बात को धयान सच सनकर अपनी

परवतवरिया वयकत करतच और परशन पछतच ह। y सनी रनाओ की विषय-िसत, घटनाओ, वतरो, पातरो, शीषथक

आवद कच बारच म बातीत करतच ह/परशन पछतच ह, अपनी राय दचतच ह, अपनी बात कच वलए तकथ दचतच ह।

y कहानी, कविता अथिा अनय सामगी को अपनी तरह सच अपनी भाषा म कहतच हए उसम अपनी कहानी/बात िोडतच ह।

y भाषा की बारीवकयो पर धयान दचतच हए अपनी भाषा गढतच और उसका इसतचमाल करतच ह।

y विविध परकार की सामगी (िसच – समाार पतर कच मखय शीषथक, बाल पवतरका आवद) म आए पराकवतक, सामाविक एि अनय सिचदनशील वबदओ को समझतच और उन पर ाथ करतच ह।

y पढी हई सामगी और वनिी अनभिो को िोडतच हए उनसच उभरी सिचदनाओ और विारो की (मौवखक/वलवखत) अवभवयवकत करतच ह।

y अपनी पा‍ठयपसतक सच इतर सामगी (बाल सावहतय/समाार पतर कच मखय शीषथक, बाल पवतरका, होवरिगस आवद) को समझकर पढतच ह।

y अलग-अलग तरह की रनाओ म आए नए शबदो को सदभथ म समझकर उनका अथथ गहर करतच ह।

y पढनच कच परवत उतसक रहतच ह और पसतक कोना/पसतकालय सच अपनी पसद की वकताबो को सिय नकर पढतच ह।

y पढी रनाओ की विषय-िसत, घटनाओ, वतरो, पातरो, शीषथक आवद कच बारच म बातीत करतच ह/परशन पछतच ह, अपनी राय दचतच ह, अपनी बात कच वलए तकथ दचतच ह।

y सतरानसार अनय विषयो, वयिसायो, कलाओ आवद (िसच – गवरत, विजान, सामाविक अधययन, नतयकला, ववकतसा आवद) म परयकत होनच िाली शबदािली की सराहना करतच ह।

y भाषा की बारीवकयो, िसच – शबदो की पनरािवतत, सिथनाम, विशचषर, वलग, िन आवद कच परवत सचत रहतच हए वलखतच ह।

y वकसी विषय पर वलखतच हए शबदो कच बारीक अतर को समझतच हए सराहतच ह और शबदो का उपयकत परयोग करतच हए वलखतच ह।

Page 12: प्रारंभिक स्तर पर सीखने के प्त ......प र र भ क स तर पर स खन क प त तफल ह द र षर प

12 परारभिक सतर पर सीखन क पभतफल

y विषय-िसत कच सदभथ म भाषा की बारीवकयो और उसकी वनयमबदध परकवत को समझनच और उनका परयोग करनच कच अिसर हो।

y अनय विषयो, वयिसायो, कलाओ आवद (िसच – गवरत, विजान, सामाविक अधययन, नतयकला, ववकतसा आवद) म परयकत होनच िाली शबदािली को समझनच और उसका सदभथ एि वसथवत कच अनसार इसतचमाल करनच कच अिसर हो।

y पा‍ठयपसतक और उससच इतर सामगी म आए पराकवतक, सामाविक एि अनय सिचदनशील वबदओ को समझनच और उन पर ाथ करनच कच अिसर उपलबध हो।

y विवभनन वसथवतयो और उदचशयो (बलचवटन बोरथ पर लगाई िानच िाली स ना, सामान की स ी, कविता, कहानी, वटी आवद) कच अनसार वलखतच ह।

y सिचचछा सच या वशकषक विारा तय गवतविवध कच अतगथत लचखन की परवरिया की बचहतर समझ कच साथ अपनच लचखन को िातच ह और लचखन कच उदचशय और पा‍ठक कच अनसार लचखन म बदलाि करतच ह।

y अलग-अलग तरह की रनाओ म आए नए शबदो को सदभथ म समझकर उनका लचखन म इसतचमाल करतच ह।

y विवभनन उदचशयो कच वलए वलखतच हए अपनच लचखन म विराम-वहनो, िसच – परथ विराम, अप विराम, परशनिाक वहन का सचत इसतचमाल करतच ह।

y अपनी कपना सच कहानी, कविता, िरथन आवद वलखतच हए भाषा का सिनातमक परयोग करतच ह।

Page 13: प्रारंभिक स्तर पर सीखने के प्त ......प र र भ क स तर पर स खन क प त तफल ह द र षर प

