issued by kendriya vidyalaya - downloaded from … class xii hindi part b.pdfप्रश्न४...

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50 है |उसके ऩचात तननक रालरभा के लभण से कारी लसर का जया से रार केसय से ध रना सटीक उऩभान है तथा मट की रालरभा के यात की कारी माही भ घ र जाने का स दय बफॊफ त कयता है | धीये –धीये रासरभा बी सभात हो जाती है औय फह का नीरा आकाश नीर जर का आबास देता है ि मट की वखणटभ आबा गौयवणी देह के नीर जर भ नहा कय नकरने की उऩभा को साथयक सध कयती है | न२ :- बोय का नब याख से रीऩा चौका (अबी गीरा ऩड़ा है ) नमी कविता भ कोठक ,वियाभ धचन औय ऩॊतम के फीच का थान बी कविता को अथय देता है |उऩम त ऩॊतम भ कोठक से कविता भ मा विशे अथय ऩैदा ह आ है ? सभझाइए | उतय :- नई कविता मोग धभी है |इसभ बाा- सशऩ के तय ऩय हय नए मोग से अथय की असबवमत की जाती है|ाम: कोठक अनतरयत ऻान की स चना देता है|महाॉ अबी गीरा ऩड़ा है के भामभ से कवि गीरेऩन की ताजगी को ऩट कय यहा है |ताजा गीराऩन रेटी यॊग को अधधक गहया फना देता है जफक स खने के फाद याख हके रेटी यॊग की हो जाती है| 7. फादर याग मटकाॊत बऩािी ननयारा नयारा की मह कविता अनासभका भ छह खॊड भ कासशत है।महाॊ उसका छठा खॊड सरमा गमा है|आभ आदभी के द ख से त कवि ऩरयितयन के सरए ाॊनत रऩी फादर का आिान कयता है |इस कविता भ फादर ाॊनत मा वतरव का तीक है। कवि विरि के फादर को सॊफोधधत कयते ए कहता है क जन भन की आकाॊाओॊ से बयी-तेयी नाि सभीय ऱऩी सागय ऩय तैय यही है। अथय स ख ऩय द ख की छामा तैयती हदखाई देती है। सॊसाय के रोग के लदम दध ह(द खी)उन ऩय नदयमी विरि अथायत् ाॊनत की भामा पैरी ह ई है। फादर के गजटन से ऩ वी के गबट भ सोए अॊक य फाहय ननकर आते ह अथायत शोवत िगय सािधान हो जाता है औआशा बयी जट से ाॊनत की ओय देखने रगता है। उनकी आशा ाॊनत ऩय ही हटकी है। फादर की गजयना औसराधाय िाय भ फड़े - फड़े ऩियत ि घफया जाते ह।उनको उखड़कय धगय जाने का बम होता है |ानत की ह काय से जीऩनत घफया उिते ह , िहदर थाभ कय यह जाते ह। ाॊनत को तो छोटे- ISSUED BY KENDRIYA VIDYALAYA - DOWNLOADED FROM WWW.STUDIESTODAY.COM ISSUED BY KENDRIYA VIDYALAYA - DOWNLOADED FROM WWW.STUDIESTODAY.COM

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Page 1: ISSUED BY KENDRIYA VIDYALAYA - DOWNLOADED FROM … Class XII Hindi Part B.pdfप्रश्न४ :-फादर क / फयन का गयीफ एि धनी िगय क्मा

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ह |उसक ऩशचात तननक रालरभा क लभशरण स कारी लसर का जया स रार कसय स धरना सटीक उऩभान ह तथा समट की रालरभा क यात की कारी समाही भ घर जान का सॊदय बफॊफ परसतत कयता ह | धीय ndashधीय रासरभा बी सभापत हो जाती ह औय सफह का नीरा आकाश नीर जर का आबास दता ह ि समट की सवखणटभ आबा गौयवणी दह क नीर जर भ नहा कय ननकरन की उऩभा को साथयक ससदध कयती ह | परशन२ -

बोय का नब याख स रीऩा चौका (अबी गीरा ऩड़ा ह )

नमी कविता भ कोरषठक वियाभ धचहनो औय ऩॊनदकतमो क फीच का सथान बी कविता को अथय दता ह |उऩमयकत ऩॊनदकतमो भ कोरषठक स कविता भ कमा विशर अथय ऩदा हआ ह सभझाइए |

उततय - नई कविता परमोग धभी ह |इसभ बारा- सशलऩ क सतय ऩय हय नए परमोग स अथय की असबवमनदकत की जाती ह|पराम कोरषठक अनतरयकत ऻान की सचना दता ह|महाॉ अबी गीरा ऩड़ा ह क भाधमभ स कवि गीरऩन की ताजगी को सऩरषट कय यहा ह |ताजा गीराऩन सरटी यॊग को अधधक गहया फना दता ह जफकक सखन क फाद याख हलक सरटी यॊग की हो जाती ह|

7 फादर याग

समटकाॊत बतरऩािी ननयारा

ननयारा की मह कविता अनासभका भ छह खॊडो भ परकासशत हमहाॊ उसका छठा खॊड सरमा गमा ह|आभ आदभी क द ख स तरसत कवि ऩरयितयन क सरए कराॊनत रऩी फादर का आहिान कयता ह |इस कविता भ फादर कराॊनत मा पवतरव का परतीक ह कवि विपरि क फादर को सॊफोधधत कयत हए कहता ह कक जन भन की आकाॊाओॊ स बयी-तयी नाि सभीय रऩी सागय ऩय तय यही ह अनदसथय सख ऩय द ख की छामा तयती हदखाई दती ह सॊसाय क रोगो क रदम दगध ह(द खी) उन ऩय ननदयमी विपरि अथायत कराॊनत की भामा परी हई ह फादरो क गजटन स ऩथवी क गबट भ सोए अॊकय फाहय ननकर आत ह अथायत शोवरत िगय सािधान हो जाता ह औय आशा बयी दजषट स कराॊनत की ओय दखन रगता ह उनकी आशा कराॊनत ऩय ही हटकी ह फादरो की गजयना औय भसराधाय िराय भ फड़ -फड़ ऩियत ि घफया जात हउनको उखड़कय धगय जान का बम होता ह |करानत की हॊकाय स ऩॉजीऩनत घफया उित ह ि हदर थाभ कय यह जात ह कराॊनत को तो छोट-

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छोट रोग फरात ह नदजस परकाय छोट छोट ऩौध हाथ हहराकय-फादरो क आगभन का सवागत कयत ह िस ही शोवरत िगय कराॊनत क आगभन का सिागत कयता ह

छामावादी कपव ननयारा साममवादी परबाव स बी जड़ हभकत छॊद हहनददी को उनदहीॊ की दन हशोपषत वगट की सभसमाओॊ को सभातत कयन क सरए कराॊनत रऩी फादर का आहवान ककमा गमा ह

अथट-गरहण-सॊफॊधी परशन

कपवताndash

फादर याग

ldquoनतयती ह सभीय-सागय ऩय

अनदसथय सख ऩय द ख की छामा ndash

जग क दगध रदम ऩय

ननदयम विपरि की परावित भामा-

मह तयी यण-तयी

बयी आकाॊाओॊ स

घन बयी ndashगजयन स सजग सपत अॊकय

उय भ ऩथिी क आशाओॊ स निजीिन की ऊॊ चा कय ससय

ताक यह ह ऐ विपरि क फादर

कपय ndashकपय

फाय ndashफाय गजयन

िरयण ह भसरधाय

रदम थाभ रता सॊसाय

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सन- सन घोय िजर हॊकाय |

अशनन ऩात स शानमत शत-शत िीय

त ndashवित हत अचर शयीय

गगन- सऩशी सऩदधाय धीय |rdquo

परशन१- कविता भ फादर ककस का परतीक हऔय कमो

उततय -फादरयाग कराॊनत का परतीक ह इन दोनो क आगभन क उऩयाॊत विशि हया- बया सभदध औय सिसथ हो जाता ह

परशन २ -सख को अनदसथय कमो कहा गमा ह

उततय -सख सदि फना नहीॊ यहता अत उस अनदसथय कहा जाता ह

परशन३ -विपरिी फादर की मदध रऩी नौका की कमा- कमा विशरताएॊ ह

उततय -फादरो क अॊदय आभ आदभी की इचछाएॉ बयी हई हनदजस तयह स मदरध नौका भ मदध की साभगरी बयी होती हमदध की तयह फादर क आगभन ऩय यणबयी फजती ह साभानदमजन की आशाओॊ क अॊकय एक साथ पट ऩड़त ह

परशन४ -फादर क फयसन का गयीफ एिॊ धनी िगय स कमा सॊफॊध जोड़ा गमा ह

उततय-फादर क फयसन स गयीफ िगय आशा स बय जाता ह एिॊ धनी िगय अऩन विनाश की आशॊका स बमबीत हो उठता ह

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सौदमट-फोध-सॊफॊधी परशन

ldquoहॉसत ह छोट ऩौध रघबाय-

शसम अऩाय

हहर हहर

णखर णखर

हाथ हहरात

तझ फरात

विपरि यि स छोट ही ह शोबा ऩात|rdquo

परशन १- ननमन सरणखत परतीको को सऩरषट कीनदजएndash छोट ऩौध सपत अॊकय

उततय - छोट ऩौध- शोवरत िगय सपत अॊकय- आशाएॊ

परशन२- lsquoहॉसत ह छोट ऩौधrsquo-का परतीकाथय सऩरषट कीनदजए |

उततय -परसनदन धचतत ननधयन िगय जो कराॊनत की सॊबािना भातर स णखर उठता ह

परशन३-lsquoछोट ही ह शोबा ऩातrsquo भ ननहहत राणणकता कमा ह

उततय-फचऩन भ भनरषम नननदशचॊत होता ह ननधयन भनरषम उस फचच क सभान ह जो कराॊनत क सभम बी ननबयम होता ह औय अॊतत राबानदनदित होता ह

कपवताndash

फादर याग

पवषम-वसत ऩय आधारयत परशनोततय

परशन१- ऩॊजीऩनतमो की अटटासरकाओॊ को आतॊक बिन कमो कहा गमा ह

उततय -फादरो की गजयना औय भसराधाय िराय भ फड़ -फड़ ऩियत ि घफया जात हउनको उखड़कय धगय जान का बम होता ह |उसी परकाय करानत की हॊकाय स ऩॉजीऩनत घफया उित ह ि

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हदर थाभ कय यह जात हउनदह अऩनी सॊऩजतत एवॊ सतता क नछन जान का बम होता ह | उनकी अटटालरकाएॉ भजफती का भरभ उतऩनदन कयती ह ऩय िासति भ ि अऩन बवनो भ आतॊककत होकय यहत ह|

परशन२- कवि न ककसान का जो शबद-धचतर हदमा ह उस अऩन शबदो भ सरणखए |

उततय - ककसान क जीवन का यस शोषको न चस लरमा ह आशा औय उतसाह की सॊजीवनी सभातत हो चकी ह |शयीय स बी िह दफटर एवॊ खोखरा हो चका ह | कराॊनत का बफगर उसक रदम भ आशा का सॊचाय कयता ह |िह खखरखखरा कय फादर रऩी कराॊनत का सवागत कयता ह |

परशन३- अशनन ऩात कमा ह

उततय- फादर की गजयना क साथ बफजरी धगयन स फड़ ndashफड़ व जर कय याख हो जात ह | उसी परकाय कराॊनत की आॊधी आन स शोषक धनी वगट की सतता सभातत हो जाती ह औय ि खतभ हो जात ह |

परशन४- ऩथिी भ सोम अॊकय ककस आशा स ताक यह ह

उततय - फादर क फयसन स फीज अॊकरयत हो रहरहान रगत ह | अत फादर की गजयन उनभ आशाएॉ उतऩनदन कयती ह | ि ससय ऊॉ चा कय फादर क आन की याह ननहायत ह | ठीक उसी परकाय ननधयन वमनदकत शोषक क अतमाचाय स भजकत ऩान औय अऩन जीिन की खशहारी की आशा भ कराॊनत रऩी फादर की परतीा कयत ह |

परशन५- रदध कोर ह बदध तोर ndashककसक सरए कहा गमा ह औय कमो

उततय - कराॊनत होन ऩय ऩॊजीऩनत िगय का धन नछन जाता हकोष रयकत हो जाता ह | उसक धन की आभद सभातत हो जाती ह | उसका सॊतोष बी अफ lsquoफीत ठदनो की फातrsquo हो जाता ह |

परशन६- अनदसथय सख ऩय द ख की छामा का बाि सऩरषट कीनदजए |

उततय - भानि-जीिन भ सख सदा फना नहीॊ यहता ह उस ऩय द ख की छामा सदा भॊडयाती यहती ह |

परशन७- फादर ककस का परतीक ह

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उततय - फादर इस कविता भ कराॊनत का परतीक ह | नदजस परकाय फादर परकनत ककसान औय आभ आदभी क जीवन भ आनॊद का उऩहाय र कय आता ह उसी परकाय कराॊनत ननधयन शोवरत िगय क जीिन भ सभानता का अधधकाय व सॊऩननता र कय आता ह

परशन८- फादर को जीिन का ऩायािाय कमो कहा गमा ह

उततय - कराॊनत रऩी फादर का आगभन जीवनदामी सखद होता ह -ऩायािाय अथायत सागय | िह जीवन भ खलशमो का खजाना रकय आता ह | ननधटन वगट को सभानता का अधधकाय दता ह |सख सभपदध का कायक फनकय अतमाचाय की अजगन स भकत कयता ह |

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8 कपवतावरी

तरसीदास

साय

शरीयाभजी को सभवऩयत गरनदथ शरीयाभचरयतभानस उततय बायत भ फड़ बनदकतबाि स ऩढ़ा जाता ह रकषभण -भचछाट औय याभ का पवराऩ

यािण ऩतर भघनाद दिाया शनदकत फाण स भनछयत हए रकषभण को दखकय याभ वमाकर हो जात हसरण िदम न सॊजीिनी फटी रान क सरए हनभान को हहभारम ऩियत ऩय बजाआधी यात वमतीत होन ऩय जफ हनभान नहीॊ आएतफ याभ न अऩन छोटबाई रकषभण को उठाकय रदम स रगा सरमा औय साधायण भनरषम की बाॉनत विराऩ कयन रगयाभ फोर ह बाई तभ भझ

कबी दखी नहीॊ दख सकत थतमहाया सिबाि सदा स ही कोभर थातभन भय सरए भाता वऩता को बी छोड़ हदमा औय भय साथ िन भ सदकगभी औय विसबनदन परकाय की विऩयीत ऩरयनदसथनतमो को बी सहा|जस ऩॊख बफना ऩीभणण बफना सऩय औय सॉड बफना शररषठ हाथी अतमॊत दीन हो जात हह बाईमहद भ जीवित यहता हॉ तो भयी दशा बी िसी ही हो जाएगी

भ अऩनी ऩतनी क सरए अऩन वपरम बाई को खोकय कौन सा भॉह रकय अमोधमा जाऊॉ गाइस फदनाभी को बर ही सह रता कक याभ कामय ह औय अऩनी ऩतनी को खो फठा सतरी की हानन विशर नत नहीॊ हऩयनदत बाई को खोना अऩयणीम नत ह

lsquoयाभचरयतभानसrsquo क lsquoरॊका काॊडrsquo स गही रकषभण को शजकत फाण रगन का परसॊग कवि की भासभयक सथरो की ऩहचान का एक शररषठ नभना ह बाई क शोक भ विगसरत याभ का पवराऩ धीय -धीय परराऩ भ फदर जाता ह नदजसभ रकषभण क परनत याभ क अॊतय भ नछऩ परभ क कई कोण सहसा अनाित हो जात हमह परसॊग ईशवय याभ भ भानव सरब गणो का सभनवम कय दता ह | हनभान का सॊजीिनी रकय आ जाना करण यस भ वीय यस का उदम हो जान क सभान ह|

विनम ऩबतरका एक अनदम भहततिऩणय तरसीदासकत कावम ह

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कपवतत औय सवमा

साय

इस शीरयक क अॊतगयत दो कवितत औय एक सिमा सॊकसरत ह lsquoकवितािरीrsquo स अितरयत इन कविततो भ कवि तरसी का पवपवध पवषभताओॊ स गरसत कलरकारतरसी का मगीन मथाथट ह नदजसभ ि कऩार परब याभ व याभयाजम का सवतन यचत ह मग औय उसभ अऩन जीिन का न ससपय उनदह गहया फोध ह फनदलक उसकी असबवमनदकत भ बी ि अऩन सभकारीन कविमो स आग ह महाॉ ऩाठ भ परसतत lsquoकवितािरीrsquo क छॊद इसक परभाण -सिरऩ ह ऩहर छॊद rdquoककसिी ककसान ldquo भ उनदहोन हदखरामा ह कक सॊसाय क अचछ फय सभसत-रीरा परऩॊचो का आधाय-lsquoऩट की आगrsquoका गहन मथाथय ह नदजसका सभाधान ि याभ की बनदकत भ दखत ह दरयदरजन की वमथा दय कयन क सरए याभ रऩी घनशमाभ का आहिान ककमा गमा ह ऩट की आग फझान क लरए याभ रऩी वषाट का जर अननवामट हइसक सरए अननतक कामट कयन की आवशमकता नहीॊ हlsquo इस परकाय उनकी याभ बनदकत ऩट की आग फझान िारी मानी जीवन क मथाथट सॊकटो का सभाधान कयन वारी ह न कक किर आधमानदतभक भनदकत दन िारी| गयीफी की ऩीड़ा यावण क सभान दखदामी हो गई ह

तीसय छॊद )rdquoधत कहौldquo) भ बनदकत की गहनता औय सघनता भ उऩज बकतरदम क आतभपवशवास का सजीव धचतरणह नदजसस सभाज भ वमापत जातऩाॉत औय दयागरहो क -नतयसकाय का साहस ऩदा होता ह इस परकाय बजकत की यचनातभक बलभका का सॊकत महाॉ ह

जो आज क बदबाव भरक मग भ अधधक परासॊधगक ह |

अथट-गरहण-सॊफॊधी परशन

ldquoउहाॉ याभ रनछभनहहॊ ननहायी फोर फचन भनज अनसायी

अधय यानत गइ कवऩ नहहॊ आमउ याभ उठाइ अनज उय रामउ

सकह न दणखत दणख भोहह काऊ फॊध सदा ति भदर सबाऊ

भभ हहत राधग तजह वऩत भाता सहह बफवऩन हहभ आतऩ फाता

सो अनयाग कहाॉ अफ बाई उठह न सनन भभ फच बफकराई

जौ जनतउॉ फन फॊध बफछोह वऩता फचन भनतउॉ नहहॊ ओह

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सत बफत नारय बिन ऩरयिाया होहहॊ जाहहॊ जग फायहहॊ फाया

अस बफचारय नदजमॉ जागह ताता सभरइ न जगत सहोदय भाता

जथा ऩॊख बफन खग अनत दीना भनन बफन पनन करयफय कय हीना

अस भभ नदजिन फॊध बफन तोही जौ जड़ दि नदजआि भोही

जहउॉ अिध किन भह राई नारय हत वपरम बाइ गॉिाई

फर अऩजस सहतउॉ जग भाहीॊ नारय हानन बफसर छनत नाहीॊ

अफ अऩरोक सोक सत तोया सहहहह ननठय कठोय उय भोया

ननज जननी क एक कभाया तात तास तमह परान अधाया

सौऩसस भोहह तमहहह गहह ऩानी सफ बफधध सखद ऩयभ हहत जानी

उतर काह दहउॉ तहह जाई उहठ ककन भोहह ससखािह बाईldquo

परशन१-lsquoफोर फचन भनज अनसायीrsquo- का तातऩमय कमा ह

उततय - बाई क शोक भ विगसरत याभ का पवराऩ धीय- -धीय परराऩ भ फदर जाता ह नदजसभ रकषभण क परनत याभ क अॊतय भ नछऩ परभ क कई कोण सहसा अनाित हो जात ह मह परसॊग ईशवय याभ भ भानव सरब गणो का सभनवम कय दता ह| ि भनरषम की बाॊनत विचसरत हो कय ऐस िचन कहत ह जो भानिीम परकनत को ही शोबा दत ह |

परशन२- याभ न रकषभण क ककन गणो का िणयन ककमा ह

उततय -याभ न रकषभण क इन गणो का िणयन ककमा ह-

रकषभण याभ स फहत सनह कयत ह | उनदहोन बाई क सरए अऩन भाता ndashवऩता का बी तमाग कय हदमा | ि िन भ िराय हहभ धऩ आहद करषटो को सहन कय यह ह | उनका सिबाि फहत भदर ह |ि बाई क द ख को नहीॊ दख सकत |

परशन३- याभ क अनसाय कौन सी िसतओॊ की हानन फड़ी हानन नहीॊ ह औय कमो

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उततय -याभ क अनसाय धन ऩतर एिॊ नायी की हानन फड़ी हानन नहीॊ ह कमोकक म सफ खो जान ऩय ऩन परापत ककम जा सकत ह ऩय एक फाय सग बाई क खो जान ऩय उस ऩन परापत नहीॊ ककमा जा सकता |

परशन४- ऩॊख क बफना ऩी औय सॊड क बफना हाथी की कमा दशा होती ह कावम परसॊग भ इनका उलरख कमो ककमा गमा ह

उततय - याभ विराऩ कयत हए अऩनी बािी नदसथनत का िणयन कय यह ह कक जस ऩॊख क बफना ऩी औय सॊड क बफना हाथी ऩीडड़त हो जाता ह उनका अनदसतति नगणम हो जाता ह िसा ही असहनीम करषट याभ को रकषभण क न होन स होगा |

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सौदमट-फोध-सॊफॊधी परशन

परशन१- कावमाॊश की बारा सौदमय सॊफॊधी दो विशरताओॊ का उललरख कीनदजए|

उततय- १यस -करण यस

२ अरॊकाय - उतपरा अरॊकायndash

भन करणा भॊह फीय यस

जागा ननससचय दणखअ कसाभानहॉ कार दह धरय फसा

दरषटाॊत अरॊकाय - जथा ऩॊख बफन खग अनत दीनाभनन बफन पनन करयफय कय हीना

अस भन नदजिन फॊध बफन तोहीजो जड़ दि नदजआि भोही

वियोधाबास अरॊकाय -फहबफधध सोचत सोच बफभोचन

परशन२- कावमाॊश की बारा का नाभ सरणखए |

उततय - अिधी बारा

परशन३- कावमाॊश भ परमकत छॊद कौन ndashसा ह

उततय- १६१६ भातराओॊ का सभ भाबतरक चौऩाई छॊद |

सौदमट-फोध-सॊफॊधी परशन

ldquoककसफी ककसान-कर फननक सबखायी बाट चाकय चऩर नट चोय चाय चटकी| ऩटको ऩढतगन गढ़त चढ़त धगरय अटत गहन ndashगन अहन अखटकी|

ऊॊ च ndashनीच कयभ धयभ ndashअधयभ करय ऩट ही को ऩचत फचत फटा ndashफटकी |

lsquoतरसीrsquo फझाई एक याभ घनसमाभ ही त आधग फड़िाधगत फड़ी ह आधग ऩटकी|rdquo

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परशन१- कवितािरी ककस बारा भ सरखी गई ह

उततय - बरज बारा

परशन२- कवितािरी भ परमकत छॊद एिॊ यस को सऩरषट कीनदजए |

उततय - इस ऩद भ 31 31 िणो का चाय चयणो िारा सभिणणयक कवितत छॊद ह नदजसभ 16 एिॊ 15 िणो ऩय वियाभ होता ह

परशन३- कवितत भ परमकत अरॊकायो को छाॊट कय सरणखए

१ अनपरास अॊरकायndash

ककसफी ककसान-कर फननक सबखायी बाट

चाकय चऩर नट चोय चाय चटकी|

२ रऩक अरॊकायndash याभndash घनशमाभ

३ अनतशमोनदकत अरॊकायndash आधग फड़िाधग त फडड़ ह आग ऩट की

रकषभण- भचछाट औय याभ का पवराऩ

पवषम-वसत ऩय आधारयत परशनोततय

परशन १-lsquoति परताऩ उय याणख परब भ ककसक परताऩ का उलरख ककमा गमा हrsquoऔय कमो

उततय -इन ऩॉनदकतमो भ बयत क परताऩ का उलरख ककमा गमा ह हनभानजी उनक परताऩ का सभयण कयत हए अमोधमा क ऊऩय स उड़त हए सॊजीिनी र कय रॊका की ओय चर जा यह ह

परशन२- याभ विराऩ भ रकषभण की कौन सी विशरताएॉ उदघहटत हई ह

उततय -रकषभण का भात परभ तमागभम जीिन इन ऩॉनदकतमो क भाधमभ स उदघाहटत हआ ह

परशन३- फोर िचन भनज अनसायी स कवि का कमा तातऩमय ह

उततय -बगिान याभ एक साधायण भनरषम की तयह विराऩ कय यह ह ककसी अितायी भनरषम की तयह नहीॊ भात परभ का धचतरण ककमा गमा हतरसीदास की भानिीम बािो ऩय सशकत ऩकड़ हदिीम वमनदकतति का रीरा रऩ ईशिय याभ को भानिीम बािो स सभनदनदित कय दता ह

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परशन४- बाई क परनत याभ क परभ की परगाढ़ता उनक ककन विचायो स वमकत हई ह

उततय - जथा ऩॊख बफन खग अनत दीना

भनन बफन पनन करयफय कय हीना

अस भभ नदजिन फॊध बफन तोही

जो जड़ दि नदजआि भोही

परशन५- lsquoफहविधध सोचत सोचविभोचनrsquo का वियोधाबास सऩरषट कीनदजए

उततय -दीनजन को शोक स भकत कयन िार बगिान याभ सिमॊ फहत परकाय स सोच भ ऩड़कय दखी हो यह ह

परशन६- हनभान का आगभन करणा भ िीय यस का आना ककस परकाय कहा जा सकता ह

उततय -रदन कयत िानय सभाज भ हनभान उतसाह का सॊचाय कयन िार िीय यस क रऩ भ आ गए करणा की नदी हनभान दिाया सॊजीिनी र आन ऩय भॊगरभमी हो उठती ह

कपवतत औय सवमा

पवषम-वसत ऩय आधारयत परशनोततय

परशन१- ऩट की बख शाॊत कयन क सरए रोग कमा कमा कयत ह

उततय -ऩट की आग फझान क सरए रोग अननतक कामय कयत ह

परशन२- तरसीदास की दनदरषट भ साॊसारयक दखो स ननिनदतत का सिोततभ उऩाम कमा ह

उततय - ऩट की आग फझान क सरए याभ कऩा रऩी िराय का जर अननिामय हइसक सरए अननतक कामय कयन की आिशमकता नहीॊ ह

परशन३- तरसी क मग की सभसमाओॊ का धचतरण कीनदजए

उततय - तरसी क मग भ पराकनतक औय परशासननक िरमम क चरत उतऩनदन ऩीडा दरयदरजन क सरए यािण क सभान दखदामी हो गई ह

परशन४- तरसीदास की बनदकत का कौन सा सिरऩ परसतत कविततो भ असबवमकत हआ ह

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उततय - तरसीदास की बनदकत का दासम बाि सिरऩ परसतत कविततो भ असबवमकत हआ ह

9 रफाइमाॉ

कफ़याक गोयखऩयी

भर नाभndash यघऩनत सहाम कफ़याक

उदय शामयी की रयिामत क विऩयीत कपयाक गोयखऩयी क साहहतम भ रोक जीिन एिॊ परकनत की झरक सभरती ह साभानदजक सॊिदना िमनदकतक अनबनत फन कय उनकी यचनाओॊ भ वमकत हई हजीिन का कठोय मथाथय उनकी यचनाओॊ भ सथान ऩाता हउनदहोन रोक बारा क परतीको का परमोग ककमा ह राणणक परमोग उनकी बारा की विशरता हकियाक की रफाईमो भ घयर हहॊदी का रऩ हदखता ह |

रफाई उदय औय िायसी का एक छॊद मा रखन शरी ह नदजसभ चाय ऩॊनदकतमाॉ होती ह |इसकी ऩहरी दसयी औय चौथी ऩॊनदकत भ तक (काकिमा)सभरामा जाता ह तथा तीसयी ऩॊनदकत सिचछॊद होती ह |

ldquoिो रऩिती भखड़ ऩ इक नभय दभकrdquo

ldquoफचच क घयोद भ जराती ह हदएldquo

ldquoयाफॊधन की सफह यस की ऩतरीrdquo

ldquoबफजरी की तयह चभक यह ह रचछrdquo

ldquoबाई क ह फाॉधती चभकती याखीldquo- जस परमोग उनकी बारा की सशकतता क नभन क तौय ऩय दख जा सकत ह |

साय

रफाइमाॉ

याफॊधन एक भीठा फॊधन ह याफॊधन क कचच धागो ऩय बफजरी क रचछ ह सािन भ याफॊधन आता ह सािन का जो सॊफॊध झीनी घटा स ह घटा का जो सॊफॊध बफजरी स ह िही सॊफॊध बाई का फहन स होता ह

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गज़र

ऩाठ भ कपयाक की एक गज़र बी शासभर ह रफाइमो की तयह ही कपयाक की गजरो भ बी हहॊदी सभाज औय उदय शामयी की ऩयॊऩया बयऩय ह इसका अदभत नभना ह मह गज़र मह गज़र कछ इस तयह फोरती ह कक नदजसभ ददय बी ह एक शामय की ठसक बी ह औय साथ ही ह कावम-सशलऩ की िह ऊॉ चाई जो गज़र की विशरता भानी जाती ह

अथट-गरहण-सॊफॊधी परशन

ldquoआॉगन भ सरए चाॉद क टकड़ को खड़ी

हाथो ऩ झराती ह उस गोद-बयी

यह-यह क हिा भ जो रोका दती ह

गॉज उठती ह णखरणखरात फचच की हॉसीrdquo

परशन१- lsquoचाॉद क टकड़rsquoका परमोग ककसक सरए हआ ह औय कमो

उततय -फचच को चाॉद का टकड़ा कहा गमा ह जो भाॉ क सरए फहत पमाया होता ह

परशन२- गोद-बयी परमोग की विशरता को सऩरषट कीनदजए |

उततय - गोद-बयी शबद-परमोग भाॉ क वातसलमऩणट आनॊठदत उतसाह को परकट कयता ह |मह अतमॊत सॊदय दशम बफॊफ ह | सनी गोद क विऩयीत गोद का बयना भाॉ क लरए असीभ सौबागम का सचक ह |इसी सौबागम का सकषभ अहसास भाॉ को तजतत द यहा ह|

परशन३- रोका दना ककस कहत ह

उततय - जफ भाॉ फचच को फाहो भ रकय हिा भ उछारती ह इस रोका दना कहत ह|छोट फचचो को मह खर फहत अचछा रगता ह

परशन४- फचचा भाॉ की गोद भ कसी परनतककरमा कयता ह

उततय - हिा भ उछारन ( रोका दन) स फचचा भाॉ का िातसलम ऩाकय परसनदन होता ह औय णखरणखरा कय हॉस ऩड़ता हफचच की ककरकारयमाॉ भाॉ क आनॊद को दगना कय दती ह|

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सौदमट-फोध-सॊफॊधी परशन

ldquoनहरा क छरक-छरक ननभयर जर स

उरझ हए गसओॊ भ कॊ घी कयक

ककस पमाय स दखता ह फचचा भॉह को

जफ घटननमो भ रक ह वऩनदहाती कऩड़rdquo

परशन१- परसतत ऩॊनदकतमो क बाि सौदमय को सऩरषट कीनदजए |

उततय - भाॉ न अऩन फचच को ननभयर जर स नहरामा उसक उरझ फारो भ कॊ घी की |भाॉ क सऩशय एिॊ नहान क आनॊद स फचचा परसनदन हो कय फड़ परभ स भाॉ को ननहायता ह| परनतहदन की एक सिाबाविक ककरमा स कस भाॉ-फचच का परभ विकससत होता ह औय परगाढ़ होता चरा जाता ह इस बाि को इस रफाई भ फड़ी सकषभता क साथ परसतत ककमा गमा ह|

परशन२- कावमाॊश भ आए बफॊफो को सऩरषट कीनदजए |

उततय -१ldquoनहरा क छरक-छरक ननभटर जर सrdquo- इस परमोग दिाया कवि न फारक की ननभयरता एिॊ ऩवितरता को जर की ननभयरता क भाधमभ स अॊककत ककमा ह | छरकना शबद जर की ताजा फॊदो का फारक क शयीय ऩय छरछरान का सॊदय दशम बफॊफ परसतत कयता ह |

२ lsquoघटननमो भ रक ह पऩनहाती कऩड़rsquo- इस परमोग भ भाॉ की फचच क परनत सािधानी चॊचर फचच को चोट ऩहॉचाए बफना उस कऩड़ ऩहनान स भाॉ क भातति की कशरता बफॊबफतहोती ह |

३ ldquoककस तमाय स दखता ह फचचा भॉह कोrdquo- ऩॊनदकत भ भाॉ ndashफचच का िातसलम बफॊबफत हआ ह | भाॉ स पमाय ndashदराय सऩशय ndashसख नहराए जान क आनॊद को अनबि कयत हए फचचा भाॉ को पमाय बयी नजयो स दख कय उस सख की असबवमनदकत कय यहा ह |मह सकषभ बाि अतमॊत भनोयभ फन ऩड़ा ह |सॊऩणय रफाई भ दशम बफॊफ ह|

परशन ३-कावमाॊश क शबद-परमोग ऩय हटपऩणी सरणखए |

उततय -गस ndashउदय शबदो का परमोग

घटननमो वऩनदहाती ndash दशज शबदो क भाधमभ स कोभरता की असबवमनदकत

छरक ndashछरक ndashशबद की ऩनयािनदतत स अबी ndashअबी नहराए गए फचच क गीर शयीय का बफॊफ

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आहद विरण परमोग रफाइमो को विसशरषट फना दत ह | हहॊदीउदय औय रोकबारा क अनठ गठफॊधन की झरक नदजस गाॊधीजी हहॊदसतानी क रऩ भ ऩलरवित कयना चाहत थदखन को सभरती ह |

पवषम-वसत ऩय आधारयत परशनोततय

रफाइमाॉ

परशन १ -कावम भ परमकत बफॊफो का िणयन अऩन शबदो भ कीनदजए

उततय -

दशम बफॊफ -फचच को गोद भ रना हिा भ उछारना सनान कयाना घटनो भ रकय कऩड़ ऩहनाना|

शरवमबफॊफ - फचच का णखरणखरा कय हॉस ऩड़ना सऩशय बफॊफ -फचच को सनान कयात हए सऩशय कयना |

परशन २-ldquoआॉगन भ ठनक यहा ह नदज़दमामा ह फारक तो हई चाॉद ऩ ररचामा हrsquo- भ फारक की कौन सी विशरता असबवमकत हई ह

उततय - इन ऩॊनदकतमो भ फारक की हि कयन की पवशषता असबवमकत हई ह फचच जफ नदजद ऩय आ जात ह तो अऩनी इचछा ऩयी कयिान क सरए नाना परकाय की हयकत ककमा कयत ह| नदज़दमामा शबद रोक बाषा का पवरण परमोग ह इसभ फचच का िनकना तनकना ऩाॉव ऩटकना योना आठद सबी ककरमाएॉ शासभर ह |

परशन ३ रचछ ककस कहा गमा ह इनका सॊफॊध ककस तमौहाय स ह

उततय - याखी क चभकीर तायो को रचछ कहा गमा ह याफॊधन क कचच धागो ऩय बफजरी क रचछ ह सािन भ याफॊधन आता ह सािन का जो सॊफॊध झीनी घटा स ह घटा का जो सॊफॊध बफजरी स ह िही सॊफॊध बाई का फहन स होता ह|सािन भ बफजरी की चभक की तयह याखी क चभकीर धागो की सॊदयता दखत ही फनती ह|

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अथट-गरहण-सॊफॊधी परशन

गज़र

कफ़याक गोयखऩयी

ldquoनौयस गॊच ऩॊखडड़मो की नाज़क धगयह खोर ह

मा उड़ जान को यॊगो- फ गरशन भ ऩय तौर ह |rdquo

परशन१- lsquoनौयसrsquo विशरण दिाया कवि ककस अथय की वमॊजना कयना चाहता ह

उततय नौयस अथायत नमा यस गॊच अथायत कसरमो भ नमा ndashनमा यस बय आमा ह |

परशन२- ऩॊखडड़मो की नाज़क धगयह खोरन का कमा असबपराम ह

उततय - यस क बय जान स कसरमाॉ विकससत हो यही ह |धीय-धीय उनकी ऩॊखडड़माॉ अऩनी फॊद गाॉठ खोर यही ह | कवि क शबदो भ नियस ही उनकी फॊद गाॉठ खोर यहा ह|

परशन३- lsquoयॊगो- फ गरशन भ ऩय तौर हrsquo ndash का अथय सऩरषट कीनदजए|

उततय -यॊग औय सगॊध दो ऩी ह जो कसरमो भ फॊद ह तथा उड़ जान क सरए अऩन ऩॊख पड़पड़ा यह ह |मह नदसथनत कसरमो क पर फन जान स ऩिय की ह जो पर फन जान की परतीा भ ह |rsquoऩय तौरनाrsquo एक भहािया ह जो उड़ान की भता आॉकन क सरए परमोग ककमा जाता ह |

परशन४- इस शय का बाि-सौदमय वमकत कीनदजए|

उततय -कसरमो की नई-नई ऩॊखडड़माॉ णखरन रगी ह उनभ स यस भानो टऩकना ही चाहता ह | िमसॊधध(ककशोयी)नानमका क परसपहटत होत सौदमय का परतीकातभक धचतरण अतमॊत सॊदय फन ऩड़ा ह |

सौदमट-फोध-सॊफॊधी परशन

हभ हो मा ककसभत हो हभायी दोनो को इक ही काभ सभरा ककसभत हभ को यो रि ह हभ ककसभत को यो र ह| जो भझको फदनाभ कय ह काश ि इतना सोच सक

भया ऩदाय खोर ह मा अऩना ऩदाय खोर ह | परशन१- इन शयो की बारा सॊफॊधी विशरताएॉ सऩरषट कीनदजए |

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उततय- १ भहाियो का परमोग ndashककसभत का योना ndashननयाशा का परतीक

२सयर असबवमनदकत बारा भ परिाहभमता ह ककसभत औय ऩयदा शबदो की ऩनयािनदततमाॉ

भोहक ह|

३ हहॊदी का घयर रऩ

परशन२- lsquoभया ऩयदा खोर ह मा अऩना ऩयदा खोर ह lsquo- की बावरक विशरता सरणखए |

उततय -भहािय क परमोग दिाया वमॊजनातभक असबवमनदकत | ऩयदा खोरना ndash बद खोरना सचचाई फमान कयना|

परशन३-lsquoहभ हो मा ककसभत हो हभायी lsquo ndashपरमोग की विशरता फताइए |

उततय - हभ औय ककसभत दोनो शबद एक ही वमनदकत अथायत कियाक क सरए परमकत ह | हभ औय ककसभत भ अबद ह मही विशरता ह |

कफ़याक गोयखऩयी

पवषम-वसत ऩय आधारयत परशनोततय

परशन१- ताय आॉख झऩकाि ह ndashका तातऩमय सऩरषट कीनदजए |

उततय- याबतर का सनदनाटा बी कछ कह यहा हइससरए ताय ऩरक झऩका यह ह विमोग की नदसथनत भ परकनत बी सॊिाद कयती परतीत होती ह |

परशन२- lsquoहभ हो मा ककसभत हो हभायीrsquo भ ककस बाि की असबवमनदकत हई ह

उततय- जीिन की विडॊफना ककसभत को योना-भहािय क परमोग स सटीक असबवमनदकत परापत कयती ह कवि जीिन स सॊतरषट नहीॊ ह | बागम स सशकामत का बाि इन ऩॊनदकतमो भ झरकता ह |

परशन३- परभ क ककस ननमभ की असबवमनदकत कवि न की ह

उततय -ईशिय की परानदपत सियसि रटा दन ऩय होती ह परभ क सॊसाय का बी मही ननमभ ह|कवि क शबदो भ rdquo कितयत का कामभ ह तिाज़न आरभ- हसनो ndashइशक भ बी

उसको उतना ही ऩात ह खद को नदजतना खो र ह |rdquo

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१ बाि ndashसामम- कफीय -lsquoसीस उताय बई धय तफ सभसरह कयतायlsquo-अथायत -सिमॊ को खो कय ही परभ परानदपत की जा सकती ह

२ बाि सामम- कफीय ndashनदजन ढॉढा नतन ऩाइमाॉ गहय ऩानी ऩहठ|

भ फऩया फडन डया यहा ककनाय फहठ |

परशन४- शयाफ की भहकपर भ शयाफी को दय यात कमा फात माद आती ह

उततय - शयाफ की भहकपर भ शयाफी को दय यात माद आती ह कक आसभान भ भनरषम क ऩाऩो का रखा-जोखा होता ह जस आधी यात क सभम परयशत रोगो क ऩाऩो क अधमाम खोरत ह िस ही यात क सभम शयाफ ऩीत हए शामय को भहफफा की माद हो आती ह भानो भहफफा परयशतो की तयह ऩाऩ सथर क आस ऩास ही ह

परशन५- सदक कियाकndashndashndashइन ऩॊनदकतमो का अथय सऩरषट कीनदजए |

उततय -सदक कियाकndashndashndashइन ऩॊनदकतमो भ कियाक कहत ह कक उनकी शामयी भ भीय की शामयी की उतकरषटता धिननत हो यही ह

परशन६- ऩॊखडड़मो की नाज़क धगयह खोरना कमा ह

उततय -ऩॉखडड़मो की नाजक धगयह खोरना उनका धीय -धीय विकससत होना ह

िमसॊधध(ककशोयी)नानमका क परसपहटत होत सौदमय की ओय सॊकत ह |

परशन७-lsquoमो उड़ जान को यॊगो फ गरशन भ ऩय तौर हrsquo बाि सऩरषट कीनदजए

उततय -कसरमो की सिास उड़न क सरए भानो ऩय तौर यही होअथायत खशफ का झोका यहndashयह कय उठता ह

परशन८- कवि दिाया िणणयत याबतर क दशम का िणयन अऩन शबदो भ कीनदजए

उततय - याबतर का सनदनाटा बी कछ कह यहा हइससरए ताय ऩरक झऩका यह हरगता ह कक परकनत का कण-कण कछ कह यहा ह |

परशन९- कवि अऩन िमनदकतक अनबि ककन ऩॉनदकतमो भ वमकत कय यहा ह

जीिन की विडॊफना-lsquoककसभत को योनाlsquo भहािय क परमोग स सटीक असबवमनदकत परापत कयती ह

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ldquoहभ हो मा ककसभत हो हभायी दोनो को इक ही काभ सभरा

ककसभत हभ को यो रि ह हभ ककसभत को यो र ह|rdquo

परशन१०- शामय न दननमा क ककस दसतय का िणयन ककमा ह

उततय -शामय न दननमा क इस दसतय का िणयन ककमा ह कक रोग दसयो को फदनाभ कयत ह ऩयॊत ि नहीॊ जानत कक इस तयह ि अऩनी दरषट परकनत को ही उदघाहटत कयत ह

परशन११- परभ की कितयत कवि न ककन शबदो भ असबवमकत की ह

सिमॊ को खो कय ही परभ की परानदपत की जा सकती ह ईशिय की परानदपत सियसि रटा दन ऩय होती ह परभ क सॊसाय का बी मही ननमभ ह

परशन१२- कियाक गोयखऩयी ककस बारा क कवि ह

उततय - उदय बारा

10 छोटा भया खत

उभाशॊकय जोशी

(गजयाती कपव)

उभाशॊकय जोशी फीसिीॊ सदी क गजयाती क भधयनदम कवि सॊसकत िाङभम क विदिान हउनदहोन गजयाती कविता को परकनत स जोड़ाआभ आदभी क जीिन की झरक उनकी यचनाओॊ भ सभरती ह

छोटा भया खत

साय

खती क रऩक दिाया कावम यचनाndash परककरमा को सऩषट ककमा गमा हकावम कनत की यचना फीजndash वऩन स रकय ऩौध क ऩजषऩत होन क पवलबनन चयणो स गजयती हअॊतय किर इतना ह कक कपव कभट की पसर कारजमी शाशित होती हउसका यस-यण अम होता हकागज का ऩनदना नदजस ऩय यचना शबदफदध होती ह कवि को एक चौकोय खत की तयह रगता ह इस खत

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भ ककसी अॉधड़ (आशम बािनातभक आॉधी स होगा) क परबाि स ककसी ण एक फीज फोमा जाता ह मह फीज-यचना विचाय औय असबवमनदकत का हो सकता ह मह भर रऩ कलऩना का सहाया रकय विकससत होता ह औय परककरमा भ सिमॊ विगसरत हो जाता ह उसस शबदो क अॊकय ननकरत ह औय अॊतत कनत एक ऩणय सिरऩ गरहण कयती ह जो कवर-कभय क सरहाज स ऩलरवित -ऩनदरषऩत होन की नदसथनत ह साहहनदतमक कनत स जो अरौककक यस-धाया पटती ह िह ण भ होन िारी योऩाई का ही ऩरयणाभ ह ऩय मह यस-धाया अनॊत कार तक चरन िारी कटाई ह |

फगरो क ऩॊख

साय

फगरो क ऩॊख कविता एक चार बफॊफ की कविता ह सौदमय का अऩकषत परबाि उतऩनदन कयन क सरए कविमो न कई मनदकतमाॉ अऩनाई ह नदजसभ स सफस परचसरत मनदकत ह-सौदमय क वमौयो क धचतरातभक िणयन क साथ अऩन भन ऩय ऩड़न िार उसक परबाि का िणयन औय आतभगत क सॊमोग की मह मनदकत ऩाठक को उस भर सौदमय क कापी ननकट र जाती ह जोशी जी की इस कविता भ ऐसा ही ह कवि कार फादरो स बय आकाश भ ऩॊनदकत फनाकय उड़त सपद फगरो को दखता ह ि कजयाय फादरो भ अटका-सा यह जाता ह िह इस भामा स अऩन को फचान की गहाय रगाता ह कमा मह सौदमय स फाॉधन औय विॊधन की चयभ नदसथनत को वमकत कयन का एक तयीका ह

परकनत का सितॊतर (आरॊफन गत ) धचतरण आधननक कविता की विशरता हधचतरातभक िणयन दिाया कवि न एक ओय कार फादरो ऩय उड़ती फगरो की शित ऩॊनदकत का धचतर अॊककत ककमा ह तो दसयी ओय इस अपरनतभ दशम क रदम ऩय ऩड़न िार परबाि को धचबतरत ककमा हभॊतर भगध कवि इस दशम क परबाि स आतभ विसभनत की नदसथनत तक ऩहॉच जाता हविरम एिॊ विरमीगत सौनददमय क दोनो रऩ कविता भ उदघाहटत हए ह

अथट-गरहण-सॊफॊधी परशन

ldquoछोटा भया खत चौकोना

कागज़ का एक ऩनदना कोई अॊधड़ कहीॊ स आमा

ण का फीज िहाॉ फोमा गमा|

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कलऩना क यसामनो को ऩी

फीज गर गमा ननशर शबद क अॊकय पट

ऩलरि ndashऩरषऩो स नसभत हआ विशर |rdquo

परशन १lsquoछोटा भया खतrsquo ककसका परतीक ह औय कमो

उततय - परशन२ lsquoछोटा भया खतrsquo काग़ज क उस ऩनदन का परतीक ह नदजस ऩय कवि अऩनी कविता सरखता ह

परशन २ कवि खत भ कौनndashसा फीज फोता ह

उततय - कवि खत भ अऩनी कलऩना का फीज फोता ह

परशन ३ कवि की कलऩना स कौन स ऩलरि अॊकरयत होत ह

उततय - कवि की कलऩना स शबद क ऩलरि अॊकरयत होत ह

परशन ४ उऩमयकत ऩद का बाि-सौदमय सऩरषट कीनदजए |

उततय - खती क रऩक दिाया कावम-यचनाndashपरककरमा को सऩषट ककमा गमा हकावम कनत की यचना फीजndash वऩन स रकय ऩौध क ऩजषऩत होन क पवलबनन चयणो स गजयती हअॊतय किर इतना ह कक कपव कभट की पसर कारजमी शाशित होती हउसका यस-यण अम होता ह

सौदमट-फोध-सॊफॊधी परशन

ldquoझभन रग पर

यस अरौककक

अभत धायाएॉ पटतीॊ

योऩाई ण की

कटाई अनॊतता की

रटत यहन स जया बी कभ नहीॊ होती |

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यस का अम ऩातर सदा का

छोटा भया खत चौकोना |rdquo

परशन इस कविता की बारा सॊफॊधी विशरताओॊ ऩय परकाश डासरए ndash

उततय - १ परतीकातभकता

२ राणणकता -

२रऩक अरॊकायndash यस का अम ऩातर सदा का

छोटा भया खत चौकोना

परशन २ यस अरौककक अभत धायाएॉ योऩाई ndash कटाई-परतीको क अथय सऩरषट कीनदजए |

उततय - यस अरौककक ndash कावम यस ननरषऩनदतत

अभत धायाएॉ- कावमानॊद

योऩाई ndash अनबनत को शबदफदध कयना

कटाई ndashयसासिादन

पवषम-वसत ऩय आधारयत परशनोततय

कपवता ndash

छोटा भया खत

परशन १ उभाशॊकय जोशी न ककस बारा भ कविताएॉ सरखी ह

उततय - गजयाती बारा

परशन२ कवरndashकभय एिॊ कविndashकभय भ कमा कमा सभानताएॉ ह

उततय - कवरndashकभय एिॊ कविndashकभय भ ननमनसरणखत सभानताएॉ ह-

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कावम कनत की यचना फीजndash वऩन स रकय ऩौध क ऩजषऩत होन क पवलबनन चयणो स गजयती ह

कपषndashकभट एवॊ कपवndashकभट भ सभानताएॉ -

कागज का ऩनदना नदजस ऩय यचना शबदफदध होती ह कवि को एक चौकोय खतरगता ह इस खत भ ककसी अॉधड़ (आशम बािनातभक आॉधी स होगा) क परबाि स ककसी ण

एक फीज फोमा जाता ह मह फीज-यचना विचाय औय असबवमनदकत का हो सकता ह मह भर रऩ कलऩना का सहाया रकय विकससत होता ह औय परककरमा भ सिमॊ विगसरत

हो जाता ह इसीपरकाय फीज बी खाद ऩानी समय की योशनी हिा आहद रकय विकससत होता ह |

कावम ndashयचना स शबदो क अॊकय ननकरत ह औय अॊतत कनत एक ऩणय सिरऩ गरहण कयती ह जो कवर-कभय क सरहाज स ऩलरवित ndashऩनदरषऩत औय पसरत होन की नदसथनत ह अथट-गरहण-सॊफॊधी परशन

कपवताndash फगरो क ऩॊख

नब भ ऩाॉती- फॉध फगरो क ऩॊख

चयाए सरए जातीॊ ि भयी आॉख |

कजयाय फादरो की छाई नब छामा

हौरndashहौर जाती भझ फाॉध ननज भामा स |

उस कोई तननक योक यकखो |

िह तो चयाए सरए जाती भयी आॉख

नब भ ऩाॉती- फॉधी फगरो की ऩाॉख |

तयती साॉझ की सतज शित कामा|

परशन१- इस कविता भ कवि न ककसका धचतरण ककमा ह

उततय - कवि न कार फादरो ऩय उड़ती फगरो की शित ऩॊनदकत का धचतरण ककमा ह|

परशन२- आॉख चयान का कमा अथय ह

उततय - आॉख चयान का आशम ह ndashधमान ऩयी तयह खीॊच रना एकटक दखना भॊतरभगध कय दना

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परशन३-

ldquoकजयाय फादरो की छाई नब छामा

हौर ndashहौर जाती भझ फाॉध ननज भामा स |rdquo- आशम सऩरषट कीनदजए |

उततय- कार फादरो क फीच साॉझ का सयभई िाताियण फहत सॊदय हदखता ह | ऐसा अपरनतभ सौदमय अऩन आकरयण भ कवि को फाॉध रता ह |

परशन ४ ldquoउस कोई तननक योक यकखो |rsquo- स कवि का कमा असबपराम ह

उततय - फगरो की ऩॊनदकत आकाश भ दय तक उड़ती जा यही ह कवि की भॊतरभगध आॉख उनका ऩीछा कय यही ह | कवि उन फगरो को योक कय यखन की गहाय रगा यहा ह कक कहीॊ ि उसकी आॉख ही अऩन साथ न र जाएॉ |

सौदमट-फोध-सॊफॊधी परशन

परशन १ कविता की बारा सॊफॊधी दो विशरताएॉ सरणखए|

उततय -१ धचतरातभक बारा

२ फोरचार क शबदो का परमोग - हौर ndashहौर ऩाॉती कजयायसाॉझ

परशन २ कविता भ परमकत अरॊकाय चन कय सरणखए |

उततय - अनपरास अरॊकाय - फॉध फगरो क ऩॊख

भानिीकयण अरॊकाय - चयाए सरए जातीॊ ि भयी आॉख |

परशन ३ -lsquo ननज भामाrsquo क राणणक अथय को सऩरषट कीनदजए |

उततय - परकनत का अपरनतभ सौदमय िह भामा ह जो कवि को आतभविबोय कय दती हमह ऩॊनदकत बी परशॊसातभक उनदकत ह

पवषम-वसत ऩय आधारयत परशनोततय

परशन१- lsquoचयाए सरए जाती ि भयी ऑ ॊखrsquo स कवि का कमा तातऩमय ह

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उततय -धचतरातभक िणयन दिाया कवि न एक ओय कार फादरो ऩय उड़ती फगरो की शित ऩॊनदकत का धचतर अॊककत ककमा ह तथा इस अपरनतभ दशम क रदम ऩय ऩड़न िार परबाि को धचबतरत ककमा ह कवि क अनसाय मह दशम उनकी आॉख चयाए सरए जा यहा ह |भॊतर भगध कवि इस दशम क परबाि स आतभ विसभनत की नदसथनत तक ऩहॉच जाता ह

परशन२-कवि ककस भामा स फचन की फात कहता ह

उततय - भामा विशि को अऩन आकरयण भ फाॉध रन क सरए परससदध ह | कफीय न बी lsquoभामा भहा ठधगनी हभ जानीrsquo कहकय भामा की शनदकत को परनतऩाहदत ककमा ह | कार फादरो भ फगरो की सॊदयता अऩना भामा जार परा कय कवि को अऩन िश भ कय यही ह |

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आयोह बाग-२ गदम-बाग

परशन-सॊखमा १०- गदम खॊड भ हदए गए ऩहठत गदमाॊश स अथयगरहण सॊफॊधी चाय परशन ऩछ जाएॉग नदजनक सरए ननधायरयत अॊक (२४=८) ह |

परशन-सॊखमा ११- ऩाठो की विरमिसत स सॊफॊधधत ऩाॉच भ स चाय परशनो क उततय दन ह नदजनक सरए ननधायरयत अॊक (३४=१२) ह|

ऩयीा भ अचछ अॊक परातत कयन क लरए धमान दन मोगम फात ndash

1 रख एिॊ ितयनी की शदधता तथा िाकम-गठन ऩय धमान द | 2 हय ऩाठ का सायऩरषठबसभविरमिसत तथाकथानक को सभझना आिशमक ह |

अतविदमाथी हय ऩाठ का सायाॊश बरीबाॉनत माद कय र | 3 परशनो को धमान स ऩढ़ तदनसाय अऩकषत उततय सरख | 4 उततय सरखत सभम सॊफॊधधत भखम बफॊदओॊ का शीरयकफनात हए उततय सरख मथा-तीन

अॊक क परशनो क उततय सरखत सभम कभ स कभ तीन भखम उततय-बफ ॊदओॊ का उलरख कयत हए उततय सऩरषट कय |

5 अॊक-मोजना क अनसाय ननधायरयत शबद-सीभा क अॊतगयत उततय सरख | ऩयीाथी कई फाय एक अॊक क परशन का उततय फहत रॊफा कई फाय ऩया ऩरषठ सरख दत ह जो सभम औय ऊजाय की फफायदी ह |

6 धमान यह कक अधधक सरखन स अचछ अॊक नहीॊ आत फनदलक सयर-सफोध बारा भ सरख गए सटीक उततय सायगसबयत तथम तथा उदाहयण क दिाया सऩरषट ककए गए उततय परबािशारी होत ह |

ऩाि 11 - बजकतन

रखखका- भहादवी वभाट

ऩाि का सायाॊश- बनदकतन नदजसका िासतविक नाभ रकषभी थारणखका lsquoभहादिी िभायrsquo की सविका ह | फचऩन भ ही बनदकतन की भाॉ की भतम हो गमी| सौतरी भाॉ न ऩाॉच िरय की आम भ वििाह तथा नौ िरय की आम भ गौना कय बनदकतन को ससयार बज हदमा| ससयार भ बनदकतन न तीन फहटमो को जनदभ हदमा नदजस कायण उस सास औय नदजठाननमो की उऩा सहनी ऩड़ती थी| सास औय नदजठाननमाॉ आयाभ पयभाती थी औय बनदकतन तथा उसकी ननदहीॊ फहटमो को घय औय खतो का साया काभ कयना ऩडता था| बनदकतन का ऩनत उस फहत चाहता था| अऩन ऩनत क सनह क फर ऩय बनदकतन न ससयार िारो स अरगौझा कय अऩना अरग घय फसा सरमा औय सख स यहन रगी ऩय बनदकतन का दबायगम अलऩाम भ ही उसक ऩनत की भतम हो गई | ससयार िार

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बनदकतन की दसयी शादी कय उस घय स ननकारकय उसकी सॊऩनदतत हड़ऩन की सानदजश कयन रग| ऐसी ऩरयनदसथनत भ बनदकतन न अऩन कश भॊडा सरए औय सॊनदमाससन फन गई | बनदकतन सिासबभानी सॊघरयशीर कभयठ औय दढ सॊकलऩ िारी सतरी ह जो वऩतसततातभक भानदमताओॊ औय छर-कऩट स बय सभाज भ अऩन औय अऩनी फहटमो क हक की रड़ाई रड़ती हघय गहसथी सॉबारन क सरए अऩनी फड़ी फटी दाभाद को फरा सरमा ऩय दबायगम न महाॉ बी बनदकतन का ऩीछा नहीॊ छोड़ा अचानक उसक दाभाद की बी भतम हो गमी| बनदकतन क जठ-नदजठौत न सानदजश यचकय बनदकतन की विधिा फटी का वििाह जफयदसती अऩन तीतयफाज सार स कय हदमा| ऩॊचामत दिाया कयामा गमा मह सॊफॊध दखदामी यहा | दोनो भाॉ-फटी का भन घय-गहसथी स उचट गमा ननधयनता आ गमी रगान न चका ऩान क कायण जभीॊदाय न बनदकतन को हदन बय धऩ भ खड़ा यखा| अऩभाननत बनदकतन ऩसा कभान क सरए गाॉि छोड़कय शहय आ जाती ह औय भहादिी की सविका फन जाती ह| बनदकतन क भन भ भहादिी क परनत फहत आदय सभऩयण औय असबबािक क सभान अधधकाय बाि ह| िह छामा क सभान भहादिी क साथ यहती ह| िह यात-यात बय जागकय धचतरकायी मा रखन जस कामय भ वमसत अऩनी भारककन की सिा का अिसय ढॉढ रती ह| भहादिी बनदकतन को नहीॊ फदर ऩामी ऩय बनदकतन न भहादिी को फदर हदमा| बनदकतन क हाथ का भोटा-दहाती खाना खात-खात भहादिी का सिाद फदर गमा बनदकतन न भहादिी को दहात क ककसस-कहाननमाॉ ककॊ िदॊनतमाॉ कॊ ठसथ कया दी| सिबाि स भहाकॊ जस होन ऩय बी बनदकतन ऩाई-ऩाई कय जोडी हई १०५ रऩमो की यासश को सहरय भहादिी को सभवऩयत कय दती ह| जर क नाभ स थय-थय काॉऩन िारी बनदकतन अऩनी भारककन क साथ जर जान क सरए फड़ राट साहफ तक स रड़न को बी तमाय हो जाती ह| बनदकतन भहादिी क जीिन ऩय छा जान िारी एक ऐसी सविका ह नदजस रणखका नहीॊ खोना चाहती

ऩाि आधारयत परशनोततय

नोट- उततय भ ननहहत यखाॊककत िाकम भखम सॊकत बफॊद ह |

परशन 1-बजकतन का वासतपवक नाभ कमा था वह अऩन नाभ को कमो छऩाना चाहती थी

उततय-बनदकतन का िासतविक नाभ रकषभी था हहनददओॊ क अनसायरकषभी धन की दिीह चॉकक बनदकतन गयीफ थी| उसक िासतविक नाभ क अथय औय उसक जीिन क मथाथय भ वियोधाबास ह ननधयन बनदकतन सफको अऩना असरी नाभ रकषभी फताकय उऩहास का ऩातर नहीॊ फनना चाहती थी इससरए िह अऩना असरी नाभ छऩाती थी

परशन 2- रखखका न रकषभी का नाभ बजकतन कमो यखा

उततय-घटा हआ ससय गर भ कॊ ठी भारा औय बकतो की तयह सादगीऩणय िशबरा दखकय भहादिी िभाय न रकषभी का नाभ बनदकतन यख हदमा | मह नाभ उसक वमनदकतति स ऩणयत भर खाता था |

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परशन 3-बजकतन क जीवन को ककतन ऩरयचछदो भ पवबाजजत ककमा गमा ह

उततय- बनदकतन क जीिन को चाय बागो भ फाॉटा गमा ह-

ऩहरा ऩरयचछद-बनदकतन का फचऩन भाॉ की भतम विभाता क दिाया बनदकतन का फार-वििाह कया दना

दपवतीम ऩरयचछद-बनदकतन का ििाहहक जीिन सास तथा नदजठाननमो का अनदमामऩणय वमिहाय ऩरयिाय स अरगौझा कय रना

ततीम ऩरयचछद- ऩनत की भतम विधिा क रऩ भ सॊघरयशीर जीिन चतथट ऩरयचछद- भहादिी िभाय की सविका क रऩ भ

परशन 4- बजकतन ऩाि क आधाय ऩय बायतीम गराभीण सभाज भ रड़क-रड़ककमो भ ककम जान वार बदबाव का उलरख कीजजए |

बायतीम गराभीण सभाज भ रड़क-रड़ककमो भ बदबाि ककमा जाता ह| रड़ककमो को खोटा ससकका मा ऩयामा धन भाना जाता ह| बनदकतन न तीन फहटमो को जनदभ हदमा नदजस कायण उस सास औय नदजठाननमो की उऩा सहनी ऩड़ती थी| सास औय नदजठाननमाॉ आयाभ पयभाती थी कमोकक उनदहोन रड़क ऩदा ककए थ औय बनदकतन तथा उसकी ननदहीॊ फहटमो को घय औय खतो का साया काभ कयना ऩडता था| बनदकतन औय उसकी फहटमो को रखा-सखा भोटा अनाज खान को सभरता था जफकक उसकी नदजठाननमाॉ औय उनक कार-करट फट दध-भराई याफ-चािर की दाित उड़ात थ

परशन 5-बजकतन ऩाि क आधाय ऩय ऩॊचामत क नमाम ऩय ठटतऩणी कीजजए |

बनदकतन की फटी क सनददबय भ ऩॊचामत दिाया ककमा गमा नदमाम तकय हीन औय अॊध कानन ऩय आधारयतह | बनदकतन क नदजठौत न सॊऩनदतत क रारच भ रडमॊतर कय बोरी फचची को धोख स जार भ पॊ सामा| ऩॊचामत न ननदोर रड़की की कोई फात नहीॊ सनी औय एक तयिा पसरा दकय उसका वििाह जफयदसती नदजठौत क ननकमभ तीतयफाज सार स कय हदमा | ऩॊचामत क अॊध कानन स दरषटो को राब हआ औय ननदोर को दॊड सभरा |

परशन 6-बजकतन की ऩाक-करा क फाय भ ठटतऩणी कीजजए |

बनदकतन को ठठ दहाती सादा बोजन ऩसॊद था | यसोई भ िह ऩाक छत को फहत भहतति दती थी | सफह-सिय नहा-धोकय चौक की सपाई कयक िह दिाय ऩय कोमर की भोटी यखा खीॊच दती थी| ककसी को यसोईघय भ परिश कयन नहीॊ दती थी| उस अऩन फनाए बोजन ऩय फड़ा असबभान था| िह अऩन फनाए बोजन का नतयसकाय नहीॊ सह सकती थी |

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परशन 7- लसदध कीजजए कक बजकतन तकट -पवतकट कयन भ भाठहय थी |

बनदकतन तकय ऩट थी | कश भॉडान स भना ककए जान ऩय िह शासतरो का हिारा दत हए कहती ह lsquoतीयथ गए भॉडाए ससदधrsquo | घय भ इधय-उधय यख गए ऩसो को िह चऩचाऩ उठा कय छऩा रती ह टोक जानऩय िह िह इस चोयी नही भानती फनदलक िह इस अऩन घय भ ऩड़ ऩसो को सॉबारकय यखना कहती ह| ऩढाई-सरखाई स फचन क सरए बी िह अचक तकय दती ह कक अगय भ बी ऩढ़न रगॉ तो घय का काभ कौन दखगा

परशन 8-बजकतन का दबाटगम बी कभ हिी नही था रखखका न ऐसा कमो कहा ह

उततय- बजकतन का दबाटगम उसका ऩीछा नहीॊ छोड़ता था-

1- फचऩन भ ही भाॉ की भतम 2- विभाता की उऩा 3- बनदकतन(रकषभी) का फारवििाह 4- वऩता का ननधन 5- तीन-तीन फहटमो को जनदभ दन क कायण सास औय नदजठाननमो क दिाया बनदकतन की

उऩा 6- ऩनत की असभम भतम 7- दाभाद का ननधन औय ऩॊचामत क दिाया ननकमभ तीतयफाज मिक स बनदकतन की विधिा

फटी का जफयन वििाह 8- रगान न चका ऩान ऩय जभीॊदाय क दिाया बनदकतन का अऩभान

परशन 9-बजकतन न भहादवी वभाट क जीवन ऩय कस परबापवत ककमा

उततय- बनदकतन क साथ यहकय भहादिी की जीिन-शरी सयर हो गमी ि अऩनी सविधाओॊ की चाह को नछऩान रगीॊ औय असविधाओॊ को सहन रगीॊ बनदकतन न उनदह दहाती बोजन णखराकय उनका सिाद फदर हदमा बनदकतन भातर एक सविका न होकय भहादिी की असबबािक औय आतभीम फन गमीबनदकतन भहादिी क जीिन ऩय छा जान िारी एक ऐसी सविका ह नदजस रणखका नहीॊ खोना चाहती

परशन 10- बजकतन क चरयतर की पवशषताओॊ का उलरख कीजजए

उततय- भहादिी िभाय की सविका बनदकतन क वमनदकतति की विशरताएॊ ननमनाॊककत ह-

सभवऩयत सविका सिासबभानी

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तकय शीरा ऩरयशरभी सॊघरयशीर

परशन 11-बजकतन क दगटणो का उलरख कय

उततय- गणो क साथ-साथ बनदकतन क वमनदकतति भ अनक दगयण बी ननहहत ह-

1 िह घय भ इधय-उधय ऩड़ रऩम-ऩस को बॊडाय घय की भटकी भ छऩा दती ह औय अऩन इस कामय को चोयी नहीॊ भानती

2 भहादिी क करोध स फचन क सरए बनदकतन फात को इधय-उधय कयक फतान को झठ नही भानती अऩनी फात को सही ससदध कयन क सरए िह तकय -वितकय बी कयती ह

3 िह दसयो को अऩनी इचछानसाय फदर दना चाहती ह ऩय सिमॊ बफरकर नही फदरती परशन 12 ननमनाॊककत बाषा-परमोगो का अथट सऩषट कीजजए-

ऩहरी कनमा क दो औय सॊसकयण कय िार- बनदकतन न अऩनी ऩहरी कनदमा क फाद उसक जसी दो औय कनदमाएॉ ऩदा कय दी अथायत बनदकतन क एक क फाद एक तीन फहटमाॉ ऩदा हो गमीॊ |

खोट लसकको की टकसार जसी ऩतनी- आज बी असशकषत गराभीण सभाज भ फहटमो को

खोटा ससकका कहा जाता ह बनदकतन न एक क फाद एक तीन फहटमाॉ ऩदा कय दी इससरए उस खोट ससकक को ढारन िारी भशीन कहा गमा

परशन 13-बजकतन ऩाि भ रखखका न सभाज की ककन सभसमाओॊ का उलरख ककमा ह

उततय- बनदकतन ऩाठ क भाधमभ स रणखका न बायतीम गराभीण सभाज की अनक सभसमाओॊ का उलरख ककमा ह-

1 रड़क-रड़ककमो भ ककमा जान िारा बदबाि 2 विधिाओॊ की सभसमा 3 नदमाम क नाभ ऩय ऩॊचामतो क दिाया नदसतरमो क भानिाधधकाय को कचरना 4 असशा औय अॊधविशिास

गदमाॊश-आधारयत अथटगरहण सॊफॊधधत परशनोततय

ऩरयिाय औय ऩरयनदसथनतमो क कायण सिबाि भ जो विरभताएॉ उतऩनदन हो गई ह उनक बीतय स एक सनह औय सहानबनत की आबा पटती यहती ह इसी स उसक सॊऩकय भ आनिार वमनदकत उसभ जीिन की सहज भासभयकता ही ऩात ह छातरािास की फासरकाओॊ भ स कोई अऩनी चाम

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फनिान क सरए दहरी ऩय फठी यहती ह कोई फाहय खडी भय सरए नाशत को चखकय उसक सिाद की वििचना कयती यहती ह भय फाहय ननकरत ही सफ धचडड़मो क सभान उड़ जाती ह औय बीतय आत ही मथासथान वियाजभान हो जाती ह इनदह आन भ रकािट न हो सॊबित इसी स बनदकतन अऩना दोनो जन का बोजन सिय ही फनाकय ऊऩय क आर भ यख दती ह औय खात सभम चौक का एक कोना धोकय ऩाकndashछत क सनातन ननमभ स सभझौता कय रती ह

भय ऩरयधचतो औय साहहनदतमक फॊधओॊ स बी बनदकतन विशर ऩरयधचत ह ऩय उनक परनत बनदकतन क समभान की भातरा भय परनत उनक समभान की भातरा ऩय ननबयय ह औय सदभाि उनक परनत भय सदभाि स नननदशचत होता ह इस सॊफॊध भ बनदकतन की सहज फवदध विनदसभत कय दन िारी ह

(क) बजकतन का सवबाव ऩरयवाय भ यहकय कसा हो गमा ह

उततय-विरभ ऩरयनदसथनतजनदम उसक उगर हठी औय दयागरही सिबाि क फािजद बनदकतन क बीतय सनह औय सहानबनत की आबा पटती यहती ह उसक सॊऩकय भ आन िार वमनदकत उसभ जीिन की सहज भासभयकता ही ऩात ह

(ख) बजकतन क ऩास छातरावास की छातराएॉ कमो आती ह

उततय- बनदकतन क ऩास कोई छातरा अऩनी चाम फनिान आती ह औय दहरी ऩय फठी यहती ह कोई भहादिी जी क सरए फन नाशत को चखकय उसक सिाद की वििचना कयती यहती ह भहादिी को दखत ही सफ छातराएॉ बाग जाती ह उनक जात ही कपय िाऩस आ जातीॊ ह बनदकतन का सहज-सनह ऩाकय धचडड़मो की तयह चहचहान रगती ह |

(ग) छातराओॊ क आन भ रकावट न िारन क लरए बजकतन न कमा उऩाम ककमा

उततय- छातराओॊ क आन भ रकािट न डारन क सरए बनदकतन न अऩन ऩाक-छत क ननमभ स सभझौता कय सरमा | बनदकतन अऩना दोनो िकत का खाना फनाकय सफह ही आर भ यख दती औय खात सभम चौक का एक कोना धोकय िहाॉ फठकय खा सरमा कयती थी ताकक छातराएॉ बफना योक-टोक क उसक ऩास आ सक

(घ) साठहतमकायो क परनत बजकतन क समभान का कमा भाऩदॊि ह

उततय-बनदकतन भहादिी क साहहनदतमक सभतर क परनत सदभाि यखती थी नदजसक परनत भहादिी सिमॊ सदभाि यखती थी | िह सबी स ऩरयधचत हऩय उनक परनत समभान की भातरा भहादिी जी क समभान की भातरा ऩय ननबयय कयती ह िह एक अदभत ढॊग स जान रती थी कक कौन ककतना समभान कयता ह उसी अनऩात भ उसका परापम उस दती थी

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12 फाजाय-दशटन

रखक- जनि कभाय

ऩाि का सायाॊश फाजाय-दशयन ऩाठ भ फाजायिाद औय उऩबोकतािाद क साथ-साथ अथयनीनत एिॊ दशयन स सॊफॊधधत परशनो को सरझान का परमास ककमा गमा ह फाजाय का जाद तबी असय कयता ह जफ भन खारी हो| फाजाय क जाद को योकन का उऩाम मह ह कक फाजाय जात सभम भन खारी ना हो भन भ रकषम बया हो| फाजाय की असरी कताथयता ह जरयत क िकत काभ आना| फाजाय को िही भनरषम राब द सकता ह जो िासति भ अऩनी आिशमकता क अनसाय खयीदना चाहता ह| जो रोग अऩन ऩसो क घभॊड भ अऩनी ऩचनदजॊग ऩािय को हदखान क सरए चीज खयीदत ह ि फाजाय को शतानी वमॊगम शनदकत दत ह| ऐस रोग फाजारऩन औय कऩट फढात ह | ऩस की मह वमॊगम शनदकत वमनदकत को अऩन सग रोगो क परनत बी कतघन फना सकती ह | साधायण जन का रदम रारसा ईरषमाय औय तरषणा स जरन रगता ह | दसयी ओय ऐसा वमनदकत नदजसक भन भ रश भातर बी रोब औय तरषणा नहीॊ ह सॊचम की इचछा नहीॊ ह िह इस वमॊगम-शनदकत स फचा यहता ह | बगतजी ऐस ही आतभफर क धनी आदशय गराहक औय फचक ह नदजन ऩय ऩस की वमॊगम-शनदकत का कोई असय नहीॊ होता | अनक उदाहयणो क दिाया रखक न मह सऩरषट ककमा ह कक एक ओय फाजाय रारची असॊतोरी औय खोखर भन िार वमनदकतमो को रटन क सरए ह िहीॊ दसयी ओय सॊतोरी भन िारो क सरए फाजाय की चभक-दभक उसका आकरयण कोई भहतति नहीॊ यखता

परशन१ - ऩचजजॊग ऩावय ककस कहा गमा ह फाजाय ऩय इसका कमा परबाव ऩड़ता ह

उततय- ऩचनदजॊग ऩािय का अथय ह खयीदन की शनदकत ऩचनदजॊग ऩािय क घभॊड भ वमनदकत हदखाि क सरए आिशमकता स अधधक खयीदायीकयता ह औय फाजाय को शतानी वमॊगम-शनदकत दता ह ऐस रोग फाजाय का फाजारऩन फढ़ात ह

परशन२ -रखक न फाजाय का जाद ककस कहा ह इसका कमा परबाव ऩड़ता ह

उततय- फाजाय की चभक-दभक क चॊफकीम आकरयण को फाजाय का जाद कहा गमा ह मह जाद आॊखो की याह कामय कयता ह फाजाय क इसी आकरयण क कायण गराहक सजी-धजी चीजो को आिशमकता न होन ऩय बी खयीदन को वििश हो जात ह

परशन३ -आशम सऩषट कय

भन खारी होना भन बया होना भन फॊद होना

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उततय-भन खारी होना- भन भ कोई नननदशचत िसत खयीदन का रकषम न होना ननरददशम फाजाय जाना औय वमथय की चीजो को खयीदकय राना

भन बया होना- भन रकषम स बया होना नदजसका भन बया हो िह बरीबाॉनत जानता ह कक उस फाजाय स कौन सी िसत खयीदनी ह अऩनी आिशमकता की चीज खयीदकय िह फाजाय को साथयकता परदान कयता ह

भन फॊद होना-भन भ ककसी बी परकाय की इचछा न होना अथायत अऩन भन को शनदम कय दना

परशन४ - lsquoजहाॉ तषणा ह फटोय यखन की सऩहा ह वहाॉ उस फर का फीज नहीॊ हrsquo महाॊ ककस फर की चचाट की गमी ह

उततय- रखक न सॊतोरी सिबाि क वमनदकत क आतभफरकी चचाय की ह दसय शबदो भ महद भन भ सॊतोर हो तो वमनदकत हदखाि औय ईरषमाय की बािना स दय यहता ह उसभ सॊचम कयन की परिनदतत नहीॊ होती

परशन५ - अथटशासतर अनीनतशासतर कफ फन जाता ह

उततय- जफ फाजाय भ कऩट औय शोरण फढ़न रग खयीददाय अऩनी ऩचधचॊग ऩािय क घभॊड भ हदखाि क सरए खयीददायी कय | भनरषमो भ ऩयसऩय बाईचाया सभापत हो जाए| खयीददाय औय दकानदाय एक दसय को ठगन की घात भ रग यह एक की हानन भ दसय को अऩना राब हदखाई द तो फाजाय का अथयशासतर अनीनतशासतर फन जाता ह ऐस फाजाय भानिता क सरए विडॊफना ह

परशन६-बगतजी फाजाय औय सभाज को ककस परकाय साथटकता परदान कय यह ह

उततय- बगतजी क भन भ साॊसारयक आकरयणो क सरए कोई तरषणा नहीॊ ह ि सॊचम रारच औय हदखाि स दय यहत ह फाजाय औय वमाऩाय उनक सरए आिशमकताओॊ की ऩनत य का साधन भातर ह बगतजी क भन का सॊतोर औय ननसऩह बाि उनको शररषठ उऩबोकता औय विकरता फनात ह

परशन ७ _ बगत जी क वमजकततव क सशकत ऩहरओॊ का उलरख कीजजए |

उततय-ननमनाॊककत बफॊद उनक वमनदकतति क सशकत ऩहर को उजागय कयत ह

ऩॊसायी की दकान स किर अऩनी जरयत का साभान (जीया औय नभक) खयीदना नननदशचत सभम ऩय चयन फचन क सरए ननकरना छह आन की कभाई होत ही चयन फचना फॊद कय दना फच हए चयन को फचचो को भफ़त फाॉट दना

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सबी काजम-जम याभ कहकय सिागत कयना फाजाय की चभक-दभक स आकवरयत न होना सभाज को सॊतोरी जीिन की सशा दना

परशन7-फाजाय की साथटकता ककसभ ह

उततय- भनरषम की आिशमकताओॊ की ऩनतय कयन भ ही फाजाय की साथयकता ह जो गराहक अऩनी आिशमकताओॊ की चीज खयीदत ह ि फाजाय को साथयकता परदान कयत ह जो विकरता गराहको का शोरण नहीॊ कयत औय छर-कऩट स गराहको को रबान का परमास नही कयत ि बी फाजाय को साथयक फनात ह

गदमाॊश-आधारयत अथटगरहण-सॊफॊधधत परशनोततय

फाजाय भ एक जाद ह िह जाद आॉख की तयह काभ कयता ह िह रऩ का जाद ह ऩय जस चॊफक का जाद रोह ऩय ही चरता ह िस ही इस जाद की बी भमायदा ह जफ बयी हो औय भन खारी हो ऐसी हारत भ जाद का असय खफ होता ह जफ खारी ऩय भन बया न हो तो बी जाद चर जाएगा भन खारी ह तो फाजाय की अनकानक चीजो का ननभॊतरण उस तक ऩहॉच जाएगा कहीॊ हई उस िकत जफ बयी तफ तो कपय िह भन ककसकी भानन िारा ह भारभ होता ह मह बी रॉ िह बी रॉ सबी साभान जरयी औय आयाभ को फढ़ान िारा भारभ होता ह ऩय मह सफ जाद का असय ह जाद की सिायी उतयी कक ऩता चरता ह कक प सी-चीजो की फहतामत आयाभ भ भदद नहीॊ दती फनदलक खरर ही डारती ह थोड़ी दय को सिासबभान को जरय सक सभर जाता ह ऩय इसस असबभान को धगलटी की खयाक ही सभरती ह जकड़ यशभी डोयी की हो तो यशभ क सऩशय क भरामभ क कायण कमा िह कभ जकड़ दगी

ऩय उस जाद की जकड़ स फचन का एक सीधा उऩाम ह िह मह कक फाजाय जाओ तो खारी भन न हो भन खारी हो तफ फाजाय न जाओ कहत ह र भ जाना हो तो ऩानी ऩीकय जाना चाहहए ऩानी बीतय हो र का रऩन वमथय हो जाता ह भन रकषम स बया हो तो फाजाय परा का परा ही यह जाएगा तफ िह घाि बफरकर नहीॊ द सकगा फनदलक कछ आनॊद ही दगा तफ फाजाय तभस कताथय होगा कमोकक तभ कछ न कछ सचचा राब उस दोग फाजाय की असरी कताथयता ह आिशमकता क सभम काभ आना

परशन-1 फाजाय क जाद को रखक न कस सऩषट ककमा ह

उततय- फाजाय क रऩ का जाद आॉखो की याह स काभ कयता हआ हभ आकवरयत कयता ह फाजाय का जाद ऐस चरता ह जस रोह क ऊऩय चॊफक का जाद चरता ह चभचभाती योशनी भ सजी

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प सी चीॊज गराहक को अऩनी ओय आकवरयत कयती ह| इसी चमफकीम शनदकत क कायण वमनदकत कपजर साभान को बी खयीद रता ह |

परशन-2 जफ बयी हो औय भन खारी तो हभायी कमा दशा होती ह

उततय- जफ बयी हो औय भन खारी हो तो हभाय ऊऩय फाजाय का जाद खफ असय कयता ह भन खारी ह तो फाजाय की अनकानक चीजो का ननभॊतरण भन तक ऩहॉच जाता ह औय उस सभम महद जफ बयी हो तो भन हभाय ननमॊतरण भ नहीॊ यहता

परशन-3 प सी चीजो की फहतामत का कमा ऩरयणाभ होता ह

उततय- प सी चीज आयाभ की जगह आयाभ भ वमिधान ही डारती ह थोड़ी दय को असबभान को जरय सक सभर जाती ह ऩय हदखाि की परिनदतत भ िवदध होती ह

परशन-4 जाद की जकड़ स फचन का कमा उऩाम ह

उततय- जाद की जकड़ स फचन क सरए एक ही उऩाम ह िह मह ह कक फाजाय जाओ तो भन खारी न हो भन खारी हो तो फाजाय भत जाओ

13 कार भघा ऩानी द

रखक-धभटवीय बायती

ऩाि का सायाॊश -lsquoकार भघा ऩानी दrsquo ननफॊध रोकजीिन क विशिास औय विऻान क तकय ऩय आधारयत ह जफ बीरण गभी क कायण वमाकर रोग िराय कयान क सरए ऩजा-ऩाठ औय कथा-विधान कय थकndashहाय जात ह तफ िराय कयान क सरए अॊनतभ उऩाम क रऩ भ इनददय सना ननकरती ह| इनददय सना नॊग-धड़ॊग फचचो की टोरी ह जो कीचड़ भ रथऩथ होकय गरी-भोहलर भ ऩानी भाॉगन ननकरती ह| रोग अऩन घय की छतो-णखड़ककमो स इनददय सना ऩय ऩानी डारत ह | रोगो की भानदमता ह कक इनददर फादरो क सिाभी औय िराय क दिता ह| इनददर की सना ऩय ऩानी डारन स इनददर बगिान परसनदन होकय ऩानी फयसाएॊग | रखक का तकय ह कक जफ ऩानी की इतनी कभी ह तो रोग भनदशकर स जभा ककए ऩानी को फालटी बय-बयकय इनददय सना ऩय डारकय ऩानी को कमो फफायद कयत ह आमयसभाजी विचायधाया िारा रखक इस अॊधविशिास भानता ह | इसक विऩयीत रखक की जीजी उस सभझाती ह कक मह ऩानी की फफायदी नहीॊ फनदलक ऩानी की फिाई ह | कछ ऩान क सरए कछ दना ऩड़ता ह | तमाग क बफना दान नहीॊ होता| परसतत ननफॊध भ रखक न भरषटाचाय की सभसमा को उठात हए कहा ह कक जीिन भ कछ ऩान क सरए तमाग आिशमक ह जो रोग तमाग औय दान की भहतता को नहीॊ भानत ि ही भरषटाचाय भ सरपत यहकय दश औय सभाज को रटत ह| जीजी की आसथा बािनातभक सचचाई को ऩरषट कयती ह औय तकय किर िऻाननक तथम को सतम भानता ह जहाॉ तकय मथाथय क

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कठोय धयातर ऩय सचचाई को ऩयखता ह तो िहीॊ आसथा अनहोनी फात को बी सिीकाय कय भन को सॊसकारयत कयती ह बायत की सितॊतरता क ५० सार फाद बी दश भ वमापत बरषटाचाय औय सिाथय की बािना को दखकय रखक दखी ह | सयकाय दिाया चराई जा यही मोजनाएॉ गयीफो तक कमो नहीॊ ऩहॉच ऩा यहीॊ ह कार भघा क दर उभड़ यह ह ऩय आज बी गयीफ की गगयी पटी हई कमो ह रखक न मह परशन ऩाठको क सरए छोड़ हदमा ह |

परशन1-इनदय सना घय-घय जाकय ऩानी कमो भाॉगती थी

उततय- गाॉि क रोग फारयश क सरए बगिान इॊदर स पराथयना ककमा कयत थ जफ ऩजा-ऩाठवरत आहद उऩाम असिर हो जात थ तो बगिान इॊदर को परसनदन कयन क सरए गाॉि क ककशोय फचच कीचड़ भ रथऩथ होकय गरी-गरी घभकय रोगो स ऩानी भाॉगत थ

परशन2-इनदयसना को रखक भढक-भॊिरी कमो कहता ह जीजी क फायndashफाय कहन ऩय बी वह इनदयसना ऩय ऩानी प कन को याजी कमो नहीॊ होता

उततय- इनददयसना का कामय आमयसभाजी विचायधाया िार रखक को अॊधविशिास रगता ह उसका भानना ह कक महद इॊदयसना दिता स ऩानी हदरिा सकती ह तो सिमॊ अऩन सरए ऩानी कमो नहीॊ भाॉग रती ऩानी की कभी होन ऩय बी रोग घय भ एकतर ककम हए ऩानी को इॊदयसना ऩय ि कत ह रखक इस ऩानी की ननभयभ फयफादी भानता ह

परशन3- रि हए रखक को जीजी न ककस परकाय सभझामा

उततय- जीजी न रखक को पमाय स रडड-भठयी णखरात हए ननमन तकय हदए-

1- तमाग का भहततव- कछ ऩान क सरए कछ दना ऩड़ता ह 2- दान की भहतता- कवर-भननमो न दान को सफस ऊॉ चा सथान हदमा ह जो चीज अऩन

ऩास बी कभ हो औय अऩनी आिशमकता को बरकय िह चीज दसयो को दान कय दना ही तमाग ह |

3- इॊिदव को जर का अधमट चिाना- इॊदयसना ऩय ऩानी ि कना ऩानी की फयफादी नहीॊ फनदलक इॊदरदि को जर का अधमय चढ़ाना ह

4- ऩानी की फवाई कयना- नदजस परकाय ककसान िसर उगान क सरए जभीन ऩय फीज डारकय फिाई कयता ह िस ही ऩानी िार फादरो की िसर ऩान क सरए इनददय सना ऩय ऩानी डार कय ऩानी की फिाई की जाती ह

परशन4-नठदमो का बायतीम साभाजजक औय साॊसकनतक ऩरयवश भ कमा भहतव ह

उततय- गॊगा बायतीम सभाज भ सफस ऩजम सदानीया नदी ह नदजसका बायतीम इनतहास भ धासभयक ऩौयाणणक औय साॊसकनतक भहति ह | िह बायतीमो क सरए किर एक नदी नहीॊ अवऩत

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भाॉ ह सिगय की सीढ़ी ह भोदानमनी ह उसभ ऩानी नहीॊ अवऩत अभत तलम जर फहता ह बायतीम सॊसकनत भ नहदमो क ककनाय भानि सभमताएॉ परी-परी ह| फड़-फड़ नगय तीथयसथान नहदमो क ककनाय ही नदसथत ह ऐस ऩरयिश भबायतिासी सफस ऩहर गॊगा भमा की जम ही फोरग नहदमाॉ हभाय जीिन का आधाय ह हभाया दश कवर परधान ह नहदमो क जर स ही बायत बसभ हयी-बयी ह नहदमो क बफना जीिन की कलऩना नहीॊ कय सकत मही कायण ह कक हभ बायतीम नहदमो की ऩजा कयत ह |

परशन4-आजादी क ऩचास वषो क फाद बी रखक कमो दखी ह उसक भन भ कौन स परशन उि यह ह

उततय- आजादी क ऩचास िरो फाद बी बायतीमो की सोच भ सकायातभक फदराि न दखकय रखक दखी ह उसक भन भ कई परशन उठ यह ह-

1 कमा हभ सचच अथो भ सितनदतर ह 2 कमा हभ अऩन दश की सॊसकनत औय सभमता को सभझ ऩाए ह 3 यारषर ननभायण भ हभ ऩीछ कमो ह हभ दश क सरए कमा कय यह ह

4 हभ सिाथय औय भरषटाचाय भ सरपत यहत ह तमाग भ विशिास कमो नहीॊ कयत

5 सयकाय दिाया चराई जा यही सधायिादी मोजनाएॉ गयीफो तक कमो नहीॊ ऩहॉचती ह

गदमाॊश ऩय आधारयत अथटगरहण-सॊफॊधधत परशनोततय

सचभच ऐस हदन होत जफ गरी-भहलरा गाॉि-शहय हय जगह रोग गयभी भ बन-बन कय तराहहभाभ कय यह होत जठ क दसतऩा फीतकय आराढ का ऩहरा ऩखिाड़ा फीत चका होता ऩय कषनतज ऩय कहीॊ फादरो की यख बी नहीॊ दीखती होती कएॉ सखन रगत नरो भ एक तो फहत कभ ऩानी आता औय आता बी तो आधी यात को िो बी खौरता हआ ऩानी हो | शहयो की तरना भ गाॉि भ औय बी हारत खयाफ थी| जहाॉ जताई होनी चाहहए थी िहाॉ खतो की सभटटी सखकय ऩतथय हो जाती कपय उसभ ऩऩड़ी ऩड़कय जभीन पटन रगती र ऐसी कक चरत-चरत आदभी धगय ऩड़ | ढोय-डॊगय पमास क भाय भयन रगत रककन फारयश का कहीॊ नाभ ननशान नहीॊ ऐस भ ऩजा-ऩाठ कथा-विधान सफ कयक रोग जफ हाय जात तफ अॊनतभ उऩाम क रऩ भ ननकरती मह इनददय सना |

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परशन१- वषाट न होन ऩय रोगो की कमा जसथनत हो गमी थी उततय - िराय न होन ऩय गयभी क कायण रोग र रगन स फहोश होन रग | गाॉि-शहय सबी जगह ऩानी का अबाि हो गमा| कएॉ सख गए खतो की सभटटी सखकय ऩतथय क सभान कठोय होकय पट गमी| घयो भ नरो भ ऩानी फहत कभ आता था | ऩश पमास क भाय भयन रग थ | परशन२- वषाट क दवता कौन ह उनको परसनन कयन क लरए कमा उऩाम ककए जात थ उततय -िराय क दिता बगिान इनददर ह| उनको परसनदन कयन क सरए ऩजाndashऩाठ कथा-विधान कयाए जात थ | ताकक इनददर दि परसनदन होकय फादरो की सना बजकय झभाझभ फारयश कयाएॉ औय रोगो क करषट दय हो | परशन३- वषाट कयान क अॊनतभ उऩाम क रऩ भ कमा ककमा जाता था उततय ndashजफ ऩजा-ऩाठ कथा-विधान सफ कयक रोग हाय जात थ तफ अॊनतभ उऩाम क रऩ भ इनददय सना आती थी | नॊग-धडॊग कीचड़ भ रथऩथ lsquoकार भघा ऩानी द ऩानी द गड़धानी दrsquo की टय रगाकय पमास स सखत गरो औय सखत खतो क सरए भघो को ऩकायती हई टोरी फनाकय ननकर ऩड़ती थी| परशन४-आशम सऩषट कय ndash जठ क दसतऩा फीतकय आराढ़ का ऩहरा ऩखिाड़ा फीत चका होता ऩय कषनतज भ कहीॊ फादरो की यख बी नजय नहीॊ आती | आशम- जठ का भहीना ह बीरण गयभी ह| तऩत हए दस हदन फीत कय आराढ का भहीना बी आधा फीत गमा ऩय ऩानी क सरए तड़ऩत िराय की आशा भ आसभान की ओय ताकत रोगो को कहीॊ फादर नजय नहीॊ आ यह |

14 ऩहरवान की ढोरक

फ़णीशवयनाथ यण

ऩाि का सायाॊश ndashआॊचसरक कथाकाय िणीशियनाथ यण की कहानी ऩहरिान की ढोरक भ कहानी क भखम ऩातर रटटन क भाता-वऩता का दहाॊत उसक फचऩन भ ही हो गमा था | अनाथ रटटन को उसकी विधिा सास न ऩार-ऩोसकय फड़ा ककमा | उसकी सास को गाॉि िार सतात थ |

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रोगो स फदरा रन क सरए कशती क दाॉिऩच सीखकय कसयत कयक रटटन ऩहरिान फन गमा |

एक फाय रटटन शमाभनगय भरा दखन गमा जहाॉ ढोर की आिाज औय कशती क दाॉिऩच दखकय उसन जोश भ आकय नाभी ऩहरिान चाॉदससॊह को चनौती द दी | ढोर की आिाज स परयणा ऩाकय रटटन न दाॉि रगाकय चाॉद ससॊह को ऩटककय हया हदमा औय याज ऩहरिान फन गमा | उसकी खमानत दय-दय तक िर गमी| १५ िरो तक ऩहरिान अजम फना यहा| उसक दो ऩतर थ| रटटन न दोनो फटो को बी ऩहरिानी क गय ससखाए| याजा की भतम क फाद नए याजकभाय न गददी सॊबारी याजकभाय को घोड़ो की यस का शौक था भनजय न नम याजा को बड़कामा ऩहरिान औय उसक दोनो फटो क बोजनखचय को बमानक औय किजरखचय फतामा िरसिरऩ नए याजा न कशती को फॊद कयिा हदमा औय ऩहरिान रटटनससॊह को उसक दोनो फटो क साथ भहर स ननकार हदमा

याजदयफाय स ननकार हदए जान क फाद रटटन ससॊह अऩन दोनो फटो क साथ गाॉि भ झोऩड़ी फनाकय यहन रगा औय गाॉि क रड़को को कशती ससखान रगा| रटटन का सकर जमादा हदन नहीॊ चरा औय जीविकोऩाजयन क सरए उसक दोनो फटो को भजदयी कयनी ऩड़ी| इसी दौयान गाॉि भ अकार औय भहाभायी क कायण परनतहदन राश उठन रगी| ऩहरिान भहाभायी स डय हए रोगो को ढोरक फजाकय फीभायी स रड़न की सॊजीिनी ताकत दता था| एक हदन ऩहरिान क दोनो फट बी भहाभायी की चऩट भ आकय भय गए ऩय उस यात बी ऩहरिान ढोरक फजाकय रोगो को हहमभत फॊधा यहा था | इस घटना क चाय-ऩाॉच हदन फाद ऩहरिान की बी भौत हो जाती ह|

ऩहरिान की ढोरक वमिसथा क फदरन क साथ रोक कराकाय क अपरासॊधगक हो जान की कहानी ह इस कहानी भ रटटन नाभ क ऩहरिान की हहमभत औय नदजजीविरा का िणयन ककमा गमा ह बख औय भहाभायी अजम रटटन की ऩहरिानी को िट ढोर भ फदर दत ह इस करण तरासदी भ ऩहरिान रटटन कई सिार छोड़ जाता ह कक करा का कोई सितॊतर अनदसतति ह मा करा किर वमिसथा की भोहताज ह

परशन1- रटटन को ऩहरवान फनन की परयणा कस लभरी

उततय- रटटन जफ नौ सार का था तो उसक भाता-वऩता का दहाॊत हो गमा था | सौबागम स उसकी शादी हो चकी थी| अनाथ रटटन को उसकी विधिा सास न ऩार-ऩोसकय फड़ा ककमा | उसकी सास को गाॉि िार ऩयशान कयत थ| रोगो स फदरा रन क सरए उसन ऩहरिान फनन की ठानी| धायोरषण दध ऩीकय कसयत कय उसन अऩना फदन गठीरा औय ताकतिय फना सरमा | कशती क दाॉिऩच सीखकय रटटन ऩहरिान फन गमा |

परशन2- यात क बमानक सननाट भ रटटन की ढोरक कमा करयशभा कयती थी

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उततय- यात क बमानक सनदनाट भरटटन की ढोरक भहाभायी स जझत रोगो को हहमभत फॉधाती थी | ढोरक की आिाज स यात की विबीवरका औय सनदनाटा कभ होता था| भहाभायी स ऩीडड़त रोगो की नसो भ बफजरी सी दौड़ जाती थी उनकी आॉखो क साभन दॊगर का दशम साकाय हो जाता था औय ि अऩनी ऩीड़ा बर खशी-खशी भौत को गर रगा रत थ इस परकाय ढोर की आिाज फीभाय-भतपराम गाॉििारो की नसो भ सॊजीिनी शनदकत को बय फीभायी स रड़न की परयणा दती थी

परशन3- रटटन न सवाटधधक ठहमभत कफ ठदखाई

उततय- रटटन ससॊह न सिायधधक हहमभत तफ हदखाई जफ दोनो फटो की भतम ऩय िह योमा नहीॊ फनदलक हहमभत स काभ रकय अकर उनका अॊनतभ सॊसकाय ककमा| मही नहीॊ नदजस हदन ऩहरिान क दोनो फट भहाभायी की चऩट भ आकय भय गए ऩय उस यात को बी ऩहरिान ढोरक फजाकय रोगो को हहमभत फॉधा यहा था| शमाभनगय क दॊगर भ ऩया जनसभदाम चाॉद ससॊह क ऩ भ था चाॉद ससॊह को हयात सभम रटटन न हहमभत हदखाई औय बफना हताश हए दॊगर भ चाॉद ससॊह को धचत कय हदमा |

परशन4- रटटन लसॊह याज ऩहरवान कस फना

उततय- शमाभनगय क याजा कशती क शौकीन थ उनदहोन दॊगर का आमोजन ककमा ऩहरिान रटटन ससॊह बी दॊगर दखन ऩहॉचा चाॊदससॊह नाभक ऩहरिान जो शय क फचच क नाभ स परससदध था कोई बी ऩहरिान उसस सबड़न की हहमभत नहीॊ कयता था चाॉदससॊह अखाड़ भ अकरा गयज यहा था रटटन ससॊह न चाॉदससॊह को चनौती द दी औय चाॉदससॊह स सबड़ गमाढ़ोर की आिाज सनकय रटटन की नस-नस भ जोश बय गमाउसन चाॉदससॊह को चायो खान धचत कय हदमा याजासाहफ न रटटन की िीयता स परबावित होकय उस याजऩहरिान फना हदमा

परशन5- ऩहरवान की अॊनतभ इचछा कमा थी

उततय- ऩहरिान की अॊनतभ इचछा थी कक उस धचता ऩय ऩट क फर सरटामा जाए कमोकक िह नदजॊदगी भ कबी धचत नहीॊ हआ था| उसकी दसयी इचछा थी कक उसकी धचता को आग दत सभम ढोर अिशम फजामा जाए |

परशन6- ढोर की आवाज औय रटटन क भ दाॉिऩच सॊफॊध फताइए-

उततय- ढोर की आिाज औय रटटन क दाॉिऩच भ सॊफॊध -

चट धा धगड़ धाrarr आजा सबड़ जा | चटाक चट धाrarr उठाकय ऩटक द | चट धगड़ धाrarrभत डयना |

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धाक धधना नतयकट नतनाrarr दाॉि काटो फाहय हो जाओ | धधना धधना धधक धधनाrarr धचत कयो

गदमाॊश-आधारयत अथटगरहण-सॊफॊधधत परशनोततय

अॉधयी यात चऩचाऩ आॉस फहा यही थी | ननसतबधता करण सससककमो औय आहो को अऩन रदम भ ही फर ऩियक दफान की चरषटा कय यही थी | आकाश भ ताय चभक यह थ | ऩथिी ऩय कहीॊ परकाश का नाभ नहीॊ| आकाश स टट कय महद कोई बािक ताया ऩथिी ऩय आना बी चाहता तो उसकी जमोनत औय शनदकत यासत भ ही शर हो जाती थी | अनदम ताय उसकी बािकता अथिा असपरता ऩय णखरणखराकय हॉस ऩड़त थ | ससमायो का करॊ दन औय ऩचक की डयािनी आिाज यात की ननसतबधता को बॊग कयती थी | गाॉि की झोऩडडमो स कयाहन औय क कयन की आिाज हय याभ ह बगिान की टय सनाई ऩड़ती थी| फचच बी ननफयर कॊ ठो स भाॉ ndashभाॉ ऩकायकय यो ऩड़त थ |

(क) अॉधयी यात को आॉस फहात हए कमो ठदखामा गमा ह उततयndash गाॉि भ हजा औय भररयमा परा हआ था | भहाभायी की चऩट भ आकाय रोग भय यह थ |चायो ओय भौत का सनाटा छामा था इससरए अॉधयी यात बी चऩचाऩ आॉस फहाती सी परतीत हो यही थी|

(ख) ताय क भाधमभ स रखक कमा कहना चाहता ह उततयndash ताय क भाधमभ स रखक कहना चाहता ह कक अकार औय भहाभायी स तरसत गाॉि िारो की ऩीड़ा को दय कयन िारा कोई नहीॊ था | परकनत बी गाॉि िारो क द ख स दखी थी| आकाश स टट कय महद कोई बािक ताया ऩथिी ऩय आना बी चाहता तो उसकी जमोनत औय शनदकत यासत भ ही शर हो जाती थी |

(ग) यात की ननसतबधता को कौन बॊग कयता था उततयndash ससमायो की चीख-ऩकाय ऩचक की डयािनी आिाज औय कततो का साभहहक रदन सभरकय यात क सनदनाट को बॊग कयत थ |

(घ) झोऩड़ड़मो स कसी आवाज आ यही ह औय कमो उततयndash झोऩडड़मो स योधगमो क कयाहन क कयन औय योन की आिाज आ यही ह कमोकक गाॉि क रोग भररयमा औय हज स ऩीडड़त थ | अकार क कायण अनदन की कभी हो गमी थी| औरधध औय ऩथम न सभरन क कायण रोगो की हारत इतनी फयी थी कक कोई बगिान को ऩकाय रगाता था तो कोई दफयर कॊ ठ स भाॉndashभाॉ ऩकायता था |

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15 चारी चजतरन मानी हभ सफ

रखक-पवषण खय

ऩाि का सायाॊश ndashचारक चनदपरन न हासम कराकाय क रऩ भ ऩयी दननमा क फहत फड़ दशयक िगय को हॉसामा ह | उनकी कपलभो न कपलभ करा को रोकताॊबतरक फनान क साथ-साथ दशको की िगय औय िणय-वमिसथा को बी तोड़ा | चारक न करा भ फवदध की अऩा बािना को भहतति हदमा ह | फचऩन क सॊघरो न चारक क बािी कपलभो की बसभ तमाय कय दी थी| बायतीम करा औय सौदमयशासतर भ करणा का हासम भ ऩरयितयन बायतीम ऩयमऩया भ नहीॊ सभरता रककन चारक एक ऐसा जादई वमनदकतति ह जो हय दश सॊसकनत औय सभमता को अऩना सा रगता ह| बायतीम जनता न बी उनदह सहज बाि स सिीकाय ककमा ह| सिमॊ ऩय हॉसना चारक न ही ससखामा| बायतीम ससनभा जगत क सपरससदध कराकाय याजकऩय को चारक का बायतीमकयण कहा गमा ह | चारक की अधधकाॊश किलभ भक ह इससरए उनदह अधधक भानिीम होना ऩड़ा | ऩाठ भ हासम कपलभो क भहान असबनता lsquoचारक चनदपरनrsquo की जादई विशरताओॊ का उलरख ककमा गमा ह नदजसभ उसन करणा औय हासम भ साभॊजसम सथावऩत कय किलभो को साियबौसभक रऩ परदान ककमा

परशन१ -चारी क जीवन ऩय परबाव िारन वारी भखम घटनाएॉ कौन सी थी

उततय- चारक क जीिन भ दो ऐसी घटनाएॉ घटीॊ नदजनदहोन उनक बािी जीिन ऩय फहत परबाि डारा |

ऩहरी घटना - जफ चारक फीभाय थ उनकी भाॉ उनदह ईसा भसीह की जीिनी ऩढ़कय सना यही थी | ईसा क सरी ऩय चढ़न क परसॊग तक आत-आत भाॉ-फटा दोनो ही योन रग| इस घटना न चारक को सनह करणा औय भानिता जस उचच जीिन भलम हदए |

दसयी घटना हndash फारक चारक कसाईखान क ऩास यहता था| िहाॉ सकड़ो जानियो को योज भाया जाता था| एक हदन एक बड़ िहाॉ स बाग ननकरी| बड़ को ऩकड़न की कोसशश भ कसाई कई फाय कपसरा| नदजस दखकय रोग हॊसन रग ठहाक रगान रग| जफ बड़ को कसाई न ऩकड़ सरमा तो फारक चारक योन रगा| इस घटना न उसक बािी कपलभो भ तरासदी औय हासमोतऩादक ततिो की बसभका तम कय दी |

परशन२ ndash आशम सऩषट कीजजएndash

चजतरन न लसपट कपलभकरा को ही रोकताॊबतरक नही फनामा फजलक दशटको की वगट तथा वणट-वमवसथा को बी तोड़ा|

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उततय- रोकताॊबतरक फनान का अथय ह कक कपलभ करा को सबी क सरए रोकवपरम फनाना औय िगय औय िणय-वमिसथा को तोड़न का आशम ह- सभाज भ परचसरत अभीय-गयीफ िणय जानतधभय क बदबाि को सभापत कयना |चनदपरन का चभतकाय मह ह कक उनदहोन कपलभकरा को बफना ककसी बदबाि क सबी रोगो तक ऩहॉचामा| उनकी कपलभो न सभम बगोर औय सॊसकनतमो की सीभाओॊ को राॉघ कय साियबौसभक रोकवपरमता हाससर की | चारक न मह ससदध कय हदमा कक करा सितनदतर होती ह अऩन ससदधाॊत सिमॊ फनाती ह |

परशन३ndash चारी चजतरन की कपलभो भ ननठहत तरासदीकरणाहासम का साभॊजसम बायतीम करा औय सौदमटशासतर की ऩरयधध भ कमो नहीॊ आता

उततय- चारक चनदपरन की कपलभो भ ननहहत तरासदीकरणाहासम का साभॊजसम बायतीम करा औय सौदमयशासतर की ऩरयधध भ नहीॊ आताकमोकक बायतीम यस-ससदधाॊत भ करणा औय हासम का भर नहीॊ हदखामा जाता कमोकक बायतीम सौदमयशासतर भ करणयस औय हासम यस को ऩयसऩय वियोधी भाना गमा ह अथायत जहाॊ करणा ह िहाॉ हासम नहीॊ हो सकता बायत भ सिमॊ ऩय हॉसन की ऩयॊऩया नहीॊ ह ऩयॊत चारक क ऩातर अऩन ऩय हॉसतndashहॉसात ह चारक की किलभो क दशम हॉसात-हॉसात ररा दत ह तो कबी करण दशम क फाद अचानक ही हॉसन ऩय भजफय कय दत ह

परशन४ndash चारी क कपलभो की पवशषताएॉ फताइए |

उततय- चारक की किलभो भ हासम औय करणा का अदभत साभॊजसम ह उनकी किलभो भ बारा का परमोग फहत कभ ह चारक की किलभो भ फवदध की अऩा बािना का भहतति अधधक ह उनकी किलभो भ साियबौसभकता ह चारक ककसी बी सॊसकनत को विदशी नही रगत चारक सफको अऩन रगत ह चारक न किलभो को रोकताॊबतरक फनामा औय किलभो भ िगय तथािणय-वमिसथा को तोड़ा अऩनी कपलभो भ चारक सदि धचय मिा हदखता ह

गदमाॊश-आधारयत अथटगरहण-सॊफॊधी परशनोततय

गदमाॊश सॊकत ndashचारक चनदपरन मानी हभ सफ (ऩरषठ १२० )

महद मह िरय चनदपरन की कापी कछ कहा जाएगा |

परशन (क)-पवकासशीर दशो भ चजतरन कमो भशहय हो यह ह

उततय - विकासशीर दशो भ जस-जस टरीविजन औय िीडडमो का परसाय हो यहा ह रोगो को उनकी कपलभो को दखन का अिसय सभर यहा ह |एक फहत फड़ा िगय नए ससय स चारक को घड़ी सधायत औय जत खान की कोसशश कयत दख यहा ह इसीसरए चारक विकासशीर दशो भ रोकवपरम हो यह ह |

(ख)- ऩजशचभ भ चारी का ऩनजीवन कस होता यहता ह

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उततय - ऩनदशचभ भ चारक की कपलभो का परदशयन होता यहता ह| उनकी करा स परयणा ऩाकय हासम किलभ फनती यहती ह | उनक दिाया ननबाए ककयदायो की नकर अनदम कराकाय कयत ह | ऩनदशचभ भ चारक का ऩनजीिन होता यहता ह|

(ग)- चारी को रोग फिाऩ तक कमो माद यखग

उततय ndashहासम कराकाय क रऩ भ रोग चारक को फढ़ाऩ तक माद यखग कमोकक उनकी करा सभम बगोर औय सॊसकनतमो की सीभाओॊ को राॉघकय राखो रोगो को हॉसा यही ह|

(घ)- चारी की कपलभो क फाय भ कापी कछ कहा जाना कमो फाी ह

उततय ndashचनदपरन की ऐसी कछ किलभ मा इसतभार न की गमी यीर सभरी ह नदजनक फाय भ कोई नहीॊ जानता था | चारक की बािनापरधान हासम कपलभो न करा क नए परनतभान सथावऩत ककए ह अत चारक की कपलभो क फाय भ अबी कापी कछ कहा जाना फाी ह|

16 नभक

रखखका - यजजमा सजजाद जहीय

सायाॊश -lsquoनभकrsquoबायत-ऩाक विबाजन ऩय सरणखत भासभयक कहानी ह | विसथावऩत हए रोगो भ अऩनndashअऩन जनदभ सथानो क परनत आज बी रगाि ह| धासभयक आधाय ऩय फनी यारषर-याजमो की सीभा-यखाएॉ उनक अॊतभयन को अरग नहीॊ कय ऩाई ह | बायत भ यहन िारी ससख फीिी राहौय को अऩना ितन भानती ह औय बायतीम कसटभ अधधकायी ढाका क नारयमर ऩानी को मादकय उस सियशररषठ फताता ह दोनो दशो क नागरयको क फीच भहबफत का नभकीन सिाद आज बी कामभ ह इसीसरए सकिमा बायत भ यहन िारी अऩनी भॉहफोरी भाॉ ससख फीिी क सरए राहौयी नभक रान क सरए कसटभ औय कानन की ऩयिाह नहीॊ कयती

परशन1- lsquoनभकrsquo ऩाि क आधाय ऩय फताइए कक सकपमा औय उसक बाई क पवचायो भ कमा अॊतय था

उततय- १-सकपमा बािनाओॊ को फहतभहतति दती ह ऩय उसका बाई फौवदधक परिनदतत का ह उसकी दनदरषट भ कानन बािनाओॊ स ऊऩय ह|

२-सकपमा भानिीम सॊफॊधो को फहत भहतति दती ह जफकक उसका बाई अरगाििादी विचायधाया का ह हहसस-फखय की फात कयता ह |

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३-सकपमा का बाई कहता ह कक अदीफो(साहहतमकाय) का हदभाग घभा हआ होता ह जफकक सकपमा जो सिमॊ अदीफ ह उसका भानना ह कक अगय सबी रोगो का हदभाग अदीफो की तयह घभा हआ होता तो दननमा कछ फहतय हो जाती |

परशन२- नभक र जात सभम सकफ़मा क भन भ कमा दपवधा थी

उततय-सकपमा समद भसरभान थी जो हय हार भ अऩना िामदा ननबात ह| ऩाककसतान स राहौयी नभक र जाकय िह अऩना िामदा ऩया कयना चाहती थी ऩयनदत जफ उस ऩता चरा कक कसटभ क ननमभो क अनसाय सीभाऩाय नभक र जाना िनदजयत ह तो िह दविधा भ ऩड़ गई | सकिमा का दिॊदि मह था कक िह अऩनी ससख भाॉ क सरए नभक कसटभ अधधकारयमो को फताकयर जाए मा नछऩाकय|

परशन३- ऩाि क आधाय ऩय सकपमा की चारयबतरक पवशषताएॉ फताइए |

उततय सॊकत ndash

१- बािक २- ईभानदाय ३- दढ़ननशचमी ४- ननडय ५- िामद को ननबान िारी ६- भानिीम भलमो को सिोऩरय भानन िारी साहहतमकाय

परशन ४- lsquoनभकrsquo ऩाि भ आए ककयदायो क भाधमभ स सऩषट कीजजए कक आज बी बायत औय ऩाककसतान की जनता क फीच भहबफत का नभकीन सवाद घरा हआ ह |

उततय ndash बर ही याजनीनतक औय धासभयक आधाय ऩय बायत औय ऩाककसतान को बौगोसरक रऩ स विबानदजत कय हदमा गमा ह रककन दोनो दशो क रोगो क रदम भ आज बी ऩायसऩरयक बाईचाया सौहादरय सनह औय सहानबनत विदमभान ह | याजनीनतक तौय ऩय बर ही सॊफॊध तनािऩणय हो ऩय साभानदजक तौय ऩय आज बी जनता क फीच भहबफत का नभकीन सिाद घरा हआ ह | अभतसय भ यहन िारी ससख फीफी राहौय को अऩना ितन कहती ह औय राहौयी नभक का सिाद नहीॊ बरा ऩाती | ऩाककसतान का कसटभ अधधकायी नभक की ऩडड़मा सकपमा को िाऩस दत हए कहता ह rdquoजाभा भनदसजद की सीहढ़मो को भया सराभ कहना |rdquo बायतीम सीभा ऩय तनात कसटभ अधधकायी ढाका की जभीन को औय िहाॉ क ऩानी क सिाद को नहीॊ बर ऩाता |

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गदमाॊश-आधारयत अथटगरहण सॊफॊधधत परशनोततय

गदमाॊश सॊकत- ऩाठndash नभक (ऩरषठ १३४)

सकपमा कसटभ क जॊगर स दोनो क हाथो भ थी |

(क) सकपमा कसटभ क जॉगर स ननकरकय दसय तरटपाभट ऩय आ गमी व वहीॊ खड़ यहndash इस वाकम भ lsquoवrsquo शबद का परमोग ककसक लरए ककमा गमा ह

उततय- महाॉ lsquoिrsquo शबद का परमोग ऩाककसतानी कसटभ अधधकायी क सरए ककमा गमा ह जो विबाजन स ऩिय हदलरी भ यहत थ औय आज बी हदलरी को ही अऩना ितन भानत ह |

(ख) तरटपाभट ऩय सकपमा को पवदा कयन कौन-कौन आए थ उनहोन सकपमा को कस पवदाई दी

उततय- परटपाभय ऩय सकपमा को विदा कयन उसक फहत साय सभतर सग सॊफॊधी औय बाई आए थ| उनदहोन ठॊडी साॉस बयत हए सबॊच हए होठो क साथ आॉस फहात हए सकपमा को विदाई दी |

(ग) अटायी भ यरगाड़ी भ कमा ऩरयवतटन हए उततय- अटायी भ यरगाड़ी स ऩाककसतानी ऩसरस उतयी औय हहनददसतानी ऩसरस सिाय हो गई|

(घ) कौन सी फात सकपमा की सभझ भ नहीॊ आ यही थी उततय- दोनो ओय एक सी जभीन एक जसा आसभान एक सी बारा एक सा ऩहनािा औय एक सी सयत क रोग कपय बी दोनो क हाथो भ बयी हई फॊदक ह |

17 लशयीष क पर

आचामट हजायी परसाद दपववदी

सायाॊश ndashlsquoआचामय हजायी परसाद दवििदीrsquo सशयीर को अदभत अिधत भानत ह कमोकक सॊनदमासी की बाॉनत िह सख-दख की धचॊता नहीॊ कयता गभी र िराय औय आॉधी भ बी अविचर खड़ा यहता ह सशयीर क िर क भाधमभ स भनरषम की अजम नदजजीविरा धमयशीरता औय कतयवमननरषठ फन यहन क भानिीम भलमो को सथावऩत ककमा गमा हरखक न सशयीर क कोभर परो औय कठोय परो क दिाया सऩरषट ककमा ह कक रदम की कोभरता फचान क सरए कबी-कबी वमिहाय की कठोयता बी आिशमक हो जाती ह| भहान कवि कासरदास औय कफीय बी सशयीर की तयह फऩयिाह अनासकत औय सयस थ तबी उनदहोन इतनी सनददय यचनाएॉ सॊसाय को दीॊ| गाॉधीजी क वमनदकतति भ बी कोभरता औय कठोयता का अदभत सॊगभ था | रखक सोचता ह कक हभाय दश भ जो भाय-काट अनदगनदाह रट-ऩाट खन-खचचय का फिॊडय ह कमा िह दश को नदसथय नहीॊ यहन दगा गराभी अशाॊनत औय वियोधी िाताियण क फीच अऩन ससदधाॊतो की या कयत हए गाॉधीजी जी नदसथय यह सक थ तो दश बी यह सकता ह जीन की परफर असबरारा क कायण

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विरभ ऩरयनदसथतमो भ बी महद सशयीर णखर सकता ह तो हभाया दश बी विरभ ऩरयनदसथनतमो भ नदसथय यह कय विकास कय सकता ह

परशन1-लसदध कीजजए कक लशयीष कारजमी अवधत की बाॉनत जीवन की अजमता क भॊतर का परचाय कयता ह

उततय- सशयीर कारजमी अिधत की बाॉनत जीिन की अजमता क भॊतर का परचाय कयता ह| जफ ऩथिी अनदगन क सभान तऩ यही होती ह िह तफ बी कोभर परो स रदा रहरहाता यहता ह|फाहयी गयभी धऩ िराय आॉधी र उस परबावित नहीॊ कयती इतना ही नहीॊ िह रॊफ सभम तक णखरा यहता ह | सशयीर विऩयीत ऩरयनदसथनतमो भ बी धमयशीर यहन तथा अऩनी अजम नदजजीविरा क साथ ननसऩह बाि स परचॊड गयभी भ बी अविचर खड़ा यहता ह

परशन२-आयगवध (अभरतास) की तरना लशयीष स कमो नहीॊ की जा सकती

उततय- सशयीर क पर बमॊकय गयभी भ णखरत ह औय आराढ़ तक णखरत यहत ह जफकक अभरतास का पर किर ऩनददरह-फीस हदनो क सरए णखरता ह | उसक फाद अभरतास क पर झड़ जात ह औय ऩड़ कपय स ठॉठ का ठॉठ हो जाता ह | अभरतास अलऩजीिी ह | विऩयीत ऩरयनदसथनतमो को झरता हआ ऊरषण िाताियण को हॉसकय झरता हआ सशयीर दीघयजीिी यहता ह | मही कायण ह कक सशयीर की तरना अभरतास स नहीॊ की जा सकती |

परशन३-लशयीष क परो को याजनताओॊ का रऩक कमो ठदमा गमा ह

उततय- सशयीर क पर उन फढ़ ढीठ औय ऩयान याजनताओॊ क परतीक ह जो अऩनी कसी नहीॊ छोड़ना चाहत | अऩनी अधधकाय-सरपसा क सरए नए मिा नताओॊ को आग नहीॊ आन दत | सशयीर क नए परो को जफयदसती ऩयान परो को धककमाना ऩड़ता ह | याजनीनत भ बी नई मिा ऩीढ़ी ऩयानी ऩीढ़ी को हयाकय सिमॊ सतता सॉबार रती ह |

परशन४- कार दवता की भाय स फचन का कमा उऩाम फतामा गमा ह

उततय- कार दिता कक भाय स फचन का अथय हndash भतम स फचना | इसका एकभातर उऩाम मह ह कक भनरषम नदसथय न हो| गनतशीर ऩरयितयनशीर यह | रखक क अनसाय नदजनकी चतना सदा ऊधियभखी (आधमातभ की ओय) यहती ह ि हटक जात ह |

परशन५- गाॉधीजी औय लशयीष की सभानता परकट कीजजए |

उततय- नदजस परकाय सशयीर धचरधचराती धऩ र िराय औय आॉधी भ बी अविचर खड़ा यहता ह अनासकत यहकय अऩन िाताियण स यस खीॊचकय सयस कोभर फना यहता ह उसी परकाय गाॉधी जी न बी अऩनी आॉखो क साभन आजादी क सॊगराभ भ अनदमाम बदबाि औय हहॊसा को झरा |

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उनक कोभर भन भ एक ओय ननयीह जनता क परनत असीभ करणा जागी िहीॊ ि अनदमामी शासन क वियोध भ डटकय खड़ हो गए |

गदमाॊश-आधारयत अथटगरहण सॊफॊधधत परशनोततय

गदमाॊश सॊकत- ऩाठ ndash सशयीर क पर (ऩरषठ १४७)

कासरदास सौदमय क िह इशाया ह |

(क) कालरदास की सौदमटndashदजषट की कमा पवशषता थी उततय-कासरदास की सौदमयndashदनदरषट फहत सकषभ अॊतबदी औय सॊऩणय थी| ि किर फाहयी रऩ-यॊग औय आकाय को ही नहीॊ दखत थ फनदलक अॊतभयन की सॊदयता क बी ऩायखी थ| कासरदास की सौदमय शायीरयक औय भानससक दोनो विशरताओॊ स मकत था |

(ख) अनासजकत का कमा आशम ह उततय- अनासनदकत का आशम ह- वमनदकतगत सख-द ख औय याग-दिर स ऩय यहकय सौदमय क िासतविक भभय को जानना |

(ग) कालरदास ऩॊत औय यवीॊिनाथ टगोय भ कौन सा गण सभान था भहाकवि कासरदास ससभतरानॊदन ऩॊत औय गरदि यिीॊदरनाथ टगोय तीनो नदसथयपरऻ औय अनासकत कवि थ | ि सशयीर क सभान सयस औय भसत अिधत थ |

(घ) यवीॊिनाथ याजोदमान क लसॊहदवाय क फाय भ कमा सॊदश दत ह याजोदमान क फाय भ यिीॊदरनाथ कहत ह याजोदमान का ससॊहदिाय ककतना ही सॊदय औय गगनचमफी कमो ना हो िह अॊनतभ ऩड़ाि नहीॊ ह| उसका सौदमय ककसी औय उचचतभ सौदमय की ओय ककमा गमा सॊकत भातर ह कक असरी सौदमय इस ऩाय कयन क फाद ह अत याजोदमान का ससॊहदिाय हभ आग फढ़न की परयणा दता ह |

18शरभ-पवबाजन औय जानत-परथा

िॉ० बीभयाव अॊफिकय

सायाॊश ndash इस ऩाठ भ रखक न जानतिाद क आधाय ऩय ककए जान िार बदबाि को सभम सभाज क सरए हाननकायक फतामा ह | जानत आधारयत शरभ विबाजन को असिाबाविक औय भानिता वियोधी फतामा गमा ह मह साभानदजक बदबाि को फढ़ाता ह जानतपरथा आधारयत शरभ विबाजन भ वमनदकत की रधच को भहतति नहीॊ हदमा जाता परसिरऩ वििशता क साथ अऩनाए

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Page 2: ISSUED BY KENDRIYA VIDYALAYA - DOWNLOADED FROM … Class XII Hindi Part B.pdfप्रश्न४ :-फादर क / फयन का गयीफ एि धनी िगय क्मा

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छोट रोग फरात ह नदजस परकाय छोट छोट ऩौध हाथ हहराकय-फादरो क आगभन का सवागत कयत ह िस ही शोवरत िगय कराॊनत क आगभन का सिागत कयता ह

छामावादी कपव ननयारा साममवादी परबाव स बी जड़ हभकत छॊद हहनददी को उनदहीॊ की दन हशोपषत वगट की सभसमाओॊ को सभातत कयन क सरए कराॊनत रऩी फादर का आहवान ककमा गमा ह

अथट-गरहण-सॊफॊधी परशन

कपवताndash

फादर याग

ldquoनतयती ह सभीय-सागय ऩय

अनदसथय सख ऩय द ख की छामा ndash

जग क दगध रदम ऩय

ननदयम विपरि की परावित भामा-

मह तयी यण-तयी

बयी आकाॊाओॊ स

घन बयी ndashगजयन स सजग सपत अॊकय

उय भ ऩथिी क आशाओॊ स निजीिन की ऊॊ चा कय ससय

ताक यह ह ऐ विपरि क फादर

कपय ndashकपय

फाय ndashफाय गजयन

िरयण ह भसरधाय

रदम थाभ रता सॊसाय

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सन- सन घोय िजर हॊकाय |

अशनन ऩात स शानमत शत-शत िीय

त ndashवित हत अचर शयीय

गगन- सऩशी सऩदधाय धीय |rdquo

परशन१- कविता भ फादर ककस का परतीक हऔय कमो

उततय -फादरयाग कराॊनत का परतीक ह इन दोनो क आगभन क उऩयाॊत विशि हया- बया सभदध औय सिसथ हो जाता ह

परशन २ -सख को अनदसथय कमो कहा गमा ह

उततय -सख सदि फना नहीॊ यहता अत उस अनदसथय कहा जाता ह

परशन३ -विपरिी फादर की मदध रऩी नौका की कमा- कमा विशरताएॊ ह

उततय -फादरो क अॊदय आभ आदभी की इचछाएॉ बयी हई हनदजस तयह स मदरध नौका भ मदध की साभगरी बयी होती हमदध की तयह फादर क आगभन ऩय यणबयी फजती ह साभानदमजन की आशाओॊ क अॊकय एक साथ पट ऩड़त ह

परशन४ -फादर क फयसन का गयीफ एिॊ धनी िगय स कमा सॊफॊध जोड़ा गमा ह

उततय-फादर क फयसन स गयीफ िगय आशा स बय जाता ह एिॊ धनी िगय अऩन विनाश की आशॊका स बमबीत हो उठता ह

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सौदमट-फोध-सॊफॊधी परशन

ldquoहॉसत ह छोट ऩौध रघबाय-

शसम अऩाय

हहर हहर

णखर णखर

हाथ हहरात

तझ फरात

विपरि यि स छोट ही ह शोबा ऩात|rdquo

परशन १- ननमन सरणखत परतीको को सऩरषट कीनदजएndash छोट ऩौध सपत अॊकय

उततय - छोट ऩौध- शोवरत िगय सपत अॊकय- आशाएॊ

परशन२- lsquoहॉसत ह छोट ऩौधrsquo-का परतीकाथय सऩरषट कीनदजए |

उततय -परसनदन धचतत ननधयन िगय जो कराॊनत की सॊबािना भातर स णखर उठता ह

परशन३-lsquoछोट ही ह शोबा ऩातrsquo भ ननहहत राणणकता कमा ह

उततय-फचऩन भ भनरषम नननदशचॊत होता ह ननधयन भनरषम उस फचच क सभान ह जो कराॊनत क सभम बी ननबयम होता ह औय अॊतत राबानदनदित होता ह

कपवताndash

फादर याग

पवषम-वसत ऩय आधारयत परशनोततय

परशन१- ऩॊजीऩनतमो की अटटासरकाओॊ को आतॊक बिन कमो कहा गमा ह

उततय -फादरो की गजयना औय भसराधाय िराय भ फड़ -फड़ ऩियत ि घफया जात हउनको उखड़कय धगय जान का बम होता ह |उसी परकाय करानत की हॊकाय स ऩॉजीऩनत घफया उित ह ि

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हदर थाभ कय यह जात हउनदह अऩनी सॊऩजतत एवॊ सतता क नछन जान का बम होता ह | उनकी अटटालरकाएॉ भजफती का भरभ उतऩनदन कयती ह ऩय िासति भ ि अऩन बवनो भ आतॊककत होकय यहत ह|

परशन२- कवि न ककसान का जो शबद-धचतर हदमा ह उस अऩन शबदो भ सरणखए |

उततय - ककसान क जीवन का यस शोषको न चस लरमा ह आशा औय उतसाह की सॊजीवनी सभातत हो चकी ह |शयीय स बी िह दफटर एवॊ खोखरा हो चका ह | कराॊनत का बफगर उसक रदम भ आशा का सॊचाय कयता ह |िह खखरखखरा कय फादर रऩी कराॊनत का सवागत कयता ह |

परशन३- अशनन ऩात कमा ह

उततय- फादर की गजयना क साथ बफजरी धगयन स फड़ ndashफड़ व जर कय याख हो जात ह | उसी परकाय कराॊनत की आॊधी आन स शोषक धनी वगट की सतता सभातत हो जाती ह औय ि खतभ हो जात ह |

परशन४- ऩथिी भ सोम अॊकय ककस आशा स ताक यह ह

उततय - फादर क फयसन स फीज अॊकरयत हो रहरहान रगत ह | अत फादर की गजयन उनभ आशाएॉ उतऩनदन कयती ह | ि ससय ऊॉ चा कय फादर क आन की याह ननहायत ह | ठीक उसी परकाय ननधयन वमनदकत शोषक क अतमाचाय स भजकत ऩान औय अऩन जीिन की खशहारी की आशा भ कराॊनत रऩी फादर की परतीा कयत ह |

परशन५- रदध कोर ह बदध तोर ndashककसक सरए कहा गमा ह औय कमो

उततय - कराॊनत होन ऩय ऩॊजीऩनत िगय का धन नछन जाता हकोष रयकत हो जाता ह | उसक धन की आभद सभातत हो जाती ह | उसका सॊतोष बी अफ lsquoफीत ठदनो की फातrsquo हो जाता ह |

परशन६- अनदसथय सख ऩय द ख की छामा का बाि सऩरषट कीनदजए |

उततय - भानि-जीिन भ सख सदा फना नहीॊ यहता ह उस ऩय द ख की छामा सदा भॊडयाती यहती ह |

परशन७- फादर ककस का परतीक ह

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उततय - फादर इस कविता भ कराॊनत का परतीक ह | नदजस परकाय फादर परकनत ककसान औय आभ आदभी क जीवन भ आनॊद का उऩहाय र कय आता ह उसी परकाय कराॊनत ननधयन शोवरत िगय क जीिन भ सभानता का अधधकाय व सॊऩननता र कय आता ह

परशन८- फादर को जीिन का ऩायािाय कमो कहा गमा ह

उततय - कराॊनत रऩी फादर का आगभन जीवनदामी सखद होता ह -ऩायािाय अथायत सागय | िह जीवन भ खलशमो का खजाना रकय आता ह | ननधटन वगट को सभानता का अधधकाय दता ह |सख सभपदध का कायक फनकय अतमाचाय की अजगन स भकत कयता ह |

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8 कपवतावरी

तरसीदास

साय

शरीयाभजी को सभवऩयत गरनदथ शरीयाभचरयतभानस उततय बायत भ फड़ बनदकतबाि स ऩढ़ा जाता ह रकषभण -भचछाट औय याभ का पवराऩ

यािण ऩतर भघनाद दिाया शनदकत फाण स भनछयत हए रकषभण को दखकय याभ वमाकर हो जात हसरण िदम न सॊजीिनी फटी रान क सरए हनभान को हहभारम ऩियत ऩय बजाआधी यात वमतीत होन ऩय जफ हनभान नहीॊ आएतफ याभ न अऩन छोटबाई रकषभण को उठाकय रदम स रगा सरमा औय साधायण भनरषम की बाॉनत विराऩ कयन रगयाभ फोर ह बाई तभ भझ

कबी दखी नहीॊ दख सकत थतमहाया सिबाि सदा स ही कोभर थातभन भय सरए भाता वऩता को बी छोड़ हदमा औय भय साथ िन भ सदकगभी औय विसबनदन परकाय की विऩयीत ऩरयनदसथनतमो को बी सहा|जस ऩॊख बफना ऩीभणण बफना सऩय औय सॉड बफना शररषठ हाथी अतमॊत दीन हो जात हह बाईमहद भ जीवित यहता हॉ तो भयी दशा बी िसी ही हो जाएगी

भ अऩनी ऩतनी क सरए अऩन वपरम बाई को खोकय कौन सा भॉह रकय अमोधमा जाऊॉ गाइस फदनाभी को बर ही सह रता कक याभ कामय ह औय अऩनी ऩतनी को खो फठा सतरी की हानन विशर नत नहीॊ हऩयनदत बाई को खोना अऩयणीम नत ह

lsquoयाभचरयतभानसrsquo क lsquoरॊका काॊडrsquo स गही रकषभण को शजकत फाण रगन का परसॊग कवि की भासभयक सथरो की ऩहचान का एक शररषठ नभना ह बाई क शोक भ विगसरत याभ का पवराऩ धीय -धीय परराऩ भ फदर जाता ह नदजसभ रकषभण क परनत याभ क अॊतय भ नछऩ परभ क कई कोण सहसा अनाित हो जात हमह परसॊग ईशवय याभ भ भानव सरब गणो का सभनवम कय दता ह | हनभान का सॊजीिनी रकय आ जाना करण यस भ वीय यस का उदम हो जान क सभान ह|

विनम ऩबतरका एक अनदम भहततिऩणय तरसीदासकत कावम ह

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कपवतत औय सवमा

साय

इस शीरयक क अॊतगयत दो कवितत औय एक सिमा सॊकसरत ह lsquoकवितािरीrsquo स अितरयत इन कविततो भ कवि तरसी का पवपवध पवषभताओॊ स गरसत कलरकारतरसी का मगीन मथाथट ह नदजसभ ि कऩार परब याभ व याभयाजम का सवतन यचत ह मग औय उसभ अऩन जीिन का न ससपय उनदह गहया फोध ह फनदलक उसकी असबवमनदकत भ बी ि अऩन सभकारीन कविमो स आग ह महाॉ ऩाठ भ परसतत lsquoकवितािरीrsquo क छॊद इसक परभाण -सिरऩ ह ऩहर छॊद rdquoककसिी ककसान ldquo भ उनदहोन हदखरामा ह कक सॊसाय क अचछ फय सभसत-रीरा परऩॊचो का आधाय-lsquoऩट की आगrsquoका गहन मथाथय ह नदजसका सभाधान ि याभ की बनदकत भ दखत ह दरयदरजन की वमथा दय कयन क सरए याभ रऩी घनशमाभ का आहिान ककमा गमा ह ऩट की आग फझान क लरए याभ रऩी वषाट का जर अननवामट हइसक सरए अननतक कामट कयन की आवशमकता नहीॊ हlsquo इस परकाय उनकी याभ बनदकत ऩट की आग फझान िारी मानी जीवन क मथाथट सॊकटो का सभाधान कयन वारी ह न कक किर आधमानदतभक भनदकत दन िारी| गयीफी की ऩीड़ा यावण क सभान दखदामी हो गई ह

तीसय छॊद )rdquoधत कहौldquo) भ बनदकत की गहनता औय सघनता भ उऩज बकतरदम क आतभपवशवास का सजीव धचतरणह नदजसस सभाज भ वमापत जातऩाॉत औय दयागरहो क -नतयसकाय का साहस ऩदा होता ह इस परकाय बजकत की यचनातभक बलभका का सॊकत महाॉ ह

जो आज क बदबाव भरक मग भ अधधक परासॊधगक ह |

अथट-गरहण-सॊफॊधी परशन

ldquoउहाॉ याभ रनछभनहहॊ ननहायी फोर फचन भनज अनसायी

अधय यानत गइ कवऩ नहहॊ आमउ याभ उठाइ अनज उय रामउ

सकह न दणखत दणख भोहह काऊ फॊध सदा ति भदर सबाऊ

भभ हहत राधग तजह वऩत भाता सहह बफवऩन हहभ आतऩ फाता

सो अनयाग कहाॉ अफ बाई उठह न सनन भभ फच बफकराई

जौ जनतउॉ फन फॊध बफछोह वऩता फचन भनतउॉ नहहॊ ओह

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सत बफत नारय बिन ऩरयिाया होहहॊ जाहहॊ जग फायहहॊ फाया

अस बफचारय नदजमॉ जागह ताता सभरइ न जगत सहोदय भाता

जथा ऩॊख बफन खग अनत दीना भनन बफन पनन करयफय कय हीना

अस भभ नदजिन फॊध बफन तोही जौ जड़ दि नदजआि भोही

जहउॉ अिध किन भह राई नारय हत वपरम बाइ गॉिाई

फर अऩजस सहतउॉ जग भाहीॊ नारय हानन बफसर छनत नाहीॊ

अफ अऩरोक सोक सत तोया सहहहह ननठय कठोय उय भोया

ननज जननी क एक कभाया तात तास तमह परान अधाया

सौऩसस भोहह तमहहह गहह ऩानी सफ बफधध सखद ऩयभ हहत जानी

उतर काह दहउॉ तहह जाई उहठ ककन भोहह ससखािह बाईldquo

परशन१-lsquoफोर फचन भनज अनसायीrsquo- का तातऩमय कमा ह

उततय - बाई क शोक भ विगसरत याभ का पवराऩ धीय- -धीय परराऩ भ फदर जाता ह नदजसभ रकषभण क परनत याभ क अॊतय भ नछऩ परभ क कई कोण सहसा अनाित हो जात ह मह परसॊग ईशवय याभ भ भानव सरब गणो का सभनवम कय दता ह| ि भनरषम की बाॊनत विचसरत हो कय ऐस िचन कहत ह जो भानिीम परकनत को ही शोबा दत ह |

परशन२- याभ न रकषभण क ककन गणो का िणयन ककमा ह

उततय -याभ न रकषभण क इन गणो का िणयन ककमा ह-

रकषभण याभ स फहत सनह कयत ह | उनदहोन बाई क सरए अऩन भाता ndashवऩता का बी तमाग कय हदमा | ि िन भ िराय हहभ धऩ आहद करषटो को सहन कय यह ह | उनका सिबाि फहत भदर ह |ि बाई क द ख को नहीॊ दख सकत |

परशन३- याभ क अनसाय कौन सी िसतओॊ की हानन फड़ी हानन नहीॊ ह औय कमो

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उततय -याभ क अनसाय धन ऩतर एिॊ नायी की हानन फड़ी हानन नहीॊ ह कमोकक म सफ खो जान ऩय ऩन परापत ककम जा सकत ह ऩय एक फाय सग बाई क खो जान ऩय उस ऩन परापत नहीॊ ककमा जा सकता |

परशन४- ऩॊख क बफना ऩी औय सॊड क बफना हाथी की कमा दशा होती ह कावम परसॊग भ इनका उलरख कमो ककमा गमा ह

उततय - याभ विराऩ कयत हए अऩनी बािी नदसथनत का िणयन कय यह ह कक जस ऩॊख क बफना ऩी औय सॊड क बफना हाथी ऩीडड़त हो जाता ह उनका अनदसतति नगणम हो जाता ह िसा ही असहनीम करषट याभ को रकषभण क न होन स होगा |

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सौदमट-फोध-सॊफॊधी परशन

परशन१- कावमाॊश की बारा सौदमय सॊफॊधी दो विशरताओॊ का उललरख कीनदजए|

उततय- १यस -करण यस

२ अरॊकाय - उतपरा अरॊकायndash

भन करणा भॊह फीय यस

जागा ननससचय दणखअ कसाभानहॉ कार दह धरय फसा

दरषटाॊत अरॊकाय - जथा ऩॊख बफन खग अनत दीनाभनन बफन पनन करयफय कय हीना

अस भन नदजिन फॊध बफन तोहीजो जड़ दि नदजआि भोही

वियोधाबास अरॊकाय -फहबफधध सोचत सोच बफभोचन

परशन२- कावमाॊश की बारा का नाभ सरणखए |

उततय - अिधी बारा

परशन३- कावमाॊश भ परमकत छॊद कौन ndashसा ह

उततय- १६१६ भातराओॊ का सभ भाबतरक चौऩाई छॊद |

सौदमट-फोध-सॊफॊधी परशन

ldquoककसफी ककसान-कर फननक सबखायी बाट चाकय चऩर नट चोय चाय चटकी| ऩटको ऩढतगन गढ़त चढ़त धगरय अटत गहन ndashगन अहन अखटकी|

ऊॊ च ndashनीच कयभ धयभ ndashअधयभ करय ऩट ही को ऩचत फचत फटा ndashफटकी |

lsquoतरसीrsquo फझाई एक याभ घनसमाभ ही त आधग फड़िाधगत फड़ी ह आधग ऩटकी|rdquo

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परशन१- कवितािरी ककस बारा भ सरखी गई ह

उततय - बरज बारा

परशन२- कवितािरी भ परमकत छॊद एिॊ यस को सऩरषट कीनदजए |

उततय - इस ऩद भ 31 31 िणो का चाय चयणो िारा सभिणणयक कवितत छॊद ह नदजसभ 16 एिॊ 15 िणो ऩय वियाभ होता ह

परशन३- कवितत भ परमकत अरॊकायो को छाॊट कय सरणखए

१ अनपरास अॊरकायndash

ककसफी ककसान-कर फननक सबखायी बाट

चाकय चऩर नट चोय चाय चटकी|

२ रऩक अरॊकायndash याभndash घनशमाभ

३ अनतशमोनदकत अरॊकायndash आधग फड़िाधग त फडड़ ह आग ऩट की

रकषभण- भचछाट औय याभ का पवराऩ

पवषम-वसत ऩय आधारयत परशनोततय

परशन १-lsquoति परताऩ उय याणख परब भ ककसक परताऩ का उलरख ककमा गमा हrsquoऔय कमो

उततय -इन ऩॉनदकतमो भ बयत क परताऩ का उलरख ककमा गमा ह हनभानजी उनक परताऩ का सभयण कयत हए अमोधमा क ऊऩय स उड़त हए सॊजीिनी र कय रॊका की ओय चर जा यह ह

परशन२- याभ विराऩ भ रकषभण की कौन सी विशरताएॉ उदघहटत हई ह

उततय -रकषभण का भात परभ तमागभम जीिन इन ऩॉनदकतमो क भाधमभ स उदघाहटत हआ ह

परशन३- फोर िचन भनज अनसायी स कवि का कमा तातऩमय ह

उततय -बगिान याभ एक साधायण भनरषम की तयह विराऩ कय यह ह ककसी अितायी भनरषम की तयह नहीॊ भात परभ का धचतरण ककमा गमा हतरसीदास की भानिीम बािो ऩय सशकत ऩकड़ हदिीम वमनदकतति का रीरा रऩ ईशिय याभ को भानिीम बािो स सभनदनदित कय दता ह

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परशन४- बाई क परनत याभ क परभ की परगाढ़ता उनक ककन विचायो स वमकत हई ह

उततय - जथा ऩॊख बफन खग अनत दीना

भनन बफन पनन करयफय कय हीना

अस भभ नदजिन फॊध बफन तोही

जो जड़ दि नदजआि भोही

परशन५- lsquoफहविधध सोचत सोचविभोचनrsquo का वियोधाबास सऩरषट कीनदजए

उततय -दीनजन को शोक स भकत कयन िार बगिान याभ सिमॊ फहत परकाय स सोच भ ऩड़कय दखी हो यह ह

परशन६- हनभान का आगभन करणा भ िीय यस का आना ककस परकाय कहा जा सकता ह

उततय -रदन कयत िानय सभाज भ हनभान उतसाह का सॊचाय कयन िार िीय यस क रऩ भ आ गए करणा की नदी हनभान दिाया सॊजीिनी र आन ऩय भॊगरभमी हो उठती ह

कपवतत औय सवमा

पवषम-वसत ऩय आधारयत परशनोततय

परशन१- ऩट की बख शाॊत कयन क सरए रोग कमा कमा कयत ह

उततय -ऩट की आग फझान क सरए रोग अननतक कामय कयत ह

परशन२- तरसीदास की दनदरषट भ साॊसारयक दखो स ननिनदतत का सिोततभ उऩाम कमा ह

उततय - ऩट की आग फझान क सरए याभ कऩा रऩी िराय का जर अननिामय हइसक सरए अननतक कामय कयन की आिशमकता नहीॊ ह

परशन३- तरसी क मग की सभसमाओॊ का धचतरण कीनदजए

उततय - तरसी क मग भ पराकनतक औय परशासननक िरमम क चरत उतऩनदन ऩीडा दरयदरजन क सरए यािण क सभान दखदामी हो गई ह

परशन४- तरसीदास की बनदकत का कौन सा सिरऩ परसतत कविततो भ असबवमकत हआ ह

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उततय - तरसीदास की बनदकत का दासम बाि सिरऩ परसतत कविततो भ असबवमकत हआ ह

9 रफाइमाॉ

कफ़याक गोयखऩयी

भर नाभndash यघऩनत सहाम कफ़याक

उदय शामयी की रयिामत क विऩयीत कपयाक गोयखऩयी क साहहतम भ रोक जीिन एिॊ परकनत की झरक सभरती ह साभानदजक सॊिदना िमनदकतक अनबनत फन कय उनकी यचनाओॊ भ वमकत हई हजीिन का कठोय मथाथय उनकी यचनाओॊ भ सथान ऩाता हउनदहोन रोक बारा क परतीको का परमोग ककमा ह राणणक परमोग उनकी बारा की विशरता हकियाक की रफाईमो भ घयर हहॊदी का रऩ हदखता ह |

रफाई उदय औय िायसी का एक छॊद मा रखन शरी ह नदजसभ चाय ऩॊनदकतमाॉ होती ह |इसकी ऩहरी दसयी औय चौथी ऩॊनदकत भ तक (काकिमा)सभरामा जाता ह तथा तीसयी ऩॊनदकत सिचछॊद होती ह |

ldquoिो रऩिती भखड़ ऩ इक नभय दभकrdquo

ldquoफचच क घयोद भ जराती ह हदएldquo

ldquoयाफॊधन की सफह यस की ऩतरीrdquo

ldquoबफजरी की तयह चभक यह ह रचछrdquo

ldquoबाई क ह फाॉधती चभकती याखीldquo- जस परमोग उनकी बारा की सशकतता क नभन क तौय ऩय दख जा सकत ह |

साय

रफाइमाॉ

याफॊधन एक भीठा फॊधन ह याफॊधन क कचच धागो ऩय बफजरी क रचछ ह सािन भ याफॊधन आता ह सािन का जो सॊफॊध झीनी घटा स ह घटा का जो सॊफॊध बफजरी स ह िही सॊफॊध बाई का फहन स होता ह

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गज़र

ऩाठ भ कपयाक की एक गज़र बी शासभर ह रफाइमो की तयह ही कपयाक की गजरो भ बी हहॊदी सभाज औय उदय शामयी की ऩयॊऩया बयऩय ह इसका अदभत नभना ह मह गज़र मह गज़र कछ इस तयह फोरती ह कक नदजसभ ददय बी ह एक शामय की ठसक बी ह औय साथ ही ह कावम-सशलऩ की िह ऊॉ चाई जो गज़र की विशरता भानी जाती ह

अथट-गरहण-सॊफॊधी परशन

ldquoआॉगन भ सरए चाॉद क टकड़ को खड़ी

हाथो ऩ झराती ह उस गोद-बयी

यह-यह क हिा भ जो रोका दती ह

गॉज उठती ह णखरणखरात फचच की हॉसीrdquo

परशन१- lsquoचाॉद क टकड़rsquoका परमोग ककसक सरए हआ ह औय कमो

उततय -फचच को चाॉद का टकड़ा कहा गमा ह जो भाॉ क सरए फहत पमाया होता ह

परशन२- गोद-बयी परमोग की विशरता को सऩरषट कीनदजए |

उततय - गोद-बयी शबद-परमोग भाॉ क वातसलमऩणट आनॊठदत उतसाह को परकट कयता ह |मह अतमॊत सॊदय दशम बफॊफ ह | सनी गोद क विऩयीत गोद का बयना भाॉ क लरए असीभ सौबागम का सचक ह |इसी सौबागम का सकषभ अहसास भाॉ को तजतत द यहा ह|

परशन३- रोका दना ककस कहत ह

उततय - जफ भाॉ फचच को फाहो भ रकय हिा भ उछारती ह इस रोका दना कहत ह|छोट फचचो को मह खर फहत अचछा रगता ह

परशन४- फचचा भाॉ की गोद भ कसी परनतककरमा कयता ह

उततय - हिा भ उछारन ( रोका दन) स फचचा भाॉ का िातसलम ऩाकय परसनदन होता ह औय णखरणखरा कय हॉस ऩड़ता हफचच की ककरकारयमाॉ भाॉ क आनॊद को दगना कय दती ह|

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सौदमट-फोध-सॊफॊधी परशन

ldquoनहरा क छरक-छरक ननभयर जर स

उरझ हए गसओॊ भ कॊ घी कयक

ककस पमाय स दखता ह फचचा भॉह को

जफ घटननमो भ रक ह वऩनदहाती कऩड़rdquo

परशन१- परसतत ऩॊनदकतमो क बाि सौदमय को सऩरषट कीनदजए |

उततय - भाॉ न अऩन फचच को ननभयर जर स नहरामा उसक उरझ फारो भ कॊ घी की |भाॉ क सऩशय एिॊ नहान क आनॊद स फचचा परसनदन हो कय फड़ परभ स भाॉ को ननहायता ह| परनतहदन की एक सिाबाविक ककरमा स कस भाॉ-फचच का परभ विकससत होता ह औय परगाढ़ होता चरा जाता ह इस बाि को इस रफाई भ फड़ी सकषभता क साथ परसतत ककमा गमा ह|

परशन२- कावमाॊश भ आए बफॊफो को सऩरषट कीनदजए |

उततय -१ldquoनहरा क छरक-छरक ननभटर जर सrdquo- इस परमोग दिाया कवि न फारक की ननभयरता एिॊ ऩवितरता को जर की ननभयरता क भाधमभ स अॊककत ककमा ह | छरकना शबद जर की ताजा फॊदो का फारक क शयीय ऩय छरछरान का सॊदय दशम बफॊफ परसतत कयता ह |

२ lsquoघटननमो भ रक ह पऩनहाती कऩड़rsquo- इस परमोग भ भाॉ की फचच क परनत सािधानी चॊचर फचच को चोट ऩहॉचाए बफना उस कऩड़ ऩहनान स भाॉ क भातति की कशरता बफॊबफतहोती ह |

३ ldquoककस तमाय स दखता ह फचचा भॉह कोrdquo- ऩॊनदकत भ भाॉ ndashफचच का िातसलम बफॊबफत हआ ह | भाॉ स पमाय ndashदराय सऩशय ndashसख नहराए जान क आनॊद को अनबि कयत हए फचचा भाॉ को पमाय बयी नजयो स दख कय उस सख की असबवमनदकत कय यहा ह |मह सकषभ बाि अतमॊत भनोयभ फन ऩड़ा ह |सॊऩणय रफाई भ दशम बफॊफ ह|

परशन ३-कावमाॊश क शबद-परमोग ऩय हटपऩणी सरणखए |

उततय -गस ndashउदय शबदो का परमोग

घटननमो वऩनदहाती ndash दशज शबदो क भाधमभ स कोभरता की असबवमनदकत

छरक ndashछरक ndashशबद की ऩनयािनदतत स अबी ndashअबी नहराए गए फचच क गीर शयीय का बफॊफ

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आहद विरण परमोग रफाइमो को विसशरषट फना दत ह | हहॊदीउदय औय रोकबारा क अनठ गठफॊधन की झरक नदजस गाॊधीजी हहॊदसतानी क रऩ भ ऩलरवित कयना चाहत थदखन को सभरती ह |

पवषम-वसत ऩय आधारयत परशनोततय

रफाइमाॉ

परशन १ -कावम भ परमकत बफॊफो का िणयन अऩन शबदो भ कीनदजए

उततय -

दशम बफॊफ -फचच को गोद भ रना हिा भ उछारना सनान कयाना घटनो भ रकय कऩड़ ऩहनाना|

शरवमबफॊफ - फचच का णखरणखरा कय हॉस ऩड़ना सऩशय बफॊफ -फचच को सनान कयात हए सऩशय कयना |

परशन २-ldquoआॉगन भ ठनक यहा ह नदज़दमामा ह फारक तो हई चाॉद ऩ ररचामा हrsquo- भ फारक की कौन सी विशरता असबवमकत हई ह

उततय - इन ऩॊनदकतमो भ फारक की हि कयन की पवशषता असबवमकत हई ह फचच जफ नदजद ऩय आ जात ह तो अऩनी इचछा ऩयी कयिान क सरए नाना परकाय की हयकत ककमा कयत ह| नदज़दमामा शबद रोक बाषा का पवरण परमोग ह इसभ फचच का िनकना तनकना ऩाॉव ऩटकना योना आठद सबी ककरमाएॉ शासभर ह |

परशन ३ रचछ ककस कहा गमा ह इनका सॊफॊध ककस तमौहाय स ह

उततय - याखी क चभकीर तायो को रचछ कहा गमा ह याफॊधन क कचच धागो ऩय बफजरी क रचछ ह सािन भ याफॊधन आता ह सािन का जो सॊफॊध झीनी घटा स ह घटा का जो सॊफॊध बफजरी स ह िही सॊफॊध बाई का फहन स होता ह|सािन भ बफजरी की चभक की तयह याखी क चभकीर धागो की सॊदयता दखत ही फनती ह|

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अथट-गरहण-सॊफॊधी परशन

गज़र

कफ़याक गोयखऩयी

ldquoनौयस गॊच ऩॊखडड़मो की नाज़क धगयह खोर ह

मा उड़ जान को यॊगो- फ गरशन भ ऩय तौर ह |rdquo

परशन१- lsquoनौयसrsquo विशरण दिाया कवि ककस अथय की वमॊजना कयना चाहता ह

उततय नौयस अथायत नमा यस गॊच अथायत कसरमो भ नमा ndashनमा यस बय आमा ह |

परशन२- ऩॊखडड़मो की नाज़क धगयह खोरन का कमा असबपराम ह

उततय - यस क बय जान स कसरमाॉ विकससत हो यही ह |धीय-धीय उनकी ऩॊखडड़माॉ अऩनी फॊद गाॉठ खोर यही ह | कवि क शबदो भ नियस ही उनकी फॊद गाॉठ खोर यहा ह|

परशन३- lsquoयॊगो- फ गरशन भ ऩय तौर हrsquo ndash का अथय सऩरषट कीनदजए|

उततय -यॊग औय सगॊध दो ऩी ह जो कसरमो भ फॊद ह तथा उड़ जान क सरए अऩन ऩॊख पड़पड़ा यह ह |मह नदसथनत कसरमो क पर फन जान स ऩिय की ह जो पर फन जान की परतीा भ ह |rsquoऩय तौरनाrsquo एक भहािया ह जो उड़ान की भता आॉकन क सरए परमोग ककमा जाता ह |

परशन४- इस शय का बाि-सौदमय वमकत कीनदजए|

उततय -कसरमो की नई-नई ऩॊखडड़माॉ णखरन रगी ह उनभ स यस भानो टऩकना ही चाहता ह | िमसॊधध(ककशोयी)नानमका क परसपहटत होत सौदमय का परतीकातभक धचतरण अतमॊत सॊदय फन ऩड़ा ह |

सौदमट-फोध-सॊफॊधी परशन

हभ हो मा ककसभत हो हभायी दोनो को इक ही काभ सभरा ककसभत हभ को यो रि ह हभ ककसभत को यो र ह| जो भझको फदनाभ कय ह काश ि इतना सोच सक

भया ऩदाय खोर ह मा अऩना ऩदाय खोर ह | परशन१- इन शयो की बारा सॊफॊधी विशरताएॉ सऩरषट कीनदजए |

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उततय- १ भहाियो का परमोग ndashककसभत का योना ndashननयाशा का परतीक

२सयर असबवमनदकत बारा भ परिाहभमता ह ककसभत औय ऩयदा शबदो की ऩनयािनदततमाॉ

भोहक ह|

३ हहॊदी का घयर रऩ

परशन२- lsquoभया ऩयदा खोर ह मा अऩना ऩयदा खोर ह lsquo- की बावरक विशरता सरणखए |

उततय -भहािय क परमोग दिाया वमॊजनातभक असबवमनदकत | ऩयदा खोरना ndash बद खोरना सचचाई फमान कयना|

परशन३-lsquoहभ हो मा ककसभत हो हभायी lsquo ndashपरमोग की विशरता फताइए |

उततय - हभ औय ककसभत दोनो शबद एक ही वमनदकत अथायत कियाक क सरए परमकत ह | हभ औय ककसभत भ अबद ह मही विशरता ह |

कफ़याक गोयखऩयी

पवषम-वसत ऩय आधारयत परशनोततय

परशन१- ताय आॉख झऩकाि ह ndashका तातऩमय सऩरषट कीनदजए |

उततय- याबतर का सनदनाटा बी कछ कह यहा हइससरए ताय ऩरक झऩका यह ह विमोग की नदसथनत भ परकनत बी सॊिाद कयती परतीत होती ह |

परशन२- lsquoहभ हो मा ककसभत हो हभायीrsquo भ ककस बाि की असबवमनदकत हई ह

उततय- जीिन की विडॊफना ककसभत को योना-भहािय क परमोग स सटीक असबवमनदकत परापत कयती ह कवि जीिन स सॊतरषट नहीॊ ह | बागम स सशकामत का बाि इन ऩॊनदकतमो भ झरकता ह |

परशन३- परभ क ककस ननमभ की असबवमनदकत कवि न की ह

उततय -ईशिय की परानदपत सियसि रटा दन ऩय होती ह परभ क सॊसाय का बी मही ननमभ ह|कवि क शबदो भ rdquo कितयत का कामभ ह तिाज़न आरभ- हसनो ndashइशक भ बी

उसको उतना ही ऩात ह खद को नदजतना खो र ह |rdquo

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१ बाि ndashसामम- कफीय -lsquoसीस उताय बई धय तफ सभसरह कयतायlsquo-अथायत -सिमॊ को खो कय ही परभ परानदपत की जा सकती ह

२ बाि सामम- कफीय ndashनदजन ढॉढा नतन ऩाइमाॉ गहय ऩानी ऩहठ|

भ फऩया फडन डया यहा ककनाय फहठ |

परशन४- शयाफ की भहकपर भ शयाफी को दय यात कमा फात माद आती ह

उततय - शयाफ की भहकपर भ शयाफी को दय यात माद आती ह कक आसभान भ भनरषम क ऩाऩो का रखा-जोखा होता ह जस आधी यात क सभम परयशत रोगो क ऩाऩो क अधमाम खोरत ह िस ही यात क सभम शयाफ ऩीत हए शामय को भहफफा की माद हो आती ह भानो भहफफा परयशतो की तयह ऩाऩ सथर क आस ऩास ही ह

परशन५- सदक कियाकndashndashndashइन ऩॊनदकतमो का अथय सऩरषट कीनदजए |

उततय -सदक कियाकndashndashndashइन ऩॊनदकतमो भ कियाक कहत ह कक उनकी शामयी भ भीय की शामयी की उतकरषटता धिननत हो यही ह

परशन६- ऩॊखडड़मो की नाज़क धगयह खोरना कमा ह

उततय -ऩॉखडड़मो की नाजक धगयह खोरना उनका धीय -धीय विकससत होना ह

िमसॊधध(ककशोयी)नानमका क परसपहटत होत सौदमय की ओय सॊकत ह |

परशन७-lsquoमो उड़ जान को यॊगो फ गरशन भ ऩय तौर हrsquo बाि सऩरषट कीनदजए

उततय -कसरमो की सिास उड़न क सरए भानो ऩय तौर यही होअथायत खशफ का झोका यहndashयह कय उठता ह

परशन८- कवि दिाया िणणयत याबतर क दशम का िणयन अऩन शबदो भ कीनदजए

उततय - याबतर का सनदनाटा बी कछ कह यहा हइससरए ताय ऩरक झऩका यह हरगता ह कक परकनत का कण-कण कछ कह यहा ह |

परशन९- कवि अऩन िमनदकतक अनबि ककन ऩॉनदकतमो भ वमकत कय यहा ह

जीिन की विडॊफना-lsquoककसभत को योनाlsquo भहािय क परमोग स सटीक असबवमनदकत परापत कयती ह

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ldquoहभ हो मा ककसभत हो हभायी दोनो को इक ही काभ सभरा

ककसभत हभ को यो रि ह हभ ककसभत को यो र ह|rdquo

परशन१०- शामय न दननमा क ककस दसतय का िणयन ककमा ह

उततय -शामय न दननमा क इस दसतय का िणयन ककमा ह कक रोग दसयो को फदनाभ कयत ह ऩयॊत ि नहीॊ जानत कक इस तयह ि अऩनी दरषट परकनत को ही उदघाहटत कयत ह

परशन११- परभ की कितयत कवि न ककन शबदो भ असबवमकत की ह

सिमॊ को खो कय ही परभ की परानदपत की जा सकती ह ईशिय की परानदपत सियसि रटा दन ऩय होती ह परभ क सॊसाय का बी मही ननमभ ह

परशन१२- कियाक गोयखऩयी ककस बारा क कवि ह

उततय - उदय बारा

10 छोटा भया खत

उभाशॊकय जोशी

(गजयाती कपव)

उभाशॊकय जोशी फीसिीॊ सदी क गजयाती क भधयनदम कवि सॊसकत िाङभम क विदिान हउनदहोन गजयाती कविता को परकनत स जोड़ाआभ आदभी क जीिन की झरक उनकी यचनाओॊ भ सभरती ह

छोटा भया खत

साय

खती क रऩक दिाया कावम यचनाndash परककरमा को सऩषट ककमा गमा हकावम कनत की यचना फीजndash वऩन स रकय ऩौध क ऩजषऩत होन क पवलबनन चयणो स गजयती हअॊतय किर इतना ह कक कपव कभट की पसर कारजमी शाशित होती हउसका यस-यण अम होता हकागज का ऩनदना नदजस ऩय यचना शबदफदध होती ह कवि को एक चौकोय खत की तयह रगता ह इस खत

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भ ककसी अॉधड़ (आशम बािनातभक आॉधी स होगा) क परबाि स ककसी ण एक फीज फोमा जाता ह मह फीज-यचना विचाय औय असबवमनदकत का हो सकता ह मह भर रऩ कलऩना का सहाया रकय विकससत होता ह औय परककरमा भ सिमॊ विगसरत हो जाता ह उसस शबदो क अॊकय ननकरत ह औय अॊतत कनत एक ऩणय सिरऩ गरहण कयती ह जो कवर-कभय क सरहाज स ऩलरवित -ऩनदरषऩत होन की नदसथनत ह साहहनदतमक कनत स जो अरौककक यस-धाया पटती ह िह ण भ होन िारी योऩाई का ही ऩरयणाभ ह ऩय मह यस-धाया अनॊत कार तक चरन िारी कटाई ह |

फगरो क ऩॊख

साय

फगरो क ऩॊख कविता एक चार बफॊफ की कविता ह सौदमय का अऩकषत परबाि उतऩनदन कयन क सरए कविमो न कई मनदकतमाॉ अऩनाई ह नदजसभ स सफस परचसरत मनदकत ह-सौदमय क वमौयो क धचतरातभक िणयन क साथ अऩन भन ऩय ऩड़न िार उसक परबाि का िणयन औय आतभगत क सॊमोग की मह मनदकत ऩाठक को उस भर सौदमय क कापी ननकट र जाती ह जोशी जी की इस कविता भ ऐसा ही ह कवि कार फादरो स बय आकाश भ ऩॊनदकत फनाकय उड़त सपद फगरो को दखता ह ि कजयाय फादरो भ अटका-सा यह जाता ह िह इस भामा स अऩन को फचान की गहाय रगाता ह कमा मह सौदमय स फाॉधन औय विॊधन की चयभ नदसथनत को वमकत कयन का एक तयीका ह

परकनत का सितॊतर (आरॊफन गत ) धचतरण आधननक कविता की विशरता हधचतरातभक िणयन दिाया कवि न एक ओय कार फादरो ऩय उड़ती फगरो की शित ऩॊनदकत का धचतर अॊककत ककमा ह तो दसयी ओय इस अपरनतभ दशम क रदम ऩय ऩड़न िार परबाि को धचबतरत ककमा हभॊतर भगध कवि इस दशम क परबाि स आतभ विसभनत की नदसथनत तक ऩहॉच जाता हविरम एिॊ विरमीगत सौनददमय क दोनो रऩ कविता भ उदघाहटत हए ह

अथट-गरहण-सॊफॊधी परशन

ldquoछोटा भया खत चौकोना

कागज़ का एक ऩनदना कोई अॊधड़ कहीॊ स आमा

ण का फीज िहाॉ फोमा गमा|

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कलऩना क यसामनो को ऩी

फीज गर गमा ननशर शबद क अॊकय पट

ऩलरि ndashऩरषऩो स नसभत हआ विशर |rdquo

परशन १lsquoछोटा भया खतrsquo ककसका परतीक ह औय कमो

उततय - परशन२ lsquoछोटा भया खतrsquo काग़ज क उस ऩनदन का परतीक ह नदजस ऩय कवि अऩनी कविता सरखता ह

परशन २ कवि खत भ कौनndashसा फीज फोता ह

उततय - कवि खत भ अऩनी कलऩना का फीज फोता ह

परशन ३ कवि की कलऩना स कौन स ऩलरि अॊकरयत होत ह

उततय - कवि की कलऩना स शबद क ऩलरि अॊकरयत होत ह

परशन ४ उऩमयकत ऩद का बाि-सौदमय सऩरषट कीनदजए |

उततय - खती क रऩक दिाया कावम-यचनाndashपरककरमा को सऩषट ककमा गमा हकावम कनत की यचना फीजndash वऩन स रकय ऩौध क ऩजषऩत होन क पवलबनन चयणो स गजयती हअॊतय किर इतना ह कक कपव कभट की पसर कारजमी शाशित होती हउसका यस-यण अम होता ह

सौदमट-फोध-सॊफॊधी परशन

ldquoझभन रग पर

यस अरौककक

अभत धायाएॉ पटतीॊ

योऩाई ण की

कटाई अनॊतता की

रटत यहन स जया बी कभ नहीॊ होती |

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यस का अम ऩातर सदा का

छोटा भया खत चौकोना |rdquo

परशन इस कविता की बारा सॊफॊधी विशरताओॊ ऩय परकाश डासरए ndash

उततय - १ परतीकातभकता

२ राणणकता -

२रऩक अरॊकायndash यस का अम ऩातर सदा का

छोटा भया खत चौकोना

परशन २ यस अरौककक अभत धायाएॉ योऩाई ndash कटाई-परतीको क अथय सऩरषट कीनदजए |

उततय - यस अरौककक ndash कावम यस ननरषऩनदतत

अभत धायाएॉ- कावमानॊद

योऩाई ndash अनबनत को शबदफदध कयना

कटाई ndashयसासिादन

पवषम-वसत ऩय आधारयत परशनोततय

कपवता ndash

छोटा भया खत

परशन १ उभाशॊकय जोशी न ककस बारा भ कविताएॉ सरखी ह

उततय - गजयाती बारा

परशन२ कवरndashकभय एिॊ कविndashकभय भ कमा कमा सभानताएॉ ह

उततय - कवरndashकभय एिॊ कविndashकभय भ ननमनसरणखत सभानताएॉ ह-

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कावम कनत की यचना फीजndash वऩन स रकय ऩौध क ऩजषऩत होन क पवलबनन चयणो स गजयती ह

कपषndashकभट एवॊ कपवndashकभट भ सभानताएॉ -

कागज का ऩनदना नदजस ऩय यचना शबदफदध होती ह कवि को एक चौकोय खतरगता ह इस खत भ ककसी अॉधड़ (आशम बािनातभक आॉधी स होगा) क परबाि स ककसी ण

एक फीज फोमा जाता ह मह फीज-यचना विचाय औय असबवमनदकत का हो सकता ह मह भर रऩ कलऩना का सहाया रकय विकससत होता ह औय परककरमा भ सिमॊ विगसरत

हो जाता ह इसीपरकाय फीज बी खाद ऩानी समय की योशनी हिा आहद रकय विकससत होता ह |

कावम ndashयचना स शबदो क अॊकय ननकरत ह औय अॊतत कनत एक ऩणय सिरऩ गरहण कयती ह जो कवर-कभय क सरहाज स ऩलरवित ndashऩनदरषऩत औय पसरत होन की नदसथनत ह अथट-गरहण-सॊफॊधी परशन

कपवताndash फगरो क ऩॊख

नब भ ऩाॉती- फॉध फगरो क ऩॊख

चयाए सरए जातीॊ ि भयी आॉख |

कजयाय फादरो की छाई नब छामा

हौरndashहौर जाती भझ फाॉध ननज भामा स |

उस कोई तननक योक यकखो |

िह तो चयाए सरए जाती भयी आॉख

नब भ ऩाॉती- फॉधी फगरो की ऩाॉख |

तयती साॉझ की सतज शित कामा|

परशन१- इस कविता भ कवि न ककसका धचतरण ककमा ह

उततय - कवि न कार फादरो ऩय उड़ती फगरो की शित ऩॊनदकत का धचतरण ककमा ह|

परशन२- आॉख चयान का कमा अथय ह

उततय - आॉख चयान का आशम ह ndashधमान ऩयी तयह खीॊच रना एकटक दखना भॊतरभगध कय दना

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परशन३-

ldquoकजयाय फादरो की छाई नब छामा

हौर ndashहौर जाती भझ फाॉध ननज भामा स |rdquo- आशम सऩरषट कीनदजए |

उततय- कार फादरो क फीच साॉझ का सयभई िाताियण फहत सॊदय हदखता ह | ऐसा अपरनतभ सौदमय अऩन आकरयण भ कवि को फाॉध रता ह |

परशन ४ ldquoउस कोई तननक योक यकखो |rsquo- स कवि का कमा असबपराम ह

उततय - फगरो की ऩॊनदकत आकाश भ दय तक उड़ती जा यही ह कवि की भॊतरभगध आॉख उनका ऩीछा कय यही ह | कवि उन फगरो को योक कय यखन की गहाय रगा यहा ह कक कहीॊ ि उसकी आॉख ही अऩन साथ न र जाएॉ |

सौदमट-फोध-सॊफॊधी परशन

परशन १ कविता की बारा सॊफॊधी दो विशरताएॉ सरणखए|

उततय -१ धचतरातभक बारा

२ फोरचार क शबदो का परमोग - हौर ndashहौर ऩाॉती कजयायसाॉझ

परशन २ कविता भ परमकत अरॊकाय चन कय सरणखए |

उततय - अनपरास अरॊकाय - फॉध फगरो क ऩॊख

भानिीकयण अरॊकाय - चयाए सरए जातीॊ ि भयी आॉख |

परशन ३ -lsquo ननज भामाrsquo क राणणक अथय को सऩरषट कीनदजए |

उततय - परकनत का अपरनतभ सौदमय िह भामा ह जो कवि को आतभविबोय कय दती हमह ऩॊनदकत बी परशॊसातभक उनदकत ह

पवषम-वसत ऩय आधारयत परशनोततय

परशन१- lsquoचयाए सरए जाती ि भयी ऑ ॊखrsquo स कवि का कमा तातऩमय ह

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उततय -धचतरातभक िणयन दिाया कवि न एक ओय कार फादरो ऩय उड़ती फगरो की शित ऩॊनदकत का धचतर अॊककत ककमा ह तथा इस अपरनतभ दशम क रदम ऩय ऩड़न िार परबाि को धचबतरत ककमा ह कवि क अनसाय मह दशम उनकी आॉख चयाए सरए जा यहा ह |भॊतर भगध कवि इस दशम क परबाि स आतभ विसभनत की नदसथनत तक ऩहॉच जाता ह

परशन२-कवि ककस भामा स फचन की फात कहता ह

उततय - भामा विशि को अऩन आकरयण भ फाॉध रन क सरए परससदध ह | कफीय न बी lsquoभामा भहा ठधगनी हभ जानीrsquo कहकय भामा की शनदकत को परनतऩाहदत ककमा ह | कार फादरो भ फगरो की सॊदयता अऩना भामा जार परा कय कवि को अऩन िश भ कय यही ह |

