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JUNE Chapters:- Ch-1-Sanchayan Ch-3-Bihari ke dohe Ch-11-Diary ka ek panna Ch-4-Manushyta Class –X HINDI JUNE -MONTH SYLLABUS 2020 Sanchayan-harihar kaka Bihari ke dohe Diary ka ek panna Manushyta

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Page 1: Class –X HINDI JUNE SYLLABUS 2020 Chapters:- Ch-1-Sanchayan …punainternationalschool.com/assets/upload/ck-images/Std-10th=Jun… · -harihar kaka . पय-भाग पाठ-3

JUNE

Chapters-

Ch-1-Sanchayan

Ch-3-Bihari ke dohe

Ch-11-Diary ka ek panna

Ch-4-Manushyta

Class ndashX

HINDI

JUNE -MONTH

SYLLABUS

2020

Sanchayan-harihar kaka

Bihari ke dohe

Diary ka ek panna

Manushyta

पय-भाग

पाठ-3

बहार क दोह

-शदाथ

सहत-अछा लगना पत ndashपीला

पट-कपड़ा नीलमण-नीला पवत

आतप ndashधप अह ndashसाप

दरघ-दाघ -चड नदाघ ndashीम ऋत

बतरस -बातचीत

लकाछपी ndashछपना सौह ndashसौगद शपथ

भौहन -भौहो स नट-मना करना

रझत ndashमोहत खझत-गसा करना

भौन ndashभवन सघन ndashघना

पठ-घसना कागद-कागज़

सबस ndashअपनी इछा कसव ndashकण

छाप ndashछापा

-कव का परचय-

बहार लाल का नाम हद साहय क रत काल क कवय म महवपण ह महाकव

बहारलाल का जम 1595 क लगभग वालयर म हआ व जात क माथर चौब थ उनक

पता का नाम कशवराय था उनका बचपन बदलखड म कटा और यवावथा

ससराल मथरा म यतीत हई बहारलाल क एकमा रचना बहार सतसई ह यह मतक

काय ह इसम 719 दोह सकलत ह बहार सतसई गार रस क अयत सध और

अनठ कत ह इसका एक-एक दोहा हद साहय का एक-एक अनमोल रन माना जाता

ह बहारलाल क कवता का मय वषय गार ह उहन गार क सयोग और

वयोग दोन ह प का वणन कया ह सयोग प म बहारलाल न हाव-भाव और

अनभव का बड़ा ह सम चण कया ह उसम बड़ी मामकता ह बहारलाल का वयोग

वणन बड़ा अतशयोित पण ह यह कारण ह क उसम वाभावकता नह ह वरह म

याकल नायका क दबलता का चण करत हए उस घड़ी क पडलम जसा बना दया गया

ह-

भावाथ-

1-सोहत ओढ़ पीत पट याम सलौन गात

मनौ नीलमन सल पर आतप परयौ भात

इस दोह म कव न कण क सावल शरर क सदरता का बखान कया ह कव का कहना ह

क कण क सावल शरर पर पीला व ऐसी शोभा द रहा ह जस नीलमण पहाड़ पर सबह

क सरज क करण पड़ रह ह

2-कहलान एकत बसत अह मयर मग बाघ

जगत तपोवन सौ कयौ दरघ दाघ नदाघ

इस दोह म कव न भर दोपहर स बहाल जगल जानवर क हालत का चण कया ह

भीषण गम स बहाल जानवर एक ह थान पर बठ ह मोर और साप एक साथ बठ ह

हरण और बाघ एक साथ बठ ह कव को लगता ह क गम क कारण जगल कसी तपोवन

क तरह हो गया ह जस तपोवन म वभन इसान आपसी वष को भलाकर एक साथ

बठत ह उसी तरह गम स बहाल य पश भी आपसी वष को भलाकर एक साथ बठ ह

3-बतरस लालच लाल क मरल धर लकाइ

सह कर भहन हस दन कह नट जाइ

इस दोह म कव न गोपय वारा कण क बासर चराए जान का वणन कया ह कव

कहत ह क गोपय न कण क मरल इस लए छपा द ह ताक इसी बहान उह कण

स बात करन का मौका मल जाए साथ म गोपया कण क सामन नखर भी दखा रह ह

व अपनी भौह स तो कसम खा रह ह लकन उनक मह स ना ह नकलता ह

4-कहत नटत रझत खझत मलत खलत लिजयात

भर भौन म करत ह ननन ह सब बात

इस दोह म कव न उस िथत को दशाया ह जब भर भीड़ म भी दो मी बात करत ह

और उसका कसी को पता तक नह चलता ह ऐसी िथत म नायक और नायका आख ह

आख म ठत ह मनात ह मलत ह खल जात ह और कभी कभी शरमात भी ह

5-बठ रह अत सघन बन पठ सदन तन माह

दख दपहर जठ क छाह चाहत छाह

इस दोह म कव न जठ महन क गम का चण कया ह कव का कहना ह क जठ क

गरमी इतनी तज होती ह क छाया भी छाह ढ़ढ़न लगती ह ऐसी गम म छाया भी कह

नजर नह आती वह या तो कह घन जगल म बठ होती ह या फर कसी घर क अदर

6-कागद पर लखत न बनत कहत सदस लजात

कहह सब तरौ हयौ मर हय क बात

इस दोह म कव न उस नायका क मनिथत का चण कया ह जो अपन मी क लए

सदश भजना चाहती ह नायका को इतना लबा सदश भजना ह क वह कागज पर समा

नह पाएगा लकन अपन सदशवाहक क सामन उस वह सब कहन म शम भी आ रह ह

नायका सदशवाहक स कहती ह क तम मर अयत करबी हो इसलए अपन दल स तम

मर दल क बात कह दना

7-गट भए वजराज कल सबस बस ज आइ

मर हरौ कलस सब कसव कसवराइ

कव का कहना ह क ीकण न वय ह ज म चवश म जम लया था मतलब अवतार

लया था बहार क पता का नाम कसवराय था इसलए व कहत ह क ह कण आप तो

मर पता समान ह इसलए मर सार कट को दर किजए

8-जपमाला छाप तलक सर न एकौ काम

मन काच नाच बथा साच राच राम

आडबर और ढ़ग कसी काम क नह होत ह मन तो काच क तरह ण भगर होता ह जो

यथ म ह नाचता रहता ह माला जपन स माथ पर तलक लगान स या हजार बार राम

राम लखन स कछ नह होता ह इन सबक बदल यद सच मन स भ क आराधना क

जाए तो वह यादा साथक होता ह

-न उर

1-छाया कब छाया ढढ़न लगती ह

ीम क जठ मास क दोपहर म धप इतनी तज होती ह क सर पर आन लगती ह िजसस

वतओ क छाया छाया छोट होती जाती ह इसलए कव का कहना ह क जठ क दपहर

क भीषण गम म छाया भी त होकर छाया ढढ़न लगती ह

2-बहार क नायका यह य कहती ह lsquoकहह सब तरौ हयौ मर हय कrsquo बात-पट

किजए

2-बहार क नायका अपन य को प वारा सदश दना चाहती ह पर कागज पर लखत

समय कपकपी और आस आ जात ह नायका वरह क अिन म जल रह ह लखत समय

वह अपन मन क बात बतान म खद को असमथ पाती ह कसी क साथ सदश भजगी तो

कहत लजा आएगी इसलए वह सोचती ह क जो वरह अवथा उसक ह वह उसक य

क भी होगी अतः वह कहती ह क अपन दय क वदना स मर वदना को समझ जाएग

कछ कहन सनन क जरत नह रह जाती

3 सच मन म राम बसत ह-दोह क सदभानसार पट किजए

बहार जी क अनसार भित का सचा प दय क सचाई म नहत ह बहार जी ईवर

ाित क लए धम कमकाड को दखावा समझत थ माला जपन छाप लगवाना माथ पर

तलक लगवान स भ नह मलत जो इन यथ क आडबर म भटकत रहत ह व झठा

दशन करक दनया को धोखा द सकत ह परत भगवान राम तो सच मन क भित स

ह सन होत ह

4 गोपया ीकण क बासर य छपा लती ह

कण जी को अपनी बासर बहत य ह व उस बजात ह रहत ह गोपया कण स बात

करना चाहती ह व कण को रझाना चाहती ह उनका यान अपनी ओर आकषत करन क

लए मरल छपा दती ह ताक बासर क बहान कण उनस बात कर और अधक समय

तक व उनक नकट रह पाए

5 बहार कव न सभी क उपिथत म भी कस बात क जा सकती ह इसका वणन कस

कार कया ह अपन शद म लखए

बहार न बताया ह क घर म सबक उपिथत म नायक और नायका इशार म अपन मन

क बात करत ह नायक न सबक उपिथत म नायका को इशारा कया नायका न इशार

स मना कया नायका क मना करन क तरक पर नायक रझ गया इस रझ पर नायका

खीज उठ दोन क न मल जान पर आख म म वीकत का भाव आता हा इस पर

नायक सन हो जाता ह और नायका क आख म लजा जाती ह

-ननलखत का भाव पट किजए ndash

1-मनौ नीलमनी-सल पर आतप पय भात

इस पित म कण क सदय का वणन ह कण क नील शरर पर पील रग क व ह व

दखन म ऐस तीत होत ह मान नीलमणी पवत पर सबह का सय जगमगा उठा हो

2-जगत तपोबन सौ कयौ दरघ-दाघ नदाघ

इस पित का आशय ह क ीम ऋत क भीषण गम स परा जगल तपोवन जसा पव

बन गया ह सबक आपसी दमनी समात हो गई ह साप हरण और सह सभी गम स

बचन क लए साथ रह रह ह ऐसा तीत होता ह जस तपवी का सानय पाकर य आपसी

वर-भाव भल गए ह

3-जपमाला छाप तलक सर न एकौ काम

मन-काच नाच बथा साच राच राम

इन पितय वारा कव न बाहर आडबर का खडन करक भगवान क सची भित करन

पर बल दया ह इसका भाव ह क माला जपन छाप लगवाना माथ पर तलक लगवान स

एक भी काम नह बनता कच मन वाल का दय डोलता रहता ह व ह ऐसा करत ह

जो इन यथ क आडबर म भटकत रहत ह व झठा दशन करक दनया को धोखा द सकत

ह परत भगवान राम तो सच मन क भित स ह सन होत ह राम तो सच मन स

याद करन वाल क दय म रहत ह

------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------

याकरण-भाग

शद और पद

शद और पद- यहा शद और पद का अतर समझ लना चाहए वनय क मल स शद

बनता ह जस- प+आ+न+ई= पानी यह शद जब वाय म अथवाचक बनकर आय तो वह

पद कहलाता ह

जस- पतक लाओ इस वाय म दो पद ह- एक नामपद पतक ह और दसरा यापद

लाओ ह

शद क भद

अथ योग उप और यप क िट स शद क कई भद ह इनका वणन नन कार

ह-

(1) अथ क िट स शद-भद

(i)साथक शद (ii) नरथक शद

(i)साथक शद- िजस वण समह का पट प स कोई अथ नकल उस साथक शद कहत

जस- कमल खटमल रोट सव आद

(ii)नरथक- िजस वण समह का कोई अथ न नकल उस नरथक शद कहत ह

जस- राट वठा ची वाना वोती आद

साथक शद क अथ होत ह और नरथक शद क अथ नह होत जस- पानी साथक शद

ह और नीपा नरथक शद यक इसका कोई अथ नह

(2) योग क िट स शद-भद

शद क साथक मल स वाय क रचना होती ह वाय क मल स भाषा बनती ह शद

भाषा क ाणवाय होत ह वाय म शद का योग कस प म कया जाता ह इस

आधार पर हम शद को दो वग म बाटत ह

(i)वकार शद (ii)अवकार शद

(i)वकार शद - िजन शद क प म लग वचन कारक क अनसार परवतन का वकार

आता ह उह वकार शद कहत ह

इस हम ऐस भी कह सकत ह- वकार यानी परवतन व शद िजनम लग वचन कारक

आद क कारण वकार (परवतन) आ जाता ह उह वकार शद कहत ह

जस- लग- लड़का पढता ह लड़क पढ़ती ह

वचन- लड़का पढता हलड़क पढ़त ह

कारक- लड़का पढता ह लड़क को पढ़न दो

वकार शद चार कार क होत ह-

(i) सा (noun) (ii) सवनाम (pronoun) (iii) वशषण (adjective) (iv) या (verb)

(ii)अवकार शद -िजन शद क प म कोई परवतन नह होता उह अवकार शद कहत

दसर शद म- अ वकार यानी िजनम परवतन न हो ऐस शद िजनम लग वचन कारक

आद क कारण कोई परवतन नह होता अवकार शद कहलात ह

जस- परत तथा यद धीर-धीर अधक आद

अवकार शद भी चार कार क होत ह-

(i)या-वशषण (Adverb)

(ii)सबध बोधक (Preposition)

(iii)समचय बोधक(Conjunction)

(iv)वमयाद बोधक(Interjection)

(3) उपत क िट स शद-भद

(i)तसम शद (ii )तभव शद (iii )दशज शद एव (iv)वदशी शद

(i) तसम शद - सकत भाषा क व शद जो हद म अपन वातवक प

म यत होत ह उह तसम

शद कहत ह

दसर शद म- तत (उसक) + सम (समान) यानी व शद जो सकत भाषा स

हद भाषा म बना कसी बदलाव (मलप म) क ल लए गए ह तसम शद

कहलात ह

सरल शद म- हद म सकत क मल शद को तसम कहत ह

जस- कव माता वया नद फल पप पतक पवी काय मय आद

यहा सकत क उन तमो क सची ह जो सकत स होत हए हद म आय

ह-

तसम हद तसम हद

आ आम गोमल गोमय गोबर

उ ऊ ट घोटक घोड़ा

चच चच पयक पलग

वरत तरत भ भात

शलाका सलाई हरा हद हरद

गय भाग

पाठ-2

डायर क पन ndashसीताराम सकसरया

-लखक का परचय -

-सीताराम सकसरया को समाज सवा क म सन 1962 म पम भषण स समानत कया

गया था य असम राय स ह

सीताराम सकसरया एक भारतीय वतता कायकता गाधीवाद समाजवाद और पिचम बगाल

क सथा बडर थ जो मारवाड़ी समदाय क उथान क लए उनक योगदान क लए जान जात थ वह

एक उच वयालय सथान मारवाड़ी बालकका वयालय समाज सधार समत एक सामािजक

सगठन और भारतीय भाषा परषद उच शा सथान ी शाशाटन सहत कई सथान और

सगठन क सथापक थ एक गर सरकार सगठन भारत सरकार न समाज म उनक योगदान क लए

उह 1 9 62 म पम भषण का तीसरा सवच नागरक समान दया उनक जीवन क कहानी एक

कताब पम भषण सीताराम सकसरया अभनदन थ म काशत क गई ह िजस भावरमल सह

वारा सपादत कया गया ह और 1 9 74 म काशत कया गया था

-पाठ का सार-

शदाथ-

पराव ndashफर स आना अपन-हम या म

गत-घम घम कर चौकदार करना साजट ndashसना म एक पद

मोनमट-मारक काउिसल-परष

चौरगी-कलकाता का एक थान वालटयर ndashवयम सवक

सगीन ndashगभीर

-न उर-

-ननलखत न क उर (10-12 शद म) लखए minus

1-कलका वासय क लए 26 जनवर 1931 का दन य महवपण था

1-दश का वतता दवस एक वष पहल इसी दन मनाया गया था इसस पहल बगाल

वासय क भमका नह थी अब व य तौर पर जड़ गए इसलए यह महवपण

दन था

2-सभाष बाब क जलस का भार कस पर था

2-सभाषा बाब क जलस का भार पणदास पर था परत पलस न उह पकड़ लया

3-वयाथ सघ क मी अवनाश बाब क झडा गाड़न पर या तया हई

3-बगाल ातीय वयाथ सघ क मी अवनाश बाब न जस ह झडा गाड़ा पलस न

उह पकड़ लया और लोग पर लाठया चलाई

4-लोग अपन-अपन मकान व सावजनक थल पर राय झडा फहराकर कस बात का

सकत दना चाहत थ

4-लोग अपन-अपन मकान व सावजनक थल पर राय झडा फहराकर बताना चाहत

थ क व अपन को आज़ाद समझ कर आज़ाद मना रह ह उनम जोश और उसाह ह

5-पलस न बड़-बड़ पाक और मदान को य घर लया था

5-आज़ाद मनान क लए पर कलका शहर म जनसभाओ और झडारोहण उसव का

आयोजन कया गया इसलए पाक और मदान को घर लया था

-ननलखत न क उर (25-30 शद म) लखए minus

1-26 जनवर 1931 क दन को अमर बनान क लए या-या तयारया क ग

1-26 जनवर 1931 क दन को अमर बनान क लए कलका शहर न शहर म जगह-

जगह झड लगाए गए थ कई थान पर जलस नकाल गए तथा झड़ा फहराया गया

था टोलया बनाकर भीड़ उस थान पर जटन लगी जहा सभाष बाब का जलस पहचना

था पलस क लाठचाज तथा गरफ़तार लोग क जोश को कम न कर पाए

2-आज जो बात थी वह नराल थीrsquo minus कस बात स पता चल रहा था क आज का दन

अपन आप म नराला ह पट किजए

2-आज का दन नराला इसलए था यक वतता दवस मनान क थम आव

थी पलस न सभा करन को गरकाननी कहा था कत सभाष बाब क आवान पर पर

कलका म अनक सगठन क मायम स जलस व सभाओ क जोशील तयार थी परा

शहर झड स सजा था तथा कसल न मोनमद क नीच झडा फहरान और वतता क

ता पढ़न का सरकार को खला चलज दया हआ था पलस भरपर तयार क बाद भी

कामयाब नह हो पाई

3-पलस कमनर क नोटस और कसल क नोटस म या अतर था

3-पलस कमनर न नोटस नकाला था क कोई भी जनसभा करना या जलस

नकालना कानन क खलाफ़ होगा सभाओ म भाग लन वाल को दोषी माना जाएगा

कसल न नोटस नकाला था क मोनमट क नीच चार बजकर चौबीस मनट पर झडा

फहराया जाएगा तथा वतता क ता पढ़ जाएगी इस कार य दोन नोटस एक

दसर क खलाफ़ थ

4-धमतल क मोड़ पर आकर जलस य टट गया

4-जब सभाष बाब को पकड़ लया गया तो िया जलस बनाकर चल परत पलस न

लाठ चाज स उह रोकना चाहा िजसस कछ लोग वह बठ गए कछ घायल हो गए और

कछ पलस वारा गरतार कर लए गए इसलए जलस टट गया

5-डा दासगता जलस म घायल लोग क दख-रख तो कर रह थ उनक फ़ोटो भी

उतरवा रह थ उन लोग क फ़ोटो खीचन क या वजह हो सकती थी पट किजए

5-डा दास गता लोग क फ़ोटो खचवा रह थ इसस अज़ क जम का पदाफ़ाश

कया जा सकता था दसरा यह भी पता चल सकता था क बगाल म वतता क लड़ाई

म बहत काम हो रहा ह

-ननलखत न क उर (50-60 शद म) लखए minus

1-सभाष बाब क जलस म ी समाज क या भमका थी

1-सभाष बाब क जलस म ी समाज क महवपण भमका रह थी भार पलस

यवथा क बाद भी जगह-जगह ी जलस क लए टोलया बन गई थी मोनमट पर

भी िय न नडर होकर झडा फहराया अपनी गरतारया करवाई तथा उनपर लाठया

बरसाई इनसब क बाद भी िया लाल बाज़ार तक आग बढ़ती ग

2-जलस क लाल बाज़ार आन पर लोग क या दशा हई

2-जलस क लाल बाज़ार आन पर भीड़ बकाब हो गई पलस डड बरसा रह थी लोग

को लॉकअप म भज रह थी िया भी अपनी गरफ़तार द रह थी दल क दल नार

लगा रह थ लोग का जोश बढ़ता ह जा रहा था लाठ चाज स लोग घायल हो गए थ

खन बह रहा था चीख पकार मची थी फर भी उसाह बना हआ था

3-जब स कानन भग का काम श हआ ह तब स आज तक इतनी बड़ी सभा ऐस मदान म

नह क गई थी और यह सभा तो कहना चाहए क ओपन लड़ाई थीrsquo यहा पर कौन स और

कसक वारा लाग कए गए कानन को भग करन क बात कह गई ह या कानन भग

करना उचत था पाठ क सदभ म अपन वचार कट किजए

3-इस समय दश क आज़ाद क लए हर यित अपना सवव लटान को तयार था अज़

न कानन बनाकर आदोलन जलस को गर काननी घोषत कया हआ था परत लोग पर

इसका कोई असर नह था व आज़ाद क लए अपना दशन करत रह गलामी क जजीर

को तोड़न का यास करत रह थ

4-बहत स लोग घायल हए बहत को लॉकअप म रखा गया बहत-सी िया जल ग फर

भी इस दन को अपव बताया गया ह आपक वचार म यह सब अपव य ह अपन शद

म लखए

4-सभाष च बोस क नतव म कलका वासय न वतता दवस मनान क तयार ज़ोर-

शोर स क थी पलस क सती लाठ चाज गरफ़तारया इन सब क बाद भी लोग म

जोश बना रहा लोग झड फहरात वद मातरम बोलत हए खन बहात हए भी जलस

नकालन को तपर थ जलस टटता फर बन जाता कलका क इतहास म इतन चड

प म लोग को पहल कभी नह दखा गया था

आशय पट किजए minus

1-आज तो जो कछ हआ वह अपव हआ ह बगाल क नाम या कलका क नाम पर कलक

था क यहा काम नह हो रहा ह वह आज बहत अश म धल गया

1-हजार ी पष न जलस म भाग लया आज़ाद क सालगरह मनान क लए बना

कसी डर क दशन कया पलस क बनाए कानन क जलस आद गर काननी काय आद

क भी परवाह नह क पलस क लाठ चाज होन पर लोग घायल हो गए खन बहन लग

परत लोग म जोश क कोई कमी नह थी बगाल क लए कहा जाता था क वतता क

लए बहत यादा योगदान नह दया जा रहा ह आज क िथत को दखकर उन पर स

यह कलक मट गया

2-खला चलज दकर ऐसी सभा पहल नह क गई थी

2- पलस न कोई दशन न हो इसक लए कानन नकाला क कोई जलस आद आयोिजत

नह होगा परत सभाष बाब क अयता म कसल न नोटस नकाला था क मोनमट क

नीच झडा फहराया जाएगा और वतता क ता पढ़ जाएगी सभी को इसक लए

आमत कया गया खब चार भी हआ सार कलक म झड फहराए गए थ सरकार और

आम जनता म खल लड़ाई थी|

-------------------------------------------------------------------

याकरण-सध

याया -1-सध शद का अथ ह lsquoमलrsquo दो नकटवत वण क आपसी मल स जो परवतन होता

ह उस सध कहलाता ह सम + तोष = सतोष दव + इ = दव भान + उदय = भानदय

सध तीन कार ह

1-वर सध

2- यजन सध

3- वसग सध

1) वर सध-

दो वर क आस -पास आन पर उनम जो परवतन होता ह उस वर सध कहत ह

जस ndash वया + आलय = वयालय

1) दघ वर सध

अ इ उ क बाद दघ अ इ उ आ जाए तो दोनो मलकर दघ सध आ ई ऊ हो जात

अ + आ = आ हम + आलय = हमालय

इ + ई = ई - गर + ईश = गरश

ई + इ = ई - मह + इ = मह

ई + ई = ई - नद + ईश = नदश

उ + ऊ = ऊ- लघ + ऊम = लघम

ऊ + उ = ऊ- वध + उसव = वधसव

ऊ + ऊ = ऊ - भ + ऊव = भव

2) गण वर सध -इस सध म अ आ क आग इ ई हो तो ए उ ऊ हो तो औ और

अगर ऋ हो तो अर हो जाता ह उस गण सध कहत ह

अ + इ = ए- नर + इ = नर अ + ई = ए- नर + ईश = नरश

आ + इ = ए- महा + इ = मह आ + ई = ए महा + ईश = महश

अ + उ = ओ ान + उपदश = ानोपदश आ+उ= ओ महा + उसव = महोसव

3) यण वर सध- इस सध म इ ई उ ऊ और ऋ क बाद कोई अलग वर आए

तो इनका परवतन मश य व और र म हो जाता ह

इ का य = इत +आद = इयाद ई का य = दवी +आवाहन = दयावाहन

उ का व = स +आगत = वागत ऊ का व = वध +आगमन = ववागमन

4) वध वर सध- आ + ए ऐ -gt ऐ

अ आ + ओ औ -gt औ

अ +ए =ऐ एक +एक = एकक अ +ऐ =ऐ मत +ऐय = मतय

अ +औ=औ परम +औषध = परमौषध आ +औ =औ महा +औषध = महौषध

आ +ओ =औ महा +ओघ = महौघ

5)अयाद वर सध- इस सध म ए ऐ और ओ औ क पशचात इह छोड़कर को

अय वर हो तो इनका परवतन मश अय आय अव आव म हो जाता ह )

ए का अय न +अन = नयन ऐ का आय न +अक = नायक

ओ का अव पो +अन = पवन औ का आव पौ +अन = पावन

न का परवतन ण म = ो +अन = वण

2)यजन सध- यजन क साथ वर अथवा यजन क मल स उस यजन म जो

पातरण होता ह उस यजन सध कहत ह

त+छव=तछव दक+अत=दगत

दक+गज=दगज अन+छद=अनछद

अच +अत = अजत

3)वसग सध - वसग क साथ वर या यजन का मल होन पर जो वकार होता ह उस

वसग सध कहत ह

मन+रथ=मनोरथ यश+अभलाषा=यशोभलाषा

अध+गत=अधोगत न+छल=नछल

द +गम = दगम

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गय-भाग

पाठ-12

(ततारा-वामीरो कथा )

(ललाधर मडलोई)

-लखक का परचय- ललाधर मडलोईमडलोई का जम भारतीय

राय मयदश क छदवाडा िजल क गढ़ नामक गाव म हआ मडलोई न भारत म बीए

बीएड (अज़ी) पाकारता म नातक और एमए (हद) तक शा हण कया और

इसक बाद व लदन चल गय जहा स सारण म उच-शा (सीआरट) हण क

मडलोई दरदशन आकाशवाणी क महानदशक सहत कई राय-अतरराय समतय क

साथ ह सार भारती बोड क सदय रह चक ह

-पाठ का सार-

जो सयता िजतनी अधक परानी होगी उतनी ह अधक कस -कहानया उसस जड़ी होती ह जो

हम सनन को मलती ह जो कस - कहानया हम सनन को मलती ह जर नह क वो उसी तरह

घटत हई हो िजस तरह वो हम सनाई जा रह हइतना जर होता ह क इन कस और कहानय

म कोई न कोई सीख छपी होती ह अदमान नकोबार वीपसमह म भी बहत तरह क कस -

कहानया मशहर ह इनम स कछ को ललाधर मडलोई न लखा ह

तत पाठ ततारा वामीरो कथा अडमान नकोबार वीप समह क एक छोट स वीप पर क त ह

उस वीप पर एक -दसर स शता का भाव अपनी अतम सीमा पर पहच चका था इस शता क

भावना को जड़ स उखाड़न क लए एक जोड़ को आमबलदान दना पड़ा था उसी जोड़ क बलदान

का वणन लखक न तत पाठ म कया ह

यार सबको एक साथ लाता ह और नफरत सब क बीच दरय को बढ़ाती हइस बात स भला कौन

इनकार कर सकता ह इसलए जो कोई भी समाज क लए अपन यार का अपन जीवन का

बलदान करता ह समाज न कवल उस याद रखता ह बिक उसक वारा कय गए याग और

बलदान को बकार नह जान दता यह वह कारण ह िजसक वजह स तकालन समाज क सामन

मसाल कायम करन वाल इस जोड़ को आज भी इस वीप क नवासी गव और धा स याद करत

-शदाथ-

-खला-म कड़ी -आदम ndashाभक

-वभत ndashबटा हआ -आमीय ndashअपना

-वलण ndashअसाधारण -बयार-मद हवा

त-एकाता -वकल-बचन

-सचार-उपन -असगत ndashअनचत

समोहतndash मध -झझलाना ndash चड़ना

-रोमाचत ndash पलकत -नचल- िथर

-अफवाह ndash उड़ती खबर -उफनना ndash उबाल आना

शमन ndashशात होना -घपना भकनाचभना

-न-उर-

1-ततारा और वामीरो क गाव क या थी

उर- ततारा और वामीरो क गाव क यह रत थी क ववाह क लए लड़क-लड़क का एक

ह गाव का होना जर था दसर गाव क यवक क साथ सबध असभव था

2-ततारा क तलवार क बार म लोग का या मत था

उर- ततारा क तलवार ययप लकड़ी क थी पर इसक बावजद लोग का मानना था क

उस तलवार म अभत दवीय शित थी ततारा तलवार को कभी अपन स अलग होन नह

दता था लोग यह मानत थ क ततारा अपन साहसक कारनाम इसी तलवार क कारण ह

कर पाता ह उसम बड़ी शित थी

3-नकोबार क लोग ततारा को य पसद करत थ

उर- नकोबार क लोग ततारा को उसक साहसी और परोपकार वभाव क कारण पसद करत

थ वह एक सदर और शितशाल यवक था वह सदा लोग क सहायता करता रहता था

ततारा एक नक और मददगार यित था वह अपन गाव वाल क ह नह समच

वीपवासय क सवा करना अपना धम समझता था सभी उसका आदर करत थ मसीबत

क घड़ी म वह लोग क पास तरत पहच जाता था

4- ाचीन काल म मनोरजन और शित-दशन क लए कस कार क आयोजन कए जात

उर- ाचीन काल म मनोरजन और शित-दशन क लए अ-श चलान सबधी

आयोजन तथा पश पव कए जात थ

5-lsquoततारा-वामीरो कथाrsquo का सदश पट किजए

उर- lsquoततारा-वामीरो कथाrsquo एक लोकगाथा ह इसम यह सदश दया गया ह क म को कसी

बधन जड़ता तथा सीमाओ म बाधना उचत नह ह यद कोई गाव दश या म को

पनपन क लए खला अवसर नह दता तो इसस सवनाश होता ह धरती म भदभाव बढ़त ह

पहल स बट हई धरती और अवसर नह दता तो इसस मानवता का य होता ह भावनाए

एक होन क बजाय खडत होती ह अतः गाव दश या अय सकण नयमो को तोड़कर

हम उदारता क साथ सबको अपनाना चाहए

7-नक ततारा और वामीरो क मय कस हई पठत पाठ क आधार पर लखए

उर- पश-पव क मौक पर ततारा और वामीरो को इकठा दखकर वामीरो क मा ोध म

उफन उठ उसन ततारा को तरह-तरह स अपमानत कया गाव क लोग भी ततारा क

वरोध म आवाज उठान लग यह ततारा क लए अहसनीय था वामीरो अब भी रोए जा रह

थी ततारा भी गस स भर उठा उस जहा ववाह क नषध परपरा पर ोभ था वह अपनी

असहायता पर खीझ वामीरो का दख उस और गहरा कर रहा था उस मालम नह था क

या कदम उठाना चाहए अनायास उसका हाथ तलवार क मढ़ पर जा टका ोध म उसन

तलवार नकाल और कछ वचार करता रहा ोध लगातार अिन क तरह बढ़ रहा था

लोग सहम उठ एक सनाटा-सा खच गया जब कोई राह न सझी तो ोध का शमन करन

क लए उसम शित भर उस धरती म घप दया और ताकत स उस खीचन लगा वह

पसीन स नहा उठा सब घबराए हए थ वह तलवार को अपनी तरफ खीचत-खीचत दर तक

पहच गया वह हाफ रहा था अचानक जहा एक लकर खच गई थी वहा एक दरार होन

लगी मानो धरती दो टकड़ो म बटन लगी हो एक गड़गड़ाहट-सी गजन लगी और लकर क

सीध म धरती फटती ह जा रह थी वीप क अतम सर तक ततारा धरती को मानो ोध

म काटता जा रहा था सभी याकल हो उठ लोग न ऐस य क कपना न क थी व

सहर उठ उधर वामीरो फटती हई धरती क कनार ततारा का नाम पकारत हए दौड़ रह थी

वीप दो टकड़ म वभत हो चका था ततारा और वामीरो वीप क साथ सम म धस

गए और उमय हो गई

8-शाम क समय सम कनार ततारा क ाकतक अनभत का वणन किजए

उर- एक शाम ततारा दन-भर क अथक परम क बाद सम कनार टहलन नकल

पड़ा सरज सम स लग तज तल डबन को था सम स ठडी बयार आ रह थी

पय क सायकालन चाहचाहाहट शनः शनः ीण ह को थी उसका मन शात था

वचारमन ततारा सम बाल पर बठकर सरज क अतम रग-बरगी करण को सम

पर नहारन लगा तभी कह पास म उस मधर गीत गजता सनाई दया गीत मान

बहता हआ उसक तरफ आ रहा हो बीच-बीच म लहर का सगीत सनाई दता गायन

भावी था क वह अपनी सध-बध खोन लगा लहर क एक बल वग न उसक ता भग

क चतय होत ह वह उधर बढ़न को ववश हो उठा िजधर स अब भी गीत क वर बह

रह थ वह वकल-सा उस तरफ़ बढ़ता गया अततः उसक नजर एक यवती पर पड़ी जो

ढलती हई शाम क सदय म बसध एकटक सम क दह पर डबत आकषक रगो को

नहारत हए गा रह थी यह एक शगार गीत था

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Vyakr`-vaKy-

bull वाय क सामन दए कोठक म ( radic का चह लगाकर बताए क वह वाय कस

कार का ह

क) नकोबार उस बहद म करत थ (नवाचक वधानवाचक नषधामक

वमयादबोधक)

ख) तमन एकाएक इतना मधर गाना अधरा य छोड़ दया नवाचक

वधानवाचक नषधामक वमयादबोधक)

ग) वामीरो क मा ोध म उफन उठ (नवाचक वधानवाचक नषधामक

वमयादबोधक)

घ) या तह गाव का नयम नह मालम नवाचक वधानवाचक नषधामक

वमयादबोधक)

ङ) वाह कतना सदर नाम ह (नवाचक वधानवाचक नषधामक

वमयादबोधक)

च) म तहारा राता छोड़ दगा

वमयादबोधक)

उर- क) वधानवाचक

ग) वधानवाचक

ङ) वमयादबोध

Ocirc-इस पाठ म lsquo दखना lsquo या क कई प आए ह

शदयोग म या अतर ह

Ocirc-उर-

म तहारा राता छोड़ दगा (नवाचक वधानवाचक नषधामक

ख) नवाचक

घ) नवा

च) वधानवाचक

या क कई प आए ह lsquo दखना lsquo क इन वभन

वाययोग वारा पट किजए

नषधामक

नवाचक

वधानवाचक

क इन वभन

-वाय क उदाहरण-

सचयन-भाग

पाठ-1 (हरहर काका )

-शदाथ -

तबयत - शरर क िथत यणा - यातना कलश कट

मनःिथत - मन क िथत चद - कछ

आसित ndash लगाव यावहारक - यावहार सबधी

वचारक - वचार सबधी दलार - यार

सयाना - यक बधमान तीा - इतज़ार

फ़लहाल - अभी इस समय मझधार - बीच म

वलन - लत हो जाना वकप - दसरा उपाय

चलत ndash चलनसार जात - जगाना

कलवर - शरर मनौती - मनत

परपरा - था णाल अधकाश - यादातर

समत ndash सथा सचालन - नयण चलाना

नयित - तनाती लगाया गया वमख - तकल

चपट - आघात हार अहाता-चार ओर स दवार स घरा हआ मदान

अखड ndash नवन वफोट - फट कर बाहर नकलना

आगमन - आन पर उपलय - सकत

सराहना ndash शसा निचत - बफ

-लखक का परचय-मथलवर का जम 31 दसबर 1950 को बहार क

भोजपर िजल क बसाडीह नामक गाव म हआ इनक पता व० ो० वशरोपन लाल थ

मथलवर क पता (ो० वशरोपन लाल) भी वलण तभा क धनी थ परत उनक

असाय बीमार न मथलवर क जीवन म आरभ स ह कठन सघष क बीज बो दय थ

पाठ सार-

लखक कहता ह क वह हरहर काका क साथ बहत गहर स जड़ा था लखक का हरहर

काका क त जो यार था वह लखक का उनक यावहार क और उनक वचार क कारण

था और उसक दो कारण थ पहला कारण था क हरहर काका लखक क पड़ोसी थ और

दसरा कारण लखक को उनक मा न बताया था क हरहर काका लखक को बचपन स ह

बहत यादा यार करत थ जब लखक यक हआ तो उसक पहल दोती भी हरहर काका

क साथ ह हई थी लखक क गाव क पव दशा म ठाकर जी का वशाल मदर था िजस

गाव क लोग ठाकरबार यान दवथान कहत थ लोग ठाकर जी स प क मनत मागत

मक़दम म जीत लड़क क शाद कसी अछ घर म हो जाए लड़क को नौकर मल जाए

आद मनत मागत थ मनत पर होन पर लोग अपनी ख़शी स ठाकरजी को पए ज़वर

और अनाज चढ़ाया करत थ िजसको बहत अधक ख़शी होती थी वह अपन खत का छोटा-

सा भाग ठाकरजी क नाम कर दता था और यह एक तरह स था ह बन गई लखक कहता

ह क उसका गाव अब गाव क नाम स नह बिक दव-थान क वजह स ह पहचाना जाता

था उसक गाव का यह दव-थान उस इलाक का सबस बड़ा और सध दवथान था

हरहर काका न अपनी परिथतओ क कारण दव-थान म जाना बद कर दया था मन

बहलान क लए लखक भी कभी-कभी दव-थान चला जाता था लकन लखक कहता ह क

वहा क साध-सत उस बलकल भी पसद नह थ यक व काम करन म कोई दलचपी

नह रखत थ भगवान को भोग लगान क नाम पर व दन क दोन समय हलवा-पड़ी

बनवात थ और आराम स पड़ रहत थ सारा काम वहा आए लोग स सवा करन क नाम पर

करवात थ व खद अगर कोई काम करत थ तो वो था बात बनवान का काम

लखक हरहर काका क बार म बताता हआ कहता ह क हरहर काका और उनक तीन भाई

ह सबक शाद हो चक ह हरहर काका क अतरत सभी तीन भाइय क बाल-बच ह

कछ समय तक तो हरहर काका क सभी चीज़ का अछ स यान रखा गया परत फर

कछ दन बाद हरहर काका को कोई पछन वाला नह था लखक कहता ह क अगर कभी

हरहर काका क शरर क िथत ठक नह होती तो हरहर काका पर मसीबत का पहाड़ ह

गर जाता यक इतन बड़ परवार क रहत हए भी हरहर काका को कोई पानी भी नह

पछता था बारामद क कमर म पड़ हए हरहर काका को अगर कसी चीज़ क जरत होती

तो उह खद ह उठना पड़ता एक दन उनका भतीजा शहर स अपन एक दोत को घर ल

आया उह क आन क ख़शी म दो-तीन तरह क सिज़या बजक चटनी रायता और भी

बहत कछ बना था सब लोग न खाना खा लया और हरहर काका को कोई पछन तक नह

आया हरहर काका गस म बरामद क ओर चल पड़ और जोर-जोर स बोल रह थ क

उनक भाई क पिनया या यह सोचती ह क व उह मत म खाना खला रह ह उनक

खत म उगन वाला अनाज भी इसी घर म आता ह

हरहर काका क गस का महत जी न लाभ उठान क सोची महत जी हरहर काका को

अपन साथ दव-थान ल आए और हरहर काका को समझान लग क उनक भाई का परवार

कवल उनक जमीन क कारण उनस जड़ा हआ ह कसी दन अगर हरहर काका यह कह द

क व अपन खत कसी और क नाम लख रह ह तो व लोग तो उनस बात करना भी बद

कर दग खन क रत ख़म हो जायग महत हरहर काका स कहता ह क उनक हस म

िजतन खत ह व उनको भगवान क नाम लख द ऐसा करन स उह सीध वग क ाित

होगी

सबह होत ह हरहर काका क तीन भाई दव-थान पहच गए तीन हरहर काका क पाव म

गर कर रोन लग और अपनी पिनय क गलती क माफ़ मागन लग और कहन लग क

व अपनी पिनय को उनक साथ कए गए इस तरह क यवहार क सज़ा दग हरहर काका

क मन म दया का भाव जाग गया और व फर स घर वापस लौट कर आ गए जब अपन

भाइय क समझान क बाद हरहर काका घर वापस आए तो घर म और घर वाल क

यवहार म आए बदलाव को दख कर बहत खश हो गए घर क सभी छोट-बड़ सभी लोग

हरहर काका का आदर-सकार करन लग

गाव क लोग जब भी कह बठत तो बात का ऐसा सलसला चलता िजसका कोई अत नह

था हर जगह बस उह क बात होती थी कछ लोग कहत क हरहर काका को अपनी

जमीन भगवान क नाम लख दनी चाहए इसस उम और अछा कछ नह हो सकता

इसस हरहर काका को कभी न ख़म होन वाल सध ात होगी इसक वपरत कछ

लोग क यह मानत थ क भाई का परवार भी तो अपना ह परवार होता ह अपनी

जायदाद उह न दना उनक साथ अयाय करना होगा हरहर काका क भाई उनस ाथना

करन लग क व अपन हस क जमीन को उनक नाम लखवा द इस वषय पर हरहर

काका न बहत सोचा और अत म इस परणाम पर पहच क अपन जीत-जी अपनी जायदाद

का वामी कसी और को बनाना ठक नह होगा फर चाह वह अपना भाई हो या मदर का

महत यक उह अपन गाव और इलाक क व कछ लोग याद आए िजहन अपनी िजदगी

म ह अपनी जायदाद को अपन रतदार या कसी और क नाम लखवा दया था उनका

जीवन बाद म कसी क क तरह हो गया था उह कोई पछन वाला भी नह था हरहर

काका बलकल भी पढ़-लख नह थ परत उह अपन जीवन म एकदम हए बदलाव को

समझन म कोई गलती नह हई और उहन फसला कर लया क व जीत-जी कसी को भी

अपनी जमीन नह लखग

लखक कहता ह क जस-जस समय बीत रहा था महत जी क परशानया बढ़ती जा

रह थी उह लग रहा था क उहन हरहर काका को फसान क लए जो जाल फ का

था हरहर काका उसस बाहर नकल गए ह यह बात महत जी को सहन नह हो रह

थी आधी रात क आस-पास दव-थान क साध-सत और उनक कछ साथी भाला

गड़ासा और बदक क साथ अचानक ह हरहर काका क आगन म आ गए इसस

पहल हरहर काका क भाई कछ सोच और कसी को अपनी सहायता क लए आवाज

लगा कर बलाए तब तक बहत दर हो गई थी हमला करन वाल हरहर काका को

अपनी पीठ पर डाल कर कह गायब हो गए थव हरहर काका को दव-थान ल गए

थ एक ओर तो दव-थान क अदर जबरदती हरहर काका क अगठ का नशान लन

और पकड़कर समझान का काम चल रहा था तो वह दसर ओर हरहर काका क

तीन भाई सबह होन स पहल ह पलस क जीप को लकर दव-थान पर पहच गए

थ महत और उनक साथय न हरहर काका को कमर म हाथ और पाव बाध कर

रखा था और साथ ह साथ उनक मह म कपड़ा ठसा गया था ताक व आवाज़ न कर

सक परत हरहर काका दरवाज़ तक लढ़कत हए आ गए थ और दरवाज़ पर अपन

पर स धका लगा रह थ ताक बाहर खड़ उनक भाई और पलस उह बचा सक

दरवाज़ा खोल कर हरहर काका को बधन स मत कया गया हरहर काका न

पलस को बताया क व लोग उह उस कमर म इस तरह बाध कर कह गत

दरवाज़ स भाग गए ह और उहन कछ खल और कछ लख हए कागज पर हरहर

काका क अगठ क नशान जबरदती लए ह

यह सब बीत जान क बाद हरहर काका फर स अपन भाइय क परवार क साथ रहन लग

गए थ चौबीस घट पहर दए जान लग थ यहा तक क अगर हरहर काका को कसी

काम क कारण गाव म जाना पड़ता तो हथयार क साथ चार-पाच लोग हमशा ह उनक

साथ रहन लग लखक कहता ह क हरहर काका क साथ जो कछ भी हआ था उसस हरहर

काका एक सीध-साद और भोल कसान क तलना म चालाक और बधमान हो गए थ

उह अब सब कछ समझ म आन लगा था क उनक भाइय का अचानक स उनक त जो

यवहार परवतन हो गया था उनक लए जो आदर-समान और सरा व दान कर रह थ

वह उनका कोई सग भाइय का यार नह था बिक व सब कछ उनक धन-दौलत क कारण

कर रह ह नह तो व हरहर काका को पछत तक नह जब स हरहर काका दव-थान स

वापस घर आए थ उसी दन स ह हरहर काका क भाई और उनक दसर नात-रतदार

सभी यह सोच रह थ क हरहर काका को क़ाननी तरक स उनक जायदाद को उनक

भतीज क नाम कर दना चाहए यक जब तक हरहर काका ऐसा नह करग तब तक

महत क तज़ नज़र उन पर टक रहगी जब हरहर काका क भाई हरहर काका को

समझात-समझात थक गए तो उहन हरहर काका को डाटना और उन पर दवाब डालना

श कर दया एक रात हरहर काका क भाइय न भी उसी तरह का यवहार करना श

कर दया जसा महत और उनक सहयोगय न कया था उह धमकात हए कह रह थ क

ख़शी-ख़शी कागज़ पर जहा-जहा जरत ह वहा-वहा अगठ क नशान लगत जाओ नह तो व

उह मार कर वह घर क अदर ह गाड़ दग और गाव क लोगो को इस बार म कोई सचना

भी नह मलगी हरहर काका क साथ अब उनक भाइय क मारपीट श हो गई जब

हरहर काका अपन भाइय का मकाबला नह कर पा रह थ तो उहन ज़ोर-ज़ोर स

चलाकर अपनी मदद क लए गाव वाल को आवाज लगाना श कर दया तब उनक

भाइय को यान आया क उह हरहर काका का मह पहल ह बद करना चाहए था उहन

उसी पल हरहर काका को जमीन पर पटका और उनक मह म कपड़ा ठस दया लकन तब

तक बहत दर हो गई थी हरहर काका क आवाज बाहर गाव म पहच गई थी हरहर काका

क परवार और रत-नात क लोग जब तक गाव वाल कोसमझात क यह सब उनक

परवार का आपसी मामला ह व सभी इसस दर रह तब तक महत जी बड़ी ह दता और

तज़ी स वहा पलस क जीप क साथ आ गए पलस न पर घर क अछ स तलाशी लना

श कर दया फर घर क अदर स हरहर काका को इतनी बर हालत म हासल कया गया

िजतनी बर हालत उनक दव-थान म भी नह हई थी हरहर काका न बताया क उनक

भाइय न उनक साथ बहत ह यादा बरा यवहार कया ह जबरदती बहत स कागज पर

उनक अगठ क नशान ल लए ह उह बहत यादा मारा-पीटा ह

इस घटना क बाद हरहर काका अपन परवार स एकदम अलग रहन लग थ उह उनक

सरा क लए चार राइफलधार पलस क जवान मल थ आचय क बात तो यह ह क

इसक लए उनक भाइय और महत क ओर स काफ़ यास कए गए थ असल म भाइय

को चता थी क हरहर काका अकल रहन लगग तो दव-थान क महत-पजार फर स

हरहर काका को बहला-फसला कर ल जायग और जमीन दव-थान क नाम करवा लग और

यह चता महत जी को भी थी क हरहर काका को अकला और असरत पा उनक भाई

फर स उह पकड़ कर मारग और जमीन को अपन नाम करवा लग लखक कहता ह क

हरहर काका स जड़ी बहत सी ख़बर गाव म फल रह थी जस-जस दन बड़ रह थ वस-वस

डर का मौहोल बन रहा था सभी लोग सफ यह सोच रह थ क हरहर काका न अमत तो

पया हआ ह नह तो मरना तो उनको एक दन ह ह और जब व मरग तो पर गाव म

तफ़ान आ जाएगा यक महत और हरहर काका क परवार क बीच जमीन को ल कर

लड़ाई हो जायगी

पलस क जवान हरहर काका क खच पर ह खब मौज-मती स रह रह थ िजसका धन

वह रह उपास खान वाल कर वलास अथात हरहर काका क पास धन था लकन उनक लए

अब उसका कोई महव नह था और पलस वाल बना कसी कारण स ह हरहर काका क

धन स मौज कर रह थ अब तक जो नह खाया था दोन वत उसका भोग लगा रह थ

-नोर-

1-कथावाचक और हरहर काका क बीच या सबध ह और इसक या कारण ह

1-कथावाचक जब छोटा था तब स ह हरहर काका उस बहत यार करत थ जब वह बड़ हो

गए तो वह हरहर काका क म बन गए गाव म इतनी गहर दोती और कसी स नह

हई हरहर काका उनस खल कर बात करत थ यह कारण ह क कथावाचक को उनक

एक-एक पल क खबर थी शायद अपना म बनान क लए काका न वय ह उस यार स

बड़ा कया और इतजार कया

2-हरहर काका को महत और भाई एक ह णी क य लगन लग

2-हरहर काका को अपन भाइय और महत म कोई अतर नह लगा दोन एक ह णी क

लग उनक भाइय क पिनय न कछ दन तक तो हरहर काका का यान रखा फर

बचीकची रोटया द नाता नह दत थ बमार म कोई पछन वाला भी न था िजतना भी

उह रखा जा रहा था उनक ज़मीन क लए था इसी तरह महत न एक दन तो बड़ यार

स खातर क फर ज़मीन अपन ठाकर बाड़ी क नाम करन क लए कहन लग काका क

मना करन पर उह अनक यातनाए द अपहरण करवाया मह म कपड़ा ठस कर एक कोठर

म बद कर दया जबरदती अगठ का नशान लया गया तथा उह मारा पीटा गया इस

तरह दोन ह कवल ज़मीन जायदाद क लए हरहर काका स यवहार रखत थ अत उह

दोन एक ह णी क लग

3-ठाकर बाड़ी क त गाव वाल क मन म अपार धा क जो भाव ह उसस उनक कस

मनोव का पता चलता ह

3-कहा जाता ह गाव क लोग भोल होत ह असल म गाव क लोग अधववासी धमभी होत

ह मदर जस थान को पव नकलक ान का तीक मानत ह पजार परोहत महत

जस िजतन भी धम क ठकदार ह उनपर अगाध धा रखत ह व चाह कतन भी

पतत वाथ और नीच ह पर उनका वरोध करत व डरत ह इसी कारण ठाकर बाड़ी क

त गाव वाल क अपार धा थी उनका हर सख-दख उसस जड़ा था

4-अनपढ़ होत हए भी हरहर काका दनया क बहतर समझ रखत ह कहानी क आधार पर

पट किजए

4-हरहर काका अनपढ़ थ फर भी उह दनयादार क बहद समझ थी उनक भाई लोग

उनस ज़बरदती ज़मीन अपन नाम करान क लए डरात थ तो उह गाव म दखावा करक

ज़मीन हथयान वालो क याद आती ह काका न उह दखी होत दखा ह इसलए उहन

ठान लया था चाह महत उकसाए चाह भाई दखावा कर वह ज़मीन कसी को भी नह दग

एक बार महत क उकसान पर भाइय क त धोखा नह करना चाहत थ परत जब भाइय

न भी धोखा दया तो उह समझ म आ गया उनक त उह कोई यार नह ह जो यार

दखात ह वह कवल ज़ायदाद क लए ह

5-हरहर काका को जबरन उठा ल जान वाल कौन थ उहन उनक साथ कसा यवहार

कया

5-महत न हरहर काका को बहत लोभन दए िजसस वह अपनी ज़मीन जायदाद ठाकर

बाड़ी क नाम कर द परत काका इस बात क लए तयार नह थ व सोच रह थ क या

भगवान क लए अपन भाइय स धोखा क यह उह सह भी नह लग रहा था महत को

यह बात पता लगी तो उसन छल और बल स रात क समय अकल दालान म सोत हए

हरहर काका को उठवा लया महत न अपन चल साधसतो क साथ मलकर उनक हाथ पर

बाध दए मह म कपड़ा ठस दया और जबरदती अगठ क नशान लए उह एक कमर म

बद कर दया जब पलस आई तो वय गत दरवाज़ स भाग गए

6-हरहर काका क मामल म गाव वाल क या राय थी और उसक या कारण थ

6-कहानी क आधार पर गाव क लोग को बना बताए पता चल गया क हरहर काका को

उनक भाई नह पछत इसलए सख आराम का लोभन दकर महत उह अपन साथ ल

गया भाई मनत करक काका को वापस ल आत ह इस तरह गाव क लोग दो प म

बट गए कछ लोग महत क तरफ़ थ जो चाहत थ क काका अपनी ज़मीन धम क नाम पर

ठाकर बाड़ी को द द ताक उह सख आराम मल मय क बाद मो यश मल महत ानी

ह वह सब कछ जानता ह लकन दसर प क लोग कहत क ज़मीन परवार वालो को द

जाए उनका कहना था इसस उनक परवार का पट भरगा मदर को ज़मीन दना अयाय

होगा इस तरह दोन प अपन-अपन हसाब स सोच रह थ परत हरहर काका क बार म

कोई नह सोच रहा था इन बात का एक कारण यह भी था क काका वधर थ और उनक

कोई सतान भी नह थी पह बीघ ज़मीन क लए इनका लालच वाभवक था

7-कहानी क आधार पर पट किजए क लखक न यह य कहा अान क िथत म ह

मनय मय स डरत ह ान होन क बाद तो आदमी आवयकता पड़न पर मय को वरण

करन क लए तयार हो जाता ह

7-जब काका को असलयत पता चल और उह समझ म आ गया क सब लोग उनक

ज़मीन जायदाद क पीछ ह तो उह व सभी लोग याद आ गए िजहन परवार वालो क मोह

माया म आकर अपनी ज़मीन उनक नाम कर द और मय तक तलतल करक मरत

रह दान-दान को मोहताज़ हो गए इसलए उहन सोचा क इस तरह रहन स तो एक बार

मरना अछा ह जीत जी ज़मीन कसी को भी नह दग य लोग मझ एक बार म ह मार

द अत लखक न कहा क अान क िथत म मनय मय स डरता ह परत ान होन

पर मय वरण को तयार रहता ह

8-समाज म रत क या अहमयत ह इस वषय पर अपन वचार कट किजए

8-आज समाज म मानवीय मय तथा पारवारक मय धीर-धीर समात होत जा रह ह

यादातर यित अपन वाथ क लए रत नभात ह अपनी आवयकताओ क हसाब स

मलत ह अमीर रतदार का समान करत ह उनस मलन को आतर रहत ह जबक गरब

रतदार स कतरात ह कवल वाथ सध क अहमयत रह गई ह आए दन हम

अखबार म समाचार पढ़त ह क ज़मीन जाय़दाद पस जवर क लए लोग घनौन स घनौना

काय कर जात ह (हया अपहरण आद) इसी कार इस कहानी म भी पलस न पहचती तो

परवार वाल महत जी (काका क) हया ह कर दत उह यह अफसोस रहा क व काका को

मार नह पाए

9-यद आपक आसपास हरहर काका जसी हालत म कोई हो तो आप उसक कस कार

मदद करग

9-यद हमार आसपास हरहर काका जसी हालत म कोई हो तो हम उसक पर तरह मदद

करन क कोशश करग उनस मलकर उनक दख का कारण पता करग उह अहसास

दलाएग क व अकल नह ह सबस पहल तो यह ववास कराएग क सभी यित लालची

नह होत ह इस तरह मौन रह कर दसर को मौका न द बिक उलास स शष जीवन

बताए रतदार स मलकर उनक सबध सधारन का यन करग

10-हरहर काका क गाव म यद मीडया क पहच होती तो उनक या िथत होती अपन

शद म लखए

10-यद काका क गाव म मीडया पहच जाती तो सबक पोल खल जाती महत व भाइय का

पदाफाश हो जाता अपहरण और जबरन अगठा लगवान क अपराध म उह जल हो जाती

अपना-अपना मोचा सभालना - अपनी िजमदार नबाहना

आसमान स जमीन पर गरना -उच िथत स नन िथत पर आना

खल कर बात करना- बना सकच क बात करना |

चपत हो जाना ndash भाग जाना |

जी-जान स जट जाना ndash खब महनत करना

िजतन मह उतनी बात होना- कई तरह क बात करना |

ततर-बतर होना ndash बखर जाना |

त-त म -म होना -झगड़ा होना |

नमक-मच लगाना- बढ़ा-चढ़कर कहना|

बात बनाना- बहान बनाना|

रग चढ़ना- असर होना|

मह न खोलना ndash कछ न बताना |

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पय-भाग

पाठ-4

मनयता ndashमथलशरण गत

-लखक का परचय-

-पाठ का सार व पिटकरण-

कत क अय ाणय क तलना म मनय म सोचन क शित अधक होती ह

वह अपन ह नह दसर क सख - दःख का भी याल रखता ह और दसर क लए

कछ करन म समथ होता ह जानवर जब चरागाह म जात ह तो कवल अपन लए

चर कर आत ह परत मनय ऐसा नह ह वह जो कछ भी कमाता ह जो कछ भी

बनाता ह वह दसर क लए भी करता ह और दसर क सहायता स भी करता ह

तत पाठ का कव अपन क सख - दःख क चता करन वाल को मनय तो

मानता ह परत यह मानन को तयार नह ह क उन मनय म मनयता क सार

गण होत ह कव कवल उन मनय को महान मानता ह जो अपन क सख - दःख

स पहल दसर क चता करत ह वह मनय म ऐस गण चाहता ह िजसक कारण

कोई भी मनय इस मयलोक स चल जान क बाद भी सदय तक दसर क याद म

रहता ह अथात वह मय क बाद भी अमर रहता ह

-पाठ सार-

इस कवता म कव मनयता का सह अथ समझान का यास कर रहा ह पहल

भाग म कव कहता ह क मय स नह डरना चाहए यक मय तो निचत ह पर

हम ऐसा कछ करना चाहए क लोग हम मय क बाद भी याद रख असल मनय

वह ह जो दसर क लए जीना व मरना सीख ल दसर भाग म कव कहता ह क

हम उदार बनना चाहए यक उदार मनय का हर जगह गण गान होता ह मनय

वह कहलाता ह जो दसर क चता कर तीसर भाग म कव कहता ह क पराण

म उन लोग क बहत उदाहरण ह िजह उनक याग भाव क लए आज भी याद

कया जाता ह सचा मनय वह ह जो याग भाव जान ल चौथ भाग म कव

कहता ह क मनय क मन म दया और कणा का भाव होना चाहए मनय वह

कहलाता ह जो दसर क लए मरता और जीता ह पाचव भाग म कव कहना चाहता

ह क यहा कोई अनाथ नह ह यक हम सब उस एक ईवर क सतान ह हम

भदभाव स ऊपर उठ कर सोचना चाहएछठ भाग म कव कहना चाहता ह क हम

दयाल बनना चाहए यक दयाल और परोपकार मनय का दवता भी वागत करत

ह अतः हम दसर का परोपकार व कयाण करना चाहएसातव भाग म कव कहता

ह क मनय क बाहर कम अलग अलग हो परत हमार वद साी ह क सभी क

आमा एक ह हम सब एक ह ईवर क सतान ह अतः सभी मनय भाई -बध ह

और मनय वह ह जो दःख म दसर मनय क काम आयअतम भाग म कव

कहना चाहता ह क वप और वन को हटात हए मनय को अपन चन हए रात

पर चलना चाहए आपसी समझ को बनाय रखना चाहए और भदभाव को नह

बढ़ाना चाहए ऐसी सोच वाला मनय ह अपना और दसर का कयाण और उधार

कर सकता ह

-याया

1-वचार लो क मय हो न मय स डरो कभी

मरो परत य मरो क याद जो कर सभी

हई न य समय तो वथा मर वथा िजए

मारा नह वह क जो िजया न आपक लए

वह पश- वत ह क आप आप ह चर

वह मनय ह क जो मनय क लए मर

सग - तत कवता हमार पाय पतक पश भाग -2 स ल गई ह इसक

कव मथलशरण गत ह इन पितओ म कव बताना चाहता ह क मनय को

कसा जीवन जीना चाहए

याया - कव कहता ह क हम यह जान लना चाहए क मय का होना निचत

ह हम मय स नह डरना चाहए कव कहता ह क हम कछ ऐसा करना चाहए क

लोग हम मरन क बाद भी याद रख जो मनय दसर क लए कछ भी ना कर सक

उनका जीना और मरना दोन बकार ह मर कर भी वह मनय कभी नह मरता जो

अपन लए नह दसर क लए जीता ह यक अपन लए तो जानवर भी जीत ह

कव क अनसार मनय वह ह जो दसर मनय क लए मर अथात जो मनय दसर

क चता कर वह असल मनय कहलाता ह

2-उसी उदार क कथा सरवती बखानती

उसी उदार स धरा कताथ भाव मानती

उसी उदार क सदा सजीव कत कजती

तथा उसी उदार को समत सिट पजती

अखड आम भाव जो असीम वव म भर

वह मनय ह क जो मनय क लए मर

सग - तत कवता हमार पाय पतक पश भाग -2 स ल गई ह इसक

कव मथलशरण गत ह इन पितओ म कव बताना चाहता ह क जो मनय

दसर क लए जीत ह उनका गणगान यग - यग तक कया जाता ह

याया - कव कहता ह क जो मनय अपन पर जीवन म दसर क चता करता

ह उस महान यित क कथा का गण गान सरवती अथात पतक म कया जाता

ह पर धरती उस महान यित क आभार रहती ह उस यित क बातचीत

हमशा जीवत यित क तरह क जाती ह और पर सिट उसक पजा करती ह

कव कहता ह क जो यित पर ससार को अखड भाव और भाईचार क भावना म

बाधता ह वह यित सह मायन म मनय कहलान योय होता ह

3-धात रतदव न दया करथ थाल भी

तथा दधीच न दया पराथ अिथजाल भी

उशीनर तीश न वमास दान भी कया

सहष वीर कण न शरर-चम भी दया

अनय दह क लए अनाद जीव या डर

वह मनय ह क जो मनय क लए मर

सग - तत कवता हमार पाय पतक पश भाग -2 स ल गई ह इसक

कव मथलशरण गत ह इन पितओ म कव न महान पष क उदाहरण दए ह

िजनक महानता क कारण उह याद कया जाता ह

याया - कव कहता ह क पौराणक कथाए ऐस यितओ क उदाहरण स भर

पड़ी ह िजहन अपना परा जीवन दसर क लए याग दया िजस कारण उह आज

तक याद कया जाता ह भख स परशान रतदव न अपन हाथ क आखर थाल भी

दान कर द थी और महष दधीच न तो अपन पर शरर क हडया व बनान क

लए दान कर द थी उशीनर दश क राजा शब न कबतर क जान बचान क लए

अपना परा मास दान कर दया था वीर कण न अपनी ख़शी स अपन शरर का

कवच दान कर दया था कव कहना चाहता ह क मनय इस नवर शरर क लए

य डरता ह यक मनय वह कहलाता ह जो दसर क लए अपन आप को याग

दता ह

4-सहानभत चाहए महावभत ह यह

वशीकता सदव ह बनी हई वय मह

वधभाव बध का दया-वाह म बहा

वनीत लोकवग या न सामन झका रहा

अहा वह उदार ह परोपकार जो कर

वह मनय ह क जो मनय क लए मर

सग - तत कवता हमार पाय पतक पश भाग -2 स ल गई ह इसक

कव मथलशरण गत ह इन पितओ म कव न महामा बध का उदाहरण दत

हए दया कणा को सबस बड़ा धन बताया ह

याया - कव कहता ह क मनय क मन म दया व कणा का भाव होना चाहए

यह सबस बड़ा धन ह वय ईवर भी ऐस लोग क साथ रहत ह इसका सबस

बड़ा उदाहरण महामा बध ह िजनस लोग का दःख नह दखा गया तो व लोक

कयाण क लए दनया क नयम क वध चल गए इसक लए या परा ससार

उनक सामन नह झकता अथात उनक दया भाव व परोपकार क कारण आज भी

उनको याद कया जाता ह और उनक पजा क जाती ह महान उस को कहा जाता ह

जो परोपकार करता ह वह मनय मनय कहलाता ह जो मनय क लए जीता ह

और मरता ह

5-रहो न भल क कभी मदाघ तछ व म

सनाथ जान आपको करो न गव च म

अनाथ कौन ह यहा लोकनाथ साथ ह

दयाल दन बध क बड़ वशाल हाथ ह

अतीव भायहन ह अधीर भाव जो कर

वह मनय ह क जो मनय क लए मर

सग - तत कवता हमार पाय पतक पश भाग -2 स ल गई ह इसक

कव मथलशरण गत ह इन पितओ म कव कहता ह क सपत पर कभी

घमड नह करना चाहए और कसी को अनाथ नह समझना चाहए यक ईवर

सबक साथ ह

याया - कव कहता ह क भल कर भी कभी सप या यश पर घमड नह करना

चाहए इस बात पर कभी गव नह करना चाहए क हमार साथ हमार अपन का

साथ ह यक कव कहता ह क यहा कौन सा यित अनाथ ह उस ईवर का

साथ सब क साथ ह वह बहत दयावान ह उसका हाथ सबक ऊपर रहता ह कव

कहता ह क वह यित भायहन ह जो इस कार का उतावलापन रखता ह यक

मनय वह यित कहलाता ह जो इन सब चीज स ऊपर उठ कर सोचता ह

6-अनत अतर म अनत दव ह खड़

सम ह वबाह जो बढ़ा रह बड़-बड़

परपरावलब स उठो तथा बढ़ो सभी

अभी अमय-अक म अपक हो चढ़ो सभी

रहो न या क एक स न काम और का सर

वह मनय ह क जो मनय क लए मर

सग - तत कवता हमार पाय पतक पश भाग -2 स ल गई ह इसक

कव मथलशरण गत ह इन पितओ म कव कहता ह क कलक रहत रहन व

दसर का सहारा बनन वाल मवषय का दवता भी वागत करत ह

याया - कव कहता ह क उस कभी न समात होन वाल आकाश म असय

दवता खड़ ह जो परोपकार व दयाल मनय का सामन स खड़ होकर अपनी भजाओ

को फलाकर वागत करत ह इसलए दसर का सहारा बनो और सभी को साथ म

लकर आग बड़ो कव कहता ह क सभी कलक रहत हो कर दवताओ क गोद म

बठो अथात यद कोई बरा काम नह करोग तो दवता तह अपनी गोद म ल लग

अपन मतलब क लए नह जीना चाहए अपना और दसर का कयाण व उधार

करना चाहए यक इस मरणशील ससार म मनय वह ह जो मनय का कयाण

कर व परोपकार कर

7-मनय माा बध ह यह बड़ा ववक ह

पराणपष वयभ पता सध एक ह

फलानसार कम क अवय बाय भद ह

परत अतरय म माणभत वद ह

अनथ ह क बध ह न बध क यथा हर

वह मनय ह क जो मनय क लए मर

सग - तत कवता हमार पाय पतक पश भाग -2 स ल गई ह इसक

कव मथलशरण गत ह इन पितओ म कव कहता ह क हम सब एक ईवर क

सतान ह अतः हम सभी मनय एक - दसर क भाई - बध ह

याया - कव कहता ह क यक मनय एक दसर क भाई - बध ह यह सबस

बड़ी समझ ह पराण म िजस वय उपन पष मना गया ह वह परमामा या

ईवर हम सभी का पता ह अथात सभी मनय उस एक ईवर क सतान ह

बाहर कारण क फल अनसार यक मनय क कम भल ह अलग अलग ह परत

हमार वद इस बात क साी ह क सभी क आमा एक ह कव कहता ह क यद

भाई ह भाई क दःख व कट का नाश नह करगा तो उसका जीना यथ ह यक

मनय वह कहलाता ह जो बर समय म दसर मनय क काम आता ह

8-चलो अभीट माग म सहष खलत हए

वपवन जो पड़ उह ढकलत हए

घट न हलमल हा बढ़ न भनता कभी

अतक एक पथ क सतक पथ ह सभी

तभी समथ भाव ह क तारता हआ तर

वह मनय ह क जो मनय क लए मर

सग - तत कवता हमार पाय पतक पश भाग -2 स ल गई ह इसक

कव मथलशरण गत ह इन पितओ म कव कहता ह क यद हम ख़शी ससार

कट को हटत हए भदभाव रहत रहग तभी सभव ह क समाज क उनत होगी

याया - कव कहता ह क मनय को अपनी इछा स चन हए माग म ख़शी

ख़शी चलना चाहएरात म कोई भी सकट या बाधाए आय उह हटात चल जाना

चाहए मनय को यह यान रखना चाहए क आपसी समझ न बगड़ और भद

भाव न बड़ बना कसी तक वतक क सभी को एक साथ ल कर आग बढ़ना चाहए

तभी यह सभव होगा क मनय दसर क उनत और कयाण क साथ अपनी

समध भी कायम कर

-ननलखत न क उर दिजय ndash

1-कव न कसी मय को समय कहा ह

1-कव न ऐसी मय को समय कहा ह िजसम मनय अपन स पहल दसर क चता

करता ह और परोपकार क राह को चनता ह िजसस उस मरन क बाद भी याद कया

जाता ह

2-उदार यित क पहचान कस हो सकती ह

2- उदार यित परोपकार होता ह वह अपन स पहल दसर क चता करता ह और

लोक कयाण क लए अपना जीवन याग दता ह

3-कव न दधीच कण आद महान यितओ क उदाहरण द कर मनयता क लए

या उदाहरण दया ह

3- कव न दधीच कण आद महान यितओ क उदाहरण द कर मनयता क

लए यह सदश दया ह क परोपकार करन वाला ह असल मनय कहलान योय

होता ह मानवता क रा क लए दधीच न अपन शरर क सार अिथया दान कर

द थीकण न अपनी जान क परवाह कय बना अपना कवच द दया था िजस

कारण उह आज तक याद कया जाता ह कव इन उदाहरण क वारा यह

समझाना चाहता ह क परोपकार ह सची मनयता ह

4- कव न कन पितय म यह यत कया ह क हम गव - रहत जीवन यतीत

करना चाहए

4- कव न ननलखत पितय म गव रहत जीवन यतीत करन क बात कह ह-

रहो न भल क कभी मगाघ तछ व म

सनाथ जान आपको करो न गव च म

अथात सपत क घमड म कभी नह रहना चाहए और न ह इस बात पर गव

करना चाहए क आपक पास आपक अपन का साथ ह यक इस दनया म कोई

भी अनाथ नह ह सब उस परम पता परमवर क सतान ह

5- मनय मा बध ह स आप या समझत ह पट किजए

5- मनय मा बध ह अथात हम सब मनय एक ईवर क सतान ह अतः हम

सब भाई - बध ह भाई -बध होन क नात हम भाईचार क साथ रहना चाहए और

एक दसर का बर समय म साथ दना चाहए

6- कव न सबको एक होकर चलन क रणा य द ह

6- कव न सबको एक होकर चलन क रणा इसलए द ह ताक आपसी समझ न

बगड़ और न ह भदभाव बड़ सब एक साथ एक होकर चलग तो सार बाधाए मट

जाएगी और सबका कयाण और समध होगी

7- यित को कस तरह का जीवन यतीत करना चाहए इस कवता क आधार पर

लखए

7-मनय को परोपकार का जीवन जीना चाहए अपन स पहल दसर क दख क

चता करनी चाहए कवल अपन बार म तो जानवर भी सोचत ह कव क अनसार

मनय वह कहलाता ह जो अपन स पहल दसर क चता कर

8- मनयता कवता क वारा कव या सदश दना चाहता ह

8- मनयता कवता क मायम स कव यह सदश दना चाहता ह क परोपकार ह

सची मनयता ह परोपकार ह एक ऐसा साधन ह िजसक मायम स हम यग तक

लोगो क दल म अपनी जगह बना सकत ह और परोपकार क वारा ह समाज का

कयाण व समध सभव ह अतः हम परोपकार बनना चाहए ताक हम सह

मायन म मनय कहलाय

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-याकरण-

पदबध- परभाषा

पद- वाय स अलग रहन पर शद और वाय म यत हो जान पर शद

पद कहलात ह दसर शद म- वाय म यत शद पद कहलाता ह पदबध-

जब दो या अधक (शद) पद नयत म और निचत अथ म कसी पद का

काय करत ह तो उह पदबध कहत ह

पदबध क भद

मय पद क आधार पर पदबध क पाच कार होत ह-

(1) सा-पदबध (2) वशषण-पदबध

(3) सवनाम पदबध (4) या पदबध

(5) अयय पदबध

(1) सा-पदबध-

(a)चार ताकतवर मजदर इस भार चीज को उठा पाए

(b) राम न लका क राजा रावण को मार गराया

(c) अयोया क राजा दशरथ क चार प थ

(d) आसमान म उड़ता गबारा फट गया

2) वशषण पदबध-

a) तज चलन वाल गाड़या ायः दर स पहचती ह

(b) उस घर क कोन म बठा हआ आदमी जासस ह

(c) उसका घोड़ा अयत सदर फरतीला और आाकार ह

(d) बरगद और पीपल क घनी छाव स हम बहत सख मला

3) सवनाम पदबध-

(a)बजल-सी फरती दखाकर आपन बालक को डबन स बचा लया

(b)शरारत करन वाल छा म स कछ पकड़ गए

(c)वरोध करन वाल लोग म स कोई नह बोला

4) या पदबध-

(a) वह बाजार क ओर आया होगा

(b) मझ मोहन छत स दखाई द रहा ह

(c) सरश नद म डब गया

(d) अब दरवाजा खोला जा सकता ह

5) अयय पदबध-

(a)अपन सामान क साथ वह चला गया

(b)सबह स शाम तक वह बठा रहा

कसी भी भाषा क व शद अयय (Indeclinable या inflexible) कहलात ह िजनक प म

लग वचन पष कारक काल इयाद क कारण कोई वकार उप नह होता

चक अयय का पातर नह होता इसलए ऐस शद अवकार होत ह अयय का शािदक

अथ ह- जो यय न हो

(i) कालवाचक अयय- इनम समय का बोध होता ह जस- आज कल तरत पीछ पहल अब

जब तब कभी-कभी कब अब स नय जब स सदा स अभी तभी आजकल और कभी

उदाहरणाथ-

अब स ऐसी बात नह होगी

ऐसी बात सदा स होती रह ह

वह कब आया मझ पता नह

(ii) थानवाचक अयय- इसस थान का बोध होता ह जस- यहा वहा कहा जहा यहा स

वहा स इधर-उधर उदाहरणाथ-

वह यहा नह ह

वह कहा जायगा

वहा कोई नह ह

जहा तम हो वहा म ह

(iii) दशावाचक अयय- इसस दशा का बोध होता ह जस- इधर उधर िजधर दर पर अलग

दाहन बाए आरपार

(iv) िथतवाचक अयय- नीच ऊपर तल सामन बाहर भीतर इयाद

अयय क भद

अयय ननलखत चार कार क होत ह -

(1) यावशषण (Adverb)

(2) सबधबोधक (Preposition)

(3) समचयबोधक (Conjunction)

(4) वमयादबोधक (Interjection)

(1) यावशषण - िजन शद स या वशषण या दसर यावशषण क वशषता कट

हो उह यावशषण कहत ह

दसर शदो म- जो शद या क वशषता बतलात ह उह या वशषण कहा जाता ह

जस- राम धीर-धीर टहलता ह राम वहा टहलता ह राम अभी टहलता ह

इन वाय म धीर-धीर वहा और अभी राम क टहलन (या) क वशषता बतलात ह य

यावशषण अवकार वशषण भी कहलात ह इसक अतरत यावशषण दसर

यावशषण क भी वशषता बताता ह

वह बहत धीर चलता ह इस वाय म बहत यावशषण ह यक यह दसर यावशषण

धीर क वशषता बतलाता ह

या वशषण क कार

(1) योग क अनसार- (i) साधारण (ii) सयोजक (iii) अनबध

(2) प क अनसार- (i) मल यावशषण (ii) यौगक यावशषण (iii) थानीय यावशषण

(3) अथ क अनसार- (i) परमाणवाचक (ii) रतवाचक

(1) योग क अनसार यावशषण क भद

योग क अनसार यावशषण क तीन भद ह-

(i) साधारण यावशषण- िजन यावशषण का योग कसी वाय म वत होता ह

उह साधारण यावशषण कहा जाता ह

जस- हाय अब म या क बटा जद आओ अर साप कहा गया

(ii) सयोजक यावशषण- िजन यावशषण का सबध कसी उपवाय स रहता ह उह

सयोजक यावशषण कहा जाता ह

जस- जब रोहताव ह नह तो म ह जीकर या कगी जहा अभी सम ह वहा कसी

समय जगल था

(iii) अनबध यावशषण- िजन यावशषण क योग अवधारण (नचय) क लए कसी

भी शदभद क साथ होता हो उह अनबध यावशषण कहा जाता ह

जस- यह तो कसी न धोखा ह दया ह मन उस दखा तक नह

(2) प क अनसार यावशषण क भद

प क अनसार यावशषण क तीन भद ह-

(i) मल यावशषण- ऐस यावशषण जो कसी दसर शद क मल स नह बनत मल

यावशषण कहलात ह

जस- ठक दर अचानक फर नह

(ii) यौगक यावशषण- ऐस यावशषण जो कसी दसर शद म यय या पद जोड़न

पर बनत ह यौगक यावशषण कहलात ह

जस- मन स िजसस चपक स भल स दखत हए यहा तक झट स वहा पर यौगक

यावशषण सा सवनाम वशषण धात और अयय क मल स बनत ह

यौगक यावशषण नीच लख शद क मल स बनत ह-

(i) साओ क वित स- घर-घर घड़ी-घड़ी बीच-बीच हाथ-हाथ

(ii) दो भ साओ क मल स- दन-रात साझ-सबर घर-बाहर दश-वदश

(iii) वशषण क वित स- एक-एक ठक-ठक साफ-साफ

(iv) यावशषण क वित स- धीर-धीर जहा-तहा कब-कब कहा-कहा

(v) दो यावशषण क मल स- जहा-तहा जहा-कह जब-तब जब-कभी कल-परस आस-पास

(vi) दो भ या समान यावशषण क बीच न लगान स- कभी-न-कभी कछ-न-कछ

(vii) अनकरण वाचक शद क वित स- पटपट तड़तड़ सटासट धड़ाधड़

(viii) सा और वशषण क योग स- एक साथ एक बार दो बार

(ix) अय य और दसर शद क मल स- तदन यथाम अनजान आजम

(x) पवकालक कदत और वशषण क मल स- वशषकर बहतकर मयकर एक-एककर

(iii) थानीय यावशषण- ऐस यावशषण जो बना पातर क कसी वशष थान म

आत ह थानीय यावशषण कहलात ह

जस- वह अपना सर पढ़गा

वह दौड़कर चलत ह

--------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------

  • (1) अरथ की दषटि स शबद-भद13
  • (2) परयोग की दषटि स शबद-भद13
  • (3) उतपति की दषटि स शबद-भद13
  • 1) सवर सधि-13
  • परति+छवि=परतिचछवि दिक+अनत=दिगनत दिक+गज=दिगगज अन+छद=अनचछद अच +अनत = अजनत 13
  • 3)विसरग सधि - विसरग क साथ सवर या वयजन का मल होन पर जो विकार होता ह उस 13
  • विसरग सधि कहत ह 13
  • मन+रथ=मनोरथ यश+अभिलाषा=यशोभिलाषा अध+गति=अधोगति नि+छल=निशछल द +गम = दरगम 13
    • -पाठ सार-13
    • -वयाखया13
    • -निमनलिखित परशनो क उततर दीजिय ndash13
    • 1-कवि न कसी मतय को समतय कहा ह13
    • अवयय क भद13
    • करिया विशषण क परकार13
Page 2: Class –X HINDI JUNE SYLLABUS 2020 Chapters:- Ch-1-Sanchayan …punainternationalschool.com/assets/upload/ck-images/Std-10th=Jun… · -harihar kaka . पय-भाग पाठ-3

पय-भाग

पाठ-3

बहार क दोह

-शदाथ

सहत-अछा लगना पत ndashपीला

पट-कपड़ा नीलमण-नीला पवत

आतप ndashधप अह ndashसाप

दरघ-दाघ -चड नदाघ ndashीम ऋत

बतरस -बातचीत

लकाछपी ndashछपना सौह ndashसौगद शपथ

भौहन -भौहो स नट-मना करना

रझत ndashमोहत खझत-गसा करना

भौन ndashभवन सघन ndashघना

पठ-घसना कागद-कागज़

सबस ndashअपनी इछा कसव ndashकण

छाप ndashछापा

-कव का परचय-

बहार लाल का नाम हद साहय क रत काल क कवय म महवपण ह महाकव

बहारलाल का जम 1595 क लगभग वालयर म हआ व जात क माथर चौब थ उनक

पता का नाम कशवराय था उनका बचपन बदलखड म कटा और यवावथा

ससराल मथरा म यतीत हई बहारलाल क एकमा रचना बहार सतसई ह यह मतक

काय ह इसम 719 दोह सकलत ह बहार सतसई गार रस क अयत सध और

अनठ कत ह इसका एक-एक दोहा हद साहय का एक-एक अनमोल रन माना जाता

ह बहारलाल क कवता का मय वषय गार ह उहन गार क सयोग और

वयोग दोन ह प का वणन कया ह सयोग प म बहारलाल न हाव-भाव और

अनभव का बड़ा ह सम चण कया ह उसम बड़ी मामकता ह बहारलाल का वयोग

वणन बड़ा अतशयोित पण ह यह कारण ह क उसम वाभावकता नह ह वरह म

याकल नायका क दबलता का चण करत हए उस घड़ी क पडलम जसा बना दया गया

ह-

भावाथ-

1-सोहत ओढ़ पीत पट याम सलौन गात

मनौ नीलमन सल पर आतप परयौ भात

इस दोह म कव न कण क सावल शरर क सदरता का बखान कया ह कव का कहना ह

क कण क सावल शरर पर पीला व ऐसी शोभा द रहा ह जस नीलमण पहाड़ पर सबह

क सरज क करण पड़ रह ह

2-कहलान एकत बसत अह मयर मग बाघ

जगत तपोवन सौ कयौ दरघ दाघ नदाघ

इस दोह म कव न भर दोपहर स बहाल जगल जानवर क हालत का चण कया ह

भीषण गम स बहाल जानवर एक ह थान पर बठ ह मोर और साप एक साथ बठ ह

हरण और बाघ एक साथ बठ ह कव को लगता ह क गम क कारण जगल कसी तपोवन

क तरह हो गया ह जस तपोवन म वभन इसान आपसी वष को भलाकर एक साथ

बठत ह उसी तरह गम स बहाल य पश भी आपसी वष को भलाकर एक साथ बठ ह

3-बतरस लालच लाल क मरल धर लकाइ

सह कर भहन हस दन कह नट जाइ

इस दोह म कव न गोपय वारा कण क बासर चराए जान का वणन कया ह कव

कहत ह क गोपय न कण क मरल इस लए छपा द ह ताक इसी बहान उह कण

स बात करन का मौका मल जाए साथ म गोपया कण क सामन नखर भी दखा रह ह

व अपनी भौह स तो कसम खा रह ह लकन उनक मह स ना ह नकलता ह

4-कहत नटत रझत खझत मलत खलत लिजयात

भर भौन म करत ह ननन ह सब बात

इस दोह म कव न उस िथत को दशाया ह जब भर भीड़ म भी दो मी बात करत ह

और उसका कसी को पता तक नह चलता ह ऐसी िथत म नायक और नायका आख ह

आख म ठत ह मनात ह मलत ह खल जात ह और कभी कभी शरमात भी ह

5-बठ रह अत सघन बन पठ सदन तन माह

दख दपहर जठ क छाह चाहत छाह

इस दोह म कव न जठ महन क गम का चण कया ह कव का कहना ह क जठ क

गरमी इतनी तज होती ह क छाया भी छाह ढ़ढ़न लगती ह ऐसी गम म छाया भी कह

नजर नह आती वह या तो कह घन जगल म बठ होती ह या फर कसी घर क अदर

6-कागद पर लखत न बनत कहत सदस लजात

कहह सब तरौ हयौ मर हय क बात

इस दोह म कव न उस नायका क मनिथत का चण कया ह जो अपन मी क लए

सदश भजना चाहती ह नायका को इतना लबा सदश भजना ह क वह कागज पर समा

नह पाएगा लकन अपन सदशवाहक क सामन उस वह सब कहन म शम भी आ रह ह

नायका सदशवाहक स कहती ह क तम मर अयत करबी हो इसलए अपन दल स तम

मर दल क बात कह दना

7-गट भए वजराज कल सबस बस ज आइ

मर हरौ कलस सब कसव कसवराइ

कव का कहना ह क ीकण न वय ह ज म चवश म जम लया था मतलब अवतार

लया था बहार क पता का नाम कसवराय था इसलए व कहत ह क ह कण आप तो

मर पता समान ह इसलए मर सार कट को दर किजए

8-जपमाला छाप तलक सर न एकौ काम

मन काच नाच बथा साच राच राम

आडबर और ढ़ग कसी काम क नह होत ह मन तो काच क तरह ण भगर होता ह जो

यथ म ह नाचता रहता ह माला जपन स माथ पर तलक लगान स या हजार बार राम

राम लखन स कछ नह होता ह इन सबक बदल यद सच मन स भ क आराधना क

जाए तो वह यादा साथक होता ह

-न उर

1-छाया कब छाया ढढ़न लगती ह

ीम क जठ मास क दोपहर म धप इतनी तज होती ह क सर पर आन लगती ह िजसस

वतओ क छाया छाया छोट होती जाती ह इसलए कव का कहना ह क जठ क दपहर

क भीषण गम म छाया भी त होकर छाया ढढ़न लगती ह

2-बहार क नायका यह य कहती ह lsquoकहह सब तरौ हयौ मर हय कrsquo बात-पट

किजए

2-बहार क नायका अपन य को प वारा सदश दना चाहती ह पर कागज पर लखत

समय कपकपी और आस आ जात ह नायका वरह क अिन म जल रह ह लखत समय

वह अपन मन क बात बतान म खद को असमथ पाती ह कसी क साथ सदश भजगी तो

कहत लजा आएगी इसलए वह सोचती ह क जो वरह अवथा उसक ह वह उसक य

क भी होगी अतः वह कहती ह क अपन दय क वदना स मर वदना को समझ जाएग

कछ कहन सनन क जरत नह रह जाती

3 सच मन म राम बसत ह-दोह क सदभानसार पट किजए

बहार जी क अनसार भित का सचा प दय क सचाई म नहत ह बहार जी ईवर

ाित क लए धम कमकाड को दखावा समझत थ माला जपन छाप लगवाना माथ पर

तलक लगवान स भ नह मलत जो इन यथ क आडबर म भटकत रहत ह व झठा

दशन करक दनया को धोखा द सकत ह परत भगवान राम तो सच मन क भित स

ह सन होत ह

4 गोपया ीकण क बासर य छपा लती ह

कण जी को अपनी बासर बहत य ह व उस बजात ह रहत ह गोपया कण स बात

करना चाहती ह व कण को रझाना चाहती ह उनका यान अपनी ओर आकषत करन क

लए मरल छपा दती ह ताक बासर क बहान कण उनस बात कर और अधक समय

तक व उनक नकट रह पाए

5 बहार कव न सभी क उपिथत म भी कस बात क जा सकती ह इसका वणन कस

कार कया ह अपन शद म लखए

बहार न बताया ह क घर म सबक उपिथत म नायक और नायका इशार म अपन मन

क बात करत ह नायक न सबक उपिथत म नायका को इशारा कया नायका न इशार

स मना कया नायका क मना करन क तरक पर नायक रझ गया इस रझ पर नायका

खीज उठ दोन क न मल जान पर आख म म वीकत का भाव आता हा इस पर

नायक सन हो जाता ह और नायका क आख म लजा जाती ह

-ननलखत का भाव पट किजए ndash

1-मनौ नीलमनी-सल पर आतप पय भात

इस पित म कण क सदय का वणन ह कण क नील शरर पर पील रग क व ह व

दखन म ऐस तीत होत ह मान नीलमणी पवत पर सबह का सय जगमगा उठा हो

2-जगत तपोबन सौ कयौ दरघ-दाघ नदाघ

इस पित का आशय ह क ीम ऋत क भीषण गम स परा जगल तपोवन जसा पव

बन गया ह सबक आपसी दमनी समात हो गई ह साप हरण और सह सभी गम स

बचन क लए साथ रह रह ह ऐसा तीत होता ह जस तपवी का सानय पाकर य आपसी

वर-भाव भल गए ह

3-जपमाला छाप तलक सर न एकौ काम

मन-काच नाच बथा साच राच राम

इन पितय वारा कव न बाहर आडबर का खडन करक भगवान क सची भित करन

पर बल दया ह इसका भाव ह क माला जपन छाप लगवाना माथ पर तलक लगवान स

एक भी काम नह बनता कच मन वाल का दय डोलता रहता ह व ह ऐसा करत ह

जो इन यथ क आडबर म भटकत रहत ह व झठा दशन करक दनया को धोखा द सकत

ह परत भगवान राम तो सच मन क भित स ह सन होत ह राम तो सच मन स

याद करन वाल क दय म रहत ह

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याकरण-भाग

शद और पद

शद और पद- यहा शद और पद का अतर समझ लना चाहए वनय क मल स शद

बनता ह जस- प+आ+न+ई= पानी यह शद जब वाय म अथवाचक बनकर आय तो वह

पद कहलाता ह

जस- पतक लाओ इस वाय म दो पद ह- एक नामपद पतक ह और दसरा यापद

लाओ ह

शद क भद

अथ योग उप और यप क िट स शद क कई भद ह इनका वणन नन कार

ह-

(1) अथ क िट स शद-भद

(i)साथक शद (ii) नरथक शद

(i)साथक शद- िजस वण समह का पट प स कोई अथ नकल उस साथक शद कहत

जस- कमल खटमल रोट सव आद

(ii)नरथक- िजस वण समह का कोई अथ न नकल उस नरथक शद कहत ह

जस- राट वठा ची वाना वोती आद

साथक शद क अथ होत ह और नरथक शद क अथ नह होत जस- पानी साथक शद

ह और नीपा नरथक शद यक इसका कोई अथ नह

(2) योग क िट स शद-भद

शद क साथक मल स वाय क रचना होती ह वाय क मल स भाषा बनती ह शद

भाषा क ाणवाय होत ह वाय म शद का योग कस प म कया जाता ह इस

आधार पर हम शद को दो वग म बाटत ह

(i)वकार शद (ii)अवकार शद

(i)वकार शद - िजन शद क प म लग वचन कारक क अनसार परवतन का वकार

आता ह उह वकार शद कहत ह

इस हम ऐस भी कह सकत ह- वकार यानी परवतन व शद िजनम लग वचन कारक

आद क कारण वकार (परवतन) आ जाता ह उह वकार शद कहत ह

जस- लग- लड़का पढता ह लड़क पढ़ती ह

वचन- लड़का पढता हलड़क पढ़त ह

कारक- लड़का पढता ह लड़क को पढ़न दो

वकार शद चार कार क होत ह-

(i) सा (noun) (ii) सवनाम (pronoun) (iii) वशषण (adjective) (iv) या (verb)

(ii)अवकार शद -िजन शद क प म कोई परवतन नह होता उह अवकार शद कहत

दसर शद म- अ वकार यानी िजनम परवतन न हो ऐस शद िजनम लग वचन कारक

आद क कारण कोई परवतन नह होता अवकार शद कहलात ह

जस- परत तथा यद धीर-धीर अधक आद

अवकार शद भी चार कार क होत ह-

(i)या-वशषण (Adverb)

(ii)सबध बोधक (Preposition)

(iii)समचय बोधक(Conjunction)

(iv)वमयाद बोधक(Interjection)

(3) उपत क िट स शद-भद

(i)तसम शद (ii )तभव शद (iii )दशज शद एव (iv)वदशी शद

(i) तसम शद - सकत भाषा क व शद जो हद म अपन वातवक प

म यत होत ह उह तसम

शद कहत ह

दसर शद म- तत (उसक) + सम (समान) यानी व शद जो सकत भाषा स

हद भाषा म बना कसी बदलाव (मलप म) क ल लए गए ह तसम शद

कहलात ह

सरल शद म- हद म सकत क मल शद को तसम कहत ह

जस- कव माता वया नद फल पप पतक पवी काय मय आद

यहा सकत क उन तमो क सची ह जो सकत स होत हए हद म आय

ह-

तसम हद तसम हद

आ आम गोमल गोमय गोबर

उ ऊ ट घोटक घोड़ा

चच चच पयक पलग

वरत तरत भ भात

शलाका सलाई हरा हद हरद

गय भाग

पाठ-2

डायर क पन ndashसीताराम सकसरया

-लखक का परचय -

-सीताराम सकसरया को समाज सवा क म सन 1962 म पम भषण स समानत कया

गया था य असम राय स ह

सीताराम सकसरया एक भारतीय वतता कायकता गाधीवाद समाजवाद और पिचम बगाल

क सथा बडर थ जो मारवाड़ी समदाय क उथान क लए उनक योगदान क लए जान जात थ वह

एक उच वयालय सथान मारवाड़ी बालकका वयालय समाज सधार समत एक सामािजक

सगठन और भारतीय भाषा परषद उच शा सथान ी शाशाटन सहत कई सथान और

सगठन क सथापक थ एक गर सरकार सगठन भारत सरकार न समाज म उनक योगदान क लए

उह 1 9 62 म पम भषण का तीसरा सवच नागरक समान दया उनक जीवन क कहानी एक

कताब पम भषण सीताराम सकसरया अभनदन थ म काशत क गई ह िजस भावरमल सह

वारा सपादत कया गया ह और 1 9 74 म काशत कया गया था

-पाठ का सार-

शदाथ-

पराव ndashफर स आना अपन-हम या म

गत-घम घम कर चौकदार करना साजट ndashसना म एक पद

मोनमट-मारक काउिसल-परष

चौरगी-कलकाता का एक थान वालटयर ndashवयम सवक

सगीन ndashगभीर

-न उर-

-ननलखत न क उर (10-12 शद म) लखए minus

1-कलका वासय क लए 26 जनवर 1931 का दन य महवपण था

1-दश का वतता दवस एक वष पहल इसी दन मनाया गया था इसस पहल बगाल

वासय क भमका नह थी अब व य तौर पर जड़ गए इसलए यह महवपण

दन था

2-सभाष बाब क जलस का भार कस पर था

2-सभाषा बाब क जलस का भार पणदास पर था परत पलस न उह पकड़ लया

3-वयाथ सघ क मी अवनाश बाब क झडा गाड़न पर या तया हई

3-बगाल ातीय वयाथ सघ क मी अवनाश बाब न जस ह झडा गाड़ा पलस न

उह पकड़ लया और लोग पर लाठया चलाई

4-लोग अपन-अपन मकान व सावजनक थल पर राय झडा फहराकर कस बात का

सकत दना चाहत थ

4-लोग अपन-अपन मकान व सावजनक थल पर राय झडा फहराकर बताना चाहत

थ क व अपन को आज़ाद समझ कर आज़ाद मना रह ह उनम जोश और उसाह ह

5-पलस न बड़-बड़ पाक और मदान को य घर लया था

5-आज़ाद मनान क लए पर कलका शहर म जनसभाओ और झडारोहण उसव का

आयोजन कया गया इसलए पाक और मदान को घर लया था

-ननलखत न क उर (25-30 शद म) लखए minus

1-26 जनवर 1931 क दन को अमर बनान क लए या-या तयारया क ग

1-26 जनवर 1931 क दन को अमर बनान क लए कलका शहर न शहर म जगह-

जगह झड लगाए गए थ कई थान पर जलस नकाल गए तथा झड़ा फहराया गया

था टोलया बनाकर भीड़ उस थान पर जटन लगी जहा सभाष बाब का जलस पहचना

था पलस क लाठचाज तथा गरफ़तार लोग क जोश को कम न कर पाए

2-आज जो बात थी वह नराल थीrsquo minus कस बात स पता चल रहा था क आज का दन

अपन आप म नराला ह पट किजए

2-आज का दन नराला इसलए था यक वतता दवस मनान क थम आव

थी पलस न सभा करन को गरकाननी कहा था कत सभाष बाब क आवान पर पर

कलका म अनक सगठन क मायम स जलस व सभाओ क जोशील तयार थी परा

शहर झड स सजा था तथा कसल न मोनमद क नीच झडा फहरान और वतता क

ता पढ़न का सरकार को खला चलज दया हआ था पलस भरपर तयार क बाद भी

कामयाब नह हो पाई

3-पलस कमनर क नोटस और कसल क नोटस म या अतर था

3-पलस कमनर न नोटस नकाला था क कोई भी जनसभा करना या जलस

नकालना कानन क खलाफ़ होगा सभाओ म भाग लन वाल को दोषी माना जाएगा

कसल न नोटस नकाला था क मोनमट क नीच चार बजकर चौबीस मनट पर झडा

फहराया जाएगा तथा वतता क ता पढ़ जाएगी इस कार य दोन नोटस एक

दसर क खलाफ़ थ

4-धमतल क मोड़ पर आकर जलस य टट गया

4-जब सभाष बाब को पकड़ लया गया तो िया जलस बनाकर चल परत पलस न

लाठ चाज स उह रोकना चाहा िजसस कछ लोग वह बठ गए कछ घायल हो गए और

कछ पलस वारा गरतार कर लए गए इसलए जलस टट गया

5-डा दासगता जलस म घायल लोग क दख-रख तो कर रह थ उनक फ़ोटो भी

उतरवा रह थ उन लोग क फ़ोटो खीचन क या वजह हो सकती थी पट किजए

5-डा दास गता लोग क फ़ोटो खचवा रह थ इसस अज़ क जम का पदाफ़ाश

कया जा सकता था दसरा यह भी पता चल सकता था क बगाल म वतता क लड़ाई

म बहत काम हो रहा ह

-ननलखत न क उर (50-60 शद म) लखए minus

1-सभाष बाब क जलस म ी समाज क या भमका थी

1-सभाष बाब क जलस म ी समाज क महवपण भमका रह थी भार पलस

यवथा क बाद भी जगह-जगह ी जलस क लए टोलया बन गई थी मोनमट पर

भी िय न नडर होकर झडा फहराया अपनी गरतारया करवाई तथा उनपर लाठया

बरसाई इनसब क बाद भी िया लाल बाज़ार तक आग बढ़ती ग

2-जलस क लाल बाज़ार आन पर लोग क या दशा हई

2-जलस क लाल बाज़ार आन पर भीड़ बकाब हो गई पलस डड बरसा रह थी लोग

को लॉकअप म भज रह थी िया भी अपनी गरफ़तार द रह थी दल क दल नार

लगा रह थ लोग का जोश बढ़ता ह जा रहा था लाठ चाज स लोग घायल हो गए थ

खन बह रहा था चीख पकार मची थी फर भी उसाह बना हआ था

3-जब स कानन भग का काम श हआ ह तब स आज तक इतनी बड़ी सभा ऐस मदान म

नह क गई थी और यह सभा तो कहना चाहए क ओपन लड़ाई थीrsquo यहा पर कौन स और

कसक वारा लाग कए गए कानन को भग करन क बात कह गई ह या कानन भग

करना उचत था पाठ क सदभ म अपन वचार कट किजए

3-इस समय दश क आज़ाद क लए हर यित अपना सवव लटान को तयार था अज़

न कानन बनाकर आदोलन जलस को गर काननी घोषत कया हआ था परत लोग पर

इसका कोई असर नह था व आज़ाद क लए अपना दशन करत रह गलामी क जजीर

को तोड़न का यास करत रह थ

4-बहत स लोग घायल हए बहत को लॉकअप म रखा गया बहत-सी िया जल ग फर

भी इस दन को अपव बताया गया ह आपक वचार म यह सब अपव य ह अपन शद

म लखए

4-सभाष च बोस क नतव म कलका वासय न वतता दवस मनान क तयार ज़ोर-

शोर स क थी पलस क सती लाठ चाज गरफ़तारया इन सब क बाद भी लोग म

जोश बना रहा लोग झड फहरात वद मातरम बोलत हए खन बहात हए भी जलस

नकालन को तपर थ जलस टटता फर बन जाता कलका क इतहास म इतन चड

प म लोग को पहल कभी नह दखा गया था

आशय पट किजए minus

1-आज तो जो कछ हआ वह अपव हआ ह बगाल क नाम या कलका क नाम पर कलक

था क यहा काम नह हो रहा ह वह आज बहत अश म धल गया

1-हजार ी पष न जलस म भाग लया आज़ाद क सालगरह मनान क लए बना

कसी डर क दशन कया पलस क बनाए कानन क जलस आद गर काननी काय आद

क भी परवाह नह क पलस क लाठ चाज होन पर लोग घायल हो गए खन बहन लग

परत लोग म जोश क कोई कमी नह थी बगाल क लए कहा जाता था क वतता क

लए बहत यादा योगदान नह दया जा रहा ह आज क िथत को दखकर उन पर स

यह कलक मट गया

2-खला चलज दकर ऐसी सभा पहल नह क गई थी

2- पलस न कोई दशन न हो इसक लए कानन नकाला क कोई जलस आद आयोिजत

नह होगा परत सभाष बाब क अयता म कसल न नोटस नकाला था क मोनमट क

नीच झडा फहराया जाएगा और वतता क ता पढ़ जाएगी सभी को इसक लए

आमत कया गया खब चार भी हआ सार कलक म झड फहराए गए थ सरकार और

आम जनता म खल लड़ाई थी|

-------------------------------------------------------------------

याकरण-सध

याया -1-सध शद का अथ ह lsquoमलrsquo दो नकटवत वण क आपसी मल स जो परवतन होता

ह उस सध कहलाता ह सम + तोष = सतोष दव + इ = दव भान + उदय = भानदय

सध तीन कार ह

1-वर सध

2- यजन सध

3- वसग सध

1) वर सध-

दो वर क आस -पास आन पर उनम जो परवतन होता ह उस वर सध कहत ह

जस ndash वया + आलय = वयालय

1) दघ वर सध

अ इ उ क बाद दघ अ इ उ आ जाए तो दोनो मलकर दघ सध आ ई ऊ हो जात

अ + आ = आ हम + आलय = हमालय

इ + ई = ई - गर + ईश = गरश

ई + इ = ई - मह + इ = मह

ई + ई = ई - नद + ईश = नदश

उ + ऊ = ऊ- लघ + ऊम = लघम

ऊ + उ = ऊ- वध + उसव = वधसव

ऊ + ऊ = ऊ - भ + ऊव = भव

2) गण वर सध -इस सध म अ आ क आग इ ई हो तो ए उ ऊ हो तो औ और

अगर ऋ हो तो अर हो जाता ह उस गण सध कहत ह

अ + इ = ए- नर + इ = नर अ + ई = ए- नर + ईश = नरश

आ + इ = ए- महा + इ = मह आ + ई = ए महा + ईश = महश

अ + उ = ओ ान + उपदश = ानोपदश आ+उ= ओ महा + उसव = महोसव

3) यण वर सध- इस सध म इ ई उ ऊ और ऋ क बाद कोई अलग वर आए

तो इनका परवतन मश य व और र म हो जाता ह

इ का य = इत +आद = इयाद ई का य = दवी +आवाहन = दयावाहन

उ का व = स +आगत = वागत ऊ का व = वध +आगमन = ववागमन

4) वध वर सध- आ + ए ऐ -gt ऐ

अ आ + ओ औ -gt औ

अ +ए =ऐ एक +एक = एकक अ +ऐ =ऐ मत +ऐय = मतय

अ +औ=औ परम +औषध = परमौषध आ +औ =औ महा +औषध = महौषध

आ +ओ =औ महा +ओघ = महौघ

5)अयाद वर सध- इस सध म ए ऐ और ओ औ क पशचात इह छोड़कर को

अय वर हो तो इनका परवतन मश अय आय अव आव म हो जाता ह )

ए का अय न +अन = नयन ऐ का आय न +अक = नायक

ओ का अव पो +अन = पवन औ का आव पौ +अन = पावन

न का परवतन ण म = ो +अन = वण

2)यजन सध- यजन क साथ वर अथवा यजन क मल स उस यजन म जो

पातरण होता ह उस यजन सध कहत ह

त+छव=तछव दक+अत=दगत

दक+गज=दगज अन+छद=अनछद

अच +अत = अजत

3)वसग सध - वसग क साथ वर या यजन का मल होन पर जो वकार होता ह उस

वसग सध कहत ह

मन+रथ=मनोरथ यश+अभलाषा=यशोभलाषा

अध+गत=अधोगत न+छल=नछल

द +गम = दगम

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गय-भाग

पाठ-12

(ततारा-वामीरो कथा )

(ललाधर मडलोई)

-लखक का परचय- ललाधर मडलोईमडलोई का जम भारतीय

राय मयदश क छदवाडा िजल क गढ़ नामक गाव म हआ मडलोई न भारत म बीए

बीएड (अज़ी) पाकारता म नातक और एमए (हद) तक शा हण कया और

इसक बाद व लदन चल गय जहा स सारण म उच-शा (सीआरट) हण क

मडलोई दरदशन आकाशवाणी क महानदशक सहत कई राय-अतरराय समतय क

साथ ह सार भारती बोड क सदय रह चक ह

-पाठ का सार-

जो सयता िजतनी अधक परानी होगी उतनी ह अधक कस -कहानया उसस जड़ी होती ह जो

हम सनन को मलती ह जो कस - कहानया हम सनन को मलती ह जर नह क वो उसी तरह

घटत हई हो िजस तरह वो हम सनाई जा रह हइतना जर होता ह क इन कस और कहानय

म कोई न कोई सीख छपी होती ह अदमान नकोबार वीपसमह म भी बहत तरह क कस -

कहानया मशहर ह इनम स कछ को ललाधर मडलोई न लखा ह

तत पाठ ततारा वामीरो कथा अडमान नकोबार वीप समह क एक छोट स वीप पर क त ह

उस वीप पर एक -दसर स शता का भाव अपनी अतम सीमा पर पहच चका था इस शता क

भावना को जड़ स उखाड़न क लए एक जोड़ को आमबलदान दना पड़ा था उसी जोड़ क बलदान

का वणन लखक न तत पाठ म कया ह

यार सबको एक साथ लाता ह और नफरत सब क बीच दरय को बढ़ाती हइस बात स भला कौन

इनकार कर सकता ह इसलए जो कोई भी समाज क लए अपन यार का अपन जीवन का

बलदान करता ह समाज न कवल उस याद रखता ह बिक उसक वारा कय गए याग और

बलदान को बकार नह जान दता यह वह कारण ह िजसक वजह स तकालन समाज क सामन

मसाल कायम करन वाल इस जोड़ को आज भी इस वीप क नवासी गव और धा स याद करत

-शदाथ-

-खला-म कड़ी -आदम ndashाभक

-वभत ndashबटा हआ -आमीय ndashअपना

-वलण ndashअसाधारण -बयार-मद हवा

त-एकाता -वकल-बचन

-सचार-उपन -असगत ndashअनचत

समोहतndash मध -झझलाना ndash चड़ना

-रोमाचत ndash पलकत -नचल- िथर

-अफवाह ndash उड़ती खबर -उफनना ndash उबाल आना

शमन ndashशात होना -घपना भकनाचभना

-न-उर-

1-ततारा और वामीरो क गाव क या थी

उर- ततारा और वामीरो क गाव क यह रत थी क ववाह क लए लड़क-लड़क का एक

ह गाव का होना जर था दसर गाव क यवक क साथ सबध असभव था

2-ततारा क तलवार क बार म लोग का या मत था

उर- ततारा क तलवार ययप लकड़ी क थी पर इसक बावजद लोग का मानना था क

उस तलवार म अभत दवीय शित थी ततारा तलवार को कभी अपन स अलग होन नह

दता था लोग यह मानत थ क ततारा अपन साहसक कारनाम इसी तलवार क कारण ह

कर पाता ह उसम बड़ी शित थी

3-नकोबार क लोग ततारा को य पसद करत थ

उर- नकोबार क लोग ततारा को उसक साहसी और परोपकार वभाव क कारण पसद करत

थ वह एक सदर और शितशाल यवक था वह सदा लोग क सहायता करता रहता था

ततारा एक नक और मददगार यित था वह अपन गाव वाल क ह नह समच

वीपवासय क सवा करना अपना धम समझता था सभी उसका आदर करत थ मसीबत

क घड़ी म वह लोग क पास तरत पहच जाता था

4- ाचीन काल म मनोरजन और शित-दशन क लए कस कार क आयोजन कए जात

उर- ाचीन काल म मनोरजन और शित-दशन क लए अ-श चलान सबधी

आयोजन तथा पश पव कए जात थ

5-lsquoततारा-वामीरो कथाrsquo का सदश पट किजए

उर- lsquoततारा-वामीरो कथाrsquo एक लोकगाथा ह इसम यह सदश दया गया ह क म को कसी

बधन जड़ता तथा सीमाओ म बाधना उचत नह ह यद कोई गाव दश या म को

पनपन क लए खला अवसर नह दता तो इसस सवनाश होता ह धरती म भदभाव बढ़त ह

पहल स बट हई धरती और अवसर नह दता तो इसस मानवता का य होता ह भावनाए

एक होन क बजाय खडत होती ह अतः गाव दश या अय सकण नयमो को तोड़कर

हम उदारता क साथ सबको अपनाना चाहए

7-नक ततारा और वामीरो क मय कस हई पठत पाठ क आधार पर लखए

उर- पश-पव क मौक पर ततारा और वामीरो को इकठा दखकर वामीरो क मा ोध म

उफन उठ उसन ततारा को तरह-तरह स अपमानत कया गाव क लोग भी ततारा क

वरोध म आवाज उठान लग यह ततारा क लए अहसनीय था वामीरो अब भी रोए जा रह

थी ततारा भी गस स भर उठा उस जहा ववाह क नषध परपरा पर ोभ था वह अपनी

असहायता पर खीझ वामीरो का दख उस और गहरा कर रहा था उस मालम नह था क

या कदम उठाना चाहए अनायास उसका हाथ तलवार क मढ़ पर जा टका ोध म उसन

तलवार नकाल और कछ वचार करता रहा ोध लगातार अिन क तरह बढ़ रहा था

लोग सहम उठ एक सनाटा-सा खच गया जब कोई राह न सझी तो ोध का शमन करन

क लए उसम शित भर उस धरती म घप दया और ताकत स उस खीचन लगा वह

पसीन स नहा उठा सब घबराए हए थ वह तलवार को अपनी तरफ खीचत-खीचत दर तक

पहच गया वह हाफ रहा था अचानक जहा एक लकर खच गई थी वहा एक दरार होन

लगी मानो धरती दो टकड़ो म बटन लगी हो एक गड़गड़ाहट-सी गजन लगी और लकर क

सीध म धरती फटती ह जा रह थी वीप क अतम सर तक ततारा धरती को मानो ोध

म काटता जा रहा था सभी याकल हो उठ लोग न ऐस य क कपना न क थी व

सहर उठ उधर वामीरो फटती हई धरती क कनार ततारा का नाम पकारत हए दौड़ रह थी

वीप दो टकड़ म वभत हो चका था ततारा और वामीरो वीप क साथ सम म धस

गए और उमय हो गई

8-शाम क समय सम कनार ततारा क ाकतक अनभत का वणन किजए

उर- एक शाम ततारा दन-भर क अथक परम क बाद सम कनार टहलन नकल

पड़ा सरज सम स लग तज तल डबन को था सम स ठडी बयार आ रह थी

पय क सायकालन चाहचाहाहट शनः शनः ीण ह को थी उसका मन शात था

वचारमन ततारा सम बाल पर बठकर सरज क अतम रग-बरगी करण को सम

पर नहारन लगा तभी कह पास म उस मधर गीत गजता सनाई दया गीत मान

बहता हआ उसक तरफ आ रहा हो बीच-बीच म लहर का सगीत सनाई दता गायन

भावी था क वह अपनी सध-बध खोन लगा लहर क एक बल वग न उसक ता भग

क चतय होत ह वह उधर बढ़न को ववश हो उठा िजधर स अब भी गीत क वर बह

रह थ वह वकल-सा उस तरफ़ बढ़ता गया अततः उसक नजर एक यवती पर पड़ी जो

ढलती हई शाम क सदय म बसध एकटक सम क दह पर डबत आकषक रगो को

नहारत हए गा रह थी यह एक शगार गीत था

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Vyakr`-vaKy-

bull वाय क सामन दए कोठक म ( radic का चह लगाकर बताए क वह वाय कस

कार का ह

क) नकोबार उस बहद म करत थ (नवाचक वधानवाचक नषधामक

वमयादबोधक)

ख) तमन एकाएक इतना मधर गाना अधरा य छोड़ दया नवाचक

वधानवाचक नषधामक वमयादबोधक)

ग) वामीरो क मा ोध म उफन उठ (नवाचक वधानवाचक नषधामक

वमयादबोधक)

घ) या तह गाव का नयम नह मालम नवाचक वधानवाचक नषधामक

वमयादबोधक)

ङ) वाह कतना सदर नाम ह (नवाचक वधानवाचक नषधामक

वमयादबोधक)

च) म तहारा राता छोड़ दगा

वमयादबोधक)

उर- क) वधानवाचक

ग) वधानवाचक

ङ) वमयादबोध

Ocirc-इस पाठ म lsquo दखना lsquo या क कई प आए ह

शदयोग म या अतर ह

Ocirc-उर-

म तहारा राता छोड़ दगा (नवाचक वधानवाचक नषधामक

ख) नवाचक

घ) नवा

च) वधानवाचक

या क कई प आए ह lsquo दखना lsquo क इन वभन

वाययोग वारा पट किजए

नषधामक

नवाचक

वधानवाचक

क इन वभन

-वाय क उदाहरण-

सचयन-भाग

पाठ-1 (हरहर काका )

-शदाथ -

तबयत - शरर क िथत यणा - यातना कलश कट

मनःिथत - मन क िथत चद - कछ

आसित ndash लगाव यावहारक - यावहार सबधी

वचारक - वचार सबधी दलार - यार

सयाना - यक बधमान तीा - इतज़ार

फ़लहाल - अभी इस समय मझधार - बीच म

वलन - लत हो जाना वकप - दसरा उपाय

चलत ndash चलनसार जात - जगाना

कलवर - शरर मनौती - मनत

परपरा - था णाल अधकाश - यादातर

समत ndash सथा सचालन - नयण चलाना

नयित - तनाती लगाया गया वमख - तकल

चपट - आघात हार अहाता-चार ओर स दवार स घरा हआ मदान

अखड ndash नवन वफोट - फट कर बाहर नकलना

आगमन - आन पर उपलय - सकत

सराहना ndash शसा निचत - बफ

-लखक का परचय-मथलवर का जम 31 दसबर 1950 को बहार क

भोजपर िजल क बसाडीह नामक गाव म हआ इनक पता व० ो० वशरोपन लाल थ

मथलवर क पता (ो० वशरोपन लाल) भी वलण तभा क धनी थ परत उनक

असाय बीमार न मथलवर क जीवन म आरभ स ह कठन सघष क बीज बो दय थ

पाठ सार-

लखक कहता ह क वह हरहर काका क साथ बहत गहर स जड़ा था लखक का हरहर

काका क त जो यार था वह लखक का उनक यावहार क और उनक वचार क कारण

था और उसक दो कारण थ पहला कारण था क हरहर काका लखक क पड़ोसी थ और

दसरा कारण लखक को उनक मा न बताया था क हरहर काका लखक को बचपन स ह

बहत यादा यार करत थ जब लखक यक हआ तो उसक पहल दोती भी हरहर काका

क साथ ह हई थी लखक क गाव क पव दशा म ठाकर जी का वशाल मदर था िजस

गाव क लोग ठाकरबार यान दवथान कहत थ लोग ठाकर जी स प क मनत मागत

मक़दम म जीत लड़क क शाद कसी अछ घर म हो जाए लड़क को नौकर मल जाए

आद मनत मागत थ मनत पर होन पर लोग अपनी ख़शी स ठाकरजी को पए ज़वर

और अनाज चढ़ाया करत थ िजसको बहत अधक ख़शी होती थी वह अपन खत का छोटा-

सा भाग ठाकरजी क नाम कर दता था और यह एक तरह स था ह बन गई लखक कहता

ह क उसका गाव अब गाव क नाम स नह बिक दव-थान क वजह स ह पहचाना जाता

था उसक गाव का यह दव-थान उस इलाक का सबस बड़ा और सध दवथान था

हरहर काका न अपनी परिथतओ क कारण दव-थान म जाना बद कर दया था मन

बहलान क लए लखक भी कभी-कभी दव-थान चला जाता था लकन लखक कहता ह क

वहा क साध-सत उस बलकल भी पसद नह थ यक व काम करन म कोई दलचपी

नह रखत थ भगवान को भोग लगान क नाम पर व दन क दोन समय हलवा-पड़ी

बनवात थ और आराम स पड़ रहत थ सारा काम वहा आए लोग स सवा करन क नाम पर

करवात थ व खद अगर कोई काम करत थ तो वो था बात बनवान का काम

लखक हरहर काका क बार म बताता हआ कहता ह क हरहर काका और उनक तीन भाई

ह सबक शाद हो चक ह हरहर काका क अतरत सभी तीन भाइय क बाल-बच ह

कछ समय तक तो हरहर काका क सभी चीज़ का अछ स यान रखा गया परत फर

कछ दन बाद हरहर काका को कोई पछन वाला नह था लखक कहता ह क अगर कभी

हरहर काका क शरर क िथत ठक नह होती तो हरहर काका पर मसीबत का पहाड़ ह

गर जाता यक इतन बड़ परवार क रहत हए भी हरहर काका को कोई पानी भी नह

पछता था बारामद क कमर म पड़ हए हरहर काका को अगर कसी चीज़ क जरत होती

तो उह खद ह उठना पड़ता एक दन उनका भतीजा शहर स अपन एक दोत को घर ल

आया उह क आन क ख़शी म दो-तीन तरह क सिज़या बजक चटनी रायता और भी

बहत कछ बना था सब लोग न खाना खा लया और हरहर काका को कोई पछन तक नह

आया हरहर काका गस म बरामद क ओर चल पड़ और जोर-जोर स बोल रह थ क

उनक भाई क पिनया या यह सोचती ह क व उह मत म खाना खला रह ह उनक

खत म उगन वाला अनाज भी इसी घर म आता ह

हरहर काका क गस का महत जी न लाभ उठान क सोची महत जी हरहर काका को

अपन साथ दव-थान ल आए और हरहर काका को समझान लग क उनक भाई का परवार

कवल उनक जमीन क कारण उनस जड़ा हआ ह कसी दन अगर हरहर काका यह कह द

क व अपन खत कसी और क नाम लख रह ह तो व लोग तो उनस बात करना भी बद

कर दग खन क रत ख़म हो जायग महत हरहर काका स कहता ह क उनक हस म

िजतन खत ह व उनको भगवान क नाम लख द ऐसा करन स उह सीध वग क ाित

होगी

सबह होत ह हरहर काका क तीन भाई दव-थान पहच गए तीन हरहर काका क पाव म

गर कर रोन लग और अपनी पिनय क गलती क माफ़ मागन लग और कहन लग क

व अपनी पिनय को उनक साथ कए गए इस तरह क यवहार क सज़ा दग हरहर काका

क मन म दया का भाव जाग गया और व फर स घर वापस लौट कर आ गए जब अपन

भाइय क समझान क बाद हरहर काका घर वापस आए तो घर म और घर वाल क

यवहार म आए बदलाव को दख कर बहत खश हो गए घर क सभी छोट-बड़ सभी लोग

हरहर काका का आदर-सकार करन लग

गाव क लोग जब भी कह बठत तो बात का ऐसा सलसला चलता िजसका कोई अत नह

था हर जगह बस उह क बात होती थी कछ लोग कहत क हरहर काका को अपनी

जमीन भगवान क नाम लख दनी चाहए इसस उम और अछा कछ नह हो सकता

इसस हरहर काका को कभी न ख़म होन वाल सध ात होगी इसक वपरत कछ

लोग क यह मानत थ क भाई का परवार भी तो अपना ह परवार होता ह अपनी

जायदाद उह न दना उनक साथ अयाय करना होगा हरहर काका क भाई उनस ाथना

करन लग क व अपन हस क जमीन को उनक नाम लखवा द इस वषय पर हरहर

काका न बहत सोचा और अत म इस परणाम पर पहच क अपन जीत-जी अपनी जायदाद

का वामी कसी और को बनाना ठक नह होगा फर चाह वह अपना भाई हो या मदर का

महत यक उह अपन गाव और इलाक क व कछ लोग याद आए िजहन अपनी िजदगी

म ह अपनी जायदाद को अपन रतदार या कसी और क नाम लखवा दया था उनका

जीवन बाद म कसी क क तरह हो गया था उह कोई पछन वाला भी नह था हरहर

काका बलकल भी पढ़-लख नह थ परत उह अपन जीवन म एकदम हए बदलाव को

समझन म कोई गलती नह हई और उहन फसला कर लया क व जीत-जी कसी को भी

अपनी जमीन नह लखग

लखक कहता ह क जस-जस समय बीत रहा था महत जी क परशानया बढ़ती जा

रह थी उह लग रहा था क उहन हरहर काका को फसान क लए जो जाल फ का

था हरहर काका उसस बाहर नकल गए ह यह बात महत जी को सहन नह हो रह

थी आधी रात क आस-पास दव-थान क साध-सत और उनक कछ साथी भाला

गड़ासा और बदक क साथ अचानक ह हरहर काका क आगन म आ गए इसस

पहल हरहर काका क भाई कछ सोच और कसी को अपनी सहायता क लए आवाज

लगा कर बलाए तब तक बहत दर हो गई थी हमला करन वाल हरहर काका को

अपनी पीठ पर डाल कर कह गायब हो गए थव हरहर काका को दव-थान ल गए

थ एक ओर तो दव-थान क अदर जबरदती हरहर काका क अगठ का नशान लन

और पकड़कर समझान का काम चल रहा था तो वह दसर ओर हरहर काका क

तीन भाई सबह होन स पहल ह पलस क जीप को लकर दव-थान पर पहच गए

थ महत और उनक साथय न हरहर काका को कमर म हाथ और पाव बाध कर

रखा था और साथ ह साथ उनक मह म कपड़ा ठसा गया था ताक व आवाज़ न कर

सक परत हरहर काका दरवाज़ तक लढ़कत हए आ गए थ और दरवाज़ पर अपन

पर स धका लगा रह थ ताक बाहर खड़ उनक भाई और पलस उह बचा सक

दरवाज़ा खोल कर हरहर काका को बधन स मत कया गया हरहर काका न

पलस को बताया क व लोग उह उस कमर म इस तरह बाध कर कह गत

दरवाज़ स भाग गए ह और उहन कछ खल और कछ लख हए कागज पर हरहर

काका क अगठ क नशान जबरदती लए ह

यह सब बीत जान क बाद हरहर काका फर स अपन भाइय क परवार क साथ रहन लग

गए थ चौबीस घट पहर दए जान लग थ यहा तक क अगर हरहर काका को कसी

काम क कारण गाव म जाना पड़ता तो हथयार क साथ चार-पाच लोग हमशा ह उनक

साथ रहन लग लखक कहता ह क हरहर काका क साथ जो कछ भी हआ था उसस हरहर

काका एक सीध-साद और भोल कसान क तलना म चालाक और बधमान हो गए थ

उह अब सब कछ समझ म आन लगा था क उनक भाइय का अचानक स उनक त जो

यवहार परवतन हो गया था उनक लए जो आदर-समान और सरा व दान कर रह थ

वह उनका कोई सग भाइय का यार नह था बिक व सब कछ उनक धन-दौलत क कारण

कर रह ह नह तो व हरहर काका को पछत तक नह जब स हरहर काका दव-थान स

वापस घर आए थ उसी दन स ह हरहर काका क भाई और उनक दसर नात-रतदार

सभी यह सोच रह थ क हरहर काका को क़ाननी तरक स उनक जायदाद को उनक

भतीज क नाम कर दना चाहए यक जब तक हरहर काका ऐसा नह करग तब तक

महत क तज़ नज़र उन पर टक रहगी जब हरहर काका क भाई हरहर काका को

समझात-समझात थक गए तो उहन हरहर काका को डाटना और उन पर दवाब डालना

श कर दया एक रात हरहर काका क भाइय न भी उसी तरह का यवहार करना श

कर दया जसा महत और उनक सहयोगय न कया था उह धमकात हए कह रह थ क

ख़शी-ख़शी कागज़ पर जहा-जहा जरत ह वहा-वहा अगठ क नशान लगत जाओ नह तो व

उह मार कर वह घर क अदर ह गाड़ दग और गाव क लोगो को इस बार म कोई सचना

भी नह मलगी हरहर काका क साथ अब उनक भाइय क मारपीट श हो गई जब

हरहर काका अपन भाइय का मकाबला नह कर पा रह थ तो उहन ज़ोर-ज़ोर स

चलाकर अपनी मदद क लए गाव वाल को आवाज लगाना श कर दया तब उनक

भाइय को यान आया क उह हरहर काका का मह पहल ह बद करना चाहए था उहन

उसी पल हरहर काका को जमीन पर पटका और उनक मह म कपड़ा ठस दया लकन तब

तक बहत दर हो गई थी हरहर काका क आवाज बाहर गाव म पहच गई थी हरहर काका

क परवार और रत-नात क लोग जब तक गाव वाल कोसमझात क यह सब उनक

परवार का आपसी मामला ह व सभी इसस दर रह तब तक महत जी बड़ी ह दता और

तज़ी स वहा पलस क जीप क साथ आ गए पलस न पर घर क अछ स तलाशी लना

श कर दया फर घर क अदर स हरहर काका को इतनी बर हालत म हासल कया गया

िजतनी बर हालत उनक दव-थान म भी नह हई थी हरहर काका न बताया क उनक

भाइय न उनक साथ बहत ह यादा बरा यवहार कया ह जबरदती बहत स कागज पर

उनक अगठ क नशान ल लए ह उह बहत यादा मारा-पीटा ह

इस घटना क बाद हरहर काका अपन परवार स एकदम अलग रहन लग थ उह उनक

सरा क लए चार राइफलधार पलस क जवान मल थ आचय क बात तो यह ह क

इसक लए उनक भाइय और महत क ओर स काफ़ यास कए गए थ असल म भाइय

को चता थी क हरहर काका अकल रहन लगग तो दव-थान क महत-पजार फर स

हरहर काका को बहला-फसला कर ल जायग और जमीन दव-थान क नाम करवा लग और

यह चता महत जी को भी थी क हरहर काका को अकला और असरत पा उनक भाई

फर स उह पकड़ कर मारग और जमीन को अपन नाम करवा लग लखक कहता ह क

हरहर काका स जड़ी बहत सी ख़बर गाव म फल रह थी जस-जस दन बड़ रह थ वस-वस

डर का मौहोल बन रहा था सभी लोग सफ यह सोच रह थ क हरहर काका न अमत तो

पया हआ ह नह तो मरना तो उनको एक दन ह ह और जब व मरग तो पर गाव म

तफ़ान आ जाएगा यक महत और हरहर काका क परवार क बीच जमीन को ल कर

लड़ाई हो जायगी

पलस क जवान हरहर काका क खच पर ह खब मौज-मती स रह रह थ िजसका धन

वह रह उपास खान वाल कर वलास अथात हरहर काका क पास धन था लकन उनक लए

अब उसका कोई महव नह था और पलस वाल बना कसी कारण स ह हरहर काका क

धन स मौज कर रह थ अब तक जो नह खाया था दोन वत उसका भोग लगा रह थ

-नोर-

1-कथावाचक और हरहर काका क बीच या सबध ह और इसक या कारण ह

1-कथावाचक जब छोटा था तब स ह हरहर काका उस बहत यार करत थ जब वह बड़ हो

गए तो वह हरहर काका क म बन गए गाव म इतनी गहर दोती और कसी स नह

हई हरहर काका उनस खल कर बात करत थ यह कारण ह क कथावाचक को उनक

एक-एक पल क खबर थी शायद अपना म बनान क लए काका न वय ह उस यार स

बड़ा कया और इतजार कया

2-हरहर काका को महत और भाई एक ह णी क य लगन लग

2-हरहर काका को अपन भाइय और महत म कोई अतर नह लगा दोन एक ह णी क

लग उनक भाइय क पिनय न कछ दन तक तो हरहर काका का यान रखा फर

बचीकची रोटया द नाता नह दत थ बमार म कोई पछन वाला भी न था िजतना भी

उह रखा जा रहा था उनक ज़मीन क लए था इसी तरह महत न एक दन तो बड़ यार

स खातर क फर ज़मीन अपन ठाकर बाड़ी क नाम करन क लए कहन लग काका क

मना करन पर उह अनक यातनाए द अपहरण करवाया मह म कपड़ा ठस कर एक कोठर

म बद कर दया जबरदती अगठ का नशान लया गया तथा उह मारा पीटा गया इस

तरह दोन ह कवल ज़मीन जायदाद क लए हरहर काका स यवहार रखत थ अत उह

दोन एक ह णी क लग

3-ठाकर बाड़ी क त गाव वाल क मन म अपार धा क जो भाव ह उसस उनक कस

मनोव का पता चलता ह

3-कहा जाता ह गाव क लोग भोल होत ह असल म गाव क लोग अधववासी धमभी होत

ह मदर जस थान को पव नकलक ान का तीक मानत ह पजार परोहत महत

जस िजतन भी धम क ठकदार ह उनपर अगाध धा रखत ह व चाह कतन भी

पतत वाथ और नीच ह पर उनका वरोध करत व डरत ह इसी कारण ठाकर बाड़ी क

त गाव वाल क अपार धा थी उनका हर सख-दख उसस जड़ा था

4-अनपढ़ होत हए भी हरहर काका दनया क बहतर समझ रखत ह कहानी क आधार पर

पट किजए

4-हरहर काका अनपढ़ थ फर भी उह दनयादार क बहद समझ थी उनक भाई लोग

उनस ज़बरदती ज़मीन अपन नाम करान क लए डरात थ तो उह गाव म दखावा करक

ज़मीन हथयान वालो क याद आती ह काका न उह दखी होत दखा ह इसलए उहन

ठान लया था चाह महत उकसाए चाह भाई दखावा कर वह ज़मीन कसी को भी नह दग

एक बार महत क उकसान पर भाइय क त धोखा नह करना चाहत थ परत जब भाइय

न भी धोखा दया तो उह समझ म आ गया उनक त उह कोई यार नह ह जो यार

दखात ह वह कवल ज़ायदाद क लए ह

5-हरहर काका को जबरन उठा ल जान वाल कौन थ उहन उनक साथ कसा यवहार

कया

5-महत न हरहर काका को बहत लोभन दए िजसस वह अपनी ज़मीन जायदाद ठाकर

बाड़ी क नाम कर द परत काका इस बात क लए तयार नह थ व सोच रह थ क या

भगवान क लए अपन भाइय स धोखा क यह उह सह भी नह लग रहा था महत को

यह बात पता लगी तो उसन छल और बल स रात क समय अकल दालान म सोत हए

हरहर काका को उठवा लया महत न अपन चल साधसतो क साथ मलकर उनक हाथ पर

बाध दए मह म कपड़ा ठस दया और जबरदती अगठ क नशान लए उह एक कमर म

बद कर दया जब पलस आई तो वय गत दरवाज़ स भाग गए

6-हरहर काका क मामल म गाव वाल क या राय थी और उसक या कारण थ

6-कहानी क आधार पर गाव क लोग को बना बताए पता चल गया क हरहर काका को

उनक भाई नह पछत इसलए सख आराम का लोभन दकर महत उह अपन साथ ल

गया भाई मनत करक काका को वापस ल आत ह इस तरह गाव क लोग दो प म

बट गए कछ लोग महत क तरफ़ थ जो चाहत थ क काका अपनी ज़मीन धम क नाम पर

ठाकर बाड़ी को द द ताक उह सख आराम मल मय क बाद मो यश मल महत ानी

ह वह सब कछ जानता ह लकन दसर प क लोग कहत क ज़मीन परवार वालो को द

जाए उनका कहना था इसस उनक परवार का पट भरगा मदर को ज़मीन दना अयाय

होगा इस तरह दोन प अपन-अपन हसाब स सोच रह थ परत हरहर काका क बार म

कोई नह सोच रहा था इन बात का एक कारण यह भी था क काका वधर थ और उनक

कोई सतान भी नह थी पह बीघ ज़मीन क लए इनका लालच वाभवक था

7-कहानी क आधार पर पट किजए क लखक न यह य कहा अान क िथत म ह

मनय मय स डरत ह ान होन क बाद तो आदमी आवयकता पड़न पर मय को वरण

करन क लए तयार हो जाता ह

7-जब काका को असलयत पता चल और उह समझ म आ गया क सब लोग उनक

ज़मीन जायदाद क पीछ ह तो उह व सभी लोग याद आ गए िजहन परवार वालो क मोह

माया म आकर अपनी ज़मीन उनक नाम कर द और मय तक तलतल करक मरत

रह दान-दान को मोहताज़ हो गए इसलए उहन सोचा क इस तरह रहन स तो एक बार

मरना अछा ह जीत जी ज़मीन कसी को भी नह दग य लोग मझ एक बार म ह मार

द अत लखक न कहा क अान क िथत म मनय मय स डरता ह परत ान होन

पर मय वरण को तयार रहता ह

8-समाज म रत क या अहमयत ह इस वषय पर अपन वचार कट किजए

8-आज समाज म मानवीय मय तथा पारवारक मय धीर-धीर समात होत जा रह ह

यादातर यित अपन वाथ क लए रत नभात ह अपनी आवयकताओ क हसाब स

मलत ह अमीर रतदार का समान करत ह उनस मलन को आतर रहत ह जबक गरब

रतदार स कतरात ह कवल वाथ सध क अहमयत रह गई ह आए दन हम

अखबार म समाचार पढ़त ह क ज़मीन जाय़दाद पस जवर क लए लोग घनौन स घनौना

काय कर जात ह (हया अपहरण आद) इसी कार इस कहानी म भी पलस न पहचती तो

परवार वाल महत जी (काका क) हया ह कर दत उह यह अफसोस रहा क व काका को

मार नह पाए

9-यद आपक आसपास हरहर काका जसी हालत म कोई हो तो आप उसक कस कार

मदद करग

9-यद हमार आसपास हरहर काका जसी हालत म कोई हो तो हम उसक पर तरह मदद

करन क कोशश करग उनस मलकर उनक दख का कारण पता करग उह अहसास

दलाएग क व अकल नह ह सबस पहल तो यह ववास कराएग क सभी यित लालची

नह होत ह इस तरह मौन रह कर दसर को मौका न द बिक उलास स शष जीवन

बताए रतदार स मलकर उनक सबध सधारन का यन करग

10-हरहर काका क गाव म यद मीडया क पहच होती तो उनक या िथत होती अपन

शद म लखए

10-यद काका क गाव म मीडया पहच जाती तो सबक पोल खल जाती महत व भाइय का

पदाफाश हो जाता अपहरण और जबरन अगठा लगवान क अपराध म उह जल हो जाती

अपना-अपना मोचा सभालना - अपनी िजमदार नबाहना

आसमान स जमीन पर गरना -उच िथत स नन िथत पर आना

खल कर बात करना- बना सकच क बात करना |

चपत हो जाना ndash भाग जाना |

जी-जान स जट जाना ndash खब महनत करना

िजतन मह उतनी बात होना- कई तरह क बात करना |

ततर-बतर होना ndash बखर जाना |

त-त म -म होना -झगड़ा होना |

नमक-मच लगाना- बढ़ा-चढ़कर कहना|

बात बनाना- बहान बनाना|

रग चढ़ना- असर होना|

मह न खोलना ndash कछ न बताना |

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पय-भाग

पाठ-4

मनयता ndashमथलशरण गत

-लखक का परचय-

-पाठ का सार व पिटकरण-

कत क अय ाणय क तलना म मनय म सोचन क शित अधक होती ह

वह अपन ह नह दसर क सख - दःख का भी याल रखता ह और दसर क लए

कछ करन म समथ होता ह जानवर जब चरागाह म जात ह तो कवल अपन लए

चर कर आत ह परत मनय ऐसा नह ह वह जो कछ भी कमाता ह जो कछ भी

बनाता ह वह दसर क लए भी करता ह और दसर क सहायता स भी करता ह

तत पाठ का कव अपन क सख - दःख क चता करन वाल को मनय तो

मानता ह परत यह मानन को तयार नह ह क उन मनय म मनयता क सार

गण होत ह कव कवल उन मनय को महान मानता ह जो अपन क सख - दःख

स पहल दसर क चता करत ह वह मनय म ऐस गण चाहता ह िजसक कारण

कोई भी मनय इस मयलोक स चल जान क बाद भी सदय तक दसर क याद म

रहता ह अथात वह मय क बाद भी अमर रहता ह

-पाठ सार-

इस कवता म कव मनयता का सह अथ समझान का यास कर रहा ह पहल

भाग म कव कहता ह क मय स नह डरना चाहए यक मय तो निचत ह पर

हम ऐसा कछ करना चाहए क लोग हम मय क बाद भी याद रख असल मनय

वह ह जो दसर क लए जीना व मरना सीख ल दसर भाग म कव कहता ह क

हम उदार बनना चाहए यक उदार मनय का हर जगह गण गान होता ह मनय

वह कहलाता ह जो दसर क चता कर तीसर भाग म कव कहता ह क पराण

म उन लोग क बहत उदाहरण ह िजह उनक याग भाव क लए आज भी याद

कया जाता ह सचा मनय वह ह जो याग भाव जान ल चौथ भाग म कव

कहता ह क मनय क मन म दया और कणा का भाव होना चाहए मनय वह

कहलाता ह जो दसर क लए मरता और जीता ह पाचव भाग म कव कहना चाहता

ह क यहा कोई अनाथ नह ह यक हम सब उस एक ईवर क सतान ह हम

भदभाव स ऊपर उठ कर सोचना चाहएछठ भाग म कव कहना चाहता ह क हम

दयाल बनना चाहए यक दयाल और परोपकार मनय का दवता भी वागत करत

ह अतः हम दसर का परोपकार व कयाण करना चाहएसातव भाग म कव कहता

ह क मनय क बाहर कम अलग अलग हो परत हमार वद साी ह क सभी क

आमा एक ह हम सब एक ह ईवर क सतान ह अतः सभी मनय भाई -बध ह

और मनय वह ह जो दःख म दसर मनय क काम आयअतम भाग म कव

कहना चाहता ह क वप और वन को हटात हए मनय को अपन चन हए रात

पर चलना चाहए आपसी समझ को बनाय रखना चाहए और भदभाव को नह

बढ़ाना चाहए ऐसी सोच वाला मनय ह अपना और दसर का कयाण और उधार

कर सकता ह

-याया

1-वचार लो क मय हो न मय स डरो कभी

मरो परत य मरो क याद जो कर सभी

हई न य समय तो वथा मर वथा िजए

मारा नह वह क जो िजया न आपक लए

वह पश- वत ह क आप आप ह चर

वह मनय ह क जो मनय क लए मर

सग - तत कवता हमार पाय पतक पश भाग -2 स ल गई ह इसक

कव मथलशरण गत ह इन पितओ म कव बताना चाहता ह क मनय को

कसा जीवन जीना चाहए

याया - कव कहता ह क हम यह जान लना चाहए क मय का होना निचत

ह हम मय स नह डरना चाहए कव कहता ह क हम कछ ऐसा करना चाहए क

लोग हम मरन क बाद भी याद रख जो मनय दसर क लए कछ भी ना कर सक

उनका जीना और मरना दोन बकार ह मर कर भी वह मनय कभी नह मरता जो

अपन लए नह दसर क लए जीता ह यक अपन लए तो जानवर भी जीत ह

कव क अनसार मनय वह ह जो दसर मनय क लए मर अथात जो मनय दसर

क चता कर वह असल मनय कहलाता ह

2-उसी उदार क कथा सरवती बखानती

उसी उदार स धरा कताथ भाव मानती

उसी उदार क सदा सजीव कत कजती

तथा उसी उदार को समत सिट पजती

अखड आम भाव जो असीम वव म भर

वह मनय ह क जो मनय क लए मर

सग - तत कवता हमार पाय पतक पश भाग -2 स ल गई ह इसक

कव मथलशरण गत ह इन पितओ म कव बताना चाहता ह क जो मनय

दसर क लए जीत ह उनका गणगान यग - यग तक कया जाता ह

याया - कव कहता ह क जो मनय अपन पर जीवन म दसर क चता करता

ह उस महान यित क कथा का गण गान सरवती अथात पतक म कया जाता

ह पर धरती उस महान यित क आभार रहती ह उस यित क बातचीत

हमशा जीवत यित क तरह क जाती ह और पर सिट उसक पजा करती ह

कव कहता ह क जो यित पर ससार को अखड भाव और भाईचार क भावना म

बाधता ह वह यित सह मायन म मनय कहलान योय होता ह

3-धात रतदव न दया करथ थाल भी

तथा दधीच न दया पराथ अिथजाल भी

उशीनर तीश न वमास दान भी कया

सहष वीर कण न शरर-चम भी दया

अनय दह क लए अनाद जीव या डर

वह मनय ह क जो मनय क लए मर

सग - तत कवता हमार पाय पतक पश भाग -2 स ल गई ह इसक

कव मथलशरण गत ह इन पितओ म कव न महान पष क उदाहरण दए ह

िजनक महानता क कारण उह याद कया जाता ह

याया - कव कहता ह क पौराणक कथाए ऐस यितओ क उदाहरण स भर

पड़ी ह िजहन अपना परा जीवन दसर क लए याग दया िजस कारण उह आज

तक याद कया जाता ह भख स परशान रतदव न अपन हाथ क आखर थाल भी

दान कर द थी और महष दधीच न तो अपन पर शरर क हडया व बनान क

लए दान कर द थी उशीनर दश क राजा शब न कबतर क जान बचान क लए

अपना परा मास दान कर दया था वीर कण न अपनी ख़शी स अपन शरर का

कवच दान कर दया था कव कहना चाहता ह क मनय इस नवर शरर क लए

य डरता ह यक मनय वह कहलाता ह जो दसर क लए अपन आप को याग

दता ह

4-सहानभत चाहए महावभत ह यह

वशीकता सदव ह बनी हई वय मह

वधभाव बध का दया-वाह म बहा

वनीत लोकवग या न सामन झका रहा

अहा वह उदार ह परोपकार जो कर

वह मनय ह क जो मनय क लए मर

सग - तत कवता हमार पाय पतक पश भाग -2 स ल गई ह इसक

कव मथलशरण गत ह इन पितओ म कव न महामा बध का उदाहरण दत

हए दया कणा को सबस बड़ा धन बताया ह

याया - कव कहता ह क मनय क मन म दया व कणा का भाव होना चाहए

यह सबस बड़ा धन ह वय ईवर भी ऐस लोग क साथ रहत ह इसका सबस

बड़ा उदाहरण महामा बध ह िजनस लोग का दःख नह दखा गया तो व लोक

कयाण क लए दनया क नयम क वध चल गए इसक लए या परा ससार

उनक सामन नह झकता अथात उनक दया भाव व परोपकार क कारण आज भी

उनको याद कया जाता ह और उनक पजा क जाती ह महान उस को कहा जाता ह

जो परोपकार करता ह वह मनय मनय कहलाता ह जो मनय क लए जीता ह

और मरता ह

5-रहो न भल क कभी मदाघ तछ व म

सनाथ जान आपको करो न गव च म

अनाथ कौन ह यहा लोकनाथ साथ ह

दयाल दन बध क बड़ वशाल हाथ ह

अतीव भायहन ह अधीर भाव जो कर

वह मनय ह क जो मनय क लए मर

सग - तत कवता हमार पाय पतक पश भाग -2 स ल गई ह इसक

कव मथलशरण गत ह इन पितओ म कव कहता ह क सपत पर कभी

घमड नह करना चाहए और कसी को अनाथ नह समझना चाहए यक ईवर

सबक साथ ह

याया - कव कहता ह क भल कर भी कभी सप या यश पर घमड नह करना

चाहए इस बात पर कभी गव नह करना चाहए क हमार साथ हमार अपन का

साथ ह यक कव कहता ह क यहा कौन सा यित अनाथ ह उस ईवर का

साथ सब क साथ ह वह बहत दयावान ह उसका हाथ सबक ऊपर रहता ह कव

कहता ह क वह यित भायहन ह जो इस कार का उतावलापन रखता ह यक

मनय वह यित कहलाता ह जो इन सब चीज स ऊपर उठ कर सोचता ह

6-अनत अतर म अनत दव ह खड़

सम ह वबाह जो बढ़ा रह बड़-बड़

परपरावलब स उठो तथा बढ़ो सभी

अभी अमय-अक म अपक हो चढ़ो सभी

रहो न या क एक स न काम और का सर

वह मनय ह क जो मनय क लए मर

सग - तत कवता हमार पाय पतक पश भाग -2 स ल गई ह इसक

कव मथलशरण गत ह इन पितओ म कव कहता ह क कलक रहत रहन व

दसर का सहारा बनन वाल मवषय का दवता भी वागत करत ह

याया - कव कहता ह क उस कभी न समात होन वाल आकाश म असय

दवता खड़ ह जो परोपकार व दयाल मनय का सामन स खड़ होकर अपनी भजाओ

को फलाकर वागत करत ह इसलए दसर का सहारा बनो और सभी को साथ म

लकर आग बड़ो कव कहता ह क सभी कलक रहत हो कर दवताओ क गोद म

बठो अथात यद कोई बरा काम नह करोग तो दवता तह अपनी गोद म ल लग

अपन मतलब क लए नह जीना चाहए अपना और दसर का कयाण व उधार

करना चाहए यक इस मरणशील ससार म मनय वह ह जो मनय का कयाण

कर व परोपकार कर

7-मनय माा बध ह यह बड़ा ववक ह

पराणपष वयभ पता सध एक ह

फलानसार कम क अवय बाय भद ह

परत अतरय म माणभत वद ह

अनथ ह क बध ह न बध क यथा हर

वह मनय ह क जो मनय क लए मर

सग - तत कवता हमार पाय पतक पश भाग -2 स ल गई ह इसक

कव मथलशरण गत ह इन पितओ म कव कहता ह क हम सब एक ईवर क

सतान ह अतः हम सभी मनय एक - दसर क भाई - बध ह

याया - कव कहता ह क यक मनय एक दसर क भाई - बध ह यह सबस

बड़ी समझ ह पराण म िजस वय उपन पष मना गया ह वह परमामा या

ईवर हम सभी का पता ह अथात सभी मनय उस एक ईवर क सतान ह

बाहर कारण क फल अनसार यक मनय क कम भल ह अलग अलग ह परत

हमार वद इस बात क साी ह क सभी क आमा एक ह कव कहता ह क यद

भाई ह भाई क दःख व कट का नाश नह करगा तो उसका जीना यथ ह यक

मनय वह कहलाता ह जो बर समय म दसर मनय क काम आता ह

8-चलो अभीट माग म सहष खलत हए

वपवन जो पड़ उह ढकलत हए

घट न हलमल हा बढ़ न भनता कभी

अतक एक पथ क सतक पथ ह सभी

तभी समथ भाव ह क तारता हआ तर

वह मनय ह क जो मनय क लए मर

सग - तत कवता हमार पाय पतक पश भाग -2 स ल गई ह इसक

कव मथलशरण गत ह इन पितओ म कव कहता ह क यद हम ख़शी ससार

कट को हटत हए भदभाव रहत रहग तभी सभव ह क समाज क उनत होगी

याया - कव कहता ह क मनय को अपनी इछा स चन हए माग म ख़शी

ख़शी चलना चाहएरात म कोई भी सकट या बाधाए आय उह हटात चल जाना

चाहए मनय को यह यान रखना चाहए क आपसी समझ न बगड़ और भद

भाव न बड़ बना कसी तक वतक क सभी को एक साथ ल कर आग बढ़ना चाहए

तभी यह सभव होगा क मनय दसर क उनत और कयाण क साथ अपनी

समध भी कायम कर

-ननलखत न क उर दिजय ndash

1-कव न कसी मय को समय कहा ह

1-कव न ऐसी मय को समय कहा ह िजसम मनय अपन स पहल दसर क चता

करता ह और परोपकार क राह को चनता ह िजसस उस मरन क बाद भी याद कया

जाता ह

2-उदार यित क पहचान कस हो सकती ह

2- उदार यित परोपकार होता ह वह अपन स पहल दसर क चता करता ह और

लोक कयाण क लए अपना जीवन याग दता ह

3-कव न दधीच कण आद महान यितओ क उदाहरण द कर मनयता क लए

या उदाहरण दया ह

3- कव न दधीच कण आद महान यितओ क उदाहरण द कर मनयता क

लए यह सदश दया ह क परोपकार करन वाला ह असल मनय कहलान योय

होता ह मानवता क रा क लए दधीच न अपन शरर क सार अिथया दान कर

द थीकण न अपनी जान क परवाह कय बना अपना कवच द दया था िजस

कारण उह आज तक याद कया जाता ह कव इन उदाहरण क वारा यह

समझाना चाहता ह क परोपकार ह सची मनयता ह

4- कव न कन पितय म यह यत कया ह क हम गव - रहत जीवन यतीत

करना चाहए

4- कव न ननलखत पितय म गव रहत जीवन यतीत करन क बात कह ह-

रहो न भल क कभी मगाघ तछ व म

सनाथ जान आपको करो न गव च म

अथात सपत क घमड म कभी नह रहना चाहए और न ह इस बात पर गव

करना चाहए क आपक पास आपक अपन का साथ ह यक इस दनया म कोई

भी अनाथ नह ह सब उस परम पता परमवर क सतान ह

5- मनय मा बध ह स आप या समझत ह पट किजए

5- मनय मा बध ह अथात हम सब मनय एक ईवर क सतान ह अतः हम

सब भाई - बध ह भाई -बध होन क नात हम भाईचार क साथ रहना चाहए और

एक दसर का बर समय म साथ दना चाहए

6- कव न सबको एक होकर चलन क रणा य द ह

6- कव न सबको एक होकर चलन क रणा इसलए द ह ताक आपसी समझ न

बगड़ और न ह भदभाव बड़ सब एक साथ एक होकर चलग तो सार बाधाए मट

जाएगी और सबका कयाण और समध होगी

7- यित को कस तरह का जीवन यतीत करना चाहए इस कवता क आधार पर

लखए

7-मनय को परोपकार का जीवन जीना चाहए अपन स पहल दसर क दख क

चता करनी चाहए कवल अपन बार म तो जानवर भी सोचत ह कव क अनसार

मनय वह कहलाता ह जो अपन स पहल दसर क चता कर

8- मनयता कवता क वारा कव या सदश दना चाहता ह

8- मनयता कवता क मायम स कव यह सदश दना चाहता ह क परोपकार ह

सची मनयता ह परोपकार ह एक ऐसा साधन ह िजसक मायम स हम यग तक

लोगो क दल म अपनी जगह बना सकत ह और परोपकार क वारा ह समाज का

कयाण व समध सभव ह अतः हम परोपकार बनना चाहए ताक हम सह

मायन म मनय कहलाय

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-याकरण-

पदबध- परभाषा

पद- वाय स अलग रहन पर शद और वाय म यत हो जान पर शद

पद कहलात ह दसर शद म- वाय म यत शद पद कहलाता ह पदबध-

जब दो या अधक (शद) पद नयत म और निचत अथ म कसी पद का

काय करत ह तो उह पदबध कहत ह

पदबध क भद

मय पद क आधार पर पदबध क पाच कार होत ह-

(1) सा-पदबध (2) वशषण-पदबध

(3) सवनाम पदबध (4) या पदबध

(5) अयय पदबध

(1) सा-पदबध-

(a)चार ताकतवर मजदर इस भार चीज को उठा पाए

(b) राम न लका क राजा रावण को मार गराया

(c) अयोया क राजा दशरथ क चार प थ

(d) आसमान म उड़ता गबारा फट गया

2) वशषण पदबध-

a) तज चलन वाल गाड़या ायः दर स पहचती ह

(b) उस घर क कोन म बठा हआ आदमी जासस ह

(c) उसका घोड़ा अयत सदर फरतीला और आाकार ह

(d) बरगद और पीपल क घनी छाव स हम बहत सख मला

3) सवनाम पदबध-

(a)बजल-सी फरती दखाकर आपन बालक को डबन स बचा लया

(b)शरारत करन वाल छा म स कछ पकड़ गए

(c)वरोध करन वाल लोग म स कोई नह बोला

4) या पदबध-

(a) वह बाजार क ओर आया होगा

(b) मझ मोहन छत स दखाई द रहा ह

(c) सरश नद म डब गया

(d) अब दरवाजा खोला जा सकता ह

5) अयय पदबध-

(a)अपन सामान क साथ वह चला गया

(b)सबह स शाम तक वह बठा रहा

कसी भी भाषा क व शद अयय (Indeclinable या inflexible) कहलात ह िजनक प म

लग वचन पष कारक काल इयाद क कारण कोई वकार उप नह होता

चक अयय का पातर नह होता इसलए ऐस शद अवकार होत ह अयय का शािदक

अथ ह- जो यय न हो

(i) कालवाचक अयय- इनम समय का बोध होता ह जस- आज कल तरत पीछ पहल अब

जब तब कभी-कभी कब अब स नय जब स सदा स अभी तभी आजकल और कभी

उदाहरणाथ-

अब स ऐसी बात नह होगी

ऐसी बात सदा स होती रह ह

वह कब आया मझ पता नह

(ii) थानवाचक अयय- इसस थान का बोध होता ह जस- यहा वहा कहा जहा यहा स

वहा स इधर-उधर उदाहरणाथ-

वह यहा नह ह

वह कहा जायगा

वहा कोई नह ह

जहा तम हो वहा म ह

(iii) दशावाचक अयय- इसस दशा का बोध होता ह जस- इधर उधर िजधर दर पर अलग

दाहन बाए आरपार

(iv) िथतवाचक अयय- नीच ऊपर तल सामन बाहर भीतर इयाद

अयय क भद

अयय ननलखत चार कार क होत ह -

(1) यावशषण (Adverb)

(2) सबधबोधक (Preposition)

(3) समचयबोधक (Conjunction)

(4) वमयादबोधक (Interjection)

(1) यावशषण - िजन शद स या वशषण या दसर यावशषण क वशषता कट

हो उह यावशषण कहत ह

दसर शदो म- जो शद या क वशषता बतलात ह उह या वशषण कहा जाता ह

जस- राम धीर-धीर टहलता ह राम वहा टहलता ह राम अभी टहलता ह

इन वाय म धीर-धीर वहा और अभी राम क टहलन (या) क वशषता बतलात ह य

यावशषण अवकार वशषण भी कहलात ह इसक अतरत यावशषण दसर

यावशषण क भी वशषता बताता ह

वह बहत धीर चलता ह इस वाय म बहत यावशषण ह यक यह दसर यावशषण

धीर क वशषता बतलाता ह

या वशषण क कार

(1) योग क अनसार- (i) साधारण (ii) सयोजक (iii) अनबध

(2) प क अनसार- (i) मल यावशषण (ii) यौगक यावशषण (iii) थानीय यावशषण

(3) अथ क अनसार- (i) परमाणवाचक (ii) रतवाचक

(1) योग क अनसार यावशषण क भद

योग क अनसार यावशषण क तीन भद ह-

(i) साधारण यावशषण- िजन यावशषण का योग कसी वाय म वत होता ह

उह साधारण यावशषण कहा जाता ह

जस- हाय अब म या क बटा जद आओ अर साप कहा गया

(ii) सयोजक यावशषण- िजन यावशषण का सबध कसी उपवाय स रहता ह उह

सयोजक यावशषण कहा जाता ह

जस- जब रोहताव ह नह तो म ह जीकर या कगी जहा अभी सम ह वहा कसी

समय जगल था

(iii) अनबध यावशषण- िजन यावशषण क योग अवधारण (नचय) क लए कसी

भी शदभद क साथ होता हो उह अनबध यावशषण कहा जाता ह

जस- यह तो कसी न धोखा ह दया ह मन उस दखा तक नह

(2) प क अनसार यावशषण क भद

प क अनसार यावशषण क तीन भद ह-

(i) मल यावशषण- ऐस यावशषण जो कसी दसर शद क मल स नह बनत मल

यावशषण कहलात ह

जस- ठक दर अचानक फर नह

(ii) यौगक यावशषण- ऐस यावशषण जो कसी दसर शद म यय या पद जोड़न

पर बनत ह यौगक यावशषण कहलात ह

जस- मन स िजसस चपक स भल स दखत हए यहा तक झट स वहा पर यौगक

यावशषण सा सवनाम वशषण धात और अयय क मल स बनत ह

यौगक यावशषण नीच लख शद क मल स बनत ह-

(i) साओ क वित स- घर-घर घड़ी-घड़ी बीच-बीच हाथ-हाथ

(ii) दो भ साओ क मल स- दन-रात साझ-सबर घर-बाहर दश-वदश

(iii) वशषण क वित स- एक-एक ठक-ठक साफ-साफ

(iv) यावशषण क वित स- धीर-धीर जहा-तहा कब-कब कहा-कहा

(v) दो यावशषण क मल स- जहा-तहा जहा-कह जब-तब जब-कभी कल-परस आस-पास

(vi) दो भ या समान यावशषण क बीच न लगान स- कभी-न-कभी कछ-न-कछ

(vii) अनकरण वाचक शद क वित स- पटपट तड़तड़ सटासट धड़ाधड़

(viii) सा और वशषण क योग स- एक साथ एक बार दो बार

(ix) अय य और दसर शद क मल स- तदन यथाम अनजान आजम

(x) पवकालक कदत और वशषण क मल स- वशषकर बहतकर मयकर एक-एककर

(iii) थानीय यावशषण- ऐस यावशषण जो बना पातर क कसी वशष थान म

आत ह थानीय यावशषण कहलात ह

जस- वह अपना सर पढ़गा

वह दौड़कर चलत ह

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  • (1) अरथ की दषटि स शबद-भद13
  • (2) परयोग की दषटि स शबद-भद13
  • (3) उतपति की दषटि स शबद-भद13
  • 1) सवर सधि-13
  • परति+छवि=परतिचछवि दिक+अनत=दिगनत दिक+गज=दिगगज अन+छद=अनचछद अच +अनत = अजनत 13
  • 3)विसरग सधि - विसरग क साथ सवर या वयजन का मल होन पर जो विकार होता ह उस 13
  • विसरग सधि कहत ह 13
  • मन+रथ=मनोरथ यश+अभिलाषा=यशोभिलाषा अध+गति=अधोगति नि+छल=निशछल द +गम = दरगम 13
    • -पाठ सार-13
    • -वयाखया13
    • -निमनलिखित परशनो क उततर दीजिय ndash13
    • 1-कवि न कसी मतय को समतय कहा ह13
    • अवयय क भद13
    • करिया विशषण क परकार13
Page 3: Class –X HINDI JUNE SYLLABUS 2020 Chapters:- Ch-1-Sanchayan …punainternationalschool.com/assets/upload/ck-images/Std-10th=Jun… · -harihar kaka . पय-भाग पाठ-3

भावाथ-

1-सोहत ओढ़ पीत पट याम सलौन गात

मनौ नीलमन सल पर आतप परयौ भात

इस दोह म कव न कण क सावल शरर क सदरता का बखान कया ह कव का कहना ह

क कण क सावल शरर पर पीला व ऐसी शोभा द रहा ह जस नीलमण पहाड़ पर सबह

क सरज क करण पड़ रह ह

2-कहलान एकत बसत अह मयर मग बाघ

जगत तपोवन सौ कयौ दरघ दाघ नदाघ

इस दोह म कव न भर दोपहर स बहाल जगल जानवर क हालत का चण कया ह

भीषण गम स बहाल जानवर एक ह थान पर बठ ह मोर और साप एक साथ बठ ह

हरण और बाघ एक साथ बठ ह कव को लगता ह क गम क कारण जगल कसी तपोवन

क तरह हो गया ह जस तपोवन म वभन इसान आपसी वष को भलाकर एक साथ

बठत ह उसी तरह गम स बहाल य पश भी आपसी वष को भलाकर एक साथ बठ ह

3-बतरस लालच लाल क मरल धर लकाइ

सह कर भहन हस दन कह नट जाइ

इस दोह म कव न गोपय वारा कण क बासर चराए जान का वणन कया ह कव

कहत ह क गोपय न कण क मरल इस लए छपा द ह ताक इसी बहान उह कण

स बात करन का मौका मल जाए साथ म गोपया कण क सामन नखर भी दखा रह ह

व अपनी भौह स तो कसम खा रह ह लकन उनक मह स ना ह नकलता ह

4-कहत नटत रझत खझत मलत खलत लिजयात

भर भौन म करत ह ननन ह सब बात

इस दोह म कव न उस िथत को दशाया ह जब भर भीड़ म भी दो मी बात करत ह

और उसका कसी को पता तक नह चलता ह ऐसी िथत म नायक और नायका आख ह

आख म ठत ह मनात ह मलत ह खल जात ह और कभी कभी शरमात भी ह

5-बठ रह अत सघन बन पठ सदन तन माह

दख दपहर जठ क छाह चाहत छाह

इस दोह म कव न जठ महन क गम का चण कया ह कव का कहना ह क जठ क

गरमी इतनी तज होती ह क छाया भी छाह ढ़ढ़न लगती ह ऐसी गम म छाया भी कह

नजर नह आती वह या तो कह घन जगल म बठ होती ह या फर कसी घर क अदर

6-कागद पर लखत न बनत कहत सदस लजात

कहह सब तरौ हयौ मर हय क बात

इस दोह म कव न उस नायका क मनिथत का चण कया ह जो अपन मी क लए

सदश भजना चाहती ह नायका को इतना लबा सदश भजना ह क वह कागज पर समा

नह पाएगा लकन अपन सदशवाहक क सामन उस वह सब कहन म शम भी आ रह ह

नायका सदशवाहक स कहती ह क तम मर अयत करबी हो इसलए अपन दल स तम

मर दल क बात कह दना

7-गट भए वजराज कल सबस बस ज आइ

मर हरौ कलस सब कसव कसवराइ

कव का कहना ह क ीकण न वय ह ज म चवश म जम लया था मतलब अवतार

लया था बहार क पता का नाम कसवराय था इसलए व कहत ह क ह कण आप तो

मर पता समान ह इसलए मर सार कट को दर किजए

8-जपमाला छाप तलक सर न एकौ काम

मन काच नाच बथा साच राच राम

आडबर और ढ़ग कसी काम क नह होत ह मन तो काच क तरह ण भगर होता ह जो

यथ म ह नाचता रहता ह माला जपन स माथ पर तलक लगान स या हजार बार राम

राम लखन स कछ नह होता ह इन सबक बदल यद सच मन स भ क आराधना क

जाए तो वह यादा साथक होता ह

-न उर

1-छाया कब छाया ढढ़न लगती ह

ीम क जठ मास क दोपहर म धप इतनी तज होती ह क सर पर आन लगती ह िजसस

वतओ क छाया छाया छोट होती जाती ह इसलए कव का कहना ह क जठ क दपहर

क भीषण गम म छाया भी त होकर छाया ढढ़न लगती ह

2-बहार क नायका यह य कहती ह lsquoकहह सब तरौ हयौ मर हय कrsquo बात-पट

किजए

2-बहार क नायका अपन य को प वारा सदश दना चाहती ह पर कागज पर लखत

समय कपकपी और आस आ जात ह नायका वरह क अिन म जल रह ह लखत समय

वह अपन मन क बात बतान म खद को असमथ पाती ह कसी क साथ सदश भजगी तो

कहत लजा आएगी इसलए वह सोचती ह क जो वरह अवथा उसक ह वह उसक य

क भी होगी अतः वह कहती ह क अपन दय क वदना स मर वदना को समझ जाएग

कछ कहन सनन क जरत नह रह जाती

3 सच मन म राम बसत ह-दोह क सदभानसार पट किजए

बहार जी क अनसार भित का सचा प दय क सचाई म नहत ह बहार जी ईवर

ाित क लए धम कमकाड को दखावा समझत थ माला जपन छाप लगवाना माथ पर

तलक लगवान स भ नह मलत जो इन यथ क आडबर म भटकत रहत ह व झठा

दशन करक दनया को धोखा द सकत ह परत भगवान राम तो सच मन क भित स

ह सन होत ह

4 गोपया ीकण क बासर य छपा लती ह

कण जी को अपनी बासर बहत य ह व उस बजात ह रहत ह गोपया कण स बात

करना चाहती ह व कण को रझाना चाहती ह उनका यान अपनी ओर आकषत करन क

लए मरल छपा दती ह ताक बासर क बहान कण उनस बात कर और अधक समय

तक व उनक नकट रह पाए

5 बहार कव न सभी क उपिथत म भी कस बात क जा सकती ह इसका वणन कस

कार कया ह अपन शद म लखए

बहार न बताया ह क घर म सबक उपिथत म नायक और नायका इशार म अपन मन

क बात करत ह नायक न सबक उपिथत म नायका को इशारा कया नायका न इशार

स मना कया नायका क मना करन क तरक पर नायक रझ गया इस रझ पर नायका

खीज उठ दोन क न मल जान पर आख म म वीकत का भाव आता हा इस पर

नायक सन हो जाता ह और नायका क आख म लजा जाती ह

-ननलखत का भाव पट किजए ndash

1-मनौ नीलमनी-सल पर आतप पय भात

इस पित म कण क सदय का वणन ह कण क नील शरर पर पील रग क व ह व

दखन म ऐस तीत होत ह मान नीलमणी पवत पर सबह का सय जगमगा उठा हो

2-जगत तपोबन सौ कयौ दरघ-दाघ नदाघ

इस पित का आशय ह क ीम ऋत क भीषण गम स परा जगल तपोवन जसा पव

बन गया ह सबक आपसी दमनी समात हो गई ह साप हरण और सह सभी गम स

बचन क लए साथ रह रह ह ऐसा तीत होता ह जस तपवी का सानय पाकर य आपसी

वर-भाव भल गए ह

3-जपमाला छाप तलक सर न एकौ काम

मन-काच नाच बथा साच राच राम

इन पितय वारा कव न बाहर आडबर का खडन करक भगवान क सची भित करन

पर बल दया ह इसका भाव ह क माला जपन छाप लगवाना माथ पर तलक लगवान स

एक भी काम नह बनता कच मन वाल का दय डोलता रहता ह व ह ऐसा करत ह

जो इन यथ क आडबर म भटकत रहत ह व झठा दशन करक दनया को धोखा द सकत

ह परत भगवान राम तो सच मन क भित स ह सन होत ह राम तो सच मन स

याद करन वाल क दय म रहत ह

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याकरण-भाग

शद और पद

शद और पद- यहा शद और पद का अतर समझ लना चाहए वनय क मल स शद

बनता ह जस- प+आ+न+ई= पानी यह शद जब वाय म अथवाचक बनकर आय तो वह

पद कहलाता ह

जस- पतक लाओ इस वाय म दो पद ह- एक नामपद पतक ह और दसरा यापद

लाओ ह

शद क भद

अथ योग उप और यप क िट स शद क कई भद ह इनका वणन नन कार

ह-

(1) अथ क िट स शद-भद

(i)साथक शद (ii) नरथक शद

(i)साथक शद- िजस वण समह का पट प स कोई अथ नकल उस साथक शद कहत

जस- कमल खटमल रोट सव आद

(ii)नरथक- िजस वण समह का कोई अथ न नकल उस नरथक शद कहत ह

जस- राट वठा ची वाना वोती आद

साथक शद क अथ होत ह और नरथक शद क अथ नह होत जस- पानी साथक शद

ह और नीपा नरथक शद यक इसका कोई अथ नह

(2) योग क िट स शद-भद

शद क साथक मल स वाय क रचना होती ह वाय क मल स भाषा बनती ह शद

भाषा क ाणवाय होत ह वाय म शद का योग कस प म कया जाता ह इस

आधार पर हम शद को दो वग म बाटत ह

(i)वकार शद (ii)अवकार शद

(i)वकार शद - िजन शद क प म लग वचन कारक क अनसार परवतन का वकार

आता ह उह वकार शद कहत ह

इस हम ऐस भी कह सकत ह- वकार यानी परवतन व शद िजनम लग वचन कारक

आद क कारण वकार (परवतन) आ जाता ह उह वकार शद कहत ह

जस- लग- लड़का पढता ह लड़क पढ़ती ह

वचन- लड़का पढता हलड़क पढ़त ह

कारक- लड़का पढता ह लड़क को पढ़न दो

वकार शद चार कार क होत ह-

(i) सा (noun) (ii) सवनाम (pronoun) (iii) वशषण (adjective) (iv) या (verb)

(ii)अवकार शद -िजन शद क प म कोई परवतन नह होता उह अवकार शद कहत

दसर शद म- अ वकार यानी िजनम परवतन न हो ऐस शद िजनम लग वचन कारक

आद क कारण कोई परवतन नह होता अवकार शद कहलात ह

जस- परत तथा यद धीर-धीर अधक आद

अवकार शद भी चार कार क होत ह-

(i)या-वशषण (Adverb)

(ii)सबध बोधक (Preposition)

(iii)समचय बोधक(Conjunction)

(iv)वमयाद बोधक(Interjection)

(3) उपत क िट स शद-भद

(i)तसम शद (ii )तभव शद (iii )दशज शद एव (iv)वदशी शद

(i) तसम शद - सकत भाषा क व शद जो हद म अपन वातवक प

म यत होत ह उह तसम

शद कहत ह

दसर शद म- तत (उसक) + सम (समान) यानी व शद जो सकत भाषा स

हद भाषा म बना कसी बदलाव (मलप म) क ल लए गए ह तसम शद

कहलात ह

सरल शद म- हद म सकत क मल शद को तसम कहत ह

जस- कव माता वया नद फल पप पतक पवी काय मय आद

यहा सकत क उन तमो क सची ह जो सकत स होत हए हद म आय

ह-

तसम हद तसम हद

आ आम गोमल गोमय गोबर

उ ऊ ट घोटक घोड़ा

चच चच पयक पलग

वरत तरत भ भात

शलाका सलाई हरा हद हरद

गय भाग

पाठ-2

डायर क पन ndashसीताराम सकसरया

-लखक का परचय -

-सीताराम सकसरया को समाज सवा क म सन 1962 म पम भषण स समानत कया

गया था य असम राय स ह

सीताराम सकसरया एक भारतीय वतता कायकता गाधीवाद समाजवाद और पिचम बगाल

क सथा बडर थ जो मारवाड़ी समदाय क उथान क लए उनक योगदान क लए जान जात थ वह

एक उच वयालय सथान मारवाड़ी बालकका वयालय समाज सधार समत एक सामािजक

सगठन और भारतीय भाषा परषद उच शा सथान ी शाशाटन सहत कई सथान और

सगठन क सथापक थ एक गर सरकार सगठन भारत सरकार न समाज म उनक योगदान क लए

उह 1 9 62 म पम भषण का तीसरा सवच नागरक समान दया उनक जीवन क कहानी एक

कताब पम भषण सीताराम सकसरया अभनदन थ म काशत क गई ह िजस भावरमल सह

वारा सपादत कया गया ह और 1 9 74 म काशत कया गया था

-पाठ का सार-

शदाथ-

पराव ndashफर स आना अपन-हम या म

गत-घम घम कर चौकदार करना साजट ndashसना म एक पद

मोनमट-मारक काउिसल-परष

चौरगी-कलकाता का एक थान वालटयर ndashवयम सवक

सगीन ndashगभीर

-न उर-

-ननलखत न क उर (10-12 शद म) लखए minus

1-कलका वासय क लए 26 जनवर 1931 का दन य महवपण था

1-दश का वतता दवस एक वष पहल इसी दन मनाया गया था इसस पहल बगाल

वासय क भमका नह थी अब व य तौर पर जड़ गए इसलए यह महवपण

दन था

2-सभाष बाब क जलस का भार कस पर था

2-सभाषा बाब क जलस का भार पणदास पर था परत पलस न उह पकड़ लया

3-वयाथ सघ क मी अवनाश बाब क झडा गाड़न पर या तया हई

3-बगाल ातीय वयाथ सघ क मी अवनाश बाब न जस ह झडा गाड़ा पलस न

उह पकड़ लया और लोग पर लाठया चलाई

4-लोग अपन-अपन मकान व सावजनक थल पर राय झडा फहराकर कस बात का

सकत दना चाहत थ

4-लोग अपन-अपन मकान व सावजनक थल पर राय झडा फहराकर बताना चाहत

थ क व अपन को आज़ाद समझ कर आज़ाद मना रह ह उनम जोश और उसाह ह

5-पलस न बड़-बड़ पाक और मदान को य घर लया था

5-आज़ाद मनान क लए पर कलका शहर म जनसभाओ और झडारोहण उसव का

आयोजन कया गया इसलए पाक और मदान को घर लया था

-ननलखत न क उर (25-30 शद म) लखए minus

1-26 जनवर 1931 क दन को अमर बनान क लए या-या तयारया क ग

1-26 जनवर 1931 क दन को अमर बनान क लए कलका शहर न शहर म जगह-

जगह झड लगाए गए थ कई थान पर जलस नकाल गए तथा झड़ा फहराया गया

था टोलया बनाकर भीड़ उस थान पर जटन लगी जहा सभाष बाब का जलस पहचना

था पलस क लाठचाज तथा गरफ़तार लोग क जोश को कम न कर पाए

2-आज जो बात थी वह नराल थीrsquo minus कस बात स पता चल रहा था क आज का दन

अपन आप म नराला ह पट किजए

2-आज का दन नराला इसलए था यक वतता दवस मनान क थम आव

थी पलस न सभा करन को गरकाननी कहा था कत सभाष बाब क आवान पर पर

कलका म अनक सगठन क मायम स जलस व सभाओ क जोशील तयार थी परा

शहर झड स सजा था तथा कसल न मोनमद क नीच झडा फहरान और वतता क

ता पढ़न का सरकार को खला चलज दया हआ था पलस भरपर तयार क बाद भी

कामयाब नह हो पाई

3-पलस कमनर क नोटस और कसल क नोटस म या अतर था

3-पलस कमनर न नोटस नकाला था क कोई भी जनसभा करना या जलस

नकालना कानन क खलाफ़ होगा सभाओ म भाग लन वाल को दोषी माना जाएगा

कसल न नोटस नकाला था क मोनमट क नीच चार बजकर चौबीस मनट पर झडा

फहराया जाएगा तथा वतता क ता पढ़ जाएगी इस कार य दोन नोटस एक

दसर क खलाफ़ थ

4-धमतल क मोड़ पर आकर जलस य टट गया

4-जब सभाष बाब को पकड़ लया गया तो िया जलस बनाकर चल परत पलस न

लाठ चाज स उह रोकना चाहा िजसस कछ लोग वह बठ गए कछ घायल हो गए और

कछ पलस वारा गरतार कर लए गए इसलए जलस टट गया

5-डा दासगता जलस म घायल लोग क दख-रख तो कर रह थ उनक फ़ोटो भी

उतरवा रह थ उन लोग क फ़ोटो खीचन क या वजह हो सकती थी पट किजए

5-डा दास गता लोग क फ़ोटो खचवा रह थ इसस अज़ क जम का पदाफ़ाश

कया जा सकता था दसरा यह भी पता चल सकता था क बगाल म वतता क लड़ाई

म बहत काम हो रहा ह

-ननलखत न क उर (50-60 शद म) लखए minus

1-सभाष बाब क जलस म ी समाज क या भमका थी

1-सभाष बाब क जलस म ी समाज क महवपण भमका रह थी भार पलस

यवथा क बाद भी जगह-जगह ी जलस क लए टोलया बन गई थी मोनमट पर

भी िय न नडर होकर झडा फहराया अपनी गरतारया करवाई तथा उनपर लाठया

बरसाई इनसब क बाद भी िया लाल बाज़ार तक आग बढ़ती ग

2-जलस क लाल बाज़ार आन पर लोग क या दशा हई

2-जलस क लाल बाज़ार आन पर भीड़ बकाब हो गई पलस डड बरसा रह थी लोग

को लॉकअप म भज रह थी िया भी अपनी गरफ़तार द रह थी दल क दल नार

लगा रह थ लोग का जोश बढ़ता ह जा रहा था लाठ चाज स लोग घायल हो गए थ

खन बह रहा था चीख पकार मची थी फर भी उसाह बना हआ था

3-जब स कानन भग का काम श हआ ह तब स आज तक इतनी बड़ी सभा ऐस मदान म

नह क गई थी और यह सभा तो कहना चाहए क ओपन लड़ाई थीrsquo यहा पर कौन स और

कसक वारा लाग कए गए कानन को भग करन क बात कह गई ह या कानन भग

करना उचत था पाठ क सदभ म अपन वचार कट किजए

3-इस समय दश क आज़ाद क लए हर यित अपना सवव लटान को तयार था अज़

न कानन बनाकर आदोलन जलस को गर काननी घोषत कया हआ था परत लोग पर

इसका कोई असर नह था व आज़ाद क लए अपना दशन करत रह गलामी क जजीर

को तोड़न का यास करत रह थ

4-बहत स लोग घायल हए बहत को लॉकअप म रखा गया बहत-सी िया जल ग फर

भी इस दन को अपव बताया गया ह आपक वचार म यह सब अपव य ह अपन शद

म लखए

4-सभाष च बोस क नतव म कलका वासय न वतता दवस मनान क तयार ज़ोर-

शोर स क थी पलस क सती लाठ चाज गरफ़तारया इन सब क बाद भी लोग म

जोश बना रहा लोग झड फहरात वद मातरम बोलत हए खन बहात हए भी जलस

नकालन को तपर थ जलस टटता फर बन जाता कलका क इतहास म इतन चड

प म लोग को पहल कभी नह दखा गया था

आशय पट किजए minus

1-आज तो जो कछ हआ वह अपव हआ ह बगाल क नाम या कलका क नाम पर कलक

था क यहा काम नह हो रहा ह वह आज बहत अश म धल गया

1-हजार ी पष न जलस म भाग लया आज़ाद क सालगरह मनान क लए बना

कसी डर क दशन कया पलस क बनाए कानन क जलस आद गर काननी काय आद

क भी परवाह नह क पलस क लाठ चाज होन पर लोग घायल हो गए खन बहन लग

परत लोग म जोश क कोई कमी नह थी बगाल क लए कहा जाता था क वतता क

लए बहत यादा योगदान नह दया जा रहा ह आज क िथत को दखकर उन पर स

यह कलक मट गया

2-खला चलज दकर ऐसी सभा पहल नह क गई थी

2- पलस न कोई दशन न हो इसक लए कानन नकाला क कोई जलस आद आयोिजत

नह होगा परत सभाष बाब क अयता म कसल न नोटस नकाला था क मोनमट क

नीच झडा फहराया जाएगा और वतता क ता पढ़ जाएगी सभी को इसक लए

आमत कया गया खब चार भी हआ सार कलक म झड फहराए गए थ सरकार और

आम जनता म खल लड़ाई थी|

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याकरण-सध

याया -1-सध शद का अथ ह lsquoमलrsquo दो नकटवत वण क आपसी मल स जो परवतन होता

ह उस सध कहलाता ह सम + तोष = सतोष दव + इ = दव भान + उदय = भानदय

सध तीन कार ह

1-वर सध

2- यजन सध

3- वसग सध

1) वर सध-

दो वर क आस -पास आन पर उनम जो परवतन होता ह उस वर सध कहत ह

जस ndash वया + आलय = वयालय

1) दघ वर सध

अ इ उ क बाद दघ अ इ उ आ जाए तो दोनो मलकर दघ सध आ ई ऊ हो जात

अ + आ = आ हम + आलय = हमालय

इ + ई = ई - गर + ईश = गरश

ई + इ = ई - मह + इ = मह

ई + ई = ई - नद + ईश = नदश

उ + ऊ = ऊ- लघ + ऊम = लघम

ऊ + उ = ऊ- वध + उसव = वधसव

ऊ + ऊ = ऊ - भ + ऊव = भव

2) गण वर सध -इस सध म अ आ क आग इ ई हो तो ए उ ऊ हो तो औ और

अगर ऋ हो तो अर हो जाता ह उस गण सध कहत ह

अ + इ = ए- नर + इ = नर अ + ई = ए- नर + ईश = नरश

आ + इ = ए- महा + इ = मह आ + ई = ए महा + ईश = महश

अ + उ = ओ ान + उपदश = ानोपदश आ+उ= ओ महा + उसव = महोसव

3) यण वर सध- इस सध म इ ई उ ऊ और ऋ क बाद कोई अलग वर आए

तो इनका परवतन मश य व और र म हो जाता ह

इ का य = इत +आद = इयाद ई का य = दवी +आवाहन = दयावाहन

उ का व = स +आगत = वागत ऊ का व = वध +आगमन = ववागमन

4) वध वर सध- आ + ए ऐ -gt ऐ

अ आ + ओ औ -gt औ

अ +ए =ऐ एक +एक = एकक अ +ऐ =ऐ मत +ऐय = मतय

अ +औ=औ परम +औषध = परमौषध आ +औ =औ महा +औषध = महौषध

आ +ओ =औ महा +ओघ = महौघ

5)अयाद वर सध- इस सध म ए ऐ और ओ औ क पशचात इह छोड़कर को

अय वर हो तो इनका परवतन मश अय आय अव आव म हो जाता ह )

ए का अय न +अन = नयन ऐ का आय न +अक = नायक

ओ का अव पो +अन = पवन औ का आव पौ +अन = पावन

न का परवतन ण म = ो +अन = वण

2)यजन सध- यजन क साथ वर अथवा यजन क मल स उस यजन म जो

पातरण होता ह उस यजन सध कहत ह

त+छव=तछव दक+अत=दगत

दक+गज=दगज अन+छद=अनछद

अच +अत = अजत

3)वसग सध - वसग क साथ वर या यजन का मल होन पर जो वकार होता ह उस

वसग सध कहत ह

मन+रथ=मनोरथ यश+अभलाषा=यशोभलाषा

अध+गत=अधोगत न+छल=नछल

द +गम = दगम

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गय-भाग

पाठ-12

(ततारा-वामीरो कथा )

(ललाधर मडलोई)

-लखक का परचय- ललाधर मडलोईमडलोई का जम भारतीय

राय मयदश क छदवाडा िजल क गढ़ नामक गाव म हआ मडलोई न भारत म बीए

बीएड (अज़ी) पाकारता म नातक और एमए (हद) तक शा हण कया और

इसक बाद व लदन चल गय जहा स सारण म उच-शा (सीआरट) हण क

मडलोई दरदशन आकाशवाणी क महानदशक सहत कई राय-अतरराय समतय क

साथ ह सार भारती बोड क सदय रह चक ह

-पाठ का सार-

जो सयता िजतनी अधक परानी होगी उतनी ह अधक कस -कहानया उसस जड़ी होती ह जो

हम सनन को मलती ह जो कस - कहानया हम सनन को मलती ह जर नह क वो उसी तरह

घटत हई हो िजस तरह वो हम सनाई जा रह हइतना जर होता ह क इन कस और कहानय

म कोई न कोई सीख छपी होती ह अदमान नकोबार वीपसमह म भी बहत तरह क कस -

कहानया मशहर ह इनम स कछ को ललाधर मडलोई न लखा ह

तत पाठ ततारा वामीरो कथा अडमान नकोबार वीप समह क एक छोट स वीप पर क त ह

उस वीप पर एक -दसर स शता का भाव अपनी अतम सीमा पर पहच चका था इस शता क

भावना को जड़ स उखाड़न क लए एक जोड़ को आमबलदान दना पड़ा था उसी जोड़ क बलदान

का वणन लखक न तत पाठ म कया ह

यार सबको एक साथ लाता ह और नफरत सब क बीच दरय को बढ़ाती हइस बात स भला कौन

इनकार कर सकता ह इसलए जो कोई भी समाज क लए अपन यार का अपन जीवन का

बलदान करता ह समाज न कवल उस याद रखता ह बिक उसक वारा कय गए याग और

बलदान को बकार नह जान दता यह वह कारण ह िजसक वजह स तकालन समाज क सामन

मसाल कायम करन वाल इस जोड़ को आज भी इस वीप क नवासी गव और धा स याद करत

-शदाथ-

-खला-म कड़ी -आदम ndashाभक

-वभत ndashबटा हआ -आमीय ndashअपना

-वलण ndashअसाधारण -बयार-मद हवा

त-एकाता -वकल-बचन

-सचार-उपन -असगत ndashअनचत

समोहतndash मध -झझलाना ndash चड़ना

-रोमाचत ndash पलकत -नचल- िथर

-अफवाह ndash उड़ती खबर -उफनना ndash उबाल आना

शमन ndashशात होना -घपना भकनाचभना

-न-उर-

1-ततारा और वामीरो क गाव क या थी

उर- ततारा और वामीरो क गाव क यह रत थी क ववाह क लए लड़क-लड़क का एक

ह गाव का होना जर था दसर गाव क यवक क साथ सबध असभव था

2-ततारा क तलवार क बार म लोग का या मत था

उर- ततारा क तलवार ययप लकड़ी क थी पर इसक बावजद लोग का मानना था क

उस तलवार म अभत दवीय शित थी ततारा तलवार को कभी अपन स अलग होन नह

दता था लोग यह मानत थ क ततारा अपन साहसक कारनाम इसी तलवार क कारण ह

कर पाता ह उसम बड़ी शित थी

3-नकोबार क लोग ततारा को य पसद करत थ

उर- नकोबार क लोग ततारा को उसक साहसी और परोपकार वभाव क कारण पसद करत

थ वह एक सदर और शितशाल यवक था वह सदा लोग क सहायता करता रहता था

ततारा एक नक और मददगार यित था वह अपन गाव वाल क ह नह समच

वीपवासय क सवा करना अपना धम समझता था सभी उसका आदर करत थ मसीबत

क घड़ी म वह लोग क पास तरत पहच जाता था

4- ाचीन काल म मनोरजन और शित-दशन क लए कस कार क आयोजन कए जात

उर- ाचीन काल म मनोरजन और शित-दशन क लए अ-श चलान सबधी

आयोजन तथा पश पव कए जात थ

5-lsquoततारा-वामीरो कथाrsquo का सदश पट किजए

उर- lsquoततारा-वामीरो कथाrsquo एक लोकगाथा ह इसम यह सदश दया गया ह क म को कसी

बधन जड़ता तथा सीमाओ म बाधना उचत नह ह यद कोई गाव दश या म को

पनपन क लए खला अवसर नह दता तो इसस सवनाश होता ह धरती म भदभाव बढ़त ह

पहल स बट हई धरती और अवसर नह दता तो इसस मानवता का य होता ह भावनाए

एक होन क बजाय खडत होती ह अतः गाव दश या अय सकण नयमो को तोड़कर

हम उदारता क साथ सबको अपनाना चाहए

7-नक ततारा और वामीरो क मय कस हई पठत पाठ क आधार पर लखए

उर- पश-पव क मौक पर ततारा और वामीरो को इकठा दखकर वामीरो क मा ोध म

उफन उठ उसन ततारा को तरह-तरह स अपमानत कया गाव क लोग भी ततारा क

वरोध म आवाज उठान लग यह ततारा क लए अहसनीय था वामीरो अब भी रोए जा रह

थी ततारा भी गस स भर उठा उस जहा ववाह क नषध परपरा पर ोभ था वह अपनी

असहायता पर खीझ वामीरो का दख उस और गहरा कर रहा था उस मालम नह था क

या कदम उठाना चाहए अनायास उसका हाथ तलवार क मढ़ पर जा टका ोध म उसन

तलवार नकाल और कछ वचार करता रहा ोध लगातार अिन क तरह बढ़ रहा था

लोग सहम उठ एक सनाटा-सा खच गया जब कोई राह न सझी तो ोध का शमन करन

क लए उसम शित भर उस धरती म घप दया और ताकत स उस खीचन लगा वह

पसीन स नहा उठा सब घबराए हए थ वह तलवार को अपनी तरफ खीचत-खीचत दर तक

पहच गया वह हाफ रहा था अचानक जहा एक लकर खच गई थी वहा एक दरार होन

लगी मानो धरती दो टकड़ो म बटन लगी हो एक गड़गड़ाहट-सी गजन लगी और लकर क

सीध म धरती फटती ह जा रह थी वीप क अतम सर तक ततारा धरती को मानो ोध

म काटता जा रहा था सभी याकल हो उठ लोग न ऐस य क कपना न क थी व

सहर उठ उधर वामीरो फटती हई धरती क कनार ततारा का नाम पकारत हए दौड़ रह थी

वीप दो टकड़ म वभत हो चका था ततारा और वामीरो वीप क साथ सम म धस

गए और उमय हो गई

8-शाम क समय सम कनार ततारा क ाकतक अनभत का वणन किजए

उर- एक शाम ततारा दन-भर क अथक परम क बाद सम कनार टहलन नकल

पड़ा सरज सम स लग तज तल डबन को था सम स ठडी बयार आ रह थी

पय क सायकालन चाहचाहाहट शनः शनः ीण ह को थी उसका मन शात था

वचारमन ततारा सम बाल पर बठकर सरज क अतम रग-बरगी करण को सम

पर नहारन लगा तभी कह पास म उस मधर गीत गजता सनाई दया गीत मान

बहता हआ उसक तरफ आ रहा हो बीच-बीच म लहर का सगीत सनाई दता गायन

भावी था क वह अपनी सध-बध खोन लगा लहर क एक बल वग न उसक ता भग

क चतय होत ह वह उधर बढ़न को ववश हो उठा िजधर स अब भी गीत क वर बह

रह थ वह वकल-सा उस तरफ़ बढ़ता गया अततः उसक नजर एक यवती पर पड़ी जो

ढलती हई शाम क सदय म बसध एकटक सम क दह पर डबत आकषक रगो को

नहारत हए गा रह थी यह एक शगार गीत था

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Vyakr`-vaKy-

bull वाय क सामन दए कोठक म ( radic का चह लगाकर बताए क वह वाय कस

कार का ह

क) नकोबार उस बहद म करत थ (नवाचक वधानवाचक नषधामक

वमयादबोधक)

ख) तमन एकाएक इतना मधर गाना अधरा य छोड़ दया नवाचक

वधानवाचक नषधामक वमयादबोधक)

ग) वामीरो क मा ोध म उफन उठ (नवाचक वधानवाचक नषधामक

वमयादबोधक)

घ) या तह गाव का नयम नह मालम नवाचक वधानवाचक नषधामक

वमयादबोधक)

ङ) वाह कतना सदर नाम ह (नवाचक वधानवाचक नषधामक

वमयादबोधक)

च) म तहारा राता छोड़ दगा

वमयादबोधक)

उर- क) वधानवाचक

ग) वधानवाचक

ङ) वमयादबोध

Ocirc-इस पाठ म lsquo दखना lsquo या क कई प आए ह

शदयोग म या अतर ह

Ocirc-उर-

म तहारा राता छोड़ दगा (नवाचक वधानवाचक नषधामक

ख) नवाचक

घ) नवा

च) वधानवाचक

या क कई प आए ह lsquo दखना lsquo क इन वभन

वाययोग वारा पट किजए

नषधामक

नवाचक

वधानवाचक

क इन वभन

-वाय क उदाहरण-

सचयन-भाग

पाठ-1 (हरहर काका )

-शदाथ -

तबयत - शरर क िथत यणा - यातना कलश कट

मनःिथत - मन क िथत चद - कछ

आसित ndash लगाव यावहारक - यावहार सबधी

वचारक - वचार सबधी दलार - यार

सयाना - यक बधमान तीा - इतज़ार

फ़लहाल - अभी इस समय मझधार - बीच म

वलन - लत हो जाना वकप - दसरा उपाय

चलत ndash चलनसार जात - जगाना

कलवर - शरर मनौती - मनत

परपरा - था णाल अधकाश - यादातर

समत ndash सथा सचालन - नयण चलाना

नयित - तनाती लगाया गया वमख - तकल

चपट - आघात हार अहाता-चार ओर स दवार स घरा हआ मदान

अखड ndash नवन वफोट - फट कर बाहर नकलना

आगमन - आन पर उपलय - सकत

सराहना ndash शसा निचत - बफ

-लखक का परचय-मथलवर का जम 31 दसबर 1950 को बहार क

भोजपर िजल क बसाडीह नामक गाव म हआ इनक पता व० ो० वशरोपन लाल थ

मथलवर क पता (ो० वशरोपन लाल) भी वलण तभा क धनी थ परत उनक

असाय बीमार न मथलवर क जीवन म आरभ स ह कठन सघष क बीज बो दय थ

पाठ सार-

लखक कहता ह क वह हरहर काका क साथ बहत गहर स जड़ा था लखक का हरहर

काका क त जो यार था वह लखक का उनक यावहार क और उनक वचार क कारण

था और उसक दो कारण थ पहला कारण था क हरहर काका लखक क पड़ोसी थ और

दसरा कारण लखक को उनक मा न बताया था क हरहर काका लखक को बचपन स ह

बहत यादा यार करत थ जब लखक यक हआ तो उसक पहल दोती भी हरहर काका

क साथ ह हई थी लखक क गाव क पव दशा म ठाकर जी का वशाल मदर था िजस

गाव क लोग ठाकरबार यान दवथान कहत थ लोग ठाकर जी स प क मनत मागत

मक़दम म जीत लड़क क शाद कसी अछ घर म हो जाए लड़क को नौकर मल जाए

आद मनत मागत थ मनत पर होन पर लोग अपनी ख़शी स ठाकरजी को पए ज़वर

और अनाज चढ़ाया करत थ िजसको बहत अधक ख़शी होती थी वह अपन खत का छोटा-

सा भाग ठाकरजी क नाम कर दता था और यह एक तरह स था ह बन गई लखक कहता

ह क उसका गाव अब गाव क नाम स नह बिक दव-थान क वजह स ह पहचाना जाता

था उसक गाव का यह दव-थान उस इलाक का सबस बड़ा और सध दवथान था

हरहर काका न अपनी परिथतओ क कारण दव-थान म जाना बद कर दया था मन

बहलान क लए लखक भी कभी-कभी दव-थान चला जाता था लकन लखक कहता ह क

वहा क साध-सत उस बलकल भी पसद नह थ यक व काम करन म कोई दलचपी

नह रखत थ भगवान को भोग लगान क नाम पर व दन क दोन समय हलवा-पड़ी

बनवात थ और आराम स पड़ रहत थ सारा काम वहा आए लोग स सवा करन क नाम पर

करवात थ व खद अगर कोई काम करत थ तो वो था बात बनवान का काम

लखक हरहर काका क बार म बताता हआ कहता ह क हरहर काका और उनक तीन भाई

ह सबक शाद हो चक ह हरहर काका क अतरत सभी तीन भाइय क बाल-बच ह

कछ समय तक तो हरहर काका क सभी चीज़ का अछ स यान रखा गया परत फर

कछ दन बाद हरहर काका को कोई पछन वाला नह था लखक कहता ह क अगर कभी

हरहर काका क शरर क िथत ठक नह होती तो हरहर काका पर मसीबत का पहाड़ ह

गर जाता यक इतन बड़ परवार क रहत हए भी हरहर काका को कोई पानी भी नह

पछता था बारामद क कमर म पड़ हए हरहर काका को अगर कसी चीज़ क जरत होती

तो उह खद ह उठना पड़ता एक दन उनका भतीजा शहर स अपन एक दोत को घर ल

आया उह क आन क ख़शी म दो-तीन तरह क सिज़या बजक चटनी रायता और भी

बहत कछ बना था सब लोग न खाना खा लया और हरहर काका को कोई पछन तक नह

आया हरहर काका गस म बरामद क ओर चल पड़ और जोर-जोर स बोल रह थ क

उनक भाई क पिनया या यह सोचती ह क व उह मत म खाना खला रह ह उनक

खत म उगन वाला अनाज भी इसी घर म आता ह

हरहर काका क गस का महत जी न लाभ उठान क सोची महत जी हरहर काका को

अपन साथ दव-थान ल आए और हरहर काका को समझान लग क उनक भाई का परवार

कवल उनक जमीन क कारण उनस जड़ा हआ ह कसी दन अगर हरहर काका यह कह द

क व अपन खत कसी और क नाम लख रह ह तो व लोग तो उनस बात करना भी बद

कर दग खन क रत ख़म हो जायग महत हरहर काका स कहता ह क उनक हस म

िजतन खत ह व उनको भगवान क नाम लख द ऐसा करन स उह सीध वग क ाित

होगी

सबह होत ह हरहर काका क तीन भाई दव-थान पहच गए तीन हरहर काका क पाव म

गर कर रोन लग और अपनी पिनय क गलती क माफ़ मागन लग और कहन लग क

व अपनी पिनय को उनक साथ कए गए इस तरह क यवहार क सज़ा दग हरहर काका

क मन म दया का भाव जाग गया और व फर स घर वापस लौट कर आ गए जब अपन

भाइय क समझान क बाद हरहर काका घर वापस आए तो घर म और घर वाल क

यवहार म आए बदलाव को दख कर बहत खश हो गए घर क सभी छोट-बड़ सभी लोग

हरहर काका का आदर-सकार करन लग

गाव क लोग जब भी कह बठत तो बात का ऐसा सलसला चलता िजसका कोई अत नह

था हर जगह बस उह क बात होती थी कछ लोग कहत क हरहर काका को अपनी

जमीन भगवान क नाम लख दनी चाहए इसस उम और अछा कछ नह हो सकता

इसस हरहर काका को कभी न ख़म होन वाल सध ात होगी इसक वपरत कछ

लोग क यह मानत थ क भाई का परवार भी तो अपना ह परवार होता ह अपनी

जायदाद उह न दना उनक साथ अयाय करना होगा हरहर काका क भाई उनस ाथना

करन लग क व अपन हस क जमीन को उनक नाम लखवा द इस वषय पर हरहर

काका न बहत सोचा और अत म इस परणाम पर पहच क अपन जीत-जी अपनी जायदाद

का वामी कसी और को बनाना ठक नह होगा फर चाह वह अपना भाई हो या मदर का

महत यक उह अपन गाव और इलाक क व कछ लोग याद आए िजहन अपनी िजदगी

म ह अपनी जायदाद को अपन रतदार या कसी और क नाम लखवा दया था उनका

जीवन बाद म कसी क क तरह हो गया था उह कोई पछन वाला भी नह था हरहर

काका बलकल भी पढ़-लख नह थ परत उह अपन जीवन म एकदम हए बदलाव को

समझन म कोई गलती नह हई और उहन फसला कर लया क व जीत-जी कसी को भी

अपनी जमीन नह लखग

लखक कहता ह क जस-जस समय बीत रहा था महत जी क परशानया बढ़ती जा

रह थी उह लग रहा था क उहन हरहर काका को फसान क लए जो जाल फ का

था हरहर काका उसस बाहर नकल गए ह यह बात महत जी को सहन नह हो रह

थी आधी रात क आस-पास दव-थान क साध-सत और उनक कछ साथी भाला

गड़ासा और बदक क साथ अचानक ह हरहर काका क आगन म आ गए इसस

पहल हरहर काका क भाई कछ सोच और कसी को अपनी सहायता क लए आवाज

लगा कर बलाए तब तक बहत दर हो गई थी हमला करन वाल हरहर काका को

अपनी पीठ पर डाल कर कह गायब हो गए थव हरहर काका को दव-थान ल गए

थ एक ओर तो दव-थान क अदर जबरदती हरहर काका क अगठ का नशान लन

और पकड़कर समझान का काम चल रहा था तो वह दसर ओर हरहर काका क

तीन भाई सबह होन स पहल ह पलस क जीप को लकर दव-थान पर पहच गए

थ महत और उनक साथय न हरहर काका को कमर म हाथ और पाव बाध कर

रखा था और साथ ह साथ उनक मह म कपड़ा ठसा गया था ताक व आवाज़ न कर

सक परत हरहर काका दरवाज़ तक लढ़कत हए आ गए थ और दरवाज़ पर अपन

पर स धका लगा रह थ ताक बाहर खड़ उनक भाई और पलस उह बचा सक

दरवाज़ा खोल कर हरहर काका को बधन स मत कया गया हरहर काका न

पलस को बताया क व लोग उह उस कमर म इस तरह बाध कर कह गत

दरवाज़ स भाग गए ह और उहन कछ खल और कछ लख हए कागज पर हरहर

काका क अगठ क नशान जबरदती लए ह

यह सब बीत जान क बाद हरहर काका फर स अपन भाइय क परवार क साथ रहन लग

गए थ चौबीस घट पहर दए जान लग थ यहा तक क अगर हरहर काका को कसी

काम क कारण गाव म जाना पड़ता तो हथयार क साथ चार-पाच लोग हमशा ह उनक

साथ रहन लग लखक कहता ह क हरहर काका क साथ जो कछ भी हआ था उसस हरहर

काका एक सीध-साद और भोल कसान क तलना म चालाक और बधमान हो गए थ

उह अब सब कछ समझ म आन लगा था क उनक भाइय का अचानक स उनक त जो

यवहार परवतन हो गया था उनक लए जो आदर-समान और सरा व दान कर रह थ

वह उनका कोई सग भाइय का यार नह था बिक व सब कछ उनक धन-दौलत क कारण

कर रह ह नह तो व हरहर काका को पछत तक नह जब स हरहर काका दव-थान स

वापस घर आए थ उसी दन स ह हरहर काका क भाई और उनक दसर नात-रतदार

सभी यह सोच रह थ क हरहर काका को क़ाननी तरक स उनक जायदाद को उनक

भतीज क नाम कर दना चाहए यक जब तक हरहर काका ऐसा नह करग तब तक

महत क तज़ नज़र उन पर टक रहगी जब हरहर काका क भाई हरहर काका को

समझात-समझात थक गए तो उहन हरहर काका को डाटना और उन पर दवाब डालना

श कर दया एक रात हरहर काका क भाइय न भी उसी तरह का यवहार करना श

कर दया जसा महत और उनक सहयोगय न कया था उह धमकात हए कह रह थ क

ख़शी-ख़शी कागज़ पर जहा-जहा जरत ह वहा-वहा अगठ क नशान लगत जाओ नह तो व

उह मार कर वह घर क अदर ह गाड़ दग और गाव क लोगो को इस बार म कोई सचना

भी नह मलगी हरहर काका क साथ अब उनक भाइय क मारपीट श हो गई जब

हरहर काका अपन भाइय का मकाबला नह कर पा रह थ तो उहन ज़ोर-ज़ोर स

चलाकर अपनी मदद क लए गाव वाल को आवाज लगाना श कर दया तब उनक

भाइय को यान आया क उह हरहर काका का मह पहल ह बद करना चाहए था उहन

उसी पल हरहर काका को जमीन पर पटका और उनक मह म कपड़ा ठस दया लकन तब

तक बहत दर हो गई थी हरहर काका क आवाज बाहर गाव म पहच गई थी हरहर काका

क परवार और रत-नात क लोग जब तक गाव वाल कोसमझात क यह सब उनक

परवार का आपसी मामला ह व सभी इसस दर रह तब तक महत जी बड़ी ह दता और

तज़ी स वहा पलस क जीप क साथ आ गए पलस न पर घर क अछ स तलाशी लना

श कर दया फर घर क अदर स हरहर काका को इतनी बर हालत म हासल कया गया

िजतनी बर हालत उनक दव-थान म भी नह हई थी हरहर काका न बताया क उनक

भाइय न उनक साथ बहत ह यादा बरा यवहार कया ह जबरदती बहत स कागज पर

उनक अगठ क नशान ल लए ह उह बहत यादा मारा-पीटा ह

इस घटना क बाद हरहर काका अपन परवार स एकदम अलग रहन लग थ उह उनक

सरा क लए चार राइफलधार पलस क जवान मल थ आचय क बात तो यह ह क

इसक लए उनक भाइय और महत क ओर स काफ़ यास कए गए थ असल म भाइय

को चता थी क हरहर काका अकल रहन लगग तो दव-थान क महत-पजार फर स

हरहर काका को बहला-फसला कर ल जायग और जमीन दव-थान क नाम करवा लग और

यह चता महत जी को भी थी क हरहर काका को अकला और असरत पा उनक भाई

फर स उह पकड़ कर मारग और जमीन को अपन नाम करवा लग लखक कहता ह क

हरहर काका स जड़ी बहत सी ख़बर गाव म फल रह थी जस-जस दन बड़ रह थ वस-वस

डर का मौहोल बन रहा था सभी लोग सफ यह सोच रह थ क हरहर काका न अमत तो

पया हआ ह नह तो मरना तो उनको एक दन ह ह और जब व मरग तो पर गाव म

तफ़ान आ जाएगा यक महत और हरहर काका क परवार क बीच जमीन को ल कर

लड़ाई हो जायगी

पलस क जवान हरहर काका क खच पर ह खब मौज-मती स रह रह थ िजसका धन

वह रह उपास खान वाल कर वलास अथात हरहर काका क पास धन था लकन उनक लए

अब उसका कोई महव नह था और पलस वाल बना कसी कारण स ह हरहर काका क

धन स मौज कर रह थ अब तक जो नह खाया था दोन वत उसका भोग लगा रह थ

-नोर-

1-कथावाचक और हरहर काका क बीच या सबध ह और इसक या कारण ह

1-कथावाचक जब छोटा था तब स ह हरहर काका उस बहत यार करत थ जब वह बड़ हो

गए तो वह हरहर काका क म बन गए गाव म इतनी गहर दोती और कसी स नह

हई हरहर काका उनस खल कर बात करत थ यह कारण ह क कथावाचक को उनक

एक-एक पल क खबर थी शायद अपना म बनान क लए काका न वय ह उस यार स

बड़ा कया और इतजार कया

2-हरहर काका को महत और भाई एक ह णी क य लगन लग

2-हरहर काका को अपन भाइय और महत म कोई अतर नह लगा दोन एक ह णी क

लग उनक भाइय क पिनय न कछ दन तक तो हरहर काका का यान रखा फर

बचीकची रोटया द नाता नह दत थ बमार म कोई पछन वाला भी न था िजतना भी

उह रखा जा रहा था उनक ज़मीन क लए था इसी तरह महत न एक दन तो बड़ यार

स खातर क फर ज़मीन अपन ठाकर बाड़ी क नाम करन क लए कहन लग काका क

मना करन पर उह अनक यातनाए द अपहरण करवाया मह म कपड़ा ठस कर एक कोठर

म बद कर दया जबरदती अगठ का नशान लया गया तथा उह मारा पीटा गया इस

तरह दोन ह कवल ज़मीन जायदाद क लए हरहर काका स यवहार रखत थ अत उह

दोन एक ह णी क लग

3-ठाकर बाड़ी क त गाव वाल क मन म अपार धा क जो भाव ह उसस उनक कस

मनोव का पता चलता ह

3-कहा जाता ह गाव क लोग भोल होत ह असल म गाव क लोग अधववासी धमभी होत

ह मदर जस थान को पव नकलक ान का तीक मानत ह पजार परोहत महत

जस िजतन भी धम क ठकदार ह उनपर अगाध धा रखत ह व चाह कतन भी

पतत वाथ और नीच ह पर उनका वरोध करत व डरत ह इसी कारण ठाकर बाड़ी क

त गाव वाल क अपार धा थी उनका हर सख-दख उसस जड़ा था

4-अनपढ़ होत हए भी हरहर काका दनया क बहतर समझ रखत ह कहानी क आधार पर

पट किजए

4-हरहर काका अनपढ़ थ फर भी उह दनयादार क बहद समझ थी उनक भाई लोग

उनस ज़बरदती ज़मीन अपन नाम करान क लए डरात थ तो उह गाव म दखावा करक

ज़मीन हथयान वालो क याद आती ह काका न उह दखी होत दखा ह इसलए उहन

ठान लया था चाह महत उकसाए चाह भाई दखावा कर वह ज़मीन कसी को भी नह दग

एक बार महत क उकसान पर भाइय क त धोखा नह करना चाहत थ परत जब भाइय

न भी धोखा दया तो उह समझ म आ गया उनक त उह कोई यार नह ह जो यार

दखात ह वह कवल ज़ायदाद क लए ह

5-हरहर काका को जबरन उठा ल जान वाल कौन थ उहन उनक साथ कसा यवहार

कया

5-महत न हरहर काका को बहत लोभन दए िजसस वह अपनी ज़मीन जायदाद ठाकर

बाड़ी क नाम कर द परत काका इस बात क लए तयार नह थ व सोच रह थ क या

भगवान क लए अपन भाइय स धोखा क यह उह सह भी नह लग रहा था महत को

यह बात पता लगी तो उसन छल और बल स रात क समय अकल दालान म सोत हए

हरहर काका को उठवा लया महत न अपन चल साधसतो क साथ मलकर उनक हाथ पर

बाध दए मह म कपड़ा ठस दया और जबरदती अगठ क नशान लए उह एक कमर म

बद कर दया जब पलस आई तो वय गत दरवाज़ स भाग गए

6-हरहर काका क मामल म गाव वाल क या राय थी और उसक या कारण थ

6-कहानी क आधार पर गाव क लोग को बना बताए पता चल गया क हरहर काका को

उनक भाई नह पछत इसलए सख आराम का लोभन दकर महत उह अपन साथ ल

गया भाई मनत करक काका को वापस ल आत ह इस तरह गाव क लोग दो प म

बट गए कछ लोग महत क तरफ़ थ जो चाहत थ क काका अपनी ज़मीन धम क नाम पर

ठाकर बाड़ी को द द ताक उह सख आराम मल मय क बाद मो यश मल महत ानी

ह वह सब कछ जानता ह लकन दसर प क लोग कहत क ज़मीन परवार वालो को द

जाए उनका कहना था इसस उनक परवार का पट भरगा मदर को ज़मीन दना अयाय

होगा इस तरह दोन प अपन-अपन हसाब स सोच रह थ परत हरहर काका क बार म

कोई नह सोच रहा था इन बात का एक कारण यह भी था क काका वधर थ और उनक

कोई सतान भी नह थी पह बीघ ज़मीन क लए इनका लालच वाभवक था

7-कहानी क आधार पर पट किजए क लखक न यह य कहा अान क िथत म ह

मनय मय स डरत ह ान होन क बाद तो आदमी आवयकता पड़न पर मय को वरण

करन क लए तयार हो जाता ह

7-जब काका को असलयत पता चल और उह समझ म आ गया क सब लोग उनक

ज़मीन जायदाद क पीछ ह तो उह व सभी लोग याद आ गए िजहन परवार वालो क मोह

माया म आकर अपनी ज़मीन उनक नाम कर द और मय तक तलतल करक मरत

रह दान-दान को मोहताज़ हो गए इसलए उहन सोचा क इस तरह रहन स तो एक बार

मरना अछा ह जीत जी ज़मीन कसी को भी नह दग य लोग मझ एक बार म ह मार

द अत लखक न कहा क अान क िथत म मनय मय स डरता ह परत ान होन

पर मय वरण को तयार रहता ह

8-समाज म रत क या अहमयत ह इस वषय पर अपन वचार कट किजए

8-आज समाज म मानवीय मय तथा पारवारक मय धीर-धीर समात होत जा रह ह

यादातर यित अपन वाथ क लए रत नभात ह अपनी आवयकताओ क हसाब स

मलत ह अमीर रतदार का समान करत ह उनस मलन को आतर रहत ह जबक गरब

रतदार स कतरात ह कवल वाथ सध क अहमयत रह गई ह आए दन हम

अखबार म समाचार पढ़त ह क ज़मीन जाय़दाद पस जवर क लए लोग घनौन स घनौना

काय कर जात ह (हया अपहरण आद) इसी कार इस कहानी म भी पलस न पहचती तो

परवार वाल महत जी (काका क) हया ह कर दत उह यह अफसोस रहा क व काका को

मार नह पाए

9-यद आपक आसपास हरहर काका जसी हालत म कोई हो तो आप उसक कस कार

मदद करग

9-यद हमार आसपास हरहर काका जसी हालत म कोई हो तो हम उसक पर तरह मदद

करन क कोशश करग उनस मलकर उनक दख का कारण पता करग उह अहसास

दलाएग क व अकल नह ह सबस पहल तो यह ववास कराएग क सभी यित लालची

नह होत ह इस तरह मौन रह कर दसर को मौका न द बिक उलास स शष जीवन

बताए रतदार स मलकर उनक सबध सधारन का यन करग

10-हरहर काका क गाव म यद मीडया क पहच होती तो उनक या िथत होती अपन

शद म लखए

10-यद काका क गाव म मीडया पहच जाती तो सबक पोल खल जाती महत व भाइय का

पदाफाश हो जाता अपहरण और जबरन अगठा लगवान क अपराध म उह जल हो जाती

अपना-अपना मोचा सभालना - अपनी िजमदार नबाहना

आसमान स जमीन पर गरना -उच िथत स नन िथत पर आना

खल कर बात करना- बना सकच क बात करना |

चपत हो जाना ndash भाग जाना |

जी-जान स जट जाना ndash खब महनत करना

िजतन मह उतनी बात होना- कई तरह क बात करना |

ततर-बतर होना ndash बखर जाना |

त-त म -म होना -झगड़ा होना |

नमक-मच लगाना- बढ़ा-चढ़कर कहना|

बात बनाना- बहान बनाना|

रग चढ़ना- असर होना|

मह न खोलना ndash कछ न बताना |

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पय-भाग

पाठ-4

मनयता ndashमथलशरण गत

-लखक का परचय-

-पाठ का सार व पिटकरण-

कत क अय ाणय क तलना म मनय म सोचन क शित अधक होती ह

वह अपन ह नह दसर क सख - दःख का भी याल रखता ह और दसर क लए

कछ करन म समथ होता ह जानवर जब चरागाह म जात ह तो कवल अपन लए

चर कर आत ह परत मनय ऐसा नह ह वह जो कछ भी कमाता ह जो कछ भी

बनाता ह वह दसर क लए भी करता ह और दसर क सहायता स भी करता ह

तत पाठ का कव अपन क सख - दःख क चता करन वाल को मनय तो

मानता ह परत यह मानन को तयार नह ह क उन मनय म मनयता क सार

गण होत ह कव कवल उन मनय को महान मानता ह जो अपन क सख - दःख

स पहल दसर क चता करत ह वह मनय म ऐस गण चाहता ह िजसक कारण

कोई भी मनय इस मयलोक स चल जान क बाद भी सदय तक दसर क याद म

रहता ह अथात वह मय क बाद भी अमर रहता ह

-पाठ सार-

इस कवता म कव मनयता का सह अथ समझान का यास कर रहा ह पहल

भाग म कव कहता ह क मय स नह डरना चाहए यक मय तो निचत ह पर

हम ऐसा कछ करना चाहए क लोग हम मय क बाद भी याद रख असल मनय

वह ह जो दसर क लए जीना व मरना सीख ल दसर भाग म कव कहता ह क

हम उदार बनना चाहए यक उदार मनय का हर जगह गण गान होता ह मनय

वह कहलाता ह जो दसर क चता कर तीसर भाग म कव कहता ह क पराण

म उन लोग क बहत उदाहरण ह िजह उनक याग भाव क लए आज भी याद

कया जाता ह सचा मनय वह ह जो याग भाव जान ल चौथ भाग म कव

कहता ह क मनय क मन म दया और कणा का भाव होना चाहए मनय वह

कहलाता ह जो दसर क लए मरता और जीता ह पाचव भाग म कव कहना चाहता

ह क यहा कोई अनाथ नह ह यक हम सब उस एक ईवर क सतान ह हम

भदभाव स ऊपर उठ कर सोचना चाहएछठ भाग म कव कहना चाहता ह क हम

दयाल बनना चाहए यक दयाल और परोपकार मनय का दवता भी वागत करत

ह अतः हम दसर का परोपकार व कयाण करना चाहएसातव भाग म कव कहता

ह क मनय क बाहर कम अलग अलग हो परत हमार वद साी ह क सभी क

आमा एक ह हम सब एक ह ईवर क सतान ह अतः सभी मनय भाई -बध ह

और मनय वह ह जो दःख म दसर मनय क काम आयअतम भाग म कव

कहना चाहता ह क वप और वन को हटात हए मनय को अपन चन हए रात

पर चलना चाहए आपसी समझ को बनाय रखना चाहए और भदभाव को नह

बढ़ाना चाहए ऐसी सोच वाला मनय ह अपना और दसर का कयाण और उधार

कर सकता ह

-याया

1-वचार लो क मय हो न मय स डरो कभी

मरो परत य मरो क याद जो कर सभी

हई न य समय तो वथा मर वथा िजए

मारा नह वह क जो िजया न आपक लए

वह पश- वत ह क आप आप ह चर

वह मनय ह क जो मनय क लए मर

सग - तत कवता हमार पाय पतक पश भाग -2 स ल गई ह इसक

कव मथलशरण गत ह इन पितओ म कव बताना चाहता ह क मनय को

कसा जीवन जीना चाहए

याया - कव कहता ह क हम यह जान लना चाहए क मय का होना निचत

ह हम मय स नह डरना चाहए कव कहता ह क हम कछ ऐसा करना चाहए क

लोग हम मरन क बाद भी याद रख जो मनय दसर क लए कछ भी ना कर सक

उनका जीना और मरना दोन बकार ह मर कर भी वह मनय कभी नह मरता जो

अपन लए नह दसर क लए जीता ह यक अपन लए तो जानवर भी जीत ह

कव क अनसार मनय वह ह जो दसर मनय क लए मर अथात जो मनय दसर

क चता कर वह असल मनय कहलाता ह

2-उसी उदार क कथा सरवती बखानती

उसी उदार स धरा कताथ भाव मानती

उसी उदार क सदा सजीव कत कजती

तथा उसी उदार को समत सिट पजती

अखड आम भाव जो असीम वव म भर

वह मनय ह क जो मनय क लए मर

सग - तत कवता हमार पाय पतक पश भाग -2 स ल गई ह इसक

कव मथलशरण गत ह इन पितओ म कव बताना चाहता ह क जो मनय

दसर क लए जीत ह उनका गणगान यग - यग तक कया जाता ह

याया - कव कहता ह क जो मनय अपन पर जीवन म दसर क चता करता

ह उस महान यित क कथा का गण गान सरवती अथात पतक म कया जाता

ह पर धरती उस महान यित क आभार रहती ह उस यित क बातचीत

हमशा जीवत यित क तरह क जाती ह और पर सिट उसक पजा करती ह

कव कहता ह क जो यित पर ससार को अखड भाव और भाईचार क भावना म

बाधता ह वह यित सह मायन म मनय कहलान योय होता ह

3-धात रतदव न दया करथ थाल भी

तथा दधीच न दया पराथ अिथजाल भी

उशीनर तीश न वमास दान भी कया

सहष वीर कण न शरर-चम भी दया

अनय दह क लए अनाद जीव या डर

वह मनय ह क जो मनय क लए मर

सग - तत कवता हमार पाय पतक पश भाग -2 स ल गई ह इसक

कव मथलशरण गत ह इन पितओ म कव न महान पष क उदाहरण दए ह

िजनक महानता क कारण उह याद कया जाता ह

याया - कव कहता ह क पौराणक कथाए ऐस यितओ क उदाहरण स भर

पड़ी ह िजहन अपना परा जीवन दसर क लए याग दया िजस कारण उह आज

तक याद कया जाता ह भख स परशान रतदव न अपन हाथ क आखर थाल भी

दान कर द थी और महष दधीच न तो अपन पर शरर क हडया व बनान क

लए दान कर द थी उशीनर दश क राजा शब न कबतर क जान बचान क लए

अपना परा मास दान कर दया था वीर कण न अपनी ख़शी स अपन शरर का

कवच दान कर दया था कव कहना चाहता ह क मनय इस नवर शरर क लए

य डरता ह यक मनय वह कहलाता ह जो दसर क लए अपन आप को याग

दता ह

4-सहानभत चाहए महावभत ह यह

वशीकता सदव ह बनी हई वय मह

वधभाव बध का दया-वाह म बहा

वनीत लोकवग या न सामन झका रहा

अहा वह उदार ह परोपकार जो कर

वह मनय ह क जो मनय क लए मर

सग - तत कवता हमार पाय पतक पश भाग -2 स ल गई ह इसक

कव मथलशरण गत ह इन पितओ म कव न महामा बध का उदाहरण दत

हए दया कणा को सबस बड़ा धन बताया ह

याया - कव कहता ह क मनय क मन म दया व कणा का भाव होना चाहए

यह सबस बड़ा धन ह वय ईवर भी ऐस लोग क साथ रहत ह इसका सबस

बड़ा उदाहरण महामा बध ह िजनस लोग का दःख नह दखा गया तो व लोक

कयाण क लए दनया क नयम क वध चल गए इसक लए या परा ससार

उनक सामन नह झकता अथात उनक दया भाव व परोपकार क कारण आज भी

उनको याद कया जाता ह और उनक पजा क जाती ह महान उस को कहा जाता ह

जो परोपकार करता ह वह मनय मनय कहलाता ह जो मनय क लए जीता ह

और मरता ह

5-रहो न भल क कभी मदाघ तछ व म

सनाथ जान आपको करो न गव च म

अनाथ कौन ह यहा लोकनाथ साथ ह

दयाल दन बध क बड़ वशाल हाथ ह

अतीव भायहन ह अधीर भाव जो कर

वह मनय ह क जो मनय क लए मर

सग - तत कवता हमार पाय पतक पश भाग -2 स ल गई ह इसक

कव मथलशरण गत ह इन पितओ म कव कहता ह क सपत पर कभी

घमड नह करना चाहए और कसी को अनाथ नह समझना चाहए यक ईवर

सबक साथ ह

याया - कव कहता ह क भल कर भी कभी सप या यश पर घमड नह करना

चाहए इस बात पर कभी गव नह करना चाहए क हमार साथ हमार अपन का

साथ ह यक कव कहता ह क यहा कौन सा यित अनाथ ह उस ईवर का

साथ सब क साथ ह वह बहत दयावान ह उसका हाथ सबक ऊपर रहता ह कव

कहता ह क वह यित भायहन ह जो इस कार का उतावलापन रखता ह यक

मनय वह यित कहलाता ह जो इन सब चीज स ऊपर उठ कर सोचता ह

6-अनत अतर म अनत दव ह खड़

सम ह वबाह जो बढ़ा रह बड़-बड़

परपरावलब स उठो तथा बढ़ो सभी

अभी अमय-अक म अपक हो चढ़ो सभी

रहो न या क एक स न काम और का सर

वह मनय ह क जो मनय क लए मर

सग - तत कवता हमार पाय पतक पश भाग -2 स ल गई ह इसक

कव मथलशरण गत ह इन पितओ म कव कहता ह क कलक रहत रहन व

दसर का सहारा बनन वाल मवषय का दवता भी वागत करत ह

याया - कव कहता ह क उस कभी न समात होन वाल आकाश म असय

दवता खड़ ह जो परोपकार व दयाल मनय का सामन स खड़ होकर अपनी भजाओ

को फलाकर वागत करत ह इसलए दसर का सहारा बनो और सभी को साथ म

लकर आग बड़ो कव कहता ह क सभी कलक रहत हो कर दवताओ क गोद म

बठो अथात यद कोई बरा काम नह करोग तो दवता तह अपनी गोद म ल लग

अपन मतलब क लए नह जीना चाहए अपना और दसर का कयाण व उधार

करना चाहए यक इस मरणशील ससार म मनय वह ह जो मनय का कयाण

कर व परोपकार कर

7-मनय माा बध ह यह बड़ा ववक ह

पराणपष वयभ पता सध एक ह

फलानसार कम क अवय बाय भद ह

परत अतरय म माणभत वद ह

अनथ ह क बध ह न बध क यथा हर

वह मनय ह क जो मनय क लए मर

सग - तत कवता हमार पाय पतक पश भाग -2 स ल गई ह इसक

कव मथलशरण गत ह इन पितओ म कव कहता ह क हम सब एक ईवर क

सतान ह अतः हम सभी मनय एक - दसर क भाई - बध ह

याया - कव कहता ह क यक मनय एक दसर क भाई - बध ह यह सबस

बड़ी समझ ह पराण म िजस वय उपन पष मना गया ह वह परमामा या

ईवर हम सभी का पता ह अथात सभी मनय उस एक ईवर क सतान ह

बाहर कारण क फल अनसार यक मनय क कम भल ह अलग अलग ह परत

हमार वद इस बात क साी ह क सभी क आमा एक ह कव कहता ह क यद

भाई ह भाई क दःख व कट का नाश नह करगा तो उसका जीना यथ ह यक

मनय वह कहलाता ह जो बर समय म दसर मनय क काम आता ह

8-चलो अभीट माग म सहष खलत हए

वपवन जो पड़ उह ढकलत हए

घट न हलमल हा बढ़ न भनता कभी

अतक एक पथ क सतक पथ ह सभी

तभी समथ भाव ह क तारता हआ तर

वह मनय ह क जो मनय क लए मर

सग - तत कवता हमार पाय पतक पश भाग -2 स ल गई ह इसक

कव मथलशरण गत ह इन पितओ म कव कहता ह क यद हम ख़शी ससार

कट को हटत हए भदभाव रहत रहग तभी सभव ह क समाज क उनत होगी

याया - कव कहता ह क मनय को अपनी इछा स चन हए माग म ख़शी

ख़शी चलना चाहएरात म कोई भी सकट या बाधाए आय उह हटात चल जाना

चाहए मनय को यह यान रखना चाहए क आपसी समझ न बगड़ और भद

भाव न बड़ बना कसी तक वतक क सभी को एक साथ ल कर आग बढ़ना चाहए

तभी यह सभव होगा क मनय दसर क उनत और कयाण क साथ अपनी

समध भी कायम कर

-ननलखत न क उर दिजय ndash

1-कव न कसी मय को समय कहा ह

1-कव न ऐसी मय को समय कहा ह िजसम मनय अपन स पहल दसर क चता

करता ह और परोपकार क राह को चनता ह िजसस उस मरन क बाद भी याद कया

जाता ह

2-उदार यित क पहचान कस हो सकती ह

2- उदार यित परोपकार होता ह वह अपन स पहल दसर क चता करता ह और

लोक कयाण क लए अपना जीवन याग दता ह

3-कव न दधीच कण आद महान यितओ क उदाहरण द कर मनयता क लए

या उदाहरण दया ह

3- कव न दधीच कण आद महान यितओ क उदाहरण द कर मनयता क

लए यह सदश दया ह क परोपकार करन वाला ह असल मनय कहलान योय

होता ह मानवता क रा क लए दधीच न अपन शरर क सार अिथया दान कर

द थीकण न अपनी जान क परवाह कय बना अपना कवच द दया था िजस

कारण उह आज तक याद कया जाता ह कव इन उदाहरण क वारा यह

समझाना चाहता ह क परोपकार ह सची मनयता ह

4- कव न कन पितय म यह यत कया ह क हम गव - रहत जीवन यतीत

करना चाहए

4- कव न ननलखत पितय म गव रहत जीवन यतीत करन क बात कह ह-

रहो न भल क कभी मगाघ तछ व म

सनाथ जान आपको करो न गव च म

अथात सपत क घमड म कभी नह रहना चाहए और न ह इस बात पर गव

करना चाहए क आपक पास आपक अपन का साथ ह यक इस दनया म कोई

भी अनाथ नह ह सब उस परम पता परमवर क सतान ह

5- मनय मा बध ह स आप या समझत ह पट किजए

5- मनय मा बध ह अथात हम सब मनय एक ईवर क सतान ह अतः हम

सब भाई - बध ह भाई -बध होन क नात हम भाईचार क साथ रहना चाहए और

एक दसर का बर समय म साथ दना चाहए

6- कव न सबको एक होकर चलन क रणा य द ह

6- कव न सबको एक होकर चलन क रणा इसलए द ह ताक आपसी समझ न

बगड़ और न ह भदभाव बड़ सब एक साथ एक होकर चलग तो सार बाधाए मट

जाएगी और सबका कयाण और समध होगी

7- यित को कस तरह का जीवन यतीत करना चाहए इस कवता क आधार पर

लखए

7-मनय को परोपकार का जीवन जीना चाहए अपन स पहल दसर क दख क

चता करनी चाहए कवल अपन बार म तो जानवर भी सोचत ह कव क अनसार

मनय वह कहलाता ह जो अपन स पहल दसर क चता कर

8- मनयता कवता क वारा कव या सदश दना चाहता ह

8- मनयता कवता क मायम स कव यह सदश दना चाहता ह क परोपकार ह

सची मनयता ह परोपकार ह एक ऐसा साधन ह िजसक मायम स हम यग तक

लोगो क दल म अपनी जगह बना सकत ह और परोपकार क वारा ह समाज का

कयाण व समध सभव ह अतः हम परोपकार बनना चाहए ताक हम सह

मायन म मनय कहलाय

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-याकरण-

पदबध- परभाषा

पद- वाय स अलग रहन पर शद और वाय म यत हो जान पर शद

पद कहलात ह दसर शद म- वाय म यत शद पद कहलाता ह पदबध-

जब दो या अधक (शद) पद नयत म और निचत अथ म कसी पद का

काय करत ह तो उह पदबध कहत ह

पदबध क भद

मय पद क आधार पर पदबध क पाच कार होत ह-

(1) सा-पदबध (2) वशषण-पदबध

(3) सवनाम पदबध (4) या पदबध

(5) अयय पदबध

(1) सा-पदबध-

(a)चार ताकतवर मजदर इस भार चीज को उठा पाए

(b) राम न लका क राजा रावण को मार गराया

(c) अयोया क राजा दशरथ क चार प थ

(d) आसमान म उड़ता गबारा फट गया

2) वशषण पदबध-

a) तज चलन वाल गाड़या ायः दर स पहचती ह

(b) उस घर क कोन म बठा हआ आदमी जासस ह

(c) उसका घोड़ा अयत सदर फरतीला और आाकार ह

(d) बरगद और पीपल क घनी छाव स हम बहत सख मला

3) सवनाम पदबध-

(a)बजल-सी फरती दखाकर आपन बालक को डबन स बचा लया

(b)शरारत करन वाल छा म स कछ पकड़ गए

(c)वरोध करन वाल लोग म स कोई नह बोला

4) या पदबध-

(a) वह बाजार क ओर आया होगा

(b) मझ मोहन छत स दखाई द रहा ह

(c) सरश नद म डब गया

(d) अब दरवाजा खोला जा सकता ह

5) अयय पदबध-

(a)अपन सामान क साथ वह चला गया

(b)सबह स शाम तक वह बठा रहा

कसी भी भाषा क व शद अयय (Indeclinable या inflexible) कहलात ह िजनक प म

लग वचन पष कारक काल इयाद क कारण कोई वकार उप नह होता

चक अयय का पातर नह होता इसलए ऐस शद अवकार होत ह अयय का शािदक

अथ ह- जो यय न हो

(i) कालवाचक अयय- इनम समय का बोध होता ह जस- आज कल तरत पीछ पहल अब

जब तब कभी-कभी कब अब स नय जब स सदा स अभी तभी आजकल और कभी

उदाहरणाथ-

अब स ऐसी बात नह होगी

ऐसी बात सदा स होती रह ह

वह कब आया मझ पता नह

(ii) थानवाचक अयय- इसस थान का बोध होता ह जस- यहा वहा कहा जहा यहा स

वहा स इधर-उधर उदाहरणाथ-

वह यहा नह ह

वह कहा जायगा

वहा कोई नह ह

जहा तम हो वहा म ह

(iii) दशावाचक अयय- इसस दशा का बोध होता ह जस- इधर उधर िजधर दर पर अलग

दाहन बाए आरपार

(iv) िथतवाचक अयय- नीच ऊपर तल सामन बाहर भीतर इयाद

अयय क भद

अयय ननलखत चार कार क होत ह -

(1) यावशषण (Adverb)

(2) सबधबोधक (Preposition)

(3) समचयबोधक (Conjunction)

(4) वमयादबोधक (Interjection)