13हिदी भाषा — पाथहिक सतर

कका पाच (हिदी)

सीखन-हसखान की परहरिया सीखन क परहिफल (Learning Outcomes)

सभी हिकाह यायो (हभनन रप स सकम बचचो सहिि) को वयह‍िगि, सामहिक रप स कायया किन क अवसि औि परोतसािन हदया जाए, िाहक उनि –

y विवभनन विषयो, वसथवतयो, घटनाओ, अनभिो, कहावनयो, कविताओ आवद को अपनच तरीकच और अपनी भाषा म (मौवखक/वलवखत/साकच वतक रप सच) कहनच-सनानच/परशन पछनच, वट‍तपरी करनच, अपनी राय दचनच की आजादी हो।

y पसतकालय/ककषा म अलग-अलग तरह की कहावनया, कविताए अथिा/बाल सावहतय, सतरानसार सामगी, साइनबोरथ, होवरिग, अखबारो की कतरनच उनकच आस-पास कच पररिचश म उपलबध हो और उन पर ाथ करनच कच मौकच हो।

y तरह-तरह की कहानी, कविताओ, पोसटर आवद को सदभथ कच अनसार पढकर समझनच-समझानच कच अिसर उपलबध हो।

y सनी, दचखी, पढी बातो को अपनच तरीकच सच, अपनी भाषा म वलखनच कच अिसर हो।

y जररत और सदभथ कच अनसार अपनी भाषा गढनच (नए शबद/िाकय/अवभवयवकतया बनानच) और उनका इसतचमाल करनच कच अिसर हो।

y एक-दसरच की वलखी हई रनाओ को सननच, पढनच और उस पर अपनी राय दचनच, उसम अपनी बात को िोडनच, बढानच और अलग-अलग ढग सच वलखनच कच अिसर हो।

y आस-पास होनच िाली गवतविवधयो/घटनच िाली घटनाओ को लचकर परशन करनच, बचो सच बातीत या ाथ करनच, वट‍तपरी करनच, राय दचनच कच अिसर उपलबध हो।

y विषय-िसत कच सदभथ म भाषा की बारीवकयो और उसकी वनयमबदध परकवत को समझनच और उनका परयोग करनच कच अिसर हो।

y नए शबदो को वतर शबदकोश/शबदकोश म दचखनच कच अिसर उपलबध हाच ।

y अनय विषयो, वयिसायो, कलाओ आवद (िसच – गवरत, विजान, सामाविक अधययन, नतयकला, ववकतसा आवद) म परयकत होनच िाली शबदािली को समझनच और उसका सदभथ एि वसथवत कच अनसार इसतचमाल करनच कच अिसर हो।

बचच – y सनी अथिा पढी रनाओ (हासय, साहवसक, सामाविक आवद

विषयो पर आधाररत कहानी, कविता आवद) की विषय-िसत, घटनाओ, वतरो और पातरो, शीषथक आवद कच बारच म बातीत करतच ह/परशन पछतच ह/अपनी सिततर वट‍तपरी दचतच ह/अपनी बात कच वलए तकथ दचतच ह/वनषकषथ वनकालतच ह।

y अपनच आस-पास घटनच िाली विवभनन घटनाओ की बारीवकयो पर धयान दचतच हए उन पर मौवखक रप सच अपनी परवतवरिया वयकत करतच ह/परशन पछतच ह।

y भाषा की बारीवकयो पर धयान दचतच हए अपनी (मौवखक) भाषा गढतच ह।

y विविध परकार की सामगी (अखबार, बाल सावहतय, पोसटर आवद) म आए सिचदनशील वबदओ पर (मौवखक/वलवखत) अवभवयवकत करतच ह, िसच – ‘ईदगाह’ कहानी पढनच कच बाद बचा कहता ह – म भी अपनी दादी की खाना बनानच म मदद करता ह।