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आयोह बाग-२ गदम-बाग

परशन-सॊखमा १०- गदम खॊड भ हदए गए ऩहठत गदमाॊश स अथयगरहण सॊफॊधी चाय परशन ऩछ जाएॉग नदजनक सरए ननधायरयत अॊक (२४=८) ह |

परशन-सॊखमा ११- ऩाठो की विरमिसत स सॊफॊधधत ऩाॉच भ स चाय परशनो क उततय दन ह नदजनक सरए ननधायरयत अॊक (३४=१२) ह|

ऩयीा भ अचछ अॊक परातत कयन क लरए धमान दन मोगम फात ndash

1 रख एिॊ ितयनी की शदधता तथा िाकम-गठन ऩय धमान द | 2 हय ऩाठ का सायऩरषठबसभविरमिसत तथाकथानक को सभझना आिशमक ह |

अतविदमाथी हय ऩाठ का सायाॊश बरीबाॉनत माद कय र | 3 परशनो को धमान स ऩढ़ तदनसाय अऩकषत उततय सरख | 4 उततय सरखत सभम सॊफॊधधत भखम बफॊदओॊ का शीरयकफनात हए उततय सरख मथा-तीन

अॊक क परशनो क उततय सरखत सभम कभ स कभ तीन भखम उततय-बफ ॊदओॊ का उलरख कयत हए उततय सऩरषट कय |

5 अॊक-मोजना क अनसाय ननधायरयत शबद-सीभा क अॊतगयत उततय सरख | ऩयीाथी कई फाय एक अॊक क परशन का उततय फहत रॊफा कई फाय ऩया ऩरषठ सरख दत ह जो सभम औय ऊजाय की फफायदी ह |

6 धमान यह कक अधधक सरखन स अचछ अॊक नहीॊ आत फनदलक सयर-सफोध बारा भ सरख गए सटीक उततय सायगसबयत तथम तथा उदाहयण क दिाया सऩरषट ककए गए उततय परबािशारी होत ह |

ऩाि 11 - बजकतन

रखखका- भहादवी वभाट

ऩाि का सायाॊश- बनदकतन नदजसका िासतविक नाभ रकषभी थारणखका lsquoभहादिी िभायrsquo की सविका ह | फचऩन भ ही बनदकतन की भाॉ की भतम हो गमी| सौतरी भाॉ न ऩाॉच िरय की आम भ वििाह तथा नौ िरय की आम भ गौना कय बनदकतन को ससयार बज हदमा| ससयार भ बनदकतन न तीन फहटमो को जनदभ हदमा नदजस कायण उस सास औय नदजठाननमो की उऩा सहनी ऩड़ती थी| सास औय नदजठाननमाॉ आयाभ पयभाती थी औय बनदकतन तथा उसकी ननदहीॊ फहटमो को घय औय खतो का साया काभ कयना ऩडता था| बनदकतन का ऩनत उस फहत चाहता था| अऩन ऩनत क सनह क फर ऩय बनदकतन न ससयार िारो स अरगौझा कय अऩना अरग घय फसा सरमा औय सख स यहन रगी ऩय बनदकतन का दबायगम अलऩाम भ ही उसक ऩनत की भतम हो गई | ससयार िार

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बनदकतन की दसयी शादी कय उस घय स ननकारकय उसकी सॊऩनदतत हड़ऩन की सानदजश कयन रग| ऐसी ऩरयनदसथनत भ बनदकतन न अऩन कश भॊडा सरए औय सॊनदमाससन फन गई | बनदकतन सिासबभानी सॊघरयशीर कभयठ औय दढ सॊकलऩ िारी सतरी ह जो वऩतसततातभक भानदमताओॊ औय छर-कऩट स बय सभाज भ अऩन औय अऩनी फहटमो क हक की रड़ाई रड़ती हघय गहसथी सॉबारन क सरए अऩनी फड़ी फटी दाभाद को फरा सरमा ऩय दबायगम न महाॉ बी बनदकतन का ऩीछा नहीॊ छोड़ा अचानक उसक दाभाद की बी भतम हो गमी| बनदकतन क जठ-नदजठौत न सानदजश यचकय बनदकतन की विधिा फटी का वििाह जफयदसती अऩन तीतयफाज सार स कय हदमा| ऩॊचामत दिाया कयामा गमा मह सॊफॊध दखदामी यहा | दोनो भाॉ-फटी का भन घय-गहसथी स उचट गमा ननधयनता आ गमी रगान न चका ऩान क कायण जभीॊदाय न बनदकतन को हदन बय धऩ भ खड़ा यखा| अऩभाननत बनदकतन ऩसा कभान क सरए गाॉि छोड़कय शहय आ जाती ह औय भहादिी की सविका फन जाती ह| बनदकतन क भन भ भहादिी क परनत फहत आदय सभऩयण औय असबबािक क सभान अधधकाय बाि ह| िह छामा क सभान भहादिी क साथ यहती ह| िह यात-यात बय जागकय धचतरकायी मा रखन जस कामय भ वमसत अऩनी भारककन की सिा का अिसय ढॉढ रती ह| भहादिी बनदकतन को नहीॊ फदर ऩामी ऩय बनदकतन न भहादिी को फदर हदमा| बनदकतन क हाथ का भोटा-दहाती खाना खात-खात भहादिी का सिाद फदर गमा बनदकतन न भहादिी को दहात क ककसस-कहाननमाॉ ककॊ िदॊनतमाॉ कॊ ठसथ कया दी| सिबाि स भहाकॊ जस होन ऩय बी बनदकतन ऩाई-ऩाई कय जोडी हई १०५ रऩमो की यासश को सहरय भहादिी को सभवऩयत कय दती ह| जर क नाभ स थय-थय काॉऩन िारी बनदकतन अऩनी भारककन क साथ जर जान क सरए फड़ राट साहफ तक स रड़न को बी तमाय हो जाती ह| बनदकतन भहादिी क जीिन ऩय छा जान िारी एक ऐसी सविका ह नदजस रणखका नहीॊ खोना चाहती

ऩाि आधारयत परशनोततय

नोट- उततय भ ननहहत यखाॊककत िाकम भखम सॊकत बफॊद ह |

परशन 1-बजकतन का वासतपवक नाभ कमा था वह अऩन नाभ को कमो छऩाना चाहती थी

उततय-बनदकतन का िासतविक नाभ रकषभी था हहनददओॊ क अनसायरकषभी धन की दिीह चॉकक बनदकतन गयीफ थी| उसक िासतविक नाभ क अथय औय उसक जीिन क मथाथय भ वियोधाबास ह ननधयन बनदकतन सफको अऩना असरी नाभ रकषभी फताकय उऩहास का ऩातर नहीॊ फनना चाहती थी इससरए िह अऩना असरी नाभ छऩाती थी

परशन 2- रखखका न रकषभी का नाभ बजकतन कमो यखा

उततय-घटा हआ ससय गर भ कॊ ठी भारा औय बकतो की तयह सादगीऩणय िशबरा दखकय भहादिी िभाय न रकषभी का नाभ बनदकतन यख हदमा | मह नाभ उसक वमनदकतति स ऩणयत भर खाता था |

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परशन 3-बजकतन क जीवन को ककतन ऩरयचछदो भ पवबाजजत ककमा गमा ह

उततय- बनदकतन क जीिन को चाय बागो भ फाॉटा गमा ह-

ऩहरा ऩरयचछद-बनदकतन का फचऩन भाॉ की भतम विभाता क दिाया बनदकतन का फार-वििाह कया दना

दपवतीम ऩरयचछद-बनदकतन का ििाहहक जीिन सास तथा नदजठाननमो का अनदमामऩणय वमिहाय ऩरयिाय स अरगौझा कय रना

ततीम ऩरयचछद- ऩनत की भतम विधिा क रऩ भ सॊघरयशीर जीिन चतथट ऩरयचछद- भहादिी िभाय की सविका क रऩ भ

परशन 4- बजकतन ऩाि क आधाय ऩय बायतीम गराभीण सभाज भ रड़क-रड़ककमो भ ककम जान वार बदबाव का उलरख कीजजए |

बायतीम गराभीण सभाज भ रड़क-रड़ककमो भ बदबाि ककमा जाता ह| रड़ककमो को खोटा ससकका मा ऩयामा धन भाना जाता ह| बनदकतन न तीन फहटमो को जनदभ हदमा नदजस कायण उस सास औय नदजठाननमो की उऩा सहनी ऩड़ती थी| सास औय नदजठाननमाॉ आयाभ पयभाती थी कमोकक उनदहोन रड़क ऩदा ककए थ औय बनदकतन तथा उसकी ननदहीॊ फहटमो को घय औय खतो का साया काभ कयना ऩडता था| बनदकतन औय उसकी फहटमो को रखा-सखा भोटा अनाज खान को सभरता था जफकक उसकी नदजठाननमाॉ औय उनक कार-करट फट दध-भराई याफ-चािर की दाित उड़ात थ

परशन 5-बजकतन ऩाि क आधाय ऩय ऩॊचामत क नमाम ऩय ठटतऩणी कीजजए |

बनदकतन की फटी क सनददबय भ ऩॊचामत दिाया ककमा गमा नदमाम तकय हीन औय अॊध कानन ऩय आधारयतह | बनदकतन क नदजठौत न सॊऩनदतत क रारच भ रडमॊतर कय बोरी फचची को धोख स जार भ पॊ सामा| ऩॊचामत न ननदोर रड़की की कोई फात नहीॊ सनी औय एक तयिा पसरा दकय उसका वििाह जफयदसती नदजठौत क ननकमभ तीतयफाज सार स कय हदमा | ऩॊचामत क अॊध कानन स दरषटो को राब हआ औय ननदोर को दॊड सभरा |

परशन 6-बजकतन की ऩाक-करा क फाय भ ठटतऩणी कीजजए |

बनदकतन को ठठ दहाती सादा बोजन ऩसॊद था | यसोई भ िह ऩाक छत को फहत भहतति दती थी | सफह-सिय नहा-धोकय चौक की सपाई कयक िह दिाय ऩय कोमर की भोटी यखा खीॊच दती थी| ककसी को यसोईघय भ परिश कयन नहीॊ दती थी| उस अऩन फनाए बोजन ऩय फड़ा असबभान था| िह अऩन फनाए बोजन का नतयसकाय नहीॊ सह सकती थी |

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परशन 7- लसदध कीजजए कक बजकतन तकट -पवतकट कयन भ भाठहय थी |

बनदकतन तकय ऩट थी | कश भॉडान स भना ककए जान ऩय िह शासतरो का हिारा दत हए कहती ह lsquoतीयथ गए भॉडाए ससदधrsquo | घय भ इधय-उधय यख गए ऩसो को िह चऩचाऩ उठा कय छऩा रती ह टोक जानऩय िह िह इस चोयी नही भानती फनदलक िह इस अऩन घय भ ऩड़ ऩसो को सॉबारकय यखना कहती ह| ऩढाई-सरखाई स फचन क सरए बी िह अचक तकय दती ह कक अगय भ बी ऩढ़न रगॉ तो घय का काभ कौन दखगा

परशन 8-बजकतन का दबाटगम बी कभ हिी नही था रखखका न ऐसा कमो कहा ह

उततय- बजकतन का दबाटगम उसका ऩीछा नहीॊ छोड़ता था-

1- फचऩन भ ही भाॉ की भतम 2- विभाता की उऩा 3- बनदकतन(रकषभी) का फारवििाह 4- वऩता का ननधन 5- तीन-तीन फहटमो को जनदभ दन क कायण सास औय नदजठाननमो क दिाया बनदकतन की

उऩा 6- ऩनत की असभम भतम 7- दाभाद का ननधन औय ऩॊचामत क दिाया ननकमभ तीतयफाज मिक स बनदकतन की विधिा

फटी का जफयन वििाह 8- रगान न चका ऩान ऩय जभीॊदाय क दिाया बनदकतन का अऩभान

परशन 9-बजकतन न भहादवी वभाट क जीवन ऩय कस परबापवत ककमा

उततय- बनदकतन क साथ यहकय भहादिी की जीिन-शरी सयर हो गमी ि अऩनी सविधाओॊ की चाह को नछऩान रगीॊ औय असविधाओॊ को सहन रगीॊ बनदकतन न उनदह दहाती बोजन णखराकय उनका सिाद फदर हदमा बनदकतन भातर एक सविका न होकय भहादिी की असबबािक औय आतभीम फन गमीबनदकतन भहादिी क जीिन ऩय छा जान िारी एक ऐसी सविका ह नदजस रणखका नहीॊ खोना चाहती

परशन 10- बजकतन क चरयतर की पवशषताओॊ का उलरख कीजजए

उततय- भहादिी िभाय की सविका बनदकतन क वमनदकतति की विशरताएॊ ननमनाॊककत ह-

सभवऩयत सविका सिासबभानी

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तकय शीरा ऩरयशरभी सॊघरयशीर

परशन 11-बजकतन क दगटणो का उलरख कय

उततय- गणो क साथ-साथ बनदकतन क वमनदकतति भ अनक दगयण बी ननहहत ह-

1 िह घय भ इधय-उधय ऩड़ रऩम-ऩस को बॊडाय घय की भटकी भ छऩा दती ह औय अऩन इस कामय को चोयी नहीॊ भानती

2 भहादिी क करोध स फचन क सरए बनदकतन फात को इधय-उधय कयक फतान को झठ नही भानती अऩनी फात को सही ससदध कयन क सरए िह तकय -वितकय बी कयती ह

3 िह दसयो को अऩनी इचछानसाय फदर दना चाहती ह ऩय सिमॊ बफरकर नही फदरती परशन 12 ननमनाॊककत बाषा-परमोगो का अथट सऩषट कीजजए-

ऩहरी कनमा क दो औय सॊसकयण कय िार- बनदकतन न अऩनी ऩहरी कनदमा क फाद उसक जसी दो औय कनदमाएॉ ऩदा कय दी अथायत बनदकतन क एक क फाद एक तीन फहटमाॉ ऩदा हो गमीॊ |

खोट लसकको की टकसार जसी ऩतनी- आज बी असशकषत गराभीण सभाज भ फहटमो को

खोटा ससकका कहा जाता ह बनदकतन न एक क फाद एक तीन फहटमाॉ ऩदा कय दी इससरए उस खोट ससकक को ढारन िारी भशीन कहा गमा

परशन 13-बजकतन ऩाि भ रखखका न सभाज की ककन सभसमाओॊ का उलरख ककमा ह

उततय- बनदकतन ऩाठ क भाधमभ स रणखका न बायतीम गराभीण सभाज की अनक सभसमाओॊ का उलरख ककमा ह-

1 रड़क-रड़ककमो भ ककमा जान िारा बदबाि 2 विधिाओॊ की सभसमा 3 नदमाम क नाभ ऩय ऩॊचामतो क दिाया नदसतरमो क भानिाधधकाय को कचरना 4 असशा औय अॊधविशिास

गदमाॊश-आधारयत अथटगरहण सॊफॊधधत परशनोततय

ऩरयिाय औय ऩरयनदसथनतमो क कायण सिबाि भ जो विरभताएॉ उतऩनदन हो गई ह उनक बीतय स एक सनह औय सहानबनत की आबा पटती यहती ह इसी स उसक सॊऩकय भ आनिार वमनदकत उसभ जीिन की सहज भासभयकता ही ऩात ह छातरािास की फासरकाओॊ भ स कोई अऩनी चाम

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फनिान क सरए दहरी ऩय फठी यहती ह कोई फाहय खडी भय सरए नाशत को चखकय उसक सिाद की वििचना कयती यहती ह भय फाहय ननकरत ही सफ धचडड़मो क सभान उड़ जाती ह औय बीतय आत ही मथासथान वियाजभान हो जाती ह इनदह आन भ रकािट न हो सॊबित इसी स बनदकतन अऩना दोनो जन का बोजन सिय ही फनाकय ऊऩय क आर भ यख दती ह औय खात सभम चौक का एक कोना धोकय ऩाकndashछत क सनातन ननमभ स सभझौता कय रती ह

भय ऩरयधचतो औय साहहनदतमक फॊधओॊ स बी बनदकतन विशर ऩरयधचत ह ऩय उनक परनत बनदकतन क समभान की भातरा भय परनत उनक समभान की भातरा ऩय ननबयय ह औय सदभाि उनक परनत भय सदभाि स नननदशचत होता ह इस सॊफॊध भ बनदकतन की सहज फवदध विनदसभत कय दन िारी ह

(क) बजकतन का सवबाव ऩरयवाय भ यहकय कसा हो गमा ह

उततय-विरभ ऩरयनदसथनतजनदम उसक उगर हठी औय दयागरही सिबाि क फािजद बनदकतन क बीतय सनह औय सहानबनत की आबा पटती यहती ह उसक सॊऩकय भ आन िार वमनदकत उसभ जीिन की सहज भासभयकता ही ऩात ह

(ख) बजकतन क ऩास छातरावास की छातराएॉ कमो आती ह

उततय- बनदकतन क ऩास कोई छातरा अऩनी चाम फनिान आती ह औय दहरी ऩय फठी यहती ह कोई भहादिी जी क सरए फन नाशत को चखकय उसक सिाद की वििचना कयती यहती ह भहादिी को दखत ही सफ छातराएॉ बाग जाती ह उनक जात ही कपय िाऩस आ जातीॊ ह बनदकतन का सहज-सनह ऩाकय धचडड़मो की तयह चहचहान रगती ह |

(ग) छातराओॊ क आन भ रकावट न िारन क लरए बजकतन न कमा उऩाम ककमा

उततय- छातराओॊ क आन भ रकािट न डारन क सरए बनदकतन न अऩन ऩाक-छत क ननमभ स सभझौता कय सरमा | बनदकतन अऩना दोनो िकत का खाना फनाकय सफह ही आर भ यख दती औय खात सभम चौक का एक कोना धोकय िहाॉ फठकय खा सरमा कयती थी ताकक छातराएॉ बफना योक-टोक क उसक ऩास आ सक

(घ) साठहतमकायो क परनत बजकतन क समभान का कमा भाऩदॊि ह

उततय-बनदकतन भहादिी क साहहनदतमक सभतर क परनत सदभाि यखती थी नदजसक परनत भहादिी सिमॊ सदभाि यखती थी | िह सबी स ऩरयधचत हऩय उनक परनत समभान की भातरा भहादिी जी क समभान की भातरा ऩय ननबयय कयती ह िह एक अदभत ढॊग स जान रती थी कक कौन ककतना समभान कयता ह उसी अनऩात भ उसका परापम उस दती थी

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12 फाजाय-दशटन

रखक- जनि कभाय

ऩाि का सायाॊश फाजाय-दशयन ऩाठ भ फाजायिाद औय उऩबोकतािाद क साथ-साथ अथयनीनत एिॊ दशयन स सॊफॊधधत परशनो को सरझान का परमास ककमा गमा ह फाजाय का जाद तबी असय कयता ह जफ भन खारी हो| फाजाय क जाद को योकन का उऩाम मह ह कक फाजाय जात सभम भन खारी ना हो भन भ रकषम बया हो| फाजाय की असरी कताथयता ह जरयत क िकत काभ आना| फाजाय को िही भनरषम राब द सकता ह जो िासति भ अऩनी आिशमकता क अनसाय खयीदना चाहता ह| जो रोग अऩन ऩसो क घभॊड भ अऩनी ऩचनदजॊग ऩािय को हदखान क सरए चीज खयीदत ह ि फाजाय को शतानी वमॊगम शनदकत दत ह| ऐस रोग फाजारऩन औय कऩट फढात ह | ऩस की मह वमॊगम शनदकत वमनदकत को अऩन सग रोगो क परनत बी कतघन फना सकती ह | साधायण जन का रदम रारसा ईरषमाय औय तरषणा स जरन रगता ह | दसयी ओय ऐसा वमनदकत नदजसक भन भ रश भातर बी रोब औय तरषणा नहीॊ ह सॊचम की इचछा नहीॊ ह िह इस वमॊगम-शनदकत स फचा यहता ह | बगतजी ऐस ही आतभफर क धनी आदशय गराहक औय फचक ह नदजन ऩय ऩस की वमॊगम-शनदकत का कोई असय नहीॊ होता | अनक उदाहयणो क दिाया रखक न मह सऩरषट ककमा ह कक एक ओय फाजाय रारची असॊतोरी औय खोखर भन िार वमनदकतमो को रटन क सरए ह िहीॊ दसयी ओय सॊतोरी भन िारो क सरए फाजाय की चभक-दभक उसका आकरयण कोई भहतति नहीॊ यखता

परशन१ - ऩचजजॊग ऩावय ककस कहा गमा ह फाजाय ऩय इसका कमा परबाव ऩड़ता ह

उततय- ऩचनदजॊग ऩािय का अथय ह खयीदन की शनदकत ऩचनदजॊग ऩािय क घभॊड भ वमनदकत हदखाि क सरए आिशमकता स अधधक खयीदायीकयता ह औय फाजाय को शतानी वमॊगम-शनदकत दता ह ऐस रोग फाजाय का फाजारऩन फढ़ात ह

परशन२ -रखक न फाजाय का जाद ककस कहा ह इसका कमा परबाव ऩड़ता ह

उततय- फाजाय की चभक-दभक क चॊफकीम आकरयण को फाजाय का जाद कहा गमा ह मह जाद आॊखो की याह कामय कयता ह फाजाय क इसी आकरयण क कायण गराहक सजी-धजी चीजो को आिशमकता न होन ऩय बी खयीदन को वििश हो जात ह

परशन३ -आशम सऩषट कय

भन खारी होना भन बया होना भन फॊद होना

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उततय-भन खारी होना- भन भ कोई नननदशचत िसत खयीदन का रकषम न होना ननरददशम फाजाय जाना औय वमथय की चीजो को खयीदकय राना

भन बया होना- भन रकषम स बया होना नदजसका भन बया हो िह बरीबाॉनत जानता ह कक उस फाजाय स कौन सी िसत खयीदनी ह अऩनी आिशमकता की चीज खयीदकय िह फाजाय को साथयकता परदान कयता ह

भन फॊद होना-भन भ ककसी बी परकाय की इचछा न होना अथायत अऩन भन को शनदम कय दना

परशन४ - lsquoजहाॉ तषणा ह फटोय यखन की सऩहा ह वहाॉ उस फर का फीज नहीॊ हrsquo महाॊ ककस फर की चचाट की गमी ह

उततय- रखक न सॊतोरी सिबाि क वमनदकत क आतभफरकी चचाय की ह दसय शबदो भ महद भन भ सॊतोर हो तो वमनदकत हदखाि औय ईरषमाय की बािना स दय यहता ह उसभ सॊचम कयन की परिनदतत नहीॊ होती

परशन५ - अथटशासतर अनीनतशासतर कफ फन जाता ह

उततय- जफ फाजाय भ कऩट औय शोरण फढ़न रग खयीददाय अऩनी ऩचधचॊग ऩािय क घभॊड भ हदखाि क सरए खयीददायी कय | भनरषमो भ ऩयसऩय बाईचाया सभापत हो जाए| खयीददाय औय दकानदाय एक दसय को ठगन की घात भ रग यह एक की हानन भ दसय को अऩना राब हदखाई द तो फाजाय का अथयशासतर अनीनतशासतर फन जाता ह ऐस फाजाय भानिता क सरए विडॊफना ह

परशन६-बगतजी फाजाय औय सभाज को ककस परकाय साथटकता परदान कय यह ह

उततय- बगतजी क भन भ साॊसारयक आकरयणो क सरए कोई तरषणा नहीॊ ह ि सॊचम रारच औय हदखाि स दय यहत ह फाजाय औय वमाऩाय उनक सरए आिशमकताओॊ की ऩनत य का साधन भातर ह बगतजी क भन का सॊतोर औय ननसऩह बाि उनको शररषठ उऩबोकता औय विकरता फनात ह

परशन ७ _ बगत जी क वमजकततव क सशकत ऩहरओॊ का उलरख कीजजए |

उततय-ननमनाॊककत बफॊद उनक वमनदकतति क सशकत ऩहर को उजागय कयत ह

ऩॊसायी की दकान स किर अऩनी जरयत का साभान (जीया औय नभक) खयीदना नननदशचत सभम ऩय चयन फचन क सरए ननकरना छह आन की कभाई होत ही चयन फचना फॊद कय दना फच हए चयन को फचचो को भफ़त फाॉट दना

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सबी काजम-जम याभ कहकय सिागत कयना फाजाय की चभक-दभक स आकवरयत न होना सभाज को सॊतोरी जीिन की सशा दना

परशन7-फाजाय की साथटकता ककसभ ह

उततय- भनरषम की आिशमकताओॊ की ऩनतय कयन भ ही फाजाय की साथयकता ह जो गराहक अऩनी आिशमकताओॊ की चीज खयीदत ह ि फाजाय को साथयकता परदान कयत ह जो विकरता गराहको का शोरण नहीॊ कयत औय छर-कऩट स गराहको को रबान का परमास नही कयत ि बी फाजाय को साथयक फनात ह

गदमाॊश-आधारयत अथटगरहण-सॊफॊधधत परशनोततय

फाजाय भ एक जाद ह िह जाद आॉख की तयह काभ कयता ह िह रऩ का जाद ह ऩय जस चॊफक का जाद रोह ऩय ही चरता ह िस ही इस जाद की बी भमायदा ह जफ बयी हो औय भन खारी हो ऐसी हारत भ जाद का असय खफ होता ह जफ खारी ऩय भन बया न हो तो बी जाद चर जाएगा भन खारी ह तो फाजाय की अनकानक चीजो का ननभॊतरण उस तक ऩहॉच जाएगा कहीॊ हई उस िकत जफ बयी तफ तो कपय िह भन ककसकी भानन िारा ह भारभ होता ह मह बी रॉ िह बी रॉ सबी साभान जरयी औय आयाभ को फढ़ान िारा भारभ होता ह ऩय मह सफ जाद का असय ह जाद की सिायी उतयी कक ऩता चरता ह कक प सी-चीजो की फहतामत आयाभ भ भदद नहीॊ दती फनदलक खरर ही डारती ह थोड़ी दय को सिासबभान को जरय सक सभर जाता ह ऩय इसस असबभान को धगलटी की खयाक ही सभरती ह जकड़ यशभी डोयी की हो तो यशभ क सऩशय क भरामभ क कायण कमा िह कभ जकड़ दगी

ऩय उस जाद की जकड़ स फचन का एक सीधा उऩाम ह िह मह कक फाजाय जाओ तो खारी भन न हो भन खारी हो तफ फाजाय न जाओ कहत ह र भ जाना हो तो ऩानी ऩीकय जाना चाहहए ऩानी बीतय हो र का रऩन वमथय हो जाता ह भन रकषम स बया हो तो फाजाय परा का परा ही यह जाएगा तफ िह घाि बफरकर नहीॊ द सकगा फनदलक कछ आनॊद ही दगा तफ फाजाय तभस कताथय होगा कमोकक तभ कछ न कछ सचचा राब उस दोग फाजाय की असरी कताथयता ह आिशमकता क सभम काभ आना

परशन-1 फाजाय क जाद को रखक न कस सऩषट ककमा ह

उततय- फाजाय क रऩ का जाद आॉखो की याह स काभ कयता हआ हभ आकवरयत कयता ह फाजाय का जाद ऐस चरता ह जस रोह क ऊऩय चॊफक का जाद चरता ह चभचभाती योशनी भ सजी

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प सी चीॊज गराहक को अऩनी ओय आकवरयत कयती ह| इसी चमफकीम शनदकत क कायण वमनदकत कपजर साभान को बी खयीद रता ह |

परशन-2 जफ बयी हो औय भन खारी तो हभायी कमा दशा होती ह

उततय- जफ बयी हो औय भन खारी हो तो हभाय ऊऩय फाजाय का जाद खफ असय कयता ह भन खारी ह तो फाजाय की अनकानक चीजो का ननभॊतरण भन तक ऩहॉच जाता ह औय उस सभम महद जफ बयी हो तो भन हभाय ननमॊतरण भ नहीॊ यहता

परशन-3 प सी चीजो की फहतामत का कमा ऩरयणाभ होता ह

उततय- प सी चीज आयाभ की जगह आयाभ भ वमिधान ही डारती ह थोड़ी दय को असबभान को जरय सक सभर जाती ह ऩय हदखाि की परिनदतत भ िवदध होती ह

परशन-4 जाद की जकड़ स फचन का कमा उऩाम ह

उततय- जाद की जकड़ स फचन क सरए एक ही उऩाम ह िह मह ह कक फाजाय जाओ तो भन खारी न हो भन खारी हो तो फाजाय भत जाओ

13 कार भघा ऩानी द

रखक-धभटवीय बायती

ऩाि का सायाॊश -lsquoकार भघा ऩानी दrsquo ननफॊध रोकजीिन क विशिास औय विऻान क तकय ऩय आधारयत ह जफ बीरण गभी क कायण वमाकर रोग िराय कयान क सरए ऩजा-ऩाठ औय कथा-विधान कय थकndashहाय जात ह तफ िराय कयान क सरए अॊनतभ उऩाम क रऩ भ इनददय सना ननकरती ह| इनददय सना नॊग-धड़ॊग फचचो की टोरी ह जो कीचड़ भ रथऩथ होकय गरी-भोहलर भ ऩानी भाॉगन ननकरती ह| रोग अऩन घय की छतो-णखड़ककमो स इनददय सना ऩय ऩानी डारत ह | रोगो की भानदमता ह कक इनददर फादरो क सिाभी औय िराय क दिता ह| इनददर की सना ऩय ऩानी डारन स इनददर बगिान परसनदन होकय ऩानी फयसाएॊग | रखक का तकय ह कक जफ ऩानी की इतनी कभी ह तो रोग भनदशकर स जभा ककए ऩानी को फालटी बय-बयकय इनददय सना ऩय डारकय ऩानी को कमो फफायद कयत ह आमयसभाजी विचायधाया िारा रखक इस अॊधविशिास भानता ह | इसक विऩयीत रखक की जीजी उस सभझाती ह कक मह ऩानी की फफायदी नहीॊ फनदलक ऩानी की फिाई ह | कछ ऩान क सरए कछ दना ऩड़ता ह | तमाग क बफना दान नहीॊ होता| परसतत ननफॊध भ रखक न भरषटाचाय की सभसमा को उठात हए कहा ह कक जीिन भ कछ ऩान क सरए तमाग आिशमक ह जो रोग तमाग औय दान की भहतता को नहीॊ भानत ि ही भरषटाचाय भ सरपत यहकय दश औय सभाज को रटत ह| जीजी की आसथा बािनातभक सचचाई को ऩरषट कयती ह औय तकय किर िऻाननक तथम को सतम भानता ह जहाॉ तकय मथाथय क

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कठोय धयातर ऩय सचचाई को ऩयखता ह तो िहीॊ आसथा अनहोनी फात को बी सिीकाय कय भन को सॊसकारयत कयती ह बायत की सितॊतरता क ५० सार फाद बी दश भ वमापत बरषटाचाय औय सिाथय की बािना को दखकय रखक दखी ह | सयकाय दिाया चराई जा यही मोजनाएॉ गयीफो तक कमो नहीॊ ऩहॉच ऩा यहीॊ ह कार भघा क दर उभड़ यह ह ऩय आज बी गयीफ की गगयी पटी हई कमो ह रखक न मह परशन ऩाठको क सरए छोड़ हदमा ह |

परशन1-इनदय सना घय-घय जाकय ऩानी कमो भाॉगती थी

उततय- गाॉि क रोग फारयश क सरए बगिान इॊदर स पराथयना ककमा कयत थ जफ ऩजा-ऩाठवरत आहद उऩाम असिर हो जात थ तो बगिान इॊदर को परसनदन कयन क सरए गाॉि क ककशोय फचच कीचड़ भ रथऩथ होकय गरी-गरी घभकय रोगो स ऩानी भाॉगत थ

परशन2-इनदयसना को रखक भढक-भॊिरी कमो कहता ह जीजी क फायndashफाय कहन ऩय बी वह इनदयसना ऩय ऩानी प कन को याजी कमो नहीॊ होता

उततय- इनददयसना का कामय आमयसभाजी विचायधाया िार रखक को अॊधविशिास रगता ह उसका भानना ह कक महद इॊदयसना दिता स ऩानी हदरिा सकती ह तो सिमॊ अऩन सरए ऩानी कमो नहीॊ भाॉग रती ऩानी की कभी होन ऩय बी रोग घय भ एकतर ककम हए ऩानी को इॊदयसना ऩय ि कत ह रखक इस ऩानी की ननभयभ फयफादी भानता ह

परशन3- रि हए रखक को जीजी न ककस परकाय सभझामा

उततय- जीजी न रखक को पमाय स रडड-भठयी णखरात हए ननमन तकय हदए-

1- तमाग का भहततव- कछ ऩान क सरए कछ दना ऩड़ता ह 2- दान की भहतता- कवर-भननमो न दान को सफस ऊॉ चा सथान हदमा ह जो चीज अऩन

ऩास बी कभ हो औय अऩनी आिशमकता को बरकय िह चीज दसयो को दान कय दना ही तमाग ह |

3- इॊिदव को जर का अधमट चिाना- इॊदयसना ऩय ऩानी ि कना ऩानी की फयफादी नहीॊ फनदलक इॊदरदि को जर का अधमय चढ़ाना ह

4- ऩानी की फवाई कयना- नदजस परकाय ककसान िसर उगान क सरए जभीन ऩय फीज डारकय फिाई कयता ह िस ही ऩानी िार फादरो की िसर ऩान क सरए इनददय सना ऩय ऩानी डार कय ऩानी की फिाई की जाती ह

परशन4-नठदमो का बायतीम साभाजजक औय साॊसकनतक ऩरयवश भ कमा भहतव ह

उततय- गॊगा बायतीम सभाज भ सफस ऩजम सदानीया नदी ह नदजसका बायतीम इनतहास भ धासभयक ऩौयाणणक औय साॊसकनतक भहति ह | िह बायतीमो क सरए किर एक नदी नहीॊ अवऩत

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भाॉ ह सिगय की सीढ़ी ह भोदानमनी ह उसभ ऩानी नहीॊ अवऩत अभत तलम जर फहता ह बायतीम सॊसकनत भ नहदमो क ककनाय भानि सभमताएॉ परी-परी ह| फड़-फड़ नगय तीथयसथान नहदमो क ककनाय ही नदसथत ह ऐस ऩरयिश भबायतिासी सफस ऩहर गॊगा भमा की जम ही फोरग नहदमाॉ हभाय जीिन का आधाय ह हभाया दश कवर परधान ह नहदमो क जर स ही बायत बसभ हयी-बयी ह नहदमो क बफना जीिन की कलऩना नहीॊ कय सकत मही कायण ह कक हभ बायतीम नहदमो की ऩजा कयत ह |

परशन4-आजादी क ऩचास वषो क फाद बी रखक कमो दखी ह उसक भन भ कौन स परशन उि यह ह

उततय- आजादी क ऩचास िरो फाद बी बायतीमो की सोच भ सकायातभक फदराि न दखकय रखक दखी ह उसक भन भ कई परशन उठ यह ह-

1 कमा हभ सचच अथो भ सितनदतर ह 2 कमा हभ अऩन दश की सॊसकनत औय सभमता को सभझ ऩाए ह 3 यारषर ननभायण भ हभ ऩीछ कमो ह हभ दश क सरए कमा कय यह ह

4 हभ सिाथय औय भरषटाचाय भ सरपत यहत ह तमाग भ विशिास कमो नहीॊ कयत

5 सयकाय दिाया चराई जा यही सधायिादी मोजनाएॉ गयीफो तक कमो नहीॊ ऩहॉचती ह

गदमाॊश ऩय आधारयत अथटगरहण-सॊफॊधधत परशनोततय

सचभच ऐस हदन होत जफ गरी-भहलरा गाॉि-शहय हय जगह रोग गयभी भ बन-बन कय तराहहभाभ कय यह होत जठ क दसतऩा फीतकय आराढ का ऩहरा ऩखिाड़ा फीत चका होता ऩय कषनतज ऩय कहीॊ फादरो की यख बी नहीॊ दीखती होती कएॉ सखन रगत नरो भ एक तो फहत कभ ऩानी आता औय आता बी तो आधी यात को िो बी खौरता हआ ऩानी हो | शहयो की तरना भ गाॉि भ औय बी हारत खयाफ थी| जहाॉ जताई होनी चाहहए थी िहाॉ खतो की सभटटी सखकय ऩतथय हो जाती कपय उसभ ऩऩड़ी ऩड़कय जभीन पटन रगती र ऐसी कक चरत-चरत आदभी धगय ऩड़ | ढोय-डॊगय पमास क भाय भयन रगत रककन फारयश का कहीॊ नाभ ननशान नहीॊ ऐस भ ऩजा-ऩाठ कथा-विधान सफ कयक रोग जफ हाय जात तफ अॊनतभ उऩाम क रऩ भ ननकरती मह इनददय सना |

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परशन१- वषाट न होन ऩय रोगो की कमा जसथनत हो गमी थी उततय - िराय न होन ऩय गयभी क कायण रोग र रगन स फहोश होन रग | गाॉि-शहय सबी जगह ऩानी का अबाि हो गमा| कएॉ सख गए खतो की सभटटी सखकय ऩतथय क सभान कठोय होकय पट गमी| घयो भ नरो भ ऩानी फहत कभ आता था | ऩश पमास क भाय भयन रग थ | परशन२- वषाट क दवता कौन ह उनको परसनन कयन क लरए कमा उऩाम ककए जात थ उततय -िराय क दिता बगिान इनददर ह| उनको परसनदन कयन क सरए ऩजाndashऩाठ कथा-विधान कयाए जात थ | ताकक इनददर दि परसनदन होकय फादरो की सना बजकय झभाझभ फारयश कयाएॉ औय रोगो क करषट दय हो | परशन३- वषाट कयान क अॊनतभ उऩाम क रऩ भ कमा ककमा जाता था उततय ndashजफ ऩजा-ऩाठ कथा-विधान सफ कयक रोग हाय जात थ तफ अॊनतभ उऩाम क रऩ भ इनददय सना आती थी | नॊग-धडॊग कीचड़ भ रथऩथ lsquoकार भघा ऩानी द ऩानी द गड़धानी दrsquo की टय रगाकय पमास स सखत गरो औय सखत खतो क सरए भघो को ऩकायती हई टोरी फनाकय ननकर ऩड़ती थी| परशन४-आशम सऩषट कय ndash जठ क दसतऩा फीतकय आराढ़ का ऩहरा ऩखिाड़ा फीत चका होता ऩय कषनतज भ कहीॊ फादरो की यख बी नजय नहीॊ आती | आशम- जठ का भहीना ह बीरण गयभी ह| तऩत हए दस हदन फीत कय आराढ का भहीना बी आधा फीत गमा ऩय ऩानी क सरए तड़ऩत िराय की आशा भ आसभान की ओय ताकत रोगो को कहीॊ फादर नजय नहीॊ आ यह |

14 ऩहरवान की ढोरक

फ़णीशवयनाथ यण

ऩाि का सायाॊश ndashआॊचसरक कथाकाय िणीशियनाथ यण की कहानी ऩहरिान की ढोरक भ कहानी क भखम ऩातर रटटन क भाता-वऩता का दहाॊत उसक फचऩन भ ही हो गमा था | अनाथ रटटन को उसकी विधिा सास न ऩार-ऩोसकय फड़ा ककमा | उसकी सास को गाॉि िार सतात थ |

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रोगो स फदरा रन क सरए कशती क दाॉिऩच सीखकय कसयत कयक रटटन ऩहरिान फन गमा |

एक फाय रटटन शमाभनगय भरा दखन गमा जहाॉ ढोर की आिाज औय कशती क दाॉिऩच दखकय उसन जोश भ आकय नाभी ऩहरिान चाॉदससॊह को चनौती द दी | ढोर की आिाज स परयणा ऩाकय रटटन न दाॉि रगाकय चाॉद ससॊह को ऩटककय हया हदमा औय याज ऩहरिान फन गमा | उसकी खमानत दय-दय तक िर गमी| १५ िरो तक ऩहरिान अजम फना यहा| उसक दो ऩतर थ| रटटन न दोनो फटो को बी ऩहरिानी क गय ससखाए| याजा की भतम क फाद नए याजकभाय न गददी सॊबारी याजकभाय को घोड़ो की यस का शौक था भनजय न नम याजा को बड़कामा ऩहरिान औय उसक दोनो फटो क बोजनखचय को बमानक औय किजरखचय फतामा िरसिरऩ नए याजा न कशती को फॊद कयिा हदमा औय ऩहरिान रटटनससॊह को उसक दोनो फटो क साथ भहर स ननकार हदमा

याजदयफाय स ननकार हदए जान क फाद रटटन ससॊह अऩन दोनो फटो क साथ गाॉि भ झोऩड़ी फनाकय यहन रगा औय गाॉि क रड़को को कशती ससखान रगा| रटटन का सकर जमादा हदन नहीॊ चरा औय जीविकोऩाजयन क सरए उसक दोनो फटो को भजदयी कयनी ऩड़ी| इसी दौयान गाॉि भ अकार औय भहाभायी क कायण परनतहदन राश उठन रगी| ऩहरिान भहाभायी स डय हए रोगो को ढोरक फजाकय फीभायी स रड़न की सॊजीिनी ताकत दता था| एक हदन ऩहरिान क दोनो फट बी भहाभायी की चऩट भ आकय भय गए ऩय उस यात बी ऩहरिान ढोरक फजाकय रोगो को हहमभत फॊधा यहा था | इस घटना क चाय-ऩाॉच हदन फाद ऩहरिान की बी भौत हो जाती ह|

ऩहरिान की ढोरक वमिसथा क फदरन क साथ रोक कराकाय क अपरासॊधगक हो जान की कहानी ह इस कहानी भ रटटन नाभ क ऩहरिान की हहमभत औय नदजजीविरा का िणयन ककमा गमा ह बख औय भहाभायी अजम रटटन की ऩहरिानी को िट ढोर भ फदर दत ह इस करण तरासदी भ ऩहरिान रटटन कई सिार छोड़ जाता ह कक करा का कोई सितॊतर अनदसतति ह मा करा किर वमिसथा की भोहताज ह

परशन1- रटटन को ऩहरवान फनन की परयणा कस लभरी

उततय- रटटन जफ नौ सार का था तो उसक भाता-वऩता का दहाॊत हो गमा था | सौबागम स उसकी शादी हो चकी थी| अनाथ रटटन को उसकी विधिा सास न ऩार-ऩोसकय फड़ा ककमा | उसकी सास को गाॉि िार ऩयशान कयत थ| रोगो स फदरा रन क सरए उसन ऩहरिान फनन की ठानी| धायोरषण दध ऩीकय कसयत कय उसन अऩना फदन गठीरा औय ताकतिय फना सरमा | कशती क दाॉिऩच सीखकय रटटन ऩहरिान फन गमा |

परशन2- यात क बमानक सननाट भ रटटन की ढोरक कमा करयशभा कयती थी

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उततय- यात क बमानक सनदनाट भरटटन की ढोरक भहाभायी स जझत रोगो को हहमभत फॉधाती थी | ढोरक की आिाज स यात की विबीवरका औय सनदनाटा कभ होता था| भहाभायी स ऩीडड़त रोगो की नसो भ बफजरी सी दौड़ जाती थी उनकी आॉखो क साभन दॊगर का दशम साकाय हो जाता था औय ि अऩनी ऩीड़ा बर खशी-खशी भौत को गर रगा रत थ इस परकाय ढोर की आिाज फीभाय-भतपराम गाॉििारो की नसो भ सॊजीिनी शनदकत को बय फीभायी स रड़न की परयणा दती थी

परशन3- रटटन न सवाटधधक ठहमभत कफ ठदखाई

उततय- रटटन ससॊह न सिायधधक हहमभत तफ हदखाई जफ दोनो फटो की भतम ऩय िह योमा नहीॊ फनदलक हहमभत स काभ रकय अकर उनका अॊनतभ सॊसकाय ककमा| मही नहीॊ नदजस हदन ऩहरिान क दोनो फट भहाभायी की चऩट भ आकय भय गए ऩय उस यात को बी ऩहरिान ढोरक फजाकय रोगो को हहमभत फॉधा यहा था| शमाभनगय क दॊगर भ ऩया जनसभदाम चाॉद ससॊह क ऩ भ था चाॉद ससॊह को हयात सभम रटटन न हहमभत हदखाई औय बफना हताश हए दॊगर भ चाॉद ससॊह को धचत कय हदमा |

परशन4- रटटन लसॊह याज ऩहरवान कस फना

उततय- शमाभनगय क याजा कशती क शौकीन थ उनदहोन दॊगर का आमोजन ककमा ऩहरिान रटटन ससॊह बी दॊगर दखन ऩहॉचा चाॊदससॊह नाभक ऩहरिान जो शय क फचच क नाभ स परससदध था कोई बी ऩहरिान उसस सबड़न की हहमभत नहीॊ कयता था चाॉदससॊह अखाड़ भ अकरा गयज यहा था रटटन ससॊह न चाॉदससॊह को चनौती द दी औय चाॉदससॊह स सबड़ गमाढ़ोर की आिाज सनकय रटटन की नस-नस भ जोश बय गमाउसन चाॉदससॊह को चायो खान धचत कय हदमा याजासाहफ न रटटन की िीयता स परबावित होकय उस याजऩहरिान फना हदमा

परशन5- ऩहरवान की अॊनतभ इचछा कमा थी

उततय- ऩहरिान की अॊनतभ इचछा थी कक उस धचता ऩय ऩट क फर सरटामा जाए कमोकक िह नदजॊदगी भ कबी धचत नहीॊ हआ था| उसकी दसयी इचछा थी कक उसकी धचता को आग दत सभम ढोर अिशम फजामा जाए |

परशन6- ढोर की आवाज औय रटटन क भ दाॉिऩच सॊफॊध फताइए-

उततय- ढोर की आिाज औय रटटन क दाॉिऩच भ सॊफॊध -

चट धा धगड़ धाrarr आजा सबड़ जा | चटाक चट धाrarr उठाकय ऩटक द | चट धगड़ धाrarrभत डयना |

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धाक धधना नतयकट नतनाrarr दाॉि काटो फाहय हो जाओ | धधना धधना धधक धधनाrarr धचत कयो

गदमाॊश-आधारयत अथटगरहण-सॊफॊधधत परशनोततय

अॉधयी यात चऩचाऩ आॉस फहा यही थी | ननसतबधता करण सससककमो औय आहो को अऩन रदम भ ही फर ऩियक दफान की चरषटा कय यही थी | आकाश भ ताय चभक यह थ | ऩथिी ऩय कहीॊ परकाश का नाभ नहीॊ| आकाश स टट कय महद कोई बािक ताया ऩथिी ऩय आना बी चाहता तो उसकी जमोनत औय शनदकत यासत भ ही शर हो जाती थी | अनदम ताय उसकी बािकता अथिा असपरता ऩय णखरणखराकय हॉस ऩड़त थ | ससमायो का करॊ दन औय ऩचक की डयािनी आिाज यात की ननसतबधता को बॊग कयती थी | गाॉि की झोऩडडमो स कयाहन औय क कयन की आिाज हय याभ ह बगिान की टय सनाई ऩड़ती थी| फचच बी ननफयर कॊ ठो स भाॉ ndashभाॉ ऩकायकय यो ऩड़त थ |

(क) अॉधयी यात को आॉस फहात हए कमो ठदखामा गमा ह उततयndash गाॉि भ हजा औय भररयमा परा हआ था | भहाभायी की चऩट भ आकाय रोग भय यह थ |चायो ओय भौत का सनाटा छामा था इससरए अॉधयी यात बी चऩचाऩ आॉस फहाती सी परतीत हो यही थी|

(ख) ताय क भाधमभ स रखक कमा कहना चाहता ह उततयndash ताय क भाधमभ स रखक कहना चाहता ह कक अकार औय भहाभायी स तरसत गाॉि िारो की ऩीड़ा को दय कयन िारा कोई नहीॊ था | परकनत बी गाॉि िारो क द ख स दखी थी| आकाश स टट कय महद कोई बािक ताया ऩथिी ऩय आना बी चाहता तो उसकी जमोनत औय शनदकत यासत भ ही शर हो जाती थी |

(ग) यात की ननसतबधता को कौन बॊग कयता था उततयndash ससमायो की चीख-ऩकाय ऩचक की डयािनी आिाज औय कततो का साभहहक रदन सभरकय यात क सनदनाट को बॊग कयत थ |

(घ) झोऩड़ड़मो स कसी आवाज आ यही ह औय कमो उततयndash झोऩडड़मो स योधगमो क कयाहन क कयन औय योन की आिाज आ यही ह कमोकक गाॉि क रोग भररयमा औय हज स ऩीडड़त थ | अकार क कायण अनदन की कभी हो गमी थी| औरधध औय ऩथम न सभरन क कायण रोगो की हारत इतनी फयी थी कक कोई बगिान को ऩकाय रगाता था तो कोई दफयर कॊ ठ स भाॉndashभाॉ ऩकायता था |

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15 चारी चजतरन मानी हभ सफ

रखक-पवषण खय

ऩाि का सायाॊश ndashचारक चनदपरन न हासम कराकाय क रऩ भ ऩयी दननमा क फहत फड़ दशयक िगय को हॉसामा ह | उनकी कपलभो न कपलभ करा को रोकताॊबतरक फनान क साथ-साथ दशको की िगय औय िणय-वमिसथा को बी तोड़ा | चारक न करा भ फवदध की अऩा बािना को भहतति हदमा ह | फचऩन क सॊघरो न चारक क बािी कपलभो की बसभ तमाय कय दी थी| बायतीम करा औय सौदमयशासतर भ करणा का हासम भ ऩरयितयन बायतीम ऩयमऩया भ नहीॊ सभरता रककन चारक एक ऐसा जादई वमनदकतति ह जो हय दश सॊसकनत औय सभमता को अऩना सा रगता ह| बायतीम जनता न बी उनदह सहज बाि स सिीकाय ककमा ह| सिमॊ ऩय हॉसना चारक न ही ससखामा| बायतीम ससनभा जगत क सपरससदध कराकाय याजकऩय को चारक का बायतीमकयण कहा गमा ह | चारक की अधधकाॊश किलभ भक ह इससरए उनदह अधधक भानिीम होना ऩड़ा | ऩाठ भ हासम कपलभो क भहान असबनता lsquoचारक चनदपरनrsquo की जादई विशरताओॊ का उलरख ककमा गमा ह नदजसभ उसन करणा औय हासम भ साभॊजसम सथावऩत कय किलभो को साियबौसभक रऩ परदान ककमा

परशन१ -चारी क जीवन ऩय परबाव िारन वारी भखम घटनाएॉ कौन सी थी

उततय- चारक क जीिन भ दो ऐसी घटनाएॉ घटीॊ नदजनदहोन उनक बािी जीिन ऩय फहत परबाि डारा |

ऩहरी घटना - जफ चारक फीभाय थ उनकी भाॉ उनदह ईसा भसीह की जीिनी ऩढ़कय सना यही थी | ईसा क सरी ऩय चढ़न क परसॊग तक आत-आत भाॉ-फटा दोनो ही योन रग| इस घटना न चारक को सनह करणा औय भानिता जस उचच जीिन भलम हदए |

दसयी घटना हndash फारक चारक कसाईखान क ऩास यहता था| िहाॉ सकड़ो जानियो को योज भाया जाता था| एक हदन एक बड़ िहाॉ स बाग ननकरी| बड़ को ऩकड़न की कोसशश भ कसाई कई फाय कपसरा| नदजस दखकय रोग हॊसन रग ठहाक रगान रग| जफ बड़ को कसाई न ऩकड़ सरमा तो फारक चारक योन रगा| इस घटना न उसक बािी कपलभो भ तरासदी औय हासमोतऩादक ततिो की बसभका तम कय दी |

परशन२ ndash आशम सऩषट कीजजएndash

चजतरन न लसपट कपलभकरा को ही रोकताॊबतरक नही फनामा फजलक दशटको की वगट तथा वणट-वमवसथा को बी तोड़ा|

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उततय- रोकताॊबतरक फनान का अथय ह कक कपलभ करा को सबी क सरए रोकवपरम फनाना औय िगय औय िणय-वमिसथा को तोड़न का आशम ह- सभाज भ परचसरत अभीय-गयीफ िणय जानतधभय क बदबाि को सभापत कयना |चनदपरन का चभतकाय मह ह कक उनदहोन कपलभकरा को बफना ककसी बदबाि क सबी रोगो तक ऩहॉचामा| उनकी कपलभो न सभम बगोर औय सॊसकनतमो की सीभाओॊ को राॉघ कय साियबौसभक रोकवपरमता हाससर की | चारक न मह ससदध कय हदमा कक करा सितनदतर होती ह अऩन ससदधाॊत सिमॊ फनाती ह |

परशन३ndash चारी चजतरन की कपलभो भ ननठहत तरासदीकरणाहासम का साभॊजसम बायतीम करा औय सौदमटशासतर की ऩरयधध भ कमो नहीॊ आता

उततय- चारक चनदपरन की कपलभो भ ननहहत तरासदीकरणाहासम का साभॊजसम बायतीम करा औय सौदमयशासतर की ऩरयधध भ नहीॊ आताकमोकक बायतीम यस-ससदधाॊत भ करणा औय हासम का भर नहीॊ हदखामा जाता कमोकक बायतीम सौदमयशासतर भ करणयस औय हासम यस को ऩयसऩय वियोधी भाना गमा ह अथायत जहाॊ करणा ह िहाॉ हासम नहीॊ हो सकता बायत भ सिमॊ ऩय हॉसन की ऩयॊऩया नहीॊ ह ऩयॊत चारक क ऩातर अऩन ऩय हॉसतndashहॉसात ह चारक की किलभो क दशम हॉसात-हॉसात ररा दत ह तो कबी करण दशम क फाद अचानक ही हॉसन ऩय भजफय कय दत ह

परशन४ndash चारी क कपलभो की पवशषताएॉ फताइए |

उततय- चारक की किलभो भ हासम औय करणा का अदभत साभॊजसम ह उनकी किलभो भ बारा का परमोग फहत कभ ह चारक की किलभो भ फवदध की अऩा बािना का भहतति अधधक ह उनकी किलभो भ साियबौसभकता ह चारक ककसी बी सॊसकनत को विदशी नही रगत चारक सफको अऩन रगत ह चारक न किलभो को रोकताॊबतरक फनामा औय किलभो भ िगय तथािणय-वमिसथा को तोड़ा अऩनी कपलभो भ चारक सदि धचय मिा हदखता ह

गदमाॊश-आधारयत अथटगरहण-सॊफॊधी परशनोततय

गदमाॊश सॊकत ndashचारक चनदपरन मानी हभ सफ (ऩरषठ १२० )

महद मह िरय चनदपरन की कापी कछ कहा जाएगा |

परशन (क)-पवकासशीर दशो भ चजतरन कमो भशहय हो यह ह

उततय - विकासशीर दशो भ जस-जस टरीविजन औय िीडडमो का परसाय हो यहा ह रोगो को उनकी कपलभो को दखन का अिसय सभर यहा ह |एक फहत फड़ा िगय नए ससय स चारक को घड़ी सधायत औय जत खान की कोसशश कयत दख यहा ह इसीसरए चारक विकासशीर दशो भ रोकवपरम हो यह ह |

(ख)- ऩजशचभ भ चारी का ऩनजीवन कस होता यहता ह

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उततय - ऩनदशचभ भ चारक की कपलभो का परदशयन होता यहता ह| उनकी करा स परयणा ऩाकय हासम किलभ फनती यहती ह | उनक दिाया ननबाए ककयदायो की नकर अनदम कराकाय कयत ह | ऩनदशचभ भ चारक का ऩनजीिन होता यहता ह|

(ग)- चारी को रोग फिाऩ तक कमो माद यखग

उततय ndashहासम कराकाय क रऩ भ रोग चारक को फढ़ाऩ तक माद यखग कमोकक उनकी करा सभम बगोर औय सॊसकनतमो की सीभाओॊ को राॉघकय राखो रोगो को हॉसा यही ह|

(घ)- चारी की कपलभो क फाय भ कापी कछ कहा जाना कमो फाी ह

उततय ndashचनदपरन की ऐसी कछ किलभ मा इसतभार न की गमी यीर सभरी ह नदजनक फाय भ कोई नहीॊ जानता था | चारक की बािनापरधान हासम कपलभो न करा क नए परनतभान सथावऩत ककए ह अत चारक की कपलभो क फाय भ अबी कापी कछ कहा जाना फाी ह|

16 नभक

रखखका - यजजमा सजजाद जहीय

सायाॊश -lsquoनभकrsquoबायत-ऩाक विबाजन ऩय सरणखत भासभयक कहानी ह | विसथावऩत हए रोगो भ अऩनndashअऩन जनदभ सथानो क परनत आज बी रगाि ह| धासभयक आधाय ऩय फनी यारषर-याजमो की सीभा-यखाएॉ उनक अॊतभयन को अरग नहीॊ कय ऩाई ह | बायत भ यहन िारी ससख फीिी राहौय को अऩना ितन भानती ह औय बायतीम कसटभ अधधकायी ढाका क नारयमर ऩानी को मादकय उस सियशररषठ फताता ह दोनो दशो क नागरयको क फीच भहबफत का नभकीन सिाद आज बी कामभ ह इसीसरए सकिमा बायत भ यहन िारी अऩनी भॉहफोरी भाॉ ससख फीिी क सरए राहौयी नभक रान क सरए कसटभ औय कानन की ऩयिाह नहीॊ कयती

परशन1- lsquoनभकrsquo ऩाि क आधाय ऩय फताइए कक सकपमा औय उसक बाई क पवचायो भ कमा अॊतय था

उततय- १-सकपमा बािनाओॊ को फहतभहतति दती ह ऩय उसका बाई फौवदधक परिनदतत का ह उसकी दनदरषट भ कानन बािनाओॊ स ऊऩय ह|

२-सकपमा भानिीम सॊफॊधो को फहत भहतति दती ह जफकक उसका बाई अरगाििादी विचायधाया का ह हहसस-फखय की फात कयता ह |

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३-सकपमा का बाई कहता ह कक अदीफो(साहहतमकाय) का हदभाग घभा हआ होता ह जफकक सकपमा जो सिमॊ अदीफ ह उसका भानना ह कक अगय सबी रोगो का हदभाग अदीफो की तयह घभा हआ होता तो दननमा कछ फहतय हो जाती |

परशन२- नभक र जात सभम सकफ़मा क भन भ कमा दपवधा थी

उततय-सकपमा समद भसरभान थी जो हय हार भ अऩना िामदा ननबात ह| ऩाककसतान स राहौयी नभक र जाकय िह अऩना िामदा ऩया कयना चाहती थी ऩयनदत जफ उस ऩता चरा कक कसटभ क ननमभो क अनसाय सीभाऩाय नभक र जाना िनदजयत ह तो िह दविधा भ ऩड़ गई | सकिमा का दिॊदि मह था कक िह अऩनी ससख भाॉ क सरए नभक कसटभ अधधकारयमो को फताकयर जाए मा नछऩाकय|

परशन३- ऩाि क आधाय ऩय सकपमा की चारयबतरक पवशषताएॉ फताइए |

उततय सॊकत ndash

१- बािक २- ईभानदाय ३- दढ़ननशचमी ४- ननडय ५- िामद को ननबान िारी ६- भानिीम भलमो को सिोऩरय भानन िारी साहहतमकाय

परशन ४- lsquoनभकrsquo ऩाि भ आए ककयदायो क भाधमभ स सऩषट कीजजए कक आज बी बायत औय ऩाककसतान की जनता क फीच भहबफत का नभकीन सवाद घरा हआ ह |

उततय ndash बर ही याजनीनतक औय धासभयक आधाय ऩय बायत औय ऩाककसतान को बौगोसरक रऩ स विबानदजत कय हदमा गमा ह रककन दोनो दशो क रोगो क रदम भ आज बी ऩायसऩरयक बाईचाया सौहादरय सनह औय सहानबनत विदमभान ह | याजनीनतक तौय ऩय बर ही सॊफॊध तनािऩणय हो ऩय साभानदजक तौय ऩय आज बी जनता क फीच भहबफत का नभकीन सिाद घरा हआ ह | अभतसय भ यहन िारी ससख फीफी राहौय को अऩना ितन कहती ह औय राहौयी नभक का सिाद नहीॊ बरा ऩाती | ऩाककसतान का कसटभ अधधकायी नभक की ऩडड़मा सकपमा को िाऩस दत हए कहता ह rdquoजाभा भनदसजद की सीहढ़मो को भया सराभ कहना |rdquo बायतीम सीभा ऩय तनात कसटभ अधधकायी ढाका की जभीन को औय िहाॉ क ऩानी क सिाद को नहीॊ बर ऩाता |

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गदमाॊश-आधारयत अथटगरहण सॊफॊधधत परशनोततय

गदमाॊश सॊकत- ऩाठndash नभक (ऩरषठ १३४)

सकपमा कसटभ क जॊगर स दोनो क हाथो भ थी |

(क) सकपमा कसटभ क जॉगर स ननकरकय दसय तरटपाभट ऩय आ गमी व वहीॊ खड़ यहndash इस वाकम भ lsquoवrsquo शबद का परमोग ककसक लरए ककमा गमा ह

उततय- महाॉ lsquoिrsquo शबद का परमोग ऩाककसतानी कसटभ अधधकायी क सरए ककमा गमा ह जो विबाजन स ऩिय हदलरी भ यहत थ औय आज बी हदलरी को ही अऩना ितन भानत ह |

(ख) तरटपाभट ऩय सकपमा को पवदा कयन कौन-कौन आए थ उनहोन सकपमा को कस पवदाई दी

उततय- परटपाभय ऩय सकपमा को विदा कयन उसक फहत साय सभतर सग सॊफॊधी औय बाई आए थ| उनदहोन ठॊडी साॉस बयत हए सबॊच हए होठो क साथ आॉस फहात हए सकपमा को विदाई दी |

(ग) अटायी भ यरगाड़ी भ कमा ऩरयवतटन हए उततय- अटायी भ यरगाड़ी स ऩाककसतानी ऩसरस उतयी औय हहनददसतानी ऩसरस सिाय हो गई|

(घ) कौन सी फात सकपमा की सभझ भ नहीॊ आ यही थी उततय- दोनो ओय एक सी जभीन एक जसा आसभान एक सी बारा एक सा ऩहनािा औय एक सी सयत क रोग कपय बी दोनो क हाथो भ बयी हई फॊदक ह |

17 लशयीष क पर

आचामट हजायी परसाद दपववदी

सायाॊश ndashlsquoआचामय हजायी परसाद दवििदीrsquo सशयीर को अदभत अिधत भानत ह कमोकक सॊनदमासी की बाॉनत िह सख-दख की धचॊता नहीॊ कयता गभी र िराय औय आॉधी भ बी अविचर खड़ा यहता ह सशयीर क िर क भाधमभ स भनरषम की अजम नदजजीविरा धमयशीरता औय कतयवमननरषठ फन यहन क भानिीम भलमो को सथावऩत ककमा गमा हरखक न सशयीर क कोभर परो औय कठोय परो क दिाया सऩरषट ककमा ह कक रदम की कोभरता फचान क सरए कबी-कबी वमिहाय की कठोयता बी आिशमक हो जाती ह| भहान कवि कासरदास औय कफीय बी सशयीर की तयह फऩयिाह अनासकत औय सयस थ तबी उनदहोन इतनी सनददय यचनाएॉ सॊसाय को दीॊ| गाॉधीजी क वमनदकतति भ बी कोभरता औय कठोयता का अदभत सॊगभ था | रखक सोचता ह कक हभाय दश भ जो भाय-काट अनदगनदाह रट-ऩाट खन-खचचय का फिॊडय ह कमा िह दश को नदसथय नहीॊ यहन दगा गराभी अशाॊनत औय वियोधी िाताियण क फीच अऩन ससदधाॊतो की या कयत हए गाॉधीजी जी नदसथय यह सक थ तो दश बी यह सकता ह जीन की परफर असबरारा क कायण

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विरभ ऩरयनदसथतमो भ बी महद सशयीर णखर सकता ह तो हभाया दश बी विरभ ऩरयनदसथनतमो भ नदसथय यह कय विकास कय सकता ह

परशन1-लसदध कीजजए कक लशयीष कारजमी अवधत की बाॉनत जीवन की अजमता क भॊतर का परचाय कयता ह

उततय- सशयीर कारजमी अिधत की बाॉनत जीिन की अजमता क भॊतर का परचाय कयता ह| जफ ऩथिी अनदगन क सभान तऩ यही होती ह िह तफ बी कोभर परो स रदा रहरहाता यहता ह|फाहयी गयभी धऩ िराय आॉधी र उस परबावित नहीॊ कयती इतना ही नहीॊ िह रॊफ सभम तक णखरा यहता ह | सशयीर विऩयीत ऩरयनदसथनतमो भ बी धमयशीर यहन तथा अऩनी अजम नदजजीविरा क साथ ननसऩह बाि स परचॊड गयभी भ बी अविचर खड़ा यहता ह

परशन२-आयगवध (अभरतास) की तरना लशयीष स कमो नहीॊ की जा सकती

उततय- सशयीर क पर बमॊकय गयभी भ णखरत ह औय आराढ़ तक णखरत यहत ह जफकक अभरतास का पर किर ऩनददरह-फीस हदनो क सरए णखरता ह | उसक फाद अभरतास क पर झड़ जात ह औय ऩड़ कपय स ठॉठ का ठॉठ हो जाता ह | अभरतास अलऩजीिी ह | विऩयीत ऩरयनदसथनतमो को झरता हआ ऊरषण िाताियण को हॉसकय झरता हआ सशयीर दीघयजीिी यहता ह | मही कायण ह कक सशयीर की तरना अभरतास स नहीॊ की जा सकती |

परशन३-लशयीष क परो को याजनताओॊ का रऩक कमो ठदमा गमा ह

उततय- सशयीर क पर उन फढ़ ढीठ औय ऩयान याजनताओॊ क परतीक ह जो अऩनी कसी नहीॊ छोड़ना चाहत | अऩनी अधधकाय-सरपसा क सरए नए मिा नताओॊ को आग नहीॊ आन दत | सशयीर क नए परो को जफयदसती ऩयान परो को धककमाना ऩड़ता ह | याजनीनत भ बी नई मिा ऩीढ़ी ऩयानी ऩीढ़ी को हयाकय सिमॊ सतता सॉबार रती ह |

परशन४- कार दवता की भाय स फचन का कमा उऩाम फतामा गमा ह

उततय- कार दिता कक भाय स फचन का अथय हndash भतम स फचना | इसका एकभातर उऩाम मह ह कक भनरषम नदसथय न हो| गनतशीर ऩरयितयनशीर यह | रखक क अनसाय नदजनकी चतना सदा ऊधियभखी (आधमातभ की ओय) यहती ह ि हटक जात ह |

परशन५- गाॉधीजी औय लशयीष की सभानता परकट कीजजए |

उततय- नदजस परकाय सशयीर धचरधचराती धऩ र िराय औय आॉधी भ बी अविचर खड़ा यहता ह अनासकत यहकय अऩन िाताियण स यस खीॊचकय सयस कोभर फना यहता ह उसी परकाय गाॉधी जी न बी अऩनी आॉखो क साभन आजादी क सॊगराभ भ अनदमाम बदबाि औय हहॊसा को झरा |

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उनक कोभर भन भ एक ओय ननयीह जनता क परनत असीभ करणा जागी िहीॊ ि अनदमामी शासन क वियोध भ डटकय खड़ हो गए |

गदमाॊश-आधारयत अथटगरहण सॊफॊधधत परशनोततय

गदमाॊश सॊकत- ऩाठ ndash सशयीर क पर (ऩरषठ १४७)

कासरदास सौदमय क िह इशाया ह |

(क) कालरदास की सौदमटndashदजषट की कमा पवशषता थी उततय-कासरदास की सौदमयndashदनदरषट फहत सकषभ अॊतबदी औय सॊऩणय थी| ि किर फाहयी रऩ-यॊग औय आकाय को ही नहीॊ दखत थ फनदलक अॊतभयन की सॊदयता क बी ऩायखी थ| कासरदास की सौदमय शायीरयक औय भानससक दोनो विशरताओॊ स मकत था |

(ख) अनासजकत का कमा आशम ह उततय- अनासनदकत का आशम ह- वमनदकतगत सख-द ख औय याग-दिर स ऩय यहकय सौदमय क िासतविक भभय को जानना |

(ग) कालरदास ऩॊत औय यवीॊिनाथ टगोय भ कौन सा गण सभान था भहाकवि कासरदास ससभतरानॊदन ऩॊत औय गरदि यिीॊदरनाथ टगोय तीनो नदसथयपरऻ औय अनासकत कवि थ | ि सशयीर क सभान सयस औय भसत अिधत थ |

(घ) यवीॊिनाथ याजोदमान क लसॊहदवाय क फाय भ कमा सॊदश दत ह याजोदमान क फाय भ यिीॊदरनाथ कहत ह याजोदमान का ससॊहदिाय ककतना ही सॊदय औय गगनचमफी कमो ना हो िह अॊनतभ ऩड़ाि नहीॊ ह| उसका सौदमय ककसी औय उचचतभ सौदमय की ओय ककमा गमा सॊकत भातर ह कक असरी सौदमय इस ऩाय कयन क फाद ह अत याजोदमान का ससॊहदिाय हभ आग फढ़न की परयणा दता ह |

18शरभ-पवबाजन औय जानत-परथा

िॉ० बीभयाव अॊफिकय

सायाॊश ndash इस ऩाठ भ रखक न जानतिाद क आधाय ऩय ककए जान िार बदबाि को सभम सभाज क सरए हाननकायक फतामा ह | जानत आधारयत शरभ विबाजन को असिाबाविक औय भानिता वियोधी फतामा गमा ह मह साभानदजक बदबाि को फढ़ाता ह जानतपरथा आधारयत शरभ विबाजन भ वमनदकत की रधच को भहतति नहीॊ हदमा जाता परसिरऩ वििशता क साथ अऩनाए

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Page 3: ISSUED BY KENDRIYA VIDYALAYA - DOWNLOADED FROM … Class XII Hindi Part B.pdfप्रश्न४ :-फादर क / फयन का गयीफ एि धनी िगय क्मा

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सन- सन घोय िजर हॊकाय |

अशनन ऩात स शानमत शत-शत िीय

त ndashवित हत अचर शयीय

गगन- सऩशी सऩदधाय धीय |rdquo

परशन१- कविता भ फादर ककस का परतीक हऔय कमो

उततय -फादरयाग कराॊनत का परतीक ह इन दोनो क आगभन क उऩयाॊत विशि हया- बया सभदध औय सिसथ हो जाता ह

परशन २ -सख को अनदसथय कमो कहा गमा ह

उततय -सख सदि फना नहीॊ यहता अत उस अनदसथय कहा जाता ह

परशन३ -विपरिी फादर की मदध रऩी नौका की कमा- कमा विशरताएॊ ह

उततय -फादरो क अॊदय आभ आदभी की इचछाएॉ बयी हई हनदजस तयह स मदरध नौका भ मदध की साभगरी बयी होती हमदध की तयह फादर क आगभन ऩय यणबयी फजती ह साभानदमजन की आशाओॊ क अॊकय एक साथ पट ऩड़त ह

परशन४ -फादर क फयसन का गयीफ एिॊ धनी िगय स कमा सॊफॊध जोड़ा गमा ह

उततय-फादर क फयसन स गयीफ िगय आशा स बय जाता ह एिॊ धनी िगय अऩन विनाश की आशॊका स बमबीत हो उठता ह

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सौदमट-फोध-सॊफॊधी परशन

ldquoहॉसत ह छोट ऩौध रघबाय-

शसम अऩाय

हहर हहर

णखर णखर

हाथ हहरात

तझ फरात

विपरि यि स छोट ही ह शोबा ऩात|rdquo

परशन १- ननमन सरणखत परतीको को सऩरषट कीनदजएndash छोट ऩौध सपत अॊकय

उततय - छोट ऩौध- शोवरत िगय सपत अॊकय- आशाएॊ

परशन२- lsquoहॉसत ह छोट ऩौधrsquo-का परतीकाथय सऩरषट कीनदजए |

उततय -परसनदन धचतत ननधयन िगय जो कराॊनत की सॊबािना भातर स णखर उठता ह

परशन३-lsquoछोट ही ह शोबा ऩातrsquo भ ननहहत राणणकता कमा ह

उततय-फचऩन भ भनरषम नननदशचॊत होता ह ननधयन भनरषम उस फचच क सभान ह जो कराॊनत क सभम बी ननबयम होता ह औय अॊतत राबानदनदित होता ह

कपवताndash

फादर याग

पवषम-वसत ऩय आधारयत परशनोततय

परशन१- ऩॊजीऩनतमो की अटटासरकाओॊ को आतॊक बिन कमो कहा गमा ह

उततय -फादरो की गजयना औय भसराधाय िराय भ फड़ -फड़ ऩियत ि घफया जात हउनको उखड़कय धगय जान का बम होता ह |उसी परकाय करानत की हॊकाय स ऩॉजीऩनत घफया उित ह ि

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हदर थाभ कय यह जात हउनदह अऩनी सॊऩजतत एवॊ सतता क नछन जान का बम होता ह | उनकी अटटालरकाएॉ भजफती का भरभ उतऩनदन कयती ह ऩय िासति भ ि अऩन बवनो भ आतॊककत होकय यहत ह|

परशन२- कवि न ककसान का जो शबद-धचतर हदमा ह उस अऩन शबदो भ सरणखए |

उततय - ककसान क जीवन का यस शोषको न चस लरमा ह आशा औय उतसाह की सॊजीवनी सभातत हो चकी ह |शयीय स बी िह दफटर एवॊ खोखरा हो चका ह | कराॊनत का बफगर उसक रदम भ आशा का सॊचाय कयता ह |िह खखरखखरा कय फादर रऩी कराॊनत का सवागत कयता ह |

परशन३- अशनन ऩात कमा ह

उततय- फादर की गजयना क साथ बफजरी धगयन स फड़ ndashफड़ व जर कय याख हो जात ह | उसी परकाय कराॊनत की आॊधी आन स शोषक धनी वगट की सतता सभातत हो जाती ह औय ि खतभ हो जात ह |

परशन४- ऩथिी भ सोम अॊकय ककस आशा स ताक यह ह

उततय - फादर क फयसन स फीज अॊकरयत हो रहरहान रगत ह | अत फादर की गजयन उनभ आशाएॉ उतऩनदन कयती ह | ि ससय ऊॉ चा कय फादर क आन की याह ननहायत ह | ठीक उसी परकाय ननधयन वमनदकत शोषक क अतमाचाय स भजकत ऩान औय अऩन जीिन की खशहारी की आशा भ कराॊनत रऩी फादर की परतीा कयत ह |

परशन५- रदध कोर ह बदध तोर ndashककसक सरए कहा गमा ह औय कमो

उततय - कराॊनत होन ऩय ऩॊजीऩनत िगय का धन नछन जाता हकोष रयकत हो जाता ह | उसक धन की आभद सभातत हो जाती ह | उसका सॊतोष बी अफ lsquoफीत ठदनो की फातrsquo हो जाता ह |

परशन६- अनदसथय सख ऩय द ख की छामा का बाि सऩरषट कीनदजए |

उततय - भानि-जीिन भ सख सदा फना नहीॊ यहता ह उस ऩय द ख की छामा सदा भॊडयाती यहती ह |

परशन७- फादर ककस का परतीक ह

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उततय - फादर इस कविता भ कराॊनत का परतीक ह | नदजस परकाय फादर परकनत ककसान औय आभ आदभी क जीवन भ आनॊद का उऩहाय र कय आता ह उसी परकाय कराॊनत ननधयन शोवरत िगय क जीिन भ सभानता का अधधकाय व सॊऩननता र कय आता ह

परशन८- फादर को जीिन का ऩायािाय कमो कहा गमा ह

उततय - कराॊनत रऩी फादर का आगभन जीवनदामी सखद होता ह -ऩायािाय अथायत सागय | िह जीवन भ खलशमो का खजाना रकय आता ह | ननधटन वगट को सभानता का अधधकाय दता ह |सख सभपदध का कायक फनकय अतमाचाय की अजगन स भकत कयता ह |

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8 कपवतावरी

तरसीदास

साय

शरीयाभजी को सभवऩयत गरनदथ शरीयाभचरयतभानस उततय बायत भ फड़ बनदकतबाि स ऩढ़ा जाता ह रकषभण -भचछाट औय याभ का पवराऩ

यािण ऩतर भघनाद दिाया शनदकत फाण स भनछयत हए रकषभण को दखकय याभ वमाकर हो जात हसरण िदम न सॊजीिनी फटी रान क सरए हनभान को हहभारम ऩियत ऩय बजाआधी यात वमतीत होन ऩय जफ हनभान नहीॊ आएतफ याभ न अऩन छोटबाई रकषभण को उठाकय रदम स रगा सरमा औय साधायण भनरषम की बाॉनत विराऩ कयन रगयाभ फोर ह बाई तभ भझ

कबी दखी नहीॊ दख सकत थतमहाया सिबाि सदा स ही कोभर थातभन भय सरए भाता वऩता को बी छोड़ हदमा औय भय साथ िन भ सदकगभी औय विसबनदन परकाय की विऩयीत ऩरयनदसथनतमो को बी सहा|जस ऩॊख बफना ऩीभणण बफना सऩय औय सॉड बफना शररषठ हाथी अतमॊत दीन हो जात हह बाईमहद भ जीवित यहता हॉ तो भयी दशा बी िसी ही हो जाएगी

भ अऩनी ऩतनी क सरए अऩन वपरम बाई को खोकय कौन सा भॉह रकय अमोधमा जाऊॉ गाइस फदनाभी को बर ही सह रता कक याभ कामय ह औय अऩनी ऩतनी को खो फठा सतरी की हानन विशर नत नहीॊ हऩयनदत बाई को खोना अऩयणीम नत ह

lsquoयाभचरयतभानसrsquo क lsquoरॊका काॊडrsquo स गही रकषभण को शजकत फाण रगन का परसॊग कवि की भासभयक सथरो की ऩहचान का एक शररषठ नभना ह बाई क शोक भ विगसरत याभ का पवराऩ धीय -धीय परराऩ भ फदर जाता ह नदजसभ रकषभण क परनत याभ क अॊतय भ नछऩ परभ क कई कोण सहसा अनाित हो जात हमह परसॊग ईशवय याभ भ भानव सरब गणो का सभनवम कय दता ह | हनभान का सॊजीिनी रकय आ जाना करण यस भ वीय यस का उदम हो जान क सभान ह|

विनम ऩबतरका एक अनदम भहततिऩणय तरसीदासकत कावम ह

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कपवतत औय सवमा

साय

इस शीरयक क अॊतगयत दो कवितत औय एक सिमा सॊकसरत ह lsquoकवितािरीrsquo स अितरयत इन कविततो भ कवि तरसी का पवपवध पवषभताओॊ स गरसत कलरकारतरसी का मगीन मथाथट ह नदजसभ ि कऩार परब याभ व याभयाजम का सवतन यचत ह मग औय उसभ अऩन जीिन का न ससपय उनदह गहया फोध ह फनदलक उसकी असबवमनदकत भ बी ि अऩन सभकारीन कविमो स आग ह महाॉ ऩाठ भ परसतत lsquoकवितािरीrsquo क छॊद इसक परभाण -सिरऩ ह ऩहर छॊद rdquoककसिी ककसान ldquo भ उनदहोन हदखरामा ह कक सॊसाय क अचछ फय सभसत-रीरा परऩॊचो का आधाय-lsquoऩट की आगrsquoका गहन मथाथय ह नदजसका सभाधान ि याभ की बनदकत भ दखत ह दरयदरजन की वमथा दय कयन क सरए याभ रऩी घनशमाभ का आहिान ककमा गमा ह ऩट की आग फझान क लरए याभ रऩी वषाट का जर अननवामट हइसक सरए अननतक कामट कयन की आवशमकता नहीॊ हlsquo इस परकाय उनकी याभ बनदकत ऩट की आग फझान िारी मानी जीवन क मथाथट सॊकटो का सभाधान कयन वारी ह न कक किर आधमानदतभक भनदकत दन िारी| गयीफी की ऩीड़ा यावण क सभान दखदामी हो गई ह

तीसय छॊद )rdquoधत कहौldquo) भ बनदकत की गहनता औय सघनता भ उऩज बकतरदम क आतभपवशवास का सजीव धचतरणह नदजसस सभाज भ वमापत जातऩाॉत औय दयागरहो क -नतयसकाय का साहस ऩदा होता ह इस परकाय बजकत की यचनातभक बलभका का सॊकत महाॉ ह

जो आज क बदबाव भरक मग भ अधधक परासॊधगक ह |

अथट-गरहण-सॊफॊधी परशन

ldquoउहाॉ याभ रनछभनहहॊ ननहायी फोर फचन भनज अनसायी

अधय यानत गइ कवऩ नहहॊ आमउ याभ उठाइ अनज उय रामउ

सकह न दणखत दणख भोहह काऊ फॊध सदा ति भदर सबाऊ

भभ हहत राधग तजह वऩत भाता सहह बफवऩन हहभ आतऩ फाता

सो अनयाग कहाॉ अफ बाई उठह न सनन भभ फच बफकराई

जौ जनतउॉ फन फॊध बफछोह वऩता फचन भनतउॉ नहहॊ ओह

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सत बफत नारय बिन ऩरयिाया होहहॊ जाहहॊ जग फायहहॊ फाया

अस बफचारय नदजमॉ जागह ताता सभरइ न जगत सहोदय भाता

जथा ऩॊख बफन खग अनत दीना भनन बफन पनन करयफय कय हीना

अस भभ नदजिन फॊध बफन तोही जौ जड़ दि नदजआि भोही

जहउॉ अिध किन भह राई नारय हत वपरम बाइ गॉिाई

फर अऩजस सहतउॉ जग भाहीॊ नारय हानन बफसर छनत नाहीॊ

अफ अऩरोक सोक सत तोया सहहहह ननठय कठोय उय भोया

ननज जननी क एक कभाया तात तास तमह परान अधाया

सौऩसस भोहह तमहहह गहह ऩानी सफ बफधध सखद ऩयभ हहत जानी

उतर काह दहउॉ तहह जाई उहठ ककन भोहह ससखािह बाईldquo

परशन१-lsquoफोर फचन भनज अनसायीrsquo- का तातऩमय कमा ह

उततय - बाई क शोक भ विगसरत याभ का पवराऩ धीय- -धीय परराऩ भ फदर जाता ह नदजसभ रकषभण क परनत याभ क अॊतय भ नछऩ परभ क कई कोण सहसा अनाित हो जात ह मह परसॊग ईशवय याभ भ भानव सरब गणो का सभनवम कय दता ह| ि भनरषम की बाॊनत विचसरत हो कय ऐस िचन कहत ह जो भानिीम परकनत को ही शोबा दत ह |

परशन२- याभ न रकषभण क ककन गणो का िणयन ककमा ह

उततय -याभ न रकषभण क इन गणो का िणयन ककमा ह-

रकषभण याभ स फहत सनह कयत ह | उनदहोन बाई क सरए अऩन भाता ndashवऩता का बी तमाग कय हदमा | ि िन भ िराय हहभ धऩ आहद करषटो को सहन कय यह ह | उनका सिबाि फहत भदर ह |ि बाई क द ख को नहीॊ दख सकत |

परशन३- याभ क अनसाय कौन सी िसतओॊ की हानन फड़ी हानन नहीॊ ह औय कमो

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उततय -याभ क अनसाय धन ऩतर एिॊ नायी की हानन फड़ी हानन नहीॊ ह कमोकक म सफ खो जान ऩय ऩन परापत ककम जा सकत ह ऩय एक फाय सग बाई क खो जान ऩय उस ऩन परापत नहीॊ ककमा जा सकता |

परशन४- ऩॊख क बफना ऩी औय सॊड क बफना हाथी की कमा दशा होती ह कावम परसॊग भ इनका उलरख कमो ककमा गमा ह

उततय - याभ विराऩ कयत हए अऩनी बािी नदसथनत का िणयन कय यह ह कक जस ऩॊख क बफना ऩी औय सॊड क बफना हाथी ऩीडड़त हो जाता ह उनका अनदसतति नगणम हो जाता ह िसा ही असहनीम करषट याभ को रकषभण क न होन स होगा |

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सौदमट-फोध-सॊफॊधी परशन

परशन१- कावमाॊश की बारा सौदमय सॊफॊधी दो विशरताओॊ का उललरख कीनदजए|

उततय- १यस -करण यस

२ अरॊकाय - उतपरा अरॊकायndash

भन करणा भॊह फीय यस

जागा ननससचय दणखअ कसाभानहॉ कार दह धरय फसा

दरषटाॊत अरॊकाय - जथा ऩॊख बफन खग अनत दीनाभनन बफन पनन करयफय कय हीना

अस भन नदजिन फॊध बफन तोहीजो जड़ दि नदजआि भोही

वियोधाबास अरॊकाय -फहबफधध सोचत सोच बफभोचन

परशन२- कावमाॊश की बारा का नाभ सरणखए |

उततय - अिधी बारा

परशन३- कावमाॊश भ परमकत छॊद कौन ndashसा ह

उततय- १६१६ भातराओॊ का सभ भाबतरक चौऩाई छॊद |

सौदमट-फोध-सॊफॊधी परशन

ldquoककसफी ककसान-कर फननक सबखायी बाट चाकय चऩर नट चोय चाय चटकी| ऩटको ऩढतगन गढ़त चढ़त धगरय अटत गहन ndashगन अहन अखटकी|

ऊॊ च ndashनीच कयभ धयभ ndashअधयभ करय ऩट ही को ऩचत फचत फटा ndashफटकी |

lsquoतरसीrsquo फझाई एक याभ घनसमाभ ही त आधग फड़िाधगत फड़ी ह आधग ऩटकी|rdquo

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परशन१- कवितािरी ककस बारा भ सरखी गई ह

उततय - बरज बारा

परशन२- कवितािरी भ परमकत छॊद एिॊ यस को सऩरषट कीनदजए |

उततय - इस ऩद भ 31 31 िणो का चाय चयणो िारा सभिणणयक कवितत छॊद ह नदजसभ 16 एिॊ 15 िणो ऩय वियाभ होता ह

परशन३- कवितत भ परमकत अरॊकायो को छाॊट कय सरणखए

१ अनपरास अॊरकायndash

ककसफी ककसान-कर फननक सबखायी बाट

चाकय चऩर नट चोय चाय चटकी|

२ रऩक अरॊकायndash याभndash घनशमाभ

३ अनतशमोनदकत अरॊकायndash आधग फड़िाधग त फडड़ ह आग ऩट की

रकषभण- भचछाट औय याभ का पवराऩ

पवषम-वसत ऩय आधारयत परशनोततय

परशन १-lsquoति परताऩ उय याणख परब भ ककसक परताऩ का उलरख ककमा गमा हrsquoऔय कमो

उततय -इन ऩॉनदकतमो भ बयत क परताऩ का उलरख ककमा गमा ह हनभानजी उनक परताऩ का सभयण कयत हए अमोधमा क ऊऩय स उड़त हए सॊजीिनी र कय रॊका की ओय चर जा यह ह

परशन२- याभ विराऩ भ रकषभण की कौन सी विशरताएॉ उदघहटत हई ह

उततय -रकषभण का भात परभ तमागभम जीिन इन ऩॉनदकतमो क भाधमभ स उदघाहटत हआ ह

परशन३- फोर िचन भनज अनसायी स कवि का कमा तातऩमय ह

उततय -बगिान याभ एक साधायण भनरषम की तयह विराऩ कय यह ह ककसी अितायी भनरषम की तयह नहीॊ भात परभ का धचतरण ककमा गमा हतरसीदास की भानिीम बािो ऩय सशकत ऩकड़ हदिीम वमनदकतति का रीरा रऩ ईशिय याभ को भानिीम बािो स सभनदनदित कय दता ह

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परशन४- बाई क परनत याभ क परभ की परगाढ़ता उनक ककन विचायो स वमकत हई ह

उततय - जथा ऩॊख बफन खग अनत दीना

भनन बफन पनन करयफय कय हीना

अस भभ नदजिन फॊध बफन तोही

जो जड़ दि नदजआि भोही

परशन५- lsquoफहविधध सोचत सोचविभोचनrsquo का वियोधाबास सऩरषट कीनदजए

उततय -दीनजन को शोक स भकत कयन िार बगिान याभ सिमॊ फहत परकाय स सोच भ ऩड़कय दखी हो यह ह

परशन६- हनभान का आगभन करणा भ िीय यस का आना ककस परकाय कहा जा सकता ह

उततय -रदन कयत िानय सभाज भ हनभान उतसाह का सॊचाय कयन िार िीय यस क रऩ भ आ गए करणा की नदी हनभान दिाया सॊजीिनी र आन ऩय भॊगरभमी हो उठती ह

कपवतत औय सवमा

पवषम-वसत ऩय आधारयत परशनोततय

परशन१- ऩट की बख शाॊत कयन क सरए रोग कमा कमा कयत ह

उततय -ऩट की आग फझान क सरए रोग अननतक कामय कयत ह

परशन२- तरसीदास की दनदरषट भ साॊसारयक दखो स ननिनदतत का सिोततभ उऩाम कमा ह

उततय - ऩट की आग फझान क सरए याभ कऩा रऩी िराय का जर अननिामय हइसक सरए अननतक कामय कयन की आिशमकता नहीॊ ह

परशन३- तरसी क मग की सभसमाओॊ का धचतरण कीनदजए

उततय - तरसी क मग भ पराकनतक औय परशासननक िरमम क चरत उतऩनदन ऩीडा दरयदरजन क सरए यािण क सभान दखदामी हो गई ह

परशन४- तरसीदास की बनदकत का कौन सा सिरऩ परसतत कविततो भ असबवमकत हआ ह

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उततय - तरसीदास की बनदकत का दासम बाि सिरऩ परसतत कविततो भ असबवमकत हआ ह

9 रफाइमाॉ

कफ़याक गोयखऩयी

भर नाभndash यघऩनत सहाम कफ़याक

उदय शामयी की रयिामत क विऩयीत कपयाक गोयखऩयी क साहहतम भ रोक जीिन एिॊ परकनत की झरक सभरती ह साभानदजक सॊिदना िमनदकतक अनबनत फन कय उनकी यचनाओॊ भ वमकत हई हजीिन का कठोय मथाथय उनकी यचनाओॊ भ सथान ऩाता हउनदहोन रोक बारा क परतीको का परमोग ककमा ह राणणक परमोग उनकी बारा की विशरता हकियाक की रफाईमो भ घयर हहॊदी का रऩ हदखता ह |

रफाई उदय औय िायसी का एक छॊद मा रखन शरी ह नदजसभ चाय ऩॊनदकतमाॉ होती ह |इसकी ऩहरी दसयी औय चौथी ऩॊनदकत भ तक (काकिमा)सभरामा जाता ह तथा तीसयी ऩॊनदकत सिचछॊद होती ह |

ldquoिो रऩिती भखड़ ऩ इक नभय दभकrdquo

ldquoफचच क घयोद भ जराती ह हदएldquo

ldquoयाफॊधन की सफह यस की ऩतरीrdquo

ldquoबफजरी की तयह चभक यह ह रचछrdquo

ldquoबाई क ह फाॉधती चभकती याखीldquo- जस परमोग उनकी बारा की सशकतता क नभन क तौय ऩय दख जा सकत ह |

साय

रफाइमाॉ

याफॊधन एक भीठा फॊधन ह याफॊधन क कचच धागो ऩय बफजरी क रचछ ह सािन भ याफॊधन आता ह सािन का जो सॊफॊध झीनी घटा स ह घटा का जो सॊफॊध बफजरी स ह िही सॊफॊध बाई का फहन स होता ह

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गज़र

ऩाठ भ कपयाक की एक गज़र बी शासभर ह रफाइमो की तयह ही कपयाक की गजरो भ बी हहॊदी सभाज औय उदय शामयी की ऩयॊऩया बयऩय ह इसका अदभत नभना ह मह गज़र मह गज़र कछ इस तयह फोरती ह कक नदजसभ ददय बी ह एक शामय की ठसक बी ह औय साथ ही ह कावम-सशलऩ की िह ऊॉ चाई जो गज़र की विशरता भानी जाती ह

अथट-गरहण-सॊफॊधी परशन

ldquoआॉगन भ सरए चाॉद क टकड़ को खड़ी

हाथो ऩ झराती ह उस गोद-बयी

यह-यह क हिा भ जो रोका दती ह

गॉज उठती ह णखरणखरात फचच की हॉसीrdquo

परशन१- lsquoचाॉद क टकड़rsquoका परमोग ककसक सरए हआ ह औय कमो

उततय -फचच को चाॉद का टकड़ा कहा गमा ह जो भाॉ क सरए फहत पमाया होता ह

परशन२- गोद-बयी परमोग की विशरता को सऩरषट कीनदजए |

उततय - गोद-बयी शबद-परमोग भाॉ क वातसलमऩणट आनॊठदत उतसाह को परकट कयता ह |मह अतमॊत सॊदय दशम बफॊफ ह | सनी गोद क विऩयीत गोद का बयना भाॉ क लरए असीभ सौबागम का सचक ह |इसी सौबागम का सकषभ अहसास भाॉ को तजतत द यहा ह|

परशन३- रोका दना ककस कहत ह

उततय - जफ भाॉ फचच को फाहो भ रकय हिा भ उछारती ह इस रोका दना कहत ह|छोट फचचो को मह खर फहत अचछा रगता ह

परशन४- फचचा भाॉ की गोद भ कसी परनतककरमा कयता ह

उततय - हिा भ उछारन ( रोका दन) स फचचा भाॉ का िातसलम ऩाकय परसनदन होता ह औय णखरणखरा कय हॉस ऩड़ता हफचच की ककरकारयमाॉ भाॉ क आनॊद को दगना कय दती ह|

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सौदमट-फोध-सॊफॊधी परशन

ldquoनहरा क छरक-छरक ननभयर जर स

उरझ हए गसओॊ भ कॊ घी कयक

ककस पमाय स दखता ह फचचा भॉह को

जफ घटननमो भ रक ह वऩनदहाती कऩड़rdquo

परशन१- परसतत ऩॊनदकतमो क बाि सौदमय को सऩरषट कीनदजए |

उततय - भाॉ न अऩन फचच को ननभयर जर स नहरामा उसक उरझ फारो भ कॊ घी की |भाॉ क सऩशय एिॊ नहान क आनॊद स फचचा परसनदन हो कय फड़ परभ स भाॉ को ननहायता ह| परनतहदन की एक सिाबाविक ककरमा स कस भाॉ-फचच का परभ विकससत होता ह औय परगाढ़ होता चरा जाता ह इस बाि को इस रफाई भ फड़ी सकषभता क साथ परसतत ककमा गमा ह|

परशन२- कावमाॊश भ आए बफॊफो को सऩरषट कीनदजए |

उततय -१ldquoनहरा क छरक-छरक ननभटर जर सrdquo- इस परमोग दिाया कवि न फारक की ननभयरता एिॊ ऩवितरता को जर की ननभयरता क भाधमभ स अॊककत ककमा ह | छरकना शबद जर की ताजा फॊदो का फारक क शयीय ऩय छरछरान का सॊदय दशम बफॊफ परसतत कयता ह |

२ lsquoघटननमो भ रक ह पऩनहाती कऩड़rsquo- इस परमोग भ भाॉ की फचच क परनत सािधानी चॊचर फचच को चोट ऩहॉचाए बफना उस कऩड़ ऩहनान स भाॉ क भातति की कशरता बफॊबफतहोती ह |

३ ldquoककस तमाय स दखता ह फचचा भॉह कोrdquo- ऩॊनदकत भ भाॉ ndashफचच का िातसलम बफॊबफत हआ ह | भाॉ स पमाय ndashदराय सऩशय ndashसख नहराए जान क आनॊद को अनबि कयत हए फचचा भाॉ को पमाय बयी नजयो स दख कय उस सख की असबवमनदकत कय यहा ह |मह सकषभ बाि अतमॊत भनोयभ फन ऩड़ा ह |सॊऩणय रफाई भ दशम बफॊफ ह|

परशन ३-कावमाॊश क शबद-परमोग ऩय हटपऩणी सरणखए |

उततय -गस ndashउदय शबदो का परमोग

घटननमो वऩनदहाती ndash दशज शबदो क भाधमभ स कोभरता की असबवमनदकत

छरक ndashछरक ndashशबद की ऩनयािनदतत स अबी ndashअबी नहराए गए फचच क गीर शयीय का बफॊफ

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आहद विरण परमोग रफाइमो को विसशरषट फना दत ह | हहॊदीउदय औय रोकबारा क अनठ गठफॊधन की झरक नदजस गाॊधीजी हहॊदसतानी क रऩ भ ऩलरवित कयना चाहत थदखन को सभरती ह |

पवषम-वसत ऩय आधारयत परशनोततय

रफाइमाॉ

परशन १ -कावम भ परमकत बफॊफो का िणयन अऩन शबदो भ कीनदजए

उततय -

दशम बफॊफ -फचच को गोद भ रना हिा भ उछारना सनान कयाना घटनो भ रकय कऩड़ ऩहनाना|

शरवमबफॊफ - फचच का णखरणखरा कय हॉस ऩड़ना सऩशय बफॊफ -फचच को सनान कयात हए सऩशय कयना |

परशन २-ldquoआॉगन भ ठनक यहा ह नदज़दमामा ह फारक तो हई चाॉद ऩ ररचामा हrsquo- भ फारक की कौन सी विशरता असबवमकत हई ह

उततय - इन ऩॊनदकतमो भ फारक की हि कयन की पवशषता असबवमकत हई ह फचच जफ नदजद ऩय आ जात ह तो अऩनी इचछा ऩयी कयिान क सरए नाना परकाय की हयकत ककमा कयत ह| नदज़दमामा शबद रोक बाषा का पवरण परमोग ह इसभ फचच का िनकना तनकना ऩाॉव ऩटकना योना आठद सबी ककरमाएॉ शासभर ह |

परशन ३ रचछ ककस कहा गमा ह इनका सॊफॊध ककस तमौहाय स ह

उततय - याखी क चभकीर तायो को रचछ कहा गमा ह याफॊधन क कचच धागो ऩय बफजरी क रचछ ह सािन भ याफॊधन आता ह सािन का जो सॊफॊध झीनी घटा स ह घटा का जो सॊफॊध बफजरी स ह िही सॊफॊध बाई का फहन स होता ह|सािन भ बफजरी की चभक की तयह याखी क चभकीर धागो की सॊदयता दखत ही फनती ह|

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अथट-गरहण-सॊफॊधी परशन

गज़र

कफ़याक गोयखऩयी

ldquoनौयस गॊच ऩॊखडड़मो की नाज़क धगयह खोर ह

मा उड़ जान को यॊगो- फ गरशन भ ऩय तौर ह |rdquo

परशन१- lsquoनौयसrsquo विशरण दिाया कवि ककस अथय की वमॊजना कयना चाहता ह

उततय नौयस अथायत नमा यस गॊच अथायत कसरमो भ नमा ndashनमा यस बय आमा ह |

परशन२- ऩॊखडड़मो की नाज़क धगयह खोरन का कमा असबपराम ह

उततय - यस क बय जान स कसरमाॉ विकससत हो यही ह |धीय-धीय उनकी ऩॊखडड़माॉ अऩनी फॊद गाॉठ खोर यही ह | कवि क शबदो भ नियस ही उनकी फॊद गाॉठ खोर यहा ह|

परशन३- lsquoयॊगो- फ गरशन भ ऩय तौर हrsquo ndash का अथय सऩरषट कीनदजए|

उततय -यॊग औय सगॊध दो ऩी ह जो कसरमो भ फॊद ह तथा उड़ जान क सरए अऩन ऩॊख पड़पड़ा यह ह |मह नदसथनत कसरमो क पर फन जान स ऩिय की ह जो पर फन जान की परतीा भ ह |rsquoऩय तौरनाrsquo एक भहािया ह जो उड़ान की भता आॉकन क सरए परमोग ककमा जाता ह |

परशन४- इस शय का बाि-सौदमय वमकत कीनदजए|

उततय -कसरमो की नई-नई ऩॊखडड़माॉ णखरन रगी ह उनभ स यस भानो टऩकना ही चाहता ह | िमसॊधध(ककशोयी)नानमका क परसपहटत होत सौदमय का परतीकातभक धचतरण अतमॊत सॊदय फन ऩड़ा ह |

सौदमट-फोध-सॊफॊधी परशन

हभ हो मा ककसभत हो हभायी दोनो को इक ही काभ सभरा ककसभत हभ को यो रि ह हभ ककसभत को यो र ह| जो भझको फदनाभ कय ह काश ि इतना सोच सक

भया ऩदाय खोर ह मा अऩना ऩदाय खोर ह | परशन१- इन शयो की बारा सॊफॊधी विशरताएॉ सऩरषट कीनदजए |

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उततय- १ भहाियो का परमोग ndashककसभत का योना ndashननयाशा का परतीक

२सयर असबवमनदकत बारा भ परिाहभमता ह ककसभत औय ऩयदा शबदो की ऩनयािनदततमाॉ

भोहक ह|

३ हहॊदी का घयर रऩ

परशन२- lsquoभया ऩयदा खोर ह मा अऩना ऩयदा खोर ह lsquo- की बावरक विशरता सरणखए |

उततय -भहािय क परमोग दिाया वमॊजनातभक असबवमनदकत | ऩयदा खोरना ndash बद खोरना सचचाई फमान कयना|

परशन३-lsquoहभ हो मा ककसभत हो हभायी lsquo ndashपरमोग की विशरता फताइए |

उततय - हभ औय ककसभत दोनो शबद एक ही वमनदकत अथायत कियाक क सरए परमकत ह | हभ औय ककसभत भ अबद ह मही विशरता ह |

कफ़याक गोयखऩयी

पवषम-वसत ऩय आधारयत परशनोततय

परशन१- ताय आॉख झऩकाि ह ndashका तातऩमय सऩरषट कीनदजए |

उततय- याबतर का सनदनाटा बी कछ कह यहा हइससरए ताय ऩरक झऩका यह ह विमोग की नदसथनत भ परकनत बी सॊिाद कयती परतीत होती ह |

परशन२- lsquoहभ हो मा ककसभत हो हभायीrsquo भ ककस बाि की असबवमनदकत हई ह

उततय- जीिन की विडॊफना ककसभत को योना-भहािय क परमोग स सटीक असबवमनदकत परापत कयती ह कवि जीिन स सॊतरषट नहीॊ ह | बागम स सशकामत का बाि इन ऩॊनदकतमो भ झरकता ह |

परशन३- परभ क ककस ननमभ की असबवमनदकत कवि न की ह

उततय -ईशिय की परानदपत सियसि रटा दन ऩय होती ह परभ क सॊसाय का बी मही ननमभ ह|कवि क शबदो भ rdquo कितयत का कामभ ह तिाज़न आरभ- हसनो ndashइशक भ बी

उसको उतना ही ऩात ह खद को नदजतना खो र ह |rdquo

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१ बाि ndashसामम- कफीय -lsquoसीस उताय बई धय तफ सभसरह कयतायlsquo-अथायत -सिमॊ को खो कय ही परभ परानदपत की जा सकती ह

२ बाि सामम- कफीय ndashनदजन ढॉढा नतन ऩाइमाॉ गहय ऩानी ऩहठ|

भ फऩया फडन डया यहा ककनाय फहठ |

परशन४- शयाफ की भहकपर भ शयाफी को दय यात कमा फात माद आती ह

उततय - शयाफ की भहकपर भ शयाफी को दय यात माद आती ह कक आसभान भ भनरषम क ऩाऩो का रखा-जोखा होता ह जस आधी यात क सभम परयशत रोगो क ऩाऩो क अधमाम खोरत ह िस ही यात क सभम शयाफ ऩीत हए शामय को भहफफा की माद हो आती ह भानो भहफफा परयशतो की तयह ऩाऩ सथर क आस ऩास ही ह

परशन५- सदक कियाकndashndashndashइन ऩॊनदकतमो का अथय सऩरषट कीनदजए |

उततय -सदक कियाकndashndashndashइन ऩॊनदकतमो भ कियाक कहत ह कक उनकी शामयी भ भीय की शामयी की उतकरषटता धिननत हो यही ह

परशन६- ऩॊखडड़मो की नाज़क धगयह खोरना कमा ह

उततय -ऩॉखडड़मो की नाजक धगयह खोरना उनका धीय -धीय विकससत होना ह

िमसॊधध(ककशोयी)नानमका क परसपहटत होत सौदमय की ओय सॊकत ह |

परशन७-lsquoमो उड़ जान को यॊगो फ गरशन भ ऩय तौर हrsquo बाि सऩरषट कीनदजए

उततय -कसरमो की सिास उड़न क सरए भानो ऩय तौर यही होअथायत खशफ का झोका यहndashयह कय उठता ह

परशन८- कवि दिाया िणणयत याबतर क दशम का िणयन अऩन शबदो भ कीनदजए

उततय - याबतर का सनदनाटा बी कछ कह यहा हइससरए ताय ऩरक झऩका यह हरगता ह कक परकनत का कण-कण कछ कह यहा ह |

परशन९- कवि अऩन िमनदकतक अनबि ककन ऩॉनदकतमो भ वमकत कय यहा ह

जीिन की विडॊफना-lsquoककसभत को योनाlsquo भहािय क परमोग स सटीक असबवमनदकत परापत कयती ह

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ldquoहभ हो मा ककसभत हो हभायी दोनो को इक ही काभ सभरा

ककसभत हभ को यो रि ह हभ ककसभत को यो र ह|rdquo

परशन१०- शामय न दननमा क ककस दसतय का िणयन ककमा ह

उततय -शामय न दननमा क इस दसतय का िणयन ककमा ह कक रोग दसयो को फदनाभ कयत ह ऩयॊत ि नहीॊ जानत कक इस तयह ि अऩनी दरषट परकनत को ही उदघाहटत कयत ह

परशन११- परभ की कितयत कवि न ककन शबदो भ असबवमकत की ह

सिमॊ को खो कय ही परभ की परानदपत की जा सकती ह ईशिय की परानदपत सियसि रटा दन ऩय होती ह परभ क सॊसाय का बी मही ननमभ ह

परशन१२- कियाक गोयखऩयी ककस बारा क कवि ह

उततय - उदय बारा

10 छोटा भया खत

उभाशॊकय जोशी

(गजयाती कपव)

उभाशॊकय जोशी फीसिीॊ सदी क गजयाती क भधयनदम कवि सॊसकत िाङभम क विदिान हउनदहोन गजयाती कविता को परकनत स जोड़ाआभ आदभी क जीिन की झरक उनकी यचनाओॊ भ सभरती ह

छोटा भया खत

साय

खती क रऩक दिाया कावम यचनाndash परककरमा को सऩषट ककमा गमा हकावम कनत की यचना फीजndash वऩन स रकय ऩौध क ऩजषऩत होन क पवलबनन चयणो स गजयती हअॊतय किर इतना ह कक कपव कभट की पसर कारजमी शाशित होती हउसका यस-यण अम होता हकागज का ऩनदना नदजस ऩय यचना शबदफदध होती ह कवि को एक चौकोय खत की तयह रगता ह इस खत

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भ ककसी अॉधड़ (आशम बािनातभक आॉधी स होगा) क परबाि स ककसी ण एक फीज फोमा जाता ह मह फीज-यचना विचाय औय असबवमनदकत का हो सकता ह मह भर रऩ कलऩना का सहाया रकय विकससत होता ह औय परककरमा भ सिमॊ विगसरत हो जाता ह उसस शबदो क अॊकय ननकरत ह औय अॊतत कनत एक ऩणय सिरऩ गरहण कयती ह जो कवर-कभय क सरहाज स ऩलरवित -ऩनदरषऩत होन की नदसथनत ह साहहनदतमक कनत स जो अरौककक यस-धाया पटती ह िह ण भ होन िारी योऩाई का ही ऩरयणाभ ह ऩय मह यस-धाया अनॊत कार तक चरन िारी कटाई ह |

फगरो क ऩॊख

साय

फगरो क ऩॊख कविता एक चार बफॊफ की कविता ह सौदमय का अऩकषत परबाि उतऩनदन कयन क सरए कविमो न कई मनदकतमाॉ अऩनाई ह नदजसभ स सफस परचसरत मनदकत ह-सौदमय क वमौयो क धचतरातभक िणयन क साथ अऩन भन ऩय ऩड़न िार उसक परबाि का िणयन औय आतभगत क सॊमोग की मह मनदकत ऩाठक को उस भर सौदमय क कापी ननकट र जाती ह जोशी जी की इस कविता भ ऐसा ही ह कवि कार फादरो स बय आकाश भ ऩॊनदकत फनाकय उड़त सपद फगरो को दखता ह ि कजयाय फादरो भ अटका-सा यह जाता ह िह इस भामा स अऩन को फचान की गहाय रगाता ह कमा मह सौदमय स फाॉधन औय विॊधन की चयभ नदसथनत को वमकत कयन का एक तयीका ह

परकनत का सितॊतर (आरॊफन गत ) धचतरण आधननक कविता की विशरता हधचतरातभक िणयन दिाया कवि न एक ओय कार फादरो ऩय उड़ती फगरो की शित ऩॊनदकत का धचतर अॊककत ककमा ह तो दसयी ओय इस अपरनतभ दशम क रदम ऩय ऩड़न िार परबाि को धचबतरत ककमा हभॊतर भगध कवि इस दशम क परबाि स आतभ विसभनत की नदसथनत तक ऩहॉच जाता हविरम एिॊ विरमीगत सौनददमय क दोनो रऩ कविता भ उदघाहटत हए ह

अथट-गरहण-सॊफॊधी परशन

ldquoछोटा भया खत चौकोना

कागज़ का एक ऩनदना कोई अॊधड़ कहीॊ स आमा

ण का फीज िहाॉ फोमा गमा|

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कलऩना क यसामनो को ऩी

फीज गर गमा ननशर शबद क अॊकय पट

ऩलरि ndashऩरषऩो स नसभत हआ विशर |rdquo

परशन १lsquoछोटा भया खतrsquo ककसका परतीक ह औय कमो

उततय - परशन२ lsquoछोटा भया खतrsquo काग़ज क उस ऩनदन का परतीक ह नदजस ऩय कवि अऩनी कविता सरखता ह

परशन २ कवि खत भ कौनndashसा फीज फोता ह

उततय - कवि खत भ अऩनी कलऩना का फीज फोता ह

परशन ३ कवि की कलऩना स कौन स ऩलरि अॊकरयत होत ह

उततय - कवि की कलऩना स शबद क ऩलरि अॊकरयत होत ह

परशन ४ उऩमयकत ऩद का बाि-सौदमय सऩरषट कीनदजए |

उततय - खती क रऩक दिाया कावम-यचनाndashपरककरमा को सऩषट ककमा गमा हकावम कनत की यचना फीजndash वऩन स रकय ऩौध क ऩजषऩत होन क पवलबनन चयणो स गजयती हअॊतय किर इतना ह कक कपव कभट की पसर कारजमी शाशित होती हउसका यस-यण अम होता ह

सौदमट-फोध-सॊफॊधी परशन

ldquoझभन रग पर

यस अरौककक

अभत धायाएॉ पटतीॊ

योऩाई ण की

कटाई अनॊतता की

रटत यहन स जया बी कभ नहीॊ होती |

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यस का अम ऩातर सदा का

छोटा भया खत चौकोना |rdquo

परशन इस कविता की बारा सॊफॊधी विशरताओॊ ऩय परकाश डासरए ndash

उततय - १ परतीकातभकता

२ राणणकता -

२रऩक अरॊकायndash यस का अम ऩातर सदा का

छोटा भया खत चौकोना

परशन २ यस अरौककक अभत धायाएॉ योऩाई ndash कटाई-परतीको क अथय सऩरषट कीनदजए |

उततय - यस अरौककक ndash कावम यस ननरषऩनदतत

अभत धायाएॉ- कावमानॊद

योऩाई ndash अनबनत को शबदफदध कयना

कटाई ndashयसासिादन

पवषम-वसत ऩय आधारयत परशनोततय

कपवता ndash

छोटा भया खत

परशन १ उभाशॊकय जोशी न ककस बारा भ कविताएॉ सरखी ह

उततय - गजयाती बारा

परशन२ कवरndashकभय एिॊ कविndashकभय भ कमा कमा सभानताएॉ ह

उततय - कवरndashकभय एिॊ कविndashकभय भ ननमनसरणखत सभानताएॉ ह-

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कावम कनत की यचना फीजndash वऩन स रकय ऩौध क ऩजषऩत होन क पवलबनन चयणो स गजयती ह

कपषndashकभट एवॊ कपवndashकभट भ सभानताएॉ -

कागज का ऩनदना नदजस ऩय यचना शबदफदध होती ह कवि को एक चौकोय खतरगता ह इस खत भ ककसी अॉधड़ (आशम बािनातभक आॉधी स होगा) क परबाि स ककसी ण

एक फीज फोमा जाता ह मह फीज-यचना विचाय औय असबवमनदकत का हो सकता ह मह भर रऩ कलऩना का सहाया रकय विकससत होता ह औय परककरमा भ सिमॊ विगसरत

हो जाता ह इसीपरकाय फीज बी खाद ऩानी समय की योशनी हिा आहद रकय विकससत होता ह |

कावम ndashयचना स शबदो क अॊकय ननकरत ह औय अॊतत कनत एक ऩणय सिरऩ गरहण कयती ह जो कवर-कभय क सरहाज स ऩलरवित ndashऩनदरषऩत औय पसरत होन की नदसथनत ह अथट-गरहण-सॊफॊधी परशन

कपवताndash फगरो क ऩॊख

नब भ ऩाॉती- फॉध फगरो क ऩॊख

चयाए सरए जातीॊ ि भयी आॉख |

कजयाय फादरो की छाई नब छामा

हौरndashहौर जाती भझ फाॉध ननज भामा स |

उस कोई तननक योक यकखो |

िह तो चयाए सरए जाती भयी आॉख

नब भ ऩाॉती- फॉधी फगरो की ऩाॉख |

तयती साॉझ की सतज शित कामा|

परशन१- इस कविता भ कवि न ककसका धचतरण ककमा ह

उततय - कवि न कार फादरो ऩय उड़ती फगरो की शित ऩॊनदकत का धचतरण ककमा ह|

परशन२- आॉख चयान का कमा अथय ह

उततय - आॉख चयान का आशम ह ndashधमान ऩयी तयह खीॊच रना एकटक दखना भॊतरभगध कय दना

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परशन३-

ldquoकजयाय फादरो की छाई नब छामा

हौर ndashहौर जाती भझ फाॉध ननज भामा स |rdquo- आशम सऩरषट कीनदजए |

उततय- कार फादरो क फीच साॉझ का सयभई िाताियण फहत सॊदय हदखता ह | ऐसा अपरनतभ सौदमय अऩन आकरयण भ कवि को फाॉध रता ह |

परशन ४ ldquoउस कोई तननक योक यकखो |rsquo- स कवि का कमा असबपराम ह

उततय - फगरो की ऩॊनदकत आकाश भ दय तक उड़ती जा यही ह कवि की भॊतरभगध आॉख उनका ऩीछा कय यही ह | कवि उन फगरो को योक कय यखन की गहाय रगा यहा ह कक कहीॊ ि उसकी आॉख ही अऩन साथ न र जाएॉ |

सौदमट-फोध-सॊफॊधी परशन

परशन १ कविता की बारा सॊफॊधी दो विशरताएॉ सरणखए|

उततय -१ धचतरातभक बारा

२ फोरचार क शबदो का परमोग - हौर ndashहौर ऩाॉती कजयायसाॉझ

परशन २ कविता भ परमकत अरॊकाय चन कय सरणखए |

उततय - अनपरास अरॊकाय - फॉध फगरो क ऩॊख

भानिीकयण अरॊकाय - चयाए सरए जातीॊ ि भयी आॉख |

परशन ३ -lsquo ननज भामाrsquo क राणणक अथय को सऩरषट कीनदजए |

उततय - परकनत का अपरनतभ सौदमय िह भामा ह जो कवि को आतभविबोय कय दती हमह ऩॊनदकत बी परशॊसातभक उनदकत ह

पवषम-वसत ऩय आधारयत परशनोततय

परशन१- lsquoचयाए सरए जाती ि भयी ऑ ॊखrsquo स कवि का कमा तातऩमय ह

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उततय -धचतरातभक िणयन दिाया कवि न एक ओय कार फादरो ऩय उड़ती फगरो की शित ऩॊनदकत का धचतर अॊककत ककमा ह तथा इस अपरनतभ दशम क रदम ऩय ऩड़न िार परबाि को धचबतरत ककमा ह कवि क अनसाय मह दशम उनकी आॉख चयाए सरए जा यहा ह |भॊतर भगध कवि इस दशम क परबाि स आतभ विसभनत की नदसथनत तक ऩहॉच जाता ह

परशन२-कवि ककस भामा स फचन की फात कहता ह

उततय - भामा विशि को अऩन आकरयण भ फाॉध रन क सरए परससदध ह | कफीय न बी lsquoभामा भहा ठधगनी हभ जानीrsquo कहकय भामा की शनदकत को परनतऩाहदत ककमा ह | कार फादरो भ फगरो की सॊदयता अऩना भामा जार परा कय कवि को अऩन िश भ कय यही ह |

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आयोह बाग-२ गदम-बाग

परशन-सॊखमा १०- गदम खॊड भ हदए गए ऩहठत गदमाॊश स अथयगरहण सॊफॊधी चाय परशन ऩछ जाएॉग नदजनक सरए ननधायरयत अॊक (२४=८) ह |

परशन-सॊखमा ११- ऩाठो की विरमिसत स सॊफॊधधत ऩाॉच भ स चाय परशनो क उततय दन ह नदजनक सरए ननधायरयत अॊक (३४=१२) ह|

ऩयीा भ अचछ अॊक परातत कयन क लरए धमान दन मोगम फात ndash

1 रख एिॊ ितयनी की शदधता तथा िाकम-गठन ऩय धमान द | 2 हय ऩाठ का सायऩरषठबसभविरमिसत तथाकथानक को सभझना आिशमक ह |

अतविदमाथी हय ऩाठ का सायाॊश बरीबाॉनत माद कय र | 3 परशनो को धमान स ऩढ़ तदनसाय अऩकषत उततय सरख | 4 उततय सरखत सभम सॊफॊधधत भखम बफॊदओॊ का शीरयकफनात हए उततय सरख मथा-तीन

अॊक क परशनो क उततय सरखत सभम कभ स कभ तीन भखम उततय-बफ ॊदओॊ का उलरख कयत हए उततय सऩरषट कय |

5 अॊक-मोजना क अनसाय ननधायरयत शबद-सीभा क अॊतगयत उततय सरख | ऩयीाथी कई फाय एक अॊक क परशन का उततय फहत रॊफा कई फाय ऩया ऩरषठ सरख दत ह जो सभम औय ऊजाय की फफायदी ह |

6 धमान यह कक अधधक सरखन स अचछ अॊक नहीॊ आत फनदलक सयर-सफोध बारा भ सरख गए सटीक उततय सायगसबयत तथम तथा उदाहयण क दिाया सऩरषट ककए गए उततय परबािशारी होत ह |

ऩाि 11 - बजकतन

रखखका- भहादवी वभाट

ऩाि का सायाॊश- बनदकतन नदजसका िासतविक नाभ रकषभी थारणखका lsquoभहादिी िभायrsquo की सविका ह | फचऩन भ ही बनदकतन की भाॉ की भतम हो गमी| सौतरी भाॉ न ऩाॉच िरय की आम भ वििाह तथा नौ िरय की आम भ गौना कय बनदकतन को ससयार बज हदमा| ससयार भ बनदकतन न तीन फहटमो को जनदभ हदमा नदजस कायण उस सास औय नदजठाननमो की उऩा सहनी ऩड़ती थी| सास औय नदजठाननमाॉ आयाभ पयभाती थी औय बनदकतन तथा उसकी ननदहीॊ फहटमो को घय औय खतो का साया काभ कयना ऩडता था| बनदकतन का ऩनत उस फहत चाहता था| अऩन ऩनत क सनह क फर ऩय बनदकतन न ससयार िारो स अरगौझा कय अऩना अरग घय फसा सरमा औय सख स यहन रगी ऩय बनदकतन का दबायगम अलऩाम भ ही उसक ऩनत की भतम हो गई | ससयार िार

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बनदकतन की दसयी शादी कय उस घय स ननकारकय उसकी सॊऩनदतत हड़ऩन की सानदजश कयन रग| ऐसी ऩरयनदसथनत भ बनदकतन न अऩन कश भॊडा सरए औय सॊनदमाससन फन गई | बनदकतन सिासबभानी सॊघरयशीर कभयठ औय दढ सॊकलऩ िारी सतरी ह जो वऩतसततातभक भानदमताओॊ औय छर-कऩट स बय सभाज भ अऩन औय अऩनी फहटमो क हक की रड़ाई रड़ती हघय गहसथी सॉबारन क सरए अऩनी फड़ी फटी दाभाद को फरा सरमा ऩय दबायगम न महाॉ बी बनदकतन का ऩीछा नहीॊ छोड़ा अचानक उसक दाभाद की बी भतम हो गमी| बनदकतन क जठ-नदजठौत न सानदजश यचकय बनदकतन की विधिा फटी का वििाह जफयदसती अऩन तीतयफाज सार स कय हदमा| ऩॊचामत दिाया कयामा गमा मह सॊफॊध दखदामी यहा | दोनो भाॉ-फटी का भन घय-गहसथी स उचट गमा ननधयनता आ गमी रगान न चका ऩान क कायण जभीॊदाय न बनदकतन को हदन बय धऩ भ खड़ा यखा| अऩभाननत बनदकतन ऩसा कभान क सरए गाॉि छोड़कय शहय आ जाती ह औय भहादिी की सविका फन जाती ह| बनदकतन क भन भ भहादिी क परनत फहत आदय सभऩयण औय असबबािक क सभान अधधकाय बाि ह| िह छामा क सभान भहादिी क साथ यहती ह| िह यात-यात बय जागकय धचतरकायी मा रखन जस कामय भ वमसत अऩनी भारककन की सिा का अिसय ढॉढ रती ह| भहादिी बनदकतन को नहीॊ फदर ऩामी ऩय बनदकतन न भहादिी को फदर हदमा| बनदकतन क हाथ का भोटा-दहाती खाना खात-खात भहादिी का सिाद फदर गमा बनदकतन न भहादिी को दहात क ककसस-कहाननमाॉ ककॊ िदॊनतमाॉ कॊ ठसथ कया दी| सिबाि स भहाकॊ जस होन ऩय बी बनदकतन ऩाई-ऩाई कय जोडी हई १०५ रऩमो की यासश को सहरय भहादिी को सभवऩयत कय दती ह| जर क नाभ स थय-थय काॉऩन िारी बनदकतन अऩनी भारककन क साथ जर जान क सरए फड़ राट साहफ तक स रड़न को बी तमाय हो जाती ह| बनदकतन भहादिी क जीिन ऩय छा जान िारी एक ऐसी सविका ह नदजस रणखका नहीॊ खोना चाहती

ऩाि आधारयत परशनोततय

नोट- उततय भ ननहहत यखाॊककत िाकम भखम सॊकत बफॊद ह |

परशन 1-बजकतन का वासतपवक नाभ कमा था वह अऩन नाभ को कमो छऩाना चाहती थी

उततय-बनदकतन का िासतविक नाभ रकषभी था हहनददओॊ क अनसायरकषभी धन की दिीह चॉकक बनदकतन गयीफ थी| उसक िासतविक नाभ क अथय औय उसक जीिन क मथाथय भ वियोधाबास ह ननधयन बनदकतन सफको अऩना असरी नाभ रकषभी फताकय उऩहास का ऩातर नहीॊ फनना चाहती थी इससरए िह अऩना असरी नाभ छऩाती थी

परशन 2- रखखका न रकषभी का नाभ बजकतन कमो यखा

उततय-घटा हआ ससय गर भ कॊ ठी भारा औय बकतो की तयह सादगीऩणय िशबरा दखकय भहादिी िभाय न रकषभी का नाभ बनदकतन यख हदमा | मह नाभ उसक वमनदकतति स ऩणयत भर खाता था |

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परशन 3-बजकतन क जीवन को ककतन ऩरयचछदो भ पवबाजजत ककमा गमा ह

उततय- बनदकतन क जीिन को चाय बागो भ फाॉटा गमा ह-

ऩहरा ऩरयचछद-बनदकतन का फचऩन भाॉ की भतम विभाता क दिाया बनदकतन का फार-वििाह कया दना

दपवतीम ऩरयचछद-बनदकतन का ििाहहक जीिन सास तथा नदजठाननमो का अनदमामऩणय वमिहाय ऩरयिाय स अरगौझा कय रना

ततीम ऩरयचछद- ऩनत की भतम विधिा क रऩ भ सॊघरयशीर जीिन चतथट ऩरयचछद- भहादिी िभाय की सविका क रऩ भ

परशन 4- बजकतन ऩाि क आधाय ऩय बायतीम गराभीण सभाज भ रड़क-रड़ककमो भ ककम जान वार बदबाव का उलरख कीजजए |

बायतीम गराभीण सभाज भ रड़क-रड़ककमो भ बदबाि ककमा जाता ह| रड़ककमो को खोटा ससकका मा ऩयामा धन भाना जाता ह| बनदकतन न तीन फहटमो को जनदभ हदमा नदजस कायण उस सास औय नदजठाननमो की उऩा सहनी ऩड़ती थी| सास औय नदजठाननमाॉ आयाभ पयभाती थी कमोकक उनदहोन रड़क ऩदा ककए थ औय बनदकतन तथा उसकी ननदहीॊ फहटमो को घय औय खतो का साया काभ कयना ऩडता था| बनदकतन औय उसकी फहटमो को रखा-सखा भोटा अनाज खान को सभरता था जफकक उसकी नदजठाननमाॉ औय उनक कार-करट फट दध-भराई याफ-चािर की दाित उड़ात थ

परशन 5-बजकतन ऩाि क आधाय ऩय ऩॊचामत क नमाम ऩय ठटतऩणी कीजजए |

बनदकतन की फटी क सनददबय भ ऩॊचामत दिाया ककमा गमा नदमाम तकय हीन औय अॊध कानन ऩय आधारयतह | बनदकतन क नदजठौत न सॊऩनदतत क रारच भ रडमॊतर कय बोरी फचची को धोख स जार भ पॊ सामा| ऩॊचामत न ननदोर रड़की की कोई फात नहीॊ सनी औय एक तयिा पसरा दकय उसका वििाह जफयदसती नदजठौत क ननकमभ तीतयफाज सार स कय हदमा | ऩॊचामत क अॊध कानन स दरषटो को राब हआ औय ननदोर को दॊड सभरा |

परशन 6-बजकतन की ऩाक-करा क फाय भ ठटतऩणी कीजजए |

बनदकतन को ठठ दहाती सादा बोजन ऩसॊद था | यसोई भ िह ऩाक छत को फहत भहतति दती थी | सफह-सिय नहा-धोकय चौक की सपाई कयक िह दिाय ऩय कोमर की भोटी यखा खीॊच दती थी| ककसी को यसोईघय भ परिश कयन नहीॊ दती थी| उस अऩन फनाए बोजन ऩय फड़ा असबभान था| िह अऩन फनाए बोजन का नतयसकाय नहीॊ सह सकती थी |

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परशन 7- लसदध कीजजए कक बजकतन तकट -पवतकट कयन भ भाठहय थी |

बनदकतन तकय ऩट थी | कश भॉडान स भना ककए जान ऩय िह शासतरो का हिारा दत हए कहती ह lsquoतीयथ गए भॉडाए ससदधrsquo | घय भ इधय-उधय यख गए ऩसो को िह चऩचाऩ उठा कय छऩा रती ह टोक जानऩय िह िह इस चोयी नही भानती फनदलक िह इस अऩन घय भ ऩड़ ऩसो को सॉबारकय यखना कहती ह| ऩढाई-सरखाई स फचन क सरए बी िह अचक तकय दती ह कक अगय भ बी ऩढ़न रगॉ तो घय का काभ कौन दखगा

परशन 8-बजकतन का दबाटगम बी कभ हिी नही था रखखका न ऐसा कमो कहा ह

उततय- बजकतन का दबाटगम उसका ऩीछा नहीॊ छोड़ता था-

1- फचऩन भ ही भाॉ की भतम 2- विभाता की उऩा 3- बनदकतन(रकषभी) का फारवििाह 4- वऩता का ननधन 5- तीन-तीन फहटमो को जनदभ दन क कायण सास औय नदजठाननमो क दिाया बनदकतन की

उऩा 6- ऩनत की असभम भतम 7- दाभाद का ननधन औय ऩॊचामत क दिाया ननकमभ तीतयफाज मिक स बनदकतन की विधिा

फटी का जफयन वििाह 8- रगान न चका ऩान ऩय जभीॊदाय क दिाया बनदकतन का अऩभान

परशन 9-बजकतन न भहादवी वभाट क जीवन ऩय कस परबापवत ककमा

उततय- बनदकतन क साथ यहकय भहादिी की जीिन-शरी सयर हो गमी ि अऩनी सविधाओॊ की चाह को नछऩान रगीॊ औय असविधाओॊ को सहन रगीॊ बनदकतन न उनदह दहाती बोजन णखराकय उनका सिाद फदर हदमा बनदकतन भातर एक सविका न होकय भहादिी की असबबािक औय आतभीम फन गमीबनदकतन भहादिी क जीिन ऩय छा जान िारी एक ऐसी सविका ह नदजस रणखका नहीॊ खोना चाहती

परशन 10- बजकतन क चरयतर की पवशषताओॊ का उलरख कीजजए

उततय- भहादिी िभाय की सविका बनदकतन क वमनदकतति की विशरताएॊ ननमनाॊककत ह-

सभवऩयत सविका सिासबभानी

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तकय शीरा ऩरयशरभी सॊघरयशीर

परशन 11-बजकतन क दगटणो का उलरख कय

उततय- गणो क साथ-साथ बनदकतन क वमनदकतति भ अनक दगयण बी ननहहत ह-

1 िह घय भ इधय-उधय ऩड़ रऩम-ऩस को बॊडाय घय की भटकी भ छऩा दती ह औय अऩन इस कामय को चोयी नहीॊ भानती

2 भहादिी क करोध स फचन क सरए बनदकतन फात को इधय-उधय कयक फतान को झठ नही भानती अऩनी फात को सही ससदध कयन क सरए िह तकय -वितकय बी कयती ह

3 िह दसयो को अऩनी इचछानसाय फदर दना चाहती ह ऩय सिमॊ बफरकर नही फदरती परशन 12 ननमनाॊककत बाषा-परमोगो का अथट सऩषट कीजजए-

ऩहरी कनमा क दो औय सॊसकयण कय िार- बनदकतन न अऩनी ऩहरी कनदमा क फाद उसक जसी दो औय कनदमाएॉ ऩदा कय दी अथायत बनदकतन क एक क फाद एक तीन फहटमाॉ ऩदा हो गमीॊ |

खोट लसकको की टकसार जसी ऩतनी- आज बी असशकषत गराभीण सभाज भ फहटमो को

खोटा ससकका कहा जाता ह बनदकतन न एक क फाद एक तीन फहटमाॉ ऩदा कय दी इससरए उस खोट ससकक को ढारन िारी भशीन कहा गमा

परशन 13-बजकतन ऩाि भ रखखका न सभाज की ककन सभसमाओॊ का उलरख ककमा ह

उततय- बनदकतन ऩाठ क भाधमभ स रणखका न बायतीम गराभीण सभाज की अनक सभसमाओॊ का उलरख ककमा ह-

1 रड़क-रड़ककमो भ ककमा जान िारा बदबाि 2 विधिाओॊ की सभसमा 3 नदमाम क नाभ ऩय ऩॊचामतो क दिाया नदसतरमो क भानिाधधकाय को कचरना 4 असशा औय अॊधविशिास

गदमाॊश-आधारयत अथटगरहण सॊफॊधधत परशनोततय

ऩरयिाय औय ऩरयनदसथनतमो क कायण सिबाि भ जो विरभताएॉ उतऩनदन हो गई ह उनक बीतय स एक सनह औय सहानबनत की आबा पटती यहती ह इसी स उसक सॊऩकय भ आनिार वमनदकत उसभ जीिन की सहज भासभयकता ही ऩात ह छातरािास की फासरकाओॊ भ स कोई अऩनी चाम

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फनिान क सरए दहरी ऩय फठी यहती ह कोई फाहय खडी भय सरए नाशत को चखकय उसक सिाद की वििचना कयती यहती ह भय फाहय ननकरत ही सफ धचडड़मो क सभान उड़ जाती ह औय बीतय आत ही मथासथान वियाजभान हो जाती ह इनदह आन भ रकािट न हो सॊबित इसी स बनदकतन अऩना दोनो जन का बोजन सिय ही फनाकय ऊऩय क आर भ यख दती ह औय खात सभम चौक का एक कोना धोकय ऩाकndashछत क सनातन ननमभ स सभझौता कय रती ह

भय ऩरयधचतो औय साहहनदतमक फॊधओॊ स बी बनदकतन विशर ऩरयधचत ह ऩय उनक परनत बनदकतन क समभान की भातरा भय परनत उनक समभान की भातरा ऩय ननबयय ह औय सदभाि उनक परनत भय सदभाि स नननदशचत होता ह इस सॊफॊध भ बनदकतन की सहज फवदध विनदसभत कय दन िारी ह

(क) बजकतन का सवबाव ऩरयवाय भ यहकय कसा हो गमा ह

उततय-विरभ ऩरयनदसथनतजनदम उसक उगर हठी औय दयागरही सिबाि क फािजद बनदकतन क बीतय सनह औय सहानबनत की आबा पटती यहती ह उसक सॊऩकय भ आन िार वमनदकत उसभ जीिन की सहज भासभयकता ही ऩात ह

(ख) बजकतन क ऩास छातरावास की छातराएॉ कमो आती ह

उततय- बनदकतन क ऩास कोई छातरा अऩनी चाम फनिान आती ह औय दहरी ऩय फठी यहती ह कोई भहादिी जी क सरए फन नाशत को चखकय उसक सिाद की वििचना कयती यहती ह भहादिी को दखत ही सफ छातराएॉ बाग जाती ह उनक जात ही कपय िाऩस आ जातीॊ ह बनदकतन का सहज-सनह ऩाकय धचडड़मो की तयह चहचहान रगती ह |

(ग) छातराओॊ क आन भ रकावट न िारन क लरए बजकतन न कमा उऩाम ककमा

उततय- छातराओॊ क आन भ रकािट न डारन क सरए बनदकतन न अऩन ऩाक-छत क ननमभ स सभझौता कय सरमा | बनदकतन अऩना दोनो िकत का खाना फनाकय सफह ही आर भ यख दती औय खात सभम चौक का एक कोना धोकय िहाॉ फठकय खा सरमा कयती थी ताकक छातराएॉ बफना योक-टोक क उसक ऩास आ सक

(घ) साठहतमकायो क परनत बजकतन क समभान का कमा भाऩदॊि ह

उततय-बनदकतन भहादिी क साहहनदतमक सभतर क परनत सदभाि यखती थी नदजसक परनत भहादिी सिमॊ सदभाि यखती थी | िह सबी स ऩरयधचत हऩय उनक परनत समभान की भातरा भहादिी जी क समभान की भातरा ऩय ननबयय कयती ह िह एक अदभत ढॊग स जान रती थी कक कौन ककतना समभान कयता ह उसी अनऩात भ उसका परापम उस दती थी

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12 फाजाय-दशटन

रखक- जनि कभाय

ऩाि का सायाॊश फाजाय-दशयन ऩाठ भ फाजायिाद औय उऩबोकतािाद क साथ-साथ अथयनीनत एिॊ दशयन स सॊफॊधधत परशनो को सरझान का परमास ककमा गमा ह फाजाय का जाद तबी असय कयता ह जफ भन खारी हो| फाजाय क जाद को योकन का उऩाम मह ह कक फाजाय जात सभम भन खारी ना हो भन भ रकषम बया हो| फाजाय की असरी कताथयता ह जरयत क िकत काभ आना| फाजाय को िही भनरषम राब द सकता ह जो िासति भ अऩनी आिशमकता क अनसाय खयीदना चाहता ह| जो रोग अऩन ऩसो क घभॊड भ अऩनी ऩचनदजॊग ऩािय को हदखान क सरए चीज खयीदत ह ि फाजाय को शतानी वमॊगम शनदकत दत ह| ऐस रोग फाजारऩन औय कऩट फढात ह | ऩस की मह वमॊगम शनदकत वमनदकत को अऩन सग रोगो क परनत बी कतघन फना सकती ह | साधायण जन का रदम रारसा ईरषमाय औय तरषणा स जरन रगता ह | दसयी ओय ऐसा वमनदकत नदजसक भन भ रश भातर बी रोब औय तरषणा नहीॊ ह सॊचम की इचछा नहीॊ ह िह इस वमॊगम-शनदकत स फचा यहता ह | बगतजी ऐस ही आतभफर क धनी आदशय गराहक औय फचक ह नदजन ऩय ऩस की वमॊगम-शनदकत का कोई असय नहीॊ होता | अनक उदाहयणो क दिाया रखक न मह सऩरषट ककमा ह कक एक ओय फाजाय रारची असॊतोरी औय खोखर भन िार वमनदकतमो को रटन क सरए ह िहीॊ दसयी ओय सॊतोरी भन िारो क सरए फाजाय की चभक-दभक उसका आकरयण कोई भहतति नहीॊ यखता

परशन१ - ऩचजजॊग ऩावय ककस कहा गमा ह फाजाय ऩय इसका कमा परबाव ऩड़ता ह

उततय- ऩचनदजॊग ऩािय का अथय ह खयीदन की शनदकत ऩचनदजॊग ऩािय क घभॊड भ वमनदकत हदखाि क सरए आिशमकता स अधधक खयीदायीकयता ह औय फाजाय को शतानी वमॊगम-शनदकत दता ह ऐस रोग फाजाय का फाजारऩन फढ़ात ह

परशन२ -रखक न फाजाय का जाद ककस कहा ह इसका कमा परबाव ऩड़ता ह

उततय- फाजाय की चभक-दभक क चॊफकीम आकरयण को फाजाय का जाद कहा गमा ह मह जाद आॊखो की याह कामय कयता ह फाजाय क इसी आकरयण क कायण गराहक सजी-धजी चीजो को आिशमकता न होन ऩय बी खयीदन को वििश हो जात ह

परशन३ -आशम सऩषट कय

भन खारी होना भन बया होना भन फॊद होना

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उततय-भन खारी होना- भन भ कोई नननदशचत िसत खयीदन का रकषम न होना ननरददशम फाजाय जाना औय वमथय की चीजो को खयीदकय राना

भन बया होना- भन रकषम स बया होना नदजसका भन बया हो िह बरीबाॉनत जानता ह कक उस फाजाय स कौन सी िसत खयीदनी ह अऩनी आिशमकता की चीज खयीदकय िह फाजाय को साथयकता परदान कयता ह

भन फॊद होना-भन भ ककसी बी परकाय की इचछा न होना अथायत अऩन भन को शनदम कय दना

परशन४ - lsquoजहाॉ तषणा ह फटोय यखन की सऩहा ह वहाॉ उस फर का फीज नहीॊ हrsquo महाॊ ककस फर की चचाट की गमी ह

उततय- रखक न सॊतोरी सिबाि क वमनदकत क आतभफरकी चचाय की ह दसय शबदो भ महद भन भ सॊतोर हो तो वमनदकत हदखाि औय ईरषमाय की बािना स दय यहता ह उसभ सॊचम कयन की परिनदतत नहीॊ होती

परशन५ - अथटशासतर अनीनतशासतर कफ फन जाता ह

उततय- जफ फाजाय भ कऩट औय शोरण फढ़न रग खयीददाय अऩनी ऩचधचॊग ऩािय क घभॊड भ हदखाि क सरए खयीददायी कय | भनरषमो भ ऩयसऩय बाईचाया सभापत हो जाए| खयीददाय औय दकानदाय एक दसय को ठगन की घात भ रग यह एक की हानन भ दसय को अऩना राब हदखाई द तो फाजाय का अथयशासतर अनीनतशासतर फन जाता ह ऐस फाजाय भानिता क सरए विडॊफना ह

परशन६-बगतजी फाजाय औय सभाज को ककस परकाय साथटकता परदान कय यह ह

उततय- बगतजी क भन भ साॊसारयक आकरयणो क सरए कोई तरषणा नहीॊ ह ि सॊचम रारच औय हदखाि स दय यहत ह फाजाय औय वमाऩाय उनक सरए आिशमकताओॊ की ऩनत य का साधन भातर ह बगतजी क भन का सॊतोर औय ननसऩह बाि उनको शररषठ उऩबोकता औय विकरता फनात ह

परशन ७ _ बगत जी क वमजकततव क सशकत ऩहरओॊ का उलरख कीजजए |

उततय-ननमनाॊककत बफॊद उनक वमनदकतति क सशकत ऩहर को उजागय कयत ह

ऩॊसायी की दकान स किर अऩनी जरयत का साभान (जीया औय नभक) खयीदना नननदशचत सभम ऩय चयन फचन क सरए ननकरना छह आन की कभाई होत ही चयन फचना फॊद कय दना फच हए चयन को फचचो को भफ़त फाॉट दना

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सबी काजम-जम याभ कहकय सिागत कयना फाजाय की चभक-दभक स आकवरयत न होना सभाज को सॊतोरी जीिन की सशा दना

परशन7-फाजाय की साथटकता ककसभ ह

उततय- भनरषम की आिशमकताओॊ की ऩनतय कयन भ ही फाजाय की साथयकता ह जो गराहक अऩनी आिशमकताओॊ की चीज खयीदत ह ि फाजाय को साथयकता परदान कयत ह जो विकरता गराहको का शोरण नहीॊ कयत औय छर-कऩट स गराहको को रबान का परमास नही कयत ि बी फाजाय को साथयक फनात ह

गदमाॊश-आधारयत अथटगरहण-सॊफॊधधत परशनोततय

फाजाय भ एक जाद ह िह जाद आॉख की तयह काभ कयता ह िह रऩ का जाद ह ऩय जस चॊफक का जाद रोह ऩय ही चरता ह िस ही इस जाद की बी भमायदा ह जफ बयी हो औय भन खारी हो ऐसी हारत भ जाद का असय खफ होता ह जफ खारी ऩय भन बया न हो तो बी जाद चर जाएगा भन खारी ह तो फाजाय की अनकानक चीजो का ननभॊतरण उस तक ऩहॉच जाएगा कहीॊ हई उस िकत जफ बयी तफ तो कपय िह भन ककसकी भानन िारा ह भारभ होता ह मह बी रॉ िह बी रॉ सबी साभान जरयी औय आयाभ को फढ़ान िारा भारभ होता ह ऩय मह सफ जाद का असय ह जाद की सिायी उतयी कक ऩता चरता ह कक प सी-चीजो की फहतामत आयाभ भ भदद नहीॊ दती फनदलक खरर ही डारती ह थोड़ी दय को सिासबभान को जरय सक सभर जाता ह ऩय इसस असबभान को धगलटी की खयाक ही सभरती ह जकड़ यशभी डोयी की हो तो यशभ क सऩशय क भरामभ क कायण कमा िह कभ जकड़ दगी

ऩय उस जाद की जकड़ स फचन का एक सीधा उऩाम ह िह मह कक फाजाय जाओ तो खारी भन न हो भन खारी हो तफ फाजाय न जाओ कहत ह र भ जाना हो तो ऩानी ऩीकय जाना चाहहए ऩानी बीतय हो र का रऩन वमथय हो जाता ह भन रकषम स बया हो तो फाजाय परा का परा ही यह जाएगा तफ िह घाि बफरकर नहीॊ द सकगा फनदलक कछ आनॊद ही दगा तफ फाजाय तभस कताथय होगा कमोकक तभ कछ न कछ सचचा राब उस दोग फाजाय की असरी कताथयता ह आिशमकता क सभम काभ आना

परशन-1 फाजाय क जाद को रखक न कस सऩषट ककमा ह

उततय- फाजाय क रऩ का जाद आॉखो की याह स काभ कयता हआ हभ आकवरयत कयता ह फाजाय का जाद ऐस चरता ह जस रोह क ऊऩय चॊफक का जाद चरता ह चभचभाती योशनी भ सजी

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प सी चीॊज गराहक को अऩनी ओय आकवरयत कयती ह| इसी चमफकीम शनदकत क कायण वमनदकत कपजर साभान को बी खयीद रता ह |

परशन-2 जफ बयी हो औय भन खारी तो हभायी कमा दशा होती ह

उततय- जफ बयी हो औय भन खारी हो तो हभाय ऊऩय फाजाय का जाद खफ असय कयता ह भन खारी ह तो फाजाय की अनकानक चीजो का ननभॊतरण भन तक ऩहॉच जाता ह औय उस सभम महद जफ बयी हो तो भन हभाय ननमॊतरण भ नहीॊ यहता

परशन-3 प सी चीजो की फहतामत का कमा ऩरयणाभ होता ह

उततय- प सी चीज आयाभ की जगह आयाभ भ वमिधान ही डारती ह थोड़ी दय को असबभान को जरय सक सभर जाती ह ऩय हदखाि की परिनदतत भ िवदध होती ह

परशन-4 जाद की जकड़ स फचन का कमा उऩाम ह

उततय- जाद की जकड़ स फचन क सरए एक ही उऩाम ह िह मह ह कक फाजाय जाओ तो भन खारी न हो भन खारी हो तो फाजाय भत जाओ

13 कार भघा ऩानी द

रखक-धभटवीय बायती

ऩाि का सायाॊश -lsquoकार भघा ऩानी दrsquo ननफॊध रोकजीिन क विशिास औय विऻान क तकय ऩय आधारयत ह जफ बीरण गभी क कायण वमाकर रोग िराय कयान क सरए ऩजा-ऩाठ औय कथा-विधान कय थकndashहाय जात ह तफ िराय कयान क सरए अॊनतभ उऩाम क रऩ भ इनददय सना ननकरती ह| इनददय सना नॊग-धड़ॊग फचचो की टोरी ह जो कीचड़ भ रथऩथ होकय गरी-भोहलर भ ऩानी भाॉगन ननकरती ह| रोग अऩन घय की छतो-णखड़ककमो स इनददय सना ऩय ऩानी डारत ह | रोगो की भानदमता ह कक इनददर फादरो क सिाभी औय िराय क दिता ह| इनददर की सना ऩय ऩानी डारन स इनददर बगिान परसनदन होकय ऩानी फयसाएॊग | रखक का तकय ह कक जफ ऩानी की इतनी कभी ह तो रोग भनदशकर स जभा ककए ऩानी को फालटी बय-बयकय इनददय सना ऩय डारकय ऩानी को कमो फफायद कयत ह आमयसभाजी विचायधाया िारा रखक इस अॊधविशिास भानता ह | इसक विऩयीत रखक की जीजी उस सभझाती ह कक मह ऩानी की फफायदी नहीॊ फनदलक ऩानी की फिाई ह | कछ ऩान क सरए कछ दना ऩड़ता ह | तमाग क बफना दान नहीॊ होता| परसतत ननफॊध भ रखक न भरषटाचाय की सभसमा को उठात हए कहा ह कक जीिन भ कछ ऩान क सरए तमाग आिशमक ह जो रोग तमाग औय दान की भहतता को नहीॊ भानत ि ही भरषटाचाय भ सरपत यहकय दश औय सभाज को रटत ह| जीजी की आसथा बािनातभक सचचाई को ऩरषट कयती ह औय तकय किर िऻाननक तथम को सतम भानता ह जहाॉ तकय मथाथय क

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कठोय धयातर ऩय सचचाई को ऩयखता ह तो िहीॊ आसथा अनहोनी फात को बी सिीकाय कय भन को सॊसकारयत कयती ह बायत की सितॊतरता क ५० सार फाद बी दश भ वमापत बरषटाचाय औय सिाथय की बािना को दखकय रखक दखी ह | सयकाय दिाया चराई जा यही मोजनाएॉ गयीफो तक कमो नहीॊ ऩहॉच ऩा यहीॊ ह कार भघा क दर उभड़ यह ह ऩय आज बी गयीफ की गगयी पटी हई कमो ह रखक न मह परशन ऩाठको क सरए छोड़ हदमा ह |

परशन1-इनदय सना घय-घय जाकय ऩानी कमो भाॉगती थी

उततय- गाॉि क रोग फारयश क सरए बगिान इॊदर स पराथयना ककमा कयत थ जफ ऩजा-ऩाठवरत आहद उऩाम असिर हो जात थ तो बगिान इॊदर को परसनदन कयन क सरए गाॉि क ककशोय फचच कीचड़ भ रथऩथ होकय गरी-गरी घभकय रोगो स ऩानी भाॉगत थ

परशन2-इनदयसना को रखक भढक-भॊिरी कमो कहता ह जीजी क फायndashफाय कहन ऩय बी वह इनदयसना ऩय ऩानी प कन को याजी कमो नहीॊ होता

उततय- इनददयसना का कामय आमयसभाजी विचायधाया िार रखक को अॊधविशिास रगता ह उसका भानना ह कक महद इॊदयसना दिता स ऩानी हदरिा सकती ह तो सिमॊ अऩन सरए ऩानी कमो नहीॊ भाॉग रती ऩानी की कभी होन ऩय बी रोग घय भ एकतर ककम हए ऩानी को इॊदयसना ऩय ि कत ह रखक इस ऩानी की ननभयभ फयफादी भानता ह

परशन3- रि हए रखक को जीजी न ककस परकाय सभझामा

उततय- जीजी न रखक को पमाय स रडड-भठयी णखरात हए ननमन तकय हदए-

1- तमाग का भहततव- कछ ऩान क सरए कछ दना ऩड़ता ह 2- दान की भहतता- कवर-भननमो न दान को सफस ऊॉ चा सथान हदमा ह जो चीज अऩन

ऩास बी कभ हो औय अऩनी आिशमकता को बरकय िह चीज दसयो को दान कय दना ही तमाग ह |

3- इॊिदव को जर का अधमट चिाना- इॊदयसना ऩय ऩानी ि कना ऩानी की फयफादी नहीॊ फनदलक इॊदरदि को जर का अधमय चढ़ाना ह

4- ऩानी की फवाई कयना- नदजस परकाय ककसान िसर उगान क सरए जभीन ऩय फीज डारकय फिाई कयता ह िस ही ऩानी िार फादरो की िसर ऩान क सरए इनददय सना ऩय ऩानी डार कय ऩानी की फिाई की जाती ह

परशन4-नठदमो का बायतीम साभाजजक औय साॊसकनतक ऩरयवश भ कमा भहतव ह

उततय- गॊगा बायतीम सभाज भ सफस ऩजम सदानीया नदी ह नदजसका बायतीम इनतहास भ धासभयक ऩौयाणणक औय साॊसकनतक भहति ह | िह बायतीमो क सरए किर एक नदी नहीॊ अवऩत

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भाॉ ह सिगय की सीढ़ी ह भोदानमनी ह उसभ ऩानी नहीॊ अवऩत अभत तलम जर फहता ह बायतीम सॊसकनत भ नहदमो क ककनाय भानि सभमताएॉ परी-परी ह| फड़-फड़ नगय तीथयसथान नहदमो क ककनाय ही नदसथत ह ऐस ऩरयिश भबायतिासी सफस ऩहर गॊगा भमा की जम ही फोरग नहदमाॉ हभाय जीिन का आधाय ह हभाया दश कवर परधान ह नहदमो क जर स ही बायत बसभ हयी-बयी ह नहदमो क बफना जीिन की कलऩना नहीॊ कय सकत मही कायण ह कक हभ बायतीम नहदमो की ऩजा कयत ह |

परशन4-आजादी क ऩचास वषो क फाद बी रखक कमो दखी ह उसक भन भ कौन स परशन उि यह ह

उततय- आजादी क ऩचास िरो फाद बी बायतीमो की सोच भ सकायातभक फदराि न दखकय रखक दखी ह उसक भन भ कई परशन उठ यह ह-

1 कमा हभ सचच अथो भ सितनदतर ह 2 कमा हभ अऩन दश की सॊसकनत औय सभमता को सभझ ऩाए ह 3 यारषर ननभायण भ हभ ऩीछ कमो ह हभ दश क सरए कमा कय यह ह

4 हभ सिाथय औय भरषटाचाय भ सरपत यहत ह तमाग भ विशिास कमो नहीॊ कयत

5 सयकाय दिाया चराई जा यही सधायिादी मोजनाएॉ गयीफो तक कमो नहीॊ ऩहॉचती ह

गदमाॊश ऩय आधारयत अथटगरहण-सॊफॊधधत परशनोततय

सचभच ऐस हदन होत जफ गरी-भहलरा गाॉि-शहय हय जगह रोग गयभी भ बन-बन कय तराहहभाभ कय यह होत जठ क दसतऩा फीतकय आराढ का ऩहरा ऩखिाड़ा फीत चका होता ऩय कषनतज ऩय कहीॊ फादरो की यख बी नहीॊ दीखती होती कएॉ सखन रगत नरो भ एक तो फहत कभ ऩानी आता औय आता बी तो आधी यात को िो बी खौरता हआ ऩानी हो | शहयो की तरना भ गाॉि भ औय बी हारत खयाफ थी| जहाॉ जताई होनी चाहहए थी िहाॉ खतो की सभटटी सखकय ऩतथय हो जाती कपय उसभ ऩऩड़ी ऩड़कय जभीन पटन रगती र ऐसी कक चरत-चरत आदभी धगय ऩड़ | ढोय-डॊगय पमास क भाय भयन रगत रककन फारयश का कहीॊ नाभ ननशान नहीॊ ऐस भ ऩजा-ऩाठ कथा-विधान सफ कयक रोग जफ हाय जात तफ अॊनतभ उऩाम क रऩ भ ननकरती मह इनददय सना |

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परशन१- वषाट न होन ऩय रोगो की कमा जसथनत हो गमी थी उततय - िराय न होन ऩय गयभी क कायण रोग र रगन स फहोश होन रग | गाॉि-शहय सबी जगह ऩानी का अबाि हो गमा| कएॉ सख गए खतो की सभटटी सखकय ऩतथय क सभान कठोय होकय पट गमी| घयो भ नरो भ ऩानी फहत कभ आता था | ऩश पमास क भाय भयन रग थ | परशन२- वषाट क दवता कौन ह उनको परसनन कयन क लरए कमा उऩाम ककए जात थ उततय -िराय क दिता बगिान इनददर ह| उनको परसनदन कयन क सरए ऩजाndashऩाठ कथा-विधान कयाए जात थ | ताकक इनददर दि परसनदन होकय फादरो की सना बजकय झभाझभ फारयश कयाएॉ औय रोगो क करषट दय हो | परशन३- वषाट कयान क अॊनतभ उऩाम क रऩ भ कमा ककमा जाता था उततय ndashजफ ऩजा-ऩाठ कथा-विधान सफ कयक रोग हाय जात थ तफ अॊनतभ उऩाम क रऩ भ इनददय सना आती थी | नॊग-धडॊग कीचड़ भ रथऩथ lsquoकार भघा ऩानी द ऩानी द गड़धानी दrsquo की टय रगाकय पमास स सखत गरो औय सखत खतो क सरए भघो को ऩकायती हई टोरी फनाकय ननकर ऩड़ती थी| परशन४-आशम सऩषट कय ndash जठ क दसतऩा फीतकय आराढ़ का ऩहरा ऩखिाड़ा फीत चका होता ऩय कषनतज भ कहीॊ फादरो की यख बी नजय नहीॊ आती | आशम- जठ का भहीना ह बीरण गयभी ह| तऩत हए दस हदन फीत कय आराढ का भहीना बी आधा फीत गमा ऩय ऩानी क सरए तड़ऩत िराय की आशा भ आसभान की ओय ताकत रोगो को कहीॊ फादर नजय नहीॊ आ यह |

14 ऩहरवान की ढोरक

फ़णीशवयनाथ यण

ऩाि का सायाॊश ndashआॊचसरक कथाकाय िणीशियनाथ यण की कहानी ऩहरिान की ढोरक भ कहानी क भखम ऩातर रटटन क भाता-वऩता का दहाॊत उसक फचऩन भ ही हो गमा था | अनाथ रटटन को उसकी विधिा सास न ऩार-ऩोसकय फड़ा ककमा | उसकी सास को गाॉि िार सतात थ |

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रोगो स फदरा रन क सरए कशती क दाॉिऩच सीखकय कसयत कयक रटटन ऩहरिान फन गमा |

एक फाय रटटन शमाभनगय भरा दखन गमा जहाॉ ढोर की आिाज औय कशती क दाॉिऩच दखकय उसन जोश भ आकय नाभी ऩहरिान चाॉदससॊह को चनौती द दी | ढोर की आिाज स परयणा ऩाकय रटटन न दाॉि रगाकय चाॉद ससॊह को ऩटककय हया हदमा औय याज ऩहरिान फन गमा | उसकी खमानत दय-दय तक िर गमी| १५ िरो तक ऩहरिान अजम फना यहा| उसक दो ऩतर थ| रटटन न दोनो फटो को बी ऩहरिानी क गय ससखाए| याजा की भतम क फाद नए याजकभाय न गददी सॊबारी याजकभाय को घोड़ो की यस का शौक था भनजय न नम याजा को बड़कामा ऩहरिान औय उसक दोनो फटो क बोजनखचय को बमानक औय किजरखचय फतामा िरसिरऩ नए याजा न कशती को फॊद कयिा हदमा औय ऩहरिान रटटनससॊह को उसक दोनो फटो क साथ भहर स ननकार हदमा

याजदयफाय स ननकार हदए जान क फाद रटटन ससॊह अऩन दोनो फटो क साथ गाॉि भ झोऩड़ी फनाकय यहन रगा औय गाॉि क रड़को को कशती ससखान रगा| रटटन का सकर जमादा हदन नहीॊ चरा औय जीविकोऩाजयन क सरए उसक दोनो फटो को भजदयी कयनी ऩड़ी| इसी दौयान गाॉि भ अकार औय भहाभायी क कायण परनतहदन राश उठन रगी| ऩहरिान भहाभायी स डय हए रोगो को ढोरक फजाकय फीभायी स रड़न की सॊजीिनी ताकत दता था| एक हदन ऩहरिान क दोनो फट बी भहाभायी की चऩट भ आकय भय गए ऩय उस यात बी ऩहरिान ढोरक फजाकय रोगो को हहमभत फॊधा यहा था | इस घटना क चाय-ऩाॉच हदन फाद ऩहरिान की बी भौत हो जाती ह|

ऩहरिान की ढोरक वमिसथा क फदरन क साथ रोक कराकाय क अपरासॊधगक हो जान की कहानी ह इस कहानी भ रटटन नाभ क ऩहरिान की हहमभत औय नदजजीविरा का िणयन ककमा गमा ह बख औय भहाभायी अजम रटटन की ऩहरिानी को िट ढोर भ फदर दत ह इस करण तरासदी भ ऩहरिान रटटन कई सिार छोड़ जाता ह कक करा का कोई सितॊतर अनदसतति ह मा करा किर वमिसथा की भोहताज ह

परशन1- रटटन को ऩहरवान फनन की परयणा कस लभरी

उततय- रटटन जफ नौ सार का था तो उसक भाता-वऩता का दहाॊत हो गमा था | सौबागम स उसकी शादी हो चकी थी| अनाथ रटटन को उसकी विधिा सास न ऩार-ऩोसकय फड़ा ककमा | उसकी सास को गाॉि िार ऩयशान कयत थ| रोगो स फदरा रन क सरए उसन ऩहरिान फनन की ठानी| धायोरषण दध ऩीकय कसयत कय उसन अऩना फदन गठीरा औय ताकतिय फना सरमा | कशती क दाॉिऩच सीखकय रटटन ऩहरिान फन गमा |

परशन2- यात क बमानक सननाट भ रटटन की ढोरक कमा करयशभा कयती थी

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उततय- यात क बमानक सनदनाट भरटटन की ढोरक भहाभायी स जझत रोगो को हहमभत फॉधाती थी | ढोरक की आिाज स यात की विबीवरका औय सनदनाटा कभ होता था| भहाभायी स ऩीडड़त रोगो की नसो भ बफजरी सी दौड़ जाती थी उनकी आॉखो क साभन दॊगर का दशम साकाय हो जाता था औय ि अऩनी ऩीड़ा बर खशी-खशी भौत को गर रगा रत थ इस परकाय ढोर की आिाज फीभाय-भतपराम गाॉििारो की नसो भ सॊजीिनी शनदकत को बय फीभायी स रड़न की परयणा दती थी

परशन3- रटटन न सवाटधधक ठहमभत कफ ठदखाई

उततय- रटटन ससॊह न सिायधधक हहमभत तफ हदखाई जफ दोनो फटो की भतम ऩय िह योमा नहीॊ फनदलक हहमभत स काभ रकय अकर उनका अॊनतभ सॊसकाय ककमा| मही नहीॊ नदजस हदन ऩहरिान क दोनो फट भहाभायी की चऩट भ आकय भय गए ऩय उस यात को बी ऩहरिान ढोरक फजाकय रोगो को हहमभत फॉधा यहा था| शमाभनगय क दॊगर भ ऩया जनसभदाम चाॉद ससॊह क ऩ भ था चाॉद ससॊह को हयात सभम रटटन न हहमभत हदखाई औय बफना हताश हए दॊगर भ चाॉद ससॊह को धचत कय हदमा |

परशन4- रटटन लसॊह याज ऩहरवान कस फना

उततय- शमाभनगय क याजा कशती क शौकीन थ उनदहोन दॊगर का आमोजन ककमा ऩहरिान रटटन ससॊह बी दॊगर दखन ऩहॉचा चाॊदससॊह नाभक ऩहरिान जो शय क फचच क नाभ स परससदध था कोई बी ऩहरिान उसस सबड़न की हहमभत नहीॊ कयता था चाॉदससॊह अखाड़ भ अकरा गयज यहा था रटटन ससॊह न चाॉदससॊह को चनौती द दी औय चाॉदससॊह स सबड़ गमाढ़ोर की आिाज सनकय रटटन की नस-नस भ जोश बय गमाउसन चाॉदससॊह को चायो खान धचत कय हदमा याजासाहफ न रटटन की िीयता स परबावित होकय उस याजऩहरिान फना हदमा

परशन5- ऩहरवान की अॊनतभ इचछा कमा थी

उततय- ऩहरिान की अॊनतभ इचछा थी कक उस धचता ऩय ऩट क फर सरटामा जाए कमोकक िह नदजॊदगी भ कबी धचत नहीॊ हआ था| उसकी दसयी इचछा थी कक उसकी धचता को आग दत सभम ढोर अिशम फजामा जाए |

परशन6- ढोर की आवाज औय रटटन क भ दाॉिऩच सॊफॊध फताइए-

उततय- ढोर की आिाज औय रटटन क दाॉिऩच भ सॊफॊध -

चट धा धगड़ धाrarr आजा सबड़ जा | चटाक चट धाrarr उठाकय ऩटक द | चट धगड़ धाrarrभत डयना |

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धाक धधना नतयकट नतनाrarr दाॉि काटो फाहय हो जाओ | धधना धधना धधक धधनाrarr धचत कयो

गदमाॊश-आधारयत अथटगरहण-सॊफॊधधत परशनोततय

अॉधयी यात चऩचाऩ आॉस फहा यही थी | ननसतबधता करण सससककमो औय आहो को अऩन रदम भ ही फर ऩियक दफान की चरषटा कय यही थी | आकाश भ ताय चभक यह थ | ऩथिी ऩय कहीॊ परकाश का नाभ नहीॊ| आकाश स टट कय महद कोई बािक ताया ऩथिी ऩय आना बी चाहता तो उसकी जमोनत औय शनदकत यासत भ ही शर हो जाती थी | अनदम ताय उसकी बािकता अथिा असपरता ऩय णखरणखराकय हॉस ऩड़त थ | ससमायो का करॊ दन औय ऩचक की डयािनी आिाज यात की ननसतबधता को बॊग कयती थी | गाॉि की झोऩडडमो स कयाहन औय क कयन की आिाज हय याभ ह बगिान की टय सनाई ऩड़ती थी| फचच बी ननफयर कॊ ठो स भाॉ ndashभाॉ ऩकायकय यो ऩड़त थ |

(क) अॉधयी यात को आॉस फहात हए कमो ठदखामा गमा ह उततयndash गाॉि भ हजा औय भररयमा परा हआ था | भहाभायी की चऩट भ आकाय रोग भय यह थ |चायो ओय भौत का सनाटा छामा था इससरए अॉधयी यात बी चऩचाऩ आॉस फहाती सी परतीत हो यही थी|

(ख) ताय क भाधमभ स रखक कमा कहना चाहता ह उततयndash ताय क भाधमभ स रखक कहना चाहता ह कक अकार औय भहाभायी स तरसत गाॉि िारो की ऩीड़ा को दय कयन िारा कोई नहीॊ था | परकनत बी गाॉि िारो क द ख स दखी थी| आकाश स टट कय महद कोई बािक ताया ऩथिी ऩय आना बी चाहता तो उसकी जमोनत औय शनदकत यासत भ ही शर हो जाती थी |

(ग) यात की ननसतबधता को कौन बॊग कयता था उततयndash ससमायो की चीख-ऩकाय ऩचक की डयािनी आिाज औय कततो का साभहहक रदन सभरकय यात क सनदनाट को बॊग कयत थ |

(घ) झोऩड़ड़मो स कसी आवाज आ यही ह औय कमो उततयndash झोऩडड़मो स योधगमो क कयाहन क कयन औय योन की आिाज आ यही ह कमोकक गाॉि क रोग भररयमा औय हज स ऩीडड़त थ | अकार क कायण अनदन की कभी हो गमी थी| औरधध औय ऩथम न सभरन क कायण रोगो की हारत इतनी फयी थी कक कोई बगिान को ऩकाय रगाता था तो कोई दफयर कॊ ठ स भाॉndashभाॉ ऩकायता था |

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15 चारी चजतरन मानी हभ सफ

रखक-पवषण खय

ऩाि का सायाॊश ndashचारक चनदपरन न हासम कराकाय क रऩ भ ऩयी दननमा क फहत फड़ दशयक िगय को हॉसामा ह | उनकी कपलभो न कपलभ करा को रोकताॊबतरक फनान क साथ-साथ दशको की िगय औय िणय-वमिसथा को बी तोड़ा | चारक न करा भ फवदध की अऩा बािना को भहतति हदमा ह | फचऩन क सॊघरो न चारक क बािी कपलभो की बसभ तमाय कय दी थी| बायतीम करा औय सौदमयशासतर भ करणा का हासम भ ऩरयितयन बायतीम ऩयमऩया भ नहीॊ सभरता रककन चारक एक ऐसा जादई वमनदकतति ह जो हय दश सॊसकनत औय सभमता को अऩना सा रगता ह| बायतीम जनता न बी उनदह सहज बाि स सिीकाय ककमा ह| सिमॊ ऩय हॉसना चारक न ही ससखामा| बायतीम ससनभा जगत क सपरससदध कराकाय याजकऩय को चारक का बायतीमकयण कहा गमा ह | चारक की अधधकाॊश किलभ भक ह इससरए उनदह अधधक भानिीम होना ऩड़ा | ऩाठ भ हासम कपलभो क भहान असबनता lsquoचारक चनदपरनrsquo की जादई विशरताओॊ का उलरख ककमा गमा ह नदजसभ उसन करणा औय हासम भ साभॊजसम सथावऩत कय किलभो को साियबौसभक रऩ परदान ककमा

परशन१ -चारी क जीवन ऩय परबाव िारन वारी भखम घटनाएॉ कौन सी थी

उततय- चारक क जीिन भ दो ऐसी घटनाएॉ घटीॊ नदजनदहोन उनक बािी जीिन ऩय फहत परबाि डारा |

ऩहरी घटना - जफ चारक फीभाय थ उनकी भाॉ उनदह ईसा भसीह की जीिनी ऩढ़कय सना यही थी | ईसा क सरी ऩय चढ़न क परसॊग तक आत-आत भाॉ-फटा दोनो ही योन रग| इस घटना न चारक को सनह करणा औय भानिता जस उचच जीिन भलम हदए |

दसयी घटना हndash फारक चारक कसाईखान क ऩास यहता था| िहाॉ सकड़ो जानियो को योज भाया जाता था| एक हदन एक बड़ िहाॉ स बाग ननकरी| बड़ को ऩकड़न की कोसशश भ कसाई कई फाय कपसरा| नदजस दखकय रोग हॊसन रग ठहाक रगान रग| जफ बड़ को कसाई न ऩकड़ सरमा तो फारक चारक योन रगा| इस घटना न उसक बािी कपलभो भ तरासदी औय हासमोतऩादक ततिो की बसभका तम कय दी |

परशन२ ndash आशम सऩषट कीजजएndash

चजतरन न लसपट कपलभकरा को ही रोकताॊबतरक नही फनामा फजलक दशटको की वगट तथा वणट-वमवसथा को बी तोड़ा|

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उततय- रोकताॊबतरक फनान का अथय ह कक कपलभ करा को सबी क सरए रोकवपरम फनाना औय िगय औय िणय-वमिसथा को तोड़न का आशम ह- सभाज भ परचसरत अभीय-गयीफ िणय जानतधभय क बदबाि को सभापत कयना |चनदपरन का चभतकाय मह ह कक उनदहोन कपलभकरा को बफना ककसी बदबाि क सबी रोगो तक ऩहॉचामा| उनकी कपलभो न सभम बगोर औय सॊसकनतमो की सीभाओॊ को राॉघ कय साियबौसभक रोकवपरमता हाससर की | चारक न मह ससदध कय हदमा कक करा सितनदतर होती ह अऩन ससदधाॊत सिमॊ फनाती ह |

परशन३ndash चारी चजतरन की कपलभो भ ननठहत तरासदीकरणाहासम का साभॊजसम बायतीम करा औय सौदमटशासतर की ऩरयधध भ कमो नहीॊ आता

उततय- चारक चनदपरन की कपलभो भ ननहहत तरासदीकरणाहासम का साभॊजसम बायतीम करा औय सौदमयशासतर की ऩरयधध भ नहीॊ आताकमोकक बायतीम यस-ससदधाॊत भ करणा औय हासम का भर नहीॊ हदखामा जाता कमोकक बायतीम सौदमयशासतर भ करणयस औय हासम यस को ऩयसऩय वियोधी भाना गमा ह अथायत जहाॊ करणा ह िहाॉ हासम नहीॊ हो सकता बायत भ सिमॊ ऩय हॉसन की ऩयॊऩया नहीॊ ह ऩयॊत चारक क ऩातर अऩन ऩय हॉसतndashहॉसात ह चारक की किलभो क दशम हॉसात-हॉसात ररा दत ह तो कबी करण दशम क फाद अचानक ही हॉसन ऩय भजफय कय दत ह

परशन४ndash चारी क कपलभो की पवशषताएॉ फताइए |

उततय- चारक की किलभो भ हासम औय करणा का अदभत साभॊजसम ह उनकी किलभो भ बारा का परमोग फहत कभ ह चारक की किलभो भ फवदध की अऩा बािना का भहतति अधधक ह उनकी किलभो भ साियबौसभकता ह चारक ककसी बी सॊसकनत को विदशी नही रगत चारक सफको अऩन रगत ह चारक न किलभो को रोकताॊबतरक फनामा औय किलभो भ िगय तथािणय-वमिसथा को तोड़ा अऩनी कपलभो भ चारक सदि धचय मिा हदखता ह

गदमाॊश-आधारयत अथटगरहण-सॊफॊधी परशनोततय

गदमाॊश सॊकत ndashचारक चनदपरन मानी हभ सफ (ऩरषठ १२० )

महद मह िरय चनदपरन की कापी कछ कहा जाएगा |

परशन (क)-पवकासशीर दशो भ चजतरन कमो भशहय हो यह ह

उततय - विकासशीर दशो भ जस-जस टरीविजन औय िीडडमो का परसाय हो यहा ह रोगो को उनकी कपलभो को दखन का अिसय सभर यहा ह |एक फहत फड़ा िगय नए ससय स चारक को घड़ी सधायत औय जत खान की कोसशश कयत दख यहा ह इसीसरए चारक विकासशीर दशो भ रोकवपरम हो यह ह |

(ख)- ऩजशचभ भ चारी का ऩनजीवन कस होता यहता ह

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उततय - ऩनदशचभ भ चारक की कपलभो का परदशयन होता यहता ह| उनकी करा स परयणा ऩाकय हासम किलभ फनती यहती ह | उनक दिाया ननबाए ककयदायो की नकर अनदम कराकाय कयत ह | ऩनदशचभ भ चारक का ऩनजीिन होता यहता ह|

(ग)- चारी को रोग फिाऩ तक कमो माद यखग

उततय ndashहासम कराकाय क रऩ भ रोग चारक को फढ़ाऩ तक माद यखग कमोकक उनकी करा सभम बगोर औय सॊसकनतमो की सीभाओॊ को राॉघकय राखो रोगो को हॉसा यही ह|