(1) यावशषण - िजन शद स या वशषण या दसर यावशषण क वशषता कट

हो उह यावशषण कहत ह

दसर शदो म- जो शद या क वशषता बतलात ह उह या वशषण कहा जाता ह

जस- राम धीर-धीर टहलता ह राम वहा टहलता ह राम अभी टहलता ह

इन वाय म धीर-धीर वहा और अभी राम क टहलन (या) क वशषता बतलात ह य

यावशषण अवकार वशषण भी कहलात ह इसक अतरत यावशषण दसर

यावशषण क भी वशषता बताता ह

वह बहत धीर चलता ह इस वाय म बहत यावशषण ह यक यह दसर यावशषण

धीर क वशषता बतलाता ह

या वशषण क कार

(1) योग क अनसार- (i) साधारण (ii) सयोजक (iii) अनबध

(2) प क अनसार- (i) मल यावशषण (ii) यौगक यावशषण (iii) थानीय यावशषण

(3) अथ क अनसार- (i) परमाणवाचक (ii) रतवाचक

(1) योग क अनसार यावशषण क भद

योग क अनसार यावशषण क तीन भद ह-

(i) साधारण यावशषण- िजन यावशषण का योग कसी वाय म वत होता ह

उह साधारण यावशषण कहा जाता ह

जस- हाय अब म या क बटा जद आओ अर साप कहा गया

(ii) सयोजक यावशषण- िजन यावशषण का सबध कसी उपवाय स रहता ह उह

सयोजक यावशषण कहा जाता ह

जस- जब रोहताव ह नह तो म ह जीकर या कगी जहा अभी सम ह वहा कसी

समय जगल था

(iii) अनबध यावशषण- िजन यावशषण क योग अवधारण (नचय) क लए कसी

भी शदभद क साथ होता हो उह अनबध यावशषण कहा जाता ह

जस- यह तो कसी न धोखा ह दया ह मन उस दखा तक नह

(2) प क अनसार यावशषण क भद

प क अनसार यावशषण क तीन भद ह-

(i) मल यावशषण- ऐस यावशषण जो कसी दसर शद क मल स नह बनत मल

यावशषण कहलात ह

जस- ठक दर अचानक फर नह

(ii) यौगक यावशषण- ऐस यावशषण जो कसी दसर शद म यय या पद जोड़न

पर बनत ह यौगक यावशषण कहलात ह

जस- मन स िजसस चपक स भल स दखत हए यहा तक झट स वहा पर यौगक

यावशषण सा सवनाम वशषण धात और अयय क मल स बनत ह

यौगक यावशषण नीच लख शद क मल स बनत ह-

(i) साओ क वित स- घर-घर घड़ी-घड़ी बीच-बीच हाथ-हाथ

(ii) दो भ साओ क मल स- दन-रात साझ-सबर घर-बाहर दश-वदश

(iii) वशषण क वित स- एक-एक ठक-ठक साफ-साफ

(iv) यावशषण क वित स- धीर-धीर जहा-तहा कब-कब कहा-कहा

(v) दो यावशषण क मल स- जहा-तहा जहा-कह जब-तब जब-कभी कल-परस आस-पास

(vi) दो भ या समान यावशषण क बीच न लगान स- कभी-न-कभी कछ-न-कछ

(vii) अनकरण वाचक शद क वित स- पटपट तड़तड़ सटासट धड़ाधड़

(viii) सा और वशषण क योग स- एक साथ एक बार दो बार

(ix) अय य और दसर शद क मल स- तदन यथाम अनजान आजम

(x) पवकालक कदत और वशषण क मल स- वशषकर बहतकर मयकर एक-एककर

(iii) थानीय यावशषण- ऐस यावशषण जो बना पातर क कसी वशष थान म

आत ह थानीय यावशषण कहलात ह

जस- वह अपना सर पढ़गा

वह दौड़कर चलत ह

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  • (1) अरथ की दषटि स शबद-भद13
  • (2) परयोग की दषटि स शबद-भद13
  • (3) उतपति की दषटि स शबद-भद13
  • 1) सवर सधि-13
  • परति+छवि=परतिचछवि दिक+अनत=दिगनत दिक+गज=दिगगज अन+छद=अनचछद अच +अनत = अजनत 13
  • 3)विसरग सधि - विसरग क साथ सवर या वयजन का मल होन पर जो विकार होता ह उस 13
  • विसरग सधि कहत ह 13
  • मन+रथ=मनोरथ यश+अभिलाषा=यशोभिलाषा अध+गति=अधोगति नि+छल=निशछल द +गम = दरगम 13
    • -पाठ सार-13
    • -वयाखया13
    • -निमनलिखित परशनो क उततर दीजिय ndash13
    • 1-कवि न कसी मतय को समतय कहा ह13
    • अवयय क भद13
    • करिया विशषण क परकार13
Page 4: Class –X HINDI JUNE SYLLABUS 2020 Chapters:- Ch-1-Sanchayan …punainternationalschool.com/assets/upload/ck-images/Std-10th=Jun… · -harihar kaka . पय-भाग पाठ-3

5-बठ रह अत सघन बन पठ सदन तन माह

दख दपहर जठ क छाह चाहत छाह

इस दोह म कव न जठ महन क गम का चण कया ह कव का कहना ह क जठ क

गरमी इतनी तज होती ह क छाया भी छाह ढ़ढ़न लगती ह ऐसी गम म छाया भी कह

नजर नह आती वह या तो कह घन जगल म बठ होती ह या फर कसी घर क अदर

6-कागद पर लखत न बनत कहत सदस लजात

कहह सब तरौ हयौ मर हय क बात

इस दोह म कव न उस नायका क मनिथत का चण कया ह जो अपन मी क लए

सदश भजना चाहती ह नायका को इतना लबा सदश भजना ह क वह कागज पर समा

नह पाएगा लकन अपन सदशवाहक क सामन उस वह सब कहन म शम भी आ रह ह

नायका सदशवाहक स कहती ह क तम मर अयत करबी हो इसलए अपन दल स तम

मर दल क बात कह दना

7-गट भए वजराज कल सबस बस ज आइ

मर हरौ कलस सब कसव कसवराइ

कव का कहना ह क ीकण न वय ह ज म चवश म जम लया था मतलब अवतार

लया था बहार क पता का नाम कसवराय था इसलए व कहत ह क ह कण आप तो

मर पता समान ह इसलए मर सार कट को दर किजए

8-जपमाला छाप तलक सर न एकौ काम

मन काच नाच बथा साच राच राम

आडबर और ढ़ग कसी काम क नह होत ह मन तो काच क तरह ण भगर होता ह जो

यथ म ह नाचता रहता ह माला जपन स माथ पर तलक लगान स या हजार बार राम

राम लखन स कछ नह होता ह इन सबक बदल यद सच मन स भ क आराधना क

जाए तो वह यादा साथक होता ह

-न उर

1-छाया कब छाया ढढ़न लगती ह

ीम क जठ मास क दोपहर म धप इतनी तज होती ह क सर पर आन लगती ह िजसस

वतओ क छाया छाया छोट होती जाती ह इसलए कव का कहना ह क जठ क दपहर

क भीषण गम म छाया भी त होकर छाया ढढ़न लगती ह

2-बहार क नायका यह य कहती ह lsquoकहह सब तरौ हयौ मर हय कrsquo बात-पट

किजए

2-बहार क नायका अपन य को प वारा सदश दना चाहती ह पर कागज पर लखत

समय कपकपी और आस आ जात ह नायका वरह क अिन म जल रह ह लखत समय

वह अपन मन क बात बतान म खद को असमथ पाती ह कसी क साथ सदश भजगी तो

कहत लजा आएगी इसलए वह सोचती ह क जो वरह अवथा उसक ह वह उसक य

क भी होगी अतः वह कहती ह क अपन दय क वदना स मर वदना को समझ जाएग

कछ कहन सनन क जरत नह रह जाती

3 सच मन म राम बसत ह-दोह क सदभानसार पट किजए

बहार जी क अनसार भित का सचा प दय क सचाई म नहत ह बहार जी ईवर

ाित क लए धम कमकाड को दखावा समझत थ माला जपन छाप लगवाना माथ पर

तलक लगवान स भ नह मलत जो इन यथ क आडबर म भटकत रहत ह व झठा

दशन करक दनया को धोखा द सकत ह परत भगवान राम तो सच मन क भित स

ह सन होत ह

4 गोपया ीकण क बासर य छपा लती ह

कण जी को अपनी बासर बहत य ह व उस बजात ह रहत ह गोपया कण स बात

करना चाहती ह व कण को रझाना चाहती ह उनका यान अपनी ओर आकषत करन क

लए मरल छपा दती ह ताक बासर क बहान कण उनस बात कर और अधक समय

तक व उनक नकट रह पाए

5 बहार कव न सभी क उपिथत म भी कस बात क जा सकती ह इसका वणन कस

कार कया ह अपन शद म लखए

बहार न बताया ह क घर म सबक उपिथत म नायक और नायका इशार म अपन मन

क बात करत ह नायक न सबक उपिथत म नायका को इशारा कया नायका न इशार

स मना कया नायका क मना करन क तरक पर नायक रझ गया इस रझ पर नायका

खीज उठ दोन क न मल जान पर आख म म वीकत का भाव आता हा इस पर

नायक सन हो जाता ह और नायका क आख म लजा जाती ह

-ननलखत का भाव पट किजए ndash

1-मनौ नीलमनी-सल पर आतप पय भात

इस पित म कण क सदय का वणन ह कण क नील शरर पर पील रग क व ह व

दखन म ऐस तीत होत ह मान नीलमणी पवत पर सबह का सय जगमगा उठा हो

2-जगत तपोबन सौ कयौ दरघ-दाघ नदाघ

इस पित का आशय ह क ीम ऋत क भीषण गम स परा जगल तपोवन जसा पव

बन गया ह सबक आपसी दमनी समात हो गई ह साप हरण और सह सभी गम स

बचन क लए साथ रह रह ह ऐसा तीत होता ह जस तपवी का सानय पाकर य आपसी

वर-भाव भल गए ह

3-जपमाला छाप तलक सर न एकौ काम

मन-काच नाच बथा साच राच राम

इन पितय वारा कव न बाहर आडबर का खडन करक भगवान क सची भित करन

पर बल दया ह इसका भाव ह क माला जपन छाप लगवाना माथ पर तलक लगवान स

एक भी काम नह बनता कच मन वाल का दय डोलता रहता ह व ह ऐसा करत ह

जो इन यथ क आडबर म भटकत रहत ह व झठा दशन करक दनया को धोखा द सकत

ह परत भगवान राम तो सच मन क भित स ह सन होत ह राम तो सच मन स

याद करन वाल क दय म रहत ह

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याकरण-भाग

शद और पद

शद और पद- यहा शद और पद का अतर समझ लना चाहए वनय क मल स शद

बनता ह जस- प+आ+न+ई= पानी यह शद जब वाय म अथवाचक बनकर आय तो वह

पद कहलाता ह

जस- पतक लाओ इस वाय म दो पद ह- एक नामपद पतक ह और दसरा यापद

लाओ ह

शद क भद

अथ योग उप और यप क िट स शद क कई भद ह इनका वणन नन कार

ह-

(1) अथ क िट स शद-भद

(i)साथक शद (ii) नरथक शद

(i)साथक शद- िजस वण समह का पट प स कोई अथ नकल उस साथक शद कहत

जस- कमल खटमल रोट सव आद

(ii)नरथक- िजस वण समह का कोई अथ न नकल उस नरथक शद कहत ह

जस- राट वठा ची वाना वोती आद

साथक शद क अथ होत ह और नरथक शद क अथ नह होत जस- पानी साथक शद

ह और नीपा नरथक शद यक इसका कोई अथ नह

(2) योग क िट स शद-भद

शद क साथक मल स वाय क रचना होती ह वाय क मल स भाषा बनती ह शद

भाषा क ाणवाय होत ह वाय म शद का योग कस प म कया जाता ह इस

आधार पर हम शद को दो वग म बाटत ह

(i)वकार शद (ii)अवकार शद

(i)वकार शद - िजन शद क प म लग वचन कारक क अनसार परवतन का वकार

आता ह उह वकार शद कहत ह

इस हम ऐस भी कह सकत ह- वकार यानी परवतन व शद िजनम लग वचन कारक

आद क कारण वकार (परवतन) आ जाता ह उह वकार शद कहत ह

जस- लग- लड़का पढता ह लड़क पढ़ती ह

वचन- लड़का पढता हलड़क पढ़त ह

कारक- लड़का पढता ह लड़क को पढ़न दो

वकार शद चार कार क होत ह-

(i) सा (noun) (ii) सवनाम (pronoun) (iii) वशषण (adjective) (iv) या (verb)

(ii)अवकार शद -िजन शद क प म कोई परवतन नह होता उह अवकार शद कहत

दसर शद म- अ वकार यानी िजनम परवतन न हो ऐस शद िजनम लग वचन कारक

आद क कारण कोई परवतन नह होता अवकार शद कहलात ह

जस- परत तथा यद धीर-धीर अधक आद

अवकार शद भी चार कार क होत ह-

(i)या-वशषण (Adverb)

(ii)सबध बोधक (Preposition)

(iii)समचय बोधक(Conjunction)

(iv)वमयाद बोधक(Interjection)

(3) उपत क िट स शद-भद

(i)तसम शद (ii )तभव शद (iii )दशज शद एव (iv)वदशी शद

(i) तसम शद - सकत भाषा क व शद जो हद म अपन वातवक प

म यत होत ह उह तसम

शद कहत ह

दसर शद म- तत (उसक) + सम (समान) यानी व शद जो सकत भाषा स

हद भाषा म बना कसी बदलाव (मलप म) क ल लए गए ह तसम शद

कहलात ह

सरल शद म- हद म सकत क मल शद को तसम कहत ह

जस- कव माता वया नद फल पप पतक पवी काय मय आद

यहा सकत क उन तमो क सची ह जो सकत स होत हए हद म आय

ह-

तसम हद तसम हद

आ आम गोमल गोमय गोबर

उ ऊ ट घोटक घोड़ा

चच चच पयक पलग

वरत तरत भ भात

शलाका सलाई हरा हद हरद

गय भाग

पाठ-2

डायर क पन ndashसीताराम सकसरया

-लखक का परचय -

-सीताराम सकसरया को समाज सवा क म सन 1962 म पम भषण स समानत कया

गया था य असम राय स ह

सीताराम सकसरया एक भारतीय वतता कायकता गाधीवाद समाजवाद और पिचम बगाल

क सथा बडर थ जो मारवाड़ी समदाय क उथान क लए उनक योगदान क लए जान जात थ वह

एक उच वयालय सथान मारवाड़ी बालकका वयालय समाज सधार समत एक सामािजक

सगठन और भारतीय भाषा परषद उच शा सथान ी शाशाटन सहत कई सथान और

सगठन क सथापक थ एक गर सरकार सगठन भारत सरकार न समाज म उनक योगदान क लए

उह 1 9 62 म पम भषण का तीसरा सवच नागरक समान दया उनक जीवन क कहानी एक

कताब पम भषण सीताराम सकसरया अभनदन थ म काशत क गई ह िजस भावरमल सह

वारा सपादत कया गया ह और 1 9 74 म काशत कया गया था

-पाठ का सार-

शदाथ-

पराव ndashफर स आना अपन-हम या म

गत-घम घम कर चौकदार करना साजट ndashसना म एक पद

मोनमट-मारक काउिसल-परष

चौरगी-कलकाता का एक थान वालटयर ndashवयम सवक

सगीन ndashगभीर

-न उर-

-ननलखत न क उर (10-12 शद म) लखए minus

1-कलका वासय क लए 26 जनवर 1931 का दन य महवपण था

1-दश का वतता दवस एक वष पहल इसी दन मनाया गया था इसस पहल बगाल

वासय क भमका नह थी अब व य तौर पर जड़ गए इसलए यह महवपण

दन था

2-सभाष बाब क जलस का भार कस पर था

2-सभाषा बाब क जलस का भार पणदास पर था परत पलस न उह पकड़ लया

3-वयाथ सघ क मी अवनाश बाब क झडा गाड़न पर या तया हई

3-बगाल ातीय वयाथ सघ क मी अवनाश बाब न जस ह झडा गाड़ा पलस न

उह पकड़ लया और लोग पर लाठया चलाई

4-लोग अपन-अपन मकान व सावजनक थल पर राय झडा फहराकर कस बात का

सकत दना चाहत थ

4-लोग अपन-अपन मकान व सावजनक थल पर राय झडा फहराकर बताना चाहत

थ क व अपन को आज़ाद समझ कर आज़ाद मना रह ह उनम जोश और उसाह ह

5-पलस न बड़-बड़ पाक और मदान को य घर लया था

5-आज़ाद मनान क लए पर कलका शहर म जनसभाओ और झडारोहण उसव का

आयोजन कया गया इसलए पाक और मदान को घर लया था

-ननलखत न क उर (25-30 शद म) लखए minus

1-26 जनवर 1931 क दन को अमर बनान क लए या-या तयारया क ग

1-26 जनवर 1931 क दन को अमर बनान क लए कलका शहर न शहर म जगह-

जगह झड लगाए गए थ कई थान पर जलस नकाल गए तथा झड़ा फहराया गया

था टोलया बनाकर भीड़ उस थान पर जटन लगी जहा सभाष बाब का जलस पहचना

था पलस क लाठचाज तथा गरफ़तार लोग क जोश को कम न कर पाए

2-आज जो बात थी वह नराल थीrsquo minus कस बात स पता चल रहा था क आज का दन

अपन आप म नराला ह पट किजए

2-आज का दन नराला इसलए था यक वतता दवस मनान क थम आव

थी पलस न सभा करन को गरकाननी कहा था कत सभाष बाब क आवान पर पर

कलका म अनक सगठन क मायम स जलस व सभाओ क जोशील तयार थी परा

शहर झड स सजा था तथा कसल न मोनमद क नीच झडा फहरान और वतता क

ता पढ़न का सरकार को खला चलज दया हआ था पलस भरपर तयार क बाद भी

कामयाब नह हो पाई

3-पलस कमनर क नोटस और कसल क नोटस म या अतर था

3-पलस कमनर न नोटस नकाला था क कोई भी जनसभा करना या जलस

नकालना कानन क खलाफ़ होगा सभाओ म भाग लन वाल को दोषी माना जाएगा

कसल न नोटस नकाला था क मोनमट क नीच चार बजकर चौबीस मनट पर झडा

फहराया जाएगा तथा वतता क ता पढ़ जाएगी इस कार य दोन नोटस एक

दसर क खलाफ़ थ

4-धमतल क मोड़ पर आकर जलस य टट गया

4-जब सभाष बाब को पकड़ लया गया तो िया जलस बनाकर चल परत पलस न

लाठ चाज स उह रोकना चाहा िजसस कछ लोग वह बठ गए कछ घायल हो गए और

कछ पलस वारा गरतार कर लए गए इसलए जलस टट गया

5-डा दासगता जलस म घायल लोग क दख-रख तो कर रह थ उनक फ़ोटो भी

उतरवा रह थ उन लोग क फ़ोटो खीचन क या वजह हो सकती थी पट किजए

5-डा दास गता लोग क फ़ोटो खचवा रह थ इसस अज़ क जम का पदाफ़ाश

कया जा सकता था दसरा यह भी पता चल सकता था क बगाल म वतता क लड़ाई

म बहत काम हो रहा ह

-ननलखत न क उर (50-60 शद म) लखए minus

1-सभाष बाब क जलस म ी समाज क या भमका थी

1-सभाष बाब क जलस म ी समाज क महवपण भमका रह थी भार पलस

यवथा क बाद भी जगह-जगह ी जलस क लए टोलया बन गई थी मोनमट पर

भी िय न नडर होकर झडा फहराया अपनी गरतारया करवाई तथा उनपर लाठया

बरसाई इनसब क बाद भी िया लाल बाज़ार तक आग बढ़ती ग

2-जलस क लाल बाज़ार आन पर लोग क या दशा हई

2-जलस क लाल बाज़ार आन पर भीड़ बकाब हो गई पलस डड बरसा रह थी लोग

को लॉकअप म भज रह थी िया भी अपनी गरफ़तार द रह थी दल क दल नार

लगा रह थ लोग का जोश बढ़ता ह जा रहा था लाठ चाज स लोग घायल हो गए थ

खन बह रहा था चीख पकार मची थी फर भी उसाह बना हआ था

3-जब स कानन भग का काम श हआ ह तब स आज तक इतनी बड़ी सभा ऐस मदान म

नह क गई थी और यह सभा तो कहना चाहए क ओपन लड़ाई थीrsquo यहा पर कौन स और

कसक वारा लाग कए गए कानन को भग करन क बात कह गई ह या कानन भग

करना उचत था पाठ क सदभ म अपन वचार कट किजए

3-इस समय दश क आज़ाद क लए हर यित अपना सवव लटान को तयार था अज़

न कानन बनाकर आदोलन जलस को गर काननी घोषत कया हआ था परत लोग पर

इसका कोई असर नह था व आज़ाद क लए अपना दशन करत रह गलामी क जजीर

को तोड़न का यास करत रह थ

4-बहत स लोग घायल हए बहत को लॉकअप म रखा गया बहत-सी िया जल ग फर

भी इस दन को अपव बताया गया ह आपक वचार म यह सब अपव य ह अपन शद

म लखए

4-सभाष च बोस क नतव म कलका वासय न वतता दवस मनान क तयार ज़ोर-

शोर स क थी पलस क सती लाठ चाज गरफ़तारया इन सब क बाद भी लोग म

जोश बना रहा लोग झड फहरात वद मातरम बोलत हए खन बहात हए भी जलस

नकालन को तपर थ जलस टटता फर बन जाता कलका क इतहास म इतन चड

प म लोग को पहल कभी नह दखा गया था

आशय पट किजए minus

1-आज तो जो कछ हआ वह अपव हआ ह बगाल क नाम या कलका क नाम पर कलक

था क यहा काम नह हो रहा ह वह आज बहत अश म धल गया

1-हजार ी पष न जलस म भाग लया आज़ाद क सालगरह मनान क लए बना

कसी डर क दशन कया पलस क बनाए कानन क जलस आद गर काननी काय आद

क भी परवाह नह क पलस क लाठ चाज होन पर लोग घायल हो गए खन बहन लग

परत लोग म जोश क कोई कमी नह थी बगाल क लए कहा जाता था क वतता क

लए बहत यादा योगदान नह दया जा रहा ह आज क िथत को दखकर उन पर स

यह कलक मट गया

2-खला चलज दकर ऐसी सभा पहल नह क गई थी

2- पलस न कोई दशन न हो इसक लए कानन नकाला क कोई जलस आद आयोिजत

नह होगा परत सभाष बाब क अयता म कसल न नोटस नकाला था क मोनमट क

नीच झडा फहराया जाएगा और वतता क ता पढ़ जाएगी सभी को इसक लए

आमत कया गया खब चार भी हआ सार कलक म झड फहराए गए थ सरकार और

आम जनता म खल लड़ाई थी|

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याकरण-सध

याया -1-सध शद का अथ ह lsquoमलrsquo दो नकटवत वण क आपसी मल स जो परवतन होता

ह उस सध कहलाता ह सम + तोष = सतोष दव + इ = दव भान + उदय = भानदय

सध तीन कार ह

1-वर सध

2- यजन सध

3- वसग सध

1) वर सध-

दो वर क आस -पास आन पर उनम जो परवतन होता ह उस वर सध कहत ह

जस ndash वया + आलय = वयालय

1) दघ वर सध

अ इ उ क बाद दघ अ इ उ आ जाए तो दोनो मलकर दघ सध आ ई ऊ हो जात

अ + आ = आ हम + आलय = हमालय

इ + ई = ई - गर + ईश = गरश

ई + इ = ई - मह + इ = मह

ई + ई = ई - नद + ईश = नदश

उ + ऊ = ऊ- लघ + ऊम = लघम

ऊ + उ = ऊ- वध + उसव = वधसव

ऊ + ऊ = ऊ - भ + ऊव = भव

2) गण वर सध -इस सध म अ आ क आग इ ई हो तो ए उ ऊ हो तो औ और

अगर ऋ हो तो अर हो जाता ह उस गण सध कहत ह

अ + इ = ए- नर + इ = नर अ + ई = ए- नर + ईश = नरश

आ + इ = ए- महा + इ = मह आ + ई = ए महा + ईश = महश

अ + उ = ओ ान + उपदश = ानोपदश आ+उ= ओ महा + उसव = महोसव

3) यण वर सध- इस सध म इ ई उ ऊ और ऋ क बाद कोई अलग वर आए

तो इनका परवतन मश य व और र म हो जाता ह

इ का य = इत +आद = इयाद ई का य = दवी +आवाहन = दयावाहन

उ का व = स +आगत = वागत ऊ का व = वध +आगमन = ववागमन

4) वध वर सध- आ + ए ऐ -gt ऐ

अ आ + ओ औ -gt औ

अ +ए =ऐ एक +एक = एकक अ +ऐ =ऐ मत +ऐय = मतय

अ +औ=औ परम +औषध = परमौषध आ +औ =औ महा +औषध = महौषध

आ +ओ =औ महा +ओघ = महौघ

5)अयाद वर सध- इस सध म ए ऐ और ओ औ क पशचात इह छोड़कर को

अय वर हो तो इनका परवतन मश अय आय अव आव म हो जाता ह )

ए का अय न +अन = नयन ऐ का आय न +अक = नायक

ओ का अव पो +अन = पवन औ का आव पौ +अन = पावन

न का परवतन ण म = ो +अन = वण

2)यजन सध- यजन क साथ वर अथवा यजन क मल स उस यजन म जो

पातरण होता ह उस यजन सध कहत ह

त+छव=तछव दक+अत=दगत

दक+गज=दगज अन+छद=अनछद

अच +अत = अजत

3)वसग सध - वसग क साथ वर या यजन का मल होन पर जो वकार होता ह उस

वसग सध कहत ह

मन+रथ=मनोरथ यश+अभलाषा=यशोभलाषा

अध+गत=अधोगत न+छल=नछल

द +गम = दगम

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गय-भाग

पाठ-12

(ततारा-वामीरो कथा )

(ललाधर मडलोई)

-लखक का परचय- ललाधर मडलोईमडलोई का जम भारतीय

राय मयदश क छदवाडा िजल क गढ़ नामक गाव म हआ मडलोई न भारत म बीए

बीएड (अज़ी) पाकारता म नातक और एमए (हद) तक शा हण कया और

इसक बाद व लदन चल गय जहा स सारण म उच-शा (सीआरट) हण क

मडलोई दरदशन आकाशवाणी क महानदशक सहत कई राय-अतरराय समतय क

साथ ह सार भारती बोड क सदय रह चक ह

-पाठ का सार-

जो सयता िजतनी अधक परानी होगी उतनी ह अधक कस -कहानया उसस जड़ी होती ह जो

हम सनन को मलती ह जो कस - कहानया हम सनन को मलती ह जर नह क वो उसी तरह

घटत हई हो िजस तरह वो हम सनाई जा रह हइतना जर होता ह क इन कस और कहानय

म कोई न कोई सीख छपी होती ह अदमान नकोबार वीपसमह म भी बहत तरह क कस -

कहानया मशहर ह इनम स कछ को ललाधर मडलोई न लखा ह

तत पाठ ततारा वामीरो कथा अडमान नकोबार वीप समह क एक छोट स वीप पर क त ह

उस वीप पर एक -दसर स शता का भाव अपनी अतम सीमा पर पहच चका था इस शता क

भावना को जड़ स उखाड़न क लए एक जोड़ को आमबलदान दना पड़ा था उसी जोड़ क बलदान

का वणन लखक न तत पाठ म कया ह

यार सबको एक साथ लाता ह और नफरत सब क बीच दरय को बढ़ाती हइस बात स भला कौन

इनकार कर सकता ह इसलए जो कोई भी समाज क लए अपन यार का अपन जीवन का

बलदान करता ह समाज न कवल उस याद रखता ह बिक उसक वारा कय गए याग और

बलदान को बकार नह जान दता यह वह कारण ह िजसक वजह स तकालन समाज क सामन

मसाल कायम करन वाल इस जोड़ को आज भी इस वीप क नवासी गव और धा स याद करत

-शदाथ-

-खला-म कड़ी -आदम ndashाभक

-वभत ndashबटा हआ -आमीय ndashअपना

-वलण ndashअसाधारण -बयार-मद हवा

त-एकाता -वकल-बचन

-सचार-उपन -असगत ndashअनचत

समोहतndash मध -झझलाना ndash चड़ना

-रोमाचत ndash पलकत -नचल- िथर

-अफवाह ndash उड़ती खबर -उफनना ndash उबाल आना

शमन ndashशात होना -घपना भकनाचभना

-न-उर-

1-ततारा और वामीरो क गाव क या थी

उर- ततारा और वामीरो क गाव क यह रत थी क ववाह क लए लड़क-लड़क का एक

ह गाव का होना जर था दसर गाव क यवक क साथ सबध असभव था

2-ततारा क तलवार क बार म लोग का या मत था

उर- ततारा क तलवार ययप लकड़ी क थी पर इसक बावजद लोग का मानना था क

उस तलवार म अभत दवीय शित थी ततारा तलवार को कभी अपन स अलग होन नह

दता था लोग यह मानत थ क ततारा अपन साहसक कारनाम इसी तलवार क कारण ह

कर पाता ह उसम बड़ी शित थी

3-नकोबार क लोग ततारा को य पसद करत थ

उर- नकोबार क लोग ततारा को उसक साहसी और परोपकार वभाव क कारण पसद करत

थ वह एक सदर और शितशाल यवक था वह सदा लोग क सहायता करता रहता था

ततारा एक नक और मददगार यित था वह अपन गाव वाल क ह नह समच

वीपवासय क सवा करना अपना धम समझता था सभी उसका आदर करत थ मसीबत

क घड़ी म वह लोग क पास तरत पहच जाता था

4- ाचीन काल म मनोरजन और शित-दशन क लए कस कार क आयोजन कए जात

उर- ाचीन काल म मनोरजन और शित-दशन क लए अ-श चलान सबधी

आयोजन तथा पश पव कए जात थ

5-lsquoततारा-वामीरो कथाrsquo का सदश पट किजए

उर- lsquoततारा-वामीरो कथाrsquo एक लोकगाथा ह इसम यह सदश दया गया ह क म को कसी

बधन जड़ता तथा सीमाओ म बाधना उचत नह ह यद कोई गाव दश या म को

पनपन क लए खला अवसर नह दता तो इसस सवनाश होता ह धरती म भदभाव बढ़त ह

पहल स बट हई धरती और अवसर नह दता तो इसस मानवता का य होता ह भावनाए

एक होन क बजाय खडत होती ह अतः गाव दश या अय सकण नयमो को तोड़कर

हम उदारता क साथ सबको अपनाना चाहए

7-नक ततारा और वामीरो क मय कस हई पठत पाठ क आधार पर लखए

उर- पश-पव क मौक पर ततारा और वामीरो को इकठा दखकर वामीरो क मा ोध म

उफन उठ उसन ततारा को तरह-तरह स अपमानत कया गाव क लोग भी ततारा क

वरोध म आवाज उठान लग यह ततारा क लए अहसनीय था वामीरो अब भी रोए जा रह

थी ततारा भी गस स भर उठा उस जहा ववाह क नषध परपरा पर ोभ था वह अपनी

असहायता पर खीझ वामीरो का दख उस और गहरा कर रहा था उस मालम नह था क

या कदम उठाना चाहए अनायास उसका हाथ तलवार क मढ़ पर जा टका ोध म उसन

तलवार नकाल और कछ वचार करता रहा ोध लगातार अिन क तरह बढ़ रहा था

लोग सहम उठ एक सनाटा-सा खच गया जब कोई राह न सझी तो ोध का शमन करन

क लए उसम शित भर उस धरती म घप दया और ताकत स उस खीचन लगा वह

पसीन स नहा उठा सब घबराए हए थ वह तलवार को अपनी तरफ खीचत-खीचत दर तक

पहच गया वह हाफ रहा था अचानक जहा एक लकर खच गई थी वहा एक दरार होन

लगी मानो धरती दो टकड़ो म बटन लगी हो एक गड़गड़ाहट-सी गजन लगी और लकर क

सीध म धरती फटती ह जा रह थी वीप क अतम सर तक ततारा धरती को मानो ोध

म काटता जा रहा था सभी याकल हो उठ लोग न ऐस य क कपना न क थी व

सहर उठ उधर वामीरो फटती हई धरती क कनार ततारा का नाम पकारत हए दौड़ रह थी

वीप दो टकड़ म वभत हो चका था ततारा और वामीरो वीप क साथ सम म धस

गए और उमय हो गई

8-शाम क समय सम कनार ततारा क ाकतक अनभत का वणन किजए

उर- एक शाम ततारा दन-भर क अथक परम क बाद सम कनार टहलन नकल

पड़ा सरज सम स लग तज तल डबन को था सम स ठडी बयार आ रह थी

पय क सायकालन चाहचाहाहट शनः शनः ीण ह को थी उसका मन शात था

वचारमन ततारा सम बाल पर बठकर सरज क अतम रग-बरगी करण को सम

पर नहारन लगा तभी कह पास म उस मधर गीत गजता सनाई दया गीत मान

बहता हआ उसक तरफ आ रहा हो बीच-बीच म लहर का सगीत सनाई दता गायन

भावी था क वह अपनी सध-बध खोन लगा लहर क एक बल वग न उसक ता भग

क चतय होत ह वह उधर बढ़न को ववश हो उठा िजधर स अब भी गीत क वर बह

रह थ वह वकल-सा उस तरफ़ बढ़ता गया अततः उसक नजर एक यवती पर पड़ी जो

ढलती हई शाम क सदय म बसध एकटक सम क दह पर डबत आकषक रगो को

नहारत हए गा रह थी यह एक शगार गीत था

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Vyakr`-vaKy-

bull वाय क सामन दए कोठक म ( radic का चह लगाकर बताए क वह वाय कस

कार का ह

क) नकोबार उस बहद म करत थ (नवाचक वधानवाचक नषधामक

वमयादबोधक)

ख) तमन एकाएक इतना मधर गाना अधरा य छोड़ दया नवाचक

वधानवाचक नषधामक वमयादबोधक)

ग) वामीरो क मा ोध म उफन उठ (नवाचक वधानवाचक नषधामक

वमयादबोधक)

घ) या तह गाव का नयम नह मालम नवाचक वधानवाचक नषधामक

वमयादबोधक)

ङ) वाह कतना सदर नाम ह (नवाचक वधानवाचक नषधामक

वमयादबोधक)

च) म तहारा राता छोड़ दगा

वमयादबोधक)

उर- क) वधानवाचक

ग) वधानवाचक

ङ) वमयादबोध

Ocirc-इस पाठ म lsquo दखना lsquo या क कई प आए ह

शदयोग म या अतर ह

Ocirc-उर-

म तहारा राता छोड़ दगा (नवाचक वधानवाचक नषधामक

ख) नवाचक

घ) नवा

च) वधानवाचक

या क कई प आए ह lsquo दखना lsquo क इन वभन

वाययोग वारा पट किजए

नषधामक

नवाचक

वधानवाचक

क इन वभन

-वाय क उदाहरण-

सचयन-भाग

पाठ-1 (हरहर काका )

-शदाथ -

तबयत - शरर क िथत यणा - यातना कलश कट

मनःिथत - मन क िथत चद - कछ

आसित ndash लगाव यावहारक - यावहार सबधी

वचारक - वचार सबधी दलार - यार

सयाना - यक बधमान तीा - इतज़ार

फ़लहाल - अभी इस समय मझधार - बीच म

वलन - लत हो जाना वकप - दसरा उपाय

चलत ndash चलनसार जात - जगाना

कलवर - शरर मनौती - मनत

परपरा - था णाल अधकाश - यादातर

समत ndash सथा सचालन - नयण चलाना

नयित - तनाती लगाया गया वमख - तकल

चपट - आघात हार अहाता-चार ओर स दवार स घरा हआ मदान

अखड ndash नवन वफोट - फट कर बाहर नकलना

आगमन - आन पर उपलय - सकत

सराहना ndash शसा निचत - बफ

-लखक का परचय-मथलवर का जम 31 दसबर 1950 को बहार क

भोजपर िजल क बसाडीह नामक गाव म हआ इनक पता व० ो० वशरोपन लाल थ

मथलवर क पता (ो० वशरोपन लाल) भी वलण तभा क धनी थ परत उनक

असाय बीमार न मथलवर क जीवन म आरभ स ह कठन सघष क बीज बो दय थ

पाठ सार-

लखक कहता ह क वह हरहर काका क साथ बहत गहर स जड़ा था लखक का हरहर

काका क त जो यार था वह लखक का उनक यावहार क और उनक वचार क कारण

था और उसक दो कारण थ पहला कारण था क हरहर काका लखक क पड़ोसी थ और

दसरा कारण लखक को उनक मा न बताया था क हरहर काका लखक को बचपन स ह

बहत यादा यार करत थ जब लखक यक हआ तो उसक पहल दोती भी हरहर काका

क साथ ह हई थी लखक क गाव क पव दशा म ठाकर जी का वशाल मदर था िजस

गाव क लोग ठाकरबार यान दवथान कहत थ लोग ठाकर जी स प क मनत मागत

मक़दम म जीत लड़क क शाद कसी अछ घर म हो जाए लड़क को नौकर मल जाए

आद मनत मागत थ मनत पर होन पर लोग अपनी ख़शी स ठाकरजी को पए ज़वर

और अनाज चढ़ाया करत थ िजसको बहत अधक ख़शी होती थी वह अपन खत का छोटा-

सा भाग ठाकरजी क नाम कर दता था और यह एक तरह स था ह बन गई लखक कहता

ह क उसका गाव अब गाव क नाम स नह बिक दव-थान क वजह स ह पहचाना जाता

था उसक गाव का यह दव-थान उस इलाक का सबस बड़ा और सध दवथान था

हरहर काका न अपनी परिथतओ क कारण दव-थान म जाना बद कर दया था मन

बहलान क लए लखक भी कभी-कभी दव-थान चला जाता था लकन लखक कहता ह क

वहा क साध-सत उस बलकल भी पसद नह थ यक व काम करन म कोई दलचपी

नह रखत थ भगवान को भोग लगान क नाम पर व दन क दोन समय हलवा-पड़ी

बनवात थ और आराम स पड़ रहत थ सारा काम वहा आए लोग स सवा करन क नाम पर

करवात थ व खद अगर कोई काम करत थ तो वो था बात बनवान का काम

लखक हरहर काका क बार म बताता हआ कहता ह क हरहर काका और उनक तीन भाई

ह सबक शाद हो चक ह हरहर काका क अतरत सभी तीन भाइय क बाल-बच ह

कछ समय तक तो हरहर काका क सभी चीज़ का अछ स यान रखा गया परत फर

कछ दन बाद हरहर काका को कोई पछन वाला नह था लखक कहता ह क अगर कभी

हरहर काका क शरर क िथत ठक नह होती तो हरहर काका पर मसीबत का पहाड़ ह

गर जाता यक इतन बड़ परवार क रहत हए भी हरहर काका को कोई पानी भी नह

पछता था बारामद क कमर म पड़ हए हरहर काका को अगर कसी चीज़ क जरत होती

तो उह खद ह उठना पड़ता एक दन उनका भतीजा शहर स अपन एक दोत को घर ल

आया उह क आन क ख़शी म दो-तीन तरह क सिज़या बजक चटनी रायता और भी

बहत कछ बना था सब लोग न खाना खा लया और हरहर काका को कोई पछन तक नह

आया हरहर काका गस म बरामद क ओर चल पड़ और जोर-जोर स बोल रह थ क

उनक भाई क पिनया या यह सोचती ह क व उह मत म खाना खला रह ह उनक

खत म उगन वाला अनाज भी इसी घर म आता ह

हरहर काका क गस का महत जी न लाभ उठान क सोची महत जी हरहर काका को

अपन साथ दव-थान ल आए और हरहर काका को समझान लग क उनक भाई का परवार

कवल उनक जमीन क कारण उनस जड़ा हआ ह कसी दन अगर हरहर काका यह कह द

क व अपन खत कसी और क नाम लख रह ह तो व लोग तो उनस बात करना भी बद

कर दग खन क रत ख़म हो जायग महत हरहर काका स कहता ह क उनक हस म

िजतन खत ह व उनको भगवान क नाम लख द ऐसा करन स उह सीध वग क ाित

होगी

सबह होत ह हरहर काका क तीन भाई दव-थान पहच गए तीन हरहर काका क पाव म

गर कर रोन लग और अपनी पिनय क गलती क माफ़ मागन लग और कहन लग क

व अपनी पिनय को उनक साथ कए गए इस तरह क यवहार क सज़ा दग हरहर काका

क मन म दया का भाव जाग गया और व फर स घर वापस लौट कर आ गए जब अपन

भाइय क समझान क बाद हरहर काका घर वापस आए तो घर म और घर वाल क

यवहार म आए बदलाव को दख कर बहत खश हो गए घर क सभी छोट-बड़ सभी लोग

हरहर काका का आदर-सकार करन लग

गाव क लोग जब भी कह बठत तो बात का ऐसा सलसला चलता िजसका कोई अत नह

था हर जगह बस उह क बात होती थी कछ लोग कहत क हरहर काका को अपनी

जमीन भगवान क नाम लख दनी चाहए इसस उम और अछा कछ नह हो सकता

इसस हरहर काका को कभी न ख़म होन वाल सध ात होगी इसक वपरत कछ

लोग क यह मानत थ क भाई का परवार भी तो अपना ह परवार होता ह अपनी

जायदाद उह न दना उनक साथ अयाय करना होगा हरहर काका क भाई उनस ाथना

करन लग क व अपन हस क जमीन को उनक नाम लखवा द इस वषय पर हरहर

काका न बहत सोचा और अत म इस परणाम पर पहच क अपन जीत-जी अपनी जायदाद

का वामी कसी और को बनाना ठक नह होगा फर चाह वह अपना भाई हो या मदर का

महत यक उह अपन गाव और इलाक क व कछ लोग याद आए िजहन अपनी िजदगी

म ह अपनी जायदाद को अपन रतदार या कसी और क नाम लखवा दया था उनका

जीवन बाद म कसी क क तरह हो गया था उह कोई पछन वाला भी नह था हरहर

काका बलकल भी पढ़-लख नह थ परत उह अपन जीवन म एकदम हए बदलाव को

समझन म कोई गलती नह हई और उहन फसला कर लया क व जीत-जी कसी को भी

अपनी जमीन नह लखग

लखक कहता ह क जस-जस समय बीत रहा था महत जी क परशानया बढ़ती जा

रह थी उह लग रहा था क उहन हरहर काका को फसान क लए जो जाल फ का

था हरहर काका उसस बाहर नकल गए ह यह बात महत जी को सहन नह हो रह

थी आधी रात क आस-पास दव-थान क साध-सत और उनक कछ साथी भाला

गड़ासा और बदक क साथ अचानक ह हरहर काका क आगन म आ गए इसस

पहल हरहर काका क भाई कछ सोच और कसी को अपनी सहायता क लए आवाज

लगा कर बलाए तब तक बहत दर हो गई थी हमला करन वाल हरहर काका को

अपनी पीठ पर डाल कर कह गायब हो गए थव हरहर काका को दव-थान ल गए

थ एक ओर तो दव-थान क अदर जबरदती हरहर काका क अगठ का नशान लन

और पकड़कर समझान का काम चल रहा था तो वह दसर ओर हरहर काका क

तीन भाई सबह होन स पहल ह पलस क जीप को लकर दव-थान पर पहच गए

थ महत और उनक साथय न हरहर काका को कमर म हाथ और पाव बाध कर

रखा था और साथ ह साथ उनक मह म कपड़ा ठसा गया था ताक व आवाज़ न कर

सक परत हरहर काका दरवाज़ तक लढ़कत हए आ गए थ और दरवाज़ पर अपन

पर स धका लगा रह थ ताक बाहर खड़ उनक भाई और पलस उह बचा सक

दरवाज़ा खोल कर हरहर काका को बधन स मत कया गया हरहर काका न

पलस को बताया क व लोग उह उस कमर म इस तरह बाध कर कह गत

दरवाज़ स भाग गए ह और उहन कछ खल और कछ लख हए कागज पर हरहर

काका क अगठ क नशान जबरदती लए ह

यह सब बीत जान क बाद हरहर काका फर स अपन भाइय क परवार क साथ रहन लग

गए थ चौबीस घट पहर दए जान लग थ यहा तक क अगर हरहर काका को कसी

काम क कारण गाव म जाना पड़ता तो हथयार क साथ चार-पाच लोग हमशा ह उनक

साथ रहन लग लखक कहता ह क हरहर काका क साथ जो कछ भी हआ था उसस हरहर

काका एक सीध-साद और भोल कसान क तलना म चालाक और बधमान हो गए थ

उह अब सब कछ समझ म आन लगा था क उनक भाइय का अचानक स उनक त जो

यवहार परवतन हो गया था उनक लए जो आदर-समान और सरा व दान कर रह थ

वह उनका कोई सग भाइय का यार नह था बिक व सब कछ उनक धन-दौलत क कारण

कर रह ह नह तो व हरहर काका को पछत तक नह जब स हरहर काका दव-थान स

वापस घर आए थ उसी दन स ह हरहर काका क भाई और उनक दसर नात-रतदार

सभी यह सोच रह थ क हरहर काका को क़ाननी तरक स उनक जायदाद को उनक

भतीज क नाम कर दना चाहए यक जब तक हरहर काका ऐसा नह करग तब तक

महत क तज़ नज़र उन पर टक रहगी जब हरहर काका क भाई हरहर काका को

समझात-समझात थक गए तो उहन हरहर काका को डाटना और उन पर दवाब डालना

श कर दया एक रात हरहर काका क भाइय न भी उसी तरह का यवहार करना श

कर दया जसा महत और उनक सहयोगय न कया था उह धमकात हए कह रह थ क

ख़शी-ख़शी कागज़ पर जहा-जहा जरत ह वहा-वहा अगठ क नशान लगत जाओ नह तो व

उह मार कर वह घर क अदर ह गाड़ दग और गाव क लोगो को इस बार म कोई सचना

भी नह मलगी हरहर काका क साथ अब उनक भाइय क मारपीट श हो गई जब

हरहर काका अपन भाइय का मकाबला नह कर पा रह थ तो उहन ज़ोर-ज़ोर स

चलाकर अपनी मदद क लए गाव वाल को आवाज लगाना श कर दया तब उनक

भाइय को यान आया क उह हरहर काका का मह पहल ह बद करना चाहए था उहन

उसी पल हरहर काका को जमीन पर पटका और उनक मह म कपड़ा ठस दया लकन तब

तक बहत दर हो गई थी हरहर काका क आवाज बाहर गाव म पहच गई थी हरहर काका

क परवार और रत-नात क लोग जब तक गाव वाल कोसमझात क यह सब उनक

परवार का आपसी मामला ह व सभी इसस दर रह तब तक महत जी बड़ी ह दता और

तज़ी स वहा पलस क जीप क साथ आ गए पलस न पर घर क अछ स तलाशी लना

श कर दया फर घर क अदर स हरहर काका को इतनी बर हालत म हासल कया गया

िजतनी बर हालत उनक दव-थान म भी नह हई थी हरहर काका न बताया क उनक

भाइय न उनक साथ बहत ह यादा बरा यवहार कया ह जबरदती बहत स कागज पर

उनक अगठ क नशान ल लए ह उह बहत यादा मारा-पीटा ह

इस घटना क बाद हरहर काका अपन परवार स एकदम अलग रहन लग थ उह उनक

सरा क लए चार राइफलधार पलस क जवान मल थ आचय क बात तो यह ह क

इसक लए उनक भाइय और महत क ओर स काफ़ यास कए गए थ असल म भाइय

को चता थी क हरहर काका अकल रहन लगग तो दव-थान क महत-पजार फर स

हरहर काका को बहला-फसला कर ल जायग और जमीन दव-थान क नाम करवा लग और

यह चता महत जी को भी थी क हरहर काका को अकला और असरत पा उनक भाई

फर स उह पकड़ कर मारग और जमीन को अपन नाम करवा लग लखक कहता ह क

हरहर काका स जड़ी बहत सी ख़बर गाव म फल रह थी जस-जस दन बड़ रह थ वस-वस

डर का मौहोल बन रहा था सभी लोग सफ यह सोच रह थ क हरहर काका न अमत तो

पया हआ ह नह तो मरना तो उनको एक दन ह ह और जब व मरग तो पर गाव म

तफ़ान आ जाएगा यक महत और हरहर काका क परवार क बीच जमीन को ल कर

लड़ाई हो जायगी

पलस क जवान हरहर काका क खच पर ह खब मौज-मती स रह रह थ िजसका धन

वह रह उपास खान वाल कर वलास अथात हरहर काका क पास धन था लकन उनक लए

अब उसका कोई महव नह था और पलस वाल बना कसी कारण स ह हरहर काका क

धन स मौज कर रह थ अब तक जो नह खाया था दोन वत उसका भोग लगा रह थ

-नोर-

1-कथावाचक और हरहर काका क बीच या सबध ह और इसक या कारण ह

1-कथावाचक जब छोटा था तब स ह हरहर काका उस बहत यार करत थ जब वह बड़ हो

गए तो वह हरहर काका क म बन गए गाव म इतनी गहर दोती और कसी स नह

हई हरहर काका उनस खल कर बात करत थ यह कारण ह क कथावाचक को उनक

एक-एक पल क खबर थी शायद अपना म बनान क लए काका न वय ह उस यार स

बड़ा कया और इतजार कया

2-हरहर काका को महत और भाई एक ह णी क य लगन लग

2-हरहर काका को अपन भाइय और महत म कोई अतर नह लगा दोन एक ह णी क

लग उनक भाइय क पिनय न कछ दन तक तो हरहर काका का यान रखा फर

बचीकची रोटया द नाता नह दत थ बमार म कोई पछन वाला भी न था िजतना भी

उह रखा जा रहा था उनक ज़मीन क लए था इसी तरह महत न एक दन तो बड़ यार

स खातर क फर ज़मीन अपन ठाकर बाड़ी क नाम करन क लए कहन लग काका क

मना करन पर उह अनक यातनाए द अपहरण करवाया मह म कपड़ा ठस कर एक कोठर

म बद कर दया जबरदती अगठ का नशान लया गया तथा उह मारा पीटा गया इस

तरह दोन ह कवल ज़मीन जायदाद क लए हरहर काका स यवहार रखत थ अत उह

दोन एक ह णी क लग

3-ठाकर बाड़ी क त गाव वाल क मन म अपार धा क जो भाव ह उसस उनक कस

मनोव का पता चलता ह

3-कहा जाता ह गाव क लोग भोल होत ह असल म गाव क लोग अधववासी धमभी होत

ह मदर जस थान को पव नकलक ान का तीक मानत ह पजार परोहत महत

जस िजतन भी धम क ठकदार ह उनपर अगाध धा रखत ह व चाह कतन भी

पतत वाथ और नीच ह पर उनका वरोध करत व डरत ह इसी कारण ठाकर बाड़ी क

त गाव वाल क अपार धा थी उनका हर सख-दख उसस जड़ा था

4-अनपढ़ होत हए भी हरहर काका दनया क बहतर समझ रखत ह कहानी क आधार पर

पट किजए

4-हरहर काका अनपढ़ थ फर भी उह दनयादार क बहद समझ थी उनक भाई लोग

उनस ज़बरदती ज़मीन अपन नाम करान क लए डरात थ तो उह गाव म दखावा करक

ज़मीन हथयान वालो क याद आती ह काका न उह दखी होत दखा ह इसलए उहन

ठान लया था चाह महत उकसाए चाह भाई दखावा कर वह ज़मीन कसी को भी नह दग

एक बार महत क उकसान पर भाइय क त धोखा नह करना चाहत थ परत जब भाइय

न भी धोखा दया तो उह समझ म आ गया उनक त उह कोई यार नह ह जो यार

दखात ह वह कवल ज़ायदाद क लए ह

5-हरहर काका को जबरन उठा ल जान वाल कौन थ उहन उनक साथ कसा यवहार

कया

5-महत न हरहर काका को बहत लोभन दए िजसस वह अपनी ज़मीन जायदाद ठाकर

बाड़ी क नाम कर द परत काका इस बात क लए तयार नह थ व सोच रह थ क या

भगवान क लए अपन भाइय स धोखा क यह उह सह भी नह लग रहा था महत को

यह बात पता लगी तो उसन छल और बल स रात क समय अकल दालान म सोत हए

हरहर काका को उठवा लया महत न अपन चल साधसतो क साथ मलकर उनक हाथ पर

बाध दए मह म कपड़ा ठस दया और जबरदती अगठ क नशान लए उह एक कमर म

बद कर दया जब पलस आई तो वय गत दरवाज़ स भाग गए

6-हरहर काका क मामल म गाव वाल क या राय थी और उसक या कारण थ

6-कहानी क आधार पर गाव क लोग को बना बताए पता चल गया क हरहर काका को

उनक भाई नह पछत इसलए सख आराम का लोभन दकर महत उह अपन साथ ल

गया भाई मनत करक काका को वापस ल आत ह इस तरह गाव क लोग दो प म

बट गए कछ लोग महत क तरफ़ थ जो चाहत थ क काका अपनी ज़मीन धम क नाम पर

ठाकर बाड़ी को द द ताक उह सख आराम मल मय क बाद मो यश मल महत ानी

ह वह सब कछ जानता ह लकन दसर प क लोग कहत क ज़मीन परवार वालो को द

जाए उनका कहना था इसस उनक परवार का पट भरगा मदर को ज़मीन दना अयाय

होगा इस तरह दोन प अपन-अपन हसाब स सोच रह थ परत हरहर काका क बार म

कोई नह सोच रहा था इन बात का एक कारण यह भी था क काका वधर थ और उनक

कोई सतान भी नह थी पह बीघ ज़मीन क लए इनका लालच वाभवक था

7-कहानी क आधार पर पट किजए क लखक न यह य कहा अान क िथत म ह

मनय मय स डरत ह ान होन क बाद तो आदमी आवयकता पड़न पर मय को वरण

करन क लए तयार हो जाता ह

7-जब काका को असलयत पता चल और उह समझ म आ गया क सब लोग उनक

ज़मीन जायदाद क पीछ ह तो उह व सभी लोग याद आ गए िजहन परवार वालो क मोह

माया म आकर अपनी ज़मीन उनक नाम कर द और मय तक तलतल करक मरत

रह दान-दान को मोहताज़ हो गए इसलए उहन सोचा क इस तरह रहन स तो एक बार

मरना अछा ह जीत जी ज़मीन कसी को भी नह दग य लोग मझ एक बार म ह मार

द अत लखक न कहा क अान क िथत म मनय मय स डरता ह परत ान होन

पर मय वरण को तयार रहता ह

8-समाज म रत क या अहमयत ह इस वषय पर अपन वचार कट किजए

8-आज समाज म मानवीय मय तथा पारवारक मय धीर-धीर समात होत जा रह ह

यादातर यित अपन वाथ क लए रत नभात ह अपनी आवयकताओ क हसाब स

मलत ह अमीर रतदार का समान करत ह उनस मलन को आतर रहत ह जबक गरब

रतदार स कतरात ह कवल वाथ सध क अहमयत रह गई ह आए दन हम

अखबार म समाचार पढ़त ह क ज़मीन जाय़दाद पस जवर क लए लोग घनौन स घनौना

काय कर जात ह (हया अपहरण आद) इसी कार इस कहानी म भी पलस न पहचती तो

परवार वाल महत जी (काका क) हया ह कर दत उह यह अफसोस रहा क व काका को

मार नह पाए

9-यद आपक आसपास हरहर काका जसी हालत म कोई हो तो आप उसक कस कार

मदद करग

9-यद हमार आसपास हरहर काका जसी हालत म कोई हो तो हम उसक पर तरह मदद

करन क कोशश करग उनस मलकर उनक दख का कारण पता करग उह अहसास

दलाएग क व अकल नह ह सबस पहल तो यह ववास कराएग क सभी यित लालची

नह होत ह इस तरह मौन रह कर दसर को मौका न द बिक उलास स शष जीवन

बताए रतदार स मलकर उनक सबध सधारन का यन करग

10-हरहर काका क गाव म यद मीडया क पहच होती तो उनक या िथत होती अपन

शद म लखए

10-यद काका क गाव म मीडया पहच जाती तो सबक पोल खल जाती महत व भाइय का

पदाफाश हो जाता अपहरण और जबरन अगठा लगवान क अपराध म उह जल हो जाती

अपना-अपना मोचा सभालना - अपनी िजमदार नबाहना

आसमान स जमीन पर गरना -उच िथत स नन िथत पर आना

खल कर बात करना- बना सकच क बात करना |

चपत हो जाना ndash भाग जाना |

जी-जान स जट जाना ndash खब महनत करना

िजतन मह उतनी बात होना- कई तरह क बात करना |

ततर-बतर होना ndash बखर जाना |

त-त म -म होना -झगड़ा होना |

नमक-मच लगाना- बढ़ा-चढ़कर कहना|

बात बनाना- बहान बनाना|

रग चढ़ना- असर होना|

मह न खोलना ndash कछ न बताना |

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पय-भाग

पाठ-4

मनयता ndashमथलशरण गत

-लखक का परचय-

-पाठ का सार व पिटकरण-

कत क अय ाणय क तलना म मनय म सोचन क शित अधक होती ह

वह अपन ह नह दसर क सख - दःख का भी याल रखता ह और दसर क लए

कछ करन म समथ होता ह जानवर जब चरागाह म जात ह तो कवल अपन लए

चर कर आत ह परत मनय ऐसा नह ह वह जो कछ भी कमाता ह जो कछ भी

बनाता ह वह दसर क लए भी करता ह और दसर क सहायता स भी करता ह

तत पाठ का कव अपन क सख - दःख क चता करन वाल को मनय तो

मानता ह परत यह मानन को तयार नह ह क उन मनय म मनयता क सार

गण होत ह कव कवल उन मनय को महान मानता ह जो अपन क सख - दःख

स पहल दसर क चता करत ह वह मनय म ऐस गण चाहता ह िजसक कारण

कोई भी मनय इस मयलोक स चल जान क बाद भी सदय तक दसर क याद म

रहता ह अथात वह मय क बाद भी अमर रहता ह

-पाठ सार-

इस कवता म कव मनयता का सह अथ समझान का यास कर रहा ह पहल

भाग म कव कहता ह क मय स नह डरना चाहए यक मय तो निचत ह पर

हम ऐसा कछ करना चाहए क लोग हम मय क बाद भी याद रख असल मनय

वह ह जो दसर क लए जीना व मरना सीख ल दसर भाग म कव कहता ह क

हम उदार बनना चाहए यक उदार मनय का हर जगह गण गान होता ह मनय

वह कहलाता ह जो दसर क चता कर तीसर भाग म कव कहता ह क पराण

म उन लोग क बहत उदाहरण ह िजह उनक याग भाव क लए आज भी याद

कया जाता ह सचा मनय वह ह जो याग भाव जान ल चौथ भाग म कव

कहता ह क मनय क मन म दया और कणा का भाव होना चाहए मनय वह

कहलाता ह जो दसर क लए मरता और जीता ह पाचव भाग म कव कहना चाहता

ह क यहा कोई अनाथ नह ह यक हम सब उस एक ईवर क सतान ह हम

भदभाव स ऊपर उठ कर सोचना चाहएछठ भाग म कव कहना चाहता ह क हम

दयाल बनना चाहए यक दयाल और परोपकार मनय का दवता भी वागत करत

ह अतः हम दसर का परोपकार व कयाण करना चाहएसातव भाग म कव कहता

ह क मनय क बाहर कम अलग अलग हो परत हमार वद साी ह क सभी क

आमा एक ह हम सब एक ह ईवर क सतान ह अतः सभी मनय भाई -बध ह

और मनय वह ह जो दःख म दसर मनय क काम आयअतम भाग म कव

कहना चाहता ह क वप और वन को हटात हए मनय को अपन चन हए रात

पर चलना चाहए आपसी समझ को बनाय रखना चाहए और भदभाव को नह

बढ़ाना चाहए ऐसी सोच वाला मनय ह अपना और दसर का कयाण और उधार

कर सकता ह

-याया

1-वचार लो क मय हो न मय स डरो कभी

मरो परत य मरो क याद जो कर सभी

हई न य समय तो वथा मर वथा िजए

मारा नह वह क जो िजया न आपक लए

वह पश- वत ह क आप आप ह चर

वह मनय ह क जो मनय क लए मर

सग - तत कवता हमार पाय पतक पश भाग -2 स ल गई ह इसक

कव मथलशरण गत ह इन पितओ म कव बताना चाहता ह क मनय को

कसा जीवन जीना चाहए

याया - कव कहता ह क हम यह जान लना चाहए क मय का होना निचत

ह हम मय स नह डरना चाहए कव कहता ह क हम कछ ऐसा करना चाहए क

लोग हम मरन क बाद भी याद रख जो मनय दसर क लए कछ भी ना कर सक

उनका जीना और मरना दोन बकार ह मर कर भी वह मनय कभी नह मरता जो

अपन लए नह दसर क लए जीता ह यक अपन लए तो जानवर भी जीत ह

कव क अनसार मनय वह ह जो दसर मनय क लए मर अथात जो मनय दसर

क चता कर वह असल मनय कहलाता ह

2-उसी उदार क कथा सरवती बखानती

उसी उदार स धरा कताथ भाव मानती

उसी उदार क सदा सजीव कत कजती

तथा उसी उदार को समत सिट पजती

अखड आम भाव जो असीम वव म भर

वह मनय ह क जो मनय क लए मर

सग - तत कवता हमार पाय पतक पश भाग -2 स ल गई ह इसक

कव मथलशरण गत ह इन पितओ म कव बताना चाहता ह क जो मनय

दसर क लए जीत ह उनका गणगान यग - यग तक कया जाता ह

याया - कव कहता ह क जो मनय अपन पर जीवन म दसर क चता करता

ह उस महान यित क कथा का गण गान सरवती अथात पतक म कया जाता

ह पर धरती उस महान यित क आभार रहती ह उस यित क बातचीत

हमशा जीवत यित क तरह क जाती ह और पर सिट उसक पजा करती ह

कव कहता ह क जो यित पर ससार को अखड भाव और भाईचार क भावना म

बाधता ह वह यित सह मायन म मनय कहलान योय होता ह

3-धात रतदव न दया करथ थाल भी

तथा दधीच न दया पराथ अिथजाल भी

उशीनर तीश न वमास दान भी कया

सहष वीर कण न शरर-चम भी दया

अनय दह क लए अनाद जीव या डर

वह मनय ह क जो मनय क लए मर

सग - तत कवता हमार पाय पतक पश भाग -2 स ल गई ह इसक

कव मथलशरण गत ह इन पितओ म कव न महान पष क उदाहरण दए ह

िजनक महानता क कारण उह याद कया जाता ह

याया - कव कहता ह क पौराणक कथाए ऐस यितओ क उदाहरण स भर

पड़ी ह िजहन अपना परा जीवन दसर क लए याग दया िजस कारण उह आज

तक याद कया जाता ह भख स परशान रतदव न अपन हाथ क आखर थाल भी

दान कर द थी और महष दधीच न तो अपन पर शरर क हडया व बनान क

लए दान कर द थी उशीनर दश क राजा शब न कबतर क जान बचान क लए

अपना परा मास दान कर दया था वीर कण न अपनी ख़शी स अपन शरर का

कवच दान कर दया था कव कहना चाहता ह क मनय इस नवर शरर क लए

य डरता ह यक मनय वह कहलाता ह जो दसर क लए अपन आप को याग

दता ह

4-सहानभत चाहए महावभत ह यह

वशीकता सदव ह बनी हई वय मह

वधभाव बध का दया-वाह म बहा

वनीत लोकवग या न सामन झका रहा

अहा वह उदार ह परोपकार जो कर

वह मनय ह क जो मनय क लए मर

सग - तत कवता हमार पाय पतक पश भाग -2 स ल गई ह इसक

कव मथलशरण गत ह इन पितओ म कव न महामा बध का उदाहरण दत

हए दया कणा को सबस बड़ा धन बताया ह

याया - कव कहता ह क मनय क मन म दया व कणा का भाव होना चाहए

यह सबस बड़ा धन ह वय ईवर भी ऐस लोग क साथ रहत ह इसका सबस

बड़ा उदाहरण महामा बध ह िजनस लोग का दःख नह दखा गया तो व लोक

कयाण क लए दनया क नयम क वध चल गए इसक लए या परा ससार

उनक सामन नह झकता अथात उनक दया भाव व परोपकार क कारण आज भी

उनको याद कया जाता ह और उनक पजा क जाती ह महान उस को कहा जाता ह

जो परोपकार करता ह वह मनय मनय कहलाता ह जो मनय क लए जीता ह

और मरता ह

5-रहो न भल क कभी मदाघ तछ व म

सनाथ जान आपको करो न गव च म

अनाथ कौन ह यहा लोकनाथ साथ ह

दयाल दन बध क बड़ वशाल हाथ ह

अतीव भायहन ह अधीर भाव जो कर

वह मनय ह क जो मनय क लए मर

सग - तत कवता हमार पाय पतक पश भाग -2 स ल गई ह इसक

कव मथलशरण गत ह इन पितओ म कव कहता ह क सपत पर कभी

घमड नह करना चाहए और कसी को अनाथ नह समझना चाहए यक ईवर

सबक साथ ह

याया - कव कहता ह क भल कर भी कभी सप या यश पर घमड नह करना

चाहए इस बात पर कभी गव नह करना चाहए क हमार साथ हमार अपन का

साथ ह यक कव कहता ह क यहा कौन सा यित अनाथ ह उस ईवर का

साथ सब क साथ ह वह बहत दयावान ह उसका हाथ सबक ऊपर रहता ह कव

कहता ह क वह यित भायहन ह जो इस कार का उतावलापन रखता ह यक

मनय वह यित कहलाता ह जो इन सब चीज स ऊपर उठ कर सोचता ह

6-अनत अतर म अनत दव ह खड़

सम ह वबाह जो बढ़ा रह बड़-बड़

परपरावलब स उठो तथा बढ़ो सभी

अभी अमय-अक म अपक हो चढ़ो सभी

रहो न या क एक स न काम और का सर

वह मनय ह क जो मनय क लए मर

सग - तत कवता हमार पाय पतक पश भाग -2 स ल गई ह इसक

कव मथलशरण गत ह इन पितओ म कव कहता ह क कलक रहत रहन व

दसर का सहारा बनन वाल मवषय का दवता भी वागत करत ह

याया - कव कहता ह क उस कभी न समात होन वाल आकाश म असय

दवता खड़ ह जो परोपकार व दयाल मनय का सामन स खड़ होकर अपनी भजाओ

को फलाकर वागत करत ह इसलए दसर का सहारा बनो और सभी को साथ म

लकर आग बड़ो कव कहता ह क सभी कलक रहत हो कर दवताओ क गोद म

बठो अथात यद कोई बरा काम नह करोग तो दवता तह अपनी गोद म ल लग

अपन मतलब क लए नह जीना चाहए अपना और दसर का कयाण व उधार

करना चाहए यक इस मरणशील ससार म मनय वह ह जो मनय का कयाण

कर व परोपकार कर

7-मनय माा बध ह यह बड़ा ववक ह

पराणपष वयभ पता सध एक ह

फलानसार कम क अवय बाय भद ह

परत अतरय म माणभत वद ह

अनथ ह क बध ह न बध क यथा हर

वह मनय ह क जो मनय क लए मर

सग - तत कवता हमार पाय पतक पश भाग -2 स ल गई ह इसक

कव मथलशरण गत ह इन पितओ म कव कहता ह क हम सब एक ईवर क

सतान ह अतः हम सभी मनय एक - दसर क भाई - बध ह

याया - कव कहता ह क यक मनय एक दसर क भाई - बध ह यह सबस

बड़ी समझ ह पराण म िजस वय उपन पष मना गया ह वह परमामा या

ईवर हम सभी का पता ह अथात सभी मनय उस एक ईवर क सतान ह

बाहर कारण क फल अनसार यक मनय क कम भल ह अलग अलग ह परत

हमार वद इस बात क साी ह क सभी क आमा एक ह कव कहता ह क यद

भाई ह भाई क दःख व कट का नाश नह करगा तो उसका जीना यथ ह यक

मनय वह कहलाता ह जो बर समय म दसर मनय क काम आता ह

8-चलो अभीट माग म सहष खलत हए

वपवन जो पड़ उह ढकलत हए

घट न हलमल हा बढ़ न भनता कभी

अतक एक पथ क सतक पथ ह सभी

तभी समथ भाव ह क तारता हआ तर

वह मनय ह क जो मनय क लए मर

सग - तत कवता हमार पाय पतक पश भाग -2 स ल गई ह इसक

कव मथलशरण गत ह इन पितओ म कव कहता ह क यद हम ख़शी ससार

कट को हटत हए भदभाव रहत रहग तभी सभव ह क समाज क उनत होगी

याया - कव कहता ह क मनय को अपनी इछा स चन हए माग म ख़शी

ख़शी चलना चाहएरात म कोई भी सकट या बाधाए आय उह हटात चल जाना

चाहए मनय को यह यान रखना चाहए क आपसी समझ न बगड़ और भद

भाव न बड़ बना कसी तक वतक क सभी को एक साथ ल कर आग बढ़ना चाहए

तभी यह सभव होगा क मनय दसर क उनत और कयाण क साथ अपनी

समध भी कायम कर

-ननलखत न क उर दिजय ndash

1-कव न कसी मय को समय कहा ह

1-कव न ऐसी मय को समय कहा ह िजसम मनय अपन स पहल दसर क चता

करता ह और परोपकार क राह को चनता ह िजसस उस मरन क बाद भी याद कया

जाता ह

2-उदार यित क पहचान कस हो सकती ह

2- उदार यित परोपकार होता ह वह अपन स पहल दसर क चता करता ह और

लोक कयाण क लए अपना जीवन याग दता ह

3-कव न दधीच कण आद महान यितओ क उदाहरण द कर मनयता क लए

या उदाहरण दया ह

3- कव न दधीच कण आद महान यितओ क उदाहरण द कर मनयता क

लए यह सदश दया ह क परोपकार करन वाला ह असल मनय कहलान योय

होता ह मानवता क रा क लए दधीच न अपन शरर क सार अिथया दान कर

द थीकण न अपनी जान क परवाह कय बना अपना कवच द दया था िजस

कारण उह आज तक याद कया जाता ह कव इन उदाहरण क वारा यह

समझाना चाहता ह क परोपकार ह सची मनयता ह

4- कव न कन पितय म यह यत कया ह क हम गव - रहत जीवन यतीत

करना चाहए

4- कव न ननलखत पितय म गव रहत जीवन यतीत करन क बात कह ह-

रहो न भल क कभी मगाघ तछ व म

सनाथ जान आपको करो न गव च म

अथात सपत क घमड म कभी नह रहना चाहए और न ह इस बात पर गव

करना चाहए क आपक पास आपक अपन का साथ ह यक इस दनया म कोई

भी अनाथ नह ह सब उस परम पता परमवर क सतान ह

5- मनय मा बध ह स आप या समझत ह पट किजए

5- मनय मा बध ह अथात हम सब मनय एक ईवर क सतान ह अतः हम

सब भाई - बध ह भाई -बध होन क नात हम भाईचार क साथ रहना चाहए और

एक दसर का बर समय म साथ दना चाहए

6- कव न सबको एक होकर चलन क रणा य द ह

6- कव न सबको एक होकर चलन क रणा इसलए द ह ताक आपसी समझ न

बगड़ और न ह भदभाव बड़ सब एक साथ एक होकर चलग तो सार बाधाए मट

जाएगी और सबका कयाण और समध होगी

7- यित को कस तरह का जीवन यतीत करना चाहए इस कवता क आधार पर

लखए

7-मनय को परोपकार का जीवन जीना चाहए अपन स पहल दसर क दख क

चता करनी चाहए कवल अपन बार म तो जानवर भी सोचत ह कव क अनसार

मनय वह कहलाता ह जो अपन स पहल दसर क चता कर

8- मनयता कवता क वारा कव या सदश दना चाहता ह

8- मनयता कवता क मायम स कव यह सदश दना चाहता ह क परोपकार ह

सची मनयता ह परोपकार ह एक ऐसा साधन ह िजसक मायम स हम यग तक

लोगो क दल म अपनी जगह बना सकत ह और परोपकार क वारा ह समाज का

कयाण व समध सभव ह अतः हम परोपकार बनना चाहए ताक हम सह

मायन म मनय कहलाय

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-याकरण-

पदबध- परभाषा

पद- वाय स अलग रहन पर शद और वाय म यत हो जान पर शद

पद कहलात ह दसर शद म- वाय म यत शद पद कहलाता ह पदबध-

जब दो या अधक (शद) पद नयत म और निचत अथ म कसी पद का

काय करत ह तो उह पदबध कहत ह

पदबध क भद

मय पद क आधार पर पदबध क पाच कार होत ह-

(1) सा-पदबध (2) वशषण-पदबध

(3) सवनाम पदबध (4) या पदबध

(5) अयय पदबध

(1) सा-पदबध-

(a)चार ताकतवर मजदर इस भार चीज को उठा पाए

(b) राम न लका क राजा रावण को मार गराया

(c) अयोया क राजा दशरथ क चार प थ

(d) आसमान म उड़ता गबारा फट गया

2) वशषण पदबध-

a) तज चलन वाल गाड़या ायः दर स पहचती ह

(b) उस घर क कोन म बठा हआ आदमी जासस ह

(c) उसका घोड़ा अयत सदर फरतीला और आाकार ह

(d) बरगद और पीपल क घनी छाव स हम बहत सख मला

3) सवनाम पदबध-

(a)बजल-सी फरती दखाकर आपन बालक को डबन स बचा लया

(b)शरारत करन वाल छा म स कछ पकड़ गए

(c)वरोध करन वाल लोग म स कोई नह बोला

4) या पदबध-

(a) वह बाजार क ओर आया होगा

(b) मझ मोहन छत स दखाई द रहा ह

(c) सरश नद म डब गया

(d) अब दरवाजा खोला जा सकता ह

5) अयय पदबध-

(a)अपन सामान क साथ वह चला गया

(b)सबह स शाम तक वह बठा रहा

कसी भी भाषा क व शद अयय (Indeclinable या inflexible) कहलात ह िजनक प म

लग वचन पष कारक काल इयाद क कारण कोई वकार उप नह होता

चक अयय का पातर नह होता इसलए ऐस शद अवकार होत ह अयय का शािदक

अथ ह- जो यय न हो

(i) कालवाचक अयय- इनम समय का बोध होता ह जस- आज कल तरत पीछ पहल अब

जब तब कभी-कभी कब अब स नय जब स सदा स अभी तभी आजकल और कभी

उदाहरणाथ-

अब स ऐसी बात नह होगी

ऐसी बात सदा स होती रह ह

वह कब आया मझ पता नह

(ii) थानवाचक अयय- इसस थान का बोध होता ह जस- यहा वहा कहा जहा यहा स

वहा स इधर-उधर उदाहरणाथ-

वह यहा नह ह

वह कहा जायगा

वहा कोई नह ह

जहा तम हो वहा म ह

(iii) दशावाचक अयय- इसस दशा का बोध होता ह जस- इधर उधर िजधर दर पर अलग

दाहन बाए आरपार

(iv) िथतवाचक अयय- नीच ऊपर तल सामन बाहर भीतर इयाद

अयय क भद

अयय ननलखत चार कार क होत ह -

(1) यावशषण (Adverb)

(2) सबधबोधक (Preposition)

(3) समचयबोधक (Conjunction)

(4) वमयादबोधक (Interjection)

(1) यावशषण - िजन शद स या वशषण या दसर यावशषण क वशषता कट

हो उह यावशषण कहत ह

दसर शदो म- जो शद या क वशषता बतलात ह उह या वशषण कहा जाता ह

जस- राम धीर-धीर टहलता ह राम वहा टहलता ह राम अभी टहलता ह

इन वाय म धीर-धीर वहा और अभी राम क टहलन (या) क वशषता बतलात ह य

यावशषण अवकार वशषण भी कहलात ह इसक अतरत यावशषण दसर

यावशषण क भी वशषता बताता ह

वह बहत धीर चलता ह इस वाय म बहत यावशषण ह यक यह दसर यावशषण

धीर क वशषता बतलाता ह

या वशषण क कार

(1) योग क अनसार- (i) साधारण (ii) सयोजक (iii) अनबध

(2) प क अनसार- (i) मल यावशषण (ii) यौगक यावशषण (iii) थानीय यावशषण

(3) अथ क अनसार- (i) परमाणवाचक (ii) रतवाचक

(1) योग क अनसार यावशषण क भद

योग क अनसार यावशषण क तीन भद ह-

(i) साधारण यावशषण- िजन यावशषण का योग कसी वाय म वत होता ह

उह साधारण यावशषण कहा जाता ह

जस- हाय अब म या क बटा जद आओ अर साप कहा गया

(ii) सयोजक यावशषण- िजन यावशषण का सबध कसी उपवाय स रहता ह उह

सयोजक यावशषण कहा जाता ह

जस- जब रोहताव ह नह तो म ह जीकर या कगी जहा अभी सम ह वहा कसी

समय जगल था

(iii) अनबध यावशषण- िजन यावशषण क योग अवधारण (नचय) क लए कसी

भी शदभद क साथ होता हो उह अनबध यावशषण कहा जाता ह

जस- यह तो कसी न धोखा ह दया ह मन उस दखा तक नह

(2) प क अनसार यावशषण क भद

प क अनसार यावशषण क तीन भद ह-

(i) मल यावशषण- ऐस यावशषण जो कसी दसर शद क मल स नह बनत मल

यावशषण कहलात ह

जस- ठक दर अचानक फर नह

(ii) यौगक यावशषण- ऐस यावशषण जो कसी दसर शद म यय या पद जोड़न

पर बनत ह यौगक यावशषण कहलात ह

जस- मन स िजसस चपक स भल स दखत हए यहा तक झट स वहा पर यौगक

यावशषण सा सवनाम वशषण धात और अयय क मल स बनत ह

यौगक यावशषण नीच लख शद क मल स बनत ह-

(i) साओ क वित स- घर-घर घड़ी-घड़ी बीच-बीच हाथ-हाथ

(ii) दो भ साओ क मल स- दन-रात साझ-सबर घर-बाहर दश-वदश

(iii) वशषण क वित स- एक-एक ठक-ठक साफ-साफ

(iv) यावशषण क वित स- धीर-धीर जहा-तहा कब-कब कहा-कहा

(v) दो यावशषण क मल स- जहा-तहा जहा-कह जब-तब जब-कभी कल-परस आस-पास

(vi) दो भ या समान यावशषण क बीच न लगान स- कभी-न-कभी कछ-न-कछ

(vii) अनकरण वाचक शद क वित स- पटपट तड़तड़ सटासट धड़ाधड़

(viii) सा और वशषण क योग स- एक साथ एक बार दो बार

(ix) अय य और दसर शद क मल स- तदन यथाम अनजान आजम

(x) पवकालक कदत और वशषण क मल स- वशषकर बहतकर मयकर एक-एककर

(iii) थानीय यावशषण- ऐस यावशषण जो बना पातर क कसी वशष थान म

आत ह थानीय यावशषण कहलात ह

जस- वह अपना सर पढ़गा

वह दौड़कर चलत ह

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  • (1) अरथ की दषटि स शबद-भद13
  • (2) परयोग की दषटि स शबद-भद13
  • (3) उतपति की दषटि स शबद-भद13
  • 1) सवर सधि-13
  • परति+छवि=परतिचछवि दिक+अनत=दिगनत दिक+गज=दिगगज अन+छद=अनचछद अच +अनत = अजनत 13
  • 3)विसरग सधि - विसरग क साथ सवर या वयजन का मल होन पर जो विकार होता ह उस 13
  • विसरग सधि कहत ह 13
  • मन+रथ=मनोरथ यश+अभिलाषा=यशोभिलाषा अध+गति=अधोगति नि+छल=निशछल द +गम = दरगम 13
    • -पाठ सार-13
    • -वयाखया13
    • -निमनलिखित परशनो क उततर दीजिय ndash13
    • 1-कवि न कसी मतय को समतय कहा ह13
    • अवयय क भद13
    • करिया विशषण क परकार13
Page 5: Class –X HINDI JUNE SYLLABUS 2020 Chapters:- Ch-1-Sanchayan …punainternationalschool.com/assets/upload/ck-images/Std-10th=Jun… · -harihar kaka . पय-भाग पाठ-3

-न उर

1-छाया कब छाया ढढ़न लगती ह

ीम क जठ मास क दोपहर म धप इतनी तज होती ह क सर पर आन लगती ह िजसस

वतओ क छाया छाया छोट होती जाती ह इसलए कव का कहना ह क जठ क दपहर

क भीषण गम म छाया भी त होकर छाया ढढ़न लगती ह

2-बहार क नायका यह य कहती ह lsquoकहह सब तरौ हयौ मर हय कrsquo बात-पट

किजए

2-बहार क नायका अपन य को प वारा सदश दना चाहती ह पर कागज पर लखत

समय कपकपी और आस आ जात ह नायका वरह क अिन म जल रह ह लखत समय

वह अपन मन क बात बतान म खद को असमथ पाती ह कसी क साथ सदश भजगी तो

कहत लजा आएगी इसलए वह सोचती ह क जो वरह अवथा उसक ह वह उसक य

क भी होगी अतः वह कहती ह क अपन दय क वदना स मर वदना को समझ जाएग

कछ कहन सनन क जरत नह रह जाती

3 सच मन म राम बसत ह-दोह क सदभानसार पट किजए

बहार जी क अनसार भित का सचा प दय क सचाई म नहत ह बहार जी ईवर

ाित क लए धम कमकाड को दखावा समझत थ माला जपन छाप लगवाना माथ पर

तलक लगवान स भ नह मलत जो इन यथ क आडबर म भटकत रहत ह व झठा

दशन करक दनया को धोखा द सकत ह परत भगवान राम तो सच मन क भित स

ह सन होत ह

4 गोपया ीकण क बासर य छपा लती ह

कण जी को अपनी बासर बहत य ह व उस बजात ह रहत ह गोपया कण स बात

करना चाहती ह व कण को रझाना चाहती ह उनका यान अपनी ओर आकषत करन क

लए मरल छपा दती ह ताक बासर क बहान कण उनस बात कर और अधक समय

तक व उनक नकट रह पाए

5 बहार कव न सभी क उपिथत म भी कस बात क जा सकती ह इसका वणन कस

कार कया ह अपन शद म लखए

बहार न बताया ह क घर म सबक उपिथत म नायक और नायका इशार म अपन मन

क बात करत ह नायक न सबक उपिथत म नायका को इशारा कया नायका न इशार

स मना कया नायका क मना करन क तरक पर नायक रझ गया इस रझ पर नायका

खीज उठ दोन क न मल जान पर आख म म वीकत का भाव आता हा इस पर

नायक सन हो जाता ह और नायका क आख म लजा जाती ह

-ननलखत का भाव पट किजए ndash

1-मनौ नीलमनी-सल पर आतप पय भात

इस पित म कण क सदय का वणन ह कण क नील शरर पर पील रग क व ह व

दखन म ऐस तीत होत ह मान नीलमणी पवत पर सबह का सय जगमगा उठा हो

2-जगत तपोबन सौ कयौ दरघ-दाघ नदाघ

इस पित का आशय ह क ीम ऋत क भीषण गम स परा जगल तपोवन जसा पव

बन गया ह सबक आपसी दमनी समात हो गई ह साप हरण और सह सभी गम स

बचन क लए साथ रह रह ह ऐसा तीत होता ह जस तपवी का सानय पाकर य आपसी

वर-भाव भल गए ह

3-जपमाला छाप तलक सर न एकौ काम

मन-काच नाच बथा साच राच राम

इन पितय वारा कव न बाहर आडबर का खडन करक भगवान क सची भित करन

पर बल दया ह इसका भाव ह क माला जपन छाप लगवाना माथ पर तलक लगवान स

एक भी काम नह बनता कच मन वाल का दय डोलता रहता ह व ह ऐसा करत ह

जो इन यथ क आडबर म भटकत रहत ह व झठा दशन करक दनया को धोखा द सकत

ह परत भगवान राम तो सच मन क भित स ह सन होत ह राम तो सच मन स

याद करन वाल क दय म रहत ह

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याकरण-भाग

शद और पद

शद और पद- यहा शद और पद का अतर समझ लना चाहए वनय क मल स शद

बनता ह जस- प+आ+न+ई= पानी यह शद जब वाय म अथवाचक बनकर आय तो वह

पद कहलाता ह

जस- पतक लाओ इस वाय म दो पद ह- एक नामपद पतक ह और दसरा यापद

लाओ ह

शद क भद

अथ योग उप और यप क िट स शद क कई भद ह इनका वणन नन कार

ह-

(1) अथ क िट स शद-भद

(i)साथक शद (ii) नरथक शद

(i)साथक शद- िजस वण समह का पट प स कोई अथ नकल उस साथक शद कहत

जस- कमल खटमल रोट सव आद

(ii)नरथक- िजस वण समह का कोई अथ न नकल उस नरथक शद कहत ह

जस- राट वठा ची वाना वोती आद

साथक शद क अथ होत ह और नरथक शद क अथ नह होत जस- पानी साथक शद

ह और नीपा नरथक शद यक इसका कोई अथ नह

(2) योग क िट स शद-भद

शद क साथक मल स वाय क रचना होती ह वाय क मल स भाषा बनती ह शद

भाषा क ाणवाय होत ह वाय म शद का योग कस प म कया जाता ह इस

आधार पर हम शद को दो वग म बाटत ह

(i)वकार शद (ii)अवकार शद

(i)वकार शद - िजन शद क प म लग वचन कारक क अनसार परवतन का वकार

आता ह उह वकार शद कहत ह

इस हम ऐस भी कह सकत ह- वकार यानी परवतन व शद िजनम लग वचन कारक

आद क कारण वकार (परवतन) आ जाता ह उह वकार शद कहत ह

जस- लग- लड़का पढता ह लड़क पढ़ती ह

वचन- लड़का पढता हलड़क पढ़त ह

कारक- लड़का पढता ह लड़क को पढ़न दो

वकार शद चार कार क होत ह-

(i) सा (noun) (ii) सवनाम (pronoun) (iii) वशषण (adjective) (iv) या (verb)

(ii)अवकार शद -िजन शद क प म कोई परवतन नह होता उह अवकार शद कहत

दसर शद म- अ वकार यानी िजनम परवतन न हो ऐस शद िजनम लग वचन कारक

आद क कारण कोई परवतन नह होता अवकार शद कहलात ह

जस- परत तथा यद धीर-धीर अधक आद

अवकार शद भी चार कार क होत ह-

(i)या-वशषण (Adverb)

(ii)सबध बोधक (Preposition)

(iii)समचय बोधक(Conjunction)

(iv)वमयाद बोधक(Interjection)

(3) उपत क िट स शद-भद

(i)तसम शद (ii )तभव शद (iii )दशज शद एव (iv)वदशी शद

(i) तसम शद - सकत भाषा क व शद जो हद म अपन वातवक प

म यत होत ह उह तसम

शद कहत ह

दसर शद म- तत (उसक) + सम (समान) यानी व शद जो सकत भाषा स

हद भाषा म बना कसी बदलाव (मलप म) क ल लए गए ह तसम शद

कहलात ह

सरल शद म- हद म सकत क मल शद को तसम कहत ह

जस- कव माता वया नद फल पप पतक पवी काय मय आद

यहा सकत क उन तमो क सची ह जो सकत स होत हए हद म आय

ह-

तसम हद तसम हद

आ आम गोमल गोमय गोबर

उ ऊ ट घोटक घोड़ा

चच चच पयक पलग

वरत तरत भ भात

शलाका सलाई हरा हद हरद

गय भाग

पाठ-2

डायर क पन ndashसीताराम सकसरया

-लखक का परचय -

-सीताराम सकसरया को समाज सवा क म सन 1962 म पम भषण स समानत कया

गया था य असम राय स ह

सीताराम सकसरया एक भारतीय वतता कायकता गाधीवाद समाजवाद और पिचम बगाल

क सथा बडर थ जो मारवाड़ी समदाय क उथान क लए उनक योगदान क लए जान जात थ वह

एक उच वयालय सथान मारवाड़ी बालकका वयालय समाज सधार समत एक सामािजक

सगठन और भारतीय भाषा परषद उच शा सथान ी शाशाटन सहत कई सथान और

सगठन क सथापक थ एक गर सरकार सगठन भारत सरकार न समाज म उनक योगदान क लए

उह 1 9 62 म पम भषण का तीसरा सवच नागरक समान दया उनक जीवन क कहानी एक

कताब पम भषण सीताराम सकसरया अभनदन थ म काशत क गई ह िजस भावरमल सह

वारा सपादत कया गया ह और 1 9 74 म काशत कया गया था

-पाठ का सार-

शदाथ-

पराव ndashफर स आना अपन-हम या म

गत-घम घम कर चौकदार करना साजट ndashसना म एक पद

मोनमट-मारक काउिसल-परष

चौरगी-कलकाता का एक थान वालटयर ndashवयम सवक

सगीन ndashगभीर

-न उर-

-ननलखत न क उर (10-12 शद म) लखए minus

1-कलका वासय क लए 26 जनवर 1931 का दन य महवपण था

1-दश का वतता दवस एक वष पहल इसी दन मनाया गया था इसस पहल बगाल

वासय क भमका नह थी अब व य तौर पर जड़ गए इसलए यह महवपण

दन था

2-सभाष बाब क जलस का भार कस पर था

2-सभाषा बाब क जलस का भार पणदास पर था परत पलस न उह पकड़ लया

3-वयाथ सघ क मी अवनाश बाब क झडा गाड़न पर या तया हई

3-बगाल ातीय वयाथ सघ क मी अवनाश बाब न जस ह झडा गाड़ा पलस न

उह पकड़ लया और लोग पर लाठया चलाई

4-लोग अपन-अपन मकान व सावजनक थल पर राय झडा फहराकर कस बात का

सकत दना चाहत थ

4-लोग अपन-अपन मकान व सावजनक थल पर राय झडा फहराकर बताना चाहत

थ क व अपन को आज़ाद समझ कर आज़ाद मना रह ह उनम जोश और उसाह ह

5-पलस न बड़-बड़ पाक और मदान को य घर लया था

5-आज़ाद मनान क लए पर कलका शहर म जनसभाओ और झडारोहण उसव का

आयोजन कया गया इसलए पाक और मदान को घर लया था

-ननलखत न क उर (25-30 शद म) लखए minus

1-26 जनवर 1931 क दन को अमर बनान क लए या-या तयारया क ग

1-26 जनवर 1931 क दन को अमर बनान क लए कलका शहर न शहर म जगह-

जगह झड लगाए गए थ कई थान पर जलस नकाल गए तथा झड़ा फहराया गया

था टोलया बनाकर भीड़ उस थान पर जटन लगी जहा सभाष बाब का जलस पहचना

था पलस क लाठचाज तथा गरफ़तार लोग क जोश को कम न कर पाए

2-आज जो बात थी वह नराल थीrsquo minus कस बात स पता चल रहा था क आज का दन

अपन आप म नराला ह पट किजए

2-आज का दन नराला इसलए था यक वतता दवस मनान क थम आव

थी पलस न सभा करन को गरकाननी कहा था कत सभाष बाब क आवान पर पर

कलका म अनक सगठन क मायम स जलस व सभाओ क जोशील तयार थी परा

शहर झड स सजा था तथा कसल न मोनमद क नीच झडा फहरान और वतता क

ता पढ़न का सरकार को खला चलज दया हआ था पलस भरपर तयार क बाद भी

कामयाब नह हो पाई

3-पलस कमनर क नोटस और कसल क नोटस म या अतर था

3-पलस कमनर न नोटस नकाला था क कोई भी जनसभा करना या जलस

नकालना कानन क खलाफ़ होगा सभाओ म भाग लन वाल को दोषी माना जाएगा

कसल न नोटस नकाला था क मोनमट क नीच चार बजकर चौबीस मनट पर झडा

फहराया जाएगा तथा वतता क ता पढ़ जाएगी इस कार य दोन नोटस एक

दसर क खलाफ़ थ

4-धमतल क मोड़ पर आकर जलस य टट गया

4-जब सभाष बाब को पकड़ लया गया तो िया जलस बनाकर चल परत पलस न

लाठ चाज स उह रोकना चाहा िजसस कछ लोग वह बठ गए कछ घायल हो गए और

कछ पलस वारा गरतार कर लए गए इसलए जलस टट गया

5-डा दासगता जलस म घायल लोग क दख-रख तो कर रह थ उनक फ़ोटो भी

उतरवा रह थ उन लोग क फ़ोटो खीचन क या वजह हो सकती थी पट किजए

5-डा दास गता लोग क फ़ोटो खचवा रह थ इसस अज़ क जम का पदाफ़ाश

कया जा सकता था दसरा यह भी पता चल सकता था क बगाल म वतता क लड़ाई

म बहत काम हो रहा ह

-ननलखत न क उर (50-60 शद म) लखए minus

1-सभाष बाब क जलस म ी समाज क या भमका थी

1-सभाष बाब क जलस म ी समाज क महवपण भमका रह थी भार पलस

यवथा क बाद भी जगह-जगह ी जलस क लए टोलया बन गई थी मोनमट पर

भी िय न नडर होकर झडा फहराया अपनी गरतारया करवाई तथा उनपर लाठया

बरसाई इनसब क बाद भी िया लाल बाज़ार तक आग बढ़ती ग

2-जलस क लाल बाज़ार आन पर लोग क या दशा हई

2-जलस क लाल बाज़ार आन पर भीड़ बकाब हो गई पलस डड बरसा रह थी लोग

को लॉकअप म भज रह थी िया भी अपनी गरफ़तार द रह थी दल क दल नार

लगा रह थ लोग का जोश बढ़ता ह जा रहा था लाठ चाज स लोग घायल हो गए थ

खन बह रहा था चीख पकार मची थी फर भी उसाह बना हआ था

3-जब स कानन भग का काम श हआ ह तब स आज तक इतनी बड़ी सभा ऐस मदान म

नह क गई थी और यह सभा तो कहना चाहए क ओपन लड़ाई थीrsquo यहा पर कौन स और

कसक वारा लाग कए गए कानन को भग करन क बात कह गई ह या कानन भग

करना उचत था पाठ क सदभ म अपन वचार कट किजए

3-इस समय दश क आज़ाद क लए हर यित अपना सवव लटान को तयार था अज़

न कानन बनाकर आदोलन जलस को गर काननी घोषत कया हआ था परत लोग पर

इसका कोई असर नह था व आज़ाद क लए अपना दशन करत रह गलामी क जजीर

को तोड़न का यास करत रह थ

4-बहत स लोग घायल हए बहत को लॉकअप म रखा गया बहत-सी िया जल ग फर

भी इस दन को अपव बताया गया ह आपक वचार म यह सब अपव य ह अपन शद

म लखए

4-सभाष च बोस क नतव म कलका वासय न वतता दवस मनान क तयार ज़ोर-

शोर स क थी पलस क सती लाठ चाज गरफ़तारया इन सब क बाद भी लोग म

जोश बना रहा लोग झड फहरात वद मातरम बोलत हए खन बहात हए भी जलस

नकालन को तपर थ जलस टटता फर बन जाता कलका क इतहास म इतन चड

प म लोग को पहल कभी नह दखा गया था

आशय पट किजए minus

1-आज तो जो कछ हआ वह अपव हआ ह बगाल क नाम या कलका क नाम पर कलक

था क यहा काम नह हो रहा ह वह आज बहत अश म धल गया

1-हजार ी पष न जलस म भाग लया आज़ाद क सालगरह मनान क लए बना

कसी डर क दशन कया पलस क बनाए कानन क जलस आद गर काननी काय आद

क भी परवाह नह क पलस क लाठ चाज होन पर लोग घायल हो गए खन बहन लग

परत लोग म जोश क कोई कमी नह थी बगाल क लए कहा जाता था क वतता क

लए बहत यादा योगदान नह दया जा रहा ह आज क िथत को दखकर उन पर स

यह कलक मट गया

2-खला चलज दकर ऐसी सभा पहल नह क गई थी

2- पलस न कोई दशन न हो इसक लए कानन नकाला क कोई जलस आद आयोिजत

नह होगा परत सभाष बाब क अयता म कसल न नोटस नकाला था क मोनमट क

नीच झडा फहराया जाएगा और वतता क ता पढ़ जाएगी सभी को इसक लए

आमत कया गया खब चार भी हआ सार कलक म झड फहराए गए थ सरकार और

आम जनता म खल लड़ाई थी|

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याकरण-सध

याया -1-सध शद का अथ ह lsquoमलrsquo दो नकटवत वण क आपसी मल स जो परवतन होता

ह उस सध कहलाता ह सम + तोष = सतोष दव + इ = दव भान + उदय = भानदय

सध तीन कार ह

1-वर सध

2- यजन सध

3- वसग सध

1) वर सध-

दो वर क आस -पास आन पर उनम जो परवतन होता ह उस वर सध कहत ह

जस ndash वया + आलय = वयालय

1) दघ वर सध

अ इ उ क बाद दघ अ इ उ आ जाए तो दोनो मलकर दघ सध आ ई ऊ हो जात

अ + आ = आ हम + आलय = हमालय

इ + ई = ई - गर + ईश = गरश

ई + इ = ई - मह + इ = मह

ई + ई = ई - नद + ईश = नदश

उ + ऊ = ऊ- लघ + ऊम = लघम

ऊ + उ = ऊ- वध + उसव = वधसव

ऊ + ऊ = ऊ - भ + ऊव = भव

2) गण वर सध -इस सध म अ आ क आग इ ई हो तो ए उ ऊ हो तो औ और

अगर ऋ हो तो अर हो जाता ह उस गण सध कहत ह

अ + इ = ए- नर + इ = नर अ + ई = ए- नर + ईश = नरश

आ + इ = ए- महा + इ = मह आ + ई = ए महा + ईश = महश

अ + उ = ओ ान + उपदश = ानोपदश आ+उ= ओ महा + उसव = महोसव

3) यण वर सध- इस सध म इ ई उ ऊ और ऋ क बाद कोई अलग वर आए

तो इनका परवतन मश य व और र म हो जाता ह

इ का य = इत +आद = इयाद ई का य = दवी +आवाहन = दयावाहन

उ का व = स +आगत = वागत ऊ का व = वध +आगमन = ववागमन

4) वध वर सध- आ + ए ऐ -gt ऐ

अ आ + ओ औ -gt औ

अ +ए =ऐ एक +एक = एकक अ +ऐ =ऐ मत +ऐय = मतय

अ +औ=औ परम +औषध = परमौषध आ +औ =औ महा +औषध = महौषध

आ +ओ =औ महा +ओघ = महौघ

5)अयाद वर सध- इस सध म ए ऐ और ओ औ क पशचात इह छोड़कर को

अय वर हो तो इनका परवतन मश अय आय अव आव म हो जाता ह )

ए का अय न +अन = नयन ऐ का आय न +अक = नायक

ओ का अव पो +अन = पवन औ का आव पौ +अन = पावन

न का परवतन ण म = ो +अन = वण

2)यजन सध- यजन क साथ वर अथवा यजन क मल स उस यजन म जो

पातरण होता ह उस यजन सध कहत ह

त+छव=तछव दक+अत=दगत

दक+गज=दगज अन+छद=अनछद

अच +अत = अजत

3)वसग सध - वसग क साथ वर या यजन का मल होन पर जो वकार होता ह उस

वसग सध कहत ह

मन+रथ=मनोरथ यश+अभलाषा=यशोभलाषा

अध+गत=अधोगत न+छल=नछल

द +गम = दगम

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गय-भाग

पाठ-12

(ततारा-वामीरो कथा )

(ललाधर मडलोई)

-लखक का परचय- ललाधर मडलोईमडलोई का जम भारतीय

राय मयदश क छदवाडा िजल क गढ़ नामक गाव म हआ मडलोई न भारत म बीए

बीएड (अज़ी) पाकारता म नातक और एमए (हद) तक शा हण कया और

इसक बाद व लदन चल गय जहा स सारण म उच-शा (सीआरट) हण क

मडलोई दरदशन आकाशवाणी क महानदशक सहत कई राय-अतरराय समतय क

साथ ह सार भारती बोड क सदय रह चक ह

-पाठ का सार-

जो सयता िजतनी अधक परानी होगी उतनी ह अधक कस -कहानया उसस जड़ी होती ह जो

हम सनन को मलती ह जो कस - कहानया हम सनन को मलती ह जर नह क वो उसी तरह

घटत हई हो िजस तरह वो हम सनाई जा रह हइतना जर होता ह क इन कस और कहानय

म कोई न कोई सीख छपी होती ह अदमान नकोबार वीपसमह म भी बहत तरह क कस -

कहानया मशहर ह इनम स कछ को ललाधर मडलोई न लखा ह

तत पाठ ततारा वामीरो कथा अडमान नकोबार वीप समह क एक छोट स वीप पर क त ह

उस वीप पर एक -दसर स शता का भाव अपनी अतम सीमा पर पहच चका था इस शता क

भावना को जड़ स उखाड़न क लए एक जोड़ को आमबलदान दना पड़ा था उसी जोड़ क बलदान

का वणन लखक न तत पाठ म कया ह

यार सबको एक साथ लाता ह और नफरत सब क बीच दरय को बढ़ाती हइस बात स भला कौन

इनकार कर सकता ह इसलए जो कोई भी समाज क लए अपन यार का अपन जीवन का

बलदान करता ह समाज न कवल उस याद रखता ह बिक उसक वारा कय गए याग और

बलदान को बकार नह जान दता यह वह कारण ह िजसक वजह स तकालन समाज क सामन

मसाल कायम करन वाल इस जोड़ को आज भी इस वीप क नवासी गव और धा स याद करत

-शदाथ-

-खला-म कड़ी -आदम ndashाभक

-वभत ndashबटा हआ -आमीय ndashअपना

-वलण ndashअसाधारण -बयार-मद हवा

त-एकाता -वकल-बचन

-सचार-उपन -असगत ndashअनचत

समोहतndash मध -झझलाना ndash चड़ना

-रोमाचत ndash पलकत -नचल- िथर

-अफवाह ndash उड़ती खबर -उफनना ndash उबाल आना

शमन ndashशात होना -घपना भकनाचभना

-न-उर-

1-ततारा और वामीरो क गाव क या थी

उर- ततारा और वामीरो क गाव क यह रत थी क ववाह क लए लड़क-लड़क का एक

ह गाव का होना जर था दसर गाव क यवक क साथ सबध असभव था

2-ततारा क तलवार क बार म लोग का या मत था

उर- ततारा क तलवार ययप लकड़ी क थी पर इसक बावजद लोग का मानना था क

उस तलवार म अभत दवीय शित थी ततारा तलवार को कभी अपन स अलग होन नह

दता था लोग यह मानत थ क ततारा अपन साहसक कारनाम इसी तलवार क कारण ह

कर पाता ह उसम बड़ी शित थी

3-नकोबार क लोग ततारा को य पसद करत थ

उर- नकोबार क लोग ततारा को उसक साहसी और परोपकार वभाव क कारण पसद करत

थ वह एक सदर और शितशाल यवक था वह सदा लोग क सहायता करता रहता था

ततारा एक नक और मददगार यित था वह अपन गाव वाल क ह नह समच

वीपवासय क सवा करना अपना धम समझता था सभी उसका आदर करत थ मसीबत

क घड़ी म वह लोग क पास तरत पहच जाता था

4- ाचीन काल म मनोरजन और शित-दशन क लए कस कार क आयोजन कए जात

उर- ाचीन काल म मनोरजन और शित-दशन क लए अ-श चलान सबधी

आयोजन तथा पश पव कए जात थ

5-lsquoततारा-वामीरो कथाrsquo का सदश पट किजए

उर- lsquoततारा-वामीरो कथाrsquo एक लोकगाथा ह इसम यह सदश दया गया ह क म को कसी

बधन जड़ता तथा सीमाओ म बाधना उचत नह ह यद कोई गाव दश या म को

पनपन क लए खला अवसर नह दता तो इसस सवनाश होता ह धरती म भदभाव बढ़त ह

पहल स बट हई धरती और अवसर नह दता तो इसस मानवता का य होता ह भावनाए

एक होन क बजाय खडत होती ह अतः गाव दश या अय सकण नयमो को तोड़कर

हम उदारता क साथ सबको अपनाना चाहए

7-नक ततारा और वामीरो क मय कस हई पठत पाठ क आधार पर लखए

उर- पश-पव क मौक पर ततारा और वामीरो को इकठा दखकर वामीरो क मा ोध म

उफन उठ उसन ततारा को तरह-तरह स अपमानत कया गाव क लोग भी ततारा क

वरोध म आवाज उठान लग यह ततारा क लए अहसनीय था वामीरो अब भी रोए जा रह

थी ततारा भी गस स भर उठा उस जहा ववाह क नषध परपरा पर ोभ था वह अपनी

असहायता पर खीझ वामीरो का दख उस और गहरा कर रहा था उस मालम नह था क

या कदम उठाना चाहए अनायास उसका हाथ तलवार क मढ़ पर जा टका ोध म उसन

तलवार नकाल और कछ वचार करता रहा ोध लगातार अिन क तरह बढ़ रहा था

लोग सहम उठ एक सनाटा-सा खच गया जब कोई राह न सझी तो ोध का शमन करन

क लए उसम शित भर उस धरती म घप दया और ताकत स उस खीचन लगा वह

पसीन स नहा उठा सब घबराए हए थ वह तलवार को अपनी तरफ खीचत-खीचत दर तक

पहच गया वह हाफ रहा था अचानक जहा एक लकर खच गई थी वहा एक दरार होन

लगी मानो धरती दो टकड़ो म बटन लगी हो एक गड़गड़ाहट-सी गजन लगी और लकर क

सीध म धरती फटती ह जा रह थी वीप क अतम सर तक ततारा धरती को मानो ोध

म काटता जा रहा था सभी याकल हो उठ लोग न ऐस य क कपना न क थी व

सहर उठ उधर वामीरो फटती हई धरती क कनार ततारा का नाम पकारत हए दौड़ रह थी

वीप दो टकड़ म वभत हो चका था ततारा और वामीरो वीप क साथ सम म धस

गए और उमय हो गई

8-शाम क समय सम कनार ततारा क ाकतक अनभत का वणन किजए

उर- एक शाम ततारा दन-भर क अथक परम क बाद सम कनार टहलन नकल

पड़ा सरज सम स लग तज तल डबन को था सम स ठडी बयार आ रह थी

पय क सायकालन चाहचाहाहट शनः शनः ीण ह को थी उसका मन शात था

वचारमन ततारा सम बाल पर बठकर सरज क अतम रग-बरगी करण को सम

पर नहारन लगा तभी कह पास म उस मधर गीत गजता सनाई दया गीत मान

बहता हआ उसक तरफ आ रहा हो बीच-बीच म लहर का सगीत सनाई दता गायन

भावी था क वह अपनी सध-बध खोन लगा लहर क एक बल वग न उसक ता भग

क चतय होत ह वह उधर बढ़न को ववश हो उठा िजधर स अब भी गीत क वर बह

रह थ वह वकल-सा उस तरफ़ बढ़ता गया अततः उसक नजर एक यवती पर पड़ी जो

ढलती हई शाम क सदय म बसध एकटक सम क दह पर डबत आकषक रगो को

नहारत हए गा रह थी यह एक शगार गीत था

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Vyakr`-vaKy-

bull वाय क सामन दए कोठक म ( radic का चह लगाकर बताए क वह वाय कस

कार का ह

क) नकोबार उस बहद म करत थ (नवाचक वधानवाचक नषधामक

वमयादबोधक)

ख) तमन एकाएक इतना मधर गाना अधरा य छोड़ दया नवाचक

वधानवाचक नषधामक वमयादबोधक)

ग) वामीरो क मा ोध म उफन उठ (नवाचक वधानवाचक नषधामक

वमयादबोधक)

घ) या तह गाव का नयम नह मालम नवाचक वधानवाचक नषधामक

वमयादबोधक)

ङ) वाह कतना सदर नाम ह (नवाचक वधानवाचक नषधामक

वमयादबोधक)

च) म तहारा राता छोड़ दगा

वमयादबोधक)

उर- क) वधानवाचक

ग) वधानवाचक

ङ) वमयादबोध

Ocirc-इस पाठ म lsquo दखना lsquo या क कई प आए ह

शदयोग म या अतर ह

Ocirc-उर-

म तहारा राता छोड़ दगा (नवाचक वधानवाचक नषधामक

ख) नवाचक

घ) नवा

च) वधानवाचक

या क कई प आए ह lsquo दखना lsquo क इन वभन

वाययोग वारा पट किजए

नषधामक

नवाचक

वधानवाचक

क इन वभन

-वाय क उदाहरण-

सचयन-भाग

पाठ-1 (हरहर काका )

-शदाथ -

तबयत - शरर क िथत यणा - यातना कलश कट

मनःिथत - मन क िथत चद - कछ

आसित ndash लगाव यावहारक - यावहार सबधी

वचारक - वचार सबधी दलार - यार

सयाना - यक बधमान तीा - इतज़ार

फ़लहाल - अभी इस समय मझधार - बीच म

वलन - लत हो जाना वकप - दसरा उपाय

चलत ndash चलनसार जात - जगाना

कलवर - शरर मनौती - मनत

परपरा - था णाल अधकाश - यादातर

समत ndash सथा सचालन - नयण चलाना

नयित - तनाती लगाया गया वमख - तकल

चपट - आघात हार अहाता-चार ओर स दवार स घरा हआ मदान

अखड ndash नवन वफोट - फट कर बाहर नकलना

आगमन - आन पर उपलय - सकत

सराहना ndash शसा निचत - बफ

-लखक का परचय-मथलवर का जम 31 दसबर 1950 को बहार क

भोजपर िजल क बसाडीह नामक गाव म हआ इनक पता व० ो० वशरोपन लाल थ

मथलवर क पता (ो० वशरोपन लाल) भी वलण तभा क धनी थ परत उनक

असाय बीमार न मथलवर क जीवन म आरभ स ह कठन सघष क बीज बो दय थ

पाठ सार-

लखक कहता ह क वह हरहर काका क साथ बहत गहर स जड़ा था लखक का हरहर

काका क त जो यार था वह लखक का उनक यावहार क और उनक वचार क कारण

था और उसक दो कारण थ पहला कारण था क हरहर काका लखक क पड़ोसी थ और

दसरा कारण लखक को उनक मा न बताया था क हरहर काका लखक को बचपन स ह

बहत यादा यार करत थ जब लखक यक हआ तो उसक पहल दोती भी हरहर काका

क साथ ह हई थी लखक क गाव क पव दशा म ठाकर जी का वशाल मदर था िजस

गाव क लोग ठाकरबार यान दवथान कहत थ लोग ठाकर जी स प क मनत मागत

मक़दम म जीत लड़क क शाद कसी अछ घर म हो जाए लड़क को नौकर मल जाए

आद मनत मागत थ मनत पर होन पर लोग अपनी ख़शी स ठाकरजी को पए ज़वर

और अनाज चढ़ाया करत थ िजसको बहत अधक ख़शी होती थी वह अपन खत का छोटा-

सा भाग ठाकरजी क नाम कर दता था और यह एक तरह स था ह बन गई लखक कहता

ह क उसका गाव अब गाव क नाम स नह बिक दव-थान क वजह स ह पहचाना जाता

था उसक गाव का यह दव-थान उस इलाक का सबस बड़ा और सध दवथान था

हरहर काका न अपनी परिथतओ क कारण दव-थान म जाना बद कर दया था मन

बहलान क लए लखक भी कभी-कभी दव-थान चला जाता था लकन लखक कहता ह क

वहा क साध-सत उस बलकल भी पसद नह थ यक व काम करन म कोई दलचपी

नह रखत थ भगवान को भोग लगान क नाम पर व दन क दोन समय हलवा-पड़ी

बनवात थ और आराम स पड़ रहत थ सारा काम वहा आए लोग स सवा करन क नाम पर

करवात थ व खद अगर कोई काम करत थ तो वो था बात बनवान का काम

लखक हरहर काका क बार म बताता हआ कहता ह क हरहर काका और उनक तीन भाई

ह सबक शाद हो चक ह हरहर काका क अतरत सभी तीन भाइय क बाल-बच ह

कछ समय तक तो हरहर काका क सभी चीज़ का अछ स यान रखा गया परत फर

कछ दन बाद हरहर काका को कोई पछन वाला नह था लखक कहता ह क अगर कभी

हरहर काका क शरर क िथत ठक नह होती तो हरहर काका पर मसीबत का पहाड़ ह

गर जाता यक इतन बड़ परवार क रहत हए भी हरहर काका को कोई पानी भी नह

पछता था बारामद क कमर म पड़ हए हरहर काका को अगर कसी चीज़ क जरत होती

तो उह खद ह उठना पड़ता एक दन उनका भतीजा शहर स अपन एक दोत को घर ल

आया उह क आन क ख़शी म दो-तीन तरह क सिज़या बजक चटनी रायता और भी

बहत कछ बना था सब लोग न खाना खा लया और हरहर काका को कोई पछन तक नह

आया हरहर काका गस म बरामद क ओर चल पड़ और जोर-जोर स बोल रह थ क

उनक भाई क पिनया या यह सोचती ह क व उह मत म खाना खला रह ह उनक

खत म उगन वाला अनाज भी इसी घर म आता ह

हरहर काका क गस का महत जी न लाभ उठान क सोची महत जी हरहर काका को

अपन साथ दव-थान ल आए और हरहर काका को समझान लग क उनक भाई का परवार

कवल उनक जमीन क कारण उनस जड़ा हआ ह कसी दन अगर हरहर काका यह कह द

क व अपन खत कसी और क नाम लख रह ह तो व लोग तो उनस बात करना भी बद

कर दग खन क रत ख़म हो जायग महत हरहर काका स कहता ह क उनक हस म

िजतन खत ह व उनको भगवान क नाम लख द ऐसा करन स उह सीध वग क ाित

होगी

सबह होत ह हरहर काका क तीन भाई दव-थान पहच गए तीन हरहर काका क पाव म

गर कर रोन लग और अपनी पिनय क गलती क माफ़ मागन लग और कहन लग क

व अपनी पिनय को उनक साथ कए गए इस तरह क यवहार क सज़ा दग हरहर काका

क मन म दया का भाव जाग गया और व फर स घर वापस लौट कर आ गए जब अपन

भाइय क समझान क बाद हरहर काका घर वापस आए तो घर म और घर वाल क

यवहार म आए बदलाव को दख कर बहत खश हो गए घर क सभी छोट-बड़ सभी लोग

हरहर काका का आदर-सकार करन लग

गाव क लोग जब भी कह बठत तो बात का ऐसा सलसला चलता िजसका कोई अत नह

था हर जगह बस उह क बात होती थी कछ लोग कहत क हरहर काका को अपनी

जमीन भगवान क नाम लख दनी चाहए इसस उम और अछा कछ नह हो सकता

इसस हरहर काका को कभी न ख़म होन वाल सध ात होगी इसक वपरत कछ

लोग क यह मानत थ क भाई का परवार भी तो अपना ह परवार होता ह अपनी

जायदाद उह न दना उनक साथ अयाय करना होगा हरहर काका क भाई उनस ाथना

करन लग क व अपन हस क जमीन को उनक नाम लखवा द इस वषय पर हरहर

काका न बहत सोचा और अत म इस परणाम पर पहच क अपन जीत-जी अपनी जायदाद

का वामी कसी और को बनाना ठक नह होगा फर चाह वह अपना भाई हो या मदर का

महत यक उह अपन गाव और इलाक क व कछ लोग याद आए िजहन अपनी िजदगी

म ह अपनी जायदाद को अपन रतदार या कसी और क नाम लखवा दया था उनका

जीवन बाद म कसी क क तरह हो गया था उह कोई पछन वाला भी नह था हरहर

काका बलकल भी पढ़-लख नह थ परत उह अपन जीवन म एकदम हए बदलाव को

समझन म कोई गलती नह हई और उहन फसला कर लया क व जीत-जी कसी को भी

अपनी जमीन नह लखग

लखक कहता ह क जस-जस समय बीत रहा था महत जी क परशानया बढ़ती जा

रह थी उह लग रहा था क उहन हरहर काका को फसान क लए जो जाल फ का

था हरहर काका उसस बाहर नकल गए ह यह बात महत जी को सहन नह हो रह

थी आधी रात क आस-पास दव-थान क साध-सत और उनक कछ साथी भाला

गड़ासा और बदक क साथ अचानक ह हरहर काका क आगन म आ गए इसस

पहल हरहर काका क भाई कछ सोच और कसी को अपनी सहायता क लए आवाज

लगा कर बलाए तब तक बहत दर हो गई थी हमला करन वाल हरहर काका को

अपनी पीठ पर डाल कर कह गायब हो गए थव हरहर काका को दव-थान ल गए

थ एक ओर तो दव-थान क अदर जबरदती हरहर काका क अगठ का नशान लन

और पकड़कर समझान का काम चल रहा था तो वह दसर ओर हरहर काका क

तीन भाई सबह होन स पहल ह पलस क जीप को लकर दव-थान पर पहच गए

थ महत और उनक साथय न हरहर काका को कमर म हाथ और पाव बाध कर

रखा था और साथ ह साथ उनक मह म कपड़ा ठसा गया था ताक व आवाज़ न कर

सक परत हरहर काका दरवाज़ तक लढ़कत हए आ गए थ और दरवाज़ पर अपन

पर स धका लगा रह थ ताक बाहर खड़ उनक भाई और पलस उह बचा सक

दरवाज़ा खोल कर हरहर काका को बधन स मत कया गया हरहर काका न

पलस को बताया क व लोग उह उस कमर म इस तरह बाध कर कह गत

दरवाज़ स भाग गए ह और उहन कछ खल और कछ लख हए कागज पर हरहर

काका क अगठ क नशान जबरदती लए ह

यह सब बीत जान क बाद हरहर काका फर स अपन भाइय क परवार क साथ रहन लग

गए थ चौबीस घट पहर दए जान लग थ यहा तक क अगर हरहर काका को कसी

काम क कारण गाव म जाना पड़ता तो हथयार क साथ चार-पाच लोग हमशा ह उनक

साथ रहन लग लखक कहता ह क हरहर काका क साथ जो कछ भी हआ था उसस हरहर

काका एक सीध-साद और भोल कसान क तलना म चालाक और बधमान हो गए थ

उह अब सब कछ समझ म आन लगा था क उनक भाइय का अचानक स उनक त जो

यवहार परवतन हो गया था उनक लए जो आदर-समान और सरा व दान कर रह थ

वह उनका कोई सग भाइय का यार नह था बिक व सब कछ उनक धन-दौलत क कारण

कर रह ह नह तो व हरहर काका को पछत तक नह जब स हरहर काका दव-थान स

वापस घर आए थ उसी दन स ह हरहर काका क भाई और उनक दसर नात-रतदार

सभी यह सोच रह थ क हरहर काका को क़ाननी तरक स उनक जायदाद को उनक

भतीज क नाम कर दना चाहए यक जब तक हरहर काका ऐसा नह करग तब तक

महत क तज़ नज़र उन पर टक रहगी जब हरहर काका क भाई हरहर काका को

समझात-समझात थक गए तो उहन हरहर काका को डाटना और उन पर दवाब डालना

श कर दया एक रात हरहर काका क भाइय न भी उसी तरह का यवहार करना श

कर दया जसा महत और उनक सहयोगय न कया था उह धमकात हए कह रह थ क

ख़शी-ख़शी कागज़ पर जहा-जहा जरत ह वहा-वहा अगठ क नशान लगत जाओ नह तो व

उह मार कर वह घर क अदर ह गाड़ दग और गाव क लोगो को इस बार म कोई सचना

भी नह मलगी हरहर काका क साथ अब उनक भाइय क मारपीट श हो गई जब

हरहर काका अपन भाइय का मकाबला नह कर पा रह थ तो उहन ज़ोर-ज़ोर स

चलाकर अपनी मदद क लए गाव वाल को आवाज लगाना श कर दया तब उनक

भाइय को यान आया क उह हरहर काका का मह पहल ह बद करना चाहए था उहन

उसी पल हरहर काका को जमीन पर पटका और उनक मह म कपड़ा ठस दया लकन तब

तक बहत दर हो गई थी हरहर काका क आवाज बाहर गाव म पहच गई थी हरहर काका

क परवार और रत-नात क लोग जब तक गाव वाल कोसमझात क यह सब उनक

परवार का आपसी मामला ह व सभी इसस दर रह तब तक महत जी बड़ी ह दता और

तज़ी स वहा पलस क जीप क साथ आ गए पलस न पर घर क अछ स तलाशी लना

श कर दया फर घर क अदर स हरहर काका को इतनी बर हालत म हासल कया गया

िजतनी बर हालत उनक दव-थान म भी नह हई थी हरहर काका न बताया क उनक

भाइय न उनक साथ बहत ह यादा बरा यवहार कया ह जबरदती बहत स कागज पर

उनक अगठ क नशान ल लए ह उह बहत यादा मारा-पीटा ह

इस घटना क बाद हरहर काका अपन परवार स एकदम अलग रहन लग थ उह उनक

सरा क लए चार राइफलधार पलस क जवान मल थ आचय क बात तो यह ह क

इसक लए उनक भाइय और महत क ओर स काफ़ यास कए गए थ असल म भाइय

को चता थी क हरहर काका अकल रहन लगग तो दव-थान क महत-पजार फर स

हरहर काका को बहला-फसला कर ल जायग और जमीन दव-थान क नाम करवा लग और

यह चता महत जी को भी थी क हरहर काका को अकला और असरत पा उनक भाई

फर स उह पकड़ कर मारग और जमीन को अपन नाम करवा लग लखक कहता ह क

हरहर काका स जड़ी बहत सी ख़बर गाव म फल रह थी जस-जस दन बड़ रह थ वस-वस

डर का मौहोल बन रहा था सभी लोग सफ यह सोच रह थ क हरहर काका न अमत तो

पया हआ ह नह तो मरना तो उनको एक दन ह ह और जब व मरग तो पर गाव म

तफ़ान आ जाएगा यक महत और हरहर काका क परवार क बीच जमीन को ल कर

लड़ाई हो जायगी

पलस क जवान हरहर काका क खच पर ह खब मौज-मती स रह रह थ िजसका धन

वह रह उपास खान वाल कर वलास अथात हरहर काका क पास धन था लकन उनक लए

अब उसका कोई महव नह था और पलस वाल बना कसी कारण स ह हरहर काका क

धन स मौज कर रह थ अब तक जो नह खाया था दोन वत उसका भोग लगा रह थ

-नोर-

1-कथावाचक और हरहर काका क बीच या सबध ह और इसक या कारण ह

1-कथावाचक जब छोटा था तब स ह हरहर काका उस बहत यार करत थ जब वह बड़ हो

गए तो वह हरहर काका क म बन गए गाव म इतनी गहर दोती और कसी स नह

हई हरहर काका उनस खल कर बात करत थ यह कारण ह क कथावाचक को उनक

एक-एक पल क खबर थी शायद अपना म बनान क लए काका न वय ह उस यार स

बड़ा कया और इतजार कया

2-हरहर काका को महत और भाई एक ह णी क य लगन लग

2-हरहर काका को अपन भाइय और महत म कोई अतर नह लगा दोन एक ह णी क

लग उनक भाइय क पिनय न कछ दन तक तो हरहर काका का यान रखा फर

बचीकची रोटया द नाता नह दत थ बमार म कोई पछन वाला भी न था िजतना भी

उह रखा जा रहा था उनक ज़मीन क लए था इसी तरह महत न एक दन तो बड़ यार

स खातर क फर ज़मीन अपन ठाकर बाड़ी क नाम करन क लए कहन लग काका क

मना करन पर उह अनक यातनाए द अपहरण करवाया मह म कपड़ा ठस कर एक कोठर

म बद कर दया जबरदती अगठ का नशान लया गया तथा उह मारा पीटा गया इस

तरह दोन ह कवल ज़मीन जायदाद क लए हरहर काका स यवहार रखत थ अत उह

दोन एक ह णी क लग

3-ठाकर बाड़ी क त गाव वाल क मन म अपार धा क जो भाव ह उसस उनक कस

मनोव का पता चलता ह

3-कहा जाता ह गाव क लोग भोल होत ह असल म गाव क लोग अधववासी धमभी होत

ह मदर जस थान को पव नकलक ान का तीक मानत ह पजार परोहत महत

जस िजतन भी धम क ठकदार ह उनपर अगाध धा रखत ह व चाह कतन भी

पतत वाथ और नीच ह पर उनका वरोध करत व डरत ह इसी कारण ठाकर बाड़ी क

त गाव वाल क अपार धा थी उनका हर सख-दख उसस जड़ा था

4-अनपढ़ होत हए भी हरहर काका दनया क बहतर समझ रखत ह कहानी क आधार पर

पट किजए

4-हरहर काका अनपढ़ थ फर भी उह दनयादार क बहद समझ थी उनक भाई लोग

उनस ज़बरदती ज़मीन अपन नाम करान क लए डरात थ तो उह गाव म दखावा करक

ज़मीन हथयान वालो क याद आती ह काका न उह दखी होत दखा ह इसलए उहन

ठान लया था चाह महत उकसाए चाह भाई दखावा कर वह ज़मीन कसी को भी नह दग

एक बार महत क उकसान पर भाइय क त धोखा नह करना चाहत थ परत जब भाइय

न भी धोखा दया तो उह समझ म आ गया उनक त उह कोई यार नह ह जो यार

दखात ह वह कवल ज़ायदाद क लए ह

5-हरहर काका को जबरन उठा ल जान वाल कौन थ उहन उनक साथ कसा यवहार

कया

5-महत न हरहर काका को बहत लोभन दए िजसस वह अपनी ज़मीन जायदाद ठाकर

बाड़ी क नाम कर द परत काका इस बात क लए तयार नह थ व सोच रह थ क या

भगवान क लए अपन भाइय स धोखा क यह उह सह भी नह लग रहा था महत को

यह बात पता लगी तो उसन छल और बल स रात क समय अकल दालान म सोत हए

हरहर काका को उठवा लया महत न अपन चल साधसतो क साथ मलकर उनक हाथ पर

बाध दए मह म कपड़ा ठस दया और जबरदती अगठ क नशान लए उह एक कमर म

बद कर दया जब पलस आई तो वय गत दरवाज़ स भाग गए

6-हरहर काका क मामल म गाव वाल क या राय थी और उसक या कारण थ

6-कहानी क आधार पर गाव क लोग को बना बताए पता चल गया क हरहर काका को

उनक भाई नह पछत इसलए सख आराम का लोभन दकर महत उह अपन साथ ल

गया भाई मनत करक काका को वापस ल आत ह इस तरह गाव क लोग दो प म

बट गए कछ लोग महत क तरफ़ थ जो चाहत थ क काका अपनी ज़मीन धम क नाम पर

ठाकर बाड़ी को द द ताक उह सख आराम मल मय क बाद मो यश मल महत ानी

ह वह सब कछ जानता ह लकन दसर प क लोग कहत क ज़मीन परवार वालो को द

जाए उनका कहना था इसस उनक परवार का पट भरगा मदर को ज़मीन दना अयाय

होगा इस तरह दोन प अपन-अपन हसाब स सोच रह थ परत हरहर काका क बार म

कोई नह सोच रहा था इन बात का एक कारण यह भी था क काका वधर थ और उनक

कोई सतान भी नह थी पह बीघ ज़मीन क लए इनका लालच वाभवक था

7-कहानी क आधार पर पट किजए क लखक न यह य कहा अान क िथत म ह

मनय मय स डरत ह ान होन क बाद तो आदमी आवयकता पड़न पर मय को वरण

करन क लए तयार हो जाता ह

7-जब काका को असलयत पता चल और उह समझ म आ गया क सब लोग उनक

ज़मीन जायदाद क पीछ ह तो उह व सभी लोग याद आ गए िजहन परवार वालो क मोह

माया म आकर अपनी ज़मीन उनक नाम कर द और मय तक तलतल करक मरत

रह दान-दान को मोहताज़ हो गए इसलए उहन सोचा क इस तरह रहन स तो एक बार

मरना अछा ह जीत जी ज़मीन कसी को भी नह दग य लोग मझ एक बार म ह मार

द अत लखक न कहा क अान क िथत म मनय मय स डरता ह परत ान होन

पर मय वरण को तयार रहता ह

8-समाज म रत क या अहमयत ह इस वषय पर अपन वचार कट किजए

8-आज समाज म मानवीय मय तथा पारवारक मय धीर-धीर समात होत जा रह ह

यादातर यित अपन वाथ क लए रत नभात ह अपनी आवयकताओ क हसाब स

मलत ह अमीर रतदार का समान करत ह उनस मलन को आतर रहत ह जबक गरब

रतदार स कतरात ह कवल वाथ सध क अहमयत रह गई ह आए दन हम

अखबार म समाचार पढ़त ह क ज़मीन जाय़दाद पस जवर क लए लोग घनौन स घनौना

काय कर जात ह (हया अपहरण आद) इसी कार इस कहानी म भी पलस न पहचती तो

परवार वाल महत जी (काका क) हया ह कर दत उह यह अफसोस रहा क व काका को

मार नह पाए

9-यद आपक आसपास हरहर काका जसी हालत म कोई हो तो आप उसक कस कार

मदद करग

9-यद हमार आसपास हरहर काका जसी हालत म कोई हो तो हम उसक पर तरह मदद

करन क कोशश करग उनस मलकर उनक दख का कारण पता करग उह अहसास

दलाएग क व अकल नह ह सबस पहल तो यह ववास कराएग क सभी यित लालची

नह होत ह इस तरह मौन रह कर दसर को मौका न द बिक उलास स शष जीवन

बताए रतदार स मलकर उनक सबध सधारन का यन करग

10-हरहर काका क गाव म यद मीडया क पहच होती तो उनक या िथत होती अपन

शद म लखए

10-यद काका क गाव म मीडया पहच जाती तो सबक पोल खल जाती महत व भाइय का

पदाफाश हो जाता अपहरण और जबरन अगठा लगवान क अपराध म उह जल हो जाती

अपना-अपना मोचा सभालना - अपनी िजमदार नबाहना

आसमान स जमीन पर गरना -उच िथत स नन िथत पर आना

खल कर बात करना- बना सकच क बात करना |

चपत हो जाना ndash भाग जाना |

जी-जान स जट जाना ndash खब महनत करना

िजतन मह उतनी बात होना- कई तरह क बात करना |

ततर-बतर होना ndash बखर जाना |

त-त म -म होना -झगड़ा होना |

नमक-मच लगाना- बढ़ा-चढ़कर कहना|

बात बनाना- बहान बनाना|

रग चढ़ना- असर होना|

मह न खोलना ndash कछ न बताना |

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पय-भाग

पाठ-4

मनयता ndashमथलशरण गत

-लखक का परचय-

-पाठ का सार व पिटकरण-

कत क अय ाणय क तलना म मनय म सोचन क शित अधक होती ह

वह अपन ह नह दसर क सख - दःख का भी याल रखता ह और दसर क लए

कछ करन म समथ होता ह जानवर जब चरागाह म जात ह तो कवल अपन लए

चर कर आत ह परत मनय ऐसा नह ह वह जो कछ भी कमाता ह जो कछ भी

बनाता ह वह दसर क लए भी करता ह और दसर क सहायता स भी करता ह

तत पाठ का कव अपन क सख - दःख क चता करन वाल को मनय तो

मानता ह परत यह मानन को तयार नह ह क उन मनय म मनयता क सार

गण होत ह कव कवल उन मनय को महान मानता ह जो अपन क सख - दःख

स पहल दसर क चता करत ह वह मनय म ऐस गण चाहता ह िजसक कारण

कोई भी मनय इस मयलोक स चल जान क बाद भी सदय तक दसर क याद म

रहता ह अथात वह मय क बाद भी अमर रहता ह

-पाठ सार-

इस कवता म कव मनयता का सह अथ समझान का यास कर रहा ह पहल

भाग म कव कहता ह क मय स नह डरना चाहए यक मय तो निचत ह पर

हम ऐसा कछ करना चाहए क लोग हम मय क बाद भी याद रख असल मनय

वह ह जो दसर क लए जीना व मरना सीख ल दसर भाग म कव कहता ह क

हम उदार बनना चाहए यक उदार मनय का हर जगह गण गान होता ह मनय

वह कहलाता ह जो दसर क चता कर तीसर भाग म कव कहता ह क पराण

म उन लोग क बहत उदाहरण ह िजह उनक याग भाव क लए आज भी याद

कया जाता ह सचा मनय वह ह जो याग भाव जान ल चौथ भाग म कव

कहता ह क मनय क मन म दया और कणा का भाव होना चाहए मनय वह

कहलाता ह जो दसर क लए मरता और जीता ह पाचव भाग म कव कहना चाहता

ह क यहा कोई अनाथ नह ह यक हम सब उस एक ईवर क सतान ह हम

भदभाव स ऊपर उठ कर सोचना चाहएछठ भाग म कव कहना चाहता ह क हम

दयाल बनना चाहए यक दयाल और परोपकार मनय का दवता भी वागत करत

ह अतः हम दसर का परोपकार व कयाण करना चाहएसातव भाग म कव कहता

ह क मनय क बाहर कम अलग अलग हो परत हमार वद साी ह क सभी क

आमा एक ह हम सब एक ह ईवर क सतान ह अतः सभी मनय भाई -बध ह

और मनय वह ह जो दःख म दसर मनय क काम आयअतम भाग म कव

कहना चाहता ह क वप और वन को हटात हए मनय को अपन चन हए रात

पर चलना चाहए आपसी समझ को बनाय रखना चाहए और भदभाव को नह

बढ़ाना चाहए ऐसी सोच वाला मनय ह अपना और दसर का कयाण और उधार

कर सकता ह

-याया

1-वचार लो क मय हो न मय स डरो कभी

मरो परत य मरो क याद जो कर सभी

हई न य समय तो वथा मर वथा िजए

मारा नह वह क जो िजया न आपक लए

वह पश- वत ह क आप आप ह चर

वह मनय ह क जो मनय क लए मर

सग - तत कवता हमार पाय पतक पश भाग -2 स ल गई ह इसक

कव मथलशरण गत ह इन पितओ म कव बताना चाहता ह क मनय को

कसा जीवन जीना चाहए

याया - कव कहता ह क हम यह जान लना चाहए क मय का होना निचत

ह हम मय स नह डरना चाहए कव कहता ह क हम कछ ऐसा करना चाहए क

लोग हम मरन क बाद भी याद रख जो मनय दसर क लए कछ भी ना कर सक

उनका जीना और मरना दोन बकार ह मर कर भी वह मनय कभी नह मरता जो

अपन लए नह दसर क लए जीता ह यक अपन लए तो जानवर भी जीत ह

कव क अनसार मनय वह ह जो दसर मनय क लए मर अथात जो मनय दसर

क चता कर वह असल मनय कहलाता ह

2-उसी उदार क कथा सरवती बखानती

उसी उदार स धरा कताथ भाव मानती

उसी उदार क सदा सजीव कत कजती

तथा उसी उदार को समत सिट पजती

अखड आम भाव जो असीम वव म भर

वह मनय ह क जो मनय क लए मर

सग - तत कवता हमार पाय पतक पश भाग -2 स ल गई ह इसक

कव मथलशरण गत ह इन पितओ म कव बताना चाहता ह क जो मनय

दसर क लए जीत ह उनका गणगान यग - यग तक कया जाता ह

याया - कव कहता ह क जो मनय अपन पर जीवन म दसर क चता करता

ह उस महान यित क कथा का गण गान सरवती अथात पतक म कया जाता

ह पर धरती उस महान यित क आभार रहती ह उस यित क बातचीत

हमशा जीवत यित क तरह क जाती ह और पर सिट उसक पजा करती ह

कव कहता ह क जो यित पर ससार को अखड भाव और भाईचार क भावना म

बाधता ह वह यित सह मायन म मनय कहलान योय होता ह

3-धात रतदव न दया करथ थाल भी

तथा दधीच न दया पराथ अिथजाल भी

उशीनर तीश न वमास दान भी कया

सहष वीर कण न शरर-चम भी दया

अनय दह क लए अनाद जीव या डर

वह मनय ह क जो मनय क लए मर

सग - तत कवता हमार पाय पतक पश भाग -2 स ल गई ह इसक

कव मथलशरण गत ह इन पितओ म कव न महान पष क उदाहरण दए ह

िजनक महानता क कारण उह याद कया जाता ह

याया - कव कहता ह क पौराणक कथाए ऐस यितओ क उदाहरण स भर

पड़ी ह िजहन अपना परा जीवन दसर क लए याग दया िजस कारण उह आज

तक याद कया जाता ह भख स परशान रतदव न अपन हाथ क आखर थाल भी

दान कर द थी और महष दधीच न तो अपन पर शरर क हडया व बनान क

लए दान कर द थी उशीनर दश क राजा शब न कबतर क जान बचान क लए

अपना परा मास दान कर दया था वीर कण न अपनी ख़शी स अपन शरर का

कवच दान कर दया था कव कहना चाहता ह क मनय इस नवर शरर क लए

य डरता ह यक मनय वह कहलाता ह जो दसर क लए अपन आप को याग

दता ह

4-सहानभत चाहए महावभत ह यह

वशीकता सदव ह बनी हई वय मह

वधभाव बध का दया-वाह म बहा

वनीत लोकवग या न सामन झका रहा

अहा वह उदार ह परोपकार जो कर

वह मनय ह क जो मनय क लए मर

सग - तत कवता हमार पाय पतक पश भाग -2 स ल गई ह इसक

कव मथलशरण गत ह इन पितओ म कव न महामा बध का उदाहरण दत

हए दया कणा को सबस बड़ा धन बताया ह

याया - कव कहता ह क मनय क मन म दया व कणा का भाव होना चाहए

यह सबस बड़ा धन ह वय ईवर भी ऐस लोग क साथ रहत ह इसका सबस

बड़ा उदाहरण महामा बध ह िजनस लोग का दःख नह दखा गया तो व लोक

कयाण क लए दनया क नयम क वध चल गए इसक लए या परा ससार

उनक सामन नह झकता अथात उनक दया भाव व परोपकार क कारण आज भी

उनको याद कया जाता ह और उनक पजा क जाती ह महान उस को कहा जाता ह

जो परोपकार करता ह वह मनय मनय कहलाता ह जो मनय क लए जीता ह

और मरता ह

5-रहो न भल क कभी मदाघ तछ व म

सनाथ जान आपको करो न गव च म

अनाथ कौन ह यहा लोकनाथ साथ ह

दयाल दन बध क बड़ वशाल हाथ ह

अतीव भायहन ह अधीर भाव जो कर

वह मनय ह क जो मनय क लए मर

सग - तत कवता हमार पाय पतक पश भाग -2 स ल गई ह इसक

कव मथलशरण गत ह इन पितओ म कव कहता ह क सपत पर कभी

घमड नह करना चाहए और कसी को अनाथ नह समझना चाहए यक ईवर

सबक साथ ह

याया - कव कहता ह क भल कर भी कभी सप या यश पर घमड नह करना

चाहए इस बात पर कभी गव नह करना चाहए क हमार साथ हमार अपन का

साथ ह यक कव कहता ह क यहा कौन सा यित अनाथ ह उस ईवर का

साथ सब क साथ ह वह बहत दयावान ह उसका हाथ सबक ऊपर रहता ह कव

कहता ह क वह यित भायहन ह जो इस कार का उतावलापन रखता ह यक

मनय वह यित कहलाता ह जो इन सब चीज स ऊपर उठ कर सोचता ह

6-अनत अतर म अनत दव ह खड़

सम ह वबाह जो बढ़ा रह बड़-बड़

परपरावलब स उठो तथा बढ़ो सभी

अभी अमय-अक म अपक हो चढ़ो सभी

रहो न या क एक स न काम और का सर

वह मनय ह क जो मनय क लए मर

सग - तत कवता हमार पाय पतक पश भाग -2 स ल गई ह इसक

कव मथलशरण गत ह इन पितओ म कव कहता ह क कलक रहत रहन व

दसर का सहारा बनन वाल मवषय का दवता भी वागत करत ह

याया - कव कहता ह क उस कभी न समात होन वाल आकाश म असय

दवता खड़ ह जो परोपकार व दयाल मनय का सामन स खड़ होकर अपनी भजाओ

को फलाकर वागत करत ह इसलए दसर का सहारा बनो और सभी को साथ म

लकर आग बड़ो कव कहता ह क सभी कलक रहत हो कर दवताओ क गोद म

बठो अथात यद कोई बरा काम नह करोग तो दवता तह अपनी गोद म ल लग

अपन मतलब क लए नह जीना चाहए अपना और दसर का कयाण व उधार

करना चाहए यक इस मरणशील ससार म मनय वह ह जो मनय का कयाण

कर व परोपकार कर

7-मनय माा बध ह यह बड़ा ववक ह

पराणपष वयभ पता सध एक ह

फलानसार कम क अवय बाय भद ह

परत अतरय म माणभत वद ह

अनथ ह क बध ह न बध क यथा हर

वह मनय ह क जो मनय क लए मर

सग - तत कवता हमार पाय पतक पश भाग -2 स ल गई ह इसक

कव मथलशरण गत ह इन पितओ म कव कहता ह क हम सब एक ईवर क

सतान ह अतः हम सभी मनय एक - दसर क भाई - बध ह

याया - कव कहता ह क यक मनय एक दसर क भाई - बध ह यह सबस

बड़ी समझ ह पराण म िजस वय उपन पष मना गया ह वह परमामा या

ईवर हम सभी का पता ह अथात सभी मनय उस एक ईवर क सतान ह

बाहर कारण क फल अनसार यक मनय क कम भल ह अलग अलग ह परत

हमार वद इस बात क साी ह क सभी क आमा एक ह कव कहता ह क यद

भाई ह भाई क दःख व कट का नाश नह करगा तो उसका जीना यथ ह यक

मनय वह कहलाता ह जो बर समय म दसर मनय क काम आता ह

8-चलो अभीट माग म सहष खलत हए

वपवन जो पड़ उह ढकलत हए

घट न हलमल हा बढ़ न भनता कभी

अतक एक पथ क सतक पथ ह सभी

तभी समथ भाव ह क तारता हआ तर

वह मनय ह क जो मनय क लए मर

सग - तत कवता हमार पाय पतक पश भाग -2 स ल गई ह इसक

कव मथलशरण गत ह इन पितओ म कव कहता ह क यद हम ख़शी ससार

कट को हटत हए भदभाव रहत रहग तभी सभव ह क समाज क उनत होगी

याया - कव कहता ह क मनय को अपनी इछा स चन हए माग म ख़शी

ख़शी चलना चाहएरात म कोई भी सकट या बाधाए आय उह हटात चल जाना

चाहए मनय को यह यान रखना चाहए क आपसी समझ न बगड़ और भद

भाव न बड़ बना कसी तक वतक क सभी को एक साथ ल कर आग बढ़ना चाहए

तभी यह सभव होगा क मनय दसर क उनत और कयाण क साथ अपनी

समध भी कायम कर

-ननलखत न क उर दिजय ndash

1-कव न कसी मय को समय कहा ह

1-कव न ऐसी मय को समय कहा ह िजसम मनय अपन स पहल दसर क चता

करता ह और परोपकार क राह को चनता ह िजसस उस मरन क बाद भी याद कया

जाता ह

2-उदार यित क पहचान कस हो सकती ह

2- उदार यित परोपकार होता ह वह अपन स पहल दसर क चता करता ह और

लोक कयाण क लए अपना जीवन याग दता ह

3-कव न दधीच कण आद महान यितओ क उदाहरण द कर मनयता क लए

या उदाहरण दया ह

3- कव न दधीच कण आद महान यितओ क उदाहरण द कर मनयता क

लए यह सदश दया ह क परोपकार करन वाला ह असल मनय कहलान योय

होता ह मानवता क रा क लए दधीच न अपन शरर क सार अिथया दान कर

द थीकण न अपनी जान क परवाह कय बना अपना कवच द दया था िजस

कारण उह आज तक याद कया जाता ह कव इन उदाहरण क वारा यह

समझाना चाहता ह क परोपकार ह सची मनयता ह

4- कव न कन पितय म यह यत कया ह क हम गव - रहत जीवन यतीत

करना चाहए

4- कव न ननलखत पितय म गव रहत जीवन यतीत करन क बात कह ह-

रहो न भल क कभी मगाघ तछ व म

सनाथ जान आपको करो न गव च म

अथात सपत क घमड म कभी नह रहना चाहए और न ह इस बात पर गव

करना चाहए क आपक पास आपक अपन का साथ ह यक इस दनया म कोई

भी अनाथ नह ह सब उस परम पता परमवर क सतान ह

5- मनय मा बध ह स आप या समझत ह पट किजए

5- मनय मा बध ह अथात हम सब मनय एक ईवर क सतान ह अतः हम

सब भाई - बध ह भाई -बध होन क नात हम भाईचार क साथ रहना चाहए और

एक दसर का बर समय म साथ दना चाहए

6- कव न सबको एक होकर चलन क रणा य द ह

6- कव न सबको एक होकर चलन क रणा इसलए द ह ताक आपसी समझ न

बगड़ और न ह भदभाव बड़ सब एक साथ एक होकर चलग तो सार बाधाए मट

जाएगी और सबका कयाण और समध होगी

7- यित को कस तरह का जीवन यतीत करना चाहए इस कवता क आधार पर

लखए

7-मनय को परोपकार का जीवन जीना चाहए अपन स पहल दसर क दख क

चता करनी चाहए कवल अपन बार म तो जानवर भी सोचत ह कव क अनसार

मनय वह कहलाता ह जो अपन स पहल दसर क चता कर

8- मनयता कवता क वारा कव या सदश दना चाहता ह

8- मनयता कवता क मायम स कव यह सदश दना चाहता ह क परोपकार ह

सची मनयता ह परोपकार ह एक ऐसा साधन ह िजसक मायम स हम यग तक

लोगो क दल म अपनी जगह बना सकत ह और परोपकार क वारा ह समाज का

कयाण व समध सभव ह अतः हम परोपकार बनना चाहए ताक हम सह

मायन म मनय कहलाय

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-याकरण-

पदबध- परभाषा

पद- वाय स अलग रहन पर शद और वाय म यत हो जान पर शद

पद कहलात ह दसर शद म- वाय म यत शद पद कहलाता ह पदबध-

जब दो या अधक (शद) पद नयत म और निचत अथ म कसी पद का

काय करत ह तो उह पदबध कहत ह

पदबध क भद

मय पद क आधार पर पदबध क पाच कार होत ह-

(1) सा-पदबध (2) वशषण-पदबध

(3) सवनाम पदबध (4) या पदबध

(5) अयय पदबध

(1) सा-पदबध-

(a)चार ताकतवर मजदर इस भार चीज को उठा पाए

(b) राम न लका क राजा रावण को मार गराया

(c) अयोया क राजा दशरथ क चार प थ

(d) आसमान म उड़ता गबारा फट गया

2) वशषण पदबध-

a) तज चलन वाल गाड़या ायः दर स पहचती ह

(b) उस घर क कोन म बठा हआ आदमी जासस ह

(c) उसका घोड़ा अयत सदर फरतीला और आाकार ह

(d) बरगद और पीपल क घनी छाव स हम बहत सख मला

3) सवनाम पदबध-

(a)बजल-सी फरती दखाकर आपन बालक को डबन स बचा लया

(b)शरारत करन वाल छा म स कछ पकड़ गए

(c)वरोध करन वाल लोग म स कोई नह बोला

4) या पदबध-

(a) वह बाजार क ओर आया होगा

(b) मझ मोहन छत स दखाई द रहा ह

(c) सरश नद म डब गया

(d) अब दरवाजा खोला जा सकता ह

5) अयय पदबध-

(a)अपन सामान क साथ वह चला गया

(b)सबह स शाम तक वह बठा रहा

कसी भी भाषा क व शद अयय (Indeclinable या inflexible) कहलात ह िजनक प म

लग वचन पष कारक काल इयाद क कारण कोई वकार उप नह होता

चक अयय का पातर नह होता इसलए ऐस शद अवकार होत ह अयय का शािदक

अथ ह- जो यय न हो

(i) कालवाचक अयय- इनम समय का बोध होता ह जस- आज कल तरत पीछ पहल अब

जब तब कभी-कभी कब अब स नय जब स सदा स अभी तभी आजकल और कभी

उदाहरणाथ-

अब स ऐसी बात नह होगी

ऐसी बात सदा स होती रह ह

वह कब आया मझ पता नह

(ii) थानवाचक अयय- इसस थान का बोध होता ह जस- यहा वहा कहा जहा यहा स

वहा स इधर-उधर उदाहरणाथ-

वह यहा नह ह

वह कहा जायगा

वहा कोई नह ह

जहा तम हो वहा म ह

(iii) दशावाचक अयय- इसस दशा का बोध होता ह जस- इधर उधर िजधर दर पर अलग

दाहन बाए आरपार

(iv) िथतवाचक अयय- नीच ऊपर तल सामन बाहर भीतर इयाद

अयय क भद

अयय ननलखत चार कार क होत ह -

(1) यावशषण (Adverb)

(2) सबधबोधक (Preposition)

(3) समचयबोधक (Conjunction)

(4) वमयादबोधक (Interjection)

(1) यावशषण - िजन शद स या वशषण या दसर यावशषण क वशषता कट

हो उह यावशषण कहत ह

दसर शदो म- जो शद या क वशषता बतलात ह उह या वशषण कहा जाता ह

जस- राम धीर-धीर टहलता ह राम वहा टहलता ह राम अभी टहलता ह

इन वाय म धीर-धीर वहा और अभी राम क टहलन (या) क वशषता बतलात ह य

यावशषण अवकार वशषण भी कहलात ह इसक अतरत यावशषण दसर

यावशषण क भी वशषता बताता ह

वह बहत धीर चलता ह इस वाय म बहत यावशषण ह यक यह दसर यावशषण

धीर क वशषता बतलाता ह

या वशषण क कार

(1) योग क अनसार- (i) साधारण (ii) सयोजक (iii) अनबध

(2) प क अनसार- (i) मल यावशषण (ii) यौगक यावशषण (iii) थानीय यावशषण

(3) अथ क अनसार- (i) परमाणवाचक (ii) रतवाचक

(1) योग क अनसार यावशषण क भद

योग क अनसार यावशषण क तीन भद ह-

(i) साधारण यावशषण- िजन यावशषण का योग कसी वाय म वत होता ह

उह साधारण यावशषण कहा जाता ह

जस- हाय अब म या क बटा जद आओ अर साप कहा गया

(ii) सयोजक यावशषण- िजन यावशषण का सबध कसी उपवाय स रहता ह उह

सयोजक यावशषण कहा जाता ह

जस- जब रोहताव ह नह तो म ह जीकर या कगी जहा अभी सम ह वहा कसी

समय जगल था

(iii) अनबध यावशषण- िजन यावशषण क योग अवधारण (नचय) क लए कसी

भी शदभद क साथ होता हो उह अनबध यावशषण कहा जाता ह

जस- यह तो कसी न धोखा ह दया ह मन उस दखा तक नह

(2) प क अनसार यावशषण क भद

प क अनसार यावशषण क तीन भद ह-

(i) मल यावशषण- ऐस यावशषण जो कसी दसर शद क मल स नह बनत मल

यावशषण कहलात ह

जस- ठक दर अचानक फर नह

(ii) यौगक यावशषण- ऐस यावशषण जो कसी दसर शद म यय या पद जोड़न

पर बनत ह यौगक यावशषण कहलात ह

जस- मन स िजसस चपक स भल स दखत हए यहा तक झट स वहा पर यौगक

यावशषण सा सवनाम वशषण धात और अयय क मल स बनत ह

यौगक यावशषण नीच लख शद क मल स बनत ह-

(i) साओ क वित स- घर-घर घड़ी-घड़ी बीच-बीच हाथ-हाथ

(ii) दो भ साओ क मल स- दन-रात साझ-सबर घर-बाहर दश-वदश

(iii) वशषण क वित स- एक-एक ठक-ठक साफ-साफ

(iv) यावशषण क वित स- धीर-धीर जहा-तहा कब-कब कहा-कहा

(v) दो यावशषण क मल स- जहा-तहा जहा-कह जब-तब जब-कभी कल-परस आस-पास

(vi) दो भ या समान यावशषण क बीच न लगान स- कभी-न-कभी कछ-न-कछ

(vii) अनकरण वाचक शद क वित स- पटपट तड़तड़ सटासट धड़ाधड़

(viii) सा और वशषण क योग स- एक साथ एक बार दो बार

(ix) अय य और दसर शद क मल स- तदन यथाम अनजान आजम

(x) पवकालक कदत और वशषण क मल स- वशषकर बहतकर मयकर एक-एककर

(iii) थानीय यावशषण- ऐस यावशषण जो बना पातर क कसी वशष थान म

आत ह थानीय यावशषण कहलात ह

जस- वह अपना सर पढ़गा

वह दौड़कर चलत ह

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  • (1) अरथ की दषटि स शबद-भद13
  • (2) परयोग की दषटि स शबद-भद13
  • (3) उतपति की दषटि स शबद-भद13
  • 1) सवर सधि-13
  • परति+छवि=परतिचछवि दिक+अनत=दिगनत दिक+गज=दिगगज अन+छद=अनचछद अच +अनत = अजनत 13
  • 3)विसरग सधि - विसरग क साथ सवर या वयजन का मल होन पर जो विकार होता ह उस 13
  • विसरग सधि कहत ह 13
  • मन+रथ=मनोरथ यश+अभिलाषा=यशोभिलाषा अध+गति=अधोगति नि+छल=निशछल द +गम = दरगम 13
    • -पाठ सार-13
    • -वयाखया13
    • -निमनलिखित परशनो क उततर दीजिय ndash13
    • 1-कवि न कसी मतय को समतय कहा ह13
    • अवयय क भद13
    • करिया विशषण क परकार13
Page 6: Class –X HINDI JUNE SYLLABUS 2020 Chapters:- Ch-1-Sanchayan …punainternationalschool.com/assets/upload/ck-images/Std-10th=Jun… · -harihar kaka . पय-भाग पाठ-3

5 बहार कव न सभी क उपिथत म भी कस बात क जा सकती ह इसका वणन कस

कार कया ह अपन शद म लखए

बहार न बताया ह क घर म सबक उपिथत म नायक और नायका इशार म अपन मन

क बात करत ह नायक न सबक उपिथत म नायका को इशारा कया नायका न इशार

स मना कया नायका क मना करन क तरक पर नायक रझ गया इस रझ पर नायका

खीज उठ दोन क न मल जान पर आख म म वीकत का भाव आता हा इस पर

नायक सन हो जाता ह और नायका क आख म लजा जाती ह

-ननलखत का भाव पट किजए ndash

1-मनौ नीलमनी-सल पर आतप पय भात

इस पित म कण क सदय का वणन ह कण क नील शरर पर पील रग क व ह व

दखन म ऐस तीत होत ह मान नीलमणी पवत पर सबह का सय जगमगा उठा हो

2-जगत तपोबन सौ कयौ दरघ-दाघ नदाघ

इस पित का आशय ह क ीम ऋत क भीषण गम स परा जगल तपोवन जसा पव

बन गया ह सबक आपसी दमनी समात हो गई ह साप हरण और सह सभी गम स

बचन क लए साथ रह रह ह ऐसा तीत होता ह जस तपवी का सानय पाकर य आपसी

वर-भाव भल गए ह

3-जपमाला छाप तलक सर न एकौ काम

मन-काच नाच बथा साच राच राम

इन पितय वारा कव न बाहर आडबर का खडन करक भगवान क सची भित करन

पर बल दया ह इसका भाव ह क माला जपन छाप लगवाना माथ पर तलक लगवान स

एक भी काम नह बनता कच मन वाल का दय डोलता रहता ह व ह ऐसा करत ह

जो इन यथ क आडबर म भटकत रहत ह व झठा दशन करक दनया को धोखा द सकत

ह परत भगवान राम तो सच मन क भित स ह सन होत ह राम तो सच मन स

याद करन वाल क दय म रहत ह

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याकरण-भाग

शद और पद

शद और पद- यहा शद और पद का अतर समझ लना चाहए वनय क मल स शद

बनता ह जस- प+आ+न+ई= पानी यह शद जब वाय म अथवाचक बनकर आय तो वह

पद कहलाता ह

जस- पतक लाओ इस वाय म दो पद ह- एक नामपद पतक ह और दसरा यापद

लाओ ह

शद क भद

अथ योग उप और यप क िट स शद क कई भद ह इनका वणन नन कार

ह-

(1) अथ क िट स शद-भद

(i)साथक शद (ii) नरथक शद

(i)साथक शद- िजस वण समह का पट प स कोई अथ नकल उस साथक शद कहत

जस- कमल खटमल रोट सव आद

(ii)नरथक- िजस वण समह का कोई अथ न नकल उस नरथक शद कहत ह

जस- राट वठा ची वाना वोती आद

साथक शद क अथ होत ह और नरथक शद क अथ नह होत जस- पानी साथक शद

ह और नीपा नरथक शद यक इसका कोई अथ नह

(2) योग क िट स शद-भद

शद क साथक मल स वाय क रचना होती ह वाय क मल स भाषा बनती ह शद

भाषा क ाणवाय होत ह वाय म शद का योग कस प म कया जाता ह इस

आधार पर हम शद को दो वग म बाटत ह

(i)वकार शद (ii)अवकार शद

(i)वकार शद - िजन शद क प म लग वचन कारक क अनसार परवतन का वकार

आता ह उह वकार शद कहत ह

इस हम ऐस भी कह सकत ह- वकार यानी परवतन व शद िजनम लग वचन कारक

आद क कारण वकार (परवतन) आ जाता ह उह वकार शद कहत ह

जस- लग- लड़का पढता ह लड़क पढ़ती ह

वचन- लड़का पढता हलड़क पढ़त ह

कारक- लड़का पढता ह लड़क को पढ़न दो

वकार शद चार कार क होत ह-

(i) सा (noun) (ii) सवनाम (pronoun) (iii) वशषण (adjective) (iv) या (verb)

(ii)अवकार शद -िजन शद क प म कोई परवतन नह होता उह अवकार शद कहत

दसर शद म- अ वकार यानी िजनम परवतन न हो ऐस शद िजनम लग वचन कारक

आद क कारण कोई परवतन नह होता अवकार शद कहलात ह

जस- परत तथा यद धीर-धीर अधक आद

अवकार शद भी चार कार क होत ह-

(i)या-वशषण (Adverb)

(ii)सबध बोधक (Preposition)

(iii)समचय बोधक(Conjunction)

(iv)वमयाद बोधक(Interjection)

(3) उपत क िट स शद-भद

(i)तसम शद (ii )तभव शद (iii )दशज शद एव (iv)वदशी शद

(i) तसम शद - सकत भाषा क व शद जो हद म अपन वातवक प

म यत होत ह उह तसम

शद कहत ह

दसर शद म- तत (उसक) + सम (समान) यानी व शद जो सकत भाषा स

हद भाषा म बना कसी बदलाव (मलप म) क ल लए गए ह तसम शद

कहलात ह

सरल शद म- हद म सकत क मल शद को तसम कहत ह

जस- कव माता वया नद फल पप पतक पवी काय मय आद

यहा सकत क उन तमो क सची ह जो सकत स होत हए हद म आय

ह-

तसम हद तसम हद

आ आम गोमल गोमय गोबर

उ ऊ ट घोटक घोड़ा

चच चच पयक पलग

वरत तरत भ भात

शलाका सलाई हरा हद हरद

गय भाग

पाठ-2

डायर क पन ndashसीताराम सकसरया

-लखक का परचय -

-सीताराम सकसरया को समाज सवा क म सन 1962 म पम भषण स समानत कया

गया था य असम राय स ह

सीताराम सकसरया एक भारतीय वतता कायकता गाधीवाद समाजवाद और पिचम बगाल

क सथा बडर थ जो मारवाड़ी समदाय क उथान क लए उनक योगदान क लए जान जात थ वह

एक उच वयालय सथान मारवाड़ी बालकका वयालय समाज सधार समत एक सामािजक

सगठन और भारतीय भाषा परषद उच शा सथान ी शाशाटन सहत कई सथान और

सगठन क सथापक थ एक गर सरकार सगठन भारत सरकार न समाज म उनक योगदान क लए

उह 1 9 62 म पम भषण का तीसरा सवच नागरक समान दया उनक जीवन क कहानी एक

कताब पम भषण सीताराम सकसरया अभनदन थ म काशत क गई ह िजस भावरमल सह

वारा सपादत कया गया ह और 1 9 74 म काशत कया गया था

-पाठ का सार-

शदाथ-

पराव ndashफर स आना अपन-हम या म

गत-घम घम कर चौकदार करना साजट ndashसना म एक पद

मोनमट-मारक काउिसल-परष

चौरगी-कलकाता का एक थान वालटयर ndashवयम सवक

सगीन ndashगभीर

-न उर-

-ननलखत न क उर (10-12 शद म) लखए minus

1-कलका वासय क लए 26 जनवर 1931 का दन य महवपण था

1-दश का वतता दवस एक वष पहल इसी दन मनाया गया था इसस पहल बगाल

वासय क भमका नह थी अब व य तौर पर जड़ गए इसलए यह महवपण

दन था

2-सभाष बाब क जलस का भार कस पर था

2-सभाषा बाब क जलस का भार पणदास पर था परत पलस न उह पकड़ लया

3-वयाथ सघ क मी अवनाश बाब क झडा गाड़न पर या तया हई

3-बगाल ातीय वयाथ सघ क मी अवनाश बाब न जस ह झडा गाड़ा पलस न

उह पकड़ लया और लोग पर लाठया चलाई

4-लोग अपन-अपन मकान व सावजनक थल पर राय झडा फहराकर कस बात का

सकत दना चाहत थ

4-लोग अपन-अपन मकान व सावजनक थल पर राय झडा फहराकर बताना चाहत

थ क व अपन को आज़ाद समझ कर आज़ाद मना रह ह उनम जोश और उसाह ह

5-पलस न बड़-बड़ पाक और मदान को य घर लया था

5-आज़ाद मनान क लए पर कलका शहर म जनसभाओ और झडारोहण उसव का

आयोजन कया गया इसलए पाक और मदान को घर लया था

-ननलखत न क उर (25-30 शद म) लखए minus

1-26 जनवर 1931 क दन को अमर बनान क लए या-या तयारया क ग

1-26 जनवर 1931 क दन को अमर बनान क लए कलका शहर न शहर म जगह-

जगह झड लगाए गए थ कई थान पर जलस नकाल गए तथा झड़ा फहराया गया

था टोलया बनाकर भीड़ उस थान पर जटन लगी जहा सभाष बाब का जलस पहचना

था पलस क लाठचाज तथा गरफ़तार लोग क जोश को कम न कर पाए

2-आज जो बात थी वह नराल थीrsquo minus कस बात स पता चल रहा था क आज का दन

अपन आप म नराला ह पट किजए

2-आज का दन नराला इसलए था यक वतता दवस मनान क थम आव

थी पलस न सभा करन को गरकाननी कहा था कत सभाष बाब क आवान पर पर

कलका म अनक सगठन क मायम स जलस व सभाओ क जोशील तयार थी परा

शहर झड स सजा था तथा कसल न मोनमद क नीच झडा फहरान और वतता क

ता पढ़न का सरकार को खला चलज दया हआ था पलस भरपर तयार क बाद भी

कामयाब नह हो पाई

3-पलस कमनर क नोटस और कसल क नोटस म या अतर था

3-पलस कमनर न नोटस नकाला था क कोई भी जनसभा करना या जलस

नकालना कानन क खलाफ़ होगा सभाओ म भाग लन वाल को दोषी माना जाएगा

कसल न नोटस नकाला था क मोनमट क नीच चार बजकर चौबीस मनट पर झडा

फहराया जाएगा तथा वतता क ता पढ़ जाएगी इस कार य दोन नोटस एक

दसर क खलाफ़ थ

4-धमतल क मोड़ पर आकर जलस य टट गया

4-जब सभाष बाब को पकड़ लया गया तो िया जलस बनाकर चल परत पलस न

लाठ चाज स उह रोकना चाहा िजसस कछ लोग वह बठ गए कछ घायल हो गए और

कछ पलस वारा गरतार कर लए गए इसलए जलस टट गया

5-डा दासगता जलस म घायल लोग क दख-रख तो कर रह थ उनक फ़ोटो भी

उतरवा रह थ उन लोग क फ़ोटो खीचन क या वजह हो सकती थी पट किजए

5-डा दास गता लोग क फ़ोटो खचवा रह थ इसस अज़ क जम का पदाफ़ाश

कया जा सकता था दसरा यह भी पता चल सकता था क बगाल म वतता क लड़ाई

म बहत काम हो रहा ह

-ननलखत न क उर (50-60 शद म) लखए minus

1-सभाष बाब क जलस म ी समाज क या भमका थी

1-सभाष बाब क जलस म ी समाज क महवपण भमका रह थी भार पलस

यवथा क बाद भी जगह-जगह ी जलस क लए टोलया बन गई थी मोनमट पर

भी िय न नडर होकर झडा फहराया अपनी गरतारया करवाई तथा उनपर लाठया

बरसाई इनसब क बाद भी िया लाल बाज़ार तक आग बढ़ती ग

2-जलस क लाल बाज़ार आन पर लोग क या दशा हई

2-जलस क लाल बाज़ार आन पर भीड़ बकाब हो गई पलस डड बरसा रह थी लोग

को लॉकअप म भज रह थी िया भी अपनी गरफ़तार द रह थी दल क दल नार

लगा रह थ लोग का जोश बढ़ता ह जा रहा था लाठ चाज स लोग घायल हो गए थ

खन बह रहा था चीख पकार मची थी फर भी उसाह बना हआ था

3-जब स कानन भग का काम श हआ ह तब स आज तक इतनी बड़ी सभा ऐस मदान म

नह क गई थी और यह सभा तो कहना चाहए क ओपन लड़ाई थीrsquo यहा पर कौन स और

कसक वारा लाग कए गए कानन को भग करन क बात कह गई ह या कानन भग

करना उचत था पाठ क सदभ म अपन वचार कट किजए

3-इस समय दश क आज़ाद क लए हर यित अपना सवव लटान को तयार था अज़

न कानन बनाकर आदोलन जलस को गर काननी घोषत कया हआ था परत लोग पर

इसका कोई असर नह था व आज़ाद क लए अपना दशन करत रह गलामी क जजीर

को तोड़न का यास करत रह थ

4-बहत स लोग घायल हए बहत को लॉकअप म रखा गया बहत-सी िया जल ग फर

भी इस दन को अपव बताया गया ह आपक वचार म यह सब अपव य ह अपन शद

म लखए

4-सभाष च बोस क नतव म कलका वासय न वतता दवस मनान क तयार ज़ोर-

शोर स क थी पलस क सती लाठ चाज गरफ़तारया इन सब क बाद भी लोग म

जोश बना रहा लोग झड फहरात वद मातरम बोलत हए खन बहात हए भी जलस

नकालन को तपर थ जलस टटता फर बन जाता कलका क इतहास म इतन चड

प म लोग को पहल कभी नह दखा गया था

आशय पट किजए minus

1-आज तो जो कछ हआ वह अपव हआ ह बगाल क नाम या कलका क नाम पर कलक

था क यहा काम नह हो रहा ह वह आज बहत अश म धल गया

1-हजार ी पष न जलस म भाग लया आज़ाद क सालगरह मनान क लए बना

कसी डर क दशन कया पलस क बनाए कानन क जलस आद गर काननी काय आद

क भी परवाह नह क पलस क लाठ चाज होन पर लोग घायल हो गए खन बहन लग

परत लोग म जोश क कोई कमी नह थी बगाल क लए कहा जाता था क वतता क

लए बहत यादा योगदान नह दया जा रहा ह आज क िथत को दखकर उन पर स

यह कलक मट गया

2-खला चलज दकर ऐसी सभा पहल नह क गई थी

2- पलस न कोई दशन न हो इसक लए कानन नकाला क कोई जलस आद आयोिजत

नह होगा परत सभाष बाब क अयता म कसल न नोटस नकाला था क मोनमट क

नीच झडा फहराया जाएगा और वतता क ता पढ़ जाएगी सभी को इसक लए

आमत कया गया खब चार भी हआ सार कलक म झड फहराए गए थ सरकार और

आम जनता म खल लड़ाई थी|

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याकरण-सध

याया -1-सध शद का अथ ह lsquoमलrsquo दो नकटवत वण क आपसी मल स जो परवतन होता

ह उस सध कहलाता ह सम + तोष = सतोष दव + इ = दव भान + उदय = भानदय

सध तीन कार ह

1-वर सध

2- यजन सध

3- वसग सध

1) वर सध-

दो वर क आस -पास आन पर उनम जो परवतन होता ह उस वर सध कहत ह

जस ndash वया + आलय = वयालय

1) दघ वर सध

अ इ उ क बाद दघ अ इ उ आ जाए तो दोनो मलकर दघ सध आ ई ऊ हो जात

अ + आ = आ हम + आलय = हमालय

इ + ई = ई - गर + ईश = गरश

ई + इ = ई - मह + इ = मह

ई + ई = ई - नद + ईश = नदश

उ + ऊ = ऊ- लघ + ऊम = लघम

ऊ + उ = ऊ- वध + उसव = वधसव

ऊ + ऊ = ऊ - भ + ऊव = भव

2) गण वर सध -इस सध म अ आ क आग इ ई हो तो ए उ ऊ हो तो औ और

अगर ऋ हो तो अर हो जाता ह उस गण सध कहत ह

अ + इ = ए- नर + इ = नर अ + ई = ए- नर + ईश = नरश

आ + इ = ए- महा + इ = मह आ + ई = ए महा + ईश = महश

अ + उ = ओ ान + उपदश = ानोपदश आ+उ= ओ महा + उसव = महोसव

3) यण वर सध- इस सध म इ ई उ ऊ और ऋ क बाद कोई अलग वर आए

तो इनका परवतन मश य व और र म हो जाता ह

इ का य = इत +आद = इयाद ई का य = दवी +आवाहन = दयावाहन

उ का व = स +आगत = वागत ऊ का व = वध +आगमन = ववागमन

4) वध वर सध- आ + ए ऐ -gt ऐ

अ आ + ओ औ -gt औ

अ +ए =ऐ एक +एक = एकक अ +ऐ =ऐ मत +ऐय = मतय

अ +औ=औ परम +औषध = परमौषध आ +औ =औ महा +औषध = महौषध

आ +ओ =औ महा +ओघ = महौघ

5)अयाद वर सध- इस सध म ए ऐ और ओ औ क पशचात इह छोड़कर को

अय वर हो तो इनका परवतन मश अय आय अव आव म हो जाता ह )

ए का अय न +अन = नयन ऐ का आय न +अक = नायक

ओ का अव पो +अन = पवन औ का आव पौ +अन = पावन

न का परवतन ण म = ो +अन = वण

2)यजन सध- यजन क साथ वर अथवा यजन क मल स उस यजन म जो

पातरण होता ह उस यजन सध कहत ह

त+छव=तछव दक+अत=दगत

दक+गज=दगज अन+छद=अनछद

अच +अत = अजत

3)वसग सध - वसग क साथ वर या यजन का मल होन पर जो वकार होता ह उस

वसग सध कहत ह

मन+रथ=मनोरथ यश+अभलाषा=यशोभलाषा

अध+गत=अधोगत न+छल=नछल

द +गम = दगम

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गय-भाग

पाठ-12

(ततारा-वामीरो कथा )

(ललाधर मडलोई)

-लखक का परचय- ललाधर मडलोईमडलोई का जम भारतीय

राय मयदश क छदवाडा िजल क गढ़ नामक गाव म हआ मडलोई न भारत म बीए

बीएड (अज़ी) पाकारता म नातक और एमए (हद) तक शा हण कया और

इसक बाद व लदन चल गय जहा स सारण म उच-शा (सीआरट) हण क

मडलोई दरदशन आकाशवाणी क महानदशक सहत कई राय-अतरराय समतय क

साथ ह सार भारती बोड क सदय रह चक ह

-पाठ का सार-

जो सयता िजतनी अधक परानी होगी उतनी ह अधक कस -कहानया उसस जड़ी होती ह जो

हम सनन को मलती ह जो कस - कहानया हम सनन को मलती ह जर नह क वो उसी तरह

घटत हई हो िजस तरह वो हम सनाई जा रह हइतना जर होता ह क इन कस और कहानय

म कोई न कोई सीख छपी होती ह अदमान नकोबार वीपसमह म भी बहत तरह क कस -

कहानया मशहर ह इनम स कछ को ललाधर मडलोई न लखा ह

तत पाठ ततारा वामीरो कथा अडमान नकोबार वीप समह क एक छोट स वीप पर क त ह

उस वीप पर एक -दसर स शता का भाव अपनी अतम सीमा पर पहच चका था इस शता क

भावना को जड़ स उखाड़न क लए एक जोड़ को आमबलदान दना पड़ा था उसी जोड़ क बलदान

का वणन लखक न तत पाठ म कया ह

यार सबको एक साथ लाता ह और नफरत सब क बीच दरय को बढ़ाती हइस बात स भला कौन

इनकार कर सकता ह इसलए जो कोई भी समाज क लए अपन यार का अपन जीवन का

बलदान करता ह समाज न कवल उस याद रखता ह बिक उसक वारा कय गए याग और

बलदान को बकार नह जान दता यह वह कारण ह िजसक वजह स तकालन समाज क सामन

मसाल कायम करन वाल इस जोड़ को आज भी इस वीप क नवासी गव और धा स याद करत

-शदाथ-

-खला-म कड़ी -आदम ndashाभक

-वभत ndashबटा हआ -आमीय ndashअपना

-वलण ndashअसाधारण -बयार-मद हवा

त-एकाता -वकल-बचन

-सचार-उपन -असगत ndashअनचत

समोहतndash मध -झझलाना ndash चड़ना

-रोमाचत ndash पलकत -नचल- िथर

-अफवाह ndash उड़ती खबर -उफनना ndash उबाल आना

शमन ndashशात होना -घपना भकनाचभना

-न-उर-

1-ततारा और वामीरो क गाव क या थी

उर- ततारा और वामीरो क गाव क यह रत थी क ववाह क लए लड़क-लड़क का एक

ह गाव का होना जर था दसर गाव क यवक क साथ सबध असभव था

2-ततारा क तलवार क बार म लोग का या मत था

उर- ततारा क तलवार ययप लकड़ी क थी पर इसक बावजद लोग का मानना था क

उस तलवार म अभत दवीय शित थी ततारा तलवार को कभी अपन स अलग होन नह

दता था लोग यह मानत थ क ततारा अपन साहसक कारनाम इसी तलवार क कारण ह

कर पाता ह उसम बड़ी शित थी

3-नकोबार क लोग ततारा को य पसद करत थ

उर- नकोबार क लोग ततारा को उसक साहसी और परोपकार वभाव क कारण पसद करत

थ वह एक सदर और शितशाल यवक था वह सदा लोग क सहायता करता रहता था

ततारा एक नक और मददगार यित था वह अपन गाव वाल क ह नह समच

वीपवासय क सवा करना अपना धम समझता था सभी उसका आदर करत थ मसीबत

क घड़ी म वह लोग क पास तरत पहच जाता था

4- ाचीन काल म मनोरजन और शित-दशन क लए कस कार क आयोजन कए जात

उर- ाचीन काल म मनोरजन और शित-दशन क लए अ-श चलान सबधी

आयोजन तथा पश पव कए जात थ

5-lsquoततारा-वामीरो कथाrsquo का सदश पट किजए

उर- lsquoततारा-वामीरो कथाrsquo एक लोकगाथा ह इसम यह सदश दया गया ह क म को कसी

बधन जड़ता तथा सीमाओ म बाधना उचत नह ह यद कोई गाव दश या म को

पनपन क लए खला अवसर नह दता तो इसस सवनाश होता ह धरती म भदभाव बढ़त ह

पहल स बट हई धरती और अवसर नह दता तो इसस मानवता का य होता ह भावनाए

एक होन क बजाय खडत होती ह अतः गाव दश या अय सकण नयमो को तोड़कर

हम उदारता क साथ सबको अपनाना चाहए

7-नक ततारा और वामीरो क मय कस हई पठत पाठ क आधार पर लखए

उर- पश-पव क मौक पर ततारा और वामीरो को इकठा दखकर वामीरो क मा ोध म

उफन उठ उसन ततारा को तरह-तरह स अपमानत कया गाव क लोग भी ततारा क

वरोध म आवाज उठान लग यह ततारा क लए अहसनीय था वामीरो अब भी रोए जा रह

थी ततारा भी गस स भर उठा उस जहा ववाह क नषध परपरा पर ोभ था वह अपनी

असहायता पर खीझ वामीरो का दख उस और गहरा कर रहा था उस मालम नह था क

या कदम उठाना चाहए अनायास उसका हाथ तलवार क मढ़ पर जा टका ोध म उसन

तलवार नकाल और कछ वचार करता रहा ोध लगातार अिन क तरह बढ़ रहा था

लोग सहम उठ एक सनाटा-सा खच गया जब कोई राह न सझी तो ोध का शमन करन

क लए उसम शित भर उस धरती म घप दया और ताकत स उस खीचन लगा वह

पसीन स नहा उठा सब घबराए हए थ वह तलवार को अपनी तरफ खीचत-खीचत दर तक

पहच गया वह हाफ रहा था अचानक जहा एक लकर खच गई थी वहा एक दरार होन

लगी मानो धरती दो टकड़ो म बटन लगी हो एक गड़गड़ाहट-सी गजन लगी और लकर क

सीध म धरती फटती ह जा रह थी वीप क अतम सर तक ततारा धरती को मानो ोध

म काटता जा रहा था सभी याकल हो उठ लोग न ऐस य क कपना न क थी व

सहर उठ उधर वामीरो फटती हई धरती क कनार ततारा का नाम पकारत हए दौड़ रह थी

वीप दो टकड़ म वभत हो चका था ततारा और वामीरो वीप क साथ सम म धस

गए और उमय हो गई

8-शाम क समय सम कनार ततारा क ाकतक अनभत का वणन किजए

उर- एक शाम ततारा दन-भर क अथक परम क बाद सम कनार टहलन नकल

पड़ा सरज सम स लग तज तल डबन को था सम स ठडी बयार आ रह थी

पय क सायकालन चाहचाहाहट शनः शनः ीण ह को थी उसका मन शात था

वचारमन ततारा सम बाल पर बठकर सरज क अतम रग-बरगी करण को सम

पर नहारन लगा तभी कह पास म उस मधर गीत गजता सनाई दया गीत मान

बहता हआ उसक तरफ आ रहा हो बीच-बीच म लहर का सगीत सनाई दता गायन

भावी था क वह अपनी सध-बध खोन लगा लहर क एक बल वग न उसक ता भग

क चतय होत ह वह उधर बढ़न को ववश हो उठा िजधर स अब भी गीत क वर बह

रह थ वह वकल-सा उस तरफ़ बढ़ता गया अततः उसक नजर एक यवती पर पड़ी जो

ढलती हई शाम क सदय म बसध एकटक सम क दह पर डबत आकषक रगो को

नहारत हए गा रह थी यह एक शगार गीत था

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Vyakr`-vaKy-

bull वाय क सामन दए कोठक म ( radic का चह लगाकर बताए क वह वाय कस

कार का ह

क) नकोबार उस बहद म करत थ (नवाचक वधानवाचक नषधामक

वमयादबोधक)

ख) तमन एकाएक इतना मधर गाना अधरा य छोड़ दया नवाचक

वधानवाचक नषधामक वमयादबोधक)

ग) वामीरो क मा ोध म उफन उठ (नवाचक वधानवाचक नषधामक

वमयादबोधक)

घ) या तह गाव का नयम नह मालम नवाचक वधानवाचक नषधामक

वमयादबोधक)

ङ) वाह कतना सदर नाम ह (नवाचक वधानवाचक नषधामक

वमयादबोधक)

च) म तहारा राता छोड़ दगा

वमयादबोधक)

उर- क) वधानवाचक

ग) वधानवाचक

ङ) वमयादबोध

Ocirc-इस पाठ म lsquo दखना lsquo या क कई प आए ह

शदयोग म या अतर ह

Ocirc-उर-

म तहारा राता छोड़ दगा (नवाचक वधानवाचक नषधामक

ख) नवाचक

घ) नवा

च) वधानवाचक

या क कई प आए ह lsquo दखना lsquo क इन वभन

वाययोग वारा पट किजए

नषधामक

नवाचक

वधानवाचक

क इन वभन

-वाय क उदाहरण-

सचयन-भाग

पाठ-1 (हरहर काका )

-शदाथ -

तबयत - शरर क िथत यणा - यातना कलश कट

मनःिथत - मन क िथत चद - कछ

आसित ndash लगाव यावहारक - यावहार सबधी

वचारक - वचार सबधी दलार - यार

सयाना - यक बधमान तीा - इतज़ार

फ़लहाल - अभी इस समय मझधार - बीच म

वलन - लत हो जाना वकप - दसरा उपाय

चलत ndash चलनसार जात - जगाना

कलवर - शरर मनौती - मनत

परपरा - था णाल अधकाश - यादातर

समत ndash सथा सचालन - नयण चलाना

नयित - तनाती लगाया गया वमख - तकल

चपट - आघात हार अहाता-चार ओर स दवार स घरा हआ मदान

अखड ndash नवन वफोट - फट कर बाहर नकलना

आगमन - आन पर उपलय - सकत

सराहना ndash शसा निचत - बफ

-लखक का परचय-मथलवर का जम 31 दसबर 1950 को बहार क

भोजपर िजल क बसाडीह नामक गाव म हआ इनक पता व० ो० वशरोपन लाल थ

मथलवर क पता (ो० वशरोपन लाल) भी वलण तभा क धनी थ परत उनक

असाय बीमार न मथलवर क जीवन म आरभ स ह कठन सघष क बीज बो दय थ

पाठ सार-

लखक कहता ह क वह हरहर काका क साथ बहत गहर स जड़ा था लखक का हरहर

काका क त जो यार था वह लखक का उनक यावहार क और उनक वचार क कारण

था और उसक दो कारण थ पहला कारण था क हरहर काका लखक क पड़ोसी थ और

दसरा कारण लखक को उनक मा न बताया था क हरहर काका लखक को बचपन स ह

बहत यादा यार करत थ जब लखक यक हआ तो उसक पहल दोती भी हरहर काका

क साथ ह हई थी लखक क गाव क पव दशा म ठाकर जी का वशाल मदर था िजस

गाव क लोग ठाकरबार यान दवथान कहत थ लोग ठाकर जी स प क मनत मागत

मक़दम म जीत लड़क क शाद कसी अछ घर म हो जाए लड़क को नौकर मल जाए

आद मनत मागत थ मनत पर होन पर लोग अपनी ख़शी स ठाकरजी को पए ज़वर

और अनाज चढ़ाया करत थ िजसको बहत अधक ख़शी होती थी वह अपन खत का छोटा-

सा भाग ठाकरजी क नाम कर दता था और यह एक तरह स था ह बन गई लखक कहता

ह क उसका गाव अब गाव क नाम स नह बिक दव-थान क वजह स ह पहचाना जाता

था उसक गाव का यह दव-थान उस इलाक का सबस बड़ा और सध दवथान था

हरहर काका न अपनी परिथतओ क कारण दव-थान म जाना बद कर दया था मन

बहलान क लए लखक भी कभी-कभी दव-थान चला जाता था लकन लखक कहता ह क

वहा क साध-सत उस बलकल भी पसद नह थ यक व काम करन म कोई दलचपी

नह रखत थ भगवान को भोग लगान क नाम पर व दन क दोन समय हलवा-पड़ी

बनवात थ और आराम स पड़ रहत थ सारा काम वहा आए लोग स सवा करन क नाम पर

करवात थ व खद अगर कोई काम करत थ तो वो था बात बनवान का काम

लखक हरहर काका क बार म बताता हआ कहता ह क हरहर काका और उनक तीन भाई

ह सबक शाद हो चक ह हरहर काका क अतरत सभी तीन भाइय क बाल-बच ह

कछ समय तक तो हरहर काका क सभी चीज़ का अछ स यान रखा गया परत फर

कछ दन बाद हरहर काका को कोई पछन वाला नह था लखक कहता ह क अगर कभी

हरहर काका क शरर क िथत ठक नह होती तो हरहर काका पर मसीबत का पहाड़ ह

गर जाता यक इतन बड़ परवार क रहत हए भी हरहर काका को कोई पानी भी नह

पछता था बारामद क कमर म पड़ हए हरहर काका को अगर कसी चीज़ क जरत होती

तो उह खद ह उठना पड़ता एक दन उनका भतीजा शहर स अपन एक दोत को घर ल

आया उह क आन क ख़शी म दो-तीन तरह क सिज़या बजक चटनी रायता और भी

बहत कछ बना था सब लोग न खाना खा लया और हरहर काका को कोई पछन तक नह

आया हरहर काका गस म बरामद क ओर चल पड़ और जोर-जोर स बोल रह थ क

उनक भाई क पिनया या यह सोचती ह क व उह मत म खाना खला रह ह उनक

खत म उगन वाला अनाज भी इसी घर म आता ह

हरहर काका क गस का महत जी न लाभ उठान क सोची महत जी हरहर काका को

अपन साथ दव-थान ल आए और हरहर काका को समझान लग क उनक भाई का परवार

कवल उनक जमीन क कारण उनस जड़ा हआ ह कसी दन अगर हरहर काका यह कह द

क व अपन खत कसी और क नाम लख रह ह तो व लोग तो उनस बात करना भी बद

कर दग खन क रत ख़म हो जायग महत हरहर काका स कहता ह क उनक हस म

िजतन खत ह व उनको भगवान क नाम लख द ऐसा करन स उह सीध वग क ाित

होगी

सबह होत ह हरहर काका क तीन भाई दव-थान पहच गए तीन हरहर काका क पाव म

गर कर रोन लग और अपनी पिनय क गलती क माफ़ मागन लग और कहन लग क

व अपनी पिनय को उनक साथ कए गए इस तरह क यवहार क सज़ा दग हरहर काका

क मन म दया का भाव जाग गया और व फर स घर वापस लौट कर आ गए जब अपन

भाइय क समझान क बाद हरहर काका घर वापस आए तो घर म और घर वाल क

यवहार म आए बदलाव को दख कर बहत खश हो गए घर क सभी छोट-बड़ सभी लोग

हरहर काका का आदर-सकार करन लग

गाव क लोग जब भी कह बठत तो बात का ऐसा सलसला चलता िजसका कोई अत नह

था हर जगह बस उह क बात होती थी कछ लोग कहत क हरहर काका को अपनी

जमीन भगवान क नाम लख दनी चाहए इसस उम और अछा कछ नह हो सकता

इसस हरहर काका को कभी न ख़म होन वाल सध ात होगी इसक वपरत कछ

लोग क यह मानत थ क भाई का परवार भी तो अपना ह परवार होता ह अपनी

जायदाद उह न दना उनक साथ अयाय करना होगा हरहर काका क भाई उनस ाथना

करन लग क व अपन हस क जमीन को उनक नाम लखवा द इस वषय पर हरहर

काका न बहत सोचा और अत म इस परणाम पर पहच क अपन जीत-जी अपनी जायदाद

का वामी कसी और को बनाना ठक नह होगा फर चाह वह अपना भाई हो या मदर का

महत यक उह अपन गाव और इलाक क व कछ लोग याद आए िजहन अपनी िजदगी

म ह अपनी जायदाद को अपन रतदार या कसी और क नाम लखवा दया था उनका

जीवन बाद म कसी क क तरह हो गया था उह कोई पछन वाला भी नह था हरहर

काका बलकल भी पढ़-लख नह थ परत उह अपन जीवन म एकदम हए बदलाव को

समझन म कोई गलती नह हई और उहन फसला कर लया क व जीत-जी कसी को भी

अपनी जमीन नह लखग

लखक कहता ह क जस-जस समय बीत रहा था महत जी क परशानया बढ़ती जा

रह थी उह लग रहा था क उहन हरहर काका को फसान क लए जो जाल फ का

था हरहर काका उसस बाहर नकल गए ह यह बात महत जी को सहन नह हो रह

थी आधी रात क आस-पास दव-थान क साध-सत और उनक कछ साथी भाला

गड़ासा और बदक क साथ अचानक ह हरहर काका क आगन म आ गए इसस

पहल हरहर काका क भाई कछ सोच और कसी को अपनी सहायता क लए आवाज

लगा कर बलाए तब तक बहत दर हो गई थी हमला करन वाल हरहर काका को

अपनी पीठ पर डाल कर कह गायब हो गए थव हरहर काका को दव-थान ल गए

थ एक ओर तो दव-थान क अदर जबरदती हरहर काका क अगठ का नशान लन

और पकड़कर समझान का काम चल रहा था तो वह दसर ओर हरहर काका क

तीन भाई सबह होन स पहल ह पलस क जीप को लकर दव-थान पर पहच गए

थ महत और उनक साथय न हरहर काका को कमर म हाथ और पाव बाध कर

रखा था और साथ ह साथ उनक मह म कपड़ा ठसा गया था ताक व आवाज़ न कर

सक परत हरहर काका दरवाज़ तक लढ़कत हए आ गए थ और दरवाज़ पर अपन

पर स धका लगा रह थ ताक बाहर खड़ उनक भाई और पलस उह बचा सक

दरवाज़ा खोल कर हरहर काका को बधन स मत कया गया हरहर काका न

पलस को बताया क व लोग उह उस कमर म इस तरह बाध कर कह गत

दरवाज़ स भाग गए ह और उहन कछ खल और कछ लख हए कागज पर हरहर

काका क अगठ क नशान जबरदती लए ह

यह सब बीत जान क बाद हरहर काका फर स अपन भाइय क परवार क साथ रहन लग

गए थ चौबीस घट पहर दए जान लग थ यहा तक क अगर हरहर काका को कसी

काम क कारण गाव म जाना पड़ता तो हथयार क साथ चार-पाच लोग हमशा ह उनक

साथ रहन लग लखक कहता ह क हरहर काका क साथ जो कछ भी हआ था उसस हरहर

काका एक सीध-साद और भोल कसान क तलना म चालाक और बधमान हो गए थ

उह अब सब कछ समझ म आन लगा था क उनक भाइय का अचानक स उनक त जो

यवहार परवतन हो गया था उनक लए जो आदर-समान और सरा व दान कर रह थ

वह उनका कोई सग भाइय का यार नह था बिक व सब कछ उनक धन-दौलत क कारण

कर रह ह नह तो व हरहर काका को पछत तक नह जब स हरहर काका दव-थान स

वापस घर आए थ उसी दन स ह हरहर काका क भाई और उनक दसर नात-रतदार

सभी यह सोच रह थ क हरहर काका को क़ाननी तरक स उनक जायदाद को उनक

भतीज क नाम कर दना चाहए यक जब तक हरहर काका ऐसा नह करग तब तक

महत क तज़ नज़र उन पर टक रहगी जब हरहर काका क भाई हरहर काका को

समझात-समझात थक गए तो उहन हरहर काका को डाटना और उन पर दवाब डालना

श कर दया एक रात हरहर काका क भाइय न भी उसी तरह का यवहार करना श

कर दया जसा महत और उनक सहयोगय न कया था उह धमकात हए कह रह थ क

ख़शी-ख़शी कागज़ पर जहा-जहा जरत ह वहा-वहा अगठ क नशान लगत जाओ नह तो व

उह मार कर वह घर क अदर ह गाड़ दग और गाव क लोगो को इस बार म कोई सचना

भी नह मलगी हरहर काका क साथ अब उनक भाइय क मारपीट श हो गई जब

हरहर काका अपन भाइय का मकाबला नह कर पा रह थ तो उहन ज़ोर-ज़ोर स

चलाकर अपनी मदद क लए गाव वाल को आवाज लगाना श कर दया तब उनक

भाइय को यान आया क उह हरहर काका का मह पहल ह बद करना चाहए था उहन

उसी पल हरहर काका को जमीन पर पटका और उनक मह म कपड़ा ठस दया लकन तब

तक बहत दर हो गई थी हरहर काका क आवाज बाहर गाव म पहच गई थी हरहर काका

क परवार और रत-नात क लोग जब तक गाव वाल कोसमझात क यह सब उनक

परवार का आपसी मामला ह व सभी इसस दर रह तब तक महत जी बड़ी ह दता और

तज़ी स वहा पलस क जीप क साथ आ गए पलस न पर घर क अछ स तलाशी लना

श कर दया फर घर क अदर स हरहर काका को इतनी बर हालत म हासल कया गया

िजतनी बर हालत उनक दव-थान म भी नह हई थी हरहर काका न बताया क उनक

भाइय न उनक साथ बहत ह यादा बरा यवहार कया ह जबरदती बहत स कागज पर

उनक अगठ क नशान ल लए ह उह बहत यादा मारा-पीटा ह

इस घटना क बाद हरहर काका अपन परवार स एकदम अलग रहन लग थ उह उनक

सरा क लए चार राइफलधार पलस क जवान मल थ आचय क बात तो यह ह क

इसक लए उनक भाइय और महत क ओर स काफ़ यास कए गए थ असल म भाइय

को चता थी क हरहर काका अकल रहन लगग तो दव-थान क महत-पजार फर स

हरहर काका को बहला-फसला कर ल जायग और जमीन दव-थान क नाम करवा लग और

यह चता महत जी को भी थी क हरहर काका को अकला और असरत पा उनक भाई

फर स उह पकड़ कर मारग और जमीन को अपन नाम करवा लग लखक कहता ह क

हरहर काका स जड़ी बहत सी ख़बर गाव म फल रह थी जस-जस दन बड़ रह थ वस-वस

डर का मौहोल बन रहा था सभी लोग सफ यह सोच रह थ क हरहर काका न अमत तो

पया हआ ह नह तो मरना तो उनको एक दन ह ह और जब व मरग तो पर गाव म

तफ़ान आ जाएगा यक महत और हरहर काका क परवार क बीच जमीन को ल कर

लड़ाई हो जायगी

पलस क जवान हरहर काका क खच पर ह खब मौज-मती स रह रह थ िजसका धन

वह रह उपास खान वाल कर वलास अथात हरहर काका क पास धन था लकन उनक लए

अब उसका कोई महव नह था और पलस वाल बना कसी कारण स ह हरहर काका क

धन स मौज कर रह थ अब तक जो नह खाया था दोन वत उसका भोग लगा रह थ

-नोर-

1-कथावाचक और हरहर काका क बीच या सबध ह और इसक या कारण ह

1-कथावाचक जब छोटा था तब स ह हरहर काका उस बहत यार करत थ जब वह बड़ हो

गए तो वह हरहर काका क म बन गए गाव म इतनी गहर दोती और कसी स नह

हई हरहर काका उनस खल कर बात करत थ यह कारण ह क कथावाचक को उनक

एक-एक पल क खबर थी शायद अपना म बनान क लए काका न वय ह उस यार स

बड़ा कया और इतजार कया

2-हरहर काका को महत और भाई एक ह णी क य लगन लग

2-हरहर काका को अपन भाइय और महत म कोई अतर नह लगा दोन एक ह णी क

लग उनक भाइय क पिनय न कछ दन तक तो हरहर काका का यान रखा फर

बचीकची रोटया द नाता नह दत थ बमार म कोई पछन वाला भी न था िजतना भी

उह रखा जा रहा था उनक ज़मीन क लए था इसी तरह महत न एक दन तो बड़ यार

स खातर क फर ज़मीन अपन ठाकर बाड़ी क नाम करन क लए कहन लग काका क

मना करन पर उह अनक यातनाए द अपहरण करवाया मह म कपड़ा ठस कर एक कोठर

म बद कर दया जबरदती अगठ का नशान लया गया तथा उह मारा पीटा गया इस

तरह दोन ह कवल ज़मीन जायदाद क लए हरहर काका स यवहार रखत थ अत उह

दोन एक ह णी क लग

3-ठाकर बाड़ी क त गाव वाल क मन म अपार धा क जो भाव ह उसस उनक कस

मनोव का पता चलता ह

3-कहा जाता ह गाव क लोग भोल होत ह असल म गाव क लोग अधववासी धमभी होत

ह मदर जस थान को पव नकलक ान का तीक मानत ह पजार परोहत महत

जस िजतन भी धम क ठकदार ह उनपर अगाध धा रखत ह व चाह कतन भी

पतत वाथ और नीच ह पर उनका वरोध करत व डरत ह इसी कारण ठाकर बाड़ी क

त गाव वाल क अपार धा थी उनका हर सख-दख उसस जड़ा था

4-अनपढ़ होत हए भी हरहर काका दनया क बहतर समझ रखत ह कहानी क आधार पर

पट किजए

4-हरहर काका अनपढ़ थ फर भी उह दनयादार क बहद समझ थी उनक भाई लोग

उनस ज़बरदती ज़मीन अपन नाम करान क लए डरात थ तो उह गाव म दखावा करक

ज़मीन हथयान वालो क याद आती ह काका न उह दखी होत दखा ह इसलए उहन

ठान लया था चाह महत उकसाए चाह भाई दखावा कर वह ज़मीन कसी को भी नह दग

एक बार महत क उकसान पर भाइय क त धोखा नह करना चाहत थ परत जब भाइय

न भी धोखा दया तो उह समझ म आ गया उनक त उह कोई यार नह ह जो यार

दखात ह वह कवल ज़ायदाद क लए ह

5-हरहर काका को जबरन उठा ल जान वाल कौन थ उहन उनक साथ कसा यवहार

कया

5-महत न हरहर काका को बहत लोभन दए िजसस वह अपनी ज़मीन जायदाद ठाकर

बाड़ी क नाम कर द परत काका इस बात क लए तयार नह थ व सोच रह थ क या

भगवान क लए अपन भाइय स धोखा क यह उह सह भी नह लग रहा था महत को

यह बात पता लगी तो उसन छल और बल स रात क समय अकल दालान म सोत हए

हरहर काका को उठवा लया महत न अपन चल साधसतो क साथ मलकर उनक हाथ पर

बाध दए मह म कपड़ा ठस दया और जबरदती अगठ क नशान लए उह एक कमर म

बद कर दया जब पलस आई तो वय गत दरवाज़ स भाग गए

6-हरहर काका क मामल म गाव वाल क या राय थी और उसक या कारण थ

6-कहानी क आधार पर गाव क लोग को बना बताए पता चल गया क हरहर काका को

उनक भाई नह पछत इसलए सख आराम का लोभन दकर महत उह अपन साथ ल

गया भाई मनत करक काका को वापस ल आत ह इस तरह गाव क लोग दो प म

बट गए कछ लोग महत क तरफ़ थ जो चाहत थ क काका अपनी ज़मीन धम क नाम पर

ठाकर बाड़ी को द द ताक उह सख आराम मल मय क बाद मो यश मल महत ानी

ह वह सब कछ जानता ह लकन दसर प क लोग कहत क ज़मीन परवार वालो को द

जाए उनका कहना था इसस उनक परवार का पट भरगा मदर को ज़मीन दना अयाय

होगा इस तरह दोन प अपन-अपन हसाब स सोच रह थ परत हरहर काका क बार म

कोई नह सोच रहा था इन बात का एक कारण यह भी था क काका वधर थ और उनक

कोई सतान भी नह थी पह बीघ ज़मीन क लए इनका लालच वाभवक था

7-कहानी क आधार पर पट किजए क लखक न यह य कहा अान क िथत म ह

मनय मय स डरत ह ान होन क बाद तो आदमी आवयकता पड़न पर मय को वरण

करन क लए तयार हो जाता ह

7-जब काका को असलयत पता चल और उह समझ म आ गया क सब लोग उनक

ज़मीन जायदाद क पीछ ह तो उह व सभी लोग याद आ गए िजहन परवार वालो क मोह

माया म आकर अपनी ज़मीन उनक नाम कर द और मय तक तलतल करक मरत

रह दान-दान को मोहताज़ हो गए इसलए उहन सोचा क इस तरह रहन स तो एक बार

मरना अछा ह जीत जी ज़मीन कसी को भी नह दग य लोग मझ एक बार म ह मार

द अत लखक न कहा क अान क िथत म मनय मय स डरता ह परत ान होन

पर मय वरण को तयार रहता ह

8-समाज म रत क या अहमयत ह इस वषय पर अपन वचार कट किजए

8-आज समाज म मानवीय मय तथा पारवारक मय धीर-धीर समात होत जा रह ह

यादातर यित अपन वाथ क लए रत नभात ह अपनी आवयकताओ क हसाब स

मलत ह अमीर रतदार का समान करत ह उनस मलन को आतर रहत ह जबक गरब

रतदार स कतरात ह कवल वाथ सध क अहमयत रह गई ह आए दन हम

अखबार म समाचार पढ़त ह क ज़मीन जाय़दाद पस जवर क लए लोग घनौन स घनौना

काय कर जात ह (हया अपहरण आद) इसी कार इस कहानी म भी पलस न पहचती तो

परवार वाल महत जी (काका क) हया ह कर दत उह यह अफसोस रहा क व काका को

मार नह पाए

9-यद आपक आसपास हरहर काका जसी हालत म कोई हो तो आप उसक कस कार

मदद करग

9-यद हमार आसपास हरहर काका जसी हालत म कोई हो तो हम उसक पर तरह मदद

करन क कोशश करग उनस मलकर उनक दख का कारण पता करग उह अहसास

दलाएग क व अकल नह ह सबस पहल तो यह ववास कराएग क सभी यित लालची

नह होत ह इस तरह मौन रह कर दसर को मौका न द बिक उलास स शष जीवन

बताए रतदार स मलकर उनक सबध सधारन का यन करग

10-हरहर काका क गाव म यद मीडया क पहच होती तो उनक या िथत होती अपन

शद म लखए

10-यद काका क गाव म मीडया पहच जाती तो सबक पोल खल जाती महत व भाइय का

पदाफाश हो जाता अपहरण और जबरन अगठा लगवान क अपराध म उह जल हो जाती

अपना-अपना मोचा सभालना - अपनी िजमदार नबाहना

आसमान स जमीन पर गरना -उच िथत स नन िथत पर आना

खल कर बात करना- बना सकच क बात करना |

चपत हो जाना ndash भाग जाना |

जी-जान स जट जाना ndash खब महनत करना

िजतन मह उतनी बात होना- कई तरह क बात करना |

ततर-बतर होना ndash बखर जाना |

त-त म -म होना -झगड़ा होना |

नमक-मच लगाना- बढ़ा-चढ़कर कहना|

बात बनाना- बहान बनाना|

रग चढ़ना- असर होना|

मह न खोलना ndash कछ न बताना |

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पय-भाग

पाठ-4

मनयता ndashमथलशरण गत

-लखक का परचय-

-पाठ का सार व पिटकरण-

कत क अय ाणय क तलना म मनय म सोचन क शित अधक होती ह

वह अपन ह नह दसर क सख - दःख का भी याल रखता ह और दसर क लए

कछ करन म समथ होता ह जानवर जब चरागाह म जात ह तो कवल अपन लए

चर कर आत ह परत मनय ऐसा नह ह वह जो कछ भी कमाता ह जो कछ भी

बनाता ह वह दसर क लए भी करता ह और दसर क सहायता स भी करता ह

तत पाठ का कव अपन क सख - दःख क चता करन वाल को मनय तो

मानता ह परत यह मानन को तयार नह ह क उन मनय म मनयता क सार

गण होत ह कव कवल उन मनय को महान मानता ह जो अपन क सख - दःख

स पहल दसर क चता करत ह वह मनय म ऐस गण चाहता ह िजसक कारण

कोई भी मनय इस मयलोक स चल जान क बाद भी सदय तक दसर क याद म

रहता ह अथात वह मय क बाद भी अमर रहता ह

-पाठ सार-

इस कवता म कव मनयता का सह अथ समझान का यास कर रहा ह पहल

भाग म कव कहता ह क मय स नह डरना चाहए यक मय तो निचत ह पर

हम ऐसा कछ करना चाहए क लोग हम मय क बाद भी याद रख असल मनय

वह ह जो दसर क लए जीना व मरना सीख ल दसर भाग म कव कहता ह क

हम उदार बनना चाहए यक उदार मनय का हर जगह गण गान होता ह मनय

वह कहलाता ह जो दसर क चता कर तीसर भाग म कव कहता ह क पराण

म उन लोग क बहत उदाहरण ह िजह उनक याग भाव क लए आज भी याद

कया जाता ह सचा मनय वह ह जो याग भाव जान ल चौथ भाग म कव

कहता ह क मनय क मन म दया और कणा का भाव होना चाहए मनय वह

कहलाता ह जो दसर क लए मरता और जीता ह पाचव भाग म कव कहना चाहता

ह क यहा कोई अनाथ नह ह यक हम सब उस एक ईवर क सतान ह हम

भदभाव स ऊपर उठ कर सोचना चाहएछठ भाग म कव कहना चाहता ह क हम

दयाल बनना चाहए यक दयाल और परोपकार मनय का दवता भी वागत करत

ह अतः हम दसर का परोपकार व कयाण करना चाहएसातव भाग म कव कहता

ह क मनय क बाहर कम अलग अलग हो परत हमार वद साी ह क सभी क

आमा एक ह हम सब एक ह ईवर क सतान ह अतः सभी मनय भाई -बध ह

और मनय वह ह जो दःख म दसर मनय क काम आयअतम भाग म कव

कहना चाहता ह क वप और वन को हटात हए मनय को अपन चन हए रात

पर चलना चाहए आपसी समझ को बनाय रखना चाहए और भदभाव को नह

बढ़ाना चाहए ऐसी सोच वाला मनय ह अपना और दसर का कयाण और उधार

कर सकता ह

-याया

1-वचार लो क मय हो न मय स डरो कभी

मरो परत य मरो क याद जो कर सभी

हई न य समय तो वथा मर वथा िजए

मारा नह वह क जो िजया न आपक लए

वह पश- वत ह क आप आप ह चर

वह मनय ह क जो मनय क लए मर

सग - तत कवता हमार पाय पतक पश भाग -2 स ल गई ह इसक

कव मथलशरण गत ह इन पितओ म कव बताना चाहता ह क मनय को

कसा जीवन जीना चाहए

याया - कव कहता ह क हम यह जान लना चाहए क मय का होना निचत

ह हम मय स नह डरना चाहए कव कहता ह क हम कछ ऐसा करना चाहए क

लोग हम मरन क बाद भी याद रख जो मनय दसर क लए कछ भी ना कर सक

उनका जीना और मरना दोन बकार ह मर कर भी वह मनय कभी नह मरता जो

अपन लए नह दसर क लए जीता ह यक अपन लए तो जानवर भी जीत ह

कव क अनसार मनय वह ह जो दसर मनय क लए मर अथात जो मनय दसर

क चता कर वह असल मनय कहलाता ह

2-उसी उदार क कथा सरवती बखानती

उसी उदार स धरा कताथ भाव मानती

उसी उदार क सदा सजीव कत कजती

तथा उसी उदार को समत सिट पजती

अखड आम भाव जो असीम वव म भर

वह मनय ह क जो मनय क लए मर

सग - तत कवता हमार पाय पतक पश भाग -2 स ल गई ह इसक

कव मथलशरण गत ह इन पितओ म कव बताना चाहता ह क जो मनय

दसर क लए जीत ह उनका गणगान यग - यग तक कया जाता ह

याया - कव कहता ह क जो मनय अपन पर जीवन म दसर क चता करता

ह उस महान यित क कथा का गण गान सरवती अथात पतक म कया जाता

ह पर धरती उस महान यित क आभार रहती ह उस यित क बातचीत

हमशा जीवत यित क तरह क जाती ह और पर सिट उसक पजा करती ह

कव कहता ह क जो यित पर ससार को अखड भाव और भाईचार क भावना म

बाधता ह वह यित सह मायन म मनय कहलान योय होता ह

3-धात रतदव न दया करथ थाल भी

तथा दधीच न दया पराथ अिथजाल भी

उशीनर तीश न वमास दान भी कया

सहष वीर कण न शरर-चम भी दया

अनय दह क लए अनाद जीव या डर

वह मनय ह क जो मनय क लए मर

सग - तत कवता हमार पाय पतक पश भाग -2 स ल गई ह इसक

कव मथलशरण गत ह इन पितओ म कव न महान पष क उदाहरण दए ह

िजनक महानता क कारण उह याद कया जाता ह

याया - कव कहता ह क पौराणक कथाए ऐस यितओ क उदाहरण स भर

पड़ी ह िजहन अपना परा जीवन दसर क लए याग दया िजस कारण उह आज

तक याद कया जाता ह भख स परशान रतदव न अपन हाथ क आखर थाल भी

दान कर द थी और महष दधीच न तो अपन पर शरर क हडया व बनान क

लए दान कर द थी उशीनर दश क राजा शब न कबतर क जान बचान क लए

अपना परा मास दान कर दया था वीर कण न अपनी ख़शी स अपन शरर का

कवच दान कर दया था कव कहना चाहता ह क मनय इस नवर शरर क लए

य डरता ह यक मनय वह कहलाता ह जो दसर क लए अपन आप को याग

दता ह

4-सहानभत चाहए महावभत ह यह

वशीकता सदव ह बनी हई वय मह

वधभाव बध का दया-वाह म बहा

वनीत लोकवग या न सामन झका रहा

अहा वह उदार ह परोपकार जो कर

वह मनय ह क जो मनय क लए मर

सग - तत कवता हमार पाय पतक पश भाग -2 स ल गई ह इसक

कव मथलशरण गत ह इन पितओ म कव न महामा बध का उदाहरण दत

हए दया कणा को सबस बड़ा धन बताया ह

याया - कव कहता ह क मनय क मन म दया व कणा का भाव होना चाहए

यह सबस बड़ा धन ह वय ईवर भी ऐस लोग क साथ रहत ह इसका सबस

बड़ा उदाहरण महामा बध ह िजनस लोग का दःख नह दखा गया तो व लोक

कयाण क लए दनया क नयम क वध चल गए इसक लए या परा ससार

उनक सामन नह झकता अथात उनक दया भाव व परोपकार क कारण आज भी

उनको याद कया जाता ह और उनक पजा क जाती ह महान उस को कहा जाता ह

जो परोपकार करता ह वह मनय मनय कहलाता ह जो मनय क लए जीता ह

और मरता ह

5-रहो न भल क कभी मदाघ तछ व म

सनाथ जान आपको करो न गव च म

अनाथ कौन ह यहा लोकनाथ साथ ह

दयाल दन बध क बड़ वशाल हाथ ह

अतीव भायहन ह अधीर भाव जो कर

वह मनय ह क जो मनय क लए मर

सग - तत कवता हमार पाय पतक पश भाग -2 स ल गई ह इसक

कव मथलशरण गत ह इन पितओ म कव कहता ह क सपत पर कभी

घमड नह करना चाहए और कसी को अनाथ नह समझना चाहए यक ईवर

सबक साथ ह

याया - कव कहता ह क भल कर भी कभी सप या यश पर घमड नह करना

चाहए इस बात पर कभी गव नह करना चाहए क हमार साथ हमार अपन का

साथ ह यक कव कहता ह क यहा कौन सा यित अनाथ ह उस ईवर का

साथ सब क साथ ह वह बहत दयावान ह उसका हाथ सबक ऊपर रहता ह कव

कहता ह क वह यित भायहन ह जो इस कार का उतावलापन रखता ह यक

मनय वह यित कहलाता ह जो इन सब चीज स ऊपर उठ कर सोचता ह

6-अनत अतर म अनत दव ह खड़

सम ह वबाह जो बढ़ा रह बड़-बड़

परपरावलब स उठो तथा बढ़ो सभी

अभी अमय-अक म अपक हो चढ़ो सभी

रहो न या क एक स न काम और का सर

वह मनय ह क जो मनय क लए मर

सग - तत कवता हमार पाय पतक पश भाग -2 स ल गई ह इसक

कव मथलशरण गत ह इन पितओ म कव कहता ह क कलक रहत रहन व

दसर का सहारा बनन वाल मवषय का दवता भी वागत करत ह

याया - कव कहता ह क उस कभी न समात होन वाल आकाश म असय

दवता खड़ ह जो परोपकार व दयाल मनय का सामन स खड़ होकर अपनी भजाओ

को फलाकर वागत करत ह इसलए दसर का सहारा बनो और सभी को साथ म

लकर आग बड़ो कव कहता ह क सभी कलक रहत हो कर दवताओ क गोद म

बठो अथात यद कोई बरा काम नह करोग तो दवता तह अपनी गोद म ल लग

अपन मतलब क लए नह जीना चाहए अपना और दसर का कयाण व उधार

करना चाहए यक इस मरणशील ससार म मनय वह ह जो मनय का कयाण

कर व परोपकार कर

7-मनय माा बध ह यह बड़ा ववक ह

पराणपष वयभ पता सध एक ह

फलानसार कम क अवय बाय भद ह

परत अतरय म माणभत वद ह

अनथ ह क बध ह न बध क यथा हर

वह मनय ह क जो मनय क लए मर

सग - तत कवता हमार पाय पतक पश भाग -2 स ल गई ह इसक

कव मथलशरण गत ह इन पितओ म कव कहता ह क हम सब एक ईवर क

सतान ह अतः हम सभी मनय एक - दसर क भाई - बध ह

याया - कव कहता ह क यक मनय एक दसर क भाई - बध ह यह सबस

बड़ी समझ ह पराण म िजस वय उपन पष मना गया ह वह परमामा या

ईवर हम सभी का पता ह अथात सभी मनय उस एक ईवर क सतान ह

बाहर कारण क फल अनसार यक मनय क कम भल ह अलग अलग ह परत

हमार वद इस बात क साी ह क सभी क आमा एक ह कव कहता ह क यद

भाई ह भाई क दःख व कट का नाश नह करगा तो उसका जीना यथ ह यक

मनय वह कहलाता ह जो बर समय म दसर मनय क काम आता ह

8-चलो अभीट माग म सहष खलत हए

वपवन जो पड़ उह ढकलत हए

घट न हलमल हा बढ़ न भनता कभी

अतक एक पथ क सतक पथ ह सभी

तभी समथ भाव ह क तारता हआ तर

वह मनय ह क जो मनय क लए मर

सग - तत कवता हमार पाय पतक पश भाग -2 स ल गई ह इसक

कव मथलशरण गत ह इन पितओ म कव कहता ह क यद हम ख़शी ससार

कट को हटत हए भदभाव रहत रहग तभी सभव ह क समाज क उनत होगी

याया - कव कहता ह क मनय को अपनी इछा स चन हए माग म ख़शी

ख़शी चलना चाहएरात म कोई भी सकट या बाधाए आय उह हटात चल जाना

चाहए मनय को यह यान रखना चाहए क आपसी समझ न बगड़ और भद

भाव न बड़ बना कसी तक वतक क सभी को एक साथ ल कर आग बढ़ना चाहए

तभी यह सभव होगा क मनय दसर क उनत और कयाण क साथ अपनी

समध भी कायम कर

-ननलखत न क उर दिजय ndash

1-कव न कसी मय को समय कहा ह

1-कव न ऐसी मय को समय कहा ह िजसम मनय अपन स पहल दसर क चता

करता ह और परोपकार क राह को चनता ह िजसस उस मरन क बाद भी याद कया

जाता ह

2-उदार यित क पहचान कस हो सकती ह

2- उदार यित परोपकार होता ह वह अपन स पहल दसर क चता करता ह और

लोक कयाण क लए अपना जीवन याग दता ह

3-कव न दधीच कण आद महान यितओ क उदाहरण द कर मनयता क लए

या उदाहरण दया ह

3- कव न दधीच कण आद महान यितओ क उदाहरण द कर मनयता क

लए यह सदश दया ह क परोपकार करन वाला ह असल मनय कहलान योय

होता ह मानवता क रा क लए दधीच न अपन शरर क सार अिथया दान कर

द थीकण न अपनी जान क परवाह कय बना अपना कवच द दया था िजस

कारण उह आज तक याद कया जाता ह कव इन उदाहरण क वारा यह

समझाना चाहता ह क परोपकार ह सची मनयता ह

4- कव न कन पितय म यह यत कया ह क हम गव - रहत जीवन यतीत

करना चाहए

4- कव न ननलखत पितय म गव रहत जीवन यतीत करन क बात कह ह-

रहो न भल क कभी मगाघ तछ व म

सनाथ जान आपको करो न गव च म

अथात सपत क घमड म कभी नह रहना चाहए और न ह इस बात पर गव

करना चाहए क आपक पास आपक अपन का साथ ह यक इस दनया म कोई

भी अनाथ नह ह सब उस परम पता परमवर क सतान ह

5- मनय मा बध ह स आप या समझत ह पट किजए

5- मनय मा बध ह अथात हम सब मनय एक ईवर क सतान ह अतः हम

सब भाई - बध ह भाई -बध होन क नात हम भाईचार क साथ रहना चाहए और

एक दसर का बर समय म साथ दना चाहए

6- कव न सबको एक होकर चलन क रणा य द ह

6- कव न सबको एक होकर चलन क रणा इसलए द ह ताक आपसी समझ न

बगड़ और न ह भदभाव बड़ सब एक साथ एक होकर चलग तो सार बाधाए मट

जाएगी और सबका कयाण और समध होगी

7- यित को कस तरह का जीवन यतीत करना चाहए इस कवता क आधार पर

लखए

7-मनय को परोपकार का जीवन जीना चाहए अपन स पहल दसर क दख क

चता करनी चाहए कवल अपन बार म तो जानवर भी सोचत ह कव क अनसार

मनय वह कहलाता ह जो अपन स पहल दसर क चता कर

8- मनयता कवता क वारा कव या सदश दना चाहता ह

8- मनयता कवता क मायम स कव यह सदश दना चाहता ह क परोपकार ह

सची मनयता ह परोपकार ह एक ऐसा साधन ह िजसक मायम स हम यग तक

लोगो क दल म अपनी जगह बना सकत ह और परोपकार क वारा ह समाज का

कयाण व समध सभव ह अतः हम परोपकार बनना चाहए ताक हम सह

मायन म मनय कहलाय

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-याकरण-

पदबध- परभाषा

पद- वाय स अलग रहन पर शद और वाय म यत हो जान पर शद

पद कहलात ह दसर शद म- वाय म यत शद पद कहलाता ह पदबध-

जब दो या अधक (शद) पद नयत म और निचत अथ म कसी पद का

काय करत ह तो उह पदबध कहत ह

पदबध क भद

मय पद क आधार पर पदबध क पाच कार होत ह-

(1) सा-पदबध (2) वशषण-पदबध

(3) सवनाम पदबध (4) या पदबध

(5) अयय पदबध

(1) सा-पदबध-

(a)चार ताकतवर मजदर इस भार चीज को उठा पाए

(b) राम न लका क राजा रावण को मार गराया

(c) अयोया क राजा दशरथ क चार प थ

(d) आसमान म उड़ता गबारा फट गया

2) वशषण पदबध-

a) तज चलन वाल गाड़या ायः दर स पहचती ह

(b) उस घर क कोन म बठा हआ आदमी जासस ह

(c) उसका घोड़ा अयत सदर फरतीला और आाकार ह

(d) बरगद और पीपल क घनी छाव स हम बहत सख मला

3) सवनाम पदबध-

(a)बजल-सी फरती दखाकर आपन बालक को डबन स बचा लया

(b)शरारत करन वाल छा म स कछ पकड़ गए

(c)वरोध करन वाल लोग म स कोई नह बोला

4) या पदबध-

(a) वह बाजार क ओर आया होगा

(b) मझ मोहन छत स दखाई द रहा ह

(c) सरश नद म डब गया

(d) अब दरवाजा खोला जा सकता ह

5) अयय पदबध-

(a)अपन सामान क साथ वह चला गया

(b)सबह स शाम तक वह बठा रहा

कसी भी भाषा क व शद अयय (Indeclinable या inflexible) कहलात ह िजनक प म

लग वचन पष कारक काल इयाद क कारण कोई वकार उप नह होता

चक अयय का पातर नह होता इसलए ऐस शद अवकार होत ह अयय का शािदक

अथ ह- जो यय न हो

(i) कालवाचक अयय- इनम समय का बोध होता ह जस- आज कल तरत पीछ पहल अब

जब तब कभी-कभी कब अब स नय जब स सदा स अभी तभी आजकल और कभी

उदाहरणाथ-

अब स ऐसी बात नह होगी

ऐसी बात सदा स होती रह ह

वह कब आया मझ पता नह

(ii) थानवाचक अयय- इसस थान का बोध होता ह जस- यहा वहा कहा जहा यहा स

वहा स इधर-उधर उदाहरणाथ-

वह यहा नह ह

वह कहा जायगा

वहा कोई नह ह

जहा तम हो वहा म ह

(iii) दशावाचक अयय- इसस दशा का बोध होता ह जस- इधर उधर िजधर दर पर अलग

दाहन बाए आरपार

(iv) िथतवाचक अयय- नीच ऊपर तल सामन बाहर भीतर इयाद

अयय क भद

अयय ननलखत चार कार क होत ह -

(1) यावशषण (Adverb)

(2) सबधबोधक (Preposition)

(3) समचयबोधक (Conjunction)

(4) वमयादबोधक (Interjection)

(1) यावशषण - िजन शद स या वशषण या दसर यावशषण क वशषता कट

हो उह यावशषण कहत ह

दसर शदो म- जो शद या क वशषता बतलात ह उह या वशषण कहा जाता ह

जस- राम धीर-धीर टहलता ह राम वहा टहलता ह राम अभी टहलता ह

इन वाय म धीर-धीर वहा और अभी राम क टहलन (या) क वशषता बतलात ह य

यावशषण अवकार वशषण भी कहलात ह इसक अतरत यावशषण दसर

यावशषण क भी वशषता बताता ह

वह बहत धीर चलता ह इस वाय म बहत यावशषण ह यक यह दसर यावशषण

धीर क वशषता बतलाता ह

या वशषण क कार

(1) योग क अनसार- (i) साधारण (ii) सयोजक (iii) अनबध

(2) प क अनसार- (i) मल यावशषण (ii) यौगक यावशषण (iii) थानीय यावशषण

(3) अथ क अनसार- (i) परमाणवाचक (ii) रतवाचक

(1) योग क अनसार यावशषण क भद

योग क अनसार यावशषण क तीन भद ह-

(i) साधारण यावशषण- िजन यावशषण का योग कसी वाय म वत होता ह

उह साधारण यावशषण कहा जाता ह

जस- हाय अब म या क बटा जद आओ अर साप कहा गया

(ii) सयोजक यावशषण- िजन यावशषण का सबध कसी उपवाय स रहता ह उह

सयोजक यावशषण कहा जाता ह

जस- जब रोहताव ह नह तो म ह जीकर या कगी जहा अभी सम ह वहा कसी

समय जगल था

(iii) अनबध यावशषण- िजन यावशषण क योग अवधारण (नचय) क लए कसी

भी शदभद क साथ होता हो उह अनबध यावशषण कहा जाता ह

जस- यह तो कसी न धोखा ह दया ह मन उस दखा तक नह

(2) प क अनसार यावशषण क भद

प क अनसार यावशषण क तीन भद ह-

(i) मल यावशषण- ऐस यावशषण जो कसी दसर शद क मल स नह बनत मल

यावशषण कहलात ह

जस- ठक दर अचानक फर नह

(ii) यौगक यावशषण- ऐस यावशषण जो कसी दसर शद म यय या पद जोड़न

पर बनत ह यौगक यावशषण कहलात ह

जस- मन स िजसस चपक स भल स दखत हए यहा तक झट स वहा पर यौगक

यावशषण सा सवनाम वशषण धात और अयय क मल स बनत ह

यौगक यावशषण नीच लख शद क मल स बनत ह-

(i) साओ क वित स- घर-घर घड़ी-घड़ी बीच-बीच हाथ-हाथ

(ii) दो भ साओ क मल स- दन-रात साझ-सबर घर-बाहर दश-वदश

(iii) वशषण क वित स- एक-एक ठक-ठक साफ-साफ

(iv) यावशषण क वित स- धीर-धीर जहा-तहा कब-कब कहा-कहा

(v) दो यावशषण क मल स- जहा-तहा जहा-कह जब-तब जब-कभी कल-परस आस-पास

(vi) दो भ या समान यावशषण क बीच न लगान स- कभी-न-कभी कछ-न-कछ

(vii) अनकरण वाचक शद क वित स- पटपट तड़तड़ सटासट धड़ाधड़

(viii) सा और वशषण क योग स- एक साथ एक बार दो बार

(ix) अय य और दसर शद क मल स- तदन यथाम अनजान आजम

(x) पवकालक कदत और वशषण क मल स- वशषकर बहतकर मयकर एक-एककर

(iii) थानीय यावशषण- ऐस यावशषण जो बना पातर क कसी वशष थान म

आत ह थानीय यावशषण कहलात ह

जस- वह अपना सर पढ़गा

वह दौड़कर चलत ह

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  • (1) अरथ की दषटि स शबद-भद13
  • (2) परयोग की दषटि स शबद-भद13
  • (3) उतपति की दषटि स शबद-भद13
  • 1) सवर सधि-13
  • परति+छवि=परतिचछवि दिक+अनत=दिगनत दिक+गज=दिगगज अन+छद=अनचछद अच +अनत = अजनत 13
  • 3)विसरग सधि - विसरग क साथ सवर या वयजन का मल होन पर जो विकार होता ह उस 13
  • विसरग सधि कहत ह 13
  • मन+रथ=मनोरथ यश+अभिलाषा=यशोभिलाषा अध+गति=अधोगति नि+छल=निशछल द +गम = दरगम 13
    • -पाठ सार-13
    • -वयाखया13
    • -निमनलिखित परशनो क उततर दीजिय ndash13
    • 1-कवि न कसी मतय को समतय कहा ह13
    • अवयय क भद13
    • करिया विशषण क परकार13
Page 7: Class –X HINDI JUNE SYLLABUS 2020 Chapters:- Ch-1-Sanchayan …punainternationalschool.com/assets/upload/ck-images/Std-10th=Jun… · -harihar kaka . पय-भाग पाठ-3

याकरण-भाग

शद और पद

शद और पद- यहा शद और पद का अतर समझ लना चाहए वनय क मल स शद

बनता ह जस- प+आ+न+ई= पानी यह शद जब वाय म अथवाचक बनकर आय तो वह

पद कहलाता ह

जस- पतक लाओ इस वाय म दो पद ह- एक नामपद पतक ह और दसरा यापद

लाओ ह

शद क भद

अथ योग उप और यप क िट स शद क कई भद ह इनका वणन नन कार

ह-

(1) अथ क िट स शद-भद

(i)साथक शद (ii) नरथक शद

(i)साथक शद- िजस वण समह का पट प स कोई अथ नकल उस साथक शद कहत

जस- कमल खटमल रोट सव आद

(ii)नरथक- िजस वण समह का कोई अथ न नकल उस नरथक शद कहत ह

जस- राट वठा ची वाना वोती आद

साथक शद क अथ होत ह और नरथक शद क अथ नह होत जस- पानी साथक शद

ह और नीपा नरथक शद यक इसका कोई अथ नह

(2) योग क िट स शद-भद

शद क साथक मल स वाय क रचना होती ह वाय क मल स भाषा बनती ह शद

भाषा क ाणवाय होत ह वाय म शद का योग कस प म कया जाता ह इस

आधार पर हम शद को दो वग म बाटत ह

(i)वकार शद (ii)अवकार शद

(i)वकार शद - िजन शद क प म लग वचन कारक क अनसार परवतन का वकार

आता ह उह वकार शद कहत ह

इस हम ऐस भी कह सकत ह- वकार यानी परवतन व शद िजनम लग वचन कारक

आद क कारण वकार (परवतन) आ जाता ह उह वकार शद कहत ह

जस- लग- लड़का पढता ह लड़क पढ़ती ह

वचन- लड़का पढता हलड़क पढ़त ह

कारक- लड़का पढता ह लड़क को पढ़न दो

वकार शद चार कार क होत ह-

(i) सा (noun) (ii) सवनाम (pronoun) (iii) वशषण (adjective) (iv) या (verb)

(ii)अवकार शद -िजन शद क प म कोई परवतन नह होता उह अवकार शद कहत

दसर शद म- अ वकार यानी िजनम परवतन न हो ऐस शद िजनम लग वचन कारक

आद क कारण कोई परवतन नह होता अवकार शद कहलात ह

जस- परत तथा यद धीर-धीर अधक आद

अवकार शद भी चार कार क होत ह-

(i)या-वशषण (Adverb)

(ii)सबध बोधक (Preposition)

(iii)समचय बोधक(Conjunction)

(iv)वमयाद बोधक(Interjection)

(3) उपत क िट स शद-भद

(i)तसम शद (ii )तभव शद (iii )दशज शद एव (iv)वदशी शद

(i) तसम शद - सकत भाषा क व शद जो हद म अपन वातवक प

म यत होत ह उह तसम

शद कहत ह

दसर शद म- तत (उसक) + सम (समान) यानी व शद जो सकत भाषा स

हद भाषा म बना कसी बदलाव (मलप म) क ल लए गए ह तसम शद

कहलात ह

सरल शद म- हद म सकत क मल शद को तसम कहत ह

जस- कव माता वया नद फल पप पतक पवी काय मय आद

यहा सकत क उन तमो क सची ह जो सकत स होत हए हद म आय

ह-

तसम हद तसम हद

आ आम गोमल गोमय गोबर

उ ऊ ट घोटक घोड़ा

चच चच पयक पलग

वरत तरत भ भात

शलाका सलाई हरा हद हरद

गय भाग

पाठ-2

डायर क पन ndashसीताराम सकसरया

-लखक का परचय -

-सीताराम सकसरया को समाज सवा क म सन 1962 म पम भषण स समानत कया

गया था य असम राय स ह

सीताराम सकसरया एक भारतीय वतता कायकता गाधीवाद समाजवाद और पिचम बगाल

क सथा बडर थ जो मारवाड़ी समदाय क उथान क लए उनक योगदान क लए जान जात थ वह

एक उच वयालय सथान मारवाड़ी बालकका वयालय समाज सधार समत एक सामािजक

सगठन और भारतीय भाषा परषद उच शा सथान ी शाशाटन सहत कई सथान और

सगठन क सथापक थ एक गर सरकार सगठन भारत सरकार न समाज म उनक योगदान क लए

उह 1 9 62 म पम भषण का तीसरा सवच नागरक समान दया उनक जीवन क कहानी एक

कताब पम भषण सीताराम सकसरया अभनदन थ म काशत क गई ह िजस भावरमल सह

वारा सपादत कया गया ह और 1 9 74 म काशत कया गया था

-पाठ का सार-

शदाथ-

पराव ndashफर स आना अपन-हम या म

गत-घम घम कर चौकदार करना साजट ndashसना म एक पद

मोनमट-मारक काउिसल-परष

चौरगी-कलकाता का एक थान वालटयर ndashवयम सवक

सगीन ndashगभीर

-न उर-

-ननलखत न क उर (10-12 शद म) लखए minus

1-कलका वासय क लए 26 जनवर 1931 का दन य महवपण था

1-दश का वतता दवस एक वष पहल इसी दन मनाया गया था इसस पहल बगाल

वासय क भमका नह थी अब व य तौर पर जड़ गए इसलए यह महवपण

दन था

2-सभाष बाब क जलस का भार कस पर था

2-सभाषा बाब क जलस का भार पणदास पर था परत पलस न उह पकड़ लया

3-वयाथ सघ क मी अवनाश बाब क झडा गाड़न पर या तया हई

3-बगाल ातीय वयाथ सघ क मी अवनाश बाब न जस ह झडा गाड़ा पलस न

उह पकड़ लया और लोग पर लाठया चलाई

4-लोग अपन-अपन मकान व सावजनक थल पर राय झडा फहराकर कस बात का

सकत दना चाहत थ

4-लोग अपन-अपन मकान व सावजनक थल पर राय झडा फहराकर बताना चाहत

थ क व अपन को आज़ाद समझ कर आज़ाद मना रह ह उनम जोश और उसाह ह

5-पलस न बड़-बड़ पाक और मदान को य घर लया था

5-आज़ाद मनान क लए पर कलका शहर म जनसभाओ और झडारोहण उसव का

आयोजन कया गया इसलए पाक और मदान को घर लया था

-ननलखत न क उर (25-30 शद म) लखए minus

1-26 जनवर 1931 क दन को अमर बनान क लए या-या तयारया क ग

1-26 जनवर 1931 क दन को अमर बनान क लए कलका शहर न शहर म जगह-

जगह झड लगाए गए थ कई थान पर जलस नकाल गए तथा झड़ा फहराया गया

था टोलया बनाकर भीड़ उस थान पर जटन लगी जहा सभाष बाब का जलस पहचना

था पलस क लाठचाज तथा गरफ़तार लोग क जोश को कम न कर पाए

2-आज जो बात थी वह नराल थीrsquo minus कस बात स पता चल रहा था क आज का दन

अपन आप म नराला ह पट किजए

2-आज का दन नराला इसलए था यक वतता दवस मनान क थम आव

थी पलस न सभा करन को गरकाननी कहा था कत सभाष बाब क आवान पर पर

कलका म अनक सगठन क मायम स जलस व सभाओ क जोशील तयार थी परा

शहर झड स सजा था तथा कसल न मोनमद क नीच झडा फहरान और वतता क

ता पढ़न का सरकार को खला चलज दया हआ था पलस भरपर तयार क बाद भी

कामयाब नह हो पाई

3-पलस कमनर क नोटस और कसल क नोटस म या अतर था

3-पलस कमनर न नोटस नकाला था क कोई भी जनसभा करना या जलस

नकालना कानन क खलाफ़ होगा सभाओ म भाग लन वाल को दोषी माना जाएगा

कसल न नोटस नकाला था क मोनमट क नीच चार बजकर चौबीस मनट पर झडा

फहराया जाएगा तथा वतता क ता पढ़ जाएगी इस कार य दोन नोटस एक

दसर क खलाफ़ थ

4-धमतल क मोड़ पर आकर जलस य टट गया

4-जब सभाष बाब को पकड़ लया गया तो िया जलस बनाकर चल परत पलस न

लाठ चाज स उह रोकना चाहा िजसस कछ लोग वह बठ गए कछ घायल हो गए और

कछ पलस वारा गरतार कर लए गए इसलए जलस टट गया

5-डा दासगता जलस म घायल लोग क दख-रख तो कर रह थ उनक फ़ोटो भी

उतरवा रह थ उन लोग क फ़ोटो खीचन क या वजह हो सकती थी पट किजए

5-डा दास गता लोग क फ़ोटो खचवा रह थ इसस अज़ क जम का पदाफ़ाश

कया जा सकता था दसरा यह भी पता चल सकता था क बगाल म वतता क लड़ाई

म बहत काम हो रहा ह

-ननलखत न क उर (50-60 शद म) लखए minus

1-सभाष बाब क जलस म ी समाज क या भमका थी

1-सभाष बाब क जलस म ी समाज क महवपण भमका रह थी भार पलस

यवथा क बाद भी जगह-जगह ी जलस क लए टोलया बन गई थी मोनमट पर

भी िय न नडर होकर झडा फहराया अपनी गरतारया करवाई तथा उनपर लाठया

बरसाई इनसब क बाद भी िया लाल बाज़ार तक आग बढ़ती ग

2-जलस क लाल बाज़ार आन पर लोग क या दशा हई

2-जलस क लाल बाज़ार आन पर भीड़ बकाब हो गई पलस डड बरसा रह थी लोग

को लॉकअप म भज रह थी िया भी अपनी गरफ़तार द रह थी दल क दल नार

लगा रह थ लोग का जोश बढ़ता ह जा रहा था लाठ चाज स लोग घायल हो गए थ

खन बह रहा था चीख पकार मची थी फर भी उसाह बना हआ था

3-जब स कानन भग का काम श हआ ह तब स आज तक इतनी बड़ी सभा ऐस मदान म

नह क गई थी और यह सभा तो कहना चाहए क ओपन लड़ाई थीrsquo यहा पर कौन स और

कसक वारा लाग कए गए कानन को भग करन क बात कह गई ह या कानन भग

करना उचत था पाठ क सदभ म अपन वचार कट किजए

3-इस समय दश क आज़ाद क लए हर यित अपना सवव लटान को तयार था अज़

न कानन बनाकर आदोलन जलस को गर काननी घोषत कया हआ था परत लोग पर

इसका कोई असर नह था व आज़ाद क लए अपना दशन करत रह गलामी क जजीर

को तोड़न का यास करत रह थ

4-बहत स लोग घायल हए बहत को लॉकअप म रखा गया बहत-सी िया जल ग फर

भी इस दन को अपव बताया गया ह आपक वचार म यह सब अपव य ह अपन शद

म लखए

4-सभाष च बोस क नतव म कलका वासय न वतता दवस मनान क तयार ज़ोर-

शोर स क थी पलस क सती लाठ चाज गरफ़तारया इन सब क बाद भी लोग म

जोश बना रहा लोग झड फहरात वद मातरम बोलत हए खन बहात हए भी जलस

नकालन को तपर थ जलस टटता फर बन जाता कलका क इतहास म इतन चड

प म लोग को पहल कभी नह दखा गया था

आशय पट किजए minus

1-आज तो जो कछ हआ वह अपव हआ ह बगाल क नाम या कलका क नाम पर कलक

था क यहा काम नह हो रहा ह वह आज बहत अश म धल गया

1-हजार ी पष न जलस म भाग लया आज़ाद क सालगरह मनान क लए बना

कसी डर क दशन कया पलस क बनाए कानन क जलस आद गर काननी काय आद

क भी परवाह नह क पलस क लाठ चाज होन पर लोग घायल हो गए खन बहन लग

परत लोग म जोश क कोई कमी नह थी बगाल क लए कहा जाता था क वतता क

लए बहत यादा योगदान नह दया जा रहा ह आज क िथत को दखकर उन पर स

यह कलक मट गया

2-खला चलज दकर ऐसी सभा पहल नह क गई थी

2- पलस न कोई दशन न हो इसक लए कानन नकाला क कोई जलस आद आयोिजत

नह होगा परत सभाष बाब क अयता म कसल न नोटस नकाला था क मोनमट क

नीच झडा फहराया जाएगा और वतता क ता पढ़ जाएगी सभी को इसक लए

आमत कया गया खब चार भी हआ सार कलक म झड फहराए गए थ सरकार और

आम जनता म खल लड़ाई थी|

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याकरण-सध

याया -1-सध शद का अथ ह lsquoमलrsquo दो नकटवत वण क आपसी मल स जो परवतन होता

ह उस सध कहलाता ह सम + तोष = सतोष दव + इ = दव भान + उदय = भानदय

सध तीन कार ह

1-वर सध

2- यजन सध

3- वसग सध

1) वर सध-

दो वर क आस -पास आन पर उनम जो परवतन होता ह उस वर सध कहत ह

जस ndash वया + आलय = वयालय

1) दघ वर सध

अ इ उ क बाद दघ अ इ उ आ जाए तो दोनो मलकर दघ सध आ ई ऊ हो जात

अ + आ = आ हम + आलय = हमालय

इ + ई = ई - गर + ईश = गरश

ई + इ = ई - मह + इ = मह

ई + ई = ई - नद + ईश = नदश

उ + ऊ = ऊ- लघ + ऊम = लघम

ऊ + उ = ऊ- वध + उसव = वधसव

ऊ + ऊ = ऊ - भ + ऊव = भव

2) गण वर सध -इस सध म अ आ क आग इ ई हो तो ए उ ऊ हो तो औ और

अगर ऋ हो तो अर हो जाता ह उस गण सध कहत ह

अ + इ = ए- नर + इ = नर अ + ई = ए- नर + ईश = नरश

आ + इ = ए- महा + इ = मह आ + ई = ए महा + ईश = महश

अ + उ = ओ ान + उपदश = ानोपदश आ+उ= ओ महा + उसव = महोसव

3) यण वर सध- इस सध म इ ई उ ऊ और ऋ क बाद कोई अलग वर आए

तो इनका परवतन मश य व और र म हो जाता ह

इ का य = इत +आद = इयाद ई का य = दवी +आवाहन = दयावाहन

उ का व = स +आगत = वागत ऊ का व = वध +आगमन = ववागमन

4) वध वर सध- आ + ए ऐ -gt ऐ

अ आ + ओ औ -gt औ

अ +ए =ऐ एक +एक = एकक अ +ऐ =ऐ मत +ऐय = मतय

अ +औ=औ परम +औषध = परमौषध आ +औ =औ महा +औषध = महौषध

आ +ओ =औ महा +ओघ = महौघ

5)अयाद वर सध- इस सध म ए ऐ और ओ औ क पशचात इह छोड़कर को

अय वर हो तो इनका परवतन मश अय आय अव आव म हो जाता ह )