y विवभनन वसथवतयो और उदचशयो (बलचवटन पर लगाई िानच िाली स ना, कायथरिम की ररपोटथ, िानकारी आवद परा‍तत करनच कच वलए) कच वलए पढतच और वलखतच ह।

y अपनी पा‍ठयपसतक सच इतर सामगी (अखबार, बाल पवतरका, होवरिगस आवद) को समझतच हए पढतच और उसकच बारच म बतातच ह।

y सनी अथिा पढी रनाओ (हासय, साहवसक, सामाविक आवद विषयो पर आधाररत कहानी, कविता आवद) की विषय-िसत, घटनाओ, वतरो और पातरो, शीषथक आवद कच बारच म बातीत करतच ह/परशन पछतच ह/अपनी सिततर वट‍तपरी दचतच ह/अपनी बात कच वलए तकथ दचतच ह/वनषकषथ वनकालतच ह।

y अपररवत शबदो कच अथथ शबदकोश सच खोितच ह। y सिचचछा सच या वशकषक विारा तय गवतविवध कच अतगथत लचखन की

परवरिया की बचहतर समझ कच साथ अपनच लचखन को िातच ह और लचखन कच उदचशय और पा‍ठक कच अनसार लचखन म बदलाि करतच ह, िसच – वकसी घटना की िानकारी कच बारच म बतानच कच वलए सकल की वभवतत पवतरका कचच वलए वलखना और वकसी दोसत को पतर वलखना।

y भाषा की बारीवकयो पर धयान दचतच हए अपनी भाषा गढतच ह और उसच अपनच लचखन/बचल म शावमल करतच ह।

Page 14: प्रारंभिक स्तर पर सीखने के प्त ......प र र भ क स तर पर स खन क प त तफल ह द र षर प

14 परारभिक सतर पर सीखन क पभतफल

y पा‍ठयपसतक और उससच इतर सामगी म आए पराकवतक, सामाविक एि अनय सिचदनशील मदो को समझनच और उन पर ाथ करनच कच अिसर उपलबध हो।

y भाषा की वयाकरवरक इकाइयो (िसच – कारक-वहन, वरिया, काल, विलोम आवद) की पहान करतच ह और उनकच परवत सचत रहतच हए वलखतच ह।

y विवभनन उदचशयो कच वलए वलखतच हए अपनच लचखन म विराम-वहनो, िसच – परथ विराम, अप विराम, परशनिाक वहन, उदधरर वहन का सचत इसतचमाल करतच ह।

y सतरानसार अनय विषयो, वयिसायो, कलाओ आवद (िसच – गवरत, विजान, सामाविक अधययन, नतयकला, ववकतसा आवद) म परयकत होनच िाली शबदािली को समझतच ह और सदभथ एि वसथवत कच अनसार उनका लचखन म इसतचमाल करतच ह।

y अपनच आस-पास घटनच िाली विवभनन घटनाओ की बारीवकयो पर धयान दचतच हए उन पर वलवखत रप सच अपनी परवतवरिया वयकत करतच ह।

y उदचशय और सदभथ कच अनसार शबदो, िाकयो, विराम-वहनो का उवत परयोग करतच हए वलखतच ह।

y पा‍ठयपसतक और उससच इतर सामगी म आए सिचदनशील वबदओ पर वलवखत/बचल वलवप म अवभवयवकत करतच ह।

y अपनी कपना सच कहानी, कविता, पतर आवद वलखतच ह। कविता, कहानी को आगच बढातच हए वलखतच ह।

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Learning OutcOmes fOr the engLish Language

Primary stage

IntroductionLanguage learning progresses naturally with exposure to and use of language. Language learning becomes meaningful when it is connected with the immediate environment of children. The English language is generally taught and learnt as a second language in India, in varied contexts and resources. At the primary stage, the teacher would need to factor in the pace of learning of children and the opportunities of exposure to English that they may have in their home and school environment.

Broadly, the curricular expectation of English language learning is the attainment of a basic proficiency for meaningful communication. While the use of home language need not be punished or penalised, particularly in Classes I and II, progression towards more use of English needs to be encouraged. The teacher is required to focus on providing learning opportunities to all learners, including the differently-abled and the disadvantaged, and ensure an inclusive environment.