(घ)- चारी की कपलभो क फाय भ कापी कछ कहा जाना कमो फाी ह

उततय ndashचनदपरन की ऐसी कछ किलभ मा इसतभार न की गमी यीर सभरी ह नदजनक फाय भ कोई नहीॊ जानता था | चारक की बािनापरधान हासम कपलभो न करा क नए परनतभान सथावऩत ककए ह अत चारक की कपलभो क फाय भ अबी कापी कछ कहा जाना फाी ह|

16 नभक

रखखका - यजजमा सजजाद जहीय

सायाॊश -lsquoनभकrsquoबायत-ऩाक विबाजन ऩय सरणखत भासभयक कहानी ह | विसथावऩत हए रोगो भ अऩनndashअऩन जनदभ सथानो क परनत आज बी रगाि ह| धासभयक आधाय ऩय फनी यारषर-याजमो की सीभा-यखाएॉ उनक अॊतभयन को अरग नहीॊ कय ऩाई ह | बायत भ यहन िारी ससख फीिी राहौय को अऩना ितन भानती ह औय बायतीम कसटभ अधधकायी ढाका क नारयमर ऩानी को मादकय उस सियशररषठ फताता ह दोनो दशो क नागरयको क फीच भहबफत का नभकीन सिाद आज बी कामभ ह इसीसरए सकिमा बायत भ यहन िारी अऩनी भॉहफोरी भाॉ ससख फीिी क सरए राहौयी नभक रान क सरए कसटभ औय कानन की ऩयिाह नहीॊ कयती

परशन1- lsquoनभकrsquo ऩाि क आधाय ऩय फताइए कक सकपमा औय उसक बाई क पवचायो भ कमा अॊतय था

उततय- १-सकपमा बािनाओॊ को फहतभहतति दती ह ऩय उसका बाई फौवदधक परिनदतत का ह उसकी दनदरषट भ कानन बािनाओॊ स ऊऩय ह|

२-सकपमा भानिीम सॊफॊधो को फहत भहतति दती ह जफकक उसका बाई अरगाििादी विचायधाया का ह हहसस-फखय की फात कयता ह |

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३-सकपमा का बाई कहता ह कक अदीफो(साहहतमकाय) का हदभाग घभा हआ होता ह जफकक सकपमा जो सिमॊ अदीफ ह उसका भानना ह कक अगय सबी रोगो का हदभाग अदीफो की तयह घभा हआ होता तो दननमा कछ फहतय हो जाती |

परशन२- नभक र जात सभम सकफ़मा क भन भ कमा दपवधा थी

उततय-सकपमा समद भसरभान थी जो हय हार भ अऩना िामदा ननबात ह| ऩाककसतान स राहौयी नभक र जाकय िह अऩना िामदा ऩया कयना चाहती थी ऩयनदत जफ उस ऩता चरा कक कसटभ क ननमभो क अनसाय सीभाऩाय नभक र जाना िनदजयत ह तो िह दविधा भ ऩड़ गई | सकिमा का दिॊदि मह था कक िह अऩनी ससख भाॉ क सरए नभक कसटभ अधधकारयमो को फताकयर जाए मा नछऩाकय|

परशन३- ऩाि क आधाय ऩय सकपमा की चारयबतरक पवशषताएॉ फताइए |

उततय सॊकत ndash

१- बािक २- ईभानदाय ३- दढ़ननशचमी ४- ननडय ५- िामद को ननबान िारी ६- भानिीम भलमो को सिोऩरय भानन िारी साहहतमकाय

परशन ४- lsquoनभकrsquo ऩाि भ आए ककयदायो क भाधमभ स सऩषट कीजजए कक आज बी बायत औय ऩाककसतान की जनता क फीच भहबफत का नभकीन सवाद घरा हआ ह |

उततय ndash बर ही याजनीनतक औय धासभयक आधाय ऩय बायत औय ऩाककसतान को बौगोसरक रऩ स विबानदजत कय हदमा गमा ह रककन दोनो दशो क रोगो क रदम भ आज बी ऩायसऩरयक बाईचाया सौहादरय सनह औय सहानबनत विदमभान ह | याजनीनतक तौय ऩय बर ही सॊफॊध तनािऩणय हो ऩय साभानदजक तौय ऩय आज बी जनता क फीच भहबफत का नभकीन सिाद घरा हआ ह | अभतसय भ यहन िारी ससख फीफी राहौय को अऩना ितन कहती ह औय राहौयी नभक का सिाद नहीॊ बरा ऩाती | ऩाककसतान का कसटभ अधधकायी नभक की ऩडड़मा सकपमा को िाऩस दत हए कहता ह rdquoजाभा भनदसजद की सीहढ़मो को भया सराभ कहना |rdquo बायतीम सीभा ऩय तनात कसटभ अधधकायी ढाका की जभीन को औय िहाॉ क ऩानी क सिाद को नहीॊ बर ऩाता |

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गदमाॊश-आधारयत अथटगरहण सॊफॊधधत परशनोततय

गदमाॊश सॊकत- ऩाठndash नभक (ऩरषठ १३४)

सकपमा कसटभ क जॊगर स दोनो क हाथो भ थी |

(क) सकपमा कसटभ क जॉगर स ननकरकय दसय तरटपाभट ऩय आ गमी व वहीॊ खड़ यहndash इस वाकम भ lsquoवrsquo शबद का परमोग ककसक लरए ककमा गमा ह

उततय- महाॉ lsquoिrsquo शबद का परमोग ऩाककसतानी कसटभ अधधकायी क सरए ककमा गमा ह जो विबाजन स ऩिय हदलरी भ यहत थ औय आज बी हदलरी को ही अऩना ितन भानत ह |

(ख) तरटपाभट ऩय सकपमा को पवदा कयन कौन-कौन आए थ उनहोन सकपमा को कस पवदाई दी

उततय- परटपाभय ऩय सकपमा को विदा कयन उसक फहत साय सभतर सग सॊफॊधी औय बाई आए थ| उनदहोन ठॊडी साॉस बयत हए सबॊच हए होठो क साथ आॉस फहात हए सकपमा को विदाई दी |

(ग) अटायी भ यरगाड़ी भ कमा ऩरयवतटन हए उततय- अटायी भ यरगाड़ी स ऩाककसतानी ऩसरस उतयी औय हहनददसतानी ऩसरस सिाय हो गई|

(घ) कौन सी फात सकपमा की सभझ भ नहीॊ आ यही थी उततय- दोनो ओय एक सी जभीन एक जसा आसभान एक सी बारा एक सा ऩहनािा औय एक सी सयत क रोग कपय बी दोनो क हाथो भ बयी हई फॊदक ह |

17 लशयीष क पर

आचामट हजायी परसाद दपववदी

सायाॊश ndashlsquoआचामय हजायी परसाद दवििदीrsquo सशयीर को अदभत अिधत भानत ह कमोकक सॊनदमासी की बाॉनत िह सख-दख की धचॊता नहीॊ कयता गभी र िराय औय आॉधी भ बी अविचर खड़ा यहता ह सशयीर क िर क भाधमभ स भनरषम की अजम नदजजीविरा धमयशीरता औय कतयवमननरषठ फन यहन क भानिीम भलमो को सथावऩत ककमा गमा हरखक न सशयीर क कोभर परो औय कठोय परो क दिाया सऩरषट ककमा ह कक रदम की कोभरता फचान क सरए कबी-कबी वमिहाय की कठोयता बी आिशमक हो जाती ह| भहान कवि कासरदास औय कफीय बी सशयीर की तयह फऩयिाह अनासकत औय सयस थ तबी उनदहोन इतनी सनददय यचनाएॉ सॊसाय को दीॊ| गाॉधीजी क वमनदकतति भ बी कोभरता औय कठोयता का अदभत सॊगभ था | रखक सोचता ह कक हभाय दश भ जो भाय-काट अनदगनदाह रट-ऩाट खन-खचचय का फिॊडय ह कमा िह दश को नदसथय नहीॊ यहन दगा गराभी अशाॊनत औय वियोधी िाताियण क फीच अऩन ससदधाॊतो की या कयत हए गाॉधीजी जी नदसथय यह सक थ तो दश बी यह सकता ह जीन की परफर असबरारा क कायण

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विरभ ऩरयनदसथतमो भ बी महद सशयीर णखर सकता ह तो हभाया दश बी विरभ ऩरयनदसथनतमो भ नदसथय यह कय विकास कय सकता ह

परशन1-लसदध कीजजए कक लशयीष कारजमी अवधत की बाॉनत जीवन की अजमता क भॊतर का परचाय कयता ह

उततय- सशयीर कारजमी अिधत की बाॉनत जीिन की अजमता क भॊतर का परचाय कयता ह| जफ ऩथिी अनदगन क सभान तऩ यही होती ह िह तफ बी कोभर परो स रदा रहरहाता यहता ह|फाहयी गयभी धऩ िराय आॉधी र उस परबावित नहीॊ कयती इतना ही नहीॊ िह रॊफ सभम तक णखरा यहता ह | सशयीर विऩयीत ऩरयनदसथनतमो भ बी धमयशीर यहन तथा अऩनी अजम नदजजीविरा क साथ ननसऩह बाि स परचॊड गयभी भ बी अविचर खड़ा यहता ह

परशन२-आयगवध (अभरतास) की तरना लशयीष स कमो नहीॊ की जा सकती

उततय- सशयीर क पर बमॊकय गयभी भ णखरत ह औय आराढ़ तक णखरत यहत ह जफकक अभरतास का पर किर ऩनददरह-फीस हदनो क सरए णखरता ह | उसक फाद अभरतास क पर झड़ जात ह औय ऩड़ कपय स ठॉठ का ठॉठ हो जाता ह | अभरतास अलऩजीिी ह | विऩयीत ऩरयनदसथनतमो को झरता हआ ऊरषण िाताियण को हॉसकय झरता हआ सशयीर दीघयजीिी यहता ह | मही कायण ह कक सशयीर की तरना अभरतास स नहीॊ की जा सकती |

परशन३-लशयीष क परो को याजनताओॊ का रऩक कमो ठदमा गमा ह

उततय- सशयीर क पर उन फढ़ ढीठ औय ऩयान याजनताओॊ क परतीक ह जो अऩनी कसी नहीॊ छोड़ना चाहत | अऩनी अधधकाय-सरपसा क सरए नए मिा नताओॊ को आग नहीॊ आन दत | सशयीर क नए परो को जफयदसती ऩयान परो को धककमाना ऩड़ता ह | याजनीनत भ बी नई मिा ऩीढ़ी ऩयानी ऩीढ़ी को हयाकय सिमॊ सतता सॉबार रती ह |

परशन४- कार दवता की भाय स फचन का कमा उऩाम फतामा गमा ह

उततय- कार दिता कक भाय स फचन का अथय हndash भतम स फचना | इसका एकभातर उऩाम मह ह कक भनरषम नदसथय न हो| गनतशीर ऩरयितयनशीर यह | रखक क अनसाय नदजनकी चतना सदा ऊधियभखी (आधमातभ की ओय) यहती ह ि हटक जात ह |

परशन५- गाॉधीजी औय लशयीष की सभानता परकट कीजजए |

उततय- नदजस परकाय सशयीर धचरधचराती धऩ र िराय औय आॉधी भ बी अविचर खड़ा यहता ह अनासकत यहकय अऩन िाताियण स यस खीॊचकय सयस कोभर फना यहता ह उसी परकाय गाॉधी जी न बी अऩनी आॉखो क साभन आजादी क सॊगराभ भ अनदमाम बदबाि औय हहॊसा को झरा |

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उनक कोभर भन भ एक ओय ननयीह जनता क परनत असीभ करणा जागी िहीॊ ि अनदमामी शासन क वियोध भ डटकय खड़ हो गए |

गदमाॊश-आधारयत अथटगरहण सॊफॊधधत परशनोततय

गदमाॊश सॊकत- ऩाठ ndash सशयीर क पर (ऩरषठ १४७)

कासरदास सौदमय क िह इशाया ह |

(क) कालरदास की सौदमटndashदजषट की कमा पवशषता थी उततय-कासरदास की सौदमयndashदनदरषट फहत सकषभ अॊतबदी औय सॊऩणय थी| ि किर फाहयी रऩ-यॊग औय आकाय को ही नहीॊ दखत थ फनदलक अॊतभयन की सॊदयता क बी ऩायखी थ| कासरदास की सौदमय शायीरयक औय भानससक दोनो विशरताओॊ स मकत था |

(ख) अनासजकत का कमा आशम ह उततय- अनासनदकत का आशम ह- वमनदकतगत सख-द ख औय याग-दिर स ऩय यहकय सौदमय क िासतविक भभय को जानना |

(ग) कालरदास ऩॊत औय यवीॊिनाथ टगोय भ कौन सा गण सभान था भहाकवि कासरदास ससभतरानॊदन ऩॊत औय गरदि यिीॊदरनाथ टगोय तीनो नदसथयपरऻ औय अनासकत कवि थ | ि सशयीर क सभान सयस औय भसत अिधत थ |

(घ) यवीॊिनाथ याजोदमान क लसॊहदवाय क फाय भ कमा सॊदश दत ह याजोदमान क फाय भ यिीॊदरनाथ कहत ह याजोदमान का ससॊहदिाय ककतना ही सॊदय औय गगनचमफी कमो ना हो िह अॊनतभ ऩड़ाि नहीॊ ह| उसका सौदमय ककसी औय उचचतभ सौदमय की ओय ककमा गमा सॊकत भातर ह कक असरी सौदमय इस ऩाय कयन क फाद ह अत याजोदमान का ससॊहदिाय हभ आग फढ़न की परयणा दता ह |

18शरभ-पवबाजन औय जानत-परथा

िॉ० बीभयाव अॊफिकय

सायाॊश ndash इस ऩाठ भ रखक न जानतिाद क आधाय ऩय ककए जान िार बदबाि को सभम सभाज क सरए हाननकायक फतामा ह | जानत आधारयत शरभ विबाजन को असिाबाविक औय भानिता वियोधी फतामा गमा ह मह साभानदजक बदबाि को फढ़ाता ह जानतपरथा आधारयत शरभ विबाजन भ वमनदकत की रधच को भहतति नहीॊ हदमा जाता परसिरऩ वििशता क साथ अऩनाए

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Page 4: ISSUED BY KENDRIYA VIDYALAYA - DOWNLOADED FROM … Class XII Hindi Part B.pdfप्रश्न४ :-फादर क / फयन का गयीफ एि धनी िगय क्मा

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सौदमट-फोध-सॊफॊधी परशन

ldquoहॉसत ह छोट ऩौध रघबाय-

शसम अऩाय

हहर हहर

णखर णखर

हाथ हहरात

तझ फरात

विपरि यि स छोट ही ह शोबा ऩात|rdquo

परशन १- ननमन सरणखत परतीको को सऩरषट कीनदजएndash छोट ऩौध सपत अॊकय

उततय - छोट ऩौध- शोवरत िगय सपत अॊकय- आशाएॊ

परशन२- lsquoहॉसत ह छोट ऩौधrsquo-का परतीकाथय सऩरषट कीनदजए |

उततय -परसनदन धचतत ननधयन िगय जो कराॊनत की सॊबािना भातर स णखर उठता ह

परशन३-lsquoछोट ही ह शोबा ऩातrsquo भ ननहहत राणणकता कमा ह

उततय-फचऩन भ भनरषम नननदशचॊत होता ह ननधयन भनरषम उस फचच क सभान ह जो कराॊनत क सभम बी ननबयम होता ह औय अॊतत राबानदनदित होता ह

कपवताndash

फादर याग

पवषम-वसत ऩय आधारयत परशनोततय

परशन१- ऩॊजीऩनतमो की अटटासरकाओॊ को आतॊक बिन कमो कहा गमा ह

उततय -फादरो की गजयना औय भसराधाय िराय भ फड़ -फड़ ऩियत ि घफया जात हउनको उखड़कय धगय जान का बम होता ह |उसी परकाय करानत की हॊकाय स ऩॉजीऩनत घफया उित ह ि

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हदर थाभ कय यह जात हउनदह अऩनी सॊऩजतत एवॊ सतता क नछन जान का बम होता ह | उनकी अटटालरकाएॉ भजफती का भरभ उतऩनदन कयती ह ऩय िासति भ ि अऩन बवनो भ आतॊककत होकय यहत ह|

परशन२- कवि न ककसान का जो शबद-धचतर हदमा ह उस अऩन शबदो भ सरणखए |

उततय - ककसान क जीवन का यस शोषको न चस लरमा ह आशा औय उतसाह की सॊजीवनी सभातत हो चकी ह |शयीय स बी िह दफटर एवॊ खोखरा हो चका ह | कराॊनत का बफगर उसक रदम भ आशा का सॊचाय कयता ह |िह खखरखखरा कय फादर रऩी कराॊनत का सवागत कयता ह |

परशन३- अशनन ऩात कमा ह

उततय- फादर की गजयना क साथ बफजरी धगयन स फड़ ndashफड़ व जर कय याख हो जात ह | उसी परकाय कराॊनत की आॊधी आन स शोषक धनी वगट की सतता सभातत हो जाती ह औय ि खतभ हो जात ह |

परशन४- ऩथिी भ सोम अॊकय ककस आशा स ताक यह ह

उततय - फादर क फयसन स फीज अॊकरयत हो रहरहान रगत ह | अत फादर की गजयन उनभ आशाएॉ उतऩनदन कयती ह | ि ससय ऊॉ चा कय फादर क आन की याह ननहायत ह | ठीक उसी परकाय ननधयन वमनदकत शोषक क अतमाचाय स भजकत ऩान औय अऩन जीिन की खशहारी की आशा भ कराॊनत रऩी फादर की परतीा कयत ह |

परशन५- रदध कोर ह बदध तोर ndashककसक सरए कहा गमा ह औय कमो

उततय - कराॊनत होन ऩय ऩॊजीऩनत िगय का धन नछन जाता हकोष रयकत हो जाता ह | उसक धन की आभद सभातत हो जाती ह | उसका सॊतोष बी अफ lsquoफीत ठदनो की फातrsquo हो जाता ह |

परशन६- अनदसथय सख ऩय द ख की छामा का बाि सऩरषट कीनदजए |

उततय - भानि-जीिन भ सख सदा फना नहीॊ यहता ह उस ऩय द ख की छामा सदा भॊडयाती यहती ह |

परशन७- फादर ककस का परतीक ह

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उततय - फादर इस कविता भ कराॊनत का परतीक ह | नदजस परकाय फादर परकनत ककसान औय आभ आदभी क जीवन भ आनॊद का उऩहाय र कय आता ह उसी परकाय कराॊनत ननधयन शोवरत िगय क जीिन भ सभानता का अधधकाय व सॊऩननता र कय आता ह

परशन८- फादर को जीिन का ऩायािाय कमो कहा गमा ह

उततय - कराॊनत रऩी फादर का आगभन जीवनदामी सखद होता ह -ऩायािाय अथायत सागय | िह जीवन भ खलशमो का खजाना रकय आता ह | ननधटन वगट को सभानता का अधधकाय दता ह |सख सभपदध का कायक फनकय अतमाचाय की अजगन स भकत कयता ह |

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8 कपवतावरी

तरसीदास

साय

शरीयाभजी को सभवऩयत गरनदथ शरीयाभचरयतभानस उततय बायत भ फड़ बनदकतबाि स ऩढ़ा जाता ह रकषभण -भचछाट औय याभ का पवराऩ

यािण ऩतर भघनाद दिाया शनदकत फाण स भनछयत हए रकषभण को दखकय याभ वमाकर हो जात हसरण िदम न सॊजीिनी फटी रान क सरए हनभान को हहभारम ऩियत ऩय बजाआधी यात वमतीत होन ऩय जफ हनभान नहीॊ आएतफ याभ न अऩन छोटबाई रकषभण को उठाकय रदम स रगा सरमा औय साधायण भनरषम की बाॉनत विराऩ कयन रगयाभ फोर ह बाई तभ भझ

कबी दखी नहीॊ दख सकत थतमहाया सिबाि सदा स ही कोभर थातभन भय सरए भाता वऩता को बी छोड़ हदमा औय भय साथ िन भ सदकगभी औय विसबनदन परकाय की विऩयीत ऩरयनदसथनतमो को बी सहा|जस ऩॊख बफना ऩीभणण बफना सऩय औय सॉड बफना शररषठ हाथी अतमॊत दीन हो जात हह बाईमहद भ जीवित यहता हॉ तो भयी दशा बी िसी ही हो जाएगी

भ अऩनी ऩतनी क सरए अऩन वपरम बाई को खोकय कौन सा भॉह रकय अमोधमा जाऊॉ गाइस फदनाभी को बर ही सह रता कक याभ कामय ह औय अऩनी ऩतनी को खो फठा सतरी की हानन विशर नत नहीॊ हऩयनदत बाई को खोना अऩयणीम नत ह

lsquoयाभचरयतभानसrsquo क lsquoरॊका काॊडrsquo स गही रकषभण को शजकत फाण रगन का परसॊग कवि की भासभयक सथरो की ऩहचान का एक शररषठ नभना ह बाई क शोक भ विगसरत याभ का पवराऩ धीय -धीय परराऩ भ फदर जाता ह नदजसभ रकषभण क परनत याभ क अॊतय भ नछऩ परभ क कई कोण सहसा अनाित हो जात हमह परसॊग ईशवय याभ भ भानव सरब गणो का सभनवम कय दता ह | हनभान का सॊजीिनी रकय आ जाना करण यस भ वीय यस का उदम हो जान क सभान ह|

विनम ऩबतरका एक अनदम भहततिऩणय तरसीदासकत कावम ह

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कपवतत औय सवमा

साय

इस शीरयक क अॊतगयत दो कवितत औय एक सिमा सॊकसरत ह lsquoकवितािरीrsquo स अितरयत इन कविततो भ कवि तरसी का पवपवध पवषभताओॊ स गरसत कलरकारतरसी का मगीन मथाथट ह नदजसभ ि कऩार परब याभ व याभयाजम का सवतन यचत ह मग औय उसभ अऩन जीिन का न ससपय उनदह गहया फोध ह फनदलक उसकी असबवमनदकत भ बी ि अऩन सभकारीन कविमो स आग ह महाॉ ऩाठ भ परसतत lsquoकवितािरीrsquo क छॊद इसक परभाण -सिरऩ ह ऩहर छॊद rdquoककसिी ककसान ldquo भ उनदहोन हदखरामा ह कक सॊसाय क अचछ फय सभसत-रीरा परऩॊचो का आधाय-lsquoऩट की आगrsquoका गहन मथाथय ह नदजसका सभाधान ि याभ की बनदकत भ दखत ह दरयदरजन की वमथा दय कयन क सरए याभ रऩी घनशमाभ का आहिान ककमा गमा ह ऩट की आग फझान क लरए याभ रऩी वषाट का जर अननवामट हइसक सरए अननतक कामट कयन की आवशमकता नहीॊ हlsquo इस परकाय उनकी याभ बनदकत ऩट की आग फझान िारी मानी जीवन क मथाथट सॊकटो का सभाधान कयन वारी ह न कक किर आधमानदतभक भनदकत दन िारी| गयीफी की ऩीड़ा यावण क सभान दखदामी हो गई ह

तीसय छॊद )rdquoधत कहौldquo) भ बनदकत की गहनता औय सघनता भ उऩज बकतरदम क आतभपवशवास का सजीव धचतरणह नदजसस सभाज भ वमापत जातऩाॉत औय दयागरहो क -नतयसकाय का साहस ऩदा होता ह इस परकाय बजकत की यचनातभक बलभका का सॊकत महाॉ ह

जो आज क बदबाव भरक मग भ अधधक परासॊधगक ह |

अथट-गरहण-सॊफॊधी परशन

ldquoउहाॉ याभ रनछभनहहॊ ननहायी फोर फचन भनज अनसायी

अधय यानत गइ कवऩ नहहॊ आमउ याभ उठाइ अनज उय रामउ

सकह न दणखत दणख भोहह काऊ फॊध सदा ति भदर सबाऊ

भभ हहत राधग तजह वऩत भाता सहह बफवऩन हहभ आतऩ फाता

सो अनयाग कहाॉ अफ बाई उठह न सनन भभ फच बफकराई

जौ जनतउॉ फन फॊध बफछोह वऩता फचन भनतउॉ नहहॊ ओह

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सत बफत नारय बिन ऩरयिाया होहहॊ जाहहॊ जग फायहहॊ फाया

अस बफचारय नदजमॉ जागह ताता सभरइ न जगत सहोदय भाता

जथा ऩॊख बफन खग अनत दीना भनन बफन पनन करयफय कय हीना

अस भभ नदजिन फॊध बफन तोही जौ जड़ दि नदजआि भोही

जहउॉ अिध किन भह राई नारय हत वपरम बाइ गॉिाई

फर अऩजस सहतउॉ जग भाहीॊ नारय हानन बफसर छनत नाहीॊ

अफ अऩरोक सोक सत तोया सहहहह ननठय कठोय उय भोया

ननज जननी क एक कभाया तात तास तमह परान अधाया

सौऩसस भोहह तमहहह गहह ऩानी सफ बफधध सखद ऩयभ हहत जानी

उतर काह दहउॉ तहह जाई उहठ ककन भोहह ससखािह बाईldquo

परशन१-lsquoफोर फचन भनज अनसायीrsquo- का तातऩमय कमा ह

उततय - बाई क शोक भ विगसरत याभ का पवराऩ धीय- -धीय परराऩ भ फदर जाता ह नदजसभ रकषभण क परनत याभ क अॊतय भ नछऩ परभ क कई कोण सहसा अनाित हो जात ह मह परसॊग ईशवय याभ भ भानव सरब गणो का सभनवम कय दता ह| ि भनरषम की बाॊनत विचसरत हो कय ऐस िचन कहत ह जो भानिीम परकनत को ही शोबा दत ह |

परशन२- याभ न रकषभण क ककन गणो का िणयन ककमा ह

उततय -याभ न रकषभण क इन गणो का िणयन ककमा ह-

रकषभण याभ स फहत सनह कयत ह | उनदहोन बाई क सरए अऩन भाता ndashवऩता का बी तमाग कय हदमा | ि िन भ िराय हहभ धऩ आहद करषटो को सहन कय यह ह | उनका सिबाि फहत भदर ह |ि बाई क द ख को नहीॊ दख सकत |

परशन३- याभ क अनसाय कौन सी िसतओॊ की हानन फड़ी हानन नहीॊ ह औय कमो

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उततय -याभ क अनसाय धन ऩतर एिॊ नायी की हानन फड़ी हानन नहीॊ ह कमोकक म सफ खो जान ऩय ऩन परापत ककम जा सकत ह ऩय एक फाय सग बाई क खो जान ऩय उस ऩन परापत नहीॊ ककमा जा सकता |

परशन४- ऩॊख क बफना ऩी औय सॊड क बफना हाथी की कमा दशा होती ह कावम परसॊग भ इनका उलरख कमो ककमा गमा ह

उततय - याभ विराऩ कयत हए अऩनी बािी नदसथनत का िणयन कय यह ह कक जस ऩॊख क बफना ऩी औय सॊड क बफना हाथी ऩीडड़त हो जाता ह उनका अनदसतति नगणम हो जाता ह िसा ही असहनीम करषट याभ को रकषभण क न होन स होगा |

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सौदमट-फोध-सॊफॊधी परशन

परशन१- कावमाॊश की बारा सौदमय सॊफॊधी दो विशरताओॊ का उललरख कीनदजए|

उततय- १यस -करण यस

२ अरॊकाय - उतपरा अरॊकायndash

भन करणा भॊह फीय यस

जागा ननससचय दणखअ कसाभानहॉ कार दह धरय फसा

दरषटाॊत अरॊकाय - जथा ऩॊख बफन खग अनत दीनाभनन बफन पनन करयफय कय हीना

अस भन नदजिन फॊध बफन तोहीजो जड़ दि नदजआि भोही

वियोधाबास अरॊकाय -फहबफधध सोचत सोच बफभोचन

परशन२- कावमाॊश की बारा का नाभ सरणखए |

उततय - अिधी बारा

परशन३- कावमाॊश भ परमकत छॊद कौन ndashसा ह

उततय- १६१६ भातराओॊ का सभ भाबतरक चौऩाई छॊद |

सौदमट-फोध-सॊफॊधी परशन

ldquoककसफी ककसान-कर फननक सबखायी बाट चाकय चऩर नट चोय चाय चटकी| ऩटको ऩढतगन गढ़त चढ़त धगरय अटत गहन ndashगन अहन अखटकी|

ऊॊ च ndashनीच कयभ धयभ ndashअधयभ करय ऩट ही को ऩचत फचत फटा ndashफटकी |

lsquoतरसीrsquo फझाई एक याभ घनसमाभ ही त आधग फड़िाधगत फड़ी ह आधग ऩटकी|rdquo

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परशन१- कवितािरी ककस बारा भ सरखी गई ह

उततय - बरज बारा

परशन२- कवितािरी भ परमकत छॊद एिॊ यस को सऩरषट कीनदजए |

उततय - इस ऩद भ 31 31 िणो का चाय चयणो िारा सभिणणयक कवितत छॊद ह नदजसभ 16 एिॊ 15 िणो ऩय वियाभ होता ह

परशन३- कवितत भ परमकत अरॊकायो को छाॊट कय सरणखए

१ अनपरास अॊरकायndash

ककसफी ककसान-कर फननक सबखायी बाट

चाकय चऩर नट चोय चाय चटकी|

२ रऩक अरॊकायndash याभndash घनशमाभ

३ अनतशमोनदकत अरॊकायndash आधग फड़िाधग त फडड़ ह आग ऩट की

रकषभण- भचछाट औय याभ का पवराऩ

पवषम-वसत ऩय आधारयत परशनोततय

परशन १-lsquoति परताऩ उय याणख परब भ ककसक परताऩ का उलरख ककमा गमा हrsquoऔय कमो

उततय -इन ऩॉनदकतमो भ बयत क परताऩ का उलरख ककमा गमा ह हनभानजी उनक परताऩ का सभयण कयत हए अमोधमा क ऊऩय स उड़त हए सॊजीिनी र कय रॊका की ओय चर जा यह ह

परशन२- याभ विराऩ भ रकषभण की कौन सी विशरताएॉ उदघहटत हई ह

उततय -रकषभण का भात परभ तमागभम जीिन इन ऩॉनदकतमो क भाधमभ स उदघाहटत हआ ह

परशन३- फोर िचन भनज अनसायी स कवि का कमा तातऩमय ह

उततय -बगिान याभ एक साधायण भनरषम की तयह विराऩ कय यह ह ककसी अितायी भनरषम की तयह नहीॊ भात परभ का धचतरण ककमा गमा हतरसीदास की भानिीम बािो ऩय सशकत ऩकड़ हदिीम वमनदकतति का रीरा रऩ ईशिय याभ को भानिीम बािो स सभनदनदित कय दता ह

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परशन४- बाई क परनत याभ क परभ की परगाढ़ता उनक ककन विचायो स वमकत हई ह

उततय - जथा ऩॊख बफन खग अनत दीना

भनन बफन पनन करयफय कय हीना

अस भभ नदजिन फॊध बफन तोही

जो जड़ दि नदजआि भोही

परशन५- lsquoफहविधध सोचत सोचविभोचनrsquo का वियोधाबास सऩरषट कीनदजए

उततय -दीनजन को शोक स भकत कयन िार बगिान याभ सिमॊ फहत परकाय स सोच भ ऩड़कय दखी हो यह ह

परशन६- हनभान का आगभन करणा भ िीय यस का आना ककस परकाय कहा जा सकता ह

उततय -रदन कयत िानय सभाज भ हनभान उतसाह का सॊचाय कयन िार िीय यस क रऩ भ आ गए करणा की नदी हनभान दिाया सॊजीिनी र आन ऩय भॊगरभमी हो उठती ह

कपवतत औय सवमा

पवषम-वसत ऩय आधारयत परशनोततय

परशन१- ऩट की बख शाॊत कयन क सरए रोग कमा कमा कयत ह

उततय -ऩट की आग फझान क सरए रोग अननतक कामय कयत ह

परशन२- तरसीदास की दनदरषट भ साॊसारयक दखो स ननिनदतत का सिोततभ उऩाम कमा ह

उततय - ऩट की आग फझान क सरए याभ कऩा रऩी िराय का जर अननिामय हइसक सरए अननतक कामय कयन की आिशमकता नहीॊ ह

परशन३- तरसी क मग की सभसमाओॊ का धचतरण कीनदजए

उततय - तरसी क मग भ पराकनतक औय परशासननक िरमम क चरत उतऩनदन ऩीडा दरयदरजन क सरए यािण क सभान दखदामी हो गई ह

परशन४- तरसीदास की बनदकत का कौन सा सिरऩ परसतत कविततो भ असबवमकत हआ ह

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उततय - तरसीदास की बनदकत का दासम बाि सिरऩ परसतत कविततो भ असबवमकत हआ ह

9 रफाइमाॉ

कफ़याक गोयखऩयी

भर नाभndash यघऩनत सहाम कफ़याक

उदय शामयी की रयिामत क विऩयीत कपयाक गोयखऩयी क साहहतम भ रोक जीिन एिॊ परकनत की झरक सभरती ह साभानदजक सॊिदना िमनदकतक अनबनत फन कय उनकी यचनाओॊ भ वमकत हई हजीिन का कठोय मथाथय उनकी यचनाओॊ भ सथान ऩाता हउनदहोन रोक बारा क परतीको का परमोग ककमा ह राणणक परमोग उनकी बारा की विशरता हकियाक की रफाईमो भ घयर हहॊदी का रऩ हदखता ह |

रफाई उदय औय िायसी का एक छॊद मा रखन शरी ह नदजसभ चाय ऩॊनदकतमाॉ होती ह |इसकी ऩहरी दसयी औय चौथी ऩॊनदकत भ तक (काकिमा)सभरामा जाता ह तथा तीसयी ऩॊनदकत सिचछॊद होती ह |

ldquoिो रऩिती भखड़ ऩ इक नभय दभकrdquo

ldquoफचच क घयोद भ जराती ह हदएldquo

ldquoयाफॊधन की सफह यस की ऩतरीrdquo

ldquoबफजरी की तयह चभक यह ह रचछrdquo

ldquoबाई क ह फाॉधती चभकती याखीldquo- जस परमोग उनकी बारा की सशकतता क नभन क तौय ऩय दख जा सकत ह |

साय

रफाइमाॉ

याफॊधन एक भीठा फॊधन ह याफॊधन क कचच धागो ऩय बफजरी क रचछ ह सािन भ याफॊधन आता ह सािन का जो सॊफॊध झीनी घटा स ह घटा का जो सॊफॊध बफजरी स ह िही सॊफॊध बाई का फहन स होता ह

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गज़र

ऩाठ भ कपयाक की एक गज़र बी शासभर ह रफाइमो की तयह ही कपयाक की गजरो भ बी हहॊदी सभाज औय उदय शामयी की ऩयॊऩया बयऩय ह इसका अदभत नभना ह मह गज़र मह गज़र कछ इस तयह फोरती ह कक नदजसभ ददय बी ह एक शामय की ठसक बी ह औय साथ ही ह कावम-सशलऩ की िह ऊॉ चाई जो गज़र की विशरता भानी जाती ह

अथट-गरहण-सॊफॊधी परशन

ldquoआॉगन भ सरए चाॉद क टकड़ को खड़ी

हाथो ऩ झराती ह उस गोद-बयी

यह-यह क हिा भ जो रोका दती ह

गॉज उठती ह णखरणखरात फचच की हॉसीrdquo

परशन१- lsquoचाॉद क टकड़rsquoका परमोग ककसक सरए हआ ह औय कमो

उततय -फचच को चाॉद का टकड़ा कहा गमा ह जो भाॉ क सरए फहत पमाया होता ह

परशन२- गोद-बयी परमोग की विशरता को सऩरषट कीनदजए |

उततय - गोद-बयी शबद-परमोग भाॉ क वातसलमऩणट आनॊठदत उतसाह को परकट कयता ह |मह अतमॊत सॊदय दशम बफॊफ ह | सनी गोद क विऩयीत गोद का बयना भाॉ क लरए असीभ सौबागम का सचक ह |इसी सौबागम का सकषभ अहसास भाॉ को तजतत द यहा ह|

परशन३- रोका दना ककस कहत ह

उततय - जफ भाॉ फचच को फाहो भ रकय हिा भ उछारती ह इस रोका दना कहत ह|छोट फचचो को मह खर फहत अचछा रगता ह

परशन४- फचचा भाॉ की गोद भ कसी परनतककरमा कयता ह

उततय - हिा भ उछारन ( रोका दन) स फचचा भाॉ का िातसलम ऩाकय परसनदन होता ह औय णखरणखरा कय हॉस ऩड़ता हफचच की ककरकारयमाॉ भाॉ क आनॊद को दगना कय दती ह|

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सौदमट-फोध-सॊफॊधी परशन

ldquoनहरा क छरक-छरक ननभयर जर स

उरझ हए गसओॊ भ कॊ घी कयक

ककस पमाय स दखता ह फचचा भॉह को

जफ घटननमो भ रक ह वऩनदहाती कऩड़rdquo

परशन१- परसतत ऩॊनदकतमो क बाि सौदमय को सऩरषट कीनदजए |

उततय - भाॉ न अऩन फचच को ननभयर जर स नहरामा उसक उरझ फारो भ कॊ घी की |भाॉ क सऩशय एिॊ नहान क आनॊद स फचचा परसनदन हो कय फड़ परभ स भाॉ को ननहायता ह| परनतहदन की एक सिाबाविक ककरमा स कस भाॉ-फचच का परभ विकससत होता ह औय परगाढ़ होता चरा जाता ह इस बाि को इस रफाई भ फड़ी सकषभता क साथ परसतत ककमा गमा ह|

परशन२- कावमाॊश भ आए बफॊफो को सऩरषट कीनदजए |

उततय -१ldquoनहरा क छरक-छरक ननभटर जर सrdquo- इस परमोग दिाया कवि न फारक की ननभयरता एिॊ ऩवितरता को जर की ननभयरता क भाधमभ स अॊककत ककमा ह | छरकना शबद जर की ताजा फॊदो का फारक क शयीय ऩय छरछरान का सॊदय दशम बफॊफ परसतत कयता ह |

२ lsquoघटननमो भ रक ह पऩनहाती कऩड़rsquo- इस परमोग भ भाॉ की फचच क परनत सािधानी चॊचर फचच को चोट ऩहॉचाए बफना उस कऩड़ ऩहनान स भाॉ क भातति की कशरता बफॊबफतहोती ह |

३ ldquoककस तमाय स दखता ह फचचा भॉह कोrdquo- ऩॊनदकत भ भाॉ ndashफचच का िातसलम बफॊबफत हआ ह | भाॉ स पमाय ndashदराय सऩशय ndashसख नहराए जान क आनॊद को अनबि कयत हए फचचा भाॉ को पमाय बयी नजयो स दख कय उस सख की असबवमनदकत कय यहा ह |मह सकषभ बाि अतमॊत भनोयभ फन ऩड़ा ह |सॊऩणय रफाई भ दशम बफॊफ ह|

परशन ३-कावमाॊश क शबद-परमोग ऩय हटपऩणी सरणखए |

उततय -गस ndashउदय शबदो का परमोग

घटननमो वऩनदहाती ndash दशज शबदो क भाधमभ स कोभरता की असबवमनदकत

छरक ndashछरक ndashशबद की ऩनयािनदतत स अबी ndashअबी नहराए गए फचच क गीर शयीय का बफॊफ

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आहद विरण परमोग रफाइमो को विसशरषट फना दत ह | हहॊदीउदय औय रोकबारा क अनठ गठफॊधन की झरक नदजस गाॊधीजी हहॊदसतानी क रऩ भ ऩलरवित कयना चाहत थदखन को सभरती ह |

पवषम-वसत ऩय आधारयत परशनोततय

रफाइमाॉ

परशन १ -कावम भ परमकत बफॊफो का िणयन अऩन शबदो भ कीनदजए

उततय -

दशम बफॊफ -फचच को गोद भ रना हिा भ उछारना सनान कयाना घटनो भ रकय कऩड़ ऩहनाना|

शरवमबफॊफ - फचच का णखरणखरा कय हॉस ऩड़ना सऩशय बफॊफ -फचच को सनान कयात हए सऩशय कयना |

परशन २-ldquoआॉगन भ ठनक यहा ह नदज़दमामा ह फारक तो हई चाॉद ऩ ररचामा हrsquo- भ फारक की कौन सी विशरता असबवमकत हई ह

उततय - इन ऩॊनदकतमो भ फारक की हि कयन की पवशषता असबवमकत हई ह फचच जफ नदजद ऩय आ जात ह तो अऩनी इचछा ऩयी कयिान क सरए नाना परकाय की हयकत ककमा कयत ह| नदज़दमामा शबद रोक बाषा का पवरण परमोग ह इसभ फचच का िनकना तनकना ऩाॉव ऩटकना योना आठद सबी ककरमाएॉ शासभर ह |

परशन ३ रचछ ककस कहा गमा ह इनका सॊफॊध ककस तमौहाय स ह

उततय - याखी क चभकीर तायो को रचछ कहा गमा ह याफॊधन क कचच धागो ऩय बफजरी क रचछ ह सािन भ याफॊधन आता ह सािन का जो सॊफॊध झीनी घटा स ह घटा का जो सॊफॊध बफजरी स ह िही सॊफॊध बाई का फहन स होता ह|सािन भ बफजरी की चभक की तयह याखी क चभकीर धागो की सॊदयता दखत ही फनती ह|

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अथट-गरहण-सॊफॊधी परशन

गज़र

कफ़याक गोयखऩयी

ldquoनौयस गॊच ऩॊखडड़मो की नाज़क धगयह खोर ह

मा उड़ जान को यॊगो- फ गरशन भ ऩय तौर ह |rdquo

परशन१- lsquoनौयसrsquo विशरण दिाया कवि ककस अथय की वमॊजना कयना चाहता ह

उततय नौयस अथायत नमा यस गॊच अथायत कसरमो भ नमा ndashनमा यस बय आमा ह |

परशन२- ऩॊखडड़मो की नाज़क धगयह खोरन का कमा असबपराम ह

उततय - यस क बय जान स कसरमाॉ विकससत हो यही ह |धीय-धीय उनकी ऩॊखडड़माॉ अऩनी फॊद गाॉठ खोर यही ह | कवि क शबदो भ नियस ही उनकी फॊद गाॉठ खोर यहा ह|

परशन३- lsquoयॊगो- फ गरशन भ ऩय तौर हrsquo ndash का अथय सऩरषट कीनदजए|

उततय -यॊग औय सगॊध दो ऩी ह जो कसरमो भ फॊद ह तथा उड़ जान क सरए अऩन ऩॊख पड़पड़ा यह ह |मह नदसथनत कसरमो क पर फन जान स ऩिय की ह जो पर फन जान की परतीा भ ह |rsquoऩय तौरनाrsquo एक भहािया ह जो उड़ान की भता आॉकन क सरए परमोग ककमा जाता ह |

परशन४- इस शय का बाि-सौदमय वमकत कीनदजए|

उततय -कसरमो की नई-नई ऩॊखडड़माॉ णखरन रगी ह उनभ स यस भानो टऩकना ही चाहता ह | िमसॊधध(ककशोयी)नानमका क परसपहटत होत सौदमय का परतीकातभक धचतरण अतमॊत सॊदय फन ऩड़ा ह |

सौदमट-फोध-सॊफॊधी परशन

हभ हो मा ककसभत हो हभायी दोनो को इक ही काभ सभरा ककसभत हभ को यो रि ह हभ ककसभत को यो र ह| जो भझको फदनाभ कय ह काश ि इतना सोच सक

भया ऩदाय खोर ह मा अऩना ऩदाय खोर ह | परशन१- इन शयो की बारा सॊफॊधी विशरताएॉ सऩरषट कीनदजए |

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उततय- १ भहाियो का परमोग ndashककसभत का योना ndashननयाशा का परतीक

२सयर असबवमनदकत बारा भ परिाहभमता ह ककसभत औय ऩयदा शबदो की ऩनयािनदततमाॉ

भोहक ह|

३ हहॊदी का घयर रऩ

परशन२- lsquoभया ऩयदा खोर ह मा अऩना ऩयदा खोर ह lsquo- की बावरक विशरता सरणखए |

उततय -भहािय क परमोग दिाया वमॊजनातभक असबवमनदकत | ऩयदा खोरना ndash बद खोरना सचचाई फमान कयना|

परशन३-lsquoहभ हो मा ककसभत हो हभायी lsquo ndashपरमोग की विशरता फताइए |

उततय - हभ औय ककसभत दोनो शबद एक ही वमनदकत अथायत कियाक क सरए परमकत ह | हभ औय ककसभत भ अबद ह मही विशरता ह |

कफ़याक गोयखऩयी

पवषम-वसत ऩय आधारयत परशनोततय

परशन१- ताय आॉख झऩकाि ह ndashका तातऩमय सऩरषट कीनदजए |

उततय- याबतर का सनदनाटा बी कछ कह यहा हइससरए ताय ऩरक झऩका यह ह विमोग की नदसथनत भ परकनत बी सॊिाद कयती परतीत होती ह |

परशन२- lsquoहभ हो मा ककसभत हो हभायीrsquo भ ककस बाि की असबवमनदकत हई ह

उततय- जीिन की विडॊफना ककसभत को योना-भहािय क परमोग स सटीक असबवमनदकत परापत कयती ह कवि जीिन स सॊतरषट नहीॊ ह | बागम स सशकामत का बाि इन ऩॊनदकतमो भ झरकता ह |

परशन३- परभ क ककस ननमभ की असबवमनदकत कवि न की ह

उततय -ईशिय की परानदपत सियसि रटा दन ऩय होती ह परभ क सॊसाय का बी मही ननमभ ह|कवि क शबदो भ rdquo कितयत का कामभ ह तिाज़न आरभ- हसनो ndashइशक भ बी

उसको उतना ही ऩात ह खद को नदजतना खो र ह |rdquo

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१ बाि ndashसामम- कफीय -lsquoसीस उताय बई धय तफ सभसरह कयतायlsquo-अथायत -सिमॊ को खो कय ही परभ परानदपत की जा सकती ह

२ बाि सामम- कफीय ndashनदजन ढॉढा नतन ऩाइमाॉ गहय ऩानी ऩहठ|

भ फऩया फडन डया यहा ककनाय फहठ |

परशन४- शयाफ की भहकपर भ शयाफी को दय यात कमा फात माद आती ह

उततय - शयाफ की भहकपर भ शयाफी को दय यात माद आती ह कक आसभान भ भनरषम क ऩाऩो का रखा-जोखा होता ह जस आधी यात क सभम परयशत रोगो क ऩाऩो क अधमाम खोरत ह िस ही यात क सभम शयाफ ऩीत हए शामय को भहफफा की माद हो आती ह भानो भहफफा परयशतो की तयह ऩाऩ सथर क आस ऩास ही ह

परशन५- सदक कियाकndashndashndashइन ऩॊनदकतमो का अथय सऩरषट कीनदजए |

उततय -सदक कियाकndashndashndashइन ऩॊनदकतमो भ कियाक कहत ह कक उनकी शामयी भ भीय की शामयी की उतकरषटता धिननत हो यही ह

परशन६- ऩॊखडड़मो की नाज़क धगयह खोरना कमा ह

उततय -ऩॉखडड़मो की नाजक धगयह खोरना उनका धीय -धीय विकससत होना ह

िमसॊधध(ककशोयी)नानमका क परसपहटत होत सौदमय की ओय सॊकत ह |

परशन७-lsquoमो उड़ जान को यॊगो फ गरशन भ ऩय तौर हrsquo बाि सऩरषट कीनदजए

उततय -कसरमो की सिास उड़न क सरए भानो ऩय तौर यही होअथायत खशफ का झोका यहndashयह कय उठता ह

परशन८- कवि दिाया िणणयत याबतर क दशम का िणयन अऩन शबदो भ कीनदजए

उततय - याबतर का सनदनाटा बी कछ कह यहा हइससरए ताय ऩरक झऩका यह हरगता ह कक परकनत का कण-कण कछ कह यहा ह |

परशन९- कवि अऩन िमनदकतक अनबि ककन ऩॉनदकतमो भ वमकत कय यहा ह

जीिन की विडॊफना-lsquoककसभत को योनाlsquo भहािय क परमोग स सटीक असबवमनदकत परापत कयती ह

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ldquoहभ हो मा ककसभत हो हभायी दोनो को इक ही काभ सभरा

ककसभत हभ को यो रि ह हभ ककसभत को यो र ह|rdquo

परशन१०- शामय न दननमा क ककस दसतय का िणयन ककमा ह

उततय -शामय न दननमा क इस दसतय का िणयन ककमा ह कक रोग दसयो को फदनाभ कयत ह ऩयॊत ि नहीॊ जानत कक इस तयह ि अऩनी दरषट परकनत को ही उदघाहटत कयत ह

परशन११- परभ की कितयत कवि न ककन शबदो भ असबवमकत की ह

सिमॊ को खो कय ही परभ की परानदपत की जा सकती ह ईशिय की परानदपत सियसि रटा दन ऩय होती ह परभ क सॊसाय का बी मही ननमभ ह

परशन१२- कियाक गोयखऩयी ककस बारा क कवि ह

उततय - उदय बारा

10 छोटा भया खत

उभाशॊकय जोशी

(गजयाती कपव)

उभाशॊकय जोशी फीसिीॊ सदी क गजयाती क भधयनदम कवि सॊसकत िाङभम क विदिान हउनदहोन गजयाती कविता को परकनत स जोड़ाआभ आदभी क जीिन की झरक उनकी यचनाओॊ भ सभरती ह

छोटा भया खत

साय

खती क रऩक दिाया कावम यचनाndash परककरमा को सऩषट ककमा गमा हकावम कनत की यचना फीजndash वऩन स रकय ऩौध क ऩजषऩत होन क पवलबनन चयणो स गजयती हअॊतय किर इतना ह कक कपव कभट की पसर कारजमी शाशित होती हउसका यस-यण अम होता हकागज का ऩनदना नदजस ऩय यचना शबदफदध होती ह कवि को एक चौकोय खत की तयह रगता ह इस खत

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भ ककसी अॉधड़ (आशम बािनातभक आॉधी स होगा) क परबाि स ककसी ण एक फीज फोमा जाता ह मह फीज-यचना विचाय औय असबवमनदकत का हो सकता ह मह भर रऩ कलऩना का सहाया रकय विकससत होता ह औय परककरमा भ सिमॊ विगसरत हो जाता ह उसस शबदो क अॊकय ननकरत ह औय अॊतत कनत एक ऩणय सिरऩ गरहण कयती ह जो कवर-कभय क सरहाज स ऩलरवित -ऩनदरषऩत होन की नदसथनत ह साहहनदतमक कनत स जो अरौककक यस-धाया पटती ह िह ण भ होन िारी योऩाई का ही ऩरयणाभ ह ऩय मह यस-धाया अनॊत कार तक चरन िारी कटाई ह |

फगरो क ऩॊख

साय

फगरो क ऩॊख कविता एक चार बफॊफ की कविता ह सौदमय का अऩकषत परबाि उतऩनदन कयन क सरए कविमो न कई मनदकतमाॉ अऩनाई ह नदजसभ स सफस परचसरत मनदकत ह-सौदमय क वमौयो क धचतरातभक िणयन क साथ अऩन भन ऩय ऩड़न िार उसक परबाि का िणयन औय आतभगत क सॊमोग की मह मनदकत ऩाठक को उस भर सौदमय क कापी ननकट र जाती ह जोशी जी की इस कविता भ ऐसा ही ह कवि कार फादरो स बय आकाश भ ऩॊनदकत फनाकय उड़त सपद फगरो को दखता ह ि कजयाय फादरो भ अटका-सा यह जाता ह िह इस भामा स अऩन को फचान की गहाय रगाता ह कमा मह सौदमय स फाॉधन औय विॊधन की चयभ नदसथनत को वमकत कयन का एक तयीका ह

परकनत का सितॊतर (आरॊफन गत ) धचतरण आधननक कविता की विशरता हधचतरातभक िणयन दिाया कवि न एक ओय कार फादरो ऩय उड़ती फगरो की शित ऩॊनदकत का धचतर अॊककत ककमा ह तो दसयी ओय इस अपरनतभ दशम क रदम ऩय ऩड़न िार परबाि को धचबतरत ककमा हभॊतर भगध कवि इस दशम क परबाि स आतभ विसभनत की नदसथनत तक ऩहॉच जाता हविरम एिॊ विरमीगत सौनददमय क दोनो रऩ कविता भ उदघाहटत हए ह

अथट-गरहण-सॊफॊधी परशन

ldquoछोटा भया खत चौकोना

कागज़ का एक ऩनदना कोई अॊधड़ कहीॊ स आमा

ण का फीज िहाॉ फोमा गमा|

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कलऩना क यसामनो को ऩी

फीज गर गमा ननशर शबद क अॊकय पट

ऩलरि ndashऩरषऩो स नसभत हआ विशर |rdquo

परशन १lsquoछोटा भया खतrsquo ककसका परतीक ह औय कमो

उततय - परशन२ lsquoछोटा भया खतrsquo काग़ज क उस ऩनदन का परतीक ह नदजस ऩय कवि अऩनी कविता सरखता ह

परशन २ कवि खत भ कौनndashसा फीज फोता ह

उततय - कवि खत भ अऩनी कलऩना का फीज फोता ह

परशन ३ कवि की कलऩना स कौन स ऩलरि अॊकरयत होत ह

उततय - कवि की कलऩना स शबद क ऩलरि अॊकरयत होत ह

परशन ४ उऩमयकत ऩद का बाि-सौदमय सऩरषट कीनदजए |

उततय - खती क रऩक दिाया कावम-यचनाndashपरककरमा को सऩषट ककमा गमा हकावम कनत की यचना फीजndash वऩन स रकय ऩौध क ऩजषऩत होन क पवलबनन चयणो स गजयती हअॊतय किर इतना ह कक कपव कभट की पसर कारजमी शाशित होती हउसका यस-यण अम होता ह

सौदमट-फोध-सॊफॊधी परशन

ldquoझभन रग पर

यस अरौककक

अभत धायाएॉ पटतीॊ

योऩाई ण की

कटाई अनॊतता की

रटत यहन स जया बी कभ नहीॊ होती |

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यस का अम ऩातर सदा का

छोटा भया खत चौकोना |rdquo

परशन इस कविता की बारा सॊफॊधी विशरताओॊ ऩय परकाश डासरए ndash

उततय - १ परतीकातभकता

२ राणणकता -

२रऩक अरॊकायndash यस का अम ऩातर सदा का

छोटा भया खत चौकोना

परशन २ यस अरौककक अभत धायाएॉ योऩाई ndash कटाई-परतीको क अथय सऩरषट कीनदजए |

उततय - यस अरौककक ndash कावम यस ननरषऩनदतत

अभत धायाएॉ- कावमानॊद

योऩाई ndash अनबनत को शबदफदध कयना

कटाई ndashयसासिादन

पवषम-वसत ऩय आधारयत परशनोततय

कपवता ndash

छोटा भया खत

परशन १ उभाशॊकय जोशी न ककस बारा भ कविताएॉ सरखी ह

उततय - गजयाती बारा

परशन२ कवरndashकभय एिॊ कविndashकभय भ कमा कमा सभानताएॉ ह

उततय - कवरndashकभय एिॊ कविndashकभय भ ननमनसरणखत सभानताएॉ ह-

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कावम कनत की यचना फीजndash वऩन स रकय ऩौध क ऩजषऩत होन क पवलबनन चयणो स गजयती ह

कपषndashकभट एवॊ कपवndashकभट भ सभानताएॉ -

कागज का ऩनदना नदजस ऩय यचना शबदफदध होती ह कवि को एक चौकोय खतरगता ह इस खत भ ककसी अॉधड़ (आशम बािनातभक आॉधी स होगा) क परबाि स ककसी ण

एक फीज फोमा जाता ह मह फीज-यचना विचाय औय असबवमनदकत का हो सकता ह मह भर रऩ कलऩना का सहाया रकय विकससत होता ह औय परककरमा भ सिमॊ विगसरत

हो जाता ह इसीपरकाय फीज बी खाद ऩानी समय की योशनी हिा आहद रकय विकससत होता ह |

कावम ndashयचना स शबदो क अॊकय ननकरत ह औय अॊतत कनत एक ऩणय सिरऩ गरहण कयती ह जो कवर-कभय क सरहाज स ऩलरवित ndashऩनदरषऩत औय पसरत होन की नदसथनत ह अथट-गरहण-सॊफॊधी परशन

कपवताndash फगरो क ऩॊख

नब भ ऩाॉती- फॉध फगरो क ऩॊख

चयाए सरए जातीॊ ि भयी आॉख |

कजयाय फादरो की छाई नब छामा

हौरndashहौर जाती भझ फाॉध ननज भामा स |

उस कोई तननक योक यकखो |

िह तो चयाए सरए जाती भयी आॉख

नब भ ऩाॉती- फॉधी फगरो की ऩाॉख |

तयती साॉझ की सतज शित कामा|

परशन१- इस कविता भ कवि न ककसका धचतरण ककमा ह

उततय - कवि न कार फादरो ऩय उड़ती फगरो की शित ऩॊनदकत का धचतरण ककमा ह|

परशन२- आॉख चयान का कमा अथय ह

उततय - आॉख चयान का आशम ह ndashधमान ऩयी तयह खीॊच रना एकटक दखना भॊतरभगध कय दना

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परशन३-

ldquoकजयाय फादरो की छाई नब छामा

हौर ndashहौर जाती भझ फाॉध ननज भामा स |rdquo- आशम सऩरषट कीनदजए |

उततय- कार फादरो क फीच साॉझ का सयभई िाताियण फहत सॊदय हदखता ह | ऐसा अपरनतभ सौदमय अऩन आकरयण भ कवि को फाॉध रता ह |

परशन ४ ldquoउस कोई तननक योक यकखो |rsquo- स कवि का कमा असबपराम ह

उततय - फगरो की ऩॊनदकत आकाश भ दय तक उड़ती जा यही ह कवि की भॊतरभगध आॉख उनका ऩीछा कय यही ह | कवि उन फगरो को योक कय यखन की गहाय रगा यहा ह कक कहीॊ ि उसकी आॉख ही अऩन साथ न र जाएॉ |

सौदमट-फोध-सॊफॊधी परशन

परशन १ कविता की बारा सॊफॊधी दो विशरताएॉ सरणखए|

उततय -१ धचतरातभक बारा

२ फोरचार क शबदो का परमोग - हौर ndashहौर ऩाॉती कजयायसाॉझ

परशन २ कविता भ परमकत अरॊकाय चन कय सरणखए |

उततय - अनपरास अरॊकाय - फॉध फगरो क ऩॊख

भानिीकयण अरॊकाय - चयाए सरए जातीॊ ि भयी आॉख |

परशन ३ -lsquo ननज भामाrsquo क राणणक अथय को सऩरषट कीनदजए |

उततय - परकनत का अपरनतभ सौदमय िह भामा ह जो कवि को आतभविबोय कय दती हमह ऩॊनदकत बी परशॊसातभक उनदकत ह

पवषम-वसत ऩय आधारयत परशनोततय

परशन१- lsquoचयाए सरए जाती ि भयी ऑ ॊखrsquo स कवि का कमा तातऩमय ह

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उततय -धचतरातभक िणयन दिाया कवि न एक ओय कार फादरो ऩय उड़ती फगरो की शित ऩॊनदकत का धचतर अॊककत ककमा ह तथा इस अपरनतभ दशम क रदम ऩय ऩड़न िार परबाि को धचबतरत ककमा ह कवि क अनसाय मह दशम उनकी आॉख चयाए सरए जा यहा ह |भॊतर भगध कवि इस दशम क परबाि स आतभ विसभनत की नदसथनत तक ऩहॉच जाता ह

परशन२-कवि ककस भामा स फचन की फात कहता ह

उततय - भामा विशि को अऩन आकरयण भ फाॉध रन क सरए परससदध ह | कफीय न बी lsquoभामा भहा ठधगनी हभ जानीrsquo कहकय भामा की शनदकत को परनतऩाहदत ककमा ह | कार फादरो भ फगरो की सॊदयता अऩना भामा जार परा कय कवि को अऩन िश भ कय यही ह |

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आयोह बाग-२ गदम-बाग

परशन-सॊखमा १०- गदम खॊड भ हदए गए ऩहठत गदमाॊश स अथयगरहण सॊफॊधी चाय परशन ऩछ जाएॉग नदजनक सरए ननधायरयत अॊक (२४=८) ह |

परशन-सॊखमा ११- ऩाठो की विरमिसत स सॊफॊधधत ऩाॉच भ स चाय परशनो क उततय दन ह नदजनक सरए ननधायरयत अॊक (३४=१२) ह|

ऩयीा भ अचछ अॊक परातत कयन क लरए धमान दन मोगम फात ndash

1 रख एिॊ ितयनी की शदधता तथा िाकम-गठन ऩय धमान द | 2 हय ऩाठ का सायऩरषठबसभविरमिसत तथाकथानक को सभझना आिशमक ह |

अतविदमाथी हय ऩाठ का सायाॊश बरीबाॉनत माद कय र | 3 परशनो को धमान स ऩढ़ तदनसाय अऩकषत उततय सरख | 4 उततय सरखत सभम सॊफॊधधत भखम बफॊदओॊ का शीरयकफनात हए उततय सरख मथा-तीन

अॊक क परशनो क उततय सरखत सभम कभ स कभ तीन भखम उततय-बफ ॊदओॊ का उलरख कयत हए उततय सऩरषट कय |

5 अॊक-मोजना क अनसाय ननधायरयत शबद-सीभा क अॊतगयत उततय सरख | ऩयीाथी कई फाय एक अॊक क परशन का उततय फहत रॊफा कई फाय ऩया ऩरषठ सरख दत ह जो सभम औय ऊजाय की फफायदी ह |

6 धमान यह कक अधधक सरखन स अचछ अॊक नहीॊ आत फनदलक सयर-सफोध बारा भ सरख गए सटीक उततय सायगसबयत तथम तथा उदाहयण क दिाया सऩरषट ककए गए उततय परबािशारी होत ह |

ऩाि 11 - बजकतन

रखखका- भहादवी वभाट

ऩाि का सायाॊश- बनदकतन नदजसका िासतविक नाभ रकषभी थारणखका lsquoभहादिी िभायrsquo की सविका ह | फचऩन भ ही बनदकतन की भाॉ की भतम हो गमी| सौतरी भाॉ न ऩाॉच िरय की आम भ वििाह तथा नौ िरय की आम भ गौना कय बनदकतन को ससयार बज हदमा| ससयार भ बनदकतन न तीन फहटमो को जनदभ हदमा नदजस कायण उस सास औय नदजठाननमो की उऩा सहनी ऩड़ती थी| सास औय नदजठाननमाॉ आयाभ पयभाती थी औय बनदकतन तथा उसकी ननदहीॊ फहटमो को घय औय खतो का साया काभ कयना ऩडता था| बनदकतन का ऩनत उस फहत चाहता था| अऩन ऩनत क सनह क फर ऩय बनदकतन न ससयार िारो स अरगौझा कय अऩना अरग घय फसा सरमा औय सख स यहन रगी ऩय बनदकतन का दबायगम अलऩाम भ ही उसक ऩनत की भतम हो गई | ससयार िार

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बनदकतन की दसयी शादी कय उस घय स ननकारकय उसकी सॊऩनदतत हड़ऩन की सानदजश कयन रग| ऐसी ऩरयनदसथनत भ बनदकतन न अऩन कश भॊडा सरए औय सॊनदमाससन फन गई | बनदकतन सिासबभानी सॊघरयशीर कभयठ औय दढ सॊकलऩ िारी सतरी ह जो वऩतसततातभक भानदमताओॊ औय छर-कऩट स बय सभाज भ अऩन औय अऩनी फहटमो क हक की रड़ाई रड़ती हघय गहसथी सॉबारन क सरए अऩनी फड़ी फटी दाभाद को फरा सरमा ऩय दबायगम न महाॉ बी बनदकतन का ऩीछा नहीॊ छोड़ा अचानक उसक दाभाद की बी भतम हो गमी| बनदकतन क जठ-नदजठौत न सानदजश यचकय बनदकतन की विधिा फटी का वििाह जफयदसती अऩन तीतयफाज सार स कय हदमा| ऩॊचामत दिाया कयामा गमा मह सॊफॊध दखदामी यहा | दोनो भाॉ-फटी का भन घय-गहसथी स उचट गमा ननधयनता आ गमी रगान न चका ऩान क कायण जभीॊदाय न बनदकतन को हदन बय धऩ भ खड़ा यखा| अऩभाननत बनदकतन ऩसा कभान क सरए गाॉि छोड़कय शहय आ जाती ह औय भहादिी की सविका फन जाती ह| बनदकतन क भन भ भहादिी क परनत फहत आदय सभऩयण औय असबबािक क सभान अधधकाय बाि ह| िह छामा क सभान भहादिी क साथ यहती ह| िह यात-यात बय जागकय धचतरकायी मा रखन जस कामय भ वमसत अऩनी भारककन की सिा का अिसय ढॉढ रती ह| भहादिी बनदकतन को नहीॊ फदर ऩामी ऩय बनदकतन न भहादिी को फदर हदमा| बनदकतन क हाथ का भोटा-दहाती खाना खात-खात भहादिी का सिाद फदर गमा बनदकतन न भहादिी को दहात क ककसस-कहाननमाॉ ककॊ िदॊनतमाॉ कॊ ठसथ कया दी| सिबाि स भहाकॊ जस होन ऩय बी बनदकतन ऩाई-ऩाई कय जोडी हई १०५ रऩमो की यासश को सहरय भहादिी को सभवऩयत कय दती ह| जर क नाभ स थय-थय काॉऩन िारी बनदकतन अऩनी भारककन क साथ जर जान क सरए फड़ राट साहफ तक स रड़न को बी तमाय हो जाती ह| बनदकतन भहादिी क जीिन ऩय छा जान िारी एक ऐसी सविका ह नदजस रणखका नहीॊ खोना चाहती

ऩाि आधारयत परशनोततय

नोट- उततय भ ननहहत यखाॊककत िाकम भखम सॊकत बफॊद ह |

परशन 1-बजकतन का वासतपवक नाभ कमा था वह अऩन नाभ को कमो छऩाना चाहती थी

उततय-बनदकतन का िासतविक नाभ रकषभी था हहनददओॊ क अनसायरकषभी धन की दिीह चॉकक बनदकतन गयीफ थी| उसक िासतविक नाभ क अथय औय उसक जीिन क मथाथय भ वियोधाबास ह ननधयन बनदकतन सफको अऩना असरी नाभ रकषभी फताकय उऩहास का ऩातर नहीॊ फनना चाहती थी इससरए िह अऩना असरी नाभ छऩाती थी

परशन 2- रखखका न रकषभी का नाभ बजकतन कमो यखा

उततय-घटा हआ ससय गर भ कॊ ठी भारा औय बकतो की तयह सादगीऩणय िशबरा दखकय भहादिी िभाय न रकषभी का नाभ बनदकतन यख हदमा | मह नाभ उसक वमनदकतति स ऩणयत भर खाता था |

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परशन 3-बजकतन क जीवन को ककतन ऩरयचछदो भ पवबाजजत ककमा गमा ह

उततय- बनदकतन क जीिन को चाय बागो भ फाॉटा गमा ह-

ऩहरा ऩरयचछद-बनदकतन का फचऩन भाॉ की भतम विभाता क दिाया बनदकतन का फार-वििाह कया दना

दपवतीम ऩरयचछद-बनदकतन का ििाहहक जीिन सास तथा नदजठाननमो का अनदमामऩणय वमिहाय ऩरयिाय स अरगौझा कय रना

ततीम ऩरयचछद- ऩनत की भतम विधिा क रऩ भ सॊघरयशीर जीिन चतथट ऩरयचछद- भहादिी िभाय की सविका क रऩ भ

परशन 4- बजकतन ऩाि क आधाय ऩय बायतीम गराभीण सभाज भ रड़क-रड़ककमो भ ककम जान वार बदबाव का उलरख कीजजए |

बायतीम गराभीण सभाज भ रड़क-रड़ककमो भ बदबाि ककमा जाता ह| रड़ककमो को खोटा ससकका मा ऩयामा धन भाना जाता ह| बनदकतन न तीन फहटमो को जनदभ हदमा नदजस कायण उस सास औय नदजठाननमो की उऩा सहनी ऩड़ती थी| सास औय नदजठाननमाॉ आयाभ पयभाती थी कमोकक उनदहोन रड़क ऩदा ककए थ औय बनदकतन तथा उसकी ननदहीॊ फहटमो को घय औय खतो का साया काभ कयना ऩडता था| बनदकतन औय उसकी फहटमो को रखा-सखा भोटा अनाज खान को सभरता था जफकक उसकी नदजठाननमाॉ औय उनक कार-करट फट दध-भराई याफ-चािर की दाित उड़ात थ

परशन 5-बजकतन ऩाि क आधाय ऩय ऩॊचामत क नमाम ऩय ठटतऩणी कीजजए |

बनदकतन की फटी क सनददबय भ ऩॊचामत दिाया ककमा गमा नदमाम तकय हीन औय अॊध कानन ऩय आधारयतह | बनदकतन क नदजठौत न सॊऩनदतत क रारच भ रडमॊतर कय बोरी फचची को धोख स जार भ पॊ सामा| ऩॊचामत न ननदोर रड़की की कोई फात नहीॊ सनी औय एक तयिा पसरा दकय उसका वििाह जफयदसती नदजठौत क ननकमभ तीतयफाज सार स कय हदमा | ऩॊचामत क अॊध कानन स दरषटो को राब हआ औय ननदोर को दॊड सभरा |

परशन 6-बजकतन की ऩाक-करा क फाय भ ठटतऩणी कीजजए |

बनदकतन को ठठ दहाती सादा बोजन ऩसॊद था | यसोई भ िह ऩाक छत को फहत भहतति दती थी | सफह-सिय नहा-धोकय चौक की सपाई कयक िह दिाय ऩय कोमर की भोटी यखा खीॊच दती थी| ककसी को यसोईघय भ परिश कयन नहीॊ दती थी| उस अऩन फनाए बोजन ऩय फड़ा असबभान था| िह अऩन फनाए बोजन का नतयसकाय नहीॊ सह सकती थी |

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परशन 7- लसदध कीजजए कक बजकतन तकट -पवतकट कयन भ भाठहय थी |

बनदकतन तकय ऩट थी | कश भॉडान स भना ककए जान ऩय िह शासतरो का हिारा दत हए कहती ह lsquoतीयथ गए भॉडाए ससदधrsquo | घय भ इधय-उधय यख गए ऩसो को िह चऩचाऩ उठा कय छऩा रती ह टोक जानऩय िह िह इस चोयी नही भानती फनदलक िह इस अऩन घय भ ऩड़ ऩसो को सॉबारकय यखना कहती ह| ऩढाई-सरखाई स फचन क सरए बी िह अचक तकय दती ह कक अगय भ बी ऩढ़न रगॉ तो घय का काभ कौन दखगा

परशन 8-बजकतन का दबाटगम बी कभ हिी नही था रखखका न ऐसा कमो कहा ह

उततय- बजकतन का दबाटगम उसका ऩीछा नहीॊ छोड़ता था-

1- फचऩन भ ही भाॉ की भतम 2- विभाता की उऩा 3- बनदकतन(रकषभी) का फारवििाह 4- वऩता का ननधन 5- तीन-तीन फहटमो को जनदभ दन क कायण सास औय नदजठाननमो क दिाया बनदकतन की

उऩा 6- ऩनत की असभम भतम 7- दाभाद का ननधन औय ऩॊचामत क दिाया ननकमभ तीतयफाज मिक स बनदकतन की विधिा

फटी का जफयन वििाह 8- रगान न चका ऩान ऩय जभीॊदाय क दिाया बनदकतन का अऩभान

परशन 9-बजकतन न भहादवी वभाट क जीवन ऩय कस परबापवत ककमा

उततय- बनदकतन क साथ यहकय भहादिी की जीिन-शरी सयर हो गमी ि अऩनी सविधाओॊ की चाह को नछऩान रगीॊ औय असविधाओॊ को सहन रगीॊ बनदकतन न उनदह दहाती बोजन णखराकय उनका सिाद फदर हदमा बनदकतन भातर एक सविका न होकय भहादिी की असबबािक औय आतभीम फन गमीबनदकतन भहादिी क जीिन ऩय छा जान िारी एक ऐसी सविका ह नदजस रणखका नहीॊ खोना चाहती

परशन 10- बजकतन क चरयतर की पवशषताओॊ का उलरख कीजजए

उततय- भहादिी िभाय की सविका बनदकतन क वमनदकतति की विशरताएॊ ननमनाॊककत ह-

सभवऩयत सविका सिासबभानी

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तकय शीरा ऩरयशरभी सॊघरयशीर

परशन 11-बजकतन क दगटणो का उलरख कय

उततय- गणो क साथ-साथ बनदकतन क वमनदकतति भ अनक दगयण बी ननहहत ह-

1 िह घय भ इधय-उधय ऩड़ रऩम-ऩस को बॊडाय घय की भटकी भ छऩा दती ह औय अऩन इस कामय को चोयी नहीॊ भानती

2 भहादिी क करोध स फचन क सरए बनदकतन फात को इधय-उधय कयक फतान को झठ नही भानती अऩनी फात को सही ससदध कयन क सरए िह तकय -वितकय बी कयती ह

3 िह दसयो को अऩनी इचछानसाय फदर दना चाहती ह ऩय सिमॊ बफरकर नही फदरती परशन 12 ननमनाॊककत बाषा-परमोगो का अथट सऩषट कीजजए-

ऩहरी कनमा क दो औय सॊसकयण कय िार- बनदकतन न अऩनी ऩहरी कनदमा क फाद उसक जसी दो औय कनदमाएॉ ऩदा कय दी अथायत बनदकतन क एक क फाद एक तीन फहटमाॉ ऩदा हो गमीॊ |

खोट लसकको की टकसार जसी ऩतनी- आज बी असशकषत गराभीण सभाज भ फहटमो को

खोटा ससकका कहा जाता ह बनदकतन न एक क फाद एक तीन फहटमाॉ ऩदा कय दी इससरए उस खोट ससकक को ढारन िारी भशीन कहा गमा

परशन 13-बजकतन ऩाि भ रखखका न सभाज की ककन सभसमाओॊ का उलरख ककमा ह

उततय- बनदकतन ऩाठ क भाधमभ स रणखका न बायतीम गराभीण सभाज की अनक सभसमाओॊ का उलरख ककमा ह-

1 रड़क-रड़ककमो भ ककमा जान िारा बदबाि 2 विधिाओॊ की सभसमा 3 नदमाम क नाभ ऩय ऩॊचामतो क दिाया नदसतरमो क भानिाधधकाय को कचरना 4 असशा औय अॊधविशिास

गदमाॊश-आधारयत अथटगरहण सॊफॊधधत परशनोततय

ऩरयिाय औय ऩरयनदसथनतमो क कायण सिबाि भ जो विरभताएॉ उतऩनदन हो गई ह उनक बीतय स एक सनह औय सहानबनत की आबा पटती यहती ह इसी स उसक सॊऩकय भ आनिार वमनदकत उसभ जीिन की सहज भासभयकता ही ऩात ह छातरािास की फासरकाओॊ भ स कोई अऩनी चाम

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फनिान क सरए दहरी ऩय फठी यहती ह कोई फाहय खडी भय सरए नाशत को चखकय उसक सिाद की वििचना कयती यहती ह भय फाहय ननकरत ही सफ धचडड़मो क सभान उड़ जाती ह औय बीतय आत ही मथासथान वियाजभान हो जाती ह इनदह आन भ रकािट न हो सॊबित इसी स बनदकतन अऩना दोनो जन का बोजन सिय ही फनाकय ऊऩय क आर भ यख दती ह औय खात सभम चौक का एक कोना धोकय ऩाकndashछत क सनातन ननमभ स सभझौता कय रती ह

भय ऩरयधचतो औय साहहनदतमक फॊधओॊ स बी बनदकतन विशर ऩरयधचत ह ऩय उनक परनत बनदकतन क समभान की भातरा भय परनत उनक समभान की भातरा ऩय ननबयय ह औय सदभाि उनक परनत भय सदभाि स नननदशचत होता ह इस सॊफॊध भ बनदकतन की सहज फवदध विनदसभत कय दन िारी ह

(क) बजकतन का सवबाव ऩरयवाय भ यहकय कसा हो गमा ह

उततय-विरभ ऩरयनदसथनतजनदम उसक उगर हठी औय दयागरही सिबाि क फािजद बनदकतन क बीतय सनह औय सहानबनत की आबा पटती यहती ह उसक सॊऩकय भ आन िार वमनदकत उसभ जीिन की सहज भासभयकता ही ऩात ह

(ख) बजकतन क ऩास छातरावास की छातराएॉ कमो आती ह

उततय- बनदकतन क ऩास कोई छातरा अऩनी चाम फनिान आती ह औय दहरी ऩय फठी यहती ह कोई भहादिी जी क सरए फन नाशत को चखकय उसक सिाद की वििचना कयती यहती ह भहादिी को दखत ही सफ छातराएॉ बाग जाती ह उनक जात ही कपय िाऩस आ जातीॊ ह बनदकतन का सहज-सनह ऩाकय धचडड़मो की तयह चहचहान रगती ह |

(ग) छातराओॊ क आन भ रकावट न िारन क लरए बजकतन न कमा उऩाम ककमा

उततय- छातराओॊ क आन भ रकािट न डारन क सरए बनदकतन न अऩन ऩाक-छत क ननमभ स सभझौता कय सरमा | बनदकतन अऩना दोनो िकत का खाना फनाकय सफह ही आर भ यख दती औय खात सभम चौक का एक कोना धोकय िहाॉ फठकय खा सरमा कयती थी ताकक छातराएॉ बफना योक-टोक क उसक ऩास आ सक

(घ) साठहतमकायो क परनत बजकतन क समभान का कमा भाऩदॊि ह

उततय-बनदकतन भहादिी क साहहनदतमक सभतर क परनत सदभाि यखती थी नदजसक परनत भहादिी सिमॊ सदभाि यखती थी | िह सबी स ऩरयधचत हऩय उनक परनत समभान की भातरा भहादिी जी क समभान की भातरा ऩय ननबयय कयती ह िह एक अदभत ढॊग स जान रती थी कक कौन ककतना समभान कयता ह उसी अनऩात भ उसका परापम उस दती थी

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12 फाजाय-दशटन

रखक- जनि कभाय

ऩाि का सायाॊश फाजाय-दशयन ऩाठ भ फाजायिाद औय उऩबोकतािाद क साथ-साथ अथयनीनत एिॊ दशयन स सॊफॊधधत परशनो को सरझान का परमास ककमा गमा ह फाजाय का जाद तबी असय कयता ह जफ भन खारी हो| फाजाय क जाद को योकन का उऩाम मह ह कक फाजाय जात सभम भन खारी ना हो भन भ रकषम बया हो| फाजाय की असरी कताथयता ह जरयत क िकत काभ आना| फाजाय को िही भनरषम राब द सकता ह जो िासति भ अऩनी आिशमकता क अनसाय खयीदना चाहता ह| जो रोग अऩन ऩसो क घभॊड भ अऩनी ऩचनदजॊग ऩािय को हदखान क सरए चीज खयीदत ह ि फाजाय को शतानी वमॊगम शनदकत दत ह| ऐस रोग फाजारऩन औय कऩट फढात ह | ऩस की मह वमॊगम शनदकत वमनदकत को अऩन सग रोगो क परनत बी कतघन फना सकती ह | साधायण जन का रदम रारसा ईरषमाय औय तरषणा स जरन रगता ह | दसयी ओय ऐसा वमनदकत नदजसक भन भ रश भातर बी रोब औय तरषणा नहीॊ ह सॊचम की इचछा नहीॊ ह िह इस वमॊगम-शनदकत स फचा यहता ह | बगतजी ऐस ही आतभफर क धनी आदशय गराहक औय फचक ह नदजन ऩय ऩस की वमॊगम-शनदकत का कोई असय नहीॊ होता | अनक उदाहयणो क दिाया रखक न मह सऩरषट ककमा ह कक एक ओय फाजाय रारची असॊतोरी औय खोखर भन िार वमनदकतमो को रटन क सरए ह िहीॊ दसयी ओय सॊतोरी भन िारो क सरए फाजाय की चभक-दभक उसका आकरयण कोई भहतति नहीॊ यखता

परशन१ - ऩचजजॊग ऩावय ककस कहा गमा ह फाजाय ऩय इसका कमा परबाव ऩड़ता ह

उततय- ऩचनदजॊग ऩािय का अथय ह खयीदन की शनदकत ऩचनदजॊग ऩािय क घभॊड भ वमनदकत हदखाि क सरए आिशमकता स अधधक खयीदायीकयता ह औय फाजाय को शतानी वमॊगम-शनदकत दता ह ऐस रोग फाजाय का फाजारऩन फढ़ात ह

परशन२ -रखक न फाजाय का जाद ककस कहा ह इसका कमा परबाव ऩड़ता ह

उततय- फाजाय की चभक-दभक क चॊफकीम आकरयण को फाजाय का जाद कहा गमा ह मह जाद आॊखो की याह कामय कयता ह फाजाय क इसी आकरयण क कायण गराहक सजी-धजी चीजो को आिशमकता न होन ऩय बी खयीदन को वििश हो जात ह

परशन३ -आशम सऩषट कय

भन खारी होना भन बया होना भन फॊद होना

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उततय-भन खारी होना- भन भ कोई नननदशचत िसत खयीदन का रकषम न होना ननरददशम फाजाय जाना औय वमथय की चीजो को खयीदकय राना

भन बया होना- भन रकषम स बया होना नदजसका भन बया हो िह बरीबाॉनत जानता ह कक उस फाजाय स कौन सी िसत खयीदनी ह अऩनी आिशमकता की चीज खयीदकय िह फाजाय को साथयकता परदान कयता ह

भन फॊद होना-भन भ ककसी बी परकाय की इचछा न होना अथायत अऩन भन को शनदम कय दना

परशन४ - lsquoजहाॉ तषणा ह फटोय यखन की सऩहा ह वहाॉ उस फर का फीज नहीॊ हrsquo महाॊ ककस फर की चचाट की गमी ह

उततय- रखक न सॊतोरी सिबाि क वमनदकत क आतभफरकी चचाय की ह दसय शबदो भ महद भन भ सॊतोर हो तो वमनदकत हदखाि औय ईरषमाय की बािना स दय यहता ह उसभ सॊचम कयन की परिनदतत नहीॊ होती

परशन५ - अथटशासतर अनीनतशासतर कफ फन जाता ह

उततय- जफ फाजाय भ कऩट औय शोरण फढ़न रग खयीददाय अऩनी ऩचधचॊग ऩािय क घभॊड भ हदखाि क सरए खयीददायी कय | भनरषमो भ ऩयसऩय बाईचाया सभापत हो जाए| खयीददाय औय दकानदाय एक दसय को ठगन की घात भ रग यह एक की हानन भ दसय को अऩना राब हदखाई द तो फाजाय का अथयशासतर अनीनतशासतर फन जाता ह ऐस फाजाय भानिता क सरए विडॊफना ह

परशन६-बगतजी फाजाय औय सभाज को ककस परकाय साथटकता परदान कय यह ह

उततय- बगतजी क भन भ साॊसारयक आकरयणो क सरए कोई तरषणा नहीॊ ह ि सॊचम रारच औय हदखाि स दय यहत ह फाजाय औय वमाऩाय उनक सरए आिशमकताओॊ की ऩनत य का साधन भातर ह बगतजी क भन का सॊतोर औय ननसऩह बाि उनको शररषठ उऩबोकता औय विकरता फनात ह

परशन ७ _ बगत जी क वमजकततव क सशकत ऩहरओॊ का उलरख कीजजए |

उततय-ननमनाॊककत बफॊद उनक वमनदकतति क सशकत ऩहर को उजागय कयत ह

ऩॊसायी की दकान स किर अऩनी जरयत का साभान (जीया औय नभक) खयीदना नननदशचत सभम ऩय चयन फचन क सरए ननकरना छह आन की कभाई होत ही चयन फचना फॊद कय दना फच हए चयन को फचचो को भफ़त फाॉट दना

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सबी काजम-जम याभ कहकय सिागत कयना फाजाय की चभक-दभक स आकवरयत न होना सभाज को सॊतोरी जीिन की सशा दना

परशन7-फाजाय की साथटकता ककसभ ह

उततय- भनरषम की आिशमकताओॊ की ऩनतय कयन भ ही फाजाय की साथयकता ह जो गराहक अऩनी आिशमकताओॊ की चीज खयीदत ह ि फाजाय को साथयकता परदान कयत ह जो विकरता गराहको का शोरण नहीॊ कयत औय छर-कऩट स गराहको को रबान का परमास नही कयत ि बी फाजाय को साथयक फनात ह

गदमाॊश-आधारयत अथटगरहण-सॊफॊधधत परशनोततय

फाजाय भ एक जाद ह िह जाद आॉख की तयह काभ कयता ह िह रऩ का जाद ह ऩय जस चॊफक का जाद रोह ऩय ही चरता ह िस ही इस जाद की बी भमायदा ह जफ बयी हो औय भन खारी हो ऐसी हारत भ जाद का असय खफ होता ह जफ खारी ऩय भन बया न हो तो बी जाद चर जाएगा भन खारी ह तो फाजाय की अनकानक चीजो का ननभॊतरण उस तक ऩहॉच जाएगा कहीॊ हई उस िकत जफ बयी तफ तो कपय िह भन ककसकी भानन िारा ह भारभ होता ह मह बी रॉ िह बी रॉ सबी साभान जरयी औय आयाभ को फढ़ान िारा भारभ होता ह ऩय मह सफ जाद का असय ह जाद की सिायी उतयी कक ऩता चरता ह कक प सी-चीजो की फहतामत आयाभ भ भदद नहीॊ दती फनदलक खरर ही डारती ह थोड़ी दय को सिासबभान को जरय सक सभर जाता ह ऩय इसस असबभान को धगलटी की खयाक ही सभरती ह जकड़ यशभी डोयी की हो तो यशभ क सऩशय क भरामभ क कायण कमा िह कभ जकड़ दगी

ऩय उस जाद की जकड़ स फचन का एक सीधा उऩाम ह िह मह कक फाजाय जाओ तो खारी भन न हो भन खारी हो तफ फाजाय न जाओ कहत ह र भ जाना हो तो ऩानी ऩीकय जाना चाहहए ऩानी बीतय हो र का रऩन वमथय हो जाता ह भन रकषम स बया हो तो फाजाय परा का परा ही यह जाएगा तफ िह घाि बफरकर नहीॊ द सकगा फनदलक कछ आनॊद ही दगा तफ फाजाय तभस कताथय होगा कमोकक तभ कछ न कछ सचचा राब उस दोग फाजाय की असरी कताथयता ह आिशमकता क सभम काभ आना

परशन-1 फाजाय क जाद को रखक न कस सऩषट ककमा ह

उततय- फाजाय क रऩ का जाद आॉखो की याह स काभ कयता हआ हभ आकवरयत कयता ह फाजाय का जाद ऐस चरता ह जस रोह क ऊऩय चॊफक का जाद चरता ह चभचभाती योशनी भ सजी

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प सी चीॊज गराहक को अऩनी ओय आकवरयत कयती ह| इसी चमफकीम शनदकत क कायण वमनदकत कपजर साभान को बी खयीद रता ह |

परशन-2 जफ बयी हो औय भन खारी तो हभायी कमा दशा होती ह

उततय- जफ बयी हो औय भन खारी हो तो हभाय ऊऩय फाजाय का जाद खफ असय कयता ह भन खारी ह तो फाजाय की अनकानक चीजो का ननभॊतरण भन तक ऩहॉच जाता ह औय उस सभम महद जफ बयी हो तो भन हभाय ननमॊतरण भ नहीॊ यहता

परशन-3 प सी चीजो की फहतामत का कमा ऩरयणाभ होता ह

उततय- प सी चीज आयाभ की जगह आयाभ भ वमिधान ही डारती ह थोड़ी दय को असबभान को जरय सक सभर जाती ह ऩय हदखाि की परिनदतत भ िवदध होती ह

परशन-4 जाद की जकड़ स फचन का कमा उऩाम ह

उततय- जाद की जकड़ स फचन क सरए एक ही उऩाम ह िह मह ह कक फाजाय जाओ तो भन खारी न हो भन खारी हो तो फाजाय भत जाओ

13 कार भघा ऩानी द

रखक-धभटवीय बायती

ऩाि का सायाॊश -lsquoकार भघा ऩानी दrsquo ननफॊध रोकजीिन क विशिास औय विऻान क तकय ऩय आधारयत ह जफ बीरण गभी क कायण वमाकर रोग िराय कयान क सरए ऩजा-ऩाठ औय कथा-विधान कय थकndashहाय जात ह तफ िराय कयान क सरए अॊनतभ उऩाम क रऩ भ इनददय सना ननकरती ह| इनददय सना नॊग-धड़ॊग फचचो की टोरी ह जो कीचड़ भ रथऩथ होकय गरी-भोहलर भ ऩानी भाॉगन ननकरती ह| रोग अऩन घय की छतो-णखड़ककमो स इनददय सना ऩय ऩानी डारत ह | रोगो की भानदमता ह कक इनददर फादरो क सिाभी औय िराय क दिता ह| इनददर की सना ऩय ऩानी डारन स इनददर बगिान परसनदन होकय ऩानी फयसाएॊग | रखक का तकय ह कक जफ ऩानी की इतनी कभी ह तो रोग भनदशकर स जभा ककए ऩानी को फालटी बय-बयकय इनददय सना ऩय डारकय ऩानी को कमो फफायद कयत ह आमयसभाजी विचायधाया िारा रखक इस अॊधविशिास भानता ह | इसक विऩयीत रखक की जीजी उस सभझाती ह कक मह ऩानी की फफायदी नहीॊ फनदलक ऩानी की फिाई ह | कछ ऩान क सरए कछ दना ऩड़ता ह | तमाग क बफना दान नहीॊ होता| परसतत ननफॊध भ रखक न भरषटाचाय की सभसमा को उठात हए कहा ह कक जीिन भ कछ ऩान क सरए तमाग आिशमक ह जो रोग तमाग औय दान की भहतता को नहीॊ भानत ि ही भरषटाचाय भ सरपत यहकय दश औय सभाज को रटत ह| जीजी की आसथा बािनातभक सचचाई को ऩरषट कयती ह औय तकय किर िऻाननक तथम को सतम भानता ह जहाॉ तकय मथाथय क

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कठोय धयातर ऩय सचचाई को ऩयखता ह तो िहीॊ आसथा अनहोनी फात को बी सिीकाय कय भन को सॊसकारयत कयती ह बायत की सितॊतरता क ५० सार फाद बी दश भ वमापत बरषटाचाय औय सिाथय की बािना को दखकय रखक दखी ह | सयकाय दिाया चराई जा यही मोजनाएॉ गयीफो तक कमो नहीॊ ऩहॉच ऩा यहीॊ ह कार भघा क दर उभड़ यह ह ऩय आज बी गयीफ की गगयी पटी हई कमो ह रखक न मह परशन ऩाठको क सरए छोड़ हदमा ह |

परशन1-इनदय सना घय-घय जाकय ऩानी कमो भाॉगती थी

उततय- गाॉि क रोग फारयश क सरए बगिान इॊदर स पराथयना ककमा कयत थ जफ ऩजा-ऩाठवरत आहद उऩाम असिर हो जात थ तो बगिान इॊदर को परसनदन कयन क सरए गाॉि क ककशोय फचच कीचड़ भ रथऩथ होकय गरी-गरी घभकय रोगो स ऩानी भाॉगत थ

परशन2-इनदयसना को रखक भढक-भॊिरी कमो कहता ह जीजी क फायndashफाय कहन ऩय बी वह इनदयसना ऩय ऩानी प कन को याजी कमो नहीॊ होता

उततय- इनददयसना का कामय आमयसभाजी विचायधाया िार रखक को अॊधविशिास रगता ह उसका भानना ह कक महद इॊदयसना दिता स ऩानी हदरिा सकती ह तो सिमॊ अऩन सरए ऩानी कमो नहीॊ भाॉग रती ऩानी की कभी होन ऩय बी रोग घय भ एकतर ककम हए ऩानी को इॊदयसना ऩय ि कत ह रखक इस ऩानी की ननभयभ फयफादी भानता ह

परशन3- रि हए रखक को जीजी न ककस परकाय सभझामा

उततय- जीजी न रखक को पमाय स रडड-भठयी णखरात हए ननमन तकय हदए-

1- तमाग का भहततव- कछ ऩान क सरए कछ दना ऩड़ता ह 2- दान की भहतता- कवर-भननमो न दान को सफस ऊॉ चा सथान हदमा ह जो चीज अऩन

ऩास बी कभ हो औय अऩनी आिशमकता को बरकय िह चीज दसयो को दान कय दना ही तमाग ह |

3- इॊिदव को जर का अधमट चिाना- इॊदयसना ऩय ऩानी ि कना ऩानी की फयफादी नहीॊ फनदलक इॊदरदि को जर का अधमय चढ़ाना ह

4- ऩानी की फवाई कयना- नदजस परकाय ककसान िसर उगान क सरए जभीन ऩय फीज डारकय फिाई कयता ह िस ही ऩानी िार फादरो की िसर ऩान क सरए इनददय सना ऩय ऩानी डार कय ऩानी की फिाई की जाती ह

परशन4-नठदमो का बायतीम साभाजजक औय साॊसकनतक ऩरयवश भ कमा भहतव ह

उततय- गॊगा बायतीम सभाज भ सफस ऩजम सदानीया नदी ह नदजसका बायतीम इनतहास भ धासभयक ऩौयाणणक औय साॊसकनतक भहति ह | िह बायतीमो क सरए किर एक नदी नहीॊ अवऩत

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भाॉ ह सिगय की सीढ़ी ह भोदानमनी ह उसभ ऩानी नहीॊ अवऩत अभत तलम जर फहता ह बायतीम सॊसकनत भ नहदमो क ककनाय भानि सभमताएॉ परी-परी ह| फड़-फड़ नगय तीथयसथान नहदमो क ककनाय ही नदसथत ह ऐस ऩरयिश भबायतिासी सफस ऩहर गॊगा भमा की जम ही फोरग नहदमाॉ हभाय जीिन का आधाय ह हभाया दश कवर परधान ह नहदमो क जर स ही बायत बसभ हयी-बयी ह नहदमो क बफना जीिन की कलऩना नहीॊ कय सकत मही कायण ह कक हभ बायतीम नहदमो की ऩजा कयत ह |

परशन4-आजादी क ऩचास वषो क फाद बी रखक कमो दखी ह उसक भन भ कौन स परशन उि यह ह

उततय- आजादी क ऩचास िरो फाद बी बायतीमो की सोच भ सकायातभक फदराि न दखकय रखक दखी ह उसक भन भ कई परशन उठ यह ह-

1 कमा हभ सचच अथो भ सितनदतर ह 2 कमा हभ अऩन दश की सॊसकनत औय सभमता को सभझ ऩाए ह 3 यारषर ननभायण भ हभ ऩीछ कमो ह हभ दश क सरए कमा कय यह ह

4 हभ सिाथय औय भरषटाचाय भ सरपत यहत ह तमाग भ विशिास कमो नहीॊ कयत

5 सयकाय दिाया चराई जा यही सधायिादी मोजनाएॉ गयीफो तक कमो नहीॊ ऩहॉचती ह

गदमाॊश ऩय आधारयत अथटगरहण-सॊफॊधधत परशनोततय

सचभच ऐस हदन होत जफ गरी-भहलरा गाॉि-शहय हय जगह रोग गयभी भ बन-बन कय तराहहभाभ कय यह होत जठ क दसतऩा फीतकय आराढ का ऩहरा ऩखिाड़ा फीत चका होता ऩय कषनतज ऩय कहीॊ फादरो की यख बी नहीॊ दीखती होती कएॉ सखन रगत नरो भ एक तो फहत कभ ऩानी आता औय आता बी तो आधी यात को िो बी खौरता हआ ऩानी हो | शहयो की तरना भ गाॉि भ औय बी हारत खयाफ थी| जहाॉ जताई होनी चाहहए थी िहाॉ खतो की सभटटी सखकय ऩतथय हो जाती कपय उसभ ऩऩड़ी ऩड़कय जभीन पटन रगती र ऐसी कक चरत-चरत आदभी धगय ऩड़ | ढोय-डॊगय पमास क भाय भयन रगत रककन फारयश का कहीॊ नाभ ननशान नहीॊ ऐस भ ऩजा-ऩाठ कथा-विधान सफ कयक रोग जफ हाय जात तफ अॊनतभ उऩाम क रऩ भ ननकरती मह इनददय सना |

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परशन१- वषाट न होन ऩय रोगो की कमा जसथनत हो गमी थी उततय - िराय न होन ऩय गयभी क कायण रोग र रगन स फहोश होन रग | गाॉि-शहय सबी जगह ऩानी का अबाि हो गमा| कएॉ सख गए खतो की सभटटी सखकय ऩतथय क सभान कठोय होकय पट गमी| घयो भ नरो भ ऩानी फहत कभ आता था | ऩश पमास क भाय भयन रग थ | परशन२- वषाट क दवता कौन ह उनको परसनन कयन क लरए कमा उऩाम ककए जात थ उततय -िराय क दिता बगिान इनददर ह| उनको परसनदन कयन क सरए ऩजाndashऩाठ कथा-विधान कयाए जात थ | ताकक इनददर दि परसनदन होकय फादरो की सना बजकय झभाझभ फारयश कयाएॉ औय रोगो क करषट दय हो | परशन३- वषाट कयान क अॊनतभ उऩाम क रऩ भ कमा ककमा जाता था उततय ndashजफ ऩजा-ऩाठ कथा-विधान सफ कयक रोग हाय जात थ तफ अॊनतभ उऩाम क रऩ भ इनददय सना आती थी | नॊग-धडॊग कीचड़ भ रथऩथ lsquoकार भघा ऩानी द ऩानी द गड़धानी दrsquo की टय रगाकय पमास स सखत गरो औय सखत खतो क सरए भघो को ऩकायती हई टोरी फनाकय ननकर ऩड़ती थी| परशन४-आशम सऩषट कय ndash जठ क दसतऩा फीतकय आराढ़ का ऩहरा ऩखिाड़ा फीत चका होता ऩय कषनतज भ कहीॊ फादरो की यख बी नजय नहीॊ आती | आशम- जठ का भहीना ह बीरण गयभी ह| तऩत हए दस हदन फीत कय आराढ का भहीना बी आधा फीत गमा ऩय ऩानी क सरए तड़ऩत िराय की आशा भ आसभान की ओय ताकत रोगो को कहीॊ फादर नजय नहीॊ आ यह |

14 ऩहरवान की ढोरक

फ़णीशवयनाथ यण

ऩाि का सायाॊश ndashआॊचसरक कथाकाय िणीशियनाथ यण की कहानी ऩहरिान की ढोरक भ कहानी क भखम ऩातर रटटन क भाता-वऩता का दहाॊत उसक फचऩन भ ही हो गमा था | अनाथ रटटन को उसकी विधिा सास न ऩार-ऩोसकय फड़ा ककमा | उसकी सास को गाॉि िार सतात थ |

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रोगो स फदरा रन क सरए कशती क दाॉिऩच सीखकय कसयत कयक रटटन ऩहरिान फन गमा |

एक फाय रटटन शमाभनगय भरा दखन गमा जहाॉ ढोर की आिाज औय कशती क दाॉिऩच दखकय उसन जोश भ आकय नाभी ऩहरिान चाॉदससॊह को चनौती द दी | ढोर की आिाज स परयणा ऩाकय रटटन न दाॉि रगाकय चाॉद ससॊह को ऩटककय हया हदमा औय याज ऩहरिान फन गमा | उसकी खमानत दय-दय तक िर गमी| १५ िरो तक ऩहरिान अजम फना यहा| उसक दो ऩतर थ| रटटन न दोनो फटो को बी ऩहरिानी क गय ससखाए| याजा की भतम क फाद नए याजकभाय न गददी सॊबारी याजकभाय को घोड़ो की यस का शौक था भनजय न नम याजा को बड़कामा ऩहरिान औय उसक दोनो फटो क बोजनखचय को बमानक औय किजरखचय फतामा िरसिरऩ नए याजा न कशती को फॊद कयिा हदमा औय ऩहरिान रटटनससॊह को उसक दोनो फटो क साथ भहर स ननकार हदमा

याजदयफाय स ननकार हदए जान क फाद रटटन ससॊह अऩन दोनो फटो क साथ गाॉि भ झोऩड़ी फनाकय यहन रगा औय गाॉि क रड़को को कशती ससखान रगा| रटटन का सकर जमादा हदन नहीॊ चरा औय जीविकोऩाजयन क सरए उसक दोनो फटो को भजदयी कयनी ऩड़ी| इसी दौयान गाॉि भ अकार औय भहाभायी क कायण परनतहदन राश उठन रगी| ऩहरिान भहाभायी स डय हए रोगो को ढोरक फजाकय फीभायी स रड़न की सॊजीिनी ताकत दता था| एक हदन ऩहरिान क दोनो फट बी भहाभायी की चऩट भ आकय भय गए ऩय उस यात बी ऩहरिान ढोरक फजाकय रोगो को हहमभत फॊधा यहा था | इस घटना क चाय-ऩाॉच हदन फाद ऩहरिान की बी भौत हो जाती ह|

ऩहरिान की ढोरक वमिसथा क फदरन क साथ रोक कराकाय क अपरासॊधगक हो जान की कहानी ह इस कहानी भ रटटन नाभ क ऩहरिान की हहमभत औय नदजजीविरा का िणयन ककमा गमा ह बख औय भहाभायी अजम रटटन की ऩहरिानी को िट ढोर भ फदर दत ह इस करण तरासदी भ ऩहरिान रटटन कई सिार छोड़ जाता ह कक करा का कोई सितॊतर अनदसतति ह मा करा किर वमिसथा की भोहताज ह

परशन1- रटटन को ऩहरवान फनन की परयणा कस लभरी

उततय- रटटन जफ नौ सार का था तो उसक भाता-वऩता का दहाॊत हो गमा था | सौबागम स उसकी शादी हो चकी थी| अनाथ रटटन को उसकी विधिा सास न ऩार-ऩोसकय फड़ा ककमा | उसकी सास को गाॉि िार ऩयशान कयत थ| रोगो स फदरा रन क सरए उसन ऩहरिान फनन की ठानी| धायोरषण दध ऩीकय कसयत कय उसन अऩना फदन गठीरा औय ताकतिय फना सरमा | कशती क दाॉिऩच सीखकय रटटन ऩहरिान फन गमा |

परशन2- यात क बमानक सननाट भ रटटन की ढोरक कमा करयशभा कयती थी

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उततय- यात क बमानक सनदनाट भरटटन की ढोरक भहाभायी स जझत रोगो को हहमभत फॉधाती थी | ढोरक की आिाज स यात की विबीवरका औय सनदनाटा कभ होता था| भहाभायी स ऩीडड़त रोगो की नसो भ बफजरी सी दौड़ जाती थी उनकी आॉखो क साभन दॊगर का दशम साकाय हो जाता था औय ि अऩनी ऩीड़ा बर खशी-खशी भौत को गर रगा रत थ इस परकाय ढोर की आिाज फीभाय-भतपराम गाॉििारो की नसो भ सॊजीिनी शनदकत को बय फीभायी स रड़न की परयणा दती थी

परशन3- रटटन न सवाटधधक ठहमभत कफ ठदखाई

उततय- रटटन ससॊह न सिायधधक हहमभत तफ हदखाई जफ दोनो फटो की भतम ऩय िह योमा नहीॊ फनदलक हहमभत स काभ रकय अकर उनका अॊनतभ सॊसकाय ककमा| मही नहीॊ नदजस हदन ऩहरिान क दोनो फट भहाभायी की चऩट भ आकय भय गए ऩय उस यात को बी ऩहरिान ढोरक फजाकय रोगो को हहमभत फॉधा यहा था| शमाभनगय क दॊगर भ ऩया जनसभदाम चाॉद ससॊह क ऩ भ था चाॉद ससॊह को हयात सभम रटटन न हहमभत हदखाई औय बफना हताश हए दॊगर भ चाॉद ससॊह को धचत कय हदमा |

परशन4- रटटन लसॊह याज ऩहरवान कस फना

उततय- शमाभनगय क याजा कशती क शौकीन थ उनदहोन दॊगर का आमोजन ककमा ऩहरिान रटटन ससॊह बी दॊगर दखन ऩहॉचा चाॊदससॊह नाभक ऩहरिान जो शय क फचच क नाभ स परससदध था कोई बी ऩहरिान उसस सबड़न की हहमभत नहीॊ कयता था चाॉदससॊह अखाड़ भ अकरा गयज यहा था रटटन ससॊह न चाॉदससॊह को चनौती द दी औय चाॉदससॊह स सबड़ गमाढ़ोर की आिाज सनकय रटटन की नस-नस भ जोश बय गमाउसन चाॉदससॊह को चायो खान धचत कय हदमा याजासाहफ न रटटन की िीयता स परबावित होकय उस याजऩहरिान फना हदमा

परशन5- ऩहरवान की अॊनतभ इचछा कमा थी

उततय- ऩहरिान की अॊनतभ इचछा थी कक उस धचता ऩय ऩट क फर सरटामा जाए कमोकक िह नदजॊदगी भ कबी धचत नहीॊ हआ था| उसकी दसयी इचछा थी कक उसकी धचता को आग दत सभम ढोर अिशम फजामा जाए |

परशन6- ढोर की आवाज औय रटटन क भ दाॉिऩच सॊफॊध फताइए-

उततय- ढोर की आिाज औय रटटन क दाॉिऩच भ सॊफॊध -

चट धा धगड़ धाrarr आजा सबड़ जा | चटाक चट धाrarr उठाकय ऩटक द | चट धगड़ धाrarrभत डयना |

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धाक धधना नतयकट नतनाrarr दाॉि काटो फाहय हो जाओ | धधना धधना धधक धधनाrarr धचत कयो

गदमाॊश-आधारयत अथटगरहण-सॊफॊधधत परशनोततय

अॉधयी यात चऩचाऩ आॉस फहा यही थी | ननसतबधता करण सससककमो औय आहो को अऩन रदम भ ही फर ऩियक दफान की चरषटा कय यही थी | आकाश भ ताय चभक यह थ | ऩथिी ऩय कहीॊ परकाश का नाभ नहीॊ| आकाश स टट कय महद कोई बािक ताया ऩथिी ऩय आना बी चाहता तो उसकी जमोनत औय शनदकत यासत भ ही शर हो जाती थी | अनदम ताय उसकी बािकता अथिा असपरता ऩय णखरणखराकय हॉस ऩड़त थ | ससमायो का करॊ दन औय ऩचक की डयािनी आिाज यात की ननसतबधता को बॊग कयती थी | गाॉि की झोऩडडमो स कयाहन औय क कयन की आिाज हय याभ ह बगिान की टय सनाई ऩड़ती थी| फचच बी ननफयर कॊ ठो स भाॉ ndashभाॉ ऩकायकय यो ऩड़त थ |

(क) अॉधयी यात को आॉस फहात हए कमो ठदखामा गमा ह उततयndash गाॉि भ हजा औय भररयमा परा हआ था | भहाभायी की चऩट भ आकाय रोग भय यह थ |चायो ओय भौत का सनाटा छामा था इससरए अॉधयी यात बी चऩचाऩ आॉस फहाती सी परतीत हो यही थी|

(ख) ताय क भाधमभ स रखक कमा कहना चाहता ह उततयndash ताय क भाधमभ स रखक कहना चाहता ह कक अकार औय भहाभायी स तरसत गाॉि िारो की ऩीड़ा को दय कयन िारा कोई नहीॊ था | परकनत बी गाॉि िारो क द ख स दखी थी| आकाश स टट कय महद कोई बािक ताया ऩथिी ऩय आना बी चाहता तो उसकी जमोनत औय शनदकत यासत भ ही शर हो जाती थी |

(ग) यात की ननसतबधता को कौन बॊग कयता था उततयndash ससमायो की चीख-ऩकाय ऩचक की डयािनी आिाज औय कततो का साभहहक रदन सभरकय यात क सनदनाट को बॊग कयत थ |

(घ) झोऩड़ड़मो स कसी आवाज आ यही ह औय कमो उततयndash झोऩडड़मो स योधगमो क कयाहन क कयन औय योन की आिाज आ यही ह कमोकक गाॉि क रोग भररयमा औय हज स ऩीडड़त थ | अकार क कायण अनदन की कभी हो गमी थी| औरधध औय ऩथम न सभरन क कायण रोगो की हारत इतनी फयी थी कक कोई बगिान को ऩकाय रगाता था तो कोई दफयर कॊ ठ स भाॉndashभाॉ ऩकायता था |

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15 चारी चजतरन मानी हभ सफ

रखक-पवषण खय

ऩाि का सायाॊश ndashचारक चनदपरन न हासम कराकाय क रऩ भ ऩयी दननमा क फहत फड़ दशयक िगय को हॉसामा ह | उनकी कपलभो न कपलभ करा को रोकताॊबतरक फनान क साथ-साथ दशको की िगय औय िणय-वमिसथा को बी तोड़ा | चारक न करा भ फवदध की अऩा बािना को भहतति हदमा ह | फचऩन क सॊघरो न चारक क बािी कपलभो की बसभ तमाय कय दी थी| बायतीम करा औय सौदमयशासतर भ करणा का हासम भ ऩरयितयन बायतीम ऩयमऩया भ नहीॊ सभरता रककन चारक एक ऐसा जादई वमनदकतति ह जो हय दश सॊसकनत औय सभमता को अऩना सा रगता ह| बायतीम जनता न बी उनदह सहज बाि स सिीकाय ककमा ह| सिमॊ ऩय हॉसना चारक न ही ससखामा| बायतीम ससनभा जगत क सपरससदध कराकाय याजकऩय को चारक का बायतीमकयण कहा गमा ह | चारक की अधधकाॊश किलभ भक ह इससरए उनदह अधधक भानिीम होना ऩड़ा | ऩाठ भ हासम कपलभो क भहान असबनता lsquoचारक चनदपरनrsquo की जादई विशरताओॊ का उलरख ककमा गमा ह नदजसभ उसन करणा औय हासम भ साभॊजसम सथावऩत कय किलभो को साियबौसभक रऩ परदान ककमा

परशन१ -चारी क जीवन ऩय परबाव िारन वारी भखम घटनाएॉ कौन सी थी

उततय- चारक क जीिन भ दो ऐसी घटनाएॉ घटीॊ नदजनदहोन उनक बािी जीिन ऩय फहत परबाि डारा |

ऩहरी घटना - जफ चारक फीभाय थ उनकी भाॉ उनदह ईसा भसीह की जीिनी ऩढ़कय सना यही थी | ईसा क सरी ऩय चढ़न क परसॊग तक आत-आत भाॉ-फटा दोनो ही योन रग| इस घटना न चारक को सनह करणा औय भानिता जस उचच जीिन भलम हदए |

दसयी घटना हndash फारक चारक कसाईखान क ऩास यहता था| िहाॉ सकड़ो जानियो को योज भाया जाता था| एक हदन एक बड़ िहाॉ स बाग ननकरी| बड़ को ऩकड़न की कोसशश भ कसाई कई फाय कपसरा| नदजस दखकय रोग हॊसन रग ठहाक रगान रग| जफ बड़ को कसाई न ऩकड़ सरमा तो फारक चारक योन रगा| इस घटना न उसक बािी कपलभो भ तरासदी औय हासमोतऩादक ततिो की बसभका तम कय दी |

परशन२ ndash आशम सऩषट कीजजएndash

चजतरन न लसपट कपलभकरा को ही रोकताॊबतरक नही फनामा फजलक दशटको की वगट तथा वणट-वमवसथा को बी तोड़ा|

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उततय- रोकताॊबतरक फनान का अथय ह कक कपलभ करा को सबी क सरए रोकवपरम फनाना औय िगय औय िणय-वमिसथा को तोड़न का आशम ह- सभाज भ परचसरत अभीय-गयीफ िणय जानतधभय क बदबाि को सभापत कयना |चनदपरन का चभतकाय मह ह कक उनदहोन कपलभकरा को बफना ककसी बदबाि क सबी रोगो तक ऩहॉचामा| उनकी कपलभो न सभम बगोर औय सॊसकनतमो की सीभाओॊ को राॉघ कय साियबौसभक रोकवपरमता हाससर की | चारक न मह ससदध कय हदमा कक करा सितनदतर होती ह अऩन ससदधाॊत सिमॊ फनाती ह |

परशन३ndash चारी चजतरन की कपलभो भ ननठहत तरासदीकरणाहासम का साभॊजसम बायतीम करा औय सौदमटशासतर की ऩरयधध भ कमो नहीॊ आता

उततय- चारक चनदपरन की कपलभो भ ननहहत तरासदीकरणाहासम का साभॊजसम बायतीम करा औय सौदमयशासतर की ऩरयधध भ नहीॊ आताकमोकक बायतीम यस-ससदधाॊत भ करणा औय हासम का भर नहीॊ हदखामा जाता कमोकक बायतीम सौदमयशासतर भ करणयस औय हासम यस को ऩयसऩय वियोधी भाना गमा ह अथायत जहाॊ करणा ह िहाॉ हासम नहीॊ हो सकता बायत भ सिमॊ ऩय हॉसन की ऩयॊऩया नहीॊ ह ऩयॊत चारक क ऩातर अऩन ऩय हॉसतndashहॉसात ह चारक की किलभो क दशम हॉसात-हॉसात ररा दत ह तो कबी करण दशम क फाद अचानक ही हॉसन ऩय भजफय कय दत ह

परशन४ndash चारी क कपलभो की पवशषताएॉ फताइए |

उततय- चारक की किलभो भ हासम औय करणा का अदभत साभॊजसम ह उनकी किलभो भ बारा का परमोग फहत कभ ह चारक की किलभो भ फवदध की अऩा बािना का भहतति अधधक ह उनकी किलभो भ साियबौसभकता ह चारक ककसी बी सॊसकनत को विदशी नही रगत चारक सफको अऩन रगत ह चारक न किलभो को रोकताॊबतरक फनामा औय किलभो भ िगय तथािणय-वमिसथा को तोड़ा अऩनी कपलभो भ चारक सदि धचय मिा हदखता ह

गदमाॊश-आधारयत अथटगरहण-सॊफॊधी परशनोततय

गदमाॊश सॊकत ndashचारक चनदपरन मानी हभ सफ (ऩरषठ १२० )

महद मह िरय चनदपरन की कापी कछ कहा जाएगा |

परशन (क)-पवकासशीर दशो भ चजतरन कमो भशहय हो यह ह

उततय - विकासशीर दशो भ जस-जस टरीविजन औय िीडडमो का परसाय हो यहा ह रोगो को उनकी कपलभो को दखन का अिसय सभर यहा ह |एक फहत फड़ा िगय नए ससय स चारक को घड़ी सधायत औय जत खान की कोसशश कयत दख यहा ह इसीसरए चारक विकासशीर दशो भ रोकवपरम हो यह ह |

(ख)- ऩजशचभ भ चारी का ऩनजीवन कस होता यहता ह

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उततय - ऩनदशचभ भ चारक की कपलभो का परदशयन होता यहता ह| उनकी करा स परयणा ऩाकय हासम किलभ फनती यहती ह | उनक दिाया ननबाए ककयदायो की नकर अनदम कराकाय कयत ह | ऩनदशचभ भ चारक का ऩनजीिन होता यहता ह|

(ग)- चारी को रोग फिाऩ तक कमो माद यखग

उततय ndashहासम कराकाय क रऩ भ रोग चारक को फढ़ाऩ तक माद यखग कमोकक उनकी करा सभम बगोर औय सॊसकनतमो की सीभाओॊ को राॉघकय राखो रोगो को हॉसा यही ह|

(घ)- चारी की कपलभो क फाय भ कापी कछ कहा जाना कमो फाी ह

उततय ndashचनदपरन की ऐसी कछ किलभ मा इसतभार न की गमी यीर सभरी ह नदजनक फाय भ कोई नहीॊ जानता था | चारक की बािनापरधान हासम कपलभो न करा क नए परनतभान सथावऩत ककए ह अत चारक की कपलभो क फाय भ अबी कापी कछ कहा जाना फाी ह|

16 नभक

रखखका - यजजमा सजजाद जहीय

सायाॊश -lsquoनभकrsquoबायत-ऩाक विबाजन ऩय सरणखत भासभयक कहानी ह | विसथावऩत हए रोगो भ अऩनndashअऩन जनदभ सथानो क परनत आज बी रगाि ह| धासभयक आधाय ऩय फनी यारषर-याजमो की सीभा-यखाएॉ उनक अॊतभयन को अरग नहीॊ कय ऩाई ह | बायत भ यहन िारी ससख फीिी राहौय को अऩना ितन भानती ह औय बायतीम कसटभ अधधकायी ढाका क नारयमर ऩानी को मादकय उस सियशररषठ फताता ह दोनो दशो क नागरयको क फीच भहबफत का नभकीन सिाद आज बी कामभ ह इसीसरए सकिमा बायत भ यहन िारी अऩनी भॉहफोरी भाॉ ससख फीिी क सरए राहौयी नभक रान क सरए कसटभ औय कानन की ऩयिाह नहीॊ कयती

परशन1- lsquoनभकrsquo ऩाि क आधाय ऩय फताइए कक सकपमा औय उसक बाई क पवचायो भ कमा अॊतय था

उततय- १-सकपमा बािनाओॊ को फहतभहतति दती ह ऩय उसका बाई फौवदधक परिनदतत का ह उसकी दनदरषट भ कानन बािनाओॊ स ऊऩय ह|

२-सकपमा भानिीम सॊफॊधो को फहत भहतति दती ह जफकक उसका बाई अरगाििादी विचायधाया का ह हहसस-फखय की फात कयता ह |

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३-सकपमा का बाई कहता ह कक अदीफो(साहहतमकाय) का हदभाग घभा हआ होता ह जफकक सकपमा जो सिमॊ अदीफ ह उसका भानना ह कक अगय सबी रोगो का हदभाग अदीफो की तयह घभा हआ होता तो दननमा कछ फहतय हो जाती |

परशन२- नभक र जात सभम सकफ़मा क भन भ कमा दपवधा थी

उततय-सकपमा समद भसरभान थी जो हय हार भ अऩना िामदा ननबात ह| ऩाककसतान स राहौयी नभक र जाकय िह अऩना िामदा ऩया कयना चाहती थी ऩयनदत जफ उस ऩता चरा कक कसटभ क ननमभो क अनसाय सीभाऩाय नभक र जाना िनदजयत ह तो िह दविधा भ ऩड़ गई | सकिमा का दिॊदि मह था कक िह अऩनी ससख भाॉ क सरए नभक कसटभ अधधकारयमो को फताकयर जाए मा नछऩाकय|

परशन३- ऩाि क आधाय ऩय सकपमा की चारयबतरक पवशषताएॉ फताइए |

उततय सॊकत ndash

१- बािक २- ईभानदाय ३- दढ़ननशचमी ४- ननडय ५- िामद को ननबान िारी ६- भानिीम भलमो को सिोऩरय भानन िारी साहहतमकाय

परशन ४- lsquoनभकrsquo ऩाि भ आए ककयदायो क भाधमभ स सऩषट कीजजए कक आज बी बायत औय ऩाककसतान की जनता क फीच भहबफत का नभकीन सवाद घरा हआ ह |

उततय ndash बर ही याजनीनतक औय धासभयक आधाय ऩय बायत औय ऩाककसतान को बौगोसरक रऩ स विबानदजत कय हदमा गमा ह रककन दोनो दशो क रोगो क रदम भ आज बी ऩायसऩरयक बाईचाया सौहादरय सनह औय सहानबनत विदमभान ह | याजनीनतक तौय ऩय बर ही सॊफॊध तनािऩणय हो ऩय साभानदजक तौय ऩय आज बी जनता क फीच भहबफत का नभकीन सिाद घरा हआ ह | अभतसय भ यहन िारी ससख फीफी राहौय को अऩना ितन कहती ह औय राहौयी नभक का सिाद नहीॊ बरा ऩाती | ऩाककसतान का कसटभ अधधकायी नभक की ऩडड़मा सकपमा को िाऩस दत हए कहता ह rdquoजाभा भनदसजद की सीहढ़मो को भया सराभ कहना |rdquo बायतीम सीभा ऩय तनात कसटभ अधधकायी ढाका की जभीन को औय िहाॉ क ऩानी क सिाद को नहीॊ बर ऩाता |

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गदमाॊश-आधारयत अथटगरहण सॊफॊधधत परशनोततय

गदमाॊश सॊकत- ऩाठndash नभक (ऩरषठ १३४)

सकपमा कसटभ क जॊगर स दोनो क हाथो भ थी |

(क) सकपमा कसटभ क जॉगर स ननकरकय दसय तरटपाभट ऩय आ गमी व वहीॊ खड़ यहndash इस वाकम भ lsquoवrsquo शबद का परमोग ककसक लरए ककमा गमा ह

उततय- महाॉ lsquoिrsquo शबद का परमोग ऩाककसतानी कसटभ अधधकायी क सरए ककमा गमा ह जो विबाजन स ऩिय हदलरी भ यहत थ औय आज बी हदलरी को ही अऩना ितन भानत ह |

(ख) तरटपाभट ऩय सकपमा को पवदा कयन कौन-कौन आए थ उनहोन सकपमा को कस पवदाई दी

उततय- परटपाभय ऩय सकपमा को विदा कयन उसक फहत साय सभतर सग सॊफॊधी औय बाई आए थ| उनदहोन ठॊडी साॉस बयत हए सबॊच हए होठो क साथ आॉस फहात हए सकपमा को विदाई दी |

(ग) अटायी भ यरगाड़ी भ कमा ऩरयवतटन हए उततय- अटायी भ यरगाड़ी स ऩाककसतानी ऩसरस उतयी औय हहनददसतानी ऩसरस सिाय हो गई|

(घ) कौन सी फात सकपमा की सभझ भ नहीॊ आ यही थी उततय- दोनो ओय एक सी जभीन एक जसा आसभान एक सी बारा एक सा ऩहनािा औय एक सी सयत क रोग कपय बी दोनो क हाथो भ बयी हई फॊदक ह |

17 लशयीष क पर

आचामट हजायी परसाद दपववदी

सायाॊश ndashlsquoआचामय हजायी परसाद दवििदीrsquo सशयीर को अदभत अिधत भानत ह कमोकक सॊनदमासी की बाॉनत िह सख-दख की धचॊता नहीॊ कयता गभी र िराय औय आॉधी भ बी अविचर खड़ा यहता ह सशयीर क िर क भाधमभ स भनरषम की अजम नदजजीविरा धमयशीरता औय कतयवमननरषठ फन यहन क भानिीम भलमो को सथावऩत ककमा गमा हरखक न सशयीर क कोभर परो औय कठोय परो क दिाया सऩरषट ककमा ह कक रदम की कोभरता फचान क सरए कबी-कबी वमिहाय की कठोयता बी आिशमक हो जाती ह| भहान कवि कासरदास औय कफीय बी सशयीर की तयह फऩयिाह अनासकत औय सयस थ तबी उनदहोन इतनी सनददय यचनाएॉ सॊसाय को दीॊ| गाॉधीजी क वमनदकतति भ बी कोभरता औय कठोयता का अदभत सॊगभ था | रखक सोचता ह कक हभाय दश भ जो भाय-काट अनदगनदाह रट-ऩाट खन-खचचय का फिॊडय ह कमा िह दश को नदसथय नहीॊ यहन दगा गराभी अशाॊनत औय वियोधी िाताियण क फीच अऩन ससदधाॊतो की या कयत हए गाॉधीजी जी नदसथय यह सक थ तो दश बी यह सकता ह जीन की परफर असबरारा क कायण

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विरभ ऩरयनदसथतमो भ बी महद सशयीर णखर सकता ह तो हभाया दश बी विरभ ऩरयनदसथनतमो भ नदसथय यह कय विकास कय सकता ह

परशन1-लसदध कीजजए कक लशयीष कारजमी अवधत की बाॉनत जीवन की अजमता क भॊतर का परचाय कयता ह

उततय- सशयीर कारजमी अिधत की बाॉनत जीिन की अजमता क भॊतर का परचाय कयता ह| जफ ऩथिी अनदगन क सभान तऩ यही होती ह िह तफ बी कोभर परो स रदा रहरहाता यहता ह|फाहयी गयभी धऩ िराय आॉधी र उस परबावित नहीॊ कयती इतना ही नहीॊ िह रॊफ सभम तक णखरा यहता ह | सशयीर विऩयीत ऩरयनदसथनतमो भ बी धमयशीर यहन तथा अऩनी अजम नदजजीविरा क साथ ननसऩह बाि स परचॊड गयभी भ बी अविचर खड़ा यहता ह

परशन२-आयगवध (अभरतास) की तरना लशयीष स कमो नहीॊ की जा सकती

उततय- सशयीर क पर बमॊकय गयभी भ णखरत ह औय आराढ़ तक णखरत यहत ह जफकक अभरतास का पर किर ऩनददरह-फीस हदनो क सरए णखरता ह | उसक फाद अभरतास क पर झड़ जात ह औय ऩड़ कपय स ठॉठ का ठॉठ हो जाता ह | अभरतास अलऩजीिी ह | विऩयीत ऩरयनदसथनतमो को झरता हआ ऊरषण िाताियण को हॉसकय झरता हआ सशयीर दीघयजीिी यहता ह | मही कायण ह कक सशयीर की तरना अभरतास स नहीॊ की जा सकती |

परशन३-लशयीष क परो को याजनताओॊ का रऩक कमो ठदमा गमा ह

उततय- सशयीर क पर उन फढ़ ढीठ औय ऩयान याजनताओॊ क परतीक ह जो अऩनी कसी नहीॊ छोड़ना चाहत | अऩनी अधधकाय-सरपसा क सरए नए मिा नताओॊ को आग नहीॊ आन दत | सशयीर क नए परो को जफयदसती ऩयान परो को धककमाना ऩड़ता ह | याजनीनत भ बी नई मिा ऩीढ़ी ऩयानी ऩीढ़ी को हयाकय सिमॊ सतता सॉबार रती ह |

परशन४- कार दवता की भाय स फचन का कमा उऩाम फतामा गमा ह

उततय- कार दिता कक भाय स फचन का अथय हndash भतम स फचना | इसका एकभातर उऩाम मह ह कक भनरषम नदसथय न हो| गनतशीर ऩरयितयनशीर यह | रखक क अनसाय नदजनकी चतना सदा ऊधियभखी (आधमातभ की ओय) यहती ह ि हटक जात ह |

परशन५- गाॉधीजी औय लशयीष की सभानता परकट कीजजए |

उततय- नदजस परकाय सशयीर धचरधचराती धऩ र िराय औय आॉधी भ बी अविचर खड़ा यहता ह अनासकत यहकय अऩन िाताियण स यस खीॊचकय सयस कोभर फना यहता ह उसी परकाय गाॉधी जी न बी अऩनी आॉखो क साभन आजादी क सॊगराभ भ अनदमाम बदबाि औय हहॊसा को झरा |

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उनक कोभर भन भ एक ओय ननयीह जनता क परनत असीभ करणा जागी िहीॊ ि अनदमामी शासन क वियोध भ डटकय खड़ हो गए |

गदमाॊश-आधारयत अथटगरहण सॊफॊधधत परशनोततय

गदमाॊश सॊकत- ऩाठ ndash सशयीर क पर (ऩरषठ १४७)

कासरदास सौदमय क िह इशाया ह |

(क) कालरदास की सौदमटndashदजषट की कमा पवशषता थी उततय-कासरदास की सौदमयndashदनदरषट फहत सकषभ अॊतबदी औय सॊऩणय थी| ि किर फाहयी रऩ-यॊग औय आकाय को ही नहीॊ दखत थ फनदलक अॊतभयन की सॊदयता क बी ऩायखी थ| कासरदास की सौदमय शायीरयक औय भानससक दोनो विशरताओॊ स मकत था |

(ख) अनासजकत का कमा आशम ह उततय- अनासनदकत का आशम ह- वमनदकतगत सख-द ख औय याग-दिर स ऩय यहकय सौदमय क िासतविक भभय को जानना |

(ग) कालरदास ऩॊत औय यवीॊिनाथ टगोय भ कौन सा गण सभान था भहाकवि कासरदास ससभतरानॊदन ऩॊत औय गरदि यिीॊदरनाथ टगोय तीनो नदसथयपरऻ औय अनासकत कवि थ | ि सशयीर क सभान सयस औय भसत अिधत थ |

(घ) यवीॊिनाथ याजोदमान क लसॊहदवाय क फाय भ कमा सॊदश दत ह याजोदमान क फाय भ यिीॊदरनाथ कहत ह याजोदमान का ससॊहदिाय ककतना ही सॊदय औय गगनचमफी कमो ना हो िह अॊनतभ ऩड़ाि नहीॊ ह| उसका सौदमय ककसी औय उचचतभ सौदमय की ओय ककमा गमा सॊकत भातर ह कक असरी सौदमय इस ऩाय कयन क फाद ह अत याजोदमान का ससॊहदिाय हभ आग फढ़न की परयणा दता ह |

18शरभ-पवबाजन औय जानत-परथा

िॉ० बीभयाव अॊफिकय

सायाॊश ndash इस ऩाठ भ रखक न जानतिाद क आधाय ऩय ककए जान िार बदबाि को सभम सभाज क सरए हाननकायक फतामा ह | जानत आधारयत शरभ विबाजन को असिाबाविक औय भानिता वियोधी फतामा गमा ह मह साभानदजक बदबाि को फढ़ाता ह जानतपरथा आधारयत शरभ विबाजन भ वमनदकत की रधच को भहतति नहीॊ हदमा जाता परसिरऩ वििशता क साथ अऩनाए

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Page 5: ISSUED BY KENDRIYA VIDYALAYA - DOWNLOADED FROM … Class XII Hindi Part B.pdfप्रश्न४ :-फादर क / फयन का गयीफ एि धनी िगय क्मा

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हदर थाभ कय यह जात हउनदह अऩनी सॊऩजतत एवॊ सतता क नछन जान का बम होता ह | उनकी अटटालरकाएॉ भजफती का भरभ उतऩनदन कयती ह ऩय िासति भ ि अऩन बवनो भ आतॊककत होकय यहत ह|

परशन२- कवि न ककसान का जो शबद-धचतर हदमा ह उस अऩन शबदो भ सरणखए |

उततय - ककसान क जीवन का यस शोषको न चस लरमा ह आशा औय उतसाह की सॊजीवनी सभातत हो चकी ह |शयीय स बी िह दफटर एवॊ खोखरा हो चका ह | कराॊनत का बफगर उसक रदम भ आशा का सॊचाय कयता ह |िह खखरखखरा कय फादर रऩी कराॊनत का सवागत कयता ह |

परशन३- अशनन ऩात कमा ह

उततय- फादर की गजयना क साथ बफजरी धगयन स फड़ ndashफड़ व जर कय याख हो जात ह | उसी परकाय कराॊनत की आॊधी आन स शोषक धनी वगट की सतता सभातत हो जाती ह औय ि खतभ हो जात ह |

परशन४- ऩथिी भ सोम अॊकय ककस आशा स ताक यह ह

उततय - फादर क फयसन स फीज अॊकरयत हो रहरहान रगत ह | अत फादर की गजयन उनभ आशाएॉ उतऩनदन कयती ह | ि ससय ऊॉ चा कय फादर क आन की याह ननहायत ह | ठीक उसी परकाय ननधयन वमनदकत शोषक क अतमाचाय स भजकत ऩान औय अऩन जीिन की खशहारी की आशा भ कराॊनत रऩी फादर की परतीा कयत ह |

परशन५- रदध कोर ह बदध तोर ndashककसक सरए कहा गमा ह औय कमो

उततय - कराॊनत होन ऩय ऩॊजीऩनत िगय का धन नछन जाता हकोष रयकत हो जाता ह | उसक धन की आभद सभातत हो जाती ह | उसका सॊतोष बी अफ lsquoफीत ठदनो की फातrsquo हो जाता ह |

परशन६- अनदसथय सख ऩय द ख की छामा का बाि सऩरषट कीनदजए |

उततय - भानि-जीिन भ सख सदा फना नहीॊ यहता ह उस ऩय द ख की छामा सदा भॊडयाती यहती ह |

परशन७- फादर ककस का परतीक ह

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उततय - फादर इस कविता भ कराॊनत का परतीक ह | नदजस परकाय फादर परकनत ककसान औय आभ आदभी क जीवन भ आनॊद का उऩहाय र कय आता ह उसी परकाय कराॊनत ननधयन शोवरत िगय क जीिन भ सभानता का अधधकाय व सॊऩननता र कय आता ह

परशन८- फादर को जीिन का ऩायािाय कमो कहा गमा ह

उततय - कराॊनत रऩी फादर का आगभन जीवनदामी सखद होता ह -ऩायािाय अथायत सागय | िह जीवन भ खलशमो का खजाना रकय आता ह | ननधटन वगट को सभानता का अधधकाय दता ह |सख सभपदध का कायक फनकय अतमाचाय की अजगन स भकत कयता ह |

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8 कपवतावरी

तरसीदास

साय

शरीयाभजी को सभवऩयत गरनदथ शरीयाभचरयतभानस उततय बायत भ फड़ बनदकतबाि स ऩढ़ा जाता ह रकषभण -भचछाट औय याभ का पवराऩ

यािण ऩतर भघनाद दिाया शनदकत फाण स भनछयत हए रकषभण को दखकय याभ वमाकर हो जात हसरण िदम न सॊजीिनी फटी रान क सरए हनभान को हहभारम ऩियत ऩय बजाआधी यात वमतीत होन ऩय जफ हनभान नहीॊ आएतफ याभ न अऩन छोटबाई रकषभण को उठाकय रदम स रगा सरमा औय साधायण भनरषम की बाॉनत विराऩ कयन रगयाभ फोर ह बाई तभ भझ

कबी दखी नहीॊ दख सकत थतमहाया सिबाि सदा स ही कोभर थातभन भय सरए भाता वऩता को बी छोड़ हदमा औय भय साथ िन भ सदकगभी औय विसबनदन परकाय की विऩयीत ऩरयनदसथनतमो को बी सहा|जस ऩॊख बफना ऩीभणण बफना सऩय औय सॉड बफना शररषठ हाथी अतमॊत दीन हो जात हह बाईमहद भ जीवित यहता हॉ तो भयी दशा बी िसी ही हो जाएगी

भ अऩनी ऩतनी क सरए अऩन वपरम बाई को खोकय कौन सा भॉह रकय अमोधमा जाऊॉ गाइस फदनाभी को बर ही सह रता कक याभ कामय ह औय अऩनी ऩतनी को खो फठा सतरी की हानन विशर नत नहीॊ हऩयनदत बाई को खोना अऩयणीम नत ह

lsquoयाभचरयतभानसrsquo क lsquoरॊका काॊडrsquo स गही रकषभण को शजकत फाण रगन का परसॊग कवि की भासभयक सथरो की ऩहचान का एक शररषठ नभना ह बाई क शोक भ विगसरत याभ का पवराऩ धीय -धीय परराऩ भ फदर जाता ह नदजसभ रकषभण क परनत याभ क अॊतय भ नछऩ परभ क कई कोण सहसा अनाित हो जात हमह परसॊग ईशवय याभ भ भानव सरब गणो का सभनवम कय दता ह | हनभान का सॊजीिनी रकय आ जाना करण यस भ वीय यस का उदम हो जान क सभान ह|

विनम ऩबतरका एक अनदम भहततिऩणय तरसीदासकत कावम ह

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कपवतत औय सवमा

साय

इस शीरयक क अॊतगयत दो कवितत औय एक सिमा सॊकसरत ह lsquoकवितािरीrsquo स अितरयत इन कविततो भ कवि तरसी का पवपवध पवषभताओॊ स गरसत कलरकारतरसी का मगीन मथाथट ह नदजसभ ि कऩार परब याभ व याभयाजम का सवतन यचत ह मग औय उसभ अऩन जीिन का न ससपय उनदह गहया फोध ह फनदलक उसकी असबवमनदकत भ बी ि अऩन सभकारीन कविमो स आग ह महाॉ ऩाठ भ परसतत lsquoकवितािरीrsquo क छॊद इसक परभाण -सिरऩ ह ऩहर छॊद rdquoककसिी ककसान ldquo भ उनदहोन हदखरामा ह कक सॊसाय क अचछ फय सभसत-रीरा परऩॊचो का आधाय-lsquoऩट की आगrsquoका गहन मथाथय ह नदजसका सभाधान ि याभ की बनदकत भ दखत ह दरयदरजन की वमथा दय कयन क सरए याभ रऩी घनशमाभ का आहिान ककमा गमा ह ऩट की आग फझान क लरए याभ रऩी वषाट का जर अननवामट हइसक सरए अननतक कामट कयन की आवशमकता नहीॊ हlsquo इस परकाय उनकी याभ बनदकत ऩट की आग फझान िारी मानी जीवन क मथाथट सॊकटो का सभाधान कयन वारी ह न कक किर आधमानदतभक भनदकत दन िारी| गयीफी की ऩीड़ा यावण क सभान दखदामी हो गई ह

तीसय छॊद )rdquoधत कहौldquo) भ बनदकत की गहनता औय सघनता भ उऩज बकतरदम क आतभपवशवास का सजीव धचतरणह नदजसस सभाज भ वमापत जातऩाॉत औय दयागरहो क -नतयसकाय का साहस ऩदा होता ह इस परकाय बजकत की यचनातभक बलभका का सॊकत महाॉ ह

जो आज क बदबाव भरक मग भ अधधक परासॊधगक ह |

अथट-गरहण-सॊफॊधी परशन

ldquoउहाॉ याभ रनछभनहहॊ ननहायी फोर फचन भनज अनसायी

अधय यानत गइ कवऩ नहहॊ आमउ याभ उठाइ अनज उय रामउ

सकह न दणखत दणख भोहह काऊ फॊध सदा ति भदर सबाऊ

भभ हहत राधग तजह वऩत भाता सहह बफवऩन हहभ आतऩ फाता

सो अनयाग कहाॉ अफ बाई उठह न सनन भभ फच बफकराई

जौ जनतउॉ फन फॊध बफछोह वऩता फचन भनतउॉ नहहॊ ओह

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सत बफत नारय बिन ऩरयिाया होहहॊ जाहहॊ जग फायहहॊ फाया

अस बफचारय नदजमॉ जागह ताता सभरइ न जगत सहोदय भाता

जथा ऩॊख बफन खग अनत दीना भनन बफन पनन करयफय कय हीना

अस भभ नदजिन फॊध बफन तोही जौ जड़ दि नदजआि भोही

जहउॉ अिध किन भह राई नारय हत वपरम बाइ गॉिाई

फर अऩजस सहतउॉ जग भाहीॊ नारय हानन बफसर छनत नाहीॊ

अफ अऩरोक सोक सत तोया सहहहह ननठय कठोय उय भोया

ननज जननी क एक कभाया तात तास तमह परान अधाया

सौऩसस भोहह तमहहह गहह ऩानी सफ बफधध सखद ऩयभ हहत जानी

उतर काह दहउॉ तहह जाई उहठ ककन भोहह ससखािह बाईldquo

परशन१-lsquoफोर फचन भनज अनसायीrsquo- का तातऩमय कमा ह

उततय - बाई क शोक भ विगसरत याभ का पवराऩ धीय- -धीय परराऩ भ फदर जाता ह नदजसभ रकषभण क परनत याभ क अॊतय भ नछऩ परभ क कई कोण सहसा अनाित हो जात ह मह परसॊग ईशवय याभ भ भानव सरब गणो का सभनवम कय दता ह| ि भनरषम की बाॊनत विचसरत हो कय ऐस िचन कहत ह जो भानिीम परकनत को ही शोबा दत ह |

परशन२- याभ न रकषभण क ककन गणो का िणयन ककमा ह

उततय -याभ न रकषभण क इन गणो का िणयन ककमा ह-

रकषभण याभ स फहत सनह कयत ह | उनदहोन बाई क सरए अऩन भाता ndashवऩता का बी तमाग कय हदमा | ि िन भ िराय हहभ धऩ आहद करषटो को सहन कय यह ह | उनका सिबाि फहत भदर ह |ि बाई क द ख को नहीॊ दख सकत |

परशन३- याभ क अनसाय कौन सी िसतओॊ की हानन फड़ी हानन नहीॊ ह औय कमो

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उततय -याभ क अनसाय धन ऩतर एिॊ नायी की हानन फड़ी हानन नहीॊ ह कमोकक म सफ खो जान ऩय ऩन परापत ककम जा सकत ह ऩय एक फाय सग बाई क खो जान ऩय उस ऩन परापत नहीॊ ककमा जा सकता |

परशन४- ऩॊख क बफना ऩी औय सॊड क बफना हाथी की कमा दशा होती ह कावम परसॊग भ इनका उलरख कमो ककमा गमा ह

उततय - याभ विराऩ कयत हए अऩनी बािी नदसथनत का िणयन कय यह ह कक जस ऩॊख क बफना ऩी औय सॊड क बफना हाथी ऩीडड़त हो जाता ह उनका अनदसतति नगणम हो जाता ह िसा ही असहनीम करषट याभ को रकषभण क न होन स होगा |

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सौदमट-फोध-सॊफॊधी परशन

परशन१- कावमाॊश की बारा सौदमय सॊफॊधी दो विशरताओॊ का उललरख कीनदजए|

उततय- १यस -करण यस

२ अरॊकाय - उतपरा अरॊकायndash

भन करणा भॊह फीय यस

जागा ननससचय दणखअ कसाभानहॉ कार दह धरय फसा

दरषटाॊत अरॊकाय - जथा ऩॊख बफन खग अनत दीनाभनन बफन पनन करयफय कय हीना

अस भन नदजिन फॊध बफन तोहीजो जड़ दि नदजआि भोही

वियोधाबास अरॊकाय -फहबफधध सोचत सोच बफभोचन

परशन२- कावमाॊश की बारा का नाभ सरणखए |

उततय - अिधी बारा

परशन३- कावमाॊश भ परमकत छॊद कौन ndashसा ह

उततय- १६१६ भातराओॊ का सभ भाबतरक चौऩाई छॊद |

सौदमट-फोध-सॊफॊधी परशन

ldquoककसफी ककसान-कर फननक सबखायी बाट चाकय चऩर नट चोय चाय चटकी| ऩटको ऩढतगन गढ़त चढ़त धगरय अटत गहन ndashगन अहन अखटकी|

ऊॊ च ndashनीच कयभ धयभ ndashअधयभ करय ऩट ही को ऩचत फचत फटा ndashफटकी |

lsquoतरसीrsquo फझाई एक याभ घनसमाभ ही त आधग फड़िाधगत फड़ी ह आधग ऩटकी|rdquo

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परशन१- कवितािरी ककस बारा भ सरखी गई ह

उततय - बरज बारा

परशन२- कवितािरी भ परमकत छॊद एिॊ यस को सऩरषट कीनदजए |

उततय - इस ऩद भ 31 31 िणो का चाय चयणो िारा सभिणणयक कवितत छॊद ह नदजसभ 16 एिॊ 15 िणो ऩय वियाभ होता ह

परशन३- कवितत भ परमकत अरॊकायो को छाॊट कय सरणखए

१ अनपरास अॊरकायndash

ककसफी ककसान-कर फननक सबखायी बाट

चाकय चऩर नट चोय चाय चटकी|

२ रऩक अरॊकायndash याभndash घनशमाभ

३ अनतशमोनदकत अरॊकायndash आधग फड़िाधग त फडड़ ह आग ऩट की

रकषभण- भचछाट औय याभ का पवराऩ

पवषम-वसत ऩय आधारयत परशनोततय

परशन १-lsquoति परताऩ उय याणख परब भ ककसक परताऩ का उलरख ककमा गमा हrsquoऔय कमो

उततय -इन ऩॉनदकतमो भ बयत क परताऩ का उलरख ककमा गमा ह हनभानजी उनक परताऩ का सभयण कयत हए अमोधमा क ऊऩय स उड़त हए सॊजीिनी र कय रॊका की ओय चर जा यह ह

परशन२- याभ विराऩ भ रकषभण की कौन सी विशरताएॉ उदघहटत हई ह

उततय -रकषभण का भात परभ तमागभम जीिन इन ऩॉनदकतमो क भाधमभ स उदघाहटत हआ ह

परशन३- फोर िचन भनज अनसायी स कवि का कमा तातऩमय ह

उततय -बगिान याभ एक साधायण भनरषम की तयह विराऩ कय यह ह ककसी अितायी भनरषम की तयह नहीॊ भात परभ का धचतरण ककमा गमा हतरसीदास की भानिीम बािो ऩय सशकत ऩकड़ हदिीम वमनदकतति का रीरा रऩ ईशिय याभ को भानिीम बािो स सभनदनदित कय दता ह

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परशन४- बाई क परनत याभ क परभ की परगाढ़ता उनक ककन विचायो स वमकत हई ह

उततय - जथा ऩॊख बफन खग अनत दीना

भनन बफन पनन करयफय कय हीना

अस भभ नदजिन फॊध बफन तोही

जो जड़ दि नदजआि भोही

परशन५- lsquoफहविधध सोचत सोचविभोचनrsquo का वियोधाबास सऩरषट कीनदजए

उततय -दीनजन को शोक स भकत कयन िार बगिान याभ सिमॊ फहत परकाय स सोच भ ऩड़कय दखी हो यह ह

परशन६- हनभान का आगभन करणा भ िीय यस का आना ककस परकाय कहा जा सकता ह

उततय -रदन कयत िानय सभाज भ हनभान उतसाह का सॊचाय कयन िार िीय यस क रऩ भ आ गए करणा की नदी हनभान दिाया सॊजीिनी र आन ऩय भॊगरभमी हो उठती ह

कपवतत औय सवमा

पवषम-वसत ऩय आधारयत परशनोततय

परशन१- ऩट की बख शाॊत कयन क सरए रोग कमा कमा कयत ह

उततय -ऩट की आग फझान क सरए रोग अननतक कामय कयत ह

परशन२- तरसीदास की दनदरषट भ साॊसारयक दखो स ननिनदतत का सिोततभ उऩाम कमा ह

उततय - ऩट की आग फझान क सरए याभ कऩा रऩी िराय का जर अननिामय हइसक सरए अननतक कामय कयन की आिशमकता नहीॊ ह

परशन३- तरसी क मग की सभसमाओॊ का धचतरण कीनदजए

उततय - तरसी क मग भ पराकनतक औय परशासननक िरमम क चरत उतऩनदन ऩीडा दरयदरजन क सरए यािण क सभान दखदामी हो गई ह

परशन४- तरसीदास की बनदकत का कौन सा सिरऩ परसतत कविततो भ असबवमकत हआ ह

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उततय - तरसीदास की बनदकत का दासम बाि सिरऩ परसतत कविततो भ असबवमकत हआ ह

9 रफाइमाॉ

कफ़याक गोयखऩयी

भर नाभndash यघऩनत सहाम कफ़याक

उदय शामयी की रयिामत क विऩयीत कपयाक गोयखऩयी क साहहतम भ रोक जीिन एिॊ परकनत की झरक सभरती ह साभानदजक सॊिदना िमनदकतक अनबनत फन कय उनकी यचनाओॊ भ वमकत हई हजीिन का कठोय मथाथय उनकी यचनाओॊ भ सथान ऩाता हउनदहोन रोक बारा क परतीको का परमोग ककमा ह राणणक परमोग उनकी बारा की विशरता हकियाक की रफाईमो भ घयर हहॊदी का रऩ हदखता ह |

रफाई उदय औय िायसी का एक छॊद मा रखन शरी ह नदजसभ चाय ऩॊनदकतमाॉ होती ह |इसकी ऩहरी दसयी औय चौथी ऩॊनदकत भ तक (काकिमा)सभरामा जाता ह तथा तीसयी ऩॊनदकत सिचछॊद होती ह |

ldquoिो रऩिती भखड़ ऩ इक नभय दभकrdquo

ldquoफचच क घयोद भ जराती ह हदएldquo

ldquoयाफॊधन की सफह यस की ऩतरीrdquo

ldquoबफजरी की तयह चभक यह ह रचछrdquo

ldquoबाई क ह फाॉधती चभकती याखीldquo- जस परमोग उनकी बारा की सशकतता क नभन क तौय ऩय दख जा सकत ह |

साय

रफाइमाॉ

याफॊधन एक भीठा फॊधन ह याफॊधन क कचच धागो ऩय बफजरी क रचछ ह सािन भ याफॊधन आता ह सािन का जो सॊफॊध झीनी घटा स ह घटा का जो सॊफॊध बफजरी स ह िही सॊफॊध बाई का फहन स होता ह

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गज़र

ऩाठ भ कपयाक की एक गज़र बी शासभर ह रफाइमो की तयह ही कपयाक की गजरो भ बी हहॊदी सभाज औय उदय शामयी की ऩयॊऩया बयऩय ह इसका अदभत नभना ह मह गज़र मह गज़र कछ इस तयह फोरती ह कक नदजसभ ददय बी ह एक शामय की ठसक बी ह औय साथ ही ह कावम-सशलऩ की िह ऊॉ चाई जो गज़र की विशरता भानी जाती ह

अथट-गरहण-सॊफॊधी परशन

ldquoआॉगन भ सरए चाॉद क टकड़ को खड़ी

हाथो ऩ झराती ह उस गोद-बयी

यह-यह क हिा भ जो रोका दती ह

गॉज उठती ह णखरणखरात फचच की हॉसीrdquo

परशन१- lsquoचाॉद क टकड़rsquoका परमोग ककसक सरए हआ ह औय कमो

उततय -फचच को चाॉद का टकड़ा कहा गमा ह जो भाॉ क सरए फहत पमाया होता ह

परशन२- गोद-बयी परमोग की विशरता को सऩरषट कीनदजए |

उततय - गोद-बयी शबद-परमोग भाॉ क वातसलमऩणट आनॊठदत उतसाह को परकट कयता ह |मह अतमॊत सॊदय दशम बफॊफ ह | सनी गोद क विऩयीत गोद का बयना भाॉ क लरए असीभ सौबागम का सचक ह |इसी सौबागम का सकषभ अहसास भाॉ को तजतत द यहा ह|

परशन३- रोका दना ककस कहत ह

उततय - जफ भाॉ फचच को फाहो भ रकय हिा भ उछारती ह इस रोका दना कहत ह|छोट फचचो को मह खर फहत अचछा रगता ह

परशन४- फचचा भाॉ की गोद भ कसी परनतककरमा कयता ह

उततय - हिा भ उछारन ( रोका दन) स फचचा भाॉ का िातसलम ऩाकय परसनदन होता ह औय णखरणखरा कय हॉस ऩड़ता हफचच की ककरकारयमाॉ भाॉ क आनॊद को दगना कय दती ह|

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सौदमट-फोध-सॊफॊधी परशन

ldquoनहरा क छरक-छरक ननभयर जर स

उरझ हए गसओॊ भ कॊ घी कयक

ककस पमाय स दखता ह फचचा भॉह को

जफ घटननमो भ रक ह वऩनदहाती कऩड़rdquo

परशन१- परसतत ऩॊनदकतमो क बाि सौदमय को सऩरषट कीनदजए |

उततय - भाॉ न अऩन फचच को ननभयर जर स नहरामा उसक उरझ फारो भ कॊ घी की |भाॉ क सऩशय एिॊ नहान क आनॊद स फचचा परसनदन हो कय फड़ परभ स भाॉ को ननहायता ह| परनतहदन की एक सिाबाविक ककरमा स कस भाॉ-फचच का परभ विकससत होता ह औय परगाढ़ होता चरा जाता ह इस बाि को इस रफाई भ फड़ी सकषभता क साथ परसतत ककमा गमा ह|

परशन२- कावमाॊश भ आए बफॊफो को सऩरषट कीनदजए |

उततय -१ldquoनहरा क छरक-छरक ननभटर जर सrdquo- इस परमोग दिाया कवि न फारक की ननभयरता एिॊ ऩवितरता को जर की ननभयरता क भाधमभ स अॊककत ककमा ह | छरकना शबद जर की ताजा फॊदो का फारक क शयीय ऩय छरछरान का सॊदय दशम बफॊफ परसतत कयता ह |

२ lsquoघटननमो भ रक ह पऩनहाती कऩड़rsquo- इस परमोग भ भाॉ की फचच क परनत सािधानी चॊचर फचच को चोट ऩहॉचाए बफना उस कऩड़ ऩहनान स भाॉ क भातति की कशरता बफॊबफतहोती ह |

३ ldquoककस तमाय स दखता ह फचचा भॉह कोrdquo- ऩॊनदकत भ भाॉ ndashफचच का िातसलम बफॊबफत हआ ह | भाॉ स पमाय ndashदराय सऩशय ndashसख नहराए जान क आनॊद को अनबि कयत हए फचचा भाॉ को पमाय बयी नजयो स दख कय उस सख की असबवमनदकत कय यहा ह |मह सकषभ बाि अतमॊत भनोयभ फन ऩड़ा ह |सॊऩणय रफाई भ दशम बफॊफ ह|

परशन ३-कावमाॊश क शबद-परमोग ऩय हटपऩणी सरणखए |

उततय -गस ndashउदय शबदो का परमोग

घटननमो वऩनदहाती ndash दशज शबदो क भाधमभ स कोभरता की असबवमनदकत

छरक ndashछरक ndashशबद की ऩनयािनदतत स अबी ndashअबी नहराए गए फचच क गीर शयीय का बफॊफ

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आहद विरण परमोग रफाइमो को विसशरषट फना दत ह | हहॊदीउदय औय रोकबारा क अनठ गठफॊधन की झरक नदजस गाॊधीजी हहॊदसतानी क रऩ भ ऩलरवित कयना चाहत थदखन को सभरती ह |

पवषम-वसत ऩय आधारयत परशनोततय

रफाइमाॉ

परशन १ -कावम भ परमकत बफॊफो का िणयन अऩन शबदो भ कीनदजए

उततय -

दशम बफॊफ -फचच को गोद भ रना हिा भ उछारना सनान कयाना घटनो भ रकय कऩड़ ऩहनाना|

शरवमबफॊफ - फचच का णखरणखरा कय हॉस ऩड़ना सऩशय बफॊफ -फचच को सनान कयात हए सऩशय कयना |

परशन २-ldquoआॉगन भ ठनक यहा ह नदज़दमामा ह फारक तो हई चाॉद ऩ ररचामा हrsquo- भ फारक की कौन सी विशरता असबवमकत हई ह

उततय - इन ऩॊनदकतमो भ फारक की हि कयन की पवशषता असबवमकत हई ह फचच जफ नदजद ऩय आ जात ह तो अऩनी इचछा ऩयी कयिान क सरए नाना परकाय की हयकत ककमा कयत ह| नदज़दमामा शबद रोक बाषा का पवरण परमोग ह इसभ फचच का िनकना तनकना ऩाॉव ऩटकना योना आठद सबी ककरमाएॉ शासभर ह |

परशन ३ रचछ ककस कहा गमा ह इनका सॊफॊध ककस तमौहाय स ह

उततय - याखी क चभकीर तायो को रचछ कहा गमा ह याफॊधन क कचच धागो ऩय बफजरी क रचछ ह सािन भ याफॊधन आता ह सािन का जो सॊफॊध झीनी घटा स ह घटा का जो सॊफॊध बफजरी स ह िही सॊफॊध बाई का फहन स होता ह|सािन भ बफजरी की चभक की तयह याखी क चभकीर धागो की सॊदयता दखत ही फनती ह|

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अथट-गरहण-सॊफॊधी परशन

गज़र

कफ़याक गोयखऩयी

ldquoनौयस गॊच ऩॊखडड़मो की नाज़क धगयह खोर ह

मा उड़ जान को यॊगो- फ गरशन भ ऩय तौर ह |rdquo

परशन१- lsquoनौयसrsquo विशरण दिाया कवि ककस अथय की वमॊजना कयना चाहता ह

उततय नौयस अथायत नमा यस गॊच अथायत कसरमो भ नमा ndashनमा यस बय आमा ह |

परशन२- ऩॊखडड़मो की नाज़क धगयह खोरन का कमा असबपराम ह

उततय - यस क बय जान स कसरमाॉ विकससत हो यही ह |धीय-धीय उनकी ऩॊखडड़माॉ अऩनी फॊद गाॉठ खोर यही ह | कवि क शबदो भ नियस ही उनकी फॊद गाॉठ खोर यहा ह|

परशन३- lsquoयॊगो- फ गरशन भ ऩय तौर हrsquo ndash का अथय सऩरषट कीनदजए|

उततय -यॊग औय सगॊध दो ऩी ह जो कसरमो भ फॊद ह तथा उड़ जान क सरए अऩन ऩॊख पड़पड़ा यह ह |मह नदसथनत कसरमो क पर फन जान स ऩिय की ह जो पर फन जान की परतीा भ ह |rsquoऩय तौरनाrsquo एक भहािया ह जो उड़ान की भता आॉकन क सरए परमोग ककमा जाता ह |

परशन४- इस शय का बाि-सौदमय वमकत कीनदजए|

उततय -कसरमो की नई-नई ऩॊखडड़माॉ णखरन रगी ह उनभ स यस भानो टऩकना ही चाहता ह | िमसॊधध(ककशोयी)नानमका क परसपहटत होत सौदमय का परतीकातभक धचतरण अतमॊत सॊदय फन ऩड़ा ह |

सौदमट-फोध-सॊफॊधी परशन

हभ हो मा ककसभत हो हभायी दोनो को इक ही काभ सभरा ककसभत हभ को यो रि ह हभ ककसभत को यो र ह| जो भझको फदनाभ कय ह काश ि इतना सोच सक

भया ऩदाय खोर ह मा अऩना ऩदाय खोर ह | परशन१- इन शयो की बारा सॊफॊधी विशरताएॉ सऩरषट कीनदजए |

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उततय- १ भहाियो का परमोग ndashककसभत का योना ndashननयाशा का परतीक

२सयर असबवमनदकत बारा भ परिाहभमता ह ककसभत औय ऩयदा शबदो की ऩनयािनदततमाॉ

भोहक ह|

३ हहॊदी का घयर रऩ

परशन२- lsquoभया ऩयदा खोर ह मा अऩना ऩयदा खोर ह lsquo- की बावरक विशरता सरणखए |

उततय -भहािय क परमोग दिाया वमॊजनातभक असबवमनदकत | ऩयदा खोरना ndash बद खोरना सचचाई फमान कयना|

परशन३-lsquoहभ हो मा ककसभत हो हभायी lsquo ndashपरमोग की विशरता फताइए |

उततय - हभ औय ककसभत दोनो शबद एक ही वमनदकत अथायत कियाक क सरए परमकत ह | हभ औय ककसभत भ अबद ह मही विशरता ह |

कफ़याक गोयखऩयी

पवषम-वसत ऩय आधारयत परशनोततय

परशन१- ताय आॉख झऩकाि ह ndashका तातऩमय सऩरषट कीनदजए |

उततय- याबतर का सनदनाटा बी कछ कह यहा हइससरए ताय ऩरक झऩका यह ह विमोग की नदसथनत भ परकनत बी सॊिाद कयती परतीत होती ह |

परशन२- lsquoहभ हो मा ककसभत हो हभायीrsquo भ ककस बाि की असबवमनदकत हई ह

उततय- जीिन की विडॊफना ककसभत को योना-भहािय क परमोग स सटीक असबवमनदकत परापत कयती ह कवि जीिन स सॊतरषट नहीॊ ह | बागम स सशकामत का बाि इन ऩॊनदकतमो भ झरकता ह |

परशन३- परभ क ककस ननमभ की असबवमनदकत कवि न की ह

उततय -ईशिय की परानदपत सियसि रटा दन ऩय होती ह परभ क सॊसाय का बी मही ननमभ ह|कवि क शबदो भ rdquo कितयत का कामभ ह तिाज़न आरभ- हसनो ndashइशक भ बी

उसको उतना ही ऩात ह खद को नदजतना खो र ह |rdquo

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१ बाि ndashसामम- कफीय -lsquoसीस उताय बई धय तफ सभसरह कयतायlsquo-अथायत -सिमॊ को खो कय ही परभ परानदपत की जा सकती ह

२ बाि सामम- कफीय ndashनदजन ढॉढा नतन ऩाइमाॉ गहय ऩानी ऩहठ|

भ फऩया फडन डया यहा ककनाय फहठ |

परशन४- शयाफ की भहकपर भ शयाफी को दय यात कमा फात माद आती ह

उततय - शयाफ की भहकपर भ शयाफी को दय यात माद आती ह कक आसभान भ भनरषम क ऩाऩो का रखा-जोखा होता ह जस आधी यात क सभम परयशत रोगो क ऩाऩो क अधमाम खोरत ह िस ही यात क सभम शयाफ ऩीत हए शामय को भहफफा की माद हो आती ह भानो भहफफा परयशतो की तयह ऩाऩ सथर क आस ऩास ही ह

परशन५- सदक कियाकndashndashndashइन ऩॊनदकतमो का अथय सऩरषट कीनदजए |

उततय -सदक कियाकndashndashndashइन ऩॊनदकतमो भ कियाक कहत ह कक उनकी शामयी भ भीय की शामयी की उतकरषटता धिननत हो यही ह

परशन६- ऩॊखडड़मो की नाज़क धगयह खोरना कमा ह

उततय -ऩॉखडड़मो की नाजक धगयह खोरना उनका धीय -धीय विकससत होना ह

िमसॊधध(ककशोयी)नानमका क परसपहटत होत सौदमय की ओय सॊकत ह |

परशन७-lsquoमो उड़ जान को यॊगो फ गरशन भ ऩय तौर हrsquo बाि सऩरषट कीनदजए

उततय -कसरमो की सिास उड़न क सरए भानो ऩय तौर यही होअथायत खशफ का झोका यहndashयह कय उठता ह

परशन८- कवि दिाया िणणयत याबतर क दशम का िणयन अऩन शबदो भ कीनदजए

उततय - याबतर का सनदनाटा बी कछ कह यहा हइससरए ताय ऩरक झऩका यह हरगता ह कक परकनत का कण-कण कछ कह यहा ह |

परशन९- कवि अऩन िमनदकतक अनबि ककन ऩॉनदकतमो भ वमकत कय यहा ह

जीिन की विडॊफना-lsquoककसभत को योनाlsquo भहािय क परमोग स सटीक असबवमनदकत परापत कयती ह

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ldquoहभ हो मा ककसभत हो हभायी दोनो को इक ही काभ सभरा

ककसभत हभ को यो रि ह हभ ककसभत को यो र ह|rdquo

परशन१०- शामय न दननमा क ककस दसतय का िणयन ककमा ह

उततय -शामय न दननमा क इस दसतय का िणयन ककमा ह कक रोग दसयो को फदनाभ कयत ह ऩयॊत ि नहीॊ जानत कक इस तयह ि अऩनी दरषट परकनत को ही उदघाहटत कयत ह

परशन११- परभ की कितयत कवि न ककन शबदो भ असबवमकत की ह

सिमॊ को खो कय ही परभ की परानदपत की जा सकती ह ईशिय की परानदपत सियसि रटा दन ऩय होती ह परभ क सॊसाय का बी मही ननमभ ह

परशन१२- कियाक गोयखऩयी ककस बारा क कवि ह

उततय - उदय बारा

10 छोटा भया खत

उभाशॊकय जोशी

(गजयाती कपव)

उभाशॊकय जोशी फीसिीॊ सदी क गजयाती क भधयनदम कवि सॊसकत िाङभम क विदिान हउनदहोन गजयाती कविता को परकनत स जोड़ाआभ आदभी क जीिन की झरक उनकी यचनाओॊ भ सभरती ह

छोटा भया खत

साय

खती क रऩक दिाया कावम यचनाndash परककरमा को सऩषट ककमा गमा हकावम कनत की यचना फीजndash वऩन स रकय ऩौध क ऩजषऩत होन क पवलबनन चयणो स गजयती हअॊतय किर इतना ह कक कपव कभट की पसर कारजमी शाशित होती हउसका यस-यण अम होता हकागज का ऩनदना नदजस ऩय यचना शबदफदध होती ह कवि को एक चौकोय खत की तयह रगता ह इस खत

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भ ककसी अॉधड़ (आशम बािनातभक आॉधी स होगा) क परबाि स ककसी ण एक फीज फोमा जाता ह मह फीज-यचना विचाय औय असबवमनदकत का हो सकता ह मह भर रऩ कलऩना का सहाया रकय विकससत होता ह औय परककरमा भ सिमॊ विगसरत हो जाता ह उसस शबदो क अॊकय ननकरत ह औय अॊतत कनत एक ऩणय सिरऩ गरहण कयती ह जो कवर-कभय क सरहाज स ऩलरवित -ऩनदरषऩत होन की नदसथनत ह साहहनदतमक कनत स जो अरौककक यस-धाया पटती ह िह ण भ होन िारी योऩाई का ही ऩरयणाभ ह ऩय मह यस-धाया अनॊत कार तक चरन िारी कटाई ह |

फगरो क ऩॊख

साय

फगरो क ऩॊख कविता एक चार बफॊफ की कविता ह सौदमय का अऩकषत परबाि उतऩनदन कयन क सरए कविमो न कई मनदकतमाॉ अऩनाई ह नदजसभ स सफस परचसरत मनदकत ह-सौदमय क वमौयो क धचतरातभक िणयन क साथ अऩन भन ऩय ऩड़न िार उसक परबाि का िणयन औय आतभगत क सॊमोग की मह मनदकत ऩाठक को उस भर सौदमय क कापी ननकट र जाती ह जोशी जी की इस कविता भ ऐसा ही ह कवि कार फादरो स बय आकाश भ ऩॊनदकत फनाकय उड़त सपद फगरो को दखता ह ि कजयाय फादरो भ अटका-सा यह जाता ह िह इस भामा स अऩन को फचान की गहाय रगाता ह कमा मह सौदमय स फाॉधन औय विॊधन की चयभ नदसथनत को वमकत कयन का एक तयीका ह

परकनत का सितॊतर (आरॊफन गत ) धचतरण आधननक कविता की विशरता हधचतरातभक िणयन दिाया कवि न एक ओय कार फादरो ऩय उड़ती फगरो की शित ऩॊनदकत का धचतर अॊककत ककमा ह तो दसयी ओय इस अपरनतभ दशम क रदम ऩय ऩड़न िार परबाि को धचबतरत ककमा हभॊतर भगध कवि इस दशम क परबाि स आतभ विसभनत की नदसथनत तक ऩहॉच जाता हविरम एिॊ विरमीगत सौनददमय क दोनो रऩ कविता भ उदघाहटत हए ह

अथट-गरहण-सॊफॊधी परशन

ldquoछोटा भया खत चौकोना

कागज़ का एक ऩनदना कोई अॊधड़ कहीॊ स आमा

ण का फीज िहाॉ फोमा गमा|

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कलऩना क यसामनो को ऩी

फीज गर गमा ननशर शबद क अॊकय पट

ऩलरि ndashऩरषऩो स नसभत हआ विशर |rdquo

परशन १lsquoछोटा भया खतrsquo ककसका परतीक ह औय कमो

उततय - परशन२ lsquoछोटा भया खतrsquo काग़ज क उस ऩनदन का परतीक ह नदजस ऩय कवि अऩनी कविता सरखता ह

परशन २ कवि खत भ कौनndashसा फीज फोता ह

उततय - कवि खत भ अऩनी कलऩना का फीज फोता ह

परशन ३ कवि की कलऩना स कौन स ऩलरि अॊकरयत होत ह

उततय - कवि की कलऩना स शबद क ऩलरि अॊकरयत होत ह

परशन ४ उऩमयकत ऩद का बाि-सौदमय सऩरषट कीनदजए |

उततय - खती क रऩक दिाया कावम-यचनाndashपरककरमा को सऩषट ककमा गमा हकावम कनत की यचना फीजndash वऩन स रकय ऩौध क ऩजषऩत होन क पवलबनन चयणो स गजयती हअॊतय किर इतना ह कक कपव कभट की पसर कारजमी शाशित होती हउसका यस-यण अम होता ह

सौदमट-फोध-सॊफॊधी परशन

ldquoझभन रग पर

यस अरौककक

अभत धायाएॉ पटतीॊ

योऩाई ण की

कटाई अनॊतता की

रटत यहन स जया बी कभ नहीॊ होती |

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यस का अम ऩातर सदा का

छोटा भया खत चौकोना |rdquo

परशन इस कविता की बारा सॊफॊधी विशरताओॊ ऩय परकाश डासरए ndash

उततय - १ परतीकातभकता

२ राणणकता -

२रऩक अरॊकायndash यस का अम ऩातर सदा का

छोटा भया खत चौकोना

परशन २ यस अरौककक अभत धायाएॉ योऩाई ndash कटाई-परतीको क अथय सऩरषट कीनदजए |

उततय - यस अरौककक ndash कावम यस ननरषऩनदतत

अभत धायाएॉ- कावमानॊद

योऩाई ndash अनबनत को शबदफदध कयना

कटाई ndashयसासिादन

पवषम-वसत ऩय आधारयत परशनोततय

कपवता ndash

छोटा भया खत

परशन १ उभाशॊकय जोशी न ककस बारा भ कविताएॉ सरखी ह

उततय - गजयाती बारा

परशन२ कवरndashकभय एिॊ कविndashकभय भ कमा कमा सभानताएॉ ह

उततय - कवरndashकभय एिॊ कविndashकभय भ ननमनसरणखत सभानताएॉ ह-

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कावम कनत की यचना फीजndash वऩन स रकय ऩौध क ऩजषऩत होन क पवलबनन चयणो स गजयती ह

कपषndashकभट एवॊ कपवndashकभट भ सभानताएॉ -

कागज का ऩनदना नदजस ऩय यचना शबदफदध होती ह कवि को एक चौकोय खतरगता ह इस खत भ ककसी अॉधड़ (आशम बािनातभक आॉधी स होगा) क परबाि स ककसी ण

एक फीज फोमा जाता ह मह फीज-यचना विचाय औय असबवमनदकत का हो सकता ह मह भर रऩ कलऩना का सहाया रकय विकससत होता ह औय परककरमा भ सिमॊ विगसरत

हो जाता ह इसीपरकाय फीज बी खाद ऩानी समय की योशनी हिा आहद रकय विकससत होता ह |

कावम ndashयचना स शबदो क अॊकय ननकरत ह औय अॊतत कनत एक ऩणय सिरऩ गरहण कयती ह जो कवर-कभय क सरहाज स ऩलरवित ndashऩनदरषऩत औय पसरत होन की नदसथनत ह अथट-गरहण-सॊफॊधी परशन

कपवताndash फगरो क ऩॊख

नब भ ऩाॉती- फॉध फगरो क ऩॊख

चयाए सरए जातीॊ ि भयी आॉख |

कजयाय फादरो की छाई नब छामा

हौरndashहौर जाती भझ फाॉध ननज भामा स |

उस कोई तननक योक यकखो |

िह तो चयाए सरए जाती भयी आॉख

नब भ ऩाॉती- फॉधी फगरो की ऩाॉख |

तयती साॉझ की सतज शित कामा|

परशन१- इस कविता भ कवि न ककसका धचतरण ककमा ह

उततय - कवि न कार फादरो ऩय उड़ती फगरो की शित ऩॊनदकत का धचतरण ककमा ह|

परशन२- आॉख चयान का कमा अथय ह

उततय - आॉख चयान का आशम ह ndashधमान ऩयी तयह खीॊच रना एकटक दखना भॊतरभगध कय दना

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परशन३-

ldquoकजयाय फादरो की छाई नब छामा

हौर ndashहौर जाती भझ फाॉध ननज भामा स |rdquo- आशम सऩरषट कीनदजए |

उततय- कार फादरो क फीच साॉझ का सयभई िाताियण फहत सॊदय हदखता ह | ऐसा अपरनतभ सौदमय अऩन आकरयण भ कवि को फाॉध रता ह |

परशन ४ ldquoउस कोई तननक योक यकखो |rsquo- स कवि का कमा असबपराम ह

उततय - फगरो की ऩॊनदकत आकाश भ दय तक उड़ती जा यही ह कवि की भॊतरभगध आॉख उनका ऩीछा कय यही ह | कवि उन फगरो को योक कय यखन की गहाय रगा यहा ह कक कहीॊ ि उसकी आॉख ही अऩन साथ न र जाएॉ |

सौदमट-फोध-सॊफॊधी परशन

परशन १ कविता की बारा सॊफॊधी दो विशरताएॉ सरणखए|

उततय -१ धचतरातभक बारा

२ फोरचार क शबदो का परमोग - हौर ndashहौर ऩाॉती कजयायसाॉझ

परशन २ कविता भ परमकत अरॊकाय चन कय सरणखए |

उततय - अनपरास अरॊकाय - फॉध फगरो क ऩॊख

भानिीकयण अरॊकाय - चयाए सरए जातीॊ ि भयी आॉख |

परशन ३ -lsquo ननज भामाrsquo क राणणक अथय को सऩरषट कीनदजए |

उततय - परकनत का अपरनतभ सौदमय िह भामा ह जो कवि को आतभविबोय कय दती हमह ऩॊनदकत बी परशॊसातभक उनदकत ह