ए का अय न +अन = नयन ऐ का आय न +अक = नायक

ओ का अव पो +अन = पवन औ का आव पौ +अन = पावन

न का परवतन ण म = ो +अन = वण

2)यजन सध- यजन क साथ वर अथवा यजन क मल स उस यजन म जो

पातरण होता ह उस यजन सध कहत ह

त+छव=तछव दक+अत=दगत

दक+गज=दगज अन+छद=अनछद

अच +अत = अजत

3)वसग सध - वसग क साथ वर या यजन का मल होन पर जो वकार होता ह उस

वसग सध कहत ह

मन+रथ=मनोरथ यश+अभलाषा=यशोभलाषा

अध+गत=अधोगत न+छल=नछल

द +गम = दगम

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गय-भाग

पाठ-12

(ततारा-वामीरो कथा )

(ललाधर मडलोई)

-लखक का परचय- ललाधर मडलोईमडलोई का जम भारतीय

राय मयदश क छदवाडा िजल क गढ़ नामक गाव म हआ मडलोई न भारत म बीए

बीएड (अज़ी) पाकारता म नातक और एमए (हद) तक शा हण कया और

इसक बाद व लदन चल गय जहा स सारण म उच-शा (सीआरट) हण क

मडलोई दरदशन आकाशवाणी क महानदशक सहत कई राय-अतरराय समतय क

साथ ह सार भारती बोड क सदय रह चक ह

-पाठ का सार-

जो सयता िजतनी अधक परानी होगी उतनी ह अधक कस -कहानया उसस जड़ी होती ह जो

हम सनन को मलती ह जो कस - कहानया हम सनन को मलती ह जर नह क वो उसी तरह

घटत हई हो िजस तरह वो हम सनाई जा रह हइतना जर होता ह क इन कस और कहानय

म कोई न कोई सीख छपी होती ह अदमान नकोबार वीपसमह म भी बहत तरह क कस -

कहानया मशहर ह इनम स कछ को ललाधर मडलोई न लखा ह

तत पाठ ततारा वामीरो कथा अडमान नकोबार वीप समह क एक छोट स वीप पर क त ह

उस वीप पर एक -दसर स शता का भाव अपनी अतम सीमा पर पहच चका था इस शता क

भावना को जड़ स उखाड़न क लए एक जोड़ को आमबलदान दना पड़ा था उसी जोड़ क बलदान

का वणन लखक न तत पाठ म कया ह

यार सबको एक साथ लाता ह और नफरत सब क बीच दरय को बढ़ाती हइस बात स भला कौन

इनकार कर सकता ह इसलए जो कोई भी समाज क लए अपन यार का अपन जीवन का

बलदान करता ह समाज न कवल उस याद रखता ह बिक उसक वारा कय गए याग और

बलदान को बकार नह जान दता यह वह कारण ह िजसक वजह स तकालन समाज क सामन

मसाल कायम करन वाल इस जोड़ को आज भी इस वीप क नवासी गव और धा स याद करत

-शदाथ-

-खला-म कड़ी -आदम ndashाभक

-वभत ndashबटा हआ -आमीय ndashअपना

-वलण ndashअसाधारण -बयार-मद हवा

त-एकाता -वकल-बचन

-सचार-उपन -असगत ndashअनचत

समोहतndash मध -झझलाना ndash चड़ना

-रोमाचत ndash पलकत -नचल- िथर

-अफवाह ndash उड़ती खबर -उफनना ndash उबाल आना

शमन ndashशात होना -घपना भकनाचभना

-न-उर-

1-ततारा और वामीरो क गाव क या थी

उर- ततारा और वामीरो क गाव क यह रत थी क ववाह क लए लड़क-लड़क का एक

ह गाव का होना जर था दसर गाव क यवक क साथ सबध असभव था

2-ततारा क तलवार क बार म लोग का या मत था

उर- ततारा क तलवार ययप लकड़ी क थी पर इसक बावजद लोग का मानना था क

उस तलवार म अभत दवीय शित थी ततारा तलवार को कभी अपन स अलग होन नह

दता था लोग यह मानत थ क ततारा अपन साहसक कारनाम इसी तलवार क कारण ह

कर पाता ह उसम बड़ी शित थी

3-नकोबार क लोग ततारा को य पसद करत थ

उर- नकोबार क लोग ततारा को उसक साहसी और परोपकार वभाव क कारण पसद करत

थ वह एक सदर और शितशाल यवक था वह सदा लोग क सहायता करता रहता था

ततारा एक नक और मददगार यित था वह अपन गाव वाल क ह नह समच

वीपवासय क सवा करना अपना धम समझता था सभी उसका आदर करत थ मसीबत

क घड़ी म वह लोग क पास तरत पहच जाता था

4- ाचीन काल म मनोरजन और शित-दशन क लए कस कार क आयोजन कए जात

उर- ाचीन काल म मनोरजन और शित-दशन क लए अ-श चलान सबधी

आयोजन तथा पश पव कए जात थ

5-lsquoततारा-वामीरो कथाrsquo का सदश पट किजए

उर- lsquoततारा-वामीरो कथाrsquo एक लोकगाथा ह इसम यह सदश दया गया ह क म को कसी

बधन जड़ता तथा सीमाओ म बाधना उचत नह ह यद कोई गाव दश या म को

पनपन क लए खला अवसर नह दता तो इसस सवनाश होता ह धरती म भदभाव बढ़त ह

पहल स बट हई धरती और अवसर नह दता तो इसस मानवता का य होता ह भावनाए

एक होन क बजाय खडत होती ह अतः गाव दश या अय सकण नयमो को तोड़कर

हम उदारता क साथ सबको अपनाना चाहए

7-नक ततारा और वामीरो क मय कस हई पठत पाठ क आधार पर लखए

उर- पश-पव क मौक पर ततारा और वामीरो को इकठा दखकर वामीरो क मा ोध म

उफन उठ उसन ततारा को तरह-तरह स अपमानत कया गाव क लोग भी ततारा क

वरोध म आवाज उठान लग यह ततारा क लए अहसनीय था वामीरो अब भी रोए जा रह

थी ततारा भी गस स भर उठा उस जहा ववाह क नषध परपरा पर ोभ था वह अपनी

असहायता पर खीझ वामीरो का दख उस और गहरा कर रहा था उस मालम नह था क

या कदम उठाना चाहए अनायास उसका हाथ तलवार क मढ़ पर जा टका ोध म उसन

तलवार नकाल और कछ वचार करता रहा ोध लगातार अिन क तरह बढ़ रहा था

लोग सहम उठ एक सनाटा-सा खच गया जब कोई राह न सझी तो ोध का शमन करन

क लए उसम शित भर उस धरती म घप दया और ताकत स उस खीचन लगा वह

पसीन स नहा उठा सब घबराए हए थ वह तलवार को अपनी तरफ खीचत-खीचत दर तक

पहच गया वह हाफ रहा था अचानक जहा एक लकर खच गई थी वहा एक दरार होन

लगी मानो धरती दो टकड़ो म बटन लगी हो एक गड़गड़ाहट-सी गजन लगी और लकर क

सीध म धरती फटती ह जा रह थी वीप क अतम सर तक ततारा धरती को मानो ोध

म काटता जा रहा था सभी याकल हो उठ लोग न ऐस य क कपना न क थी व

सहर उठ उधर वामीरो फटती हई धरती क कनार ततारा का नाम पकारत हए दौड़ रह थी

वीप दो टकड़ म वभत हो चका था ततारा और वामीरो वीप क साथ सम म धस

गए और उमय हो गई

8-शाम क समय सम कनार ततारा क ाकतक अनभत का वणन किजए

उर- एक शाम ततारा दन-भर क अथक परम क बाद सम कनार टहलन नकल

पड़ा सरज सम स लग तज तल डबन को था सम स ठडी बयार आ रह थी

पय क सायकालन चाहचाहाहट शनः शनः ीण ह को थी उसका मन शात था

वचारमन ततारा सम बाल पर बठकर सरज क अतम रग-बरगी करण को सम

पर नहारन लगा तभी कह पास म उस मधर गीत गजता सनाई दया गीत मान

बहता हआ उसक तरफ आ रहा हो बीच-बीच म लहर का सगीत सनाई दता गायन

भावी था क वह अपनी सध-बध खोन लगा लहर क एक बल वग न उसक ता भग

क चतय होत ह वह उधर बढ़न को ववश हो उठा िजधर स अब भी गीत क वर बह

रह थ वह वकल-सा उस तरफ़ बढ़ता गया अततः उसक नजर एक यवती पर पड़ी जो

ढलती हई शाम क सदय म बसध एकटक सम क दह पर डबत आकषक रगो को

नहारत हए गा रह थी यह एक शगार गीत था

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Vyakr`-vaKy-

bull वाय क सामन दए कोठक म ( radic का चह लगाकर बताए क वह वाय कस

कार का ह

क) नकोबार उस बहद म करत थ (नवाचक वधानवाचक नषधामक

वमयादबोधक)

ख) तमन एकाएक इतना मधर गाना अधरा य छोड़ दया नवाचक

वधानवाचक नषधामक वमयादबोधक)

ग) वामीरो क मा ोध म उफन उठ (नवाचक वधानवाचक नषधामक

वमयादबोधक)

घ) या तह गाव का नयम नह मालम नवाचक वधानवाचक नषधामक

वमयादबोधक)

ङ) वाह कतना सदर नाम ह (नवाचक वधानवाचक नषधामक

वमयादबोधक)

च) म तहारा राता छोड़ दगा

वमयादबोधक)

उर- क) वधानवाचक

ग) वधानवाचक

ङ) वमयादबोध

Ocirc-इस पाठ म lsquo दखना lsquo या क कई प आए ह

शदयोग म या अतर ह

Ocirc-उर-

म तहारा राता छोड़ दगा (नवाचक वधानवाचक नषधामक

ख) नवाचक

घ) नवा

च) वधानवाचक

या क कई प आए ह lsquo दखना lsquo क इन वभन

वाययोग वारा पट किजए

नषधामक

नवाचक

वधानवाचक

क इन वभन

-वाय क उदाहरण-

सचयन-भाग

पाठ-1 (हरहर काका )

-शदाथ -

तबयत - शरर क िथत यणा - यातना कलश कट

मनःिथत - मन क िथत चद - कछ

आसित ndash लगाव यावहारक - यावहार सबधी

वचारक - वचार सबधी दलार - यार

सयाना - यक बधमान तीा - इतज़ार

फ़लहाल - अभी इस समय मझधार - बीच म

वलन - लत हो जाना वकप - दसरा उपाय

चलत ndash चलनसार जात - जगाना

कलवर - शरर मनौती - मनत

परपरा - था णाल अधकाश - यादातर

समत ndash सथा सचालन - नयण चलाना

नयित - तनाती लगाया गया वमख - तकल

चपट - आघात हार अहाता-चार ओर स दवार स घरा हआ मदान

अखड ndash नवन वफोट - फट कर बाहर नकलना

आगमन - आन पर उपलय - सकत

सराहना ndash शसा निचत - बफ

-लखक का परचय-मथलवर का जम 31 दसबर 1950 को बहार क

भोजपर िजल क बसाडीह नामक गाव म हआ इनक पता व० ो० वशरोपन लाल थ

मथलवर क पता (ो० वशरोपन लाल) भी वलण तभा क धनी थ परत उनक

असाय बीमार न मथलवर क जीवन म आरभ स ह कठन सघष क बीज बो दय थ

पाठ सार-

लखक कहता ह क वह हरहर काका क साथ बहत गहर स जड़ा था लखक का हरहर

काका क त जो यार था वह लखक का उनक यावहार क और उनक वचार क कारण

था और उसक दो कारण थ पहला कारण था क हरहर काका लखक क पड़ोसी थ और

दसरा कारण लखक को उनक मा न बताया था क हरहर काका लखक को बचपन स ह

बहत यादा यार करत थ जब लखक यक हआ तो उसक पहल दोती भी हरहर काका

क साथ ह हई थी लखक क गाव क पव दशा म ठाकर जी का वशाल मदर था िजस

गाव क लोग ठाकरबार यान दवथान कहत थ लोग ठाकर जी स प क मनत मागत

मक़दम म जीत लड़क क शाद कसी अछ घर म हो जाए लड़क को नौकर मल जाए

आद मनत मागत थ मनत पर होन पर लोग अपनी ख़शी स ठाकरजी को पए ज़वर

और अनाज चढ़ाया करत थ िजसको बहत अधक ख़शी होती थी वह अपन खत का छोटा-

सा भाग ठाकरजी क नाम कर दता था और यह एक तरह स था ह बन गई लखक कहता

ह क उसका गाव अब गाव क नाम स नह बिक दव-थान क वजह स ह पहचाना जाता

था उसक गाव का यह दव-थान उस इलाक का सबस बड़ा और सध दवथान था

हरहर काका न अपनी परिथतओ क कारण दव-थान म जाना बद कर दया था मन

बहलान क लए लखक भी कभी-कभी दव-थान चला जाता था लकन लखक कहता ह क

वहा क साध-सत उस बलकल भी पसद नह थ यक व काम करन म कोई दलचपी

नह रखत थ भगवान को भोग लगान क नाम पर व दन क दोन समय हलवा-पड़ी

बनवात थ और आराम स पड़ रहत थ सारा काम वहा आए लोग स सवा करन क नाम पर

करवात थ व खद अगर कोई काम करत थ तो वो था बात बनवान का काम

लखक हरहर काका क बार म बताता हआ कहता ह क हरहर काका और उनक तीन भाई

ह सबक शाद हो चक ह हरहर काका क अतरत सभी तीन भाइय क बाल-बच ह

कछ समय तक तो हरहर काका क सभी चीज़ का अछ स यान रखा गया परत फर

कछ दन बाद हरहर काका को कोई पछन वाला नह था लखक कहता ह क अगर कभी

हरहर काका क शरर क िथत ठक नह होती तो हरहर काका पर मसीबत का पहाड़ ह

गर जाता यक इतन बड़ परवार क रहत हए भी हरहर काका को कोई पानी भी नह

पछता था बारामद क कमर म पड़ हए हरहर काका को अगर कसी चीज़ क जरत होती

तो उह खद ह उठना पड़ता एक दन उनका भतीजा शहर स अपन एक दोत को घर ल

आया उह क आन क ख़शी म दो-तीन तरह क सिज़या बजक चटनी रायता और भी

बहत कछ बना था सब लोग न खाना खा लया और हरहर काका को कोई पछन तक नह

आया हरहर काका गस म बरामद क ओर चल पड़ और जोर-जोर स बोल रह थ क

उनक भाई क पिनया या यह सोचती ह क व उह मत म खाना खला रह ह उनक

खत म उगन वाला अनाज भी इसी घर म आता ह

हरहर काका क गस का महत जी न लाभ उठान क सोची महत जी हरहर काका को

अपन साथ दव-थान ल आए और हरहर काका को समझान लग क उनक भाई का परवार

कवल उनक जमीन क कारण उनस जड़ा हआ ह कसी दन अगर हरहर काका यह कह द

क व अपन खत कसी और क नाम लख रह ह तो व लोग तो उनस बात करना भी बद

कर दग खन क रत ख़म हो जायग महत हरहर काका स कहता ह क उनक हस म

िजतन खत ह व उनको भगवान क नाम लख द ऐसा करन स उह सीध वग क ाित

होगी

सबह होत ह हरहर काका क तीन भाई दव-थान पहच गए तीन हरहर काका क पाव म

गर कर रोन लग और अपनी पिनय क गलती क माफ़ मागन लग और कहन लग क

व अपनी पिनय को उनक साथ कए गए इस तरह क यवहार क सज़ा दग हरहर काका

क मन म दया का भाव जाग गया और व फर स घर वापस लौट कर आ गए जब अपन

भाइय क समझान क बाद हरहर काका घर वापस आए तो घर म और घर वाल क

यवहार म आए बदलाव को दख कर बहत खश हो गए घर क सभी छोट-बड़ सभी लोग

हरहर काका का आदर-सकार करन लग

गाव क लोग जब भी कह बठत तो बात का ऐसा सलसला चलता िजसका कोई अत नह

था हर जगह बस उह क बात होती थी कछ लोग कहत क हरहर काका को अपनी

जमीन भगवान क नाम लख दनी चाहए इसस उम और अछा कछ नह हो सकता

इसस हरहर काका को कभी न ख़म होन वाल सध ात होगी इसक वपरत कछ

लोग क यह मानत थ क भाई का परवार भी तो अपना ह परवार होता ह अपनी

जायदाद उह न दना उनक साथ अयाय करना होगा हरहर काका क भाई उनस ाथना

करन लग क व अपन हस क जमीन को उनक नाम लखवा द इस वषय पर हरहर

काका न बहत सोचा और अत म इस परणाम पर पहच क अपन जीत-जी अपनी जायदाद

का वामी कसी और को बनाना ठक नह होगा फर चाह वह अपना भाई हो या मदर का

महत यक उह अपन गाव और इलाक क व कछ लोग याद आए िजहन अपनी िजदगी

म ह अपनी जायदाद को अपन रतदार या कसी और क नाम लखवा दया था उनका

जीवन बाद म कसी क क तरह हो गया था उह कोई पछन वाला भी नह था हरहर

काका बलकल भी पढ़-लख नह थ परत उह अपन जीवन म एकदम हए बदलाव को

समझन म कोई गलती नह हई और उहन फसला कर लया क व जीत-जी कसी को भी

अपनी जमीन नह लखग

लखक कहता ह क जस-जस समय बीत रहा था महत जी क परशानया बढ़ती जा

रह थी उह लग रहा था क उहन हरहर काका को फसान क लए जो जाल फ का

था हरहर काका उसस बाहर नकल गए ह यह बात महत जी को सहन नह हो रह

थी आधी रात क आस-पास दव-थान क साध-सत और उनक कछ साथी भाला

गड़ासा और बदक क साथ अचानक ह हरहर काका क आगन म आ गए इसस

पहल हरहर काका क भाई कछ सोच और कसी को अपनी सहायता क लए आवाज

लगा कर बलाए तब तक बहत दर हो गई थी हमला करन वाल हरहर काका को

अपनी पीठ पर डाल कर कह गायब हो गए थव हरहर काका को दव-थान ल गए

थ एक ओर तो दव-थान क अदर जबरदती हरहर काका क अगठ का नशान लन

और पकड़कर समझान का काम चल रहा था तो वह दसर ओर हरहर काका क

तीन भाई सबह होन स पहल ह पलस क जीप को लकर दव-थान पर पहच गए

थ महत और उनक साथय न हरहर काका को कमर म हाथ और पाव बाध कर

रखा था और साथ ह साथ उनक मह म कपड़ा ठसा गया था ताक व आवाज़ न कर

सक परत हरहर काका दरवाज़ तक लढ़कत हए आ गए थ और दरवाज़ पर अपन

पर स धका लगा रह थ ताक बाहर खड़ उनक भाई और पलस उह बचा सक

दरवाज़ा खोल कर हरहर काका को बधन स मत कया गया हरहर काका न

पलस को बताया क व लोग उह उस कमर म इस तरह बाध कर कह गत

दरवाज़ स भाग गए ह और उहन कछ खल और कछ लख हए कागज पर हरहर

काका क अगठ क नशान जबरदती लए ह

यह सब बीत जान क बाद हरहर काका फर स अपन भाइय क परवार क साथ रहन लग

गए थ चौबीस घट पहर दए जान लग थ यहा तक क अगर हरहर काका को कसी

काम क कारण गाव म जाना पड़ता तो हथयार क साथ चार-पाच लोग हमशा ह उनक

साथ रहन लग लखक कहता ह क हरहर काका क साथ जो कछ भी हआ था उसस हरहर

काका एक सीध-साद और भोल कसान क तलना म चालाक और बधमान हो गए थ

उह अब सब कछ समझ म आन लगा था क उनक भाइय का अचानक स उनक त जो

यवहार परवतन हो गया था उनक लए जो आदर-समान और सरा व दान कर रह थ

वह उनका कोई सग भाइय का यार नह था बिक व सब कछ उनक धन-दौलत क कारण

कर रह ह नह तो व हरहर काका को पछत तक नह जब स हरहर काका दव-थान स

वापस घर आए थ उसी दन स ह हरहर काका क भाई और उनक दसर नात-रतदार

सभी यह सोच रह थ क हरहर काका को क़ाननी तरक स उनक जायदाद को उनक

भतीज क नाम कर दना चाहए यक जब तक हरहर काका ऐसा नह करग तब तक

महत क तज़ नज़र उन पर टक रहगी जब हरहर काका क भाई हरहर काका को

समझात-समझात थक गए तो उहन हरहर काका को डाटना और उन पर दवाब डालना

श कर दया एक रात हरहर काका क भाइय न भी उसी तरह का यवहार करना श

कर दया जसा महत और उनक सहयोगय न कया था उह धमकात हए कह रह थ क

ख़शी-ख़शी कागज़ पर जहा-जहा जरत ह वहा-वहा अगठ क नशान लगत जाओ नह तो व

उह मार कर वह घर क अदर ह गाड़ दग और गाव क लोगो को इस बार म कोई सचना

भी नह मलगी हरहर काका क साथ अब उनक भाइय क मारपीट श हो गई जब

हरहर काका अपन भाइय का मकाबला नह कर पा रह थ तो उहन ज़ोर-ज़ोर स

चलाकर अपनी मदद क लए गाव वाल को आवाज लगाना श कर दया तब उनक

भाइय को यान आया क उह हरहर काका का मह पहल ह बद करना चाहए था उहन

उसी पल हरहर काका को जमीन पर पटका और उनक मह म कपड़ा ठस दया लकन तब

तक बहत दर हो गई थी हरहर काका क आवाज बाहर गाव म पहच गई थी हरहर काका

क परवार और रत-नात क लोग जब तक गाव वाल कोसमझात क यह सब उनक

परवार का आपसी मामला ह व सभी इसस दर रह तब तक महत जी बड़ी ह दता और

तज़ी स वहा पलस क जीप क साथ आ गए पलस न पर घर क अछ स तलाशी लना

श कर दया फर घर क अदर स हरहर काका को इतनी बर हालत म हासल कया गया

िजतनी बर हालत उनक दव-थान म भी नह हई थी हरहर काका न बताया क उनक

भाइय न उनक साथ बहत ह यादा बरा यवहार कया ह जबरदती बहत स कागज पर

उनक अगठ क नशान ल लए ह उह बहत यादा मारा-पीटा ह

इस घटना क बाद हरहर काका अपन परवार स एकदम अलग रहन लग थ उह उनक

सरा क लए चार राइफलधार पलस क जवान मल थ आचय क बात तो यह ह क

इसक लए उनक भाइय और महत क ओर स काफ़ यास कए गए थ असल म भाइय

को चता थी क हरहर काका अकल रहन लगग तो दव-थान क महत-पजार फर स

हरहर काका को बहला-फसला कर ल जायग और जमीन दव-थान क नाम करवा लग और

यह चता महत जी को भी थी क हरहर काका को अकला और असरत पा उनक भाई

फर स उह पकड़ कर मारग और जमीन को अपन नाम करवा लग लखक कहता ह क

हरहर काका स जड़ी बहत सी ख़बर गाव म फल रह थी जस-जस दन बड़ रह थ वस-वस

डर का मौहोल बन रहा था सभी लोग सफ यह सोच रह थ क हरहर काका न अमत तो

पया हआ ह नह तो मरना तो उनको एक दन ह ह और जब व मरग तो पर गाव म

तफ़ान आ जाएगा यक महत और हरहर काका क परवार क बीच जमीन को ल कर

लड़ाई हो जायगी

पलस क जवान हरहर काका क खच पर ह खब मौज-मती स रह रह थ िजसका धन

वह रह उपास खान वाल कर वलास अथात हरहर काका क पास धन था लकन उनक लए

अब उसका कोई महव नह था और पलस वाल बना कसी कारण स ह हरहर काका क

धन स मौज कर रह थ अब तक जो नह खाया था दोन वत उसका भोग लगा रह थ

-नोर-

1-कथावाचक और हरहर काका क बीच या सबध ह और इसक या कारण ह

1-कथावाचक जब छोटा था तब स ह हरहर काका उस बहत यार करत थ जब वह बड़ हो

गए तो वह हरहर काका क म बन गए गाव म इतनी गहर दोती और कसी स नह

हई हरहर काका उनस खल कर बात करत थ यह कारण ह क कथावाचक को उनक

एक-एक पल क खबर थी शायद अपना म बनान क लए काका न वय ह उस यार स

बड़ा कया और इतजार कया

2-हरहर काका को महत और भाई एक ह णी क य लगन लग

2-हरहर काका को अपन भाइय और महत म कोई अतर नह लगा दोन एक ह णी क

लग उनक भाइय क पिनय न कछ दन तक तो हरहर काका का यान रखा फर

बचीकची रोटया द नाता नह दत थ बमार म कोई पछन वाला भी न था िजतना भी

उह रखा जा रहा था उनक ज़मीन क लए था इसी तरह महत न एक दन तो बड़ यार

स खातर क फर ज़मीन अपन ठाकर बाड़ी क नाम करन क लए कहन लग काका क

मना करन पर उह अनक यातनाए द अपहरण करवाया मह म कपड़ा ठस कर एक कोठर

म बद कर दया जबरदती अगठ का नशान लया गया तथा उह मारा पीटा गया इस

तरह दोन ह कवल ज़मीन जायदाद क लए हरहर काका स यवहार रखत थ अत उह

दोन एक ह णी क लग

3-ठाकर बाड़ी क त गाव वाल क मन म अपार धा क जो भाव ह उसस उनक कस

मनोव का पता चलता ह

3-कहा जाता ह गाव क लोग भोल होत ह असल म गाव क लोग अधववासी धमभी होत

ह मदर जस थान को पव नकलक ान का तीक मानत ह पजार परोहत महत

जस िजतन भी धम क ठकदार ह उनपर अगाध धा रखत ह व चाह कतन भी

पतत वाथ और नीच ह पर उनका वरोध करत व डरत ह इसी कारण ठाकर बाड़ी क

त गाव वाल क अपार धा थी उनका हर सख-दख उसस जड़ा था

4-अनपढ़ होत हए भी हरहर काका दनया क बहतर समझ रखत ह कहानी क आधार पर

पट किजए

4-हरहर काका अनपढ़ थ फर भी उह दनयादार क बहद समझ थी उनक भाई लोग

उनस ज़बरदती ज़मीन अपन नाम करान क लए डरात थ तो उह गाव म दखावा करक

ज़मीन हथयान वालो क याद आती ह काका न उह दखी होत दखा ह इसलए उहन

ठान लया था चाह महत उकसाए चाह भाई दखावा कर वह ज़मीन कसी को भी नह दग

एक बार महत क उकसान पर भाइय क त धोखा नह करना चाहत थ परत जब भाइय

न भी धोखा दया तो उह समझ म आ गया उनक त उह कोई यार नह ह जो यार

दखात ह वह कवल ज़ायदाद क लए ह

5-हरहर काका को जबरन उठा ल जान वाल कौन थ उहन उनक साथ कसा यवहार

कया

5-महत न हरहर काका को बहत लोभन दए िजसस वह अपनी ज़मीन जायदाद ठाकर

बाड़ी क नाम कर द परत काका इस बात क लए तयार नह थ व सोच रह थ क या

भगवान क लए अपन भाइय स धोखा क यह उह सह भी नह लग रहा था महत को

यह बात पता लगी तो उसन छल और बल स रात क समय अकल दालान म सोत हए

हरहर काका को उठवा लया महत न अपन चल साधसतो क साथ मलकर उनक हाथ पर

बाध दए मह म कपड़ा ठस दया और जबरदती अगठ क नशान लए उह एक कमर म

बद कर दया जब पलस आई तो वय गत दरवाज़ स भाग गए

6-हरहर काका क मामल म गाव वाल क या राय थी और उसक या कारण थ

6-कहानी क आधार पर गाव क लोग को बना बताए पता चल गया क हरहर काका को

उनक भाई नह पछत इसलए सख आराम का लोभन दकर महत उह अपन साथ ल

गया भाई मनत करक काका को वापस ल आत ह इस तरह गाव क लोग दो प म

बट गए कछ लोग महत क तरफ़ थ जो चाहत थ क काका अपनी ज़मीन धम क नाम पर

ठाकर बाड़ी को द द ताक उह सख आराम मल मय क बाद मो यश मल महत ानी

ह वह सब कछ जानता ह लकन दसर प क लोग कहत क ज़मीन परवार वालो को द

जाए उनका कहना था इसस उनक परवार का पट भरगा मदर को ज़मीन दना अयाय

होगा इस तरह दोन प अपन-अपन हसाब स सोच रह थ परत हरहर काका क बार म

कोई नह सोच रहा था इन बात का एक कारण यह भी था क काका वधर थ और उनक

कोई सतान भी नह थी पह बीघ ज़मीन क लए इनका लालच वाभवक था

7-कहानी क आधार पर पट किजए क लखक न यह य कहा अान क िथत म ह

मनय मय स डरत ह ान होन क बाद तो आदमी आवयकता पड़न पर मय को वरण

करन क लए तयार हो जाता ह

7-जब काका को असलयत पता चल और उह समझ म आ गया क सब लोग उनक

ज़मीन जायदाद क पीछ ह तो उह व सभी लोग याद आ गए िजहन परवार वालो क मोह

माया म आकर अपनी ज़मीन उनक नाम कर द और मय तक तलतल करक मरत

रह दान-दान को मोहताज़ हो गए इसलए उहन सोचा क इस तरह रहन स तो एक बार

मरना अछा ह जीत जी ज़मीन कसी को भी नह दग य लोग मझ एक बार म ह मार

द अत लखक न कहा क अान क िथत म मनय मय स डरता ह परत ान होन

पर मय वरण को तयार रहता ह

8-समाज म रत क या अहमयत ह इस वषय पर अपन वचार कट किजए

8-आज समाज म मानवीय मय तथा पारवारक मय धीर-धीर समात होत जा रह ह

यादातर यित अपन वाथ क लए रत नभात ह अपनी आवयकताओ क हसाब स

मलत ह अमीर रतदार का समान करत ह उनस मलन को आतर रहत ह जबक गरब

रतदार स कतरात ह कवल वाथ सध क अहमयत रह गई ह आए दन हम

अखबार म समाचार पढ़त ह क ज़मीन जाय़दाद पस जवर क लए लोग घनौन स घनौना

काय कर जात ह (हया अपहरण आद) इसी कार इस कहानी म भी पलस न पहचती तो

परवार वाल महत जी (काका क) हया ह कर दत उह यह अफसोस रहा क व काका को

मार नह पाए

9-यद आपक आसपास हरहर काका जसी हालत म कोई हो तो आप उसक कस कार

मदद करग

9-यद हमार आसपास हरहर काका जसी हालत म कोई हो तो हम उसक पर तरह मदद

करन क कोशश करग उनस मलकर उनक दख का कारण पता करग उह अहसास

दलाएग क व अकल नह ह सबस पहल तो यह ववास कराएग क सभी यित लालची

नह होत ह इस तरह मौन रह कर दसर को मौका न द बिक उलास स शष जीवन

बताए रतदार स मलकर उनक सबध सधारन का यन करग

10-हरहर काका क गाव म यद मीडया क पहच होती तो उनक या िथत होती अपन

शद म लखए

10-यद काका क गाव म मीडया पहच जाती तो सबक पोल खल जाती महत व भाइय का

पदाफाश हो जाता अपहरण और जबरन अगठा लगवान क अपराध म उह जल हो जाती

अपना-अपना मोचा सभालना - अपनी िजमदार नबाहना

आसमान स जमीन पर गरना -उच िथत स नन िथत पर आना

खल कर बात करना- बना सकच क बात करना |

चपत हो जाना ndash भाग जाना |

जी-जान स जट जाना ndash खब महनत करना

िजतन मह उतनी बात होना- कई तरह क बात करना |

ततर-बतर होना ndash बखर जाना |

त-त म -म होना -झगड़ा होना |

नमक-मच लगाना- बढ़ा-चढ़कर कहना|

बात बनाना- बहान बनाना|

रग चढ़ना- असर होना|

मह न खोलना ndash कछ न बताना |

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पय-भाग

पाठ-4

मनयता ndashमथलशरण गत

-लखक का परचय-

-पाठ का सार व पिटकरण-

कत क अय ाणय क तलना म मनय म सोचन क शित अधक होती ह

वह अपन ह नह दसर क सख - दःख का भी याल रखता ह और दसर क लए

कछ करन म समथ होता ह जानवर जब चरागाह म जात ह तो कवल अपन लए

चर कर आत ह परत मनय ऐसा नह ह वह जो कछ भी कमाता ह जो कछ भी

बनाता ह वह दसर क लए भी करता ह और दसर क सहायता स भी करता ह

तत पाठ का कव अपन क सख - दःख क चता करन वाल को मनय तो

मानता ह परत यह मानन को तयार नह ह क उन मनय म मनयता क सार

गण होत ह कव कवल उन मनय को महान मानता ह जो अपन क सख - दःख

स पहल दसर क चता करत ह वह मनय म ऐस गण चाहता ह िजसक कारण

कोई भी मनय इस मयलोक स चल जान क बाद भी सदय तक दसर क याद म

रहता ह अथात वह मय क बाद भी अमर रहता ह

-पाठ सार-

इस कवता म कव मनयता का सह अथ समझान का यास कर रहा ह पहल

भाग म कव कहता ह क मय स नह डरना चाहए यक मय तो निचत ह पर

हम ऐसा कछ करना चाहए क लोग हम मय क बाद भी याद रख असल मनय

वह ह जो दसर क लए जीना व मरना सीख ल दसर भाग म कव कहता ह क

हम उदार बनना चाहए यक उदार मनय का हर जगह गण गान होता ह मनय

वह कहलाता ह जो दसर क चता कर तीसर भाग म कव कहता ह क पराण

म उन लोग क बहत उदाहरण ह िजह उनक याग भाव क लए आज भी याद

कया जाता ह सचा मनय वह ह जो याग भाव जान ल चौथ भाग म कव

कहता ह क मनय क मन म दया और कणा का भाव होना चाहए मनय वह

कहलाता ह जो दसर क लए मरता और जीता ह पाचव भाग म कव कहना चाहता

ह क यहा कोई अनाथ नह ह यक हम सब उस एक ईवर क सतान ह हम

भदभाव स ऊपर उठ कर सोचना चाहएछठ भाग म कव कहना चाहता ह क हम

दयाल बनना चाहए यक दयाल और परोपकार मनय का दवता भी वागत करत

ह अतः हम दसर का परोपकार व कयाण करना चाहएसातव भाग म कव कहता

ह क मनय क बाहर कम अलग अलग हो परत हमार वद साी ह क सभी क

आमा एक ह हम सब एक ह ईवर क सतान ह अतः सभी मनय भाई -बध ह

और मनय वह ह जो दःख म दसर मनय क काम आयअतम भाग म कव

कहना चाहता ह क वप और वन को हटात हए मनय को अपन चन हए रात

पर चलना चाहए आपसी समझ को बनाय रखना चाहए और भदभाव को नह

बढ़ाना चाहए ऐसी सोच वाला मनय ह अपना और दसर का कयाण और उधार

कर सकता ह

-याया

1-वचार लो क मय हो न मय स डरो कभी

मरो परत य मरो क याद जो कर सभी

हई न य समय तो वथा मर वथा िजए

मारा नह वह क जो िजया न आपक लए

वह पश- वत ह क आप आप ह चर

वह मनय ह क जो मनय क लए मर

सग - तत कवता हमार पाय पतक पश भाग -2 स ल गई ह इसक

कव मथलशरण गत ह इन पितओ म कव बताना चाहता ह क मनय को

कसा जीवन जीना चाहए

याया - कव कहता ह क हम यह जान लना चाहए क मय का होना निचत

ह हम मय स नह डरना चाहए कव कहता ह क हम कछ ऐसा करना चाहए क

लोग हम मरन क बाद भी याद रख जो मनय दसर क लए कछ भी ना कर सक

उनका जीना और मरना दोन बकार ह मर कर भी वह मनय कभी नह मरता जो

अपन लए नह दसर क लए जीता ह यक अपन लए तो जानवर भी जीत ह

कव क अनसार मनय वह ह जो दसर मनय क लए मर अथात जो मनय दसर

क चता कर वह असल मनय कहलाता ह

2-उसी उदार क कथा सरवती बखानती

उसी उदार स धरा कताथ भाव मानती

उसी उदार क सदा सजीव कत कजती

तथा उसी उदार को समत सिट पजती

अखड आम भाव जो असीम वव म भर

वह मनय ह क जो मनय क लए मर

सग - तत कवता हमार पाय पतक पश भाग -2 स ल गई ह इसक

कव मथलशरण गत ह इन पितओ म कव बताना चाहता ह क जो मनय

दसर क लए जीत ह उनका गणगान यग - यग तक कया जाता ह

याया - कव कहता ह क जो मनय अपन पर जीवन म दसर क चता करता

ह उस महान यित क कथा का गण गान सरवती अथात पतक म कया जाता

ह पर धरती उस महान यित क आभार रहती ह उस यित क बातचीत

हमशा जीवत यित क तरह क जाती ह और पर सिट उसक पजा करती ह

कव कहता ह क जो यित पर ससार को अखड भाव और भाईचार क भावना म

बाधता ह वह यित सह मायन म मनय कहलान योय होता ह

3-धात रतदव न दया करथ थाल भी

तथा दधीच न दया पराथ अिथजाल भी

उशीनर तीश न वमास दान भी कया

सहष वीर कण न शरर-चम भी दया

अनय दह क लए अनाद जीव या डर

वह मनय ह क जो मनय क लए मर

सग - तत कवता हमार पाय पतक पश भाग -2 स ल गई ह इसक

कव मथलशरण गत ह इन पितओ म कव न महान पष क उदाहरण दए ह

िजनक महानता क कारण उह याद कया जाता ह

याया - कव कहता ह क पौराणक कथाए ऐस यितओ क उदाहरण स भर

पड़ी ह िजहन अपना परा जीवन दसर क लए याग दया िजस कारण उह आज

तक याद कया जाता ह भख स परशान रतदव न अपन हाथ क आखर थाल भी

दान कर द थी और महष दधीच न तो अपन पर शरर क हडया व बनान क

लए दान कर द थी उशीनर दश क राजा शब न कबतर क जान बचान क लए

अपना परा मास दान कर दया था वीर कण न अपनी ख़शी स अपन शरर का

कवच दान कर दया था कव कहना चाहता ह क मनय इस नवर शरर क लए

य डरता ह यक मनय वह कहलाता ह जो दसर क लए अपन आप को याग

दता ह

4-सहानभत चाहए महावभत ह यह

वशीकता सदव ह बनी हई वय मह

वधभाव बध का दया-वाह म बहा

वनीत लोकवग या न सामन झका रहा

अहा वह उदार ह परोपकार जो कर

वह मनय ह क जो मनय क लए मर

सग - तत कवता हमार पाय पतक पश भाग -2 स ल गई ह इसक

कव मथलशरण गत ह इन पितओ म कव न महामा बध का उदाहरण दत

हए दया कणा को सबस बड़ा धन बताया ह

याया - कव कहता ह क मनय क मन म दया व कणा का भाव होना चाहए

यह सबस बड़ा धन ह वय ईवर भी ऐस लोग क साथ रहत ह इसका सबस

बड़ा उदाहरण महामा बध ह िजनस लोग का दःख नह दखा गया तो व लोक

कयाण क लए दनया क नयम क वध चल गए इसक लए या परा ससार

उनक सामन नह झकता अथात उनक दया भाव व परोपकार क कारण आज भी

उनको याद कया जाता ह और उनक पजा क जाती ह महान उस को कहा जाता ह

जो परोपकार करता ह वह मनय मनय कहलाता ह जो मनय क लए जीता ह

और मरता ह

5-रहो न भल क कभी मदाघ तछ व म

सनाथ जान आपको करो न गव च म

अनाथ कौन ह यहा लोकनाथ साथ ह

दयाल दन बध क बड़ वशाल हाथ ह

अतीव भायहन ह अधीर भाव जो कर

वह मनय ह क जो मनय क लए मर

सग - तत कवता हमार पाय पतक पश भाग -2 स ल गई ह इसक

कव मथलशरण गत ह इन पितओ म कव कहता ह क सपत पर कभी

घमड नह करना चाहए और कसी को अनाथ नह समझना चाहए यक ईवर

सबक साथ ह

याया - कव कहता ह क भल कर भी कभी सप या यश पर घमड नह करना

चाहए इस बात पर कभी गव नह करना चाहए क हमार साथ हमार अपन का

साथ ह यक कव कहता ह क यहा कौन सा यित अनाथ ह उस ईवर का

साथ सब क साथ ह वह बहत दयावान ह उसका हाथ सबक ऊपर रहता ह कव

कहता ह क वह यित भायहन ह जो इस कार का उतावलापन रखता ह यक

मनय वह यित कहलाता ह जो इन सब चीज स ऊपर उठ कर सोचता ह

6-अनत अतर म अनत दव ह खड़

सम ह वबाह जो बढ़ा रह बड़-बड़

परपरावलब स उठो तथा बढ़ो सभी

अभी अमय-अक म अपक हो चढ़ो सभी

रहो न या क एक स न काम और का सर

वह मनय ह क जो मनय क लए मर

सग - तत कवता हमार पाय पतक पश भाग -2 स ल गई ह इसक

कव मथलशरण गत ह इन पितओ म कव कहता ह क कलक रहत रहन व

दसर का सहारा बनन वाल मवषय का दवता भी वागत करत ह

याया - कव कहता ह क उस कभी न समात होन वाल आकाश म असय

दवता खड़ ह जो परोपकार व दयाल मनय का सामन स खड़ होकर अपनी भजाओ

को फलाकर वागत करत ह इसलए दसर का सहारा बनो और सभी को साथ म

लकर आग बड़ो कव कहता ह क सभी कलक रहत हो कर दवताओ क गोद म

बठो अथात यद कोई बरा काम नह करोग तो दवता तह अपनी गोद म ल लग

अपन मतलब क लए नह जीना चाहए अपना और दसर का कयाण व उधार

करना चाहए यक इस मरणशील ससार म मनय वह ह जो मनय का कयाण

कर व परोपकार कर

7-मनय माा बध ह यह बड़ा ववक ह

पराणपष वयभ पता सध एक ह

फलानसार कम क अवय बाय भद ह

परत अतरय म माणभत वद ह

अनथ ह क बध ह न बध क यथा हर

वह मनय ह क जो मनय क लए मर

सग - तत कवता हमार पाय पतक पश भाग -2 स ल गई ह इसक

कव मथलशरण गत ह इन पितओ म कव कहता ह क हम सब एक ईवर क

सतान ह अतः हम सभी मनय एक - दसर क भाई - बध ह

याया - कव कहता ह क यक मनय एक दसर क भाई - बध ह यह सबस

बड़ी समझ ह पराण म िजस वय उपन पष मना गया ह वह परमामा या

ईवर हम सभी का पता ह अथात सभी मनय उस एक ईवर क सतान ह

बाहर कारण क फल अनसार यक मनय क कम भल ह अलग अलग ह परत

हमार वद इस बात क साी ह क सभी क आमा एक ह कव कहता ह क यद

भाई ह भाई क दःख व कट का नाश नह करगा तो उसका जीना यथ ह यक

मनय वह कहलाता ह जो बर समय म दसर मनय क काम आता ह

8-चलो अभीट माग म सहष खलत हए

वपवन जो पड़ उह ढकलत हए

घट न हलमल हा बढ़ न भनता कभी

अतक एक पथ क सतक पथ ह सभी

तभी समथ भाव ह क तारता हआ तर

वह मनय ह क जो मनय क लए मर

सग - तत कवता हमार पाय पतक पश भाग -2 स ल गई ह इसक

कव मथलशरण गत ह इन पितओ म कव कहता ह क यद हम ख़शी ससार

कट को हटत हए भदभाव रहत रहग तभी सभव ह क समाज क उनत होगी

याया - कव कहता ह क मनय को अपनी इछा स चन हए माग म ख़शी

ख़शी चलना चाहएरात म कोई भी सकट या बाधाए आय उह हटात चल जाना

चाहए मनय को यह यान रखना चाहए क आपसी समझ न बगड़ और भद

भाव न बड़ बना कसी तक वतक क सभी को एक साथ ल कर आग बढ़ना चाहए

तभी यह सभव होगा क मनय दसर क उनत और कयाण क साथ अपनी

समध भी कायम कर

-ननलखत न क उर दिजय ndash

1-कव न कसी मय को समय कहा ह

1-कव न ऐसी मय को समय कहा ह िजसम मनय अपन स पहल दसर क चता

करता ह और परोपकार क राह को चनता ह िजसस उस मरन क बाद भी याद कया

जाता ह

2-उदार यित क पहचान कस हो सकती ह

2- उदार यित परोपकार होता ह वह अपन स पहल दसर क चता करता ह और

लोक कयाण क लए अपना जीवन याग दता ह

3-कव न दधीच कण आद महान यितओ क उदाहरण द कर मनयता क लए

या उदाहरण दया ह

3- कव न दधीच कण आद महान यितओ क उदाहरण द कर मनयता क

लए यह सदश दया ह क परोपकार करन वाला ह असल मनय कहलान योय

होता ह मानवता क रा क लए दधीच न अपन शरर क सार अिथया दान कर

द थीकण न अपनी जान क परवाह कय बना अपना कवच द दया था िजस

कारण उह आज तक याद कया जाता ह कव इन उदाहरण क वारा यह

समझाना चाहता ह क परोपकार ह सची मनयता ह

4- कव न कन पितय म यह यत कया ह क हम गव - रहत जीवन यतीत

करना चाहए

4- कव न ननलखत पितय म गव रहत जीवन यतीत करन क बात कह ह-

रहो न भल क कभी मगाघ तछ व म

सनाथ जान आपको करो न गव च म

अथात सपत क घमड म कभी नह रहना चाहए और न ह इस बात पर गव

करना चाहए क आपक पास आपक अपन का साथ ह यक इस दनया म कोई

भी अनाथ नह ह सब उस परम पता परमवर क सतान ह

5- मनय मा बध ह स आप या समझत ह पट किजए

5- मनय मा बध ह अथात हम सब मनय एक ईवर क सतान ह अतः हम

सब भाई - बध ह भाई -बध होन क नात हम भाईचार क साथ रहना चाहए और

एक दसर का बर समय म साथ दना चाहए

6- कव न सबको एक होकर चलन क रणा य द ह

6- कव न सबको एक होकर चलन क रणा इसलए द ह ताक आपसी समझ न

बगड़ और न ह भदभाव बड़ सब एक साथ एक होकर चलग तो सार बाधाए मट

जाएगी और सबका कयाण और समध होगी

7- यित को कस तरह का जीवन यतीत करना चाहए इस कवता क आधार पर

लखए

7-मनय को परोपकार का जीवन जीना चाहए अपन स पहल दसर क दख क

चता करनी चाहए कवल अपन बार म तो जानवर भी सोचत ह कव क अनसार

मनय वह कहलाता ह जो अपन स पहल दसर क चता कर

8- मनयता कवता क वारा कव या सदश दना चाहता ह

8- मनयता कवता क मायम स कव यह सदश दना चाहता ह क परोपकार ह

सची मनयता ह परोपकार ह एक ऐसा साधन ह िजसक मायम स हम यग तक

लोगो क दल म अपनी जगह बना सकत ह और परोपकार क वारा ह समाज का

कयाण व समध सभव ह अतः हम परोपकार बनना चाहए ताक हम सह

मायन म मनय कहलाय

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-याकरण-

पदबध- परभाषा

पद- वाय स अलग रहन पर शद और वाय म यत हो जान पर शद

पद कहलात ह दसर शद म- वाय म यत शद पद कहलाता ह पदबध-

जब दो या अधक (शद) पद नयत म और निचत अथ म कसी पद का

काय करत ह तो उह पदबध कहत ह

पदबध क भद

मय पद क आधार पर पदबध क पाच कार होत ह-

(1) सा-पदबध (2) वशषण-पदबध

(3) सवनाम पदबध (4) या पदबध

(5) अयय पदबध

(1) सा-पदबध-

(a)चार ताकतवर मजदर इस भार चीज को उठा पाए

(b) राम न लका क राजा रावण को मार गराया

(c) अयोया क राजा दशरथ क चार प थ

(d) आसमान म उड़ता गबारा फट गया

2) वशषण पदबध-

a) तज चलन वाल गाड़या ायः दर स पहचती ह

(b) उस घर क कोन म बठा हआ आदमी जासस ह

(c) उसका घोड़ा अयत सदर फरतीला और आाकार ह

(d) बरगद और पीपल क घनी छाव स हम बहत सख मला

3) सवनाम पदबध-

(a)बजल-सी फरती दखाकर आपन बालक को डबन स बचा लया

(b)शरारत करन वाल छा म स कछ पकड़ गए

(c)वरोध करन वाल लोग म स कोई नह बोला

4) या पदबध-

(a) वह बाजार क ओर आया होगा

(b) मझ मोहन छत स दखाई द रहा ह

(c) सरश नद म डब गया

(d) अब दरवाजा खोला जा सकता ह

5) अयय पदबध-

(a)अपन सामान क साथ वह चला गया

(b)सबह स शाम तक वह बठा रहा

कसी भी भाषा क व शद अयय (Indeclinable या inflexible) कहलात ह िजनक प म

लग वचन पष कारक काल इयाद क कारण कोई वकार उप नह होता

चक अयय का पातर नह होता इसलए ऐस शद अवकार होत ह अयय का शािदक

अथ ह- जो यय न हो

(i) कालवाचक अयय- इनम समय का बोध होता ह जस- आज कल तरत पीछ पहल अब

जब तब कभी-कभी कब अब स नय जब स सदा स अभी तभी आजकल और कभी

उदाहरणाथ-

अब स ऐसी बात नह होगी

ऐसी बात सदा स होती रह ह

वह कब आया मझ पता नह

(ii) थानवाचक अयय- इसस थान का बोध होता ह जस- यहा वहा कहा जहा यहा स

वहा स इधर-उधर उदाहरणाथ-

वह यहा नह ह

वह कहा जायगा

वहा कोई नह ह

जहा तम हो वहा म ह

(iii) दशावाचक अयय- इसस दशा का बोध होता ह जस- इधर उधर िजधर दर पर अलग

दाहन बाए आरपार

(iv) िथतवाचक अयय- नीच ऊपर तल सामन बाहर भीतर इयाद

अयय क भद

अयय ननलखत चार कार क होत ह -

(1) यावशषण (Adverb)

(2) सबधबोधक (Preposition)

(3) समचयबोधक (Conjunction)

(4) वमयादबोधक (Interjection)

(1) यावशषण - िजन शद स या वशषण या दसर यावशषण क वशषता कट

हो उह यावशषण कहत ह

दसर शदो म- जो शद या क वशषता बतलात ह उह या वशषण कहा जाता ह

जस- राम धीर-धीर टहलता ह राम वहा टहलता ह राम अभी टहलता ह

इन वाय म धीर-धीर वहा और अभी राम क टहलन (या) क वशषता बतलात ह य

यावशषण अवकार वशषण भी कहलात ह इसक अतरत यावशषण दसर

यावशषण क भी वशषता बताता ह

वह बहत धीर चलता ह इस वाय म बहत यावशषण ह यक यह दसर यावशषण

धीर क वशषता बतलाता ह

या वशषण क कार

(1) योग क अनसार- (i) साधारण (ii) सयोजक (iii) अनबध

(2) प क अनसार- (i) मल यावशषण (ii) यौगक यावशषण (iii) थानीय यावशषण

(3) अथ क अनसार- (i) परमाणवाचक (ii) रतवाचक

(1) योग क अनसार यावशषण क भद

योग क अनसार यावशषण क तीन भद ह-

(i) साधारण यावशषण- िजन यावशषण का योग कसी वाय म वत होता ह

उह साधारण यावशषण कहा जाता ह

जस- हाय अब म या क बटा जद आओ अर साप कहा गया

(ii) सयोजक यावशषण- िजन यावशषण का सबध कसी उपवाय स रहता ह उह

सयोजक यावशषण कहा जाता ह

जस- जब रोहताव ह नह तो म ह जीकर या कगी जहा अभी सम ह वहा कसी

समय जगल था

(iii) अनबध यावशषण- िजन यावशषण क योग अवधारण (नचय) क लए कसी

भी शदभद क साथ होता हो उह अनबध यावशषण कहा जाता ह

जस- यह तो कसी न धोखा ह दया ह मन उस दखा तक नह

(2) प क अनसार यावशषण क भद

प क अनसार यावशषण क तीन भद ह-

(i) मल यावशषण- ऐस यावशषण जो कसी दसर शद क मल स नह बनत मल

यावशषण कहलात ह

जस- ठक दर अचानक फर नह

(ii) यौगक यावशषण- ऐस यावशषण जो कसी दसर शद म यय या पद जोड़न

पर बनत ह यौगक यावशषण कहलात ह

जस- मन स िजसस चपक स भल स दखत हए यहा तक झट स वहा पर यौगक

यावशषण सा सवनाम वशषण धात और अयय क मल स बनत ह

यौगक यावशषण नीच लख शद क मल स बनत ह-

(i) साओ क वित स- घर-घर घड़ी-घड़ी बीच-बीच हाथ-हाथ

(ii) दो भ साओ क मल स- दन-रात साझ-सबर घर-बाहर दश-वदश

(iii) वशषण क वित स- एक-एक ठक-ठक साफ-साफ

(iv) यावशषण क वित स- धीर-धीर जहा-तहा कब-कब कहा-कहा

(v) दो यावशषण क मल स- जहा-तहा जहा-कह जब-तब जब-कभी कल-परस आस-पास

(vi) दो भ या समान यावशषण क बीच न लगान स- कभी-न-कभी कछ-न-कछ

(vii) अनकरण वाचक शद क वित स- पटपट तड़तड़ सटासट धड़ाधड़

(viii) सा और वशषण क योग स- एक साथ एक बार दो बार

(ix) अय य और दसर शद क मल स- तदन यथाम अनजान आजम

(x) पवकालक कदत और वशषण क मल स- वशषकर बहतकर मयकर एक-एककर

(iii) थानीय यावशषण- ऐस यावशषण जो बना पातर क कसी वशष थान म

आत ह थानीय यावशषण कहलात ह

जस- वह अपना सर पढ़गा

वह दौड़कर चलत ह

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  • (1) अरथ की दषटि स शबद-भद13
  • (2) परयोग की दषटि स शबद-भद13
  • (3) उतपति की दषटि स शबद-भद13
  • 1) सवर सधि-13
  • परति+छवि=परतिचछवि दिक+अनत=दिगनत दिक+गज=दिगगज अन+छद=अनचछद अच +अनत = अजनत 13
  • 3)विसरग सधि - विसरग क साथ सवर या वयजन का मल होन पर जो विकार होता ह उस 13
  • विसरग सधि कहत ह 13
  • मन+रथ=मनोरथ यश+अभिलाषा=यशोभिलाषा अध+गति=अधोगति नि+छल=निशछल द +गम = दरगम 13
    • -पाठ सार-13
    • -वयाखया13
    • -निमनलिखित परशनो क उततर दीजिय ndash13
    • 1-कवि न कसी मतय को समतय कहा ह13
    • अवयय क भद13
    • करिया विशषण क परकार13
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इस हम ऐस भी कह सकत ह- वकार यानी परवतन व शद िजनम लग वचन कारक

आद क कारण वकार (परवतन) आ जाता ह उह वकार शद कहत ह

जस- लग- लड़का पढता ह लड़क पढ़ती ह

वचन- लड़का पढता हलड़क पढ़त ह

कारक- लड़का पढता ह लड़क को पढ़न दो

वकार शद चार कार क होत ह-

(i) सा (noun) (ii) सवनाम (pronoun) (iii) वशषण (adjective) (iv) या (verb)

(ii)अवकार शद -िजन शद क प म कोई परवतन नह होता उह अवकार शद कहत

दसर शद म- अ वकार यानी िजनम परवतन न हो ऐस शद िजनम लग वचन कारक

आद क कारण कोई परवतन नह होता अवकार शद कहलात ह

जस- परत तथा यद धीर-धीर अधक आद

अवकार शद भी चार कार क होत ह-

(i)या-वशषण (Adverb)

(ii)सबध बोधक (Preposition)

(iii)समचय बोधक(Conjunction)

(iv)वमयाद बोधक(Interjection)

(3) उपत क िट स शद-भद

(i)तसम शद (ii )तभव शद (iii )दशज शद एव (iv)वदशी शद

(i) तसम शद - सकत भाषा क व शद जो हद म अपन वातवक प

म यत होत ह उह तसम

शद कहत ह

दसर शद म- तत (उसक) + सम (समान) यानी व शद जो सकत भाषा स

हद भाषा म बना कसी बदलाव (मलप म) क ल लए गए ह तसम शद

कहलात ह

सरल शद म- हद म सकत क मल शद को तसम कहत ह

जस- कव माता वया नद फल पप पतक पवी काय मय आद

यहा सकत क उन तमो क सची ह जो सकत स होत हए हद म आय

ह-

तसम हद तसम हद

आ आम गोमल गोमय गोबर

उ ऊ ट घोटक घोड़ा

चच चच पयक पलग

वरत तरत भ भात

शलाका सलाई हरा हद हरद

गय भाग

पाठ-2

डायर क पन ndashसीताराम सकसरया

-लखक का परचय -

-सीताराम सकसरया को समाज सवा क म सन 1962 म पम भषण स समानत कया

गया था य असम राय स ह

सीताराम सकसरया एक भारतीय वतता कायकता गाधीवाद समाजवाद और पिचम बगाल

क सथा बडर थ जो मारवाड़ी समदाय क उथान क लए उनक योगदान क लए जान जात थ वह

एक उच वयालय सथान मारवाड़ी बालकका वयालय समाज सधार समत एक सामािजक

सगठन और भारतीय भाषा परषद उच शा सथान ी शाशाटन सहत कई सथान और

सगठन क सथापक थ एक गर सरकार सगठन भारत सरकार न समाज म उनक योगदान क लए

उह 1 9 62 म पम भषण का तीसरा सवच नागरक समान दया उनक जीवन क कहानी एक

कताब पम भषण सीताराम सकसरया अभनदन थ म काशत क गई ह िजस भावरमल सह

वारा सपादत कया गया ह और 1 9 74 म काशत कया गया था

-पाठ का सार-

शदाथ-

पराव ndashफर स आना अपन-हम या म

गत-घम घम कर चौकदार करना साजट ndashसना म एक पद

मोनमट-मारक काउिसल-परष

चौरगी-कलकाता का एक थान वालटयर ndashवयम सवक

सगीन ndashगभीर

-न उर-

-ननलखत न क उर (10-12 शद म) लखए minus

1-कलका वासय क लए 26 जनवर 1931 का दन य महवपण था

1-दश का वतता दवस एक वष पहल इसी दन मनाया गया था इसस पहल बगाल

वासय क भमका नह थी अब व य तौर पर जड़ गए इसलए यह महवपण

दन था

2-सभाष बाब क जलस का भार कस पर था

2-सभाषा बाब क जलस का भार पणदास पर था परत पलस न उह पकड़ लया

3-वयाथ सघ क मी अवनाश बाब क झडा गाड़न पर या तया हई

3-बगाल ातीय वयाथ सघ क मी अवनाश बाब न जस ह झडा गाड़ा पलस न

उह पकड़ लया और लोग पर लाठया चलाई

4-लोग अपन-अपन मकान व सावजनक थल पर राय झडा फहराकर कस बात का

सकत दना चाहत थ

4-लोग अपन-अपन मकान व सावजनक थल पर राय झडा फहराकर बताना चाहत

थ क व अपन को आज़ाद समझ कर आज़ाद मना रह ह उनम जोश और उसाह ह

5-पलस न बड़-बड़ पाक और मदान को य घर लया था

5-आज़ाद मनान क लए पर कलका शहर म जनसभाओ और झडारोहण उसव का

आयोजन कया गया इसलए पाक और मदान को घर लया था

-ननलखत न क उर (25-30 शद म) लखए minus

1-26 जनवर 1931 क दन को अमर बनान क लए या-या तयारया क ग

1-26 जनवर 1931 क दन को अमर बनान क लए कलका शहर न शहर म जगह-

जगह झड लगाए गए थ कई थान पर जलस नकाल गए तथा झड़ा फहराया गया

था टोलया बनाकर भीड़ उस थान पर जटन लगी जहा सभाष बाब का जलस पहचना

था पलस क लाठचाज तथा गरफ़तार लोग क जोश को कम न कर पाए

2-आज जो बात थी वह नराल थीrsquo minus कस बात स पता चल रहा था क आज का दन

अपन आप म नराला ह पट किजए

2-आज का दन नराला इसलए था यक वतता दवस मनान क थम आव

थी पलस न सभा करन को गरकाननी कहा था कत सभाष बाब क आवान पर पर

कलका म अनक सगठन क मायम स जलस व सभाओ क जोशील तयार थी परा

शहर झड स सजा था तथा कसल न मोनमद क नीच झडा फहरान और वतता क

ता पढ़न का सरकार को खला चलज दया हआ था पलस भरपर तयार क बाद भी

कामयाब नह हो पाई

3-पलस कमनर क नोटस और कसल क नोटस म या अतर था

3-पलस कमनर न नोटस नकाला था क कोई भी जनसभा करना या जलस

नकालना कानन क खलाफ़ होगा सभाओ म भाग लन वाल को दोषी माना जाएगा

कसल न नोटस नकाला था क मोनमट क नीच चार बजकर चौबीस मनट पर झडा

फहराया जाएगा तथा वतता क ता पढ़ जाएगी इस कार य दोन नोटस एक

दसर क खलाफ़ थ

4-धमतल क मोड़ पर आकर जलस य टट गया

4-जब सभाष बाब को पकड़ लया गया तो िया जलस बनाकर चल परत पलस न

लाठ चाज स उह रोकना चाहा िजसस कछ लोग वह बठ गए कछ घायल हो गए और

कछ पलस वारा गरतार कर लए गए इसलए जलस टट गया

5-डा दासगता जलस म घायल लोग क दख-रख तो कर रह थ उनक फ़ोटो भी

उतरवा रह थ उन लोग क फ़ोटो खीचन क या वजह हो सकती थी पट किजए

5-डा दास गता लोग क फ़ोटो खचवा रह थ इसस अज़ क जम का पदाफ़ाश

कया जा सकता था दसरा यह भी पता चल सकता था क बगाल म वतता क लड़ाई

म बहत काम हो रहा ह

-ननलखत न क उर (50-60 शद म) लखए minus

1-सभाष बाब क जलस म ी समाज क या भमका थी

1-सभाष बाब क जलस म ी समाज क महवपण भमका रह थी भार पलस

यवथा क बाद भी जगह-जगह ी जलस क लए टोलया बन गई थी मोनमट पर

भी िय न नडर होकर झडा फहराया अपनी गरतारया करवाई तथा उनपर लाठया

बरसाई इनसब क बाद भी िया लाल बाज़ार तक आग बढ़ती ग

2-जलस क लाल बाज़ार आन पर लोग क या दशा हई

2-जलस क लाल बाज़ार आन पर भीड़ बकाब हो गई पलस डड बरसा रह थी लोग

को लॉकअप म भज रह थी िया भी अपनी गरफ़तार द रह थी दल क दल नार

लगा रह थ लोग का जोश बढ़ता ह जा रहा था लाठ चाज स लोग घायल हो गए थ

खन बह रहा था चीख पकार मची थी फर भी उसाह बना हआ था

3-जब स कानन भग का काम श हआ ह तब स आज तक इतनी बड़ी सभा ऐस मदान म

नह क गई थी और यह सभा तो कहना चाहए क ओपन लड़ाई थीrsquo यहा पर कौन स और

कसक वारा लाग कए गए कानन को भग करन क बात कह गई ह या कानन भग

करना उचत था पाठ क सदभ म अपन वचार कट किजए

3-इस समय दश क आज़ाद क लए हर यित अपना सवव लटान को तयार था अज़

न कानन बनाकर आदोलन जलस को गर काननी घोषत कया हआ था परत लोग पर

इसका कोई असर नह था व आज़ाद क लए अपना दशन करत रह गलामी क जजीर

को तोड़न का यास करत रह थ

4-बहत स लोग घायल हए बहत को लॉकअप म रखा गया बहत-सी िया जल ग फर

भी इस दन को अपव बताया गया ह आपक वचार म यह सब अपव य ह अपन शद

म लखए

4-सभाष च बोस क नतव म कलका वासय न वतता दवस मनान क तयार ज़ोर-

शोर स क थी पलस क सती लाठ चाज गरफ़तारया इन सब क बाद भी लोग म

जोश बना रहा लोग झड फहरात वद मातरम बोलत हए खन बहात हए भी जलस

नकालन को तपर थ जलस टटता फर बन जाता कलका क इतहास म इतन चड

प म लोग को पहल कभी नह दखा गया था

आशय पट किजए minus

1-आज तो जो कछ हआ वह अपव हआ ह बगाल क नाम या कलका क नाम पर कलक

था क यहा काम नह हो रहा ह वह आज बहत अश म धल गया

1-हजार ी पष न जलस म भाग लया आज़ाद क सालगरह मनान क लए बना

कसी डर क दशन कया पलस क बनाए कानन क जलस आद गर काननी काय आद

क भी परवाह नह क पलस क लाठ चाज होन पर लोग घायल हो गए खन बहन लग

परत लोग म जोश क कोई कमी नह थी बगाल क लए कहा जाता था क वतता क

लए बहत यादा योगदान नह दया जा रहा ह आज क िथत को दखकर उन पर स

यह कलक मट गया

2-खला चलज दकर ऐसी सभा पहल नह क गई थी

2- पलस न कोई दशन न हो इसक लए कानन नकाला क कोई जलस आद आयोिजत

नह होगा परत सभाष बाब क अयता म कसल न नोटस नकाला था क मोनमट क

नीच झडा फहराया जाएगा और वतता क ता पढ़ जाएगी सभी को इसक लए

आमत कया गया खब चार भी हआ सार कलक म झड फहराए गए थ सरकार और

आम जनता म खल लड़ाई थी|

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याकरण-सध

याया -1-सध शद का अथ ह lsquoमलrsquo दो नकटवत वण क आपसी मल स जो परवतन होता

ह उस सध कहलाता ह सम + तोष = सतोष दव + इ = दव भान + उदय = भानदय

सध तीन कार ह

1-वर सध

2- यजन सध

3- वसग सध

1) वर सध-

दो वर क आस -पास आन पर उनम जो परवतन होता ह उस वर सध कहत ह

जस ndash वया + आलय = वयालय

1) दघ वर सध

अ इ उ क बाद दघ अ इ उ आ जाए तो दोनो मलकर दघ सध आ ई ऊ हो जात

अ + आ = आ हम + आलय = हमालय

इ + ई = ई - गर + ईश = गरश

ई + इ = ई - मह + इ = मह

ई + ई = ई - नद + ईश = नदश

उ + ऊ = ऊ- लघ + ऊम = लघम

ऊ + उ = ऊ- वध + उसव = वधसव

ऊ + ऊ = ऊ - भ + ऊव = भव

2) गण वर सध -इस सध म अ आ क आग इ ई हो तो ए उ ऊ हो तो औ और

अगर ऋ हो तो अर हो जाता ह उस गण सध कहत ह

अ + इ = ए- नर + इ = नर अ + ई = ए- नर + ईश = नरश

आ + इ = ए- महा + इ = मह आ + ई = ए महा + ईश = महश

अ + उ = ओ ान + उपदश = ानोपदश आ+उ= ओ महा + उसव = महोसव

3) यण वर सध- इस सध म इ ई उ ऊ और ऋ क बाद कोई अलग वर आए

तो इनका परवतन मश य व और र म हो जाता ह

इ का य = इत +आद = इयाद ई का य = दवी +आवाहन = दयावाहन

उ का व = स +आगत = वागत ऊ का व = वध +आगमन = ववागमन

4) वध वर सध- आ + ए ऐ -gt ऐ

अ आ + ओ औ -gt औ

अ +ए =ऐ एक +एक = एकक अ +ऐ =ऐ मत +ऐय = मतय

अ +औ=औ परम +औषध = परमौषध आ +औ =औ महा +औषध = महौषध

आ +ओ =औ महा +ओघ = महौघ

5)अयाद वर सध- इस सध म ए ऐ और ओ औ क पशचात इह छोड़कर को

अय वर हो तो इनका परवतन मश अय आय अव आव म हो जाता ह )

ए का अय न +अन = नयन ऐ का आय न +अक = नायक

ओ का अव पो +अन = पवन औ का आव पौ +अन = पावन

न का परवतन ण म = ो +अन = वण

2)यजन सध- यजन क साथ वर अथवा यजन क मल स उस यजन म जो

पातरण होता ह उस यजन सध कहत ह

त+छव=तछव दक+अत=दगत

दक+गज=दगज अन+छद=अनछद

अच +अत = अजत

3)वसग सध - वसग क साथ वर या यजन का मल होन पर जो वकार होता ह उस

वसग सध कहत ह

मन+रथ=मनोरथ यश+अभलाषा=यशोभलाषा

अध+गत=अधोगत न+छल=नछल

द +गम = दगम

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गय-भाग

पाठ-12

(ततारा-वामीरो कथा )

(ललाधर मडलोई)

-लखक का परचय- ललाधर मडलोईमडलोई का जम भारतीय

राय मयदश क छदवाडा िजल क गढ़ नामक गाव म हआ मडलोई न भारत म बीए

बीएड (अज़ी) पाकारता म नातक और एमए (हद) तक शा हण कया और

इसक बाद व लदन चल गय जहा स सारण म उच-शा (सीआरट) हण क

मडलोई दरदशन आकाशवाणी क महानदशक सहत कई राय-अतरराय समतय क

साथ ह सार भारती बोड क सदय रह चक ह

-पाठ का सार-

जो सयता िजतनी अधक परानी होगी उतनी ह अधक कस -कहानया उसस जड़ी होती ह जो

हम सनन को मलती ह जो कस - कहानया हम सनन को मलती ह जर नह क वो उसी तरह

घटत हई हो िजस तरह वो हम सनाई जा रह हइतना जर होता ह क इन कस और कहानय

म कोई न कोई सीख छपी होती ह अदमान नकोबार वीपसमह म भी बहत तरह क कस -

कहानया मशहर ह इनम स कछ को ललाधर मडलोई न लखा ह

तत पाठ ततारा वामीरो कथा अडमान नकोबार वीप समह क एक छोट स वीप पर क त ह

उस वीप पर एक -दसर स शता का भाव अपनी अतम सीमा पर पहच चका था इस शता क

भावना को जड़ स उखाड़न क लए एक जोड़ को आमबलदान दना पड़ा था उसी जोड़ क बलदान

का वणन लखक न तत पाठ म कया ह

यार सबको एक साथ लाता ह और नफरत सब क बीच दरय को बढ़ाती हइस बात स भला कौन

इनकार कर सकता ह इसलए जो कोई भी समाज क लए अपन यार का अपन जीवन का

बलदान करता ह समाज न कवल उस याद रखता ह बिक उसक वारा कय गए याग और

बलदान को बकार नह जान दता यह वह कारण ह िजसक वजह स तकालन समाज क सामन

मसाल कायम करन वाल इस जोड़ को आज भी इस वीप क नवासी गव और धा स याद करत

-शदाथ-

-खला-म कड़ी -आदम ndashाभक

-वभत ndashबटा हआ -आमीय ndashअपना

-वलण ndashअसाधारण -बयार-मद हवा

त-एकाता -वकल-बचन

-सचार-उपन -असगत ndashअनचत

समोहतndash मध -झझलाना ndash चड़ना

-रोमाचत ndash पलकत -नचल- िथर

-अफवाह ndash उड़ती खबर -उफनना ndash उबाल आना

शमन ndashशात होना -घपना भकनाचभना

-न-उर-

1-ततारा और वामीरो क गाव क या थी

उर- ततारा और वामीरो क गाव क यह रत थी क ववाह क लए लड़क-लड़क का एक

ह गाव का होना जर था दसर गाव क यवक क साथ सबध असभव था

2-ततारा क तलवार क बार म लोग का या मत था

उर- ततारा क तलवार ययप लकड़ी क थी पर इसक बावजद लोग का मानना था क

उस तलवार म अभत दवीय शित थी ततारा तलवार को कभी अपन स अलग होन नह

दता था लोग यह मानत थ क ततारा अपन साहसक कारनाम इसी तलवार क कारण ह

कर पाता ह उसम बड़ी शित थी

3-नकोबार क लोग ततारा को य पसद करत थ

उर- नकोबार क लोग ततारा को उसक साहसी और परोपकार वभाव क कारण पसद करत

थ वह एक सदर और शितशाल यवक था वह सदा लोग क सहायता करता रहता था

ततारा एक नक और मददगार यित था वह अपन गाव वाल क ह नह समच

वीपवासय क सवा करना अपना धम समझता था सभी उसका आदर करत थ मसीबत

क घड़ी म वह लोग क पास तरत पहच जाता था

4- ाचीन काल म मनोरजन और शित-दशन क लए कस कार क आयोजन कए जात

उर- ाचीन काल म मनोरजन और शित-दशन क लए अ-श चलान सबधी

आयोजन तथा पश पव कए जात थ

5-lsquoततारा-वामीरो कथाrsquo का सदश पट किजए

उर- lsquoततारा-वामीरो कथाrsquo एक लोकगाथा ह इसम यह सदश दया गया ह क म को कसी

बधन जड़ता तथा सीमाओ म बाधना उचत नह ह यद कोई गाव दश या म को

पनपन क लए खला अवसर नह दता तो इसस सवनाश होता ह धरती म भदभाव बढ़त ह

पहल स बट हई धरती और अवसर नह दता तो इसस मानवता का य होता ह भावनाए

एक होन क बजाय खडत होती ह अतः गाव दश या अय सकण नयमो को तोड़कर

हम उदारता क साथ सबको अपनाना चाहए

7-नक ततारा और वामीरो क मय कस हई पठत पाठ क आधार पर लखए

उर- पश-पव क मौक पर ततारा और वामीरो को इकठा दखकर वामीरो क मा ोध म

उफन उठ उसन ततारा को तरह-तरह स अपमानत कया गाव क लोग भी ततारा क

वरोध म आवाज उठान लग यह ततारा क लए अहसनीय था वामीरो अब भी रोए जा रह

थी ततारा भी गस स भर उठा उस जहा ववाह क नषध परपरा पर ोभ था वह अपनी

असहायता पर खीझ वामीरो का दख उस और गहरा कर रहा था उस मालम नह था क

या कदम उठाना चाहए अनायास उसका हाथ तलवार क मढ़ पर जा टका ोध म उसन

तलवार नकाल और कछ वचार करता रहा ोध लगातार अिन क तरह बढ़ रहा था

लोग सहम उठ एक सनाटा-सा खच गया जब कोई राह न सझी तो ोध का शमन करन

क लए उसम शित भर उस धरती म घप दया और ताकत स उस खीचन लगा वह

पसीन स नहा उठा सब घबराए हए थ वह तलवार को अपनी तरफ खीचत-खीचत दर तक

पहच गया वह हाफ रहा था अचानक जहा एक लकर खच गई थी वहा एक दरार होन

लगी मानो धरती दो टकड़ो म बटन लगी हो एक गड़गड़ाहट-सी गजन लगी और लकर क

सीध म धरती फटती ह जा रह थी वीप क अतम सर तक ततारा धरती को मानो ोध

म काटता जा रहा था सभी याकल हो उठ लोग न ऐस य क कपना न क थी व

सहर उठ उधर वामीरो फटती हई धरती क कनार ततारा का नाम पकारत हए दौड़ रह थी

वीप दो टकड़ म वभत हो चका था ततारा और वामीरो वीप क साथ सम म धस

गए और उमय हो गई

8-शाम क समय सम कनार ततारा क ाकतक अनभत का वणन किजए

उर- एक शाम ततारा दन-भर क अथक परम क बाद सम कनार टहलन नकल

पड़ा सरज सम स लग तज तल डबन को था सम स ठडी बयार आ रह थी

पय क सायकालन चाहचाहाहट शनः शनः ीण ह को थी उसका मन शात था

वचारमन ततारा सम बाल पर बठकर सरज क अतम रग-बरगी करण को सम

पर नहारन लगा तभी कह पास म उस मधर गीत गजता सनाई दया गीत मान

बहता हआ उसक तरफ आ रहा हो बीच-बीच म लहर का सगीत सनाई दता गायन

भावी था क वह अपनी सध-बध खोन लगा लहर क एक बल वग न उसक ता भग

क चतय होत ह वह उधर बढ़न को ववश हो उठा िजधर स अब भी गीत क वर बह

रह थ वह वकल-सा उस तरफ़ बढ़ता गया अततः उसक नजर एक यवती पर पड़ी जो

ढलती हई शाम क सदय म बसध एकटक सम क दह पर डबत आकषक रगो को

नहारत हए गा रह थी यह एक शगार गीत था

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Vyakr`-vaKy-

bull वाय क सामन दए कोठक म ( radic का चह लगाकर बताए क वह वाय कस

कार का ह

क) नकोबार उस बहद म करत थ (नवाचक वधानवाचक नषधामक

वमयादबोधक)

ख) तमन एकाएक इतना मधर गाना अधरा य छोड़ दया नवाचक

वधानवाचक नषधामक वमयादबोधक)

ग) वामीरो क मा ोध म उफन उठ (नवाचक वधानवाचक नषधामक

वमयादबोधक)

घ) या तह गाव का नयम नह मालम नवाचक वधानवाचक नषधामक

वमयादबोधक)

ङ) वाह कतना सदर नाम ह (नवाचक वधानवाचक नषधामक

वमयादबोधक)

च) म तहारा राता छोड़ दगा

वमयादबोधक)

उर- क) वधानवाचक

ग) वधानवाचक

ङ) वमयादबोध

Ocirc-इस पाठ म lsquo दखना lsquo या क कई प आए ह

शदयोग म या अतर ह

Ocirc-उर-

म तहारा राता छोड़ दगा (नवाचक वधानवाचक नषधामक

ख) नवाचक

घ) नवा

च) वधानवाचक

या क कई प आए ह lsquo दखना lsquo क इन वभन

वाययोग वारा पट किजए

नषधामक

नवाचक

वधानवाचक

क इन वभन

-वाय क उदाहरण-

सचयन-भाग

पाठ-1 (हरहर काका )

-शदाथ -

तबयत - शरर क िथत यणा - यातना कलश कट

मनःिथत - मन क िथत चद - कछ

आसित ndash लगाव यावहारक - यावहार सबधी

वचारक - वचार सबधी दलार - यार

सयाना - यक बधमान तीा - इतज़ार

फ़लहाल - अभी इस समय मझधार - बीच म

वलन - लत हो जाना वकप - दसरा उपाय

चलत ndash चलनसार जात - जगाना

कलवर - शरर मनौती - मनत

परपरा - था णाल अधकाश - यादातर

समत ndash सथा सचालन - नयण चलाना

नयित - तनाती लगाया गया वमख - तकल

चपट - आघात हार अहाता-चार ओर स दवार स घरा हआ मदान

अखड ndash नवन वफोट - फट कर बाहर नकलना

आगमन - आन पर उपलय - सकत

सराहना ndash शसा निचत - बफ

-लखक का परचय-मथलवर का जम 31 दसबर 1950 को बहार क

भोजपर िजल क बसाडीह नामक गाव म हआ इनक पता व० ो० वशरोपन लाल थ

मथलवर क पता (ो० वशरोपन लाल) भी वलण तभा क धनी थ परत उनक

असाय बीमार न मथलवर क जीवन म आरभ स ह कठन सघष क बीज बो दय थ

पाठ सार-

लखक कहता ह क वह हरहर काका क साथ बहत गहर स जड़ा था लखक का हरहर

काका क त जो यार था वह लखक का उनक यावहार क और उनक वचार क कारण

था और उसक दो कारण थ पहला कारण था क हरहर काका लखक क पड़ोसी थ और

दसरा कारण लखक को उनक मा न बताया था क हरहर काका लखक को बचपन स ह

बहत यादा यार करत थ जब लखक यक हआ तो उसक पहल दोती भी हरहर काका

क साथ ह हई थी लखक क गाव क पव दशा म ठाकर जी का वशाल मदर था िजस

गाव क लोग ठाकरबार यान दवथान कहत थ लोग ठाकर जी स प क मनत मागत

मक़दम म जीत लड़क क शाद कसी अछ घर म हो जाए लड़क को नौकर मल जाए

आद मनत मागत थ मनत पर होन पर लोग अपनी ख़शी स ठाकरजी को पए ज़वर

और अनाज चढ़ाया करत थ िजसको बहत अधक ख़शी होती थी वह अपन खत का छोटा-

सा भाग ठाकरजी क नाम कर दता था और यह एक तरह स था ह बन गई लखक कहता

ह क उसका गाव अब गाव क नाम स नह बिक दव-थान क वजह स ह पहचाना जाता

था उसक गाव का यह दव-थान उस इलाक का सबस बड़ा और सध दवथान था

हरहर काका न अपनी परिथतओ क कारण दव-थान म जाना बद कर दया था मन

बहलान क लए लखक भी कभी-कभी दव-थान चला जाता था लकन लखक कहता ह क

वहा क साध-सत उस बलकल भी पसद नह थ यक व काम करन म कोई दलचपी

नह रखत थ भगवान को भोग लगान क नाम पर व दन क दोन समय हलवा-पड़ी

बनवात थ और आराम स पड़ रहत थ सारा काम वहा आए लोग स सवा करन क नाम पर

करवात थ व खद अगर कोई काम करत थ तो वो था बात बनवान का काम

लखक हरहर काका क बार म बताता हआ कहता ह क हरहर काका और उनक तीन भाई

ह सबक शाद हो चक ह हरहर काका क अतरत सभी तीन भाइय क बाल-बच ह

कछ समय तक तो हरहर काका क सभी चीज़ का अछ स यान रखा गया परत फर

कछ दन बाद हरहर काका को कोई पछन वाला नह था लखक कहता ह क अगर कभी

हरहर काका क शरर क िथत ठक नह होती तो हरहर काका पर मसीबत का पहाड़ ह

गर जाता यक इतन बड़ परवार क रहत हए भी हरहर काका को कोई पानी भी नह

पछता था बारामद क कमर म पड़ हए हरहर काका को अगर कसी चीज़ क जरत होती

तो उह खद ह उठना पड़ता एक दन उनका भतीजा शहर स अपन एक दोत को घर ल

आया उह क आन क ख़शी म दो-तीन तरह क सिज़या बजक चटनी रायता और भी

बहत कछ बना था सब लोग न खाना खा लया और हरहर काका को कोई पछन तक नह

आया हरहर काका गस म बरामद क ओर चल पड़ और जोर-जोर स बोल रह थ क

उनक भाई क पिनया या यह सोचती ह क व उह मत म खाना खला रह ह उनक

खत म उगन वाला अनाज भी इसी घर म आता ह

हरहर काका क गस का महत जी न लाभ उठान क सोची महत जी हरहर काका को

अपन साथ दव-थान ल आए और हरहर काका को समझान लग क उनक भाई का परवार

कवल उनक जमीन क कारण उनस जड़ा हआ ह कसी दन अगर हरहर काका यह कह द

क व अपन खत कसी और क नाम लख रह ह तो व लोग तो उनस बात करना भी बद

कर दग खन क रत ख़म हो जायग महत हरहर काका स कहता ह क उनक हस म

िजतन खत ह व उनको भगवान क नाम लख द ऐसा करन स उह सीध वग क ाित

होगी

सबह होत ह हरहर काका क तीन भाई दव-थान पहच गए तीन हरहर काका क पाव म

गर कर रोन लग और अपनी पिनय क गलती क माफ़ मागन लग और कहन लग क

व अपनी पिनय को उनक साथ कए गए इस तरह क यवहार क सज़ा दग हरहर काका

क मन म दया का भाव जाग गया और व फर स घर वापस लौट कर आ गए जब अपन

भाइय क समझान क बाद हरहर काका घर वापस आए तो घर म और घर वाल क

यवहार म आए बदलाव को दख कर बहत खश हो गए घर क सभी छोट-बड़ सभी लोग

हरहर काका का आदर-सकार करन लग

गाव क लोग जब भी कह बठत तो बात का ऐसा सलसला चलता िजसका कोई अत नह

था हर जगह बस उह क बात होती थी कछ लोग कहत क हरहर काका को अपनी

जमीन भगवान क नाम लख दनी चाहए इसस उम और अछा कछ नह हो सकता

इसस हरहर काका को कभी न ख़म होन वाल सध ात होगी इसक वपरत कछ

लोग क यह मानत थ क भाई का परवार भी तो अपना ह परवार होता ह अपनी

जायदाद उह न दना उनक साथ अयाय करना होगा हरहर काका क भाई उनस ाथना

करन लग क व अपन हस क जमीन को उनक नाम लखवा द इस वषय पर हरहर

काका न बहत सोचा और अत म इस परणाम पर पहच क अपन जीत-जी अपनी जायदाद

का वामी कसी और को बनाना ठक नह होगा फर चाह वह अपना भाई हो या मदर का

महत यक उह अपन गाव और इलाक क व कछ लोग याद आए िजहन अपनी िजदगी

म ह अपनी जायदाद को अपन रतदार या कसी और क नाम लखवा दया था उनका

जीवन बाद म कसी क क तरह हो गया था उह कोई पछन वाला भी नह था हरहर

काका बलकल भी पढ़-लख नह थ परत उह अपन जीवन म एकदम हए बदलाव को

समझन म कोई गलती नह हई और उहन फसला कर लया क व जीत-जी कसी को भी

अपनी जमीन नह लखग

लखक कहता ह क जस-जस समय बीत रहा था महत जी क परशानया बढ़ती जा

रह थी उह लग रहा था क उहन हरहर काका को फसान क लए जो जाल फ का

था हरहर काका उसस बाहर नकल गए ह यह बात महत जी को सहन नह हो रह

थी आधी रात क आस-पास दव-थान क साध-सत और उनक कछ साथी भाला

गड़ासा और बदक क साथ अचानक ह हरहर काका क आगन म आ गए इसस

पहल हरहर काका क भाई कछ सोच और कसी को अपनी सहायता क लए आवाज

लगा कर बलाए तब तक बहत दर हो गई थी हमला करन वाल हरहर काका को

अपनी पीठ पर डाल कर कह गायब हो गए थव हरहर काका को दव-थान ल गए

थ एक ओर तो दव-थान क अदर जबरदती हरहर काका क अगठ का नशान लन

और पकड़कर समझान का काम चल रहा था तो वह दसर ओर हरहर काका क

तीन भाई सबह होन स पहल ह पलस क जीप को लकर दव-थान पर पहच गए

थ महत और उनक साथय न हरहर काका को कमर म हाथ और पाव बाध कर

रखा था और साथ ह साथ उनक मह म कपड़ा ठसा गया था ताक व आवाज़ न कर

सक परत हरहर काका दरवाज़ तक लढ़कत हए आ गए थ और दरवाज़ पर अपन

पर स धका लगा रह थ ताक बाहर खड़ उनक भाई और पलस उह बचा सक

दरवाज़ा खोल कर हरहर काका को बधन स मत कया गया हरहर काका न

पलस को बताया क व लोग उह उस कमर म इस तरह बाध कर कह गत

दरवाज़ स भाग गए ह और उहन कछ खल और कछ लख हए कागज पर हरहर

काका क अगठ क नशान जबरदती लए ह

यह सब बीत जान क बाद हरहर काका फर स अपन भाइय क परवार क साथ रहन लग

गए थ चौबीस घट पहर दए जान लग थ यहा तक क अगर हरहर काका को कसी

काम क कारण गाव म जाना पड़ता तो हथयार क साथ चार-पाच लोग हमशा ह उनक

साथ रहन लग लखक कहता ह क हरहर काका क साथ जो कछ भी हआ था उसस हरहर

काका एक सीध-साद और भोल कसान क तलना म चालाक और बधमान हो गए थ

उह अब सब कछ समझ म आन लगा था क उनक भाइय का अचानक स उनक त जो

यवहार परवतन हो गया था उनक लए जो आदर-समान और सरा व दान कर रह थ

वह उनका कोई सग भाइय का यार नह था बिक व सब कछ उनक धन-दौलत क कारण

कर रह ह नह तो व हरहर काका को पछत तक नह जब स हरहर काका दव-थान स

वापस घर आए थ उसी दन स ह हरहर काका क भाई और उनक दसर नात-रतदार

सभी यह सोच रह थ क हरहर काका को क़ाननी तरक स उनक जायदाद को उनक

भतीज क नाम कर दना चाहए यक जब तक हरहर काका ऐसा नह करग तब तक

महत क तज़ नज़र उन पर टक रहगी जब हरहर काका क भाई हरहर काका को

समझात-समझात थक गए तो उहन हरहर काका को डाटना और उन पर दवाब डालना

श कर दया एक रात हरहर काका क भाइय न भी उसी तरह का यवहार करना श

कर दया जसा महत और उनक सहयोगय न कया था उह धमकात हए कह रह थ क

ख़शी-ख़शी कागज़ पर जहा-जहा जरत ह वहा-वहा अगठ क नशान लगत जाओ नह तो व

उह मार कर वह घर क अदर ह गाड़ दग और गाव क लोगो को इस बार म कोई सचना

भी नह मलगी हरहर काका क साथ अब उनक भाइय क मारपीट श हो गई जब

हरहर काका अपन भाइय का मकाबला नह कर पा रह थ तो उहन ज़ोर-ज़ोर स

चलाकर अपनी मदद क लए गाव वाल को आवाज लगाना श कर दया तब उनक

भाइय को यान आया क उह हरहर काका का मह पहल ह बद करना चाहए था उहन

उसी पल हरहर काका को जमीन पर पटका और उनक मह म कपड़ा ठस दया लकन तब

तक बहत दर हो गई थी हरहर काका क आवाज बाहर गाव म पहच गई थी हरहर काका

क परवार और रत-नात क लोग जब तक गाव वाल कोसमझात क यह सब उनक

परवार का आपसी मामला ह व सभी इसस दर रह तब तक महत जी बड़ी ह दता और

तज़ी स वहा पलस क जीप क साथ आ गए पलस न पर घर क अछ स तलाशी लना

श कर दया फर घर क अदर स हरहर काका को इतनी बर हालत म हासल कया गया

िजतनी बर हालत उनक दव-थान म भी नह हई थी हरहर काका न बताया क उनक

भाइय न उनक साथ बहत ह यादा बरा यवहार कया ह जबरदती बहत स कागज पर

उनक अगठ क नशान ल लए ह उह बहत यादा मारा-पीटा ह

इस घटना क बाद हरहर काका अपन परवार स एकदम अलग रहन लग थ उह उनक

सरा क लए चार राइफलधार पलस क जवान मल थ आचय क बात तो यह ह क

इसक लए उनक भाइय और महत क ओर स काफ़ यास कए गए थ असल म भाइय

को चता थी क हरहर काका अकल रहन लगग तो दव-थान क महत-पजार फर स

हरहर काका को बहला-फसला कर ल जायग और जमीन दव-थान क नाम करवा लग और

यह चता महत जी को भी थी क हरहर काका को अकला और असरत पा उनक भाई

फर स उह पकड़ कर मारग और जमीन को अपन नाम करवा लग लखक कहता ह क

हरहर काका स जड़ी बहत सी ख़बर गाव म फल रह थी जस-जस दन बड़ रह थ वस-वस

डर का मौहोल बन रहा था सभी लोग सफ यह सोच रह थ क हरहर काका न अमत तो

पया हआ ह नह तो मरना तो उनको एक दन ह ह और जब व मरग तो पर गाव म

तफ़ान आ जाएगा यक महत और हरहर काका क परवार क बीच जमीन को ल कर

लड़ाई हो जायगी

पलस क जवान हरहर काका क खच पर ह खब मौज-मती स रह रह थ िजसका धन

वह रह उपास खान वाल कर वलास अथात हरहर काका क पास धन था लकन उनक लए

अब उसका कोई महव नह था और पलस वाल बना कसी कारण स ह हरहर काका क

धन स मौज कर रह थ अब तक जो नह खाया था दोन वत उसका भोग लगा रह थ

-नोर-

1-कथावाचक और हरहर काका क बीच या सबध ह और इसक या कारण ह

1-कथावाचक जब छोटा था तब स ह हरहर काका उस बहत यार करत थ जब वह बड़ हो

गए तो वह हरहर काका क म बन गए गाव म इतनी गहर दोती और कसी स नह

हई हरहर काका उनस खल कर बात करत थ यह कारण ह क कथावाचक को उनक

एक-एक पल क खबर थी शायद अपना म बनान क लए काका न वय ह उस यार स

बड़ा कया और इतजार कया

2-हरहर काका को महत और भाई एक ह णी क य लगन लग

2-हरहर काका को अपन भाइय और महत म कोई अतर नह लगा दोन एक ह णी क

लग उनक भाइय क पिनय न कछ दन तक तो हरहर काका का यान रखा फर

बचीकची रोटया द नाता नह दत थ बमार म कोई पछन वाला भी न था िजतना भी

उह रखा जा रहा था उनक ज़मीन क लए था इसी तरह महत न एक दन तो बड़ यार

स खातर क फर ज़मीन अपन ठाकर बाड़ी क नाम करन क लए कहन लग काका क

मना करन पर उह अनक यातनाए द अपहरण करवाया मह म कपड़ा ठस कर एक कोठर

म बद कर दया जबरदती अगठ का नशान लया गया तथा उह मारा पीटा गया इस

तरह दोन ह कवल ज़मीन जायदाद क लए हरहर काका स यवहार रखत थ अत उह

दोन एक ह णी क लग

3-ठाकर बाड़ी क त गाव वाल क मन म अपार धा क जो भाव ह उसस उनक कस

मनोव का पता चलता ह

3-कहा जाता ह गाव क लोग भोल होत ह असल म गाव क लोग अधववासी धमभी होत

ह मदर जस थान को पव नकलक ान का तीक मानत ह पजार परोहत महत

जस िजतन भी धम क ठकदार ह उनपर अगाध धा रखत ह व चाह कतन भी

पतत वाथ और नीच ह पर उनका वरोध करत व डरत ह इसी कारण ठाकर बाड़ी क

त गाव वाल क अपार धा थी उनका हर सख-दख उसस जड़ा था

4-अनपढ़ होत हए भी हरहर काका दनया क बहतर समझ रखत ह कहानी क आधार पर

पट किजए

4-हरहर काका अनपढ़ थ फर भी उह दनयादार क बहद समझ थी उनक भाई लोग

उनस ज़बरदती ज़मीन अपन नाम करान क लए डरात थ तो उह गाव म दखावा करक

ज़मीन हथयान वालो क याद आती ह काका न उह दखी होत दखा ह इसलए उहन

ठान लया था चाह महत उकसाए चाह भाई दखावा कर वह ज़मीन कसी को भी नह दग

एक बार महत क उकसान पर भाइय क त धोखा नह करना चाहत थ परत जब भाइय

न भी धोखा दया तो उह समझ म आ गया उनक त उह कोई यार नह ह जो यार

दखात ह वह कवल ज़ायदाद क लए ह

5-हरहर काका को जबरन उठा ल जान वाल कौन थ उहन उनक साथ कसा यवहार

कया

5-महत न हरहर काका को बहत लोभन दए िजसस वह अपनी ज़मीन जायदाद ठाकर

बाड़ी क नाम कर द परत काका इस बात क लए तयार नह थ व सोच रह थ क या

भगवान क लए अपन भाइय स धोखा क यह उह सह भी नह लग रहा था महत को

यह बात पता लगी तो उसन छल और बल स रात क समय अकल दालान म सोत हए

हरहर काका को उठवा लया महत न अपन चल साधसतो क साथ मलकर उनक हाथ पर

बाध दए मह म कपड़ा ठस दया और जबरदती अगठ क नशान लए उह एक कमर म

बद कर दया जब पलस आई तो वय गत दरवाज़ स भाग गए

6-हरहर काका क मामल म गाव वाल क या राय थी और उसक या कारण थ

6-कहानी क आधार पर गाव क लोग को बना बताए पता चल गया क हरहर काका को

उनक भाई नह पछत इसलए सख आराम का लोभन दकर महत उह अपन साथ ल

गया भाई मनत करक काका को वापस ल आत ह इस तरह गाव क लोग दो प म

बट गए कछ लोग महत क तरफ़ थ जो चाहत थ क काका अपनी ज़मीन धम क नाम पर

ठाकर बाड़ी को द द ताक उह सख आराम मल मय क बाद मो यश मल महत ानी

ह वह सब कछ जानता ह लकन दसर प क लोग कहत क ज़मीन परवार वालो को द

जाए उनका कहना था इसस उनक परवार का पट भरगा मदर को ज़मीन दना अयाय

होगा इस तरह दोन प अपन-अपन हसाब स सोच रह थ परत हरहर काका क बार म

कोई नह सोच रहा था इन बात का एक कारण यह भी था क काका वधर थ और उनक

कोई सतान भी नह थी पह बीघ ज़मीन क लए इनका लालच वाभवक था

7-कहानी क आधार पर पट किजए क लखक न यह य कहा अान क िथत म ह

मनय मय स डरत ह ान होन क बाद तो आदमी आवयकता पड़न पर मय को वरण

करन क लए तयार हो जाता ह

7-जब काका को असलयत पता चल और उह समझ म आ गया क सब लोग उनक

ज़मीन जायदाद क पीछ ह तो उह व सभी लोग याद आ गए िजहन परवार वालो क मोह

माया म आकर अपनी ज़मीन उनक नाम कर द और मय तक तलतल करक मरत

रह दान-दान को मोहताज़ हो गए इसलए उहन सोचा क इस तरह रहन स तो एक बार

मरना अछा ह जीत जी ज़मीन कसी को भी नह दग य लोग मझ एक बार म ह मार

द अत लखक न कहा क अान क िथत म मनय मय स डरता ह परत ान होन

पर मय वरण को तयार रहता ह

8-समाज म रत क या अहमयत ह इस वषय पर अपन वचार कट किजए

8-आज समाज म मानवीय मय तथा पारवारक मय धीर-धीर समात होत जा रह ह

यादातर यित अपन वाथ क लए रत नभात ह अपनी आवयकताओ क हसाब स

मलत ह अमीर रतदार का समान करत ह उनस मलन को आतर रहत ह जबक गरब

रतदार स कतरात ह कवल वाथ सध क अहमयत रह गई ह आए दन हम

अखबार म समाचार पढ़त ह क ज़मीन जाय़दाद पस जवर क लए लोग घनौन स घनौना

काय कर जात ह (हया अपहरण आद) इसी कार इस कहानी म भी पलस न पहचती तो

परवार वाल महत जी (काका क) हया ह कर दत उह यह अफसोस रहा क व काका को

मार नह पाए

9-यद आपक आसपास हरहर काका जसी हालत म कोई हो तो आप उसक कस कार

मदद करग

9-यद हमार आसपास हरहर काका जसी हालत म कोई हो तो हम उसक पर तरह मदद

करन क कोशश करग उनस मलकर उनक दख का कारण पता करग उह अहसास

दलाएग क व अकल नह ह सबस पहल तो यह ववास कराएग क सभी यित लालची

नह होत ह इस तरह मौन रह कर दसर को मौका न द बिक उलास स शष जीवन

बताए रतदार स मलकर उनक सबध सधारन का यन करग

10-हरहर काका क गाव म यद मीडया क पहच होती तो उनक या िथत होती अपन

शद म लखए

10-यद काका क गाव म मीडया पहच जाती तो सबक पोल खल जाती महत व भाइय का

पदाफाश हो जाता अपहरण और जबरन अगठा लगवान क अपराध म उह जल हो जाती

अपना-अपना मोचा सभालना - अपनी िजमदार नबाहना

आसमान स जमीन पर गरना -उच िथत स नन िथत पर आना

खल कर बात करना- बना सकच क बात करना |

चपत हो जाना ndash भाग जाना |

जी-जान स जट जाना ndash खब महनत करना

िजतन मह उतनी बात होना- कई तरह क बात करना |

ततर-बतर होना ndash बखर जाना |

त-त म -म होना -झगड़ा होना |

नमक-मच लगाना- बढ़ा-चढ़कर कहना|

बात बनाना- बहान बनाना|

रग चढ़ना- असर होना|

मह न खोलना ndash कछ न बताना |

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पय-भाग

पाठ-4

मनयता ndashमथलशरण गत

-लखक का परचय-

-पाठ का सार व पिटकरण-

कत क अय ाणय क तलना म मनय म सोचन क शित अधक होती ह

वह अपन ह नह दसर क सख - दःख का भी याल रखता ह और दसर क लए

कछ करन म समथ होता ह जानवर जब चरागाह म जात ह तो कवल अपन लए

चर कर आत ह परत मनय ऐसा नह ह वह जो कछ भी कमाता ह जो कछ भी

बनाता ह वह दसर क लए भी करता ह और दसर क सहायता स भी करता ह

तत पाठ का कव अपन क सख - दःख क चता करन वाल को मनय तो

मानता ह परत यह मानन को तयार नह ह क उन मनय म मनयता क सार

गण होत ह कव कवल उन मनय को महान मानता ह जो अपन क सख - दःख

स पहल दसर क चता करत ह वह मनय म ऐस गण चाहता ह िजसक कारण

कोई भी मनय इस मयलोक स चल जान क बाद भी सदय तक दसर क याद म

रहता ह अथात वह मय क बाद भी अमर रहता ह

-पाठ सार-

इस कवता म कव मनयता का सह अथ समझान का यास कर रहा ह पहल

भाग म कव कहता ह क मय स नह डरना चाहए यक मय तो निचत ह पर

हम ऐसा कछ करना चाहए क लोग हम मय क बाद भी याद रख असल मनय

वह ह जो दसर क लए जीना व मरना सीख ल दसर भाग म कव कहता ह क

हम उदार बनना चाहए यक उदार मनय का हर जगह गण गान होता ह मनय

वह कहलाता ह जो दसर क चता कर तीसर भाग म कव कहता ह क पराण

म उन लोग क बहत उदाहरण ह िजह उनक याग भाव क लए आज भी याद

कया जाता ह सचा मनय वह ह जो याग भाव जान ल चौथ भाग म कव

कहता ह क मनय क मन म दया और कणा का भाव होना चाहए मनय वह

कहलाता ह जो दसर क लए मरता और जीता ह पाचव भाग म कव कहना चाहता

ह क यहा कोई अनाथ नह ह यक हम सब उस एक ईवर क सतान ह हम

भदभाव स ऊपर उठ कर सोचना चाहएछठ भाग म कव कहना चाहता ह क हम

दयाल बनना चाहए यक दयाल और परोपकार मनय का दवता भी वागत करत

ह अतः हम दसर का परोपकार व कयाण करना चाहएसातव भाग म कव कहता

ह क मनय क बाहर कम अलग अलग हो परत हमार वद साी ह क सभी क

आमा एक ह हम सब एक ह ईवर क सतान ह अतः सभी मनय भाई -बध ह

और मनय वह ह जो दःख म दसर मनय क काम आयअतम भाग म कव

कहना चाहता ह क वप और वन को हटात हए मनय को अपन चन हए रात

पर चलना चाहए आपसी समझ को बनाय रखना चाहए और भदभाव को नह

बढ़ाना चाहए ऐसी सोच वाला मनय ह अपना और दसर का कयाण और उधार

कर सकता ह

-याया

1-वचार लो क मय हो न मय स डरो कभी

मरो परत य मरो क याद जो कर सभी

हई न य समय तो वथा मर वथा िजए

मारा नह वह क जो िजया न आपक लए

वह पश- वत ह क आप आप ह चर

वह मनय ह क जो मनय क लए मर

सग - तत कवता हमार पाय पतक पश भाग -2 स ल गई ह इसक

कव मथलशरण गत ह इन पितओ म कव बताना चाहता ह क मनय को

कसा जीवन जीना चाहए

याया - कव कहता ह क हम यह जान लना चाहए क मय का होना निचत

ह हम मय स नह डरना चाहए कव कहता ह क हम कछ ऐसा करना चाहए क

लोग हम मरन क बाद भी याद रख जो मनय दसर क लए कछ भी ना कर सक

उनका जीना और मरना दोन बकार ह मर कर भी वह मनय कभी नह मरता जो

अपन लए नह दसर क लए जीता ह यक अपन लए तो जानवर भी जीत ह

कव क अनसार मनय वह ह जो दसर मनय क लए मर अथात जो मनय दसर

क चता कर वह असल मनय कहलाता ह

2-उसी उदार क कथा सरवती बखानती

उसी उदार स धरा कताथ भाव मानती

उसी उदार क सदा सजीव कत कजती

तथा उसी उदार को समत सिट पजती

अखड आम भाव जो असीम वव म भर

वह मनय ह क जो मनय क लए मर

सग - तत कवता हमार पाय पतक पश भाग -2 स ल गई ह इसक

कव मथलशरण गत ह इन पितओ म कव बताना चाहता ह क जो मनय

दसर क लए जीत ह उनका गणगान यग - यग तक कया जाता ह

याया - कव कहता ह क जो मनय अपन पर जीवन म दसर क चता करता

ह उस महान यित क कथा का गण गान सरवती अथात पतक म कया जाता

ह पर धरती उस महान यित क आभार रहती ह उस यित क बातचीत

हमशा जीवत यित क तरह क जाती ह और पर सिट उसक पजा करती ह

कव कहता ह क जो यित पर ससार को अखड भाव और भाईचार क भावना म

बाधता ह वह यित सह मायन म मनय कहलान योय होता ह

3-धात रतदव न दया करथ थाल भी

तथा दधीच न दया पराथ अिथजाल भी

उशीनर तीश न वमास दान भी कया

सहष वीर कण न शरर-चम भी दया

अनय दह क लए अनाद जीव या डर

वह मनय ह क जो मनय क लए मर

सग - तत कवता हमार पाय पतक पश भाग -2 स ल गई ह इसक

कव मथलशरण गत ह इन पितओ म कव न महान पष क उदाहरण दए ह

िजनक महानता क कारण उह याद कया जाता ह

याया - कव कहता ह क पौराणक कथाए ऐस यितओ क उदाहरण स भर

पड़ी ह िजहन अपना परा जीवन दसर क लए याग दया िजस कारण उह आज

तक याद कया जाता ह भख स परशान रतदव न अपन हाथ क आखर थाल भी

दान कर द थी और महष दधीच न तो अपन पर शरर क हडया व बनान क

लए दान कर द थी उशीनर दश क राजा शब न कबतर क जान बचान क लए

अपना परा मास दान कर दया था वीर कण न अपनी ख़शी स अपन शरर का

कवच दान कर दया था कव कहना चाहता ह क मनय इस नवर शरर क लए

य डरता ह यक मनय वह कहलाता ह जो दसर क लए अपन आप को याग

दता ह

4-सहानभत चाहए महावभत ह यह

वशीकता सदव ह बनी हई वय मह

वधभाव बध का दया-वाह म बहा

वनीत लोकवग या न सामन झका रहा

अहा वह उदार ह परोपकार जो कर

वह मनय ह क जो मनय क लए मर

सग - तत कवता हमार पाय पतक पश भाग -2 स ल गई ह इसक

कव मथलशरण गत ह इन पितओ म कव न महामा बध का उदाहरण दत

हए दया कणा को सबस बड़ा धन बताया ह

याया - कव कहता ह क मनय क मन म दया व कणा का भाव होना चाहए

यह सबस बड़ा धन ह वय ईवर भी ऐस लोग क साथ रहत ह इसका सबस

बड़ा उदाहरण महामा बध ह िजनस लोग का दःख नह दखा गया तो व लोक

कयाण क लए दनया क नयम क वध चल गए इसक लए या परा ससार

उनक सामन नह झकता अथात उनक दया भाव व परोपकार क कारण आज भी

उनको याद कया जाता ह और उनक पजा क जाती ह महान उस को कहा जाता ह

जो परोपकार करता ह वह मनय मनय कहलाता ह जो मनय क लए जीता ह

और मरता ह

5-रहो न भल क कभी मदाघ तछ व म

सनाथ जान आपको करो न गव च म

अनाथ कौन ह यहा लोकनाथ साथ ह

दयाल दन बध क बड़ वशाल हाथ ह

अतीव भायहन ह अधीर भाव जो कर

वह मनय ह क जो मनय क लए मर

सग - तत कवता हमार पाय पतक पश भाग -2 स ल गई ह इसक

कव मथलशरण गत ह इन पितओ म कव कहता ह क सपत पर कभी

घमड नह करना चाहए और कसी को अनाथ नह समझना चाहए यक ईवर

सबक साथ ह

याया - कव कहता ह क भल कर भी कभी सप या यश पर घमड नह करना

चाहए इस बात पर कभी गव नह करना चाहए क हमार साथ हमार अपन का

साथ ह यक कव कहता ह क यहा कौन सा यित अनाथ ह उस ईवर का

साथ सब क साथ ह वह बहत दयावान ह उसका हाथ सबक ऊपर रहता ह कव

कहता ह क वह यित भायहन ह जो इस कार का उतावलापन रखता ह यक

मनय वह यित कहलाता ह जो इन सब चीज स ऊपर उठ कर सोचता ह

6-अनत अतर म अनत दव ह खड़

सम ह वबाह जो बढ़ा रह बड़-बड़

परपरावलब स उठो तथा बढ़ो सभी

अभी अमय-अक म अपक हो चढ़ो सभी

रहो न या क एक स न काम और का सर

वह मनय ह क जो मनय क लए मर

सग - तत कवता हमार पाय पतक पश भाग -2 स ल गई ह इसक

कव मथलशरण गत ह इन पितओ म कव कहता ह क कलक रहत रहन व

दसर का सहारा बनन वाल मवषय का दवता भी वागत करत ह

याया - कव कहता ह क उस कभी न समात होन वाल आकाश म असय

दवता खड़ ह जो परोपकार व दयाल मनय का सामन स खड़ होकर अपनी भजाओ

को फलाकर वागत करत ह इसलए दसर का सहारा बनो और सभी को साथ म

लकर आग बड़ो कव कहता ह क सभी कलक रहत हो कर दवताओ क गोद म

बठो अथात यद कोई बरा काम नह करोग तो दवता तह अपनी गोद म ल लग

अपन मतलब क लए नह जीना चाहए अपना और दसर का कयाण व उधार

करना चाहए यक इस मरणशील ससार म मनय वह ह जो मनय का कयाण

कर व परोपकार कर

7-मनय माा बध ह यह बड़ा ववक ह

पराणपष वयभ पता सध एक ह

फलानसार कम क अवय बाय भद ह

परत अतरय म माणभत वद ह

अनथ ह क बध ह न बध क यथा हर

वह मनय ह क जो मनय क लए मर

सग - तत कवता हमार पाय पतक पश भाग -2 स ल गई ह इसक

कव मथलशरण गत ह इन पितओ म कव कहता ह क हम सब एक ईवर क

सतान ह अतः हम सभी मनय एक - दसर क भाई - बध ह

याया - कव कहता ह क यक मनय एक दसर क भाई - बध ह यह सबस

बड़ी समझ ह पराण म िजस वय उपन पष मना गया ह वह परमामा या

ईवर हम सभी का पता ह अथात सभी मनय उस एक ईवर क सतान ह

बाहर कारण क फल अनसार यक मनय क कम भल ह अलग अलग ह परत

हमार वद इस बात क साी ह क सभी क आमा एक ह कव कहता ह क यद

भाई ह भाई क दःख व कट का नाश नह करगा तो उसका जीना यथ ह यक

मनय वह कहलाता ह जो बर समय म दसर मनय क काम आता ह

8-चलो अभीट माग म सहष खलत हए

वपवन जो पड़ उह ढकलत हए

घट न हलमल हा बढ़ न भनता कभी

अतक एक पथ क सतक पथ ह सभी

तभी समथ भाव ह क तारता हआ तर

वह मनय ह क जो मनय क लए मर

सग - तत कवता हमार पाय पतक पश भाग -2 स ल गई ह इसक

कव मथलशरण गत ह इन पितओ म कव कहता ह क यद हम ख़शी ससार

कट को हटत हए भदभाव रहत रहग तभी सभव ह क समाज क उनत होगी

याया - कव कहता ह क मनय को अपनी इछा स चन हए माग म ख़शी

ख़शी चलना चाहएरात म कोई भी सकट या बाधाए आय उह हटात चल जाना

चाहए मनय को यह यान रखना चाहए क आपसी समझ न बगड़ और भद

भाव न बड़ बना कसी तक वतक क सभी को एक साथ ल कर आग बढ़ना चाहए

तभी यह सभव होगा क मनय दसर क उनत और कयाण क साथ अपनी

समध भी कायम कर

-ननलखत न क उर दिजय ndash

1-कव न कसी मय को समय कहा ह

1-कव न ऐसी मय को समय कहा ह िजसम मनय अपन स पहल दसर क चता

करता ह और परोपकार क राह को चनता ह िजसस उस मरन क बाद भी याद कया

जाता ह

2-उदार यित क पहचान कस हो सकती ह

2- उदार यित परोपकार होता ह वह अपन स पहल दसर क चता करता ह और

लोक कयाण क लए अपना जीवन याग दता ह

3-कव न दधीच कण आद महान यितओ क उदाहरण द कर मनयता क लए

या उदाहरण दया ह

3- कव न दधीच कण आद महान यितओ क उदाहरण द कर मनयता क

लए यह सदश दया ह क परोपकार करन वाला ह असल मनय कहलान योय

होता ह मानवता क रा क लए दधीच न अपन शरर क सार अिथया दान कर

द थीकण न अपनी जान क परवाह कय बना अपना कवच द दया था िजस

कारण उह आज तक याद कया जाता ह कव इन उदाहरण क वारा यह

समझाना चाहता ह क परोपकार ह सची मनयता ह

4- कव न कन पितय म यह यत कया ह क हम गव - रहत जीवन यतीत

करना चाहए

4- कव न ननलखत पितय म गव रहत जीवन यतीत करन क बात कह ह-

रहो न भल क कभी मगाघ तछ व म

सनाथ जान आपको करो न गव च म

अथात सपत क घमड म कभी नह रहना चाहए और न ह इस बात पर गव

करना चाहए क आपक पास आपक अपन का साथ ह यक इस दनया म कोई

भी अनाथ नह ह सब उस परम पता परमवर क सतान ह

5- मनय मा बध ह स आप या समझत ह पट किजए

5- मनय मा बध ह अथात हम सब मनय एक ईवर क सतान ह अतः हम

सब भाई - बध ह भाई -बध होन क नात हम भाईचार क साथ रहना चाहए और

एक दसर का बर समय म साथ दना चाहए

6- कव न सबको एक होकर चलन क रणा य द ह

6- कव न सबको एक होकर चलन क रणा इसलए द ह ताक आपसी समझ न

बगड़ और न ह भदभाव बड़ सब एक साथ एक होकर चलग तो सार बाधाए मट

जाएगी और सबका कयाण और समध होगी

7- यित को कस तरह का जीवन यतीत करना चाहए इस कवता क आधार पर

लखए

7-मनय को परोपकार का जीवन जीना चाहए अपन स पहल दसर क दख क

चता करनी चाहए कवल अपन बार म तो जानवर भी सोचत ह कव क अनसार

मनय वह कहलाता ह जो अपन स पहल दसर क चता कर

8- मनयता कवता क वारा कव या सदश दना चाहता ह

8- मनयता कवता क मायम स कव यह सदश दना चाहता ह क परोपकार ह

सची मनयता ह परोपकार ह एक ऐसा साधन ह िजसक मायम स हम यग तक

लोगो क दल म अपनी जगह बना सकत ह और परोपकार क वारा ह समाज का

कयाण व समध सभव ह अतः हम परोपकार बनना चाहए ताक हम सह

मायन म मनय कहलाय

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-याकरण-

पदबध- परभाषा

पद- वाय स अलग रहन पर शद और वाय म यत हो जान पर शद

पद कहलात ह दसर शद म- वाय म यत शद पद कहलाता ह पदबध-

जब दो या अधक (शद) पद नयत म और निचत अथ म कसी पद का

काय करत ह तो उह पदबध कहत ह

पदबध क भद

मय पद क आधार पर पदबध क पाच कार होत ह-

(1) सा-पदबध (2) वशषण-पदबध

(3) सवनाम पदबध (4) या पदबध

(5) अयय पदबध

(1) सा-पदबध-

(a)चार ताकतवर मजदर इस भार चीज को उठा पाए

(b) राम न लका क राजा रावण को मार गराया

(c) अयोया क राजा दशरथ क चार प थ

(d) आसमान म उड़ता गबारा फट गया

2) वशषण पदबध-

a) तज चलन वाल गाड़या ायः दर स पहचती ह

(b) उस घर क कोन म बठा हआ आदमी जासस ह

(c) उसका घोड़ा अयत सदर फरतीला और आाकार ह

(d) बरगद और पीपल क घनी छाव स हम बहत सख मला

3) सवनाम पदबध-

(a)बजल-सी फरती दखाकर आपन बालक को डबन स बचा लया

(b)शरारत करन वाल छा म स कछ पकड़ गए

(c)वरोध करन वाल लोग म स कोई नह बोला

4) या पदबध-

(a) वह बाजार क ओर आया होगा

(b) मझ मोहन छत स दखाई द रहा ह

(c) सरश नद म डब गया

(d) अब दरवाजा खोला जा सकता ह

5) अयय पदबध-

(a)अपन सामान क साथ वह चला गया

(b)सबह स शाम तक वह बठा रहा

कसी भी भाषा क व शद अयय (Indeclinable या inflexible) कहलात ह िजनक प म

लग वचन पष कारक काल इयाद क कारण कोई वकार उप नह होता

चक अयय का पातर नह होता इसलए ऐस शद अवकार होत ह अयय का शािदक

अथ ह- जो यय न हो

(i) कालवाचक अयय- इनम समय का बोध होता ह जस- आज कल तरत पीछ पहल अब

जब तब कभी-कभी कब अब स नय जब स सदा स अभी तभी आजकल और कभी

उदाहरणाथ-

अब स ऐसी बात नह होगी

ऐसी बात सदा स होती रह ह

वह कब आया मझ पता नह

(ii) थानवाचक अयय- इसस थान का बोध होता ह जस- यहा वहा कहा जहा यहा स

वहा स इधर-उधर उदाहरणाथ-

वह यहा नह ह

वह कहा जायगा

वहा कोई नह ह

जहा तम हो वहा म ह

(iii) दशावाचक अयय- इसस दशा का बोध होता ह जस- इधर उधर िजधर दर पर अलग

दाहन बाए आरपार

(iv) िथतवाचक अयय- नीच ऊपर तल सामन बाहर भीतर इयाद

अयय क भद

अयय ननलखत चार कार क होत ह -

(1) यावशषण (Adverb)

(2) सबधबोधक (Preposition)

(3) समचयबोधक (Conjunction)

(4) वमयादबोधक (Interjection)

(1) यावशषण - िजन शद स या वशषण या दसर यावशषण क वशषता कट

हो उह यावशषण कहत ह

दसर शदो म- जो शद या क वशषता बतलात ह उह या वशषण कहा जाता ह

जस- राम धीर-धीर टहलता ह राम वहा टहलता ह राम अभी टहलता ह

इन वाय म धीर-धीर वहा और अभी राम क टहलन (या) क वशषता बतलात ह य

यावशषण अवकार वशषण भी कहलात ह इसक अतरत यावशषण दसर

यावशषण क भी वशषता बताता ह

वह बहत धीर चलता ह इस वाय म बहत यावशषण ह यक यह दसर यावशषण

धीर क वशषता बतलाता ह

या वशषण क कार

(1) योग क अनसार- (i) साधारण (ii) सयोजक (iii) अनबध

(2) प क अनसार- (i) मल यावशषण (ii) यौगक यावशषण (iii) थानीय यावशषण

(3) अथ क अनसार- (i) परमाणवाचक (ii) रतवाचक

(1) योग क अनसार यावशषण क भद

योग क अनसार यावशषण क तीन भद ह-

(i) साधारण यावशषण- िजन यावशषण का योग कसी वाय म वत होता ह

उह साधारण यावशषण कहा जाता ह

जस- हाय अब म या क बटा जद आओ अर साप कहा गया

(ii) सयोजक यावशषण- िजन यावशषण का सबध कसी उपवाय स रहता ह उह

सयोजक यावशषण कहा जाता ह

जस- जब रोहताव ह नह तो म ह जीकर या कगी जहा अभी सम ह वहा कसी

समय जगल था

(iii) अनबध यावशषण- िजन यावशषण क योग अवधारण (नचय) क लए कसी

भी शदभद क साथ होता हो उह अनबध यावशषण कहा जाता ह

जस- यह तो कसी न धोखा ह दया ह मन उस दखा तक नह

(2) प क अनसार यावशषण क भद

प क अनसार यावशषण क तीन भद ह-

(i) मल यावशषण- ऐस यावशषण जो कसी दसर शद क मल स नह बनत मल

यावशषण कहलात ह

जस- ठक दर अचानक फर नह

(ii) यौगक यावशषण- ऐस यावशषण जो कसी दसर शद म यय या पद जोड़न

पर बनत ह यौगक यावशषण कहलात ह

जस- मन स िजसस चपक स भल स दखत हए यहा तक झट स वहा पर यौगक

यावशषण सा सवनाम वशषण धात और अयय क मल स बनत ह

यौगक यावशषण नीच लख शद क मल स बनत ह-

(i) साओ क वित स- घर-घर घड़ी-घड़ी बीच-बीच हाथ-हाथ

(ii) दो भ साओ क मल स- दन-रात साझ-सबर घर-बाहर दश-वदश

(iii) वशषण क वित स- एक-एक ठक-ठक साफ-साफ

(iv) यावशषण क वित स- धीर-धीर जहा-तहा कब-कब कहा-कहा

(v) दो यावशषण क मल स- जहा-तहा जहा-कह जब-तब जब-कभी कल-परस आस-पास

(vi) दो भ या समान यावशषण क बीच न लगान स- कभी-न-कभी कछ-न-कछ

(vii) अनकरण वाचक शद क वित स- पटपट तड़तड़ सटासट धड़ाधड़

(viii) सा और वशषण क योग स- एक साथ एक बार दो बार

(ix) अय य और दसर शद क मल स- तदन यथाम अनजान आजम

(x) पवकालक कदत और वशषण क मल स- वशषकर बहतकर मयकर एक-एककर

(iii) थानीय यावशषण- ऐस यावशषण जो बना पातर क कसी वशष थान म

आत ह थानीय यावशषण कहलात ह

जस- वह अपना सर पढ़गा

वह दौड़कर चलत ह

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  • (1) अरथ की दषटि स शबद-भद13
  • (2) परयोग की दषटि स शबद-भद13
  • (3) उतपति की दषटि स शबद-भद13
  • 1) सवर सधि-13
  • परति+छवि=परतिचछवि दिक+अनत=दिगनत दिक+गज=दिगगज अन+छद=अनचछद अच +अनत = अजनत 13
  • 3)विसरग सधि - विसरग क साथ सवर या वयजन का मल होन पर जो विकार होता ह उस 13
  • विसरग सधि कहत ह 13
  • मन+रथ=मनोरथ यश+अभिलाषा=यशोभिलाषा अध+गति=अधोगति नि+छल=निशछल द +गम = दरगम 13
    • -पाठ सार-13
    • -वयाखया13
    • -निमनलिखित परशनो क उततर दीजिय ndash13
    • 1-कवि न कसी मतय को समतय कहा ह13
    • अवयय क भद13
    • करिया विशषण क परकार13
Page 9: Class –X HINDI JUNE SYLLABUS 2020 Chapters:- Ch-1-Sanchayan …punainternationalschool.com/assets/upload/ck-images/Std-10th=Jun… · -harihar kaka . पय-भाग पाठ-3

यहा सकत क उन तमो क सची ह जो सकत स होत हए हद म आय

ह-

तसम हद तसम हद

आ आम गोमल गोमय गोबर

उ ऊ ट घोटक घोड़ा

चच चच पयक पलग

वरत तरत भ भात

शलाका सलाई हरा हद हरद

गय भाग

पाठ-2

डायर क पन ndashसीताराम सकसरया

-लखक का परचय -

-सीताराम सकसरया को समाज सवा क म सन 1962 म पम भषण स समानत कया

गया था य असम राय स ह

सीताराम सकसरया एक भारतीय वतता कायकता गाधीवाद समाजवाद और पिचम बगाल

क सथा बडर थ जो मारवाड़ी समदाय क उथान क लए उनक योगदान क लए जान जात थ वह

एक उच वयालय सथान मारवाड़ी बालकका वयालय समाज सधार समत एक सामािजक

सगठन और भारतीय भाषा परषद उच शा सथान ी शाशाटन सहत कई सथान और

सगठन क सथापक थ एक गर सरकार सगठन भारत सरकार न समाज म उनक योगदान क लए

उह 1 9 62 म पम भषण का तीसरा सवच नागरक समान दया उनक जीवन क कहानी एक

कताब पम भषण सीताराम सकसरया अभनदन थ म काशत क गई ह िजस भावरमल सह

वारा सपादत कया गया ह और 1 9 74 म काशत कया गया था

-पाठ का सार-

शदाथ-

पराव ndashफर स आना अपन-हम या म

गत-घम घम कर चौकदार करना साजट ndashसना म एक पद

मोनमट-मारक काउिसल-परष

चौरगी-कलकाता का एक थान वालटयर ndashवयम सवक

सगीन ndashगभीर

-न उर-

-ननलखत न क उर (10-12 शद म) लखए minus

1-कलका वासय क लए 26 जनवर 1931 का दन य महवपण था

1-दश का वतता दवस एक वष पहल इसी दन मनाया गया था इसस पहल बगाल

वासय क भमका नह थी अब व य तौर पर जड़ गए इसलए यह महवपण

दन था

2-सभाष बाब क जलस का भार कस पर था

2-सभाषा बाब क जलस का भार पणदास पर था परत पलस न उह पकड़ लया

3-वयाथ सघ क मी अवनाश बाब क झडा गाड़न पर या तया हई

3-बगाल ातीय वयाथ सघ क मी अवनाश बाब न जस ह झडा गाड़ा पलस न

उह पकड़ लया और लोग पर लाठया चलाई

4-लोग अपन-अपन मकान व सावजनक थल पर राय झडा फहराकर कस बात का

सकत दना चाहत थ

4-लोग अपन-अपन मकान व सावजनक थल पर राय झडा फहराकर बताना चाहत

थ क व अपन को आज़ाद समझ कर आज़ाद मना रह ह उनम जोश और उसाह ह

5-पलस न बड़-बड़ पाक और मदान को य घर लया था

5-आज़ाद मनान क लए पर कलका शहर म जनसभाओ और झडारोहण उसव का

आयोजन कया गया इसलए पाक और मदान को घर लया था

-ननलखत न क उर (25-30 शद म) लखए minus

1-26 जनवर 1931 क दन को अमर बनान क लए या-या तयारया क ग

1-26 जनवर 1931 क दन को अमर बनान क लए कलका शहर न शहर म जगह-

जगह झड लगाए गए थ कई थान पर जलस नकाल गए तथा झड़ा फहराया गया

था टोलया बनाकर भीड़ उस थान पर जटन लगी जहा सभाष बाब का जलस पहचना

था पलस क लाठचाज तथा गरफ़तार लोग क जोश को कम न कर पाए

2-आज जो बात थी वह नराल थीrsquo minus कस बात स पता चल रहा था क आज का दन

अपन आप म नराला ह पट किजए

2-आज का दन नराला इसलए था यक वतता दवस मनान क थम आव

थी पलस न सभा करन को गरकाननी कहा था कत सभाष बाब क आवान पर पर

कलका म अनक सगठन क मायम स जलस व सभाओ क जोशील तयार थी परा

शहर झड स सजा था तथा कसल न मोनमद क नीच झडा फहरान और वतता क

ता पढ़न का सरकार को खला चलज दया हआ था पलस भरपर तयार क बाद भी

कामयाब नह हो पाई

3-पलस कमनर क नोटस और कसल क नोटस म या अतर था

3-पलस कमनर न नोटस नकाला था क कोई भी जनसभा करना या जलस

नकालना कानन क खलाफ़ होगा सभाओ म भाग लन वाल को दोषी माना जाएगा

कसल न नोटस नकाला था क मोनमट क नीच चार बजकर चौबीस मनट पर झडा

फहराया जाएगा तथा वतता क ता पढ़ जाएगी इस कार य दोन नोटस एक

दसर क खलाफ़ थ

4-धमतल क मोड़ पर आकर जलस य टट गया

4-जब सभाष बाब को पकड़ लया गया तो िया जलस बनाकर चल परत पलस न

लाठ चाज स उह रोकना चाहा िजसस कछ लोग वह बठ गए कछ घायल हो गए और

कछ पलस वारा गरतार कर लए गए इसलए जलस टट गया

5-डा दासगता जलस म घायल लोग क दख-रख तो कर रह थ उनक फ़ोटो भी

उतरवा रह थ उन लोग क फ़ोटो खीचन क या वजह हो सकती थी पट किजए

5-डा दास गता लोग क फ़ोटो खचवा रह थ इसस अज़ क जम का पदाफ़ाश

कया जा सकता था दसरा यह भी पता चल सकता था क बगाल म वतता क लड़ाई

म बहत काम हो रहा ह

-ननलखत न क उर (50-60 शद म) लखए minus

1-सभाष बाब क जलस म ी समाज क या भमका थी

1-सभाष बाब क जलस म ी समाज क महवपण भमका रह थी भार पलस

यवथा क बाद भी जगह-जगह ी जलस क लए टोलया बन गई थी मोनमट पर

भी िय न नडर होकर झडा फहराया अपनी गरतारया करवाई तथा उनपर लाठया

बरसाई इनसब क बाद भी िया लाल बाज़ार तक आग बढ़ती ग

2-जलस क लाल बाज़ार आन पर लोग क या दशा हई

2-जलस क लाल बाज़ार आन पर भीड़ बकाब हो गई पलस डड बरसा रह थी लोग

को लॉकअप म भज रह थी िया भी अपनी गरफ़तार द रह थी दल क दल नार

लगा रह थ लोग का जोश बढ़ता ह जा रहा था लाठ चाज स लोग घायल हो गए थ

खन बह रहा था चीख पकार मची थी फर भी उसाह बना हआ था

3-जब स कानन भग का काम श हआ ह तब स आज तक इतनी बड़ी सभा ऐस मदान म

नह क गई थी और यह सभा तो कहना चाहए क ओपन लड़ाई थीrsquo यहा पर कौन स और

कसक वारा लाग कए गए कानन को भग करन क बात कह गई ह या कानन भग

करना उचत था पाठ क सदभ म अपन वचार कट किजए

3-इस समय दश क आज़ाद क लए हर यित अपना सवव लटान को तयार था अज़

न कानन बनाकर आदोलन जलस को गर काननी घोषत कया हआ था परत लोग पर

इसका कोई असर नह था व आज़ाद क लए अपना दशन करत रह गलामी क जजीर

को तोड़न का यास करत रह थ

4-बहत स लोग घायल हए बहत को लॉकअप म रखा गया बहत-सी िया जल ग फर

भी इस दन को अपव बताया गया ह आपक वचार म यह सब अपव य ह अपन शद

म लखए

4-सभाष च बोस क नतव म कलका वासय न वतता दवस मनान क तयार ज़ोर-

शोर स क थी पलस क सती लाठ चाज गरफ़तारया इन सब क बाद भी लोग म

जोश बना रहा लोग झड फहरात वद मातरम बोलत हए खन बहात हए भी जलस

नकालन को तपर थ जलस टटता फर बन जाता कलका क इतहास म इतन चड

प म लोग को पहल कभी नह दखा गया था

आशय पट किजए minus

1-आज तो जो कछ हआ वह अपव हआ ह बगाल क नाम या कलका क नाम पर कलक

था क यहा काम नह हो रहा ह वह आज बहत अश म धल गया

1-हजार ी पष न जलस म भाग लया आज़ाद क सालगरह मनान क लए बना

कसी डर क दशन कया पलस क बनाए कानन क जलस आद गर काननी काय आद

क भी परवाह नह क पलस क लाठ चाज होन पर लोग घायल हो गए खन बहन लग

परत लोग म जोश क कोई कमी नह थी बगाल क लए कहा जाता था क वतता क

लए बहत यादा योगदान नह दया जा रहा ह आज क िथत को दखकर उन पर स

यह कलक मट गया

2-खला चलज दकर ऐसी सभा पहल नह क गई थी

2- पलस न कोई दशन न हो इसक लए कानन नकाला क कोई जलस आद आयोिजत

नह होगा परत सभाष बाब क अयता म कसल न नोटस नकाला था क मोनमट क

नीच झडा फहराया जाएगा और वतता क ता पढ़ जाएगी सभी को इसक लए

आमत कया गया खब चार भी हआ सार कलक म झड फहराए गए थ सरकार और

आम जनता म खल लड़ाई थी|

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याकरण-सध

याया -1-सध शद का अथ ह lsquoमलrsquo दो नकटवत वण क आपसी मल स जो परवतन होता

ह उस सध कहलाता ह सम + तोष = सतोष दव + इ = दव भान + उदय = भानदय

सध तीन कार ह

1-वर सध

2- यजन सध

3- वसग सध

1) वर सध-

दो वर क आस -पास आन पर उनम जो परवतन होता ह उस वर सध कहत ह

जस ndash वया + आलय = वयालय

1) दघ वर सध

अ इ उ क बाद दघ अ इ उ आ जाए तो दोनो मलकर दघ सध आ ई ऊ हो जात

अ + आ = आ हम + आलय = हमालय

इ + ई = ई - गर + ईश = गरश

ई + इ = ई - मह + इ = मह

ई + ई = ई - नद + ईश = नदश

उ + ऊ = ऊ- लघ + ऊम = लघम

ऊ + उ = ऊ- वध + उसव = वधसव

ऊ + ऊ = ऊ - भ + ऊव = भव

2) गण वर सध -इस सध म अ आ क आग इ ई हो तो ए उ ऊ हो तो औ और

अगर ऋ हो तो अर हो जाता ह उस गण सध कहत ह

अ + इ = ए- नर + इ = नर अ + ई = ए- नर + ईश = नरश

आ + इ = ए- महा + इ = मह आ + ई = ए महा + ईश = महश

अ + उ = ओ ान + उपदश = ानोपदश आ+उ= ओ महा + उसव = महोसव

3) यण वर सध- इस सध म इ ई उ ऊ और ऋ क बाद कोई अलग वर आए

तो इनका परवतन मश य व और र म हो जाता ह

इ का य = इत +आद = इयाद ई का य = दवी +आवाहन = दयावाहन

उ का व = स +आगत = वागत ऊ का व = वध +आगमन = ववागमन

4) वध वर सध- आ + ए ऐ -gt ऐ

अ आ + ओ औ -gt औ

अ +ए =ऐ एक +एक = एकक अ +ऐ =ऐ मत +ऐय = मतय

अ +औ=औ परम +औषध = परमौषध आ +औ =औ महा +औषध = महौषध

आ +ओ =औ महा +ओघ = महौघ

5)अयाद वर सध- इस सध म ए ऐ और ओ औ क पशचात इह छोड़कर को

अय वर हो तो इनका परवतन मश अय आय अव आव म हो जाता ह )

ए का अय न +अन = नयन ऐ का आय न +अक = नायक

ओ का अव पो +अन = पवन औ का आव पौ +अन = पावन

न का परवतन ण म = ो +अन = वण

2)यजन सध- यजन क साथ वर अथवा यजन क मल स उस यजन म जो

पातरण होता ह उस यजन सध कहत ह

त+छव=तछव दक+अत=दगत

दक+गज=दगज अन+छद=अनछद

अच +अत = अजत

3)वसग सध - वसग क साथ वर या यजन का मल होन पर जो वकार होता ह उस

वसग सध कहत ह

मन+रथ=मनोरथ यश+अभलाषा=यशोभलाषा

अध+गत=अधोगत न+छल=नछल

द +गम = दगम

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गय-भाग

पाठ-12

(ततारा-वामीरो कथा )

(ललाधर मडलोई)

-लखक का परचय- ललाधर मडलोईमडलोई का जम भारतीय

राय मयदश क छदवाडा िजल क गढ़ नामक गाव म हआ मडलोई न भारत म बीए

बीएड (अज़ी) पाकारता म नातक और एमए (हद) तक शा हण कया और

इसक बाद व लदन चल गय जहा स सारण म उच-शा (सीआरट) हण क

मडलोई दरदशन आकाशवाणी क महानदशक सहत कई राय-अतरराय समतय क

साथ ह सार भारती बोड क सदय रह चक ह

-पाठ का सार-

जो सयता िजतनी अधक परानी होगी उतनी ह अधक कस -कहानया उसस जड़ी होती ह जो

हम सनन को मलती ह जो कस - कहानया हम सनन को मलती ह जर नह क वो उसी तरह

घटत हई हो िजस तरह वो हम सनाई जा रह हइतना जर होता ह क इन कस और कहानय

म कोई न कोई सीख छपी होती ह अदमान नकोबार वीपसमह म भी बहत तरह क कस -

कहानया मशहर ह इनम स कछ को ललाधर मडलोई न लखा ह

तत पाठ ततारा वामीरो कथा अडमान नकोबार वीप समह क एक छोट स वीप पर क त ह

उस वीप पर एक -दसर स शता का भाव अपनी अतम सीमा पर पहच चका था इस शता क

भावना को जड़ स उखाड़न क लए एक जोड़ को आमबलदान दना पड़ा था उसी जोड़ क बलदान

का वणन लखक न तत पाठ म कया ह

यार सबको एक साथ लाता ह और नफरत सब क बीच दरय को बढ़ाती हइस बात स भला कौन

इनकार कर सकता ह इसलए जो कोई भी समाज क लए अपन यार का अपन जीवन का

बलदान करता ह समाज न कवल उस याद रखता ह बिक उसक वारा कय गए याग और

बलदान को बकार नह जान दता यह वह कारण ह िजसक वजह स तकालन समाज क सामन

मसाल कायम करन वाल इस जोड़ को आज भी इस वीप क नवासी गव और धा स याद करत

-शदाथ-

-खला-म कड़ी -आदम ndashाभक

-वभत ndashबटा हआ -आमीय ndashअपना

-वलण ndashअसाधारण -बयार-मद हवा

त-एकाता -वकल-बचन

-सचार-उपन -असगत ndashअनचत

समोहतndash मध -झझलाना ndash चड़ना

-रोमाचत ndash पलकत -नचल- िथर

-अफवाह ndash उड़ती खबर -उफनना ndash उबाल आना

शमन ndashशात होना -घपना भकनाचभना

-न-उर-

1-ततारा और वामीरो क गाव क या थी

उर- ततारा और वामीरो क गाव क यह रत थी क ववाह क लए लड़क-लड़क का एक

ह गाव का होना जर था दसर गाव क यवक क साथ सबध असभव था

2-ततारा क तलवार क बार म लोग का या मत था

उर- ततारा क तलवार ययप लकड़ी क थी पर इसक बावजद लोग का मानना था क

उस तलवार म अभत दवीय शित थी ततारा तलवार को कभी अपन स अलग होन नह

दता था लोग यह मानत थ क ततारा अपन साहसक कारनाम इसी तलवार क कारण ह

कर पाता ह उसम बड़ी शित थी

3-नकोबार क लोग ततारा को य पसद करत थ

उर- नकोबार क लोग ततारा को उसक साहसी और परोपकार वभाव क कारण पसद करत

थ वह एक सदर और शितशाल यवक था वह सदा लोग क सहायता करता रहता था

ततारा एक नक और मददगार यित था वह अपन गाव वाल क ह नह समच

वीपवासय क सवा करना अपना धम समझता था सभी उसका आदर करत थ मसीबत

क घड़ी म वह लोग क पास तरत पहच जाता था

4- ाचीन काल म मनोरजन और शित-दशन क लए कस कार क आयोजन कए जात

उर- ाचीन काल म मनोरजन और शित-दशन क लए अ-श चलान सबधी

आयोजन तथा पश पव कए जात थ

5-lsquoततारा-वामीरो कथाrsquo का सदश पट किजए

उर- lsquoततारा-वामीरो कथाrsquo एक लोकगाथा ह इसम यह सदश दया गया ह क म को कसी

बधन जड़ता तथा सीमाओ म बाधना उचत नह ह यद कोई गाव दश या म को

पनपन क लए खला अवसर नह दता तो इसस सवनाश होता ह धरती म भदभाव बढ़त ह

पहल स बट हई धरती और अवसर नह दता तो इसस मानवता का य होता ह भावनाए

एक होन क बजाय खडत होती ह अतः गाव दश या अय सकण नयमो को तोड़कर

हम उदारता क साथ सबको अपनाना चाहए

7-नक ततारा और वामीरो क मय कस हई पठत पाठ क आधार पर लखए

उर- पश-पव क मौक पर ततारा और वामीरो को इकठा दखकर वामीरो क मा ोध म

उफन उठ उसन ततारा को तरह-तरह स अपमानत कया गाव क लोग भी ततारा क

वरोध म आवाज उठान लग यह ततारा क लए अहसनीय था वामीरो अब भी रोए जा रह

थी ततारा भी गस स भर उठा उस जहा ववाह क नषध परपरा पर ोभ था वह अपनी

असहायता पर खीझ वामीरो का दख उस और गहरा कर रहा था उस मालम नह था क

या कदम उठाना चाहए अनायास उसका हाथ तलवार क मढ़ पर जा टका ोध म उसन

तलवार नकाल और कछ वचार करता रहा ोध लगातार अिन क तरह बढ़ रहा था

लोग सहम उठ एक सनाटा-सा खच गया जब कोई राह न सझी तो ोध का शमन करन

क लए उसम शित भर उस धरती म घप दया और ताकत स उस खीचन लगा वह

पसीन स नहा उठा सब घबराए हए थ वह तलवार को अपनी तरफ खीचत-खीचत दर तक

पहच गया वह हाफ रहा था अचानक जहा एक लकर खच गई थी वहा एक दरार होन

लगी मानो धरती दो टकड़ो म बटन लगी हो एक गड़गड़ाहट-सी गजन लगी और लकर क

सीध म धरती फटती ह जा रह थी वीप क अतम सर तक ततारा धरती को मानो ोध

म काटता जा रहा था सभी याकल हो उठ लोग न ऐस य क कपना न क थी व

सहर उठ उधर वामीरो फटती हई धरती क कनार ततारा का नाम पकारत हए दौड़ रह थी

वीप दो टकड़ म वभत हो चका था ततारा और वामीरो वीप क साथ सम म धस

गए और उमय हो गई

8-शाम क समय सम कनार ततारा क ाकतक अनभत का वणन किजए

उर- एक शाम ततारा दन-भर क अथक परम क बाद सम कनार टहलन नकल

पड़ा सरज सम स लग तज तल डबन को था सम स ठडी बयार आ रह थी

पय क सायकालन चाहचाहाहट शनः शनः ीण ह को थी उसका मन शात था

वचारमन ततारा सम बाल पर बठकर सरज क अतम रग-बरगी करण को सम

पर नहारन लगा तभी कह पास म उस मधर गीत गजता सनाई दया गीत मान

बहता हआ उसक तरफ आ रहा हो बीच-बीच म लहर का सगीत सनाई दता गायन

भावी था क वह अपनी सध-बध खोन लगा लहर क एक बल वग न उसक ता भग

क चतय होत ह वह उधर बढ़न को ववश हो उठा िजधर स अब भी गीत क वर बह

रह थ वह वकल-सा उस तरफ़ बढ़ता गया अततः उसक नजर एक यवती पर पड़ी जो

ढलती हई शाम क सदय म बसध एकटक सम क दह पर डबत आकषक रगो को

नहारत हए गा रह थी यह एक शगार गीत था

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Vyakr`-vaKy-

bull वाय क सामन दए कोठक म ( radic का चह लगाकर बताए क वह वाय कस

कार का ह

क) नकोबार उस बहद म करत थ (नवाचक वधानवाचक नषधामक

वमयादबोधक)

ख) तमन एकाएक इतना मधर गाना अधरा य छोड़ दया नवाचक

वधानवाचक नषधामक वमयादबोधक)

ग) वामीरो क मा ोध म उफन उठ (नवाचक वधानवाचक नषधामक

वमयादबोधक)

घ) या तह गाव का नयम नह मालम नवाचक वधानवाचक नषधामक

वमयादबोधक)

ङ) वाह कतना सदर नाम ह (नवाचक वधानवाचक नषधामक

वमयादबोधक)

च) म तहारा राता छोड़ दगा

वमयादबोधक)

उर- क) वधानवाचक

ग) वधानवाचक

ङ) वमयादबोध

Ocirc-इस पाठ म lsquo दखना lsquo या क कई प आए ह

शदयोग म या अतर ह

Ocirc-उर-

म तहारा राता छोड़ दगा (नवाचक वधानवाचक नषधामक

ख) नवाचक

घ) नवा

च) वधानवाचक

या क कई प आए ह lsquo दखना lsquo क इन वभन

वाययोग वारा पट किजए

नषधामक

नवाचक

वधानवाचक

क इन वभन

-वाय क उदाहरण-

सचयन-भाग

पाठ-1 (हरहर काका )

-शदाथ -

तबयत - शरर क िथत यणा - यातना कलश कट

मनःिथत - मन क िथत चद - कछ

आसित ndash लगाव यावहारक - यावहार सबधी

वचारक - वचार सबधी दलार - यार

सयाना - यक बधमान तीा - इतज़ार

फ़लहाल - अभी इस समय मझधार - बीच म

वलन - लत हो जाना वकप - दसरा उपाय

चलत ndash चलनसार जात - जगाना

कलवर - शरर मनौती - मनत

परपरा - था णाल अधकाश - यादातर

समत ndash सथा सचालन - नयण चलाना

नयित - तनाती लगाया गया वमख - तकल

चपट - आघात हार अहाता-चार ओर स दवार स घरा हआ मदान

अखड ndash नवन वफोट - फट कर बाहर नकलना

आगमन - आन पर उपलय - सकत

सराहना ndash शसा निचत - बफ

-लखक का परचय-मथलवर का जम 31 दसबर 1950 को बहार क

भोजपर िजल क बसाडीह नामक गाव म हआ इनक पता व० ो० वशरोपन लाल थ

मथलवर क पता (ो० वशरोपन लाल) भी वलण तभा क धनी थ परत उनक

असाय बीमार न मथलवर क जीवन म आरभ स ह कठन सघष क बीज बो दय थ

पाठ सार-

लखक कहता ह क वह हरहर काका क साथ बहत गहर स जड़ा था लखक का हरहर

काका क त जो यार था वह लखक का उनक यावहार क और उनक वचार क कारण

था और उसक दो कारण थ पहला कारण था क हरहर काका लखक क पड़ोसी थ और

दसरा कारण लखक को उनक मा न बताया था क हरहर काका लखक को बचपन स ह

बहत यादा यार करत थ जब लखक यक हआ तो उसक पहल दोती भी हरहर काका

क साथ ह हई थी लखक क गाव क पव दशा म ठाकर जी का वशाल मदर था िजस

गाव क लोग ठाकरबार यान दवथान कहत थ लोग ठाकर जी स प क मनत मागत

मक़दम म जीत लड़क क शाद कसी अछ घर म हो जाए लड़क को नौकर मल जाए

आद मनत मागत थ मनत पर होन पर लोग अपनी ख़शी स ठाकरजी को पए ज़वर

और अनाज चढ़ाया करत थ िजसको बहत अधक ख़शी होती थी वह अपन खत का छोटा-

सा भाग ठाकरजी क नाम कर दता था और यह एक तरह स था ह बन गई लखक कहता

ह क उसका गाव अब गाव क नाम स नह बिक दव-थान क वजह स ह पहचाना जाता

था उसक गाव का यह दव-थान उस इलाक का सबस बड़ा और सध दवथान था

हरहर काका न अपनी परिथतओ क कारण दव-थान म जाना बद कर दया था मन

बहलान क लए लखक भी कभी-कभी दव-थान चला जाता था लकन लखक कहता ह क

वहा क साध-सत उस बलकल भी पसद नह थ यक व काम करन म कोई दलचपी

नह रखत थ भगवान को भोग लगान क नाम पर व दन क दोन समय हलवा-पड़ी

बनवात थ और आराम स पड़ रहत थ सारा काम वहा आए लोग स सवा करन क नाम पर

करवात थ व खद अगर कोई काम करत थ तो वो था बात बनवान का काम

लखक हरहर काका क बार म बताता हआ कहता ह क हरहर काका और उनक तीन भाई

ह सबक शाद हो चक ह हरहर काका क अतरत सभी तीन भाइय क बाल-बच ह

कछ समय तक तो हरहर काका क सभी चीज़ का अछ स यान रखा गया परत फर

कछ दन बाद हरहर काका को कोई पछन वाला नह था लखक कहता ह क अगर कभी

हरहर काका क शरर क िथत ठक नह होती तो हरहर काका पर मसीबत का पहाड़ ह

गर जाता यक इतन बड़ परवार क रहत हए भी हरहर काका को कोई पानी भी नह

पछता था बारामद क कमर म पड़ हए हरहर काका को अगर कसी चीज़ क जरत होती

तो उह खद ह उठना पड़ता एक दन उनका भतीजा शहर स अपन एक दोत को घर ल

आया उह क आन क ख़शी म दो-तीन तरह क सिज़या बजक चटनी रायता और भी

बहत कछ बना था सब लोग न खाना खा लया और हरहर काका को कोई पछन तक नह

आया हरहर काका गस म बरामद क ओर चल पड़ और जोर-जोर स बोल रह थ क

उनक भाई क पिनया या यह सोचती ह क व उह मत म खाना खला रह ह उनक

खत म उगन वाला अनाज भी इसी घर म आता ह

हरहर काका क गस का महत जी न लाभ उठान क सोची महत जी हरहर काका को

अपन साथ दव-थान ल आए और हरहर काका को समझान लग क उनक भाई का परवार

कवल उनक जमीन क कारण उनस जड़ा हआ ह कसी दन अगर हरहर काका यह कह द

क व अपन खत कसी और क नाम लख रह ह तो व लोग तो उनस बात करना भी बद

कर दग खन क रत ख़म हो जायग महत हरहर काका स कहता ह क उनक हस म

िजतन खत ह व उनको भगवान क नाम लख द ऐसा करन स उह सीध वग क ाित

होगी

सबह होत ह हरहर काका क तीन भाई दव-थान पहच गए तीन हरहर काका क पाव म

गर कर रोन लग और अपनी पिनय क गलती क माफ़ मागन लग और कहन लग क

व अपनी पिनय को उनक साथ कए गए इस तरह क यवहार क सज़ा दग हरहर काका

क मन म दया का भाव जाग गया और व फर स घर वापस लौट कर आ गए जब अपन

भाइय क समझान क बाद हरहर काका घर वापस आए तो घर म और घर वाल क

यवहार म आए बदलाव को दख कर बहत खश हो गए घर क सभी छोट-बड़ सभी लोग

हरहर काका का आदर-सकार करन लग

गाव क लोग जब भी कह बठत तो बात का ऐसा सलसला चलता िजसका कोई अत नह

था हर जगह बस उह क बात होती थी कछ लोग कहत क हरहर काका को अपनी

जमीन भगवान क नाम लख दनी चाहए इसस उम और अछा कछ नह हो सकता

इसस हरहर काका को कभी न ख़म होन वाल सध ात होगी इसक वपरत कछ

लोग क यह मानत थ क भाई का परवार भी तो अपना ह परवार होता ह अपनी

जायदाद उह न दना उनक साथ अयाय करना होगा हरहर काका क भाई उनस ाथना

करन लग क व अपन हस क जमीन को उनक नाम लखवा द इस वषय पर हरहर

काका न बहत सोचा और अत म इस परणाम पर पहच क अपन जीत-जी अपनी जायदाद

का वामी कसी और को बनाना ठक नह होगा फर चाह वह अपना भाई हो या मदर का

महत यक उह अपन गाव और इलाक क व कछ लोग याद आए िजहन अपनी िजदगी

म ह अपनी जायदाद को अपन रतदार या कसी और क नाम लखवा दया था उनका

जीवन बाद म कसी क क तरह हो गया था उह कोई पछन वाला भी नह था हरहर

काका बलकल भी पढ़-लख नह थ परत उह अपन जीवन म एकदम हए बदलाव को

समझन म कोई गलती नह हई और उहन फसला कर लया क व जीत-जी कसी को भी

अपनी जमीन नह लखग

लखक कहता ह क जस-जस समय बीत रहा था महत जी क परशानया बढ़ती जा

रह थी उह लग रहा था क उहन हरहर काका को फसान क लए जो जाल फ का

था हरहर काका उसस बाहर नकल गए ह यह बात महत जी को सहन नह हो रह

थी आधी रात क आस-पास दव-थान क साध-सत और उनक कछ साथी भाला

गड़ासा और बदक क साथ अचानक ह हरहर काका क आगन म आ गए इसस

पहल हरहर काका क भाई कछ सोच और कसी को अपनी सहायता क लए आवाज

लगा कर बलाए तब तक बहत दर हो गई थी हमला करन वाल हरहर काका को

अपनी पीठ पर डाल कर कह गायब हो गए थव हरहर काका को दव-थान ल गए

थ एक ओर तो दव-थान क अदर जबरदती हरहर काका क अगठ का नशान लन

और पकड़कर समझान का काम चल रहा था तो वह दसर ओर हरहर काका क

तीन भाई सबह होन स पहल ह पलस क जीप को लकर दव-थान पर पहच गए

थ महत और उनक साथय न हरहर काका को कमर म हाथ और पाव बाध कर

रखा था और साथ ह साथ उनक मह म कपड़ा ठसा गया था ताक व आवाज़ न कर

सक परत हरहर काका दरवाज़ तक लढ़कत हए आ गए थ और दरवाज़ पर अपन

पर स धका लगा रह थ ताक बाहर खड़ उनक भाई और पलस उह बचा सक

दरवाज़ा खोल कर हरहर काका को बधन स मत कया गया हरहर काका न

पलस को बताया क व लोग उह उस कमर म इस तरह बाध कर कह गत

दरवाज़ स भाग गए ह और उहन कछ खल और कछ लख हए कागज पर हरहर

काका क अगठ क नशान जबरदती लए ह

यह सब बीत जान क बाद हरहर काका फर स अपन भाइय क परवार क साथ रहन लग

गए थ चौबीस घट पहर दए जान लग थ यहा तक क अगर हरहर काका को कसी

काम क कारण गाव म जाना पड़ता तो हथयार क साथ चार-पाच लोग हमशा ह उनक

साथ रहन लग लखक कहता ह क हरहर काका क साथ जो कछ भी हआ था उसस हरहर

काका एक सीध-साद और भोल कसान क तलना म चालाक और बधमान हो गए थ

उह अब सब कछ समझ म आन लगा था क उनक भाइय का अचानक स उनक त जो

यवहार परवतन हो गया था उनक लए जो आदर-समान और सरा व दान कर रह थ

वह उनका कोई सग भाइय का यार नह था बिक व सब कछ उनक धन-दौलत क कारण

कर रह ह नह तो व हरहर काका को पछत तक नह जब स हरहर काका दव-थान स

वापस घर आए थ उसी दन स ह हरहर काका क भाई और उनक दसर नात-रतदार

सभी यह सोच रह थ क हरहर काका को क़ाननी तरक स उनक जायदाद को उनक

भतीज क नाम कर दना चाहए यक जब तक हरहर काका ऐसा नह करग तब तक

महत क तज़ नज़र उन पर टक रहगी जब हरहर काका क भाई हरहर काका को

समझात-समझात थक गए तो उहन हरहर काका को डाटना और उन पर दवाब डालना

श कर दया एक रात हरहर काका क भाइय न भी उसी तरह का यवहार करना श

कर दया जसा महत और उनक सहयोगय न कया था उह धमकात हए कह रह थ क

ख़शी-ख़शी कागज़ पर जहा-जहा जरत ह वहा-वहा अगठ क नशान लगत जाओ नह तो व

उह मार कर वह घर क अदर ह गाड़ दग और गाव क लोगो को इस बार म कोई सचना

भी नह मलगी हरहर काका क साथ अब उनक भाइय क मारपीट श हो गई जब

हरहर काका अपन भाइय का मकाबला नह कर पा रह थ तो उहन ज़ोर-ज़ोर स

चलाकर अपनी मदद क लए गाव वाल को आवाज लगाना श कर दया तब उनक

भाइय को यान आया क उह हरहर काका का मह पहल ह बद करना चाहए था उहन

उसी पल हरहर काका को जमीन पर पटका और उनक मह म कपड़ा ठस दया लकन तब

तक बहत दर हो गई थी हरहर काका क आवाज बाहर गाव म पहच गई थी हरहर काका

क परवार और रत-नात क लोग जब तक गाव वाल कोसमझात क यह सब उनक

परवार का आपसी मामला ह व सभी इसस दर रह तब तक महत जी बड़ी ह दता और

तज़ी स वहा पलस क जीप क साथ आ गए पलस न पर घर क अछ स तलाशी लना

श कर दया फर घर क अदर स हरहर काका को इतनी बर हालत म हासल कया गया

िजतनी बर हालत उनक दव-थान म भी नह हई थी हरहर काका न बताया क उनक

भाइय न उनक साथ बहत ह यादा बरा यवहार कया ह जबरदती बहत स कागज पर

उनक अगठ क नशान ल लए ह उह बहत यादा मारा-पीटा ह

इस घटना क बाद हरहर काका अपन परवार स एकदम अलग रहन लग थ उह उनक

सरा क लए चार राइफलधार पलस क जवान मल थ आचय क बात तो यह ह क

इसक लए उनक भाइय और महत क ओर स काफ़ यास कए गए थ असल म भाइय

को चता थी क हरहर काका अकल रहन लगग तो दव-थान क महत-पजार फर स

हरहर काका को बहला-फसला कर ल जायग और जमीन दव-थान क नाम करवा लग और

यह चता महत जी को भी थी क हरहर काका को अकला और असरत पा उनक भाई

फर स उह पकड़ कर मारग और जमीन को अपन नाम करवा लग लखक कहता ह क

हरहर काका स जड़ी बहत सी ख़बर गाव म फल रह थी जस-जस दन बड़ रह थ वस-वस

डर का मौहोल बन रहा था सभी लोग सफ यह सोच रह थ क हरहर काका न अमत तो

पया हआ ह नह तो मरना तो उनको एक दन ह ह और जब व मरग तो पर गाव म

तफ़ान आ जाएगा यक महत और हरहर काका क परवार क बीच जमीन को ल कर

लड़ाई हो जायगी

पलस क जवान हरहर काका क खच पर ह खब मौज-मती स रह रह थ िजसका धन

वह रह उपास खान वाल कर वलास अथात हरहर काका क पास धन था लकन उनक लए

अब उसका कोई महव नह था और पलस वाल बना कसी कारण स ह हरहर काका क

धन स मौज कर रह थ अब तक जो नह खाया था दोन वत उसका भोग लगा रह थ

-नोर-

1-कथावाचक और हरहर काका क बीच या सबध ह और इसक या कारण ह

1-कथावाचक जब छोटा था तब स ह हरहर काका उस बहत यार करत थ जब वह बड़ हो

गए तो वह हरहर काका क म बन गए गाव म इतनी गहर दोती और कसी स नह

हई हरहर काका उनस खल कर बात करत थ यह कारण ह क कथावाचक को उनक

एक-एक पल क खबर थी शायद अपना म बनान क लए काका न वय ह उस यार स

बड़ा कया और इतजार कया

2-हरहर काका को महत और भाई एक ह णी क य लगन लग

2-हरहर काका को अपन भाइय और महत म कोई अतर नह लगा दोन एक ह णी क

लग उनक भाइय क पिनय न कछ दन तक तो हरहर काका का यान रखा फर

बचीकची रोटया द नाता नह दत थ बमार म कोई पछन वाला भी न था िजतना भी

उह रखा जा रहा था उनक ज़मीन क लए था इसी तरह महत न एक दन तो बड़ यार

स खातर क फर ज़मीन अपन ठाकर बाड़ी क नाम करन क लए कहन लग काका क

मना करन पर उह अनक यातनाए द अपहरण करवाया मह म कपड़ा ठस कर एक कोठर

म बद कर दया जबरदती अगठ का नशान लया गया तथा उह मारा पीटा गया इस

तरह दोन ह कवल ज़मीन जायदाद क लए हरहर काका स यवहार रखत थ अत उह

दोन एक ह णी क लग

3-ठाकर बाड़ी क त गाव वाल क मन म अपार धा क जो भाव ह उसस उनक कस

मनोव का पता चलता ह

3-कहा जाता ह गाव क लोग भोल होत ह असल म गाव क लोग अधववासी धमभी होत

ह मदर जस थान को पव नकलक ान का तीक मानत ह पजार परोहत महत

जस िजतन भी धम क ठकदार ह उनपर अगाध धा रखत ह व चाह कतन भी

पतत वाथ और नीच ह पर उनका वरोध करत व डरत ह इसी कारण ठाकर बाड़ी क

त गाव वाल क अपार धा थी उनका हर सख-दख उसस जड़ा था

4-अनपढ़ होत हए भी हरहर काका दनया क बहतर समझ रखत ह कहानी क आधार पर

पट किजए

4-हरहर काका अनपढ़ थ फर भी उह दनयादार क बहद समझ थी उनक भाई लोग

उनस ज़बरदती ज़मीन अपन नाम करान क लए डरात थ तो उह गाव म दखावा करक

ज़मीन हथयान वालो क याद आती ह काका न उह दखी होत दखा ह इसलए उहन

ठान लया था चाह महत उकसाए चाह भाई दखावा कर वह ज़मीन कसी को भी नह दग

एक बार महत क उकसान पर भाइय क त धोखा नह करना चाहत थ परत जब भाइय

न भी धोखा दया तो उह समझ म आ गया उनक त उह कोई यार नह ह जो यार

दखात ह वह कवल ज़ायदाद क लए ह

5-हरहर काका को जबरन उठा ल जान वाल कौन थ उहन उनक साथ कसा यवहार

कया

5-महत न हरहर काका को बहत लोभन दए िजसस वह अपनी ज़मीन जायदाद ठाकर

बाड़ी क नाम कर द परत काका इस बात क लए तयार नह थ व सोच रह थ क या

भगवान क लए अपन भाइय स धोखा क यह उह सह भी नह लग रहा था महत को

यह बात पता लगी तो उसन छल और बल स रात क समय अकल दालान म सोत हए

हरहर काका को उठवा लया महत न अपन चल साधसतो क साथ मलकर उनक हाथ पर

बाध दए मह म कपड़ा ठस दया और जबरदती अगठ क नशान लए उह एक कमर म

बद कर दया जब पलस आई तो वय गत दरवाज़ स भाग गए

6-हरहर काका क मामल म गाव वाल क या राय थी और उसक या कारण थ

6-कहानी क आधार पर गाव क लोग को बना बताए पता चल गया क हरहर काका को

उनक भाई नह पछत इसलए सख आराम का लोभन दकर महत उह अपन साथ ल

गया भाई मनत करक काका को वापस ल आत ह इस तरह गाव क लोग दो प म

बट गए कछ लोग महत क तरफ़ थ जो चाहत थ क काका अपनी ज़मीन धम क नाम पर

ठाकर बाड़ी को द द ताक उह सख आराम मल मय क बाद मो यश मल महत ानी

ह वह सब कछ जानता ह लकन दसर प क लोग कहत क ज़मीन परवार वालो को द

जाए उनका कहना था इसस उनक परवार का पट भरगा मदर को ज़मीन दना अयाय

होगा इस तरह दोन प अपन-अपन हसाब स सोच रह थ परत हरहर काका क बार म

कोई नह सोच रहा था इन बात का एक कारण यह भी था क काका वधर थ और उनक

कोई सतान भी नह थी पह बीघ ज़मीन क लए इनका लालच वाभवक था

7-कहानी क आधार पर पट किजए क लखक न यह य कहा अान क िथत म ह

मनय मय स डरत ह ान होन क बाद तो आदमी आवयकता पड़न पर मय को वरण

करन क लए तयार हो जाता ह

7-जब काका को असलयत पता चल और उह समझ म आ गया क सब लोग उनक

ज़मीन जायदाद क पीछ ह तो उह व सभी लोग याद आ गए िजहन परवार वालो क मोह

माया म आकर अपनी ज़मीन उनक नाम कर द और मय तक तलतल करक मरत

रह दान-दान को मोहताज़ हो गए इसलए उहन सोचा क इस तरह रहन स तो एक बार

मरना अछा ह जीत जी ज़मीन कसी को भी नह दग य लोग मझ एक बार म ह मार

द अत लखक न कहा क अान क िथत म मनय मय स डरता ह परत ान होन

पर मय वरण को तयार रहता ह

8-समाज म रत क या अहमयत ह इस वषय पर अपन वचार कट किजए

8-आज समाज म मानवीय मय तथा पारवारक मय धीर-धीर समात होत जा रह ह

यादातर यित अपन वाथ क लए रत नभात ह अपनी आवयकताओ क हसाब स

मलत ह अमीर रतदार का समान करत ह उनस मलन को आतर रहत ह जबक गरब

रतदार स कतरात ह कवल वाथ सध क अहमयत रह गई ह आए दन हम

अखबार म समाचार पढ़त ह क ज़मीन जाय़दाद पस जवर क लए लोग घनौन स घनौना

काय कर जात ह (हया अपहरण आद) इसी कार इस कहानी म भी पलस न पहचती तो

परवार वाल महत जी (काका क) हया ह कर दत उह यह अफसोस रहा क व काका को

मार नह पाए

9-यद आपक आसपास हरहर काका जसी हालत म कोई हो तो आप उसक कस कार

मदद करग

9-यद हमार आसपास हरहर काका जसी हालत म कोई हो तो हम उसक पर तरह मदद

करन क कोशश करग उनस मलकर उनक दख का कारण पता करग उह अहसास

दलाएग क व अकल नह ह सबस पहल तो यह ववास कराएग क सभी यित लालची

नह होत ह इस तरह मौन रह कर दसर को मौका न द बिक उलास स शष जीवन

बताए रतदार स मलकर उनक सबध सधारन का यन करग

10-हरहर काका क गाव म यद मीडया क पहच होती तो उनक या िथत होती अपन

शद म लखए

10-यद काका क गाव म मीडया पहच जाती तो सबक पोल खल जाती महत व भाइय का

पदाफाश हो जाता अपहरण और जबरन अगठा लगवान क अपराध म उह जल हो जाती

अपना-अपना मोचा सभालना - अपनी िजमदार नबाहना

आसमान स जमीन पर गरना -उच िथत स नन िथत पर आना

खल कर बात करना- बना सकच क बात करना |

चपत हो जाना ndash भाग जाना |

जी-जान स जट जाना ndash खब महनत करना

िजतन मह उतनी बात होना- कई तरह क बात करना |

ततर-बतर होना ndash बखर जाना |

त-त म -म होना -झगड़ा होना |

नमक-मच लगाना- बढ़ा-चढ़कर कहना|

बात बनाना- बहान बनाना|

रग चढ़ना- असर होना|

मह न खोलना ndash कछ न बताना |

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पय-भाग

पाठ-4

मनयता ndashमथलशरण गत

-लखक का परचय-

-पाठ का सार व पिटकरण-

कत क अय ाणय क तलना म मनय म सोचन क शित अधक होती ह

वह अपन ह नह दसर क सख - दःख का भी याल रखता ह और दसर क लए

कछ करन म समथ होता ह जानवर जब चरागाह म जात ह तो कवल अपन लए

चर कर आत ह परत मनय ऐसा नह ह वह जो कछ भी कमाता ह जो कछ भी

बनाता ह वह दसर क लए भी करता ह और दसर क सहायता स भी करता ह

तत पाठ का कव अपन क सख - दःख क चता करन वाल को मनय तो

मानता ह परत यह मानन को तयार नह ह क उन मनय म मनयता क सार

गण होत ह कव कवल उन मनय को महान मानता ह जो अपन क सख - दःख

स पहल दसर क चता करत ह वह मनय म ऐस गण चाहता ह िजसक कारण

कोई भी मनय इस मयलोक स चल जान क बाद भी सदय तक दसर क याद म

रहता ह अथात वह मय क बाद भी अमर रहता ह

-पाठ सार-

इस कवता म कव मनयता का सह अथ समझान का यास कर रहा ह पहल

भाग म कव कहता ह क मय स नह डरना चाहए यक मय तो निचत ह पर

हम ऐसा कछ करना चाहए क लोग हम मय क बाद भी याद रख असल मनय

वह ह जो दसर क लए जीना व मरना सीख ल दसर भाग म कव कहता ह क

हम उदार बनना चाहए यक उदार मनय का हर जगह गण गान होता ह मनय

वह कहलाता ह जो दसर क चता कर तीसर भाग म कव कहता ह क पराण

म उन लोग क बहत उदाहरण ह िजह उनक याग भाव क लए आज भी याद

कया जाता ह सचा मनय वह ह जो याग भाव जान ल चौथ भाग म कव

कहता ह क मनय क मन म दया और कणा का भाव होना चाहए मनय वह

कहलाता ह जो दसर क लए मरता और जीता ह पाचव भाग म कव कहना चाहता

ह क यहा कोई अनाथ नह ह यक हम सब उस एक ईवर क सतान ह हम

भदभाव स ऊपर उठ कर सोचना चाहएछठ भाग म कव कहना चाहता ह क हम

दयाल बनना चाहए यक दयाल और परोपकार मनय का दवता भी वागत करत

ह अतः हम दसर का परोपकार व कयाण करना चाहएसातव भाग म कव कहता

ह क मनय क बाहर कम अलग अलग हो परत हमार वद साी ह क सभी क

आमा एक ह हम सब एक ह ईवर क सतान ह अतः सभी मनय भाई -बध ह

और मनय वह ह जो दःख म दसर मनय क काम आयअतम भाग म कव

कहना चाहता ह क वप और वन को हटात हए मनय को अपन चन हए रात

पर चलना चाहए आपसी समझ को बनाय रखना चाहए और भदभाव को नह

बढ़ाना चाहए ऐसी सोच वाला मनय ह अपना और दसर का कयाण और उधार

कर सकता ह

-याया

1-वचार लो क मय हो न मय स डरो कभी

मरो परत य मरो क याद जो कर सभी

हई न य समय तो वथा मर वथा िजए

मारा नह वह क जो िजया न आपक लए

वह पश- वत ह क आप आप ह चर

वह मनय ह क जो मनय क लए मर

सग - तत कवता हमार पाय पतक पश भाग -2 स ल गई ह इसक

कव मथलशरण गत ह इन पितओ म कव बताना चाहता ह क मनय को

कसा जीवन जीना चाहए

याया - कव कहता ह क हम यह जान लना चाहए क मय का होना निचत

ह हम मय स नह डरना चाहए कव कहता ह क हम कछ ऐसा करना चाहए क

लोग हम मरन क बाद भी याद रख जो मनय दसर क लए कछ भी ना कर सक

उनका जीना और मरना दोन बकार ह मर कर भी वह मनय कभी नह मरता जो

अपन लए नह दसर क लए जीता ह यक अपन लए तो जानवर भी जीत ह

कव क अनसार मनय वह ह जो दसर मनय क लए मर अथात जो मनय दसर

क चता कर वह असल मनय कहलाता ह

2-उसी उदार क कथा सरवती बखानती

उसी उदार स धरा कताथ भाव मानती

उसी उदार क सदा सजीव कत कजती

तथा उसी उदार को समत सिट पजती

अखड आम भाव जो असीम वव म भर

वह मनय ह क जो मनय क लए मर

सग - तत कवता हमार पाय पतक पश भाग -2 स ल गई ह इसक

कव मथलशरण गत ह इन पितओ म कव बताना चाहता ह क जो मनय

दसर क लए जीत ह उनका गणगान यग - यग तक कया जाता ह

याया - कव कहता ह क जो मनय अपन पर जीवन म दसर क चता करता

ह उस महान यित क कथा का गण गान सरवती अथात पतक म कया जाता

ह पर धरती उस महान यित क आभार रहती ह उस यित क बातचीत

हमशा जीवत यित क तरह क जाती ह और पर सिट उसक पजा करती ह

कव कहता ह क जो यित पर ससार को अखड भाव और भाईचार क भावना म

बाधता ह वह यित सह मायन म मनय कहलान योय होता ह

3-धात रतदव न दया करथ थाल भी

तथा दधीच न दया पराथ अिथजाल भी

उशीनर तीश न वमास दान भी कया

सहष वीर कण न शरर-चम भी दया

अनय दह क लए अनाद जीव या डर

वह मनय ह क जो मनय क लए मर

सग - तत कवता हमार पाय पतक पश भाग -2 स ल गई ह इसक

कव मथलशरण गत ह इन पितओ म कव न महान पष क उदाहरण दए ह

िजनक महानता क कारण उह याद कया जाता ह

याया - कव कहता ह क पौराणक कथाए ऐस यितओ क उदाहरण स भर

पड़ी ह िजहन अपना परा जीवन दसर क लए याग दया िजस कारण उह आज

तक याद कया जाता ह भख स परशान रतदव न अपन हाथ क आखर थाल भी

दान कर द थी और महष दधीच न तो अपन पर शरर क हडया व बनान क

लए दान कर द थी उशीनर दश क राजा शब न कबतर क जान बचान क लए

अपना परा मास दान कर दया था वीर कण न अपनी ख़शी स अपन शरर का

कवच दान कर दया था कव कहना चाहता ह क मनय इस नवर शरर क लए

य डरता ह यक मनय वह कहलाता ह जो दसर क लए अपन आप को याग

दता ह

4-सहानभत चाहए महावभत ह यह

वशीकता सदव ह बनी हई वय मह

वधभाव बध का दया-वाह म बहा

वनीत लोकवग या न सामन झका रहा

अहा वह उदार ह परोपकार जो कर

वह मनय ह क जो मनय क लए मर

सग - तत कवता हमार पाय पतक पश भाग -2 स ल गई ह इसक

कव मथलशरण गत ह इन पितओ म कव न महामा बध का उदाहरण दत

हए दया कणा को सबस बड़ा धन बताया ह

याया - कव कहता ह क मनय क मन म दया व कणा का भाव होना चाहए

यह सबस बड़ा धन ह वय ईवर भी ऐस लोग क साथ रहत ह इसका सबस

बड़ा उदाहरण महामा बध ह िजनस लोग का दःख नह दखा गया तो व लोक

कयाण क लए दनया क नयम क वध चल गए इसक लए या परा ससार

उनक सामन नह झकता अथात उनक दया भाव व परोपकार क कारण आज भी

उनको याद कया जाता ह और उनक पजा क जाती ह महान उस को कहा जाता ह

जो परोपकार करता ह वह मनय मनय कहलाता ह जो मनय क लए जीता ह

और मरता ह

5-रहो न भल क कभी मदाघ तछ व म

सनाथ जान आपको करो न गव च म

अनाथ कौन ह यहा लोकनाथ साथ ह

दयाल दन बध क बड़ वशाल हाथ ह

अतीव भायहन ह अधीर भाव जो कर

वह मनय ह क जो मनय क लए मर

सग - तत कवता हमार पाय पतक पश भाग -2 स ल गई ह इसक

कव मथलशरण गत ह इन पितओ म कव कहता ह क सपत पर कभी

घमड नह करना चाहए और कसी को अनाथ नह समझना चाहए यक ईवर

सबक साथ ह

याया - कव कहता ह क भल कर भी कभी सप या यश पर घमड नह करना

चाहए इस बात पर कभी गव नह करना चाहए क हमार साथ हमार अपन का

साथ ह यक कव कहता ह क यहा कौन सा यित अनाथ ह उस ईवर का

साथ सब क साथ ह वह बहत दयावान ह उसका हाथ सबक ऊपर रहता ह कव

कहता ह क वह यित भायहन ह जो इस कार का उतावलापन रखता ह यक

मनय वह यित कहलाता ह जो इन सब चीज स ऊपर उठ कर सोचता ह

6-अनत अतर म अनत दव ह खड़

सम ह वबाह जो बढ़ा रह बड़-बड़

परपरावलब स उठो तथा बढ़ो सभी

अभी अमय-अक म अपक हो चढ़ो सभी

रहो न या क एक स न काम और का सर

वह मनय ह क जो मनय क लए मर

सग - तत कवता हमार पाय पतक पश भाग -2 स ल गई ह इसक

कव मथलशरण गत ह इन पितओ म कव कहता ह क कलक रहत रहन व

दसर का सहारा बनन वाल मवषय का दवता भी वागत करत ह

याया - कव कहता ह क उस कभी न समात होन वाल आकाश म असय

दवता खड़ ह जो परोपकार व दयाल मनय का सामन स खड़ होकर अपनी भजाओ

को फलाकर वागत करत ह इसलए दसर का सहारा बनो और सभी को साथ म

लकर आग बड़ो कव कहता ह क सभी कलक रहत हो कर दवताओ क गोद म

बठो अथात यद कोई बरा काम नह करोग तो दवता तह अपनी गोद म ल लग

अपन मतलब क लए नह जीना चाहए अपना और दसर का कयाण व उधार

करना चाहए यक इस मरणशील ससार म मनय वह ह जो मनय का कयाण

कर व परोपकार कर

7-मनय माा बध ह यह बड़ा ववक ह

पराणपष वयभ पता सध एक ह

फलानसार कम क अवय बाय भद ह

परत अतरय म माणभत वद ह

अनथ ह क बध ह न बध क यथा हर

वह मनय ह क जो मनय क लए मर

सग - तत कवता हमार पाय पतक पश भाग -2 स ल गई ह इसक

कव मथलशरण गत ह इन पितओ म कव कहता ह क हम सब एक ईवर क

सतान ह अतः हम सभी मनय एक - दसर क भाई - बध ह

याया - कव कहता ह क यक मनय एक दसर क भाई - बध ह यह सबस

बड़ी समझ ह पराण म िजस वय उपन पष मना गया ह वह परमामा या

ईवर हम सभी का पता ह अथात सभी मनय उस एक ईवर क सतान ह

बाहर कारण क फल अनसार यक मनय क कम भल ह अलग अलग ह परत

हमार वद इस बात क साी ह क सभी क आमा एक ह कव कहता ह क यद

भाई ह भाई क दःख व कट का नाश नह करगा तो उसका जीना यथ ह यक

मनय वह कहलाता ह जो बर समय म दसर मनय क काम आता ह

8-चलो अभीट माग म सहष खलत हए

वपवन जो पड़ उह ढकलत हए

घट न हलमल हा बढ़ न भनता कभी

अतक एक पथ क सतक पथ ह सभी

तभी समथ भाव ह क तारता हआ तर

वह मनय ह क जो मनय क लए मर

सग - तत कवता हमार पाय पतक पश भाग -2 स ल गई ह इसक

कव मथलशरण गत ह इन पितओ म कव कहता ह क यद हम ख़शी ससार

कट को हटत हए भदभाव रहत रहग तभी सभव ह क समाज क उनत होगी

याया - कव कहता ह क मनय को अपनी इछा स चन हए माग म ख़शी

ख़शी चलना चाहएरात म कोई भी सकट या बाधाए आय उह हटात चल जाना

चाहए मनय को यह यान रखना चाहए क आपसी समझ न बगड़ और भद

भाव न बड़ बना कसी तक वतक क सभी को एक साथ ल कर आग बढ़ना चाहए

तभी यह सभव होगा क मनय दसर क उनत और कयाण क साथ अपनी

समध भी कायम कर

-ननलखत न क उर दिजय ndash

1-कव न कसी मय को समय कहा ह

1-कव न ऐसी मय को समय कहा ह िजसम मनय अपन स पहल दसर क चता

करता ह और परोपकार क राह को चनता ह िजसस उस मरन क बाद भी याद कया

जाता ह

2-उदार यित क पहचान कस हो सकती ह

2- उदार यित परोपकार होता ह वह अपन स पहल दसर क चता करता ह और

लोक कयाण क लए अपना जीवन याग दता ह

3-कव न दधीच कण आद महान यितओ क उदाहरण द कर मनयता क लए

या उदाहरण दया ह

3- कव न दधीच कण आद महान यितओ क उदाहरण द कर मनयता क

लए यह सदश दया ह क परोपकार करन वाला ह असल मनय कहलान योय

होता ह मानवता क रा क लए दधीच न अपन शरर क सार अिथया दान कर

द थीकण न अपनी जान क परवाह कय बना अपना कवच द दया था िजस

कारण उह आज तक याद कया जाता ह कव इन उदाहरण क वारा यह

समझाना चाहता ह क परोपकार ह सची मनयता ह

4- कव न कन पितय म यह यत कया ह क हम गव - रहत जीवन यतीत

करना चाहए

4- कव न ननलखत पितय म गव रहत जीवन यतीत करन क बात कह ह-

रहो न भल क कभी मगाघ तछ व म

सनाथ जान आपको करो न गव च म

अथात सपत क घमड म कभी नह रहना चाहए और न ह इस बात पर गव

करना चाहए क आपक पास आपक अपन का साथ ह यक इस दनया म कोई

भी अनाथ नह ह सब उस परम पता परमवर क सतान ह

5- मनय मा बध ह स आप या समझत ह पट किजए

5- मनय मा बध ह अथात हम सब मनय एक ईवर क सतान ह अतः हम

सब भाई - बध ह भाई -बध होन क नात हम भाईचार क साथ रहना चाहए और

एक दसर का बर समय म साथ दना चाहए

6- कव न सबको एक होकर चलन क रणा य द ह

6- कव न सबको एक होकर चलन क रणा इसलए द ह ताक आपसी समझ न

बगड़ और न ह भदभाव बड़ सब एक साथ एक होकर चलग तो सार बाधाए मट

जाएगी और सबका कयाण और समध होगी

7- यित को कस तरह का जीवन यतीत करना चाहए इस कवता क आधार पर

लखए

7-मनय को परोपकार का जीवन जीना चाहए अपन स पहल दसर क दख क

चता करनी चाहए कवल अपन बार म तो जानवर भी सोचत ह कव क अनसार

मनय वह कहलाता ह जो अपन स पहल दसर क चता कर

8- मनयता कवता क वारा कव या सदश दना चाहता ह

8- मनयता कवता क मायम स कव यह सदश दना चाहता ह क परोपकार ह

सची मनयता ह परोपकार ह एक ऐसा साधन ह िजसक मायम स हम यग तक

लोगो क दल म अपनी जगह बना सकत ह और परोपकार क वारा ह समाज का

कयाण व समध सभव ह अतः हम परोपकार बनना चाहए ताक हम सह

मायन म मनय कहलाय

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-याकरण-

पदबध- परभाषा

पद- वाय स अलग रहन पर शद और वाय म यत हो जान पर शद

पद कहलात ह दसर शद म- वाय म यत शद पद कहलाता ह पदबध-

जब दो या अधक (शद) पद नयत म और निचत अथ म कसी पद का

काय करत ह तो उह पदबध कहत ह

पदबध क भद

मय पद क आधार पर पदबध क पाच कार होत ह-

(1) सा-पदबध (2) वशषण-पदबध

(3) सवनाम पदबध (4) या पदबध

(5) अयय पदबध

(1) सा-पदबध-

(a)चार ताकतवर मजदर इस भार चीज को उठा पाए

(b) राम न लका क राजा रावण को मार गराया

(c) अयोया क राजा दशरथ क चार प थ

(d) आसमान म उड़ता गबारा फट गया

2) वशषण पदबध-

a) तज चलन वाल गाड़या ायः दर स पहचती ह

(b) उस घर क कोन म बठा हआ आदमी जासस ह

(c) उसका घोड़ा अयत सदर फरतीला और आाकार ह

(d) बरगद और पीपल क घनी छाव स हम बहत सख मला

3) सवनाम पदबध-

(a)बजल-सी फरती दखाकर आपन बालक को डबन स बचा लया

(b)शरारत करन वाल छा म स कछ पकड़ गए

(c)वरोध करन वाल लोग म स कोई नह बोला

4) या पदबध-

(a) वह बाजार क ओर आया होगा

(b) मझ मोहन छत स दखाई द रहा ह

(c) सरश नद म डब गया

(d) अब दरवाजा खोला जा सकता ह

5) अयय पदबध-

(a)अपन सामान क साथ वह चला गया

(b)सबह स शाम तक वह बठा रहा

कसी भी भाषा क व शद अयय (Indeclinable या inflexible) कहलात ह िजनक प म

लग वचन पष कारक काल इयाद क कारण कोई वकार उप नह होता

चक अयय का पातर नह होता इसलए ऐस शद अवकार होत ह अयय का शािदक

अथ ह- जो यय न हो

(i) कालवाचक अयय- इनम समय का बोध होता ह जस- आज कल तरत पीछ पहल अब

जब तब कभी-कभी कब अब स नय जब स सदा स अभी तभी आजकल और कभी

उदाहरणाथ-

अब स ऐसी बात नह होगी

ऐसी बात सदा स होती रह ह

वह कब आया मझ पता नह

(ii) थानवाचक अयय- इसस थान का बोध होता ह जस- यहा वहा कहा जहा यहा स

वहा स इधर-उधर उदाहरणाथ-

वह यहा नह ह

वह कहा जायगा

वहा कोई नह ह

जहा तम हो वहा म ह

(iii) दशावाचक अयय- इसस दशा का बोध होता ह जस- इधर उधर िजधर दर पर अलग

दाहन बाए आरपार

(iv) िथतवाचक अयय- नीच ऊपर तल सामन बाहर भीतर इयाद

अयय क भद

अयय ननलखत चार कार क होत ह -

(1) यावशषण (Adverb)

(2) सबधबोधक (Preposition)

(3) समचयबोधक (Conjunction)

(4) वमयादबोधक (Interjection)

(1) यावशषण - िजन शद स या वशषण या दसर यावशषण क वशषता कट

हो उह यावशषण कहत ह

दसर शदो म- जो शद या क वशषता बतलात ह उह या वशषण कहा जाता ह

जस- राम धीर-धीर टहलता ह राम वहा टहलता ह राम अभी टहलता ह

इन वाय म धीर-धीर वहा और अभी राम क टहलन (या) क वशषता बतलात ह य

यावशषण अवकार वशषण भी कहलात ह इसक अतरत यावशषण दसर

यावशषण क भी वशषता बताता ह

वह बहत धीर चलता ह इस वाय म बहत यावशषण ह यक यह दसर यावशषण

धीर क वशषता बतलाता ह

या वशषण क कार

(1) योग क अनसार- (i) साधारण (ii) सयोजक (iii) अनबध

(2) प क अनसार- (i) मल यावशषण (ii) यौगक यावशषण (iii) थानीय यावशषण

(3) अथ क अनसार- (i) परमाणवाचक (ii) रतवाचक

(1) योग क अनसार यावशषण क भद

योग क अनसार यावशषण क तीन भद ह-

(i) साधारण यावशषण- िजन यावशषण का योग कसी वाय म वत होता ह

उह साधारण यावशषण कहा जाता ह

जस- हाय अब म या क बटा जद आओ अर साप कहा गया

(ii) सयोजक यावशषण- िजन यावशषण का सबध कसी उपवाय स रहता ह उह

सयोजक यावशषण कहा जाता ह

जस- जब रोहताव ह नह तो म ह जीकर या कगी जहा अभी सम ह वहा कसी

समय जगल था

(iii) अनबध यावशषण- िजन यावशषण क योग अवधारण (नचय) क लए कसी

भी शदभद क साथ होता हो उह अनबध यावशषण कहा जाता ह

जस- यह तो कसी न धोखा ह दया ह मन उस दखा तक नह

(2) प क अनसार यावशषण क भद

प क अनसार यावशषण क तीन भद ह-

(i) मल यावशषण- ऐस यावशषण जो कसी दसर शद क मल स नह बनत मल

यावशषण कहलात ह

जस- ठक दर अचानक फर नह

(ii) यौगक यावशषण- ऐस यावशषण जो कसी दसर शद म यय या पद जोड़न

पर बनत ह यौगक यावशषण कहलात ह

जस- मन स िजसस चपक स भल स दखत हए यहा तक झट स वहा पर यौगक

यावशषण सा सवनाम वशषण धात और अयय क मल स बनत ह

यौगक यावशषण नीच लख शद क मल स बनत ह-

(i) साओ क वित स- घर-घर घड़ी-घड़ी बीच-बीच हाथ-हाथ

(ii) दो भ साओ क मल स- दन-रात साझ-सबर घर-बाहर दश-वदश

(iii) वशषण क वित स- एक-एक ठक-ठक साफ-साफ

(iv) यावशषण क वित स- धीर-धीर जहा-तहा कब-कब कहा-कहा

(v) दो यावशषण क मल स- जहा-तहा जहा-कह जब-तब जब-कभी कल-परस आस-पास

(vi) दो भ या समान यावशषण क बीच न लगान स- कभी-न-कभी कछ-न-कछ

(vii) अनकरण वाचक शद क वित स- पटपट तड़तड़ सटासट धड़ाधड़

(viii) सा और वशषण क योग स- एक साथ एक बार दो बार

(ix) अय य और दसर शद क मल स- तदन यथाम अनजान आजम

(x) पवकालक कदत और वशषण क मल स- वशषकर बहतकर मयकर एक-एककर

(iii) थानीय यावशषण- ऐस यावशषण जो बना पातर क कसी वशष थान म

आत ह थानीय यावशषण कहलात ह

जस- वह अपना सर पढ़गा

वह दौड़कर चलत ह

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  • (1) अरथ की दषटि स शबद-भद13
  • (2) परयोग की दषटि स शबद-भद13
  • (3) उतपति की दषटि स शबद-भद13
  • 1) सवर सधि-13
  • परति+छवि=परतिचछवि दिक+अनत=दिगनत दिक+गज=दिगगज अन+छद=अनचछद अच +अनत = अजनत 13
  • 3)विसरग सधि - विसरग क साथ सवर या वयजन का मल होन पर जो विकार होता ह उस 13
  • विसरग सधि कहत ह 13
  • मन+रथ=मनोरथ यश+अभिलाषा=यशोभिलाषा अध+गति=अधोगति नि+छल=निशछल द +गम = दरगम 13
    • -पाठ सार-13
    • -वयाखया13
    • -निमनलिखित परशनो क उततर दीजिय ndash13
    • 1-कवि न कसी मतय को समतय कहा ह13
    • अवयय क भद13
    • करिया विशषण क परकार13
Page 10: Class –X HINDI JUNE SYLLABUS 2020 Chapters:- Ch-1-Sanchayan …punainternationalschool.com/assets/upload/ck-images/Std-10th=Jun… · -harihar kaka . पय-भाग पाठ-3

गय भाग

पाठ-2

डायर क पन ndashसीताराम सकसरया

-लखक का परचय -

-सीताराम सकसरया को समाज सवा क म सन 1962 म पम भषण स समानत कया

गया था य असम राय स ह

सीताराम सकसरया एक भारतीय वतता कायकता गाधीवाद समाजवाद और पिचम बगाल

क सथा बडर थ जो मारवाड़ी समदाय क उथान क लए उनक योगदान क लए जान जात थ वह

एक उच वयालय सथान मारवाड़ी बालकका वयालय समाज सधार समत एक सामािजक

सगठन और भारतीय भाषा परषद उच शा सथान ी शाशाटन सहत कई सथान और

सगठन क सथापक थ एक गर सरकार सगठन भारत सरकार न समाज म उनक योगदान क लए

उह 1 9 62 म पम भषण का तीसरा सवच नागरक समान दया उनक जीवन क कहानी एक

कताब पम भषण सीताराम सकसरया अभनदन थ म काशत क गई ह िजस भावरमल सह

वारा सपादत कया गया ह और 1 9 74 म काशत कया गया था

-पाठ का सार-

शदाथ-

पराव ndashफर स आना अपन-हम या म

गत-घम घम कर चौकदार करना साजट ndashसना म एक पद

मोनमट-मारक काउिसल-परष

चौरगी-कलकाता का एक थान वालटयर ndashवयम सवक

सगीन ndashगभीर

-न उर-

-ननलखत न क उर (10-12 शद म) लखए minus

1-कलका वासय क लए 26 जनवर 1931 का दन य महवपण था

1-दश का वतता दवस एक वष पहल इसी दन मनाया गया था इसस पहल बगाल

वासय क भमका नह थी अब व य तौर पर जड़ गए इसलए यह महवपण

दन था

2-सभाष बाब क जलस का भार कस पर था

2-सभाषा बाब क जलस का भार पणदास पर था परत पलस न उह पकड़ लया

3-वयाथ सघ क मी अवनाश बाब क झडा गाड़न पर या तया हई

3-बगाल ातीय वयाथ सघ क मी अवनाश बाब न जस ह झडा गाड़ा पलस न

उह पकड़ लया और लोग पर लाठया चलाई

4-लोग अपन-अपन मकान व सावजनक थल पर राय झडा फहराकर कस बात का

सकत दना चाहत थ

4-लोग अपन-अपन मकान व सावजनक थल पर राय झडा फहराकर बताना चाहत

थ क व अपन को आज़ाद समझ कर आज़ाद मना रह ह उनम जोश और उसाह ह

5-पलस न बड़-बड़ पाक और मदान को य घर लया था

5-आज़ाद मनान क लए पर कलका शहर म जनसभाओ और झडारोहण उसव का

आयोजन कया गया इसलए पाक और मदान को घर लया था

-ननलखत न क उर (25-30 शद म) लखए minus

1-26 जनवर 1931 क दन को अमर बनान क लए या-या तयारया क ग

1-26 जनवर 1931 क दन को अमर बनान क लए कलका शहर न शहर म जगह-

जगह झड लगाए गए थ कई थान पर जलस नकाल गए तथा झड़ा फहराया गया

था टोलया बनाकर भीड़ उस थान पर जटन लगी जहा सभाष बाब का जलस पहचना

था पलस क लाठचाज तथा गरफ़तार लोग क जोश को कम न कर पाए

2-आज जो बात थी वह नराल थीrsquo minus कस बात स पता चल रहा था क आज का दन

अपन आप म नराला ह पट किजए

2-आज का दन नराला इसलए था यक वतता दवस मनान क थम आव

थी पलस न सभा करन को गरकाननी कहा था कत सभाष बाब क आवान पर पर

कलका म अनक सगठन क मायम स जलस व सभाओ क जोशील तयार थी परा

शहर झड स सजा था तथा कसल न मोनमद क नीच झडा फहरान और वतता क

ता पढ़न का सरकार को खला चलज दया हआ था पलस भरपर तयार क बाद भी

कामयाब नह हो पाई

3-पलस कमनर क नोटस और कसल क नोटस म या अतर था

3-पलस कमनर न नोटस नकाला था क कोई भी जनसभा करना या जलस

नकालना कानन क खलाफ़ होगा सभाओ म भाग लन वाल को दोषी माना जाएगा

कसल न नोटस नकाला था क मोनमट क नीच चार बजकर चौबीस मनट पर झडा

फहराया जाएगा तथा वतता क ता पढ़ जाएगी इस कार य दोन नोटस एक

दसर क खलाफ़ थ

4-धमतल क मोड़ पर आकर जलस य टट गया

4-जब सभाष बाब को पकड़ लया गया तो िया जलस बनाकर चल परत पलस न

लाठ चाज स उह रोकना चाहा िजसस कछ लोग वह बठ गए कछ घायल हो गए और

कछ पलस वारा गरतार कर लए गए इसलए जलस टट गया

5-डा दासगता जलस म घायल लोग क दख-रख तो कर रह थ उनक फ़ोटो भी

उतरवा रह थ उन लोग क फ़ोटो खीचन क या वजह हो सकती थी पट किजए

5-डा दास गता लोग क फ़ोटो खचवा रह थ इसस अज़ क जम का पदाफ़ाश

कया जा सकता था दसरा यह भी पता चल सकता था क बगाल म वतता क लड़ाई

म बहत काम हो रहा ह

-ननलखत न क उर (50-60 शद म) लखए minus

1-सभाष बाब क जलस म ी समाज क या भमका थी

1-सभाष बाब क जलस म ी समाज क महवपण भमका रह थी भार पलस

यवथा क बाद भी जगह-जगह ी जलस क लए टोलया बन गई थी मोनमट पर

भी िय न नडर होकर झडा फहराया अपनी गरतारया करवाई तथा उनपर लाठया

बरसाई इनसब क बाद भी िया लाल बाज़ार तक आग बढ़ती ग

2-जलस क लाल बाज़ार आन पर लोग क या दशा हई

2-जलस क लाल बाज़ार आन पर भीड़ बकाब हो गई पलस डड बरसा रह थी लोग

को लॉकअप म भज रह थी िया भी अपनी गरफ़तार द रह थी दल क दल नार

लगा रह थ लोग का जोश बढ़ता ह जा रहा था लाठ चाज स लोग घायल हो गए थ

खन बह रहा था चीख पकार मची थी फर भी उसाह बना हआ था

3-जब स कानन भग का काम श हआ ह तब स आज तक इतनी बड़ी सभा ऐस मदान म

नह क गई थी और यह सभा तो कहना चाहए क ओपन लड़ाई थीrsquo यहा पर कौन स और

कसक वारा लाग कए गए कानन को भग करन क बात कह गई ह या कानन भग

करना उचत था पाठ क सदभ म अपन वचार कट किजए

3-इस समय दश क आज़ाद क लए हर यित अपना सवव लटान को तयार था अज़

न कानन बनाकर आदोलन जलस को गर काननी घोषत कया हआ था परत लोग पर

इसका कोई असर नह था व आज़ाद क लए अपना दशन करत रह गलामी क जजीर

को तोड़न का यास करत रह थ

4-बहत स लोग घायल हए बहत को लॉकअप म रखा गया बहत-सी िया जल ग फर

भी इस दन को अपव बताया गया ह आपक वचार म यह सब अपव य ह अपन शद

म लखए

4-सभाष च बोस क नतव म कलका वासय न वतता दवस मनान क तयार ज़ोर-

शोर स क थी पलस क सती लाठ चाज गरफ़तारया इन सब क बाद भी लोग म

जोश बना रहा लोग झड फहरात वद मातरम बोलत हए खन बहात हए भी जलस

नकालन को तपर थ जलस टटता फर बन जाता कलका क इतहास म इतन चड

प म लोग को पहल कभी नह दखा गया था

आशय पट किजए minus

1-आज तो जो कछ हआ वह अपव हआ ह बगाल क नाम या कलका क नाम पर कलक

था क यहा काम नह हो रहा ह वह आज बहत अश म धल गया

1-हजार ी पष न जलस म भाग लया आज़ाद क सालगरह मनान क लए बना

कसी डर क दशन कया पलस क बनाए कानन क जलस आद गर काननी काय आद

क भी परवाह नह क पलस क लाठ चाज होन पर लोग घायल हो गए खन बहन लग

परत लोग म जोश क कोई कमी नह थी बगाल क लए कहा जाता था क वतता क

लए बहत यादा योगदान नह दया जा रहा ह आज क िथत को दखकर उन पर स

यह कलक मट गया

2-खला चलज दकर ऐसी सभा पहल नह क गई थी

2- पलस न कोई दशन न हो इसक लए कानन नकाला क कोई जलस आद आयोिजत

नह होगा परत सभाष बाब क अयता म कसल न नोटस नकाला था क मोनमट क

नीच झडा फहराया जाएगा और वतता क ता पढ़ जाएगी सभी को इसक लए

आमत कया गया खब चार भी हआ सार कलक म झड फहराए गए थ सरकार और

आम जनता म खल लड़ाई थी|

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याकरण-सध

याया -1-सध शद का अथ ह lsquoमलrsquo दो नकटवत वण क आपसी मल स जो परवतन होता

ह उस सध कहलाता ह सम + तोष = सतोष दव + इ = दव भान + उदय = भानदय

सध तीन कार ह

1-वर सध

2- यजन सध

3- वसग सध

1) वर सध-

दो वर क आस -पास आन पर उनम जो परवतन होता ह उस वर सध कहत ह

जस ndash वया + आलय = वयालय

1) दघ वर सध

अ इ उ क बाद दघ अ इ उ आ जाए तो दोनो मलकर दघ सध आ ई ऊ हो जात

अ + आ = आ हम + आलय = हमालय

इ + ई = ई - गर + ईश = गरश

ई + इ = ई - मह + इ = मह

ई + ई = ई - नद + ईश = नदश

उ + ऊ = ऊ- लघ + ऊम = लघम

ऊ + उ = ऊ- वध + उसव = वधसव

ऊ + ऊ = ऊ - भ + ऊव = भव

2) गण वर सध -इस सध म अ आ क आग इ ई हो तो ए उ ऊ हो तो औ और

अगर ऋ हो तो अर हो जाता ह उस गण सध कहत ह

अ + इ = ए- नर + इ = नर अ + ई = ए- नर + ईश = नरश

आ + इ = ए- महा + इ = मह आ + ई = ए महा + ईश = महश

अ + उ = ओ ान + उपदश = ानोपदश आ+उ= ओ महा + उसव = महोसव

3) यण वर सध- इस सध म इ ई उ ऊ और ऋ क बाद कोई अलग वर आए

तो इनका परवतन मश य व और र म हो जाता ह

इ का य = इत +आद = इयाद ई का य = दवी +आवाहन = दयावाहन

उ का व = स +आगत = वागत ऊ का व = वध +आगमन = ववागमन

4) वध वर सध- आ + ए ऐ -gt ऐ

अ आ + ओ औ -gt औ

अ +ए =ऐ एक +एक = एकक अ +ऐ =ऐ मत +ऐय = मतय

अ +औ=औ परम +औषध = परमौषध आ +औ =औ महा +औषध = महौषध

आ +ओ =औ महा +ओघ = महौघ

5)अयाद वर सध- इस सध म ए ऐ और ओ औ क पशचात इह छोड़कर को

अय वर हो तो इनका परवतन मश अय आय अव आव म हो जाता ह )

ए का अय न +अन = नयन ऐ का आय न +अक = नायक

ओ का अव पो +अन = पवन औ का आव पौ +अन = पावन

न का परवतन ण म = ो +अन = वण

2)यजन सध- यजन क साथ वर अथवा यजन क मल स उस यजन म जो

पातरण होता ह उस यजन सध कहत ह

त+छव=तछव दक+अत=दगत

दक+गज=दगज अन+छद=अनछद

अच +अत = अजत

3)वसग सध - वसग क साथ वर या यजन का मल होन पर जो वकार होता ह उस

वसग सध कहत ह

मन+रथ=मनोरथ यश+अभलाषा=यशोभलाषा

अध+गत=अधोगत न+छल=नछल

द +गम = दगम

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गय-भाग

पाठ-12

(ततारा-वामीरो कथा )

(ललाधर मडलोई)

-लखक का परचय- ललाधर मडलोईमडलोई का जम भारतीय

राय मयदश क छदवाडा िजल क गढ़ नामक गाव म हआ मडलोई न भारत म बीए

बीएड (अज़ी) पाकारता म नातक और एमए (हद) तक शा हण कया और

इसक बाद व लदन चल गय जहा स सारण म उच-शा (सीआरट) हण क

मडलोई दरदशन आकाशवाणी क महानदशक सहत कई राय-अतरराय समतय क

साथ ह सार भारती बोड क सदय रह चक ह

-पाठ का सार-

जो सयता िजतनी अधक परानी होगी उतनी ह अधक कस -कहानया उसस जड़ी होती ह जो

हम सनन को मलती ह जो कस - कहानया हम सनन को मलती ह जर नह क वो उसी तरह

घटत हई हो िजस तरह वो हम सनाई जा रह हइतना जर होता ह क इन कस और कहानय

म कोई न कोई सीख छपी होती ह अदमान नकोबार वीपसमह म भी बहत तरह क कस -

कहानया मशहर ह इनम स कछ को ललाधर मडलोई न लखा ह

तत पाठ ततारा वामीरो कथा अडमान नकोबार वीप समह क एक छोट स वीप पर क त ह

उस वीप पर एक -दसर स शता का भाव अपनी अतम सीमा पर पहच चका था इस शता क

भावना को जड़ स उखाड़न क लए एक जोड़ को आमबलदान दना पड़ा था उसी जोड़ क बलदान

का वणन लखक न तत पाठ म कया ह

यार सबको एक साथ लाता ह और नफरत सब क बीच दरय को बढ़ाती हइस बात स भला कौन

इनकार कर सकता ह इसलए जो कोई भी समाज क लए अपन यार का अपन जीवन का

बलदान करता ह समाज न कवल उस याद रखता ह बिक उसक वारा कय गए याग और

बलदान को बकार नह जान दता यह वह कारण ह िजसक वजह स तकालन समाज क सामन

मसाल कायम करन वाल इस जोड़ को आज भी इस वीप क नवासी गव और धा स याद करत

-शदाथ-

-खला-म कड़ी -आदम ndashाभक

-वभत ndashबटा हआ -आमीय ndashअपना

-वलण ndashअसाधारण -बयार-मद हवा

त-एकाता -वकल-बचन

-सचार-उपन -असगत ndashअनचत

समोहतndash मध -झझलाना ndash चड़ना

-रोमाचत ndash पलकत -नचल- िथर

-अफवाह ndash उड़ती खबर -उफनना ndash उबाल आना

शमन ndashशात होना -घपना भकनाचभना

-न-उर-

1-ततारा और वामीरो क गाव क या थी

उर- ततारा और वामीरो क गाव क यह रत थी क ववाह क लए लड़क-लड़क का एक

ह गाव का होना जर था दसर गाव क यवक क साथ सबध असभव था

2-ततारा क तलवार क बार म लोग का या मत था

उर- ततारा क तलवार ययप लकड़ी क थी पर इसक बावजद लोग का मानना था क

उस तलवार म अभत दवीय शित थी ततारा तलवार को कभी अपन स अलग होन नह

दता था लोग यह मानत थ क ततारा अपन साहसक कारनाम इसी तलवार क कारण ह

कर पाता ह उसम बड़ी शित थी

3-नकोबार क लोग ततारा को य पसद करत थ

उर- नकोबार क लोग ततारा को उसक साहसी और परोपकार वभाव क कारण पसद करत

थ वह एक सदर और शितशाल यवक था वह सदा लोग क सहायता करता रहता था

ततारा एक नक और मददगार यित था वह अपन गाव वाल क ह नह समच

वीपवासय क सवा करना अपना धम समझता था सभी उसका आदर करत थ मसीबत

क घड़ी म वह लोग क पास तरत पहच जाता था

4- ाचीन काल म मनोरजन और शित-दशन क लए कस कार क आयोजन कए जात

उर- ाचीन काल म मनोरजन और शित-दशन क लए अ-श चलान सबधी

आयोजन तथा पश पव कए जात थ

5-lsquoततारा-वामीरो कथाrsquo का सदश पट किजए

उर- lsquoततारा-वामीरो कथाrsquo एक लोकगाथा ह इसम यह सदश दया गया ह क म को कसी

बधन जड़ता तथा सीमाओ म बाधना उचत नह ह यद कोई गाव दश या म को

पनपन क लए खला अवसर नह दता तो इसस सवनाश होता ह धरती म भदभाव बढ़त ह

पहल स बट हई धरती और अवसर नह दता तो इसस मानवता का य होता ह भावनाए

एक होन क बजाय खडत होती ह अतः गाव दश या अय सकण नयमो को तोड़कर

हम उदारता क साथ सबको अपनाना चाहए

7-नक ततारा और वामीरो क मय कस हई पठत पाठ क आधार पर लखए

उर- पश-पव क मौक पर ततारा और वामीरो को इकठा दखकर वामीरो क मा ोध म

उफन उठ उसन ततारा को तरह-तरह स अपमानत कया गाव क लोग भी ततारा क

वरोध म आवाज उठान लग यह ततारा क लए अहसनीय था वामीरो अब भी रोए जा रह

थी ततारा भी गस स भर उठा उस जहा ववाह क नषध परपरा पर ोभ था वह अपनी

असहायता पर खीझ वामीरो का दख उस और गहरा कर रहा था उस मालम नह था क

या कदम उठाना चाहए अनायास उसका हाथ तलवार क मढ़ पर जा टका ोध म उसन

तलवार नकाल और कछ वचार करता रहा ोध लगातार अिन क तरह बढ़ रहा था

लोग सहम उठ एक सनाटा-सा खच गया जब कोई राह न सझी तो ोध का शमन करन

क लए उसम शित भर उस धरती म घप दया और ताकत स उस खीचन लगा वह

पसीन स नहा उठा सब घबराए हए थ वह तलवार को अपनी तरफ खीचत-खीचत दर तक

पहच गया वह हाफ रहा था अचानक जहा एक लकर खच गई थी वहा एक दरार होन

लगी मानो धरती दो टकड़ो म बटन लगी हो एक गड़गड़ाहट-सी गजन लगी और लकर क

सीध म धरती फटती ह जा रह थी वीप क अतम सर तक ततारा धरती को मानो ोध

म काटता जा रहा था सभी याकल हो उठ लोग न ऐस य क कपना न क थी व

सहर उठ उधर वामीरो फटती हई धरती क कनार ततारा का नाम पकारत हए दौड़ रह थी

वीप दो टकड़ म वभत हो चका था ततारा और वामीरो वीप क साथ सम म धस

गए और उमय हो गई

8-शाम क समय सम कनार ततारा क ाकतक अनभत का वणन किजए

उर- एक शाम ततारा दन-भर क अथक परम क बाद सम कनार टहलन नकल

पड़ा सरज सम स लग तज तल डबन को था सम स ठडी बयार आ रह थी

पय क सायकालन चाहचाहाहट शनः शनः ीण ह को थी उसका मन शात था

वचारमन ततारा सम बाल पर बठकर सरज क अतम रग-बरगी करण को सम

पर नहारन लगा तभी कह पास म उस मधर गीत गजता सनाई दया गीत मान

बहता हआ उसक तरफ आ रहा हो बीच-बीच म लहर का सगीत सनाई दता गायन

भावी था क वह अपनी सध-बध खोन लगा लहर क एक बल वग न उसक ता भग

क चतय होत ह वह उधर बढ़न को ववश हो उठा िजधर स अब भी गीत क वर बह

रह थ वह वकल-सा उस तरफ़ बढ़ता गया अततः उसक नजर एक यवती पर पड़ी जो

ढलती हई शाम क सदय म बसध एकटक सम क दह पर डबत आकषक रगो को

नहारत हए गा रह थी यह एक शगार गीत था

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Vyakr`-vaKy-

bull वाय क सामन दए कोठक म ( radic का चह लगाकर बताए क वह वाय कस

कार का ह

क) नकोबार उस बहद म करत थ (नवाचक वधानवाचक नषधामक

वमयादबोधक)

ख) तमन एकाएक इतना मधर गाना अधरा य छोड़ दया नवाचक

वधानवाचक नषधामक वमयादबोधक)

ग) वामीरो क मा ोध म उफन उठ (नवाचक वधानवाचक नषधामक

वमयादबोधक)

घ) या तह गाव का नयम नह मालम नवाचक वधानवाचक नषधामक

वमयादबोधक)

ङ) वाह कतना सदर नाम ह (नवाचक वधानवाचक नषधामक

वमयादबोधक)

च) म तहारा राता छोड़ दगा

वमयादबोधक)

उर- क) वधानवाचक

ग) वधानवाचक

ङ) वमयादबोध

Ocirc-इस पाठ म lsquo दखना lsquo या क कई प आए ह

शदयोग म या अतर ह

Ocirc-उर-

म तहारा राता छोड़ दगा (नवाचक वधानवाचक नषधामक

ख) नवाचक

घ) नवा

च) वधानवाचक

या क कई प आए ह lsquo दखना lsquo क इन वभन

वाययोग वारा पट किजए

नषधामक

नवाचक

वधानवाचक

क इन वभन

-वाय क उदाहरण-

सचयन-भाग

पाठ-1 (हरहर काका )