Based on the curricular expectations for English language learning at the primary stage, a set of Learning Outcomes for each class has been developed. Teaching letters of the alphabet in isolation, or memorisation without understanding, is to be avoided. Reading Corners/class libraries may be developed to provide children relevant, illustrated and age-appropriate children’s literature in English and home language. The teacher should observe children for assessment when they are engaged in activities, keeping in mind differently-abled children as well.

Errors should be viewed as attempts or stages of learning language. The teacher should facilitate stress-free correction through exposure to language input through story telling, input-rich environment, and above all, by providing a congenial atmosphere. The focus should be on developing interpersonal communication skills in English, and more importantly, a sensitivity towards languages and cultures other than their own.

In most places, children do not have exposure to English outside the classroom. The teacher’s proficiency in spoken English in these cases becomes all the more essential. Students may listen to English and process the new language, before they actually begin to communicate in English.

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16 परारभिक सतर पर सीखन क पभतफल

Curricular Expectations Children are expected to

y acquire the skills of listening, speaking, reading, writing and thinking in an integrated manner.

y develop interpersonal communication skills.

y attain basic proficiency like, developing ability to express one’s thoughts orally and in writing in a meaningful way in English language.

y interpret and understand instructions and polite forms of expression and respond meaningfully both orally and in writing.

y develop reference skills both printed and electronic mode.

y acquire varied range of vocabulary; understand increased complexity of sentence structures both in reading and writing.

y express an awareness of social and environmental issues.

y read and interpret critically the texts in different contexts– including verbal (including Braille) and pictorial mode.

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17Learning Outcomes for the English Language — Primary Stage

Class I (English)

Suggested Pedagogical Processes Learning Outcomes

The learner may be provided opportunities in pairs or groups/ individually and encouraged to– • name common objects such as– man, dog

etc. when pictures are shown• use familiar and simple words (‘bat’, ‘pen’,

‘cat’) as examples to reproduce the starting sound and letter (/b/, /p/, /k/ etc)

• develop phonemic awareness through activities focusing on different sounds, emerging from the words in stories and texts

• sing or recite collectively songs or poems or rhymes with actions

• listen to stories, and humorous incidents and interact in English or home language

• ask simple questions like names of characters from the story, incidents that he/she likes in the story, etc. (Ensure clear lip movement for children with hearing impairment to lip read.)

• draw or scribble pictures and images from the story as preliminary to writing

• respond in home language or English or sign language or non-verbal expressions what he/she has understood in the story or poem

• listen to instructions and draws a picture• Use greetings like “Good morning”, “Thank

you” and have polite conversations in English such as “What is your name?”, “How are you?” etc.

• Say 2-3 sentences describing familiar objects and places such as family photographs, shops, parks etc.

• Give examples of common blend sounds in words like ‘brick’, ‘brother’, ‘frog’, ‘friend’ etc.

The learner– • associates words with pictures• Names familiar objects seen in the pictures• recognises letters and their sounds A—Z• differentiates between small and capital

letters in print or Braille • recites poems/rhymes with actions • draws, scribbles in response to poems and

stories • responds orally (in any language including

sign language) to comprehension questions related to stories/poems

• identifies characters and sequence of a story and asks questions about the story

• carries out simple instructions such as ‘Shut the door’, ‘Bring me the book’, and such others

• listens to English words, greetings, polite forms of expression, simple sentences, and responds in English or the home language or ‘signing’ (using sign language)

• listens to instructions and draws a picture• talks about self /situations/ pictures in

English • uses nouns such as ‘boy’, ‘sun’, and

prepositions like ‘in’, ‘on’, ‘under’,etc.• produces words with common blends like

“br” “fr” like ‘brother’, frog’ etc.• writes simple words like fan, hen, rat etc.

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18 परारभिक सतर पर सीखन क पभतफल

Class II (English)

Suggested Pedagogical Processes Learning Outcomes

The learner may be provided opportunities in pairs/groups/ individually and encouraged to— • sing or recite collectively songs or poems or

rhymes with action• listen to stories, and humorous incidents

and interact in English or home language • ask simple questions, for example, on

characters, places, the sequence of events in the story, etc. (Ensure clear lip movement for children with hearing impairment to lip read.)