पवषम-वसत ऩय आधारयत परशनोततय

परशन१- lsquoचयाए सरए जाती ि भयी ऑ ॊखrsquo स कवि का कमा तातऩमय ह

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उततय -धचतरातभक िणयन दिाया कवि न एक ओय कार फादरो ऩय उड़ती फगरो की शित ऩॊनदकत का धचतर अॊककत ककमा ह तथा इस अपरनतभ दशम क रदम ऩय ऩड़न िार परबाि को धचबतरत ककमा ह कवि क अनसाय मह दशम उनकी आॉख चयाए सरए जा यहा ह |भॊतर भगध कवि इस दशम क परबाि स आतभ विसभनत की नदसथनत तक ऩहॉच जाता ह

परशन२-कवि ककस भामा स फचन की फात कहता ह

उततय - भामा विशि को अऩन आकरयण भ फाॉध रन क सरए परससदध ह | कफीय न बी lsquoभामा भहा ठधगनी हभ जानीrsquo कहकय भामा की शनदकत को परनतऩाहदत ककमा ह | कार फादरो भ फगरो की सॊदयता अऩना भामा जार परा कय कवि को अऩन िश भ कय यही ह |

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आयोह बाग-२ गदम-बाग

परशन-सॊखमा १०- गदम खॊड भ हदए गए ऩहठत गदमाॊश स अथयगरहण सॊफॊधी चाय परशन ऩछ जाएॉग नदजनक सरए ननधायरयत अॊक (२४=८) ह |

परशन-सॊखमा ११- ऩाठो की विरमिसत स सॊफॊधधत ऩाॉच भ स चाय परशनो क उततय दन ह नदजनक सरए ननधायरयत अॊक (३४=१२) ह|

ऩयीा भ अचछ अॊक परातत कयन क लरए धमान दन मोगम फात ndash

1 रख एिॊ ितयनी की शदधता तथा िाकम-गठन ऩय धमान द | 2 हय ऩाठ का सायऩरषठबसभविरमिसत तथाकथानक को सभझना आिशमक ह |

अतविदमाथी हय ऩाठ का सायाॊश बरीबाॉनत माद कय र | 3 परशनो को धमान स ऩढ़ तदनसाय अऩकषत उततय सरख | 4 उततय सरखत सभम सॊफॊधधत भखम बफॊदओॊ का शीरयकफनात हए उततय सरख मथा-तीन

अॊक क परशनो क उततय सरखत सभम कभ स कभ तीन भखम उततय-बफ ॊदओॊ का उलरख कयत हए उततय सऩरषट कय |

5 अॊक-मोजना क अनसाय ननधायरयत शबद-सीभा क अॊतगयत उततय सरख | ऩयीाथी कई फाय एक अॊक क परशन का उततय फहत रॊफा कई फाय ऩया ऩरषठ सरख दत ह जो सभम औय ऊजाय की फफायदी ह |

6 धमान यह कक अधधक सरखन स अचछ अॊक नहीॊ आत फनदलक सयर-सफोध बारा भ सरख गए सटीक उततय सायगसबयत तथम तथा उदाहयण क दिाया सऩरषट ककए गए उततय परबािशारी होत ह |

ऩाि 11 - बजकतन

रखखका- भहादवी वभाट

ऩाि का सायाॊश- बनदकतन नदजसका िासतविक नाभ रकषभी थारणखका lsquoभहादिी िभायrsquo की सविका ह | फचऩन भ ही बनदकतन की भाॉ की भतम हो गमी| सौतरी भाॉ न ऩाॉच िरय की आम भ वििाह तथा नौ िरय की आम भ गौना कय बनदकतन को ससयार बज हदमा| ससयार भ बनदकतन न तीन फहटमो को जनदभ हदमा नदजस कायण उस सास औय नदजठाननमो की उऩा सहनी ऩड़ती थी| सास औय नदजठाननमाॉ आयाभ पयभाती थी औय बनदकतन तथा उसकी ननदहीॊ फहटमो को घय औय खतो का साया काभ कयना ऩडता था| बनदकतन का ऩनत उस फहत चाहता था| अऩन ऩनत क सनह क फर ऩय बनदकतन न ससयार िारो स अरगौझा कय अऩना अरग घय फसा सरमा औय सख स यहन रगी ऩय बनदकतन का दबायगम अलऩाम भ ही उसक ऩनत की भतम हो गई | ससयार िार

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बनदकतन की दसयी शादी कय उस घय स ननकारकय उसकी सॊऩनदतत हड़ऩन की सानदजश कयन रग| ऐसी ऩरयनदसथनत भ बनदकतन न अऩन कश भॊडा सरए औय सॊनदमाससन फन गई | बनदकतन सिासबभानी सॊघरयशीर कभयठ औय दढ सॊकलऩ िारी सतरी ह जो वऩतसततातभक भानदमताओॊ औय छर-कऩट स बय सभाज भ अऩन औय अऩनी फहटमो क हक की रड़ाई रड़ती हघय गहसथी सॉबारन क सरए अऩनी फड़ी फटी दाभाद को फरा सरमा ऩय दबायगम न महाॉ बी बनदकतन का ऩीछा नहीॊ छोड़ा अचानक उसक दाभाद की बी भतम हो गमी| बनदकतन क जठ-नदजठौत न सानदजश यचकय बनदकतन की विधिा फटी का वििाह जफयदसती अऩन तीतयफाज सार स कय हदमा| ऩॊचामत दिाया कयामा गमा मह सॊफॊध दखदामी यहा | दोनो भाॉ-फटी का भन घय-गहसथी स उचट गमा ननधयनता आ गमी रगान न चका ऩान क कायण जभीॊदाय न बनदकतन को हदन बय धऩ भ खड़ा यखा| अऩभाननत बनदकतन ऩसा कभान क सरए गाॉि छोड़कय शहय आ जाती ह औय भहादिी की सविका फन जाती ह| बनदकतन क भन भ भहादिी क परनत फहत आदय सभऩयण औय असबबािक क सभान अधधकाय बाि ह| िह छामा क सभान भहादिी क साथ यहती ह| िह यात-यात बय जागकय धचतरकायी मा रखन जस कामय भ वमसत अऩनी भारककन की सिा का अिसय ढॉढ रती ह| भहादिी बनदकतन को नहीॊ फदर ऩामी ऩय बनदकतन न भहादिी को फदर हदमा| बनदकतन क हाथ का भोटा-दहाती खाना खात-खात भहादिी का सिाद फदर गमा बनदकतन न भहादिी को दहात क ककसस-कहाननमाॉ ककॊ िदॊनतमाॉ कॊ ठसथ कया दी| सिबाि स भहाकॊ जस होन ऩय बी बनदकतन ऩाई-ऩाई कय जोडी हई १०५ रऩमो की यासश को सहरय भहादिी को सभवऩयत कय दती ह| जर क नाभ स थय-थय काॉऩन िारी बनदकतन अऩनी भारककन क साथ जर जान क सरए फड़ राट साहफ तक स रड़न को बी तमाय हो जाती ह| बनदकतन भहादिी क जीिन ऩय छा जान िारी एक ऐसी सविका ह नदजस रणखका नहीॊ खोना चाहती

ऩाि आधारयत परशनोततय

नोट- उततय भ ननहहत यखाॊककत िाकम भखम सॊकत बफॊद ह |

परशन 1-बजकतन का वासतपवक नाभ कमा था वह अऩन नाभ को कमो छऩाना चाहती थी

उततय-बनदकतन का िासतविक नाभ रकषभी था हहनददओॊ क अनसायरकषभी धन की दिीह चॉकक बनदकतन गयीफ थी| उसक िासतविक नाभ क अथय औय उसक जीिन क मथाथय भ वियोधाबास ह ननधयन बनदकतन सफको अऩना असरी नाभ रकषभी फताकय उऩहास का ऩातर नहीॊ फनना चाहती थी इससरए िह अऩना असरी नाभ छऩाती थी

परशन 2- रखखका न रकषभी का नाभ बजकतन कमो यखा

उततय-घटा हआ ससय गर भ कॊ ठी भारा औय बकतो की तयह सादगीऩणय िशबरा दखकय भहादिी िभाय न रकषभी का नाभ बनदकतन यख हदमा | मह नाभ उसक वमनदकतति स ऩणयत भर खाता था |

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परशन 3-बजकतन क जीवन को ककतन ऩरयचछदो भ पवबाजजत ककमा गमा ह

उततय- बनदकतन क जीिन को चाय बागो भ फाॉटा गमा ह-

ऩहरा ऩरयचछद-बनदकतन का फचऩन भाॉ की भतम विभाता क दिाया बनदकतन का फार-वििाह कया दना

दपवतीम ऩरयचछद-बनदकतन का ििाहहक जीिन सास तथा नदजठाननमो का अनदमामऩणय वमिहाय ऩरयिाय स अरगौझा कय रना

ततीम ऩरयचछद- ऩनत की भतम विधिा क रऩ भ सॊघरयशीर जीिन चतथट ऩरयचछद- भहादिी िभाय की सविका क रऩ भ

परशन 4- बजकतन ऩाि क आधाय ऩय बायतीम गराभीण सभाज भ रड़क-रड़ककमो भ ककम जान वार बदबाव का उलरख कीजजए |

बायतीम गराभीण सभाज भ रड़क-रड़ककमो भ बदबाि ककमा जाता ह| रड़ककमो को खोटा ससकका मा ऩयामा धन भाना जाता ह| बनदकतन न तीन फहटमो को जनदभ हदमा नदजस कायण उस सास औय नदजठाननमो की उऩा सहनी ऩड़ती थी| सास औय नदजठाननमाॉ आयाभ पयभाती थी कमोकक उनदहोन रड़क ऩदा ककए थ औय बनदकतन तथा उसकी ननदहीॊ फहटमो को घय औय खतो का साया काभ कयना ऩडता था| बनदकतन औय उसकी फहटमो को रखा-सखा भोटा अनाज खान को सभरता था जफकक उसकी नदजठाननमाॉ औय उनक कार-करट फट दध-भराई याफ-चािर की दाित उड़ात थ

परशन 5-बजकतन ऩाि क आधाय ऩय ऩॊचामत क नमाम ऩय ठटतऩणी कीजजए |

बनदकतन की फटी क सनददबय भ ऩॊचामत दिाया ककमा गमा नदमाम तकय हीन औय अॊध कानन ऩय आधारयतह | बनदकतन क नदजठौत न सॊऩनदतत क रारच भ रडमॊतर कय बोरी फचची को धोख स जार भ पॊ सामा| ऩॊचामत न ननदोर रड़की की कोई फात नहीॊ सनी औय एक तयिा पसरा दकय उसका वििाह जफयदसती नदजठौत क ननकमभ तीतयफाज सार स कय हदमा | ऩॊचामत क अॊध कानन स दरषटो को राब हआ औय ननदोर को दॊड सभरा |

परशन 6-बजकतन की ऩाक-करा क फाय भ ठटतऩणी कीजजए |

बनदकतन को ठठ दहाती सादा बोजन ऩसॊद था | यसोई भ िह ऩाक छत को फहत भहतति दती थी | सफह-सिय नहा-धोकय चौक की सपाई कयक िह दिाय ऩय कोमर की भोटी यखा खीॊच दती थी| ककसी को यसोईघय भ परिश कयन नहीॊ दती थी| उस अऩन फनाए बोजन ऩय फड़ा असबभान था| िह अऩन फनाए बोजन का नतयसकाय नहीॊ सह सकती थी |

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परशन 7- लसदध कीजजए कक बजकतन तकट -पवतकट कयन भ भाठहय थी |

बनदकतन तकय ऩट थी | कश भॉडान स भना ककए जान ऩय िह शासतरो का हिारा दत हए कहती ह lsquoतीयथ गए भॉडाए ससदधrsquo | घय भ इधय-उधय यख गए ऩसो को िह चऩचाऩ उठा कय छऩा रती ह टोक जानऩय िह िह इस चोयी नही भानती फनदलक िह इस अऩन घय भ ऩड़ ऩसो को सॉबारकय यखना कहती ह| ऩढाई-सरखाई स फचन क सरए बी िह अचक तकय दती ह कक अगय भ बी ऩढ़न रगॉ तो घय का काभ कौन दखगा

परशन 8-बजकतन का दबाटगम बी कभ हिी नही था रखखका न ऐसा कमो कहा ह

उततय- बजकतन का दबाटगम उसका ऩीछा नहीॊ छोड़ता था-

1- फचऩन भ ही भाॉ की भतम 2- विभाता की उऩा 3- बनदकतन(रकषभी) का फारवििाह 4- वऩता का ननधन 5- तीन-तीन फहटमो को जनदभ दन क कायण सास औय नदजठाननमो क दिाया बनदकतन की

उऩा 6- ऩनत की असभम भतम 7- दाभाद का ननधन औय ऩॊचामत क दिाया ननकमभ तीतयफाज मिक स बनदकतन की विधिा

फटी का जफयन वििाह 8- रगान न चका ऩान ऩय जभीॊदाय क दिाया बनदकतन का अऩभान

परशन 9-बजकतन न भहादवी वभाट क जीवन ऩय कस परबापवत ककमा

उततय- बनदकतन क साथ यहकय भहादिी की जीिन-शरी सयर हो गमी ि अऩनी सविधाओॊ की चाह को नछऩान रगीॊ औय असविधाओॊ को सहन रगीॊ बनदकतन न उनदह दहाती बोजन णखराकय उनका सिाद फदर हदमा बनदकतन भातर एक सविका न होकय भहादिी की असबबािक औय आतभीम फन गमीबनदकतन भहादिी क जीिन ऩय छा जान िारी एक ऐसी सविका ह नदजस रणखका नहीॊ खोना चाहती

परशन 10- बजकतन क चरयतर की पवशषताओॊ का उलरख कीजजए

उततय- भहादिी िभाय की सविका बनदकतन क वमनदकतति की विशरताएॊ ननमनाॊककत ह-

सभवऩयत सविका सिासबभानी

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तकय शीरा ऩरयशरभी सॊघरयशीर

परशन 11-बजकतन क दगटणो का उलरख कय

उततय- गणो क साथ-साथ बनदकतन क वमनदकतति भ अनक दगयण बी ननहहत ह-

1 िह घय भ इधय-उधय ऩड़ रऩम-ऩस को बॊडाय घय की भटकी भ छऩा दती ह औय अऩन इस कामय को चोयी नहीॊ भानती

2 भहादिी क करोध स फचन क सरए बनदकतन फात को इधय-उधय कयक फतान को झठ नही भानती अऩनी फात को सही ससदध कयन क सरए िह तकय -वितकय बी कयती ह

3 िह दसयो को अऩनी इचछानसाय फदर दना चाहती ह ऩय सिमॊ बफरकर नही फदरती परशन 12 ननमनाॊककत बाषा-परमोगो का अथट सऩषट कीजजए-

ऩहरी कनमा क दो औय सॊसकयण कय िार- बनदकतन न अऩनी ऩहरी कनदमा क फाद उसक जसी दो औय कनदमाएॉ ऩदा कय दी अथायत बनदकतन क एक क फाद एक तीन फहटमाॉ ऩदा हो गमीॊ |

खोट लसकको की टकसार जसी ऩतनी- आज बी असशकषत गराभीण सभाज भ फहटमो को

खोटा ससकका कहा जाता ह बनदकतन न एक क फाद एक तीन फहटमाॉ ऩदा कय दी इससरए उस खोट ससकक को ढारन िारी भशीन कहा गमा

परशन 13-बजकतन ऩाि भ रखखका न सभाज की ककन सभसमाओॊ का उलरख ककमा ह

उततय- बनदकतन ऩाठ क भाधमभ स रणखका न बायतीम गराभीण सभाज की अनक सभसमाओॊ का उलरख ककमा ह-

1 रड़क-रड़ककमो भ ककमा जान िारा बदबाि 2 विधिाओॊ की सभसमा 3 नदमाम क नाभ ऩय ऩॊचामतो क दिाया नदसतरमो क भानिाधधकाय को कचरना 4 असशा औय अॊधविशिास

गदमाॊश-आधारयत अथटगरहण सॊफॊधधत परशनोततय

ऩरयिाय औय ऩरयनदसथनतमो क कायण सिबाि भ जो विरभताएॉ उतऩनदन हो गई ह उनक बीतय स एक सनह औय सहानबनत की आबा पटती यहती ह इसी स उसक सॊऩकय भ आनिार वमनदकत उसभ जीिन की सहज भासभयकता ही ऩात ह छातरािास की फासरकाओॊ भ स कोई अऩनी चाम

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फनिान क सरए दहरी ऩय फठी यहती ह कोई फाहय खडी भय सरए नाशत को चखकय उसक सिाद की वििचना कयती यहती ह भय फाहय ननकरत ही सफ धचडड़मो क सभान उड़ जाती ह औय बीतय आत ही मथासथान वियाजभान हो जाती ह इनदह आन भ रकािट न हो सॊबित इसी स बनदकतन अऩना दोनो जन का बोजन सिय ही फनाकय ऊऩय क आर भ यख दती ह औय खात सभम चौक का एक कोना धोकय ऩाकndashछत क सनातन ननमभ स सभझौता कय रती ह

भय ऩरयधचतो औय साहहनदतमक फॊधओॊ स बी बनदकतन विशर ऩरयधचत ह ऩय उनक परनत बनदकतन क समभान की भातरा भय परनत उनक समभान की भातरा ऩय ननबयय ह औय सदभाि उनक परनत भय सदभाि स नननदशचत होता ह इस सॊफॊध भ बनदकतन की सहज फवदध विनदसभत कय दन िारी ह

(क) बजकतन का सवबाव ऩरयवाय भ यहकय कसा हो गमा ह

उततय-विरभ ऩरयनदसथनतजनदम उसक उगर हठी औय दयागरही सिबाि क फािजद बनदकतन क बीतय सनह औय सहानबनत की आबा पटती यहती ह उसक सॊऩकय भ आन िार वमनदकत उसभ जीिन की सहज भासभयकता ही ऩात ह

(ख) बजकतन क ऩास छातरावास की छातराएॉ कमो आती ह

उततय- बनदकतन क ऩास कोई छातरा अऩनी चाम फनिान आती ह औय दहरी ऩय फठी यहती ह कोई भहादिी जी क सरए फन नाशत को चखकय उसक सिाद की वििचना कयती यहती ह भहादिी को दखत ही सफ छातराएॉ बाग जाती ह उनक जात ही कपय िाऩस आ जातीॊ ह बनदकतन का सहज-सनह ऩाकय धचडड़मो की तयह चहचहान रगती ह |

(ग) छातराओॊ क आन भ रकावट न िारन क लरए बजकतन न कमा उऩाम ककमा

उततय- छातराओॊ क आन भ रकािट न डारन क सरए बनदकतन न अऩन ऩाक-छत क ननमभ स सभझौता कय सरमा | बनदकतन अऩना दोनो िकत का खाना फनाकय सफह ही आर भ यख दती औय खात सभम चौक का एक कोना धोकय िहाॉ फठकय खा सरमा कयती थी ताकक छातराएॉ बफना योक-टोक क उसक ऩास आ सक

(घ) साठहतमकायो क परनत बजकतन क समभान का कमा भाऩदॊि ह

उततय-बनदकतन भहादिी क साहहनदतमक सभतर क परनत सदभाि यखती थी नदजसक परनत भहादिी सिमॊ सदभाि यखती थी | िह सबी स ऩरयधचत हऩय उनक परनत समभान की भातरा भहादिी जी क समभान की भातरा ऩय ननबयय कयती ह िह एक अदभत ढॊग स जान रती थी कक कौन ककतना समभान कयता ह उसी अनऩात भ उसका परापम उस दती थी

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12 फाजाय-दशटन

रखक- जनि कभाय

ऩाि का सायाॊश फाजाय-दशयन ऩाठ भ फाजायिाद औय उऩबोकतािाद क साथ-साथ अथयनीनत एिॊ दशयन स सॊफॊधधत परशनो को सरझान का परमास ककमा गमा ह फाजाय का जाद तबी असय कयता ह जफ भन खारी हो| फाजाय क जाद को योकन का उऩाम मह ह कक फाजाय जात सभम भन खारी ना हो भन भ रकषम बया हो| फाजाय की असरी कताथयता ह जरयत क िकत काभ आना| फाजाय को िही भनरषम राब द सकता ह जो िासति भ अऩनी आिशमकता क अनसाय खयीदना चाहता ह| जो रोग अऩन ऩसो क घभॊड भ अऩनी ऩचनदजॊग ऩािय को हदखान क सरए चीज खयीदत ह ि फाजाय को शतानी वमॊगम शनदकत दत ह| ऐस रोग फाजारऩन औय कऩट फढात ह | ऩस की मह वमॊगम शनदकत वमनदकत को अऩन सग रोगो क परनत बी कतघन फना सकती ह | साधायण जन का रदम रारसा ईरषमाय औय तरषणा स जरन रगता ह | दसयी ओय ऐसा वमनदकत नदजसक भन भ रश भातर बी रोब औय तरषणा नहीॊ ह सॊचम की इचछा नहीॊ ह िह इस वमॊगम-शनदकत स फचा यहता ह | बगतजी ऐस ही आतभफर क धनी आदशय गराहक औय फचक ह नदजन ऩय ऩस की वमॊगम-शनदकत का कोई असय नहीॊ होता | अनक उदाहयणो क दिाया रखक न मह सऩरषट ककमा ह कक एक ओय फाजाय रारची असॊतोरी औय खोखर भन िार वमनदकतमो को रटन क सरए ह िहीॊ दसयी ओय सॊतोरी भन िारो क सरए फाजाय की चभक-दभक उसका आकरयण कोई भहतति नहीॊ यखता

परशन१ - ऩचजजॊग ऩावय ककस कहा गमा ह फाजाय ऩय इसका कमा परबाव ऩड़ता ह

उततय- ऩचनदजॊग ऩािय का अथय ह खयीदन की शनदकत ऩचनदजॊग ऩािय क घभॊड भ वमनदकत हदखाि क सरए आिशमकता स अधधक खयीदायीकयता ह औय फाजाय को शतानी वमॊगम-शनदकत दता ह ऐस रोग फाजाय का फाजारऩन फढ़ात ह

परशन२ -रखक न फाजाय का जाद ककस कहा ह इसका कमा परबाव ऩड़ता ह

उततय- फाजाय की चभक-दभक क चॊफकीम आकरयण को फाजाय का जाद कहा गमा ह मह जाद आॊखो की याह कामय कयता ह फाजाय क इसी आकरयण क कायण गराहक सजी-धजी चीजो को आिशमकता न होन ऩय बी खयीदन को वििश हो जात ह

परशन३ -आशम सऩषट कय

भन खारी होना भन बया होना भन फॊद होना

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उततय-भन खारी होना- भन भ कोई नननदशचत िसत खयीदन का रकषम न होना ननरददशम फाजाय जाना औय वमथय की चीजो को खयीदकय राना

भन बया होना- भन रकषम स बया होना नदजसका भन बया हो िह बरीबाॉनत जानता ह कक उस फाजाय स कौन सी िसत खयीदनी ह अऩनी आिशमकता की चीज खयीदकय िह फाजाय को साथयकता परदान कयता ह

भन फॊद होना-भन भ ककसी बी परकाय की इचछा न होना अथायत अऩन भन को शनदम कय दना

परशन४ - lsquoजहाॉ तषणा ह फटोय यखन की सऩहा ह वहाॉ उस फर का फीज नहीॊ हrsquo महाॊ ककस फर की चचाट की गमी ह

उततय- रखक न सॊतोरी सिबाि क वमनदकत क आतभफरकी चचाय की ह दसय शबदो भ महद भन भ सॊतोर हो तो वमनदकत हदखाि औय ईरषमाय की बािना स दय यहता ह उसभ सॊचम कयन की परिनदतत नहीॊ होती

परशन५ - अथटशासतर अनीनतशासतर कफ फन जाता ह

उततय- जफ फाजाय भ कऩट औय शोरण फढ़न रग खयीददाय अऩनी ऩचधचॊग ऩािय क घभॊड भ हदखाि क सरए खयीददायी कय | भनरषमो भ ऩयसऩय बाईचाया सभापत हो जाए| खयीददाय औय दकानदाय एक दसय को ठगन की घात भ रग यह एक की हानन भ दसय को अऩना राब हदखाई द तो फाजाय का अथयशासतर अनीनतशासतर फन जाता ह ऐस फाजाय भानिता क सरए विडॊफना ह

परशन६-बगतजी फाजाय औय सभाज को ककस परकाय साथटकता परदान कय यह ह

उततय- बगतजी क भन भ साॊसारयक आकरयणो क सरए कोई तरषणा नहीॊ ह ि सॊचम रारच औय हदखाि स दय यहत ह फाजाय औय वमाऩाय उनक सरए आिशमकताओॊ की ऩनत य का साधन भातर ह बगतजी क भन का सॊतोर औय ननसऩह बाि उनको शररषठ उऩबोकता औय विकरता फनात ह

परशन ७ _ बगत जी क वमजकततव क सशकत ऩहरओॊ का उलरख कीजजए |

उततय-ननमनाॊककत बफॊद उनक वमनदकतति क सशकत ऩहर को उजागय कयत ह

ऩॊसायी की दकान स किर अऩनी जरयत का साभान (जीया औय नभक) खयीदना नननदशचत सभम ऩय चयन फचन क सरए ननकरना छह आन की कभाई होत ही चयन फचना फॊद कय दना फच हए चयन को फचचो को भफ़त फाॉट दना

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सबी काजम-जम याभ कहकय सिागत कयना फाजाय की चभक-दभक स आकवरयत न होना सभाज को सॊतोरी जीिन की सशा दना

परशन7-फाजाय की साथटकता ककसभ ह

उततय- भनरषम की आिशमकताओॊ की ऩनतय कयन भ ही फाजाय की साथयकता ह जो गराहक अऩनी आिशमकताओॊ की चीज खयीदत ह ि फाजाय को साथयकता परदान कयत ह जो विकरता गराहको का शोरण नहीॊ कयत औय छर-कऩट स गराहको को रबान का परमास नही कयत ि बी फाजाय को साथयक फनात ह

गदमाॊश-आधारयत अथटगरहण-सॊफॊधधत परशनोततय

फाजाय भ एक जाद ह िह जाद आॉख की तयह काभ कयता ह िह रऩ का जाद ह ऩय जस चॊफक का जाद रोह ऩय ही चरता ह िस ही इस जाद की बी भमायदा ह जफ बयी हो औय भन खारी हो ऐसी हारत भ जाद का असय खफ होता ह जफ खारी ऩय भन बया न हो तो बी जाद चर जाएगा भन खारी ह तो फाजाय की अनकानक चीजो का ननभॊतरण उस तक ऩहॉच जाएगा कहीॊ हई उस िकत जफ बयी तफ तो कपय िह भन ककसकी भानन िारा ह भारभ होता ह मह बी रॉ िह बी रॉ सबी साभान जरयी औय आयाभ को फढ़ान िारा भारभ होता ह ऩय मह सफ जाद का असय ह जाद की सिायी उतयी कक ऩता चरता ह कक प सी-चीजो की फहतामत आयाभ भ भदद नहीॊ दती फनदलक खरर ही डारती ह थोड़ी दय को सिासबभान को जरय सक सभर जाता ह ऩय इसस असबभान को धगलटी की खयाक ही सभरती ह जकड़ यशभी डोयी की हो तो यशभ क सऩशय क भरामभ क कायण कमा िह कभ जकड़ दगी

ऩय उस जाद की जकड़ स फचन का एक सीधा उऩाम ह िह मह कक फाजाय जाओ तो खारी भन न हो भन खारी हो तफ फाजाय न जाओ कहत ह र भ जाना हो तो ऩानी ऩीकय जाना चाहहए ऩानी बीतय हो र का रऩन वमथय हो जाता ह भन रकषम स बया हो तो फाजाय परा का परा ही यह जाएगा तफ िह घाि बफरकर नहीॊ द सकगा फनदलक कछ आनॊद ही दगा तफ फाजाय तभस कताथय होगा कमोकक तभ कछ न कछ सचचा राब उस दोग फाजाय की असरी कताथयता ह आिशमकता क सभम काभ आना

परशन-1 फाजाय क जाद को रखक न कस सऩषट ककमा ह

उततय- फाजाय क रऩ का जाद आॉखो की याह स काभ कयता हआ हभ आकवरयत कयता ह फाजाय का जाद ऐस चरता ह जस रोह क ऊऩय चॊफक का जाद चरता ह चभचभाती योशनी भ सजी

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प सी चीॊज गराहक को अऩनी ओय आकवरयत कयती ह| इसी चमफकीम शनदकत क कायण वमनदकत कपजर साभान को बी खयीद रता ह |

परशन-2 जफ बयी हो औय भन खारी तो हभायी कमा दशा होती ह

उततय- जफ बयी हो औय भन खारी हो तो हभाय ऊऩय फाजाय का जाद खफ असय कयता ह भन खारी ह तो फाजाय की अनकानक चीजो का ननभॊतरण भन तक ऩहॉच जाता ह औय उस सभम महद जफ बयी हो तो भन हभाय ननमॊतरण भ नहीॊ यहता

परशन-3 प सी चीजो की फहतामत का कमा ऩरयणाभ होता ह

उततय- प सी चीज आयाभ की जगह आयाभ भ वमिधान ही डारती ह थोड़ी दय को असबभान को जरय सक सभर जाती ह ऩय हदखाि की परिनदतत भ िवदध होती ह

परशन-4 जाद की जकड़ स फचन का कमा उऩाम ह

उततय- जाद की जकड़ स फचन क सरए एक ही उऩाम ह िह मह ह कक फाजाय जाओ तो भन खारी न हो भन खारी हो तो फाजाय भत जाओ

13 कार भघा ऩानी द

रखक-धभटवीय बायती

ऩाि का सायाॊश -lsquoकार भघा ऩानी दrsquo ननफॊध रोकजीिन क विशिास औय विऻान क तकय ऩय आधारयत ह जफ बीरण गभी क कायण वमाकर रोग िराय कयान क सरए ऩजा-ऩाठ औय कथा-विधान कय थकndashहाय जात ह तफ िराय कयान क सरए अॊनतभ उऩाम क रऩ भ इनददय सना ननकरती ह| इनददय सना नॊग-धड़ॊग फचचो की टोरी ह जो कीचड़ भ रथऩथ होकय गरी-भोहलर भ ऩानी भाॉगन ननकरती ह| रोग अऩन घय की छतो-णखड़ककमो स इनददय सना ऩय ऩानी डारत ह | रोगो की भानदमता ह कक इनददर फादरो क सिाभी औय िराय क दिता ह| इनददर की सना ऩय ऩानी डारन स इनददर बगिान परसनदन होकय ऩानी फयसाएॊग | रखक का तकय ह कक जफ ऩानी की इतनी कभी ह तो रोग भनदशकर स जभा ककए ऩानी को फालटी बय-बयकय इनददय सना ऩय डारकय ऩानी को कमो फफायद कयत ह आमयसभाजी विचायधाया िारा रखक इस अॊधविशिास भानता ह | इसक विऩयीत रखक की जीजी उस सभझाती ह कक मह ऩानी की फफायदी नहीॊ फनदलक ऩानी की फिाई ह | कछ ऩान क सरए कछ दना ऩड़ता ह | तमाग क बफना दान नहीॊ होता| परसतत ननफॊध भ रखक न भरषटाचाय की सभसमा को उठात हए कहा ह कक जीिन भ कछ ऩान क सरए तमाग आिशमक ह जो रोग तमाग औय दान की भहतता को नहीॊ भानत ि ही भरषटाचाय भ सरपत यहकय दश औय सभाज को रटत ह| जीजी की आसथा बािनातभक सचचाई को ऩरषट कयती ह औय तकय किर िऻाननक तथम को सतम भानता ह जहाॉ तकय मथाथय क

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कठोय धयातर ऩय सचचाई को ऩयखता ह तो िहीॊ आसथा अनहोनी फात को बी सिीकाय कय भन को सॊसकारयत कयती ह बायत की सितॊतरता क ५० सार फाद बी दश भ वमापत बरषटाचाय औय सिाथय की बािना को दखकय रखक दखी ह | सयकाय दिाया चराई जा यही मोजनाएॉ गयीफो तक कमो नहीॊ ऩहॉच ऩा यहीॊ ह कार भघा क दर उभड़ यह ह ऩय आज बी गयीफ की गगयी पटी हई कमो ह रखक न मह परशन ऩाठको क सरए छोड़ हदमा ह |

परशन1-इनदय सना घय-घय जाकय ऩानी कमो भाॉगती थी

उततय- गाॉि क रोग फारयश क सरए बगिान इॊदर स पराथयना ककमा कयत थ जफ ऩजा-ऩाठवरत आहद उऩाम असिर हो जात थ तो बगिान इॊदर को परसनदन कयन क सरए गाॉि क ककशोय फचच कीचड़ भ रथऩथ होकय गरी-गरी घभकय रोगो स ऩानी भाॉगत थ

परशन2-इनदयसना को रखक भढक-भॊिरी कमो कहता ह जीजी क फायndashफाय कहन ऩय बी वह इनदयसना ऩय ऩानी प कन को याजी कमो नहीॊ होता

उततय- इनददयसना का कामय आमयसभाजी विचायधाया िार रखक को अॊधविशिास रगता ह उसका भानना ह कक महद इॊदयसना दिता स ऩानी हदरिा सकती ह तो सिमॊ अऩन सरए ऩानी कमो नहीॊ भाॉग रती ऩानी की कभी होन ऩय बी रोग घय भ एकतर ककम हए ऩानी को इॊदयसना ऩय ि कत ह रखक इस ऩानी की ननभयभ फयफादी भानता ह

परशन3- रि हए रखक को जीजी न ककस परकाय सभझामा

उततय- जीजी न रखक को पमाय स रडड-भठयी णखरात हए ननमन तकय हदए-

1- तमाग का भहततव- कछ ऩान क सरए कछ दना ऩड़ता ह 2- दान की भहतता- कवर-भननमो न दान को सफस ऊॉ चा सथान हदमा ह जो चीज अऩन

ऩास बी कभ हो औय अऩनी आिशमकता को बरकय िह चीज दसयो को दान कय दना ही तमाग ह |

3- इॊिदव को जर का अधमट चिाना- इॊदयसना ऩय ऩानी ि कना ऩानी की फयफादी नहीॊ फनदलक इॊदरदि को जर का अधमय चढ़ाना ह

4- ऩानी की फवाई कयना- नदजस परकाय ककसान िसर उगान क सरए जभीन ऩय फीज डारकय फिाई कयता ह िस ही ऩानी िार फादरो की िसर ऩान क सरए इनददय सना ऩय ऩानी डार कय ऩानी की फिाई की जाती ह

परशन4-नठदमो का बायतीम साभाजजक औय साॊसकनतक ऩरयवश भ कमा भहतव ह

उततय- गॊगा बायतीम सभाज भ सफस ऩजम सदानीया नदी ह नदजसका बायतीम इनतहास भ धासभयक ऩौयाणणक औय साॊसकनतक भहति ह | िह बायतीमो क सरए किर एक नदी नहीॊ अवऩत

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भाॉ ह सिगय की सीढ़ी ह भोदानमनी ह उसभ ऩानी नहीॊ अवऩत अभत तलम जर फहता ह बायतीम सॊसकनत भ नहदमो क ककनाय भानि सभमताएॉ परी-परी ह| फड़-फड़ नगय तीथयसथान नहदमो क ककनाय ही नदसथत ह ऐस ऩरयिश भबायतिासी सफस ऩहर गॊगा भमा की जम ही फोरग नहदमाॉ हभाय जीिन का आधाय ह हभाया दश कवर परधान ह नहदमो क जर स ही बायत बसभ हयी-बयी ह नहदमो क बफना जीिन की कलऩना नहीॊ कय सकत मही कायण ह कक हभ बायतीम नहदमो की ऩजा कयत ह |

परशन4-आजादी क ऩचास वषो क फाद बी रखक कमो दखी ह उसक भन भ कौन स परशन उि यह ह

उततय- आजादी क ऩचास िरो फाद बी बायतीमो की सोच भ सकायातभक फदराि न दखकय रखक दखी ह उसक भन भ कई परशन उठ यह ह-

1 कमा हभ सचच अथो भ सितनदतर ह 2 कमा हभ अऩन दश की सॊसकनत औय सभमता को सभझ ऩाए ह 3 यारषर ननभायण भ हभ ऩीछ कमो ह हभ दश क सरए कमा कय यह ह

4 हभ सिाथय औय भरषटाचाय भ सरपत यहत ह तमाग भ विशिास कमो नहीॊ कयत

5 सयकाय दिाया चराई जा यही सधायिादी मोजनाएॉ गयीफो तक कमो नहीॊ ऩहॉचती ह

गदमाॊश ऩय आधारयत अथटगरहण-सॊफॊधधत परशनोततय

सचभच ऐस हदन होत जफ गरी-भहलरा गाॉि-शहय हय जगह रोग गयभी भ बन-बन कय तराहहभाभ कय यह होत जठ क दसतऩा फीतकय आराढ का ऩहरा ऩखिाड़ा फीत चका होता ऩय कषनतज ऩय कहीॊ फादरो की यख बी नहीॊ दीखती होती कएॉ सखन रगत नरो भ एक तो फहत कभ ऩानी आता औय आता बी तो आधी यात को िो बी खौरता हआ ऩानी हो | शहयो की तरना भ गाॉि भ औय बी हारत खयाफ थी| जहाॉ जताई होनी चाहहए थी िहाॉ खतो की सभटटी सखकय ऩतथय हो जाती कपय उसभ ऩऩड़ी ऩड़कय जभीन पटन रगती र ऐसी कक चरत-चरत आदभी धगय ऩड़ | ढोय-डॊगय पमास क भाय भयन रगत रककन फारयश का कहीॊ नाभ ननशान नहीॊ ऐस भ ऩजा-ऩाठ कथा-विधान सफ कयक रोग जफ हाय जात तफ अॊनतभ उऩाम क रऩ भ ननकरती मह इनददय सना |

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परशन१- वषाट न होन ऩय रोगो की कमा जसथनत हो गमी थी उततय - िराय न होन ऩय गयभी क कायण रोग र रगन स फहोश होन रग | गाॉि-शहय सबी जगह ऩानी का अबाि हो गमा| कएॉ सख गए खतो की सभटटी सखकय ऩतथय क सभान कठोय होकय पट गमी| घयो भ नरो भ ऩानी फहत कभ आता था | ऩश पमास क भाय भयन रग थ | परशन२- वषाट क दवता कौन ह उनको परसनन कयन क लरए कमा उऩाम ककए जात थ उततय -िराय क दिता बगिान इनददर ह| उनको परसनदन कयन क सरए ऩजाndashऩाठ कथा-विधान कयाए जात थ | ताकक इनददर दि परसनदन होकय फादरो की सना बजकय झभाझभ फारयश कयाएॉ औय रोगो क करषट दय हो | परशन३- वषाट कयान क अॊनतभ उऩाम क रऩ भ कमा ककमा जाता था उततय ndashजफ ऩजा-ऩाठ कथा-विधान सफ कयक रोग हाय जात थ तफ अॊनतभ उऩाम क रऩ भ इनददय सना आती थी | नॊग-धडॊग कीचड़ भ रथऩथ lsquoकार भघा ऩानी द ऩानी द गड़धानी दrsquo की टय रगाकय पमास स सखत गरो औय सखत खतो क सरए भघो को ऩकायती हई टोरी फनाकय ननकर ऩड़ती थी| परशन४-आशम सऩषट कय ndash जठ क दसतऩा फीतकय आराढ़ का ऩहरा ऩखिाड़ा फीत चका होता ऩय कषनतज भ कहीॊ फादरो की यख बी नजय नहीॊ आती | आशम- जठ का भहीना ह बीरण गयभी ह| तऩत हए दस हदन फीत कय आराढ का भहीना बी आधा फीत गमा ऩय ऩानी क सरए तड़ऩत िराय की आशा भ आसभान की ओय ताकत रोगो को कहीॊ फादर नजय नहीॊ आ यह |

14 ऩहरवान की ढोरक

फ़णीशवयनाथ यण

ऩाि का सायाॊश ndashआॊचसरक कथाकाय िणीशियनाथ यण की कहानी ऩहरिान की ढोरक भ कहानी क भखम ऩातर रटटन क भाता-वऩता का दहाॊत उसक फचऩन भ ही हो गमा था | अनाथ रटटन को उसकी विधिा सास न ऩार-ऩोसकय फड़ा ककमा | उसकी सास को गाॉि िार सतात थ |

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रोगो स फदरा रन क सरए कशती क दाॉिऩच सीखकय कसयत कयक रटटन ऩहरिान फन गमा |

एक फाय रटटन शमाभनगय भरा दखन गमा जहाॉ ढोर की आिाज औय कशती क दाॉिऩच दखकय उसन जोश भ आकय नाभी ऩहरिान चाॉदससॊह को चनौती द दी | ढोर की आिाज स परयणा ऩाकय रटटन न दाॉि रगाकय चाॉद ससॊह को ऩटककय हया हदमा औय याज ऩहरिान फन गमा | उसकी खमानत दय-दय तक िर गमी| १५ िरो तक ऩहरिान अजम फना यहा| उसक दो ऩतर थ| रटटन न दोनो फटो को बी ऩहरिानी क गय ससखाए| याजा की भतम क फाद नए याजकभाय न गददी सॊबारी याजकभाय को घोड़ो की यस का शौक था भनजय न नम याजा को बड़कामा ऩहरिान औय उसक दोनो फटो क बोजनखचय को बमानक औय किजरखचय फतामा िरसिरऩ नए याजा न कशती को फॊद कयिा हदमा औय ऩहरिान रटटनससॊह को उसक दोनो फटो क साथ भहर स ननकार हदमा

याजदयफाय स ननकार हदए जान क फाद रटटन ससॊह अऩन दोनो फटो क साथ गाॉि भ झोऩड़ी फनाकय यहन रगा औय गाॉि क रड़को को कशती ससखान रगा| रटटन का सकर जमादा हदन नहीॊ चरा औय जीविकोऩाजयन क सरए उसक दोनो फटो को भजदयी कयनी ऩड़ी| इसी दौयान गाॉि भ अकार औय भहाभायी क कायण परनतहदन राश उठन रगी| ऩहरिान भहाभायी स डय हए रोगो को ढोरक फजाकय फीभायी स रड़न की सॊजीिनी ताकत दता था| एक हदन ऩहरिान क दोनो फट बी भहाभायी की चऩट भ आकय भय गए ऩय उस यात बी ऩहरिान ढोरक फजाकय रोगो को हहमभत फॊधा यहा था | इस घटना क चाय-ऩाॉच हदन फाद ऩहरिान की बी भौत हो जाती ह|

ऩहरिान की ढोरक वमिसथा क फदरन क साथ रोक कराकाय क अपरासॊधगक हो जान की कहानी ह इस कहानी भ रटटन नाभ क ऩहरिान की हहमभत औय नदजजीविरा का िणयन ककमा गमा ह बख औय भहाभायी अजम रटटन की ऩहरिानी को िट ढोर भ फदर दत ह इस करण तरासदी भ ऩहरिान रटटन कई सिार छोड़ जाता ह कक करा का कोई सितॊतर अनदसतति ह मा करा किर वमिसथा की भोहताज ह

परशन1- रटटन को ऩहरवान फनन की परयणा कस लभरी

उततय- रटटन जफ नौ सार का था तो उसक भाता-वऩता का दहाॊत हो गमा था | सौबागम स उसकी शादी हो चकी थी| अनाथ रटटन को उसकी विधिा सास न ऩार-ऩोसकय फड़ा ककमा | उसकी सास को गाॉि िार ऩयशान कयत थ| रोगो स फदरा रन क सरए उसन ऩहरिान फनन की ठानी| धायोरषण दध ऩीकय कसयत कय उसन अऩना फदन गठीरा औय ताकतिय फना सरमा | कशती क दाॉिऩच सीखकय रटटन ऩहरिान फन गमा |

परशन2- यात क बमानक सननाट भ रटटन की ढोरक कमा करयशभा कयती थी

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उततय- यात क बमानक सनदनाट भरटटन की ढोरक भहाभायी स जझत रोगो को हहमभत फॉधाती थी | ढोरक की आिाज स यात की विबीवरका औय सनदनाटा कभ होता था| भहाभायी स ऩीडड़त रोगो की नसो भ बफजरी सी दौड़ जाती थी उनकी आॉखो क साभन दॊगर का दशम साकाय हो जाता था औय ि अऩनी ऩीड़ा बर खशी-खशी भौत को गर रगा रत थ इस परकाय ढोर की आिाज फीभाय-भतपराम गाॉििारो की नसो भ सॊजीिनी शनदकत को बय फीभायी स रड़न की परयणा दती थी

परशन3- रटटन न सवाटधधक ठहमभत कफ ठदखाई

उततय- रटटन ससॊह न सिायधधक हहमभत तफ हदखाई जफ दोनो फटो की भतम ऩय िह योमा नहीॊ फनदलक हहमभत स काभ रकय अकर उनका अॊनतभ सॊसकाय ककमा| मही नहीॊ नदजस हदन ऩहरिान क दोनो फट भहाभायी की चऩट भ आकय भय गए ऩय उस यात को बी ऩहरिान ढोरक फजाकय रोगो को हहमभत फॉधा यहा था| शमाभनगय क दॊगर भ ऩया जनसभदाम चाॉद ससॊह क ऩ भ था चाॉद ससॊह को हयात सभम रटटन न हहमभत हदखाई औय बफना हताश हए दॊगर भ चाॉद ससॊह को धचत कय हदमा |

परशन4- रटटन लसॊह याज ऩहरवान कस फना

उततय- शमाभनगय क याजा कशती क शौकीन थ उनदहोन दॊगर का आमोजन ककमा ऩहरिान रटटन ससॊह बी दॊगर दखन ऩहॉचा चाॊदससॊह नाभक ऩहरिान जो शय क फचच क नाभ स परससदध था कोई बी ऩहरिान उसस सबड़न की हहमभत नहीॊ कयता था चाॉदससॊह अखाड़ भ अकरा गयज यहा था रटटन ससॊह न चाॉदससॊह को चनौती द दी औय चाॉदससॊह स सबड़ गमाढ़ोर की आिाज सनकय रटटन की नस-नस भ जोश बय गमाउसन चाॉदससॊह को चायो खान धचत कय हदमा याजासाहफ न रटटन की िीयता स परबावित होकय उस याजऩहरिान फना हदमा

परशन5- ऩहरवान की अॊनतभ इचछा कमा थी

उततय- ऩहरिान की अॊनतभ इचछा थी कक उस धचता ऩय ऩट क फर सरटामा जाए कमोकक िह नदजॊदगी भ कबी धचत नहीॊ हआ था| उसकी दसयी इचछा थी कक उसकी धचता को आग दत सभम ढोर अिशम फजामा जाए |

परशन6- ढोर की आवाज औय रटटन क भ दाॉिऩच सॊफॊध फताइए-

उततय- ढोर की आिाज औय रटटन क दाॉिऩच भ सॊफॊध -

चट धा धगड़ धाrarr आजा सबड़ जा | चटाक चट धाrarr उठाकय ऩटक द | चट धगड़ धाrarrभत डयना |

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धाक धधना नतयकट नतनाrarr दाॉि काटो फाहय हो जाओ | धधना धधना धधक धधनाrarr धचत कयो

गदमाॊश-आधारयत अथटगरहण-सॊफॊधधत परशनोततय

अॉधयी यात चऩचाऩ आॉस फहा यही थी | ननसतबधता करण सससककमो औय आहो को अऩन रदम भ ही फर ऩियक दफान की चरषटा कय यही थी | आकाश भ ताय चभक यह थ | ऩथिी ऩय कहीॊ परकाश का नाभ नहीॊ| आकाश स टट कय महद कोई बािक ताया ऩथिी ऩय आना बी चाहता तो उसकी जमोनत औय शनदकत यासत भ ही शर हो जाती थी | अनदम ताय उसकी बािकता अथिा असपरता ऩय णखरणखराकय हॉस ऩड़त थ | ससमायो का करॊ दन औय ऩचक की डयािनी आिाज यात की ननसतबधता को बॊग कयती थी | गाॉि की झोऩडडमो स कयाहन औय क कयन की आिाज हय याभ ह बगिान की टय सनाई ऩड़ती थी| फचच बी ननफयर कॊ ठो स भाॉ ndashभाॉ ऩकायकय यो ऩड़त थ |

(क) अॉधयी यात को आॉस फहात हए कमो ठदखामा गमा ह उततयndash गाॉि भ हजा औय भररयमा परा हआ था | भहाभायी की चऩट भ आकाय रोग भय यह थ |चायो ओय भौत का सनाटा छामा था इससरए अॉधयी यात बी चऩचाऩ आॉस फहाती सी परतीत हो यही थी|

(ख) ताय क भाधमभ स रखक कमा कहना चाहता ह उततयndash ताय क भाधमभ स रखक कहना चाहता ह कक अकार औय भहाभायी स तरसत गाॉि िारो की ऩीड़ा को दय कयन िारा कोई नहीॊ था | परकनत बी गाॉि िारो क द ख स दखी थी| आकाश स टट कय महद कोई बािक ताया ऩथिी ऩय आना बी चाहता तो उसकी जमोनत औय शनदकत यासत भ ही शर हो जाती थी |

(ग) यात की ननसतबधता को कौन बॊग कयता था उततयndash ससमायो की चीख-ऩकाय ऩचक की डयािनी आिाज औय कततो का साभहहक रदन सभरकय यात क सनदनाट को बॊग कयत थ |

(घ) झोऩड़ड़मो स कसी आवाज आ यही ह औय कमो उततयndash झोऩडड़मो स योधगमो क कयाहन क कयन औय योन की आिाज आ यही ह कमोकक गाॉि क रोग भररयमा औय हज स ऩीडड़त थ | अकार क कायण अनदन की कभी हो गमी थी| औरधध औय ऩथम न सभरन क कायण रोगो की हारत इतनी फयी थी कक कोई बगिान को ऩकाय रगाता था तो कोई दफयर कॊ ठ स भाॉndashभाॉ ऩकायता था |

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15 चारी चजतरन मानी हभ सफ

रखक-पवषण खय

ऩाि का सायाॊश ndashचारक चनदपरन न हासम कराकाय क रऩ भ ऩयी दननमा क फहत फड़ दशयक िगय को हॉसामा ह | उनकी कपलभो न कपलभ करा को रोकताॊबतरक फनान क साथ-साथ दशको की िगय औय िणय-वमिसथा को बी तोड़ा | चारक न करा भ फवदध की अऩा बािना को भहतति हदमा ह | फचऩन क सॊघरो न चारक क बािी कपलभो की बसभ तमाय कय दी थी| बायतीम करा औय सौदमयशासतर भ करणा का हासम भ ऩरयितयन बायतीम ऩयमऩया भ नहीॊ सभरता रककन चारक एक ऐसा जादई वमनदकतति ह जो हय दश सॊसकनत औय सभमता को अऩना सा रगता ह| बायतीम जनता न बी उनदह सहज बाि स सिीकाय ककमा ह| सिमॊ ऩय हॉसना चारक न ही ससखामा| बायतीम ससनभा जगत क सपरससदध कराकाय याजकऩय को चारक का बायतीमकयण कहा गमा ह | चारक की अधधकाॊश किलभ भक ह इससरए उनदह अधधक भानिीम होना ऩड़ा | ऩाठ भ हासम कपलभो क भहान असबनता lsquoचारक चनदपरनrsquo की जादई विशरताओॊ का उलरख ककमा गमा ह नदजसभ उसन करणा औय हासम भ साभॊजसम सथावऩत कय किलभो को साियबौसभक रऩ परदान ककमा

परशन१ -चारी क जीवन ऩय परबाव िारन वारी भखम घटनाएॉ कौन सी थी

उततय- चारक क जीिन भ दो ऐसी घटनाएॉ घटीॊ नदजनदहोन उनक बािी जीिन ऩय फहत परबाि डारा |

ऩहरी घटना - जफ चारक फीभाय थ उनकी भाॉ उनदह ईसा भसीह की जीिनी ऩढ़कय सना यही थी | ईसा क सरी ऩय चढ़न क परसॊग तक आत-आत भाॉ-फटा दोनो ही योन रग| इस घटना न चारक को सनह करणा औय भानिता जस उचच जीिन भलम हदए |

दसयी घटना हndash फारक चारक कसाईखान क ऩास यहता था| िहाॉ सकड़ो जानियो को योज भाया जाता था| एक हदन एक बड़ िहाॉ स बाग ननकरी| बड़ को ऩकड़न की कोसशश भ कसाई कई फाय कपसरा| नदजस दखकय रोग हॊसन रग ठहाक रगान रग| जफ बड़ को कसाई न ऩकड़ सरमा तो फारक चारक योन रगा| इस घटना न उसक बािी कपलभो भ तरासदी औय हासमोतऩादक ततिो की बसभका तम कय दी |

परशन२ ndash आशम सऩषट कीजजएndash

चजतरन न लसपट कपलभकरा को ही रोकताॊबतरक नही फनामा फजलक दशटको की वगट तथा वणट-वमवसथा को बी तोड़ा|

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उततय- रोकताॊबतरक फनान का अथय ह कक कपलभ करा को सबी क सरए रोकवपरम फनाना औय िगय औय िणय-वमिसथा को तोड़न का आशम ह- सभाज भ परचसरत अभीय-गयीफ िणय जानतधभय क बदबाि को सभापत कयना |चनदपरन का चभतकाय मह ह कक उनदहोन कपलभकरा को बफना ककसी बदबाि क सबी रोगो तक ऩहॉचामा| उनकी कपलभो न सभम बगोर औय सॊसकनतमो की सीभाओॊ को राॉघ कय साियबौसभक रोकवपरमता हाससर की | चारक न मह ससदध कय हदमा कक करा सितनदतर होती ह अऩन ससदधाॊत सिमॊ फनाती ह |

परशन३ndash चारी चजतरन की कपलभो भ ननठहत तरासदीकरणाहासम का साभॊजसम बायतीम करा औय सौदमटशासतर की ऩरयधध भ कमो नहीॊ आता

उततय- चारक चनदपरन की कपलभो भ ननहहत तरासदीकरणाहासम का साभॊजसम बायतीम करा औय सौदमयशासतर की ऩरयधध भ नहीॊ आताकमोकक बायतीम यस-ससदधाॊत भ करणा औय हासम का भर नहीॊ हदखामा जाता कमोकक बायतीम सौदमयशासतर भ करणयस औय हासम यस को ऩयसऩय वियोधी भाना गमा ह अथायत जहाॊ करणा ह िहाॉ हासम नहीॊ हो सकता बायत भ सिमॊ ऩय हॉसन की ऩयॊऩया नहीॊ ह ऩयॊत चारक क ऩातर अऩन ऩय हॉसतndashहॉसात ह चारक की किलभो क दशम हॉसात-हॉसात ररा दत ह तो कबी करण दशम क फाद अचानक ही हॉसन ऩय भजफय कय दत ह

परशन४ndash चारी क कपलभो की पवशषताएॉ फताइए |

उततय- चारक की किलभो भ हासम औय करणा का अदभत साभॊजसम ह उनकी किलभो भ बारा का परमोग फहत कभ ह चारक की किलभो भ फवदध की अऩा बािना का भहतति अधधक ह उनकी किलभो भ साियबौसभकता ह चारक ककसी बी सॊसकनत को विदशी नही रगत चारक सफको अऩन रगत ह चारक न किलभो को रोकताॊबतरक फनामा औय किलभो भ िगय तथािणय-वमिसथा को तोड़ा अऩनी कपलभो भ चारक सदि धचय मिा हदखता ह

गदमाॊश-आधारयत अथटगरहण-सॊफॊधी परशनोततय

गदमाॊश सॊकत ndashचारक चनदपरन मानी हभ सफ (ऩरषठ १२० )

महद मह िरय चनदपरन की कापी कछ कहा जाएगा |

परशन (क)-पवकासशीर दशो भ चजतरन कमो भशहय हो यह ह

उततय - विकासशीर दशो भ जस-जस टरीविजन औय िीडडमो का परसाय हो यहा ह रोगो को उनकी कपलभो को दखन का अिसय सभर यहा ह |एक फहत फड़ा िगय नए ससय स चारक को घड़ी सधायत औय जत खान की कोसशश कयत दख यहा ह इसीसरए चारक विकासशीर दशो भ रोकवपरम हो यह ह |

(ख)- ऩजशचभ भ चारी का ऩनजीवन कस होता यहता ह

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उततय - ऩनदशचभ भ चारक की कपलभो का परदशयन होता यहता ह| उनकी करा स परयणा ऩाकय हासम किलभ फनती यहती ह | उनक दिाया ननबाए ककयदायो की नकर अनदम कराकाय कयत ह | ऩनदशचभ भ चारक का ऩनजीिन होता यहता ह|

(ग)- चारी को रोग फिाऩ तक कमो माद यखग

उततय ndashहासम कराकाय क रऩ भ रोग चारक को फढ़ाऩ तक माद यखग कमोकक उनकी करा सभम बगोर औय सॊसकनतमो की सीभाओॊ को राॉघकय राखो रोगो को हॉसा यही ह|

(घ)- चारी की कपलभो क फाय भ कापी कछ कहा जाना कमो फाी ह

उततय ndashचनदपरन की ऐसी कछ किलभ मा इसतभार न की गमी यीर सभरी ह नदजनक फाय भ कोई नहीॊ जानता था | चारक की बािनापरधान हासम कपलभो न करा क नए परनतभान सथावऩत ककए ह अत चारक की कपलभो क फाय भ अबी कापी कछ कहा जाना फाी ह|

16 नभक

रखखका - यजजमा सजजाद जहीय

सायाॊश -lsquoनभकrsquoबायत-ऩाक विबाजन ऩय सरणखत भासभयक कहानी ह | विसथावऩत हए रोगो भ अऩनndashअऩन जनदभ सथानो क परनत आज बी रगाि ह| धासभयक आधाय ऩय फनी यारषर-याजमो की सीभा-यखाएॉ उनक अॊतभयन को अरग नहीॊ कय ऩाई ह | बायत भ यहन िारी ससख फीिी राहौय को अऩना ितन भानती ह औय बायतीम कसटभ अधधकायी ढाका क नारयमर ऩानी को मादकय उस सियशररषठ फताता ह दोनो दशो क नागरयको क फीच भहबफत का नभकीन सिाद आज बी कामभ ह इसीसरए सकिमा बायत भ यहन िारी अऩनी भॉहफोरी भाॉ ससख फीिी क सरए राहौयी नभक रान क सरए कसटभ औय कानन की ऩयिाह नहीॊ कयती

परशन1- lsquoनभकrsquo ऩाि क आधाय ऩय फताइए कक सकपमा औय उसक बाई क पवचायो भ कमा अॊतय था

उततय- १-सकपमा बािनाओॊ को फहतभहतति दती ह ऩय उसका बाई फौवदधक परिनदतत का ह उसकी दनदरषट भ कानन बािनाओॊ स ऊऩय ह|

२-सकपमा भानिीम सॊफॊधो को फहत भहतति दती ह जफकक उसका बाई अरगाििादी विचायधाया का ह हहसस-फखय की फात कयता ह |

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३-सकपमा का बाई कहता ह कक अदीफो(साहहतमकाय) का हदभाग घभा हआ होता ह जफकक सकपमा जो सिमॊ अदीफ ह उसका भानना ह कक अगय सबी रोगो का हदभाग अदीफो की तयह घभा हआ होता तो दननमा कछ फहतय हो जाती |

परशन२- नभक र जात सभम सकफ़मा क भन भ कमा दपवधा थी

उततय-सकपमा समद भसरभान थी जो हय हार भ अऩना िामदा ननबात ह| ऩाककसतान स राहौयी नभक र जाकय िह अऩना िामदा ऩया कयना चाहती थी ऩयनदत जफ उस ऩता चरा कक कसटभ क ननमभो क अनसाय सीभाऩाय नभक र जाना िनदजयत ह तो िह दविधा भ ऩड़ गई | सकिमा का दिॊदि मह था कक िह अऩनी ससख भाॉ क सरए नभक कसटभ अधधकारयमो को फताकयर जाए मा नछऩाकय|

परशन३- ऩाि क आधाय ऩय सकपमा की चारयबतरक पवशषताएॉ फताइए |

उततय सॊकत ndash

१- बािक २- ईभानदाय ३- दढ़ननशचमी ४- ननडय ५- िामद को ननबान िारी ६- भानिीम भलमो को सिोऩरय भानन िारी साहहतमकाय

परशन ४- lsquoनभकrsquo ऩाि भ आए ककयदायो क भाधमभ स सऩषट कीजजए कक आज बी बायत औय ऩाककसतान की जनता क फीच भहबफत का नभकीन सवाद घरा हआ ह |

उततय ndash बर ही याजनीनतक औय धासभयक आधाय ऩय बायत औय ऩाककसतान को बौगोसरक रऩ स विबानदजत कय हदमा गमा ह रककन दोनो दशो क रोगो क रदम भ आज बी ऩायसऩरयक बाईचाया सौहादरय सनह औय सहानबनत विदमभान ह | याजनीनतक तौय ऩय बर ही सॊफॊध तनािऩणय हो ऩय साभानदजक तौय ऩय आज बी जनता क फीच भहबफत का नभकीन सिाद घरा हआ ह | अभतसय भ यहन िारी ससख फीफी राहौय को अऩना ितन कहती ह औय राहौयी नभक का सिाद नहीॊ बरा ऩाती | ऩाककसतान का कसटभ अधधकायी नभक की ऩडड़मा सकपमा को िाऩस दत हए कहता ह rdquoजाभा भनदसजद की सीहढ़मो को भया सराभ कहना |rdquo बायतीम सीभा ऩय तनात कसटभ अधधकायी ढाका की जभीन को औय िहाॉ क ऩानी क सिाद को नहीॊ बर ऩाता |

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गदमाॊश-आधारयत अथटगरहण सॊफॊधधत परशनोततय

गदमाॊश सॊकत- ऩाठndash नभक (ऩरषठ १३४)

सकपमा कसटभ क जॊगर स दोनो क हाथो भ थी |

(क) सकपमा कसटभ क जॉगर स ननकरकय दसय तरटपाभट ऩय आ गमी व वहीॊ खड़ यहndash इस वाकम भ lsquoवrsquo शबद का परमोग ककसक लरए ककमा गमा ह

उततय- महाॉ lsquoिrsquo शबद का परमोग ऩाककसतानी कसटभ अधधकायी क सरए ककमा गमा ह जो विबाजन स ऩिय हदलरी भ यहत थ औय आज बी हदलरी को ही अऩना ितन भानत ह |

(ख) तरटपाभट ऩय सकपमा को पवदा कयन कौन-कौन आए थ उनहोन सकपमा को कस पवदाई दी

उततय- परटपाभय ऩय सकपमा को विदा कयन उसक फहत साय सभतर सग सॊफॊधी औय बाई आए थ| उनदहोन ठॊडी साॉस बयत हए सबॊच हए होठो क साथ आॉस फहात हए सकपमा को विदाई दी |

(ग) अटायी भ यरगाड़ी भ कमा ऩरयवतटन हए उततय- अटायी भ यरगाड़ी स ऩाककसतानी ऩसरस उतयी औय हहनददसतानी ऩसरस सिाय हो गई|

(घ) कौन सी फात सकपमा की सभझ भ नहीॊ आ यही थी उततय- दोनो ओय एक सी जभीन एक जसा आसभान एक सी बारा एक सा ऩहनािा औय एक सी सयत क रोग कपय बी दोनो क हाथो भ बयी हई फॊदक ह |

17 लशयीष क पर

आचामट हजायी परसाद दपववदी

सायाॊश ndashlsquoआचामय हजायी परसाद दवििदीrsquo सशयीर को अदभत अिधत भानत ह कमोकक सॊनदमासी की बाॉनत िह सख-दख की धचॊता नहीॊ कयता गभी र िराय औय आॉधी भ बी अविचर खड़ा यहता ह सशयीर क िर क भाधमभ स भनरषम की अजम नदजजीविरा धमयशीरता औय कतयवमननरषठ फन यहन क भानिीम भलमो को सथावऩत ककमा गमा हरखक न सशयीर क कोभर परो औय कठोय परो क दिाया सऩरषट ककमा ह कक रदम की कोभरता फचान क सरए कबी-कबी वमिहाय की कठोयता बी आिशमक हो जाती ह| भहान कवि कासरदास औय कफीय बी सशयीर की तयह फऩयिाह अनासकत औय सयस थ तबी उनदहोन इतनी सनददय यचनाएॉ सॊसाय को दीॊ| गाॉधीजी क वमनदकतति भ बी कोभरता औय कठोयता का अदभत सॊगभ था | रखक सोचता ह कक हभाय दश भ जो भाय-काट अनदगनदाह रट-ऩाट खन-खचचय का फिॊडय ह कमा िह दश को नदसथय नहीॊ यहन दगा गराभी अशाॊनत औय वियोधी िाताियण क फीच अऩन ससदधाॊतो की या कयत हए गाॉधीजी जी नदसथय यह सक थ तो दश बी यह सकता ह जीन की परफर असबरारा क कायण

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विरभ ऩरयनदसथतमो भ बी महद सशयीर णखर सकता ह तो हभाया दश बी विरभ ऩरयनदसथनतमो भ नदसथय यह कय विकास कय सकता ह

परशन1-लसदध कीजजए कक लशयीष कारजमी अवधत की बाॉनत जीवन की अजमता क भॊतर का परचाय कयता ह

उततय- सशयीर कारजमी अिधत की बाॉनत जीिन की अजमता क भॊतर का परचाय कयता ह| जफ ऩथिी अनदगन क सभान तऩ यही होती ह िह तफ बी कोभर परो स रदा रहरहाता यहता ह|फाहयी गयभी धऩ िराय आॉधी र उस परबावित नहीॊ कयती इतना ही नहीॊ िह रॊफ सभम तक णखरा यहता ह | सशयीर विऩयीत ऩरयनदसथनतमो भ बी धमयशीर यहन तथा अऩनी अजम नदजजीविरा क साथ ननसऩह बाि स परचॊड गयभी भ बी अविचर खड़ा यहता ह

परशन२-आयगवध (अभरतास) की तरना लशयीष स कमो नहीॊ की जा सकती

उततय- सशयीर क पर बमॊकय गयभी भ णखरत ह औय आराढ़ तक णखरत यहत ह जफकक अभरतास का पर किर ऩनददरह-फीस हदनो क सरए णखरता ह | उसक फाद अभरतास क पर झड़ जात ह औय ऩड़ कपय स ठॉठ का ठॉठ हो जाता ह | अभरतास अलऩजीिी ह | विऩयीत ऩरयनदसथनतमो को झरता हआ ऊरषण िाताियण को हॉसकय झरता हआ सशयीर दीघयजीिी यहता ह | मही कायण ह कक सशयीर की तरना अभरतास स नहीॊ की जा सकती |

परशन३-लशयीष क परो को याजनताओॊ का रऩक कमो ठदमा गमा ह

उततय- सशयीर क पर उन फढ़ ढीठ औय ऩयान याजनताओॊ क परतीक ह जो अऩनी कसी नहीॊ छोड़ना चाहत | अऩनी अधधकाय-सरपसा क सरए नए मिा नताओॊ को आग नहीॊ आन दत | सशयीर क नए परो को जफयदसती ऩयान परो को धककमाना ऩड़ता ह | याजनीनत भ बी नई मिा ऩीढ़ी ऩयानी ऩीढ़ी को हयाकय सिमॊ सतता सॉबार रती ह |

परशन४- कार दवता की भाय स फचन का कमा उऩाम फतामा गमा ह

उततय- कार दिता कक भाय स फचन का अथय हndash भतम स फचना | इसका एकभातर उऩाम मह ह कक भनरषम नदसथय न हो| गनतशीर ऩरयितयनशीर यह | रखक क अनसाय नदजनकी चतना सदा ऊधियभखी (आधमातभ की ओय) यहती ह ि हटक जात ह |

परशन५- गाॉधीजी औय लशयीष की सभानता परकट कीजजए |

उततय- नदजस परकाय सशयीर धचरधचराती धऩ र िराय औय आॉधी भ बी अविचर खड़ा यहता ह अनासकत यहकय अऩन िाताियण स यस खीॊचकय सयस कोभर फना यहता ह उसी परकाय गाॉधी जी न बी अऩनी आॉखो क साभन आजादी क सॊगराभ भ अनदमाम बदबाि औय हहॊसा को झरा |

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उनक कोभर भन भ एक ओय ननयीह जनता क परनत असीभ करणा जागी िहीॊ ि अनदमामी शासन क वियोध भ डटकय खड़ हो गए |

गदमाॊश-आधारयत अथटगरहण सॊफॊधधत परशनोततय

गदमाॊश सॊकत- ऩाठ ndash सशयीर क पर (ऩरषठ १४७)

कासरदास सौदमय क िह इशाया ह |

(क) कालरदास की सौदमटndashदजषट की कमा पवशषता थी उततय-कासरदास की सौदमयndashदनदरषट फहत सकषभ अॊतबदी औय सॊऩणय थी| ि किर फाहयी रऩ-यॊग औय आकाय को ही नहीॊ दखत थ फनदलक अॊतभयन की सॊदयता क बी ऩायखी थ| कासरदास की सौदमय शायीरयक औय भानससक दोनो विशरताओॊ स मकत था |

(ख) अनासजकत का कमा आशम ह उततय- अनासनदकत का आशम ह- वमनदकतगत सख-द ख औय याग-दिर स ऩय यहकय सौदमय क िासतविक भभय को जानना |

(ग) कालरदास ऩॊत औय यवीॊिनाथ टगोय भ कौन सा गण सभान था भहाकवि कासरदास ससभतरानॊदन ऩॊत औय गरदि यिीॊदरनाथ टगोय तीनो नदसथयपरऻ औय अनासकत कवि थ | ि सशयीर क सभान सयस औय भसत अिधत थ |

(घ) यवीॊिनाथ याजोदमान क लसॊहदवाय क फाय भ कमा सॊदश दत ह याजोदमान क फाय भ यिीॊदरनाथ कहत ह याजोदमान का ससॊहदिाय ककतना ही सॊदय औय गगनचमफी कमो ना हो िह अॊनतभ ऩड़ाि नहीॊ ह| उसका सौदमय ककसी औय उचचतभ सौदमय की ओय ककमा गमा सॊकत भातर ह कक असरी सौदमय इस ऩाय कयन क फाद ह अत याजोदमान का ससॊहदिाय हभ आग फढ़न की परयणा दता ह |

18शरभ-पवबाजन औय जानत-परथा

िॉ० बीभयाव अॊफिकय

सायाॊश ndash इस ऩाठ भ रखक न जानतिाद क आधाय ऩय ककए जान िार बदबाि को सभम सभाज क सरए हाननकायक फतामा ह | जानत आधारयत शरभ विबाजन को असिाबाविक औय भानिता वियोधी फतामा गमा ह मह साभानदजक बदबाि को फढ़ाता ह जानतपरथा आधारयत शरभ विबाजन भ वमनदकत की रधच को भहतति नहीॊ हदमा जाता परसिरऩ वििशता क साथ अऩनाए

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Page 6: ISSUED BY KENDRIYA VIDYALAYA - DOWNLOADED FROM … Class XII Hindi Part B.pdfप्रश्न४ :-फादर क / फयन का गयीफ एि धनी िगय क्मा

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उततय - फादर इस कविता भ कराॊनत का परतीक ह | नदजस परकाय फादर परकनत ककसान औय आभ आदभी क जीवन भ आनॊद का उऩहाय र कय आता ह उसी परकाय कराॊनत ननधयन शोवरत िगय क जीिन भ सभानता का अधधकाय व सॊऩननता र कय आता ह

परशन८- फादर को जीिन का ऩायािाय कमो कहा गमा ह

उततय - कराॊनत रऩी फादर का आगभन जीवनदामी सखद होता ह -ऩायािाय अथायत सागय | िह जीवन भ खलशमो का खजाना रकय आता ह | ननधटन वगट को सभानता का अधधकाय दता ह |सख सभपदध का कायक फनकय अतमाचाय की अजगन स भकत कयता ह |

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8 कपवतावरी

तरसीदास

साय

शरीयाभजी को सभवऩयत गरनदथ शरीयाभचरयतभानस उततय बायत भ फड़ बनदकतबाि स ऩढ़ा जाता ह रकषभण -भचछाट औय याभ का पवराऩ

यािण ऩतर भघनाद दिाया शनदकत फाण स भनछयत हए रकषभण को दखकय याभ वमाकर हो जात हसरण िदम न सॊजीिनी फटी रान क सरए हनभान को हहभारम ऩियत ऩय बजाआधी यात वमतीत होन ऩय जफ हनभान नहीॊ आएतफ याभ न अऩन छोटबाई रकषभण को उठाकय रदम स रगा सरमा औय साधायण भनरषम की बाॉनत विराऩ कयन रगयाभ फोर ह बाई तभ भझ

कबी दखी नहीॊ दख सकत थतमहाया सिबाि सदा स ही कोभर थातभन भय सरए भाता वऩता को बी छोड़ हदमा औय भय साथ िन भ सदकगभी औय विसबनदन परकाय की विऩयीत ऩरयनदसथनतमो को बी सहा|जस ऩॊख बफना ऩीभणण बफना सऩय औय सॉड बफना शररषठ हाथी अतमॊत दीन हो जात हह बाईमहद भ जीवित यहता हॉ तो भयी दशा बी िसी ही हो जाएगी

भ अऩनी ऩतनी क सरए अऩन वपरम बाई को खोकय कौन सा भॉह रकय अमोधमा जाऊॉ गाइस फदनाभी को बर ही सह रता कक याभ कामय ह औय अऩनी ऩतनी को खो फठा सतरी की हानन विशर नत नहीॊ हऩयनदत बाई को खोना अऩयणीम नत ह

lsquoयाभचरयतभानसrsquo क lsquoरॊका काॊडrsquo स गही रकषभण को शजकत फाण रगन का परसॊग कवि की भासभयक सथरो की ऩहचान का एक शररषठ नभना ह बाई क शोक भ विगसरत याभ का पवराऩ धीय -धीय परराऩ भ फदर जाता ह नदजसभ रकषभण क परनत याभ क अॊतय भ नछऩ परभ क कई कोण सहसा अनाित हो जात हमह परसॊग ईशवय याभ भ भानव सरब गणो का सभनवम कय दता ह | हनभान का सॊजीिनी रकय आ जाना करण यस भ वीय यस का उदम हो जान क सभान ह|

विनम ऩबतरका एक अनदम भहततिऩणय तरसीदासकत कावम ह

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कपवतत औय सवमा

साय

इस शीरयक क अॊतगयत दो कवितत औय एक सिमा सॊकसरत ह lsquoकवितािरीrsquo स अितरयत इन कविततो भ कवि तरसी का पवपवध पवषभताओॊ स गरसत कलरकारतरसी का मगीन मथाथट ह नदजसभ ि कऩार परब याभ व याभयाजम का सवतन यचत ह मग औय उसभ अऩन जीिन का न ससपय उनदह गहया फोध ह फनदलक उसकी असबवमनदकत भ बी ि अऩन सभकारीन कविमो स आग ह महाॉ ऩाठ भ परसतत lsquoकवितािरीrsquo क छॊद इसक परभाण -सिरऩ ह ऩहर छॊद rdquoककसिी ककसान ldquo भ उनदहोन हदखरामा ह कक सॊसाय क अचछ फय सभसत-रीरा परऩॊचो का आधाय-lsquoऩट की आगrsquoका गहन मथाथय ह नदजसका सभाधान ि याभ की बनदकत भ दखत ह दरयदरजन की वमथा दय कयन क सरए याभ रऩी घनशमाभ का आहिान ककमा गमा ह ऩट की आग फझान क लरए याभ रऩी वषाट का जर अननवामट हइसक सरए अननतक कामट कयन की आवशमकता नहीॊ हlsquo इस परकाय उनकी याभ बनदकत ऩट की आग फझान िारी मानी जीवन क मथाथट सॊकटो का सभाधान कयन वारी ह न कक किर आधमानदतभक भनदकत दन िारी| गयीफी की ऩीड़ा यावण क सभान दखदामी हो गई ह

तीसय छॊद )rdquoधत कहौldquo) भ बनदकत की गहनता औय सघनता भ उऩज बकतरदम क आतभपवशवास का सजीव धचतरणह नदजसस सभाज भ वमापत जातऩाॉत औय दयागरहो क -नतयसकाय का साहस ऩदा होता ह इस परकाय बजकत की यचनातभक बलभका का सॊकत महाॉ ह

जो आज क बदबाव भरक मग भ अधधक परासॊधगक ह |

अथट-गरहण-सॊफॊधी परशन

ldquoउहाॉ याभ रनछभनहहॊ ननहायी फोर फचन भनज अनसायी

अधय यानत गइ कवऩ नहहॊ आमउ याभ उठाइ अनज उय रामउ

सकह न दणखत दणख भोहह काऊ फॊध सदा ति भदर सबाऊ

भभ हहत राधग तजह वऩत भाता सहह बफवऩन हहभ आतऩ फाता

सो अनयाग कहाॉ अफ बाई उठह न सनन भभ फच बफकराई

जौ जनतउॉ फन फॊध बफछोह वऩता फचन भनतउॉ नहहॊ ओह

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सत बफत नारय बिन ऩरयिाया होहहॊ जाहहॊ जग फायहहॊ फाया

अस बफचारय नदजमॉ जागह ताता सभरइ न जगत सहोदय भाता

जथा ऩॊख बफन खग अनत दीना भनन बफन पनन करयफय कय हीना

अस भभ नदजिन फॊध बफन तोही जौ जड़ दि नदजआि भोही

जहउॉ अिध किन भह राई नारय हत वपरम बाइ गॉिाई

फर अऩजस सहतउॉ जग भाहीॊ नारय हानन बफसर छनत नाहीॊ

अफ अऩरोक सोक सत तोया सहहहह ननठय कठोय उय भोया

ननज जननी क एक कभाया तात तास तमह परान अधाया

सौऩसस भोहह तमहहह गहह ऩानी सफ बफधध सखद ऩयभ हहत जानी

उतर काह दहउॉ तहह जाई उहठ ककन भोहह ससखािह बाईldquo

परशन१-lsquoफोर फचन भनज अनसायीrsquo- का तातऩमय कमा ह

उततय - बाई क शोक भ विगसरत याभ का पवराऩ धीय- -धीय परराऩ भ फदर जाता ह नदजसभ रकषभण क परनत याभ क अॊतय भ नछऩ परभ क कई कोण सहसा अनाित हो जात ह मह परसॊग ईशवय याभ भ भानव सरब गणो का सभनवम कय दता ह| ि भनरषम की बाॊनत विचसरत हो कय ऐस िचन कहत ह जो भानिीम परकनत को ही शोबा दत ह |

परशन२- याभ न रकषभण क ककन गणो का िणयन ककमा ह

उततय -याभ न रकषभण क इन गणो का िणयन ककमा ह-

रकषभण याभ स फहत सनह कयत ह | उनदहोन बाई क सरए अऩन भाता ndashवऩता का बी तमाग कय हदमा | ि िन भ िराय हहभ धऩ आहद करषटो को सहन कय यह ह | उनका सिबाि फहत भदर ह |ि बाई क द ख को नहीॊ दख सकत |

परशन३- याभ क अनसाय कौन सी िसतओॊ की हानन फड़ी हानन नहीॊ ह औय कमो

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उततय -याभ क अनसाय धन ऩतर एिॊ नायी की हानन फड़ी हानन नहीॊ ह कमोकक म सफ खो जान ऩय ऩन परापत ककम जा सकत ह ऩय एक फाय सग बाई क खो जान ऩय उस ऩन परापत नहीॊ ककमा जा सकता |

परशन४- ऩॊख क बफना ऩी औय सॊड क बफना हाथी की कमा दशा होती ह कावम परसॊग भ इनका उलरख कमो ककमा गमा ह

उततय - याभ विराऩ कयत हए अऩनी बािी नदसथनत का िणयन कय यह ह कक जस ऩॊख क बफना ऩी औय सॊड क बफना हाथी ऩीडड़त हो जाता ह उनका अनदसतति नगणम हो जाता ह िसा ही असहनीम करषट याभ को रकषभण क न होन स होगा |

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सौदमट-फोध-सॊफॊधी परशन

परशन१- कावमाॊश की बारा सौदमय सॊफॊधी दो विशरताओॊ का उललरख कीनदजए|

उततय- १यस -करण यस

२ अरॊकाय - उतपरा अरॊकायndash

भन करणा भॊह फीय यस

जागा ननससचय दणखअ कसाभानहॉ कार दह धरय फसा

दरषटाॊत अरॊकाय - जथा ऩॊख बफन खग अनत दीनाभनन बफन पनन करयफय कय हीना

अस भन नदजिन फॊध बफन तोहीजो जड़ दि नदजआि भोही

वियोधाबास अरॊकाय -फहबफधध सोचत सोच बफभोचन

परशन२- कावमाॊश की बारा का नाभ सरणखए |

उततय - अिधी बारा

परशन३- कावमाॊश भ परमकत छॊद कौन ndashसा ह

उततय- १६१६ भातराओॊ का सभ भाबतरक चौऩाई छॊद |

सौदमट-फोध-सॊफॊधी परशन

ldquoककसफी ककसान-कर फननक सबखायी बाट चाकय चऩर नट चोय चाय चटकी| ऩटको ऩढतगन गढ़त चढ़त धगरय अटत गहन ndashगन अहन अखटकी|

ऊॊ च ndashनीच कयभ धयभ ndashअधयभ करय ऩट ही को ऩचत फचत फटा ndashफटकी |

lsquoतरसीrsquo फझाई एक याभ घनसमाभ ही त आधग फड़िाधगत फड़ी ह आधग ऩटकी|rdquo

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परशन१- कवितािरी ककस बारा भ सरखी गई ह

उततय - बरज बारा

परशन२- कवितािरी भ परमकत छॊद एिॊ यस को सऩरषट कीनदजए |

उततय - इस ऩद भ 31 31 िणो का चाय चयणो िारा सभिणणयक कवितत छॊद ह नदजसभ 16 एिॊ 15 िणो ऩय वियाभ होता ह

परशन३- कवितत भ परमकत अरॊकायो को छाॊट कय सरणखए

१ अनपरास अॊरकायndash

ककसफी ककसान-कर फननक सबखायी बाट

चाकय चऩर नट चोय चाय चटकी|

२ रऩक अरॊकायndash याभndash घनशमाभ

३ अनतशमोनदकत अरॊकायndash आधग फड़िाधग त फडड़ ह आग ऩट की

रकषभण- भचछाट औय याभ का पवराऩ

पवषम-वसत ऩय आधारयत परशनोततय

परशन १-lsquoति परताऩ उय याणख परब भ ककसक परताऩ का उलरख ककमा गमा हrsquoऔय कमो

उततय -इन ऩॉनदकतमो भ बयत क परताऩ का उलरख ककमा गमा ह हनभानजी उनक परताऩ का सभयण कयत हए अमोधमा क ऊऩय स उड़त हए सॊजीिनी र कय रॊका की ओय चर जा यह ह

परशन२- याभ विराऩ भ रकषभण की कौन सी विशरताएॉ उदघहटत हई ह

उततय -रकषभण का भात परभ तमागभम जीिन इन ऩॉनदकतमो क भाधमभ स उदघाहटत हआ ह

परशन३- फोर िचन भनज अनसायी स कवि का कमा तातऩमय ह

उततय -बगिान याभ एक साधायण भनरषम की तयह विराऩ कय यह ह ककसी अितायी भनरषम की तयह नहीॊ भात परभ का धचतरण ककमा गमा हतरसीदास की भानिीम बािो ऩय सशकत ऩकड़ हदिीम वमनदकतति का रीरा रऩ ईशिय याभ को भानिीम बािो स सभनदनदित कय दता ह

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परशन४- बाई क परनत याभ क परभ की परगाढ़ता उनक ककन विचायो स वमकत हई ह

उततय - जथा ऩॊख बफन खग अनत दीना

भनन बफन पनन करयफय कय हीना

अस भभ नदजिन फॊध बफन तोही

जो जड़ दि नदजआि भोही

परशन५- lsquoफहविधध सोचत सोचविभोचनrsquo का वियोधाबास सऩरषट कीनदजए

उततय -दीनजन को शोक स भकत कयन िार बगिान याभ सिमॊ फहत परकाय स सोच भ ऩड़कय दखी हो यह ह

परशन६- हनभान का आगभन करणा भ िीय यस का आना ककस परकाय कहा जा सकता ह

उततय -रदन कयत िानय सभाज भ हनभान उतसाह का सॊचाय कयन िार िीय यस क रऩ भ आ गए करणा की नदी हनभान दिाया सॊजीिनी र आन ऩय भॊगरभमी हो उठती ह

कपवतत औय सवमा

पवषम-वसत ऩय आधारयत परशनोततय

परशन१- ऩट की बख शाॊत कयन क सरए रोग कमा कमा कयत ह

उततय -ऩट की आग फझान क सरए रोग अननतक कामय कयत ह

परशन२- तरसीदास की दनदरषट भ साॊसारयक दखो स ननिनदतत का सिोततभ उऩाम कमा ह

उततय - ऩट की आग फझान क सरए याभ कऩा रऩी िराय का जर अननिामय हइसक सरए अननतक कामय कयन की आिशमकता नहीॊ ह

परशन३- तरसी क मग की सभसमाओॊ का धचतरण कीनदजए

उततय - तरसी क मग भ पराकनतक औय परशासननक िरमम क चरत उतऩनदन ऩीडा दरयदरजन क सरए यािण क सभान दखदामी हो गई ह

परशन४- तरसीदास की बनदकत का कौन सा सिरऩ परसतत कविततो भ असबवमकत हआ ह

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उततय - तरसीदास की बनदकत का दासम बाि सिरऩ परसतत कविततो भ असबवमकत हआ ह

9 रफाइमाॉ

कफ़याक गोयखऩयी

भर नाभndash यघऩनत सहाम कफ़याक

उदय शामयी की रयिामत क विऩयीत कपयाक गोयखऩयी क साहहतम भ रोक जीिन एिॊ परकनत की झरक सभरती ह साभानदजक सॊिदना िमनदकतक अनबनत फन कय उनकी यचनाओॊ भ वमकत हई हजीिन का कठोय मथाथय उनकी यचनाओॊ भ सथान ऩाता हउनदहोन रोक बारा क परतीको का परमोग ककमा ह राणणक परमोग उनकी बारा की विशरता हकियाक की रफाईमो भ घयर हहॊदी का रऩ हदखता ह |

रफाई उदय औय िायसी का एक छॊद मा रखन शरी ह नदजसभ चाय ऩॊनदकतमाॉ होती ह |इसकी ऩहरी दसयी औय चौथी ऩॊनदकत भ तक (काकिमा)सभरामा जाता ह तथा तीसयी ऩॊनदकत सिचछॊद होती ह |

ldquoिो रऩिती भखड़ ऩ इक नभय दभकrdquo

ldquoफचच क घयोद भ जराती ह हदएldquo

ldquoयाफॊधन की सफह यस की ऩतरीrdquo

ldquoबफजरी की तयह चभक यह ह रचछrdquo

ldquoबाई क ह फाॉधती चभकती याखीldquo- जस परमोग उनकी बारा की सशकतता क नभन क तौय ऩय दख जा सकत ह |

साय

रफाइमाॉ

याफॊधन एक भीठा फॊधन ह याफॊधन क कचच धागो ऩय बफजरी क रचछ ह सािन भ याफॊधन आता ह सािन का जो सॊफॊध झीनी घटा स ह घटा का जो सॊफॊध बफजरी स ह िही सॊफॊध बाई का फहन स होता ह

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गज़र

ऩाठ भ कपयाक की एक गज़र बी शासभर ह रफाइमो की तयह ही कपयाक की गजरो भ बी हहॊदी सभाज औय उदय शामयी की ऩयॊऩया बयऩय ह इसका अदभत नभना ह मह गज़र मह गज़र कछ इस तयह फोरती ह कक नदजसभ ददय बी ह एक शामय की ठसक बी ह औय साथ ही ह कावम-सशलऩ की िह ऊॉ चाई जो गज़र की विशरता भानी जाती ह

अथट-गरहण-सॊफॊधी परशन

ldquoआॉगन भ सरए चाॉद क टकड़ को खड़ी

हाथो ऩ झराती ह उस गोद-बयी

यह-यह क हिा भ जो रोका दती ह

गॉज उठती ह णखरणखरात फचच की हॉसीrdquo

परशन१- lsquoचाॉद क टकड़rsquoका परमोग ककसक सरए हआ ह औय कमो

उततय -फचच को चाॉद का टकड़ा कहा गमा ह जो भाॉ क सरए फहत पमाया होता ह

परशन२- गोद-बयी परमोग की विशरता को सऩरषट कीनदजए |

उततय - गोद-बयी शबद-परमोग भाॉ क वातसलमऩणट आनॊठदत उतसाह को परकट कयता ह |मह अतमॊत सॊदय दशम बफॊफ ह | सनी गोद क विऩयीत गोद का बयना भाॉ क लरए असीभ सौबागम का सचक ह |इसी सौबागम का सकषभ अहसास भाॉ को तजतत द यहा ह|

परशन३- रोका दना ककस कहत ह

उततय - जफ भाॉ फचच को फाहो भ रकय हिा भ उछारती ह इस रोका दना कहत ह|छोट फचचो को मह खर फहत अचछा रगता ह

परशन४- फचचा भाॉ की गोद भ कसी परनतककरमा कयता ह

उततय - हिा भ उछारन ( रोका दन) स फचचा भाॉ का िातसलम ऩाकय परसनदन होता ह औय णखरणखरा कय हॉस ऩड़ता हफचच की ककरकारयमाॉ भाॉ क आनॊद को दगना कय दती ह|

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सौदमट-फोध-सॊफॊधी परशन

ldquoनहरा क छरक-छरक ननभयर जर स

उरझ हए गसओॊ भ कॊ घी कयक

ककस पमाय स दखता ह फचचा भॉह को

जफ घटननमो भ रक ह वऩनदहाती कऩड़rdquo

परशन१- परसतत ऩॊनदकतमो क बाि सौदमय को सऩरषट कीनदजए |

उततय - भाॉ न अऩन फचच को ननभयर जर स नहरामा उसक उरझ फारो भ कॊ घी की |भाॉ क सऩशय एिॊ नहान क आनॊद स फचचा परसनदन हो कय फड़ परभ स भाॉ को ननहायता ह| परनतहदन की एक सिाबाविक ककरमा स कस भाॉ-फचच का परभ विकससत होता ह औय परगाढ़ होता चरा जाता ह इस बाि को इस रफाई भ फड़ी सकषभता क साथ परसतत ककमा गमा ह|

परशन२- कावमाॊश भ आए बफॊफो को सऩरषट कीनदजए |

उततय -१ldquoनहरा क छरक-छरक ननभटर जर सrdquo- इस परमोग दिाया कवि न फारक की ननभयरता एिॊ ऩवितरता को जर की ननभयरता क भाधमभ स अॊककत ककमा ह | छरकना शबद जर की ताजा फॊदो का फारक क शयीय ऩय छरछरान का सॊदय दशम बफॊफ परसतत कयता ह |

२ lsquoघटननमो भ रक ह पऩनहाती कऩड़rsquo- इस परमोग भ भाॉ की फचच क परनत सािधानी चॊचर फचच को चोट ऩहॉचाए बफना उस कऩड़ ऩहनान स भाॉ क भातति की कशरता बफॊबफतहोती ह |

३ ldquoककस तमाय स दखता ह फचचा भॉह कोrdquo- ऩॊनदकत भ भाॉ ndashफचच का िातसलम बफॊबफत हआ ह | भाॉ स पमाय ndashदराय सऩशय ndashसख नहराए जान क आनॊद को अनबि कयत हए फचचा भाॉ को पमाय बयी नजयो स दख कय उस सख की असबवमनदकत कय यहा ह |मह सकषभ बाि अतमॊत भनोयभ फन ऩड़ा ह |सॊऩणय रफाई भ दशम बफॊफ ह|

परशन ३-कावमाॊश क शबद-परमोग ऩय हटपऩणी सरणखए |

उततय -गस ndashउदय शबदो का परमोग

घटननमो वऩनदहाती ndash दशज शबदो क भाधमभ स कोभरता की असबवमनदकत

छरक ndashछरक ndashशबद की ऩनयािनदतत स अबी ndashअबी नहराए गए फचच क गीर शयीय का बफॊफ

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आहद विरण परमोग रफाइमो को विसशरषट फना दत ह | हहॊदीउदय औय रोकबारा क अनठ गठफॊधन की झरक नदजस गाॊधीजी हहॊदसतानी क रऩ भ ऩलरवित कयना चाहत थदखन को सभरती ह |

पवषम-वसत ऩय आधारयत परशनोततय

रफाइमाॉ

परशन १ -कावम भ परमकत बफॊफो का िणयन अऩन शबदो भ कीनदजए

उततय -

दशम बफॊफ -फचच को गोद भ रना हिा भ उछारना सनान कयाना घटनो भ रकय कऩड़ ऩहनाना|

शरवमबफॊफ - फचच का णखरणखरा कय हॉस ऩड़ना सऩशय बफॊफ -फचच को सनान कयात हए सऩशय कयना |

परशन २-ldquoआॉगन भ ठनक यहा ह नदज़दमामा ह फारक तो हई चाॉद ऩ ररचामा हrsquo- भ फारक की कौन सी विशरता असबवमकत हई ह

उततय - इन ऩॊनदकतमो भ फारक की हि कयन की पवशषता असबवमकत हई ह फचच जफ नदजद ऩय आ जात ह तो अऩनी इचछा ऩयी कयिान क सरए नाना परकाय की हयकत ककमा कयत ह| नदज़दमामा शबद रोक बाषा का पवरण परमोग ह इसभ फचच का िनकना तनकना ऩाॉव ऩटकना योना आठद सबी ककरमाएॉ शासभर ह |

परशन ३ रचछ ककस कहा गमा ह इनका सॊफॊध ककस तमौहाय स ह

उततय - याखी क चभकीर तायो को रचछ कहा गमा ह याफॊधन क कचच धागो ऩय बफजरी क रचछ ह सािन भ याफॊधन आता ह सािन का जो सॊफॊध झीनी घटा स ह घटा का जो सॊफॊध बफजरी स ह िही सॊफॊध बाई का फहन स होता ह|सािन भ बफजरी की चभक की तयह याखी क चभकीर धागो की सॊदयता दखत ही फनती ह|

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अथट-गरहण-सॊफॊधी परशन

गज़र

कफ़याक गोयखऩयी

ldquoनौयस गॊच ऩॊखडड़मो की नाज़क धगयह खोर ह

मा उड़ जान को यॊगो- फ गरशन भ ऩय तौर ह |rdquo

परशन१- lsquoनौयसrsquo विशरण दिाया कवि ककस अथय की वमॊजना कयना चाहता ह

उततय नौयस अथायत नमा यस गॊच अथायत कसरमो भ नमा ndashनमा यस बय आमा ह |

परशन२- ऩॊखडड़मो की नाज़क धगयह खोरन का कमा असबपराम ह

उततय - यस क बय जान स कसरमाॉ विकससत हो यही ह |धीय-धीय उनकी ऩॊखडड़माॉ अऩनी फॊद गाॉठ खोर यही ह | कवि क शबदो भ नियस ही उनकी फॊद गाॉठ खोर यहा ह|

परशन३- lsquoयॊगो- फ गरशन भ ऩय तौर हrsquo ndash का अथय सऩरषट कीनदजए|

उततय -यॊग औय सगॊध दो ऩी ह जो कसरमो भ फॊद ह तथा उड़ जान क सरए अऩन ऩॊख पड़पड़ा यह ह |मह नदसथनत कसरमो क पर फन जान स ऩिय की ह जो पर फन जान की परतीा भ ह |rsquoऩय तौरनाrsquo एक भहािया ह जो उड़ान की भता आॉकन क सरए परमोग ककमा जाता ह |

परशन४- इस शय का बाि-सौदमय वमकत कीनदजए|

उततय -कसरमो की नई-नई ऩॊखडड़माॉ णखरन रगी ह उनभ स यस भानो टऩकना ही चाहता ह | िमसॊधध(ककशोयी)नानमका क परसपहटत होत सौदमय का परतीकातभक धचतरण अतमॊत सॊदय फन ऩड़ा ह |

सौदमट-फोध-सॊफॊधी परशन

हभ हो मा ककसभत हो हभायी दोनो को इक ही काभ सभरा ककसभत हभ को यो रि ह हभ ककसभत को यो र ह| जो भझको फदनाभ कय ह काश ि इतना सोच सक

भया ऩदाय खोर ह मा अऩना ऩदाय खोर ह | परशन१- इन शयो की बारा सॊफॊधी विशरताएॉ सऩरषट कीनदजए |

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उततय- १ भहाियो का परमोग ndashककसभत का योना ndashननयाशा का परतीक

२सयर असबवमनदकत बारा भ परिाहभमता ह ककसभत औय ऩयदा शबदो की ऩनयािनदततमाॉ

भोहक ह|

३ हहॊदी का घयर रऩ

परशन२- lsquoभया ऩयदा खोर ह मा अऩना ऩयदा खोर ह lsquo- की बावरक विशरता सरणखए |

उततय -भहािय क परमोग दिाया वमॊजनातभक असबवमनदकत | ऩयदा खोरना ndash बद खोरना सचचाई फमान कयना|

परशन३-lsquoहभ हो मा ककसभत हो हभायी lsquo ndashपरमोग की विशरता फताइए |

उततय - हभ औय ककसभत दोनो शबद एक ही वमनदकत अथायत कियाक क सरए परमकत ह | हभ औय ककसभत भ अबद ह मही विशरता ह |

कफ़याक गोयखऩयी

पवषम-वसत ऩय आधारयत परशनोततय

परशन१- ताय आॉख झऩकाि ह ndashका तातऩमय सऩरषट कीनदजए |

उततय- याबतर का सनदनाटा बी कछ कह यहा हइससरए ताय ऩरक झऩका यह ह विमोग की नदसथनत भ परकनत बी सॊिाद कयती परतीत होती ह |

परशन२- lsquoहभ हो मा ककसभत हो हभायीrsquo भ ककस बाि की असबवमनदकत हई ह

उततय- जीिन की विडॊफना ककसभत को योना-भहािय क परमोग स सटीक असबवमनदकत परापत कयती ह कवि जीिन स सॊतरषट नहीॊ ह | बागम स सशकामत का बाि इन ऩॊनदकतमो भ झरकता ह |

परशन३- परभ क ककस ननमभ की असबवमनदकत कवि न की ह

उततय -ईशिय की परानदपत सियसि रटा दन ऩय होती ह परभ क सॊसाय का बी मही ननमभ ह|कवि क शबदो भ rdquo कितयत का कामभ ह तिाज़न आरभ- हसनो ndashइशक भ बी

उसको उतना ही ऩात ह खद को नदजतना खो र ह |rdquo

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१ बाि ndashसामम- कफीय -lsquoसीस उताय बई धय तफ सभसरह कयतायlsquo-अथायत -सिमॊ को खो कय ही परभ परानदपत की जा सकती ह

२ बाि सामम- कफीय ndashनदजन ढॉढा नतन ऩाइमाॉ गहय ऩानी ऩहठ|

भ फऩया फडन डया यहा ककनाय फहठ |

परशन४- शयाफ की भहकपर भ शयाफी को दय यात कमा फात माद आती ह

उततय - शयाफ की भहकपर भ शयाफी को दय यात माद आती ह कक आसभान भ भनरषम क ऩाऩो का रखा-जोखा होता ह जस आधी यात क सभम परयशत रोगो क ऩाऩो क अधमाम खोरत ह िस ही यात क सभम शयाफ ऩीत हए शामय को भहफफा की माद हो आती ह भानो भहफफा परयशतो की तयह ऩाऩ सथर क आस ऩास ही ह

परशन५- सदक कियाकndashndashndashइन ऩॊनदकतमो का अथय सऩरषट कीनदजए |

उततय -सदक कियाकndashndashndashइन ऩॊनदकतमो भ कियाक कहत ह कक उनकी शामयी भ भीय की शामयी की उतकरषटता धिननत हो यही ह

परशन६- ऩॊखडड़मो की नाज़क धगयह खोरना कमा ह

उततय -ऩॉखडड़मो की नाजक धगयह खोरना उनका धीय -धीय विकससत होना ह

िमसॊधध(ककशोयी)नानमका क परसपहटत होत सौदमय की ओय सॊकत ह |

परशन७-lsquoमो उड़ जान को यॊगो फ गरशन भ ऩय तौर हrsquo बाि सऩरषट कीनदजए

उततय -कसरमो की सिास उड़न क सरए भानो ऩय तौर यही होअथायत खशफ का झोका यहndashयह कय उठता ह

परशन८- कवि दिाया िणणयत याबतर क दशम का िणयन अऩन शबदो भ कीनदजए

उततय - याबतर का सनदनाटा बी कछ कह यहा हइससरए ताय ऩरक झऩका यह हरगता ह कक परकनत का कण-कण कछ कह यहा ह |

परशन९- कवि अऩन िमनदकतक अनबि ककन ऩॉनदकतमो भ वमकत कय यहा ह

जीिन की विडॊफना-lsquoककसभत को योनाlsquo भहािय क परमोग स सटीक असबवमनदकत परापत कयती ह

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ldquoहभ हो मा ककसभत हो हभायी दोनो को इक ही काभ सभरा

ककसभत हभ को यो रि ह हभ ककसभत को यो र ह|rdquo

परशन१०- शामय न दननमा क ककस दसतय का िणयन ककमा ह

उततय -शामय न दननमा क इस दसतय का िणयन ककमा ह कक रोग दसयो को फदनाभ कयत ह ऩयॊत ि नहीॊ जानत कक इस तयह ि अऩनी दरषट परकनत को ही उदघाहटत कयत ह

परशन११- परभ की कितयत कवि न ककन शबदो भ असबवमकत की ह

सिमॊ को खो कय ही परभ की परानदपत की जा सकती ह ईशिय की परानदपत सियसि रटा दन ऩय होती ह परभ क सॊसाय का बी मही ननमभ ह

परशन१२- कियाक गोयखऩयी ककस बारा क कवि ह

उततय - उदय बारा

10 छोटा भया खत

उभाशॊकय जोशी

(गजयाती कपव)

उभाशॊकय जोशी फीसिीॊ सदी क गजयाती क भधयनदम कवि सॊसकत िाङभम क विदिान हउनदहोन गजयाती कविता को परकनत स जोड़ाआभ आदभी क जीिन की झरक उनकी यचनाओॊ भ सभरती ह

छोटा भया खत

साय

खती क रऩक दिाया कावम यचनाndash परककरमा को सऩषट ककमा गमा हकावम कनत की यचना फीजndash वऩन स रकय ऩौध क ऩजषऩत होन क पवलबनन चयणो स गजयती हअॊतय किर इतना ह कक कपव कभट की पसर कारजमी शाशित होती हउसका यस-यण अम होता हकागज का ऩनदना नदजस ऩय यचना शबदफदध होती ह कवि को एक चौकोय खत की तयह रगता ह इस खत

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भ ककसी अॉधड़ (आशम बािनातभक आॉधी स होगा) क परबाि स ककसी ण एक फीज फोमा जाता ह मह फीज-यचना विचाय औय असबवमनदकत का हो सकता ह मह भर रऩ कलऩना का सहाया रकय विकससत होता ह औय परककरमा भ सिमॊ विगसरत हो जाता ह उसस शबदो क अॊकय ननकरत ह औय अॊतत कनत एक ऩणय सिरऩ गरहण कयती ह जो कवर-कभय क सरहाज स ऩलरवित -ऩनदरषऩत होन की नदसथनत ह साहहनदतमक कनत स जो अरौककक यस-धाया पटती ह िह ण भ होन िारी योऩाई का ही ऩरयणाभ ह ऩय मह यस-धाया अनॊत कार तक चरन िारी कटाई ह |

फगरो क ऩॊख

साय

फगरो क ऩॊख कविता एक चार बफॊफ की कविता ह सौदमय का अऩकषत परबाि उतऩनदन कयन क सरए कविमो न कई मनदकतमाॉ अऩनाई ह नदजसभ स सफस परचसरत मनदकत ह-सौदमय क वमौयो क धचतरातभक िणयन क साथ अऩन भन ऩय ऩड़न िार उसक परबाि का िणयन औय आतभगत क सॊमोग की मह मनदकत ऩाठक को उस भर सौदमय क कापी ननकट र जाती ह जोशी जी की इस कविता भ ऐसा ही ह कवि कार फादरो स बय आकाश भ ऩॊनदकत फनाकय उड़त सपद फगरो को दखता ह ि कजयाय फादरो भ अटका-सा यह जाता ह िह इस भामा स अऩन को फचान की गहाय रगाता ह कमा मह सौदमय स फाॉधन औय विॊधन की चयभ नदसथनत को वमकत कयन का एक तयीका ह

परकनत का सितॊतर (आरॊफन गत ) धचतरण आधननक कविता की विशरता हधचतरातभक िणयन दिाया कवि न एक ओय कार फादरो ऩय उड़ती फगरो की शित ऩॊनदकत का धचतर अॊककत ककमा ह तो दसयी ओय इस अपरनतभ दशम क रदम ऩय ऩड़न िार परबाि को धचबतरत ककमा हभॊतर भगध कवि इस दशम क परबाि स आतभ विसभनत की नदसथनत तक ऩहॉच जाता हविरम एिॊ विरमीगत सौनददमय क दोनो रऩ कविता भ उदघाहटत हए ह

अथट-गरहण-सॊफॊधी परशन

ldquoछोटा भया खत चौकोना

कागज़ का एक ऩनदना कोई अॊधड़ कहीॊ स आमा

ण का फीज िहाॉ फोमा गमा|

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कलऩना क यसामनो को ऩी

फीज गर गमा ननशर शबद क अॊकय पट

ऩलरि ndashऩरषऩो स नसभत हआ विशर |rdquo

परशन १lsquoछोटा भया खतrsquo ककसका परतीक ह औय कमो

उततय - परशन२ lsquoछोटा भया खतrsquo काग़ज क उस ऩनदन का परतीक ह नदजस ऩय कवि अऩनी कविता सरखता ह

परशन २ कवि खत भ कौनndashसा फीज फोता ह

उततय - कवि खत भ अऩनी कलऩना का फीज फोता ह

परशन ३ कवि की कलऩना स कौन स ऩलरि अॊकरयत होत ह

उततय - कवि की कलऩना स शबद क ऩलरि अॊकरयत होत ह

परशन ४ उऩमयकत ऩद का बाि-सौदमय सऩरषट कीनदजए |

उततय - खती क रऩक दिाया कावम-यचनाndashपरककरमा को सऩषट ककमा गमा हकावम कनत की यचना फीजndash वऩन स रकय ऩौध क ऩजषऩत होन क पवलबनन चयणो स गजयती हअॊतय किर इतना ह कक कपव कभट की पसर कारजमी शाशित होती हउसका यस-यण अम होता ह

सौदमट-फोध-सॊफॊधी परशन

ldquoझभन रग पर

यस अरौककक

अभत धायाएॉ पटतीॊ

योऩाई ण की

कटाई अनॊतता की

रटत यहन स जया बी कभ नहीॊ होती |

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यस का अम ऩातर सदा का

छोटा भया खत चौकोना |rdquo

परशन इस कविता की बारा सॊफॊधी विशरताओॊ ऩय परकाश डासरए ndash

उततय - १ परतीकातभकता

२ राणणकता -

२रऩक अरॊकायndash यस का अम ऩातर सदा का

छोटा भया खत चौकोना

परशन २ यस अरौककक अभत धायाएॉ योऩाई ndash कटाई-परतीको क अथय सऩरषट कीनदजए |

उततय - यस अरौककक ndash कावम यस ननरषऩनदतत

अभत धायाएॉ- कावमानॊद

योऩाई ndash अनबनत को शबदफदध कयना

कटाई ndashयसासिादन

पवषम-वसत ऩय आधारयत परशनोततय

कपवता ndash

छोटा भया खत

परशन १ उभाशॊकय जोशी न ककस बारा भ कविताएॉ सरखी ह

उततय - गजयाती बारा

परशन२ कवरndashकभय एिॊ कविndashकभय भ कमा कमा सभानताएॉ ह

उततय - कवरndashकभय एिॊ कविndashकभय भ ननमनसरणखत सभानताएॉ ह-

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कावम कनत की यचना फीजndash वऩन स रकय ऩौध क ऩजषऩत होन क पवलबनन चयणो स गजयती ह

कपषndashकभट एवॊ कपवndashकभट भ सभानताएॉ -

कागज का ऩनदना नदजस ऩय यचना शबदफदध होती ह कवि को एक चौकोय खतरगता ह इस खत भ ककसी अॉधड़ (आशम बािनातभक आॉधी स होगा) क परबाि स ककसी ण

एक फीज फोमा जाता ह मह फीज-यचना विचाय औय असबवमनदकत का हो सकता ह मह भर रऩ कलऩना का सहाया रकय विकससत होता ह औय परककरमा भ सिमॊ विगसरत

हो जाता ह इसीपरकाय फीज बी खाद ऩानी समय की योशनी हिा आहद रकय विकससत होता ह |

कावम ndashयचना स शबदो क अॊकय ननकरत ह औय अॊतत कनत एक ऩणय सिरऩ गरहण कयती ह जो कवर-कभय क सरहाज स ऩलरवित ndashऩनदरषऩत औय पसरत होन की नदसथनत ह अथट-गरहण-सॊफॊधी परशन

कपवताndash फगरो क ऩॊख

नब भ ऩाॉती- फॉध फगरो क ऩॊख

चयाए सरए जातीॊ ि भयी आॉख |

कजयाय फादरो की छाई नब छामा

हौरndashहौर जाती भझ फाॉध ननज भामा स |

उस कोई तननक योक यकखो |

िह तो चयाए सरए जाती भयी आॉख

नब भ ऩाॉती- फॉधी फगरो की ऩाॉख |

तयती साॉझ की सतज शित कामा|

परशन१- इस कविता भ कवि न ककसका धचतरण ककमा ह

उततय - कवि न कार फादरो ऩय उड़ती फगरो की शित ऩॊनदकत का धचतरण ककमा ह|

परशन२- आॉख चयान का कमा अथय ह

उततय - आॉख चयान का आशम ह ndashधमान ऩयी तयह खीॊच रना एकटक दखना भॊतरभगध कय दना

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परशन३-

ldquoकजयाय फादरो की छाई नब छामा

हौर ndashहौर जाती भझ फाॉध ननज भामा स |rdquo- आशम सऩरषट कीनदजए |

उततय- कार फादरो क फीच साॉझ का सयभई िाताियण फहत सॊदय हदखता ह | ऐसा अपरनतभ सौदमय अऩन आकरयण भ कवि को फाॉध रता ह |

परशन ४ ldquoउस कोई तननक योक यकखो |rsquo- स कवि का कमा असबपराम ह

उततय - फगरो की ऩॊनदकत आकाश भ दय तक उड़ती जा यही ह कवि की भॊतरभगध आॉख उनका ऩीछा कय यही ह | कवि उन फगरो को योक कय यखन की गहाय रगा यहा ह कक कहीॊ ि उसकी आॉख ही अऩन साथ न र जाएॉ |

सौदमट-फोध-सॊफॊधी परशन

परशन १ कविता की बारा सॊफॊधी दो विशरताएॉ सरणखए|

उततय -१ धचतरातभक बारा

२ फोरचार क शबदो का परमोग - हौर ndashहौर ऩाॉती कजयायसाॉझ

परशन २ कविता भ परमकत अरॊकाय चन कय सरणखए |

उततय - अनपरास अरॊकाय - फॉध फगरो क ऩॊख

भानिीकयण अरॊकाय - चयाए सरए जातीॊ ि भयी आॉख |

परशन ३ -lsquo ननज भामाrsquo क राणणक अथय को सऩरषट कीनदजए |

उततय - परकनत का अपरनतभ सौदमय िह भामा ह जो कवि को आतभविबोय कय दती हमह ऩॊनदकत बी परशॊसातभक उनदकत ह

पवषम-वसत ऩय आधारयत परशनोततय

परशन१- lsquoचयाए सरए जाती ि भयी ऑ ॊखrsquo स कवि का कमा तातऩमय ह

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उततय -धचतरातभक िणयन दिाया कवि न एक ओय कार फादरो ऩय उड़ती फगरो की शित ऩॊनदकत का धचतर अॊककत ककमा ह तथा इस अपरनतभ दशम क रदम ऩय ऩड़न िार परबाि को धचबतरत ककमा ह कवि क अनसाय मह दशम उनकी आॉख चयाए सरए जा यहा ह |भॊतर भगध कवि इस दशम क परबाि स आतभ विसभनत की नदसथनत तक ऩहॉच जाता ह

परशन२-कवि ककस भामा स फचन की फात कहता ह

उततय - भामा विशि को अऩन आकरयण भ फाॉध रन क सरए परससदध ह | कफीय न बी lsquoभामा भहा ठधगनी हभ जानीrsquo कहकय भामा की शनदकत को परनतऩाहदत ककमा ह | कार फादरो भ फगरो की सॊदयता अऩना भामा जार परा कय कवि को अऩन िश भ कय यही ह |

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आयोह बाग-२ गदम-बाग

परशन-सॊखमा १०- गदम खॊड भ हदए गए ऩहठत गदमाॊश स अथयगरहण सॊफॊधी चाय परशन ऩछ जाएॉग नदजनक सरए ननधायरयत अॊक (२४=८) ह |

परशन-सॊखमा ११- ऩाठो की विरमिसत स सॊफॊधधत ऩाॉच भ स चाय परशनो क उततय दन ह नदजनक सरए ननधायरयत अॊक (३४=१२) ह|

ऩयीा भ अचछ अॊक परातत कयन क लरए धमान दन मोगम फात ndash

1 रख एिॊ ितयनी की शदधता तथा िाकम-गठन ऩय धमान द | 2 हय ऩाठ का सायऩरषठबसभविरमिसत तथाकथानक को सभझना आिशमक ह |

अतविदमाथी हय ऩाठ का सायाॊश बरीबाॉनत माद कय र | 3 परशनो को धमान स ऩढ़ तदनसाय अऩकषत उततय सरख | 4 उततय सरखत सभम सॊफॊधधत भखम बफॊदओॊ का शीरयकफनात हए उततय सरख मथा-तीन

अॊक क परशनो क उततय सरखत सभम कभ स कभ तीन भखम उततय-बफ ॊदओॊ का उलरख कयत हए उततय सऩरषट कय |

5 अॊक-मोजना क अनसाय ननधायरयत शबद-सीभा क अॊतगयत उततय सरख | ऩयीाथी कई फाय एक अॊक क परशन का उततय फहत रॊफा कई फाय ऩया ऩरषठ सरख दत ह जो सभम औय ऊजाय की फफायदी ह |

6 धमान यह कक अधधक सरखन स अचछ अॊक नहीॊ आत फनदलक सयर-सफोध बारा भ सरख गए सटीक उततय सायगसबयत तथम तथा उदाहयण क दिाया सऩरषट ककए गए उततय परबािशारी होत ह |

ऩाि 11 - बजकतन

रखखका- भहादवी वभाट

ऩाि का सायाॊश- बनदकतन नदजसका िासतविक नाभ रकषभी थारणखका lsquoभहादिी िभायrsquo की सविका ह | फचऩन भ ही बनदकतन की भाॉ की भतम हो गमी| सौतरी भाॉ न ऩाॉच िरय की आम भ वििाह तथा नौ िरय की आम भ गौना कय बनदकतन को ससयार बज हदमा| ससयार भ बनदकतन न तीन फहटमो को जनदभ हदमा नदजस कायण उस सास औय नदजठाननमो की उऩा सहनी ऩड़ती थी| सास औय नदजठाननमाॉ आयाभ पयभाती थी औय बनदकतन तथा उसकी ननदहीॊ फहटमो को घय औय खतो का साया काभ कयना ऩडता था| बनदकतन का ऩनत उस फहत चाहता था| अऩन ऩनत क सनह क फर ऩय बनदकतन न ससयार िारो स अरगौझा कय अऩना अरग घय फसा सरमा औय सख स यहन रगी ऩय बनदकतन का दबायगम अलऩाम भ ही उसक ऩनत की भतम हो गई | ससयार िार

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बनदकतन की दसयी शादी कय उस घय स ननकारकय उसकी सॊऩनदतत हड़ऩन की सानदजश कयन रग| ऐसी ऩरयनदसथनत भ बनदकतन न अऩन कश भॊडा सरए औय सॊनदमाससन फन गई | बनदकतन सिासबभानी सॊघरयशीर कभयठ औय दढ सॊकलऩ िारी सतरी ह जो वऩतसततातभक भानदमताओॊ औय छर-कऩट स बय सभाज भ अऩन औय अऩनी फहटमो क हक की रड़ाई रड़ती हघय गहसथी सॉबारन क सरए अऩनी फड़ी फटी दाभाद को फरा सरमा ऩय दबायगम न महाॉ बी बनदकतन का ऩीछा नहीॊ छोड़ा अचानक उसक दाभाद की बी भतम हो गमी| बनदकतन क जठ-नदजठौत न सानदजश यचकय बनदकतन की विधिा फटी का वििाह जफयदसती अऩन तीतयफाज सार स कय हदमा| ऩॊचामत दिाया कयामा गमा मह सॊफॊध दखदामी यहा | दोनो भाॉ-फटी का भन घय-गहसथी स उचट गमा ननधयनता आ गमी रगान न चका ऩान क कायण जभीॊदाय न बनदकतन को हदन बय धऩ भ खड़ा यखा| अऩभाननत बनदकतन ऩसा कभान क सरए गाॉि छोड़कय शहय आ जाती ह औय भहादिी की सविका फन जाती ह| बनदकतन क भन भ भहादिी क परनत फहत आदय सभऩयण औय असबबािक क सभान अधधकाय बाि ह| िह छामा क सभान भहादिी क साथ यहती ह| िह यात-यात बय जागकय धचतरकायी मा रखन जस कामय भ वमसत अऩनी भारककन की सिा का अिसय ढॉढ रती ह| भहादिी बनदकतन को नहीॊ फदर ऩामी ऩय बनदकतन न भहादिी को फदर हदमा| बनदकतन क हाथ का भोटा-दहाती खाना खात-खात भहादिी का सिाद फदर गमा बनदकतन न भहादिी को दहात क ककसस-कहाननमाॉ ककॊ िदॊनतमाॉ कॊ ठसथ कया दी| सिबाि स भहाकॊ जस होन ऩय बी बनदकतन ऩाई-ऩाई कय जोडी हई १०५ रऩमो की यासश को सहरय भहादिी को सभवऩयत कय दती ह| जर क नाभ स थय-थय काॉऩन िारी बनदकतन अऩनी भारककन क साथ जर जान क सरए फड़ राट साहफ तक स रड़न को बी तमाय हो जाती ह| बनदकतन भहादिी क जीिन ऩय छा जान िारी एक ऐसी सविका ह नदजस रणखका नहीॊ खोना चाहती

ऩाि आधारयत परशनोततय

नोट- उततय भ ननहहत यखाॊककत िाकम भखम सॊकत बफॊद ह |

परशन 1-बजकतन का वासतपवक नाभ कमा था वह अऩन नाभ को कमो छऩाना चाहती थी

उततय-बनदकतन का िासतविक नाभ रकषभी था हहनददओॊ क अनसायरकषभी धन की दिीह चॉकक बनदकतन गयीफ थी| उसक िासतविक नाभ क अथय औय उसक जीिन क मथाथय भ वियोधाबास ह ननधयन बनदकतन सफको अऩना असरी नाभ रकषभी फताकय उऩहास का ऩातर नहीॊ फनना चाहती थी इससरए िह अऩना असरी नाभ छऩाती थी

परशन 2- रखखका न रकषभी का नाभ बजकतन कमो यखा

उततय-घटा हआ ससय गर भ कॊ ठी भारा औय बकतो की तयह सादगीऩणय िशबरा दखकय भहादिी िभाय न रकषभी का नाभ बनदकतन यख हदमा | मह नाभ उसक वमनदकतति स ऩणयत भर खाता था |

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परशन 3-बजकतन क जीवन को ककतन ऩरयचछदो भ पवबाजजत ककमा गमा ह

उततय- बनदकतन क जीिन को चाय बागो भ फाॉटा गमा ह-

ऩहरा ऩरयचछद-बनदकतन का फचऩन भाॉ की भतम विभाता क दिाया बनदकतन का फार-वििाह कया दना

दपवतीम ऩरयचछद-बनदकतन का ििाहहक जीिन सास तथा नदजठाननमो का अनदमामऩणय वमिहाय ऩरयिाय स अरगौझा कय रना

ततीम ऩरयचछद- ऩनत की भतम विधिा क रऩ भ सॊघरयशीर जीिन चतथट ऩरयचछद- भहादिी िभाय की सविका क रऩ भ

परशन 4- बजकतन ऩाि क आधाय ऩय बायतीम गराभीण सभाज भ रड़क-रड़ककमो भ ककम जान वार बदबाव का उलरख कीजजए |

बायतीम गराभीण सभाज भ रड़क-रड़ककमो भ बदबाि ककमा जाता ह| रड़ककमो को खोटा ससकका मा ऩयामा धन भाना जाता ह| बनदकतन न तीन फहटमो को जनदभ हदमा नदजस कायण उस सास औय नदजठाननमो की उऩा सहनी ऩड़ती थी| सास औय नदजठाननमाॉ आयाभ पयभाती थी कमोकक उनदहोन रड़क ऩदा ककए थ औय बनदकतन तथा उसकी ननदहीॊ फहटमो को घय औय खतो का साया काभ कयना ऩडता था| बनदकतन औय उसकी फहटमो को रखा-सखा भोटा अनाज खान को सभरता था जफकक उसकी नदजठाननमाॉ औय उनक कार-करट फट दध-भराई याफ-चािर की दाित उड़ात थ

परशन 5-बजकतन ऩाि क आधाय ऩय ऩॊचामत क नमाम ऩय ठटतऩणी कीजजए |

बनदकतन की फटी क सनददबय भ ऩॊचामत दिाया ककमा गमा नदमाम तकय हीन औय अॊध कानन ऩय आधारयतह | बनदकतन क नदजठौत न सॊऩनदतत क रारच भ रडमॊतर कय बोरी फचची को धोख स जार भ पॊ सामा| ऩॊचामत न ननदोर रड़की की कोई फात नहीॊ सनी औय एक तयिा पसरा दकय उसका वििाह जफयदसती नदजठौत क ननकमभ तीतयफाज सार स कय हदमा | ऩॊचामत क अॊध कानन स दरषटो को राब हआ औय ननदोर को दॊड सभरा |

परशन 6-बजकतन की ऩाक-करा क फाय भ ठटतऩणी कीजजए |

बनदकतन को ठठ दहाती सादा बोजन ऩसॊद था | यसोई भ िह ऩाक छत को फहत भहतति दती थी | सफह-सिय नहा-धोकय चौक की सपाई कयक िह दिाय ऩय कोमर की भोटी यखा खीॊच दती थी| ककसी को यसोईघय भ परिश कयन नहीॊ दती थी| उस अऩन फनाए बोजन ऩय फड़ा असबभान था| िह अऩन फनाए बोजन का नतयसकाय नहीॊ सह सकती थी |

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परशन 7- लसदध कीजजए कक बजकतन तकट -पवतकट कयन भ भाठहय थी |

बनदकतन तकय ऩट थी | कश भॉडान स भना ककए जान ऩय िह शासतरो का हिारा दत हए कहती ह lsquoतीयथ गए भॉडाए ससदधrsquo | घय भ इधय-उधय यख गए ऩसो को िह चऩचाऩ उठा कय छऩा रती ह टोक जानऩय िह िह इस चोयी नही भानती फनदलक िह इस अऩन घय भ ऩड़ ऩसो को सॉबारकय यखना कहती ह| ऩढाई-सरखाई स फचन क सरए बी िह अचक तकय दती ह कक अगय भ बी ऩढ़न रगॉ तो घय का काभ कौन दखगा

परशन 8-बजकतन का दबाटगम बी कभ हिी नही था रखखका न ऐसा कमो कहा ह

उततय- बजकतन का दबाटगम उसका ऩीछा नहीॊ छोड़ता था-

1- फचऩन भ ही भाॉ की भतम 2- विभाता की उऩा 3- बनदकतन(रकषभी) का फारवििाह 4- वऩता का ननधन 5- तीन-तीन फहटमो को जनदभ दन क कायण सास औय नदजठाननमो क दिाया बनदकतन की

उऩा 6- ऩनत की असभम भतम 7- दाभाद का ननधन औय ऩॊचामत क दिाया ननकमभ तीतयफाज मिक स बनदकतन की विधिा

फटी का जफयन वििाह 8- रगान न चका ऩान ऩय जभीॊदाय क दिाया बनदकतन का अऩभान

परशन 9-बजकतन न भहादवी वभाट क जीवन ऩय कस परबापवत ककमा

उततय- बनदकतन क साथ यहकय भहादिी की जीिन-शरी सयर हो गमी ि अऩनी सविधाओॊ की चाह को नछऩान रगीॊ औय असविधाओॊ को सहन रगीॊ बनदकतन न उनदह दहाती बोजन णखराकय उनका सिाद फदर हदमा बनदकतन भातर एक सविका न होकय भहादिी की असबबािक औय आतभीम फन गमीबनदकतन भहादिी क जीिन ऩय छा जान िारी एक ऐसी सविका ह नदजस रणखका नहीॊ खोना चाहती

परशन 10- बजकतन क चरयतर की पवशषताओॊ का उलरख कीजजए

उततय- भहादिी िभाय की सविका बनदकतन क वमनदकतति की विशरताएॊ ननमनाॊककत ह-

सभवऩयत सविका सिासबभानी

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तकय शीरा ऩरयशरभी सॊघरयशीर

परशन 11-बजकतन क दगटणो का उलरख कय

उततय- गणो क साथ-साथ बनदकतन क वमनदकतति भ अनक दगयण बी ननहहत ह-

1 िह घय भ इधय-उधय ऩड़ रऩम-ऩस को बॊडाय घय की भटकी भ छऩा दती ह औय अऩन इस कामय को चोयी नहीॊ भानती

2 भहादिी क करोध स फचन क सरए बनदकतन फात को इधय-उधय कयक फतान को झठ नही भानती अऩनी फात को सही ससदध कयन क सरए िह तकय -वितकय बी कयती ह

3 िह दसयो को अऩनी इचछानसाय फदर दना चाहती ह ऩय सिमॊ बफरकर नही फदरती परशन 12 ननमनाॊककत बाषा-परमोगो का अथट सऩषट कीजजए-

ऩहरी कनमा क दो औय सॊसकयण कय िार- बनदकतन न अऩनी ऩहरी कनदमा क फाद उसक जसी दो औय कनदमाएॉ ऩदा कय दी अथायत बनदकतन क एक क फाद एक तीन फहटमाॉ ऩदा हो गमीॊ |

खोट लसकको की टकसार जसी ऩतनी- आज बी असशकषत गराभीण सभाज भ फहटमो को

खोटा ससकका कहा जाता ह बनदकतन न एक क फाद एक तीन फहटमाॉ ऩदा कय दी इससरए उस खोट ससकक को ढारन िारी भशीन कहा गमा

परशन 13-बजकतन ऩाि भ रखखका न सभाज की ककन सभसमाओॊ का उलरख ककमा ह

उततय- बनदकतन ऩाठ क भाधमभ स रणखका न बायतीम गराभीण सभाज की अनक सभसमाओॊ का उलरख ककमा ह-

1 रड़क-रड़ककमो भ ककमा जान िारा बदबाि 2 विधिाओॊ की सभसमा 3 नदमाम क नाभ ऩय ऩॊचामतो क दिाया नदसतरमो क भानिाधधकाय को कचरना 4 असशा औय अॊधविशिास

गदमाॊश-आधारयत अथटगरहण सॊफॊधधत परशनोततय

ऩरयिाय औय ऩरयनदसथनतमो क कायण सिबाि भ जो विरभताएॉ उतऩनदन हो गई ह उनक बीतय स एक सनह औय सहानबनत की आबा पटती यहती ह इसी स उसक सॊऩकय भ आनिार वमनदकत उसभ जीिन की सहज भासभयकता ही ऩात ह छातरािास की फासरकाओॊ भ स कोई अऩनी चाम

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फनिान क सरए दहरी ऩय फठी यहती ह कोई फाहय खडी भय सरए नाशत को चखकय उसक सिाद की वििचना कयती यहती ह भय फाहय ननकरत ही सफ धचडड़मो क सभान उड़ जाती ह औय बीतय आत ही मथासथान वियाजभान हो जाती ह इनदह आन भ रकािट न हो सॊबित इसी स बनदकतन अऩना दोनो जन का बोजन सिय ही फनाकय ऊऩय क आर भ यख दती ह औय खात सभम चौक का एक कोना धोकय ऩाकndashछत क सनातन ननमभ स सभझौता कय रती ह

भय ऩरयधचतो औय साहहनदतमक फॊधओॊ स बी बनदकतन विशर ऩरयधचत ह ऩय उनक परनत बनदकतन क समभान की भातरा भय परनत उनक समभान की भातरा ऩय ननबयय ह औय सदभाि उनक परनत भय सदभाि स नननदशचत होता ह इस सॊफॊध भ बनदकतन की सहज फवदध विनदसभत कय दन िारी ह

(क) बजकतन का सवबाव ऩरयवाय भ यहकय कसा हो गमा ह

उततय-विरभ ऩरयनदसथनतजनदम उसक उगर हठी औय दयागरही सिबाि क फािजद बनदकतन क बीतय सनह औय सहानबनत की आबा पटती यहती ह उसक सॊऩकय भ आन िार वमनदकत उसभ जीिन की सहज भासभयकता ही ऩात ह

(ख) बजकतन क ऩास छातरावास की छातराएॉ कमो आती ह

उततय- बनदकतन क ऩास कोई छातरा अऩनी चाम फनिान आती ह औय दहरी ऩय फठी यहती ह कोई भहादिी जी क सरए फन नाशत को चखकय उसक सिाद की वििचना कयती यहती ह भहादिी को दखत ही सफ छातराएॉ बाग जाती ह उनक जात ही कपय िाऩस आ जातीॊ ह बनदकतन का सहज-सनह ऩाकय धचडड़मो की तयह चहचहान रगती ह |

(ग) छातराओॊ क आन भ रकावट न िारन क लरए बजकतन न कमा उऩाम ककमा

उततय- छातराओॊ क आन भ रकािट न डारन क सरए बनदकतन न अऩन ऩाक-छत क ननमभ स सभझौता कय सरमा | बनदकतन अऩना दोनो िकत का खाना फनाकय सफह ही आर भ यख दती औय खात सभम चौक का एक कोना धोकय िहाॉ फठकय खा सरमा कयती थी ताकक छातराएॉ बफना योक-टोक क उसक ऩास आ सक

(घ) साठहतमकायो क परनत बजकतन क समभान का कमा भाऩदॊि ह

उततय-बनदकतन भहादिी क साहहनदतमक सभतर क परनत सदभाि यखती थी नदजसक परनत भहादिी सिमॊ सदभाि यखती थी | िह सबी स ऩरयधचत हऩय उनक परनत समभान की भातरा भहादिी जी क समभान की भातरा ऩय ननबयय कयती ह िह एक अदभत ढॊग स जान रती थी कक कौन ककतना समभान कयता ह उसी अनऩात भ उसका परापम उस दती थी

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12 फाजाय-दशटन

रखक- जनि कभाय

ऩाि का सायाॊश फाजाय-दशयन ऩाठ भ फाजायिाद औय उऩबोकतािाद क साथ-साथ अथयनीनत एिॊ दशयन स सॊफॊधधत परशनो को सरझान का परमास ककमा गमा ह फाजाय का जाद तबी असय कयता ह जफ भन खारी हो| फाजाय क जाद को योकन का उऩाम मह ह कक फाजाय जात सभम भन खारी ना हो भन भ रकषम बया हो| फाजाय की असरी कताथयता ह जरयत क िकत काभ आना| फाजाय को िही भनरषम राब द सकता ह जो िासति भ अऩनी आिशमकता क अनसाय खयीदना चाहता ह| जो रोग अऩन ऩसो क घभॊड भ अऩनी ऩचनदजॊग ऩािय को हदखान क सरए चीज खयीदत ह ि फाजाय को शतानी वमॊगम शनदकत दत ह| ऐस रोग फाजारऩन औय कऩट फढात ह | ऩस की मह वमॊगम शनदकत वमनदकत को अऩन सग रोगो क परनत बी कतघन फना सकती ह | साधायण जन का रदम रारसा ईरषमाय औय तरषणा स जरन रगता ह | दसयी ओय ऐसा वमनदकत नदजसक भन भ रश भातर बी रोब औय तरषणा नहीॊ ह सॊचम की इचछा नहीॊ ह िह इस वमॊगम-शनदकत स फचा यहता ह | बगतजी ऐस ही आतभफर क धनी आदशय गराहक औय फचक ह नदजन ऩय ऩस की वमॊगम-शनदकत का कोई असय नहीॊ होता | अनक उदाहयणो क दिाया रखक न मह सऩरषट ककमा ह कक एक ओय फाजाय रारची असॊतोरी औय खोखर भन िार वमनदकतमो को रटन क सरए ह िहीॊ दसयी ओय सॊतोरी भन िारो क सरए फाजाय की चभक-दभक उसका आकरयण कोई भहतति नहीॊ यखता

परशन१ - ऩचजजॊग ऩावय ककस कहा गमा ह फाजाय ऩय इसका कमा परबाव ऩड़ता ह

उततय- ऩचनदजॊग ऩािय का अथय ह खयीदन की शनदकत ऩचनदजॊग ऩािय क घभॊड भ वमनदकत हदखाि क सरए आिशमकता स अधधक खयीदायीकयता ह औय फाजाय को शतानी वमॊगम-शनदकत दता ह ऐस रोग फाजाय का फाजारऩन फढ़ात ह

परशन२ -रखक न फाजाय का जाद ककस कहा ह इसका कमा परबाव ऩड़ता ह

उततय- फाजाय की चभक-दभक क चॊफकीम आकरयण को फाजाय का जाद कहा गमा ह मह जाद आॊखो की याह कामय कयता ह फाजाय क इसी आकरयण क कायण गराहक सजी-धजी चीजो को आिशमकता न होन ऩय बी खयीदन को वििश हो जात ह

परशन३ -आशम सऩषट कय

भन खारी होना भन बया होना भन फॊद होना

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उततय-भन खारी होना- भन भ कोई नननदशचत िसत खयीदन का रकषम न होना ननरददशम फाजाय जाना औय वमथय की चीजो को खयीदकय राना

भन बया होना- भन रकषम स बया होना नदजसका भन बया हो िह बरीबाॉनत जानता ह कक उस फाजाय स कौन सी िसत खयीदनी ह अऩनी आिशमकता की चीज खयीदकय िह फाजाय को साथयकता परदान कयता ह

भन फॊद होना-भन भ ककसी बी परकाय की इचछा न होना अथायत अऩन भन को शनदम कय दना

परशन४ - lsquoजहाॉ तषणा ह फटोय यखन की सऩहा ह वहाॉ उस फर का फीज नहीॊ हrsquo महाॊ ककस फर की चचाट की गमी ह

उततय- रखक न सॊतोरी सिबाि क वमनदकत क आतभफरकी चचाय की ह दसय शबदो भ महद भन भ सॊतोर हो तो वमनदकत हदखाि औय ईरषमाय की बािना स दय यहता ह उसभ सॊचम कयन की परिनदतत नहीॊ होती

परशन५ - अथटशासतर अनीनतशासतर कफ फन जाता ह

उततय- जफ फाजाय भ कऩट औय शोरण फढ़न रग खयीददाय अऩनी ऩचधचॊग ऩािय क घभॊड भ हदखाि क सरए खयीददायी कय | भनरषमो भ ऩयसऩय बाईचाया सभापत हो जाए| खयीददाय औय दकानदाय एक दसय को ठगन की घात भ रग यह एक की हानन भ दसय को अऩना राब हदखाई द तो फाजाय का अथयशासतर अनीनतशासतर फन जाता ह ऐस फाजाय भानिता क सरए विडॊफना ह

परशन६-बगतजी फाजाय औय सभाज को ककस परकाय साथटकता परदान कय यह ह

उततय- बगतजी क भन भ साॊसारयक आकरयणो क सरए कोई तरषणा नहीॊ ह ि सॊचम रारच औय हदखाि स दय यहत ह फाजाय औय वमाऩाय उनक सरए आिशमकताओॊ की ऩनत य का साधन भातर ह बगतजी क भन का सॊतोर औय ननसऩह बाि उनको शररषठ उऩबोकता औय विकरता फनात ह

परशन ७ _ बगत जी क वमजकततव क सशकत ऩहरओॊ का उलरख कीजजए |

उततय-ननमनाॊककत बफॊद उनक वमनदकतति क सशकत ऩहर को उजागय कयत ह

ऩॊसायी की दकान स किर अऩनी जरयत का साभान (जीया औय नभक) खयीदना नननदशचत सभम ऩय चयन फचन क सरए ननकरना छह आन की कभाई होत ही चयन फचना फॊद कय दना फच हए चयन को फचचो को भफ़त फाॉट दना

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सबी काजम-जम याभ कहकय सिागत कयना फाजाय की चभक-दभक स आकवरयत न होना सभाज को सॊतोरी जीिन की सशा दना

परशन7-फाजाय की साथटकता ककसभ ह

उततय- भनरषम की आिशमकताओॊ की ऩनतय कयन भ ही फाजाय की साथयकता ह जो गराहक अऩनी आिशमकताओॊ की चीज खयीदत ह ि फाजाय को साथयकता परदान कयत ह जो विकरता गराहको का शोरण नहीॊ कयत औय छर-कऩट स गराहको को रबान का परमास नही कयत ि बी फाजाय को साथयक फनात ह

गदमाॊश-आधारयत अथटगरहण-सॊफॊधधत परशनोततय

फाजाय भ एक जाद ह िह जाद आॉख की तयह काभ कयता ह िह रऩ का जाद ह ऩय जस चॊफक का जाद रोह ऩय ही चरता ह िस ही इस जाद की बी भमायदा ह जफ बयी हो औय भन खारी हो ऐसी हारत भ जाद का असय खफ होता ह जफ खारी ऩय भन बया न हो तो बी जाद चर जाएगा भन खारी ह तो फाजाय की अनकानक चीजो का ननभॊतरण उस तक ऩहॉच जाएगा कहीॊ हई उस िकत जफ बयी तफ तो कपय िह भन ककसकी भानन िारा ह भारभ होता ह मह बी रॉ िह बी रॉ सबी साभान जरयी औय आयाभ को फढ़ान िारा भारभ होता ह ऩय मह सफ जाद का असय ह जाद की सिायी उतयी कक ऩता चरता ह कक प सी-चीजो की फहतामत आयाभ भ भदद नहीॊ दती फनदलक खरर ही डारती ह थोड़ी दय को सिासबभान को जरय सक सभर जाता ह ऩय इसस असबभान को धगलटी की खयाक ही सभरती ह जकड़ यशभी डोयी की हो तो यशभ क सऩशय क भरामभ क कायण कमा िह कभ जकड़ दगी

ऩय उस जाद की जकड़ स फचन का एक सीधा उऩाम ह िह मह कक फाजाय जाओ तो खारी भन न हो भन खारी हो तफ फाजाय न जाओ कहत ह र भ जाना हो तो ऩानी ऩीकय जाना चाहहए ऩानी बीतय हो र का रऩन वमथय हो जाता ह भन रकषम स बया हो तो फाजाय परा का परा ही यह जाएगा तफ िह घाि बफरकर नहीॊ द सकगा फनदलक कछ आनॊद ही दगा तफ फाजाय तभस कताथय होगा कमोकक तभ कछ न कछ सचचा राब उस दोग फाजाय की असरी कताथयता ह आिशमकता क सभम काभ आना

परशन-1 फाजाय क जाद को रखक न कस सऩषट ककमा ह

उततय- फाजाय क रऩ का जाद आॉखो की याह स काभ कयता हआ हभ आकवरयत कयता ह फाजाय का जाद ऐस चरता ह जस रोह क ऊऩय चॊफक का जाद चरता ह चभचभाती योशनी भ सजी

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प सी चीॊज गराहक को अऩनी ओय आकवरयत कयती ह| इसी चमफकीम शनदकत क कायण वमनदकत कपजर साभान को बी खयीद रता ह |

परशन-2 जफ बयी हो औय भन खारी तो हभायी कमा दशा होती ह

उततय- जफ बयी हो औय भन खारी हो तो हभाय ऊऩय फाजाय का जाद खफ असय कयता ह भन खारी ह तो फाजाय की अनकानक चीजो का ननभॊतरण भन तक ऩहॉच जाता ह औय उस सभम महद जफ बयी हो तो भन हभाय ननमॊतरण भ नहीॊ यहता

परशन-3 प सी चीजो की फहतामत का कमा ऩरयणाभ होता ह

उततय- प सी चीज आयाभ की जगह आयाभ भ वमिधान ही डारती ह थोड़ी दय को असबभान को जरय सक सभर जाती ह ऩय हदखाि की परिनदतत भ िवदध होती ह

परशन-4 जाद की जकड़ स फचन का कमा उऩाम ह

उततय- जाद की जकड़ स फचन क सरए एक ही उऩाम ह िह मह ह कक फाजाय जाओ तो भन खारी न हो भन खारी हो तो फाजाय भत जाओ

13 कार भघा ऩानी द

रखक-धभटवीय बायती

ऩाि का सायाॊश -lsquoकार भघा ऩानी दrsquo ननफॊध रोकजीिन क विशिास औय विऻान क तकय ऩय आधारयत ह जफ बीरण गभी क कायण वमाकर रोग िराय कयान क सरए ऩजा-ऩाठ औय कथा-विधान कय थकndashहाय जात ह तफ िराय कयान क सरए अॊनतभ उऩाम क रऩ भ इनददय सना ननकरती ह| इनददय सना नॊग-धड़ॊग फचचो की टोरी ह जो कीचड़ भ रथऩथ होकय गरी-भोहलर भ ऩानी भाॉगन ननकरती ह| रोग अऩन घय की छतो-णखड़ककमो स इनददय सना ऩय ऩानी डारत ह | रोगो की भानदमता ह कक इनददर फादरो क सिाभी औय िराय क दिता ह| इनददर की सना ऩय ऩानी डारन स इनददर बगिान परसनदन होकय ऩानी फयसाएॊग | रखक का तकय ह कक जफ ऩानी की इतनी कभी ह तो रोग भनदशकर स जभा ककए ऩानी को फालटी बय-बयकय इनददय सना ऩय डारकय ऩानी को कमो फफायद कयत ह आमयसभाजी विचायधाया िारा रखक इस अॊधविशिास भानता ह | इसक विऩयीत रखक की जीजी उस सभझाती ह कक मह ऩानी की फफायदी नहीॊ फनदलक ऩानी की फिाई ह | कछ ऩान क सरए कछ दना ऩड़ता ह | तमाग क बफना दान नहीॊ होता| परसतत ननफॊध भ रखक न भरषटाचाय की सभसमा को उठात हए कहा ह कक जीिन भ कछ ऩान क सरए तमाग आिशमक ह जो रोग तमाग औय दान की भहतता को नहीॊ भानत ि ही भरषटाचाय भ सरपत यहकय दश औय सभाज को रटत ह| जीजी की आसथा बािनातभक सचचाई को ऩरषट कयती ह औय तकय किर िऻाननक तथम को सतम भानता ह जहाॉ तकय मथाथय क

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कठोय धयातर ऩय सचचाई को ऩयखता ह तो िहीॊ आसथा अनहोनी फात को बी सिीकाय कय भन को सॊसकारयत कयती ह बायत की सितॊतरता क ५० सार फाद बी दश भ वमापत बरषटाचाय औय सिाथय की बािना को दखकय रखक दखी ह | सयकाय दिाया चराई जा यही मोजनाएॉ गयीफो तक कमो नहीॊ ऩहॉच ऩा यहीॊ ह कार भघा क दर उभड़ यह ह ऩय आज बी गयीफ की गगयी पटी हई कमो ह रखक न मह परशन ऩाठको क सरए छोड़ हदमा ह |

परशन1-इनदय सना घय-घय जाकय ऩानी कमो भाॉगती थी

उततय- गाॉि क रोग फारयश क सरए बगिान इॊदर स पराथयना ककमा कयत थ जफ ऩजा-ऩाठवरत आहद उऩाम असिर हो जात थ तो बगिान इॊदर को परसनदन कयन क सरए गाॉि क ककशोय फचच कीचड़ भ रथऩथ होकय गरी-गरी घभकय रोगो स ऩानी भाॉगत थ

परशन2-इनदयसना को रखक भढक-भॊिरी कमो कहता ह जीजी क फायndashफाय कहन ऩय बी वह इनदयसना ऩय ऩानी प कन को याजी कमो नहीॊ होता

उततय- इनददयसना का कामय आमयसभाजी विचायधाया िार रखक को अॊधविशिास रगता ह उसका भानना ह कक महद इॊदयसना दिता स ऩानी हदरिा सकती ह तो सिमॊ अऩन सरए ऩानी कमो नहीॊ भाॉग रती ऩानी की कभी होन ऩय बी रोग घय भ एकतर ककम हए ऩानी को इॊदयसना ऩय ि कत ह रखक इस ऩानी की ननभयभ फयफादी भानता ह

परशन3- रि हए रखक को जीजी न ककस परकाय सभझामा

उततय- जीजी न रखक को पमाय स रडड-भठयी णखरात हए ननमन तकय हदए-

1- तमाग का भहततव- कछ ऩान क सरए कछ दना ऩड़ता ह 2- दान की भहतता- कवर-भननमो न दान को सफस ऊॉ चा सथान हदमा ह जो चीज अऩन

ऩास बी कभ हो औय अऩनी आिशमकता को बरकय िह चीज दसयो को दान कय दना ही तमाग ह |

3- इॊिदव को जर का अधमट चिाना- इॊदयसना ऩय ऩानी ि कना ऩानी की फयफादी नहीॊ फनदलक इॊदरदि को जर का अधमय चढ़ाना ह

4- ऩानी की फवाई कयना- नदजस परकाय ककसान िसर उगान क सरए जभीन ऩय फीज डारकय फिाई कयता ह िस ही ऩानी िार फादरो की िसर ऩान क सरए इनददय सना ऩय ऩानी डार कय ऩानी की फिाई की जाती ह

परशन4-नठदमो का बायतीम साभाजजक औय साॊसकनतक ऩरयवश भ कमा भहतव ह

उततय- गॊगा बायतीम सभाज भ सफस ऩजम सदानीया नदी ह नदजसका बायतीम इनतहास भ धासभयक ऩौयाणणक औय साॊसकनतक भहति ह | िह बायतीमो क सरए किर एक नदी नहीॊ अवऩत

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भाॉ ह सिगय की सीढ़ी ह भोदानमनी ह उसभ ऩानी नहीॊ अवऩत अभत तलम जर फहता ह बायतीम सॊसकनत भ नहदमो क ककनाय भानि सभमताएॉ परी-परी ह| फड़-फड़ नगय तीथयसथान नहदमो क ककनाय ही नदसथत ह ऐस ऩरयिश भबायतिासी सफस ऩहर गॊगा भमा की जम ही फोरग नहदमाॉ हभाय जीिन का आधाय ह हभाया दश कवर परधान ह नहदमो क जर स ही बायत बसभ हयी-बयी ह नहदमो क बफना जीिन की कलऩना नहीॊ कय सकत मही कायण ह कक हभ बायतीम नहदमो की ऩजा कयत ह |

परशन4-आजादी क ऩचास वषो क फाद बी रखक कमो दखी ह उसक भन भ कौन स परशन उि यह ह

उततय- आजादी क ऩचास िरो फाद बी बायतीमो की सोच भ सकायातभक फदराि न दखकय रखक दखी ह उसक भन भ कई परशन उठ यह ह-

1 कमा हभ सचच अथो भ सितनदतर ह 2 कमा हभ अऩन दश की सॊसकनत औय सभमता को सभझ ऩाए ह 3 यारषर ननभायण भ हभ ऩीछ कमो ह हभ दश क सरए कमा कय यह ह

4 हभ सिाथय औय भरषटाचाय भ सरपत यहत ह तमाग भ विशिास कमो नहीॊ कयत

5 सयकाय दिाया चराई जा यही सधायिादी मोजनाएॉ गयीफो तक कमो नहीॊ ऩहॉचती ह

गदमाॊश ऩय आधारयत अथटगरहण-सॊफॊधधत परशनोततय

सचभच ऐस हदन होत जफ गरी-भहलरा गाॉि-शहय हय जगह रोग गयभी भ बन-बन कय तराहहभाभ कय यह होत जठ क दसतऩा फीतकय आराढ का ऩहरा ऩखिाड़ा फीत चका होता ऩय कषनतज ऩय कहीॊ फादरो की यख बी नहीॊ दीखती होती कएॉ सखन रगत नरो भ एक तो फहत कभ ऩानी आता औय आता बी तो आधी यात को िो बी खौरता हआ ऩानी हो | शहयो की तरना भ गाॉि भ औय बी हारत खयाफ थी| जहाॉ जताई होनी चाहहए थी िहाॉ खतो की सभटटी सखकय ऩतथय हो जाती कपय उसभ ऩऩड़ी ऩड़कय जभीन पटन रगती र ऐसी कक चरत-चरत आदभी धगय ऩड़ | ढोय-डॊगय पमास क भाय भयन रगत रककन फारयश का कहीॊ नाभ ननशान नहीॊ ऐस भ ऩजा-ऩाठ कथा-विधान सफ कयक रोग जफ हाय जात तफ अॊनतभ उऩाम क रऩ भ ननकरती मह इनददय सना |

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परशन१- वषाट न होन ऩय रोगो की कमा जसथनत हो गमी थी उततय - िराय न होन ऩय गयभी क कायण रोग र रगन स फहोश होन रग | गाॉि-शहय सबी जगह ऩानी का अबाि हो गमा| कएॉ सख गए खतो की सभटटी सखकय ऩतथय क सभान कठोय होकय पट गमी| घयो भ नरो भ ऩानी फहत कभ आता था | ऩश पमास क भाय भयन रग थ | परशन२- वषाट क दवता कौन ह उनको परसनन कयन क लरए कमा उऩाम ककए जात थ उततय -िराय क दिता बगिान इनददर ह| उनको परसनदन कयन क सरए ऩजाndashऩाठ कथा-विधान कयाए जात थ | ताकक इनददर दि परसनदन होकय फादरो की सना बजकय झभाझभ फारयश कयाएॉ औय रोगो क करषट दय हो | परशन३- वषाट कयान क अॊनतभ उऩाम क रऩ भ कमा ककमा जाता था उततय ndashजफ ऩजा-ऩाठ कथा-विधान सफ कयक रोग हाय जात थ तफ अॊनतभ उऩाम क रऩ भ इनददय सना आती थी | नॊग-धडॊग कीचड़ भ रथऩथ lsquoकार भघा ऩानी द ऩानी द गड़धानी दrsquo की टय रगाकय पमास स सखत गरो औय सखत खतो क सरए भघो को ऩकायती हई टोरी फनाकय ननकर ऩड़ती थी| परशन४-आशम सऩषट कय ndash जठ क दसतऩा फीतकय आराढ़ का ऩहरा ऩखिाड़ा फीत चका होता ऩय कषनतज भ कहीॊ फादरो की यख बी नजय नहीॊ आती | आशम- जठ का भहीना ह बीरण गयभी ह| तऩत हए दस हदन फीत कय आराढ का भहीना बी आधा फीत गमा ऩय ऩानी क सरए तड़ऩत िराय की आशा भ आसभान की ओय ताकत रोगो को कहीॊ फादर नजय नहीॊ आ यह |

14 ऩहरवान की ढोरक

फ़णीशवयनाथ यण

ऩाि का सायाॊश ndashआॊचसरक कथाकाय िणीशियनाथ यण की कहानी ऩहरिान की ढोरक भ कहानी क भखम ऩातर रटटन क भाता-वऩता का दहाॊत उसक फचऩन भ ही हो गमा था | अनाथ रटटन को उसकी विधिा सास न ऩार-ऩोसकय फड़ा ककमा | उसकी सास को गाॉि िार सतात थ |

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रोगो स फदरा रन क सरए कशती क दाॉिऩच सीखकय कसयत कयक रटटन ऩहरिान फन गमा |

एक फाय रटटन शमाभनगय भरा दखन गमा जहाॉ ढोर की आिाज औय कशती क दाॉिऩच दखकय उसन जोश भ आकय नाभी ऩहरिान चाॉदससॊह को चनौती द दी | ढोर की आिाज स परयणा ऩाकय रटटन न दाॉि रगाकय चाॉद ससॊह को ऩटककय हया हदमा औय याज ऩहरिान फन गमा | उसकी खमानत दय-दय तक िर गमी| १५ िरो तक ऩहरिान अजम फना यहा| उसक दो ऩतर थ| रटटन न दोनो फटो को बी ऩहरिानी क गय ससखाए| याजा की भतम क फाद नए याजकभाय न गददी सॊबारी याजकभाय को घोड़ो की यस का शौक था भनजय न नम याजा को बड़कामा ऩहरिान औय उसक दोनो फटो क बोजनखचय को बमानक औय किजरखचय फतामा िरसिरऩ नए याजा न कशती को फॊद कयिा हदमा औय ऩहरिान रटटनससॊह को उसक दोनो फटो क साथ भहर स ननकार हदमा

याजदयफाय स ननकार हदए जान क फाद रटटन ससॊह अऩन दोनो फटो क साथ गाॉि भ झोऩड़ी फनाकय यहन रगा औय गाॉि क रड़को को कशती ससखान रगा| रटटन का सकर जमादा हदन नहीॊ चरा औय जीविकोऩाजयन क सरए उसक दोनो फटो को भजदयी कयनी ऩड़ी| इसी दौयान गाॉि भ अकार औय भहाभायी क कायण परनतहदन राश उठन रगी| ऩहरिान भहाभायी स डय हए रोगो को ढोरक फजाकय फीभायी स रड़न की सॊजीिनी ताकत दता था| एक हदन ऩहरिान क दोनो फट बी भहाभायी की चऩट भ आकय भय गए ऩय उस यात बी ऩहरिान ढोरक फजाकय रोगो को हहमभत फॊधा यहा था | इस घटना क चाय-ऩाॉच हदन फाद ऩहरिान की बी भौत हो जाती ह|

ऩहरिान की ढोरक वमिसथा क फदरन क साथ रोक कराकाय क अपरासॊधगक हो जान की कहानी ह इस कहानी भ रटटन नाभ क ऩहरिान की हहमभत औय नदजजीविरा का िणयन ककमा गमा ह बख औय भहाभायी अजम रटटन की ऩहरिानी को िट ढोर भ फदर दत ह इस करण तरासदी भ ऩहरिान रटटन कई सिार छोड़ जाता ह कक करा का कोई सितॊतर अनदसतति ह मा करा किर वमिसथा की भोहताज ह

परशन1- रटटन को ऩहरवान फनन की परयणा कस लभरी

उततय- रटटन जफ नौ सार का था तो उसक भाता-वऩता का दहाॊत हो गमा था | सौबागम स उसकी शादी हो चकी थी| अनाथ रटटन को उसकी विधिा सास न ऩार-ऩोसकय फड़ा ककमा | उसकी सास को गाॉि िार ऩयशान कयत थ| रोगो स फदरा रन क सरए उसन ऩहरिान फनन की ठानी| धायोरषण दध ऩीकय कसयत कय उसन अऩना फदन गठीरा औय ताकतिय फना सरमा | कशती क दाॉिऩच सीखकय रटटन ऩहरिान फन गमा |

परशन2- यात क बमानक सननाट भ रटटन की ढोरक कमा करयशभा कयती थी

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उततय- यात क बमानक सनदनाट भरटटन की ढोरक भहाभायी स जझत रोगो को हहमभत फॉधाती थी | ढोरक की आिाज स यात की विबीवरका औय सनदनाटा कभ होता था| भहाभायी स ऩीडड़त रोगो की नसो भ बफजरी सी दौड़ जाती थी उनकी आॉखो क साभन दॊगर का दशम साकाय हो जाता था औय ि अऩनी ऩीड़ा बर खशी-खशी भौत को गर रगा रत थ इस परकाय ढोर की आिाज फीभाय-भतपराम गाॉििारो की नसो भ सॊजीिनी शनदकत को बय फीभायी स रड़न की परयणा दती थी

परशन3- रटटन न सवाटधधक ठहमभत कफ ठदखाई

उततय- रटटन ससॊह न सिायधधक हहमभत तफ हदखाई जफ दोनो फटो की भतम ऩय िह योमा नहीॊ फनदलक हहमभत स काभ रकय अकर उनका अॊनतभ सॊसकाय ककमा| मही नहीॊ नदजस हदन ऩहरिान क दोनो फट भहाभायी की चऩट भ आकय भय गए ऩय उस यात को बी ऩहरिान ढोरक फजाकय रोगो को हहमभत फॉधा यहा था| शमाभनगय क दॊगर भ ऩया जनसभदाम चाॉद ससॊह क ऩ भ था चाॉद ससॊह को हयात सभम रटटन न हहमभत हदखाई औय बफना हताश हए दॊगर भ चाॉद ससॊह को धचत कय हदमा |

परशन4- रटटन लसॊह याज ऩहरवान कस फना

उततय- शमाभनगय क याजा कशती क शौकीन थ उनदहोन दॊगर का आमोजन ककमा ऩहरिान रटटन ससॊह बी दॊगर दखन ऩहॉचा चाॊदससॊह नाभक ऩहरिान जो शय क फचच क नाभ स परससदध था कोई बी ऩहरिान उसस सबड़न की हहमभत नहीॊ कयता था चाॉदससॊह अखाड़ भ अकरा गयज यहा था रटटन ससॊह न चाॉदससॊह को चनौती द दी औय चाॉदससॊह स सबड़ गमाढ़ोर की आिाज सनकय रटटन की नस-नस भ जोश बय गमाउसन चाॉदससॊह को चायो खान धचत कय हदमा याजासाहफ न रटटन की िीयता स परबावित होकय उस याजऩहरिान फना हदमा

परशन5- ऩहरवान की अॊनतभ इचछा कमा थी

उततय- ऩहरिान की अॊनतभ इचछा थी कक उस धचता ऩय ऩट क फर सरटामा जाए कमोकक िह नदजॊदगी भ कबी धचत नहीॊ हआ था| उसकी दसयी इचछा थी कक उसकी धचता को आग दत सभम ढोर अिशम फजामा जाए |

परशन6- ढोर की आवाज औय रटटन क भ दाॉिऩच सॊफॊध फताइए-

उततय- ढोर की आिाज औय रटटन क दाॉिऩच भ सॊफॊध -

चट धा धगड़ धाrarr आजा सबड़ जा | चटाक चट धाrarr उठाकय ऩटक द | चट धगड़ धाrarrभत डयना |

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धाक धधना नतयकट नतनाrarr दाॉि काटो फाहय हो जाओ | धधना धधना धधक धधनाrarr धचत कयो

गदमाॊश-आधारयत अथटगरहण-सॊफॊधधत परशनोततय

अॉधयी यात चऩचाऩ आॉस फहा यही थी | ननसतबधता करण सससककमो औय आहो को अऩन रदम भ ही फर ऩियक दफान की चरषटा कय यही थी | आकाश भ ताय चभक यह थ | ऩथिी ऩय कहीॊ परकाश का नाभ नहीॊ| आकाश स टट कय महद कोई बािक ताया ऩथिी ऩय आना बी चाहता तो उसकी जमोनत औय शनदकत यासत भ ही शर हो जाती थी | अनदम ताय उसकी बािकता अथिा असपरता ऩय णखरणखराकय हॉस ऩड़त थ | ससमायो का करॊ दन औय ऩचक की डयािनी आिाज यात की ननसतबधता को बॊग कयती थी | गाॉि की झोऩडडमो स कयाहन औय क कयन की आिाज हय याभ ह बगिान की टय सनाई ऩड़ती थी| फचच बी ननफयर कॊ ठो स भाॉ ndashभाॉ ऩकायकय यो ऩड़त थ |

(क) अॉधयी यात को आॉस फहात हए कमो ठदखामा गमा ह उततयndash गाॉि भ हजा औय भररयमा परा हआ था | भहाभायी की चऩट भ आकाय रोग भय यह थ |चायो ओय भौत का सनाटा छामा था इससरए अॉधयी यात बी चऩचाऩ आॉस फहाती सी परतीत हो यही थी|

(ख) ताय क भाधमभ स रखक कमा कहना चाहता ह उततयndash ताय क भाधमभ स रखक कहना चाहता ह कक अकार औय भहाभायी स तरसत गाॉि िारो की ऩीड़ा को दय कयन िारा कोई नहीॊ था | परकनत बी गाॉि िारो क द ख स दखी थी| आकाश स टट कय महद कोई बािक ताया ऩथिी ऩय आना बी चाहता तो उसकी जमोनत औय शनदकत यासत भ ही शर हो जाती थी |

(ग) यात की ननसतबधता को कौन बॊग कयता था उततयndash ससमायो की चीख-ऩकाय ऩचक की डयािनी आिाज औय कततो का साभहहक रदन सभरकय यात क सनदनाट को बॊग कयत थ |

(घ) झोऩड़ड़मो स कसी आवाज आ यही ह औय कमो उततयndash झोऩडड़मो स योधगमो क कयाहन क कयन औय योन की आिाज आ यही ह कमोकक गाॉि क रोग भररयमा औय हज स ऩीडड़त थ | अकार क कायण अनदन की कभी हो गमी थी| औरधध औय ऩथम न सभरन क कायण रोगो की हारत इतनी फयी थी कक कोई बगिान को ऩकाय रगाता था तो कोई दफयर कॊ ठ स भाॉndashभाॉ ऩकायता था |

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15 चारी चजतरन मानी हभ सफ

रखक-पवषण खय

ऩाि का सायाॊश ndashचारक चनदपरन न हासम कराकाय क रऩ भ ऩयी दननमा क फहत फड़ दशयक िगय को हॉसामा ह | उनकी कपलभो न कपलभ करा को रोकताॊबतरक फनान क साथ-साथ दशको की िगय औय िणय-वमिसथा को बी तोड़ा | चारक न करा भ फवदध की अऩा बािना को भहतति हदमा ह | फचऩन क सॊघरो न चारक क बािी कपलभो की बसभ तमाय कय दी थी| बायतीम करा औय सौदमयशासतर भ करणा का हासम भ ऩरयितयन बायतीम ऩयमऩया भ नहीॊ सभरता रककन चारक एक ऐसा जादई वमनदकतति ह जो हय दश सॊसकनत औय सभमता को अऩना सा रगता ह| बायतीम जनता न बी उनदह सहज बाि स सिीकाय ककमा ह| सिमॊ ऩय हॉसना चारक न ही ससखामा| बायतीम ससनभा जगत क सपरससदध कराकाय याजकऩय को चारक का बायतीमकयण कहा गमा ह | चारक की अधधकाॊश किलभ भक ह इससरए उनदह अधधक भानिीम होना ऩड़ा | ऩाठ भ हासम कपलभो क भहान असबनता lsquoचारक चनदपरनrsquo की जादई विशरताओॊ का उलरख ककमा गमा ह नदजसभ उसन करणा औय हासम भ साभॊजसम सथावऩत कय किलभो को साियबौसभक रऩ परदान ककमा

परशन१ -चारी क जीवन ऩय परबाव िारन वारी भखम घटनाएॉ कौन सी थी

उततय- चारक क जीिन भ दो ऐसी घटनाएॉ घटीॊ नदजनदहोन उनक बािी जीिन ऩय फहत परबाि डारा |

ऩहरी घटना - जफ चारक फीभाय थ उनकी भाॉ उनदह ईसा भसीह की जीिनी ऩढ़कय सना यही थी | ईसा क सरी ऩय चढ़न क परसॊग तक आत-आत भाॉ-फटा दोनो ही योन रग| इस घटना न चारक को सनह करणा औय भानिता जस उचच जीिन भलम हदए |

दसयी घटना हndash फारक चारक कसाईखान क ऩास यहता था| िहाॉ सकड़ो जानियो को योज भाया जाता था| एक हदन एक बड़ िहाॉ स बाग ननकरी| बड़ को ऩकड़न की कोसशश भ कसाई कई फाय कपसरा| नदजस दखकय रोग हॊसन रग ठहाक रगान रग| जफ बड़ को कसाई न ऩकड़ सरमा तो फारक चारक योन रगा| इस घटना न उसक बािी कपलभो भ तरासदी औय हासमोतऩादक ततिो की बसभका तम कय दी |

परशन२ ndash आशम सऩषट कीजजएndash

चजतरन न लसपट कपलभकरा को ही रोकताॊबतरक नही फनामा फजलक दशटको की वगट तथा वणट-वमवसथा को बी तोड़ा|

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उततय- रोकताॊबतरक फनान का अथय ह कक कपलभ करा को सबी क सरए रोकवपरम फनाना औय िगय औय िणय-वमिसथा को तोड़न का आशम ह- सभाज भ परचसरत अभीय-गयीफ िणय जानतधभय क बदबाि को सभापत कयना |चनदपरन का चभतकाय मह ह कक उनदहोन कपलभकरा को बफना ककसी बदबाि क सबी रोगो तक ऩहॉचामा| उनकी कपलभो न सभम बगोर औय सॊसकनतमो की सीभाओॊ को राॉघ कय साियबौसभक रोकवपरमता हाससर की | चारक न मह ससदध कय हदमा कक करा सितनदतर होती ह अऩन ससदधाॊत सिमॊ फनाती ह |

परशन३ndash चारी चजतरन की कपलभो भ ननठहत तरासदीकरणाहासम का साभॊजसम बायतीम करा औय सौदमटशासतर की ऩरयधध भ कमो नहीॊ आता

उततय- चारक चनदपरन की कपलभो भ ननहहत तरासदीकरणाहासम का साभॊजसम बायतीम करा औय सौदमयशासतर की ऩरयधध भ नहीॊ आताकमोकक बायतीम यस-ससदधाॊत भ करणा औय हासम का भर नहीॊ हदखामा जाता कमोकक बायतीम सौदमयशासतर भ करणयस औय हासम यस को ऩयसऩय वियोधी भाना गमा ह अथायत जहाॊ करणा ह िहाॉ हासम नहीॊ हो सकता बायत भ सिमॊ ऩय हॉसन की ऩयॊऩया नहीॊ ह ऩयॊत चारक क ऩातर अऩन ऩय हॉसतndashहॉसात ह चारक की किलभो क दशम हॉसात-हॉसात ररा दत ह तो कबी करण दशम क फाद अचानक ही हॉसन ऩय भजफय कय दत ह

परशन४ndash चारी क कपलभो की पवशषताएॉ फताइए |

उततय- चारक की किलभो भ हासम औय करणा का अदभत साभॊजसम ह उनकी किलभो भ बारा का परमोग फहत कभ ह चारक की किलभो भ फवदध की अऩा बािना का भहतति अधधक ह उनकी किलभो भ साियबौसभकता ह चारक ककसी बी सॊसकनत को विदशी नही रगत चारक सफको अऩन रगत ह चारक न किलभो को रोकताॊबतरक फनामा औय किलभो भ िगय तथािणय-वमिसथा को तोड़ा अऩनी कपलभो भ चारक सदि धचय मिा हदखता ह

गदमाॊश-आधारयत अथटगरहण-सॊफॊधी परशनोततय

गदमाॊश सॊकत ndashचारक चनदपरन मानी हभ सफ (ऩरषठ १२० )

महद मह िरय चनदपरन की कापी कछ कहा जाएगा |

परशन (क)-पवकासशीर दशो भ चजतरन कमो भशहय हो यह ह

उततय - विकासशीर दशो भ जस-जस टरीविजन औय िीडडमो का परसाय हो यहा ह रोगो को उनकी कपलभो को दखन का अिसय सभर यहा ह |एक फहत फड़ा िगय नए ससय स चारक को घड़ी सधायत औय जत खान की कोसशश कयत दख यहा ह इसीसरए चारक विकासशीर दशो भ रोकवपरम हो यह ह |

(ख)- ऩजशचभ भ चारी का ऩनजीवन कस होता यहता ह

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उततय - ऩनदशचभ भ चारक की कपलभो का परदशयन होता यहता ह| उनकी करा स परयणा ऩाकय हासम किलभ फनती यहती ह | उनक दिाया ननबाए ककयदायो की नकर अनदम कराकाय कयत ह | ऩनदशचभ भ चारक का ऩनजीिन होता यहता ह|

(ग)- चारी को रोग फिाऩ तक कमो माद यखग

उततय ndashहासम कराकाय क रऩ भ रोग चारक को फढ़ाऩ तक माद यखग कमोकक उनकी करा सभम बगोर औय सॊसकनतमो की सीभाओॊ को राॉघकय राखो रोगो को हॉसा यही ह|

(घ)- चारी की कपलभो क फाय भ कापी कछ कहा जाना कमो फाी ह

उततय ndashचनदपरन की ऐसी कछ किलभ मा इसतभार न की गमी यीर सभरी ह नदजनक फाय भ कोई नहीॊ जानता था | चारक की बािनापरधान हासम कपलभो न करा क नए परनतभान सथावऩत ककए ह अत चारक की कपलभो क फाय भ अबी कापी कछ कहा जाना फाी ह|

16 नभक

रखखका - यजजमा सजजाद जहीय

सायाॊश -lsquoनभकrsquoबायत-ऩाक विबाजन ऩय सरणखत भासभयक कहानी ह | विसथावऩत हए रोगो भ अऩनndashअऩन जनदभ सथानो क परनत आज बी रगाि ह| धासभयक आधाय ऩय फनी यारषर-याजमो की सीभा-यखाएॉ उनक अॊतभयन को अरग नहीॊ कय ऩाई ह | बायत भ यहन िारी ससख फीिी राहौय को अऩना ितन भानती ह औय बायतीम कसटभ अधधकायी ढाका क नारयमर ऩानी को मादकय उस सियशररषठ फताता ह दोनो दशो क नागरयको क फीच भहबफत का नभकीन सिाद आज बी कामभ ह इसीसरए सकिमा बायत भ यहन िारी अऩनी भॉहफोरी भाॉ ससख फीिी क सरए राहौयी नभक रान क सरए कसटभ औय कानन की ऩयिाह नहीॊ कयती

परशन1- lsquoनभकrsquo ऩाि क आधाय ऩय फताइए कक सकपमा औय उसक बाई क पवचायो भ कमा अॊतय था

उततय- १-सकपमा बािनाओॊ को फहतभहतति दती ह ऩय उसका बाई फौवदधक परिनदतत का ह उसकी दनदरषट भ कानन बािनाओॊ स ऊऩय ह|

२-सकपमा भानिीम सॊफॊधो को फहत भहतति दती ह जफकक उसका बाई अरगाििादी विचायधाया का ह हहसस-फखय की फात कयता ह |

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३-सकपमा का बाई कहता ह कक अदीफो(साहहतमकाय) का हदभाग घभा हआ होता ह जफकक सकपमा जो सिमॊ अदीफ ह उसका भानना ह कक अगय सबी रोगो का हदभाग अदीफो की तयह घभा हआ होता तो दननमा कछ फहतय हो जाती |

परशन२- नभक र जात सभम सकफ़मा क भन भ कमा दपवधा थी

उततय-सकपमा समद भसरभान थी जो हय हार भ अऩना िामदा ननबात ह| ऩाककसतान स राहौयी नभक र जाकय िह अऩना िामदा ऩया कयना चाहती थी ऩयनदत जफ उस ऩता चरा कक कसटभ क ननमभो क अनसाय सीभाऩाय नभक र जाना िनदजयत ह तो िह दविधा भ ऩड़ गई | सकिमा का दिॊदि मह था कक िह अऩनी ससख भाॉ क सरए नभक कसटभ अधधकारयमो को फताकयर जाए मा नछऩाकय|

परशन३- ऩाि क आधाय ऩय सकपमा की चारयबतरक पवशषताएॉ फताइए |

उततय सॊकत ndash

१- बािक २- ईभानदाय ३- दढ़ननशचमी ४- ननडय ५- िामद को ननबान िारी ६- भानिीम भलमो को सिोऩरय भानन िारी साहहतमकाय

परशन ४- lsquoनभकrsquo ऩाि भ आए ककयदायो क भाधमभ स सऩषट कीजजए कक आज बी बायत औय ऩाककसतान की जनता क फीच भहबफत का नभकीन सवाद घरा हआ ह |