-शदाथ -

तबयत - शरर क िथत यणा - यातना कलश कट

मनःिथत - मन क िथत चद - कछ

आसित ndash लगाव यावहारक - यावहार सबधी

वचारक - वचार सबधी दलार - यार

सयाना - यक बधमान तीा - इतज़ार

फ़लहाल - अभी इस समय मझधार - बीच म

वलन - लत हो जाना वकप - दसरा उपाय

चलत ndash चलनसार जात - जगाना

कलवर - शरर मनौती - मनत

परपरा - था णाल अधकाश - यादातर

समत ndash सथा सचालन - नयण चलाना

नयित - तनाती लगाया गया वमख - तकल

चपट - आघात हार अहाता-चार ओर स दवार स घरा हआ मदान

अखड ndash नवन वफोट - फट कर बाहर नकलना

आगमन - आन पर उपलय - सकत

सराहना ndash शसा निचत - बफ

-लखक का परचय-मथलवर का जम 31 दसबर 1950 को बहार क

भोजपर िजल क बसाडीह नामक गाव म हआ इनक पता व० ो० वशरोपन लाल थ

मथलवर क पता (ो० वशरोपन लाल) भी वलण तभा क धनी थ परत उनक

असाय बीमार न मथलवर क जीवन म आरभ स ह कठन सघष क बीज बो दय थ

पाठ सार-

लखक कहता ह क वह हरहर काका क साथ बहत गहर स जड़ा था लखक का हरहर

काका क त जो यार था वह लखक का उनक यावहार क और उनक वचार क कारण

था और उसक दो कारण थ पहला कारण था क हरहर काका लखक क पड़ोसी थ और

दसरा कारण लखक को उनक मा न बताया था क हरहर काका लखक को बचपन स ह

बहत यादा यार करत थ जब लखक यक हआ तो उसक पहल दोती भी हरहर काका

क साथ ह हई थी लखक क गाव क पव दशा म ठाकर जी का वशाल मदर था िजस

गाव क लोग ठाकरबार यान दवथान कहत थ लोग ठाकर जी स प क मनत मागत

मक़दम म जीत लड़क क शाद कसी अछ घर म हो जाए लड़क को नौकर मल जाए

आद मनत मागत थ मनत पर होन पर लोग अपनी ख़शी स ठाकरजी को पए ज़वर

और अनाज चढ़ाया करत थ िजसको बहत अधक ख़शी होती थी वह अपन खत का छोटा-

सा भाग ठाकरजी क नाम कर दता था और यह एक तरह स था ह बन गई लखक कहता

ह क उसका गाव अब गाव क नाम स नह बिक दव-थान क वजह स ह पहचाना जाता

था उसक गाव का यह दव-थान उस इलाक का सबस बड़ा और सध दवथान था

हरहर काका न अपनी परिथतओ क कारण दव-थान म जाना बद कर दया था मन

बहलान क लए लखक भी कभी-कभी दव-थान चला जाता था लकन लखक कहता ह क

वहा क साध-सत उस बलकल भी पसद नह थ यक व काम करन म कोई दलचपी

नह रखत थ भगवान को भोग लगान क नाम पर व दन क दोन समय हलवा-पड़ी

बनवात थ और आराम स पड़ रहत थ सारा काम वहा आए लोग स सवा करन क नाम पर

करवात थ व खद अगर कोई काम करत थ तो वो था बात बनवान का काम

लखक हरहर काका क बार म बताता हआ कहता ह क हरहर काका और उनक तीन भाई

ह सबक शाद हो चक ह हरहर काका क अतरत सभी तीन भाइय क बाल-बच ह

कछ समय तक तो हरहर काका क सभी चीज़ का अछ स यान रखा गया परत फर

कछ दन बाद हरहर काका को कोई पछन वाला नह था लखक कहता ह क अगर कभी

हरहर काका क शरर क िथत ठक नह होती तो हरहर काका पर मसीबत का पहाड़ ह

गर जाता यक इतन बड़ परवार क रहत हए भी हरहर काका को कोई पानी भी नह

पछता था बारामद क कमर म पड़ हए हरहर काका को अगर कसी चीज़ क जरत होती

तो उह खद ह उठना पड़ता एक दन उनका भतीजा शहर स अपन एक दोत को घर ल

आया उह क आन क ख़शी म दो-तीन तरह क सिज़या बजक चटनी रायता और भी

बहत कछ बना था सब लोग न खाना खा लया और हरहर काका को कोई पछन तक नह

आया हरहर काका गस म बरामद क ओर चल पड़ और जोर-जोर स बोल रह थ क

उनक भाई क पिनया या यह सोचती ह क व उह मत म खाना खला रह ह उनक

खत म उगन वाला अनाज भी इसी घर म आता ह

हरहर काका क गस का महत जी न लाभ उठान क सोची महत जी हरहर काका को

अपन साथ दव-थान ल आए और हरहर काका को समझान लग क उनक भाई का परवार

कवल उनक जमीन क कारण उनस जड़ा हआ ह कसी दन अगर हरहर काका यह कह द

क व अपन खत कसी और क नाम लख रह ह तो व लोग तो उनस बात करना भी बद

कर दग खन क रत ख़म हो जायग महत हरहर काका स कहता ह क उनक हस म

िजतन खत ह व उनको भगवान क नाम लख द ऐसा करन स उह सीध वग क ाित

होगी

सबह होत ह हरहर काका क तीन भाई दव-थान पहच गए तीन हरहर काका क पाव म

गर कर रोन लग और अपनी पिनय क गलती क माफ़ मागन लग और कहन लग क

व अपनी पिनय को उनक साथ कए गए इस तरह क यवहार क सज़ा दग हरहर काका

क मन म दया का भाव जाग गया और व फर स घर वापस लौट कर आ गए जब अपन

भाइय क समझान क बाद हरहर काका घर वापस आए तो घर म और घर वाल क

यवहार म आए बदलाव को दख कर बहत खश हो गए घर क सभी छोट-बड़ सभी लोग

हरहर काका का आदर-सकार करन लग

गाव क लोग जब भी कह बठत तो बात का ऐसा सलसला चलता िजसका कोई अत नह

था हर जगह बस उह क बात होती थी कछ लोग कहत क हरहर काका को अपनी

जमीन भगवान क नाम लख दनी चाहए इसस उम और अछा कछ नह हो सकता

इसस हरहर काका को कभी न ख़म होन वाल सध ात होगी इसक वपरत कछ

लोग क यह मानत थ क भाई का परवार भी तो अपना ह परवार होता ह अपनी

जायदाद उह न दना उनक साथ अयाय करना होगा हरहर काका क भाई उनस ाथना

करन लग क व अपन हस क जमीन को उनक नाम लखवा द इस वषय पर हरहर

काका न बहत सोचा और अत म इस परणाम पर पहच क अपन जीत-जी अपनी जायदाद

का वामी कसी और को बनाना ठक नह होगा फर चाह वह अपना भाई हो या मदर का

महत यक उह अपन गाव और इलाक क व कछ लोग याद आए िजहन अपनी िजदगी

म ह अपनी जायदाद को अपन रतदार या कसी और क नाम लखवा दया था उनका

जीवन बाद म कसी क क तरह हो गया था उह कोई पछन वाला भी नह था हरहर

काका बलकल भी पढ़-लख नह थ परत उह अपन जीवन म एकदम हए बदलाव को

समझन म कोई गलती नह हई और उहन फसला कर लया क व जीत-जी कसी को भी

अपनी जमीन नह लखग

लखक कहता ह क जस-जस समय बीत रहा था महत जी क परशानया बढ़ती जा

रह थी उह लग रहा था क उहन हरहर काका को फसान क लए जो जाल फ का

था हरहर काका उसस बाहर नकल गए ह यह बात महत जी को सहन नह हो रह

थी आधी रात क आस-पास दव-थान क साध-सत और उनक कछ साथी भाला

गड़ासा और बदक क साथ अचानक ह हरहर काका क आगन म आ गए इसस

पहल हरहर काका क भाई कछ सोच और कसी को अपनी सहायता क लए आवाज

लगा कर बलाए तब तक बहत दर हो गई थी हमला करन वाल हरहर काका को

अपनी पीठ पर डाल कर कह गायब हो गए थव हरहर काका को दव-थान ल गए

थ एक ओर तो दव-थान क अदर जबरदती हरहर काका क अगठ का नशान लन

और पकड़कर समझान का काम चल रहा था तो वह दसर ओर हरहर काका क

तीन भाई सबह होन स पहल ह पलस क जीप को लकर दव-थान पर पहच गए

थ महत और उनक साथय न हरहर काका को कमर म हाथ और पाव बाध कर

रखा था और साथ ह साथ उनक मह म कपड़ा ठसा गया था ताक व आवाज़ न कर

सक परत हरहर काका दरवाज़ तक लढ़कत हए आ गए थ और दरवाज़ पर अपन

पर स धका लगा रह थ ताक बाहर खड़ उनक भाई और पलस उह बचा सक

दरवाज़ा खोल कर हरहर काका को बधन स मत कया गया हरहर काका न

पलस को बताया क व लोग उह उस कमर म इस तरह बाध कर कह गत

दरवाज़ स भाग गए ह और उहन कछ खल और कछ लख हए कागज पर हरहर

काका क अगठ क नशान जबरदती लए ह

यह सब बीत जान क बाद हरहर काका फर स अपन भाइय क परवार क साथ रहन लग

गए थ चौबीस घट पहर दए जान लग थ यहा तक क अगर हरहर काका को कसी

काम क कारण गाव म जाना पड़ता तो हथयार क साथ चार-पाच लोग हमशा ह उनक

साथ रहन लग लखक कहता ह क हरहर काका क साथ जो कछ भी हआ था उसस हरहर

काका एक सीध-साद और भोल कसान क तलना म चालाक और बधमान हो गए थ

उह अब सब कछ समझ म आन लगा था क उनक भाइय का अचानक स उनक त जो

यवहार परवतन हो गया था उनक लए जो आदर-समान और सरा व दान कर रह थ

वह उनका कोई सग भाइय का यार नह था बिक व सब कछ उनक धन-दौलत क कारण

कर रह ह नह तो व हरहर काका को पछत तक नह जब स हरहर काका दव-थान स

वापस घर आए थ उसी दन स ह हरहर काका क भाई और उनक दसर नात-रतदार

सभी यह सोच रह थ क हरहर काका को क़ाननी तरक स उनक जायदाद को उनक

भतीज क नाम कर दना चाहए यक जब तक हरहर काका ऐसा नह करग तब तक

महत क तज़ नज़र उन पर टक रहगी जब हरहर काका क भाई हरहर काका को

समझात-समझात थक गए तो उहन हरहर काका को डाटना और उन पर दवाब डालना

श कर दया एक रात हरहर काका क भाइय न भी उसी तरह का यवहार करना श

कर दया जसा महत और उनक सहयोगय न कया था उह धमकात हए कह रह थ क

ख़शी-ख़शी कागज़ पर जहा-जहा जरत ह वहा-वहा अगठ क नशान लगत जाओ नह तो व

उह मार कर वह घर क अदर ह गाड़ दग और गाव क लोगो को इस बार म कोई सचना

भी नह मलगी हरहर काका क साथ अब उनक भाइय क मारपीट श हो गई जब

हरहर काका अपन भाइय का मकाबला नह कर पा रह थ तो उहन ज़ोर-ज़ोर स

चलाकर अपनी मदद क लए गाव वाल को आवाज लगाना श कर दया तब उनक

भाइय को यान आया क उह हरहर काका का मह पहल ह बद करना चाहए था उहन

उसी पल हरहर काका को जमीन पर पटका और उनक मह म कपड़ा ठस दया लकन तब

तक बहत दर हो गई थी हरहर काका क आवाज बाहर गाव म पहच गई थी हरहर काका

क परवार और रत-नात क लोग जब तक गाव वाल कोसमझात क यह सब उनक

परवार का आपसी मामला ह व सभी इसस दर रह तब तक महत जी बड़ी ह दता और

तज़ी स वहा पलस क जीप क साथ आ गए पलस न पर घर क अछ स तलाशी लना

श कर दया फर घर क अदर स हरहर काका को इतनी बर हालत म हासल कया गया

िजतनी बर हालत उनक दव-थान म भी नह हई थी हरहर काका न बताया क उनक

भाइय न उनक साथ बहत ह यादा बरा यवहार कया ह जबरदती बहत स कागज पर

उनक अगठ क नशान ल लए ह उह बहत यादा मारा-पीटा ह

इस घटना क बाद हरहर काका अपन परवार स एकदम अलग रहन लग थ उह उनक

सरा क लए चार राइफलधार पलस क जवान मल थ आचय क बात तो यह ह क

इसक लए उनक भाइय और महत क ओर स काफ़ यास कए गए थ असल म भाइय

को चता थी क हरहर काका अकल रहन लगग तो दव-थान क महत-पजार फर स

हरहर काका को बहला-फसला कर ल जायग और जमीन दव-थान क नाम करवा लग और

यह चता महत जी को भी थी क हरहर काका को अकला और असरत पा उनक भाई

फर स उह पकड़ कर मारग और जमीन को अपन नाम करवा लग लखक कहता ह क

हरहर काका स जड़ी बहत सी ख़बर गाव म फल रह थी जस-जस दन बड़ रह थ वस-वस

डर का मौहोल बन रहा था सभी लोग सफ यह सोच रह थ क हरहर काका न अमत तो

पया हआ ह नह तो मरना तो उनको एक दन ह ह और जब व मरग तो पर गाव म

तफ़ान आ जाएगा यक महत और हरहर काका क परवार क बीच जमीन को ल कर

लड़ाई हो जायगी

पलस क जवान हरहर काका क खच पर ह खब मौज-मती स रह रह थ िजसका धन

वह रह उपास खान वाल कर वलास अथात हरहर काका क पास धन था लकन उनक लए

अब उसका कोई महव नह था और पलस वाल बना कसी कारण स ह हरहर काका क

धन स मौज कर रह थ अब तक जो नह खाया था दोन वत उसका भोग लगा रह थ

-नोर-

1-कथावाचक और हरहर काका क बीच या सबध ह और इसक या कारण ह

1-कथावाचक जब छोटा था तब स ह हरहर काका उस बहत यार करत थ जब वह बड़ हो

गए तो वह हरहर काका क म बन गए गाव म इतनी गहर दोती और कसी स नह

हई हरहर काका उनस खल कर बात करत थ यह कारण ह क कथावाचक को उनक

एक-एक पल क खबर थी शायद अपना म बनान क लए काका न वय ह उस यार स

बड़ा कया और इतजार कया

2-हरहर काका को महत और भाई एक ह णी क य लगन लग

2-हरहर काका को अपन भाइय और महत म कोई अतर नह लगा दोन एक ह णी क

लग उनक भाइय क पिनय न कछ दन तक तो हरहर काका का यान रखा फर

बचीकची रोटया द नाता नह दत थ बमार म कोई पछन वाला भी न था िजतना भी

उह रखा जा रहा था उनक ज़मीन क लए था इसी तरह महत न एक दन तो बड़ यार

स खातर क फर ज़मीन अपन ठाकर बाड़ी क नाम करन क लए कहन लग काका क

मना करन पर उह अनक यातनाए द अपहरण करवाया मह म कपड़ा ठस कर एक कोठर

म बद कर दया जबरदती अगठ का नशान लया गया तथा उह मारा पीटा गया इस

तरह दोन ह कवल ज़मीन जायदाद क लए हरहर काका स यवहार रखत थ अत उह

दोन एक ह णी क लग

3-ठाकर बाड़ी क त गाव वाल क मन म अपार धा क जो भाव ह उसस उनक कस

मनोव का पता चलता ह

3-कहा जाता ह गाव क लोग भोल होत ह असल म गाव क लोग अधववासी धमभी होत

ह मदर जस थान को पव नकलक ान का तीक मानत ह पजार परोहत महत

जस िजतन भी धम क ठकदार ह उनपर अगाध धा रखत ह व चाह कतन भी

पतत वाथ और नीच ह पर उनका वरोध करत व डरत ह इसी कारण ठाकर बाड़ी क

त गाव वाल क अपार धा थी उनका हर सख-दख उसस जड़ा था

4-अनपढ़ होत हए भी हरहर काका दनया क बहतर समझ रखत ह कहानी क आधार पर

पट किजए

4-हरहर काका अनपढ़ थ फर भी उह दनयादार क बहद समझ थी उनक भाई लोग

उनस ज़बरदती ज़मीन अपन नाम करान क लए डरात थ तो उह गाव म दखावा करक

ज़मीन हथयान वालो क याद आती ह काका न उह दखी होत दखा ह इसलए उहन

ठान लया था चाह महत उकसाए चाह भाई दखावा कर वह ज़मीन कसी को भी नह दग

एक बार महत क उकसान पर भाइय क त धोखा नह करना चाहत थ परत जब भाइय

न भी धोखा दया तो उह समझ म आ गया उनक त उह कोई यार नह ह जो यार

दखात ह वह कवल ज़ायदाद क लए ह

5-हरहर काका को जबरन उठा ल जान वाल कौन थ उहन उनक साथ कसा यवहार

कया

5-महत न हरहर काका को बहत लोभन दए िजसस वह अपनी ज़मीन जायदाद ठाकर

बाड़ी क नाम कर द परत काका इस बात क लए तयार नह थ व सोच रह थ क या

भगवान क लए अपन भाइय स धोखा क यह उह सह भी नह लग रहा था महत को

यह बात पता लगी तो उसन छल और बल स रात क समय अकल दालान म सोत हए

हरहर काका को उठवा लया महत न अपन चल साधसतो क साथ मलकर उनक हाथ पर

बाध दए मह म कपड़ा ठस दया और जबरदती अगठ क नशान लए उह एक कमर म

बद कर दया जब पलस आई तो वय गत दरवाज़ स भाग गए

6-हरहर काका क मामल म गाव वाल क या राय थी और उसक या कारण थ

6-कहानी क आधार पर गाव क लोग को बना बताए पता चल गया क हरहर काका को

उनक भाई नह पछत इसलए सख आराम का लोभन दकर महत उह अपन साथ ल

गया भाई मनत करक काका को वापस ल आत ह इस तरह गाव क लोग दो प म

बट गए कछ लोग महत क तरफ़ थ जो चाहत थ क काका अपनी ज़मीन धम क नाम पर

ठाकर बाड़ी को द द ताक उह सख आराम मल मय क बाद मो यश मल महत ानी

ह वह सब कछ जानता ह लकन दसर प क लोग कहत क ज़मीन परवार वालो को द

जाए उनका कहना था इसस उनक परवार का पट भरगा मदर को ज़मीन दना अयाय

होगा इस तरह दोन प अपन-अपन हसाब स सोच रह थ परत हरहर काका क बार म

कोई नह सोच रहा था इन बात का एक कारण यह भी था क काका वधर थ और उनक

कोई सतान भी नह थी पह बीघ ज़मीन क लए इनका लालच वाभवक था

7-कहानी क आधार पर पट किजए क लखक न यह य कहा अान क िथत म ह

मनय मय स डरत ह ान होन क बाद तो आदमी आवयकता पड़न पर मय को वरण

करन क लए तयार हो जाता ह

7-जब काका को असलयत पता चल और उह समझ म आ गया क सब लोग उनक

ज़मीन जायदाद क पीछ ह तो उह व सभी लोग याद आ गए िजहन परवार वालो क मोह

माया म आकर अपनी ज़मीन उनक नाम कर द और मय तक तलतल करक मरत

रह दान-दान को मोहताज़ हो गए इसलए उहन सोचा क इस तरह रहन स तो एक बार

मरना अछा ह जीत जी ज़मीन कसी को भी नह दग य लोग मझ एक बार म ह मार

द अत लखक न कहा क अान क िथत म मनय मय स डरता ह परत ान होन

पर मय वरण को तयार रहता ह

8-समाज म रत क या अहमयत ह इस वषय पर अपन वचार कट किजए

8-आज समाज म मानवीय मय तथा पारवारक मय धीर-धीर समात होत जा रह ह

यादातर यित अपन वाथ क लए रत नभात ह अपनी आवयकताओ क हसाब स

मलत ह अमीर रतदार का समान करत ह उनस मलन को आतर रहत ह जबक गरब

रतदार स कतरात ह कवल वाथ सध क अहमयत रह गई ह आए दन हम

अखबार म समाचार पढ़त ह क ज़मीन जाय़दाद पस जवर क लए लोग घनौन स घनौना

काय कर जात ह (हया अपहरण आद) इसी कार इस कहानी म भी पलस न पहचती तो

परवार वाल महत जी (काका क) हया ह कर दत उह यह अफसोस रहा क व काका को

मार नह पाए

9-यद आपक आसपास हरहर काका जसी हालत म कोई हो तो आप उसक कस कार

मदद करग

9-यद हमार आसपास हरहर काका जसी हालत म कोई हो तो हम उसक पर तरह मदद

करन क कोशश करग उनस मलकर उनक दख का कारण पता करग उह अहसास

दलाएग क व अकल नह ह सबस पहल तो यह ववास कराएग क सभी यित लालची

नह होत ह इस तरह मौन रह कर दसर को मौका न द बिक उलास स शष जीवन

बताए रतदार स मलकर उनक सबध सधारन का यन करग

10-हरहर काका क गाव म यद मीडया क पहच होती तो उनक या िथत होती अपन

शद म लखए

10-यद काका क गाव म मीडया पहच जाती तो सबक पोल खल जाती महत व भाइय का

पदाफाश हो जाता अपहरण और जबरन अगठा लगवान क अपराध म उह जल हो जाती

अपना-अपना मोचा सभालना - अपनी िजमदार नबाहना

आसमान स जमीन पर गरना -उच िथत स नन िथत पर आना

खल कर बात करना- बना सकच क बात करना |

चपत हो जाना ndash भाग जाना |

जी-जान स जट जाना ndash खब महनत करना

िजतन मह उतनी बात होना- कई तरह क बात करना |

ततर-बतर होना ndash बखर जाना |

त-त म -म होना -झगड़ा होना |

नमक-मच लगाना- बढ़ा-चढ़कर कहना|

बात बनाना- बहान बनाना|

रग चढ़ना- असर होना|

मह न खोलना ndash कछ न बताना |

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पय-भाग

पाठ-4

मनयता ndashमथलशरण गत

-लखक का परचय-

-पाठ का सार व पिटकरण-

कत क अय ाणय क तलना म मनय म सोचन क शित अधक होती ह

वह अपन ह नह दसर क सख - दःख का भी याल रखता ह और दसर क लए

कछ करन म समथ होता ह जानवर जब चरागाह म जात ह तो कवल अपन लए

चर कर आत ह परत मनय ऐसा नह ह वह जो कछ भी कमाता ह जो कछ भी

बनाता ह वह दसर क लए भी करता ह और दसर क सहायता स भी करता ह

तत पाठ का कव अपन क सख - दःख क चता करन वाल को मनय तो

मानता ह परत यह मानन को तयार नह ह क उन मनय म मनयता क सार

गण होत ह कव कवल उन मनय को महान मानता ह जो अपन क सख - दःख

स पहल दसर क चता करत ह वह मनय म ऐस गण चाहता ह िजसक कारण

कोई भी मनय इस मयलोक स चल जान क बाद भी सदय तक दसर क याद म

रहता ह अथात वह मय क बाद भी अमर रहता ह

-पाठ सार-

इस कवता म कव मनयता का सह अथ समझान का यास कर रहा ह पहल

भाग म कव कहता ह क मय स नह डरना चाहए यक मय तो निचत ह पर

हम ऐसा कछ करना चाहए क लोग हम मय क बाद भी याद रख असल मनय

वह ह जो दसर क लए जीना व मरना सीख ल दसर भाग म कव कहता ह क

हम उदार बनना चाहए यक उदार मनय का हर जगह गण गान होता ह मनय

वह कहलाता ह जो दसर क चता कर तीसर भाग म कव कहता ह क पराण

म उन लोग क बहत उदाहरण ह िजह उनक याग भाव क लए आज भी याद

कया जाता ह सचा मनय वह ह जो याग भाव जान ल चौथ भाग म कव

कहता ह क मनय क मन म दया और कणा का भाव होना चाहए मनय वह

कहलाता ह जो दसर क लए मरता और जीता ह पाचव भाग म कव कहना चाहता

ह क यहा कोई अनाथ नह ह यक हम सब उस एक ईवर क सतान ह हम

भदभाव स ऊपर उठ कर सोचना चाहएछठ भाग म कव कहना चाहता ह क हम

दयाल बनना चाहए यक दयाल और परोपकार मनय का दवता भी वागत करत

ह अतः हम दसर का परोपकार व कयाण करना चाहएसातव भाग म कव कहता

ह क मनय क बाहर कम अलग अलग हो परत हमार वद साी ह क सभी क

आमा एक ह हम सब एक ह ईवर क सतान ह अतः सभी मनय भाई -बध ह

और मनय वह ह जो दःख म दसर मनय क काम आयअतम भाग म कव

कहना चाहता ह क वप और वन को हटात हए मनय को अपन चन हए रात

पर चलना चाहए आपसी समझ को बनाय रखना चाहए और भदभाव को नह

बढ़ाना चाहए ऐसी सोच वाला मनय ह अपना और दसर का कयाण और उधार

कर सकता ह

-याया

1-वचार लो क मय हो न मय स डरो कभी

मरो परत य मरो क याद जो कर सभी

हई न य समय तो वथा मर वथा िजए

मारा नह वह क जो िजया न आपक लए

वह पश- वत ह क आप आप ह चर

वह मनय ह क जो मनय क लए मर

सग - तत कवता हमार पाय पतक पश भाग -2 स ल गई ह इसक

कव मथलशरण गत ह इन पितओ म कव बताना चाहता ह क मनय को

कसा जीवन जीना चाहए

याया - कव कहता ह क हम यह जान लना चाहए क मय का होना निचत

ह हम मय स नह डरना चाहए कव कहता ह क हम कछ ऐसा करना चाहए क

लोग हम मरन क बाद भी याद रख जो मनय दसर क लए कछ भी ना कर सक

उनका जीना और मरना दोन बकार ह मर कर भी वह मनय कभी नह मरता जो

अपन लए नह दसर क लए जीता ह यक अपन लए तो जानवर भी जीत ह

कव क अनसार मनय वह ह जो दसर मनय क लए मर अथात जो मनय दसर

क चता कर वह असल मनय कहलाता ह

2-उसी उदार क कथा सरवती बखानती

उसी उदार स धरा कताथ भाव मानती

उसी उदार क सदा सजीव कत कजती

तथा उसी उदार को समत सिट पजती

अखड आम भाव जो असीम वव म भर

वह मनय ह क जो मनय क लए मर

सग - तत कवता हमार पाय पतक पश भाग -2 स ल गई ह इसक

कव मथलशरण गत ह इन पितओ म कव बताना चाहता ह क जो मनय

दसर क लए जीत ह उनका गणगान यग - यग तक कया जाता ह

याया - कव कहता ह क जो मनय अपन पर जीवन म दसर क चता करता

ह उस महान यित क कथा का गण गान सरवती अथात पतक म कया जाता

ह पर धरती उस महान यित क आभार रहती ह उस यित क बातचीत

हमशा जीवत यित क तरह क जाती ह और पर सिट उसक पजा करती ह

कव कहता ह क जो यित पर ससार को अखड भाव और भाईचार क भावना म

बाधता ह वह यित सह मायन म मनय कहलान योय होता ह

3-धात रतदव न दया करथ थाल भी

तथा दधीच न दया पराथ अिथजाल भी

उशीनर तीश न वमास दान भी कया

सहष वीर कण न शरर-चम भी दया

अनय दह क लए अनाद जीव या डर

वह मनय ह क जो मनय क लए मर

सग - तत कवता हमार पाय पतक पश भाग -2 स ल गई ह इसक

कव मथलशरण गत ह इन पितओ म कव न महान पष क उदाहरण दए ह

िजनक महानता क कारण उह याद कया जाता ह

याया - कव कहता ह क पौराणक कथाए ऐस यितओ क उदाहरण स भर

पड़ी ह िजहन अपना परा जीवन दसर क लए याग दया िजस कारण उह आज

तक याद कया जाता ह भख स परशान रतदव न अपन हाथ क आखर थाल भी

दान कर द थी और महष दधीच न तो अपन पर शरर क हडया व बनान क

लए दान कर द थी उशीनर दश क राजा शब न कबतर क जान बचान क लए

अपना परा मास दान कर दया था वीर कण न अपनी ख़शी स अपन शरर का

कवच दान कर दया था कव कहना चाहता ह क मनय इस नवर शरर क लए

य डरता ह यक मनय वह कहलाता ह जो दसर क लए अपन आप को याग

दता ह

4-सहानभत चाहए महावभत ह यह

वशीकता सदव ह बनी हई वय मह

वधभाव बध का दया-वाह म बहा

वनीत लोकवग या न सामन झका रहा

अहा वह उदार ह परोपकार जो कर

वह मनय ह क जो मनय क लए मर

सग - तत कवता हमार पाय पतक पश भाग -2 स ल गई ह इसक

कव मथलशरण गत ह इन पितओ म कव न महामा बध का उदाहरण दत

हए दया कणा को सबस बड़ा धन बताया ह

याया - कव कहता ह क मनय क मन म दया व कणा का भाव होना चाहए

यह सबस बड़ा धन ह वय ईवर भी ऐस लोग क साथ रहत ह इसका सबस

बड़ा उदाहरण महामा बध ह िजनस लोग का दःख नह दखा गया तो व लोक

कयाण क लए दनया क नयम क वध चल गए इसक लए या परा ससार

उनक सामन नह झकता अथात उनक दया भाव व परोपकार क कारण आज भी

उनको याद कया जाता ह और उनक पजा क जाती ह महान उस को कहा जाता ह

जो परोपकार करता ह वह मनय मनय कहलाता ह जो मनय क लए जीता ह

और मरता ह

5-रहो न भल क कभी मदाघ तछ व म

सनाथ जान आपको करो न गव च म

अनाथ कौन ह यहा लोकनाथ साथ ह

दयाल दन बध क बड़ वशाल हाथ ह

अतीव भायहन ह अधीर भाव जो कर

वह मनय ह क जो मनय क लए मर

सग - तत कवता हमार पाय पतक पश भाग -2 स ल गई ह इसक

कव मथलशरण गत ह इन पितओ म कव कहता ह क सपत पर कभी

घमड नह करना चाहए और कसी को अनाथ नह समझना चाहए यक ईवर

सबक साथ ह

याया - कव कहता ह क भल कर भी कभी सप या यश पर घमड नह करना

चाहए इस बात पर कभी गव नह करना चाहए क हमार साथ हमार अपन का

साथ ह यक कव कहता ह क यहा कौन सा यित अनाथ ह उस ईवर का

साथ सब क साथ ह वह बहत दयावान ह उसका हाथ सबक ऊपर रहता ह कव

कहता ह क वह यित भायहन ह जो इस कार का उतावलापन रखता ह यक

मनय वह यित कहलाता ह जो इन सब चीज स ऊपर उठ कर सोचता ह

6-अनत अतर म अनत दव ह खड़

सम ह वबाह जो बढ़ा रह बड़-बड़

परपरावलब स उठो तथा बढ़ो सभी

अभी अमय-अक म अपक हो चढ़ो सभी

रहो न या क एक स न काम और का सर

वह मनय ह क जो मनय क लए मर

सग - तत कवता हमार पाय पतक पश भाग -2 स ल गई ह इसक

कव मथलशरण गत ह इन पितओ म कव कहता ह क कलक रहत रहन व

दसर का सहारा बनन वाल मवषय का दवता भी वागत करत ह

याया - कव कहता ह क उस कभी न समात होन वाल आकाश म असय

दवता खड़ ह जो परोपकार व दयाल मनय का सामन स खड़ होकर अपनी भजाओ

को फलाकर वागत करत ह इसलए दसर का सहारा बनो और सभी को साथ म

लकर आग बड़ो कव कहता ह क सभी कलक रहत हो कर दवताओ क गोद म

बठो अथात यद कोई बरा काम नह करोग तो दवता तह अपनी गोद म ल लग

अपन मतलब क लए नह जीना चाहए अपना और दसर का कयाण व उधार

करना चाहए यक इस मरणशील ससार म मनय वह ह जो मनय का कयाण

कर व परोपकार कर

7-मनय माा बध ह यह बड़ा ववक ह

पराणपष वयभ पता सध एक ह

फलानसार कम क अवय बाय भद ह

परत अतरय म माणभत वद ह

अनथ ह क बध ह न बध क यथा हर

वह मनय ह क जो मनय क लए मर

सग - तत कवता हमार पाय पतक पश भाग -2 स ल गई ह इसक

कव मथलशरण गत ह इन पितओ म कव कहता ह क हम सब एक ईवर क

सतान ह अतः हम सभी मनय एक - दसर क भाई - बध ह

याया - कव कहता ह क यक मनय एक दसर क भाई - बध ह यह सबस

बड़ी समझ ह पराण म िजस वय उपन पष मना गया ह वह परमामा या

ईवर हम सभी का पता ह अथात सभी मनय उस एक ईवर क सतान ह

बाहर कारण क फल अनसार यक मनय क कम भल ह अलग अलग ह परत

हमार वद इस बात क साी ह क सभी क आमा एक ह कव कहता ह क यद

भाई ह भाई क दःख व कट का नाश नह करगा तो उसका जीना यथ ह यक

मनय वह कहलाता ह जो बर समय म दसर मनय क काम आता ह

8-चलो अभीट माग म सहष खलत हए

वपवन जो पड़ उह ढकलत हए

घट न हलमल हा बढ़ न भनता कभी

अतक एक पथ क सतक पथ ह सभी

तभी समथ भाव ह क तारता हआ तर

वह मनय ह क जो मनय क लए मर

सग - तत कवता हमार पाय पतक पश भाग -2 स ल गई ह इसक

कव मथलशरण गत ह इन पितओ म कव कहता ह क यद हम ख़शी ससार

कट को हटत हए भदभाव रहत रहग तभी सभव ह क समाज क उनत होगी

याया - कव कहता ह क मनय को अपनी इछा स चन हए माग म ख़शी

ख़शी चलना चाहएरात म कोई भी सकट या बाधाए आय उह हटात चल जाना

चाहए मनय को यह यान रखना चाहए क आपसी समझ न बगड़ और भद

भाव न बड़ बना कसी तक वतक क सभी को एक साथ ल कर आग बढ़ना चाहए

तभी यह सभव होगा क मनय दसर क उनत और कयाण क साथ अपनी

समध भी कायम कर

-ननलखत न क उर दिजय ndash

1-कव न कसी मय को समय कहा ह

1-कव न ऐसी मय को समय कहा ह िजसम मनय अपन स पहल दसर क चता

करता ह और परोपकार क राह को चनता ह िजसस उस मरन क बाद भी याद कया

जाता ह

2-उदार यित क पहचान कस हो सकती ह

2- उदार यित परोपकार होता ह वह अपन स पहल दसर क चता करता ह और

लोक कयाण क लए अपना जीवन याग दता ह

3-कव न दधीच कण आद महान यितओ क उदाहरण द कर मनयता क लए

या उदाहरण दया ह

3- कव न दधीच कण आद महान यितओ क उदाहरण द कर मनयता क

लए यह सदश दया ह क परोपकार करन वाला ह असल मनय कहलान योय

होता ह मानवता क रा क लए दधीच न अपन शरर क सार अिथया दान कर

द थीकण न अपनी जान क परवाह कय बना अपना कवच द दया था िजस

कारण उह आज तक याद कया जाता ह कव इन उदाहरण क वारा यह

समझाना चाहता ह क परोपकार ह सची मनयता ह

4- कव न कन पितय म यह यत कया ह क हम गव - रहत जीवन यतीत

करना चाहए

4- कव न ननलखत पितय म गव रहत जीवन यतीत करन क बात कह ह-

रहो न भल क कभी मगाघ तछ व म

सनाथ जान आपको करो न गव च म

अथात सपत क घमड म कभी नह रहना चाहए और न ह इस बात पर गव

करना चाहए क आपक पास आपक अपन का साथ ह यक इस दनया म कोई

भी अनाथ नह ह सब उस परम पता परमवर क सतान ह

5- मनय मा बध ह स आप या समझत ह पट किजए

5- मनय मा बध ह अथात हम सब मनय एक ईवर क सतान ह अतः हम

सब भाई - बध ह भाई -बध होन क नात हम भाईचार क साथ रहना चाहए और

एक दसर का बर समय म साथ दना चाहए

6- कव न सबको एक होकर चलन क रणा य द ह

6- कव न सबको एक होकर चलन क रणा इसलए द ह ताक आपसी समझ न

बगड़ और न ह भदभाव बड़ सब एक साथ एक होकर चलग तो सार बाधाए मट

जाएगी और सबका कयाण और समध होगी

7- यित को कस तरह का जीवन यतीत करना चाहए इस कवता क आधार पर

लखए

7-मनय को परोपकार का जीवन जीना चाहए अपन स पहल दसर क दख क

चता करनी चाहए कवल अपन बार म तो जानवर भी सोचत ह कव क अनसार

मनय वह कहलाता ह जो अपन स पहल दसर क चता कर

8- मनयता कवता क वारा कव या सदश दना चाहता ह

8- मनयता कवता क मायम स कव यह सदश दना चाहता ह क परोपकार ह

सची मनयता ह परोपकार ह एक ऐसा साधन ह िजसक मायम स हम यग तक

लोगो क दल म अपनी जगह बना सकत ह और परोपकार क वारा ह समाज का

कयाण व समध सभव ह अतः हम परोपकार बनना चाहए ताक हम सह

मायन म मनय कहलाय

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-याकरण-

पदबध- परभाषा

पद- वाय स अलग रहन पर शद और वाय म यत हो जान पर शद

पद कहलात ह दसर शद म- वाय म यत शद पद कहलाता ह पदबध-

जब दो या अधक (शद) पद नयत म और निचत अथ म कसी पद का

काय करत ह तो उह पदबध कहत ह

पदबध क भद

मय पद क आधार पर पदबध क पाच कार होत ह-

(1) सा-पदबध (2) वशषण-पदबध

(3) सवनाम पदबध (4) या पदबध

(5) अयय पदबध

(1) सा-पदबध-

(a)चार ताकतवर मजदर इस भार चीज को उठा पाए

(b) राम न लका क राजा रावण को मार गराया

(c) अयोया क राजा दशरथ क चार प थ

(d) आसमान म उड़ता गबारा फट गया

2) वशषण पदबध-

a) तज चलन वाल गाड़या ायः दर स पहचती ह

(b) उस घर क कोन म बठा हआ आदमी जासस ह

(c) उसका घोड़ा अयत सदर फरतीला और आाकार ह

(d) बरगद और पीपल क घनी छाव स हम बहत सख मला

3) सवनाम पदबध-

(a)बजल-सी फरती दखाकर आपन बालक को डबन स बचा लया

(b)शरारत करन वाल छा म स कछ पकड़ गए

(c)वरोध करन वाल लोग म स कोई नह बोला

4) या पदबध-

(a) वह बाजार क ओर आया होगा

(b) मझ मोहन छत स दखाई द रहा ह

(c) सरश नद म डब गया

(d) अब दरवाजा खोला जा सकता ह

5) अयय पदबध-

(a)अपन सामान क साथ वह चला गया

(b)सबह स शाम तक वह बठा रहा

कसी भी भाषा क व शद अयय (Indeclinable या inflexible) कहलात ह िजनक प म

लग वचन पष कारक काल इयाद क कारण कोई वकार उप नह होता

चक अयय का पातर नह होता इसलए ऐस शद अवकार होत ह अयय का शािदक

अथ ह- जो यय न हो

(i) कालवाचक अयय- इनम समय का बोध होता ह जस- आज कल तरत पीछ पहल अब

जब तब कभी-कभी कब अब स नय जब स सदा स अभी तभी आजकल और कभी

उदाहरणाथ-

अब स ऐसी बात नह होगी

ऐसी बात सदा स होती रह ह

वह कब आया मझ पता नह

(ii) थानवाचक अयय- इसस थान का बोध होता ह जस- यहा वहा कहा जहा यहा स

वहा स इधर-उधर उदाहरणाथ-

वह यहा नह ह

वह कहा जायगा

वहा कोई नह ह

जहा तम हो वहा म ह

(iii) दशावाचक अयय- इसस दशा का बोध होता ह जस- इधर उधर िजधर दर पर अलग

दाहन बाए आरपार

(iv) िथतवाचक अयय- नीच ऊपर तल सामन बाहर भीतर इयाद

अयय क भद

अयय ननलखत चार कार क होत ह -

(1) यावशषण (Adverb)

(2) सबधबोधक (Preposition)

(3) समचयबोधक (Conjunction)

(4) वमयादबोधक (Interjection)

(1) यावशषण - िजन शद स या वशषण या दसर यावशषण क वशषता कट

हो उह यावशषण कहत ह

दसर शदो म- जो शद या क वशषता बतलात ह उह या वशषण कहा जाता ह

जस- राम धीर-धीर टहलता ह राम वहा टहलता ह राम अभी टहलता ह

इन वाय म धीर-धीर वहा और अभी राम क टहलन (या) क वशषता बतलात ह य

यावशषण अवकार वशषण भी कहलात ह इसक अतरत यावशषण दसर

यावशषण क भी वशषता बताता ह

वह बहत धीर चलता ह इस वाय म बहत यावशषण ह यक यह दसर यावशषण

धीर क वशषता बतलाता ह

या वशषण क कार

(1) योग क अनसार- (i) साधारण (ii) सयोजक (iii) अनबध

(2) प क अनसार- (i) मल यावशषण (ii) यौगक यावशषण (iii) थानीय यावशषण

(3) अथ क अनसार- (i) परमाणवाचक (ii) रतवाचक

(1) योग क अनसार यावशषण क भद

योग क अनसार यावशषण क तीन भद ह-

(i) साधारण यावशषण- िजन यावशषण का योग कसी वाय म वत होता ह

उह साधारण यावशषण कहा जाता ह

जस- हाय अब म या क बटा जद आओ अर साप कहा गया

(ii) सयोजक यावशषण- िजन यावशषण का सबध कसी उपवाय स रहता ह उह

सयोजक यावशषण कहा जाता ह

जस- जब रोहताव ह नह तो म ह जीकर या कगी जहा अभी सम ह वहा कसी

समय जगल था

(iii) अनबध यावशषण- िजन यावशषण क योग अवधारण (नचय) क लए कसी

भी शदभद क साथ होता हो उह अनबध यावशषण कहा जाता ह

जस- यह तो कसी न धोखा ह दया ह मन उस दखा तक नह

(2) प क अनसार यावशषण क भद

प क अनसार यावशषण क तीन भद ह-

(i) मल यावशषण- ऐस यावशषण जो कसी दसर शद क मल स नह बनत मल

यावशषण कहलात ह

जस- ठक दर अचानक फर नह

(ii) यौगक यावशषण- ऐस यावशषण जो कसी दसर शद म यय या पद जोड़न

पर बनत ह यौगक यावशषण कहलात ह

जस- मन स िजसस चपक स भल स दखत हए यहा तक झट स वहा पर यौगक

यावशषण सा सवनाम वशषण धात और अयय क मल स बनत ह

यौगक यावशषण नीच लख शद क मल स बनत ह-

(i) साओ क वित स- घर-घर घड़ी-घड़ी बीच-बीच हाथ-हाथ

(ii) दो भ साओ क मल स- दन-रात साझ-सबर घर-बाहर दश-वदश

(iii) वशषण क वित स- एक-एक ठक-ठक साफ-साफ

(iv) यावशषण क वित स- धीर-धीर जहा-तहा कब-कब कहा-कहा

(v) दो यावशषण क मल स- जहा-तहा जहा-कह जब-तब जब-कभी कल-परस आस-पास

(vi) दो भ या समान यावशषण क बीच न लगान स- कभी-न-कभी कछ-न-कछ

(vii) अनकरण वाचक शद क वित स- पटपट तड़तड़ सटासट धड़ाधड़

(viii) सा और वशषण क योग स- एक साथ एक बार दो बार

(ix) अय य और दसर शद क मल स- तदन यथाम अनजान आजम

(x) पवकालक कदत और वशषण क मल स- वशषकर बहतकर मयकर एक-एककर

(iii) थानीय यावशषण- ऐस यावशषण जो बना पातर क कसी वशष थान म

आत ह थानीय यावशषण कहलात ह

जस- वह अपना सर पढ़गा

वह दौड़कर चलत ह

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  • (1) अरथ की दषटि स शबद-भद13
  • (2) परयोग की दषटि स शबद-भद13
  • (3) उतपति की दषटि स शबद-भद13
  • 1) सवर सधि-13
  • परति+छवि=परतिचछवि दिक+अनत=दिगनत दिक+गज=दिगगज अन+छद=अनचछद अच +अनत = अजनत 13
  • 3)विसरग सधि - विसरग क साथ सवर या वयजन का मल होन पर जो विकार होता ह उस 13
  • विसरग सधि कहत ह 13
  • मन+रथ=मनोरथ यश+अभिलाषा=यशोभिलाषा अध+गति=अधोगति नि+छल=निशछल द +गम = दरगम 13
    • -पाठ सार-13
    • -वयाखया13
    • -निमनलिखित परशनो क उततर दीजिय ndash13
    • 1-कवि न कसी मतय को समतय कहा ह13
    • अवयय क भद13
    • करिया विशषण क परकार13
Page 11: Class –X HINDI JUNE SYLLABUS 2020 Chapters:- Ch-1-Sanchayan …punainternationalschool.com/assets/upload/ck-images/Std-10th=Jun… · -harihar kaka . पय-भाग पाठ-3

शदाथ-

पराव ndashफर स आना अपन-हम या म

गत-घम घम कर चौकदार करना साजट ndashसना म एक पद

मोनमट-मारक काउिसल-परष

चौरगी-कलकाता का एक थान वालटयर ndashवयम सवक

सगीन ndashगभीर

-न उर-

-ननलखत न क उर (10-12 शद म) लखए minus

1-कलका वासय क लए 26 जनवर 1931 का दन य महवपण था

1-दश का वतता दवस एक वष पहल इसी दन मनाया गया था इसस पहल बगाल

वासय क भमका नह थी अब व य तौर पर जड़ गए इसलए यह महवपण

दन था

2-सभाष बाब क जलस का भार कस पर था

2-सभाषा बाब क जलस का भार पणदास पर था परत पलस न उह पकड़ लया

3-वयाथ सघ क मी अवनाश बाब क झडा गाड़न पर या तया हई

3-बगाल ातीय वयाथ सघ क मी अवनाश बाब न जस ह झडा गाड़ा पलस न

उह पकड़ लया और लोग पर लाठया चलाई

4-लोग अपन-अपन मकान व सावजनक थल पर राय झडा फहराकर कस बात का

सकत दना चाहत थ

4-लोग अपन-अपन मकान व सावजनक थल पर राय झडा फहराकर बताना चाहत

थ क व अपन को आज़ाद समझ कर आज़ाद मना रह ह उनम जोश और उसाह ह

5-पलस न बड़-बड़ पाक और मदान को य घर लया था

5-आज़ाद मनान क लए पर कलका शहर म जनसभाओ और झडारोहण उसव का

आयोजन कया गया इसलए पाक और मदान को घर लया था

-ननलखत न क उर (25-30 शद म) लखए minus

1-26 जनवर 1931 क दन को अमर बनान क लए या-या तयारया क ग

1-26 जनवर 1931 क दन को अमर बनान क लए कलका शहर न शहर म जगह-

जगह झड लगाए गए थ कई थान पर जलस नकाल गए तथा झड़ा फहराया गया

था टोलया बनाकर भीड़ उस थान पर जटन लगी जहा सभाष बाब का जलस पहचना

था पलस क लाठचाज तथा गरफ़तार लोग क जोश को कम न कर पाए

2-आज जो बात थी वह नराल थीrsquo minus कस बात स पता चल रहा था क आज का दन

अपन आप म नराला ह पट किजए

2-आज का दन नराला इसलए था यक वतता दवस मनान क थम आव

थी पलस न सभा करन को गरकाननी कहा था कत सभाष बाब क आवान पर पर

कलका म अनक सगठन क मायम स जलस व सभाओ क जोशील तयार थी परा

शहर झड स सजा था तथा कसल न मोनमद क नीच झडा फहरान और वतता क

ता पढ़न का सरकार को खला चलज दया हआ था पलस भरपर तयार क बाद भी

कामयाब नह हो पाई

3-पलस कमनर क नोटस और कसल क नोटस म या अतर था

3-पलस कमनर न नोटस नकाला था क कोई भी जनसभा करना या जलस

नकालना कानन क खलाफ़ होगा सभाओ म भाग लन वाल को दोषी माना जाएगा

कसल न नोटस नकाला था क मोनमट क नीच चार बजकर चौबीस मनट पर झडा

फहराया जाएगा तथा वतता क ता पढ़ जाएगी इस कार य दोन नोटस एक

दसर क खलाफ़ थ

4-धमतल क मोड़ पर आकर जलस य टट गया

4-जब सभाष बाब को पकड़ लया गया तो िया जलस बनाकर चल परत पलस न

लाठ चाज स उह रोकना चाहा िजसस कछ लोग वह बठ गए कछ घायल हो गए और

कछ पलस वारा गरतार कर लए गए इसलए जलस टट गया

5-डा दासगता जलस म घायल लोग क दख-रख तो कर रह थ उनक फ़ोटो भी

उतरवा रह थ उन लोग क फ़ोटो खीचन क या वजह हो सकती थी पट किजए

5-डा दास गता लोग क फ़ोटो खचवा रह थ इसस अज़ क जम का पदाफ़ाश

कया जा सकता था दसरा यह भी पता चल सकता था क बगाल म वतता क लड़ाई

म बहत काम हो रहा ह

-ननलखत न क उर (50-60 शद म) लखए minus

1-सभाष बाब क जलस म ी समाज क या भमका थी

1-सभाष बाब क जलस म ी समाज क महवपण भमका रह थी भार पलस

यवथा क बाद भी जगह-जगह ी जलस क लए टोलया बन गई थी मोनमट पर

भी िय न नडर होकर झडा फहराया अपनी गरतारया करवाई तथा उनपर लाठया

बरसाई इनसब क बाद भी िया लाल बाज़ार तक आग बढ़ती ग

2-जलस क लाल बाज़ार आन पर लोग क या दशा हई

2-जलस क लाल बाज़ार आन पर भीड़ बकाब हो गई पलस डड बरसा रह थी लोग

को लॉकअप म भज रह थी िया भी अपनी गरफ़तार द रह थी दल क दल नार

लगा रह थ लोग का जोश बढ़ता ह जा रहा था लाठ चाज स लोग घायल हो गए थ

खन बह रहा था चीख पकार मची थी फर भी उसाह बना हआ था

3-जब स कानन भग का काम श हआ ह तब स आज तक इतनी बड़ी सभा ऐस मदान म

नह क गई थी और यह सभा तो कहना चाहए क ओपन लड़ाई थीrsquo यहा पर कौन स और

कसक वारा लाग कए गए कानन को भग करन क बात कह गई ह या कानन भग

करना उचत था पाठ क सदभ म अपन वचार कट किजए

3-इस समय दश क आज़ाद क लए हर यित अपना सवव लटान को तयार था अज़

न कानन बनाकर आदोलन जलस को गर काननी घोषत कया हआ था परत लोग पर

इसका कोई असर नह था व आज़ाद क लए अपना दशन करत रह गलामी क जजीर

को तोड़न का यास करत रह थ

4-बहत स लोग घायल हए बहत को लॉकअप म रखा गया बहत-सी िया जल ग फर

भी इस दन को अपव बताया गया ह आपक वचार म यह सब अपव य ह अपन शद

म लखए

4-सभाष च बोस क नतव म कलका वासय न वतता दवस मनान क तयार ज़ोर-

शोर स क थी पलस क सती लाठ चाज गरफ़तारया इन सब क बाद भी लोग म

जोश बना रहा लोग झड फहरात वद मातरम बोलत हए खन बहात हए भी जलस

नकालन को तपर थ जलस टटता फर बन जाता कलका क इतहास म इतन चड

प म लोग को पहल कभी नह दखा गया था

आशय पट किजए minus

1-आज तो जो कछ हआ वह अपव हआ ह बगाल क नाम या कलका क नाम पर कलक

था क यहा काम नह हो रहा ह वह आज बहत अश म धल गया

1-हजार ी पष न जलस म भाग लया आज़ाद क सालगरह मनान क लए बना

कसी डर क दशन कया पलस क बनाए कानन क जलस आद गर काननी काय आद

क भी परवाह नह क पलस क लाठ चाज होन पर लोग घायल हो गए खन बहन लग

परत लोग म जोश क कोई कमी नह थी बगाल क लए कहा जाता था क वतता क

लए बहत यादा योगदान नह दया जा रहा ह आज क िथत को दखकर उन पर स

यह कलक मट गया

2-खला चलज दकर ऐसी सभा पहल नह क गई थी

2- पलस न कोई दशन न हो इसक लए कानन नकाला क कोई जलस आद आयोिजत

नह होगा परत सभाष बाब क अयता म कसल न नोटस नकाला था क मोनमट क

नीच झडा फहराया जाएगा और वतता क ता पढ़ जाएगी सभी को इसक लए

आमत कया गया खब चार भी हआ सार कलक म झड फहराए गए थ सरकार और

आम जनता म खल लड़ाई थी|

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याकरण-सध

याया -1-सध शद का अथ ह lsquoमलrsquo दो नकटवत वण क आपसी मल स जो परवतन होता

ह उस सध कहलाता ह सम + तोष = सतोष दव + इ = दव भान + उदय = भानदय

सध तीन कार ह

1-वर सध

2- यजन सध

3- वसग सध

1) वर सध-

दो वर क आस -पास आन पर उनम जो परवतन होता ह उस वर सध कहत ह

जस ndash वया + आलय = वयालय

1) दघ वर सध

अ इ उ क बाद दघ अ इ उ आ जाए तो दोनो मलकर दघ सध आ ई ऊ हो जात

अ + आ = आ हम + आलय = हमालय

इ + ई = ई - गर + ईश = गरश

ई + इ = ई - मह + इ = मह

ई + ई = ई - नद + ईश = नदश

उ + ऊ = ऊ- लघ + ऊम = लघम

ऊ + उ = ऊ- वध + उसव = वधसव

ऊ + ऊ = ऊ - भ + ऊव = भव

2) गण वर सध -इस सध म अ आ क आग इ ई हो तो ए उ ऊ हो तो औ और

अगर ऋ हो तो अर हो जाता ह उस गण सध कहत ह

अ + इ = ए- नर + इ = नर अ + ई = ए- नर + ईश = नरश

आ + इ = ए- महा + इ = मह आ + ई = ए महा + ईश = महश

अ + उ = ओ ान + उपदश = ानोपदश आ+उ= ओ महा + उसव = महोसव

3) यण वर सध- इस सध म इ ई उ ऊ और ऋ क बाद कोई अलग वर आए

तो इनका परवतन मश य व और र म हो जाता ह

इ का य = इत +आद = इयाद ई का य = दवी +आवाहन = दयावाहन

उ का व = स +आगत = वागत ऊ का व = वध +आगमन = ववागमन

4) वध वर सध- आ + ए ऐ -gt ऐ

अ आ + ओ औ -gt औ

अ +ए =ऐ एक +एक = एकक अ +ऐ =ऐ मत +ऐय = मतय

अ +औ=औ परम +औषध = परमौषध आ +औ =औ महा +औषध = महौषध

आ +ओ =औ महा +ओघ = महौघ

5)अयाद वर सध- इस सध म ए ऐ और ओ औ क पशचात इह छोड़कर को

अय वर हो तो इनका परवतन मश अय आय अव आव म हो जाता ह )

ए का अय न +अन = नयन ऐ का आय न +अक = नायक

ओ का अव पो +अन = पवन औ का आव पौ +अन = पावन

न का परवतन ण म = ो +अन = वण

2)यजन सध- यजन क साथ वर अथवा यजन क मल स उस यजन म जो

पातरण होता ह उस यजन सध कहत ह

त+छव=तछव दक+अत=दगत

दक+गज=दगज अन+छद=अनछद

अच +अत = अजत

3)वसग सध - वसग क साथ वर या यजन का मल होन पर जो वकार होता ह उस

वसग सध कहत ह

मन+रथ=मनोरथ यश+अभलाषा=यशोभलाषा

अध+गत=अधोगत न+छल=नछल

द +गम = दगम

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गय-भाग

पाठ-12

(ततारा-वामीरो कथा )

(ललाधर मडलोई)

-लखक का परचय- ललाधर मडलोईमडलोई का जम भारतीय

राय मयदश क छदवाडा िजल क गढ़ नामक गाव म हआ मडलोई न भारत म बीए

बीएड (अज़ी) पाकारता म नातक और एमए (हद) तक शा हण कया और

इसक बाद व लदन चल गय जहा स सारण म उच-शा (सीआरट) हण क

मडलोई दरदशन आकाशवाणी क महानदशक सहत कई राय-अतरराय समतय क

साथ ह सार भारती बोड क सदय रह चक ह

-पाठ का सार-

जो सयता िजतनी अधक परानी होगी उतनी ह अधक कस -कहानया उसस जड़ी होती ह जो

हम सनन को मलती ह जो कस - कहानया हम सनन को मलती ह जर नह क वो उसी तरह

घटत हई हो िजस तरह वो हम सनाई जा रह हइतना जर होता ह क इन कस और कहानय

म कोई न कोई सीख छपी होती ह अदमान नकोबार वीपसमह म भी बहत तरह क कस -

कहानया मशहर ह इनम स कछ को ललाधर मडलोई न लखा ह

तत पाठ ततारा वामीरो कथा अडमान नकोबार वीप समह क एक छोट स वीप पर क त ह

उस वीप पर एक -दसर स शता का भाव अपनी अतम सीमा पर पहच चका था इस शता क

भावना को जड़ स उखाड़न क लए एक जोड़ को आमबलदान दना पड़ा था उसी जोड़ क बलदान

का वणन लखक न तत पाठ म कया ह

यार सबको एक साथ लाता ह और नफरत सब क बीच दरय को बढ़ाती हइस बात स भला कौन

इनकार कर सकता ह इसलए जो कोई भी समाज क लए अपन यार का अपन जीवन का

बलदान करता ह समाज न कवल उस याद रखता ह बिक उसक वारा कय गए याग और

बलदान को बकार नह जान दता यह वह कारण ह िजसक वजह स तकालन समाज क सामन

मसाल कायम करन वाल इस जोड़ को आज भी इस वीप क नवासी गव और धा स याद करत

-शदाथ-

-खला-म कड़ी -आदम ndashाभक

-वभत ndashबटा हआ -आमीय ndashअपना

-वलण ndashअसाधारण -बयार-मद हवा

त-एकाता -वकल-बचन

-सचार-उपन -असगत ndashअनचत

समोहतndash मध -झझलाना ndash चड़ना

-रोमाचत ndash पलकत -नचल- िथर

-अफवाह ndash उड़ती खबर -उफनना ndash उबाल आना

शमन ndashशात होना -घपना भकनाचभना

-न-उर-

1-ततारा और वामीरो क गाव क या थी

उर- ततारा और वामीरो क गाव क यह रत थी क ववाह क लए लड़क-लड़क का एक

ह गाव का होना जर था दसर गाव क यवक क साथ सबध असभव था

2-ततारा क तलवार क बार म लोग का या मत था

उर- ततारा क तलवार ययप लकड़ी क थी पर इसक बावजद लोग का मानना था क

उस तलवार म अभत दवीय शित थी ततारा तलवार को कभी अपन स अलग होन नह

दता था लोग यह मानत थ क ततारा अपन साहसक कारनाम इसी तलवार क कारण ह

कर पाता ह उसम बड़ी शित थी

3-नकोबार क लोग ततारा को य पसद करत थ

उर- नकोबार क लोग ततारा को उसक साहसी और परोपकार वभाव क कारण पसद करत

थ वह एक सदर और शितशाल यवक था वह सदा लोग क सहायता करता रहता था

ततारा एक नक और मददगार यित था वह अपन गाव वाल क ह नह समच

वीपवासय क सवा करना अपना धम समझता था सभी उसका आदर करत थ मसीबत

क घड़ी म वह लोग क पास तरत पहच जाता था

4- ाचीन काल म मनोरजन और शित-दशन क लए कस कार क आयोजन कए जात

उर- ाचीन काल म मनोरजन और शित-दशन क लए अ-श चलान सबधी

आयोजन तथा पश पव कए जात थ

5-lsquoततारा-वामीरो कथाrsquo का सदश पट किजए

उर- lsquoततारा-वामीरो कथाrsquo एक लोकगाथा ह इसम यह सदश दया गया ह क म को कसी

बधन जड़ता तथा सीमाओ म बाधना उचत नह ह यद कोई गाव दश या म को

पनपन क लए खला अवसर नह दता तो इसस सवनाश होता ह धरती म भदभाव बढ़त ह

पहल स बट हई धरती और अवसर नह दता तो इसस मानवता का य होता ह भावनाए

एक होन क बजाय खडत होती ह अतः गाव दश या अय सकण नयमो को तोड़कर

हम उदारता क साथ सबको अपनाना चाहए

7-नक ततारा और वामीरो क मय कस हई पठत पाठ क आधार पर लखए

उर- पश-पव क मौक पर ततारा और वामीरो को इकठा दखकर वामीरो क मा ोध म

उफन उठ उसन ततारा को तरह-तरह स अपमानत कया गाव क लोग भी ततारा क

वरोध म आवाज उठान लग यह ततारा क लए अहसनीय था वामीरो अब भी रोए जा रह

थी ततारा भी गस स भर उठा उस जहा ववाह क नषध परपरा पर ोभ था वह अपनी

असहायता पर खीझ वामीरो का दख उस और गहरा कर रहा था उस मालम नह था क

या कदम उठाना चाहए अनायास उसका हाथ तलवार क मढ़ पर जा टका ोध म उसन

तलवार नकाल और कछ वचार करता रहा ोध लगातार अिन क तरह बढ़ रहा था

लोग सहम उठ एक सनाटा-सा खच गया जब कोई राह न सझी तो ोध का शमन करन

क लए उसम शित भर उस धरती म घप दया और ताकत स उस खीचन लगा वह

पसीन स नहा उठा सब घबराए हए थ वह तलवार को अपनी तरफ खीचत-खीचत दर तक

पहच गया वह हाफ रहा था अचानक जहा एक लकर खच गई थी वहा एक दरार होन

लगी मानो धरती दो टकड़ो म बटन लगी हो एक गड़गड़ाहट-सी गजन लगी और लकर क

सीध म धरती फटती ह जा रह थी वीप क अतम सर तक ततारा धरती को मानो ोध

म काटता जा रहा था सभी याकल हो उठ लोग न ऐस य क कपना न क थी व

सहर उठ उधर वामीरो फटती हई धरती क कनार ततारा का नाम पकारत हए दौड़ रह थी

वीप दो टकड़ म वभत हो चका था ततारा और वामीरो वीप क साथ सम म धस

गए और उमय हो गई

8-शाम क समय सम कनार ततारा क ाकतक अनभत का वणन किजए

उर- एक शाम ततारा दन-भर क अथक परम क बाद सम कनार टहलन नकल

पड़ा सरज सम स लग तज तल डबन को था सम स ठडी बयार आ रह थी

पय क सायकालन चाहचाहाहट शनः शनः ीण ह को थी उसका मन शात था

वचारमन ततारा सम बाल पर बठकर सरज क अतम रग-बरगी करण को सम

पर नहारन लगा तभी कह पास म उस मधर गीत गजता सनाई दया गीत मान

बहता हआ उसक तरफ आ रहा हो बीच-बीच म लहर का सगीत सनाई दता गायन

भावी था क वह अपनी सध-बध खोन लगा लहर क एक बल वग न उसक ता भग

क चतय होत ह वह उधर बढ़न को ववश हो उठा िजधर स अब भी गीत क वर बह

रह थ वह वकल-सा उस तरफ़ बढ़ता गया अततः उसक नजर एक यवती पर पड़ी जो

ढलती हई शाम क सदय म बसध एकटक सम क दह पर डबत आकषक रगो को

नहारत हए गा रह थी यह एक शगार गीत था

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Vyakr`-vaKy-

bull वाय क सामन दए कोठक म ( radic का चह लगाकर बताए क वह वाय कस

कार का ह

क) नकोबार उस बहद म करत थ (नवाचक वधानवाचक नषधामक

वमयादबोधक)

ख) तमन एकाएक इतना मधर गाना अधरा य छोड़ दया नवाचक

वधानवाचक नषधामक वमयादबोधक)

ग) वामीरो क मा ोध म उफन उठ (नवाचक वधानवाचक नषधामक

वमयादबोधक)

घ) या तह गाव का नयम नह मालम नवाचक वधानवाचक नषधामक

वमयादबोधक)

ङ) वाह कतना सदर नाम ह (नवाचक वधानवाचक नषधामक

वमयादबोधक)

च) म तहारा राता छोड़ दगा

वमयादबोधक)

उर- क) वधानवाचक

ग) वधानवाचक

ङ) वमयादबोध

Ocirc-इस पाठ म lsquo दखना lsquo या क कई प आए ह

शदयोग म या अतर ह

Ocirc-उर-

म तहारा राता छोड़ दगा (नवाचक वधानवाचक नषधामक

ख) नवाचक

घ) नवा

च) वधानवाचक

या क कई प आए ह lsquo दखना lsquo क इन वभन

वाययोग वारा पट किजए

नषधामक

नवाचक

वधानवाचक

क इन वभन

-वाय क उदाहरण-

सचयन-भाग

पाठ-1 (हरहर काका )

-शदाथ -

तबयत - शरर क िथत यणा - यातना कलश कट

मनःिथत - मन क िथत चद - कछ

आसित ndash लगाव यावहारक - यावहार सबधी

वचारक - वचार सबधी दलार - यार

सयाना - यक बधमान तीा - इतज़ार

फ़लहाल - अभी इस समय मझधार - बीच म

वलन - लत हो जाना वकप - दसरा उपाय

चलत ndash चलनसार जात - जगाना

कलवर - शरर मनौती - मनत

परपरा - था णाल अधकाश - यादातर

समत ndash सथा सचालन - नयण चलाना

नयित - तनाती लगाया गया वमख - तकल

चपट - आघात हार अहाता-चार ओर स दवार स घरा हआ मदान

अखड ndash नवन वफोट - फट कर बाहर नकलना

आगमन - आन पर उपलय - सकत

सराहना ndash शसा निचत - बफ

-लखक का परचय-मथलवर का जम 31 दसबर 1950 को बहार क

भोजपर िजल क बसाडीह नामक गाव म हआ इनक पता व० ो० वशरोपन लाल थ

मथलवर क पता (ो० वशरोपन लाल) भी वलण तभा क धनी थ परत उनक

असाय बीमार न मथलवर क जीवन म आरभ स ह कठन सघष क बीज बो दय थ

पाठ सार-

लखक कहता ह क वह हरहर काका क साथ बहत गहर स जड़ा था लखक का हरहर

काका क त जो यार था वह लखक का उनक यावहार क और उनक वचार क कारण

था और उसक दो कारण थ पहला कारण था क हरहर काका लखक क पड़ोसी थ और

दसरा कारण लखक को उनक मा न बताया था क हरहर काका लखक को बचपन स ह

बहत यादा यार करत थ जब लखक यक हआ तो उसक पहल दोती भी हरहर काका

क साथ ह हई थी लखक क गाव क पव दशा म ठाकर जी का वशाल मदर था िजस

गाव क लोग ठाकरबार यान दवथान कहत थ लोग ठाकर जी स प क मनत मागत

मक़दम म जीत लड़क क शाद कसी अछ घर म हो जाए लड़क को नौकर मल जाए

आद मनत मागत थ मनत पर होन पर लोग अपनी ख़शी स ठाकरजी को पए ज़वर

और अनाज चढ़ाया करत थ िजसको बहत अधक ख़शी होती थी वह अपन खत का छोटा-

सा भाग ठाकरजी क नाम कर दता था और यह एक तरह स था ह बन गई लखक कहता

ह क उसका गाव अब गाव क नाम स नह बिक दव-थान क वजह स ह पहचाना जाता

था उसक गाव का यह दव-थान उस इलाक का सबस बड़ा और सध दवथान था

हरहर काका न अपनी परिथतओ क कारण दव-थान म जाना बद कर दया था मन

बहलान क लए लखक भी कभी-कभी दव-थान चला जाता था लकन लखक कहता ह क

वहा क साध-सत उस बलकल भी पसद नह थ यक व काम करन म कोई दलचपी

नह रखत थ भगवान को भोग लगान क नाम पर व दन क दोन समय हलवा-पड़ी

बनवात थ और आराम स पड़ रहत थ सारा काम वहा आए लोग स सवा करन क नाम पर

करवात थ व खद अगर कोई काम करत थ तो वो था बात बनवान का काम

लखक हरहर काका क बार म बताता हआ कहता ह क हरहर काका और उनक तीन भाई

ह सबक शाद हो चक ह हरहर काका क अतरत सभी तीन भाइय क बाल-बच ह

कछ समय तक तो हरहर काका क सभी चीज़ का अछ स यान रखा गया परत फर

कछ दन बाद हरहर काका को कोई पछन वाला नह था लखक कहता ह क अगर कभी

हरहर काका क शरर क िथत ठक नह होती तो हरहर काका पर मसीबत का पहाड़ ह

गर जाता यक इतन बड़ परवार क रहत हए भी हरहर काका को कोई पानी भी नह

पछता था बारामद क कमर म पड़ हए हरहर काका को अगर कसी चीज़ क जरत होती

तो उह खद ह उठना पड़ता एक दन उनका भतीजा शहर स अपन एक दोत को घर ल

आया उह क आन क ख़शी म दो-तीन तरह क सिज़या बजक चटनी रायता और भी

बहत कछ बना था सब लोग न खाना खा लया और हरहर काका को कोई पछन तक नह

आया हरहर काका गस म बरामद क ओर चल पड़ और जोर-जोर स बोल रह थ क

उनक भाई क पिनया या यह सोचती ह क व उह मत म खाना खला रह ह उनक

खत म उगन वाला अनाज भी इसी घर म आता ह

हरहर काका क गस का महत जी न लाभ उठान क सोची महत जी हरहर काका को

अपन साथ दव-थान ल आए और हरहर काका को समझान लग क उनक भाई का परवार

कवल उनक जमीन क कारण उनस जड़ा हआ ह कसी दन अगर हरहर काका यह कह द

क व अपन खत कसी और क नाम लख रह ह तो व लोग तो उनस बात करना भी बद

कर दग खन क रत ख़म हो जायग महत हरहर काका स कहता ह क उनक हस म

िजतन खत ह व उनको भगवान क नाम लख द ऐसा करन स उह सीध वग क ाित

होगी

सबह होत ह हरहर काका क तीन भाई दव-थान पहच गए तीन हरहर काका क पाव म

गर कर रोन लग और अपनी पिनय क गलती क माफ़ मागन लग और कहन लग क

व अपनी पिनय को उनक साथ कए गए इस तरह क यवहार क सज़ा दग हरहर काका

क मन म दया का भाव जाग गया और व फर स घर वापस लौट कर आ गए जब अपन

भाइय क समझान क बाद हरहर काका घर वापस आए तो घर म और घर वाल क

यवहार म आए बदलाव को दख कर बहत खश हो गए घर क सभी छोट-बड़ सभी लोग

हरहर काका का आदर-सकार करन लग

गाव क लोग जब भी कह बठत तो बात का ऐसा सलसला चलता िजसका कोई अत नह

था हर जगह बस उह क बात होती थी कछ लोग कहत क हरहर काका को अपनी

जमीन भगवान क नाम लख दनी चाहए इसस उम और अछा कछ नह हो सकता

इसस हरहर काका को कभी न ख़म होन वाल सध ात होगी इसक वपरत कछ

लोग क यह मानत थ क भाई का परवार भी तो अपना ह परवार होता ह अपनी

जायदाद उह न दना उनक साथ अयाय करना होगा हरहर काका क भाई उनस ाथना

करन लग क व अपन हस क जमीन को उनक नाम लखवा द इस वषय पर हरहर

काका न बहत सोचा और अत म इस परणाम पर पहच क अपन जीत-जी अपनी जायदाद

का वामी कसी और को बनाना ठक नह होगा फर चाह वह अपना भाई हो या मदर का

महत यक उह अपन गाव और इलाक क व कछ लोग याद आए िजहन अपनी िजदगी

म ह अपनी जायदाद को अपन रतदार या कसी और क नाम लखवा दया था उनका

जीवन बाद म कसी क क तरह हो गया था उह कोई पछन वाला भी नह था हरहर

काका बलकल भी पढ़-लख नह थ परत उह अपन जीवन म एकदम हए बदलाव को

समझन म कोई गलती नह हई और उहन फसला कर लया क व जीत-जी कसी को भी

अपनी जमीन नह लखग

लखक कहता ह क जस-जस समय बीत रहा था महत जी क परशानया बढ़ती जा

रह थी उह लग रहा था क उहन हरहर काका को फसान क लए जो जाल फ का

था हरहर काका उसस बाहर नकल गए ह यह बात महत जी को सहन नह हो रह

थी आधी रात क आस-पास दव-थान क साध-सत और उनक कछ साथी भाला

गड़ासा और बदक क साथ अचानक ह हरहर काका क आगन म आ गए इसस

पहल हरहर काका क भाई कछ सोच और कसी को अपनी सहायता क लए आवाज

लगा कर बलाए तब तक बहत दर हो गई थी हमला करन वाल हरहर काका को

अपनी पीठ पर डाल कर कह गायब हो गए थव हरहर काका को दव-थान ल गए

थ एक ओर तो दव-थान क अदर जबरदती हरहर काका क अगठ का नशान लन

और पकड़कर समझान का काम चल रहा था तो वह दसर ओर हरहर काका क

तीन भाई सबह होन स पहल ह पलस क जीप को लकर दव-थान पर पहच गए

थ महत और उनक साथय न हरहर काका को कमर म हाथ और पाव बाध कर

रखा था और साथ ह साथ उनक मह म कपड़ा ठसा गया था ताक व आवाज़ न कर

सक परत हरहर काका दरवाज़ तक लढ़कत हए आ गए थ और दरवाज़ पर अपन

पर स धका लगा रह थ ताक बाहर खड़ उनक भाई और पलस उह बचा सक

दरवाज़ा खोल कर हरहर काका को बधन स मत कया गया हरहर काका न

पलस को बताया क व लोग उह उस कमर म इस तरह बाध कर कह गत

दरवाज़ स भाग गए ह और उहन कछ खल और कछ लख हए कागज पर हरहर

काका क अगठ क नशान जबरदती लए ह

यह सब बीत जान क बाद हरहर काका फर स अपन भाइय क परवार क साथ रहन लग

गए थ चौबीस घट पहर दए जान लग थ यहा तक क अगर हरहर काका को कसी

काम क कारण गाव म जाना पड़ता तो हथयार क साथ चार-पाच लोग हमशा ह उनक

साथ रहन लग लखक कहता ह क हरहर काका क साथ जो कछ भी हआ था उसस हरहर

काका एक सीध-साद और भोल कसान क तलना म चालाक और बधमान हो गए थ

उह अब सब कछ समझ म आन लगा था क उनक भाइय का अचानक स उनक त जो

यवहार परवतन हो गया था उनक लए जो आदर-समान और सरा व दान कर रह थ

वह उनका कोई सग भाइय का यार नह था बिक व सब कछ उनक धन-दौलत क कारण

कर रह ह नह तो व हरहर काका को पछत तक नह जब स हरहर काका दव-थान स

वापस घर आए थ उसी दन स ह हरहर काका क भाई और उनक दसर नात-रतदार

सभी यह सोच रह थ क हरहर काका को क़ाननी तरक स उनक जायदाद को उनक

भतीज क नाम कर दना चाहए यक जब तक हरहर काका ऐसा नह करग तब तक

महत क तज़ नज़र उन पर टक रहगी जब हरहर काका क भाई हरहर काका को

समझात-समझात थक गए तो उहन हरहर काका को डाटना और उन पर दवाब डालना

श कर दया एक रात हरहर काका क भाइय न भी उसी तरह का यवहार करना श

कर दया जसा महत और उनक सहयोगय न कया था उह धमकात हए कह रह थ क

ख़शी-ख़शी कागज़ पर जहा-जहा जरत ह वहा-वहा अगठ क नशान लगत जाओ नह तो व

उह मार कर वह घर क अदर ह गाड़ दग और गाव क लोगो को इस बार म कोई सचना

भी नह मलगी हरहर काका क साथ अब उनक भाइय क मारपीट श हो गई जब

हरहर काका अपन भाइय का मकाबला नह कर पा रह थ तो उहन ज़ोर-ज़ोर स

चलाकर अपनी मदद क लए गाव वाल को आवाज लगाना श कर दया तब उनक

भाइय को यान आया क उह हरहर काका का मह पहल ह बद करना चाहए था उहन

उसी पल हरहर काका को जमीन पर पटका और उनक मह म कपड़ा ठस दया लकन तब

तक बहत दर हो गई थी हरहर काका क आवाज बाहर गाव म पहच गई थी हरहर काका

क परवार और रत-नात क लोग जब तक गाव वाल कोसमझात क यह सब उनक

परवार का आपसी मामला ह व सभी इसस दर रह तब तक महत जी बड़ी ह दता और

तज़ी स वहा पलस क जीप क साथ आ गए पलस न पर घर क अछ स तलाशी लना

श कर दया फर घर क अदर स हरहर काका को इतनी बर हालत म हासल कया गया

िजतनी बर हालत उनक दव-थान म भी नह हई थी हरहर काका न बताया क उनक

भाइय न उनक साथ बहत ह यादा बरा यवहार कया ह जबरदती बहत स कागज पर

उनक अगठ क नशान ल लए ह उह बहत यादा मारा-पीटा ह

इस घटना क बाद हरहर काका अपन परवार स एकदम अलग रहन लग थ उह उनक

सरा क लए चार राइफलधार पलस क जवान मल थ आचय क बात तो यह ह क

इसक लए उनक भाइय और महत क ओर स काफ़ यास कए गए थ असल म भाइय

को चता थी क हरहर काका अकल रहन लगग तो दव-थान क महत-पजार फर स

हरहर काका को बहला-फसला कर ल जायग और जमीन दव-थान क नाम करवा लग और

यह चता महत जी को भी थी क हरहर काका को अकला और असरत पा उनक भाई

फर स उह पकड़ कर मारग और जमीन को अपन नाम करवा लग लखक कहता ह क

हरहर काका स जड़ी बहत सी ख़बर गाव म फल रह थी जस-जस दन बड़ रह थ वस-वस

डर का मौहोल बन रहा था सभी लोग सफ यह सोच रह थ क हरहर काका न अमत तो

पया हआ ह नह तो मरना तो उनको एक दन ह ह और जब व मरग तो पर गाव म

तफ़ान आ जाएगा यक महत और हरहर काका क परवार क बीच जमीन को ल कर

लड़ाई हो जायगी

पलस क जवान हरहर काका क खच पर ह खब मौज-मती स रह रह थ िजसका धन

वह रह उपास खान वाल कर वलास अथात हरहर काका क पास धन था लकन उनक लए

अब उसका कोई महव नह था और पलस वाल बना कसी कारण स ह हरहर काका क

धन स मौज कर रह थ अब तक जो नह खाया था दोन वत उसका भोग लगा रह थ

-नोर-

1-कथावाचक और हरहर काका क बीच या सबध ह और इसक या कारण ह

1-कथावाचक जब छोटा था तब स ह हरहर काका उस बहत यार करत थ जब वह बड़ हो

गए तो वह हरहर काका क म बन गए गाव म इतनी गहर दोती और कसी स नह

हई हरहर काका उनस खल कर बात करत थ यह कारण ह क कथावाचक को उनक

एक-एक पल क खबर थी शायद अपना म बनान क लए काका न वय ह उस यार स

बड़ा कया और इतजार कया

2-हरहर काका को महत और भाई एक ह णी क य लगन लग

2-हरहर काका को अपन भाइय और महत म कोई अतर नह लगा दोन एक ह णी क

लग उनक भाइय क पिनय न कछ दन तक तो हरहर काका का यान रखा फर

बचीकची रोटया द नाता नह दत थ बमार म कोई पछन वाला भी न था िजतना भी

उह रखा जा रहा था उनक ज़मीन क लए था इसी तरह महत न एक दन तो बड़ यार

स खातर क फर ज़मीन अपन ठाकर बाड़ी क नाम करन क लए कहन लग काका क

मना करन पर उह अनक यातनाए द अपहरण करवाया मह म कपड़ा ठस कर एक कोठर

म बद कर दया जबरदती अगठ का नशान लया गया तथा उह मारा पीटा गया इस

तरह दोन ह कवल ज़मीन जायदाद क लए हरहर काका स यवहार रखत थ अत उह

दोन एक ह णी क लग

3-ठाकर बाड़ी क त गाव वाल क मन म अपार धा क जो भाव ह उसस उनक कस

मनोव का पता चलता ह

3-कहा जाता ह गाव क लोग भोल होत ह असल म गाव क लोग अधववासी धमभी होत

ह मदर जस थान को पव नकलक ान का तीक मानत ह पजार परोहत महत

जस िजतन भी धम क ठकदार ह उनपर अगाध धा रखत ह व चाह कतन भी

पतत वाथ और नीच ह पर उनका वरोध करत व डरत ह इसी कारण ठाकर बाड़ी क

त गाव वाल क अपार धा थी उनका हर सख-दख उसस जड़ा था

4-अनपढ़ होत हए भी हरहर काका दनया क बहतर समझ रखत ह कहानी क आधार पर

पट किजए

4-हरहर काका अनपढ़ थ फर भी उह दनयादार क बहद समझ थी उनक भाई लोग

उनस ज़बरदती ज़मीन अपन नाम करान क लए डरात थ तो उह गाव म दखावा करक

ज़मीन हथयान वालो क याद आती ह काका न उह दखी होत दखा ह इसलए उहन

ठान लया था चाह महत उकसाए चाह भाई दखावा कर वह ज़मीन कसी को भी नह दग

एक बार महत क उकसान पर भाइय क त धोखा नह करना चाहत थ परत जब भाइय

न भी धोखा दया तो उह समझ म आ गया उनक त उह कोई यार नह ह जो यार

दखात ह वह कवल ज़ायदाद क लए ह

5-हरहर काका को जबरन उठा ल जान वाल कौन थ उहन उनक साथ कसा यवहार

कया

5-महत न हरहर काका को बहत लोभन दए िजसस वह अपनी ज़मीन जायदाद ठाकर

बाड़ी क नाम कर द परत काका इस बात क लए तयार नह थ व सोच रह थ क या

भगवान क लए अपन भाइय स धोखा क यह उह सह भी नह लग रहा था महत को

यह बात पता लगी तो उसन छल और बल स रात क समय अकल दालान म सोत हए

हरहर काका को उठवा लया महत न अपन चल साधसतो क साथ मलकर उनक हाथ पर

बाध दए मह म कपड़ा ठस दया और जबरदती अगठ क नशान लए उह एक कमर म

बद कर दया जब पलस आई तो वय गत दरवाज़ स भाग गए

6-हरहर काका क मामल म गाव वाल क या राय थी और उसक या कारण थ

6-कहानी क आधार पर गाव क लोग को बना बताए पता चल गया क हरहर काका को

उनक भाई नह पछत इसलए सख आराम का लोभन दकर महत उह अपन साथ ल

गया भाई मनत करक काका को वापस ल आत ह इस तरह गाव क लोग दो प म

बट गए कछ लोग महत क तरफ़ थ जो चाहत थ क काका अपनी ज़मीन धम क नाम पर

ठाकर बाड़ी को द द ताक उह सख आराम मल मय क बाद मो यश मल महत ानी

ह वह सब कछ जानता ह लकन दसर प क लोग कहत क ज़मीन परवार वालो को द

जाए उनका कहना था इसस उनक परवार का पट भरगा मदर को ज़मीन दना अयाय

होगा इस तरह दोन प अपन-अपन हसाब स सोच रह थ परत हरहर काका क बार म

कोई नह सोच रहा था इन बात का एक कारण यह भी था क काका वधर थ और उनक

कोई सतान भी नह थी पह बीघ ज़मीन क लए इनका लालच वाभवक था

7-कहानी क आधार पर पट किजए क लखक न यह य कहा अान क िथत म ह

मनय मय स डरत ह ान होन क बाद तो आदमी आवयकता पड़न पर मय को वरण

करन क लए तयार हो जाता ह

7-जब काका को असलयत पता चल और उह समझ म आ गया क सब लोग उनक

ज़मीन जायदाद क पीछ ह तो उह व सभी लोग याद आ गए िजहन परवार वालो क मोह

माया म आकर अपनी ज़मीन उनक नाम कर द और मय तक तलतल करक मरत

रह दान-दान को मोहताज़ हो गए इसलए उहन सोचा क इस तरह रहन स तो एक बार

मरना अछा ह जीत जी ज़मीन कसी को भी नह दग य लोग मझ एक बार म ह मार

द अत लखक न कहा क अान क िथत म मनय मय स डरता ह परत ान होन

पर मय वरण को तयार रहता ह

8-समाज म रत क या अहमयत ह इस वषय पर अपन वचार कट किजए

8-आज समाज म मानवीय मय तथा पारवारक मय धीर-धीर समात होत जा रह ह

यादातर यित अपन वाथ क लए रत नभात ह अपनी आवयकताओ क हसाब स

मलत ह अमीर रतदार का समान करत ह उनस मलन को आतर रहत ह जबक गरब

रतदार स कतरात ह कवल वाथ सध क अहमयत रह गई ह आए दन हम

अखबार म समाचार पढ़त ह क ज़मीन जाय़दाद पस जवर क लए लोग घनौन स घनौना

काय कर जात ह (हया अपहरण आद) इसी कार इस कहानी म भी पलस न पहचती तो

परवार वाल महत जी (काका क) हया ह कर दत उह यह अफसोस रहा क व काका को

मार नह पाए

9-यद आपक आसपास हरहर काका जसी हालत म कोई हो तो आप उसक कस कार

मदद करग

9-यद हमार आसपास हरहर काका जसी हालत म कोई हो तो हम उसक पर तरह मदद

करन क कोशश करग उनस मलकर उनक दख का कारण पता करग उह अहसास

दलाएग क व अकल नह ह सबस पहल तो यह ववास कराएग क सभी यित लालची

नह होत ह इस तरह मौन रह कर दसर को मौका न द बिक उलास स शष जीवन

बताए रतदार स मलकर उनक सबध सधारन का यन करग

10-हरहर काका क गाव म यद मीडया क पहच होती तो उनक या िथत होती अपन

शद म लखए

10-यद काका क गाव म मीडया पहच जाती तो सबक पोल खल जाती महत व भाइय का

पदाफाश हो जाता अपहरण और जबरन अगठा लगवान क अपराध म उह जल हो जाती

अपना-अपना मोचा सभालना - अपनी िजमदार नबाहना

आसमान स जमीन पर गरना -उच िथत स नन िथत पर आना

खल कर बात करना- बना सकच क बात करना |

चपत हो जाना ndash भाग जाना |

जी-जान स जट जाना ndash खब महनत करना

िजतन मह उतनी बात होना- कई तरह क बात करना |

ततर-बतर होना ndash बखर जाना |

त-त म -म होना -झगड़ा होना |

नमक-मच लगाना- बढ़ा-चढ़कर कहना|

बात बनाना- बहान बनाना|

रग चढ़ना- असर होना|

मह न खोलना ndash कछ न बताना |

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पय-भाग

पाठ-4

मनयता ndashमथलशरण गत

-लखक का परचय-

-पाठ का सार व पिटकरण-

कत क अय ाणय क तलना म मनय म सोचन क शित अधक होती ह

वह अपन ह नह दसर क सख - दःख का भी याल रखता ह और दसर क लए

कछ करन म समथ होता ह जानवर जब चरागाह म जात ह तो कवल अपन लए

चर कर आत ह परत मनय ऐसा नह ह वह जो कछ भी कमाता ह जो कछ भी

बनाता ह वह दसर क लए भी करता ह और दसर क सहायता स भी करता ह

तत पाठ का कव अपन क सख - दःख क चता करन वाल को मनय तो

मानता ह परत यह मानन को तयार नह ह क उन मनय म मनयता क सार

गण होत ह कव कवल उन मनय को महान मानता ह जो अपन क सख - दःख

स पहल दसर क चता करत ह वह मनय म ऐस गण चाहता ह िजसक कारण

कोई भी मनय इस मयलोक स चल जान क बाद भी सदय तक दसर क याद म

रहता ह अथात वह मय क बाद भी अमर रहता ह

-पाठ सार-

इस कवता म कव मनयता का सह अथ समझान का यास कर रहा ह पहल

भाग म कव कहता ह क मय स नह डरना चाहए यक मय तो निचत ह पर

हम ऐसा कछ करना चाहए क लोग हम मय क बाद भी याद रख असल मनय

वह ह जो दसर क लए जीना व मरना सीख ल दसर भाग म कव कहता ह क

हम उदार बनना चाहए यक उदार मनय का हर जगह गण गान होता ह मनय

वह कहलाता ह जो दसर क चता कर तीसर भाग म कव कहता ह क पराण

म उन लोग क बहत उदाहरण ह िजह उनक याग भाव क लए आज भी याद

कया जाता ह सचा मनय वह ह जो याग भाव जान ल चौथ भाग म कव

कहता ह क मनय क मन म दया और कणा का भाव होना चाहए मनय वह

कहलाता ह जो दसर क लए मरता और जीता ह पाचव भाग म कव कहना चाहता

ह क यहा कोई अनाथ नह ह यक हम सब उस एक ईवर क सतान ह हम

भदभाव स ऊपर उठ कर सोचना चाहएछठ भाग म कव कहना चाहता ह क हम

दयाल बनना चाहए यक दयाल और परोपकार मनय का दवता भी वागत करत

ह अतः हम दसर का परोपकार व कयाण करना चाहएसातव भाग म कव कहता

ह क मनय क बाहर कम अलग अलग हो परत हमार वद साी ह क सभी क

आमा एक ह हम सब एक ह ईवर क सतान ह अतः सभी मनय भाई -बध ह

और मनय वह ह जो दःख म दसर मनय क काम आयअतम भाग म कव

कहना चाहता ह क वप और वन को हटात हए मनय को अपन चन हए रात

पर चलना चाहए आपसी समझ को बनाय रखना चाहए और भदभाव को नह

बढ़ाना चाहए ऐसी सोच वाला मनय ह अपना और दसर का कयाण और उधार

कर सकता ह

-याया

1-वचार लो क मय हो न मय स डरो कभी

मरो परत य मरो क याद जो कर सभी

हई न य समय तो वथा मर वथा िजए

मारा नह वह क जो िजया न आपक लए

वह पश- वत ह क आप आप ह चर

वह मनय ह क जो मनय क लए मर

सग - तत कवता हमार पाय पतक पश भाग -2 स ल गई ह इसक

कव मथलशरण गत ह इन पितओ म कव बताना चाहता ह क मनय को

कसा जीवन जीना चाहए

याया - कव कहता ह क हम यह जान लना चाहए क मय का होना निचत

ह हम मय स नह डरना चाहए कव कहता ह क हम कछ ऐसा करना चाहए क

लोग हम मरन क बाद भी याद रख जो मनय दसर क लए कछ भी ना कर सक

उनका जीना और मरना दोन बकार ह मर कर भी वह मनय कभी नह मरता जो

अपन लए नह दसर क लए जीता ह यक अपन लए तो जानवर भी जीत ह

कव क अनसार मनय वह ह जो दसर मनय क लए मर अथात जो मनय दसर

क चता कर वह असल मनय कहलाता ह

2-उसी उदार क कथा सरवती बखानती

उसी उदार स धरा कताथ भाव मानती

उसी उदार क सदा सजीव कत कजती

तथा उसी उदार को समत सिट पजती

अखड आम भाव जो असीम वव म भर

वह मनय ह क जो मनय क लए मर

सग - तत कवता हमार पाय पतक पश भाग -2 स ल गई ह इसक

कव मथलशरण गत ह इन पितओ म कव बताना चाहता ह क जो मनय

दसर क लए जीत ह उनका गणगान यग - यग तक कया जाता ह

याया - कव कहता ह क जो मनय अपन पर जीवन म दसर क चता करता

ह उस महान यित क कथा का गण गान सरवती अथात पतक म कया जाता

ह पर धरती उस महान यित क आभार रहती ह उस यित क बातचीत

हमशा जीवत यित क तरह क जाती ह और पर सिट उसक पजा करती ह

कव कहता ह क जो यित पर ससार को अखड भाव और भाईचार क भावना म

बाधता ह वह यित सह मायन म मनय कहलान योय होता ह

3-धात रतदव न दया करथ थाल भी

तथा दधीच न दया पराथ अिथजाल भी

उशीनर तीश न वमास दान भी कया

सहष वीर कण न शरर-चम भी दया

अनय दह क लए अनाद जीव या डर

वह मनय ह क जो मनय क लए मर

सग - तत कवता हमार पाय पतक पश भाग -2 स ल गई ह इसक

कव मथलशरण गत ह इन पितओ म कव न महान पष क उदाहरण दए ह

िजनक महानता क कारण उह याद कया जाता ह

याया - कव कहता ह क पौराणक कथाए ऐस यितओ क उदाहरण स भर

पड़ी ह िजहन अपना परा जीवन दसर क लए याग दया िजस कारण उह आज

तक याद कया जाता ह भख स परशान रतदव न अपन हाथ क आखर थाल भी

दान कर द थी और महष दधीच न तो अपन पर शरर क हडया व बनान क

लए दान कर द थी उशीनर दश क राजा शब न कबतर क जान बचान क लए

अपना परा मास दान कर दया था वीर कण न अपनी ख़शी स अपन शरर का

कवच दान कर दया था कव कहना चाहता ह क मनय इस नवर शरर क लए

य डरता ह यक मनय वह कहलाता ह जो दसर क लए अपन आप को याग

दता ह

4-सहानभत चाहए महावभत ह यह

वशीकता सदव ह बनी हई वय मह

वधभाव बध का दया-वाह म बहा

वनीत लोकवग या न सामन झका रहा

अहा वह उदार ह परोपकार जो कर

वह मनय ह क जो मनय क लए मर

सग - तत कवता हमार पाय पतक पश भाग -2 स ल गई ह इसक

कव मथलशरण गत ह इन पितओ म कव न महामा बध का उदाहरण दत

हए दया कणा को सबस बड़ा धन बताया ह

याया - कव कहता ह क मनय क मन म दया व कणा का भाव होना चाहए

यह सबस बड़ा धन ह वय ईवर भी ऐस लोग क साथ रहत ह इसका सबस

बड़ा उदाहरण महामा बध ह िजनस लोग का दःख नह दखा गया तो व लोक

कयाण क लए दनया क नयम क वध चल गए इसक लए या परा ससार

उनक सामन नह झकता अथात उनक दया भाव व परोपकार क कारण आज भी

उनको याद कया जाता ह और उनक पजा क जाती ह महान उस को कहा जाता ह

जो परोपकार करता ह वह मनय मनय कहलाता ह जो मनय क लए जीता ह

और मरता ह

5-रहो न भल क कभी मदाघ तछ व म

सनाथ जान आपको करो न गव च म

अनाथ कौन ह यहा लोकनाथ साथ ह

दयाल दन बध क बड़ वशाल हाथ ह

अतीव भायहन ह अधीर भाव जो कर

वह मनय ह क जो मनय क लए मर

सग - तत कवता हमार पाय पतक पश भाग -2 स ल गई ह इसक

कव मथलशरण गत ह इन पितओ म कव कहता ह क सपत पर कभी

घमड नह करना चाहए और कसी को अनाथ नह समझना चाहए यक ईवर

सबक साथ ह

याया - कव कहता ह क भल कर भी कभी सप या यश पर घमड नह करना

चाहए इस बात पर कभी गव नह करना चाहए क हमार साथ हमार अपन का

साथ ह यक कव कहता ह क यहा कौन सा यित अनाथ ह उस ईवर का

साथ सब क साथ ह वह बहत दयावान ह उसका हाथ सबक ऊपर रहता ह कव

कहता ह क वह यित भायहन ह जो इस कार का उतावलापन रखता ह यक

मनय वह यित कहलाता ह जो इन सब चीज स ऊपर उठ कर सोचता ह

6-अनत अतर म अनत दव ह खड़

सम ह वबाह जो बढ़ा रह बड़-बड़

परपरावलब स उठो तथा बढ़ो सभी

अभी अमय-अक म अपक हो चढ़ो सभी

रहो न या क एक स न काम और का सर

वह मनय ह क जो मनय क लए मर

सग - तत कवता हमार पाय पतक पश भाग -2 स ल गई ह इसक

कव मथलशरण गत ह इन पितओ म कव कहता ह क कलक रहत रहन व

दसर का सहारा बनन वाल मवषय का दवता भी वागत करत ह

याया - कव कहता ह क उस कभी न समात होन वाल आकाश म असय

दवता खड़ ह जो परोपकार व दयाल मनय का सामन स खड़ होकर अपनी भजाओ

को फलाकर वागत करत ह इसलए दसर का सहारा बनो और सभी को साथ म

लकर आग बड़ो कव कहता ह क सभी कलक रहत हो कर दवताओ क गोद म

बठो अथात यद कोई बरा काम नह करोग तो दवता तह अपनी गोद म ल लग

अपन मतलब क लए नह जीना चाहए अपना और दसर का कयाण व उधार

करना चाहए यक इस मरणशील ससार म मनय वह ह जो मनय का कयाण

कर व परोपकार कर

7-मनय माा बध ह यह बड़ा ववक ह

पराणपष वयभ पता सध एक ह

फलानसार कम क अवय बाय भद ह

परत अतरय म माणभत वद ह

अनथ ह क बध ह न बध क यथा हर

वह मनय ह क जो मनय क लए मर

सग - तत कवता हमार पाय पतक पश भाग -2 स ल गई ह इसक

कव मथलशरण गत ह इन पितओ म कव कहता ह क हम सब एक ईवर क

सतान ह अतः हम सभी मनय एक - दसर क भाई - बध ह

याया - कव कहता ह क यक मनय एक दसर क भाई - बध ह यह सबस

बड़ी समझ ह पराण म िजस वय उपन पष मना गया ह वह परमामा या

ईवर हम सभी का पता ह अथात सभी मनय उस एक ईवर क सतान ह

बाहर कारण क फल अनसार यक मनय क कम भल ह अलग अलग ह परत

हमार वद इस बात क साी ह क सभी क आमा एक ह कव कहता ह क यद

भाई ह भाई क दःख व कट का नाश नह करगा तो उसका जीना यथ ह यक

मनय वह कहलाता ह जो बर समय म दसर मनय क काम आता ह

8-चलो अभीट माग म सहष खलत हए

वपवन जो पड़ उह ढकलत हए

घट न हलमल हा बढ़ न भनता कभी

अतक एक पथ क सतक पथ ह सभी

तभी समथ भाव ह क तारता हआ तर

वह मनय ह क जो मनय क लए मर

सग - तत कवता हमार पाय पतक पश भाग -2 स ल गई ह इसक

कव मथलशरण गत ह इन पितओ म कव कहता ह क यद हम ख़शी ससार

कट को हटत हए भदभाव रहत रहग तभी सभव ह क समाज क उनत होगी

याया - कव कहता ह क मनय को अपनी इछा स चन हए माग म ख़शी

ख़शी चलना चाहएरात म कोई भी सकट या बाधाए आय उह हटात चल जाना

चाहए मनय को यह यान रखना चाहए क आपसी समझ न बगड़ और भद

भाव न बड़ बना कसी तक वतक क सभी को एक साथ ल कर आग बढ़ना चाहए

तभी यह सभव होगा क मनय दसर क उनत और कयाण क साथ अपनी

समध भी कायम कर

-ननलखत न क उर दिजय ndash

1-कव न कसी मय को समय कहा ह

1-कव न ऐसी मय को समय कहा ह िजसम मनय अपन स पहल दसर क चता

करता ह और परोपकार क राह को चनता ह िजसस उस मरन क बाद भी याद कया

जाता ह

2-उदार यित क पहचान कस हो सकती ह

2- उदार यित परोपकार होता ह वह अपन स पहल दसर क चता करता ह और

लोक कयाण क लए अपना जीवन याग दता ह

3-कव न दधीच कण आद महान यितओ क उदाहरण द कर मनयता क लए

या उदाहरण दया ह

3- कव न दधीच कण आद महान यितओ क उदाहरण द कर मनयता क

लए यह सदश दया ह क परोपकार करन वाला ह असल मनय कहलान योय

होता ह मानवता क रा क लए दधीच न अपन शरर क सार अिथया दान कर

द थीकण न अपनी जान क परवाह कय बना अपना कवच द दया था िजस

कारण उह आज तक याद कया जाता ह कव इन उदाहरण क वारा यह

समझाना चाहता ह क परोपकार ह सची मनयता ह

4- कव न कन पितय म यह यत कया ह क हम गव - रहत जीवन यतीत

करना चाहए

4- कव न ननलखत पितय म गव रहत जीवन यतीत करन क बात कह ह-

रहो न भल क कभी मगाघ तछ व म

सनाथ जान आपको करो न गव च म

अथात सपत क घमड म कभी नह रहना चाहए और न ह इस बात पर गव

करना चाहए क आपक पास आपक अपन का साथ ह यक इस दनया म कोई

भी अनाथ नह ह सब उस परम पता परमवर क सतान ह

5- मनय मा बध ह स आप या समझत ह पट किजए

5- मनय मा बध ह अथात हम सब मनय एक ईवर क सतान ह अतः हम

सब भाई - बध ह भाई -बध होन क नात हम भाईचार क साथ रहना चाहए और

एक दसर का बर समय म साथ दना चाहए

6- कव न सबको एक होकर चलन क रणा य द ह

6- कव न सबको एक होकर चलन क रणा इसलए द ह ताक आपसी समझ न

बगड़ और न ह भदभाव बड़ सब एक साथ एक होकर चलग तो सार बाधाए मट

जाएगी और सबका कयाण और समध होगी

7- यित को कस तरह का जीवन यतीत करना चाहए इस कवता क आधार पर

लखए

7-मनय को परोपकार का जीवन जीना चाहए अपन स पहल दसर क दख क

चता करनी चाहए कवल अपन बार म तो जानवर भी सोचत ह कव क अनसार

मनय वह कहलाता ह जो अपन स पहल दसर क चता कर

8- मनयता कवता क वारा कव या सदश दना चाहता ह

8- मनयता कवता क मायम स कव यह सदश दना चाहता ह क परोपकार ह

सची मनयता ह परोपकार ह एक ऐसा साधन ह िजसक मायम स हम यग तक

लोगो क दल म अपनी जगह बना सकत ह और परोपकार क वारा ह समाज का

कयाण व समध सभव ह अतः हम परोपकार बनना चाहए ताक हम सह

मायन म मनय कहलाय

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-याकरण-

पदबध- परभाषा

पद- वाय स अलग रहन पर शद और वाय म यत हो जान पर शद

पद कहलात ह दसर शद म- वाय म यत शद पद कहलाता ह पदबध-

जब दो या अधक (शद) पद नयत म और निचत अथ म कसी पद का

काय करत ह तो उह पदबध कहत ह

पदबध क भद

मय पद क आधार पर पदबध क पाच कार होत ह-

(1) सा-पदबध (2) वशषण-पदबध

(3) सवनाम पदबध (4) या पदबध

(5) अयय पदबध

(1) सा-पदबध-

(a)चार ताकतवर मजदर इस भार चीज को उठा पाए

(b) राम न लका क राजा रावण को मार गराया

(c) अयोया क राजा दशरथ क चार प थ

(d) आसमान म उड़ता गबारा फट गया

2) वशषण पदबध-

a) तज चलन वाल गाड़या ायः दर स पहचती ह

(b) उस घर क कोन म बठा हआ आदमी जासस ह

(c) उसका घोड़ा अयत सदर फरतीला और आाकार ह

(d) बरगद और पीपल क घनी छाव स हम बहत सख मला

3) सवनाम पदबध-

(a)बजल-सी फरती दखाकर आपन बालक को डबन स बचा लया

(b)शरारत करन वाल छा म स कछ पकड़ गए

(c)वरोध करन वाल लोग म स कोई नह बोला

4) या पदबध-

(a) वह बाजार क ओर आया होगा

(b) मझ मोहन छत स दखाई द रहा ह

(c) सरश नद म डब गया

(d) अब दरवाजा खोला जा सकता ह

5) अयय पदबध-

(a)अपन सामान क साथ वह चला गया

(b)सबह स शाम तक वह बठा रहा

कसी भी भाषा क व शद अयय (Indeclinable या inflexible) कहलात ह िजनक प म

लग वचन पष कारक काल इयाद क कारण कोई वकार उप नह होता

चक अयय का पातर नह होता इसलए ऐस शद अवकार होत ह अयय का शािदक

अथ ह- जो यय न हो

(i) कालवाचक अयय- इनम समय का बोध होता ह जस- आज कल तरत पीछ पहल अब

जब तब कभी-कभी कब अब स नय जब स सदा स अभी तभी आजकल और कभी

उदाहरणाथ-

अब स ऐसी बात नह होगी

ऐसी बात सदा स होती रह ह

वह कब आया मझ पता नह

(ii) थानवाचक अयय- इसस थान का बोध होता ह जस- यहा वहा कहा जहा यहा स

वहा स इधर-उधर उदाहरणाथ-

वह यहा नह ह

वह कहा जायगा

वहा कोई नह ह

जहा तम हो वहा म ह

(iii) दशावाचक अयय- इसस दशा का बोध होता ह जस- इधर उधर िजधर दर पर अलग

दाहन बाए आरपार

(iv) िथतवाचक अयय- नीच ऊपर तल सामन बाहर भीतर इयाद

अयय क भद

अयय ननलखत चार कार क होत ह -

(1) यावशषण (Adverb)

(2) सबधबोधक (Preposition)

(3) समचयबोधक (Conjunction)

(4) वमयादबोधक (Interjection)

(1) यावशषण - िजन शद स या वशषण या दसर यावशषण क वशषता कट

हो उह यावशषण कहत ह

दसर शदो म- जो शद या क वशषता बतलात ह उह या वशषण कहा जाता ह

जस- राम धीर-धीर टहलता ह राम वहा टहलता ह राम अभी टहलता ह

इन वाय म धीर-धीर वहा और अभी राम क टहलन (या) क वशषता बतलात ह य

यावशषण अवकार वशषण भी कहलात ह इसक अतरत यावशषण दसर

यावशषण क भी वशषता बताता ह

वह बहत धीर चलता ह इस वाय म बहत यावशषण ह यक यह दसर यावशषण

धीर क वशषता बतलाता ह

या वशषण क कार

(1) योग क अनसार- (i) साधारण (ii) सयोजक (iii) अनबध

(2) प क अनसार- (i) मल यावशषण (ii) यौगक यावशषण (iii) थानीय यावशषण

(3) अथ क अनसार- (i) परमाणवाचक (ii) रतवाचक

(1) योग क अनसार यावशषण क भद

योग क अनसार यावशषण क तीन भद ह-

(i) साधारण यावशषण- िजन यावशषण का योग कसी वाय म वत होता ह

उह साधारण यावशषण कहा जाता ह

जस- हाय अब म या क बटा जद आओ अर साप कहा गया

(ii) सयोजक यावशषण- िजन यावशषण का सबध कसी उपवाय स रहता ह उह

सयोजक यावशषण कहा जाता ह

जस- जब रोहताव ह नह तो म ह जीकर या कगी जहा अभी सम ह वहा कसी

समय जगल था

(iii) अनबध यावशषण- िजन यावशषण क योग अवधारण (नचय) क लए कसी

भी शदभद क साथ होता हो उह अनबध यावशषण कहा जाता ह

जस- यह तो कसी न धोखा ह दया ह मन उस दखा तक नह

(2) प क अनसार यावशषण क भद

प क अनसार यावशषण क तीन भद ह-

(i) मल यावशषण- ऐस यावशषण जो कसी दसर शद क मल स नह बनत मल

यावशषण कहलात ह

जस- ठक दर अचानक फर नह

(ii) यौगक यावशषण- ऐस यावशषण जो कसी दसर शद म यय या पद जोड़न

पर बनत ह यौगक यावशषण कहलात ह

जस- मन स िजसस चपक स भल स दखत हए यहा तक झट स वहा पर यौगक

यावशषण सा सवनाम वशषण धात और अयय क मल स बनत ह

यौगक यावशषण नीच लख शद क मल स बनत ह-

(i) साओ क वित स- घर-घर घड़ी-घड़ी बीच-बीच हाथ-हाथ

(ii) दो भ साओ क मल स- दन-रात साझ-सबर घर-बाहर दश-वदश

(iii) वशषण क वित स- एक-एक ठक-ठक साफ-साफ

(iv) यावशषण क वित स- धीर-धीर जहा-तहा कब-कब कहा-कहा

(v) दो यावशषण क मल स- जहा-तहा जहा-कह जब-तब जब-कभी कल-परस आस-पास

(vi) दो भ या समान यावशषण क बीच न लगान स- कभी-न-कभी कछ-न-कछ

(vii) अनकरण वाचक शद क वित स- पटपट तड़तड़ सटासट धड़ाधड़

(viii) सा और वशषण क योग स- एक साथ एक बार दो बार

(ix) अय य और दसर शद क मल स- तदन यथाम अनजान आजम

(x) पवकालक कदत और वशषण क मल स- वशषकर बहतकर मयकर एक-एककर

(iii) थानीय यावशषण- ऐस यावशषण जो बना पातर क कसी वशष थान म

आत ह थानीय यावशषण कहलात ह

जस- वह अपना सर पढ़गा

वह दौड़कर चलत ह

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  • (1) अरथ की दषटि स शबद-भद13
  • (2) परयोग की दषटि स शबद-भद13
  • (3) उतपति की दषटि स शबद-भद13
  • 1) सवर सधि-13
  • परति+छवि=परतिचछवि दिक+अनत=दिगनत दिक+गज=दिगगज अन+छद=अनचछद अच +अनत = अजनत 13
  • 3)विसरग सधि - विसरग क साथ सवर या वयजन का मल होन पर जो विकार होता ह उस 13
  • विसरग सधि कहत ह 13
  • मन+रथ=मनोरथ यश+अभिलाषा=यशोभिलाषा अध+गति=अधोगति नि+छल=निशछल द +गम = दरगम 13
    • -पाठ सार-13
    • -वयाखया13
    • -निमनलिखित परशनो क उततर दीजिय ndash13
    • 1-कवि न कसी मतय को समतय कहा ह13
    • अवयय क भद13
    • करिया विशषण क परकार13
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-न उर-

-ननलखत न क उर (10-12 शद म) लखए minus

1-कलका वासय क लए 26 जनवर 1931 का दन य महवपण था

1-दश का वतता दवस एक वष पहल इसी दन मनाया गया था इसस पहल बगाल

वासय क भमका नह थी अब व य तौर पर जड़ गए इसलए यह महवपण

दन था

2-सभाष बाब क जलस का भार कस पर था

2-सभाषा बाब क जलस का भार पणदास पर था परत पलस न उह पकड़ लया

3-वयाथ सघ क मी अवनाश बाब क झडा गाड़न पर या तया हई

3-बगाल ातीय वयाथ सघ क मी अवनाश बाब न जस ह झडा गाड़ा पलस न

उह पकड़ लया और लोग पर लाठया चलाई

4-लोग अपन-अपन मकान व सावजनक थल पर राय झडा फहराकर कस बात का

सकत दना चाहत थ

4-लोग अपन-अपन मकान व सावजनक थल पर राय झडा फहराकर बताना चाहत

थ क व अपन को आज़ाद समझ कर आज़ाद मना रह ह उनम जोश और उसाह ह

5-पलस न बड़-बड़ पाक और मदान को य घर लया था

5-आज़ाद मनान क लए पर कलका शहर म जनसभाओ और झडारोहण उसव का

आयोजन कया गया इसलए पाक और मदान को घर लया था

-ननलखत न क उर (25-30 शद म) लखए minus

1-26 जनवर 1931 क दन को अमर बनान क लए या-या तयारया क ग

1-26 जनवर 1931 क दन को अमर बनान क लए कलका शहर न शहर म जगह-

जगह झड लगाए गए थ कई थान पर जलस नकाल गए तथा झड़ा फहराया गया

था टोलया बनाकर भीड़ उस थान पर जटन लगी जहा सभाष बाब का जलस पहचना

था पलस क लाठचाज तथा गरफ़तार लोग क जोश को कम न कर पाए

2-आज जो बात थी वह नराल थीrsquo minus कस बात स पता चल रहा था क आज का दन

अपन आप म नराला ह पट किजए

2-आज का दन नराला इसलए था यक वतता दवस मनान क थम आव

थी पलस न सभा करन को गरकाननी कहा था कत सभाष बाब क आवान पर पर

कलका म अनक सगठन क मायम स जलस व सभाओ क जोशील तयार थी परा

शहर झड स सजा था तथा कसल न मोनमद क नीच झडा फहरान और वतता क

ता पढ़न का सरकार को खला चलज दया हआ था पलस भरपर तयार क बाद भी

कामयाब नह हो पाई

3-पलस कमनर क नोटस और कसल क नोटस म या अतर था

3-पलस कमनर न नोटस नकाला था क कोई भी जनसभा करना या जलस

नकालना कानन क खलाफ़ होगा सभाओ म भाग लन वाल को दोषी माना जाएगा

कसल न नोटस नकाला था क मोनमट क नीच चार बजकर चौबीस मनट पर झडा

फहराया जाएगा तथा वतता क ता पढ़ जाएगी इस कार य दोन नोटस एक

दसर क खलाफ़ थ

4-धमतल क मोड़ पर आकर जलस य टट गया

4-जब सभाष बाब को पकड़ लया गया तो िया जलस बनाकर चल परत पलस न

लाठ चाज स उह रोकना चाहा िजसस कछ लोग वह बठ गए कछ घायल हो गए और

कछ पलस वारा गरतार कर लए गए इसलए जलस टट गया

5-डा दासगता जलस म घायल लोग क दख-रख तो कर रह थ उनक फ़ोटो भी

उतरवा रह थ उन लोग क फ़ोटो खीचन क या वजह हो सकती थी पट किजए

5-डा दास गता लोग क फ़ोटो खचवा रह थ इसस अज़ क जम का पदाफ़ाश

कया जा सकता था दसरा यह भी पता चल सकता था क बगाल म वतता क लड़ाई

म बहत काम हो रहा ह

-ननलखत न क उर (50-60 शद म) लखए minus

1-सभाष बाब क जलस म ी समाज क या भमका थी

1-सभाष बाब क जलस म ी समाज क महवपण भमका रह थी भार पलस

यवथा क बाद भी जगह-जगह ी जलस क लए टोलया बन गई थी मोनमट पर

भी िय न नडर होकर झडा फहराया अपनी गरतारया करवाई तथा उनपर लाठया

बरसाई इनसब क बाद भी िया लाल बाज़ार तक आग बढ़ती ग

2-जलस क लाल बाज़ार आन पर लोग क या दशा हई

2-जलस क लाल बाज़ार आन पर भीड़ बकाब हो गई पलस डड बरसा रह थी लोग

को लॉकअप म भज रह थी िया भी अपनी गरफ़तार द रह थी दल क दल नार

लगा रह थ लोग का जोश बढ़ता ह जा रहा था लाठ चाज स लोग घायल हो गए थ

खन बह रहा था चीख पकार मची थी फर भी उसाह बना हआ था

3-जब स कानन भग का काम श हआ ह तब स आज तक इतनी बड़ी सभा ऐस मदान म

नह क गई थी और यह सभा तो कहना चाहए क ओपन लड़ाई थीrsquo यहा पर कौन स और

कसक वारा लाग कए गए कानन को भग करन क बात कह गई ह या कानन भग

करना उचत था पाठ क सदभ म अपन वचार कट किजए

3-इस समय दश क आज़ाद क लए हर यित अपना सवव लटान को तयार था अज़

न कानन बनाकर आदोलन जलस को गर काननी घोषत कया हआ था परत लोग पर

इसका कोई असर नह था व आज़ाद क लए अपना दशन करत रह गलामी क जजीर

को तोड़न का यास करत रह थ

4-बहत स लोग घायल हए बहत को लॉकअप म रखा गया बहत-सी िया जल ग फर

भी इस दन को अपव बताया गया ह आपक वचार म यह सब अपव य ह अपन शद

म लखए

4-सभाष च बोस क नतव म कलका वासय न वतता दवस मनान क तयार ज़ोर-

शोर स क थी पलस क सती लाठ चाज गरफ़तारया इन सब क बाद भी लोग म

जोश बना रहा लोग झड फहरात वद मातरम बोलत हए खन बहात हए भी जलस

नकालन को तपर थ जलस टटता फर बन जाता कलका क इतहास म इतन चड

प म लोग को पहल कभी नह दखा गया था

आशय पट किजए minus

1-आज तो जो कछ हआ वह अपव हआ ह बगाल क नाम या कलका क नाम पर कलक

था क यहा काम नह हो रहा ह वह आज बहत अश म धल गया

1-हजार ी पष न जलस म भाग लया आज़ाद क सालगरह मनान क लए बना

कसी डर क दशन कया पलस क बनाए कानन क जलस आद गर काननी काय आद

क भी परवाह नह क पलस क लाठ चाज होन पर लोग घायल हो गए खन बहन लग

परत लोग म जोश क कोई कमी नह थी बगाल क लए कहा जाता था क वतता क

लए बहत यादा योगदान नह दया जा रहा ह आज क िथत को दखकर उन पर स

यह कलक मट गया

2-खला चलज दकर ऐसी सभा पहल नह क गई थी

2- पलस न कोई दशन न हो इसक लए कानन नकाला क कोई जलस आद आयोिजत

नह होगा परत सभाष बाब क अयता म कसल न नोटस नकाला था क मोनमट क

नीच झडा फहराया जाएगा और वतता क ता पढ़ जाएगी सभी को इसक लए

आमत कया गया खब चार भी हआ सार कलक म झड फहराए गए थ सरकार और

आम जनता म खल लड़ाई थी|

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याकरण-सध

याया -1-सध शद का अथ ह lsquoमलrsquo दो नकटवत वण क आपसी मल स जो परवतन होता

ह उस सध कहलाता ह सम + तोष = सतोष दव + इ = दव भान + उदय = भानदय

सध तीन कार ह

1-वर सध

2- यजन सध

3- वसग सध

1) वर सध-

दो वर क आस -पास आन पर उनम जो परवतन होता ह उस वर सध कहत ह

जस ndash वया + आलय = वयालय

1) दघ वर सध

अ इ उ क बाद दघ अ इ उ आ जाए तो दोनो मलकर दघ सध आ ई ऊ हो जात

अ + आ = आ हम + आलय = हमालय

इ + ई = ई - गर + ईश = गरश

ई + इ = ई - मह + इ = मह

ई + ई = ई - नद + ईश = नदश

उ + ऊ = ऊ- लघ + ऊम = लघम

ऊ + उ = ऊ- वध + उसव = वधसव

ऊ + ऊ = ऊ - भ + ऊव = भव

2) गण वर सध -इस सध म अ आ क आग इ ई हो तो ए उ ऊ हो तो औ और

अगर ऋ हो तो अर हो जाता ह उस गण सध कहत ह

अ + इ = ए- नर + इ = नर अ + ई = ए- नर + ईश = नरश

आ + इ = ए- महा + इ = मह आ + ई = ए महा + ईश = महश

अ + उ = ओ ान + उपदश = ानोपदश आ+उ= ओ महा + उसव = महोसव

3) यण वर सध- इस सध म इ ई उ ऊ और ऋ क बाद कोई अलग वर आए

तो इनका परवतन मश य व और र म हो जाता ह

इ का य = इत +आद = इयाद ई का य = दवी +आवाहन = दयावाहन

उ का व = स +आगत = वागत ऊ का व = वध +आगमन = ववागमन

4) वध वर सध- आ + ए ऐ -gt ऐ

अ आ + ओ औ -gt औ

अ +ए =ऐ एक +एक = एकक अ +ऐ =ऐ मत +ऐय = मतय

अ +औ=औ परम +औषध = परमौषध आ +औ =औ महा +औषध = महौषध

आ +ओ =औ महा +ओघ = महौघ

5)अयाद वर सध- इस सध म ए ऐ और ओ औ क पशचात इह छोड़कर को

अय वर हो तो इनका परवतन मश अय आय अव आव म हो जाता ह )

ए का अय न +अन = नयन ऐ का आय न +अक = नायक

ओ का अव पो +अन = पवन औ का आव पौ +अन = पावन

न का परवतन ण म = ो +अन = वण

2)यजन सध- यजन क साथ वर अथवा यजन क मल स उस यजन म जो

पातरण होता ह उस यजन सध कहत ह

त+छव=तछव दक+अत=दगत

दक+गज=दगज अन+छद=अनछद

अच +अत = अजत

3)वसग सध - वसग क साथ वर या यजन का मल होन पर जो वकार होता ह उस

वसग सध कहत ह

मन+रथ=मनोरथ यश+अभलाषा=यशोभलाषा

अध+गत=अधोगत न+छल=नछल

द +गम = दगम

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गय-भाग

पाठ-12

(ततारा-वामीरो कथा )

(ललाधर मडलोई)

-लखक का परचय- ललाधर मडलोईमडलोई का जम भारतीय

राय मयदश क छदवाडा िजल क गढ़ नामक गाव म हआ मडलोई न भारत म बीए

बीएड (अज़ी) पाकारता म नातक और एमए (हद) तक शा हण कया और

इसक बाद व लदन चल गय जहा स सारण म उच-शा (सीआरट) हण क

मडलोई दरदशन आकाशवाणी क महानदशक सहत कई राय-अतरराय समतय क

साथ ह सार भारती बोड क सदय रह चक ह

-पाठ का सार-

जो सयता िजतनी अधक परानी होगी उतनी ह अधक कस -कहानया उसस जड़ी होती ह जो

हम सनन को मलती ह जो कस - कहानया हम सनन को मलती ह जर नह क वो उसी तरह

घटत हई हो िजस तरह वो हम सनाई जा रह हइतना जर होता ह क इन कस और कहानय

म कोई न कोई सीख छपी होती ह अदमान नकोबार वीपसमह म भी बहत तरह क कस -

कहानया मशहर ह इनम स कछ को ललाधर मडलोई न लखा ह

तत पाठ ततारा वामीरो कथा अडमान नकोबार वीप समह क एक छोट स वीप पर क त ह

उस वीप पर एक -दसर स शता का भाव अपनी अतम सीमा पर पहच चका था इस शता क

भावना को जड़ स उखाड़न क लए एक जोड़ को आमबलदान दना पड़ा था उसी जोड़ क बलदान

का वणन लखक न तत पाठ म कया ह

यार सबको एक साथ लाता ह और नफरत सब क बीच दरय को बढ़ाती हइस बात स भला कौन

इनकार कर सकता ह इसलए जो कोई भी समाज क लए अपन यार का अपन जीवन का

बलदान करता ह समाज न कवल उस याद रखता ह बिक उसक वारा कय गए याग और

बलदान को बकार नह जान दता यह वह कारण ह िजसक वजह स तकालन समाज क सामन

मसाल कायम करन वाल इस जोड़ को आज भी इस वीप क नवासी गव और धा स याद करत

-शदाथ-

-खला-म कड़ी -आदम ndashाभक

-वभत ndashबटा हआ -आमीय ndashअपना

-वलण ndashअसाधारण -बयार-मद हवा

त-एकाता -वकल-बचन

-सचार-उपन -असगत ndashअनचत

समोहतndash मध -झझलाना ndash चड़ना

-रोमाचत ndash पलकत -नचल- िथर

-अफवाह ndash उड़ती खबर -उफनना ndash उबाल आना

शमन ndashशात होना -घपना भकनाचभना

-न-उर-

1-ततारा और वामीरो क गाव क या थी

उर- ततारा और वामीरो क गाव क यह रत थी क ववाह क लए लड़क-लड़क का एक

ह गाव का होना जर था दसर गाव क यवक क साथ सबध असभव था

2-ततारा क तलवार क बार म लोग का या मत था

उर- ततारा क तलवार ययप लकड़ी क थी पर इसक बावजद लोग का मानना था क

उस तलवार म अभत दवीय शित थी ततारा तलवार को कभी अपन स अलग होन नह

दता था लोग यह मानत थ क ततारा अपन साहसक कारनाम इसी तलवार क कारण ह

कर पाता ह उसम बड़ी शित थी

3-नकोबार क लोग ततारा को य पसद करत थ

उर- नकोबार क लोग ततारा को उसक साहसी और परोपकार वभाव क कारण पसद करत

थ वह एक सदर और शितशाल यवक था वह सदा लोग क सहायता करता रहता था

ततारा एक नक और मददगार यित था वह अपन गाव वाल क ह नह समच

वीपवासय क सवा करना अपना धम समझता था सभी उसका आदर करत थ मसीबत

क घड़ी म वह लोग क पास तरत पहच जाता था

4- ाचीन काल म मनोरजन और शित-दशन क लए कस कार क आयोजन कए जात

उर- ाचीन काल म मनोरजन और शित-दशन क लए अ-श चलान सबधी

आयोजन तथा पश पव कए जात थ

5-lsquoततारा-वामीरो कथाrsquo का सदश पट किजए

उर- lsquoततारा-वामीरो कथाrsquo एक लोकगाथा ह इसम यह सदश दया गया ह क म को कसी

बधन जड़ता तथा सीमाओ म बाधना उचत नह ह यद कोई गाव दश या म को

पनपन क लए खला अवसर नह दता तो इसस सवनाश होता ह धरती म भदभाव बढ़त ह

पहल स बट हई धरती और अवसर नह दता तो इसस मानवता का य होता ह भावनाए

एक होन क बजाय खडत होती ह अतः गाव दश या अय सकण नयमो को तोड़कर

हम उदारता क साथ सबको अपनाना चाहए

7-नक ततारा और वामीरो क मय कस हई पठत पाठ क आधार पर लखए

उर- पश-पव क मौक पर ततारा और वामीरो को इकठा दखकर वामीरो क मा ोध म

उफन उठ उसन ततारा को तरह-तरह स अपमानत कया गाव क लोग भी ततारा क

वरोध म आवाज उठान लग यह ततारा क लए अहसनीय था वामीरो अब भी रोए जा रह

थी ततारा भी गस स भर उठा उस जहा ववाह क नषध परपरा पर ोभ था वह अपनी

असहायता पर खीझ वामीरो का दख उस और गहरा कर रहा था उस मालम नह था क

या कदम उठाना चाहए अनायास उसका हाथ तलवार क मढ़ पर जा टका ोध म उसन

तलवार नकाल और कछ वचार करता रहा ोध लगातार अिन क तरह बढ़ रहा था

लोग सहम उठ एक सनाटा-सा खच गया जब कोई राह न सझी तो ोध का शमन करन

क लए उसम शित भर उस धरती म घप दया और ताकत स उस खीचन लगा वह

पसीन स नहा उठा सब घबराए हए थ वह तलवार को अपनी तरफ खीचत-खीचत दर तक

पहच गया वह हाफ रहा था अचानक जहा एक लकर खच गई थी वहा एक दरार होन

लगी मानो धरती दो टकड़ो म बटन लगी हो एक गड़गड़ाहट-सी गजन लगी और लकर क

सीध म धरती फटती ह जा रह थी वीप क अतम सर तक ततारा धरती को मानो ोध

म काटता जा रहा था सभी याकल हो उठ लोग न ऐस य क कपना न क थी व

सहर उठ उधर वामीरो फटती हई धरती क कनार ततारा का नाम पकारत हए दौड़ रह थी

वीप दो टकड़ म वभत हो चका था ततारा और वामीरो वीप क साथ सम म धस

गए और उमय हो गई

8-शाम क समय सम कनार ततारा क ाकतक अनभत का वणन किजए

उर- एक शाम ततारा दन-भर क अथक परम क बाद सम कनार टहलन नकल

पड़ा सरज सम स लग तज तल डबन को था सम स ठडी बयार आ रह थी

पय क सायकालन चाहचाहाहट शनः शनः ीण ह को थी उसका मन शात था

वचारमन ततारा सम बाल पर बठकर सरज क अतम रग-बरगी करण को सम

पर नहारन लगा तभी कह पास म उस मधर गीत गजता सनाई दया गीत मान

बहता हआ उसक तरफ आ रहा हो बीच-बीच म लहर का सगीत सनाई दता गायन

भावी था क वह अपनी सध-बध खोन लगा लहर क एक बल वग न उसक ता भग

क चतय होत ह वह उधर बढ़न को ववश हो उठा िजधर स अब भी गीत क वर बह

रह थ वह वकल-सा उस तरफ़ बढ़ता गया अततः उसक नजर एक यवती पर पड़ी जो

ढलती हई शाम क सदय म बसध एकटक सम क दह पर डबत आकषक रगो को

नहारत हए गा रह थी यह एक शगार गीत था

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Vyakr`-vaKy-

bull वाय क सामन दए कोठक म ( radic का चह लगाकर बताए क वह वाय कस

कार का ह

क) नकोबार उस बहद म करत थ (नवाचक वधानवाचक नषधामक

वमयादबोधक)

ख) तमन एकाएक इतना मधर गाना अधरा य छोड़ दया नवाचक

वधानवाचक नषधामक वमयादबोधक)

ग) वामीरो क मा ोध म उफन उठ (नवाचक वधानवाचक नषधामक

वमयादबोधक)

घ) या तह गाव का नयम नह मालम नवाचक वधानवाचक नषधामक

वमयादबोधक)

ङ) वाह कतना सदर नाम ह (नवाचक वधानवाचक नषधामक

वमयादबोधक)

च) म तहारा राता छोड़ दगा

वमयादबोधक)

उर- क) वधानवाचक

ग) वधानवाचक

ङ) वमयादबोध

Ocirc-इस पाठ म lsquo दखना lsquo या क कई प आए ह

शदयोग म या अतर ह

Ocirc-उर-

म तहारा राता छोड़ दगा (नवाचक वधानवाचक नषधामक

ख) नवाचक

घ) नवा

च) वधानवाचक

या क कई प आए ह lsquo दखना lsquo क इन वभन

वाययोग वारा पट किजए

नषधामक

नवाचक

वधानवाचक

क इन वभन

-वाय क उदाहरण-

सचयन-भाग

पाठ-1 (हरहर काका )

-शदाथ -

तबयत - शरर क िथत यणा - यातना कलश कट

मनःिथत - मन क िथत चद - कछ

आसित ndash लगाव यावहारक - यावहार सबधी

वचारक - वचार सबधी दलार - यार

सयाना - यक बधमान तीा - इतज़ार

फ़लहाल - अभी इस समय मझधार - बीच म

वलन - लत हो जाना वकप - दसरा उपाय

चलत ndash चलनसार जात - जगाना

कलवर - शरर मनौती - मनत

परपरा - था णाल अधकाश - यादातर

समत ndash सथा सचालन - नयण चलाना

नयित - तनाती लगाया गया वमख - तकल

चपट - आघात हार अहाता-चार ओर स दवार स घरा हआ मदान

अखड ndash नवन वफोट - फट कर बाहर नकलना

आगमन - आन पर उपलय - सकत

सराहना ndash शसा निचत - बफ

-लखक का परचय-मथलवर का जम 31 दसबर 1950 को बहार क

भोजपर िजल क बसाडीह नामक गाव म हआ इनक पता व० ो० वशरोपन लाल थ

मथलवर क पता (ो० वशरोपन लाल) भी वलण तभा क धनी थ परत उनक

असाय बीमार न मथलवर क जीवन म आरभ स ह कठन सघष क बीज बो दय थ

पाठ सार-

लखक कहता ह क वह हरहर काका क साथ बहत गहर स जड़ा था लखक का हरहर

काका क त जो यार था वह लखक का उनक यावहार क और उनक वचार क कारण

था और उसक दो कारण थ पहला कारण था क हरहर काका लखक क पड़ोसी थ और

दसरा कारण लखक को उनक मा न बताया था क हरहर काका लखक को बचपन स ह

बहत यादा यार करत थ जब लखक यक हआ तो उसक पहल दोती भी हरहर काका

क साथ ह हई थी लखक क गाव क पव दशा म ठाकर जी का वशाल मदर था िजस

गाव क लोग ठाकरबार यान दवथान कहत थ लोग ठाकर जी स प क मनत मागत

मक़दम म जीत लड़क क शाद कसी अछ घर म हो जाए लड़क को नौकर मल जाए

आद मनत मागत थ मनत पर होन पर लोग अपनी ख़शी स ठाकरजी को पए ज़वर

और अनाज चढ़ाया करत थ िजसको बहत अधक ख़शी होती थी वह अपन खत का छोटा-

सा भाग ठाकरजी क नाम कर दता था और यह एक तरह स था ह बन गई लखक कहता

ह क उसका गाव अब गाव क नाम स नह बिक दव-थान क वजह स ह पहचाना जाता

था उसक गाव का यह दव-थान उस इलाक का सबस बड़ा और सध दवथान था

हरहर काका न अपनी परिथतओ क कारण दव-थान म जाना बद कर दया था मन

बहलान क लए लखक भी कभी-कभी दव-थान चला जाता था लकन लखक कहता ह क

वहा क साध-सत उस बलकल भी पसद नह थ यक व काम करन म कोई दलचपी

नह रखत थ भगवान को भोग लगान क नाम पर व दन क दोन समय हलवा-पड़ी

बनवात थ और आराम स पड़ रहत थ सारा काम वहा आए लोग स सवा करन क नाम पर

करवात थ व खद अगर कोई काम करत थ तो वो था बात बनवान का काम

लखक हरहर काका क बार म बताता हआ कहता ह क हरहर काका और उनक तीन भाई

ह सबक शाद हो चक ह हरहर काका क अतरत सभी तीन भाइय क बाल-बच ह

कछ समय तक तो हरहर काका क सभी चीज़ का अछ स यान रखा गया परत फर

कछ दन बाद हरहर काका को कोई पछन वाला नह था लखक कहता ह क अगर कभी

हरहर काका क शरर क िथत ठक नह होती तो हरहर काका पर मसीबत का पहाड़ ह

गर जाता यक इतन बड़ परवार क रहत हए भी हरहर काका को कोई पानी भी नह

पछता था बारामद क कमर म पड़ हए हरहर काका को अगर कसी चीज़ क जरत होती

तो उह खद ह उठना पड़ता एक दन उनका भतीजा शहर स अपन एक दोत को घर ल

आया उह क आन क ख़शी म दो-तीन तरह क सिज़या बजक चटनी रायता और भी

बहत कछ बना था सब लोग न खाना खा लया और हरहर काका को कोई पछन तक नह

आया हरहर काका गस म बरामद क ओर चल पड़ और जोर-जोर स बोल रह थ क

उनक भाई क पिनया या यह सोचती ह क व उह मत म खाना खला रह ह उनक

खत म उगन वाला अनाज भी इसी घर म आता ह

हरहर काका क गस का महत जी न लाभ उठान क सोची महत जी हरहर काका को

अपन साथ दव-थान ल आए और हरहर काका को समझान लग क उनक भाई का परवार

कवल उनक जमीन क कारण उनस जड़ा हआ ह कसी दन अगर हरहर काका यह कह द

क व अपन खत कसी और क नाम लख रह ह तो व लोग तो उनस बात करना भी बद

कर दग खन क रत ख़म हो जायग महत हरहर काका स कहता ह क उनक हस म

िजतन खत ह व उनको भगवान क नाम लख द ऐसा करन स उह सीध वग क ाित

होगी

सबह होत ह हरहर काका क तीन भाई दव-थान पहच गए तीन हरहर काका क पाव म

गर कर रोन लग और अपनी पिनय क गलती क माफ़ मागन लग और कहन लग क

व अपनी पिनय को उनक साथ कए गए इस तरह क यवहार क सज़ा दग हरहर काका

क मन म दया का भाव जाग गया और व फर स घर वापस लौट कर आ गए जब अपन

भाइय क समझान क बाद हरहर काका घर वापस आए तो घर म और घर वाल क

यवहार म आए बदलाव को दख कर बहत खश हो गए घर क सभी छोट-बड़ सभी लोग

हरहर काका का आदर-सकार करन लग

गाव क लोग जब भी कह बठत तो बात का ऐसा सलसला चलता िजसका कोई अत नह

था हर जगह बस उह क बात होती थी कछ लोग कहत क हरहर काका को अपनी

जमीन भगवान क नाम लख दनी चाहए इसस उम और अछा कछ नह हो सकता

इसस हरहर काका को कभी न ख़म होन वाल सध ात होगी इसक वपरत कछ

लोग क यह मानत थ क भाई का परवार भी तो अपना ह परवार होता ह अपनी

जायदाद उह न दना उनक साथ अयाय करना होगा हरहर काका क भाई उनस ाथना

करन लग क व अपन हस क जमीन को उनक नाम लखवा द इस वषय पर हरहर

काका न बहत सोचा और अत म इस परणाम पर पहच क अपन जीत-जी अपनी जायदाद

का वामी कसी और को बनाना ठक नह होगा फर चाह वह अपना भाई हो या मदर का

महत यक उह अपन गाव और इलाक क व कछ लोग याद आए िजहन अपनी िजदगी

म ह अपनी जायदाद को अपन रतदार या कसी और क नाम लखवा दया था उनका

जीवन बाद म कसी क क तरह हो गया था उह कोई पछन वाला भी नह था हरहर

काका बलकल भी पढ़-लख नह थ परत उह अपन जीवन म एकदम हए बदलाव को

समझन म कोई गलती नह हई और उहन फसला कर लया क व जीत-जी कसी को भी

अपनी जमीन नह लखग

लखक कहता ह क जस-जस समय बीत रहा था महत जी क परशानया बढ़ती जा

रह थी उह लग रहा था क उहन हरहर काका को फसान क लए जो जाल फ का

था हरहर काका उसस बाहर नकल गए ह यह बात महत जी को सहन नह हो रह

थी आधी रात क आस-पास दव-थान क साध-सत और उनक कछ साथी भाला

गड़ासा और बदक क साथ अचानक ह हरहर काका क आगन म आ गए इसस

पहल हरहर काका क भाई कछ सोच और कसी को अपनी सहायता क लए आवाज

लगा कर बलाए तब तक बहत दर हो गई थी हमला करन वाल हरहर काका को

अपनी पीठ पर डाल कर कह गायब हो गए थव हरहर काका को दव-थान ल गए

थ एक ओर तो दव-थान क अदर जबरदती हरहर काका क अगठ का नशान लन

और पकड़कर समझान का काम चल रहा था तो वह दसर ओर हरहर काका क

तीन भाई सबह होन स पहल ह पलस क जीप को लकर दव-थान पर पहच गए

थ महत और उनक साथय न हरहर काका को कमर म हाथ और पाव बाध कर

रखा था और साथ ह साथ उनक मह म कपड़ा ठसा गया था ताक व आवाज़ न कर

सक परत हरहर काका दरवाज़ तक लढ़कत हए आ गए थ और दरवाज़ पर अपन

पर स धका लगा रह थ ताक बाहर खड़ उनक भाई और पलस उह बचा सक

दरवाज़ा खोल कर हरहर काका को बधन स मत कया गया हरहर काका न

पलस को बताया क व लोग उह उस कमर म इस तरह बाध कर कह गत

दरवाज़ स भाग गए ह और उहन कछ खल और कछ लख हए कागज पर हरहर

काका क अगठ क नशान जबरदती लए ह

यह सब बीत जान क बाद हरहर काका फर स अपन भाइय क परवार क साथ रहन लग

गए थ चौबीस घट पहर दए जान लग थ यहा तक क अगर हरहर काका को कसी

काम क कारण गाव म जाना पड़ता तो हथयार क साथ चार-पाच लोग हमशा ह उनक

साथ रहन लग लखक कहता ह क हरहर काका क साथ जो कछ भी हआ था उसस हरहर

काका एक सीध-साद और भोल कसान क तलना म चालाक और बधमान हो गए थ

उह अब सब कछ समझ म आन लगा था क उनक भाइय का अचानक स उनक त जो

यवहार परवतन हो गया था उनक लए जो आदर-समान और सरा व दान कर रह थ

वह उनका कोई सग भाइय का यार नह था बिक व सब कछ उनक धन-दौलत क कारण

कर रह ह नह तो व हरहर काका को पछत तक नह जब स हरहर काका दव-थान स

वापस घर आए थ उसी दन स ह हरहर काका क भाई और उनक दसर नात-रतदार

सभी यह सोच रह थ क हरहर काका को क़ाननी तरक स उनक जायदाद को उनक

भतीज क नाम कर दना चाहए यक जब तक हरहर काका ऐसा नह करग तब तक

महत क तज़ नज़र उन पर टक रहगी जब हरहर काका क भाई हरहर काका को

समझात-समझात थक गए तो उहन हरहर काका को डाटना और उन पर दवाब डालना

श कर दया एक रात हरहर काका क भाइय न भी उसी तरह का यवहार करना श

कर दया जसा महत और उनक सहयोगय न कया था उह धमकात हए कह रह थ क

ख़शी-ख़शी कागज़ पर जहा-जहा जरत ह वहा-वहा अगठ क नशान लगत जाओ नह तो व

उह मार कर वह घर क अदर ह गाड़ दग और गाव क लोगो को इस बार म कोई सचना

भी नह मलगी हरहर काका क साथ अब उनक भाइय क मारपीट श हो गई जब

हरहर काका अपन भाइय का मकाबला नह कर पा रह थ तो उहन ज़ोर-ज़ोर स

चलाकर अपनी मदद क लए गाव वाल को आवाज लगाना श कर दया तब उनक

भाइय को यान आया क उह हरहर काका का मह पहल ह बद करना चाहए था उहन

उसी पल हरहर काका को जमीन पर पटका और उनक मह म कपड़ा ठस दया लकन तब

तक बहत दर हो गई थी हरहर काका क आवाज बाहर गाव म पहच गई थी हरहर काका

क परवार और रत-नात क लोग जब तक गाव वाल कोसमझात क यह सब उनक

परवार का आपसी मामला ह व सभी इसस दर रह तब तक महत जी बड़ी ह दता और

तज़ी स वहा पलस क जीप क साथ आ गए पलस न पर घर क अछ स तलाशी लना

श कर दया फर घर क अदर स हरहर काका को इतनी बर हालत म हासल कया गया

िजतनी बर हालत उनक दव-थान म भी नह हई थी हरहर काका न बताया क उनक

भाइय न उनक साथ बहत ह यादा बरा यवहार कया ह जबरदती बहत स कागज पर

उनक अगठ क नशान ल लए ह उह बहत यादा मारा-पीटा ह

इस घटना क बाद हरहर काका अपन परवार स एकदम अलग रहन लग थ उह उनक

सरा क लए चार राइफलधार पलस क जवान मल थ आचय क बात तो यह ह क

इसक लए उनक भाइय और महत क ओर स काफ़ यास कए गए थ असल म भाइय

को चता थी क हरहर काका अकल रहन लगग तो दव-थान क महत-पजार फर स

हरहर काका को बहला-फसला कर ल जायग और जमीन दव-थान क नाम करवा लग और

यह चता महत जी को भी थी क हरहर काका को अकला और असरत पा उनक भाई

फर स उह पकड़ कर मारग और जमीन को अपन नाम करवा लग लखक कहता ह क

हरहर काका स जड़ी बहत सी ख़बर गाव म फल रह थी जस-जस दन बड़ रह थ वस-वस

डर का मौहोल बन रहा था सभी लोग सफ यह सोच रह थ क हरहर काका न अमत तो

पया हआ ह नह तो मरना तो उनको एक दन ह ह और जब व मरग तो पर गाव म

तफ़ान आ जाएगा यक महत और हरहर काका क परवार क बीच जमीन को ल कर

लड़ाई हो जायगी

पलस क जवान हरहर काका क खच पर ह खब मौज-मती स रह रह थ िजसका धन

वह रह उपास खान वाल कर वलास अथात हरहर काका क पास धन था लकन उनक लए

अब उसका कोई महव नह था और पलस वाल बना कसी कारण स ह हरहर काका क

धन स मौज कर रह थ अब तक जो नह खाया था दोन वत उसका भोग लगा रह थ

-नोर-

1-कथावाचक और हरहर काका क बीच या सबध ह और इसक या कारण ह

1-कथावाचक जब छोटा था तब स ह हरहर काका उस बहत यार करत थ जब वह बड़ हो

गए तो वह हरहर काका क म बन गए गाव म इतनी गहर दोती और कसी स नह

हई हरहर काका उनस खल कर बात करत थ यह कारण ह क कथावाचक को उनक

एक-एक पल क खबर थी शायद अपना म बनान क लए काका न वय ह उस यार स

बड़ा कया और इतजार कया

2-हरहर काका को महत और भाई एक ह णी क य लगन लग

2-हरहर काका को अपन भाइय और महत म कोई अतर नह लगा दोन एक ह णी क

लग उनक भाइय क पिनय न कछ दन तक तो हरहर काका का यान रखा फर

बचीकची रोटया द नाता नह दत थ बमार म कोई पछन वाला भी न था िजतना भी

उह रखा जा रहा था उनक ज़मीन क लए था इसी तरह महत न एक दन तो बड़ यार

स खातर क फर ज़मीन अपन ठाकर बाड़ी क नाम करन क लए कहन लग काका क

मना करन पर उह अनक यातनाए द अपहरण करवाया मह म कपड़ा ठस कर एक कोठर

म बद कर दया जबरदती अगठ का नशान लया गया तथा उह मारा पीटा गया इस

तरह दोन ह कवल ज़मीन जायदाद क लए हरहर काका स यवहार रखत थ अत उह

दोन एक ह णी क लग

3-ठाकर बाड़ी क त गाव वाल क मन म अपार धा क जो भाव ह उसस उनक कस

मनोव का पता चलता ह

3-कहा जाता ह गाव क लोग भोल होत ह असल म गाव क लोग अधववासी धमभी होत

ह मदर जस थान को पव नकलक ान का तीक मानत ह पजार परोहत महत

जस िजतन भी धम क ठकदार ह उनपर अगाध धा रखत ह व चाह कतन भी

पतत वाथ और नीच ह पर उनका वरोध करत व डरत ह इसी कारण ठाकर बाड़ी क

त गाव वाल क अपार धा थी उनका हर सख-दख उसस जड़ा था

4-अनपढ़ होत हए भी हरहर काका दनया क बहतर समझ रखत ह कहानी क आधार पर

पट किजए

4-हरहर काका अनपढ़ थ फर भी उह दनयादार क बहद समझ थी उनक भाई लोग

उनस ज़बरदती ज़मीन अपन नाम करान क लए डरात थ तो उह गाव म दखावा करक

ज़मीन हथयान वालो क याद आती ह काका न उह दखी होत दखा ह इसलए उहन

ठान लया था चाह महत उकसाए चाह भाई दखावा कर वह ज़मीन कसी को भी नह दग

एक बार महत क उकसान पर भाइय क त धोखा नह करना चाहत थ परत जब भाइय

न भी धोखा दया तो उह समझ म आ गया उनक त उह कोई यार नह ह जो यार

दखात ह वह कवल ज़ायदाद क लए ह

5-हरहर काका को जबरन उठा ल जान वाल कौन थ उहन उनक साथ कसा यवहार

कया

5-महत न हरहर काका को बहत लोभन दए िजसस वह अपनी ज़मीन जायदाद ठाकर

बाड़ी क नाम कर द परत काका इस बात क लए तयार नह थ व सोच रह थ क या

भगवान क लए अपन भाइय स धोखा क यह उह सह भी नह लग रहा था महत को

यह बात पता लगी तो उसन छल और बल स रात क समय अकल दालान म सोत हए

हरहर काका को उठवा लया महत न अपन चल साधसतो क साथ मलकर उनक हाथ पर

बाध दए मह म कपड़ा ठस दया और जबरदती अगठ क नशान लए उह एक कमर म

बद कर दया जब पलस आई तो वय गत दरवाज़ स भाग गए

6-हरहर काका क मामल म गाव वाल क या राय थी और उसक या कारण थ

6-कहानी क आधार पर गाव क लोग को बना बताए पता चल गया क हरहर काका को

उनक भाई नह पछत इसलए सख आराम का लोभन दकर महत उह अपन साथ ल

गया भाई मनत करक काका को वापस ल आत ह इस तरह गाव क लोग दो प म

बट गए कछ लोग महत क तरफ़ थ जो चाहत थ क काका अपनी ज़मीन धम क नाम पर

ठाकर बाड़ी को द द ताक उह सख आराम मल मय क बाद मो यश मल महत ानी

ह वह सब कछ जानता ह लकन दसर प क लोग कहत क ज़मीन परवार वालो को द

जाए उनका कहना था इसस उनक परवार का पट भरगा मदर को ज़मीन दना अयाय

होगा इस तरह दोन प अपन-अपन हसाब स सोच रह थ परत हरहर काका क बार म

कोई नह सोच रहा था इन बात का एक कारण यह भी था क काका वधर थ और उनक

कोई सतान भी नह थी पह बीघ ज़मीन क लए इनका लालच वाभवक था

7-कहानी क आधार पर पट किजए क लखक न यह य कहा अान क िथत म ह

मनय मय स डरत ह ान होन क बाद तो आदमी आवयकता पड़न पर मय को वरण

करन क लए तयार हो जाता ह

7-जब काका को असलयत पता चल और उह समझ म आ गया क सब लोग उनक

ज़मीन जायदाद क पीछ ह तो उह व सभी लोग याद आ गए िजहन परवार वालो क मोह

माया म आकर अपनी ज़मीन उनक नाम कर द और मय तक तलतल करक मरत

रह दान-दान को मोहताज़ हो गए इसलए उहन सोचा क इस तरह रहन स तो एक बार

मरना अछा ह जीत जी ज़मीन कसी को भी नह दग य लोग मझ एक बार म ह मार

द अत लखक न कहा क अान क िथत म मनय मय स डरता ह परत ान होन

पर मय वरण को तयार रहता ह

8-समाज म रत क या अहमयत ह इस वषय पर अपन वचार कट किजए

8-आज समाज म मानवीय मय तथा पारवारक मय धीर-धीर समात होत जा रह ह

यादातर यित अपन वाथ क लए रत नभात ह अपनी आवयकताओ क हसाब स

मलत ह अमीर रतदार का समान करत ह उनस मलन को आतर रहत ह जबक गरब

रतदार स कतरात ह कवल वाथ सध क अहमयत रह गई ह आए दन हम

अखबार म समाचार पढ़त ह क ज़मीन जाय़दाद पस जवर क लए लोग घनौन स घनौना

काय कर जात ह (हया अपहरण आद) इसी कार इस कहानी म भी पलस न पहचती तो

परवार वाल महत जी (काका क) हया ह कर दत उह यह अफसोस रहा क व काका को

मार नह पाए

9-यद आपक आसपास हरहर काका जसी हालत म कोई हो तो आप उसक कस कार

मदद करग

9-यद हमार आसपास हरहर काका जसी हालत म कोई हो तो हम उसक पर तरह मदद

करन क कोशश करग उनस मलकर उनक दख का कारण पता करग उह अहसास

दलाएग क व अकल नह ह सबस पहल तो यह ववास कराएग क सभी यित लालची

नह होत ह इस तरह मौन रह कर दसर को मौका न द बिक उलास स शष जीवन

बताए रतदार स मलकर उनक सबध सधारन का यन करग

10-हरहर काका क गाव म यद मीडया क पहच होती तो उनक या िथत होती अपन

शद म लखए

10-यद काका क गाव म मीडया पहच जाती तो सबक पोल खल जाती महत व भाइय का

पदाफाश हो जाता अपहरण और जबरन अगठा लगवान क अपराध म उह जल हो जाती

अपना-अपना मोचा सभालना - अपनी िजमदार नबाहना

आसमान स जमीन पर गरना -उच िथत स नन िथत पर आना

खल कर बात करना- बना सकच क बात करना |

चपत हो जाना ndash भाग जाना |

जी-जान स जट जाना ndash खब महनत करना

िजतन मह उतनी बात होना- कई तरह क बात करना |

ततर-बतर होना ndash बखर जाना |

त-त म -म होना -झगड़ा होना |

नमक-मच लगाना- बढ़ा-चढ़कर कहना|

बात बनाना- बहान बनाना|

रग चढ़ना- असर होना|

मह न खोलना ndash कछ न बताना |

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पय-भाग

पाठ-4

मनयता ndashमथलशरण गत

-लखक का परचय-

-पाठ का सार व पिटकरण-

कत क अय ाणय क तलना म मनय म सोचन क शित अधक होती ह

वह अपन ह नह दसर क सख - दःख का भी याल रखता ह और दसर क लए

कछ करन म समथ होता ह जानवर जब चरागाह म जात ह तो कवल अपन लए

चर कर आत ह परत मनय ऐसा नह ह वह जो कछ भी कमाता ह जो कछ भी

बनाता ह वह दसर क लए भी करता ह और दसर क सहायता स भी करता ह

तत पाठ का कव अपन क सख - दःख क चता करन वाल को मनय तो

मानता ह परत यह मानन को तयार नह ह क उन मनय म मनयता क सार

गण होत ह कव कवल उन मनय को महान मानता ह जो अपन क सख - दःख

स पहल दसर क चता करत ह वह मनय म ऐस गण चाहता ह िजसक कारण

कोई भी मनय इस मयलोक स चल जान क बाद भी सदय तक दसर क याद म

रहता ह अथात वह मय क बाद भी अमर रहता ह

-पाठ सार-

इस कवता म कव मनयता का सह अथ समझान का यास कर रहा ह पहल

भाग म कव कहता ह क मय स नह डरना चाहए यक मय तो निचत ह पर

हम ऐसा कछ करना चाहए क लोग हम मय क बाद भी याद रख असल मनय

वह ह जो दसर क लए जीना व मरना सीख ल दसर भाग म कव कहता ह क

हम उदार बनना चाहए यक उदार मनय का हर जगह गण गान होता ह मनय

वह कहलाता ह जो दसर क चता कर तीसर भाग म कव कहता ह क पराण

म उन लोग क बहत उदाहरण ह िजह उनक याग भाव क लए आज भी याद

कया जाता ह सचा मनय वह ह जो याग भाव जान ल चौथ भाग म कव

कहता ह क मनय क मन म दया और कणा का भाव होना चाहए मनय वह

कहलाता ह जो दसर क लए मरता और जीता ह पाचव भाग म कव कहना चाहता

ह क यहा कोई अनाथ नह ह यक हम सब उस एक ईवर क सतान ह हम

भदभाव स ऊपर उठ कर सोचना चाहएछठ भाग म कव कहना चाहता ह क हम

दयाल बनना चाहए यक दयाल और परोपकार मनय का दवता भी वागत करत

ह अतः हम दसर का परोपकार व कयाण करना चाहएसातव भाग म कव कहता

ह क मनय क बाहर कम अलग अलग हो परत हमार वद साी ह क सभी क

आमा एक ह हम सब एक ह ईवर क सतान ह अतः सभी मनय भाई -बध ह

और मनय वह ह जो दःख म दसर मनय क काम आयअतम भाग म कव

कहना चाहता ह क वप और वन को हटात हए मनय को अपन चन हए रात

पर चलना चाहए आपसी समझ को बनाय रखना चाहए और भदभाव को नह

बढ़ाना चाहए ऐसी सोच वाला मनय ह अपना और दसर का कयाण और उधार

कर सकता ह

-याया

1-वचार लो क मय हो न मय स डरो कभी

मरो परत य मरो क याद जो कर सभी

हई न य समय तो वथा मर वथा िजए

मारा नह वह क जो िजया न आपक लए

वह पश- वत ह क आप आप ह चर

वह मनय ह क जो मनय क लए मर

सग - तत कवता हमार पाय पतक पश भाग -2 स ल गई ह इसक

कव मथलशरण गत ह इन पितओ म कव बताना चाहता ह क मनय को

कसा जीवन जीना चाहए

याया - कव कहता ह क हम यह जान लना चाहए क मय का होना निचत

ह हम मय स नह डरना चाहए कव कहता ह क हम कछ ऐसा करना चाहए क

लोग हम मरन क बाद भी याद रख जो मनय दसर क लए कछ भी ना कर सक

उनका जीना और मरना दोन बकार ह मर कर भी वह मनय कभी नह मरता जो

अपन लए नह दसर क लए जीता ह यक अपन लए तो जानवर भी जीत ह

कव क अनसार मनय वह ह जो दसर मनय क लए मर अथात जो मनय दसर

क चता कर वह असल मनय कहलाता ह

2-उसी उदार क कथा सरवती बखानती

उसी उदार स धरा कताथ भाव मानती

उसी उदार क सदा सजीव कत कजती

तथा उसी उदार को समत सिट पजती

अखड आम भाव जो असीम वव म भर

वह मनय ह क जो मनय क लए मर

सग - तत कवता हमार पाय पतक पश भाग -2 स ल गई ह इसक

कव मथलशरण गत ह इन पितओ म कव बताना चाहता ह क जो मनय

दसर क लए जीत ह उनका गणगान यग - यग तक कया जाता ह

याया - कव कहता ह क जो मनय अपन पर जीवन म दसर क चता करता

ह उस महान यित क कथा का गण गान सरवती अथात पतक म कया जाता

ह पर धरती उस महान यित क आभार रहती ह उस यित क बातचीत

हमशा जीवत यित क तरह क जाती ह और पर सिट उसक पजा करती ह

कव कहता ह क जो यित पर ससार को अखड भाव और भाईचार क भावना म

बाधता ह वह यित सह मायन म मनय कहलान योय होता ह

3-धात रतदव न दया करथ थाल भी

तथा दधीच न दया पराथ अिथजाल भी

उशीनर तीश न वमास दान भी कया

सहष वीर कण न शरर-चम भी दया

अनय दह क लए अनाद जीव या डर

वह मनय ह क जो मनय क लए मर

सग - तत कवता हमार पाय पतक पश भाग -2 स ल गई ह इसक

कव मथलशरण गत ह इन पितओ म कव न महान पष क उदाहरण दए ह

िजनक महानता क कारण उह याद कया जाता ह

याया - कव कहता ह क पौराणक कथाए ऐस यितओ क उदाहरण स भर

पड़ी ह िजहन अपना परा जीवन दसर क लए याग दया िजस कारण उह आज

तक याद कया जाता ह भख स परशान रतदव न अपन हाथ क आखर थाल भी

दान कर द थी और महष दधीच न तो अपन पर शरर क हडया व बनान क

लए दान कर द थी उशीनर दश क राजा शब न कबतर क जान बचान क लए

अपना परा मास दान कर दया था वीर कण न अपनी ख़शी स अपन शरर का

कवच दान कर दया था कव कहना चाहता ह क मनय इस नवर शरर क लए

य डरता ह यक मनय वह कहलाता ह जो दसर क लए अपन आप को याग

दता ह

4-सहानभत चाहए महावभत ह यह

वशीकता सदव ह बनी हई वय मह

वधभाव बध का दया-वाह म बहा

वनीत लोकवग या न सामन झका रहा

अहा वह उदार ह परोपकार जो कर

वह मनय ह क जो मनय क लए मर

सग - तत कवता हमार पाय पतक पश भाग -2 स ल गई ह इसक

कव मथलशरण गत ह इन पितओ म कव न महामा बध का उदाहरण दत

हए दया कणा को सबस बड़ा धन बताया ह

याया - कव कहता ह क मनय क मन म दया व कणा का भाव होना चाहए

यह सबस बड़ा धन ह वय ईवर भी ऐस लोग क साथ रहत ह इसका सबस

बड़ा उदाहरण महामा बध ह िजनस लोग का दःख नह दखा गया तो व लोक

कयाण क लए दनया क नयम क वध चल गए इसक लए या परा ससार

उनक सामन नह झकता अथात उनक दया भाव व परोपकार क कारण आज भी

उनको याद कया जाता ह और उनक पजा क जाती ह महान उस को कहा जाता ह

जो परोपकार करता ह वह मनय मनय कहलाता ह जो मनय क लए जीता ह

और मरता ह

5-रहो न भल क कभी मदाघ तछ व म

सनाथ जान आपको करो न गव च म

अनाथ कौन ह यहा लोकनाथ साथ ह

दयाल दन बध क बड़ वशाल हाथ ह

अतीव भायहन ह अधीर भाव जो कर

वह मनय ह क जो मनय क लए मर

सग - तत कवता हमार पाय पतक पश भाग -2 स ल गई ह इसक

कव मथलशरण गत ह इन पितओ म कव कहता ह क सपत पर कभी

घमड नह करना चाहए और कसी को अनाथ नह समझना चाहए यक ईवर

सबक साथ ह

याया - कव कहता ह क भल कर भी कभी सप या यश पर घमड नह करना

चाहए इस बात पर कभी गव नह करना चाहए क हमार साथ हमार अपन का

साथ ह यक कव कहता ह क यहा कौन सा यित अनाथ ह उस ईवर का

साथ सब क साथ ह वह बहत दयावान ह उसका हाथ सबक ऊपर रहता ह कव

कहता ह क वह यित भायहन ह जो इस कार का उतावलापन रखता ह यक

मनय वह यित कहलाता ह जो इन सब चीज स ऊपर उठ कर सोचता ह

6-अनत अतर म अनत दव ह खड़

सम ह वबाह जो बढ़ा रह बड़-बड़

परपरावलब स उठो तथा बढ़ो सभी

अभी अमय-अक म अपक हो चढ़ो सभी

रहो न या क एक स न काम और का सर

वह मनय ह क जो मनय क लए मर

सग - तत कवता हमार पाय पतक पश भाग -2 स ल गई ह इसक

कव मथलशरण गत ह इन पितओ म कव कहता ह क कलक रहत रहन व

दसर का सहारा बनन वाल मवषय का दवता भी वागत करत ह

याया - कव कहता ह क उस कभी न समात होन वाल आकाश म असय

दवता खड़ ह जो परोपकार व दयाल मनय का सामन स खड़ होकर अपनी भजाओ

को फलाकर वागत करत ह इसलए दसर का सहारा बनो और सभी को साथ म

लकर आग बड़ो कव कहता ह क सभी कलक रहत हो कर दवताओ क गोद म

बठो अथात यद कोई बरा काम नह करोग तो दवता तह अपनी गोद म ल लग

अपन मतलब क लए नह जीना चाहए अपना और दसर का कयाण व उधार

करना चाहए यक इस मरणशील ससार म मनय वह ह जो मनय का कयाण

कर व परोपकार कर

7-मनय माा बध ह यह बड़ा ववक ह

पराणपष वयभ पता सध एक ह

फलानसार कम क अवय बाय भद ह

परत अतरय म माणभत वद ह

अनथ ह क बध ह न बध क यथा हर

वह मनय ह क जो मनय क लए मर

सग - तत कवता हमार पाय पतक पश भाग -2 स ल गई ह इसक

कव मथलशरण गत ह इन पितओ म कव कहता ह क हम सब एक ईवर क

सतान ह अतः हम सभी मनय एक - दसर क भाई - बध ह

याया - कव कहता ह क यक मनय एक दसर क भाई - बध ह यह सबस

बड़ी समझ ह पराण म िजस वय उपन पष मना गया ह वह परमामा या

ईवर हम सभी का पता ह अथात सभी मनय उस एक ईवर क सतान ह

बाहर कारण क फल अनसार यक मनय क कम भल ह अलग अलग ह परत

हमार वद इस बात क साी ह क सभी क आमा एक ह कव कहता ह क यद

भाई ह भाई क दःख व कट का नाश नह करगा तो उसका जीना यथ ह यक

मनय वह कहलाता ह जो बर समय म दसर मनय क काम आता ह

8-चलो अभीट माग म सहष खलत हए

वपवन जो पड़ उह ढकलत हए

घट न हलमल हा बढ़ न भनता कभी

अतक एक पथ क सतक पथ ह सभी

तभी समथ भाव ह क तारता हआ तर

वह मनय ह क जो मनय क लए मर

सग - तत कवता हमार पाय पतक पश भाग -2 स ल गई ह इसक

कव मथलशरण गत ह इन पितओ म कव कहता ह क यद हम ख़शी ससार

कट को हटत हए भदभाव रहत रहग तभी सभव ह क समाज क उनत होगी

याया - कव कहता ह क मनय को अपनी इछा स चन हए माग म ख़शी

ख़शी चलना चाहएरात म कोई भी सकट या बाधाए आय उह हटात चल जाना

चाहए मनय को यह यान रखना चाहए क आपसी समझ न बगड़ और भद

भाव न बड़ बना कसी तक वतक क सभी को एक साथ ल कर आग बढ़ना चाहए

तभी यह सभव होगा क मनय दसर क उनत और कयाण क साथ अपनी

समध भी कायम कर

-ननलखत न क उर दिजय ndash

1-कव न कसी मय को समय कहा ह

1-कव न ऐसी मय को समय कहा ह िजसम मनय अपन स पहल दसर क चता

करता ह और परोपकार क राह को चनता ह िजसस उस मरन क बाद भी याद कया

जाता ह

2-उदार यित क पहचान कस हो सकती ह

2- उदार यित परोपकार होता ह वह अपन स पहल दसर क चता करता ह और

लोक कयाण क लए अपना जीवन याग दता ह

3-कव न दधीच कण आद महान यितओ क उदाहरण द कर मनयता क लए

या उदाहरण दया ह

3- कव न दधीच कण आद महान यितओ क उदाहरण द कर मनयता क

लए यह सदश दया ह क परोपकार करन वाला ह असल मनय कहलान योय

होता ह मानवता क रा क लए दधीच न अपन शरर क सार अिथया दान कर

द थीकण न अपनी जान क परवाह कय बना अपना कवच द दया था िजस

कारण उह आज तक याद कया जाता ह कव इन उदाहरण क वारा यह

समझाना चाहता ह क परोपकार ह सची मनयता ह

4- कव न कन पितय म यह यत कया ह क हम गव - रहत जीवन यतीत

करना चाहए

4- कव न ननलखत पितय म गव रहत जीवन यतीत करन क बात कह ह-

रहो न भल क कभी मगाघ तछ व म

सनाथ जान आपको करो न गव च म

अथात सपत क घमड म कभी नह रहना चाहए और न ह इस बात पर गव

करना चाहए क आपक पास आपक अपन का साथ ह यक इस दनया म कोई

भी अनाथ नह ह सब उस परम पता परमवर क सतान ह

5- मनय मा बध ह स आप या समझत ह पट किजए

5- मनय मा बध ह अथात हम सब मनय एक ईवर क सतान ह अतः हम

सब भाई - बध ह भाई -बध होन क नात हम भाईचार क साथ रहना चाहए और

एक दसर का बर समय म साथ दना चाहए

6- कव न सबको एक होकर चलन क रणा य द ह

6- कव न सबको एक होकर चलन क रणा इसलए द ह ताक आपसी समझ न

बगड़ और न ह भदभाव बड़ सब एक साथ एक होकर चलग तो सार बाधाए मट

जाएगी और सबका कयाण और समध होगी

7- यित को कस तरह का जीवन यतीत करना चाहए इस कवता क आधार पर

लखए

7-मनय को परोपकार का जीवन जीना चाहए अपन स पहल दसर क दख क

चता करनी चाहए कवल अपन बार म तो जानवर भी सोचत ह कव क अनसार

मनय वह कहलाता ह जो अपन स पहल दसर क चता कर

8- मनयता कवता क वारा कव या सदश दना चाहता ह

8- मनयता कवता क मायम स कव यह सदश दना चाहता ह क परोपकार ह

सची मनयता ह परोपकार ह एक ऐसा साधन ह िजसक मायम स हम यग तक

लोगो क दल म अपनी जगह बना सकत ह और परोपकार क वारा ह समाज का

कयाण व समध सभव ह अतः हम परोपकार बनना चाहए ताक हम सह

मायन म मनय कहलाय

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-याकरण-

पदबध- परभाषा

पद- वाय स अलग रहन पर शद और वाय म यत हो जान पर शद

पद कहलात ह दसर शद म- वाय म यत शद पद कहलाता ह पदबध-

जब दो या अधक (शद) पद नयत म और निचत अथ म कसी पद का

काय करत ह तो उह पदबध कहत ह

पदबध क भद

मय पद क आधार पर पदबध क पाच कार होत ह-

(1) सा-पदबध (2) वशषण-पदबध

(3) सवनाम पदबध (4) या पदबध

(5) अयय पदबध

(1) सा-पदबध-

(a)चार ताकतवर मजदर इस भार चीज को उठा पाए

(b) राम न लका क राजा रावण को मार गराया

(c) अयोया क राजा दशरथ क चार प थ

(d) आसमान म उड़ता गबारा फट गया

2) वशषण पदबध-

a) तज चलन वाल गाड़या ायः दर स पहचती ह

(b) उस घर क कोन म बठा हआ आदमी जासस ह

(c) उसका घोड़ा अयत सदर फरतीला और आाकार ह

(d) बरगद और पीपल क घनी छाव स हम बहत सख मला

3) सवनाम पदबध-

(a)बजल-सी फरती दखाकर आपन बालक को डबन स बचा लया

(b)शरारत करन वाल छा म स कछ पकड़ गए

(c)वरोध करन वाल लोग म स कोई नह बोला

4) या पदबध-

(a) वह बाजार क ओर आया होगा

(b) मझ मोहन छत स दखाई द रहा ह

(c) सरश नद म डब गया

(d) अब दरवाजा खोला जा सकता ह

5) अयय पदबध-

(a)अपन सामान क साथ वह चला गया

(b)सबह स शाम तक वह बठा रहा

कसी भी भाषा क व शद अयय (Indeclinable या inflexible) कहलात ह िजनक प म

लग वचन पष कारक काल इयाद क कारण कोई वकार उप नह होता

चक अयय का पातर नह होता इसलए ऐस शद अवकार होत ह अयय का शािदक

अथ ह- जो यय न हो

(i) कालवाचक अयय- इनम समय का बोध होता ह जस- आज कल तरत पीछ पहल अब

जब तब कभी-कभी कब अब स नय जब स सदा स अभी तभी आजकल और कभी

उदाहरणाथ-

अब स ऐसी बात नह होगी

ऐसी बात सदा स होती रह ह

वह कब आया मझ पता नह

(ii) थानवाचक अयय- इसस थान का बोध होता ह जस- यहा वहा कहा जहा यहा स

वहा स इधर-उधर उदाहरणाथ-

वह यहा नह ह

वह कहा जायगा

वहा कोई नह ह

जहा तम हो वहा म ह

(iii) दशावाचक अयय- इसस दशा का बोध होता ह जस- इधर उधर िजधर दर पर अलग

दाहन बाए आरपार

(iv) िथतवाचक अयय- नीच ऊपर तल सामन बाहर भीतर इयाद

अयय क भद

अयय ननलखत चार कार क होत ह -

(1) यावशषण (Adverb)

(2) सबधबोधक (Preposition)

(3) समचयबोधक (Conjunction)

(4) वमयादबोधक (Interjection)

(1) यावशषण - िजन शद स या वशषण या दसर यावशषण क वशषता कट

हो उह यावशषण कहत ह

दसर शदो म- जो शद या क वशषता बतलात ह उह या वशषण कहा जाता ह

जस- राम धीर-धीर टहलता ह राम वहा टहलता ह राम अभी टहलता ह

इन वाय म धीर-धीर वहा और अभी राम क टहलन (या) क वशषता बतलात ह य

यावशषण अवकार वशषण भी कहलात ह इसक अतरत यावशषण दसर

यावशषण क भी वशषता बताता ह

वह बहत धीर चलता ह इस वाय म बहत यावशषण ह यक यह दसर यावशषण

धीर क वशषता बतलाता ह

या वशषण क कार

(1) योग क अनसार- (i) साधारण (ii) सयोजक (iii) अनबध

(2) प क अनसार- (i) मल यावशषण (ii) यौगक यावशषण (iii) थानीय यावशषण

(3) अथ क अनसार- (i) परमाणवाचक (ii) रतवाचक

(1) योग क अनसार यावशषण क भद

योग क अनसार यावशषण क तीन भद ह-

(i) साधारण यावशषण- िजन यावशषण का योग कसी वाय म वत होता ह

उह साधारण यावशषण कहा जाता ह

जस- हाय अब म या क बटा जद आओ अर साप कहा गया

(ii) सयोजक यावशषण- िजन यावशषण का सबध कसी उपवाय स रहता ह उह

सयोजक यावशषण कहा जाता ह

जस- जब रोहताव ह नह तो म ह जीकर या कगी जहा अभी सम ह वहा कसी

समय जगल था

(iii) अनबध यावशषण- िजन यावशषण क योग अवधारण (नचय) क लए कसी

भी शदभद क साथ होता हो उह अनबध यावशषण कहा जाता ह

जस- यह तो कसी न धोखा ह दया ह मन उस दखा तक नह

(2) प क अनसार यावशषण क भद

प क अनसार यावशषण क तीन भद ह-

(i) मल यावशषण- ऐस यावशषण जो कसी दसर शद क मल स नह बनत मल

यावशषण कहलात ह

जस- ठक दर अचानक फर नह

(ii) यौगक यावशषण- ऐस यावशषण जो कसी दसर शद म यय या पद जोड़न

पर बनत ह यौगक यावशषण कहलात ह

जस- मन स िजसस चपक स भल स दखत हए यहा तक झट स वहा पर यौगक

यावशषण सा सवनाम वशषण धात और अयय क मल स बनत ह

यौगक यावशषण नीच लख शद क मल स बनत ह-

(i) साओ क वित स- घर-घर घड़ी-घड़ी बीच-बीच हाथ-हाथ

(ii) दो भ साओ क मल स- दन-रात साझ-सबर घर-बाहर दश-वदश

(iii) वशषण क वित स- एक-एक ठक-ठक साफ-साफ

(iv) यावशषण क वित स- धीर-धीर जहा-तहा कब-कब कहा-कहा

(v) दो यावशषण क मल स- जहा-तहा जहा-कह जब-तब जब-कभी कल-परस आस-पास

(vi) दो भ या समान यावशषण क बीच न लगान स- कभी-न-कभी कछ-न-कछ

(vii) अनकरण वाचक शद क वित स- पटपट तड़तड़ सटासट धड़ाधड़

(viii) सा और वशषण क योग स- एक साथ एक बार दो बार

(ix) अय य और दसर शद क मल स- तदन यथाम अनजान आजम

(x) पवकालक कदत और वशषण क मल स- वशषकर बहतकर मयकर एक-एककर

(iii) थानीय यावशषण- ऐस यावशषण जो बना पातर क कसी वशष थान म

आत ह थानीय यावशषण कहलात ह

जस- वह अपना सर पढ़गा

वह दौड़कर चलत ह

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  • (1) अरथ की दषटि स शबद-भद13
  • (2) परयोग की दषटि स शबद-भद13
  • (3) उतपति की दषटि स शबद-भद13
  • 1) सवर सधि-13
  • परति+छवि=परतिचछवि दिक+अनत=दिगनत दिक+गज=दिगगज अन+छद=अनचछद अच +अनत = अजनत 13
  • 3)विसरग सधि - विसरग क साथ सवर या वयजन का मल होन पर जो विकार होता ह उस 13
  • विसरग सधि कहत ह 13
  • मन+रथ=मनोरथ यश+अभिलाषा=यशोभिलाषा अध+गति=अधोगति नि+छल=निशछल द +गम = दरगम 13
    • -पाठ सार-13
    • -वयाखया13
    • -निमनलिखित परशनो क उततर दीजिय ndash13
    • 1-कवि न कसी मतय को समतय कहा ह13
    • अवयय क भद13
    • करिया विशषण क परकार13
Page 13: Class –X HINDI JUNE SYLLABUS 2020 Chapters:- Ch-1-Sanchayan …punainternationalschool.com/assets/upload/ck-images/Std-10th=Jun… · -harihar kaka . पय-भाग पाठ-3

शहर झड स सजा था तथा कसल न मोनमद क नीच झडा फहरान और वतता क

ता पढ़न का सरकार को खला चलज दया हआ था पलस भरपर तयार क बाद भी

कामयाब नह हो पाई

3-पलस कमनर क नोटस और कसल क नोटस म या अतर था

3-पलस कमनर न नोटस नकाला था क कोई भी जनसभा करना या जलस

नकालना कानन क खलाफ़ होगा सभाओ म भाग लन वाल को दोषी माना जाएगा

कसल न नोटस नकाला था क मोनमट क नीच चार बजकर चौबीस मनट पर झडा

फहराया जाएगा तथा वतता क ता पढ़ जाएगी इस कार य दोन नोटस एक

दसर क खलाफ़ थ

4-धमतल क मोड़ पर आकर जलस य टट गया

4-जब सभाष बाब को पकड़ लया गया तो िया जलस बनाकर चल परत पलस न

लाठ चाज स उह रोकना चाहा िजसस कछ लोग वह बठ गए कछ घायल हो गए और

कछ पलस वारा गरतार कर लए गए इसलए जलस टट गया

5-डा दासगता जलस म घायल लोग क दख-रख तो कर रह थ उनक फ़ोटो भी

उतरवा रह थ उन लोग क फ़ोटो खीचन क या वजह हो सकती थी पट किजए

5-डा दास गता लोग क फ़ोटो खचवा रह थ इसस अज़ क जम का पदाफ़ाश

कया जा सकता था दसरा यह भी पता चल सकता था क बगाल म वतता क लड़ाई

म बहत काम हो रहा ह

-ननलखत न क उर (50-60 शद म) लखए minus

1-सभाष बाब क जलस म ी समाज क या भमका थी

1-सभाष बाब क जलस म ी समाज क महवपण भमका रह थी भार पलस

यवथा क बाद भी जगह-जगह ी जलस क लए टोलया बन गई थी मोनमट पर

भी िय न नडर होकर झडा फहराया अपनी गरतारया करवाई तथा उनपर लाठया

बरसाई इनसब क बाद भी िया लाल बाज़ार तक आग बढ़ती ग

2-जलस क लाल बाज़ार आन पर लोग क या दशा हई

2-जलस क लाल बाज़ार आन पर भीड़ बकाब हो गई पलस डड बरसा रह थी लोग

को लॉकअप म भज रह थी िया भी अपनी गरफ़तार द रह थी दल क दल नार

लगा रह थ लोग का जोश बढ़ता ह जा रहा था लाठ चाज स लोग घायल हो गए थ

खन बह रहा था चीख पकार मची थी फर भी उसाह बना हआ था

3-जब स कानन भग का काम श हआ ह तब स आज तक इतनी बड़ी सभा ऐस मदान म

नह क गई थी और यह सभा तो कहना चाहए क ओपन लड़ाई थीrsquo यहा पर कौन स और

कसक वारा लाग कए गए कानन को भग करन क बात कह गई ह या कानन भग

करना उचत था पाठ क सदभ म अपन वचार कट किजए

3-इस समय दश क आज़ाद क लए हर यित अपना सवव लटान को तयार था अज़

न कानन बनाकर आदोलन जलस को गर काननी घोषत कया हआ था परत लोग पर

इसका कोई असर नह था व आज़ाद क लए अपना दशन करत रह गलामी क जजीर

को तोड़न का यास करत रह थ

4-बहत स लोग घायल हए बहत को लॉकअप म रखा गया बहत-सी िया जल ग फर

भी इस दन को अपव बताया गया ह आपक वचार म यह सब अपव य ह अपन शद

म लखए

4-सभाष च बोस क नतव म कलका वासय न वतता दवस मनान क तयार ज़ोर-

शोर स क थी पलस क सती लाठ चाज गरफ़तारया इन सब क बाद भी लोग म

जोश बना रहा लोग झड फहरात वद मातरम बोलत हए खन बहात हए भी जलस

नकालन को तपर थ जलस टटता फर बन जाता कलका क इतहास म इतन चड

प म लोग को पहल कभी नह दखा गया था

आशय पट किजए minus

1-आज तो जो कछ हआ वह अपव हआ ह बगाल क नाम या कलका क नाम पर कलक

था क यहा काम नह हो रहा ह वह आज बहत अश म धल गया

1-हजार ी पष न जलस म भाग लया आज़ाद क सालगरह मनान क लए बना

कसी डर क दशन कया पलस क बनाए कानन क जलस आद गर काननी काय आद

क भी परवाह नह क पलस क लाठ चाज होन पर लोग घायल हो गए खन बहन लग

परत लोग म जोश क कोई कमी नह थी बगाल क लए कहा जाता था क वतता क

लए बहत यादा योगदान नह दया जा रहा ह आज क िथत को दखकर उन पर स

यह कलक मट गया

2-खला चलज दकर ऐसी सभा पहल नह क गई थी

2- पलस न कोई दशन न हो इसक लए कानन नकाला क कोई जलस आद आयोिजत

नह होगा परत सभाष बाब क अयता म कसल न नोटस नकाला था क मोनमट क

नीच झडा फहराया जाएगा और वतता क ता पढ़ जाएगी सभी को इसक लए

आमत कया गया खब चार भी हआ सार कलक म झड फहराए गए थ सरकार और

आम जनता म खल लड़ाई थी|

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याकरण-सध

याया -1-सध शद का अथ ह lsquoमलrsquo दो नकटवत वण क आपसी मल स जो परवतन होता

ह उस सध कहलाता ह सम + तोष = सतोष दव + इ = दव भान + उदय = भानदय

सध तीन कार ह

1-वर सध

2- यजन सध

3- वसग सध

1) वर सध-

दो वर क आस -पास आन पर उनम जो परवतन होता ह उस वर सध कहत ह

जस ndash वया + आलय = वयालय

1) दघ वर सध

अ इ उ क बाद दघ अ इ उ आ जाए तो दोनो मलकर दघ सध आ ई ऊ हो जात

अ + आ = आ हम + आलय = हमालय

इ + ई = ई - गर + ईश = गरश

ई + इ = ई - मह + इ = मह

ई + ई = ई - नद + ईश = नदश

उ + ऊ = ऊ- लघ + ऊम = लघम

ऊ + उ = ऊ- वध + उसव = वधसव

ऊ + ऊ = ऊ - भ + ऊव = भव

2) गण वर सध -इस सध म अ आ क आग इ ई हो तो ए उ ऊ हो तो औ और

अगर ऋ हो तो अर हो जाता ह उस गण सध कहत ह

अ + इ = ए- नर + इ = नर अ + ई = ए- नर + ईश = नरश

आ + इ = ए- महा + इ = मह आ + ई = ए महा + ईश = महश

अ + उ = ओ ान + उपदश = ानोपदश आ+उ= ओ महा + उसव = महोसव

3) यण वर सध- इस सध म इ ई उ ऊ और ऋ क बाद कोई अलग वर आए

तो इनका परवतन मश य व और र म हो जाता ह

इ का य = इत +आद = इयाद ई का य = दवी +आवाहन = दयावाहन

उ का व = स +आगत = वागत ऊ का व = वध +आगमन = ववागमन

4) वध वर सध- आ + ए ऐ -gt ऐ

अ आ + ओ औ -gt औ

अ +ए =ऐ एक +एक = एकक अ +ऐ =ऐ मत +ऐय = मतय

अ +औ=औ परम +औषध = परमौषध आ +औ =औ महा +औषध = महौषध

आ +ओ =औ महा +ओघ = महौघ

5)अयाद वर सध- इस सध म ए ऐ और ओ औ क पशचात इह छोड़कर को

अय वर हो तो इनका परवतन मश अय आय अव आव म हो जाता ह )

ए का अय न +अन = नयन ऐ का आय न +अक = नायक

ओ का अव पो +अन = पवन औ का आव पौ +अन = पावन

न का परवतन ण म = ो +अन = वण

2)यजन सध- यजन क साथ वर अथवा यजन क मल स उस यजन म जो

पातरण होता ह उस यजन सध कहत ह

त+छव=तछव दक+अत=दगत

दक+गज=दगज अन+छद=अनछद

अच +अत = अजत

3)वसग सध - वसग क साथ वर या यजन का मल होन पर जो वकार होता ह उस

वसग सध कहत ह

मन+रथ=मनोरथ यश+अभलाषा=यशोभलाषा

अध+गत=अधोगत न+छल=नछल

द +गम = दगम

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गय-भाग

पाठ-12

(ततारा-वामीरो कथा )

(ललाधर मडलोई)

-लखक का परचय- ललाधर मडलोईमडलोई का जम भारतीय

राय मयदश क छदवाडा िजल क गढ़ नामक गाव म हआ मडलोई न भारत म बीए

बीएड (अज़ी) पाकारता म नातक और एमए (हद) तक शा हण कया और

इसक बाद व लदन चल गय जहा स सारण म उच-शा (सीआरट) हण क

मडलोई दरदशन आकाशवाणी क महानदशक सहत कई राय-अतरराय समतय क

साथ ह सार भारती बोड क सदय रह चक ह

-पाठ का सार-

जो सयता िजतनी अधक परानी होगी उतनी ह अधक कस -कहानया उसस जड़ी होती ह जो

हम सनन को मलती ह जो कस - कहानया हम सनन को मलती ह जर नह क वो उसी तरह

घटत हई हो िजस तरह वो हम सनाई जा रह हइतना जर होता ह क इन कस और कहानय

म कोई न कोई सीख छपी होती ह अदमान नकोबार वीपसमह म भी बहत तरह क कस -

कहानया मशहर ह इनम स कछ को ललाधर मडलोई न लखा ह

तत पाठ ततारा वामीरो कथा अडमान नकोबार वीप समह क एक छोट स वीप पर क त ह

उस वीप पर एक -दसर स शता का भाव अपनी अतम सीमा पर पहच चका था इस शता क

भावना को जड़ स उखाड़न क लए एक जोड़ को आमबलदान दना पड़ा था उसी जोड़ क बलदान

का वणन लखक न तत पाठ म कया ह

यार सबको एक साथ लाता ह और नफरत सब क बीच दरय को बढ़ाती हइस बात स भला कौन

इनकार कर सकता ह इसलए जो कोई भी समाज क लए अपन यार का अपन जीवन का

बलदान करता ह समाज न कवल उस याद रखता ह बिक उसक वारा कय गए याग और

बलदान को बकार नह जान दता यह वह कारण ह िजसक वजह स तकालन समाज क सामन

मसाल कायम करन वाल इस जोड़ को आज भी इस वीप क नवासी गव और धा स याद करत

-शदाथ-

-खला-म कड़ी -आदम ndashाभक

-वभत ndashबटा हआ -आमीय ndashअपना

-वलण ndashअसाधारण -बयार-मद हवा

त-एकाता -वकल-बचन

-सचार-उपन -असगत ndashअनचत

समोहतndash मध -झझलाना ndash चड़ना

-रोमाचत ndash पलकत -नचल- िथर

-अफवाह ndash उड़ती खबर -उफनना ndash उबाल आना

शमन ndashशात होना -घपना भकनाचभना

-न-उर-

1-ततारा और वामीरो क गाव क या थी

उर- ततारा और वामीरो क गाव क यह रत थी क ववाह क लए लड़क-लड़क का एक

ह गाव का होना जर था दसर गाव क यवक क साथ सबध असभव था

2-ततारा क तलवार क बार म लोग का या मत था

उर- ततारा क तलवार ययप लकड़ी क थी पर इसक बावजद लोग का मानना था क

उस तलवार म अभत दवीय शित थी ततारा तलवार को कभी अपन स अलग होन नह

दता था लोग यह मानत थ क ततारा अपन साहसक कारनाम इसी तलवार क कारण ह

कर पाता ह उसम बड़ी शित थी

3-नकोबार क लोग ततारा को य पसद करत थ

उर- नकोबार क लोग ततारा को उसक साहसी और परोपकार वभाव क कारण पसद करत

थ वह एक सदर और शितशाल यवक था वह सदा लोग क सहायता करता रहता था

ततारा एक नक और मददगार यित था वह अपन गाव वाल क ह नह समच

वीपवासय क सवा करना अपना धम समझता था सभी उसका आदर करत थ मसीबत

क घड़ी म वह लोग क पास तरत पहच जाता था

4- ाचीन काल म मनोरजन और शित-दशन क लए कस कार क आयोजन कए जात

उर- ाचीन काल म मनोरजन और शित-दशन क लए अ-श चलान सबधी

आयोजन तथा पश पव कए जात थ

5-lsquoततारा-वामीरो कथाrsquo का सदश पट किजए

उर- lsquoततारा-वामीरो कथाrsquo एक लोकगाथा ह इसम यह सदश दया गया ह क म को कसी

बधन जड़ता तथा सीमाओ म बाधना उचत नह ह यद कोई गाव दश या म को

पनपन क लए खला अवसर नह दता तो इसस सवनाश होता ह धरती म भदभाव बढ़त ह

पहल स बट हई धरती और अवसर नह दता तो इसस मानवता का य होता ह भावनाए

एक होन क बजाय खडत होती ह अतः गाव दश या अय सकण नयमो को तोड़कर

हम उदारता क साथ सबको अपनाना चाहए

7-नक ततारा और वामीरो क मय कस हई पठत पाठ क आधार पर लखए

उर- पश-पव क मौक पर ततारा और वामीरो को इकठा दखकर वामीरो क मा ोध म

उफन उठ उसन ततारा को तरह-तरह स अपमानत कया गाव क लोग भी ततारा क

वरोध म आवाज उठान लग यह ततारा क लए अहसनीय था वामीरो अब भी रोए जा रह

थी ततारा भी गस स भर उठा उस जहा ववाह क नषध परपरा पर ोभ था वह अपनी

असहायता पर खीझ वामीरो का दख उस और गहरा कर रहा था उस मालम नह था क

या कदम उठाना चाहए अनायास उसका हाथ तलवार क मढ़ पर जा टका ोध म उसन

तलवार नकाल और कछ वचार करता रहा ोध लगातार अिन क तरह बढ़ रहा था

लोग सहम उठ एक सनाटा-सा खच गया जब कोई राह न सझी तो ोध का शमन करन

क लए उसम शित भर उस धरती म घप दया और ताकत स उस खीचन लगा वह

पसीन स नहा उठा सब घबराए हए थ वह तलवार को अपनी तरफ खीचत-खीचत दर तक

पहच गया वह हाफ रहा था अचानक जहा एक लकर खच गई थी वहा एक दरार होन

लगी मानो धरती दो टकड़ो म बटन लगी हो एक गड़गड़ाहट-सी गजन लगी और लकर क

सीध म धरती फटती ह जा रह थी वीप क अतम सर तक ततारा धरती को मानो ोध

म काटता जा रहा था सभी याकल हो उठ लोग न ऐस य क कपना न क थी व

सहर उठ उधर वामीरो फटती हई धरती क कनार ततारा का नाम पकारत हए दौड़ रह थी

वीप दो टकड़ म वभत हो चका था ततारा और वामीरो वीप क साथ सम म धस

गए और उमय हो गई

8-शाम क समय सम कनार ततारा क ाकतक अनभत का वणन किजए

उर- एक शाम ततारा दन-भर क अथक परम क बाद सम कनार टहलन नकल

पड़ा सरज सम स लग तज तल डबन को था सम स ठडी बयार आ रह थी

पय क सायकालन चाहचाहाहट शनः शनः ीण ह को थी उसका मन शात था

वचारमन ततारा सम बाल पर बठकर सरज क अतम रग-बरगी करण को सम

पर नहारन लगा तभी कह पास म उस मधर गीत गजता सनाई दया गीत मान

बहता हआ उसक तरफ आ रहा हो बीच-बीच म लहर का सगीत सनाई दता गायन

भावी था क वह अपनी सध-बध खोन लगा लहर क एक बल वग न उसक ता भग

क चतय होत ह वह उधर बढ़न को ववश हो उठा िजधर स अब भी गीत क वर बह

रह थ वह वकल-सा उस तरफ़ बढ़ता गया अततः उसक नजर एक यवती पर पड़ी जो

ढलती हई शाम क सदय म बसध एकटक सम क दह पर डबत आकषक रगो को

नहारत हए गा रह थी यह एक शगार गीत था

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Vyakr`-vaKy-

bull वाय क सामन दए कोठक म ( radic का चह लगाकर बताए क वह वाय कस

कार का ह

क) नकोबार उस बहद म करत थ (नवाचक वधानवाचक नषधामक

वमयादबोधक)

ख) तमन एकाएक इतना मधर गाना अधरा य छोड़ दया नवाचक

वधानवाचक नषधामक वमयादबोधक)

ग) वामीरो क मा ोध म उफन उठ (नवाचक वधानवाचक नषधामक

वमयादबोधक)

घ) या तह गाव का नयम नह मालम नवाचक वधानवाचक नषधामक

वमयादबोधक)

ङ) वाह कतना सदर नाम ह (नवाचक वधानवाचक नषधामक

वमयादबोधक)

च) म तहारा राता छोड़ दगा

वमयादबोधक)

उर- क) वधानवाचक

ग) वधानवाचक

ङ) वमयादबोध

Ocirc-इस पाठ म lsquo दखना lsquo या क कई प आए ह

शदयोग म या अतर ह

Ocirc-उर-

म तहारा राता छोड़ दगा (नवाचक वधानवाचक नषधामक

ख) नवाचक

घ) नवा

च) वधानवाचक

या क कई प आए ह lsquo दखना lsquo क इन वभन

वाययोग वारा पट किजए

नषधामक

नवाचक

वधानवाचक

क इन वभन

-वाय क उदाहरण-

सचयन-भाग

पाठ-1 (हरहर काका )

-शदाथ -

तबयत - शरर क िथत यणा - यातना कलश कट

मनःिथत - मन क िथत चद - कछ

आसित ndash लगाव यावहारक - यावहार सबधी

वचारक - वचार सबधी दलार - यार

सयाना - यक बधमान तीा - इतज़ार

फ़लहाल - अभी इस समय मझधार - बीच म

वलन - लत हो जाना वकप - दसरा उपाय

चलत ndash चलनसार जात - जगाना

कलवर - शरर मनौती - मनत

परपरा - था णाल अधकाश - यादातर

समत ndash सथा सचालन - नयण चलाना

नयित - तनाती लगाया गया वमख - तकल

चपट - आघात हार अहाता-चार ओर स दवार स घरा हआ मदान

अखड ndash नवन वफोट - फट कर बाहर नकलना

आगमन - आन पर उपलय - सकत

सराहना ndash शसा निचत - बफ

-लखक का परचय-मथलवर का जम 31 दसबर 1950 को बहार क

भोजपर िजल क बसाडीह नामक गाव म हआ इनक पता व० ो० वशरोपन लाल थ

मथलवर क पता (ो० वशरोपन लाल) भी वलण तभा क धनी थ परत उनक

असाय बीमार न मथलवर क जीवन म आरभ स ह कठन सघष क बीज बो दय थ

पाठ सार-

लखक कहता ह क वह हरहर काका क साथ बहत गहर स जड़ा था लखक का हरहर

काका क त जो यार था वह लखक का उनक यावहार क और उनक वचार क कारण

था और उसक दो कारण थ पहला कारण था क हरहर काका लखक क पड़ोसी थ और

दसरा कारण लखक को उनक मा न बताया था क हरहर काका लखक को बचपन स ह

बहत यादा यार करत थ जब लखक यक हआ तो उसक पहल दोती भी हरहर काका

क साथ ह हई थी लखक क गाव क पव दशा म ठाकर जी का वशाल मदर था िजस

गाव क लोग ठाकरबार यान दवथान कहत थ लोग ठाकर जी स प क मनत मागत

मक़दम म जीत लड़क क शाद कसी अछ घर म हो जाए लड़क को नौकर मल जाए

आद मनत मागत थ मनत पर होन पर लोग अपनी ख़शी स ठाकरजी को पए ज़वर

और अनाज चढ़ाया करत थ िजसको बहत अधक ख़शी होती थी वह अपन खत का छोटा-

सा भाग ठाकरजी क नाम कर दता था और यह एक तरह स था ह बन गई लखक कहता

ह क उसका गाव अब गाव क नाम स नह बिक दव-थान क वजह स ह पहचाना जाता

था उसक गाव का यह दव-थान उस इलाक का सबस बड़ा और सध दवथान था

हरहर काका न अपनी परिथतओ क कारण दव-थान म जाना बद कर दया था मन

बहलान क लए लखक भी कभी-कभी दव-थान चला जाता था लकन लखक कहता ह क

वहा क साध-सत उस बलकल भी पसद नह थ यक व काम करन म कोई दलचपी

नह रखत थ भगवान को भोग लगान क नाम पर व दन क दोन समय हलवा-पड़ी

बनवात थ और आराम स पड़ रहत थ सारा काम वहा आए लोग स सवा करन क नाम पर

करवात थ व खद अगर कोई काम करत थ तो वो था बात बनवान का काम

लखक हरहर काका क बार म बताता हआ कहता ह क हरहर काका और उनक तीन भाई

ह सबक शाद हो चक ह हरहर काका क अतरत सभी तीन भाइय क बाल-बच ह

कछ समय तक तो हरहर काका क सभी चीज़ का अछ स यान रखा गया परत फर

कछ दन बाद हरहर काका को कोई पछन वाला नह था लखक कहता ह क अगर कभी

हरहर काका क शरर क िथत ठक नह होती तो हरहर काका पर मसीबत का पहाड़ ह

गर जाता यक इतन बड़ परवार क रहत हए भी हरहर काका को कोई पानी भी नह

पछता था बारामद क कमर म पड़ हए हरहर काका को अगर कसी चीज़ क जरत होती

तो उह खद ह उठना पड़ता एक दन उनका भतीजा शहर स अपन एक दोत को घर ल

आया उह क आन क ख़शी म दो-तीन तरह क सिज़या बजक चटनी रायता और भी

बहत कछ बना था सब लोग न खाना खा लया और हरहर काका को कोई पछन तक नह

आया हरहर काका गस म बरामद क ओर चल पड़ और जोर-जोर स बोल रह थ क

उनक भाई क पिनया या यह सोचती ह क व उह मत म खाना खला रह ह उनक

खत म उगन वाला अनाज भी इसी घर म आता ह

हरहर काका क गस का महत जी न लाभ उठान क सोची महत जी हरहर काका को

अपन साथ दव-थान ल आए और हरहर काका को समझान लग क उनक भाई का परवार

कवल उनक जमीन क कारण उनस जड़ा हआ ह कसी दन अगर हरहर काका यह कह द

क व अपन खत कसी और क नाम लख रह ह तो व लोग तो उनस बात करना भी बद

कर दग खन क रत ख़म हो जायग महत हरहर काका स कहता ह क उनक हस म

िजतन खत ह व उनको भगवान क नाम लख द ऐसा करन स उह सीध वग क ाित

होगी

सबह होत ह हरहर काका क तीन भाई दव-थान पहच गए तीन हरहर काका क पाव म

गर कर रोन लग और अपनी पिनय क गलती क माफ़ मागन लग और कहन लग क

व अपनी पिनय को उनक साथ कए गए इस तरह क यवहार क सज़ा दग हरहर काका

क मन म दया का भाव जाग गया और व फर स घर वापस लौट कर आ गए जब अपन

भाइय क समझान क बाद हरहर काका घर वापस आए तो घर म और घर वाल क

यवहार म आए बदलाव को दख कर बहत खश हो गए घर क सभी छोट-बड़ सभी लोग

हरहर काका का आदर-सकार करन लग

गाव क लोग जब भी कह बठत तो बात का ऐसा सलसला चलता िजसका कोई अत नह

था हर जगह बस उह क बात होती थी कछ लोग कहत क हरहर काका को अपनी

जमीन भगवान क नाम लख दनी चाहए इसस उम और अछा कछ नह हो सकता

इसस हरहर काका को कभी न ख़म होन वाल सध ात होगी इसक वपरत कछ

लोग क यह मानत थ क भाई का परवार भी तो अपना ह परवार होता ह अपनी

जायदाद उह न दना उनक साथ अयाय करना होगा हरहर काका क भाई उनस ाथना

करन लग क व अपन हस क जमीन को उनक नाम लखवा द इस वषय पर हरहर

काका न बहत सोचा और अत म इस परणाम पर पहच क अपन जीत-जी अपनी जायदाद

का वामी कसी और को बनाना ठक नह होगा फर चाह वह अपना भाई हो या मदर का

महत यक उह अपन गाव और इलाक क व कछ लोग याद आए िजहन अपनी िजदगी

म ह अपनी जायदाद को अपन रतदार या कसी और क नाम लखवा दया था उनका

जीवन बाद म कसी क क तरह हो गया था उह कोई पछन वाला भी नह था हरहर

काका बलकल भी पढ़-लख नह थ परत उह अपन जीवन म एकदम हए बदलाव को

समझन म कोई गलती नह हई और उहन फसला कर लया क व जीत-जी कसी को भी

अपनी जमीन नह लखग

लखक कहता ह क जस-जस समय बीत रहा था महत जी क परशानया बढ़ती जा

रह थी उह लग रहा था क उहन हरहर काका को फसान क लए जो जाल फ का

था हरहर काका उसस बाहर नकल गए ह यह बात महत जी को सहन नह हो रह

थी आधी रात क आस-पास दव-थान क साध-सत और उनक कछ साथी भाला

गड़ासा और बदक क साथ अचानक ह हरहर काका क आगन म आ गए इसस

पहल हरहर काका क भाई कछ सोच और कसी को अपनी सहायता क लए आवाज

लगा कर बलाए तब तक बहत दर हो गई थी हमला करन वाल हरहर काका को

अपनी पीठ पर डाल कर कह गायब हो गए थव हरहर काका को दव-थान ल गए

थ एक ओर तो दव-थान क अदर जबरदती हरहर काका क अगठ का नशान लन

और पकड़कर समझान का काम चल रहा था तो वह दसर ओर हरहर काका क

तीन भाई सबह होन स पहल ह पलस क जीप को लकर दव-थान पर पहच गए

थ महत और उनक साथय न हरहर काका को कमर म हाथ और पाव बाध कर

रखा था और साथ ह साथ उनक मह म कपड़ा ठसा गया था ताक व आवाज़ न कर

सक परत हरहर काका दरवाज़ तक लढ़कत हए आ गए थ और दरवाज़ पर अपन

पर स धका लगा रह थ ताक बाहर खड़ उनक भाई और पलस उह बचा सक

दरवाज़ा खोल कर हरहर काका को बधन स मत कया गया हरहर काका न

पलस को बताया क व लोग उह उस कमर म इस तरह बाध कर कह गत

दरवाज़ स भाग गए ह और उहन कछ खल और कछ लख हए कागज पर हरहर

काका क अगठ क नशान जबरदती लए ह

यह सब बीत जान क बाद हरहर काका फर स अपन भाइय क परवार क साथ रहन लग

गए थ चौबीस घट पहर दए जान लग थ यहा तक क अगर हरहर काका को कसी

काम क कारण गाव म जाना पड़ता तो हथयार क साथ चार-पाच लोग हमशा ह उनक

साथ रहन लग लखक कहता ह क हरहर काका क साथ जो कछ भी हआ था उसस हरहर

काका एक सीध-साद और भोल कसान क तलना म चालाक और बधमान हो गए थ

उह अब सब कछ समझ म आन लगा था क उनक भाइय का अचानक स उनक त जो

यवहार परवतन हो गया था उनक लए जो आदर-समान और सरा व दान कर रह थ

वह उनका कोई सग भाइय का यार नह था बिक व सब कछ उनक धन-दौलत क कारण

कर रह ह नह तो व हरहर काका को पछत तक नह जब स हरहर काका दव-थान स

वापस घर आए थ उसी दन स ह हरहर काका क भाई और उनक दसर नात-रतदार

सभी यह सोच रह थ क हरहर काका को क़ाननी तरक स उनक जायदाद को उनक

भतीज क नाम कर दना चाहए यक जब तक हरहर काका ऐसा नह करग तब तक

महत क तज़ नज़र उन पर टक रहगी जब हरहर काका क भाई हरहर काका को

समझात-समझात थक गए तो उहन हरहर काका को डाटना और उन पर दवाब डालना

श कर दया एक रात हरहर काका क भाइय न भी उसी तरह का यवहार करना श

कर दया जसा महत और उनक सहयोगय न कया था उह धमकात हए कह रह थ क

ख़शी-ख़शी कागज़ पर जहा-जहा जरत ह वहा-वहा अगठ क नशान लगत जाओ नह तो व

उह मार कर वह घर क अदर ह गाड़ दग और गाव क लोगो को इस बार म कोई सचना

भी नह मलगी हरहर काका क साथ अब उनक भाइय क मारपीट श हो गई जब

हरहर काका अपन भाइय का मकाबला नह कर पा रह थ तो उहन ज़ोर-ज़ोर स

चलाकर अपनी मदद क लए गाव वाल को आवाज लगाना श कर दया तब उनक

भाइय को यान आया क उह हरहर काका का मह पहल ह बद करना चाहए था उहन

उसी पल हरहर काका को जमीन पर पटका और उनक मह म कपड़ा ठस दया लकन तब

तक बहत दर हो गई थी हरहर काका क आवाज बाहर गाव म पहच गई थी हरहर काका

क परवार और रत-नात क लोग जब तक गाव वाल कोसमझात क यह सब उनक

परवार का आपसी मामला ह व सभी इसस दर रह तब तक महत जी बड़ी ह दता और

तज़ी स वहा पलस क जीप क साथ आ गए पलस न पर घर क अछ स तलाशी लना

श कर दया फर घर क अदर स हरहर काका को इतनी बर हालत म हासल कया गया

िजतनी बर हालत उनक दव-थान म भी नह हई थी हरहर काका न बताया क उनक

भाइय न उनक साथ बहत ह यादा बरा यवहार कया ह जबरदती बहत स कागज पर

उनक अगठ क नशान ल लए ह उह बहत यादा मारा-पीटा ह

इस घटना क बाद हरहर काका अपन परवार स एकदम अलग रहन लग थ उह उनक

सरा क लए चार राइफलधार पलस क जवान मल थ आचय क बात तो यह ह क

इसक लए उनक भाइय और महत क ओर स काफ़ यास कए गए थ असल म भाइय

को चता थी क हरहर काका अकल रहन लगग तो दव-थान क महत-पजार फर स

हरहर काका को बहला-फसला कर ल जायग और जमीन दव-थान क नाम करवा लग और

यह चता महत जी को भी थी क हरहर काका को अकला और असरत पा उनक भाई

फर स उह पकड़ कर मारग और जमीन को अपन नाम करवा लग लखक कहता ह क

हरहर काका स जड़ी बहत सी ख़बर गाव म फल रह थी जस-जस दन बड़ रह थ वस-वस

डर का मौहोल बन रहा था सभी लोग सफ यह सोच रह थ क हरहर काका न अमत तो

पया हआ ह नह तो मरना तो उनको एक दन ह ह और जब व मरग तो पर गाव म

तफ़ान आ जाएगा यक महत और हरहर काका क परवार क बीच जमीन को ल कर

लड़ाई हो जायगी

पलस क जवान हरहर काका क खच पर ह खब मौज-मती स रह रह थ िजसका धन

वह रह उपास खान वाल कर वलास अथात हरहर काका क पास धन था लकन उनक लए

अब उसका कोई महव नह था और पलस वाल बना कसी कारण स ह हरहर काका क

धन स मौज कर रह थ अब तक जो नह खाया था दोन वत उसका भोग लगा रह थ

-नोर-

1-कथावाचक और हरहर काका क बीच या सबध ह और इसक या कारण ह

1-कथावाचक जब छोटा था तब स ह हरहर काका उस बहत यार करत थ जब वह बड़ हो

गए तो वह हरहर काका क म बन गए गाव म इतनी गहर दोती और कसी स नह

हई हरहर काका उनस खल कर बात करत थ यह कारण ह क कथावाचक को उनक

एक-एक पल क खबर थी शायद अपना म बनान क लए काका न वय ह उस यार स

बड़ा कया और इतजार कया

2-हरहर काका को महत और भाई एक ह णी क य लगन लग

2-हरहर काका को अपन भाइय और महत म कोई अतर नह लगा दोन एक ह णी क

लग उनक भाइय क पिनय न कछ दन तक तो हरहर काका का यान रखा फर

बचीकची रोटया द नाता नह दत थ बमार म कोई पछन वाला भी न था िजतना भी

उह रखा जा रहा था उनक ज़मीन क लए था इसी तरह महत न एक दन तो बड़ यार

स खातर क फर ज़मीन अपन ठाकर बाड़ी क नाम करन क लए कहन लग काका क

मना करन पर उह अनक यातनाए द अपहरण करवाया मह म कपड़ा ठस कर एक कोठर

म बद कर दया जबरदती अगठ का नशान लया गया तथा उह मारा पीटा गया इस

तरह दोन ह कवल ज़मीन जायदाद क लए हरहर काका स यवहार रखत थ अत उह

दोन एक ह णी क लग

3-ठाकर बाड़ी क त गाव वाल क मन म अपार धा क जो भाव ह उसस उनक कस

मनोव का पता चलता ह

3-कहा जाता ह गाव क लोग भोल होत ह असल म गाव क लोग अधववासी धमभी होत

ह मदर जस थान को पव नकलक ान का तीक मानत ह पजार परोहत महत

जस िजतन भी धम क ठकदार ह उनपर अगाध धा रखत ह व चाह कतन भी

पतत वाथ और नीच ह पर उनका वरोध करत व डरत ह इसी कारण ठाकर बाड़ी क

त गाव वाल क अपार धा थी उनका हर सख-दख उसस जड़ा था

4-अनपढ़ होत हए भी हरहर काका दनया क बहतर समझ रखत ह कहानी क आधार पर

पट किजए

4-हरहर काका अनपढ़ थ फर भी उह दनयादार क बहद समझ थी उनक भाई लोग

उनस ज़बरदती ज़मीन अपन नाम करान क लए डरात थ तो उह गाव म दखावा करक

ज़मीन हथयान वालो क याद आती ह काका न उह दखी होत दखा ह इसलए उहन

ठान लया था चाह महत उकसाए चाह भाई दखावा कर वह ज़मीन कसी को भी नह दग

एक बार महत क उकसान पर भाइय क त धोखा नह करना चाहत थ परत जब भाइय

न भी धोखा दया तो उह समझ म आ गया उनक त उह कोई यार नह ह जो यार

दखात ह वह कवल ज़ायदाद क लए ह

5-हरहर काका को जबरन उठा ल जान वाल कौन थ उहन उनक साथ कसा यवहार

कया

5-महत न हरहर काका को बहत लोभन दए िजसस वह अपनी ज़मीन जायदाद ठाकर

बाड़ी क नाम कर द परत काका इस बात क लए तयार नह थ व सोच रह थ क या

भगवान क लए अपन भाइय स धोखा क यह उह सह भी नह लग रहा था महत को

यह बात पता लगी तो उसन छल और बल स रात क समय अकल दालान म सोत हए

हरहर काका को उठवा लया महत न अपन चल साधसतो क साथ मलकर उनक हाथ पर

बाध दए मह म कपड़ा ठस दया और जबरदती अगठ क नशान लए उह एक कमर म

बद कर दया जब पलस आई तो वय गत दरवाज़ स भाग गए

6-हरहर काका क मामल म गाव वाल क या राय थी और उसक या कारण थ

6-कहानी क आधार पर गाव क लोग को बना बताए पता चल गया क हरहर काका को

उनक भाई नह पछत इसलए सख आराम का लोभन दकर महत उह अपन साथ ल

गया भाई मनत करक काका को वापस ल आत ह इस तरह गाव क लोग दो प म

बट गए कछ लोग महत क तरफ़ थ जो चाहत थ क काका अपनी ज़मीन धम क नाम पर

ठाकर बाड़ी को द द ताक उह सख आराम मल मय क बाद मो यश मल महत ानी

ह वह सब कछ जानता ह लकन दसर प क लोग कहत क ज़मीन परवार वालो को द

जाए उनका कहना था इसस उनक परवार का पट भरगा मदर को ज़मीन दना अयाय

होगा इस तरह दोन प अपन-अपन हसाब स सोच रह थ परत हरहर काका क बार म

कोई नह सोच रहा था इन बात का एक कारण यह भी था क काका वधर थ और उनक

कोई सतान भी नह थी पह बीघ ज़मीन क लए इनका लालच वाभवक था

7-कहानी क आधार पर पट किजए क लखक न यह य कहा अान क िथत म ह

मनय मय स डरत ह ान होन क बाद तो आदमी आवयकता पड़न पर मय को वरण

करन क लए तयार हो जाता ह

7-जब काका को असलयत पता चल और उह समझ म आ गया क सब लोग उनक

ज़मीन जायदाद क पीछ ह तो उह व सभी लोग याद आ गए िजहन परवार वालो क मोह

माया म आकर अपनी ज़मीन उनक नाम कर द और मय तक तलतल करक मरत

रह दान-दान को मोहताज़ हो गए इसलए उहन सोचा क इस तरह रहन स तो एक बार

मरना अछा ह जीत जी ज़मीन कसी को भी नह दग य लोग मझ एक बार म ह मार

द अत लखक न कहा क अान क िथत म मनय मय स डरता ह परत ान होन

पर मय वरण को तयार रहता ह

8-समाज म रत क या अहमयत ह इस वषय पर अपन वचार कट किजए

8-आज समाज म मानवीय मय तथा पारवारक मय धीर-धीर समात होत जा रह ह

यादातर यित अपन वाथ क लए रत नभात ह अपनी आवयकताओ क हसाब स

मलत ह अमीर रतदार का समान करत ह उनस मलन को आतर रहत ह जबक गरब

रतदार स कतरात ह कवल वाथ सध क अहमयत रह गई ह आए दन हम

अखबार म समाचार पढ़त ह क ज़मीन जाय़दाद पस जवर क लए लोग घनौन स घनौना

काय कर जात ह (हया अपहरण आद) इसी कार इस कहानी म भी पलस न पहचती तो

परवार वाल महत जी (काका क) हया ह कर दत उह यह अफसोस रहा क व काका को

मार नह पाए

9-यद आपक आसपास हरहर काका जसी हालत म कोई हो तो आप उसक कस कार

मदद करग

9-यद हमार आसपास हरहर काका जसी हालत म कोई हो तो हम उसक पर तरह मदद

करन क कोशश करग उनस मलकर उनक दख का कारण पता करग उह अहसास

दलाएग क व अकल नह ह सबस पहल तो यह ववास कराएग क सभी यित लालची

नह होत ह इस तरह मौन रह कर दसर को मौका न द बिक उलास स शष जीवन

बताए रतदार स मलकर उनक सबध सधारन का यन करग

10-हरहर काका क गाव म यद मीडया क पहच होती तो उनक या िथत होती अपन

शद म लखए

10-यद काका क गाव म मीडया पहच जाती तो सबक पोल खल जाती महत व भाइय का

पदाफाश हो जाता अपहरण और जबरन अगठा लगवान क अपराध म उह जल हो जाती

अपना-अपना मोचा सभालना - अपनी िजमदार नबाहना

आसमान स जमीन पर गरना -उच िथत स नन िथत पर आना

खल कर बात करना- बना सकच क बात करना |

चपत हो जाना ndash भाग जाना |

जी-जान स जट जाना ndash खब महनत करना

िजतन मह उतनी बात होना- कई तरह क बात करना |

ततर-बतर होना ndash बखर जाना |

त-त म -म होना -झगड़ा होना |

नमक-मच लगाना- बढ़ा-चढ़कर कहना|

बात बनाना- बहान बनाना|

रग चढ़ना- असर होना|

मह न खोलना ndash कछ न बताना |

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पय-भाग

पाठ-4

मनयता ndashमथलशरण गत

-लखक का परचय-

-पाठ का सार व पिटकरण-

कत क अय ाणय क तलना म मनय म सोचन क शित अधक होती ह

वह अपन ह नह दसर क सख - दःख का भी याल रखता ह और दसर क लए

कछ करन म समथ होता ह जानवर जब चरागाह म जात ह तो कवल अपन लए

चर कर आत ह परत मनय ऐसा नह ह वह जो कछ भी कमाता ह जो कछ भी

बनाता ह वह दसर क लए भी करता ह और दसर क सहायता स भी करता ह

तत पाठ का कव अपन क सख - दःख क चता करन वाल को मनय तो

मानता ह परत यह मानन को तयार नह ह क उन मनय म मनयता क सार

गण होत ह कव कवल उन मनय को महान मानता ह जो अपन क सख - दःख

स पहल दसर क चता करत ह वह मनय म ऐस गण चाहता ह िजसक कारण

कोई भी मनय इस मयलोक स चल जान क बाद भी सदय तक दसर क याद म

रहता ह अथात वह मय क बाद भी अमर रहता ह

-पाठ सार-

इस कवता म कव मनयता का सह अथ समझान का यास कर रहा ह पहल

भाग म कव कहता ह क मय स नह डरना चाहए यक मय तो निचत ह पर

हम ऐसा कछ करना चाहए क लोग हम मय क बाद भी याद रख असल मनय

वह ह जो दसर क लए जीना व मरना सीख ल दसर भाग म कव कहता ह क

हम उदार बनना चाहए यक उदार मनय का हर जगह गण गान होता ह मनय

वह कहलाता ह जो दसर क चता कर तीसर भाग म कव कहता ह क पराण

म उन लोग क बहत उदाहरण ह िजह उनक याग भाव क लए आज भी याद

कया जाता ह सचा मनय वह ह जो याग भाव जान ल चौथ भाग म कव

कहता ह क मनय क मन म दया और कणा का भाव होना चाहए मनय वह

कहलाता ह जो दसर क लए मरता और जीता ह पाचव भाग म कव कहना चाहता

ह क यहा कोई अनाथ नह ह यक हम सब उस एक ईवर क सतान ह हम

भदभाव स ऊपर उठ कर सोचना चाहएछठ भाग म कव कहना चाहता ह क हम

दयाल बनना चाहए यक दयाल और परोपकार मनय का दवता भी वागत करत

ह अतः हम दसर का परोपकार व कयाण करना चाहएसातव भाग म कव कहता

ह क मनय क बाहर कम अलग अलग हो परत हमार वद साी ह क सभी क

आमा एक ह हम सब एक ह ईवर क सतान ह अतः सभी मनय भाई -बध ह

और मनय वह ह जो दःख म दसर मनय क काम आयअतम भाग म कव

कहना चाहता ह क वप और वन को हटात हए मनय को अपन चन हए रात

पर चलना चाहए आपसी समझ को बनाय रखना चाहए और भदभाव को नह

बढ़ाना चाहए ऐसी सोच वाला मनय ह अपना और दसर का कयाण और उधार

कर सकता ह

-याया

1-वचार लो क मय हो न मय स डरो कभी

मरो परत य मरो क याद जो कर सभी

हई न य समय तो वथा मर वथा िजए

मारा नह वह क जो िजया न आपक लए

वह पश- वत ह क आप आप ह चर

वह मनय ह क जो मनय क लए मर

सग - तत कवता हमार पाय पतक पश भाग -2 स ल गई ह इसक

कव मथलशरण गत ह इन पितओ म कव बताना चाहता ह क मनय को

कसा जीवन जीना चाहए

याया - कव कहता ह क हम यह जान लना चाहए क मय का होना निचत

ह हम मय स नह डरना चाहए कव कहता ह क हम कछ ऐसा करना चाहए क

लोग हम मरन क बाद भी याद रख जो मनय दसर क लए कछ भी ना कर सक

उनका जीना और मरना दोन बकार ह मर कर भी वह मनय कभी नह मरता जो

अपन लए नह दसर क लए जीता ह यक अपन लए तो जानवर भी जीत ह

कव क अनसार मनय वह ह जो दसर मनय क लए मर अथात जो मनय दसर

क चता कर वह असल मनय कहलाता ह

2-उसी उदार क कथा सरवती बखानती

उसी उदार स धरा कताथ भाव मानती

उसी उदार क सदा सजीव कत कजती

तथा उसी उदार को समत सिट पजती

अखड आम भाव जो असीम वव म भर

वह मनय ह क जो मनय क लए मर

सग - तत कवता हमार पाय पतक पश भाग -2 स ल गई ह इसक

कव मथलशरण गत ह इन पितओ म कव बताना चाहता ह क जो मनय

दसर क लए जीत ह उनका गणगान यग - यग तक कया जाता ह

याया - कव कहता ह क जो मनय अपन पर जीवन म दसर क चता करता

ह उस महान यित क कथा का गण गान सरवती अथात पतक म कया जाता

ह पर धरती उस महान यित क आभार रहती ह उस यित क बातचीत

हमशा जीवत यित क तरह क जाती ह और पर सिट उसक पजा करती ह

कव कहता ह क जो यित पर ससार को अखड भाव और भाईचार क भावना म

बाधता ह वह यित सह मायन म मनय कहलान योय होता ह

3-धात रतदव न दया करथ थाल भी

तथा दधीच न दया पराथ अिथजाल भी

उशीनर तीश न वमास दान भी कया

सहष वीर कण न शरर-चम भी दया

अनय दह क लए अनाद जीव या डर

वह मनय ह क जो मनय क लए मर

सग - तत कवता हमार पाय पतक पश भाग -2 स ल गई ह इसक

कव मथलशरण गत ह इन पितओ म कव न महान पष क उदाहरण दए ह

िजनक महानता क कारण उह याद कया जाता ह

याया - कव कहता ह क पौराणक कथाए ऐस यितओ क उदाहरण स भर

पड़ी ह िजहन अपना परा जीवन दसर क लए याग दया िजस कारण उह आज

तक याद कया जाता ह भख स परशान रतदव न अपन हाथ क आखर थाल भी

दान कर द थी और महष दधीच न तो अपन पर शरर क हडया व बनान क

लए दान कर द थी उशीनर दश क राजा शब न कबतर क जान बचान क लए

अपना परा मास दान कर दया था वीर कण न अपनी ख़शी स अपन शरर का

कवच दान कर दया था कव कहना चाहता ह क मनय इस नवर शरर क लए

य डरता ह यक मनय वह कहलाता ह जो दसर क लए अपन आप को याग

दता ह

4-सहानभत चाहए महावभत ह यह

वशीकता सदव ह बनी हई वय मह

वधभाव बध का दया-वाह म बहा

वनीत लोकवग या न सामन झका रहा

अहा वह उदार ह परोपकार जो कर

वह मनय ह क जो मनय क लए मर

सग - तत कवता हमार पाय पतक पश भाग -2 स ल गई ह इसक

कव मथलशरण गत ह इन पितओ म कव न महामा बध का उदाहरण दत

हए दया कणा को सबस बड़ा धन बताया ह

याया - कव कहता ह क मनय क मन म दया व कणा का भाव होना चाहए

यह सबस बड़ा धन ह वय ईवर भी ऐस लोग क साथ रहत ह इसका सबस

बड़ा उदाहरण महामा बध ह िजनस लोग का दःख नह दखा गया तो व लोक

कयाण क लए दनया क नयम क वध चल गए इसक लए या परा ससार

उनक सामन नह झकता अथात उनक दया भाव व परोपकार क कारण आज भी

उनको याद कया जाता ह और उनक पजा क जाती ह महान उस को कहा जाता ह

जो परोपकार करता ह वह मनय मनय कहलाता ह जो मनय क लए जीता ह

और मरता ह

5-रहो न भल क कभी मदाघ तछ व म

सनाथ जान आपको करो न गव च म

अनाथ कौन ह यहा लोकनाथ साथ ह

दयाल दन बध क बड़ वशाल हाथ ह

अतीव भायहन ह अधीर भाव जो कर

वह मनय ह क जो मनय क लए मर

सग - तत कवता हमार पाय पतक पश भाग -2 स ल गई ह इसक

कव मथलशरण गत ह इन पितओ म कव कहता ह क सपत पर कभी

घमड नह करना चाहए और कसी को अनाथ नह समझना चाहए यक ईवर

सबक साथ ह

याया - कव कहता ह क भल कर भी कभी सप या यश पर घमड नह करना

चाहए इस बात पर कभी गव नह करना चाहए क हमार साथ हमार अपन का

साथ ह यक कव कहता ह क यहा कौन सा यित अनाथ ह उस ईवर का

साथ सब क साथ ह वह बहत दयावान ह उसका हाथ सबक ऊपर रहता ह कव

कहता ह क वह यित भायहन ह जो इस कार का उतावलापन रखता ह यक

मनय वह यित कहलाता ह जो इन सब चीज स ऊपर उठ कर सोचता ह

6-अनत अतर म अनत दव ह खड़

सम ह वबाह जो बढ़ा रह बड़-बड़

परपरावलब स उठो तथा बढ़ो सभी

अभी अमय-अक म अपक हो चढ़ो सभी

रहो न या क एक स न काम और का सर

वह मनय ह क जो मनय क लए मर

सग - तत कवता हमार पाय पतक पश भाग -2 स ल गई ह इसक

कव मथलशरण गत ह इन पितओ म कव कहता ह क कलक रहत रहन व

दसर का सहारा बनन वाल मवषय का दवता भी वागत करत ह

याया - कव कहता ह क उस कभी न समात होन वाल आकाश म असय

दवता खड़ ह जो परोपकार व दयाल मनय का सामन स खड़ होकर अपनी भजाओ

को फलाकर वागत करत ह इसलए दसर का सहारा बनो और सभी को साथ म

लकर आग बड़ो कव कहता ह क सभी कलक रहत हो कर दवताओ क गोद म

बठो अथात यद कोई बरा काम नह करोग तो दवता तह अपनी गोद म ल लग

अपन मतलब क लए नह जीना चाहए अपना और दसर का कयाण व उधार

करना चाहए यक इस मरणशील ससार म मनय वह ह जो मनय का कयाण

कर व परोपकार कर

7-मनय माा बध ह यह बड़ा ववक ह

पराणपष वयभ पता सध एक ह

फलानसार कम क अवय बाय भद ह

परत अतरय म माणभत वद ह

अनथ ह क बध ह न बध क यथा हर

वह मनय ह क जो मनय क लए मर

सग - तत कवता हमार पाय पतक पश भाग -2 स ल गई ह इसक

कव मथलशरण गत ह इन पितओ म कव कहता ह क हम सब एक ईवर क

सतान ह अतः हम सभी मनय एक - दसर क भाई - बध ह

याया - कव कहता ह क यक मनय एक दसर क भाई - बध ह यह सबस

बड़ी समझ ह पराण म िजस वय उपन पष मना गया ह वह परमामा या

ईवर हम सभी का पता ह अथात सभी मनय उस एक ईवर क सतान ह

बाहर कारण क फल अनसार यक मनय क कम भल ह अलग अलग ह परत

हमार वद इस बात क साी ह क सभी क आमा एक ह कव कहता ह क यद

भाई ह भाई क दःख व कट का नाश नह करगा तो उसका जीना यथ ह यक

मनय वह कहलाता ह जो बर समय म दसर मनय क काम आता ह

8-चलो अभीट माग म सहष खलत हए

वपवन जो पड़ उह ढकलत हए

घट न हलमल हा बढ़ न भनता कभी

अतक एक पथ क सतक पथ ह सभी

तभी समथ भाव ह क तारता हआ तर

वह मनय ह क जो मनय क लए मर

सग - तत कवता हमार पाय पतक पश भाग -2 स ल गई ह इसक

कव मथलशरण गत ह इन पितओ म कव कहता ह क यद हम ख़शी ससार

कट को हटत हए भदभाव रहत रहग तभी सभव ह क समाज क उनत होगी

याया - कव कहता ह क मनय को अपनी इछा स चन हए माग म ख़शी

ख़शी चलना चाहएरात म कोई भी सकट या बाधाए आय उह हटात चल जाना

चाहए मनय को यह यान रखना चाहए क आपसी समझ न बगड़ और भद

भाव न बड़ बना कसी तक वतक क सभी को एक साथ ल कर आग बढ़ना चाहए

तभी यह सभव होगा क मनय दसर क उनत और कयाण क साथ अपनी

समध भी कायम कर

-ननलखत न क उर दिजय ndash

1-कव न कसी मय को समय कहा ह

1-कव न ऐसी मय को समय कहा ह िजसम मनय अपन स पहल दसर क चता

करता ह और परोपकार क राह को चनता ह िजसस उस मरन क बाद भी याद कया

जाता ह

2-उदार यित क पहचान कस हो सकती ह

2- उदार यित परोपकार होता ह वह अपन स पहल दसर क चता करता ह और

लोक कयाण क लए अपना जीवन याग दता ह

3-कव न दधीच कण आद महान यितओ क उदाहरण द कर मनयता क लए

या उदाहरण दया ह

3- कव न दधीच कण आद महान यितओ क उदाहरण द कर मनयता क

लए यह सदश दया ह क परोपकार करन वाला ह असल मनय कहलान योय

होता ह मानवता क रा क लए दधीच न अपन शरर क सार अिथया दान कर

द थीकण न अपनी जान क परवाह कय बना अपना कवच द दया था िजस

कारण उह आज तक याद कया जाता ह कव इन उदाहरण क वारा यह

समझाना चाहता ह क परोपकार ह सची मनयता ह

4- कव न कन पितय म यह यत कया ह क हम गव - रहत जीवन यतीत

करना चाहए

4- कव न ननलखत पितय म गव रहत जीवन यतीत करन क बात कह ह-

रहो न भल क कभी मगाघ तछ व म

सनाथ जान आपको करो न गव च म

अथात सपत क घमड म कभी नह रहना चाहए और न ह इस बात पर गव

करना चाहए क आपक पास आपक अपन का साथ ह यक इस दनया म कोई

भी अनाथ नह ह सब उस परम पता परमवर क सतान ह

5- मनय मा बध ह स आप या समझत ह पट किजए

5- मनय मा बध ह अथात हम सब मनय एक ईवर क सतान ह अतः हम

सब भाई - बध ह भाई -बध होन क नात हम भाईचार क साथ रहना चाहए और

एक दसर का बर समय म साथ दना चाहए

6- कव न सबको एक होकर चलन क रणा य द ह

6- कव न सबको एक होकर चलन क रणा इसलए द ह ताक आपसी समझ न

बगड़ और न ह भदभाव बड़ सब एक साथ एक होकर चलग तो सार बाधाए मट

जाएगी और सबका कयाण और समध होगी

7- यित को कस तरह का जीवन यतीत करना चाहए इस कवता क आधार पर

लखए

7-मनय को परोपकार का जीवन जीना चाहए अपन स पहल दसर क दख क

चता करनी चाहए कवल अपन बार म तो जानवर भी सोचत ह कव क अनसार

मनय वह कहलाता ह जो अपन स पहल दसर क चता कर

8- मनयता कवता क वारा कव या सदश दना चाहता ह

8- मनयता कवता क मायम स कव यह सदश दना चाहता ह क परोपकार ह

सची मनयता ह परोपकार ह एक ऐसा साधन ह िजसक मायम स हम यग तक

लोगो क दल म अपनी जगह बना सकत ह और परोपकार क वारा ह समाज का

कयाण व समध सभव ह अतः हम परोपकार बनना चाहए ताक हम सह

मायन म मनय कहलाय

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-याकरण-

पदबध- परभाषा

पद- वाय स अलग रहन पर शद और वाय म यत हो जान पर शद

पद कहलात ह दसर शद म- वाय म यत शद पद कहलाता ह पदबध-

जब दो या अधक (शद) पद नयत म और निचत अथ म कसी पद का

काय करत ह तो उह पदबध कहत ह

पदबध क भद

मय पद क आधार पर पदबध क पाच कार होत ह-

(1) सा-पदबध (2) वशषण-पदबध

(3) सवनाम पदबध (4) या पदबध

(5) अयय पदबध

(1) सा-पदबध-

(a)चार ताकतवर मजदर इस भार चीज को उठा पाए

(b) राम न लका क राजा रावण को मार गराया

(c) अयोया क राजा दशरथ क चार प थ

(d) आसमान म उड़ता गबारा फट गया

2) वशषण पदबध-

a) तज चलन वाल गाड़या ायः दर स पहचती ह

(b) उस घर क कोन म बठा हआ आदमी जासस ह

(c) उसका घोड़ा अयत सदर फरतीला और आाकार ह

(d) बरगद और पीपल क घनी छाव स हम बहत सख मला

3) सवनाम पदबध-

(a)बजल-सी फरती दखाकर आपन बालक को डबन स बचा लया

(b)शरारत करन वाल छा म स कछ पकड़ गए

(c)वरोध करन वाल लोग म स कोई नह बोला

4) या पदबध-

(a) वह बाजार क ओर आया होगा

(b) मझ मोहन छत स दखाई द रहा ह

(c) सरश नद म डब गया

(d) अब दरवाजा खोला जा सकता ह

5) अयय पदबध-

(a)अपन सामान क साथ वह चला गया

(b)सबह स शाम तक वह बठा रहा

कसी भी भाषा क व शद अयय (Indeclinable या inflexible) कहलात ह िजनक प म

लग वचन पष कारक काल इयाद क कारण कोई वकार उप नह होता

चक अयय का पातर नह होता इसलए ऐस शद अवकार होत ह अयय का शािदक

अथ ह- जो यय न हो

(i) कालवाचक अयय- इनम समय का बोध होता ह जस- आज कल तरत पीछ पहल अब

जब तब कभी-कभी कब अब स नय जब स सदा स अभी तभी आजकल और कभी

उदाहरणाथ-

अब स ऐसी बात नह होगी

ऐसी बात सदा स होती रह ह

वह कब आया मझ पता नह

(ii) थानवाचक अयय- इसस थान का बोध होता ह जस- यहा वहा कहा जहा यहा स

वहा स इधर-उधर उदाहरणाथ-

वह यहा नह ह

वह कहा जायगा

वहा कोई नह ह

जहा तम हो वहा म ह

(iii) दशावाचक अयय- इसस दशा का बोध होता ह जस- इधर उधर िजधर दर पर अलग

दाहन बाए आरपार

(iv) िथतवाचक अयय- नीच ऊपर तल सामन बाहर भीतर इयाद

अयय क भद

अयय ननलखत चार कार क होत ह -

(1) यावशषण (Adverb)

(2) सबधबोधक (Preposition)

(3) समचयबोधक (Conjunction)

(4) वमयादबोधक (Interjection)

(1) यावशषण - िजन शद स या वशषण या दसर यावशषण क वशषता कट

हो उह यावशषण कहत ह

दसर शदो म- जो शद या क वशषता बतलात ह उह या वशषण कहा जाता ह

जस- राम धीर-धीर टहलता ह राम वहा टहलता ह राम अभी टहलता ह

इन वाय म धीर-धीर वहा और अभी राम क टहलन (या) क वशषता बतलात ह य

यावशषण अवकार वशषण भी कहलात ह इसक अतरत यावशषण दसर

यावशषण क भी वशषता बताता ह

वह बहत धीर चलता ह इस वाय म बहत यावशषण ह यक यह दसर यावशषण

धीर क वशषता बतलाता ह

या वशषण क कार

(1) योग क अनसार- (i) साधारण (ii) सयोजक (iii) अनबध

(2) प क अनसार- (i) मल यावशषण (ii) यौगक यावशषण (iii) थानीय यावशषण

(3) अथ क अनसार- (i) परमाणवाचक (ii) रतवाचक

(1) योग क अनसार यावशषण क भद

योग क अनसार यावशषण क तीन भद ह-

(i) साधारण यावशषण- िजन यावशषण का योग कसी वाय म वत होता ह

उह साधारण यावशषण कहा जाता ह

जस- हाय अब म या क बटा जद आओ अर साप कहा गया

(ii) सयोजक यावशषण- िजन यावशषण का सबध कसी उपवाय स रहता ह उह

सयोजक यावशषण कहा जाता ह

जस- जब रोहताव ह नह तो म ह जीकर या कगी जहा अभी सम ह वहा कसी

समय जगल था

(iii) अनबध यावशषण- िजन यावशषण क योग अवधारण (नचय) क लए कसी

भी शदभद क साथ होता हो उह अनबध यावशषण कहा जाता ह

जस- यह तो कसी न धोखा ह दया ह मन उस दखा तक नह

(2) प क अनसार यावशषण क भद

प क अनसार यावशषण क तीन भद ह-

(i) मल यावशषण- ऐस यावशषण जो कसी दसर शद क मल स नह बनत मल

यावशषण कहलात ह

जस- ठक दर अचानक फर नह

(ii) यौगक यावशषण- ऐस यावशषण जो कसी दसर शद म यय या पद जोड़न

पर बनत ह यौगक यावशषण कहलात ह

जस- मन स िजसस चपक स भल स दखत हए यहा तक झट स वहा पर यौगक

यावशषण सा सवनाम वशषण धात और अयय क मल स बनत ह

यौगक यावशषण नीच लख शद क मल स बनत ह-

(i) साओ क वित स- घर-घर घड़ी-घड़ी बीच-बीच हाथ-हाथ

(ii) दो भ साओ क मल स- दन-रात साझ-सबर घर-बाहर दश-वदश

(iii) वशषण क वित स- एक-एक ठक-ठक साफ-साफ

(iv) यावशषण क वित स- धीर-धीर जहा-तहा कब-कब कहा-कहा

(v) दो यावशषण क मल स- जहा-तहा जहा-कह जब-तब जब-कभी कल-परस आस-पास

(vi) दो भ या समान यावशषण क बीच न लगान स- कभी-न-कभी कछ-न-कछ

(vii) अनकरण वाचक शद क वित स- पटपट तड़तड़ सटासट धड़ाधड़

(viii) सा और वशषण क योग स- एक साथ एक बार दो बार

(ix) अय य और दसर शद क मल स- तदन यथाम अनजान आजम

(x) पवकालक कदत और वशषण क मल स- वशषकर बहतकर मयकर एक-एककर

(iii) थानीय यावशषण- ऐस यावशषण जो बना पातर क कसी वशष थान म

आत ह थानीय यावशषण कहलात ह

जस- वह अपना सर पढ़गा

वह दौड़कर चलत ह

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  • (1) अरथ की दषटि स शबद-भद13
  • (2) परयोग की दषटि स शबद-भद13
  • (3) उतपति की दषटि स शबद-भद13
  • 1) सवर सधि-13
  • परति+छवि=परतिचछवि दिक+अनत=दिगनत दिक+गज=दिगगज अन+छद=अनचछद अच +अनत = अजनत 13
  • 3)विसरग सधि - विसरग क साथ सवर या वयजन का मल होन पर जो विकार होता ह उस 13
  • विसरग सधि कहत ह 13
  • मन+रथ=मनोरथ यश+अभिलाषा=यशोभिलाषा अध+गति=अधोगति नि+छल=निशछल द +गम = दरगम 13
    • -पाठ सार-13
    • -वयाखया13
    • -निमनलिखित परशनो क उततर दीजिय ndash13
    • 1-कवि न कसी मतय को समतय कहा ह13
    • अवयय क भद13
    • करिया विशषण क परकार13
Page 14: Class –X HINDI JUNE SYLLABUS 2020 Chapters:- Ch-1-Sanchayan …punainternationalschool.com/assets/upload/ck-images/Std-10th=Jun… · -harihar kaka . पय-भाग पाठ-3

3-जब स कानन भग का काम श हआ ह तब स आज तक इतनी बड़ी सभा ऐस मदान म

नह क गई थी और यह सभा तो कहना चाहए क ओपन लड़ाई थीrsquo यहा पर कौन स और

कसक वारा लाग कए गए कानन को भग करन क बात कह गई ह या कानन भग

करना उचत था पाठ क सदभ म अपन वचार कट किजए

3-इस समय दश क आज़ाद क लए हर यित अपना सवव लटान को तयार था अज़

न कानन बनाकर आदोलन जलस को गर काननी घोषत कया हआ था परत लोग पर

इसका कोई असर नह था व आज़ाद क लए अपना दशन करत रह गलामी क जजीर

को तोड़न का यास करत रह थ

4-बहत स लोग घायल हए बहत को लॉकअप म रखा गया बहत-सी िया जल ग फर

भी इस दन को अपव बताया गया ह आपक वचार म यह सब अपव य ह अपन शद

म लखए

4-सभाष च बोस क नतव म कलका वासय न वतता दवस मनान क तयार ज़ोर-

शोर स क थी पलस क सती लाठ चाज गरफ़तारया इन सब क बाद भी लोग म

जोश बना रहा लोग झड फहरात वद मातरम बोलत हए खन बहात हए भी जलस

नकालन को तपर थ जलस टटता फर बन जाता कलका क इतहास म इतन चड

प म लोग को पहल कभी नह दखा गया था

आशय पट किजए minus

1-आज तो जो कछ हआ वह अपव हआ ह बगाल क नाम या कलका क नाम पर कलक

था क यहा काम नह हो रहा ह वह आज बहत अश म धल गया

1-हजार ी पष न जलस म भाग लया आज़ाद क सालगरह मनान क लए बना

कसी डर क दशन कया पलस क बनाए कानन क जलस आद गर काननी काय आद

क भी परवाह नह क पलस क लाठ चाज होन पर लोग घायल हो गए खन बहन लग

परत लोग म जोश क कोई कमी नह थी बगाल क लए कहा जाता था क वतता क

लए बहत यादा योगदान नह दया जा रहा ह आज क िथत को दखकर उन पर स

यह कलक मट गया

2-खला चलज दकर ऐसी सभा पहल नह क गई थी

2- पलस न कोई दशन न हो इसक लए कानन नकाला क कोई जलस आद आयोिजत

नह होगा परत सभाष बाब क अयता म कसल न नोटस नकाला था क मोनमट क

नीच झडा फहराया जाएगा और वतता क ता पढ़ जाएगी सभी को इसक लए

आमत कया गया खब चार भी हआ सार कलक म झड फहराए गए थ सरकार और

आम जनता म खल लड़ाई थी|

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याकरण-सध

याया -1-सध शद का अथ ह lsquoमलrsquo दो नकटवत वण क आपसी मल स जो परवतन होता

ह उस सध कहलाता ह सम + तोष = सतोष दव + इ = दव भान + उदय = भानदय

सध तीन कार ह

1-वर सध

2- यजन सध

3- वसग सध

1) वर सध-

दो वर क आस -पास आन पर उनम जो परवतन होता ह उस वर सध कहत ह

जस ndash वया + आलय = वयालय

1) दघ वर सध

अ इ उ क बाद दघ अ इ उ आ जाए तो दोनो मलकर दघ सध आ ई ऊ हो जात

अ + आ = आ हम + आलय = हमालय

इ + ई = ई - गर + ईश = गरश

ई + इ = ई - मह + इ = मह

ई + ई = ई - नद + ईश = नदश

उ + ऊ = ऊ- लघ + ऊम = लघम

ऊ + उ = ऊ- वध + उसव = वधसव

ऊ + ऊ = ऊ - भ + ऊव = भव

2) गण वर सध -इस सध म अ आ क आग इ ई हो तो ए उ ऊ हो तो औ और

अगर ऋ हो तो अर हो जाता ह उस गण सध कहत ह

अ + इ = ए- नर + इ = नर अ + ई = ए- नर + ईश = नरश

आ + इ = ए- महा + इ = मह आ + ई = ए महा + ईश = महश

अ + उ = ओ ान + उपदश = ानोपदश आ+उ= ओ महा + उसव = महोसव

3) यण वर सध- इस सध म इ ई उ ऊ और ऋ क बाद कोई अलग वर आए

तो इनका परवतन मश य व और र म हो जाता ह

इ का य = इत +आद = इयाद ई का य = दवी +आवाहन = दयावाहन

उ का व = स +आगत = वागत ऊ का व = वध +आगमन = ववागमन

4) वध वर सध- आ + ए ऐ -gt ऐ

अ आ + ओ औ -gt औ

अ +ए =ऐ एक +एक = एकक अ +ऐ =ऐ मत +ऐय = मतय

अ +औ=औ परम +औषध = परमौषध आ +औ =औ महा +औषध = महौषध

आ +ओ =औ महा +ओघ = महौघ

5)अयाद वर सध- इस सध म ए ऐ और ओ औ क पशचात इह छोड़कर को

अय वर हो तो इनका परवतन मश अय आय अव आव म हो जाता ह )

ए का अय न +अन = नयन ऐ का आय न +अक = नायक

ओ का अव पो +अन = पवन औ का आव पौ +अन = पावन

न का परवतन ण म = ो +अन = वण

2)यजन सध- यजन क साथ वर अथवा यजन क मल स उस यजन म जो

पातरण होता ह उस यजन सध कहत ह

त+छव=तछव दक+अत=दगत

दक+गज=दगज अन+छद=अनछद

अच +अत = अजत

3)वसग सध - वसग क साथ वर या यजन का मल होन पर जो वकार होता ह उस

वसग सध कहत ह

मन+रथ=मनोरथ यश+अभलाषा=यशोभलाषा

अध+गत=अधोगत न+छल=नछल

द +गम = दगम

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गय-भाग

पाठ-12

(ततारा-वामीरो कथा )

(ललाधर मडलोई)

-लखक का परचय- ललाधर मडलोईमडलोई का जम भारतीय

राय मयदश क छदवाडा िजल क गढ़ नामक गाव म हआ मडलोई न भारत म बीए

बीएड (अज़ी) पाकारता म नातक और एमए (हद) तक शा हण कया और

इसक बाद व लदन चल गय जहा स सारण म उच-शा (सीआरट) हण क

मडलोई दरदशन आकाशवाणी क महानदशक सहत कई राय-अतरराय समतय क

साथ ह सार भारती बोड क सदय रह चक ह

-पाठ का सार-

जो सयता िजतनी अधक परानी होगी उतनी ह अधक कस -कहानया उसस जड़ी होती ह जो

हम सनन को मलती ह जो कस - कहानया हम सनन को मलती ह जर नह क वो उसी तरह

घटत हई हो िजस तरह वो हम सनाई जा रह हइतना जर होता ह क इन कस और कहानय

म कोई न कोई सीख छपी होती ह अदमान नकोबार वीपसमह म भी बहत तरह क कस -

कहानया मशहर ह इनम स कछ को ललाधर मडलोई न लखा ह

तत पाठ ततारा वामीरो कथा अडमान नकोबार वीप समह क एक छोट स वीप पर क त ह

उस वीप पर एक -दसर स शता का भाव अपनी अतम सीमा पर पहच चका था इस शता क

भावना को जड़ स उखाड़न क लए एक जोड़ को आमबलदान दना पड़ा था उसी जोड़ क बलदान

का वणन लखक न तत पाठ म कया ह

यार सबको एक साथ लाता ह और नफरत सब क बीच दरय को बढ़ाती हइस बात स भला कौन

इनकार कर सकता ह इसलए जो कोई भी समाज क लए अपन यार का अपन जीवन का

बलदान करता ह समाज न कवल उस याद रखता ह बिक उसक वारा कय गए याग और

बलदान को बकार नह जान दता यह वह कारण ह िजसक वजह स तकालन समाज क सामन

मसाल कायम करन वाल इस जोड़ को आज भी इस वीप क नवासी गव और धा स याद करत

-शदाथ-

-खला-म कड़ी -आदम ndashाभक

-वभत ndashबटा हआ -आमीय ndashअपना

-वलण ndashअसाधारण -बयार-मद हवा

त-एकाता -वकल-बचन

-सचार-उपन -असगत ndashअनचत

समोहतndash मध -झझलाना ndash चड़ना

-रोमाचत ndash पलकत -नचल- िथर

-अफवाह ndash उड़ती खबर -उफनना ndash उबाल आना

शमन ndashशात होना -घपना भकनाचभना

-न-उर-

1-ततारा और वामीरो क गाव क या थी

उर- ततारा और वामीरो क गाव क यह रत थी क ववाह क लए लड़क-लड़क का एक

ह गाव का होना जर था दसर गाव क यवक क साथ सबध असभव था

2-ततारा क तलवार क बार म लोग का या मत था

उर- ततारा क तलवार ययप लकड़ी क थी पर इसक बावजद लोग का मानना था क

उस तलवार म अभत दवीय शित थी ततारा तलवार को कभी अपन स अलग होन नह

दता था लोग यह मानत थ क ततारा अपन साहसक कारनाम इसी तलवार क कारण ह

कर पाता ह उसम बड़ी शित थी

3-नकोबार क लोग ततारा को य पसद करत थ

उर- नकोबार क लोग ततारा को उसक साहसी और परोपकार वभाव क कारण पसद करत

थ वह एक सदर और शितशाल यवक था वह सदा लोग क सहायता करता रहता था

ततारा एक नक और मददगार यित था वह अपन गाव वाल क ह नह समच

वीपवासय क सवा करना अपना धम समझता था सभी उसका आदर करत थ मसीबत

क घड़ी म वह लोग क पास तरत पहच जाता था

4- ाचीन काल म मनोरजन और शित-दशन क लए कस कार क आयोजन कए जात

उर- ाचीन काल म मनोरजन और शित-दशन क लए अ-श चलान सबधी

आयोजन तथा पश पव कए जात थ

5-lsquoततारा-वामीरो कथाrsquo का सदश पट किजए

उर- lsquoततारा-वामीरो कथाrsquo एक लोकगाथा ह इसम यह सदश दया गया ह क म को कसी

बधन जड़ता तथा सीमाओ म बाधना उचत नह ह यद कोई गाव दश या म को

पनपन क लए खला अवसर नह दता तो इसस सवनाश होता ह धरती म भदभाव बढ़त ह

पहल स बट हई धरती और अवसर नह दता तो इसस मानवता का य होता ह भावनाए

एक होन क बजाय खडत होती ह अतः गाव दश या अय सकण नयमो को तोड़कर

हम उदारता क साथ सबको अपनाना चाहए

7-नक ततारा और वामीरो क मय कस हई पठत पाठ क आधार पर लखए

उर- पश-पव क मौक पर ततारा और वामीरो को इकठा दखकर वामीरो क मा ोध म

उफन उठ उसन ततारा को तरह-तरह स अपमानत कया गाव क लोग भी ततारा क

वरोध म आवाज उठान लग यह ततारा क लए अहसनीय था वामीरो अब भी रोए जा रह

थी ततारा भी गस स भर उठा उस जहा ववाह क नषध परपरा पर ोभ था वह अपनी

असहायता पर खीझ वामीरो का दख उस और गहरा कर रहा था उस मालम नह था क

या कदम उठाना चाहए अनायास उसका हाथ तलवार क मढ़ पर जा टका ोध म उसन

तलवार नकाल और कछ वचार करता रहा ोध लगातार अिन क तरह बढ़ रहा था

लोग सहम उठ एक सनाटा-सा खच गया जब कोई राह न सझी तो ोध का शमन करन

क लए उसम शित भर उस धरती म घप दया और ताकत स उस खीचन लगा वह

पसीन स नहा उठा सब घबराए हए थ वह तलवार को अपनी तरफ खीचत-खीचत दर तक

पहच गया वह हाफ रहा था अचानक जहा एक लकर खच गई थी वहा एक दरार होन

लगी मानो धरती दो टकड़ो म बटन लगी हो एक गड़गड़ाहट-सी गजन लगी और लकर क

सीध म धरती फटती ह जा रह थी वीप क अतम सर तक ततारा धरती को मानो ोध

म काटता जा रहा था सभी याकल हो उठ लोग न ऐस य क कपना न क थी व

सहर उठ उधर वामीरो फटती हई धरती क कनार ततारा का नाम पकारत हए दौड़ रह थी

वीप दो टकड़ म वभत हो चका था ततारा और वामीरो वीप क साथ सम म धस

गए और उमय हो गई

8-शाम क समय सम कनार ततारा क ाकतक अनभत का वणन किजए

उर- एक शाम ततारा दन-भर क अथक परम क बाद सम कनार टहलन नकल

पड़ा सरज सम स लग तज तल डबन को था सम स ठडी बयार आ रह थी

पय क सायकालन चाहचाहाहट शनः शनः ीण ह को थी उसका मन शात था

वचारमन ततारा सम बाल पर बठकर सरज क अतम रग-बरगी करण को सम

पर नहारन लगा तभी कह पास म उस मधर गीत गजता सनाई दया गीत मान

बहता हआ उसक तरफ आ रहा हो बीच-बीच म लहर का सगीत सनाई दता गायन

भावी था क वह अपनी सध-बध खोन लगा लहर क एक बल वग न उसक ता भग

क चतय होत ह वह उधर बढ़न को ववश हो उठा िजधर स अब भी गीत क वर बह

रह थ वह वकल-सा उस तरफ़ बढ़ता गया अततः उसक नजर एक यवती पर पड़ी जो

ढलती हई शाम क सदय म बसध एकटक सम क दह पर डबत आकषक रगो को

नहारत हए गा रह थी यह एक शगार गीत था

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Vyakr`-vaKy-

bull वाय क सामन दए कोठक म ( radic का चह लगाकर बताए क वह वाय कस

कार का ह

क) नकोबार उस बहद म करत थ (नवाचक वधानवाचक नषधामक

वमयादबोधक)