• respond orally in home language or English or sign language or non-verbal expressions

• write 2-3 simple sentences about stories or poems

• look at scripts in a print rich environment like newspapers, tickets, posters etc.

• develop phonemic awareness through activities focusing on different sounds, emerging from the words in stories and texts

• listen to short texts from children’s section of newspapers, read out by the teacher

• listen to instructions and draw a picture• speak and write English, talk to their peers

in English, relating to festivals and events at homes and schools

• enrich vocabulary in English mainly through telling and re-telling stories/folk tales

• use appropriately pronouns related to gender such as ‘he’, ‘she’, ‘his’, ‘her’, and demonstrative pronouns such as ‘this’, ‘that’, ‘these’, ‘those’; and prepositions such as ‘before’, ‘between’ etc.

• read cartoons/ pictures/comic strips with or without words independently

• write 2-3 sentences describing common events using adjectives, prepositions and sight words like “This is my dog. It is a big dog. It runs behind me.”

The learner—• sings songs or rhymes with action• responds to comprehension questions

related to stories and poems, in home language or English or sign language, orally and in writing (phrases/ short sentences)

• identifies characters, and sequence of events in a story.

• expresses verbally her or his opinion and asks questions about the characters, storyline, etc., in English or home language.

• draws or writes a few words or short sentence in response to poems and stories.

• listens to English words, greetings, polite forms of expression, and responds in English/home language like ‘How are you?’, ‘I’m fine, thank you.’etc.

• uses simple adjectives related to size, shape,colour, weight, texture such as ‘big’, ‘small’, ‘round’, ‘pink’ ‘red’ ‘heavy’ ‘light’ ‘soft’ etc.

• listens to short texts from children’s section of newspapers, read out by the teacher

• listens to instructions and draws a picture• uses pronouns related to gender like ‘his/

her/, ‘he/she’, ‘it’ and other pronouns like ‘this/that’, ‘here/there’ ‘these/those’ etc.

• uses prepositions like ‘before’, ‘between’’ etc.• composes and writes simple, short sentences

with space between words.

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19Learning Outcomes for the English Language — Primary Stage

Class III (English)

Suggested Pedagogical Processes Learning Outcomes

The learner may be provided opportunities in pairs/groups/ individually and encouraged to– • sing songs or recite poems in English with

intonation• participate in role play, enactment of skits• read aloud short texts/ scripts on the walls,

with pronunciation and pause• listen to and communicate oral / telephonic

messages• collect books for independent reading in

English and other languages/Braille with a variety of themes (adventure, stories, fairy tales, etc.)

• read posters, tickets, labels, pamphlets, newspapers etc.

• take dictation of words/phrases/sentencesshort paragraphs from known and unknown texts

• draw and write short sentences related to stories read, and speak about their drawing or writing work

• raise questions on the text read• enrich vocabulary in English through

listening to and reading stories/folk tales• use nouns, pronouns, adjectives and

prepositions in speech and writing• use terms such as ‘add’, ‘remove’, ‘replace’,

etc., that they come across in Maths, and words such as ‘rain’, ‘build’ in EVS

• identify opposites and use in communication, for example ‘tall/short’, ‘inside/outside’, ‘fat/thin’ etc.

The learner: • recites poems individually/ in groups with

correct pronounciation and intonation. • performs in events such as role play/ skit in

English with appropriate expressions • reads aloud with appropriate pronunciation

and pause• reads small texts in English with

comprehension i.e., identifies main idea, details and sequence and draws conclusions in English

• expresses orally her/his opinion/understanding about the story and characters in the story, in English/ home language.

• responds appropriately to oral messages/ telephonic communication

• writes/types dictation of words/phrases/sentences

• uses meaningful short sentences in English, orally and in writing.uses a variety of nouns, pronouns, adjectives and prepositions in context as compared to previous class

• distinguishes between simple past and simple present tenses

• identifies opposites like ‘day/night’, ‘close-open’, and such others

• uses punctuation such as question mark, full stop and capital letters appropriately

• reads printed scripts on the classroom walls: poems, posters, charts etc.