उततय ndash बर ही याजनीनतक औय धासभयक आधाय ऩय बायत औय ऩाककसतान को बौगोसरक रऩ स विबानदजत कय हदमा गमा ह रककन दोनो दशो क रोगो क रदम भ आज बी ऩायसऩरयक बाईचाया सौहादरय सनह औय सहानबनत विदमभान ह | याजनीनतक तौय ऩय बर ही सॊफॊध तनािऩणय हो ऩय साभानदजक तौय ऩय आज बी जनता क फीच भहबफत का नभकीन सिाद घरा हआ ह | अभतसय भ यहन िारी ससख फीफी राहौय को अऩना ितन कहती ह औय राहौयी नभक का सिाद नहीॊ बरा ऩाती | ऩाककसतान का कसटभ अधधकायी नभक की ऩडड़मा सकपमा को िाऩस दत हए कहता ह rdquoजाभा भनदसजद की सीहढ़मो को भया सराभ कहना |rdquo बायतीम सीभा ऩय तनात कसटभ अधधकायी ढाका की जभीन को औय िहाॉ क ऩानी क सिाद को नहीॊ बर ऩाता |

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गदमाॊश-आधारयत अथटगरहण सॊफॊधधत परशनोततय

गदमाॊश सॊकत- ऩाठndash नभक (ऩरषठ १३४)

सकपमा कसटभ क जॊगर स दोनो क हाथो भ थी |

(क) सकपमा कसटभ क जॉगर स ननकरकय दसय तरटपाभट ऩय आ गमी व वहीॊ खड़ यहndash इस वाकम भ lsquoवrsquo शबद का परमोग ककसक लरए ककमा गमा ह

उततय- महाॉ lsquoिrsquo शबद का परमोग ऩाककसतानी कसटभ अधधकायी क सरए ककमा गमा ह जो विबाजन स ऩिय हदलरी भ यहत थ औय आज बी हदलरी को ही अऩना ितन भानत ह |

(ख) तरटपाभट ऩय सकपमा को पवदा कयन कौन-कौन आए थ उनहोन सकपमा को कस पवदाई दी

उततय- परटपाभय ऩय सकपमा को विदा कयन उसक फहत साय सभतर सग सॊफॊधी औय बाई आए थ| उनदहोन ठॊडी साॉस बयत हए सबॊच हए होठो क साथ आॉस फहात हए सकपमा को विदाई दी |

(ग) अटायी भ यरगाड़ी भ कमा ऩरयवतटन हए उततय- अटायी भ यरगाड़ी स ऩाककसतानी ऩसरस उतयी औय हहनददसतानी ऩसरस सिाय हो गई|

(घ) कौन सी फात सकपमा की सभझ भ नहीॊ आ यही थी उततय- दोनो ओय एक सी जभीन एक जसा आसभान एक सी बारा एक सा ऩहनािा औय एक सी सयत क रोग कपय बी दोनो क हाथो भ बयी हई फॊदक ह |

17 लशयीष क पर

आचामट हजायी परसाद दपववदी

सायाॊश ndashlsquoआचामय हजायी परसाद दवििदीrsquo सशयीर को अदभत अिधत भानत ह कमोकक सॊनदमासी की बाॉनत िह सख-दख की धचॊता नहीॊ कयता गभी र िराय औय आॉधी भ बी अविचर खड़ा यहता ह सशयीर क िर क भाधमभ स भनरषम की अजम नदजजीविरा धमयशीरता औय कतयवमननरषठ फन यहन क भानिीम भलमो को सथावऩत ककमा गमा हरखक न सशयीर क कोभर परो औय कठोय परो क दिाया सऩरषट ककमा ह कक रदम की कोभरता फचान क सरए कबी-कबी वमिहाय की कठोयता बी आिशमक हो जाती ह| भहान कवि कासरदास औय कफीय बी सशयीर की तयह फऩयिाह अनासकत औय सयस थ तबी उनदहोन इतनी सनददय यचनाएॉ सॊसाय को दीॊ| गाॉधीजी क वमनदकतति भ बी कोभरता औय कठोयता का अदभत सॊगभ था | रखक सोचता ह कक हभाय दश भ जो भाय-काट अनदगनदाह रट-ऩाट खन-खचचय का फिॊडय ह कमा िह दश को नदसथय नहीॊ यहन दगा गराभी अशाॊनत औय वियोधी िाताियण क फीच अऩन ससदधाॊतो की या कयत हए गाॉधीजी जी नदसथय यह सक थ तो दश बी यह सकता ह जीन की परफर असबरारा क कायण

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विरभ ऩरयनदसथतमो भ बी महद सशयीर णखर सकता ह तो हभाया दश बी विरभ ऩरयनदसथनतमो भ नदसथय यह कय विकास कय सकता ह

परशन1-लसदध कीजजए कक लशयीष कारजमी अवधत की बाॉनत जीवन की अजमता क भॊतर का परचाय कयता ह

उततय- सशयीर कारजमी अिधत की बाॉनत जीिन की अजमता क भॊतर का परचाय कयता ह| जफ ऩथिी अनदगन क सभान तऩ यही होती ह िह तफ बी कोभर परो स रदा रहरहाता यहता ह|फाहयी गयभी धऩ िराय आॉधी र उस परबावित नहीॊ कयती इतना ही नहीॊ िह रॊफ सभम तक णखरा यहता ह | सशयीर विऩयीत ऩरयनदसथनतमो भ बी धमयशीर यहन तथा अऩनी अजम नदजजीविरा क साथ ननसऩह बाि स परचॊड गयभी भ बी अविचर खड़ा यहता ह

परशन२-आयगवध (अभरतास) की तरना लशयीष स कमो नहीॊ की जा सकती

उततय- सशयीर क पर बमॊकय गयभी भ णखरत ह औय आराढ़ तक णखरत यहत ह जफकक अभरतास का पर किर ऩनददरह-फीस हदनो क सरए णखरता ह | उसक फाद अभरतास क पर झड़ जात ह औय ऩड़ कपय स ठॉठ का ठॉठ हो जाता ह | अभरतास अलऩजीिी ह | विऩयीत ऩरयनदसथनतमो को झरता हआ ऊरषण िाताियण को हॉसकय झरता हआ सशयीर दीघयजीिी यहता ह | मही कायण ह कक सशयीर की तरना अभरतास स नहीॊ की जा सकती |

परशन३-लशयीष क परो को याजनताओॊ का रऩक कमो ठदमा गमा ह

उततय- सशयीर क पर उन फढ़ ढीठ औय ऩयान याजनताओॊ क परतीक ह जो अऩनी कसी नहीॊ छोड़ना चाहत | अऩनी अधधकाय-सरपसा क सरए नए मिा नताओॊ को आग नहीॊ आन दत | सशयीर क नए परो को जफयदसती ऩयान परो को धककमाना ऩड़ता ह | याजनीनत भ बी नई मिा ऩीढ़ी ऩयानी ऩीढ़ी को हयाकय सिमॊ सतता सॉबार रती ह |

परशन४- कार दवता की भाय स फचन का कमा उऩाम फतामा गमा ह

उततय- कार दिता कक भाय स फचन का अथय हndash भतम स फचना | इसका एकभातर उऩाम मह ह कक भनरषम नदसथय न हो| गनतशीर ऩरयितयनशीर यह | रखक क अनसाय नदजनकी चतना सदा ऊधियभखी (आधमातभ की ओय) यहती ह ि हटक जात ह |

परशन५- गाॉधीजी औय लशयीष की सभानता परकट कीजजए |

उततय- नदजस परकाय सशयीर धचरधचराती धऩ र िराय औय आॉधी भ बी अविचर खड़ा यहता ह अनासकत यहकय अऩन िाताियण स यस खीॊचकय सयस कोभर फना यहता ह उसी परकाय गाॉधी जी न बी अऩनी आॉखो क साभन आजादी क सॊगराभ भ अनदमाम बदबाि औय हहॊसा को झरा |

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उनक कोभर भन भ एक ओय ननयीह जनता क परनत असीभ करणा जागी िहीॊ ि अनदमामी शासन क वियोध भ डटकय खड़ हो गए |

गदमाॊश-आधारयत अथटगरहण सॊफॊधधत परशनोततय

गदमाॊश सॊकत- ऩाठ ndash सशयीर क पर (ऩरषठ १४७)

कासरदास सौदमय क िह इशाया ह |

(क) कालरदास की सौदमटndashदजषट की कमा पवशषता थी उततय-कासरदास की सौदमयndashदनदरषट फहत सकषभ अॊतबदी औय सॊऩणय थी| ि किर फाहयी रऩ-यॊग औय आकाय को ही नहीॊ दखत थ फनदलक अॊतभयन की सॊदयता क बी ऩायखी थ| कासरदास की सौदमय शायीरयक औय भानससक दोनो विशरताओॊ स मकत था |

(ख) अनासजकत का कमा आशम ह उततय- अनासनदकत का आशम ह- वमनदकतगत सख-द ख औय याग-दिर स ऩय यहकय सौदमय क िासतविक भभय को जानना |

(ग) कालरदास ऩॊत औय यवीॊिनाथ टगोय भ कौन सा गण सभान था भहाकवि कासरदास ससभतरानॊदन ऩॊत औय गरदि यिीॊदरनाथ टगोय तीनो नदसथयपरऻ औय अनासकत कवि थ | ि सशयीर क सभान सयस औय भसत अिधत थ |

(घ) यवीॊिनाथ याजोदमान क लसॊहदवाय क फाय भ कमा सॊदश दत ह याजोदमान क फाय भ यिीॊदरनाथ कहत ह याजोदमान का ससॊहदिाय ककतना ही सॊदय औय गगनचमफी कमो ना हो िह अॊनतभ ऩड़ाि नहीॊ ह| उसका सौदमय ककसी औय उचचतभ सौदमय की ओय ककमा गमा सॊकत भातर ह कक असरी सौदमय इस ऩाय कयन क फाद ह अत याजोदमान का ससॊहदिाय हभ आग फढ़न की परयणा दता ह |

18शरभ-पवबाजन औय जानत-परथा

िॉ० बीभयाव अॊफिकय

सायाॊश ndash इस ऩाठ भ रखक न जानतिाद क आधाय ऩय ककए जान िार बदबाि को सभम सभाज क सरए हाननकायक फतामा ह | जानत आधारयत शरभ विबाजन को असिाबाविक औय भानिता वियोधी फतामा गमा ह मह साभानदजक बदबाि को फढ़ाता ह जानतपरथा आधारयत शरभ विबाजन भ वमनदकत की रधच को भहतति नहीॊ हदमा जाता परसिरऩ वििशता क साथ अऩनाए

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Page 7: ISSUED BY KENDRIYA VIDYALAYA - DOWNLOADED FROM … Class XII Hindi Part B.pdfप्रश्न४ :-फादर क / फयन का गयीफ एि धनी िगय क्मा

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8 कपवतावरी

तरसीदास

साय

शरीयाभजी को सभवऩयत गरनदथ शरीयाभचरयतभानस उततय बायत भ फड़ बनदकतबाि स ऩढ़ा जाता ह रकषभण -भचछाट औय याभ का पवराऩ

यािण ऩतर भघनाद दिाया शनदकत फाण स भनछयत हए रकषभण को दखकय याभ वमाकर हो जात हसरण िदम न सॊजीिनी फटी रान क सरए हनभान को हहभारम ऩियत ऩय बजाआधी यात वमतीत होन ऩय जफ हनभान नहीॊ आएतफ याभ न अऩन छोटबाई रकषभण को उठाकय रदम स रगा सरमा औय साधायण भनरषम की बाॉनत विराऩ कयन रगयाभ फोर ह बाई तभ भझ

कबी दखी नहीॊ दख सकत थतमहाया सिबाि सदा स ही कोभर थातभन भय सरए भाता वऩता को बी छोड़ हदमा औय भय साथ िन भ सदकगभी औय विसबनदन परकाय की विऩयीत ऩरयनदसथनतमो को बी सहा|जस ऩॊख बफना ऩीभणण बफना सऩय औय सॉड बफना शररषठ हाथी अतमॊत दीन हो जात हह बाईमहद भ जीवित यहता हॉ तो भयी दशा बी िसी ही हो जाएगी

भ अऩनी ऩतनी क सरए अऩन वपरम बाई को खोकय कौन सा भॉह रकय अमोधमा जाऊॉ गाइस फदनाभी को बर ही सह रता कक याभ कामय ह औय अऩनी ऩतनी को खो फठा सतरी की हानन विशर नत नहीॊ हऩयनदत बाई को खोना अऩयणीम नत ह

lsquoयाभचरयतभानसrsquo क lsquoरॊका काॊडrsquo स गही रकषभण को शजकत फाण रगन का परसॊग कवि की भासभयक सथरो की ऩहचान का एक शररषठ नभना ह बाई क शोक भ विगसरत याभ का पवराऩ धीय -धीय परराऩ भ फदर जाता ह नदजसभ रकषभण क परनत याभ क अॊतय भ नछऩ परभ क कई कोण सहसा अनाित हो जात हमह परसॊग ईशवय याभ भ भानव सरब गणो का सभनवम कय दता ह | हनभान का सॊजीिनी रकय आ जाना करण यस भ वीय यस का उदम हो जान क सभान ह|

विनम ऩबतरका एक अनदम भहततिऩणय तरसीदासकत कावम ह

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कपवतत औय सवमा

साय

इस शीरयक क अॊतगयत दो कवितत औय एक सिमा सॊकसरत ह lsquoकवितािरीrsquo स अितरयत इन कविततो भ कवि तरसी का पवपवध पवषभताओॊ स गरसत कलरकारतरसी का मगीन मथाथट ह नदजसभ ि कऩार परब याभ व याभयाजम का सवतन यचत ह मग औय उसभ अऩन जीिन का न ससपय उनदह गहया फोध ह फनदलक उसकी असबवमनदकत भ बी ि अऩन सभकारीन कविमो स आग ह महाॉ ऩाठ भ परसतत lsquoकवितािरीrsquo क छॊद इसक परभाण -सिरऩ ह ऩहर छॊद rdquoककसिी ककसान ldquo भ उनदहोन हदखरामा ह कक सॊसाय क अचछ फय सभसत-रीरा परऩॊचो का आधाय-lsquoऩट की आगrsquoका गहन मथाथय ह नदजसका सभाधान ि याभ की बनदकत भ दखत ह दरयदरजन की वमथा दय कयन क सरए याभ रऩी घनशमाभ का आहिान ककमा गमा ह ऩट की आग फझान क लरए याभ रऩी वषाट का जर अननवामट हइसक सरए अननतक कामट कयन की आवशमकता नहीॊ हlsquo इस परकाय उनकी याभ बनदकत ऩट की आग फझान िारी मानी जीवन क मथाथट सॊकटो का सभाधान कयन वारी ह न कक किर आधमानदतभक भनदकत दन िारी| गयीफी की ऩीड़ा यावण क सभान दखदामी हो गई ह

तीसय छॊद )rdquoधत कहौldquo) भ बनदकत की गहनता औय सघनता भ उऩज बकतरदम क आतभपवशवास का सजीव धचतरणह नदजसस सभाज भ वमापत जातऩाॉत औय दयागरहो क -नतयसकाय का साहस ऩदा होता ह इस परकाय बजकत की यचनातभक बलभका का सॊकत महाॉ ह

जो आज क बदबाव भरक मग भ अधधक परासॊधगक ह |

अथट-गरहण-सॊफॊधी परशन

ldquoउहाॉ याभ रनछभनहहॊ ननहायी फोर फचन भनज अनसायी

अधय यानत गइ कवऩ नहहॊ आमउ याभ उठाइ अनज उय रामउ

सकह न दणखत दणख भोहह काऊ फॊध सदा ति भदर सबाऊ

भभ हहत राधग तजह वऩत भाता सहह बफवऩन हहभ आतऩ फाता

सो अनयाग कहाॉ अफ बाई उठह न सनन भभ फच बफकराई

जौ जनतउॉ फन फॊध बफछोह वऩता फचन भनतउॉ नहहॊ ओह

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सत बफत नारय बिन ऩरयिाया होहहॊ जाहहॊ जग फायहहॊ फाया

अस बफचारय नदजमॉ जागह ताता सभरइ न जगत सहोदय भाता

जथा ऩॊख बफन खग अनत दीना भनन बफन पनन करयफय कय हीना

अस भभ नदजिन फॊध बफन तोही जौ जड़ दि नदजआि भोही

जहउॉ अिध किन भह राई नारय हत वपरम बाइ गॉिाई

फर अऩजस सहतउॉ जग भाहीॊ नारय हानन बफसर छनत नाहीॊ

अफ अऩरोक सोक सत तोया सहहहह ननठय कठोय उय भोया

ननज जननी क एक कभाया तात तास तमह परान अधाया

सौऩसस भोहह तमहहह गहह ऩानी सफ बफधध सखद ऩयभ हहत जानी

उतर काह दहउॉ तहह जाई उहठ ककन भोहह ससखािह बाईldquo

परशन१-lsquoफोर फचन भनज अनसायीrsquo- का तातऩमय कमा ह

उततय - बाई क शोक भ विगसरत याभ का पवराऩ धीय- -धीय परराऩ भ फदर जाता ह नदजसभ रकषभण क परनत याभ क अॊतय भ नछऩ परभ क कई कोण सहसा अनाित हो जात ह मह परसॊग ईशवय याभ भ भानव सरब गणो का सभनवम कय दता ह| ि भनरषम की बाॊनत विचसरत हो कय ऐस िचन कहत ह जो भानिीम परकनत को ही शोबा दत ह |

परशन२- याभ न रकषभण क ककन गणो का िणयन ककमा ह

उततय -याभ न रकषभण क इन गणो का िणयन ककमा ह-

रकषभण याभ स फहत सनह कयत ह | उनदहोन बाई क सरए अऩन भाता ndashवऩता का बी तमाग कय हदमा | ि िन भ िराय हहभ धऩ आहद करषटो को सहन कय यह ह | उनका सिबाि फहत भदर ह |ि बाई क द ख को नहीॊ दख सकत |

परशन३- याभ क अनसाय कौन सी िसतओॊ की हानन फड़ी हानन नहीॊ ह औय कमो

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उततय -याभ क अनसाय धन ऩतर एिॊ नायी की हानन फड़ी हानन नहीॊ ह कमोकक म सफ खो जान ऩय ऩन परापत ककम जा सकत ह ऩय एक फाय सग बाई क खो जान ऩय उस ऩन परापत नहीॊ ककमा जा सकता |

परशन४- ऩॊख क बफना ऩी औय सॊड क बफना हाथी की कमा दशा होती ह कावम परसॊग भ इनका उलरख कमो ककमा गमा ह

उततय - याभ विराऩ कयत हए अऩनी बािी नदसथनत का िणयन कय यह ह कक जस ऩॊख क बफना ऩी औय सॊड क बफना हाथी ऩीडड़त हो जाता ह उनका अनदसतति नगणम हो जाता ह िसा ही असहनीम करषट याभ को रकषभण क न होन स होगा |

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सौदमट-फोध-सॊफॊधी परशन

परशन१- कावमाॊश की बारा सौदमय सॊफॊधी दो विशरताओॊ का उललरख कीनदजए|

उततय- १यस -करण यस

२ अरॊकाय - उतपरा अरॊकायndash

भन करणा भॊह फीय यस

जागा ननससचय दणखअ कसाभानहॉ कार दह धरय फसा

दरषटाॊत अरॊकाय - जथा ऩॊख बफन खग अनत दीनाभनन बफन पनन करयफय कय हीना

अस भन नदजिन फॊध बफन तोहीजो जड़ दि नदजआि भोही

वियोधाबास अरॊकाय -फहबफधध सोचत सोच बफभोचन

परशन२- कावमाॊश की बारा का नाभ सरणखए |

उततय - अिधी बारा

परशन३- कावमाॊश भ परमकत छॊद कौन ndashसा ह

उततय- १६१६ भातराओॊ का सभ भाबतरक चौऩाई छॊद |

सौदमट-फोध-सॊफॊधी परशन

ldquoककसफी ककसान-कर फननक सबखायी बाट चाकय चऩर नट चोय चाय चटकी| ऩटको ऩढतगन गढ़त चढ़त धगरय अटत गहन ndashगन अहन अखटकी|

ऊॊ च ndashनीच कयभ धयभ ndashअधयभ करय ऩट ही को ऩचत फचत फटा ndashफटकी |

lsquoतरसीrsquo फझाई एक याभ घनसमाभ ही त आधग फड़िाधगत फड़ी ह आधग ऩटकी|rdquo

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परशन१- कवितािरी ककस बारा भ सरखी गई ह

उततय - बरज बारा

परशन२- कवितािरी भ परमकत छॊद एिॊ यस को सऩरषट कीनदजए |

उततय - इस ऩद भ 31 31 िणो का चाय चयणो िारा सभिणणयक कवितत छॊद ह नदजसभ 16 एिॊ 15 िणो ऩय वियाभ होता ह

परशन३- कवितत भ परमकत अरॊकायो को छाॊट कय सरणखए

१ अनपरास अॊरकायndash

ककसफी ककसान-कर फननक सबखायी बाट

चाकय चऩर नट चोय चाय चटकी|

२ रऩक अरॊकायndash याभndash घनशमाभ

३ अनतशमोनदकत अरॊकायndash आधग फड़िाधग त फडड़ ह आग ऩट की

रकषभण- भचछाट औय याभ का पवराऩ

पवषम-वसत ऩय आधारयत परशनोततय

परशन १-lsquoति परताऩ उय याणख परब भ ककसक परताऩ का उलरख ककमा गमा हrsquoऔय कमो

उततय -इन ऩॉनदकतमो भ बयत क परताऩ का उलरख ककमा गमा ह हनभानजी उनक परताऩ का सभयण कयत हए अमोधमा क ऊऩय स उड़त हए सॊजीिनी र कय रॊका की ओय चर जा यह ह

परशन२- याभ विराऩ भ रकषभण की कौन सी विशरताएॉ उदघहटत हई ह

उततय -रकषभण का भात परभ तमागभम जीिन इन ऩॉनदकतमो क भाधमभ स उदघाहटत हआ ह

परशन३- फोर िचन भनज अनसायी स कवि का कमा तातऩमय ह

उततय -बगिान याभ एक साधायण भनरषम की तयह विराऩ कय यह ह ककसी अितायी भनरषम की तयह नहीॊ भात परभ का धचतरण ककमा गमा हतरसीदास की भानिीम बािो ऩय सशकत ऩकड़ हदिीम वमनदकतति का रीरा रऩ ईशिय याभ को भानिीम बािो स सभनदनदित कय दता ह

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परशन४- बाई क परनत याभ क परभ की परगाढ़ता उनक ककन विचायो स वमकत हई ह

उततय - जथा ऩॊख बफन खग अनत दीना

भनन बफन पनन करयफय कय हीना

अस भभ नदजिन फॊध बफन तोही

जो जड़ दि नदजआि भोही

परशन५- lsquoफहविधध सोचत सोचविभोचनrsquo का वियोधाबास सऩरषट कीनदजए

उततय -दीनजन को शोक स भकत कयन िार बगिान याभ सिमॊ फहत परकाय स सोच भ ऩड़कय दखी हो यह ह

परशन६- हनभान का आगभन करणा भ िीय यस का आना ककस परकाय कहा जा सकता ह

उततय -रदन कयत िानय सभाज भ हनभान उतसाह का सॊचाय कयन िार िीय यस क रऩ भ आ गए करणा की नदी हनभान दिाया सॊजीिनी र आन ऩय भॊगरभमी हो उठती ह

कपवतत औय सवमा

पवषम-वसत ऩय आधारयत परशनोततय

परशन१- ऩट की बख शाॊत कयन क सरए रोग कमा कमा कयत ह

उततय -ऩट की आग फझान क सरए रोग अननतक कामय कयत ह

परशन२- तरसीदास की दनदरषट भ साॊसारयक दखो स ननिनदतत का सिोततभ उऩाम कमा ह

उततय - ऩट की आग फझान क सरए याभ कऩा रऩी िराय का जर अननिामय हइसक सरए अननतक कामय कयन की आिशमकता नहीॊ ह

परशन३- तरसी क मग की सभसमाओॊ का धचतरण कीनदजए

उततय - तरसी क मग भ पराकनतक औय परशासननक िरमम क चरत उतऩनदन ऩीडा दरयदरजन क सरए यािण क सभान दखदामी हो गई ह

परशन४- तरसीदास की बनदकत का कौन सा सिरऩ परसतत कविततो भ असबवमकत हआ ह

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उततय - तरसीदास की बनदकत का दासम बाि सिरऩ परसतत कविततो भ असबवमकत हआ ह

9 रफाइमाॉ

कफ़याक गोयखऩयी

भर नाभndash यघऩनत सहाम कफ़याक

उदय शामयी की रयिामत क विऩयीत कपयाक गोयखऩयी क साहहतम भ रोक जीिन एिॊ परकनत की झरक सभरती ह साभानदजक सॊिदना िमनदकतक अनबनत फन कय उनकी यचनाओॊ भ वमकत हई हजीिन का कठोय मथाथय उनकी यचनाओॊ भ सथान ऩाता हउनदहोन रोक बारा क परतीको का परमोग ककमा ह राणणक परमोग उनकी बारा की विशरता हकियाक की रफाईमो भ घयर हहॊदी का रऩ हदखता ह |

रफाई उदय औय िायसी का एक छॊद मा रखन शरी ह नदजसभ चाय ऩॊनदकतमाॉ होती ह |इसकी ऩहरी दसयी औय चौथी ऩॊनदकत भ तक (काकिमा)सभरामा जाता ह तथा तीसयी ऩॊनदकत सिचछॊद होती ह |

ldquoिो रऩिती भखड़ ऩ इक नभय दभकrdquo

ldquoफचच क घयोद भ जराती ह हदएldquo

ldquoयाफॊधन की सफह यस की ऩतरीrdquo

ldquoबफजरी की तयह चभक यह ह रचछrdquo

ldquoबाई क ह फाॉधती चभकती याखीldquo- जस परमोग उनकी बारा की सशकतता क नभन क तौय ऩय दख जा सकत ह |

साय

रफाइमाॉ

याफॊधन एक भीठा फॊधन ह याफॊधन क कचच धागो ऩय बफजरी क रचछ ह सािन भ याफॊधन आता ह सािन का जो सॊफॊध झीनी घटा स ह घटा का जो सॊफॊध बफजरी स ह िही सॊफॊध बाई का फहन स होता ह

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गज़र

ऩाठ भ कपयाक की एक गज़र बी शासभर ह रफाइमो की तयह ही कपयाक की गजरो भ बी हहॊदी सभाज औय उदय शामयी की ऩयॊऩया बयऩय ह इसका अदभत नभना ह मह गज़र मह गज़र कछ इस तयह फोरती ह कक नदजसभ ददय बी ह एक शामय की ठसक बी ह औय साथ ही ह कावम-सशलऩ की िह ऊॉ चाई जो गज़र की विशरता भानी जाती ह

अथट-गरहण-सॊफॊधी परशन

ldquoआॉगन भ सरए चाॉद क टकड़ को खड़ी

हाथो ऩ झराती ह उस गोद-बयी

यह-यह क हिा भ जो रोका दती ह

गॉज उठती ह णखरणखरात फचच की हॉसीrdquo

परशन१- lsquoचाॉद क टकड़rsquoका परमोग ककसक सरए हआ ह औय कमो

उततय -फचच को चाॉद का टकड़ा कहा गमा ह जो भाॉ क सरए फहत पमाया होता ह

परशन२- गोद-बयी परमोग की विशरता को सऩरषट कीनदजए |

उततय - गोद-बयी शबद-परमोग भाॉ क वातसलमऩणट आनॊठदत उतसाह को परकट कयता ह |मह अतमॊत सॊदय दशम बफॊफ ह | सनी गोद क विऩयीत गोद का बयना भाॉ क लरए असीभ सौबागम का सचक ह |इसी सौबागम का सकषभ अहसास भाॉ को तजतत द यहा ह|

परशन३- रोका दना ककस कहत ह

उततय - जफ भाॉ फचच को फाहो भ रकय हिा भ उछारती ह इस रोका दना कहत ह|छोट फचचो को मह खर फहत अचछा रगता ह

परशन४- फचचा भाॉ की गोद भ कसी परनतककरमा कयता ह

उततय - हिा भ उछारन ( रोका दन) स फचचा भाॉ का िातसलम ऩाकय परसनदन होता ह औय णखरणखरा कय हॉस ऩड़ता हफचच की ककरकारयमाॉ भाॉ क आनॊद को दगना कय दती ह|

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सौदमट-फोध-सॊफॊधी परशन

ldquoनहरा क छरक-छरक ननभयर जर स

उरझ हए गसओॊ भ कॊ घी कयक

ककस पमाय स दखता ह फचचा भॉह को

जफ घटननमो भ रक ह वऩनदहाती कऩड़rdquo

परशन१- परसतत ऩॊनदकतमो क बाि सौदमय को सऩरषट कीनदजए |

उततय - भाॉ न अऩन फचच को ननभयर जर स नहरामा उसक उरझ फारो भ कॊ घी की |भाॉ क सऩशय एिॊ नहान क आनॊद स फचचा परसनदन हो कय फड़ परभ स भाॉ को ननहायता ह| परनतहदन की एक सिाबाविक ककरमा स कस भाॉ-फचच का परभ विकससत होता ह औय परगाढ़ होता चरा जाता ह इस बाि को इस रफाई भ फड़ी सकषभता क साथ परसतत ककमा गमा ह|

परशन२- कावमाॊश भ आए बफॊफो को सऩरषट कीनदजए |

उततय -१ldquoनहरा क छरक-छरक ननभटर जर सrdquo- इस परमोग दिाया कवि न फारक की ननभयरता एिॊ ऩवितरता को जर की ननभयरता क भाधमभ स अॊककत ककमा ह | छरकना शबद जर की ताजा फॊदो का फारक क शयीय ऩय छरछरान का सॊदय दशम बफॊफ परसतत कयता ह |

२ lsquoघटननमो भ रक ह पऩनहाती कऩड़rsquo- इस परमोग भ भाॉ की फचच क परनत सािधानी चॊचर फचच को चोट ऩहॉचाए बफना उस कऩड़ ऩहनान स भाॉ क भातति की कशरता बफॊबफतहोती ह |

३ ldquoककस तमाय स दखता ह फचचा भॉह कोrdquo- ऩॊनदकत भ भाॉ ndashफचच का िातसलम बफॊबफत हआ ह | भाॉ स पमाय ndashदराय सऩशय ndashसख नहराए जान क आनॊद को अनबि कयत हए फचचा भाॉ को पमाय बयी नजयो स दख कय उस सख की असबवमनदकत कय यहा ह |मह सकषभ बाि अतमॊत भनोयभ फन ऩड़ा ह |सॊऩणय रफाई भ दशम बफॊफ ह|

परशन ३-कावमाॊश क शबद-परमोग ऩय हटपऩणी सरणखए |

उततय -गस ndashउदय शबदो का परमोग

घटननमो वऩनदहाती ndash दशज शबदो क भाधमभ स कोभरता की असबवमनदकत

छरक ndashछरक ndashशबद की ऩनयािनदतत स अबी ndashअबी नहराए गए फचच क गीर शयीय का बफॊफ

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आहद विरण परमोग रफाइमो को विसशरषट फना दत ह | हहॊदीउदय औय रोकबारा क अनठ गठफॊधन की झरक नदजस गाॊधीजी हहॊदसतानी क रऩ भ ऩलरवित कयना चाहत थदखन को सभरती ह |

पवषम-वसत ऩय आधारयत परशनोततय

रफाइमाॉ

परशन १ -कावम भ परमकत बफॊफो का िणयन अऩन शबदो भ कीनदजए

उततय -

दशम बफॊफ -फचच को गोद भ रना हिा भ उछारना सनान कयाना घटनो भ रकय कऩड़ ऩहनाना|

शरवमबफॊफ - फचच का णखरणखरा कय हॉस ऩड़ना सऩशय बफॊफ -फचच को सनान कयात हए सऩशय कयना |

परशन २-ldquoआॉगन भ ठनक यहा ह नदज़दमामा ह फारक तो हई चाॉद ऩ ररचामा हrsquo- भ फारक की कौन सी विशरता असबवमकत हई ह

उततय - इन ऩॊनदकतमो भ फारक की हि कयन की पवशषता असबवमकत हई ह फचच जफ नदजद ऩय आ जात ह तो अऩनी इचछा ऩयी कयिान क सरए नाना परकाय की हयकत ककमा कयत ह| नदज़दमामा शबद रोक बाषा का पवरण परमोग ह इसभ फचच का िनकना तनकना ऩाॉव ऩटकना योना आठद सबी ककरमाएॉ शासभर ह |

परशन ३ रचछ ककस कहा गमा ह इनका सॊफॊध ककस तमौहाय स ह

उततय - याखी क चभकीर तायो को रचछ कहा गमा ह याफॊधन क कचच धागो ऩय बफजरी क रचछ ह सािन भ याफॊधन आता ह सािन का जो सॊफॊध झीनी घटा स ह घटा का जो सॊफॊध बफजरी स ह िही सॊफॊध बाई का फहन स होता ह|सािन भ बफजरी की चभक की तयह याखी क चभकीर धागो की सॊदयता दखत ही फनती ह|

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अथट-गरहण-सॊफॊधी परशन

गज़र

कफ़याक गोयखऩयी

ldquoनौयस गॊच ऩॊखडड़मो की नाज़क धगयह खोर ह

मा उड़ जान को यॊगो- फ गरशन भ ऩय तौर ह |rdquo

परशन१- lsquoनौयसrsquo विशरण दिाया कवि ककस अथय की वमॊजना कयना चाहता ह

उततय नौयस अथायत नमा यस गॊच अथायत कसरमो भ नमा ndashनमा यस बय आमा ह |

परशन२- ऩॊखडड़मो की नाज़क धगयह खोरन का कमा असबपराम ह

उततय - यस क बय जान स कसरमाॉ विकससत हो यही ह |धीय-धीय उनकी ऩॊखडड़माॉ अऩनी फॊद गाॉठ खोर यही ह | कवि क शबदो भ नियस ही उनकी फॊद गाॉठ खोर यहा ह|

परशन३- lsquoयॊगो- फ गरशन भ ऩय तौर हrsquo ndash का अथय सऩरषट कीनदजए|

उततय -यॊग औय सगॊध दो ऩी ह जो कसरमो भ फॊद ह तथा उड़ जान क सरए अऩन ऩॊख पड़पड़ा यह ह |मह नदसथनत कसरमो क पर फन जान स ऩिय की ह जो पर फन जान की परतीा भ ह |rsquoऩय तौरनाrsquo एक भहािया ह जो उड़ान की भता आॉकन क सरए परमोग ककमा जाता ह |

परशन४- इस शय का बाि-सौदमय वमकत कीनदजए|

उततय -कसरमो की नई-नई ऩॊखडड़माॉ णखरन रगी ह उनभ स यस भानो टऩकना ही चाहता ह | िमसॊधध(ककशोयी)नानमका क परसपहटत होत सौदमय का परतीकातभक धचतरण अतमॊत सॊदय फन ऩड़ा ह |

सौदमट-फोध-सॊफॊधी परशन

हभ हो मा ककसभत हो हभायी दोनो को इक ही काभ सभरा ककसभत हभ को यो रि ह हभ ककसभत को यो र ह| जो भझको फदनाभ कय ह काश ि इतना सोच सक

भया ऩदाय खोर ह मा अऩना ऩदाय खोर ह | परशन१- इन शयो की बारा सॊफॊधी विशरताएॉ सऩरषट कीनदजए |

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उततय- १ भहाियो का परमोग ndashककसभत का योना ndashननयाशा का परतीक

२सयर असबवमनदकत बारा भ परिाहभमता ह ककसभत औय ऩयदा शबदो की ऩनयािनदततमाॉ

भोहक ह|

३ हहॊदी का घयर रऩ

परशन२- lsquoभया ऩयदा खोर ह मा अऩना ऩयदा खोर ह lsquo- की बावरक विशरता सरणखए |

उततय -भहािय क परमोग दिाया वमॊजनातभक असबवमनदकत | ऩयदा खोरना ndash बद खोरना सचचाई फमान कयना|

परशन३-lsquoहभ हो मा ककसभत हो हभायी lsquo ndashपरमोग की विशरता फताइए |

उततय - हभ औय ककसभत दोनो शबद एक ही वमनदकत अथायत कियाक क सरए परमकत ह | हभ औय ककसभत भ अबद ह मही विशरता ह |

कफ़याक गोयखऩयी

पवषम-वसत ऩय आधारयत परशनोततय

परशन१- ताय आॉख झऩकाि ह ndashका तातऩमय सऩरषट कीनदजए |

उततय- याबतर का सनदनाटा बी कछ कह यहा हइससरए ताय ऩरक झऩका यह ह विमोग की नदसथनत भ परकनत बी सॊिाद कयती परतीत होती ह |

परशन२- lsquoहभ हो मा ककसभत हो हभायीrsquo भ ककस बाि की असबवमनदकत हई ह

उततय- जीिन की विडॊफना ककसभत को योना-भहािय क परमोग स सटीक असबवमनदकत परापत कयती ह कवि जीिन स सॊतरषट नहीॊ ह | बागम स सशकामत का बाि इन ऩॊनदकतमो भ झरकता ह |

परशन३- परभ क ककस ननमभ की असबवमनदकत कवि न की ह

उततय -ईशिय की परानदपत सियसि रटा दन ऩय होती ह परभ क सॊसाय का बी मही ननमभ ह|कवि क शबदो भ rdquo कितयत का कामभ ह तिाज़न आरभ- हसनो ndashइशक भ बी

उसको उतना ही ऩात ह खद को नदजतना खो र ह |rdquo

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१ बाि ndashसामम- कफीय -lsquoसीस उताय बई धय तफ सभसरह कयतायlsquo-अथायत -सिमॊ को खो कय ही परभ परानदपत की जा सकती ह

२ बाि सामम- कफीय ndashनदजन ढॉढा नतन ऩाइमाॉ गहय ऩानी ऩहठ|

भ फऩया फडन डया यहा ककनाय फहठ |

परशन४- शयाफ की भहकपर भ शयाफी को दय यात कमा फात माद आती ह

उततय - शयाफ की भहकपर भ शयाफी को दय यात माद आती ह कक आसभान भ भनरषम क ऩाऩो का रखा-जोखा होता ह जस आधी यात क सभम परयशत रोगो क ऩाऩो क अधमाम खोरत ह िस ही यात क सभम शयाफ ऩीत हए शामय को भहफफा की माद हो आती ह भानो भहफफा परयशतो की तयह ऩाऩ सथर क आस ऩास ही ह

परशन५- सदक कियाकndashndashndashइन ऩॊनदकतमो का अथय सऩरषट कीनदजए |

उततय -सदक कियाकndashndashndashइन ऩॊनदकतमो भ कियाक कहत ह कक उनकी शामयी भ भीय की शामयी की उतकरषटता धिननत हो यही ह

परशन६- ऩॊखडड़मो की नाज़क धगयह खोरना कमा ह

उततय -ऩॉखडड़मो की नाजक धगयह खोरना उनका धीय -धीय विकससत होना ह

िमसॊधध(ककशोयी)नानमका क परसपहटत होत सौदमय की ओय सॊकत ह |

परशन७-lsquoमो उड़ जान को यॊगो फ गरशन भ ऩय तौर हrsquo बाि सऩरषट कीनदजए

उततय -कसरमो की सिास उड़न क सरए भानो ऩय तौर यही होअथायत खशफ का झोका यहndashयह कय उठता ह

परशन८- कवि दिाया िणणयत याबतर क दशम का िणयन अऩन शबदो भ कीनदजए

उततय - याबतर का सनदनाटा बी कछ कह यहा हइससरए ताय ऩरक झऩका यह हरगता ह कक परकनत का कण-कण कछ कह यहा ह |

परशन९- कवि अऩन िमनदकतक अनबि ककन ऩॉनदकतमो भ वमकत कय यहा ह

जीिन की विडॊफना-lsquoककसभत को योनाlsquo भहािय क परमोग स सटीक असबवमनदकत परापत कयती ह

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ldquoहभ हो मा ककसभत हो हभायी दोनो को इक ही काभ सभरा

ककसभत हभ को यो रि ह हभ ककसभत को यो र ह|rdquo

परशन१०- शामय न दननमा क ककस दसतय का िणयन ककमा ह

उततय -शामय न दननमा क इस दसतय का िणयन ककमा ह कक रोग दसयो को फदनाभ कयत ह ऩयॊत ि नहीॊ जानत कक इस तयह ि अऩनी दरषट परकनत को ही उदघाहटत कयत ह

परशन११- परभ की कितयत कवि न ककन शबदो भ असबवमकत की ह

सिमॊ को खो कय ही परभ की परानदपत की जा सकती ह ईशिय की परानदपत सियसि रटा दन ऩय होती ह परभ क सॊसाय का बी मही ननमभ ह

परशन१२- कियाक गोयखऩयी ककस बारा क कवि ह

उततय - उदय बारा

10 छोटा भया खत

उभाशॊकय जोशी

(गजयाती कपव)

उभाशॊकय जोशी फीसिीॊ सदी क गजयाती क भधयनदम कवि सॊसकत िाङभम क विदिान हउनदहोन गजयाती कविता को परकनत स जोड़ाआभ आदभी क जीिन की झरक उनकी यचनाओॊ भ सभरती ह

छोटा भया खत

साय

खती क रऩक दिाया कावम यचनाndash परककरमा को सऩषट ककमा गमा हकावम कनत की यचना फीजndash वऩन स रकय ऩौध क ऩजषऩत होन क पवलबनन चयणो स गजयती हअॊतय किर इतना ह कक कपव कभट की पसर कारजमी शाशित होती हउसका यस-यण अम होता हकागज का ऩनदना नदजस ऩय यचना शबदफदध होती ह कवि को एक चौकोय खत की तयह रगता ह इस खत

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भ ककसी अॉधड़ (आशम बािनातभक आॉधी स होगा) क परबाि स ककसी ण एक फीज फोमा जाता ह मह फीज-यचना विचाय औय असबवमनदकत का हो सकता ह मह भर रऩ कलऩना का सहाया रकय विकससत होता ह औय परककरमा भ सिमॊ विगसरत हो जाता ह उसस शबदो क अॊकय ननकरत ह औय अॊतत कनत एक ऩणय सिरऩ गरहण कयती ह जो कवर-कभय क सरहाज स ऩलरवित -ऩनदरषऩत होन की नदसथनत ह साहहनदतमक कनत स जो अरौककक यस-धाया पटती ह िह ण भ होन िारी योऩाई का ही ऩरयणाभ ह ऩय मह यस-धाया अनॊत कार तक चरन िारी कटाई ह |

फगरो क ऩॊख

साय

फगरो क ऩॊख कविता एक चार बफॊफ की कविता ह सौदमय का अऩकषत परबाि उतऩनदन कयन क सरए कविमो न कई मनदकतमाॉ अऩनाई ह नदजसभ स सफस परचसरत मनदकत ह-सौदमय क वमौयो क धचतरातभक िणयन क साथ अऩन भन ऩय ऩड़न िार उसक परबाि का िणयन औय आतभगत क सॊमोग की मह मनदकत ऩाठक को उस भर सौदमय क कापी ननकट र जाती ह जोशी जी की इस कविता भ ऐसा ही ह कवि कार फादरो स बय आकाश भ ऩॊनदकत फनाकय उड़त सपद फगरो को दखता ह ि कजयाय फादरो भ अटका-सा यह जाता ह िह इस भामा स अऩन को फचान की गहाय रगाता ह कमा मह सौदमय स फाॉधन औय विॊधन की चयभ नदसथनत को वमकत कयन का एक तयीका ह

परकनत का सितॊतर (आरॊफन गत ) धचतरण आधननक कविता की विशरता हधचतरातभक िणयन दिाया कवि न एक ओय कार फादरो ऩय उड़ती फगरो की शित ऩॊनदकत का धचतर अॊककत ककमा ह तो दसयी ओय इस अपरनतभ दशम क रदम ऩय ऩड़न िार परबाि को धचबतरत ककमा हभॊतर भगध कवि इस दशम क परबाि स आतभ विसभनत की नदसथनत तक ऩहॉच जाता हविरम एिॊ विरमीगत सौनददमय क दोनो रऩ कविता भ उदघाहटत हए ह

अथट-गरहण-सॊफॊधी परशन

ldquoछोटा भया खत चौकोना

कागज़ का एक ऩनदना कोई अॊधड़ कहीॊ स आमा

ण का फीज िहाॉ फोमा गमा|

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कलऩना क यसामनो को ऩी

फीज गर गमा ननशर शबद क अॊकय पट

ऩलरि ndashऩरषऩो स नसभत हआ विशर |rdquo

परशन १lsquoछोटा भया खतrsquo ककसका परतीक ह औय कमो

उततय - परशन२ lsquoछोटा भया खतrsquo काग़ज क उस ऩनदन का परतीक ह नदजस ऩय कवि अऩनी कविता सरखता ह

परशन २ कवि खत भ कौनndashसा फीज फोता ह

उततय - कवि खत भ अऩनी कलऩना का फीज फोता ह

परशन ३ कवि की कलऩना स कौन स ऩलरि अॊकरयत होत ह

उततय - कवि की कलऩना स शबद क ऩलरि अॊकरयत होत ह

परशन ४ उऩमयकत ऩद का बाि-सौदमय सऩरषट कीनदजए |

उततय - खती क रऩक दिाया कावम-यचनाndashपरककरमा को सऩषट ककमा गमा हकावम कनत की यचना फीजndash वऩन स रकय ऩौध क ऩजषऩत होन क पवलबनन चयणो स गजयती हअॊतय किर इतना ह कक कपव कभट की पसर कारजमी शाशित होती हउसका यस-यण अम होता ह

सौदमट-फोध-सॊफॊधी परशन

ldquoझभन रग पर

यस अरौककक

अभत धायाएॉ पटतीॊ

योऩाई ण की

कटाई अनॊतता की

रटत यहन स जया बी कभ नहीॊ होती |

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यस का अम ऩातर सदा का

छोटा भया खत चौकोना |rdquo

परशन इस कविता की बारा सॊफॊधी विशरताओॊ ऩय परकाश डासरए ndash

उततय - १ परतीकातभकता

२ राणणकता -

२रऩक अरॊकायndash यस का अम ऩातर सदा का

छोटा भया खत चौकोना

परशन २ यस अरौककक अभत धायाएॉ योऩाई ndash कटाई-परतीको क अथय सऩरषट कीनदजए |

उततय - यस अरौककक ndash कावम यस ननरषऩनदतत

अभत धायाएॉ- कावमानॊद

योऩाई ndash अनबनत को शबदफदध कयना

कटाई ndashयसासिादन

पवषम-वसत ऩय आधारयत परशनोततय

कपवता ndash

छोटा भया खत

परशन १ उभाशॊकय जोशी न ककस बारा भ कविताएॉ सरखी ह

उततय - गजयाती बारा

परशन२ कवरndashकभय एिॊ कविndashकभय भ कमा कमा सभानताएॉ ह

उततय - कवरndashकभय एिॊ कविndashकभय भ ननमनसरणखत सभानताएॉ ह-

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कावम कनत की यचना फीजndash वऩन स रकय ऩौध क ऩजषऩत होन क पवलबनन चयणो स गजयती ह

कपषndashकभट एवॊ कपवndashकभट भ सभानताएॉ -

कागज का ऩनदना नदजस ऩय यचना शबदफदध होती ह कवि को एक चौकोय खतरगता ह इस खत भ ककसी अॉधड़ (आशम बािनातभक आॉधी स होगा) क परबाि स ककसी ण

एक फीज फोमा जाता ह मह फीज-यचना विचाय औय असबवमनदकत का हो सकता ह मह भर रऩ कलऩना का सहाया रकय विकससत होता ह औय परककरमा भ सिमॊ विगसरत

हो जाता ह इसीपरकाय फीज बी खाद ऩानी समय की योशनी हिा आहद रकय विकससत होता ह |

कावम ndashयचना स शबदो क अॊकय ननकरत ह औय अॊतत कनत एक ऩणय सिरऩ गरहण कयती ह जो कवर-कभय क सरहाज स ऩलरवित ndashऩनदरषऩत औय पसरत होन की नदसथनत ह अथट-गरहण-सॊफॊधी परशन

कपवताndash फगरो क ऩॊख

नब भ ऩाॉती- फॉध फगरो क ऩॊख

चयाए सरए जातीॊ ि भयी आॉख |

कजयाय फादरो की छाई नब छामा

हौरndashहौर जाती भझ फाॉध ननज भामा स |

उस कोई तननक योक यकखो |

िह तो चयाए सरए जाती भयी आॉख

नब भ ऩाॉती- फॉधी फगरो की ऩाॉख |

तयती साॉझ की सतज शित कामा|

परशन१- इस कविता भ कवि न ककसका धचतरण ककमा ह

उततय - कवि न कार फादरो ऩय उड़ती फगरो की शित ऩॊनदकत का धचतरण ककमा ह|

परशन२- आॉख चयान का कमा अथय ह

उततय - आॉख चयान का आशम ह ndashधमान ऩयी तयह खीॊच रना एकटक दखना भॊतरभगध कय दना

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परशन३-

ldquoकजयाय फादरो की छाई नब छामा

हौर ndashहौर जाती भझ फाॉध ननज भामा स |rdquo- आशम सऩरषट कीनदजए |

उततय- कार फादरो क फीच साॉझ का सयभई िाताियण फहत सॊदय हदखता ह | ऐसा अपरनतभ सौदमय अऩन आकरयण भ कवि को फाॉध रता ह |

परशन ४ ldquoउस कोई तननक योक यकखो |rsquo- स कवि का कमा असबपराम ह

उततय - फगरो की ऩॊनदकत आकाश भ दय तक उड़ती जा यही ह कवि की भॊतरभगध आॉख उनका ऩीछा कय यही ह | कवि उन फगरो को योक कय यखन की गहाय रगा यहा ह कक कहीॊ ि उसकी आॉख ही अऩन साथ न र जाएॉ |

सौदमट-फोध-सॊफॊधी परशन

परशन १ कविता की बारा सॊफॊधी दो विशरताएॉ सरणखए|

उततय -१ धचतरातभक बारा

२ फोरचार क शबदो का परमोग - हौर ndashहौर ऩाॉती कजयायसाॉझ

परशन २ कविता भ परमकत अरॊकाय चन कय सरणखए |

उततय - अनपरास अरॊकाय - फॉध फगरो क ऩॊख

भानिीकयण अरॊकाय - चयाए सरए जातीॊ ि भयी आॉख |

परशन ३ -lsquo ननज भामाrsquo क राणणक अथय को सऩरषट कीनदजए |

उततय - परकनत का अपरनतभ सौदमय िह भामा ह जो कवि को आतभविबोय कय दती हमह ऩॊनदकत बी परशॊसातभक उनदकत ह

पवषम-वसत ऩय आधारयत परशनोततय

परशन१- lsquoचयाए सरए जाती ि भयी ऑ ॊखrsquo स कवि का कमा तातऩमय ह

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उततय -धचतरातभक िणयन दिाया कवि न एक ओय कार फादरो ऩय उड़ती फगरो की शित ऩॊनदकत का धचतर अॊककत ककमा ह तथा इस अपरनतभ दशम क रदम ऩय ऩड़न िार परबाि को धचबतरत ककमा ह कवि क अनसाय मह दशम उनकी आॉख चयाए सरए जा यहा ह |भॊतर भगध कवि इस दशम क परबाि स आतभ विसभनत की नदसथनत तक ऩहॉच जाता ह

परशन२-कवि ककस भामा स फचन की फात कहता ह

उततय - भामा विशि को अऩन आकरयण भ फाॉध रन क सरए परससदध ह | कफीय न बी lsquoभामा भहा ठधगनी हभ जानीrsquo कहकय भामा की शनदकत को परनतऩाहदत ककमा ह | कार फादरो भ फगरो की सॊदयता अऩना भामा जार परा कय कवि को अऩन िश भ कय यही ह |

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आयोह बाग-२ गदम-बाग

परशन-सॊखमा १०- गदम खॊड भ हदए गए ऩहठत गदमाॊश स अथयगरहण सॊफॊधी चाय परशन ऩछ जाएॉग नदजनक सरए ननधायरयत अॊक (२४=८) ह |

परशन-सॊखमा ११- ऩाठो की विरमिसत स सॊफॊधधत ऩाॉच भ स चाय परशनो क उततय दन ह नदजनक सरए ननधायरयत अॊक (३४=१२) ह|

ऩयीा भ अचछ अॊक परातत कयन क लरए धमान दन मोगम फात ndash

1 रख एिॊ ितयनी की शदधता तथा िाकम-गठन ऩय धमान द | 2 हय ऩाठ का सायऩरषठबसभविरमिसत तथाकथानक को सभझना आिशमक ह |

अतविदमाथी हय ऩाठ का सायाॊश बरीबाॉनत माद कय र | 3 परशनो को धमान स ऩढ़ तदनसाय अऩकषत उततय सरख | 4 उततय सरखत सभम सॊफॊधधत भखम बफॊदओॊ का शीरयकफनात हए उततय सरख मथा-तीन

अॊक क परशनो क उततय सरखत सभम कभ स कभ तीन भखम उततय-बफ ॊदओॊ का उलरख कयत हए उततय सऩरषट कय |

5 अॊक-मोजना क अनसाय ननधायरयत शबद-सीभा क अॊतगयत उततय सरख | ऩयीाथी कई फाय एक अॊक क परशन का उततय फहत रॊफा कई फाय ऩया ऩरषठ सरख दत ह जो सभम औय ऊजाय की फफायदी ह |

6 धमान यह कक अधधक सरखन स अचछ अॊक नहीॊ आत फनदलक सयर-सफोध बारा भ सरख गए सटीक उततय सायगसबयत तथम तथा उदाहयण क दिाया सऩरषट ककए गए उततय परबािशारी होत ह |

ऩाि 11 - बजकतन

रखखका- भहादवी वभाट

ऩाि का सायाॊश- बनदकतन नदजसका िासतविक नाभ रकषभी थारणखका lsquoभहादिी िभायrsquo की सविका ह | फचऩन भ ही बनदकतन की भाॉ की भतम हो गमी| सौतरी भाॉ न ऩाॉच िरय की आम भ वििाह तथा नौ िरय की आम भ गौना कय बनदकतन को ससयार बज हदमा| ससयार भ बनदकतन न तीन फहटमो को जनदभ हदमा नदजस कायण उस सास औय नदजठाननमो की उऩा सहनी ऩड़ती थी| सास औय नदजठाननमाॉ आयाभ पयभाती थी औय बनदकतन तथा उसकी ननदहीॊ फहटमो को घय औय खतो का साया काभ कयना ऩडता था| बनदकतन का ऩनत उस फहत चाहता था| अऩन ऩनत क सनह क फर ऩय बनदकतन न ससयार िारो स अरगौझा कय अऩना अरग घय फसा सरमा औय सख स यहन रगी ऩय बनदकतन का दबायगम अलऩाम भ ही उसक ऩनत की भतम हो गई | ससयार िार

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बनदकतन की दसयी शादी कय उस घय स ननकारकय उसकी सॊऩनदतत हड़ऩन की सानदजश कयन रग| ऐसी ऩरयनदसथनत भ बनदकतन न अऩन कश भॊडा सरए औय सॊनदमाससन फन गई | बनदकतन सिासबभानी सॊघरयशीर कभयठ औय दढ सॊकलऩ िारी सतरी ह जो वऩतसततातभक भानदमताओॊ औय छर-कऩट स बय सभाज भ अऩन औय अऩनी फहटमो क हक की रड़ाई रड़ती हघय गहसथी सॉबारन क सरए अऩनी फड़ी फटी दाभाद को फरा सरमा ऩय दबायगम न महाॉ बी बनदकतन का ऩीछा नहीॊ छोड़ा अचानक उसक दाभाद की बी भतम हो गमी| बनदकतन क जठ-नदजठौत न सानदजश यचकय बनदकतन की विधिा फटी का वििाह जफयदसती अऩन तीतयफाज सार स कय हदमा| ऩॊचामत दिाया कयामा गमा मह सॊफॊध दखदामी यहा | दोनो भाॉ-फटी का भन घय-गहसथी स उचट गमा ननधयनता आ गमी रगान न चका ऩान क कायण जभीॊदाय न बनदकतन को हदन बय धऩ भ खड़ा यखा| अऩभाननत बनदकतन ऩसा कभान क सरए गाॉि छोड़कय शहय आ जाती ह औय भहादिी की सविका फन जाती ह| बनदकतन क भन भ भहादिी क परनत फहत आदय सभऩयण औय असबबािक क सभान अधधकाय बाि ह| िह छामा क सभान भहादिी क साथ यहती ह| िह यात-यात बय जागकय धचतरकायी मा रखन जस कामय भ वमसत अऩनी भारककन की सिा का अिसय ढॉढ रती ह| भहादिी बनदकतन को नहीॊ फदर ऩामी ऩय बनदकतन न भहादिी को फदर हदमा| बनदकतन क हाथ का भोटा-दहाती खाना खात-खात भहादिी का सिाद फदर गमा बनदकतन न भहादिी को दहात क ककसस-कहाननमाॉ ककॊ िदॊनतमाॉ कॊ ठसथ कया दी| सिबाि स भहाकॊ जस होन ऩय बी बनदकतन ऩाई-ऩाई कय जोडी हई १०५ रऩमो की यासश को सहरय भहादिी को सभवऩयत कय दती ह| जर क नाभ स थय-थय काॉऩन िारी बनदकतन अऩनी भारककन क साथ जर जान क सरए फड़ राट साहफ तक स रड़न को बी तमाय हो जाती ह| बनदकतन भहादिी क जीिन ऩय छा जान िारी एक ऐसी सविका ह नदजस रणखका नहीॊ खोना चाहती

ऩाि आधारयत परशनोततय

नोट- उततय भ ननहहत यखाॊककत िाकम भखम सॊकत बफॊद ह |

परशन 1-बजकतन का वासतपवक नाभ कमा था वह अऩन नाभ को कमो छऩाना चाहती थी

उततय-बनदकतन का िासतविक नाभ रकषभी था हहनददओॊ क अनसायरकषभी धन की दिीह चॉकक बनदकतन गयीफ थी| उसक िासतविक नाभ क अथय औय उसक जीिन क मथाथय भ वियोधाबास ह ननधयन बनदकतन सफको अऩना असरी नाभ रकषभी फताकय उऩहास का ऩातर नहीॊ फनना चाहती थी इससरए िह अऩना असरी नाभ छऩाती थी

परशन 2- रखखका न रकषभी का नाभ बजकतन कमो यखा

उततय-घटा हआ ससय गर भ कॊ ठी भारा औय बकतो की तयह सादगीऩणय िशबरा दखकय भहादिी िभाय न रकषभी का नाभ बनदकतन यख हदमा | मह नाभ उसक वमनदकतति स ऩणयत भर खाता था |

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परशन 3-बजकतन क जीवन को ककतन ऩरयचछदो भ पवबाजजत ककमा गमा ह

उततय- बनदकतन क जीिन को चाय बागो भ फाॉटा गमा ह-

ऩहरा ऩरयचछद-बनदकतन का फचऩन भाॉ की भतम विभाता क दिाया बनदकतन का फार-वििाह कया दना

दपवतीम ऩरयचछद-बनदकतन का ििाहहक जीिन सास तथा नदजठाननमो का अनदमामऩणय वमिहाय ऩरयिाय स अरगौझा कय रना

ततीम ऩरयचछद- ऩनत की भतम विधिा क रऩ भ सॊघरयशीर जीिन चतथट ऩरयचछद- भहादिी िभाय की सविका क रऩ भ

परशन 4- बजकतन ऩाि क आधाय ऩय बायतीम गराभीण सभाज भ रड़क-रड़ककमो भ ककम जान वार बदबाव का उलरख कीजजए |

बायतीम गराभीण सभाज भ रड़क-रड़ककमो भ बदबाि ककमा जाता ह| रड़ककमो को खोटा ससकका मा ऩयामा धन भाना जाता ह| बनदकतन न तीन फहटमो को जनदभ हदमा नदजस कायण उस सास औय नदजठाननमो की उऩा सहनी ऩड़ती थी| सास औय नदजठाननमाॉ आयाभ पयभाती थी कमोकक उनदहोन रड़क ऩदा ककए थ औय बनदकतन तथा उसकी ननदहीॊ फहटमो को घय औय खतो का साया काभ कयना ऩडता था| बनदकतन औय उसकी फहटमो को रखा-सखा भोटा अनाज खान को सभरता था जफकक उसकी नदजठाननमाॉ औय उनक कार-करट फट दध-भराई याफ-चािर की दाित उड़ात थ

परशन 5-बजकतन ऩाि क आधाय ऩय ऩॊचामत क नमाम ऩय ठटतऩणी कीजजए |

बनदकतन की फटी क सनददबय भ ऩॊचामत दिाया ककमा गमा नदमाम तकय हीन औय अॊध कानन ऩय आधारयतह | बनदकतन क नदजठौत न सॊऩनदतत क रारच भ रडमॊतर कय बोरी फचची को धोख स जार भ पॊ सामा| ऩॊचामत न ननदोर रड़की की कोई फात नहीॊ सनी औय एक तयिा पसरा दकय उसका वििाह जफयदसती नदजठौत क ननकमभ तीतयफाज सार स कय हदमा | ऩॊचामत क अॊध कानन स दरषटो को राब हआ औय ननदोर को दॊड सभरा |

परशन 6-बजकतन की ऩाक-करा क फाय भ ठटतऩणी कीजजए |

बनदकतन को ठठ दहाती सादा बोजन ऩसॊद था | यसोई भ िह ऩाक छत को फहत भहतति दती थी | सफह-सिय नहा-धोकय चौक की सपाई कयक िह दिाय ऩय कोमर की भोटी यखा खीॊच दती थी| ककसी को यसोईघय भ परिश कयन नहीॊ दती थी| उस अऩन फनाए बोजन ऩय फड़ा असबभान था| िह अऩन फनाए बोजन का नतयसकाय नहीॊ सह सकती थी |

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परशन 7- लसदध कीजजए कक बजकतन तकट -पवतकट कयन भ भाठहय थी |

बनदकतन तकय ऩट थी | कश भॉडान स भना ककए जान ऩय िह शासतरो का हिारा दत हए कहती ह lsquoतीयथ गए भॉडाए ससदधrsquo | घय भ इधय-उधय यख गए ऩसो को िह चऩचाऩ उठा कय छऩा रती ह टोक जानऩय िह िह इस चोयी नही भानती फनदलक िह इस अऩन घय भ ऩड़ ऩसो को सॉबारकय यखना कहती ह| ऩढाई-सरखाई स फचन क सरए बी िह अचक तकय दती ह कक अगय भ बी ऩढ़न रगॉ तो घय का काभ कौन दखगा

परशन 8-बजकतन का दबाटगम बी कभ हिी नही था रखखका न ऐसा कमो कहा ह

उततय- बजकतन का दबाटगम उसका ऩीछा नहीॊ छोड़ता था-

1- फचऩन भ ही भाॉ की भतम 2- विभाता की उऩा 3- बनदकतन(रकषभी) का फारवििाह 4- वऩता का ननधन 5- तीन-तीन फहटमो को जनदभ दन क कायण सास औय नदजठाननमो क दिाया बनदकतन की

उऩा 6- ऩनत की असभम भतम 7- दाभाद का ननधन औय ऩॊचामत क दिाया ननकमभ तीतयफाज मिक स बनदकतन की विधिा

फटी का जफयन वििाह 8- रगान न चका ऩान ऩय जभीॊदाय क दिाया बनदकतन का अऩभान

परशन 9-बजकतन न भहादवी वभाट क जीवन ऩय कस परबापवत ककमा

उततय- बनदकतन क साथ यहकय भहादिी की जीिन-शरी सयर हो गमी ि अऩनी सविधाओॊ की चाह को नछऩान रगीॊ औय असविधाओॊ को सहन रगीॊ बनदकतन न उनदह दहाती बोजन णखराकय उनका सिाद फदर हदमा बनदकतन भातर एक सविका न होकय भहादिी की असबबािक औय आतभीम फन गमीबनदकतन भहादिी क जीिन ऩय छा जान िारी एक ऐसी सविका ह नदजस रणखका नहीॊ खोना चाहती

परशन 10- बजकतन क चरयतर की पवशषताओॊ का उलरख कीजजए

उततय- भहादिी िभाय की सविका बनदकतन क वमनदकतति की विशरताएॊ ननमनाॊककत ह-

सभवऩयत सविका सिासबभानी

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तकय शीरा ऩरयशरभी सॊघरयशीर

परशन 11-बजकतन क दगटणो का उलरख कय

उततय- गणो क साथ-साथ बनदकतन क वमनदकतति भ अनक दगयण बी ननहहत ह-

1 िह घय भ इधय-उधय ऩड़ रऩम-ऩस को बॊडाय घय की भटकी भ छऩा दती ह औय अऩन इस कामय को चोयी नहीॊ भानती

2 भहादिी क करोध स फचन क सरए बनदकतन फात को इधय-उधय कयक फतान को झठ नही भानती अऩनी फात को सही ससदध कयन क सरए िह तकय -वितकय बी कयती ह

3 िह दसयो को अऩनी इचछानसाय फदर दना चाहती ह ऩय सिमॊ बफरकर नही फदरती परशन 12 ननमनाॊककत बाषा-परमोगो का अथट सऩषट कीजजए-

ऩहरी कनमा क दो औय सॊसकयण कय िार- बनदकतन न अऩनी ऩहरी कनदमा क फाद उसक जसी दो औय कनदमाएॉ ऩदा कय दी अथायत बनदकतन क एक क फाद एक तीन फहटमाॉ ऩदा हो गमीॊ |

खोट लसकको की टकसार जसी ऩतनी- आज बी असशकषत गराभीण सभाज भ फहटमो को

खोटा ससकका कहा जाता ह बनदकतन न एक क फाद एक तीन फहटमाॉ ऩदा कय दी इससरए उस खोट ससकक को ढारन िारी भशीन कहा गमा

परशन 13-बजकतन ऩाि भ रखखका न सभाज की ककन सभसमाओॊ का उलरख ककमा ह

उततय- बनदकतन ऩाठ क भाधमभ स रणखका न बायतीम गराभीण सभाज की अनक सभसमाओॊ का उलरख ककमा ह-

1 रड़क-रड़ककमो भ ककमा जान िारा बदबाि 2 विधिाओॊ की सभसमा 3 नदमाम क नाभ ऩय ऩॊचामतो क दिाया नदसतरमो क भानिाधधकाय को कचरना 4 असशा औय अॊधविशिास

गदमाॊश-आधारयत अथटगरहण सॊफॊधधत परशनोततय

ऩरयिाय औय ऩरयनदसथनतमो क कायण सिबाि भ जो विरभताएॉ उतऩनदन हो गई ह उनक बीतय स एक सनह औय सहानबनत की आबा पटती यहती ह इसी स उसक सॊऩकय भ आनिार वमनदकत उसभ जीिन की सहज भासभयकता ही ऩात ह छातरािास की फासरकाओॊ भ स कोई अऩनी चाम

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फनिान क सरए दहरी ऩय फठी यहती ह कोई फाहय खडी भय सरए नाशत को चखकय उसक सिाद की वििचना कयती यहती ह भय फाहय ननकरत ही सफ धचडड़मो क सभान उड़ जाती ह औय बीतय आत ही मथासथान वियाजभान हो जाती ह इनदह आन भ रकािट न हो सॊबित इसी स बनदकतन अऩना दोनो जन का बोजन सिय ही फनाकय ऊऩय क आर भ यख दती ह औय खात सभम चौक का एक कोना धोकय ऩाकndashछत क सनातन ननमभ स सभझौता कय रती ह

भय ऩरयधचतो औय साहहनदतमक फॊधओॊ स बी बनदकतन विशर ऩरयधचत ह ऩय उनक परनत बनदकतन क समभान की भातरा भय परनत उनक समभान की भातरा ऩय ननबयय ह औय सदभाि उनक परनत भय सदभाि स नननदशचत होता ह इस सॊफॊध भ बनदकतन की सहज फवदध विनदसभत कय दन िारी ह

(क) बजकतन का सवबाव ऩरयवाय भ यहकय कसा हो गमा ह

उततय-विरभ ऩरयनदसथनतजनदम उसक उगर हठी औय दयागरही सिबाि क फािजद बनदकतन क बीतय सनह औय सहानबनत की आबा पटती यहती ह उसक सॊऩकय भ आन िार वमनदकत उसभ जीिन की सहज भासभयकता ही ऩात ह

(ख) बजकतन क ऩास छातरावास की छातराएॉ कमो आती ह

उततय- बनदकतन क ऩास कोई छातरा अऩनी चाम फनिान आती ह औय दहरी ऩय फठी यहती ह कोई भहादिी जी क सरए फन नाशत को चखकय उसक सिाद की वििचना कयती यहती ह भहादिी को दखत ही सफ छातराएॉ बाग जाती ह उनक जात ही कपय िाऩस आ जातीॊ ह बनदकतन का सहज-सनह ऩाकय धचडड़मो की तयह चहचहान रगती ह |

(ग) छातराओॊ क आन भ रकावट न िारन क लरए बजकतन न कमा उऩाम ककमा

उततय- छातराओॊ क आन भ रकािट न डारन क सरए बनदकतन न अऩन ऩाक-छत क ननमभ स सभझौता कय सरमा | बनदकतन अऩना दोनो िकत का खाना फनाकय सफह ही आर भ यख दती औय खात सभम चौक का एक कोना धोकय िहाॉ फठकय खा सरमा कयती थी ताकक छातराएॉ बफना योक-टोक क उसक ऩास आ सक

(घ) साठहतमकायो क परनत बजकतन क समभान का कमा भाऩदॊि ह

उततय-बनदकतन भहादिी क साहहनदतमक सभतर क परनत सदभाि यखती थी नदजसक परनत भहादिी सिमॊ सदभाि यखती थी | िह सबी स ऩरयधचत हऩय उनक परनत समभान की भातरा भहादिी जी क समभान की भातरा ऩय ननबयय कयती ह िह एक अदभत ढॊग स जान रती थी कक कौन ककतना समभान कयता ह उसी अनऩात भ उसका परापम उस दती थी

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12 फाजाय-दशटन

रखक- जनि कभाय

ऩाि का सायाॊश फाजाय-दशयन ऩाठ भ फाजायिाद औय उऩबोकतािाद क साथ-साथ अथयनीनत एिॊ दशयन स सॊफॊधधत परशनो को सरझान का परमास ककमा गमा ह फाजाय का जाद तबी असय कयता ह जफ भन खारी हो| फाजाय क जाद को योकन का उऩाम मह ह कक फाजाय जात सभम भन खारी ना हो भन भ रकषम बया हो| फाजाय की असरी कताथयता ह जरयत क िकत काभ आना| फाजाय को िही भनरषम राब द सकता ह जो िासति भ अऩनी आिशमकता क अनसाय खयीदना चाहता ह| जो रोग अऩन ऩसो क घभॊड भ अऩनी ऩचनदजॊग ऩािय को हदखान क सरए चीज खयीदत ह ि फाजाय को शतानी वमॊगम शनदकत दत ह| ऐस रोग फाजारऩन औय कऩट फढात ह | ऩस की मह वमॊगम शनदकत वमनदकत को अऩन सग रोगो क परनत बी कतघन फना सकती ह | साधायण जन का रदम रारसा ईरषमाय औय तरषणा स जरन रगता ह | दसयी ओय ऐसा वमनदकत नदजसक भन भ रश भातर बी रोब औय तरषणा नहीॊ ह सॊचम की इचछा नहीॊ ह िह इस वमॊगम-शनदकत स फचा यहता ह | बगतजी ऐस ही आतभफर क धनी आदशय गराहक औय फचक ह नदजन ऩय ऩस की वमॊगम-शनदकत का कोई असय नहीॊ होता | अनक उदाहयणो क दिाया रखक न मह सऩरषट ककमा ह कक एक ओय फाजाय रारची असॊतोरी औय खोखर भन िार वमनदकतमो को रटन क सरए ह िहीॊ दसयी ओय सॊतोरी भन िारो क सरए फाजाय की चभक-दभक उसका आकरयण कोई भहतति नहीॊ यखता

परशन१ - ऩचजजॊग ऩावय ककस कहा गमा ह फाजाय ऩय इसका कमा परबाव ऩड़ता ह

उततय- ऩचनदजॊग ऩािय का अथय ह खयीदन की शनदकत ऩचनदजॊग ऩािय क घभॊड भ वमनदकत हदखाि क सरए आिशमकता स अधधक खयीदायीकयता ह औय फाजाय को शतानी वमॊगम-शनदकत दता ह ऐस रोग फाजाय का फाजारऩन फढ़ात ह

परशन२ -रखक न फाजाय का जाद ककस कहा ह इसका कमा परबाव ऩड़ता ह

उततय- फाजाय की चभक-दभक क चॊफकीम आकरयण को फाजाय का जाद कहा गमा ह मह जाद आॊखो की याह कामय कयता ह फाजाय क इसी आकरयण क कायण गराहक सजी-धजी चीजो को आिशमकता न होन ऩय बी खयीदन को वििश हो जात ह

परशन३ -आशम सऩषट कय

भन खारी होना भन बया होना भन फॊद होना

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उततय-भन खारी होना- भन भ कोई नननदशचत िसत खयीदन का रकषम न होना ननरददशम फाजाय जाना औय वमथय की चीजो को खयीदकय राना

भन बया होना- भन रकषम स बया होना नदजसका भन बया हो िह बरीबाॉनत जानता ह कक उस फाजाय स कौन सी िसत खयीदनी ह अऩनी आिशमकता की चीज खयीदकय िह फाजाय को साथयकता परदान कयता ह

भन फॊद होना-भन भ ककसी बी परकाय की इचछा न होना अथायत अऩन भन को शनदम कय दना

परशन४ - lsquoजहाॉ तषणा ह फटोय यखन की सऩहा ह वहाॉ उस फर का फीज नहीॊ हrsquo महाॊ ककस फर की चचाट की गमी ह

उततय- रखक न सॊतोरी सिबाि क वमनदकत क आतभफरकी चचाय की ह दसय शबदो भ महद भन भ सॊतोर हो तो वमनदकत हदखाि औय ईरषमाय की बािना स दय यहता ह उसभ सॊचम कयन की परिनदतत नहीॊ होती

परशन५ - अथटशासतर अनीनतशासतर कफ फन जाता ह

उततय- जफ फाजाय भ कऩट औय शोरण फढ़न रग खयीददाय अऩनी ऩचधचॊग ऩािय क घभॊड भ हदखाि क सरए खयीददायी कय | भनरषमो भ ऩयसऩय बाईचाया सभापत हो जाए| खयीददाय औय दकानदाय एक दसय को ठगन की घात भ रग यह एक की हानन भ दसय को अऩना राब हदखाई द तो फाजाय का अथयशासतर अनीनतशासतर फन जाता ह ऐस फाजाय भानिता क सरए विडॊफना ह

परशन६-बगतजी फाजाय औय सभाज को ककस परकाय साथटकता परदान कय यह ह

उततय- बगतजी क भन भ साॊसारयक आकरयणो क सरए कोई तरषणा नहीॊ ह ि सॊचम रारच औय हदखाि स दय यहत ह फाजाय औय वमाऩाय उनक सरए आिशमकताओॊ की ऩनत य का साधन भातर ह बगतजी क भन का सॊतोर औय ननसऩह बाि उनको शररषठ उऩबोकता औय विकरता फनात ह

परशन ७ _ बगत जी क वमजकततव क सशकत ऩहरओॊ का उलरख कीजजए |

उततय-ननमनाॊककत बफॊद उनक वमनदकतति क सशकत ऩहर को उजागय कयत ह

ऩॊसायी की दकान स किर अऩनी जरयत का साभान (जीया औय नभक) खयीदना नननदशचत सभम ऩय चयन फचन क सरए ननकरना छह आन की कभाई होत ही चयन फचना फॊद कय दना फच हए चयन को फचचो को भफ़त फाॉट दना

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सबी काजम-जम याभ कहकय सिागत कयना फाजाय की चभक-दभक स आकवरयत न होना सभाज को सॊतोरी जीिन की सशा दना

परशन7-फाजाय की साथटकता ककसभ ह

उततय- भनरषम की आिशमकताओॊ की ऩनतय कयन भ ही फाजाय की साथयकता ह जो गराहक अऩनी आिशमकताओॊ की चीज खयीदत ह ि फाजाय को साथयकता परदान कयत ह जो विकरता गराहको का शोरण नहीॊ कयत औय छर-कऩट स गराहको को रबान का परमास नही कयत ि बी फाजाय को साथयक फनात ह

गदमाॊश-आधारयत अथटगरहण-सॊफॊधधत परशनोततय

फाजाय भ एक जाद ह िह जाद आॉख की तयह काभ कयता ह िह रऩ का जाद ह ऩय जस चॊफक का जाद रोह ऩय ही चरता ह िस ही इस जाद की बी भमायदा ह जफ बयी हो औय भन खारी हो ऐसी हारत भ जाद का असय खफ होता ह जफ खारी ऩय भन बया न हो तो बी जाद चर जाएगा भन खारी ह तो फाजाय की अनकानक चीजो का ननभॊतरण उस तक ऩहॉच जाएगा कहीॊ हई उस िकत जफ बयी तफ तो कपय िह भन ककसकी भानन िारा ह भारभ होता ह मह बी रॉ िह बी रॉ सबी साभान जरयी औय आयाभ को फढ़ान िारा भारभ होता ह ऩय मह सफ जाद का असय ह जाद की सिायी उतयी कक ऩता चरता ह कक प सी-चीजो की फहतामत आयाभ भ भदद नहीॊ दती फनदलक खरर ही डारती ह थोड़ी दय को सिासबभान को जरय सक सभर जाता ह ऩय इसस असबभान को धगलटी की खयाक ही सभरती ह जकड़ यशभी डोयी की हो तो यशभ क सऩशय क भरामभ क कायण कमा िह कभ जकड़ दगी

ऩय उस जाद की जकड़ स फचन का एक सीधा उऩाम ह िह मह कक फाजाय जाओ तो खारी भन न हो भन खारी हो तफ फाजाय न जाओ कहत ह र भ जाना हो तो ऩानी ऩीकय जाना चाहहए ऩानी बीतय हो र का रऩन वमथय हो जाता ह भन रकषम स बया हो तो फाजाय परा का परा ही यह जाएगा तफ िह घाि बफरकर नहीॊ द सकगा फनदलक कछ आनॊद ही दगा तफ फाजाय तभस कताथय होगा कमोकक तभ कछ न कछ सचचा राब उस दोग फाजाय की असरी कताथयता ह आिशमकता क सभम काभ आना

परशन-1 फाजाय क जाद को रखक न कस सऩषट ककमा ह

उततय- फाजाय क रऩ का जाद आॉखो की याह स काभ कयता हआ हभ आकवरयत कयता ह फाजाय का जाद ऐस चरता ह जस रोह क ऊऩय चॊफक का जाद चरता ह चभचभाती योशनी भ सजी

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प सी चीॊज गराहक को अऩनी ओय आकवरयत कयती ह| इसी चमफकीम शनदकत क कायण वमनदकत कपजर साभान को बी खयीद रता ह |

परशन-2 जफ बयी हो औय भन खारी तो हभायी कमा दशा होती ह

उततय- जफ बयी हो औय भन खारी हो तो हभाय ऊऩय फाजाय का जाद खफ असय कयता ह भन खारी ह तो फाजाय की अनकानक चीजो का ननभॊतरण भन तक ऩहॉच जाता ह औय उस सभम महद जफ बयी हो तो भन हभाय ननमॊतरण भ नहीॊ यहता

परशन-3 प सी चीजो की फहतामत का कमा ऩरयणाभ होता ह

उततय- प सी चीज आयाभ की जगह आयाभ भ वमिधान ही डारती ह थोड़ी दय को असबभान को जरय सक सभर जाती ह ऩय हदखाि की परिनदतत भ िवदध होती ह

परशन-4 जाद की जकड़ स फचन का कमा उऩाम ह

उततय- जाद की जकड़ स फचन क सरए एक ही उऩाम ह िह मह ह कक फाजाय जाओ तो भन खारी न हो भन खारी हो तो फाजाय भत जाओ

13 कार भघा ऩानी द

रखक-धभटवीय बायती

ऩाि का सायाॊश -lsquoकार भघा ऩानी दrsquo ननफॊध रोकजीिन क विशिास औय विऻान क तकय ऩय आधारयत ह जफ बीरण गभी क कायण वमाकर रोग िराय कयान क सरए ऩजा-ऩाठ औय कथा-विधान कय थकndashहाय जात ह तफ िराय कयान क सरए अॊनतभ उऩाम क रऩ भ इनददय सना ननकरती ह| इनददय सना नॊग-धड़ॊग फचचो की टोरी ह जो कीचड़ भ रथऩथ होकय गरी-भोहलर भ ऩानी भाॉगन ननकरती ह| रोग अऩन घय की छतो-णखड़ककमो स इनददय सना ऩय ऩानी डारत ह | रोगो की भानदमता ह कक इनददर फादरो क सिाभी औय िराय क दिता ह| इनददर की सना ऩय ऩानी डारन स इनददर बगिान परसनदन होकय ऩानी फयसाएॊग | रखक का तकय ह कक जफ ऩानी की इतनी कभी ह तो रोग भनदशकर स जभा ककए ऩानी को फालटी बय-बयकय इनददय सना ऩय डारकय ऩानी को कमो फफायद कयत ह आमयसभाजी विचायधाया िारा रखक इस अॊधविशिास भानता ह | इसक विऩयीत रखक की जीजी उस सभझाती ह कक मह ऩानी की फफायदी नहीॊ फनदलक ऩानी की फिाई ह | कछ ऩान क सरए कछ दना ऩड़ता ह | तमाग क बफना दान नहीॊ होता| परसतत ननफॊध भ रखक न भरषटाचाय की सभसमा को उठात हए कहा ह कक जीिन भ कछ ऩान क सरए तमाग आिशमक ह जो रोग तमाग औय दान की भहतता को नहीॊ भानत ि ही भरषटाचाय भ सरपत यहकय दश औय सभाज को रटत ह| जीजी की आसथा बािनातभक सचचाई को ऩरषट कयती ह औय तकय किर िऻाननक तथम को सतम भानता ह जहाॉ तकय मथाथय क

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कठोय धयातर ऩय सचचाई को ऩयखता ह तो िहीॊ आसथा अनहोनी फात को बी सिीकाय कय भन को सॊसकारयत कयती ह बायत की सितॊतरता क ५० सार फाद बी दश भ वमापत बरषटाचाय औय सिाथय की बािना को दखकय रखक दखी ह | सयकाय दिाया चराई जा यही मोजनाएॉ गयीफो तक कमो नहीॊ ऩहॉच ऩा यहीॊ ह कार भघा क दर उभड़ यह ह ऩय आज बी गयीफ की गगयी पटी हई कमो ह रखक न मह परशन ऩाठको क सरए छोड़ हदमा ह |

परशन1-इनदय सना घय-घय जाकय ऩानी कमो भाॉगती थी

उततय- गाॉि क रोग फारयश क सरए बगिान इॊदर स पराथयना ककमा कयत थ जफ ऩजा-ऩाठवरत आहद उऩाम असिर हो जात थ तो बगिान इॊदर को परसनदन कयन क सरए गाॉि क ककशोय फचच कीचड़ भ रथऩथ होकय गरी-गरी घभकय रोगो स ऩानी भाॉगत थ

परशन2-इनदयसना को रखक भढक-भॊिरी कमो कहता ह जीजी क फायndashफाय कहन ऩय बी वह इनदयसना ऩय ऩानी प कन को याजी कमो नहीॊ होता

उततय- इनददयसना का कामय आमयसभाजी विचायधाया िार रखक को अॊधविशिास रगता ह उसका भानना ह कक महद इॊदयसना दिता स ऩानी हदरिा सकती ह तो सिमॊ अऩन सरए ऩानी कमो नहीॊ भाॉग रती ऩानी की कभी होन ऩय बी रोग घय भ एकतर ककम हए ऩानी को इॊदयसना ऩय ि कत ह रखक इस ऩानी की ननभयभ फयफादी भानता ह

परशन3- रि हए रखक को जीजी न ककस परकाय सभझामा

उततय- जीजी न रखक को पमाय स रडड-भठयी णखरात हए ननमन तकय हदए-

1- तमाग का भहततव- कछ ऩान क सरए कछ दना ऩड़ता ह 2- दान की भहतता- कवर-भननमो न दान को सफस ऊॉ चा सथान हदमा ह जो चीज अऩन

ऩास बी कभ हो औय अऩनी आिशमकता को बरकय िह चीज दसयो को दान कय दना ही तमाग ह |

3- इॊिदव को जर का अधमट चिाना- इॊदयसना ऩय ऩानी ि कना ऩानी की फयफादी नहीॊ फनदलक इॊदरदि को जर का अधमय चढ़ाना ह

4- ऩानी की फवाई कयना- नदजस परकाय ककसान िसर उगान क सरए जभीन ऩय फीज डारकय फिाई कयता ह िस ही ऩानी िार फादरो की िसर ऩान क सरए इनददय सना ऩय ऩानी डार कय ऩानी की फिाई की जाती ह

परशन4-नठदमो का बायतीम साभाजजक औय साॊसकनतक ऩरयवश भ कमा भहतव ह

उततय- गॊगा बायतीम सभाज भ सफस ऩजम सदानीया नदी ह नदजसका बायतीम इनतहास भ धासभयक ऩौयाणणक औय साॊसकनतक भहति ह | िह बायतीमो क सरए किर एक नदी नहीॊ अवऩत

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भाॉ ह सिगय की सीढ़ी ह भोदानमनी ह उसभ ऩानी नहीॊ अवऩत अभत तलम जर फहता ह बायतीम सॊसकनत भ नहदमो क ककनाय भानि सभमताएॉ परी-परी ह| फड़-फड़ नगय तीथयसथान नहदमो क ककनाय ही नदसथत ह ऐस ऩरयिश भबायतिासी सफस ऩहर गॊगा भमा की जम ही फोरग नहदमाॉ हभाय जीिन का आधाय ह हभाया दश कवर परधान ह नहदमो क जर स ही बायत बसभ हयी-बयी ह नहदमो क बफना जीिन की कलऩना नहीॊ कय सकत मही कायण ह कक हभ बायतीम नहदमो की ऩजा कयत ह |

परशन4-आजादी क ऩचास वषो क फाद बी रखक कमो दखी ह उसक भन भ कौन स परशन उि यह ह

उततय- आजादी क ऩचास िरो फाद बी बायतीमो की सोच भ सकायातभक फदराि न दखकय रखक दखी ह उसक भन भ कई परशन उठ यह ह-

1 कमा हभ सचच अथो भ सितनदतर ह 2 कमा हभ अऩन दश की सॊसकनत औय सभमता को सभझ ऩाए ह 3 यारषर ननभायण भ हभ ऩीछ कमो ह हभ दश क सरए कमा कय यह ह

4 हभ सिाथय औय भरषटाचाय भ सरपत यहत ह तमाग भ विशिास कमो नहीॊ कयत

5 सयकाय दिाया चराई जा यही सधायिादी मोजनाएॉ गयीफो तक कमो नहीॊ ऩहॉचती ह

गदमाॊश ऩय आधारयत अथटगरहण-सॊफॊधधत परशनोततय

सचभच ऐस हदन होत जफ गरी-भहलरा गाॉि-शहय हय जगह रोग गयभी भ बन-बन कय तराहहभाभ कय यह होत जठ क दसतऩा फीतकय आराढ का ऩहरा ऩखिाड़ा फीत चका होता ऩय कषनतज ऩय कहीॊ फादरो की यख बी नहीॊ दीखती होती कएॉ सखन रगत नरो भ एक तो फहत कभ ऩानी आता औय आता बी तो आधी यात को िो बी खौरता हआ ऩानी हो | शहयो की तरना भ गाॉि भ औय बी हारत खयाफ थी| जहाॉ जताई होनी चाहहए थी िहाॉ खतो की सभटटी सखकय ऩतथय हो जाती कपय उसभ ऩऩड़ी ऩड़कय जभीन पटन रगती र ऐसी कक चरत-चरत आदभी धगय ऩड़ | ढोय-डॊगय पमास क भाय भयन रगत रककन फारयश का कहीॊ नाभ ननशान नहीॊ ऐस भ ऩजा-ऩाठ कथा-विधान सफ कयक रोग जफ हाय जात तफ अॊनतभ उऩाम क रऩ भ ननकरती मह इनददय सना |

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89

परशन१- वषाट न होन ऩय रोगो की कमा जसथनत हो गमी थी उततय - िराय न होन ऩय गयभी क कायण रोग र रगन स फहोश होन रग | गाॉि-शहय सबी जगह ऩानी का अबाि हो गमा| कएॉ सख गए खतो की सभटटी सखकय ऩतथय क सभान कठोय होकय पट गमी| घयो भ नरो भ ऩानी फहत कभ आता था | ऩश पमास क भाय भयन रग थ | परशन२- वषाट क दवता कौन ह उनको परसनन कयन क लरए कमा उऩाम ककए जात थ उततय -िराय क दिता बगिान इनददर ह| उनको परसनदन कयन क सरए ऩजाndashऩाठ कथा-विधान कयाए जात थ | ताकक इनददर दि परसनदन होकय फादरो की सना बजकय झभाझभ फारयश कयाएॉ औय रोगो क करषट दय हो | परशन३- वषाट कयान क अॊनतभ उऩाम क रऩ भ कमा ककमा जाता था उततय ndashजफ ऩजा-ऩाठ कथा-विधान सफ कयक रोग हाय जात थ तफ अॊनतभ उऩाम क रऩ भ इनददय सना आती थी | नॊग-धडॊग कीचड़ भ रथऩथ lsquoकार भघा ऩानी द ऩानी द गड़धानी दrsquo की टय रगाकय पमास स सखत गरो औय सखत खतो क सरए भघो को ऩकायती हई टोरी फनाकय ननकर ऩड़ती थी| परशन४-आशम सऩषट कय ndash जठ क दसतऩा फीतकय आराढ़ का ऩहरा ऩखिाड़ा फीत चका होता ऩय कषनतज भ कहीॊ फादरो की यख बी नजय नहीॊ आती | आशम- जठ का भहीना ह बीरण गयभी ह| तऩत हए दस हदन फीत कय आराढ का भहीना बी आधा फीत गमा ऩय ऩानी क सरए तड़ऩत िराय की आशा भ आसभान की ओय ताकत रोगो को कहीॊ फादर नजय नहीॊ आ यह |

14 ऩहरवान की ढोरक

फ़णीशवयनाथ यण

ऩाि का सायाॊश ndashआॊचसरक कथाकाय िणीशियनाथ यण की कहानी ऩहरिान की ढोरक भ कहानी क भखम ऩातर रटटन क भाता-वऩता का दहाॊत उसक फचऩन भ ही हो गमा था | अनाथ रटटन को उसकी विधिा सास न ऩार-ऩोसकय फड़ा ककमा | उसकी सास को गाॉि िार सतात थ |

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रोगो स फदरा रन क सरए कशती क दाॉिऩच सीखकय कसयत कयक रटटन ऩहरिान फन गमा |

एक फाय रटटन शमाभनगय भरा दखन गमा जहाॉ ढोर की आिाज औय कशती क दाॉिऩच दखकय उसन जोश भ आकय नाभी ऩहरिान चाॉदससॊह को चनौती द दी | ढोर की आिाज स परयणा ऩाकय रटटन न दाॉि रगाकय चाॉद ससॊह को ऩटककय हया हदमा औय याज ऩहरिान फन गमा | उसकी खमानत दय-दय तक िर गमी| १५ िरो तक ऩहरिान अजम फना यहा| उसक दो ऩतर थ| रटटन न दोनो फटो को बी ऩहरिानी क गय ससखाए| याजा की भतम क फाद नए याजकभाय न गददी सॊबारी याजकभाय को घोड़ो की यस का शौक था भनजय न नम याजा को बड़कामा ऩहरिान औय उसक दोनो फटो क बोजनखचय को बमानक औय किजरखचय फतामा िरसिरऩ नए याजा न कशती को फॊद कयिा हदमा औय ऩहरिान रटटनससॊह को उसक दोनो फटो क साथ भहर स ननकार हदमा

याजदयफाय स ननकार हदए जान क फाद रटटन ससॊह अऩन दोनो फटो क साथ गाॉि भ झोऩड़ी फनाकय यहन रगा औय गाॉि क रड़को को कशती ससखान रगा| रटटन का सकर जमादा हदन नहीॊ चरा औय जीविकोऩाजयन क सरए उसक दोनो फटो को भजदयी कयनी ऩड़ी| इसी दौयान गाॉि भ अकार औय भहाभायी क कायण परनतहदन राश उठन रगी| ऩहरिान भहाभायी स डय हए रोगो को ढोरक फजाकय फीभायी स रड़न की सॊजीिनी ताकत दता था| एक हदन ऩहरिान क दोनो फट बी भहाभायी की चऩट भ आकय भय गए ऩय उस यात बी ऩहरिान ढोरक फजाकय रोगो को हहमभत फॊधा यहा था | इस घटना क चाय-ऩाॉच हदन फाद ऩहरिान की बी भौत हो जाती ह|

ऩहरिान की ढोरक वमिसथा क फदरन क साथ रोक कराकाय क अपरासॊधगक हो जान की कहानी ह इस कहानी भ रटटन नाभ क ऩहरिान की हहमभत औय नदजजीविरा का िणयन ककमा गमा ह बख औय भहाभायी अजम रटटन की ऩहरिानी को िट ढोर भ फदर दत ह इस करण तरासदी भ ऩहरिान रटटन कई सिार छोड़ जाता ह कक करा का कोई सितॊतर अनदसतति ह मा करा किर वमिसथा की भोहताज ह

परशन1- रटटन को ऩहरवान फनन की परयणा कस लभरी

उततय- रटटन जफ नौ सार का था तो उसक भाता-वऩता का दहाॊत हो गमा था | सौबागम स उसकी शादी हो चकी थी| अनाथ रटटन को उसकी विधिा सास न ऩार-ऩोसकय फड़ा ककमा | उसकी सास को गाॉि िार ऩयशान कयत थ| रोगो स फदरा रन क सरए उसन ऩहरिान फनन की ठानी| धायोरषण दध ऩीकय कसयत कय उसन अऩना फदन गठीरा औय ताकतिय फना सरमा | कशती क दाॉिऩच सीखकय रटटन ऩहरिान फन गमा |

परशन2- यात क बमानक सननाट भ रटटन की ढोरक कमा करयशभा कयती थी

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उततय- यात क बमानक सनदनाट भरटटन की ढोरक भहाभायी स जझत रोगो को हहमभत फॉधाती थी | ढोरक की आिाज स यात की विबीवरका औय सनदनाटा कभ होता था| भहाभायी स ऩीडड़त रोगो की नसो भ बफजरी सी दौड़ जाती थी उनकी आॉखो क साभन दॊगर का दशम साकाय हो जाता था औय ि अऩनी ऩीड़ा बर खशी-खशी भौत को गर रगा रत थ इस परकाय ढोर की आिाज फीभाय-भतपराम गाॉििारो की नसो भ सॊजीिनी शनदकत को बय फीभायी स रड़न की परयणा दती थी

परशन3- रटटन न सवाटधधक ठहमभत कफ ठदखाई

उततय- रटटन ससॊह न सिायधधक हहमभत तफ हदखाई जफ दोनो फटो की भतम ऩय िह योमा नहीॊ फनदलक हहमभत स काभ रकय अकर उनका अॊनतभ सॊसकाय ककमा| मही नहीॊ नदजस हदन ऩहरिान क दोनो फट भहाभायी की चऩट भ आकय भय गए ऩय उस यात को बी ऩहरिान ढोरक फजाकय रोगो को हहमभत फॉधा यहा था| शमाभनगय क दॊगर भ ऩया जनसभदाम चाॉद ससॊह क ऩ भ था चाॉद ससॊह को हयात सभम रटटन न हहमभत हदखाई औय बफना हताश हए दॊगर भ चाॉद ससॊह को धचत कय हदमा |

परशन4- रटटन लसॊह याज ऩहरवान कस फना

उततय- शमाभनगय क याजा कशती क शौकीन थ उनदहोन दॊगर का आमोजन ककमा ऩहरिान रटटन ससॊह बी दॊगर दखन ऩहॉचा चाॊदससॊह नाभक ऩहरिान जो शय क फचच क नाभ स परससदध था कोई बी ऩहरिान उसस सबड़न की हहमभत नहीॊ कयता था चाॉदससॊह अखाड़ भ अकरा गयज यहा था रटटन ससॊह न चाॉदससॊह को चनौती द दी औय चाॉदससॊह स सबड़ गमाढ़ोर की आिाज सनकय रटटन की नस-नस भ जोश बय गमाउसन चाॉदससॊह को चायो खान धचत कय हदमा याजासाहफ न रटटन की िीयता स परबावित होकय उस याजऩहरिान फना हदमा

परशन5- ऩहरवान की अॊनतभ इचछा कमा थी

उततय- ऩहरिान की अॊनतभ इचछा थी कक उस धचता ऩय ऩट क फर सरटामा जाए कमोकक िह नदजॊदगी भ कबी धचत नहीॊ हआ था| उसकी दसयी इचछा थी कक उसकी धचता को आग दत सभम ढोर अिशम फजामा जाए |

परशन6- ढोर की आवाज औय रटटन क भ दाॉिऩच सॊफॊध फताइए-

उततय- ढोर की आिाज औय रटटन क दाॉिऩच भ सॊफॊध -

चट धा धगड़ धाrarr आजा सबड़ जा | चटाक चट धाrarr उठाकय ऩटक द | चट धगड़ धाrarrभत डयना |

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धाक धधना नतयकट नतनाrarr दाॉि काटो फाहय हो जाओ | धधना धधना धधक धधनाrarr धचत कयो

गदमाॊश-आधारयत अथटगरहण-सॊफॊधधत परशनोततय

अॉधयी यात चऩचाऩ आॉस फहा यही थी | ननसतबधता करण सससककमो औय आहो को अऩन रदम भ ही फर ऩियक दफान की चरषटा कय यही थी | आकाश भ ताय चभक यह थ | ऩथिी ऩय कहीॊ परकाश का नाभ नहीॊ| आकाश स टट कय महद कोई बािक ताया ऩथिी ऩय आना बी चाहता तो उसकी जमोनत औय शनदकत यासत भ ही शर हो जाती थी | अनदम ताय उसकी बािकता अथिा असपरता ऩय णखरणखराकय हॉस ऩड़त थ | ससमायो का करॊ दन औय ऩचक की डयािनी आिाज यात की ननसतबधता को बॊग कयती थी | गाॉि की झोऩडडमो स कयाहन औय क कयन की आिाज हय याभ ह बगिान की टय सनाई ऩड़ती थी| फचच बी ननफयर कॊ ठो स भाॉ ndashभाॉ ऩकायकय यो ऩड़त थ |

(क) अॉधयी यात को आॉस फहात हए कमो ठदखामा गमा ह उततयndash गाॉि भ हजा औय भररयमा परा हआ था | भहाभायी की चऩट भ आकाय रोग भय यह थ |चायो ओय भौत का सनाटा छामा था इससरए अॉधयी यात बी चऩचाऩ आॉस फहाती सी परतीत हो यही थी|

(ख) ताय क भाधमभ स रखक कमा कहना चाहता ह उततयndash ताय क भाधमभ स रखक कहना चाहता ह कक अकार औय भहाभायी स तरसत गाॉि िारो की ऩीड़ा को दय कयन िारा कोई नहीॊ था | परकनत बी गाॉि िारो क द ख स दखी थी| आकाश स टट कय महद कोई बािक ताया ऩथिी ऩय आना बी चाहता तो उसकी जमोनत औय शनदकत यासत भ ही शर हो जाती थी |

(ग) यात की ननसतबधता को कौन बॊग कयता था उततयndash ससमायो की चीख-ऩकाय ऩचक की डयािनी आिाज औय कततो का साभहहक रदन सभरकय यात क सनदनाट को बॊग कयत थ |

(घ) झोऩड़ड़मो स कसी आवाज आ यही ह औय कमो उततयndash झोऩडड़मो स योधगमो क कयाहन क कयन औय योन की आिाज आ यही ह कमोकक गाॉि क रोग भररयमा औय हज स ऩीडड़त थ | अकार क कायण अनदन की कभी हो गमी थी| औरधध औय ऩथम न सभरन क कायण रोगो की हारत इतनी फयी थी कक कोई बगिान को ऩकाय रगाता था तो कोई दफयर कॊ ठ स भाॉndashभाॉ ऩकायता था |

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15 चारी चजतरन मानी हभ सफ

रखक-पवषण खय

ऩाि का सायाॊश ndashचारक चनदपरन न हासम कराकाय क रऩ भ ऩयी दननमा क फहत फड़ दशयक िगय को हॉसामा ह | उनकी कपलभो न कपलभ करा को रोकताॊबतरक फनान क साथ-साथ दशको की िगय औय िणय-वमिसथा को बी तोड़ा | चारक न करा भ फवदध की अऩा बािना को भहतति हदमा ह | फचऩन क सॊघरो न चारक क बािी कपलभो की बसभ तमाय कय दी थी| बायतीम करा औय सौदमयशासतर भ करणा का हासम भ ऩरयितयन बायतीम ऩयमऩया भ नहीॊ सभरता रककन चारक एक ऐसा जादई वमनदकतति ह जो हय दश सॊसकनत औय सभमता को अऩना सा रगता ह| बायतीम जनता न बी उनदह सहज बाि स सिीकाय ककमा ह| सिमॊ ऩय हॉसना चारक न ही ससखामा| बायतीम ससनभा जगत क सपरससदध कराकाय याजकऩय को चारक का बायतीमकयण कहा गमा ह | चारक की अधधकाॊश किलभ भक ह इससरए उनदह अधधक भानिीम होना ऩड़ा | ऩाठ भ हासम कपलभो क भहान असबनता lsquoचारक चनदपरनrsquo की जादई विशरताओॊ का उलरख ककमा गमा ह नदजसभ उसन करणा औय हासम भ साभॊजसम सथावऩत कय किलभो को साियबौसभक रऩ परदान ककमा

परशन१ -चारी क जीवन ऩय परबाव िारन वारी भखम घटनाएॉ कौन सी थी

उततय- चारक क जीिन भ दो ऐसी घटनाएॉ घटीॊ नदजनदहोन उनक बािी जीिन ऩय फहत परबाि डारा |

ऩहरी घटना - जफ चारक फीभाय थ उनकी भाॉ उनदह ईसा भसीह की जीिनी ऩढ़कय सना यही थी | ईसा क सरी ऩय चढ़न क परसॊग तक आत-आत भाॉ-फटा दोनो ही योन रग| इस घटना न चारक को सनह करणा औय भानिता जस उचच जीिन भलम हदए |

दसयी घटना हndash फारक चारक कसाईखान क ऩास यहता था| िहाॉ सकड़ो जानियो को योज भाया जाता था| एक हदन एक बड़ िहाॉ स बाग ननकरी| बड़ को ऩकड़न की कोसशश भ कसाई कई फाय कपसरा| नदजस दखकय रोग हॊसन रग ठहाक रगान रग| जफ बड़ को कसाई न ऩकड़ सरमा तो फारक चारक योन रगा| इस घटना न उसक बािी कपलभो भ तरासदी औय हासमोतऩादक ततिो की बसभका तम कय दी |

परशन२ ndash आशम सऩषट कीजजएndash

चजतरन न लसपट कपलभकरा को ही रोकताॊबतरक नही फनामा फजलक दशटको की वगट तथा वणट-वमवसथा को बी तोड़ा|

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उततय- रोकताॊबतरक फनान का अथय ह कक कपलभ करा को सबी क सरए रोकवपरम फनाना औय िगय औय िणय-वमिसथा को तोड़न का आशम ह- सभाज भ परचसरत अभीय-गयीफ िणय जानतधभय क बदबाि को सभापत कयना |चनदपरन का चभतकाय मह ह कक उनदहोन कपलभकरा को बफना ककसी बदबाि क सबी रोगो तक ऩहॉचामा| उनकी कपलभो न सभम बगोर औय सॊसकनतमो की सीभाओॊ को राॉघ कय साियबौसभक रोकवपरमता हाससर की | चारक न मह ससदध कय हदमा कक करा सितनदतर होती ह अऩन ससदधाॊत सिमॊ फनाती ह |

परशन३ndash चारी चजतरन की कपलभो भ ननठहत तरासदीकरणाहासम का साभॊजसम बायतीम करा औय सौदमटशासतर की ऩरयधध भ कमो नहीॊ आता

उततय- चारक चनदपरन की कपलभो भ ननहहत तरासदीकरणाहासम का साभॊजसम बायतीम करा औय सौदमयशासतर की ऩरयधध भ नहीॊ आताकमोकक बायतीम यस-ससदधाॊत भ करणा औय हासम का भर नहीॊ हदखामा जाता कमोकक बायतीम सौदमयशासतर भ करणयस औय हासम यस को ऩयसऩय वियोधी भाना गमा ह अथायत जहाॊ करणा ह िहाॉ हासम नहीॊ हो सकता बायत भ सिमॊ ऩय हॉसन की ऩयॊऩया नहीॊ ह ऩयॊत चारक क ऩातर अऩन ऩय हॉसतndashहॉसात ह चारक की किलभो क दशम हॉसात-हॉसात ररा दत ह तो कबी करण दशम क फाद अचानक ही हॉसन ऩय भजफय कय दत ह

परशन४ndash चारी क कपलभो की पवशषताएॉ फताइए |

उततय- चारक की किलभो भ हासम औय करणा का अदभत साभॊजसम ह उनकी किलभो भ बारा का परमोग फहत कभ ह चारक की किलभो भ फवदध की अऩा बािना का भहतति अधधक ह उनकी किलभो भ साियबौसभकता ह चारक ककसी बी सॊसकनत को विदशी नही रगत चारक सफको अऩन रगत ह चारक न किलभो को रोकताॊबतरक फनामा औय किलभो भ िगय तथािणय-वमिसथा को तोड़ा अऩनी कपलभो भ चारक सदि धचय मिा हदखता ह

गदमाॊश-आधारयत अथटगरहण-सॊफॊधी परशनोततय

गदमाॊश सॊकत ndashचारक चनदपरन मानी हभ सफ (ऩरषठ १२० )

महद मह िरय चनदपरन की कापी कछ कहा जाएगा |

परशन (क)-पवकासशीर दशो भ चजतरन कमो भशहय हो यह ह

उततय - विकासशीर दशो भ जस-जस टरीविजन औय िीडडमो का परसाय हो यहा ह रोगो को उनकी कपलभो को दखन का अिसय सभर यहा ह |एक फहत फड़ा िगय नए ससय स चारक को घड़ी सधायत औय जत खान की कोसशश कयत दख यहा ह इसीसरए चारक विकासशीर दशो भ रोकवपरम हो यह ह |

(ख)- ऩजशचभ भ चारी का ऩनजीवन कस होता यहता ह

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उततय - ऩनदशचभ भ चारक की कपलभो का परदशयन होता यहता ह| उनकी करा स परयणा ऩाकय हासम किलभ फनती यहती ह | उनक दिाया ननबाए ककयदायो की नकर अनदम कराकाय कयत ह | ऩनदशचभ भ चारक का ऩनजीिन होता यहता ह|

(ग)- चारी को रोग फिाऩ तक कमो माद यखग

उततय ndashहासम कराकाय क रऩ भ रोग चारक को फढ़ाऩ तक माद यखग कमोकक उनकी करा सभम बगोर औय सॊसकनतमो की सीभाओॊ को राॉघकय राखो रोगो को हॉसा यही ह|

(घ)- चारी की कपलभो क फाय भ कापी कछ कहा जाना कमो फाी ह

उततय ndashचनदपरन की ऐसी कछ किलभ मा इसतभार न की गमी यीर सभरी ह नदजनक फाय भ कोई नहीॊ जानता था | चारक की बािनापरधान हासम कपलभो न करा क नए परनतभान सथावऩत ककए ह अत चारक की कपलभो क फाय भ अबी कापी कछ कहा जाना फाी ह|

16 नभक

रखखका - यजजमा सजजाद जहीय

सायाॊश -lsquoनभकrsquoबायत-ऩाक विबाजन ऩय सरणखत भासभयक कहानी ह | विसथावऩत हए रोगो भ अऩनndashअऩन जनदभ सथानो क परनत आज बी रगाि ह| धासभयक आधाय ऩय फनी यारषर-याजमो की सीभा-यखाएॉ उनक अॊतभयन को अरग नहीॊ कय ऩाई ह | बायत भ यहन िारी ससख फीिी राहौय को अऩना ितन भानती ह औय बायतीम कसटभ अधधकायी ढाका क नारयमर ऩानी को मादकय उस सियशररषठ फताता ह दोनो दशो क नागरयको क फीच भहबफत का नभकीन सिाद आज बी कामभ ह इसीसरए सकिमा बायत भ यहन िारी अऩनी भॉहफोरी भाॉ ससख फीिी क सरए राहौयी नभक रान क सरए कसटभ औय कानन की ऩयिाह नहीॊ कयती

परशन1- lsquoनभकrsquo ऩाि क आधाय ऩय फताइए कक सकपमा औय उसक बाई क पवचायो भ कमा अॊतय था

उततय- १-सकपमा बािनाओॊ को फहतभहतति दती ह ऩय उसका बाई फौवदधक परिनदतत का ह उसकी दनदरषट भ कानन बािनाओॊ स ऊऩय ह|

२-सकपमा भानिीम सॊफॊधो को फहत भहतति दती ह जफकक उसका बाई अरगाििादी विचायधाया का ह हहसस-फखय की फात कयता ह |

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३-सकपमा का बाई कहता ह कक अदीफो(साहहतमकाय) का हदभाग घभा हआ होता ह जफकक सकपमा जो सिमॊ अदीफ ह उसका भानना ह कक अगय सबी रोगो का हदभाग अदीफो की तयह घभा हआ होता तो दननमा कछ फहतय हो जाती |

परशन२- नभक र जात सभम सकफ़मा क भन भ कमा दपवधा थी

उततय-सकपमा समद भसरभान थी जो हय हार भ अऩना िामदा ननबात ह| ऩाककसतान स राहौयी नभक र जाकय िह अऩना िामदा ऩया कयना चाहती थी ऩयनदत जफ उस ऩता चरा कक कसटभ क ननमभो क अनसाय सीभाऩाय नभक र जाना िनदजयत ह तो िह दविधा भ ऩड़ गई | सकिमा का दिॊदि मह था कक िह अऩनी ससख भाॉ क सरए नभक कसटभ अधधकारयमो को फताकयर जाए मा नछऩाकय|

परशन३- ऩाि क आधाय ऩय सकपमा की चारयबतरक पवशषताएॉ फताइए |

उततय सॊकत ndash

१- बािक २- ईभानदाय ३- दढ़ननशचमी ४- ननडय ५- िामद को ननबान िारी ६- भानिीम भलमो को सिोऩरय भानन िारी साहहतमकाय

परशन ४- lsquoनभकrsquo ऩाि भ आए ककयदायो क भाधमभ स सऩषट कीजजए कक आज बी बायत औय ऩाककसतान की जनता क फीच भहबफत का नभकीन सवाद घरा हआ ह |

उततय ndash बर ही याजनीनतक औय धासभयक आधाय ऩय बायत औय ऩाककसतान को बौगोसरक रऩ स विबानदजत कय हदमा गमा ह रककन दोनो दशो क रोगो क रदम भ आज बी ऩायसऩरयक बाईचाया सौहादरय सनह औय सहानबनत विदमभान ह | याजनीनतक तौय ऩय बर ही सॊफॊध तनािऩणय हो ऩय साभानदजक तौय ऩय आज बी जनता क फीच भहबफत का नभकीन सिाद घरा हआ ह | अभतसय भ यहन िारी ससख फीफी राहौय को अऩना ितन कहती ह औय राहौयी नभक का सिाद नहीॊ बरा ऩाती | ऩाककसतान का कसटभ अधधकायी नभक की ऩडड़मा सकपमा को िाऩस दत हए कहता ह rdquoजाभा भनदसजद की सीहढ़मो को भया सराभ कहना |rdquo बायतीम सीभा ऩय तनात कसटभ अधधकायी ढाका की जभीन को औय िहाॉ क ऩानी क सिाद को नहीॊ बर ऩाता |

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गदमाॊश-आधारयत अथटगरहण सॊफॊधधत परशनोततय

गदमाॊश सॊकत- ऩाठndash नभक (ऩरषठ १३४)

सकपमा कसटभ क जॊगर स दोनो क हाथो भ थी |

(क) सकपमा कसटभ क जॉगर स ननकरकय दसय तरटपाभट ऩय आ गमी व वहीॊ खड़ यहndash इस वाकम भ lsquoवrsquo शबद का परमोग ककसक लरए ककमा गमा ह

उततय- महाॉ lsquoिrsquo शबद का परमोग ऩाककसतानी कसटभ अधधकायी क सरए ककमा गमा ह जो विबाजन स ऩिय हदलरी भ यहत थ औय आज बी हदलरी को ही अऩना ितन भानत ह |

(ख) तरटपाभट ऩय सकपमा को पवदा कयन कौन-कौन आए थ उनहोन सकपमा को कस पवदाई दी

उततय- परटपाभय ऩय सकपमा को विदा कयन उसक फहत साय सभतर सग सॊफॊधी औय बाई आए थ| उनदहोन ठॊडी साॉस बयत हए सबॊच हए होठो क साथ आॉस फहात हए सकपमा को विदाई दी |

(ग) अटायी भ यरगाड़ी भ कमा ऩरयवतटन हए उततय- अटायी भ यरगाड़ी स ऩाककसतानी ऩसरस उतयी औय हहनददसतानी ऩसरस सिाय हो गई|

(घ) कौन सी फात सकपमा की सभझ भ नहीॊ आ यही थी उततय- दोनो ओय एक सी जभीन एक जसा आसभान एक सी बारा एक सा ऩहनािा औय एक सी सयत क रोग कपय बी दोनो क हाथो भ बयी हई फॊदक ह |

17 लशयीष क पर

आचामट हजायी परसाद दपववदी

सायाॊश ndashlsquoआचामय हजायी परसाद दवििदीrsquo सशयीर को अदभत अिधत भानत ह कमोकक सॊनदमासी की बाॉनत िह सख-दख की धचॊता नहीॊ कयता गभी र िराय औय आॉधी भ बी अविचर खड़ा यहता ह सशयीर क िर क भाधमभ स भनरषम की अजम नदजजीविरा धमयशीरता औय कतयवमननरषठ फन यहन क भानिीम भलमो को सथावऩत ककमा गमा हरखक न सशयीर क कोभर परो औय कठोय परो क दिाया सऩरषट ककमा ह कक रदम की कोभरता फचान क सरए कबी-कबी वमिहाय की कठोयता बी आिशमक हो जाती ह| भहान कवि कासरदास औय कफीय बी सशयीर की तयह फऩयिाह अनासकत औय सयस थ तबी उनदहोन इतनी सनददय यचनाएॉ सॊसाय को दीॊ| गाॉधीजी क वमनदकतति भ बी कोभरता औय कठोयता का अदभत सॊगभ था | रखक सोचता ह कक हभाय दश भ जो भाय-काट अनदगनदाह रट-ऩाट खन-खचचय का फिॊडय ह कमा िह दश को नदसथय नहीॊ यहन दगा गराभी अशाॊनत औय वियोधी िाताियण क फीच अऩन ससदधाॊतो की या कयत हए गाॉधीजी जी नदसथय यह सक थ तो दश बी यह सकता ह जीन की परफर असबरारा क कायण

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विरभ ऩरयनदसथतमो भ बी महद सशयीर णखर सकता ह तो हभाया दश बी विरभ ऩरयनदसथनतमो भ नदसथय यह कय विकास कय सकता ह

परशन1-लसदध कीजजए कक लशयीष कारजमी अवधत की बाॉनत जीवन की अजमता क भॊतर का परचाय कयता ह

उततय- सशयीर कारजमी अिधत की बाॉनत जीिन की अजमता क भॊतर का परचाय कयता ह| जफ ऩथिी अनदगन क सभान तऩ यही होती ह िह तफ बी कोभर परो स रदा रहरहाता यहता ह|फाहयी गयभी धऩ िराय आॉधी र उस परबावित नहीॊ कयती इतना ही नहीॊ िह रॊफ सभम तक णखरा यहता ह | सशयीर विऩयीत ऩरयनदसथनतमो भ बी धमयशीर यहन तथा अऩनी अजम नदजजीविरा क साथ ननसऩह बाि स परचॊड गयभी भ बी अविचर खड़ा यहता ह

परशन२-आयगवध (अभरतास) की तरना लशयीष स कमो नहीॊ की जा सकती

उततय- सशयीर क पर बमॊकय गयभी भ णखरत ह औय आराढ़ तक णखरत यहत ह जफकक अभरतास का पर किर ऩनददरह-फीस हदनो क सरए णखरता ह | उसक फाद अभरतास क पर झड़ जात ह औय ऩड़ कपय स ठॉठ का ठॉठ हो जाता ह | अभरतास अलऩजीिी ह | विऩयीत ऩरयनदसथनतमो को झरता हआ ऊरषण िाताियण को हॉसकय झरता हआ सशयीर दीघयजीिी यहता ह | मही कायण ह कक सशयीर की तरना अभरतास स नहीॊ की जा सकती |

परशन३-लशयीष क परो को याजनताओॊ का रऩक कमो ठदमा गमा ह

उततय- सशयीर क पर उन फढ़ ढीठ औय ऩयान याजनताओॊ क परतीक ह जो अऩनी कसी नहीॊ छोड़ना चाहत | अऩनी अधधकाय-सरपसा क सरए नए मिा नताओॊ को आग नहीॊ आन दत | सशयीर क नए परो को जफयदसती ऩयान परो को धककमाना ऩड़ता ह | याजनीनत भ बी नई मिा ऩीढ़ी ऩयानी ऩीढ़ी को हयाकय सिमॊ सतता सॉबार रती ह |

परशन४- कार दवता की भाय स फचन का कमा उऩाम फतामा गमा ह

उततय- कार दिता कक भाय स फचन का अथय हndash भतम स फचना | इसका एकभातर उऩाम मह ह कक भनरषम नदसथय न हो| गनतशीर ऩरयितयनशीर यह | रखक क अनसाय नदजनकी चतना सदा ऊधियभखी (आधमातभ की ओय) यहती ह ि हटक जात ह |

परशन५- गाॉधीजी औय लशयीष की सभानता परकट कीजजए |

उततय- नदजस परकाय सशयीर धचरधचराती धऩ र िराय औय आॉधी भ बी अविचर खड़ा यहता ह अनासकत यहकय अऩन िाताियण स यस खीॊचकय सयस कोभर फना यहता ह उसी परकाय गाॉधी जी न बी अऩनी आॉखो क साभन आजादी क सॊगराभ भ अनदमाम बदबाि औय हहॊसा को झरा |

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उनक कोभर भन भ एक ओय ननयीह जनता क परनत असीभ करणा जागी िहीॊ ि अनदमामी शासन क वियोध भ डटकय खड़ हो गए |

गदमाॊश-आधारयत अथटगरहण सॊफॊधधत परशनोततय

गदमाॊश सॊकत- ऩाठ ndash सशयीर क पर (ऩरषठ १४७)

कासरदास सौदमय क िह इशाया ह |

(क) कालरदास की सौदमटndashदजषट की कमा पवशषता थी उततय-कासरदास की सौदमयndashदनदरषट फहत सकषभ अॊतबदी औय सॊऩणय थी| ि किर फाहयी रऩ-यॊग औय आकाय को ही नहीॊ दखत थ फनदलक अॊतभयन की सॊदयता क बी ऩायखी थ| कासरदास की सौदमय शायीरयक औय भानससक दोनो विशरताओॊ स मकत था |

(ख) अनासजकत का कमा आशम ह उततय- अनासनदकत का आशम ह- वमनदकतगत सख-द ख औय याग-दिर स ऩय यहकय सौदमय क िासतविक भभय को जानना |

(ग) कालरदास ऩॊत औय यवीॊिनाथ टगोय भ कौन सा गण सभान था भहाकवि कासरदास ससभतरानॊदन ऩॊत औय गरदि यिीॊदरनाथ टगोय तीनो नदसथयपरऻ औय अनासकत कवि थ | ि सशयीर क सभान सयस औय भसत अिधत थ |

(घ) यवीॊिनाथ याजोदमान क लसॊहदवाय क फाय भ कमा सॊदश दत ह याजोदमान क फाय भ यिीॊदरनाथ कहत ह याजोदमान का ससॊहदिाय ककतना ही सॊदय औय गगनचमफी कमो ना हो िह अॊनतभ ऩड़ाि नहीॊ ह| उसका सौदमय ककसी औय उचचतभ सौदमय की ओय ककमा गमा सॊकत भातर ह कक असरी सौदमय इस ऩाय कयन क फाद ह अत याजोदमान का ससॊहदिाय हभ आग फढ़न की परयणा दता ह |

18शरभ-पवबाजन औय जानत-परथा

िॉ० बीभयाव अॊफिकय

सायाॊश ndash इस ऩाठ भ रखक न जानतिाद क आधाय ऩय ककए जान िार बदबाि को सभम सभाज क सरए हाननकायक फतामा ह | जानत आधारयत शरभ विबाजन को असिाबाविक औय भानिता वियोधी फतामा गमा ह मह साभानदजक बदबाि को फढ़ाता ह जानतपरथा आधारयत शरभ विबाजन भ वमनदकत की रधच को भहतति नहीॊ हदमा जाता परसिरऩ वििशता क साथ अऩनाए

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Page 8: ISSUED BY KENDRIYA VIDYALAYA - DOWNLOADED FROM … Class XII Hindi Part B.pdfप्रश्न४ :-फादर क / फयन का गयीफ एि धनी िगय क्मा

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कपवतत औय सवमा

साय

इस शीरयक क अॊतगयत दो कवितत औय एक सिमा सॊकसरत ह lsquoकवितािरीrsquo स अितरयत इन कविततो भ कवि तरसी का पवपवध पवषभताओॊ स गरसत कलरकारतरसी का मगीन मथाथट ह नदजसभ ि कऩार परब याभ व याभयाजम का सवतन यचत ह मग औय उसभ अऩन जीिन का न ससपय उनदह गहया फोध ह फनदलक उसकी असबवमनदकत भ बी ि अऩन सभकारीन कविमो स आग ह महाॉ ऩाठ भ परसतत lsquoकवितािरीrsquo क छॊद इसक परभाण -सिरऩ ह ऩहर छॊद rdquoककसिी ककसान ldquo भ उनदहोन हदखरामा ह कक सॊसाय क अचछ फय सभसत-रीरा परऩॊचो का आधाय-lsquoऩट की आगrsquoका गहन मथाथय ह नदजसका सभाधान ि याभ की बनदकत भ दखत ह दरयदरजन की वमथा दय कयन क सरए याभ रऩी घनशमाभ का आहिान ककमा गमा ह ऩट की आग फझान क लरए याभ रऩी वषाट का जर अननवामट हइसक सरए अननतक कामट कयन की आवशमकता नहीॊ हlsquo इस परकाय उनकी याभ बनदकत ऩट की आग फझान िारी मानी जीवन क मथाथट सॊकटो का सभाधान कयन वारी ह न कक किर आधमानदतभक भनदकत दन िारी| गयीफी की ऩीड़ा यावण क सभान दखदामी हो गई ह

तीसय छॊद )rdquoधत कहौldquo) भ बनदकत की गहनता औय सघनता भ उऩज बकतरदम क आतभपवशवास का सजीव धचतरणह नदजसस सभाज भ वमापत जातऩाॉत औय दयागरहो क -नतयसकाय का साहस ऩदा होता ह इस परकाय बजकत की यचनातभक बलभका का सॊकत महाॉ ह

जो आज क बदबाव भरक मग भ अधधक परासॊधगक ह |

अथट-गरहण-सॊफॊधी परशन

ldquoउहाॉ याभ रनछभनहहॊ ननहायी फोर फचन भनज अनसायी

अधय यानत गइ कवऩ नहहॊ आमउ याभ उठाइ अनज उय रामउ

सकह न दणखत दणख भोहह काऊ फॊध सदा ति भदर सबाऊ

भभ हहत राधग तजह वऩत भाता सहह बफवऩन हहभ आतऩ फाता

सो अनयाग कहाॉ अफ बाई उठह न सनन भभ फच बफकराई

जौ जनतउॉ फन फॊध बफछोह वऩता फचन भनतउॉ नहहॊ ओह

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सत बफत नारय बिन ऩरयिाया होहहॊ जाहहॊ जग फायहहॊ फाया

अस बफचारय नदजमॉ जागह ताता सभरइ न जगत सहोदय भाता

जथा ऩॊख बफन खग अनत दीना भनन बफन पनन करयफय कय हीना

अस भभ नदजिन फॊध बफन तोही जौ जड़ दि नदजआि भोही

जहउॉ अिध किन भह राई नारय हत वपरम बाइ गॉिाई

फर अऩजस सहतउॉ जग भाहीॊ नारय हानन बफसर छनत नाहीॊ

अफ अऩरोक सोक सत तोया सहहहह ननठय कठोय उय भोया

ननज जननी क एक कभाया तात तास तमह परान अधाया

सौऩसस भोहह तमहहह गहह ऩानी सफ बफधध सखद ऩयभ हहत जानी

उतर काह दहउॉ तहह जाई उहठ ककन भोहह ससखािह बाईldquo

परशन१-lsquoफोर फचन भनज अनसायीrsquo- का तातऩमय कमा ह

उततय - बाई क शोक भ विगसरत याभ का पवराऩ धीय- -धीय परराऩ भ फदर जाता ह नदजसभ रकषभण क परनत याभ क अॊतय भ नछऩ परभ क कई कोण सहसा अनाित हो जात ह मह परसॊग ईशवय याभ भ भानव सरब गणो का सभनवम कय दता ह| ि भनरषम की बाॊनत विचसरत हो कय ऐस िचन कहत ह जो भानिीम परकनत को ही शोबा दत ह |

परशन२- याभ न रकषभण क ककन गणो का िणयन ककमा ह

उततय -याभ न रकषभण क इन गणो का िणयन ककमा ह-

रकषभण याभ स फहत सनह कयत ह | उनदहोन बाई क सरए अऩन भाता ndashवऩता का बी तमाग कय हदमा | ि िन भ िराय हहभ धऩ आहद करषटो को सहन कय यह ह | उनका सिबाि फहत भदर ह |ि बाई क द ख को नहीॊ दख सकत |

परशन३- याभ क अनसाय कौन सी िसतओॊ की हानन फड़ी हानन नहीॊ ह औय कमो

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उततय -याभ क अनसाय धन ऩतर एिॊ नायी की हानन फड़ी हानन नहीॊ ह कमोकक म सफ खो जान ऩय ऩन परापत ककम जा सकत ह ऩय एक फाय सग बाई क खो जान ऩय उस ऩन परापत नहीॊ ककमा जा सकता |

परशन४- ऩॊख क बफना ऩी औय सॊड क बफना हाथी की कमा दशा होती ह कावम परसॊग भ इनका उलरख कमो ककमा गमा ह

उततय - याभ विराऩ कयत हए अऩनी बािी नदसथनत का िणयन कय यह ह कक जस ऩॊख क बफना ऩी औय सॊड क बफना हाथी ऩीडड़त हो जाता ह उनका अनदसतति नगणम हो जाता ह िसा ही असहनीम करषट याभ को रकषभण क न होन स होगा |

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सौदमट-फोध-सॊफॊधी परशन

परशन१- कावमाॊश की बारा सौदमय सॊफॊधी दो विशरताओॊ का उललरख कीनदजए|

उततय- १यस -करण यस

२ अरॊकाय - उतपरा अरॊकायndash

भन करणा भॊह फीय यस

जागा ननससचय दणखअ कसाभानहॉ कार दह धरय फसा

दरषटाॊत अरॊकाय - जथा ऩॊख बफन खग अनत दीनाभनन बफन पनन करयफय कय हीना

अस भन नदजिन फॊध बफन तोहीजो जड़ दि नदजआि भोही

वियोधाबास अरॊकाय -फहबफधध सोचत सोच बफभोचन

परशन२- कावमाॊश की बारा का नाभ सरणखए |

उततय - अिधी बारा

परशन३- कावमाॊश भ परमकत छॊद कौन ndashसा ह

उततय- १६१६ भातराओॊ का सभ भाबतरक चौऩाई छॊद |

सौदमट-फोध-सॊफॊधी परशन

ldquoककसफी ककसान-कर फननक सबखायी बाट चाकय चऩर नट चोय चाय चटकी| ऩटको ऩढतगन गढ़त चढ़त धगरय अटत गहन ndashगन अहन अखटकी|

ऊॊ च ndashनीच कयभ धयभ ndashअधयभ करय ऩट ही को ऩचत फचत फटा ndashफटकी |

lsquoतरसीrsquo फझाई एक याभ घनसमाभ ही त आधग फड़िाधगत फड़ी ह आधग ऩटकी|rdquo

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परशन१- कवितािरी ककस बारा भ सरखी गई ह

उततय - बरज बारा

परशन२- कवितािरी भ परमकत छॊद एिॊ यस को सऩरषट कीनदजए |

उततय - इस ऩद भ 31 31 िणो का चाय चयणो िारा सभिणणयक कवितत छॊद ह नदजसभ 16 एिॊ 15 िणो ऩय वियाभ होता ह

परशन३- कवितत भ परमकत अरॊकायो को छाॊट कय सरणखए

१ अनपरास अॊरकायndash

ककसफी ककसान-कर फननक सबखायी बाट

चाकय चऩर नट चोय चाय चटकी|

२ रऩक अरॊकायndash याभndash घनशमाभ

३ अनतशमोनदकत अरॊकायndash आधग फड़िाधग त फडड़ ह आग ऩट की

रकषभण- भचछाट औय याभ का पवराऩ

पवषम-वसत ऩय आधारयत परशनोततय

परशन १-lsquoति परताऩ उय याणख परब भ ककसक परताऩ का उलरख ककमा गमा हrsquoऔय कमो

उततय -इन ऩॉनदकतमो भ बयत क परताऩ का उलरख ककमा गमा ह हनभानजी उनक परताऩ का सभयण कयत हए अमोधमा क ऊऩय स उड़त हए सॊजीिनी र कय रॊका की ओय चर जा यह ह

परशन२- याभ विराऩ भ रकषभण की कौन सी विशरताएॉ उदघहटत हई ह

उततय -रकषभण का भात परभ तमागभम जीिन इन ऩॉनदकतमो क भाधमभ स उदघाहटत हआ ह

परशन३- फोर िचन भनज अनसायी स कवि का कमा तातऩमय ह

उततय -बगिान याभ एक साधायण भनरषम की तयह विराऩ कय यह ह ककसी अितायी भनरषम की तयह नहीॊ भात परभ का धचतरण ककमा गमा हतरसीदास की भानिीम बािो ऩय सशकत ऩकड़ हदिीम वमनदकतति का रीरा रऩ ईशिय याभ को भानिीम बािो स सभनदनदित कय दता ह

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परशन४- बाई क परनत याभ क परभ की परगाढ़ता उनक ककन विचायो स वमकत हई ह

उततय - जथा ऩॊख बफन खग अनत दीना

भनन बफन पनन करयफय कय हीना

अस भभ नदजिन फॊध बफन तोही

जो जड़ दि नदजआि भोही

परशन५- lsquoफहविधध सोचत सोचविभोचनrsquo का वियोधाबास सऩरषट कीनदजए

उततय -दीनजन को शोक स भकत कयन िार बगिान याभ सिमॊ फहत परकाय स सोच भ ऩड़कय दखी हो यह ह

परशन६- हनभान का आगभन करणा भ िीय यस का आना ककस परकाय कहा जा सकता ह

उततय -रदन कयत िानय सभाज भ हनभान उतसाह का सॊचाय कयन िार िीय यस क रऩ भ आ गए करणा की नदी हनभान दिाया सॊजीिनी र आन ऩय भॊगरभमी हो उठती ह

कपवतत औय सवमा

पवषम-वसत ऩय आधारयत परशनोततय

परशन१- ऩट की बख शाॊत कयन क सरए रोग कमा कमा कयत ह

उततय -ऩट की आग फझान क सरए रोग अननतक कामय कयत ह

परशन२- तरसीदास की दनदरषट भ साॊसारयक दखो स ननिनदतत का सिोततभ उऩाम कमा ह

उततय - ऩट की आग फझान क सरए याभ कऩा रऩी िराय का जर अननिामय हइसक सरए अननतक कामय कयन की आिशमकता नहीॊ ह

परशन३- तरसी क मग की सभसमाओॊ का धचतरण कीनदजए

उततय - तरसी क मग भ पराकनतक औय परशासननक िरमम क चरत उतऩनदन ऩीडा दरयदरजन क सरए यािण क सभान दखदामी हो गई ह

परशन४- तरसीदास की बनदकत का कौन सा सिरऩ परसतत कविततो भ असबवमकत हआ ह

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उततय - तरसीदास की बनदकत का दासम बाि सिरऩ परसतत कविततो भ असबवमकत हआ ह

9 रफाइमाॉ

कफ़याक गोयखऩयी

भर नाभndash यघऩनत सहाम कफ़याक

उदय शामयी की रयिामत क विऩयीत कपयाक गोयखऩयी क साहहतम भ रोक जीिन एिॊ परकनत की झरक सभरती ह साभानदजक सॊिदना िमनदकतक अनबनत फन कय उनकी यचनाओॊ भ वमकत हई हजीिन का कठोय मथाथय उनकी यचनाओॊ भ सथान ऩाता हउनदहोन रोक बारा क परतीको का परमोग ककमा ह राणणक परमोग उनकी बारा की विशरता हकियाक की रफाईमो भ घयर हहॊदी का रऩ हदखता ह |

रफाई उदय औय िायसी का एक छॊद मा रखन शरी ह नदजसभ चाय ऩॊनदकतमाॉ होती ह |इसकी ऩहरी दसयी औय चौथी ऩॊनदकत भ तक (काकिमा)सभरामा जाता ह तथा तीसयी ऩॊनदकत सिचछॊद होती ह |

ldquoिो रऩिती भखड़ ऩ इक नभय दभकrdquo

ldquoफचच क घयोद भ जराती ह हदएldquo

ldquoयाफॊधन की सफह यस की ऩतरीrdquo

ldquoबफजरी की तयह चभक यह ह रचछrdquo

ldquoबाई क ह फाॉधती चभकती याखीldquo- जस परमोग उनकी बारा की सशकतता क नभन क तौय ऩय दख जा सकत ह |

साय

रफाइमाॉ

याफॊधन एक भीठा फॊधन ह याफॊधन क कचच धागो ऩय बफजरी क रचछ ह सािन भ याफॊधन आता ह सािन का जो सॊफॊध झीनी घटा स ह घटा का जो सॊफॊध बफजरी स ह िही सॊफॊध बाई का फहन स होता ह

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गज़र

ऩाठ भ कपयाक की एक गज़र बी शासभर ह रफाइमो की तयह ही कपयाक की गजरो भ बी हहॊदी सभाज औय उदय शामयी की ऩयॊऩया बयऩय ह इसका अदभत नभना ह मह गज़र मह गज़र कछ इस तयह फोरती ह कक नदजसभ ददय बी ह एक शामय की ठसक बी ह औय साथ ही ह कावम-सशलऩ की िह ऊॉ चाई जो गज़र की विशरता भानी जाती ह

अथट-गरहण-सॊफॊधी परशन

ldquoआॉगन भ सरए चाॉद क टकड़ को खड़ी

हाथो ऩ झराती ह उस गोद-बयी

यह-यह क हिा भ जो रोका दती ह

गॉज उठती ह णखरणखरात फचच की हॉसीrdquo

परशन१- lsquoचाॉद क टकड़rsquoका परमोग ककसक सरए हआ ह औय कमो

उततय -फचच को चाॉद का टकड़ा कहा गमा ह जो भाॉ क सरए फहत पमाया होता ह

परशन२- गोद-बयी परमोग की विशरता को सऩरषट कीनदजए |

उततय - गोद-बयी शबद-परमोग भाॉ क वातसलमऩणट आनॊठदत उतसाह को परकट कयता ह |मह अतमॊत सॊदय दशम बफॊफ ह | सनी गोद क विऩयीत गोद का बयना भाॉ क लरए असीभ सौबागम का सचक ह |इसी सौबागम का सकषभ अहसास भाॉ को तजतत द यहा ह|

परशन३- रोका दना ककस कहत ह

उततय - जफ भाॉ फचच को फाहो भ रकय हिा भ उछारती ह इस रोका दना कहत ह|छोट फचचो को मह खर फहत अचछा रगता ह

परशन४- फचचा भाॉ की गोद भ कसी परनतककरमा कयता ह

उततय - हिा भ उछारन ( रोका दन) स फचचा भाॉ का िातसलम ऩाकय परसनदन होता ह औय णखरणखरा कय हॉस ऩड़ता हफचच की ककरकारयमाॉ भाॉ क आनॊद को दगना कय दती ह|

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सौदमट-फोध-सॊफॊधी परशन

ldquoनहरा क छरक-छरक ननभयर जर स

उरझ हए गसओॊ भ कॊ घी कयक

ककस पमाय स दखता ह फचचा भॉह को

जफ घटननमो भ रक ह वऩनदहाती कऩड़rdquo

परशन१- परसतत ऩॊनदकतमो क बाि सौदमय को सऩरषट कीनदजए |

उततय - भाॉ न अऩन फचच को ननभयर जर स नहरामा उसक उरझ फारो भ कॊ घी की |भाॉ क सऩशय एिॊ नहान क आनॊद स फचचा परसनदन हो कय फड़ परभ स भाॉ को ननहायता ह| परनतहदन की एक सिाबाविक ककरमा स कस भाॉ-फचच का परभ विकससत होता ह औय परगाढ़ होता चरा जाता ह इस बाि को इस रफाई भ फड़ी सकषभता क साथ परसतत ककमा गमा ह|

परशन२- कावमाॊश भ आए बफॊफो को सऩरषट कीनदजए |

उततय -१ldquoनहरा क छरक-छरक ननभटर जर सrdquo- इस परमोग दिाया कवि न फारक की ननभयरता एिॊ ऩवितरता को जर की ननभयरता क भाधमभ स अॊककत ककमा ह | छरकना शबद जर की ताजा फॊदो का फारक क शयीय ऩय छरछरान का सॊदय दशम बफॊफ परसतत कयता ह |

२ lsquoघटननमो भ रक ह पऩनहाती कऩड़rsquo- इस परमोग भ भाॉ की फचच क परनत सािधानी चॊचर फचच को चोट ऩहॉचाए बफना उस कऩड़ ऩहनान स भाॉ क भातति की कशरता बफॊबफतहोती ह |

३ ldquoककस तमाय स दखता ह फचचा भॉह कोrdquo- ऩॊनदकत भ भाॉ ndashफचच का िातसलम बफॊबफत हआ ह | भाॉ स पमाय ndashदराय सऩशय ndashसख नहराए जान क आनॊद को अनबि कयत हए फचचा भाॉ को पमाय बयी नजयो स दख कय उस सख की असबवमनदकत कय यहा ह |मह सकषभ बाि अतमॊत भनोयभ फन ऩड़ा ह |सॊऩणय रफाई भ दशम बफॊफ ह|

परशन ३-कावमाॊश क शबद-परमोग ऩय हटपऩणी सरणखए |

उततय -गस ndashउदय शबदो का परमोग

घटननमो वऩनदहाती ndash दशज शबदो क भाधमभ स कोभरता की असबवमनदकत

छरक ndashछरक ndashशबद की ऩनयािनदतत स अबी ndashअबी नहराए गए फचच क गीर शयीय का बफॊफ

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आहद विरण परमोग रफाइमो को विसशरषट फना दत ह | हहॊदीउदय औय रोकबारा क अनठ गठफॊधन की झरक नदजस गाॊधीजी हहॊदसतानी क रऩ भ ऩलरवित कयना चाहत थदखन को सभरती ह |

पवषम-वसत ऩय आधारयत परशनोततय

रफाइमाॉ

परशन १ -कावम भ परमकत बफॊफो का िणयन अऩन शबदो भ कीनदजए

उततय -

दशम बफॊफ -फचच को गोद भ रना हिा भ उछारना सनान कयाना घटनो भ रकय कऩड़ ऩहनाना|

शरवमबफॊफ - फचच का णखरणखरा कय हॉस ऩड़ना सऩशय बफॊफ -फचच को सनान कयात हए सऩशय कयना |

परशन २-ldquoआॉगन भ ठनक यहा ह नदज़दमामा ह फारक तो हई चाॉद ऩ ररचामा हrsquo- भ फारक की कौन सी विशरता असबवमकत हई ह

उततय - इन ऩॊनदकतमो भ फारक की हि कयन की पवशषता असबवमकत हई ह फचच जफ नदजद ऩय आ जात ह तो अऩनी इचछा ऩयी कयिान क सरए नाना परकाय की हयकत ककमा कयत ह| नदज़दमामा शबद रोक बाषा का पवरण परमोग ह इसभ फचच का िनकना तनकना ऩाॉव ऩटकना योना आठद सबी ककरमाएॉ शासभर ह |

परशन ३ रचछ ककस कहा गमा ह इनका सॊफॊध ककस तमौहाय स ह

उततय - याखी क चभकीर तायो को रचछ कहा गमा ह याफॊधन क कचच धागो ऩय बफजरी क रचछ ह सािन भ याफॊधन आता ह सािन का जो सॊफॊध झीनी घटा स ह घटा का जो सॊफॊध बफजरी स ह िही सॊफॊध बाई का फहन स होता ह|सािन भ बफजरी की चभक की तयह याखी क चभकीर धागो की सॊदयता दखत ही फनती ह|

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अथट-गरहण-सॊफॊधी परशन

गज़र

कफ़याक गोयखऩयी

ldquoनौयस गॊच ऩॊखडड़मो की नाज़क धगयह खोर ह

मा उड़ जान को यॊगो- फ गरशन भ ऩय तौर ह |rdquo

परशन१- lsquoनौयसrsquo विशरण दिाया कवि ककस अथय की वमॊजना कयना चाहता ह

उततय नौयस अथायत नमा यस गॊच अथायत कसरमो भ नमा ndashनमा यस बय आमा ह |

परशन२- ऩॊखडड़मो की नाज़क धगयह खोरन का कमा असबपराम ह

उततय - यस क बय जान स कसरमाॉ विकससत हो यही ह |धीय-धीय उनकी ऩॊखडड़माॉ अऩनी फॊद गाॉठ खोर यही ह | कवि क शबदो भ नियस ही उनकी फॊद गाॉठ खोर यहा ह|

परशन३- lsquoयॊगो- फ गरशन भ ऩय तौर हrsquo ndash का अथय सऩरषट कीनदजए|

उततय -यॊग औय सगॊध दो ऩी ह जो कसरमो भ फॊद ह तथा उड़ जान क सरए अऩन ऩॊख पड़पड़ा यह ह |मह नदसथनत कसरमो क पर फन जान स ऩिय की ह जो पर फन जान की परतीा भ ह |rsquoऩय तौरनाrsquo एक भहािया ह जो उड़ान की भता आॉकन क सरए परमोग ककमा जाता ह |

परशन४- इस शय का बाि-सौदमय वमकत कीनदजए|

उततय -कसरमो की नई-नई ऩॊखडड़माॉ णखरन रगी ह उनभ स यस भानो टऩकना ही चाहता ह | िमसॊधध(ककशोयी)नानमका क परसपहटत होत सौदमय का परतीकातभक धचतरण अतमॊत सॊदय फन ऩड़ा ह |

सौदमट-फोध-सॊफॊधी परशन

हभ हो मा ककसभत हो हभायी दोनो को इक ही काभ सभरा ककसभत हभ को यो रि ह हभ ककसभत को यो र ह| जो भझको फदनाभ कय ह काश ि इतना सोच सक

भया ऩदाय खोर ह मा अऩना ऩदाय खोर ह | परशन१- इन शयो की बारा सॊफॊधी विशरताएॉ सऩरषट कीनदजए |

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उततय- १ भहाियो का परमोग ndashककसभत का योना ndashननयाशा का परतीक

२सयर असबवमनदकत बारा भ परिाहभमता ह ककसभत औय ऩयदा शबदो की ऩनयािनदततमाॉ

भोहक ह|

३ हहॊदी का घयर रऩ

परशन२- lsquoभया ऩयदा खोर ह मा अऩना ऩयदा खोर ह lsquo- की बावरक विशरता सरणखए |

उततय -भहािय क परमोग दिाया वमॊजनातभक असबवमनदकत | ऩयदा खोरना ndash बद खोरना सचचाई फमान कयना|

परशन३-lsquoहभ हो मा ककसभत हो हभायी lsquo ndashपरमोग की विशरता फताइए |

उततय - हभ औय ककसभत दोनो शबद एक ही वमनदकत अथायत कियाक क सरए परमकत ह | हभ औय ककसभत भ अबद ह मही विशरता ह |

कफ़याक गोयखऩयी

पवषम-वसत ऩय आधारयत परशनोततय

परशन१- ताय आॉख झऩकाि ह ndashका तातऩमय सऩरषट कीनदजए |

उततय- याबतर का सनदनाटा बी कछ कह यहा हइससरए ताय ऩरक झऩका यह ह विमोग की नदसथनत भ परकनत बी सॊिाद कयती परतीत होती ह |

परशन२- lsquoहभ हो मा ककसभत हो हभायीrsquo भ ककस बाि की असबवमनदकत हई ह

उततय- जीिन की विडॊफना ककसभत को योना-भहािय क परमोग स सटीक असबवमनदकत परापत कयती ह कवि जीिन स सॊतरषट नहीॊ ह | बागम स सशकामत का बाि इन ऩॊनदकतमो भ झरकता ह |

परशन३- परभ क ककस ननमभ की असबवमनदकत कवि न की ह

उततय -ईशिय की परानदपत सियसि रटा दन ऩय होती ह परभ क सॊसाय का बी मही ननमभ ह|कवि क शबदो भ rdquo कितयत का कामभ ह तिाज़न आरभ- हसनो ndashइशक भ बी

उसको उतना ही ऩात ह खद को नदजतना खो र ह |rdquo

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१ बाि ndashसामम- कफीय -lsquoसीस उताय बई धय तफ सभसरह कयतायlsquo-अथायत -सिमॊ को खो कय ही परभ परानदपत की जा सकती ह

२ बाि सामम- कफीय ndashनदजन ढॉढा नतन ऩाइमाॉ गहय ऩानी ऩहठ|

भ फऩया फडन डया यहा ककनाय फहठ |

परशन४- शयाफ की भहकपर भ शयाफी को दय यात कमा फात माद आती ह

उततय - शयाफ की भहकपर भ शयाफी को दय यात माद आती ह कक आसभान भ भनरषम क ऩाऩो का रखा-जोखा होता ह जस आधी यात क सभम परयशत रोगो क ऩाऩो क अधमाम खोरत ह िस ही यात क सभम शयाफ ऩीत हए शामय को भहफफा की माद हो आती ह भानो भहफफा परयशतो की तयह ऩाऩ सथर क आस ऩास ही ह

परशन५- सदक कियाकndashndashndashइन ऩॊनदकतमो का अथय सऩरषट कीनदजए |

उततय -सदक कियाकndashndashndashइन ऩॊनदकतमो भ कियाक कहत ह कक उनकी शामयी भ भीय की शामयी की उतकरषटता धिननत हो यही ह

परशन६- ऩॊखडड़मो की नाज़क धगयह खोरना कमा ह

उततय -ऩॉखडड़मो की नाजक धगयह खोरना उनका धीय -धीय विकससत होना ह

िमसॊधध(ककशोयी)नानमका क परसपहटत होत सौदमय की ओय सॊकत ह |

परशन७-lsquoमो उड़ जान को यॊगो फ गरशन भ ऩय तौर हrsquo बाि सऩरषट कीनदजए

उततय -कसरमो की सिास उड़न क सरए भानो ऩय तौर यही होअथायत खशफ का झोका यहndashयह कय उठता ह

परशन८- कवि दिाया िणणयत याबतर क दशम का िणयन अऩन शबदो भ कीनदजए

उततय - याबतर का सनदनाटा बी कछ कह यहा हइससरए ताय ऩरक झऩका यह हरगता ह कक परकनत का कण-कण कछ कह यहा ह |

परशन९- कवि अऩन िमनदकतक अनबि ककन ऩॉनदकतमो भ वमकत कय यहा ह

जीिन की विडॊफना-lsquoककसभत को योनाlsquo भहािय क परमोग स सटीक असबवमनदकत परापत कयती ह

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ldquoहभ हो मा ककसभत हो हभायी दोनो को इक ही काभ सभरा

ककसभत हभ को यो रि ह हभ ककसभत को यो र ह|rdquo

परशन१०- शामय न दननमा क ककस दसतय का िणयन ककमा ह

उततय -शामय न दननमा क इस दसतय का िणयन ककमा ह कक रोग दसयो को फदनाभ कयत ह ऩयॊत ि नहीॊ जानत कक इस तयह ि अऩनी दरषट परकनत को ही उदघाहटत कयत ह

परशन११- परभ की कितयत कवि न ककन शबदो भ असबवमकत की ह

सिमॊ को खो कय ही परभ की परानदपत की जा सकती ह ईशिय की परानदपत सियसि रटा दन ऩय होती ह परभ क सॊसाय का बी मही ननमभ ह

परशन१२- कियाक गोयखऩयी ककस बारा क कवि ह

उततय - उदय बारा

10 छोटा भया खत

उभाशॊकय जोशी

(गजयाती कपव)

उभाशॊकय जोशी फीसिीॊ सदी क गजयाती क भधयनदम कवि सॊसकत िाङभम क विदिान हउनदहोन गजयाती कविता को परकनत स जोड़ाआभ आदभी क जीिन की झरक उनकी यचनाओॊ भ सभरती ह

छोटा भया खत

साय

खती क रऩक दिाया कावम यचनाndash परककरमा को सऩषट ककमा गमा हकावम कनत की यचना फीजndash वऩन स रकय ऩौध क ऩजषऩत होन क पवलबनन चयणो स गजयती हअॊतय किर इतना ह कक कपव कभट की पसर कारजमी शाशित होती हउसका यस-यण अम होता हकागज का ऩनदना नदजस ऩय यचना शबदफदध होती ह कवि को एक चौकोय खत की तयह रगता ह इस खत

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भ ककसी अॉधड़ (आशम बािनातभक आॉधी स होगा) क परबाि स ककसी ण एक फीज फोमा जाता ह मह फीज-यचना विचाय औय असबवमनदकत का हो सकता ह मह भर रऩ कलऩना का सहाया रकय विकससत होता ह औय परककरमा भ सिमॊ विगसरत हो जाता ह उसस शबदो क अॊकय ननकरत ह औय अॊतत कनत एक ऩणय सिरऩ गरहण कयती ह जो कवर-कभय क सरहाज स ऩलरवित -ऩनदरषऩत होन की नदसथनत ह साहहनदतमक कनत स जो अरौककक यस-धाया पटती ह िह ण भ होन िारी योऩाई का ही ऩरयणाभ ह ऩय मह यस-धाया अनॊत कार तक चरन िारी कटाई ह |

फगरो क ऩॊख

साय

फगरो क ऩॊख कविता एक चार बफॊफ की कविता ह सौदमय का अऩकषत परबाि उतऩनदन कयन क सरए कविमो न कई मनदकतमाॉ अऩनाई ह नदजसभ स सफस परचसरत मनदकत ह-सौदमय क वमौयो क धचतरातभक िणयन क साथ अऩन भन ऩय ऩड़न िार उसक परबाि का िणयन औय आतभगत क सॊमोग की मह मनदकत ऩाठक को उस भर सौदमय क कापी ननकट र जाती ह जोशी जी की इस कविता भ ऐसा ही ह कवि कार फादरो स बय आकाश भ ऩॊनदकत फनाकय उड़त सपद फगरो को दखता ह ि कजयाय फादरो भ अटका-सा यह जाता ह िह इस भामा स अऩन को फचान की गहाय रगाता ह कमा मह सौदमय स फाॉधन औय विॊधन की चयभ नदसथनत को वमकत कयन का एक तयीका ह

परकनत का सितॊतर (आरॊफन गत ) धचतरण आधननक कविता की विशरता हधचतरातभक िणयन दिाया कवि न एक ओय कार फादरो ऩय उड़ती फगरो की शित ऩॊनदकत का धचतर अॊककत ककमा ह तो दसयी ओय इस अपरनतभ दशम क रदम ऩय ऩड़न िार परबाि को धचबतरत ककमा हभॊतर भगध कवि इस दशम क परबाि स आतभ विसभनत की नदसथनत तक ऩहॉच जाता हविरम एिॊ विरमीगत सौनददमय क दोनो रऩ कविता भ उदघाहटत हए ह

अथट-गरहण-सॊफॊधी परशन

ldquoछोटा भया खत चौकोना

कागज़ का एक ऩनदना कोई अॊधड़ कहीॊ स आमा

ण का फीज िहाॉ फोमा गमा|

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कलऩना क यसामनो को ऩी

फीज गर गमा ननशर शबद क अॊकय पट

ऩलरि ndashऩरषऩो स नसभत हआ विशर |rdquo

परशन १lsquoछोटा भया खतrsquo ककसका परतीक ह औय कमो

उततय - परशन२ lsquoछोटा भया खतrsquo काग़ज क उस ऩनदन का परतीक ह नदजस ऩय कवि अऩनी कविता सरखता ह

परशन २ कवि खत भ कौनndashसा फीज फोता ह

उततय - कवि खत भ अऩनी कलऩना का फीज फोता ह

परशन ३ कवि की कलऩना स कौन स ऩलरि अॊकरयत होत ह

उततय - कवि की कलऩना स शबद क ऩलरि अॊकरयत होत ह

परशन ४ उऩमयकत ऩद का बाि-सौदमय सऩरषट कीनदजए |

उततय - खती क रऩक दिाया कावम-यचनाndashपरककरमा को सऩषट ककमा गमा हकावम कनत की यचना फीजndash वऩन स रकय ऩौध क ऩजषऩत होन क पवलबनन चयणो स गजयती हअॊतय किर इतना ह कक कपव कभट की पसर कारजमी शाशित होती हउसका यस-यण अम होता ह

सौदमट-फोध-सॊफॊधी परशन

ldquoझभन रग पर

यस अरौककक

अभत धायाएॉ पटतीॊ

योऩाई ण की

कटाई अनॊतता की

रटत यहन स जया बी कभ नहीॊ होती |

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यस का अम ऩातर सदा का

छोटा भया खत चौकोना |rdquo

परशन इस कविता की बारा सॊफॊधी विशरताओॊ ऩय परकाश डासरए ndash

उततय - १ परतीकातभकता

२ राणणकता -

२रऩक अरॊकायndash यस का अम ऩातर सदा का

छोटा भया खत चौकोना

परशन २ यस अरौककक अभत धायाएॉ योऩाई ndash कटाई-परतीको क अथय सऩरषट कीनदजए |

उततय - यस अरौककक ndash कावम यस ननरषऩनदतत

अभत धायाएॉ- कावमानॊद

योऩाई ndash अनबनत को शबदफदध कयना

कटाई ndashयसासिादन

पवषम-वसत ऩय आधारयत परशनोततय

कपवता ndash

छोटा भया खत

परशन १ उभाशॊकय जोशी न ककस बारा भ कविताएॉ सरखी ह

उततय - गजयाती बारा

परशन२ कवरndashकभय एिॊ कविndashकभय भ कमा कमा सभानताएॉ ह

उततय - कवरndashकभय एिॊ कविndashकभय भ ननमनसरणखत सभानताएॉ ह-

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कावम कनत की यचना फीजndash वऩन स रकय ऩौध क ऩजषऩत होन क पवलबनन चयणो स गजयती ह

कपषndashकभट एवॊ कपवndashकभट भ सभानताएॉ -

कागज का ऩनदना नदजस ऩय यचना शबदफदध होती ह कवि को एक चौकोय खतरगता ह इस खत भ ककसी अॉधड़ (आशम बािनातभक आॉधी स होगा) क परबाि स ककसी ण

एक फीज फोमा जाता ह मह फीज-यचना विचाय औय असबवमनदकत का हो सकता ह मह भर रऩ कलऩना का सहाया रकय विकससत होता ह औय परककरमा भ सिमॊ विगसरत

हो जाता ह इसीपरकाय फीज बी खाद ऩानी समय की योशनी हिा आहद रकय विकससत होता ह |

कावम ndashयचना स शबदो क अॊकय ननकरत ह औय अॊतत कनत एक ऩणय सिरऩ गरहण कयती ह जो कवर-कभय क सरहाज स ऩलरवित ndashऩनदरषऩत औय पसरत होन की नदसथनत ह अथट-गरहण-सॊफॊधी परशन

कपवताndash फगरो क ऩॊख

नब भ ऩाॉती- फॉध फगरो क ऩॊख

चयाए सरए जातीॊ ि भयी आॉख |

कजयाय फादरो की छाई नब छामा

हौरndashहौर जाती भझ फाॉध ननज भामा स |

उस कोई तननक योक यकखो |

िह तो चयाए सरए जाती भयी आॉख

नब भ ऩाॉती- फॉधी फगरो की ऩाॉख |

तयती साॉझ की सतज शित कामा|

परशन१- इस कविता भ कवि न ककसका धचतरण ककमा ह

उततय - कवि न कार फादरो ऩय उड़ती फगरो की शित ऩॊनदकत का धचतरण ककमा ह|

परशन२- आॉख चयान का कमा अथय ह

उततय - आॉख चयान का आशम ह ndashधमान ऩयी तयह खीॊच रना एकटक दखना भॊतरभगध कय दना

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परशन३-

ldquoकजयाय फादरो की छाई नब छामा

हौर ndashहौर जाती भझ फाॉध ननज भामा स |rdquo- आशम सऩरषट कीनदजए |

उततय- कार फादरो क फीच साॉझ का सयभई िाताियण फहत सॊदय हदखता ह | ऐसा अपरनतभ सौदमय अऩन आकरयण भ कवि को फाॉध रता ह |

परशन ४ ldquoउस कोई तननक योक यकखो |rsquo- स कवि का कमा असबपराम ह

उततय - फगरो की ऩॊनदकत आकाश भ दय तक उड़ती जा यही ह कवि की भॊतरभगध आॉख उनका ऩीछा कय यही ह | कवि उन फगरो को योक कय यखन की गहाय रगा यहा ह कक कहीॊ ि उसकी आॉख ही अऩन साथ न र जाएॉ |

सौदमट-फोध-सॊफॊधी परशन

परशन १ कविता की बारा सॊफॊधी दो विशरताएॉ सरणखए|

उततय -१ धचतरातभक बारा

२ फोरचार क शबदो का परमोग - हौर ndashहौर ऩाॉती कजयायसाॉझ

परशन २ कविता भ परमकत अरॊकाय चन कय सरणखए |

उततय - अनपरास अरॊकाय - फॉध फगरो क ऩॊख

भानिीकयण अरॊकाय - चयाए सरए जातीॊ ि भयी आॉख |

परशन ३ -lsquo ननज भामाrsquo क राणणक अथय को सऩरषट कीनदजए |

उततय - परकनत का अपरनतभ सौदमय िह भामा ह जो कवि को आतभविबोय कय दती हमह ऩॊनदकत बी परशॊसातभक उनदकत ह

पवषम-वसत ऩय आधारयत परशनोततय

परशन१- lsquoचयाए सरए जाती ि भयी ऑ ॊखrsquo स कवि का कमा तातऩमय ह

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उततय -धचतरातभक िणयन दिाया कवि न एक ओय कार फादरो ऩय उड़ती फगरो की शित ऩॊनदकत का धचतर अॊककत ककमा ह तथा इस अपरनतभ दशम क रदम ऩय ऩड़न िार परबाि को धचबतरत ककमा ह कवि क अनसाय मह दशम उनकी आॉख चयाए सरए जा यहा ह |भॊतर भगध कवि इस दशम क परबाि स आतभ विसभनत की नदसथनत तक ऩहॉच जाता ह

परशन२-कवि ककस भामा स फचन की फात कहता ह

उततय - भामा विशि को अऩन आकरयण भ फाॉध रन क सरए परससदध ह | कफीय न बी lsquoभामा भहा ठधगनी हभ जानीrsquo कहकय भामा की शनदकत को परनतऩाहदत ककमा ह | कार फादरो भ फगरो की सॊदयता अऩना भामा जार परा कय कवि को अऩन िश भ कय यही ह |

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आयोह बाग-२ गदम-बाग

परशन-सॊखमा १०- गदम खॊड भ हदए गए ऩहठत गदमाॊश स अथयगरहण सॊफॊधी चाय परशन ऩछ जाएॉग नदजनक सरए ननधायरयत अॊक (२४=८) ह |

परशन-सॊखमा ११- ऩाठो की विरमिसत स सॊफॊधधत ऩाॉच भ स चाय परशनो क उततय दन ह नदजनक सरए ननधायरयत अॊक (३४=१२) ह|

ऩयीा भ अचछ अॊक परातत कयन क लरए धमान दन मोगम फात ndash

1 रख एिॊ ितयनी की शदधता तथा िाकम-गठन ऩय धमान द | 2 हय ऩाठ का सायऩरषठबसभविरमिसत तथाकथानक को सभझना आिशमक ह |

अतविदमाथी हय ऩाठ का सायाॊश बरीबाॉनत माद कय र | 3 परशनो को धमान स ऩढ़ तदनसाय अऩकषत उततय सरख | 4 उततय सरखत सभम सॊफॊधधत भखम बफॊदओॊ का शीरयकफनात हए उततय सरख मथा-तीन

अॊक क परशनो क उततय सरखत सभम कभ स कभ तीन भखम उततय-बफ ॊदओॊ का उलरख कयत हए उततय सऩरषट कय |

5 अॊक-मोजना क अनसाय ननधायरयत शबद-सीभा क अॊतगयत उततय सरख | ऩयीाथी कई फाय एक अॊक क परशन का उततय फहत रॊफा कई फाय ऩया ऩरषठ सरख दत ह जो सभम औय ऊजाय की फफायदी ह |

6 धमान यह कक अधधक सरखन स अचछ अॊक नहीॊ आत फनदलक सयर-सफोध बारा भ सरख गए सटीक उततय सायगसबयत तथम तथा उदाहयण क दिाया सऩरषट ककए गए उततय परबािशारी होत ह |

ऩाि 11 - बजकतन

रखखका- भहादवी वभाट

ऩाि का सायाॊश- बनदकतन नदजसका िासतविक नाभ रकषभी थारणखका lsquoभहादिी िभायrsquo की सविका ह | फचऩन भ ही बनदकतन की भाॉ की भतम हो गमी| सौतरी भाॉ न ऩाॉच िरय की आम भ वििाह तथा नौ िरय की आम भ गौना कय बनदकतन को ससयार बज हदमा| ससयार भ बनदकतन न तीन फहटमो को जनदभ हदमा नदजस कायण उस सास औय नदजठाननमो की उऩा सहनी ऩड़ती थी| सास औय नदजठाननमाॉ आयाभ पयभाती थी औय बनदकतन तथा उसकी ननदहीॊ फहटमो को घय औय खतो का साया काभ कयना ऩडता था| बनदकतन का ऩनत उस फहत चाहता था| अऩन ऩनत क सनह क फर ऩय बनदकतन न ससयार िारो स अरगौझा कय अऩना अरग घय फसा सरमा औय सख स यहन रगी ऩय बनदकतन का दबायगम अलऩाम भ ही उसक ऩनत की भतम हो गई | ससयार िार

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बनदकतन की दसयी शादी कय उस घय स ननकारकय उसकी सॊऩनदतत हड़ऩन की सानदजश कयन रग| ऐसी ऩरयनदसथनत भ बनदकतन न अऩन कश भॊडा सरए औय सॊनदमाससन फन गई | बनदकतन सिासबभानी सॊघरयशीर कभयठ औय दढ सॊकलऩ िारी सतरी ह जो वऩतसततातभक भानदमताओॊ औय छर-कऩट स बय सभाज भ अऩन औय अऩनी फहटमो क हक की रड़ाई रड़ती हघय गहसथी सॉबारन क सरए अऩनी फड़ी फटी दाभाद को फरा सरमा ऩय दबायगम न महाॉ बी बनदकतन का ऩीछा नहीॊ छोड़ा अचानक उसक दाभाद की बी भतम हो गमी| बनदकतन क जठ-नदजठौत न सानदजश यचकय बनदकतन की विधिा फटी का वििाह जफयदसती अऩन तीतयफाज सार स कय हदमा| ऩॊचामत दिाया कयामा गमा मह सॊफॊध दखदामी यहा | दोनो भाॉ-फटी का भन घय-गहसथी स उचट गमा ननधयनता आ गमी रगान न चका ऩान क कायण जभीॊदाय न बनदकतन को हदन बय धऩ भ खड़ा यखा| अऩभाननत बनदकतन ऩसा कभान क सरए गाॉि छोड़कय शहय आ जाती ह औय भहादिी की सविका फन जाती ह| बनदकतन क भन भ भहादिी क परनत फहत आदय सभऩयण औय असबबािक क सभान अधधकाय बाि ह| िह छामा क सभान भहादिी क साथ यहती ह| िह यात-यात बय जागकय धचतरकायी मा रखन जस कामय भ वमसत अऩनी भारककन की सिा का अिसय ढॉढ रती ह| भहादिी बनदकतन को नहीॊ फदर ऩामी ऩय बनदकतन न भहादिी को फदर हदमा| बनदकतन क हाथ का भोटा-दहाती खाना खात-खात भहादिी का सिाद फदर गमा बनदकतन न भहादिी को दहात क ककसस-कहाननमाॉ ककॊ िदॊनतमाॉ कॊ ठसथ कया दी| सिबाि स भहाकॊ जस होन ऩय बी बनदकतन ऩाई-ऩाई कय जोडी हई १०५ रऩमो की यासश को सहरय भहादिी को सभवऩयत कय दती ह| जर क नाभ स थय-थय काॉऩन िारी बनदकतन अऩनी भारककन क साथ जर जान क सरए फड़ राट साहफ तक स रड़न को बी तमाय हो जाती ह| बनदकतन भहादिी क जीिन ऩय छा जान िारी एक ऐसी सविका ह नदजस रणखका नहीॊ खोना चाहती

ऩाि आधारयत परशनोततय

नोट- उततय भ ननहहत यखाॊककत िाकम भखम सॊकत बफॊद ह |

परशन 1-बजकतन का वासतपवक नाभ कमा था वह अऩन नाभ को कमो छऩाना चाहती थी

उततय-बनदकतन का िासतविक नाभ रकषभी था हहनददओॊ क अनसायरकषभी धन की दिीह चॉकक बनदकतन गयीफ थी| उसक िासतविक नाभ क अथय औय उसक जीिन क मथाथय भ वियोधाबास ह ननधयन बनदकतन सफको अऩना असरी नाभ रकषभी फताकय उऩहास का ऩातर नहीॊ फनना चाहती थी इससरए िह अऩना असरी नाभ छऩाती थी

परशन 2- रखखका न रकषभी का नाभ बजकतन कमो यखा

उततय-घटा हआ ससय गर भ कॊ ठी भारा औय बकतो की तयह सादगीऩणय िशबरा दखकय भहादिी िभाय न रकषभी का नाभ बनदकतन यख हदमा | मह नाभ उसक वमनदकतति स ऩणयत भर खाता था |

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परशन 3-बजकतन क जीवन को ककतन ऩरयचछदो भ पवबाजजत ककमा गमा ह

उततय- बनदकतन क जीिन को चाय बागो भ फाॉटा गमा ह-

ऩहरा ऩरयचछद-बनदकतन का फचऩन भाॉ की भतम विभाता क दिाया बनदकतन का फार-वििाह कया दना

दपवतीम ऩरयचछद-बनदकतन का ििाहहक जीिन सास तथा नदजठाननमो का अनदमामऩणय वमिहाय ऩरयिाय स अरगौझा कय रना

ततीम ऩरयचछद- ऩनत की भतम विधिा क रऩ भ सॊघरयशीर जीिन चतथट ऩरयचछद- भहादिी िभाय की सविका क रऩ भ

परशन 4- बजकतन ऩाि क आधाय ऩय बायतीम गराभीण सभाज भ रड़क-रड़ककमो भ ककम जान वार बदबाव का उलरख कीजजए |

बायतीम गराभीण सभाज भ रड़क-रड़ककमो भ बदबाि ककमा जाता ह| रड़ककमो को खोटा ससकका मा ऩयामा धन भाना जाता ह| बनदकतन न तीन फहटमो को जनदभ हदमा नदजस कायण उस सास औय नदजठाननमो की उऩा सहनी ऩड़ती थी| सास औय नदजठाननमाॉ आयाभ पयभाती थी कमोकक उनदहोन रड़क ऩदा ककए थ औय बनदकतन तथा उसकी ननदहीॊ फहटमो को घय औय खतो का साया काभ कयना ऩडता था| बनदकतन औय उसकी फहटमो को रखा-सखा भोटा अनाज खान को सभरता था जफकक उसकी नदजठाननमाॉ औय उनक कार-करट फट दध-भराई याफ-चािर की दाित उड़ात थ

परशन 5-बजकतन ऩाि क आधाय ऩय ऩॊचामत क नमाम ऩय ठटतऩणी कीजजए |

बनदकतन की फटी क सनददबय भ ऩॊचामत दिाया ककमा गमा नदमाम तकय हीन औय अॊध कानन ऩय आधारयतह | बनदकतन क नदजठौत न सॊऩनदतत क रारच भ रडमॊतर कय बोरी फचची को धोख स जार भ पॊ सामा| ऩॊचामत न ननदोर रड़की की कोई फात नहीॊ सनी औय एक तयिा पसरा दकय उसका वििाह जफयदसती नदजठौत क ननकमभ तीतयफाज सार स कय हदमा | ऩॊचामत क अॊध कानन स दरषटो को राब हआ औय ननदोर को दॊड सभरा |

परशन 6-बजकतन की ऩाक-करा क फाय भ ठटतऩणी कीजजए |

बनदकतन को ठठ दहाती सादा बोजन ऩसॊद था | यसोई भ िह ऩाक छत को फहत भहतति दती थी | सफह-सिय नहा-धोकय चौक की सपाई कयक िह दिाय ऩय कोमर की भोटी यखा खीॊच दती थी| ककसी को यसोईघय भ परिश कयन नहीॊ दती थी| उस अऩन फनाए बोजन ऩय फड़ा असबभान था| िह अऩन फनाए बोजन का नतयसकाय नहीॊ सह सकती थी |

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परशन 7- लसदध कीजजए कक बजकतन तकट -पवतकट कयन भ भाठहय थी |

बनदकतन तकय ऩट थी | कश भॉडान स भना ककए जान ऩय िह शासतरो का हिारा दत हए कहती ह lsquoतीयथ गए भॉडाए ससदधrsquo | घय भ इधय-उधय यख गए ऩसो को िह चऩचाऩ उठा कय छऩा रती ह टोक जानऩय िह िह इस चोयी नही भानती फनदलक िह इस अऩन घय भ ऩड़ ऩसो को सॉबारकय यखना कहती ह| ऩढाई-सरखाई स फचन क सरए बी िह अचक तकय दती ह कक अगय भ बी ऩढ़न रगॉ तो घय का काभ कौन दखगा

परशन 8-बजकतन का दबाटगम बी कभ हिी नही था रखखका न ऐसा कमो कहा ह

उततय- बजकतन का दबाटगम उसका ऩीछा नहीॊ छोड़ता था-

1- फचऩन भ ही भाॉ की भतम 2- विभाता की उऩा 3- बनदकतन(रकषभी) का फारवििाह 4- वऩता का ननधन 5- तीन-तीन फहटमो को जनदभ दन क कायण सास औय नदजठाननमो क दिाया बनदकतन की

उऩा 6- ऩनत की असभम भतम 7- दाभाद का ननधन औय ऩॊचामत क दिाया ननकमभ तीतयफाज मिक स बनदकतन की विधिा

फटी का जफयन वििाह 8- रगान न चका ऩान ऩय जभीॊदाय क दिाया बनदकतन का अऩभान

परशन 9-बजकतन न भहादवी वभाट क जीवन ऩय कस परबापवत ककमा

उततय- बनदकतन क साथ यहकय भहादिी की जीिन-शरी सयर हो गमी ि अऩनी सविधाओॊ की चाह को नछऩान रगीॊ औय असविधाओॊ को सहन रगीॊ बनदकतन न उनदह दहाती बोजन णखराकय उनका सिाद फदर हदमा बनदकतन भातर एक सविका न होकय भहादिी की असबबािक औय आतभीम फन गमीबनदकतन भहादिी क जीिन ऩय छा जान िारी एक ऐसी सविका ह नदजस रणखका नहीॊ खोना चाहती