ख) तमन एकाएक इतना मधर गाना अधरा य छोड़ दया नवाचक

वधानवाचक नषधामक वमयादबोधक)

ग) वामीरो क मा ोध म उफन उठ (नवाचक वधानवाचक नषधामक

वमयादबोधक)

घ) या तह गाव का नयम नह मालम नवाचक वधानवाचक नषधामक

वमयादबोधक)

ङ) वाह कतना सदर नाम ह (नवाचक वधानवाचक नषधामक

वमयादबोधक)

च) म तहारा राता छोड़ दगा

वमयादबोधक)

उर- क) वधानवाचक

ग) वधानवाचक

ङ) वमयादबोध

Ocirc-इस पाठ म lsquo दखना lsquo या क कई प आए ह

शदयोग म या अतर ह

Ocirc-उर-

म तहारा राता छोड़ दगा (नवाचक वधानवाचक नषधामक

ख) नवाचक

घ) नवा

च) वधानवाचक

या क कई प आए ह lsquo दखना lsquo क इन वभन

वाययोग वारा पट किजए

नषधामक

नवाचक

वधानवाचक

क इन वभन

-वाय क उदाहरण-

सचयन-भाग

पाठ-1 (हरहर काका )

-शदाथ -

तबयत - शरर क िथत यणा - यातना कलश कट

मनःिथत - मन क िथत चद - कछ

आसित ndash लगाव यावहारक - यावहार सबधी

वचारक - वचार सबधी दलार - यार

सयाना - यक बधमान तीा - इतज़ार

फ़लहाल - अभी इस समय मझधार - बीच म

वलन - लत हो जाना वकप - दसरा उपाय

चलत ndash चलनसार जात - जगाना

कलवर - शरर मनौती - मनत

परपरा - था णाल अधकाश - यादातर

समत ndash सथा सचालन - नयण चलाना

नयित - तनाती लगाया गया वमख - तकल

चपट - आघात हार अहाता-चार ओर स दवार स घरा हआ मदान

अखड ndash नवन वफोट - फट कर बाहर नकलना

आगमन - आन पर उपलय - सकत

सराहना ndash शसा निचत - बफ

-लखक का परचय-मथलवर का जम 31 दसबर 1950 को बहार क

भोजपर िजल क बसाडीह नामक गाव म हआ इनक पता व० ो० वशरोपन लाल थ

मथलवर क पता (ो० वशरोपन लाल) भी वलण तभा क धनी थ परत उनक

असाय बीमार न मथलवर क जीवन म आरभ स ह कठन सघष क बीज बो दय थ

पाठ सार-

लखक कहता ह क वह हरहर काका क साथ बहत गहर स जड़ा था लखक का हरहर

काका क त जो यार था वह लखक का उनक यावहार क और उनक वचार क कारण

था और उसक दो कारण थ पहला कारण था क हरहर काका लखक क पड़ोसी थ और

दसरा कारण लखक को उनक मा न बताया था क हरहर काका लखक को बचपन स ह

बहत यादा यार करत थ जब लखक यक हआ तो उसक पहल दोती भी हरहर काका

क साथ ह हई थी लखक क गाव क पव दशा म ठाकर जी का वशाल मदर था िजस

गाव क लोग ठाकरबार यान दवथान कहत थ लोग ठाकर जी स प क मनत मागत

मक़दम म जीत लड़क क शाद कसी अछ घर म हो जाए लड़क को नौकर मल जाए

आद मनत मागत थ मनत पर होन पर लोग अपनी ख़शी स ठाकरजी को पए ज़वर

और अनाज चढ़ाया करत थ िजसको बहत अधक ख़शी होती थी वह अपन खत का छोटा-

सा भाग ठाकरजी क नाम कर दता था और यह एक तरह स था ह बन गई लखक कहता

ह क उसका गाव अब गाव क नाम स नह बिक दव-थान क वजह स ह पहचाना जाता

था उसक गाव का यह दव-थान उस इलाक का सबस बड़ा और सध दवथान था

हरहर काका न अपनी परिथतओ क कारण दव-थान म जाना बद कर दया था मन

बहलान क लए लखक भी कभी-कभी दव-थान चला जाता था लकन लखक कहता ह क

वहा क साध-सत उस बलकल भी पसद नह थ यक व काम करन म कोई दलचपी

नह रखत थ भगवान को भोग लगान क नाम पर व दन क दोन समय हलवा-पड़ी

बनवात थ और आराम स पड़ रहत थ सारा काम वहा आए लोग स सवा करन क नाम पर

करवात थ व खद अगर कोई काम करत थ तो वो था बात बनवान का काम

लखक हरहर काका क बार म बताता हआ कहता ह क हरहर काका और उनक तीन भाई

ह सबक शाद हो चक ह हरहर काका क अतरत सभी तीन भाइय क बाल-बच ह

कछ समय तक तो हरहर काका क सभी चीज़ का अछ स यान रखा गया परत फर

कछ दन बाद हरहर काका को कोई पछन वाला नह था लखक कहता ह क अगर कभी

हरहर काका क शरर क िथत ठक नह होती तो हरहर काका पर मसीबत का पहाड़ ह

गर जाता यक इतन बड़ परवार क रहत हए भी हरहर काका को कोई पानी भी नह

पछता था बारामद क कमर म पड़ हए हरहर काका को अगर कसी चीज़ क जरत होती

तो उह खद ह उठना पड़ता एक दन उनका भतीजा शहर स अपन एक दोत को घर ल

आया उह क आन क ख़शी म दो-तीन तरह क सिज़या बजक चटनी रायता और भी

बहत कछ बना था सब लोग न खाना खा लया और हरहर काका को कोई पछन तक नह

आया हरहर काका गस म बरामद क ओर चल पड़ और जोर-जोर स बोल रह थ क

उनक भाई क पिनया या यह सोचती ह क व उह मत म खाना खला रह ह उनक

खत म उगन वाला अनाज भी इसी घर म आता ह

हरहर काका क गस का महत जी न लाभ उठान क सोची महत जी हरहर काका को

अपन साथ दव-थान ल आए और हरहर काका को समझान लग क उनक भाई का परवार

कवल उनक जमीन क कारण उनस जड़ा हआ ह कसी दन अगर हरहर काका यह कह द

क व अपन खत कसी और क नाम लख रह ह तो व लोग तो उनस बात करना भी बद

कर दग खन क रत ख़म हो जायग महत हरहर काका स कहता ह क उनक हस म

िजतन खत ह व उनको भगवान क नाम लख द ऐसा करन स उह सीध वग क ाित

होगी

सबह होत ह हरहर काका क तीन भाई दव-थान पहच गए तीन हरहर काका क पाव म

गर कर रोन लग और अपनी पिनय क गलती क माफ़ मागन लग और कहन लग क

व अपनी पिनय को उनक साथ कए गए इस तरह क यवहार क सज़ा दग हरहर काका

क मन म दया का भाव जाग गया और व फर स घर वापस लौट कर आ गए जब अपन

भाइय क समझान क बाद हरहर काका घर वापस आए तो घर म और घर वाल क

यवहार म आए बदलाव को दख कर बहत खश हो गए घर क सभी छोट-बड़ सभी लोग

हरहर काका का आदर-सकार करन लग

गाव क लोग जब भी कह बठत तो बात का ऐसा सलसला चलता िजसका कोई अत नह

था हर जगह बस उह क बात होती थी कछ लोग कहत क हरहर काका को अपनी

जमीन भगवान क नाम लख दनी चाहए इसस उम और अछा कछ नह हो सकता

इसस हरहर काका को कभी न ख़म होन वाल सध ात होगी इसक वपरत कछ

लोग क यह मानत थ क भाई का परवार भी तो अपना ह परवार होता ह अपनी

जायदाद उह न दना उनक साथ अयाय करना होगा हरहर काका क भाई उनस ाथना

करन लग क व अपन हस क जमीन को उनक नाम लखवा द इस वषय पर हरहर

काका न बहत सोचा और अत म इस परणाम पर पहच क अपन जीत-जी अपनी जायदाद

का वामी कसी और को बनाना ठक नह होगा फर चाह वह अपना भाई हो या मदर का

महत यक उह अपन गाव और इलाक क व कछ लोग याद आए िजहन अपनी िजदगी

म ह अपनी जायदाद को अपन रतदार या कसी और क नाम लखवा दया था उनका

जीवन बाद म कसी क क तरह हो गया था उह कोई पछन वाला भी नह था हरहर

काका बलकल भी पढ़-लख नह थ परत उह अपन जीवन म एकदम हए बदलाव को

समझन म कोई गलती नह हई और उहन फसला कर लया क व जीत-जी कसी को भी

अपनी जमीन नह लखग

लखक कहता ह क जस-जस समय बीत रहा था महत जी क परशानया बढ़ती जा

रह थी उह लग रहा था क उहन हरहर काका को फसान क लए जो जाल फ का

था हरहर काका उसस बाहर नकल गए ह यह बात महत जी को सहन नह हो रह

थी आधी रात क आस-पास दव-थान क साध-सत और उनक कछ साथी भाला

गड़ासा और बदक क साथ अचानक ह हरहर काका क आगन म आ गए इसस

पहल हरहर काका क भाई कछ सोच और कसी को अपनी सहायता क लए आवाज

लगा कर बलाए तब तक बहत दर हो गई थी हमला करन वाल हरहर काका को

अपनी पीठ पर डाल कर कह गायब हो गए थव हरहर काका को दव-थान ल गए

थ एक ओर तो दव-थान क अदर जबरदती हरहर काका क अगठ का नशान लन

और पकड़कर समझान का काम चल रहा था तो वह दसर ओर हरहर काका क

तीन भाई सबह होन स पहल ह पलस क जीप को लकर दव-थान पर पहच गए

थ महत और उनक साथय न हरहर काका को कमर म हाथ और पाव बाध कर

रखा था और साथ ह साथ उनक मह म कपड़ा ठसा गया था ताक व आवाज़ न कर

सक परत हरहर काका दरवाज़ तक लढ़कत हए आ गए थ और दरवाज़ पर अपन

पर स धका लगा रह थ ताक बाहर खड़ उनक भाई और पलस उह बचा सक

दरवाज़ा खोल कर हरहर काका को बधन स मत कया गया हरहर काका न

पलस को बताया क व लोग उह उस कमर म इस तरह बाध कर कह गत

दरवाज़ स भाग गए ह और उहन कछ खल और कछ लख हए कागज पर हरहर

काका क अगठ क नशान जबरदती लए ह

यह सब बीत जान क बाद हरहर काका फर स अपन भाइय क परवार क साथ रहन लग

गए थ चौबीस घट पहर दए जान लग थ यहा तक क अगर हरहर काका को कसी

काम क कारण गाव म जाना पड़ता तो हथयार क साथ चार-पाच लोग हमशा ह उनक

साथ रहन लग लखक कहता ह क हरहर काका क साथ जो कछ भी हआ था उसस हरहर

काका एक सीध-साद और भोल कसान क तलना म चालाक और बधमान हो गए थ

उह अब सब कछ समझ म आन लगा था क उनक भाइय का अचानक स उनक त जो

यवहार परवतन हो गया था उनक लए जो आदर-समान और सरा व दान कर रह थ

वह उनका कोई सग भाइय का यार नह था बिक व सब कछ उनक धन-दौलत क कारण

कर रह ह नह तो व हरहर काका को पछत तक नह जब स हरहर काका दव-थान स

वापस घर आए थ उसी दन स ह हरहर काका क भाई और उनक दसर नात-रतदार

सभी यह सोच रह थ क हरहर काका को क़ाननी तरक स उनक जायदाद को उनक

भतीज क नाम कर दना चाहए यक जब तक हरहर काका ऐसा नह करग तब तक

महत क तज़ नज़र उन पर टक रहगी जब हरहर काका क भाई हरहर काका को

समझात-समझात थक गए तो उहन हरहर काका को डाटना और उन पर दवाब डालना

श कर दया एक रात हरहर काका क भाइय न भी उसी तरह का यवहार करना श

कर दया जसा महत और उनक सहयोगय न कया था उह धमकात हए कह रह थ क

ख़शी-ख़शी कागज़ पर जहा-जहा जरत ह वहा-वहा अगठ क नशान लगत जाओ नह तो व

उह मार कर वह घर क अदर ह गाड़ दग और गाव क लोगो को इस बार म कोई सचना

भी नह मलगी हरहर काका क साथ अब उनक भाइय क मारपीट श हो गई जब

हरहर काका अपन भाइय का मकाबला नह कर पा रह थ तो उहन ज़ोर-ज़ोर स

चलाकर अपनी मदद क लए गाव वाल को आवाज लगाना श कर दया तब उनक

भाइय को यान आया क उह हरहर काका का मह पहल ह बद करना चाहए था उहन

उसी पल हरहर काका को जमीन पर पटका और उनक मह म कपड़ा ठस दया लकन तब

तक बहत दर हो गई थी हरहर काका क आवाज बाहर गाव म पहच गई थी हरहर काका

क परवार और रत-नात क लोग जब तक गाव वाल कोसमझात क यह सब उनक

परवार का आपसी मामला ह व सभी इसस दर रह तब तक महत जी बड़ी ह दता और

तज़ी स वहा पलस क जीप क साथ आ गए पलस न पर घर क अछ स तलाशी लना

श कर दया फर घर क अदर स हरहर काका को इतनी बर हालत म हासल कया गया

िजतनी बर हालत उनक दव-थान म भी नह हई थी हरहर काका न बताया क उनक

भाइय न उनक साथ बहत ह यादा बरा यवहार कया ह जबरदती बहत स कागज पर

उनक अगठ क नशान ल लए ह उह बहत यादा मारा-पीटा ह

इस घटना क बाद हरहर काका अपन परवार स एकदम अलग रहन लग थ उह उनक

सरा क लए चार राइफलधार पलस क जवान मल थ आचय क बात तो यह ह क

इसक लए उनक भाइय और महत क ओर स काफ़ यास कए गए थ असल म भाइय

को चता थी क हरहर काका अकल रहन लगग तो दव-थान क महत-पजार फर स

हरहर काका को बहला-फसला कर ल जायग और जमीन दव-थान क नाम करवा लग और

यह चता महत जी को भी थी क हरहर काका को अकला और असरत पा उनक भाई

फर स उह पकड़ कर मारग और जमीन को अपन नाम करवा लग लखक कहता ह क

हरहर काका स जड़ी बहत सी ख़बर गाव म फल रह थी जस-जस दन बड़ रह थ वस-वस

डर का मौहोल बन रहा था सभी लोग सफ यह सोच रह थ क हरहर काका न अमत तो

पया हआ ह नह तो मरना तो उनको एक दन ह ह और जब व मरग तो पर गाव म

तफ़ान आ जाएगा यक महत और हरहर काका क परवार क बीच जमीन को ल कर

लड़ाई हो जायगी

पलस क जवान हरहर काका क खच पर ह खब मौज-मती स रह रह थ िजसका धन

वह रह उपास खान वाल कर वलास अथात हरहर काका क पास धन था लकन उनक लए

अब उसका कोई महव नह था और पलस वाल बना कसी कारण स ह हरहर काका क

धन स मौज कर रह थ अब तक जो नह खाया था दोन वत उसका भोग लगा रह थ

-नोर-

1-कथावाचक और हरहर काका क बीच या सबध ह और इसक या कारण ह

1-कथावाचक जब छोटा था तब स ह हरहर काका उस बहत यार करत थ जब वह बड़ हो

गए तो वह हरहर काका क म बन गए गाव म इतनी गहर दोती और कसी स नह

हई हरहर काका उनस खल कर बात करत थ यह कारण ह क कथावाचक को उनक

एक-एक पल क खबर थी शायद अपना म बनान क लए काका न वय ह उस यार स

बड़ा कया और इतजार कया

2-हरहर काका को महत और भाई एक ह णी क य लगन लग

2-हरहर काका को अपन भाइय और महत म कोई अतर नह लगा दोन एक ह णी क

लग उनक भाइय क पिनय न कछ दन तक तो हरहर काका का यान रखा फर

बचीकची रोटया द नाता नह दत थ बमार म कोई पछन वाला भी न था िजतना भी

उह रखा जा रहा था उनक ज़मीन क लए था इसी तरह महत न एक दन तो बड़ यार

स खातर क फर ज़मीन अपन ठाकर बाड़ी क नाम करन क लए कहन लग काका क

मना करन पर उह अनक यातनाए द अपहरण करवाया मह म कपड़ा ठस कर एक कोठर

म बद कर दया जबरदती अगठ का नशान लया गया तथा उह मारा पीटा गया इस

तरह दोन ह कवल ज़मीन जायदाद क लए हरहर काका स यवहार रखत थ अत उह

दोन एक ह णी क लग

3-ठाकर बाड़ी क त गाव वाल क मन म अपार धा क जो भाव ह उसस उनक कस

मनोव का पता चलता ह

3-कहा जाता ह गाव क लोग भोल होत ह असल म गाव क लोग अधववासी धमभी होत

ह मदर जस थान को पव नकलक ान का तीक मानत ह पजार परोहत महत

जस िजतन भी धम क ठकदार ह उनपर अगाध धा रखत ह व चाह कतन भी

पतत वाथ और नीच ह पर उनका वरोध करत व डरत ह इसी कारण ठाकर बाड़ी क

त गाव वाल क अपार धा थी उनका हर सख-दख उसस जड़ा था

4-अनपढ़ होत हए भी हरहर काका दनया क बहतर समझ रखत ह कहानी क आधार पर

पट किजए

4-हरहर काका अनपढ़ थ फर भी उह दनयादार क बहद समझ थी उनक भाई लोग

उनस ज़बरदती ज़मीन अपन नाम करान क लए डरात थ तो उह गाव म दखावा करक

ज़मीन हथयान वालो क याद आती ह काका न उह दखी होत दखा ह इसलए उहन

ठान लया था चाह महत उकसाए चाह भाई दखावा कर वह ज़मीन कसी को भी नह दग

एक बार महत क उकसान पर भाइय क त धोखा नह करना चाहत थ परत जब भाइय

न भी धोखा दया तो उह समझ म आ गया उनक त उह कोई यार नह ह जो यार

दखात ह वह कवल ज़ायदाद क लए ह

5-हरहर काका को जबरन उठा ल जान वाल कौन थ उहन उनक साथ कसा यवहार

कया

5-महत न हरहर काका को बहत लोभन दए िजसस वह अपनी ज़मीन जायदाद ठाकर

बाड़ी क नाम कर द परत काका इस बात क लए तयार नह थ व सोच रह थ क या

भगवान क लए अपन भाइय स धोखा क यह उह सह भी नह लग रहा था महत को

यह बात पता लगी तो उसन छल और बल स रात क समय अकल दालान म सोत हए

हरहर काका को उठवा लया महत न अपन चल साधसतो क साथ मलकर उनक हाथ पर

बाध दए मह म कपड़ा ठस दया और जबरदती अगठ क नशान लए उह एक कमर म

बद कर दया जब पलस आई तो वय गत दरवाज़ स भाग गए

6-हरहर काका क मामल म गाव वाल क या राय थी और उसक या कारण थ

6-कहानी क आधार पर गाव क लोग को बना बताए पता चल गया क हरहर काका को

उनक भाई नह पछत इसलए सख आराम का लोभन दकर महत उह अपन साथ ल

गया भाई मनत करक काका को वापस ल आत ह इस तरह गाव क लोग दो प म

बट गए कछ लोग महत क तरफ़ थ जो चाहत थ क काका अपनी ज़मीन धम क नाम पर

ठाकर बाड़ी को द द ताक उह सख आराम मल मय क बाद मो यश मल महत ानी

ह वह सब कछ जानता ह लकन दसर प क लोग कहत क ज़मीन परवार वालो को द

जाए उनका कहना था इसस उनक परवार का पट भरगा मदर को ज़मीन दना अयाय

होगा इस तरह दोन प अपन-अपन हसाब स सोच रह थ परत हरहर काका क बार म

कोई नह सोच रहा था इन बात का एक कारण यह भी था क काका वधर थ और उनक

कोई सतान भी नह थी पह बीघ ज़मीन क लए इनका लालच वाभवक था

7-कहानी क आधार पर पट किजए क लखक न यह य कहा अान क िथत म ह

मनय मय स डरत ह ान होन क बाद तो आदमी आवयकता पड़न पर मय को वरण

करन क लए तयार हो जाता ह

7-जब काका को असलयत पता चल और उह समझ म आ गया क सब लोग उनक

ज़मीन जायदाद क पीछ ह तो उह व सभी लोग याद आ गए िजहन परवार वालो क मोह

माया म आकर अपनी ज़मीन उनक नाम कर द और मय तक तलतल करक मरत

रह दान-दान को मोहताज़ हो गए इसलए उहन सोचा क इस तरह रहन स तो एक बार

मरना अछा ह जीत जी ज़मीन कसी को भी नह दग य लोग मझ एक बार म ह मार

द अत लखक न कहा क अान क िथत म मनय मय स डरता ह परत ान होन

पर मय वरण को तयार रहता ह

8-समाज म रत क या अहमयत ह इस वषय पर अपन वचार कट किजए

8-आज समाज म मानवीय मय तथा पारवारक मय धीर-धीर समात होत जा रह ह

यादातर यित अपन वाथ क लए रत नभात ह अपनी आवयकताओ क हसाब स

मलत ह अमीर रतदार का समान करत ह उनस मलन को आतर रहत ह जबक गरब

रतदार स कतरात ह कवल वाथ सध क अहमयत रह गई ह आए दन हम

अखबार म समाचार पढ़त ह क ज़मीन जाय़दाद पस जवर क लए लोग घनौन स घनौना

काय कर जात ह (हया अपहरण आद) इसी कार इस कहानी म भी पलस न पहचती तो

परवार वाल महत जी (काका क) हया ह कर दत उह यह अफसोस रहा क व काका को

मार नह पाए

9-यद आपक आसपास हरहर काका जसी हालत म कोई हो तो आप उसक कस कार

मदद करग

9-यद हमार आसपास हरहर काका जसी हालत म कोई हो तो हम उसक पर तरह मदद

करन क कोशश करग उनस मलकर उनक दख का कारण पता करग उह अहसास

दलाएग क व अकल नह ह सबस पहल तो यह ववास कराएग क सभी यित लालची

नह होत ह इस तरह मौन रह कर दसर को मौका न द बिक उलास स शष जीवन

बताए रतदार स मलकर उनक सबध सधारन का यन करग

10-हरहर काका क गाव म यद मीडया क पहच होती तो उनक या िथत होती अपन

शद म लखए

10-यद काका क गाव म मीडया पहच जाती तो सबक पोल खल जाती महत व भाइय का

पदाफाश हो जाता अपहरण और जबरन अगठा लगवान क अपराध म उह जल हो जाती

अपना-अपना मोचा सभालना - अपनी िजमदार नबाहना

आसमान स जमीन पर गरना -उच िथत स नन िथत पर आना

खल कर बात करना- बना सकच क बात करना |

चपत हो जाना ndash भाग जाना |

जी-जान स जट जाना ndash खब महनत करना

िजतन मह उतनी बात होना- कई तरह क बात करना |

ततर-बतर होना ndash बखर जाना |

त-त म -म होना -झगड़ा होना |

नमक-मच लगाना- बढ़ा-चढ़कर कहना|

बात बनाना- बहान बनाना|

रग चढ़ना- असर होना|

मह न खोलना ndash कछ न बताना |

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पय-भाग

पाठ-4

मनयता ndashमथलशरण गत

-लखक का परचय-

-पाठ का सार व पिटकरण-

कत क अय ाणय क तलना म मनय म सोचन क शित अधक होती ह

वह अपन ह नह दसर क सख - दःख का भी याल रखता ह और दसर क लए

कछ करन म समथ होता ह जानवर जब चरागाह म जात ह तो कवल अपन लए

चर कर आत ह परत मनय ऐसा नह ह वह जो कछ भी कमाता ह जो कछ भी

बनाता ह वह दसर क लए भी करता ह और दसर क सहायता स भी करता ह

तत पाठ का कव अपन क सख - दःख क चता करन वाल को मनय तो

मानता ह परत यह मानन को तयार नह ह क उन मनय म मनयता क सार

गण होत ह कव कवल उन मनय को महान मानता ह जो अपन क सख - दःख

स पहल दसर क चता करत ह वह मनय म ऐस गण चाहता ह िजसक कारण

कोई भी मनय इस मयलोक स चल जान क बाद भी सदय तक दसर क याद म

रहता ह अथात वह मय क बाद भी अमर रहता ह

-पाठ सार-

इस कवता म कव मनयता का सह अथ समझान का यास कर रहा ह पहल

भाग म कव कहता ह क मय स नह डरना चाहए यक मय तो निचत ह पर

हम ऐसा कछ करना चाहए क लोग हम मय क बाद भी याद रख असल मनय

वह ह जो दसर क लए जीना व मरना सीख ल दसर भाग म कव कहता ह क

हम उदार बनना चाहए यक उदार मनय का हर जगह गण गान होता ह मनय

वह कहलाता ह जो दसर क चता कर तीसर भाग म कव कहता ह क पराण

म उन लोग क बहत उदाहरण ह िजह उनक याग भाव क लए आज भी याद

कया जाता ह सचा मनय वह ह जो याग भाव जान ल चौथ भाग म कव

कहता ह क मनय क मन म दया और कणा का भाव होना चाहए मनय वह

कहलाता ह जो दसर क लए मरता और जीता ह पाचव भाग म कव कहना चाहता

ह क यहा कोई अनाथ नह ह यक हम सब उस एक ईवर क सतान ह हम

भदभाव स ऊपर उठ कर सोचना चाहएछठ भाग म कव कहना चाहता ह क हम

दयाल बनना चाहए यक दयाल और परोपकार मनय का दवता भी वागत करत

ह अतः हम दसर का परोपकार व कयाण करना चाहएसातव भाग म कव कहता

ह क मनय क बाहर कम अलग अलग हो परत हमार वद साी ह क सभी क

आमा एक ह हम सब एक ह ईवर क सतान ह अतः सभी मनय भाई -बध ह

और मनय वह ह जो दःख म दसर मनय क काम आयअतम भाग म कव

कहना चाहता ह क वप और वन को हटात हए मनय को अपन चन हए रात

पर चलना चाहए आपसी समझ को बनाय रखना चाहए और भदभाव को नह

बढ़ाना चाहए ऐसी सोच वाला मनय ह अपना और दसर का कयाण और उधार

कर सकता ह

-याया

1-वचार लो क मय हो न मय स डरो कभी

मरो परत य मरो क याद जो कर सभी

हई न य समय तो वथा मर वथा िजए

मारा नह वह क जो िजया न आपक लए

वह पश- वत ह क आप आप ह चर

वह मनय ह क जो मनय क लए मर

सग - तत कवता हमार पाय पतक पश भाग -2 स ल गई ह इसक

कव मथलशरण गत ह इन पितओ म कव बताना चाहता ह क मनय को

कसा जीवन जीना चाहए

याया - कव कहता ह क हम यह जान लना चाहए क मय का होना निचत

ह हम मय स नह डरना चाहए कव कहता ह क हम कछ ऐसा करना चाहए क

लोग हम मरन क बाद भी याद रख जो मनय दसर क लए कछ भी ना कर सक

उनका जीना और मरना दोन बकार ह मर कर भी वह मनय कभी नह मरता जो

अपन लए नह दसर क लए जीता ह यक अपन लए तो जानवर भी जीत ह

कव क अनसार मनय वह ह जो दसर मनय क लए मर अथात जो मनय दसर

क चता कर वह असल मनय कहलाता ह

2-उसी उदार क कथा सरवती बखानती

उसी उदार स धरा कताथ भाव मानती

उसी उदार क सदा सजीव कत कजती

तथा उसी उदार को समत सिट पजती

अखड आम भाव जो असीम वव म भर

वह मनय ह क जो मनय क लए मर

सग - तत कवता हमार पाय पतक पश भाग -2 स ल गई ह इसक

कव मथलशरण गत ह इन पितओ म कव बताना चाहता ह क जो मनय

दसर क लए जीत ह उनका गणगान यग - यग तक कया जाता ह

याया - कव कहता ह क जो मनय अपन पर जीवन म दसर क चता करता

ह उस महान यित क कथा का गण गान सरवती अथात पतक म कया जाता

ह पर धरती उस महान यित क आभार रहती ह उस यित क बातचीत

हमशा जीवत यित क तरह क जाती ह और पर सिट उसक पजा करती ह

कव कहता ह क जो यित पर ससार को अखड भाव और भाईचार क भावना म

बाधता ह वह यित सह मायन म मनय कहलान योय होता ह

3-धात रतदव न दया करथ थाल भी

तथा दधीच न दया पराथ अिथजाल भी

उशीनर तीश न वमास दान भी कया

सहष वीर कण न शरर-चम भी दया

अनय दह क लए अनाद जीव या डर

वह मनय ह क जो मनय क लए मर

सग - तत कवता हमार पाय पतक पश भाग -2 स ल गई ह इसक

कव मथलशरण गत ह इन पितओ म कव न महान पष क उदाहरण दए ह

िजनक महानता क कारण उह याद कया जाता ह

याया - कव कहता ह क पौराणक कथाए ऐस यितओ क उदाहरण स भर

पड़ी ह िजहन अपना परा जीवन दसर क लए याग दया िजस कारण उह आज

तक याद कया जाता ह भख स परशान रतदव न अपन हाथ क आखर थाल भी

दान कर द थी और महष दधीच न तो अपन पर शरर क हडया व बनान क

लए दान कर द थी उशीनर दश क राजा शब न कबतर क जान बचान क लए

अपना परा मास दान कर दया था वीर कण न अपनी ख़शी स अपन शरर का

कवच दान कर दया था कव कहना चाहता ह क मनय इस नवर शरर क लए

य डरता ह यक मनय वह कहलाता ह जो दसर क लए अपन आप को याग

दता ह

4-सहानभत चाहए महावभत ह यह

वशीकता सदव ह बनी हई वय मह

वधभाव बध का दया-वाह म बहा

वनीत लोकवग या न सामन झका रहा

अहा वह उदार ह परोपकार जो कर

वह मनय ह क जो मनय क लए मर

सग - तत कवता हमार पाय पतक पश भाग -2 स ल गई ह इसक

कव मथलशरण गत ह इन पितओ म कव न महामा बध का उदाहरण दत

हए दया कणा को सबस बड़ा धन बताया ह

याया - कव कहता ह क मनय क मन म दया व कणा का भाव होना चाहए

यह सबस बड़ा धन ह वय ईवर भी ऐस लोग क साथ रहत ह इसका सबस

बड़ा उदाहरण महामा बध ह िजनस लोग का दःख नह दखा गया तो व लोक

कयाण क लए दनया क नयम क वध चल गए इसक लए या परा ससार

उनक सामन नह झकता अथात उनक दया भाव व परोपकार क कारण आज भी

उनको याद कया जाता ह और उनक पजा क जाती ह महान उस को कहा जाता ह

जो परोपकार करता ह वह मनय मनय कहलाता ह जो मनय क लए जीता ह

और मरता ह

5-रहो न भल क कभी मदाघ तछ व म

सनाथ जान आपको करो न गव च म

अनाथ कौन ह यहा लोकनाथ साथ ह

दयाल दन बध क बड़ वशाल हाथ ह

अतीव भायहन ह अधीर भाव जो कर

वह मनय ह क जो मनय क लए मर

सग - तत कवता हमार पाय पतक पश भाग -2 स ल गई ह इसक

कव मथलशरण गत ह इन पितओ म कव कहता ह क सपत पर कभी

घमड नह करना चाहए और कसी को अनाथ नह समझना चाहए यक ईवर

सबक साथ ह

याया - कव कहता ह क भल कर भी कभी सप या यश पर घमड नह करना

चाहए इस बात पर कभी गव नह करना चाहए क हमार साथ हमार अपन का

साथ ह यक कव कहता ह क यहा कौन सा यित अनाथ ह उस ईवर का

साथ सब क साथ ह वह बहत दयावान ह उसका हाथ सबक ऊपर रहता ह कव

कहता ह क वह यित भायहन ह जो इस कार का उतावलापन रखता ह यक

मनय वह यित कहलाता ह जो इन सब चीज स ऊपर उठ कर सोचता ह

6-अनत अतर म अनत दव ह खड़

सम ह वबाह जो बढ़ा रह बड़-बड़

परपरावलब स उठो तथा बढ़ो सभी

अभी अमय-अक म अपक हो चढ़ो सभी

रहो न या क एक स न काम और का सर

वह मनय ह क जो मनय क लए मर

सग - तत कवता हमार पाय पतक पश भाग -2 स ल गई ह इसक

कव मथलशरण गत ह इन पितओ म कव कहता ह क कलक रहत रहन व

दसर का सहारा बनन वाल मवषय का दवता भी वागत करत ह

याया - कव कहता ह क उस कभी न समात होन वाल आकाश म असय

दवता खड़ ह जो परोपकार व दयाल मनय का सामन स खड़ होकर अपनी भजाओ

को फलाकर वागत करत ह इसलए दसर का सहारा बनो और सभी को साथ म

लकर आग बड़ो कव कहता ह क सभी कलक रहत हो कर दवताओ क गोद म

बठो अथात यद कोई बरा काम नह करोग तो दवता तह अपनी गोद म ल लग

अपन मतलब क लए नह जीना चाहए अपना और दसर का कयाण व उधार

करना चाहए यक इस मरणशील ससार म मनय वह ह जो मनय का कयाण

कर व परोपकार कर

7-मनय माा बध ह यह बड़ा ववक ह

पराणपष वयभ पता सध एक ह

फलानसार कम क अवय बाय भद ह

परत अतरय म माणभत वद ह

अनथ ह क बध ह न बध क यथा हर

वह मनय ह क जो मनय क लए मर

सग - तत कवता हमार पाय पतक पश भाग -2 स ल गई ह इसक

कव मथलशरण गत ह इन पितओ म कव कहता ह क हम सब एक ईवर क

सतान ह अतः हम सभी मनय एक - दसर क भाई - बध ह

याया - कव कहता ह क यक मनय एक दसर क भाई - बध ह यह सबस

बड़ी समझ ह पराण म िजस वय उपन पष मना गया ह वह परमामा या

ईवर हम सभी का पता ह अथात सभी मनय उस एक ईवर क सतान ह

बाहर कारण क फल अनसार यक मनय क कम भल ह अलग अलग ह परत

हमार वद इस बात क साी ह क सभी क आमा एक ह कव कहता ह क यद

भाई ह भाई क दःख व कट का नाश नह करगा तो उसका जीना यथ ह यक

मनय वह कहलाता ह जो बर समय म दसर मनय क काम आता ह

8-चलो अभीट माग म सहष खलत हए

वपवन जो पड़ उह ढकलत हए

घट न हलमल हा बढ़ न भनता कभी

अतक एक पथ क सतक पथ ह सभी

तभी समथ भाव ह क तारता हआ तर

वह मनय ह क जो मनय क लए मर

सग - तत कवता हमार पाय पतक पश भाग -2 स ल गई ह इसक

कव मथलशरण गत ह इन पितओ म कव कहता ह क यद हम ख़शी ससार

कट को हटत हए भदभाव रहत रहग तभी सभव ह क समाज क उनत होगी

याया - कव कहता ह क मनय को अपनी इछा स चन हए माग म ख़शी

ख़शी चलना चाहएरात म कोई भी सकट या बाधाए आय उह हटात चल जाना

चाहए मनय को यह यान रखना चाहए क आपसी समझ न बगड़ और भद

भाव न बड़ बना कसी तक वतक क सभी को एक साथ ल कर आग बढ़ना चाहए

तभी यह सभव होगा क मनय दसर क उनत और कयाण क साथ अपनी

समध भी कायम कर

-ननलखत न क उर दिजय ndash

1-कव न कसी मय को समय कहा ह

1-कव न ऐसी मय को समय कहा ह िजसम मनय अपन स पहल दसर क चता

करता ह और परोपकार क राह को चनता ह िजसस उस मरन क बाद भी याद कया

जाता ह

2-उदार यित क पहचान कस हो सकती ह

2- उदार यित परोपकार होता ह वह अपन स पहल दसर क चता करता ह और

लोक कयाण क लए अपना जीवन याग दता ह

3-कव न दधीच कण आद महान यितओ क उदाहरण द कर मनयता क लए

या उदाहरण दया ह

3- कव न दधीच कण आद महान यितओ क उदाहरण द कर मनयता क

लए यह सदश दया ह क परोपकार करन वाला ह असल मनय कहलान योय

होता ह मानवता क रा क लए दधीच न अपन शरर क सार अिथया दान कर

द थीकण न अपनी जान क परवाह कय बना अपना कवच द दया था िजस

कारण उह आज तक याद कया जाता ह कव इन उदाहरण क वारा यह

समझाना चाहता ह क परोपकार ह सची मनयता ह

4- कव न कन पितय म यह यत कया ह क हम गव - रहत जीवन यतीत

करना चाहए

4- कव न ननलखत पितय म गव रहत जीवन यतीत करन क बात कह ह-

रहो न भल क कभी मगाघ तछ व म

सनाथ जान आपको करो न गव च म

अथात सपत क घमड म कभी नह रहना चाहए और न ह इस बात पर गव

करना चाहए क आपक पास आपक अपन का साथ ह यक इस दनया म कोई

भी अनाथ नह ह सब उस परम पता परमवर क सतान ह

5- मनय मा बध ह स आप या समझत ह पट किजए

5- मनय मा बध ह अथात हम सब मनय एक ईवर क सतान ह अतः हम

सब भाई - बध ह भाई -बध होन क नात हम भाईचार क साथ रहना चाहए और

एक दसर का बर समय म साथ दना चाहए

6- कव न सबको एक होकर चलन क रणा य द ह

6- कव न सबको एक होकर चलन क रणा इसलए द ह ताक आपसी समझ न

बगड़ और न ह भदभाव बड़ सब एक साथ एक होकर चलग तो सार बाधाए मट

जाएगी और सबका कयाण और समध होगी

7- यित को कस तरह का जीवन यतीत करना चाहए इस कवता क आधार पर

लखए

7-मनय को परोपकार का जीवन जीना चाहए अपन स पहल दसर क दख क

चता करनी चाहए कवल अपन बार म तो जानवर भी सोचत ह कव क अनसार

मनय वह कहलाता ह जो अपन स पहल दसर क चता कर

8- मनयता कवता क वारा कव या सदश दना चाहता ह

8- मनयता कवता क मायम स कव यह सदश दना चाहता ह क परोपकार ह

सची मनयता ह परोपकार ह एक ऐसा साधन ह िजसक मायम स हम यग तक

लोगो क दल म अपनी जगह बना सकत ह और परोपकार क वारा ह समाज का

कयाण व समध सभव ह अतः हम परोपकार बनना चाहए ताक हम सह

मायन म मनय कहलाय

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-याकरण-

पदबध- परभाषा

पद- वाय स अलग रहन पर शद और वाय म यत हो जान पर शद

पद कहलात ह दसर शद म- वाय म यत शद पद कहलाता ह पदबध-

जब दो या अधक (शद) पद नयत म और निचत अथ म कसी पद का

काय करत ह तो उह पदबध कहत ह

पदबध क भद

मय पद क आधार पर पदबध क पाच कार होत ह-

(1) सा-पदबध (2) वशषण-पदबध

(3) सवनाम पदबध (4) या पदबध

(5) अयय पदबध

(1) सा-पदबध-

(a)चार ताकतवर मजदर इस भार चीज को उठा पाए

(b) राम न लका क राजा रावण को मार गराया

(c) अयोया क राजा दशरथ क चार प थ

(d) आसमान म उड़ता गबारा फट गया

2) वशषण पदबध-

a) तज चलन वाल गाड़या ायः दर स पहचती ह

(b) उस घर क कोन म बठा हआ आदमी जासस ह

(c) उसका घोड़ा अयत सदर फरतीला और आाकार ह

(d) बरगद और पीपल क घनी छाव स हम बहत सख मला

3) सवनाम पदबध-

(a)बजल-सी फरती दखाकर आपन बालक को डबन स बचा लया

(b)शरारत करन वाल छा म स कछ पकड़ गए

(c)वरोध करन वाल लोग म स कोई नह बोला

4) या पदबध-

(a) वह बाजार क ओर आया होगा

(b) मझ मोहन छत स दखाई द रहा ह

(c) सरश नद म डब गया

(d) अब दरवाजा खोला जा सकता ह

5) अयय पदबध-

(a)अपन सामान क साथ वह चला गया

(b)सबह स शाम तक वह बठा रहा

कसी भी भाषा क व शद अयय (Indeclinable या inflexible) कहलात ह िजनक प म

लग वचन पष कारक काल इयाद क कारण कोई वकार उप नह होता

चक अयय का पातर नह होता इसलए ऐस शद अवकार होत ह अयय का शािदक

अथ ह- जो यय न हो

(i) कालवाचक अयय- इनम समय का बोध होता ह जस- आज कल तरत पीछ पहल अब

जब तब कभी-कभी कब अब स नय जब स सदा स अभी तभी आजकल और कभी

उदाहरणाथ-

अब स ऐसी बात नह होगी

ऐसी बात सदा स होती रह ह

वह कब आया मझ पता नह

(ii) थानवाचक अयय- इसस थान का बोध होता ह जस- यहा वहा कहा जहा यहा स

वहा स इधर-उधर उदाहरणाथ-

वह यहा नह ह

वह कहा जायगा

वहा कोई नह ह

जहा तम हो वहा म ह

(iii) दशावाचक अयय- इसस दशा का बोध होता ह जस- इधर उधर िजधर दर पर अलग

दाहन बाए आरपार

(iv) िथतवाचक अयय- नीच ऊपर तल सामन बाहर भीतर इयाद

अयय क भद

अयय ननलखत चार कार क होत ह -

(1) यावशषण (Adverb)

(2) सबधबोधक (Preposition)

(3) समचयबोधक (Conjunction)

(4) वमयादबोधक (Interjection)

(1) यावशषण - िजन शद स या वशषण या दसर यावशषण क वशषता कट

हो उह यावशषण कहत ह

दसर शदो म- जो शद या क वशषता बतलात ह उह या वशषण कहा जाता ह

जस- राम धीर-धीर टहलता ह राम वहा टहलता ह राम अभी टहलता ह

इन वाय म धीर-धीर वहा और अभी राम क टहलन (या) क वशषता बतलात ह य

यावशषण अवकार वशषण भी कहलात ह इसक अतरत यावशषण दसर

यावशषण क भी वशषता बताता ह

वह बहत धीर चलता ह इस वाय म बहत यावशषण ह यक यह दसर यावशषण

धीर क वशषता बतलाता ह

या वशषण क कार

(1) योग क अनसार- (i) साधारण (ii) सयोजक (iii) अनबध

(2) प क अनसार- (i) मल यावशषण (ii) यौगक यावशषण (iii) थानीय यावशषण

(3) अथ क अनसार- (i) परमाणवाचक (ii) रतवाचक

(1) योग क अनसार यावशषण क भद

योग क अनसार यावशषण क तीन भद ह-

(i) साधारण यावशषण- िजन यावशषण का योग कसी वाय म वत होता ह

उह साधारण यावशषण कहा जाता ह

जस- हाय अब म या क बटा जद आओ अर साप कहा गया

(ii) सयोजक यावशषण- िजन यावशषण का सबध कसी उपवाय स रहता ह उह

सयोजक यावशषण कहा जाता ह

जस- जब रोहताव ह नह तो म ह जीकर या कगी जहा अभी सम ह वहा कसी

समय जगल था

(iii) अनबध यावशषण- िजन यावशषण क योग अवधारण (नचय) क लए कसी

भी शदभद क साथ होता हो उह अनबध यावशषण कहा जाता ह

जस- यह तो कसी न धोखा ह दया ह मन उस दखा तक नह

(2) प क अनसार यावशषण क भद

प क अनसार यावशषण क तीन भद ह-

(i) मल यावशषण- ऐस यावशषण जो कसी दसर शद क मल स नह बनत मल

यावशषण कहलात ह

जस- ठक दर अचानक फर नह

(ii) यौगक यावशषण- ऐस यावशषण जो कसी दसर शद म यय या पद जोड़न

पर बनत ह यौगक यावशषण कहलात ह

जस- मन स िजसस चपक स भल स दखत हए यहा तक झट स वहा पर यौगक

यावशषण सा सवनाम वशषण धात और अयय क मल स बनत ह

यौगक यावशषण नीच लख शद क मल स बनत ह-

(i) साओ क वित स- घर-घर घड़ी-घड़ी बीच-बीच हाथ-हाथ

(ii) दो भ साओ क मल स- दन-रात साझ-सबर घर-बाहर दश-वदश

(iii) वशषण क वित स- एक-एक ठक-ठक साफ-साफ

(iv) यावशषण क वित स- धीर-धीर जहा-तहा कब-कब कहा-कहा

(v) दो यावशषण क मल स- जहा-तहा जहा-कह जब-तब जब-कभी कल-परस आस-पास

(vi) दो भ या समान यावशषण क बीच न लगान स- कभी-न-कभी कछ-न-कछ

(vii) अनकरण वाचक शद क वित स- पटपट तड़तड़ सटासट धड़ाधड़

(viii) सा और वशषण क योग स- एक साथ एक बार दो बार

(ix) अय य और दसर शद क मल स- तदन यथाम अनजान आजम

(x) पवकालक कदत और वशषण क मल स- वशषकर बहतकर मयकर एक-एककर

(iii) थानीय यावशषण- ऐस यावशषण जो बना पातर क कसी वशष थान म

आत ह थानीय यावशषण कहलात ह

जस- वह अपना सर पढ़गा

वह दौड़कर चलत ह

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  • (1) अरथ की दषटि स शबद-भद13
  • (2) परयोग की दषटि स शबद-भद13
  • (3) उतपति की दषटि स शबद-भद13
  • 1) सवर सधि-13
  • परति+छवि=परतिचछवि दिक+अनत=दिगनत दिक+गज=दिगगज अन+छद=अनचछद अच +अनत = अजनत 13
  • 3)विसरग सधि - विसरग क साथ सवर या वयजन का मल होन पर जो विकार होता ह उस 13
  • विसरग सधि कहत ह 13
  • मन+रथ=मनोरथ यश+अभिलाषा=यशोभिलाषा अध+गति=अधोगति नि+छल=निशछल द +गम = दरगम 13
    • -पाठ सार-13
    • -वयाखया13
    • -निमनलिखित परशनो क उततर दीजिय ndash13
    • 1-कवि न कसी मतय को समतय कहा ह13
    • अवयय क भद13
    • करिया विशषण क परकार13
Page 15: Class –X HINDI JUNE SYLLABUS 2020 Chapters:- Ch-1-Sanchayan …punainternationalschool.com/assets/upload/ck-images/Std-10th=Jun… · -harihar kaka . पय-भाग पाठ-3

याकरण-सध

याया -1-सध शद का अथ ह lsquoमलrsquo दो नकटवत वण क आपसी मल स जो परवतन होता

ह उस सध कहलाता ह सम + तोष = सतोष दव + इ = दव भान + उदय = भानदय

सध तीन कार ह

1-वर सध

2- यजन सध

3- वसग सध

1) वर सध-

दो वर क आस -पास आन पर उनम जो परवतन होता ह उस वर सध कहत ह

जस ndash वया + आलय = वयालय

1) दघ वर सध

अ इ उ क बाद दघ अ इ उ आ जाए तो दोनो मलकर दघ सध आ ई ऊ हो जात

अ + आ = आ हम + आलय = हमालय

इ + ई = ई - गर + ईश = गरश

ई + इ = ई - मह + इ = मह

ई + ई = ई - नद + ईश = नदश

उ + ऊ = ऊ- लघ + ऊम = लघम

ऊ + उ = ऊ- वध + उसव = वधसव

ऊ + ऊ = ऊ - भ + ऊव = भव

2) गण वर सध -इस सध म अ आ क आग इ ई हो तो ए उ ऊ हो तो औ और

अगर ऋ हो तो अर हो जाता ह उस गण सध कहत ह

अ + इ = ए- नर + इ = नर अ + ई = ए- नर + ईश = नरश

आ + इ = ए- महा + इ = मह आ + ई = ए महा + ईश = महश

अ + उ = ओ ान + उपदश = ानोपदश आ+उ= ओ महा + उसव = महोसव

3) यण वर सध- इस सध म इ ई उ ऊ और ऋ क बाद कोई अलग वर आए

तो इनका परवतन मश य व और र म हो जाता ह

इ का य = इत +आद = इयाद ई का य = दवी +आवाहन = दयावाहन

उ का व = स +आगत = वागत ऊ का व = वध +आगमन = ववागमन

4) वध वर सध- आ + ए ऐ -gt ऐ

अ आ + ओ औ -gt औ

अ +ए =ऐ एक +एक = एकक अ +ऐ =ऐ मत +ऐय = मतय

अ +औ=औ परम +औषध = परमौषध आ +औ =औ महा +औषध = महौषध

आ +ओ =औ महा +ओघ = महौघ

5)अयाद वर सध- इस सध म ए ऐ और ओ औ क पशचात इह छोड़कर को

अय वर हो तो इनका परवतन मश अय आय अव आव म हो जाता ह )

ए का अय न +अन = नयन ऐ का आय न +अक = नायक

ओ का अव पो +अन = पवन औ का आव पौ +अन = पावन

न का परवतन ण म = ो +अन = वण

2)यजन सध- यजन क साथ वर अथवा यजन क मल स उस यजन म जो

पातरण होता ह उस यजन सध कहत ह

त+छव=तछव दक+अत=दगत

दक+गज=दगज अन+छद=अनछद

अच +अत = अजत

3)वसग सध - वसग क साथ वर या यजन का मल होन पर जो वकार होता ह उस

वसग सध कहत ह

मन+रथ=मनोरथ यश+अभलाषा=यशोभलाषा

अध+गत=अधोगत न+छल=नछल

द +गम = दगम

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गय-भाग

पाठ-12

(ततारा-वामीरो कथा )

(ललाधर मडलोई)

-लखक का परचय- ललाधर मडलोईमडलोई का जम भारतीय

राय मयदश क छदवाडा िजल क गढ़ नामक गाव म हआ मडलोई न भारत म बीए

बीएड (अज़ी) पाकारता म नातक और एमए (हद) तक शा हण कया और

इसक बाद व लदन चल गय जहा स सारण म उच-शा (सीआरट) हण क

मडलोई दरदशन आकाशवाणी क महानदशक सहत कई राय-अतरराय समतय क

साथ ह सार भारती बोड क सदय रह चक ह

-पाठ का सार-

जो सयता िजतनी अधक परानी होगी उतनी ह अधक कस -कहानया उसस जड़ी होती ह जो

हम सनन को मलती ह जो कस - कहानया हम सनन को मलती ह जर नह क वो उसी तरह

घटत हई हो िजस तरह वो हम सनाई जा रह हइतना जर होता ह क इन कस और कहानय

म कोई न कोई सीख छपी होती ह अदमान नकोबार वीपसमह म भी बहत तरह क कस -

कहानया मशहर ह इनम स कछ को ललाधर मडलोई न लखा ह

तत पाठ ततारा वामीरो कथा अडमान नकोबार वीप समह क एक छोट स वीप पर क त ह

उस वीप पर एक -दसर स शता का भाव अपनी अतम सीमा पर पहच चका था इस शता क

भावना को जड़ स उखाड़न क लए एक जोड़ को आमबलदान दना पड़ा था उसी जोड़ क बलदान

का वणन लखक न तत पाठ म कया ह

यार सबको एक साथ लाता ह और नफरत सब क बीच दरय को बढ़ाती हइस बात स भला कौन

इनकार कर सकता ह इसलए जो कोई भी समाज क लए अपन यार का अपन जीवन का

बलदान करता ह समाज न कवल उस याद रखता ह बिक उसक वारा कय गए याग और

बलदान को बकार नह जान दता यह वह कारण ह िजसक वजह स तकालन समाज क सामन

मसाल कायम करन वाल इस जोड़ को आज भी इस वीप क नवासी गव और धा स याद करत

-शदाथ-

-खला-म कड़ी -आदम ndashाभक

-वभत ndashबटा हआ -आमीय ndashअपना

-वलण ndashअसाधारण -बयार-मद हवा

त-एकाता -वकल-बचन

-सचार-उपन -असगत ndashअनचत

समोहतndash मध -झझलाना ndash चड़ना

-रोमाचत ndash पलकत -नचल- िथर

-अफवाह ndash उड़ती खबर -उफनना ndash उबाल आना

शमन ndashशात होना -घपना भकनाचभना

-न-उर-

1-ततारा और वामीरो क गाव क या थी

उर- ततारा और वामीरो क गाव क यह रत थी क ववाह क लए लड़क-लड़क का एक

ह गाव का होना जर था दसर गाव क यवक क साथ सबध असभव था

2-ततारा क तलवार क बार म लोग का या मत था

उर- ततारा क तलवार ययप लकड़ी क थी पर इसक बावजद लोग का मानना था क

उस तलवार म अभत दवीय शित थी ततारा तलवार को कभी अपन स अलग होन नह

दता था लोग यह मानत थ क ततारा अपन साहसक कारनाम इसी तलवार क कारण ह

कर पाता ह उसम बड़ी शित थी

3-नकोबार क लोग ततारा को य पसद करत थ

उर- नकोबार क लोग ततारा को उसक साहसी और परोपकार वभाव क कारण पसद करत

थ वह एक सदर और शितशाल यवक था वह सदा लोग क सहायता करता रहता था

ततारा एक नक और मददगार यित था वह अपन गाव वाल क ह नह समच

वीपवासय क सवा करना अपना धम समझता था सभी उसका आदर करत थ मसीबत

क घड़ी म वह लोग क पास तरत पहच जाता था

4- ाचीन काल म मनोरजन और शित-दशन क लए कस कार क आयोजन कए जात

उर- ाचीन काल म मनोरजन और शित-दशन क लए अ-श चलान सबधी

आयोजन तथा पश पव कए जात थ

5-lsquoततारा-वामीरो कथाrsquo का सदश पट किजए

उर- lsquoततारा-वामीरो कथाrsquo एक लोकगाथा ह इसम यह सदश दया गया ह क म को कसी

बधन जड़ता तथा सीमाओ म बाधना उचत नह ह यद कोई गाव दश या म को

पनपन क लए खला अवसर नह दता तो इसस सवनाश होता ह धरती म भदभाव बढ़त ह

पहल स बट हई धरती और अवसर नह दता तो इसस मानवता का य होता ह भावनाए

एक होन क बजाय खडत होती ह अतः गाव दश या अय सकण नयमो को तोड़कर

हम उदारता क साथ सबको अपनाना चाहए

7-नक ततारा और वामीरो क मय कस हई पठत पाठ क आधार पर लखए

उर- पश-पव क मौक पर ततारा और वामीरो को इकठा दखकर वामीरो क मा ोध म

उफन उठ उसन ततारा को तरह-तरह स अपमानत कया गाव क लोग भी ततारा क

वरोध म आवाज उठान लग यह ततारा क लए अहसनीय था वामीरो अब भी रोए जा रह

थी ततारा भी गस स भर उठा उस जहा ववाह क नषध परपरा पर ोभ था वह अपनी

असहायता पर खीझ वामीरो का दख उस और गहरा कर रहा था उस मालम नह था क

या कदम उठाना चाहए अनायास उसका हाथ तलवार क मढ़ पर जा टका ोध म उसन

तलवार नकाल और कछ वचार करता रहा ोध लगातार अिन क तरह बढ़ रहा था

लोग सहम उठ एक सनाटा-सा खच गया जब कोई राह न सझी तो ोध का शमन करन

क लए उसम शित भर उस धरती म घप दया और ताकत स उस खीचन लगा वह

पसीन स नहा उठा सब घबराए हए थ वह तलवार को अपनी तरफ खीचत-खीचत दर तक

पहच गया वह हाफ रहा था अचानक जहा एक लकर खच गई थी वहा एक दरार होन

लगी मानो धरती दो टकड़ो म बटन लगी हो एक गड़गड़ाहट-सी गजन लगी और लकर क

सीध म धरती फटती ह जा रह थी वीप क अतम सर तक ततारा धरती को मानो ोध

म काटता जा रहा था सभी याकल हो उठ लोग न ऐस य क कपना न क थी व

सहर उठ उधर वामीरो फटती हई धरती क कनार ततारा का नाम पकारत हए दौड़ रह थी

वीप दो टकड़ म वभत हो चका था ततारा और वामीरो वीप क साथ सम म धस

गए और उमय हो गई

8-शाम क समय सम कनार ततारा क ाकतक अनभत का वणन किजए

उर- एक शाम ततारा दन-भर क अथक परम क बाद सम कनार टहलन नकल

पड़ा सरज सम स लग तज तल डबन को था सम स ठडी बयार आ रह थी

पय क सायकालन चाहचाहाहट शनः शनः ीण ह को थी उसका मन शात था

वचारमन ततारा सम बाल पर बठकर सरज क अतम रग-बरगी करण को सम

पर नहारन लगा तभी कह पास म उस मधर गीत गजता सनाई दया गीत मान

बहता हआ उसक तरफ आ रहा हो बीच-बीच म लहर का सगीत सनाई दता गायन

भावी था क वह अपनी सध-बध खोन लगा लहर क एक बल वग न उसक ता भग

क चतय होत ह वह उधर बढ़न को ववश हो उठा िजधर स अब भी गीत क वर बह

रह थ वह वकल-सा उस तरफ़ बढ़ता गया अततः उसक नजर एक यवती पर पड़ी जो

ढलती हई शाम क सदय म बसध एकटक सम क दह पर डबत आकषक रगो को

नहारत हए गा रह थी यह एक शगार गीत था

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Vyakr`-vaKy-

bull वाय क सामन दए कोठक म ( radic का चह लगाकर बताए क वह वाय कस

कार का ह

क) नकोबार उस बहद म करत थ (नवाचक वधानवाचक नषधामक

वमयादबोधक)

ख) तमन एकाएक इतना मधर गाना अधरा य छोड़ दया नवाचक

वधानवाचक नषधामक वमयादबोधक)

ग) वामीरो क मा ोध म उफन उठ (नवाचक वधानवाचक नषधामक

वमयादबोधक)

घ) या तह गाव का नयम नह मालम नवाचक वधानवाचक नषधामक

वमयादबोधक)

ङ) वाह कतना सदर नाम ह (नवाचक वधानवाचक नषधामक

वमयादबोधक)

च) म तहारा राता छोड़ दगा

वमयादबोधक)

उर- क) वधानवाचक

ग) वधानवाचक

ङ) वमयादबोध

Ocirc-इस पाठ म lsquo दखना lsquo या क कई प आए ह

शदयोग म या अतर ह

Ocirc-उर-

म तहारा राता छोड़ दगा (नवाचक वधानवाचक नषधामक

ख) नवाचक

घ) नवा

च) वधानवाचक

या क कई प आए ह lsquo दखना lsquo क इन वभन

वाययोग वारा पट किजए

नषधामक

नवाचक

वधानवाचक

क इन वभन

-वाय क उदाहरण-

सचयन-भाग

पाठ-1 (हरहर काका )

-शदाथ -

तबयत - शरर क िथत यणा - यातना कलश कट

मनःिथत - मन क िथत चद - कछ

आसित ndash लगाव यावहारक - यावहार सबधी

वचारक - वचार सबधी दलार - यार

सयाना - यक बधमान तीा - इतज़ार

फ़लहाल - अभी इस समय मझधार - बीच म

वलन - लत हो जाना वकप - दसरा उपाय

चलत ndash चलनसार जात - जगाना

कलवर - शरर मनौती - मनत

परपरा - था णाल अधकाश - यादातर

समत ndash सथा सचालन - नयण चलाना

नयित - तनाती लगाया गया वमख - तकल

चपट - आघात हार अहाता-चार ओर स दवार स घरा हआ मदान

अखड ndash नवन वफोट - फट कर बाहर नकलना

आगमन - आन पर उपलय - सकत

सराहना ndash शसा निचत - बफ

-लखक का परचय-मथलवर का जम 31 दसबर 1950 को बहार क

भोजपर िजल क बसाडीह नामक गाव म हआ इनक पता व० ो० वशरोपन लाल थ

मथलवर क पता (ो० वशरोपन लाल) भी वलण तभा क धनी थ परत उनक

असाय बीमार न मथलवर क जीवन म आरभ स ह कठन सघष क बीज बो दय थ

पाठ सार-

लखक कहता ह क वह हरहर काका क साथ बहत गहर स जड़ा था लखक का हरहर

काका क त जो यार था वह लखक का उनक यावहार क और उनक वचार क कारण

था और उसक दो कारण थ पहला कारण था क हरहर काका लखक क पड़ोसी थ और

दसरा कारण लखक को उनक मा न बताया था क हरहर काका लखक को बचपन स ह

बहत यादा यार करत थ जब लखक यक हआ तो उसक पहल दोती भी हरहर काका

क साथ ह हई थी लखक क गाव क पव दशा म ठाकर जी का वशाल मदर था िजस

गाव क लोग ठाकरबार यान दवथान कहत थ लोग ठाकर जी स प क मनत मागत

मक़दम म जीत लड़क क शाद कसी अछ घर म हो जाए लड़क को नौकर मल जाए

आद मनत मागत थ मनत पर होन पर लोग अपनी ख़शी स ठाकरजी को पए ज़वर

और अनाज चढ़ाया करत थ िजसको बहत अधक ख़शी होती थी वह अपन खत का छोटा-

सा भाग ठाकरजी क नाम कर दता था और यह एक तरह स था ह बन गई लखक कहता

ह क उसका गाव अब गाव क नाम स नह बिक दव-थान क वजह स ह पहचाना जाता

था उसक गाव का यह दव-थान उस इलाक का सबस बड़ा और सध दवथान था

हरहर काका न अपनी परिथतओ क कारण दव-थान म जाना बद कर दया था मन

बहलान क लए लखक भी कभी-कभी दव-थान चला जाता था लकन लखक कहता ह क

वहा क साध-सत उस बलकल भी पसद नह थ यक व काम करन म कोई दलचपी

नह रखत थ भगवान को भोग लगान क नाम पर व दन क दोन समय हलवा-पड़ी

बनवात थ और आराम स पड़ रहत थ सारा काम वहा आए लोग स सवा करन क नाम पर

करवात थ व खद अगर कोई काम करत थ तो वो था बात बनवान का काम

लखक हरहर काका क बार म बताता हआ कहता ह क हरहर काका और उनक तीन भाई

ह सबक शाद हो चक ह हरहर काका क अतरत सभी तीन भाइय क बाल-बच ह

कछ समय तक तो हरहर काका क सभी चीज़ का अछ स यान रखा गया परत फर

कछ दन बाद हरहर काका को कोई पछन वाला नह था लखक कहता ह क अगर कभी

हरहर काका क शरर क िथत ठक नह होती तो हरहर काका पर मसीबत का पहाड़ ह

गर जाता यक इतन बड़ परवार क रहत हए भी हरहर काका को कोई पानी भी नह

पछता था बारामद क कमर म पड़ हए हरहर काका को अगर कसी चीज़ क जरत होती

तो उह खद ह उठना पड़ता एक दन उनका भतीजा शहर स अपन एक दोत को घर ल

आया उह क आन क ख़शी म दो-तीन तरह क सिज़या बजक चटनी रायता और भी

बहत कछ बना था सब लोग न खाना खा लया और हरहर काका को कोई पछन तक नह

आया हरहर काका गस म बरामद क ओर चल पड़ और जोर-जोर स बोल रह थ क

उनक भाई क पिनया या यह सोचती ह क व उह मत म खाना खला रह ह उनक

खत म उगन वाला अनाज भी इसी घर म आता ह

हरहर काका क गस का महत जी न लाभ उठान क सोची महत जी हरहर काका को

अपन साथ दव-थान ल आए और हरहर काका को समझान लग क उनक भाई का परवार

कवल उनक जमीन क कारण उनस जड़ा हआ ह कसी दन अगर हरहर काका यह कह द

क व अपन खत कसी और क नाम लख रह ह तो व लोग तो उनस बात करना भी बद

कर दग खन क रत ख़म हो जायग महत हरहर काका स कहता ह क उनक हस म

िजतन खत ह व उनको भगवान क नाम लख द ऐसा करन स उह सीध वग क ाित

होगी

सबह होत ह हरहर काका क तीन भाई दव-थान पहच गए तीन हरहर काका क पाव म

गर कर रोन लग और अपनी पिनय क गलती क माफ़ मागन लग और कहन लग क

व अपनी पिनय को उनक साथ कए गए इस तरह क यवहार क सज़ा दग हरहर काका

क मन म दया का भाव जाग गया और व फर स घर वापस लौट कर आ गए जब अपन

भाइय क समझान क बाद हरहर काका घर वापस आए तो घर म और घर वाल क

यवहार म आए बदलाव को दख कर बहत खश हो गए घर क सभी छोट-बड़ सभी लोग

हरहर काका का आदर-सकार करन लग

गाव क लोग जब भी कह बठत तो बात का ऐसा सलसला चलता िजसका कोई अत नह

था हर जगह बस उह क बात होती थी कछ लोग कहत क हरहर काका को अपनी

जमीन भगवान क नाम लख दनी चाहए इसस उम और अछा कछ नह हो सकता

इसस हरहर काका को कभी न ख़म होन वाल सध ात होगी इसक वपरत कछ

लोग क यह मानत थ क भाई का परवार भी तो अपना ह परवार होता ह अपनी

जायदाद उह न दना उनक साथ अयाय करना होगा हरहर काका क भाई उनस ाथना

करन लग क व अपन हस क जमीन को उनक नाम लखवा द इस वषय पर हरहर

काका न बहत सोचा और अत म इस परणाम पर पहच क अपन जीत-जी अपनी जायदाद

का वामी कसी और को बनाना ठक नह होगा फर चाह वह अपना भाई हो या मदर का

महत यक उह अपन गाव और इलाक क व कछ लोग याद आए िजहन अपनी िजदगी

म ह अपनी जायदाद को अपन रतदार या कसी और क नाम लखवा दया था उनका

जीवन बाद म कसी क क तरह हो गया था उह कोई पछन वाला भी नह था हरहर

काका बलकल भी पढ़-लख नह थ परत उह अपन जीवन म एकदम हए बदलाव को

समझन म कोई गलती नह हई और उहन फसला कर लया क व जीत-जी कसी को भी

अपनी जमीन नह लखग

लखक कहता ह क जस-जस समय बीत रहा था महत जी क परशानया बढ़ती जा

रह थी उह लग रहा था क उहन हरहर काका को फसान क लए जो जाल फ का

था हरहर काका उसस बाहर नकल गए ह यह बात महत जी को सहन नह हो रह

थी आधी रात क आस-पास दव-थान क साध-सत और उनक कछ साथी भाला

गड़ासा और बदक क साथ अचानक ह हरहर काका क आगन म आ गए इसस

पहल हरहर काका क भाई कछ सोच और कसी को अपनी सहायता क लए आवाज

लगा कर बलाए तब तक बहत दर हो गई थी हमला करन वाल हरहर काका को

अपनी पीठ पर डाल कर कह गायब हो गए थव हरहर काका को दव-थान ल गए

थ एक ओर तो दव-थान क अदर जबरदती हरहर काका क अगठ का नशान लन

और पकड़कर समझान का काम चल रहा था तो वह दसर ओर हरहर काका क

तीन भाई सबह होन स पहल ह पलस क जीप को लकर दव-थान पर पहच गए

थ महत और उनक साथय न हरहर काका को कमर म हाथ और पाव बाध कर

रखा था और साथ ह साथ उनक मह म कपड़ा ठसा गया था ताक व आवाज़ न कर

सक परत हरहर काका दरवाज़ तक लढ़कत हए आ गए थ और दरवाज़ पर अपन

पर स धका लगा रह थ ताक बाहर खड़ उनक भाई और पलस उह बचा सक

दरवाज़ा खोल कर हरहर काका को बधन स मत कया गया हरहर काका न

पलस को बताया क व लोग उह उस कमर म इस तरह बाध कर कह गत

दरवाज़ स भाग गए ह और उहन कछ खल और कछ लख हए कागज पर हरहर

काका क अगठ क नशान जबरदती लए ह

यह सब बीत जान क बाद हरहर काका फर स अपन भाइय क परवार क साथ रहन लग

गए थ चौबीस घट पहर दए जान लग थ यहा तक क अगर हरहर काका को कसी

काम क कारण गाव म जाना पड़ता तो हथयार क साथ चार-पाच लोग हमशा ह उनक

साथ रहन लग लखक कहता ह क हरहर काका क साथ जो कछ भी हआ था उसस हरहर

काका एक सीध-साद और भोल कसान क तलना म चालाक और बधमान हो गए थ

उह अब सब कछ समझ म आन लगा था क उनक भाइय का अचानक स उनक त जो

यवहार परवतन हो गया था उनक लए जो आदर-समान और सरा व दान कर रह थ

वह उनका कोई सग भाइय का यार नह था बिक व सब कछ उनक धन-दौलत क कारण

कर रह ह नह तो व हरहर काका को पछत तक नह जब स हरहर काका दव-थान स

वापस घर आए थ उसी दन स ह हरहर काका क भाई और उनक दसर नात-रतदार

सभी यह सोच रह थ क हरहर काका को क़ाननी तरक स उनक जायदाद को उनक

भतीज क नाम कर दना चाहए यक जब तक हरहर काका ऐसा नह करग तब तक

महत क तज़ नज़र उन पर टक रहगी जब हरहर काका क भाई हरहर काका को

समझात-समझात थक गए तो उहन हरहर काका को डाटना और उन पर दवाब डालना

श कर दया एक रात हरहर काका क भाइय न भी उसी तरह का यवहार करना श

कर दया जसा महत और उनक सहयोगय न कया था उह धमकात हए कह रह थ क

ख़शी-ख़शी कागज़ पर जहा-जहा जरत ह वहा-वहा अगठ क नशान लगत जाओ नह तो व

उह मार कर वह घर क अदर ह गाड़ दग और गाव क लोगो को इस बार म कोई सचना

भी नह मलगी हरहर काका क साथ अब उनक भाइय क मारपीट श हो गई जब

हरहर काका अपन भाइय का मकाबला नह कर पा रह थ तो उहन ज़ोर-ज़ोर स

चलाकर अपनी मदद क लए गाव वाल को आवाज लगाना श कर दया तब उनक

भाइय को यान आया क उह हरहर काका का मह पहल ह बद करना चाहए था उहन

उसी पल हरहर काका को जमीन पर पटका और उनक मह म कपड़ा ठस दया लकन तब

तक बहत दर हो गई थी हरहर काका क आवाज बाहर गाव म पहच गई थी हरहर काका

क परवार और रत-नात क लोग जब तक गाव वाल कोसमझात क यह सब उनक

परवार का आपसी मामला ह व सभी इसस दर रह तब तक महत जी बड़ी ह दता और

तज़ी स वहा पलस क जीप क साथ आ गए पलस न पर घर क अछ स तलाशी लना

श कर दया फर घर क अदर स हरहर काका को इतनी बर हालत म हासल कया गया

िजतनी बर हालत उनक दव-थान म भी नह हई थी हरहर काका न बताया क उनक

भाइय न उनक साथ बहत ह यादा बरा यवहार कया ह जबरदती बहत स कागज पर

उनक अगठ क नशान ल लए ह उह बहत यादा मारा-पीटा ह

इस घटना क बाद हरहर काका अपन परवार स एकदम अलग रहन लग थ उह उनक

सरा क लए चार राइफलधार पलस क जवान मल थ आचय क बात तो यह ह क

इसक लए उनक भाइय और महत क ओर स काफ़ यास कए गए थ असल म भाइय

को चता थी क हरहर काका अकल रहन लगग तो दव-थान क महत-पजार फर स

हरहर काका को बहला-फसला कर ल जायग और जमीन दव-थान क नाम करवा लग और

यह चता महत जी को भी थी क हरहर काका को अकला और असरत पा उनक भाई

फर स उह पकड़ कर मारग और जमीन को अपन नाम करवा लग लखक कहता ह क

हरहर काका स जड़ी बहत सी ख़बर गाव म फल रह थी जस-जस दन बड़ रह थ वस-वस

डर का मौहोल बन रहा था सभी लोग सफ यह सोच रह थ क हरहर काका न अमत तो

पया हआ ह नह तो मरना तो उनको एक दन ह ह और जब व मरग तो पर गाव म

तफ़ान आ जाएगा यक महत और हरहर काका क परवार क बीच जमीन को ल कर

लड़ाई हो जायगी

पलस क जवान हरहर काका क खच पर ह खब मौज-मती स रह रह थ िजसका धन

वह रह उपास खान वाल कर वलास अथात हरहर काका क पास धन था लकन उनक लए

अब उसका कोई महव नह था और पलस वाल बना कसी कारण स ह हरहर काका क

धन स मौज कर रह थ अब तक जो नह खाया था दोन वत उसका भोग लगा रह थ

-नोर-

1-कथावाचक और हरहर काका क बीच या सबध ह और इसक या कारण ह

1-कथावाचक जब छोटा था तब स ह हरहर काका उस बहत यार करत थ जब वह बड़ हो

गए तो वह हरहर काका क म बन गए गाव म इतनी गहर दोती और कसी स नह

हई हरहर काका उनस खल कर बात करत थ यह कारण ह क कथावाचक को उनक

एक-एक पल क खबर थी शायद अपना म बनान क लए काका न वय ह उस यार स

बड़ा कया और इतजार कया

2-हरहर काका को महत और भाई एक ह णी क य लगन लग

2-हरहर काका को अपन भाइय और महत म कोई अतर नह लगा दोन एक ह णी क

लग उनक भाइय क पिनय न कछ दन तक तो हरहर काका का यान रखा फर

बचीकची रोटया द नाता नह दत थ बमार म कोई पछन वाला भी न था िजतना भी

उह रखा जा रहा था उनक ज़मीन क लए था इसी तरह महत न एक दन तो बड़ यार

स खातर क फर ज़मीन अपन ठाकर बाड़ी क नाम करन क लए कहन लग काका क

मना करन पर उह अनक यातनाए द अपहरण करवाया मह म कपड़ा ठस कर एक कोठर

म बद कर दया जबरदती अगठ का नशान लया गया तथा उह मारा पीटा गया इस

तरह दोन ह कवल ज़मीन जायदाद क लए हरहर काका स यवहार रखत थ अत उह

दोन एक ह णी क लग

3-ठाकर बाड़ी क त गाव वाल क मन म अपार धा क जो भाव ह उसस उनक कस

मनोव का पता चलता ह

3-कहा जाता ह गाव क लोग भोल होत ह असल म गाव क लोग अधववासी धमभी होत

ह मदर जस थान को पव नकलक ान का तीक मानत ह पजार परोहत महत

जस िजतन भी धम क ठकदार ह उनपर अगाध धा रखत ह व चाह कतन भी

पतत वाथ और नीच ह पर उनका वरोध करत व डरत ह इसी कारण ठाकर बाड़ी क

त गाव वाल क अपार धा थी उनका हर सख-दख उसस जड़ा था

4-अनपढ़ होत हए भी हरहर काका दनया क बहतर समझ रखत ह कहानी क आधार पर

पट किजए

4-हरहर काका अनपढ़ थ फर भी उह दनयादार क बहद समझ थी उनक भाई लोग

उनस ज़बरदती ज़मीन अपन नाम करान क लए डरात थ तो उह गाव म दखावा करक

ज़मीन हथयान वालो क याद आती ह काका न उह दखी होत दखा ह इसलए उहन

ठान लया था चाह महत उकसाए चाह भाई दखावा कर वह ज़मीन कसी को भी नह दग

एक बार महत क उकसान पर भाइय क त धोखा नह करना चाहत थ परत जब भाइय

न भी धोखा दया तो उह समझ म आ गया उनक त उह कोई यार नह ह जो यार

दखात ह वह कवल ज़ायदाद क लए ह

5-हरहर काका को जबरन उठा ल जान वाल कौन थ उहन उनक साथ कसा यवहार

कया

5-महत न हरहर काका को बहत लोभन दए िजसस वह अपनी ज़मीन जायदाद ठाकर

बाड़ी क नाम कर द परत काका इस बात क लए तयार नह थ व सोच रह थ क या

भगवान क लए अपन भाइय स धोखा क यह उह सह भी नह लग रहा था महत को

यह बात पता लगी तो उसन छल और बल स रात क समय अकल दालान म सोत हए

हरहर काका को उठवा लया महत न अपन चल साधसतो क साथ मलकर उनक हाथ पर

बाध दए मह म कपड़ा ठस दया और जबरदती अगठ क नशान लए उह एक कमर म

बद कर दया जब पलस आई तो वय गत दरवाज़ स भाग गए

6-हरहर काका क मामल म गाव वाल क या राय थी और उसक या कारण थ

6-कहानी क आधार पर गाव क लोग को बना बताए पता चल गया क हरहर काका को

उनक भाई नह पछत इसलए सख आराम का लोभन दकर महत उह अपन साथ ल

गया भाई मनत करक काका को वापस ल आत ह इस तरह गाव क लोग दो प म

बट गए कछ लोग महत क तरफ़ थ जो चाहत थ क काका अपनी ज़मीन धम क नाम पर

ठाकर बाड़ी को द द ताक उह सख आराम मल मय क बाद मो यश मल महत ानी

ह वह सब कछ जानता ह लकन दसर प क लोग कहत क ज़मीन परवार वालो को द

जाए उनका कहना था इसस उनक परवार का पट भरगा मदर को ज़मीन दना अयाय

होगा इस तरह दोन प अपन-अपन हसाब स सोच रह थ परत हरहर काका क बार म

कोई नह सोच रहा था इन बात का एक कारण यह भी था क काका वधर थ और उनक

कोई सतान भी नह थी पह बीघ ज़मीन क लए इनका लालच वाभवक था

7-कहानी क आधार पर पट किजए क लखक न यह य कहा अान क िथत म ह

मनय मय स डरत ह ान होन क बाद तो आदमी आवयकता पड़न पर मय को वरण

करन क लए तयार हो जाता ह

7-जब काका को असलयत पता चल और उह समझ म आ गया क सब लोग उनक

ज़मीन जायदाद क पीछ ह तो उह व सभी लोग याद आ गए िजहन परवार वालो क मोह

माया म आकर अपनी ज़मीन उनक नाम कर द और मय तक तलतल करक मरत

रह दान-दान को मोहताज़ हो गए इसलए उहन सोचा क इस तरह रहन स तो एक बार

मरना अछा ह जीत जी ज़मीन कसी को भी नह दग य लोग मझ एक बार म ह मार

द अत लखक न कहा क अान क िथत म मनय मय स डरता ह परत ान होन

पर मय वरण को तयार रहता ह

8-समाज म रत क या अहमयत ह इस वषय पर अपन वचार कट किजए

8-आज समाज म मानवीय मय तथा पारवारक मय धीर-धीर समात होत जा रह ह

यादातर यित अपन वाथ क लए रत नभात ह अपनी आवयकताओ क हसाब स

मलत ह अमीर रतदार का समान करत ह उनस मलन को आतर रहत ह जबक गरब

रतदार स कतरात ह कवल वाथ सध क अहमयत रह गई ह आए दन हम

अखबार म समाचार पढ़त ह क ज़मीन जाय़दाद पस जवर क लए लोग घनौन स घनौना

काय कर जात ह (हया अपहरण आद) इसी कार इस कहानी म भी पलस न पहचती तो

परवार वाल महत जी (काका क) हया ह कर दत उह यह अफसोस रहा क व काका को

मार नह पाए

9-यद आपक आसपास हरहर काका जसी हालत म कोई हो तो आप उसक कस कार

मदद करग

9-यद हमार आसपास हरहर काका जसी हालत म कोई हो तो हम उसक पर तरह मदद

करन क कोशश करग उनस मलकर उनक दख का कारण पता करग उह अहसास

दलाएग क व अकल नह ह सबस पहल तो यह ववास कराएग क सभी यित लालची

नह होत ह इस तरह मौन रह कर दसर को मौका न द बिक उलास स शष जीवन

बताए रतदार स मलकर उनक सबध सधारन का यन करग

10-हरहर काका क गाव म यद मीडया क पहच होती तो उनक या िथत होती अपन

शद म लखए

10-यद काका क गाव म मीडया पहच जाती तो सबक पोल खल जाती महत व भाइय का

पदाफाश हो जाता अपहरण और जबरन अगठा लगवान क अपराध म उह जल हो जाती

अपना-अपना मोचा सभालना - अपनी िजमदार नबाहना

आसमान स जमीन पर गरना -उच िथत स नन िथत पर आना

खल कर बात करना- बना सकच क बात करना |

चपत हो जाना ndash भाग जाना |

जी-जान स जट जाना ndash खब महनत करना

िजतन मह उतनी बात होना- कई तरह क बात करना |

ततर-बतर होना ndash बखर जाना |

त-त म -म होना -झगड़ा होना |

नमक-मच लगाना- बढ़ा-चढ़कर कहना|

बात बनाना- बहान बनाना|

रग चढ़ना- असर होना|

मह न खोलना ndash कछ न बताना |

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पय-भाग

पाठ-4

मनयता ndashमथलशरण गत

-लखक का परचय-

-पाठ का सार व पिटकरण-

कत क अय ाणय क तलना म मनय म सोचन क शित अधक होती ह

वह अपन ह नह दसर क सख - दःख का भी याल रखता ह और दसर क लए

कछ करन म समथ होता ह जानवर जब चरागाह म जात ह तो कवल अपन लए

चर कर आत ह परत मनय ऐसा नह ह वह जो कछ भी कमाता ह जो कछ भी

बनाता ह वह दसर क लए भी करता ह और दसर क सहायता स भी करता ह

तत पाठ का कव अपन क सख - दःख क चता करन वाल को मनय तो

मानता ह परत यह मानन को तयार नह ह क उन मनय म मनयता क सार

गण होत ह कव कवल उन मनय को महान मानता ह जो अपन क सख - दःख

स पहल दसर क चता करत ह वह मनय म ऐस गण चाहता ह िजसक कारण

कोई भी मनय इस मयलोक स चल जान क बाद भी सदय तक दसर क याद म

रहता ह अथात वह मय क बाद भी अमर रहता ह

-पाठ सार-

इस कवता म कव मनयता का सह अथ समझान का यास कर रहा ह पहल

भाग म कव कहता ह क मय स नह डरना चाहए यक मय तो निचत ह पर

हम ऐसा कछ करना चाहए क लोग हम मय क बाद भी याद रख असल मनय

वह ह जो दसर क लए जीना व मरना सीख ल दसर भाग म कव कहता ह क

हम उदार बनना चाहए यक उदार मनय का हर जगह गण गान होता ह मनय

वह कहलाता ह जो दसर क चता कर तीसर भाग म कव कहता ह क पराण

म उन लोग क बहत उदाहरण ह िजह उनक याग भाव क लए आज भी याद

कया जाता ह सचा मनय वह ह जो याग भाव जान ल चौथ भाग म कव

कहता ह क मनय क मन म दया और कणा का भाव होना चाहए मनय वह

कहलाता ह जो दसर क लए मरता और जीता ह पाचव भाग म कव कहना चाहता

ह क यहा कोई अनाथ नह ह यक हम सब उस एक ईवर क सतान ह हम

भदभाव स ऊपर उठ कर सोचना चाहएछठ भाग म कव कहना चाहता ह क हम

दयाल बनना चाहए यक दयाल और परोपकार मनय का दवता भी वागत करत

ह अतः हम दसर का परोपकार व कयाण करना चाहएसातव भाग म कव कहता

ह क मनय क बाहर कम अलग अलग हो परत हमार वद साी ह क सभी क

आमा एक ह हम सब एक ह ईवर क सतान ह अतः सभी मनय भाई -बध ह

और मनय वह ह जो दःख म दसर मनय क काम आयअतम भाग म कव

कहना चाहता ह क वप और वन को हटात हए मनय को अपन चन हए रात

पर चलना चाहए आपसी समझ को बनाय रखना चाहए और भदभाव को नह

बढ़ाना चाहए ऐसी सोच वाला मनय ह अपना और दसर का कयाण और उधार

कर सकता ह

-याया

1-वचार लो क मय हो न मय स डरो कभी

मरो परत य मरो क याद जो कर सभी

हई न य समय तो वथा मर वथा िजए

मारा नह वह क जो िजया न आपक लए

वह पश- वत ह क आप आप ह चर

वह मनय ह क जो मनय क लए मर

सग - तत कवता हमार पाय पतक पश भाग -2 स ल गई ह इसक

कव मथलशरण गत ह इन पितओ म कव बताना चाहता ह क मनय को

कसा जीवन जीना चाहए

याया - कव कहता ह क हम यह जान लना चाहए क मय का होना निचत

ह हम मय स नह डरना चाहए कव कहता ह क हम कछ ऐसा करना चाहए क

लोग हम मरन क बाद भी याद रख जो मनय दसर क लए कछ भी ना कर सक

उनका जीना और मरना दोन बकार ह मर कर भी वह मनय कभी नह मरता जो

अपन लए नह दसर क लए जीता ह यक अपन लए तो जानवर भी जीत ह

कव क अनसार मनय वह ह जो दसर मनय क लए मर अथात जो मनय दसर

क चता कर वह असल मनय कहलाता ह

2-उसी उदार क कथा सरवती बखानती

उसी उदार स धरा कताथ भाव मानती

उसी उदार क सदा सजीव कत कजती

तथा उसी उदार को समत सिट पजती

अखड आम भाव जो असीम वव म भर

वह मनय ह क जो मनय क लए मर

सग - तत कवता हमार पाय पतक पश भाग -2 स ल गई ह इसक

कव मथलशरण गत ह इन पितओ म कव बताना चाहता ह क जो मनय

दसर क लए जीत ह उनका गणगान यग - यग तक कया जाता ह

याया - कव कहता ह क जो मनय अपन पर जीवन म दसर क चता करता

ह उस महान यित क कथा का गण गान सरवती अथात पतक म कया जाता

ह पर धरती उस महान यित क आभार रहती ह उस यित क बातचीत

हमशा जीवत यित क तरह क जाती ह और पर सिट उसक पजा करती ह

कव कहता ह क जो यित पर ससार को अखड भाव और भाईचार क भावना म

बाधता ह वह यित सह मायन म मनय कहलान योय होता ह

3-धात रतदव न दया करथ थाल भी

तथा दधीच न दया पराथ अिथजाल भी

उशीनर तीश न वमास दान भी कया

सहष वीर कण न शरर-चम भी दया

अनय दह क लए अनाद जीव या डर

वह मनय ह क जो मनय क लए मर

सग - तत कवता हमार पाय पतक पश भाग -2 स ल गई ह इसक

कव मथलशरण गत ह इन पितओ म कव न महान पष क उदाहरण दए ह

िजनक महानता क कारण उह याद कया जाता ह

याया - कव कहता ह क पौराणक कथाए ऐस यितओ क उदाहरण स भर

पड़ी ह िजहन अपना परा जीवन दसर क लए याग दया िजस कारण उह आज

तक याद कया जाता ह भख स परशान रतदव न अपन हाथ क आखर थाल भी

दान कर द थी और महष दधीच न तो अपन पर शरर क हडया व बनान क

लए दान कर द थी उशीनर दश क राजा शब न कबतर क जान बचान क लए

अपना परा मास दान कर दया था वीर कण न अपनी ख़शी स अपन शरर का

कवच दान कर दया था कव कहना चाहता ह क मनय इस नवर शरर क लए

य डरता ह यक मनय वह कहलाता ह जो दसर क लए अपन आप को याग

दता ह

4-सहानभत चाहए महावभत ह यह

वशीकता सदव ह बनी हई वय मह

वधभाव बध का दया-वाह म बहा

वनीत लोकवग या न सामन झका रहा

अहा वह उदार ह परोपकार जो कर

वह मनय ह क जो मनय क लए मर

सग - तत कवता हमार पाय पतक पश भाग -2 स ल गई ह इसक

कव मथलशरण गत ह इन पितओ म कव न महामा बध का उदाहरण दत

हए दया कणा को सबस बड़ा धन बताया ह

याया - कव कहता ह क मनय क मन म दया व कणा का भाव होना चाहए

यह सबस बड़ा धन ह वय ईवर भी ऐस लोग क साथ रहत ह इसका सबस

बड़ा उदाहरण महामा बध ह िजनस लोग का दःख नह दखा गया तो व लोक

कयाण क लए दनया क नयम क वध चल गए इसक लए या परा ससार

उनक सामन नह झकता अथात उनक दया भाव व परोपकार क कारण आज भी

उनको याद कया जाता ह और उनक पजा क जाती ह महान उस को कहा जाता ह

जो परोपकार करता ह वह मनय मनय कहलाता ह जो मनय क लए जीता ह

और मरता ह

5-रहो न भल क कभी मदाघ तछ व म

सनाथ जान आपको करो न गव च म

अनाथ कौन ह यहा लोकनाथ साथ ह

दयाल दन बध क बड़ वशाल हाथ ह

अतीव भायहन ह अधीर भाव जो कर

वह मनय ह क जो मनय क लए मर

सग - तत कवता हमार पाय पतक पश भाग -2 स ल गई ह इसक

कव मथलशरण गत ह इन पितओ म कव कहता ह क सपत पर कभी

घमड नह करना चाहए और कसी को अनाथ नह समझना चाहए यक ईवर

सबक साथ ह

याया - कव कहता ह क भल कर भी कभी सप या यश पर घमड नह करना

चाहए इस बात पर कभी गव नह करना चाहए क हमार साथ हमार अपन का

साथ ह यक कव कहता ह क यहा कौन सा यित अनाथ ह उस ईवर का

साथ सब क साथ ह वह बहत दयावान ह उसका हाथ सबक ऊपर रहता ह कव

कहता ह क वह यित भायहन ह जो इस कार का उतावलापन रखता ह यक

मनय वह यित कहलाता ह जो इन सब चीज स ऊपर उठ कर सोचता ह

6-अनत अतर म अनत दव ह खड़

सम ह वबाह जो बढ़ा रह बड़-बड़

परपरावलब स उठो तथा बढ़ो सभी

अभी अमय-अक म अपक हो चढ़ो सभी

रहो न या क एक स न काम और का सर

वह मनय ह क जो मनय क लए मर

सग - तत कवता हमार पाय पतक पश भाग -2 स ल गई ह इसक

कव मथलशरण गत ह इन पितओ म कव कहता ह क कलक रहत रहन व

दसर का सहारा बनन वाल मवषय का दवता भी वागत करत ह

याया - कव कहता ह क उस कभी न समात होन वाल आकाश म असय

दवता खड़ ह जो परोपकार व दयाल मनय का सामन स खड़ होकर अपनी भजाओ

को फलाकर वागत करत ह इसलए दसर का सहारा बनो और सभी को साथ म

लकर आग बड़ो कव कहता ह क सभी कलक रहत हो कर दवताओ क गोद म

बठो अथात यद कोई बरा काम नह करोग तो दवता तह अपनी गोद म ल लग

अपन मतलब क लए नह जीना चाहए अपना और दसर का कयाण व उधार

करना चाहए यक इस मरणशील ससार म मनय वह ह जो मनय का कयाण

कर व परोपकार कर

7-मनय माा बध ह यह बड़ा ववक ह

पराणपष वयभ पता सध एक ह

फलानसार कम क अवय बाय भद ह

परत अतरय म माणभत वद ह

अनथ ह क बध ह न बध क यथा हर

वह मनय ह क जो मनय क लए मर

सग - तत कवता हमार पाय पतक पश भाग -2 स ल गई ह इसक

कव मथलशरण गत ह इन पितओ म कव कहता ह क हम सब एक ईवर क

सतान ह अतः हम सभी मनय एक - दसर क भाई - बध ह

याया - कव कहता ह क यक मनय एक दसर क भाई - बध ह यह सबस

बड़ी समझ ह पराण म िजस वय उपन पष मना गया ह वह परमामा या

ईवर हम सभी का पता ह अथात सभी मनय उस एक ईवर क सतान ह

बाहर कारण क फल अनसार यक मनय क कम भल ह अलग अलग ह परत

हमार वद इस बात क साी ह क सभी क आमा एक ह कव कहता ह क यद

भाई ह भाई क दःख व कट का नाश नह करगा तो उसका जीना यथ ह यक

मनय वह कहलाता ह जो बर समय म दसर मनय क काम आता ह

8-चलो अभीट माग म सहष खलत हए

वपवन जो पड़ उह ढकलत हए

घट न हलमल हा बढ़ न भनता कभी

अतक एक पथ क सतक पथ ह सभी

तभी समथ भाव ह क तारता हआ तर

वह मनय ह क जो मनय क लए मर

सग - तत कवता हमार पाय पतक पश भाग -2 स ल गई ह इसक

कव मथलशरण गत ह इन पितओ म कव कहता ह क यद हम ख़शी ससार

कट को हटत हए भदभाव रहत रहग तभी सभव ह क समाज क उनत होगी

याया - कव कहता ह क मनय को अपनी इछा स चन हए माग म ख़शी

ख़शी चलना चाहएरात म कोई भी सकट या बाधाए आय उह हटात चल जाना

चाहए मनय को यह यान रखना चाहए क आपसी समझ न बगड़ और भद

भाव न बड़ बना कसी तक वतक क सभी को एक साथ ल कर आग बढ़ना चाहए

तभी यह सभव होगा क मनय दसर क उनत और कयाण क साथ अपनी

समध भी कायम कर

-ननलखत न क उर दिजय ndash

1-कव न कसी मय को समय कहा ह

1-कव न ऐसी मय को समय कहा ह िजसम मनय अपन स पहल दसर क चता

करता ह और परोपकार क राह को चनता ह िजसस उस मरन क बाद भी याद कया

जाता ह

2-उदार यित क पहचान कस हो सकती ह

2- उदार यित परोपकार होता ह वह अपन स पहल दसर क चता करता ह और

लोक कयाण क लए अपना जीवन याग दता ह

3-कव न दधीच कण आद महान यितओ क उदाहरण द कर मनयता क लए

या उदाहरण दया ह

3- कव न दधीच कण आद महान यितओ क उदाहरण द कर मनयता क

लए यह सदश दया ह क परोपकार करन वाला ह असल मनय कहलान योय

होता ह मानवता क रा क लए दधीच न अपन शरर क सार अिथया दान कर

द थीकण न अपनी जान क परवाह कय बना अपना कवच द दया था िजस

कारण उह आज तक याद कया जाता ह कव इन उदाहरण क वारा यह

समझाना चाहता ह क परोपकार ह सची मनयता ह

4- कव न कन पितय म यह यत कया ह क हम गव - रहत जीवन यतीत

करना चाहए

4- कव न ननलखत पितय म गव रहत जीवन यतीत करन क बात कह ह-

रहो न भल क कभी मगाघ तछ व म

सनाथ जान आपको करो न गव च म

अथात सपत क घमड म कभी नह रहना चाहए और न ह इस बात पर गव

करना चाहए क आपक पास आपक अपन का साथ ह यक इस दनया म कोई

भी अनाथ नह ह सब उस परम पता परमवर क सतान ह

5- मनय मा बध ह स आप या समझत ह पट किजए

5- मनय मा बध ह अथात हम सब मनय एक ईवर क सतान ह अतः हम

सब भाई - बध ह भाई -बध होन क नात हम भाईचार क साथ रहना चाहए और

एक दसर का बर समय म साथ दना चाहए

6- कव न सबको एक होकर चलन क रणा य द ह

6- कव न सबको एक होकर चलन क रणा इसलए द ह ताक आपसी समझ न

बगड़ और न ह भदभाव बड़ सब एक साथ एक होकर चलग तो सार बाधाए मट

जाएगी और सबका कयाण और समध होगी

7- यित को कस तरह का जीवन यतीत करना चाहए इस कवता क आधार पर

लखए

7-मनय को परोपकार का जीवन जीना चाहए अपन स पहल दसर क दख क

चता करनी चाहए कवल अपन बार म तो जानवर भी सोचत ह कव क अनसार

मनय वह कहलाता ह जो अपन स पहल दसर क चता कर

8- मनयता कवता क वारा कव या सदश दना चाहता ह

8- मनयता कवता क मायम स कव यह सदश दना चाहता ह क परोपकार ह

सची मनयता ह परोपकार ह एक ऐसा साधन ह िजसक मायम स हम यग तक

लोगो क दल म अपनी जगह बना सकत ह और परोपकार क वारा ह समाज का

कयाण व समध सभव ह अतः हम परोपकार बनना चाहए ताक हम सह

मायन म मनय कहलाय

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-याकरण-

पदबध- परभाषा

पद- वाय स अलग रहन पर शद और वाय म यत हो जान पर शद

पद कहलात ह दसर शद म- वाय म यत शद पद कहलाता ह पदबध-

जब दो या अधक (शद) पद नयत म और निचत अथ म कसी पद का

काय करत ह तो उह पदबध कहत ह

पदबध क भद

मय पद क आधार पर पदबध क पाच कार होत ह-

(1) सा-पदबध (2) वशषण-पदबध

(3) सवनाम पदबध (4) या पदबध

(5) अयय पदबध

(1) सा-पदबध-

(a)चार ताकतवर मजदर इस भार चीज को उठा पाए

(b) राम न लका क राजा रावण को मार गराया

(c) अयोया क राजा दशरथ क चार प थ

(d) आसमान म उड़ता गबारा फट गया

2) वशषण पदबध-

a) तज चलन वाल गाड़या ायः दर स पहचती ह

(b) उस घर क कोन म बठा हआ आदमी जासस ह

(c) उसका घोड़ा अयत सदर फरतीला और आाकार ह

(d) बरगद और पीपल क घनी छाव स हम बहत सख मला

3) सवनाम पदबध-

(a)बजल-सी फरती दखाकर आपन बालक को डबन स बचा लया

(b)शरारत करन वाल छा म स कछ पकड़ गए

(c)वरोध करन वाल लोग म स कोई नह बोला

4) या पदबध-

(a) वह बाजार क ओर आया होगा

(b) मझ मोहन छत स दखाई द रहा ह

(c) सरश नद म डब गया

(d) अब दरवाजा खोला जा सकता ह

5) अयय पदबध-

(a)अपन सामान क साथ वह चला गया

(b)सबह स शाम तक वह बठा रहा

कसी भी भाषा क व शद अयय (Indeclinable या inflexible) कहलात ह िजनक प म

लग वचन पष कारक काल इयाद क कारण कोई वकार उप नह होता

चक अयय का पातर नह होता इसलए ऐस शद अवकार होत ह अयय का शािदक

अथ ह- जो यय न हो

(i) कालवाचक अयय- इनम समय का बोध होता ह जस- आज कल तरत पीछ पहल अब

जब तब कभी-कभी कब अब स नय जब स सदा स अभी तभी आजकल और कभी

उदाहरणाथ-

अब स ऐसी बात नह होगी

ऐसी बात सदा स होती रह ह

वह कब आया मझ पता नह

(ii) थानवाचक अयय- इसस थान का बोध होता ह जस- यहा वहा कहा जहा यहा स

वहा स इधर-उधर उदाहरणाथ-

वह यहा नह ह

वह कहा जायगा

वहा कोई नह ह

जहा तम हो वहा म ह

(iii) दशावाचक अयय- इसस दशा का बोध होता ह जस- इधर उधर िजधर दर पर अलग

दाहन बाए आरपार

(iv) िथतवाचक अयय- नीच ऊपर तल सामन बाहर भीतर इयाद

अयय क भद

अयय ननलखत चार कार क होत ह -

(1) यावशषण (Adverb)

(2) सबधबोधक (Preposition)

(3) समचयबोधक (Conjunction)

(4) वमयादबोधक (Interjection)

(1) यावशषण - िजन शद स या वशषण या दसर यावशषण क वशषता कट

हो उह यावशषण कहत ह

दसर शदो म- जो शद या क वशषता बतलात ह उह या वशषण कहा जाता ह

जस- राम धीर-धीर टहलता ह राम वहा टहलता ह राम अभी टहलता ह

इन वाय म धीर-धीर वहा और अभी राम क टहलन (या) क वशषता बतलात ह य

यावशषण अवकार वशषण भी कहलात ह इसक अतरत यावशषण दसर

यावशषण क भी वशषता बताता ह

वह बहत धीर चलता ह इस वाय म बहत यावशषण ह यक यह दसर यावशषण

धीर क वशषता बतलाता ह

या वशषण क कार

(1) योग क अनसार- (i) साधारण (ii) सयोजक (iii) अनबध

(2) प क अनसार- (i) मल यावशषण (ii) यौगक यावशषण (iii) थानीय यावशषण

(3) अथ क अनसार- (i) परमाणवाचक (ii) रतवाचक

(1) योग क अनसार यावशषण क भद

योग क अनसार यावशषण क तीन भद ह-

(i) साधारण यावशषण- िजन यावशषण का योग कसी वाय म वत होता ह

उह साधारण यावशषण कहा जाता ह

जस- हाय अब म या क बटा जद आओ अर साप कहा गया

(ii) सयोजक यावशषण- िजन यावशषण का सबध कसी उपवाय स रहता ह उह

सयोजक यावशषण कहा जाता ह

जस- जब रोहताव ह नह तो म ह जीकर या कगी जहा अभी सम ह वहा कसी

समय जगल था

(iii) अनबध यावशषण- िजन यावशषण क योग अवधारण (नचय) क लए कसी

भी शदभद क साथ होता हो उह अनबध यावशषण कहा जाता ह

जस- यह तो कसी न धोखा ह दया ह मन उस दखा तक नह

(2) प क अनसार यावशषण क भद

प क अनसार यावशषण क तीन भद ह-

(i) मल यावशषण- ऐस यावशषण जो कसी दसर शद क मल स नह बनत मल

यावशषण कहलात ह

जस- ठक दर अचानक फर नह

(ii) यौगक यावशषण- ऐस यावशषण जो कसी दसर शद म यय या पद जोड़न

पर बनत ह यौगक यावशषण कहलात ह

जस- मन स िजसस चपक स भल स दखत हए यहा तक झट स वहा पर यौगक

यावशषण सा सवनाम वशषण धात और अयय क मल स बनत ह

यौगक यावशषण नीच लख शद क मल स बनत ह-

(i) साओ क वित स- घर-घर घड़ी-घड़ी बीच-बीच हाथ-हाथ

(ii) दो भ साओ क मल स- दन-रात साझ-सबर घर-बाहर दश-वदश

(iii) वशषण क वित स- एक-एक ठक-ठक साफ-साफ

(iv) यावशषण क वित स- धीर-धीर जहा-तहा कब-कब कहा-कहा

(v) दो यावशषण क मल स- जहा-तहा जहा-कह जब-तब जब-कभी कल-परस आस-पास

(vi) दो भ या समान यावशषण क बीच न लगान स- कभी-न-कभी कछ-न-कछ

(vii) अनकरण वाचक शद क वित स- पटपट तड़तड़ सटासट धड़ाधड़

(viii) सा और वशषण क योग स- एक साथ एक बार दो बार

(ix) अय य और दसर शद क मल स- तदन यथाम अनजान आजम

(x) पवकालक कदत और वशषण क मल स- वशषकर बहतकर मयकर एक-एककर

(iii) थानीय यावशषण- ऐस यावशषण जो बना पातर क कसी वशष थान म

आत ह थानीय यावशषण कहलात ह

जस- वह अपना सर पढ़गा

वह दौड़कर चलत ह

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  • (1) अरथ की दषटि स शबद-भद13
  • (2) परयोग की दषटि स शबद-भद13
  • (3) उतपति की दषटि स शबद-भद13
  • 1) सवर सधि-13
  • परति+छवि=परतिचछवि दिक+अनत=दिगनत दिक+गज=दिगगज अन+छद=अनचछद अच +अनत = अजनत 13
  • 3)विसरग सधि - विसरग क साथ सवर या वयजन का मल होन पर जो विकार होता ह उस 13
  • विसरग सधि कहत ह 13
  • मन+रथ=मनोरथ यश+अभिलाषा=यशोभिलाषा अध+गति=अधोगति नि+छल=निशछल द +गम = दरगम 13
    • -पाठ सार-13
    • -वयाखया13
    • -निमनलिखित परशनो क उततर दीजिय ndash13
    • 1-कवि न कसी मतय को समतय कहा ह13
    • अवयय क भद13
    • करिया विशषण क परकार13
Page 16: Class –X HINDI JUNE SYLLABUS 2020 Chapters:- Ch-1-Sanchayan …punainternationalschool.com/assets/upload/ck-images/Std-10th=Jun… · -harihar kaka . पय-भाग पाठ-3

इ का य = इत +आद = इयाद ई का य = दवी +आवाहन = दयावाहन

उ का व = स +आगत = वागत ऊ का व = वध +आगमन = ववागमन

4) वध वर सध- आ + ए ऐ -gt ऐ

अ आ + ओ औ -gt औ

अ +ए =ऐ एक +एक = एकक अ +ऐ =ऐ मत +ऐय = मतय

अ +औ=औ परम +औषध = परमौषध आ +औ =औ महा +औषध = महौषध

आ +ओ =औ महा +ओघ = महौघ

5)अयाद वर सध- इस सध म ए ऐ और ओ औ क पशचात इह छोड़कर को

अय वर हो तो इनका परवतन मश अय आय अव आव म हो जाता ह )

ए का अय न +अन = नयन ऐ का आय न +अक = नायक

ओ का अव पो +अन = पवन औ का आव पौ +अन = पावन

न का परवतन ण म = ो +अन = वण

2)यजन सध- यजन क साथ वर अथवा यजन क मल स उस यजन म जो

पातरण होता ह उस यजन सध कहत ह

त+छव=तछव दक+अत=दगत

दक+गज=दगज अन+छद=अनछद

अच +अत = अजत

3)वसग सध - वसग क साथ वर या यजन का मल होन पर जो वकार होता ह उस

वसग सध कहत ह

मन+रथ=मनोरथ यश+अभलाषा=यशोभलाषा

अध+गत=अधोगत न+छल=नछल

द +गम = दगम

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गय-भाग

पाठ-12

(ततारा-वामीरो कथा )

(ललाधर मडलोई)

-लखक का परचय- ललाधर मडलोईमडलोई का जम भारतीय

राय मयदश क छदवाडा िजल क गढ़ नामक गाव म हआ मडलोई न भारत म बीए

बीएड (अज़ी) पाकारता म नातक और एमए (हद) तक शा हण कया और

इसक बाद व लदन चल गय जहा स सारण म उच-शा (सीआरट) हण क

मडलोई दरदशन आकाशवाणी क महानदशक सहत कई राय-अतरराय समतय क

साथ ह सार भारती बोड क सदय रह चक ह

-पाठ का सार-

जो सयता िजतनी अधक परानी होगी उतनी ह अधक कस -कहानया उसस जड़ी होती ह जो

हम सनन को मलती ह जो कस - कहानया हम सनन को मलती ह जर नह क वो उसी तरह

घटत हई हो िजस तरह वो हम सनाई जा रह हइतना जर होता ह क इन कस और कहानय

म कोई न कोई सीख छपी होती ह अदमान नकोबार वीपसमह म भी बहत तरह क कस -

कहानया मशहर ह इनम स कछ को ललाधर मडलोई न लखा ह

तत पाठ ततारा वामीरो कथा अडमान नकोबार वीप समह क एक छोट स वीप पर क त ह

उस वीप पर एक -दसर स शता का भाव अपनी अतम सीमा पर पहच चका था इस शता क

भावना को जड़ स उखाड़न क लए एक जोड़ को आमबलदान दना पड़ा था उसी जोड़ क बलदान

का वणन लखक न तत पाठ म कया ह

यार सबको एक साथ लाता ह और नफरत सब क बीच दरय को बढ़ाती हइस बात स भला कौन

इनकार कर सकता ह इसलए जो कोई भी समाज क लए अपन यार का अपन जीवन का

बलदान करता ह समाज न कवल उस याद रखता ह बिक उसक वारा कय गए याग और

बलदान को बकार नह जान दता यह वह कारण ह िजसक वजह स तकालन समाज क सामन

मसाल कायम करन वाल इस जोड़ को आज भी इस वीप क नवासी गव और धा स याद करत

-शदाथ-

-खला-म कड़ी -आदम ndashाभक

-वभत ndashबटा हआ -आमीय ndashअपना

-वलण ndashअसाधारण -बयार-मद हवा

त-एकाता -वकल-बचन

-सचार-उपन -असगत ndashअनचत

समोहतndash मध -झझलाना ndash चड़ना

-रोमाचत ndash पलकत -नचल- िथर

-अफवाह ndash उड़ती खबर -उफनना ndash उबाल आना

शमन ndashशात होना -घपना भकनाचभना

-न-उर-

1-ततारा और वामीरो क गाव क या थी

उर- ततारा और वामीरो क गाव क यह रत थी क ववाह क लए लड़क-लड़क का एक

ह गाव का होना जर था दसर गाव क यवक क साथ सबध असभव था

2-ततारा क तलवार क बार म लोग का या मत था

उर- ततारा क तलवार ययप लकड़ी क थी पर इसक बावजद लोग का मानना था क

उस तलवार म अभत दवीय शित थी ततारा तलवार को कभी अपन स अलग होन नह

दता था लोग यह मानत थ क ततारा अपन साहसक कारनाम इसी तलवार क कारण ह

कर पाता ह उसम बड़ी शित थी

3-नकोबार क लोग ततारा को य पसद करत थ

उर- नकोबार क लोग ततारा को उसक साहसी और परोपकार वभाव क कारण पसद करत

थ वह एक सदर और शितशाल यवक था वह सदा लोग क सहायता करता रहता था

ततारा एक नक और मददगार यित था वह अपन गाव वाल क ह नह समच

वीपवासय क सवा करना अपना धम समझता था सभी उसका आदर करत थ मसीबत

क घड़ी म वह लोग क पास तरत पहच जाता था

4- ाचीन काल म मनोरजन और शित-दशन क लए कस कार क आयोजन कए जात

उर- ाचीन काल म मनोरजन और शित-दशन क लए अ-श चलान सबधी

आयोजन तथा पश पव कए जात थ

5-lsquoततारा-वामीरो कथाrsquo का सदश पट किजए

उर- lsquoततारा-वामीरो कथाrsquo एक लोकगाथा ह इसम यह सदश दया गया ह क म को कसी

बधन जड़ता तथा सीमाओ म बाधना उचत नह ह यद कोई गाव दश या म को

पनपन क लए खला अवसर नह दता तो इसस सवनाश होता ह धरती म भदभाव बढ़त ह

पहल स बट हई धरती और अवसर नह दता तो इसस मानवता का य होता ह भावनाए

एक होन क बजाय खडत होती ह अतः गाव दश या अय सकण नयमो को तोड़कर

हम उदारता क साथ सबको अपनाना चाहए

7-नक ततारा और वामीरो क मय कस हई पठत पाठ क आधार पर लखए

उर- पश-पव क मौक पर ततारा और वामीरो को इकठा दखकर वामीरो क मा ोध म

उफन उठ उसन ततारा को तरह-तरह स अपमानत कया गाव क लोग भी ततारा क

वरोध म आवाज उठान लग यह ततारा क लए अहसनीय था वामीरो अब भी रोए जा रह

थी ततारा भी गस स भर उठा उस जहा ववाह क नषध परपरा पर ोभ था वह अपनी

असहायता पर खीझ वामीरो का दख उस और गहरा कर रहा था उस मालम नह था क

या कदम उठाना चाहए अनायास उसका हाथ तलवार क मढ़ पर जा टका ोध म उसन

तलवार नकाल और कछ वचार करता रहा ोध लगातार अिन क तरह बढ़ रहा था

लोग सहम उठ एक सनाटा-सा खच गया जब कोई राह न सझी तो ोध का शमन करन

क लए उसम शित भर उस धरती म घप दया और ताकत स उस खीचन लगा वह

पसीन स नहा उठा सब घबराए हए थ वह तलवार को अपनी तरफ खीचत-खीचत दर तक

पहच गया वह हाफ रहा था अचानक जहा एक लकर खच गई थी वहा एक दरार होन

लगी मानो धरती दो टकड़ो म बटन लगी हो एक गड़गड़ाहट-सी गजन लगी और लकर क

सीध म धरती फटती ह जा रह थी वीप क अतम सर तक ततारा धरती को मानो ोध

म काटता जा रहा था सभी याकल हो उठ लोग न ऐस य क कपना न क थी व

सहर उठ उधर वामीरो फटती हई धरती क कनार ततारा का नाम पकारत हए दौड़ रह थी

वीप दो टकड़ म वभत हो चका था ततारा और वामीरो वीप क साथ सम म धस

गए और उमय हो गई

8-शाम क समय सम कनार ततारा क ाकतक अनभत का वणन किजए

उर- एक शाम ततारा दन-भर क अथक परम क बाद सम कनार टहलन नकल

पड़ा सरज सम स लग तज तल डबन को था सम स ठडी बयार आ रह थी

पय क सायकालन चाहचाहाहट शनः शनः ीण ह को थी उसका मन शात था

वचारमन ततारा सम बाल पर बठकर सरज क अतम रग-बरगी करण को सम

पर नहारन लगा तभी कह पास म उस मधर गीत गजता सनाई दया गीत मान

बहता हआ उसक तरफ आ रहा हो बीच-बीच म लहर का सगीत सनाई दता गायन

भावी था क वह अपनी सध-बध खोन लगा लहर क एक बल वग न उसक ता भग

क चतय होत ह वह उधर बढ़न को ववश हो उठा िजधर स अब भी गीत क वर बह

रह थ वह वकल-सा उस तरफ़ बढ़ता गया अततः उसक नजर एक यवती पर पड़ी जो

ढलती हई शाम क सदय म बसध एकटक सम क दह पर डबत आकषक रगो को

नहारत हए गा रह थी यह एक शगार गीत था

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Vyakr`-vaKy-

bull वाय क सामन दए कोठक म ( radic का चह लगाकर बताए क वह वाय कस

कार का ह

क) नकोबार उस बहद म करत थ (नवाचक वधानवाचक नषधामक

वमयादबोधक)

ख) तमन एकाएक इतना मधर गाना अधरा य छोड़ दया नवाचक

वधानवाचक नषधामक वमयादबोधक)

ग) वामीरो क मा ोध म उफन उठ (नवाचक वधानवाचक नषधामक

वमयादबोधक)

घ) या तह गाव का नयम नह मालम नवाचक वधानवाचक नषधामक

वमयादबोधक)

ङ) वाह कतना सदर नाम ह (नवाचक वधानवाचक नषधामक

वमयादबोधक)

च) म तहारा राता छोड़ दगा

वमयादबोधक)

उर- क) वधानवाचक

ग) वधानवाचक

ङ) वमयादबोध

Ocirc-इस पाठ म lsquo दखना lsquo या क कई प आए ह

शदयोग म या अतर ह

Ocirc-उर-

म तहारा राता छोड़ दगा (नवाचक वधानवाचक नषधामक

ख) नवाचक

घ) नवा

च) वधानवाचक

या क कई प आए ह lsquo दखना lsquo क इन वभन

वाययोग वारा पट किजए

नषधामक

नवाचक

वधानवाचक

क इन वभन

-वाय क उदाहरण-

सचयन-भाग

पाठ-1 (हरहर काका )

-शदाथ -

तबयत - शरर क िथत यणा - यातना कलश कट

मनःिथत - मन क िथत चद - कछ

आसित ndash लगाव यावहारक - यावहार सबधी

वचारक - वचार सबधी दलार - यार

सयाना - यक बधमान तीा - इतज़ार

फ़लहाल - अभी इस समय मझधार - बीच म

वलन - लत हो जाना वकप - दसरा उपाय

चलत ndash चलनसार जात - जगाना

कलवर - शरर मनौती - मनत

परपरा - था णाल अधकाश - यादातर

समत ndash सथा सचालन - नयण चलाना

नयित - तनाती लगाया गया वमख - तकल

चपट - आघात हार अहाता-चार ओर स दवार स घरा हआ मदान

अखड ndash नवन वफोट - फट कर बाहर नकलना

आगमन - आन पर उपलय - सकत

सराहना ndash शसा निचत - बफ

-लखक का परचय-मथलवर का जम 31 दसबर 1950 को बहार क

भोजपर िजल क बसाडीह नामक गाव म हआ इनक पता व० ो० वशरोपन लाल थ

मथलवर क पता (ो० वशरोपन लाल) भी वलण तभा क धनी थ परत उनक

असाय बीमार न मथलवर क जीवन म आरभ स ह कठन सघष क बीज बो दय थ

पाठ सार-

लखक कहता ह क वह हरहर काका क साथ बहत गहर स जड़ा था लखक का हरहर

काका क त जो यार था वह लखक का उनक यावहार क और उनक वचार क कारण

था और उसक दो कारण थ पहला कारण था क हरहर काका लखक क पड़ोसी थ और

दसरा कारण लखक को उनक मा न बताया था क हरहर काका लखक को बचपन स ह

बहत यादा यार करत थ जब लखक यक हआ तो उसक पहल दोती भी हरहर काका

क साथ ह हई थी लखक क गाव क पव दशा म ठाकर जी का वशाल मदर था िजस

गाव क लोग ठाकरबार यान दवथान कहत थ लोग ठाकर जी स प क मनत मागत

मक़दम म जीत लड़क क शाद कसी अछ घर म हो जाए लड़क को नौकर मल जाए

आद मनत मागत थ मनत पर होन पर लोग अपनी ख़शी स ठाकरजी को पए ज़वर

और अनाज चढ़ाया करत थ िजसको बहत अधक ख़शी होती थी वह अपन खत का छोटा-

सा भाग ठाकरजी क नाम कर दता था और यह एक तरह स था ह बन गई लखक कहता

ह क उसका गाव अब गाव क नाम स नह बिक दव-थान क वजह स ह पहचाना जाता

था उसक गाव का यह दव-थान उस इलाक का सबस बड़ा और सध दवथान था

हरहर काका न अपनी परिथतओ क कारण दव-थान म जाना बद कर दया था मन

बहलान क लए लखक भी कभी-कभी दव-थान चला जाता था लकन लखक कहता ह क

वहा क साध-सत उस बलकल भी पसद नह थ यक व काम करन म कोई दलचपी

नह रखत थ भगवान को भोग लगान क नाम पर व दन क दोन समय हलवा-पड़ी

बनवात थ और आराम स पड़ रहत थ सारा काम वहा आए लोग स सवा करन क नाम पर

करवात थ व खद अगर कोई काम करत थ तो वो था बात बनवान का काम

लखक हरहर काका क बार म बताता हआ कहता ह क हरहर काका और उनक तीन भाई

ह सबक शाद हो चक ह हरहर काका क अतरत सभी तीन भाइय क बाल-बच ह

कछ समय तक तो हरहर काका क सभी चीज़ का अछ स यान रखा गया परत फर

कछ दन बाद हरहर काका को कोई पछन वाला नह था लखक कहता ह क अगर कभी

हरहर काका क शरर क िथत ठक नह होती तो हरहर काका पर मसीबत का पहाड़ ह

गर जाता यक इतन बड़ परवार क रहत हए भी हरहर काका को कोई पानी भी नह

पछता था बारामद क कमर म पड़ हए हरहर काका को अगर कसी चीज़ क जरत होती

तो उह खद ह उठना पड़ता एक दन उनका भतीजा शहर स अपन एक दोत को घर ल

आया उह क आन क ख़शी म दो-तीन तरह क सिज़या बजक चटनी रायता और भी

बहत कछ बना था सब लोग न खाना खा लया और हरहर काका को कोई पछन तक नह

आया हरहर काका गस म बरामद क ओर चल पड़ और जोर-जोर स बोल रह थ क

उनक भाई क पिनया या यह सोचती ह क व उह मत म खाना खला रह ह उनक

खत म उगन वाला अनाज भी इसी घर म आता ह

हरहर काका क गस का महत जी न लाभ उठान क सोची महत जी हरहर काका को

अपन साथ दव-थान ल आए और हरहर काका को समझान लग क उनक भाई का परवार

कवल उनक जमीन क कारण उनस जड़ा हआ ह कसी दन अगर हरहर काका यह कह द

क व अपन खत कसी और क नाम लख रह ह तो व लोग तो उनस बात करना भी बद

कर दग खन क रत ख़म हो जायग महत हरहर काका स कहता ह क उनक हस म

िजतन खत ह व उनको भगवान क नाम लख द ऐसा करन स उह सीध वग क ाित

होगी

सबह होत ह हरहर काका क तीन भाई दव-थान पहच गए तीन हरहर काका क पाव म

गर कर रोन लग और अपनी पिनय क गलती क माफ़ मागन लग और कहन लग क

व अपनी पिनय को उनक साथ कए गए इस तरह क यवहार क सज़ा दग हरहर काका

क मन म दया का भाव जाग गया और व फर स घर वापस लौट कर आ गए जब अपन

भाइय क समझान क बाद हरहर काका घर वापस आए तो घर म और घर वाल क

यवहार म आए बदलाव को दख कर बहत खश हो गए घर क सभी छोट-बड़ सभी लोग

हरहर काका का आदर-सकार करन लग

गाव क लोग जब भी कह बठत तो बात का ऐसा सलसला चलता िजसका कोई अत नह

था हर जगह बस उह क बात होती थी कछ लोग कहत क हरहर काका को अपनी

जमीन भगवान क नाम लख दनी चाहए इसस उम और अछा कछ नह हो सकता

इसस हरहर काका को कभी न ख़म होन वाल सध ात होगी इसक वपरत कछ

लोग क यह मानत थ क भाई का परवार भी तो अपना ह परवार होता ह अपनी

जायदाद उह न दना उनक साथ अयाय करना होगा हरहर काका क भाई उनस ाथना

करन लग क व अपन हस क जमीन को उनक नाम लखवा द इस वषय पर हरहर

काका न बहत सोचा और अत म इस परणाम पर पहच क अपन जीत-जी अपनी जायदाद

का वामी कसी और को बनाना ठक नह होगा फर चाह वह अपना भाई हो या मदर का

महत यक उह अपन गाव और इलाक क व कछ लोग याद आए िजहन अपनी िजदगी

म ह अपनी जायदाद को अपन रतदार या कसी और क नाम लखवा दया था उनका

जीवन बाद म कसी क क तरह हो गया था उह कोई पछन वाला भी नह था हरहर

काका बलकल भी पढ़-लख नह थ परत उह अपन जीवन म एकदम हए बदलाव को

समझन म कोई गलती नह हई और उहन फसला कर लया क व जीत-जी कसी को भी

अपनी जमीन नह लखग

लखक कहता ह क जस-जस समय बीत रहा था महत जी क परशानया बढ़ती जा

रह थी उह लग रहा था क उहन हरहर काका को फसान क लए जो जाल फ का

था हरहर काका उसस बाहर नकल गए ह यह बात महत जी को सहन नह हो रह

थी आधी रात क आस-पास दव-थान क साध-सत और उनक कछ साथी भाला

गड़ासा और बदक क साथ अचानक ह हरहर काका क आगन म आ गए इसस

पहल हरहर काका क भाई कछ सोच और कसी को अपनी सहायता क लए आवाज

लगा कर बलाए तब तक बहत दर हो गई थी हमला करन वाल हरहर काका को

अपनी पीठ पर डाल कर कह गायब हो गए थव हरहर काका को दव-थान ल गए

थ एक ओर तो दव-थान क अदर जबरदती हरहर काका क अगठ का नशान लन

और पकड़कर समझान का काम चल रहा था तो वह दसर ओर हरहर काका क

तीन भाई सबह होन स पहल ह पलस क जीप को लकर दव-थान पर पहच गए

थ महत और उनक साथय न हरहर काका को कमर म हाथ और पाव बाध कर

रखा था और साथ ह साथ उनक मह म कपड़ा ठसा गया था ताक व आवाज़ न कर

सक परत हरहर काका दरवाज़ तक लढ़कत हए आ गए थ और दरवाज़ पर अपन

पर स धका लगा रह थ ताक बाहर खड़ उनक भाई और पलस उह बचा सक

दरवाज़ा खोल कर हरहर काका को बधन स मत कया गया हरहर काका न

पलस को बताया क व लोग उह उस कमर म इस तरह बाध कर कह गत

दरवाज़ स भाग गए ह और उहन कछ खल और कछ लख हए कागज पर हरहर

काका क अगठ क नशान जबरदती लए ह

यह सब बीत जान क बाद हरहर काका फर स अपन भाइय क परवार क साथ रहन लग

गए थ चौबीस घट पहर दए जान लग थ यहा तक क अगर हरहर काका को कसी

काम क कारण गाव म जाना पड़ता तो हथयार क साथ चार-पाच लोग हमशा ह उनक

साथ रहन लग लखक कहता ह क हरहर काका क साथ जो कछ भी हआ था उसस हरहर

काका एक सीध-साद और भोल कसान क तलना म चालाक और बधमान हो गए थ

उह अब सब कछ समझ म आन लगा था क उनक भाइय का अचानक स उनक त जो

यवहार परवतन हो गया था उनक लए जो आदर-समान और सरा व दान कर रह थ

वह उनका कोई सग भाइय का यार नह था बिक व सब कछ उनक धन-दौलत क कारण

कर रह ह नह तो व हरहर काका को पछत तक नह जब स हरहर काका दव-थान स

वापस घर आए थ उसी दन स ह हरहर काका क भाई और उनक दसर नात-रतदार

सभी यह सोच रह थ क हरहर काका को क़ाननी तरक स उनक जायदाद को उनक

भतीज क नाम कर दना चाहए यक जब तक हरहर काका ऐसा नह करग तब तक

महत क तज़ नज़र उन पर टक रहगी जब हरहर काका क भाई हरहर काका को

समझात-समझात थक गए तो उहन हरहर काका को डाटना और उन पर दवाब डालना

श कर दया एक रात हरहर काका क भाइय न भी उसी तरह का यवहार करना श

कर दया जसा महत और उनक सहयोगय न कया था उह धमकात हए कह रह थ क

ख़शी-ख़शी कागज़ पर जहा-जहा जरत ह वहा-वहा अगठ क नशान लगत जाओ नह तो व

उह मार कर वह घर क अदर ह गाड़ दग और गाव क लोगो को इस बार म कोई सचना

भी नह मलगी हरहर काका क साथ अब उनक भाइय क मारपीट श हो गई जब

हरहर काका अपन भाइय का मकाबला नह कर पा रह थ तो उहन ज़ोर-ज़ोर स

चलाकर अपनी मदद क लए गाव वाल को आवाज लगाना श कर दया तब उनक

भाइय को यान आया क उह हरहर काका का मह पहल ह बद करना चाहए था उहन

उसी पल हरहर काका को जमीन पर पटका और उनक मह म कपड़ा ठस दया लकन तब

तक बहत दर हो गई थी हरहर काका क आवाज बाहर गाव म पहच गई थी हरहर काका

क परवार और रत-नात क लोग जब तक गाव वाल कोसमझात क यह सब उनक

परवार का आपसी मामला ह व सभी इसस दर रह तब तक महत जी बड़ी ह दता और

तज़ी स वहा पलस क जीप क साथ आ गए पलस न पर घर क अछ स तलाशी लना

श कर दया फर घर क अदर स हरहर काका को इतनी बर हालत म हासल कया गया

िजतनी बर हालत उनक दव-थान म भी नह हई थी हरहर काका न बताया क उनक

भाइय न उनक साथ बहत ह यादा बरा यवहार कया ह जबरदती बहत स कागज पर

उनक अगठ क नशान ल लए ह उह बहत यादा मारा-पीटा ह

इस घटना क बाद हरहर काका अपन परवार स एकदम अलग रहन लग थ उह उनक

सरा क लए चार राइफलधार पलस क जवान मल थ आचय क बात तो यह ह क

इसक लए उनक भाइय और महत क ओर स काफ़ यास कए गए थ असल म भाइय

को चता थी क हरहर काका अकल रहन लगग तो दव-थान क महत-पजार फर स

हरहर काका को बहला-फसला कर ल जायग और जमीन दव-थान क नाम करवा लग और

यह चता महत जी को भी थी क हरहर काका को अकला और असरत पा उनक भाई

फर स उह पकड़ कर मारग और जमीन को अपन नाम करवा लग लखक कहता ह क

हरहर काका स जड़ी बहत सी ख़बर गाव म फल रह थी जस-जस दन बड़ रह थ वस-वस

डर का मौहोल बन रहा था सभी लोग सफ यह सोच रह थ क हरहर काका न अमत तो

पया हआ ह नह तो मरना तो उनको एक दन ह ह और जब व मरग तो पर गाव म

तफ़ान आ जाएगा यक महत और हरहर काका क परवार क बीच जमीन को ल कर

लड़ाई हो जायगी

पलस क जवान हरहर काका क खच पर ह खब मौज-मती स रह रह थ िजसका धन

वह रह उपास खान वाल कर वलास अथात हरहर काका क पास धन था लकन उनक लए

अब उसका कोई महव नह था और पलस वाल बना कसी कारण स ह हरहर काका क

धन स मौज कर रह थ अब तक जो नह खाया था दोन वत उसका भोग लगा रह थ

-नोर-

1-कथावाचक और हरहर काका क बीच या सबध ह और इसक या कारण ह

1-कथावाचक जब छोटा था तब स ह हरहर काका उस बहत यार करत थ जब वह बड़ हो

गए तो वह हरहर काका क म बन गए गाव म इतनी गहर दोती और कसी स नह

हई हरहर काका उनस खल कर बात करत थ यह कारण ह क कथावाचक को उनक

एक-एक पल क खबर थी शायद अपना म बनान क लए काका न वय ह उस यार स

बड़ा कया और इतजार कया

2-हरहर काका को महत और भाई एक ह णी क य लगन लग

2-हरहर काका को अपन भाइय और महत म कोई अतर नह लगा दोन एक ह णी क

लग उनक भाइय क पिनय न कछ दन तक तो हरहर काका का यान रखा फर

बचीकची रोटया द नाता नह दत थ बमार म कोई पछन वाला भी न था िजतना भी

उह रखा जा रहा था उनक ज़मीन क लए था इसी तरह महत न एक दन तो बड़ यार

स खातर क फर ज़मीन अपन ठाकर बाड़ी क नाम करन क लए कहन लग काका क

मना करन पर उह अनक यातनाए द अपहरण करवाया मह म कपड़ा ठस कर एक कोठर

म बद कर दया जबरदती अगठ का नशान लया गया तथा उह मारा पीटा गया इस

तरह दोन ह कवल ज़मीन जायदाद क लए हरहर काका स यवहार रखत थ अत उह

दोन एक ह णी क लग

3-ठाकर बाड़ी क त गाव वाल क मन म अपार धा क जो भाव ह उसस उनक कस

मनोव का पता चलता ह

3-कहा जाता ह गाव क लोग भोल होत ह असल म गाव क लोग अधववासी धमभी होत

ह मदर जस थान को पव नकलक ान का तीक मानत ह पजार परोहत महत

जस िजतन भी धम क ठकदार ह उनपर अगाध धा रखत ह व चाह कतन भी

पतत वाथ और नीच ह पर उनका वरोध करत व डरत ह इसी कारण ठाकर बाड़ी क

त गाव वाल क अपार धा थी उनका हर सख-दख उसस जड़ा था

4-अनपढ़ होत हए भी हरहर काका दनया क बहतर समझ रखत ह कहानी क आधार पर

पट किजए

4-हरहर काका अनपढ़ थ फर भी उह दनयादार क बहद समझ थी उनक भाई लोग

उनस ज़बरदती ज़मीन अपन नाम करान क लए डरात थ तो उह गाव म दखावा करक

ज़मीन हथयान वालो क याद आती ह काका न उह दखी होत दखा ह इसलए उहन

ठान लया था चाह महत उकसाए चाह भाई दखावा कर वह ज़मीन कसी को भी नह दग

एक बार महत क उकसान पर भाइय क त धोखा नह करना चाहत थ परत जब भाइय

न भी धोखा दया तो उह समझ म आ गया उनक त उह कोई यार नह ह जो यार

दखात ह वह कवल ज़ायदाद क लए ह

5-हरहर काका को जबरन उठा ल जान वाल कौन थ उहन उनक साथ कसा यवहार

कया

5-महत न हरहर काका को बहत लोभन दए िजसस वह अपनी ज़मीन जायदाद ठाकर

बाड़ी क नाम कर द परत काका इस बात क लए तयार नह थ व सोच रह थ क या

भगवान क लए अपन भाइय स धोखा क यह उह सह भी नह लग रहा था महत को

यह बात पता लगी तो उसन छल और बल स रात क समय अकल दालान म सोत हए

हरहर काका को उठवा लया महत न अपन चल साधसतो क साथ मलकर उनक हाथ पर

बाध दए मह म कपड़ा ठस दया और जबरदती अगठ क नशान लए उह एक कमर म

बद कर दया जब पलस आई तो वय गत दरवाज़ स भाग गए

6-हरहर काका क मामल म गाव वाल क या राय थी और उसक या कारण थ

6-कहानी क आधार पर गाव क लोग को बना बताए पता चल गया क हरहर काका को

उनक भाई नह पछत इसलए सख आराम का लोभन दकर महत उह अपन साथ ल

गया भाई मनत करक काका को वापस ल आत ह इस तरह गाव क लोग दो प म

बट गए कछ लोग महत क तरफ़ थ जो चाहत थ क काका अपनी ज़मीन धम क नाम पर

ठाकर बाड़ी को द द ताक उह सख आराम मल मय क बाद मो यश मल महत ानी

ह वह सब कछ जानता ह लकन दसर प क लोग कहत क ज़मीन परवार वालो को द

जाए उनका कहना था इसस उनक परवार का पट भरगा मदर को ज़मीन दना अयाय

होगा इस तरह दोन प अपन-अपन हसाब स सोच रह थ परत हरहर काका क बार म

कोई नह सोच रहा था इन बात का एक कारण यह भी था क काका वधर थ और उनक

कोई सतान भी नह थी पह बीघ ज़मीन क लए इनका लालच वाभवक था

7-कहानी क आधार पर पट किजए क लखक न यह य कहा अान क िथत म ह

मनय मय स डरत ह ान होन क बाद तो आदमी आवयकता पड़न पर मय को वरण

करन क लए तयार हो जाता ह

7-जब काका को असलयत पता चल और उह समझ म आ गया क सब लोग उनक

ज़मीन जायदाद क पीछ ह तो उह व सभी लोग याद आ गए िजहन परवार वालो क मोह

माया म आकर अपनी ज़मीन उनक नाम कर द और मय तक तलतल करक मरत

रह दान-दान को मोहताज़ हो गए इसलए उहन सोचा क इस तरह रहन स तो एक बार

मरना अछा ह जीत जी ज़मीन कसी को भी नह दग य लोग मझ एक बार म ह मार

द अत लखक न कहा क अान क िथत म मनय मय स डरता ह परत ान होन

पर मय वरण को तयार रहता ह

8-समाज म रत क या अहमयत ह इस वषय पर अपन वचार कट किजए

8-आज समाज म मानवीय मय तथा पारवारक मय धीर-धीर समात होत जा रह ह

यादातर यित अपन वाथ क लए रत नभात ह अपनी आवयकताओ क हसाब स

मलत ह अमीर रतदार का समान करत ह उनस मलन को आतर रहत ह जबक गरब

रतदार स कतरात ह कवल वाथ सध क अहमयत रह गई ह आए दन हम

अखबार म समाचार पढ़त ह क ज़मीन जाय़दाद पस जवर क लए लोग घनौन स घनौना

काय कर जात ह (हया अपहरण आद) इसी कार इस कहानी म भी पलस न पहचती तो

परवार वाल महत जी (काका क) हया ह कर दत उह यह अफसोस रहा क व काका को

मार नह पाए

9-यद आपक आसपास हरहर काका जसी हालत म कोई हो तो आप उसक कस कार

मदद करग

9-यद हमार आसपास हरहर काका जसी हालत म कोई हो तो हम उसक पर तरह मदद

करन क कोशश करग उनस मलकर उनक दख का कारण पता करग उह अहसास

दलाएग क व अकल नह ह सबस पहल तो यह ववास कराएग क सभी यित लालची

नह होत ह इस तरह मौन रह कर दसर को मौका न द बिक उलास स शष जीवन

बताए रतदार स मलकर उनक सबध सधारन का यन करग

10-हरहर काका क गाव म यद मीडया क पहच होती तो उनक या िथत होती अपन

शद म लखए

10-यद काका क गाव म मीडया पहच जाती तो सबक पोल खल जाती महत व भाइय का

पदाफाश हो जाता अपहरण और जबरन अगठा लगवान क अपराध म उह जल हो जाती

अपना-अपना मोचा सभालना - अपनी िजमदार नबाहना

आसमान स जमीन पर गरना -उच िथत स नन िथत पर आना

खल कर बात करना- बना सकच क बात करना |

चपत हो जाना ndash भाग जाना |

जी-जान स जट जाना ndash खब महनत करना

िजतन मह उतनी बात होना- कई तरह क बात करना |

ततर-बतर होना ndash बखर जाना |

त-त म -म होना -झगड़ा होना |

नमक-मच लगाना- बढ़ा-चढ़कर कहना|

बात बनाना- बहान बनाना|

रग चढ़ना- असर होना|

मह न खोलना ndash कछ न बताना |

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पय-भाग

पाठ-4

मनयता ndashमथलशरण गत

-लखक का परचय-

-पाठ का सार व पिटकरण-

कत क अय ाणय क तलना म मनय म सोचन क शित अधक होती ह

वह अपन ह नह दसर क सख - दःख का भी याल रखता ह और दसर क लए

कछ करन म समथ होता ह जानवर जब चरागाह म जात ह तो कवल अपन लए

चर कर आत ह परत मनय ऐसा नह ह वह जो कछ भी कमाता ह जो कछ भी

बनाता ह वह दसर क लए भी करता ह और दसर क सहायता स भी करता ह

तत पाठ का कव अपन क सख - दःख क चता करन वाल को मनय तो

मानता ह परत यह मानन को तयार नह ह क उन मनय म मनयता क सार

गण होत ह कव कवल उन मनय को महान मानता ह जो अपन क सख - दःख

स पहल दसर क चता करत ह वह मनय म ऐस गण चाहता ह िजसक कारण

कोई भी मनय इस मयलोक स चल जान क बाद भी सदय तक दसर क याद म

रहता ह अथात वह मय क बाद भी अमर रहता ह

-पाठ सार-

इस कवता म कव मनयता का सह अथ समझान का यास कर रहा ह पहल

भाग म कव कहता ह क मय स नह डरना चाहए यक मय तो निचत ह पर

हम ऐसा कछ करना चाहए क लोग हम मय क बाद भी याद रख असल मनय

वह ह जो दसर क लए जीना व मरना सीख ल दसर भाग म कव कहता ह क

हम उदार बनना चाहए यक उदार मनय का हर जगह गण गान होता ह मनय

वह कहलाता ह जो दसर क चता कर तीसर भाग म कव कहता ह क पराण

म उन लोग क बहत उदाहरण ह िजह उनक याग भाव क लए आज भी याद

कया जाता ह सचा मनय वह ह जो याग भाव जान ल चौथ भाग म कव

कहता ह क मनय क मन म दया और कणा का भाव होना चाहए मनय वह

कहलाता ह जो दसर क लए मरता और जीता ह पाचव भाग म कव कहना चाहता

ह क यहा कोई अनाथ नह ह यक हम सब उस एक ईवर क सतान ह हम

भदभाव स ऊपर उठ कर सोचना चाहएछठ भाग म कव कहना चाहता ह क हम

दयाल बनना चाहए यक दयाल और परोपकार मनय का दवता भी वागत करत

ह अतः हम दसर का परोपकार व कयाण करना चाहएसातव भाग म कव कहता

ह क मनय क बाहर कम अलग अलग हो परत हमार वद साी ह क सभी क

आमा एक ह हम सब एक ह ईवर क सतान ह अतः सभी मनय भाई -बध ह

और मनय वह ह जो दःख म दसर मनय क काम आयअतम भाग म कव

कहना चाहता ह क वप और वन को हटात हए मनय को अपन चन हए रात

पर चलना चाहए आपसी समझ को बनाय रखना चाहए और भदभाव को नह

बढ़ाना चाहए ऐसी सोच वाला मनय ह अपना और दसर का कयाण और उधार

कर सकता ह

-याया

1-वचार लो क मय हो न मय स डरो कभी

मरो परत य मरो क याद जो कर सभी

हई न य समय तो वथा मर वथा िजए

मारा नह वह क जो िजया न आपक लए

वह पश- वत ह क आप आप ह चर

वह मनय ह क जो मनय क लए मर

सग - तत कवता हमार पाय पतक पश भाग -2 स ल गई ह इसक

कव मथलशरण गत ह इन पितओ म कव बताना चाहता ह क मनय को

कसा जीवन जीना चाहए

याया - कव कहता ह क हम यह जान लना चाहए क मय का होना निचत

ह हम मय स नह डरना चाहए कव कहता ह क हम कछ ऐसा करना चाहए क

लोग हम मरन क बाद भी याद रख जो मनय दसर क लए कछ भी ना कर सक

उनका जीना और मरना दोन बकार ह मर कर भी वह मनय कभी नह मरता जो

अपन लए नह दसर क लए जीता ह यक अपन लए तो जानवर भी जीत ह

कव क अनसार मनय वह ह जो दसर मनय क लए मर अथात जो मनय दसर

क चता कर वह असल मनय कहलाता ह

2-उसी उदार क कथा सरवती बखानती

उसी उदार स धरा कताथ भाव मानती

उसी उदार क सदा सजीव कत कजती

तथा उसी उदार को समत सिट पजती

अखड आम भाव जो असीम वव म भर

वह मनय ह क जो मनय क लए मर

सग - तत कवता हमार पाय पतक पश भाग -2 स ल गई ह इसक

कव मथलशरण गत ह इन पितओ म कव बताना चाहता ह क जो मनय

दसर क लए जीत ह उनका गणगान यग - यग तक कया जाता ह

याया - कव कहता ह क जो मनय अपन पर जीवन म दसर क चता करता

ह उस महान यित क कथा का गण गान सरवती अथात पतक म कया जाता

ह पर धरती उस महान यित क आभार रहती ह उस यित क बातचीत

हमशा जीवत यित क तरह क जाती ह और पर सिट उसक पजा करती ह

कव कहता ह क जो यित पर ससार को अखड भाव और भाईचार क भावना म

बाधता ह वह यित सह मायन म मनय कहलान योय होता ह

3-धात रतदव न दया करथ थाल भी

तथा दधीच न दया पराथ अिथजाल भी

उशीनर तीश न वमास दान भी कया

सहष वीर कण न शरर-चम भी दया

अनय दह क लए अनाद जीव या डर

वह मनय ह क जो मनय क लए मर

सग - तत कवता हमार पाय पतक पश भाग -2 स ल गई ह इसक

कव मथलशरण गत ह इन पितओ म कव न महान पष क उदाहरण दए ह

िजनक महानता क कारण उह याद कया जाता ह

याया - कव कहता ह क पौराणक कथाए ऐस यितओ क उदाहरण स भर

पड़ी ह िजहन अपना परा जीवन दसर क लए याग दया िजस कारण उह आज

तक याद कया जाता ह भख स परशान रतदव न अपन हाथ क आखर थाल भी

दान कर द थी और महष दधीच न तो अपन पर शरर क हडया व बनान क

लए दान कर द थी उशीनर दश क राजा शब न कबतर क जान बचान क लए

अपना परा मास दान कर दया था वीर कण न अपनी ख़शी स अपन शरर का

कवच दान कर दया था कव कहना चाहता ह क मनय इस नवर शरर क लए

य डरता ह यक मनय वह कहलाता ह जो दसर क लए अपन आप को याग

दता ह

4-सहानभत चाहए महावभत ह यह

वशीकता सदव ह बनी हई वय मह

वधभाव बध का दया-वाह म बहा

वनीत लोकवग या न सामन झका रहा

अहा वह उदार ह परोपकार जो कर

वह मनय ह क जो मनय क लए मर

सग - तत कवता हमार पाय पतक पश भाग -2 स ल गई ह इसक

कव मथलशरण गत ह इन पितओ म कव न महामा बध का उदाहरण दत

हए दया कणा को सबस बड़ा धन बताया ह

याया - कव कहता ह क मनय क मन म दया व कणा का भाव होना चाहए

यह सबस बड़ा धन ह वय ईवर भी ऐस लोग क साथ रहत ह इसका सबस

बड़ा उदाहरण महामा बध ह िजनस लोग का दःख नह दखा गया तो व लोक

कयाण क लए दनया क नयम क वध चल गए इसक लए या परा ससार

उनक सामन नह झकता अथात उनक दया भाव व परोपकार क कारण आज भी

उनको याद कया जाता ह और उनक पजा क जाती ह महान उस को कहा जाता ह

जो परोपकार करता ह वह मनय मनय कहलाता ह जो मनय क लए जीता ह

और मरता ह

5-रहो न भल क कभी मदाघ तछ व म

सनाथ जान आपको करो न गव च म

अनाथ कौन ह यहा लोकनाथ साथ ह

दयाल दन बध क बड़ वशाल हाथ ह

अतीव भायहन ह अधीर भाव जो कर

वह मनय ह क जो मनय क लए मर

सग - तत कवता हमार पाय पतक पश भाग -2 स ल गई ह इसक

कव मथलशरण गत ह इन पितओ म कव कहता ह क सपत पर कभी

घमड नह करना चाहए और कसी को अनाथ नह समझना चाहए यक ईवर

सबक साथ ह

याया - कव कहता ह क भल कर भी कभी सप या यश पर घमड नह करना

चाहए इस बात पर कभी गव नह करना चाहए क हमार साथ हमार अपन का

साथ ह यक कव कहता ह क यहा कौन सा यित अनाथ ह उस ईवर का

साथ सब क साथ ह वह बहत दयावान ह उसका हाथ सबक ऊपर रहता ह कव

कहता ह क वह यित भायहन ह जो इस कार का उतावलापन रखता ह यक

मनय वह यित कहलाता ह जो इन सब चीज स ऊपर उठ कर सोचता ह

6-अनत अतर म अनत दव ह खड़

सम ह वबाह जो बढ़ा रह बड़-बड़

परपरावलब स उठो तथा बढ़ो सभी

अभी अमय-अक म अपक हो चढ़ो सभी

रहो न या क एक स न काम और का सर

वह मनय ह क जो मनय क लए मर

सग - तत कवता हमार पाय पतक पश भाग -2 स ल गई ह इसक

कव मथलशरण गत ह इन पितओ म कव कहता ह क कलक रहत रहन व

दसर का सहारा बनन वाल मवषय का दवता भी वागत करत ह

याया - कव कहता ह क उस कभी न समात होन वाल आकाश म असय

दवता खड़ ह जो परोपकार व दयाल मनय का सामन स खड़ होकर अपनी भजाओ

को फलाकर वागत करत ह इसलए दसर का सहारा बनो और सभी को साथ म

लकर आग बड़ो कव कहता ह क सभी कलक रहत हो कर दवताओ क गोद म

बठो अथात यद कोई बरा काम नह करोग तो दवता तह अपनी गोद म ल लग

अपन मतलब क लए नह जीना चाहए अपना और दसर का कयाण व उधार

करना चाहए यक इस मरणशील ससार म मनय वह ह जो मनय का कयाण

कर व परोपकार कर

7-मनय माा बध ह यह बड़ा ववक ह

पराणपष वयभ पता सध एक ह

फलानसार कम क अवय बाय भद ह

परत अतरय म माणभत वद ह

अनथ ह क बध ह न बध क यथा हर

वह मनय ह क जो मनय क लए मर

सग - तत कवता हमार पाय पतक पश भाग -2 स ल गई ह इसक

कव मथलशरण गत ह इन पितओ म कव कहता ह क हम सब एक ईवर क

सतान ह अतः हम सभी मनय एक - दसर क भाई - बध ह

याया - कव कहता ह क यक मनय एक दसर क भाई - बध ह यह सबस

बड़ी समझ ह पराण म िजस वय उपन पष मना गया ह वह परमामा या

ईवर हम सभी का पता ह अथात सभी मनय उस एक ईवर क सतान ह

बाहर कारण क फल अनसार यक मनय क कम भल ह अलग अलग ह परत

हमार वद इस बात क साी ह क सभी क आमा एक ह कव कहता ह क यद

भाई ह भाई क दःख व कट का नाश नह करगा तो उसका जीना यथ ह यक

मनय वह कहलाता ह जो बर समय म दसर मनय क काम आता ह

8-चलो अभीट माग म सहष खलत हए

वपवन जो पड़ उह ढकलत हए

घट न हलमल हा बढ़ न भनता कभी

अतक एक पथ क सतक पथ ह सभी

तभी समथ भाव ह क तारता हआ तर

वह मनय ह क जो मनय क लए मर

सग - तत कवता हमार पाय पतक पश भाग -2 स ल गई ह इसक

कव मथलशरण गत ह इन पितओ म कव कहता ह क यद हम ख़शी ससार

कट को हटत हए भदभाव रहत रहग तभी सभव ह क समाज क उनत होगी

याया - कव कहता ह क मनय को अपनी इछा स चन हए माग म ख़शी

ख़शी चलना चाहएरात म कोई भी सकट या बाधाए आय उह हटात चल जाना

चाहए मनय को यह यान रखना चाहए क आपसी समझ न बगड़ और भद

भाव न बड़ बना कसी तक वतक क सभी को एक साथ ल कर आग बढ़ना चाहए

तभी यह सभव होगा क मनय दसर क उनत और कयाण क साथ अपनी

समध भी कायम कर

-ननलखत न क उर दिजय ndash

1-कव न कसी मय को समय कहा ह

1-कव न ऐसी मय को समय कहा ह िजसम मनय अपन स पहल दसर क चता

करता ह और परोपकार क राह को चनता ह िजसस उस मरन क बाद भी याद कया

जाता ह

2-उदार यित क पहचान कस हो सकती ह

2- उदार यित परोपकार होता ह वह अपन स पहल दसर क चता करता ह और

लोक कयाण क लए अपना जीवन याग दता ह

3-कव न दधीच कण आद महान यितओ क उदाहरण द कर मनयता क लए

या उदाहरण दया ह

3- कव न दधीच कण आद महान यितओ क उदाहरण द कर मनयता क

लए यह सदश दया ह क परोपकार करन वाला ह असल मनय कहलान योय

होता ह मानवता क रा क लए दधीच न अपन शरर क सार अिथया दान कर

द थीकण न अपनी जान क परवाह कय बना अपना कवच द दया था िजस

कारण उह आज तक याद कया जाता ह कव इन उदाहरण क वारा यह

समझाना चाहता ह क परोपकार ह सची मनयता ह

4- कव न कन पितय म यह यत कया ह क हम गव - रहत जीवन यतीत

करना चाहए

4- कव न ननलखत पितय म गव रहत जीवन यतीत करन क बात कह ह-

रहो न भल क कभी मगाघ तछ व म

सनाथ जान आपको करो न गव च म

अथात सपत क घमड म कभी नह रहना चाहए और न ह इस बात पर गव

करना चाहए क आपक पास आपक अपन का साथ ह यक इस दनया म कोई

भी अनाथ नह ह सब उस परम पता परमवर क सतान ह

5- मनय मा बध ह स आप या समझत ह पट किजए

5- मनय मा बध ह अथात हम सब मनय एक ईवर क सतान ह अतः हम

सब भाई - बध ह भाई -बध होन क नात हम भाईचार क साथ रहना चाहए और

एक दसर का बर समय म साथ दना चाहए

6- कव न सबको एक होकर चलन क रणा य द ह

6- कव न सबको एक होकर चलन क रणा इसलए द ह ताक आपसी समझ न

बगड़ और न ह भदभाव बड़ सब एक साथ एक होकर चलग तो सार बाधाए मट

जाएगी और सबका कयाण और समध होगी

7- यित को कस तरह का जीवन यतीत करना चाहए इस कवता क आधार पर

लखए

7-मनय को परोपकार का जीवन जीना चाहए अपन स पहल दसर क दख क

चता करनी चाहए कवल अपन बार म तो जानवर भी सोचत ह कव क अनसार

मनय वह कहलाता ह जो अपन स पहल दसर क चता कर

8- मनयता कवता क वारा कव या सदश दना चाहता ह

8- मनयता कवता क मायम स कव यह सदश दना चाहता ह क परोपकार ह

सची मनयता ह परोपकार ह एक ऐसा साधन ह िजसक मायम स हम यग तक

लोगो क दल म अपनी जगह बना सकत ह और परोपकार क वारा ह समाज का

कयाण व समध सभव ह अतः हम परोपकार बनना चाहए ताक हम सह

मायन म मनय कहलाय

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-याकरण-

पदबध- परभाषा

पद- वाय स अलग रहन पर शद और वाय म यत हो जान पर शद

पद कहलात ह दसर शद म- वाय म यत शद पद कहलाता ह पदबध-

जब दो या अधक (शद) पद नयत म और निचत अथ म कसी पद का

काय करत ह तो उह पदबध कहत ह

पदबध क भद

मय पद क आधार पर पदबध क पाच कार होत ह-

(1) सा-पदबध (2) वशषण-पदबध

(3) सवनाम पदबध (4) या पदबध

(5) अयय पदबध

(1) सा-पदबध-

(a)चार ताकतवर मजदर इस भार चीज को उठा पाए

(b) राम न लका क राजा रावण को मार गराया

(c) अयोया क राजा दशरथ क चार प थ

(d) आसमान म उड़ता गबारा फट गया

2) वशषण पदबध-

a) तज चलन वाल गाड़या ायः दर स पहचती ह

(b) उस घर क कोन म बठा हआ आदमी जासस ह

(c) उसका घोड़ा अयत सदर फरतीला और आाकार ह

(d) बरगद और पीपल क घनी छाव स हम बहत सख मला

3) सवनाम पदबध-

(a)बजल-सी फरती दखाकर आपन बालक को डबन स बचा लया

(b)शरारत करन वाल छा म स कछ पकड़ गए

(c)वरोध करन वाल लोग म स कोई नह बोला

4) या पदबध-

(a) वह बाजार क ओर आया होगा

(b) मझ मोहन छत स दखाई द रहा ह

(c) सरश नद म डब गया

(d) अब दरवाजा खोला जा सकता ह

5) अयय पदबध-

(a)अपन सामान क साथ वह चला गया

(b)सबह स शाम तक वह बठा रहा

कसी भी भाषा क व शद अयय (Indeclinable या inflexible) कहलात ह िजनक प म

लग वचन पष कारक काल इयाद क कारण कोई वकार उप नह होता

चक अयय का पातर नह होता इसलए ऐस शद अवकार होत ह अयय का शािदक

अथ ह- जो यय न हो

(i) कालवाचक अयय- इनम समय का बोध होता ह जस- आज कल तरत पीछ पहल अब

जब तब कभी-कभी कब अब स नय जब स सदा स अभी तभी आजकल और कभी

उदाहरणाथ-

अब स ऐसी बात नह होगी

ऐसी बात सदा स होती रह ह

वह कब आया मझ पता नह

(ii) थानवाचक अयय- इसस थान का बोध होता ह जस- यहा वहा कहा जहा यहा स

वहा स इधर-उधर उदाहरणाथ-

वह यहा नह ह

वह कहा जायगा

वहा कोई नह ह

जहा तम हो वहा म ह

(iii) दशावाचक अयय- इसस दशा का बोध होता ह जस- इधर उधर िजधर दर पर अलग

दाहन बाए आरपार

(iv) िथतवाचक अयय- नीच ऊपर तल सामन बाहर भीतर इयाद

अयय क भद

अयय ननलखत चार कार क होत ह -

(1) यावशषण (Adverb)

(2) सबधबोधक (Preposition)

(3) समचयबोधक (Conjunction)

(4) वमयादबोधक (Interjection)

(1) यावशषण - िजन शद स या वशषण या दसर यावशषण क वशषता कट

हो उह यावशषण कहत ह

दसर शदो म- जो शद या क वशषता बतलात ह उह या वशषण कहा जाता ह

जस- राम धीर-धीर टहलता ह राम वहा टहलता ह राम अभी टहलता ह

इन वाय म धीर-धीर वहा और अभी राम क टहलन (या) क वशषता बतलात ह य

यावशषण अवकार वशषण भी कहलात ह इसक अतरत यावशषण दसर

यावशषण क भी वशषता बताता ह

वह बहत धीर चलता ह इस वाय म बहत यावशषण ह यक यह दसर यावशषण

धीर क वशषता बतलाता ह

या वशषण क कार

(1) योग क अनसार- (i) साधारण (ii) सयोजक (iii) अनबध

(2) प क अनसार- (i) मल यावशषण (ii) यौगक यावशषण (iii) थानीय यावशषण

(3) अथ क अनसार- (i) परमाणवाचक (ii) रतवाचक

(1) योग क अनसार यावशषण क भद

योग क अनसार यावशषण क तीन भद ह-

(i) साधारण यावशषण- िजन यावशषण का योग कसी वाय म वत होता ह

उह साधारण यावशषण कहा जाता ह

जस- हाय अब म या क बटा जद आओ अर साप कहा गया

(ii) सयोजक यावशषण- िजन यावशषण का सबध कसी उपवाय स रहता ह उह

सयोजक यावशषण कहा जाता ह

जस- जब रोहताव ह नह तो म ह जीकर या कगी जहा अभी सम ह वहा कसी

समय जगल था

(iii) अनबध यावशषण- िजन यावशषण क योग अवधारण (नचय) क लए कसी

भी शदभद क साथ होता हो उह अनबध यावशषण कहा जाता ह

जस- यह तो कसी न धोखा ह दया ह मन उस दखा तक नह

(2) प क अनसार यावशषण क भद

प क अनसार यावशषण क तीन भद ह-

(i) मल यावशषण- ऐस यावशषण जो कसी दसर शद क मल स नह बनत मल

यावशषण कहलात ह

जस- ठक दर अचानक फर नह

(ii) यौगक यावशषण- ऐस यावशषण जो कसी दसर शद म यय या पद जोड़न

पर बनत ह यौगक यावशषण कहलात ह

जस- मन स िजसस चपक स भल स दखत हए यहा तक झट स वहा पर यौगक

यावशषण सा सवनाम वशषण धात और अयय क मल स बनत ह

यौगक यावशषण नीच लख शद क मल स बनत ह-

(i) साओ क वित स- घर-घर घड़ी-घड़ी बीच-बीच हाथ-हाथ

(ii) दो भ साओ क मल स- दन-रात साझ-सबर घर-बाहर दश-वदश

(iii) वशषण क वित स- एक-एक ठक-ठक साफ-साफ

(iv) यावशषण क वित स- धीर-धीर जहा-तहा कब-कब कहा-कहा

(v) दो यावशषण क मल स- जहा-तहा जहा-कह जब-तब जब-कभी कल-परस आस-पास

(vi) दो भ या समान यावशषण क बीच न लगान स- कभी-न-कभी कछ-न-कछ

(vii) अनकरण वाचक शद क वित स- पटपट तड़तड़ सटासट धड़ाधड़

(viii) सा और वशषण क योग स- एक साथ एक बार दो बार

(ix) अय य और दसर शद क मल स- तदन यथाम अनजान आजम

(x) पवकालक कदत और वशषण क मल स- वशषकर बहतकर मयकर एक-एककर

(iii) थानीय यावशषण- ऐस यावशषण जो बना पातर क कसी वशष थान म

आत ह थानीय यावशषण कहलात ह

जस- वह अपना सर पढ़गा

वह दौड़कर चलत ह

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  • (1) अरथ की दषटि स शबद-भद13
  • (2) परयोग की दषटि स शबद-भद13
  • (3) उतपति की दषटि स शबद-भद13
  • 1) सवर सधि-13
  • परति+छवि=परतिचछवि दिक+अनत=दिगनत दिक+गज=दिगगज अन+छद=अनचछद अच +अनत = अजनत 13
  • 3)विसरग सधि - विसरग क साथ सवर या वयजन का मल होन पर जो विकार होता ह उस 13
  • विसरग सधि कहत ह 13
  • मन+रथ=मनोरथ यश+अभिलाषा=यशोभिलाषा अध+गति=अधोगति नि+छल=निशछल द +गम = दरगम 13
    • -पाठ सार-13
    • -वयाखया13
    • -निमनलिखित परशनो क उततर दीजिय ndash13
    • 1-कवि न कसी मतय को समतय कहा ह13
    • अवयय क भद13
    • करिया विशषण क परकार13
Page 17: Class –X HINDI JUNE SYLLABUS 2020 Chapters:- Ch-1-Sanchayan …punainternationalschool.com/assets/upload/ck-images/Std-10th=Jun… · -harihar kaka . पय-भाग पाठ-3

गय-भाग

पाठ-12

(ततारा-वामीरो कथा )

(ललाधर मडलोई)

-लखक का परचय- ललाधर मडलोईमडलोई का जम भारतीय

राय मयदश क छदवाडा िजल क गढ़ नामक गाव म हआ मडलोई न भारत म बीए

बीएड (अज़ी) पाकारता म नातक और एमए (हद) तक शा हण कया और

इसक बाद व लदन चल गय जहा स सारण म उच-शा (सीआरट) हण क

मडलोई दरदशन आकाशवाणी क महानदशक सहत कई राय-अतरराय समतय क

साथ ह सार भारती बोड क सदय रह चक ह

-पाठ का सार-

जो सयता िजतनी अधक परानी होगी उतनी ह अधक कस -कहानया उसस जड़ी होती ह जो

हम सनन को मलती ह जो कस - कहानया हम सनन को मलती ह जर नह क वो उसी तरह

घटत हई हो िजस तरह वो हम सनाई जा रह हइतना जर होता ह क इन कस और कहानय

म कोई न कोई सीख छपी होती ह अदमान नकोबार वीपसमह म भी बहत तरह क कस -

कहानया मशहर ह इनम स कछ को ललाधर मडलोई न लखा ह

तत पाठ ततारा वामीरो कथा अडमान नकोबार वीप समह क एक छोट स वीप पर क त ह

उस वीप पर एक -दसर स शता का भाव अपनी अतम सीमा पर पहच चका था इस शता क

भावना को जड़ स उखाड़न क लए एक जोड़ को आमबलदान दना पड़ा था उसी जोड़ क बलदान

का वणन लखक न तत पाठ म कया ह

यार सबको एक साथ लाता ह और नफरत सब क बीच दरय को बढ़ाती हइस बात स भला कौन

इनकार कर सकता ह इसलए जो कोई भी समाज क लए अपन यार का अपन जीवन का

बलदान करता ह समाज न कवल उस याद रखता ह बिक उसक वारा कय गए याग और

बलदान को बकार नह जान दता यह वह कारण ह िजसक वजह स तकालन समाज क सामन

मसाल कायम करन वाल इस जोड़ को आज भी इस वीप क नवासी गव और धा स याद करत

-शदाथ-

-खला-म कड़ी -आदम ndashाभक

-वभत ndashबटा हआ -आमीय ndashअपना

-वलण ndashअसाधारण -बयार-मद हवा

त-एकाता -वकल-बचन

-सचार-उपन -असगत ndashअनचत

समोहतndash मध -झझलाना ndash चड़ना

-रोमाचत ndash पलकत -नचल- िथर

-अफवाह ndash उड़ती खबर -उफनना ndash उबाल आना

शमन ndashशात होना -घपना भकनाचभना

-न-उर-

1-ततारा और वामीरो क गाव क या थी

उर- ततारा और वामीरो क गाव क यह रत थी क ववाह क लए लड़क-लड़क का एक

ह गाव का होना जर था दसर गाव क यवक क साथ सबध असभव था

2-ततारा क तलवार क बार म लोग का या मत था

उर- ततारा क तलवार ययप लकड़ी क थी पर इसक बावजद लोग का मानना था क

उस तलवार म अभत दवीय शित थी ततारा तलवार को कभी अपन स अलग होन नह

दता था लोग यह मानत थ क ततारा अपन साहसक कारनाम इसी तलवार क कारण ह

कर पाता ह उसम बड़ी शित थी

3-नकोबार क लोग ततारा को य पसद करत थ

उर- नकोबार क लोग ततारा को उसक साहसी और परोपकार वभाव क कारण पसद करत

थ वह एक सदर और शितशाल यवक था वह सदा लोग क सहायता करता रहता था

ततारा एक नक और मददगार यित था वह अपन गाव वाल क ह नह समच

वीपवासय क सवा करना अपना धम समझता था सभी उसका आदर करत थ मसीबत

क घड़ी म वह लोग क पास तरत पहच जाता था

4- ाचीन काल म मनोरजन और शित-दशन क लए कस कार क आयोजन कए जात

उर- ाचीन काल म मनोरजन और शित-दशन क लए अ-श चलान सबधी

आयोजन तथा पश पव कए जात थ

5-lsquoततारा-वामीरो कथाrsquo का सदश पट किजए

उर- lsquoततारा-वामीरो कथाrsquo एक लोकगाथा ह इसम यह सदश दया गया ह क म को कसी

बधन जड़ता तथा सीमाओ म बाधना उचत नह ह यद कोई गाव दश या म को

पनपन क लए खला अवसर नह दता तो इसस सवनाश होता ह धरती म भदभाव बढ़त ह

पहल स बट हई धरती और अवसर नह दता तो इसस मानवता का य होता ह भावनाए

एक होन क बजाय खडत होती ह अतः गाव दश या अय सकण नयमो को तोड़कर

हम उदारता क साथ सबको अपनाना चाहए

7-नक ततारा और वामीरो क मय कस हई पठत पाठ क आधार पर लखए

उर- पश-पव क मौक पर ततारा और वामीरो को इकठा दखकर वामीरो क मा ोध म

उफन उठ उसन ततारा को तरह-तरह स अपमानत कया गाव क लोग भी ततारा क

वरोध म आवाज उठान लग यह ततारा क लए अहसनीय था वामीरो अब भी रोए जा रह

थी ततारा भी गस स भर उठा उस जहा ववाह क नषध परपरा पर ोभ था वह अपनी

असहायता पर खीझ वामीरो का दख उस और गहरा कर रहा था उस मालम नह था क

या कदम उठाना चाहए अनायास उसका हाथ तलवार क मढ़ पर जा टका ोध म उसन

तलवार नकाल और कछ वचार करता रहा ोध लगातार अिन क तरह बढ़ रहा था

लोग सहम उठ एक सनाटा-सा खच गया जब कोई राह न सझी तो ोध का शमन करन

क लए उसम शित भर उस धरती म घप दया और ताकत स उस खीचन लगा वह

पसीन स नहा उठा सब घबराए हए थ वह तलवार को अपनी तरफ खीचत-खीचत दर तक

पहच गया वह हाफ रहा था अचानक जहा एक लकर खच गई थी वहा एक दरार होन

लगी मानो धरती दो टकड़ो म बटन लगी हो एक गड़गड़ाहट-सी गजन लगी और लकर क

सीध म धरती फटती ह जा रह थी वीप क अतम सर तक ततारा धरती को मानो ोध

म काटता जा रहा था सभी याकल हो उठ लोग न ऐस य क कपना न क थी व

सहर उठ उधर वामीरो फटती हई धरती क कनार ततारा का नाम पकारत हए दौड़ रह थी

वीप दो टकड़ म वभत हो चका था ततारा और वामीरो वीप क साथ सम म धस

गए और उमय हो गई

8-शाम क समय सम कनार ततारा क ाकतक अनभत का वणन किजए

उर- एक शाम ततारा दन-भर क अथक परम क बाद सम कनार टहलन नकल

पड़ा सरज सम स लग तज तल डबन को था सम स ठडी बयार आ रह थी

पय क सायकालन चाहचाहाहट शनः शनः ीण ह को थी उसका मन शात था

वचारमन ततारा सम बाल पर बठकर सरज क अतम रग-बरगी करण को सम

पर नहारन लगा तभी कह पास म उस मधर गीत गजता सनाई दया गीत मान

बहता हआ उसक तरफ आ रहा हो बीच-बीच म लहर का सगीत सनाई दता गायन

भावी था क वह अपनी सध-बध खोन लगा लहर क एक बल वग न उसक ता भग

क चतय होत ह वह उधर बढ़न को ववश हो उठा िजधर स अब भी गीत क वर बह

रह थ वह वकल-सा उस तरफ़ बढ़ता गया अततः उसक नजर एक यवती पर पड़ी जो

ढलती हई शाम क सदय म बसध एकटक सम क दह पर डबत आकषक रगो को

नहारत हए गा रह थी यह एक शगार गीत था

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Vyakr`-vaKy-

bull वाय क सामन दए कोठक म ( radic का चह लगाकर बताए क वह वाय कस

कार का ह

क) नकोबार उस बहद म करत थ (नवाचक वधानवाचक नषधामक

वमयादबोधक)

ख) तमन एकाएक इतना मधर गाना अधरा य छोड़ दया नवाचक

वधानवाचक नषधामक वमयादबोधक)

ग) वामीरो क मा ोध म उफन उठ (नवाचक वधानवाचक नषधामक

वमयादबोधक)

घ) या तह गाव का नयम नह मालम नवाचक वधानवाचक नषधामक

वमयादबोधक)

ङ) वाह कतना सदर नाम ह (नवाचक वधानवाचक नषधामक

वमयादबोधक)

च) म तहारा राता छोड़ दगा

वमयादबोधक)

उर- क) वधानवाचक

ग) वधानवाचक

ङ) वमयादबोध

Ocirc-इस पाठ म lsquo दखना lsquo या क कई प आए ह

शदयोग म या अतर ह

Ocirc-उर-

म तहारा राता छोड़ दगा (नवाचक वधानवाचक नषधामक

ख) नवाचक

घ) नवा

च) वधानवाचक

या क कई प आए ह lsquo दखना lsquo क इन वभन

वाययोग वारा पट किजए

नषधामक

नवाचक

वधानवाचक

क इन वभन

-वाय क उदाहरण-

सचयन-भाग

पाठ-1 (हरहर काका )

-शदाथ -

तबयत - शरर क िथत यणा - यातना कलश कट

मनःिथत - मन क िथत चद - कछ

आसित ndash लगाव यावहारक - यावहार सबधी

वचारक - वचार सबधी दलार - यार

सयाना - यक बधमान तीा - इतज़ार

फ़लहाल - अभी इस समय मझधार - बीच म

वलन - लत हो जाना वकप - दसरा उपाय

चलत ndash चलनसार जात - जगाना

कलवर - शरर मनौती - मनत

परपरा - था णाल अधकाश - यादातर

समत ndash सथा सचालन - नयण चलाना

नयित - तनाती लगाया गया वमख - तकल

चपट - आघात हार अहाता-चार ओर स दवार स घरा हआ मदान

अखड ndash नवन वफोट - फट कर बाहर नकलना

आगमन - आन पर उपलय - सकत

सराहना ndash शसा निचत - बफ

-लखक का परचय-मथलवर का जम 31 दसबर 1950 को बहार क

भोजपर िजल क बसाडीह नामक गाव म हआ इनक पता व० ो० वशरोपन लाल थ

मथलवर क पता (ो० वशरोपन लाल) भी वलण तभा क धनी थ परत उनक

असाय बीमार न मथलवर क जीवन म आरभ स ह कठन सघष क बीज बो दय थ

पाठ सार-

लखक कहता ह क वह हरहर काका क साथ बहत गहर स जड़ा था लखक का हरहर

काका क त जो यार था वह लखक का उनक यावहार क और उनक वचार क कारण

था और उसक दो कारण थ पहला कारण था क हरहर काका लखक क पड़ोसी थ और

दसरा कारण लखक को उनक मा न बताया था क हरहर काका लखक को बचपन स ह

बहत यादा यार करत थ जब लखक यक हआ तो उसक पहल दोती भी हरहर काका

क साथ ह हई थी लखक क गाव क पव दशा म ठाकर जी का वशाल मदर था िजस

गाव क लोग ठाकरबार यान दवथान कहत थ लोग ठाकर जी स प क मनत मागत

मक़दम म जीत लड़क क शाद कसी अछ घर म हो जाए लड़क को नौकर मल जाए

आद मनत मागत थ मनत पर होन पर लोग अपनी ख़शी स ठाकरजी को पए ज़वर

और अनाज चढ़ाया करत थ िजसको बहत अधक ख़शी होती थी वह अपन खत का छोटा-

सा भाग ठाकरजी क नाम कर दता था और यह एक तरह स था ह बन गई लखक कहता

ह क उसका गाव अब गाव क नाम स नह बिक दव-थान क वजह स ह पहचाना जाता

था उसक गाव का यह दव-थान उस इलाक का सबस बड़ा और सध दवथान था

हरहर काका न अपनी परिथतओ क कारण दव-थान म जाना बद कर दया था मन

बहलान क लए लखक भी कभी-कभी दव-थान चला जाता था लकन लखक कहता ह क

वहा क साध-सत उस बलकल भी पसद नह थ यक व काम करन म कोई दलचपी

नह रखत थ भगवान को भोग लगान क नाम पर व दन क दोन समय हलवा-पड़ी

बनवात थ और आराम स पड़ रहत थ सारा काम वहा आए लोग स सवा करन क नाम पर

करवात थ व खद अगर कोई काम करत थ तो वो था बात बनवान का काम

लखक हरहर काका क बार म बताता हआ कहता ह क हरहर काका और उनक तीन भाई

ह सबक शाद हो चक ह हरहर काका क अतरत सभी तीन भाइय क बाल-बच ह

कछ समय तक तो हरहर काका क सभी चीज़ का अछ स यान रखा गया परत फर

कछ दन बाद हरहर काका को कोई पछन वाला नह था लखक कहता ह क अगर कभी

हरहर काका क शरर क िथत ठक नह होती तो हरहर काका पर मसीबत का पहाड़ ह

गर जाता यक इतन बड़ परवार क रहत हए भी हरहर काका को कोई पानी भी नह

पछता था बारामद क कमर म पड़ हए हरहर काका को अगर कसी चीज़ क जरत होती

तो उह खद ह उठना पड़ता एक दन उनका भतीजा शहर स अपन एक दोत को घर ल

आया उह क आन क ख़शी म दो-तीन तरह क सिज़या बजक चटनी रायता और भी

बहत कछ बना था सब लोग न खाना खा लया और हरहर काका को कोई पछन तक नह

आया हरहर काका गस म बरामद क ओर चल पड़ और जोर-जोर स बोल रह थ क

उनक भाई क पिनया या यह सोचती ह क व उह मत म खाना खला रह ह उनक

खत म उगन वाला अनाज भी इसी घर म आता ह

हरहर काका क गस का महत जी न लाभ उठान क सोची महत जी हरहर काका को

अपन साथ दव-थान ल आए और हरहर काका को समझान लग क उनक भाई का परवार

कवल उनक जमीन क कारण उनस जड़ा हआ ह कसी दन अगर हरहर काका यह कह द

क व अपन खत कसी और क नाम लख रह ह तो व लोग तो उनस बात करना भी बद

कर दग खन क रत ख़म हो जायग महत हरहर काका स कहता ह क उनक हस म

िजतन खत ह व उनको भगवान क नाम लख द ऐसा करन स उह सीध वग क ाित

होगी

सबह होत ह हरहर काका क तीन भाई दव-थान पहच गए तीन हरहर काका क पाव म

गर कर रोन लग और अपनी पिनय क गलती क माफ़ मागन लग और कहन लग क

व अपनी पिनय को उनक साथ कए गए इस तरह क यवहार क सज़ा दग हरहर काका

क मन म दया का भाव जाग गया और व फर स घर वापस लौट कर आ गए जब अपन

भाइय क समझान क बाद हरहर काका घर वापस आए तो घर म और घर वाल क

यवहार म आए बदलाव को दख कर बहत खश हो गए घर क सभी छोट-बड़ सभी लोग

हरहर काका का आदर-सकार करन लग

गाव क लोग जब भी कह बठत तो बात का ऐसा सलसला चलता िजसका कोई अत नह

था हर जगह बस उह क बात होती थी कछ लोग कहत क हरहर काका को अपनी

जमीन भगवान क नाम लख दनी चाहए इसस उम और अछा कछ नह हो सकता

इसस हरहर काका को कभी न ख़म होन वाल सध ात होगी इसक वपरत कछ

लोग क यह मानत थ क भाई का परवार भी तो अपना ह परवार होता ह अपनी

जायदाद उह न दना उनक साथ अयाय करना होगा हरहर काका क भाई उनस ाथना

करन लग क व अपन हस क जमीन को उनक नाम लखवा द इस वषय पर हरहर

काका न बहत सोचा और अत म इस परणाम पर पहच क अपन जीत-जी अपनी जायदाद

का वामी कसी और को बनाना ठक नह होगा फर चाह वह अपना भाई हो या मदर का

महत यक उह अपन गाव और इलाक क व कछ लोग याद आए िजहन अपनी िजदगी

म ह अपनी जायदाद को अपन रतदार या कसी और क नाम लखवा दया था उनका

जीवन बाद म कसी क क तरह हो गया था उह कोई पछन वाला भी नह था हरहर

काका बलकल भी पढ़-लख नह थ परत उह अपन जीवन म एकदम हए बदलाव को

समझन म कोई गलती नह हई और उहन फसला कर लया क व जीत-जी कसी को भी

अपनी जमीन नह लखग

लखक कहता ह क जस-जस समय बीत रहा था महत जी क परशानया बढ़ती जा

रह थी उह लग रहा था क उहन हरहर काका को फसान क लए जो जाल फ का

था हरहर काका उसस बाहर नकल गए ह यह बात महत जी को सहन नह हो रह

थी आधी रात क आस-पास दव-थान क साध-सत और उनक कछ साथी भाला

गड़ासा और बदक क साथ अचानक ह हरहर काका क आगन म आ गए इसस

पहल हरहर काका क भाई कछ सोच और कसी को अपनी सहायता क लए आवाज

लगा कर बलाए तब तक बहत दर हो गई थी हमला करन वाल हरहर काका को

अपनी पीठ पर डाल कर कह गायब हो गए थव हरहर काका को दव-थान ल गए

थ एक ओर तो दव-थान क अदर जबरदती हरहर काका क अगठ का नशान लन

और पकड़कर समझान का काम चल रहा था तो वह दसर ओर हरहर काका क

तीन भाई सबह होन स पहल ह पलस क जीप को लकर दव-थान पर पहच गए

थ महत और उनक साथय न हरहर काका को कमर म हाथ और पाव बाध कर

रखा था और साथ ह साथ उनक मह म कपड़ा ठसा गया था ताक व आवाज़ न कर

सक परत हरहर काका दरवाज़ तक लढ़कत हए आ गए थ और दरवाज़ पर अपन

पर स धका लगा रह थ ताक बाहर खड़ उनक भाई और पलस उह बचा सक

दरवाज़ा खोल कर हरहर काका को बधन स मत कया गया हरहर काका न

पलस को बताया क व लोग उह उस कमर म इस तरह बाध कर कह गत

दरवाज़ स भाग गए ह और उहन कछ खल और कछ लख हए कागज पर हरहर

काका क अगठ क नशान जबरदती लए ह

यह सब बीत जान क बाद हरहर काका फर स अपन भाइय क परवार क साथ रहन लग

गए थ चौबीस घट पहर दए जान लग थ यहा तक क अगर हरहर काका को कसी

काम क कारण गाव म जाना पड़ता तो हथयार क साथ चार-पाच लोग हमशा ह उनक

साथ रहन लग लखक कहता ह क हरहर काका क साथ जो कछ भी हआ था उसस हरहर

काका एक सीध-साद और भोल कसान क तलना म चालाक और बधमान हो गए थ

उह अब सब कछ समझ म आन लगा था क उनक भाइय का अचानक स उनक त जो

यवहार परवतन हो गया था उनक लए जो आदर-समान और सरा व दान कर रह थ

वह उनका कोई सग भाइय का यार नह था बिक व सब कछ उनक धन-दौलत क कारण

कर रह ह नह तो व हरहर काका को पछत तक नह जब स हरहर काका दव-थान स

वापस घर आए थ उसी दन स ह हरहर काका क भाई और उनक दसर नात-रतदार

सभी यह सोच रह थ क हरहर काका को क़ाननी तरक स उनक जायदाद को उनक

भतीज क नाम कर दना चाहए यक जब तक हरहर काका ऐसा नह करग तब तक

महत क तज़ नज़र उन पर टक रहगी जब हरहर काका क भाई हरहर काका को

समझात-समझात थक गए तो उहन हरहर काका को डाटना और उन पर दवाब डालना

श कर दया एक रात हरहर काका क भाइय न भी उसी तरह का यवहार करना श

कर दया जसा महत और उनक सहयोगय न कया था उह धमकात हए कह रह थ क

ख़शी-ख़शी कागज़ पर जहा-जहा जरत ह वहा-वहा अगठ क नशान लगत जाओ नह तो व

उह मार कर वह घर क अदर ह गाड़ दग और गाव क लोगो को इस बार म कोई सचना

भी नह मलगी हरहर काका क साथ अब उनक भाइय क मारपीट श हो गई जब

हरहर काका अपन भाइय का मकाबला नह कर पा रह थ तो उहन ज़ोर-ज़ोर स

चलाकर अपनी मदद क लए गाव वाल को आवाज लगाना श कर दया तब उनक

भाइय को यान आया क उह हरहर काका का मह पहल ह बद करना चाहए था उहन

उसी पल हरहर काका को जमीन पर पटका और उनक मह म कपड़ा ठस दया लकन तब

तक बहत दर हो गई थी हरहर काका क आवाज बाहर गाव म पहच गई थी हरहर काका

क परवार और रत-नात क लोग जब तक गाव वाल कोसमझात क यह सब उनक

परवार का आपसी मामला ह व सभी इसस दर रह तब तक महत जी बड़ी ह दता और

तज़ी स वहा पलस क जीप क साथ आ गए पलस न पर घर क अछ स तलाशी लना

श कर दया फर घर क अदर स हरहर काका को इतनी बर हालत म हासल कया गया

िजतनी बर हालत उनक दव-थान म भी नह हई थी हरहर काका न बताया क उनक

भाइय न उनक साथ बहत ह यादा बरा यवहार कया ह जबरदती बहत स कागज पर

उनक अगठ क नशान ल लए ह उह बहत यादा मारा-पीटा ह

इस घटना क बाद हरहर काका अपन परवार स एकदम अलग रहन लग थ उह उनक

सरा क लए चार राइफलधार पलस क जवान मल थ आचय क बात तो यह ह क

इसक लए उनक भाइय और महत क ओर स काफ़ यास कए गए थ असल म भाइय

को चता थी क हरहर काका अकल रहन लगग तो दव-थान क महत-पजार फर स

हरहर काका को बहला-फसला कर ल जायग और जमीन दव-थान क नाम करवा लग और

यह चता महत जी को भी थी क हरहर काका को अकला और असरत पा उनक भाई

फर स उह पकड़ कर मारग और जमीन को अपन नाम करवा लग लखक कहता ह क

हरहर काका स जड़ी बहत सी ख़बर गाव म फल रह थी जस-जस दन बड़ रह थ वस-वस

डर का मौहोल बन रहा था सभी लोग सफ यह सोच रह थ क हरहर काका न अमत तो

पया हआ ह नह तो मरना तो उनको एक दन ह ह और जब व मरग तो पर गाव म

तफ़ान आ जाएगा यक महत और हरहर काका क परवार क बीच जमीन को ल कर

लड़ाई हो जायगी

पलस क जवान हरहर काका क खच पर ह खब मौज-मती स रह रह थ िजसका धन

वह रह उपास खान वाल कर वलास अथात हरहर काका क पास धन था लकन उनक लए

अब उसका कोई महव नह था और पलस वाल बना कसी कारण स ह हरहर काका क

धन स मौज कर रह थ अब तक जो नह खाया था दोन वत उसका भोग लगा रह थ

-नोर-

1-कथावाचक और हरहर काका क बीच या सबध ह और इसक या कारण ह

1-कथावाचक जब छोटा था तब स ह हरहर काका उस बहत यार करत थ जब वह बड़ हो

गए तो वह हरहर काका क म बन गए गाव म इतनी गहर दोती और कसी स नह

हई हरहर काका उनस खल कर बात करत थ यह कारण ह क कथावाचक को उनक

एक-एक पल क खबर थी शायद अपना म बनान क लए काका न वय ह उस यार स

बड़ा कया और इतजार कया

2-हरहर काका को महत और भाई एक ह णी क य लगन लग

2-हरहर काका को अपन भाइय और महत म कोई अतर नह लगा दोन एक ह णी क

लग उनक भाइय क पिनय न कछ दन तक तो हरहर काका का यान रखा फर

बचीकची रोटया द नाता नह दत थ बमार म कोई पछन वाला भी न था िजतना भी

उह रखा जा रहा था उनक ज़मीन क लए था इसी तरह महत न एक दन तो बड़ यार

स खातर क फर ज़मीन अपन ठाकर बाड़ी क नाम करन क लए कहन लग काका क

मना करन पर उह अनक यातनाए द अपहरण करवाया मह म कपड़ा ठस कर एक कोठर

म बद कर दया जबरदती अगठ का नशान लया गया तथा उह मारा पीटा गया इस

तरह दोन ह कवल ज़मीन जायदाद क लए हरहर काका स यवहार रखत थ अत उह

दोन एक ह णी क लग

3-ठाकर बाड़ी क त गाव वाल क मन म अपार धा क जो भाव ह उसस उनक कस

मनोव का पता चलता ह

3-कहा जाता ह गाव क लोग भोल होत ह असल म गाव क लोग अधववासी धमभी होत

ह मदर जस थान को पव नकलक ान का तीक मानत ह पजार परोहत महत

जस िजतन भी धम क ठकदार ह उनपर अगाध धा रखत ह व चाह कतन भी

पतत वाथ और नीच ह पर उनका वरोध करत व डरत ह इसी कारण ठाकर बाड़ी क

त गाव वाल क अपार धा थी उनका हर सख-दख उसस जड़ा था

4-अनपढ़ होत हए भी हरहर काका दनया क बहतर समझ रखत ह कहानी क आधार पर

पट किजए

4-हरहर काका अनपढ़ थ फर भी उह दनयादार क बहद समझ थी उनक भाई लोग

उनस ज़बरदती ज़मीन अपन नाम करान क लए डरात थ तो उह गाव म दखावा करक

ज़मीन हथयान वालो क याद आती ह काका न उह दखी होत दखा ह इसलए उहन

ठान लया था चाह महत उकसाए चाह भाई दखावा कर वह ज़मीन कसी को भी नह दग

एक बार महत क उकसान पर भाइय क त धोखा नह करना चाहत थ परत जब भाइय

न भी धोखा दया तो उह समझ म आ गया उनक त उह कोई यार नह ह जो यार

दखात ह वह कवल ज़ायदाद क लए ह

5-हरहर काका को जबरन उठा ल जान वाल कौन थ उहन उनक साथ कसा यवहार

कया

5-महत न हरहर काका को बहत लोभन दए िजसस वह अपनी ज़मीन जायदाद ठाकर

बाड़ी क नाम कर द परत काका इस बात क लए तयार नह थ व सोच रह थ क या

भगवान क लए अपन भाइय स धोखा क यह उह सह भी नह लग रहा था महत को

यह बात पता लगी तो उसन छल और बल स रात क समय अकल दालान म सोत हए

हरहर काका को उठवा लया महत न अपन चल साधसतो क साथ मलकर उनक हाथ पर

बाध दए मह म कपड़ा ठस दया और जबरदती अगठ क नशान लए उह एक कमर म

बद कर दया जब पलस आई तो वय गत दरवाज़ स भाग गए

6-हरहर काका क मामल म गाव वाल क या राय थी और उसक या कारण थ

6-कहानी क आधार पर गाव क लोग को बना बताए पता चल गया क हरहर काका को

उनक भाई नह पछत इसलए सख आराम का लोभन दकर महत उह अपन साथ ल

गया भाई मनत करक काका को वापस ल आत ह इस तरह गाव क लोग दो प म

बट गए कछ लोग महत क तरफ़ थ जो चाहत थ क काका अपनी ज़मीन धम क नाम पर

ठाकर बाड़ी को द द ताक उह सख आराम मल मय क बाद मो यश मल महत ानी

ह वह सब कछ जानता ह लकन दसर प क लोग कहत क ज़मीन परवार वालो को द

जाए उनका कहना था इसस उनक परवार का पट भरगा मदर को ज़मीन दना अयाय

होगा इस तरह दोन प अपन-अपन हसाब स सोच रह थ परत हरहर काका क बार म

कोई नह सोच रहा था इन बात का एक कारण यह भी था क काका वधर थ और उनक

कोई सतान भी नह थी पह बीघ ज़मीन क लए इनका लालच वाभवक था

7-कहानी क आधार पर पट किजए क लखक न यह य कहा अान क िथत म ह

मनय मय स डरत ह ान होन क बाद तो आदमी आवयकता पड़न पर मय को वरण

करन क लए तयार हो जाता ह

7-जब काका को असलयत पता चल और उह समझ म आ गया क सब लोग उनक

ज़मीन जायदाद क पीछ ह तो उह व सभी लोग याद आ गए िजहन परवार वालो क मोह

माया म आकर अपनी ज़मीन उनक नाम कर द और मय तक तलतल करक मरत

रह दान-दान को मोहताज़ हो गए इसलए उहन सोचा क इस तरह रहन स तो एक बार

मरना अछा ह जीत जी ज़मीन कसी को भी नह दग य लोग मझ एक बार म ह मार

द अत लखक न कहा क अान क िथत म मनय मय स डरता ह परत ान होन

पर मय वरण को तयार रहता ह

8-समाज म रत क या अहमयत ह इस वषय पर अपन वचार कट किजए

8-आज समाज म मानवीय मय तथा पारवारक मय धीर-धीर समात होत जा रह ह

यादातर यित अपन वाथ क लए रत नभात ह अपनी आवयकताओ क हसाब स

मलत ह अमीर रतदार का समान करत ह उनस मलन को आतर रहत ह जबक गरब

रतदार स कतरात ह कवल वाथ सध क अहमयत रह गई ह आए दन हम

अखबार म समाचार पढ़त ह क ज़मीन जाय़दाद पस जवर क लए लोग घनौन स घनौना

काय कर जात ह (हया अपहरण आद) इसी कार इस कहानी म भी पलस न पहचती तो

परवार वाल महत जी (काका क) हया ह कर दत उह यह अफसोस रहा क व काका को

मार नह पाए

9-यद आपक आसपास हरहर काका जसी हालत म कोई हो तो आप उसक कस कार

मदद करग

9-यद हमार आसपास हरहर काका जसी हालत म कोई हो तो हम उसक पर तरह मदद

करन क कोशश करग उनस मलकर उनक दख का कारण पता करग उह अहसास

दलाएग क व अकल नह ह सबस पहल तो यह ववास कराएग क सभी यित लालची

नह होत ह इस तरह मौन रह कर दसर को मौका न द बिक उलास स शष जीवन

बताए रतदार स मलकर उनक सबध सधारन का यन करग

10-हरहर काका क गाव म यद मीडया क पहच होती तो उनक या िथत होती अपन

शद म लखए

10-यद काका क गाव म मीडया पहच जाती तो सबक पोल खल जाती महत व भाइय का

पदाफाश हो जाता अपहरण और जबरन अगठा लगवान क अपराध म उह जल हो जाती

अपना-अपना मोचा सभालना - अपनी िजमदार नबाहना

आसमान स जमीन पर गरना -उच िथत स नन िथत पर आना

खल कर बात करना- बना सकच क बात करना |

चपत हो जाना ndash भाग जाना |

जी-जान स जट जाना ndash खब महनत करना

िजतन मह उतनी बात होना- कई तरह क बात करना |

ततर-बतर होना ndash बखर जाना |

त-त म -म होना -झगड़ा होना |

नमक-मच लगाना- बढ़ा-चढ़कर कहना|

बात बनाना- बहान बनाना|

रग चढ़ना- असर होना|

मह न खोलना ndash कछ न बताना |

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पय-भाग

पाठ-4

मनयता ndashमथलशरण गत

-लखक का परचय-

-पाठ का सार व पिटकरण-

कत क अय ाणय क तलना म मनय म सोचन क शित अधक होती ह

वह अपन ह नह दसर क सख - दःख का भी याल रखता ह और दसर क लए

कछ करन म समथ होता ह जानवर जब चरागाह म जात ह तो कवल अपन लए

चर कर आत ह परत मनय ऐसा नह ह वह जो कछ भी कमाता ह जो कछ भी

बनाता ह वह दसर क लए भी करता ह और दसर क सहायता स भी करता ह

तत पाठ का कव अपन क सख - दःख क चता करन वाल को मनय तो

मानता ह परत यह मानन को तयार नह ह क उन मनय म मनयता क सार

गण होत ह कव कवल उन मनय को महान मानता ह जो अपन क सख - दःख

स पहल दसर क चता करत ह वह मनय म ऐस गण चाहता ह िजसक कारण

कोई भी मनय इस मयलोक स चल जान क बाद भी सदय तक दसर क याद म

रहता ह अथात वह मय क बाद भी अमर रहता ह

-पाठ सार-

इस कवता म कव मनयता का सह अथ समझान का यास कर रहा ह पहल

भाग म कव कहता ह क मय स नह डरना चाहए यक मय तो निचत ह पर

हम ऐसा कछ करना चाहए क लोग हम मय क बाद भी याद रख असल मनय

वह ह जो दसर क लए जीना व मरना सीख ल दसर भाग म कव कहता ह क

हम उदार बनना चाहए यक उदार मनय का हर जगह गण गान होता ह मनय

वह कहलाता ह जो दसर क चता कर तीसर भाग म कव कहता ह क पराण

म उन लोग क बहत उदाहरण ह िजह उनक याग भाव क लए आज भी याद

कया जाता ह सचा मनय वह ह जो याग भाव जान ल चौथ भाग म कव

कहता ह क मनय क मन म दया और कणा का भाव होना चाहए मनय वह

कहलाता ह जो दसर क लए मरता और जीता ह पाचव भाग म कव कहना चाहता

ह क यहा कोई अनाथ नह ह यक हम सब उस एक ईवर क सतान ह हम

भदभाव स ऊपर उठ कर सोचना चाहएछठ भाग म कव कहना चाहता ह क हम

दयाल बनना चाहए यक दयाल और परोपकार मनय का दवता भी वागत करत

ह अतः हम दसर का परोपकार व कयाण करना चाहएसातव भाग म कव कहता

ह क मनय क बाहर कम अलग अलग हो परत हमार वद साी ह क सभी क

आमा एक ह हम सब एक ह ईवर क सतान ह अतः सभी मनय भाई -बध ह

और मनय वह ह जो दःख म दसर मनय क काम आयअतम भाग म कव

कहना चाहता ह क वप और वन को हटात हए मनय को अपन चन हए रात

पर चलना चाहए आपसी समझ को बनाय रखना चाहए और भदभाव को नह

बढ़ाना चाहए ऐसी सोच वाला मनय ह अपना और दसर का कयाण और उधार

कर सकता ह

-याया

1-वचार लो क मय हो न मय स डरो कभी

मरो परत य मरो क याद जो कर सभी

हई न य समय तो वथा मर वथा िजए

मारा नह वह क जो िजया न आपक लए

वह पश- वत ह क आप आप ह चर

वह मनय ह क जो मनय क लए मर

सग - तत कवता हमार पाय पतक पश भाग -2 स ल गई ह इसक

कव मथलशरण गत ह इन पितओ म कव बताना चाहता ह क मनय को

कसा जीवन जीना चाहए

याया - कव कहता ह क हम यह जान लना चाहए क मय का होना निचत

ह हम मय स नह डरना चाहए कव कहता ह क हम कछ ऐसा करना चाहए क

लोग हम मरन क बाद भी याद रख जो मनय दसर क लए कछ भी ना कर सक

उनका जीना और मरना दोन बकार ह मर कर भी वह मनय कभी नह मरता जो

अपन लए नह दसर क लए जीता ह यक अपन लए तो जानवर भी जीत ह

कव क अनसार मनय वह ह जो दसर मनय क लए मर अथात जो मनय दसर

क चता कर वह असल मनय कहलाता ह

2-उसी उदार क कथा सरवती बखानती

उसी उदार स धरा कताथ भाव मानती

उसी उदार क सदा सजीव कत कजती

तथा उसी उदार को समत सिट पजती

अखड आम भाव जो असीम वव म भर

वह मनय ह क जो मनय क लए मर

सग - तत कवता हमार पाय पतक पश भाग -2 स ल गई ह इसक

कव मथलशरण गत ह इन पितओ म कव बताना चाहता ह क जो मनय

दसर क लए जीत ह उनका गणगान यग - यग तक कया जाता ह

याया - कव कहता ह क जो मनय अपन पर जीवन म दसर क चता करता

ह उस महान यित क कथा का गण गान सरवती अथात पतक म कया जाता

ह पर धरती उस महान यित क आभार रहती ह उस यित क बातचीत

हमशा जीवत यित क तरह क जाती ह और पर सिट उसक पजा करती ह

कव कहता ह क जो यित पर ससार को अखड भाव और भाईचार क भावना म

बाधता ह वह यित सह मायन म मनय कहलान योय होता ह

3-धात रतदव न दया करथ थाल भी

तथा दधीच न दया पराथ अिथजाल भी

उशीनर तीश न वमास दान भी कया

सहष वीर कण न शरर-चम भी दया

अनय दह क लए अनाद जीव या डर

वह मनय ह क जो मनय क लए मर

सग - तत कवता हमार पाय पतक पश भाग -2 स ल गई ह इसक

कव मथलशरण गत ह इन पितओ म कव न महान पष क उदाहरण दए ह

िजनक महानता क कारण उह याद कया जाता ह

याया - कव कहता ह क पौराणक कथाए ऐस यितओ क उदाहरण स भर

पड़ी ह िजहन अपना परा जीवन दसर क लए याग दया िजस कारण उह आज

तक याद कया जाता ह भख स परशान रतदव न अपन हाथ क आखर थाल भी

दान कर द थी और महष दधीच न तो अपन पर शरर क हडया व बनान क

लए दान कर द थी उशीनर दश क राजा शब न कबतर क जान बचान क लए

अपना परा मास दान कर दया था वीर कण न अपनी ख़शी स अपन शरर का

कवच दान कर दया था कव कहना चाहता ह क मनय इस नवर शरर क लए

य डरता ह यक मनय वह कहलाता ह जो दसर क लए अपन आप को याग

दता ह

4-सहानभत चाहए महावभत ह यह

वशीकता सदव ह बनी हई वय मह

वधभाव बध का दया-वाह म बहा

वनीत लोकवग या न सामन झका रहा

अहा वह उदार ह परोपकार जो कर

वह मनय ह क जो मनय क लए मर

सग - तत कवता हमार पाय पतक पश भाग -2 स ल गई ह इसक

कव मथलशरण गत ह इन पितओ म कव न महामा बध का उदाहरण दत

हए दया कणा को सबस बड़ा धन बताया ह

याया - कव कहता ह क मनय क मन म दया व कणा का भाव होना चाहए

यह सबस बड़ा धन ह वय ईवर भी ऐस लोग क साथ रहत ह इसका सबस

बड़ा उदाहरण महामा बध ह िजनस लोग का दःख नह दखा गया तो व लोक

कयाण क लए दनया क नयम क वध चल गए इसक लए या परा ससार

उनक सामन नह झकता अथात उनक दया भाव व परोपकार क कारण आज भी

उनको याद कया जाता ह और उनक पजा क जाती ह महान उस को कहा जाता ह

जो परोपकार करता ह वह मनय मनय कहलाता ह जो मनय क लए जीता ह

और मरता ह

5-रहो न भल क कभी मदाघ तछ व म

सनाथ जान आपको करो न गव च म

अनाथ कौन ह यहा लोकनाथ साथ ह

दयाल दन बध क बड़ वशाल हाथ ह

अतीव भायहन ह अधीर भाव जो कर

वह मनय ह क जो मनय क लए मर

सग - तत कवता हमार पाय पतक पश भाग -2 स ल गई ह इसक

कव मथलशरण गत ह इन पितओ म कव कहता ह क सपत पर कभी

घमड नह करना चाहए और कसी को अनाथ नह समझना चाहए यक ईवर

सबक साथ ह

याया - कव कहता ह क भल कर भी कभी सप या यश पर घमड नह करना

चाहए इस बात पर कभी गव नह करना चाहए क हमार साथ हमार अपन का

साथ ह यक कव कहता ह क यहा कौन सा यित अनाथ ह उस ईवर का

साथ सब क साथ ह वह बहत दयावान ह उसका हाथ सबक ऊपर रहता ह कव

कहता ह क वह यित भायहन ह जो इस कार का उतावलापन रखता ह यक

मनय वह यित कहलाता ह जो इन सब चीज स ऊपर उठ कर सोचता ह

6-अनत अतर म अनत दव ह खड़

सम ह वबाह जो बढ़ा रह बड़-बड़

परपरावलब स उठो तथा बढ़ो सभी

अभी अमय-अक म अपक हो चढ़ो सभी

रहो न या क एक स न काम और का सर

वह मनय ह क जो मनय क लए मर

सग - तत कवता हमार पाय पतक पश भाग -2 स ल गई ह इसक

कव मथलशरण गत ह इन पितओ म कव कहता ह क कलक रहत रहन व

दसर का सहारा बनन वाल मवषय का दवता भी वागत करत ह

याया - कव कहता ह क उस कभी न समात होन वाल आकाश म असय

दवता खड़ ह जो परोपकार व दयाल मनय का सामन स खड़ होकर अपनी भजाओ

को फलाकर वागत करत ह इसलए दसर का सहारा बनो और सभी को साथ म

लकर आग बड़ो कव कहता ह क सभी कलक रहत हो कर दवताओ क गोद म

बठो अथात यद कोई बरा काम नह करोग तो दवता तह अपनी गोद म ल लग

अपन मतलब क लए नह जीना चाहए अपना और दसर का कयाण व उधार

करना चाहए यक इस मरणशील ससार म मनय वह ह जो मनय का कयाण

कर व परोपकार कर

7-मनय माा बध ह यह बड़ा ववक ह

पराणपष वयभ पता सध एक ह

फलानसार कम क अवय बाय भद ह

परत अतरय म माणभत वद ह

अनथ ह क बध ह न बध क यथा हर

वह मनय ह क जो मनय क लए मर

सग - तत कवता हमार पाय पतक पश भाग -2 स ल गई ह इसक

कव मथलशरण गत ह इन पितओ म कव कहता ह क हम सब एक ईवर क

सतान ह अतः हम सभी मनय एक - दसर क भाई - बध ह

याया - कव कहता ह क यक मनय एक दसर क भाई - बध ह यह सबस

बड़ी समझ ह पराण म िजस वय उपन पष मना गया ह वह परमामा या

ईवर हम सभी का पता ह अथात सभी मनय उस एक ईवर क सतान ह

बाहर कारण क फल अनसार यक मनय क कम भल ह अलग अलग ह परत

हमार वद इस बात क साी ह क सभी क आमा एक ह कव कहता ह क यद

भाई ह भाई क दःख व कट का नाश नह करगा तो उसका जीना यथ ह यक

मनय वह कहलाता ह जो बर समय म दसर मनय क काम आता ह

8-चलो अभीट माग म सहष खलत हए

वपवन जो पड़ उह ढकलत हए

घट न हलमल हा बढ़ न भनता कभी

अतक एक पथ क सतक पथ ह सभी

तभी समथ भाव ह क तारता हआ तर

वह मनय ह क जो मनय क लए मर

सग - तत कवता हमार पाय पतक पश भाग -2 स ल गई ह इसक

कव मथलशरण गत ह इन पितओ म कव कहता ह क यद हम ख़शी ससार

कट को हटत हए भदभाव रहत रहग तभी सभव ह क समाज क उनत होगी

याया - कव कहता ह क मनय को अपनी इछा स चन हए माग म ख़शी

ख़शी चलना चाहएरात म कोई भी सकट या बाधाए आय उह हटात चल जाना

चाहए मनय को यह यान रखना चाहए क आपसी समझ न बगड़ और भद

भाव न बड़ बना कसी तक वतक क सभी को एक साथ ल कर आग बढ़ना चाहए

तभी यह सभव होगा क मनय दसर क उनत और कयाण क साथ अपनी

समध भी कायम कर

-ननलखत न क उर दिजय ndash

1-कव न कसी मय को समय कहा ह

1-कव न ऐसी मय को समय कहा ह िजसम मनय अपन स पहल दसर क चता

करता ह और परोपकार क राह को चनता ह िजसस उस मरन क बाद भी याद कया

जाता ह

2-उदार यित क पहचान कस हो सकती ह

2- उदार यित परोपकार होता ह वह अपन स पहल दसर क चता करता ह और

लोक कयाण क लए अपना जीवन याग दता ह

3-कव न दधीच कण आद महान यितओ क उदाहरण द कर मनयता क लए

या उदाहरण दया ह

3- कव न दधीच कण आद महान यितओ क उदाहरण द कर मनयता क

लए यह सदश दया ह क परोपकार करन वाला ह असल मनय कहलान योय

होता ह मानवता क रा क लए दधीच न अपन शरर क सार अिथया दान कर

द थीकण न अपनी जान क परवाह कय बना अपना कवच द दया था िजस

कारण उह आज तक याद कया जाता ह कव इन उदाहरण क वारा यह

समझाना चाहता ह क परोपकार ह सची मनयता ह

4- कव न कन पितय म यह यत कया ह क हम गव - रहत जीवन यतीत

करना चाहए

4- कव न ननलखत पितय म गव रहत जीवन यतीत करन क बात कह ह-

रहो न भल क कभी मगाघ तछ व म

सनाथ जान आपको करो न गव च म

अथात सपत क घमड म कभी नह रहना चाहए और न ह इस बात पर गव

करना चाहए क आपक पास आपक अपन का साथ ह यक इस दनया म कोई

भी अनाथ नह ह सब उस परम पता परमवर क सतान ह

5- मनय मा बध ह स आप या समझत ह पट किजए

5- मनय मा बध ह अथात हम सब मनय एक ईवर क सतान ह अतः हम

सब भाई - बध ह भाई -बध होन क नात हम भाईचार क साथ रहना चाहए और

एक दसर का बर समय म साथ दना चाहए

6- कव न सबको एक होकर चलन क रणा य द ह

6- कव न सबको एक होकर चलन क रणा इसलए द ह ताक आपसी समझ न

बगड़ और न ह भदभाव बड़ सब एक साथ एक होकर चलग तो सार बाधाए मट

जाएगी और सबका कयाण और समध होगी

7- यित को कस तरह का जीवन यतीत करना चाहए इस कवता क आधार पर

लखए

7-मनय को परोपकार का जीवन जीना चाहए अपन स पहल दसर क दख क

चता करनी चाहए कवल अपन बार म तो जानवर भी सोचत ह कव क अनसार

मनय वह कहलाता ह जो अपन स पहल दसर क चता कर

8- मनयता कवता क वारा कव या सदश दना चाहता ह

8- मनयता कवता क मायम स कव यह सदश दना चाहता ह क परोपकार ह

सची मनयता ह परोपकार ह एक ऐसा साधन ह िजसक मायम स हम यग तक

लोगो क दल म अपनी जगह बना सकत ह और परोपकार क वारा ह समाज का

कयाण व समध सभव ह अतः हम परोपकार बनना चाहए ताक हम सह

मायन म मनय कहलाय

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-याकरण-

पदबध- परभाषा

पद- वाय स अलग रहन पर शद और वाय म यत हो जान पर शद

पद कहलात ह दसर शद म- वाय म यत शद पद कहलाता ह पदबध-

जब दो या अधक (शद) पद नयत म और निचत अथ म कसी पद का

काय करत ह तो उह पदबध कहत ह

पदबध क भद

मय पद क आधार पर पदबध क पाच कार होत ह-

(1) सा-पदबध (2) वशषण-पदबध

(3) सवनाम पदबध (4) या पदबध

(5) अयय पदबध

(1) सा-पदबध-

(a)चार ताकतवर मजदर इस भार चीज को उठा पाए

(b) राम न लका क राजा रावण को मार गराया

(c) अयोया क राजा दशरथ क चार प थ

(d) आसमान म उड़ता गबारा फट गया

2) वशषण पदबध-

a) तज चलन वाल गाड़या ायः दर स पहचती ह

(b) उस घर क कोन म बठा हआ आदमी जासस ह

(c) उसका घोड़ा अयत सदर फरतीला और आाकार ह

(d) बरगद और पीपल क घनी छाव स हम बहत सख मला

3) सवनाम पदबध-

(a)बजल-सी फरती दखाकर आपन बालक को डबन स बचा लया

(b)शरारत करन वाल छा म स कछ पकड़ गए

(c)वरोध करन वाल लोग म स कोई नह बोला

4) या पदबध-

(a) वह बाजार क ओर आया होगा

(b) मझ मोहन छत स दखाई द रहा ह

(c) सरश नद म डब गया

(d) अब दरवाजा खोला जा सकता ह

5) अयय पदबध-

(a)अपन सामान क साथ वह चला गया

(b)सबह स शाम तक वह बठा रहा

कसी भी भाषा क व शद अयय (Indeclinable या inflexible) कहलात ह िजनक प म

लग वचन पष कारक काल इयाद क कारण कोई वकार उप नह होता

चक अयय का पातर नह होता इसलए ऐस शद अवकार होत ह अयय का शािदक

अथ ह- जो यय न हो

(i) कालवाचक अयय- इनम समय का बोध होता ह जस- आज कल तरत पीछ पहल अब

जब तब कभी-कभी कब अब स नय जब स सदा स अभी तभी आजकल और कभी

उदाहरणाथ-

अब स ऐसी बात नह होगी

ऐसी बात सदा स होती रह ह

वह कब आया मझ पता नह

(ii) थानवाचक अयय- इसस थान का बोध होता ह जस- यहा वहा कहा जहा यहा स

वहा स इधर-उधर उदाहरणाथ-

वह यहा नह ह

वह कहा जायगा

वहा कोई नह ह

जहा तम हो वहा म ह

(iii) दशावाचक अयय- इसस दशा का बोध होता ह जस- इधर उधर िजधर दर पर अलग

दाहन बाए आरपार

(iv) िथतवाचक अयय- नीच ऊपर तल सामन बाहर भीतर इयाद

अयय क भद

अयय ननलखत चार कार क होत ह -

(1) यावशषण (Adverb)

(2) सबधबोधक (Preposition)

(3) समचयबोधक (Conjunction)

(4) वमयादबोधक (Interjection)

(1) यावशषण - िजन शद स या वशषण या दसर यावशषण क वशषता कट

हो उह यावशषण कहत ह

दसर शदो म- जो शद या क वशषता बतलात ह उह या वशषण कहा जाता ह

जस- राम धीर-धीर टहलता ह राम वहा टहलता ह राम अभी टहलता ह

इन वाय म धीर-धीर वहा और अभी राम क टहलन (या) क वशषता बतलात ह य

यावशषण अवकार वशषण भी कहलात ह इसक अतरत यावशषण दसर

यावशषण क भी वशषता बताता ह

वह बहत धीर चलता ह इस वाय म बहत यावशषण ह यक यह दसर यावशषण

धीर क वशषता बतलाता ह

या वशषण क कार

(1) योग क अनसार- (i) साधारण (ii) सयोजक (iii) अनबध

(2) प क अनसार- (i) मल यावशषण (ii) यौगक यावशषण (iii) थानीय यावशषण

(3) अथ क अनसार- (i) परमाणवाचक (ii) रतवाचक

(1) योग क अनसार यावशषण क भद

योग क अनसार यावशषण क तीन भद ह-

(i) साधारण यावशषण- िजन यावशषण का योग कसी वाय म वत होता ह

उह साधारण यावशषण कहा जाता ह

जस- हाय अब म या क बटा जद आओ अर साप कहा गया

(ii) सयोजक यावशषण- िजन यावशषण का सबध कसी उपवाय स रहता ह उह

सयोजक यावशषण कहा जाता ह

जस- जब रोहताव ह नह तो म ह जीकर या कगी जहा अभी सम ह वहा कसी

समय जगल था

(iii) अनबध यावशषण- िजन यावशषण क योग अवधारण (नचय) क लए कसी

भी शदभद क साथ होता हो उह अनबध यावशषण कहा जाता ह

जस- यह तो कसी न धोखा ह दया ह मन उस दखा तक नह

(2) प क अनसार यावशषण क भद

प क अनसार यावशषण क तीन भद ह-

(i) मल यावशषण- ऐस यावशषण जो कसी दसर शद क मल स नह बनत मल

यावशषण कहलात ह

जस- ठक दर अचानक फर नह

(ii) यौगक यावशषण- ऐस यावशषण जो कसी दसर शद म यय या पद जोड़न

पर बनत ह यौगक यावशषण कहलात ह

जस- मन स िजसस चपक स भल स दखत हए यहा तक झट स वहा पर यौगक

यावशषण सा सवनाम वशषण धात और अयय क मल स बनत ह

यौगक यावशषण नीच लख शद क मल स बनत ह-

(i) साओ क वित स- घर-घर घड़ी-घड़ी बीच-बीच हाथ-हाथ

(ii) दो भ साओ क मल स- दन-रात साझ-सबर घर-बाहर दश-वदश

(iii) वशषण क वित स- एक-एक ठक-ठक साफ-साफ

(iv) यावशषण क वित स- धीर-धीर जहा-तहा कब-कब कहा-कहा

(v) दो यावशषण क मल स- जहा-तहा जहा-कह जब-तब जब-कभी कल-परस आस-पास

(vi) दो भ या समान यावशषण क बीच न लगान स- कभी-न-कभी कछ-न-कछ

(vii) अनकरण वाचक शद क वित स- पटपट तड़तड़ सटासट धड़ाधड़

(viii) सा और वशषण क योग स- एक साथ एक बार दो बार

(ix) अय य और दसर शद क मल स- तदन यथाम अनजान आजम

(x) पवकालक कदत और वशषण क मल स- वशषकर बहतकर मयकर एक-एककर

(iii) थानीय यावशषण- ऐस यावशषण जो बना पातर क कसी वशष थान म

आत ह थानीय यावशषण कहलात ह

जस- वह अपना सर पढ़गा

वह दौड़कर चलत ह

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  • (1) अरथ की दषटि स शबद-भद13
  • (2) परयोग की दषटि स शबद-भद13
  • (3) उतपति की दषटि स शबद-भद13
  • 1) सवर सधि-13
  • परति+छवि=परतिचछवि दिक+अनत=दिगनत दिक+गज=दिगगज अन+छद=अनचछद अच +अनत = अजनत 13
  • 3)विसरग सधि - विसरग क साथ सवर या वयजन का मल होन पर जो विकार होता ह उस 13
  • विसरग सधि कहत ह 13
  • मन+रथ=मनोरथ यश+अभिलाषा=यशोभिलाषा अध+गति=अधोगति नि+छल=निशछल द +गम = दरगम 13
    • -पाठ सार-13
    • -वयाखया13
    • -निमनलिखित परशनो क उततर दीजिय ndash13
    • 1-कवि न कसी मतय को समतय कहा ह13
    • अवयय क भद13
    • करिया विशषण क परकार13
Page 18: Class –X HINDI JUNE SYLLABUS 2020 Chapters:- Ch-1-Sanchayan …punainternationalschool.com/assets/upload/ck-images/Std-10th=Jun… · -harihar kaka . पय-भाग पाठ-3

-शदाथ-

-खला-म कड़ी -आदम ndashाभक

-वभत ndashबटा हआ -आमीय ndashअपना

-वलण ndashअसाधारण -बयार-मद हवा

त-एकाता -वकल-बचन

-सचार-उपन -असगत ndashअनचत

समोहतndash मध -झझलाना ndash चड़ना

-रोमाचत ndash पलकत -नचल- िथर

-अफवाह ndash उड़ती खबर -उफनना ndash उबाल आना

शमन ndashशात होना -घपना भकनाचभना

-न-उर-

1-ततारा और वामीरो क गाव क या थी

उर- ततारा और वामीरो क गाव क यह रत थी क ववाह क लए लड़क-लड़क का एक

ह गाव का होना जर था दसर गाव क यवक क साथ सबध असभव था

2-ततारा क तलवार क बार म लोग का या मत था

उर- ततारा क तलवार ययप लकड़ी क थी पर इसक बावजद लोग का मानना था क

उस तलवार म अभत दवीय शित थी ततारा तलवार को कभी अपन स अलग होन नह

दता था लोग यह मानत थ क ततारा अपन साहसक कारनाम इसी तलवार क कारण ह

कर पाता ह उसम बड़ी शित थी

3-नकोबार क लोग ततारा को य पसद करत थ

उर- नकोबार क लोग ततारा को उसक साहसी और परोपकार वभाव क कारण पसद करत

थ वह एक सदर और शितशाल यवक था वह सदा लोग क सहायता करता रहता था

ततारा एक नक और मददगार यित था वह अपन गाव वाल क ह नह समच

वीपवासय क सवा करना अपना धम समझता था सभी उसका आदर करत थ मसीबत

क घड़ी म वह लोग क पास तरत पहच जाता था

4- ाचीन काल म मनोरजन और शित-दशन क लए कस कार क आयोजन कए जात

उर- ाचीन काल म मनोरजन और शित-दशन क लए अ-श चलान सबधी

आयोजन तथा पश पव कए जात थ

5-lsquoततारा-वामीरो कथाrsquo का सदश पट किजए

उर- lsquoततारा-वामीरो कथाrsquo एक लोकगाथा ह इसम यह सदश दया गया ह क म को कसी

बधन जड़ता तथा सीमाओ म बाधना उचत नह ह यद कोई गाव दश या म को

पनपन क लए खला अवसर नह दता तो इसस सवनाश होता ह धरती म भदभाव बढ़त ह

पहल स बट हई धरती और अवसर नह दता तो इसस मानवता का य होता ह भावनाए

एक होन क बजाय खडत होती ह अतः गाव दश या अय सकण नयमो को तोड़कर

हम उदारता क साथ सबको अपनाना चाहए

7-नक ततारा और वामीरो क मय कस हई पठत पाठ क आधार पर लखए

उर- पश-पव क मौक पर ततारा और वामीरो को इकठा दखकर वामीरो क मा ोध म

उफन उठ उसन ततारा को तरह-तरह स अपमानत कया गाव क लोग भी ततारा क

वरोध म आवाज उठान लग यह ततारा क लए अहसनीय था वामीरो अब भी रोए जा रह

थी ततारा भी गस स भर उठा उस जहा ववाह क नषध परपरा पर ोभ था वह अपनी

असहायता पर खीझ वामीरो का दख उस और गहरा कर रहा था उस मालम नह था क

या कदम उठाना चाहए अनायास उसका हाथ तलवार क मढ़ पर जा टका ोध म उसन

तलवार नकाल और कछ वचार करता रहा ोध लगातार अिन क तरह बढ़ रहा था

लोग सहम उठ एक सनाटा-सा खच गया जब कोई राह न सझी तो ोध का शमन करन

क लए उसम शित भर उस धरती म घप दया और ताकत स उस खीचन लगा वह

पसीन स नहा उठा सब घबराए हए थ वह तलवार को अपनी तरफ खीचत-खीचत दर तक

पहच गया वह हाफ रहा था अचानक जहा एक लकर खच गई थी वहा एक दरार होन

लगी मानो धरती दो टकड़ो म बटन लगी हो एक गड़गड़ाहट-सी गजन लगी और लकर क

सीध म धरती फटती ह जा रह थी वीप क अतम सर तक ततारा धरती को मानो ोध

म काटता जा रहा था सभी याकल हो उठ लोग न ऐस य क कपना न क थी व

सहर उठ उधर वामीरो फटती हई धरती क कनार ततारा का नाम पकारत हए दौड़ रह थी

वीप दो टकड़ म वभत हो चका था ततारा और वामीरो वीप क साथ सम म धस

गए और उमय हो गई

8-शाम क समय सम कनार ततारा क ाकतक अनभत का वणन किजए

उर- एक शाम ततारा दन-भर क अथक परम क बाद सम कनार टहलन नकल

पड़ा सरज सम स लग तज तल डबन को था सम स ठडी बयार आ रह थी

पय क सायकालन चाहचाहाहट शनः शनः ीण ह को थी उसका मन शात था

वचारमन ततारा सम बाल पर बठकर सरज क अतम रग-बरगी करण को सम

पर नहारन लगा तभी कह पास म उस मधर गीत गजता सनाई दया गीत मान

बहता हआ उसक तरफ आ रहा हो बीच-बीच म लहर का सगीत सनाई दता गायन

भावी था क वह अपनी सध-बध खोन लगा लहर क एक बल वग न उसक ता भग

क चतय होत ह वह उधर बढ़न को ववश हो उठा िजधर स अब भी गीत क वर बह

रह थ वह वकल-सा उस तरफ़ बढ़ता गया अततः उसक नजर एक यवती पर पड़ी जो

ढलती हई शाम क सदय म बसध एकटक सम क दह पर डबत आकषक रगो को

नहारत हए गा रह थी यह एक शगार गीत था

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Vyakr`-vaKy-

bull वाय क सामन दए कोठक म ( radic का चह लगाकर बताए क वह वाय कस

कार का ह

क) नकोबार उस बहद म करत थ (नवाचक वधानवाचक नषधामक

वमयादबोधक)

ख) तमन एकाएक इतना मधर गाना अधरा य छोड़ दया नवाचक

वधानवाचक नषधामक वमयादबोधक)

ग) वामीरो क मा ोध म उफन उठ (नवाचक वधानवाचक नषधामक

वमयादबोधक)

घ) या तह गाव का नयम नह मालम नवाचक वधानवाचक नषधामक

वमयादबोधक)

ङ) वाह कतना सदर नाम ह (नवाचक वधानवाचक नषधामक

वमयादबोधक)

च) म तहारा राता छोड़ दगा

वमयादबोधक)

उर- क) वधानवाचक

ग) वधानवाचक

ङ) वमयादबोध

Ocirc-इस पाठ म lsquo दखना lsquo या क कई प आए ह

शदयोग म या अतर ह

Ocirc-उर-

म तहारा राता छोड़ दगा (नवाचक वधानवाचक नषधामक

ख) नवाचक

घ) नवा

च) वधानवाचक

या क कई प आए ह lsquo दखना lsquo क इन वभन

वाययोग वारा पट किजए

नषधामक

नवाचक

वधानवाचक

क इन वभन

-वाय क उदाहरण-

सचयन-भाग

पाठ-1 (हरहर काका )