• writes 5-6 sentences in English on personal experiences/events using verbal or visual clues

• uses vocabulary related to subjects like Maths, EVS, relevant to class III.

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20 परारभिक सतर पर सीखन क पभतफल

Class IV (English)

Suggested Pedagogical Processes Learning Outcomes

The learner may be provided opportunities in pairs/groups/ individually and encouraged to– • participate in role play, enactment, dialogue

and dramatisation of stories read and heard• listen to simple instructions, announcements

in English made in class/school and act accordingly

• participate in classroom discussions on questions based on the day to day life and texts he/she already read or heard

• learn English through posters, charts, etc., in addition to books and children’s literature

• read independently and silently in English/Braille, adventure stories, travelogues, folk/fairy tales etc.

• understand different forms of writing (informal letters, lists, stories, diar entry etc.)

• learn grammar in a contextual and integrated manner and frame grammatically correct sentences

• notice the use of nouns, pronouns, adjectives, prepositions and verbs in speech and writing and in different language activities.

• notice categories and word clines• enrich vocabulary in English mainly through

telling and re-telling stories/folk tales• start using dictionary to find out spelling

and meaning• practise reading aloud with pause and

intonation, with an awareness of punctuation (full stop, comma, question mark); also use punctuation appropriately in writing

• infer the meaning of unfamiliar words from the context

• take dictation of words/phrases/sentences/ short paragraphs from known and unknown texts

• be sensitive to social and environmental issues such as gender equality, conservation of natural resources, etc.

• look at cartoons/pictures/comic strips with or without words and interpret them

The learner–• recites poems with appropriate expressions

and intonation.• enacts different roles in short skits• responds to simple instructions,

announcements in English made in class/school

• responds verbally/in writing in English to questions based on day-to-day life experiences, an article, story or poem heard or read

• describes briefly, orally/in writing about events, places and/or personal experiences in English

• reads subtitles on TV, titles of books, news headlines, pamphlets and advertisements

• shares riddles and tongue-twisters in English

• solves simple crossword puzzles, builds word chains, etc.

• infers the meaning of unfamiliar words by reading them in context

• uses dictionary to find out spelling and meaning

• writes/types dictation of short paragraphs (7-8 sentences)

• uses punctuation marks appropriately in reading aloud with intonations and pauses such as question mark, comma, and full stop

• uses punctuation marks appropriately in writing such as question mark, comma, full stop and capital letters

• writes informal letters or messages with a sense of audience

• uses linkers to indicate connections between words and sentences such as ‘First’, ‘Next’, etc.

• uses nouns, verbs, adjectives, and prepositions in speech and writing

• reads printed script on the classroom walls, notice board, in posters and in advertisements

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21Learning Outcomes for the English Language — Primary Stage

• enrich vocabulary through crossword puzzles, word chain, etc.

• appreciates verbally and in writing the variety in food, dresses and festivals as read/heard in his/her day to day life and story book, seen in videos, films, etc.

• speaks briefly on a familiar issue like conservation of water; and experiences of day to day life like visit to a zoo; going to a mela

• presents orally and in writing the highlights of a given written text / a short speech / narration / video, film, pictures, photograph etc.

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22 परारभिक सतर पर सीखन क पभतफल

Class V (English)

Suggested Pedagogical Processes Learning Outcomes

The learner may be provided opportunities in pairs/groups/ individually and encouraged to– • discuss and present orally, and then write

answers to text-based questions, short descriptive paragraphs

• participate in activties which involve English language use, such as role play, enactment, dialogue and dramatisation of stories read and heard

• look at print-rich environment such as newspapers, signs and directions in public places, pamphlets, and suggested websites for language learning

• prepare speech for morning assembly, group discussions, debates on selected topics, etc.

• infer the meaning of unfamiliar words from the context while reading a variety of texts

• refer to the dictionary, for spelling, meaning and to find out synonyms and antonyms

• understand the use of synonyms, such as ‘big/large’, ‘shut/ close’, and antonyms like inside/outside, light/dark from clues in context

• relate ideas, proverbs and expressions in the stories that they have heard, to those in their mother tongue/surroundings/cultural context

• read independently and silently in English/Braille, adventure stories, travelogues, folk/fairy tales etc.