परशन 10- बजकतन क चरयतर की पवशषताओॊ का उलरख कीजजए

उततय- भहादिी िभाय की सविका बनदकतन क वमनदकतति की विशरताएॊ ननमनाॊककत ह-

सभवऩयत सविका सिासबभानी

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तकय शीरा ऩरयशरभी सॊघरयशीर

परशन 11-बजकतन क दगटणो का उलरख कय

उततय- गणो क साथ-साथ बनदकतन क वमनदकतति भ अनक दगयण बी ननहहत ह-

1 िह घय भ इधय-उधय ऩड़ रऩम-ऩस को बॊडाय घय की भटकी भ छऩा दती ह औय अऩन इस कामय को चोयी नहीॊ भानती

2 भहादिी क करोध स फचन क सरए बनदकतन फात को इधय-उधय कयक फतान को झठ नही भानती अऩनी फात को सही ससदध कयन क सरए िह तकय -वितकय बी कयती ह

3 िह दसयो को अऩनी इचछानसाय फदर दना चाहती ह ऩय सिमॊ बफरकर नही फदरती परशन 12 ननमनाॊककत बाषा-परमोगो का अथट सऩषट कीजजए-

ऩहरी कनमा क दो औय सॊसकयण कय िार- बनदकतन न अऩनी ऩहरी कनदमा क फाद उसक जसी दो औय कनदमाएॉ ऩदा कय दी अथायत बनदकतन क एक क फाद एक तीन फहटमाॉ ऩदा हो गमीॊ |

खोट लसकको की टकसार जसी ऩतनी- आज बी असशकषत गराभीण सभाज भ फहटमो को

खोटा ससकका कहा जाता ह बनदकतन न एक क फाद एक तीन फहटमाॉ ऩदा कय दी इससरए उस खोट ससकक को ढारन िारी भशीन कहा गमा

परशन 13-बजकतन ऩाि भ रखखका न सभाज की ककन सभसमाओॊ का उलरख ककमा ह

उततय- बनदकतन ऩाठ क भाधमभ स रणखका न बायतीम गराभीण सभाज की अनक सभसमाओॊ का उलरख ककमा ह-

1 रड़क-रड़ककमो भ ककमा जान िारा बदबाि 2 विधिाओॊ की सभसमा 3 नदमाम क नाभ ऩय ऩॊचामतो क दिाया नदसतरमो क भानिाधधकाय को कचरना 4 असशा औय अॊधविशिास

गदमाॊश-आधारयत अथटगरहण सॊफॊधधत परशनोततय

ऩरयिाय औय ऩरयनदसथनतमो क कायण सिबाि भ जो विरभताएॉ उतऩनदन हो गई ह उनक बीतय स एक सनह औय सहानबनत की आबा पटती यहती ह इसी स उसक सॊऩकय भ आनिार वमनदकत उसभ जीिन की सहज भासभयकता ही ऩात ह छातरािास की फासरकाओॊ भ स कोई अऩनी चाम

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फनिान क सरए दहरी ऩय फठी यहती ह कोई फाहय खडी भय सरए नाशत को चखकय उसक सिाद की वििचना कयती यहती ह भय फाहय ननकरत ही सफ धचडड़मो क सभान उड़ जाती ह औय बीतय आत ही मथासथान वियाजभान हो जाती ह इनदह आन भ रकािट न हो सॊबित इसी स बनदकतन अऩना दोनो जन का बोजन सिय ही फनाकय ऊऩय क आर भ यख दती ह औय खात सभम चौक का एक कोना धोकय ऩाकndashछत क सनातन ननमभ स सभझौता कय रती ह

भय ऩरयधचतो औय साहहनदतमक फॊधओॊ स बी बनदकतन विशर ऩरयधचत ह ऩय उनक परनत बनदकतन क समभान की भातरा भय परनत उनक समभान की भातरा ऩय ननबयय ह औय सदभाि उनक परनत भय सदभाि स नननदशचत होता ह इस सॊफॊध भ बनदकतन की सहज फवदध विनदसभत कय दन िारी ह

(क) बजकतन का सवबाव ऩरयवाय भ यहकय कसा हो गमा ह

उततय-विरभ ऩरयनदसथनतजनदम उसक उगर हठी औय दयागरही सिबाि क फािजद बनदकतन क बीतय सनह औय सहानबनत की आबा पटती यहती ह उसक सॊऩकय भ आन िार वमनदकत उसभ जीिन की सहज भासभयकता ही ऩात ह

(ख) बजकतन क ऩास छातरावास की छातराएॉ कमो आती ह

उततय- बनदकतन क ऩास कोई छातरा अऩनी चाम फनिान आती ह औय दहरी ऩय फठी यहती ह कोई भहादिी जी क सरए फन नाशत को चखकय उसक सिाद की वििचना कयती यहती ह भहादिी को दखत ही सफ छातराएॉ बाग जाती ह उनक जात ही कपय िाऩस आ जातीॊ ह बनदकतन का सहज-सनह ऩाकय धचडड़मो की तयह चहचहान रगती ह |

(ग) छातराओॊ क आन भ रकावट न िारन क लरए बजकतन न कमा उऩाम ककमा

उततय- छातराओॊ क आन भ रकािट न डारन क सरए बनदकतन न अऩन ऩाक-छत क ननमभ स सभझौता कय सरमा | बनदकतन अऩना दोनो िकत का खाना फनाकय सफह ही आर भ यख दती औय खात सभम चौक का एक कोना धोकय िहाॉ फठकय खा सरमा कयती थी ताकक छातराएॉ बफना योक-टोक क उसक ऩास आ सक

(घ) साठहतमकायो क परनत बजकतन क समभान का कमा भाऩदॊि ह

उततय-बनदकतन भहादिी क साहहनदतमक सभतर क परनत सदभाि यखती थी नदजसक परनत भहादिी सिमॊ सदभाि यखती थी | िह सबी स ऩरयधचत हऩय उनक परनत समभान की भातरा भहादिी जी क समभान की भातरा ऩय ननबयय कयती ह िह एक अदभत ढॊग स जान रती थी कक कौन ककतना समभान कयता ह उसी अनऩात भ उसका परापम उस दती थी

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12 फाजाय-दशटन

रखक- जनि कभाय

ऩाि का सायाॊश फाजाय-दशयन ऩाठ भ फाजायिाद औय उऩबोकतािाद क साथ-साथ अथयनीनत एिॊ दशयन स सॊफॊधधत परशनो को सरझान का परमास ककमा गमा ह फाजाय का जाद तबी असय कयता ह जफ भन खारी हो| फाजाय क जाद को योकन का उऩाम मह ह कक फाजाय जात सभम भन खारी ना हो भन भ रकषम बया हो| फाजाय की असरी कताथयता ह जरयत क िकत काभ आना| फाजाय को िही भनरषम राब द सकता ह जो िासति भ अऩनी आिशमकता क अनसाय खयीदना चाहता ह| जो रोग अऩन ऩसो क घभॊड भ अऩनी ऩचनदजॊग ऩािय को हदखान क सरए चीज खयीदत ह ि फाजाय को शतानी वमॊगम शनदकत दत ह| ऐस रोग फाजारऩन औय कऩट फढात ह | ऩस की मह वमॊगम शनदकत वमनदकत को अऩन सग रोगो क परनत बी कतघन फना सकती ह | साधायण जन का रदम रारसा ईरषमाय औय तरषणा स जरन रगता ह | दसयी ओय ऐसा वमनदकत नदजसक भन भ रश भातर बी रोब औय तरषणा नहीॊ ह सॊचम की इचछा नहीॊ ह िह इस वमॊगम-शनदकत स फचा यहता ह | बगतजी ऐस ही आतभफर क धनी आदशय गराहक औय फचक ह नदजन ऩय ऩस की वमॊगम-शनदकत का कोई असय नहीॊ होता | अनक उदाहयणो क दिाया रखक न मह सऩरषट ककमा ह कक एक ओय फाजाय रारची असॊतोरी औय खोखर भन िार वमनदकतमो को रटन क सरए ह िहीॊ दसयी ओय सॊतोरी भन िारो क सरए फाजाय की चभक-दभक उसका आकरयण कोई भहतति नहीॊ यखता

परशन१ - ऩचजजॊग ऩावय ककस कहा गमा ह फाजाय ऩय इसका कमा परबाव ऩड़ता ह

उततय- ऩचनदजॊग ऩािय का अथय ह खयीदन की शनदकत ऩचनदजॊग ऩािय क घभॊड भ वमनदकत हदखाि क सरए आिशमकता स अधधक खयीदायीकयता ह औय फाजाय को शतानी वमॊगम-शनदकत दता ह ऐस रोग फाजाय का फाजारऩन फढ़ात ह

परशन२ -रखक न फाजाय का जाद ककस कहा ह इसका कमा परबाव ऩड़ता ह

उततय- फाजाय की चभक-दभक क चॊफकीम आकरयण को फाजाय का जाद कहा गमा ह मह जाद आॊखो की याह कामय कयता ह फाजाय क इसी आकरयण क कायण गराहक सजी-धजी चीजो को आिशमकता न होन ऩय बी खयीदन को वििश हो जात ह

परशन३ -आशम सऩषट कय

भन खारी होना भन बया होना भन फॊद होना

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उततय-भन खारी होना- भन भ कोई नननदशचत िसत खयीदन का रकषम न होना ननरददशम फाजाय जाना औय वमथय की चीजो को खयीदकय राना

भन बया होना- भन रकषम स बया होना नदजसका भन बया हो िह बरीबाॉनत जानता ह कक उस फाजाय स कौन सी िसत खयीदनी ह अऩनी आिशमकता की चीज खयीदकय िह फाजाय को साथयकता परदान कयता ह

भन फॊद होना-भन भ ककसी बी परकाय की इचछा न होना अथायत अऩन भन को शनदम कय दना

परशन४ - lsquoजहाॉ तषणा ह फटोय यखन की सऩहा ह वहाॉ उस फर का फीज नहीॊ हrsquo महाॊ ककस फर की चचाट की गमी ह

उततय- रखक न सॊतोरी सिबाि क वमनदकत क आतभफरकी चचाय की ह दसय शबदो भ महद भन भ सॊतोर हो तो वमनदकत हदखाि औय ईरषमाय की बािना स दय यहता ह उसभ सॊचम कयन की परिनदतत नहीॊ होती

परशन५ - अथटशासतर अनीनतशासतर कफ फन जाता ह

उततय- जफ फाजाय भ कऩट औय शोरण फढ़न रग खयीददाय अऩनी ऩचधचॊग ऩािय क घभॊड भ हदखाि क सरए खयीददायी कय | भनरषमो भ ऩयसऩय बाईचाया सभापत हो जाए| खयीददाय औय दकानदाय एक दसय को ठगन की घात भ रग यह एक की हानन भ दसय को अऩना राब हदखाई द तो फाजाय का अथयशासतर अनीनतशासतर फन जाता ह ऐस फाजाय भानिता क सरए विडॊफना ह

परशन६-बगतजी फाजाय औय सभाज को ककस परकाय साथटकता परदान कय यह ह

उततय- बगतजी क भन भ साॊसारयक आकरयणो क सरए कोई तरषणा नहीॊ ह ि सॊचम रारच औय हदखाि स दय यहत ह फाजाय औय वमाऩाय उनक सरए आिशमकताओॊ की ऩनत य का साधन भातर ह बगतजी क भन का सॊतोर औय ननसऩह बाि उनको शररषठ उऩबोकता औय विकरता फनात ह

परशन ७ _ बगत जी क वमजकततव क सशकत ऩहरओॊ का उलरख कीजजए |

उततय-ननमनाॊककत बफॊद उनक वमनदकतति क सशकत ऩहर को उजागय कयत ह

ऩॊसायी की दकान स किर अऩनी जरयत का साभान (जीया औय नभक) खयीदना नननदशचत सभम ऩय चयन फचन क सरए ननकरना छह आन की कभाई होत ही चयन फचना फॊद कय दना फच हए चयन को फचचो को भफ़त फाॉट दना

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सबी काजम-जम याभ कहकय सिागत कयना फाजाय की चभक-दभक स आकवरयत न होना सभाज को सॊतोरी जीिन की सशा दना

परशन7-फाजाय की साथटकता ककसभ ह

उततय- भनरषम की आिशमकताओॊ की ऩनतय कयन भ ही फाजाय की साथयकता ह जो गराहक अऩनी आिशमकताओॊ की चीज खयीदत ह ि फाजाय को साथयकता परदान कयत ह जो विकरता गराहको का शोरण नहीॊ कयत औय छर-कऩट स गराहको को रबान का परमास नही कयत ि बी फाजाय को साथयक फनात ह

गदमाॊश-आधारयत अथटगरहण-सॊफॊधधत परशनोततय

फाजाय भ एक जाद ह िह जाद आॉख की तयह काभ कयता ह िह रऩ का जाद ह ऩय जस चॊफक का जाद रोह ऩय ही चरता ह िस ही इस जाद की बी भमायदा ह जफ बयी हो औय भन खारी हो ऐसी हारत भ जाद का असय खफ होता ह जफ खारी ऩय भन बया न हो तो बी जाद चर जाएगा भन खारी ह तो फाजाय की अनकानक चीजो का ननभॊतरण उस तक ऩहॉच जाएगा कहीॊ हई उस िकत जफ बयी तफ तो कपय िह भन ककसकी भानन िारा ह भारभ होता ह मह बी रॉ िह बी रॉ सबी साभान जरयी औय आयाभ को फढ़ान िारा भारभ होता ह ऩय मह सफ जाद का असय ह जाद की सिायी उतयी कक ऩता चरता ह कक प सी-चीजो की फहतामत आयाभ भ भदद नहीॊ दती फनदलक खरर ही डारती ह थोड़ी दय को सिासबभान को जरय सक सभर जाता ह ऩय इसस असबभान को धगलटी की खयाक ही सभरती ह जकड़ यशभी डोयी की हो तो यशभ क सऩशय क भरामभ क कायण कमा िह कभ जकड़ दगी

ऩय उस जाद की जकड़ स फचन का एक सीधा उऩाम ह िह मह कक फाजाय जाओ तो खारी भन न हो भन खारी हो तफ फाजाय न जाओ कहत ह र भ जाना हो तो ऩानी ऩीकय जाना चाहहए ऩानी बीतय हो र का रऩन वमथय हो जाता ह भन रकषम स बया हो तो फाजाय परा का परा ही यह जाएगा तफ िह घाि बफरकर नहीॊ द सकगा फनदलक कछ आनॊद ही दगा तफ फाजाय तभस कताथय होगा कमोकक तभ कछ न कछ सचचा राब उस दोग फाजाय की असरी कताथयता ह आिशमकता क सभम काभ आना

परशन-1 फाजाय क जाद को रखक न कस सऩषट ककमा ह

उततय- फाजाय क रऩ का जाद आॉखो की याह स काभ कयता हआ हभ आकवरयत कयता ह फाजाय का जाद ऐस चरता ह जस रोह क ऊऩय चॊफक का जाद चरता ह चभचभाती योशनी भ सजी

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प सी चीॊज गराहक को अऩनी ओय आकवरयत कयती ह| इसी चमफकीम शनदकत क कायण वमनदकत कपजर साभान को बी खयीद रता ह |

परशन-2 जफ बयी हो औय भन खारी तो हभायी कमा दशा होती ह

उततय- जफ बयी हो औय भन खारी हो तो हभाय ऊऩय फाजाय का जाद खफ असय कयता ह भन खारी ह तो फाजाय की अनकानक चीजो का ननभॊतरण भन तक ऩहॉच जाता ह औय उस सभम महद जफ बयी हो तो भन हभाय ननमॊतरण भ नहीॊ यहता

परशन-3 प सी चीजो की फहतामत का कमा ऩरयणाभ होता ह

उततय- प सी चीज आयाभ की जगह आयाभ भ वमिधान ही डारती ह थोड़ी दय को असबभान को जरय सक सभर जाती ह ऩय हदखाि की परिनदतत भ िवदध होती ह

परशन-4 जाद की जकड़ स फचन का कमा उऩाम ह

उततय- जाद की जकड़ स फचन क सरए एक ही उऩाम ह िह मह ह कक फाजाय जाओ तो भन खारी न हो भन खारी हो तो फाजाय भत जाओ

13 कार भघा ऩानी द

रखक-धभटवीय बायती

ऩाि का सायाॊश -lsquoकार भघा ऩानी दrsquo ननफॊध रोकजीिन क विशिास औय विऻान क तकय ऩय आधारयत ह जफ बीरण गभी क कायण वमाकर रोग िराय कयान क सरए ऩजा-ऩाठ औय कथा-विधान कय थकndashहाय जात ह तफ िराय कयान क सरए अॊनतभ उऩाम क रऩ भ इनददय सना ननकरती ह| इनददय सना नॊग-धड़ॊग फचचो की टोरी ह जो कीचड़ भ रथऩथ होकय गरी-भोहलर भ ऩानी भाॉगन ननकरती ह| रोग अऩन घय की छतो-णखड़ककमो स इनददय सना ऩय ऩानी डारत ह | रोगो की भानदमता ह कक इनददर फादरो क सिाभी औय िराय क दिता ह| इनददर की सना ऩय ऩानी डारन स इनददर बगिान परसनदन होकय ऩानी फयसाएॊग | रखक का तकय ह कक जफ ऩानी की इतनी कभी ह तो रोग भनदशकर स जभा ककए ऩानी को फालटी बय-बयकय इनददय सना ऩय डारकय ऩानी को कमो फफायद कयत ह आमयसभाजी विचायधाया िारा रखक इस अॊधविशिास भानता ह | इसक विऩयीत रखक की जीजी उस सभझाती ह कक मह ऩानी की फफायदी नहीॊ फनदलक ऩानी की फिाई ह | कछ ऩान क सरए कछ दना ऩड़ता ह | तमाग क बफना दान नहीॊ होता| परसतत ननफॊध भ रखक न भरषटाचाय की सभसमा को उठात हए कहा ह कक जीिन भ कछ ऩान क सरए तमाग आिशमक ह जो रोग तमाग औय दान की भहतता को नहीॊ भानत ि ही भरषटाचाय भ सरपत यहकय दश औय सभाज को रटत ह| जीजी की आसथा बािनातभक सचचाई को ऩरषट कयती ह औय तकय किर िऻाननक तथम को सतम भानता ह जहाॉ तकय मथाथय क

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कठोय धयातर ऩय सचचाई को ऩयखता ह तो िहीॊ आसथा अनहोनी फात को बी सिीकाय कय भन को सॊसकारयत कयती ह बायत की सितॊतरता क ५० सार फाद बी दश भ वमापत बरषटाचाय औय सिाथय की बािना को दखकय रखक दखी ह | सयकाय दिाया चराई जा यही मोजनाएॉ गयीफो तक कमो नहीॊ ऩहॉच ऩा यहीॊ ह कार भघा क दर उभड़ यह ह ऩय आज बी गयीफ की गगयी पटी हई कमो ह रखक न मह परशन ऩाठको क सरए छोड़ हदमा ह |

परशन1-इनदय सना घय-घय जाकय ऩानी कमो भाॉगती थी

उततय- गाॉि क रोग फारयश क सरए बगिान इॊदर स पराथयना ककमा कयत थ जफ ऩजा-ऩाठवरत आहद उऩाम असिर हो जात थ तो बगिान इॊदर को परसनदन कयन क सरए गाॉि क ककशोय फचच कीचड़ भ रथऩथ होकय गरी-गरी घभकय रोगो स ऩानी भाॉगत थ

परशन2-इनदयसना को रखक भढक-भॊिरी कमो कहता ह जीजी क फायndashफाय कहन ऩय बी वह इनदयसना ऩय ऩानी प कन को याजी कमो नहीॊ होता

उततय- इनददयसना का कामय आमयसभाजी विचायधाया िार रखक को अॊधविशिास रगता ह उसका भानना ह कक महद इॊदयसना दिता स ऩानी हदरिा सकती ह तो सिमॊ अऩन सरए ऩानी कमो नहीॊ भाॉग रती ऩानी की कभी होन ऩय बी रोग घय भ एकतर ककम हए ऩानी को इॊदयसना ऩय ि कत ह रखक इस ऩानी की ननभयभ फयफादी भानता ह

परशन3- रि हए रखक को जीजी न ककस परकाय सभझामा

उततय- जीजी न रखक को पमाय स रडड-भठयी णखरात हए ननमन तकय हदए-

1- तमाग का भहततव- कछ ऩान क सरए कछ दना ऩड़ता ह 2- दान की भहतता- कवर-भननमो न दान को सफस ऊॉ चा सथान हदमा ह जो चीज अऩन

ऩास बी कभ हो औय अऩनी आिशमकता को बरकय िह चीज दसयो को दान कय दना ही तमाग ह |

3- इॊिदव को जर का अधमट चिाना- इॊदयसना ऩय ऩानी ि कना ऩानी की फयफादी नहीॊ फनदलक इॊदरदि को जर का अधमय चढ़ाना ह

4- ऩानी की फवाई कयना- नदजस परकाय ककसान िसर उगान क सरए जभीन ऩय फीज डारकय फिाई कयता ह िस ही ऩानी िार फादरो की िसर ऩान क सरए इनददय सना ऩय ऩानी डार कय ऩानी की फिाई की जाती ह

परशन4-नठदमो का बायतीम साभाजजक औय साॊसकनतक ऩरयवश भ कमा भहतव ह

उततय- गॊगा बायतीम सभाज भ सफस ऩजम सदानीया नदी ह नदजसका बायतीम इनतहास भ धासभयक ऩौयाणणक औय साॊसकनतक भहति ह | िह बायतीमो क सरए किर एक नदी नहीॊ अवऩत

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भाॉ ह सिगय की सीढ़ी ह भोदानमनी ह उसभ ऩानी नहीॊ अवऩत अभत तलम जर फहता ह बायतीम सॊसकनत भ नहदमो क ककनाय भानि सभमताएॉ परी-परी ह| फड़-फड़ नगय तीथयसथान नहदमो क ककनाय ही नदसथत ह ऐस ऩरयिश भबायतिासी सफस ऩहर गॊगा भमा की जम ही फोरग नहदमाॉ हभाय जीिन का आधाय ह हभाया दश कवर परधान ह नहदमो क जर स ही बायत बसभ हयी-बयी ह नहदमो क बफना जीिन की कलऩना नहीॊ कय सकत मही कायण ह कक हभ बायतीम नहदमो की ऩजा कयत ह |

परशन4-आजादी क ऩचास वषो क फाद बी रखक कमो दखी ह उसक भन भ कौन स परशन उि यह ह

उततय- आजादी क ऩचास िरो फाद बी बायतीमो की सोच भ सकायातभक फदराि न दखकय रखक दखी ह उसक भन भ कई परशन उठ यह ह-

1 कमा हभ सचच अथो भ सितनदतर ह 2 कमा हभ अऩन दश की सॊसकनत औय सभमता को सभझ ऩाए ह 3 यारषर ननभायण भ हभ ऩीछ कमो ह हभ दश क सरए कमा कय यह ह

4 हभ सिाथय औय भरषटाचाय भ सरपत यहत ह तमाग भ विशिास कमो नहीॊ कयत

5 सयकाय दिाया चराई जा यही सधायिादी मोजनाएॉ गयीफो तक कमो नहीॊ ऩहॉचती ह

गदमाॊश ऩय आधारयत अथटगरहण-सॊफॊधधत परशनोततय

सचभच ऐस हदन होत जफ गरी-भहलरा गाॉि-शहय हय जगह रोग गयभी भ बन-बन कय तराहहभाभ कय यह होत जठ क दसतऩा फीतकय आराढ का ऩहरा ऩखिाड़ा फीत चका होता ऩय कषनतज ऩय कहीॊ फादरो की यख बी नहीॊ दीखती होती कएॉ सखन रगत नरो भ एक तो फहत कभ ऩानी आता औय आता बी तो आधी यात को िो बी खौरता हआ ऩानी हो | शहयो की तरना भ गाॉि भ औय बी हारत खयाफ थी| जहाॉ जताई होनी चाहहए थी िहाॉ खतो की सभटटी सखकय ऩतथय हो जाती कपय उसभ ऩऩड़ी ऩड़कय जभीन पटन रगती र ऐसी कक चरत-चरत आदभी धगय ऩड़ | ढोय-डॊगय पमास क भाय भयन रगत रककन फारयश का कहीॊ नाभ ननशान नहीॊ ऐस भ ऩजा-ऩाठ कथा-विधान सफ कयक रोग जफ हाय जात तफ अॊनतभ उऩाम क रऩ भ ननकरती मह इनददय सना |

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परशन१- वषाट न होन ऩय रोगो की कमा जसथनत हो गमी थी उततय - िराय न होन ऩय गयभी क कायण रोग र रगन स फहोश होन रग | गाॉि-शहय सबी जगह ऩानी का अबाि हो गमा| कएॉ सख गए खतो की सभटटी सखकय ऩतथय क सभान कठोय होकय पट गमी| घयो भ नरो भ ऩानी फहत कभ आता था | ऩश पमास क भाय भयन रग थ | परशन२- वषाट क दवता कौन ह उनको परसनन कयन क लरए कमा उऩाम ककए जात थ उततय -िराय क दिता बगिान इनददर ह| उनको परसनदन कयन क सरए ऩजाndashऩाठ कथा-विधान कयाए जात थ | ताकक इनददर दि परसनदन होकय फादरो की सना बजकय झभाझभ फारयश कयाएॉ औय रोगो क करषट दय हो | परशन३- वषाट कयान क अॊनतभ उऩाम क रऩ भ कमा ककमा जाता था उततय ndashजफ ऩजा-ऩाठ कथा-विधान सफ कयक रोग हाय जात थ तफ अॊनतभ उऩाम क रऩ भ इनददय सना आती थी | नॊग-धडॊग कीचड़ भ रथऩथ lsquoकार भघा ऩानी द ऩानी द गड़धानी दrsquo की टय रगाकय पमास स सखत गरो औय सखत खतो क सरए भघो को ऩकायती हई टोरी फनाकय ननकर ऩड़ती थी| परशन४-आशम सऩषट कय ndash जठ क दसतऩा फीतकय आराढ़ का ऩहरा ऩखिाड़ा फीत चका होता ऩय कषनतज भ कहीॊ फादरो की यख बी नजय नहीॊ आती | आशम- जठ का भहीना ह बीरण गयभी ह| तऩत हए दस हदन फीत कय आराढ का भहीना बी आधा फीत गमा ऩय ऩानी क सरए तड़ऩत िराय की आशा भ आसभान की ओय ताकत रोगो को कहीॊ फादर नजय नहीॊ आ यह |

14 ऩहरवान की ढोरक

फ़णीशवयनाथ यण

ऩाि का सायाॊश ndashआॊचसरक कथाकाय िणीशियनाथ यण की कहानी ऩहरिान की ढोरक भ कहानी क भखम ऩातर रटटन क भाता-वऩता का दहाॊत उसक फचऩन भ ही हो गमा था | अनाथ रटटन को उसकी विधिा सास न ऩार-ऩोसकय फड़ा ककमा | उसकी सास को गाॉि िार सतात थ |

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रोगो स फदरा रन क सरए कशती क दाॉिऩच सीखकय कसयत कयक रटटन ऩहरिान फन गमा |

एक फाय रटटन शमाभनगय भरा दखन गमा जहाॉ ढोर की आिाज औय कशती क दाॉिऩच दखकय उसन जोश भ आकय नाभी ऩहरिान चाॉदससॊह को चनौती द दी | ढोर की आिाज स परयणा ऩाकय रटटन न दाॉि रगाकय चाॉद ससॊह को ऩटककय हया हदमा औय याज ऩहरिान फन गमा | उसकी खमानत दय-दय तक िर गमी| १५ िरो तक ऩहरिान अजम फना यहा| उसक दो ऩतर थ| रटटन न दोनो फटो को बी ऩहरिानी क गय ससखाए| याजा की भतम क फाद नए याजकभाय न गददी सॊबारी याजकभाय को घोड़ो की यस का शौक था भनजय न नम याजा को बड़कामा ऩहरिान औय उसक दोनो फटो क बोजनखचय को बमानक औय किजरखचय फतामा िरसिरऩ नए याजा न कशती को फॊद कयिा हदमा औय ऩहरिान रटटनससॊह को उसक दोनो फटो क साथ भहर स ननकार हदमा

याजदयफाय स ननकार हदए जान क फाद रटटन ससॊह अऩन दोनो फटो क साथ गाॉि भ झोऩड़ी फनाकय यहन रगा औय गाॉि क रड़को को कशती ससखान रगा| रटटन का सकर जमादा हदन नहीॊ चरा औय जीविकोऩाजयन क सरए उसक दोनो फटो को भजदयी कयनी ऩड़ी| इसी दौयान गाॉि भ अकार औय भहाभायी क कायण परनतहदन राश उठन रगी| ऩहरिान भहाभायी स डय हए रोगो को ढोरक फजाकय फीभायी स रड़न की सॊजीिनी ताकत दता था| एक हदन ऩहरिान क दोनो फट बी भहाभायी की चऩट भ आकय भय गए ऩय उस यात बी ऩहरिान ढोरक फजाकय रोगो को हहमभत फॊधा यहा था | इस घटना क चाय-ऩाॉच हदन फाद ऩहरिान की बी भौत हो जाती ह|

ऩहरिान की ढोरक वमिसथा क फदरन क साथ रोक कराकाय क अपरासॊधगक हो जान की कहानी ह इस कहानी भ रटटन नाभ क ऩहरिान की हहमभत औय नदजजीविरा का िणयन ककमा गमा ह बख औय भहाभायी अजम रटटन की ऩहरिानी को िट ढोर भ फदर दत ह इस करण तरासदी भ ऩहरिान रटटन कई सिार छोड़ जाता ह कक करा का कोई सितॊतर अनदसतति ह मा करा किर वमिसथा की भोहताज ह

परशन1- रटटन को ऩहरवान फनन की परयणा कस लभरी

उततय- रटटन जफ नौ सार का था तो उसक भाता-वऩता का दहाॊत हो गमा था | सौबागम स उसकी शादी हो चकी थी| अनाथ रटटन को उसकी विधिा सास न ऩार-ऩोसकय फड़ा ककमा | उसकी सास को गाॉि िार ऩयशान कयत थ| रोगो स फदरा रन क सरए उसन ऩहरिान फनन की ठानी| धायोरषण दध ऩीकय कसयत कय उसन अऩना फदन गठीरा औय ताकतिय फना सरमा | कशती क दाॉिऩच सीखकय रटटन ऩहरिान फन गमा |

परशन2- यात क बमानक सननाट भ रटटन की ढोरक कमा करयशभा कयती थी

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उततय- यात क बमानक सनदनाट भरटटन की ढोरक भहाभायी स जझत रोगो को हहमभत फॉधाती थी | ढोरक की आिाज स यात की विबीवरका औय सनदनाटा कभ होता था| भहाभायी स ऩीडड़त रोगो की नसो भ बफजरी सी दौड़ जाती थी उनकी आॉखो क साभन दॊगर का दशम साकाय हो जाता था औय ि अऩनी ऩीड़ा बर खशी-खशी भौत को गर रगा रत थ इस परकाय ढोर की आिाज फीभाय-भतपराम गाॉििारो की नसो भ सॊजीिनी शनदकत को बय फीभायी स रड़न की परयणा दती थी

परशन3- रटटन न सवाटधधक ठहमभत कफ ठदखाई

उततय- रटटन ससॊह न सिायधधक हहमभत तफ हदखाई जफ दोनो फटो की भतम ऩय िह योमा नहीॊ फनदलक हहमभत स काभ रकय अकर उनका अॊनतभ सॊसकाय ककमा| मही नहीॊ नदजस हदन ऩहरिान क दोनो फट भहाभायी की चऩट भ आकय भय गए ऩय उस यात को बी ऩहरिान ढोरक फजाकय रोगो को हहमभत फॉधा यहा था| शमाभनगय क दॊगर भ ऩया जनसभदाम चाॉद ससॊह क ऩ भ था चाॉद ससॊह को हयात सभम रटटन न हहमभत हदखाई औय बफना हताश हए दॊगर भ चाॉद ससॊह को धचत कय हदमा |

परशन4- रटटन लसॊह याज ऩहरवान कस फना

उततय- शमाभनगय क याजा कशती क शौकीन थ उनदहोन दॊगर का आमोजन ककमा ऩहरिान रटटन ससॊह बी दॊगर दखन ऩहॉचा चाॊदससॊह नाभक ऩहरिान जो शय क फचच क नाभ स परससदध था कोई बी ऩहरिान उसस सबड़न की हहमभत नहीॊ कयता था चाॉदससॊह अखाड़ भ अकरा गयज यहा था रटटन ससॊह न चाॉदससॊह को चनौती द दी औय चाॉदससॊह स सबड़ गमाढ़ोर की आिाज सनकय रटटन की नस-नस भ जोश बय गमाउसन चाॉदससॊह को चायो खान धचत कय हदमा याजासाहफ न रटटन की िीयता स परबावित होकय उस याजऩहरिान फना हदमा

परशन5- ऩहरवान की अॊनतभ इचछा कमा थी

उततय- ऩहरिान की अॊनतभ इचछा थी कक उस धचता ऩय ऩट क फर सरटामा जाए कमोकक िह नदजॊदगी भ कबी धचत नहीॊ हआ था| उसकी दसयी इचछा थी कक उसकी धचता को आग दत सभम ढोर अिशम फजामा जाए |

परशन6- ढोर की आवाज औय रटटन क भ दाॉिऩच सॊफॊध फताइए-

उततय- ढोर की आिाज औय रटटन क दाॉिऩच भ सॊफॊध -

चट धा धगड़ धाrarr आजा सबड़ जा | चटाक चट धाrarr उठाकय ऩटक द | चट धगड़ धाrarrभत डयना |

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धाक धधना नतयकट नतनाrarr दाॉि काटो फाहय हो जाओ | धधना धधना धधक धधनाrarr धचत कयो

गदमाॊश-आधारयत अथटगरहण-सॊफॊधधत परशनोततय

अॉधयी यात चऩचाऩ आॉस फहा यही थी | ननसतबधता करण सससककमो औय आहो को अऩन रदम भ ही फर ऩियक दफान की चरषटा कय यही थी | आकाश भ ताय चभक यह थ | ऩथिी ऩय कहीॊ परकाश का नाभ नहीॊ| आकाश स टट कय महद कोई बािक ताया ऩथिी ऩय आना बी चाहता तो उसकी जमोनत औय शनदकत यासत भ ही शर हो जाती थी | अनदम ताय उसकी बािकता अथिा असपरता ऩय णखरणखराकय हॉस ऩड़त थ | ससमायो का करॊ दन औय ऩचक की डयािनी आिाज यात की ननसतबधता को बॊग कयती थी | गाॉि की झोऩडडमो स कयाहन औय क कयन की आिाज हय याभ ह बगिान की टय सनाई ऩड़ती थी| फचच बी ननफयर कॊ ठो स भाॉ ndashभाॉ ऩकायकय यो ऩड़त थ |

(क) अॉधयी यात को आॉस फहात हए कमो ठदखामा गमा ह उततयndash गाॉि भ हजा औय भररयमा परा हआ था | भहाभायी की चऩट भ आकाय रोग भय यह थ |चायो ओय भौत का सनाटा छामा था इससरए अॉधयी यात बी चऩचाऩ आॉस फहाती सी परतीत हो यही थी|

(ख) ताय क भाधमभ स रखक कमा कहना चाहता ह उततयndash ताय क भाधमभ स रखक कहना चाहता ह कक अकार औय भहाभायी स तरसत गाॉि िारो की ऩीड़ा को दय कयन िारा कोई नहीॊ था | परकनत बी गाॉि िारो क द ख स दखी थी| आकाश स टट कय महद कोई बािक ताया ऩथिी ऩय आना बी चाहता तो उसकी जमोनत औय शनदकत यासत भ ही शर हो जाती थी |

(ग) यात की ननसतबधता को कौन बॊग कयता था उततयndash ससमायो की चीख-ऩकाय ऩचक की डयािनी आिाज औय कततो का साभहहक रदन सभरकय यात क सनदनाट को बॊग कयत थ |

(घ) झोऩड़ड़मो स कसी आवाज आ यही ह औय कमो उततयndash झोऩडड़मो स योधगमो क कयाहन क कयन औय योन की आिाज आ यही ह कमोकक गाॉि क रोग भररयमा औय हज स ऩीडड़त थ | अकार क कायण अनदन की कभी हो गमी थी| औरधध औय ऩथम न सभरन क कायण रोगो की हारत इतनी फयी थी कक कोई बगिान को ऩकाय रगाता था तो कोई दफयर कॊ ठ स भाॉndashभाॉ ऩकायता था |

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15 चारी चजतरन मानी हभ सफ

रखक-पवषण खय

ऩाि का सायाॊश ndashचारक चनदपरन न हासम कराकाय क रऩ भ ऩयी दननमा क फहत फड़ दशयक िगय को हॉसामा ह | उनकी कपलभो न कपलभ करा को रोकताॊबतरक फनान क साथ-साथ दशको की िगय औय िणय-वमिसथा को बी तोड़ा | चारक न करा भ फवदध की अऩा बािना को भहतति हदमा ह | फचऩन क सॊघरो न चारक क बािी कपलभो की बसभ तमाय कय दी थी| बायतीम करा औय सौदमयशासतर भ करणा का हासम भ ऩरयितयन बायतीम ऩयमऩया भ नहीॊ सभरता रककन चारक एक ऐसा जादई वमनदकतति ह जो हय दश सॊसकनत औय सभमता को अऩना सा रगता ह| बायतीम जनता न बी उनदह सहज बाि स सिीकाय ककमा ह| सिमॊ ऩय हॉसना चारक न ही ससखामा| बायतीम ससनभा जगत क सपरससदध कराकाय याजकऩय को चारक का बायतीमकयण कहा गमा ह | चारक की अधधकाॊश किलभ भक ह इससरए उनदह अधधक भानिीम होना ऩड़ा | ऩाठ भ हासम कपलभो क भहान असबनता lsquoचारक चनदपरनrsquo की जादई विशरताओॊ का उलरख ककमा गमा ह नदजसभ उसन करणा औय हासम भ साभॊजसम सथावऩत कय किलभो को साियबौसभक रऩ परदान ककमा

परशन१ -चारी क जीवन ऩय परबाव िारन वारी भखम घटनाएॉ कौन सी थी

उततय- चारक क जीिन भ दो ऐसी घटनाएॉ घटीॊ नदजनदहोन उनक बािी जीिन ऩय फहत परबाि डारा |

ऩहरी घटना - जफ चारक फीभाय थ उनकी भाॉ उनदह ईसा भसीह की जीिनी ऩढ़कय सना यही थी | ईसा क सरी ऩय चढ़न क परसॊग तक आत-आत भाॉ-फटा दोनो ही योन रग| इस घटना न चारक को सनह करणा औय भानिता जस उचच जीिन भलम हदए |

दसयी घटना हndash फारक चारक कसाईखान क ऩास यहता था| िहाॉ सकड़ो जानियो को योज भाया जाता था| एक हदन एक बड़ िहाॉ स बाग ननकरी| बड़ को ऩकड़न की कोसशश भ कसाई कई फाय कपसरा| नदजस दखकय रोग हॊसन रग ठहाक रगान रग| जफ बड़ को कसाई न ऩकड़ सरमा तो फारक चारक योन रगा| इस घटना न उसक बािी कपलभो भ तरासदी औय हासमोतऩादक ततिो की बसभका तम कय दी |

परशन२ ndash आशम सऩषट कीजजएndash

चजतरन न लसपट कपलभकरा को ही रोकताॊबतरक नही फनामा फजलक दशटको की वगट तथा वणट-वमवसथा को बी तोड़ा|

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उततय- रोकताॊबतरक फनान का अथय ह कक कपलभ करा को सबी क सरए रोकवपरम फनाना औय िगय औय िणय-वमिसथा को तोड़न का आशम ह- सभाज भ परचसरत अभीय-गयीफ िणय जानतधभय क बदबाि को सभापत कयना |चनदपरन का चभतकाय मह ह कक उनदहोन कपलभकरा को बफना ककसी बदबाि क सबी रोगो तक ऩहॉचामा| उनकी कपलभो न सभम बगोर औय सॊसकनतमो की सीभाओॊ को राॉघ कय साियबौसभक रोकवपरमता हाससर की | चारक न मह ससदध कय हदमा कक करा सितनदतर होती ह अऩन ससदधाॊत सिमॊ फनाती ह |

परशन३ndash चारी चजतरन की कपलभो भ ननठहत तरासदीकरणाहासम का साभॊजसम बायतीम करा औय सौदमटशासतर की ऩरयधध भ कमो नहीॊ आता

उततय- चारक चनदपरन की कपलभो भ ननहहत तरासदीकरणाहासम का साभॊजसम बायतीम करा औय सौदमयशासतर की ऩरयधध भ नहीॊ आताकमोकक बायतीम यस-ससदधाॊत भ करणा औय हासम का भर नहीॊ हदखामा जाता कमोकक बायतीम सौदमयशासतर भ करणयस औय हासम यस को ऩयसऩय वियोधी भाना गमा ह अथायत जहाॊ करणा ह िहाॉ हासम नहीॊ हो सकता बायत भ सिमॊ ऩय हॉसन की ऩयॊऩया नहीॊ ह ऩयॊत चारक क ऩातर अऩन ऩय हॉसतndashहॉसात ह चारक की किलभो क दशम हॉसात-हॉसात ररा दत ह तो कबी करण दशम क फाद अचानक ही हॉसन ऩय भजफय कय दत ह

परशन४ndash चारी क कपलभो की पवशषताएॉ फताइए |

उततय- चारक की किलभो भ हासम औय करणा का अदभत साभॊजसम ह उनकी किलभो भ बारा का परमोग फहत कभ ह चारक की किलभो भ फवदध की अऩा बािना का भहतति अधधक ह उनकी किलभो भ साियबौसभकता ह चारक ककसी बी सॊसकनत को विदशी नही रगत चारक सफको अऩन रगत ह चारक न किलभो को रोकताॊबतरक फनामा औय किलभो भ िगय तथािणय-वमिसथा को तोड़ा अऩनी कपलभो भ चारक सदि धचय मिा हदखता ह

गदमाॊश-आधारयत अथटगरहण-सॊफॊधी परशनोततय

गदमाॊश सॊकत ndashचारक चनदपरन मानी हभ सफ (ऩरषठ १२० )

महद मह िरय चनदपरन की कापी कछ कहा जाएगा |

परशन (क)-पवकासशीर दशो भ चजतरन कमो भशहय हो यह ह

उततय - विकासशीर दशो भ जस-जस टरीविजन औय िीडडमो का परसाय हो यहा ह रोगो को उनकी कपलभो को दखन का अिसय सभर यहा ह |एक फहत फड़ा िगय नए ससय स चारक को घड़ी सधायत औय जत खान की कोसशश कयत दख यहा ह इसीसरए चारक विकासशीर दशो भ रोकवपरम हो यह ह |

(ख)- ऩजशचभ भ चारी का ऩनजीवन कस होता यहता ह

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उततय - ऩनदशचभ भ चारक की कपलभो का परदशयन होता यहता ह| उनकी करा स परयणा ऩाकय हासम किलभ फनती यहती ह | उनक दिाया ननबाए ककयदायो की नकर अनदम कराकाय कयत ह | ऩनदशचभ भ चारक का ऩनजीिन होता यहता ह|

(ग)- चारी को रोग फिाऩ तक कमो माद यखग

उततय ndashहासम कराकाय क रऩ भ रोग चारक को फढ़ाऩ तक माद यखग कमोकक उनकी करा सभम बगोर औय सॊसकनतमो की सीभाओॊ को राॉघकय राखो रोगो को हॉसा यही ह|

(घ)- चारी की कपलभो क फाय भ कापी कछ कहा जाना कमो फाी ह

उततय ndashचनदपरन की ऐसी कछ किलभ मा इसतभार न की गमी यीर सभरी ह नदजनक फाय भ कोई नहीॊ जानता था | चारक की बािनापरधान हासम कपलभो न करा क नए परनतभान सथावऩत ककए ह अत चारक की कपलभो क फाय भ अबी कापी कछ कहा जाना फाी ह|

16 नभक

रखखका - यजजमा सजजाद जहीय

सायाॊश -lsquoनभकrsquoबायत-ऩाक विबाजन ऩय सरणखत भासभयक कहानी ह | विसथावऩत हए रोगो भ अऩनndashअऩन जनदभ सथानो क परनत आज बी रगाि ह| धासभयक आधाय ऩय फनी यारषर-याजमो की सीभा-यखाएॉ उनक अॊतभयन को अरग नहीॊ कय ऩाई ह | बायत भ यहन िारी ससख फीिी राहौय को अऩना ितन भानती ह औय बायतीम कसटभ अधधकायी ढाका क नारयमर ऩानी को मादकय उस सियशररषठ फताता ह दोनो दशो क नागरयको क फीच भहबफत का नभकीन सिाद आज बी कामभ ह इसीसरए सकिमा बायत भ यहन िारी अऩनी भॉहफोरी भाॉ ससख फीिी क सरए राहौयी नभक रान क सरए कसटभ औय कानन की ऩयिाह नहीॊ कयती

परशन1- lsquoनभकrsquo ऩाि क आधाय ऩय फताइए कक सकपमा औय उसक बाई क पवचायो भ कमा अॊतय था

उततय- १-सकपमा बािनाओॊ को फहतभहतति दती ह ऩय उसका बाई फौवदधक परिनदतत का ह उसकी दनदरषट भ कानन बािनाओॊ स ऊऩय ह|

२-सकपमा भानिीम सॊफॊधो को फहत भहतति दती ह जफकक उसका बाई अरगाििादी विचायधाया का ह हहसस-फखय की फात कयता ह |

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३-सकपमा का बाई कहता ह कक अदीफो(साहहतमकाय) का हदभाग घभा हआ होता ह जफकक सकपमा जो सिमॊ अदीफ ह उसका भानना ह कक अगय सबी रोगो का हदभाग अदीफो की तयह घभा हआ होता तो दननमा कछ फहतय हो जाती |

परशन२- नभक र जात सभम सकफ़मा क भन भ कमा दपवधा थी

उततय-सकपमा समद भसरभान थी जो हय हार भ अऩना िामदा ननबात ह| ऩाककसतान स राहौयी नभक र जाकय िह अऩना िामदा ऩया कयना चाहती थी ऩयनदत जफ उस ऩता चरा कक कसटभ क ननमभो क अनसाय सीभाऩाय नभक र जाना िनदजयत ह तो िह दविधा भ ऩड़ गई | सकिमा का दिॊदि मह था कक िह अऩनी ससख भाॉ क सरए नभक कसटभ अधधकारयमो को फताकयर जाए मा नछऩाकय|

परशन३- ऩाि क आधाय ऩय सकपमा की चारयबतरक पवशषताएॉ फताइए |

उततय सॊकत ndash

१- बािक २- ईभानदाय ३- दढ़ननशचमी ४- ननडय ५- िामद को ननबान िारी ६- भानिीम भलमो को सिोऩरय भानन िारी साहहतमकाय

परशन ४- lsquoनभकrsquo ऩाि भ आए ककयदायो क भाधमभ स सऩषट कीजजए कक आज बी बायत औय ऩाककसतान की जनता क फीच भहबफत का नभकीन सवाद घरा हआ ह |

उततय ndash बर ही याजनीनतक औय धासभयक आधाय ऩय बायत औय ऩाककसतान को बौगोसरक रऩ स विबानदजत कय हदमा गमा ह रककन दोनो दशो क रोगो क रदम भ आज बी ऩायसऩरयक बाईचाया सौहादरय सनह औय सहानबनत विदमभान ह | याजनीनतक तौय ऩय बर ही सॊफॊध तनािऩणय हो ऩय साभानदजक तौय ऩय आज बी जनता क फीच भहबफत का नभकीन सिाद घरा हआ ह | अभतसय भ यहन िारी ससख फीफी राहौय को अऩना ितन कहती ह औय राहौयी नभक का सिाद नहीॊ बरा ऩाती | ऩाककसतान का कसटभ अधधकायी नभक की ऩडड़मा सकपमा को िाऩस दत हए कहता ह rdquoजाभा भनदसजद की सीहढ़मो को भया सराभ कहना |rdquo बायतीम सीभा ऩय तनात कसटभ अधधकायी ढाका की जभीन को औय िहाॉ क ऩानी क सिाद को नहीॊ बर ऩाता |

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गदमाॊश-आधारयत अथटगरहण सॊफॊधधत परशनोततय

गदमाॊश सॊकत- ऩाठndash नभक (ऩरषठ १३४)

सकपमा कसटभ क जॊगर स दोनो क हाथो भ थी |

(क) सकपमा कसटभ क जॉगर स ननकरकय दसय तरटपाभट ऩय आ गमी व वहीॊ खड़ यहndash इस वाकम भ lsquoवrsquo शबद का परमोग ककसक लरए ककमा गमा ह

उततय- महाॉ lsquoिrsquo शबद का परमोग ऩाककसतानी कसटभ अधधकायी क सरए ककमा गमा ह जो विबाजन स ऩिय हदलरी भ यहत थ औय आज बी हदलरी को ही अऩना ितन भानत ह |

(ख) तरटपाभट ऩय सकपमा को पवदा कयन कौन-कौन आए थ उनहोन सकपमा को कस पवदाई दी

उततय- परटपाभय ऩय सकपमा को विदा कयन उसक फहत साय सभतर सग सॊफॊधी औय बाई आए थ| उनदहोन ठॊडी साॉस बयत हए सबॊच हए होठो क साथ आॉस फहात हए सकपमा को विदाई दी |

(ग) अटायी भ यरगाड़ी भ कमा ऩरयवतटन हए उततय- अटायी भ यरगाड़ी स ऩाककसतानी ऩसरस उतयी औय हहनददसतानी ऩसरस सिाय हो गई|

(घ) कौन सी फात सकपमा की सभझ भ नहीॊ आ यही थी उततय- दोनो ओय एक सी जभीन एक जसा आसभान एक सी बारा एक सा ऩहनािा औय एक सी सयत क रोग कपय बी दोनो क हाथो भ बयी हई फॊदक ह |

17 लशयीष क पर

आचामट हजायी परसाद दपववदी

सायाॊश ndashlsquoआचामय हजायी परसाद दवििदीrsquo सशयीर को अदभत अिधत भानत ह कमोकक सॊनदमासी की बाॉनत िह सख-दख की धचॊता नहीॊ कयता गभी र िराय औय आॉधी भ बी अविचर खड़ा यहता ह सशयीर क िर क भाधमभ स भनरषम की अजम नदजजीविरा धमयशीरता औय कतयवमननरषठ फन यहन क भानिीम भलमो को सथावऩत ककमा गमा हरखक न सशयीर क कोभर परो औय कठोय परो क दिाया सऩरषट ककमा ह कक रदम की कोभरता फचान क सरए कबी-कबी वमिहाय की कठोयता बी आिशमक हो जाती ह| भहान कवि कासरदास औय कफीय बी सशयीर की तयह फऩयिाह अनासकत औय सयस थ तबी उनदहोन इतनी सनददय यचनाएॉ सॊसाय को दीॊ| गाॉधीजी क वमनदकतति भ बी कोभरता औय कठोयता का अदभत सॊगभ था | रखक सोचता ह कक हभाय दश भ जो भाय-काट अनदगनदाह रट-ऩाट खन-खचचय का फिॊडय ह कमा िह दश को नदसथय नहीॊ यहन दगा गराभी अशाॊनत औय वियोधी िाताियण क फीच अऩन ससदधाॊतो की या कयत हए गाॉधीजी जी नदसथय यह सक थ तो दश बी यह सकता ह जीन की परफर असबरारा क कायण

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विरभ ऩरयनदसथतमो भ बी महद सशयीर णखर सकता ह तो हभाया दश बी विरभ ऩरयनदसथनतमो भ नदसथय यह कय विकास कय सकता ह

परशन1-लसदध कीजजए कक लशयीष कारजमी अवधत की बाॉनत जीवन की अजमता क भॊतर का परचाय कयता ह

उततय- सशयीर कारजमी अिधत की बाॉनत जीिन की अजमता क भॊतर का परचाय कयता ह| जफ ऩथिी अनदगन क सभान तऩ यही होती ह िह तफ बी कोभर परो स रदा रहरहाता यहता ह|फाहयी गयभी धऩ िराय आॉधी र उस परबावित नहीॊ कयती इतना ही नहीॊ िह रॊफ सभम तक णखरा यहता ह | सशयीर विऩयीत ऩरयनदसथनतमो भ बी धमयशीर यहन तथा अऩनी अजम नदजजीविरा क साथ ननसऩह बाि स परचॊड गयभी भ बी अविचर खड़ा यहता ह

परशन२-आयगवध (अभरतास) की तरना लशयीष स कमो नहीॊ की जा सकती

उततय- सशयीर क पर बमॊकय गयभी भ णखरत ह औय आराढ़ तक णखरत यहत ह जफकक अभरतास का पर किर ऩनददरह-फीस हदनो क सरए णखरता ह | उसक फाद अभरतास क पर झड़ जात ह औय ऩड़ कपय स ठॉठ का ठॉठ हो जाता ह | अभरतास अलऩजीिी ह | विऩयीत ऩरयनदसथनतमो को झरता हआ ऊरषण िाताियण को हॉसकय झरता हआ सशयीर दीघयजीिी यहता ह | मही कायण ह कक सशयीर की तरना अभरतास स नहीॊ की जा सकती |

परशन३-लशयीष क परो को याजनताओॊ का रऩक कमो ठदमा गमा ह

उततय- सशयीर क पर उन फढ़ ढीठ औय ऩयान याजनताओॊ क परतीक ह जो अऩनी कसी नहीॊ छोड़ना चाहत | अऩनी अधधकाय-सरपसा क सरए नए मिा नताओॊ को आग नहीॊ आन दत | सशयीर क नए परो को जफयदसती ऩयान परो को धककमाना ऩड़ता ह | याजनीनत भ बी नई मिा ऩीढ़ी ऩयानी ऩीढ़ी को हयाकय सिमॊ सतता सॉबार रती ह |

परशन४- कार दवता की भाय स फचन का कमा उऩाम फतामा गमा ह

उततय- कार दिता कक भाय स फचन का अथय हndash भतम स फचना | इसका एकभातर उऩाम मह ह कक भनरषम नदसथय न हो| गनतशीर ऩरयितयनशीर यह | रखक क अनसाय नदजनकी चतना सदा ऊधियभखी (आधमातभ की ओय) यहती ह ि हटक जात ह |

परशन५- गाॉधीजी औय लशयीष की सभानता परकट कीजजए |

उततय- नदजस परकाय सशयीर धचरधचराती धऩ र िराय औय आॉधी भ बी अविचर खड़ा यहता ह अनासकत यहकय अऩन िाताियण स यस खीॊचकय सयस कोभर फना यहता ह उसी परकाय गाॉधी जी न बी अऩनी आॉखो क साभन आजादी क सॊगराभ भ अनदमाम बदबाि औय हहॊसा को झरा |

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उनक कोभर भन भ एक ओय ननयीह जनता क परनत असीभ करणा जागी िहीॊ ि अनदमामी शासन क वियोध भ डटकय खड़ हो गए |

गदमाॊश-आधारयत अथटगरहण सॊफॊधधत परशनोततय

गदमाॊश सॊकत- ऩाठ ndash सशयीर क पर (ऩरषठ १४७)

कासरदास सौदमय क िह इशाया ह |

(क) कालरदास की सौदमटndashदजषट की कमा पवशषता थी उततय-कासरदास की सौदमयndashदनदरषट फहत सकषभ अॊतबदी औय सॊऩणय थी| ि किर फाहयी रऩ-यॊग औय आकाय को ही नहीॊ दखत थ फनदलक अॊतभयन की सॊदयता क बी ऩायखी थ| कासरदास की सौदमय शायीरयक औय भानससक दोनो विशरताओॊ स मकत था |

(ख) अनासजकत का कमा आशम ह उततय- अनासनदकत का आशम ह- वमनदकतगत सख-द ख औय याग-दिर स ऩय यहकय सौदमय क िासतविक भभय को जानना |

(ग) कालरदास ऩॊत औय यवीॊिनाथ टगोय भ कौन सा गण सभान था भहाकवि कासरदास ससभतरानॊदन ऩॊत औय गरदि यिीॊदरनाथ टगोय तीनो नदसथयपरऻ औय अनासकत कवि थ | ि सशयीर क सभान सयस औय भसत अिधत थ |

(घ) यवीॊिनाथ याजोदमान क लसॊहदवाय क फाय भ कमा सॊदश दत ह याजोदमान क फाय भ यिीॊदरनाथ कहत ह याजोदमान का ससॊहदिाय ककतना ही सॊदय औय गगनचमफी कमो ना हो िह अॊनतभ ऩड़ाि नहीॊ ह| उसका सौदमय ककसी औय उचचतभ सौदमय की ओय ककमा गमा सॊकत भातर ह कक असरी सौदमय इस ऩाय कयन क फाद ह अत याजोदमान का ससॊहदिाय हभ आग फढ़न की परयणा दता ह |

18शरभ-पवबाजन औय जानत-परथा

िॉ० बीभयाव अॊफिकय

सायाॊश ndash इस ऩाठ भ रखक न जानतिाद क आधाय ऩय ककए जान िार बदबाि को सभम सभाज क सरए हाननकायक फतामा ह | जानत आधारयत शरभ विबाजन को असिाबाविक औय भानिता वियोधी फतामा गमा ह मह साभानदजक बदबाि को फढ़ाता ह जानतपरथा आधारयत शरभ विबाजन भ वमनदकत की रधच को भहतति नहीॊ हदमा जाता परसिरऩ वििशता क साथ अऩनाए

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Page 9: ISSUED BY KENDRIYA VIDYALAYA - DOWNLOADED FROM … Class XII Hindi Part B.pdfप्रश्न४ :-फादर क / फयन का गयीफ एि धनी िगय क्मा

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सत बफत नारय बिन ऩरयिाया होहहॊ जाहहॊ जग फायहहॊ फाया

अस बफचारय नदजमॉ जागह ताता सभरइ न जगत सहोदय भाता

जथा ऩॊख बफन खग अनत दीना भनन बफन पनन करयफय कय हीना

अस भभ नदजिन फॊध बफन तोही जौ जड़ दि नदजआि भोही

जहउॉ अिध किन भह राई नारय हत वपरम बाइ गॉिाई

फर अऩजस सहतउॉ जग भाहीॊ नारय हानन बफसर छनत नाहीॊ

अफ अऩरोक सोक सत तोया सहहहह ननठय कठोय उय भोया

ननज जननी क एक कभाया तात तास तमह परान अधाया

सौऩसस भोहह तमहहह गहह ऩानी सफ बफधध सखद ऩयभ हहत जानी

उतर काह दहउॉ तहह जाई उहठ ककन भोहह ससखािह बाईldquo

परशन१-lsquoफोर फचन भनज अनसायीrsquo- का तातऩमय कमा ह

उततय - बाई क शोक भ विगसरत याभ का पवराऩ धीय- -धीय परराऩ भ फदर जाता ह नदजसभ रकषभण क परनत याभ क अॊतय भ नछऩ परभ क कई कोण सहसा अनाित हो जात ह मह परसॊग ईशवय याभ भ भानव सरब गणो का सभनवम कय दता ह| ि भनरषम की बाॊनत विचसरत हो कय ऐस िचन कहत ह जो भानिीम परकनत को ही शोबा दत ह |

परशन२- याभ न रकषभण क ककन गणो का िणयन ककमा ह

उततय -याभ न रकषभण क इन गणो का िणयन ककमा ह-

रकषभण याभ स फहत सनह कयत ह | उनदहोन बाई क सरए अऩन भाता ndashवऩता का बी तमाग कय हदमा | ि िन भ िराय हहभ धऩ आहद करषटो को सहन कय यह ह | उनका सिबाि फहत भदर ह |ि बाई क द ख को नहीॊ दख सकत |

परशन३- याभ क अनसाय कौन सी िसतओॊ की हानन फड़ी हानन नहीॊ ह औय कमो

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उततय -याभ क अनसाय धन ऩतर एिॊ नायी की हानन फड़ी हानन नहीॊ ह कमोकक म सफ खो जान ऩय ऩन परापत ककम जा सकत ह ऩय एक फाय सग बाई क खो जान ऩय उस ऩन परापत नहीॊ ककमा जा सकता |

परशन४- ऩॊख क बफना ऩी औय सॊड क बफना हाथी की कमा दशा होती ह कावम परसॊग भ इनका उलरख कमो ककमा गमा ह

उततय - याभ विराऩ कयत हए अऩनी बािी नदसथनत का िणयन कय यह ह कक जस ऩॊख क बफना ऩी औय सॊड क बफना हाथी ऩीडड़त हो जाता ह उनका अनदसतति नगणम हो जाता ह िसा ही असहनीम करषट याभ को रकषभण क न होन स होगा |

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सौदमट-फोध-सॊफॊधी परशन

परशन१- कावमाॊश की बारा सौदमय सॊफॊधी दो विशरताओॊ का उललरख कीनदजए|

उततय- १यस -करण यस

२ अरॊकाय - उतपरा अरॊकायndash

भन करणा भॊह फीय यस

जागा ननससचय दणखअ कसाभानहॉ कार दह धरय फसा

दरषटाॊत अरॊकाय - जथा ऩॊख बफन खग अनत दीनाभनन बफन पनन करयफय कय हीना

अस भन नदजिन फॊध बफन तोहीजो जड़ दि नदजआि भोही

वियोधाबास अरॊकाय -फहबफधध सोचत सोच बफभोचन

परशन२- कावमाॊश की बारा का नाभ सरणखए |

उततय - अिधी बारा

परशन३- कावमाॊश भ परमकत छॊद कौन ndashसा ह

उततय- १६१६ भातराओॊ का सभ भाबतरक चौऩाई छॊद |

सौदमट-फोध-सॊफॊधी परशन

ldquoककसफी ककसान-कर फननक सबखायी बाट चाकय चऩर नट चोय चाय चटकी| ऩटको ऩढतगन गढ़त चढ़त धगरय अटत गहन ndashगन अहन अखटकी|

ऊॊ च ndashनीच कयभ धयभ ndashअधयभ करय ऩट ही को ऩचत फचत फटा ndashफटकी |

lsquoतरसीrsquo फझाई एक याभ घनसमाभ ही त आधग फड़िाधगत फड़ी ह आधग ऩटकी|rdquo

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परशन१- कवितािरी ककस बारा भ सरखी गई ह

उततय - बरज बारा

परशन२- कवितािरी भ परमकत छॊद एिॊ यस को सऩरषट कीनदजए |

उततय - इस ऩद भ 31 31 िणो का चाय चयणो िारा सभिणणयक कवितत छॊद ह नदजसभ 16 एिॊ 15 िणो ऩय वियाभ होता ह

परशन३- कवितत भ परमकत अरॊकायो को छाॊट कय सरणखए

१ अनपरास अॊरकायndash

ककसफी ककसान-कर फननक सबखायी बाट

चाकय चऩर नट चोय चाय चटकी|

२ रऩक अरॊकायndash याभndash घनशमाभ

३ अनतशमोनदकत अरॊकायndash आधग फड़िाधग त फडड़ ह आग ऩट की

रकषभण- भचछाट औय याभ का पवराऩ

पवषम-वसत ऩय आधारयत परशनोततय

परशन १-lsquoति परताऩ उय याणख परब भ ककसक परताऩ का उलरख ककमा गमा हrsquoऔय कमो

उततय -इन ऩॉनदकतमो भ बयत क परताऩ का उलरख ककमा गमा ह हनभानजी उनक परताऩ का सभयण कयत हए अमोधमा क ऊऩय स उड़त हए सॊजीिनी र कय रॊका की ओय चर जा यह ह

परशन२- याभ विराऩ भ रकषभण की कौन सी विशरताएॉ उदघहटत हई ह

उततय -रकषभण का भात परभ तमागभम जीिन इन ऩॉनदकतमो क भाधमभ स उदघाहटत हआ ह

परशन३- फोर िचन भनज अनसायी स कवि का कमा तातऩमय ह

उततय -बगिान याभ एक साधायण भनरषम की तयह विराऩ कय यह ह ककसी अितायी भनरषम की तयह नहीॊ भात परभ का धचतरण ककमा गमा हतरसीदास की भानिीम बािो ऩय सशकत ऩकड़ हदिीम वमनदकतति का रीरा रऩ ईशिय याभ को भानिीम बािो स सभनदनदित कय दता ह

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परशन४- बाई क परनत याभ क परभ की परगाढ़ता उनक ककन विचायो स वमकत हई ह

उततय - जथा ऩॊख बफन खग अनत दीना

भनन बफन पनन करयफय कय हीना

अस भभ नदजिन फॊध बफन तोही

जो जड़ दि नदजआि भोही

परशन५- lsquoफहविधध सोचत सोचविभोचनrsquo का वियोधाबास सऩरषट कीनदजए

उततय -दीनजन को शोक स भकत कयन िार बगिान याभ सिमॊ फहत परकाय स सोच भ ऩड़कय दखी हो यह ह

परशन६- हनभान का आगभन करणा भ िीय यस का आना ककस परकाय कहा जा सकता ह

उततय -रदन कयत िानय सभाज भ हनभान उतसाह का सॊचाय कयन िार िीय यस क रऩ भ आ गए करणा की नदी हनभान दिाया सॊजीिनी र आन ऩय भॊगरभमी हो उठती ह

कपवतत औय सवमा

पवषम-वसत ऩय आधारयत परशनोततय

परशन१- ऩट की बख शाॊत कयन क सरए रोग कमा कमा कयत ह

उततय -ऩट की आग फझान क सरए रोग अननतक कामय कयत ह

परशन२- तरसीदास की दनदरषट भ साॊसारयक दखो स ननिनदतत का सिोततभ उऩाम कमा ह

उततय - ऩट की आग फझान क सरए याभ कऩा रऩी िराय का जर अननिामय हइसक सरए अननतक कामय कयन की आिशमकता नहीॊ ह

परशन३- तरसी क मग की सभसमाओॊ का धचतरण कीनदजए

उततय - तरसी क मग भ पराकनतक औय परशासननक िरमम क चरत उतऩनदन ऩीडा दरयदरजन क सरए यािण क सभान दखदामी हो गई ह

परशन४- तरसीदास की बनदकत का कौन सा सिरऩ परसतत कविततो भ असबवमकत हआ ह

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उततय - तरसीदास की बनदकत का दासम बाि सिरऩ परसतत कविततो भ असबवमकत हआ ह

9 रफाइमाॉ

कफ़याक गोयखऩयी

भर नाभndash यघऩनत सहाम कफ़याक

उदय शामयी की रयिामत क विऩयीत कपयाक गोयखऩयी क साहहतम भ रोक जीिन एिॊ परकनत की झरक सभरती ह साभानदजक सॊिदना िमनदकतक अनबनत फन कय उनकी यचनाओॊ भ वमकत हई हजीिन का कठोय मथाथय उनकी यचनाओॊ भ सथान ऩाता हउनदहोन रोक बारा क परतीको का परमोग ककमा ह राणणक परमोग उनकी बारा की विशरता हकियाक की रफाईमो भ घयर हहॊदी का रऩ हदखता ह |

रफाई उदय औय िायसी का एक छॊद मा रखन शरी ह नदजसभ चाय ऩॊनदकतमाॉ होती ह |इसकी ऩहरी दसयी औय चौथी ऩॊनदकत भ तक (काकिमा)सभरामा जाता ह तथा तीसयी ऩॊनदकत सिचछॊद होती ह |

ldquoिो रऩिती भखड़ ऩ इक नभय दभकrdquo

ldquoफचच क घयोद भ जराती ह हदएldquo

ldquoयाफॊधन की सफह यस की ऩतरीrdquo

ldquoबफजरी की तयह चभक यह ह रचछrdquo

ldquoबाई क ह फाॉधती चभकती याखीldquo- जस परमोग उनकी बारा की सशकतता क नभन क तौय ऩय दख जा सकत ह |

साय

रफाइमाॉ

याफॊधन एक भीठा फॊधन ह याफॊधन क कचच धागो ऩय बफजरी क रचछ ह सािन भ याफॊधन आता ह सािन का जो सॊफॊध झीनी घटा स ह घटा का जो सॊफॊध बफजरी स ह िही सॊफॊध बाई का फहन स होता ह

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गज़र

ऩाठ भ कपयाक की एक गज़र बी शासभर ह रफाइमो की तयह ही कपयाक की गजरो भ बी हहॊदी सभाज औय उदय शामयी की ऩयॊऩया बयऩय ह इसका अदभत नभना ह मह गज़र मह गज़र कछ इस तयह फोरती ह कक नदजसभ ददय बी ह एक शामय की ठसक बी ह औय साथ ही ह कावम-सशलऩ की िह ऊॉ चाई जो गज़र की विशरता भानी जाती ह

अथट-गरहण-सॊफॊधी परशन

ldquoआॉगन भ सरए चाॉद क टकड़ को खड़ी

हाथो ऩ झराती ह उस गोद-बयी

यह-यह क हिा भ जो रोका दती ह

गॉज उठती ह णखरणखरात फचच की हॉसीrdquo

परशन१- lsquoचाॉद क टकड़rsquoका परमोग ककसक सरए हआ ह औय कमो

उततय -फचच को चाॉद का टकड़ा कहा गमा ह जो भाॉ क सरए फहत पमाया होता ह

परशन२- गोद-बयी परमोग की विशरता को सऩरषट कीनदजए |

उततय - गोद-बयी शबद-परमोग भाॉ क वातसलमऩणट आनॊठदत उतसाह को परकट कयता ह |मह अतमॊत सॊदय दशम बफॊफ ह | सनी गोद क विऩयीत गोद का बयना भाॉ क लरए असीभ सौबागम का सचक ह |इसी सौबागम का सकषभ अहसास भाॉ को तजतत द यहा ह|

परशन३- रोका दना ककस कहत ह

उततय - जफ भाॉ फचच को फाहो भ रकय हिा भ उछारती ह इस रोका दना कहत ह|छोट फचचो को मह खर फहत अचछा रगता ह

परशन४- फचचा भाॉ की गोद भ कसी परनतककरमा कयता ह

उततय - हिा भ उछारन ( रोका दन) स फचचा भाॉ का िातसलम ऩाकय परसनदन होता ह औय णखरणखरा कय हॉस ऩड़ता हफचच की ककरकारयमाॉ भाॉ क आनॊद को दगना कय दती ह|

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सौदमट-फोध-सॊफॊधी परशन

ldquoनहरा क छरक-छरक ननभयर जर स

उरझ हए गसओॊ भ कॊ घी कयक

ककस पमाय स दखता ह फचचा भॉह को

जफ घटननमो भ रक ह वऩनदहाती कऩड़rdquo

परशन१- परसतत ऩॊनदकतमो क बाि सौदमय को सऩरषट कीनदजए |

उततय - भाॉ न अऩन फचच को ननभयर जर स नहरामा उसक उरझ फारो भ कॊ घी की |भाॉ क सऩशय एिॊ नहान क आनॊद स फचचा परसनदन हो कय फड़ परभ स भाॉ को ननहायता ह| परनतहदन की एक सिाबाविक ककरमा स कस भाॉ-फचच का परभ विकससत होता ह औय परगाढ़ होता चरा जाता ह इस बाि को इस रफाई भ फड़ी सकषभता क साथ परसतत ककमा गमा ह|

परशन२- कावमाॊश भ आए बफॊफो को सऩरषट कीनदजए |

उततय -१ldquoनहरा क छरक-छरक ननभटर जर सrdquo- इस परमोग दिाया कवि न फारक की ननभयरता एिॊ ऩवितरता को जर की ननभयरता क भाधमभ स अॊककत ककमा ह | छरकना शबद जर की ताजा फॊदो का फारक क शयीय ऩय छरछरान का सॊदय दशम बफॊफ परसतत कयता ह |

२ lsquoघटननमो भ रक ह पऩनहाती कऩड़rsquo- इस परमोग भ भाॉ की फचच क परनत सािधानी चॊचर फचच को चोट ऩहॉचाए बफना उस कऩड़ ऩहनान स भाॉ क भातति की कशरता बफॊबफतहोती ह |

३ ldquoककस तमाय स दखता ह फचचा भॉह कोrdquo- ऩॊनदकत भ भाॉ ndashफचच का िातसलम बफॊबफत हआ ह | भाॉ स पमाय ndashदराय सऩशय ndashसख नहराए जान क आनॊद को अनबि कयत हए फचचा भाॉ को पमाय बयी नजयो स दख कय उस सख की असबवमनदकत कय यहा ह |मह सकषभ बाि अतमॊत भनोयभ फन ऩड़ा ह |सॊऩणय रफाई भ दशम बफॊफ ह|

परशन ३-कावमाॊश क शबद-परमोग ऩय हटपऩणी सरणखए |

उततय -गस ndashउदय शबदो का परमोग

घटननमो वऩनदहाती ndash दशज शबदो क भाधमभ स कोभरता की असबवमनदकत

छरक ndashछरक ndashशबद की ऩनयािनदतत स अबी ndashअबी नहराए गए फचच क गीर शयीय का बफॊफ

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आहद विरण परमोग रफाइमो को विसशरषट फना दत ह | हहॊदीउदय औय रोकबारा क अनठ गठफॊधन की झरक नदजस गाॊधीजी हहॊदसतानी क रऩ भ ऩलरवित कयना चाहत थदखन को सभरती ह |

पवषम-वसत ऩय आधारयत परशनोततय

रफाइमाॉ

परशन १ -कावम भ परमकत बफॊफो का िणयन अऩन शबदो भ कीनदजए

उततय -

दशम बफॊफ -फचच को गोद भ रना हिा भ उछारना सनान कयाना घटनो भ रकय कऩड़ ऩहनाना|

शरवमबफॊफ - फचच का णखरणखरा कय हॉस ऩड़ना सऩशय बफॊफ -फचच को सनान कयात हए सऩशय कयना |

परशन २-ldquoआॉगन भ ठनक यहा ह नदज़दमामा ह फारक तो हई चाॉद ऩ ररचामा हrsquo- भ फारक की कौन सी विशरता असबवमकत हई ह

उततय - इन ऩॊनदकतमो भ फारक की हि कयन की पवशषता असबवमकत हई ह फचच जफ नदजद ऩय आ जात ह तो अऩनी इचछा ऩयी कयिान क सरए नाना परकाय की हयकत ककमा कयत ह| नदज़दमामा शबद रोक बाषा का पवरण परमोग ह इसभ फचच का िनकना तनकना ऩाॉव ऩटकना योना आठद सबी ककरमाएॉ शासभर ह |

परशन ३ रचछ ककस कहा गमा ह इनका सॊफॊध ककस तमौहाय स ह

उततय - याखी क चभकीर तायो को रचछ कहा गमा ह याफॊधन क कचच धागो ऩय बफजरी क रचछ ह सािन भ याफॊधन आता ह सािन का जो सॊफॊध झीनी घटा स ह घटा का जो सॊफॊध बफजरी स ह िही सॊफॊध बाई का फहन स होता ह|सािन भ बफजरी की चभक की तयह याखी क चभकीर धागो की सॊदयता दखत ही फनती ह|

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अथट-गरहण-सॊफॊधी परशन

गज़र

कफ़याक गोयखऩयी

ldquoनौयस गॊच ऩॊखडड़मो की नाज़क धगयह खोर ह

मा उड़ जान को यॊगो- फ गरशन भ ऩय तौर ह |rdquo

परशन१- lsquoनौयसrsquo विशरण दिाया कवि ककस अथय की वमॊजना कयना चाहता ह

उततय नौयस अथायत नमा यस गॊच अथायत कसरमो भ नमा ndashनमा यस बय आमा ह |

परशन२- ऩॊखडड़मो की नाज़क धगयह खोरन का कमा असबपराम ह

उततय - यस क बय जान स कसरमाॉ विकससत हो यही ह |धीय-धीय उनकी ऩॊखडड़माॉ अऩनी फॊद गाॉठ खोर यही ह | कवि क शबदो भ नियस ही उनकी फॊद गाॉठ खोर यहा ह|

परशन३- lsquoयॊगो- फ गरशन भ ऩय तौर हrsquo ndash का अथय सऩरषट कीनदजए|

उततय -यॊग औय सगॊध दो ऩी ह जो कसरमो भ फॊद ह तथा उड़ जान क सरए अऩन ऩॊख पड़पड़ा यह ह |मह नदसथनत कसरमो क पर फन जान स ऩिय की ह जो पर फन जान की परतीा भ ह |rsquoऩय तौरनाrsquo एक भहािया ह जो उड़ान की भता आॉकन क सरए परमोग ककमा जाता ह |

परशन४- इस शय का बाि-सौदमय वमकत कीनदजए|

उततय -कसरमो की नई-नई ऩॊखडड़माॉ णखरन रगी ह उनभ स यस भानो टऩकना ही चाहता ह | िमसॊधध(ककशोयी)नानमका क परसपहटत होत सौदमय का परतीकातभक धचतरण अतमॊत सॊदय फन ऩड़ा ह |

सौदमट-फोध-सॊफॊधी परशन

हभ हो मा ककसभत हो हभायी दोनो को इक ही काभ सभरा ककसभत हभ को यो रि ह हभ ककसभत को यो र ह| जो भझको फदनाभ कय ह काश ि इतना सोच सक

भया ऩदाय खोर ह मा अऩना ऩदाय खोर ह | परशन१- इन शयो की बारा सॊफॊधी विशरताएॉ सऩरषट कीनदजए |

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उततय- १ भहाियो का परमोग ndashककसभत का योना ndashननयाशा का परतीक

२सयर असबवमनदकत बारा भ परिाहभमता ह ककसभत औय ऩयदा शबदो की ऩनयािनदततमाॉ

भोहक ह|

३ हहॊदी का घयर रऩ

परशन२- lsquoभया ऩयदा खोर ह मा अऩना ऩयदा खोर ह lsquo- की बावरक विशरता सरणखए |

उततय -भहािय क परमोग दिाया वमॊजनातभक असबवमनदकत | ऩयदा खोरना ndash बद खोरना सचचाई फमान कयना|

परशन३-lsquoहभ हो मा ककसभत हो हभायी lsquo ndashपरमोग की विशरता फताइए |

उततय - हभ औय ककसभत दोनो शबद एक ही वमनदकत अथायत कियाक क सरए परमकत ह | हभ औय ककसभत भ अबद ह मही विशरता ह |

कफ़याक गोयखऩयी

पवषम-वसत ऩय आधारयत परशनोततय

परशन१- ताय आॉख झऩकाि ह ndashका तातऩमय सऩरषट कीनदजए |

उततय- याबतर का सनदनाटा बी कछ कह यहा हइससरए ताय ऩरक झऩका यह ह विमोग की नदसथनत भ परकनत बी सॊिाद कयती परतीत होती ह |

परशन२- lsquoहभ हो मा ककसभत हो हभायीrsquo भ ककस बाि की असबवमनदकत हई ह

उततय- जीिन की विडॊफना ककसभत को योना-भहािय क परमोग स सटीक असबवमनदकत परापत कयती ह कवि जीिन स सॊतरषट नहीॊ ह | बागम स सशकामत का बाि इन ऩॊनदकतमो भ झरकता ह |

परशन३- परभ क ककस ननमभ की असबवमनदकत कवि न की ह

उततय -ईशिय की परानदपत सियसि रटा दन ऩय होती ह परभ क सॊसाय का बी मही ननमभ ह|कवि क शबदो भ rdquo कितयत का कामभ ह तिाज़न आरभ- हसनो ndashइशक भ बी

उसको उतना ही ऩात ह खद को नदजतना खो र ह |rdquo

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१ बाि ndashसामम- कफीय -lsquoसीस उताय बई धय तफ सभसरह कयतायlsquo-अथायत -सिमॊ को खो कय ही परभ परानदपत की जा सकती ह

२ बाि सामम- कफीय ndashनदजन ढॉढा नतन ऩाइमाॉ गहय ऩानी ऩहठ|

भ फऩया फडन डया यहा ककनाय फहठ |

परशन४- शयाफ की भहकपर भ शयाफी को दय यात कमा फात माद आती ह

उततय - शयाफ की भहकपर भ शयाफी को दय यात माद आती ह कक आसभान भ भनरषम क ऩाऩो का रखा-जोखा होता ह जस आधी यात क सभम परयशत रोगो क ऩाऩो क अधमाम खोरत ह िस ही यात क सभम शयाफ ऩीत हए शामय को भहफफा की माद हो आती ह भानो भहफफा परयशतो की तयह ऩाऩ सथर क आस ऩास ही ह

परशन५- सदक कियाकndashndashndashइन ऩॊनदकतमो का अथय सऩरषट कीनदजए |

उततय -सदक कियाकndashndashndashइन ऩॊनदकतमो भ कियाक कहत ह कक उनकी शामयी भ भीय की शामयी की उतकरषटता धिननत हो यही ह

परशन६- ऩॊखडड़मो की नाज़क धगयह खोरना कमा ह

उततय -ऩॉखडड़मो की नाजक धगयह खोरना उनका धीय -धीय विकससत होना ह

िमसॊधध(ककशोयी)नानमका क परसपहटत होत सौदमय की ओय सॊकत ह |

परशन७-lsquoमो उड़ जान को यॊगो फ गरशन भ ऩय तौर हrsquo बाि सऩरषट कीनदजए

उततय -कसरमो की सिास उड़न क सरए भानो ऩय तौर यही होअथायत खशफ का झोका यहndashयह कय उठता ह

परशन८- कवि दिाया िणणयत याबतर क दशम का िणयन अऩन शबदो भ कीनदजए

उततय - याबतर का सनदनाटा बी कछ कह यहा हइससरए ताय ऩरक झऩका यह हरगता ह कक परकनत का कण-कण कछ कह यहा ह |

परशन९- कवि अऩन िमनदकतक अनबि ककन ऩॉनदकतमो भ वमकत कय यहा ह

जीिन की विडॊफना-lsquoककसभत को योनाlsquo भहािय क परमोग स सटीक असबवमनदकत परापत कयती ह

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ldquoहभ हो मा ककसभत हो हभायी दोनो को इक ही काभ सभरा

ककसभत हभ को यो रि ह हभ ककसभत को यो र ह|rdquo

परशन१०- शामय न दननमा क ककस दसतय का िणयन ककमा ह

उततय -शामय न दननमा क इस दसतय का िणयन ककमा ह कक रोग दसयो को फदनाभ कयत ह ऩयॊत ि नहीॊ जानत कक इस तयह ि अऩनी दरषट परकनत को ही उदघाहटत कयत ह

परशन११- परभ की कितयत कवि न ककन शबदो भ असबवमकत की ह

सिमॊ को खो कय ही परभ की परानदपत की जा सकती ह ईशिय की परानदपत सियसि रटा दन ऩय होती ह परभ क सॊसाय का बी मही ननमभ ह

परशन१२- कियाक गोयखऩयी ककस बारा क कवि ह

उततय - उदय बारा

10 छोटा भया खत

उभाशॊकय जोशी

(गजयाती कपव)

उभाशॊकय जोशी फीसिीॊ सदी क गजयाती क भधयनदम कवि सॊसकत िाङभम क विदिान हउनदहोन गजयाती कविता को परकनत स जोड़ाआभ आदभी क जीिन की झरक उनकी यचनाओॊ भ सभरती ह

छोटा भया खत

साय

खती क रऩक दिाया कावम यचनाndash परककरमा को सऩषट ककमा गमा हकावम कनत की यचना फीजndash वऩन स रकय ऩौध क ऩजषऩत होन क पवलबनन चयणो स गजयती हअॊतय किर इतना ह कक कपव कभट की पसर कारजमी शाशित होती हउसका यस-यण अम होता हकागज का ऩनदना नदजस ऩय यचना शबदफदध होती ह कवि को एक चौकोय खत की तयह रगता ह इस खत

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भ ककसी अॉधड़ (आशम बािनातभक आॉधी स होगा) क परबाि स ककसी ण एक फीज फोमा जाता ह मह फीज-यचना विचाय औय असबवमनदकत का हो सकता ह मह भर रऩ कलऩना का सहाया रकय विकससत होता ह औय परककरमा भ सिमॊ विगसरत हो जाता ह उसस शबदो क अॊकय ननकरत ह औय अॊतत कनत एक ऩणय सिरऩ गरहण कयती ह जो कवर-कभय क सरहाज स ऩलरवित -ऩनदरषऩत होन की नदसथनत ह साहहनदतमक कनत स जो अरौककक यस-धाया पटती ह िह ण भ होन िारी योऩाई का ही ऩरयणाभ ह ऩय मह यस-धाया अनॊत कार तक चरन िारी कटाई ह |

फगरो क ऩॊख

साय

फगरो क ऩॊख कविता एक चार बफॊफ की कविता ह सौदमय का अऩकषत परबाि उतऩनदन कयन क सरए कविमो न कई मनदकतमाॉ अऩनाई ह नदजसभ स सफस परचसरत मनदकत ह-सौदमय क वमौयो क धचतरातभक िणयन क साथ अऩन भन ऩय ऩड़न िार उसक परबाि का िणयन औय आतभगत क सॊमोग की मह मनदकत ऩाठक को उस भर सौदमय क कापी ननकट र जाती ह जोशी जी की इस कविता भ ऐसा ही ह कवि कार फादरो स बय आकाश भ ऩॊनदकत फनाकय उड़त सपद फगरो को दखता ह ि कजयाय फादरो भ अटका-सा यह जाता ह िह इस भामा स अऩन को फचान की गहाय रगाता ह कमा मह सौदमय स फाॉधन औय विॊधन की चयभ नदसथनत को वमकत कयन का एक तयीका ह

परकनत का सितॊतर (आरॊफन गत ) धचतरण आधननक कविता की विशरता हधचतरातभक िणयन दिाया कवि न एक ओय कार फादरो ऩय उड़ती फगरो की शित ऩॊनदकत का धचतर अॊककत ककमा ह तो दसयी ओय इस अपरनतभ दशम क रदम ऩय ऩड़न िार परबाि को धचबतरत ककमा हभॊतर भगध कवि इस दशम क परबाि स आतभ विसभनत की नदसथनत तक ऩहॉच जाता हविरम एिॊ विरमीगत सौनददमय क दोनो रऩ कविता भ उदघाहटत हए ह

अथट-गरहण-सॊफॊधी परशन

ldquoछोटा भया खत चौकोना

कागज़ का एक ऩनदना कोई अॊधड़ कहीॊ स आमा

ण का फीज िहाॉ फोमा गमा|

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कलऩना क यसामनो को ऩी

फीज गर गमा ननशर शबद क अॊकय पट

ऩलरि ndashऩरषऩो स नसभत हआ विशर |rdquo

परशन १lsquoछोटा भया खतrsquo ककसका परतीक ह औय कमो

उततय - परशन२ lsquoछोटा भया खतrsquo काग़ज क उस ऩनदन का परतीक ह नदजस ऩय कवि अऩनी कविता सरखता ह

परशन २ कवि खत भ कौनndashसा फीज फोता ह

उततय - कवि खत भ अऩनी कलऩना का फीज फोता ह

परशन ३ कवि की कलऩना स कौन स ऩलरि अॊकरयत होत ह

उततय - कवि की कलऩना स शबद क ऩलरि अॊकरयत होत ह

परशन ४ उऩमयकत ऩद का बाि-सौदमय सऩरषट कीनदजए |

उततय - खती क रऩक दिाया कावम-यचनाndashपरककरमा को सऩषट ककमा गमा हकावम कनत की यचना फीजndash वऩन स रकय ऩौध क ऩजषऩत होन क पवलबनन चयणो स गजयती हअॊतय किर इतना ह कक कपव कभट की पसर कारजमी शाशित होती हउसका यस-यण अम होता ह

सौदमट-फोध-सॊफॊधी परशन

ldquoझभन रग पर

यस अरौककक

अभत धायाएॉ पटतीॊ

योऩाई ण की

कटाई अनॊतता की

रटत यहन स जया बी कभ नहीॊ होती |

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यस का अम ऩातर सदा का

छोटा भया खत चौकोना |rdquo

परशन इस कविता की बारा सॊफॊधी विशरताओॊ ऩय परकाश डासरए ndash

उततय - १ परतीकातभकता

२ राणणकता -

२रऩक अरॊकायndash यस का अम ऩातर सदा का

छोटा भया खत चौकोना

परशन २ यस अरौककक अभत धायाएॉ योऩाई ndash कटाई-परतीको क अथय सऩरषट कीनदजए |

उततय - यस अरौककक ndash कावम यस ननरषऩनदतत

अभत धायाएॉ- कावमानॊद

योऩाई ndash अनबनत को शबदफदध कयना

कटाई ndashयसासिादन

पवषम-वसत ऩय आधारयत परशनोततय

कपवता ndash

छोटा भया खत

परशन १ उभाशॊकय जोशी न ककस बारा भ कविताएॉ सरखी ह

उततय - गजयाती बारा

परशन२ कवरndashकभय एिॊ कविndashकभय भ कमा कमा सभानताएॉ ह

उततय - कवरndashकभय एिॊ कविndashकभय भ ननमनसरणखत सभानताएॉ ह-

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कावम कनत की यचना फीजndash वऩन स रकय ऩौध क ऩजषऩत होन क पवलबनन चयणो स गजयती ह

कपषndashकभट एवॊ कपवndashकभट भ सभानताएॉ -

कागज का ऩनदना नदजस ऩय यचना शबदफदध होती ह कवि को एक चौकोय खतरगता ह इस खत भ ककसी अॉधड़ (आशम बािनातभक आॉधी स होगा) क परबाि स ककसी ण

एक फीज फोमा जाता ह मह फीज-यचना विचाय औय असबवमनदकत का हो सकता ह मह भर रऩ कलऩना का सहाया रकय विकससत होता ह औय परककरमा भ सिमॊ विगसरत

हो जाता ह इसीपरकाय फीज बी खाद ऩानी समय की योशनी हिा आहद रकय विकससत होता ह |

कावम ndashयचना स शबदो क अॊकय ननकरत ह औय अॊतत कनत एक ऩणय सिरऩ गरहण कयती ह जो कवर-कभय क सरहाज स ऩलरवित ndashऩनदरषऩत औय पसरत होन की नदसथनत ह अथट-गरहण-सॊफॊधी परशन

कपवताndash फगरो क ऩॊख

नब भ ऩाॉती- फॉध फगरो क ऩॊख

चयाए सरए जातीॊ ि भयी आॉख |

कजयाय फादरो की छाई नब छामा

हौरndashहौर जाती भझ फाॉध ननज भामा स |

उस कोई तननक योक यकखो |

िह तो चयाए सरए जाती भयी आॉख

नब भ ऩाॉती- फॉधी फगरो की ऩाॉख |

तयती साॉझ की सतज शित कामा|

परशन१- इस कविता भ कवि न ककसका धचतरण ककमा ह

उततय - कवि न कार फादरो ऩय उड़ती फगरो की शित ऩॊनदकत का धचतरण ककमा ह|

परशन२- आॉख चयान का कमा अथय ह

उततय - आॉख चयान का आशम ह ndashधमान ऩयी तयह खीॊच रना एकटक दखना भॊतरभगध कय दना

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परशन३-

ldquoकजयाय फादरो की छाई नब छामा

हौर ndashहौर जाती भझ फाॉध ननज भामा स |rdquo- आशम सऩरषट कीनदजए |

उततय- कार फादरो क फीच साॉझ का सयभई िाताियण फहत सॊदय हदखता ह | ऐसा अपरनतभ सौदमय अऩन आकरयण भ कवि को फाॉध रता ह |

परशन ४ ldquoउस कोई तननक योक यकखो |rsquo- स कवि का कमा असबपराम ह

उततय - फगरो की ऩॊनदकत आकाश भ दय तक उड़ती जा यही ह कवि की भॊतरभगध आॉख उनका ऩीछा कय यही ह | कवि उन फगरो को योक कय यखन की गहाय रगा यहा ह कक कहीॊ ि उसकी आॉख ही अऩन साथ न र जाएॉ |

सौदमट-फोध-सॊफॊधी परशन

परशन १ कविता की बारा सॊफॊधी दो विशरताएॉ सरणखए|

उततय -१ धचतरातभक बारा

२ फोरचार क शबदो का परमोग - हौर ndashहौर ऩाॉती कजयायसाॉझ

परशन २ कविता भ परमकत अरॊकाय चन कय सरणखए |

उततय - अनपरास अरॊकाय - फॉध फगरो क ऩॊख

भानिीकयण अरॊकाय - चयाए सरए जातीॊ ि भयी आॉख |

परशन ३ -lsquo ननज भामाrsquo क राणणक अथय को सऩरषट कीनदजए |

उततय - परकनत का अपरनतभ सौदमय िह भामा ह जो कवि को आतभविबोय कय दती हमह ऩॊनदकत बी परशॊसातभक उनदकत ह

पवषम-वसत ऩय आधारयत परशनोततय

परशन१- lsquoचयाए सरए जाती ि भयी ऑ ॊखrsquo स कवि का कमा तातऩमय ह

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उततय -धचतरातभक िणयन दिाया कवि न एक ओय कार फादरो ऩय उड़ती फगरो की शित ऩॊनदकत का धचतर अॊककत ककमा ह तथा इस अपरनतभ दशम क रदम ऩय ऩड़न िार परबाि को धचबतरत ककमा ह कवि क अनसाय मह दशम उनकी आॉख चयाए सरए जा यहा ह |भॊतर भगध कवि इस दशम क परबाि स आतभ विसभनत की नदसथनत तक ऩहॉच जाता ह

परशन२-कवि ककस भामा स फचन की फात कहता ह

उततय - भामा विशि को अऩन आकरयण भ फाॉध रन क सरए परससदध ह | कफीय न बी lsquoभामा भहा ठधगनी हभ जानीrsquo कहकय भामा की शनदकत को परनतऩाहदत ककमा ह | कार फादरो भ फगरो की सॊदयता अऩना भामा जार परा कय कवि को अऩन िश भ कय यही ह |

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आयोह बाग-२ गदम-बाग

परशन-सॊखमा १०- गदम खॊड भ हदए गए ऩहठत गदमाॊश स अथयगरहण सॊफॊधी चाय परशन ऩछ जाएॉग नदजनक सरए ननधायरयत अॊक (२४=८) ह |

परशन-सॊखमा ११- ऩाठो की विरमिसत स सॊफॊधधत ऩाॉच भ स चाय परशनो क उततय दन ह नदजनक सरए ननधायरयत अॊक (३४=१२) ह|

ऩयीा भ अचछ अॊक परातत कयन क लरए धमान दन मोगम फात ndash

1 रख एिॊ ितयनी की शदधता तथा िाकम-गठन ऩय धमान द | 2 हय ऩाठ का सायऩरषठबसभविरमिसत तथाकथानक को सभझना आिशमक ह |

अतविदमाथी हय ऩाठ का सायाॊश बरीबाॉनत माद कय र | 3 परशनो को धमान स ऩढ़ तदनसाय अऩकषत उततय सरख | 4 उततय सरखत सभम सॊफॊधधत भखम बफॊदओॊ का शीरयकफनात हए उततय सरख मथा-तीन

अॊक क परशनो क उततय सरखत सभम कभ स कभ तीन भखम उततय-बफ ॊदओॊ का उलरख कयत हए उततय सऩरषट कय |

5 अॊक-मोजना क अनसाय ननधायरयत शबद-सीभा क अॊतगयत उततय सरख | ऩयीाथी कई फाय एक अॊक क परशन का उततय फहत रॊफा कई फाय ऩया ऩरषठ सरख दत ह जो सभम औय ऊजाय की फफायदी ह |

6 धमान यह कक अधधक सरखन स अचछ अॊक नहीॊ आत फनदलक सयर-सफोध बारा भ सरख गए सटीक उततय सायगसबयत तथम तथा उदाहयण क दिाया सऩरषट ककए गए उततय परबािशारी होत ह |

ऩाि 11 - बजकतन

रखखका- भहादवी वभाट

ऩाि का सायाॊश- बनदकतन नदजसका िासतविक नाभ रकषभी थारणखका lsquoभहादिी िभायrsquo की सविका ह | फचऩन भ ही बनदकतन की भाॉ की भतम हो गमी| सौतरी भाॉ न ऩाॉच िरय की आम भ वििाह तथा नौ िरय की आम भ गौना कय बनदकतन को ससयार बज हदमा| ससयार भ बनदकतन न तीन फहटमो को जनदभ हदमा नदजस कायण उस सास औय नदजठाननमो की उऩा सहनी ऩड़ती थी| सास औय नदजठाननमाॉ आयाभ पयभाती थी औय बनदकतन तथा उसकी ननदहीॊ फहटमो को घय औय खतो का साया काभ कयना ऩडता था| बनदकतन का ऩनत उस फहत चाहता था| अऩन ऩनत क सनह क फर ऩय बनदकतन न ससयार िारो स अरगौझा कय अऩना अरग घय फसा सरमा औय सख स यहन रगी ऩय बनदकतन का दबायगम अलऩाम भ ही उसक ऩनत की भतम हो गई | ससयार िार

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बनदकतन की दसयी शादी कय उस घय स ननकारकय उसकी सॊऩनदतत हड़ऩन की सानदजश कयन रग| ऐसी ऩरयनदसथनत भ बनदकतन न अऩन कश भॊडा सरए औय सॊनदमाससन फन गई | बनदकतन सिासबभानी सॊघरयशीर कभयठ औय दढ सॊकलऩ िारी सतरी ह जो वऩतसततातभक भानदमताओॊ औय छर-कऩट स बय सभाज भ अऩन औय अऩनी फहटमो क हक की रड़ाई रड़ती हघय गहसथी सॉबारन क सरए अऩनी फड़ी फटी दाभाद को फरा सरमा ऩय दबायगम न महाॉ बी बनदकतन का ऩीछा नहीॊ छोड़ा अचानक उसक दाभाद की बी भतम हो गमी| बनदकतन क जठ-नदजठौत न सानदजश यचकय बनदकतन की विधिा फटी का वििाह जफयदसती अऩन तीतयफाज सार स कय हदमा| ऩॊचामत दिाया कयामा गमा मह सॊफॊध दखदामी यहा | दोनो भाॉ-फटी का भन घय-गहसथी स उचट गमा ननधयनता आ गमी रगान न चका ऩान क कायण जभीॊदाय न बनदकतन को हदन बय धऩ भ खड़ा यखा| अऩभाननत बनदकतन ऩसा कभान क सरए गाॉि छोड़कय शहय आ जाती ह औय भहादिी की सविका फन जाती ह| बनदकतन क भन भ भहादिी क परनत फहत आदय सभऩयण औय असबबािक क सभान अधधकाय बाि ह| िह छामा क सभान भहादिी क साथ यहती ह| िह यात-यात बय जागकय धचतरकायी मा रखन जस कामय भ वमसत अऩनी भारककन की सिा का अिसय ढॉढ रती ह| भहादिी बनदकतन को नहीॊ फदर ऩामी ऩय बनदकतन न भहादिी को फदर हदमा| बनदकतन क हाथ का भोटा-दहाती खाना खात-खात भहादिी का सिाद फदर गमा बनदकतन न भहादिी को दहात क ककसस-कहाननमाॉ ककॊ िदॊनतमाॉ कॊ ठसथ कया दी| सिबाि स भहाकॊ जस होन ऩय बी बनदकतन ऩाई-ऩाई कय जोडी हई १०५ रऩमो की यासश को सहरय भहादिी को सभवऩयत कय दती ह| जर क नाभ स थय-थय काॉऩन िारी बनदकतन अऩनी भारककन क साथ जर जान क सरए फड़ राट साहफ तक स रड़न को बी तमाय हो जाती ह| बनदकतन भहादिी क जीिन ऩय छा जान िारी एक ऐसी सविका ह नदजस रणखका नहीॊ खोना चाहती

ऩाि आधारयत परशनोततय

नोट- उततय भ ननहहत यखाॊककत िाकम भखम सॊकत बफॊद ह |

परशन 1-बजकतन का वासतपवक नाभ कमा था वह अऩन नाभ को कमो छऩाना चाहती थी

उततय-बनदकतन का िासतविक नाभ रकषभी था हहनददओॊ क अनसायरकषभी धन की दिीह चॉकक बनदकतन गयीफ थी| उसक िासतविक नाभ क अथय औय उसक जीिन क मथाथय भ वियोधाबास ह ननधयन बनदकतन सफको अऩना असरी नाभ रकषभी फताकय उऩहास का ऩातर नहीॊ फनना चाहती थी इससरए िह अऩना असरी नाभ छऩाती थी

परशन 2- रखखका न रकषभी का नाभ बजकतन कमो यखा

उततय-घटा हआ ससय गर भ कॊ ठी भारा औय बकतो की तयह सादगीऩणय िशबरा दखकय भहादिी िभाय न रकषभी का नाभ बनदकतन यख हदमा | मह नाभ उसक वमनदकतति स ऩणयत भर खाता था |

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परशन 3-बजकतन क जीवन को ककतन ऩरयचछदो भ पवबाजजत ककमा गमा ह

उततय- बनदकतन क जीिन को चाय बागो भ फाॉटा गमा ह-

ऩहरा ऩरयचछद-बनदकतन का फचऩन भाॉ की भतम विभाता क दिाया बनदकतन का फार-वििाह कया दना

दपवतीम ऩरयचछद-बनदकतन का ििाहहक जीिन सास तथा नदजठाननमो का अनदमामऩणय वमिहाय ऩरयिाय स अरगौझा कय रना

ततीम ऩरयचछद- ऩनत की भतम विधिा क रऩ भ सॊघरयशीर जीिन चतथट ऩरयचछद- भहादिी िभाय की सविका क रऩ भ

परशन 4- बजकतन ऩाि क आधाय ऩय बायतीम गराभीण सभाज भ रड़क-रड़ककमो भ ककम जान वार बदबाव का उलरख कीजजए |

बायतीम गराभीण सभाज भ रड़क-रड़ककमो भ बदबाि ककमा जाता ह| रड़ककमो को खोटा ससकका मा ऩयामा धन भाना जाता ह| बनदकतन न तीन फहटमो को जनदभ हदमा नदजस कायण उस सास औय नदजठाननमो की उऩा सहनी ऩड़ती थी| सास औय नदजठाननमाॉ आयाभ पयभाती थी कमोकक उनदहोन रड़क ऩदा ककए थ औय बनदकतन तथा उसकी ननदहीॊ फहटमो को घय औय खतो का साया काभ कयना ऩडता था| बनदकतन औय उसकी फहटमो को रखा-सखा भोटा अनाज खान को सभरता था जफकक उसकी नदजठाननमाॉ औय उनक कार-करट फट दध-भराई याफ-चािर की दाित उड़ात थ

परशन 5-बजकतन ऩाि क आधाय ऩय ऩॊचामत क नमाम ऩय ठटतऩणी कीजजए |

बनदकतन की फटी क सनददबय भ ऩॊचामत दिाया ककमा गमा नदमाम तकय हीन औय अॊध कानन ऩय आधारयतह | बनदकतन क नदजठौत न सॊऩनदतत क रारच भ रडमॊतर कय बोरी फचची को धोख स जार भ पॊ सामा| ऩॊचामत न ननदोर रड़की की कोई फात नहीॊ सनी औय एक तयिा पसरा दकय उसका वििाह जफयदसती नदजठौत क ननकमभ तीतयफाज सार स कय हदमा | ऩॊचामत क अॊध कानन स दरषटो को राब हआ औय ननदोर को दॊड सभरा |

परशन 6-बजकतन की ऩाक-करा क फाय भ ठटतऩणी कीजजए |

बनदकतन को ठठ दहाती सादा बोजन ऩसॊद था | यसोई भ िह ऩाक छत को फहत भहतति दती थी | सफह-सिय नहा-धोकय चौक की सपाई कयक िह दिाय ऩय कोमर की भोटी यखा खीॊच दती थी| ककसी को यसोईघय भ परिश कयन नहीॊ दती थी| उस अऩन फनाए बोजन ऩय फड़ा असबभान था| िह अऩन फनाए बोजन का नतयसकाय नहीॊ सह सकती थी |

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परशन 7- लसदध कीजजए कक बजकतन तकट -पवतकट कयन भ भाठहय थी |

बनदकतन तकय ऩट थी | कश भॉडान स भना ककए जान ऩय िह शासतरो का हिारा दत हए कहती ह lsquoतीयथ गए भॉडाए ससदधrsquo | घय भ इधय-उधय यख गए ऩसो को िह चऩचाऩ उठा कय छऩा रती ह टोक जानऩय िह िह इस चोयी नही भानती फनदलक िह इस अऩन घय भ ऩड़ ऩसो को सॉबारकय यखना कहती ह| ऩढाई-सरखाई स फचन क सरए बी िह अचक तकय दती ह कक अगय भ बी ऩढ़न रगॉ तो घय का काभ कौन दखगा

परशन 8-बजकतन का दबाटगम बी कभ हिी नही था रखखका न ऐसा कमो कहा ह

उततय- बजकतन का दबाटगम उसका ऩीछा नहीॊ छोड़ता था-

1- फचऩन भ ही भाॉ की भतम 2- विभाता की उऩा 3- बनदकतन(रकषभी) का फारवििाह 4- वऩता का ननधन 5- तीन-तीन फहटमो को जनदभ दन क कायण सास औय नदजठाननमो क दिाया बनदकतन की

उऩा 6- ऩनत की असभम भतम 7- दाभाद का ननधन औय ऩॊचामत क दिाया ननकमभ तीतयफाज मिक स बनदकतन की विधिा

फटी का जफयन वििाह 8- रगान न चका ऩान ऩय जभीॊदाय क दिाया बनदकतन का अऩभान

परशन 9-बजकतन न भहादवी वभाट क जीवन ऩय कस परबापवत ककमा

उततय- बनदकतन क साथ यहकय भहादिी की जीिन-शरी सयर हो गमी ि अऩनी सविधाओॊ की चाह को नछऩान रगीॊ औय असविधाओॊ को सहन रगीॊ बनदकतन न उनदह दहाती बोजन णखराकय उनका सिाद फदर हदमा बनदकतन भातर एक सविका न होकय भहादिी की असबबािक औय आतभीम फन गमीबनदकतन भहादिी क जीिन ऩय छा जान िारी एक ऐसी सविका ह नदजस रणखका नहीॊ खोना चाहती

परशन 10- बजकतन क चरयतर की पवशषताओॊ का उलरख कीजजए

उततय- भहादिी िभाय की सविका बनदकतन क वमनदकतति की विशरताएॊ ननमनाॊककत ह-

सभवऩयत सविका सिासबभानी

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तकय शीरा ऩरयशरभी सॊघरयशीर

परशन 11-बजकतन क दगटणो का उलरख कय

उततय- गणो क साथ-साथ बनदकतन क वमनदकतति भ अनक दगयण बी ननहहत ह-

1 िह घय भ इधय-उधय ऩड़ रऩम-ऩस को बॊडाय घय की भटकी भ छऩा दती ह औय अऩन इस कामय को चोयी नहीॊ भानती

2 भहादिी क करोध स फचन क सरए बनदकतन फात को इधय-उधय कयक फतान को झठ नही भानती अऩनी फात को सही ससदध कयन क सरए िह तकय -वितकय बी कयती ह

3 िह दसयो को अऩनी इचछानसाय फदर दना चाहती ह ऩय सिमॊ बफरकर नही फदरती परशन 12 ननमनाॊककत बाषा-परमोगो का अथट सऩषट कीजजए-

ऩहरी कनमा क दो औय सॊसकयण कय िार- बनदकतन न अऩनी ऩहरी कनदमा क फाद उसक जसी दो औय कनदमाएॉ ऩदा कय दी अथायत बनदकतन क एक क फाद एक तीन फहटमाॉ ऩदा हो गमीॊ |

खोट लसकको की टकसार जसी ऩतनी- आज बी असशकषत गराभीण सभाज भ फहटमो को

खोटा ससकका कहा जाता ह बनदकतन न एक क फाद एक तीन फहटमाॉ ऩदा कय दी इससरए उस खोट ससकक को ढारन िारी भशीन कहा गमा

परशन 13-बजकतन ऩाि भ रखखका न सभाज की ककन सभसमाओॊ का उलरख ककमा ह

उततय- बनदकतन ऩाठ क भाधमभ स रणखका न बायतीम गराभीण सभाज की अनक सभसमाओॊ का उलरख ककमा ह-

1 रड़क-रड़ककमो भ ककमा जान िारा बदबाि 2 विधिाओॊ की सभसमा 3 नदमाम क नाभ ऩय ऩॊचामतो क दिाया नदसतरमो क भानिाधधकाय को कचरना 4 असशा औय अॊधविशिास

गदमाॊश-आधारयत अथटगरहण सॊफॊधधत परशनोततय

ऩरयिाय औय ऩरयनदसथनतमो क कायण सिबाि भ जो विरभताएॉ उतऩनदन हो गई ह उनक बीतय स एक सनह औय सहानबनत की आबा पटती यहती ह इसी स उसक सॊऩकय भ आनिार वमनदकत उसभ जीिन की सहज भासभयकता ही ऩात ह छातरािास की फासरकाओॊ भ स कोई अऩनी चाम

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फनिान क सरए दहरी ऩय फठी यहती ह कोई फाहय खडी भय सरए नाशत को चखकय उसक सिाद की वििचना कयती यहती ह भय फाहय ननकरत ही सफ धचडड़मो क सभान उड़ जाती ह औय बीतय आत ही मथासथान वियाजभान हो जाती ह इनदह आन भ रकािट न हो सॊबित इसी स बनदकतन अऩना दोनो जन का बोजन सिय ही फनाकय ऊऩय क आर भ यख दती ह औय खात सभम चौक का एक कोना धोकय ऩाकndashछत क सनातन ननमभ स सभझौता कय रती ह

भय ऩरयधचतो औय साहहनदतमक फॊधओॊ स बी बनदकतन विशर ऩरयधचत ह ऩय उनक परनत बनदकतन क समभान की भातरा भय परनत उनक समभान की भातरा ऩय ननबयय ह औय सदभाि उनक परनत भय सदभाि स नननदशचत होता ह इस सॊफॊध भ बनदकतन की सहज फवदध विनदसभत कय दन िारी ह

(क) बजकतन का सवबाव ऩरयवाय भ यहकय कसा हो गमा ह

उततय-विरभ ऩरयनदसथनतजनदम उसक उगर हठी औय दयागरही सिबाि क फािजद बनदकतन क बीतय सनह औय सहानबनत की आबा पटती यहती ह उसक सॊऩकय भ आन िार वमनदकत उसभ जीिन की सहज भासभयकता ही ऩात ह

(ख) बजकतन क ऩास छातरावास की छातराएॉ कमो आती ह

उततय- बनदकतन क ऩास कोई छातरा अऩनी चाम फनिान आती ह औय दहरी ऩय फठी यहती ह कोई भहादिी जी क सरए फन नाशत को चखकय उसक सिाद की वििचना कयती यहती ह भहादिी को दखत ही सफ छातराएॉ बाग जाती ह उनक जात ही कपय िाऩस आ जातीॊ ह बनदकतन का सहज-सनह ऩाकय धचडड़मो की तयह चहचहान रगती ह |

(ग) छातराओॊ क आन भ रकावट न िारन क लरए बजकतन न कमा उऩाम ककमा

उततय- छातराओॊ क आन भ रकािट न डारन क सरए बनदकतन न अऩन ऩाक-छत क ननमभ स सभझौता कय सरमा | बनदकतन अऩना दोनो िकत का खाना फनाकय सफह ही आर भ यख दती औय खात सभम चौक का एक कोना धोकय िहाॉ फठकय खा सरमा कयती थी ताकक छातराएॉ बफना योक-टोक क उसक ऩास आ सक

(घ) साठहतमकायो क परनत बजकतन क समभान का कमा भाऩदॊि ह

उततय-बनदकतन भहादिी क साहहनदतमक सभतर क परनत सदभाि यखती थी नदजसक परनत भहादिी सिमॊ सदभाि यखती थी | िह सबी स ऩरयधचत हऩय उनक परनत समभान की भातरा भहादिी जी क समभान की भातरा ऩय ननबयय कयती ह िह एक अदभत ढॊग स जान रती थी कक कौन ककतना समभान कयता ह उसी अनऩात भ उसका परापम उस दती थी

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12 फाजाय-दशटन

रखक- जनि कभाय

ऩाि का सायाॊश फाजाय-दशयन ऩाठ भ फाजायिाद औय उऩबोकतािाद क साथ-साथ अथयनीनत एिॊ दशयन स सॊफॊधधत परशनो को सरझान का परमास ककमा गमा ह फाजाय का जाद तबी असय कयता ह जफ भन खारी हो| फाजाय क जाद को योकन का उऩाम मह ह कक फाजाय जात सभम भन खारी ना हो भन भ रकषम बया हो| फाजाय की असरी कताथयता ह जरयत क िकत काभ आना| फाजाय को िही भनरषम राब द सकता ह जो िासति भ अऩनी आिशमकता क अनसाय खयीदना चाहता ह| जो रोग अऩन ऩसो क घभॊड भ अऩनी ऩचनदजॊग ऩािय को हदखान क सरए चीज खयीदत ह ि फाजाय को शतानी वमॊगम शनदकत दत ह| ऐस रोग फाजारऩन औय कऩट फढात ह | ऩस की मह वमॊगम शनदकत वमनदकत को अऩन सग रोगो क परनत बी कतघन फना सकती ह | साधायण जन का रदम रारसा ईरषमाय औय तरषणा स जरन रगता ह | दसयी ओय ऐसा वमनदकत नदजसक भन भ रश भातर बी रोब औय तरषणा नहीॊ ह सॊचम की इचछा नहीॊ ह िह इस वमॊगम-शनदकत स फचा यहता ह | बगतजी ऐस ही आतभफर क धनी आदशय गराहक औय फचक ह नदजन ऩय ऩस की वमॊगम-शनदकत का कोई असय नहीॊ होता | अनक उदाहयणो क दिाया रखक न मह सऩरषट ककमा ह कक एक ओय फाजाय रारची असॊतोरी औय खोखर भन िार वमनदकतमो को रटन क सरए ह िहीॊ दसयी ओय सॊतोरी भन िारो क सरए फाजाय की चभक-दभक उसका आकरयण कोई भहतति नहीॊ यखता

परशन१ - ऩचजजॊग ऩावय ककस कहा गमा ह फाजाय ऩय इसका कमा परबाव ऩड़ता ह

उततय- ऩचनदजॊग ऩािय का अथय ह खयीदन की शनदकत ऩचनदजॊग ऩािय क घभॊड भ वमनदकत हदखाि क सरए आिशमकता स अधधक खयीदायीकयता ह औय फाजाय को शतानी वमॊगम-शनदकत दता ह ऐस रोग फाजाय का फाजारऩन फढ़ात ह

परशन२ -रखक न फाजाय का जाद ककस कहा ह इसका कमा परबाव ऩड़ता ह

उततय- फाजाय की चभक-दभक क चॊफकीम आकरयण को फाजाय का जाद कहा गमा ह मह जाद आॊखो की याह कामय कयता ह फाजाय क इसी आकरयण क कायण गराहक सजी-धजी चीजो को आिशमकता न होन ऩय बी खयीदन को वििश हो जात ह

परशन३ -आशम सऩषट कय

भन खारी होना भन बया होना भन फॊद होना

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उततय-भन खारी होना- भन भ कोई नननदशचत िसत खयीदन का रकषम न होना ननरददशम फाजाय जाना औय वमथय की चीजो को खयीदकय राना

भन बया होना- भन रकषम स बया होना नदजसका भन बया हो िह बरीबाॉनत जानता ह कक उस फाजाय स कौन सी िसत खयीदनी ह अऩनी आिशमकता की चीज खयीदकय िह फाजाय को साथयकता परदान कयता ह

भन फॊद होना-भन भ ककसी बी परकाय की इचछा न होना अथायत अऩन भन को शनदम कय दना

परशन४ - lsquoजहाॉ तषणा ह फटोय यखन की सऩहा ह वहाॉ उस फर का फीज नहीॊ हrsquo महाॊ ककस फर की चचाट की गमी ह

उततय- रखक न सॊतोरी सिबाि क वमनदकत क आतभफरकी चचाय की ह दसय शबदो भ महद भन भ सॊतोर हो तो वमनदकत हदखाि औय ईरषमाय की बािना स दय यहता ह उसभ सॊचम कयन की परिनदतत नहीॊ होती

परशन५ - अथटशासतर अनीनतशासतर कफ फन जाता ह

उततय- जफ फाजाय भ कऩट औय शोरण फढ़न रग खयीददाय अऩनी ऩचधचॊग ऩािय क घभॊड भ हदखाि क सरए खयीददायी कय | भनरषमो भ ऩयसऩय बाईचाया सभापत हो जाए| खयीददाय औय दकानदाय एक दसय को ठगन की घात भ रग यह एक की हानन भ दसय को अऩना राब हदखाई द तो फाजाय का अथयशासतर अनीनतशासतर फन जाता ह ऐस फाजाय भानिता क सरए विडॊफना ह

परशन६-बगतजी फाजाय औय सभाज को ककस परकाय साथटकता परदान कय यह ह

उततय- बगतजी क भन भ साॊसारयक आकरयणो क सरए कोई तरषणा नहीॊ ह ि सॊचम रारच औय हदखाि स दय यहत ह फाजाय औय वमाऩाय उनक सरए आिशमकताओॊ की ऩनत य का साधन भातर ह बगतजी क भन का सॊतोर औय ननसऩह बाि उनको शररषठ उऩबोकता औय विकरता फनात ह

परशन ७ _ बगत जी क वमजकततव क सशकत ऩहरओॊ का उलरख कीजजए |

उततय-ननमनाॊककत बफॊद उनक वमनदकतति क सशकत ऩहर को उजागय कयत ह

ऩॊसायी की दकान स किर अऩनी जरयत का साभान (जीया औय नभक) खयीदना नननदशचत सभम ऩय चयन फचन क सरए ननकरना छह आन की कभाई होत ही चयन फचना फॊद कय दना फच हए चयन को फचचो को भफ़त फाॉट दना

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सबी काजम-जम याभ कहकय सिागत कयना फाजाय की चभक-दभक स आकवरयत न होना सभाज को सॊतोरी जीिन की सशा दना

परशन7-फाजाय की साथटकता ककसभ ह

उततय- भनरषम की आिशमकताओॊ की ऩनतय कयन भ ही फाजाय की साथयकता ह जो गराहक अऩनी आिशमकताओॊ की चीज खयीदत ह ि फाजाय को साथयकता परदान कयत ह जो विकरता गराहको का शोरण नहीॊ कयत औय छर-कऩट स गराहको को रबान का परमास नही कयत ि बी फाजाय को साथयक फनात ह

गदमाॊश-आधारयत अथटगरहण-सॊफॊधधत परशनोततय

फाजाय भ एक जाद ह िह जाद आॉख की तयह काभ कयता ह िह रऩ का जाद ह ऩय जस चॊफक का जाद रोह ऩय ही चरता ह िस ही इस जाद की बी भमायदा ह जफ बयी हो औय भन खारी हो ऐसी हारत भ जाद का असय खफ होता ह जफ खारी ऩय भन बया न हो तो बी जाद चर जाएगा भन खारी ह तो फाजाय की अनकानक चीजो का ननभॊतरण उस तक ऩहॉच जाएगा कहीॊ हई उस िकत जफ बयी तफ तो कपय िह भन ककसकी भानन िारा ह भारभ होता ह मह बी रॉ िह बी रॉ सबी साभान जरयी औय आयाभ को फढ़ान िारा भारभ होता ह ऩय मह सफ जाद का असय ह जाद की सिायी उतयी कक ऩता चरता ह कक प सी-चीजो की फहतामत आयाभ भ भदद नहीॊ दती फनदलक खरर ही डारती ह थोड़ी दय को सिासबभान को जरय सक सभर जाता ह ऩय इसस असबभान को धगलटी की खयाक ही सभरती ह जकड़ यशभी डोयी की हो तो यशभ क सऩशय क भरामभ क कायण कमा िह कभ जकड़ दगी

ऩय उस जाद की जकड़ स फचन का एक सीधा उऩाम ह िह मह कक फाजाय जाओ तो खारी भन न हो भन खारी हो तफ फाजाय न जाओ कहत ह र भ जाना हो तो ऩानी ऩीकय जाना चाहहए ऩानी बीतय हो र का रऩन वमथय हो जाता ह भन रकषम स बया हो तो फाजाय परा का परा ही यह जाएगा तफ िह घाि बफरकर नहीॊ द सकगा फनदलक कछ आनॊद ही दगा तफ फाजाय तभस कताथय होगा कमोकक तभ कछ न कछ सचचा राब उस दोग फाजाय की असरी कताथयता ह आिशमकता क सभम काभ आना

परशन-1 फाजाय क जाद को रखक न कस सऩषट ककमा ह

उततय- फाजाय क रऩ का जाद आॉखो की याह स काभ कयता हआ हभ आकवरयत कयता ह फाजाय का जाद ऐस चरता ह जस रोह क ऊऩय चॊफक का जाद चरता ह चभचभाती योशनी भ सजी

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प सी चीॊज गराहक को अऩनी ओय आकवरयत कयती ह| इसी चमफकीम शनदकत क कायण वमनदकत कपजर साभान को बी खयीद रता ह |

परशन-2 जफ बयी हो औय भन खारी तो हभायी कमा दशा होती ह

उततय- जफ बयी हो औय भन खारी हो तो हभाय ऊऩय फाजाय का जाद खफ असय कयता ह भन खारी ह तो फाजाय की अनकानक चीजो का ननभॊतरण भन तक ऩहॉच जाता ह औय उस सभम महद जफ बयी हो तो भन हभाय ननमॊतरण भ नहीॊ यहता

परशन-3 प सी चीजो की फहतामत का कमा ऩरयणाभ होता ह

उततय- प सी चीज आयाभ की जगह आयाभ भ वमिधान ही डारती ह थोड़ी दय को असबभान को जरय सक सभर जाती ह ऩय हदखाि की परिनदतत भ िवदध होती ह

परशन-4 जाद की जकड़ स फचन का कमा उऩाम ह

उततय- जाद की जकड़ स फचन क सरए एक ही उऩाम ह िह मह ह कक फाजाय जाओ तो भन खारी न हो भन खारी हो तो फाजाय भत जाओ

13 कार भघा ऩानी द

रखक-धभटवीय बायती

ऩाि का सायाॊश -lsquoकार भघा ऩानी दrsquo ननफॊध रोकजीिन क विशिास औय विऻान क तकय ऩय आधारयत ह जफ बीरण गभी क कायण वमाकर रोग िराय कयान क सरए ऩजा-ऩाठ औय कथा-विधान कय थकndashहाय जात ह तफ िराय कयान क सरए अॊनतभ उऩाम क रऩ भ इनददय सना ननकरती ह| इनददय सना नॊग-धड़ॊग फचचो की टोरी ह जो कीचड़ भ रथऩथ होकय गरी-भोहलर भ ऩानी भाॉगन ननकरती ह| रोग अऩन घय की छतो-णखड़ककमो स इनददय सना ऩय ऩानी डारत ह | रोगो की भानदमता ह कक इनददर फादरो क सिाभी औय िराय क दिता ह| इनददर की सना ऩय ऩानी डारन स इनददर बगिान परसनदन होकय ऩानी फयसाएॊग | रखक का तकय ह कक जफ ऩानी की इतनी कभी ह तो रोग भनदशकर स जभा ककए ऩानी को फालटी बय-बयकय इनददय सना ऩय डारकय ऩानी को कमो फफायद कयत ह आमयसभाजी विचायधाया िारा रखक इस अॊधविशिास भानता ह | इसक विऩयीत रखक की जीजी उस सभझाती ह कक मह ऩानी की फफायदी नहीॊ फनदलक ऩानी की फिाई ह | कछ ऩान क सरए कछ दना ऩड़ता ह | तमाग क बफना दान नहीॊ होता| परसतत ननफॊध भ रखक न भरषटाचाय की सभसमा को उठात हए कहा ह कक जीिन भ कछ ऩान क सरए तमाग आिशमक ह जो रोग तमाग औय दान की भहतता को नहीॊ भानत ि ही भरषटाचाय भ सरपत यहकय दश औय सभाज को रटत ह| जीजी की आसथा बािनातभक सचचाई को ऩरषट कयती ह औय तकय किर िऻाननक तथम को सतम भानता ह जहाॉ तकय मथाथय क

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कठोय धयातर ऩय सचचाई को ऩयखता ह तो िहीॊ आसथा अनहोनी फात को बी सिीकाय कय भन को सॊसकारयत कयती ह बायत की सितॊतरता क ५० सार फाद बी दश भ वमापत बरषटाचाय औय सिाथय की बािना को दखकय रखक दखी ह | सयकाय दिाया चराई जा यही मोजनाएॉ गयीफो तक कमो नहीॊ ऩहॉच ऩा यहीॊ ह कार भघा क दर उभड़ यह ह ऩय आज बी गयीफ की गगयी पटी हई कमो ह रखक न मह परशन ऩाठको क सरए छोड़ हदमा ह |

परशन1-इनदय सना घय-घय जाकय ऩानी कमो भाॉगती थी

उततय- गाॉि क रोग फारयश क सरए बगिान इॊदर स पराथयना ककमा कयत थ जफ ऩजा-ऩाठवरत आहद उऩाम असिर हो जात थ तो बगिान इॊदर को परसनदन कयन क सरए गाॉि क ककशोय फचच कीचड़ भ रथऩथ होकय गरी-गरी घभकय रोगो स ऩानी भाॉगत थ

परशन2-इनदयसना को रखक भढक-भॊिरी कमो कहता ह जीजी क फायndashफाय कहन ऩय बी वह इनदयसना ऩय ऩानी प कन को याजी कमो नहीॊ होता

उततय- इनददयसना का कामय आमयसभाजी विचायधाया िार रखक को अॊधविशिास रगता ह उसका भानना ह कक महद इॊदयसना दिता स ऩानी हदरिा सकती ह तो सिमॊ अऩन सरए ऩानी कमो नहीॊ भाॉग रती ऩानी की कभी होन ऩय बी रोग घय भ एकतर ककम हए ऩानी को इॊदयसना ऩय ि कत ह रखक इस ऩानी की ननभयभ फयफादी भानता ह

परशन3- रि हए रखक को जीजी न ककस परकाय सभझामा

उततय- जीजी न रखक को पमाय स रडड-भठयी णखरात हए ननमन तकय हदए-

1- तमाग का भहततव- कछ ऩान क सरए कछ दना ऩड़ता ह 2- दान की भहतता- कवर-भननमो न दान को सफस ऊॉ चा सथान हदमा ह जो चीज अऩन

ऩास बी कभ हो औय अऩनी आिशमकता को बरकय िह चीज दसयो को दान कय दना ही तमाग ह |

3- इॊिदव को जर का अधमट चिाना- इॊदयसना ऩय ऩानी ि कना ऩानी की फयफादी नहीॊ फनदलक इॊदरदि को जर का अधमय चढ़ाना ह

4- ऩानी की फवाई कयना- नदजस परकाय ककसान िसर उगान क सरए जभीन ऩय फीज डारकय फिाई कयता ह िस ही ऩानी िार फादरो की िसर ऩान क सरए इनददय सना ऩय ऩानी डार कय ऩानी की फिाई की जाती ह

परशन4-नठदमो का बायतीम साभाजजक औय साॊसकनतक ऩरयवश भ कमा भहतव ह

उततय- गॊगा बायतीम सभाज भ सफस ऩजम सदानीया नदी ह नदजसका बायतीम इनतहास भ धासभयक ऩौयाणणक औय साॊसकनतक भहति ह | िह बायतीमो क सरए किर एक नदी नहीॊ अवऩत

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भाॉ ह सिगय की सीढ़ी ह भोदानमनी ह उसभ ऩानी नहीॊ अवऩत अभत तलम जर फहता ह बायतीम सॊसकनत भ नहदमो क ककनाय भानि सभमताएॉ परी-परी ह| फड़-फड़ नगय तीथयसथान नहदमो क ककनाय ही नदसथत ह ऐस ऩरयिश भबायतिासी सफस ऩहर गॊगा भमा की जम ही फोरग नहदमाॉ हभाय जीिन का आधाय ह हभाया दश कवर परधान ह नहदमो क जर स ही बायत बसभ हयी-बयी ह नहदमो क बफना जीिन की कलऩना नहीॊ कय सकत मही कायण ह कक हभ बायतीम नहदमो की ऩजा कयत ह |

परशन4-आजादी क ऩचास वषो क फाद बी रखक कमो दखी ह उसक भन भ कौन स परशन उि यह ह

उततय- आजादी क ऩचास िरो फाद बी बायतीमो की सोच भ सकायातभक फदराि न दखकय रखक दखी ह उसक भन भ कई परशन उठ यह ह-

1 कमा हभ सचच अथो भ सितनदतर ह 2 कमा हभ अऩन दश की सॊसकनत औय सभमता को सभझ ऩाए ह 3 यारषर ननभायण भ हभ ऩीछ कमो ह हभ दश क सरए कमा कय यह ह

4 हभ सिाथय औय भरषटाचाय भ सरपत यहत ह तमाग भ विशिास कमो नहीॊ कयत

5 सयकाय दिाया चराई जा यही सधायिादी मोजनाएॉ गयीफो तक कमो नहीॊ ऩहॉचती ह

गदमाॊश ऩय आधारयत अथटगरहण-सॊफॊधधत परशनोततय

सचभच ऐस हदन होत जफ गरी-भहलरा गाॉि-शहय हय जगह रोग गयभी भ बन-बन कय तराहहभाभ कय यह होत जठ क दसतऩा फीतकय आराढ का ऩहरा ऩखिाड़ा फीत चका होता ऩय कषनतज ऩय कहीॊ फादरो की यख बी नहीॊ दीखती होती कएॉ सखन रगत नरो भ एक तो फहत कभ ऩानी आता औय आता बी तो आधी यात को िो बी खौरता हआ ऩानी हो | शहयो की तरना भ गाॉि भ औय बी हारत खयाफ थी| जहाॉ जताई होनी चाहहए थी िहाॉ खतो की सभटटी सखकय ऩतथय हो जाती कपय उसभ ऩऩड़ी ऩड़कय जभीन पटन रगती र ऐसी कक चरत-चरत आदभी धगय ऩड़ | ढोय-डॊगय पमास क भाय भयन रगत रककन फारयश का कहीॊ नाभ ननशान नहीॊ ऐस भ ऩजा-ऩाठ कथा-विधान सफ कयक रोग जफ हाय जात तफ अॊनतभ उऩाम क रऩ भ ननकरती मह इनददय सना |

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89

परशन१- वषाट न होन ऩय रोगो की कमा जसथनत हो गमी थी उततय - िराय न होन ऩय गयभी क कायण रोग र रगन स फहोश होन रग | गाॉि-शहय सबी जगह ऩानी का अबाि हो गमा| कएॉ सख गए खतो की सभटटी सखकय ऩतथय क सभान कठोय होकय पट गमी| घयो भ नरो भ ऩानी फहत कभ आता था | ऩश पमास क भाय भयन रग थ | परशन२- वषाट क दवता कौन ह उनको परसनन कयन क लरए कमा उऩाम ककए जात थ उततय -िराय क दिता बगिान इनददर ह| उनको परसनदन कयन क सरए ऩजाndashऩाठ कथा-विधान कयाए जात थ | ताकक इनददर दि परसनदन होकय फादरो की सना बजकय झभाझभ फारयश कयाएॉ औय रोगो क करषट दय हो | परशन३- वषाट कयान क अॊनतभ उऩाम क रऩ भ कमा ककमा जाता था उततय ndashजफ ऩजा-ऩाठ कथा-विधान सफ कयक रोग हाय जात थ तफ अॊनतभ उऩाम क रऩ भ इनददय सना आती थी | नॊग-धडॊग कीचड़ भ रथऩथ lsquoकार भघा ऩानी द ऩानी द गड़धानी दrsquo की टय रगाकय पमास स सखत गरो औय सखत खतो क सरए भघो को ऩकायती हई टोरी फनाकय ननकर ऩड़ती थी| परशन४-आशम सऩषट कय ndash जठ क दसतऩा फीतकय आराढ़ का ऩहरा ऩखिाड़ा फीत चका होता ऩय कषनतज भ कहीॊ फादरो की यख बी नजय नहीॊ आती | आशम- जठ का भहीना ह बीरण गयभी ह| तऩत हए दस हदन फीत कय आराढ का भहीना बी आधा फीत गमा ऩय ऩानी क सरए तड़ऩत िराय की आशा भ आसभान की ओय ताकत रोगो को कहीॊ फादर नजय नहीॊ आ यह |

14 ऩहरवान की ढोरक

फ़णीशवयनाथ यण

ऩाि का सायाॊश ndashआॊचसरक कथाकाय िणीशियनाथ यण की कहानी ऩहरिान की ढोरक भ कहानी क भखम ऩातर रटटन क भाता-वऩता का दहाॊत उसक फचऩन भ ही हो गमा था | अनाथ रटटन को उसकी विधिा सास न ऩार-ऩोसकय फड़ा ककमा | उसकी सास को गाॉि िार सतात थ |

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रोगो स फदरा रन क सरए कशती क दाॉिऩच सीखकय कसयत कयक रटटन ऩहरिान फन गमा |

एक फाय रटटन शमाभनगय भरा दखन गमा जहाॉ ढोर की आिाज औय कशती क दाॉिऩच दखकय उसन जोश भ आकय नाभी ऩहरिान चाॉदससॊह को चनौती द दी | ढोर की आिाज स परयणा ऩाकय रटटन न दाॉि रगाकय चाॉद ससॊह को ऩटककय हया हदमा औय याज ऩहरिान फन गमा | उसकी खमानत दय-दय तक िर गमी| १५ िरो तक ऩहरिान अजम फना यहा| उसक दो ऩतर थ| रटटन न दोनो फटो को बी ऩहरिानी क गय ससखाए| याजा की भतम क फाद नए याजकभाय न गददी सॊबारी याजकभाय को घोड़ो की यस का शौक था भनजय न नम याजा को बड़कामा ऩहरिान औय उसक दोनो फटो क बोजनखचय को बमानक औय किजरखचय फतामा िरसिरऩ नए याजा न कशती को फॊद कयिा हदमा औय ऩहरिान रटटनससॊह को उसक दोनो फटो क साथ भहर स ननकार हदमा

याजदयफाय स ननकार हदए जान क फाद रटटन ससॊह अऩन दोनो फटो क साथ गाॉि भ झोऩड़ी फनाकय यहन रगा औय गाॉि क रड़को को कशती ससखान रगा| रटटन का सकर जमादा हदन नहीॊ चरा औय जीविकोऩाजयन क सरए उसक दोनो फटो को भजदयी कयनी ऩड़ी| इसी दौयान गाॉि भ अकार औय भहाभायी क कायण परनतहदन राश उठन रगी| ऩहरिान भहाभायी स डय हए रोगो को ढोरक फजाकय फीभायी स रड़न की सॊजीिनी ताकत दता था| एक हदन ऩहरिान क दोनो फट बी भहाभायी की चऩट भ आकय भय गए ऩय उस यात बी ऩहरिान ढोरक फजाकय रोगो को हहमभत फॊधा यहा था | इस घटना क चाय-ऩाॉच हदन फाद ऩहरिान की बी भौत हो जाती ह|

ऩहरिान की ढोरक वमिसथा क फदरन क साथ रोक कराकाय क अपरासॊधगक हो जान की कहानी ह इस कहानी भ रटटन नाभ क ऩहरिान की हहमभत औय नदजजीविरा का िणयन ककमा गमा ह बख औय भहाभायी अजम रटटन की ऩहरिानी को िट ढोर भ फदर दत ह इस करण तरासदी भ ऩहरिान रटटन कई सिार छोड़ जाता ह कक करा का कोई सितॊतर अनदसतति ह मा करा किर वमिसथा की भोहताज ह

परशन1- रटटन को ऩहरवान फनन की परयणा कस लभरी

उततय- रटटन जफ नौ सार का था तो उसक भाता-वऩता का दहाॊत हो गमा था | सौबागम स उसकी शादी हो चकी थी| अनाथ रटटन को उसकी विधिा सास न ऩार-ऩोसकय फड़ा ककमा | उसकी सास को गाॉि िार ऩयशान कयत थ| रोगो स फदरा रन क सरए उसन ऩहरिान फनन की ठानी| धायोरषण दध ऩीकय कसयत कय उसन अऩना फदन गठीरा औय ताकतिय फना सरमा | कशती क दाॉिऩच सीखकय रटटन ऩहरिान फन गमा |

परशन2- यात क बमानक सननाट भ रटटन की ढोरक कमा करयशभा कयती थी

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उततय- यात क बमानक सनदनाट भरटटन की ढोरक भहाभायी स जझत रोगो को हहमभत फॉधाती थी | ढोरक की आिाज स यात की विबीवरका औय सनदनाटा कभ होता था| भहाभायी स ऩीडड़त रोगो की नसो भ बफजरी सी दौड़ जाती थी उनकी आॉखो क साभन दॊगर का दशम साकाय हो जाता था औय ि अऩनी ऩीड़ा बर खशी-खशी भौत को गर रगा रत थ इस परकाय ढोर की आिाज फीभाय-भतपराम गाॉििारो की नसो भ सॊजीिनी शनदकत को बय फीभायी स रड़न की परयणा दती थी

परशन3- रटटन न सवाटधधक ठहमभत कफ ठदखाई

उततय- रटटन ससॊह न सिायधधक हहमभत तफ हदखाई जफ दोनो फटो की भतम ऩय िह योमा नहीॊ फनदलक हहमभत स काभ रकय अकर उनका अॊनतभ सॊसकाय ककमा| मही नहीॊ नदजस हदन ऩहरिान क दोनो फट भहाभायी की चऩट भ आकय भय गए ऩय उस यात को बी ऩहरिान ढोरक फजाकय रोगो को हहमभत फॉधा यहा था| शमाभनगय क दॊगर भ ऩया जनसभदाम चाॉद ससॊह क ऩ भ था चाॉद ससॊह को हयात सभम रटटन न हहमभत हदखाई औय बफना हताश हए दॊगर भ चाॉद ससॊह को धचत कय हदमा |

परशन4- रटटन लसॊह याज ऩहरवान कस फना

उततय- शमाभनगय क याजा कशती क शौकीन थ उनदहोन दॊगर का आमोजन ककमा ऩहरिान रटटन ससॊह बी दॊगर दखन ऩहॉचा चाॊदससॊह नाभक ऩहरिान जो शय क फचच क नाभ स परससदध था कोई बी ऩहरिान उसस सबड़न की हहमभत नहीॊ कयता था चाॉदससॊह अखाड़ भ अकरा गयज यहा था रटटन ससॊह न चाॉदससॊह को चनौती द दी औय चाॉदससॊह स सबड़ गमाढ़ोर की आिाज सनकय रटटन की नस-नस भ जोश बय गमाउसन चाॉदससॊह को चायो खान धचत कय हदमा याजासाहफ न रटटन की िीयता स परबावित होकय उस याजऩहरिान फना हदमा

परशन5- ऩहरवान की अॊनतभ इचछा कमा थी

उततय- ऩहरिान की अॊनतभ इचछा थी कक उस धचता ऩय ऩट क फर सरटामा जाए कमोकक िह नदजॊदगी भ कबी धचत नहीॊ हआ था| उसकी दसयी इचछा थी कक उसकी धचता को आग दत सभम ढोर अिशम फजामा जाए |

परशन6- ढोर की आवाज औय रटटन क भ दाॉिऩच सॊफॊध फताइए-

उततय- ढोर की आिाज औय रटटन क दाॉिऩच भ सॊफॊध -

चट धा धगड़ धाrarr आजा सबड़ जा | चटाक चट धाrarr उठाकय ऩटक द | चट धगड़ धाrarrभत डयना |

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धाक धधना नतयकट नतनाrarr दाॉि काटो फाहय हो जाओ | धधना धधना धधक धधनाrarr धचत कयो

गदमाॊश-आधारयत अथटगरहण-सॊफॊधधत परशनोततय

अॉधयी यात चऩचाऩ आॉस फहा यही थी | ननसतबधता करण सससककमो औय आहो को अऩन रदम भ ही फर ऩियक दफान की चरषटा कय यही थी | आकाश भ ताय चभक यह थ | ऩथिी ऩय कहीॊ परकाश का नाभ नहीॊ| आकाश स टट कय महद कोई बािक ताया ऩथिी ऩय आना बी चाहता तो उसकी जमोनत औय शनदकत यासत भ ही शर हो जाती थी | अनदम ताय उसकी बािकता अथिा असपरता ऩय णखरणखराकय हॉस ऩड़त थ | ससमायो का करॊ दन औय ऩचक की डयािनी आिाज यात की ननसतबधता को बॊग कयती थी | गाॉि की झोऩडडमो स कयाहन औय क कयन की आिाज हय याभ ह बगिान की टय सनाई ऩड़ती थी| फचच बी ननफयर कॊ ठो स भाॉ ndashभाॉ ऩकायकय यो ऩड़त थ |

(क) अॉधयी यात को आॉस फहात हए कमो ठदखामा गमा ह उततयndash गाॉि भ हजा औय भररयमा परा हआ था | भहाभायी की चऩट भ आकाय रोग भय यह थ |चायो ओय भौत का सनाटा छामा था इससरए अॉधयी यात बी चऩचाऩ आॉस फहाती सी परतीत हो यही थी|

(ख) ताय क भाधमभ स रखक कमा कहना चाहता ह उततयndash ताय क भाधमभ स रखक कहना चाहता ह कक अकार औय भहाभायी स तरसत गाॉि िारो की ऩीड़ा को दय कयन िारा कोई नहीॊ था | परकनत बी गाॉि िारो क द ख स दखी थी| आकाश स टट कय महद कोई बािक ताया ऩथिी ऩय आना बी चाहता तो उसकी जमोनत औय शनदकत यासत भ ही शर हो जाती थी |

(ग) यात की ननसतबधता को कौन बॊग कयता था उततयndash ससमायो की चीख-ऩकाय ऩचक की डयािनी आिाज औय कततो का साभहहक रदन सभरकय यात क सनदनाट को बॊग कयत थ |

(घ) झोऩड़ड़मो स कसी आवाज आ यही ह औय कमो उततयndash झोऩडड़मो स योधगमो क कयाहन क कयन औय योन की आिाज आ यही ह कमोकक गाॉि क रोग भररयमा औय हज स ऩीडड़त थ | अकार क कायण अनदन की कभी हो गमी थी| औरधध औय ऩथम न सभरन क कायण रोगो की हारत इतनी फयी थी कक कोई बगिान को ऩकाय रगाता था तो कोई दफयर कॊ ठ स भाॉndashभाॉ ऩकायता था |

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15 चारी चजतरन मानी हभ सफ

रखक-पवषण खय

ऩाि का सायाॊश ndashचारक चनदपरन न हासम कराकाय क रऩ भ ऩयी दननमा क फहत फड़ दशयक िगय को हॉसामा ह | उनकी कपलभो न कपलभ करा को रोकताॊबतरक फनान क साथ-साथ दशको की िगय औय िणय-वमिसथा को बी तोड़ा | चारक न करा भ फवदध की अऩा बािना को भहतति हदमा ह | फचऩन क सॊघरो न चारक क बािी कपलभो की बसभ तमाय कय दी थी| बायतीम करा औय सौदमयशासतर भ करणा का हासम भ ऩरयितयन बायतीम ऩयमऩया भ नहीॊ सभरता रककन चारक एक ऐसा जादई वमनदकतति ह जो हय दश सॊसकनत औय सभमता को अऩना सा रगता ह| बायतीम जनता न बी उनदह सहज बाि स सिीकाय ककमा ह| सिमॊ ऩय हॉसना चारक न ही ससखामा| बायतीम ससनभा जगत क सपरससदध कराकाय याजकऩय को चारक का बायतीमकयण कहा गमा ह | चारक की अधधकाॊश किलभ भक ह इससरए उनदह अधधक भानिीम होना ऩड़ा | ऩाठ भ हासम कपलभो क भहान असबनता lsquoचारक चनदपरनrsquo की जादई विशरताओॊ का उलरख ककमा गमा ह नदजसभ उसन करणा औय हासम भ साभॊजसम सथावऩत कय किलभो को साियबौसभक रऩ परदान ककमा

परशन१ -चारी क जीवन ऩय परबाव िारन वारी भखम घटनाएॉ कौन सी थी

उततय- चारक क जीिन भ दो ऐसी घटनाएॉ घटीॊ नदजनदहोन उनक बािी जीिन ऩय फहत परबाि डारा |

ऩहरी घटना - जफ चारक फीभाय थ उनकी भाॉ उनदह ईसा भसीह की जीिनी ऩढ़कय सना यही थी | ईसा क सरी ऩय चढ़न क परसॊग तक आत-आत भाॉ-फटा दोनो ही योन रग| इस घटना न चारक को सनह करणा औय भानिता जस उचच जीिन भलम हदए |

दसयी घटना हndash फारक चारक कसाईखान क ऩास यहता था| िहाॉ सकड़ो जानियो को योज भाया जाता था| एक हदन एक बड़ िहाॉ स बाग ननकरी| बड़ को ऩकड़न की कोसशश भ कसाई कई फाय कपसरा| नदजस दखकय रोग हॊसन रग ठहाक रगान रग| जफ बड़ को कसाई न ऩकड़ सरमा तो फारक चारक योन रगा| इस घटना न उसक बािी कपलभो भ तरासदी औय हासमोतऩादक ततिो की बसभका तम कय दी |

परशन२ ndash आशम सऩषट कीजजएndash

चजतरन न लसपट कपलभकरा को ही रोकताॊबतरक नही फनामा फजलक दशटको की वगट तथा वणट-वमवसथा को बी तोड़ा|

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उततय- रोकताॊबतरक फनान का अथय ह कक कपलभ करा को सबी क सरए रोकवपरम फनाना औय िगय औय िणय-वमिसथा को तोड़न का आशम ह- सभाज भ परचसरत अभीय-गयीफ िणय जानतधभय क बदबाि को सभापत कयना |चनदपरन का चभतकाय मह ह कक उनदहोन कपलभकरा को बफना ककसी बदबाि क सबी रोगो तक ऩहॉचामा| उनकी कपलभो न सभम बगोर औय सॊसकनतमो की सीभाओॊ को राॉघ कय साियबौसभक रोकवपरमता हाससर की | चारक न मह ससदध कय हदमा कक करा सितनदतर होती ह अऩन ससदधाॊत सिमॊ फनाती ह |

परशन३ndash चारी चजतरन की कपलभो भ ननठहत तरासदीकरणाहासम का साभॊजसम बायतीम करा औय सौदमटशासतर की ऩरयधध भ कमो नहीॊ आता

उततय- चारक चनदपरन की कपलभो भ ननहहत तरासदीकरणाहासम का साभॊजसम बायतीम करा औय सौदमयशासतर की ऩरयधध भ नहीॊ आताकमोकक बायतीम यस-ससदधाॊत भ करणा औय हासम का भर नहीॊ हदखामा जाता कमोकक बायतीम सौदमयशासतर भ करणयस औय हासम यस को ऩयसऩय वियोधी भाना गमा ह अथायत जहाॊ करणा ह िहाॉ हासम नहीॊ हो सकता बायत भ सिमॊ ऩय हॉसन की ऩयॊऩया नहीॊ ह ऩयॊत चारक क ऩातर अऩन ऩय हॉसतndashहॉसात ह चारक की किलभो क दशम हॉसात-हॉसात ररा दत ह तो कबी करण दशम क फाद अचानक ही हॉसन ऩय भजफय कय दत ह

परशन४ndash चारी क कपलभो की पवशषताएॉ फताइए |

उततय- चारक की किलभो भ हासम औय करणा का अदभत साभॊजसम ह उनकी किलभो भ बारा का परमोग फहत कभ ह चारक की किलभो भ फवदध की अऩा बािना का भहतति अधधक ह उनकी किलभो भ साियबौसभकता ह चारक ककसी बी सॊसकनत को विदशी नही रगत चारक सफको अऩन रगत ह चारक न किलभो को रोकताॊबतरक फनामा औय किलभो भ िगय तथािणय-वमिसथा को तोड़ा अऩनी कपलभो भ चारक सदि धचय मिा हदखता ह

गदमाॊश-आधारयत अथटगरहण-सॊफॊधी परशनोततय

गदमाॊश सॊकत ndashचारक चनदपरन मानी हभ सफ (ऩरषठ १२० )

महद मह िरय चनदपरन की कापी कछ कहा जाएगा |

परशन (क)-पवकासशीर दशो भ चजतरन कमो भशहय हो यह ह

उततय - विकासशीर दशो भ जस-जस टरीविजन औय िीडडमो का परसाय हो यहा ह रोगो को उनकी कपलभो को दखन का अिसय सभर यहा ह |एक फहत फड़ा िगय नए ससय स चारक को घड़ी सधायत औय जत खान की कोसशश कयत दख यहा ह इसीसरए चारक विकासशीर दशो भ रोकवपरम हो यह ह |

(ख)- ऩजशचभ भ चारी का ऩनजीवन कस होता यहता ह

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उततय - ऩनदशचभ भ चारक की कपलभो का परदशयन होता यहता ह| उनकी करा स परयणा ऩाकय हासम किलभ फनती यहती ह | उनक दिाया ननबाए ककयदायो की नकर अनदम कराकाय कयत ह | ऩनदशचभ भ चारक का ऩनजीिन होता यहता ह|

(ग)- चारी को रोग फिाऩ तक कमो माद यखग

उततय ndashहासम कराकाय क रऩ भ रोग चारक को फढ़ाऩ तक माद यखग कमोकक उनकी करा सभम बगोर औय सॊसकनतमो की सीभाओॊ को राॉघकय राखो रोगो को हॉसा यही ह|

(घ)- चारी की कपलभो क फाय भ कापी कछ कहा जाना कमो फाी ह

उततय ndashचनदपरन की ऐसी कछ किलभ मा इसतभार न की गमी यीर सभरी ह नदजनक फाय भ कोई नहीॊ जानता था | चारक की बािनापरधान हासम कपलभो न करा क नए परनतभान सथावऩत ककए ह अत चारक की कपलभो क फाय भ अबी कापी कछ कहा जाना फाी ह|

16 नभक

रखखका - यजजमा सजजाद जहीय

सायाॊश -lsquoनभकrsquoबायत-ऩाक विबाजन ऩय सरणखत भासभयक कहानी ह | विसथावऩत हए रोगो भ अऩनndashअऩन जनदभ सथानो क परनत आज बी रगाि ह| धासभयक आधाय ऩय फनी यारषर-याजमो की सीभा-यखाएॉ उनक अॊतभयन को अरग नहीॊ कय ऩाई ह | बायत भ यहन िारी ससख फीिी राहौय को अऩना ितन भानती ह औय बायतीम कसटभ अधधकायी ढाका क नारयमर ऩानी को मादकय उस सियशररषठ फताता ह दोनो दशो क नागरयको क फीच भहबफत का नभकीन सिाद आज बी कामभ ह इसीसरए सकिमा बायत भ यहन िारी अऩनी भॉहफोरी भाॉ ससख फीिी क सरए राहौयी नभक रान क सरए कसटभ औय कानन की ऩयिाह नहीॊ कयती

परशन1- lsquoनभकrsquo ऩाि क आधाय ऩय फताइए कक सकपमा औय उसक बाई क पवचायो भ कमा अॊतय था

उततय- १-सकपमा बािनाओॊ को फहतभहतति दती ह ऩय उसका बाई फौवदधक परिनदतत का ह उसकी दनदरषट भ कानन बािनाओॊ स ऊऩय ह|

२-सकपमा भानिीम सॊफॊधो को फहत भहतति दती ह जफकक उसका बाई अरगाििादी विचायधाया का ह हहसस-फखय की फात कयता ह |

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३-सकपमा का बाई कहता ह कक अदीफो(साहहतमकाय) का हदभाग घभा हआ होता ह जफकक सकपमा जो सिमॊ अदीफ ह उसका भानना ह कक अगय सबी रोगो का हदभाग अदीफो की तयह घभा हआ होता तो दननमा कछ फहतय हो जाती |

परशन२- नभक र जात सभम सकफ़मा क भन भ कमा दपवधा थी

उततय-सकपमा समद भसरभान थी जो हय हार भ अऩना िामदा ननबात ह| ऩाककसतान स राहौयी नभक र जाकय िह अऩना िामदा ऩया कयना चाहती थी ऩयनदत जफ उस ऩता चरा कक कसटभ क ननमभो क अनसाय सीभाऩाय नभक र जाना िनदजयत ह तो िह दविधा भ ऩड़ गई | सकिमा का दिॊदि मह था कक िह अऩनी ससख भाॉ क सरए नभक कसटभ अधधकारयमो को फताकयर जाए मा नछऩाकय|

परशन३- ऩाि क आधाय ऩय सकपमा की चारयबतरक पवशषताएॉ फताइए |

उततय सॊकत ndash

१- बािक २- ईभानदाय ३- दढ़ननशचमी ४- ननडय ५- िामद को ननबान िारी ६- भानिीम भलमो को सिोऩरय भानन िारी साहहतमकाय

परशन ४- lsquoनभकrsquo ऩाि भ आए ककयदायो क भाधमभ स सऩषट कीजजए कक आज बी बायत औय ऩाककसतान की जनता क फीच भहबफत का नभकीन सवाद घरा हआ ह |

उततय ndash बर ही याजनीनतक औय धासभयक आधाय ऩय बायत औय ऩाककसतान को बौगोसरक रऩ स विबानदजत कय हदमा गमा ह रककन दोनो दशो क रोगो क रदम भ आज बी ऩायसऩरयक बाईचाया सौहादरय सनह औय सहानबनत विदमभान ह | याजनीनतक तौय ऩय बर ही सॊफॊध तनािऩणय हो ऩय साभानदजक तौय ऩय आज बी जनता क फीच भहबफत का नभकीन सिाद घरा हआ ह | अभतसय भ यहन िारी ससख फीफी राहौय को अऩना ितन कहती ह औय राहौयी नभक का सिाद नहीॊ बरा ऩाती | ऩाककसतान का कसटभ अधधकायी नभक की ऩडड़मा सकपमा को िाऩस दत हए कहता ह rdquoजाभा भनदसजद की सीहढ़मो को भया सराभ कहना |rdquo बायतीम सीभा ऩय तनात कसटभ अधधकायी ढाका की जभीन को औय िहाॉ क ऩानी क सिाद को नहीॊ बर ऩाता |

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गदमाॊश-आधारयत अथटगरहण सॊफॊधधत परशनोततय

गदमाॊश सॊकत- ऩाठndash नभक (ऩरषठ १३४)

सकपमा कसटभ क जॊगर स दोनो क हाथो भ थी |

(क) सकपमा कसटभ क जॉगर स ननकरकय दसय तरटपाभट ऩय आ गमी व वहीॊ खड़ यहndash इस वाकम भ lsquoवrsquo शबद का परमोग ककसक लरए ककमा गमा ह

उततय- महाॉ lsquoिrsquo शबद का परमोग ऩाककसतानी कसटभ अधधकायी क सरए ककमा गमा ह जो विबाजन स ऩिय हदलरी भ यहत थ औय आज बी हदलरी को ही अऩना ितन भानत ह |

(ख) तरटपाभट ऩय सकपमा को पवदा कयन कौन-कौन आए थ उनहोन सकपमा को कस पवदाई दी

उततय- परटपाभय ऩय सकपमा को विदा कयन उसक फहत साय सभतर सग सॊफॊधी औय बाई आए थ| उनदहोन ठॊडी साॉस बयत हए सबॊच हए होठो क साथ आॉस फहात हए सकपमा को विदाई दी |

(ग) अटायी भ यरगाड़ी भ कमा ऩरयवतटन हए उततय- अटायी भ यरगाड़ी स ऩाककसतानी ऩसरस उतयी औय हहनददसतानी ऩसरस सिाय हो गई|

(घ) कौन सी फात सकपमा की सभझ भ नहीॊ आ यही थी उततय- दोनो ओय एक सी जभीन एक जसा आसभान एक सी बारा एक सा ऩहनािा औय एक सी सयत क रोग कपय बी दोनो क हाथो भ बयी हई फॊदक ह |

17 लशयीष क पर

आचामट हजायी परसाद दपववदी

सायाॊश ndashlsquoआचामय हजायी परसाद दवििदीrsquo सशयीर को अदभत अिधत भानत ह कमोकक सॊनदमासी की बाॉनत िह सख-दख की धचॊता नहीॊ कयता गभी र िराय औय आॉधी भ बी अविचर खड़ा यहता ह सशयीर क िर क भाधमभ स भनरषम की अजम नदजजीविरा धमयशीरता औय कतयवमननरषठ फन यहन क भानिीम भलमो को सथावऩत ककमा गमा हरखक न सशयीर क कोभर परो औय कठोय परो क दिाया सऩरषट ककमा ह कक रदम की कोभरता फचान क सरए कबी-कबी वमिहाय की कठोयता बी आिशमक हो जाती ह| भहान कवि कासरदास औय कफीय बी सशयीर की तयह फऩयिाह अनासकत औय सयस थ तबी उनदहोन इतनी सनददय यचनाएॉ सॊसाय को दीॊ| गाॉधीजी क वमनदकतति भ बी कोभरता औय कठोयता का अदभत सॊगभ था | रखक सोचता ह कक हभाय दश भ जो भाय-काट अनदगनदाह रट-ऩाट खन-खचचय का फिॊडय ह कमा िह दश को नदसथय नहीॊ यहन दगा गराभी अशाॊनत औय वियोधी िाताियण क फीच अऩन ससदधाॊतो की या कयत हए गाॉधीजी जी नदसथय यह सक थ तो दश बी यह सकता ह जीन की परफर असबरारा क कायण

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विरभ ऩरयनदसथतमो भ बी महद सशयीर णखर सकता ह तो हभाया दश बी विरभ ऩरयनदसथनतमो भ नदसथय यह कय विकास कय सकता ह

परशन1-लसदध कीजजए कक लशयीष कारजमी अवधत की बाॉनत जीवन की अजमता क भॊतर का परचाय कयता ह

उततय- सशयीर कारजमी अिधत की बाॉनत जीिन की अजमता क भॊतर का परचाय कयता ह| जफ ऩथिी अनदगन क सभान तऩ यही होती ह िह तफ बी कोभर परो स रदा रहरहाता यहता ह|फाहयी गयभी धऩ िराय आॉधी र उस परबावित नहीॊ कयती इतना ही नहीॊ िह रॊफ सभम तक णखरा यहता ह | सशयीर विऩयीत ऩरयनदसथनतमो भ बी धमयशीर यहन तथा अऩनी अजम नदजजीविरा क साथ ननसऩह बाि स परचॊड गयभी भ बी अविचर खड़ा यहता ह

परशन२-आयगवध (अभरतास) की तरना लशयीष स कमो नहीॊ की जा सकती

उततय- सशयीर क पर बमॊकय गयभी भ णखरत ह औय आराढ़ तक णखरत यहत ह जफकक अभरतास का पर किर ऩनददरह-फीस हदनो क सरए णखरता ह | उसक फाद अभरतास क पर झड़ जात ह औय ऩड़ कपय स ठॉठ का ठॉठ हो जाता ह | अभरतास अलऩजीिी ह | विऩयीत ऩरयनदसथनतमो को झरता हआ ऊरषण िाताियण को हॉसकय झरता हआ सशयीर दीघयजीिी यहता ह | मही कायण ह कक सशयीर की तरना अभरतास स नहीॊ की जा सकती |

परशन३-लशयीष क परो को याजनताओॊ का रऩक कमो ठदमा गमा ह

उततय- सशयीर क पर उन फढ़ ढीठ औय ऩयान याजनताओॊ क परतीक ह जो अऩनी कसी नहीॊ छोड़ना चाहत | अऩनी अधधकाय-सरपसा क सरए नए मिा नताओॊ को आग नहीॊ आन दत | सशयीर क नए परो को जफयदसती ऩयान परो को धककमाना ऩड़ता ह | याजनीनत भ बी नई मिा ऩीढ़ी ऩयानी ऩीढ़ी को हयाकय सिमॊ सतता सॉबार रती ह |

परशन४- कार दवता की भाय स फचन का कमा उऩाम फतामा गमा ह

उततय- कार दिता कक भाय स फचन का अथय हndash भतम स फचना | इसका एकभातर उऩाम मह ह कक भनरषम नदसथय न हो| गनतशीर ऩरयितयनशीर यह | रखक क अनसाय नदजनकी चतना सदा ऊधियभखी (आधमातभ की ओय) यहती ह ि हटक जात ह |

परशन५- गाॉधीजी औय लशयीष की सभानता परकट कीजजए |

उततय- नदजस परकाय सशयीर धचरधचराती धऩ र िराय औय आॉधी भ बी अविचर खड़ा यहता ह अनासकत यहकय अऩन िाताियण स यस खीॊचकय सयस कोभर फना यहता ह उसी परकाय गाॉधी जी न बी अऩनी आॉखो क साभन आजादी क सॊगराभ भ अनदमाम बदबाि औय हहॊसा को झरा |

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उनक कोभर भन भ एक ओय ननयीह जनता क परनत असीभ करणा जागी िहीॊ ि अनदमामी शासन क वियोध भ डटकय खड़ हो गए |

गदमाॊश-आधारयत अथटगरहण सॊफॊधधत परशनोततय

गदमाॊश सॊकत- ऩाठ ndash सशयीर क पर (ऩरषठ १४७)

कासरदास सौदमय क िह इशाया ह |

(क) कालरदास की सौदमटndashदजषट की कमा पवशषता थी उततय-कासरदास की सौदमयndashदनदरषट फहत सकषभ अॊतबदी औय सॊऩणय थी| ि किर फाहयी रऩ-यॊग औय आकाय को ही नहीॊ दखत थ फनदलक अॊतभयन की सॊदयता क बी ऩायखी थ| कासरदास की सौदमय शायीरयक औय भानससक दोनो विशरताओॊ स मकत था |

(ख) अनासजकत का कमा आशम ह उततय- अनासनदकत का आशम ह- वमनदकतगत सख-द ख औय याग-दिर स ऩय यहकय सौदमय क िासतविक भभय को जानना |

(ग) कालरदास ऩॊत औय यवीॊिनाथ टगोय भ कौन सा गण सभान था भहाकवि कासरदास ससभतरानॊदन ऩॊत औय गरदि यिीॊदरनाथ टगोय तीनो नदसथयपरऻ औय अनासकत कवि थ | ि सशयीर क सभान सयस औय भसत अिधत थ |

(घ) यवीॊिनाथ याजोदमान क लसॊहदवाय क फाय भ कमा सॊदश दत ह याजोदमान क फाय भ यिीॊदरनाथ कहत ह याजोदमान का ससॊहदिाय ककतना ही सॊदय औय गगनचमफी कमो ना हो िह अॊनतभ ऩड़ाि नहीॊ ह| उसका सौदमय ककसी औय उचचतभ सौदमय की ओय ककमा गमा सॊकत भातर ह कक असरी सौदमय इस ऩाय कयन क फाद ह अत याजोदमान का ससॊहदिाय हभ आग फढ़न की परयणा दता ह |

18शरभ-पवबाजन औय जानत-परथा

िॉ० बीभयाव अॊफिकय

सायाॊश ndash इस ऩाठ भ रखक न जानतिाद क आधाय ऩय ककए जान िार बदबाि को सभम सभाज क सरए हाननकायक फतामा ह | जानत आधारयत शरभ विबाजन को असिाबाविक औय भानिता वियोधी फतामा गमा ह मह साभानदजक बदबाि को फढ़ाता ह जानतपरथा आधारयत शरभ विबाजन भ वमनदकत की रधच को भहतति नहीॊ हदमा जाता परसिरऩ वििशता क साथ अऩनाए

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Page 10: ISSUED BY KENDRIYA VIDYALAYA - DOWNLOADED FROM … Class XII Hindi Part B.pdfप्रश्न४ :-फादर क / फयन का गयीफ एि धनी िगय क्मा

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उततय -याभ क अनसाय धन ऩतर एिॊ नायी की हानन फड़ी हानन नहीॊ ह कमोकक म सफ खो जान ऩय ऩन परापत ककम जा सकत ह ऩय एक फाय सग बाई क खो जान ऩय उस ऩन परापत नहीॊ ककमा जा सकता |

परशन४- ऩॊख क बफना ऩी औय सॊड क बफना हाथी की कमा दशा होती ह कावम परसॊग भ इनका उलरख कमो ककमा गमा ह

उततय - याभ विराऩ कयत हए अऩनी बािी नदसथनत का िणयन कय यह ह कक जस ऩॊख क बफना ऩी औय सॊड क बफना हाथी ऩीडड़त हो जाता ह उनका अनदसतति नगणम हो जाता ह िसा ही असहनीम करषट याभ को रकषभण क न होन स होगा |

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सौदमट-फोध-सॊफॊधी परशन

परशन१- कावमाॊश की बारा सौदमय सॊफॊधी दो विशरताओॊ का उललरख कीनदजए|

उततय- १यस -करण यस

२ अरॊकाय - उतपरा अरॊकायndash

भन करणा भॊह फीय यस

जागा ननससचय दणखअ कसाभानहॉ कार दह धरय फसा

दरषटाॊत अरॊकाय - जथा ऩॊख बफन खग अनत दीनाभनन बफन पनन करयफय कय हीना

अस भन नदजिन फॊध बफन तोहीजो जड़ दि नदजआि भोही

वियोधाबास अरॊकाय -फहबफधध सोचत सोच बफभोचन

परशन२- कावमाॊश की बारा का नाभ सरणखए |

उततय - अिधी बारा

परशन३- कावमाॊश भ परमकत छॊद कौन ndashसा ह

उततय- १६१६ भातराओॊ का सभ भाबतरक चौऩाई छॊद |

सौदमट-फोध-सॊफॊधी परशन

ldquoककसफी ककसान-कर फननक सबखायी बाट चाकय चऩर नट चोय चाय चटकी| ऩटको ऩढतगन गढ़त चढ़त धगरय अटत गहन ndashगन अहन अखटकी|

ऊॊ च ndashनीच कयभ धयभ ndashअधयभ करय ऩट ही को ऩचत फचत फटा ndashफटकी |

lsquoतरसीrsquo फझाई एक याभ घनसमाभ ही त आधग फड़िाधगत फड़ी ह आधग ऩटकी|rdquo

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परशन१- कवितािरी ककस बारा भ सरखी गई ह

उततय - बरज बारा

परशन२- कवितािरी भ परमकत छॊद एिॊ यस को सऩरषट कीनदजए |

उततय - इस ऩद भ 31 31 िणो का चाय चयणो िारा सभिणणयक कवितत छॊद ह नदजसभ 16 एिॊ 15 िणो ऩय वियाभ होता ह

परशन३- कवितत भ परमकत अरॊकायो को छाॊट कय सरणखए

१ अनपरास अॊरकायndash

ककसफी ककसान-कर फननक सबखायी बाट

चाकय चऩर नट चोय चाय चटकी|

२ रऩक अरॊकायndash याभndash घनशमाभ

३ अनतशमोनदकत अरॊकायndash आधग फड़िाधग त फडड़ ह आग ऩट की

रकषभण- भचछाट औय याभ का पवराऩ

पवषम-वसत ऩय आधारयत परशनोततय

परशन १-lsquoति परताऩ उय याणख परब भ ककसक परताऩ का उलरख ककमा गमा हrsquoऔय कमो

उततय -इन ऩॉनदकतमो भ बयत क परताऩ का उलरख ककमा गमा ह हनभानजी उनक परताऩ का सभयण कयत हए अमोधमा क ऊऩय स उड़त हए सॊजीिनी र कय रॊका की ओय चर जा यह ह

परशन२- याभ विराऩ भ रकषभण की कौन सी विशरताएॉ उदघहटत हई ह

उततय -रकषभण का भात परभ तमागभम जीिन इन ऩॉनदकतमो क भाधमभ स उदघाहटत हआ ह

परशन३- फोर िचन भनज अनसायी स कवि का कमा तातऩमय ह

उततय -बगिान याभ एक साधायण भनरषम की तयह विराऩ कय यह ह ककसी अितायी भनरषम की तयह नहीॊ भात परभ का धचतरण ककमा गमा हतरसीदास की भानिीम बािो ऩय सशकत ऩकड़ हदिीम वमनदकतति का रीरा रऩ ईशिय याभ को भानिीम बािो स सभनदनदित कय दता ह

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परशन४- बाई क परनत याभ क परभ की परगाढ़ता उनक ककन विचायो स वमकत हई ह

उततय - जथा ऩॊख बफन खग अनत दीना

भनन बफन पनन करयफय कय हीना

अस भभ नदजिन फॊध बफन तोही

जो जड़ दि नदजआि भोही

परशन५- lsquoफहविधध सोचत सोचविभोचनrsquo का वियोधाबास सऩरषट कीनदजए

उततय -दीनजन को शोक स भकत कयन िार बगिान याभ सिमॊ फहत परकाय स सोच भ ऩड़कय दखी हो यह ह

परशन६- हनभान का आगभन करणा भ िीय यस का आना ककस परकाय कहा जा सकता ह

उततय -रदन कयत िानय सभाज भ हनभान उतसाह का सॊचाय कयन िार िीय यस क रऩ भ आ गए करणा की नदी हनभान दिाया सॊजीिनी र आन ऩय भॊगरभमी हो उठती ह

कपवतत औय सवमा

पवषम-वसत ऩय आधारयत परशनोततय

परशन१- ऩट की बख शाॊत कयन क सरए रोग कमा कमा कयत ह

उततय -ऩट की आग फझान क सरए रोग अननतक कामय कयत ह

परशन२- तरसीदास की दनदरषट भ साॊसारयक दखो स ननिनदतत का सिोततभ उऩाम कमा ह

उततय - ऩट की आग फझान क सरए याभ कऩा रऩी िराय का जर अननिामय हइसक सरए अननतक कामय कयन की आिशमकता नहीॊ ह

परशन३- तरसी क मग की सभसमाओॊ का धचतरण कीनदजए

उततय - तरसी क मग भ पराकनतक औय परशासननक िरमम क चरत उतऩनदन ऩीडा दरयदरजन क सरए यािण क सभान दखदामी हो गई ह

परशन४- तरसीदास की बनदकत का कौन सा सिरऩ परसतत कविततो भ असबवमकत हआ ह

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उततय - तरसीदास की बनदकत का दासम बाि सिरऩ परसतत कविततो भ असबवमकत हआ ह

9 रफाइमाॉ

कफ़याक गोयखऩयी

भर नाभndash यघऩनत सहाम कफ़याक

उदय शामयी की रयिामत क विऩयीत कपयाक गोयखऩयी क साहहतम भ रोक जीिन एिॊ परकनत की झरक सभरती ह साभानदजक सॊिदना िमनदकतक अनबनत फन कय उनकी यचनाओॊ भ वमकत हई हजीिन का कठोय मथाथय उनकी यचनाओॊ भ सथान ऩाता हउनदहोन रोक बारा क परतीको का परमोग ककमा ह राणणक परमोग उनकी बारा की विशरता हकियाक की रफाईमो भ घयर हहॊदी का रऩ हदखता ह |

रफाई उदय औय िायसी का एक छॊद मा रखन शरी ह नदजसभ चाय ऩॊनदकतमाॉ होती ह |इसकी ऩहरी दसयी औय चौथी ऩॊनदकत भ तक (काकिमा)सभरामा जाता ह तथा तीसयी ऩॊनदकत सिचछॊद होती ह |

ldquoिो रऩिती भखड़ ऩ इक नभय दभकrdquo

ldquoफचच क घयोद भ जराती ह हदएldquo

ldquoयाफॊधन की सफह यस की ऩतरीrdquo

ldquoबफजरी की तयह चभक यह ह रचछrdquo

ldquoबाई क ह फाॉधती चभकती याखीldquo- जस परमोग उनकी बारा की सशकतता क नभन क तौय ऩय दख जा सकत ह |

साय

रफाइमाॉ

याफॊधन एक भीठा फॊधन ह याफॊधन क कचच धागो ऩय बफजरी क रचछ ह सािन भ याफॊधन आता ह सािन का जो सॊफॊध झीनी घटा स ह घटा का जो सॊफॊध बफजरी स ह िही सॊफॊध बाई का फहन स होता ह

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गज़र

ऩाठ भ कपयाक की एक गज़र बी शासभर ह रफाइमो की तयह ही कपयाक की गजरो भ बी हहॊदी सभाज औय उदय शामयी की ऩयॊऩया बयऩय ह इसका अदभत नभना ह मह गज़र मह गज़र कछ इस तयह फोरती ह कक नदजसभ ददय बी ह एक शामय की ठसक बी ह औय साथ ही ह कावम-सशलऩ की िह ऊॉ चाई जो गज़र की विशरता भानी जाती ह