-शदाथ -

तबयत - शरर क िथत यणा - यातना कलश कट

मनःिथत - मन क िथत चद - कछ

आसित ndash लगाव यावहारक - यावहार सबधी

वचारक - वचार सबधी दलार - यार

सयाना - यक बधमान तीा - इतज़ार

फ़लहाल - अभी इस समय मझधार - बीच म

वलन - लत हो जाना वकप - दसरा उपाय

चलत ndash चलनसार जात - जगाना

कलवर - शरर मनौती - मनत

परपरा - था णाल अधकाश - यादातर

समत ndash सथा सचालन - नयण चलाना

नयित - तनाती लगाया गया वमख - तकल

चपट - आघात हार अहाता-चार ओर स दवार स घरा हआ मदान

अखड ndash नवन वफोट - फट कर बाहर नकलना

आगमन - आन पर उपलय - सकत

सराहना ndash शसा निचत - बफ

-लखक का परचय-मथलवर का जम 31 दसबर 1950 को बहार क

भोजपर िजल क बसाडीह नामक गाव म हआ इनक पता व० ो० वशरोपन लाल थ

मथलवर क पता (ो० वशरोपन लाल) भी वलण तभा क धनी थ परत उनक

असाय बीमार न मथलवर क जीवन म आरभ स ह कठन सघष क बीज बो दय थ

पाठ सार-

लखक कहता ह क वह हरहर काका क साथ बहत गहर स जड़ा था लखक का हरहर

काका क त जो यार था वह लखक का उनक यावहार क और उनक वचार क कारण

था और उसक दो कारण थ पहला कारण था क हरहर काका लखक क पड़ोसी थ और

दसरा कारण लखक को उनक मा न बताया था क हरहर काका लखक को बचपन स ह

बहत यादा यार करत थ जब लखक यक हआ तो उसक पहल दोती भी हरहर काका

क साथ ह हई थी लखक क गाव क पव दशा म ठाकर जी का वशाल मदर था िजस

गाव क लोग ठाकरबार यान दवथान कहत थ लोग ठाकर जी स प क मनत मागत

मक़दम म जीत लड़क क शाद कसी अछ घर म हो जाए लड़क को नौकर मल जाए

आद मनत मागत थ मनत पर होन पर लोग अपनी ख़शी स ठाकरजी को पए ज़वर

और अनाज चढ़ाया करत थ िजसको बहत अधक ख़शी होती थी वह अपन खत का छोटा-

सा भाग ठाकरजी क नाम कर दता था और यह एक तरह स था ह बन गई लखक कहता

ह क उसका गाव अब गाव क नाम स नह बिक दव-थान क वजह स ह पहचाना जाता

था उसक गाव का यह दव-थान उस इलाक का सबस बड़ा और सध दवथान था

हरहर काका न अपनी परिथतओ क कारण दव-थान म जाना बद कर दया था मन

बहलान क लए लखक भी कभी-कभी दव-थान चला जाता था लकन लखक कहता ह क

वहा क साध-सत उस बलकल भी पसद नह थ यक व काम करन म कोई दलचपी

नह रखत थ भगवान को भोग लगान क नाम पर व दन क दोन समय हलवा-पड़ी

बनवात थ और आराम स पड़ रहत थ सारा काम वहा आए लोग स सवा करन क नाम पर

करवात थ व खद अगर कोई काम करत थ तो वो था बात बनवान का काम

लखक हरहर काका क बार म बताता हआ कहता ह क हरहर काका और उनक तीन भाई

ह सबक शाद हो चक ह हरहर काका क अतरत सभी तीन भाइय क बाल-बच ह

कछ समय तक तो हरहर काका क सभी चीज़ का अछ स यान रखा गया परत फर

कछ दन बाद हरहर काका को कोई पछन वाला नह था लखक कहता ह क अगर कभी

हरहर काका क शरर क िथत ठक नह होती तो हरहर काका पर मसीबत का पहाड़ ह

गर जाता यक इतन बड़ परवार क रहत हए भी हरहर काका को कोई पानी भी नह

पछता था बारामद क कमर म पड़ हए हरहर काका को अगर कसी चीज़ क जरत होती

तो उह खद ह उठना पड़ता एक दन उनका भतीजा शहर स अपन एक दोत को घर ल

आया उह क आन क ख़शी म दो-तीन तरह क सिज़या बजक चटनी रायता और भी

बहत कछ बना था सब लोग न खाना खा लया और हरहर काका को कोई पछन तक नह

आया हरहर काका गस म बरामद क ओर चल पड़ और जोर-जोर स बोल रह थ क

उनक भाई क पिनया या यह सोचती ह क व उह मत म खाना खला रह ह उनक

खत म उगन वाला अनाज भी इसी घर म आता ह

हरहर काका क गस का महत जी न लाभ उठान क सोची महत जी हरहर काका को

अपन साथ दव-थान ल आए और हरहर काका को समझान लग क उनक भाई का परवार

कवल उनक जमीन क कारण उनस जड़ा हआ ह कसी दन अगर हरहर काका यह कह द

क व अपन खत कसी और क नाम लख रह ह तो व लोग तो उनस बात करना भी बद

कर दग खन क रत ख़म हो जायग महत हरहर काका स कहता ह क उनक हस म

िजतन खत ह व उनको भगवान क नाम लख द ऐसा करन स उह सीध वग क ाित

होगी

सबह होत ह हरहर काका क तीन भाई दव-थान पहच गए तीन हरहर काका क पाव म

गर कर रोन लग और अपनी पिनय क गलती क माफ़ मागन लग और कहन लग क

व अपनी पिनय को उनक साथ कए गए इस तरह क यवहार क सज़ा दग हरहर काका

क मन म दया का भाव जाग गया और व फर स घर वापस लौट कर आ गए जब अपन

भाइय क समझान क बाद हरहर काका घर वापस आए तो घर म और घर वाल क

यवहार म आए बदलाव को दख कर बहत खश हो गए घर क सभी छोट-बड़ सभी लोग

हरहर काका का आदर-सकार करन लग

गाव क लोग जब भी कह बठत तो बात का ऐसा सलसला चलता िजसका कोई अत नह

था हर जगह बस उह क बात होती थी कछ लोग कहत क हरहर काका को अपनी

जमीन भगवान क नाम लख दनी चाहए इसस उम और अछा कछ नह हो सकता

इसस हरहर काका को कभी न ख़म होन वाल सध ात होगी इसक वपरत कछ

लोग क यह मानत थ क भाई का परवार भी तो अपना ह परवार होता ह अपनी

जायदाद उह न दना उनक साथ अयाय करना होगा हरहर काका क भाई उनस ाथना

करन लग क व अपन हस क जमीन को उनक नाम लखवा द इस वषय पर हरहर

काका न बहत सोचा और अत म इस परणाम पर पहच क अपन जीत-जी अपनी जायदाद

का वामी कसी और को बनाना ठक नह होगा फर चाह वह अपना भाई हो या मदर का

महत यक उह अपन गाव और इलाक क व कछ लोग याद आए िजहन अपनी िजदगी

म ह अपनी जायदाद को अपन रतदार या कसी और क नाम लखवा दया था उनका

जीवन बाद म कसी क क तरह हो गया था उह कोई पछन वाला भी नह था हरहर

काका बलकल भी पढ़-लख नह थ परत उह अपन जीवन म एकदम हए बदलाव को

समझन म कोई गलती नह हई और उहन फसला कर लया क व जीत-जी कसी को भी

अपनी जमीन नह लखग

लखक कहता ह क जस-जस समय बीत रहा था महत जी क परशानया बढ़ती जा

रह थी उह लग रहा था क उहन हरहर काका को फसान क लए जो जाल फ का

था हरहर काका उसस बाहर नकल गए ह यह बात महत जी को सहन नह हो रह

थी आधी रात क आस-पास दव-थान क साध-सत और उनक कछ साथी भाला

गड़ासा और बदक क साथ अचानक ह हरहर काका क आगन म आ गए इसस

पहल हरहर काका क भाई कछ सोच और कसी को अपनी सहायता क लए आवाज

लगा कर बलाए तब तक बहत दर हो गई थी हमला करन वाल हरहर काका को

अपनी पीठ पर डाल कर कह गायब हो गए थव हरहर काका को दव-थान ल गए

थ एक ओर तो दव-थान क अदर जबरदती हरहर काका क अगठ का नशान लन

और पकड़कर समझान का काम चल रहा था तो वह दसर ओर हरहर काका क

तीन भाई सबह होन स पहल ह पलस क जीप को लकर दव-थान पर पहच गए

थ महत और उनक साथय न हरहर काका को कमर म हाथ और पाव बाध कर

रखा था और साथ ह साथ उनक मह म कपड़ा ठसा गया था ताक व आवाज़ न कर

सक परत हरहर काका दरवाज़ तक लढ़कत हए आ गए थ और दरवाज़ पर अपन

पर स धका लगा रह थ ताक बाहर खड़ उनक भाई और पलस उह बचा सक

दरवाज़ा खोल कर हरहर काका को बधन स मत कया गया हरहर काका न

पलस को बताया क व लोग उह उस कमर म इस तरह बाध कर कह गत

दरवाज़ स भाग गए ह और उहन कछ खल और कछ लख हए कागज पर हरहर

काका क अगठ क नशान जबरदती लए ह

यह सब बीत जान क बाद हरहर काका फर स अपन भाइय क परवार क साथ रहन लग

गए थ चौबीस घट पहर दए जान लग थ यहा तक क अगर हरहर काका को कसी

काम क कारण गाव म जाना पड़ता तो हथयार क साथ चार-पाच लोग हमशा ह उनक

साथ रहन लग लखक कहता ह क हरहर काका क साथ जो कछ भी हआ था उसस हरहर

काका एक सीध-साद और भोल कसान क तलना म चालाक और बधमान हो गए थ

उह अब सब कछ समझ म आन लगा था क उनक भाइय का अचानक स उनक त जो

यवहार परवतन हो गया था उनक लए जो आदर-समान और सरा व दान कर रह थ

वह उनका कोई सग भाइय का यार नह था बिक व सब कछ उनक धन-दौलत क कारण

कर रह ह नह तो व हरहर काका को पछत तक नह जब स हरहर काका दव-थान स

वापस घर आए थ उसी दन स ह हरहर काका क भाई और उनक दसर नात-रतदार

सभी यह सोच रह थ क हरहर काका को क़ाननी तरक स उनक जायदाद को उनक

भतीज क नाम कर दना चाहए यक जब तक हरहर काका ऐसा नह करग तब तक

महत क तज़ नज़र उन पर टक रहगी जब हरहर काका क भाई हरहर काका को

समझात-समझात थक गए तो उहन हरहर काका को डाटना और उन पर दवाब डालना

श कर दया एक रात हरहर काका क भाइय न भी उसी तरह का यवहार करना श

कर दया जसा महत और उनक सहयोगय न कया था उह धमकात हए कह रह थ क

ख़शी-ख़शी कागज़ पर जहा-जहा जरत ह वहा-वहा अगठ क नशान लगत जाओ नह तो व

उह मार कर वह घर क अदर ह गाड़ दग और गाव क लोगो को इस बार म कोई सचना

भी नह मलगी हरहर काका क साथ अब उनक भाइय क मारपीट श हो गई जब

हरहर काका अपन भाइय का मकाबला नह कर पा रह थ तो उहन ज़ोर-ज़ोर स

चलाकर अपनी मदद क लए गाव वाल को आवाज लगाना श कर दया तब उनक

भाइय को यान आया क उह हरहर काका का मह पहल ह बद करना चाहए था उहन

उसी पल हरहर काका को जमीन पर पटका और उनक मह म कपड़ा ठस दया लकन तब

तक बहत दर हो गई थी हरहर काका क आवाज बाहर गाव म पहच गई थी हरहर काका

क परवार और रत-नात क लोग जब तक गाव वाल कोसमझात क यह सब उनक

परवार का आपसी मामला ह व सभी इसस दर रह तब तक महत जी बड़ी ह दता और

तज़ी स वहा पलस क जीप क साथ आ गए पलस न पर घर क अछ स तलाशी लना

श कर दया फर घर क अदर स हरहर काका को इतनी बर हालत म हासल कया गया

िजतनी बर हालत उनक दव-थान म भी नह हई थी हरहर काका न बताया क उनक

भाइय न उनक साथ बहत ह यादा बरा यवहार कया ह जबरदती बहत स कागज पर

उनक अगठ क नशान ल लए ह उह बहत यादा मारा-पीटा ह

इस घटना क बाद हरहर काका अपन परवार स एकदम अलग रहन लग थ उह उनक

सरा क लए चार राइफलधार पलस क जवान मल थ आचय क बात तो यह ह क

इसक लए उनक भाइय और महत क ओर स काफ़ यास कए गए थ असल म भाइय

को चता थी क हरहर काका अकल रहन लगग तो दव-थान क महत-पजार फर स

हरहर काका को बहला-फसला कर ल जायग और जमीन दव-थान क नाम करवा लग और

यह चता महत जी को भी थी क हरहर काका को अकला और असरत पा उनक भाई

फर स उह पकड़ कर मारग और जमीन को अपन नाम करवा लग लखक कहता ह क

हरहर काका स जड़ी बहत सी ख़बर गाव म फल रह थी जस-जस दन बड़ रह थ वस-वस

डर का मौहोल बन रहा था सभी लोग सफ यह सोच रह थ क हरहर काका न अमत तो

पया हआ ह नह तो मरना तो उनको एक दन ह ह और जब व मरग तो पर गाव म

तफ़ान आ जाएगा यक महत और हरहर काका क परवार क बीच जमीन को ल कर

लड़ाई हो जायगी

पलस क जवान हरहर काका क खच पर ह खब मौज-मती स रह रह थ िजसका धन

वह रह उपास खान वाल कर वलास अथात हरहर काका क पास धन था लकन उनक लए

अब उसका कोई महव नह था और पलस वाल बना कसी कारण स ह हरहर काका क

धन स मौज कर रह थ अब तक जो नह खाया था दोन वत उसका भोग लगा रह थ

-नोर-

1-कथावाचक और हरहर काका क बीच या सबध ह और इसक या कारण ह

1-कथावाचक जब छोटा था तब स ह हरहर काका उस बहत यार करत थ जब वह बड़ हो

गए तो वह हरहर काका क म बन गए गाव म इतनी गहर दोती और कसी स नह

हई हरहर काका उनस खल कर बात करत थ यह कारण ह क कथावाचक को उनक

एक-एक पल क खबर थी शायद अपना म बनान क लए काका न वय ह उस यार स

बड़ा कया और इतजार कया

2-हरहर काका को महत और भाई एक ह णी क य लगन लग

2-हरहर काका को अपन भाइय और महत म कोई अतर नह लगा दोन एक ह णी क

लग उनक भाइय क पिनय न कछ दन तक तो हरहर काका का यान रखा फर

बचीकची रोटया द नाता नह दत थ बमार म कोई पछन वाला भी न था िजतना भी

उह रखा जा रहा था उनक ज़मीन क लए था इसी तरह महत न एक दन तो बड़ यार

स खातर क फर ज़मीन अपन ठाकर बाड़ी क नाम करन क लए कहन लग काका क

मना करन पर उह अनक यातनाए द अपहरण करवाया मह म कपड़ा ठस कर एक कोठर

म बद कर दया जबरदती अगठ का नशान लया गया तथा उह मारा पीटा गया इस

तरह दोन ह कवल ज़मीन जायदाद क लए हरहर काका स यवहार रखत थ अत उह

दोन एक ह णी क लग

3-ठाकर बाड़ी क त गाव वाल क मन म अपार धा क जो भाव ह उसस उनक कस

मनोव का पता चलता ह

3-कहा जाता ह गाव क लोग भोल होत ह असल म गाव क लोग अधववासी धमभी होत

ह मदर जस थान को पव नकलक ान का तीक मानत ह पजार परोहत महत

जस िजतन भी धम क ठकदार ह उनपर अगाध धा रखत ह व चाह कतन भी

पतत वाथ और नीच ह पर उनका वरोध करत व डरत ह इसी कारण ठाकर बाड़ी क

त गाव वाल क अपार धा थी उनका हर सख-दख उसस जड़ा था

4-अनपढ़ होत हए भी हरहर काका दनया क बहतर समझ रखत ह कहानी क आधार पर

पट किजए

4-हरहर काका अनपढ़ थ फर भी उह दनयादार क बहद समझ थी उनक भाई लोग

उनस ज़बरदती ज़मीन अपन नाम करान क लए डरात थ तो उह गाव म दखावा करक

ज़मीन हथयान वालो क याद आती ह काका न उह दखी होत दखा ह इसलए उहन

ठान लया था चाह महत उकसाए चाह भाई दखावा कर वह ज़मीन कसी को भी नह दग

एक बार महत क उकसान पर भाइय क त धोखा नह करना चाहत थ परत जब भाइय

न भी धोखा दया तो उह समझ म आ गया उनक त उह कोई यार नह ह जो यार

दखात ह वह कवल ज़ायदाद क लए ह

5-हरहर काका को जबरन उठा ल जान वाल कौन थ उहन उनक साथ कसा यवहार

कया

5-महत न हरहर काका को बहत लोभन दए िजसस वह अपनी ज़मीन जायदाद ठाकर

बाड़ी क नाम कर द परत काका इस बात क लए तयार नह थ व सोच रह थ क या

भगवान क लए अपन भाइय स धोखा क यह उह सह भी नह लग रहा था महत को

यह बात पता लगी तो उसन छल और बल स रात क समय अकल दालान म सोत हए

हरहर काका को उठवा लया महत न अपन चल साधसतो क साथ मलकर उनक हाथ पर

बाध दए मह म कपड़ा ठस दया और जबरदती अगठ क नशान लए उह एक कमर म

बद कर दया जब पलस आई तो वय गत दरवाज़ स भाग गए

6-हरहर काका क मामल म गाव वाल क या राय थी और उसक या कारण थ

6-कहानी क आधार पर गाव क लोग को बना बताए पता चल गया क हरहर काका को

उनक भाई नह पछत इसलए सख आराम का लोभन दकर महत उह अपन साथ ल

गया भाई मनत करक काका को वापस ल आत ह इस तरह गाव क लोग दो प म

बट गए कछ लोग महत क तरफ़ थ जो चाहत थ क काका अपनी ज़मीन धम क नाम पर

ठाकर बाड़ी को द द ताक उह सख आराम मल मय क बाद मो यश मल महत ानी

ह वह सब कछ जानता ह लकन दसर प क लोग कहत क ज़मीन परवार वालो को द

जाए उनका कहना था इसस उनक परवार का पट भरगा मदर को ज़मीन दना अयाय

होगा इस तरह दोन प अपन-अपन हसाब स सोच रह थ परत हरहर काका क बार म

कोई नह सोच रहा था इन बात का एक कारण यह भी था क काका वधर थ और उनक

कोई सतान भी नह थी पह बीघ ज़मीन क लए इनका लालच वाभवक था

7-कहानी क आधार पर पट किजए क लखक न यह य कहा अान क िथत म ह

मनय मय स डरत ह ान होन क बाद तो आदमी आवयकता पड़न पर मय को वरण

करन क लए तयार हो जाता ह

7-जब काका को असलयत पता चल और उह समझ म आ गया क सब लोग उनक

ज़मीन जायदाद क पीछ ह तो उह व सभी लोग याद आ गए िजहन परवार वालो क मोह

माया म आकर अपनी ज़मीन उनक नाम कर द और मय तक तलतल करक मरत

रह दान-दान को मोहताज़ हो गए इसलए उहन सोचा क इस तरह रहन स तो एक बार

मरना अछा ह जीत जी ज़मीन कसी को भी नह दग य लोग मझ एक बार म ह मार

द अत लखक न कहा क अान क िथत म मनय मय स डरता ह परत ान होन

पर मय वरण को तयार रहता ह

8-समाज म रत क या अहमयत ह इस वषय पर अपन वचार कट किजए

8-आज समाज म मानवीय मय तथा पारवारक मय धीर-धीर समात होत जा रह ह

यादातर यित अपन वाथ क लए रत नभात ह अपनी आवयकताओ क हसाब स

मलत ह अमीर रतदार का समान करत ह उनस मलन को आतर रहत ह जबक गरब

रतदार स कतरात ह कवल वाथ सध क अहमयत रह गई ह आए दन हम

अखबार म समाचार पढ़त ह क ज़मीन जाय़दाद पस जवर क लए लोग घनौन स घनौना

काय कर जात ह (हया अपहरण आद) इसी कार इस कहानी म भी पलस न पहचती तो

परवार वाल महत जी (काका क) हया ह कर दत उह यह अफसोस रहा क व काका को

मार नह पाए

9-यद आपक आसपास हरहर काका जसी हालत म कोई हो तो आप उसक कस कार

मदद करग

9-यद हमार आसपास हरहर काका जसी हालत म कोई हो तो हम उसक पर तरह मदद

करन क कोशश करग उनस मलकर उनक दख का कारण पता करग उह अहसास

दलाएग क व अकल नह ह सबस पहल तो यह ववास कराएग क सभी यित लालची

नह होत ह इस तरह मौन रह कर दसर को मौका न द बिक उलास स शष जीवन

बताए रतदार स मलकर उनक सबध सधारन का यन करग

10-हरहर काका क गाव म यद मीडया क पहच होती तो उनक या िथत होती अपन

शद म लखए

10-यद काका क गाव म मीडया पहच जाती तो सबक पोल खल जाती महत व भाइय का

पदाफाश हो जाता अपहरण और जबरन अगठा लगवान क अपराध म उह जल हो जाती

अपना-अपना मोचा सभालना - अपनी िजमदार नबाहना

आसमान स जमीन पर गरना -उच िथत स नन िथत पर आना

खल कर बात करना- बना सकच क बात करना |

चपत हो जाना ndash भाग जाना |

जी-जान स जट जाना ndash खब महनत करना

िजतन मह उतनी बात होना- कई तरह क बात करना |

ततर-बतर होना ndash बखर जाना |

त-त म -म होना -झगड़ा होना |

नमक-मच लगाना- बढ़ा-चढ़कर कहना|

बात बनाना- बहान बनाना|

रग चढ़ना- असर होना|

मह न खोलना ndash कछ न बताना |

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पय-भाग

पाठ-4

मनयता ndashमथलशरण गत

-लखक का परचय-

-पाठ का सार व पिटकरण-

कत क अय ाणय क तलना म मनय म सोचन क शित अधक होती ह

वह अपन ह नह दसर क सख - दःख का भी याल रखता ह और दसर क लए

कछ करन म समथ होता ह जानवर जब चरागाह म जात ह तो कवल अपन लए

चर कर आत ह परत मनय ऐसा नह ह वह जो कछ भी कमाता ह जो कछ भी

बनाता ह वह दसर क लए भी करता ह और दसर क सहायता स भी करता ह

तत पाठ का कव अपन क सख - दःख क चता करन वाल को मनय तो

मानता ह परत यह मानन को तयार नह ह क उन मनय म मनयता क सार

गण होत ह कव कवल उन मनय को महान मानता ह जो अपन क सख - दःख

स पहल दसर क चता करत ह वह मनय म ऐस गण चाहता ह िजसक कारण

कोई भी मनय इस मयलोक स चल जान क बाद भी सदय तक दसर क याद म

रहता ह अथात वह मय क बाद भी अमर रहता ह

-पाठ सार-

इस कवता म कव मनयता का सह अथ समझान का यास कर रहा ह पहल

भाग म कव कहता ह क मय स नह डरना चाहए यक मय तो निचत ह पर

हम ऐसा कछ करना चाहए क लोग हम मय क बाद भी याद रख असल मनय

वह ह जो दसर क लए जीना व मरना सीख ल दसर भाग म कव कहता ह क

हम उदार बनना चाहए यक उदार मनय का हर जगह गण गान होता ह मनय

वह कहलाता ह जो दसर क चता कर तीसर भाग म कव कहता ह क पराण

म उन लोग क बहत उदाहरण ह िजह उनक याग भाव क लए आज भी याद

कया जाता ह सचा मनय वह ह जो याग भाव जान ल चौथ भाग म कव

कहता ह क मनय क मन म दया और कणा का भाव होना चाहए मनय वह

कहलाता ह जो दसर क लए मरता और जीता ह पाचव भाग म कव कहना चाहता

ह क यहा कोई अनाथ नह ह यक हम सब उस एक ईवर क सतान ह हम

भदभाव स ऊपर उठ कर सोचना चाहएछठ भाग म कव कहना चाहता ह क हम

दयाल बनना चाहए यक दयाल और परोपकार मनय का दवता भी वागत करत

ह अतः हम दसर का परोपकार व कयाण करना चाहएसातव भाग म कव कहता

ह क मनय क बाहर कम अलग अलग हो परत हमार वद साी ह क सभी क

आमा एक ह हम सब एक ह ईवर क सतान ह अतः सभी मनय भाई -बध ह

और मनय वह ह जो दःख म दसर मनय क काम आयअतम भाग म कव

कहना चाहता ह क वप और वन को हटात हए मनय को अपन चन हए रात

पर चलना चाहए आपसी समझ को बनाय रखना चाहए और भदभाव को नह

बढ़ाना चाहए ऐसी सोच वाला मनय ह अपना और दसर का कयाण और उधार

कर सकता ह

-याया

1-वचार लो क मय हो न मय स डरो कभी

मरो परत य मरो क याद जो कर सभी

हई न य समय तो वथा मर वथा िजए

मारा नह वह क जो िजया न आपक लए

वह पश- वत ह क आप आप ह चर

वह मनय ह क जो मनय क लए मर

सग - तत कवता हमार पाय पतक पश भाग -2 स ल गई ह इसक

कव मथलशरण गत ह इन पितओ म कव बताना चाहता ह क मनय को

कसा जीवन जीना चाहए

याया - कव कहता ह क हम यह जान लना चाहए क मय का होना निचत

ह हम मय स नह डरना चाहए कव कहता ह क हम कछ ऐसा करना चाहए क

लोग हम मरन क बाद भी याद रख जो मनय दसर क लए कछ भी ना कर सक

उनका जीना और मरना दोन बकार ह मर कर भी वह मनय कभी नह मरता जो

अपन लए नह दसर क लए जीता ह यक अपन लए तो जानवर भी जीत ह

कव क अनसार मनय वह ह जो दसर मनय क लए मर अथात जो मनय दसर

क चता कर वह असल मनय कहलाता ह

2-उसी उदार क कथा सरवती बखानती

उसी उदार स धरा कताथ भाव मानती

उसी उदार क सदा सजीव कत कजती

तथा उसी उदार को समत सिट पजती

अखड आम भाव जो असीम वव म भर

वह मनय ह क जो मनय क लए मर

सग - तत कवता हमार पाय पतक पश भाग -2 स ल गई ह इसक

कव मथलशरण गत ह इन पितओ म कव बताना चाहता ह क जो मनय

दसर क लए जीत ह उनका गणगान यग - यग तक कया जाता ह

याया - कव कहता ह क जो मनय अपन पर जीवन म दसर क चता करता

ह उस महान यित क कथा का गण गान सरवती अथात पतक म कया जाता

ह पर धरती उस महान यित क आभार रहती ह उस यित क बातचीत

हमशा जीवत यित क तरह क जाती ह और पर सिट उसक पजा करती ह

कव कहता ह क जो यित पर ससार को अखड भाव और भाईचार क भावना म

बाधता ह वह यित सह मायन म मनय कहलान योय होता ह

3-धात रतदव न दया करथ थाल भी

तथा दधीच न दया पराथ अिथजाल भी

उशीनर तीश न वमास दान भी कया

सहष वीर कण न शरर-चम भी दया

अनय दह क लए अनाद जीव या डर

वह मनय ह क जो मनय क लए मर

सग - तत कवता हमार पाय पतक पश भाग -2 स ल गई ह इसक

कव मथलशरण गत ह इन पितओ म कव न महान पष क उदाहरण दए ह

िजनक महानता क कारण उह याद कया जाता ह

याया - कव कहता ह क पौराणक कथाए ऐस यितओ क उदाहरण स भर

पड़ी ह िजहन अपना परा जीवन दसर क लए याग दया िजस कारण उह आज

तक याद कया जाता ह भख स परशान रतदव न अपन हाथ क आखर थाल भी

दान कर द थी और महष दधीच न तो अपन पर शरर क हडया व बनान क

लए दान कर द थी उशीनर दश क राजा शब न कबतर क जान बचान क लए

अपना परा मास दान कर दया था वीर कण न अपनी ख़शी स अपन शरर का

कवच दान कर दया था कव कहना चाहता ह क मनय इस नवर शरर क लए

य डरता ह यक मनय वह कहलाता ह जो दसर क लए अपन आप को याग

दता ह

4-सहानभत चाहए महावभत ह यह

वशीकता सदव ह बनी हई वय मह

वधभाव बध का दया-वाह म बहा

वनीत लोकवग या न सामन झका रहा

अहा वह उदार ह परोपकार जो कर

वह मनय ह क जो मनय क लए मर

सग - तत कवता हमार पाय पतक पश भाग -2 स ल गई ह इसक

कव मथलशरण गत ह इन पितओ म कव न महामा बध का उदाहरण दत

हए दया कणा को सबस बड़ा धन बताया ह

याया - कव कहता ह क मनय क मन म दया व कणा का भाव होना चाहए

यह सबस बड़ा धन ह वय ईवर भी ऐस लोग क साथ रहत ह इसका सबस

बड़ा उदाहरण महामा बध ह िजनस लोग का दःख नह दखा गया तो व लोक

कयाण क लए दनया क नयम क वध चल गए इसक लए या परा ससार

उनक सामन नह झकता अथात उनक दया भाव व परोपकार क कारण आज भी

उनको याद कया जाता ह और उनक पजा क जाती ह महान उस को कहा जाता ह

जो परोपकार करता ह वह मनय मनय कहलाता ह जो मनय क लए जीता ह

और मरता ह

5-रहो न भल क कभी मदाघ तछ व म

सनाथ जान आपको करो न गव च म

अनाथ कौन ह यहा लोकनाथ साथ ह

दयाल दन बध क बड़ वशाल हाथ ह

अतीव भायहन ह अधीर भाव जो कर

वह मनय ह क जो मनय क लए मर

सग - तत कवता हमार पाय पतक पश भाग -2 स ल गई ह इसक

कव मथलशरण गत ह इन पितओ म कव कहता ह क सपत पर कभी

घमड नह करना चाहए और कसी को अनाथ नह समझना चाहए यक ईवर

सबक साथ ह

याया - कव कहता ह क भल कर भी कभी सप या यश पर घमड नह करना

चाहए इस बात पर कभी गव नह करना चाहए क हमार साथ हमार अपन का

साथ ह यक कव कहता ह क यहा कौन सा यित अनाथ ह उस ईवर का

साथ सब क साथ ह वह बहत दयावान ह उसका हाथ सबक ऊपर रहता ह कव

कहता ह क वह यित भायहन ह जो इस कार का उतावलापन रखता ह यक

मनय वह यित कहलाता ह जो इन सब चीज स ऊपर उठ कर सोचता ह

6-अनत अतर म अनत दव ह खड़

सम ह वबाह जो बढ़ा रह बड़-बड़

परपरावलब स उठो तथा बढ़ो सभी

अभी अमय-अक म अपक हो चढ़ो सभी

रहो न या क एक स न काम और का सर

वह मनय ह क जो मनय क लए मर

सग - तत कवता हमार पाय पतक पश भाग -2 स ल गई ह इसक

कव मथलशरण गत ह इन पितओ म कव कहता ह क कलक रहत रहन व

दसर का सहारा बनन वाल मवषय का दवता भी वागत करत ह

याया - कव कहता ह क उस कभी न समात होन वाल आकाश म असय

दवता खड़ ह जो परोपकार व दयाल मनय का सामन स खड़ होकर अपनी भजाओ

को फलाकर वागत करत ह इसलए दसर का सहारा बनो और सभी को साथ म

लकर आग बड़ो कव कहता ह क सभी कलक रहत हो कर दवताओ क गोद म

बठो अथात यद कोई बरा काम नह करोग तो दवता तह अपनी गोद म ल लग

अपन मतलब क लए नह जीना चाहए अपना और दसर का कयाण व उधार

करना चाहए यक इस मरणशील ससार म मनय वह ह जो मनय का कयाण

कर व परोपकार कर

7-मनय माा बध ह यह बड़ा ववक ह

पराणपष वयभ पता सध एक ह

फलानसार कम क अवय बाय भद ह

परत अतरय म माणभत वद ह

अनथ ह क बध ह न बध क यथा हर

वह मनय ह क जो मनय क लए मर

सग - तत कवता हमार पाय पतक पश भाग -2 स ल गई ह इसक

कव मथलशरण गत ह इन पितओ म कव कहता ह क हम सब एक ईवर क

सतान ह अतः हम सभी मनय एक - दसर क भाई - बध ह

याया - कव कहता ह क यक मनय एक दसर क भाई - बध ह यह सबस

बड़ी समझ ह पराण म िजस वय उपन पष मना गया ह वह परमामा या

ईवर हम सभी का पता ह अथात सभी मनय उस एक ईवर क सतान ह

बाहर कारण क फल अनसार यक मनय क कम भल ह अलग अलग ह परत

हमार वद इस बात क साी ह क सभी क आमा एक ह कव कहता ह क यद

भाई ह भाई क दःख व कट का नाश नह करगा तो उसका जीना यथ ह यक

मनय वह कहलाता ह जो बर समय म दसर मनय क काम आता ह

8-चलो अभीट माग म सहष खलत हए

वपवन जो पड़ उह ढकलत हए

घट न हलमल हा बढ़ न भनता कभी

अतक एक पथ क सतक पथ ह सभी

तभी समथ भाव ह क तारता हआ तर

वह मनय ह क जो मनय क लए मर

सग - तत कवता हमार पाय पतक पश भाग -2 स ल गई ह इसक

कव मथलशरण गत ह इन पितओ म कव कहता ह क यद हम ख़शी ससार

कट को हटत हए भदभाव रहत रहग तभी सभव ह क समाज क उनत होगी

याया - कव कहता ह क मनय को अपनी इछा स चन हए माग म ख़शी

ख़शी चलना चाहएरात म कोई भी सकट या बाधाए आय उह हटात चल जाना

चाहए मनय को यह यान रखना चाहए क आपसी समझ न बगड़ और भद

भाव न बड़ बना कसी तक वतक क सभी को एक साथ ल कर आग बढ़ना चाहए

तभी यह सभव होगा क मनय दसर क उनत और कयाण क साथ अपनी

समध भी कायम कर

-ननलखत न क उर दिजय ndash

1-कव न कसी मय को समय कहा ह

1-कव न ऐसी मय को समय कहा ह िजसम मनय अपन स पहल दसर क चता

करता ह और परोपकार क राह को चनता ह िजसस उस मरन क बाद भी याद कया

जाता ह

2-उदार यित क पहचान कस हो सकती ह

2- उदार यित परोपकार होता ह वह अपन स पहल दसर क चता करता ह और

लोक कयाण क लए अपना जीवन याग दता ह

3-कव न दधीच कण आद महान यितओ क उदाहरण द कर मनयता क लए

या उदाहरण दया ह

3- कव न दधीच कण आद महान यितओ क उदाहरण द कर मनयता क

लए यह सदश दया ह क परोपकार करन वाला ह असल मनय कहलान योय

होता ह मानवता क रा क लए दधीच न अपन शरर क सार अिथया दान कर

द थीकण न अपनी जान क परवाह कय बना अपना कवच द दया था िजस

कारण उह आज तक याद कया जाता ह कव इन उदाहरण क वारा यह

समझाना चाहता ह क परोपकार ह सची मनयता ह

4- कव न कन पितय म यह यत कया ह क हम गव - रहत जीवन यतीत

करना चाहए

4- कव न ननलखत पितय म गव रहत जीवन यतीत करन क बात कह ह-

रहो न भल क कभी मगाघ तछ व म

सनाथ जान आपको करो न गव च म

अथात सपत क घमड म कभी नह रहना चाहए और न ह इस बात पर गव

करना चाहए क आपक पास आपक अपन का साथ ह यक इस दनया म कोई

भी अनाथ नह ह सब उस परम पता परमवर क सतान ह

5- मनय मा बध ह स आप या समझत ह पट किजए

5- मनय मा बध ह अथात हम सब मनय एक ईवर क सतान ह अतः हम

सब भाई - बध ह भाई -बध होन क नात हम भाईचार क साथ रहना चाहए और

एक दसर का बर समय म साथ दना चाहए

6- कव न सबको एक होकर चलन क रणा य द ह

6- कव न सबको एक होकर चलन क रणा इसलए द ह ताक आपसी समझ न

बगड़ और न ह भदभाव बड़ सब एक साथ एक होकर चलग तो सार बाधाए मट

जाएगी और सबका कयाण और समध होगी

7- यित को कस तरह का जीवन यतीत करना चाहए इस कवता क आधार पर

लखए

7-मनय को परोपकार का जीवन जीना चाहए अपन स पहल दसर क दख क

चता करनी चाहए कवल अपन बार म तो जानवर भी सोचत ह कव क अनसार

मनय वह कहलाता ह जो अपन स पहल दसर क चता कर

8- मनयता कवता क वारा कव या सदश दना चाहता ह

8- मनयता कवता क मायम स कव यह सदश दना चाहता ह क परोपकार ह

सची मनयता ह परोपकार ह एक ऐसा साधन ह िजसक मायम स हम यग तक

लोगो क दल म अपनी जगह बना सकत ह और परोपकार क वारा ह समाज का

कयाण व समध सभव ह अतः हम परोपकार बनना चाहए ताक हम सह

मायन म मनय कहलाय

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-याकरण-

पदबध- परभाषा

पद- वाय स अलग रहन पर शद और वाय म यत हो जान पर शद

पद कहलात ह दसर शद म- वाय म यत शद पद कहलाता ह पदबध-

जब दो या अधक (शद) पद नयत म और निचत अथ म कसी पद का

काय करत ह तो उह पदबध कहत ह

पदबध क भद

मय पद क आधार पर पदबध क पाच कार होत ह-

(1) सा-पदबध (2) वशषण-पदबध

(3) सवनाम पदबध (4) या पदबध

(5) अयय पदबध

(1) सा-पदबध-

(a)चार ताकतवर मजदर इस भार चीज को उठा पाए

(b) राम न लका क राजा रावण को मार गराया

(c) अयोया क राजा दशरथ क चार प थ

(d) आसमान म उड़ता गबारा फट गया

2) वशषण पदबध-

a) तज चलन वाल गाड़या ायः दर स पहचती ह

(b) उस घर क कोन म बठा हआ आदमी जासस ह

(c) उसका घोड़ा अयत सदर फरतीला और आाकार ह

(d) बरगद और पीपल क घनी छाव स हम बहत सख मला

3) सवनाम पदबध-

(a)बजल-सी फरती दखाकर आपन बालक को डबन स बचा लया

(b)शरारत करन वाल छा म स कछ पकड़ गए

(c)वरोध करन वाल लोग म स कोई नह बोला

4) या पदबध-

(a) वह बाजार क ओर आया होगा

(b) मझ मोहन छत स दखाई द रहा ह

(c) सरश नद म डब गया

(d) अब दरवाजा खोला जा सकता ह

5) अयय पदबध-

(a)अपन सामान क साथ वह चला गया

(b)सबह स शाम तक वह बठा रहा

कसी भी भाषा क व शद अयय (Indeclinable या inflexible) कहलात ह िजनक प म

लग वचन पष कारक काल इयाद क कारण कोई वकार उप नह होता

चक अयय का पातर नह होता इसलए ऐस शद अवकार होत ह अयय का शािदक

अथ ह- जो यय न हो

(i) कालवाचक अयय- इनम समय का बोध होता ह जस- आज कल तरत पीछ पहल अब

जब तब कभी-कभी कब अब स नय जब स सदा स अभी तभी आजकल और कभी

उदाहरणाथ-

अब स ऐसी बात नह होगी

ऐसी बात सदा स होती रह ह

वह कब आया मझ पता नह

(ii) थानवाचक अयय- इसस थान का बोध होता ह जस- यहा वहा कहा जहा यहा स

वहा स इधर-उधर उदाहरणाथ-

वह यहा नह ह

वह कहा जायगा

वहा कोई नह ह

जहा तम हो वहा म ह

(iii) दशावाचक अयय- इसस दशा का बोध होता ह जस- इधर उधर िजधर दर पर अलग

दाहन बाए आरपार

(iv) िथतवाचक अयय- नीच ऊपर तल सामन बाहर भीतर इयाद

अयय क भद

अयय ननलखत चार कार क होत ह -

(1) यावशषण (Adverb)

(2) सबधबोधक (Preposition)

(3) समचयबोधक (Conjunction)

(4) वमयादबोधक (Interjection)

(1) यावशषण - िजन शद स या वशषण या दसर यावशषण क वशषता कट

हो उह यावशषण कहत ह

दसर शदो म- जो शद या क वशषता बतलात ह उह या वशषण कहा जाता ह

जस- राम धीर-धीर टहलता ह राम वहा टहलता ह राम अभी टहलता ह

इन वाय म धीर-धीर वहा और अभी राम क टहलन (या) क वशषता बतलात ह य

यावशषण अवकार वशषण भी कहलात ह इसक अतरत यावशषण दसर

यावशषण क भी वशषता बताता ह

वह बहत धीर चलता ह इस वाय म बहत यावशषण ह यक यह दसर यावशषण

धीर क वशषता बतलाता ह

या वशषण क कार

(1) योग क अनसार- (i) साधारण (ii) सयोजक (iii) अनबध

(2) प क अनसार- (i) मल यावशषण (ii) यौगक यावशषण (iii) थानीय यावशषण

(3) अथ क अनसार- (i) परमाणवाचक (ii) रतवाचक

(1) योग क अनसार यावशषण क भद

योग क अनसार यावशषण क तीन भद ह-

(i) साधारण यावशषण- िजन यावशषण का योग कसी वाय म वत होता ह

उह साधारण यावशषण कहा जाता ह

जस- हाय अब म या क बटा जद आओ अर साप कहा गया

(ii) सयोजक यावशषण- िजन यावशषण का सबध कसी उपवाय स रहता ह उह

सयोजक यावशषण कहा जाता ह

जस- जब रोहताव ह नह तो म ह जीकर या कगी जहा अभी सम ह वहा कसी

समय जगल था

(iii) अनबध यावशषण- िजन यावशषण क योग अवधारण (नचय) क लए कसी

भी शदभद क साथ होता हो उह अनबध यावशषण कहा जाता ह

जस- यह तो कसी न धोखा ह दया ह मन उस दखा तक नह

(2) प क अनसार यावशषण क भद

प क अनसार यावशषण क तीन भद ह-

(i) मल यावशषण- ऐस यावशषण जो कसी दसर शद क मल स नह बनत मल

यावशषण कहलात ह

जस- ठक दर अचानक फर नह

(ii) यौगक यावशषण- ऐस यावशषण जो कसी दसर शद म यय या पद जोड़न

पर बनत ह यौगक यावशषण कहलात ह

जस- मन स िजसस चपक स भल स दखत हए यहा तक झट स वहा पर यौगक

यावशषण सा सवनाम वशषण धात और अयय क मल स बनत ह

यौगक यावशषण नीच लख शद क मल स बनत ह-

(i) साओ क वित स- घर-घर घड़ी-घड़ी बीच-बीच हाथ-हाथ

(ii) दो भ साओ क मल स- दन-रात साझ-सबर घर-बाहर दश-वदश

(iii) वशषण क वित स- एक-एक ठक-ठक साफ-साफ

(iv) यावशषण क वित स- धीर-धीर जहा-तहा कब-कब कहा-कहा

(v) दो यावशषण क मल स- जहा-तहा जहा-कह जब-तब जब-कभी कल-परस आस-पास

(vi) दो भ या समान यावशषण क बीच न लगान स- कभी-न-कभी कछ-न-कछ

(vii) अनकरण वाचक शद क वित स- पटपट तड़तड़ सटासट धड़ाधड़

(viii) सा और वशषण क योग स- एक साथ एक बार दो बार

(ix) अय य और दसर शद क मल स- तदन यथाम अनजान आजम

(x) पवकालक कदत और वशषण क मल स- वशषकर बहतकर मयकर एक-एककर

(iii) थानीय यावशषण- ऐस यावशषण जो बना पातर क कसी वशष थान म

आत ह थानीय यावशषण कहलात ह

जस- वह अपना सर पढ़गा

वह दौड़कर चलत ह

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  • (1) अरथ की दषटि स शबद-भद13
  • (2) परयोग की दषटि स शबद-भद13
  • (3) उतपति की दषटि स शबद-भद13
  • 1) सवर सधि-13
  • परति+छवि=परतिचछवि दिक+अनत=दिगनत दिक+गज=दिगगज अन+छद=अनचछद अच +अनत = अजनत 13
  • 3)विसरग सधि - विसरग क साथ सवर या वयजन का मल होन पर जो विकार होता ह उस 13
  • विसरग सधि कहत ह 13
  • मन+रथ=मनोरथ यश+अभिलाषा=यशोभिलाषा अध+गति=अधोगति नि+छल=निशछल द +गम = दरगम 13
    • -पाठ सार-13
    • -वयाखया13
    • -निमनलिखित परशनो क उततर दीजिय ndash13
    • 1-कवि न कसी मतय को समतय कहा ह13
    • अवयय क भद13
    • करिया विशषण क परकार13
Page 19: Class –X HINDI JUNE SYLLABUS 2020 Chapters:- Ch-1-Sanchayan …punainternationalschool.com/assets/upload/ck-images/Std-10th=Jun… · -harihar kaka . पय-भाग पाठ-3

वीपवासय क सवा करना अपना धम समझता था सभी उसका आदर करत थ मसीबत

क घड़ी म वह लोग क पास तरत पहच जाता था

4- ाचीन काल म मनोरजन और शित-दशन क लए कस कार क आयोजन कए जात

उर- ाचीन काल म मनोरजन और शित-दशन क लए अ-श चलान सबधी

आयोजन तथा पश पव कए जात थ

5-lsquoततारा-वामीरो कथाrsquo का सदश पट किजए

उर- lsquoततारा-वामीरो कथाrsquo एक लोकगाथा ह इसम यह सदश दया गया ह क म को कसी

बधन जड़ता तथा सीमाओ म बाधना उचत नह ह यद कोई गाव दश या म को

पनपन क लए खला अवसर नह दता तो इसस सवनाश होता ह धरती म भदभाव बढ़त ह

पहल स बट हई धरती और अवसर नह दता तो इसस मानवता का य होता ह भावनाए

एक होन क बजाय खडत होती ह अतः गाव दश या अय सकण नयमो को तोड़कर

हम उदारता क साथ सबको अपनाना चाहए

7-नक ततारा और वामीरो क मय कस हई पठत पाठ क आधार पर लखए

उर- पश-पव क मौक पर ततारा और वामीरो को इकठा दखकर वामीरो क मा ोध म

उफन उठ उसन ततारा को तरह-तरह स अपमानत कया गाव क लोग भी ततारा क

वरोध म आवाज उठान लग यह ततारा क लए अहसनीय था वामीरो अब भी रोए जा रह

थी ततारा भी गस स भर उठा उस जहा ववाह क नषध परपरा पर ोभ था वह अपनी

असहायता पर खीझ वामीरो का दख उस और गहरा कर रहा था उस मालम नह था क

या कदम उठाना चाहए अनायास उसका हाथ तलवार क मढ़ पर जा टका ोध म उसन

तलवार नकाल और कछ वचार करता रहा ोध लगातार अिन क तरह बढ़ रहा था

लोग सहम उठ एक सनाटा-सा खच गया जब कोई राह न सझी तो ोध का शमन करन

क लए उसम शित भर उस धरती म घप दया और ताकत स उस खीचन लगा वह

पसीन स नहा उठा सब घबराए हए थ वह तलवार को अपनी तरफ खीचत-खीचत दर तक

पहच गया वह हाफ रहा था अचानक जहा एक लकर खच गई थी वहा एक दरार होन

लगी मानो धरती दो टकड़ो म बटन लगी हो एक गड़गड़ाहट-सी गजन लगी और लकर क

सीध म धरती फटती ह जा रह थी वीप क अतम सर तक ततारा धरती को मानो ोध

म काटता जा रहा था सभी याकल हो उठ लोग न ऐस य क कपना न क थी व

सहर उठ उधर वामीरो फटती हई धरती क कनार ततारा का नाम पकारत हए दौड़ रह थी

वीप दो टकड़ म वभत हो चका था ततारा और वामीरो वीप क साथ सम म धस

गए और उमय हो गई

8-शाम क समय सम कनार ततारा क ाकतक अनभत का वणन किजए

उर- एक शाम ततारा दन-भर क अथक परम क बाद सम कनार टहलन नकल

पड़ा सरज सम स लग तज तल डबन को था सम स ठडी बयार आ रह थी

पय क सायकालन चाहचाहाहट शनः शनः ीण ह को थी उसका मन शात था

वचारमन ततारा सम बाल पर बठकर सरज क अतम रग-बरगी करण को सम

पर नहारन लगा तभी कह पास म उस मधर गीत गजता सनाई दया गीत मान

बहता हआ उसक तरफ आ रहा हो बीच-बीच म लहर का सगीत सनाई दता गायन

भावी था क वह अपनी सध-बध खोन लगा लहर क एक बल वग न उसक ता भग

क चतय होत ह वह उधर बढ़न को ववश हो उठा िजधर स अब भी गीत क वर बह

रह थ वह वकल-सा उस तरफ़ बढ़ता गया अततः उसक नजर एक यवती पर पड़ी जो

ढलती हई शाम क सदय म बसध एकटक सम क दह पर डबत आकषक रगो को

नहारत हए गा रह थी यह एक शगार गीत था

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Vyakr`-vaKy-

bull वाय क सामन दए कोठक म ( radic का चह लगाकर बताए क वह वाय कस

कार का ह

क) नकोबार उस बहद म करत थ (नवाचक वधानवाचक नषधामक

वमयादबोधक)

ख) तमन एकाएक इतना मधर गाना अधरा य छोड़ दया नवाचक

वधानवाचक नषधामक वमयादबोधक)

ग) वामीरो क मा ोध म उफन उठ (नवाचक वधानवाचक नषधामक

वमयादबोधक)

घ) या तह गाव का नयम नह मालम नवाचक वधानवाचक नषधामक

वमयादबोधक)

ङ) वाह कतना सदर नाम ह (नवाचक वधानवाचक नषधामक

वमयादबोधक)

च) म तहारा राता छोड़ दगा

वमयादबोधक)

उर- क) वधानवाचक

ग) वधानवाचक

ङ) वमयादबोध

Ocirc-इस पाठ म lsquo दखना lsquo या क कई प आए ह

शदयोग म या अतर ह

Ocirc-उर-

म तहारा राता छोड़ दगा (नवाचक वधानवाचक नषधामक

ख) नवाचक

घ) नवा

च) वधानवाचक

या क कई प आए ह lsquo दखना lsquo क इन वभन

वाययोग वारा पट किजए

नषधामक

नवाचक

वधानवाचक

क इन वभन

-वाय क उदाहरण-

सचयन-भाग

पाठ-1 (हरहर काका )

-शदाथ -

तबयत - शरर क िथत यणा - यातना कलश कट

मनःिथत - मन क िथत चद - कछ

आसित ndash लगाव यावहारक - यावहार सबधी

वचारक - वचार सबधी दलार - यार

सयाना - यक बधमान तीा - इतज़ार

फ़लहाल - अभी इस समय मझधार - बीच म

वलन - लत हो जाना वकप - दसरा उपाय

चलत ndash चलनसार जात - जगाना

कलवर - शरर मनौती - मनत

परपरा - था णाल अधकाश - यादातर

समत ndash सथा सचालन - नयण चलाना

नयित - तनाती लगाया गया वमख - तकल

चपट - आघात हार अहाता-चार ओर स दवार स घरा हआ मदान

अखड ndash नवन वफोट - फट कर बाहर नकलना

आगमन - आन पर उपलय - सकत

सराहना ndash शसा निचत - बफ

-लखक का परचय-मथलवर का जम 31 दसबर 1950 को बहार क

भोजपर िजल क बसाडीह नामक गाव म हआ इनक पता व० ो० वशरोपन लाल थ

मथलवर क पता (ो० वशरोपन लाल) भी वलण तभा क धनी थ परत उनक

असाय बीमार न मथलवर क जीवन म आरभ स ह कठन सघष क बीज बो दय थ

पाठ सार-

लखक कहता ह क वह हरहर काका क साथ बहत गहर स जड़ा था लखक का हरहर

काका क त जो यार था वह लखक का उनक यावहार क और उनक वचार क कारण

था और उसक दो कारण थ पहला कारण था क हरहर काका लखक क पड़ोसी थ और

दसरा कारण लखक को उनक मा न बताया था क हरहर काका लखक को बचपन स ह

बहत यादा यार करत थ जब लखक यक हआ तो उसक पहल दोती भी हरहर काका

क साथ ह हई थी लखक क गाव क पव दशा म ठाकर जी का वशाल मदर था िजस

गाव क लोग ठाकरबार यान दवथान कहत थ लोग ठाकर जी स प क मनत मागत

मक़दम म जीत लड़क क शाद कसी अछ घर म हो जाए लड़क को नौकर मल जाए

आद मनत मागत थ मनत पर होन पर लोग अपनी ख़शी स ठाकरजी को पए ज़वर

और अनाज चढ़ाया करत थ िजसको बहत अधक ख़शी होती थी वह अपन खत का छोटा-

सा भाग ठाकरजी क नाम कर दता था और यह एक तरह स था ह बन गई लखक कहता

ह क उसका गाव अब गाव क नाम स नह बिक दव-थान क वजह स ह पहचाना जाता

था उसक गाव का यह दव-थान उस इलाक का सबस बड़ा और सध दवथान था

हरहर काका न अपनी परिथतओ क कारण दव-थान म जाना बद कर दया था मन

बहलान क लए लखक भी कभी-कभी दव-थान चला जाता था लकन लखक कहता ह क

वहा क साध-सत उस बलकल भी पसद नह थ यक व काम करन म कोई दलचपी

नह रखत थ भगवान को भोग लगान क नाम पर व दन क दोन समय हलवा-पड़ी

बनवात थ और आराम स पड़ रहत थ सारा काम वहा आए लोग स सवा करन क नाम पर

करवात थ व खद अगर कोई काम करत थ तो वो था बात बनवान का काम

लखक हरहर काका क बार म बताता हआ कहता ह क हरहर काका और उनक तीन भाई

ह सबक शाद हो चक ह हरहर काका क अतरत सभी तीन भाइय क बाल-बच ह

कछ समय तक तो हरहर काका क सभी चीज़ का अछ स यान रखा गया परत फर

कछ दन बाद हरहर काका को कोई पछन वाला नह था लखक कहता ह क अगर कभी

हरहर काका क शरर क िथत ठक नह होती तो हरहर काका पर मसीबत का पहाड़ ह

गर जाता यक इतन बड़ परवार क रहत हए भी हरहर काका को कोई पानी भी नह

पछता था बारामद क कमर म पड़ हए हरहर काका को अगर कसी चीज़ क जरत होती

तो उह खद ह उठना पड़ता एक दन उनका भतीजा शहर स अपन एक दोत को घर ल

आया उह क आन क ख़शी म दो-तीन तरह क सिज़या बजक चटनी रायता और भी

बहत कछ बना था सब लोग न खाना खा लया और हरहर काका को कोई पछन तक नह

आया हरहर काका गस म बरामद क ओर चल पड़ और जोर-जोर स बोल रह थ क

उनक भाई क पिनया या यह सोचती ह क व उह मत म खाना खला रह ह उनक

खत म उगन वाला अनाज भी इसी घर म आता ह

हरहर काका क गस का महत जी न लाभ उठान क सोची महत जी हरहर काका को

अपन साथ दव-थान ल आए और हरहर काका को समझान लग क उनक भाई का परवार

कवल उनक जमीन क कारण उनस जड़ा हआ ह कसी दन अगर हरहर काका यह कह द

क व अपन खत कसी और क नाम लख रह ह तो व लोग तो उनस बात करना भी बद

कर दग खन क रत ख़म हो जायग महत हरहर काका स कहता ह क उनक हस म

िजतन खत ह व उनको भगवान क नाम लख द ऐसा करन स उह सीध वग क ाित

होगी

सबह होत ह हरहर काका क तीन भाई दव-थान पहच गए तीन हरहर काका क पाव म

गर कर रोन लग और अपनी पिनय क गलती क माफ़ मागन लग और कहन लग क

व अपनी पिनय को उनक साथ कए गए इस तरह क यवहार क सज़ा दग हरहर काका

क मन म दया का भाव जाग गया और व फर स घर वापस लौट कर आ गए जब अपन

भाइय क समझान क बाद हरहर काका घर वापस आए तो घर म और घर वाल क

यवहार म आए बदलाव को दख कर बहत खश हो गए घर क सभी छोट-बड़ सभी लोग

हरहर काका का आदर-सकार करन लग

गाव क लोग जब भी कह बठत तो बात का ऐसा सलसला चलता िजसका कोई अत नह

था हर जगह बस उह क बात होती थी कछ लोग कहत क हरहर काका को अपनी

जमीन भगवान क नाम लख दनी चाहए इसस उम और अछा कछ नह हो सकता

इसस हरहर काका को कभी न ख़म होन वाल सध ात होगी इसक वपरत कछ

लोग क यह मानत थ क भाई का परवार भी तो अपना ह परवार होता ह अपनी

जायदाद उह न दना उनक साथ अयाय करना होगा हरहर काका क भाई उनस ाथना

करन लग क व अपन हस क जमीन को उनक नाम लखवा द इस वषय पर हरहर

काका न बहत सोचा और अत म इस परणाम पर पहच क अपन जीत-जी अपनी जायदाद

का वामी कसी और को बनाना ठक नह होगा फर चाह वह अपना भाई हो या मदर का

महत यक उह अपन गाव और इलाक क व कछ लोग याद आए िजहन अपनी िजदगी

म ह अपनी जायदाद को अपन रतदार या कसी और क नाम लखवा दया था उनका

जीवन बाद म कसी क क तरह हो गया था उह कोई पछन वाला भी नह था हरहर

काका बलकल भी पढ़-लख नह थ परत उह अपन जीवन म एकदम हए बदलाव को

समझन म कोई गलती नह हई और उहन फसला कर लया क व जीत-जी कसी को भी

अपनी जमीन नह लखग

लखक कहता ह क जस-जस समय बीत रहा था महत जी क परशानया बढ़ती जा

रह थी उह लग रहा था क उहन हरहर काका को फसान क लए जो जाल फ का

था हरहर काका उसस बाहर नकल गए ह यह बात महत जी को सहन नह हो रह

थी आधी रात क आस-पास दव-थान क साध-सत और उनक कछ साथी भाला

गड़ासा और बदक क साथ अचानक ह हरहर काका क आगन म आ गए इसस

पहल हरहर काका क भाई कछ सोच और कसी को अपनी सहायता क लए आवाज

लगा कर बलाए तब तक बहत दर हो गई थी हमला करन वाल हरहर काका को

अपनी पीठ पर डाल कर कह गायब हो गए थव हरहर काका को दव-थान ल गए

थ एक ओर तो दव-थान क अदर जबरदती हरहर काका क अगठ का नशान लन

और पकड़कर समझान का काम चल रहा था तो वह दसर ओर हरहर काका क

तीन भाई सबह होन स पहल ह पलस क जीप को लकर दव-थान पर पहच गए

थ महत और उनक साथय न हरहर काका को कमर म हाथ और पाव बाध कर

रखा था और साथ ह साथ उनक मह म कपड़ा ठसा गया था ताक व आवाज़ न कर

सक परत हरहर काका दरवाज़ तक लढ़कत हए आ गए थ और दरवाज़ पर अपन

पर स धका लगा रह थ ताक बाहर खड़ उनक भाई और पलस उह बचा सक

दरवाज़ा खोल कर हरहर काका को बधन स मत कया गया हरहर काका न

पलस को बताया क व लोग उह उस कमर म इस तरह बाध कर कह गत

दरवाज़ स भाग गए ह और उहन कछ खल और कछ लख हए कागज पर हरहर

काका क अगठ क नशान जबरदती लए ह

यह सब बीत जान क बाद हरहर काका फर स अपन भाइय क परवार क साथ रहन लग

गए थ चौबीस घट पहर दए जान लग थ यहा तक क अगर हरहर काका को कसी

काम क कारण गाव म जाना पड़ता तो हथयार क साथ चार-पाच लोग हमशा ह उनक

साथ रहन लग लखक कहता ह क हरहर काका क साथ जो कछ भी हआ था उसस हरहर

काका एक सीध-साद और भोल कसान क तलना म चालाक और बधमान हो गए थ

उह अब सब कछ समझ म आन लगा था क उनक भाइय का अचानक स उनक त जो

यवहार परवतन हो गया था उनक लए जो आदर-समान और सरा व दान कर रह थ

वह उनका कोई सग भाइय का यार नह था बिक व सब कछ उनक धन-दौलत क कारण

कर रह ह नह तो व हरहर काका को पछत तक नह जब स हरहर काका दव-थान स

वापस घर आए थ उसी दन स ह हरहर काका क भाई और उनक दसर नात-रतदार

सभी यह सोच रह थ क हरहर काका को क़ाननी तरक स उनक जायदाद को उनक

भतीज क नाम कर दना चाहए यक जब तक हरहर काका ऐसा नह करग तब तक

महत क तज़ नज़र उन पर टक रहगी जब हरहर काका क भाई हरहर काका को

समझात-समझात थक गए तो उहन हरहर काका को डाटना और उन पर दवाब डालना

श कर दया एक रात हरहर काका क भाइय न भी उसी तरह का यवहार करना श

कर दया जसा महत और उनक सहयोगय न कया था उह धमकात हए कह रह थ क

ख़शी-ख़शी कागज़ पर जहा-जहा जरत ह वहा-वहा अगठ क नशान लगत जाओ नह तो व

उह मार कर वह घर क अदर ह गाड़ दग और गाव क लोगो को इस बार म कोई सचना

भी नह मलगी हरहर काका क साथ अब उनक भाइय क मारपीट श हो गई जब

हरहर काका अपन भाइय का मकाबला नह कर पा रह थ तो उहन ज़ोर-ज़ोर स

चलाकर अपनी मदद क लए गाव वाल को आवाज लगाना श कर दया तब उनक

भाइय को यान आया क उह हरहर काका का मह पहल ह बद करना चाहए था उहन

उसी पल हरहर काका को जमीन पर पटका और उनक मह म कपड़ा ठस दया लकन तब

तक बहत दर हो गई थी हरहर काका क आवाज बाहर गाव म पहच गई थी हरहर काका

क परवार और रत-नात क लोग जब तक गाव वाल कोसमझात क यह सब उनक

परवार का आपसी मामला ह व सभी इसस दर रह तब तक महत जी बड़ी ह दता और

तज़ी स वहा पलस क जीप क साथ आ गए पलस न पर घर क अछ स तलाशी लना

श कर दया फर घर क अदर स हरहर काका को इतनी बर हालत म हासल कया गया

िजतनी बर हालत उनक दव-थान म भी नह हई थी हरहर काका न बताया क उनक

भाइय न उनक साथ बहत ह यादा बरा यवहार कया ह जबरदती बहत स कागज पर

उनक अगठ क नशान ल लए ह उह बहत यादा मारा-पीटा ह

इस घटना क बाद हरहर काका अपन परवार स एकदम अलग रहन लग थ उह उनक

सरा क लए चार राइफलधार पलस क जवान मल थ आचय क बात तो यह ह क

इसक लए उनक भाइय और महत क ओर स काफ़ यास कए गए थ असल म भाइय

को चता थी क हरहर काका अकल रहन लगग तो दव-थान क महत-पजार फर स

हरहर काका को बहला-फसला कर ल जायग और जमीन दव-थान क नाम करवा लग और

यह चता महत जी को भी थी क हरहर काका को अकला और असरत पा उनक भाई

फर स उह पकड़ कर मारग और जमीन को अपन नाम करवा लग लखक कहता ह क

हरहर काका स जड़ी बहत सी ख़बर गाव म फल रह थी जस-जस दन बड़ रह थ वस-वस

डर का मौहोल बन रहा था सभी लोग सफ यह सोच रह थ क हरहर काका न अमत तो

पया हआ ह नह तो मरना तो उनको एक दन ह ह और जब व मरग तो पर गाव म

तफ़ान आ जाएगा यक महत और हरहर काका क परवार क बीच जमीन को ल कर

लड़ाई हो जायगी

पलस क जवान हरहर काका क खच पर ह खब मौज-मती स रह रह थ िजसका धन

वह रह उपास खान वाल कर वलास अथात हरहर काका क पास धन था लकन उनक लए

अब उसका कोई महव नह था और पलस वाल बना कसी कारण स ह हरहर काका क

धन स मौज कर रह थ अब तक जो नह खाया था दोन वत उसका भोग लगा रह थ

-नोर-

1-कथावाचक और हरहर काका क बीच या सबध ह और इसक या कारण ह

1-कथावाचक जब छोटा था तब स ह हरहर काका उस बहत यार करत थ जब वह बड़ हो

गए तो वह हरहर काका क म बन गए गाव म इतनी गहर दोती और कसी स नह

हई हरहर काका उनस खल कर बात करत थ यह कारण ह क कथावाचक को उनक

एक-एक पल क खबर थी शायद अपना म बनान क लए काका न वय ह उस यार स

बड़ा कया और इतजार कया

2-हरहर काका को महत और भाई एक ह णी क य लगन लग

2-हरहर काका को अपन भाइय और महत म कोई अतर नह लगा दोन एक ह णी क

लग उनक भाइय क पिनय न कछ दन तक तो हरहर काका का यान रखा फर

बचीकची रोटया द नाता नह दत थ बमार म कोई पछन वाला भी न था िजतना भी

उह रखा जा रहा था उनक ज़मीन क लए था इसी तरह महत न एक दन तो बड़ यार

स खातर क फर ज़मीन अपन ठाकर बाड़ी क नाम करन क लए कहन लग काका क

मना करन पर उह अनक यातनाए द अपहरण करवाया मह म कपड़ा ठस कर एक कोठर

म बद कर दया जबरदती अगठ का नशान लया गया तथा उह मारा पीटा गया इस

तरह दोन ह कवल ज़मीन जायदाद क लए हरहर काका स यवहार रखत थ अत उह

दोन एक ह णी क लग

3-ठाकर बाड़ी क त गाव वाल क मन म अपार धा क जो भाव ह उसस उनक कस

मनोव का पता चलता ह

3-कहा जाता ह गाव क लोग भोल होत ह असल म गाव क लोग अधववासी धमभी होत

ह मदर जस थान को पव नकलक ान का तीक मानत ह पजार परोहत महत

जस िजतन भी धम क ठकदार ह उनपर अगाध धा रखत ह व चाह कतन भी

पतत वाथ और नीच ह पर उनका वरोध करत व डरत ह इसी कारण ठाकर बाड़ी क

त गाव वाल क अपार धा थी उनका हर सख-दख उसस जड़ा था

4-अनपढ़ होत हए भी हरहर काका दनया क बहतर समझ रखत ह कहानी क आधार पर

पट किजए

4-हरहर काका अनपढ़ थ फर भी उह दनयादार क बहद समझ थी उनक भाई लोग

उनस ज़बरदती ज़मीन अपन नाम करान क लए डरात थ तो उह गाव म दखावा करक

ज़मीन हथयान वालो क याद आती ह काका न उह दखी होत दखा ह इसलए उहन

ठान लया था चाह महत उकसाए चाह भाई दखावा कर वह ज़मीन कसी को भी नह दग

एक बार महत क उकसान पर भाइय क त धोखा नह करना चाहत थ परत जब भाइय

न भी धोखा दया तो उह समझ म आ गया उनक त उह कोई यार नह ह जो यार

दखात ह वह कवल ज़ायदाद क लए ह

5-हरहर काका को जबरन उठा ल जान वाल कौन थ उहन उनक साथ कसा यवहार

कया

5-महत न हरहर काका को बहत लोभन दए िजसस वह अपनी ज़मीन जायदाद ठाकर

बाड़ी क नाम कर द परत काका इस बात क लए तयार नह थ व सोच रह थ क या

भगवान क लए अपन भाइय स धोखा क यह उह सह भी नह लग रहा था महत को

यह बात पता लगी तो उसन छल और बल स रात क समय अकल दालान म सोत हए

हरहर काका को उठवा लया महत न अपन चल साधसतो क साथ मलकर उनक हाथ पर

बाध दए मह म कपड़ा ठस दया और जबरदती अगठ क नशान लए उह एक कमर म

बद कर दया जब पलस आई तो वय गत दरवाज़ स भाग गए

6-हरहर काका क मामल म गाव वाल क या राय थी और उसक या कारण थ

6-कहानी क आधार पर गाव क लोग को बना बताए पता चल गया क हरहर काका को

उनक भाई नह पछत इसलए सख आराम का लोभन दकर महत उह अपन साथ ल

गया भाई मनत करक काका को वापस ल आत ह इस तरह गाव क लोग दो प म

बट गए कछ लोग महत क तरफ़ थ जो चाहत थ क काका अपनी ज़मीन धम क नाम पर

ठाकर बाड़ी को द द ताक उह सख आराम मल मय क बाद मो यश मल महत ानी

ह वह सब कछ जानता ह लकन दसर प क लोग कहत क ज़मीन परवार वालो को द

जाए उनका कहना था इसस उनक परवार का पट भरगा मदर को ज़मीन दना अयाय

होगा इस तरह दोन प अपन-अपन हसाब स सोच रह थ परत हरहर काका क बार म

कोई नह सोच रहा था इन बात का एक कारण यह भी था क काका वधर थ और उनक

कोई सतान भी नह थी पह बीघ ज़मीन क लए इनका लालच वाभवक था

7-कहानी क आधार पर पट किजए क लखक न यह य कहा अान क िथत म ह

मनय मय स डरत ह ान होन क बाद तो आदमी आवयकता पड़न पर मय को वरण

करन क लए तयार हो जाता ह

7-जब काका को असलयत पता चल और उह समझ म आ गया क सब लोग उनक

ज़मीन जायदाद क पीछ ह तो उह व सभी लोग याद आ गए िजहन परवार वालो क मोह

माया म आकर अपनी ज़मीन उनक नाम कर द और मय तक तलतल करक मरत

रह दान-दान को मोहताज़ हो गए इसलए उहन सोचा क इस तरह रहन स तो एक बार

मरना अछा ह जीत जी ज़मीन कसी को भी नह दग य लोग मझ एक बार म ह मार

द अत लखक न कहा क अान क िथत म मनय मय स डरता ह परत ान होन

पर मय वरण को तयार रहता ह

8-समाज म रत क या अहमयत ह इस वषय पर अपन वचार कट किजए

8-आज समाज म मानवीय मय तथा पारवारक मय धीर-धीर समात होत जा रह ह

यादातर यित अपन वाथ क लए रत नभात ह अपनी आवयकताओ क हसाब स

मलत ह अमीर रतदार का समान करत ह उनस मलन को आतर रहत ह जबक गरब

रतदार स कतरात ह कवल वाथ सध क अहमयत रह गई ह आए दन हम

अखबार म समाचार पढ़त ह क ज़मीन जाय़दाद पस जवर क लए लोग घनौन स घनौना

काय कर जात ह (हया अपहरण आद) इसी कार इस कहानी म भी पलस न पहचती तो

परवार वाल महत जी (काका क) हया ह कर दत उह यह अफसोस रहा क व काका को

मार नह पाए

9-यद आपक आसपास हरहर काका जसी हालत म कोई हो तो आप उसक कस कार

मदद करग

9-यद हमार आसपास हरहर काका जसी हालत म कोई हो तो हम उसक पर तरह मदद

करन क कोशश करग उनस मलकर उनक दख का कारण पता करग उह अहसास

दलाएग क व अकल नह ह सबस पहल तो यह ववास कराएग क सभी यित लालची

नह होत ह इस तरह मौन रह कर दसर को मौका न द बिक उलास स शष जीवन

बताए रतदार स मलकर उनक सबध सधारन का यन करग

10-हरहर काका क गाव म यद मीडया क पहच होती तो उनक या िथत होती अपन

शद म लखए

10-यद काका क गाव म मीडया पहच जाती तो सबक पोल खल जाती महत व भाइय का

पदाफाश हो जाता अपहरण और जबरन अगठा लगवान क अपराध म उह जल हो जाती

अपना-अपना मोचा सभालना - अपनी िजमदार नबाहना

आसमान स जमीन पर गरना -उच िथत स नन िथत पर आना

खल कर बात करना- बना सकच क बात करना |

चपत हो जाना ndash भाग जाना |

जी-जान स जट जाना ndash खब महनत करना

िजतन मह उतनी बात होना- कई तरह क बात करना |

ततर-बतर होना ndash बखर जाना |

त-त म -म होना -झगड़ा होना |

नमक-मच लगाना- बढ़ा-चढ़कर कहना|

बात बनाना- बहान बनाना|

रग चढ़ना- असर होना|

मह न खोलना ndash कछ न बताना |

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पय-भाग

पाठ-4

मनयता ndashमथलशरण गत

-लखक का परचय-

-पाठ का सार व पिटकरण-

कत क अय ाणय क तलना म मनय म सोचन क शित अधक होती ह

वह अपन ह नह दसर क सख - दःख का भी याल रखता ह और दसर क लए

कछ करन म समथ होता ह जानवर जब चरागाह म जात ह तो कवल अपन लए

चर कर आत ह परत मनय ऐसा नह ह वह जो कछ भी कमाता ह जो कछ भी

बनाता ह वह दसर क लए भी करता ह और दसर क सहायता स भी करता ह

तत पाठ का कव अपन क सख - दःख क चता करन वाल को मनय तो

मानता ह परत यह मानन को तयार नह ह क उन मनय म मनयता क सार

गण होत ह कव कवल उन मनय को महान मानता ह जो अपन क सख - दःख

स पहल दसर क चता करत ह वह मनय म ऐस गण चाहता ह िजसक कारण

कोई भी मनय इस मयलोक स चल जान क बाद भी सदय तक दसर क याद म

रहता ह अथात वह मय क बाद भी अमर रहता ह

-पाठ सार-

इस कवता म कव मनयता का सह अथ समझान का यास कर रहा ह पहल

भाग म कव कहता ह क मय स नह डरना चाहए यक मय तो निचत ह पर

हम ऐसा कछ करना चाहए क लोग हम मय क बाद भी याद रख असल मनय

वह ह जो दसर क लए जीना व मरना सीख ल दसर भाग म कव कहता ह क

हम उदार बनना चाहए यक उदार मनय का हर जगह गण गान होता ह मनय

वह कहलाता ह जो दसर क चता कर तीसर भाग म कव कहता ह क पराण

म उन लोग क बहत उदाहरण ह िजह उनक याग भाव क लए आज भी याद

कया जाता ह सचा मनय वह ह जो याग भाव जान ल चौथ भाग म कव

कहता ह क मनय क मन म दया और कणा का भाव होना चाहए मनय वह

कहलाता ह जो दसर क लए मरता और जीता ह पाचव भाग म कव कहना चाहता

ह क यहा कोई अनाथ नह ह यक हम सब उस एक ईवर क सतान ह हम

भदभाव स ऊपर उठ कर सोचना चाहएछठ भाग म कव कहना चाहता ह क हम

दयाल बनना चाहए यक दयाल और परोपकार मनय का दवता भी वागत करत

ह अतः हम दसर का परोपकार व कयाण करना चाहएसातव भाग म कव कहता

ह क मनय क बाहर कम अलग अलग हो परत हमार वद साी ह क सभी क

आमा एक ह हम सब एक ह ईवर क सतान ह अतः सभी मनय भाई -बध ह

और मनय वह ह जो दःख म दसर मनय क काम आयअतम भाग म कव

कहना चाहता ह क वप और वन को हटात हए मनय को अपन चन हए रात

पर चलना चाहए आपसी समझ को बनाय रखना चाहए और भदभाव को नह

बढ़ाना चाहए ऐसी सोच वाला मनय ह अपना और दसर का कयाण और उधार

कर सकता ह

-याया

1-वचार लो क मय हो न मय स डरो कभी

मरो परत य मरो क याद जो कर सभी

हई न य समय तो वथा मर वथा िजए

मारा नह वह क जो िजया न आपक लए

वह पश- वत ह क आप आप ह चर

वह मनय ह क जो मनय क लए मर

सग - तत कवता हमार पाय पतक पश भाग -2 स ल गई ह इसक

कव मथलशरण गत ह इन पितओ म कव बताना चाहता ह क मनय को

कसा जीवन जीना चाहए

याया - कव कहता ह क हम यह जान लना चाहए क मय का होना निचत

ह हम मय स नह डरना चाहए कव कहता ह क हम कछ ऐसा करना चाहए क

लोग हम मरन क बाद भी याद रख जो मनय दसर क लए कछ भी ना कर सक

उनका जीना और मरना दोन बकार ह मर कर भी वह मनय कभी नह मरता जो

अपन लए नह दसर क लए जीता ह यक अपन लए तो जानवर भी जीत ह

कव क अनसार मनय वह ह जो दसर मनय क लए मर अथात जो मनय दसर

क चता कर वह असल मनय कहलाता ह

2-उसी उदार क कथा सरवती बखानती

उसी उदार स धरा कताथ भाव मानती

उसी उदार क सदा सजीव कत कजती

तथा उसी उदार को समत सिट पजती

अखड आम भाव जो असीम वव म भर

वह मनय ह क जो मनय क लए मर

सग - तत कवता हमार पाय पतक पश भाग -2 स ल गई ह इसक

कव मथलशरण गत ह इन पितओ म कव बताना चाहता ह क जो मनय

दसर क लए जीत ह उनका गणगान यग - यग तक कया जाता ह

याया - कव कहता ह क जो मनय अपन पर जीवन म दसर क चता करता

ह उस महान यित क कथा का गण गान सरवती अथात पतक म कया जाता

ह पर धरती उस महान यित क आभार रहती ह उस यित क बातचीत

हमशा जीवत यित क तरह क जाती ह और पर सिट उसक पजा करती ह

कव कहता ह क जो यित पर ससार को अखड भाव और भाईचार क भावना म

बाधता ह वह यित सह मायन म मनय कहलान योय होता ह

3-धात रतदव न दया करथ थाल भी

तथा दधीच न दया पराथ अिथजाल भी

उशीनर तीश न वमास दान भी कया

सहष वीर कण न शरर-चम भी दया

अनय दह क लए अनाद जीव या डर

वह मनय ह क जो मनय क लए मर

सग - तत कवता हमार पाय पतक पश भाग -2 स ल गई ह इसक

कव मथलशरण गत ह इन पितओ म कव न महान पष क उदाहरण दए ह

िजनक महानता क कारण उह याद कया जाता ह

याया - कव कहता ह क पौराणक कथाए ऐस यितओ क उदाहरण स भर

पड़ी ह िजहन अपना परा जीवन दसर क लए याग दया िजस कारण उह आज

तक याद कया जाता ह भख स परशान रतदव न अपन हाथ क आखर थाल भी

दान कर द थी और महष दधीच न तो अपन पर शरर क हडया व बनान क

लए दान कर द थी उशीनर दश क राजा शब न कबतर क जान बचान क लए

अपना परा मास दान कर दया था वीर कण न अपनी ख़शी स अपन शरर का

कवच दान कर दया था कव कहना चाहता ह क मनय इस नवर शरर क लए

य डरता ह यक मनय वह कहलाता ह जो दसर क लए अपन आप को याग

दता ह

4-सहानभत चाहए महावभत ह यह

वशीकता सदव ह बनी हई वय मह

वधभाव बध का दया-वाह म बहा

वनीत लोकवग या न सामन झका रहा

अहा वह उदार ह परोपकार जो कर

वह मनय ह क जो मनय क लए मर

सग - तत कवता हमार पाय पतक पश भाग -2 स ल गई ह इसक

कव मथलशरण गत ह इन पितओ म कव न महामा बध का उदाहरण दत

हए दया कणा को सबस बड़ा धन बताया ह

याया - कव कहता ह क मनय क मन म दया व कणा का भाव होना चाहए

यह सबस बड़ा धन ह वय ईवर भी ऐस लोग क साथ रहत ह इसका सबस

बड़ा उदाहरण महामा बध ह िजनस लोग का दःख नह दखा गया तो व लोक

कयाण क लए दनया क नयम क वध चल गए इसक लए या परा ससार

उनक सामन नह झकता अथात उनक दया भाव व परोपकार क कारण आज भी

उनको याद कया जाता ह और उनक पजा क जाती ह महान उस को कहा जाता ह

जो परोपकार करता ह वह मनय मनय कहलाता ह जो मनय क लए जीता ह

और मरता ह

5-रहो न भल क कभी मदाघ तछ व म

सनाथ जान आपको करो न गव च म

अनाथ कौन ह यहा लोकनाथ साथ ह

दयाल दन बध क बड़ वशाल हाथ ह

अतीव भायहन ह अधीर भाव जो कर

वह मनय ह क जो मनय क लए मर

सग - तत कवता हमार पाय पतक पश भाग -2 स ल गई ह इसक

कव मथलशरण गत ह इन पितओ म कव कहता ह क सपत पर कभी

घमड नह करना चाहए और कसी को अनाथ नह समझना चाहए यक ईवर

सबक साथ ह

याया - कव कहता ह क भल कर भी कभी सप या यश पर घमड नह करना

चाहए इस बात पर कभी गव नह करना चाहए क हमार साथ हमार अपन का

साथ ह यक कव कहता ह क यहा कौन सा यित अनाथ ह उस ईवर का

साथ सब क साथ ह वह बहत दयावान ह उसका हाथ सबक ऊपर रहता ह कव

कहता ह क वह यित भायहन ह जो इस कार का उतावलापन रखता ह यक

मनय वह यित कहलाता ह जो इन सब चीज स ऊपर उठ कर सोचता ह

6-अनत अतर म अनत दव ह खड़

सम ह वबाह जो बढ़ा रह बड़-बड़

परपरावलब स उठो तथा बढ़ो सभी

अभी अमय-अक म अपक हो चढ़ो सभी

रहो न या क एक स न काम और का सर

वह मनय ह क जो मनय क लए मर

सग - तत कवता हमार पाय पतक पश भाग -2 स ल गई ह इसक

कव मथलशरण गत ह इन पितओ म कव कहता ह क कलक रहत रहन व

दसर का सहारा बनन वाल मवषय का दवता भी वागत करत ह

याया - कव कहता ह क उस कभी न समात होन वाल आकाश म असय

दवता खड़ ह जो परोपकार व दयाल मनय का सामन स खड़ होकर अपनी भजाओ

को फलाकर वागत करत ह इसलए दसर का सहारा बनो और सभी को साथ म

लकर आग बड़ो कव कहता ह क सभी कलक रहत हो कर दवताओ क गोद म

बठो अथात यद कोई बरा काम नह करोग तो दवता तह अपनी गोद म ल लग

अपन मतलब क लए नह जीना चाहए अपना और दसर का कयाण व उधार

करना चाहए यक इस मरणशील ससार म मनय वह ह जो मनय का कयाण

कर व परोपकार कर

7-मनय माा बध ह यह बड़ा ववक ह

पराणपष वयभ पता सध एक ह

फलानसार कम क अवय बाय भद ह

परत अतरय म माणभत वद ह

अनथ ह क बध ह न बध क यथा हर

वह मनय ह क जो मनय क लए मर

सग - तत कवता हमार पाय पतक पश भाग -2 स ल गई ह इसक

कव मथलशरण गत ह इन पितओ म कव कहता ह क हम सब एक ईवर क

सतान ह अतः हम सभी मनय एक - दसर क भाई - बध ह

याया - कव कहता ह क यक मनय एक दसर क भाई - बध ह यह सबस

बड़ी समझ ह पराण म िजस वय उपन पष मना गया ह वह परमामा या

ईवर हम सभी का पता ह अथात सभी मनय उस एक ईवर क सतान ह

बाहर कारण क फल अनसार यक मनय क कम भल ह अलग अलग ह परत

हमार वद इस बात क साी ह क सभी क आमा एक ह कव कहता ह क यद

भाई ह भाई क दःख व कट का नाश नह करगा तो उसका जीना यथ ह यक

मनय वह कहलाता ह जो बर समय म दसर मनय क काम आता ह

8-चलो अभीट माग म सहष खलत हए

वपवन जो पड़ उह ढकलत हए

घट न हलमल हा बढ़ न भनता कभी

अतक एक पथ क सतक पथ ह सभी

तभी समथ भाव ह क तारता हआ तर

वह मनय ह क जो मनय क लए मर

सग - तत कवता हमार पाय पतक पश भाग -2 स ल गई ह इसक

कव मथलशरण गत ह इन पितओ म कव कहता ह क यद हम ख़शी ससार

कट को हटत हए भदभाव रहत रहग तभी सभव ह क समाज क उनत होगी

याया - कव कहता ह क मनय को अपनी इछा स चन हए माग म ख़शी

ख़शी चलना चाहएरात म कोई भी सकट या बाधाए आय उह हटात चल जाना

चाहए मनय को यह यान रखना चाहए क आपसी समझ न बगड़ और भद

भाव न बड़ बना कसी तक वतक क सभी को एक साथ ल कर आग बढ़ना चाहए

तभी यह सभव होगा क मनय दसर क उनत और कयाण क साथ अपनी

समध भी कायम कर

-ननलखत न क उर दिजय ndash

1-कव न कसी मय को समय कहा ह

1-कव न ऐसी मय को समय कहा ह िजसम मनय अपन स पहल दसर क चता

करता ह और परोपकार क राह को चनता ह िजसस उस मरन क बाद भी याद कया

जाता ह

2-उदार यित क पहचान कस हो सकती ह

2- उदार यित परोपकार होता ह वह अपन स पहल दसर क चता करता ह और

लोक कयाण क लए अपना जीवन याग दता ह

3-कव न दधीच कण आद महान यितओ क उदाहरण द कर मनयता क लए

या उदाहरण दया ह

3- कव न दधीच कण आद महान यितओ क उदाहरण द कर मनयता क

लए यह सदश दया ह क परोपकार करन वाला ह असल मनय कहलान योय

होता ह मानवता क रा क लए दधीच न अपन शरर क सार अिथया दान कर

द थीकण न अपनी जान क परवाह कय बना अपना कवच द दया था िजस

कारण उह आज तक याद कया जाता ह कव इन उदाहरण क वारा यह

समझाना चाहता ह क परोपकार ह सची मनयता ह

4- कव न कन पितय म यह यत कया ह क हम गव - रहत जीवन यतीत

करना चाहए

4- कव न ननलखत पितय म गव रहत जीवन यतीत करन क बात कह ह-

रहो न भल क कभी मगाघ तछ व म

सनाथ जान आपको करो न गव च म

अथात सपत क घमड म कभी नह रहना चाहए और न ह इस बात पर गव

करना चाहए क आपक पास आपक अपन का साथ ह यक इस दनया म कोई

भी अनाथ नह ह सब उस परम पता परमवर क सतान ह

5- मनय मा बध ह स आप या समझत ह पट किजए

5- मनय मा बध ह अथात हम सब मनय एक ईवर क सतान ह अतः हम

सब भाई - बध ह भाई -बध होन क नात हम भाईचार क साथ रहना चाहए और

एक दसर का बर समय म साथ दना चाहए

6- कव न सबको एक होकर चलन क रणा य द ह

6- कव न सबको एक होकर चलन क रणा इसलए द ह ताक आपसी समझ न

बगड़ और न ह भदभाव बड़ सब एक साथ एक होकर चलग तो सार बाधाए मट

जाएगी और सबका कयाण और समध होगी

7- यित को कस तरह का जीवन यतीत करना चाहए इस कवता क आधार पर

लखए

7-मनय को परोपकार का जीवन जीना चाहए अपन स पहल दसर क दख क

चता करनी चाहए कवल अपन बार म तो जानवर भी सोचत ह कव क अनसार

मनय वह कहलाता ह जो अपन स पहल दसर क चता कर

8- मनयता कवता क वारा कव या सदश दना चाहता ह

8- मनयता कवता क मायम स कव यह सदश दना चाहता ह क परोपकार ह

सची मनयता ह परोपकार ह एक ऐसा साधन ह िजसक मायम स हम यग तक

लोगो क दल म अपनी जगह बना सकत ह और परोपकार क वारा ह समाज का

कयाण व समध सभव ह अतः हम परोपकार बनना चाहए ताक हम सह

मायन म मनय कहलाय

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-याकरण-

पदबध- परभाषा

पद- वाय स अलग रहन पर शद और वाय म यत हो जान पर शद

पद कहलात ह दसर शद म- वाय म यत शद पद कहलाता ह पदबध-

जब दो या अधक (शद) पद नयत म और निचत अथ म कसी पद का

काय करत ह तो उह पदबध कहत ह

पदबध क भद

मय पद क आधार पर पदबध क पाच कार होत ह-

(1) सा-पदबध (2) वशषण-पदबध

(3) सवनाम पदबध (4) या पदबध

(5) अयय पदबध

(1) सा-पदबध-

(a)चार ताकतवर मजदर इस भार चीज को उठा पाए

(b) राम न लका क राजा रावण को मार गराया

(c) अयोया क राजा दशरथ क चार प थ

(d) आसमान म उड़ता गबारा फट गया

2) वशषण पदबध-

a) तज चलन वाल गाड़या ायः दर स पहचती ह

(b) उस घर क कोन म बठा हआ आदमी जासस ह

(c) उसका घोड़ा अयत सदर फरतीला और आाकार ह

(d) बरगद और पीपल क घनी छाव स हम बहत सख मला

3) सवनाम पदबध-

(a)बजल-सी फरती दखाकर आपन बालक को डबन स बचा लया

(b)शरारत करन वाल छा म स कछ पकड़ गए

(c)वरोध करन वाल लोग म स कोई नह बोला

4) या पदबध-

(a) वह बाजार क ओर आया होगा

(b) मझ मोहन छत स दखाई द रहा ह

(c) सरश नद म डब गया

(d) अब दरवाजा खोला जा सकता ह

5) अयय पदबध-

(a)अपन सामान क साथ वह चला गया

(b)सबह स शाम तक वह बठा रहा

कसी भी भाषा क व शद अयय (Indeclinable या inflexible) कहलात ह िजनक प म

लग वचन पष कारक काल इयाद क कारण कोई वकार उप नह होता

चक अयय का पातर नह होता इसलए ऐस शद अवकार होत ह अयय का शािदक

अथ ह- जो यय न हो

(i) कालवाचक अयय- इनम समय का बोध होता ह जस- आज कल तरत पीछ पहल अब

जब तब कभी-कभी कब अब स नय जब स सदा स अभी तभी आजकल और कभी

उदाहरणाथ-

अब स ऐसी बात नह होगी

ऐसी बात सदा स होती रह ह

वह कब आया मझ पता नह

(ii) थानवाचक अयय- इसस थान का बोध होता ह जस- यहा वहा कहा जहा यहा स

वहा स इधर-उधर उदाहरणाथ-

वह यहा नह ह

वह कहा जायगा

वहा कोई नह ह

जहा तम हो वहा म ह

(iii) दशावाचक अयय- इसस दशा का बोध होता ह जस- इधर उधर िजधर दर पर अलग

दाहन बाए आरपार

(iv) िथतवाचक अयय- नीच ऊपर तल सामन बाहर भीतर इयाद

अयय क भद

अयय ननलखत चार कार क होत ह -

(1) यावशषण (Adverb)

(2) सबधबोधक (Preposition)

(3) समचयबोधक (Conjunction)

(4) वमयादबोधक (Interjection)

(1) यावशषण - िजन शद स या वशषण या दसर यावशषण क वशषता कट

हो उह यावशषण कहत ह

दसर शदो म- जो शद या क वशषता बतलात ह उह या वशषण कहा जाता ह

जस- राम धीर-धीर टहलता ह राम वहा टहलता ह राम अभी टहलता ह

इन वाय म धीर-धीर वहा और अभी राम क टहलन (या) क वशषता बतलात ह य

यावशषण अवकार वशषण भी कहलात ह इसक अतरत यावशषण दसर

यावशषण क भी वशषता बताता ह

वह बहत धीर चलता ह इस वाय म बहत यावशषण ह यक यह दसर यावशषण

धीर क वशषता बतलाता ह

या वशषण क कार

(1) योग क अनसार- (i) साधारण (ii) सयोजक (iii) अनबध

(2) प क अनसार- (i) मल यावशषण (ii) यौगक यावशषण (iii) थानीय यावशषण

(3) अथ क अनसार- (i) परमाणवाचक (ii) रतवाचक

(1) योग क अनसार यावशषण क भद

योग क अनसार यावशषण क तीन भद ह-

(i) साधारण यावशषण- िजन यावशषण का योग कसी वाय म वत होता ह

उह साधारण यावशषण कहा जाता ह

जस- हाय अब म या क बटा जद आओ अर साप कहा गया

(ii) सयोजक यावशषण- िजन यावशषण का सबध कसी उपवाय स रहता ह उह

सयोजक यावशषण कहा जाता ह

जस- जब रोहताव ह नह तो म ह जीकर या कगी जहा अभी सम ह वहा कसी

समय जगल था

(iii) अनबध यावशषण- िजन यावशषण क योग अवधारण (नचय) क लए कसी

भी शदभद क साथ होता हो उह अनबध यावशषण कहा जाता ह

जस- यह तो कसी न धोखा ह दया ह मन उस दखा तक नह

(2) प क अनसार यावशषण क भद

प क अनसार यावशषण क तीन भद ह-

(i) मल यावशषण- ऐस यावशषण जो कसी दसर शद क मल स नह बनत मल

यावशषण कहलात ह

जस- ठक दर अचानक फर नह

(ii) यौगक यावशषण- ऐस यावशषण जो कसी दसर शद म यय या पद जोड़न

पर बनत ह यौगक यावशषण कहलात ह

जस- मन स िजसस चपक स भल स दखत हए यहा तक झट स वहा पर यौगक

यावशषण सा सवनाम वशषण धात और अयय क मल स बनत ह

यौगक यावशषण नीच लख शद क मल स बनत ह-

(i) साओ क वित स- घर-घर घड़ी-घड़ी बीच-बीच हाथ-हाथ

(ii) दो भ साओ क मल स- दन-रात साझ-सबर घर-बाहर दश-वदश

(iii) वशषण क वित स- एक-एक ठक-ठक साफ-साफ

(iv) यावशषण क वित स- धीर-धीर जहा-तहा कब-कब कहा-कहा

(v) दो यावशषण क मल स- जहा-तहा जहा-कह जब-तब जब-कभी कल-परस आस-पास

(vi) दो भ या समान यावशषण क बीच न लगान स- कभी-न-कभी कछ-न-कछ

(vii) अनकरण वाचक शद क वित स- पटपट तड़तड़ सटासट धड़ाधड़

(viii) सा और वशषण क योग स- एक साथ एक बार दो बार

(ix) अय य और दसर शद क मल स- तदन यथाम अनजान आजम

(x) पवकालक कदत और वशषण क मल स- वशषकर बहतकर मयकर एक-एककर

(iii) थानीय यावशषण- ऐस यावशषण जो बना पातर क कसी वशष थान म

आत ह थानीय यावशषण कहलात ह

जस- वह अपना सर पढ़गा

वह दौड़कर चलत ह

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  • (1) अरथ की दषटि स शबद-भद13
  • (2) परयोग की दषटि स शबद-भद13
  • (3) उतपति की दषटि स शबद-भद13
  • 1) सवर सधि-13
  • परति+छवि=परतिचछवि दिक+अनत=दिगनत दिक+गज=दिगगज अन+छद=अनचछद अच +अनत = अजनत 13
  • 3)विसरग सधि - विसरग क साथ सवर या वयजन का मल होन पर जो विकार होता ह उस 13
  • विसरग सधि कहत ह 13
  • मन+रथ=मनोरथ यश+अभिलाषा=यशोभिलाषा अध+गति=अधोगति नि+छल=निशछल द +गम = दरगम 13
    • -पाठ सार-13
    • -वयाखया13
    • -निमनलिखित परशनो क उततर दीजिय ndash13
    • 1-कवि न कसी मतय को समतय कहा ह13
    • अवयय क भद13
    • करिया विशषण क परकार13
Page 20: Class –X HINDI JUNE SYLLABUS 2020 Chapters:- Ch-1-Sanchayan …punainternationalschool.com/assets/upload/ck-images/Std-10th=Jun… · -harihar kaka . पय-भाग पाठ-3

8-शाम क समय सम कनार ततारा क ाकतक अनभत का वणन किजए

उर- एक शाम ततारा दन-भर क अथक परम क बाद सम कनार टहलन नकल

पड़ा सरज सम स लग तज तल डबन को था सम स ठडी बयार आ रह थी

पय क सायकालन चाहचाहाहट शनः शनः ीण ह को थी उसका मन शात था

वचारमन ततारा सम बाल पर बठकर सरज क अतम रग-बरगी करण को सम

पर नहारन लगा तभी कह पास म उस मधर गीत गजता सनाई दया गीत मान

बहता हआ उसक तरफ आ रहा हो बीच-बीच म लहर का सगीत सनाई दता गायन

भावी था क वह अपनी सध-बध खोन लगा लहर क एक बल वग न उसक ता भग

क चतय होत ह वह उधर बढ़न को ववश हो उठा िजधर स अब भी गीत क वर बह

रह थ वह वकल-सा उस तरफ़ बढ़ता गया अततः उसक नजर एक यवती पर पड़ी जो

ढलती हई शाम क सदय म बसध एकटक सम क दह पर डबत आकषक रगो को

नहारत हए गा रह थी यह एक शगार गीत था

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Vyakr`-vaKy-

bull वाय क सामन दए कोठक म ( radic का चह लगाकर बताए क वह वाय कस

कार का ह

क) नकोबार उस बहद म करत थ (नवाचक वधानवाचक नषधामक

वमयादबोधक)

ख) तमन एकाएक इतना मधर गाना अधरा य छोड़ दया नवाचक

वधानवाचक नषधामक वमयादबोधक)

ग) वामीरो क मा ोध म उफन उठ (नवाचक वधानवाचक नषधामक

वमयादबोधक)

घ) या तह गाव का नयम नह मालम नवाचक वधानवाचक नषधामक

वमयादबोधक)

ङ) वाह कतना सदर नाम ह (नवाचक वधानवाचक नषधामक

वमयादबोधक)

च) म तहारा राता छोड़ दगा

वमयादबोधक)

उर- क) वधानवाचक

ग) वधानवाचक

ङ) वमयादबोध

Ocirc-इस पाठ म lsquo दखना lsquo या क कई प आए ह

शदयोग म या अतर ह

Ocirc-उर-

म तहारा राता छोड़ दगा (नवाचक वधानवाचक नषधामक

ख) नवाचक

घ) नवा

च) वधानवाचक

या क कई प आए ह lsquo दखना lsquo क इन वभन

वाययोग वारा पट किजए

नषधामक

नवाचक

वधानवाचक

क इन वभन

-वाय क उदाहरण-

सचयन-भाग

पाठ-1 (हरहर काका )

-शदाथ -

तबयत - शरर क िथत यणा - यातना कलश कट

मनःिथत - मन क िथत चद - कछ

आसित ndash लगाव यावहारक - यावहार सबधी

वचारक - वचार सबधी दलार - यार

सयाना - यक बधमान तीा - इतज़ार

फ़लहाल - अभी इस समय मझधार - बीच म

वलन - लत हो जाना वकप - दसरा उपाय

चलत ndash चलनसार जात - जगाना

कलवर - शरर मनौती - मनत

परपरा - था णाल अधकाश - यादातर

समत ndash सथा सचालन - नयण चलाना

नयित - तनाती लगाया गया वमख - तकल

चपट - आघात हार अहाता-चार ओर स दवार स घरा हआ मदान

अखड ndash नवन वफोट - फट कर बाहर नकलना

आगमन - आन पर उपलय - सकत

सराहना ndash शसा निचत - बफ

-लखक का परचय-मथलवर का जम 31 दसबर 1950 को बहार क

भोजपर िजल क बसाडीह नामक गाव म हआ इनक पता व० ो० वशरोपन लाल थ

मथलवर क पता (ो० वशरोपन लाल) भी वलण तभा क धनी थ परत उनक

असाय बीमार न मथलवर क जीवन म आरभ स ह कठन सघष क बीज बो दय थ

पाठ सार-

लखक कहता ह क वह हरहर काका क साथ बहत गहर स जड़ा था लखक का हरहर

काका क त जो यार था वह लखक का उनक यावहार क और उनक वचार क कारण

था और उसक दो कारण थ पहला कारण था क हरहर काका लखक क पड़ोसी थ और

दसरा कारण लखक को उनक मा न बताया था क हरहर काका लखक को बचपन स ह

बहत यादा यार करत थ जब लखक यक हआ तो उसक पहल दोती भी हरहर काका

क साथ ह हई थी लखक क गाव क पव दशा म ठाकर जी का वशाल मदर था िजस

गाव क लोग ठाकरबार यान दवथान कहत थ लोग ठाकर जी स प क मनत मागत

मक़दम म जीत लड़क क शाद कसी अछ घर म हो जाए लड़क को नौकर मल जाए

आद मनत मागत थ मनत पर होन पर लोग अपनी ख़शी स ठाकरजी को पए ज़वर

और अनाज चढ़ाया करत थ िजसको बहत अधक ख़शी होती थी वह अपन खत का छोटा-

सा भाग ठाकरजी क नाम कर दता था और यह एक तरह स था ह बन गई लखक कहता

ह क उसका गाव अब गाव क नाम स नह बिक दव-थान क वजह स ह पहचाना जाता

था उसक गाव का यह दव-थान उस इलाक का सबस बड़ा और सध दवथान था

हरहर काका न अपनी परिथतओ क कारण दव-थान म जाना बद कर दया था मन

बहलान क लए लखक भी कभी-कभी दव-थान चला जाता था लकन लखक कहता ह क

वहा क साध-सत उस बलकल भी पसद नह थ यक व काम करन म कोई दलचपी

नह रखत थ भगवान को भोग लगान क नाम पर व दन क दोन समय हलवा-पड़ी

बनवात थ और आराम स पड़ रहत थ सारा काम वहा आए लोग स सवा करन क नाम पर

करवात थ व खद अगर कोई काम करत थ तो वो था बात बनवान का काम

लखक हरहर काका क बार म बताता हआ कहता ह क हरहर काका और उनक तीन भाई

ह सबक शाद हो चक ह हरहर काका क अतरत सभी तीन भाइय क बाल-बच ह

कछ समय तक तो हरहर काका क सभी चीज़ का अछ स यान रखा गया परत फर

कछ दन बाद हरहर काका को कोई पछन वाला नह था लखक कहता ह क अगर कभी

हरहर काका क शरर क िथत ठक नह होती तो हरहर काका पर मसीबत का पहाड़ ह

गर जाता यक इतन बड़ परवार क रहत हए भी हरहर काका को कोई पानी भी नह

पछता था बारामद क कमर म पड़ हए हरहर काका को अगर कसी चीज़ क जरत होती

तो उह खद ह उठना पड़ता एक दन उनका भतीजा शहर स अपन एक दोत को घर ल

आया उह क आन क ख़शी म दो-तीन तरह क सिज़या बजक चटनी रायता और भी

बहत कछ बना था सब लोग न खाना खा लया और हरहर काका को कोई पछन तक नह

आया हरहर काका गस म बरामद क ओर चल पड़ और जोर-जोर स बोल रह थ क

उनक भाई क पिनया या यह सोचती ह क व उह मत म खाना खला रह ह उनक

खत म उगन वाला अनाज भी इसी घर म आता ह

हरहर काका क गस का महत जी न लाभ उठान क सोची महत जी हरहर काका को

अपन साथ दव-थान ल आए और हरहर काका को समझान लग क उनक भाई का परवार

कवल उनक जमीन क कारण उनस जड़ा हआ ह कसी दन अगर हरहर काका यह कह द

क व अपन खत कसी और क नाम लख रह ह तो व लोग तो उनस बात करना भी बद

कर दग खन क रत ख़म हो जायग महत हरहर काका स कहता ह क उनक हस म

िजतन खत ह व उनको भगवान क नाम लख द ऐसा करन स उह सीध वग क ाित

होगी

सबह होत ह हरहर काका क तीन भाई दव-थान पहच गए तीन हरहर काका क पाव म

गर कर रोन लग और अपनी पिनय क गलती क माफ़ मागन लग और कहन लग क

व अपनी पिनय को उनक साथ कए गए इस तरह क यवहार क सज़ा दग हरहर काका

क मन म दया का भाव जाग गया और व फर स घर वापस लौट कर आ गए जब अपन

भाइय क समझान क बाद हरहर काका घर वापस आए तो घर म और घर वाल क

यवहार म आए बदलाव को दख कर बहत खश हो गए घर क सभी छोट-बड़ सभी लोग

हरहर काका का आदर-सकार करन लग

गाव क लोग जब भी कह बठत तो बात का ऐसा सलसला चलता िजसका कोई अत नह

था हर जगह बस उह क बात होती थी कछ लोग कहत क हरहर काका को अपनी

जमीन भगवान क नाम लख दनी चाहए इसस उम और अछा कछ नह हो सकता

इसस हरहर काका को कभी न ख़म होन वाल सध ात होगी इसक वपरत कछ

लोग क यह मानत थ क भाई का परवार भी तो अपना ह परवार होता ह अपनी

जायदाद उह न दना उनक साथ अयाय करना होगा हरहर काका क भाई उनस ाथना

करन लग क व अपन हस क जमीन को उनक नाम लखवा द इस वषय पर हरहर

काका न बहत सोचा और अत म इस परणाम पर पहच क अपन जीत-जी अपनी जायदाद

का वामी कसी और को बनाना ठक नह होगा फर चाह वह अपना भाई हो या मदर का

महत यक उह अपन गाव और इलाक क व कछ लोग याद आए िजहन अपनी िजदगी

म ह अपनी जायदाद को अपन रतदार या कसी और क नाम लखवा दया था उनका

जीवन बाद म कसी क क तरह हो गया था उह कोई पछन वाला भी नह था हरहर

काका बलकल भी पढ़-लख नह थ परत उह अपन जीवन म एकदम हए बदलाव को

समझन म कोई गलती नह हई और उहन फसला कर लया क व जीत-जी कसी को भी

अपनी जमीन नह लखग

लखक कहता ह क जस-जस समय बीत रहा था महत जी क परशानया बढ़ती जा

रह थी उह लग रहा था क उहन हरहर काका को फसान क लए जो जाल फ का

था हरहर काका उसस बाहर नकल गए ह यह बात महत जी को सहन नह हो रह

थी आधी रात क आस-पास दव-थान क साध-सत और उनक कछ साथी भाला

गड़ासा और बदक क साथ अचानक ह हरहर काका क आगन म आ गए इसस

पहल हरहर काका क भाई कछ सोच और कसी को अपनी सहायता क लए आवाज

लगा कर बलाए तब तक बहत दर हो गई थी हमला करन वाल हरहर काका को

अपनी पीठ पर डाल कर कह गायब हो गए थव हरहर काका को दव-थान ल गए

थ एक ओर तो दव-थान क अदर जबरदती हरहर काका क अगठ का नशान लन

और पकड़कर समझान का काम चल रहा था तो वह दसर ओर हरहर काका क

तीन भाई सबह होन स पहल ह पलस क जीप को लकर दव-थान पर पहच गए

थ महत और उनक साथय न हरहर काका को कमर म हाथ और पाव बाध कर

रखा था और साथ ह साथ उनक मह म कपड़ा ठसा गया था ताक व आवाज़ न कर

सक परत हरहर काका दरवाज़ तक लढ़कत हए आ गए थ और दरवाज़ पर अपन

पर स धका लगा रह थ ताक बाहर खड़ उनक भाई और पलस उह बचा सक

दरवाज़ा खोल कर हरहर काका को बधन स मत कया गया हरहर काका न

पलस को बताया क व लोग उह उस कमर म इस तरह बाध कर कह गत

दरवाज़ स भाग गए ह और उहन कछ खल और कछ लख हए कागज पर हरहर

काका क अगठ क नशान जबरदती लए ह

यह सब बीत जान क बाद हरहर काका फर स अपन भाइय क परवार क साथ रहन लग

गए थ चौबीस घट पहर दए जान लग थ यहा तक क अगर हरहर काका को कसी

काम क कारण गाव म जाना पड़ता तो हथयार क साथ चार-पाच लोग हमशा ह उनक

साथ रहन लग लखक कहता ह क हरहर काका क साथ जो कछ भी हआ था उसस हरहर

काका एक सीध-साद और भोल कसान क तलना म चालाक और बधमान हो गए थ

उह अब सब कछ समझ म आन लगा था क उनक भाइय का अचानक स उनक त जो

यवहार परवतन हो गया था उनक लए जो आदर-समान और सरा व दान कर रह थ

वह उनका कोई सग भाइय का यार नह था बिक व सब कछ उनक धन-दौलत क कारण

कर रह ह नह तो व हरहर काका को पछत तक नह जब स हरहर काका दव-थान स

वापस घर आए थ उसी दन स ह हरहर काका क भाई और उनक दसर नात-रतदार

सभी यह सोच रह थ क हरहर काका को क़ाननी तरक स उनक जायदाद को उनक

भतीज क नाम कर दना चाहए यक जब तक हरहर काका ऐसा नह करग तब तक

महत क तज़ नज़र उन पर टक रहगी जब हरहर काका क भाई हरहर काका को

समझात-समझात थक गए तो उहन हरहर काका को डाटना और उन पर दवाब डालना

श कर दया एक रात हरहर काका क भाइय न भी उसी तरह का यवहार करना श

कर दया जसा महत और उनक सहयोगय न कया था उह धमकात हए कह रह थ क

ख़शी-ख़शी कागज़ पर जहा-जहा जरत ह वहा-वहा अगठ क नशान लगत जाओ नह तो व

उह मार कर वह घर क अदर ह गाड़ दग और गाव क लोगो को इस बार म कोई सचना

भी नह मलगी हरहर काका क साथ अब उनक भाइय क मारपीट श हो गई जब

हरहर काका अपन भाइय का मकाबला नह कर पा रह थ तो उहन ज़ोर-ज़ोर स

चलाकर अपनी मदद क लए गाव वाल को आवाज लगाना श कर दया तब उनक

भाइय को यान आया क उह हरहर काका का मह पहल ह बद करना चाहए था उहन

उसी पल हरहर काका को जमीन पर पटका और उनक मह म कपड़ा ठस दया लकन तब

तक बहत दर हो गई थी हरहर काका क आवाज बाहर गाव म पहच गई थी हरहर काका

क परवार और रत-नात क लोग जब तक गाव वाल कोसमझात क यह सब उनक

परवार का आपसी मामला ह व सभी इसस दर रह तब तक महत जी बड़ी ह दता और

तज़ी स वहा पलस क जीप क साथ आ गए पलस न पर घर क अछ स तलाशी लना

श कर दया फर घर क अदर स हरहर काका को इतनी बर हालत म हासल कया गया

िजतनी बर हालत उनक दव-थान म भी नह हई थी हरहर काका न बताया क उनक

भाइय न उनक साथ बहत ह यादा बरा यवहार कया ह जबरदती बहत स कागज पर

उनक अगठ क नशान ल लए ह उह बहत यादा मारा-पीटा ह

इस घटना क बाद हरहर काका अपन परवार स एकदम अलग रहन लग थ उह उनक

सरा क लए चार राइफलधार पलस क जवान मल थ आचय क बात तो यह ह क

इसक लए उनक भाइय और महत क ओर स काफ़ यास कए गए थ असल म भाइय

को चता थी क हरहर काका अकल रहन लगग तो दव-थान क महत-पजार फर स

हरहर काका को बहला-फसला कर ल जायग और जमीन दव-थान क नाम करवा लग और

यह चता महत जी को भी थी क हरहर काका को अकला और असरत पा उनक भाई

फर स उह पकड़ कर मारग और जमीन को अपन नाम करवा लग लखक कहता ह क

हरहर काका स जड़ी बहत सी ख़बर गाव म फल रह थी जस-जस दन बड़ रह थ वस-वस

डर का मौहोल बन रहा था सभी लोग सफ यह सोच रह थ क हरहर काका न अमत तो

पया हआ ह नह तो मरना तो उनको एक दन ह ह और जब व मरग तो पर गाव म

तफ़ान आ जाएगा यक महत और हरहर काका क परवार क बीच जमीन को ल कर

लड़ाई हो जायगी

पलस क जवान हरहर काका क खच पर ह खब मौज-मती स रह रह थ िजसका धन

वह रह उपास खान वाल कर वलास अथात हरहर काका क पास धन था लकन उनक लए

अब उसका कोई महव नह था और पलस वाल बना कसी कारण स ह हरहर काका क

धन स मौज कर रह थ अब तक जो नह खाया था दोन वत उसका भोग लगा रह थ

-नोर-

1-कथावाचक और हरहर काका क बीच या सबध ह और इसक या कारण ह

1-कथावाचक जब छोटा था तब स ह हरहर काका उस बहत यार करत थ जब वह बड़ हो

गए तो वह हरहर काका क म बन गए गाव म इतनी गहर दोती और कसी स नह

हई हरहर काका उनस खल कर बात करत थ यह कारण ह क कथावाचक को उनक

एक-एक पल क खबर थी शायद अपना म बनान क लए काका न वय ह उस यार स

बड़ा कया और इतजार कया

2-हरहर काका को महत और भाई एक ह णी क य लगन लग

2-हरहर काका को अपन भाइय और महत म कोई अतर नह लगा दोन एक ह णी क

लग उनक भाइय क पिनय न कछ दन तक तो हरहर काका का यान रखा फर

बचीकची रोटया द नाता नह दत थ बमार म कोई पछन वाला भी न था िजतना भी

उह रखा जा रहा था उनक ज़मीन क लए था इसी तरह महत न एक दन तो बड़ यार

स खातर क फर ज़मीन अपन ठाकर बाड़ी क नाम करन क लए कहन लग काका क

मना करन पर उह अनक यातनाए द अपहरण करवाया मह म कपड़ा ठस कर एक कोठर

म बद कर दया जबरदती अगठ का नशान लया गया तथा उह मारा पीटा गया इस

तरह दोन ह कवल ज़मीन जायदाद क लए हरहर काका स यवहार रखत थ अत उह

दोन एक ह णी क लग

3-ठाकर बाड़ी क त गाव वाल क मन म अपार धा क जो भाव ह उसस उनक कस

मनोव का पता चलता ह

3-कहा जाता ह गाव क लोग भोल होत ह असल म गाव क लोग अधववासी धमभी होत

ह मदर जस थान को पव नकलक ान का तीक मानत ह पजार परोहत महत

जस िजतन भी धम क ठकदार ह उनपर अगाध धा रखत ह व चाह कतन भी

पतत वाथ और नीच ह पर उनका वरोध करत व डरत ह इसी कारण ठाकर बाड़ी क

त गाव वाल क अपार धा थी उनका हर सख-दख उसस जड़ा था

4-अनपढ़ होत हए भी हरहर काका दनया क बहतर समझ रखत ह कहानी क आधार पर

पट किजए

4-हरहर काका अनपढ़ थ फर भी उह दनयादार क बहद समझ थी उनक भाई लोग

उनस ज़बरदती ज़मीन अपन नाम करान क लए डरात थ तो उह गाव म दखावा करक

ज़मीन हथयान वालो क याद आती ह काका न उह दखी होत दखा ह इसलए उहन

ठान लया था चाह महत उकसाए चाह भाई दखावा कर वह ज़मीन कसी को भी नह दग

एक बार महत क उकसान पर भाइय क त धोखा नह करना चाहत थ परत जब भाइय

न भी धोखा दया तो उह समझ म आ गया उनक त उह कोई यार नह ह जो यार

दखात ह वह कवल ज़ायदाद क लए ह

5-हरहर काका को जबरन उठा ल जान वाल कौन थ उहन उनक साथ कसा यवहार

कया

5-महत न हरहर काका को बहत लोभन दए िजसस वह अपनी ज़मीन जायदाद ठाकर

बाड़ी क नाम कर द परत काका इस बात क लए तयार नह थ व सोच रह थ क या

भगवान क लए अपन भाइय स धोखा क यह उह सह भी नह लग रहा था महत को

यह बात पता लगी तो उसन छल और बल स रात क समय अकल दालान म सोत हए

हरहर काका को उठवा लया महत न अपन चल साधसतो क साथ मलकर उनक हाथ पर

बाध दए मह म कपड़ा ठस दया और जबरदती अगठ क नशान लए उह एक कमर म

बद कर दया जब पलस आई तो वय गत दरवाज़ स भाग गए

6-हरहर काका क मामल म गाव वाल क या राय थी और उसक या कारण थ

6-कहानी क आधार पर गाव क लोग को बना बताए पता चल गया क हरहर काका को

उनक भाई नह पछत इसलए सख आराम का लोभन दकर महत उह अपन साथ ल

गया भाई मनत करक काका को वापस ल आत ह इस तरह गाव क लोग दो प म

बट गए कछ लोग महत क तरफ़ थ जो चाहत थ क काका अपनी ज़मीन धम क नाम पर

ठाकर बाड़ी को द द ताक उह सख आराम मल मय क बाद मो यश मल महत ानी

ह वह सब कछ जानता ह लकन दसर प क लोग कहत क ज़मीन परवार वालो को द

जाए उनका कहना था इसस उनक परवार का पट भरगा मदर को ज़मीन दना अयाय

होगा इस तरह दोन प अपन-अपन हसाब स सोच रह थ परत हरहर काका क बार म

कोई नह सोच रहा था इन बात का एक कारण यह भी था क काका वधर थ और उनक

कोई सतान भी नह थी पह बीघ ज़मीन क लए इनका लालच वाभवक था

7-कहानी क आधार पर पट किजए क लखक न यह य कहा अान क िथत म ह

मनय मय स डरत ह ान होन क बाद तो आदमी आवयकता पड़न पर मय को वरण

करन क लए तयार हो जाता ह

7-जब काका को असलयत पता चल और उह समझ म आ गया क सब लोग उनक

ज़मीन जायदाद क पीछ ह तो उह व सभी लोग याद आ गए िजहन परवार वालो क मोह

माया म आकर अपनी ज़मीन उनक नाम कर द और मय तक तलतल करक मरत

रह दान-दान को मोहताज़ हो गए इसलए उहन सोचा क इस तरह रहन स तो एक बार

मरना अछा ह जीत जी ज़मीन कसी को भी नह दग य लोग मझ एक बार म ह मार

द अत लखक न कहा क अान क िथत म मनय मय स डरता ह परत ान होन

पर मय वरण को तयार रहता ह

8-समाज म रत क या अहमयत ह इस वषय पर अपन वचार कट किजए

8-आज समाज म मानवीय मय तथा पारवारक मय धीर-धीर समात होत जा रह ह

यादातर यित अपन वाथ क लए रत नभात ह अपनी आवयकताओ क हसाब स

मलत ह अमीर रतदार का समान करत ह उनस मलन को आतर रहत ह जबक गरब

रतदार स कतरात ह कवल वाथ सध क अहमयत रह गई ह आए दन हम

अखबार म समाचार पढ़त ह क ज़मीन जाय़दाद पस जवर क लए लोग घनौन स घनौना

काय कर जात ह (हया अपहरण आद) इसी कार इस कहानी म भी पलस न पहचती तो

परवार वाल महत जी (काका क) हया ह कर दत उह यह अफसोस रहा क व काका को

मार नह पाए

9-यद आपक आसपास हरहर काका जसी हालत म कोई हो तो आप उसक कस कार

मदद करग

9-यद हमार आसपास हरहर काका जसी हालत म कोई हो तो हम उसक पर तरह मदद

करन क कोशश करग उनस मलकर उनक दख का कारण पता करग उह अहसास

दलाएग क व अकल नह ह सबस पहल तो यह ववास कराएग क सभी यित लालची

नह होत ह इस तरह मौन रह कर दसर को मौका न द बिक उलास स शष जीवन

बताए रतदार स मलकर उनक सबध सधारन का यन करग

10-हरहर काका क गाव म यद मीडया क पहच होती तो उनक या िथत होती अपन

शद म लखए

10-यद काका क गाव म मीडया पहच जाती तो सबक पोल खल जाती महत व भाइय का

पदाफाश हो जाता अपहरण और जबरन अगठा लगवान क अपराध म उह जल हो जाती

अपना-अपना मोचा सभालना - अपनी िजमदार नबाहना

आसमान स जमीन पर गरना -उच िथत स नन िथत पर आना

खल कर बात करना- बना सकच क बात करना |

चपत हो जाना ndash भाग जाना |

जी-जान स जट जाना ndash खब महनत करना

िजतन मह उतनी बात होना- कई तरह क बात करना |

ततर-बतर होना ndash बखर जाना |

त-त म -म होना -झगड़ा होना |

नमक-मच लगाना- बढ़ा-चढ़कर कहना|

बात बनाना- बहान बनाना|

रग चढ़ना- असर होना|

मह न खोलना ndash कछ न बताना |

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पय-भाग

पाठ-4

मनयता ndashमथलशरण गत

-लखक का परचय-

-पाठ का सार व पिटकरण-

कत क अय ाणय क तलना म मनय म सोचन क शित अधक होती ह

वह अपन ह नह दसर क सख - दःख का भी याल रखता ह और दसर क लए

कछ करन म समथ होता ह जानवर जब चरागाह म जात ह तो कवल अपन लए

चर कर आत ह परत मनय ऐसा नह ह वह जो कछ भी कमाता ह जो कछ भी

बनाता ह वह दसर क लए भी करता ह और दसर क सहायता स भी करता ह

तत पाठ का कव अपन क सख - दःख क चता करन वाल को मनय तो

मानता ह परत यह मानन को तयार नह ह क उन मनय म मनयता क सार

गण होत ह कव कवल उन मनय को महान मानता ह जो अपन क सख - दःख

स पहल दसर क चता करत ह वह मनय म ऐस गण चाहता ह िजसक कारण

कोई भी मनय इस मयलोक स चल जान क बाद भी सदय तक दसर क याद म

रहता ह अथात वह मय क बाद भी अमर रहता ह

-पाठ सार-

इस कवता म कव मनयता का सह अथ समझान का यास कर रहा ह पहल

भाग म कव कहता ह क मय स नह डरना चाहए यक मय तो निचत ह पर

हम ऐसा कछ करना चाहए क लोग हम मय क बाद भी याद रख असल मनय

वह ह जो दसर क लए जीना व मरना सीख ल दसर भाग म कव कहता ह क

हम उदार बनना चाहए यक उदार मनय का हर जगह गण गान होता ह मनय

वह कहलाता ह जो दसर क चता कर तीसर भाग म कव कहता ह क पराण

म उन लोग क बहत उदाहरण ह िजह उनक याग भाव क लए आज भी याद

कया जाता ह सचा मनय वह ह जो याग भाव जान ल चौथ भाग म कव

कहता ह क मनय क मन म दया और कणा का भाव होना चाहए मनय वह

कहलाता ह जो दसर क लए मरता और जीता ह पाचव भाग म कव कहना चाहता

ह क यहा कोई अनाथ नह ह यक हम सब उस एक ईवर क सतान ह हम

भदभाव स ऊपर उठ कर सोचना चाहएछठ भाग म कव कहना चाहता ह क हम

दयाल बनना चाहए यक दयाल और परोपकार मनय का दवता भी वागत करत

ह अतः हम दसर का परोपकार व कयाण करना चाहएसातव भाग म कव कहता

ह क मनय क बाहर कम अलग अलग हो परत हमार वद साी ह क सभी क

आमा एक ह हम सब एक ह ईवर क सतान ह अतः सभी मनय भाई -बध ह

और मनय वह ह जो दःख म दसर मनय क काम आयअतम भाग म कव

कहना चाहता ह क वप और वन को हटात हए मनय को अपन चन हए रात

पर चलना चाहए आपसी समझ को बनाय रखना चाहए और भदभाव को नह

बढ़ाना चाहए ऐसी सोच वाला मनय ह अपना और दसर का कयाण और उधार

कर सकता ह

-याया

1-वचार लो क मय हो न मय स डरो कभी

मरो परत य मरो क याद जो कर सभी

हई न य समय तो वथा मर वथा िजए

मारा नह वह क जो िजया न आपक लए

वह पश- वत ह क आप आप ह चर

वह मनय ह क जो मनय क लए मर

सग - तत कवता हमार पाय पतक पश भाग -2 स ल गई ह इसक

कव मथलशरण गत ह इन पितओ म कव बताना चाहता ह क मनय को

कसा जीवन जीना चाहए

याया - कव कहता ह क हम यह जान लना चाहए क मय का होना निचत

ह हम मय स नह डरना चाहए कव कहता ह क हम कछ ऐसा करना चाहए क

लोग हम मरन क बाद भी याद रख जो मनय दसर क लए कछ भी ना कर सक

उनका जीना और मरना दोन बकार ह मर कर भी वह मनय कभी नह मरता जो

अपन लए नह दसर क लए जीता ह यक अपन लए तो जानवर भी जीत ह

कव क अनसार मनय वह ह जो दसर मनय क लए मर अथात जो मनय दसर

क चता कर वह असल मनय कहलाता ह

2-उसी उदार क कथा सरवती बखानती

उसी उदार स धरा कताथ भाव मानती

उसी उदार क सदा सजीव कत कजती

तथा उसी उदार को समत सिट पजती

अखड आम भाव जो असीम वव म भर

वह मनय ह क जो मनय क लए मर

सग - तत कवता हमार पाय पतक पश भाग -2 स ल गई ह इसक

कव मथलशरण गत ह इन पितओ म कव बताना चाहता ह क जो मनय

दसर क लए जीत ह उनका गणगान यग - यग तक कया जाता ह

याया - कव कहता ह क जो मनय अपन पर जीवन म दसर क चता करता

ह उस महान यित क कथा का गण गान सरवती अथात पतक म कया जाता

ह पर धरती उस महान यित क आभार रहती ह उस यित क बातचीत

हमशा जीवत यित क तरह क जाती ह और पर सिट उसक पजा करती ह

कव कहता ह क जो यित पर ससार को अखड भाव और भाईचार क भावना म

बाधता ह वह यित सह मायन म मनय कहलान योय होता ह

3-धात रतदव न दया करथ थाल भी

तथा दधीच न दया पराथ अिथजाल भी

उशीनर तीश न वमास दान भी कया

सहष वीर कण न शरर-चम भी दया

अनय दह क लए अनाद जीव या डर

वह मनय ह क जो मनय क लए मर

सग - तत कवता हमार पाय पतक पश भाग -2 स ल गई ह इसक

कव मथलशरण गत ह इन पितओ म कव न महान पष क उदाहरण दए ह

िजनक महानता क कारण उह याद कया जाता ह

याया - कव कहता ह क पौराणक कथाए ऐस यितओ क उदाहरण स भर

पड़ी ह िजहन अपना परा जीवन दसर क लए याग दया िजस कारण उह आज

तक याद कया जाता ह भख स परशान रतदव न अपन हाथ क आखर थाल भी

दान कर द थी और महष दधीच न तो अपन पर शरर क हडया व बनान क

लए दान कर द थी उशीनर दश क राजा शब न कबतर क जान बचान क लए

अपना परा मास दान कर दया था वीर कण न अपनी ख़शी स अपन शरर का

कवच दान कर दया था कव कहना चाहता ह क मनय इस नवर शरर क लए

य डरता ह यक मनय वह कहलाता ह जो दसर क लए अपन आप को याग

दता ह

4-सहानभत चाहए महावभत ह यह

वशीकता सदव ह बनी हई वय मह

वधभाव बध का दया-वाह म बहा

वनीत लोकवग या न सामन झका रहा

अहा वह उदार ह परोपकार जो कर

वह मनय ह क जो मनय क लए मर

सग - तत कवता हमार पाय पतक पश भाग -2 स ल गई ह इसक

कव मथलशरण गत ह इन पितओ म कव न महामा बध का उदाहरण दत

हए दया कणा को सबस बड़ा धन बताया ह

याया - कव कहता ह क मनय क मन म दया व कणा का भाव होना चाहए

यह सबस बड़ा धन ह वय ईवर भी ऐस लोग क साथ रहत ह इसका सबस

बड़ा उदाहरण महामा बध ह िजनस लोग का दःख नह दखा गया तो व लोक

कयाण क लए दनया क नयम क वध चल गए इसक लए या परा ससार

उनक सामन नह झकता अथात उनक दया भाव व परोपकार क कारण आज भी

उनको याद कया जाता ह और उनक पजा क जाती ह महान उस को कहा जाता ह

जो परोपकार करता ह वह मनय मनय कहलाता ह जो मनय क लए जीता ह

और मरता ह

5-रहो न भल क कभी मदाघ तछ व म

सनाथ जान आपको करो न गव च म

अनाथ कौन ह यहा लोकनाथ साथ ह

दयाल दन बध क बड़ वशाल हाथ ह

अतीव भायहन ह अधीर भाव जो कर

वह मनय ह क जो मनय क लए मर

सग - तत कवता हमार पाय पतक पश भाग -2 स ल गई ह इसक

कव मथलशरण गत ह इन पितओ म कव कहता ह क सपत पर कभी

घमड नह करना चाहए और कसी को अनाथ नह समझना चाहए यक ईवर

सबक साथ ह

याया - कव कहता ह क भल कर भी कभी सप या यश पर घमड नह करना

चाहए इस बात पर कभी गव नह करना चाहए क हमार साथ हमार अपन का

साथ ह यक कव कहता ह क यहा कौन सा यित अनाथ ह उस ईवर का

साथ सब क साथ ह वह बहत दयावान ह उसका हाथ सबक ऊपर रहता ह कव

कहता ह क वह यित भायहन ह जो इस कार का उतावलापन रखता ह यक

मनय वह यित कहलाता ह जो इन सब चीज स ऊपर उठ कर सोचता ह

6-अनत अतर म अनत दव ह खड़

सम ह वबाह जो बढ़ा रह बड़-बड़

परपरावलब स उठो तथा बढ़ो सभी

अभी अमय-अक म अपक हो चढ़ो सभी

रहो न या क एक स न काम और का सर

वह मनय ह क जो मनय क लए मर

सग - तत कवता हमार पाय पतक पश भाग -2 स ल गई ह इसक

कव मथलशरण गत ह इन पितओ म कव कहता ह क कलक रहत रहन व

दसर का सहारा बनन वाल मवषय का दवता भी वागत करत ह

याया - कव कहता ह क उस कभी न समात होन वाल आकाश म असय

दवता खड़ ह जो परोपकार व दयाल मनय का सामन स खड़ होकर अपनी भजाओ

को फलाकर वागत करत ह इसलए दसर का सहारा बनो और सभी को साथ म

लकर आग बड़ो कव कहता ह क सभी कलक रहत हो कर दवताओ क गोद म

बठो अथात यद कोई बरा काम नह करोग तो दवता तह अपनी गोद म ल लग

अपन मतलब क लए नह जीना चाहए अपना और दसर का कयाण व उधार

करना चाहए यक इस मरणशील ससार म मनय वह ह जो मनय का कयाण

कर व परोपकार कर

7-मनय माा बध ह यह बड़ा ववक ह

पराणपष वयभ पता सध एक ह

फलानसार कम क अवय बाय भद ह

परत अतरय म माणभत वद ह

अनथ ह क बध ह न बध क यथा हर

वह मनय ह क जो मनय क लए मर

सग - तत कवता हमार पाय पतक पश भाग -2 स ल गई ह इसक

कव मथलशरण गत ह इन पितओ म कव कहता ह क हम सब एक ईवर क

सतान ह अतः हम सभी मनय एक - दसर क भाई - बध ह

याया - कव कहता ह क यक मनय एक दसर क भाई - बध ह यह सबस

बड़ी समझ ह पराण म िजस वय उपन पष मना गया ह वह परमामा या

ईवर हम सभी का पता ह अथात सभी मनय उस एक ईवर क सतान ह

बाहर कारण क फल अनसार यक मनय क कम भल ह अलग अलग ह परत

हमार वद इस बात क साी ह क सभी क आमा एक ह कव कहता ह क यद

भाई ह भाई क दःख व कट का नाश नह करगा तो उसका जीना यथ ह यक

मनय वह कहलाता ह जो बर समय म दसर मनय क काम आता ह

8-चलो अभीट माग म सहष खलत हए

वपवन जो पड़ उह ढकलत हए

घट न हलमल हा बढ़ न भनता कभी

अतक एक पथ क सतक पथ ह सभी

तभी समथ भाव ह क तारता हआ तर

वह मनय ह क जो मनय क लए मर

सग - तत कवता हमार पाय पतक पश भाग -2 स ल गई ह इसक

कव मथलशरण गत ह इन पितओ म कव कहता ह क यद हम ख़शी ससार

कट को हटत हए भदभाव रहत रहग तभी सभव ह क समाज क उनत होगी

याया - कव कहता ह क मनय को अपनी इछा स चन हए माग म ख़शी

ख़शी चलना चाहएरात म कोई भी सकट या बाधाए आय उह हटात चल जाना

चाहए मनय को यह यान रखना चाहए क आपसी समझ न बगड़ और भद

भाव न बड़ बना कसी तक वतक क सभी को एक साथ ल कर आग बढ़ना चाहए

तभी यह सभव होगा क मनय दसर क उनत और कयाण क साथ अपनी

समध भी कायम कर

-ननलखत न क उर दिजय ndash

1-कव न कसी मय को समय कहा ह

1-कव न ऐसी मय को समय कहा ह िजसम मनय अपन स पहल दसर क चता

करता ह और परोपकार क राह को चनता ह िजसस उस मरन क बाद भी याद कया

जाता ह

2-उदार यित क पहचान कस हो सकती ह

2- उदार यित परोपकार होता ह वह अपन स पहल दसर क चता करता ह और

लोक कयाण क लए अपना जीवन याग दता ह

3-कव न दधीच कण आद महान यितओ क उदाहरण द कर मनयता क लए

या उदाहरण दया ह

3- कव न दधीच कण आद महान यितओ क उदाहरण द कर मनयता क

लए यह सदश दया ह क परोपकार करन वाला ह असल मनय कहलान योय

होता ह मानवता क रा क लए दधीच न अपन शरर क सार अिथया दान कर

द थीकण न अपनी जान क परवाह कय बना अपना कवच द दया था िजस

कारण उह आज तक याद कया जाता ह कव इन उदाहरण क वारा यह

समझाना चाहता ह क परोपकार ह सची मनयता ह

4- कव न कन पितय म यह यत कया ह क हम गव - रहत जीवन यतीत

करना चाहए

4- कव न ननलखत पितय म गव रहत जीवन यतीत करन क बात कह ह-

रहो न भल क कभी मगाघ तछ व म

सनाथ जान आपको करो न गव च म

अथात सपत क घमड म कभी नह रहना चाहए और न ह इस बात पर गव

करना चाहए क आपक पास आपक अपन का साथ ह यक इस दनया म कोई

भी अनाथ नह ह सब उस परम पता परमवर क सतान ह

5- मनय मा बध ह स आप या समझत ह पट किजए

5- मनय मा बध ह अथात हम सब मनय एक ईवर क सतान ह अतः हम

सब भाई - बध ह भाई -बध होन क नात हम भाईचार क साथ रहना चाहए और

एक दसर का बर समय म साथ दना चाहए

6- कव न सबको एक होकर चलन क रणा य द ह

6- कव न सबको एक होकर चलन क रणा इसलए द ह ताक आपसी समझ न

बगड़ और न ह भदभाव बड़ सब एक साथ एक होकर चलग तो सार बाधाए मट

जाएगी और सबका कयाण और समध होगी

7- यित को कस तरह का जीवन यतीत करना चाहए इस कवता क आधार पर

लखए

7-मनय को परोपकार का जीवन जीना चाहए अपन स पहल दसर क दख क

चता करनी चाहए कवल अपन बार म तो जानवर भी सोचत ह कव क अनसार

मनय वह कहलाता ह जो अपन स पहल दसर क चता कर

8- मनयता कवता क वारा कव या सदश दना चाहता ह

8- मनयता कवता क मायम स कव यह सदश दना चाहता ह क परोपकार ह

सची मनयता ह परोपकार ह एक ऐसा साधन ह िजसक मायम स हम यग तक

लोगो क दल म अपनी जगह बना सकत ह और परोपकार क वारा ह समाज का

कयाण व समध सभव ह अतः हम परोपकार बनना चाहए ताक हम सह

मायन म मनय कहलाय

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-याकरण-

पदबध- परभाषा

पद- वाय स अलग रहन पर शद और वाय म यत हो जान पर शद

पद कहलात ह दसर शद म- वाय म यत शद पद कहलाता ह पदबध-

जब दो या अधक (शद) पद नयत म और निचत अथ म कसी पद का

काय करत ह तो उह पदबध कहत ह

पदबध क भद

मय पद क आधार पर पदबध क पाच कार होत ह-

(1) सा-पदबध (2) वशषण-पदबध

(3) सवनाम पदबध (4) या पदबध

(5) अयय पदबध

(1) सा-पदबध-

(a)चार ताकतवर मजदर इस भार चीज को उठा पाए

(b) राम न लका क राजा रावण को मार गराया

(c) अयोया क राजा दशरथ क चार प थ

(d) आसमान म उड़ता गबारा फट गया

2) वशषण पदबध-

a) तज चलन वाल गाड़या ायः दर स पहचती ह

(b) उस घर क कोन म बठा हआ आदमी जासस ह

(c) उसका घोड़ा अयत सदर फरतीला और आाकार ह

(d) बरगद और पीपल क घनी छाव स हम बहत सख मला

3) सवनाम पदबध-

(a)बजल-सी फरती दखाकर आपन बालक को डबन स बचा लया

(b)शरारत करन वाल छा म स कछ पकड़ गए

(c)वरोध करन वाल लोग म स कोई नह बोला

4) या पदबध-

(a) वह बाजार क ओर आया होगा

(b) मझ मोहन छत स दखाई द रहा ह

(c) सरश नद म डब गया

(d) अब दरवाजा खोला जा सकता ह

5) अयय पदबध-

(a)अपन सामान क साथ वह चला गया

(b)सबह स शाम तक वह बठा रहा

कसी भी भाषा क व शद अयय (Indeclinable या inflexible) कहलात ह िजनक प म

लग वचन पष कारक काल इयाद क कारण कोई वकार उप नह होता

चक अयय का पातर नह होता इसलए ऐस शद अवकार होत ह अयय का शािदक

अथ ह- जो यय न हो

(i) कालवाचक अयय- इनम समय का बोध होता ह जस- आज कल तरत पीछ पहल अब

जब तब कभी-कभी कब अब स नय जब स सदा स अभी तभी आजकल और कभी

उदाहरणाथ-

अब स ऐसी बात नह होगी

ऐसी बात सदा स होती रह ह

वह कब आया मझ पता नह

(ii) थानवाचक अयय- इसस थान का बोध होता ह जस- यहा वहा कहा जहा यहा स

वहा स इधर-उधर उदाहरणाथ-

वह यहा नह ह

वह कहा जायगा

वहा कोई नह ह

जहा तम हो वहा म ह

(iii) दशावाचक अयय- इसस दशा का बोध होता ह जस- इधर उधर िजधर दर पर अलग

दाहन बाए आरपार

(iv) िथतवाचक अयय- नीच ऊपर तल सामन बाहर भीतर इयाद

अयय क भद

अयय ननलखत चार कार क होत ह -

(1) यावशषण (Adverb)

(2) सबधबोधक (Preposition)

(3) समचयबोधक (Conjunction)

(4) वमयादबोधक (Interjection)

(1) यावशषण - िजन शद स या वशषण या दसर यावशषण क वशषता कट

हो उह यावशषण कहत ह

दसर शदो म- जो शद या क वशषता बतलात ह उह या वशषण कहा जाता ह

जस- राम धीर-धीर टहलता ह राम वहा टहलता ह राम अभी टहलता ह

इन वाय म धीर-धीर वहा और अभी राम क टहलन (या) क वशषता बतलात ह य

यावशषण अवकार वशषण भी कहलात ह इसक अतरत यावशषण दसर

यावशषण क भी वशषता बताता ह

वह बहत धीर चलता ह इस वाय म बहत यावशषण ह यक यह दसर यावशषण

धीर क वशषता बतलाता ह

या वशषण क कार

(1) योग क अनसार- (i) साधारण (ii) सयोजक (iii) अनबध

(2) प क अनसार- (i) मल यावशषण (ii) यौगक यावशषण (iii) थानीय यावशषण

(3) अथ क अनसार- (i) परमाणवाचक (ii) रतवाचक

(1) योग क अनसार यावशषण क भद

योग क अनसार यावशषण क तीन भद ह-

(i) साधारण यावशषण- िजन यावशषण का योग कसी वाय म वत होता ह

उह साधारण यावशषण कहा जाता ह

जस- हाय अब म या क बटा जद आओ अर साप कहा गया

(ii) सयोजक यावशषण- िजन यावशषण का सबध कसी उपवाय स रहता ह उह

सयोजक यावशषण कहा जाता ह

जस- जब रोहताव ह नह तो म ह जीकर या कगी जहा अभी सम ह वहा कसी

समय जगल था

(iii) अनबध यावशषण- िजन यावशषण क योग अवधारण (नचय) क लए कसी

भी शदभद क साथ होता हो उह अनबध यावशषण कहा जाता ह

जस- यह तो कसी न धोखा ह दया ह मन उस दखा तक नह

(2) प क अनसार यावशषण क भद

प क अनसार यावशषण क तीन भद ह-

(i) मल यावशषण- ऐस यावशषण जो कसी दसर शद क मल स नह बनत मल

यावशषण कहलात ह

जस- ठक दर अचानक फर नह

(ii) यौगक यावशषण- ऐस यावशषण जो कसी दसर शद म यय या पद जोड़न

पर बनत ह यौगक यावशषण कहलात ह

जस- मन स िजसस चपक स भल स दखत हए यहा तक झट स वहा पर यौगक

यावशषण सा सवनाम वशषण धात और अयय क मल स बनत ह

यौगक यावशषण नीच लख शद क मल स बनत ह-

(i) साओ क वित स- घर-घर घड़ी-घड़ी बीच-बीच हाथ-हाथ

(ii) दो भ साओ क मल स- दन-रात साझ-सबर घर-बाहर दश-वदश

(iii) वशषण क वित स- एक-एक ठक-ठक साफ-साफ

(iv) यावशषण क वित स- धीर-धीर जहा-तहा कब-कब कहा-कहा

(v) दो यावशषण क मल स- जहा-तहा जहा-कह जब-तब जब-कभी कल-परस आस-पास

(vi) दो भ या समान यावशषण क बीच न लगान स- कभी-न-कभी कछ-न-कछ

(vii) अनकरण वाचक शद क वित स- पटपट तड़तड़ सटासट धड़ाधड़

(viii) सा और वशषण क योग स- एक साथ एक बार दो बार

(ix) अय य और दसर शद क मल स- तदन यथाम अनजान आजम

(x) पवकालक कदत और वशषण क मल स- वशषकर बहतकर मयकर एक-एककर

(iii) थानीय यावशषण- ऐस यावशषण जो बना पातर क कसी वशष थान म

आत ह थानीय यावशषण कहलात ह

जस- वह अपना सर पढ़गा

वह दौड़कर चलत ह

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  • (1) अरथ की दषटि स शबद-भद13
  • (2) परयोग की दषटि स शबद-भद13
  • (3) उतपति की दषटि स शबद-भद13
  • 1) सवर सधि-13
  • परति+छवि=परतिचछवि दिक+अनत=दिगनत दिक+गज=दिगगज अन+छद=अनचछद अच +अनत = अजनत 13
  • 3)विसरग सधि - विसरग क साथ सवर या वयजन का मल होन पर जो विकार होता ह उस 13
  • विसरग सधि कहत ह 13
  • मन+रथ=मनोरथ यश+अभिलाषा=यशोभिलाषा अध+गति=अधोगति नि+छल=निशछल द +गम = दरगम 13
    • -पाठ सार-13
    • -वयाखया13
    • -निमनलिखित परशनो क उततर दीजिय ndash13
    • 1-कवि न कसी मतय को समतय कहा ह13
    • अवयय क भद13
    • करिया विशषण क परकार13
Page 21: Class –X HINDI JUNE SYLLABUS 2020 Chapters:- Ch-1-Sanchayan …punainternationalschool.com/assets/upload/ck-images/Std-10th=Jun… · -harihar kaka . पय-भाग पाठ-3

च) म तहारा राता छोड़ दगा

वमयादबोधक)

उर- क) वधानवाचक

ग) वधानवाचक

ङ) वमयादबोध

Ocirc-इस पाठ म lsquo दखना lsquo या क कई प आए ह

शदयोग म या अतर ह

Ocirc-उर-

म तहारा राता छोड़ दगा (नवाचक वधानवाचक नषधामक

ख) नवाचक

घ) नवा

च) वधानवाचक

या क कई प आए ह lsquo दखना lsquo क इन वभन

वाययोग वारा पट किजए

नषधामक

नवाचक

वधानवाचक

क इन वभन

-वाय क उदाहरण-

सचयन-भाग

पाठ-1 (हरहर काका )

-शदाथ -

तबयत - शरर क िथत यणा - यातना कलश कट

मनःिथत - मन क िथत चद - कछ

आसित ndash लगाव यावहारक - यावहार सबधी

वचारक - वचार सबधी दलार - यार

सयाना - यक बधमान तीा - इतज़ार

फ़लहाल - अभी इस समय मझधार - बीच म

वलन - लत हो जाना वकप - दसरा उपाय

चलत ndash चलनसार जात - जगाना

कलवर - शरर मनौती - मनत

परपरा - था णाल अधकाश - यादातर

समत ndash सथा सचालन - नयण चलाना

नयित - तनाती लगाया गया वमख - तकल

चपट - आघात हार अहाता-चार ओर स दवार स घरा हआ मदान

अखड ndash नवन वफोट - फट कर बाहर नकलना

आगमन - आन पर उपलय - सकत

सराहना ndash शसा निचत - बफ

-लखक का परचय-मथलवर का जम 31 दसबर 1950 को बहार क

भोजपर िजल क बसाडीह नामक गाव म हआ इनक पता व० ो० वशरोपन लाल थ

मथलवर क पता (ो० वशरोपन लाल) भी वलण तभा क धनी थ परत उनक

असाय बीमार न मथलवर क जीवन म आरभ स ह कठन सघष क बीज बो दय थ

पाठ सार-

लखक कहता ह क वह हरहर काका क साथ बहत गहर स जड़ा था लखक का हरहर

काका क त जो यार था वह लखक का उनक यावहार क और उनक वचार क कारण

था और उसक दो कारण थ पहला कारण था क हरहर काका लखक क पड़ोसी थ और

दसरा कारण लखक को उनक मा न बताया था क हरहर काका लखक को बचपन स ह

बहत यादा यार करत थ जब लखक यक हआ तो उसक पहल दोती भी हरहर काका

क साथ ह हई थी लखक क गाव क पव दशा म ठाकर जी का वशाल मदर था िजस

गाव क लोग ठाकरबार यान दवथान कहत थ लोग ठाकर जी स प क मनत मागत

मक़दम म जीत लड़क क शाद कसी अछ घर म हो जाए लड़क को नौकर मल जाए

आद मनत मागत थ मनत पर होन पर लोग अपनी ख़शी स ठाकरजी को पए ज़वर

और अनाज चढ़ाया करत थ िजसको बहत अधक ख़शी होती थी वह अपन खत का छोटा-

सा भाग ठाकरजी क नाम कर दता था और यह एक तरह स था ह बन गई लखक कहता

ह क उसका गाव अब गाव क नाम स नह बिक दव-थान क वजह स ह पहचाना जाता

था उसक गाव का यह दव-थान उस इलाक का सबस बड़ा और सध दवथान था

हरहर काका न अपनी परिथतओ क कारण दव-थान म जाना बद कर दया था मन

बहलान क लए लखक भी कभी-कभी दव-थान चला जाता था लकन लखक कहता ह क

वहा क साध-सत उस बलकल भी पसद नह थ यक व काम करन म कोई दलचपी

नह रखत थ भगवान को भोग लगान क नाम पर व दन क दोन समय हलवा-पड़ी

बनवात थ और आराम स पड़ रहत थ सारा काम वहा आए लोग स सवा करन क नाम पर

करवात थ व खद अगर कोई काम करत थ तो वो था बात बनवान का काम

लखक हरहर काका क बार म बताता हआ कहता ह क हरहर काका और उनक तीन भाई

ह सबक शाद हो चक ह हरहर काका क अतरत सभी तीन भाइय क बाल-बच ह

कछ समय तक तो हरहर काका क सभी चीज़ का अछ स यान रखा गया परत फर

कछ दन बाद हरहर काका को कोई पछन वाला नह था लखक कहता ह क अगर कभी

हरहर काका क शरर क िथत ठक नह होती तो हरहर काका पर मसीबत का पहाड़ ह

गर जाता यक इतन बड़ परवार क रहत हए भी हरहर काका को कोई पानी भी नह

पछता था बारामद क कमर म पड़ हए हरहर काका को अगर कसी चीज़ क जरत होती

तो उह खद ह उठना पड़ता एक दन उनका भतीजा शहर स अपन एक दोत को घर ल

आया उह क आन क ख़शी म दो-तीन तरह क सिज़या बजक चटनी रायता और भी

बहत कछ बना था सब लोग न खाना खा लया और हरहर काका को कोई पछन तक नह

आया हरहर काका गस म बरामद क ओर चल पड़ और जोर-जोर स बोल रह थ क

उनक भाई क पिनया या यह सोचती ह क व उह मत म खाना खला रह ह उनक

खत म उगन वाला अनाज भी इसी घर म आता ह

हरहर काका क गस का महत जी न लाभ उठान क सोची महत जी हरहर काका को

अपन साथ दव-थान ल आए और हरहर काका को समझान लग क उनक भाई का परवार

कवल उनक जमीन क कारण उनस जड़ा हआ ह कसी दन अगर हरहर काका यह कह द

क व अपन खत कसी और क नाम लख रह ह तो व लोग तो उनस बात करना भी बद

कर दग खन क रत ख़म हो जायग महत हरहर काका स कहता ह क उनक हस म

िजतन खत ह व उनको भगवान क नाम लख द ऐसा करन स उह सीध वग क ाित

होगी

सबह होत ह हरहर काका क तीन भाई दव-थान पहच गए तीन हरहर काका क पाव म

गर कर रोन लग और अपनी पिनय क गलती क माफ़ मागन लग और कहन लग क

व अपनी पिनय को उनक साथ कए गए इस तरह क यवहार क सज़ा दग हरहर काका

क मन म दया का भाव जाग गया और व फर स घर वापस लौट कर आ गए जब अपन

भाइय क समझान क बाद हरहर काका घर वापस आए तो घर म और घर वाल क

यवहार म आए बदलाव को दख कर बहत खश हो गए घर क सभी छोट-बड़ सभी लोग

हरहर काका का आदर-सकार करन लग

गाव क लोग जब भी कह बठत तो बात का ऐसा सलसला चलता िजसका कोई अत नह

था हर जगह बस उह क बात होती थी कछ लोग कहत क हरहर काका को अपनी

जमीन भगवान क नाम लख दनी चाहए इसस उम और अछा कछ नह हो सकता

इसस हरहर काका को कभी न ख़म होन वाल सध ात होगी इसक वपरत कछ

लोग क यह मानत थ क भाई का परवार भी तो अपना ह परवार होता ह अपनी

जायदाद उह न दना उनक साथ अयाय करना होगा हरहर काका क भाई उनस ाथना

करन लग क व अपन हस क जमीन को उनक नाम लखवा द इस वषय पर हरहर

काका न बहत सोचा और अत म इस परणाम पर पहच क अपन जीत-जी अपनी जायदाद

का वामी कसी और को बनाना ठक नह होगा फर चाह वह अपना भाई हो या मदर का

महत यक उह अपन गाव और इलाक क व कछ लोग याद आए िजहन अपनी िजदगी

म ह अपनी जायदाद को अपन रतदार या कसी और क नाम लखवा दया था उनका

जीवन बाद म कसी क क तरह हो गया था उह कोई पछन वाला भी नह था हरहर

काका बलकल भी पढ़-लख नह थ परत उह अपन जीवन म एकदम हए बदलाव को

समझन म कोई गलती नह हई और उहन फसला कर लया क व जीत-जी कसी को भी

अपनी जमीन नह लखग

लखक कहता ह क जस-जस समय बीत रहा था महत जी क परशानया बढ़ती जा

रह थी उह लग रहा था क उहन हरहर काका को फसान क लए जो जाल फ का

था हरहर काका उसस बाहर नकल गए ह यह बात महत जी को सहन नह हो रह

थी आधी रात क आस-पास दव-थान क साध-सत और उनक कछ साथी भाला

गड़ासा और बदक क साथ अचानक ह हरहर काका क आगन म आ गए इसस

पहल हरहर काका क भाई कछ सोच और कसी को अपनी सहायता क लए आवाज

लगा कर बलाए तब तक बहत दर हो गई थी हमला करन वाल हरहर काका को

अपनी पीठ पर डाल कर कह गायब हो गए थव हरहर काका को दव-थान ल गए

थ एक ओर तो दव-थान क अदर जबरदती हरहर काका क अगठ का नशान लन

और पकड़कर समझान का काम चल रहा था तो वह दसर ओर हरहर काका क

तीन भाई सबह होन स पहल ह पलस क जीप को लकर दव-थान पर पहच गए

थ महत और उनक साथय न हरहर काका को कमर म हाथ और पाव बाध कर

रखा था और साथ ह साथ उनक मह म कपड़ा ठसा गया था ताक व आवाज़ न कर

सक परत हरहर काका दरवाज़ तक लढ़कत हए आ गए थ और दरवाज़ पर अपन

पर स धका लगा रह थ ताक बाहर खड़ उनक भाई और पलस उह बचा सक

दरवाज़ा खोल कर हरहर काका को बधन स मत कया गया हरहर काका न

पलस को बताया क व लोग उह उस कमर म इस तरह बाध कर कह गत

दरवाज़ स भाग गए ह और उहन कछ खल और कछ लख हए कागज पर हरहर

काका क अगठ क नशान जबरदती लए ह

यह सब बीत जान क बाद हरहर काका फर स अपन भाइय क परवार क साथ रहन लग

गए थ चौबीस घट पहर दए जान लग थ यहा तक क अगर हरहर काका को कसी

काम क कारण गाव म जाना पड़ता तो हथयार क साथ चार-पाच लोग हमशा ह उनक

साथ रहन लग लखक कहता ह क हरहर काका क साथ जो कछ भी हआ था उसस हरहर

काका एक सीध-साद और भोल कसान क तलना म चालाक और बधमान हो गए थ

उह अब सब कछ समझ म आन लगा था क उनक भाइय का अचानक स उनक त जो

यवहार परवतन हो गया था उनक लए जो आदर-समान और सरा व दान कर रह थ

वह उनका कोई सग भाइय का यार नह था बिक व सब कछ उनक धन-दौलत क कारण

कर रह ह नह तो व हरहर काका को पछत तक नह जब स हरहर काका दव-थान स

वापस घर आए थ उसी दन स ह हरहर काका क भाई और उनक दसर नात-रतदार

सभी यह सोच रह थ क हरहर काका को क़ाननी तरक स उनक जायदाद को उनक

भतीज क नाम कर दना चाहए यक जब तक हरहर काका ऐसा नह करग तब तक

महत क तज़ नज़र उन पर टक रहगी जब हरहर काका क भाई हरहर काका को

समझात-समझात थक गए तो उहन हरहर काका को डाटना और उन पर दवाब डालना

श कर दया एक रात हरहर काका क भाइय न भी उसी तरह का यवहार करना श

कर दया जसा महत और उनक सहयोगय न कया था उह धमकात हए कह रह थ क

ख़शी-ख़शी कागज़ पर जहा-जहा जरत ह वहा-वहा अगठ क नशान लगत जाओ नह तो व

उह मार कर वह घर क अदर ह गाड़ दग और गाव क लोगो को इस बार म कोई सचना

भी नह मलगी हरहर काका क साथ अब उनक भाइय क मारपीट श हो गई जब

हरहर काका अपन भाइय का मकाबला नह कर पा रह थ तो उहन ज़ोर-ज़ोर स

चलाकर अपनी मदद क लए गाव वाल को आवाज लगाना श कर दया तब उनक

भाइय को यान आया क उह हरहर काका का मह पहल ह बद करना चाहए था उहन

उसी पल हरहर काका को जमीन पर पटका और उनक मह म कपड़ा ठस दया लकन तब

तक बहत दर हो गई थी हरहर काका क आवाज बाहर गाव म पहच गई थी हरहर काका

क परवार और रत-नात क लोग जब तक गाव वाल कोसमझात क यह सब उनक

परवार का आपसी मामला ह व सभी इसस दर रह तब तक महत जी बड़ी ह दता और

तज़ी स वहा पलस क जीप क साथ आ गए पलस न पर घर क अछ स तलाशी लना

श कर दया फर घर क अदर स हरहर काका को इतनी बर हालत म हासल कया गया

िजतनी बर हालत उनक दव-थान म भी नह हई थी हरहर काका न बताया क उनक

भाइय न उनक साथ बहत ह यादा बरा यवहार कया ह जबरदती बहत स कागज पर

उनक अगठ क नशान ल लए ह उह बहत यादा मारा-पीटा ह

इस घटना क बाद हरहर काका अपन परवार स एकदम अलग रहन लग थ उह उनक

सरा क लए चार राइफलधार पलस क जवान मल थ आचय क बात तो यह ह क

इसक लए उनक भाइय और महत क ओर स काफ़ यास कए गए थ असल म भाइय

को चता थी क हरहर काका अकल रहन लगग तो दव-थान क महत-पजार फर स

हरहर काका को बहला-फसला कर ल जायग और जमीन दव-थान क नाम करवा लग और

यह चता महत जी को भी थी क हरहर काका को अकला और असरत पा उनक भाई

फर स उह पकड़ कर मारग और जमीन को अपन नाम करवा लग लखक कहता ह क

हरहर काका स जड़ी बहत सी ख़बर गाव म फल रह थी जस-जस दन बड़ रह थ वस-वस

डर का मौहोल बन रहा था सभी लोग सफ यह सोच रह थ क हरहर काका न अमत तो

पया हआ ह नह तो मरना तो उनको एक दन ह ह और जब व मरग तो पर गाव म

तफ़ान आ जाएगा यक महत और हरहर काका क परवार क बीच जमीन को ल कर

लड़ाई हो जायगी

पलस क जवान हरहर काका क खच पर ह खब मौज-मती स रह रह थ िजसका धन

वह रह उपास खान वाल कर वलास अथात हरहर काका क पास धन था लकन उनक लए

अब उसका कोई महव नह था और पलस वाल बना कसी कारण स ह हरहर काका क

धन स मौज कर रह थ अब तक जो नह खाया था दोन वत उसका भोग लगा रह थ

-नोर-

1-कथावाचक और हरहर काका क बीच या सबध ह और इसक या कारण ह

1-कथावाचक जब छोटा था तब स ह हरहर काका उस बहत यार करत थ जब वह बड़ हो

गए तो वह हरहर काका क म बन गए गाव म इतनी गहर दोती और कसी स नह

हई हरहर काका उनस खल कर बात करत थ यह कारण ह क कथावाचक को उनक

एक-एक पल क खबर थी शायद अपना म बनान क लए काका न वय ह उस यार स

बड़ा कया और इतजार कया

2-हरहर काका को महत और भाई एक ह णी क य लगन लग

2-हरहर काका को अपन भाइय और महत म कोई अतर नह लगा दोन एक ह णी क

लग उनक भाइय क पिनय न कछ दन तक तो हरहर काका का यान रखा फर

बचीकची रोटया द नाता नह दत थ बमार म कोई पछन वाला भी न था िजतना भी

उह रखा जा रहा था उनक ज़मीन क लए था इसी तरह महत न एक दन तो बड़ यार

स खातर क फर ज़मीन अपन ठाकर बाड़ी क नाम करन क लए कहन लग काका क

मना करन पर उह अनक यातनाए द अपहरण करवाया मह म कपड़ा ठस कर एक कोठर

म बद कर दया जबरदती अगठ का नशान लया गया तथा उह मारा पीटा गया इस

तरह दोन ह कवल ज़मीन जायदाद क लए हरहर काका स यवहार रखत थ अत उह

दोन एक ह णी क लग

3-ठाकर बाड़ी क त गाव वाल क मन म अपार धा क जो भाव ह उसस उनक कस

मनोव का पता चलता ह

3-कहा जाता ह गाव क लोग भोल होत ह असल म गाव क लोग अधववासी धमभी होत

ह मदर जस थान को पव नकलक ान का तीक मानत ह पजार परोहत महत

जस िजतन भी धम क ठकदार ह उनपर अगाध धा रखत ह व चाह कतन भी

पतत वाथ और नीच ह पर उनका वरोध करत व डरत ह इसी कारण ठाकर बाड़ी क

त गाव वाल क अपार धा थी उनका हर सख-दख उसस जड़ा था

4-अनपढ़ होत हए भी हरहर काका दनया क बहतर समझ रखत ह कहानी क आधार पर

पट किजए

4-हरहर काका अनपढ़ थ फर भी उह दनयादार क बहद समझ थी उनक भाई लोग

उनस ज़बरदती ज़मीन अपन नाम करान क लए डरात थ तो उह गाव म दखावा करक

ज़मीन हथयान वालो क याद आती ह काका न उह दखी होत दखा ह इसलए उहन

ठान लया था चाह महत उकसाए चाह भाई दखावा कर वह ज़मीन कसी को भी नह दग

एक बार महत क उकसान पर भाइय क त धोखा नह करना चाहत थ परत जब भाइय

न भी धोखा दया तो उह समझ म आ गया उनक त उह कोई यार नह ह जो यार

दखात ह वह कवल ज़ायदाद क लए ह

5-हरहर काका को जबरन उठा ल जान वाल कौन थ उहन उनक साथ कसा यवहार

कया

5-महत न हरहर काका को बहत लोभन दए िजसस वह अपनी ज़मीन जायदाद ठाकर

बाड़ी क नाम कर द परत काका इस बात क लए तयार नह थ व सोच रह थ क या

भगवान क लए अपन भाइय स धोखा क यह उह सह भी नह लग रहा था महत को

यह बात पता लगी तो उसन छल और बल स रात क समय अकल दालान म सोत हए

हरहर काका को उठवा लया महत न अपन चल साधसतो क साथ मलकर उनक हाथ पर

बाध दए मह म कपड़ा ठस दया और जबरदती अगठ क नशान लए उह एक कमर म

बद कर दया जब पलस आई तो वय गत दरवाज़ स भाग गए

6-हरहर काका क मामल म गाव वाल क या राय थी और उसक या कारण थ

6-कहानी क आधार पर गाव क लोग को बना बताए पता चल गया क हरहर काका को

उनक भाई नह पछत इसलए सख आराम का लोभन दकर महत उह अपन साथ ल

गया भाई मनत करक काका को वापस ल आत ह इस तरह गाव क लोग दो प म

बट गए कछ लोग महत क तरफ़ थ जो चाहत थ क काका अपनी ज़मीन धम क नाम पर

ठाकर बाड़ी को द द ताक उह सख आराम मल मय क बाद मो यश मल महत ानी

ह वह सब कछ जानता ह लकन दसर प क लोग कहत क ज़मीन परवार वालो को द

जाए उनका कहना था इसस उनक परवार का पट भरगा मदर को ज़मीन दना अयाय

होगा इस तरह दोन प अपन-अपन हसाब स सोच रह थ परत हरहर काका क बार म

कोई नह सोच रहा था इन बात का एक कारण यह भी था क काका वधर थ और उनक

कोई सतान भी नह थी पह बीघ ज़मीन क लए इनका लालच वाभवक था

7-कहानी क आधार पर पट किजए क लखक न यह य कहा अान क िथत म ह

मनय मय स डरत ह ान होन क बाद तो आदमी आवयकता पड़न पर मय को वरण

करन क लए तयार हो जाता ह

7-जब काका को असलयत पता चल और उह समझ म आ गया क सब लोग उनक

ज़मीन जायदाद क पीछ ह तो उह व सभी लोग याद आ गए िजहन परवार वालो क मोह

माया म आकर अपनी ज़मीन उनक नाम कर द और मय तक तलतल करक मरत

रह दान-दान को मोहताज़ हो गए इसलए उहन सोचा क इस तरह रहन स तो एक बार

मरना अछा ह जीत जी ज़मीन कसी को भी नह दग य लोग मझ एक बार म ह मार

द अत लखक न कहा क अान क िथत म मनय मय स डरता ह परत ान होन

पर मय वरण को तयार रहता ह

8-समाज म रत क या अहमयत ह इस वषय पर अपन वचार कट किजए

8-आज समाज म मानवीय मय तथा पारवारक मय धीर-धीर समात होत जा रह ह

यादातर यित अपन वाथ क लए रत नभात ह अपनी आवयकताओ क हसाब स

मलत ह अमीर रतदार का समान करत ह उनस मलन को आतर रहत ह जबक गरब

रतदार स कतरात ह कवल वाथ सध क अहमयत रह गई ह आए दन हम

अखबार म समाचार पढ़त ह क ज़मीन जाय़दाद पस जवर क लए लोग घनौन स घनौना

काय कर जात ह (हया अपहरण आद) इसी कार इस कहानी म भी पलस न पहचती तो

परवार वाल महत जी (काका क) हया ह कर दत उह यह अफसोस रहा क व काका को

मार नह पाए

9-यद आपक आसपास हरहर काका जसी हालत म कोई हो तो आप उसक कस कार

मदद करग

9-यद हमार आसपास हरहर काका जसी हालत म कोई हो तो हम उसक पर तरह मदद

करन क कोशश करग उनस मलकर उनक दख का कारण पता करग उह अहसास

दलाएग क व अकल नह ह सबस पहल तो यह ववास कराएग क सभी यित लालची

नह होत ह इस तरह मौन रह कर दसर को मौका न द बिक उलास स शष जीवन

बताए रतदार स मलकर उनक सबध सधारन का यन करग

10-हरहर काका क गाव म यद मीडया क पहच होती तो उनक या िथत होती अपन

शद म लखए

10-यद काका क गाव म मीडया पहच जाती तो सबक पोल खल जाती महत व भाइय का

पदाफाश हो जाता अपहरण और जबरन अगठा लगवान क अपराध म उह जल हो जाती

अपना-अपना मोचा सभालना - अपनी िजमदार नबाहना

आसमान स जमीन पर गरना -उच िथत स नन िथत पर आना

खल कर बात करना- बना सकच क बात करना |

चपत हो जाना ndash भाग जाना |

जी-जान स जट जाना ndash खब महनत करना

िजतन मह उतनी बात होना- कई तरह क बात करना |

ततर-बतर होना ndash बखर जाना |

त-त म -म होना -झगड़ा होना |

नमक-मच लगाना- बढ़ा-चढ़कर कहना|

बात बनाना- बहान बनाना|

रग चढ़ना- असर होना|

मह न खोलना ndash कछ न बताना |

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पय-भाग

पाठ-4

मनयता ndashमथलशरण गत

-लखक का परचय-

-पाठ का सार व पिटकरण-

कत क अय ाणय क तलना म मनय म सोचन क शित अधक होती ह

वह अपन ह नह दसर क सख - दःख का भी याल रखता ह और दसर क लए

कछ करन म समथ होता ह जानवर जब चरागाह म जात ह तो कवल अपन लए

चर कर आत ह परत मनय ऐसा नह ह वह जो कछ भी कमाता ह जो कछ भी

बनाता ह वह दसर क लए भी करता ह और दसर क सहायता स भी करता ह

तत पाठ का कव अपन क सख - दःख क चता करन वाल को मनय तो

मानता ह परत यह मानन को तयार नह ह क उन मनय म मनयता क सार

गण होत ह कव कवल उन मनय को महान मानता ह जो अपन क सख - दःख

स पहल दसर क चता करत ह वह मनय म ऐस गण चाहता ह िजसक कारण

कोई भी मनय इस मयलोक स चल जान क बाद भी सदय तक दसर क याद म

रहता ह अथात वह मय क बाद भी अमर रहता ह

-पाठ सार-

इस कवता म कव मनयता का सह अथ समझान का यास कर रहा ह पहल

भाग म कव कहता ह क मय स नह डरना चाहए यक मय तो निचत ह पर

हम ऐसा कछ करना चाहए क लोग हम मय क बाद भी याद रख असल मनय

वह ह जो दसर क लए जीना व मरना सीख ल दसर भाग म कव कहता ह क

हम उदार बनना चाहए यक उदार मनय का हर जगह गण गान होता ह मनय

वह कहलाता ह जो दसर क चता कर तीसर भाग म कव कहता ह क पराण

म उन लोग क बहत उदाहरण ह िजह उनक याग भाव क लए आज भी याद

कया जाता ह सचा मनय वह ह जो याग भाव जान ल चौथ भाग म कव

कहता ह क मनय क मन म दया और कणा का भाव होना चाहए मनय वह

कहलाता ह जो दसर क लए मरता और जीता ह पाचव भाग म कव कहना चाहता

ह क यहा कोई अनाथ नह ह यक हम सब उस एक ईवर क सतान ह हम

भदभाव स ऊपर उठ कर सोचना चाहएछठ भाग म कव कहना चाहता ह क हम

दयाल बनना चाहए यक दयाल और परोपकार मनय का दवता भी वागत करत

ह अतः हम दसर का परोपकार व कयाण करना चाहएसातव भाग म कव कहता

ह क मनय क बाहर कम अलग अलग हो परत हमार वद साी ह क सभी क

आमा एक ह हम सब एक ह ईवर क सतान ह अतः सभी मनय भाई -बध ह

और मनय वह ह जो दःख म दसर मनय क काम आयअतम भाग म कव

कहना चाहता ह क वप और वन को हटात हए मनय को अपन चन हए रात

पर चलना चाहए आपसी समझ को बनाय रखना चाहए और भदभाव को नह

बढ़ाना चाहए ऐसी सोच वाला मनय ह अपना और दसर का कयाण और उधार

कर सकता ह

-याया

1-वचार लो क मय हो न मय स डरो कभी

मरो परत य मरो क याद जो कर सभी

हई न य समय तो वथा मर वथा िजए

मारा नह वह क जो िजया न आपक लए

वह पश- वत ह क आप आप ह चर

वह मनय ह क जो मनय क लए मर

सग - तत कवता हमार पाय पतक पश भाग -2 स ल गई ह इसक

कव मथलशरण गत ह इन पितओ म कव बताना चाहता ह क मनय को

कसा जीवन जीना चाहए

याया - कव कहता ह क हम यह जान लना चाहए क मय का होना निचत

ह हम मय स नह डरना चाहए कव कहता ह क हम कछ ऐसा करना चाहए क

लोग हम मरन क बाद भी याद रख जो मनय दसर क लए कछ भी ना कर सक

उनका जीना और मरना दोन बकार ह मर कर भी वह मनय कभी नह मरता जो

अपन लए नह दसर क लए जीता ह यक अपन लए तो जानवर भी जीत ह

कव क अनसार मनय वह ह जो दसर मनय क लए मर अथात जो मनय दसर

क चता कर वह असल मनय कहलाता ह

2-उसी उदार क कथा सरवती बखानती

उसी उदार स धरा कताथ भाव मानती

उसी उदार क सदा सजीव कत कजती

तथा उसी उदार को समत सिट पजती

अखड आम भाव जो असीम वव म भर

वह मनय ह क जो मनय क लए मर

सग - तत कवता हमार पाय पतक पश भाग -2 स ल गई ह इसक

कव मथलशरण गत ह इन पितओ म कव बताना चाहता ह क जो मनय

दसर क लए जीत ह उनका गणगान यग - यग तक कया जाता ह

याया - कव कहता ह क जो मनय अपन पर जीवन म दसर क चता करता

ह उस महान यित क कथा का गण गान सरवती अथात पतक म कया जाता

ह पर धरती उस महान यित क आभार रहती ह उस यित क बातचीत

हमशा जीवत यित क तरह क जाती ह और पर सिट उसक पजा करती ह

कव कहता ह क जो यित पर ससार को अखड भाव और भाईचार क भावना म

बाधता ह वह यित सह मायन म मनय कहलान योय होता ह

3-धात रतदव न दया करथ थाल भी

तथा दधीच न दया पराथ अिथजाल भी

उशीनर तीश न वमास दान भी कया

सहष वीर कण न शरर-चम भी दया

अनय दह क लए अनाद जीव या डर

वह मनय ह क जो मनय क लए मर

सग - तत कवता हमार पाय पतक पश भाग -2 स ल गई ह इसक

कव मथलशरण गत ह इन पितओ म कव न महान पष क उदाहरण दए ह

िजनक महानता क कारण उह याद कया जाता ह

याया - कव कहता ह क पौराणक कथाए ऐस यितओ क उदाहरण स भर

पड़ी ह िजहन अपना परा जीवन दसर क लए याग दया िजस कारण उह आज

तक याद कया जाता ह भख स परशान रतदव न अपन हाथ क आखर थाल भी

दान कर द थी और महष दधीच न तो अपन पर शरर क हडया व बनान क

लए दान कर द थी उशीनर दश क राजा शब न कबतर क जान बचान क लए

अपना परा मास दान कर दया था वीर कण न अपनी ख़शी स अपन शरर का

कवच दान कर दया था कव कहना चाहता ह क मनय इस नवर शरर क लए

य डरता ह यक मनय वह कहलाता ह जो दसर क लए अपन आप को याग

दता ह

4-सहानभत चाहए महावभत ह यह

वशीकता सदव ह बनी हई वय मह

वधभाव बध का दया-वाह म बहा

वनीत लोकवग या न सामन झका रहा

अहा वह उदार ह परोपकार जो कर

वह मनय ह क जो मनय क लए मर

सग - तत कवता हमार पाय पतक पश भाग -2 स ल गई ह इसक

कव मथलशरण गत ह इन पितओ म कव न महामा बध का उदाहरण दत

हए दया कणा को सबस बड़ा धन बताया ह

याया - कव कहता ह क मनय क मन म दया व कणा का भाव होना चाहए

यह सबस बड़ा धन ह वय ईवर भी ऐस लोग क साथ रहत ह इसका सबस

बड़ा उदाहरण महामा बध ह िजनस लोग का दःख नह दखा गया तो व लोक

कयाण क लए दनया क नयम क वध चल गए इसक लए या परा ससार

उनक सामन नह झकता अथात उनक दया भाव व परोपकार क कारण आज भी

उनको याद कया जाता ह और उनक पजा क जाती ह महान उस को कहा जाता ह

जो परोपकार करता ह वह मनय मनय कहलाता ह जो मनय क लए जीता ह

और मरता ह

5-रहो न भल क कभी मदाघ तछ व म

सनाथ जान आपको करो न गव च म

अनाथ कौन ह यहा लोकनाथ साथ ह

दयाल दन बध क बड़ वशाल हाथ ह

अतीव भायहन ह अधीर भाव जो कर

वह मनय ह क जो मनय क लए मर

सग - तत कवता हमार पाय पतक पश भाग -2 स ल गई ह इसक

कव मथलशरण गत ह इन पितओ म कव कहता ह क सपत पर कभी

घमड नह करना चाहए और कसी को अनाथ नह समझना चाहए यक ईवर

सबक साथ ह

याया - कव कहता ह क भल कर भी कभी सप या यश पर घमड नह करना

चाहए इस बात पर कभी गव नह करना चाहए क हमार साथ हमार अपन का

साथ ह यक कव कहता ह क यहा कौन सा यित अनाथ ह उस ईवर का

साथ सब क साथ ह वह बहत दयावान ह उसका हाथ सबक ऊपर रहता ह कव

कहता ह क वह यित भायहन ह जो इस कार का उतावलापन रखता ह यक

मनय वह यित कहलाता ह जो इन सब चीज स ऊपर उठ कर सोचता ह

6-अनत अतर म अनत दव ह खड़

सम ह वबाह जो बढ़ा रह बड़-बड़

परपरावलब स उठो तथा बढ़ो सभी

अभी अमय-अक म अपक हो चढ़ो सभी

रहो न या क एक स न काम और का सर

वह मनय ह क जो मनय क लए मर

सग - तत कवता हमार पाय पतक पश भाग -2 स ल गई ह इसक

कव मथलशरण गत ह इन पितओ म कव कहता ह क कलक रहत रहन व

दसर का सहारा बनन वाल मवषय का दवता भी वागत करत ह

याया - कव कहता ह क उस कभी न समात होन वाल आकाश म असय

दवता खड़ ह जो परोपकार व दयाल मनय का सामन स खड़ होकर अपनी भजाओ

को फलाकर वागत करत ह इसलए दसर का सहारा बनो और सभी को साथ म

लकर आग बड़ो कव कहता ह क सभी कलक रहत हो कर दवताओ क गोद म

बठो अथात यद कोई बरा काम नह करोग तो दवता तह अपनी गोद म ल लग

अपन मतलब क लए नह जीना चाहए अपना और दसर का कयाण व उधार

करना चाहए यक इस मरणशील ससार म मनय वह ह जो मनय का कयाण

कर व परोपकार कर

7-मनय माा बध ह यह बड़ा ववक ह

पराणपष वयभ पता सध एक ह

फलानसार कम क अवय बाय भद ह

परत अतरय म माणभत वद ह

अनथ ह क बध ह न बध क यथा हर

वह मनय ह क जो मनय क लए मर

सग - तत कवता हमार पाय पतक पश भाग -2 स ल गई ह इसक

कव मथलशरण गत ह इन पितओ म कव कहता ह क हम सब एक ईवर क

सतान ह अतः हम सभी मनय एक - दसर क भाई - बध ह

याया - कव कहता ह क यक मनय एक दसर क भाई - बध ह यह सबस

बड़ी समझ ह पराण म िजस वय उपन पष मना गया ह वह परमामा या

ईवर हम सभी का पता ह अथात सभी मनय उस एक ईवर क सतान ह

बाहर कारण क फल अनसार यक मनय क कम भल ह अलग अलग ह परत

हमार वद इस बात क साी ह क सभी क आमा एक ह कव कहता ह क यद

भाई ह भाई क दःख व कट का नाश नह करगा तो उसका जीना यथ ह यक

मनय वह कहलाता ह जो बर समय म दसर मनय क काम आता ह

8-चलो अभीट माग म सहष खलत हए

वपवन जो पड़ उह ढकलत हए

घट न हलमल हा बढ़ न भनता कभी

अतक एक पथ क सतक पथ ह सभी

तभी समथ भाव ह क तारता हआ तर

वह मनय ह क जो मनय क लए मर

सग - तत कवता हमार पाय पतक पश भाग -2 स ल गई ह इसक

कव मथलशरण गत ह इन पितओ म कव कहता ह क यद हम ख़शी ससार

कट को हटत हए भदभाव रहत रहग तभी सभव ह क समाज क उनत होगी

याया - कव कहता ह क मनय को अपनी इछा स चन हए माग म ख़शी

ख़शी चलना चाहएरात म कोई भी सकट या बाधाए आय उह हटात चल जाना

चाहए मनय को यह यान रखना चाहए क आपसी समझ न बगड़ और भद

भाव न बड़ बना कसी तक वतक क सभी को एक साथ ल कर आग बढ़ना चाहए

तभी यह सभव होगा क मनय दसर क उनत और कयाण क साथ अपनी

समध भी कायम कर

-ननलखत न क उर दिजय ndash

1-कव न कसी मय को समय कहा ह

1-कव न ऐसी मय को समय कहा ह िजसम मनय अपन स पहल दसर क चता

करता ह और परोपकार क राह को चनता ह िजसस उस मरन क बाद भी याद कया

जाता ह

2-उदार यित क पहचान कस हो सकती ह

2- उदार यित परोपकार होता ह वह अपन स पहल दसर क चता करता ह और

लोक कयाण क लए अपना जीवन याग दता ह

3-कव न दधीच कण आद महान यितओ क उदाहरण द कर मनयता क लए

या उदाहरण दया ह

3- कव न दधीच कण आद महान यितओ क उदाहरण द कर मनयता क

लए यह सदश दया ह क परोपकार करन वाला ह असल मनय कहलान योय

होता ह मानवता क रा क लए दधीच न अपन शरर क सार अिथया दान कर

द थीकण न अपनी जान क परवाह कय बना अपना कवच द दया था िजस

कारण उह आज तक याद कया जाता ह कव इन उदाहरण क वारा यह

समझाना चाहता ह क परोपकार ह सची मनयता ह

4- कव न कन पितय म यह यत कया ह क हम गव - रहत जीवन यतीत

करना चाहए

4- कव न ननलखत पितय म गव रहत जीवन यतीत करन क बात कह ह-

रहो न भल क कभी मगाघ तछ व म

सनाथ जान आपको करो न गव च म

अथात सपत क घमड म कभी नह रहना चाहए और न ह इस बात पर गव

करना चाहए क आपक पास आपक अपन का साथ ह यक इस दनया म कोई

भी अनाथ नह ह सब उस परम पता परमवर क सतान ह

5- मनय मा बध ह स आप या समझत ह पट किजए

5- मनय मा बध ह अथात हम सब मनय एक ईवर क सतान ह अतः हम

सब भाई - बध ह भाई -बध होन क नात हम भाईचार क साथ रहना चाहए और

एक दसर का बर समय म साथ दना चाहए

6- कव न सबको एक होकर चलन क रणा य द ह

6- कव न सबको एक होकर चलन क रणा इसलए द ह ताक आपसी समझ न

बगड़ और न ह भदभाव बड़ सब एक साथ एक होकर चलग तो सार बाधाए मट

जाएगी और सबका कयाण और समध होगी

7- यित को कस तरह का जीवन यतीत करना चाहए इस कवता क आधार पर

लखए

7-मनय को परोपकार का जीवन जीना चाहए अपन स पहल दसर क दख क

चता करनी चाहए कवल अपन बार म तो जानवर भी सोचत ह कव क अनसार

मनय वह कहलाता ह जो अपन स पहल दसर क चता कर

8- मनयता कवता क वारा कव या सदश दना चाहता ह

8- मनयता कवता क मायम स कव यह सदश दना चाहता ह क परोपकार ह

सची मनयता ह परोपकार ह एक ऐसा साधन ह िजसक मायम स हम यग तक

लोगो क दल म अपनी जगह बना सकत ह और परोपकार क वारा ह समाज का

कयाण व समध सभव ह अतः हम परोपकार बनना चाहए ताक हम सह

मायन म मनय कहलाय

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-याकरण-

पदबध- परभाषा

पद- वाय स अलग रहन पर शद और वाय म यत हो जान पर शद

पद कहलात ह दसर शद म- वाय म यत शद पद कहलाता ह पदबध-

जब दो या अधक (शद) पद नयत म और निचत अथ म कसी पद का

काय करत ह तो उह पदबध कहत ह

पदबध क भद

मय पद क आधार पर पदबध क पाच कार होत ह-

(1) सा-पदबध (2) वशषण-पदबध

(3) सवनाम पदबध (4) या पदबध

(5) अयय पदबध

(1) सा-पदबध-

(a)चार ताकतवर मजदर इस भार चीज को उठा पाए

(b) राम न लका क राजा रावण को मार गराया

(c) अयोया क राजा दशरथ क चार प थ

(d) आसमान म उड़ता गबारा फट गया

2) वशषण पदबध-

a) तज चलन वाल गाड़या ायः दर स पहचती ह

(b) उस घर क कोन म बठा हआ आदमी जासस ह

(c) उसका घोड़ा अयत सदर फरतीला और आाकार ह

(d) बरगद और पीपल क घनी छाव स हम बहत सख मला

3) सवनाम पदबध-

(a)बजल-सी फरती दखाकर आपन बालक को डबन स बचा लया

(b)शरारत करन वाल छा म स कछ पकड़ गए

(c)वरोध करन वाल लोग म स कोई नह बोला

4) या पदबध-

(a) वह बाजार क ओर आया होगा

(b) मझ मोहन छत स दखाई द रहा ह

(c) सरश नद म डब गया

(d) अब दरवाजा खोला जा सकता ह

5) अयय पदबध-

(a)अपन सामान क साथ वह चला गया

(b)सबह स शाम तक वह बठा रहा

कसी भी भाषा क व शद अयय (Indeclinable या inflexible) कहलात ह िजनक प म

लग वचन पष कारक काल इयाद क कारण कोई वकार उप नह होता

चक अयय का पातर नह होता इसलए ऐस शद अवकार होत ह अयय का शािदक

अथ ह- जो यय न हो

(i) कालवाचक अयय- इनम समय का बोध होता ह जस- आज कल तरत पीछ पहल अब

जब तब कभी-कभी कब अब स नय जब स सदा स अभी तभी आजकल और कभी

उदाहरणाथ-

अब स ऐसी बात नह होगी

ऐसी बात सदा स होती रह ह

वह कब आया मझ पता नह

(ii) थानवाचक अयय- इसस थान का बोध होता ह जस- यहा वहा कहा जहा यहा स

वहा स इधर-उधर उदाहरणाथ-

वह यहा नह ह

वह कहा जायगा

वहा कोई नह ह

जहा तम हो वहा म ह

(iii) दशावाचक अयय- इसस दशा का बोध होता ह जस- इधर उधर िजधर दर पर अलग

दाहन बाए आरपार

(iv) िथतवाचक अयय- नीच ऊपर तल सामन बाहर भीतर इयाद

अयय क भद

अयय ननलखत चार कार क होत ह -

(1) यावशषण (Adverb)

(2) सबधबोधक (Preposition)

(3) समचयबोधक (Conjunction)

(4) वमयादबोधक (Interjection)

(1) यावशषण - िजन शद स या वशषण या दसर यावशषण क वशषता कट

हो उह यावशषण कहत ह

दसर शदो म- जो शद या क वशषता बतलात ह उह या वशषण कहा जाता ह

जस- राम धीर-धीर टहलता ह राम वहा टहलता ह राम अभी टहलता ह

इन वाय म धीर-धीर वहा और अभी राम क टहलन (या) क वशषता बतलात ह य

यावशषण अवकार वशषण भी कहलात ह इसक अतरत यावशषण दसर

यावशषण क भी वशषता बताता ह

वह बहत धीर चलता ह इस वाय म बहत यावशषण ह यक यह दसर यावशषण

धीर क वशषता बतलाता ह

या वशषण क कार

(1) योग क अनसार- (i) साधारण (ii) सयोजक (iii) अनबध

(2) प क अनसार- (i) मल यावशषण (ii) यौगक यावशषण (iii) थानीय यावशषण

(3) अथ क अनसार- (i) परमाणवाचक (ii) रतवाचक

(1) योग क अनसार यावशषण क भद

योग क अनसार यावशषण क तीन भद ह-

(i) साधारण यावशषण- िजन यावशषण का योग कसी वाय म वत होता ह

उह साधारण यावशषण कहा जाता ह

जस- हाय अब म या क बटा जद आओ अर साप कहा गया

(ii) सयोजक यावशषण- िजन यावशषण का सबध कसी उपवाय स रहता ह उह

सयोजक यावशषण कहा जाता ह

जस- जब रोहताव ह नह तो म ह जीकर या कगी जहा अभी सम ह वहा कसी

समय जगल था

(iii) अनबध यावशषण- िजन यावशषण क योग अवधारण (नचय) क लए कसी

भी शदभद क साथ होता हो उह अनबध यावशषण कहा जाता ह

जस- यह तो कसी न धोखा ह दया ह मन उस दखा तक नह

(2) प क अनसार यावशषण क भद

प क अनसार यावशषण क तीन भद ह-

(i) मल यावशषण- ऐस यावशषण जो कसी दसर शद क मल स नह बनत मल

यावशषण कहलात ह

जस- ठक दर अचानक फर नह

(ii) यौगक यावशषण- ऐस यावशषण जो कसी दसर शद म यय या पद जोड़न

पर बनत ह यौगक यावशषण कहलात ह

जस- मन स िजसस चपक स भल स दखत हए यहा तक झट स वहा पर यौगक

यावशषण सा सवनाम वशषण धात और अयय क मल स बनत ह

यौगक यावशषण नीच लख शद क मल स बनत ह-

(i) साओ क वित स- घर-घर घड़ी-घड़ी बीच-बीच हाथ-हाथ

(ii) दो भ साओ क मल स- दन-रात साझ-सबर घर-बाहर दश-वदश

(iii) वशषण क वित स- एक-एक ठक-ठक साफ-साफ

(iv) यावशषण क वित स- धीर-धीर जहा-तहा कब-कब कहा-कहा

(v) दो यावशषण क मल स- जहा-तहा जहा-कह जब-तब जब-कभी कल-परस आस-पास

(vi) दो भ या समान यावशषण क बीच न लगान स- कभी-न-कभी कछ-न-कछ

(vii) अनकरण वाचक शद क वित स- पटपट तड़तड़ सटासट धड़ाधड़

(viii) सा और वशषण क योग स- एक साथ एक बार दो बार

(ix) अय य और दसर शद क मल स- तदन यथाम अनजान आजम

(x) पवकालक कदत और वशषण क मल स- वशषकर बहतकर मयकर एक-एककर

(iii) थानीय यावशषण- ऐस यावशषण जो बना पातर क कसी वशष थान म

आत ह थानीय यावशषण कहलात ह

जस- वह अपना सर पढ़गा

वह दौड़कर चलत ह

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  • (1) अरथ की दषटि स शबद-भद13
  • (2) परयोग की दषटि स शबद-भद13
  • (3) उतपति की दषटि स शबद-भद13
  • 1) सवर सधि-13
  • परति+छवि=परतिचछवि दिक+अनत=दिगनत दिक+गज=दिगगज अन+छद=अनचछद अच +अनत = अजनत 13
  • 3)विसरग सधि - विसरग क साथ सवर या वयजन का मल होन पर जो विकार होता ह उस 13
  • विसरग सधि कहत ह 13
  • मन+रथ=मनोरथ यश+अभिलाषा=यशोभिलाषा अध+गति=अधोगति नि+छल=निशछल द +गम = दरगम 13
    • -पाठ सार-13
    • -वयाखया13
    • -निमनलिखित परशनो क उततर दीजिय ndash13
    • 1-कवि न कसी मतय को समतय कहा ह13
    • अवयय क भद13
    • करिया विशषण क परकार13
Page 22: Class –X HINDI JUNE SYLLABUS 2020 Chapters:- Ch-1-Sanchayan …punainternationalschool.com/assets/upload/ck-images/Std-10th=Jun… · -harihar kaka . पय-भाग पाठ-3

-वाय क उदाहरण-

सचयन-भाग

पाठ-1 (हरहर काका )

-शदाथ -

तबयत - शरर क िथत यणा - यातना कलश कट

मनःिथत - मन क िथत चद - कछ

आसित ndash लगाव यावहारक - यावहार सबधी

वचारक - वचार सबधी दलार - यार

सयाना - यक बधमान तीा - इतज़ार

फ़लहाल - अभी इस समय मझधार - बीच म

वलन - लत हो जाना वकप - दसरा उपाय

चलत ndash चलनसार जात - जगाना

कलवर - शरर मनौती - मनत

परपरा - था णाल अधकाश - यादातर

समत ndash सथा सचालन - नयण चलाना

नयित - तनाती लगाया गया वमख - तकल

चपट - आघात हार अहाता-चार ओर स दवार स घरा हआ मदान

अखड ndash नवन वफोट - फट कर बाहर नकलना

आगमन - आन पर उपलय - सकत

सराहना ndash शसा निचत - बफ

-लखक का परचय-मथलवर का जम 31 दसबर 1950 को बहार क

भोजपर िजल क बसाडीह नामक गाव म हआ इनक पता व० ो० वशरोपन लाल थ

मथलवर क पता (ो० वशरोपन लाल) भी वलण तभा क धनी थ परत उनक

असाय बीमार न मथलवर क जीवन म आरभ स ह कठन सघष क बीज बो दय थ

पाठ सार-

लखक कहता ह क वह हरहर काका क साथ बहत गहर स जड़ा था लखक का हरहर

काका क त जो यार था वह लखक का उनक यावहार क और उनक वचार क कारण

था और उसक दो कारण थ पहला कारण था क हरहर काका लखक क पड़ोसी थ और

दसरा कारण लखक को उनक मा न बताया था क हरहर काका लखक को बचपन स ह

बहत यादा यार करत थ जब लखक यक हआ तो उसक पहल दोती भी हरहर काका

क साथ ह हई थी लखक क गाव क पव दशा म ठाकर जी का वशाल मदर था िजस

गाव क लोग ठाकरबार यान दवथान कहत थ लोग ठाकर जी स प क मनत मागत

मक़दम म जीत लड़क क शाद कसी अछ घर म हो जाए लड़क को नौकर मल जाए

आद मनत मागत थ मनत पर होन पर लोग अपनी ख़शी स ठाकरजी को पए ज़वर

और अनाज चढ़ाया करत थ िजसको बहत अधक ख़शी होती थी वह अपन खत का छोटा-

सा भाग ठाकरजी क नाम कर दता था और यह एक तरह स था ह बन गई लखक कहता

ह क उसका गाव अब गाव क नाम स नह बिक दव-थान क वजह स ह पहचाना जाता

था उसक गाव का यह दव-थान उस इलाक का सबस बड़ा और सध दवथान था

हरहर काका न अपनी परिथतओ क कारण दव-थान म जाना बद कर दया था मन

बहलान क लए लखक भी कभी-कभी दव-थान चला जाता था लकन लखक कहता ह क

वहा क साध-सत उस बलकल भी पसद नह थ यक व काम करन म कोई दलचपी

नह रखत थ भगवान को भोग लगान क नाम पर व दन क दोन समय हलवा-पड़ी

बनवात थ और आराम स पड़ रहत थ सारा काम वहा आए लोग स सवा करन क नाम पर

करवात थ व खद अगर कोई काम करत थ तो वो था बात बनवान का काम

लखक हरहर काका क बार म बताता हआ कहता ह क हरहर काका और उनक तीन भाई

ह सबक शाद हो चक ह हरहर काका क अतरत सभी तीन भाइय क बाल-बच ह

कछ समय तक तो हरहर काका क सभी चीज़ का अछ स यान रखा गया परत फर

कछ दन बाद हरहर काका को कोई पछन वाला नह था लखक कहता ह क अगर कभी

हरहर काका क शरर क िथत ठक नह होती तो हरहर काका पर मसीबत का पहाड़ ह

गर जाता यक इतन बड़ परवार क रहत हए भी हरहर काका को कोई पानी भी नह

पछता था बारामद क कमर म पड़ हए हरहर काका को अगर कसी चीज़ क जरत होती

तो उह खद ह उठना पड़ता एक दन उनका भतीजा शहर स अपन एक दोत को घर ल

आया उह क आन क ख़शी म दो-तीन तरह क सिज़या बजक चटनी रायता और भी

बहत कछ बना था सब लोग न खाना खा लया और हरहर काका को कोई पछन तक नह

आया हरहर काका गस म बरामद क ओर चल पड़ और जोर-जोर स बोल रह थ क

उनक भाई क पिनया या यह सोचती ह क व उह मत म खाना खला रह ह उनक

खत म उगन वाला अनाज भी इसी घर म आता ह

हरहर काका क गस का महत जी न लाभ उठान क सोची महत जी हरहर काका को

अपन साथ दव-थान ल आए और हरहर काका को समझान लग क उनक भाई का परवार

कवल उनक जमीन क कारण उनस जड़ा हआ ह कसी दन अगर हरहर काका यह कह द

क व अपन खत कसी और क नाम लख रह ह तो व लोग तो उनस बात करना भी बद

कर दग खन क रत ख़म हो जायग महत हरहर काका स कहता ह क उनक हस म

िजतन खत ह व उनको भगवान क नाम लख द ऐसा करन स उह सीध वग क ाित

होगी

सबह होत ह हरहर काका क तीन भाई दव-थान पहच गए तीन हरहर काका क पाव म

गर कर रोन लग और अपनी पिनय क गलती क माफ़ मागन लग और कहन लग क

व अपनी पिनय को उनक साथ कए गए इस तरह क यवहार क सज़ा दग हरहर काका

क मन म दया का भाव जाग गया और व फर स घर वापस लौट कर आ गए जब अपन

भाइय क समझान क बाद हरहर काका घर वापस आए तो घर म और घर वाल क

यवहार म आए बदलाव को दख कर बहत खश हो गए घर क सभी छोट-बड़ सभी लोग

हरहर काका का आदर-सकार करन लग

गाव क लोग जब भी कह बठत तो बात का ऐसा सलसला चलता िजसका कोई अत नह

था हर जगह बस उह क बात होती थी कछ लोग कहत क हरहर काका को अपनी

जमीन भगवान क नाम लख दनी चाहए इसस उम और अछा कछ नह हो सकता

इसस हरहर काका को कभी न ख़म होन वाल सध ात होगी इसक वपरत कछ

लोग क यह मानत थ क भाई का परवार भी तो अपना ह परवार होता ह अपनी

जायदाद उह न दना उनक साथ अयाय करना होगा हरहर काका क भाई उनस ाथना

करन लग क व अपन हस क जमीन को उनक नाम लखवा द इस वषय पर हरहर

काका न बहत सोचा और अत म इस परणाम पर पहच क अपन जीत-जी अपनी जायदाद

का वामी कसी और को बनाना ठक नह होगा फर चाह वह अपना भाई हो या मदर का

महत यक उह अपन गाव और इलाक क व कछ लोग याद आए िजहन अपनी िजदगी

म ह अपनी जायदाद को अपन रतदार या कसी और क नाम लखवा दया था उनका

जीवन बाद म कसी क क तरह हो गया था उह कोई पछन वाला भी नह था हरहर

काका बलकल भी पढ़-लख नह थ परत उह अपन जीवन म एकदम हए बदलाव को

समझन म कोई गलती नह हई और उहन फसला कर लया क व जीत-जी कसी को भी

अपनी जमीन नह लखग

लखक कहता ह क जस-जस समय बीत रहा था महत जी क परशानया बढ़ती जा

रह थी उह लग रहा था क उहन हरहर काका को फसान क लए जो जाल फ का

था हरहर काका उसस बाहर नकल गए ह यह बात महत जी को सहन नह हो रह

थी आधी रात क आस-पास दव-थान क साध-सत और उनक कछ साथी भाला

गड़ासा और बदक क साथ अचानक ह हरहर काका क आगन म आ गए इसस

पहल हरहर काका क भाई कछ सोच और कसी को अपनी सहायता क लए आवाज

लगा कर बलाए तब तक बहत दर हो गई थी हमला करन वाल हरहर काका को

अपनी पीठ पर डाल कर कह गायब हो गए थव हरहर काका को दव-थान ल गए

थ एक ओर तो दव-थान क अदर जबरदती हरहर काका क अगठ का नशान लन

और पकड़कर समझान का काम चल रहा था तो वह दसर ओर हरहर काका क

तीन भाई सबह होन स पहल ह पलस क जीप को लकर दव-थान पर पहच गए

थ महत और उनक साथय न हरहर काका को कमर म हाथ और पाव बाध कर

रखा था और साथ ह साथ उनक मह म कपड़ा ठसा गया था ताक व आवाज़ न कर

सक परत हरहर काका दरवाज़ तक लढ़कत हए आ गए थ और दरवाज़ पर अपन

पर स धका लगा रह थ ताक बाहर खड़ उनक भाई और पलस उह बचा सक

दरवाज़ा खोल कर हरहर काका को बधन स मत कया गया हरहर काका न

पलस को बताया क व लोग उह उस कमर म इस तरह बाध कर कह गत

दरवाज़ स भाग गए ह और उहन कछ खल और कछ लख हए कागज पर हरहर

काका क अगठ क नशान जबरदती लए ह

यह सब बीत जान क बाद हरहर काका फर स अपन भाइय क परवार क साथ रहन लग

गए थ चौबीस घट पहर दए जान लग थ यहा तक क अगर हरहर काका को कसी

काम क कारण गाव म जाना पड़ता तो हथयार क साथ चार-पाच लोग हमशा ह उनक

साथ रहन लग लखक कहता ह क हरहर काका क साथ जो कछ भी हआ था उसस हरहर

काका एक सीध-साद और भोल कसान क तलना म चालाक और बधमान हो गए थ

उह अब सब कछ समझ म आन लगा था क उनक भाइय का अचानक स उनक त जो

यवहार परवतन हो गया था उनक लए जो आदर-समान और सरा व दान कर रह थ

वह उनका कोई सग भाइय का यार नह था बिक व सब कछ उनक धन-दौलत क कारण

कर रह ह नह तो व हरहर काका को पछत तक नह जब स हरहर काका दव-थान स

वापस घर आए थ उसी दन स ह हरहर काका क भाई और उनक दसर नात-रतदार

सभी यह सोच रह थ क हरहर काका को क़ाननी तरक स उनक जायदाद को उनक

भतीज क नाम कर दना चाहए यक जब तक हरहर काका ऐसा नह करग तब तक

महत क तज़ नज़र उन पर टक रहगी जब हरहर काका क भाई हरहर काका को

समझात-समझात थक गए तो उहन हरहर काका को डाटना और उन पर दवाब डालना

श कर दया एक रात हरहर काका क भाइय न भी उसी तरह का यवहार करना श

कर दया जसा महत और उनक सहयोगय न कया था उह धमकात हए कह रह थ क

ख़शी-ख़शी कागज़ पर जहा-जहा जरत ह वहा-वहा अगठ क नशान लगत जाओ नह तो व

उह मार कर वह घर क अदर ह गाड़ दग और गाव क लोगो को इस बार म कोई सचना

भी नह मलगी हरहर काका क साथ अब उनक भाइय क मारपीट श हो गई जब

हरहर काका अपन भाइय का मकाबला नह कर पा रह थ तो उहन ज़ोर-ज़ोर स

चलाकर अपनी मदद क लए गाव वाल को आवाज लगाना श कर दया तब उनक

भाइय को यान आया क उह हरहर काका का मह पहल ह बद करना चाहए था उहन

उसी पल हरहर काका को जमीन पर पटका और उनक मह म कपड़ा ठस दया लकन तब

तक बहत दर हो गई थी हरहर काका क आवाज बाहर गाव म पहच गई थी हरहर काका

क परवार और रत-नात क लोग जब तक गाव वाल कोसमझात क यह सब उनक

परवार का आपसी मामला ह व सभी इसस दर रह तब तक महत जी बड़ी ह दता और

तज़ी स वहा पलस क जीप क साथ आ गए पलस न पर घर क अछ स तलाशी लना

श कर दया फर घर क अदर स हरहर काका को इतनी बर हालत म हासल कया गया

िजतनी बर हालत उनक दव-थान म भी नह हई थी हरहर काका न बताया क उनक

भाइय न उनक साथ बहत ह यादा बरा यवहार कया ह जबरदती बहत स कागज पर

उनक अगठ क नशान ल लए ह उह बहत यादा मारा-पीटा ह

इस घटना क बाद हरहर काका अपन परवार स एकदम अलग रहन लग थ उह उनक

सरा क लए चार राइफलधार पलस क जवान मल थ आचय क बात तो यह ह क

इसक लए उनक भाइय और महत क ओर स काफ़ यास कए गए थ असल म भाइय

को चता थी क हरहर काका अकल रहन लगग तो दव-थान क महत-पजार फर स

हरहर काका को बहला-फसला कर ल जायग और जमीन दव-थान क नाम करवा लग और

यह चता महत जी को भी थी क हरहर काका को अकला और असरत पा उनक भाई

फर स उह पकड़ कर मारग और जमीन को अपन नाम करवा लग लखक कहता ह क

हरहर काका स जड़ी बहत सी ख़बर गाव म फल रह थी जस-जस दन बड़ रह थ वस-वस

डर का मौहोल बन रहा था सभी लोग सफ यह सोच रह थ क हरहर काका न अमत तो

पया हआ ह नह तो मरना तो उनको एक दन ह ह और जब व मरग तो पर गाव म

तफ़ान आ जाएगा यक महत और हरहर काका क परवार क बीच जमीन को ल कर

लड़ाई हो जायगी

पलस क जवान हरहर काका क खच पर ह खब मौज-मती स रह रह थ िजसका धन

वह रह उपास खान वाल कर वलास अथात हरहर काका क पास धन था लकन उनक लए

अब उसका कोई महव नह था और पलस वाल बना कसी कारण स ह हरहर काका क

धन स मौज कर रह थ अब तक जो नह खाया था दोन वत उसका भोग लगा रह थ

-नोर-

1-कथावाचक और हरहर काका क बीच या सबध ह और इसक या कारण ह

1-कथावाचक जब छोटा था तब स ह हरहर काका उस बहत यार करत थ जब वह बड़ हो

गए तो वह हरहर काका क म बन गए गाव म इतनी गहर दोती और कसी स नह

हई हरहर काका उनस खल कर बात करत थ यह कारण ह क कथावाचक को उनक

एक-एक पल क खबर थी शायद अपना म बनान क लए काका न वय ह उस यार स

बड़ा कया और इतजार कया

2-हरहर काका को महत और भाई एक ह णी क य लगन लग

2-हरहर काका को अपन भाइय और महत म कोई अतर नह लगा दोन एक ह णी क

लग उनक भाइय क पिनय न कछ दन तक तो हरहर काका का यान रखा फर

बचीकची रोटया द नाता नह दत थ बमार म कोई पछन वाला भी न था िजतना भी

उह रखा जा रहा था उनक ज़मीन क लए था इसी तरह महत न एक दन तो बड़ यार

स खातर क फर ज़मीन अपन ठाकर बाड़ी क नाम करन क लए कहन लग काका क

मना करन पर उह अनक यातनाए द अपहरण करवाया मह म कपड़ा ठस कर एक कोठर

म बद कर दया जबरदती अगठ का नशान लया गया तथा उह मारा पीटा गया इस

तरह दोन ह कवल ज़मीन जायदाद क लए हरहर काका स यवहार रखत थ अत उह

दोन एक ह णी क लग

3-ठाकर बाड़ी क त गाव वाल क मन म अपार धा क जो भाव ह उसस उनक कस

मनोव का पता चलता ह

3-कहा जाता ह गाव क लोग भोल होत ह असल म गाव क लोग अधववासी धमभी होत

ह मदर जस थान को पव नकलक ान का तीक मानत ह पजार परोहत महत

जस िजतन भी धम क ठकदार ह उनपर अगाध धा रखत ह व चाह कतन भी

पतत वाथ और नीच ह पर उनका वरोध करत व डरत ह इसी कारण ठाकर बाड़ी क

त गाव वाल क अपार धा थी उनका हर सख-दख उसस जड़ा था

4-अनपढ़ होत हए भी हरहर काका दनया क बहतर समझ रखत ह कहानी क आधार पर

पट किजए

4-हरहर काका अनपढ़ थ फर भी उह दनयादार क बहद समझ थी उनक भाई लोग

उनस ज़बरदती ज़मीन अपन नाम करान क लए डरात थ तो उह गाव म दखावा करक

ज़मीन हथयान वालो क याद आती ह काका न उह दखी होत दखा ह इसलए उहन

ठान लया था चाह महत उकसाए चाह भाई दखावा कर वह ज़मीन कसी को भी नह दग

एक बार महत क उकसान पर भाइय क त धोखा नह करना चाहत थ परत जब भाइय

न भी धोखा दया तो उह समझ म आ गया उनक त उह कोई यार नह ह जो यार

दखात ह वह कवल ज़ायदाद क लए ह

5-हरहर काका को जबरन उठा ल जान वाल कौन थ उहन उनक साथ कसा यवहार

कया

5-महत न हरहर काका को बहत लोभन दए िजसस वह अपनी ज़मीन जायदाद ठाकर

बाड़ी क नाम कर द परत काका इस बात क लए तयार नह थ व सोच रह थ क या

भगवान क लए अपन भाइय स धोखा क यह उह सह भी नह लग रहा था महत को

यह बात पता लगी तो उसन छल और बल स रात क समय अकल दालान म सोत हए

हरहर काका को उठवा लया महत न अपन चल साधसतो क साथ मलकर उनक हाथ पर

बाध दए मह म कपड़ा ठस दया और जबरदती अगठ क नशान लए उह एक कमर म

बद कर दया जब पलस आई तो वय गत दरवाज़ स भाग गए

6-हरहर काका क मामल म गाव वाल क या राय थी और उसक या कारण थ

6-कहानी क आधार पर गाव क लोग को बना बताए पता चल गया क हरहर काका को

उनक भाई नह पछत इसलए सख आराम का लोभन दकर महत उह अपन साथ ल

गया भाई मनत करक काका को वापस ल आत ह इस तरह गाव क लोग दो प म

बट गए कछ लोग महत क तरफ़ थ जो चाहत थ क काका अपनी ज़मीन धम क नाम पर

ठाकर बाड़ी को द द ताक उह सख आराम मल मय क बाद मो यश मल महत ानी

ह वह सब कछ जानता ह लकन दसर प क लोग कहत क ज़मीन परवार वालो को द

जाए उनका कहना था इसस उनक परवार का पट भरगा मदर को ज़मीन दना अयाय

होगा इस तरह दोन प अपन-अपन हसाब स सोच रह थ परत हरहर काका क बार म

कोई नह सोच रहा था इन बात का एक कारण यह भी था क काका वधर थ और उनक

कोई सतान भी नह थी पह बीघ ज़मीन क लए इनका लालच वाभवक था

7-कहानी क आधार पर पट किजए क लखक न यह य कहा अान क िथत म ह

मनय मय स डरत ह ान होन क बाद तो आदमी आवयकता पड़न पर मय को वरण

करन क लए तयार हो जाता ह

7-जब काका को असलयत पता चल और उह समझ म आ गया क सब लोग उनक

ज़मीन जायदाद क पीछ ह तो उह व सभी लोग याद आ गए िजहन परवार वालो क मोह

माया म आकर अपनी ज़मीन उनक नाम कर द और मय तक तलतल करक मरत

रह दान-दान को मोहताज़ हो गए इसलए उहन सोचा क इस तरह रहन स तो एक बार

मरना अछा ह जीत जी ज़मीन कसी को भी नह दग य लोग मझ एक बार म ह मार

द अत लखक न कहा क अान क िथत म मनय मय स डरता ह परत ान होन

पर मय वरण को तयार रहता ह

8-समाज म रत क या अहमयत ह इस वषय पर अपन वचार कट किजए

8-आज समाज म मानवीय मय तथा पारवारक मय धीर-धीर समात होत जा रह ह

यादातर यित अपन वाथ क लए रत नभात ह अपनी आवयकताओ क हसाब स

मलत ह अमीर रतदार का समान करत ह उनस मलन को आतर रहत ह जबक गरब

रतदार स कतरात ह कवल वाथ सध क अहमयत रह गई ह आए दन हम

अखबार म समाचार पढ़त ह क ज़मीन जाय़दाद पस जवर क लए लोग घनौन स घनौना

काय कर जात ह (हया अपहरण आद) इसी कार इस कहानी म भी पलस न पहचती तो

परवार वाल महत जी (काका क) हया ह कर दत उह यह अफसोस रहा क व काका को

मार नह पाए

9-यद आपक आसपास हरहर काका जसी हालत म कोई हो तो आप उसक कस कार

मदद करग

9-यद हमार आसपास हरहर काका जसी हालत म कोई हो तो हम उसक पर तरह मदद

करन क कोशश करग उनस मलकर उनक दख का कारण पता करग उह अहसास

दलाएग क व अकल नह ह सबस पहल तो यह ववास कराएग क सभी यित लालची

नह होत ह इस तरह मौन रह कर दसर को मौका न द बिक उलास स शष जीवन

बताए रतदार स मलकर उनक सबध सधारन का यन करग

10-हरहर काका क गाव म यद मीडया क पहच होती तो उनक या िथत होती अपन

शद म लखए

10-यद काका क गाव म मीडया पहच जाती तो सबक पोल खल जाती महत व भाइय का

पदाफाश हो जाता अपहरण और जबरन अगठा लगवान क अपराध म उह जल हो जाती

अपना-अपना मोचा सभालना - अपनी िजमदार नबाहना

आसमान स जमीन पर गरना -उच िथत स नन िथत पर आना

खल कर बात करना- बना सकच क बात करना |

चपत हो जाना ndash भाग जाना |

जी-जान स जट जाना ndash खब महनत करना

िजतन मह उतनी बात होना- कई तरह क बात करना |

ततर-बतर होना ndash बखर जाना |

त-त म -म होना -झगड़ा होना |

नमक-मच लगाना- बढ़ा-चढ़कर कहना|

बात बनाना- बहान बनाना|

रग चढ़ना- असर होना|

मह न खोलना ndash कछ न बताना |

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पय-भाग

पाठ-4

मनयता ndashमथलशरण गत

-लखक का परचय-

-पाठ का सार व पिटकरण-

कत क अय ाणय क तलना म मनय म सोचन क शित अधक होती ह

वह अपन ह नह दसर क सख - दःख का भी याल रखता ह और दसर क लए

कछ करन म समथ होता ह जानवर जब चरागाह म जात ह तो कवल अपन लए

चर कर आत ह परत मनय ऐसा नह ह वह जो कछ भी कमाता ह जो कछ भी

बनाता ह वह दसर क लए भी करता ह और दसर क सहायता स भी करता ह

तत पाठ का कव अपन क सख - दःख क चता करन वाल को मनय तो

मानता ह परत यह मानन को तयार नह ह क उन मनय म मनयता क सार

गण होत ह कव कवल उन मनय को महान मानता ह जो अपन क सख - दःख

स पहल दसर क चता करत ह वह मनय म ऐस गण चाहता ह िजसक कारण

कोई भी मनय इस मयलोक स चल जान क बाद भी सदय तक दसर क याद म

रहता ह अथात वह मय क बाद भी अमर रहता ह

-पाठ सार-

इस कवता म कव मनयता का सह अथ समझान का यास कर रहा ह पहल

भाग म कव कहता ह क मय स नह डरना चाहए यक मय तो निचत ह पर

हम ऐसा कछ करना चाहए क लोग हम मय क बाद भी याद रख असल मनय

वह ह जो दसर क लए जीना व मरना सीख ल दसर भाग म कव कहता ह क

हम उदार बनना चाहए यक उदार मनय का हर जगह गण गान होता ह मनय

वह कहलाता ह जो दसर क चता कर तीसर भाग म कव कहता ह क पराण

म उन लोग क बहत उदाहरण ह िजह उनक याग भाव क लए आज भी याद

कया जाता ह सचा मनय वह ह जो याग भाव जान ल चौथ भाग म कव

कहता ह क मनय क मन म दया और कणा का भाव होना चाहए मनय वह

कहलाता ह जो दसर क लए मरता और जीता ह पाचव भाग म कव कहना चाहता

ह क यहा कोई अनाथ नह ह यक हम सब उस एक ईवर क सतान ह हम

भदभाव स ऊपर उठ कर सोचना चाहएछठ भाग म कव कहना चाहता ह क हम

दयाल बनना चाहए यक दयाल और परोपकार मनय का दवता भी वागत करत

ह अतः हम दसर का परोपकार व कयाण करना चाहएसातव भाग म कव कहता

ह क मनय क बाहर कम अलग अलग हो परत हमार वद साी ह क सभी क

आमा एक ह हम सब एक ह ईवर क सतान ह अतः सभी मनय भाई -बध ह

और मनय वह ह जो दःख म दसर मनय क काम आयअतम भाग म कव

कहना चाहता ह क वप और वन को हटात हए मनय को अपन चन हए रात

पर चलना चाहए आपसी समझ को बनाय रखना चाहए और भदभाव को नह

बढ़ाना चाहए ऐसी सोच वाला मनय ह अपना और दसर का कयाण और उधार

कर सकता ह

-याया

1-वचार लो क मय हो न मय स डरो कभी

मरो परत य मरो क याद जो कर सभी

हई न य समय तो वथा मर वथा िजए

मारा नह वह क जो िजया न आपक लए

वह पश- वत ह क आप आप ह चर

वह मनय ह क जो मनय क लए मर

सग - तत कवता हमार पाय पतक पश भाग -2 स ल गई ह इसक

कव मथलशरण गत ह इन पितओ म कव बताना चाहता ह क मनय को

कसा जीवन जीना चाहए

याया - कव कहता ह क हम यह जान लना चाहए क मय का होना निचत

ह हम मय स नह डरना चाहए कव कहता ह क हम कछ ऐसा करना चाहए क

लोग हम मरन क बाद भी याद रख जो मनय दसर क लए कछ भी ना कर सक

उनका जीना और मरना दोन बकार ह मर कर भी वह मनय कभी नह मरता जो

अपन लए नह दसर क लए जीता ह यक अपन लए तो जानवर भी जीत ह

कव क अनसार मनय वह ह जो दसर मनय क लए मर अथात जो मनय दसर

क चता कर वह असल मनय कहलाता ह

2-उसी उदार क कथा सरवती बखानती

उसी उदार स धरा कताथ भाव मानती

उसी उदार क सदा सजीव कत कजती

तथा उसी उदार को समत सिट पजती

अखड आम भाव जो असीम वव म भर

वह मनय ह क जो मनय क लए मर

सग - तत कवता हमार पाय पतक पश भाग -2 स ल गई ह इसक

कव मथलशरण गत ह इन पितओ म कव बताना चाहता ह क जो मनय

दसर क लए जीत ह उनका गणगान यग - यग तक कया जाता ह

याया - कव कहता ह क जो मनय अपन पर जीवन म दसर क चता करता

ह उस महान यित क कथा का गण गान सरवती अथात पतक म कया जाता

ह पर धरती उस महान यित क आभार रहती ह उस यित क बातचीत

हमशा जीवत यित क तरह क जाती ह और पर सिट उसक पजा करती ह

कव कहता ह क जो यित पर ससार को अखड भाव और भाईचार क भावना म

बाधता ह वह यित सह मायन म मनय कहलान योय होता ह

3-धात रतदव न दया करथ थाल भी

तथा दधीच न दया पराथ अिथजाल भी

उशीनर तीश न वमास दान भी कया

सहष वीर कण न शरर-चम भी दया

अनय दह क लए अनाद जीव या डर

वह मनय ह क जो मनय क लए मर

सग - तत कवता हमार पाय पतक पश भाग -2 स ल गई ह इसक

कव मथलशरण गत ह इन पितओ म कव न महान पष क उदाहरण दए ह

िजनक महानता क कारण उह याद कया जाता ह

याया - कव कहता ह क पौराणक कथाए ऐस यितओ क उदाहरण स भर

पड़ी ह िजहन अपना परा जीवन दसर क लए याग दया िजस कारण उह आज

तक याद कया जाता ह भख स परशान रतदव न अपन हाथ क आखर थाल भी

दान कर द थी और महष दधीच न तो अपन पर शरर क हडया व बनान क

लए दान कर द थी उशीनर दश क राजा शब न कबतर क जान बचान क लए

अपना परा मास दान कर दया था वीर कण न अपनी ख़शी स अपन शरर का

कवच दान कर दया था कव कहना चाहता ह क मनय इस नवर शरर क लए

य डरता ह यक मनय वह कहलाता ह जो दसर क लए अपन आप को याग

दता ह

4-सहानभत चाहए महावभत ह यह

वशीकता सदव ह बनी हई वय मह

वधभाव बध का दया-वाह म बहा

वनीत लोकवग या न सामन झका रहा

अहा वह उदार ह परोपकार जो कर

वह मनय ह क जो मनय क लए मर

सग - तत कवता हमार पाय पतक पश भाग -2 स ल गई ह इसक

कव मथलशरण गत ह इन पितओ म कव न महामा बध का उदाहरण दत

हए दया कणा को सबस बड़ा धन बताया ह

याया - कव कहता ह क मनय क मन म दया व कणा का भाव होना चाहए

यह सबस बड़ा धन ह वय ईवर भी ऐस लोग क साथ रहत ह इसका सबस

बड़ा उदाहरण महामा बध ह िजनस लोग का दःख नह दखा गया तो व लोक

कयाण क लए दनया क नयम क वध चल गए इसक लए या परा ससार

उनक सामन नह झकता अथात उनक दया भाव व परोपकार क कारण आज भी

उनको याद कया जाता ह और उनक पजा क जाती ह महान उस को कहा जाता ह

जो परोपकार करता ह वह मनय मनय कहलाता ह जो मनय क लए जीता ह

और मरता ह

5-रहो न भल क कभी मदाघ तछ व म

सनाथ जान आपको करो न गव च म

अनाथ कौन ह यहा लोकनाथ साथ ह

दयाल दन बध क बड़ वशाल हाथ ह

अतीव भायहन ह अधीर भाव जो कर

वह मनय ह क जो मनय क लए मर

सग - तत कवता हमार पाय पतक पश भाग -2 स ल गई ह इसक

कव मथलशरण गत ह इन पितओ म कव कहता ह क सपत पर कभी

घमड नह करना चाहए और कसी को अनाथ नह समझना चाहए यक ईवर

सबक साथ ह

याया - कव कहता ह क भल कर भी कभी सप या यश पर घमड नह करना

चाहए इस बात पर कभी गव नह करना चाहए क हमार साथ हमार अपन का

साथ ह यक कव कहता ह क यहा कौन सा यित अनाथ ह उस ईवर का

साथ सब क साथ ह वह बहत दयावान ह उसका हाथ सबक ऊपर रहता ह कव

कहता ह क वह यित भायहन ह जो इस कार का उतावलापन रखता ह यक

मनय वह यित कहलाता ह जो इन सब चीज स ऊपर उठ कर सोचता ह

6-अनत अतर म अनत दव ह खड़

सम ह वबाह जो बढ़ा रह बड़-बड़

परपरावलब स उठो तथा बढ़ो सभी

अभी अमय-अक म अपक हो चढ़ो सभी

रहो न या क एक स न काम और का सर

वह मनय ह क जो मनय क लए मर

सग - तत कवता हमार पाय पतक पश भाग -2 स ल गई ह इसक

कव मथलशरण गत ह इन पितओ म कव कहता ह क कलक रहत रहन व

दसर का सहारा बनन वाल मवषय का दवता भी वागत करत ह

याया - कव कहता ह क उस कभी न समात होन वाल आकाश म असय

दवता खड़ ह जो परोपकार व दयाल मनय का सामन स खड़ होकर अपनी भजाओ

को फलाकर वागत करत ह इसलए दसर का सहारा बनो और सभी को साथ म

लकर आग बड़ो कव कहता ह क सभी कलक रहत हो कर दवताओ क गोद म

बठो अथात यद कोई बरा काम नह करोग तो दवता तह अपनी गोद म ल लग

अपन मतलब क लए नह जीना चाहए अपना और दसर का कयाण व उधार

करना चाहए यक इस मरणशील ससार म मनय वह ह जो मनय का कयाण

कर व परोपकार कर

7-मनय माा बध ह यह बड़ा ववक ह

पराणपष वयभ पता सध एक ह

फलानसार कम क अवय बाय भद ह

परत अतरय म माणभत वद ह

अनथ ह क बध ह न बध क यथा हर

वह मनय ह क जो मनय क लए मर

सग - तत कवता हमार पाय पतक पश भाग -2 स ल गई ह इसक

कव मथलशरण गत ह इन पितओ म कव कहता ह क हम सब एक ईवर क

सतान ह अतः हम सभी मनय एक - दसर क भाई - बध ह

याया - कव कहता ह क यक मनय एक दसर क भाई - बध ह यह सबस

बड़ी समझ ह पराण म िजस वय उपन पष मना गया ह वह परमामा या

ईवर हम सभी का पता ह अथात सभी मनय उस एक ईवर क सतान ह

बाहर कारण क फल अनसार यक मनय क कम भल ह अलग अलग ह परत

हमार वद इस बात क साी ह क सभी क आमा एक ह कव कहता ह क यद

भाई ह भाई क दःख व कट का नाश नह करगा तो उसका जीना यथ ह यक

मनय वह कहलाता ह जो बर समय म दसर मनय क काम आता ह

8-चलो अभीट माग म सहष खलत हए

वपवन जो पड़ उह ढकलत हए

घट न हलमल हा बढ़ न भनता कभी

अतक एक पथ क सतक पथ ह सभी

तभी समथ भाव ह क तारता हआ तर

वह मनय ह क जो मनय क लए मर

सग - तत कवता हमार पाय पतक पश भाग -2 स ल गई ह इसक

कव मथलशरण गत ह इन पितओ म कव कहता ह क यद हम ख़शी ससार

कट को हटत हए भदभाव रहत रहग तभी सभव ह क समाज क उनत होगी

याया - कव कहता ह क मनय को अपनी इछा स चन हए माग म ख़शी

ख़शी चलना चाहएरात म कोई भी सकट या बाधाए आय उह हटात चल जाना

चाहए मनय को यह यान रखना चाहए क आपसी समझ न बगड़ और भद

भाव न बड़ बना कसी तक वतक क सभी को एक साथ ल कर आग बढ़ना चाहए

तभी यह सभव होगा क मनय दसर क उनत और कयाण क साथ अपनी

समध भी कायम कर

-ननलखत न क उर दिजय ndash

1-कव न कसी मय को समय कहा ह

1-कव न ऐसी मय को समय कहा ह िजसम मनय अपन स पहल दसर क चता

करता ह और परोपकार क राह को चनता ह िजसस उस मरन क बाद भी याद कया

जाता ह

2-उदार यित क पहचान कस हो सकती ह

2- उदार यित परोपकार होता ह वह अपन स पहल दसर क चता करता ह और

लोक कयाण क लए अपना जीवन याग दता ह

3-कव न दधीच कण आद महान यितओ क उदाहरण द कर मनयता क लए

या उदाहरण दया ह

3- कव न दधीच कण आद महान यितओ क उदाहरण द कर मनयता क

लए यह सदश दया ह क परोपकार करन वाला ह असल मनय कहलान योय

होता ह मानवता क रा क लए दधीच न अपन शरर क सार अिथया दान कर

द थीकण न अपनी जान क परवाह कय बना अपना कवच द दया था िजस

कारण उह आज तक याद कया जाता ह कव इन उदाहरण क वारा यह

समझाना चाहता ह क परोपकार ह सची मनयता ह

4- कव न कन पितय म यह यत कया ह क हम गव - रहत जीवन यतीत

करना चाहए

4- कव न ननलखत पितय म गव रहत जीवन यतीत करन क बात कह ह-

रहो न भल क कभी मगाघ तछ व म

सनाथ जान आपको करो न गव च म

अथात सपत क घमड म कभी नह रहना चाहए और न ह इस बात पर गव

करना चाहए क आपक पास आपक अपन का साथ ह यक इस दनया म कोई

भी अनाथ नह ह सब उस परम पता परमवर क सतान ह

5- मनय मा बध ह स आप या समझत ह पट किजए

5- मनय मा बध ह अथात हम सब मनय एक ईवर क सतान ह अतः हम

सब भाई - बध ह भाई -बध होन क नात हम भाईचार क साथ रहना चाहए और

एक दसर का बर समय म साथ दना चाहए

6- कव न सबको एक होकर चलन क रणा य द ह

6- कव न सबको एक होकर चलन क रणा इसलए द ह ताक आपसी समझ न

बगड़ और न ह भदभाव बड़ सब एक साथ एक होकर चलग तो सार बाधाए मट

जाएगी और सबका कयाण और समध होगी

7- यित को कस तरह का जीवन यतीत करना चाहए इस कवता क आधार पर

लखए

7-मनय को परोपकार का जीवन जीना चाहए अपन स पहल दसर क दख क

चता करनी चाहए कवल अपन बार म तो जानवर भी सोचत ह कव क अनसार

मनय वह कहलाता ह जो अपन स पहल दसर क चता कर

8- मनयता कवता क वारा कव या सदश दना चाहता ह

8- मनयता कवता क मायम स कव यह सदश दना चाहता ह क परोपकार ह

सची मनयता ह परोपकार ह एक ऐसा साधन ह िजसक मायम स हम यग तक

लोगो क दल म अपनी जगह बना सकत ह और परोपकार क वारा ह समाज का

कयाण व समध सभव ह अतः हम परोपकार बनना चाहए ताक हम सह

मायन म मनय कहलाय

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-याकरण-

पदबध- परभाषा

पद- वाय स अलग रहन पर शद और वाय म यत हो जान पर शद

पद कहलात ह दसर शद म- वाय म यत शद पद कहलाता ह पदबध-

जब दो या अधक (शद) पद नयत म और निचत अथ म कसी पद का

काय करत ह तो उह पदबध कहत ह

पदबध क भद

मय पद क आधार पर पदबध क पाच कार होत ह-

(1) सा-पदबध (2) वशषण-पदबध

(3) सवनाम पदबध (4) या पदबध

(5) अयय पदबध

(1) सा-पदबध-

(a)चार ताकतवर मजदर इस भार चीज को उठा पाए

(b) राम न लका क राजा रावण को मार गराया

(c) अयोया क राजा दशरथ क चार प थ

(d) आसमान म उड़ता गबारा फट गया

2) वशषण पदबध-

a) तज चलन वाल गाड़या ायः दर स पहचती ह

(b) उस घर क कोन म बठा हआ आदमी जासस ह

(c) उसका घोड़ा अयत सदर फरतीला और आाकार ह

(d) बरगद और पीपल क घनी छाव स हम बहत सख मला

3) सवनाम पदबध-

(a)बजल-सी फरती दखाकर आपन बालक को डबन स बचा लया

(b)शरारत करन वाल छा म स कछ पकड़ गए

(c)वरोध करन वाल लोग म स कोई नह बोला

4) या पदबध-

(a) वह बाजार क ओर आया होगा

(b) मझ मोहन छत स दखाई द रहा ह

(c) सरश नद म डब गया

(d) अब दरवाजा खोला जा सकता ह

5) अयय पदबध-

(a)अपन सामान क साथ वह चला गया

(b)सबह स शाम तक वह बठा रहा

कसी भी भाषा क व शद अयय (Indeclinable या inflexible) कहलात ह िजनक प म

लग वचन पष कारक काल इयाद क कारण कोई वकार उप नह होता

चक अयय का पातर नह होता इसलए ऐस शद अवकार होत ह अयय का शािदक

अथ ह- जो यय न हो

(i) कालवाचक अयय- इनम समय का बोध होता ह जस- आज कल तरत पीछ पहल अब

जब तब कभी-कभी कब अब स नय जब स सदा स अभी तभी आजकल और कभी

उदाहरणाथ-

अब स ऐसी बात नह होगी

ऐसी बात सदा स होती रह ह

वह कब आया मझ पता नह

(ii) थानवाचक अयय- इसस थान का बोध होता ह जस- यहा वहा कहा जहा यहा स

वहा स इधर-उधर उदाहरणाथ-

वह यहा नह ह

वह कहा जायगा

वहा कोई नह ह

जहा तम हो वहा म ह

(iii) दशावाचक अयय- इसस दशा का बोध होता ह जस- इधर उधर िजधर दर पर अलग

दाहन बाए आरपार

(iv) िथतवाचक अयय- नीच ऊपर तल सामन बाहर भीतर इयाद

अयय क भद

अयय ननलखत चार कार क होत ह -

(1) यावशषण (Adverb)

(2) सबधबोधक (Preposition)

(3) समचयबोधक (Conjunction)

(4) वमयादबोधक (Interjection)

(1) यावशषण - िजन शद स या वशषण या दसर यावशषण क वशषता कट

हो उह यावशषण कहत ह

दसर शदो म- जो शद या क वशषता बतलात ह उह या वशषण कहा जाता ह

जस- राम धीर-धीर टहलता ह राम वहा टहलता ह राम अभी टहलता ह

इन वाय म धीर-धीर वहा और अभी राम क टहलन (या) क वशषता बतलात ह य

यावशषण अवकार वशषण भी कहलात ह इसक अतरत यावशषण दसर

यावशषण क भी वशषता बताता ह

वह बहत धीर चलता ह इस वाय म बहत यावशषण ह यक यह दसर यावशषण

धीर क वशषता बतलाता ह

या वशषण क कार

(1) योग क अनसार- (i) साधारण (ii) सयोजक (iii) अनबध

(2) प क अनसार- (i) मल यावशषण (ii) यौगक यावशषण (iii) थानीय यावशषण

(3) अथ क अनसार- (i) परमाणवाचक (ii) रतवाचक

(1) योग क अनसार यावशषण क भद

योग क अनसार यावशषण क तीन भद ह-

(i) साधारण यावशषण- िजन यावशषण का योग कसी वाय म वत होता ह

उह साधारण यावशषण कहा जाता ह

जस- हाय अब म या क बटा जद आओ अर साप कहा गया

(ii) सयोजक यावशषण- िजन यावशषण का सबध कसी उपवाय स रहता ह उह

सयोजक यावशषण कहा जाता ह

जस- जब रोहताव ह नह तो म ह जीकर या कगी जहा अभी सम ह वहा कसी

समय जगल था

(iii) अनबध यावशषण- िजन यावशषण क योग अवधारण (नचय) क लए कसी

भी शदभद क साथ होता हो उह अनबध यावशषण कहा जाता ह

जस- यह तो कसी न धोखा ह दया ह मन उस दखा तक नह

(2) प क अनसार यावशषण क भद

प क अनसार यावशषण क तीन भद ह-

(i) मल यावशषण- ऐस यावशषण जो कसी दसर शद क मल स नह बनत मल

यावशषण कहलात ह

जस- ठक दर अचानक फर नह

(ii) यौगक यावशषण- ऐस यावशषण जो कसी दसर शद म यय या पद जोड़न

पर बनत ह यौगक यावशषण कहलात ह

जस- मन स िजसस चपक स भल स दखत हए यहा तक झट स वहा पर यौगक

यावशषण सा सवनाम वशषण धात और अयय क मल स बनत ह

यौगक यावशषण नीच लख शद क मल स बनत ह-

(i) साओ क वित स- घर-घर घड़ी-घड़ी बीच-बीच हाथ-हाथ

(ii) दो भ साओ क मल स- दन-रात साझ-सबर घर-बाहर दश-वदश

(iii) वशषण क वित स- एक-एक ठक-ठक साफ-साफ

(iv) यावशषण क वित स- धीर-धीर जहा-तहा कब-कब कहा-कहा

(v) दो यावशषण क मल स- जहा-तहा जहा-कह जब-तब जब-कभी कल-परस आस-पास

(vi) दो भ या समान यावशषण क बीच न लगान स- कभी-न-कभी कछ-न-कछ

(vii) अनकरण वाचक शद क वित स- पटपट तड़तड़ सटासट धड़ाधड़

(viii) सा और वशषण क योग स- एक साथ एक बार दो बार

(ix) अय य और दसर शद क मल स- तदन यथाम अनजान आजम

(x) पवकालक कदत और वशषण क मल स- वशषकर बहतकर मयकर एक-एककर

(iii) थानीय यावशषण- ऐस यावशषण जो बना पातर क कसी वशष थान म

आत ह थानीय यावशषण कहलात ह

जस- वह अपना सर पढ़गा

वह दौड़कर चलत ह

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  • (1) अरथ की दषटि स शबद-भद13
  • (2) परयोग की दषटि स शबद-भद13
  • (3) उतपति की दषटि स शबद-भद13
  • 1) सवर सधि-13
  • परति+छवि=परतिचछवि दिक+अनत=दिगनत दिक+गज=दिगगज अन+छद=अनचछद अच +अनत = अजनत 13
  • 3)विसरग सधि - विसरग क साथ सवर या वयजन का मल होन पर जो विकार होता ह उस 13
  • विसरग सधि कहत ह 13
  • मन+रथ=मनोरथ यश+अभिलाषा=यशोभिलाषा अध+गति=अधोगति नि+छल=निशछल द +गम = दरगम 13
    • -पाठ सार-13
    • -वयाखया13
    • -निमनलिखित परशनो क उततर दीजिय ndash13
    • 1-कवि न कसी मतय को समतय कहा ह13
    • अवयय क भद13
    • करिया विशषण क परकार13
Page 23: Class –X HINDI JUNE SYLLABUS 2020 Chapters:- Ch-1-Sanchayan …punainternationalschool.com/assets/upload/ck-images/Std-10th=Jun… · -harihar kaka . पय-भाग पाठ-3

सचयन-भाग

पाठ-1 (हरहर काका )