• find out different forms of writing (informal letters, lists, stories leave application, notice etc.)

• learn grammar in a context and integrated manner ( such as use ofnouns, adverbs; differentiates between simple past and simple present verbs.)

• use linkers to indicate connections between words and sentences such as ‘Then’, ‘After that’, etc.

• take dictation of sort texts such as lists, paragraphs and dialogues.

• enrich vocabulary through crossword puzzles, word chain etc.

The learner–• answers coherently in written or oral form

to questions in English based on day-to-day life experiences, unfamiliar story, poem heard or read.

• recites and shares English songs, poems, games, riddles, stories, tongue twisters etc, recites and shares with peers and family members.

• acts according to instructions given in English, in games/sports, such as ‘Hit the ball!’ ‘Throw the ring.’ ‘Run to the finish line!’etc.

• reads independently in English storybooks, news items/ headlines, advertisements etc. talks about it, and composes short paragraphs

• conducts short interviews of people around him e.g interviewing grandparents, teachers, school librarian, gardener etc.

• uses meaningful grammatically correct sentences to describe and narrate incidents; and for framing questions

• uses synonyms such as‘big/large’, ‘shut/ close’, and antonyms like inside/outside, light/dark from clues in context

• reads text with comprehension, locates details and sequence of events

• connects ideas that he/she has inferred, through reading and interaction, with his/her personal experiences

• takes dictation for different purposes, such as lists, paragraphs, dialogues etc.

• uses the dictionary for reference• identifies kinds of nouns, adverbs;

differentiates between simple past and simple present verbs

• writes paragraphs in English from verbal, visual clues, with appropriate punctuation marks and linkers

• writes a ‘mini biography’ and ‘mini autobiography’

• writes informal letters, messages and e-mails• reads print in the surroundings

(advertisements, directions, names of places etc), understands and answers queries

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23Learning Outcomes for the English Language — Primary Stage

• look at cartoons/ pictures/comic strips with or without words and speak/write a few sentences about them.

• write a ‘mini biography’ and ‘mini autobiography’

• attempts to write creatively (stories, poems, posters, etc)

• writes and speaks on peace, equality etc suggesting personal views

• appreciates either verbally / in writing the variety in food, dress, customs and festivals as read/heard in his/her day-to day life, in storybooks/ heard in narratives/ seen in videos, films etc.

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28 परारभिक सतर पर सीखन क पभतफल

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30 परारभिक सतर पर सीखन क पभतफल

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31हिदी भाषा — पाथहिक सतर

हविष आवशयकिा वाल बचचो क हलए (भाषा सबधी सझाव) y बहभावषकता, एक बचच की पहान का भाग ह और भारतीय भाषाई दशयािली की एक

ाररवतरक विशचषता ह। बहभावषकता का एक ससाधन कच रप म परयोग आिशयक ह और एक रनातमक भाषा वशकषक को इसकच अनसार ककषा-ककष गवतविवधयो की योिना बनानी ावहए। यह न कच िल सरलता सच उपलबध ससाधनो का ही सिवोततम उपयोग ह बवक यह सवनवशत करनच का भी तरीका ह वक बचा सरवकषत और सिीकत महसस करता ह अौर यह भी वक अपनी भाषाई पष‍ठभवम कच कारर कोई भी पीछच न छट िाए (राष‍टीय पा‍ठययाथ की रपरचखा — 2005)। िनिातीय बालक की घर की भाषा और विदालय म परयकत रािकीय भाषा कच माधयम कच बी का अतर अनसवत िनिावतयो सच आनच िालच बचो कच वलए समसया पदा करता ह। कषचतरीय और अनय भाषाओ, विसम अगचजी भी शावमल ह, की ओर कच पररितथन को बचच की घर की भाषा म सीखनच कच माधयम सच सगम बनाया िा सकता ह।

y ऐसच वकसी कषचतर म िहा एक सच अवधक िनिातीय भाषाओ का परयोग होता ह, िहा कषचतरीय सपकथ अथिा सहभागी भाषा का उपयोग अथिा अवधसखयो की भाषा को पराथवमकता दी िाती ह।