अथट-गरहण-सॊफॊधी परशन

ldquoआॉगन भ सरए चाॉद क टकड़ को खड़ी

हाथो ऩ झराती ह उस गोद-बयी

यह-यह क हिा भ जो रोका दती ह

गॉज उठती ह णखरणखरात फचच की हॉसीrdquo

परशन१- lsquoचाॉद क टकड़rsquoका परमोग ककसक सरए हआ ह औय कमो

उततय -फचच को चाॉद का टकड़ा कहा गमा ह जो भाॉ क सरए फहत पमाया होता ह

परशन२- गोद-बयी परमोग की विशरता को सऩरषट कीनदजए |

उततय - गोद-बयी शबद-परमोग भाॉ क वातसलमऩणट आनॊठदत उतसाह को परकट कयता ह |मह अतमॊत सॊदय दशम बफॊफ ह | सनी गोद क विऩयीत गोद का बयना भाॉ क लरए असीभ सौबागम का सचक ह |इसी सौबागम का सकषभ अहसास भाॉ को तजतत द यहा ह|

परशन३- रोका दना ककस कहत ह

उततय - जफ भाॉ फचच को फाहो भ रकय हिा भ उछारती ह इस रोका दना कहत ह|छोट फचचो को मह खर फहत अचछा रगता ह

परशन४- फचचा भाॉ की गोद भ कसी परनतककरमा कयता ह

उततय - हिा भ उछारन ( रोका दन) स फचचा भाॉ का िातसलम ऩाकय परसनदन होता ह औय णखरणखरा कय हॉस ऩड़ता हफचच की ककरकारयमाॉ भाॉ क आनॊद को दगना कय दती ह|

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सौदमट-फोध-सॊफॊधी परशन

ldquoनहरा क छरक-छरक ननभयर जर स

उरझ हए गसओॊ भ कॊ घी कयक

ककस पमाय स दखता ह फचचा भॉह को

जफ घटननमो भ रक ह वऩनदहाती कऩड़rdquo

परशन१- परसतत ऩॊनदकतमो क बाि सौदमय को सऩरषट कीनदजए |

उततय - भाॉ न अऩन फचच को ननभयर जर स नहरामा उसक उरझ फारो भ कॊ घी की |भाॉ क सऩशय एिॊ नहान क आनॊद स फचचा परसनदन हो कय फड़ परभ स भाॉ को ननहायता ह| परनतहदन की एक सिाबाविक ककरमा स कस भाॉ-फचच का परभ विकससत होता ह औय परगाढ़ होता चरा जाता ह इस बाि को इस रफाई भ फड़ी सकषभता क साथ परसतत ककमा गमा ह|

परशन२- कावमाॊश भ आए बफॊफो को सऩरषट कीनदजए |

उततय -१ldquoनहरा क छरक-छरक ननभटर जर सrdquo- इस परमोग दिाया कवि न फारक की ननभयरता एिॊ ऩवितरता को जर की ननभयरता क भाधमभ स अॊककत ककमा ह | छरकना शबद जर की ताजा फॊदो का फारक क शयीय ऩय छरछरान का सॊदय दशम बफॊफ परसतत कयता ह |

२ lsquoघटननमो भ रक ह पऩनहाती कऩड़rsquo- इस परमोग भ भाॉ की फचच क परनत सािधानी चॊचर फचच को चोट ऩहॉचाए बफना उस कऩड़ ऩहनान स भाॉ क भातति की कशरता बफॊबफतहोती ह |

३ ldquoककस तमाय स दखता ह फचचा भॉह कोrdquo- ऩॊनदकत भ भाॉ ndashफचच का िातसलम बफॊबफत हआ ह | भाॉ स पमाय ndashदराय सऩशय ndashसख नहराए जान क आनॊद को अनबि कयत हए फचचा भाॉ को पमाय बयी नजयो स दख कय उस सख की असबवमनदकत कय यहा ह |मह सकषभ बाि अतमॊत भनोयभ फन ऩड़ा ह |सॊऩणय रफाई भ दशम बफॊफ ह|

परशन ३-कावमाॊश क शबद-परमोग ऩय हटपऩणी सरणखए |

उततय -गस ndashउदय शबदो का परमोग

घटननमो वऩनदहाती ndash दशज शबदो क भाधमभ स कोभरता की असबवमनदकत

छरक ndashछरक ndashशबद की ऩनयािनदतत स अबी ndashअबी नहराए गए फचच क गीर शयीय का बफॊफ

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आहद विरण परमोग रफाइमो को विसशरषट फना दत ह | हहॊदीउदय औय रोकबारा क अनठ गठफॊधन की झरक नदजस गाॊधीजी हहॊदसतानी क रऩ भ ऩलरवित कयना चाहत थदखन को सभरती ह |

पवषम-वसत ऩय आधारयत परशनोततय

रफाइमाॉ

परशन १ -कावम भ परमकत बफॊफो का िणयन अऩन शबदो भ कीनदजए

उततय -

दशम बफॊफ -फचच को गोद भ रना हिा भ उछारना सनान कयाना घटनो भ रकय कऩड़ ऩहनाना|

शरवमबफॊफ - फचच का णखरणखरा कय हॉस ऩड़ना सऩशय बफॊफ -फचच को सनान कयात हए सऩशय कयना |

परशन २-ldquoआॉगन भ ठनक यहा ह नदज़दमामा ह फारक तो हई चाॉद ऩ ररचामा हrsquo- भ फारक की कौन सी विशरता असबवमकत हई ह

उततय - इन ऩॊनदकतमो भ फारक की हि कयन की पवशषता असबवमकत हई ह फचच जफ नदजद ऩय आ जात ह तो अऩनी इचछा ऩयी कयिान क सरए नाना परकाय की हयकत ककमा कयत ह| नदज़दमामा शबद रोक बाषा का पवरण परमोग ह इसभ फचच का िनकना तनकना ऩाॉव ऩटकना योना आठद सबी ककरमाएॉ शासभर ह |

परशन ३ रचछ ककस कहा गमा ह इनका सॊफॊध ककस तमौहाय स ह

उततय - याखी क चभकीर तायो को रचछ कहा गमा ह याफॊधन क कचच धागो ऩय बफजरी क रचछ ह सािन भ याफॊधन आता ह सािन का जो सॊफॊध झीनी घटा स ह घटा का जो सॊफॊध बफजरी स ह िही सॊफॊध बाई का फहन स होता ह|सािन भ बफजरी की चभक की तयह याखी क चभकीर धागो की सॊदयता दखत ही फनती ह|

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अथट-गरहण-सॊफॊधी परशन

गज़र

कफ़याक गोयखऩयी

ldquoनौयस गॊच ऩॊखडड़मो की नाज़क धगयह खोर ह

मा उड़ जान को यॊगो- फ गरशन भ ऩय तौर ह |rdquo

परशन१- lsquoनौयसrsquo विशरण दिाया कवि ककस अथय की वमॊजना कयना चाहता ह

उततय नौयस अथायत नमा यस गॊच अथायत कसरमो भ नमा ndashनमा यस बय आमा ह |

परशन२- ऩॊखडड़मो की नाज़क धगयह खोरन का कमा असबपराम ह

उततय - यस क बय जान स कसरमाॉ विकससत हो यही ह |धीय-धीय उनकी ऩॊखडड़माॉ अऩनी फॊद गाॉठ खोर यही ह | कवि क शबदो भ नियस ही उनकी फॊद गाॉठ खोर यहा ह|

परशन३- lsquoयॊगो- फ गरशन भ ऩय तौर हrsquo ndash का अथय सऩरषट कीनदजए|

उततय -यॊग औय सगॊध दो ऩी ह जो कसरमो भ फॊद ह तथा उड़ जान क सरए अऩन ऩॊख पड़पड़ा यह ह |मह नदसथनत कसरमो क पर फन जान स ऩिय की ह जो पर फन जान की परतीा भ ह |rsquoऩय तौरनाrsquo एक भहािया ह जो उड़ान की भता आॉकन क सरए परमोग ककमा जाता ह |

परशन४- इस शय का बाि-सौदमय वमकत कीनदजए|

उततय -कसरमो की नई-नई ऩॊखडड़माॉ णखरन रगी ह उनभ स यस भानो टऩकना ही चाहता ह | िमसॊधध(ककशोयी)नानमका क परसपहटत होत सौदमय का परतीकातभक धचतरण अतमॊत सॊदय फन ऩड़ा ह |

सौदमट-फोध-सॊफॊधी परशन

हभ हो मा ककसभत हो हभायी दोनो को इक ही काभ सभरा ककसभत हभ को यो रि ह हभ ककसभत को यो र ह| जो भझको फदनाभ कय ह काश ि इतना सोच सक

भया ऩदाय खोर ह मा अऩना ऩदाय खोर ह | परशन१- इन शयो की बारा सॊफॊधी विशरताएॉ सऩरषट कीनदजए |

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उततय- १ भहाियो का परमोग ndashककसभत का योना ndashननयाशा का परतीक

२सयर असबवमनदकत बारा भ परिाहभमता ह ककसभत औय ऩयदा शबदो की ऩनयािनदततमाॉ

भोहक ह|

३ हहॊदी का घयर रऩ

परशन२- lsquoभया ऩयदा खोर ह मा अऩना ऩयदा खोर ह lsquo- की बावरक विशरता सरणखए |

उततय -भहािय क परमोग दिाया वमॊजनातभक असबवमनदकत | ऩयदा खोरना ndash बद खोरना सचचाई फमान कयना|

परशन३-lsquoहभ हो मा ककसभत हो हभायी lsquo ndashपरमोग की विशरता फताइए |

उततय - हभ औय ककसभत दोनो शबद एक ही वमनदकत अथायत कियाक क सरए परमकत ह | हभ औय ककसभत भ अबद ह मही विशरता ह |

कफ़याक गोयखऩयी

पवषम-वसत ऩय आधारयत परशनोततय

परशन१- ताय आॉख झऩकाि ह ndashका तातऩमय सऩरषट कीनदजए |

उततय- याबतर का सनदनाटा बी कछ कह यहा हइससरए ताय ऩरक झऩका यह ह विमोग की नदसथनत भ परकनत बी सॊिाद कयती परतीत होती ह |

परशन२- lsquoहभ हो मा ककसभत हो हभायीrsquo भ ककस बाि की असबवमनदकत हई ह

उततय- जीिन की विडॊफना ककसभत को योना-भहािय क परमोग स सटीक असबवमनदकत परापत कयती ह कवि जीिन स सॊतरषट नहीॊ ह | बागम स सशकामत का बाि इन ऩॊनदकतमो भ झरकता ह |

परशन३- परभ क ककस ननमभ की असबवमनदकत कवि न की ह

उततय -ईशिय की परानदपत सियसि रटा दन ऩय होती ह परभ क सॊसाय का बी मही ननमभ ह|कवि क शबदो भ rdquo कितयत का कामभ ह तिाज़न आरभ- हसनो ndashइशक भ बी

उसको उतना ही ऩात ह खद को नदजतना खो र ह |rdquo

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१ बाि ndashसामम- कफीय -lsquoसीस उताय बई धय तफ सभसरह कयतायlsquo-अथायत -सिमॊ को खो कय ही परभ परानदपत की जा सकती ह

२ बाि सामम- कफीय ndashनदजन ढॉढा नतन ऩाइमाॉ गहय ऩानी ऩहठ|

भ फऩया फडन डया यहा ककनाय फहठ |

परशन४- शयाफ की भहकपर भ शयाफी को दय यात कमा फात माद आती ह

उततय - शयाफ की भहकपर भ शयाफी को दय यात माद आती ह कक आसभान भ भनरषम क ऩाऩो का रखा-जोखा होता ह जस आधी यात क सभम परयशत रोगो क ऩाऩो क अधमाम खोरत ह िस ही यात क सभम शयाफ ऩीत हए शामय को भहफफा की माद हो आती ह भानो भहफफा परयशतो की तयह ऩाऩ सथर क आस ऩास ही ह

परशन५- सदक कियाकndashndashndashइन ऩॊनदकतमो का अथय सऩरषट कीनदजए |

उततय -सदक कियाकndashndashndashइन ऩॊनदकतमो भ कियाक कहत ह कक उनकी शामयी भ भीय की शामयी की उतकरषटता धिननत हो यही ह

परशन६- ऩॊखडड़मो की नाज़क धगयह खोरना कमा ह

उततय -ऩॉखडड़मो की नाजक धगयह खोरना उनका धीय -धीय विकससत होना ह

िमसॊधध(ककशोयी)नानमका क परसपहटत होत सौदमय की ओय सॊकत ह |

परशन७-lsquoमो उड़ जान को यॊगो फ गरशन भ ऩय तौर हrsquo बाि सऩरषट कीनदजए

उततय -कसरमो की सिास उड़न क सरए भानो ऩय तौर यही होअथायत खशफ का झोका यहndashयह कय उठता ह

परशन८- कवि दिाया िणणयत याबतर क दशम का िणयन अऩन शबदो भ कीनदजए

उततय - याबतर का सनदनाटा बी कछ कह यहा हइससरए ताय ऩरक झऩका यह हरगता ह कक परकनत का कण-कण कछ कह यहा ह |

परशन९- कवि अऩन िमनदकतक अनबि ककन ऩॉनदकतमो भ वमकत कय यहा ह

जीिन की विडॊफना-lsquoककसभत को योनाlsquo भहािय क परमोग स सटीक असबवमनदकत परापत कयती ह

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ldquoहभ हो मा ककसभत हो हभायी दोनो को इक ही काभ सभरा

ककसभत हभ को यो रि ह हभ ककसभत को यो र ह|rdquo

परशन१०- शामय न दननमा क ककस दसतय का िणयन ककमा ह

उततय -शामय न दननमा क इस दसतय का िणयन ककमा ह कक रोग दसयो को फदनाभ कयत ह ऩयॊत ि नहीॊ जानत कक इस तयह ि अऩनी दरषट परकनत को ही उदघाहटत कयत ह

परशन११- परभ की कितयत कवि न ककन शबदो भ असबवमकत की ह

सिमॊ को खो कय ही परभ की परानदपत की जा सकती ह ईशिय की परानदपत सियसि रटा दन ऩय होती ह परभ क सॊसाय का बी मही ननमभ ह

परशन१२- कियाक गोयखऩयी ककस बारा क कवि ह

उततय - उदय बारा

10 छोटा भया खत

उभाशॊकय जोशी

(गजयाती कपव)

उभाशॊकय जोशी फीसिीॊ सदी क गजयाती क भधयनदम कवि सॊसकत िाङभम क विदिान हउनदहोन गजयाती कविता को परकनत स जोड़ाआभ आदभी क जीिन की झरक उनकी यचनाओॊ भ सभरती ह

छोटा भया खत

साय

खती क रऩक दिाया कावम यचनाndash परककरमा को सऩषट ककमा गमा हकावम कनत की यचना फीजndash वऩन स रकय ऩौध क ऩजषऩत होन क पवलबनन चयणो स गजयती हअॊतय किर इतना ह कक कपव कभट की पसर कारजमी शाशित होती हउसका यस-यण अम होता हकागज का ऩनदना नदजस ऩय यचना शबदफदध होती ह कवि को एक चौकोय खत की तयह रगता ह इस खत

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भ ककसी अॉधड़ (आशम बािनातभक आॉधी स होगा) क परबाि स ककसी ण एक फीज फोमा जाता ह मह फीज-यचना विचाय औय असबवमनदकत का हो सकता ह मह भर रऩ कलऩना का सहाया रकय विकससत होता ह औय परककरमा भ सिमॊ विगसरत हो जाता ह उसस शबदो क अॊकय ननकरत ह औय अॊतत कनत एक ऩणय सिरऩ गरहण कयती ह जो कवर-कभय क सरहाज स ऩलरवित -ऩनदरषऩत होन की नदसथनत ह साहहनदतमक कनत स जो अरौककक यस-धाया पटती ह िह ण भ होन िारी योऩाई का ही ऩरयणाभ ह ऩय मह यस-धाया अनॊत कार तक चरन िारी कटाई ह |

फगरो क ऩॊख

साय

फगरो क ऩॊख कविता एक चार बफॊफ की कविता ह सौदमय का अऩकषत परबाि उतऩनदन कयन क सरए कविमो न कई मनदकतमाॉ अऩनाई ह नदजसभ स सफस परचसरत मनदकत ह-सौदमय क वमौयो क धचतरातभक िणयन क साथ अऩन भन ऩय ऩड़न िार उसक परबाि का िणयन औय आतभगत क सॊमोग की मह मनदकत ऩाठक को उस भर सौदमय क कापी ननकट र जाती ह जोशी जी की इस कविता भ ऐसा ही ह कवि कार फादरो स बय आकाश भ ऩॊनदकत फनाकय उड़त सपद फगरो को दखता ह ि कजयाय फादरो भ अटका-सा यह जाता ह िह इस भामा स अऩन को फचान की गहाय रगाता ह कमा मह सौदमय स फाॉधन औय विॊधन की चयभ नदसथनत को वमकत कयन का एक तयीका ह

परकनत का सितॊतर (आरॊफन गत ) धचतरण आधननक कविता की विशरता हधचतरातभक िणयन दिाया कवि न एक ओय कार फादरो ऩय उड़ती फगरो की शित ऩॊनदकत का धचतर अॊककत ककमा ह तो दसयी ओय इस अपरनतभ दशम क रदम ऩय ऩड़न िार परबाि को धचबतरत ककमा हभॊतर भगध कवि इस दशम क परबाि स आतभ विसभनत की नदसथनत तक ऩहॉच जाता हविरम एिॊ विरमीगत सौनददमय क दोनो रऩ कविता भ उदघाहटत हए ह

अथट-गरहण-सॊफॊधी परशन

ldquoछोटा भया खत चौकोना

कागज़ का एक ऩनदना कोई अॊधड़ कहीॊ स आमा

ण का फीज िहाॉ फोमा गमा|

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कलऩना क यसामनो को ऩी

फीज गर गमा ननशर शबद क अॊकय पट

ऩलरि ndashऩरषऩो स नसभत हआ विशर |rdquo

परशन १lsquoछोटा भया खतrsquo ककसका परतीक ह औय कमो

उततय - परशन२ lsquoछोटा भया खतrsquo काग़ज क उस ऩनदन का परतीक ह नदजस ऩय कवि अऩनी कविता सरखता ह

परशन २ कवि खत भ कौनndashसा फीज फोता ह

उततय - कवि खत भ अऩनी कलऩना का फीज फोता ह

परशन ३ कवि की कलऩना स कौन स ऩलरि अॊकरयत होत ह

उततय - कवि की कलऩना स शबद क ऩलरि अॊकरयत होत ह

परशन ४ उऩमयकत ऩद का बाि-सौदमय सऩरषट कीनदजए |

उततय - खती क रऩक दिाया कावम-यचनाndashपरककरमा को सऩषट ककमा गमा हकावम कनत की यचना फीजndash वऩन स रकय ऩौध क ऩजषऩत होन क पवलबनन चयणो स गजयती हअॊतय किर इतना ह कक कपव कभट की पसर कारजमी शाशित होती हउसका यस-यण अम होता ह

सौदमट-फोध-सॊफॊधी परशन

ldquoझभन रग पर

यस अरौककक

अभत धायाएॉ पटतीॊ

योऩाई ण की

कटाई अनॊतता की

रटत यहन स जया बी कभ नहीॊ होती |

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यस का अम ऩातर सदा का

छोटा भया खत चौकोना |rdquo

परशन इस कविता की बारा सॊफॊधी विशरताओॊ ऩय परकाश डासरए ndash

उततय - १ परतीकातभकता

२ राणणकता -

२रऩक अरॊकायndash यस का अम ऩातर सदा का

छोटा भया खत चौकोना

परशन २ यस अरौककक अभत धायाएॉ योऩाई ndash कटाई-परतीको क अथय सऩरषट कीनदजए |

उततय - यस अरौककक ndash कावम यस ननरषऩनदतत

अभत धायाएॉ- कावमानॊद

योऩाई ndash अनबनत को शबदफदध कयना

कटाई ndashयसासिादन

पवषम-वसत ऩय आधारयत परशनोततय

कपवता ndash

छोटा भया खत

परशन १ उभाशॊकय जोशी न ककस बारा भ कविताएॉ सरखी ह

उततय - गजयाती बारा

परशन२ कवरndashकभय एिॊ कविndashकभय भ कमा कमा सभानताएॉ ह

उततय - कवरndashकभय एिॊ कविndashकभय भ ननमनसरणखत सभानताएॉ ह-

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कावम कनत की यचना फीजndash वऩन स रकय ऩौध क ऩजषऩत होन क पवलबनन चयणो स गजयती ह

कपषndashकभट एवॊ कपवndashकभट भ सभानताएॉ -

कागज का ऩनदना नदजस ऩय यचना शबदफदध होती ह कवि को एक चौकोय खतरगता ह इस खत भ ककसी अॉधड़ (आशम बािनातभक आॉधी स होगा) क परबाि स ककसी ण

एक फीज फोमा जाता ह मह फीज-यचना विचाय औय असबवमनदकत का हो सकता ह मह भर रऩ कलऩना का सहाया रकय विकससत होता ह औय परककरमा भ सिमॊ विगसरत

हो जाता ह इसीपरकाय फीज बी खाद ऩानी समय की योशनी हिा आहद रकय विकससत होता ह |

कावम ndashयचना स शबदो क अॊकय ननकरत ह औय अॊतत कनत एक ऩणय सिरऩ गरहण कयती ह जो कवर-कभय क सरहाज स ऩलरवित ndashऩनदरषऩत औय पसरत होन की नदसथनत ह अथट-गरहण-सॊफॊधी परशन

कपवताndash फगरो क ऩॊख

नब भ ऩाॉती- फॉध फगरो क ऩॊख

चयाए सरए जातीॊ ि भयी आॉख |

कजयाय फादरो की छाई नब छामा

हौरndashहौर जाती भझ फाॉध ननज भामा स |

उस कोई तननक योक यकखो |

िह तो चयाए सरए जाती भयी आॉख

नब भ ऩाॉती- फॉधी फगरो की ऩाॉख |

तयती साॉझ की सतज शित कामा|

परशन१- इस कविता भ कवि न ककसका धचतरण ककमा ह

उततय - कवि न कार फादरो ऩय उड़ती फगरो की शित ऩॊनदकत का धचतरण ककमा ह|

परशन२- आॉख चयान का कमा अथय ह

उततय - आॉख चयान का आशम ह ndashधमान ऩयी तयह खीॊच रना एकटक दखना भॊतरभगध कय दना

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परशन३-

ldquoकजयाय फादरो की छाई नब छामा

हौर ndashहौर जाती भझ फाॉध ननज भामा स |rdquo- आशम सऩरषट कीनदजए |

उततय- कार फादरो क फीच साॉझ का सयभई िाताियण फहत सॊदय हदखता ह | ऐसा अपरनतभ सौदमय अऩन आकरयण भ कवि को फाॉध रता ह |

परशन ४ ldquoउस कोई तननक योक यकखो |rsquo- स कवि का कमा असबपराम ह

उततय - फगरो की ऩॊनदकत आकाश भ दय तक उड़ती जा यही ह कवि की भॊतरभगध आॉख उनका ऩीछा कय यही ह | कवि उन फगरो को योक कय यखन की गहाय रगा यहा ह कक कहीॊ ि उसकी आॉख ही अऩन साथ न र जाएॉ |

सौदमट-फोध-सॊफॊधी परशन

परशन १ कविता की बारा सॊफॊधी दो विशरताएॉ सरणखए|

उततय -१ धचतरातभक बारा

२ फोरचार क शबदो का परमोग - हौर ndashहौर ऩाॉती कजयायसाॉझ

परशन २ कविता भ परमकत अरॊकाय चन कय सरणखए |

उततय - अनपरास अरॊकाय - फॉध फगरो क ऩॊख

भानिीकयण अरॊकाय - चयाए सरए जातीॊ ि भयी आॉख |

परशन ३ -lsquo ननज भामाrsquo क राणणक अथय को सऩरषट कीनदजए |

उततय - परकनत का अपरनतभ सौदमय िह भामा ह जो कवि को आतभविबोय कय दती हमह ऩॊनदकत बी परशॊसातभक उनदकत ह

पवषम-वसत ऩय आधारयत परशनोततय

परशन१- lsquoचयाए सरए जाती ि भयी ऑ ॊखrsquo स कवि का कमा तातऩमय ह

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उततय -धचतरातभक िणयन दिाया कवि न एक ओय कार फादरो ऩय उड़ती फगरो की शित ऩॊनदकत का धचतर अॊककत ककमा ह तथा इस अपरनतभ दशम क रदम ऩय ऩड़न िार परबाि को धचबतरत ककमा ह कवि क अनसाय मह दशम उनकी आॉख चयाए सरए जा यहा ह |भॊतर भगध कवि इस दशम क परबाि स आतभ विसभनत की नदसथनत तक ऩहॉच जाता ह

परशन२-कवि ककस भामा स फचन की फात कहता ह

उततय - भामा विशि को अऩन आकरयण भ फाॉध रन क सरए परससदध ह | कफीय न बी lsquoभामा भहा ठधगनी हभ जानीrsquo कहकय भामा की शनदकत को परनतऩाहदत ककमा ह | कार फादरो भ फगरो की सॊदयता अऩना भामा जार परा कय कवि को अऩन िश भ कय यही ह |

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आयोह बाग-२ गदम-बाग

परशन-सॊखमा १०- गदम खॊड भ हदए गए ऩहठत गदमाॊश स अथयगरहण सॊफॊधी चाय परशन ऩछ जाएॉग नदजनक सरए ननधायरयत अॊक (२४=८) ह |

परशन-सॊखमा ११- ऩाठो की विरमिसत स सॊफॊधधत ऩाॉच भ स चाय परशनो क उततय दन ह नदजनक सरए ननधायरयत अॊक (३४=१२) ह|

ऩयीा भ अचछ अॊक परातत कयन क लरए धमान दन मोगम फात ndash

1 रख एिॊ ितयनी की शदधता तथा िाकम-गठन ऩय धमान द | 2 हय ऩाठ का सायऩरषठबसभविरमिसत तथाकथानक को सभझना आिशमक ह |

अतविदमाथी हय ऩाठ का सायाॊश बरीबाॉनत माद कय र | 3 परशनो को धमान स ऩढ़ तदनसाय अऩकषत उततय सरख | 4 उततय सरखत सभम सॊफॊधधत भखम बफॊदओॊ का शीरयकफनात हए उततय सरख मथा-तीन

अॊक क परशनो क उततय सरखत सभम कभ स कभ तीन भखम उततय-बफ ॊदओॊ का उलरख कयत हए उततय सऩरषट कय |

5 अॊक-मोजना क अनसाय ननधायरयत शबद-सीभा क अॊतगयत उततय सरख | ऩयीाथी कई फाय एक अॊक क परशन का उततय फहत रॊफा कई फाय ऩया ऩरषठ सरख दत ह जो सभम औय ऊजाय की फफायदी ह |

6 धमान यह कक अधधक सरखन स अचछ अॊक नहीॊ आत फनदलक सयर-सफोध बारा भ सरख गए सटीक उततय सायगसबयत तथम तथा उदाहयण क दिाया सऩरषट ककए गए उततय परबािशारी होत ह |

ऩाि 11 - बजकतन

रखखका- भहादवी वभाट

ऩाि का सायाॊश- बनदकतन नदजसका िासतविक नाभ रकषभी थारणखका lsquoभहादिी िभायrsquo की सविका ह | फचऩन भ ही बनदकतन की भाॉ की भतम हो गमी| सौतरी भाॉ न ऩाॉच िरय की आम भ वििाह तथा नौ िरय की आम भ गौना कय बनदकतन को ससयार बज हदमा| ससयार भ बनदकतन न तीन फहटमो को जनदभ हदमा नदजस कायण उस सास औय नदजठाननमो की उऩा सहनी ऩड़ती थी| सास औय नदजठाननमाॉ आयाभ पयभाती थी औय बनदकतन तथा उसकी ननदहीॊ फहटमो को घय औय खतो का साया काभ कयना ऩडता था| बनदकतन का ऩनत उस फहत चाहता था| अऩन ऩनत क सनह क फर ऩय बनदकतन न ससयार िारो स अरगौझा कय अऩना अरग घय फसा सरमा औय सख स यहन रगी ऩय बनदकतन का दबायगम अलऩाम भ ही उसक ऩनत की भतम हो गई | ससयार िार

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बनदकतन की दसयी शादी कय उस घय स ननकारकय उसकी सॊऩनदतत हड़ऩन की सानदजश कयन रग| ऐसी ऩरयनदसथनत भ बनदकतन न अऩन कश भॊडा सरए औय सॊनदमाससन फन गई | बनदकतन सिासबभानी सॊघरयशीर कभयठ औय दढ सॊकलऩ िारी सतरी ह जो वऩतसततातभक भानदमताओॊ औय छर-कऩट स बय सभाज भ अऩन औय अऩनी फहटमो क हक की रड़ाई रड़ती हघय गहसथी सॉबारन क सरए अऩनी फड़ी फटी दाभाद को फरा सरमा ऩय दबायगम न महाॉ बी बनदकतन का ऩीछा नहीॊ छोड़ा अचानक उसक दाभाद की बी भतम हो गमी| बनदकतन क जठ-नदजठौत न सानदजश यचकय बनदकतन की विधिा फटी का वििाह जफयदसती अऩन तीतयफाज सार स कय हदमा| ऩॊचामत दिाया कयामा गमा मह सॊफॊध दखदामी यहा | दोनो भाॉ-फटी का भन घय-गहसथी स उचट गमा ननधयनता आ गमी रगान न चका ऩान क कायण जभीॊदाय न बनदकतन को हदन बय धऩ भ खड़ा यखा| अऩभाननत बनदकतन ऩसा कभान क सरए गाॉि छोड़कय शहय आ जाती ह औय भहादिी की सविका फन जाती ह| बनदकतन क भन भ भहादिी क परनत फहत आदय सभऩयण औय असबबािक क सभान अधधकाय बाि ह| िह छामा क सभान भहादिी क साथ यहती ह| िह यात-यात बय जागकय धचतरकायी मा रखन जस कामय भ वमसत अऩनी भारककन की सिा का अिसय ढॉढ रती ह| भहादिी बनदकतन को नहीॊ फदर ऩामी ऩय बनदकतन न भहादिी को फदर हदमा| बनदकतन क हाथ का भोटा-दहाती खाना खात-खात भहादिी का सिाद फदर गमा बनदकतन न भहादिी को दहात क ककसस-कहाननमाॉ ककॊ िदॊनतमाॉ कॊ ठसथ कया दी| सिबाि स भहाकॊ जस होन ऩय बी बनदकतन ऩाई-ऩाई कय जोडी हई १०५ रऩमो की यासश को सहरय भहादिी को सभवऩयत कय दती ह| जर क नाभ स थय-थय काॉऩन िारी बनदकतन अऩनी भारककन क साथ जर जान क सरए फड़ राट साहफ तक स रड़न को बी तमाय हो जाती ह| बनदकतन भहादिी क जीिन ऩय छा जान िारी एक ऐसी सविका ह नदजस रणखका नहीॊ खोना चाहती

ऩाि आधारयत परशनोततय

नोट- उततय भ ननहहत यखाॊककत िाकम भखम सॊकत बफॊद ह |

परशन 1-बजकतन का वासतपवक नाभ कमा था वह अऩन नाभ को कमो छऩाना चाहती थी

उततय-बनदकतन का िासतविक नाभ रकषभी था हहनददओॊ क अनसायरकषभी धन की दिीह चॉकक बनदकतन गयीफ थी| उसक िासतविक नाभ क अथय औय उसक जीिन क मथाथय भ वियोधाबास ह ननधयन बनदकतन सफको अऩना असरी नाभ रकषभी फताकय उऩहास का ऩातर नहीॊ फनना चाहती थी इससरए िह अऩना असरी नाभ छऩाती थी

परशन 2- रखखका न रकषभी का नाभ बजकतन कमो यखा

उततय-घटा हआ ससय गर भ कॊ ठी भारा औय बकतो की तयह सादगीऩणय िशबरा दखकय भहादिी िभाय न रकषभी का नाभ बनदकतन यख हदमा | मह नाभ उसक वमनदकतति स ऩणयत भर खाता था |

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परशन 3-बजकतन क जीवन को ककतन ऩरयचछदो भ पवबाजजत ककमा गमा ह

उततय- बनदकतन क जीिन को चाय बागो भ फाॉटा गमा ह-

ऩहरा ऩरयचछद-बनदकतन का फचऩन भाॉ की भतम विभाता क दिाया बनदकतन का फार-वििाह कया दना

दपवतीम ऩरयचछद-बनदकतन का ििाहहक जीिन सास तथा नदजठाननमो का अनदमामऩणय वमिहाय ऩरयिाय स अरगौझा कय रना

ततीम ऩरयचछद- ऩनत की भतम विधिा क रऩ भ सॊघरयशीर जीिन चतथट ऩरयचछद- भहादिी िभाय की सविका क रऩ भ

परशन 4- बजकतन ऩाि क आधाय ऩय बायतीम गराभीण सभाज भ रड़क-रड़ककमो भ ककम जान वार बदबाव का उलरख कीजजए |

बायतीम गराभीण सभाज भ रड़क-रड़ककमो भ बदबाि ककमा जाता ह| रड़ककमो को खोटा ससकका मा ऩयामा धन भाना जाता ह| बनदकतन न तीन फहटमो को जनदभ हदमा नदजस कायण उस सास औय नदजठाननमो की उऩा सहनी ऩड़ती थी| सास औय नदजठाननमाॉ आयाभ पयभाती थी कमोकक उनदहोन रड़क ऩदा ककए थ औय बनदकतन तथा उसकी ननदहीॊ फहटमो को घय औय खतो का साया काभ कयना ऩडता था| बनदकतन औय उसकी फहटमो को रखा-सखा भोटा अनाज खान को सभरता था जफकक उसकी नदजठाननमाॉ औय उनक कार-करट फट दध-भराई याफ-चािर की दाित उड़ात थ

परशन 5-बजकतन ऩाि क आधाय ऩय ऩॊचामत क नमाम ऩय ठटतऩणी कीजजए |

बनदकतन की फटी क सनददबय भ ऩॊचामत दिाया ककमा गमा नदमाम तकय हीन औय अॊध कानन ऩय आधारयतह | बनदकतन क नदजठौत न सॊऩनदतत क रारच भ रडमॊतर कय बोरी फचची को धोख स जार भ पॊ सामा| ऩॊचामत न ननदोर रड़की की कोई फात नहीॊ सनी औय एक तयिा पसरा दकय उसका वििाह जफयदसती नदजठौत क ननकमभ तीतयफाज सार स कय हदमा | ऩॊचामत क अॊध कानन स दरषटो को राब हआ औय ननदोर को दॊड सभरा |

परशन 6-बजकतन की ऩाक-करा क फाय भ ठटतऩणी कीजजए |

बनदकतन को ठठ दहाती सादा बोजन ऩसॊद था | यसोई भ िह ऩाक छत को फहत भहतति दती थी | सफह-सिय नहा-धोकय चौक की सपाई कयक िह दिाय ऩय कोमर की भोटी यखा खीॊच दती थी| ककसी को यसोईघय भ परिश कयन नहीॊ दती थी| उस अऩन फनाए बोजन ऩय फड़ा असबभान था| िह अऩन फनाए बोजन का नतयसकाय नहीॊ सह सकती थी |

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परशन 7- लसदध कीजजए कक बजकतन तकट -पवतकट कयन भ भाठहय थी |

बनदकतन तकय ऩट थी | कश भॉडान स भना ककए जान ऩय िह शासतरो का हिारा दत हए कहती ह lsquoतीयथ गए भॉडाए ससदधrsquo | घय भ इधय-उधय यख गए ऩसो को िह चऩचाऩ उठा कय छऩा रती ह टोक जानऩय िह िह इस चोयी नही भानती फनदलक िह इस अऩन घय भ ऩड़ ऩसो को सॉबारकय यखना कहती ह| ऩढाई-सरखाई स फचन क सरए बी िह अचक तकय दती ह कक अगय भ बी ऩढ़न रगॉ तो घय का काभ कौन दखगा

परशन 8-बजकतन का दबाटगम बी कभ हिी नही था रखखका न ऐसा कमो कहा ह

उततय- बजकतन का दबाटगम उसका ऩीछा नहीॊ छोड़ता था-

1- फचऩन भ ही भाॉ की भतम 2- विभाता की उऩा 3- बनदकतन(रकषभी) का फारवििाह 4- वऩता का ननधन 5- तीन-तीन फहटमो को जनदभ दन क कायण सास औय नदजठाननमो क दिाया बनदकतन की

उऩा 6- ऩनत की असभम भतम 7- दाभाद का ननधन औय ऩॊचामत क दिाया ननकमभ तीतयफाज मिक स बनदकतन की विधिा

फटी का जफयन वििाह 8- रगान न चका ऩान ऩय जभीॊदाय क दिाया बनदकतन का अऩभान

परशन 9-बजकतन न भहादवी वभाट क जीवन ऩय कस परबापवत ककमा

उततय- बनदकतन क साथ यहकय भहादिी की जीिन-शरी सयर हो गमी ि अऩनी सविधाओॊ की चाह को नछऩान रगीॊ औय असविधाओॊ को सहन रगीॊ बनदकतन न उनदह दहाती बोजन णखराकय उनका सिाद फदर हदमा बनदकतन भातर एक सविका न होकय भहादिी की असबबािक औय आतभीम फन गमीबनदकतन भहादिी क जीिन ऩय छा जान िारी एक ऐसी सविका ह नदजस रणखका नहीॊ खोना चाहती

परशन 10- बजकतन क चरयतर की पवशषताओॊ का उलरख कीजजए

उततय- भहादिी िभाय की सविका बनदकतन क वमनदकतति की विशरताएॊ ननमनाॊककत ह-

सभवऩयत सविका सिासबभानी

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तकय शीरा ऩरयशरभी सॊघरयशीर

परशन 11-बजकतन क दगटणो का उलरख कय

उततय- गणो क साथ-साथ बनदकतन क वमनदकतति भ अनक दगयण बी ननहहत ह-

1 िह घय भ इधय-उधय ऩड़ रऩम-ऩस को बॊडाय घय की भटकी भ छऩा दती ह औय अऩन इस कामय को चोयी नहीॊ भानती

2 भहादिी क करोध स फचन क सरए बनदकतन फात को इधय-उधय कयक फतान को झठ नही भानती अऩनी फात को सही ससदध कयन क सरए िह तकय -वितकय बी कयती ह

3 िह दसयो को अऩनी इचछानसाय फदर दना चाहती ह ऩय सिमॊ बफरकर नही फदरती परशन 12 ननमनाॊककत बाषा-परमोगो का अथट सऩषट कीजजए-

ऩहरी कनमा क दो औय सॊसकयण कय िार- बनदकतन न अऩनी ऩहरी कनदमा क फाद उसक जसी दो औय कनदमाएॉ ऩदा कय दी अथायत बनदकतन क एक क फाद एक तीन फहटमाॉ ऩदा हो गमीॊ |

खोट लसकको की टकसार जसी ऩतनी- आज बी असशकषत गराभीण सभाज भ फहटमो को

खोटा ससकका कहा जाता ह बनदकतन न एक क फाद एक तीन फहटमाॉ ऩदा कय दी इससरए उस खोट ससकक को ढारन िारी भशीन कहा गमा

परशन 13-बजकतन ऩाि भ रखखका न सभाज की ककन सभसमाओॊ का उलरख ककमा ह

उततय- बनदकतन ऩाठ क भाधमभ स रणखका न बायतीम गराभीण सभाज की अनक सभसमाओॊ का उलरख ककमा ह-

1 रड़क-रड़ककमो भ ककमा जान िारा बदबाि 2 विधिाओॊ की सभसमा 3 नदमाम क नाभ ऩय ऩॊचामतो क दिाया नदसतरमो क भानिाधधकाय को कचरना 4 असशा औय अॊधविशिास

गदमाॊश-आधारयत अथटगरहण सॊफॊधधत परशनोततय

ऩरयिाय औय ऩरयनदसथनतमो क कायण सिबाि भ जो विरभताएॉ उतऩनदन हो गई ह उनक बीतय स एक सनह औय सहानबनत की आबा पटती यहती ह इसी स उसक सॊऩकय भ आनिार वमनदकत उसभ जीिन की सहज भासभयकता ही ऩात ह छातरािास की फासरकाओॊ भ स कोई अऩनी चाम

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फनिान क सरए दहरी ऩय फठी यहती ह कोई फाहय खडी भय सरए नाशत को चखकय उसक सिाद की वििचना कयती यहती ह भय फाहय ननकरत ही सफ धचडड़मो क सभान उड़ जाती ह औय बीतय आत ही मथासथान वियाजभान हो जाती ह इनदह आन भ रकािट न हो सॊबित इसी स बनदकतन अऩना दोनो जन का बोजन सिय ही फनाकय ऊऩय क आर भ यख दती ह औय खात सभम चौक का एक कोना धोकय ऩाकndashछत क सनातन ननमभ स सभझौता कय रती ह

भय ऩरयधचतो औय साहहनदतमक फॊधओॊ स बी बनदकतन विशर ऩरयधचत ह ऩय उनक परनत बनदकतन क समभान की भातरा भय परनत उनक समभान की भातरा ऩय ननबयय ह औय सदभाि उनक परनत भय सदभाि स नननदशचत होता ह इस सॊफॊध भ बनदकतन की सहज फवदध विनदसभत कय दन िारी ह

(क) बजकतन का सवबाव ऩरयवाय भ यहकय कसा हो गमा ह

उततय-विरभ ऩरयनदसथनतजनदम उसक उगर हठी औय दयागरही सिबाि क फािजद बनदकतन क बीतय सनह औय सहानबनत की आबा पटती यहती ह उसक सॊऩकय भ आन िार वमनदकत उसभ जीिन की सहज भासभयकता ही ऩात ह

(ख) बजकतन क ऩास छातरावास की छातराएॉ कमो आती ह

उततय- बनदकतन क ऩास कोई छातरा अऩनी चाम फनिान आती ह औय दहरी ऩय फठी यहती ह कोई भहादिी जी क सरए फन नाशत को चखकय उसक सिाद की वििचना कयती यहती ह भहादिी को दखत ही सफ छातराएॉ बाग जाती ह उनक जात ही कपय िाऩस आ जातीॊ ह बनदकतन का सहज-सनह ऩाकय धचडड़मो की तयह चहचहान रगती ह |

(ग) छातराओॊ क आन भ रकावट न िारन क लरए बजकतन न कमा उऩाम ककमा

उततय- छातराओॊ क आन भ रकािट न डारन क सरए बनदकतन न अऩन ऩाक-छत क ननमभ स सभझौता कय सरमा | बनदकतन अऩना दोनो िकत का खाना फनाकय सफह ही आर भ यख दती औय खात सभम चौक का एक कोना धोकय िहाॉ फठकय खा सरमा कयती थी ताकक छातराएॉ बफना योक-टोक क उसक ऩास आ सक

(घ) साठहतमकायो क परनत बजकतन क समभान का कमा भाऩदॊि ह

उततय-बनदकतन भहादिी क साहहनदतमक सभतर क परनत सदभाि यखती थी नदजसक परनत भहादिी सिमॊ सदभाि यखती थी | िह सबी स ऩरयधचत हऩय उनक परनत समभान की भातरा भहादिी जी क समभान की भातरा ऩय ननबयय कयती ह िह एक अदभत ढॊग स जान रती थी कक कौन ककतना समभान कयता ह उसी अनऩात भ उसका परापम उस दती थी

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12 फाजाय-दशटन

रखक- जनि कभाय

ऩाि का सायाॊश फाजाय-दशयन ऩाठ भ फाजायिाद औय उऩबोकतािाद क साथ-साथ अथयनीनत एिॊ दशयन स सॊफॊधधत परशनो को सरझान का परमास ककमा गमा ह फाजाय का जाद तबी असय कयता ह जफ भन खारी हो| फाजाय क जाद को योकन का उऩाम मह ह कक फाजाय जात सभम भन खारी ना हो भन भ रकषम बया हो| फाजाय की असरी कताथयता ह जरयत क िकत काभ आना| फाजाय को िही भनरषम राब द सकता ह जो िासति भ अऩनी आिशमकता क अनसाय खयीदना चाहता ह| जो रोग अऩन ऩसो क घभॊड भ अऩनी ऩचनदजॊग ऩािय को हदखान क सरए चीज खयीदत ह ि फाजाय को शतानी वमॊगम शनदकत दत ह| ऐस रोग फाजारऩन औय कऩट फढात ह | ऩस की मह वमॊगम शनदकत वमनदकत को अऩन सग रोगो क परनत बी कतघन फना सकती ह | साधायण जन का रदम रारसा ईरषमाय औय तरषणा स जरन रगता ह | दसयी ओय ऐसा वमनदकत नदजसक भन भ रश भातर बी रोब औय तरषणा नहीॊ ह सॊचम की इचछा नहीॊ ह िह इस वमॊगम-शनदकत स फचा यहता ह | बगतजी ऐस ही आतभफर क धनी आदशय गराहक औय फचक ह नदजन ऩय ऩस की वमॊगम-शनदकत का कोई असय नहीॊ होता | अनक उदाहयणो क दिाया रखक न मह सऩरषट ककमा ह कक एक ओय फाजाय रारची असॊतोरी औय खोखर भन िार वमनदकतमो को रटन क सरए ह िहीॊ दसयी ओय सॊतोरी भन िारो क सरए फाजाय की चभक-दभक उसका आकरयण कोई भहतति नहीॊ यखता

परशन१ - ऩचजजॊग ऩावय ककस कहा गमा ह फाजाय ऩय इसका कमा परबाव ऩड़ता ह

उततय- ऩचनदजॊग ऩािय का अथय ह खयीदन की शनदकत ऩचनदजॊग ऩािय क घभॊड भ वमनदकत हदखाि क सरए आिशमकता स अधधक खयीदायीकयता ह औय फाजाय को शतानी वमॊगम-शनदकत दता ह ऐस रोग फाजाय का फाजारऩन फढ़ात ह

परशन२ -रखक न फाजाय का जाद ककस कहा ह इसका कमा परबाव ऩड़ता ह

उततय- फाजाय की चभक-दभक क चॊफकीम आकरयण को फाजाय का जाद कहा गमा ह मह जाद आॊखो की याह कामय कयता ह फाजाय क इसी आकरयण क कायण गराहक सजी-धजी चीजो को आिशमकता न होन ऩय बी खयीदन को वििश हो जात ह

परशन३ -आशम सऩषट कय

भन खारी होना भन बया होना भन फॊद होना

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उततय-भन खारी होना- भन भ कोई नननदशचत िसत खयीदन का रकषम न होना ननरददशम फाजाय जाना औय वमथय की चीजो को खयीदकय राना

भन बया होना- भन रकषम स बया होना नदजसका भन बया हो िह बरीबाॉनत जानता ह कक उस फाजाय स कौन सी िसत खयीदनी ह अऩनी आिशमकता की चीज खयीदकय िह फाजाय को साथयकता परदान कयता ह

भन फॊद होना-भन भ ककसी बी परकाय की इचछा न होना अथायत अऩन भन को शनदम कय दना

परशन४ - lsquoजहाॉ तषणा ह फटोय यखन की सऩहा ह वहाॉ उस फर का फीज नहीॊ हrsquo महाॊ ककस फर की चचाट की गमी ह

उततय- रखक न सॊतोरी सिबाि क वमनदकत क आतभफरकी चचाय की ह दसय शबदो भ महद भन भ सॊतोर हो तो वमनदकत हदखाि औय ईरषमाय की बािना स दय यहता ह उसभ सॊचम कयन की परिनदतत नहीॊ होती

परशन५ - अथटशासतर अनीनतशासतर कफ फन जाता ह

उततय- जफ फाजाय भ कऩट औय शोरण फढ़न रग खयीददाय अऩनी ऩचधचॊग ऩािय क घभॊड भ हदखाि क सरए खयीददायी कय | भनरषमो भ ऩयसऩय बाईचाया सभापत हो जाए| खयीददाय औय दकानदाय एक दसय को ठगन की घात भ रग यह एक की हानन भ दसय को अऩना राब हदखाई द तो फाजाय का अथयशासतर अनीनतशासतर फन जाता ह ऐस फाजाय भानिता क सरए विडॊफना ह

परशन६-बगतजी फाजाय औय सभाज को ककस परकाय साथटकता परदान कय यह ह

उततय- बगतजी क भन भ साॊसारयक आकरयणो क सरए कोई तरषणा नहीॊ ह ि सॊचम रारच औय हदखाि स दय यहत ह फाजाय औय वमाऩाय उनक सरए आिशमकताओॊ की ऩनत य का साधन भातर ह बगतजी क भन का सॊतोर औय ननसऩह बाि उनको शररषठ उऩबोकता औय विकरता फनात ह

परशन ७ _ बगत जी क वमजकततव क सशकत ऩहरओॊ का उलरख कीजजए |

उततय-ननमनाॊककत बफॊद उनक वमनदकतति क सशकत ऩहर को उजागय कयत ह

ऩॊसायी की दकान स किर अऩनी जरयत का साभान (जीया औय नभक) खयीदना नननदशचत सभम ऩय चयन फचन क सरए ननकरना छह आन की कभाई होत ही चयन फचना फॊद कय दना फच हए चयन को फचचो को भफ़त फाॉट दना

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सबी काजम-जम याभ कहकय सिागत कयना फाजाय की चभक-दभक स आकवरयत न होना सभाज को सॊतोरी जीिन की सशा दना

परशन7-फाजाय की साथटकता ककसभ ह

उततय- भनरषम की आिशमकताओॊ की ऩनतय कयन भ ही फाजाय की साथयकता ह जो गराहक अऩनी आिशमकताओॊ की चीज खयीदत ह ि फाजाय को साथयकता परदान कयत ह जो विकरता गराहको का शोरण नहीॊ कयत औय छर-कऩट स गराहको को रबान का परमास नही कयत ि बी फाजाय को साथयक फनात ह

गदमाॊश-आधारयत अथटगरहण-सॊफॊधधत परशनोततय

फाजाय भ एक जाद ह िह जाद आॉख की तयह काभ कयता ह िह रऩ का जाद ह ऩय जस चॊफक का जाद रोह ऩय ही चरता ह िस ही इस जाद की बी भमायदा ह जफ बयी हो औय भन खारी हो ऐसी हारत भ जाद का असय खफ होता ह जफ खारी ऩय भन बया न हो तो बी जाद चर जाएगा भन खारी ह तो फाजाय की अनकानक चीजो का ननभॊतरण उस तक ऩहॉच जाएगा कहीॊ हई उस िकत जफ बयी तफ तो कपय िह भन ककसकी भानन िारा ह भारभ होता ह मह बी रॉ िह बी रॉ सबी साभान जरयी औय आयाभ को फढ़ान िारा भारभ होता ह ऩय मह सफ जाद का असय ह जाद की सिायी उतयी कक ऩता चरता ह कक प सी-चीजो की फहतामत आयाभ भ भदद नहीॊ दती फनदलक खरर ही डारती ह थोड़ी दय को सिासबभान को जरय सक सभर जाता ह ऩय इसस असबभान को धगलटी की खयाक ही सभरती ह जकड़ यशभी डोयी की हो तो यशभ क सऩशय क भरामभ क कायण कमा िह कभ जकड़ दगी

ऩय उस जाद की जकड़ स फचन का एक सीधा उऩाम ह िह मह कक फाजाय जाओ तो खारी भन न हो भन खारी हो तफ फाजाय न जाओ कहत ह र भ जाना हो तो ऩानी ऩीकय जाना चाहहए ऩानी बीतय हो र का रऩन वमथय हो जाता ह भन रकषम स बया हो तो फाजाय परा का परा ही यह जाएगा तफ िह घाि बफरकर नहीॊ द सकगा फनदलक कछ आनॊद ही दगा तफ फाजाय तभस कताथय होगा कमोकक तभ कछ न कछ सचचा राब उस दोग फाजाय की असरी कताथयता ह आिशमकता क सभम काभ आना

परशन-1 फाजाय क जाद को रखक न कस सऩषट ककमा ह

उततय- फाजाय क रऩ का जाद आॉखो की याह स काभ कयता हआ हभ आकवरयत कयता ह फाजाय का जाद ऐस चरता ह जस रोह क ऊऩय चॊफक का जाद चरता ह चभचभाती योशनी भ सजी

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प सी चीॊज गराहक को अऩनी ओय आकवरयत कयती ह| इसी चमफकीम शनदकत क कायण वमनदकत कपजर साभान को बी खयीद रता ह |

परशन-2 जफ बयी हो औय भन खारी तो हभायी कमा दशा होती ह

उततय- जफ बयी हो औय भन खारी हो तो हभाय ऊऩय फाजाय का जाद खफ असय कयता ह भन खारी ह तो फाजाय की अनकानक चीजो का ननभॊतरण भन तक ऩहॉच जाता ह औय उस सभम महद जफ बयी हो तो भन हभाय ननमॊतरण भ नहीॊ यहता

परशन-3 प सी चीजो की फहतामत का कमा ऩरयणाभ होता ह

उततय- प सी चीज आयाभ की जगह आयाभ भ वमिधान ही डारती ह थोड़ी दय को असबभान को जरय सक सभर जाती ह ऩय हदखाि की परिनदतत भ िवदध होती ह

परशन-4 जाद की जकड़ स फचन का कमा उऩाम ह

उततय- जाद की जकड़ स फचन क सरए एक ही उऩाम ह िह मह ह कक फाजाय जाओ तो भन खारी न हो भन खारी हो तो फाजाय भत जाओ

13 कार भघा ऩानी द

रखक-धभटवीय बायती

ऩाि का सायाॊश -lsquoकार भघा ऩानी दrsquo ननफॊध रोकजीिन क विशिास औय विऻान क तकय ऩय आधारयत ह जफ बीरण गभी क कायण वमाकर रोग िराय कयान क सरए ऩजा-ऩाठ औय कथा-विधान कय थकndashहाय जात ह तफ िराय कयान क सरए अॊनतभ उऩाम क रऩ भ इनददय सना ननकरती ह| इनददय सना नॊग-धड़ॊग फचचो की टोरी ह जो कीचड़ भ रथऩथ होकय गरी-भोहलर भ ऩानी भाॉगन ननकरती ह| रोग अऩन घय की छतो-णखड़ककमो स इनददय सना ऩय ऩानी डारत ह | रोगो की भानदमता ह कक इनददर फादरो क सिाभी औय िराय क दिता ह| इनददर की सना ऩय ऩानी डारन स इनददर बगिान परसनदन होकय ऩानी फयसाएॊग | रखक का तकय ह कक जफ ऩानी की इतनी कभी ह तो रोग भनदशकर स जभा ककए ऩानी को फालटी बय-बयकय इनददय सना ऩय डारकय ऩानी को कमो फफायद कयत ह आमयसभाजी विचायधाया िारा रखक इस अॊधविशिास भानता ह | इसक विऩयीत रखक की जीजी उस सभझाती ह कक मह ऩानी की फफायदी नहीॊ फनदलक ऩानी की फिाई ह | कछ ऩान क सरए कछ दना ऩड़ता ह | तमाग क बफना दान नहीॊ होता| परसतत ननफॊध भ रखक न भरषटाचाय की सभसमा को उठात हए कहा ह कक जीिन भ कछ ऩान क सरए तमाग आिशमक ह जो रोग तमाग औय दान की भहतता को नहीॊ भानत ि ही भरषटाचाय भ सरपत यहकय दश औय सभाज को रटत ह| जीजी की आसथा बािनातभक सचचाई को ऩरषट कयती ह औय तकय किर िऻाननक तथम को सतम भानता ह जहाॉ तकय मथाथय क

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कठोय धयातर ऩय सचचाई को ऩयखता ह तो िहीॊ आसथा अनहोनी फात को बी सिीकाय कय भन को सॊसकारयत कयती ह बायत की सितॊतरता क ५० सार फाद बी दश भ वमापत बरषटाचाय औय सिाथय की बािना को दखकय रखक दखी ह | सयकाय दिाया चराई जा यही मोजनाएॉ गयीफो तक कमो नहीॊ ऩहॉच ऩा यहीॊ ह कार भघा क दर उभड़ यह ह ऩय आज बी गयीफ की गगयी पटी हई कमो ह रखक न मह परशन ऩाठको क सरए छोड़ हदमा ह |

परशन1-इनदय सना घय-घय जाकय ऩानी कमो भाॉगती थी

उततय- गाॉि क रोग फारयश क सरए बगिान इॊदर स पराथयना ककमा कयत थ जफ ऩजा-ऩाठवरत आहद उऩाम असिर हो जात थ तो बगिान इॊदर को परसनदन कयन क सरए गाॉि क ककशोय फचच कीचड़ भ रथऩथ होकय गरी-गरी घभकय रोगो स ऩानी भाॉगत थ

परशन2-इनदयसना को रखक भढक-भॊिरी कमो कहता ह जीजी क फायndashफाय कहन ऩय बी वह इनदयसना ऩय ऩानी प कन को याजी कमो नहीॊ होता

उततय- इनददयसना का कामय आमयसभाजी विचायधाया िार रखक को अॊधविशिास रगता ह उसका भानना ह कक महद इॊदयसना दिता स ऩानी हदरिा सकती ह तो सिमॊ अऩन सरए ऩानी कमो नहीॊ भाॉग रती ऩानी की कभी होन ऩय बी रोग घय भ एकतर ककम हए ऩानी को इॊदयसना ऩय ि कत ह रखक इस ऩानी की ननभयभ फयफादी भानता ह

परशन3- रि हए रखक को जीजी न ककस परकाय सभझामा

उततय- जीजी न रखक को पमाय स रडड-भठयी णखरात हए ननमन तकय हदए-

1- तमाग का भहततव- कछ ऩान क सरए कछ दना ऩड़ता ह 2- दान की भहतता- कवर-भननमो न दान को सफस ऊॉ चा सथान हदमा ह जो चीज अऩन

ऩास बी कभ हो औय अऩनी आिशमकता को बरकय िह चीज दसयो को दान कय दना ही तमाग ह |

3- इॊिदव को जर का अधमट चिाना- इॊदयसना ऩय ऩानी ि कना ऩानी की फयफादी नहीॊ फनदलक इॊदरदि को जर का अधमय चढ़ाना ह

4- ऩानी की फवाई कयना- नदजस परकाय ककसान िसर उगान क सरए जभीन ऩय फीज डारकय फिाई कयता ह िस ही ऩानी िार फादरो की िसर ऩान क सरए इनददय सना ऩय ऩानी डार कय ऩानी की फिाई की जाती ह

परशन4-नठदमो का बायतीम साभाजजक औय साॊसकनतक ऩरयवश भ कमा भहतव ह

उततय- गॊगा बायतीम सभाज भ सफस ऩजम सदानीया नदी ह नदजसका बायतीम इनतहास भ धासभयक ऩौयाणणक औय साॊसकनतक भहति ह | िह बायतीमो क सरए किर एक नदी नहीॊ अवऩत

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भाॉ ह सिगय की सीढ़ी ह भोदानमनी ह उसभ ऩानी नहीॊ अवऩत अभत तलम जर फहता ह बायतीम सॊसकनत भ नहदमो क ककनाय भानि सभमताएॉ परी-परी ह| फड़-फड़ नगय तीथयसथान नहदमो क ककनाय ही नदसथत ह ऐस ऩरयिश भबायतिासी सफस ऩहर गॊगा भमा की जम ही फोरग नहदमाॉ हभाय जीिन का आधाय ह हभाया दश कवर परधान ह नहदमो क जर स ही बायत बसभ हयी-बयी ह नहदमो क बफना जीिन की कलऩना नहीॊ कय सकत मही कायण ह कक हभ बायतीम नहदमो की ऩजा कयत ह |

परशन4-आजादी क ऩचास वषो क फाद बी रखक कमो दखी ह उसक भन भ कौन स परशन उि यह ह

उततय- आजादी क ऩचास िरो फाद बी बायतीमो की सोच भ सकायातभक फदराि न दखकय रखक दखी ह उसक भन भ कई परशन उठ यह ह-

1 कमा हभ सचच अथो भ सितनदतर ह 2 कमा हभ अऩन दश की सॊसकनत औय सभमता को सभझ ऩाए ह 3 यारषर ननभायण भ हभ ऩीछ कमो ह हभ दश क सरए कमा कय यह ह

4 हभ सिाथय औय भरषटाचाय भ सरपत यहत ह तमाग भ विशिास कमो नहीॊ कयत

5 सयकाय दिाया चराई जा यही सधायिादी मोजनाएॉ गयीफो तक कमो नहीॊ ऩहॉचती ह

गदमाॊश ऩय आधारयत अथटगरहण-सॊफॊधधत परशनोततय

सचभच ऐस हदन होत जफ गरी-भहलरा गाॉि-शहय हय जगह रोग गयभी भ बन-बन कय तराहहभाभ कय यह होत जठ क दसतऩा फीतकय आराढ का ऩहरा ऩखिाड़ा फीत चका होता ऩय कषनतज ऩय कहीॊ फादरो की यख बी नहीॊ दीखती होती कएॉ सखन रगत नरो भ एक तो फहत कभ ऩानी आता औय आता बी तो आधी यात को िो बी खौरता हआ ऩानी हो | शहयो की तरना भ गाॉि भ औय बी हारत खयाफ थी| जहाॉ जताई होनी चाहहए थी िहाॉ खतो की सभटटी सखकय ऩतथय हो जाती कपय उसभ ऩऩड़ी ऩड़कय जभीन पटन रगती र ऐसी कक चरत-चरत आदभी धगय ऩड़ | ढोय-डॊगय पमास क भाय भयन रगत रककन फारयश का कहीॊ नाभ ननशान नहीॊ ऐस भ ऩजा-ऩाठ कथा-विधान सफ कयक रोग जफ हाय जात तफ अॊनतभ उऩाम क रऩ भ ननकरती मह इनददय सना |

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परशन१- वषाट न होन ऩय रोगो की कमा जसथनत हो गमी थी उततय - िराय न होन ऩय गयभी क कायण रोग र रगन स फहोश होन रग | गाॉि-शहय सबी जगह ऩानी का अबाि हो गमा| कएॉ सख गए खतो की सभटटी सखकय ऩतथय क सभान कठोय होकय पट गमी| घयो भ नरो भ ऩानी फहत कभ आता था | ऩश पमास क भाय भयन रग थ | परशन२- वषाट क दवता कौन ह उनको परसनन कयन क लरए कमा उऩाम ककए जात थ उततय -िराय क दिता बगिान इनददर ह| उनको परसनदन कयन क सरए ऩजाndashऩाठ कथा-विधान कयाए जात थ | ताकक इनददर दि परसनदन होकय फादरो की सना बजकय झभाझभ फारयश कयाएॉ औय रोगो क करषट दय हो | परशन३- वषाट कयान क अॊनतभ उऩाम क रऩ भ कमा ककमा जाता था उततय ndashजफ ऩजा-ऩाठ कथा-विधान सफ कयक रोग हाय जात थ तफ अॊनतभ उऩाम क रऩ भ इनददय सना आती थी | नॊग-धडॊग कीचड़ भ रथऩथ lsquoकार भघा ऩानी द ऩानी द गड़धानी दrsquo की टय रगाकय पमास स सखत गरो औय सखत खतो क सरए भघो को ऩकायती हई टोरी फनाकय ननकर ऩड़ती थी| परशन४-आशम सऩषट कय ndash जठ क दसतऩा फीतकय आराढ़ का ऩहरा ऩखिाड़ा फीत चका होता ऩय कषनतज भ कहीॊ फादरो की यख बी नजय नहीॊ आती | आशम- जठ का भहीना ह बीरण गयभी ह| तऩत हए दस हदन फीत कय आराढ का भहीना बी आधा फीत गमा ऩय ऩानी क सरए तड़ऩत िराय की आशा भ आसभान की ओय ताकत रोगो को कहीॊ फादर नजय नहीॊ आ यह |

14 ऩहरवान की ढोरक

फ़णीशवयनाथ यण

ऩाि का सायाॊश ndashआॊचसरक कथाकाय िणीशियनाथ यण की कहानी ऩहरिान की ढोरक भ कहानी क भखम ऩातर रटटन क भाता-वऩता का दहाॊत उसक फचऩन भ ही हो गमा था | अनाथ रटटन को उसकी विधिा सास न ऩार-ऩोसकय फड़ा ककमा | उसकी सास को गाॉि िार सतात थ |

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रोगो स फदरा रन क सरए कशती क दाॉिऩच सीखकय कसयत कयक रटटन ऩहरिान फन गमा |

एक फाय रटटन शमाभनगय भरा दखन गमा जहाॉ ढोर की आिाज औय कशती क दाॉिऩच दखकय उसन जोश भ आकय नाभी ऩहरिान चाॉदससॊह को चनौती द दी | ढोर की आिाज स परयणा ऩाकय रटटन न दाॉि रगाकय चाॉद ससॊह को ऩटककय हया हदमा औय याज ऩहरिान फन गमा | उसकी खमानत दय-दय तक िर गमी| १५ िरो तक ऩहरिान अजम फना यहा| उसक दो ऩतर थ| रटटन न दोनो फटो को बी ऩहरिानी क गय ससखाए| याजा की भतम क फाद नए याजकभाय न गददी सॊबारी याजकभाय को घोड़ो की यस का शौक था भनजय न नम याजा को बड़कामा ऩहरिान औय उसक दोनो फटो क बोजनखचय को बमानक औय किजरखचय फतामा िरसिरऩ नए याजा न कशती को फॊद कयिा हदमा औय ऩहरिान रटटनससॊह को उसक दोनो फटो क साथ भहर स ननकार हदमा

याजदयफाय स ननकार हदए जान क फाद रटटन ससॊह अऩन दोनो फटो क साथ गाॉि भ झोऩड़ी फनाकय यहन रगा औय गाॉि क रड़को को कशती ससखान रगा| रटटन का सकर जमादा हदन नहीॊ चरा औय जीविकोऩाजयन क सरए उसक दोनो फटो को भजदयी कयनी ऩड़ी| इसी दौयान गाॉि भ अकार औय भहाभायी क कायण परनतहदन राश उठन रगी| ऩहरिान भहाभायी स डय हए रोगो को ढोरक फजाकय फीभायी स रड़न की सॊजीिनी ताकत दता था| एक हदन ऩहरिान क दोनो फट बी भहाभायी की चऩट भ आकय भय गए ऩय उस यात बी ऩहरिान ढोरक फजाकय रोगो को हहमभत फॊधा यहा था | इस घटना क चाय-ऩाॉच हदन फाद ऩहरिान की बी भौत हो जाती ह|

ऩहरिान की ढोरक वमिसथा क फदरन क साथ रोक कराकाय क अपरासॊधगक हो जान की कहानी ह इस कहानी भ रटटन नाभ क ऩहरिान की हहमभत औय नदजजीविरा का िणयन ककमा गमा ह बख औय भहाभायी अजम रटटन की ऩहरिानी को िट ढोर भ फदर दत ह इस करण तरासदी भ ऩहरिान रटटन कई सिार छोड़ जाता ह कक करा का कोई सितॊतर अनदसतति ह मा करा किर वमिसथा की भोहताज ह

परशन1- रटटन को ऩहरवान फनन की परयणा कस लभरी

उततय- रटटन जफ नौ सार का था तो उसक भाता-वऩता का दहाॊत हो गमा था | सौबागम स उसकी शादी हो चकी थी| अनाथ रटटन को उसकी विधिा सास न ऩार-ऩोसकय फड़ा ककमा | उसकी सास को गाॉि िार ऩयशान कयत थ| रोगो स फदरा रन क सरए उसन ऩहरिान फनन की ठानी| धायोरषण दध ऩीकय कसयत कय उसन अऩना फदन गठीरा औय ताकतिय फना सरमा | कशती क दाॉिऩच सीखकय रटटन ऩहरिान फन गमा |

परशन2- यात क बमानक सननाट भ रटटन की ढोरक कमा करयशभा कयती थी

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उततय- यात क बमानक सनदनाट भरटटन की ढोरक भहाभायी स जझत रोगो को हहमभत फॉधाती थी | ढोरक की आिाज स यात की विबीवरका औय सनदनाटा कभ होता था| भहाभायी स ऩीडड़त रोगो की नसो भ बफजरी सी दौड़ जाती थी उनकी आॉखो क साभन दॊगर का दशम साकाय हो जाता था औय ि अऩनी ऩीड़ा बर खशी-खशी भौत को गर रगा रत थ इस परकाय ढोर की आिाज फीभाय-भतपराम गाॉििारो की नसो भ सॊजीिनी शनदकत को बय फीभायी स रड़न की परयणा दती थी

परशन3- रटटन न सवाटधधक ठहमभत कफ ठदखाई

उततय- रटटन ससॊह न सिायधधक हहमभत तफ हदखाई जफ दोनो फटो की भतम ऩय िह योमा नहीॊ फनदलक हहमभत स काभ रकय अकर उनका अॊनतभ सॊसकाय ककमा| मही नहीॊ नदजस हदन ऩहरिान क दोनो फट भहाभायी की चऩट भ आकय भय गए ऩय उस यात को बी ऩहरिान ढोरक फजाकय रोगो को हहमभत फॉधा यहा था| शमाभनगय क दॊगर भ ऩया जनसभदाम चाॉद ससॊह क ऩ भ था चाॉद ससॊह को हयात सभम रटटन न हहमभत हदखाई औय बफना हताश हए दॊगर भ चाॉद ससॊह को धचत कय हदमा |

परशन4- रटटन लसॊह याज ऩहरवान कस फना

उततय- शमाभनगय क याजा कशती क शौकीन थ उनदहोन दॊगर का आमोजन ककमा ऩहरिान रटटन ससॊह बी दॊगर दखन ऩहॉचा चाॊदससॊह नाभक ऩहरिान जो शय क फचच क नाभ स परससदध था कोई बी ऩहरिान उसस सबड़न की हहमभत नहीॊ कयता था चाॉदससॊह अखाड़ भ अकरा गयज यहा था रटटन ससॊह न चाॉदससॊह को चनौती द दी औय चाॉदससॊह स सबड़ गमाढ़ोर की आिाज सनकय रटटन की नस-नस भ जोश बय गमाउसन चाॉदससॊह को चायो खान धचत कय हदमा याजासाहफ न रटटन की िीयता स परबावित होकय उस याजऩहरिान फना हदमा

परशन5- ऩहरवान की अॊनतभ इचछा कमा थी

उततय- ऩहरिान की अॊनतभ इचछा थी कक उस धचता ऩय ऩट क फर सरटामा जाए कमोकक िह नदजॊदगी भ कबी धचत नहीॊ हआ था| उसकी दसयी इचछा थी कक उसकी धचता को आग दत सभम ढोर अिशम फजामा जाए |

परशन6- ढोर की आवाज औय रटटन क भ दाॉिऩच सॊफॊध फताइए-

उततय- ढोर की आिाज औय रटटन क दाॉिऩच भ सॊफॊध -

चट धा धगड़ धाrarr आजा सबड़ जा | चटाक चट धाrarr उठाकय ऩटक द | चट धगड़ धाrarrभत डयना |

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धाक धधना नतयकट नतनाrarr दाॉि काटो फाहय हो जाओ | धधना धधना धधक धधनाrarr धचत कयो

गदमाॊश-आधारयत अथटगरहण-सॊफॊधधत परशनोततय

अॉधयी यात चऩचाऩ आॉस फहा यही थी | ननसतबधता करण सससककमो औय आहो को अऩन रदम भ ही फर ऩियक दफान की चरषटा कय यही थी | आकाश भ ताय चभक यह थ | ऩथिी ऩय कहीॊ परकाश का नाभ नहीॊ| आकाश स टट कय महद कोई बािक ताया ऩथिी ऩय आना बी चाहता तो उसकी जमोनत औय शनदकत यासत भ ही शर हो जाती थी | अनदम ताय उसकी बािकता अथिा असपरता ऩय णखरणखराकय हॉस ऩड़त थ | ससमायो का करॊ दन औय ऩचक की डयािनी आिाज यात की ननसतबधता को बॊग कयती थी | गाॉि की झोऩडडमो स कयाहन औय क कयन की आिाज हय याभ ह बगिान की टय सनाई ऩड़ती थी| फचच बी ननफयर कॊ ठो स भाॉ ndashभाॉ ऩकायकय यो ऩड़त थ |

(क) अॉधयी यात को आॉस फहात हए कमो ठदखामा गमा ह उततयndash गाॉि भ हजा औय भररयमा परा हआ था | भहाभायी की चऩट भ आकाय रोग भय यह थ |चायो ओय भौत का सनाटा छामा था इससरए अॉधयी यात बी चऩचाऩ आॉस फहाती सी परतीत हो यही थी|

(ख) ताय क भाधमभ स रखक कमा कहना चाहता ह उततयndash ताय क भाधमभ स रखक कहना चाहता ह कक अकार औय भहाभायी स तरसत गाॉि िारो की ऩीड़ा को दय कयन िारा कोई नहीॊ था | परकनत बी गाॉि िारो क द ख स दखी थी| आकाश स टट कय महद कोई बािक ताया ऩथिी ऩय आना बी चाहता तो उसकी जमोनत औय शनदकत यासत भ ही शर हो जाती थी |

(ग) यात की ननसतबधता को कौन बॊग कयता था उततयndash ससमायो की चीख-ऩकाय ऩचक की डयािनी आिाज औय कततो का साभहहक रदन सभरकय यात क सनदनाट को बॊग कयत थ |

(घ) झोऩड़ड़मो स कसी आवाज आ यही ह औय कमो उततयndash झोऩडड़मो स योधगमो क कयाहन क कयन औय योन की आिाज आ यही ह कमोकक गाॉि क रोग भररयमा औय हज स ऩीडड़त थ | अकार क कायण अनदन की कभी हो गमी थी| औरधध औय ऩथम न सभरन क कायण रोगो की हारत इतनी फयी थी कक कोई बगिान को ऩकाय रगाता था तो कोई दफयर कॊ ठ स भाॉndashभाॉ ऩकायता था |

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15 चारी चजतरन मानी हभ सफ

रखक-पवषण खय

ऩाि का सायाॊश ndashचारक चनदपरन न हासम कराकाय क रऩ भ ऩयी दननमा क फहत फड़ दशयक िगय को हॉसामा ह | उनकी कपलभो न कपलभ करा को रोकताॊबतरक फनान क साथ-साथ दशको की िगय औय िणय-वमिसथा को बी तोड़ा | चारक न करा भ फवदध की अऩा बािना को भहतति हदमा ह | फचऩन क सॊघरो न चारक क बािी कपलभो की बसभ तमाय कय दी थी| बायतीम करा औय सौदमयशासतर भ करणा का हासम भ ऩरयितयन बायतीम ऩयमऩया भ नहीॊ सभरता रककन चारक एक ऐसा जादई वमनदकतति ह जो हय दश सॊसकनत औय सभमता को अऩना सा रगता ह| बायतीम जनता न बी उनदह सहज बाि स सिीकाय ककमा ह| सिमॊ ऩय हॉसना चारक न ही ससखामा| बायतीम ससनभा जगत क सपरससदध कराकाय याजकऩय को चारक का बायतीमकयण कहा गमा ह | चारक की अधधकाॊश किलभ भक ह इससरए उनदह अधधक भानिीम होना ऩड़ा | ऩाठ भ हासम कपलभो क भहान असबनता lsquoचारक चनदपरनrsquo की जादई विशरताओॊ का उलरख ककमा गमा ह नदजसभ उसन करणा औय हासम भ साभॊजसम सथावऩत कय किलभो को साियबौसभक रऩ परदान ककमा

परशन१ -चारी क जीवन ऩय परबाव िारन वारी भखम घटनाएॉ कौन सी थी

उततय- चारक क जीिन भ दो ऐसी घटनाएॉ घटीॊ नदजनदहोन उनक बािी जीिन ऩय फहत परबाि डारा |

ऩहरी घटना - जफ चारक फीभाय थ उनकी भाॉ उनदह ईसा भसीह की जीिनी ऩढ़कय सना यही थी | ईसा क सरी ऩय चढ़न क परसॊग तक आत-आत भाॉ-फटा दोनो ही योन रग| इस घटना न चारक को सनह करणा औय भानिता जस उचच जीिन भलम हदए |

दसयी घटना हndash फारक चारक कसाईखान क ऩास यहता था| िहाॉ सकड़ो जानियो को योज भाया जाता था| एक हदन एक बड़ िहाॉ स बाग ननकरी| बड़ को ऩकड़न की कोसशश भ कसाई कई फाय कपसरा| नदजस दखकय रोग हॊसन रग ठहाक रगान रग| जफ बड़ को कसाई न ऩकड़ सरमा तो फारक चारक योन रगा| इस घटना न उसक बािी कपलभो भ तरासदी औय हासमोतऩादक ततिो की बसभका तम कय दी |

परशन२ ndash आशम सऩषट कीजजएndash

चजतरन न लसपट कपलभकरा को ही रोकताॊबतरक नही फनामा फजलक दशटको की वगट तथा वणट-वमवसथा को बी तोड़ा|

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उततय- रोकताॊबतरक फनान का अथय ह कक कपलभ करा को सबी क सरए रोकवपरम फनाना औय िगय औय िणय-वमिसथा को तोड़न का आशम ह- सभाज भ परचसरत अभीय-गयीफ िणय जानतधभय क बदबाि को सभापत कयना |चनदपरन का चभतकाय मह ह कक उनदहोन कपलभकरा को बफना ककसी बदबाि क सबी रोगो तक ऩहॉचामा| उनकी कपलभो न सभम बगोर औय सॊसकनतमो की सीभाओॊ को राॉघ कय साियबौसभक रोकवपरमता हाससर की | चारक न मह ससदध कय हदमा कक करा सितनदतर होती ह अऩन ससदधाॊत सिमॊ फनाती ह |

परशन३ndash चारी चजतरन की कपलभो भ ननठहत तरासदीकरणाहासम का साभॊजसम बायतीम करा औय सौदमटशासतर की ऩरयधध भ कमो नहीॊ आता

उततय- चारक चनदपरन की कपलभो भ ननहहत तरासदीकरणाहासम का साभॊजसम बायतीम करा औय सौदमयशासतर की ऩरयधध भ नहीॊ आताकमोकक बायतीम यस-ससदधाॊत भ करणा औय हासम का भर नहीॊ हदखामा जाता कमोकक बायतीम सौदमयशासतर भ करणयस औय हासम यस को ऩयसऩय वियोधी भाना गमा ह अथायत जहाॊ करणा ह िहाॉ हासम नहीॊ हो सकता बायत भ सिमॊ ऩय हॉसन की ऩयॊऩया नहीॊ ह ऩयॊत चारक क ऩातर अऩन ऩय हॉसतndashहॉसात ह चारक की किलभो क दशम हॉसात-हॉसात ररा दत ह तो कबी करण दशम क फाद अचानक ही हॉसन ऩय भजफय कय दत ह

परशन४ndash चारी क कपलभो की पवशषताएॉ फताइए |

उततय- चारक की किलभो भ हासम औय करणा का अदभत साभॊजसम ह उनकी किलभो भ बारा का परमोग फहत कभ ह चारक की किलभो भ फवदध की अऩा बािना का भहतति अधधक ह उनकी किलभो भ साियबौसभकता ह चारक ककसी बी सॊसकनत को विदशी नही रगत चारक सफको अऩन रगत ह चारक न किलभो को रोकताॊबतरक फनामा औय किलभो भ िगय तथािणय-वमिसथा को तोड़ा अऩनी कपलभो भ चारक सदि धचय मिा हदखता ह

गदमाॊश-आधारयत अथटगरहण-सॊफॊधी परशनोततय

गदमाॊश सॊकत ndashचारक चनदपरन मानी हभ सफ (ऩरषठ १२० )

महद मह िरय चनदपरन की कापी कछ कहा जाएगा |

परशन (क)-पवकासशीर दशो भ चजतरन कमो भशहय हो यह ह

उततय - विकासशीर दशो भ जस-जस टरीविजन औय िीडडमो का परसाय हो यहा ह रोगो को उनकी कपलभो को दखन का अिसय सभर यहा ह |एक फहत फड़ा िगय नए ससय स चारक को घड़ी सधायत औय जत खान की कोसशश कयत दख यहा ह इसीसरए चारक विकासशीर दशो भ रोकवपरम हो यह ह |

(ख)- ऩजशचभ भ चारी का ऩनजीवन कस होता यहता ह

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उततय - ऩनदशचभ भ चारक की कपलभो का परदशयन होता यहता ह| उनकी करा स परयणा ऩाकय हासम किलभ फनती यहती ह | उनक दिाया ननबाए ककयदायो की नकर अनदम कराकाय कयत ह | ऩनदशचभ भ चारक का ऩनजीिन होता यहता ह|

(ग)- चारी को रोग फिाऩ तक कमो माद यखग

उततय ndashहासम कराकाय क रऩ भ रोग चारक को फढ़ाऩ तक माद यखग कमोकक उनकी करा सभम बगोर औय सॊसकनतमो की सीभाओॊ को राॉघकय राखो रोगो को हॉसा यही ह|

(घ)- चारी की कपलभो क फाय भ कापी कछ कहा जाना कमो फाी ह

उततय ndashचनदपरन की ऐसी कछ किलभ मा इसतभार न की गमी यीर सभरी ह नदजनक फाय भ कोई नहीॊ जानता था | चारक की बािनापरधान हासम कपलभो न करा क नए परनतभान सथावऩत ककए ह अत चारक की कपलभो क फाय भ अबी कापी कछ कहा जाना फाी ह|

16 नभक

रखखका - यजजमा सजजाद जहीय

सायाॊश -lsquoनभकrsquoबायत-ऩाक विबाजन ऩय सरणखत भासभयक कहानी ह | विसथावऩत हए रोगो भ अऩनndashअऩन जनदभ सथानो क परनत आज बी रगाि ह| धासभयक आधाय ऩय फनी यारषर-याजमो की सीभा-यखाएॉ उनक अॊतभयन को अरग नहीॊ कय ऩाई ह | बायत भ यहन िारी ससख फीिी राहौय को अऩना ितन भानती ह औय बायतीम कसटभ अधधकायी ढाका क नारयमर ऩानी को मादकय उस सियशररषठ फताता ह दोनो दशो क नागरयको क फीच भहबफत का नभकीन सिाद आज बी कामभ ह इसीसरए सकिमा बायत भ यहन िारी अऩनी भॉहफोरी भाॉ ससख फीिी क सरए राहौयी नभक रान क सरए कसटभ औय कानन की ऩयिाह नहीॊ कयती

परशन1- lsquoनभकrsquo ऩाि क आधाय ऩय फताइए कक सकपमा औय उसक बाई क पवचायो भ कमा अॊतय था

उततय- १-सकपमा बािनाओॊ को फहतभहतति दती ह ऩय उसका बाई फौवदधक परिनदतत का ह उसकी दनदरषट भ कानन बािनाओॊ स ऊऩय ह|

२-सकपमा भानिीम सॊफॊधो को फहत भहतति दती ह जफकक उसका बाई अरगाििादी विचायधाया का ह हहसस-फखय की फात कयता ह |

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३-सकपमा का बाई कहता ह कक अदीफो(साहहतमकाय) का हदभाग घभा हआ होता ह जफकक सकपमा जो सिमॊ अदीफ ह उसका भानना ह कक अगय सबी रोगो का हदभाग अदीफो की तयह घभा हआ होता तो दननमा कछ फहतय हो जाती |

परशन२- नभक र जात सभम सकफ़मा क भन भ कमा दपवधा थी

उततय-सकपमा समद भसरभान थी जो हय हार भ अऩना िामदा ननबात ह| ऩाककसतान स राहौयी नभक र जाकय िह अऩना िामदा ऩया कयना चाहती थी ऩयनदत जफ उस ऩता चरा कक कसटभ क ननमभो क अनसाय सीभाऩाय नभक र जाना िनदजयत ह तो िह दविधा भ ऩड़ गई | सकिमा का दिॊदि मह था कक िह अऩनी ससख भाॉ क सरए नभक कसटभ अधधकारयमो को फताकयर जाए मा नछऩाकय|

परशन३- ऩाि क आधाय ऩय सकपमा की चारयबतरक पवशषताएॉ फताइए |

उततय सॊकत ndash

१- बािक २- ईभानदाय ३- दढ़ननशचमी ४- ननडय ५- िामद को ननबान िारी ६- भानिीम भलमो को सिोऩरय भानन िारी साहहतमकाय

परशन ४- lsquoनभकrsquo ऩाि भ आए ककयदायो क भाधमभ स सऩषट कीजजए कक आज बी बायत औय ऩाककसतान की जनता क फीच भहबफत का नभकीन सवाद घरा हआ ह |

उततय ndash बर ही याजनीनतक औय धासभयक आधाय ऩय बायत औय ऩाककसतान को बौगोसरक रऩ स विबानदजत कय हदमा गमा ह रककन दोनो दशो क रोगो क रदम भ आज बी ऩायसऩरयक बाईचाया सौहादरय सनह औय सहानबनत विदमभान ह | याजनीनतक तौय ऩय बर ही सॊफॊध तनािऩणय हो ऩय साभानदजक तौय ऩय आज बी जनता क फीच भहबफत का नभकीन सिाद घरा हआ ह | अभतसय भ यहन िारी ससख फीफी राहौय को अऩना ितन कहती ह औय राहौयी नभक का सिाद नहीॊ बरा ऩाती | ऩाककसतान का कसटभ अधधकायी नभक की ऩडड़मा सकपमा को िाऩस दत हए कहता ह rdquoजाभा भनदसजद की सीहढ़मो को भया सराभ कहना |rdquo बायतीम सीभा ऩय तनात कसटभ अधधकायी ढाका की जभीन को औय िहाॉ क ऩानी क सिाद को नहीॊ बर ऩाता |

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गदमाॊश-आधारयत अथटगरहण सॊफॊधधत परशनोततय

गदमाॊश सॊकत- ऩाठndash नभक (ऩरषठ १३४)

सकपमा कसटभ क जॊगर स दोनो क हाथो भ थी |

(क) सकपमा कसटभ क जॉगर स ननकरकय दसय तरटपाभट ऩय आ गमी व वहीॊ खड़ यहndash इस वाकम भ lsquoवrsquo शबद का परमोग ककसक लरए ककमा गमा ह

उततय- महाॉ lsquoिrsquo शबद का परमोग ऩाककसतानी कसटभ अधधकायी क सरए ककमा गमा ह जो विबाजन स ऩिय हदलरी भ यहत थ औय आज बी हदलरी को ही अऩना ितन भानत ह |

(ख) तरटपाभट ऩय सकपमा को पवदा कयन कौन-कौन आए थ उनहोन सकपमा को कस पवदाई दी

उततय- परटपाभय ऩय सकपमा को विदा कयन उसक फहत साय सभतर सग सॊफॊधी औय बाई आए थ| उनदहोन ठॊडी साॉस बयत हए सबॊच हए होठो क साथ आॉस फहात हए सकपमा को विदाई दी |

(ग) अटायी भ यरगाड़ी भ कमा ऩरयवतटन हए उततय- अटायी भ यरगाड़ी स ऩाककसतानी ऩसरस उतयी औय हहनददसतानी ऩसरस सिाय हो गई|

(घ) कौन सी फात सकपमा की सभझ भ नहीॊ आ यही थी उततय- दोनो ओय एक सी जभीन एक जसा आसभान एक सी बारा एक सा ऩहनािा औय एक सी सयत क रोग कपय बी दोनो क हाथो भ बयी हई फॊदक ह |

17 लशयीष क पर

आचामट हजायी परसाद दपववदी

सायाॊश ndashlsquoआचामय हजायी परसाद दवििदीrsquo सशयीर को अदभत अिधत भानत ह कमोकक सॊनदमासी की बाॉनत िह सख-दख की धचॊता नहीॊ कयता गभी र िराय औय आॉधी भ बी अविचर खड़ा यहता ह सशयीर क िर क भाधमभ स भनरषम की अजम नदजजीविरा धमयशीरता औय कतयवमननरषठ फन यहन क भानिीम भलमो को सथावऩत ककमा गमा हरखक न सशयीर क कोभर परो औय कठोय परो क दिाया सऩरषट ककमा ह कक रदम की कोभरता फचान क सरए कबी-कबी वमिहाय की कठोयता बी आिशमक हो जाती ह| भहान कवि कासरदास औय कफीय बी सशयीर की तयह फऩयिाह अनासकत औय सयस थ तबी उनदहोन इतनी सनददय यचनाएॉ सॊसाय को दीॊ| गाॉधीजी क वमनदकतति भ बी कोभरता औय कठोयता का अदभत सॊगभ था | रखक सोचता ह कक हभाय दश भ जो भाय-काट अनदगनदाह रट-ऩाट खन-खचचय का फिॊडय ह कमा िह दश को नदसथय नहीॊ यहन दगा गराभी अशाॊनत औय वियोधी िाताियण क फीच अऩन ससदधाॊतो की या कयत हए गाॉधीजी जी नदसथय यह सक थ तो दश बी यह सकता ह जीन की परफर असबरारा क कायण

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विरभ ऩरयनदसथतमो भ बी महद सशयीर णखर सकता ह तो हभाया दश बी विरभ ऩरयनदसथनतमो भ नदसथय यह कय विकास कय सकता ह

परशन1-लसदध कीजजए कक लशयीष कारजमी अवधत की बाॉनत जीवन की अजमता क भॊतर का परचाय कयता ह

उततय- सशयीर कारजमी अिधत की बाॉनत जीिन की अजमता क भॊतर का परचाय कयता ह| जफ ऩथिी अनदगन क सभान तऩ यही होती ह िह तफ बी कोभर परो स रदा रहरहाता यहता ह|फाहयी गयभी धऩ िराय आॉधी र उस परबावित नहीॊ कयती इतना ही नहीॊ िह रॊफ सभम तक णखरा यहता ह | सशयीर विऩयीत ऩरयनदसथनतमो भ बी धमयशीर यहन तथा अऩनी अजम नदजजीविरा क साथ ननसऩह बाि स परचॊड गयभी भ बी अविचर खड़ा यहता ह

परशन२-आयगवध (अभरतास) की तरना लशयीष स कमो नहीॊ की जा सकती

उततय- सशयीर क पर बमॊकय गयभी भ णखरत ह औय आराढ़ तक णखरत यहत ह जफकक अभरतास का पर किर ऩनददरह-फीस हदनो क सरए णखरता ह | उसक फाद अभरतास क पर झड़ जात ह औय ऩड़ कपय स ठॉठ का ठॉठ हो जाता ह | अभरतास अलऩजीिी ह | विऩयीत ऩरयनदसथनतमो को झरता हआ ऊरषण िाताियण को हॉसकय झरता हआ सशयीर दीघयजीिी यहता ह | मही कायण ह कक सशयीर की तरना अभरतास स नहीॊ की जा सकती |

परशन३-लशयीष क परो को याजनताओॊ का रऩक कमो ठदमा गमा ह

उततय- सशयीर क पर उन फढ़ ढीठ औय ऩयान याजनताओॊ क परतीक ह जो अऩनी कसी नहीॊ छोड़ना चाहत | अऩनी अधधकाय-सरपसा क सरए नए मिा नताओॊ को आग नहीॊ आन दत | सशयीर क नए परो को जफयदसती ऩयान परो को धककमाना ऩड़ता ह | याजनीनत भ बी नई मिा ऩीढ़ी ऩयानी ऩीढ़ी को हयाकय सिमॊ सतता सॉबार रती ह |

परशन४- कार दवता की भाय स फचन का कमा उऩाम फतामा गमा ह

उततय- कार दिता कक भाय स फचन का अथय हndash भतम स फचना | इसका एकभातर उऩाम मह ह कक भनरषम नदसथय न हो| गनतशीर ऩरयितयनशीर यह | रखक क अनसाय नदजनकी चतना सदा ऊधियभखी (आधमातभ की ओय) यहती ह ि हटक जात ह |

परशन५- गाॉधीजी औय लशयीष की सभानता परकट कीजजए |

उततय- नदजस परकाय सशयीर धचरधचराती धऩ र िराय औय आॉधी भ बी अविचर खड़ा यहता ह अनासकत यहकय अऩन िाताियण स यस खीॊचकय सयस कोभर फना यहता ह उसी परकाय गाॉधी जी न बी अऩनी आॉखो क साभन आजादी क सॊगराभ भ अनदमाम बदबाि औय हहॊसा को झरा |

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उनक कोभर भन भ एक ओय ननयीह जनता क परनत असीभ करणा जागी िहीॊ ि अनदमामी शासन क वियोध भ डटकय खड़ हो गए |

गदमाॊश-आधारयत अथटगरहण सॊफॊधधत परशनोततय

गदमाॊश सॊकत- ऩाठ ndash सशयीर क पर (ऩरषठ १४७)

कासरदास सौदमय क िह इशाया ह |

(क) कालरदास की सौदमटndashदजषट की कमा पवशषता थी उततय-कासरदास की सौदमयndashदनदरषट फहत सकषभ अॊतबदी औय सॊऩणय थी| ि किर फाहयी रऩ-यॊग औय आकाय को ही नहीॊ दखत थ फनदलक अॊतभयन की सॊदयता क बी ऩायखी थ| कासरदास की सौदमय शायीरयक औय भानससक दोनो विशरताओॊ स मकत था |

(ख) अनासजकत का कमा आशम ह उततय- अनासनदकत का आशम ह- वमनदकतगत सख-द ख औय याग-दिर स ऩय यहकय सौदमय क िासतविक भभय को जानना |

(ग) कालरदास ऩॊत औय यवीॊिनाथ टगोय भ कौन सा गण सभान था भहाकवि कासरदास ससभतरानॊदन ऩॊत औय गरदि यिीॊदरनाथ टगोय तीनो नदसथयपरऻ औय अनासकत कवि थ | ि सशयीर क सभान सयस औय भसत अिधत थ |

(घ) यवीॊिनाथ याजोदमान क लसॊहदवाय क फाय भ कमा सॊदश दत ह याजोदमान क फाय भ यिीॊदरनाथ कहत ह याजोदमान का ससॊहदिाय ककतना ही सॊदय औय गगनचमफी कमो ना हो िह अॊनतभ ऩड़ाि नहीॊ ह| उसका सौदमय ककसी औय उचचतभ सौदमय की ओय ककमा गमा सॊकत भातर ह कक असरी सौदमय इस ऩाय कयन क फाद ह अत याजोदमान का ससॊहदिाय हभ आग फढ़न की परयणा दता ह |

18शरभ-पवबाजन औय जानत-परथा

िॉ० बीभयाव अॊफिकय

सायाॊश ndash इस ऩाठ भ रखक न जानतिाद क आधाय ऩय ककए जान िार बदबाि को सभम सभाज क सरए हाननकायक फतामा ह | जानत आधारयत शरभ विबाजन को असिाबाविक औय भानिता वियोधी फतामा गमा ह मह साभानदजक बदबाि को फढ़ाता ह जानतपरथा आधारयत शरभ विबाजन भ वमनदकत की रधच को भहतति नहीॊ हदमा जाता परसिरऩ वििशता क साथ अऩनाए

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Page 11: ISSUED BY KENDRIYA VIDYALAYA - DOWNLOADED FROM … Class XII Hindi Part B.pdfप्रश्न४ :-फादर क / फयन का गयीफ एि धनी िगय क्मा

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सौदमट-फोध-सॊफॊधी परशन

परशन१- कावमाॊश की बारा सौदमय सॊफॊधी दो विशरताओॊ का उललरख कीनदजए|

उततय- १यस -करण यस

२ अरॊकाय - उतपरा अरॊकायndash

भन करणा भॊह फीय यस

जागा ननससचय दणखअ कसाभानहॉ कार दह धरय फसा

दरषटाॊत अरॊकाय - जथा ऩॊख बफन खग अनत दीनाभनन बफन पनन करयफय कय हीना

अस भन नदजिन फॊध बफन तोहीजो जड़ दि नदजआि भोही

वियोधाबास अरॊकाय -फहबफधध सोचत सोच बफभोचन

परशन२- कावमाॊश की बारा का नाभ सरणखए |

उततय - अिधी बारा

परशन३- कावमाॊश भ परमकत छॊद कौन ndashसा ह

उततय- १६१६ भातराओॊ का सभ भाबतरक चौऩाई छॊद |

सौदमट-फोध-सॊफॊधी परशन

ldquoककसफी ककसान-कर फननक सबखायी बाट चाकय चऩर नट चोय चाय चटकी| ऩटको ऩढतगन गढ़त चढ़त धगरय अटत गहन ndashगन अहन अखटकी|

ऊॊ च ndashनीच कयभ धयभ ndashअधयभ करय ऩट ही को ऩचत फचत फटा ndashफटकी |

lsquoतरसीrsquo फझाई एक याभ घनसमाभ ही त आधग फड़िाधगत फड़ी ह आधग ऩटकी|rdquo

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परशन१- कवितािरी ककस बारा भ सरखी गई ह

उततय - बरज बारा

परशन२- कवितािरी भ परमकत छॊद एिॊ यस को सऩरषट कीनदजए |

उततय - इस ऩद भ 31 31 िणो का चाय चयणो िारा सभिणणयक कवितत छॊद ह नदजसभ 16 एिॊ 15 िणो ऩय वियाभ होता ह

परशन३- कवितत भ परमकत अरॊकायो को छाॊट कय सरणखए

१ अनपरास अॊरकायndash

ककसफी ककसान-कर फननक सबखायी बाट

चाकय चऩर नट चोय चाय चटकी|

२ रऩक अरॊकायndash याभndash घनशमाभ

३ अनतशमोनदकत अरॊकायndash आधग फड़िाधग त फडड़ ह आग ऩट की

रकषभण- भचछाट औय याभ का पवराऩ

पवषम-वसत ऩय आधारयत परशनोततय

परशन १-lsquoति परताऩ उय याणख परब भ ककसक परताऩ का उलरख ककमा गमा हrsquoऔय कमो

उततय -इन ऩॉनदकतमो भ बयत क परताऩ का उलरख ककमा गमा ह हनभानजी उनक परताऩ का सभयण कयत हए अमोधमा क ऊऩय स उड़त हए सॊजीिनी र कय रॊका की ओय चर जा यह ह

परशन२- याभ विराऩ भ रकषभण की कौन सी विशरताएॉ उदघहटत हई ह

उततय -रकषभण का भात परभ तमागभम जीिन इन ऩॉनदकतमो क भाधमभ स उदघाहटत हआ ह

परशन३- फोर िचन भनज अनसायी स कवि का कमा तातऩमय ह

उततय -बगिान याभ एक साधायण भनरषम की तयह विराऩ कय यह ह ककसी अितायी भनरषम की तयह नहीॊ भात परभ का धचतरण ककमा गमा हतरसीदास की भानिीम बािो ऩय सशकत ऩकड़ हदिीम वमनदकतति का रीरा रऩ ईशिय याभ को भानिीम बािो स सभनदनदित कय दता ह

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परशन४- बाई क परनत याभ क परभ की परगाढ़ता उनक ककन विचायो स वमकत हई ह

उततय - जथा ऩॊख बफन खग अनत दीना

भनन बफन पनन करयफय कय हीना

अस भभ नदजिन फॊध बफन तोही

जो जड़ दि नदजआि भोही

परशन५- lsquoफहविधध सोचत सोचविभोचनrsquo का वियोधाबास सऩरषट कीनदजए

उततय -दीनजन को शोक स भकत कयन िार बगिान याभ सिमॊ फहत परकाय स सोच भ ऩड़कय दखी हो यह ह

परशन६- हनभान का आगभन करणा भ िीय यस का आना ककस परकाय कहा जा सकता ह

उततय -रदन कयत िानय सभाज भ हनभान उतसाह का सॊचाय कयन िार िीय यस क रऩ भ आ गए करणा की नदी हनभान दिाया सॊजीिनी र आन ऩय भॊगरभमी हो उठती ह

कपवतत औय सवमा

पवषम-वसत ऩय आधारयत परशनोततय

परशन१- ऩट की बख शाॊत कयन क सरए रोग कमा कमा कयत ह

उततय -ऩट की आग फझान क सरए रोग अननतक कामय कयत ह

परशन२- तरसीदास की दनदरषट भ साॊसारयक दखो स ननिनदतत का सिोततभ उऩाम कमा ह

उततय - ऩट की आग फझान क सरए याभ कऩा रऩी िराय का जर अननिामय हइसक सरए अननतक कामय कयन की आिशमकता नहीॊ ह

परशन३- तरसी क मग की सभसमाओॊ का धचतरण कीनदजए

उततय - तरसी क मग भ पराकनतक औय परशासननक िरमम क चरत उतऩनदन ऩीडा दरयदरजन क सरए यािण क सभान दखदामी हो गई ह

परशन४- तरसीदास की बनदकत का कौन सा सिरऩ परसतत कविततो भ असबवमकत हआ ह

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उततय - तरसीदास की बनदकत का दासम बाि सिरऩ परसतत कविततो भ असबवमकत हआ ह

9 रफाइमाॉ

कफ़याक गोयखऩयी

भर नाभndash यघऩनत सहाम कफ़याक

उदय शामयी की रयिामत क विऩयीत कपयाक गोयखऩयी क साहहतम भ रोक जीिन एिॊ परकनत की झरक सभरती ह साभानदजक सॊिदना िमनदकतक अनबनत फन कय उनकी यचनाओॊ भ वमकत हई हजीिन का कठोय मथाथय उनकी यचनाओॊ भ सथान ऩाता हउनदहोन रोक बारा क परतीको का परमोग ककमा ह राणणक परमोग उनकी बारा की विशरता हकियाक की रफाईमो भ घयर हहॊदी का रऩ हदखता ह |

रफाई उदय औय िायसी का एक छॊद मा रखन शरी ह नदजसभ चाय ऩॊनदकतमाॉ होती ह |इसकी ऩहरी दसयी औय चौथी ऩॊनदकत भ तक (काकिमा)सभरामा जाता ह तथा तीसयी ऩॊनदकत सिचछॊद होती ह |

ldquoिो रऩिती भखड़ ऩ इक नभय दभकrdquo

ldquoफचच क घयोद भ जराती ह हदएldquo

ldquoयाफॊधन की सफह यस की ऩतरीrdquo

ldquoबफजरी की तयह चभक यह ह रचछrdquo

ldquoबाई क ह फाॉधती चभकती याखीldquo- जस परमोग उनकी बारा की सशकतता क नभन क तौय ऩय दख जा सकत ह |

साय

रफाइमाॉ

याफॊधन एक भीठा फॊधन ह याफॊधन क कचच धागो ऩय बफजरी क रचछ ह सािन भ याफॊधन आता ह सािन का जो सॊफॊध झीनी घटा स ह घटा का जो सॊफॊध बफजरी स ह िही सॊफॊध बाई का फहन स होता ह

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गज़र

ऩाठ भ कपयाक की एक गज़र बी शासभर ह रफाइमो की तयह ही कपयाक की गजरो भ बी हहॊदी सभाज औय उदय शामयी की ऩयॊऩया बयऩय ह इसका अदभत नभना ह मह गज़र मह गज़र कछ इस तयह फोरती ह कक नदजसभ ददय बी ह एक शामय की ठसक बी ह औय साथ ही ह कावम-सशलऩ की िह ऊॉ चाई जो गज़र की विशरता भानी जाती ह

अथट-गरहण-सॊफॊधी परशन

ldquoआॉगन भ सरए चाॉद क टकड़ को खड़ी

हाथो ऩ झराती ह उस गोद-बयी

यह-यह क हिा भ जो रोका दती ह

गॉज उठती ह णखरणखरात फचच की हॉसीrdquo

परशन१- lsquoचाॉद क टकड़rsquoका परमोग ककसक सरए हआ ह औय कमो

उततय -फचच को चाॉद का टकड़ा कहा गमा ह जो भाॉ क सरए फहत पमाया होता ह

परशन२- गोद-बयी परमोग की विशरता को सऩरषट कीनदजए |

उततय - गोद-बयी शबद-परमोग भाॉ क वातसलमऩणट आनॊठदत उतसाह को परकट कयता ह |मह अतमॊत सॊदय दशम बफॊफ ह | सनी गोद क विऩयीत गोद का बयना भाॉ क लरए असीभ सौबागम का सचक ह |इसी सौबागम का सकषभ अहसास भाॉ को तजतत द यहा ह|

परशन३- रोका दना ककस कहत ह

उततय - जफ भाॉ फचच को फाहो भ रकय हिा भ उछारती ह इस रोका दना कहत ह|छोट फचचो को मह खर फहत अचछा रगता ह

परशन४- फचचा भाॉ की गोद भ कसी परनतककरमा कयता ह

उततय - हिा भ उछारन ( रोका दन) स फचचा भाॉ का िातसलम ऩाकय परसनदन होता ह औय णखरणखरा कय हॉस ऩड़ता हफचच की ककरकारयमाॉ भाॉ क आनॊद को दगना कय दती ह|

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सौदमट-फोध-सॊफॊधी परशन

ldquoनहरा क छरक-छरक ननभयर जर स

उरझ हए गसओॊ भ कॊ घी कयक

ककस पमाय स दखता ह फचचा भॉह को

जफ घटननमो भ रक ह वऩनदहाती कऩड़rdquo

परशन१- परसतत ऩॊनदकतमो क बाि सौदमय को सऩरषट कीनदजए |

उततय - भाॉ न अऩन फचच को ननभयर जर स नहरामा उसक उरझ फारो भ कॊ घी की |भाॉ क सऩशय एिॊ नहान क आनॊद स फचचा परसनदन हो कय फड़ परभ स भाॉ को ननहायता ह| परनतहदन की एक सिाबाविक ककरमा स कस भाॉ-फचच का परभ विकससत होता ह औय परगाढ़ होता चरा जाता ह इस बाि को इस रफाई भ फड़ी सकषभता क साथ परसतत ककमा गमा ह|

परशन२- कावमाॊश भ आए बफॊफो को सऩरषट कीनदजए |

उततय -१ldquoनहरा क छरक-छरक ननभटर जर सrdquo- इस परमोग दिाया कवि न फारक की ननभयरता एिॊ ऩवितरता को जर की ननभयरता क भाधमभ स अॊककत ककमा ह | छरकना शबद जर की ताजा फॊदो का फारक क शयीय ऩय छरछरान का सॊदय दशम बफॊफ परसतत कयता ह |

२ lsquoघटननमो भ रक ह पऩनहाती कऩड़rsquo- इस परमोग भ भाॉ की फचच क परनत सािधानी चॊचर फचच को चोट ऩहॉचाए बफना उस कऩड़ ऩहनान स भाॉ क भातति की कशरता बफॊबफतहोती ह |

३ ldquoककस तमाय स दखता ह फचचा भॉह कोrdquo- ऩॊनदकत भ भाॉ ndashफचच का िातसलम बफॊबफत हआ ह | भाॉ स पमाय ndashदराय सऩशय ndashसख नहराए जान क आनॊद को अनबि कयत हए फचचा भाॉ को पमाय बयी नजयो स दख कय उस सख की असबवमनदकत कय यहा ह |मह सकषभ बाि अतमॊत भनोयभ फन ऩड़ा ह |सॊऩणय रफाई भ दशम बफॊफ ह|

परशन ३-कावमाॊश क शबद-परमोग ऩय हटपऩणी सरणखए |

उततय -गस ndashउदय शबदो का परमोग

घटननमो वऩनदहाती ndash दशज शबदो क भाधमभ स कोभरता की असबवमनदकत

छरक ndashछरक ndashशबद की ऩनयािनदतत स अबी ndashअबी नहराए गए फचच क गीर शयीय का बफॊफ

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आहद विरण परमोग रफाइमो को विसशरषट फना दत ह | हहॊदीउदय औय रोकबारा क अनठ गठफॊधन की झरक नदजस गाॊधीजी हहॊदसतानी क रऩ भ ऩलरवित कयना चाहत थदखन को सभरती ह |

पवषम-वसत ऩय आधारयत परशनोततय

रफाइमाॉ

परशन १ -कावम भ परमकत बफॊफो का िणयन अऩन शबदो भ कीनदजए

उततय -

दशम बफॊफ -फचच को गोद भ रना हिा भ उछारना सनान कयाना घटनो भ रकय कऩड़ ऩहनाना|

शरवमबफॊफ - फचच का णखरणखरा कय हॉस ऩड़ना सऩशय बफॊफ -फचच को सनान कयात हए सऩशय कयना |

परशन २-ldquoआॉगन भ ठनक यहा ह नदज़दमामा ह फारक तो हई चाॉद ऩ ररचामा हrsquo- भ फारक की कौन सी विशरता असबवमकत हई ह

उततय - इन ऩॊनदकतमो भ फारक की हि कयन की पवशषता असबवमकत हई ह फचच जफ नदजद ऩय आ जात ह तो अऩनी इचछा ऩयी कयिान क सरए नाना परकाय की हयकत ककमा कयत ह| नदज़दमामा शबद रोक बाषा का पवरण परमोग ह इसभ फचच का िनकना तनकना ऩाॉव ऩटकना योना आठद सबी ककरमाएॉ शासभर ह |

परशन ३ रचछ ककस कहा गमा ह इनका सॊफॊध ककस तमौहाय स ह

उततय - याखी क चभकीर तायो को रचछ कहा गमा ह याफॊधन क कचच धागो ऩय बफजरी क रचछ ह सािन भ याफॊधन आता ह सािन का जो सॊफॊध झीनी घटा स ह घटा का जो सॊफॊध बफजरी स ह िही सॊफॊध बाई का फहन स होता ह|सािन भ बफजरी की चभक की तयह याखी क चभकीर धागो की सॊदयता दखत ही फनती ह|

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अथट-गरहण-सॊफॊधी परशन

गज़र

कफ़याक गोयखऩयी

ldquoनौयस गॊच ऩॊखडड़मो की नाज़क धगयह खोर ह

मा उड़ जान को यॊगो- फ गरशन भ ऩय तौर ह |rdquo

परशन१- lsquoनौयसrsquo विशरण दिाया कवि ककस अथय की वमॊजना कयना चाहता ह

उततय नौयस अथायत नमा यस गॊच अथायत कसरमो भ नमा ndashनमा यस बय आमा ह |

परशन२- ऩॊखडड़मो की नाज़क धगयह खोरन का कमा असबपराम ह

उततय - यस क बय जान स कसरमाॉ विकससत हो यही ह |धीय-धीय उनकी ऩॊखडड़माॉ अऩनी फॊद गाॉठ खोर यही ह | कवि क शबदो भ नियस ही उनकी फॊद गाॉठ खोर यहा ह|

परशन३- lsquoयॊगो- फ गरशन भ ऩय तौर हrsquo ndash का अथय सऩरषट कीनदजए|

उततय -यॊग औय सगॊध दो ऩी ह जो कसरमो भ फॊद ह तथा उड़ जान क सरए अऩन ऩॊख पड़पड़ा यह ह |मह नदसथनत कसरमो क पर फन जान स ऩिय की ह जो पर फन जान की परतीा भ ह |rsquoऩय तौरनाrsquo एक भहािया ह जो उड़ान की भता आॉकन क सरए परमोग ककमा जाता ह |

परशन४- इस शय का बाि-सौदमय वमकत कीनदजए|

उततय -कसरमो की नई-नई ऩॊखडड़माॉ णखरन रगी ह उनभ स यस भानो टऩकना ही चाहता ह | िमसॊधध(ककशोयी)नानमका क परसपहटत होत सौदमय का परतीकातभक धचतरण अतमॊत सॊदय फन ऩड़ा ह |

सौदमट-फोध-सॊफॊधी परशन

हभ हो मा ककसभत हो हभायी दोनो को इक ही काभ सभरा ककसभत हभ को यो रि ह हभ ककसभत को यो र ह| जो भझको फदनाभ कय ह काश ि इतना सोच सक

भया ऩदाय खोर ह मा अऩना ऩदाय खोर ह | परशन१- इन शयो की बारा सॊफॊधी विशरताएॉ सऩरषट कीनदजए |

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उततय- १ भहाियो का परमोग ndashककसभत का योना ndashननयाशा का परतीक

२सयर असबवमनदकत बारा भ परिाहभमता ह ककसभत औय ऩयदा शबदो की ऩनयािनदततमाॉ

भोहक ह|

३ हहॊदी का घयर रऩ

परशन२- lsquoभया ऩयदा खोर ह मा अऩना ऩयदा खोर ह lsquo- की बावरक विशरता सरणखए |

उततय -भहािय क परमोग दिाया वमॊजनातभक असबवमनदकत | ऩयदा खोरना ndash बद खोरना सचचाई फमान कयना|

परशन३-lsquoहभ हो मा ककसभत हो हभायी lsquo ndashपरमोग की विशरता फताइए |

उततय - हभ औय ककसभत दोनो शबद एक ही वमनदकत अथायत कियाक क सरए परमकत ह | हभ औय ककसभत भ अबद ह मही विशरता ह |

कफ़याक गोयखऩयी

पवषम-वसत ऩय आधारयत परशनोततय

परशन१- ताय आॉख झऩकाि ह ndashका तातऩमय सऩरषट कीनदजए |

उततय- याबतर का सनदनाटा बी कछ कह यहा हइससरए ताय ऩरक झऩका यह ह विमोग की नदसथनत भ परकनत बी सॊिाद कयती परतीत होती ह |

परशन२- lsquoहभ हो मा ककसभत हो हभायीrsquo भ ककस बाि की असबवमनदकत हई ह

उततय- जीिन की विडॊफना ककसभत को योना-भहािय क परमोग स सटीक असबवमनदकत परापत कयती ह कवि जीिन स सॊतरषट नहीॊ ह | बागम स सशकामत का बाि इन ऩॊनदकतमो भ झरकता ह |

परशन३- परभ क ककस ननमभ की असबवमनदकत कवि न की ह

उततय -ईशिय की परानदपत सियसि रटा दन ऩय होती ह परभ क सॊसाय का बी मही ननमभ ह|कवि क शबदो भ rdquo कितयत का कामभ ह तिाज़न आरभ- हसनो ndashइशक भ बी

उसको उतना ही ऩात ह खद को नदजतना खो र ह |rdquo

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१ बाि ndashसामम- कफीय -lsquoसीस उताय बई धय तफ सभसरह कयतायlsquo-अथायत -सिमॊ को खो कय ही परभ परानदपत की जा सकती ह

२ बाि सामम- कफीय ndashनदजन ढॉढा नतन ऩाइमाॉ गहय ऩानी ऩहठ|

भ फऩया फडन डया यहा ककनाय फहठ |

परशन४- शयाफ की भहकपर भ शयाफी को दय यात कमा फात माद आती ह

उततय - शयाफ की भहकपर भ शयाफी को दय यात माद आती ह कक आसभान भ भनरषम क ऩाऩो का रखा-जोखा होता ह जस आधी यात क सभम परयशत रोगो क ऩाऩो क अधमाम खोरत ह िस ही यात क सभम शयाफ ऩीत हए शामय को भहफफा की माद हो आती ह भानो भहफफा परयशतो की तयह ऩाऩ सथर क आस ऩास ही ह

परशन५- सदक कियाकndashndashndashइन ऩॊनदकतमो का अथय सऩरषट कीनदजए |

उततय -सदक कियाकndashndashndashइन ऩॊनदकतमो भ कियाक कहत ह कक उनकी शामयी भ भीय की शामयी की उतकरषटता धिननत हो यही ह

परशन६- ऩॊखडड़मो की नाज़क धगयह खोरना कमा ह

उततय -ऩॉखडड़मो की नाजक धगयह खोरना उनका धीय -धीय विकससत होना ह

िमसॊधध(ककशोयी)नानमका क परसपहटत होत सौदमय की ओय सॊकत ह |

परशन७-lsquoमो उड़ जान को यॊगो फ गरशन भ ऩय तौर हrsquo बाि सऩरषट कीनदजए

उततय -कसरमो की सिास उड़न क सरए भानो ऩय तौर यही होअथायत खशफ का झोका यहndashयह कय उठता ह

परशन८- कवि दिाया िणणयत याबतर क दशम का िणयन अऩन शबदो भ कीनदजए

उततय - याबतर का सनदनाटा बी कछ कह यहा हइससरए ताय ऩरक झऩका यह हरगता ह कक परकनत का कण-कण कछ कह यहा ह |

परशन९- कवि अऩन िमनदकतक अनबि ककन ऩॉनदकतमो भ वमकत कय यहा ह

जीिन की विडॊफना-lsquoककसभत को योनाlsquo भहािय क परमोग स सटीक असबवमनदकत परापत कयती ह

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ldquoहभ हो मा ककसभत हो हभायी दोनो को इक ही काभ सभरा

ककसभत हभ को यो रि ह हभ ककसभत को यो र ह|rdquo

परशन१०- शामय न दननमा क ककस दसतय का िणयन ककमा ह

उततय -शामय न दननमा क इस दसतय का िणयन ककमा ह कक रोग दसयो को फदनाभ कयत ह ऩयॊत ि नहीॊ जानत कक इस तयह ि अऩनी दरषट परकनत को ही उदघाहटत कयत ह

परशन११- परभ की कितयत कवि न ककन शबदो भ असबवमकत की ह

सिमॊ को खो कय ही परभ की परानदपत की जा सकती ह ईशिय की परानदपत सियसि रटा दन ऩय होती ह परभ क सॊसाय का बी मही ननमभ ह

परशन१२- कियाक गोयखऩयी ककस बारा क कवि ह

उततय - उदय बारा

10 छोटा भया खत

उभाशॊकय जोशी

(गजयाती कपव)

उभाशॊकय जोशी फीसिीॊ सदी क गजयाती क भधयनदम कवि सॊसकत िाङभम क विदिान हउनदहोन गजयाती कविता को परकनत स जोड़ाआभ आदभी क जीिन की झरक उनकी यचनाओॊ भ सभरती ह

छोटा भया खत

साय

खती क रऩक दिाया कावम यचनाndash परककरमा को सऩषट ककमा गमा हकावम कनत की यचना फीजndash वऩन स रकय ऩौध क ऩजषऩत होन क पवलबनन चयणो स गजयती हअॊतय किर इतना ह कक कपव कभट की पसर कारजमी शाशित होती हउसका यस-यण अम होता हकागज का ऩनदना नदजस ऩय यचना शबदफदध होती ह कवि को एक चौकोय खत की तयह रगता ह इस खत

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भ ककसी अॉधड़ (आशम बािनातभक आॉधी स होगा) क परबाि स ककसी ण एक फीज फोमा जाता ह मह फीज-यचना विचाय औय असबवमनदकत का हो सकता ह मह भर रऩ कलऩना का सहाया रकय विकससत होता ह औय परककरमा भ सिमॊ विगसरत हो जाता ह उसस शबदो क अॊकय ननकरत ह औय अॊतत कनत एक ऩणय सिरऩ गरहण कयती ह जो कवर-कभय क सरहाज स ऩलरवित -ऩनदरषऩत होन की नदसथनत ह साहहनदतमक कनत स जो अरौककक यस-धाया पटती ह िह ण भ होन िारी योऩाई का ही ऩरयणाभ ह ऩय मह यस-धाया अनॊत कार तक चरन िारी कटाई ह |

फगरो क ऩॊख

साय

फगरो क ऩॊख कविता एक चार बफॊफ की कविता ह सौदमय का अऩकषत परबाि उतऩनदन कयन क सरए कविमो न कई मनदकतमाॉ अऩनाई ह नदजसभ स सफस परचसरत मनदकत ह-सौदमय क वमौयो क धचतरातभक िणयन क साथ अऩन भन ऩय ऩड़न िार उसक परबाि का िणयन औय आतभगत क सॊमोग की मह मनदकत ऩाठक को उस भर सौदमय क कापी ननकट र जाती ह जोशी जी की इस कविता भ ऐसा ही ह कवि कार फादरो स बय आकाश भ ऩॊनदकत फनाकय उड़त सपद फगरो को दखता ह ि कजयाय फादरो भ अटका-सा यह जाता ह िह इस भामा स अऩन को फचान की गहाय रगाता ह कमा मह सौदमय स फाॉधन औय विॊधन की चयभ नदसथनत को वमकत कयन का एक तयीका ह

परकनत का सितॊतर (आरॊफन गत ) धचतरण आधननक कविता की विशरता हधचतरातभक िणयन दिाया कवि न एक ओय कार फादरो ऩय उड़ती फगरो की शित ऩॊनदकत का धचतर अॊककत ककमा ह तो दसयी ओय इस अपरनतभ दशम क रदम ऩय ऩड़न िार परबाि को धचबतरत ककमा हभॊतर भगध कवि इस दशम क परबाि स आतभ विसभनत की नदसथनत तक ऩहॉच जाता हविरम एिॊ विरमीगत सौनददमय क दोनो रऩ कविता भ उदघाहटत हए ह

अथट-गरहण-सॊफॊधी परशन

ldquoछोटा भया खत चौकोना

कागज़ का एक ऩनदना कोई अॊधड़ कहीॊ स आमा

ण का फीज िहाॉ फोमा गमा|

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कलऩना क यसामनो को ऩी

फीज गर गमा ननशर शबद क अॊकय पट

ऩलरि ndashऩरषऩो स नसभत हआ विशर |rdquo

परशन १lsquoछोटा भया खतrsquo ककसका परतीक ह औय कमो

उततय - परशन२ lsquoछोटा भया खतrsquo काग़ज क उस ऩनदन का परतीक ह नदजस ऩय कवि अऩनी कविता सरखता ह

परशन २ कवि खत भ कौनndashसा फीज फोता ह

उततय - कवि खत भ अऩनी कलऩना का फीज फोता ह

परशन ३ कवि की कलऩना स कौन स ऩलरि अॊकरयत होत ह

उततय - कवि की कलऩना स शबद क ऩलरि अॊकरयत होत ह

परशन ४ उऩमयकत ऩद का बाि-सौदमय सऩरषट कीनदजए |

उततय - खती क रऩक दिाया कावम-यचनाndashपरककरमा को सऩषट ककमा गमा हकावम कनत की यचना फीजndash वऩन स रकय ऩौध क ऩजषऩत होन क पवलबनन चयणो स गजयती हअॊतय किर इतना ह कक कपव कभट की पसर कारजमी शाशित होती हउसका यस-यण अम होता ह

सौदमट-फोध-सॊफॊधी परशन

ldquoझभन रग पर

यस अरौककक

अभत धायाएॉ पटतीॊ

योऩाई ण की

कटाई अनॊतता की

रटत यहन स जया बी कभ नहीॊ होती |

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यस का अम ऩातर सदा का

छोटा भया खत चौकोना |rdquo

परशन इस कविता की बारा सॊफॊधी विशरताओॊ ऩय परकाश डासरए ndash

उततय - १ परतीकातभकता

२ राणणकता -

२रऩक अरॊकायndash यस का अम ऩातर सदा का

छोटा भया खत चौकोना

परशन २ यस अरौककक अभत धायाएॉ योऩाई ndash कटाई-परतीको क अथय सऩरषट कीनदजए |

उततय - यस अरौककक ndash कावम यस ननरषऩनदतत

अभत धायाएॉ- कावमानॊद

योऩाई ndash अनबनत को शबदफदध कयना

कटाई ndashयसासिादन

पवषम-वसत ऩय आधारयत परशनोततय

कपवता ndash

छोटा भया खत

परशन १ उभाशॊकय जोशी न ककस बारा भ कविताएॉ सरखी ह

उततय - गजयाती बारा

परशन२ कवरndashकभय एिॊ कविndashकभय भ कमा कमा सभानताएॉ ह

उततय - कवरndashकभय एिॊ कविndashकभय भ ननमनसरणखत सभानताएॉ ह-

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कावम कनत की यचना फीजndash वऩन स रकय ऩौध क ऩजषऩत होन क पवलबनन चयणो स गजयती ह

कपषndashकभट एवॊ कपवndashकभट भ सभानताएॉ -

कागज का ऩनदना नदजस ऩय यचना शबदफदध होती ह कवि को एक चौकोय खतरगता ह इस खत भ ककसी अॉधड़ (आशम बािनातभक आॉधी स होगा) क परबाि स ककसी ण

एक फीज फोमा जाता ह मह फीज-यचना विचाय औय असबवमनदकत का हो सकता ह मह भर रऩ कलऩना का सहाया रकय विकससत होता ह औय परककरमा भ सिमॊ विगसरत

हो जाता ह इसीपरकाय फीज बी खाद ऩानी समय की योशनी हिा आहद रकय विकससत होता ह |

कावम ndashयचना स शबदो क अॊकय ननकरत ह औय अॊतत कनत एक ऩणय सिरऩ गरहण कयती ह जो कवर-कभय क सरहाज स ऩलरवित ndashऩनदरषऩत औय पसरत होन की नदसथनत ह अथट-गरहण-सॊफॊधी परशन

कपवताndash फगरो क ऩॊख

नब भ ऩाॉती- फॉध फगरो क ऩॊख

चयाए सरए जातीॊ ि भयी आॉख |

कजयाय फादरो की छाई नब छामा

हौरndashहौर जाती भझ फाॉध ननज भामा स |

उस कोई तननक योक यकखो |

िह तो चयाए सरए जाती भयी आॉख

नब भ ऩाॉती- फॉधी फगरो की ऩाॉख |

तयती साॉझ की सतज शित कामा|

परशन१- इस कविता भ कवि न ककसका धचतरण ककमा ह

उततय - कवि न कार फादरो ऩय उड़ती फगरो की शित ऩॊनदकत का धचतरण ककमा ह|

परशन२- आॉख चयान का कमा अथय ह

उततय - आॉख चयान का आशम ह ndashधमान ऩयी तयह खीॊच रना एकटक दखना भॊतरभगध कय दना

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परशन३-

ldquoकजयाय फादरो की छाई नब छामा

हौर ndashहौर जाती भझ फाॉध ननज भामा स |rdquo- आशम सऩरषट कीनदजए |

उततय- कार फादरो क फीच साॉझ का सयभई िाताियण फहत सॊदय हदखता ह | ऐसा अपरनतभ सौदमय अऩन आकरयण भ कवि को फाॉध रता ह |

परशन ४ ldquoउस कोई तननक योक यकखो |rsquo- स कवि का कमा असबपराम ह

उततय - फगरो की ऩॊनदकत आकाश भ दय तक उड़ती जा यही ह कवि की भॊतरभगध आॉख उनका ऩीछा कय यही ह | कवि उन फगरो को योक कय यखन की गहाय रगा यहा ह कक कहीॊ ि उसकी आॉख ही अऩन साथ न र जाएॉ |

सौदमट-फोध-सॊफॊधी परशन

परशन १ कविता की बारा सॊफॊधी दो विशरताएॉ सरणखए|

उततय -१ धचतरातभक बारा

२ फोरचार क शबदो का परमोग - हौर ndashहौर ऩाॉती कजयायसाॉझ

परशन २ कविता भ परमकत अरॊकाय चन कय सरणखए |

उततय - अनपरास अरॊकाय - फॉध फगरो क ऩॊख

भानिीकयण अरॊकाय - चयाए सरए जातीॊ ि भयी आॉख |

परशन ३ -lsquo ननज भामाrsquo क राणणक अथय को सऩरषट कीनदजए |

उततय - परकनत का अपरनतभ सौदमय िह भामा ह जो कवि को आतभविबोय कय दती हमह ऩॊनदकत बी परशॊसातभक उनदकत ह

पवषम-वसत ऩय आधारयत परशनोततय

परशन१- lsquoचयाए सरए जाती ि भयी ऑ ॊखrsquo स कवि का कमा तातऩमय ह

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उततय -धचतरातभक िणयन दिाया कवि न एक ओय कार फादरो ऩय उड़ती फगरो की शित ऩॊनदकत का धचतर अॊककत ककमा ह तथा इस अपरनतभ दशम क रदम ऩय ऩड़न िार परबाि को धचबतरत ककमा ह कवि क अनसाय मह दशम उनकी आॉख चयाए सरए जा यहा ह |भॊतर भगध कवि इस दशम क परबाि स आतभ विसभनत की नदसथनत तक ऩहॉच जाता ह

परशन२-कवि ककस भामा स फचन की फात कहता ह

उततय - भामा विशि को अऩन आकरयण भ फाॉध रन क सरए परससदध ह | कफीय न बी lsquoभामा भहा ठधगनी हभ जानीrsquo कहकय भामा की शनदकत को परनतऩाहदत ककमा ह | कार फादरो भ फगरो की सॊदयता अऩना भामा जार परा कय कवि को अऩन िश भ कय यही ह |

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आयोह बाग-२ गदम-बाग

परशन-सॊखमा १०- गदम खॊड भ हदए गए ऩहठत गदमाॊश स अथयगरहण सॊफॊधी चाय परशन ऩछ जाएॉग नदजनक सरए ननधायरयत अॊक (२४=८) ह |

परशन-सॊखमा ११- ऩाठो की विरमिसत स सॊफॊधधत ऩाॉच भ स चाय परशनो क उततय दन ह नदजनक सरए ननधायरयत अॊक (३४=१२) ह|

ऩयीा भ अचछ अॊक परातत कयन क लरए धमान दन मोगम फात ndash

1 रख एिॊ ितयनी की शदधता तथा िाकम-गठन ऩय धमान द | 2 हय ऩाठ का सायऩरषठबसभविरमिसत तथाकथानक को सभझना आिशमक ह |

अतविदमाथी हय ऩाठ का सायाॊश बरीबाॉनत माद कय र | 3 परशनो को धमान स ऩढ़ तदनसाय अऩकषत उततय सरख | 4 उततय सरखत सभम सॊफॊधधत भखम बफॊदओॊ का शीरयकफनात हए उततय सरख मथा-तीन

अॊक क परशनो क उततय सरखत सभम कभ स कभ तीन भखम उततय-बफ ॊदओॊ का उलरख कयत हए उततय सऩरषट कय |

5 अॊक-मोजना क अनसाय ननधायरयत शबद-सीभा क अॊतगयत उततय सरख | ऩयीाथी कई फाय एक अॊक क परशन का उततय फहत रॊफा कई फाय ऩया ऩरषठ सरख दत ह जो सभम औय ऊजाय की फफायदी ह |

6 धमान यह कक अधधक सरखन स अचछ अॊक नहीॊ आत फनदलक सयर-सफोध बारा भ सरख गए सटीक उततय सायगसबयत तथम तथा उदाहयण क दिाया सऩरषट ककए गए उततय परबािशारी होत ह |

ऩाि 11 - बजकतन

रखखका- भहादवी वभाट

ऩाि का सायाॊश- बनदकतन नदजसका िासतविक नाभ रकषभी थारणखका lsquoभहादिी िभायrsquo की सविका ह | फचऩन भ ही बनदकतन की भाॉ की भतम हो गमी| सौतरी भाॉ न ऩाॉच िरय की आम भ वििाह तथा नौ िरय की आम भ गौना कय बनदकतन को ससयार बज हदमा| ससयार भ बनदकतन न तीन फहटमो को जनदभ हदमा नदजस कायण उस सास औय नदजठाननमो की उऩा सहनी ऩड़ती थी| सास औय नदजठाननमाॉ आयाभ पयभाती थी औय बनदकतन तथा उसकी ननदहीॊ फहटमो को घय औय खतो का साया काभ कयना ऩडता था| बनदकतन का ऩनत उस फहत चाहता था| अऩन ऩनत क सनह क फर ऩय बनदकतन न ससयार िारो स अरगौझा कय अऩना अरग घय फसा सरमा औय सख स यहन रगी ऩय बनदकतन का दबायगम अलऩाम भ ही उसक ऩनत की भतम हो गई | ससयार िार

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बनदकतन की दसयी शादी कय उस घय स ननकारकय उसकी सॊऩनदतत हड़ऩन की सानदजश कयन रग| ऐसी ऩरयनदसथनत भ बनदकतन न अऩन कश भॊडा सरए औय सॊनदमाससन फन गई | बनदकतन सिासबभानी सॊघरयशीर कभयठ औय दढ सॊकलऩ िारी सतरी ह जो वऩतसततातभक भानदमताओॊ औय छर-कऩट स बय सभाज भ अऩन औय अऩनी फहटमो क हक की रड़ाई रड़ती हघय गहसथी सॉबारन क सरए अऩनी फड़ी फटी दाभाद को फरा सरमा ऩय दबायगम न महाॉ बी बनदकतन का ऩीछा नहीॊ छोड़ा अचानक उसक दाभाद की बी भतम हो गमी| बनदकतन क जठ-नदजठौत न सानदजश यचकय बनदकतन की विधिा फटी का वििाह जफयदसती अऩन तीतयफाज सार स कय हदमा| ऩॊचामत दिाया कयामा गमा मह सॊफॊध दखदामी यहा | दोनो भाॉ-फटी का भन घय-गहसथी स उचट गमा ननधयनता आ गमी रगान न चका ऩान क कायण जभीॊदाय न बनदकतन को हदन बय धऩ भ खड़ा यखा| अऩभाननत बनदकतन ऩसा कभान क सरए गाॉि छोड़कय शहय आ जाती ह औय भहादिी की सविका फन जाती ह| बनदकतन क भन भ भहादिी क परनत फहत आदय सभऩयण औय असबबािक क सभान अधधकाय बाि ह| िह छामा क सभान भहादिी क साथ यहती ह| िह यात-यात बय जागकय धचतरकायी मा रखन जस कामय भ वमसत अऩनी भारककन की सिा का अिसय ढॉढ रती ह| भहादिी बनदकतन को नहीॊ फदर ऩामी ऩय बनदकतन न भहादिी को फदर हदमा| बनदकतन क हाथ का भोटा-दहाती खाना खात-खात भहादिी का सिाद फदर गमा बनदकतन न भहादिी को दहात क ककसस-कहाननमाॉ ककॊ िदॊनतमाॉ कॊ ठसथ कया दी| सिबाि स भहाकॊ जस होन ऩय बी बनदकतन ऩाई-ऩाई कय जोडी हई १०५ रऩमो की यासश को सहरय भहादिी को सभवऩयत कय दती ह| जर क नाभ स थय-थय काॉऩन िारी बनदकतन अऩनी भारककन क साथ जर जान क सरए फड़ राट साहफ तक स रड़न को बी तमाय हो जाती ह| बनदकतन भहादिी क जीिन ऩय छा जान िारी एक ऐसी सविका ह नदजस रणखका नहीॊ खोना चाहती

ऩाि आधारयत परशनोततय

नोट- उततय भ ननहहत यखाॊककत िाकम भखम सॊकत बफॊद ह |

परशन 1-बजकतन का वासतपवक नाभ कमा था वह अऩन नाभ को कमो छऩाना चाहती थी

उततय-बनदकतन का िासतविक नाभ रकषभी था हहनददओॊ क अनसायरकषभी धन की दिीह चॉकक बनदकतन गयीफ थी| उसक िासतविक नाभ क अथय औय उसक जीिन क मथाथय भ वियोधाबास ह ननधयन बनदकतन सफको अऩना असरी नाभ रकषभी फताकय उऩहास का ऩातर नहीॊ फनना चाहती थी इससरए िह अऩना असरी नाभ छऩाती थी

परशन 2- रखखका न रकषभी का नाभ बजकतन कमो यखा

उततय-घटा हआ ससय गर भ कॊ ठी भारा औय बकतो की तयह सादगीऩणय िशबरा दखकय भहादिी िभाय न रकषभी का नाभ बनदकतन यख हदमा | मह नाभ उसक वमनदकतति स ऩणयत भर खाता था |

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परशन 3-बजकतन क जीवन को ककतन ऩरयचछदो भ पवबाजजत ककमा गमा ह

उततय- बनदकतन क जीिन को चाय बागो भ फाॉटा गमा ह-

ऩहरा ऩरयचछद-बनदकतन का फचऩन भाॉ की भतम विभाता क दिाया बनदकतन का फार-वििाह कया दना

दपवतीम ऩरयचछद-बनदकतन का ििाहहक जीिन सास तथा नदजठाननमो का अनदमामऩणय वमिहाय ऩरयिाय स अरगौझा कय रना

ततीम ऩरयचछद- ऩनत की भतम विधिा क रऩ भ सॊघरयशीर जीिन चतथट ऩरयचछद- भहादिी िभाय की सविका क रऩ भ

परशन 4- बजकतन ऩाि क आधाय ऩय बायतीम गराभीण सभाज भ रड़क-रड़ककमो भ ककम जान वार बदबाव का उलरख कीजजए |

बायतीम गराभीण सभाज भ रड़क-रड़ककमो भ बदबाि ककमा जाता ह| रड़ककमो को खोटा ससकका मा ऩयामा धन भाना जाता ह| बनदकतन न तीन फहटमो को जनदभ हदमा नदजस कायण उस सास औय नदजठाननमो की उऩा सहनी ऩड़ती थी| सास औय नदजठाननमाॉ आयाभ पयभाती थी कमोकक उनदहोन रड़क ऩदा ककए थ औय बनदकतन तथा उसकी ननदहीॊ फहटमो को घय औय खतो का साया काभ कयना ऩडता था| बनदकतन औय उसकी फहटमो को रखा-सखा भोटा अनाज खान को सभरता था जफकक उसकी नदजठाननमाॉ औय उनक कार-करट फट दध-भराई याफ-चािर की दाित उड़ात थ

परशन 5-बजकतन ऩाि क आधाय ऩय ऩॊचामत क नमाम ऩय ठटतऩणी कीजजए |

बनदकतन की फटी क सनददबय भ ऩॊचामत दिाया ककमा गमा नदमाम तकय हीन औय अॊध कानन ऩय आधारयतह | बनदकतन क नदजठौत न सॊऩनदतत क रारच भ रडमॊतर कय बोरी फचची को धोख स जार भ पॊ सामा| ऩॊचामत न ननदोर रड़की की कोई फात नहीॊ सनी औय एक तयिा पसरा दकय उसका वििाह जफयदसती नदजठौत क ननकमभ तीतयफाज सार स कय हदमा | ऩॊचामत क अॊध कानन स दरषटो को राब हआ औय ननदोर को दॊड सभरा |

परशन 6-बजकतन की ऩाक-करा क फाय भ ठटतऩणी कीजजए |

बनदकतन को ठठ दहाती सादा बोजन ऩसॊद था | यसोई भ िह ऩाक छत को फहत भहतति दती थी | सफह-सिय नहा-धोकय चौक की सपाई कयक िह दिाय ऩय कोमर की भोटी यखा खीॊच दती थी| ककसी को यसोईघय भ परिश कयन नहीॊ दती थी| उस अऩन फनाए बोजन ऩय फड़ा असबभान था| िह अऩन फनाए बोजन का नतयसकाय नहीॊ सह सकती थी |

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परशन 7- लसदध कीजजए कक बजकतन तकट -पवतकट कयन भ भाठहय थी |

बनदकतन तकय ऩट थी | कश भॉडान स भना ककए जान ऩय िह शासतरो का हिारा दत हए कहती ह lsquoतीयथ गए भॉडाए ससदधrsquo | घय भ इधय-उधय यख गए ऩसो को िह चऩचाऩ उठा कय छऩा रती ह टोक जानऩय िह िह इस चोयी नही भानती फनदलक िह इस अऩन घय भ ऩड़ ऩसो को सॉबारकय यखना कहती ह| ऩढाई-सरखाई स फचन क सरए बी िह अचक तकय दती ह कक अगय भ बी ऩढ़न रगॉ तो घय का काभ कौन दखगा

परशन 8-बजकतन का दबाटगम बी कभ हिी नही था रखखका न ऐसा कमो कहा ह

उततय- बजकतन का दबाटगम उसका ऩीछा नहीॊ छोड़ता था-

1- फचऩन भ ही भाॉ की भतम 2- विभाता की उऩा 3- बनदकतन(रकषभी) का फारवििाह 4- वऩता का ननधन 5- तीन-तीन फहटमो को जनदभ दन क कायण सास औय नदजठाननमो क दिाया बनदकतन की

उऩा 6- ऩनत की असभम भतम 7- दाभाद का ननधन औय ऩॊचामत क दिाया ननकमभ तीतयफाज मिक स बनदकतन की विधिा

फटी का जफयन वििाह 8- रगान न चका ऩान ऩय जभीॊदाय क दिाया बनदकतन का अऩभान

परशन 9-बजकतन न भहादवी वभाट क जीवन ऩय कस परबापवत ककमा

उततय- बनदकतन क साथ यहकय भहादिी की जीिन-शरी सयर हो गमी ि अऩनी सविधाओॊ की चाह को नछऩान रगीॊ औय असविधाओॊ को सहन रगीॊ बनदकतन न उनदह दहाती बोजन णखराकय उनका सिाद फदर हदमा बनदकतन भातर एक सविका न होकय भहादिी की असबबािक औय आतभीम फन गमीबनदकतन भहादिी क जीिन ऩय छा जान िारी एक ऐसी सविका ह नदजस रणखका नहीॊ खोना चाहती

परशन 10- बजकतन क चरयतर की पवशषताओॊ का उलरख कीजजए

उततय- भहादिी िभाय की सविका बनदकतन क वमनदकतति की विशरताएॊ ननमनाॊककत ह-

सभवऩयत सविका सिासबभानी

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तकय शीरा ऩरयशरभी सॊघरयशीर

परशन 11-बजकतन क दगटणो का उलरख कय

उततय- गणो क साथ-साथ बनदकतन क वमनदकतति भ अनक दगयण बी ननहहत ह-

1 िह घय भ इधय-उधय ऩड़ रऩम-ऩस को बॊडाय घय की भटकी भ छऩा दती ह औय अऩन इस कामय को चोयी नहीॊ भानती

2 भहादिी क करोध स फचन क सरए बनदकतन फात को इधय-उधय कयक फतान को झठ नही भानती अऩनी फात को सही ससदध कयन क सरए िह तकय -वितकय बी कयती ह

3 िह दसयो को अऩनी इचछानसाय फदर दना चाहती ह ऩय सिमॊ बफरकर नही फदरती परशन 12 ननमनाॊककत बाषा-परमोगो का अथट सऩषट कीजजए-

ऩहरी कनमा क दो औय सॊसकयण कय िार- बनदकतन न अऩनी ऩहरी कनदमा क फाद उसक जसी दो औय कनदमाएॉ ऩदा कय दी अथायत बनदकतन क एक क फाद एक तीन फहटमाॉ ऩदा हो गमीॊ |

खोट लसकको की टकसार जसी ऩतनी- आज बी असशकषत गराभीण सभाज भ फहटमो को

खोटा ससकका कहा जाता ह बनदकतन न एक क फाद एक तीन फहटमाॉ ऩदा कय दी इससरए उस खोट ससकक को ढारन िारी भशीन कहा गमा

परशन 13-बजकतन ऩाि भ रखखका न सभाज की ककन सभसमाओॊ का उलरख ककमा ह

उततय- बनदकतन ऩाठ क भाधमभ स रणखका न बायतीम गराभीण सभाज की अनक सभसमाओॊ का उलरख ककमा ह-

1 रड़क-रड़ककमो भ ककमा जान िारा बदबाि 2 विधिाओॊ की सभसमा 3 नदमाम क नाभ ऩय ऩॊचामतो क दिाया नदसतरमो क भानिाधधकाय को कचरना 4 असशा औय अॊधविशिास

गदमाॊश-आधारयत अथटगरहण सॊफॊधधत परशनोततय

ऩरयिाय औय ऩरयनदसथनतमो क कायण सिबाि भ जो विरभताएॉ उतऩनदन हो गई ह उनक बीतय स एक सनह औय सहानबनत की आबा पटती यहती ह इसी स उसक सॊऩकय भ आनिार वमनदकत उसभ जीिन की सहज भासभयकता ही ऩात ह छातरािास की फासरकाओॊ भ स कोई अऩनी चाम

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फनिान क सरए दहरी ऩय फठी यहती ह कोई फाहय खडी भय सरए नाशत को चखकय उसक सिाद की वििचना कयती यहती ह भय फाहय ननकरत ही सफ धचडड़मो क सभान उड़ जाती ह औय बीतय आत ही मथासथान वियाजभान हो जाती ह इनदह आन भ रकािट न हो सॊबित इसी स बनदकतन अऩना दोनो जन का बोजन सिय ही फनाकय ऊऩय क आर भ यख दती ह औय खात सभम चौक का एक कोना धोकय ऩाकndashछत क सनातन ननमभ स सभझौता कय रती ह

भय ऩरयधचतो औय साहहनदतमक फॊधओॊ स बी बनदकतन विशर ऩरयधचत ह ऩय उनक परनत बनदकतन क समभान की भातरा भय परनत उनक समभान की भातरा ऩय ननबयय ह औय सदभाि उनक परनत भय सदभाि स नननदशचत होता ह इस सॊफॊध भ बनदकतन की सहज फवदध विनदसभत कय दन िारी ह

(क) बजकतन का सवबाव ऩरयवाय भ यहकय कसा हो गमा ह

उततय-विरभ ऩरयनदसथनतजनदम उसक उगर हठी औय दयागरही सिबाि क फािजद बनदकतन क बीतय सनह औय सहानबनत की आबा पटती यहती ह उसक सॊऩकय भ आन िार वमनदकत उसभ जीिन की सहज भासभयकता ही ऩात ह

(ख) बजकतन क ऩास छातरावास की छातराएॉ कमो आती ह

उततय- बनदकतन क ऩास कोई छातरा अऩनी चाम फनिान आती ह औय दहरी ऩय फठी यहती ह कोई भहादिी जी क सरए फन नाशत को चखकय उसक सिाद की वििचना कयती यहती ह भहादिी को दखत ही सफ छातराएॉ बाग जाती ह उनक जात ही कपय िाऩस आ जातीॊ ह बनदकतन का सहज-सनह ऩाकय धचडड़मो की तयह चहचहान रगती ह |

(ग) छातराओॊ क आन भ रकावट न िारन क लरए बजकतन न कमा उऩाम ककमा

उततय- छातराओॊ क आन भ रकािट न डारन क सरए बनदकतन न अऩन ऩाक-छत क ननमभ स सभझौता कय सरमा | बनदकतन अऩना दोनो िकत का खाना फनाकय सफह ही आर भ यख दती औय खात सभम चौक का एक कोना धोकय िहाॉ फठकय खा सरमा कयती थी ताकक छातराएॉ बफना योक-टोक क उसक ऩास आ सक

(घ) साठहतमकायो क परनत बजकतन क समभान का कमा भाऩदॊि ह

उततय-बनदकतन भहादिी क साहहनदतमक सभतर क परनत सदभाि यखती थी नदजसक परनत भहादिी सिमॊ सदभाि यखती थी | िह सबी स ऩरयधचत हऩय उनक परनत समभान की भातरा भहादिी जी क समभान की भातरा ऩय ननबयय कयती ह िह एक अदभत ढॊग स जान रती थी कक कौन ककतना समभान कयता ह उसी अनऩात भ उसका परापम उस दती थी

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12 फाजाय-दशटन

रखक- जनि कभाय

ऩाि का सायाॊश फाजाय-दशयन ऩाठ भ फाजायिाद औय उऩबोकतािाद क साथ-साथ अथयनीनत एिॊ दशयन स सॊफॊधधत परशनो को सरझान का परमास ककमा गमा ह फाजाय का जाद तबी असय कयता ह जफ भन खारी हो| फाजाय क जाद को योकन का उऩाम मह ह कक फाजाय जात सभम भन खारी ना हो भन भ रकषम बया हो| फाजाय की असरी कताथयता ह जरयत क िकत काभ आना| फाजाय को िही भनरषम राब द सकता ह जो िासति भ अऩनी आिशमकता क अनसाय खयीदना चाहता ह| जो रोग अऩन ऩसो क घभॊड भ अऩनी ऩचनदजॊग ऩािय को हदखान क सरए चीज खयीदत ह ि फाजाय को शतानी वमॊगम शनदकत दत ह| ऐस रोग फाजारऩन औय कऩट फढात ह | ऩस की मह वमॊगम शनदकत वमनदकत को अऩन सग रोगो क परनत बी कतघन फना सकती ह | साधायण जन का रदम रारसा ईरषमाय औय तरषणा स जरन रगता ह | दसयी ओय ऐसा वमनदकत नदजसक भन भ रश भातर बी रोब औय तरषणा नहीॊ ह सॊचम की इचछा नहीॊ ह िह इस वमॊगम-शनदकत स फचा यहता ह | बगतजी ऐस ही आतभफर क धनी आदशय गराहक औय फचक ह नदजन ऩय ऩस की वमॊगम-शनदकत का कोई असय नहीॊ होता | अनक उदाहयणो क दिाया रखक न मह सऩरषट ककमा ह कक एक ओय फाजाय रारची असॊतोरी औय खोखर भन िार वमनदकतमो को रटन क सरए ह िहीॊ दसयी ओय सॊतोरी भन िारो क सरए फाजाय की चभक-दभक उसका आकरयण कोई भहतति नहीॊ यखता

परशन१ - ऩचजजॊग ऩावय ककस कहा गमा ह फाजाय ऩय इसका कमा परबाव ऩड़ता ह

उततय- ऩचनदजॊग ऩािय का अथय ह खयीदन की शनदकत ऩचनदजॊग ऩािय क घभॊड भ वमनदकत हदखाि क सरए आिशमकता स अधधक खयीदायीकयता ह औय फाजाय को शतानी वमॊगम-शनदकत दता ह ऐस रोग फाजाय का फाजारऩन फढ़ात ह

परशन२ -रखक न फाजाय का जाद ककस कहा ह इसका कमा परबाव ऩड़ता ह

उततय- फाजाय की चभक-दभक क चॊफकीम आकरयण को फाजाय का जाद कहा गमा ह मह जाद आॊखो की याह कामय कयता ह फाजाय क इसी आकरयण क कायण गराहक सजी-धजी चीजो को आिशमकता न होन ऩय बी खयीदन को वििश हो जात ह

परशन३ -आशम सऩषट कय

भन खारी होना भन बया होना भन फॊद होना

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उततय-भन खारी होना- भन भ कोई नननदशचत िसत खयीदन का रकषम न होना ननरददशम फाजाय जाना औय वमथय की चीजो को खयीदकय राना

भन बया होना- भन रकषम स बया होना नदजसका भन बया हो िह बरीबाॉनत जानता ह कक उस फाजाय स कौन सी िसत खयीदनी ह अऩनी आिशमकता की चीज खयीदकय िह फाजाय को साथयकता परदान कयता ह

भन फॊद होना-भन भ ककसी बी परकाय की इचछा न होना अथायत अऩन भन को शनदम कय दना

परशन४ - lsquoजहाॉ तषणा ह फटोय यखन की सऩहा ह वहाॉ उस फर का फीज नहीॊ हrsquo महाॊ ककस फर की चचाट की गमी ह

उततय- रखक न सॊतोरी सिबाि क वमनदकत क आतभफरकी चचाय की ह दसय शबदो भ महद भन भ सॊतोर हो तो वमनदकत हदखाि औय ईरषमाय की बािना स दय यहता ह उसभ सॊचम कयन की परिनदतत नहीॊ होती

परशन५ - अथटशासतर अनीनतशासतर कफ फन जाता ह

उततय- जफ फाजाय भ कऩट औय शोरण फढ़न रग खयीददाय अऩनी ऩचधचॊग ऩािय क घभॊड भ हदखाि क सरए खयीददायी कय | भनरषमो भ ऩयसऩय बाईचाया सभापत हो जाए| खयीददाय औय दकानदाय एक दसय को ठगन की घात भ रग यह एक की हानन भ दसय को अऩना राब हदखाई द तो फाजाय का अथयशासतर अनीनतशासतर फन जाता ह ऐस फाजाय भानिता क सरए विडॊफना ह

परशन६-बगतजी फाजाय औय सभाज को ककस परकाय साथटकता परदान कय यह ह

उततय- बगतजी क भन भ साॊसारयक आकरयणो क सरए कोई तरषणा नहीॊ ह ि सॊचम रारच औय हदखाि स दय यहत ह फाजाय औय वमाऩाय उनक सरए आिशमकताओॊ की ऩनत य का साधन भातर ह बगतजी क भन का सॊतोर औय ननसऩह बाि उनको शररषठ उऩबोकता औय विकरता फनात ह

परशन ७ _ बगत जी क वमजकततव क सशकत ऩहरओॊ का उलरख कीजजए |

उततय-ननमनाॊककत बफॊद उनक वमनदकतति क सशकत ऩहर को उजागय कयत ह

ऩॊसायी की दकान स किर अऩनी जरयत का साभान (जीया औय नभक) खयीदना नननदशचत सभम ऩय चयन फचन क सरए ननकरना छह आन की कभाई होत ही चयन फचना फॊद कय दना फच हए चयन को फचचो को भफ़त फाॉट दना

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सबी काजम-जम याभ कहकय सिागत कयना फाजाय की चभक-दभक स आकवरयत न होना सभाज को सॊतोरी जीिन की सशा दना

परशन7-फाजाय की साथटकता ककसभ ह

उततय- भनरषम की आिशमकताओॊ की ऩनतय कयन भ ही फाजाय की साथयकता ह जो गराहक अऩनी आिशमकताओॊ की चीज खयीदत ह ि फाजाय को साथयकता परदान कयत ह जो विकरता गराहको का शोरण नहीॊ कयत औय छर-कऩट स गराहको को रबान का परमास नही कयत ि बी फाजाय को साथयक फनात ह

गदमाॊश-आधारयत अथटगरहण-सॊफॊधधत परशनोततय

फाजाय भ एक जाद ह िह जाद आॉख की तयह काभ कयता ह िह रऩ का जाद ह ऩय जस चॊफक का जाद रोह ऩय ही चरता ह िस ही इस जाद की बी भमायदा ह जफ बयी हो औय भन खारी हो ऐसी हारत भ जाद का असय खफ होता ह जफ खारी ऩय भन बया न हो तो बी जाद चर जाएगा भन खारी ह तो फाजाय की अनकानक चीजो का ननभॊतरण उस तक ऩहॉच जाएगा कहीॊ हई उस िकत जफ बयी तफ तो कपय िह भन ककसकी भानन िारा ह भारभ होता ह मह बी रॉ िह बी रॉ सबी साभान जरयी औय आयाभ को फढ़ान िारा भारभ होता ह ऩय मह सफ जाद का असय ह जाद की सिायी उतयी कक ऩता चरता ह कक प सी-चीजो की फहतामत आयाभ भ भदद नहीॊ दती फनदलक खरर ही डारती ह थोड़ी दय को सिासबभान को जरय सक सभर जाता ह ऩय इसस असबभान को धगलटी की खयाक ही सभरती ह जकड़ यशभी डोयी की हो तो यशभ क सऩशय क भरामभ क कायण कमा िह कभ जकड़ दगी

ऩय उस जाद की जकड़ स फचन का एक सीधा उऩाम ह िह मह कक फाजाय जाओ तो खारी भन न हो भन खारी हो तफ फाजाय न जाओ कहत ह र भ जाना हो तो ऩानी ऩीकय जाना चाहहए ऩानी बीतय हो र का रऩन वमथय हो जाता ह भन रकषम स बया हो तो फाजाय परा का परा ही यह जाएगा तफ िह घाि बफरकर नहीॊ द सकगा फनदलक कछ आनॊद ही दगा तफ फाजाय तभस कताथय होगा कमोकक तभ कछ न कछ सचचा राब उस दोग फाजाय की असरी कताथयता ह आिशमकता क सभम काभ आना

परशन-1 फाजाय क जाद को रखक न कस सऩषट ककमा ह

उततय- फाजाय क रऩ का जाद आॉखो की याह स काभ कयता हआ हभ आकवरयत कयता ह फाजाय का जाद ऐस चरता ह जस रोह क ऊऩय चॊफक का जाद चरता ह चभचभाती योशनी भ सजी

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प सी चीॊज गराहक को अऩनी ओय आकवरयत कयती ह| इसी चमफकीम शनदकत क कायण वमनदकत कपजर साभान को बी खयीद रता ह |

परशन-2 जफ बयी हो औय भन खारी तो हभायी कमा दशा होती ह

उततय- जफ बयी हो औय भन खारी हो तो हभाय ऊऩय फाजाय का जाद खफ असय कयता ह भन खारी ह तो फाजाय की अनकानक चीजो का ननभॊतरण भन तक ऩहॉच जाता ह औय उस सभम महद जफ बयी हो तो भन हभाय ननमॊतरण भ नहीॊ यहता

परशन-3 प सी चीजो की फहतामत का कमा ऩरयणाभ होता ह

उततय- प सी चीज आयाभ की जगह आयाभ भ वमिधान ही डारती ह थोड़ी दय को असबभान को जरय सक सभर जाती ह ऩय हदखाि की परिनदतत भ िवदध होती ह

परशन-4 जाद की जकड़ स फचन का कमा उऩाम ह

उततय- जाद की जकड़ स फचन क सरए एक ही उऩाम ह िह मह ह कक फाजाय जाओ तो भन खारी न हो भन खारी हो तो फाजाय भत जाओ

13 कार भघा ऩानी द

रखक-धभटवीय बायती

ऩाि का सायाॊश -lsquoकार भघा ऩानी दrsquo ननफॊध रोकजीिन क विशिास औय विऻान क तकय ऩय आधारयत ह जफ बीरण गभी क कायण वमाकर रोग िराय कयान क सरए ऩजा-ऩाठ औय कथा-विधान कय थकndashहाय जात ह तफ िराय कयान क सरए अॊनतभ उऩाम क रऩ भ इनददय सना ननकरती ह| इनददय सना नॊग-धड़ॊग फचचो की टोरी ह जो कीचड़ भ रथऩथ होकय गरी-भोहलर भ ऩानी भाॉगन ननकरती ह| रोग अऩन घय की छतो-णखड़ककमो स इनददय सना ऩय ऩानी डारत ह | रोगो की भानदमता ह कक इनददर फादरो क सिाभी औय िराय क दिता ह| इनददर की सना ऩय ऩानी डारन स इनददर बगिान परसनदन होकय ऩानी फयसाएॊग | रखक का तकय ह कक जफ ऩानी की इतनी कभी ह तो रोग भनदशकर स जभा ककए ऩानी को फालटी बय-बयकय इनददय सना ऩय डारकय ऩानी को कमो फफायद कयत ह आमयसभाजी विचायधाया िारा रखक इस अॊधविशिास भानता ह | इसक विऩयीत रखक की जीजी उस सभझाती ह कक मह ऩानी की फफायदी नहीॊ फनदलक ऩानी की फिाई ह | कछ ऩान क सरए कछ दना ऩड़ता ह | तमाग क बफना दान नहीॊ होता| परसतत ननफॊध भ रखक न भरषटाचाय की सभसमा को उठात हए कहा ह कक जीिन भ कछ ऩान क सरए तमाग आिशमक ह जो रोग तमाग औय दान की भहतता को नहीॊ भानत ि ही भरषटाचाय भ सरपत यहकय दश औय सभाज को रटत ह| जीजी की आसथा बािनातभक सचचाई को ऩरषट कयती ह औय तकय किर िऻाननक तथम को सतम भानता ह जहाॉ तकय मथाथय क

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कठोय धयातर ऩय सचचाई को ऩयखता ह तो िहीॊ आसथा अनहोनी फात को बी सिीकाय कय भन को सॊसकारयत कयती ह बायत की सितॊतरता क ५० सार फाद बी दश भ वमापत बरषटाचाय औय सिाथय की बािना को दखकय रखक दखी ह | सयकाय दिाया चराई जा यही मोजनाएॉ गयीफो तक कमो नहीॊ ऩहॉच ऩा यहीॊ ह कार भघा क दर उभड़ यह ह ऩय आज बी गयीफ की गगयी पटी हई कमो ह रखक न मह परशन ऩाठको क सरए छोड़ हदमा ह |

परशन1-इनदय सना घय-घय जाकय ऩानी कमो भाॉगती थी

उततय- गाॉि क रोग फारयश क सरए बगिान इॊदर स पराथयना ककमा कयत थ जफ ऩजा-ऩाठवरत आहद उऩाम असिर हो जात थ तो बगिान इॊदर को परसनदन कयन क सरए गाॉि क ककशोय फचच कीचड़ भ रथऩथ होकय गरी-गरी घभकय रोगो स ऩानी भाॉगत थ

परशन2-इनदयसना को रखक भढक-भॊिरी कमो कहता ह जीजी क फायndashफाय कहन ऩय बी वह इनदयसना ऩय ऩानी प कन को याजी कमो नहीॊ होता

उततय- इनददयसना का कामय आमयसभाजी विचायधाया िार रखक को अॊधविशिास रगता ह उसका भानना ह कक महद इॊदयसना दिता स ऩानी हदरिा सकती ह तो सिमॊ अऩन सरए ऩानी कमो नहीॊ भाॉग रती ऩानी की कभी होन ऩय बी रोग घय भ एकतर ककम हए ऩानी को इॊदयसना ऩय ि कत ह रखक इस ऩानी की ननभयभ फयफादी भानता ह

परशन3- रि हए रखक को जीजी न ककस परकाय सभझामा

उततय- जीजी न रखक को पमाय स रडड-भठयी णखरात हए ननमन तकय हदए-

1- तमाग का भहततव- कछ ऩान क सरए कछ दना ऩड़ता ह 2- दान की भहतता- कवर-भननमो न दान को सफस ऊॉ चा सथान हदमा ह जो चीज अऩन

ऩास बी कभ हो औय अऩनी आिशमकता को बरकय िह चीज दसयो को दान कय दना ही तमाग ह |

3- इॊिदव को जर का अधमट चिाना- इॊदयसना ऩय ऩानी ि कना ऩानी की फयफादी नहीॊ फनदलक इॊदरदि को जर का अधमय चढ़ाना ह

4- ऩानी की फवाई कयना- नदजस परकाय ककसान िसर उगान क सरए जभीन ऩय फीज डारकय फिाई कयता ह िस ही ऩानी िार फादरो की िसर ऩान क सरए इनददय सना ऩय ऩानी डार कय ऩानी की फिाई की जाती ह

परशन4-नठदमो का बायतीम साभाजजक औय साॊसकनतक ऩरयवश भ कमा भहतव ह

उततय- गॊगा बायतीम सभाज भ सफस ऩजम सदानीया नदी ह नदजसका बायतीम इनतहास भ धासभयक ऩौयाणणक औय साॊसकनतक भहति ह | िह बायतीमो क सरए किर एक नदी नहीॊ अवऩत

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भाॉ ह सिगय की सीढ़ी ह भोदानमनी ह उसभ ऩानी नहीॊ अवऩत अभत तलम जर फहता ह बायतीम सॊसकनत भ नहदमो क ककनाय भानि सभमताएॉ परी-परी ह| फड़-फड़ नगय तीथयसथान नहदमो क ककनाय ही नदसथत ह ऐस ऩरयिश भबायतिासी सफस ऩहर गॊगा भमा की जम ही फोरग नहदमाॉ हभाय जीिन का आधाय ह हभाया दश कवर परधान ह नहदमो क जर स ही बायत बसभ हयी-बयी ह नहदमो क बफना जीिन की कलऩना नहीॊ कय सकत मही कायण ह कक हभ बायतीम नहदमो की ऩजा कयत ह |

परशन4-आजादी क ऩचास वषो क फाद बी रखक कमो दखी ह उसक भन भ कौन स परशन उि यह ह

उततय- आजादी क ऩचास िरो फाद बी बायतीमो की सोच भ सकायातभक फदराि न दखकय रखक दखी ह उसक भन भ कई परशन उठ यह ह-

1 कमा हभ सचच अथो भ सितनदतर ह 2 कमा हभ अऩन दश की सॊसकनत औय सभमता को सभझ ऩाए ह 3 यारषर ननभायण भ हभ ऩीछ कमो ह हभ दश क सरए कमा कय यह ह

4 हभ सिाथय औय भरषटाचाय भ सरपत यहत ह तमाग भ विशिास कमो नहीॊ कयत

5 सयकाय दिाया चराई जा यही सधायिादी मोजनाएॉ गयीफो तक कमो नहीॊ ऩहॉचती ह

गदमाॊश ऩय आधारयत अथटगरहण-सॊफॊधधत परशनोततय

सचभच ऐस हदन होत जफ गरी-भहलरा गाॉि-शहय हय जगह रोग गयभी भ बन-बन कय तराहहभाभ कय यह होत जठ क दसतऩा फीतकय आराढ का ऩहरा ऩखिाड़ा फीत चका होता ऩय कषनतज ऩय कहीॊ फादरो की यख बी नहीॊ दीखती होती कएॉ सखन रगत नरो भ एक तो फहत कभ ऩानी आता औय आता बी तो आधी यात को िो बी खौरता हआ ऩानी हो | शहयो की तरना भ गाॉि भ औय बी हारत खयाफ थी| जहाॉ जताई होनी चाहहए थी िहाॉ खतो की सभटटी सखकय ऩतथय हो जाती कपय उसभ ऩऩड़ी ऩड़कय जभीन पटन रगती र ऐसी कक चरत-चरत आदभी धगय ऩड़ | ढोय-डॊगय पमास क भाय भयन रगत रककन फारयश का कहीॊ नाभ ननशान नहीॊ ऐस भ ऩजा-ऩाठ कथा-विधान सफ कयक रोग जफ हाय जात तफ अॊनतभ उऩाम क रऩ भ ननकरती मह इनददय सना |

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परशन१- वषाट न होन ऩय रोगो की कमा जसथनत हो गमी थी उततय - िराय न होन ऩय गयभी क कायण रोग र रगन स फहोश होन रग | गाॉि-शहय सबी जगह ऩानी का अबाि हो गमा| कएॉ सख गए खतो की सभटटी सखकय ऩतथय क सभान कठोय होकय पट गमी| घयो भ नरो भ ऩानी फहत कभ आता था | ऩश पमास क भाय भयन रग थ | परशन२- वषाट क दवता कौन ह उनको परसनन कयन क लरए कमा उऩाम ककए जात थ उततय -िराय क दिता बगिान इनददर ह| उनको परसनदन कयन क सरए ऩजाndashऩाठ कथा-विधान कयाए जात थ | ताकक इनददर दि परसनदन होकय फादरो की सना बजकय झभाझभ फारयश कयाएॉ औय रोगो क करषट दय हो | परशन३- वषाट कयान क अॊनतभ उऩाम क रऩ भ कमा ककमा जाता था उततय ndashजफ ऩजा-ऩाठ कथा-विधान सफ कयक रोग हाय जात थ तफ अॊनतभ उऩाम क रऩ भ इनददय सना आती थी | नॊग-धडॊग कीचड़ भ रथऩथ lsquoकार भघा ऩानी द ऩानी द गड़धानी दrsquo की टय रगाकय पमास स सखत गरो औय सखत खतो क सरए भघो को ऩकायती हई टोरी फनाकय ननकर ऩड़ती थी| परशन४-आशम सऩषट कय ndash जठ क दसतऩा फीतकय आराढ़ का ऩहरा ऩखिाड़ा फीत चका होता ऩय कषनतज भ कहीॊ फादरो की यख बी नजय नहीॊ आती | आशम- जठ का भहीना ह बीरण गयभी ह| तऩत हए दस हदन फीत कय आराढ का भहीना बी आधा फीत गमा ऩय ऩानी क सरए तड़ऩत िराय की आशा भ आसभान की ओय ताकत रोगो को कहीॊ फादर नजय नहीॊ आ यह |

14 ऩहरवान की ढोरक

फ़णीशवयनाथ यण

ऩाि का सायाॊश ndashआॊचसरक कथाकाय िणीशियनाथ यण की कहानी ऩहरिान की ढोरक भ कहानी क भखम ऩातर रटटन क भाता-वऩता का दहाॊत उसक फचऩन भ ही हो गमा था | अनाथ रटटन को उसकी विधिा सास न ऩार-ऩोसकय फड़ा ककमा | उसकी सास को गाॉि िार सतात थ |

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रोगो स फदरा रन क सरए कशती क दाॉिऩच सीखकय कसयत कयक रटटन ऩहरिान फन गमा |

एक फाय रटटन शमाभनगय भरा दखन गमा जहाॉ ढोर की आिाज औय कशती क दाॉिऩच दखकय उसन जोश भ आकय नाभी ऩहरिान चाॉदससॊह को चनौती द दी | ढोर की आिाज स परयणा ऩाकय रटटन न दाॉि रगाकय चाॉद ससॊह को ऩटककय हया हदमा औय याज ऩहरिान फन गमा | उसकी खमानत दय-दय तक िर गमी| १५ िरो तक ऩहरिान अजम फना यहा| उसक दो ऩतर थ| रटटन न दोनो फटो को बी ऩहरिानी क गय ससखाए| याजा की भतम क फाद नए याजकभाय न गददी सॊबारी याजकभाय को घोड़ो की यस का शौक था भनजय न नम याजा को बड़कामा ऩहरिान औय उसक दोनो फटो क बोजनखचय को बमानक औय किजरखचय फतामा िरसिरऩ नए याजा न कशती को फॊद कयिा हदमा औय ऩहरिान रटटनससॊह को उसक दोनो फटो क साथ भहर स ननकार हदमा

याजदयफाय स ननकार हदए जान क फाद रटटन ससॊह अऩन दोनो फटो क साथ गाॉि भ झोऩड़ी फनाकय यहन रगा औय गाॉि क रड़को को कशती ससखान रगा| रटटन का सकर जमादा हदन नहीॊ चरा औय जीविकोऩाजयन क सरए उसक दोनो फटो को भजदयी कयनी ऩड़ी| इसी दौयान गाॉि भ अकार औय भहाभायी क कायण परनतहदन राश उठन रगी| ऩहरिान भहाभायी स डय हए रोगो को ढोरक फजाकय फीभायी स रड़न की सॊजीिनी ताकत दता था| एक हदन ऩहरिान क दोनो फट बी भहाभायी की चऩट भ आकय भय गए ऩय उस यात बी ऩहरिान ढोरक फजाकय रोगो को हहमभत फॊधा यहा था | इस घटना क चाय-ऩाॉच हदन फाद ऩहरिान की बी भौत हो जाती ह|

ऩहरिान की ढोरक वमिसथा क फदरन क साथ रोक कराकाय क अपरासॊधगक हो जान की कहानी ह इस कहानी भ रटटन नाभ क ऩहरिान की हहमभत औय नदजजीविरा का िणयन ककमा गमा ह बख औय भहाभायी अजम रटटन की ऩहरिानी को िट ढोर भ फदर दत ह इस करण तरासदी भ ऩहरिान रटटन कई सिार छोड़ जाता ह कक करा का कोई सितॊतर अनदसतति ह मा करा किर वमिसथा की भोहताज ह

परशन1- रटटन को ऩहरवान फनन की परयणा कस लभरी

उततय- रटटन जफ नौ सार का था तो उसक भाता-वऩता का दहाॊत हो गमा था | सौबागम स उसकी शादी हो चकी थी| अनाथ रटटन को उसकी विधिा सास न ऩार-ऩोसकय फड़ा ककमा | उसकी सास को गाॉि िार ऩयशान कयत थ| रोगो स फदरा रन क सरए उसन ऩहरिान फनन की ठानी| धायोरषण दध ऩीकय कसयत कय उसन अऩना फदन गठीरा औय ताकतिय फना सरमा | कशती क दाॉिऩच सीखकय रटटन ऩहरिान फन गमा |

परशन2- यात क बमानक सननाट भ रटटन की ढोरक कमा करयशभा कयती थी

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उततय- यात क बमानक सनदनाट भरटटन की ढोरक भहाभायी स जझत रोगो को हहमभत फॉधाती थी | ढोरक की आिाज स यात की विबीवरका औय सनदनाटा कभ होता था| भहाभायी स ऩीडड़त रोगो की नसो भ बफजरी सी दौड़ जाती थी उनकी आॉखो क साभन दॊगर का दशम साकाय हो जाता था औय ि अऩनी ऩीड़ा बर खशी-खशी भौत को गर रगा रत थ इस परकाय ढोर की आिाज फीभाय-भतपराम गाॉििारो की नसो भ सॊजीिनी शनदकत को बय फीभायी स रड़न की परयणा दती थी

परशन3- रटटन न सवाटधधक ठहमभत कफ ठदखाई

उततय- रटटन ससॊह न सिायधधक हहमभत तफ हदखाई जफ दोनो फटो की भतम ऩय िह योमा नहीॊ फनदलक हहमभत स काभ रकय अकर उनका अॊनतभ सॊसकाय ककमा| मही नहीॊ नदजस हदन ऩहरिान क दोनो फट भहाभायी की चऩट भ आकय भय गए ऩय उस यात को बी ऩहरिान ढोरक फजाकय रोगो को हहमभत फॉधा यहा था| शमाभनगय क दॊगर भ ऩया जनसभदाम चाॉद ससॊह क ऩ भ था चाॉद ससॊह को हयात सभम रटटन न हहमभत हदखाई औय बफना हताश हए दॊगर भ चाॉद ससॊह को धचत कय हदमा |

परशन4- रटटन लसॊह याज ऩहरवान कस फना

उततय- शमाभनगय क याजा कशती क शौकीन थ उनदहोन दॊगर का आमोजन ककमा ऩहरिान रटटन ससॊह बी दॊगर दखन ऩहॉचा चाॊदससॊह नाभक ऩहरिान जो शय क फचच क नाभ स परससदध था कोई बी ऩहरिान उसस सबड़न की हहमभत नहीॊ कयता था चाॉदससॊह अखाड़ भ अकरा गयज यहा था रटटन ससॊह न चाॉदससॊह को चनौती द दी औय चाॉदससॊह स सबड़ गमाढ़ोर की आिाज सनकय रटटन की नस-नस भ जोश बय गमाउसन चाॉदससॊह को चायो खान धचत कय हदमा याजासाहफ न रटटन की िीयता स परबावित होकय उस याजऩहरिान फना हदमा