-शदाथ -

तबयत - शरर क िथत यणा - यातना कलश कट

मनःिथत - मन क िथत चद - कछ

आसित ndash लगाव यावहारक - यावहार सबधी

वचारक - वचार सबधी दलार - यार

सयाना - यक बधमान तीा - इतज़ार

फ़लहाल - अभी इस समय मझधार - बीच म

वलन - लत हो जाना वकप - दसरा उपाय

चलत ndash चलनसार जात - जगाना

कलवर - शरर मनौती - मनत

परपरा - था णाल अधकाश - यादातर

समत ndash सथा सचालन - नयण चलाना

नयित - तनाती लगाया गया वमख - तकल

चपट - आघात हार अहाता-चार ओर स दवार स घरा हआ मदान

अखड ndash नवन वफोट - फट कर बाहर नकलना

आगमन - आन पर उपलय - सकत

सराहना ndash शसा निचत - बफ

-लखक का परचय-मथलवर का जम 31 दसबर 1950 को बहार क

भोजपर िजल क बसाडीह नामक गाव म हआ इनक पता व० ो० वशरोपन लाल थ

मथलवर क पता (ो० वशरोपन लाल) भी वलण तभा क धनी थ परत उनक

असाय बीमार न मथलवर क जीवन म आरभ स ह कठन सघष क बीज बो दय थ

पाठ सार-

लखक कहता ह क वह हरहर काका क साथ बहत गहर स जड़ा था लखक का हरहर

काका क त जो यार था वह लखक का उनक यावहार क और उनक वचार क कारण

था और उसक दो कारण थ पहला कारण था क हरहर काका लखक क पड़ोसी थ और

दसरा कारण लखक को उनक मा न बताया था क हरहर काका लखक को बचपन स ह

बहत यादा यार करत थ जब लखक यक हआ तो उसक पहल दोती भी हरहर काका

क साथ ह हई थी लखक क गाव क पव दशा म ठाकर जी का वशाल मदर था िजस

गाव क लोग ठाकरबार यान दवथान कहत थ लोग ठाकर जी स प क मनत मागत

मक़दम म जीत लड़क क शाद कसी अछ घर म हो जाए लड़क को नौकर मल जाए

आद मनत मागत थ मनत पर होन पर लोग अपनी ख़शी स ठाकरजी को पए ज़वर

और अनाज चढ़ाया करत थ िजसको बहत अधक ख़शी होती थी वह अपन खत का छोटा-

सा भाग ठाकरजी क नाम कर दता था और यह एक तरह स था ह बन गई लखक कहता

ह क उसका गाव अब गाव क नाम स नह बिक दव-थान क वजह स ह पहचाना जाता

था उसक गाव का यह दव-थान उस इलाक का सबस बड़ा और सध दवथान था

हरहर काका न अपनी परिथतओ क कारण दव-थान म जाना बद कर दया था मन

बहलान क लए लखक भी कभी-कभी दव-थान चला जाता था लकन लखक कहता ह क

वहा क साध-सत उस बलकल भी पसद नह थ यक व काम करन म कोई दलचपी

नह रखत थ भगवान को भोग लगान क नाम पर व दन क दोन समय हलवा-पड़ी

बनवात थ और आराम स पड़ रहत थ सारा काम वहा आए लोग स सवा करन क नाम पर

करवात थ व खद अगर कोई काम करत थ तो वो था बात बनवान का काम

लखक हरहर काका क बार म बताता हआ कहता ह क हरहर काका और उनक तीन भाई

ह सबक शाद हो चक ह हरहर काका क अतरत सभी तीन भाइय क बाल-बच ह

कछ समय तक तो हरहर काका क सभी चीज़ का अछ स यान रखा गया परत फर

कछ दन बाद हरहर काका को कोई पछन वाला नह था लखक कहता ह क अगर कभी

हरहर काका क शरर क िथत ठक नह होती तो हरहर काका पर मसीबत का पहाड़ ह

गर जाता यक इतन बड़ परवार क रहत हए भी हरहर काका को कोई पानी भी नह

पछता था बारामद क कमर म पड़ हए हरहर काका को अगर कसी चीज़ क जरत होती

तो उह खद ह उठना पड़ता एक दन उनका भतीजा शहर स अपन एक दोत को घर ल

आया उह क आन क ख़शी म दो-तीन तरह क सिज़या बजक चटनी रायता और भी

बहत कछ बना था सब लोग न खाना खा लया और हरहर काका को कोई पछन तक नह

आया हरहर काका गस म बरामद क ओर चल पड़ और जोर-जोर स बोल रह थ क

उनक भाई क पिनया या यह सोचती ह क व उह मत म खाना खला रह ह उनक

खत म उगन वाला अनाज भी इसी घर म आता ह

हरहर काका क गस का महत जी न लाभ उठान क सोची महत जी हरहर काका को

अपन साथ दव-थान ल आए और हरहर काका को समझान लग क उनक भाई का परवार

कवल उनक जमीन क कारण उनस जड़ा हआ ह कसी दन अगर हरहर काका यह कह द

क व अपन खत कसी और क नाम लख रह ह तो व लोग तो उनस बात करना भी बद

कर दग खन क रत ख़म हो जायग महत हरहर काका स कहता ह क उनक हस म

िजतन खत ह व उनको भगवान क नाम लख द ऐसा करन स उह सीध वग क ाित

होगी

सबह होत ह हरहर काका क तीन भाई दव-थान पहच गए तीन हरहर काका क पाव म

गर कर रोन लग और अपनी पिनय क गलती क माफ़ मागन लग और कहन लग क

व अपनी पिनय को उनक साथ कए गए इस तरह क यवहार क सज़ा दग हरहर काका

क मन म दया का भाव जाग गया और व फर स घर वापस लौट कर आ गए जब अपन

भाइय क समझान क बाद हरहर काका घर वापस आए तो घर म और घर वाल क

यवहार म आए बदलाव को दख कर बहत खश हो गए घर क सभी छोट-बड़ सभी लोग

हरहर काका का आदर-सकार करन लग

गाव क लोग जब भी कह बठत तो बात का ऐसा सलसला चलता िजसका कोई अत नह

था हर जगह बस उह क बात होती थी कछ लोग कहत क हरहर काका को अपनी

जमीन भगवान क नाम लख दनी चाहए इसस उम और अछा कछ नह हो सकता

इसस हरहर काका को कभी न ख़म होन वाल सध ात होगी इसक वपरत कछ

लोग क यह मानत थ क भाई का परवार भी तो अपना ह परवार होता ह अपनी

जायदाद उह न दना उनक साथ अयाय करना होगा हरहर काका क भाई उनस ाथना

करन लग क व अपन हस क जमीन को उनक नाम लखवा द इस वषय पर हरहर

काका न बहत सोचा और अत म इस परणाम पर पहच क अपन जीत-जी अपनी जायदाद

का वामी कसी और को बनाना ठक नह होगा फर चाह वह अपना भाई हो या मदर का

महत यक उह अपन गाव और इलाक क व कछ लोग याद आए िजहन अपनी िजदगी

म ह अपनी जायदाद को अपन रतदार या कसी और क नाम लखवा दया था उनका

जीवन बाद म कसी क क तरह हो गया था उह कोई पछन वाला भी नह था हरहर

काका बलकल भी पढ़-लख नह थ परत उह अपन जीवन म एकदम हए बदलाव को

समझन म कोई गलती नह हई और उहन फसला कर लया क व जीत-जी कसी को भी

अपनी जमीन नह लखग

लखक कहता ह क जस-जस समय बीत रहा था महत जी क परशानया बढ़ती जा

रह थी उह लग रहा था क उहन हरहर काका को फसान क लए जो जाल फ का

था हरहर काका उसस बाहर नकल गए ह यह बात महत जी को सहन नह हो रह

थी आधी रात क आस-पास दव-थान क साध-सत और उनक कछ साथी भाला

गड़ासा और बदक क साथ अचानक ह हरहर काका क आगन म आ गए इसस

पहल हरहर काका क भाई कछ सोच और कसी को अपनी सहायता क लए आवाज

लगा कर बलाए तब तक बहत दर हो गई थी हमला करन वाल हरहर काका को

अपनी पीठ पर डाल कर कह गायब हो गए थव हरहर काका को दव-थान ल गए

थ एक ओर तो दव-थान क अदर जबरदती हरहर काका क अगठ का नशान लन

और पकड़कर समझान का काम चल रहा था तो वह दसर ओर हरहर काका क

तीन भाई सबह होन स पहल ह पलस क जीप को लकर दव-थान पर पहच गए

थ महत और उनक साथय न हरहर काका को कमर म हाथ और पाव बाध कर

रखा था और साथ ह साथ उनक मह म कपड़ा ठसा गया था ताक व आवाज़ न कर

सक परत हरहर काका दरवाज़ तक लढ़कत हए आ गए थ और दरवाज़ पर अपन

पर स धका लगा रह थ ताक बाहर खड़ उनक भाई और पलस उह बचा सक

दरवाज़ा खोल कर हरहर काका को बधन स मत कया गया हरहर काका न

पलस को बताया क व लोग उह उस कमर म इस तरह बाध कर कह गत

दरवाज़ स भाग गए ह और उहन कछ खल और कछ लख हए कागज पर हरहर

काका क अगठ क नशान जबरदती लए ह

यह सब बीत जान क बाद हरहर काका फर स अपन भाइय क परवार क साथ रहन लग

गए थ चौबीस घट पहर दए जान लग थ यहा तक क अगर हरहर काका को कसी

काम क कारण गाव म जाना पड़ता तो हथयार क साथ चार-पाच लोग हमशा ह उनक

साथ रहन लग लखक कहता ह क हरहर काका क साथ जो कछ भी हआ था उसस हरहर

काका एक सीध-साद और भोल कसान क तलना म चालाक और बधमान हो गए थ

उह अब सब कछ समझ म आन लगा था क उनक भाइय का अचानक स उनक त जो

यवहार परवतन हो गया था उनक लए जो आदर-समान और सरा व दान कर रह थ

वह उनका कोई सग भाइय का यार नह था बिक व सब कछ उनक धन-दौलत क कारण

कर रह ह नह तो व हरहर काका को पछत तक नह जब स हरहर काका दव-थान स

वापस घर आए थ उसी दन स ह हरहर काका क भाई और उनक दसर नात-रतदार

सभी यह सोच रह थ क हरहर काका को क़ाननी तरक स उनक जायदाद को उनक

भतीज क नाम कर दना चाहए यक जब तक हरहर काका ऐसा नह करग तब तक

महत क तज़ नज़र उन पर टक रहगी जब हरहर काका क भाई हरहर काका को

समझात-समझात थक गए तो उहन हरहर काका को डाटना और उन पर दवाब डालना

श कर दया एक रात हरहर काका क भाइय न भी उसी तरह का यवहार करना श

कर दया जसा महत और उनक सहयोगय न कया था उह धमकात हए कह रह थ क

ख़शी-ख़शी कागज़ पर जहा-जहा जरत ह वहा-वहा अगठ क नशान लगत जाओ नह तो व

उह मार कर वह घर क अदर ह गाड़ दग और गाव क लोगो को इस बार म कोई सचना

भी नह मलगी हरहर काका क साथ अब उनक भाइय क मारपीट श हो गई जब

हरहर काका अपन भाइय का मकाबला नह कर पा रह थ तो उहन ज़ोर-ज़ोर स

चलाकर अपनी मदद क लए गाव वाल को आवाज लगाना श कर दया तब उनक

भाइय को यान आया क उह हरहर काका का मह पहल ह बद करना चाहए था उहन

उसी पल हरहर काका को जमीन पर पटका और उनक मह म कपड़ा ठस दया लकन तब

तक बहत दर हो गई थी हरहर काका क आवाज बाहर गाव म पहच गई थी हरहर काका

क परवार और रत-नात क लोग जब तक गाव वाल कोसमझात क यह सब उनक

परवार का आपसी मामला ह व सभी इसस दर रह तब तक महत जी बड़ी ह दता और

तज़ी स वहा पलस क जीप क साथ आ गए पलस न पर घर क अछ स तलाशी लना

श कर दया फर घर क अदर स हरहर काका को इतनी बर हालत म हासल कया गया

िजतनी बर हालत उनक दव-थान म भी नह हई थी हरहर काका न बताया क उनक

भाइय न उनक साथ बहत ह यादा बरा यवहार कया ह जबरदती बहत स कागज पर

उनक अगठ क नशान ल लए ह उह बहत यादा मारा-पीटा ह

इस घटना क बाद हरहर काका अपन परवार स एकदम अलग रहन लग थ उह उनक

सरा क लए चार राइफलधार पलस क जवान मल थ आचय क बात तो यह ह क

इसक लए उनक भाइय और महत क ओर स काफ़ यास कए गए थ असल म भाइय

को चता थी क हरहर काका अकल रहन लगग तो दव-थान क महत-पजार फर स

हरहर काका को बहला-फसला कर ल जायग और जमीन दव-थान क नाम करवा लग और

यह चता महत जी को भी थी क हरहर काका को अकला और असरत पा उनक भाई

फर स उह पकड़ कर मारग और जमीन को अपन नाम करवा लग लखक कहता ह क

हरहर काका स जड़ी बहत सी ख़बर गाव म फल रह थी जस-जस दन बड़ रह थ वस-वस

डर का मौहोल बन रहा था सभी लोग सफ यह सोच रह थ क हरहर काका न अमत तो

पया हआ ह नह तो मरना तो उनको एक दन ह ह और जब व मरग तो पर गाव म

तफ़ान आ जाएगा यक महत और हरहर काका क परवार क बीच जमीन को ल कर

लड़ाई हो जायगी

पलस क जवान हरहर काका क खच पर ह खब मौज-मती स रह रह थ िजसका धन

वह रह उपास खान वाल कर वलास अथात हरहर काका क पास धन था लकन उनक लए

अब उसका कोई महव नह था और पलस वाल बना कसी कारण स ह हरहर काका क

धन स मौज कर रह थ अब तक जो नह खाया था दोन वत उसका भोग लगा रह थ

-नोर-

1-कथावाचक और हरहर काका क बीच या सबध ह और इसक या कारण ह

1-कथावाचक जब छोटा था तब स ह हरहर काका उस बहत यार करत थ जब वह बड़ हो

गए तो वह हरहर काका क म बन गए गाव म इतनी गहर दोती और कसी स नह

हई हरहर काका उनस खल कर बात करत थ यह कारण ह क कथावाचक को उनक

एक-एक पल क खबर थी शायद अपना म बनान क लए काका न वय ह उस यार स

बड़ा कया और इतजार कया

2-हरहर काका को महत और भाई एक ह णी क य लगन लग

2-हरहर काका को अपन भाइय और महत म कोई अतर नह लगा दोन एक ह णी क

लग उनक भाइय क पिनय न कछ दन तक तो हरहर काका का यान रखा फर

बचीकची रोटया द नाता नह दत थ बमार म कोई पछन वाला भी न था िजतना भी

उह रखा जा रहा था उनक ज़मीन क लए था इसी तरह महत न एक दन तो बड़ यार

स खातर क फर ज़मीन अपन ठाकर बाड़ी क नाम करन क लए कहन लग काका क

मना करन पर उह अनक यातनाए द अपहरण करवाया मह म कपड़ा ठस कर एक कोठर

म बद कर दया जबरदती अगठ का नशान लया गया तथा उह मारा पीटा गया इस

तरह दोन ह कवल ज़मीन जायदाद क लए हरहर काका स यवहार रखत थ अत उह

दोन एक ह णी क लग

3-ठाकर बाड़ी क त गाव वाल क मन म अपार धा क जो भाव ह उसस उनक कस

मनोव का पता चलता ह

3-कहा जाता ह गाव क लोग भोल होत ह असल म गाव क लोग अधववासी धमभी होत

ह मदर जस थान को पव नकलक ान का तीक मानत ह पजार परोहत महत

जस िजतन भी धम क ठकदार ह उनपर अगाध धा रखत ह व चाह कतन भी

पतत वाथ और नीच ह पर उनका वरोध करत व डरत ह इसी कारण ठाकर बाड़ी क

त गाव वाल क अपार धा थी उनका हर सख-दख उसस जड़ा था

4-अनपढ़ होत हए भी हरहर काका दनया क बहतर समझ रखत ह कहानी क आधार पर

पट किजए

4-हरहर काका अनपढ़ थ फर भी उह दनयादार क बहद समझ थी उनक भाई लोग

उनस ज़बरदती ज़मीन अपन नाम करान क लए डरात थ तो उह गाव म दखावा करक

ज़मीन हथयान वालो क याद आती ह काका न उह दखी होत दखा ह इसलए उहन

ठान लया था चाह महत उकसाए चाह भाई दखावा कर वह ज़मीन कसी को भी नह दग

एक बार महत क उकसान पर भाइय क त धोखा नह करना चाहत थ परत जब भाइय

न भी धोखा दया तो उह समझ म आ गया उनक त उह कोई यार नह ह जो यार

दखात ह वह कवल ज़ायदाद क लए ह

5-हरहर काका को जबरन उठा ल जान वाल कौन थ उहन उनक साथ कसा यवहार

कया

5-महत न हरहर काका को बहत लोभन दए िजसस वह अपनी ज़मीन जायदाद ठाकर

बाड़ी क नाम कर द परत काका इस बात क लए तयार नह थ व सोच रह थ क या

भगवान क लए अपन भाइय स धोखा क यह उह सह भी नह लग रहा था महत को

यह बात पता लगी तो उसन छल और बल स रात क समय अकल दालान म सोत हए

हरहर काका को उठवा लया महत न अपन चल साधसतो क साथ मलकर उनक हाथ पर

बाध दए मह म कपड़ा ठस दया और जबरदती अगठ क नशान लए उह एक कमर म

बद कर दया जब पलस आई तो वय गत दरवाज़ स भाग गए

6-हरहर काका क मामल म गाव वाल क या राय थी और उसक या कारण थ

6-कहानी क आधार पर गाव क लोग को बना बताए पता चल गया क हरहर काका को

उनक भाई नह पछत इसलए सख आराम का लोभन दकर महत उह अपन साथ ल

गया भाई मनत करक काका को वापस ल आत ह इस तरह गाव क लोग दो प म

बट गए कछ लोग महत क तरफ़ थ जो चाहत थ क काका अपनी ज़मीन धम क नाम पर

ठाकर बाड़ी को द द ताक उह सख आराम मल मय क बाद मो यश मल महत ानी

ह वह सब कछ जानता ह लकन दसर प क लोग कहत क ज़मीन परवार वालो को द

जाए उनका कहना था इसस उनक परवार का पट भरगा मदर को ज़मीन दना अयाय

होगा इस तरह दोन प अपन-अपन हसाब स सोच रह थ परत हरहर काका क बार म

कोई नह सोच रहा था इन बात का एक कारण यह भी था क काका वधर थ और उनक

कोई सतान भी नह थी पह बीघ ज़मीन क लए इनका लालच वाभवक था

7-कहानी क आधार पर पट किजए क लखक न यह य कहा अान क िथत म ह

मनय मय स डरत ह ान होन क बाद तो आदमी आवयकता पड़न पर मय को वरण

करन क लए तयार हो जाता ह

7-जब काका को असलयत पता चल और उह समझ म आ गया क सब लोग उनक

ज़मीन जायदाद क पीछ ह तो उह व सभी लोग याद आ गए िजहन परवार वालो क मोह

माया म आकर अपनी ज़मीन उनक नाम कर द और मय तक तलतल करक मरत

रह दान-दान को मोहताज़ हो गए इसलए उहन सोचा क इस तरह रहन स तो एक बार

मरना अछा ह जीत जी ज़मीन कसी को भी नह दग य लोग मझ एक बार म ह मार

द अत लखक न कहा क अान क िथत म मनय मय स डरता ह परत ान होन

पर मय वरण को तयार रहता ह

8-समाज म रत क या अहमयत ह इस वषय पर अपन वचार कट किजए

8-आज समाज म मानवीय मय तथा पारवारक मय धीर-धीर समात होत जा रह ह

यादातर यित अपन वाथ क लए रत नभात ह अपनी आवयकताओ क हसाब स

मलत ह अमीर रतदार का समान करत ह उनस मलन को आतर रहत ह जबक गरब

रतदार स कतरात ह कवल वाथ सध क अहमयत रह गई ह आए दन हम

अखबार म समाचार पढ़त ह क ज़मीन जाय़दाद पस जवर क लए लोग घनौन स घनौना

काय कर जात ह (हया अपहरण आद) इसी कार इस कहानी म भी पलस न पहचती तो

परवार वाल महत जी (काका क) हया ह कर दत उह यह अफसोस रहा क व काका को

मार नह पाए

9-यद आपक आसपास हरहर काका जसी हालत म कोई हो तो आप उसक कस कार

मदद करग

9-यद हमार आसपास हरहर काका जसी हालत म कोई हो तो हम उसक पर तरह मदद

करन क कोशश करग उनस मलकर उनक दख का कारण पता करग उह अहसास

दलाएग क व अकल नह ह सबस पहल तो यह ववास कराएग क सभी यित लालची

नह होत ह इस तरह मौन रह कर दसर को मौका न द बिक उलास स शष जीवन

बताए रतदार स मलकर उनक सबध सधारन का यन करग

10-हरहर काका क गाव म यद मीडया क पहच होती तो उनक या िथत होती अपन

शद म लखए

10-यद काका क गाव म मीडया पहच जाती तो सबक पोल खल जाती महत व भाइय का

पदाफाश हो जाता अपहरण और जबरन अगठा लगवान क अपराध म उह जल हो जाती

अपना-अपना मोचा सभालना - अपनी िजमदार नबाहना

आसमान स जमीन पर गरना -उच िथत स नन िथत पर आना

खल कर बात करना- बना सकच क बात करना |

चपत हो जाना ndash भाग जाना |

जी-जान स जट जाना ndash खब महनत करना

िजतन मह उतनी बात होना- कई तरह क बात करना |

ततर-बतर होना ndash बखर जाना |

त-त म -म होना -झगड़ा होना |

नमक-मच लगाना- बढ़ा-चढ़कर कहना|

बात बनाना- बहान बनाना|

रग चढ़ना- असर होना|

मह न खोलना ndash कछ न बताना |

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पय-भाग

पाठ-4

मनयता ndashमथलशरण गत

-लखक का परचय-

-पाठ का सार व पिटकरण-

कत क अय ाणय क तलना म मनय म सोचन क शित अधक होती ह

वह अपन ह नह दसर क सख - दःख का भी याल रखता ह और दसर क लए

कछ करन म समथ होता ह जानवर जब चरागाह म जात ह तो कवल अपन लए

चर कर आत ह परत मनय ऐसा नह ह वह जो कछ भी कमाता ह जो कछ भी

बनाता ह वह दसर क लए भी करता ह और दसर क सहायता स भी करता ह

तत पाठ का कव अपन क सख - दःख क चता करन वाल को मनय तो

मानता ह परत यह मानन को तयार नह ह क उन मनय म मनयता क सार

गण होत ह कव कवल उन मनय को महान मानता ह जो अपन क सख - दःख

स पहल दसर क चता करत ह वह मनय म ऐस गण चाहता ह िजसक कारण

कोई भी मनय इस मयलोक स चल जान क बाद भी सदय तक दसर क याद म

रहता ह अथात वह मय क बाद भी अमर रहता ह

-पाठ सार-

इस कवता म कव मनयता का सह अथ समझान का यास कर रहा ह पहल

भाग म कव कहता ह क मय स नह डरना चाहए यक मय तो निचत ह पर

हम ऐसा कछ करना चाहए क लोग हम मय क बाद भी याद रख असल मनय

वह ह जो दसर क लए जीना व मरना सीख ल दसर भाग म कव कहता ह क

हम उदार बनना चाहए यक उदार मनय का हर जगह गण गान होता ह मनय

वह कहलाता ह जो दसर क चता कर तीसर भाग म कव कहता ह क पराण

म उन लोग क बहत उदाहरण ह िजह उनक याग भाव क लए आज भी याद

कया जाता ह सचा मनय वह ह जो याग भाव जान ल चौथ भाग म कव

कहता ह क मनय क मन म दया और कणा का भाव होना चाहए मनय वह

कहलाता ह जो दसर क लए मरता और जीता ह पाचव भाग म कव कहना चाहता

ह क यहा कोई अनाथ नह ह यक हम सब उस एक ईवर क सतान ह हम

भदभाव स ऊपर उठ कर सोचना चाहएछठ भाग म कव कहना चाहता ह क हम

दयाल बनना चाहए यक दयाल और परोपकार मनय का दवता भी वागत करत

ह अतः हम दसर का परोपकार व कयाण करना चाहएसातव भाग म कव कहता

ह क मनय क बाहर कम अलग अलग हो परत हमार वद साी ह क सभी क

आमा एक ह हम सब एक ह ईवर क सतान ह अतः सभी मनय भाई -बध ह

और मनय वह ह जो दःख म दसर मनय क काम आयअतम भाग म कव

कहना चाहता ह क वप और वन को हटात हए मनय को अपन चन हए रात

पर चलना चाहए आपसी समझ को बनाय रखना चाहए और भदभाव को नह

बढ़ाना चाहए ऐसी सोच वाला मनय ह अपना और दसर का कयाण और उधार

कर सकता ह

-याया

1-वचार लो क मय हो न मय स डरो कभी

मरो परत य मरो क याद जो कर सभी

हई न य समय तो वथा मर वथा िजए

मारा नह वह क जो िजया न आपक लए

वह पश- वत ह क आप आप ह चर

वह मनय ह क जो मनय क लए मर

सग - तत कवता हमार पाय पतक पश भाग -2 स ल गई ह इसक

कव मथलशरण गत ह इन पितओ म कव बताना चाहता ह क मनय को

कसा जीवन जीना चाहए

याया - कव कहता ह क हम यह जान लना चाहए क मय का होना निचत

ह हम मय स नह डरना चाहए कव कहता ह क हम कछ ऐसा करना चाहए क

लोग हम मरन क बाद भी याद रख जो मनय दसर क लए कछ भी ना कर सक

उनका जीना और मरना दोन बकार ह मर कर भी वह मनय कभी नह मरता जो

अपन लए नह दसर क लए जीता ह यक अपन लए तो जानवर भी जीत ह

कव क अनसार मनय वह ह जो दसर मनय क लए मर अथात जो मनय दसर

क चता कर वह असल मनय कहलाता ह

2-उसी उदार क कथा सरवती बखानती

उसी उदार स धरा कताथ भाव मानती

उसी उदार क सदा सजीव कत कजती

तथा उसी उदार को समत सिट पजती

अखड आम भाव जो असीम वव म भर

वह मनय ह क जो मनय क लए मर

सग - तत कवता हमार पाय पतक पश भाग -2 स ल गई ह इसक

कव मथलशरण गत ह इन पितओ म कव बताना चाहता ह क जो मनय

दसर क लए जीत ह उनका गणगान यग - यग तक कया जाता ह

याया - कव कहता ह क जो मनय अपन पर जीवन म दसर क चता करता

ह उस महान यित क कथा का गण गान सरवती अथात पतक म कया जाता

ह पर धरती उस महान यित क आभार रहती ह उस यित क बातचीत

हमशा जीवत यित क तरह क जाती ह और पर सिट उसक पजा करती ह

कव कहता ह क जो यित पर ससार को अखड भाव और भाईचार क भावना म

बाधता ह वह यित सह मायन म मनय कहलान योय होता ह

3-धात रतदव न दया करथ थाल भी

तथा दधीच न दया पराथ अिथजाल भी

उशीनर तीश न वमास दान भी कया

सहष वीर कण न शरर-चम भी दया

अनय दह क लए अनाद जीव या डर

वह मनय ह क जो मनय क लए मर

सग - तत कवता हमार पाय पतक पश भाग -2 स ल गई ह इसक

कव मथलशरण गत ह इन पितओ म कव न महान पष क उदाहरण दए ह

िजनक महानता क कारण उह याद कया जाता ह

याया - कव कहता ह क पौराणक कथाए ऐस यितओ क उदाहरण स भर

पड़ी ह िजहन अपना परा जीवन दसर क लए याग दया िजस कारण उह आज

तक याद कया जाता ह भख स परशान रतदव न अपन हाथ क आखर थाल भी

दान कर द थी और महष दधीच न तो अपन पर शरर क हडया व बनान क

लए दान कर द थी उशीनर दश क राजा शब न कबतर क जान बचान क लए

अपना परा मास दान कर दया था वीर कण न अपनी ख़शी स अपन शरर का

कवच दान कर दया था कव कहना चाहता ह क मनय इस नवर शरर क लए

य डरता ह यक मनय वह कहलाता ह जो दसर क लए अपन आप को याग

दता ह

4-सहानभत चाहए महावभत ह यह

वशीकता सदव ह बनी हई वय मह

वधभाव बध का दया-वाह म बहा

वनीत लोकवग या न सामन झका रहा

अहा वह उदार ह परोपकार जो कर

वह मनय ह क जो मनय क लए मर

सग - तत कवता हमार पाय पतक पश भाग -2 स ल गई ह इसक

कव मथलशरण गत ह इन पितओ म कव न महामा बध का उदाहरण दत

हए दया कणा को सबस बड़ा धन बताया ह

याया - कव कहता ह क मनय क मन म दया व कणा का भाव होना चाहए

यह सबस बड़ा धन ह वय ईवर भी ऐस लोग क साथ रहत ह इसका सबस

बड़ा उदाहरण महामा बध ह िजनस लोग का दःख नह दखा गया तो व लोक

कयाण क लए दनया क नयम क वध चल गए इसक लए या परा ससार

उनक सामन नह झकता अथात उनक दया भाव व परोपकार क कारण आज भी

उनको याद कया जाता ह और उनक पजा क जाती ह महान उस को कहा जाता ह

जो परोपकार करता ह वह मनय मनय कहलाता ह जो मनय क लए जीता ह

और मरता ह

5-रहो न भल क कभी मदाघ तछ व म

सनाथ जान आपको करो न गव च म

अनाथ कौन ह यहा लोकनाथ साथ ह

दयाल दन बध क बड़ वशाल हाथ ह

अतीव भायहन ह अधीर भाव जो कर

वह मनय ह क जो मनय क लए मर

सग - तत कवता हमार पाय पतक पश भाग -2 स ल गई ह इसक

कव मथलशरण गत ह इन पितओ म कव कहता ह क सपत पर कभी

घमड नह करना चाहए और कसी को अनाथ नह समझना चाहए यक ईवर

सबक साथ ह

याया - कव कहता ह क भल कर भी कभी सप या यश पर घमड नह करना

चाहए इस बात पर कभी गव नह करना चाहए क हमार साथ हमार अपन का

साथ ह यक कव कहता ह क यहा कौन सा यित अनाथ ह उस ईवर का

साथ सब क साथ ह वह बहत दयावान ह उसका हाथ सबक ऊपर रहता ह कव

कहता ह क वह यित भायहन ह जो इस कार का उतावलापन रखता ह यक

मनय वह यित कहलाता ह जो इन सब चीज स ऊपर उठ कर सोचता ह

6-अनत अतर म अनत दव ह खड़

सम ह वबाह जो बढ़ा रह बड़-बड़

परपरावलब स उठो तथा बढ़ो सभी

अभी अमय-अक म अपक हो चढ़ो सभी

रहो न या क एक स न काम और का सर

वह मनय ह क जो मनय क लए मर

सग - तत कवता हमार पाय पतक पश भाग -2 स ल गई ह इसक

कव मथलशरण गत ह इन पितओ म कव कहता ह क कलक रहत रहन व

दसर का सहारा बनन वाल मवषय का दवता भी वागत करत ह

याया - कव कहता ह क उस कभी न समात होन वाल आकाश म असय

दवता खड़ ह जो परोपकार व दयाल मनय का सामन स खड़ होकर अपनी भजाओ

को फलाकर वागत करत ह इसलए दसर का सहारा बनो और सभी को साथ म

लकर आग बड़ो कव कहता ह क सभी कलक रहत हो कर दवताओ क गोद म

बठो अथात यद कोई बरा काम नह करोग तो दवता तह अपनी गोद म ल लग

अपन मतलब क लए नह जीना चाहए अपना और दसर का कयाण व उधार

करना चाहए यक इस मरणशील ससार म मनय वह ह जो मनय का कयाण

कर व परोपकार कर

7-मनय माा बध ह यह बड़ा ववक ह

पराणपष वयभ पता सध एक ह

फलानसार कम क अवय बाय भद ह

परत अतरय म माणभत वद ह

अनथ ह क बध ह न बध क यथा हर

वह मनय ह क जो मनय क लए मर

सग - तत कवता हमार पाय पतक पश भाग -2 स ल गई ह इसक

कव मथलशरण गत ह इन पितओ म कव कहता ह क हम सब एक ईवर क

सतान ह अतः हम सभी मनय एक - दसर क भाई - बध ह

याया - कव कहता ह क यक मनय एक दसर क भाई - बध ह यह सबस

बड़ी समझ ह पराण म िजस वय उपन पष मना गया ह वह परमामा या

ईवर हम सभी का पता ह अथात सभी मनय उस एक ईवर क सतान ह

बाहर कारण क फल अनसार यक मनय क कम भल ह अलग अलग ह परत

हमार वद इस बात क साी ह क सभी क आमा एक ह कव कहता ह क यद

भाई ह भाई क दःख व कट का नाश नह करगा तो उसका जीना यथ ह यक

मनय वह कहलाता ह जो बर समय म दसर मनय क काम आता ह

8-चलो अभीट माग म सहष खलत हए

वपवन जो पड़ उह ढकलत हए

घट न हलमल हा बढ़ न भनता कभी

अतक एक पथ क सतक पथ ह सभी

तभी समथ भाव ह क तारता हआ तर

वह मनय ह क जो मनय क लए मर

सग - तत कवता हमार पाय पतक पश भाग -2 स ल गई ह इसक

कव मथलशरण गत ह इन पितओ म कव कहता ह क यद हम ख़शी ससार

कट को हटत हए भदभाव रहत रहग तभी सभव ह क समाज क उनत होगी

याया - कव कहता ह क मनय को अपनी इछा स चन हए माग म ख़शी

ख़शी चलना चाहएरात म कोई भी सकट या बाधाए आय उह हटात चल जाना

चाहए मनय को यह यान रखना चाहए क आपसी समझ न बगड़ और भद

भाव न बड़ बना कसी तक वतक क सभी को एक साथ ल कर आग बढ़ना चाहए

तभी यह सभव होगा क मनय दसर क उनत और कयाण क साथ अपनी

समध भी कायम कर

-ननलखत न क उर दिजय ndash

1-कव न कसी मय को समय कहा ह

1-कव न ऐसी मय को समय कहा ह िजसम मनय अपन स पहल दसर क चता

करता ह और परोपकार क राह को चनता ह िजसस उस मरन क बाद भी याद कया

जाता ह

2-उदार यित क पहचान कस हो सकती ह

2- उदार यित परोपकार होता ह वह अपन स पहल दसर क चता करता ह और

लोक कयाण क लए अपना जीवन याग दता ह

3-कव न दधीच कण आद महान यितओ क उदाहरण द कर मनयता क लए

या उदाहरण दया ह

3- कव न दधीच कण आद महान यितओ क उदाहरण द कर मनयता क

लए यह सदश दया ह क परोपकार करन वाला ह असल मनय कहलान योय

होता ह मानवता क रा क लए दधीच न अपन शरर क सार अिथया दान कर

द थीकण न अपनी जान क परवाह कय बना अपना कवच द दया था िजस

कारण उह आज तक याद कया जाता ह कव इन उदाहरण क वारा यह

समझाना चाहता ह क परोपकार ह सची मनयता ह

4- कव न कन पितय म यह यत कया ह क हम गव - रहत जीवन यतीत

करना चाहए

4- कव न ननलखत पितय म गव रहत जीवन यतीत करन क बात कह ह-

रहो न भल क कभी मगाघ तछ व म

सनाथ जान आपको करो न गव च म

अथात सपत क घमड म कभी नह रहना चाहए और न ह इस बात पर गव

करना चाहए क आपक पास आपक अपन का साथ ह यक इस दनया म कोई

भी अनाथ नह ह सब उस परम पता परमवर क सतान ह

5- मनय मा बध ह स आप या समझत ह पट किजए

5- मनय मा बध ह अथात हम सब मनय एक ईवर क सतान ह अतः हम

सब भाई - बध ह भाई -बध होन क नात हम भाईचार क साथ रहना चाहए और

एक दसर का बर समय म साथ दना चाहए

6- कव न सबको एक होकर चलन क रणा य द ह

6- कव न सबको एक होकर चलन क रणा इसलए द ह ताक आपसी समझ न

बगड़ और न ह भदभाव बड़ सब एक साथ एक होकर चलग तो सार बाधाए मट

जाएगी और सबका कयाण और समध होगी

7- यित को कस तरह का जीवन यतीत करना चाहए इस कवता क आधार पर

लखए

7-मनय को परोपकार का जीवन जीना चाहए अपन स पहल दसर क दख क

चता करनी चाहए कवल अपन बार म तो जानवर भी सोचत ह कव क अनसार

मनय वह कहलाता ह जो अपन स पहल दसर क चता कर

8- मनयता कवता क वारा कव या सदश दना चाहता ह

8- मनयता कवता क मायम स कव यह सदश दना चाहता ह क परोपकार ह

सची मनयता ह परोपकार ह एक ऐसा साधन ह िजसक मायम स हम यग तक

लोगो क दल म अपनी जगह बना सकत ह और परोपकार क वारा ह समाज का

कयाण व समध सभव ह अतः हम परोपकार बनना चाहए ताक हम सह

मायन म मनय कहलाय

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-याकरण-

पदबध- परभाषा

पद- वाय स अलग रहन पर शद और वाय म यत हो जान पर शद

पद कहलात ह दसर शद म- वाय म यत शद पद कहलाता ह पदबध-

जब दो या अधक (शद) पद नयत म और निचत अथ म कसी पद का

काय करत ह तो उह पदबध कहत ह

पदबध क भद

मय पद क आधार पर पदबध क पाच कार होत ह-

(1) सा-पदबध (2) वशषण-पदबध

(3) सवनाम पदबध (4) या पदबध

(5) अयय पदबध

(1) सा-पदबध-

(a)चार ताकतवर मजदर इस भार चीज को उठा पाए

(b) राम न लका क राजा रावण को मार गराया

(c) अयोया क राजा दशरथ क चार प थ

(d) आसमान म उड़ता गबारा फट गया

2) वशषण पदबध-

a) तज चलन वाल गाड़या ायः दर स पहचती ह

(b) उस घर क कोन म बठा हआ आदमी जासस ह

(c) उसका घोड़ा अयत सदर फरतीला और आाकार ह

(d) बरगद और पीपल क घनी छाव स हम बहत सख मला

3) सवनाम पदबध-

(a)बजल-सी फरती दखाकर आपन बालक को डबन स बचा लया

(b)शरारत करन वाल छा म स कछ पकड़ गए

(c)वरोध करन वाल लोग म स कोई नह बोला

4) या पदबध-

(a) वह बाजार क ओर आया होगा

(b) मझ मोहन छत स दखाई द रहा ह

(c) सरश नद म डब गया

(d) अब दरवाजा खोला जा सकता ह

5) अयय पदबध-

(a)अपन सामान क साथ वह चला गया

(b)सबह स शाम तक वह बठा रहा

कसी भी भाषा क व शद अयय (Indeclinable या inflexible) कहलात ह िजनक प म

लग वचन पष कारक काल इयाद क कारण कोई वकार उप नह होता

चक अयय का पातर नह होता इसलए ऐस शद अवकार होत ह अयय का शािदक

अथ ह- जो यय न हो

(i) कालवाचक अयय- इनम समय का बोध होता ह जस- आज कल तरत पीछ पहल अब

जब तब कभी-कभी कब अब स नय जब स सदा स अभी तभी आजकल और कभी

उदाहरणाथ-

अब स ऐसी बात नह होगी

ऐसी बात सदा स होती रह ह

वह कब आया मझ पता नह

(ii) थानवाचक अयय- इसस थान का बोध होता ह जस- यहा वहा कहा जहा यहा स

वहा स इधर-उधर उदाहरणाथ-

वह यहा नह ह

वह कहा जायगा

वहा कोई नह ह

जहा तम हो वहा म ह

(iii) दशावाचक अयय- इसस दशा का बोध होता ह जस- इधर उधर िजधर दर पर अलग

दाहन बाए आरपार

(iv) िथतवाचक अयय- नीच ऊपर तल सामन बाहर भीतर इयाद

अयय क भद

अयय ननलखत चार कार क होत ह -

(1) यावशषण (Adverb)

(2) सबधबोधक (Preposition)

(3) समचयबोधक (Conjunction)

(4) वमयादबोधक (Interjection)

(1) यावशषण - िजन शद स या वशषण या दसर यावशषण क वशषता कट

हो उह यावशषण कहत ह

दसर शदो म- जो शद या क वशषता बतलात ह उह या वशषण कहा जाता ह

जस- राम धीर-धीर टहलता ह राम वहा टहलता ह राम अभी टहलता ह

इन वाय म धीर-धीर वहा और अभी राम क टहलन (या) क वशषता बतलात ह य

यावशषण अवकार वशषण भी कहलात ह इसक अतरत यावशषण दसर

यावशषण क भी वशषता बताता ह

वह बहत धीर चलता ह इस वाय म बहत यावशषण ह यक यह दसर यावशषण

धीर क वशषता बतलाता ह

या वशषण क कार

(1) योग क अनसार- (i) साधारण (ii) सयोजक (iii) अनबध

(2) प क अनसार- (i) मल यावशषण (ii) यौगक यावशषण (iii) थानीय यावशषण

(3) अथ क अनसार- (i) परमाणवाचक (ii) रतवाचक

(1) योग क अनसार यावशषण क भद

योग क अनसार यावशषण क तीन भद ह-

(i) साधारण यावशषण- िजन यावशषण का योग कसी वाय म वत होता ह

उह साधारण यावशषण कहा जाता ह

जस- हाय अब म या क बटा जद आओ अर साप कहा गया

(ii) सयोजक यावशषण- िजन यावशषण का सबध कसी उपवाय स रहता ह उह

सयोजक यावशषण कहा जाता ह

जस- जब रोहताव ह नह तो म ह जीकर या कगी जहा अभी सम ह वहा कसी

समय जगल था

(iii) अनबध यावशषण- िजन यावशषण क योग अवधारण (नचय) क लए कसी

भी शदभद क साथ होता हो उह अनबध यावशषण कहा जाता ह

जस- यह तो कसी न धोखा ह दया ह मन उस दखा तक नह

(2) प क अनसार यावशषण क भद

प क अनसार यावशषण क तीन भद ह-

(i) मल यावशषण- ऐस यावशषण जो कसी दसर शद क मल स नह बनत मल

यावशषण कहलात ह

जस- ठक दर अचानक फर नह

(ii) यौगक यावशषण- ऐस यावशषण जो कसी दसर शद म यय या पद जोड़न

पर बनत ह यौगक यावशषण कहलात ह

जस- मन स िजसस चपक स भल स दखत हए यहा तक झट स वहा पर यौगक

यावशषण सा सवनाम वशषण धात और अयय क मल स बनत ह

यौगक यावशषण नीच लख शद क मल स बनत ह-

(i) साओ क वित स- घर-घर घड़ी-घड़ी बीच-बीच हाथ-हाथ

(ii) दो भ साओ क मल स- दन-रात साझ-सबर घर-बाहर दश-वदश

(iii) वशषण क वित स- एक-एक ठक-ठक साफ-साफ

(iv) यावशषण क वित स- धीर-धीर जहा-तहा कब-कब कहा-कहा

(v) दो यावशषण क मल स- जहा-तहा जहा-कह जब-तब जब-कभी कल-परस आस-पास

(vi) दो भ या समान यावशषण क बीच न लगान स- कभी-न-कभी कछ-न-कछ

(vii) अनकरण वाचक शद क वित स- पटपट तड़तड़ सटासट धड़ाधड़

(viii) सा और वशषण क योग स- एक साथ एक बार दो बार

(ix) अय य और दसर शद क मल स- तदन यथाम अनजान आजम

(x) पवकालक कदत और वशषण क मल स- वशषकर बहतकर मयकर एक-एककर

(iii) थानीय यावशषण- ऐस यावशषण जो बना पातर क कसी वशष थान म

आत ह थानीय यावशषण कहलात ह

जस- वह अपना सर पढ़गा

वह दौड़कर चलत ह

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  • (1) अरथ की दषटि स शबद-भद13
  • (2) परयोग की दषटि स शबद-भद13
  • (3) उतपति की दषटि स शबद-भद13
  • 1) सवर सधि-13
  • परति+छवि=परतिचछवि दिक+अनत=दिगनत दिक+गज=दिगगज अन+छद=अनचछद अच +अनत = अजनत 13
  • 3)विसरग सधि - विसरग क साथ सवर या वयजन का मल होन पर जो विकार होता ह उस 13
  • विसरग सधि कहत ह 13
  • मन+रथ=मनोरथ यश+अभिलाषा=यशोभिलाषा अध+गति=अधोगति नि+छल=निशछल द +गम = दरगम 13
    • -पाठ सार-13
    • -वयाखया13
    • -निमनलिखित परशनो क उततर दीजिय ndash13
    • 1-कवि न कसी मतय को समतय कहा ह13
    • अवयय क भद13
    • करिया विशषण क परकार13
Page 24: Class –X HINDI JUNE SYLLABUS 2020 Chapters:- Ch-1-Sanchayan …punainternationalschool.com/assets/upload/ck-images/Std-10th=Jun… · -harihar kaka . पय-भाग पाठ-3

पाठ सार-

लखक कहता ह क वह हरहर काका क साथ बहत गहर स जड़ा था लखक का हरहर

काका क त जो यार था वह लखक का उनक यावहार क और उनक वचार क कारण

था और उसक दो कारण थ पहला कारण था क हरहर काका लखक क पड़ोसी थ और

दसरा कारण लखक को उनक मा न बताया था क हरहर काका लखक को बचपन स ह

बहत यादा यार करत थ जब लखक यक हआ तो उसक पहल दोती भी हरहर काका

क साथ ह हई थी लखक क गाव क पव दशा म ठाकर जी का वशाल मदर था िजस

गाव क लोग ठाकरबार यान दवथान कहत थ लोग ठाकर जी स प क मनत मागत

मक़दम म जीत लड़क क शाद कसी अछ घर म हो जाए लड़क को नौकर मल जाए

आद मनत मागत थ मनत पर होन पर लोग अपनी ख़शी स ठाकरजी को पए ज़वर

और अनाज चढ़ाया करत थ िजसको बहत अधक ख़शी होती थी वह अपन खत का छोटा-

सा भाग ठाकरजी क नाम कर दता था और यह एक तरह स था ह बन गई लखक कहता

ह क उसका गाव अब गाव क नाम स नह बिक दव-थान क वजह स ह पहचाना जाता

था उसक गाव का यह दव-थान उस इलाक का सबस बड़ा और सध दवथान था

हरहर काका न अपनी परिथतओ क कारण दव-थान म जाना बद कर दया था मन

बहलान क लए लखक भी कभी-कभी दव-थान चला जाता था लकन लखक कहता ह क

वहा क साध-सत उस बलकल भी पसद नह थ यक व काम करन म कोई दलचपी

नह रखत थ भगवान को भोग लगान क नाम पर व दन क दोन समय हलवा-पड़ी

बनवात थ और आराम स पड़ रहत थ सारा काम वहा आए लोग स सवा करन क नाम पर

करवात थ व खद अगर कोई काम करत थ तो वो था बात बनवान का काम

लखक हरहर काका क बार म बताता हआ कहता ह क हरहर काका और उनक तीन भाई

ह सबक शाद हो चक ह हरहर काका क अतरत सभी तीन भाइय क बाल-बच ह

कछ समय तक तो हरहर काका क सभी चीज़ का अछ स यान रखा गया परत फर

कछ दन बाद हरहर काका को कोई पछन वाला नह था लखक कहता ह क अगर कभी

हरहर काका क शरर क िथत ठक नह होती तो हरहर काका पर मसीबत का पहाड़ ह

गर जाता यक इतन बड़ परवार क रहत हए भी हरहर काका को कोई पानी भी नह

पछता था बारामद क कमर म पड़ हए हरहर काका को अगर कसी चीज़ क जरत होती

तो उह खद ह उठना पड़ता एक दन उनका भतीजा शहर स अपन एक दोत को घर ल

आया उह क आन क ख़शी म दो-तीन तरह क सिज़या बजक चटनी रायता और भी

बहत कछ बना था सब लोग न खाना खा लया और हरहर काका को कोई पछन तक नह

आया हरहर काका गस म बरामद क ओर चल पड़ और जोर-जोर स बोल रह थ क

उनक भाई क पिनया या यह सोचती ह क व उह मत म खाना खला रह ह उनक

खत म उगन वाला अनाज भी इसी घर म आता ह

हरहर काका क गस का महत जी न लाभ उठान क सोची महत जी हरहर काका को

अपन साथ दव-थान ल आए और हरहर काका को समझान लग क उनक भाई का परवार

कवल उनक जमीन क कारण उनस जड़ा हआ ह कसी दन अगर हरहर काका यह कह द

क व अपन खत कसी और क नाम लख रह ह तो व लोग तो उनस बात करना भी बद

कर दग खन क रत ख़म हो जायग महत हरहर काका स कहता ह क उनक हस म

िजतन खत ह व उनको भगवान क नाम लख द ऐसा करन स उह सीध वग क ाित

होगी

सबह होत ह हरहर काका क तीन भाई दव-थान पहच गए तीन हरहर काका क पाव म

गर कर रोन लग और अपनी पिनय क गलती क माफ़ मागन लग और कहन लग क

व अपनी पिनय को उनक साथ कए गए इस तरह क यवहार क सज़ा दग हरहर काका

क मन म दया का भाव जाग गया और व फर स घर वापस लौट कर आ गए जब अपन

भाइय क समझान क बाद हरहर काका घर वापस आए तो घर म और घर वाल क

यवहार म आए बदलाव को दख कर बहत खश हो गए घर क सभी छोट-बड़ सभी लोग

हरहर काका का आदर-सकार करन लग

गाव क लोग जब भी कह बठत तो बात का ऐसा सलसला चलता िजसका कोई अत नह

था हर जगह बस उह क बात होती थी कछ लोग कहत क हरहर काका को अपनी

जमीन भगवान क नाम लख दनी चाहए इसस उम और अछा कछ नह हो सकता

इसस हरहर काका को कभी न ख़म होन वाल सध ात होगी इसक वपरत कछ

लोग क यह मानत थ क भाई का परवार भी तो अपना ह परवार होता ह अपनी

जायदाद उह न दना उनक साथ अयाय करना होगा हरहर काका क भाई उनस ाथना

करन लग क व अपन हस क जमीन को उनक नाम लखवा द इस वषय पर हरहर

काका न बहत सोचा और अत म इस परणाम पर पहच क अपन जीत-जी अपनी जायदाद

का वामी कसी और को बनाना ठक नह होगा फर चाह वह अपना भाई हो या मदर का

महत यक उह अपन गाव और इलाक क व कछ लोग याद आए िजहन अपनी िजदगी

म ह अपनी जायदाद को अपन रतदार या कसी और क नाम लखवा दया था उनका

जीवन बाद म कसी क क तरह हो गया था उह कोई पछन वाला भी नह था हरहर

काका बलकल भी पढ़-लख नह थ परत उह अपन जीवन म एकदम हए बदलाव को

समझन म कोई गलती नह हई और उहन फसला कर लया क व जीत-जी कसी को भी

अपनी जमीन नह लखग

लखक कहता ह क जस-जस समय बीत रहा था महत जी क परशानया बढ़ती जा

रह थी उह लग रहा था क उहन हरहर काका को फसान क लए जो जाल फ का

था हरहर काका उसस बाहर नकल गए ह यह बात महत जी को सहन नह हो रह

थी आधी रात क आस-पास दव-थान क साध-सत और उनक कछ साथी भाला

गड़ासा और बदक क साथ अचानक ह हरहर काका क आगन म आ गए इसस

पहल हरहर काका क भाई कछ सोच और कसी को अपनी सहायता क लए आवाज

लगा कर बलाए तब तक बहत दर हो गई थी हमला करन वाल हरहर काका को

अपनी पीठ पर डाल कर कह गायब हो गए थव हरहर काका को दव-थान ल गए

थ एक ओर तो दव-थान क अदर जबरदती हरहर काका क अगठ का नशान लन

और पकड़कर समझान का काम चल रहा था तो वह दसर ओर हरहर काका क

तीन भाई सबह होन स पहल ह पलस क जीप को लकर दव-थान पर पहच गए

थ महत और उनक साथय न हरहर काका को कमर म हाथ और पाव बाध कर

रखा था और साथ ह साथ उनक मह म कपड़ा ठसा गया था ताक व आवाज़ न कर

सक परत हरहर काका दरवाज़ तक लढ़कत हए आ गए थ और दरवाज़ पर अपन

पर स धका लगा रह थ ताक बाहर खड़ उनक भाई और पलस उह बचा सक

दरवाज़ा खोल कर हरहर काका को बधन स मत कया गया हरहर काका न

पलस को बताया क व लोग उह उस कमर म इस तरह बाध कर कह गत

दरवाज़ स भाग गए ह और उहन कछ खल और कछ लख हए कागज पर हरहर

काका क अगठ क नशान जबरदती लए ह

यह सब बीत जान क बाद हरहर काका फर स अपन भाइय क परवार क साथ रहन लग

गए थ चौबीस घट पहर दए जान लग थ यहा तक क अगर हरहर काका को कसी

काम क कारण गाव म जाना पड़ता तो हथयार क साथ चार-पाच लोग हमशा ह उनक

साथ रहन लग लखक कहता ह क हरहर काका क साथ जो कछ भी हआ था उसस हरहर

काका एक सीध-साद और भोल कसान क तलना म चालाक और बधमान हो गए थ

उह अब सब कछ समझ म आन लगा था क उनक भाइय का अचानक स उनक त जो

यवहार परवतन हो गया था उनक लए जो आदर-समान और सरा व दान कर रह थ

वह उनका कोई सग भाइय का यार नह था बिक व सब कछ उनक धन-दौलत क कारण

कर रह ह नह तो व हरहर काका को पछत तक नह जब स हरहर काका दव-थान स

वापस घर आए थ उसी दन स ह हरहर काका क भाई और उनक दसर नात-रतदार

सभी यह सोच रह थ क हरहर काका को क़ाननी तरक स उनक जायदाद को उनक

भतीज क नाम कर दना चाहए यक जब तक हरहर काका ऐसा नह करग तब तक

महत क तज़ नज़र उन पर टक रहगी जब हरहर काका क भाई हरहर काका को

समझात-समझात थक गए तो उहन हरहर काका को डाटना और उन पर दवाब डालना

श कर दया एक रात हरहर काका क भाइय न भी उसी तरह का यवहार करना श

कर दया जसा महत और उनक सहयोगय न कया था उह धमकात हए कह रह थ क

ख़शी-ख़शी कागज़ पर जहा-जहा जरत ह वहा-वहा अगठ क नशान लगत जाओ नह तो व

उह मार कर वह घर क अदर ह गाड़ दग और गाव क लोगो को इस बार म कोई सचना

भी नह मलगी हरहर काका क साथ अब उनक भाइय क मारपीट श हो गई जब

हरहर काका अपन भाइय का मकाबला नह कर पा रह थ तो उहन ज़ोर-ज़ोर स

चलाकर अपनी मदद क लए गाव वाल को आवाज लगाना श कर दया तब उनक

भाइय को यान आया क उह हरहर काका का मह पहल ह बद करना चाहए था उहन

उसी पल हरहर काका को जमीन पर पटका और उनक मह म कपड़ा ठस दया लकन तब

तक बहत दर हो गई थी हरहर काका क आवाज बाहर गाव म पहच गई थी हरहर काका

क परवार और रत-नात क लोग जब तक गाव वाल कोसमझात क यह सब उनक

परवार का आपसी मामला ह व सभी इसस दर रह तब तक महत जी बड़ी ह दता और

तज़ी स वहा पलस क जीप क साथ आ गए पलस न पर घर क अछ स तलाशी लना

श कर दया फर घर क अदर स हरहर काका को इतनी बर हालत म हासल कया गया

िजतनी बर हालत उनक दव-थान म भी नह हई थी हरहर काका न बताया क उनक

भाइय न उनक साथ बहत ह यादा बरा यवहार कया ह जबरदती बहत स कागज पर

उनक अगठ क नशान ल लए ह उह बहत यादा मारा-पीटा ह

इस घटना क बाद हरहर काका अपन परवार स एकदम अलग रहन लग थ उह उनक

सरा क लए चार राइफलधार पलस क जवान मल थ आचय क बात तो यह ह क

इसक लए उनक भाइय और महत क ओर स काफ़ यास कए गए थ असल म भाइय

को चता थी क हरहर काका अकल रहन लगग तो दव-थान क महत-पजार फर स

हरहर काका को बहला-फसला कर ल जायग और जमीन दव-थान क नाम करवा लग और

यह चता महत जी को भी थी क हरहर काका को अकला और असरत पा उनक भाई

फर स उह पकड़ कर मारग और जमीन को अपन नाम करवा लग लखक कहता ह क

हरहर काका स जड़ी बहत सी ख़बर गाव म फल रह थी जस-जस दन बड़ रह थ वस-वस

डर का मौहोल बन रहा था सभी लोग सफ यह सोच रह थ क हरहर काका न अमत तो

पया हआ ह नह तो मरना तो उनको एक दन ह ह और जब व मरग तो पर गाव म

तफ़ान आ जाएगा यक महत और हरहर काका क परवार क बीच जमीन को ल कर

लड़ाई हो जायगी

पलस क जवान हरहर काका क खच पर ह खब मौज-मती स रह रह थ िजसका धन

वह रह उपास खान वाल कर वलास अथात हरहर काका क पास धन था लकन उनक लए

अब उसका कोई महव नह था और पलस वाल बना कसी कारण स ह हरहर काका क

धन स मौज कर रह थ अब तक जो नह खाया था दोन वत उसका भोग लगा रह थ

-नोर-

1-कथावाचक और हरहर काका क बीच या सबध ह और इसक या कारण ह

1-कथावाचक जब छोटा था तब स ह हरहर काका उस बहत यार करत थ जब वह बड़ हो

गए तो वह हरहर काका क म बन गए गाव म इतनी गहर दोती और कसी स नह

हई हरहर काका उनस खल कर बात करत थ यह कारण ह क कथावाचक को उनक

एक-एक पल क खबर थी शायद अपना म बनान क लए काका न वय ह उस यार स

बड़ा कया और इतजार कया

2-हरहर काका को महत और भाई एक ह णी क य लगन लग

2-हरहर काका को अपन भाइय और महत म कोई अतर नह लगा दोन एक ह णी क

लग उनक भाइय क पिनय न कछ दन तक तो हरहर काका का यान रखा फर

बचीकची रोटया द नाता नह दत थ बमार म कोई पछन वाला भी न था िजतना भी

उह रखा जा रहा था उनक ज़मीन क लए था इसी तरह महत न एक दन तो बड़ यार

स खातर क फर ज़मीन अपन ठाकर बाड़ी क नाम करन क लए कहन लग काका क

मना करन पर उह अनक यातनाए द अपहरण करवाया मह म कपड़ा ठस कर एक कोठर

म बद कर दया जबरदती अगठ का नशान लया गया तथा उह मारा पीटा गया इस

तरह दोन ह कवल ज़मीन जायदाद क लए हरहर काका स यवहार रखत थ अत उह

दोन एक ह णी क लग

3-ठाकर बाड़ी क त गाव वाल क मन म अपार धा क जो भाव ह उसस उनक कस

मनोव का पता चलता ह

3-कहा जाता ह गाव क लोग भोल होत ह असल म गाव क लोग अधववासी धमभी होत

ह मदर जस थान को पव नकलक ान का तीक मानत ह पजार परोहत महत

जस िजतन भी धम क ठकदार ह उनपर अगाध धा रखत ह व चाह कतन भी

पतत वाथ और नीच ह पर उनका वरोध करत व डरत ह इसी कारण ठाकर बाड़ी क

त गाव वाल क अपार धा थी उनका हर सख-दख उसस जड़ा था

4-अनपढ़ होत हए भी हरहर काका दनया क बहतर समझ रखत ह कहानी क आधार पर

पट किजए

4-हरहर काका अनपढ़ थ फर भी उह दनयादार क बहद समझ थी उनक भाई लोग

उनस ज़बरदती ज़मीन अपन नाम करान क लए डरात थ तो उह गाव म दखावा करक

ज़मीन हथयान वालो क याद आती ह काका न उह दखी होत दखा ह इसलए उहन

ठान लया था चाह महत उकसाए चाह भाई दखावा कर वह ज़मीन कसी को भी नह दग

एक बार महत क उकसान पर भाइय क त धोखा नह करना चाहत थ परत जब भाइय

न भी धोखा दया तो उह समझ म आ गया उनक त उह कोई यार नह ह जो यार

दखात ह वह कवल ज़ायदाद क लए ह

5-हरहर काका को जबरन उठा ल जान वाल कौन थ उहन उनक साथ कसा यवहार

कया

5-महत न हरहर काका को बहत लोभन दए िजसस वह अपनी ज़मीन जायदाद ठाकर

बाड़ी क नाम कर द परत काका इस बात क लए तयार नह थ व सोच रह थ क या

भगवान क लए अपन भाइय स धोखा क यह उह सह भी नह लग रहा था महत को

यह बात पता लगी तो उसन छल और बल स रात क समय अकल दालान म सोत हए

हरहर काका को उठवा लया महत न अपन चल साधसतो क साथ मलकर उनक हाथ पर

बाध दए मह म कपड़ा ठस दया और जबरदती अगठ क नशान लए उह एक कमर म

बद कर दया जब पलस आई तो वय गत दरवाज़ स भाग गए

6-हरहर काका क मामल म गाव वाल क या राय थी और उसक या कारण थ

6-कहानी क आधार पर गाव क लोग को बना बताए पता चल गया क हरहर काका को

उनक भाई नह पछत इसलए सख आराम का लोभन दकर महत उह अपन साथ ल

गया भाई मनत करक काका को वापस ल आत ह इस तरह गाव क लोग दो प म

बट गए कछ लोग महत क तरफ़ थ जो चाहत थ क काका अपनी ज़मीन धम क नाम पर

ठाकर बाड़ी को द द ताक उह सख आराम मल मय क बाद मो यश मल महत ानी

ह वह सब कछ जानता ह लकन दसर प क लोग कहत क ज़मीन परवार वालो को द

जाए उनका कहना था इसस उनक परवार का पट भरगा मदर को ज़मीन दना अयाय

होगा इस तरह दोन प अपन-अपन हसाब स सोच रह थ परत हरहर काका क बार म

कोई नह सोच रहा था इन बात का एक कारण यह भी था क काका वधर थ और उनक

कोई सतान भी नह थी पह बीघ ज़मीन क लए इनका लालच वाभवक था

7-कहानी क आधार पर पट किजए क लखक न यह य कहा अान क िथत म ह

मनय मय स डरत ह ान होन क बाद तो आदमी आवयकता पड़न पर मय को वरण

करन क लए तयार हो जाता ह

7-जब काका को असलयत पता चल और उह समझ म आ गया क सब लोग उनक

ज़मीन जायदाद क पीछ ह तो उह व सभी लोग याद आ गए िजहन परवार वालो क मोह

माया म आकर अपनी ज़मीन उनक नाम कर द और मय तक तलतल करक मरत

रह दान-दान को मोहताज़ हो गए इसलए उहन सोचा क इस तरह रहन स तो एक बार

मरना अछा ह जीत जी ज़मीन कसी को भी नह दग य लोग मझ एक बार म ह मार

द अत लखक न कहा क अान क िथत म मनय मय स डरता ह परत ान होन

पर मय वरण को तयार रहता ह

8-समाज म रत क या अहमयत ह इस वषय पर अपन वचार कट किजए

8-आज समाज म मानवीय मय तथा पारवारक मय धीर-धीर समात होत जा रह ह

यादातर यित अपन वाथ क लए रत नभात ह अपनी आवयकताओ क हसाब स

मलत ह अमीर रतदार का समान करत ह उनस मलन को आतर रहत ह जबक गरब

रतदार स कतरात ह कवल वाथ सध क अहमयत रह गई ह आए दन हम

अखबार म समाचार पढ़त ह क ज़मीन जाय़दाद पस जवर क लए लोग घनौन स घनौना

काय कर जात ह (हया अपहरण आद) इसी कार इस कहानी म भी पलस न पहचती तो

परवार वाल महत जी (काका क) हया ह कर दत उह यह अफसोस रहा क व काका को

मार नह पाए

9-यद आपक आसपास हरहर काका जसी हालत म कोई हो तो आप उसक कस कार

मदद करग

9-यद हमार आसपास हरहर काका जसी हालत म कोई हो तो हम उसक पर तरह मदद

करन क कोशश करग उनस मलकर उनक दख का कारण पता करग उह अहसास

दलाएग क व अकल नह ह सबस पहल तो यह ववास कराएग क सभी यित लालची

नह होत ह इस तरह मौन रह कर दसर को मौका न द बिक उलास स शष जीवन

बताए रतदार स मलकर उनक सबध सधारन का यन करग

10-हरहर काका क गाव म यद मीडया क पहच होती तो उनक या िथत होती अपन

शद म लखए

10-यद काका क गाव म मीडया पहच जाती तो सबक पोल खल जाती महत व भाइय का

पदाफाश हो जाता अपहरण और जबरन अगठा लगवान क अपराध म उह जल हो जाती

अपना-अपना मोचा सभालना - अपनी िजमदार नबाहना

आसमान स जमीन पर गरना -उच िथत स नन िथत पर आना

खल कर बात करना- बना सकच क बात करना |

चपत हो जाना ndash भाग जाना |

जी-जान स जट जाना ndash खब महनत करना

िजतन मह उतनी बात होना- कई तरह क बात करना |

ततर-बतर होना ndash बखर जाना |

त-त म -म होना -झगड़ा होना |

नमक-मच लगाना- बढ़ा-चढ़कर कहना|

बात बनाना- बहान बनाना|

रग चढ़ना- असर होना|

मह न खोलना ndash कछ न बताना |

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पय-भाग

पाठ-4

मनयता ndashमथलशरण गत

-लखक का परचय-

-पाठ का सार व पिटकरण-

कत क अय ाणय क तलना म मनय म सोचन क शित अधक होती ह

वह अपन ह नह दसर क सख - दःख का भी याल रखता ह और दसर क लए

कछ करन म समथ होता ह जानवर जब चरागाह म जात ह तो कवल अपन लए

चर कर आत ह परत मनय ऐसा नह ह वह जो कछ भी कमाता ह जो कछ भी

बनाता ह वह दसर क लए भी करता ह और दसर क सहायता स भी करता ह

तत पाठ का कव अपन क सख - दःख क चता करन वाल को मनय तो

मानता ह परत यह मानन को तयार नह ह क उन मनय म मनयता क सार

गण होत ह कव कवल उन मनय को महान मानता ह जो अपन क सख - दःख

स पहल दसर क चता करत ह वह मनय म ऐस गण चाहता ह िजसक कारण

कोई भी मनय इस मयलोक स चल जान क बाद भी सदय तक दसर क याद म

रहता ह अथात वह मय क बाद भी अमर रहता ह

-पाठ सार-

इस कवता म कव मनयता का सह अथ समझान का यास कर रहा ह पहल

भाग म कव कहता ह क मय स नह डरना चाहए यक मय तो निचत ह पर

हम ऐसा कछ करना चाहए क लोग हम मय क बाद भी याद रख असल मनय

वह ह जो दसर क लए जीना व मरना सीख ल दसर भाग म कव कहता ह क

हम उदार बनना चाहए यक उदार मनय का हर जगह गण गान होता ह मनय

वह कहलाता ह जो दसर क चता कर तीसर भाग म कव कहता ह क पराण

म उन लोग क बहत उदाहरण ह िजह उनक याग भाव क लए आज भी याद

कया जाता ह सचा मनय वह ह जो याग भाव जान ल चौथ भाग म कव

कहता ह क मनय क मन म दया और कणा का भाव होना चाहए मनय वह

कहलाता ह जो दसर क लए मरता और जीता ह पाचव भाग म कव कहना चाहता

ह क यहा कोई अनाथ नह ह यक हम सब उस एक ईवर क सतान ह हम

भदभाव स ऊपर उठ कर सोचना चाहएछठ भाग म कव कहना चाहता ह क हम

दयाल बनना चाहए यक दयाल और परोपकार मनय का दवता भी वागत करत

ह अतः हम दसर का परोपकार व कयाण करना चाहएसातव भाग म कव कहता

ह क मनय क बाहर कम अलग अलग हो परत हमार वद साी ह क सभी क

आमा एक ह हम सब एक ह ईवर क सतान ह अतः सभी मनय भाई -बध ह

और मनय वह ह जो दःख म दसर मनय क काम आयअतम भाग म कव

कहना चाहता ह क वप और वन को हटात हए मनय को अपन चन हए रात

पर चलना चाहए आपसी समझ को बनाय रखना चाहए और भदभाव को नह

बढ़ाना चाहए ऐसी सोच वाला मनय ह अपना और दसर का कयाण और उधार

कर सकता ह

-याया

1-वचार लो क मय हो न मय स डरो कभी

मरो परत य मरो क याद जो कर सभी

हई न य समय तो वथा मर वथा िजए

मारा नह वह क जो िजया न आपक लए

वह पश- वत ह क आप आप ह चर

वह मनय ह क जो मनय क लए मर

सग - तत कवता हमार पाय पतक पश भाग -2 स ल गई ह इसक

कव मथलशरण गत ह इन पितओ म कव बताना चाहता ह क मनय को

कसा जीवन जीना चाहए

याया - कव कहता ह क हम यह जान लना चाहए क मय का होना निचत

ह हम मय स नह डरना चाहए कव कहता ह क हम कछ ऐसा करना चाहए क

लोग हम मरन क बाद भी याद रख जो मनय दसर क लए कछ भी ना कर सक

उनका जीना और मरना दोन बकार ह मर कर भी वह मनय कभी नह मरता जो

अपन लए नह दसर क लए जीता ह यक अपन लए तो जानवर भी जीत ह

कव क अनसार मनय वह ह जो दसर मनय क लए मर अथात जो मनय दसर

क चता कर वह असल मनय कहलाता ह

2-उसी उदार क कथा सरवती बखानती

उसी उदार स धरा कताथ भाव मानती

उसी उदार क सदा सजीव कत कजती

तथा उसी उदार को समत सिट पजती

अखड आम भाव जो असीम वव म भर

वह मनय ह क जो मनय क लए मर

सग - तत कवता हमार पाय पतक पश भाग -2 स ल गई ह इसक

कव मथलशरण गत ह इन पितओ म कव बताना चाहता ह क जो मनय

दसर क लए जीत ह उनका गणगान यग - यग तक कया जाता ह

याया - कव कहता ह क जो मनय अपन पर जीवन म दसर क चता करता

ह उस महान यित क कथा का गण गान सरवती अथात पतक म कया जाता

ह पर धरती उस महान यित क आभार रहती ह उस यित क बातचीत

हमशा जीवत यित क तरह क जाती ह और पर सिट उसक पजा करती ह

कव कहता ह क जो यित पर ससार को अखड भाव और भाईचार क भावना म

बाधता ह वह यित सह मायन म मनय कहलान योय होता ह

3-धात रतदव न दया करथ थाल भी

तथा दधीच न दया पराथ अिथजाल भी

उशीनर तीश न वमास दान भी कया

सहष वीर कण न शरर-चम भी दया

अनय दह क लए अनाद जीव या डर

वह मनय ह क जो मनय क लए मर

सग - तत कवता हमार पाय पतक पश भाग -2 स ल गई ह इसक

कव मथलशरण गत ह इन पितओ म कव न महान पष क उदाहरण दए ह

िजनक महानता क कारण उह याद कया जाता ह

याया - कव कहता ह क पौराणक कथाए ऐस यितओ क उदाहरण स भर

पड़ी ह िजहन अपना परा जीवन दसर क लए याग दया िजस कारण उह आज

तक याद कया जाता ह भख स परशान रतदव न अपन हाथ क आखर थाल भी

दान कर द थी और महष दधीच न तो अपन पर शरर क हडया व बनान क

लए दान कर द थी उशीनर दश क राजा शब न कबतर क जान बचान क लए

अपना परा मास दान कर दया था वीर कण न अपनी ख़शी स अपन शरर का

कवच दान कर दया था कव कहना चाहता ह क मनय इस नवर शरर क लए

य डरता ह यक मनय वह कहलाता ह जो दसर क लए अपन आप को याग

दता ह

4-सहानभत चाहए महावभत ह यह

वशीकता सदव ह बनी हई वय मह

वधभाव बध का दया-वाह म बहा

वनीत लोकवग या न सामन झका रहा

अहा वह उदार ह परोपकार जो कर

वह मनय ह क जो मनय क लए मर

सग - तत कवता हमार पाय पतक पश भाग -2 स ल गई ह इसक

कव मथलशरण गत ह इन पितओ म कव न महामा बध का उदाहरण दत

हए दया कणा को सबस बड़ा धन बताया ह

याया - कव कहता ह क मनय क मन म दया व कणा का भाव होना चाहए

यह सबस बड़ा धन ह वय ईवर भी ऐस लोग क साथ रहत ह इसका सबस

बड़ा उदाहरण महामा बध ह िजनस लोग का दःख नह दखा गया तो व लोक

कयाण क लए दनया क नयम क वध चल गए इसक लए या परा ससार

उनक सामन नह झकता अथात उनक दया भाव व परोपकार क कारण आज भी

उनको याद कया जाता ह और उनक पजा क जाती ह महान उस को कहा जाता ह

जो परोपकार करता ह वह मनय मनय कहलाता ह जो मनय क लए जीता ह

और मरता ह

5-रहो न भल क कभी मदाघ तछ व म

सनाथ जान आपको करो न गव च म

अनाथ कौन ह यहा लोकनाथ साथ ह

दयाल दन बध क बड़ वशाल हाथ ह

अतीव भायहन ह अधीर भाव जो कर

वह मनय ह क जो मनय क लए मर

सग - तत कवता हमार पाय पतक पश भाग -2 स ल गई ह इसक

कव मथलशरण गत ह इन पितओ म कव कहता ह क सपत पर कभी

घमड नह करना चाहए और कसी को अनाथ नह समझना चाहए यक ईवर

सबक साथ ह

याया - कव कहता ह क भल कर भी कभी सप या यश पर घमड नह करना

चाहए इस बात पर कभी गव नह करना चाहए क हमार साथ हमार अपन का

साथ ह यक कव कहता ह क यहा कौन सा यित अनाथ ह उस ईवर का

साथ सब क साथ ह वह बहत दयावान ह उसका हाथ सबक ऊपर रहता ह कव

कहता ह क वह यित भायहन ह जो इस कार का उतावलापन रखता ह यक

मनय वह यित कहलाता ह जो इन सब चीज स ऊपर उठ कर सोचता ह

6-अनत अतर म अनत दव ह खड़

सम ह वबाह जो बढ़ा रह बड़-बड़

परपरावलब स उठो तथा बढ़ो सभी

अभी अमय-अक म अपक हो चढ़ो सभी

रहो न या क एक स न काम और का सर

वह मनय ह क जो मनय क लए मर

सग - तत कवता हमार पाय पतक पश भाग -2 स ल गई ह इसक

कव मथलशरण गत ह इन पितओ म कव कहता ह क कलक रहत रहन व

दसर का सहारा बनन वाल मवषय का दवता भी वागत करत ह

याया - कव कहता ह क उस कभी न समात होन वाल आकाश म असय

दवता खड़ ह जो परोपकार व दयाल मनय का सामन स खड़ होकर अपनी भजाओ

को फलाकर वागत करत ह इसलए दसर का सहारा बनो और सभी को साथ म

लकर आग बड़ो कव कहता ह क सभी कलक रहत हो कर दवताओ क गोद म

बठो अथात यद कोई बरा काम नह करोग तो दवता तह अपनी गोद म ल लग

अपन मतलब क लए नह जीना चाहए अपना और दसर का कयाण व उधार

करना चाहए यक इस मरणशील ससार म मनय वह ह जो मनय का कयाण

कर व परोपकार कर

7-मनय माा बध ह यह बड़ा ववक ह

पराणपष वयभ पता सध एक ह

फलानसार कम क अवय बाय भद ह

परत अतरय म माणभत वद ह

अनथ ह क बध ह न बध क यथा हर

वह मनय ह क जो मनय क लए मर

सग - तत कवता हमार पाय पतक पश भाग -2 स ल गई ह इसक

कव मथलशरण गत ह इन पितओ म कव कहता ह क हम सब एक ईवर क

सतान ह अतः हम सभी मनय एक - दसर क भाई - बध ह

याया - कव कहता ह क यक मनय एक दसर क भाई - बध ह यह सबस

बड़ी समझ ह पराण म िजस वय उपन पष मना गया ह वह परमामा या

ईवर हम सभी का पता ह अथात सभी मनय उस एक ईवर क सतान ह

बाहर कारण क फल अनसार यक मनय क कम भल ह अलग अलग ह परत

हमार वद इस बात क साी ह क सभी क आमा एक ह कव कहता ह क यद

भाई ह भाई क दःख व कट का नाश नह करगा तो उसका जीना यथ ह यक

मनय वह कहलाता ह जो बर समय म दसर मनय क काम आता ह

8-चलो अभीट माग म सहष खलत हए

वपवन जो पड़ उह ढकलत हए

घट न हलमल हा बढ़ न भनता कभी

अतक एक पथ क सतक पथ ह सभी

तभी समथ भाव ह क तारता हआ तर

वह मनय ह क जो मनय क लए मर

सग - तत कवता हमार पाय पतक पश भाग -2 स ल गई ह इसक

कव मथलशरण गत ह इन पितओ म कव कहता ह क यद हम ख़शी ससार

कट को हटत हए भदभाव रहत रहग तभी सभव ह क समाज क उनत होगी

याया - कव कहता ह क मनय को अपनी इछा स चन हए माग म ख़शी

ख़शी चलना चाहएरात म कोई भी सकट या बाधाए आय उह हटात चल जाना

चाहए मनय को यह यान रखना चाहए क आपसी समझ न बगड़ और भद

भाव न बड़ बना कसी तक वतक क सभी को एक साथ ल कर आग बढ़ना चाहए

तभी यह सभव होगा क मनय दसर क उनत और कयाण क साथ अपनी

समध भी कायम कर

-ननलखत न क उर दिजय ndash

1-कव न कसी मय को समय कहा ह

1-कव न ऐसी मय को समय कहा ह िजसम मनय अपन स पहल दसर क चता

करता ह और परोपकार क राह को चनता ह िजसस उस मरन क बाद भी याद कया

जाता ह

2-उदार यित क पहचान कस हो सकती ह

2- उदार यित परोपकार होता ह वह अपन स पहल दसर क चता करता ह और

लोक कयाण क लए अपना जीवन याग दता ह

3-कव न दधीच कण आद महान यितओ क उदाहरण द कर मनयता क लए

या उदाहरण दया ह

3- कव न दधीच कण आद महान यितओ क उदाहरण द कर मनयता क

लए यह सदश दया ह क परोपकार करन वाला ह असल मनय कहलान योय

होता ह मानवता क रा क लए दधीच न अपन शरर क सार अिथया दान कर

द थीकण न अपनी जान क परवाह कय बना अपना कवच द दया था िजस

कारण उह आज तक याद कया जाता ह कव इन उदाहरण क वारा यह

समझाना चाहता ह क परोपकार ह सची मनयता ह

4- कव न कन पितय म यह यत कया ह क हम गव - रहत जीवन यतीत

करना चाहए

4- कव न ननलखत पितय म गव रहत जीवन यतीत करन क बात कह ह-

रहो न भल क कभी मगाघ तछ व म

सनाथ जान आपको करो न गव च म

अथात सपत क घमड म कभी नह रहना चाहए और न ह इस बात पर गव

करना चाहए क आपक पास आपक अपन का साथ ह यक इस दनया म कोई

भी अनाथ नह ह सब उस परम पता परमवर क सतान ह

5- मनय मा बध ह स आप या समझत ह पट किजए

5- मनय मा बध ह अथात हम सब मनय एक ईवर क सतान ह अतः हम

सब भाई - बध ह भाई -बध होन क नात हम भाईचार क साथ रहना चाहए और

एक दसर का बर समय म साथ दना चाहए

6- कव न सबको एक होकर चलन क रणा य द ह

6- कव न सबको एक होकर चलन क रणा इसलए द ह ताक आपसी समझ न

बगड़ और न ह भदभाव बड़ सब एक साथ एक होकर चलग तो सार बाधाए मट

जाएगी और सबका कयाण और समध होगी

7- यित को कस तरह का जीवन यतीत करना चाहए इस कवता क आधार पर

लखए

7-मनय को परोपकार का जीवन जीना चाहए अपन स पहल दसर क दख क

चता करनी चाहए कवल अपन बार म तो जानवर भी सोचत ह कव क अनसार

मनय वह कहलाता ह जो अपन स पहल दसर क चता कर

8- मनयता कवता क वारा कव या सदश दना चाहता ह

8- मनयता कवता क मायम स कव यह सदश दना चाहता ह क परोपकार ह

सची मनयता ह परोपकार ह एक ऐसा साधन ह िजसक मायम स हम यग तक

लोगो क दल म अपनी जगह बना सकत ह और परोपकार क वारा ह समाज का

कयाण व समध सभव ह अतः हम परोपकार बनना चाहए ताक हम सह

मायन म मनय कहलाय

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-याकरण-

पदबध- परभाषा

पद- वाय स अलग रहन पर शद और वाय म यत हो जान पर शद

पद कहलात ह दसर शद म- वाय म यत शद पद कहलाता ह पदबध-

जब दो या अधक (शद) पद नयत म और निचत अथ म कसी पद का

काय करत ह तो उह पदबध कहत ह

पदबध क भद

मय पद क आधार पर पदबध क पाच कार होत ह-

(1) सा-पदबध (2) वशषण-पदबध

(3) सवनाम पदबध (4) या पदबध

(5) अयय पदबध

(1) सा-पदबध-

(a)चार ताकतवर मजदर इस भार चीज को उठा पाए

(b) राम न लका क राजा रावण को मार गराया

(c) अयोया क राजा दशरथ क चार प थ

(d) आसमान म उड़ता गबारा फट गया

2) वशषण पदबध-

a) तज चलन वाल गाड़या ायः दर स पहचती ह

(b) उस घर क कोन म बठा हआ आदमी जासस ह

(c) उसका घोड़ा अयत सदर फरतीला और आाकार ह

(d) बरगद और पीपल क घनी छाव स हम बहत सख मला

3) सवनाम पदबध-

(a)बजल-सी फरती दखाकर आपन बालक को डबन स बचा लया

(b)शरारत करन वाल छा म स कछ पकड़ गए

(c)वरोध करन वाल लोग म स कोई नह बोला

4) या पदबध-

(a) वह बाजार क ओर आया होगा

(b) मझ मोहन छत स दखाई द रहा ह

(c) सरश नद म डब गया

(d) अब दरवाजा खोला जा सकता ह

5) अयय पदबध-

(a)अपन सामान क साथ वह चला गया

(b)सबह स शाम तक वह बठा रहा

कसी भी भाषा क व शद अयय (Indeclinable या inflexible) कहलात ह िजनक प म

लग वचन पष कारक काल इयाद क कारण कोई वकार उप नह होता

चक अयय का पातर नह होता इसलए ऐस शद अवकार होत ह अयय का शािदक

अथ ह- जो यय न हो

(i) कालवाचक अयय- इनम समय का बोध होता ह जस- आज कल तरत पीछ पहल अब

जब तब कभी-कभी कब अब स नय जब स सदा स अभी तभी आजकल और कभी

उदाहरणाथ-

अब स ऐसी बात नह होगी

ऐसी बात सदा स होती रह ह

वह कब आया मझ पता नह

(ii) थानवाचक अयय- इसस थान का बोध होता ह जस- यहा वहा कहा जहा यहा स

वहा स इधर-उधर उदाहरणाथ-

वह यहा नह ह

वह कहा जायगा

वहा कोई नह ह

जहा तम हो वहा म ह

(iii) दशावाचक अयय- इसस दशा का बोध होता ह जस- इधर उधर िजधर दर पर अलग

दाहन बाए आरपार

(iv) िथतवाचक अयय- नीच ऊपर तल सामन बाहर भीतर इयाद

अयय क भद

अयय ननलखत चार कार क होत ह -

(1) यावशषण (Adverb)

(2) सबधबोधक (Preposition)

(3) समचयबोधक (Conjunction)

(4) वमयादबोधक (Interjection)

(1) यावशषण - िजन शद स या वशषण या दसर यावशषण क वशषता कट

हो उह यावशषण कहत ह

दसर शदो म- जो शद या क वशषता बतलात ह उह या वशषण कहा जाता ह

जस- राम धीर-धीर टहलता ह राम वहा टहलता ह राम अभी टहलता ह

इन वाय म धीर-धीर वहा और अभी राम क टहलन (या) क वशषता बतलात ह य

यावशषण अवकार वशषण भी कहलात ह इसक अतरत यावशषण दसर

यावशषण क भी वशषता बताता ह

वह बहत धीर चलता ह इस वाय म बहत यावशषण ह यक यह दसर यावशषण

धीर क वशषता बतलाता ह

या वशषण क कार

(1) योग क अनसार- (i) साधारण (ii) सयोजक (iii) अनबध

(2) प क अनसार- (i) मल यावशषण (ii) यौगक यावशषण (iii) थानीय यावशषण

(3) अथ क अनसार- (i) परमाणवाचक (ii) रतवाचक

(1) योग क अनसार यावशषण क भद

योग क अनसार यावशषण क तीन भद ह-

(i) साधारण यावशषण- िजन यावशषण का योग कसी वाय म वत होता ह

उह साधारण यावशषण कहा जाता ह

जस- हाय अब म या क बटा जद आओ अर साप कहा गया

(ii) सयोजक यावशषण- िजन यावशषण का सबध कसी उपवाय स रहता ह उह

सयोजक यावशषण कहा जाता ह

जस- जब रोहताव ह नह तो म ह जीकर या कगी जहा अभी सम ह वहा कसी

समय जगल था

(iii) अनबध यावशषण- िजन यावशषण क योग अवधारण (नचय) क लए कसी

भी शदभद क साथ होता हो उह अनबध यावशषण कहा जाता ह

जस- यह तो कसी न धोखा ह दया ह मन उस दखा तक नह

(2) प क अनसार यावशषण क भद

प क अनसार यावशषण क तीन भद ह-

(i) मल यावशषण- ऐस यावशषण जो कसी दसर शद क मल स नह बनत मल

यावशषण कहलात ह

जस- ठक दर अचानक फर नह

(ii) यौगक यावशषण- ऐस यावशषण जो कसी दसर शद म यय या पद जोड़न

पर बनत ह यौगक यावशषण कहलात ह

जस- मन स िजसस चपक स भल स दखत हए यहा तक झट स वहा पर यौगक

यावशषण सा सवनाम वशषण धात और अयय क मल स बनत ह

यौगक यावशषण नीच लख शद क मल स बनत ह-

(i) साओ क वित स- घर-घर घड़ी-घड़ी बीच-बीच हाथ-हाथ

(ii) दो भ साओ क मल स- दन-रात साझ-सबर घर-बाहर दश-वदश

(iii) वशषण क वित स- एक-एक ठक-ठक साफ-साफ

(iv) यावशषण क वित स- धीर-धीर जहा-तहा कब-कब कहा-कहा

(v) दो यावशषण क मल स- जहा-तहा जहा-कह जब-तब जब-कभी कल-परस आस-पास

(vi) दो भ या समान यावशषण क बीच न लगान स- कभी-न-कभी कछ-न-कछ

(vii) अनकरण वाचक शद क वित स- पटपट तड़तड़ सटासट धड़ाधड़

(viii) सा और वशषण क योग स- एक साथ एक बार दो बार

(ix) अय य और दसर शद क मल स- तदन यथाम अनजान आजम

(x) पवकालक कदत और वशषण क मल स- वशषकर बहतकर मयकर एक-एककर

(iii) थानीय यावशषण- ऐस यावशषण जो बना पातर क कसी वशष थान म

आत ह थानीय यावशषण कहलात ह

जस- वह अपना सर पढ़गा

वह दौड़कर चलत ह

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  • (1) अरथ की दषटि स शबद-भद13
  • (2) परयोग की दषटि स शबद-भद13
  • (3) उतपति की दषटि स शबद-भद13
  • 1) सवर सधि-13
  • परति+छवि=परतिचछवि दिक+अनत=दिगनत दिक+गज=दिगगज अन+छद=अनचछद अच +अनत = अजनत 13
  • 3)विसरग सधि - विसरग क साथ सवर या वयजन का मल होन पर जो विकार होता ह उस 13
  • विसरग सधि कहत ह 13
  • मन+रथ=मनोरथ यश+अभिलाषा=यशोभिलाषा अध+गति=अधोगति नि+छल=निशछल द +गम = दरगम 13
    • -पाठ सार-13
    • -वयाखया13
    • -निमनलिखित परशनो क उततर दीजिय ndash13
    • 1-कवि न कसी मतय को समतय कहा ह13
    • अवयय क भद13
    • करिया विशषण क परकार13
Page 25: Class –X HINDI JUNE SYLLABUS 2020 Chapters:- Ch-1-Sanchayan …punainternationalschool.com/assets/upload/ck-images/Std-10th=Jun… · -harihar kaka . पय-भाग पाठ-3

आया हरहर काका गस म बरामद क ओर चल पड़ और जोर-जोर स बोल रह थ क

उनक भाई क पिनया या यह सोचती ह क व उह मत म खाना खला रह ह उनक

खत म उगन वाला अनाज भी इसी घर म आता ह

हरहर काका क गस का महत जी न लाभ उठान क सोची महत जी हरहर काका को

अपन साथ दव-थान ल आए और हरहर काका को समझान लग क उनक भाई का परवार

कवल उनक जमीन क कारण उनस जड़ा हआ ह कसी दन अगर हरहर काका यह कह द

क व अपन खत कसी और क नाम लख रह ह तो व लोग तो उनस बात करना भी बद

कर दग खन क रत ख़म हो जायग महत हरहर काका स कहता ह क उनक हस म

िजतन खत ह व उनको भगवान क नाम लख द ऐसा करन स उह सीध वग क ाित

होगी

सबह होत ह हरहर काका क तीन भाई दव-थान पहच गए तीन हरहर काका क पाव म

गर कर रोन लग और अपनी पिनय क गलती क माफ़ मागन लग और कहन लग क

व अपनी पिनय को उनक साथ कए गए इस तरह क यवहार क सज़ा दग हरहर काका

क मन म दया का भाव जाग गया और व फर स घर वापस लौट कर आ गए जब अपन

भाइय क समझान क बाद हरहर काका घर वापस आए तो घर म और घर वाल क

यवहार म आए बदलाव को दख कर बहत खश हो गए घर क सभी छोट-बड़ सभी लोग

हरहर काका का आदर-सकार करन लग

गाव क लोग जब भी कह बठत तो बात का ऐसा सलसला चलता िजसका कोई अत नह

था हर जगह बस उह क बात होती थी कछ लोग कहत क हरहर काका को अपनी

जमीन भगवान क नाम लख दनी चाहए इसस उम और अछा कछ नह हो सकता

इसस हरहर काका को कभी न ख़म होन वाल सध ात होगी इसक वपरत कछ

लोग क यह मानत थ क भाई का परवार भी तो अपना ह परवार होता ह अपनी

जायदाद उह न दना उनक साथ अयाय करना होगा हरहर काका क भाई उनस ाथना

करन लग क व अपन हस क जमीन को उनक नाम लखवा द इस वषय पर हरहर

काका न बहत सोचा और अत म इस परणाम पर पहच क अपन जीत-जी अपनी जायदाद

का वामी कसी और को बनाना ठक नह होगा फर चाह वह अपना भाई हो या मदर का

महत यक उह अपन गाव और इलाक क व कछ लोग याद आए िजहन अपनी िजदगी

म ह अपनी जायदाद को अपन रतदार या कसी और क नाम लखवा दया था उनका

जीवन बाद म कसी क क तरह हो गया था उह कोई पछन वाला भी नह था हरहर

काका बलकल भी पढ़-लख नह थ परत उह अपन जीवन म एकदम हए बदलाव को

समझन म कोई गलती नह हई और उहन फसला कर लया क व जीत-जी कसी को भी

अपनी जमीन नह लखग

लखक कहता ह क जस-जस समय बीत रहा था महत जी क परशानया बढ़ती जा

रह थी उह लग रहा था क उहन हरहर काका को फसान क लए जो जाल फ का

था हरहर काका उसस बाहर नकल गए ह यह बात महत जी को सहन नह हो रह

थी आधी रात क आस-पास दव-थान क साध-सत और उनक कछ साथी भाला

गड़ासा और बदक क साथ अचानक ह हरहर काका क आगन म आ गए इसस

पहल हरहर काका क भाई कछ सोच और कसी को अपनी सहायता क लए आवाज

लगा कर बलाए तब तक बहत दर हो गई थी हमला करन वाल हरहर काका को

अपनी पीठ पर डाल कर कह गायब हो गए थव हरहर काका को दव-थान ल गए

थ एक ओर तो दव-थान क अदर जबरदती हरहर काका क अगठ का नशान लन

और पकड़कर समझान का काम चल रहा था तो वह दसर ओर हरहर काका क

तीन भाई सबह होन स पहल ह पलस क जीप को लकर दव-थान पर पहच गए

थ महत और उनक साथय न हरहर काका को कमर म हाथ और पाव बाध कर

रखा था और साथ ह साथ उनक मह म कपड़ा ठसा गया था ताक व आवाज़ न कर

सक परत हरहर काका दरवाज़ तक लढ़कत हए आ गए थ और दरवाज़ पर अपन

पर स धका लगा रह थ ताक बाहर खड़ उनक भाई और पलस उह बचा सक

दरवाज़ा खोल कर हरहर काका को बधन स मत कया गया हरहर काका न

पलस को बताया क व लोग उह उस कमर म इस तरह बाध कर कह गत

दरवाज़ स भाग गए ह और उहन कछ खल और कछ लख हए कागज पर हरहर

काका क अगठ क नशान जबरदती लए ह

यह सब बीत जान क बाद हरहर काका फर स अपन भाइय क परवार क साथ रहन लग

गए थ चौबीस घट पहर दए जान लग थ यहा तक क अगर हरहर काका को कसी

काम क कारण गाव म जाना पड़ता तो हथयार क साथ चार-पाच लोग हमशा ह उनक

साथ रहन लग लखक कहता ह क हरहर काका क साथ जो कछ भी हआ था उसस हरहर

काका एक सीध-साद और भोल कसान क तलना म चालाक और बधमान हो गए थ

उह अब सब कछ समझ म आन लगा था क उनक भाइय का अचानक स उनक त जो

यवहार परवतन हो गया था उनक लए जो आदर-समान और सरा व दान कर रह थ

वह उनका कोई सग भाइय का यार नह था बिक व सब कछ उनक धन-दौलत क कारण

कर रह ह नह तो व हरहर काका को पछत तक नह जब स हरहर काका दव-थान स

वापस घर आए थ उसी दन स ह हरहर काका क भाई और उनक दसर नात-रतदार

सभी यह सोच रह थ क हरहर काका को क़ाननी तरक स उनक जायदाद को उनक

भतीज क नाम कर दना चाहए यक जब तक हरहर काका ऐसा नह करग तब तक

महत क तज़ नज़र उन पर टक रहगी जब हरहर काका क भाई हरहर काका को

समझात-समझात थक गए तो उहन हरहर काका को डाटना और उन पर दवाब डालना

श कर दया एक रात हरहर काका क भाइय न भी उसी तरह का यवहार करना श

कर दया जसा महत और उनक सहयोगय न कया था उह धमकात हए कह रह थ क

ख़शी-ख़शी कागज़ पर जहा-जहा जरत ह वहा-वहा अगठ क नशान लगत जाओ नह तो व

उह मार कर वह घर क अदर ह गाड़ दग और गाव क लोगो को इस बार म कोई सचना

भी नह मलगी हरहर काका क साथ अब उनक भाइय क मारपीट श हो गई जब

हरहर काका अपन भाइय का मकाबला नह कर पा रह थ तो उहन ज़ोर-ज़ोर स

चलाकर अपनी मदद क लए गाव वाल को आवाज लगाना श कर दया तब उनक

भाइय को यान आया क उह हरहर काका का मह पहल ह बद करना चाहए था उहन

उसी पल हरहर काका को जमीन पर पटका और उनक मह म कपड़ा ठस दया लकन तब

तक बहत दर हो गई थी हरहर काका क आवाज बाहर गाव म पहच गई थी हरहर काका

क परवार और रत-नात क लोग जब तक गाव वाल कोसमझात क यह सब उनक

परवार का आपसी मामला ह व सभी इसस दर रह तब तक महत जी बड़ी ह दता और

तज़ी स वहा पलस क जीप क साथ आ गए पलस न पर घर क अछ स तलाशी लना

श कर दया फर घर क अदर स हरहर काका को इतनी बर हालत म हासल कया गया

िजतनी बर हालत उनक दव-थान म भी नह हई थी हरहर काका न बताया क उनक

भाइय न उनक साथ बहत ह यादा बरा यवहार कया ह जबरदती बहत स कागज पर

उनक अगठ क नशान ल लए ह उह बहत यादा मारा-पीटा ह

इस घटना क बाद हरहर काका अपन परवार स एकदम अलग रहन लग थ उह उनक

सरा क लए चार राइफलधार पलस क जवान मल थ आचय क बात तो यह ह क

इसक लए उनक भाइय और महत क ओर स काफ़ यास कए गए थ असल म भाइय

को चता थी क हरहर काका अकल रहन लगग तो दव-थान क महत-पजार फर स

हरहर काका को बहला-फसला कर ल जायग और जमीन दव-थान क नाम करवा लग और

यह चता महत जी को भी थी क हरहर काका को अकला और असरत पा उनक भाई

फर स उह पकड़ कर मारग और जमीन को अपन नाम करवा लग लखक कहता ह क

हरहर काका स जड़ी बहत सी ख़बर गाव म फल रह थी जस-जस दन बड़ रह थ वस-वस

डर का मौहोल बन रहा था सभी लोग सफ यह सोच रह थ क हरहर काका न अमत तो

पया हआ ह नह तो मरना तो उनको एक दन ह ह और जब व मरग तो पर गाव म

तफ़ान आ जाएगा यक महत और हरहर काका क परवार क बीच जमीन को ल कर

लड़ाई हो जायगी

पलस क जवान हरहर काका क खच पर ह खब मौज-मती स रह रह थ िजसका धन

वह रह उपास खान वाल कर वलास अथात हरहर काका क पास धन था लकन उनक लए

अब उसका कोई महव नह था और पलस वाल बना कसी कारण स ह हरहर काका क

धन स मौज कर रह थ अब तक जो नह खाया था दोन वत उसका भोग लगा रह थ

-नोर-

1-कथावाचक और हरहर काका क बीच या सबध ह और इसक या कारण ह

1-कथावाचक जब छोटा था तब स ह हरहर काका उस बहत यार करत थ जब वह बड़ हो

गए तो वह हरहर काका क म बन गए गाव म इतनी गहर दोती और कसी स नह

हई हरहर काका उनस खल कर बात करत थ यह कारण ह क कथावाचक को उनक

एक-एक पल क खबर थी शायद अपना म बनान क लए काका न वय ह उस यार स

बड़ा कया और इतजार कया

2-हरहर काका को महत और भाई एक ह णी क य लगन लग

2-हरहर काका को अपन भाइय और महत म कोई अतर नह लगा दोन एक ह णी क

लग उनक भाइय क पिनय न कछ दन तक तो हरहर काका का यान रखा फर

बचीकची रोटया द नाता नह दत थ बमार म कोई पछन वाला भी न था िजतना भी

उह रखा जा रहा था उनक ज़मीन क लए था इसी तरह महत न एक दन तो बड़ यार

स खातर क फर ज़मीन अपन ठाकर बाड़ी क नाम करन क लए कहन लग काका क

मना करन पर उह अनक यातनाए द अपहरण करवाया मह म कपड़ा ठस कर एक कोठर

म बद कर दया जबरदती अगठ का नशान लया गया तथा उह मारा पीटा गया इस

तरह दोन ह कवल ज़मीन जायदाद क लए हरहर काका स यवहार रखत थ अत उह

दोन एक ह णी क लग

3-ठाकर बाड़ी क त गाव वाल क मन म अपार धा क जो भाव ह उसस उनक कस

मनोव का पता चलता ह

3-कहा जाता ह गाव क लोग भोल होत ह असल म गाव क लोग अधववासी धमभी होत

ह मदर जस थान को पव नकलक ान का तीक मानत ह पजार परोहत महत

जस िजतन भी धम क ठकदार ह उनपर अगाध धा रखत ह व चाह कतन भी

पतत वाथ और नीच ह पर उनका वरोध करत व डरत ह इसी कारण ठाकर बाड़ी क

त गाव वाल क अपार धा थी उनका हर सख-दख उसस जड़ा था

4-अनपढ़ होत हए भी हरहर काका दनया क बहतर समझ रखत ह कहानी क आधार पर

पट किजए

4-हरहर काका अनपढ़ थ फर भी उह दनयादार क बहद समझ थी उनक भाई लोग

उनस ज़बरदती ज़मीन अपन नाम करान क लए डरात थ तो उह गाव म दखावा करक

ज़मीन हथयान वालो क याद आती ह काका न उह दखी होत दखा ह इसलए उहन

ठान लया था चाह महत उकसाए चाह भाई दखावा कर वह ज़मीन कसी को भी नह दग

एक बार महत क उकसान पर भाइय क त धोखा नह करना चाहत थ परत जब भाइय

न भी धोखा दया तो उह समझ म आ गया उनक त उह कोई यार नह ह जो यार

दखात ह वह कवल ज़ायदाद क लए ह

5-हरहर काका को जबरन उठा ल जान वाल कौन थ उहन उनक साथ कसा यवहार

कया

5-महत न हरहर काका को बहत लोभन दए िजसस वह अपनी ज़मीन जायदाद ठाकर

बाड़ी क नाम कर द परत काका इस बात क लए तयार नह थ व सोच रह थ क या

भगवान क लए अपन भाइय स धोखा क यह उह सह भी नह लग रहा था महत को

यह बात पता लगी तो उसन छल और बल स रात क समय अकल दालान म सोत हए

हरहर काका को उठवा लया महत न अपन चल साधसतो क साथ मलकर उनक हाथ पर

बाध दए मह म कपड़ा ठस दया और जबरदती अगठ क नशान लए उह एक कमर म

बद कर दया जब पलस आई तो वय गत दरवाज़ स भाग गए

6-हरहर काका क मामल म गाव वाल क या राय थी और उसक या कारण थ

6-कहानी क आधार पर गाव क लोग को बना बताए पता चल गया क हरहर काका को

उनक भाई नह पछत इसलए सख आराम का लोभन दकर महत उह अपन साथ ल

गया भाई मनत करक काका को वापस ल आत ह इस तरह गाव क लोग दो प म

बट गए कछ लोग महत क तरफ़ थ जो चाहत थ क काका अपनी ज़मीन धम क नाम पर

ठाकर बाड़ी को द द ताक उह सख आराम मल मय क बाद मो यश मल महत ानी

ह वह सब कछ जानता ह लकन दसर प क लोग कहत क ज़मीन परवार वालो को द

जाए उनका कहना था इसस उनक परवार का पट भरगा मदर को ज़मीन दना अयाय

होगा इस तरह दोन प अपन-अपन हसाब स सोच रह थ परत हरहर काका क बार म

कोई नह सोच रहा था इन बात का एक कारण यह भी था क काका वधर थ और उनक

कोई सतान भी नह थी पह बीघ ज़मीन क लए इनका लालच वाभवक था

7-कहानी क आधार पर पट किजए क लखक न यह य कहा अान क िथत म ह

मनय मय स डरत ह ान होन क बाद तो आदमी आवयकता पड़न पर मय को वरण

करन क लए तयार हो जाता ह

7-जब काका को असलयत पता चल और उह समझ म आ गया क सब लोग उनक

ज़मीन जायदाद क पीछ ह तो उह व सभी लोग याद आ गए िजहन परवार वालो क मोह

माया म आकर अपनी ज़मीन उनक नाम कर द और मय तक तलतल करक मरत

रह दान-दान को मोहताज़ हो गए इसलए उहन सोचा क इस तरह रहन स तो एक बार

मरना अछा ह जीत जी ज़मीन कसी को भी नह दग य लोग मझ एक बार म ह मार

द अत लखक न कहा क अान क िथत म मनय मय स डरता ह परत ान होन

पर मय वरण को तयार रहता ह

8-समाज म रत क या अहमयत ह इस वषय पर अपन वचार कट किजए

8-आज समाज म मानवीय मय तथा पारवारक मय धीर-धीर समात होत जा रह ह

यादातर यित अपन वाथ क लए रत नभात ह अपनी आवयकताओ क हसाब स

मलत ह अमीर रतदार का समान करत ह उनस मलन को आतर रहत ह जबक गरब

रतदार स कतरात ह कवल वाथ सध क अहमयत रह गई ह आए दन हम

अखबार म समाचार पढ़त ह क ज़मीन जाय़दाद पस जवर क लए लोग घनौन स घनौना

काय कर जात ह (हया अपहरण आद) इसी कार इस कहानी म भी पलस न पहचती तो

परवार वाल महत जी (काका क) हया ह कर दत उह यह अफसोस रहा क व काका को

मार नह पाए

9-यद आपक आसपास हरहर काका जसी हालत म कोई हो तो आप उसक कस कार

मदद करग

9-यद हमार आसपास हरहर काका जसी हालत म कोई हो तो हम उसक पर तरह मदद

करन क कोशश करग उनस मलकर उनक दख का कारण पता करग उह अहसास

दलाएग क व अकल नह ह सबस पहल तो यह ववास कराएग क सभी यित लालची

नह होत ह इस तरह मौन रह कर दसर को मौका न द बिक उलास स शष जीवन

बताए रतदार स मलकर उनक सबध सधारन का यन करग

10-हरहर काका क गाव म यद मीडया क पहच होती तो उनक या िथत होती अपन

शद म लखए

10-यद काका क गाव म मीडया पहच जाती तो सबक पोल खल जाती महत व भाइय का

पदाफाश हो जाता अपहरण और जबरन अगठा लगवान क अपराध म उह जल हो जाती

अपना-अपना मोचा सभालना - अपनी िजमदार नबाहना

आसमान स जमीन पर गरना -उच िथत स नन िथत पर आना

खल कर बात करना- बना सकच क बात करना |

चपत हो जाना ndash भाग जाना |

जी-जान स जट जाना ndash खब महनत करना

िजतन मह उतनी बात होना- कई तरह क बात करना |

ततर-बतर होना ndash बखर जाना |

त-त म -म होना -झगड़ा होना |

नमक-मच लगाना- बढ़ा-चढ़कर कहना|

बात बनाना- बहान बनाना|

रग चढ़ना- असर होना|

मह न खोलना ndash कछ न बताना |

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पय-भाग

पाठ-4

मनयता ndashमथलशरण गत

-लखक का परचय-

-पाठ का सार व पिटकरण-

कत क अय ाणय क तलना म मनय म सोचन क शित अधक होती ह

वह अपन ह नह दसर क सख - दःख का भी याल रखता ह और दसर क लए

कछ करन म समथ होता ह जानवर जब चरागाह म जात ह तो कवल अपन लए

चर कर आत ह परत मनय ऐसा नह ह वह जो कछ भी कमाता ह जो कछ भी

बनाता ह वह दसर क लए भी करता ह और दसर क सहायता स भी करता ह

तत पाठ का कव अपन क सख - दःख क चता करन वाल को मनय तो

मानता ह परत यह मानन को तयार नह ह क उन मनय म मनयता क सार

गण होत ह कव कवल उन मनय को महान मानता ह जो अपन क सख - दःख

स पहल दसर क चता करत ह वह मनय म ऐस गण चाहता ह िजसक कारण

कोई भी मनय इस मयलोक स चल जान क बाद भी सदय तक दसर क याद म

रहता ह अथात वह मय क बाद भी अमर रहता ह

-पाठ सार-

इस कवता म कव मनयता का सह अथ समझान का यास कर रहा ह पहल

भाग म कव कहता ह क मय स नह डरना चाहए यक मय तो निचत ह पर

हम ऐसा कछ करना चाहए क लोग हम मय क बाद भी याद रख असल मनय

वह ह जो दसर क लए जीना व मरना सीख ल दसर भाग म कव कहता ह क

हम उदार बनना चाहए यक उदार मनय का हर जगह गण गान होता ह मनय

वह कहलाता ह जो दसर क चता कर तीसर भाग म कव कहता ह क पराण

म उन लोग क बहत उदाहरण ह िजह उनक याग भाव क लए आज भी याद

कया जाता ह सचा मनय वह ह जो याग भाव जान ल चौथ भाग म कव

कहता ह क मनय क मन म दया और कणा का भाव होना चाहए मनय वह

कहलाता ह जो दसर क लए मरता और जीता ह पाचव भाग म कव कहना चाहता

ह क यहा कोई अनाथ नह ह यक हम सब उस एक ईवर क सतान ह हम

भदभाव स ऊपर उठ कर सोचना चाहएछठ भाग म कव कहना चाहता ह क हम

दयाल बनना चाहए यक दयाल और परोपकार मनय का दवता भी वागत करत

ह अतः हम दसर का परोपकार व कयाण करना चाहएसातव भाग म कव कहता

ह क मनय क बाहर कम अलग अलग हो परत हमार वद साी ह क सभी क

आमा एक ह हम सब एक ह ईवर क सतान ह अतः सभी मनय भाई -बध ह

और मनय वह ह जो दःख म दसर मनय क काम आयअतम भाग म कव

कहना चाहता ह क वप और वन को हटात हए मनय को अपन चन हए रात

पर चलना चाहए आपसी समझ को बनाय रखना चाहए और भदभाव को नह

बढ़ाना चाहए ऐसी सोच वाला मनय ह अपना और दसर का कयाण और उधार

कर सकता ह

-याया

1-वचार लो क मय हो न मय स डरो कभी

मरो परत य मरो क याद जो कर सभी

हई न य समय तो वथा मर वथा िजए

मारा नह वह क जो िजया न आपक लए

वह पश- वत ह क आप आप ह चर

वह मनय ह क जो मनय क लए मर

सग - तत कवता हमार पाय पतक पश भाग -2 स ल गई ह इसक

कव मथलशरण गत ह इन पितओ म कव बताना चाहता ह क मनय को

कसा जीवन जीना चाहए

याया - कव कहता ह क हम यह जान लना चाहए क मय का होना निचत

ह हम मय स नह डरना चाहए कव कहता ह क हम कछ ऐसा करना चाहए क

लोग हम मरन क बाद भी याद रख जो मनय दसर क लए कछ भी ना कर सक

उनका जीना और मरना दोन बकार ह मर कर भी वह मनय कभी नह मरता जो

अपन लए नह दसर क लए जीता ह यक अपन लए तो जानवर भी जीत ह

कव क अनसार मनय वह ह जो दसर मनय क लए मर अथात जो मनय दसर

क चता कर वह असल मनय कहलाता ह

2-उसी उदार क कथा सरवती बखानती

उसी उदार स धरा कताथ भाव मानती

उसी उदार क सदा सजीव कत कजती

तथा उसी उदार को समत सिट पजती

अखड आम भाव जो असीम वव म भर

वह मनय ह क जो मनय क लए मर

सग - तत कवता हमार पाय पतक पश भाग -2 स ल गई ह इसक

कव मथलशरण गत ह इन पितओ म कव बताना चाहता ह क जो मनय

दसर क लए जीत ह उनका गणगान यग - यग तक कया जाता ह

याया - कव कहता ह क जो मनय अपन पर जीवन म दसर क चता करता

ह उस महान यित क कथा का गण गान सरवती अथात पतक म कया जाता

ह पर धरती उस महान यित क आभार रहती ह उस यित क बातचीत

हमशा जीवत यित क तरह क जाती ह और पर सिट उसक पजा करती ह

कव कहता ह क जो यित पर ससार को अखड भाव और भाईचार क भावना म

बाधता ह वह यित सह मायन म मनय कहलान योय होता ह

3-धात रतदव न दया करथ थाल भी

तथा दधीच न दया पराथ अिथजाल भी

उशीनर तीश न वमास दान भी कया

सहष वीर कण न शरर-चम भी दया

अनय दह क लए अनाद जीव या डर

वह मनय ह क जो मनय क लए मर

सग - तत कवता हमार पाय पतक पश भाग -2 स ल गई ह इसक

कव मथलशरण गत ह इन पितओ म कव न महान पष क उदाहरण दए ह

िजनक महानता क कारण उह याद कया जाता ह

याया - कव कहता ह क पौराणक कथाए ऐस यितओ क उदाहरण स भर

पड़ी ह िजहन अपना परा जीवन दसर क लए याग दया िजस कारण उह आज

तक याद कया जाता ह भख स परशान रतदव न अपन हाथ क आखर थाल भी

दान कर द थी और महष दधीच न तो अपन पर शरर क हडया व बनान क

लए दान कर द थी उशीनर दश क राजा शब न कबतर क जान बचान क लए

अपना परा मास दान कर दया था वीर कण न अपनी ख़शी स अपन शरर का

कवच दान कर दया था कव कहना चाहता ह क मनय इस नवर शरर क लए

य डरता ह यक मनय वह कहलाता ह जो दसर क लए अपन आप को याग

दता ह

4-सहानभत चाहए महावभत ह यह

वशीकता सदव ह बनी हई वय मह

वधभाव बध का दया-वाह म बहा

वनीत लोकवग या न सामन झका रहा

अहा वह उदार ह परोपकार जो कर

वह मनय ह क जो मनय क लए मर

सग - तत कवता हमार पाय पतक पश भाग -2 स ल गई ह इसक

कव मथलशरण गत ह इन पितओ म कव न महामा बध का उदाहरण दत

हए दया कणा को सबस बड़ा धन बताया ह

याया - कव कहता ह क मनय क मन म दया व कणा का भाव होना चाहए

यह सबस बड़ा धन ह वय ईवर भी ऐस लोग क साथ रहत ह इसका सबस

बड़ा उदाहरण महामा बध ह िजनस लोग का दःख नह दखा गया तो व लोक

कयाण क लए दनया क नयम क वध चल गए इसक लए या परा ससार

उनक सामन नह झकता अथात उनक दया भाव व परोपकार क कारण आज भी

उनको याद कया जाता ह और उनक पजा क जाती ह महान उस को कहा जाता ह

जो परोपकार करता ह वह मनय मनय कहलाता ह जो मनय क लए जीता ह

और मरता ह

5-रहो न भल क कभी मदाघ तछ व म

सनाथ जान आपको करो न गव च म

अनाथ कौन ह यहा लोकनाथ साथ ह

दयाल दन बध क बड़ वशाल हाथ ह

अतीव भायहन ह अधीर भाव जो कर

वह मनय ह क जो मनय क लए मर

सग - तत कवता हमार पाय पतक पश भाग -2 स ल गई ह इसक

कव मथलशरण गत ह इन पितओ म कव कहता ह क सपत पर कभी

घमड नह करना चाहए और कसी को अनाथ नह समझना चाहए यक ईवर

सबक साथ ह

याया - कव कहता ह क भल कर भी कभी सप या यश पर घमड नह करना

चाहए इस बात पर कभी गव नह करना चाहए क हमार साथ हमार अपन का

साथ ह यक कव कहता ह क यहा कौन सा यित अनाथ ह उस ईवर का

साथ सब क साथ ह वह बहत दयावान ह उसका हाथ सबक ऊपर रहता ह कव

कहता ह क वह यित भायहन ह जो इस कार का उतावलापन रखता ह यक

मनय वह यित कहलाता ह जो इन सब चीज स ऊपर उठ कर सोचता ह

6-अनत अतर म अनत दव ह खड़

सम ह वबाह जो बढ़ा रह बड़-बड़

परपरावलब स उठो तथा बढ़ो सभी

अभी अमय-अक म अपक हो चढ़ो सभी

रहो न या क एक स न काम और का सर

वह मनय ह क जो मनय क लए मर

सग - तत कवता हमार पाय पतक पश भाग -2 स ल गई ह इसक

कव मथलशरण गत ह इन पितओ म कव कहता ह क कलक रहत रहन व

दसर का सहारा बनन वाल मवषय का दवता भी वागत करत ह

याया - कव कहता ह क उस कभी न समात होन वाल आकाश म असय

दवता खड़ ह जो परोपकार व दयाल मनय का सामन स खड़ होकर अपनी भजाओ

को फलाकर वागत करत ह इसलए दसर का सहारा बनो और सभी को साथ म

लकर आग बड़ो कव कहता ह क सभी कलक रहत हो कर दवताओ क गोद म

बठो अथात यद कोई बरा काम नह करोग तो दवता तह अपनी गोद म ल लग

अपन मतलब क लए नह जीना चाहए अपना और दसर का कयाण व उधार

करना चाहए यक इस मरणशील ससार म मनय वह ह जो मनय का कयाण

कर व परोपकार कर

7-मनय माा बध ह यह बड़ा ववक ह

पराणपष वयभ पता सध एक ह

फलानसार कम क अवय बाय भद ह

परत अतरय म माणभत वद ह

अनथ ह क बध ह न बध क यथा हर

वह मनय ह क जो मनय क लए मर

सग - तत कवता हमार पाय पतक पश भाग -2 स ल गई ह इसक

कव मथलशरण गत ह इन पितओ म कव कहता ह क हम सब एक ईवर क

सतान ह अतः हम सभी मनय एक - दसर क भाई - बध ह

याया - कव कहता ह क यक मनय एक दसर क भाई - बध ह यह सबस

बड़ी समझ ह पराण म िजस वय उपन पष मना गया ह वह परमामा या

ईवर हम सभी का पता ह अथात सभी मनय उस एक ईवर क सतान ह

बाहर कारण क फल अनसार यक मनय क कम भल ह अलग अलग ह परत

हमार वद इस बात क साी ह क सभी क आमा एक ह कव कहता ह क यद

भाई ह भाई क दःख व कट का नाश नह करगा तो उसका जीना यथ ह यक

मनय वह कहलाता ह जो बर समय म दसर मनय क काम आता ह

8-चलो अभीट माग म सहष खलत हए

वपवन जो पड़ उह ढकलत हए

घट न हलमल हा बढ़ न भनता कभी

अतक एक पथ क सतक पथ ह सभी

तभी समथ भाव ह क तारता हआ तर

वह मनय ह क जो मनय क लए मर

सग - तत कवता हमार पाय पतक पश भाग -2 स ल गई ह इसक

कव मथलशरण गत ह इन पितओ म कव कहता ह क यद हम ख़शी ससार

कट को हटत हए भदभाव रहत रहग तभी सभव ह क समाज क उनत होगी

याया - कव कहता ह क मनय को अपनी इछा स चन हए माग म ख़शी

ख़शी चलना चाहएरात म कोई भी सकट या बाधाए आय उह हटात चल जाना

चाहए मनय को यह यान रखना चाहए क आपसी समझ न बगड़ और भद

भाव न बड़ बना कसी तक वतक क सभी को एक साथ ल कर आग बढ़ना चाहए

तभी यह सभव होगा क मनय दसर क उनत और कयाण क साथ अपनी

समध भी कायम कर

-ननलखत न क उर दिजय ndash

1-कव न कसी मय को समय कहा ह

1-कव न ऐसी मय को समय कहा ह िजसम मनय अपन स पहल दसर क चता

करता ह और परोपकार क राह को चनता ह िजसस उस मरन क बाद भी याद कया

जाता ह

2-उदार यित क पहचान कस हो सकती ह

2- उदार यित परोपकार होता ह वह अपन स पहल दसर क चता करता ह और

लोक कयाण क लए अपना जीवन याग दता ह

3-कव न दधीच कण आद महान यितओ क उदाहरण द कर मनयता क लए

या उदाहरण दया ह

3- कव न दधीच कण आद महान यितओ क उदाहरण द कर मनयता क

लए यह सदश दया ह क परोपकार करन वाला ह असल मनय कहलान योय

होता ह मानवता क रा क लए दधीच न अपन शरर क सार अिथया दान कर

द थीकण न अपनी जान क परवाह कय बना अपना कवच द दया था िजस

कारण उह आज तक याद कया जाता ह कव इन उदाहरण क वारा यह

समझाना चाहता ह क परोपकार ह सची मनयता ह

4- कव न कन पितय म यह यत कया ह क हम गव - रहत जीवन यतीत

करना चाहए

4- कव न ननलखत पितय म गव रहत जीवन यतीत करन क बात कह ह-

रहो न भल क कभी मगाघ तछ व म

सनाथ जान आपको करो न गव च म

अथात सपत क घमड म कभी नह रहना चाहए और न ह इस बात पर गव

करना चाहए क आपक पास आपक अपन का साथ ह यक इस दनया म कोई

भी अनाथ नह ह सब उस परम पता परमवर क सतान ह

5- मनय मा बध ह स आप या समझत ह पट किजए

5- मनय मा बध ह अथात हम सब मनय एक ईवर क सतान ह अतः हम

सब भाई - बध ह भाई -बध होन क नात हम भाईचार क साथ रहना चाहए और

एक दसर का बर समय म साथ दना चाहए

6- कव न सबको एक होकर चलन क रणा य द ह

6- कव न सबको एक होकर चलन क रणा इसलए द ह ताक आपसी समझ न

बगड़ और न ह भदभाव बड़ सब एक साथ एक होकर चलग तो सार बाधाए मट

जाएगी और सबका कयाण और समध होगी

7- यित को कस तरह का जीवन यतीत करना चाहए इस कवता क आधार पर

लखए

7-मनय को परोपकार का जीवन जीना चाहए अपन स पहल दसर क दख क

चता करनी चाहए कवल अपन बार म तो जानवर भी सोचत ह कव क अनसार

मनय वह कहलाता ह जो अपन स पहल दसर क चता कर

8- मनयता कवता क वारा कव या सदश दना चाहता ह

8- मनयता कवता क मायम स कव यह सदश दना चाहता ह क परोपकार ह

सची मनयता ह परोपकार ह एक ऐसा साधन ह िजसक मायम स हम यग तक

लोगो क दल म अपनी जगह बना सकत ह और परोपकार क वारा ह समाज का

कयाण व समध सभव ह अतः हम परोपकार बनना चाहए ताक हम सह

मायन म मनय कहलाय

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-याकरण-

पदबध- परभाषा

पद- वाय स अलग रहन पर शद और वाय म यत हो जान पर शद

पद कहलात ह दसर शद म- वाय म यत शद पद कहलाता ह पदबध-

जब दो या अधक (शद) पद नयत म और निचत अथ म कसी पद का

काय करत ह तो उह पदबध कहत ह

पदबध क भद

मय पद क आधार पर पदबध क पाच कार होत ह-

(1) सा-पदबध (2) वशषण-पदबध

(3) सवनाम पदबध (4) या पदबध

(5) अयय पदबध

(1) सा-पदबध-

(a)चार ताकतवर मजदर इस भार चीज को उठा पाए

(b) राम न लका क राजा रावण को मार गराया

(c) अयोया क राजा दशरथ क चार प थ

(d) आसमान म उड़ता गबारा फट गया

2) वशषण पदबध-

a) तज चलन वाल गाड़या ायः दर स पहचती ह

(b) उस घर क कोन म बठा हआ आदमी जासस ह

(c) उसका घोड़ा अयत सदर फरतीला और आाकार ह

(d) बरगद और पीपल क घनी छाव स हम बहत सख मला

3) सवनाम पदबध-

(a)बजल-सी फरती दखाकर आपन बालक को डबन स बचा लया

(b)शरारत करन वाल छा म स कछ पकड़ गए

(c)वरोध करन वाल लोग म स कोई नह बोला

4) या पदबध-

(a) वह बाजार क ओर आया होगा

(b) मझ मोहन छत स दखाई द रहा ह

(c) सरश नद म डब गया

(d) अब दरवाजा खोला जा सकता ह

5) अयय पदबध-

(a)अपन सामान क साथ वह चला गया

(b)सबह स शाम तक वह बठा रहा

कसी भी भाषा क व शद अयय (Indeclinable या inflexible) कहलात ह िजनक प म

लग वचन पष कारक काल इयाद क कारण कोई वकार उप नह होता

चक अयय का पातर नह होता इसलए ऐस शद अवकार होत ह अयय का शािदक

अथ ह- जो यय न हो

(i) कालवाचक अयय- इनम समय का बोध होता ह जस- आज कल तरत पीछ पहल अब

जब तब कभी-कभी कब अब स नय जब स सदा स अभी तभी आजकल और कभी

उदाहरणाथ-

अब स ऐसी बात नह होगी

ऐसी बात सदा स होती रह ह

वह कब आया मझ पता नह

(ii) थानवाचक अयय- इसस थान का बोध होता ह जस- यहा वहा कहा जहा यहा स

वहा स इधर-उधर उदाहरणाथ-

वह यहा नह ह

वह कहा जायगा

वहा कोई नह ह

जहा तम हो वहा म ह

(iii) दशावाचक अयय- इसस दशा का बोध होता ह जस- इधर उधर िजधर दर पर अलग

दाहन बाए आरपार

(iv) िथतवाचक अयय- नीच ऊपर तल सामन बाहर भीतर इयाद

अयय क भद

अयय ननलखत चार कार क होत ह -

(1) यावशषण (Adverb)

(2) सबधबोधक (Preposition)

(3) समचयबोधक (Conjunction)

(4) वमयादबोधक (Interjection)

(1) यावशषण - िजन शद स या वशषण या दसर यावशषण क वशषता कट

हो उह यावशषण कहत ह

दसर शदो म- जो शद या क वशषता बतलात ह उह या वशषण कहा जाता ह

जस- राम धीर-धीर टहलता ह राम वहा टहलता ह राम अभी टहलता ह

इन वाय म धीर-धीर वहा और अभी राम क टहलन (या) क वशषता बतलात ह य

यावशषण अवकार वशषण भी कहलात ह इसक अतरत यावशषण दसर

यावशषण क भी वशषता बताता ह

वह बहत धीर चलता ह इस वाय म बहत यावशषण ह यक यह दसर यावशषण

धीर क वशषता बतलाता ह

या वशषण क कार

(1) योग क अनसार- (i) साधारण (ii) सयोजक (iii) अनबध

(2) प क अनसार- (i) मल यावशषण (ii) यौगक यावशषण (iii) थानीय यावशषण

(3) अथ क अनसार- (i) परमाणवाचक (ii) रतवाचक

(1) योग क अनसार यावशषण क भद

योग क अनसार यावशषण क तीन भद ह-

(i) साधारण यावशषण- िजन यावशषण का योग कसी वाय म वत होता ह

उह साधारण यावशषण कहा जाता ह

जस- हाय अब म या क बटा जद आओ अर साप कहा गया

(ii) सयोजक यावशषण- िजन यावशषण का सबध कसी उपवाय स रहता ह उह

सयोजक यावशषण कहा जाता ह

जस- जब रोहताव ह नह तो म ह जीकर या कगी जहा अभी सम ह वहा कसी

समय जगल था

(iii) अनबध यावशषण- िजन यावशषण क योग अवधारण (नचय) क लए कसी

भी शदभद क साथ होता हो उह अनबध यावशषण कहा जाता ह

जस- यह तो कसी न धोखा ह दया ह मन उस दखा तक नह

(2) प क अनसार यावशषण क भद

प क अनसार यावशषण क तीन भद ह-

(i) मल यावशषण- ऐस यावशषण जो कसी दसर शद क मल स नह बनत मल

यावशषण कहलात ह

जस- ठक दर अचानक फर नह

(ii) यौगक यावशषण- ऐस यावशषण जो कसी दसर शद म यय या पद जोड़न

पर बनत ह यौगक यावशषण कहलात ह

जस- मन स िजसस चपक स भल स दखत हए यहा तक झट स वहा पर यौगक

यावशषण सा सवनाम वशषण धात और अयय क मल स बनत ह

यौगक यावशषण नीच लख शद क मल स बनत ह-

(i) साओ क वित स- घर-घर घड़ी-घड़ी बीच-बीच हाथ-हाथ

(ii) दो भ साओ क मल स- दन-रात साझ-सबर घर-बाहर दश-वदश

(iii) वशषण क वित स- एक-एक ठक-ठक साफ-साफ

(iv) यावशषण क वित स- धीर-धीर जहा-तहा कब-कब कहा-कहा

(v) दो यावशषण क मल स- जहा-तहा जहा-कह जब-तब जब-कभी कल-परस आस-पास

(vi) दो भ या समान यावशषण क बीच न लगान स- कभी-न-कभी कछ-न-कछ

(vii) अनकरण वाचक शद क वित स- पटपट तड़तड़ सटासट धड़ाधड़

(viii) सा और वशषण क योग स- एक साथ एक बार दो बार

(ix) अय य और दसर शद क मल स- तदन यथाम अनजान आजम

(x) पवकालक कदत और वशषण क मल स- वशषकर बहतकर मयकर एक-एककर

(iii) थानीय यावशषण- ऐस यावशषण जो बना पातर क कसी वशष थान म

आत ह थानीय यावशषण कहलात ह

जस- वह अपना सर पढ़गा

वह दौड़कर चलत ह

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  • (1) अरथ की दषटि स शबद-भद13
  • (2) परयोग की दषटि स शबद-भद13
  • (3) उतपति की दषटि स शबद-भद13
  • 1) सवर सधि-13
  • परति+छवि=परतिचछवि दिक+अनत=दिगनत दिक+गज=दिगगज अन+छद=अनचछद अच +अनत = अजनत 13
  • 3)विसरग सधि - विसरग क साथ सवर या वयजन का मल होन पर जो विकार होता ह उस 13
  • विसरग सधि कहत ह 13
  • मन+रथ=मनोरथ यश+अभिलाषा=यशोभिलाषा अध+गति=अधोगति नि+छल=निशछल द +गम = दरगम 13
    • -पाठ सार-13
    • -वयाखया13
    • -निमनलिखित परशनो क उततर दीजिय ndash13
    • 1-कवि न कसी मतय को समतय कहा ह13
    • अवयय क भद13
    • करिया विशषण क परकार13
Page 26: Class –X HINDI JUNE SYLLABUS 2020 Chapters:- Ch-1-Sanchayan …punainternationalschool.com/assets/upload/ck-images/Std-10th=Jun… · -harihar kaka . पय-भाग पाठ-3

लखक कहता ह क जस-जस समय बीत रहा था महत जी क परशानया बढ़ती जा

रह थी उह लग रहा था क उहन हरहर काका को फसान क लए जो जाल फ का

था हरहर काका उसस बाहर नकल गए ह यह बात महत जी को सहन नह हो रह

थी आधी रात क आस-पास दव-थान क साध-सत और उनक कछ साथी भाला

गड़ासा और बदक क साथ अचानक ह हरहर काका क आगन म आ गए इसस

पहल हरहर काका क भाई कछ सोच और कसी को अपनी सहायता क लए आवाज

लगा कर बलाए तब तक बहत दर हो गई थी हमला करन वाल हरहर काका को

अपनी पीठ पर डाल कर कह गायब हो गए थव हरहर काका को दव-थान ल गए

थ एक ओर तो दव-थान क अदर जबरदती हरहर काका क अगठ का नशान लन

और पकड़कर समझान का काम चल रहा था तो वह दसर ओर हरहर काका क

तीन भाई सबह होन स पहल ह पलस क जीप को लकर दव-थान पर पहच गए

थ महत और उनक साथय न हरहर काका को कमर म हाथ और पाव बाध कर

रखा था और साथ ह साथ उनक मह म कपड़ा ठसा गया था ताक व आवाज़ न कर

सक परत हरहर काका दरवाज़ तक लढ़कत हए आ गए थ और दरवाज़ पर अपन

पर स धका लगा रह थ ताक बाहर खड़ उनक भाई और पलस उह बचा सक

दरवाज़ा खोल कर हरहर काका को बधन स मत कया गया हरहर काका न

पलस को बताया क व लोग उह उस कमर म इस तरह बाध कर कह गत

दरवाज़ स भाग गए ह और उहन कछ खल और कछ लख हए कागज पर हरहर

काका क अगठ क नशान जबरदती लए ह

यह सब बीत जान क बाद हरहर काका फर स अपन भाइय क परवार क साथ रहन लग

गए थ चौबीस घट पहर दए जान लग थ यहा तक क अगर हरहर काका को कसी

काम क कारण गाव म जाना पड़ता तो हथयार क साथ चार-पाच लोग हमशा ह उनक

साथ रहन लग लखक कहता ह क हरहर काका क साथ जो कछ भी हआ था उसस हरहर

काका एक सीध-साद और भोल कसान क तलना म चालाक और बधमान हो गए थ

उह अब सब कछ समझ म आन लगा था क उनक भाइय का अचानक स उनक त जो

यवहार परवतन हो गया था उनक लए जो आदर-समान और सरा व दान कर रह थ

वह उनका कोई सग भाइय का यार नह था बिक व सब कछ उनक धन-दौलत क कारण

कर रह ह नह तो व हरहर काका को पछत तक नह जब स हरहर काका दव-थान स

वापस घर आए थ उसी दन स ह हरहर काका क भाई और उनक दसर नात-रतदार

सभी यह सोच रह थ क हरहर काका को क़ाननी तरक स उनक जायदाद को उनक

भतीज क नाम कर दना चाहए यक जब तक हरहर काका ऐसा नह करग तब तक

महत क तज़ नज़र उन पर टक रहगी जब हरहर काका क भाई हरहर काका को

समझात-समझात थक गए तो उहन हरहर काका को डाटना और उन पर दवाब डालना

श कर दया एक रात हरहर काका क भाइय न भी उसी तरह का यवहार करना श

कर दया जसा महत और उनक सहयोगय न कया था उह धमकात हए कह रह थ क

ख़शी-ख़शी कागज़ पर जहा-जहा जरत ह वहा-वहा अगठ क नशान लगत जाओ नह तो व

उह मार कर वह घर क अदर ह गाड़ दग और गाव क लोगो को इस बार म कोई सचना

भी नह मलगी हरहर काका क साथ अब उनक भाइय क मारपीट श हो गई जब

हरहर काका अपन भाइय का मकाबला नह कर पा रह थ तो उहन ज़ोर-ज़ोर स

चलाकर अपनी मदद क लए गाव वाल को आवाज लगाना श कर दया तब उनक

भाइय को यान आया क उह हरहर काका का मह पहल ह बद करना चाहए था उहन

उसी पल हरहर काका को जमीन पर पटका और उनक मह म कपड़ा ठस दया लकन तब

तक बहत दर हो गई थी हरहर काका क आवाज बाहर गाव म पहच गई थी हरहर काका

क परवार और रत-नात क लोग जब तक गाव वाल कोसमझात क यह सब उनक

परवार का आपसी मामला ह व सभी इसस दर रह तब तक महत जी बड़ी ह दता और

तज़ी स वहा पलस क जीप क साथ आ गए पलस न पर घर क अछ स तलाशी लना

श कर दया फर घर क अदर स हरहर काका को इतनी बर हालत म हासल कया गया

िजतनी बर हालत उनक दव-थान म भी नह हई थी हरहर काका न बताया क उनक

भाइय न उनक साथ बहत ह यादा बरा यवहार कया ह जबरदती बहत स कागज पर

उनक अगठ क नशान ल लए ह उह बहत यादा मारा-पीटा ह

इस घटना क बाद हरहर काका अपन परवार स एकदम अलग रहन लग थ उह उनक

सरा क लए चार राइफलधार पलस क जवान मल थ आचय क बात तो यह ह क

इसक लए उनक भाइय और महत क ओर स काफ़ यास कए गए थ असल म भाइय

को चता थी क हरहर काका अकल रहन लगग तो दव-थान क महत-पजार फर स

हरहर काका को बहला-फसला कर ल जायग और जमीन दव-थान क नाम करवा लग और

यह चता महत जी को भी थी क हरहर काका को अकला और असरत पा उनक भाई

फर स उह पकड़ कर मारग और जमीन को अपन नाम करवा लग लखक कहता ह क

हरहर काका स जड़ी बहत सी ख़बर गाव म फल रह थी जस-जस दन बड़ रह थ वस-वस

डर का मौहोल बन रहा था सभी लोग सफ यह सोच रह थ क हरहर काका न अमत तो

पया हआ ह नह तो मरना तो उनको एक दन ह ह और जब व मरग तो पर गाव म

तफ़ान आ जाएगा यक महत और हरहर काका क परवार क बीच जमीन को ल कर

लड़ाई हो जायगी

पलस क जवान हरहर काका क खच पर ह खब मौज-मती स रह रह थ िजसका धन

वह रह उपास खान वाल कर वलास अथात हरहर काका क पास धन था लकन उनक लए

अब उसका कोई महव नह था और पलस वाल बना कसी कारण स ह हरहर काका क

धन स मौज कर रह थ अब तक जो नह खाया था दोन वत उसका भोग लगा रह थ

-नोर-

1-कथावाचक और हरहर काका क बीच या सबध ह और इसक या कारण ह

1-कथावाचक जब छोटा था तब स ह हरहर काका उस बहत यार करत थ जब वह बड़ हो

गए तो वह हरहर काका क म बन गए गाव म इतनी गहर दोती और कसी स नह

हई हरहर काका उनस खल कर बात करत थ यह कारण ह क कथावाचक को उनक

एक-एक पल क खबर थी शायद अपना म बनान क लए काका न वय ह उस यार स

बड़ा कया और इतजार कया

2-हरहर काका को महत और भाई एक ह णी क य लगन लग

2-हरहर काका को अपन भाइय और महत म कोई अतर नह लगा दोन एक ह णी क

लग उनक भाइय क पिनय न कछ दन तक तो हरहर काका का यान रखा फर

बचीकची रोटया द नाता नह दत थ बमार म कोई पछन वाला भी न था िजतना भी

उह रखा जा रहा था उनक ज़मीन क लए था इसी तरह महत न एक दन तो बड़ यार

स खातर क फर ज़मीन अपन ठाकर बाड़ी क नाम करन क लए कहन लग काका क

मना करन पर उह अनक यातनाए द अपहरण करवाया मह म कपड़ा ठस कर एक कोठर

म बद कर दया जबरदती अगठ का नशान लया गया तथा उह मारा पीटा गया इस

तरह दोन ह कवल ज़मीन जायदाद क लए हरहर काका स यवहार रखत थ अत उह

दोन एक ह णी क लग

3-ठाकर बाड़ी क त गाव वाल क मन म अपार धा क जो भाव ह उसस उनक कस

मनोव का पता चलता ह

3-कहा जाता ह गाव क लोग भोल होत ह असल म गाव क लोग अधववासी धमभी होत

ह मदर जस थान को पव नकलक ान का तीक मानत ह पजार परोहत महत

जस िजतन भी धम क ठकदार ह उनपर अगाध धा रखत ह व चाह कतन भी

पतत वाथ और नीच ह पर उनका वरोध करत व डरत ह इसी कारण ठाकर बाड़ी क

त गाव वाल क अपार धा थी उनका हर सख-दख उसस जड़ा था

4-अनपढ़ होत हए भी हरहर काका दनया क बहतर समझ रखत ह कहानी क आधार पर

पट किजए

4-हरहर काका अनपढ़ थ फर भी उह दनयादार क बहद समझ थी उनक भाई लोग

उनस ज़बरदती ज़मीन अपन नाम करान क लए डरात थ तो उह गाव म दखावा करक

ज़मीन हथयान वालो क याद आती ह काका न उह दखी होत दखा ह इसलए उहन

ठान लया था चाह महत उकसाए चाह भाई दखावा कर वह ज़मीन कसी को भी नह दग

एक बार महत क उकसान पर भाइय क त धोखा नह करना चाहत थ परत जब भाइय

न भी धोखा दया तो उह समझ म आ गया उनक त उह कोई यार नह ह जो यार

दखात ह वह कवल ज़ायदाद क लए ह

5-हरहर काका को जबरन उठा ल जान वाल कौन थ उहन उनक साथ कसा यवहार

कया

5-महत न हरहर काका को बहत लोभन दए िजसस वह अपनी ज़मीन जायदाद ठाकर

बाड़ी क नाम कर द परत काका इस बात क लए तयार नह थ व सोच रह थ क या

भगवान क लए अपन भाइय स धोखा क यह उह सह भी नह लग रहा था महत को

यह बात पता लगी तो उसन छल और बल स रात क समय अकल दालान म सोत हए

हरहर काका को उठवा लया महत न अपन चल साधसतो क साथ मलकर उनक हाथ पर

बाध दए मह म कपड़ा ठस दया और जबरदती अगठ क नशान लए उह एक कमर म

बद कर दया जब पलस आई तो वय गत दरवाज़ स भाग गए

6-हरहर काका क मामल म गाव वाल क या राय थी और उसक या कारण थ

6-कहानी क आधार पर गाव क लोग को बना बताए पता चल गया क हरहर काका को

उनक भाई नह पछत इसलए सख आराम का लोभन दकर महत उह अपन साथ ल

गया भाई मनत करक काका को वापस ल आत ह इस तरह गाव क लोग दो प म

बट गए कछ लोग महत क तरफ़ थ जो चाहत थ क काका अपनी ज़मीन धम क नाम पर

ठाकर बाड़ी को द द ताक उह सख आराम मल मय क बाद मो यश मल महत ानी

ह वह सब कछ जानता ह लकन दसर प क लोग कहत क ज़मीन परवार वालो को द

जाए उनका कहना था इसस उनक परवार का पट भरगा मदर को ज़मीन दना अयाय

होगा इस तरह दोन प अपन-अपन हसाब स सोच रह थ परत हरहर काका क बार म

कोई नह सोच रहा था इन बात का एक कारण यह भी था क काका वधर थ और उनक

कोई सतान भी नह थी पह बीघ ज़मीन क लए इनका लालच वाभवक था

7-कहानी क आधार पर पट किजए क लखक न यह य कहा अान क िथत म ह

मनय मय स डरत ह ान होन क बाद तो आदमी आवयकता पड़न पर मय को वरण

करन क लए तयार हो जाता ह

7-जब काका को असलयत पता चल और उह समझ म आ गया क सब लोग उनक

ज़मीन जायदाद क पीछ ह तो उह व सभी लोग याद आ गए िजहन परवार वालो क मोह

माया म आकर अपनी ज़मीन उनक नाम कर द और मय तक तलतल करक मरत

रह दान-दान को मोहताज़ हो गए इसलए उहन सोचा क इस तरह रहन स तो एक बार

मरना अछा ह जीत जी ज़मीन कसी को भी नह दग य लोग मझ एक बार म ह मार

द अत लखक न कहा क अान क िथत म मनय मय स डरता ह परत ान होन

पर मय वरण को तयार रहता ह

8-समाज म रत क या अहमयत ह इस वषय पर अपन वचार कट किजए

8-आज समाज म मानवीय मय तथा पारवारक मय धीर-धीर समात होत जा रह ह

यादातर यित अपन वाथ क लए रत नभात ह अपनी आवयकताओ क हसाब स

मलत ह अमीर रतदार का समान करत ह उनस मलन को आतर रहत ह जबक गरब

रतदार स कतरात ह कवल वाथ सध क अहमयत रह गई ह आए दन हम

अखबार म समाचार पढ़त ह क ज़मीन जाय़दाद पस जवर क लए लोग घनौन स घनौना

काय कर जात ह (हया अपहरण आद) इसी कार इस कहानी म भी पलस न पहचती तो

परवार वाल महत जी (काका क) हया ह कर दत उह यह अफसोस रहा क व काका को

मार नह पाए

9-यद आपक आसपास हरहर काका जसी हालत म कोई हो तो आप उसक कस कार

मदद करग

9-यद हमार आसपास हरहर काका जसी हालत म कोई हो तो हम उसक पर तरह मदद

करन क कोशश करग उनस मलकर उनक दख का कारण पता करग उह अहसास

दलाएग क व अकल नह ह सबस पहल तो यह ववास कराएग क सभी यित लालची

नह होत ह इस तरह मौन रह कर दसर को मौका न द बिक उलास स शष जीवन

बताए रतदार स मलकर उनक सबध सधारन का यन करग

10-हरहर काका क गाव म यद मीडया क पहच होती तो उनक या िथत होती अपन

शद म लखए

10-यद काका क गाव म मीडया पहच जाती तो सबक पोल खल जाती महत व भाइय का

पदाफाश हो जाता अपहरण और जबरन अगठा लगवान क अपराध म उह जल हो जाती

अपना-अपना मोचा सभालना - अपनी िजमदार नबाहना

आसमान स जमीन पर गरना -उच िथत स नन िथत पर आना

खल कर बात करना- बना सकच क बात करना |

चपत हो जाना ndash भाग जाना |

जी-जान स जट जाना ndash खब महनत करना

िजतन मह उतनी बात होना- कई तरह क बात करना |

ततर-बतर होना ndash बखर जाना |

त-त म -म होना -झगड़ा होना |

नमक-मच लगाना- बढ़ा-चढ़कर कहना|

बात बनाना- बहान बनाना|

रग चढ़ना- असर होना|

मह न खोलना ndash कछ न बताना |

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पय-भाग

पाठ-4

मनयता ndashमथलशरण गत

-लखक का परचय-

-पाठ का सार व पिटकरण-

कत क अय ाणय क तलना म मनय म सोचन क शित अधक होती ह

वह अपन ह नह दसर क सख - दःख का भी याल रखता ह और दसर क लए

कछ करन म समथ होता ह जानवर जब चरागाह म जात ह तो कवल अपन लए

चर कर आत ह परत मनय ऐसा नह ह वह जो कछ भी कमाता ह जो कछ भी

बनाता ह वह दसर क लए भी करता ह और दसर क सहायता स भी करता ह

तत पाठ का कव अपन क सख - दःख क चता करन वाल को मनय तो

मानता ह परत यह मानन को तयार नह ह क उन मनय म मनयता क सार

गण होत ह कव कवल उन मनय को महान मानता ह जो अपन क सख - दःख

स पहल दसर क चता करत ह वह मनय म ऐस गण चाहता ह िजसक कारण

कोई भी मनय इस मयलोक स चल जान क बाद भी सदय तक दसर क याद म

रहता ह अथात वह मय क बाद भी अमर रहता ह

-पाठ सार-

इस कवता म कव मनयता का सह अथ समझान का यास कर रहा ह पहल

भाग म कव कहता ह क मय स नह डरना चाहए यक मय तो निचत ह पर

हम ऐसा कछ करना चाहए क लोग हम मय क बाद भी याद रख असल मनय

वह ह जो दसर क लए जीना व मरना सीख ल दसर भाग म कव कहता ह क

हम उदार बनना चाहए यक उदार मनय का हर जगह गण गान होता ह मनय

वह कहलाता ह जो दसर क चता कर तीसर भाग म कव कहता ह क पराण

म उन लोग क बहत उदाहरण ह िजह उनक याग भाव क लए आज भी याद

कया जाता ह सचा मनय वह ह जो याग भाव जान ल चौथ भाग म कव

कहता ह क मनय क मन म दया और कणा का भाव होना चाहए मनय वह

कहलाता ह जो दसर क लए मरता और जीता ह पाचव भाग म कव कहना चाहता

ह क यहा कोई अनाथ नह ह यक हम सब उस एक ईवर क सतान ह हम

भदभाव स ऊपर उठ कर सोचना चाहएछठ भाग म कव कहना चाहता ह क हम

दयाल बनना चाहए यक दयाल और परोपकार मनय का दवता भी वागत करत

ह अतः हम दसर का परोपकार व कयाण करना चाहएसातव भाग म कव कहता

ह क मनय क बाहर कम अलग अलग हो परत हमार वद साी ह क सभी क

आमा एक ह हम सब एक ह ईवर क सतान ह अतः सभी मनय भाई -बध ह

और मनय वह ह जो दःख म दसर मनय क काम आयअतम भाग म कव

कहना चाहता ह क वप और वन को हटात हए मनय को अपन चन हए रात

पर चलना चाहए आपसी समझ को बनाय रखना चाहए और भदभाव को नह

बढ़ाना चाहए ऐसी सोच वाला मनय ह अपना और दसर का कयाण और उधार

कर सकता ह

-याया

1-वचार लो क मय हो न मय स डरो कभी

मरो परत य मरो क याद जो कर सभी

हई न य समय तो वथा मर वथा िजए

मारा नह वह क जो िजया न आपक लए

वह पश- वत ह क आप आप ह चर

वह मनय ह क जो मनय क लए मर

सग - तत कवता हमार पाय पतक पश भाग -2 स ल गई ह इसक

कव मथलशरण गत ह इन पितओ म कव बताना चाहता ह क मनय को

कसा जीवन जीना चाहए

याया - कव कहता ह क हम यह जान लना चाहए क मय का होना निचत

ह हम मय स नह डरना चाहए कव कहता ह क हम कछ ऐसा करना चाहए क

लोग हम मरन क बाद भी याद रख जो मनय दसर क लए कछ भी ना कर सक

उनका जीना और मरना दोन बकार ह मर कर भी वह मनय कभी नह मरता जो

अपन लए नह दसर क लए जीता ह यक अपन लए तो जानवर भी जीत ह

कव क अनसार मनय वह ह जो दसर मनय क लए मर अथात जो मनय दसर

क चता कर वह असल मनय कहलाता ह

2-उसी उदार क कथा सरवती बखानती

उसी उदार स धरा कताथ भाव मानती

उसी उदार क सदा सजीव कत कजती

तथा उसी उदार को समत सिट पजती

अखड आम भाव जो असीम वव म भर

वह मनय ह क जो मनय क लए मर

सग - तत कवता हमार पाय पतक पश भाग -2 स ल गई ह इसक

कव मथलशरण गत ह इन पितओ म कव बताना चाहता ह क जो मनय

दसर क लए जीत ह उनका गणगान यग - यग तक कया जाता ह

याया - कव कहता ह क जो मनय अपन पर जीवन म दसर क चता करता

ह उस महान यित क कथा का गण गान सरवती अथात पतक म कया जाता

ह पर धरती उस महान यित क आभार रहती ह उस यित क बातचीत

हमशा जीवत यित क तरह क जाती ह और पर सिट उसक पजा करती ह

कव कहता ह क जो यित पर ससार को अखड भाव और भाईचार क भावना म

बाधता ह वह यित सह मायन म मनय कहलान योय होता ह

3-धात रतदव न दया करथ थाल भी

तथा दधीच न दया पराथ अिथजाल भी

उशीनर तीश न वमास दान भी कया

सहष वीर कण न शरर-चम भी दया

अनय दह क लए अनाद जीव या डर

वह मनय ह क जो मनय क लए मर

सग - तत कवता हमार पाय पतक पश भाग -2 स ल गई ह इसक

कव मथलशरण गत ह इन पितओ म कव न महान पष क उदाहरण दए ह

िजनक महानता क कारण उह याद कया जाता ह

याया - कव कहता ह क पौराणक कथाए ऐस यितओ क उदाहरण स भर

पड़ी ह िजहन अपना परा जीवन दसर क लए याग दया िजस कारण उह आज

तक याद कया जाता ह भख स परशान रतदव न अपन हाथ क आखर थाल भी

दान कर द थी और महष दधीच न तो अपन पर शरर क हडया व बनान क

लए दान कर द थी उशीनर दश क राजा शब न कबतर क जान बचान क लए

अपना परा मास दान कर दया था वीर कण न अपनी ख़शी स अपन शरर का

कवच दान कर दया था कव कहना चाहता ह क मनय इस नवर शरर क लए

य डरता ह यक मनय वह कहलाता ह जो दसर क लए अपन आप को याग

दता ह

4-सहानभत चाहए महावभत ह यह

वशीकता सदव ह बनी हई वय मह

वधभाव बध का दया-वाह म बहा

वनीत लोकवग या न सामन झका रहा

अहा वह उदार ह परोपकार जो कर

वह मनय ह क जो मनय क लए मर

सग - तत कवता हमार पाय पतक पश भाग -2 स ल गई ह इसक

कव मथलशरण गत ह इन पितओ म कव न महामा बध का उदाहरण दत

हए दया कणा को सबस बड़ा धन बताया ह

याया - कव कहता ह क मनय क मन म दया व कणा का भाव होना चाहए

यह सबस बड़ा धन ह वय ईवर भी ऐस लोग क साथ रहत ह इसका सबस

बड़ा उदाहरण महामा बध ह िजनस लोग का दःख नह दखा गया तो व लोक

कयाण क लए दनया क नयम क वध चल गए इसक लए या परा ससार

उनक सामन नह झकता अथात उनक दया भाव व परोपकार क कारण आज भी

उनको याद कया जाता ह और उनक पजा क जाती ह महान उस को कहा जाता ह

जो परोपकार करता ह वह मनय मनय कहलाता ह जो मनय क लए जीता ह

और मरता ह

5-रहो न भल क कभी मदाघ तछ व म

सनाथ जान आपको करो न गव च म

अनाथ कौन ह यहा लोकनाथ साथ ह

दयाल दन बध क बड़ वशाल हाथ ह

अतीव भायहन ह अधीर भाव जो कर

वह मनय ह क जो मनय क लए मर

सग - तत कवता हमार पाय पतक पश भाग -2 स ल गई ह इसक

कव मथलशरण गत ह इन पितओ म कव कहता ह क सपत पर कभी

घमड नह करना चाहए और कसी को अनाथ नह समझना चाहए यक ईवर

सबक साथ ह

याया - कव कहता ह क भल कर भी कभी सप या यश पर घमड नह करना

चाहए इस बात पर कभी गव नह करना चाहए क हमार साथ हमार अपन का

साथ ह यक कव कहता ह क यहा कौन सा यित अनाथ ह उस ईवर का

साथ सब क साथ ह वह बहत दयावान ह उसका हाथ सबक ऊपर रहता ह कव

कहता ह क वह यित भायहन ह जो इस कार का उतावलापन रखता ह यक

मनय वह यित कहलाता ह जो इन सब चीज स ऊपर उठ कर सोचता ह

6-अनत अतर म अनत दव ह खड़

सम ह वबाह जो बढ़ा रह बड़-बड़

परपरावलब स उठो तथा बढ़ो सभी

अभी अमय-अक म अपक हो चढ़ो सभी

रहो न या क एक स न काम और का सर

वह मनय ह क जो मनय क लए मर

सग - तत कवता हमार पाय पतक पश भाग -2 स ल गई ह इसक

कव मथलशरण गत ह इन पितओ म कव कहता ह क कलक रहत रहन व

दसर का सहारा बनन वाल मवषय का दवता भी वागत करत ह

याया - कव कहता ह क उस कभी न समात होन वाल आकाश म असय

दवता खड़ ह जो परोपकार व दयाल मनय का सामन स खड़ होकर अपनी भजाओ

को फलाकर वागत करत ह इसलए दसर का सहारा बनो और सभी को साथ म

लकर आग बड़ो कव कहता ह क सभी कलक रहत हो कर दवताओ क गोद म

बठो अथात यद कोई बरा काम नह करोग तो दवता तह अपनी गोद म ल लग

अपन मतलब क लए नह जीना चाहए अपना और दसर का कयाण व उधार

करना चाहए यक इस मरणशील ससार म मनय वह ह जो मनय का कयाण

कर व परोपकार कर

7-मनय माा बध ह यह बड़ा ववक ह

पराणपष वयभ पता सध एक ह

फलानसार कम क अवय बाय भद ह

परत अतरय म माणभत वद ह

अनथ ह क बध ह न बध क यथा हर

वह मनय ह क जो मनय क लए मर

सग - तत कवता हमार पाय पतक पश भाग -2 स ल गई ह इसक

कव मथलशरण गत ह इन पितओ म कव कहता ह क हम सब एक ईवर क

सतान ह अतः हम सभी मनय एक - दसर क भाई - बध ह

याया - कव कहता ह क यक मनय एक दसर क भाई - बध ह यह सबस

बड़ी समझ ह पराण म िजस वय उपन पष मना गया ह वह परमामा या

ईवर हम सभी का पता ह अथात सभी मनय उस एक ईवर क सतान ह

बाहर कारण क फल अनसार यक मनय क कम भल ह अलग अलग ह परत

हमार वद इस बात क साी ह क सभी क आमा एक ह कव कहता ह क यद

भाई ह भाई क दःख व कट का नाश नह करगा तो उसका जीना यथ ह यक

मनय वह कहलाता ह जो बर समय म दसर मनय क काम आता ह

8-चलो अभीट माग म सहष खलत हए

वपवन जो पड़ उह ढकलत हए

घट न हलमल हा बढ़ न भनता कभी

अतक एक पथ क सतक पथ ह सभी

तभी समथ भाव ह क तारता हआ तर

वह मनय ह क जो मनय क लए मर

सग - तत कवता हमार पाय पतक पश भाग -2 स ल गई ह इसक

कव मथलशरण गत ह इन पितओ म कव कहता ह क यद हम ख़शी ससार

कट को हटत हए भदभाव रहत रहग तभी सभव ह क समाज क उनत होगी

याया - कव कहता ह क मनय को अपनी इछा स चन हए माग म ख़शी

ख़शी चलना चाहएरात म कोई भी सकट या बाधाए आय उह हटात चल जाना

चाहए मनय को यह यान रखना चाहए क आपसी समझ न बगड़ और भद

भाव न बड़ बना कसी तक वतक क सभी को एक साथ ल कर आग बढ़ना चाहए

तभी यह सभव होगा क मनय दसर क उनत और कयाण क साथ अपनी

समध भी कायम कर

-ननलखत न क उर दिजय ndash

1-कव न कसी मय को समय कहा ह

1-कव न ऐसी मय को समय कहा ह िजसम मनय अपन स पहल दसर क चता

करता ह और परोपकार क राह को चनता ह िजसस उस मरन क बाद भी याद कया

जाता ह

2-उदार यित क पहचान कस हो सकती ह

2- उदार यित परोपकार होता ह वह अपन स पहल दसर क चता करता ह और

लोक कयाण क लए अपना जीवन याग दता ह

3-कव न दधीच कण आद महान यितओ क उदाहरण द कर मनयता क लए

या उदाहरण दया ह

3- कव न दधीच कण आद महान यितओ क उदाहरण द कर मनयता क

लए यह सदश दया ह क परोपकार करन वाला ह असल मनय कहलान योय

होता ह मानवता क रा क लए दधीच न अपन शरर क सार अिथया दान कर

द थीकण न अपनी जान क परवाह कय बना अपना कवच द दया था िजस

कारण उह आज तक याद कया जाता ह कव इन उदाहरण क वारा यह

समझाना चाहता ह क परोपकार ह सची मनयता ह

4- कव न कन पितय म यह यत कया ह क हम गव - रहत जीवन यतीत

करना चाहए

4- कव न ननलखत पितय म गव रहत जीवन यतीत करन क बात कह ह-

रहो न भल क कभी मगाघ तछ व म

सनाथ जान आपको करो न गव च म

अथात सपत क घमड म कभी नह रहना चाहए और न ह इस बात पर गव

करना चाहए क आपक पास आपक अपन का साथ ह यक इस दनया म कोई

भी अनाथ नह ह सब उस परम पता परमवर क सतान ह

5- मनय मा बध ह स आप या समझत ह पट किजए

5- मनय मा बध ह अथात हम सब मनय एक ईवर क सतान ह अतः हम

सब भाई - बध ह भाई -बध होन क नात हम भाईचार क साथ रहना चाहए और

एक दसर का बर समय म साथ दना चाहए

6- कव न सबको एक होकर चलन क रणा य द ह

6- कव न सबको एक होकर चलन क रणा इसलए द ह ताक आपसी समझ न

बगड़ और न ह भदभाव बड़ सब एक साथ एक होकर चलग तो सार बाधाए मट

जाएगी और सबका कयाण और समध होगी

7- यित को कस तरह का जीवन यतीत करना चाहए इस कवता क आधार पर

लखए

7-मनय को परोपकार का जीवन जीना चाहए अपन स पहल दसर क दख क

चता करनी चाहए कवल अपन बार म तो जानवर भी सोचत ह कव क अनसार

मनय वह कहलाता ह जो अपन स पहल दसर क चता कर

8- मनयता कवता क वारा कव या सदश दना चाहता ह

8- मनयता कवता क मायम स कव यह सदश दना चाहता ह क परोपकार ह

सची मनयता ह परोपकार ह एक ऐसा साधन ह िजसक मायम स हम यग तक

लोगो क दल म अपनी जगह बना सकत ह और परोपकार क वारा ह समाज का

कयाण व समध सभव ह अतः हम परोपकार बनना चाहए ताक हम सह

मायन म मनय कहलाय

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-याकरण-

पदबध- परभाषा

पद- वाय स अलग रहन पर शद और वाय म यत हो जान पर शद

पद कहलात ह दसर शद म- वाय म यत शद पद कहलाता ह पदबध-

जब दो या अधक (शद) पद नयत म और निचत अथ म कसी पद का

काय करत ह तो उह पदबध कहत ह

पदबध क भद

मय पद क आधार पर पदबध क पाच कार होत ह-

(1) सा-पदबध (2) वशषण-पदबध

(3) सवनाम पदबध (4) या पदबध

(5) अयय पदबध

(1) सा-पदबध-

(a)चार ताकतवर मजदर इस भार चीज को उठा पाए

(b) राम न लका क राजा रावण को मार गराया

(c) अयोया क राजा दशरथ क चार प थ

(d) आसमान म उड़ता गबारा फट गया

2) वशषण पदबध-

a) तज चलन वाल गाड़या ायः दर स पहचती ह

(b) उस घर क कोन म बठा हआ आदमी जासस ह

(c) उसका घोड़ा अयत सदर फरतीला और आाकार ह

(d) बरगद और पीपल क घनी छाव स हम बहत सख मला

3) सवनाम पदबध-

(a)बजल-सी फरती दखाकर आपन बालक को डबन स बचा लया

(b)शरारत करन वाल छा म स कछ पकड़ गए

(c)वरोध करन वाल लोग म स कोई नह बोला

4) या पदबध-

(a) वह बाजार क ओर आया होगा

(b) मझ मोहन छत स दखाई द रहा ह

(c) सरश नद म डब गया

(d) अब दरवाजा खोला जा सकता ह

5) अयय पदबध-

(a)अपन सामान क साथ वह चला गया

(b)सबह स शाम तक वह बठा रहा

कसी भी भाषा क व शद अयय (Indeclinable या inflexible) कहलात ह िजनक प म

लग वचन पष कारक काल इयाद क कारण कोई वकार उप नह होता

चक अयय का पातर नह होता इसलए ऐस शद अवकार होत ह अयय का शािदक

अथ ह- जो यय न हो

(i) कालवाचक अयय- इनम समय का बोध होता ह जस- आज कल तरत पीछ पहल अब

जब तब कभी-कभी कब अब स नय जब स सदा स अभी तभी आजकल और कभी

उदाहरणाथ-

अब स ऐसी बात नह होगी

ऐसी बात सदा स होती रह ह

वह कब आया मझ पता नह

(ii) थानवाचक अयय- इसस थान का बोध होता ह जस- यहा वहा कहा जहा यहा स

वहा स इधर-उधर उदाहरणाथ-

वह यहा नह ह

वह कहा जायगा

वहा कोई नह ह

जहा तम हो वहा म ह

(iii) दशावाचक अयय- इसस दशा का बोध होता ह जस- इधर उधर िजधर दर पर अलग

दाहन बाए आरपार

(iv) िथतवाचक अयय- नीच ऊपर तल सामन बाहर भीतर इयाद

अयय क भद

अयय ननलखत चार कार क होत ह -

(1) यावशषण (Adverb)

(2) सबधबोधक (Preposition)

(3) समचयबोधक (Conjunction)

(4) वमयादबोधक (Interjection)

(1) यावशषण - िजन शद स या वशषण या दसर यावशषण क वशषता कट

हो उह यावशषण कहत ह

दसर शदो म- जो शद या क वशषता बतलात ह उह या वशषण कहा जाता ह

जस- राम धीर-धीर टहलता ह राम वहा टहलता ह राम अभी टहलता ह

इन वाय म धीर-धीर वहा और अभी राम क टहलन (या) क वशषता बतलात ह य

यावशषण अवकार वशषण भी कहलात ह इसक अतरत यावशषण दसर

यावशषण क भी वशषता बताता ह

वह बहत धीर चलता ह इस वाय म बहत यावशषण ह यक यह दसर यावशषण

धीर क वशषता बतलाता ह

या वशषण क कार

(1) योग क अनसार- (i) साधारण (ii) सयोजक (iii) अनबध

(2) प क अनसार- (i) मल यावशषण (ii) यौगक यावशषण (iii) थानीय यावशषण

(3) अथ क अनसार- (i) परमाणवाचक (ii) रतवाचक

(1) योग क अनसार यावशषण क भद

योग क अनसार यावशषण क तीन भद ह-

(i) साधारण यावशषण- िजन यावशषण का योग कसी वाय म वत होता ह

उह साधारण यावशषण कहा जाता ह

जस- हाय अब म या क बटा जद आओ अर साप कहा गया

(ii) सयोजक यावशषण- िजन यावशषण का सबध कसी उपवाय स रहता ह उह

सयोजक यावशषण कहा जाता ह

जस- जब रोहताव ह नह तो म ह जीकर या कगी जहा अभी सम ह वहा कसी

समय जगल था

(iii) अनबध यावशषण- िजन यावशषण क योग अवधारण (नचय) क लए कसी

भी शदभद क साथ होता हो उह अनबध यावशषण कहा जाता ह

जस- यह तो कसी न धोखा ह दया ह मन उस दखा तक नह

(2) प क अनसार यावशषण क भद

प क अनसार यावशषण क तीन भद ह-

(i) मल यावशषण- ऐस यावशषण जो कसी दसर शद क मल स नह बनत मल

यावशषण कहलात ह

जस- ठक दर अचानक फर नह

(ii) यौगक यावशषण- ऐस यावशषण जो कसी दसर शद म यय या पद जोड़न

पर बनत ह यौगक यावशषण कहलात ह

जस- मन स िजसस चपक स भल स दखत हए यहा तक झट स वहा पर यौगक

यावशषण सा सवनाम वशषण धात और अयय क मल स बनत ह

यौगक यावशषण नीच लख शद क मल स बनत ह-

(i) साओ क वित स- घर-घर घड़ी-घड़ी बीच-बीच हाथ-हाथ

(ii) दो भ साओ क मल स- दन-रात साझ-सबर घर-बाहर दश-वदश

(iii) वशषण क वित स- एक-एक ठक-ठक साफ-साफ

(iv) यावशषण क वित स- धीर-धीर जहा-तहा कब-कब कहा-कहा

(v) दो यावशषण क मल स- जहा-तहा जहा-कह जब-तब जब-कभी कल-परस आस-पास

(vi) दो भ या समान यावशषण क बीच न लगान स- कभी-न-कभी कछ-न-कछ

(vii) अनकरण वाचक शद क वित स- पटपट तड़तड़ सटासट धड़ाधड़

(viii) सा और वशषण क योग स- एक साथ एक बार दो बार

(ix) अय य और दसर शद क मल स- तदन यथाम अनजान आजम

(x) पवकालक कदत और वशषण क मल स- वशषकर बहतकर मयकर एक-एककर

(iii) थानीय यावशषण- ऐस यावशषण जो बना पातर क कसी वशष थान म

आत ह थानीय यावशषण कहलात ह

जस- वह अपना सर पढ़गा

वह दौड़कर चलत ह

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  • (1) अरथ की दषटि स शबद-भद13
  • (2) परयोग की दषटि स शबद-भद13
  • (3) उतपति की दषटि स शबद-भद13
  • 1) सवर सधि-13
  • परति+छवि=परतिचछवि दिक+अनत=दिगनत दिक+गज=दिगगज अन+छद=अनचछद अच +अनत = अजनत 13
  • 3)विसरग सधि - विसरग क साथ सवर या वयजन का मल होन पर जो विकार होता ह उस 13
  • विसरग सधि कहत ह 13
  • मन+रथ=मनोरथ यश+अभिलाषा=यशोभिलाषा अध+गति=अधोगति नि+छल=निशछल द +गम = दरगम 13
    • -पाठ सार-13
    • -वयाखया13
    • -निमनलिखित परशनो क उततर दीजिय ndash13
    • 1-कवि न कसी मतय को समतय कहा ह13
    • अवयय क भद13
    • करिया विशषण क परकार13
Page 27: Class –X HINDI JUNE SYLLABUS 2020 Chapters:- Ch-1-Sanchayan …punainternationalschool.com/assets/upload/ck-images/Std-10th=Jun… · -harihar kaka . पय-भाग पाठ-3

समझात-समझात थक गए तो उहन हरहर काका को डाटना और उन पर दवाब डालना

श कर दया एक रात हरहर काका क भाइय न भी उसी तरह का यवहार करना श

कर दया जसा महत और उनक सहयोगय न कया था उह धमकात हए कह रह थ क

ख़शी-ख़शी कागज़ पर जहा-जहा जरत ह वहा-वहा अगठ क नशान लगत जाओ नह तो व

उह मार कर वह घर क अदर ह गाड़ दग और गाव क लोगो को इस बार म कोई सचना

भी नह मलगी हरहर काका क साथ अब उनक भाइय क मारपीट श हो गई जब

हरहर काका अपन भाइय का मकाबला नह कर पा रह थ तो उहन ज़ोर-ज़ोर स

चलाकर अपनी मदद क लए गाव वाल को आवाज लगाना श कर दया तब उनक

भाइय को यान आया क उह हरहर काका का मह पहल ह बद करना चाहए था उहन

उसी पल हरहर काका को जमीन पर पटका और उनक मह म कपड़ा ठस दया लकन तब

तक बहत दर हो गई थी हरहर काका क आवाज बाहर गाव म पहच गई थी हरहर काका

क परवार और रत-नात क लोग जब तक गाव वाल कोसमझात क यह सब उनक

परवार का आपसी मामला ह व सभी इसस दर रह तब तक महत जी बड़ी ह दता और

तज़ी स वहा पलस क जीप क साथ आ गए पलस न पर घर क अछ स तलाशी लना

श कर दया फर घर क अदर स हरहर काका को इतनी बर हालत म हासल कया गया

िजतनी बर हालत उनक दव-थान म भी नह हई थी हरहर काका न बताया क उनक

भाइय न उनक साथ बहत ह यादा बरा यवहार कया ह जबरदती बहत स कागज पर

उनक अगठ क नशान ल लए ह उह बहत यादा मारा-पीटा ह

इस घटना क बाद हरहर काका अपन परवार स एकदम अलग रहन लग थ उह उनक

सरा क लए चार राइफलधार पलस क जवान मल थ आचय क बात तो यह ह क

इसक लए उनक भाइय और महत क ओर स काफ़ यास कए गए थ असल म भाइय

को चता थी क हरहर काका अकल रहन लगग तो दव-थान क महत-पजार फर स

हरहर काका को बहला-फसला कर ल जायग और जमीन दव-थान क नाम करवा लग और

यह चता महत जी को भी थी क हरहर काका को अकला और असरत पा उनक भाई

फर स उह पकड़ कर मारग और जमीन को अपन नाम करवा लग लखक कहता ह क

हरहर काका स जड़ी बहत सी ख़बर गाव म फल रह थी जस-जस दन बड़ रह थ वस-वस

डर का मौहोल बन रहा था सभी लोग सफ यह सोच रह थ क हरहर काका न अमत तो

पया हआ ह नह तो मरना तो उनको एक दन ह ह और जब व मरग तो पर गाव म

तफ़ान आ जाएगा यक महत और हरहर काका क परवार क बीच जमीन को ल कर

लड़ाई हो जायगी

पलस क जवान हरहर काका क खच पर ह खब मौज-मती स रह रह थ िजसका धन

वह रह उपास खान वाल कर वलास अथात हरहर काका क पास धन था लकन उनक लए

अब उसका कोई महव नह था और पलस वाल बना कसी कारण स ह हरहर काका क

धन स मौज कर रह थ अब तक जो नह खाया था दोन वत उसका भोग लगा रह थ

-नोर-

1-कथावाचक और हरहर काका क बीच या सबध ह और इसक या कारण ह

1-कथावाचक जब छोटा था तब स ह हरहर काका उस बहत यार करत थ जब वह बड़ हो

गए तो वह हरहर काका क म बन गए गाव म इतनी गहर दोती और कसी स नह

हई हरहर काका उनस खल कर बात करत थ यह कारण ह क कथावाचक को उनक

एक-एक पल क खबर थी शायद अपना म बनान क लए काका न वय ह उस यार स

बड़ा कया और इतजार कया

2-हरहर काका को महत और भाई एक ह णी क य लगन लग

2-हरहर काका को अपन भाइय और महत म कोई अतर नह लगा दोन एक ह णी क

लग उनक भाइय क पिनय न कछ दन तक तो हरहर काका का यान रखा फर

बचीकची रोटया द नाता नह दत थ बमार म कोई पछन वाला भी न था िजतना भी

उह रखा जा रहा था उनक ज़मीन क लए था इसी तरह महत न एक दन तो बड़ यार

स खातर क फर ज़मीन अपन ठाकर बाड़ी क नाम करन क लए कहन लग काका क

मना करन पर उह अनक यातनाए द अपहरण करवाया मह म कपड़ा ठस कर एक कोठर

म बद कर दया जबरदती अगठ का नशान लया गया तथा उह मारा पीटा गया इस

तरह दोन ह कवल ज़मीन जायदाद क लए हरहर काका स यवहार रखत थ अत उह

दोन एक ह णी क लग

3-ठाकर बाड़ी क त गाव वाल क मन म अपार धा क जो भाव ह उसस उनक कस

मनोव का पता चलता ह

3-कहा जाता ह गाव क लोग भोल होत ह असल म गाव क लोग अधववासी धमभी होत

ह मदर जस थान को पव नकलक ान का तीक मानत ह पजार परोहत महत

जस िजतन भी धम क ठकदार ह उनपर अगाध धा रखत ह व चाह कतन भी

पतत वाथ और नीच ह पर उनका वरोध करत व डरत ह इसी कारण ठाकर बाड़ी क

त गाव वाल क अपार धा थी उनका हर सख-दख उसस जड़ा था

4-अनपढ़ होत हए भी हरहर काका दनया क बहतर समझ रखत ह कहानी क आधार पर

पट किजए

4-हरहर काका अनपढ़ थ फर भी उह दनयादार क बहद समझ थी उनक भाई लोग

उनस ज़बरदती ज़मीन अपन नाम करान क लए डरात थ तो उह गाव म दखावा करक

ज़मीन हथयान वालो क याद आती ह काका न उह दखी होत दखा ह इसलए उहन

ठान लया था चाह महत उकसाए चाह भाई दखावा कर वह ज़मीन कसी को भी नह दग

एक बार महत क उकसान पर भाइय क त धोखा नह करना चाहत थ परत जब भाइय

न भी धोखा दया तो उह समझ म आ गया उनक त उह कोई यार नह ह जो यार

दखात ह वह कवल ज़ायदाद क लए ह

5-हरहर काका को जबरन उठा ल जान वाल कौन थ उहन उनक साथ कसा यवहार

कया

5-महत न हरहर काका को बहत लोभन दए िजसस वह अपनी ज़मीन जायदाद ठाकर

बाड़ी क नाम कर द परत काका इस बात क लए तयार नह थ व सोच रह थ क या

भगवान क लए अपन भाइय स धोखा क यह उह सह भी नह लग रहा था महत को

यह बात पता लगी तो उसन छल और बल स रात क समय अकल दालान म सोत हए

हरहर काका को उठवा लया महत न अपन चल साधसतो क साथ मलकर उनक हाथ पर

बाध दए मह म कपड़ा ठस दया और जबरदती अगठ क नशान लए उह एक कमर म

बद कर दया जब पलस आई तो वय गत दरवाज़ स भाग गए

6-हरहर काका क मामल म गाव वाल क या राय थी और उसक या कारण थ

6-कहानी क आधार पर गाव क लोग को बना बताए पता चल गया क हरहर काका को

उनक भाई नह पछत इसलए सख आराम का लोभन दकर महत उह अपन साथ ल

गया भाई मनत करक काका को वापस ल आत ह इस तरह गाव क लोग दो प म

बट गए कछ लोग महत क तरफ़ थ जो चाहत थ क काका अपनी ज़मीन धम क नाम पर

ठाकर बाड़ी को द द ताक उह सख आराम मल मय क बाद मो यश मल महत ानी

ह वह सब कछ जानता ह लकन दसर प क लोग कहत क ज़मीन परवार वालो को द

जाए उनका कहना था इसस उनक परवार का पट भरगा मदर को ज़मीन दना अयाय

होगा इस तरह दोन प अपन-अपन हसाब स सोच रह थ परत हरहर काका क बार म

कोई नह सोच रहा था इन बात का एक कारण यह भी था क काका वधर थ और उनक

कोई सतान भी नह थी पह बीघ ज़मीन क लए इनका लालच वाभवक था

7-कहानी क आधार पर पट किजए क लखक न यह य कहा अान क िथत म ह

मनय मय स डरत ह ान होन क बाद तो आदमी आवयकता पड़न पर मय को वरण

करन क लए तयार हो जाता ह

7-जब काका को असलयत पता चल और उह समझ म आ गया क सब लोग उनक

ज़मीन जायदाद क पीछ ह तो उह व सभी लोग याद आ गए िजहन परवार वालो क मोह

माया म आकर अपनी ज़मीन उनक नाम कर द और मय तक तलतल करक मरत

रह दान-दान को मोहताज़ हो गए इसलए उहन सोचा क इस तरह रहन स तो एक बार

मरना अछा ह जीत जी ज़मीन कसी को भी नह दग य लोग मझ एक बार म ह मार

द अत लखक न कहा क अान क िथत म मनय मय स डरता ह परत ान होन

पर मय वरण को तयार रहता ह

8-समाज म रत क या अहमयत ह इस वषय पर अपन वचार कट किजए

8-आज समाज म मानवीय मय तथा पारवारक मय धीर-धीर समात होत जा रह ह

यादातर यित अपन वाथ क लए रत नभात ह अपनी आवयकताओ क हसाब स

मलत ह अमीर रतदार का समान करत ह उनस मलन को आतर रहत ह जबक गरब

रतदार स कतरात ह कवल वाथ सध क अहमयत रह गई ह आए दन हम

अखबार म समाचार पढ़त ह क ज़मीन जाय़दाद पस जवर क लए लोग घनौन स घनौना

काय कर जात ह (हया अपहरण आद) इसी कार इस कहानी म भी पलस न पहचती तो

परवार वाल महत जी (काका क) हया ह कर दत उह यह अफसोस रहा क व काका को

मार नह पाए

9-यद आपक आसपास हरहर काका जसी हालत म कोई हो तो आप उसक कस कार

मदद करग

9-यद हमार आसपास हरहर काका जसी हालत म कोई हो तो हम उसक पर तरह मदद

करन क कोशश करग उनस मलकर उनक दख का कारण पता करग उह अहसास

दलाएग क व अकल नह ह सबस पहल तो यह ववास कराएग क सभी यित लालची

नह होत ह इस तरह मौन रह कर दसर को मौका न द बिक उलास स शष जीवन

बताए रतदार स मलकर उनक सबध सधारन का यन करग

10-हरहर काका क गाव म यद मीडया क पहच होती तो उनक या िथत होती अपन

शद म लखए

10-यद काका क गाव म मीडया पहच जाती तो सबक पोल खल जाती महत व भाइय का

पदाफाश हो जाता अपहरण और जबरन अगठा लगवान क अपराध म उह जल हो जाती

अपना-अपना मोचा सभालना - अपनी िजमदार नबाहना

आसमान स जमीन पर गरना -उच िथत स नन िथत पर आना

खल कर बात करना- बना सकच क बात करना |

चपत हो जाना ndash भाग जाना |

जी-जान स जट जाना ndash खब महनत करना

िजतन मह उतनी बात होना- कई तरह क बात करना |

ततर-बतर होना ndash बखर जाना |

त-त म -म होना -झगड़ा होना |

नमक-मच लगाना- बढ़ा-चढ़कर कहना|

बात बनाना- बहान बनाना|

रग चढ़ना- असर होना|

मह न खोलना ndash कछ न बताना |

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पय-भाग

पाठ-4

मनयता ndashमथलशरण गत

-लखक का परचय-

-पाठ का सार व पिटकरण-

कत क अय ाणय क तलना म मनय म सोचन क शित अधक होती ह

वह अपन ह नह दसर क सख - दःख का भी याल रखता ह और दसर क लए

कछ करन म समथ होता ह जानवर जब चरागाह म जात ह तो कवल अपन लए

चर कर आत ह परत मनय ऐसा नह ह वह जो कछ भी कमाता ह जो कछ भी

बनाता ह वह दसर क लए भी करता ह और दसर क सहायता स भी करता ह

तत पाठ का कव अपन क सख - दःख क चता करन वाल को मनय तो

मानता ह परत यह मानन को तयार नह ह क उन मनय म मनयता क सार

गण होत ह कव कवल उन मनय को महान मानता ह जो अपन क सख - दःख

स पहल दसर क चता करत ह वह मनय म ऐस गण चाहता ह िजसक कारण

कोई भी मनय इस मयलोक स चल जान क बाद भी सदय तक दसर क याद म

रहता ह अथात वह मय क बाद भी अमर रहता ह

-पाठ सार-

इस कवता म कव मनयता का सह अथ समझान का यास कर रहा ह पहल

भाग म कव कहता ह क मय स नह डरना चाहए यक मय तो निचत ह पर

हम ऐसा कछ करना चाहए क लोग हम मय क बाद भी याद रख असल मनय

वह ह जो दसर क लए जीना व मरना सीख ल दसर भाग म कव कहता ह क

हम उदार बनना चाहए यक उदार मनय का हर जगह गण गान होता ह मनय

वह कहलाता ह जो दसर क चता कर तीसर भाग म कव कहता ह क पराण

म उन लोग क बहत उदाहरण ह िजह उनक याग भाव क लए आज भी याद

कया जाता ह सचा मनय वह ह जो याग भाव जान ल चौथ भाग म कव

कहता ह क मनय क मन म दया और कणा का भाव होना चाहए मनय वह

कहलाता ह जो दसर क लए मरता और जीता ह पाचव भाग म कव कहना चाहता

ह क यहा कोई अनाथ नह ह यक हम सब उस एक ईवर क सतान ह हम

भदभाव स ऊपर उठ कर सोचना चाहएछठ भाग म कव कहना चाहता ह क हम

दयाल बनना चाहए यक दयाल और परोपकार मनय का दवता भी वागत करत

ह अतः हम दसर का परोपकार व कयाण करना चाहएसातव भाग म कव कहता

ह क मनय क बाहर कम अलग अलग हो परत हमार वद साी ह क सभी क

आमा एक ह हम सब एक ह ईवर क सतान ह अतः सभी मनय भाई -बध ह

और मनय वह ह जो दःख म दसर मनय क काम आयअतम भाग म कव

कहना चाहता ह क वप और वन को हटात हए मनय को अपन चन हए रात

पर चलना चाहए आपसी समझ को बनाय रखना चाहए और भदभाव को नह

बढ़ाना चाहए ऐसी सोच वाला मनय ह अपना और दसर का कयाण और उधार

कर सकता ह

-याया

1-वचार लो क मय हो न मय स डरो कभी

मरो परत य मरो क याद जो कर सभी

हई न य समय तो वथा मर वथा िजए

मारा नह वह क जो िजया न आपक लए

वह पश- वत ह क आप आप ह चर

वह मनय ह क जो मनय क लए मर

सग - तत कवता हमार पाय पतक पश भाग -2 स ल गई ह इसक

कव मथलशरण गत ह इन पितओ म कव बताना चाहता ह क मनय को

कसा जीवन जीना चाहए

याया - कव कहता ह क हम यह जान लना चाहए क मय का होना निचत

ह हम मय स नह डरना चाहए कव कहता ह क हम कछ ऐसा करना चाहए क

लोग हम मरन क बाद भी याद रख जो मनय दसर क लए कछ भी ना कर सक

उनका जीना और मरना दोन बकार ह मर कर भी वह मनय कभी नह मरता जो

अपन लए नह दसर क लए जीता ह यक अपन लए तो जानवर भी जीत ह

कव क अनसार मनय वह ह जो दसर मनय क लए मर अथात जो मनय दसर

क चता कर वह असल मनय कहलाता ह

2-उसी उदार क कथा सरवती बखानती

उसी उदार स धरा कताथ भाव मानती

उसी उदार क सदा सजीव कत कजती

तथा उसी उदार को समत सिट पजती

अखड आम भाव जो असीम वव म भर

वह मनय ह क जो मनय क लए मर

सग - तत कवता हमार पाय पतक पश भाग -2 स ल गई ह इसक

कव मथलशरण गत ह इन पितओ म कव बताना चाहता ह क जो मनय

दसर क लए जीत ह उनका गणगान यग - यग तक कया जाता ह

याया - कव कहता ह क जो मनय अपन पर जीवन म दसर क चता करता

ह उस महान यित क कथा का गण गान सरवती अथात पतक म कया जाता

ह पर धरती उस महान यित क आभार रहती ह उस यित क बातचीत

हमशा जीवत यित क तरह क जाती ह और पर सिट उसक पजा करती ह

कव कहता ह क जो यित पर ससार को अखड भाव और भाईचार क भावना म

बाधता ह वह यित सह मायन म मनय कहलान योय होता ह

3-धात रतदव न दया करथ थाल भी

तथा दधीच न दया पराथ अिथजाल भी

उशीनर तीश न वमास दान भी कया

सहष वीर कण न शरर-चम भी दया

अनय दह क लए अनाद जीव या डर

वह मनय ह क जो मनय क लए मर

सग - तत कवता हमार पाय पतक पश भाग -2 स ल गई ह इसक

कव मथलशरण गत ह इन पितओ म कव न महान पष क उदाहरण दए ह

िजनक महानता क कारण उह याद कया जाता ह

याया - कव कहता ह क पौराणक कथाए ऐस यितओ क उदाहरण स भर

पड़ी ह िजहन अपना परा जीवन दसर क लए याग दया िजस कारण उह आज

तक याद कया जाता ह भख स परशान रतदव न अपन हाथ क आखर थाल भी

दान कर द थी और महष दधीच न तो अपन पर शरर क हडया व बनान क

लए दान कर द थी उशीनर दश क राजा शब न कबतर क जान बचान क लए

अपना परा मास दान कर दया था वीर कण न अपनी ख़शी स अपन शरर का

कवच दान कर दया था कव कहना चाहता ह क मनय इस नवर शरर क लए

य डरता ह यक मनय वह कहलाता ह जो दसर क लए अपन आप को याग

दता ह

4-सहानभत चाहए महावभत ह यह

वशीकता सदव ह बनी हई वय मह

वधभाव बध का दया-वाह म बहा

वनीत लोकवग या न सामन झका रहा

अहा वह उदार ह परोपकार जो कर

वह मनय ह क जो मनय क लए मर

सग - तत कवता हमार पाय पतक पश भाग -2 स ल गई ह इसक

कव मथलशरण गत ह इन पितओ म कव न महामा बध का उदाहरण दत

हए दया कणा को सबस बड़ा धन बताया ह

याया - कव कहता ह क मनय क मन म दया व कणा का भाव होना चाहए

यह सबस बड़ा धन ह वय ईवर भी ऐस लोग क साथ रहत ह इसका सबस

बड़ा उदाहरण महामा बध ह िजनस लोग का दःख नह दखा गया तो व लोक

कयाण क लए दनया क नयम क वध चल गए इसक लए या परा ससार

उनक सामन नह झकता अथात उनक दया भाव व परोपकार क कारण आज भी

उनको याद कया जाता ह और उनक पजा क जाती ह महान उस को कहा जाता ह

जो परोपकार करता ह वह मनय मनय कहलाता ह जो मनय क लए जीता ह

और मरता ह

5-रहो न भल क कभी मदाघ तछ व म

सनाथ जान आपको करो न गव च म

अनाथ कौन ह यहा लोकनाथ साथ ह

दयाल दन बध क बड़ वशाल हाथ ह

अतीव भायहन ह अधीर भाव जो कर

वह मनय ह क जो मनय क लए मर

सग - तत कवता हमार पाय पतक पश भाग -2 स ल गई ह इसक

कव मथलशरण गत ह इन पितओ म कव कहता ह क सपत पर कभी

घमड नह करना चाहए और कसी को अनाथ नह समझना चाहए यक ईवर

सबक साथ ह

याया - कव कहता ह क भल कर भी कभी सप या यश पर घमड नह करना

चाहए इस बात पर कभी गव नह करना चाहए क हमार साथ हमार अपन का

साथ ह यक कव कहता ह क यहा कौन सा यित अनाथ ह उस ईवर का

साथ सब क साथ ह वह बहत दयावान ह उसका हाथ सबक ऊपर रहता ह कव

कहता ह क वह यित भायहन ह जो इस कार का उतावलापन रखता ह यक

मनय वह यित कहलाता ह जो इन सब चीज स ऊपर उठ कर सोचता ह

6-अनत अतर म अनत दव ह खड़

सम ह वबाह जो बढ़ा रह बड़-बड़

परपरावलब स उठो तथा बढ़ो सभी

अभी अमय-अक म अपक हो चढ़ो सभी

रहो न या क एक स न काम और का सर

वह मनय ह क जो मनय क लए मर

सग - तत कवता हमार पाय पतक पश भाग -2 स ल गई ह इसक

कव मथलशरण गत ह इन पितओ म कव कहता ह क कलक रहत रहन व

दसर का सहारा बनन वाल मवषय का दवता भी वागत करत ह

याया - कव कहता ह क उस कभी न समात होन वाल आकाश म असय

दवता खड़ ह जो परोपकार व दयाल मनय का सामन स खड़ होकर अपनी भजाओ

को फलाकर वागत करत ह इसलए दसर का सहारा बनो और सभी को साथ म

लकर आग बड़ो कव कहता ह क सभी कलक रहत हो कर दवताओ क गोद म

बठो अथात यद कोई बरा काम नह करोग तो दवता तह अपनी गोद म ल लग

अपन मतलब क लए नह जीना चाहए अपना और दसर का कयाण व उधार

करना चाहए यक इस मरणशील ससार म मनय वह ह जो मनय का कयाण

कर व परोपकार कर

7-मनय माा बध ह यह बड़ा ववक ह

पराणपष वयभ पता सध एक ह

फलानसार कम क अवय बाय भद ह

परत अतरय म माणभत वद ह

अनथ ह क बध ह न बध क यथा हर

वह मनय ह क जो मनय क लए मर

सग - तत कवता हमार पाय पतक पश भाग -2 स ल गई ह इसक

कव मथलशरण गत ह इन पितओ म कव कहता ह क हम सब एक ईवर क

सतान ह अतः हम सभी मनय एक - दसर क भाई - बध ह

याया - कव कहता ह क यक मनय एक दसर क भाई - बध ह यह सबस

बड़ी समझ ह पराण म िजस वय उपन पष मना गया ह वह परमामा या

ईवर हम सभी का पता ह अथात सभी मनय उस एक ईवर क सतान ह

बाहर कारण क फल अनसार यक मनय क कम भल ह अलग अलग ह परत

हमार वद इस बात क साी ह क सभी क आमा एक ह कव कहता ह क यद

भाई ह भाई क दःख व कट का नाश नह करगा तो उसका जीना यथ ह यक

मनय वह कहलाता ह जो बर समय म दसर मनय क काम आता ह

8-चलो अभीट माग म सहष खलत हए

वपवन जो पड़ उह ढकलत हए

घट न हलमल हा बढ़ न भनता कभी

अतक एक पथ क सतक पथ ह सभी

तभी समथ भाव ह क तारता हआ तर

वह मनय ह क जो मनय क लए मर

सग - तत कवता हमार पाय पतक पश भाग -2 स ल गई ह इसक

कव मथलशरण गत ह इन पितओ म कव कहता ह क यद हम ख़शी ससार

कट को हटत हए भदभाव रहत रहग तभी सभव ह क समाज क उनत होगी

याया - कव कहता ह क मनय को अपनी इछा स चन हए माग म ख़शी

ख़शी चलना चाहएरात म कोई भी सकट या बाधाए आय उह हटात चल जाना

चाहए मनय को यह यान रखना चाहए क आपसी समझ न बगड़ और भद

भाव न बड़ बना कसी तक वतक क सभी को एक साथ ल कर आग बढ़ना चाहए

तभी यह सभव होगा क मनय दसर क उनत और कयाण क साथ अपनी

समध भी कायम कर

-ननलखत न क उर दिजय ndash

1-कव न कसी मय को समय कहा ह

1-कव न ऐसी मय को समय कहा ह िजसम मनय अपन स पहल दसर क चता

करता ह और परोपकार क राह को चनता ह िजसस उस मरन क बाद भी याद कया

जाता ह

2-उदार यित क पहचान कस हो सकती ह

2- उदार यित परोपकार होता ह वह अपन स पहल दसर क चता करता ह और

लोक कयाण क लए अपना जीवन याग दता ह

3-कव न दधीच कण आद महान यितओ क उदाहरण द कर मनयता क लए

या उदाहरण दया ह

3- कव न दधीच कण आद महान यितओ क उदाहरण द कर मनयता क

लए यह सदश दया ह क परोपकार करन वाला ह असल मनय कहलान योय

होता ह मानवता क रा क लए दधीच न अपन शरर क सार अिथया दान कर

द थीकण न अपनी जान क परवाह कय बना अपना कवच द दया था िजस

कारण उह आज तक याद कया जाता ह कव इन उदाहरण क वारा यह

समझाना चाहता ह क परोपकार ह सची मनयता ह

4- कव न कन पितय म यह यत कया ह क हम गव - रहत जीवन यतीत

करना चाहए

4- कव न ननलखत पितय म गव रहत जीवन यतीत करन क बात कह ह-

रहो न भल क कभी मगाघ तछ व म

सनाथ जान आपको करो न गव च म

अथात सपत क घमड म कभी नह रहना चाहए और न ह इस बात पर गव

करना चाहए क आपक पास आपक अपन का साथ ह यक इस दनया म कोई

भी अनाथ नह ह सब उस परम पता परमवर क सतान ह

5- मनय मा बध ह स आप या समझत ह पट किजए

5- मनय मा बध ह अथात हम सब मनय एक ईवर क सतान ह अतः हम

सब भाई - बध ह भाई -बध होन क नात हम भाईचार क साथ रहना चाहए और

एक दसर का बर समय म साथ दना चाहए

6- कव न सबको एक होकर चलन क रणा य द ह

6- कव न सबको एक होकर चलन क रणा इसलए द ह ताक आपसी समझ न

बगड़ और न ह भदभाव बड़ सब एक साथ एक होकर चलग तो सार बाधाए मट

जाएगी और सबका कयाण और समध होगी

7- यित को कस तरह का जीवन यतीत करना चाहए इस कवता क आधार पर

लखए

7-मनय को परोपकार का जीवन जीना चाहए अपन स पहल दसर क दख क

चता करनी चाहए कवल अपन बार म तो जानवर भी सोचत ह कव क अनसार

मनय वह कहलाता ह जो अपन स पहल दसर क चता कर

8- मनयता कवता क वारा कव या सदश दना चाहता ह

8- मनयता कवता क मायम स कव यह सदश दना चाहता ह क परोपकार ह

सची मनयता ह परोपकार ह एक ऐसा साधन ह िजसक मायम स हम यग तक

लोगो क दल म अपनी जगह बना सकत ह और परोपकार क वारा ह समाज का

कयाण व समध सभव ह अतः हम परोपकार बनना चाहए ताक हम सह

मायन म मनय कहलाय

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-याकरण-

पदबध- परभाषा

पद- वाय स अलग रहन पर शद और वाय म यत हो जान पर शद

पद कहलात ह दसर शद म- वाय म यत शद पद कहलाता ह पदबध-

जब दो या अधक (शद) पद नयत म और निचत अथ म कसी पद का

काय करत ह तो उह पदबध कहत ह

पदबध क भद

मय पद क आधार पर पदबध क पाच कार होत ह-

(1) सा-पदबध (2) वशषण-पदबध

(3) सवनाम पदबध (4) या पदबध

(5) अयय पदबध

(1) सा-पदबध-

(a)चार ताकतवर मजदर इस भार चीज को उठा पाए

(b) राम न लका क राजा रावण को मार गराया

(c) अयोया क राजा दशरथ क चार प थ

(d) आसमान म उड़ता गबारा फट गया

2) वशषण पदबध-

a) तज चलन वाल गाड़या ायः दर स पहचती ह

(b) उस घर क कोन म बठा हआ आदमी जासस ह

(c) उसका घोड़ा अयत सदर फरतीला और आाकार ह

(d) बरगद और पीपल क घनी छाव स हम बहत सख मला

3) सवनाम पदबध-

(a)बजल-सी फरती दखाकर आपन बालक को डबन स बचा लया

(b)शरारत करन वाल छा म स कछ पकड़ गए

(c)वरोध करन वाल लोग म स कोई नह बोला

4) या पदबध-

(a) वह बाजार क ओर आया होगा

(b) मझ मोहन छत स दखाई द रहा ह

(c) सरश नद म डब गया

(d) अब दरवाजा खोला जा सकता ह

5) अयय पदबध-

(a)अपन सामान क साथ वह चला गया

(b)सबह स शाम तक वह बठा रहा

कसी भी भाषा क व शद अयय (Indeclinable या inflexible) कहलात ह िजनक प म

लग वचन पष कारक काल इयाद क कारण कोई वकार उप नह होता

चक अयय का पातर नह होता इसलए ऐस शद अवकार होत ह अयय का शािदक

अथ ह- जो यय न हो

(i) कालवाचक अयय- इनम समय का बोध होता ह जस- आज कल तरत पीछ पहल अब

जब तब कभी-कभी कब अब स नय जब स सदा स अभी तभी आजकल और कभी

उदाहरणाथ-

अब स ऐसी बात नह होगी

ऐसी बात सदा स होती रह ह

वह कब आया मझ पता नह

(ii) थानवाचक अयय- इसस थान का बोध होता ह जस- यहा वहा कहा जहा यहा स

वहा स इधर-उधर उदाहरणाथ-

वह यहा नह ह

वह कहा जायगा

वहा कोई नह ह

जहा तम हो वहा म ह

(iii) दशावाचक अयय- इसस दशा का बोध होता ह जस- इधर उधर िजधर दर पर अलग

दाहन बाए आरपार

(iv) िथतवाचक अयय- नीच ऊपर तल सामन बाहर भीतर इयाद

अयय क भद

अयय ननलखत चार कार क होत ह -

(1) यावशषण (Adverb)

(2) सबधबोधक (Preposition)

(3) समचयबोधक (Conjunction)

(4) वमयादबोधक (Interjection)

(1) यावशषण - िजन शद स या वशषण या दसर यावशषण क वशषता कट

हो उह यावशषण कहत ह

दसर शदो म- जो शद या क वशषता बतलात ह उह या वशषण कहा जाता ह

जस- राम धीर-धीर टहलता ह राम वहा टहलता ह राम अभी टहलता ह

इन वाय म धीर-धीर वहा और अभी राम क टहलन (या) क वशषता बतलात ह य

यावशषण अवकार वशषण भी कहलात ह इसक अतरत यावशषण दसर

यावशषण क भी वशषता बताता ह

वह बहत धीर चलता ह इस वाय म बहत यावशषण ह यक यह दसर यावशषण

धीर क वशषता बतलाता ह

या वशषण क कार

(1) योग क अनसार- (i) साधारण (ii) सयोजक (iii) अनबध

(2) प क अनसार- (i) मल यावशषण (ii) यौगक यावशषण (iii) थानीय यावशषण

(3) अथ क अनसार- (i) परमाणवाचक (ii) रतवाचक

(1) योग क अनसार यावशषण क भद

योग क अनसार यावशषण क तीन भद ह-

(i) साधारण यावशषण- िजन यावशषण का योग कसी वाय म वत होता ह

उह साधारण यावशषण कहा जाता ह

जस- हाय अब म या क बटा जद आओ अर साप कहा गया

(ii) सयोजक यावशषण- िजन यावशषण का सबध कसी उपवाय स रहता ह उह

सयोजक यावशषण कहा जाता ह

जस- जब रोहताव ह नह तो म ह जीकर या कगी जहा अभी सम ह वहा कसी

समय जगल था

(iii) अनबध यावशषण- िजन यावशषण क योग अवधारण (नचय) क लए कसी

भी शदभद क साथ होता हो उह अनबध यावशषण कहा जाता ह

जस- यह तो कसी न धोखा ह दया ह मन उस दखा तक नह

(2) प क अनसार यावशषण क भद

प क अनसार यावशषण क तीन भद ह-

(i) मल यावशषण- ऐस यावशषण जो कसी दसर शद क मल स नह बनत मल

यावशषण कहलात ह

जस- ठक दर अचानक फर नह

(ii) यौगक यावशषण- ऐस यावशषण जो कसी दसर शद म यय या पद जोड़न

पर बनत ह यौगक यावशषण कहलात ह

जस- मन स िजसस चपक स भल स दखत हए यहा तक झट स वहा पर यौगक

यावशषण सा सवनाम वशषण धात और अयय क मल स बनत ह

यौगक यावशषण नीच लख शद क मल स बनत ह-

(i) साओ क वित स- घर-घर घड़ी-घड़ी बीच-बीच हाथ-हाथ

(ii) दो भ साओ क मल स- दन-रात साझ-सबर घर-बाहर दश-वदश

(iii) वशषण क वित स- एक-एक ठक-ठक साफ-साफ

(iv) यावशषण क वित स- धीर-धीर जहा-तहा कब-कब कहा-कहा

(v) दो यावशषण क मल स- जहा-तहा जहा-कह जब-तब जब-कभी कल-परस आस-पास

(vi) दो भ या समान यावशषण क बीच न लगान स- कभी-न-कभी कछ-न-कछ

(vii) अनकरण वाचक शद क वित स- पटपट तड़तड़ सटासट धड़ाधड़

(viii) सा और वशषण क योग स- एक साथ एक बार दो बार

(ix) अय य और दसर शद क मल स- तदन यथाम अनजान आजम

(x) पवकालक कदत और वशषण क मल स- वशषकर बहतकर मयकर एक-एककर

(iii) थानीय यावशषण- ऐस यावशषण जो बना पातर क कसी वशष थान म

आत ह थानीय यावशषण कहलात ह

जस- वह अपना सर पढ़गा

वह दौड़कर चलत ह

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  • (1) अरथ की दषटि स शबद-भद13
  • (2) परयोग की दषटि स शबद-भद13
  • (3) उतपति की दषटि स शबद-भद13
  • 1) सवर सधि-13
  • परति+छवि=परतिचछवि दिक+अनत=दिगनत दिक+गज=दिगगज अन+छद=अनचछद अच +अनत = अजनत 13
  • 3)विसरग सधि - विसरग क साथ सवर या वयजन का मल होन पर जो विकार होता ह उस 13
  • विसरग सधि कहत ह 13
  • मन+रथ=मनोरथ यश+अभिलाषा=यशोभिलाषा अध+गति=अधोगति नि+छल=निशछल द +गम = दरगम 13
    • -पाठ सार-13
    • -वयाखया13
    • -निमनलिखित परशनो क उततर दीजिय ndash13
    • 1-कवि न कसी मतय को समतय कहा ह13
    • अवयय क भद13
    • करिया विशषण क परकार13
Page 28: Class –X HINDI JUNE SYLLABUS 2020 Chapters:- Ch-1-Sanchayan …punainternationalschool.com/assets/upload/ck-images/Std-10th=Jun… · -harihar kaka . पय-भाग पाठ-3

अब उसका कोई महव नह था और पलस वाल बना कसी कारण स ह हरहर काका क

धन स मौज कर रह थ अब तक जो नह खाया था दोन वत उसका भोग लगा रह थ

-नोर-

1-कथावाचक और हरहर काका क बीच या सबध ह और इसक या कारण ह

1-कथावाचक जब छोटा था तब स ह हरहर काका उस बहत यार करत थ जब वह बड़ हो

गए तो वह हरहर काका क म बन गए गाव म इतनी गहर दोती और कसी स नह

हई हरहर काका उनस खल कर बात करत थ यह कारण ह क कथावाचक को उनक

एक-एक पल क खबर थी शायद अपना म बनान क लए काका न वय ह उस यार स

बड़ा कया और इतजार कया

2-हरहर काका को महत और भाई एक ह णी क य लगन लग

2-हरहर काका को अपन भाइय और महत म कोई अतर नह लगा दोन एक ह णी क

लग उनक भाइय क पिनय न कछ दन तक तो हरहर काका का यान रखा फर

बचीकची रोटया द नाता नह दत थ बमार म कोई पछन वाला भी न था िजतना भी

उह रखा जा रहा था उनक ज़मीन क लए था इसी तरह महत न एक दन तो बड़ यार

स खातर क फर ज़मीन अपन ठाकर बाड़ी क नाम करन क लए कहन लग काका क

मना करन पर उह अनक यातनाए द अपहरण करवाया मह म कपड़ा ठस कर एक कोठर

म बद कर दया जबरदती अगठ का नशान लया गया तथा उह मारा पीटा गया इस

तरह दोन ह कवल ज़मीन जायदाद क लए हरहर काका स यवहार रखत थ अत उह

दोन एक ह णी क लग

3-ठाकर बाड़ी क त गाव वाल क मन म अपार धा क जो भाव ह उसस उनक कस

मनोव का पता चलता ह

3-कहा जाता ह गाव क लोग भोल होत ह असल म गाव क लोग अधववासी धमभी होत

ह मदर जस थान को पव नकलक ान का तीक मानत ह पजार परोहत महत

जस िजतन भी धम क ठकदार ह उनपर अगाध धा रखत ह व चाह कतन भी

पतत वाथ और नीच ह पर उनका वरोध करत व डरत ह इसी कारण ठाकर बाड़ी क

त गाव वाल क अपार धा थी उनका हर सख-दख उसस जड़ा था

4-अनपढ़ होत हए भी हरहर काका दनया क बहतर समझ रखत ह कहानी क आधार पर

पट किजए

4-हरहर काका अनपढ़ थ फर भी उह दनयादार क बहद समझ थी उनक भाई लोग

उनस ज़बरदती ज़मीन अपन नाम करान क लए डरात थ तो उह गाव म दखावा करक

ज़मीन हथयान वालो क याद आती ह काका न उह दखी होत दखा ह इसलए उहन

ठान लया था चाह महत उकसाए चाह भाई दखावा कर वह ज़मीन कसी को भी नह दग

एक बार महत क उकसान पर भाइय क त धोखा नह करना चाहत थ परत जब भाइय

न भी धोखा दया तो उह समझ म आ गया उनक त उह कोई यार नह ह जो यार

दखात ह वह कवल ज़ायदाद क लए ह

5-हरहर काका को जबरन उठा ल जान वाल कौन थ उहन उनक साथ कसा यवहार

कया

5-महत न हरहर काका को बहत लोभन दए िजसस वह अपनी ज़मीन जायदाद ठाकर

बाड़ी क नाम कर द परत काका इस बात क लए तयार नह थ व सोच रह थ क या

भगवान क लए अपन भाइय स धोखा क यह उह सह भी नह लग रहा था महत को

यह बात पता लगी तो उसन छल और बल स रात क समय अकल दालान म सोत हए

हरहर काका को उठवा लया महत न अपन चल साधसतो क साथ मलकर उनक हाथ पर

बाध दए मह म कपड़ा ठस दया और जबरदती अगठ क नशान लए उह एक कमर म

बद कर दया जब पलस आई तो वय गत दरवाज़ स भाग गए

6-हरहर काका क मामल म गाव वाल क या राय थी और उसक या कारण थ

6-कहानी क आधार पर गाव क लोग को बना बताए पता चल गया क हरहर काका को

उनक भाई नह पछत इसलए सख आराम का लोभन दकर महत उह अपन साथ ल

गया भाई मनत करक काका को वापस ल आत ह इस तरह गाव क लोग दो प म

बट गए कछ लोग महत क तरफ़ थ जो चाहत थ क काका अपनी ज़मीन धम क नाम पर

ठाकर बाड़ी को द द ताक उह सख आराम मल मय क बाद मो यश मल महत ानी

ह वह सब कछ जानता ह लकन दसर प क लोग कहत क ज़मीन परवार वालो को द

जाए उनका कहना था इसस उनक परवार का पट भरगा मदर को ज़मीन दना अयाय

होगा इस तरह दोन प अपन-अपन हसाब स सोच रह थ परत हरहर काका क बार म

कोई नह सोच रहा था इन बात का एक कारण यह भी था क काका वधर थ और उनक

कोई सतान भी नह थी पह बीघ ज़मीन क लए इनका लालच वाभवक था

7-कहानी क आधार पर पट किजए क लखक न यह य कहा अान क िथत म ह

मनय मय स डरत ह ान होन क बाद तो आदमी आवयकता पड़न पर मय को वरण

करन क लए तयार हो जाता ह

7-जब काका को असलयत पता चल और उह समझ म आ गया क सब लोग उनक

ज़मीन जायदाद क पीछ ह तो उह व सभी लोग याद आ गए िजहन परवार वालो क मोह

माया म आकर अपनी ज़मीन उनक नाम कर द और मय तक तलतल करक मरत

रह दान-दान को मोहताज़ हो गए इसलए उहन सोचा क इस तरह रहन स तो एक बार

मरना अछा ह जीत जी ज़मीन कसी को भी नह दग य लोग मझ एक बार म ह मार

द अत लखक न कहा क अान क िथत म मनय मय स डरता ह परत ान होन

पर मय वरण को तयार रहता ह

8-समाज म रत क या अहमयत ह इस वषय पर अपन वचार कट किजए

8-आज समाज म मानवीय मय तथा पारवारक मय धीर-धीर समात होत जा रह ह

यादातर यित अपन वाथ क लए रत नभात ह अपनी आवयकताओ क हसाब स

मलत ह अमीर रतदार का समान करत ह उनस मलन को आतर रहत ह जबक गरब

रतदार स कतरात ह कवल वाथ सध क अहमयत रह गई ह आए दन हम

अखबार म समाचार पढ़त ह क ज़मीन जाय़दाद पस जवर क लए लोग घनौन स घनौना

काय कर जात ह (हया अपहरण आद) इसी कार इस कहानी म भी पलस न पहचती तो

परवार वाल महत जी (काका क) हया ह कर दत उह यह अफसोस रहा क व काका को

मार नह पाए

9-यद आपक आसपास हरहर काका जसी हालत म कोई हो तो आप उसक कस कार

मदद करग

9-यद हमार आसपास हरहर काका जसी हालत म कोई हो तो हम उसक पर तरह मदद

करन क कोशश करग उनस मलकर उनक दख का कारण पता करग उह अहसास

दलाएग क व अकल नह ह सबस पहल तो यह ववास कराएग क सभी यित लालची

नह होत ह इस तरह मौन रह कर दसर को मौका न द बिक उलास स शष जीवन

बताए रतदार स मलकर उनक सबध सधारन का यन करग

10-हरहर काका क गाव म यद मीडया क पहच होती तो उनक या िथत होती अपन

शद म लखए

10-यद काका क गाव म मीडया पहच जाती तो सबक पोल खल जाती महत व भाइय का

पदाफाश हो जाता अपहरण और जबरन अगठा लगवान क अपराध म उह जल हो जाती

अपना-अपना मोचा सभालना - अपनी िजमदार नबाहना

आसमान स जमीन पर गरना -उच िथत स नन िथत पर आना

खल कर बात करना- बना सकच क बात करना |

चपत हो जाना ndash भाग जाना |

जी-जान स जट जाना ndash खब महनत करना

िजतन मह उतनी बात होना- कई तरह क बात करना |

ततर-बतर होना ndash बखर जाना |

त-त म -म होना -झगड़ा होना |

नमक-मच लगाना- बढ़ा-चढ़कर कहना|

बात बनाना- बहान बनाना|

रग चढ़ना- असर होना|

मह न खोलना ndash कछ न बताना |

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पय-भाग

पाठ-4

मनयता ndashमथलशरण गत

-लखक का परचय-

-पाठ का सार व पिटकरण-

कत क अय ाणय क तलना म मनय म सोचन क शित अधक होती ह

वह अपन ह नह दसर क सख - दःख का भी याल रखता ह और दसर क लए

कछ करन म समथ होता ह जानवर जब चरागाह म जात ह तो कवल अपन लए

चर कर आत ह परत मनय ऐसा नह ह वह जो कछ भी कमाता ह जो कछ भी

बनाता ह वह दसर क लए भी करता ह और दसर क सहायता स भी करता ह

तत पाठ का कव अपन क सख - दःख क चता करन वाल को मनय तो

मानता ह परत यह मानन को तयार नह ह क उन मनय म मनयता क सार

गण होत ह कव कवल उन मनय को महान मानता ह जो अपन क सख - दःख

स पहल दसर क चता करत ह वह मनय म ऐस गण चाहता ह िजसक कारण

कोई भी मनय इस मयलोक स चल जान क बाद भी सदय तक दसर क याद म

रहता ह अथात वह मय क बाद भी अमर रहता ह

-पाठ सार-

इस कवता म कव मनयता का सह अथ समझान का यास कर रहा ह पहल

भाग म कव कहता ह क मय स नह डरना चाहए यक मय तो निचत ह पर

हम ऐसा कछ करना चाहए क लोग हम मय क बाद भी याद रख असल मनय

वह ह जो दसर क लए जीना व मरना सीख ल दसर भाग म कव कहता ह क

हम उदार बनना चाहए यक उदार मनय का हर जगह गण गान होता ह मनय

वह कहलाता ह जो दसर क चता कर तीसर भाग म कव कहता ह क पराण

म उन लोग क बहत उदाहरण ह िजह उनक याग भाव क लए आज भी याद

कया जाता ह सचा मनय वह ह जो याग भाव जान ल चौथ भाग म कव

कहता ह क मनय क मन म दया और कणा का भाव होना चाहए मनय वह

कहलाता ह जो दसर क लए मरता और जीता ह पाचव भाग म कव कहना चाहता

ह क यहा कोई अनाथ नह ह यक हम सब उस एक ईवर क सतान ह हम

भदभाव स ऊपर उठ कर सोचना चाहएछठ भाग म कव कहना चाहता ह क हम

दयाल बनना चाहए यक दयाल और परोपकार मनय का दवता भी वागत करत

ह अतः हम दसर का परोपकार व कयाण करना चाहएसातव भाग म कव कहता

ह क मनय क बाहर कम अलग अलग हो परत हमार वद साी ह क सभी क

आमा एक ह हम सब एक ह ईवर क सतान ह अतः सभी मनय भाई -बध ह

और मनय वह ह जो दःख म दसर मनय क काम आयअतम भाग म कव

कहना चाहता ह क वप और वन को हटात हए मनय को अपन चन हए रात

पर चलना चाहए आपसी समझ को बनाय रखना चाहए और भदभाव को नह

बढ़ाना चाहए ऐसी सोच वाला मनय ह अपना और दसर का कयाण और उधार

कर सकता ह

-याया

1-वचार लो क मय हो न मय स डरो कभी

मरो परत य मरो क याद जो कर सभी

हई न य समय तो वथा मर वथा िजए

मारा नह वह क जो िजया न आपक लए

वह पश- वत ह क आप आप ह चर

वह मनय ह क जो मनय क लए मर

सग - तत कवता हमार पाय पतक पश भाग -2 स ल गई ह इसक

कव मथलशरण गत ह इन पितओ म कव बताना चाहता ह क मनय को

कसा जीवन जीना चाहए

याया - कव कहता ह क हम यह जान लना चाहए क मय का होना निचत

ह हम मय स नह डरना चाहए कव कहता ह क हम कछ ऐसा करना चाहए क

लोग हम मरन क बाद भी याद रख जो मनय दसर क लए कछ भी ना कर सक

उनका जीना और मरना दोन बकार ह मर कर भी वह मनय कभी नह मरता जो

अपन लए नह दसर क लए जीता ह यक अपन लए तो जानवर भी जीत ह

कव क अनसार मनय वह ह जो दसर मनय क लए मर अथात जो मनय दसर

क चता कर वह असल मनय कहलाता ह

2-उसी उदार क कथा सरवती बखानती

उसी उदार स धरा कताथ भाव मानती

उसी उदार क सदा सजीव कत कजती

तथा उसी उदार को समत सिट पजती

अखड आम भाव जो असीम वव म भर

वह मनय ह क जो मनय क लए मर

सग - तत कवता हमार पाय पतक पश भाग -2 स ल गई ह इसक

कव मथलशरण गत ह इन पितओ म कव बताना चाहता ह क जो मनय

दसर क लए जीत ह उनका गणगान यग - यग तक कया जाता ह

याया - कव कहता ह क जो मनय अपन पर जीवन म दसर क चता करता

ह उस महान यित क कथा का गण गान सरवती अथात पतक म कया जाता

ह पर धरती उस महान यित क आभार रहती ह उस यित क बातचीत

हमशा जीवत यित क तरह क जाती ह और पर सिट उसक पजा करती ह

कव कहता ह क जो यित पर ससार को अखड भाव और भाईचार क भावना म

बाधता ह वह यित सह मायन म मनय कहलान योय होता ह

3-धात रतदव न दया करथ थाल भी

तथा दधीच न दया पराथ अिथजाल भी

उशीनर तीश न वमास दान भी कया

सहष वीर कण न शरर-चम भी दया

अनय दह क लए अनाद जीव या डर

वह मनय ह क जो मनय क लए मर

सग - तत कवता हमार पाय पतक पश भाग -2 स ल गई ह इसक

कव मथलशरण गत ह इन पितओ म कव न महान पष क उदाहरण दए ह

िजनक महानता क कारण उह याद कया जाता ह

याया - कव कहता ह क पौराणक कथाए ऐस यितओ क उदाहरण स भर

पड़ी ह िजहन अपना परा जीवन दसर क लए याग दया िजस कारण उह आज

तक याद कया जाता ह भख स परशान रतदव न अपन हाथ क आखर थाल भी

दान कर द थी और महष दधीच न तो अपन पर शरर क हडया व बनान क

लए दान कर द थी उशीनर दश क राजा शब न कबतर क जान बचान क लए

अपना परा मास दान कर दया था वीर कण न अपनी ख़शी स अपन शरर का

कवच दान कर दया था कव कहना चाहता ह क मनय इस नवर शरर क लए

य डरता ह यक मनय वह कहलाता ह जो दसर क लए अपन आप को याग

दता ह

4-सहानभत चाहए महावभत ह यह

वशीकता सदव ह बनी हई वय मह

वधभाव बध का दया-वाह म बहा

वनीत लोकवग या न सामन झका रहा

अहा वह उदार ह परोपकार जो कर

वह मनय ह क जो मनय क लए मर

सग - तत कवता हमार पाय पतक पश भाग -2 स ल गई ह इसक

कव मथलशरण गत ह इन पितओ म कव न महामा बध का उदाहरण दत

हए दया कणा को सबस बड़ा धन बताया ह

याया - कव कहता ह क मनय क मन म दया व कणा का भाव होना चाहए

यह सबस बड़ा धन ह वय ईवर भी ऐस लोग क साथ रहत ह इसका सबस

बड़ा उदाहरण महामा बध ह िजनस लोग का दःख नह दखा गया तो व लोक

कयाण क लए दनया क नयम क वध चल गए इसक लए या परा ससार

उनक सामन नह झकता अथात उनक दया भाव व परोपकार क कारण आज भी

उनको याद कया जाता ह और उनक पजा क जाती ह महान उस को कहा जाता ह

जो परोपकार करता ह वह मनय मनय कहलाता ह जो मनय क लए जीता ह

और मरता ह

5-रहो न भल क कभी मदाघ तछ व म

सनाथ जान आपको करो न गव च म

अनाथ कौन ह यहा लोकनाथ साथ ह

दयाल दन बध क बड़ वशाल हाथ ह

अतीव भायहन ह अधीर भाव जो कर

वह मनय ह क जो मनय क लए मर

सग - तत कवता हमार पाय पतक पश भाग -2 स ल गई ह इसक

कव मथलशरण गत ह इन पितओ म कव कहता ह क सपत पर कभी

घमड नह करना चाहए और कसी को अनाथ नह समझना चाहए यक ईवर

सबक साथ ह

याया - कव कहता ह क भल कर भी कभी सप या यश पर घमड नह करना

चाहए इस बात पर कभी गव नह करना चाहए क हमार साथ हमार अपन का

साथ ह यक कव कहता ह क यहा कौन सा यित अनाथ ह उस ईवर का

साथ सब क साथ ह वह बहत दयावान ह उसका हाथ सबक ऊपर रहता ह कव

कहता ह क वह यित भायहन ह जो इस कार का उतावलापन रखता ह यक

मनय वह यित कहलाता ह जो इन सब चीज स ऊपर उठ कर सोचता ह

6-अनत अतर म अनत दव ह खड़

सम ह वबाह जो बढ़ा रह बड़-बड़

परपरावलब स उठो तथा बढ़ो सभी

अभी अमय-अक म अपक हो चढ़ो सभी

रहो न या क एक स न काम और का सर

वह मनय ह क जो मनय क लए मर

सग - तत कवता हमार पाय पतक पश भाग -2 स ल गई ह इसक

कव मथलशरण गत ह इन पितओ म कव कहता ह क कलक रहत रहन व

दसर का सहारा बनन वाल मवषय का दवता भी वागत करत ह

याया - कव कहता ह क उस कभी न समात होन वाल आकाश म असय

दवता खड़ ह जो परोपकार व दयाल मनय का सामन स खड़ होकर अपनी भजाओ

को फलाकर वागत करत ह इसलए दसर का सहारा बनो और सभी को साथ म

लकर आग बड़ो कव कहता ह क सभी कलक रहत हो कर दवताओ क गोद म

बठो अथात यद कोई बरा काम नह करोग तो दवता तह अपनी गोद म ल लग

अपन मतलब क लए नह जीना चाहए अपना और दसर का कयाण व उधार

करना चाहए यक इस मरणशील ससार म मनय वह ह जो मनय का कयाण

कर व परोपकार कर

7-मनय माा बध ह यह बड़ा ववक ह

पराणपष वयभ पता सध एक ह

फलानसार कम क अवय बाय भद ह

परत अतरय म माणभत वद ह

अनथ ह क बध ह न बध क यथा हर

वह मनय ह क जो मनय क लए मर

सग - तत कवता हमार पाय पतक पश भाग -2 स ल गई ह इसक

कव मथलशरण गत ह इन पितओ म कव कहता ह क हम सब एक ईवर क

सतान ह अतः हम सभी मनय एक - दसर क भाई - बध ह

याया - कव कहता ह क यक मनय एक दसर क भाई - बध ह यह सबस

बड़ी समझ ह पराण म िजस वय उपन पष मना गया ह वह परमामा या

ईवर हम सभी का पता ह अथात सभी मनय उस एक ईवर क सतान ह

बाहर कारण क फल अनसार यक मनय क कम भल ह अलग अलग ह परत

हमार वद इस बात क साी ह क सभी क आमा एक ह कव कहता ह क यद

भाई ह भाई क दःख व कट का नाश नह करगा तो उसका जीना यथ ह यक

मनय वह कहलाता ह जो बर समय म दसर मनय क काम आता ह

8-चलो अभीट माग म सहष खलत हए

वपवन जो पड़ उह ढकलत हए

घट न हलमल हा बढ़ न भनता कभी

अतक एक पथ क सतक पथ ह सभी

तभी समथ भाव ह क तारता हआ तर

वह मनय ह क जो मनय क लए मर

सग - तत कवता हमार पाय पतक पश भाग -2 स ल गई ह इसक

कव मथलशरण गत ह इन पितओ म कव कहता ह क यद हम ख़शी ससार

कट को हटत हए भदभाव रहत रहग तभी सभव ह क समाज क उनत होगी

याया - कव कहता ह क मनय को अपनी इछा स चन हए माग म ख़शी

ख़शी चलना चाहएरात म कोई भी सकट या बाधाए आय उह हटात चल जाना

चाहए मनय को यह यान रखना चाहए क आपसी समझ न बगड़ और भद

भाव न बड़ बना कसी तक वतक क सभी को एक साथ ल कर आग बढ़ना चाहए

तभी यह सभव होगा क मनय दसर क उनत और कयाण क साथ अपनी

समध भी कायम कर

-ननलखत न क उर दिजय ndash

1-कव न कसी मय को समय कहा ह

1-कव न ऐसी मय को समय कहा ह िजसम मनय अपन स पहल दसर क चता

करता ह और परोपकार क राह को चनता ह िजसस उस मरन क बाद भी याद कया

जाता ह

2-उदार यित क पहचान कस हो सकती ह

2- उदार यित परोपकार होता ह वह अपन स पहल दसर क चता करता ह और

लोक कयाण क लए अपना जीवन याग दता ह

3-कव न दधीच कण आद महान यितओ क उदाहरण द कर मनयता क लए

या उदाहरण दया ह

3- कव न दधीच कण आद महान यितओ क उदाहरण द कर मनयता क

लए यह सदश दया ह क परोपकार करन वाला ह असल मनय कहलान योय

होता ह मानवता क रा क लए दधीच न अपन शरर क सार अिथया दान कर

द थीकण न अपनी जान क परवाह कय बना अपना कवच द दया था िजस

कारण उह आज तक याद कया जाता ह कव इन उदाहरण क वारा यह

समझाना चाहता ह क परोपकार ह सची मनयता ह

4- कव न कन पितय म यह यत कया ह क हम गव - रहत जीवन यतीत

करना चाहए

4- कव न ननलखत पितय म गव रहत जीवन यतीत करन क बात कह ह-

रहो न भल क कभी मगाघ तछ व म

सनाथ जान आपको करो न गव च म

अथात सपत क घमड म कभी नह रहना चाहए और न ह इस बात पर गव

करना चाहए क आपक पास आपक अपन का साथ ह यक इस दनया म कोई

भी अनाथ नह ह सब उस परम पता परमवर क सतान ह

5- मनय मा बध ह स आप या समझत ह पट किजए

5- मनय मा बध ह अथात हम सब मनय एक ईवर क सतान ह अतः हम

सब भाई - बध ह भाई -बध होन क नात हम भाईचार क साथ रहना चाहए और

एक दसर का बर समय म साथ दना चाहए

6- कव न सबको एक होकर चलन क रणा य द ह

6- कव न सबको एक होकर चलन क रणा इसलए द ह ताक आपसी समझ न

बगड़ और न ह भदभाव बड़ सब एक साथ एक होकर चलग तो सार बाधाए मट

जाएगी और सबका कयाण और समध होगी

7- यित को कस तरह का जीवन यतीत करना चाहए इस कवता क आधार पर

लखए

7-मनय को परोपकार का जीवन जीना चाहए अपन स पहल दसर क दख क

चता करनी चाहए कवल अपन बार म तो जानवर भी सोचत ह कव क अनसार

मनय वह कहलाता ह जो अपन स पहल दसर क चता कर

8- मनयता कवता क वारा कव या सदश दना चाहता ह

8- मनयता कवता क मायम स कव यह सदश दना चाहता ह क परोपकार ह

सची मनयता ह परोपकार ह एक ऐसा साधन ह िजसक मायम स हम यग तक

लोगो क दल म अपनी जगह बना सकत ह और परोपकार क वारा ह समाज का

कयाण व समध सभव ह अतः हम परोपकार बनना चाहए ताक हम सह

मायन म मनय कहलाय

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-याकरण-

पदबध- परभाषा

पद- वाय स अलग रहन पर शद और वाय म यत हो जान पर शद

पद कहलात ह दसर शद म- वाय म यत शद पद कहलाता ह पदबध-

जब दो या अधक (शद) पद नयत म और निचत अथ म कसी पद का

काय करत ह तो उह पदबध कहत ह

पदबध क भद

मय पद क आधार पर पदबध क पाच कार होत ह-

(1) सा-पदबध (2) वशषण-पदबध

(3) सवनाम पदबध (4) या पदबध

(5) अयय पदबध

(1) सा-पदबध-

(a)चार ताकतवर मजदर इस भार चीज को उठा पाए

(b) राम न लका क राजा रावण को मार गराया

(c) अयोया क राजा दशरथ क चार प थ

(d) आसमान म उड़ता गबारा फट गया

2) वशषण पदबध-

a) तज चलन वाल गाड़या ायः दर स पहचती ह

(b) उस घर क कोन म बठा हआ आदमी जासस ह

(c) उसका घोड़ा अयत सदर फरतीला और आाकार ह

(d) बरगद और पीपल क घनी छाव स हम बहत सख मला

3) सवनाम पदबध-

(a)बजल-सी फरती दखाकर आपन बालक को डबन स बचा लया

(b)शरारत करन वाल छा म स कछ पकड़ गए

(c)वरोध करन वाल लोग म स कोई नह बोला

4) या पदबध-

(a) वह बाजार क ओर आया होगा

(b) मझ मोहन छत स दखाई द रहा ह

(c) सरश नद म डब गया

(d) अब दरवाजा खोला जा सकता ह

5) अयय पदबध-

(a)अपन सामान क साथ वह चला गया

(b)सबह स शाम तक वह बठा रहा

कसी भी भाषा क व शद अयय (Indeclinable या inflexible) कहलात ह िजनक प म

लग वचन पष कारक काल इयाद क कारण कोई वकार उप नह होता

चक अयय का पातर नह होता इसलए ऐस शद अवकार होत ह अयय का शािदक

अथ ह- जो यय न हो

(i) कालवाचक अयय- इनम समय का बोध होता ह जस- आज कल तरत पीछ पहल अब

जब तब कभी-कभी कब अब स नय जब स सदा स अभी तभी आजकल और कभी

उदाहरणाथ-

अब स ऐसी बात नह होगी

ऐसी बात सदा स होती रह ह

वह कब आया मझ पता नह

(ii) थानवाचक अयय- इसस थान का बोध होता ह जस- यहा वहा कहा जहा यहा स

वहा स इधर-उधर उदाहरणाथ-

वह यहा नह ह

वह कहा जायगा

वहा कोई नह ह

जहा तम हो वहा म ह

(iii) दशावाचक अयय- इसस दशा का बोध होता ह जस- इधर उधर िजधर दर पर अलग

दाहन बाए आरपार

(iv) िथतवाचक अयय- नीच ऊपर तल सामन बाहर भीतर इयाद

अयय क भद

अयय ननलखत चार कार क होत ह -

(1) यावशषण (Adverb)

(2) सबधबोधक (Preposition)

(3) समचयबोधक (Conjunction)

(4) वमयादबोधक (Interjection)

(1) यावशषण - िजन शद स या वशषण या दसर यावशषण क वशषता कट

हो उह यावशषण कहत ह

दसर शदो म- जो शद या क वशषता बतलात ह उह या वशषण कहा जाता ह

जस- राम धीर-धीर टहलता ह राम वहा टहलता ह राम अभी टहलता ह

इन वाय म धीर-धीर वहा और अभी राम क टहलन (या) क वशषता बतलात ह य

यावशषण अवकार वशषण भी कहलात ह इसक अतरत यावशषण दसर

यावशषण क भी वशषता बताता ह

वह बहत धीर चलता ह इस वाय म बहत यावशषण ह यक यह दसर यावशषण

धीर क वशषता बतलाता ह

या वशषण क कार

(1) योग क अनसार- (i) साधारण (ii) सयोजक (iii) अनबध

(2) प क अनसार- (i) मल यावशषण (ii) यौगक यावशषण (iii) थानीय यावशषण

(3) अथ क अनसार- (i) परमाणवाचक (ii) रतवाचक

(1) योग क अनसार यावशषण क भद

योग क अनसार यावशषण क तीन भद ह-

(i) साधारण यावशषण- िजन यावशषण का योग कसी वाय म वत होता ह

उह साधारण यावशषण कहा जाता ह

जस- हाय अब म या क बटा जद आओ अर साप कहा गया

(ii) सयोजक यावशषण- िजन यावशषण का सबध कसी उपवाय स रहता ह उह

सयोजक यावशषण कहा जाता ह

जस- जब रोहताव ह नह तो म ह जीकर या कगी जहा अभी सम ह वहा कसी

समय जगल था

(iii) अनबध यावशषण- िजन यावशषण क योग अवधारण (नचय) क लए कसी

भी शदभद क साथ होता हो उह अनबध यावशषण कहा जाता ह

जस- यह तो कसी न धोखा ह दया ह मन उस दखा तक नह

(2) प क अनसार यावशषण क भद

प क अनसार यावशषण क तीन भद ह-

(i) मल यावशषण- ऐस यावशषण जो कसी दसर शद क मल स नह बनत मल

यावशषण कहलात ह

जस- ठक दर अचानक फर नह

(ii) यौगक यावशषण- ऐस यावशषण जो कसी दसर शद म यय या पद जोड़न

पर बनत ह यौगक यावशषण कहलात ह

जस- मन स िजसस चपक स भल स दखत हए यहा तक झट स वहा पर यौगक

यावशषण सा सवनाम वशषण धात और अयय क मल स बनत ह

यौगक यावशषण नीच लख शद क मल स बनत ह-

(i) साओ क वित स- घर-घर घड़ी-घड़ी बीच-बीच हाथ-हाथ

(ii) दो भ साओ क मल स- दन-रात साझ-सबर घर-बाहर दश-वदश

(iii) वशषण क वित स- एक-एक ठक-ठक साफ-साफ

(iv) यावशषण क वित स- धीर-धीर जहा-तहा कब-कब कहा-कहा

(v) दो यावशषण क मल स- जहा-तहा जहा-कह जब-तब जब-कभी कल-परस आस-पास

(vi) दो भ या समान यावशषण क बीच न लगान स- कभी-न-कभी कछ-न-कछ

(vii) अनकरण वाचक शद क वित स- पटपट तड़तड़ सटासट धड़ाधड़

(viii) सा और वशषण क योग स- एक साथ एक बार दो बार

(ix) अय य और दसर शद क मल स- तदन यथाम अनजान आजम

(x) पवकालक कदत और वशषण क मल स- वशषकर बहतकर मयकर एक-एककर

(iii) थानीय यावशषण- ऐस यावशषण जो बना पातर क कसी वशष थान म

आत ह थानीय यावशषण कहलात ह

जस- वह अपना सर पढ़गा

वह दौड़कर चलत ह

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  • (1) अरथ की दषटि स शबद-भद13
  • (2) परयोग की दषटि स शबद-भद13
  • (3) उतपति की दषटि स शबद-भद13
  • 1) सवर सधि-13
  • परति+छवि=परतिचछवि दिक+अनत=दिगनत दिक+गज=दिगगज अन+छद=अनचछद अच +अनत = अजनत 13
  • 3)विसरग सधि - विसरग क साथ सवर या वयजन का मल होन पर जो विकार होता ह उस 13
  • विसरग सधि कहत ह 13
  • मन+रथ=मनोरथ यश+अभिलाषा=यशोभिलाषा अध+गति=अधोगति नि+छल=निशछल द +गम = दरगम 13
    • -पाठ सार-13
    • -वयाखया13
    • -निमनलिखित परशनो क उततर दीजिय ndash13
    • 1-कवि न कसी मतय को समतय कहा ह13
    • अवयय क भद13
    • करिया विशषण क परकार13
Page 29: Class –X HINDI JUNE SYLLABUS 2020 Chapters:- Ch-1-Sanchayan …punainternationalschool.com/assets/upload/ck-images/Std-10th=Jun… · -harihar kaka . पय-भाग पाठ-3