y भाषा सीखनच म कछ बचो की विवशषट कव‍ठनाइया हो सकती ह और उनह इन कव‍ठनाइयो कच समाधान की योिना बनानच और अपनी कमजोररयो कच कोतर म मदद की आिशयकता हो सकती ह।

y यहा कछ ऐसच बचच भी हो सकतच ह विनह मौवखक भाषा परयोग म अपनी कव‍ठनाइयो की कषवतपवतथ कच वलए शायद िकवपक सिाद वयिसथा की आिशयकता पडच।

y लचखन म कव‍ठनाई िालच बचो को शायद आई.सी.टी. (ICT) कच उपयोग की जररत हो िबवक यहा कछ ऐसच भी हो सकतच ह विनह वलवखत िानकारी को समझनच कच वलए सपशथ आधाररत तरीकच को सीखनच एि उसकच विकास कच अिसर की आिशयकता हो। िासतविक िीिन वसथवतयो सच िडी विषय-िसत म समसत बचो को लाभ होगा।

y वहनो अथिा सकच तो की भाषा और बचल को भी शाला वशकषा म सथान की आिशयकता ह और इससच न कच िल विशचष शवकषक आिशयकता िालच विदावथथयो की ही भाषा सीखनच म मदद वमलचगी, बवक गर-विशचष शवकषक आिशयकता िालच बचो म िागरकता और सिचदनशीलता का भी वनमाथर होगा।

हविष िहकक आवशयकिाओ वाल बालको क हनमन पिलओ का भी खयाल िखा जाना चाहिए, हजसक हलए उनि अहधक समय औि वयह‍िक धयान / दखभाल की जरिि ि। दहष‍टबाहधि बचचो क हलए

y लबच गदाश / अनचछचद और दशयाधाररत िानकारी सच सीखना। y अथथ समझनच म ज‍यादा समय लगना, कयोवक बचल म पढनच कच वलए अवधक समय ावहए। इसम

अवधक मातरा म याद रखनच और सयोिन की आिशयकता होती ह, कयोवक शबदाशो, िाकयो इतयावद को उनकी परथता सच एक साथ दचख पाना सभि नही ह।

शरवणबाहधि बचचो क हलए

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32 परारभिक सतर पर सीखन क पभतफल

y नयी शबदािली को समझना। y शबदो कच बी म अतर करना। y शबदो कच अनचक अथथ समझना। y विारो और सपरतययो कच बी सबध बनाना। y वतन को वयिवसथत करना अथिा विारो का वनमाथर। विारो कच वनमाथर म वयाकरर

और अथथ की दवषट सच सही िाकय रना शावमल ह िो वक शायद इन बचो कच वलए मवशकल कायथ ह।

y िाकयाशो का परयोग और समझ। y वयाकरर का परयोग (भतकाल, कारक/परसगथ, विराम-वहन इतयावद)। y िाकय रना।

सजानातमक रप स बाहधि िा बौहधिक असम यािा वाल बचचो क हलए y मौवखक भाषा (सनना, विारो की अवभवयवकत और / अथिा बोलना) और

अवभवयवकतकरर (सबोधपरथ और धारा परिाह बोलनच की योगयता)। y प‍ठन (शबद पहान, धिनयातमक जान और कट सकच तो की समझ शावमल ह)। विदाथथी

शायद शबदो को छोड द, िगह सच भटक िाए, एक शबद को दसरच सच भरवमत कर इतयावद। y दवषट-हसत सयोिना और लचखन (असपषट हसतलचख, ितथनी की अतयवधक गलवतया)। y वतन को वयिवसथत करना, दोहराना इतयावद, शबदो काच बोलना और / अथिा कहानी

का रिम। y भाषा को समझना (नयी शबदािली, िाकय-सरना, वभनन अथभो िालच शबद और

अिधारराए) विशचषकर तब िब शीघरता सच वदखाए या बता वदए िाए विससच ककषा म नोटस लचनच म कव‍ठनाई आती ह।

y अालकाररक भाषा – महािरच, रपक, उपमा इतयावद को समझना।