4-अनपढ़ होत हए भी हरहर काका दनया क बहतर समझ रखत ह कहानी क आधार पर

पट किजए

4-हरहर काका अनपढ़ थ फर भी उह दनयादार क बहद समझ थी उनक भाई लोग

उनस ज़बरदती ज़मीन अपन नाम करान क लए डरात थ तो उह गाव म दखावा करक

ज़मीन हथयान वालो क याद आती ह काका न उह दखी होत दखा ह इसलए उहन

ठान लया था चाह महत उकसाए चाह भाई दखावा कर वह ज़मीन कसी को भी नह दग

एक बार महत क उकसान पर भाइय क त धोखा नह करना चाहत थ परत जब भाइय

न भी धोखा दया तो उह समझ म आ गया उनक त उह कोई यार नह ह जो यार

दखात ह वह कवल ज़ायदाद क लए ह

5-हरहर काका को जबरन उठा ल जान वाल कौन थ उहन उनक साथ कसा यवहार

कया

5-महत न हरहर काका को बहत लोभन दए िजसस वह अपनी ज़मीन जायदाद ठाकर

बाड़ी क नाम कर द परत काका इस बात क लए तयार नह थ व सोच रह थ क या

भगवान क लए अपन भाइय स धोखा क यह उह सह भी नह लग रहा था महत को

यह बात पता लगी तो उसन छल और बल स रात क समय अकल दालान म सोत हए

हरहर काका को उठवा लया महत न अपन चल साधसतो क साथ मलकर उनक हाथ पर

बाध दए मह म कपड़ा ठस दया और जबरदती अगठ क नशान लए उह एक कमर म

बद कर दया जब पलस आई तो वय गत दरवाज़ स भाग गए

6-हरहर काका क मामल म गाव वाल क या राय थी और उसक या कारण थ

6-कहानी क आधार पर गाव क लोग को बना बताए पता चल गया क हरहर काका को

उनक भाई नह पछत इसलए सख आराम का लोभन दकर महत उह अपन साथ ल

गया भाई मनत करक काका को वापस ल आत ह इस तरह गाव क लोग दो प म

बट गए कछ लोग महत क तरफ़ थ जो चाहत थ क काका अपनी ज़मीन धम क नाम पर

ठाकर बाड़ी को द द ताक उह सख आराम मल मय क बाद मो यश मल महत ानी

ह वह सब कछ जानता ह लकन दसर प क लोग कहत क ज़मीन परवार वालो को द

जाए उनका कहना था इसस उनक परवार का पट भरगा मदर को ज़मीन दना अयाय

होगा इस तरह दोन प अपन-अपन हसाब स सोच रह थ परत हरहर काका क बार म

कोई नह सोच रहा था इन बात का एक कारण यह भी था क काका वधर थ और उनक

कोई सतान भी नह थी पह बीघ ज़मीन क लए इनका लालच वाभवक था

7-कहानी क आधार पर पट किजए क लखक न यह य कहा अान क िथत म ह

मनय मय स डरत ह ान होन क बाद तो आदमी आवयकता पड़न पर मय को वरण

करन क लए तयार हो जाता ह

7-जब काका को असलयत पता चल और उह समझ म आ गया क सब लोग उनक

ज़मीन जायदाद क पीछ ह तो उह व सभी लोग याद आ गए िजहन परवार वालो क मोह

माया म आकर अपनी ज़मीन उनक नाम कर द और मय तक तलतल करक मरत

रह दान-दान को मोहताज़ हो गए इसलए उहन सोचा क इस तरह रहन स तो एक बार

मरना अछा ह जीत जी ज़मीन कसी को भी नह दग य लोग मझ एक बार म ह मार

द अत लखक न कहा क अान क िथत म मनय मय स डरता ह परत ान होन

पर मय वरण को तयार रहता ह

8-समाज म रत क या अहमयत ह इस वषय पर अपन वचार कट किजए

8-आज समाज म मानवीय मय तथा पारवारक मय धीर-धीर समात होत जा रह ह

यादातर यित अपन वाथ क लए रत नभात ह अपनी आवयकताओ क हसाब स

मलत ह अमीर रतदार का समान करत ह उनस मलन को आतर रहत ह जबक गरब

रतदार स कतरात ह कवल वाथ सध क अहमयत रह गई ह आए दन हम

अखबार म समाचार पढ़त ह क ज़मीन जाय़दाद पस जवर क लए लोग घनौन स घनौना

काय कर जात ह (हया अपहरण आद) इसी कार इस कहानी म भी पलस न पहचती तो

परवार वाल महत जी (काका क) हया ह कर दत उह यह अफसोस रहा क व काका को

मार नह पाए

9-यद आपक आसपास हरहर काका जसी हालत म कोई हो तो आप उसक कस कार

मदद करग

9-यद हमार आसपास हरहर काका जसी हालत म कोई हो तो हम उसक पर तरह मदद

करन क कोशश करग उनस मलकर उनक दख का कारण पता करग उह अहसास

दलाएग क व अकल नह ह सबस पहल तो यह ववास कराएग क सभी यित लालची

नह होत ह इस तरह मौन रह कर दसर को मौका न द बिक उलास स शष जीवन

बताए रतदार स मलकर उनक सबध सधारन का यन करग

10-हरहर काका क गाव म यद मीडया क पहच होती तो उनक या िथत होती अपन

शद म लखए

10-यद काका क गाव म मीडया पहच जाती तो सबक पोल खल जाती महत व भाइय का

पदाफाश हो जाता अपहरण और जबरन अगठा लगवान क अपराध म उह जल हो जाती

अपना-अपना मोचा सभालना - अपनी िजमदार नबाहना

आसमान स जमीन पर गरना -उच िथत स नन िथत पर आना

खल कर बात करना- बना सकच क बात करना |

चपत हो जाना ndash भाग जाना |

जी-जान स जट जाना ndash खब महनत करना

िजतन मह उतनी बात होना- कई तरह क बात करना |

ततर-बतर होना ndash बखर जाना |

त-त म -म होना -झगड़ा होना |

नमक-मच लगाना- बढ़ा-चढ़कर कहना|

बात बनाना- बहान बनाना|

रग चढ़ना- असर होना|

मह न खोलना ndash कछ न बताना |

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पय-भाग

पाठ-4

मनयता ndashमथलशरण गत

-लखक का परचय-

-पाठ का सार व पिटकरण-

कत क अय ाणय क तलना म मनय म सोचन क शित अधक होती ह

वह अपन ह नह दसर क सख - दःख का भी याल रखता ह और दसर क लए

कछ करन म समथ होता ह जानवर जब चरागाह म जात ह तो कवल अपन लए

चर कर आत ह परत मनय ऐसा नह ह वह जो कछ भी कमाता ह जो कछ भी

बनाता ह वह दसर क लए भी करता ह और दसर क सहायता स भी करता ह

तत पाठ का कव अपन क सख - दःख क चता करन वाल को मनय तो

मानता ह परत यह मानन को तयार नह ह क उन मनय म मनयता क सार

गण होत ह कव कवल उन मनय को महान मानता ह जो अपन क सख - दःख

स पहल दसर क चता करत ह वह मनय म ऐस गण चाहता ह िजसक कारण

कोई भी मनय इस मयलोक स चल जान क बाद भी सदय तक दसर क याद म

रहता ह अथात वह मय क बाद भी अमर रहता ह

-पाठ सार-

इस कवता म कव मनयता का सह अथ समझान का यास कर रहा ह पहल

भाग म कव कहता ह क मय स नह डरना चाहए यक मय तो निचत ह पर

हम ऐसा कछ करना चाहए क लोग हम मय क बाद भी याद रख असल मनय

वह ह जो दसर क लए जीना व मरना सीख ल दसर भाग म कव कहता ह क

हम उदार बनना चाहए यक उदार मनय का हर जगह गण गान होता ह मनय

वह कहलाता ह जो दसर क चता कर तीसर भाग म कव कहता ह क पराण

म उन लोग क बहत उदाहरण ह िजह उनक याग भाव क लए आज भी याद

कया जाता ह सचा मनय वह ह जो याग भाव जान ल चौथ भाग म कव

कहता ह क मनय क मन म दया और कणा का भाव होना चाहए मनय वह

कहलाता ह जो दसर क लए मरता और जीता ह पाचव भाग म कव कहना चाहता

ह क यहा कोई अनाथ नह ह यक हम सब उस एक ईवर क सतान ह हम

भदभाव स ऊपर उठ कर सोचना चाहएछठ भाग म कव कहना चाहता ह क हम

दयाल बनना चाहए यक दयाल और परोपकार मनय का दवता भी वागत करत

ह अतः हम दसर का परोपकार व कयाण करना चाहएसातव भाग म कव कहता

ह क मनय क बाहर कम अलग अलग हो परत हमार वद साी ह क सभी क

आमा एक ह हम सब एक ह ईवर क सतान ह अतः सभी मनय भाई -बध ह

और मनय वह ह जो दःख म दसर मनय क काम आयअतम भाग म कव

कहना चाहता ह क वप और वन को हटात हए मनय को अपन चन हए रात

पर चलना चाहए आपसी समझ को बनाय रखना चाहए और भदभाव को नह

बढ़ाना चाहए ऐसी सोच वाला मनय ह अपना और दसर का कयाण और उधार

कर सकता ह

-याया

1-वचार लो क मय हो न मय स डरो कभी

मरो परत य मरो क याद जो कर सभी

हई न य समय तो वथा मर वथा िजए

मारा नह वह क जो िजया न आपक लए

वह पश- वत ह क आप आप ह चर

वह मनय ह क जो मनय क लए मर

सग - तत कवता हमार पाय पतक पश भाग -2 स ल गई ह इसक

कव मथलशरण गत ह इन पितओ म कव बताना चाहता ह क मनय को

कसा जीवन जीना चाहए

याया - कव कहता ह क हम यह जान लना चाहए क मय का होना निचत

ह हम मय स नह डरना चाहए कव कहता ह क हम कछ ऐसा करना चाहए क

लोग हम मरन क बाद भी याद रख जो मनय दसर क लए कछ भी ना कर सक

उनका जीना और मरना दोन बकार ह मर कर भी वह मनय कभी नह मरता जो

अपन लए नह दसर क लए जीता ह यक अपन लए तो जानवर भी जीत ह

कव क अनसार मनय वह ह जो दसर मनय क लए मर अथात जो मनय दसर

क चता कर वह असल मनय कहलाता ह

2-उसी उदार क कथा सरवती बखानती

उसी उदार स धरा कताथ भाव मानती

उसी उदार क सदा सजीव कत कजती

तथा उसी उदार को समत सिट पजती

अखड आम भाव जो असीम वव म भर

वह मनय ह क जो मनय क लए मर

सग - तत कवता हमार पाय पतक पश भाग -2 स ल गई ह इसक

कव मथलशरण गत ह इन पितओ म कव बताना चाहता ह क जो मनय

दसर क लए जीत ह उनका गणगान यग - यग तक कया जाता ह

याया - कव कहता ह क जो मनय अपन पर जीवन म दसर क चता करता

ह उस महान यित क कथा का गण गान सरवती अथात पतक म कया जाता

ह पर धरती उस महान यित क आभार रहती ह उस यित क बातचीत

हमशा जीवत यित क तरह क जाती ह और पर सिट उसक पजा करती ह

कव कहता ह क जो यित पर ससार को अखड भाव और भाईचार क भावना म

बाधता ह वह यित सह मायन म मनय कहलान योय होता ह

3-धात रतदव न दया करथ थाल भी

तथा दधीच न दया पराथ अिथजाल भी

उशीनर तीश न वमास दान भी कया

सहष वीर कण न शरर-चम भी दया

अनय दह क लए अनाद जीव या डर

वह मनय ह क जो मनय क लए मर

सग - तत कवता हमार पाय पतक पश भाग -2 स ल गई ह इसक

कव मथलशरण गत ह इन पितओ म कव न महान पष क उदाहरण दए ह

िजनक महानता क कारण उह याद कया जाता ह

याया - कव कहता ह क पौराणक कथाए ऐस यितओ क उदाहरण स भर

पड़ी ह िजहन अपना परा जीवन दसर क लए याग दया िजस कारण उह आज

तक याद कया जाता ह भख स परशान रतदव न अपन हाथ क आखर थाल भी

दान कर द थी और महष दधीच न तो अपन पर शरर क हडया व बनान क

लए दान कर द थी उशीनर दश क राजा शब न कबतर क जान बचान क लए

अपना परा मास दान कर दया था वीर कण न अपनी ख़शी स अपन शरर का

कवच दान कर दया था कव कहना चाहता ह क मनय इस नवर शरर क लए

य डरता ह यक मनय वह कहलाता ह जो दसर क लए अपन आप को याग

दता ह

4-सहानभत चाहए महावभत ह यह

वशीकता सदव ह बनी हई वय मह

वधभाव बध का दया-वाह म बहा

वनीत लोकवग या न सामन झका रहा

अहा वह उदार ह परोपकार जो कर

वह मनय ह क जो मनय क लए मर

सग - तत कवता हमार पाय पतक पश भाग -2 स ल गई ह इसक

कव मथलशरण गत ह इन पितओ म कव न महामा बध का उदाहरण दत

हए दया कणा को सबस बड़ा धन बताया ह

याया - कव कहता ह क मनय क मन म दया व कणा का भाव होना चाहए

यह सबस बड़ा धन ह वय ईवर भी ऐस लोग क साथ रहत ह इसका सबस

बड़ा उदाहरण महामा बध ह िजनस लोग का दःख नह दखा गया तो व लोक

कयाण क लए दनया क नयम क वध चल गए इसक लए या परा ससार

उनक सामन नह झकता अथात उनक दया भाव व परोपकार क कारण आज भी

उनको याद कया जाता ह और उनक पजा क जाती ह महान उस को कहा जाता ह

जो परोपकार करता ह वह मनय मनय कहलाता ह जो मनय क लए जीता ह

और मरता ह

5-रहो न भल क कभी मदाघ तछ व म

सनाथ जान आपको करो न गव च म

अनाथ कौन ह यहा लोकनाथ साथ ह

दयाल दन बध क बड़ वशाल हाथ ह

अतीव भायहन ह अधीर भाव जो कर

वह मनय ह क जो मनय क लए मर

सग - तत कवता हमार पाय पतक पश भाग -2 स ल गई ह इसक

कव मथलशरण गत ह इन पितओ म कव कहता ह क सपत पर कभी

घमड नह करना चाहए और कसी को अनाथ नह समझना चाहए यक ईवर

सबक साथ ह

याया - कव कहता ह क भल कर भी कभी सप या यश पर घमड नह करना

चाहए इस बात पर कभी गव नह करना चाहए क हमार साथ हमार अपन का

साथ ह यक कव कहता ह क यहा कौन सा यित अनाथ ह उस ईवर का

साथ सब क साथ ह वह बहत दयावान ह उसका हाथ सबक ऊपर रहता ह कव

कहता ह क वह यित भायहन ह जो इस कार का उतावलापन रखता ह यक

मनय वह यित कहलाता ह जो इन सब चीज स ऊपर उठ कर सोचता ह

6-अनत अतर म अनत दव ह खड़

सम ह वबाह जो बढ़ा रह बड़-बड़

परपरावलब स उठो तथा बढ़ो सभी

अभी अमय-अक म अपक हो चढ़ो सभी

रहो न या क एक स न काम और का सर

वह मनय ह क जो मनय क लए मर

सग - तत कवता हमार पाय पतक पश भाग -2 स ल गई ह इसक

कव मथलशरण गत ह इन पितओ म कव कहता ह क कलक रहत रहन व

दसर का सहारा बनन वाल मवषय का दवता भी वागत करत ह

याया - कव कहता ह क उस कभी न समात होन वाल आकाश म असय

दवता खड़ ह जो परोपकार व दयाल मनय का सामन स खड़ होकर अपनी भजाओ

को फलाकर वागत करत ह इसलए दसर का सहारा बनो और सभी को साथ म

लकर आग बड़ो कव कहता ह क सभी कलक रहत हो कर दवताओ क गोद म

बठो अथात यद कोई बरा काम नह करोग तो दवता तह अपनी गोद म ल लग

अपन मतलब क लए नह जीना चाहए अपना और दसर का कयाण व उधार

करना चाहए यक इस मरणशील ससार म मनय वह ह जो मनय का कयाण

कर व परोपकार कर

7-मनय माा बध ह यह बड़ा ववक ह

पराणपष वयभ पता सध एक ह

फलानसार कम क अवय बाय भद ह

परत अतरय म माणभत वद ह

अनथ ह क बध ह न बध क यथा हर

वह मनय ह क जो मनय क लए मर

सग - तत कवता हमार पाय पतक पश भाग -2 स ल गई ह इसक

कव मथलशरण गत ह इन पितओ म कव कहता ह क हम सब एक ईवर क

सतान ह अतः हम सभी मनय एक - दसर क भाई - बध ह

याया - कव कहता ह क यक मनय एक दसर क भाई - बध ह यह सबस

बड़ी समझ ह पराण म िजस वय उपन पष मना गया ह वह परमामा या

ईवर हम सभी का पता ह अथात सभी मनय उस एक ईवर क सतान ह

बाहर कारण क फल अनसार यक मनय क कम भल ह अलग अलग ह परत

हमार वद इस बात क साी ह क सभी क आमा एक ह कव कहता ह क यद

भाई ह भाई क दःख व कट का नाश नह करगा तो उसका जीना यथ ह यक

मनय वह कहलाता ह जो बर समय म दसर मनय क काम आता ह

8-चलो अभीट माग म सहष खलत हए

वपवन जो पड़ उह ढकलत हए

घट न हलमल हा बढ़ न भनता कभी

अतक एक पथ क सतक पथ ह सभी

तभी समथ भाव ह क तारता हआ तर

वह मनय ह क जो मनय क लए मर

सग - तत कवता हमार पाय पतक पश भाग -2 स ल गई ह इसक

कव मथलशरण गत ह इन पितओ म कव कहता ह क यद हम ख़शी ससार

कट को हटत हए भदभाव रहत रहग तभी सभव ह क समाज क उनत होगी

याया - कव कहता ह क मनय को अपनी इछा स चन हए माग म ख़शी

ख़शी चलना चाहएरात म कोई भी सकट या बाधाए आय उह हटात चल जाना

चाहए मनय को यह यान रखना चाहए क आपसी समझ न बगड़ और भद

भाव न बड़ बना कसी तक वतक क सभी को एक साथ ल कर आग बढ़ना चाहए

तभी यह सभव होगा क मनय दसर क उनत और कयाण क साथ अपनी

समध भी कायम कर

-ननलखत न क उर दिजय ndash

1-कव न कसी मय को समय कहा ह

1-कव न ऐसी मय को समय कहा ह िजसम मनय अपन स पहल दसर क चता

करता ह और परोपकार क राह को चनता ह िजसस उस मरन क बाद भी याद कया

जाता ह

2-उदार यित क पहचान कस हो सकती ह

2- उदार यित परोपकार होता ह वह अपन स पहल दसर क चता करता ह और

लोक कयाण क लए अपना जीवन याग दता ह

3-कव न दधीच कण आद महान यितओ क उदाहरण द कर मनयता क लए

या उदाहरण दया ह

3- कव न दधीच कण आद महान यितओ क उदाहरण द कर मनयता क

लए यह सदश दया ह क परोपकार करन वाला ह असल मनय कहलान योय

होता ह मानवता क रा क लए दधीच न अपन शरर क सार अिथया दान कर

द थीकण न अपनी जान क परवाह कय बना अपना कवच द दया था िजस

कारण उह आज तक याद कया जाता ह कव इन उदाहरण क वारा यह

समझाना चाहता ह क परोपकार ह सची मनयता ह

4- कव न कन पितय म यह यत कया ह क हम गव - रहत जीवन यतीत

करना चाहए

4- कव न ननलखत पितय म गव रहत जीवन यतीत करन क बात कह ह-

रहो न भल क कभी मगाघ तछ व म

सनाथ जान आपको करो न गव च म

अथात सपत क घमड म कभी नह रहना चाहए और न ह इस बात पर गव

करना चाहए क आपक पास आपक अपन का साथ ह यक इस दनया म कोई

भी अनाथ नह ह सब उस परम पता परमवर क सतान ह

5- मनय मा बध ह स आप या समझत ह पट किजए

5- मनय मा बध ह अथात हम सब मनय एक ईवर क सतान ह अतः हम

सब भाई - बध ह भाई -बध होन क नात हम भाईचार क साथ रहना चाहए और

एक दसर का बर समय म साथ दना चाहए

6- कव न सबको एक होकर चलन क रणा य द ह

6- कव न सबको एक होकर चलन क रणा इसलए द ह ताक आपसी समझ न

बगड़ और न ह भदभाव बड़ सब एक साथ एक होकर चलग तो सार बाधाए मट

जाएगी और सबका कयाण और समध होगी

7- यित को कस तरह का जीवन यतीत करना चाहए इस कवता क आधार पर

लखए

7-मनय को परोपकार का जीवन जीना चाहए अपन स पहल दसर क दख क

चता करनी चाहए कवल अपन बार म तो जानवर भी सोचत ह कव क अनसार

मनय वह कहलाता ह जो अपन स पहल दसर क चता कर

8- मनयता कवता क वारा कव या सदश दना चाहता ह

8- मनयता कवता क मायम स कव यह सदश दना चाहता ह क परोपकार ह

सची मनयता ह परोपकार ह एक ऐसा साधन ह िजसक मायम स हम यग तक

लोगो क दल म अपनी जगह बना सकत ह और परोपकार क वारा ह समाज का

कयाण व समध सभव ह अतः हम परोपकार बनना चाहए ताक हम सह

मायन म मनय कहलाय

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-याकरण-

पदबध- परभाषा

पद- वाय स अलग रहन पर शद और वाय म यत हो जान पर शद

पद कहलात ह दसर शद म- वाय म यत शद पद कहलाता ह पदबध-

जब दो या अधक (शद) पद नयत म और निचत अथ म कसी पद का

काय करत ह तो उह पदबध कहत ह

पदबध क भद

मय पद क आधार पर पदबध क पाच कार होत ह-

(1) सा-पदबध (2) वशषण-पदबध

(3) सवनाम पदबध (4) या पदबध

(5) अयय पदबध

(1) सा-पदबध-

(a)चार ताकतवर मजदर इस भार चीज को उठा पाए

(b) राम न लका क राजा रावण को मार गराया

(c) अयोया क राजा दशरथ क चार प थ

(d) आसमान म उड़ता गबारा फट गया

2) वशषण पदबध-

a) तज चलन वाल गाड़या ायः दर स पहचती ह

(b) उस घर क कोन म बठा हआ आदमी जासस ह

(c) उसका घोड़ा अयत सदर फरतीला और आाकार ह

(d) बरगद और पीपल क घनी छाव स हम बहत सख मला

3) सवनाम पदबध-

(a)बजल-सी फरती दखाकर आपन बालक को डबन स बचा लया

(b)शरारत करन वाल छा म स कछ पकड़ गए

(c)वरोध करन वाल लोग म स कोई नह बोला

4) या पदबध-

(a) वह बाजार क ओर आया होगा

(b) मझ मोहन छत स दखाई द रहा ह

(c) सरश नद म डब गया

(d) अब दरवाजा खोला जा सकता ह

5) अयय पदबध-

(a)अपन सामान क साथ वह चला गया

(b)सबह स शाम तक वह बठा रहा

कसी भी भाषा क व शद अयय (Indeclinable या inflexible) कहलात ह िजनक प म

लग वचन पष कारक काल इयाद क कारण कोई वकार उप नह होता

चक अयय का पातर नह होता इसलए ऐस शद अवकार होत ह अयय का शािदक

अथ ह- जो यय न हो

(i) कालवाचक अयय- इनम समय का बोध होता ह जस- आज कल तरत पीछ पहल अब

जब तब कभी-कभी कब अब स नय जब स सदा स अभी तभी आजकल और कभी

उदाहरणाथ-

अब स ऐसी बात नह होगी

ऐसी बात सदा स होती रह ह

वह कब आया मझ पता नह

(ii) थानवाचक अयय- इसस थान का बोध होता ह जस- यहा वहा कहा जहा यहा स

वहा स इधर-उधर उदाहरणाथ-

वह यहा नह ह

वह कहा जायगा

वहा कोई नह ह

जहा तम हो वहा म ह

(iii) दशावाचक अयय- इसस दशा का बोध होता ह जस- इधर उधर िजधर दर पर अलग

दाहन बाए आरपार

(iv) िथतवाचक अयय- नीच ऊपर तल सामन बाहर भीतर इयाद

अयय क भद

अयय ननलखत चार कार क होत ह -

(1) यावशषण (Adverb)

(2) सबधबोधक (Preposition)

(3) समचयबोधक (Conjunction)

(4) वमयादबोधक (Interjection)

(1) यावशषण - िजन शद स या वशषण या दसर यावशषण क वशषता कट

हो उह यावशषण कहत ह

दसर शदो म- जो शद या क वशषता बतलात ह उह या वशषण कहा जाता ह

जस- राम धीर-धीर टहलता ह राम वहा टहलता ह राम अभी टहलता ह

इन वाय म धीर-धीर वहा और अभी राम क टहलन (या) क वशषता बतलात ह य

यावशषण अवकार वशषण भी कहलात ह इसक अतरत यावशषण दसर

यावशषण क भी वशषता बताता ह

वह बहत धीर चलता ह इस वाय म बहत यावशषण ह यक यह दसर यावशषण

धीर क वशषता बतलाता ह

या वशषण क कार

(1) योग क अनसार- (i) साधारण (ii) सयोजक (iii) अनबध

(2) प क अनसार- (i) मल यावशषण (ii) यौगक यावशषण (iii) थानीय यावशषण

(3) अथ क अनसार- (i) परमाणवाचक (ii) रतवाचक

(1) योग क अनसार यावशषण क भद

योग क अनसार यावशषण क तीन भद ह-

(i) साधारण यावशषण- िजन यावशषण का योग कसी वाय म वत होता ह

उह साधारण यावशषण कहा जाता ह

जस- हाय अब म या क बटा जद आओ अर साप कहा गया

(ii) सयोजक यावशषण- िजन यावशषण का सबध कसी उपवाय स रहता ह उह

सयोजक यावशषण कहा जाता ह

जस- जब रोहताव ह नह तो म ह जीकर या कगी जहा अभी सम ह वहा कसी

समय जगल था

(iii) अनबध यावशषण- िजन यावशषण क योग अवधारण (नचय) क लए कसी

भी शदभद क साथ होता हो उह अनबध यावशषण कहा जाता ह

जस- यह तो कसी न धोखा ह दया ह मन उस दखा तक नह

(2) प क अनसार यावशषण क भद

प क अनसार यावशषण क तीन भद ह-

(i) मल यावशषण- ऐस यावशषण जो कसी दसर शद क मल स नह बनत मल

यावशषण कहलात ह

जस- ठक दर अचानक फर नह

(ii) यौगक यावशषण- ऐस यावशषण जो कसी दसर शद म यय या पद जोड़न

पर बनत ह यौगक यावशषण कहलात ह

जस- मन स िजसस चपक स भल स दखत हए यहा तक झट स वहा पर यौगक

यावशषण सा सवनाम वशषण धात और अयय क मल स बनत ह

यौगक यावशषण नीच लख शद क मल स बनत ह-

(i) साओ क वित स- घर-घर घड़ी-घड़ी बीच-बीच हाथ-हाथ

(ii) दो भ साओ क मल स- दन-रात साझ-सबर घर-बाहर दश-वदश

(iii) वशषण क वित स- एक-एक ठक-ठक साफ-साफ

(iv) यावशषण क वित स- धीर-धीर जहा-तहा कब-कब कहा-कहा

(v) दो यावशषण क मल स- जहा-तहा जहा-कह जब-तब जब-कभी कल-परस आस-पास

(vi) दो भ या समान यावशषण क बीच न लगान स- कभी-न-कभी कछ-न-कछ

(vii) अनकरण वाचक शद क वित स- पटपट तड़तड़ सटासट धड़ाधड़

(viii) सा और वशषण क योग स- एक साथ एक बार दो बार

(ix) अय य और दसर शद क मल स- तदन यथाम अनजान आजम

(x) पवकालक कदत और वशषण क मल स- वशषकर बहतकर मयकर एक-एककर

(iii) थानीय यावशषण- ऐस यावशषण जो बना पातर क कसी वशष थान म

आत ह थानीय यावशषण कहलात ह

जस- वह अपना सर पढ़गा

वह दौड़कर चलत ह

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  • (1) अरथ की दषटि स शबद-भद13
  • (2) परयोग की दषटि स शबद-भद13
  • (3) उतपति की दषटि स शबद-भद13
  • 1) सवर सधि-13
  • परति+छवि=परतिचछवि दिक+अनत=दिगनत दिक+गज=दिगगज अन+छद=अनचछद अच +अनत = अजनत 13
  • 3)विसरग सधि - विसरग क साथ सवर या वयजन का मल होन पर जो विकार होता ह उस 13
  • विसरग सधि कहत ह 13
  • मन+रथ=मनोरथ यश+अभिलाषा=यशोभिलाषा अध+गति=अधोगति नि+छल=निशछल द +गम = दरगम 13
    • -पाठ सार-13
    • -वयाखया13
    • -निमनलिखित परशनो क उततर दीजिय ndash13
    • 1-कवि न कसी मतय को समतय कहा ह13
    • अवयय क भद13
    • करिया विशषण क परकार13
Page 30: Class –X HINDI JUNE SYLLABUS 2020 Chapters:- Ch-1-Sanchayan …punainternationalschool.com/assets/upload/ck-images/Std-10th=Jun… · -harihar kaka . पय-भाग पाठ-3

7-कहानी क आधार पर पट किजए क लखक न यह य कहा अान क िथत म ह

मनय मय स डरत ह ान होन क बाद तो आदमी आवयकता पड़न पर मय को वरण

करन क लए तयार हो जाता ह

7-जब काका को असलयत पता चल और उह समझ म आ गया क सब लोग उनक

ज़मीन जायदाद क पीछ ह तो उह व सभी लोग याद आ गए िजहन परवार वालो क मोह

माया म आकर अपनी ज़मीन उनक नाम कर द और मय तक तलतल करक मरत

रह दान-दान को मोहताज़ हो गए इसलए उहन सोचा क इस तरह रहन स तो एक बार

मरना अछा ह जीत जी ज़मीन कसी को भी नह दग य लोग मझ एक बार म ह मार

द अत लखक न कहा क अान क िथत म मनय मय स डरता ह परत ान होन

पर मय वरण को तयार रहता ह

8-समाज म रत क या अहमयत ह इस वषय पर अपन वचार कट किजए

8-आज समाज म मानवीय मय तथा पारवारक मय धीर-धीर समात होत जा रह ह

यादातर यित अपन वाथ क लए रत नभात ह अपनी आवयकताओ क हसाब स

मलत ह अमीर रतदार का समान करत ह उनस मलन को आतर रहत ह जबक गरब

रतदार स कतरात ह कवल वाथ सध क अहमयत रह गई ह आए दन हम

अखबार म समाचार पढ़त ह क ज़मीन जाय़दाद पस जवर क लए लोग घनौन स घनौना

काय कर जात ह (हया अपहरण आद) इसी कार इस कहानी म भी पलस न पहचती तो

परवार वाल महत जी (काका क) हया ह कर दत उह यह अफसोस रहा क व काका को

मार नह पाए

9-यद आपक आसपास हरहर काका जसी हालत म कोई हो तो आप उसक कस कार

मदद करग

9-यद हमार आसपास हरहर काका जसी हालत म कोई हो तो हम उसक पर तरह मदद

करन क कोशश करग उनस मलकर उनक दख का कारण पता करग उह अहसास

दलाएग क व अकल नह ह सबस पहल तो यह ववास कराएग क सभी यित लालची

नह होत ह इस तरह मौन रह कर दसर को मौका न द बिक उलास स शष जीवन

बताए रतदार स मलकर उनक सबध सधारन का यन करग

10-हरहर काका क गाव म यद मीडया क पहच होती तो उनक या िथत होती अपन

शद म लखए

10-यद काका क गाव म मीडया पहच जाती तो सबक पोल खल जाती महत व भाइय का

पदाफाश हो जाता अपहरण और जबरन अगठा लगवान क अपराध म उह जल हो जाती

अपना-अपना मोचा सभालना - अपनी िजमदार नबाहना

आसमान स जमीन पर गरना -उच िथत स नन िथत पर आना

खल कर बात करना- बना सकच क बात करना |

चपत हो जाना ndash भाग जाना |

जी-जान स जट जाना ndash खब महनत करना

िजतन मह उतनी बात होना- कई तरह क बात करना |

ततर-बतर होना ndash बखर जाना |

त-त म -म होना -झगड़ा होना |

नमक-मच लगाना- बढ़ा-चढ़कर कहना|

बात बनाना- बहान बनाना|

रग चढ़ना- असर होना|

मह न खोलना ndash कछ न बताना |

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पय-भाग

पाठ-4

मनयता ndashमथलशरण गत

-लखक का परचय-

-पाठ का सार व पिटकरण-

कत क अय ाणय क तलना म मनय म सोचन क शित अधक होती ह

वह अपन ह नह दसर क सख - दःख का भी याल रखता ह और दसर क लए

कछ करन म समथ होता ह जानवर जब चरागाह म जात ह तो कवल अपन लए

चर कर आत ह परत मनय ऐसा नह ह वह जो कछ भी कमाता ह जो कछ भी

बनाता ह वह दसर क लए भी करता ह और दसर क सहायता स भी करता ह

तत पाठ का कव अपन क सख - दःख क चता करन वाल को मनय तो

मानता ह परत यह मानन को तयार नह ह क उन मनय म मनयता क सार

गण होत ह कव कवल उन मनय को महान मानता ह जो अपन क सख - दःख

स पहल दसर क चता करत ह वह मनय म ऐस गण चाहता ह िजसक कारण

कोई भी मनय इस मयलोक स चल जान क बाद भी सदय तक दसर क याद म

रहता ह अथात वह मय क बाद भी अमर रहता ह

-पाठ सार-

इस कवता म कव मनयता का सह अथ समझान का यास कर रहा ह पहल

भाग म कव कहता ह क मय स नह डरना चाहए यक मय तो निचत ह पर

हम ऐसा कछ करना चाहए क लोग हम मय क बाद भी याद रख असल मनय

वह ह जो दसर क लए जीना व मरना सीख ल दसर भाग म कव कहता ह क

हम उदार बनना चाहए यक उदार मनय का हर जगह गण गान होता ह मनय

वह कहलाता ह जो दसर क चता कर तीसर भाग म कव कहता ह क पराण

म उन लोग क बहत उदाहरण ह िजह उनक याग भाव क लए आज भी याद

कया जाता ह सचा मनय वह ह जो याग भाव जान ल चौथ भाग म कव

कहता ह क मनय क मन म दया और कणा का भाव होना चाहए मनय वह

कहलाता ह जो दसर क लए मरता और जीता ह पाचव भाग म कव कहना चाहता

ह क यहा कोई अनाथ नह ह यक हम सब उस एक ईवर क सतान ह हम

भदभाव स ऊपर उठ कर सोचना चाहएछठ भाग म कव कहना चाहता ह क हम

दयाल बनना चाहए यक दयाल और परोपकार मनय का दवता भी वागत करत

ह अतः हम दसर का परोपकार व कयाण करना चाहएसातव भाग म कव कहता

ह क मनय क बाहर कम अलग अलग हो परत हमार वद साी ह क सभी क

आमा एक ह हम सब एक ह ईवर क सतान ह अतः सभी मनय भाई -बध ह

और मनय वह ह जो दःख म दसर मनय क काम आयअतम भाग म कव

कहना चाहता ह क वप और वन को हटात हए मनय को अपन चन हए रात

पर चलना चाहए आपसी समझ को बनाय रखना चाहए और भदभाव को नह

बढ़ाना चाहए ऐसी सोच वाला मनय ह अपना और दसर का कयाण और उधार

कर सकता ह

-याया

1-वचार लो क मय हो न मय स डरो कभी

मरो परत य मरो क याद जो कर सभी

हई न य समय तो वथा मर वथा िजए

मारा नह वह क जो िजया न आपक लए

वह पश- वत ह क आप आप ह चर

वह मनय ह क जो मनय क लए मर

सग - तत कवता हमार पाय पतक पश भाग -2 स ल गई ह इसक

कव मथलशरण गत ह इन पितओ म कव बताना चाहता ह क मनय को

कसा जीवन जीना चाहए

याया - कव कहता ह क हम यह जान लना चाहए क मय का होना निचत

ह हम मय स नह डरना चाहए कव कहता ह क हम कछ ऐसा करना चाहए क

लोग हम मरन क बाद भी याद रख जो मनय दसर क लए कछ भी ना कर सक

उनका जीना और मरना दोन बकार ह मर कर भी वह मनय कभी नह मरता जो

अपन लए नह दसर क लए जीता ह यक अपन लए तो जानवर भी जीत ह

कव क अनसार मनय वह ह जो दसर मनय क लए मर अथात जो मनय दसर

क चता कर वह असल मनय कहलाता ह

2-उसी उदार क कथा सरवती बखानती

उसी उदार स धरा कताथ भाव मानती

उसी उदार क सदा सजीव कत कजती

तथा उसी उदार को समत सिट पजती

अखड आम भाव जो असीम वव म भर

वह मनय ह क जो मनय क लए मर

सग - तत कवता हमार पाय पतक पश भाग -2 स ल गई ह इसक

कव मथलशरण गत ह इन पितओ म कव बताना चाहता ह क जो मनय

दसर क लए जीत ह उनका गणगान यग - यग तक कया जाता ह

याया - कव कहता ह क जो मनय अपन पर जीवन म दसर क चता करता

ह उस महान यित क कथा का गण गान सरवती अथात पतक म कया जाता

ह पर धरती उस महान यित क आभार रहती ह उस यित क बातचीत

हमशा जीवत यित क तरह क जाती ह और पर सिट उसक पजा करती ह

कव कहता ह क जो यित पर ससार को अखड भाव और भाईचार क भावना म

बाधता ह वह यित सह मायन म मनय कहलान योय होता ह

3-धात रतदव न दया करथ थाल भी

तथा दधीच न दया पराथ अिथजाल भी

उशीनर तीश न वमास दान भी कया

सहष वीर कण न शरर-चम भी दया

अनय दह क लए अनाद जीव या डर

वह मनय ह क जो मनय क लए मर

सग - तत कवता हमार पाय पतक पश भाग -2 स ल गई ह इसक

कव मथलशरण गत ह इन पितओ म कव न महान पष क उदाहरण दए ह

िजनक महानता क कारण उह याद कया जाता ह

याया - कव कहता ह क पौराणक कथाए ऐस यितओ क उदाहरण स भर

पड़ी ह िजहन अपना परा जीवन दसर क लए याग दया िजस कारण उह आज

तक याद कया जाता ह भख स परशान रतदव न अपन हाथ क आखर थाल भी

दान कर द थी और महष दधीच न तो अपन पर शरर क हडया व बनान क

लए दान कर द थी उशीनर दश क राजा शब न कबतर क जान बचान क लए

अपना परा मास दान कर दया था वीर कण न अपनी ख़शी स अपन शरर का

कवच दान कर दया था कव कहना चाहता ह क मनय इस नवर शरर क लए

य डरता ह यक मनय वह कहलाता ह जो दसर क लए अपन आप को याग

दता ह

4-सहानभत चाहए महावभत ह यह

वशीकता सदव ह बनी हई वय मह

वधभाव बध का दया-वाह म बहा

वनीत लोकवग या न सामन झका रहा

अहा वह उदार ह परोपकार जो कर

वह मनय ह क जो मनय क लए मर

सग - तत कवता हमार पाय पतक पश भाग -2 स ल गई ह इसक

कव मथलशरण गत ह इन पितओ म कव न महामा बध का उदाहरण दत

हए दया कणा को सबस बड़ा धन बताया ह

याया - कव कहता ह क मनय क मन म दया व कणा का भाव होना चाहए

यह सबस बड़ा धन ह वय ईवर भी ऐस लोग क साथ रहत ह इसका सबस

बड़ा उदाहरण महामा बध ह िजनस लोग का दःख नह दखा गया तो व लोक

कयाण क लए दनया क नयम क वध चल गए इसक लए या परा ससार

उनक सामन नह झकता अथात उनक दया भाव व परोपकार क कारण आज भी

उनको याद कया जाता ह और उनक पजा क जाती ह महान उस को कहा जाता ह

जो परोपकार करता ह वह मनय मनय कहलाता ह जो मनय क लए जीता ह

और मरता ह

5-रहो न भल क कभी मदाघ तछ व म

सनाथ जान आपको करो न गव च म

अनाथ कौन ह यहा लोकनाथ साथ ह

दयाल दन बध क बड़ वशाल हाथ ह

अतीव भायहन ह अधीर भाव जो कर

वह मनय ह क जो मनय क लए मर

सग - तत कवता हमार पाय पतक पश भाग -2 स ल गई ह इसक

कव मथलशरण गत ह इन पितओ म कव कहता ह क सपत पर कभी

घमड नह करना चाहए और कसी को अनाथ नह समझना चाहए यक ईवर

सबक साथ ह

याया - कव कहता ह क भल कर भी कभी सप या यश पर घमड नह करना

चाहए इस बात पर कभी गव नह करना चाहए क हमार साथ हमार अपन का

साथ ह यक कव कहता ह क यहा कौन सा यित अनाथ ह उस ईवर का

साथ सब क साथ ह वह बहत दयावान ह उसका हाथ सबक ऊपर रहता ह कव

कहता ह क वह यित भायहन ह जो इस कार का उतावलापन रखता ह यक

मनय वह यित कहलाता ह जो इन सब चीज स ऊपर उठ कर सोचता ह

6-अनत अतर म अनत दव ह खड़

सम ह वबाह जो बढ़ा रह बड़-बड़

परपरावलब स उठो तथा बढ़ो सभी

अभी अमय-अक म अपक हो चढ़ो सभी

रहो न या क एक स न काम और का सर

वह मनय ह क जो मनय क लए मर

सग - तत कवता हमार पाय पतक पश भाग -2 स ल गई ह इसक

कव मथलशरण गत ह इन पितओ म कव कहता ह क कलक रहत रहन व

दसर का सहारा बनन वाल मवषय का दवता भी वागत करत ह

याया - कव कहता ह क उस कभी न समात होन वाल आकाश म असय

दवता खड़ ह जो परोपकार व दयाल मनय का सामन स खड़ होकर अपनी भजाओ

को फलाकर वागत करत ह इसलए दसर का सहारा बनो और सभी को साथ म

लकर आग बड़ो कव कहता ह क सभी कलक रहत हो कर दवताओ क गोद म

बठो अथात यद कोई बरा काम नह करोग तो दवता तह अपनी गोद म ल लग

अपन मतलब क लए नह जीना चाहए अपना और दसर का कयाण व उधार

करना चाहए यक इस मरणशील ससार म मनय वह ह जो मनय का कयाण

कर व परोपकार कर

7-मनय माा बध ह यह बड़ा ववक ह

पराणपष वयभ पता सध एक ह

फलानसार कम क अवय बाय भद ह

परत अतरय म माणभत वद ह

अनथ ह क बध ह न बध क यथा हर

वह मनय ह क जो मनय क लए मर

सग - तत कवता हमार पाय पतक पश भाग -2 स ल गई ह इसक

कव मथलशरण गत ह इन पितओ म कव कहता ह क हम सब एक ईवर क

सतान ह अतः हम सभी मनय एक - दसर क भाई - बध ह

याया - कव कहता ह क यक मनय एक दसर क भाई - बध ह यह सबस

बड़ी समझ ह पराण म िजस वय उपन पष मना गया ह वह परमामा या

ईवर हम सभी का पता ह अथात सभी मनय उस एक ईवर क सतान ह

बाहर कारण क फल अनसार यक मनय क कम भल ह अलग अलग ह परत

हमार वद इस बात क साी ह क सभी क आमा एक ह कव कहता ह क यद

भाई ह भाई क दःख व कट का नाश नह करगा तो उसका जीना यथ ह यक

मनय वह कहलाता ह जो बर समय म दसर मनय क काम आता ह

8-चलो अभीट माग म सहष खलत हए

वपवन जो पड़ उह ढकलत हए

घट न हलमल हा बढ़ न भनता कभी

अतक एक पथ क सतक पथ ह सभी

तभी समथ भाव ह क तारता हआ तर

वह मनय ह क जो मनय क लए मर

सग - तत कवता हमार पाय पतक पश भाग -2 स ल गई ह इसक

कव मथलशरण गत ह इन पितओ म कव कहता ह क यद हम ख़शी ससार

कट को हटत हए भदभाव रहत रहग तभी सभव ह क समाज क उनत होगी

याया - कव कहता ह क मनय को अपनी इछा स चन हए माग म ख़शी

ख़शी चलना चाहएरात म कोई भी सकट या बाधाए आय उह हटात चल जाना

चाहए मनय को यह यान रखना चाहए क आपसी समझ न बगड़ और भद

भाव न बड़ बना कसी तक वतक क सभी को एक साथ ल कर आग बढ़ना चाहए

तभी यह सभव होगा क मनय दसर क उनत और कयाण क साथ अपनी

समध भी कायम कर

-ननलखत न क उर दिजय ndash

1-कव न कसी मय को समय कहा ह

1-कव न ऐसी मय को समय कहा ह िजसम मनय अपन स पहल दसर क चता

करता ह और परोपकार क राह को चनता ह िजसस उस मरन क बाद भी याद कया

जाता ह

2-उदार यित क पहचान कस हो सकती ह

2- उदार यित परोपकार होता ह वह अपन स पहल दसर क चता करता ह और

लोक कयाण क लए अपना जीवन याग दता ह

3-कव न दधीच कण आद महान यितओ क उदाहरण द कर मनयता क लए

या उदाहरण दया ह

3- कव न दधीच कण आद महान यितओ क उदाहरण द कर मनयता क

लए यह सदश दया ह क परोपकार करन वाला ह असल मनय कहलान योय

होता ह मानवता क रा क लए दधीच न अपन शरर क सार अिथया दान कर

द थीकण न अपनी जान क परवाह कय बना अपना कवच द दया था िजस

कारण उह आज तक याद कया जाता ह कव इन उदाहरण क वारा यह

समझाना चाहता ह क परोपकार ह सची मनयता ह

4- कव न कन पितय म यह यत कया ह क हम गव - रहत जीवन यतीत

करना चाहए

4- कव न ननलखत पितय म गव रहत जीवन यतीत करन क बात कह ह-

रहो न भल क कभी मगाघ तछ व म

सनाथ जान आपको करो न गव च म

अथात सपत क घमड म कभी नह रहना चाहए और न ह इस बात पर गव

करना चाहए क आपक पास आपक अपन का साथ ह यक इस दनया म कोई

भी अनाथ नह ह सब उस परम पता परमवर क सतान ह

5- मनय मा बध ह स आप या समझत ह पट किजए

5- मनय मा बध ह अथात हम सब मनय एक ईवर क सतान ह अतः हम

सब भाई - बध ह भाई -बध होन क नात हम भाईचार क साथ रहना चाहए और

एक दसर का बर समय म साथ दना चाहए

6- कव न सबको एक होकर चलन क रणा य द ह

6- कव न सबको एक होकर चलन क रणा इसलए द ह ताक आपसी समझ न

बगड़ और न ह भदभाव बड़ सब एक साथ एक होकर चलग तो सार बाधाए मट

जाएगी और सबका कयाण और समध होगी

7- यित को कस तरह का जीवन यतीत करना चाहए इस कवता क आधार पर

लखए

7-मनय को परोपकार का जीवन जीना चाहए अपन स पहल दसर क दख क

चता करनी चाहए कवल अपन बार म तो जानवर भी सोचत ह कव क अनसार

मनय वह कहलाता ह जो अपन स पहल दसर क चता कर

8- मनयता कवता क वारा कव या सदश दना चाहता ह

8- मनयता कवता क मायम स कव यह सदश दना चाहता ह क परोपकार ह

सची मनयता ह परोपकार ह एक ऐसा साधन ह िजसक मायम स हम यग तक

लोगो क दल म अपनी जगह बना सकत ह और परोपकार क वारा ह समाज का

कयाण व समध सभव ह अतः हम परोपकार बनना चाहए ताक हम सह

मायन म मनय कहलाय

--------------------------------------------------------------------------------------------------------

-याकरण-

पदबध- परभाषा

पद- वाय स अलग रहन पर शद और वाय म यत हो जान पर शद

पद कहलात ह दसर शद म- वाय म यत शद पद कहलाता ह पदबध-

जब दो या अधक (शद) पद नयत म और निचत अथ म कसी पद का

काय करत ह तो उह पदबध कहत ह

पदबध क भद

मय पद क आधार पर पदबध क पाच कार होत ह-

(1) सा-पदबध (2) वशषण-पदबध

(3) सवनाम पदबध (4) या पदबध

(5) अयय पदबध

(1) सा-पदबध-

(a)चार ताकतवर मजदर इस भार चीज को उठा पाए

(b) राम न लका क राजा रावण को मार गराया

(c) अयोया क राजा दशरथ क चार प थ

(d) आसमान म उड़ता गबारा फट गया

2) वशषण पदबध-

a) तज चलन वाल गाड़या ायः दर स पहचती ह

(b) उस घर क कोन म बठा हआ आदमी जासस ह

(c) उसका घोड़ा अयत सदर फरतीला और आाकार ह

(d) बरगद और पीपल क घनी छाव स हम बहत सख मला

3) सवनाम पदबध-

(a)बजल-सी फरती दखाकर आपन बालक को डबन स बचा लया

(b)शरारत करन वाल छा म स कछ पकड़ गए

(c)वरोध करन वाल लोग म स कोई नह बोला

4) या पदबध-

(a) वह बाजार क ओर आया होगा

(b) मझ मोहन छत स दखाई द रहा ह

(c) सरश नद म डब गया

(d) अब दरवाजा खोला जा सकता ह

5) अयय पदबध-

(a)अपन सामान क साथ वह चला गया

(b)सबह स शाम तक वह बठा रहा

कसी भी भाषा क व शद अयय (Indeclinable या inflexible) कहलात ह िजनक प म

लग वचन पष कारक काल इयाद क कारण कोई वकार उप नह होता

चक अयय का पातर नह होता इसलए ऐस शद अवकार होत ह अयय का शािदक

अथ ह- जो यय न हो

(i) कालवाचक अयय- इनम समय का बोध होता ह जस- आज कल तरत पीछ पहल अब

जब तब कभी-कभी कब अब स नय जब स सदा स अभी तभी आजकल और कभी

उदाहरणाथ-

अब स ऐसी बात नह होगी

ऐसी बात सदा स होती रह ह

वह कब आया मझ पता नह

(ii) थानवाचक अयय- इसस थान का बोध होता ह जस- यहा वहा कहा जहा यहा स

वहा स इधर-उधर उदाहरणाथ-

वह यहा नह ह

वह कहा जायगा

वहा कोई नह ह

जहा तम हो वहा म ह

(iii) दशावाचक अयय- इसस दशा का बोध होता ह जस- इधर उधर िजधर दर पर अलग

दाहन बाए आरपार

(iv) िथतवाचक अयय- नीच ऊपर तल सामन बाहर भीतर इयाद

अयय क भद

अयय ननलखत चार कार क होत ह -

(1) यावशषण (Adverb)

(2) सबधबोधक (Preposition)

(3) समचयबोधक (Conjunction)

(4) वमयादबोधक (Interjection)

(1) यावशषण - िजन शद स या वशषण या दसर यावशषण क वशषता कट

हो उह यावशषण कहत ह

दसर शदो म- जो शद या क वशषता बतलात ह उह या वशषण कहा जाता ह

जस- राम धीर-धीर टहलता ह राम वहा टहलता ह राम अभी टहलता ह

इन वाय म धीर-धीर वहा और अभी राम क टहलन (या) क वशषता बतलात ह य

यावशषण अवकार वशषण भी कहलात ह इसक अतरत यावशषण दसर

यावशषण क भी वशषता बताता ह

वह बहत धीर चलता ह इस वाय म बहत यावशषण ह यक यह दसर यावशषण

धीर क वशषता बतलाता ह

या वशषण क कार

(1) योग क अनसार- (i) साधारण (ii) सयोजक (iii) अनबध

(2) प क अनसार- (i) मल यावशषण (ii) यौगक यावशषण (iii) थानीय यावशषण

(3) अथ क अनसार- (i) परमाणवाचक (ii) रतवाचक

(1) योग क अनसार यावशषण क भद

योग क अनसार यावशषण क तीन भद ह-

(i) साधारण यावशषण- िजन यावशषण का योग कसी वाय म वत होता ह

उह साधारण यावशषण कहा जाता ह

जस- हाय अब म या क बटा जद आओ अर साप कहा गया

(ii) सयोजक यावशषण- िजन यावशषण का सबध कसी उपवाय स रहता ह उह

सयोजक यावशषण कहा जाता ह

जस- जब रोहताव ह नह तो म ह जीकर या कगी जहा अभी सम ह वहा कसी

समय जगल था

(iii) अनबध यावशषण- िजन यावशषण क योग अवधारण (नचय) क लए कसी

भी शदभद क साथ होता हो उह अनबध यावशषण कहा जाता ह

जस- यह तो कसी न धोखा ह दया ह मन उस दखा तक नह

(2) प क अनसार यावशषण क भद

प क अनसार यावशषण क तीन भद ह-

(i) मल यावशषण- ऐस यावशषण जो कसी दसर शद क मल स नह बनत मल

यावशषण कहलात ह

जस- ठक दर अचानक फर नह

(ii) यौगक यावशषण- ऐस यावशषण जो कसी दसर शद म यय या पद जोड़न

पर बनत ह यौगक यावशषण कहलात ह

जस- मन स िजसस चपक स भल स दखत हए यहा तक झट स वहा पर यौगक

यावशषण सा सवनाम वशषण धात और अयय क मल स बनत ह

यौगक यावशषण नीच लख शद क मल स बनत ह-

(i) साओ क वित स- घर-घर घड़ी-घड़ी बीच-बीच हाथ-हाथ

(ii) दो भ साओ क मल स- दन-रात साझ-सबर घर-बाहर दश-वदश

(iii) वशषण क वित स- एक-एक ठक-ठक साफ-साफ

(iv) यावशषण क वित स- धीर-धीर जहा-तहा कब-कब कहा-कहा

(v) दो यावशषण क मल स- जहा-तहा जहा-कह जब-तब जब-कभी कल-परस आस-पास

(vi) दो भ या समान यावशषण क बीच न लगान स- कभी-न-कभी कछ-न-कछ

(vii) अनकरण वाचक शद क वित स- पटपट तड़तड़ सटासट धड़ाधड़

(viii) सा और वशषण क योग स- एक साथ एक बार दो बार

(ix) अय य और दसर शद क मल स- तदन यथाम अनजान आजम

(x) पवकालक कदत और वशषण क मल स- वशषकर बहतकर मयकर एक-एककर

(iii) थानीय यावशषण- ऐस यावशषण जो बना पातर क कसी वशष थान म

आत ह थानीय यावशषण कहलात ह

जस- वह अपना सर पढ़गा

वह दौड़कर चलत ह

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  • (1) अरथ की दषटि स शबद-भद13
  • (2) परयोग की दषटि स शबद-भद13
  • (3) उतपति की दषटि स शबद-भद13
  • 1) सवर सधि-13
  • परति+छवि=परतिचछवि दिक+अनत=दिगनत दिक+गज=दिगगज अन+छद=अनचछद अच +अनत = अजनत 13
  • 3)विसरग सधि - विसरग क साथ सवर या वयजन का मल होन पर जो विकार होता ह उस 13
  • विसरग सधि कहत ह 13
  • मन+रथ=मनोरथ यश+अभिलाषा=यशोभिलाषा अध+गति=अधोगति नि+छल=निशछल द +गम = दरगम 13
    • -पाठ सार-13
    • -वयाखया13
    • -निमनलिखित परशनो क उततर दीजिय ndash13
    • 1-कवि न कसी मतय को समतय कहा ह13
    • अवयय क भद13
    • करिया विशषण क परकार13
Page 31: Class –X HINDI JUNE SYLLABUS 2020 Chapters:- Ch-1-Sanchayan …punainternationalschool.com/assets/upload/ck-images/Std-10th=Jun… · -harihar kaka . पय-भाग पाठ-3

10-हरहर काका क गाव म यद मीडया क पहच होती तो उनक या िथत होती अपन

शद म लखए

10-यद काका क गाव म मीडया पहच जाती तो सबक पोल खल जाती महत व भाइय का

पदाफाश हो जाता अपहरण और जबरन अगठा लगवान क अपराध म उह जल हो जाती

अपना-अपना मोचा सभालना - अपनी िजमदार नबाहना

आसमान स जमीन पर गरना -उच िथत स नन िथत पर आना

खल कर बात करना- बना सकच क बात करना |

चपत हो जाना ndash भाग जाना |

जी-जान स जट जाना ndash खब महनत करना

िजतन मह उतनी बात होना- कई तरह क बात करना |

ततर-बतर होना ndash बखर जाना |

त-त म -म होना -झगड़ा होना |

नमक-मच लगाना- बढ़ा-चढ़कर कहना|

बात बनाना- बहान बनाना|

रग चढ़ना- असर होना|

मह न खोलना ndash कछ न बताना |

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पय-भाग

पाठ-4

मनयता ndashमथलशरण गत

-लखक का परचय-

-पाठ का सार व पिटकरण-

कत क अय ाणय क तलना म मनय म सोचन क शित अधक होती ह

वह अपन ह नह दसर क सख - दःख का भी याल रखता ह और दसर क लए

कछ करन म समथ होता ह जानवर जब चरागाह म जात ह तो कवल अपन लए

चर कर आत ह परत मनय ऐसा नह ह वह जो कछ भी कमाता ह जो कछ भी

बनाता ह वह दसर क लए भी करता ह और दसर क सहायता स भी करता ह

तत पाठ का कव अपन क सख - दःख क चता करन वाल को मनय तो

मानता ह परत यह मानन को तयार नह ह क उन मनय म मनयता क सार

गण होत ह कव कवल उन मनय को महान मानता ह जो अपन क सख - दःख

स पहल दसर क चता करत ह वह मनय म ऐस गण चाहता ह िजसक कारण

कोई भी मनय इस मयलोक स चल जान क बाद भी सदय तक दसर क याद म

रहता ह अथात वह मय क बाद भी अमर रहता ह

-पाठ सार-

इस कवता म कव मनयता का सह अथ समझान का यास कर रहा ह पहल

भाग म कव कहता ह क मय स नह डरना चाहए यक मय तो निचत ह पर

हम ऐसा कछ करना चाहए क लोग हम मय क बाद भी याद रख असल मनय

वह ह जो दसर क लए जीना व मरना सीख ल दसर भाग म कव कहता ह क

हम उदार बनना चाहए यक उदार मनय का हर जगह गण गान होता ह मनय

वह कहलाता ह जो दसर क चता कर तीसर भाग म कव कहता ह क पराण

म उन लोग क बहत उदाहरण ह िजह उनक याग भाव क लए आज भी याद

कया जाता ह सचा मनय वह ह जो याग भाव जान ल चौथ भाग म कव

कहता ह क मनय क मन म दया और कणा का भाव होना चाहए मनय वह

कहलाता ह जो दसर क लए मरता और जीता ह पाचव भाग म कव कहना चाहता

ह क यहा कोई अनाथ नह ह यक हम सब उस एक ईवर क सतान ह हम

भदभाव स ऊपर उठ कर सोचना चाहएछठ भाग म कव कहना चाहता ह क हम

दयाल बनना चाहए यक दयाल और परोपकार मनय का दवता भी वागत करत

ह अतः हम दसर का परोपकार व कयाण करना चाहएसातव भाग म कव कहता

ह क मनय क बाहर कम अलग अलग हो परत हमार वद साी ह क सभी क

आमा एक ह हम सब एक ह ईवर क सतान ह अतः सभी मनय भाई -बध ह

और मनय वह ह जो दःख म दसर मनय क काम आयअतम भाग म कव

कहना चाहता ह क वप और वन को हटात हए मनय को अपन चन हए रात

पर चलना चाहए आपसी समझ को बनाय रखना चाहए और भदभाव को नह

बढ़ाना चाहए ऐसी सोच वाला मनय ह अपना और दसर का कयाण और उधार

कर सकता ह

-याया

1-वचार लो क मय हो न मय स डरो कभी

मरो परत य मरो क याद जो कर सभी

हई न य समय तो वथा मर वथा िजए

मारा नह वह क जो िजया न आपक लए

वह पश- वत ह क आप आप ह चर

वह मनय ह क जो मनय क लए मर

सग - तत कवता हमार पाय पतक पश भाग -2 स ल गई ह इसक

कव मथलशरण गत ह इन पितओ म कव बताना चाहता ह क मनय को

कसा जीवन जीना चाहए

याया - कव कहता ह क हम यह जान लना चाहए क मय का होना निचत

ह हम मय स नह डरना चाहए कव कहता ह क हम कछ ऐसा करना चाहए क

लोग हम मरन क बाद भी याद रख जो मनय दसर क लए कछ भी ना कर सक

उनका जीना और मरना दोन बकार ह मर कर भी वह मनय कभी नह मरता जो

अपन लए नह दसर क लए जीता ह यक अपन लए तो जानवर भी जीत ह

कव क अनसार मनय वह ह जो दसर मनय क लए मर अथात जो मनय दसर

क चता कर वह असल मनय कहलाता ह

2-उसी उदार क कथा सरवती बखानती

उसी उदार स धरा कताथ भाव मानती

उसी उदार क सदा सजीव कत कजती

तथा उसी उदार को समत सिट पजती

अखड आम भाव जो असीम वव म भर

वह मनय ह क जो मनय क लए मर

सग - तत कवता हमार पाय पतक पश भाग -2 स ल गई ह इसक

कव मथलशरण गत ह इन पितओ म कव बताना चाहता ह क जो मनय

दसर क लए जीत ह उनका गणगान यग - यग तक कया जाता ह

याया - कव कहता ह क जो मनय अपन पर जीवन म दसर क चता करता

ह उस महान यित क कथा का गण गान सरवती अथात पतक म कया जाता

ह पर धरती उस महान यित क आभार रहती ह उस यित क बातचीत

हमशा जीवत यित क तरह क जाती ह और पर सिट उसक पजा करती ह

कव कहता ह क जो यित पर ससार को अखड भाव और भाईचार क भावना म

बाधता ह वह यित सह मायन म मनय कहलान योय होता ह

3-धात रतदव न दया करथ थाल भी

तथा दधीच न दया पराथ अिथजाल भी

उशीनर तीश न वमास दान भी कया

सहष वीर कण न शरर-चम भी दया

अनय दह क लए अनाद जीव या डर

वह मनय ह क जो मनय क लए मर

सग - तत कवता हमार पाय पतक पश भाग -2 स ल गई ह इसक

कव मथलशरण गत ह इन पितओ म कव न महान पष क उदाहरण दए ह

िजनक महानता क कारण उह याद कया जाता ह

याया - कव कहता ह क पौराणक कथाए ऐस यितओ क उदाहरण स भर

पड़ी ह िजहन अपना परा जीवन दसर क लए याग दया िजस कारण उह आज

तक याद कया जाता ह भख स परशान रतदव न अपन हाथ क आखर थाल भी

दान कर द थी और महष दधीच न तो अपन पर शरर क हडया व बनान क

लए दान कर द थी उशीनर दश क राजा शब न कबतर क जान बचान क लए

अपना परा मास दान कर दया था वीर कण न अपनी ख़शी स अपन शरर का

कवच दान कर दया था कव कहना चाहता ह क मनय इस नवर शरर क लए

य डरता ह यक मनय वह कहलाता ह जो दसर क लए अपन आप को याग

दता ह

4-सहानभत चाहए महावभत ह यह

वशीकता सदव ह बनी हई वय मह

वधभाव बध का दया-वाह म बहा

वनीत लोकवग या न सामन झका रहा

अहा वह उदार ह परोपकार जो कर

वह मनय ह क जो मनय क लए मर

सग - तत कवता हमार पाय पतक पश भाग -2 स ल गई ह इसक

कव मथलशरण गत ह इन पितओ म कव न महामा बध का उदाहरण दत

हए दया कणा को सबस बड़ा धन बताया ह

याया - कव कहता ह क मनय क मन म दया व कणा का भाव होना चाहए

यह सबस बड़ा धन ह वय ईवर भी ऐस लोग क साथ रहत ह इसका सबस

बड़ा उदाहरण महामा बध ह िजनस लोग का दःख नह दखा गया तो व लोक

कयाण क लए दनया क नयम क वध चल गए इसक लए या परा ससार

उनक सामन नह झकता अथात उनक दया भाव व परोपकार क कारण आज भी

उनको याद कया जाता ह और उनक पजा क जाती ह महान उस को कहा जाता ह

जो परोपकार करता ह वह मनय मनय कहलाता ह जो मनय क लए जीता ह

और मरता ह

5-रहो न भल क कभी मदाघ तछ व म

सनाथ जान आपको करो न गव च म

अनाथ कौन ह यहा लोकनाथ साथ ह

दयाल दन बध क बड़ वशाल हाथ ह

अतीव भायहन ह अधीर भाव जो कर

वह मनय ह क जो मनय क लए मर

सग - तत कवता हमार पाय पतक पश भाग -2 स ल गई ह इसक

कव मथलशरण गत ह इन पितओ म कव कहता ह क सपत पर कभी

घमड नह करना चाहए और कसी को अनाथ नह समझना चाहए यक ईवर

सबक साथ ह

याया - कव कहता ह क भल कर भी कभी सप या यश पर घमड नह करना

चाहए इस बात पर कभी गव नह करना चाहए क हमार साथ हमार अपन का

साथ ह यक कव कहता ह क यहा कौन सा यित अनाथ ह उस ईवर का

साथ सब क साथ ह वह बहत दयावान ह उसका हाथ सबक ऊपर रहता ह कव

कहता ह क वह यित भायहन ह जो इस कार का उतावलापन रखता ह यक

मनय वह यित कहलाता ह जो इन सब चीज स ऊपर उठ कर सोचता ह

6-अनत अतर म अनत दव ह खड़

सम ह वबाह जो बढ़ा रह बड़-बड़

परपरावलब स उठो तथा बढ़ो सभी

अभी अमय-अक म अपक हो चढ़ो सभी

रहो न या क एक स न काम और का सर

वह मनय ह क जो मनय क लए मर

सग - तत कवता हमार पाय पतक पश भाग -2 स ल गई ह इसक

कव मथलशरण गत ह इन पितओ म कव कहता ह क कलक रहत रहन व

दसर का सहारा बनन वाल मवषय का दवता भी वागत करत ह

याया - कव कहता ह क उस कभी न समात होन वाल आकाश म असय

दवता खड़ ह जो परोपकार व दयाल मनय का सामन स खड़ होकर अपनी भजाओ

को फलाकर वागत करत ह इसलए दसर का सहारा बनो और सभी को साथ म

लकर आग बड़ो कव कहता ह क सभी कलक रहत हो कर दवताओ क गोद म

बठो अथात यद कोई बरा काम नह करोग तो दवता तह अपनी गोद म ल लग

अपन मतलब क लए नह जीना चाहए अपना और दसर का कयाण व उधार

करना चाहए यक इस मरणशील ससार म मनय वह ह जो मनय का कयाण

कर व परोपकार कर

7-मनय माा बध ह यह बड़ा ववक ह

पराणपष वयभ पता सध एक ह

फलानसार कम क अवय बाय भद ह

परत अतरय म माणभत वद ह

अनथ ह क बध ह न बध क यथा हर

वह मनय ह क जो मनय क लए मर

सग - तत कवता हमार पाय पतक पश भाग -2 स ल गई ह इसक

कव मथलशरण गत ह इन पितओ म कव कहता ह क हम सब एक ईवर क

सतान ह अतः हम सभी मनय एक - दसर क भाई - बध ह

याया - कव कहता ह क यक मनय एक दसर क भाई - बध ह यह सबस

बड़ी समझ ह पराण म िजस वय उपन पष मना गया ह वह परमामा या

ईवर हम सभी का पता ह अथात सभी मनय उस एक ईवर क सतान ह

बाहर कारण क फल अनसार यक मनय क कम भल ह अलग अलग ह परत

हमार वद इस बात क साी ह क सभी क आमा एक ह कव कहता ह क यद

भाई ह भाई क दःख व कट का नाश नह करगा तो उसका जीना यथ ह यक

मनय वह कहलाता ह जो बर समय म दसर मनय क काम आता ह

8-चलो अभीट माग म सहष खलत हए

वपवन जो पड़ उह ढकलत हए

घट न हलमल हा बढ़ न भनता कभी

अतक एक पथ क सतक पथ ह सभी

तभी समथ भाव ह क तारता हआ तर

वह मनय ह क जो मनय क लए मर

सग - तत कवता हमार पाय पतक पश भाग -2 स ल गई ह इसक

कव मथलशरण गत ह इन पितओ म कव कहता ह क यद हम ख़शी ससार

कट को हटत हए भदभाव रहत रहग तभी सभव ह क समाज क उनत होगी

याया - कव कहता ह क मनय को अपनी इछा स चन हए माग म ख़शी

ख़शी चलना चाहएरात म कोई भी सकट या बाधाए आय उह हटात चल जाना

चाहए मनय को यह यान रखना चाहए क आपसी समझ न बगड़ और भद

भाव न बड़ बना कसी तक वतक क सभी को एक साथ ल कर आग बढ़ना चाहए

तभी यह सभव होगा क मनय दसर क उनत और कयाण क साथ अपनी

समध भी कायम कर

-ननलखत न क उर दिजय ndash

1-कव न कसी मय को समय कहा ह

1-कव न ऐसी मय को समय कहा ह िजसम मनय अपन स पहल दसर क चता

करता ह और परोपकार क राह को चनता ह िजसस उस मरन क बाद भी याद कया

जाता ह

2-उदार यित क पहचान कस हो सकती ह

2- उदार यित परोपकार होता ह वह अपन स पहल दसर क चता करता ह और

लोक कयाण क लए अपना जीवन याग दता ह

3-कव न दधीच कण आद महान यितओ क उदाहरण द कर मनयता क लए

या उदाहरण दया ह

3- कव न दधीच कण आद महान यितओ क उदाहरण द कर मनयता क

लए यह सदश दया ह क परोपकार करन वाला ह असल मनय कहलान योय

होता ह मानवता क रा क लए दधीच न अपन शरर क सार अिथया दान कर

द थीकण न अपनी जान क परवाह कय बना अपना कवच द दया था िजस

कारण उह आज तक याद कया जाता ह कव इन उदाहरण क वारा यह

समझाना चाहता ह क परोपकार ह सची मनयता ह

4- कव न कन पितय म यह यत कया ह क हम गव - रहत जीवन यतीत

करना चाहए

4- कव न ननलखत पितय म गव रहत जीवन यतीत करन क बात कह ह-

रहो न भल क कभी मगाघ तछ व म

सनाथ जान आपको करो न गव च म

अथात सपत क घमड म कभी नह रहना चाहए और न ह इस बात पर गव

करना चाहए क आपक पास आपक अपन का साथ ह यक इस दनया म कोई

भी अनाथ नह ह सब उस परम पता परमवर क सतान ह

5- मनय मा बध ह स आप या समझत ह पट किजए

5- मनय मा बध ह अथात हम सब मनय एक ईवर क सतान ह अतः हम

सब भाई - बध ह भाई -बध होन क नात हम भाईचार क साथ रहना चाहए और

एक दसर का बर समय म साथ दना चाहए

6- कव न सबको एक होकर चलन क रणा य द ह

6- कव न सबको एक होकर चलन क रणा इसलए द ह ताक आपसी समझ न

बगड़ और न ह भदभाव बड़ सब एक साथ एक होकर चलग तो सार बाधाए मट

जाएगी और सबका कयाण और समध होगी

7- यित को कस तरह का जीवन यतीत करना चाहए इस कवता क आधार पर

लखए

7-मनय को परोपकार का जीवन जीना चाहए अपन स पहल दसर क दख क

चता करनी चाहए कवल अपन बार म तो जानवर भी सोचत ह कव क अनसार

मनय वह कहलाता ह जो अपन स पहल दसर क चता कर

8- मनयता कवता क वारा कव या सदश दना चाहता ह

8- मनयता कवता क मायम स कव यह सदश दना चाहता ह क परोपकार ह

सची मनयता ह परोपकार ह एक ऐसा साधन ह िजसक मायम स हम यग तक

लोगो क दल म अपनी जगह बना सकत ह और परोपकार क वारा ह समाज का

कयाण व समध सभव ह अतः हम परोपकार बनना चाहए ताक हम सह

मायन म मनय कहलाय

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-याकरण-

पदबध- परभाषा

पद- वाय स अलग रहन पर शद और वाय म यत हो जान पर शद

पद कहलात ह दसर शद म- वाय म यत शद पद कहलाता ह पदबध-

जब दो या अधक (शद) पद नयत म और निचत अथ म कसी पद का

काय करत ह तो उह पदबध कहत ह

पदबध क भद

मय पद क आधार पर पदबध क पाच कार होत ह-

(1) सा-पदबध (2) वशषण-पदबध

(3) सवनाम पदबध (4) या पदबध

(5) अयय पदबध

(1) सा-पदबध-

(a)चार ताकतवर मजदर इस भार चीज को उठा पाए

(b) राम न लका क राजा रावण को मार गराया

(c) अयोया क राजा दशरथ क चार प थ

(d) आसमान म उड़ता गबारा फट गया

2) वशषण पदबध-

a) तज चलन वाल गाड़या ायः दर स पहचती ह

(b) उस घर क कोन म बठा हआ आदमी जासस ह

(c) उसका घोड़ा अयत सदर फरतीला और आाकार ह

(d) बरगद और पीपल क घनी छाव स हम बहत सख मला

3) सवनाम पदबध-

(a)बजल-सी फरती दखाकर आपन बालक को डबन स बचा लया

(b)शरारत करन वाल छा म स कछ पकड़ गए

(c)वरोध करन वाल लोग म स कोई नह बोला

4) या पदबध-

(a) वह बाजार क ओर आया होगा

(b) मझ मोहन छत स दखाई द रहा ह

(c) सरश नद म डब गया

(d) अब दरवाजा खोला जा सकता ह

5) अयय पदबध-

(a)अपन सामान क साथ वह चला गया

(b)सबह स शाम तक वह बठा रहा

कसी भी भाषा क व शद अयय (Indeclinable या inflexible) कहलात ह िजनक प म

लग वचन पष कारक काल इयाद क कारण कोई वकार उप नह होता

चक अयय का पातर नह होता इसलए ऐस शद अवकार होत ह अयय का शािदक

अथ ह- जो यय न हो

(i) कालवाचक अयय- इनम समय का बोध होता ह जस- आज कल तरत पीछ पहल अब

जब तब कभी-कभी कब अब स नय जब स सदा स अभी तभी आजकल और कभी

उदाहरणाथ-

अब स ऐसी बात नह होगी

ऐसी बात सदा स होती रह ह

वह कब आया मझ पता नह

(ii) थानवाचक अयय- इसस थान का बोध होता ह जस- यहा वहा कहा जहा यहा स

वहा स इधर-उधर उदाहरणाथ-

वह यहा नह ह

वह कहा जायगा

वहा कोई नह ह

जहा तम हो वहा म ह

(iii) दशावाचक अयय- इसस दशा का बोध होता ह जस- इधर उधर िजधर दर पर अलग

दाहन बाए आरपार

(iv) िथतवाचक अयय- नीच ऊपर तल सामन बाहर भीतर इयाद

अयय क भद

अयय ननलखत चार कार क होत ह -

(1) यावशषण (Adverb)

(2) सबधबोधक (Preposition)

(3) समचयबोधक (Conjunction)

(4) वमयादबोधक (Interjection)

(1) यावशषण - िजन शद स या वशषण या दसर यावशषण क वशषता कट

हो उह यावशषण कहत ह

दसर शदो म- जो शद या क वशषता बतलात ह उह या वशषण कहा जाता ह

जस- राम धीर-धीर टहलता ह राम वहा टहलता ह राम अभी टहलता ह

इन वाय म धीर-धीर वहा और अभी राम क टहलन (या) क वशषता बतलात ह य

यावशषण अवकार वशषण भी कहलात ह इसक अतरत यावशषण दसर

यावशषण क भी वशषता बताता ह

वह बहत धीर चलता ह इस वाय म बहत यावशषण ह यक यह दसर यावशषण

धीर क वशषता बतलाता ह

या वशषण क कार

(1) योग क अनसार- (i) साधारण (ii) सयोजक (iii) अनबध

(2) प क अनसार- (i) मल यावशषण (ii) यौगक यावशषण (iii) थानीय यावशषण

(3) अथ क अनसार- (i) परमाणवाचक (ii) रतवाचक

(1) योग क अनसार यावशषण क भद

योग क अनसार यावशषण क तीन भद ह-

(i) साधारण यावशषण- िजन यावशषण का योग कसी वाय म वत होता ह

उह साधारण यावशषण कहा जाता ह

जस- हाय अब म या क बटा जद आओ अर साप कहा गया

(ii) सयोजक यावशषण- िजन यावशषण का सबध कसी उपवाय स रहता ह उह

सयोजक यावशषण कहा जाता ह

जस- जब रोहताव ह नह तो म ह जीकर या कगी जहा अभी सम ह वहा कसी

समय जगल था

(iii) अनबध यावशषण- िजन यावशषण क योग अवधारण (नचय) क लए कसी

भी शदभद क साथ होता हो उह अनबध यावशषण कहा जाता ह

जस- यह तो कसी न धोखा ह दया ह मन उस दखा तक नह

(2) प क अनसार यावशषण क भद

प क अनसार यावशषण क तीन भद ह-

(i) मल यावशषण- ऐस यावशषण जो कसी दसर शद क मल स नह बनत मल

यावशषण कहलात ह

जस- ठक दर अचानक फर नह

(ii) यौगक यावशषण- ऐस यावशषण जो कसी दसर शद म यय या पद जोड़न

पर बनत ह यौगक यावशषण कहलात ह

जस- मन स िजसस चपक स भल स दखत हए यहा तक झट स वहा पर यौगक

यावशषण सा सवनाम वशषण धात और अयय क मल स बनत ह

यौगक यावशषण नीच लख शद क मल स बनत ह-

(i) साओ क वित स- घर-घर घड़ी-घड़ी बीच-बीच हाथ-हाथ

(ii) दो भ साओ क मल स- दन-रात साझ-सबर घर-बाहर दश-वदश

(iii) वशषण क वित स- एक-एक ठक-ठक साफ-साफ

(iv) यावशषण क वित स- धीर-धीर जहा-तहा कब-कब कहा-कहा

(v) दो यावशषण क मल स- जहा-तहा जहा-कह जब-तब जब-कभी कल-परस आस-पास

(vi) दो भ या समान यावशषण क बीच न लगान स- कभी-न-कभी कछ-न-कछ

(vii) अनकरण वाचक शद क वित स- पटपट तड़तड़ सटासट धड़ाधड़

(viii) सा और वशषण क योग स- एक साथ एक बार दो बार

(ix) अय य और दसर शद क मल स- तदन यथाम अनजान आजम

(x) पवकालक कदत और वशषण क मल स- वशषकर बहतकर मयकर एक-एककर

(iii) थानीय यावशषण- ऐस यावशषण जो बना पातर क कसी वशष थान म

आत ह थानीय यावशषण कहलात ह

जस- वह अपना सर पढ़गा

वह दौड़कर चलत ह

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  • (1) अरथ की दषटि स शबद-भद13
  • (2) परयोग की दषटि स शबद-भद13
  • (3) उतपति की दषटि स शबद-भद13
  • 1) सवर सधि-13
  • परति+छवि=परतिचछवि दिक+अनत=दिगनत दिक+गज=दिगगज अन+छद=अनचछद अच +अनत = अजनत 13
  • 3)विसरग सधि - विसरग क साथ सवर या वयजन का मल होन पर जो विकार होता ह उस 13
  • विसरग सधि कहत ह 13
  • मन+रथ=मनोरथ यश+अभिलाषा=यशोभिलाषा अध+गति=अधोगति नि+छल=निशछल द +गम = दरगम 13
    • -पाठ सार-13
    • -वयाखया13
    • -निमनलिखित परशनो क उततर दीजिय ndash13
    • 1-कवि न कसी मतय को समतय कहा ह13
    • अवयय क भद13
    • करिया विशषण क परकार13
Page 32: Class –X HINDI JUNE SYLLABUS 2020 Chapters:- Ch-1-Sanchayan …punainternationalschool.com/assets/upload/ck-images/Std-10th=Jun… · -harihar kaka . पय-भाग पाठ-3

पय-भाग

पाठ-4

मनयता ndashमथलशरण गत

-लखक का परचय-

-पाठ का सार व पिटकरण-

कत क अय ाणय क तलना म मनय म सोचन क शित अधक होती ह

वह अपन ह नह दसर क सख - दःख का भी याल रखता ह और दसर क लए

कछ करन म समथ होता ह जानवर जब चरागाह म जात ह तो कवल अपन लए

चर कर आत ह परत मनय ऐसा नह ह वह जो कछ भी कमाता ह जो कछ भी

बनाता ह वह दसर क लए भी करता ह और दसर क सहायता स भी करता ह

तत पाठ का कव अपन क सख - दःख क चता करन वाल को मनय तो

मानता ह परत यह मानन को तयार नह ह क उन मनय म मनयता क सार

गण होत ह कव कवल उन मनय को महान मानता ह जो अपन क सख - दःख

स पहल दसर क चता करत ह वह मनय म ऐस गण चाहता ह िजसक कारण

कोई भी मनय इस मयलोक स चल जान क बाद भी सदय तक दसर क याद म

रहता ह अथात वह मय क बाद भी अमर रहता ह

-पाठ सार-

इस कवता म कव मनयता का सह अथ समझान का यास कर रहा ह पहल

भाग म कव कहता ह क मय स नह डरना चाहए यक मय तो निचत ह पर

हम ऐसा कछ करना चाहए क लोग हम मय क बाद भी याद रख असल मनय

वह ह जो दसर क लए जीना व मरना सीख ल दसर भाग म कव कहता ह क

हम उदार बनना चाहए यक उदार मनय का हर जगह गण गान होता ह मनय

वह कहलाता ह जो दसर क चता कर तीसर भाग म कव कहता ह क पराण

म उन लोग क बहत उदाहरण ह िजह उनक याग भाव क लए आज भी याद

कया जाता ह सचा मनय वह ह जो याग भाव जान ल चौथ भाग म कव

कहता ह क मनय क मन म दया और कणा का भाव होना चाहए मनय वह

कहलाता ह जो दसर क लए मरता और जीता ह पाचव भाग म कव कहना चाहता

ह क यहा कोई अनाथ नह ह यक हम सब उस एक ईवर क सतान ह हम

भदभाव स ऊपर उठ कर सोचना चाहएछठ भाग म कव कहना चाहता ह क हम

दयाल बनना चाहए यक दयाल और परोपकार मनय का दवता भी वागत करत

ह अतः हम दसर का परोपकार व कयाण करना चाहएसातव भाग म कव कहता

ह क मनय क बाहर कम अलग अलग हो परत हमार वद साी ह क सभी क

आमा एक ह हम सब एक ह ईवर क सतान ह अतः सभी मनय भाई -बध ह

और मनय वह ह जो दःख म दसर मनय क काम आयअतम भाग म कव

कहना चाहता ह क वप और वन को हटात हए मनय को अपन चन हए रात

पर चलना चाहए आपसी समझ को बनाय रखना चाहए और भदभाव को नह

बढ़ाना चाहए ऐसी सोच वाला मनय ह अपना और दसर का कयाण और उधार

कर सकता ह

-याया

1-वचार लो क मय हो न मय स डरो कभी

मरो परत य मरो क याद जो कर सभी

हई न य समय तो वथा मर वथा िजए

मारा नह वह क जो िजया न आपक लए

वह पश- वत ह क आप आप ह चर

वह मनय ह क जो मनय क लए मर

सग - तत कवता हमार पाय पतक पश भाग -2 स ल गई ह इसक

कव मथलशरण गत ह इन पितओ म कव बताना चाहता ह क मनय को

कसा जीवन जीना चाहए

याया - कव कहता ह क हम यह जान लना चाहए क मय का होना निचत

ह हम मय स नह डरना चाहए कव कहता ह क हम कछ ऐसा करना चाहए क

लोग हम मरन क बाद भी याद रख जो मनय दसर क लए कछ भी ना कर सक

उनका जीना और मरना दोन बकार ह मर कर भी वह मनय कभी नह मरता जो

अपन लए नह दसर क लए जीता ह यक अपन लए तो जानवर भी जीत ह

कव क अनसार मनय वह ह जो दसर मनय क लए मर अथात जो मनय दसर

क चता कर वह असल मनय कहलाता ह

2-उसी उदार क कथा सरवती बखानती

उसी उदार स धरा कताथ भाव मानती

उसी उदार क सदा सजीव कत कजती

तथा उसी उदार को समत सिट पजती

अखड आम भाव जो असीम वव म भर

वह मनय ह क जो मनय क लए मर

सग - तत कवता हमार पाय पतक पश भाग -2 स ल गई ह इसक

कव मथलशरण गत ह इन पितओ म कव बताना चाहता ह क जो मनय

दसर क लए जीत ह उनका गणगान यग - यग तक कया जाता ह

याया - कव कहता ह क जो मनय अपन पर जीवन म दसर क चता करता

ह उस महान यित क कथा का गण गान सरवती अथात पतक म कया जाता

ह पर धरती उस महान यित क आभार रहती ह उस यित क बातचीत

हमशा जीवत यित क तरह क जाती ह और पर सिट उसक पजा करती ह

कव कहता ह क जो यित पर ससार को अखड भाव और भाईचार क भावना म

बाधता ह वह यित सह मायन म मनय कहलान योय होता ह

3-धात रतदव न दया करथ थाल भी

तथा दधीच न दया पराथ अिथजाल भी

उशीनर तीश न वमास दान भी कया

सहष वीर कण न शरर-चम भी दया

अनय दह क लए अनाद जीव या डर

वह मनय ह क जो मनय क लए मर

सग - तत कवता हमार पाय पतक पश भाग -2 स ल गई ह इसक

कव मथलशरण गत ह इन पितओ म कव न महान पष क उदाहरण दए ह

िजनक महानता क कारण उह याद कया जाता ह

याया - कव कहता ह क पौराणक कथाए ऐस यितओ क उदाहरण स भर

पड़ी ह िजहन अपना परा जीवन दसर क लए याग दया िजस कारण उह आज

तक याद कया जाता ह भख स परशान रतदव न अपन हाथ क आखर थाल भी

दान कर द थी और महष दधीच न तो अपन पर शरर क हडया व बनान क

लए दान कर द थी उशीनर दश क राजा शब न कबतर क जान बचान क लए

अपना परा मास दान कर दया था वीर कण न अपनी ख़शी स अपन शरर का

कवच दान कर दया था कव कहना चाहता ह क मनय इस नवर शरर क लए

य डरता ह यक मनय वह कहलाता ह जो दसर क लए अपन आप को याग

दता ह

4-सहानभत चाहए महावभत ह यह

वशीकता सदव ह बनी हई वय मह

वधभाव बध का दया-वाह म बहा

वनीत लोकवग या न सामन झका रहा

अहा वह उदार ह परोपकार जो कर

वह मनय ह क जो मनय क लए मर

सग - तत कवता हमार पाय पतक पश भाग -2 स ल गई ह इसक

कव मथलशरण गत ह इन पितओ म कव न महामा बध का उदाहरण दत

हए दया कणा को सबस बड़ा धन बताया ह

याया - कव कहता ह क मनय क मन म दया व कणा का भाव होना चाहए

यह सबस बड़ा धन ह वय ईवर भी ऐस लोग क साथ रहत ह इसका सबस

बड़ा उदाहरण महामा बध ह िजनस लोग का दःख नह दखा गया तो व लोक

कयाण क लए दनया क नयम क वध चल गए इसक लए या परा ससार

उनक सामन नह झकता अथात उनक दया भाव व परोपकार क कारण आज भी

उनको याद कया जाता ह और उनक पजा क जाती ह महान उस को कहा जाता ह

जो परोपकार करता ह वह मनय मनय कहलाता ह जो मनय क लए जीता ह

और मरता ह

5-रहो न भल क कभी मदाघ तछ व म

सनाथ जान आपको करो न गव च म

अनाथ कौन ह यहा लोकनाथ साथ ह

दयाल दन बध क बड़ वशाल हाथ ह

अतीव भायहन ह अधीर भाव जो कर

वह मनय ह क जो मनय क लए मर

सग - तत कवता हमार पाय पतक पश भाग -2 स ल गई ह इसक

कव मथलशरण गत ह इन पितओ म कव कहता ह क सपत पर कभी

घमड नह करना चाहए और कसी को अनाथ नह समझना चाहए यक ईवर

सबक साथ ह

याया - कव कहता ह क भल कर भी कभी सप या यश पर घमड नह करना

चाहए इस बात पर कभी गव नह करना चाहए क हमार साथ हमार अपन का

साथ ह यक कव कहता ह क यहा कौन सा यित अनाथ ह उस ईवर का

साथ सब क साथ ह वह बहत दयावान ह उसका हाथ सबक ऊपर रहता ह कव

कहता ह क वह यित भायहन ह जो इस कार का उतावलापन रखता ह यक

मनय वह यित कहलाता ह जो इन सब चीज स ऊपर उठ कर सोचता ह

6-अनत अतर म अनत दव ह खड़

सम ह वबाह जो बढ़ा रह बड़-बड़

परपरावलब स उठो तथा बढ़ो सभी

अभी अमय-अक म अपक हो चढ़ो सभी

रहो न या क एक स न काम और का सर

वह मनय ह क जो मनय क लए मर

सग - तत कवता हमार पाय पतक पश भाग -2 स ल गई ह इसक

कव मथलशरण गत ह इन पितओ म कव कहता ह क कलक रहत रहन व

दसर का सहारा बनन वाल मवषय का दवता भी वागत करत ह

याया - कव कहता ह क उस कभी न समात होन वाल आकाश म असय

दवता खड़ ह जो परोपकार व दयाल मनय का सामन स खड़ होकर अपनी भजाओ

को फलाकर वागत करत ह इसलए दसर का सहारा बनो और सभी को साथ म

लकर आग बड़ो कव कहता ह क सभी कलक रहत हो कर दवताओ क गोद म

बठो अथात यद कोई बरा काम नह करोग तो दवता तह अपनी गोद म ल लग

अपन मतलब क लए नह जीना चाहए अपना और दसर का कयाण व उधार

करना चाहए यक इस मरणशील ससार म मनय वह ह जो मनय का कयाण

कर व परोपकार कर

7-मनय माा बध ह यह बड़ा ववक ह

पराणपष वयभ पता सध एक ह

फलानसार कम क अवय बाय भद ह

परत अतरय म माणभत वद ह

अनथ ह क बध ह न बध क यथा हर

वह मनय ह क जो मनय क लए मर

सग - तत कवता हमार पाय पतक पश भाग -2 स ल गई ह इसक

कव मथलशरण गत ह इन पितओ म कव कहता ह क हम सब एक ईवर क

सतान ह अतः हम सभी मनय एक - दसर क भाई - बध ह

याया - कव कहता ह क यक मनय एक दसर क भाई - बध ह यह सबस

बड़ी समझ ह पराण म िजस वय उपन पष मना गया ह वह परमामा या

ईवर हम सभी का पता ह अथात सभी मनय उस एक ईवर क सतान ह

बाहर कारण क फल अनसार यक मनय क कम भल ह अलग अलग ह परत

हमार वद इस बात क साी ह क सभी क आमा एक ह कव कहता ह क यद

भाई ह भाई क दःख व कट का नाश नह करगा तो उसका जीना यथ ह यक

मनय वह कहलाता ह जो बर समय म दसर मनय क काम आता ह

8-चलो अभीट माग म सहष खलत हए

वपवन जो पड़ उह ढकलत हए

घट न हलमल हा बढ़ न भनता कभी

अतक एक पथ क सतक पथ ह सभी

तभी समथ भाव ह क तारता हआ तर

वह मनय ह क जो मनय क लए मर

सग - तत कवता हमार पाय पतक पश भाग -2 स ल गई ह इसक

कव मथलशरण गत ह इन पितओ म कव कहता ह क यद हम ख़शी ससार

कट को हटत हए भदभाव रहत रहग तभी सभव ह क समाज क उनत होगी

याया - कव कहता ह क मनय को अपनी इछा स चन हए माग म ख़शी

ख़शी चलना चाहएरात म कोई भी सकट या बाधाए आय उह हटात चल जाना

चाहए मनय को यह यान रखना चाहए क आपसी समझ न बगड़ और भद

भाव न बड़ बना कसी तक वतक क सभी को एक साथ ल कर आग बढ़ना चाहए

तभी यह सभव होगा क मनय दसर क उनत और कयाण क साथ अपनी

समध भी कायम कर

-ननलखत न क उर दिजय ndash

1-कव न कसी मय को समय कहा ह

1-कव न ऐसी मय को समय कहा ह िजसम मनय अपन स पहल दसर क चता

करता ह और परोपकार क राह को चनता ह िजसस उस मरन क बाद भी याद कया

जाता ह

2-उदार यित क पहचान कस हो सकती ह

2- उदार यित परोपकार होता ह वह अपन स पहल दसर क चता करता ह और

लोक कयाण क लए अपना जीवन याग दता ह

3-कव न दधीच कण आद महान यितओ क उदाहरण द कर मनयता क लए

या उदाहरण दया ह

3- कव न दधीच कण आद महान यितओ क उदाहरण द कर मनयता क

लए यह सदश दया ह क परोपकार करन वाला ह असल मनय कहलान योय

होता ह मानवता क रा क लए दधीच न अपन शरर क सार अिथया दान कर

द थीकण न अपनी जान क परवाह कय बना अपना कवच द दया था िजस

कारण उह आज तक याद कया जाता ह कव इन उदाहरण क वारा यह

समझाना चाहता ह क परोपकार ह सची मनयता ह

4- कव न कन पितय म यह यत कया ह क हम गव - रहत जीवन यतीत

करना चाहए

4- कव न ननलखत पितय म गव रहत जीवन यतीत करन क बात कह ह-

रहो न भल क कभी मगाघ तछ व म

सनाथ जान आपको करो न गव च म

अथात सपत क घमड म कभी नह रहना चाहए और न ह इस बात पर गव

करना चाहए क आपक पास आपक अपन का साथ ह यक इस दनया म कोई

भी अनाथ नह ह सब उस परम पता परमवर क सतान ह

5- मनय मा बध ह स आप या समझत ह पट किजए

5- मनय मा बध ह अथात हम सब मनय एक ईवर क सतान ह अतः हम

सब भाई - बध ह भाई -बध होन क नात हम भाईचार क साथ रहना चाहए और

एक दसर का बर समय म साथ दना चाहए

6- कव न सबको एक होकर चलन क रणा य द ह

6- कव न सबको एक होकर चलन क रणा इसलए द ह ताक आपसी समझ न

बगड़ और न ह भदभाव बड़ सब एक साथ एक होकर चलग तो सार बाधाए मट

जाएगी और सबका कयाण और समध होगी

7- यित को कस तरह का जीवन यतीत करना चाहए इस कवता क आधार पर

लखए

7-मनय को परोपकार का जीवन जीना चाहए अपन स पहल दसर क दख क

चता करनी चाहए कवल अपन बार म तो जानवर भी सोचत ह कव क अनसार

मनय वह कहलाता ह जो अपन स पहल दसर क चता कर

8- मनयता कवता क वारा कव या सदश दना चाहता ह

8- मनयता कवता क मायम स कव यह सदश दना चाहता ह क परोपकार ह

सची मनयता ह परोपकार ह एक ऐसा साधन ह िजसक मायम स हम यग तक

लोगो क दल म अपनी जगह बना सकत ह और परोपकार क वारा ह समाज का

कयाण व समध सभव ह अतः हम परोपकार बनना चाहए ताक हम सह

मायन म मनय कहलाय

--------------------------------------------------------------------------------------------------------

-याकरण-

पदबध- परभाषा

पद- वाय स अलग रहन पर शद और वाय म यत हो जान पर शद

पद कहलात ह दसर शद म- वाय म यत शद पद कहलाता ह पदबध-

जब दो या अधक (शद) पद नयत म और निचत अथ म कसी पद का

काय करत ह तो उह पदबध कहत ह

पदबध क भद

मय पद क आधार पर पदबध क पाच कार होत ह-

(1) सा-पदबध (2) वशषण-पदबध

(3) सवनाम पदबध (4) या पदबध

(5) अयय पदबध

(1) सा-पदबध-

(a)चार ताकतवर मजदर इस भार चीज को उठा पाए

(b) राम न लका क राजा रावण को मार गराया

(c) अयोया क राजा दशरथ क चार प थ

(d) आसमान म उड़ता गबारा फट गया

2) वशषण पदबध-

a) तज चलन वाल गाड़या ायः दर स पहचती ह

(b) उस घर क कोन म बठा हआ आदमी जासस ह

(c) उसका घोड़ा अयत सदर फरतीला और आाकार ह

(d) बरगद और पीपल क घनी छाव स हम बहत सख मला

3) सवनाम पदबध-

(a)बजल-सी फरती दखाकर आपन बालक को डबन स बचा लया

(b)शरारत करन वाल छा म स कछ पकड़ गए

(c)वरोध करन वाल लोग म स कोई नह बोला

4) या पदबध-

(a) वह बाजार क ओर आया होगा

(b) मझ मोहन छत स दखाई द रहा ह

(c) सरश नद म डब गया

(d) अब दरवाजा खोला जा सकता ह

5) अयय पदबध-

(a)अपन सामान क साथ वह चला गया

(b)सबह स शाम तक वह बठा रहा

कसी भी भाषा क व शद अयय (Indeclinable या inflexible) कहलात ह िजनक प म

लग वचन पष कारक काल इयाद क कारण कोई वकार उप नह होता

चक अयय का पातर नह होता इसलए ऐस शद अवकार होत ह अयय का शािदक

अथ ह- जो यय न हो

(i) कालवाचक अयय- इनम समय का बोध होता ह जस- आज कल तरत पीछ पहल अब

जब तब कभी-कभी कब अब स नय जब स सदा स अभी तभी आजकल और कभी

उदाहरणाथ-

अब स ऐसी बात नह होगी

ऐसी बात सदा स होती रह ह

वह कब आया मझ पता नह

(ii) थानवाचक अयय- इसस थान का बोध होता ह जस- यहा वहा कहा जहा यहा स

वहा स इधर-उधर उदाहरणाथ-

वह यहा नह ह

वह कहा जायगा

वहा कोई नह ह

जहा तम हो वहा म ह

(iii) दशावाचक अयय- इसस दशा का बोध होता ह जस- इधर उधर िजधर दर पर अलग

दाहन बाए आरपार

(iv) िथतवाचक अयय- नीच ऊपर तल सामन बाहर भीतर इयाद

अयय क भद

अयय ननलखत चार कार क होत ह -

(1) यावशषण (Adverb)

(2) सबधबोधक (Preposition)

(3) समचयबोधक (Conjunction)

(4) वमयादबोधक (Interjection)

(1) यावशषण - िजन शद स या वशषण या दसर यावशषण क वशषता कट

हो उह यावशषण कहत ह

दसर शदो म- जो शद या क वशषता बतलात ह उह या वशषण कहा जाता ह

जस- राम धीर-धीर टहलता ह राम वहा टहलता ह राम अभी टहलता ह

इन वाय म धीर-धीर वहा और अभी राम क टहलन (या) क वशषता बतलात ह य

यावशषण अवकार वशषण भी कहलात ह इसक अतरत यावशषण दसर

यावशषण क भी वशषता बताता ह

वह बहत धीर चलता ह इस वाय म बहत यावशषण ह यक यह दसर यावशषण

धीर क वशषता बतलाता ह

या वशषण क कार

(1) योग क अनसार- (i) साधारण (ii) सयोजक (iii) अनबध

(2) प क अनसार- (i) मल यावशषण (ii) यौगक यावशषण (iii) थानीय यावशषण

(3) अथ क अनसार- (i) परमाणवाचक (ii) रतवाचक

(1) योग क अनसार यावशषण क भद

योग क अनसार यावशषण क तीन भद ह-

(i) साधारण यावशषण- िजन यावशषण का योग कसी वाय म वत होता ह

उह साधारण यावशषण कहा जाता ह

जस- हाय अब म या क बटा जद आओ अर साप कहा गया

(ii) सयोजक यावशषण- िजन यावशषण का सबध कसी उपवाय स रहता ह उह

सयोजक यावशषण कहा जाता ह

जस- जब रोहताव ह नह तो म ह जीकर या कगी जहा अभी सम ह वहा कसी

समय जगल था

(iii) अनबध यावशषण- िजन यावशषण क योग अवधारण (नचय) क लए कसी

भी शदभद क साथ होता हो उह अनबध यावशषण कहा जाता ह

जस- यह तो कसी न धोखा ह दया ह मन उस दखा तक नह

(2) प क अनसार यावशषण क भद

प क अनसार यावशषण क तीन भद ह-

(i) मल यावशषण- ऐस यावशषण जो कसी दसर शद क मल स नह बनत मल

यावशषण कहलात ह

जस- ठक दर अचानक फर नह

(ii) यौगक यावशषण- ऐस यावशषण जो कसी दसर शद म यय या पद जोड़न

पर बनत ह यौगक यावशषण कहलात ह

जस- मन स िजसस चपक स भल स दखत हए यहा तक झट स वहा पर यौगक

यावशषण सा सवनाम वशषण धात और अयय क मल स बनत ह

यौगक यावशषण नीच लख शद क मल स बनत ह-

(i) साओ क वित स- घर-घर घड़ी-घड़ी बीच-बीच हाथ-हाथ

(ii) दो भ साओ क मल स- दन-रात साझ-सबर घर-बाहर दश-वदश

(iii) वशषण क वित स- एक-एक ठक-ठक साफ-साफ

(iv) यावशषण क वित स- धीर-धीर जहा-तहा कब-कब कहा-कहा

(v) दो यावशषण क मल स- जहा-तहा जहा-कह जब-तब जब-कभी कल-परस आस-पास

(vi) दो भ या समान यावशषण क बीच न लगान स- कभी-न-कभी कछ-न-कछ

(vii) अनकरण वाचक शद क वित स- पटपट तड़तड़ सटासट धड़ाधड़

(viii) सा और वशषण क योग स- एक साथ एक बार दो बार

(ix) अय य और दसर शद क मल स- तदन यथाम अनजान आजम

(x) पवकालक कदत और वशषण क मल स- वशषकर बहतकर मयकर एक-एककर

(iii) थानीय यावशषण- ऐस यावशषण जो बना पातर क कसी वशष थान म

आत ह थानीय यावशषण कहलात ह

जस- वह अपना सर पढ़गा

वह दौड़कर चलत ह

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  • (1) अरथ की दषटि स शबद-भद13
  • (2) परयोग की दषटि स शबद-भद13
  • (3) उतपति की दषटि स शबद-भद13
  • 1) सवर सधि-13
  • परति+छवि=परतिचछवि दिक+अनत=दिगनत दिक+गज=दिगगज अन+छद=अनचछद अच +अनत = अजनत 13
  • 3)विसरग सधि - विसरग क साथ सवर या वयजन का मल होन पर जो विकार होता ह उस 13
  • विसरग सधि कहत ह 13
  • मन+रथ=मनोरथ यश+अभिलाषा=यशोभिलाषा अध+गति=अधोगति नि+छल=निशछल द +गम = दरगम 13
    • -पाठ सार-13
    • -वयाखया13
    • -निमनलिखित परशनो क उततर दीजिय ndash13
    • 1-कवि न कसी मतय को समतय कहा ह13
    • अवयय क भद13
    • करिया विशषण क परकार13
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कोई भी मनय इस मयलोक स चल जान क बाद भी सदय तक दसर क याद म

रहता ह अथात वह मय क बाद भी अमर रहता ह

-पाठ सार-

इस कवता म कव मनयता का सह अथ समझान का यास कर रहा ह पहल

भाग म कव कहता ह क मय स नह डरना चाहए यक मय तो निचत ह पर

हम ऐसा कछ करना चाहए क लोग हम मय क बाद भी याद रख असल मनय

वह ह जो दसर क लए जीना व मरना सीख ल दसर भाग म कव कहता ह क

हम उदार बनना चाहए यक उदार मनय का हर जगह गण गान होता ह मनय

वह कहलाता ह जो दसर क चता कर तीसर भाग म कव कहता ह क पराण

म उन लोग क बहत उदाहरण ह िजह उनक याग भाव क लए आज भी याद

कया जाता ह सचा मनय वह ह जो याग भाव जान ल चौथ भाग म कव

कहता ह क मनय क मन म दया और कणा का भाव होना चाहए मनय वह

कहलाता ह जो दसर क लए मरता और जीता ह पाचव भाग म कव कहना चाहता

ह क यहा कोई अनाथ नह ह यक हम सब उस एक ईवर क सतान ह हम

भदभाव स ऊपर उठ कर सोचना चाहएछठ भाग म कव कहना चाहता ह क हम

दयाल बनना चाहए यक दयाल और परोपकार मनय का दवता भी वागत करत

ह अतः हम दसर का परोपकार व कयाण करना चाहएसातव भाग म कव कहता

ह क मनय क बाहर कम अलग अलग हो परत हमार वद साी ह क सभी क

आमा एक ह हम सब एक ह ईवर क सतान ह अतः सभी मनय भाई -बध ह

और मनय वह ह जो दःख म दसर मनय क काम आयअतम भाग म कव

कहना चाहता ह क वप और वन को हटात हए मनय को अपन चन हए रात

पर चलना चाहए आपसी समझ को बनाय रखना चाहए और भदभाव को नह

बढ़ाना चाहए ऐसी सोच वाला मनय ह अपना और दसर का कयाण और उधार

कर सकता ह

-याया

1-वचार लो क मय हो न मय स डरो कभी

मरो परत य मरो क याद जो कर सभी

हई न य समय तो वथा मर वथा िजए

मारा नह वह क जो िजया न आपक लए

वह पश- वत ह क आप आप ह चर

वह मनय ह क जो मनय क लए मर

सग - तत कवता हमार पाय पतक पश भाग -2 स ल गई ह इसक

कव मथलशरण गत ह इन पितओ म कव बताना चाहता ह क मनय को

कसा जीवन जीना चाहए

याया - कव कहता ह क हम यह जान लना चाहए क मय का होना निचत

ह हम मय स नह डरना चाहए कव कहता ह क हम कछ ऐसा करना चाहए क

लोग हम मरन क बाद भी याद रख जो मनय दसर क लए कछ भी ना कर सक

उनका जीना और मरना दोन बकार ह मर कर भी वह मनय कभी नह मरता जो

अपन लए नह दसर क लए जीता ह यक अपन लए तो जानवर भी जीत ह

कव क अनसार मनय वह ह जो दसर मनय क लए मर अथात जो मनय दसर

क चता कर वह असल मनय कहलाता ह

2-उसी उदार क कथा सरवती बखानती

उसी उदार स धरा कताथ भाव मानती

उसी उदार क सदा सजीव कत कजती

तथा उसी उदार को समत सिट पजती

अखड आम भाव जो असीम वव म भर

वह मनय ह क जो मनय क लए मर

सग - तत कवता हमार पाय पतक पश भाग -2 स ल गई ह इसक

कव मथलशरण गत ह इन पितओ म कव बताना चाहता ह क जो मनय

दसर क लए जीत ह उनका गणगान यग - यग तक कया जाता ह

याया - कव कहता ह क जो मनय अपन पर जीवन म दसर क चता करता

ह उस महान यित क कथा का गण गान सरवती अथात पतक म कया जाता

ह पर धरती उस महान यित क आभार रहती ह उस यित क बातचीत

हमशा जीवत यित क तरह क जाती ह और पर सिट उसक पजा करती ह

कव कहता ह क जो यित पर ससार को अखड भाव और भाईचार क भावना म

बाधता ह वह यित सह मायन म मनय कहलान योय होता ह

3-धात रतदव न दया करथ थाल भी

तथा दधीच न दया पराथ अिथजाल भी

उशीनर तीश न वमास दान भी कया

सहष वीर कण न शरर-चम भी दया

अनय दह क लए अनाद जीव या डर

वह मनय ह क जो मनय क लए मर

सग - तत कवता हमार पाय पतक पश भाग -2 स ल गई ह इसक

कव मथलशरण गत ह इन पितओ म कव न महान पष क उदाहरण दए ह

िजनक महानता क कारण उह याद कया जाता ह

याया - कव कहता ह क पौराणक कथाए ऐस यितओ क उदाहरण स भर

पड़ी ह िजहन अपना परा जीवन दसर क लए याग दया िजस कारण उह आज

तक याद कया जाता ह भख स परशान रतदव न अपन हाथ क आखर थाल भी

दान कर द थी और महष दधीच न तो अपन पर शरर क हडया व बनान क

लए दान कर द थी उशीनर दश क राजा शब न कबतर क जान बचान क लए

अपना परा मास दान कर दया था वीर कण न अपनी ख़शी स अपन शरर का

कवच दान कर दया था कव कहना चाहता ह क मनय इस नवर शरर क लए

य डरता ह यक मनय वह कहलाता ह जो दसर क लए अपन आप को याग

दता ह

4-सहानभत चाहए महावभत ह यह

वशीकता सदव ह बनी हई वय मह

वधभाव बध का दया-वाह म बहा

वनीत लोकवग या न सामन झका रहा

अहा वह उदार ह परोपकार जो कर

वह मनय ह क जो मनय क लए मर

सग - तत कवता हमार पाय पतक पश भाग -2 स ल गई ह इसक

कव मथलशरण गत ह इन पितओ म कव न महामा बध का उदाहरण दत

हए दया कणा को सबस बड़ा धन बताया ह

याया - कव कहता ह क मनय क मन म दया व कणा का भाव होना चाहए

यह सबस बड़ा धन ह वय ईवर भी ऐस लोग क साथ रहत ह इसका सबस

बड़ा उदाहरण महामा बध ह िजनस लोग का दःख नह दखा गया तो व लोक

कयाण क लए दनया क नयम क वध चल गए इसक लए या परा ससार

उनक सामन नह झकता अथात उनक दया भाव व परोपकार क कारण आज भी

उनको याद कया जाता ह और उनक पजा क जाती ह महान उस को कहा जाता ह

जो परोपकार करता ह वह मनय मनय कहलाता ह जो मनय क लए जीता ह

और मरता ह

5-रहो न भल क कभी मदाघ तछ व म

सनाथ जान आपको करो न गव च म

अनाथ कौन ह यहा लोकनाथ साथ ह

दयाल दन बध क बड़ वशाल हाथ ह

अतीव भायहन ह अधीर भाव जो कर

वह मनय ह क जो मनय क लए मर

सग - तत कवता हमार पाय पतक पश भाग -2 स ल गई ह इसक

कव मथलशरण गत ह इन पितओ म कव कहता ह क सपत पर कभी

घमड नह करना चाहए और कसी को अनाथ नह समझना चाहए यक ईवर

सबक साथ ह

याया - कव कहता ह क भल कर भी कभी सप या यश पर घमड नह करना

चाहए इस बात पर कभी गव नह करना चाहए क हमार साथ हमार अपन का

साथ ह यक कव कहता ह क यहा कौन सा यित अनाथ ह उस ईवर का

साथ सब क साथ ह वह बहत दयावान ह उसका हाथ सबक ऊपर रहता ह कव

कहता ह क वह यित भायहन ह जो इस कार का उतावलापन रखता ह यक

मनय वह यित कहलाता ह जो इन सब चीज स ऊपर उठ कर सोचता ह

6-अनत अतर म अनत दव ह खड़

सम ह वबाह जो बढ़ा रह बड़-बड़

परपरावलब स उठो तथा बढ़ो सभी

अभी अमय-अक म अपक हो चढ़ो सभी

रहो न या क एक स न काम और का सर

वह मनय ह क जो मनय क लए मर

सग - तत कवता हमार पाय पतक पश भाग -2 स ल गई ह इसक

कव मथलशरण गत ह इन पितओ म कव कहता ह क कलक रहत रहन व

दसर का सहारा बनन वाल मवषय का दवता भी वागत करत ह

याया - कव कहता ह क उस कभी न समात होन वाल आकाश म असय

दवता खड़ ह जो परोपकार व दयाल मनय का सामन स खड़ होकर अपनी भजाओ

को फलाकर वागत करत ह इसलए दसर का सहारा बनो और सभी को साथ म

लकर आग बड़ो कव कहता ह क सभी कलक रहत हो कर दवताओ क गोद म

बठो अथात यद कोई बरा काम नह करोग तो दवता तह अपनी गोद म ल लग

अपन मतलब क लए नह जीना चाहए अपना और दसर का कयाण व उधार

करना चाहए यक इस मरणशील ससार म मनय वह ह जो मनय का कयाण

कर व परोपकार कर

7-मनय माा बध ह यह बड़ा ववक ह

पराणपष वयभ पता सध एक ह

फलानसार कम क अवय बाय भद ह

परत अतरय म माणभत वद ह

अनथ ह क बध ह न बध क यथा हर

वह मनय ह क जो मनय क लए मर

सग - तत कवता हमार पाय पतक पश भाग -2 स ल गई ह इसक

कव मथलशरण गत ह इन पितओ म कव कहता ह क हम सब एक ईवर क

सतान ह अतः हम सभी मनय एक - दसर क भाई - बध ह

याया - कव कहता ह क यक मनय एक दसर क भाई - बध ह यह सबस

बड़ी समझ ह पराण म िजस वय उपन पष मना गया ह वह परमामा या

ईवर हम सभी का पता ह अथात सभी मनय उस एक ईवर क सतान ह

बाहर कारण क फल अनसार यक मनय क कम भल ह अलग अलग ह परत

हमार वद इस बात क साी ह क सभी क आमा एक ह कव कहता ह क यद

भाई ह भाई क दःख व कट का नाश नह करगा तो उसका जीना यथ ह यक

मनय वह कहलाता ह जो बर समय म दसर मनय क काम आता ह

8-चलो अभीट माग म सहष खलत हए

वपवन जो पड़ उह ढकलत हए

घट न हलमल हा बढ़ न भनता कभी

अतक एक पथ क सतक पथ ह सभी

तभी समथ भाव ह क तारता हआ तर

वह मनय ह क जो मनय क लए मर

सग - तत कवता हमार पाय पतक पश भाग -2 स ल गई ह इसक

कव मथलशरण गत ह इन पितओ म कव कहता ह क यद हम ख़शी ससार

कट को हटत हए भदभाव रहत रहग तभी सभव ह क समाज क उनत होगी

याया - कव कहता ह क मनय को अपनी इछा स चन हए माग म ख़शी

ख़शी चलना चाहएरात म कोई भी सकट या बाधाए आय उह हटात चल जाना

चाहए मनय को यह यान रखना चाहए क आपसी समझ न बगड़ और भद

भाव न बड़ बना कसी तक वतक क सभी को एक साथ ल कर आग बढ़ना चाहए

तभी यह सभव होगा क मनय दसर क उनत और कयाण क साथ अपनी

समध भी कायम कर

-ननलखत न क उर दिजय ndash

1-कव न कसी मय को समय कहा ह

1-कव न ऐसी मय को समय कहा ह िजसम मनय अपन स पहल दसर क चता

करता ह और परोपकार क राह को चनता ह िजसस उस मरन क बाद भी याद कया

जाता ह

2-उदार यित क पहचान कस हो सकती ह

2- उदार यित परोपकार होता ह वह अपन स पहल दसर क चता करता ह और

लोक कयाण क लए अपना जीवन याग दता ह

3-कव न दधीच कण आद महान यितओ क उदाहरण द कर मनयता क लए

या उदाहरण दया ह

3- कव न दधीच कण आद महान यितओ क उदाहरण द कर मनयता क

लए यह सदश दया ह क परोपकार करन वाला ह असल मनय कहलान योय

होता ह मानवता क रा क लए दधीच न अपन शरर क सार अिथया दान कर

द थीकण न अपनी जान क परवाह कय बना अपना कवच द दया था िजस

कारण उह आज तक याद कया जाता ह कव इन उदाहरण क वारा यह

समझाना चाहता ह क परोपकार ह सची मनयता ह

4- कव न कन पितय म यह यत कया ह क हम गव - रहत जीवन यतीत

करना चाहए

4- कव न ननलखत पितय म गव रहत जीवन यतीत करन क बात कह ह-

रहो न भल क कभी मगाघ तछ व म

सनाथ जान आपको करो न गव च म

अथात सपत क घमड म कभी नह रहना चाहए और न ह इस बात पर गव

करना चाहए क आपक पास आपक अपन का साथ ह यक इस दनया म कोई

भी अनाथ नह ह सब उस परम पता परमवर क सतान ह

5- मनय मा बध ह स आप या समझत ह पट किजए

5- मनय मा बध ह अथात हम सब मनय एक ईवर क सतान ह अतः हम

सब भाई - बध ह भाई -बध होन क नात हम भाईचार क साथ रहना चाहए और

एक दसर का बर समय म साथ दना चाहए

6- कव न सबको एक होकर चलन क रणा य द ह

6- कव न सबको एक होकर चलन क रणा इसलए द ह ताक आपसी समझ न

बगड़ और न ह भदभाव बड़ सब एक साथ एक होकर चलग तो सार बाधाए मट

जाएगी और सबका कयाण और समध होगी

7- यित को कस तरह का जीवन यतीत करना चाहए इस कवता क आधार पर

लखए

7-मनय को परोपकार का जीवन जीना चाहए अपन स पहल दसर क दख क

चता करनी चाहए कवल अपन बार म तो जानवर भी सोचत ह कव क अनसार

मनय वह कहलाता ह जो अपन स पहल दसर क चता कर

8- मनयता कवता क वारा कव या सदश दना चाहता ह

8- मनयता कवता क मायम स कव यह सदश दना चाहता ह क परोपकार ह

सची मनयता ह परोपकार ह एक ऐसा साधन ह िजसक मायम स हम यग तक

लोगो क दल म अपनी जगह बना सकत ह और परोपकार क वारा ह समाज का

कयाण व समध सभव ह अतः हम परोपकार बनना चाहए ताक हम सह

मायन म मनय कहलाय

--------------------------------------------------------------------------------------------------------

-याकरण-

पदबध- परभाषा

पद- वाय स अलग रहन पर शद और वाय म यत हो जान पर शद

पद कहलात ह दसर शद म- वाय म यत शद पद कहलाता ह पदबध-

जब दो या अधक (शद) पद नयत म और निचत अथ म कसी पद का

काय करत ह तो उह पदबध कहत ह

पदबध क भद

मय पद क आधार पर पदबध क पाच कार होत ह-

(1) सा-पदबध (2) वशषण-पदबध

(3) सवनाम पदबध (4) या पदबध

(5) अयय पदबध

(1) सा-पदबध-

(a)चार ताकतवर मजदर इस भार चीज को उठा पाए

(b) राम न लका क राजा रावण को मार गराया

(c) अयोया क राजा दशरथ क चार प थ

(d) आसमान म उड़ता गबारा फट गया

2) वशषण पदबध-

a) तज चलन वाल गाड़या ायः दर स पहचती ह

(b) उस घर क कोन म बठा हआ आदमी जासस ह

(c) उसका घोड़ा अयत सदर फरतीला और आाकार ह

(d) बरगद और पीपल क घनी छाव स हम बहत सख मला

3) सवनाम पदबध-

(a)बजल-सी फरती दखाकर आपन बालक को डबन स बचा लया

(b)शरारत करन वाल छा म स कछ पकड़ गए

(c)वरोध करन वाल लोग म स कोई नह बोला

4) या पदबध-

(a) वह बाजार क ओर आया होगा

(b) मझ मोहन छत स दखाई द रहा ह

(c) सरश नद म डब गया

(d) अब दरवाजा खोला जा सकता ह

5) अयय पदबध-

(a)अपन सामान क साथ वह चला गया

(b)सबह स शाम तक वह बठा रहा

कसी भी भाषा क व शद अयय (Indeclinable या inflexible) कहलात ह िजनक प म

लग वचन पष कारक काल इयाद क कारण कोई वकार उप नह होता

चक अयय का पातर नह होता इसलए ऐस शद अवकार होत ह अयय का शािदक

अथ ह- जो यय न हो

(i) कालवाचक अयय- इनम समय का बोध होता ह जस- आज कल तरत पीछ पहल अब

जब तब कभी-कभी कब अब स नय जब स सदा स अभी तभी आजकल और कभी

उदाहरणाथ-

अब स ऐसी बात नह होगी

ऐसी बात सदा स होती रह ह

वह कब आया मझ पता नह

(ii) थानवाचक अयय- इसस थान का बोध होता ह जस- यहा वहा कहा जहा यहा स

वहा स इधर-उधर उदाहरणाथ-

वह यहा नह ह

वह कहा जायगा

वहा कोई नह ह

जहा तम हो वहा म ह

(iii) दशावाचक अयय- इसस दशा का बोध होता ह जस- इधर उधर िजधर दर पर अलग

दाहन बाए आरपार

(iv) िथतवाचक अयय- नीच ऊपर तल सामन बाहर भीतर इयाद

अयय क भद

अयय ननलखत चार कार क होत ह -

(1) यावशषण (Adverb)

(2) सबधबोधक (Preposition)

(3) समचयबोधक (Conjunction)

(4) वमयादबोधक (Interjection)

(1) यावशषण - िजन शद स या वशषण या दसर यावशषण क वशषता कट

हो उह यावशषण कहत ह

दसर शदो म- जो शद या क वशषता बतलात ह उह या वशषण कहा जाता ह

जस- राम धीर-धीर टहलता ह राम वहा टहलता ह राम अभी टहलता ह

इन वाय म धीर-धीर वहा और अभी राम क टहलन (या) क वशषता बतलात ह य

यावशषण अवकार वशषण भी कहलात ह इसक अतरत यावशषण दसर

यावशषण क भी वशषता बताता ह

वह बहत धीर चलता ह इस वाय म बहत यावशषण ह यक यह दसर यावशषण

धीर क वशषता बतलाता ह

या वशषण क कार

(1) योग क अनसार- (i) साधारण (ii) सयोजक (iii) अनबध

(2) प क अनसार- (i) मल यावशषण (ii) यौगक यावशषण (iii) थानीय यावशषण

(3) अथ क अनसार- (i) परमाणवाचक (ii) रतवाचक

(1) योग क अनसार यावशषण क भद

योग क अनसार यावशषण क तीन भद ह-

(i) साधारण यावशषण- िजन यावशषण का योग कसी वाय म वत होता ह

उह साधारण यावशषण कहा जाता ह

जस- हाय अब म या क बटा जद आओ अर साप कहा गया

(ii) सयोजक यावशषण- िजन यावशषण का सबध कसी उपवाय स रहता ह उह

सयोजक यावशषण कहा जाता ह

जस- जब रोहताव ह नह तो म ह जीकर या कगी जहा अभी सम ह वहा कसी

समय जगल था

(iii) अनबध यावशषण- िजन यावशषण क योग अवधारण (नचय) क लए कसी

भी शदभद क साथ होता हो उह अनबध यावशषण कहा जाता ह

जस- यह तो कसी न धोखा ह दया ह मन उस दखा तक नह

(2) प क अनसार यावशषण क भद

प क अनसार यावशषण क तीन भद ह-

(i) मल यावशषण- ऐस यावशषण जो कसी दसर शद क मल स नह बनत मल

यावशषण कहलात ह

जस- ठक दर अचानक फर नह

(ii) यौगक यावशषण- ऐस यावशषण जो कसी दसर शद म यय या पद जोड़न

पर बनत ह यौगक यावशषण कहलात ह

जस- मन स िजसस चपक स भल स दखत हए यहा तक झट स वहा पर यौगक

यावशषण सा सवनाम वशषण धात और अयय क मल स बनत ह

यौगक यावशषण नीच लख शद क मल स बनत ह-

(i) साओ क वित स- घर-घर घड़ी-घड़ी बीच-बीच हाथ-हाथ

(ii) दो भ साओ क मल स- दन-रात साझ-सबर घर-बाहर दश-वदश

(iii) वशषण क वित स- एक-एक ठक-ठक साफ-साफ

(iv) यावशषण क वित स- धीर-धीर जहा-तहा कब-कब कहा-कहा

(v) दो यावशषण क मल स- जहा-तहा जहा-कह जब-तब जब-कभी कल-परस आस-पास

(vi) दो भ या समान यावशषण क बीच न लगान स- कभी-न-कभी कछ-न-कछ

(vii) अनकरण वाचक शद क वित स- पटपट तड़तड़ सटासट धड़ाधड़

(viii) सा और वशषण क योग स- एक साथ एक बार दो बार

(ix) अय य और दसर शद क मल स- तदन यथाम अनजान आजम

(x) पवकालक कदत और वशषण क मल स- वशषकर बहतकर मयकर एक-एककर

(iii) थानीय यावशषण- ऐस यावशषण जो बना पातर क कसी वशष थान म

आत ह थानीय यावशषण कहलात ह

जस- वह अपना सर पढ़गा

वह दौड़कर चलत ह

--------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------

  • (1) अरथ की दषटि स शबद-भद13
  • (2) परयोग की दषटि स शबद-भद13
  • (3) उतपति की दषटि स शबद-भद13
  • 1) सवर सधि-13
  • परति+छवि=परतिचछवि दिक+अनत=दिगनत दिक+गज=दिगगज अन+छद=अनचछद अच +अनत = अजनत 13
  • 3)विसरग सधि - विसरग क साथ सवर या वयजन का मल होन पर जो विकार होता ह उस 13
  • विसरग सधि कहत ह 13
  • मन+रथ=मनोरथ यश+अभिलाषा=यशोभिलाषा अध+गति=अधोगति नि+छल=निशछल द +गम = दरगम 13
    • -पाठ सार-13
    • -वयाखया13
    • -निमनलिखित परशनो क उततर दीजिय ndash13
    • 1-कवि न कसी मतय को समतय कहा ह13
    • अवयय क भद13
    • करिया विशषण क परकार13
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-याया

1-वचार लो क मय हो न मय स डरो कभी

मरो परत य मरो क याद जो कर सभी

हई न य समय तो वथा मर वथा िजए

मारा नह वह क जो िजया न आपक लए

वह पश- वत ह क आप आप ह चर

वह मनय ह क जो मनय क लए मर

सग - तत कवता हमार पाय पतक पश भाग -2 स ल गई ह इसक

कव मथलशरण गत ह इन पितओ म कव बताना चाहता ह क मनय को

कसा जीवन जीना चाहए

याया - कव कहता ह क हम यह जान लना चाहए क मय का होना निचत

ह हम मय स नह डरना चाहए कव कहता ह क हम कछ ऐसा करना चाहए क

लोग हम मरन क बाद भी याद रख जो मनय दसर क लए कछ भी ना कर सक

उनका जीना और मरना दोन बकार ह मर कर भी वह मनय कभी नह मरता जो

अपन लए नह दसर क लए जीता ह यक अपन लए तो जानवर भी जीत ह

कव क अनसार मनय वह ह जो दसर मनय क लए मर अथात जो मनय दसर

क चता कर वह असल मनय कहलाता ह

2-उसी उदार क कथा सरवती बखानती

उसी उदार स धरा कताथ भाव मानती

उसी उदार क सदा सजीव कत कजती

तथा उसी उदार को समत सिट पजती

अखड आम भाव जो असीम वव म भर

वह मनय ह क जो मनय क लए मर

सग - तत कवता हमार पाय पतक पश भाग -2 स ल गई ह इसक

कव मथलशरण गत ह इन पितओ म कव बताना चाहता ह क जो मनय

दसर क लए जीत ह उनका गणगान यग - यग तक कया जाता ह

याया - कव कहता ह क जो मनय अपन पर जीवन म दसर क चता करता

ह उस महान यित क कथा का गण गान सरवती अथात पतक म कया जाता

ह पर धरती उस महान यित क आभार रहती ह उस यित क बातचीत

हमशा जीवत यित क तरह क जाती ह और पर सिट उसक पजा करती ह

कव कहता ह क जो यित पर ससार को अखड भाव और भाईचार क भावना म

बाधता ह वह यित सह मायन म मनय कहलान योय होता ह

3-धात रतदव न दया करथ थाल भी

तथा दधीच न दया पराथ अिथजाल भी

उशीनर तीश न वमास दान भी कया

सहष वीर कण न शरर-चम भी दया

अनय दह क लए अनाद जीव या डर

वह मनय ह क जो मनय क लए मर

सग - तत कवता हमार पाय पतक पश भाग -2 स ल गई ह इसक

कव मथलशरण गत ह इन पितओ म कव न महान पष क उदाहरण दए ह

िजनक महानता क कारण उह याद कया जाता ह

याया - कव कहता ह क पौराणक कथाए ऐस यितओ क उदाहरण स भर

पड़ी ह िजहन अपना परा जीवन दसर क लए याग दया िजस कारण उह आज

तक याद कया जाता ह भख स परशान रतदव न अपन हाथ क आखर थाल भी

दान कर द थी और महष दधीच न तो अपन पर शरर क हडया व बनान क

लए दान कर द थी उशीनर दश क राजा शब न कबतर क जान बचान क लए

अपना परा मास दान कर दया था वीर कण न अपनी ख़शी स अपन शरर का

कवच दान कर दया था कव कहना चाहता ह क मनय इस नवर शरर क लए

य डरता ह यक मनय वह कहलाता ह जो दसर क लए अपन आप को याग

दता ह

4-सहानभत चाहए महावभत ह यह

वशीकता सदव ह बनी हई वय मह

वधभाव बध का दया-वाह म बहा

वनीत लोकवग या न सामन झका रहा

अहा वह उदार ह परोपकार जो कर

वह मनय ह क जो मनय क लए मर

सग - तत कवता हमार पाय पतक पश भाग -2 स ल गई ह इसक

कव मथलशरण गत ह इन पितओ म कव न महामा बध का उदाहरण दत

हए दया कणा को सबस बड़ा धन बताया ह

याया - कव कहता ह क मनय क मन म दया व कणा का भाव होना चाहए

यह सबस बड़ा धन ह वय ईवर भी ऐस लोग क साथ रहत ह इसका सबस

बड़ा उदाहरण महामा बध ह िजनस लोग का दःख नह दखा गया तो व लोक

कयाण क लए दनया क नयम क वध चल गए इसक लए या परा ससार

उनक सामन नह झकता अथात उनक दया भाव व परोपकार क कारण आज भी

उनको याद कया जाता ह और उनक पजा क जाती ह महान उस को कहा जाता ह

जो परोपकार करता ह वह मनय मनय कहलाता ह जो मनय क लए जीता ह

और मरता ह

5-रहो न भल क कभी मदाघ तछ व म

सनाथ जान आपको करो न गव च म

अनाथ कौन ह यहा लोकनाथ साथ ह

दयाल दन बध क बड़ वशाल हाथ ह

अतीव भायहन ह अधीर भाव जो कर

वह मनय ह क जो मनय क लए मर

सग - तत कवता हमार पाय पतक पश भाग -2 स ल गई ह इसक

कव मथलशरण गत ह इन पितओ म कव कहता ह क सपत पर कभी

घमड नह करना चाहए और कसी को अनाथ नह समझना चाहए यक ईवर

सबक साथ ह

याया - कव कहता ह क भल कर भी कभी सप या यश पर घमड नह करना

चाहए इस बात पर कभी गव नह करना चाहए क हमार साथ हमार अपन का

साथ ह यक कव कहता ह क यहा कौन सा यित अनाथ ह उस ईवर का

साथ सब क साथ ह वह बहत दयावान ह उसका हाथ सबक ऊपर रहता ह कव

कहता ह क वह यित भायहन ह जो इस कार का उतावलापन रखता ह यक

मनय वह यित कहलाता ह जो इन सब चीज स ऊपर उठ कर सोचता ह

6-अनत अतर म अनत दव ह खड़

सम ह वबाह जो बढ़ा रह बड़-बड़

परपरावलब स उठो तथा बढ़ो सभी

अभी अमय-अक म अपक हो चढ़ो सभी

रहो न या क एक स न काम और का सर

वह मनय ह क जो मनय क लए मर

सग - तत कवता हमार पाय पतक पश भाग -2 स ल गई ह इसक

कव मथलशरण गत ह इन पितओ म कव कहता ह क कलक रहत रहन व

दसर का सहारा बनन वाल मवषय का दवता भी वागत करत ह

याया - कव कहता ह क उस कभी न समात होन वाल आकाश म असय

दवता खड़ ह जो परोपकार व दयाल मनय का सामन स खड़ होकर अपनी भजाओ

को फलाकर वागत करत ह इसलए दसर का सहारा बनो और सभी को साथ म

लकर आग बड़ो कव कहता ह क सभी कलक रहत हो कर दवताओ क गोद म

बठो अथात यद कोई बरा काम नह करोग तो दवता तह अपनी गोद म ल लग

अपन मतलब क लए नह जीना चाहए अपना और दसर का कयाण व उधार

करना चाहए यक इस मरणशील ससार म मनय वह ह जो मनय का कयाण

कर व परोपकार कर

7-मनय माा बध ह यह बड़ा ववक ह

पराणपष वयभ पता सध एक ह

फलानसार कम क अवय बाय भद ह

परत अतरय म माणभत वद ह

अनथ ह क बध ह न बध क यथा हर

वह मनय ह क जो मनय क लए मर

सग - तत कवता हमार पाय पतक पश भाग -2 स ल गई ह इसक

कव मथलशरण गत ह इन पितओ म कव कहता ह क हम सब एक ईवर क

सतान ह अतः हम सभी मनय एक - दसर क भाई - बध ह

याया - कव कहता ह क यक मनय एक दसर क भाई - बध ह यह सबस

बड़ी समझ ह पराण म िजस वय उपन पष मना गया ह वह परमामा या

ईवर हम सभी का पता ह अथात सभी मनय उस एक ईवर क सतान ह

बाहर कारण क फल अनसार यक मनय क कम भल ह अलग अलग ह परत

हमार वद इस बात क साी ह क सभी क आमा एक ह कव कहता ह क यद

भाई ह भाई क दःख व कट का नाश नह करगा तो उसका जीना यथ ह यक

मनय वह कहलाता ह जो बर समय म दसर मनय क काम आता ह

8-चलो अभीट माग म सहष खलत हए

वपवन जो पड़ उह ढकलत हए

घट न हलमल हा बढ़ न भनता कभी

अतक एक पथ क सतक पथ ह सभी

तभी समथ भाव ह क तारता हआ तर

वह मनय ह क जो मनय क लए मर

सग - तत कवता हमार पाय पतक पश भाग -2 स ल गई ह इसक

कव मथलशरण गत ह इन पितओ म कव कहता ह क यद हम ख़शी ससार

कट को हटत हए भदभाव रहत रहग तभी सभव ह क समाज क उनत होगी

याया - कव कहता ह क मनय को अपनी इछा स चन हए माग म ख़शी

ख़शी चलना चाहएरात म कोई भी सकट या बाधाए आय उह हटात चल जाना

चाहए मनय को यह यान रखना चाहए क आपसी समझ न बगड़ और भद

भाव न बड़ बना कसी तक वतक क सभी को एक साथ ल कर आग बढ़ना चाहए

तभी यह सभव होगा क मनय दसर क उनत और कयाण क साथ अपनी

समध भी कायम कर

-ननलखत न क उर दिजय ndash

1-कव न कसी मय को समय कहा ह

1-कव न ऐसी मय को समय कहा ह िजसम मनय अपन स पहल दसर क चता

करता ह और परोपकार क राह को चनता ह िजसस उस मरन क बाद भी याद कया

जाता ह

2-उदार यित क पहचान कस हो सकती ह

2- उदार यित परोपकार होता ह वह अपन स पहल दसर क चता करता ह और

लोक कयाण क लए अपना जीवन याग दता ह

3-कव न दधीच कण आद महान यितओ क उदाहरण द कर मनयता क लए

या उदाहरण दया ह

3- कव न दधीच कण आद महान यितओ क उदाहरण द कर मनयता क

लए यह सदश दया ह क परोपकार करन वाला ह असल मनय कहलान योय

होता ह मानवता क रा क लए दधीच न अपन शरर क सार अिथया दान कर

द थीकण न अपनी जान क परवाह कय बना अपना कवच द दया था िजस

कारण उह आज तक याद कया जाता ह कव इन उदाहरण क वारा यह

समझाना चाहता ह क परोपकार ह सची मनयता ह

4- कव न कन पितय म यह यत कया ह क हम गव - रहत जीवन यतीत

करना चाहए

4- कव न ननलखत पितय म गव रहत जीवन यतीत करन क बात कह ह-

रहो न भल क कभी मगाघ तछ व म

सनाथ जान आपको करो न गव च म

अथात सपत क घमड म कभी नह रहना चाहए और न ह इस बात पर गव

करना चाहए क आपक पास आपक अपन का साथ ह यक इस दनया म कोई

भी अनाथ नह ह सब उस परम पता परमवर क सतान ह

5- मनय मा बध ह स आप या समझत ह पट किजए

5- मनय मा बध ह अथात हम सब मनय एक ईवर क सतान ह अतः हम

सब भाई - बध ह भाई -बध होन क नात हम भाईचार क साथ रहना चाहए और

एक दसर का बर समय म साथ दना चाहए

6- कव न सबको एक होकर चलन क रणा य द ह

6- कव न सबको एक होकर चलन क रणा इसलए द ह ताक आपसी समझ न

बगड़ और न ह भदभाव बड़ सब एक साथ एक होकर चलग तो सार बाधाए मट

जाएगी और सबका कयाण और समध होगी

7- यित को कस तरह का जीवन यतीत करना चाहए इस कवता क आधार पर

लखए

7-मनय को परोपकार का जीवन जीना चाहए अपन स पहल दसर क दख क

चता करनी चाहए कवल अपन बार म तो जानवर भी सोचत ह कव क अनसार

मनय वह कहलाता ह जो अपन स पहल दसर क चता कर

8- मनयता कवता क वारा कव या सदश दना चाहता ह

8- मनयता कवता क मायम स कव यह सदश दना चाहता ह क परोपकार ह

सची मनयता ह परोपकार ह एक ऐसा साधन ह िजसक मायम स हम यग तक

लोगो क दल म अपनी जगह बना सकत ह और परोपकार क वारा ह समाज का

कयाण व समध सभव ह अतः हम परोपकार बनना चाहए ताक हम सह

मायन म मनय कहलाय

--------------------------------------------------------------------------------------------------------

-याकरण-

पदबध- परभाषा

पद- वाय स अलग रहन पर शद और वाय म यत हो जान पर शद

पद कहलात ह दसर शद म- वाय म यत शद पद कहलाता ह पदबध-

जब दो या अधक (शद) पद नयत म और निचत अथ म कसी पद का

काय करत ह तो उह पदबध कहत ह

पदबध क भद

मय पद क आधार पर पदबध क पाच कार होत ह-

(1) सा-पदबध (2) वशषण-पदबध

(3) सवनाम पदबध (4) या पदबध

(5) अयय पदबध

(1) सा-पदबध-

(a)चार ताकतवर मजदर इस भार चीज को उठा पाए

(b) राम न लका क राजा रावण को मार गराया

(c) अयोया क राजा दशरथ क चार प थ

(d) आसमान म उड़ता गबारा फट गया

2) वशषण पदबध-

a) तज चलन वाल गाड़या ायः दर स पहचती ह

(b) उस घर क कोन म बठा हआ आदमी जासस ह

(c) उसका घोड़ा अयत सदर फरतीला और आाकार ह

(d) बरगद और पीपल क घनी छाव स हम बहत सख मला

3) सवनाम पदबध-

(a)बजल-सी फरती दखाकर आपन बालक को डबन स बचा लया

(b)शरारत करन वाल छा म स कछ पकड़ गए

(c)वरोध करन वाल लोग म स कोई नह बोला

4) या पदबध-

(a) वह बाजार क ओर आया होगा

(b) मझ मोहन छत स दखाई द रहा ह

(c) सरश नद म डब गया

(d) अब दरवाजा खोला जा सकता ह

5) अयय पदबध-

(a)अपन सामान क साथ वह चला गया

(b)सबह स शाम तक वह बठा रहा

कसी भी भाषा क व शद अयय (Indeclinable या inflexible) कहलात ह िजनक प म

लग वचन पष कारक काल इयाद क कारण कोई वकार उप नह होता

चक अयय का पातर नह होता इसलए ऐस शद अवकार होत ह अयय का शािदक

अथ ह- जो यय न हो

(i) कालवाचक अयय- इनम समय का बोध होता ह जस- आज कल तरत पीछ पहल अब

जब तब कभी-कभी कब अब स नय जब स सदा स अभी तभी आजकल और कभी

उदाहरणाथ-

अब स ऐसी बात नह होगी

ऐसी बात सदा स होती रह ह

वह कब आया मझ पता नह

(ii) थानवाचक अयय- इसस थान का बोध होता ह जस- यहा वहा कहा जहा यहा स

वहा स इधर-उधर उदाहरणाथ-

वह यहा नह ह

वह कहा जायगा

वहा कोई नह ह

जहा तम हो वहा म ह

(iii) दशावाचक अयय- इसस दशा का बोध होता ह जस- इधर उधर िजधर दर पर अलग

दाहन बाए आरपार

(iv) िथतवाचक अयय- नीच ऊपर तल सामन बाहर भीतर इयाद

अयय क भद

अयय ननलखत चार कार क होत ह -

(1) यावशषण (Adverb)

(2) सबधबोधक (Preposition)

(3) समचयबोधक (Conjunction)

(4) वमयादबोधक (Interjection)

(1) यावशषण - िजन शद स या वशषण या दसर यावशषण क वशषता कट

हो उह यावशषण कहत ह

दसर शदो म- जो शद या क वशषता बतलात ह उह या वशषण कहा जाता ह

जस- राम धीर-धीर टहलता ह राम वहा टहलता ह राम अभी टहलता ह

इन वाय म धीर-धीर वहा और अभी राम क टहलन (या) क वशषता बतलात ह य

यावशषण अवकार वशषण भी कहलात ह इसक अतरत यावशषण दसर

यावशषण क भी वशषता बताता ह

वह बहत धीर चलता ह इस वाय म बहत यावशषण ह यक यह दसर यावशषण

धीर क वशषता बतलाता ह

या वशषण क कार

(1) योग क अनसार- (i) साधारण (ii) सयोजक (iii) अनबध

(2) प क अनसार- (i) मल यावशषण (ii) यौगक यावशषण (iii) थानीय यावशषण

(3) अथ क अनसार- (i) परमाणवाचक (ii) रतवाचक

(1) योग क अनसार यावशषण क भद

योग क अनसार यावशषण क तीन भद ह-

(i) साधारण यावशषण- िजन यावशषण का योग कसी वाय म वत होता ह

उह साधारण यावशषण कहा जाता ह

जस- हाय अब म या क बटा जद आओ अर साप कहा गया

(ii) सयोजक यावशषण- िजन यावशषण का सबध कसी उपवाय स रहता ह उह

सयोजक यावशषण कहा जाता ह

जस- जब रोहताव ह नह तो म ह जीकर या कगी जहा अभी सम ह वहा कसी

समय जगल था

(iii) अनबध यावशषण- िजन यावशषण क योग अवधारण (नचय) क लए कसी

भी शदभद क साथ होता हो उह अनबध यावशषण कहा जाता ह

जस- यह तो कसी न धोखा ह दया ह मन उस दखा तक नह

(2) प क अनसार यावशषण क भद

प क अनसार यावशषण क तीन भद ह-

(i) मल यावशषण- ऐस यावशषण जो कसी दसर शद क मल स नह बनत मल

यावशषण कहलात ह

जस- ठक दर अचानक फर नह

(ii) यौगक यावशषण- ऐस यावशषण जो कसी दसर शद म यय या पद जोड़न

पर बनत ह यौगक यावशषण कहलात ह

जस- मन स िजसस चपक स भल स दखत हए यहा तक झट स वहा पर यौगक

यावशषण सा सवनाम वशषण धात और अयय क मल स बनत ह

यौगक यावशषण नीच लख शद क मल स बनत ह-

(i) साओ क वित स- घर-घर घड़ी-घड़ी बीच-बीच हाथ-हाथ

(ii) दो भ साओ क मल स- दन-रात साझ-सबर घर-बाहर दश-वदश

(iii) वशषण क वित स- एक-एक ठक-ठक साफ-साफ

(iv) यावशषण क वित स- धीर-धीर जहा-तहा कब-कब कहा-कहा

(v) दो यावशषण क मल स- जहा-तहा जहा-कह जब-तब जब-कभी कल-परस आस-पास

(vi) दो भ या समान यावशषण क बीच न लगान स- कभी-न-कभी कछ-न-कछ

(vii) अनकरण वाचक शद क वित स- पटपट तड़तड़ सटासट धड़ाधड़

(viii) सा और वशषण क योग स- एक साथ एक बार दो बार

(ix) अय य और दसर शद क मल स- तदन यथाम अनजान आजम

(x) पवकालक कदत और वशषण क मल स- वशषकर बहतकर मयकर एक-एककर

(iii) थानीय यावशषण- ऐस यावशषण जो बना पातर क कसी वशष थान म

आत ह थानीय यावशषण कहलात ह

जस- वह अपना सर पढ़गा

वह दौड़कर चलत ह

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  • (1) अरथ की दषटि स शबद-भद13
  • (2) परयोग की दषटि स शबद-भद13
  • (3) उतपति की दषटि स शबद-भद13
  • 1) सवर सधि-13
  • परति+छवि=परतिचछवि दिक+अनत=दिगनत दिक+गज=दिगगज अन+छद=अनचछद अच +अनत = अजनत 13
  • 3)विसरग सधि - विसरग क साथ सवर या वयजन का मल होन पर जो विकार होता ह उस 13
  • विसरग सधि कहत ह 13
  • मन+रथ=मनोरथ यश+अभिलाषा=यशोभिलाषा अध+गति=अधोगति नि+छल=निशछल द +गम = दरगम 13
    • -पाठ सार-13
    • -वयाखया13
    • -निमनलिखित परशनो क उततर दीजिय ndash13
    • 1-कवि न कसी मतय को समतय कहा ह13
    • अवयय क भद13
    • करिया विशषण क परकार13
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ह पर धरती उस महान यित क आभार रहती ह उस यित क बातचीत

हमशा जीवत यित क तरह क जाती ह और पर सिट उसक पजा करती ह

कव कहता ह क जो यित पर ससार को अखड भाव और भाईचार क भावना म

बाधता ह वह यित सह मायन म मनय कहलान योय होता ह

3-धात रतदव न दया करथ थाल भी

तथा दधीच न दया पराथ अिथजाल भी

उशीनर तीश न वमास दान भी कया

सहष वीर कण न शरर-चम भी दया

अनय दह क लए अनाद जीव या डर

वह मनय ह क जो मनय क लए मर

सग - तत कवता हमार पाय पतक पश भाग -2 स ल गई ह इसक

कव मथलशरण गत ह इन पितओ म कव न महान पष क उदाहरण दए ह

िजनक महानता क कारण उह याद कया जाता ह

याया - कव कहता ह क पौराणक कथाए ऐस यितओ क उदाहरण स भर

पड़ी ह िजहन अपना परा जीवन दसर क लए याग दया िजस कारण उह आज

तक याद कया जाता ह भख स परशान रतदव न अपन हाथ क आखर थाल भी

दान कर द थी और महष दधीच न तो अपन पर शरर क हडया व बनान क

लए दान कर द थी उशीनर दश क राजा शब न कबतर क जान बचान क लए

अपना परा मास दान कर दया था वीर कण न अपनी ख़शी स अपन शरर का

कवच दान कर दया था कव कहना चाहता ह क मनय इस नवर शरर क लए

य डरता ह यक मनय वह कहलाता ह जो दसर क लए अपन आप को याग

दता ह

4-सहानभत चाहए महावभत ह यह

वशीकता सदव ह बनी हई वय मह

वधभाव बध का दया-वाह म बहा

वनीत लोकवग या न सामन झका रहा

अहा वह उदार ह परोपकार जो कर

वह मनय ह क जो मनय क लए मर

सग - तत कवता हमार पाय पतक पश भाग -2 स ल गई ह इसक

कव मथलशरण गत ह इन पितओ म कव न महामा बध का उदाहरण दत

हए दया कणा को सबस बड़ा धन बताया ह

याया - कव कहता ह क मनय क मन म दया व कणा का भाव होना चाहए

यह सबस बड़ा धन ह वय ईवर भी ऐस लोग क साथ रहत ह इसका सबस

बड़ा उदाहरण महामा बध ह िजनस लोग का दःख नह दखा गया तो व लोक

कयाण क लए दनया क नयम क वध चल गए इसक लए या परा ससार

उनक सामन नह झकता अथात उनक दया भाव व परोपकार क कारण आज भी

उनको याद कया जाता ह और उनक पजा क जाती ह महान उस को कहा जाता ह

जो परोपकार करता ह वह मनय मनय कहलाता ह जो मनय क लए जीता ह

और मरता ह

5-रहो न भल क कभी मदाघ तछ व म

सनाथ जान आपको करो न गव च म

अनाथ कौन ह यहा लोकनाथ साथ ह

दयाल दन बध क बड़ वशाल हाथ ह

अतीव भायहन ह अधीर भाव जो कर

वह मनय ह क जो मनय क लए मर

सग - तत कवता हमार पाय पतक पश भाग -2 स ल गई ह इसक

कव मथलशरण गत ह इन पितओ म कव कहता ह क सपत पर कभी

घमड नह करना चाहए और कसी को अनाथ नह समझना चाहए यक ईवर

सबक साथ ह

याया - कव कहता ह क भल कर भी कभी सप या यश पर घमड नह करना

चाहए इस बात पर कभी गव नह करना चाहए क हमार साथ हमार अपन का

साथ ह यक कव कहता ह क यहा कौन सा यित अनाथ ह उस ईवर का

साथ सब क साथ ह वह बहत दयावान ह उसका हाथ सबक ऊपर रहता ह कव

कहता ह क वह यित भायहन ह जो इस कार का उतावलापन रखता ह यक

मनय वह यित कहलाता ह जो इन सब चीज स ऊपर उठ कर सोचता ह

6-अनत अतर म अनत दव ह खड़

सम ह वबाह जो बढ़ा रह बड़-बड़

परपरावलब स उठो तथा बढ़ो सभी

अभी अमय-अक म अपक हो चढ़ो सभी

रहो न या क एक स न काम और का सर

वह मनय ह क जो मनय क लए मर

सग - तत कवता हमार पाय पतक पश भाग -2 स ल गई ह इसक

कव मथलशरण गत ह इन पितओ म कव कहता ह क कलक रहत रहन व

दसर का सहारा बनन वाल मवषय का दवता भी वागत करत ह

याया - कव कहता ह क उस कभी न समात होन वाल आकाश म असय

दवता खड़ ह जो परोपकार व दयाल मनय का सामन स खड़ होकर अपनी भजाओ

को फलाकर वागत करत ह इसलए दसर का सहारा बनो और सभी को साथ म

लकर आग बड़ो कव कहता ह क सभी कलक रहत हो कर दवताओ क गोद म

बठो अथात यद कोई बरा काम नह करोग तो दवता तह अपनी गोद म ल लग

अपन मतलब क लए नह जीना चाहए अपना और दसर का कयाण व उधार

करना चाहए यक इस मरणशील ससार म मनय वह ह जो मनय का कयाण

कर व परोपकार कर

7-मनय माा बध ह यह बड़ा ववक ह

पराणपष वयभ पता सध एक ह

फलानसार कम क अवय बाय भद ह

परत अतरय म माणभत वद ह

अनथ ह क बध ह न बध क यथा हर

वह मनय ह क जो मनय क लए मर

सग - तत कवता हमार पाय पतक पश भाग -2 स ल गई ह इसक

कव मथलशरण गत ह इन पितओ म कव कहता ह क हम सब एक ईवर क

सतान ह अतः हम सभी मनय एक - दसर क भाई - बध ह

याया - कव कहता ह क यक मनय एक दसर क भाई - बध ह यह सबस

बड़ी समझ ह पराण म िजस वय उपन पष मना गया ह वह परमामा या

ईवर हम सभी का पता ह अथात सभी मनय उस एक ईवर क सतान ह

बाहर कारण क फल अनसार यक मनय क कम भल ह अलग अलग ह परत

हमार वद इस बात क साी ह क सभी क आमा एक ह कव कहता ह क यद

भाई ह भाई क दःख व कट का नाश नह करगा तो उसका जीना यथ ह यक

मनय वह कहलाता ह जो बर समय म दसर मनय क काम आता ह

8-चलो अभीट माग म सहष खलत हए

वपवन जो पड़ उह ढकलत हए

घट न हलमल हा बढ़ न भनता कभी

अतक एक पथ क सतक पथ ह सभी

तभी समथ भाव ह क तारता हआ तर

वह मनय ह क जो मनय क लए मर

सग - तत कवता हमार पाय पतक पश भाग -2 स ल गई ह इसक

कव मथलशरण गत ह इन पितओ म कव कहता ह क यद हम ख़शी ससार

कट को हटत हए भदभाव रहत रहग तभी सभव ह क समाज क उनत होगी

याया - कव कहता ह क मनय को अपनी इछा स चन हए माग म ख़शी

ख़शी चलना चाहएरात म कोई भी सकट या बाधाए आय उह हटात चल जाना

चाहए मनय को यह यान रखना चाहए क आपसी समझ न बगड़ और भद

भाव न बड़ बना कसी तक वतक क सभी को एक साथ ल कर आग बढ़ना चाहए

तभी यह सभव होगा क मनय दसर क उनत और कयाण क साथ अपनी

समध भी कायम कर

-ननलखत न क उर दिजय ndash

1-कव न कसी मय को समय कहा ह

1-कव न ऐसी मय को समय कहा ह िजसम मनय अपन स पहल दसर क चता

करता ह और परोपकार क राह को चनता ह िजसस उस मरन क बाद भी याद कया

जाता ह

2-उदार यित क पहचान कस हो सकती ह

2- उदार यित परोपकार होता ह वह अपन स पहल दसर क चता करता ह और

लोक कयाण क लए अपना जीवन याग दता ह

3-कव न दधीच कण आद महान यितओ क उदाहरण द कर मनयता क लए

या उदाहरण दया ह

3- कव न दधीच कण आद महान यितओ क उदाहरण द कर मनयता क

लए यह सदश दया ह क परोपकार करन वाला ह असल मनय कहलान योय

होता ह मानवता क रा क लए दधीच न अपन शरर क सार अिथया दान कर

द थीकण न अपनी जान क परवाह कय बना अपना कवच द दया था िजस

कारण उह आज तक याद कया जाता ह कव इन उदाहरण क वारा यह

समझाना चाहता ह क परोपकार ह सची मनयता ह

4- कव न कन पितय म यह यत कया ह क हम गव - रहत जीवन यतीत

करना चाहए

4- कव न ननलखत पितय म गव रहत जीवन यतीत करन क बात कह ह-

रहो न भल क कभी मगाघ तछ व म

सनाथ जान आपको करो न गव च म

अथात सपत क घमड म कभी नह रहना चाहए और न ह इस बात पर गव

करना चाहए क आपक पास आपक अपन का साथ ह यक इस दनया म कोई

भी अनाथ नह ह सब उस परम पता परमवर क सतान ह

5- मनय मा बध ह स आप या समझत ह पट किजए

5- मनय मा बध ह अथात हम सब मनय एक ईवर क सतान ह अतः हम

सब भाई - बध ह भाई -बध होन क नात हम भाईचार क साथ रहना चाहए और

एक दसर का बर समय म साथ दना चाहए

6- कव न सबको एक होकर चलन क रणा य द ह

6- कव न सबको एक होकर चलन क रणा इसलए द ह ताक आपसी समझ न

बगड़ और न ह भदभाव बड़ सब एक साथ एक होकर चलग तो सार बाधाए मट

जाएगी और सबका कयाण और समध होगी

7- यित को कस तरह का जीवन यतीत करना चाहए इस कवता क आधार पर

लखए

7-मनय को परोपकार का जीवन जीना चाहए अपन स पहल दसर क दख क

चता करनी चाहए कवल अपन बार म तो जानवर भी सोचत ह कव क अनसार

मनय वह कहलाता ह जो अपन स पहल दसर क चता कर

8- मनयता कवता क वारा कव या सदश दना चाहता ह

8- मनयता कवता क मायम स कव यह सदश दना चाहता ह क परोपकार ह

सची मनयता ह परोपकार ह एक ऐसा साधन ह िजसक मायम स हम यग तक

लोगो क दल म अपनी जगह बना सकत ह और परोपकार क वारा ह समाज का

कयाण व समध सभव ह अतः हम परोपकार बनना चाहए ताक हम सह

मायन म मनय कहलाय

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-याकरण-

पदबध- परभाषा

पद- वाय स अलग रहन पर शद और वाय म यत हो जान पर शद

पद कहलात ह दसर शद म- वाय म यत शद पद कहलाता ह पदबध-

जब दो या अधक (शद) पद नयत म और निचत अथ म कसी पद का

काय करत ह तो उह पदबध कहत ह

पदबध क भद

मय पद क आधार पर पदबध क पाच कार होत ह-

(1) सा-पदबध (2) वशषण-पदबध

(3) सवनाम पदबध (4) या पदबध

(5) अयय पदबध

(1) सा-पदबध-

(a)चार ताकतवर मजदर इस भार चीज को उठा पाए

(b) राम न लका क राजा रावण को मार गराया

(c) अयोया क राजा दशरथ क चार प थ

(d) आसमान म उड़ता गबारा फट गया

2) वशषण पदबध-

a) तज चलन वाल गाड़या ायः दर स पहचती ह

(b) उस घर क कोन म बठा हआ आदमी जासस ह

(c) उसका घोड़ा अयत सदर फरतीला और आाकार ह

(d) बरगद और पीपल क घनी छाव स हम बहत सख मला

3) सवनाम पदबध-

(a)बजल-सी फरती दखाकर आपन बालक को डबन स बचा लया

(b)शरारत करन वाल छा म स कछ पकड़ गए

(c)वरोध करन वाल लोग म स कोई नह बोला

4) या पदबध-

(a) वह बाजार क ओर आया होगा

(b) मझ मोहन छत स दखाई द रहा ह

(c) सरश नद म डब गया

(d) अब दरवाजा खोला जा सकता ह

5) अयय पदबध-

(a)अपन सामान क साथ वह चला गया

(b)सबह स शाम तक वह बठा रहा

कसी भी भाषा क व शद अयय (Indeclinable या inflexible) कहलात ह िजनक प म

लग वचन पष कारक काल इयाद क कारण कोई वकार उप नह होता

चक अयय का पातर नह होता इसलए ऐस शद अवकार होत ह अयय का शािदक

अथ ह- जो यय न हो

(i) कालवाचक अयय- इनम समय का बोध होता ह जस- आज कल तरत पीछ पहल अब

जब तब कभी-कभी कब अब स नय जब स सदा स अभी तभी आजकल और कभी

उदाहरणाथ-

अब स ऐसी बात नह होगी

ऐसी बात सदा स होती रह ह

वह कब आया मझ पता नह

(ii) थानवाचक अयय- इसस थान का बोध होता ह जस- यहा वहा कहा जहा यहा स

वहा स इधर-उधर उदाहरणाथ-

वह यहा नह ह

वह कहा जायगा

वहा कोई नह ह

जहा तम हो वहा म ह

(iii) दशावाचक अयय- इसस दशा का बोध होता ह जस- इधर उधर िजधर दर पर अलग

दाहन बाए आरपार

(iv) िथतवाचक अयय- नीच ऊपर तल सामन बाहर भीतर इयाद

अयय क भद

अयय ननलखत चार कार क होत ह -

(1) यावशषण (Adverb)

(2) सबधबोधक (Preposition)

(3) समचयबोधक (Conjunction)

(4) वमयादबोधक (Interjection)

(1) यावशषण - िजन शद स या वशषण या दसर यावशषण क वशषता कट

हो उह यावशषण कहत ह

दसर शदो म- जो शद या क वशषता बतलात ह उह या वशषण कहा जाता ह

जस- राम धीर-धीर टहलता ह राम वहा टहलता ह राम अभी टहलता ह

इन वाय म धीर-धीर वहा और अभी राम क टहलन (या) क वशषता बतलात ह य

यावशषण अवकार वशषण भी कहलात ह इसक अतरत यावशषण दसर

यावशषण क भी वशषता बताता ह

वह बहत धीर चलता ह इस वाय म बहत यावशषण ह यक यह दसर यावशषण

धीर क वशषता बतलाता ह

या वशषण क कार

(1) योग क अनसार- (i) साधारण (ii) सयोजक (iii) अनबध

(2) प क अनसार- (i) मल यावशषण (ii) यौगक यावशषण (iii) थानीय यावशषण

(3) अथ क अनसार- (i) परमाणवाचक (ii) रतवाचक

(1) योग क अनसार यावशषण क भद

योग क अनसार यावशषण क तीन भद ह-

(i) साधारण यावशषण- िजन यावशषण का योग कसी वाय म वत होता ह

उह साधारण यावशषण कहा जाता ह

जस- हाय अब म या क बटा जद आओ अर साप कहा गया

(ii) सयोजक यावशषण- िजन यावशषण का सबध कसी उपवाय स रहता ह उह

सयोजक यावशषण कहा जाता ह

जस- जब रोहताव ह नह तो म ह जीकर या कगी जहा अभी सम ह वहा कसी

समय जगल था

(iii) अनबध यावशषण- िजन यावशषण क योग अवधारण (नचय) क लए कसी

भी शदभद क साथ होता हो उह अनबध यावशषण कहा जाता ह

जस- यह तो कसी न धोखा ह दया ह मन उस दखा तक नह

(2) प क अनसार यावशषण क भद

प क अनसार यावशषण क तीन भद ह-

(i) मल यावशषण- ऐस यावशषण जो कसी दसर शद क मल स नह बनत मल

यावशषण कहलात ह

जस- ठक दर अचानक फर नह

(ii) यौगक यावशषण- ऐस यावशषण जो कसी दसर शद म यय या पद जोड़न

पर बनत ह यौगक यावशषण कहलात ह

जस- मन स िजसस चपक स भल स दखत हए यहा तक झट स वहा पर यौगक

यावशषण सा सवनाम वशषण धात और अयय क मल स बनत ह

यौगक यावशषण नीच लख शद क मल स बनत ह-

(i) साओ क वित स- घर-घर घड़ी-घड़ी बीच-बीच हाथ-हाथ

(ii) दो भ साओ क मल स- दन-रात साझ-सबर घर-बाहर दश-वदश

(iii) वशषण क वित स- एक-एक ठक-ठक साफ-साफ

(iv) यावशषण क वित स- धीर-धीर जहा-तहा कब-कब कहा-कहा

(v) दो यावशषण क मल स- जहा-तहा जहा-कह जब-तब जब-कभी कल-परस आस-पास

(vi) दो भ या समान यावशषण क बीच न लगान स- कभी-न-कभी कछ-न-कछ

(vii) अनकरण वाचक शद क वित स- पटपट तड़तड़ सटासट धड़ाधड़

(viii) सा और वशषण क योग स- एक साथ एक बार दो बार

(ix) अय य और दसर शद क मल स- तदन यथाम अनजान आजम

(x) पवकालक कदत और वशषण क मल स- वशषकर बहतकर मयकर एक-एककर

(iii) थानीय यावशषण- ऐस यावशषण जो बना पातर क कसी वशष थान म

आत ह थानीय यावशषण कहलात ह

जस- वह अपना सर पढ़गा

वह दौड़कर चलत ह

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  • (1) अरथ की दषटि स शबद-भद13
  • (2) परयोग की दषटि स शबद-भद13
  • (3) उतपति की दषटि स शबद-भद13
  • 1) सवर सधि-13
  • परति+छवि=परतिचछवि दिक+अनत=दिगनत दिक+गज=दिगगज अन+छद=अनचछद अच +अनत = अजनत 13
  • 3)विसरग सधि - विसरग क साथ सवर या वयजन का मल होन पर जो विकार होता ह उस 13
  • विसरग सधि कहत ह 13
  • मन+रथ=मनोरथ यश+अभिलाषा=यशोभिलाषा अध+गति=अधोगति नि+छल=निशछल द +गम = दरगम 13
    • -पाठ सार-13
    • -वयाखया13
    • -निमनलिखित परशनो क उततर दीजिय ndash13
    • 1-कवि न कसी मतय को समतय कहा ह13
    • अवयय क भद13
    • करिया विशषण क परकार13
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याया - कव कहता ह क मनय क मन म दया व कणा का भाव होना चाहए

यह सबस बड़ा धन ह वय ईवर भी ऐस लोग क साथ रहत ह इसका सबस

बड़ा उदाहरण महामा बध ह िजनस लोग का दःख नह दखा गया तो व लोक

कयाण क लए दनया क नयम क वध चल गए इसक लए या परा ससार

उनक सामन नह झकता अथात उनक दया भाव व परोपकार क कारण आज भी

उनको याद कया जाता ह और उनक पजा क जाती ह महान उस को कहा जाता ह

जो परोपकार करता ह वह मनय मनय कहलाता ह जो मनय क लए जीता ह

और मरता ह

5-रहो न भल क कभी मदाघ तछ व म

सनाथ जान आपको करो न गव च म

अनाथ कौन ह यहा लोकनाथ साथ ह

दयाल दन बध क बड़ वशाल हाथ ह

अतीव भायहन ह अधीर भाव जो कर

वह मनय ह क जो मनय क लए मर

सग - तत कवता हमार पाय पतक पश भाग -2 स ल गई ह इसक

कव मथलशरण गत ह इन पितओ म कव कहता ह क सपत पर कभी

घमड नह करना चाहए और कसी को अनाथ नह समझना चाहए यक ईवर

सबक साथ ह

याया - कव कहता ह क भल कर भी कभी सप या यश पर घमड नह करना

चाहए इस बात पर कभी गव नह करना चाहए क हमार साथ हमार अपन का

साथ ह यक कव कहता ह क यहा कौन सा यित अनाथ ह उस ईवर का

साथ सब क साथ ह वह बहत दयावान ह उसका हाथ सबक ऊपर रहता ह कव

कहता ह क वह यित भायहन ह जो इस कार का उतावलापन रखता ह यक

मनय वह यित कहलाता ह जो इन सब चीज स ऊपर उठ कर सोचता ह

6-अनत अतर म अनत दव ह खड़

सम ह वबाह जो बढ़ा रह बड़-बड़

परपरावलब स उठो तथा बढ़ो सभी

अभी अमय-अक म अपक हो चढ़ो सभी

रहो न या क एक स न काम और का सर

वह मनय ह क जो मनय क लए मर

सग - तत कवता हमार पाय पतक पश भाग -2 स ल गई ह इसक

कव मथलशरण गत ह इन पितओ म कव कहता ह क कलक रहत रहन व

दसर का सहारा बनन वाल मवषय का दवता भी वागत करत ह

याया - कव कहता ह क उस कभी न समात होन वाल आकाश म असय

दवता खड़ ह जो परोपकार व दयाल मनय का सामन स खड़ होकर अपनी भजाओ

को फलाकर वागत करत ह इसलए दसर का सहारा बनो और सभी को साथ म

लकर आग बड़ो कव कहता ह क सभी कलक रहत हो कर दवताओ क गोद म

बठो अथात यद कोई बरा काम नह करोग तो दवता तह अपनी गोद म ल लग

अपन मतलब क लए नह जीना चाहए अपना और दसर का कयाण व उधार

करना चाहए यक इस मरणशील ससार म मनय वह ह जो मनय का कयाण

कर व परोपकार कर

7-मनय माा बध ह यह बड़ा ववक ह

पराणपष वयभ पता सध एक ह

फलानसार कम क अवय बाय भद ह

परत अतरय म माणभत वद ह

अनथ ह क बध ह न बध क यथा हर

वह मनय ह क जो मनय क लए मर

सग - तत कवता हमार पाय पतक पश भाग -2 स ल गई ह इसक

कव मथलशरण गत ह इन पितओ म कव कहता ह क हम सब एक ईवर क

सतान ह अतः हम सभी मनय एक - दसर क भाई - बध ह

याया - कव कहता ह क यक मनय एक दसर क भाई - बध ह यह सबस

बड़ी समझ ह पराण म िजस वय उपन पष मना गया ह वह परमामा या

ईवर हम सभी का पता ह अथात सभी मनय उस एक ईवर क सतान ह

बाहर कारण क फल अनसार यक मनय क कम भल ह अलग अलग ह परत

हमार वद इस बात क साी ह क सभी क आमा एक ह कव कहता ह क यद

भाई ह भाई क दःख व कट का नाश नह करगा तो उसका जीना यथ ह यक

मनय वह कहलाता ह जो बर समय म दसर मनय क काम आता ह

8-चलो अभीट माग म सहष खलत हए

वपवन जो पड़ उह ढकलत हए

घट न हलमल हा बढ़ न भनता कभी

अतक एक पथ क सतक पथ ह सभी

तभी समथ भाव ह क तारता हआ तर

वह मनय ह क जो मनय क लए मर

सग - तत कवता हमार पाय पतक पश भाग -2 स ल गई ह इसक

कव मथलशरण गत ह इन पितओ म कव कहता ह क यद हम ख़शी ससार

कट को हटत हए भदभाव रहत रहग तभी सभव ह क समाज क उनत होगी

याया - कव कहता ह क मनय को अपनी इछा स चन हए माग म ख़शी

ख़शी चलना चाहएरात म कोई भी सकट या बाधाए आय उह हटात चल जाना

चाहए मनय को यह यान रखना चाहए क आपसी समझ न बगड़ और भद

भाव न बड़ बना कसी तक वतक क सभी को एक साथ ल कर आग बढ़ना चाहए

तभी यह सभव होगा क मनय दसर क उनत और कयाण क साथ अपनी

समध भी कायम कर

-ननलखत न क उर दिजय ndash

1-कव न कसी मय को समय कहा ह

1-कव न ऐसी मय को समय कहा ह िजसम मनय अपन स पहल दसर क चता

करता ह और परोपकार क राह को चनता ह िजसस उस मरन क बाद भी याद कया

जाता ह

2-उदार यित क पहचान कस हो सकती ह

2- उदार यित परोपकार होता ह वह अपन स पहल दसर क चता करता ह और

लोक कयाण क लए अपना जीवन याग दता ह

3-कव न दधीच कण आद महान यितओ क उदाहरण द कर मनयता क लए

या उदाहरण दया ह

3- कव न दधीच कण आद महान यितओ क उदाहरण द कर मनयता क

लए यह सदश दया ह क परोपकार करन वाला ह असल मनय कहलान योय

होता ह मानवता क रा क लए दधीच न अपन शरर क सार अिथया दान कर

द थीकण न अपनी जान क परवाह कय बना अपना कवच द दया था िजस

कारण उह आज तक याद कया जाता ह कव इन उदाहरण क वारा यह

समझाना चाहता ह क परोपकार ह सची मनयता ह

4- कव न कन पितय म यह यत कया ह क हम गव - रहत जीवन यतीत

करना चाहए

4- कव न ननलखत पितय म गव रहत जीवन यतीत करन क बात कह ह-

रहो न भल क कभी मगाघ तछ व म

सनाथ जान आपको करो न गव च म

अथात सपत क घमड म कभी नह रहना चाहए और न ह इस बात पर गव

करना चाहए क आपक पास आपक अपन का साथ ह यक इस दनया म कोई

भी अनाथ नह ह सब उस परम पता परमवर क सतान ह

5- मनय मा बध ह स आप या समझत ह पट किजए

5- मनय मा बध ह अथात हम सब मनय एक ईवर क सतान ह अतः हम

सब भाई - बध ह भाई -बध होन क नात हम भाईचार क साथ रहना चाहए और

एक दसर का बर समय म साथ दना चाहए

6- कव न सबको एक होकर चलन क रणा य द ह

6- कव न सबको एक होकर चलन क रणा इसलए द ह ताक आपसी समझ न

बगड़ और न ह भदभाव बड़ सब एक साथ एक होकर चलग तो सार बाधाए मट

जाएगी और सबका कयाण और समध होगी

7- यित को कस तरह का जीवन यतीत करना चाहए इस कवता क आधार पर

लखए

7-मनय को परोपकार का जीवन जीना चाहए अपन स पहल दसर क दख क

चता करनी चाहए कवल अपन बार म तो जानवर भी सोचत ह कव क अनसार

मनय वह कहलाता ह जो अपन स पहल दसर क चता कर

8- मनयता कवता क वारा कव या सदश दना चाहता ह

8- मनयता कवता क मायम स कव यह सदश दना चाहता ह क परोपकार ह

सची मनयता ह परोपकार ह एक ऐसा साधन ह िजसक मायम स हम यग तक

लोगो क दल म अपनी जगह बना सकत ह और परोपकार क वारा ह समाज का

कयाण व समध सभव ह अतः हम परोपकार बनना चाहए ताक हम सह

मायन म मनय कहलाय

--------------------------------------------------------------------------------------------------------

-याकरण-

पदबध- परभाषा

पद- वाय स अलग रहन पर शद और वाय म यत हो जान पर शद

पद कहलात ह दसर शद म- वाय म यत शद पद कहलाता ह पदबध-

जब दो या अधक (शद) पद नयत म और निचत अथ म कसी पद का

काय करत ह तो उह पदबध कहत ह

पदबध क भद

मय पद क आधार पर पदबध क पाच कार होत ह-

(1) सा-पदबध (2) वशषण-पदबध

(3) सवनाम पदबध (4) या पदबध

(5) अयय पदबध

(1) सा-पदबध-

(a)चार ताकतवर मजदर इस भार चीज को उठा पाए

(b) राम न लका क राजा रावण को मार गराया

(c) अयोया क राजा दशरथ क चार प थ

(d) आसमान म उड़ता गबारा फट गया

2) वशषण पदबध-

a) तज चलन वाल गाड़या ायः दर स पहचती ह

(b) उस घर क कोन म बठा हआ आदमी जासस ह

(c) उसका घोड़ा अयत सदर फरतीला और आाकार ह

(d) बरगद और पीपल क घनी छाव स हम बहत सख मला

3) सवनाम पदबध-

(a)बजल-सी फरती दखाकर आपन बालक को डबन स बचा लया

(b)शरारत करन वाल छा म स कछ पकड़ गए

(c)वरोध करन वाल लोग म स कोई नह बोला

4) या पदबध-

(a) वह बाजार क ओर आया होगा

(b) मझ मोहन छत स दखाई द रहा ह

(c) सरश नद म डब गया

(d) अब दरवाजा खोला जा सकता ह

5) अयय पदबध-

(a)अपन सामान क साथ वह चला गया

(b)सबह स शाम तक वह बठा रहा

कसी भी भाषा क व शद अयय (Indeclinable या inflexible) कहलात ह िजनक प म

लग वचन पष कारक काल इयाद क कारण कोई वकार उप नह होता

चक अयय का पातर नह होता इसलए ऐस शद अवकार होत ह अयय का शािदक

अथ ह- जो यय न हो

(i) कालवाचक अयय- इनम समय का बोध होता ह जस- आज कल तरत पीछ पहल अब

जब तब कभी-कभी कब अब स नय जब स सदा स अभी तभी आजकल और कभी

उदाहरणाथ-

अब स ऐसी बात नह होगी

ऐसी बात सदा स होती रह ह

वह कब आया मझ पता नह

(ii) थानवाचक अयय- इसस थान का बोध होता ह जस- यहा वहा कहा जहा यहा स

वहा स इधर-उधर उदाहरणाथ-

वह यहा नह ह

वह कहा जायगा

वहा कोई नह ह

जहा तम हो वहा म ह

(iii) दशावाचक अयय- इसस दशा का बोध होता ह जस- इधर उधर िजधर दर पर अलग

दाहन बाए आरपार

(iv) िथतवाचक अयय- नीच ऊपर तल सामन बाहर भीतर इयाद

अयय क भद

अयय ननलखत चार कार क होत ह -

(1) यावशषण (Adverb)

(2) सबधबोधक (Preposition)

(3) समचयबोधक (Conjunction)

(4) वमयादबोधक (Interjection)

(1) यावशषण - िजन शद स या वशषण या दसर यावशषण क वशषता कट

हो उह यावशषण कहत ह

दसर शदो म- जो शद या क वशषता बतलात ह उह या वशषण कहा जाता ह

जस- राम धीर-धीर टहलता ह राम वहा टहलता ह राम अभी टहलता ह

इन वाय म धीर-धीर वहा और अभी राम क टहलन (या) क वशषता बतलात ह य

यावशषण अवकार वशषण भी कहलात ह इसक अतरत यावशषण दसर

यावशषण क भी वशषता बताता ह

वह बहत धीर चलता ह इस वाय म बहत यावशषण ह यक यह दसर यावशषण

धीर क वशषता बतलाता ह

या वशषण क कार

(1) योग क अनसार- (i) साधारण (ii) सयोजक (iii) अनबध

(2) प क अनसार- (i) मल यावशषण (ii) यौगक यावशषण (iii) थानीय यावशषण

(3) अथ क अनसार- (i) परमाणवाचक (ii) रतवाचक

(1) योग क अनसार यावशषण क भद

योग क अनसार यावशषण क तीन भद ह-

(i) साधारण यावशषण- िजन यावशषण का योग कसी वाय म वत होता ह

उह साधारण यावशषण कहा जाता ह

जस- हाय अब म या क बटा जद आओ अर साप कहा गया

(ii) सयोजक यावशषण- िजन यावशषण का सबध कसी उपवाय स रहता ह उह

सयोजक यावशषण कहा जाता ह

जस- जब रोहताव ह नह तो म ह जीकर या कगी जहा अभी सम ह वहा कसी

समय जगल था

(iii) अनबध यावशषण- िजन यावशषण क योग अवधारण (नचय) क लए कसी

भी शदभद क साथ होता हो उह अनबध यावशषण कहा जाता ह

जस- यह तो कसी न धोखा ह दया ह मन उस दखा तक नह

(2) प क अनसार यावशषण क भद

प क अनसार यावशषण क तीन भद ह-

(i) मल यावशषण- ऐस यावशषण जो कसी दसर शद क मल स नह बनत मल

यावशषण कहलात ह

जस- ठक दर अचानक फर नह

(ii) यौगक यावशषण- ऐस यावशषण जो कसी दसर शद म यय या पद जोड़न

पर बनत ह यौगक यावशषण कहलात ह

जस- मन स िजसस चपक स भल स दखत हए यहा तक झट स वहा पर यौगक

यावशषण सा सवनाम वशषण धात और अयय क मल स बनत ह

यौगक यावशषण नीच लख शद क मल स बनत ह-

(i) साओ क वित स- घर-घर घड़ी-घड़ी बीच-बीच हाथ-हाथ

(ii) दो भ साओ क मल स- दन-रात साझ-सबर घर-बाहर दश-वदश

(iii) वशषण क वित स- एक-एक ठक-ठक साफ-साफ

(iv) यावशषण क वित स- धीर-धीर जहा-तहा कब-कब कहा-कहा

(v) दो यावशषण क मल स- जहा-तहा जहा-कह जब-तब जब-कभी कल-परस आस-पास

(vi) दो भ या समान यावशषण क बीच न लगान स- कभी-न-कभी कछ-न-कछ

(vii) अनकरण वाचक शद क वित स- पटपट तड़तड़ सटासट धड़ाधड़

(viii) सा और वशषण क योग स- एक साथ एक बार दो बार

(ix) अय य और दसर शद क मल स- तदन यथाम अनजान आजम

(x) पवकालक कदत और वशषण क मल स- वशषकर बहतकर मयकर एक-एककर

(iii) थानीय यावशषण- ऐस यावशषण जो बना पातर क कसी वशष थान म

आत ह थानीय यावशषण कहलात ह

जस- वह अपना सर पढ़गा

वह दौड़कर चलत ह

--------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------

  • (1) अरथ की दषटि स शबद-भद13
  • (2) परयोग की दषटि स शबद-भद13
  • (3) उतपति की दषटि स शबद-भद13
  • 1) सवर सधि-13
  • परति+छवि=परतिचछवि दिक+अनत=दिगनत दिक+गज=दिगगज अन+छद=अनचछद अच +अनत = अजनत 13
  • 3)विसरग सधि - विसरग क साथ सवर या वयजन का मल होन पर जो विकार होता ह उस 13
  • विसरग सधि कहत ह 13
  • मन+रथ=मनोरथ यश+अभिलाषा=यशोभिलाषा अध+गति=अधोगति नि+छल=निशछल द +गम = दरगम 13
    • -पाठ सार-13
    • -वयाखया13
    • -निमनलिखित परशनो क उततर दीजिय ndash13
    • 1-कवि न कसी मतय को समतय कहा ह13
    • अवयय क भद13
    • करिया विशषण क परकार13
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सग - तत कवता हमार पाय पतक पश भाग -2 स ल गई ह इसक

कव मथलशरण गत ह इन पितओ म कव कहता ह क कलक रहत रहन व

दसर का सहारा बनन वाल मवषय का दवता भी वागत करत ह

याया - कव कहता ह क उस कभी न समात होन वाल आकाश म असय

दवता खड़ ह जो परोपकार व दयाल मनय का सामन स खड़ होकर अपनी भजाओ

को फलाकर वागत करत ह इसलए दसर का सहारा बनो और सभी को साथ म

लकर आग बड़ो कव कहता ह क सभी कलक रहत हो कर दवताओ क गोद म

बठो अथात यद कोई बरा काम नह करोग तो दवता तह अपनी गोद म ल लग

अपन मतलब क लए नह जीना चाहए अपना और दसर का कयाण व उधार

करना चाहए यक इस मरणशील ससार म मनय वह ह जो मनय का कयाण

कर व परोपकार कर

7-मनय माा बध ह यह बड़ा ववक ह

पराणपष वयभ पता सध एक ह

फलानसार कम क अवय बाय भद ह

परत अतरय म माणभत वद ह

अनथ ह क बध ह न बध क यथा हर

वह मनय ह क जो मनय क लए मर

सग - तत कवता हमार पाय पतक पश भाग -2 स ल गई ह इसक

कव मथलशरण गत ह इन पितओ म कव कहता ह क हम सब एक ईवर क

सतान ह अतः हम सभी मनय एक - दसर क भाई - बध ह

याया - कव कहता ह क यक मनय एक दसर क भाई - बध ह यह सबस

बड़ी समझ ह पराण म िजस वय उपन पष मना गया ह वह परमामा या

ईवर हम सभी का पता ह अथात सभी मनय उस एक ईवर क सतान ह

बाहर कारण क फल अनसार यक मनय क कम भल ह अलग अलग ह परत

हमार वद इस बात क साी ह क सभी क आमा एक ह कव कहता ह क यद

भाई ह भाई क दःख व कट का नाश नह करगा तो उसका जीना यथ ह यक

मनय वह कहलाता ह जो बर समय म दसर मनय क काम आता ह

8-चलो अभीट माग म सहष खलत हए

वपवन जो पड़ उह ढकलत हए

घट न हलमल हा बढ़ न भनता कभी

अतक एक पथ क सतक पथ ह सभी

तभी समथ भाव ह क तारता हआ तर

वह मनय ह क जो मनय क लए मर

सग - तत कवता हमार पाय पतक पश भाग -2 स ल गई ह इसक

कव मथलशरण गत ह इन पितओ म कव कहता ह क यद हम ख़शी ससार

कट को हटत हए भदभाव रहत रहग तभी सभव ह क समाज क उनत होगी

याया - कव कहता ह क मनय को अपनी इछा स चन हए माग म ख़शी

ख़शी चलना चाहएरात म कोई भी सकट या बाधाए आय उह हटात चल जाना

चाहए मनय को यह यान रखना चाहए क आपसी समझ न बगड़ और भद

भाव न बड़ बना कसी तक वतक क सभी को एक साथ ल कर आग बढ़ना चाहए

तभी यह सभव होगा क मनय दसर क उनत और कयाण क साथ अपनी

समध भी कायम कर

-ननलखत न क उर दिजय ndash

1-कव न कसी मय को समय कहा ह

1-कव न ऐसी मय को समय कहा ह िजसम मनय अपन स पहल दसर क चता

करता ह और परोपकार क राह को चनता ह िजसस उस मरन क बाद भी याद कया

जाता ह

2-उदार यित क पहचान कस हो सकती ह

2- उदार यित परोपकार होता ह वह अपन स पहल दसर क चता करता ह और

लोक कयाण क लए अपना जीवन याग दता ह

3-कव न दधीच कण आद महान यितओ क उदाहरण द कर मनयता क लए

या उदाहरण दया ह

3- कव न दधीच कण आद महान यितओ क उदाहरण द कर मनयता क

लए यह सदश दया ह क परोपकार करन वाला ह असल मनय कहलान योय

होता ह मानवता क रा क लए दधीच न अपन शरर क सार अिथया दान कर

द थीकण न अपनी जान क परवाह कय बना अपना कवच द दया था िजस

कारण उह आज तक याद कया जाता ह कव इन उदाहरण क वारा यह

समझाना चाहता ह क परोपकार ह सची मनयता ह

4- कव न कन पितय म यह यत कया ह क हम गव - रहत जीवन यतीत

करना चाहए

4- कव न ननलखत पितय म गव रहत जीवन यतीत करन क बात कह ह-

रहो न भल क कभी मगाघ तछ व म

सनाथ जान आपको करो न गव च म

अथात सपत क घमड म कभी नह रहना चाहए और न ह इस बात पर गव

करना चाहए क आपक पास आपक अपन का साथ ह यक इस दनया म कोई

भी अनाथ नह ह सब उस परम पता परमवर क सतान ह

5- मनय मा बध ह स आप या समझत ह पट किजए

5- मनय मा बध ह अथात हम सब मनय एक ईवर क सतान ह अतः हम

सब भाई - बध ह भाई -बध होन क नात हम भाईचार क साथ रहना चाहए और

एक दसर का बर समय म साथ दना चाहए

6- कव न सबको एक होकर चलन क रणा य द ह

6- कव न सबको एक होकर चलन क रणा इसलए द ह ताक आपसी समझ न

बगड़ और न ह भदभाव बड़ सब एक साथ एक होकर चलग तो सार बाधाए मट

जाएगी और सबका कयाण और समध होगी

7- यित को कस तरह का जीवन यतीत करना चाहए इस कवता क आधार पर

लखए

7-मनय को परोपकार का जीवन जीना चाहए अपन स पहल दसर क दख क

चता करनी चाहए कवल अपन बार म तो जानवर भी सोचत ह कव क अनसार

मनय वह कहलाता ह जो अपन स पहल दसर क चता कर

8- मनयता कवता क वारा कव या सदश दना चाहता ह

8- मनयता कवता क मायम स कव यह सदश दना चाहता ह क परोपकार ह

सची मनयता ह परोपकार ह एक ऐसा साधन ह िजसक मायम स हम यग तक

लोगो क दल म अपनी जगह बना सकत ह और परोपकार क वारा ह समाज का

कयाण व समध सभव ह अतः हम परोपकार बनना चाहए ताक हम सह

मायन म मनय कहलाय

--------------------------------------------------------------------------------------------------------

-याकरण-

पदबध- परभाषा

पद- वाय स अलग रहन पर शद और वाय म यत हो जान पर शद

पद कहलात ह दसर शद म- वाय म यत शद पद कहलाता ह पदबध-

जब दो या अधक (शद) पद नयत म और निचत अथ म कसी पद का

काय करत ह तो उह पदबध कहत ह

पदबध क भद

मय पद क आधार पर पदबध क पाच कार होत ह-

(1) सा-पदबध (2) वशषण-पदबध

(3) सवनाम पदबध (4) या पदबध

(5) अयय पदबध

(1) सा-पदबध-

(a)चार ताकतवर मजदर इस भार चीज को उठा पाए

(b) राम न लका क राजा रावण को मार गराया

(c) अयोया क राजा दशरथ क चार प थ

(d) आसमान म उड़ता गबारा फट गया

2) वशषण पदबध-

a) तज चलन वाल गाड़या ायः दर स पहचती ह

(b) उस घर क कोन म बठा हआ आदमी जासस ह

(c) उसका घोड़ा अयत सदर फरतीला और आाकार ह

(d) बरगद और पीपल क घनी छाव स हम बहत सख मला

3) सवनाम पदबध-

(a)बजल-सी फरती दखाकर आपन बालक को डबन स बचा लया

(b)शरारत करन वाल छा म स कछ पकड़ गए

(c)वरोध करन वाल लोग म स कोई नह बोला

4) या पदबध-

(a) वह बाजार क ओर आया होगा

(b) मझ मोहन छत स दखाई द रहा ह

(c) सरश नद म डब गया

(d) अब दरवाजा खोला जा सकता ह

5) अयय पदबध-

(a)अपन सामान क साथ वह चला गया

(b)सबह स शाम तक वह बठा रहा

कसी भी भाषा क व शद अयय (Indeclinable या inflexible) कहलात ह िजनक प म

लग वचन पष कारक काल इयाद क कारण कोई वकार उप नह होता

चक अयय का पातर नह होता इसलए ऐस शद अवकार होत ह अयय का शािदक

अथ ह- जो यय न हो

(i) कालवाचक अयय- इनम समय का बोध होता ह जस- आज कल तरत पीछ पहल अब

जब तब कभी-कभी कब अब स नय जब स सदा स अभी तभी आजकल और कभी

उदाहरणाथ-

अब स ऐसी बात नह होगी

ऐसी बात सदा स होती रह ह

वह कब आया मझ पता नह

(ii) थानवाचक अयय- इसस थान का बोध होता ह जस- यहा वहा कहा जहा यहा स

वहा स इधर-उधर उदाहरणाथ-

वह यहा नह ह

वह कहा जायगा

वहा कोई नह ह

जहा तम हो वहा म ह

(iii) दशावाचक अयय- इसस दशा का बोध होता ह जस- इधर उधर िजधर दर पर अलग

दाहन बाए आरपार

(iv) िथतवाचक अयय- नीच ऊपर तल सामन बाहर भीतर इयाद

अयय क भद

अयय ननलखत चार कार क होत ह -

(1) यावशषण (Adverb)

(2) सबधबोधक (Preposition)

(3) समचयबोधक (Conjunction)

(4) वमयादबोधक (Interjection)

(1) यावशषण - िजन शद स या वशषण या दसर यावशषण क वशषता कट

हो उह यावशषण कहत ह

दसर शदो म- जो शद या क वशषता बतलात ह उह या वशषण कहा जाता ह

जस- राम धीर-धीर टहलता ह राम वहा टहलता ह राम अभी टहलता ह

इन वाय म धीर-धीर वहा और अभी राम क टहलन (या) क वशषता बतलात ह य

यावशषण अवकार वशषण भी कहलात ह इसक अतरत यावशषण दसर

यावशषण क भी वशषता बताता ह

वह बहत धीर चलता ह इस वाय म बहत यावशषण ह यक यह दसर यावशषण

धीर क वशषता बतलाता ह

या वशषण क कार

(1) योग क अनसार- (i) साधारण (ii) सयोजक (iii) अनबध

(2) प क अनसार- (i) मल यावशषण (ii) यौगक यावशषण (iii) थानीय यावशषण

(3) अथ क अनसार- (i) परमाणवाचक (ii) रतवाचक

(1) योग क अनसार यावशषण क भद

योग क अनसार यावशषण क तीन भद ह-

(i) साधारण यावशषण- िजन यावशषण का योग कसी वाय म वत होता ह

उह साधारण यावशषण कहा जाता ह

जस- हाय अब म या क बटा जद आओ अर साप कहा गया

(ii) सयोजक यावशषण- िजन यावशषण का सबध कसी उपवाय स रहता ह उह

सयोजक यावशषण कहा जाता ह

जस- जब रोहताव ह नह तो म ह जीकर या कगी जहा अभी सम ह वहा कसी

समय जगल था

(iii) अनबध यावशषण- िजन यावशषण क योग अवधारण (नचय) क लए कसी

भी शदभद क साथ होता हो उह अनबध यावशषण कहा जाता ह

जस- यह तो कसी न धोखा ह दया ह मन उस दखा तक नह

(2) प क अनसार यावशषण क भद

प क अनसार यावशषण क तीन भद ह-

(i) मल यावशषण- ऐस यावशषण जो कसी दसर शद क मल स नह बनत मल

यावशषण कहलात ह

जस- ठक दर अचानक फर नह

(ii) यौगक यावशषण- ऐस यावशषण जो कसी दसर शद म यय या पद जोड़न

पर बनत ह यौगक यावशषण कहलात ह

जस- मन स िजसस चपक स भल स दखत हए यहा तक झट स वहा पर यौगक

यावशषण सा सवनाम वशषण धात और अयय क मल स बनत ह

यौगक यावशषण नीच लख शद क मल स बनत ह-

(i) साओ क वित स- घर-घर घड़ी-घड़ी बीच-बीच हाथ-हाथ

(ii) दो भ साओ क मल स- दन-रात साझ-सबर घर-बाहर दश-वदश

(iii) वशषण क वित स- एक-एक ठक-ठक साफ-साफ

(iv) यावशषण क वित स- धीर-धीर जहा-तहा कब-कब कहा-कहा

(v) दो यावशषण क मल स- जहा-तहा जहा-कह जब-तब जब-कभी कल-परस आस-पास

(vi) दो भ या समान यावशषण क बीच न लगान स- कभी-न-कभी कछ-न-कछ

(vii) अनकरण वाचक शद क वित स- पटपट तड़तड़ सटासट धड़ाधड़

(viii) सा और वशषण क योग स- एक साथ एक बार दो बार

(ix) अय य और दसर शद क मल स- तदन यथाम अनजान आजम

(x) पवकालक कदत और वशषण क मल स- वशषकर बहतकर मयकर एक-एककर

(iii) थानीय यावशषण- ऐस यावशषण जो बना पातर क कसी वशष थान म

आत ह थानीय यावशषण कहलात ह

जस- वह अपना सर पढ़गा

वह दौड़कर चलत ह

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  • (1) अरथ की दषटि स शबद-भद13
  • (2) परयोग की दषटि स शबद-भद13
  • (3) उतपति की दषटि स शबद-भद13
  • 1) सवर सधि-13
  • परति+छवि=परतिचछवि दिक+अनत=दिगनत दिक+गज=दिगगज अन+छद=अनचछद अच +अनत = अजनत 13
  • 3)विसरग सधि - विसरग क साथ सवर या वयजन का मल होन पर जो विकार होता ह उस 13
  • विसरग सधि कहत ह 13
  • मन+रथ=मनोरथ यश+अभिलाषा=यशोभिलाषा अध+गति=अधोगति नि+छल=निशछल द +गम = दरगम 13
    • -पाठ सार-13
    • -वयाखया13
    • -निमनलिखित परशनो क उततर दीजिय ndash13
    • 1-कवि न कसी मतय को समतय कहा ह13
    • अवयय क भद13
    • करिया विशषण क परकार13
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अतक एक पथ क सतक पथ ह सभी

तभी समथ भाव ह क तारता हआ तर

वह मनय ह क जो मनय क लए मर

सग - तत कवता हमार पाय पतक पश भाग -2 स ल गई ह इसक

कव मथलशरण गत ह इन पितओ म कव कहता ह क यद हम ख़शी ससार

कट को हटत हए भदभाव रहत रहग तभी सभव ह क समाज क उनत होगी

याया - कव कहता ह क मनय को अपनी इछा स चन हए माग म ख़शी

ख़शी चलना चाहएरात म कोई भी सकट या बाधाए आय उह हटात चल जाना

चाहए मनय को यह यान रखना चाहए क आपसी समझ न बगड़ और भद

भाव न बड़ बना कसी तक वतक क सभी को एक साथ ल कर आग बढ़ना चाहए

तभी यह सभव होगा क मनय दसर क उनत और कयाण क साथ अपनी

समध भी कायम कर

-ननलखत न क उर दिजय ndash

1-कव न कसी मय को समय कहा ह

1-कव न ऐसी मय को समय कहा ह िजसम मनय अपन स पहल दसर क चता

करता ह और परोपकार क राह को चनता ह िजसस उस मरन क बाद भी याद कया

जाता ह

2-उदार यित क पहचान कस हो सकती ह

2- उदार यित परोपकार होता ह वह अपन स पहल दसर क चता करता ह और

लोक कयाण क लए अपना जीवन याग दता ह

3-कव न दधीच कण आद महान यितओ क उदाहरण द कर मनयता क लए

या उदाहरण दया ह

3- कव न दधीच कण आद महान यितओ क उदाहरण द कर मनयता क

लए यह सदश दया ह क परोपकार करन वाला ह असल मनय कहलान योय

होता ह मानवता क रा क लए दधीच न अपन शरर क सार अिथया दान कर

द थीकण न अपनी जान क परवाह कय बना अपना कवच द दया था िजस

कारण उह आज तक याद कया जाता ह कव इन उदाहरण क वारा यह

समझाना चाहता ह क परोपकार ह सची मनयता ह

4- कव न कन पितय म यह यत कया ह क हम गव - रहत जीवन यतीत

करना चाहए

4- कव न ननलखत पितय म गव रहत जीवन यतीत करन क बात कह ह-

रहो न भल क कभी मगाघ तछ व म

सनाथ जान आपको करो न गव च म

अथात सपत क घमड म कभी नह रहना चाहए और न ह इस बात पर गव

करना चाहए क आपक पास आपक अपन का साथ ह यक इस दनया म कोई

भी अनाथ नह ह सब उस परम पता परमवर क सतान ह

5- मनय मा बध ह स आप या समझत ह पट किजए

5- मनय मा बध ह अथात हम सब मनय एक ईवर क सतान ह अतः हम

सब भाई - बध ह भाई -बध होन क नात हम भाईचार क साथ रहना चाहए और

एक दसर का बर समय म साथ दना चाहए

6- कव न सबको एक होकर चलन क रणा य द ह

6- कव न सबको एक होकर चलन क रणा इसलए द ह ताक आपसी समझ न

बगड़ और न ह भदभाव बड़ सब एक साथ एक होकर चलग तो सार बाधाए मट

जाएगी और सबका कयाण और समध होगी

7- यित को कस तरह का जीवन यतीत करना चाहए इस कवता क आधार पर

लखए

7-मनय को परोपकार का जीवन जीना चाहए अपन स पहल दसर क दख क

चता करनी चाहए कवल अपन बार म तो जानवर भी सोचत ह कव क अनसार

मनय वह कहलाता ह जो अपन स पहल दसर क चता कर

8- मनयता कवता क वारा कव या सदश दना चाहता ह

8- मनयता कवता क मायम स कव यह सदश दना चाहता ह क परोपकार ह

सची मनयता ह परोपकार ह एक ऐसा साधन ह िजसक मायम स हम यग तक

लोगो क दल म अपनी जगह बना सकत ह और परोपकार क वारा ह समाज का

कयाण व समध सभव ह अतः हम परोपकार बनना चाहए ताक हम सह

मायन म मनय कहलाय

--------------------------------------------------------------------------------------------------------

-याकरण-

पदबध- परभाषा

पद- वाय स अलग रहन पर शद और वाय म यत हो जान पर शद

पद कहलात ह दसर शद म- वाय म यत शद पद कहलाता ह पदबध-

जब दो या अधक (शद) पद नयत म और निचत अथ म कसी पद का

काय करत ह तो उह पदबध कहत ह

पदबध क भद

मय पद क आधार पर पदबध क पाच कार होत ह-

(1) सा-पदबध (2) वशषण-पदबध

(3) सवनाम पदबध (4) या पदबध

(5) अयय पदबध

(1) सा-पदबध-

(a)चार ताकतवर मजदर इस भार चीज को उठा पाए

(b) राम न लका क राजा रावण को मार गराया

(c) अयोया क राजा दशरथ क चार प थ

(d) आसमान म उड़ता गबारा फट गया

2) वशषण पदबध-

a) तज चलन वाल गाड़या ायः दर स पहचती ह

(b) उस घर क कोन म बठा हआ आदमी जासस ह

(c) उसका घोड़ा अयत सदर फरतीला और आाकार ह

(d) बरगद और पीपल क घनी छाव स हम बहत सख मला

3) सवनाम पदबध-

(a)बजल-सी फरती दखाकर आपन बालक को डबन स बचा लया

(b)शरारत करन वाल छा म स कछ पकड़ गए

(c)वरोध करन वाल लोग म स कोई नह बोला

4) या पदबध-

(a) वह बाजार क ओर आया होगा

(b) मझ मोहन छत स दखाई द रहा ह

(c) सरश नद म डब गया

(d) अब दरवाजा खोला जा सकता ह

5) अयय पदबध-

(a)अपन सामान क साथ वह चला गया

(b)सबह स शाम तक वह बठा रहा

कसी भी भाषा क व शद अयय (Indeclinable या inflexible) कहलात ह िजनक प म

लग वचन पष कारक काल इयाद क कारण कोई वकार उप नह होता

चक अयय का पातर नह होता इसलए ऐस शद अवकार होत ह अयय का शािदक

अथ ह- जो यय न हो

(i) कालवाचक अयय- इनम समय का बोध होता ह जस- आज कल तरत पीछ पहल अब

जब तब कभी-कभी कब अब स नय जब स सदा स अभी तभी आजकल और कभी

उदाहरणाथ-

अब स ऐसी बात नह होगी

ऐसी बात सदा स होती रह ह

वह कब आया मझ पता नह

(ii) थानवाचक अयय- इसस थान का बोध होता ह जस- यहा वहा कहा जहा यहा स

वहा स इधर-उधर उदाहरणाथ-

वह यहा नह ह

वह कहा जायगा

वहा कोई नह ह

जहा तम हो वहा म ह

(iii) दशावाचक अयय- इसस दशा का बोध होता ह जस- इधर उधर िजधर दर पर अलग

दाहन बाए आरपार

(iv) िथतवाचक अयय- नीच ऊपर तल सामन बाहर भीतर इयाद

अयय क भद

अयय ननलखत चार कार क होत ह -

(1) यावशषण (Adverb)

(2) सबधबोधक (Preposition)

(3) समचयबोधक (Conjunction)

(4) वमयादबोधक (Interjection)

(1) यावशषण - िजन शद स या वशषण या दसर यावशषण क वशषता कट

हो उह यावशषण कहत ह

दसर शदो म- जो शद या क वशषता बतलात ह उह या वशषण कहा जाता ह

जस- राम धीर-धीर टहलता ह राम वहा टहलता ह राम अभी टहलता ह

इन वाय म धीर-धीर वहा और अभी राम क टहलन (या) क वशषता बतलात ह य

यावशषण अवकार वशषण भी कहलात ह इसक अतरत यावशषण दसर

यावशषण क भी वशषता बताता ह

वह बहत धीर चलता ह इस वाय म बहत यावशषण ह यक यह दसर यावशषण

धीर क वशषता बतलाता ह

या वशषण क कार

(1) योग क अनसार- (i) साधारण (ii) सयोजक (iii) अनबध

(2) प क अनसार- (i) मल यावशषण (ii) यौगक यावशषण (iii) थानीय यावशषण

(3) अथ क अनसार- (i) परमाणवाचक (ii) रतवाचक

(1) योग क अनसार यावशषण क भद

योग क अनसार यावशषण क तीन भद ह-

(i) साधारण यावशषण- िजन यावशषण का योग कसी वाय म वत होता ह

उह साधारण यावशषण कहा जाता ह

जस- हाय अब म या क बटा जद आओ अर साप कहा गया

(ii) सयोजक यावशषण- िजन यावशषण का सबध कसी उपवाय स रहता ह उह

सयोजक यावशषण कहा जाता ह

जस- जब रोहताव ह नह तो म ह जीकर या कगी जहा अभी सम ह वहा कसी

समय जगल था

(iii) अनबध यावशषण- िजन यावशषण क योग अवधारण (नचय) क लए कसी

भी शदभद क साथ होता हो उह अनबध यावशषण कहा जाता ह

जस- यह तो कसी न धोखा ह दया ह मन उस दखा तक नह

(2) प क अनसार यावशषण क भद

प क अनसार यावशषण क तीन भद ह-

(i) मल यावशषण- ऐस यावशषण जो कसी दसर शद क मल स नह बनत मल

यावशषण कहलात ह

जस- ठक दर अचानक फर नह

(ii) यौगक यावशषण- ऐस यावशषण जो कसी दसर शद म यय या पद जोड़न

पर बनत ह यौगक यावशषण कहलात ह

जस- मन स िजसस चपक स भल स दखत हए यहा तक झट स वहा पर यौगक

यावशषण सा सवनाम वशषण धात और अयय क मल स बनत ह

यौगक यावशषण नीच लख शद क मल स बनत ह-

(i) साओ क वित स- घर-घर घड़ी-घड़ी बीच-बीच हाथ-हाथ

(ii) दो भ साओ क मल स- दन-रात साझ-सबर घर-बाहर दश-वदश

(iii) वशषण क वित स- एक-एक ठक-ठक साफ-साफ

(iv) यावशषण क वित स- धीर-धीर जहा-तहा कब-कब कहा-कहा

(v) दो यावशषण क मल स- जहा-तहा जहा-कह जब-तब जब-कभी कल-परस आस-पास

(vi) दो भ या समान यावशषण क बीच न लगान स- कभी-न-कभी कछ-न-कछ

(vii) अनकरण वाचक शद क वित स- पटपट तड़तड़ सटासट धड़ाधड़

(viii) सा और वशषण क योग स- एक साथ एक बार दो बार

(ix) अय य और दसर शद क मल स- तदन यथाम अनजान आजम

(x) पवकालक कदत और वशषण क मल स- वशषकर बहतकर मयकर एक-एककर

(iii) थानीय यावशषण- ऐस यावशषण जो बना पातर क कसी वशष थान म

आत ह थानीय यावशषण कहलात ह

जस- वह अपना सर पढ़गा

वह दौड़कर चलत ह

--------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------

  • (1) अरथ की दषटि स शबद-भद13
  • (2) परयोग की दषटि स शबद-भद13
  • (3) उतपति की दषटि स शबद-भद13
  • 1) सवर सधि-13
  • परति+छवि=परतिचछवि दिक+अनत=दिगनत दिक+गज=दिगगज अन+छद=अनचछद अच +अनत = अजनत 13
  • 3)विसरग सधि - विसरग क साथ सवर या वयजन का मल होन पर जो विकार होता ह उस 13
  • विसरग सधि कहत ह 13
  • मन+रथ=मनोरथ यश+अभिलाषा=यशोभिलाषा अध+गति=अधोगति नि+छल=निशछल द +गम = दरगम 13
    • -पाठ सार-13
    • -वयाखया13
    • -निमनलिखित परशनो क उततर दीजिय ndash13
    • 1-कवि न कसी मतय को समतय कहा ह13
    • अवयय क भद13
    • करिया विशषण क परकार13
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कारण उह आज तक याद कया जाता ह कव इन उदाहरण क वारा यह

समझाना चाहता ह क परोपकार ह सची मनयता ह

4- कव न कन पितय म यह यत कया ह क हम गव - रहत जीवन यतीत

करना चाहए

4- कव न ननलखत पितय म गव रहत जीवन यतीत करन क बात कह ह-

रहो न भल क कभी मगाघ तछ व म

सनाथ जान आपको करो न गव च म

अथात सपत क घमड म कभी नह रहना चाहए और न ह इस बात पर गव

करना चाहए क आपक पास आपक अपन का साथ ह यक इस दनया म कोई

भी अनाथ नह ह सब उस परम पता परमवर क सतान ह

5- मनय मा बध ह स आप या समझत ह पट किजए

5- मनय मा बध ह अथात हम सब मनय एक ईवर क सतान ह अतः हम

सब भाई - बध ह भाई -बध होन क नात हम भाईचार क साथ रहना चाहए और

एक दसर का बर समय म साथ दना चाहए

6- कव न सबको एक होकर चलन क रणा य द ह

6- कव न सबको एक होकर चलन क रणा इसलए द ह ताक आपसी समझ न

बगड़ और न ह भदभाव बड़ सब एक साथ एक होकर चलग तो सार बाधाए मट

जाएगी और सबका कयाण और समध होगी

7- यित को कस तरह का जीवन यतीत करना चाहए इस कवता क आधार पर

लखए

7-मनय को परोपकार का जीवन जीना चाहए अपन स पहल दसर क दख क

चता करनी चाहए कवल अपन बार म तो जानवर भी सोचत ह कव क अनसार

मनय वह कहलाता ह जो अपन स पहल दसर क चता कर

8- मनयता कवता क वारा कव या सदश दना चाहता ह

8- मनयता कवता क मायम स कव यह सदश दना चाहता ह क परोपकार ह

सची मनयता ह परोपकार ह एक ऐसा साधन ह िजसक मायम स हम यग तक

लोगो क दल म अपनी जगह बना सकत ह और परोपकार क वारा ह समाज का

कयाण व समध सभव ह अतः हम परोपकार बनना चाहए ताक हम सह

मायन म मनय कहलाय

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-याकरण-

पदबध- परभाषा

पद- वाय स अलग रहन पर शद और वाय म यत हो जान पर शद

पद कहलात ह दसर शद म- वाय म यत शद पद कहलाता ह पदबध-

जब दो या अधक (शद) पद नयत म और निचत अथ म कसी पद का

काय करत ह तो उह पदबध कहत ह

पदबध क भद

मय पद क आधार पर पदबध क पाच कार होत ह-

(1) सा-पदबध (2) वशषण-पदबध

(3) सवनाम पदबध (4) या पदबध

(5) अयय पदबध

(1) सा-पदबध-

(a)चार ताकतवर मजदर इस भार चीज को उठा पाए

(b) राम न लका क राजा रावण को मार गराया

(c) अयोया क राजा दशरथ क चार प थ

(d) आसमान म उड़ता गबारा फट गया

2) वशषण पदबध-

a) तज चलन वाल गाड़या ायः दर स पहचती ह

(b) उस घर क कोन म बठा हआ आदमी जासस ह

(c) उसका घोड़ा अयत सदर फरतीला और आाकार ह

(d) बरगद और पीपल क घनी छाव स हम बहत सख मला

3) सवनाम पदबध-

(a)बजल-सी फरती दखाकर आपन बालक को डबन स बचा लया

(b)शरारत करन वाल छा म स कछ पकड़ गए

(c)वरोध करन वाल लोग म स कोई नह बोला

4) या पदबध-

(a) वह बाजार क ओर आया होगा

(b) मझ मोहन छत स दखाई द रहा ह

(c) सरश नद म डब गया

(d) अब दरवाजा खोला जा सकता ह

5) अयय पदबध-

(a)अपन सामान क साथ वह चला गया

(b)सबह स शाम तक वह बठा रहा

कसी भी भाषा क व शद अयय (Indeclinable या inflexible) कहलात ह िजनक प म

लग वचन पष कारक काल इयाद क कारण कोई वकार उप नह होता

चक अयय का पातर नह होता इसलए ऐस शद अवकार होत ह अयय का शािदक

अथ ह- जो यय न हो

(i) कालवाचक अयय- इनम समय का बोध होता ह जस- आज कल तरत पीछ पहल अब

जब तब कभी-कभी कब अब स नय जब स सदा स अभी तभी आजकल और कभी

उदाहरणाथ-

अब स ऐसी बात नह होगी

ऐसी बात सदा स होती रह ह

वह कब आया मझ पता नह

(ii) थानवाचक अयय- इसस थान का बोध होता ह जस- यहा वहा कहा जहा यहा स

वहा स इधर-उधर उदाहरणाथ-

वह यहा नह ह

वह कहा जायगा

वहा कोई नह ह

जहा तम हो वहा म ह

(iii) दशावाचक अयय- इसस दशा का बोध होता ह जस- इधर उधर िजधर दर पर अलग

दाहन बाए आरपार

(iv) िथतवाचक अयय- नीच ऊपर तल सामन बाहर भीतर इयाद

अयय क भद

अयय ननलखत चार कार क होत ह -

(1) यावशषण (Adverb)

(2) सबधबोधक (Preposition)

(3) समचयबोधक (Conjunction)

(4) वमयादबोधक (Interjection)

(1) यावशषण - िजन शद स या वशषण या दसर यावशषण क वशषता कट

हो उह यावशषण कहत ह

दसर शदो म- जो शद या क वशषता बतलात ह उह या वशषण कहा जाता ह

जस- राम धीर-धीर टहलता ह राम वहा टहलता ह राम अभी टहलता ह

इन वाय म धीर-धीर वहा और अभी राम क टहलन (या) क वशषता बतलात ह य

यावशषण अवकार वशषण भी कहलात ह इसक अतरत यावशषण दसर

यावशषण क भी वशषता बताता ह

वह बहत धीर चलता ह इस वाय म बहत यावशषण ह यक यह दसर यावशषण

धीर क वशषता बतलाता ह

या वशषण क कार

(1) योग क अनसार- (i) साधारण (ii) सयोजक (iii) अनबध

(2) प क अनसार- (i) मल यावशषण (ii) यौगक यावशषण (iii) थानीय यावशषण

(3) अथ क अनसार- (i) परमाणवाचक (ii) रतवाचक

(1) योग क अनसार यावशषण क भद

योग क अनसार यावशषण क तीन भद ह-

(i) साधारण यावशषण- िजन यावशषण का योग कसी वाय म वत होता ह

उह साधारण यावशषण कहा जाता ह

जस- हाय अब म या क बटा जद आओ अर साप कहा गया

(ii) सयोजक यावशषण- िजन यावशषण का सबध कसी उपवाय स रहता ह उह

सयोजक यावशषण कहा जाता ह

जस- जब रोहताव ह नह तो म ह जीकर या कगी जहा अभी सम ह वहा कसी

समय जगल था

(iii) अनबध यावशषण- िजन यावशषण क योग अवधारण (नचय) क लए कसी

भी शदभद क साथ होता हो उह अनबध यावशषण कहा जाता ह

जस- यह तो कसी न धोखा ह दया ह मन उस दखा तक नह

(2) प क अनसार यावशषण क भद

प क अनसार यावशषण क तीन भद ह-

(i) मल यावशषण- ऐस यावशषण जो कसी दसर शद क मल स नह बनत मल

यावशषण कहलात ह

जस- ठक दर अचानक फर नह

(ii) यौगक यावशषण- ऐस यावशषण जो कसी दसर शद म यय या पद जोड़न

पर बनत ह यौगक यावशषण कहलात ह

जस- मन स िजसस चपक स भल स दखत हए यहा तक झट स वहा पर यौगक

यावशषण सा सवनाम वशषण धात और अयय क मल स बनत ह

यौगक यावशषण नीच लख शद क मल स बनत ह-

(i) साओ क वित स- घर-घर घड़ी-घड़ी बीच-बीच हाथ-हाथ

(ii) दो भ साओ क मल स- दन-रात साझ-सबर घर-बाहर दश-वदश

(iii) वशषण क वित स- एक-एक ठक-ठक साफ-साफ

(iv) यावशषण क वित स- धीर-धीर जहा-तहा कब-कब कहा-कहा

(v) दो यावशषण क मल स- जहा-तहा जहा-कह जब-तब जब-कभी कल-परस आस-पास

(vi) दो भ या समान यावशषण क बीच न लगान स- कभी-न-कभी कछ-न-कछ

(vii) अनकरण वाचक शद क वित स- पटपट तड़तड़ सटासट धड़ाधड़

(viii) सा और वशषण क योग स- एक साथ एक बार दो बार

(ix) अय य और दसर शद क मल स- तदन यथाम अनजान आजम

(x) पवकालक कदत और वशषण क मल स- वशषकर बहतकर मयकर एक-एककर

(iii) थानीय यावशषण- ऐस यावशषण जो बना पातर क कसी वशष थान म

आत ह थानीय यावशषण कहलात ह

जस- वह अपना सर पढ़गा

वह दौड़कर चलत ह

--------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------

  • (1) अरथ की दषटि स शबद-भद13
  • (2) परयोग की दषटि स शबद-भद13
  • (3) उतपति की दषटि स शबद-भद13
  • 1) सवर सधि-13
  • परति+छवि=परतिचछवि दिक+अनत=दिगनत दिक+गज=दिगगज अन+छद=अनचछद अच +अनत = अजनत 13
  • 3)विसरग सधि - विसरग क साथ सवर या वयजन का मल होन पर जो विकार होता ह उस 13
  • विसरग सधि कहत ह 13
  • मन+रथ=मनोरथ यश+अभिलाषा=यशोभिलाषा अध+गति=अधोगति नि+छल=निशछल द +गम = दरगम 13
    • -पाठ सार-13
    • -वयाखया13
    • -निमनलिखित परशनो क उततर दीजिय ndash13
    • 1-कवि न कसी मतय को समतय कहा ह13
    • अवयय क भद13
    • करिया विशषण क परकार13
Page 40: Class –X HINDI JUNE SYLLABUS 2020 Chapters:- Ch-1-Sanchayan …punainternationalschool.com/assets/upload/ck-images/Std-10th=Jun… · -harihar kaka . पय-भाग पाठ-3

कयाण व समध सभव ह अतः हम परोपकार बनना चाहए ताक हम सह

मायन म मनय कहलाय

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-याकरण-

पदबध- परभाषा

पद- वाय स अलग रहन पर शद और वाय म यत हो जान पर शद

पद कहलात ह दसर शद म- वाय म यत शद पद कहलाता ह पदबध-

जब दो या अधक (शद) पद नयत म और निचत अथ म कसी पद का

काय करत ह तो उह पदबध कहत ह

पदबध क भद

मय पद क आधार पर पदबध क पाच कार होत ह-

(1) सा-पदबध (2) वशषण-पदबध

(3) सवनाम पदबध (4) या पदबध

(5) अयय पदबध

(1) सा-पदबध-

(a)चार ताकतवर मजदर इस भार चीज को उठा पाए

(b) राम न लका क राजा रावण को मार गराया

(c) अयोया क राजा दशरथ क चार प थ

(d) आसमान म उड़ता गबारा फट गया

2) वशषण पदबध-

a) तज चलन वाल गाड़या ायः दर स पहचती ह

(b) उस घर क कोन म बठा हआ आदमी जासस ह

(c) उसका घोड़ा अयत सदर फरतीला और आाकार ह

(d) बरगद और पीपल क घनी छाव स हम बहत सख मला

3) सवनाम पदबध-

(a)बजल-सी फरती दखाकर आपन बालक को डबन स बचा लया

(b)शरारत करन वाल छा म स कछ पकड़ गए

(c)वरोध करन वाल लोग म स कोई नह बोला

4) या पदबध-

(a) वह बाजार क ओर आया होगा

(b) मझ मोहन छत स दखाई द रहा ह

(c) सरश नद म डब गया

(d) अब दरवाजा खोला जा सकता ह

5) अयय पदबध-

(a)अपन सामान क साथ वह चला गया

(b)सबह स शाम तक वह बठा रहा

कसी भी भाषा क व शद अयय (Indeclinable या inflexible) कहलात ह िजनक प म

लग वचन पष कारक काल इयाद क कारण कोई वकार उप नह होता

चक अयय का पातर नह होता इसलए ऐस शद अवकार होत ह अयय का शािदक

अथ ह- जो यय न हो

(i) कालवाचक अयय- इनम समय का बोध होता ह जस- आज कल तरत पीछ पहल अब

जब तब कभी-कभी कब अब स नय जब स सदा स अभी तभी आजकल और कभी

उदाहरणाथ-

अब स ऐसी बात नह होगी

ऐसी बात सदा स होती रह ह

वह कब आया मझ पता नह

(ii) थानवाचक अयय- इसस थान का बोध होता ह जस- यहा वहा कहा जहा यहा स

वहा स इधर-उधर उदाहरणाथ-

वह यहा नह ह

वह कहा जायगा

वहा कोई नह ह

जहा तम हो वहा म ह

(iii) दशावाचक अयय- इसस दशा का बोध होता ह जस- इधर उधर िजधर दर पर अलग

दाहन बाए आरपार

(iv) िथतवाचक अयय- नीच ऊपर तल सामन बाहर भीतर इयाद

अयय क भद

अयय ननलखत चार कार क होत ह -

(1) यावशषण (Adverb)

(2) सबधबोधक (Preposition)

(3) समचयबोधक (Conjunction)

(4) वमयादबोधक (Interjection)

(1) यावशषण - िजन शद स या वशषण या दसर यावशषण क वशषता कट

हो उह यावशषण कहत ह

दसर शदो म- जो शद या क वशषता बतलात ह उह या वशषण कहा जाता ह

जस- राम धीर-धीर टहलता ह राम वहा टहलता ह राम अभी टहलता ह

इन वाय म धीर-धीर वहा और अभी राम क टहलन (या) क वशषता बतलात ह य

यावशषण अवकार वशषण भी कहलात ह इसक अतरत यावशषण दसर

यावशषण क भी वशषता बताता ह

वह बहत धीर चलता ह इस वाय म बहत यावशषण ह यक यह दसर यावशषण

धीर क वशषता बतलाता ह

या वशषण क कार

(1) योग क अनसार- (i) साधारण (ii) सयोजक (iii) अनबध

(2) प क अनसार- (i) मल यावशषण (ii) यौगक यावशषण (iii) थानीय यावशषण

(3) अथ क अनसार- (i) परमाणवाचक (ii) रतवाचक

(1) योग क अनसार यावशषण क भद

योग क अनसार यावशषण क तीन भद ह-

(i) साधारण यावशषण- िजन यावशषण का योग कसी वाय म वत होता ह

उह साधारण यावशषण कहा जाता ह

जस- हाय अब म या क बटा जद आओ अर साप कहा गया

(ii) सयोजक यावशषण- िजन यावशषण का सबध कसी उपवाय स रहता ह उह

सयोजक यावशषण कहा जाता ह

जस- जब रोहताव ह नह तो म ह जीकर या कगी जहा अभी सम ह वहा कसी

समय जगल था

(iii) अनबध यावशषण- िजन यावशषण क योग अवधारण (नचय) क लए कसी

भी शदभद क साथ होता हो उह अनबध यावशषण कहा जाता ह

जस- यह तो कसी न धोखा ह दया ह मन उस दखा तक नह

(2) प क अनसार यावशषण क भद

प क अनसार यावशषण क तीन भद ह-

(i) मल यावशषण- ऐस यावशषण जो कसी दसर शद क मल स नह बनत मल

यावशषण कहलात ह

जस- ठक दर अचानक फर नह

(ii) यौगक यावशषण- ऐस यावशषण जो कसी दसर शद म यय या पद जोड़न

पर बनत ह यौगक यावशषण कहलात ह

जस- मन स िजसस चपक स भल स दखत हए यहा तक झट स वहा पर यौगक

यावशषण सा सवनाम वशषण धात और अयय क मल स बनत ह

यौगक यावशषण नीच लख शद क मल स बनत ह-

(i) साओ क वित स- घर-घर घड़ी-घड़ी बीच-बीच हाथ-हाथ

(ii) दो भ साओ क मल स- दन-रात साझ-सबर घर-बाहर दश-वदश

(iii) वशषण क वित स- एक-एक ठक-ठक साफ-साफ

(iv) यावशषण क वित स- धीर-धीर जहा-तहा कब-कब कहा-कहा

(v) दो यावशषण क मल स- जहा-तहा जहा-कह जब-तब जब-कभी कल-परस आस-पास

(vi) दो भ या समान यावशषण क बीच न लगान स- कभी-न-कभी कछ-न-कछ

(vii) अनकरण वाचक शद क वित स- पटपट तड़तड़ सटासट धड़ाधड़

(viii) सा और वशषण क योग स- एक साथ एक बार दो बार

(ix) अय य और दसर शद क मल स- तदन यथाम अनजान आजम

(x) पवकालक कदत और वशषण क मल स- वशषकर बहतकर मयकर एक-एककर

(iii) थानीय यावशषण- ऐस यावशषण जो बना पातर क कसी वशष थान म

आत ह थानीय यावशषण कहलात ह

जस- वह अपना सर पढ़गा

वह दौड़कर चलत ह

--------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------

  • (1) अरथ की दषटि स शबद-भद13
  • (2) परयोग की दषटि स शबद-भद13
  • (3) उतपति की दषटि स शबद-भद13
  • 1) सवर सधि-13
  • परति+छवि=परतिचछवि दिक+अनत=दिगनत दिक+गज=दिगगज अन+छद=अनचछद अच +अनत = अजनत 13
  • 3)विसरग सधि - विसरग क साथ सवर या वयजन का मल होन पर जो विकार होता ह उस 13
  • विसरग सधि कहत ह 13
  • मन+रथ=मनोरथ यश+अभिलाषा=यशोभिलाषा अध+गति=अधोगति नि+छल=निशछल द +गम = दरगम 13
    • -पाठ सार-13
    • -वयाखया13
    • -निमनलिखित परशनो क उततर दीजिय ndash13
    • 1-कवि न कसी मतय को समतय कहा ह13
    • अवयय क भद13
    • करिया विशषण क परकार13
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3) सवनाम पदबध-

(a)बजल-सी फरती दखाकर आपन बालक को डबन स बचा लया

(b)शरारत करन वाल छा म स कछ पकड़ गए

(c)वरोध करन वाल लोग म स कोई नह बोला

4) या पदबध-

(a) वह बाजार क ओर आया होगा

(b) मझ मोहन छत स दखाई द रहा ह

(c) सरश नद म डब गया

(d) अब दरवाजा खोला जा सकता ह

5) अयय पदबध-

(a)अपन सामान क साथ वह चला गया

(b)सबह स शाम तक वह बठा रहा

कसी भी भाषा क व शद अयय (Indeclinable या inflexible) कहलात ह िजनक प म

लग वचन पष कारक काल इयाद क कारण कोई वकार उप नह होता

चक अयय का पातर नह होता इसलए ऐस शद अवकार होत ह अयय का शािदक

अथ ह- जो यय न हो

(i) कालवाचक अयय- इनम समय का बोध होता ह जस- आज कल तरत पीछ पहल अब

जब तब कभी-कभी कब अब स नय जब स सदा स अभी तभी आजकल और कभी

उदाहरणाथ-

अब स ऐसी बात नह होगी

ऐसी बात सदा स होती रह ह

वह कब आया मझ पता नह

(ii) थानवाचक अयय- इसस थान का बोध होता ह जस- यहा वहा कहा जहा यहा स

वहा स इधर-उधर उदाहरणाथ-

वह यहा नह ह

वह कहा जायगा

वहा कोई नह ह

जहा तम हो वहा म ह

(iii) दशावाचक अयय- इसस दशा का बोध होता ह जस- इधर उधर िजधर दर पर अलग

दाहन बाए आरपार

(iv) िथतवाचक अयय- नीच ऊपर तल सामन बाहर भीतर इयाद

अयय क भद

अयय ननलखत चार कार क होत ह -

(1) यावशषण (Adverb)

(2) सबधबोधक (Preposition)

(3) समचयबोधक (Conjunction)

(4) वमयादबोधक (Interjection)

(1) यावशषण - िजन शद स या वशषण या दसर यावशषण क वशषता कट

हो उह यावशषण कहत ह

दसर शदो म- जो शद या क वशषता बतलात ह उह या वशषण कहा जाता ह

जस- राम धीर-धीर टहलता ह राम वहा टहलता ह राम अभी टहलता ह

इन वाय म धीर-धीर वहा और अभी राम क टहलन (या) क वशषता बतलात ह य

यावशषण अवकार वशषण भी कहलात ह इसक अतरत यावशषण दसर

यावशषण क भी वशषता बताता ह

वह बहत धीर चलता ह इस वाय म बहत यावशषण ह यक यह दसर यावशषण

धीर क वशषता बतलाता ह

या वशषण क कार

(1) योग क अनसार- (i) साधारण (ii) सयोजक (iii) अनबध

(2) प क अनसार- (i) मल यावशषण (ii) यौगक यावशषण (iii) थानीय यावशषण

(3) अथ क अनसार- (i) परमाणवाचक (ii) रतवाचक

(1) योग क अनसार यावशषण क भद

योग क अनसार यावशषण क तीन भद ह-

(i) साधारण यावशषण- िजन यावशषण का योग कसी वाय म वत होता ह

उह साधारण यावशषण कहा जाता ह

जस- हाय अब म या क बटा जद आओ अर साप कहा गया

(ii) सयोजक यावशषण- िजन यावशषण का सबध कसी उपवाय स रहता ह उह

सयोजक यावशषण कहा जाता ह

जस- जब रोहताव ह नह तो म ह जीकर या कगी जहा अभी सम ह वहा कसी

समय जगल था

(iii) अनबध यावशषण- िजन यावशषण क योग अवधारण (नचय) क लए कसी

भी शदभद क साथ होता हो उह अनबध यावशषण कहा जाता ह

जस- यह तो कसी न धोखा ह दया ह मन उस दखा तक नह

(2) प क अनसार यावशषण क भद

प क अनसार यावशषण क तीन भद ह-

(i) मल यावशषण- ऐस यावशषण जो कसी दसर शद क मल स नह बनत मल

यावशषण कहलात ह

जस- ठक दर अचानक फर नह

(ii) यौगक यावशषण- ऐस यावशषण जो कसी दसर शद म यय या पद जोड़न

पर बनत ह यौगक यावशषण कहलात ह

जस- मन स िजसस चपक स भल स दखत हए यहा तक झट स वहा पर यौगक

यावशषण सा सवनाम वशषण धात और अयय क मल स बनत ह

यौगक यावशषण नीच लख शद क मल स बनत ह-

(i) साओ क वित स- घर-घर घड़ी-घड़ी बीच-बीच हाथ-हाथ

(ii) दो भ साओ क मल स- दन-रात साझ-सबर घर-बाहर दश-वदश

(iii) वशषण क वित स- एक-एक ठक-ठक साफ-साफ

(iv) यावशषण क वित स- धीर-धीर जहा-तहा कब-कब कहा-कहा

(v) दो यावशषण क मल स- जहा-तहा जहा-कह जब-तब जब-कभी कल-परस आस-पास

(vi) दो भ या समान यावशषण क बीच न लगान स- कभी-न-कभी कछ-न-कछ

(vii) अनकरण वाचक शद क वित स- पटपट तड़तड़ सटासट धड़ाधड़

(viii) सा और वशषण क योग स- एक साथ एक बार दो बार

(ix) अय य और दसर शद क मल स- तदन यथाम अनजान आजम

(x) पवकालक कदत और वशषण क मल स- वशषकर बहतकर मयकर एक-एककर

(iii) थानीय यावशषण- ऐस यावशषण जो बना पातर क कसी वशष थान म

आत ह थानीय यावशषण कहलात ह

जस- वह अपना सर पढ़गा

वह दौड़कर चलत ह

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  • (1) अरथ की दषटि स शबद-भद13
  • (2) परयोग की दषटि स शबद-भद13
  • (3) उतपति की दषटि स शबद-भद13
  • 1) सवर सधि-13
  • परति+छवि=परतिचछवि दिक+अनत=दिगनत दिक+गज=दिगगज अन+छद=अनचछद अच +अनत = अजनत 13
  • 3)विसरग सधि - विसरग क साथ सवर या वयजन का मल होन पर जो विकार होता ह उस 13
  • विसरग सधि कहत ह 13
  • मन+रथ=मनोरथ यश+अभिलाषा=यशोभिलाषा अध+गति=अधोगति नि+छल=निशछल द +गम = दरगम 13
    • -पाठ सार-13
    • -वयाखया13
    • -निमनलिखित परशनो क उततर दीजिय ndash13
    • 1-कवि न कसी मतय को समतय कहा ह13
    • अवयय क भद13
    • करिया विशषण क परकार13
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(iii) दशावाचक अयय- इसस दशा का बोध होता ह जस- इधर उधर िजधर दर पर अलग

दाहन बाए आरपार

(iv) िथतवाचक अयय- नीच ऊपर तल सामन बाहर भीतर इयाद

अयय क भद

अयय ननलखत चार कार क होत ह -

(1) यावशषण (Adverb)

(2) सबधबोधक (Preposition)

(3) समचयबोधक (Conjunction)

(4) वमयादबोधक (Interjection)

(1) यावशषण - िजन शद स या वशषण या दसर यावशषण क वशषता कट

हो उह यावशषण कहत ह

दसर शदो म- जो शद या क वशषता बतलात ह उह या वशषण कहा जाता ह

जस- राम धीर-धीर टहलता ह राम वहा टहलता ह राम अभी टहलता ह

इन वाय म धीर-धीर वहा और अभी राम क टहलन (या) क वशषता बतलात ह य

यावशषण अवकार वशषण भी कहलात ह इसक अतरत यावशषण दसर

यावशषण क भी वशषता बताता ह

वह बहत धीर चलता ह इस वाय म बहत यावशषण ह यक यह दसर यावशषण

धीर क वशषता बतलाता ह

या वशषण क कार

(1) योग क अनसार- (i) साधारण (ii) सयोजक (iii) अनबध

(2) प क अनसार- (i) मल यावशषण (ii) यौगक यावशषण (iii) थानीय यावशषण

(3) अथ क अनसार- (i) परमाणवाचक (ii) रतवाचक

(1) योग क अनसार यावशषण क भद

योग क अनसार यावशषण क तीन भद ह-

(i) साधारण यावशषण- िजन यावशषण का योग कसी वाय म वत होता ह

उह साधारण यावशषण कहा जाता ह

जस- हाय अब म या क बटा जद आओ अर साप कहा गया

(ii) सयोजक यावशषण- िजन यावशषण का सबध कसी उपवाय स रहता ह उह

सयोजक यावशषण कहा जाता ह

जस- जब रोहताव ह नह तो म ह जीकर या कगी जहा अभी सम ह वहा कसी

समय जगल था

(iii) अनबध यावशषण- िजन यावशषण क योग अवधारण (नचय) क लए कसी

भी शदभद क साथ होता हो उह अनबध यावशषण कहा जाता ह

जस- यह तो कसी न धोखा ह दया ह मन उस दखा तक नह

(2) प क अनसार यावशषण क भद

प क अनसार यावशषण क तीन भद ह-

(i) मल यावशषण- ऐस यावशषण जो कसी दसर शद क मल स नह बनत मल

यावशषण कहलात ह

जस- ठक दर अचानक फर नह

(ii) यौगक यावशषण- ऐस यावशषण जो कसी दसर शद म यय या पद जोड़न

पर बनत ह यौगक यावशषण कहलात ह

जस- मन स िजसस चपक स भल स दखत हए यहा तक झट स वहा पर यौगक

यावशषण सा सवनाम वशषण धात और अयय क मल स बनत ह

यौगक यावशषण नीच लख शद क मल स बनत ह-

(i) साओ क वित स- घर-घर घड़ी-घड़ी बीच-बीच हाथ-हाथ

(ii) दो भ साओ क मल स- दन-रात साझ-सबर घर-बाहर दश-वदश

(iii) वशषण क वित स- एक-एक ठक-ठक साफ-साफ

(iv) यावशषण क वित स- धीर-धीर जहा-तहा कब-कब कहा-कहा

(v) दो यावशषण क मल स- जहा-तहा जहा-कह जब-तब जब-कभी कल-परस आस-पास

(vi) दो भ या समान यावशषण क बीच न लगान स- कभी-न-कभी कछ-न-कछ

(vii) अनकरण वाचक शद क वित स- पटपट तड़तड़ सटासट धड़ाधड़

(viii) सा और वशषण क योग स- एक साथ एक बार दो बार

(ix) अय य और दसर शद क मल स- तदन यथाम अनजान आजम

(x) पवकालक कदत और वशषण क मल स- वशषकर बहतकर मयकर एक-एककर

(iii) थानीय यावशषण- ऐस यावशषण जो बना पातर क कसी वशष थान म

आत ह थानीय यावशषण कहलात ह

जस- वह अपना सर पढ़गा

वह दौड़कर चलत ह

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  • (1) अरथ की दषटि स शबद-भद13
  • (2) परयोग की दषटि स शबद-भद13
  • (3) उतपति की दषटि स शबद-भद13
  • 1) सवर सधि-13
  • परति+छवि=परतिचछवि दिक+अनत=दिगनत दिक+गज=दिगगज अन+छद=अनचछद अच +अनत = अजनत 13
  • 3)विसरग सधि - विसरग क साथ सवर या वयजन का मल होन पर जो विकार होता ह उस 13
  • विसरग सधि कहत ह 13
  • मन+रथ=मनोरथ यश+अभिलाषा=यशोभिलाषा अध+गति=अधोगति नि+छल=निशछल द +गम = दरगम 13
    • -पाठ सार-13
    • -वयाखया13
    • -निमनलिखित परशनो क उततर दीजिय ndash13
    • 1-कवि न कसी मतय को समतय कहा ह13
    • अवयय क भद13
    • करिया विशषण क परकार13
Page 43: Class –X HINDI JUNE SYLLABUS 2020 Chapters:- Ch-1-Sanchayan …punainternationalschool.com/assets/upload/ck-images/Std-10th=Jun… · -harihar kaka . पय-भाग पाठ-3

जस- जब रोहताव ह नह तो म ह जीकर या कगी जहा अभी सम ह वहा कसी

समय जगल था

(iii) अनबध यावशषण- िजन यावशषण क योग अवधारण (नचय) क लए कसी

भी शदभद क साथ होता हो उह अनबध यावशषण कहा जाता ह

जस- यह तो कसी न धोखा ह दया ह मन उस दखा तक नह

(2) प क अनसार यावशषण क भद

प क अनसार यावशषण क तीन भद ह-

(i) मल यावशषण- ऐस यावशषण जो कसी दसर शद क मल स नह बनत मल

यावशषण कहलात ह

जस- ठक दर अचानक फर नह

(ii) यौगक यावशषण- ऐस यावशषण जो कसी दसर शद म यय या पद जोड़न

पर बनत ह यौगक यावशषण कहलात ह

जस- मन स िजसस चपक स भल स दखत हए यहा तक झट स वहा पर यौगक

यावशषण सा सवनाम वशषण धात और अयय क मल स बनत ह

यौगक यावशषण नीच लख शद क मल स बनत ह-

(i) साओ क वित स- घर-घर घड़ी-घड़ी बीच-बीच हाथ-हाथ

(ii) दो भ साओ क मल स- दन-रात साझ-सबर घर-बाहर दश-वदश

(iii) वशषण क वित स- एक-एक ठक-ठक साफ-साफ

(iv) यावशषण क वित स- धीर-धीर जहा-तहा कब-कब कहा-कहा

(v) दो यावशषण क मल स- जहा-तहा जहा-कह जब-तब जब-कभी कल-परस आस-पास

(vi) दो भ या समान यावशषण क बीच न लगान स- कभी-न-कभी कछ-न-कछ

(vii) अनकरण वाचक शद क वित स- पटपट तड़तड़ सटासट धड़ाधड़

(viii) सा और वशषण क योग स- एक साथ एक बार दो बार

(ix) अय य और दसर शद क मल स- तदन यथाम अनजान आजम

(x) पवकालक कदत और वशषण क मल स- वशषकर बहतकर मयकर एक-एककर

(iii) थानीय यावशषण- ऐस यावशषण जो बना पातर क कसी वशष थान म

आत ह थानीय यावशषण कहलात ह

जस- वह अपना सर पढ़गा

वह दौड़कर चलत ह

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  • (1) अरथ की दषटि स शबद-भद13
  • (2) परयोग की दषटि स शबद-भद13
  • (3) उतपति की दषटि स शबद-भद13
  • 1) सवर सधि-13
  • परति+छवि=परतिचछवि दिक+अनत=दिगनत दिक+गज=दिगगज अन+छद=अनचछद अच +अनत = अजनत 13
  • 3)विसरग सधि - विसरग क साथ सवर या वयजन का मल होन पर जो विकार होता ह उस 13
  • विसरग सधि कहत ह 13
  • मन+रथ=मनोरथ यश+अभिलाषा=यशोभिलाषा अध+गति=अधोगति नि+छल=निशछल द +गम = दरगम 13
    • -पाठ सार-13
    • -वयाखया13
    • -निमनलिखित परशनो क उततर दीजिय ndash13
    • 1-कवि न कसी मतय को समतय कहा ह13
    • अवयय क भद13
    • करिया विशषण क परकार13