परशन5- ऩहरवान की अॊनतभ इचछा कमा थी

उततय- ऩहरिान की अॊनतभ इचछा थी कक उस धचता ऩय ऩट क फर सरटामा जाए कमोकक िह नदजॊदगी भ कबी धचत नहीॊ हआ था| उसकी दसयी इचछा थी कक उसकी धचता को आग दत सभम ढोर अिशम फजामा जाए |

परशन6- ढोर की आवाज औय रटटन क भ दाॉिऩच सॊफॊध फताइए-

उततय- ढोर की आिाज औय रटटन क दाॉिऩच भ सॊफॊध -

चट धा धगड़ धाrarr आजा सबड़ जा | चटाक चट धाrarr उठाकय ऩटक द | चट धगड़ धाrarrभत डयना |

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धाक धधना नतयकट नतनाrarr दाॉि काटो फाहय हो जाओ | धधना धधना धधक धधनाrarr धचत कयो

गदमाॊश-आधारयत अथटगरहण-सॊफॊधधत परशनोततय

अॉधयी यात चऩचाऩ आॉस फहा यही थी | ननसतबधता करण सससककमो औय आहो को अऩन रदम भ ही फर ऩियक दफान की चरषटा कय यही थी | आकाश भ ताय चभक यह थ | ऩथिी ऩय कहीॊ परकाश का नाभ नहीॊ| आकाश स टट कय महद कोई बािक ताया ऩथिी ऩय आना बी चाहता तो उसकी जमोनत औय शनदकत यासत भ ही शर हो जाती थी | अनदम ताय उसकी बािकता अथिा असपरता ऩय णखरणखराकय हॉस ऩड़त थ | ससमायो का करॊ दन औय ऩचक की डयािनी आिाज यात की ननसतबधता को बॊग कयती थी | गाॉि की झोऩडडमो स कयाहन औय क कयन की आिाज हय याभ ह बगिान की टय सनाई ऩड़ती थी| फचच बी ननफयर कॊ ठो स भाॉ ndashभाॉ ऩकायकय यो ऩड़त थ |

(क) अॉधयी यात को आॉस फहात हए कमो ठदखामा गमा ह उततयndash गाॉि भ हजा औय भररयमा परा हआ था | भहाभायी की चऩट भ आकाय रोग भय यह थ |चायो ओय भौत का सनाटा छामा था इससरए अॉधयी यात बी चऩचाऩ आॉस फहाती सी परतीत हो यही थी|

(ख) ताय क भाधमभ स रखक कमा कहना चाहता ह उततयndash ताय क भाधमभ स रखक कहना चाहता ह कक अकार औय भहाभायी स तरसत गाॉि िारो की ऩीड़ा को दय कयन िारा कोई नहीॊ था | परकनत बी गाॉि िारो क द ख स दखी थी| आकाश स टट कय महद कोई बािक ताया ऩथिी ऩय आना बी चाहता तो उसकी जमोनत औय शनदकत यासत भ ही शर हो जाती थी |

(ग) यात की ननसतबधता को कौन बॊग कयता था उततयndash ससमायो की चीख-ऩकाय ऩचक की डयािनी आिाज औय कततो का साभहहक रदन सभरकय यात क सनदनाट को बॊग कयत थ |

(घ) झोऩड़ड़मो स कसी आवाज आ यही ह औय कमो उततयndash झोऩडड़मो स योधगमो क कयाहन क कयन औय योन की आिाज आ यही ह कमोकक गाॉि क रोग भररयमा औय हज स ऩीडड़त थ | अकार क कायण अनदन की कभी हो गमी थी| औरधध औय ऩथम न सभरन क कायण रोगो की हारत इतनी फयी थी कक कोई बगिान को ऩकाय रगाता था तो कोई दफयर कॊ ठ स भाॉndashभाॉ ऩकायता था |

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15 चारी चजतरन मानी हभ सफ

रखक-पवषण खय

ऩाि का सायाॊश ndashचारक चनदपरन न हासम कराकाय क रऩ भ ऩयी दननमा क फहत फड़ दशयक िगय को हॉसामा ह | उनकी कपलभो न कपलभ करा को रोकताॊबतरक फनान क साथ-साथ दशको की िगय औय िणय-वमिसथा को बी तोड़ा | चारक न करा भ फवदध की अऩा बािना को भहतति हदमा ह | फचऩन क सॊघरो न चारक क बािी कपलभो की बसभ तमाय कय दी थी| बायतीम करा औय सौदमयशासतर भ करणा का हासम भ ऩरयितयन बायतीम ऩयमऩया भ नहीॊ सभरता रककन चारक एक ऐसा जादई वमनदकतति ह जो हय दश सॊसकनत औय सभमता को अऩना सा रगता ह| बायतीम जनता न बी उनदह सहज बाि स सिीकाय ककमा ह| सिमॊ ऩय हॉसना चारक न ही ससखामा| बायतीम ससनभा जगत क सपरससदध कराकाय याजकऩय को चारक का बायतीमकयण कहा गमा ह | चारक की अधधकाॊश किलभ भक ह इससरए उनदह अधधक भानिीम होना ऩड़ा | ऩाठ भ हासम कपलभो क भहान असबनता lsquoचारक चनदपरनrsquo की जादई विशरताओॊ का उलरख ककमा गमा ह नदजसभ उसन करणा औय हासम भ साभॊजसम सथावऩत कय किलभो को साियबौसभक रऩ परदान ककमा

परशन१ -चारी क जीवन ऩय परबाव िारन वारी भखम घटनाएॉ कौन सी थी

उततय- चारक क जीिन भ दो ऐसी घटनाएॉ घटीॊ नदजनदहोन उनक बािी जीिन ऩय फहत परबाि डारा |

ऩहरी घटना - जफ चारक फीभाय थ उनकी भाॉ उनदह ईसा भसीह की जीिनी ऩढ़कय सना यही थी | ईसा क सरी ऩय चढ़न क परसॊग तक आत-आत भाॉ-फटा दोनो ही योन रग| इस घटना न चारक को सनह करणा औय भानिता जस उचच जीिन भलम हदए |

दसयी घटना हndash फारक चारक कसाईखान क ऩास यहता था| िहाॉ सकड़ो जानियो को योज भाया जाता था| एक हदन एक बड़ िहाॉ स बाग ननकरी| बड़ को ऩकड़न की कोसशश भ कसाई कई फाय कपसरा| नदजस दखकय रोग हॊसन रग ठहाक रगान रग| जफ बड़ को कसाई न ऩकड़ सरमा तो फारक चारक योन रगा| इस घटना न उसक बािी कपलभो भ तरासदी औय हासमोतऩादक ततिो की बसभका तम कय दी |

परशन२ ndash आशम सऩषट कीजजएndash

चजतरन न लसपट कपलभकरा को ही रोकताॊबतरक नही फनामा फजलक दशटको की वगट तथा वणट-वमवसथा को बी तोड़ा|

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उततय- रोकताॊबतरक फनान का अथय ह कक कपलभ करा को सबी क सरए रोकवपरम फनाना औय िगय औय िणय-वमिसथा को तोड़न का आशम ह- सभाज भ परचसरत अभीय-गयीफ िणय जानतधभय क बदबाि को सभापत कयना |चनदपरन का चभतकाय मह ह कक उनदहोन कपलभकरा को बफना ककसी बदबाि क सबी रोगो तक ऩहॉचामा| उनकी कपलभो न सभम बगोर औय सॊसकनतमो की सीभाओॊ को राॉघ कय साियबौसभक रोकवपरमता हाससर की | चारक न मह ससदध कय हदमा कक करा सितनदतर होती ह अऩन ससदधाॊत सिमॊ फनाती ह |

परशन३ndash चारी चजतरन की कपलभो भ ननठहत तरासदीकरणाहासम का साभॊजसम बायतीम करा औय सौदमटशासतर की ऩरयधध भ कमो नहीॊ आता

उततय- चारक चनदपरन की कपलभो भ ननहहत तरासदीकरणाहासम का साभॊजसम बायतीम करा औय सौदमयशासतर की ऩरयधध भ नहीॊ आताकमोकक बायतीम यस-ससदधाॊत भ करणा औय हासम का भर नहीॊ हदखामा जाता कमोकक बायतीम सौदमयशासतर भ करणयस औय हासम यस को ऩयसऩय वियोधी भाना गमा ह अथायत जहाॊ करणा ह िहाॉ हासम नहीॊ हो सकता बायत भ सिमॊ ऩय हॉसन की ऩयॊऩया नहीॊ ह ऩयॊत चारक क ऩातर अऩन ऩय हॉसतndashहॉसात ह चारक की किलभो क दशम हॉसात-हॉसात ररा दत ह तो कबी करण दशम क फाद अचानक ही हॉसन ऩय भजफय कय दत ह

परशन४ndash चारी क कपलभो की पवशषताएॉ फताइए |

उततय- चारक की किलभो भ हासम औय करणा का अदभत साभॊजसम ह उनकी किलभो भ बारा का परमोग फहत कभ ह चारक की किलभो भ फवदध की अऩा बािना का भहतति अधधक ह उनकी किलभो भ साियबौसभकता ह चारक ककसी बी सॊसकनत को विदशी नही रगत चारक सफको अऩन रगत ह चारक न किलभो को रोकताॊबतरक फनामा औय किलभो भ िगय तथािणय-वमिसथा को तोड़ा अऩनी कपलभो भ चारक सदि धचय मिा हदखता ह

गदमाॊश-आधारयत अथटगरहण-सॊफॊधी परशनोततय

गदमाॊश सॊकत ndashचारक चनदपरन मानी हभ सफ (ऩरषठ १२० )

महद मह िरय चनदपरन की कापी कछ कहा जाएगा |

परशन (क)-पवकासशीर दशो भ चजतरन कमो भशहय हो यह ह

उततय - विकासशीर दशो भ जस-जस टरीविजन औय िीडडमो का परसाय हो यहा ह रोगो को उनकी कपलभो को दखन का अिसय सभर यहा ह |एक फहत फड़ा िगय नए ससय स चारक को घड़ी सधायत औय जत खान की कोसशश कयत दख यहा ह इसीसरए चारक विकासशीर दशो भ रोकवपरम हो यह ह |

(ख)- ऩजशचभ भ चारी का ऩनजीवन कस होता यहता ह

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उततय - ऩनदशचभ भ चारक की कपलभो का परदशयन होता यहता ह| उनकी करा स परयणा ऩाकय हासम किलभ फनती यहती ह | उनक दिाया ननबाए ककयदायो की नकर अनदम कराकाय कयत ह | ऩनदशचभ भ चारक का ऩनजीिन होता यहता ह|

(ग)- चारी को रोग फिाऩ तक कमो माद यखग

उततय ndashहासम कराकाय क रऩ भ रोग चारक को फढ़ाऩ तक माद यखग कमोकक उनकी करा सभम बगोर औय सॊसकनतमो की सीभाओॊ को राॉघकय राखो रोगो को हॉसा यही ह|

(घ)- चारी की कपलभो क फाय भ कापी कछ कहा जाना कमो फाी ह

उततय ndashचनदपरन की ऐसी कछ किलभ मा इसतभार न की गमी यीर सभरी ह नदजनक फाय भ कोई नहीॊ जानता था | चारक की बािनापरधान हासम कपलभो न करा क नए परनतभान सथावऩत ककए ह अत चारक की कपलभो क फाय भ अबी कापी कछ कहा जाना फाी ह|

16 नभक

रखखका - यजजमा सजजाद जहीय

सायाॊश -lsquoनभकrsquoबायत-ऩाक विबाजन ऩय सरणखत भासभयक कहानी ह | विसथावऩत हए रोगो भ अऩनndashअऩन जनदभ सथानो क परनत आज बी रगाि ह| धासभयक आधाय ऩय फनी यारषर-याजमो की सीभा-यखाएॉ उनक अॊतभयन को अरग नहीॊ कय ऩाई ह | बायत भ यहन िारी ससख फीिी राहौय को अऩना ितन भानती ह औय बायतीम कसटभ अधधकायी ढाका क नारयमर ऩानी को मादकय उस सियशररषठ फताता ह दोनो दशो क नागरयको क फीच भहबफत का नभकीन सिाद आज बी कामभ ह इसीसरए सकिमा बायत भ यहन िारी अऩनी भॉहफोरी भाॉ ससख फीिी क सरए राहौयी नभक रान क सरए कसटभ औय कानन की ऩयिाह नहीॊ कयती

परशन1- lsquoनभकrsquo ऩाि क आधाय ऩय फताइए कक सकपमा औय उसक बाई क पवचायो भ कमा अॊतय था

उततय- १-सकपमा बािनाओॊ को फहतभहतति दती ह ऩय उसका बाई फौवदधक परिनदतत का ह उसकी दनदरषट भ कानन बािनाओॊ स ऊऩय ह|

२-सकपमा भानिीम सॊफॊधो को फहत भहतति दती ह जफकक उसका बाई अरगाििादी विचायधाया का ह हहसस-फखय की फात कयता ह |

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३-सकपमा का बाई कहता ह कक अदीफो(साहहतमकाय) का हदभाग घभा हआ होता ह जफकक सकपमा जो सिमॊ अदीफ ह उसका भानना ह कक अगय सबी रोगो का हदभाग अदीफो की तयह घभा हआ होता तो दननमा कछ फहतय हो जाती |

परशन२- नभक र जात सभम सकफ़मा क भन भ कमा दपवधा थी

उततय-सकपमा समद भसरभान थी जो हय हार भ अऩना िामदा ननबात ह| ऩाककसतान स राहौयी नभक र जाकय िह अऩना िामदा ऩया कयना चाहती थी ऩयनदत जफ उस ऩता चरा कक कसटभ क ननमभो क अनसाय सीभाऩाय नभक र जाना िनदजयत ह तो िह दविधा भ ऩड़ गई | सकिमा का दिॊदि मह था कक िह अऩनी ससख भाॉ क सरए नभक कसटभ अधधकारयमो को फताकयर जाए मा नछऩाकय|

परशन३- ऩाि क आधाय ऩय सकपमा की चारयबतरक पवशषताएॉ फताइए |

उततय सॊकत ndash

१- बािक २- ईभानदाय ३- दढ़ननशचमी ४- ननडय ५- िामद को ननबान िारी ६- भानिीम भलमो को सिोऩरय भानन िारी साहहतमकाय

परशन ४- lsquoनभकrsquo ऩाि भ आए ककयदायो क भाधमभ स सऩषट कीजजए कक आज बी बायत औय ऩाककसतान की जनता क फीच भहबफत का नभकीन सवाद घरा हआ ह |

उततय ndash बर ही याजनीनतक औय धासभयक आधाय ऩय बायत औय ऩाककसतान को बौगोसरक रऩ स विबानदजत कय हदमा गमा ह रककन दोनो दशो क रोगो क रदम भ आज बी ऩायसऩरयक बाईचाया सौहादरय सनह औय सहानबनत विदमभान ह | याजनीनतक तौय ऩय बर ही सॊफॊध तनािऩणय हो ऩय साभानदजक तौय ऩय आज बी जनता क फीच भहबफत का नभकीन सिाद घरा हआ ह | अभतसय भ यहन िारी ससख फीफी राहौय को अऩना ितन कहती ह औय राहौयी नभक का सिाद नहीॊ बरा ऩाती | ऩाककसतान का कसटभ अधधकायी नभक की ऩडड़मा सकपमा को िाऩस दत हए कहता ह rdquoजाभा भनदसजद की सीहढ़मो को भया सराभ कहना |rdquo बायतीम सीभा ऩय तनात कसटभ अधधकायी ढाका की जभीन को औय िहाॉ क ऩानी क सिाद को नहीॊ बर ऩाता |

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गदमाॊश-आधारयत अथटगरहण सॊफॊधधत परशनोततय

गदमाॊश सॊकत- ऩाठndash नभक (ऩरषठ १३४)

सकपमा कसटभ क जॊगर स दोनो क हाथो भ थी |

(क) सकपमा कसटभ क जॉगर स ननकरकय दसय तरटपाभट ऩय आ गमी व वहीॊ खड़ यहndash इस वाकम भ lsquoवrsquo शबद का परमोग ककसक लरए ककमा गमा ह

उततय- महाॉ lsquoिrsquo शबद का परमोग ऩाककसतानी कसटभ अधधकायी क सरए ककमा गमा ह जो विबाजन स ऩिय हदलरी भ यहत थ औय आज बी हदलरी को ही अऩना ितन भानत ह |

(ख) तरटपाभट ऩय सकपमा को पवदा कयन कौन-कौन आए थ उनहोन सकपमा को कस पवदाई दी

उततय- परटपाभय ऩय सकपमा को विदा कयन उसक फहत साय सभतर सग सॊफॊधी औय बाई आए थ| उनदहोन ठॊडी साॉस बयत हए सबॊच हए होठो क साथ आॉस फहात हए सकपमा को विदाई दी |

(ग) अटायी भ यरगाड़ी भ कमा ऩरयवतटन हए उततय- अटायी भ यरगाड़ी स ऩाककसतानी ऩसरस उतयी औय हहनददसतानी ऩसरस सिाय हो गई|

(घ) कौन सी फात सकपमा की सभझ भ नहीॊ आ यही थी उततय- दोनो ओय एक सी जभीन एक जसा आसभान एक सी बारा एक सा ऩहनािा औय एक सी सयत क रोग कपय बी दोनो क हाथो भ बयी हई फॊदक ह |

17 लशयीष क पर

आचामट हजायी परसाद दपववदी

सायाॊश ndashlsquoआचामय हजायी परसाद दवििदीrsquo सशयीर को अदभत अिधत भानत ह कमोकक सॊनदमासी की बाॉनत िह सख-दख की धचॊता नहीॊ कयता गभी र िराय औय आॉधी भ बी अविचर खड़ा यहता ह सशयीर क िर क भाधमभ स भनरषम की अजम नदजजीविरा धमयशीरता औय कतयवमननरषठ फन यहन क भानिीम भलमो को सथावऩत ककमा गमा हरखक न सशयीर क कोभर परो औय कठोय परो क दिाया सऩरषट ककमा ह कक रदम की कोभरता फचान क सरए कबी-कबी वमिहाय की कठोयता बी आिशमक हो जाती ह| भहान कवि कासरदास औय कफीय बी सशयीर की तयह फऩयिाह अनासकत औय सयस थ तबी उनदहोन इतनी सनददय यचनाएॉ सॊसाय को दीॊ| गाॉधीजी क वमनदकतति भ बी कोभरता औय कठोयता का अदभत सॊगभ था | रखक सोचता ह कक हभाय दश भ जो भाय-काट अनदगनदाह रट-ऩाट खन-खचचय का फिॊडय ह कमा िह दश को नदसथय नहीॊ यहन दगा गराभी अशाॊनत औय वियोधी िाताियण क फीच अऩन ससदधाॊतो की या कयत हए गाॉधीजी जी नदसथय यह सक थ तो दश बी यह सकता ह जीन की परफर असबरारा क कायण

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विरभ ऩरयनदसथतमो भ बी महद सशयीर णखर सकता ह तो हभाया दश बी विरभ ऩरयनदसथनतमो भ नदसथय यह कय विकास कय सकता ह

परशन1-लसदध कीजजए कक लशयीष कारजमी अवधत की बाॉनत जीवन की अजमता क भॊतर का परचाय कयता ह

उततय- सशयीर कारजमी अिधत की बाॉनत जीिन की अजमता क भॊतर का परचाय कयता ह| जफ ऩथिी अनदगन क सभान तऩ यही होती ह िह तफ बी कोभर परो स रदा रहरहाता यहता ह|फाहयी गयभी धऩ िराय आॉधी र उस परबावित नहीॊ कयती इतना ही नहीॊ िह रॊफ सभम तक णखरा यहता ह | सशयीर विऩयीत ऩरयनदसथनतमो भ बी धमयशीर यहन तथा अऩनी अजम नदजजीविरा क साथ ननसऩह बाि स परचॊड गयभी भ बी अविचर खड़ा यहता ह

परशन२-आयगवध (अभरतास) की तरना लशयीष स कमो नहीॊ की जा सकती

उततय- सशयीर क पर बमॊकय गयभी भ णखरत ह औय आराढ़ तक णखरत यहत ह जफकक अभरतास का पर किर ऩनददरह-फीस हदनो क सरए णखरता ह | उसक फाद अभरतास क पर झड़ जात ह औय ऩड़ कपय स ठॉठ का ठॉठ हो जाता ह | अभरतास अलऩजीिी ह | विऩयीत ऩरयनदसथनतमो को झरता हआ ऊरषण िाताियण को हॉसकय झरता हआ सशयीर दीघयजीिी यहता ह | मही कायण ह कक सशयीर की तरना अभरतास स नहीॊ की जा सकती |

परशन३-लशयीष क परो को याजनताओॊ का रऩक कमो ठदमा गमा ह

उततय- सशयीर क पर उन फढ़ ढीठ औय ऩयान याजनताओॊ क परतीक ह जो अऩनी कसी नहीॊ छोड़ना चाहत | अऩनी अधधकाय-सरपसा क सरए नए मिा नताओॊ को आग नहीॊ आन दत | सशयीर क नए परो को जफयदसती ऩयान परो को धककमाना ऩड़ता ह | याजनीनत भ बी नई मिा ऩीढ़ी ऩयानी ऩीढ़ी को हयाकय सिमॊ सतता सॉबार रती ह |

परशन४- कार दवता की भाय स फचन का कमा उऩाम फतामा गमा ह

उततय- कार दिता कक भाय स फचन का अथय हndash भतम स फचना | इसका एकभातर उऩाम मह ह कक भनरषम नदसथय न हो| गनतशीर ऩरयितयनशीर यह | रखक क अनसाय नदजनकी चतना सदा ऊधियभखी (आधमातभ की ओय) यहती ह ि हटक जात ह |

परशन५- गाॉधीजी औय लशयीष की सभानता परकट कीजजए |

उततय- नदजस परकाय सशयीर धचरधचराती धऩ र िराय औय आॉधी भ बी अविचर खड़ा यहता ह अनासकत यहकय अऩन िाताियण स यस खीॊचकय सयस कोभर फना यहता ह उसी परकाय गाॉधी जी न बी अऩनी आॉखो क साभन आजादी क सॊगराभ भ अनदमाम बदबाि औय हहॊसा को झरा |

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उनक कोभर भन भ एक ओय ननयीह जनता क परनत असीभ करणा जागी िहीॊ ि अनदमामी शासन क वियोध भ डटकय खड़ हो गए |

गदमाॊश-आधारयत अथटगरहण सॊफॊधधत परशनोततय

गदमाॊश सॊकत- ऩाठ ndash सशयीर क पर (ऩरषठ १४७)

कासरदास सौदमय क िह इशाया ह |

(क) कालरदास की सौदमटndashदजषट की कमा पवशषता थी उततय-कासरदास की सौदमयndashदनदरषट फहत सकषभ अॊतबदी औय सॊऩणय थी| ि किर फाहयी रऩ-यॊग औय आकाय को ही नहीॊ दखत थ फनदलक अॊतभयन की सॊदयता क बी ऩायखी थ| कासरदास की सौदमय शायीरयक औय भानससक दोनो विशरताओॊ स मकत था |

(ख) अनासजकत का कमा आशम ह उततय- अनासनदकत का आशम ह- वमनदकतगत सख-द ख औय याग-दिर स ऩय यहकय सौदमय क िासतविक भभय को जानना |

(ग) कालरदास ऩॊत औय यवीॊिनाथ टगोय भ कौन सा गण सभान था भहाकवि कासरदास ससभतरानॊदन ऩॊत औय गरदि यिीॊदरनाथ टगोय तीनो नदसथयपरऻ औय अनासकत कवि थ | ि सशयीर क सभान सयस औय भसत अिधत थ |

(घ) यवीॊिनाथ याजोदमान क लसॊहदवाय क फाय भ कमा सॊदश दत ह याजोदमान क फाय भ यिीॊदरनाथ कहत ह याजोदमान का ससॊहदिाय ककतना ही सॊदय औय गगनचमफी कमो ना हो िह अॊनतभ ऩड़ाि नहीॊ ह| उसका सौदमय ककसी औय उचचतभ सौदमय की ओय ककमा गमा सॊकत भातर ह कक असरी सौदमय इस ऩाय कयन क फाद ह अत याजोदमान का ससॊहदिाय हभ आग फढ़न की परयणा दता ह |

18शरभ-पवबाजन औय जानत-परथा

िॉ० बीभयाव अॊफिकय

सायाॊश ndash इस ऩाठ भ रखक न जानतिाद क आधाय ऩय ककए जान िार बदबाि को सभम सभाज क सरए हाननकायक फतामा ह | जानत आधारयत शरभ विबाजन को असिाबाविक औय भानिता वियोधी फतामा गमा ह मह साभानदजक बदबाि को फढ़ाता ह जानतपरथा आधारयत शरभ विबाजन भ वमनदकत की रधच को भहतति नहीॊ हदमा जाता परसिरऩ वििशता क साथ अऩनाए

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Page 12: ISSUED BY KENDRIYA VIDYALAYA - DOWNLOADED FROM … Class XII Hindi Part B.pdfप्रश्न४ :-फादर क / फयन का गयीफ एि धनी िगय क्मा

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परशन१- कवितािरी ककस बारा भ सरखी गई ह

उततय - बरज बारा

परशन२- कवितािरी भ परमकत छॊद एिॊ यस को सऩरषट कीनदजए |

उततय - इस ऩद भ 31 31 िणो का चाय चयणो िारा सभिणणयक कवितत छॊद ह नदजसभ 16 एिॊ 15 िणो ऩय वियाभ होता ह

परशन३- कवितत भ परमकत अरॊकायो को छाॊट कय सरणखए

१ अनपरास अॊरकायndash

ककसफी ककसान-कर फननक सबखायी बाट

चाकय चऩर नट चोय चाय चटकी|

२ रऩक अरॊकायndash याभndash घनशमाभ

३ अनतशमोनदकत अरॊकायndash आधग फड़िाधग त फडड़ ह आग ऩट की

रकषभण- भचछाट औय याभ का पवराऩ

पवषम-वसत ऩय आधारयत परशनोततय

परशन १-lsquoति परताऩ उय याणख परब भ ककसक परताऩ का उलरख ककमा गमा हrsquoऔय कमो

उततय -इन ऩॉनदकतमो भ बयत क परताऩ का उलरख ककमा गमा ह हनभानजी उनक परताऩ का सभयण कयत हए अमोधमा क ऊऩय स उड़त हए सॊजीिनी र कय रॊका की ओय चर जा यह ह

परशन२- याभ विराऩ भ रकषभण की कौन सी विशरताएॉ उदघहटत हई ह

उततय -रकषभण का भात परभ तमागभम जीिन इन ऩॉनदकतमो क भाधमभ स उदघाहटत हआ ह

परशन३- फोर िचन भनज अनसायी स कवि का कमा तातऩमय ह

उततय -बगिान याभ एक साधायण भनरषम की तयह विराऩ कय यह ह ककसी अितायी भनरषम की तयह नहीॊ भात परभ का धचतरण ककमा गमा हतरसीदास की भानिीम बािो ऩय सशकत ऩकड़ हदिीम वमनदकतति का रीरा रऩ ईशिय याभ को भानिीम बािो स सभनदनदित कय दता ह

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परशन४- बाई क परनत याभ क परभ की परगाढ़ता उनक ककन विचायो स वमकत हई ह

उततय - जथा ऩॊख बफन खग अनत दीना

भनन बफन पनन करयफय कय हीना

अस भभ नदजिन फॊध बफन तोही

जो जड़ दि नदजआि भोही

परशन५- lsquoफहविधध सोचत सोचविभोचनrsquo का वियोधाबास सऩरषट कीनदजए

उततय -दीनजन को शोक स भकत कयन िार बगिान याभ सिमॊ फहत परकाय स सोच भ ऩड़कय दखी हो यह ह

परशन६- हनभान का आगभन करणा भ िीय यस का आना ककस परकाय कहा जा सकता ह

उततय -रदन कयत िानय सभाज भ हनभान उतसाह का सॊचाय कयन िार िीय यस क रऩ भ आ गए करणा की नदी हनभान दिाया सॊजीिनी र आन ऩय भॊगरभमी हो उठती ह

कपवतत औय सवमा

पवषम-वसत ऩय आधारयत परशनोततय

परशन१- ऩट की बख शाॊत कयन क सरए रोग कमा कमा कयत ह

उततय -ऩट की आग फझान क सरए रोग अननतक कामय कयत ह

परशन२- तरसीदास की दनदरषट भ साॊसारयक दखो स ननिनदतत का सिोततभ उऩाम कमा ह

उततय - ऩट की आग फझान क सरए याभ कऩा रऩी िराय का जर अननिामय हइसक सरए अननतक कामय कयन की आिशमकता नहीॊ ह

परशन३- तरसी क मग की सभसमाओॊ का धचतरण कीनदजए

उततय - तरसी क मग भ पराकनतक औय परशासननक िरमम क चरत उतऩनदन ऩीडा दरयदरजन क सरए यािण क सभान दखदामी हो गई ह

परशन४- तरसीदास की बनदकत का कौन सा सिरऩ परसतत कविततो भ असबवमकत हआ ह

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उततय - तरसीदास की बनदकत का दासम बाि सिरऩ परसतत कविततो भ असबवमकत हआ ह

9 रफाइमाॉ

कफ़याक गोयखऩयी

भर नाभndash यघऩनत सहाम कफ़याक

उदय शामयी की रयिामत क विऩयीत कपयाक गोयखऩयी क साहहतम भ रोक जीिन एिॊ परकनत की झरक सभरती ह साभानदजक सॊिदना िमनदकतक अनबनत फन कय उनकी यचनाओॊ भ वमकत हई हजीिन का कठोय मथाथय उनकी यचनाओॊ भ सथान ऩाता हउनदहोन रोक बारा क परतीको का परमोग ककमा ह राणणक परमोग उनकी बारा की विशरता हकियाक की रफाईमो भ घयर हहॊदी का रऩ हदखता ह |

रफाई उदय औय िायसी का एक छॊद मा रखन शरी ह नदजसभ चाय ऩॊनदकतमाॉ होती ह |इसकी ऩहरी दसयी औय चौथी ऩॊनदकत भ तक (काकिमा)सभरामा जाता ह तथा तीसयी ऩॊनदकत सिचछॊद होती ह |

ldquoिो रऩिती भखड़ ऩ इक नभय दभकrdquo

ldquoफचच क घयोद भ जराती ह हदएldquo

ldquoयाफॊधन की सफह यस की ऩतरीrdquo

ldquoबफजरी की तयह चभक यह ह रचछrdquo

ldquoबाई क ह फाॉधती चभकती याखीldquo- जस परमोग उनकी बारा की सशकतता क नभन क तौय ऩय दख जा सकत ह |

साय

रफाइमाॉ

याफॊधन एक भीठा फॊधन ह याफॊधन क कचच धागो ऩय बफजरी क रचछ ह सािन भ याफॊधन आता ह सािन का जो सॊफॊध झीनी घटा स ह घटा का जो सॊफॊध बफजरी स ह िही सॊफॊध बाई का फहन स होता ह

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गज़र

ऩाठ भ कपयाक की एक गज़र बी शासभर ह रफाइमो की तयह ही कपयाक की गजरो भ बी हहॊदी सभाज औय उदय शामयी की ऩयॊऩया बयऩय ह इसका अदभत नभना ह मह गज़र मह गज़र कछ इस तयह फोरती ह कक नदजसभ ददय बी ह एक शामय की ठसक बी ह औय साथ ही ह कावम-सशलऩ की िह ऊॉ चाई जो गज़र की विशरता भानी जाती ह

अथट-गरहण-सॊफॊधी परशन

ldquoआॉगन भ सरए चाॉद क टकड़ को खड़ी

हाथो ऩ झराती ह उस गोद-बयी

यह-यह क हिा भ जो रोका दती ह

गॉज उठती ह णखरणखरात फचच की हॉसीrdquo

परशन१- lsquoचाॉद क टकड़rsquoका परमोग ककसक सरए हआ ह औय कमो

उततय -फचच को चाॉद का टकड़ा कहा गमा ह जो भाॉ क सरए फहत पमाया होता ह

परशन२- गोद-बयी परमोग की विशरता को सऩरषट कीनदजए |

उततय - गोद-बयी शबद-परमोग भाॉ क वातसलमऩणट आनॊठदत उतसाह को परकट कयता ह |मह अतमॊत सॊदय दशम बफॊफ ह | सनी गोद क विऩयीत गोद का बयना भाॉ क लरए असीभ सौबागम का सचक ह |इसी सौबागम का सकषभ अहसास भाॉ को तजतत द यहा ह|

परशन३- रोका दना ककस कहत ह

उततय - जफ भाॉ फचच को फाहो भ रकय हिा भ उछारती ह इस रोका दना कहत ह|छोट फचचो को मह खर फहत अचछा रगता ह

परशन४- फचचा भाॉ की गोद भ कसी परनतककरमा कयता ह

उततय - हिा भ उछारन ( रोका दन) स फचचा भाॉ का िातसलम ऩाकय परसनदन होता ह औय णखरणखरा कय हॉस ऩड़ता हफचच की ककरकारयमाॉ भाॉ क आनॊद को दगना कय दती ह|

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सौदमट-फोध-सॊफॊधी परशन

ldquoनहरा क छरक-छरक ननभयर जर स

उरझ हए गसओॊ भ कॊ घी कयक

ककस पमाय स दखता ह फचचा भॉह को

जफ घटननमो भ रक ह वऩनदहाती कऩड़rdquo

परशन१- परसतत ऩॊनदकतमो क बाि सौदमय को सऩरषट कीनदजए |

उततय - भाॉ न अऩन फचच को ननभयर जर स नहरामा उसक उरझ फारो भ कॊ घी की |भाॉ क सऩशय एिॊ नहान क आनॊद स फचचा परसनदन हो कय फड़ परभ स भाॉ को ननहायता ह| परनतहदन की एक सिाबाविक ककरमा स कस भाॉ-फचच का परभ विकससत होता ह औय परगाढ़ होता चरा जाता ह इस बाि को इस रफाई भ फड़ी सकषभता क साथ परसतत ककमा गमा ह|

परशन२- कावमाॊश भ आए बफॊफो को सऩरषट कीनदजए |

उततय -१ldquoनहरा क छरक-छरक ननभटर जर सrdquo- इस परमोग दिाया कवि न फारक की ननभयरता एिॊ ऩवितरता को जर की ननभयरता क भाधमभ स अॊककत ककमा ह | छरकना शबद जर की ताजा फॊदो का फारक क शयीय ऩय छरछरान का सॊदय दशम बफॊफ परसतत कयता ह |

२ lsquoघटननमो भ रक ह पऩनहाती कऩड़rsquo- इस परमोग भ भाॉ की फचच क परनत सािधानी चॊचर फचच को चोट ऩहॉचाए बफना उस कऩड़ ऩहनान स भाॉ क भातति की कशरता बफॊबफतहोती ह |

३ ldquoककस तमाय स दखता ह फचचा भॉह कोrdquo- ऩॊनदकत भ भाॉ ndashफचच का िातसलम बफॊबफत हआ ह | भाॉ स पमाय ndashदराय सऩशय ndashसख नहराए जान क आनॊद को अनबि कयत हए फचचा भाॉ को पमाय बयी नजयो स दख कय उस सख की असबवमनदकत कय यहा ह |मह सकषभ बाि अतमॊत भनोयभ फन ऩड़ा ह |सॊऩणय रफाई भ दशम बफॊफ ह|

परशन ३-कावमाॊश क शबद-परमोग ऩय हटपऩणी सरणखए |

उततय -गस ndashउदय शबदो का परमोग

घटननमो वऩनदहाती ndash दशज शबदो क भाधमभ स कोभरता की असबवमनदकत

छरक ndashछरक ndashशबद की ऩनयािनदतत स अबी ndashअबी नहराए गए फचच क गीर शयीय का बफॊफ

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आहद विरण परमोग रफाइमो को विसशरषट फना दत ह | हहॊदीउदय औय रोकबारा क अनठ गठफॊधन की झरक नदजस गाॊधीजी हहॊदसतानी क रऩ भ ऩलरवित कयना चाहत थदखन को सभरती ह |

पवषम-वसत ऩय आधारयत परशनोततय

रफाइमाॉ

परशन १ -कावम भ परमकत बफॊफो का िणयन अऩन शबदो भ कीनदजए

उततय -

दशम बफॊफ -फचच को गोद भ रना हिा भ उछारना सनान कयाना घटनो भ रकय कऩड़ ऩहनाना|

शरवमबफॊफ - फचच का णखरणखरा कय हॉस ऩड़ना सऩशय बफॊफ -फचच को सनान कयात हए सऩशय कयना |

परशन २-ldquoआॉगन भ ठनक यहा ह नदज़दमामा ह फारक तो हई चाॉद ऩ ररचामा हrsquo- भ फारक की कौन सी विशरता असबवमकत हई ह

उततय - इन ऩॊनदकतमो भ फारक की हि कयन की पवशषता असबवमकत हई ह फचच जफ नदजद ऩय आ जात ह तो अऩनी इचछा ऩयी कयिान क सरए नाना परकाय की हयकत ककमा कयत ह| नदज़दमामा शबद रोक बाषा का पवरण परमोग ह इसभ फचच का िनकना तनकना ऩाॉव ऩटकना योना आठद सबी ककरमाएॉ शासभर ह |

परशन ३ रचछ ककस कहा गमा ह इनका सॊफॊध ककस तमौहाय स ह

उततय - याखी क चभकीर तायो को रचछ कहा गमा ह याफॊधन क कचच धागो ऩय बफजरी क रचछ ह सािन भ याफॊधन आता ह सािन का जो सॊफॊध झीनी घटा स ह घटा का जो सॊफॊध बफजरी स ह िही सॊफॊध बाई का फहन स होता ह|सािन भ बफजरी की चभक की तयह याखी क चभकीर धागो की सॊदयता दखत ही फनती ह|

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अथट-गरहण-सॊफॊधी परशन

गज़र

कफ़याक गोयखऩयी

ldquoनौयस गॊच ऩॊखडड़मो की नाज़क धगयह खोर ह

मा उड़ जान को यॊगो- फ गरशन भ ऩय तौर ह |rdquo

परशन१- lsquoनौयसrsquo विशरण दिाया कवि ककस अथय की वमॊजना कयना चाहता ह

उततय नौयस अथायत नमा यस गॊच अथायत कसरमो भ नमा ndashनमा यस बय आमा ह |

परशन२- ऩॊखडड़मो की नाज़क धगयह खोरन का कमा असबपराम ह

उततय - यस क बय जान स कसरमाॉ विकससत हो यही ह |धीय-धीय उनकी ऩॊखडड़माॉ अऩनी फॊद गाॉठ खोर यही ह | कवि क शबदो भ नियस ही उनकी फॊद गाॉठ खोर यहा ह|

परशन३- lsquoयॊगो- फ गरशन भ ऩय तौर हrsquo ndash का अथय सऩरषट कीनदजए|

उततय -यॊग औय सगॊध दो ऩी ह जो कसरमो भ फॊद ह तथा उड़ जान क सरए अऩन ऩॊख पड़पड़ा यह ह |मह नदसथनत कसरमो क पर फन जान स ऩिय की ह जो पर फन जान की परतीा भ ह |rsquoऩय तौरनाrsquo एक भहािया ह जो उड़ान की भता आॉकन क सरए परमोग ककमा जाता ह |

परशन४- इस शय का बाि-सौदमय वमकत कीनदजए|

उततय -कसरमो की नई-नई ऩॊखडड़माॉ णखरन रगी ह उनभ स यस भानो टऩकना ही चाहता ह | िमसॊधध(ककशोयी)नानमका क परसपहटत होत सौदमय का परतीकातभक धचतरण अतमॊत सॊदय फन ऩड़ा ह |

सौदमट-फोध-सॊफॊधी परशन

हभ हो मा ककसभत हो हभायी दोनो को इक ही काभ सभरा ककसभत हभ को यो रि ह हभ ककसभत को यो र ह| जो भझको फदनाभ कय ह काश ि इतना सोच सक

भया ऩदाय खोर ह मा अऩना ऩदाय खोर ह | परशन१- इन शयो की बारा सॊफॊधी विशरताएॉ सऩरषट कीनदजए |

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उततय- १ भहाियो का परमोग ndashककसभत का योना ndashननयाशा का परतीक

२सयर असबवमनदकत बारा भ परिाहभमता ह ककसभत औय ऩयदा शबदो की ऩनयािनदततमाॉ

भोहक ह|

३ हहॊदी का घयर रऩ

परशन२- lsquoभया ऩयदा खोर ह मा अऩना ऩयदा खोर ह lsquo- की बावरक विशरता सरणखए |

उततय -भहािय क परमोग दिाया वमॊजनातभक असबवमनदकत | ऩयदा खोरना ndash बद खोरना सचचाई फमान कयना|

परशन३-lsquoहभ हो मा ककसभत हो हभायी lsquo ndashपरमोग की विशरता फताइए |

उततय - हभ औय ककसभत दोनो शबद एक ही वमनदकत अथायत कियाक क सरए परमकत ह | हभ औय ककसभत भ अबद ह मही विशरता ह |

कफ़याक गोयखऩयी

पवषम-वसत ऩय आधारयत परशनोततय

परशन१- ताय आॉख झऩकाि ह ndashका तातऩमय सऩरषट कीनदजए |

उततय- याबतर का सनदनाटा बी कछ कह यहा हइससरए ताय ऩरक झऩका यह ह विमोग की नदसथनत भ परकनत बी सॊिाद कयती परतीत होती ह |

परशन२- lsquoहभ हो मा ककसभत हो हभायीrsquo भ ककस बाि की असबवमनदकत हई ह

उततय- जीिन की विडॊफना ककसभत को योना-भहािय क परमोग स सटीक असबवमनदकत परापत कयती ह कवि जीिन स सॊतरषट नहीॊ ह | बागम स सशकामत का बाि इन ऩॊनदकतमो भ झरकता ह |

परशन३- परभ क ककस ननमभ की असबवमनदकत कवि न की ह

उततय -ईशिय की परानदपत सियसि रटा दन ऩय होती ह परभ क सॊसाय का बी मही ननमभ ह|कवि क शबदो भ rdquo कितयत का कामभ ह तिाज़न आरभ- हसनो ndashइशक भ बी

उसको उतना ही ऩात ह खद को नदजतना खो र ह |rdquo

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१ बाि ndashसामम- कफीय -lsquoसीस उताय बई धय तफ सभसरह कयतायlsquo-अथायत -सिमॊ को खो कय ही परभ परानदपत की जा सकती ह

२ बाि सामम- कफीय ndashनदजन ढॉढा नतन ऩाइमाॉ गहय ऩानी ऩहठ|

भ फऩया फडन डया यहा ककनाय फहठ |

परशन४- शयाफ की भहकपर भ शयाफी को दय यात कमा फात माद आती ह

उततय - शयाफ की भहकपर भ शयाफी को दय यात माद आती ह कक आसभान भ भनरषम क ऩाऩो का रखा-जोखा होता ह जस आधी यात क सभम परयशत रोगो क ऩाऩो क अधमाम खोरत ह िस ही यात क सभम शयाफ ऩीत हए शामय को भहफफा की माद हो आती ह भानो भहफफा परयशतो की तयह ऩाऩ सथर क आस ऩास ही ह

परशन५- सदक कियाकndashndashndashइन ऩॊनदकतमो का अथय सऩरषट कीनदजए |

उततय -सदक कियाकndashndashndashइन ऩॊनदकतमो भ कियाक कहत ह कक उनकी शामयी भ भीय की शामयी की उतकरषटता धिननत हो यही ह

परशन६- ऩॊखडड़मो की नाज़क धगयह खोरना कमा ह

उततय -ऩॉखडड़मो की नाजक धगयह खोरना उनका धीय -धीय विकससत होना ह

िमसॊधध(ककशोयी)नानमका क परसपहटत होत सौदमय की ओय सॊकत ह |

परशन७-lsquoमो उड़ जान को यॊगो फ गरशन भ ऩय तौर हrsquo बाि सऩरषट कीनदजए

उततय -कसरमो की सिास उड़न क सरए भानो ऩय तौर यही होअथायत खशफ का झोका यहndashयह कय उठता ह

परशन८- कवि दिाया िणणयत याबतर क दशम का िणयन अऩन शबदो भ कीनदजए

उततय - याबतर का सनदनाटा बी कछ कह यहा हइससरए ताय ऩरक झऩका यह हरगता ह कक परकनत का कण-कण कछ कह यहा ह |

परशन९- कवि अऩन िमनदकतक अनबि ककन ऩॉनदकतमो भ वमकत कय यहा ह

जीिन की विडॊफना-lsquoककसभत को योनाlsquo भहािय क परमोग स सटीक असबवमनदकत परापत कयती ह

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ldquoहभ हो मा ककसभत हो हभायी दोनो को इक ही काभ सभरा

ककसभत हभ को यो रि ह हभ ककसभत को यो र ह|rdquo

परशन१०- शामय न दननमा क ककस दसतय का िणयन ककमा ह

उततय -शामय न दननमा क इस दसतय का िणयन ककमा ह कक रोग दसयो को फदनाभ कयत ह ऩयॊत ि नहीॊ जानत कक इस तयह ि अऩनी दरषट परकनत को ही उदघाहटत कयत ह

परशन११- परभ की कितयत कवि न ककन शबदो भ असबवमकत की ह

सिमॊ को खो कय ही परभ की परानदपत की जा सकती ह ईशिय की परानदपत सियसि रटा दन ऩय होती ह परभ क सॊसाय का बी मही ननमभ ह

परशन१२- कियाक गोयखऩयी ककस बारा क कवि ह

उततय - उदय बारा

10 छोटा भया खत

उभाशॊकय जोशी

(गजयाती कपव)

उभाशॊकय जोशी फीसिीॊ सदी क गजयाती क भधयनदम कवि सॊसकत िाङभम क विदिान हउनदहोन गजयाती कविता को परकनत स जोड़ाआभ आदभी क जीिन की झरक उनकी यचनाओॊ भ सभरती ह

छोटा भया खत

साय

खती क रऩक दिाया कावम यचनाndash परककरमा को सऩषट ककमा गमा हकावम कनत की यचना फीजndash वऩन स रकय ऩौध क ऩजषऩत होन क पवलबनन चयणो स गजयती हअॊतय किर इतना ह कक कपव कभट की पसर कारजमी शाशित होती हउसका यस-यण अम होता हकागज का ऩनदना नदजस ऩय यचना शबदफदध होती ह कवि को एक चौकोय खत की तयह रगता ह इस खत

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भ ककसी अॉधड़ (आशम बािनातभक आॉधी स होगा) क परबाि स ककसी ण एक फीज फोमा जाता ह मह फीज-यचना विचाय औय असबवमनदकत का हो सकता ह मह भर रऩ कलऩना का सहाया रकय विकससत होता ह औय परककरमा भ सिमॊ विगसरत हो जाता ह उसस शबदो क अॊकय ननकरत ह औय अॊतत कनत एक ऩणय सिरऩ गरहण कयती ह जो कवर-कभय क सरहाज स ऩलरवित -ऩनदरषऩत होन की नदसथनत ह साहहनदतमक कनत स जो अरौककक यस-धाया पटती ह िह ण भ होन िारी योऩाई का ही ऩरयणाभ ह ऩय मह यस-धाया अनॊत कार तक चरन िारी कटाई ह |

फगरो क ऩॊख

साय

फगरो क ऩॊख कविता एक चार बफॊफ की कविता ह सौदमय का अऩकषत परबाि उतऩनदन कयन क सरए कविमो न कई मनदकतमाॉ अऩनाई ह नदजसभ स सफस परचसरत मनदकत ह-सौदमय क वमौयो क धचतरातभक िणयन क साथ अऩन भन ऩय ऩड़न िार उसक परबाि का िणयन औय आतभगत क सॊमोग की मह मनदकत ऩाठक को उस भर सौदमय क कापी ननकट र जाती ह जोशी जी की इस कविता भ ऐसा ही ह कवि कार फादरो स बय आकाश भ ऩॊनदकत फनाकय उड़त सपद फगरो को दखता ह ि कजयाय फादरो भ अटका-सा यह जाता ह िह इस भामा स अऩन को फचान की गहाय रगाता ह कमा मह सौदमय स फाॉधन औय विॊधन की चयभ नदसथनत को वमकत कयन का एक तयीका ह

परकनत का सितॊतर (आरॊफन गत ) धचतरण आधननक कविता की विशरता हधचतरातभक िणयन दिाया कवि न एक ओय कार फादरो ऩय उड़ती फगरो की शित ऩॊनदकत का धचतर अॊककत ककमा ह तो दसयी ओय इस अपरनतभ दशम क रदम ऩय ऩड़न िार परबाि को धचबतरत ककमा हभॊतर भगध कवि इस दशम क परबाि स आतभ विसभनत की नदसथनत तक ऩहॉच जाता हविरम एिॊ विरमीगत सौनददमय क दोनो रऩ कविता भ उदघाहटत हए ह

अथट-गरहण-सॊफॊधी परशन

ldquoछोटा भया खत चौकोना

कागज़ का एक ऩनदना कोई अॊधड़ कहीॊ स आमा

ण का फीज िहाॉ फोमा गमा|

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कलऩना क यसामनो को ऩी

फीज गर गमा ननशर शबद क अॊकय पट

ऩलरि ndashऩरषऩो स नसभत हआ विशर |rdquo

परशन १lsquoछोटा भया खतrsquo ककसका परतीक ह औय कमो

उततय - परशन२ lsquoछोटा भया खतrsquo काग़ज क उस ऩनदन का परतीक ह नदजस ऩय कवि अऩनी कविता सरखता ह

परशन २ कवि खत भ कौनndashसा फीज फोता ह

उततय - कवि खत भ अऩनी कलऩना का फीज फोता ह

परशन ३ कवि की कलऩना स कौन स ऩलरि अॊकरयत होत ह

उततय - कवि की कलऩना स शबद क ऩलरि अॊकरयत होत ह

परशन ४ उऩमयकत ऩद का बाि-सौदमय सऩरषट कीनदजए |

उततय - खती क रऩक दिाया कावम-यचनाndashपरककरमा को सऩषट ककमा गमा हकावम कनत की यचना फीजndash वऩन स रकय ऩौध क ऩजषऩत होन क पवलबनन चयणो स गजयती हअॊतय किर इतना ह कक कपव कभट की पसर कारजमी शाशित होती हउसका यस-यण अम होता ह

सौदमट-फोध-सॊफॊधी परशन

ldquoझभन रग पर

यस अरौककक

अभत धायाएॉ पटतीॊ

योऩाई ण की

कटाई अनॊतता की

रटत यहन स जया बी कभ नहीॊ होती |

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यस का अम ऩातर सदा का

छोटा भया खत चौकोना |rdquo

परशन इस कविता की बारा सॊफॊधी विशरताओॊ ऩय परकाश डासरए ndash

उततय - १ परतीकातभकता

२ राणणकता -

२रऩक अरॊकायndash यस का अम ऩातर सदा का

छोटा भया खत चौकोना

परशन २ यस अरौककक अभत धायाएॉ योऩाई ndash कटाई-परतीको क अथय सऩरषट कीनदजए |

उततय - यस अरौककक ndash कावम यस ननरषऩनदतत

अभत धायाएॉ- कावमानॊद

योऩाई ndash अनबनत को शबदफदध कयना

कटाई ndashयसासिादन

पवषम-वसत ऩय आधारयत परशनोततय

कपवता ndash

छोटा भया खत

परशन १ उभाशॊकय जोशी न ककस बारा भ कविताएॉ सरखी ह

उततय - गजयाती बारा

परशन२ कवरndashकभय एिॊ कविndashकभय भ कमा कमा सभानताएॉ ह

उततय - कवरndashकभय एिॊ कविndashकभय भ ननमनसरणखत सभानताएॉ ह-

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कावम कनत की यचना फीजndash वऩन स रकय ऩौध क ऩजषऩत होन क पवलबनन चयणो स गजयती ह

कपषndashकभट एवॊ कपवndashकभट भ सभानताएॉ -

कागज का ऩनदना नदजस ऩय यचना शबदफदध होती ह कवि को एक चौकोय खतरगता ह इस खत भ ककसी अॉधड़ (आशम बािनातभक आॉधी स होगा) क परबाि स ककसी ण

एक फीज फोमा जाता ह मह फीज-यचना विचाय औय असबवमनदकत का हो सकता ह मह भर रऩ कलऩना का सहाया रकय विकससत होता ह औय परककरमा भ सिमॊ विगसरत

हो जाता ह इसीपरकाय फीज बी खाद ऩानी समय की योशनी हिा आहद रकय विकससत होता ह |

कावम ndashयचना स शबदो क अॊकय ननकरत ह औय अॊतत कनत एक ऩणय सिरऩ गरहण कयती ह जो कवर-कभय क सरहाज स ऩलरवित ndashऩनदरषऩत औय पसरत होन की नदसथनत ह अथट-गरहण-सॊफॊधी परशन

कपवताndash फगरो क ऩॊख

नब भ ऩाॉती- फॉध फगरो क ऩॊख

चयाए सरए जातीॊ ि भयी आॉख |

कजयाय फादरो की छाई नब छामा

हौरndashहौर जाती भझ फाॉध ननज भामा स |

उस कोई तननक योक यकखो |

िह तो चयाए सरए जाती भयी आॉख

नब भ ऩाॉती- फॉधी फगरो की ऩाॉख |

तयती साॉझ की सतज शित कामा|

परशन१- इस कविता भ कवि न ककसका धचतरण ककमा ह

उततय - कवि न कार फादरो ऩय उड़ती फगरो की शित ऩॊनदकत का धचतरण ककमा ह|

परशन२- आॉख चयान का कमा अथय ह

उततय - आॉख चयान का आशम ह ndashधमान ऩयी तयह खीॊच रना एकटक दखना भॊतरभगध कय दना

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परशन३-

ldquoकजयाय फादरो की छाई नब छामा

हौर ndashहौर जाती भझ फाॉध ननज भामा स |rdquo- आशम सऩरषट कीनदजए |

उततय- कार फादरो क फीच साॉझ का सयभई िाताियण फहत सॊदय हदखता ह | ऐसा अपरनतभ सौदमय अऩन आकरयण भ कवि को फाॉध रता ह |

परशन ४ ldquoउस कोई तननक योक यकखो |rsquo- स कवि का कमा असबपराम ह

उततय - फगरो की ऩॊनदकत आकाश भ दय तक उड़ती जा यही ह कवि की भॊतरभगध आॉख उनका ऩीछा कय यही ह | कवि उन फगरो को योक कय यखन की गहाय रगा यहा ह कक कहीॊ ि उसकी आॉख ही अऩन साथ न र जाएॉ |

सौदमट-फोध-सॊफॊधी परशन

परशन १ कविता की बारा सॊफॊधी दो विशरताएॉ सरणखए|

उततय -१ धचतरातभक बारा

२ फोरचार क शबदो का परमोग - हौर ndashहौर ऩाॉती कजयायसाॉझ

परशन २ कविता भ परमकत अरॊकाय चन कय सरणखए |

उततय - अनपरास अरॊकाय - फॉध फगरो क ऩॊख

भानिीकयण अरॊकाय - चयाए सरए जातीॊ ि भयी आॉख |

परशन ३ -lsquo ननज भामाrsquo क राणणक अथय को सऩरषट कीनदजए |

उततय - परकनत का अपरनतभ सौदमय िह भामा ह जो कवि को आतभविबोय कय दती हमह ऩॊनदकत बी परशॊसातभक उनदकत ह

पवषम-वसत ऩय आधारयत परशनोततय

परशन१- lsquoचयाए सरए जाती ि भयी ऑ ॊखrsquo स कवि का कमा तातऩमय ह

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उततय -धचतरातभक िणयन दिाया कवि न एक ओय कार फादरो ऩय उड़ती फगरो की शित ऩॊनदकत का धचतर अॊककत ककमा ह तथा इस अपरनतभ दशम क रदम ऩय ऩड़न िार परबाि को धचबतरत ककमा ह कवि क अनसाय मह दशम उनकी आॉख चयाए सरए जा यहा ह |भॊतर भगध कवि इस दशम क परबाि स आतभ विसभनत की नदसथनत तक ऩहॉच जाता ह

परशन२-कवि ककस भामा स फचन की फात कहता ह

उततय - भामा विशि को अऩन आकरयण भ फाॉध रन क सरए परससदध ह | कफीय न बी lsquoभामा भहा ठधगनी हभ जानीrsquo कहकय भामा की शनदकत को परनतऩाहदत ककमा ह | कार फादरो भ फगरो की सॊदयता अऩना भामा जार परा कय कवि को अऩन िश भ कय यही ह |

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आयोह बाग-२ गदम-बाग

परशन-सॊखमा १०- गदम खॊड भ हदए गए ऩहठत गदमाॊश स अथयगरहण सॊफॊधी चाय परशन ऩछ जाएॉग नदजनक सरए ननधायरयत अॊक (२४=८) ह |

परशन-सॊखमा ११- ऩाठो की विरमिसत स सॊफॊधधत ऩाॉच भ स चाय परशनो क उततय दन ह नदजनक सरए ननधायरयत अॊक (३४=१२) ह|

ऩयीा भ अचछ अॊक परातत कयन क लरए धमान दन मोगम फात ndash

1 रख एिॊ ितयनी की शदधता तथा िाकम-गठन ऩय धमान द | 2 हय ऩाठ का सायऩरषठबसभविरमिसत तथाकथानक को सभझना आिशमक ह |

अतविदमाथी हय ऩाठ का सायाॊश बरीबाॉनत माद कय र | 3 परशनो को धमान स ऩढ़ तदनसाय अऩकषत उततय सरख | 4 उततय सरखत सभम सॊफॊधधत भखम बफॊदओॊ का शीरयकफनात हए उततय सरख मथा-तीन

अॊक क परशनो क उततय सरखत सभम कभ स कभ तीन भखम उततय-बफ ॊदओॊ का उलरख कयत हए उततय सऩरषट कय |

5 अॊक-मोजना क अनसाय ननधायरयत शबद-सीभा क अॊतगयत उततय सरख | ऩयीाथी कई फाय एक अॊक क परशन का उततय फहत रॊफा कई फाय ऩया ऩरषठ सरख दत ह जो सभम औय ऊजाय की फफायदी ह |

6 धमान यह कक अधधक सरखन स अचछ अॊक नहीॊ आत फनदलक सयर-सफोध बारा भ सरख गए सटीक उततय सायगसबयत तथम तथा उदाहयण क दिाया सऩरषट ककए गए उततय परबािशारी होत ह |

ऩाि 11 - बजकतन

रखखका- भहादवी वभाट

ऩाि का सायाॊश- बनदकतन नदजसका िासतविक नाभ रकषभी थारणखका lsquoभहादिी िभायrsquo की सविका ह | फचऩन भ ही बनदकतन की भाॉ की भतम हो गमी| सौतरी भाॉ न ऩाॉच िरय की आम भ वििाह तथा नौ िरय की आम भ गौना कय बनदकतन को ससयार बज हदमा| ससयार भ बनदकतन न तीन फहटमो को जनदभ हदमा नदजस कायण उस सास औय नदजठाननमो की उऩा सहनी ऩड़ती थी| सास औय नदजठाननमाॉ आयाभ पयभाती थी औय बनदकतन तथा उसकी ननदहीॊ फहटमो को घय औय खतो का साया काभ कयना ऩडता था| बनदकतन का ऩनत उस फहत चाहता था| अऩन ऩनत क सनह क फर ऩय बनदकतन न ससयार िारो स अरगौझा कय अऩना अरग घय फसा सरमा औय सख स यहन रगी ऩय बनदकतन का दबायगम अलऩाम भ ही उसक ऩनत की भतम हो गई | ससयार िार

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बनदकतन की दसयी शादी कय उस घय स ननकारकय उसकी सॊऩनदतत हड़ऩन की सानदजश कयन रग| ऐसी ऩरयनदसथनत भ बनदकतन न अऩन कश भॊडा सरए औय सॊनदमाससन फन गई | बनदकतन सिासबभानी सॊघरयशीर कभयठ औय दढ सॊकलऩ िारी सतरी ह जो वऩतसततातभक भानदमताओॊ औय छर-कऩट स बय सभाज भ अऩन औय अऩनी फहटमो क हक की रड़ाई रड़ती हघय गहसथी सॉबारन क सरए अऩनी फड़ी फटी दाभाद को फरा सरमा ऩय दबायगम न महाॉ बी बनदकतन का ऩीछा नहीॊ छोड़ा अचानक उसक दाभाद की बी भतम हो गमी| बनदकतन क जठ-नदजठौत न सानदजश यचकय बनदकतन की विधिा फटी का वििाह जफयदसती अऩन तीतयफाज सार स कय हदमा| ऩॊचामत दिाया कयामा गमा मह सॊफॊध दखदामी यहा | दोनो भाॉ-फटी का भन घय-गहसथी स उचट गमा ननधयनता आ गमी रगान न चका ऩान क कायण जभीॊदाय न बनदकतन को हदन बय धऩ भ खड़ा यखा| अऩभाननत बनदकतन ऩसा कभान क सरए गाॉि छोड़कय शहय आ जाती ह औय भहादिी की सविका फन जाती ह| बनदकतन क भन भ भहादिी क परनत फहत आदय सभऩयण औय असबबािक क सभान अधधकाय बाि ह| िह छामा क सभान भहादिी क साथ यहती ह| िह यात-यात बय जागकय धचतरकायी मा रखन जस कामय भ वमसत अऩनी भारककन की सिा का अिसय ढॉढ रती ह| भहादिी बनदकतन को नहीॊ फदर ऩामी ऩय बनदकतन न भहादिी को फदर हदमा| बनदकतन क हाथ का भोटा-दहाती खाना खात-खात भहादिी का सिाद फदर गमा बनदकतन न भहादिी को दहात क ककसस-कहाननमाॉ ककॊ िदॊनतमाॉ कॊ ठसथ कया दी| सिबाि स भहाकॊ जस होन ऩय बी बनदकतन ऩाई-ऩाई कय जोडी हई १०५ रऩमो की यासश को सहरय भहादिी को सभवऩयत कय दती ह| जर क नाभ स थय-थय काॉऩन िारी बनदकतन अऩनी भारककन क साथ जर जान क सरए फड़ राट साहफ तक स रड़न को बी तमाय हो जाती ह| बनदकतन भहादिी क जीिन ऩय छा जान िारी एक ऐसी सविका ह नदजस रणखका नहीॊ खोना चाहती

ऩाि आधारयत परशनोततय

नोट- उततय भ ननहहत यखाॊककत िाकम भखम सॊकत बफॊद ह |

परशन 1-बजकतन का वासतपवक नाभ कमा था वह अऩन नाभ को कमो छऩाना चाहती थी

उततय-बनदकतन का िासतविक नाभ रकषभी था हहनददओॊ क अनसायरकषभी धन की दिीह चॉकक बनदकतन गयीफ थी| उसक िासतविक नाभ क अथय औय उसक जीिन क मथाथय भ वियोधाबास ह ननधयन बनदकतन सफको अऩना असरी नाभ रकषभी फताकय उऩहास का ऩातर नहीॊ फनना चाहती थी इससरए िह अऩना असरी नाभ छऩाती थी

परशन 2- रखखका न रकषभी का नाभ बजकतन कमो यखा

उततय-घटा हआ ससय गर भ कॊ ठी भारा औय बकतो की तयह सादगीऩणय िशबरा दखकय भहादिी िभाय न रकषभी का नाभ बनदकतन यख हदमा | मह नाभ उसक वमनदकतति स ऩणयत भर खाता था |

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परशन 3-बजकतन क जीवन को ककतन ऩरयचछदो भ पवबाजजत ककमा गमा ह

उततय- बनदकतन क जीिन को चाय बागो भ फाॉटा गमा ह-

ऩहरा ऩरयचछद-बनदकतन का फचऩन भाॉ की भतम विभाता क दिाया बनदकतन का फार-वििाह कया दना

दपवतीम ऩरयचछद-बनदकतन का ििाहहक जीिन सास तथा नदजठाननमो का अनदमामऩणय वमिहाय ऩरयिाय स अरगौझा कय रना

ततीम ऩरयचछद- ऩनत की भतम विधिा क रऩ भ सॊघरयशीर जीिन चतथट ऩरयचछद- भहादिी िभाय की सविका क रऩ भ

परशन 4- बजकतन ऩाि क आधाय ऩय बायतीम गराभीण सभाज भ रड़क-रड़ककमो भ ककम जान वार बदबाव का उलरख कीजजए |

बायतीम गराभीण सभाज भ रड़क-रड़ककमो भ बदबाि ककमा जाता ह| रड़ककमो को खोटा ससकका मा ऩयामा धन भाना जाता ह| बनदकतन न तीन फहटमो को जनदभ हदमा नदजस कायण उस सास औय नदजठाननमो की उऩा सहनी ऩड़ती थी| सास औय नदजठाननमाॉ आयाभ पयभाती थी कमोकक उनदहोन रड़क ऩदा ककए थ औय बनदकतन तथा उसकी ननदहीॊ फहटमो को घय औय खतो का साया काभ कयना ऩडता था| बनदकतन औय उसकी फहटमो को रखा-सखा भोटा अनाज खान को सभरता था जफकक उसकी नदजठाननमाॉ औय उनक कार-करट फट दध-भराई याफ-चािर की दाित उड़ात थ

परशन 5-बजकतन ऩाि क आधाय ऩय ऩॊचामत क नमाम ऩय ठटतऩणी कीजजए |

बनदकतन की फटी क सनददबय भ ऩॊचामत दिाया ककमा गमा नदमाम तकय हीन औय अॊध कानन ऩय आधारयतह | बनदकतन क नदजठौत न सॊऩनदतत क रारच भ रडमॊतर कय बोरी फचची को धोख स जार भ पॊ सामा| ऩॊचामत न ननदोर रड़की की कोई फात नहीॊ सनी औय एक तयिा पसरा दकय उसका वििाह जफयदसती नदजठौत क ननकमभ तीतयफाज सार स कय हदमा | ऩॊचामत क अॊध कानन स दरषटो को राब हआ औय ननदोर को दॊड सभरा |

परशन 6-बजकतन की ऩाक-करा क फाय भ ठटतऩणी कीजजए |

बनदकतन को ठठ दहाती सादा बोजन ऩसॊद था | यसोई भ िह ऩाक छत को फहत भहतति दती थी | सफह-सिय नहा-धोकय चौक की सपाई कयक िह दिाय ऩय कोमर की भोटी यखा खीॊच दती थी| ककसी को यसोईघय भ परिश कयन नहीॊ दती थी| उस अऩन फनाए बोजन ऩय फड़ा असबभान था| िह अऩन फनाए बोजन का नतयसकाय नहीॊ सह सकती थी |

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परशन 7- लसदध कीजजए कक बजकतन तकट -पवतकट कयन भ भाठहय थी |

बनदकतन तकय ऩट थी | कश भॉडान स भना ककए जान ऩय िह शासतरो का हिारा दत हए कहती ह lsquoतीयथ गए भॉडाए ससदधrsquo | घय भ इधय-उधय यख गए ऩसो को िह चऩचाऩ उठा कय छऩा रती ह टोक जानऩय िह िह इस चोयी नही भानती फनदलक िह इस अऩन घय भ ऩड़ ऩसो को सॉबारकय यखना कहती ह| ऩढाई-सरखाई स फचन क सरए बी िह अचक तकय दती ह कक अगय भ बी ऩढ़न रगॉ तो घय का काभ कौन दखगा

परशन 8-बजकतन का दबाटगम बी कभ हिी नही था रखखका न ऐसा कमो कहा ह

उततय- बजकतन का दबाटगम उसका ऩीछा नहीॊ छोड़ता था-

1- फचऩन भ ही भाॉ की भतम 2- विभाता की उऩा 3- बनदकतन(रकषभी) का फारवििाह 4- वऩता का ननधन 5- तीन-तीन फहटमो को जनदभ दन क कायण सास औय नदजठाननमो क दिाया बनदकतन की

उऩा 6- ऩनत की असभम भतम 7- दाभाद का ननधन औय ऩॊचामत क दिाया ननकमभ तीतयफाज मिक स बनदकतन की विधिा

फटी का जफयन वििाह 8- रगान न चका ऩान ऩय जभीॊदाय क दिाया बनदकतन का अऩभान

परशन 9-बजकतन न भहादवी वभाट क जीवन ऩय कस परबापवत ककमा

उततय- बनदकतन क साथ यहकय भहादिी की जीिन-शरी सयर हो गमी ि अऩनी सविधाओॊ की चाह को नछऩान रगीॊ औय असविधाओॊ को सहन रगीॊ बनदकतन न उनदह दहाती बोजन णखराकय उनका सिाद फदर हदमा बनदकतन भातर एक सविका न होकय भहादिी की असबबािक औय आतभीम फन गमीबनदकतन भहादिी क जीिन ऩय छा जान िारी एक ऐसी सविका ह नदजस रणखका नहीॊ खोना चाहती

परशन 10- बजकतन क चरयतर की पवशषताओॊ का उलरख कीजजए

उततय- भहादिी िभाय की सविका बनदकतन क वमनदकतति की विशरताएॊ ननमनाॊककत ह-

सभवऩयत सविका सिासबभानी

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तकय शीरा ऩरयशरभी सॊघरयशीर

परशन 11-बजकतन क दगटणो का उलरख कय

उततय- गणो क साथ-साथ बनदकतन क वमनदकतति भ अनक दगयण बी ननहहत ह-

1 िह घय भ इधय-उधय ऩड़ रऩम-ऩस को बॊडाय घय की भटकी भ छऩा दती ह औय अऩन इस कामय को चोयी नहीॊ भानती

2 भहादिी क करोध स फचन क सरए बनदकतन फात को इधय-उधय कयक फतान को झठ नही भानती अऩनी फात को सही ससदध कयन क सरए िह तकय -वितकय बी कयती ह

3 िह दसयो को अऩनी इचछानसाय फदर दना चाहती ह ऩय सिमॊ बफरकर नही फदरती परशन 12 ननमनाॊककत बाषा-परमोगो का अथट सऩषट कीजजए-

ऩहरी कनमा क दो औय सॊसकयण कय िार- बनदकतन न अऩनी ऩहरी कनदमा क फाद उसक जसी दो औय कनदमाएॉ ऩदा कय दी अथायत बनदकतन क एक क फाद एक तीन फहटमाॉ ऩदा हो गमीॊ |

खोट लसकको की टकसार जसी ऩतनी- आज बी असशकषत गराभीण सभाज भ फहटमो को

खोटा ससकका कहा जाता ह बनदकतन न एक क फाद एक तीन फहटमाॉ ऩदा कय दी इससरए उस खोट ससकक को ढारन िारी भशीन कहा गमा

परशन 13-बजकतन ऩाि भ रखखका न सभाज की ककन सभसमाओॊ का उलरख ककमा ह

उततय- बनदकतन ऩाठ क भाधमभ स रणखका न बायतीम गराभीण सभाज की अनक सभसमाओॊ का उलरख ककमा ह-

1 रड़क-रड़ककमो भ ककमा जान िारा बदबाि 2 विधिाओॊ की सभसमा 3 नदमाम क नाभ ऩय ऩॊचामतो क दिाया नदसतरमो क भानिाधधकाय को कचरना 4 असशा औय अॊधविशिास

गदमाॊश-आधारयत अथटगरहण सॊफॊधधत परशनोततय

ऩरयिाय औय ऩरयनदसथनतमो क कायण सिबाि भ जो विरभताएॉ उतऩनदन हो गई ह उनक बीतय स एक सनह औय सहानबनत की आबा पटती यहती ह इसी स उसक सॊऩकय भ आनिार वमनदकत उसभ जीिन की सहज भासभयकता ही ऩात ह छातरािास की फासरकाओॊ भ स कोई अऩनी चाम

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फनिान क सरए दहरी ऩय फठी यहती ह कोई फाहय खडी भय सरए नाशत को चखकय उसक सिाद की वििचना कयती यहती ह भय फाहय ननकरत ही सफ धचडड़मो क सभान उड़ जाती ह औय बीतय आत ही मथासथान वियाजभान हो जाती ह इनदह आन भ रकािट न हो सॊबित इसी स बनदकतन अऩना दोनो जन का बोजन सिय ही फनाकय ऊऩय क आर भ यख दती ह औय खात सभम चौक का एक कोना धोकय ऩाकndashछत क सनातन ननमभ स सभझौता कय रती ह

भय ऩरयधचतो औय साहहनदतमक फॊधओॊ स बी बनदकतन विशर ऩरयधचत ह ऩय उनक परनत बनदकतन क समभान की भातरा भय परनत उनक समभान की भातरा ऩय ननबयय ह औय सदभाि उनक परनत भय सदभाि स नननदशचत होता ह इस सॊफॊध भ बनदकतन की सहज फवदध विनदसभत कय दन िारी ह

(क) बजकतन का सवबाव ऩरयवाय भ यहकय कसा हो गमा ह

उततय-विरभ ऩरयनदसथनतजनदम उसक उगर हठी औय दयागरही सिबाि क फािजद बनदकतन क बीतय सनह औय सहानबनत की आबा पटती यहती ह उसक सॊऩकय भ आन िार वमनदकत उसभ जीिन की सहज भासभयकता ही ऩात ह

(ख) बजकतन क ऩास छातरावास की छातराएॉ कमो आती ह

उततय- बनदकतन क ऩास कोई छातरा अऩनी चाम फनिान आती ह औय दहरी ऩय फठी यहती ह कोई भहादिी जी क सरए फन नाशत को चखकय उसक सिाद की वििचना कयती यहती ह भहादिी को दखत ही सफ छातराएॉ बाग जाती ह उनक जात ही कपय िाऩस आ जातीॊ ह बनदकतन का सहज-सनह ऩाकय धचडड़मो की तयह चहचहान रगती ह |

(ग) छातराओॊ क आन भ रकावट न िारन क लरए बजकतन न कमा उऩाम ककमा

उततय- छातराओॊ क आन भ रकािट न डारन क सरए बनदकतन न अऩन ऩाक-छत क ननमभ स सभझौता कय सरमा | बनदकतन अऩना दोनो िकत का खाना फनाकय सफह ही आर भ यख दती औय खात सभम चौक का एक कोना धोकय िहाॉ फठकय खा सरमा कयती थी ताकक छातराएॉ बफना योक-टोक क उसक ऩास आ सक

(घ) साठहतमकायो क परनत बजकतन क समभान का कमा भाऩदॊि ह

उततय-बनदकतन भहादिी क साहहनदतमक सभतर क परनत सदभाि यखती थी नदजसक परनत भहादिी सिमॊ सदभाि यखती थी | िह सबी स ऩरयधचत हऩय उनक परनत समभान की भातरा भहादिी जी क समभान की भातरा ऩय ननबयय कयती ह िह एक अदभत ढॊग स जान रती थी कक कौन ककतना समभान कयता ह उसी अनऩात भ उसका परापम उस दती थी

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12 फाजाय-दशटन

रखक- जनि कभाय

ऩाि का सायाॊश फाजाय-दशयन ऩाठ भ फाजायिाद औय उऩबोकतािाद क साथ-साथ अथयनीनत एिॊ दशयन स सॊफॊधधत परशनो को सरझान का परमास ककमा गमा ह फाजाय का जाद तबी असय कयता ह जफ भन खारी हो| फाजाय क जाद को योकन का उऩाम मह ह कक फाजाय जात सभम भन खारी ना हो भन भ रकषम बया हो| फाजाय की असरी कताथयता ह जरयत क िकत काभ आना| फाजाय को िही भनरषम राब द सकता ह जो िासति भ अऩनी आिशमकता क अनसाय खयीदना चाहता ह| जो रोग अऩन ऩसो क घभॊड भ अऩनी ऩचनदजॊग ऩािय को हदखान क सरए चीज खयीदत ह ि फाजाय को शतानी वमॊगम शनदकत दत ह| ऐस रोग फाजारऩन औय कऩट फढात ह | ऩस की मह वमॊगम शनदकत वमनदकत को अऩन सग रोगो क परनत बी कतघन फना सकती ह | साधायण जन का रदम रारसा ईरषमाय औय तरषणा स जरन रगता ह | दसयी ओय ऐसा वमनदकत नदजसक भन भ रश भातर बी रोब औय तरषणा नहीॊ ह सॊचम की इचछा नहीॊ ह िह इस वमॊगम-शनदकत स फचा यहता ह | बगतजी ऐस ही आतभफर क धनी आदशय गराहक औय फचक ह नदजन ऩय ऩस की वमॊगम-शनदकत का कोई असय नहीॊ होता | अनक उदाहयणो क दिाया रखक न मह सऩरषट ककमा ह कक एक ओय फाजाय रारची असॊतोरी औय खोखर भन िार वमनदकतमो को रटन क सरए ह िहीॊ दसयी ओय सॊतोरी भन िारो क सरए फाजाय की चभक-दभक उसका आकरयण कोई भहतति नहीॊ यखता

परशन१ - ऩचजजॊग ऩावय ककस कहा गमा ह फाजाय ऩय इसका कमा परबाव ऩड़ता ह

उततय- ऩचनदजॊग ऩािय का अथय ह खयीदन की शनदकत ऩचनदजॊग ऩािय क घभॊड भ वमनदकत हदखाि क सरए आिशमकता स अधधक खयीदायीकयता ह औय फाजाय को शतानी वमॊगम-शनदकत दता ह ऐस रोग फाजाय का फाजारऩन फढ़ात ह

परशन२ -रखक न फाजाय का जाद ककस कहा ह इसका कमा परबाव ऩड़ता ह

उततय- फाजाय की चभक-दभक क चॊफकीम आकरयण को फाजाय का जाद कहा गमा ह मह जाद आॊखो की याह कामय कयता ह फाजाय क इसी आकरयण क कायण गराहक सजी-धजी चीजो को आिशमकता न होन ऩय बी खयीदन को वििश हो जात ह

परशन३ -आशम सऩषट कय

भन खारी होना भन बया होना भन फॊद होना

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उततय-भन खारी होना- भन भ कोई नननदशचत िसत खयीदन का रकषम न होना ननरददशम फाजाय जाना औय वमथय की चीजो को खयीदकय राना

भन बया होना- भन रकषम स बया होना नदजसका भन बया हो िह बरीबाॉनत जानता ह कक उस फाजाय स कौन सी िसत खयीदनी ह अऩनी आिशमकता की चीज खयीदकय िह फाजाय को साथयकता परदान कयता ह

भन फॊद होना-भन भ ककसी बी परकाय की इचछा न होना अथायत अऩन भन को शनदम कय दना

परशन४ - lsquoजहाॉ तषणा ह फटोय यखन की सऩहा ह वहाॉ उस फर का फीज नहीॊ हrsquo महाॊ ककस फर की चचाट की गमी ह

उततय- रखक न सॊतोरी सिबाि क वमनदकत क आतभफरकी चचाय की ह दसय शबदो भ महद भन भ सॊतोर हो तो वमनदकत हदखाि औय ईरषमाय की बािना स दय यहता ह उसभ सॊचम कयन की परिनदतत नहीॊ होती

परशन५ - अथटशासतर अनीनतशासतर कफ फन जाता ह

उततय- जफ फाजाय भ कऩट औय शोरण फढ़न रग खयीददाय अऩनी ऩचधचॊग ऩािय क घभॊड भ हदखाि क सरए खयीददायी कय | भनरषमो भ ऩयसऩय बाईचाया सभापत हो जाए| खयीददाय औय दकानदाय एक दसय को ठगन की घात भ रग यह एक की हानन भ दसय को अऩना राब हदखाई द तो फाजाय का अथयशासतर अनीनतशासतर फन जाता ह ऐस फाजाय भानिता क सरए विडॊफना ह

परशन६-बगतजी फाजाय औय सभाज को ककस परकाय साथटकता परदान कय यह ह

उततय- बगतजी क भन भ साॊसारयक आकरयणो क सरए कोई तरषणा नहीॊ ह ि सॊचम रारच औय हदखाि स दय यहत ह फाजाय औय वमाऩाय उनक सरए आिशमकताओॊ की ऩनत य का साधन भातर ह बगतजी क भन का सॊतोर औय ननसऩह बाि उनको शररषठ उऩबोकता औय विकरता फनात ह

परशन ७ _ बगत जी क वमजकततव क सशकत ऩहरओॊ का उलरख कीजजए |

उततय-ननमनाॊककत बफॊद उनक वमनदकतति क सशकत ऩहर को उजागय कयत ह

ऩॊसायी की दकान स किर अऩनी जरयत का साभान (जीया औय नभक) खयीदना नननदशचत सभम ऩय चयन फचन क सरए ननकरना छह आन की कभाई होत ही चयन फचना फॊद कय दना फच हए चयन को फचचो को भफ़त फाॉट दना

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सबी काजम-जम याभ कहकय सिागत कयना फाजाय की चभक-दभक स आकवरयत न होना सभाज को सॊतोरी जीिन की सशा दना

परशन7-फाजाय की साथटकता ककसभ ह

उततय- भनरषम की आिशमकताओॊ की ऩनतय कयन भ ही फाजाय की साथयकता ह जो गराहक अऩनी आिशमकताओॊ की चीज खयीदत ह ि फाजाय को साथयकता परदान कयत ह जो विकरता गराहको का शोरण नहीॊ कयत औय छर-कऩट स गराहको को रबान का परमास नही कयत ि बी फाजाय को साथयक फनात ह

गदमाॊश-आधारयत अथटगरहण-सॊफॊधधत परशनोततय

फाजाय भ एक जाद ह िह जाद आॉख की तयह काभ कयता ह िह रऩ का जाद ह ऩय जस चॊफक का जाद रोह ऩय ही चरता ह िस ही इस जाद की बी भमायदा ह जफ बयी हो औय भन खारी हो ऐसी हारत भ जाद का असय खफ होता ह जफ खारी ऩय भन बया न हो तो बी जाद चर जाएगा भन खारी ह तो फाजाय की अनकानक चीजो का ननभॊतरण उस तक ऩहॉच जाएगा कहीॊ हई उस िकत जफ बयी तफ तो कपय िह भन ककसकी भानन िारा ह भारभ होता ह मह बी रॉ िह बी रॉ सबी साभान जरयी औय आयाभ को फढ़ान िारा भारभ होता ह ऩय मह सफ जाद का असय ह जाद की सिायी उतयी कक ऩता चरता ह कक प सी-चीजो की फहतामत आयाभ भ भदद नहीॊ दती फनदलक खरर ही डारती ह थोड़ी दय को सिासबभान को जरय सक सभर जाता ह ऩय इसस असबभान को धगलटी की खयाक ही सभरती ह जकड़ यशभी डोयी की हो तो यशभ क सऩशय क भरामभ क कायण कमा िह कभ जकड़ दगी

ऩय उस जाद की जकड़ स फचन का एक सीधा उऩाम ह िह मह कक फाजाय जाओ तो खारी भन न हो भन खारी हो तफ फाजाय न जाओ कहत ह र भ जाना हो तो ऩानी ऩीकय जाना चाहहए ऩानी बीतय हो र का रऩन वमथय हो जाता ह भन रकषम स बया हो तो फाजाय परा का परा ही यह जाएगा तफ िह घाि बफरकर नहीॊ द सकगा फनदलक कछ आनॊद ही दगा तफ फाजाय तभस कताथय होगा कमोकक तभ कछ न कछ सचचा राब उस दोग फाजाय की असरी कताथयता ह आिशमकता क सभम काभ आना

परशन-1 फाजाय क जाद को रखक न कस सऩषट ककमा ह

उततय- फाजाय क रऩ का जाद आॉखो की याह स काभ कयता हआ हभ आकवरयत कयता ह फाजाय का जाद ऐस चरता ह जस रोह क ऊऩय चॊफक का जाद चरता ह चभचभाती योशनी भ सजी

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प सी चीॊज गराहक को अऩनी ओय आकवरयत कयती ह| इसी चमफकीम शनदकत क कायण वमनदकत कपजर साभान को बी खयीद रता ह |

परशन-2 जफ बयी हो औय भन खारी तो हभायी कमा दशा होती ह

उततय- जफ बयी हो औय भन खारी हो तो हभाय ऊऩय फाजाय का जाद खफ असय कयता ह भन खारी ह तो फाजाय की अनकानक चीजो का ननभॊतरण भन तक ऩहॉच जाता ह औय उस सभम महद जफ बयी हो तो भन हभाय ननमॊतरण भ नहीॊ यहता

परशन-3 प सी चीजो की फहतामत का कमा ऩरयणाभ होता ह

उततय- प सी चीज आयाभ की जगह आयाभ भ वमिधान ही डारती ह थोड़ी दय को असबभान को जरय सक सभर जाती ह ऩय हदखाि की परिनदतत भ िवदध होती ह

परशन-4 जाद की जकड़ स फचन का कमा उऩाम ह

उततय- जाद की जकड़ स फचन क सरए एक ही उऩाम ह िह मह ह कक फाजाय जाओ तो भन खारी न हो भन खारी हो तो फाजाय भत जाओ

13 कार भघा ऩानी द

रखक-धभटवीय बायती

ऩाि का सायाॊश -lsquoकार भघा ऩानी दrsquo ननफॊध रोकजीिन क विशिास औय विऻान क तकय ऩय आधारयत ह जफ बीरण गभी क कायण वमाकर रोग िराय कयान क सरए ऩजा-ऩाठ औय कथा-विधान कय थकndashहाय जात ह तफ िराय कयान क सरए अॊनतभ उऩाम क रऩ भ इनददय सना ननकरती ह| इनददय सना नॊग-धड़ॊग फचचो की टोरी ह जो कीचड़ भ रथऩथ होकय गरी-भोहलर भ ऩानी भाॉगन ननकरती ह| रोग अऩन घय की छतो-णखड़ककमो स इनददय सना ऩय ऩानी डारत ह | रोगो की भानदमता ह कक इनददर फादरो क सिाभी औय िराय क दिता ह| इनददर की सना ऩय ऩानी डारन स इनददर बगिान परसनदन होकय ऩानी फयसाएॊग | रखक का तकय ह कक जफ ऩानी की इतनी कभी ह तो रोग भनदशकर स जभा ककए ऩानी को फालटी बय-बयकय इनददय सना ऩय डारकय ऩानी को कमो फफायद कयत ह आमयसभाजी विचायधाया िारा रखक इस अॊधविशिास भानता ह | इसक विऩयीत रखक की जीजी उस सभझाती ह कक मह ऩानी की फफायदी नहीॊ फनदलक ऩानी की फिाई ह | कछ ऩान क सरए कछ दना ऩड़ता ह | तमाग क बफना दान नहीॊ होता| परसतत ननफॊध भ रखक न भरषटाचाय की सभसमा को उठात हए कहा ह कक जीिन भ कछ ऩान क सरए तमाग आिशमक ह जो रोग तमाग औय दान की भहतता को नहीॊ भानत ि ही भरषटाचाय भ सरपत यहकय दश औय सभाज को रटत ह| जीजी की आसथा बािनातभक सचचाई को ऩरषट कयती ह औय तकय किर िऻाननक तथम को सतम भानता ह जहाॉ तकय मथाथय क

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कठोय धयातर ऩय सचचाई को ऩयखता ह तो िहीॊ आसथा अनहोनी फात को बी सिीकाय कय भन को सॊसकारयत कयती ह बायत की सितॊतरता क ५० सार फाद बी दश भ वमापत बरषटाचाय औय सिाथय की बािना को दखकय रखक दखी ह | सयकाय दिाया चराई जा यही मोजनाएॉ गयीफो तक कमो नहीॊ ऩहॉच ऩा यहीॊ ह कार भघा क दर उभड़ यह ह ऩय आज बी गयीफ की गगयी पटी हई कमो ह रखक न मह परशन ऩाठको क सरए छोड़ हदमा ह |

परशन1-इनदय सना घय-घय जाकय ऩानी कमो भाॉगती थी

उततय- गाॉि क रोग फारयश क सरए बगिान इॊदर स पराथयना ककमा कयत थ जफ ऩजा-ऩाठवरत आहद उऩाम असिर हो जात थ तो बगिान इॊदर को परसनदन कयन क सरए गाॉि क ककशोय फचच कीचड़ भ रथऩथ होकय गरी-गरी घभकय रोगो स ऩानी भाॉगत थ

परशन2-इनदयसना को रखक भढक-भॊिरी कमो कहता ह जीजी क फायndashफाय कहन ऩय बी वह इनदयसना ऩय ऩानी प कन को याजी कमो नहीॊ होता

उततय- इनददयसना का कामय आमयसभाजी विचायधाया िार रखक को अॊधविशिास रगता ह उसका भानना ह कक महद इॊदयसना दिता स ऩानी हदरिा सकती ह तो सिमॊ अऩन सरए ऩानी कमो नहीॊ भाॉग रती ऩानी की कभी होन ऩय बी रोग घय भ एकतर ककम हए ऩानी को इॊदयसना ऩय ि कत ह रखक इस ऩानी की ननभयभ फयफादी भानता ह

परशन3- रि हए रखक को जीजी न ककस परकाय सभझामा

उततय- जीजी न रखक को पमाय स रडड-भठयी णखरात हए ननमन तकय हदए-

1- तमाग का भहततव- कछ ऩान क सरए कछ दना ऩड़ता ह 2- दान की भहतता- कवर-भननमो न दान को सफस ऊॉ चा सथान हदमा ह जो चीज अऩन

ऩास बी कभ हो औय अऩनी आिशमकता को बरकय िह चीज दसयो को दान कय दना ही तमाग ह |

3- इॊिदव को जर का अधमट चिाना- इॊदयसना ऩय ऩानी ि कना ऩानी की फयफादी नहीॊ फनदलक इॊदरदि को जर का अधमय चढ़ाना ह

4- ऩानी की फवाई कयना- नदजस परकाय ककसान िसर उगान क सरए जभीन ऩय फीज डारकय फिाई कयता ह िस ही ऩानी िार फादरो की िसर ऩान क सरए इनददय सना ऩय ऩानी डार कय ऩानी की फिाई की जाती ह

परशन4-नठदमो का बायतीम साभाजजक औय साॊसकनतक ऩरयवश भ कमा भहतव ह

उततय- गॊगा बायतीम सभाज भ सफस ऩजम सदानीया नदी ह नदजसका बायतीम इनतहास भ धासभयक ऩौयाणणक औय साॊसकनतक भहति ह | िह बायतीमो क सरए किर एक नदी नहीॊ अवऩत

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भाॉ ह सिगय की सीढ़ी ह भोदानमनी ह उसभ ऩानी नहीॊ अवऩत अभत तलम जर फहता ह बायतीम सॊसकनत भ नहदमो क ककनाय भानि सभमताएॉ परी-परी ह| फड़-फड़ नगय तीथयसथान नहदमो क ककनाय ही नदसथत ह ऐस ऩरयिश भबायतिासी सफस ऩहर गॊगा भमा की जम ही फोरग नहदमाॉ हभाय जीिन का आधाय ह हभाया दश कवर परधान ह नहदमो क जर स ही बायत बसभ हयी-बयी ह नहदमो क बफना जीिन की कलऩना नहीॊ कय सकत मही कायण ह कक हभ बायतीम नहदमो की ऩजा कयत ह |

परशन4-आजादी क ऩचास वषो क फाद बी रखक कमो दखी ह उसक भन भ कौन स परशन उि यह ह

उततय- आजादी क ऩचास िरो फाद बी बायतीमो की सोच भ सकायातभक फदराि न दखकय रखक दखी ह उसक भन भ कई परशन उठ यह ह-

1 कमा हभ सचच अथो भ सितनदतर ह 2 कमा हभ अऩन दश की सॊसकनत औय सभमता को सभझ ऩाए ह 3 यारषर ननभायण भ हभ ऩीछ कमो ह हभ दश क सरए कमा कय यह ह

4 हभ सिाथय औय भरषटाचाय भ सरपत यहत ह तमाग भ विशिास कमो नहीॊ कयत

5 सयकाय दिाया चराई जा यही सधायिादी मोजनाएॉ गयीफो तक कमो नहीॊ ऩहॉचती ह

गदमाॊश ऩय आधारयत अथटगरहण-सॊफॊधधत परशनोततय

सचभच ऐस हदन होत जफ गरी-भहलरा गाॉि-शहय हय जगह रोग गयभी भ बन-बन कय तराहहभाभ कय यह होत जठ क दसतऩा फीतकय आराढ का ऩहरा ऩखिाड़ा फीत चका होता ऩय कषनतज ऩय कहीॊ फादरो की यख बी नहीॊ दीखती होती कएॉ सखन रगत नरो भ एक तो फहत कभ ऩानी आता औय आता बी तो आधी यात को िो बी खौरता हआ ऩानी हो | शहयो की तरना भ गाॉि भ औय बी हारत खयाफ थी| जहाॉ जताई होनी चाहहए थी िहाॉ खतो की सभटटी सखकय ऩतथय हो जाती कपय उसभ ऩऩड़ी ऩड़कय जभीन पटन रगती र ऐसी कक चरत-चरत आदभी धगय ऩड़ | ढोय-डॊगय पमास क भाय भयन रगत रककन फारयश का कहीॊ नाभ ननशान नहीॊ ऐस भ ऩजा-ऩाठ कथा-विधान सफ कयक रोग जफ हाय जात तफ अॊनतभ उऩाम क रऩ भ ननकरती मह इनददय सना |

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परशन१- वषाट न होन ऩय रोगो की कमा जसथनत हो गमी थी उततय - िराय न होन ऩय गयभी क कायण रोग र रगन स फहोश होन रग | गाॉि-शहय सबी जगह ऩानी का अबाि हो गमा| कएॉ सख गए खतो की सभटटी सखकय ऩतथय क सभान कठोय होकय पट गमी| घयो भ नरो भ ऩानी फहत कभ आता था | ऩश पमास क भाय भयन रग थ | परशन२- वषाट क दवता कौन ह उनको परसनन कयन क लरए कमा उऩाम ककए जात थ उततय -िराय क दिता बगिान इनददर ह| उनको परसनदन कयन क सरए ऩजाndashऩाठ कथा-विधान कयाए जात थ | ताकक इनददर दि परसनदन होकय फादरो की सना बजकय झभाझभ फारयश कयाएॉ औय रोगो क करषट दय हो | परशन३- वषाट कयान क अॊनतभ उऩाम क रऩ भ कमा ककमा जाता था उततय ndashजफ ऩजा-ऩाठ कथा-विधान सफ कयक रोग हाय जात थ तफ अॊनतभ उऩाम क रऩ भ इनददय सना आती थी | नॊग-धडॊग कीचड़ भ रथऩथ lsquoकार भघा ऩानी द ऩानी द गड़धानी दrsquo की टय रगाकय पमास स सखत गरो औय सखत खतो क सरए भघो को ऩकायती हई टोरी फनाकय ननकर ऩड़ती थी| परशन४-आशम सऩषट कय ndash जठ क दसतऩा फीतकय आराढ़ का ऩहरा ऩखिाड़ा फीत चका होता ऩय कषनतज भ कहीॊ फादरो की यख बी नजय नहीॊ आती | आशम- जठ का भहीना ह बीरण गयभी ह| तऩत हए दस हदन फीत कय आराढ का भहीना बी आधा फीत गमा ऩय ऩानी क सरए तड़ऩत िराय की आशा भ आसभान की ओय ताकत रोगो को कहीॊ फादर नजय नहीॊ आ यह |

14 ऩहरवान की ढोरक

फ़णीशवयनाथ यण

ऩाि का सायाॊश ndashआॊचसरक कथाकाय िणीशियनाथ यण की कहानी ऩहरिान की ढोरक भ कहानी क भखम ऩातर रटटन क भाता-वऩता का दहाॊत उसक फचऩन भ ही हो गमा था | अनाथ रटटन को उसकी विधिा सास न ऩार-ऩोसकय फड़ा ककमा | उसकी सास को गाॉि िार सतात थ |

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रोगो स फदरा रन क सरए कशती क दाॉिऩच सीखकय कसयत कयक रटटन ऩहरिान फन गमा |

एक फाय रटटन शमाभनगय भरा दखन गमा जहाॉ ढोर की आिाज औय कशती क दाॉिऩच दखकय उसन जोश भ आकय नाभी ऩहरिान चाॉदससॊह को चनौती द दी | ढोर की आिाज स परयणा ऩाकय रटटन न दाॉि रगाकय चाॉद ससॊह को ऩटककय हया हदमा औय याज ऩहरिान फन गमा | उसकी खमानत दय-दय तक िर गमी| १५ िरो तक ऩहरिान अजम फना यहा| उसक दो ऩतर थ| रटटन न दोनो फटो को बी ऩहरिानी क गय ससखाए| याजा की भतम क फाद नए याजकभाय न गददी सॊबारी याजकभाय को घोड़ो की यस का शौक था भनजय न नम याजा को बड़कामा ऩहरिान औय उसक दोनो फटो क बोजनखचय को बमानक औय किजरखचय फतामा िरसिरऩ नए याजा न कशती को फॊद कयिा हदमा औय ऩहरिान रटटनससॊह को उसक दोनो फटो क साथ भहर स ननकार हदमा

याजदयफाय स ननकार हदए जान क फाद रटटन ससॊह अऩन दोनो फटो क साथ गाॉि भ झोऩड़ी फनाकय यहन रगा औय गाॉि क रड़को को कशती ससखान रगा| रटटन का सकर जमादा हदन नहीॊ चरा औय जीविकोऩाजयन क सरए उसक दोनो फटो को भजदयी कयनी ऩड़ी| इसी दौयान गाॉि भ अकार औय भहाभायी क कायण परनतहदन राश उठन रगी| ऩहरिान भहाभायी स डय हए रोगो को ढोरक फजाकय फीभायी स रड़न की सॊजीिनी ताकत दता था| एक हदन ऩहरिान क दोनो फट बी भहाभायी की चऩट भ आकय भय गए ऩय उस यात बी ऩहरिान ढोरक फजाकय रोगो को हहमभत फॊधा यहा था | इस घटना क चाय-ऩाॉच हदन फाद ऩहरिान की बी भौत हो जाती ह|

ऩहरिान की ढोरक वमिसथा क फदरन क साथ रोक कराकाय क अपरासॊधगक हो जान की कहानी ह इस कहानी भ रटटन नाभ क ऩहरिान की हहमभत औय नदजजीविरा का िणयन ककमा गमा ह बख औय भहाभायी अजम रटटन की ऩहरिानी को िट ढोर भ फदर दत ह इस करण तरासदी भ ऩहरिान रटटन कई सिार छोड़ जाता ह कक करा का कोई सितॊतर अनदसतति ह मा करा किर वमिसथा की भोहताज ह

परशन1- रटटन को ऩहरवान फनन की परयणा कस लभरी

उततय- रटटन जफ नौ सार का था तो उसक भाता-वऩता का दहाॊत हो गमा था | सौबागम स उसकी शादी हो चकी थी| अनाथ रटटन को उसकी विधिा सास न ऩार-ऩोसकय फड़ा ककमा | उसकी सास को गाॉि िार ऩयशान कयत थ| रोगो स फदरा रन क सरए उसन ऩहरिान फनन की ठानी| धायोरषण दध ऩीकय कसयत कय उसन अऩना फदन गठीरा औय ताकतिय फना सरमा | कशती क दाॉिऩच सीखकय रटटन ऩहरिान फन गमा |

परशन2- यात क बमानक सननाट भ रटटन की ढोरक कमा करयशभा कयती थी

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उततय- यात क बमानक सनदनाट भरटटन की ढोरक भहाभायी स जझत रोगो को हहमभत फॉधाती थी | ढोरक की आिाज स यात की विबीवरका औय सनदनाटा कभ होता था| भहाभायी स ऩीडड़त रोगो की नसो भ बफजरी सी दौड़ जाती थी उनकी आॉखो क साभन दॊगर का दशम साकाय हो जाता था औय ि अऩनी ऩीड़ा बर खशी-खशी भौत को गर रगा रत थ इस परकाय ढोर की आिाज फीभाय-भतपराम गाॉििारो की नसो भ सॊजीिनी शनदकत को बय फीभायी स रड़न की परयणा दती थी

परशन3- रटटन न सवाटधधक ठहमभत कफ ठदखाई

उततय- रटटन ससॊह न सिायधधक हहमभत तफ हदखाई जफ दोनो फटो की भतम ऩय िह योमा नहीॊ फनदलक हहमभत स काभ रकय अकर उनका अॊनतभ सॊसकाय ककमा| मही नहीॊ नदजस हदन ऩहरिान क दोनो फट भहाभायी की चऩट भ आकय भय गए ऩय उस यात को बी ऩहरिान ढोरक फजाकय रोगो को हहमभत फॉधा यहा था| शमाभनगय क दॊगर भ ऩया जनसभदाम चाॉद ससॊह क ऩ भ था चाॉद ससॊह को हयात सभम रटटन न हहमभत हदखाई औय बफना हताश हए दॊगर भ चाॉद ससॊह को धचत कय हदमा |

परशन4- रटटन लसॊह याज ऩहरवान कस फना

उततय- शमाभनगय क याजा कशती क शौकीन थ उनदहोन दॊगर का आमोजन ककमा ऩहरिान रटटन ससॊह बी दॊगर दखन ऩहॉचा चाॊदससॊह नाभक ऩहरिान जो शय क फचच क नाभ स परससदध था कोई बी ऩहरिान उसस सबड़न की हहमभत नहीॊ कयता था चाॉदससॊह अखाड़ भ अकरा गयज यहा था रटटन ससॊह न चाॉदससॊह को चनौती द दी औय चाॉदससॊह स सबड़ गमाढ़ोर की आिाज सनकय रटटन की नस-नस भ जोश बय गमाउसन चाॉदससॊह को चायो खान धचत कय हदमा याजासाहफ न रटटन की िीयता स परबावित होकय उस याजऩहरिान फना हदमा

परशन5- ऩहरवान की अॊनतभ इचछा कमा थी

उततय- ऩहरिान की अॊनतभ इचछा थी कक उस धचता ऩय ऩट क फर सरटामा जाए कमोकक िह नदजॊदगी भ कबी धचत नहीॊ हआ था| उसकी दसयी इचछा थी कक उसकी धचता को आग दत सभम ढोर अिशम फजामा जाए |

परशन6- ढोर की आवाज औय रटटन क भ दाॉिऩच सॊफॊध फताइए-

उततय- ढोर की आिाज औय रटटन क दाॉिऩच भ सॊफॊध -

चट धा धगड़ धाrarr आजा सबड़ जा | चटाक चट धाrarr उठाकय ऩटक द | चट धगड़ धाrarrभत डयना |

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धाक धधना नतयकट नतनाrarr दाॉि काटो फाहय हो जाओ | धधना धधना धधक धधनाrarr धचत कयो

गदमाॊश-आधारयत अथटगरहण-सॊफॊधधत परशनोततय

अॉधयी यात चऩचाऩ आॉस फहा यही थी | ननसतबधता करण सससककमो औय आहो को अऩन रदम भ ही फर ऩियक दफान की चरषटा कय यही थी | आकाश भ ताय चभक यह थ | ऩथिी ऩय कहीॊ परकाश का नाभ नहीॊ| आकाश स टट कय महद कोई बािक ताया ऩथिी ऩय आना बी चाहता तो उसकी जमोनत औय शनदकत यासत भ ही शर हो जाती थी | अनदम ताय उसकी बािकता अथिा असपरता ऩय णखरणखराकय हॉस ऩड़त थ | ससमायो का करॊ दन औय ऩचक की डयािनी आिाज यात की ननसतबधता को बॊग कयती थी | गाॉि की झोऩडडमो स कयाहन औय क कयन की आिाज हय याभ ह बगिान की टय सनाई ऩड़ती थी| फचच बी ननफयर कॊ ठो स भाॉ ndashभाॉ ऩकायकय यो ऩड़त थ |

(क) अॉधयी यात को आॉस फहात हए कमो ठदखामा गमा ह उततयndash गाॉि भ हजा औय भररयमा परा हआ था | भहाभायी की चऩट भ आकाय रोग भय यह थ |चायो ओय भौत का सनाटा छामा था इससरए अॉधयी यात बी चऩचाऩ आॉस फहाती सी परतीत हो यही थी|

(ख) ताय क भाधमभ स रखक कमा कहना चाहता ह उततयndash ताय क भाधमभ स रखक कहना चाहता ह कक अकार औय भहाभायी स तरसत गाॉि िारो की ऩीड़ा को दय कयन िारा कोई नहीॊ था | परकनत बी गाॉि िारो क द ख स दखी थी| आकाश स टट कय महद कोई बािक ताया ऩथिी ऩय आना बी चाहता तो उसकी जमोनत औय शनदकत यासत भ ही शर हो जाती थी |

(ग) यात की ननसतबधता को कौन बॊग कयता था उततयndash ससमायो की चीख-ऩकाय ऩचक की डयािनी आिाज औय कततो का साभहहक रदन सभरकय यात क सनदनाट को बॊग कयत थ |

(घ) झोऩड़ड़मो स कसी आवाज आ यही ह औय कमो उततयndash झोऩडड़मो स योधगमो क कयाहन क कयन औय योन की आिाज आ यही ह कमोकक गाॉि क रोग भररयमा औय हज स ऩीडड़त थ | अकार क कायण अनदन की कभी हो गमी थी| औरधध औय ऩथम न सभरन क कायण रोगो की हारत इतनी फयी थी कक कोई बगिान को ऩकाय रगाता था तो कोई दफयर कॊ ठ स भाॉndashभाॉ ऩकायता था |

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15 चारी चजतरन मानी हभ सफ

रखक-पवषण खय

ऩाि का सायाॊश ndashचारक चनदपरन न हासम कराकाय क रऩ भ ऩयी दननमा क फहत फड़ दशयक िगय को हॉसामा ह | उनकी कपलभो न कपलभ करा को रोकताॊबतरक फनान क साथ-साथ दशको की िगय औय िणय-वमिसथा को बी तोड़ा | चारक न करा भ फवदध की अऩा बािना को भहतति हदमा ह | फचऩन क सॊघरो न चारक क बािी कपलभो की बसभ तमाय कय दी थी| बायतीम करा औय सौदमयशासतर भ करणा का हासम भ ऩरयितयन बायतीम ऩयमऩया भ नहीॊ सभरता रककन चारक एक ऐसा जादई वमनदकतति ह जो हय दश सॊसकनत औय सभमता को अऩना सा रगता ह| बायतीम जनता न बी उनदह सहज बाि स सिीकाय ककमा ह| सिमॊ ऩय हॉसना चारक न ही ससखामा| बायतीम ससनभा जगत क सपरससदध कराकाय याजकऩय को चारक का बायतीमकयण कहा गमा ह | चारक की अधधकाॊश किलभ भक ह इससरए उनदह अधधक भानिीम होना ऩड़ा | ऩाठ भ हासम कपलभो क भहान असबनता lsquoचारक चनदपरनrsquo की जादई विशरताओॊ का उलरख ककमा गमा ह नदजसभ उसन करणा औय हासम भ साभॊजसम सथावऩत कय किलभो को साियबौसभक रऩ परदान ककमा

परशन१ -चारी क जीवन ऩय परबाव िारन वारी भखम घटनाएॉ कौन सी थी

उततय- चारक क जीिन भ दो ऐसी घटनाएॉ घटीॊ नदजनदहोन उनक बािी जीिन ऩय फहत परबाि डारा |

ऩहरी घटना - जफ चारक फीभाय थ उनकी भाॉ उनदह ईसा भसीह की जीिनी ऩढ़कय सना यही थी | ईसा क सरी ऩय चढ़न क परसॊग तक आत-आत भाॉ-फटा दोनो ही योन रग| इस घटना न चारक को सनह करणा औय भानिता जस उचच जीिन भलम हदए |

दसयी घटना हndash फारक चारक कसाईखान क ऩास यहता था| िहाॉ सकड़ो जानियो को योज भाया जाता था| एक हदन एक बड़ िहाॉ स बाग ननकरी| बड़ को ऩकड़न की कोसशश भ कसाई कई फाय कपसरा| नदजस दखकय रोग हॊसन रग ठहाक रगान रग| जफ बड़ को कसाई न ऩकड़ सरमा तो फारक चारक योन रगा| इस घटना न उसक बािी कपलभो भ तरासदी औय हासमोतऩादक ततिो की बसभका तम कय दी |

परशन२ ndash आशम सऩषट कीजजएndash

चजतरन न लसपट कपलभकरा को ही रोकताॊबतरक नही फनामा फजलक दशटको की वगट तथा वणट-वमवसथा को बी तोड़ा|

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उततय- रोकताॊबतरक फनान का अथय ह कक कपलभ करा को सबी क सरए रोकवपरम फनाना औय िगय औय िणय-वमिसथा को तोड़न का आशम ह- सभाज भ परचसरत अभीय-गयीफ िणय जानतधभय क बदबाि को सभापत कयना |चनदपरन का चभतकाय मह ह कक उनदहोन कपलभकरा को बफना ककसी बदबाि क सबी रोगो तक ऩहॉचामा| उनकी कपलभो न सभम बगोर औय सॊसकनतमो की सीभाओॊ को राॉघ कय साियबौसभक रोकवपरमता हाससर की | चारक न मह ससदध कय हदमा कक करा सितनदतर होती ह अऩन ससदधाॊत सिमॊ फनाती ह |

परशन३ndash चारी चजतरन की कपलभो भ ननठहत तरासदीकरणाहासम का साभॊजसम बायतीम करा औय सौदमटशासतर की ऩरयधध भ कमो नहीॊ आता

उततय- चारक चनदपरन की कपलभो भ ननहहत तरासदीकरणाहासम का साभॊजसम बायतीम करा औय सौदमयशासतर की ऩरयधध भ नहीॊ आताकमोकक बायतीम यस-ससदधाॊत भ करणा औय हासम का भर नहीॊ हदखामा जाता कमोकक बायतीम सौदमयशासतर भ करणयस औय हासम यस को ऩयसऩय वियोधी भाना गमा ह अथायत जहाॊ करणा ह िहाॉ हासम नहीॊ हो सकता बायत भ सिमॊ ऩय हॉसन की ऩयॊऩया नहीॊ ह ऩयॊत चारक क ऩातर अऩन ऩय हॉसतndashहॉसात ह चारक की किलभो क दशम हॉसात-हॉसात ररा दत ह तो कबी करण दशम क फाद अचानक ही हॉसन ऩय भजफय कय दत ह

परशन४ndash चारी क कपलभो की पवशषताएॉ फताइए |

उततय- चारक की किलभो भ हासम औय करणा का अदभत साभॊजसम ह उनकी किलभो भ बारा का परमोग फहत कभ ह चारक की किलभो भ फवदध की अऩा बािना का भहतति अधधक ह उनकी किलभो भ साियबौसभकता ह चारक ककसी बी सॊसकनत को विदशी नही रगत चारक सफको अऩन रगत ह चारक न किलभो को रोकताॊबतरक फनामा औय किलभो भ िगय तथािणय-वमिसथा को तोड़ा अऩनी कपलभो भ चारक सदि धचय मिा हदखता ह

गदमाॊश-आधारयत अथटगरहण-सॊफॊधी परशनोततय

गदमाॊश सॊकत ndashचारक चनदपरन मानी हभ सफ (ऩरषठ १२० )

महद मह िरय चनदपरन की कापी कछ कहा जाएगा |

परशन (क)-पवकासशीर दशो भ चजतरन कमो भशहय हो यह ह

उततय - विकासशीर दशो भ जस-जस टरीविजन औय िीडडमो का परसाय हो यहा ह रोगो को उनकी कपलभो को दखन का अिसय सभर यहा ह |एक फहत फड़ा िगय नए ससय स चारक को घड़ी सधायत औय जत खान की कोसशश कयत दख यहा ह इसीसरए चारक विकासशीर दशो भ रोकवपरम हो यह ह |

(ख)- ऩजशचभ भ चारी का ऩनजीवन कस होता यहता ह

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उततय - ऩनदशचभ भ चारक की कपलभो का परदशयन होता यहता ह| उनकी करा स परयणा ऩाकय हासम किलभ फनती यहती ह | उनक दिाया ननबाए ककयदायो की नकर अनदम कराकाय कयत ह | ऩनदशचभ भ चारक का ऩनजीिन होता यहता ह|

(ग)- चारी को रोग फिाऩ तक कमो माद यखग

उततय ndashहासम कराकाय क रऩ भ रोग चारक को फढ़ाऩ तक माद यखग कमोकक उनकी करा सभम बगोर औय सॊसकनतमो की सीभाओॊ को राॉघकय राखो रोगो को हॉसा यही ह|

(घ)- चारी की कपलभो क फाय भ कापी कछ कहा जाना कमो फाी ह

उततय ndashचनदपरन की ऐसी कछ किलभ मा इसतभार न की गमी यीर सभरी ह नदजनक फाय भ कोई नहीॊ जानता था | चारक की बािनापरधान हासम कपलभो न करा क नए परनतभान सथावऩत ककए ह अत चारक की कपलभो क फाय भ अबी कापी कछ कहा जाना फाी ह|

16 नभक

रखखका - यजजमा सजजाद जहीय

सायाॊश -lsquoनभकrsquoबायत-ऩाक विबाजन ऩय सरणखत भासभयक कहानी ह | विसथावऩत हए रोगो भ अऩनndashअऩन जनदभ सथानो क परनत आज बी रगाि ह| धासभयक आधाय ऩय फनी यारषर-याजमो की सीभा-यखाएॉ उनक अॊतभयन को अरग नहीॊ कय ऩाई ह | बायत भ यहन िारी ससख फीिी राहौय को अऩना ितन भानती ह औय बायतीम कसटभ अधधकायी ढाका क नारयमर ऩानी को मादकय उस सियशररषठ फताता ह दोनो दशो क नागरयको क फीच भहबफत का नभकीन सिाद आज बी कामभ ह इसीसरए सकिमा बायत भ यहन िारी अऩनी भॉहफोरी भाॉ ससख फीिी क सरए राहौयी नभक रान क सरए कसटभ औय कानन की ऩयिाह नहीॊ कयती

परशन1- lsquoनभकrsquo ऩाि क आधाय ऩय फताइए कक सकपमा औय उसक बाई क पवचायो भ कमा अॊतय था

उततय- १-सकपमा बािनाओॊ को फहतभहतति दती ह ऩय उसका बाई फौवदधक परिनदतत का ह उसकी दनदरषट भ कानन बािनाओॊ स ऊऩय ह|

२-सकपमा भानिीम सॊफॊधो को फहत भहतति दती ह जफकक उसका बाई अरगाििादी विचायधाया का ह हहसस-फखय की फात कयता ह |

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३-सकपमा का बाई कहता ह कक अदीफो(साहहतमकाय) का हदभाग घभा हआ होता ह जफकक सकपमा जो सिमॊ अदीफ ह उसका भानना ह कक अगय सबी रोगो का हदभाग अदीफो की तयह घभा हआ होता तो दननमा कछ फहतय हो जाती |

परशन२- नभक र जात सभम सकफ़मा क भन भ कमा दपवधा थी

उततय-सकपमा समद भसरभान थी जो हय हार भ अऩना िामदा ननबात ह| ऩाककसतान स राहौयी नभक र जाकय िह अऩना िामदा ऩया कयना चाहती थी ऩयनदत जफ उस ऩता चरा कक कसटभ क ननमभो क अनसाय सीभाऩाय नभक र जाना िनदजयत ह तो िह दविधा भ ऩड़ गई | सकिमा का दिॊदि मह था कक िह अऩनी ससख भाॉ क सरए नभक कसटभ अधधकारयमो को फताकयर जाए मा नछऩाकय|

परशन३- ऩाि क आधाय ऩय सकपमा की चारयबतरक पवशषताएॉ फताइए |

उततय सॊकत ndash

१- बािक २- ईभानदाय ३- दढ़ननशचमी ४- ननडय ५- िामद को ननबान िारी ६- भानिीम भलमो को सिोऩरय भानन िारी साहहतमकाय

परशन ४- lsquoनभकrsquo ऩाि भ आए ककयदायो क भाधमभ स सऩषट कीजजए कक आज बी बायत औय ऩाककसतान की जनता क फीच भहबफत का नभकीन सवाद घरा हआ ह |

उततय ndash बर ही याजनीनतक औय धासभयक आधाय ऩय बायत औय ऩाककसतान को बौगोसरक रऩ स विबानदजत कय हदमा गमा ह रककन दोनो दशो क रोगो क रदम भ आज बी ऩायसऩरयक बाईचाया सौहादरय सनह औय सहानबनत विदमभान ह | याजनीनतक तौय ऩय बर ही सॊफॊध तनािऩणय हो ऩय साभानदजक तौय ऩय आज बी जनता क फीच भहबफत का नभकीन सिाद घरा हआ ह | अभतसय भ यहन िारी ससख फीफी राहौय को अऩना ितन कहती ह औय राहौयी नभक का सिाद नहीॊ बरा ऩाती | ऩाककसतान का कसटभ अधधकायी नभक की ऩडड़मा सकपमा को िाऩस दत हए कहता ह rdquoजाभा भनदसजद की सीहढ़मो को भया सराभ कहना |rdquo बायतीम सीभा ऩय तनात कसटभ अधधकायी ढाका की जभीन को औय िहाॉ क ऩानी क सिाद को नहीॊ बर ऩाता |

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गदमाॊश-आधारयत अथटगरहण सॊफॊधधत परशनोततय

गदमाॊश सॊकत- ऩाठndash नभक (ऩरषठ १३४)

सकपमा कसटभ क जॊगर स दोनो क हाथो भ थी |

(क) सकपमा कसटभ क जॉगर स ननकरकय दसय तरटपाभट ऩय आ गमी व वहीॊ खड़ यहndash इस वाकम भ lsquoवrsquo शबद का परमोग ककसक लरए ककमा गमा ह

उततय- महाॉ lsquoिrsquo शबद का परमोग ऩाककसतानी कसटभ अधधकायी क सरए ककमा गमा ह जो विबाजन स ऩिय हदलरी भ यहत थ औय आज बी हदलरी को ही अऩना ितन भानत ह |

(ख) तरटपाभट ऩय सकपमा को पवदा कयन कौन-कौन आए थ उनहोन सकपमा को कस पवदाई दी

उततय- परटपाभय ऩय सकपमा को विदा कयन उसक फहत साय सभतर सग सॊफॊधी औय बाई आए थ| उनदहोन ठॊडी साॉस बयत हए सबॊच हए होठो क साथ आॉस फहात हए सकपमा को विदाई दी |

(ग) अटायी भ यरगाड़ी भ कमा ऩरयवतटन हए उततय- अटायी भ यरगाड़ी स ऩाककसतानी ऩसरस उतयी औय हहनददसतानी ऩसरस सिाय हो गई|

(घ) कौन सी फात सकपमा की सभझ भ नहीॊ आ यही थी उततय- दोनो ओय एक सी जभीन एक जसा आसभान एक सी बारा एक सा ऩहनािा औय एक सी सयत क रोग कपय बी दोनो क हाथो भ बयी हई फॊदक ह |

17 लशयीष क पर

आचामट हजायी परसाद दपववदी

सायाॊश ndashlsquoआचामय हजायी परसाद दवििदीrsquo सशयीर को अदभत अिधत भानत ह कमोकक सॊनदमासी की बाॉनत िह सख-दख की धचॊता नहीॊ कयता गभी र िराय औय आॉधी भ बी अविचर खड़ा यहता ह सशयीर क िर क भाधमभ स भनरषम की अजम नदजजीविरा धमयशीरता औय कतयवमननरषठ फन यहन क भानिीम भलमो को सथावऩत ककमा गमा हरखक न सशयीर क कोभर परो औय कठोय परो क दिाया सऩरषट ककमा ह कक रदम की कोभरता फचान क सरए कबी-कबी वमिहाय की कठोयता बी आिशमक हो जाती ह| भहान कवि कासरदास औय कफीय बी सशयीर की तयह फऩयिाह अनासकत औय सयस थ तबी उनदहोन इतनी सनददय यचनाएॉ सॊसाय को दीॊ| गाॉधीजी क वमनदकतति भ बी कोभरता औय कठोयता का अदभत सॊगभ था | रखक सोचता ह कक हभाय दश भ जो भाय-काट अनदगनदाह रट-ऩाट खन-खचचय का फिॊडय ह कमा िह दश को नदसथय नहीॊ यहन दगा गराभी अशाॊनत औय वियोधी िाताियण क फीच अऩन ससदधाॊतो की या कयत हए गाॉधीजी जी नदसथय यह सक थ तो दश बी यह सकता ह जीन की परफर असबरारा क कायण

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विरभ ऩरयनदसथतमो भ बी महद सशयीर णखर सकता ह तो हभाया दश बी विरभ ऩरयनदसथनतमो भ नदसथय यह कय विकास कय सकता ह

परशन1-लसदध कीजजए कक लशयीष कारजमी अवधत की बाॉनत जीवन की अजमता क भॊतर का परचाय कयता ह

उततय- सशयीर कारजमी अिधत की बाॉनत जीिन की अजमता क भॊतर का परचाय कयता ह| जफ ऩथिी अनदगन क सभान तऩ यही होती ह िह तफ बी कोभर परो स रदा रहरहाता यहता ह|फाहयी गयभी धऩ िराय आॉधी र उस परबावित नहीॊ कयती इतना ही नहीॊ िह रॊफ सभम तक णखरा यहता ह | सशयीर विऩयीत ऩरयनदसथनतमो भ बी धमयशीर यहन तथा अऩनी अजम नदजजीविरा क साथ ननसऩह बाि स परचॊड गयभी भ बी अविचर खड़ा यहता ह

परशन२-आयगवध (अभरतास) की तरना लशयीष स कमो नहीॊ की जा सकती

उततय- सशयीर क पर बमॊकय गयभी भ णखरत ह औय आराढ़ तक णखरत यहत ह जफकक अभरतास का पर किर ऩनददरह-फीस हदनो क सरए णखरता ह | उसक फाद अभरतास क पर झड़ जात ह औय ऩड़ कपय स ठॉठ का ठॉठ हो जाता ह | अभरतास अलऩजीिी ह | विऩयीत ऩरयनदसथनतमो को झरता हआ ऊरषण िाताियण को हॉसकय झरता हआ सशयीर दीघयजीिी यहता ह | मही कायण ह कक सशयीर की तरना अभरतास स नहीॊ की जा सकती |

परशन३-लशयीष क परो को याजनताओॊ का रऩक कमो ठदमा गमा ह

उततय- सशयीर क पर उन फढ़ ढीठ औय ऩयान याजनताओॊ क परतीक ह जो अऩनी कसी नहीॊ छोड़ना चाहत | अऩनी अधधकाय-सरपसा क सरए नए मिा नताओॊ को आग नहीॊ आन दत | सशयीर क नए परो को जफयदसती ऩयान परो को धककमाना ऩड़ता ह | याजनीनत भ बी नई मिा ऩीढ़ी ऩयानी ऩीढ़ी को हयाकय सिमॊ सतता सॉबार रती ह |

परशन४- कार दवता की भाय स फचन का कमा उऩाम फतामा गमा ह

उततय- कार दिता कक भाय स फचन का अथय हndash भतम स फचना | इसका एकभातर उऩाम मह ह कक भनरषम नदसथय न हो| गनतशीर ऩरयितयनशीर यह | रखक क अनसाय नदजनकी चतना सदा ऊधियभखी (आधमातभ की ओय) यहती ह ि हटक जात ह |

परशन५- गाॉधीजी औय लशयीष की सभानता परकट कीजजए |

उततय- नदजस परकाय सशयीर धचरधचराती धऩ र िराय औय आॉधी भ बी अविचर खड़ा यहता ह अनासकत यहकय अऩन िाताियण स यस खीॊचकय सयस कोभर फना यहता ह उसी परकाय गाॉधी जी न बी अऩनी आॉखो क साभन आजादी क सॊगराभ भ अनदमाम बदबाि औय हहॊसा को झरा |

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उनक कोभर भन भ एक ओय ननयीह जनता क परनत असीभ करणा जागी िहीॊ ि अनदमामी शासन क वियोध भ डटकय खड़ हो गए |

गदमाॊश-आधारयत अथटगरहण सॊफॊधधत परशनोततय

गदमाॊश सॊकत- ऩाठ ndash सशयीर क पर (ऩरषठ १४७)

कासरदास सौदमय क िह इशाया ह |

(क) कालरदास की सौदमटndashदजषट की कमा पवशषता थी उततय-कासरदास की सौदमयndashदनदरषट फहत सकषभ अॊतबदी औय सॊऩणय थी| ि किर फाहयी रऩ-यॊग औय आकाय को ही नहीॊ दखत थ फनदलक अॊतभयन की सॊदयता क बी ऩायखी थ| कासरदास की सौदमय शायीरयक औय भानससक दोनो विशरताओॊ स मकत था |

(ख) अनासजकत का कमा आशम ह उततय- अनासनदकत का आशम ह- वमनदकतगत सख-द ख औय याग-दिर स ऩय यहकय सौदमय क िासतविक भभय को जानना |

(ग) कालरदास ऩॊत औय यवीॊिनाथ टगोय भ कौन सा गण सभान था भहाकवि कासरदास ससभतरानॊदन ऩॊत औय गरदि यिीॊदरनाथ टगोय तीनो नदसथयपरऻ औय अनासकत कवि थ | ि सशयीर क सभान सयस औय भसत अिधत थ |

(घ) यवीॊिनाथ याजोदमान क लसॊहदवाय क फाय भ कमा सॊदश दत ह याजोदमान क फाय भ यिीॊदरनाथ कहत ह याजोदमान का ससॊहदिाय ककतना ही सॊदय औय गगनचमफी कमो ना हो िह अॊनतभ ऩड़ाि नहीॊ ह| उसका सौदमय ककसी औय उचचतभ सौदमय की ओय ककमा गमा सॊकत भातर ह कक असरी सौदमय इस ऩाय कयन क फाद ह अत याजोदमान का ससॊहदिाय हभ आग फढ़न की परयणा दता ह |

18शरभ-पवबाजन औय जानत-परथा

िॉ० बीभयाव अॊफिकय

सायाॊश ndash इस ऩाठ भ रखक न जानतिाद क आधाय ऩय ककए जान िार बदबाि को सभम सभाज क सरए हाननकायक फतामा ह | जानत आधारयत शरभ विबाजन को असिाबाविक औय भानिता वियोधी फतामा गमा ह मह साभानदजक बदबाि को फढ़ाता ह जानतपरथा आधारयत शरभ विबाजन भ वमनदकत की रधच को भहतति नहीॊ हदमा जाता परसिरऩ वििशता क साथ अऩनाए

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Page 13: ISSUED BY KENDRIYA VIDYALAYA - DOWNLOADED FROM … Class XII Hindi Part B.pdfप्रश्न४ :-फादर क / फयन का गयीफ एि धनी िगय क्मा

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परशन४- बाई क परनत याभ क परभ की परगाढ़ता उनक ककन विचायो स वमकत हई ह

उततय - जथा ऩॊख बफन खग अनत दीना

भनन बफन पनन करयफय कय हीना

अस भभ नदजिन फॊध बफन तोही

जो जड़ दि नदजआि भोही

परशन५- lsquoफहविधध सोचत सोचविभोचनrsquo का वियोधाबास सऩरषट कीनदजए

उततय -दीनजन को शोक स भकत कयन िार बगिान याभ सिमॊ फहत परकाय स सोच भ ऩड़कय दखी हो यह ह

परशन६- हनभान का आगभन करणा भ िीय यस का आना ककस परकाय कहा जा सकता ह

उततय -रदन कयत िानय सभाज भ हनभान उतसाह का सॊचाय कयन िार िीय यस क रऩ भ आ गए करणा की नदी हनभान दिाया सॊजीिनी र आन ऩय भॊगरभमी हो उठती ह

कपवतत औय सवमा

पवषम-वसत ऩय आधारयत परशनोततय

परशन१- ऩट की बख शाॊत कयन क सरए रोग कमा कमा कयत ह

उततय -ऩट की आग फझान क सरए रोग अननतक कामय कयत ह

परशन२- तरसीदास की दनदरषट भ साॊसारयक दखो स ननिनदतत का सिोततभ उऩाम कमा ह

उततय - ऩट की आग फझान क सरए याभ कऩा रऩी िराय का जर अननिामय हइसक सरए अननतक कामय कयन की आिशमकता नहीॊ ह

परशन३- तरसी क मग की सभसमाओॊ का धचतरण कीनदजए

उततय - तरसी क मग भ पराकनतक औय परशासननक िरमम क चरत उतऩनदन ऩीडा दरयदरजन क सरए यािण क सभान दखदामी हो गई ह

परशन४- तरसीदास की बनदकत का कौन सा सिरऩ परसतत कविततो भ असबवमकत हआ ह

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उततय - तरसीदास की बनदकत का दासम बाि सिरऩ परसतत कविततो भ असबवमकत हआ ह

9 रफाइमाॉ

कफ़याक गोयखऩयी

भर नाभndash यघऩनत सहाम कफ़याक

उदय शामयी की रयिामत क विऩयीत कपयाक गोयखऩयी क साहहतम भ रोक जीिन एिॊ परकनत की झरक सभरती ह साभानदजक सॊिदना िमनदकतक अनबनत फन कय उनकी यचनाओॊ भ वमकत हई हजीिन का कठोय मथाथय उनकी यचनाओॊ भ सथान ऩाता हउनदहोन रोक बारा क परतीको का परमोग ककमा ह राणणक परमोग उनकी बारा की विशरता हकियाक की रफाईमो भ घयर हहॊदी का रऩ हदखता ह |

रफाई उदय औय िायसी का एक छॊद मा रखन शरी ह नदजसभ चाय ऩॊनदकतमाॉ होती ह |इसकी ऩहरी दसयी औय चौथी ऩॊनदकत भ तक (काकिमा)सभरामा जाता ह तथा तीसयी ऩॊनदकत सिचछॊद होती ह |

ldquoिो रऩिती भखड़ ऩ इक नभय दभकrdquo

ldquoफचच क घयोद भ जराती ह हदएldquo

ldquoयाफॊधन की सफह यस की ऩतरीrdquo

ldquoबफजरी की तयह चभक यह ह रचछrdquo

ldquoबाई क ह फाॉधती चभकती याखीldquo- जस परमोग उनकी बारा की सशकतता क नभन क तौय ऩय दख जा सकत ह |

साय

रफाइमाॉ

याफॊधन एक भीठा फॊधन ह याफॊधन क कचच धागो ऩय बफजरी क रचछ ह सािन भ याफॊधन आता ह सािन का जो सॊफॊध झीनी घटा स ह घटा का जो सॊफॊध बफजरी स ह िही सॊफॊध बाई का फहन स होता ह

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गज़र

ऩाठ भ कपयाक की एक गज़र बी शासभर ह रफाइमो की तयह ही कपयाक की गजरो भ बी हहॊदी सभाज औय उदय शामयी की ऩयॊऩया बयऩय ह इसका अदभत नभना ह मह गज़र मह गज़र कछ इस तयह फोरती ह कक नदजसभ ददय बी ह एक शामय की ठसक बी ह औय साथ ही ह कावम-सशलऩ की िह ऊॉ चाई जो गज़र की विशरता भानी जाती ह

अथट-गरहण-सॊफॊधी परशन

ldquoआॉगन भ सरए चाॉद क टकड़ को खड़ी

हाथो ऩ झराती ह उस गोद-बयी

यह-यह क हिा भ जो रोका दती ह

गॉज उठती ह णखरणखरात फचच की हॉसीrdquo

परशन१- lsquoचाॉद क टकड़rsquoका परमोग ककसक सरए हआ ह औय कमो

उततय -फचच को चाॉद का टकड़ा कहा गमा ह जो भाॉ क सरए फहत पमाया होता ह

परशन२- गोद-बयी परमोग की विशरता को सऩरषट कीनदजए |

उततय - गोद-बयी शबद-परमोग भाॉ क वातसलमऩणट आनॊठदत उतसाह को परकट कयता ह |मह अतमॊत सॊदय दशम बफॊफ ह | सनी गोद क विऩयीत गोद का बयना भाॉ क लरए असीभ सौबागम का सचक ह |इसी सौबागम का सकषभ अहसास भाॉ को तजतत द यहा ह|

परशन३- रोका दना ककस कहत ह

उततय - जफ भाॉ फचच को फाहो भ रकय हिा भ उछारती ह इस रोका दना कहत ह|छोट फचचो को मह खर फहत अचछा रगता ह

परशन४- फचचा भाॉ की गोद भ कसी परनतककरमा कयता ह

उततय - हिा भ उछारन ( रोका दन) स फचचा भाॉ का िातसलम ऩाकय परसनदन होता ह औय णखरणखरा कय हॉस ऩड़ता हफचच की ककरकारयमाॉ भाॉ क आनॊद को दगना कय दती ह|

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सौदमट-फोध-सॊफॊधी परशन

ldquoनहरा क छरक-छरक ननभयर जर स

उरझ हए गसओॊ भ कॊ घी कयक

ककस पमाय स दखता ह फचचा भॉह को

जफ घटननमो भ रक ह वऩनदहाती कऩड़rdquo

परशन१- परसतत ऩॊनदकतमो क बाि सौदमय को सऩरषट कीनदजए |

उततय - भाॉ न अऩन फचच को ननभयर जर स नहरामा उसक उरझ फारो भ कॊ घी की |भाॉ क सऩशय एिॊ नहान क आनॊद स फचचा परसनदन हो कय फड़ परभ स भाॉ को ननहायता ह| परनतहदन की एक सिाबाविक ककरमा स कस भाॉ-फचच का परभ विकससत होता ह औय परगाढ़ होता चरा जाता ह इस बाि को इस रफाई भ फड़ी सकषभता क साथ परसतत ककमा गमा ह|

परशन२- कावमाॊश भ आए बफॊफो को सऩरषट कीनदजए |

उततय -१ldquoनहरा क छरक-छरक ननभटर जर सrdquo- इस परमोग दिाया कवि न फारक की ननभयरता एिॊ ऩवितरता को जर की ननभयरता क भाधमभ स अॊककत ककमा ह | छरकना शबद जर की ताजा फॊदो का फारक क शयीय ऩय छरछरान का सॊदय दशम बफॊफ परसतत कयता ह |

२ lsquoघटननमो भ रक ह पऩनहाती कऩड़rsquo- इस परमोग भ भाॉ की फचच क परनत सािधानी चॊचर फचच को चोट ऩहॉचाए बफना उस कऩड़ ऩहनान स भाॉ क भातति की कशरता बफॊबफतहोती ह |

३ ldquoककस तमाय स दखता ह फचचा भॉह कोrdquo- ऩॊनदकत भ भाॉ ndashफचच का िातसलम बफॊबफत हआ ह | भाॉ स पमाय ndashदराय सऩशय ndashसख नहराए जान क आनॊद को अनबि कयत हए फचचा भाॉ को पमाय बयी नजयो स दख कय उस सख की असबवमनदकत कय यहा ह |मह सकषभ बाि अतमॊत भनोयभ फन ऩड़ा ह |सॊऩणय रफाई भ दशम बफॊफ ह|

परशन ३-कावमाॊश क शबद-परमोग ऩय हटपऩणी सरणखए |

उततय -गस ndashउदय शबदो का परमोग

घटननमो वऩनदहाती ndash दशज शबदो क भाधमभ स कोभरता की असबवमनदकत

छरक ndashछरक ndashशबद की ऩनयािनदतत स अबी ndashअबी नहराए गए फचच क गीर शयीय का बफॊफ

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आहद विरण परमोग रफाइमो को विसशरषट फना दत ह | हहॊदीउदय औय रोकबारा क अनठ गठफॊधन की झरक नदजस गाॊधीजी हहॊदसतानी क रऩ भ ऩलरवित कयना चाहत थदखन को सभरती ह |

पवषम-वसत ऩय आधारयत परशनोततय

रफाइमाॉ

परशन १ -कावम भ परमकत बफॊफो का िणयन अऩन शबदो भ कीनदजए

उततय -

दशम बफॊफ -फचच को गोद भ रना हिा भ उछारना सनान कयाना घटनो भ रकय कऩड़ ऩहनाना|

शरवमबफॊफ - फचच का णखरणखरा कय हॉस ऩड़ना सऩशय बफॊफ -फचच को सनान कयात हए सऩशय कयना |

परशन २-ldquoआॉगन भ ठनक यहा ह नदज़दमामा ह फारक तो हई चाॉद ऩ ररचामा हrsquo- भ फारक की कौन सी विशरता असबवमकत हई ह

उततय - इन ऩॊनदकतमो भ फारक की हि कयन की पवशषता असबवमकत हई ह फचच जफ नदजद ऩय आ जात ह तो अऩनी इचछा ऩयी कयिान क सरए नाना परकाय की हयकत ककमा कयत ह| नदज़दमामा शबद रोक बाषा का पवरण परमोग ह इसभ फचच का िनकना तनकना ऩाॉव ऩटकना योना आठद सबी ककरमाएॉ शासभर ह |

परशन ३ रचछ ककस कहा गमा ह इनका सॊफॊध ककस तमौहाय स ह

उततय - याखी क चभकीर तायो को रचछ कहा गमा ह याफॊधन क कचच धागो ऩय बफजरी क रचछ ह सािन भ याफॊधन आता ह सािन का जो सॊफॊध झीनी घटा स ह घटा का जो सॊफॊध बफजरी स ह िही सॊफॊध बाई का फहन स होता ह|सािन भ बफजरी की चभक की तयह याखी क चभकीर धागो की सॊदयता दखत ही फनती ह|

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अथट-गरहण-सॊफॊधी परशन

गज़र

कफ़याक गोयखऩयी

ldquoनौयस गॊच ऩॊखडड़मो की नाज़क धगयह खोर ह

मा उड़ जान को यॊगो- फ गरशन भ ऩय तौर ह |rdquo

परशन१- lsquoनौयसrsquo विशरण दिाया कवि ककस अथय की वमॊजना कयना चाहता ह

उततय नौयस अथायत नमा यस गॊच अथायत कसरमो भ नमा ndashनमा यस बय आमा ह |

परशन२- ऩॊखडड़मो की नाज़क धगयह खोरन का कमा असबपराम ह

उततय - यस क बय जान स कसरमाॉ विकससत हो यही ह |धीय-धीय उनकी ऩॊखडड़माॉ अऩनी फॊद गाॉठ खोर यही ह | कवि क शबदो भ नियस ही उनकी फॊद गाॉठ खोर यहा ह|

परशन३- lsquoयॊगो- फ गरशन भ ऩय तौर हrsquo ndash का अथय सऩरषट कीनदजए|

उततय -यॊग औय सगॊध दो ऩी ह जो कसरमो भ फॊद ह तथा उड़ जान क सरए अऩन ऩॊख पड़पड़ा यह ह |मह नदसथनत कसरमो क पर फन जान स ऩिय की ह जो पर फन जान की परतीा भ ह |rsquoऩय तौरनाrsquo एक भहािया ह जो उड़ान की भता आॉकन क सरए परमोग ककमा जाता ह |

परशन४- इस शय का बाि-सौदमय वमकत कीनदजए|

उततय -कसरमो की नई-नई ऩॊखडड़माॉ णखरन रगी ह उनभ स यस भानो टऩकना ही चाहता ह | िमसॊधध(ककशोयी)नानमका क परसपहटत होत सौदमय का परतीकातभक धचतरण अतमॊत सॊदय फन ऩड़ा ह |

सौदमट-फोध-सॊफॊधी परशन

हभ हो मा ककसभत हो हभायी दोनो को इक ही काभ सभरा ककसभत हभ को यो रि ह हभ ककसभत को यो र ह| जो भझको फदनाभ कय ह काश ि इतना सोच सक

भया ऩदाय खोर ह मा अऩना ऩदाय खोर ह | परशन१- इन शयो की बारा सॊफॊधी विशरताएॉ सऩरषट कीनदजए |

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उततय- १ भहाियो का परमोग ndashककसभत का योना ndashननयाशा का परतीक

२सयर असबवमनदकत बारा भ परिाहभमता ह ककसभत औय ऩयदा शबदो की ऩनयािनदततमाॉ

भोहक ह|

३ हहॊदी का घयर रऩ

परशन२- lsquoभया ऩयदा खोर ह मा अऩना ऩयदा खोर ह lsquo- की बावरक विशरता सरणखए |

उततय -भहािय क परमोग दिाया वमॊजनातभक असबवमनदकत | ऩयदा खोरना ndash बद खोरना सचचाई फमान कयना|

परशन३-lsquoहभ हो मा ककसभत हो हभायी lsquo ndashपरमोग की विशरता फताइए |

उततय - हभ औय ककसभत दोनो शबद एक ही वमनदकत अथायत कियाक क सरए परमकत ह | हभ औय ककसभत भ अबद ह मही विशरता ह |

कफ़याक गोयखऩयी

पवषम-वसत ऩय आधारयत परशनोततय

परशन१- ताय आॉख झऩकाि ह ndashका तातऩमय सऩरषट कीनदजए |

उततय- याबतर का सनदनाटा बी कछ कह यहा हइससरए ताय ऩरक झऩका यह ह विमोग की नदसथनत भ परकनत बी सॊिाद कयती परतीत होती ह |

परशन२- lsquoहभ हो मा ककसभत हो हभायीrsquo भ ककस बाि की असबवमनदकत हई ह

उततय- जीिन की विडॊफना ककसभत को योना-भहािय क परमोग स सटीक असबवमनदकत परापत कयती ह कवि जीिन स सॊतरषट नहीॊ ह | बागम स सशकामत का बाि इन ऩॊनदकतमो भ झरकता ह |

परशन३- परभ क ककस ननमभ की असबवमनदकत कवि न की ह

उततय -ईशिय की परानदपत सियसि रटा दन ऩय होती ह परभ क सॊसाय का बी मही ननमभ ह|कवि क शबदो भ rdquo कितयत का कामभ ह तिाज़न आरभ- हसनो ndashइशक भ बी

उसको उतना ही ऩात ह खद को नदजतना खो र ह |rdquo

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१ बाि ndashसामम- कफीय -lsquoसीस उताय बई धय तफ सभसरह कयतायlsquo-अथायत -सिमॊ को खो कय ही परभ परानदपत की जा सकती ह

२ बाि सामम- कफीय ndashनदजन ढॉढा नतन ऩाइमाॉ गहय ऩानी ऩहठ|

भ फऩया फडन डया यहा ककनाय फहठ |

परशन४- शयाफ की भहकपर भ शयाफी को दय यात कमा फात माद आती ह

उततय - शयाफ की भहकपर भ शयाफी को दय यात माद आती ह कक आसभान भ भनरषम क ऩाऩो का रखा-जोखा होता ह जस आधी यात क सभम परयशत रोगो क ऩाऩो क अधमाम खोरत ह िस ही यात क सभम शयाफ ऩीत हए शामय को भहफफा की माद हो आती ह भानो भहफफा परयशतो की तयह ऩाऩ सथर क आस ऩास ही ह

परशन५- सदक कियाकndashndashndashइन ऩॊनदकतमो का अथय सऩरषट कीनदजए |

उततय -सदक कियाकndashndashndashइन ऩॊनदकतमो भ कियाक कहत ह कक उनकी शामयी भ भीय की शामयी की उतकरषटता धिननत हो यही ह

परशन६- ऩॊखडड़मो की नाज़क धगयह खोरना कमा ह

उततय -ऩॉखडड़मो की नाजक धगयह खोरना उनका धीय -धीय विकससत होना ह

िमसॊधध(ककशोयी)नानमका क परसपहटत होत सौदमय की ओय सॊकत ह |

परशन७-lsquoमो उड़ जान को यॊगो फ गरशन भ ऩय तौर हrsquo बाि सऩरषट कीनदजए

उततय -कसरमो की सिास उड़न क सरए भानो ऩय तौर यही होअथायत खशफ का झोका यहndashयह कय उठता ह

परशन८- कवि दिाया िणणयत याबतर क दशम का िणयन अऩन शबदो भ कीनदजए

उततय - याबतर का सनदनाटा बी कछ कह यहा हइससरए ताय ऩरक झऩका यह हरगता ह कक परकनत का कण-कण कछ कह यहा ह |

परशन९- कवि अऩन िमनदकतक अनबि ककन ऩॉनदकतमो भ वमकत कय यहा ह

जीिन की विडॊफना-lsquoककसभत को योनाlsquo भहािय क परमोग स सटीक असबवमनदकत परापत कयती ह

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ldquoहभ हो मा ककसभत हो हभायी दोनो को इक ही काभ सभरा

ककसभत हभ को यो रि ह हभ ककसभत को यो र ह|rdquo

परशन१०- शामय न दननमा क ककस दसतय का िणयन ककमा ह

उततय -शामय न दननमा क इस दसतय का िणयन ककमा ह कक रोग दसयो को फदनाभ कयत ह ऩयॊत ि नहीॊ जानत कक इस तयह ि अऩनी दरषट परकनत को ही उदघाहटत कयत ह

परशन११- परभ की कितयत कवि न ककन शबदो भ असबवमकत की ह

सिमॊ को खो कय ही परभ की परानदपत की जा सकती ह ईशिय की परानदपत सियसि रटा दन ऩय होती ह परभ क सॊसाय का बी मही ननमभ ह

परशन१२- कियाक गोयखऩयी ककस बारा क कवि ह

उततय - उदय बारा

10 छोटा भया खत

उभाशॊकय जोशी

(गजयाती कपव)

उभाशॊकय जोशी फीसिीॊ सदी क गजयाती क भधयनदम कवि सॊसकत िाङभम क विदिान हउनदहोन गजयाती कविता को परकनत स जोड़ाआभ आदभी क जीिन की झरक उनकी यचनाओॊ भ सभरती ह

छोटा भया खत

साय

खती क रऩक दिाया कावम यचनाndash परककरमा को सऩषट ककमा गमा हकावम कनत की यचना फीजndash वऩन स रकय ऩौध क ऩजषऩत होन क पवलबनन चयणो स गजयती हअॊतय किर इतना ह कक कपव कभट की पसर कारजमी शाशित होती हउसका यस-यण अम होता हकागज का ऩनदना नदजस ऩय यचना शबदफदध होती ह कवि को एक चौकोय खत की तयह रगता ह इस खत

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भ ककसी अॉधड़ (आशम बािनातभक आॉधी स होगा) क परबाि स ककसी ण एक फीज फोमा जाता ह मह फीज-यचना विचाय औय असबवमनदकत का हो सकता ह मह भर रऩ कलऩना का सहाया रकय विकससत होता ह औय परककरमा भ सिमॊ विगसरत हो जाता ह उसस शबदो क अॊकय ननकरत ह औय अॊतत कनत एक ऩणय सिरऩ गरहण कयती ह जो कवर-कभय क सरहाज स ऩलरवित -ऩनदरषऩत होन की नदसथनत ह साहहनदतमक कनत स जो अरौककक यस-धाया पटती ह िह ण भ होन िारी योऩाई का ही ऩरयणाभ ह ऩय मह यस-धाया अनॊत कार तक चरन िारी कटाई ह |

फगरो क ऩॊख

साय

फगरो क ऩॊख कविता एक चार बफॊफ की कविता ह सौदमय का अऩकषत परबाि उतऩनदन कयन क सरए कविमो न कई मनदकतमाॉ अऩनाई ह नदजसभ स सफस परचसरत मनदकत ह-सौदमय क वमौयो क धचतरातभक िणयन क साथ अऩन भन ऩय ऩड़न िार उसक परबाि का िणयन औय आतभगत क सॊमोग की मह मनदकत ऩाठक को उस भर सौदमय क कापी ननकट र जाती ह जोशी जी की इस कविता भ ऐसा ही ह कवि कार फादरो स बय आकाश भ ऩॊनदकत फनाकय उड़त सपद फगरो को दखता ह ि कजयाय फादरो भ अटका-सा यह जाता ह िह इस भामा स अऩन को फचान की गहाय रगाता ह कमा मह सौदमय स फाॉधन औय विॊधन की चयभ नदसथनत को वमकत कयन का एक तयीका ह

परकनत का सितॊतर (आरॊफन गत ) धचतरण आधननक कविता की विशरता हधचतरातभक िणयन दिाया कवि न एक ओय कार फादरो ऩय उड़ती फगरो की शित ऩॊनदकत का धचतर अॊककत ककमा ह तो दसयी ओय इस अपरनतभ दशम क रदम ऩय ऩड़न िार परबाि को धचबतरत ककमा हभॊतर भगध कवि इस दशम क परबाि स आतभ विसभनत की नदसथनत तक ऩहॉच जाता हविरम एिॊ विरमीगत सौनददमय क दोनो रऩ कविता भ उदघाहटत हए ह

अथट-गरहण-सॊफॊधी परशन

ldquoछोटा भया खत चौकोना

कागज़ का एक ऩनदना कोई अॊधड़ कहीॊ स आमा

ण का फीज िहाॉ फोमा गमा|

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कलऩना क यसामनो को ऩी

फीज गर गमा ननशर शबद क अॊकय पट

ऩलरि ndashऩरषऩो स नसभत हआ विशर |rdquo

परशन १lsquoछोटा भया खतrsquo ककसका परतीक ह औय कमो

उततय - परशन२ lsquoछोटा भया खतrsquo काग़ज क उस ऩनदन का परतीक ह नदजस ऩय कवि अऩनी कविता सरखता ह

परशन २ कवि खत भ कौनndashसा फीज फोता ह

उततय - कवि खत भ अऩनी कलऩना का फीज फोता ह

परशन ३ कवि की कलऩना स कौन स ऩलरि अॊकरयत होत ह

उततय - कवि की कलऩना स शबद क ऩलरि अॊकरयत होत ह

परशन ४ उऩमयकत ऩद का बाि-सौदमय सऩरषट कीनदजए |

उततय - खती क रऩक दिाया कावम-यचनाndashपरककरमा को सऩषट ककमा गमा हकावम कनत की यचना फीजndash वऩन स रकय ऩौध क ऩजषऩत होन क पवलबनन चयणो स गजयती हअॊतय किर इतना ह कक कपव कभट की पसर कारजमी शाशित होती हउसका यस-यण अम होता ह

सौदमट-फोध-सॊफॊधी परशन

ldquoझभन रग पर

यस अरौककक

अभत धायाएॉ पटतीॊ

योऩाई ण की

कटाई अनॊतता की

रटत यहन स जया बी कभ नहीॊ होती |

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यस का अम ऩातर सदा का

छोटा भया खत चौकोना |rdquo

परशन इस कविता की बारा सॊफॊधी विशरताओॊ ऩय परकाश डासरए ndash

उततय - १ परतीकातभकता

२ राणणकता -

२रऩक अरॊकायndash यस का अम ऩातर सदा का

छोटा भया खत चौकोना

परशन २ यस अरौककक अभत धायाएॉ योऩाई ndash कटाई-परतीको क अथय सऩरषट कीनदजए |

उततय - यस अरौककक ndash कावम यस ननरषऩनदतत

अभत धायाएॉ- कावमानॊद

योऩाई ndash अनबनत को शबदफदध कयना

कटाई ndashयसासिादन

पवषम-वसत ऩय आधारयत परशनोततय

कपवता ndash

छोटा भया खत

परशन १ उभाशॊकय जोशी न ककस बारा भ कविताएॉ सरखी ह

उततय - गजयाती बारा

परशन२ कवरndashकभय एिॊ कविndashकभय भ कमा कमा सभानताएॉ ह

उततय - कवरndashकभय एिॊ कविndashकभय भ ननमनसरणखत सभानताएॉ ह-

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कावम कनत की यचना फीजndash वऩन स रकय ऩौध क ऩजषऩत होन क पवलबनन चयणो स गजयती ह

कपषndashकभट एवॊ कपवndashकभट भ सभानताएॉ -

कागज का ऩनदना नदजस ऩय यचना शबदफदध होती ह कवि को एक चौकोय खतरगता ह इस खत भ ककसी अॉधड़ (आशम बािनातभक आॉधी स होगा) क परबाि स ककसी ण

एक फीज फोमा जाता ह मह फीज-यचना विचाय औय असबवमनदकत का हो सकता ह मह भर रऩ कलऩना का सहाया रकय विकससत होता ह औय परककरमा भ सिमॊ विगसरत

हो जाता ह इसीपरकाय फीज बी खाद ऩानी समय की योशनी हिा आहद रकय विकससत होता ह |

कावम ndashयचना स शबदो क अॊकय ननकरत ह औय अॊतत कनत एक ऩणय सिरऩ गरहण कयती ह जो कवर-कभय क सरहाज स ऩलरवित ndashऩनदरषऩत औय पसरत होन की नदसथनत ह अथट-गरहण-सॊफॊधी परशन

कपवताndash फगरो क ऩॊख

नब भ ऩाॉती- फॉध फगरो क ऩॊख

चयाए सरए जातीॊ ि भयी आॉख |

कजयाय फादरो की छाई नब छामा

हौरndashहौर जाती भझ फाॉध ननज भामा स |

उस कोई तननक योक यकखो |

िह तो चयाए सरए जाती भयी आॉख

नब भ ऩाॉती- फॉधी फगरो की ऩाॉख |

तयती साॉझ की सतज शित कामा|

परशन१- इस कविता भ कवि न ककसका धचतरण ककमा ह

उततय - कवि न कार फादरो ऩय उड़ती फगरो की शित ऩॊनदकत का धचतरण ककमा ह|

परशन२- आॉख चयान का कमा अथय ह

उततय - आॉख चयान का आशम ह ndashधमान ऩयी तयह खीॊच रना एकटक दखना भॊतरभगध कय दना

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परशन३-

ldquoकजयाय फादरो की छाई नब छामा

हौर ndashहौर जाती भझ फाॉध ननज भामा स |rdquo- आशम सऩरषट कीनदजए |

उततय- कार फादरो क फीच साॉझ का सयभई िाताियण फहत सॊदय हदखता ह | ऐसा अपरनतभ सौदमय अऩन आकरयण भ कवि को फाॉध रता ह |

परशन ४ ldquoउस कोई तननक योक यकखो |rsquo- स कवि का कमा असबपराम ह

उततय - फगरो की ऩॊनदकत आकाश भ दय तक उड़ती जा यही ह कवि की भॊतरभगध आॉख उनका ऩीछा कय यही ह | कवि उन फगरो को योक कय यखन की गहाय रगा यहा ह कक कहीॊ ि उसकी आॉख ही अऩन साथ न र जाएॉ |

सौदमट-फोध-सॊफॊधी परशन

परशन १ कविता की बारा सॊफॊधी दो विशरताएॉ सरणखए|

उततय -१ धचतरातभक बारा

२ फोरचार क शबदो का परमोग - हौर ndashहौर ऩाॉती कजयायसाॉझ

परशन २ कविता भ परमकत अरॊकाय चन कय सरणखए |

उततय - अनपरास अरॊकाय - फॉध फगरो क ऩॊख

भानिीकयण अरॊकाय - चयाए सरए जातीॊ ि भयी आॉख |

परशन ३ -lsquo ननज भामाrsquo क राणणक अथय को सऩरषट कीनदजए |

उततय - परकनत का अपरनतभ सौदमय िह भामा ह जो कवि को आतभविबोय कय दती हमह ऩॊनदकत बी परशॊसातभक उनदकत ह

पवषम-वसत ऩय आधारयत परशनोततय

परशन१- lsquoचयाए सरए जाती ि भयी ऑ ॊखrsquo स कवि का कमा तातऩमय ह

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उततय -धचतरातभक िणयन दिाया कवि न एक ओय कार फादरो ऩय उड़ती फगरो की शित ऩॊनदकत का धचतर अॊककत ककमा ह तथा इस अपरनतभ दशम क रदम ऩय ऩड़न िार परबाि को धचबतरत ककमा ह कवि क अनसाय मह दशम उनकी आॉख चयाए सरए जा यहा ह |भॊतर भगध कवि इस दशम क परबाि स आतभ विसभनत की नदसथनत तक ऩहॉच जाता ह

परशन२-कवि ककस भामा स फचन की फात कहता ह

उततय - भामा विशि को अऩन आकरयण भ फाॉध रन क सरए परससदध ह | कफीय न बी lsquoभामा भहा ठधगनी हभ जानीrsquo कहकय भामा की शनदकत को परनतऩाहदत ककमा ह | कार फादरो भ फगरो की सॊदयता अऩना भामा जार परा कय कवि को अऩन िश भ कय यही ह |

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आयोह बाग-२ गदम-बाग

परशन-सॊखमा १०- गदम खॊड भ हदए गए ऩहठत गदमाॊश स अथयगरहण सॊफॊधी चाय परशन ऩछ जाएॉग नदजनक सरए ननधायरयत अॊक (२४=८) ह |

परशन-सॊखमा ११- ऩाठो की विरमिसत स सॊफॊधधत ऩाॉच भ स चाय परशनो क उततय दन ह नदजनक सरए ननधायरयत अॊक (३४=१२) ह|

ऩयीा भ अचछ अॊक परातत कयन क लरए धमान दन मोगम फात ndash

1 रख एिॊ ितयनी की शदधता तथा िाकम-गठन ऩय धमान द | 2 हय ऩाठ का सायऩरषठबसभविरमिसत तथाकथानक को सभझना आिशमक ह |

अतविदमाथी हय ऩाठ का सायाॊश बरीबाॉनत माद कय र | 3 परशनो को धमान स ऩढ़ तदनसाय अऩकषत उततय सरख | 4 उततय सरखत सभम सॊफॊधधत भखम बफॊदओॊ का शीरयकफनात हए उततय सरख मथा-तीन

अॊक क परशनो क उततय सरखत सभम कभ स कभ तीन भखम उततय-बफ ॊदओॊ का उलरख कयत हए उततय सऩरषट कय |

5 अॊक-मोजना क अनसाय ननधायरयत शबद-सीभा क अॊतगयत उततय सरख | ऩयीाथी कई फाय एक अॊक क परशन का उततय फहत रॊफा कई फाय ऩया ऩरषठ सरख दत ह जो सभम औय ऊजाय की फफायदी ह |

6 धमान यह कक अधधक सरखन स अचछ अॊक नहीॊ आत फनदलक सयर-सफोध बारा भ सरख गए सटीक उततय सायगसबयत तथम तथा उदाहयण क दिाया सऩरषट ककए गए उततय परबािशारी होत ह |

ऩाि 11 - बजकतन

रखखका- भहादवी वभाट

ऩाि का सायाॊश- बनदकतन नदजसका िासतविक नाभ रकषभी थारणखका lsquoभहादिी िभायrsquo की सविका ह | फचऩन भ ही बनदकतन की भाॉ की भतम हो गमी| सौतरी भाॉ न ऩाॉच िरय की आम भ वििाह तथा नौ िरय की आम भ गौना कय बनदकतन को ससयार बज हदमा| ससयार भ बनदकतन न तीन फहटमो को जनदभ हदमा नदजस कायण उस सास औय नदजठाननमो की उऩा सहनी ऩड़ती थी| सास औय नदजठाननमाॉ आयाभ पयभाती थी औय बनदकतन तथा उसकी ननदहीॊ फहटमो को घय औय खतो का साया काभ कयना ऩडता था| बनदकतन का ऩनत उस फहत चाहता था| अऩन ऩनत क सनह क फर ऩय बनदकतन न ससयार िारो स अरगौझा कय अऩना अरग घय फसा सरमा औय सख स यहन रगी ऩय बनदकतन का दबायगम अलऩाम भ ही उसक ऩनत की भतम हो गई | ससयार िार

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बनदकतन की दसयी शादी कय उस घय स ननकारकय उसकी सॊऩनदतत हड़ऩन की सानदजश कयन रग| ऐसी ऩरयनदसथनत भ बनदकतन न अऩन कश भॊडा सरए औय सॊनदमाससन फन गई | बनदकतन सिासबभानी सॊघरयशीर कभयठ औय दढ सॊकलऩ िारी सतरी ह जो वऩतसततातभक भानदमताओॊ औय छर-कऩट स बय सभाज भ अऩन औय अऩनी फहटमो क हक की रड़ाई रड़ती हघय गहसथी सॉबारन क सरए अऩनी फड़ी फटी दाभाद को फरा सरमा ऩय दबायगम न महाॉ बी बनदकतन का ऩीछा नहीॊ छोड़ा अचानक उसक दाभाद की बी भतम हो गमी| बनदकतन क जठ-नदजठौत न सानदजश यचकय बनदकतन की विधिा फटी का वििाह जफयदसती अऩन तीतयफाज सार स कय हदमा| ऩॊचामत दिाया कयामा गमा मह सॊफॊध दखदामी यहा | दोनो भाॉ-फटी का भन घय-गहसथी स उचट गमा ननधयनता आ गमी रगान न चका ऩान क कायण जभीॊदाय न बनदकतन को हदन बय धऩ भ खड़ा यखा| अऩभाननत बनदकतन ऩसा कभान क सरए गाॉि छोड़कय शहय आ जाती ह औय भहादिी की सविका फन जाती ह| बनदकतन क भन भ भहादिी क परनत फहत आदय सभऩयण औय असबबािक क सभान अधधकाय बाि ह| िह छामा क सभान भहादिी क साथ यहती ह| िह यात-यात बय जागकय धचतरकायी मा रखन जस कामय भ वमसत अऩनी भारककन की सिा का अिसय ढॉढ रती ह| भहादिी बनदकतन को नहीॊ फदर ऩामी ऩय बनदकतन न भहादिी को फदर हदमा| बनदकतन क हाथ का भोटा-दहाती खाना खात-खात भहादिी का सिाद फदर गमा बनदकतन न भहादिी को दहात क ककसस-कहाननमाॉ ककॊ िदॊनतमाॉ कॊ ठसथ कया दी| सिबाि स भहाकॊ जस होन ऩय बी बनदकतन ऩाई-ऩाई कय जोडी हई १०५ रऩमो की यासश को सहरय भहादिी को सभवऩयत कय दती ह| जर क नाभ स थय-थय काॉऩन िारी बनदकतन अऩनी भारककन क साथ जर जान क सरए फड़ राट साहफ तक स रड़न को बी तमाय हो जाती ह| बनदकतन भहादिी क जीिन ऩय छा जान िारी एक ऐसी सविका ह नदजस रणखका नहीॊ खोना चाहती

ऩाि आधारयत परशनोततय

नोट- उततय भ ननहहत यखाॊककत िाकम भखम सॊकत बफॊद ह |

परशन 1-बजकतन का वासतपवक नाभ कमा था वह अऩन नाभ को कमो छऩाना चाहती थी

उततय-बनदकतन का िासतविक नाभ रकषभी था हहनददओॊ क अनसायरकषभी धन की दिीह चॉकक बनदकतन गयीफ थी| उसक िासतविक नाभ क अथय औय उसक जीिन क मथाथय भ वियोधाबास ह ननधयन बनदकतन सफको अऩना असरी नाभ रकषभी फताकय उऩहास का ऩातर नहीॊ फनना चाहती थी इससरए िह अऩना असरी नाभ छऩाती थी

परशन 2- रखखका न रकषभी का नाभ बजकतन कमो यखा

उततय-घटा हआ ससय गर भ कॊ ठी भारा औय बकतो की तयह सादगीऩणय िशबरा दखकय भहादिी िभाय न रकषभी का नाभ बनदकतन यख हदमा | मह नाभ उसक वमनदकतति स ऩणयत भर खाता था |

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परशन 3-बजकतन क जीवन को ककतन ऩरयचछदो भ पवबाजजत ककमा गमा ह

उततय- बनदकतन क जीिन को चाय बागो भ फाॉटा गमा ह-

ऩहरा ऩरयचछद-बनदकतन का फचऩन भाॉ की भतम विभाता क दिाया बनदकतन का फार-वििाह कया दना

दपवतीम ऩरयचछद-बनदकतन का ििाहहक जीिन सास तथा नदजठाननमो का अनदमामऩणय वमिहाय ऩरयिाय स अरगौझा कय रना

ततीम ऩरयचछद- ऩनत की भतम विधिा क रऩ भ सॊघरयशीर जीिन चतथट ऩरयचछद- भहादिी िभाय की सविका क रऩ भ

परशन 4- बजकतन ऩाि क आधाय ऩय बायतीम गराभीण सभाज भ रड़क-रड़ककमो भ ककम जान वार बदबाव का उलरख कीजजए |

बायतीम गराभीण सभाज भ रड़क-रड़ककमो भ बदबाि ककमा जाता ह| रड़ककमो को खोटा ससकका मा ऩयामा धन भाना जाता ह| बनदकतन न तीन फहटमो को जनदभ हदमा नदजस कायण उस सास औय नदजठाननमो की उऩा सहनी ऩड़ती थी| सास औय नदजठाननमाॉ आयाभ पयभाती थी कमोकक उनदहोन रड़क ऩदा ककए थ औय बनदकतन तथा उसकी ननदहीॊ फहटमो को घय औय खतो का साया काभ कयना ऩडता था| बनदकतन औय उसकी फहटमो को रखा-सखा भोटा अनाज खान को सभरता था जफकक उसकी नदजठाननमाॉ औय उनक कार-करट फट दध-भराई याफ-चािर की दाित उड़ात थ

परशन 5-बजकतन ऩाि क आधाय ऩय ऩॊचामत क नमाम ऩय ठटतऩणी कीजजए |

बनदकतन की फटी क सनददबय भ ऩॊचामत दिाया ककमा गमा नदमाम तकय हीन औय अॊध कानन ऩय आधारयतह | बनदकतन क नदजठौत न सॊऩनदतत क रारच भ रडमॊतर कय बोरी फचची को धोख स जार भ पॊ सामा| ऩॊचामत न ननदोर रड़की की कोई फात नहीॊ सनी औय एक तयिा पसरा दकय उसका वििाह जफयदसती नदजठौत क ननकमभ तीतयफाज सार स कय हदमा | ऩॊचामत क अॊध कानन स दरषटो को राब हआ औय ननदोर को दॊड सभरा |

परशन 6-बजकतन की ऩाक-करा क फाय भ ठटतऩणी कीजजए |

बनदकतन को ठठ दहाती सादा बोजन ऩसॊद था | यसोई भ िह ऩाक छत को फहत भहतति दती थी | सफह-सिय नहा-धोकय चौक की सपाई कयक िह दिाय ऩय कोमर की भोटी यखा खीॊच दती थी| ककसी को यसोईघय भ परिश कयन नहीॊ दती थी| उस अऩन फनाए बोजन ऩय फड़ा असबभान था| िह अऩन फनाए बोजन का नतयसकाय नहीॊ सह सकती थी |

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परशन 7- लसदध कीजजए कक बजकतन तकट -पवतकट कयन भ भाठहय थी |

बनदकतन तकय ऩट थी | कश भॉडान स भना ककए जान ऩय िह शासतरो का हिारा दत हए कहती ह lsquoतीयथ गए भॉडाए ससदधrsquo | घय भ इधय-उधय यख गए ऩसो को िह चऩचाऩ उठा कय छऩा रती ह टोक जानऩय िह िह इस चोयी नही भानती फनदलक िह इस अऩन घय भ ऩड़ ऩसो को सॉबारकय यखना कहती ह| ऩढाई-सरखाई स फचन क सरए बी िह अचक तकय दती ह कक अगय भ बी ऩढ़न रगॉ तो घय का काभ कौन दखगा

परशन 8-बजकतन का दबाटगम बी कभ हिी नही था रखखका न ऐसा कमो कहा ह

उततय- बजकतन का दबाटगम उसका ऩीछा नहीॊ छोड़ता था-

1- फचऩन भ ही भाॉ की भतम 2- विभाता की उऩा 3- बनदकतन(रकषभी) का फारवििाह 4- वऩता का ननधन 5- तीन-तीन फहटमो को जनदभ दन क कायण सास औय नदजठाननमो क दिाया बनदकतन की

उऩा 6- ऩनत की असभम भतम 7- दाभाद का ननधन औय ऩॊचामत क दिाया ननकमभ तीतयफाज मिक स बनदकतन की विधिा

फटी का जफयन वििाह 8- रगान न चका ऩान ऩय जभीॊदाय क दिाया बनदकतन का अऩभान

परशन 9-बजकतन न भहादवी वभाट क जीवन ऩय कस परबापवत ककमा

उततय- बनदकतन क साथ यहकय भहादिी की जीिन-शरी सयर हो गमी ि अऩनी सविधाओॊ की चाह को नछऩान रगीॊ औय असविधाओॊ को सहन रगीॊ बनदकतन न उनदह दहाती बोजन णखराकय उनका सिाद फदर हदमा बनदकतन भातर एक सविका न होकय भहादिी की असबबािक औय आतभीम फन गमीबनदकतन भहादिी क जीिन ऩय छा जान िारी एक ऐसी सविका ह नदजस रणखका नहीॊ खोना चाहती

परशन 10- बजकतन क चरयतर की पवशषताओॊ का उलरख कीजजए

उततय- भहादिी िभाय की सविका बनदकतन क वमनदकतति की विशरताएॊ ननमनाॊककत ह-

सभवऩयत सविका सिासबभानी

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तकय शीरा ऩरयशरभी सॊघरयशीर

परशन 11-बजकतन क दगटणो का उलरख कय

उततय- गणो क साथ-साथ बनदकतन क वमनदकतति भ अनक दगयण बी ननहहत ह-

1 िह घय भ इधय-उधय ऩड़ रऩम-ऩस को बॊडाय घय की भटकी भ छऩा दती ह औय अऩन इस कामय को चोयी नहीॊ भानती

2 भहादिी क करोध स फचन क सरए बनदकतन फात को इधय-उधय कयक फतान को झठ नही भानती अऩनी फात को सही ससदध कयन क सरए िह तकय -वितकय बी कयती ह

3 िह दसयो को अऩनी इचछानसाय फदर दना चाहती ह ऩय सिमॊ बफरकर नही फदरती परशन 12 ननमनाॊककत बाषा-परमोगो का अथट सऩषट कीजजए-

ऩहरी कनमा क दो औय सॊसकयण कय िार- बनदकतन न अऩनी ऩहरी कनदमा क फाद उसक जसी दो औय कनदमाएॉ ऩदा कय दी अथायत बनदकतन क एक क फाद एक तीन फहटमाॉ ऩदा हो गमीॊ |

खोट लसकको की टकसार जसी ऩतनी- आज बी असशकषत गराभीण सभाज भ फहटमो को

खोटा ससकका कहा जाता ह बनदकतन न एक क फाद एक तीन फहटमाॉ ऩदा कय दी इससरए उस खोट ससकक को ढारन िारी भशीन कहा गमा

परशन 13-बजकतन ऩाि भ रखखका न सभाज की ककन सभसमाओॊ का उलरख ककमा ह

उततय- बनदकतन ऩाठ क भाधमभ स रणखका न बायतीम गराभीण सभाज की अनक सभसमाओॊ का उलरख ककमा ह-

1 रड़क-रड़ककमो भ ककमा जान िारा बदबाि 2 विधिाओॊ की सभसमा 3 नदमाम क नाभ ऩय ऩॊचामतो क दिाया नदसतरमो क भानिाधधकाय को कचरना 4 असशा औय अॊधविशिास

गदमाॊश-आधारयत अथटगरहण सॊफॊधधत परशनोततय

ऩरयिाय औय ऩरयनदसथनतमो क कायण सिबाि भ जो विरभताएॉ उतऩनदन हो गई ह उनक बीतय स एक सनह औय सहानबनत की आबा पटती यहती ह इसी स उसक सॊऩकय भ आनिार वमनदकत उसभ जीिन की सहज भासभयकता ही ऩात ह छातरािास की फासरकाओॊ भ स कोई अऩनी चाम

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फनिान क सरए दहरी ऩय फठी यहती ह कोई फाहय खडी भय सरए नाशत को चखकय उसक सिाद की वििचना कयती यहती ह भय फाहय ननकरत ही सफ धचडड़मो क सभान उड़ जाती ह औय बीतय आत ही मथासथान वियाजभान हो जाती ह इनदह आन भ रकािट न हो सॊबित इसी स बनदकतन अऩना दोनो जन का बोजन सिय ही फनाकय ऊऩय क आर भ यख दती ह औय खात सभम चौक का एक कोना धोकय ऩाकndashछत क सनातन ननमभ स सभझौता कय रती ह

भय ऩरयधचतो औय साहहनदतमक फॊधओॊ स बी बनदकतन विशर ऩरयधचत ह ऩय उनक परनत बनदकतन क समभान की भातरा भय परनत उनक समभान की भातरा ऩय ननबयय ह औय सदभाि उनक परनत भय सदभाि स नननदशचत होता ह इस सॊफॊध भ बनदकतन की सहज फवदध विनदसभत कय दन िारी ह

(क) बजकतन का सवबाव ऩरयवाय भ यहकय कसा हो गमा ह

उततय-विरभ ऩरयनदसथनतजनदम उसक उगर हठी औय दयागरही सिबाि क फािजद बनदकतन क बीतय सनह औय सहानबनत की आबा पटती यहती ह उसक सॊऩकय भ आन िार वमनदकत उसभ जीिन की सहज भासभयकता ही ऩात ह

(ख) बजकतन क ऩास छातरावास की छातराएॉ कमो आती ह

उततय- बनदकतन क ऩास कोई छातरा अऩनी चाम फनिान आती ह औय दहरी ऩय फठी यहती ह कोई भहादिी जी क सरए फन नाशत को चखकय उसक सिाद की वििचना कयती यहती ह भहादिी को दखत ही सफ छातराएॉ बाग जाती ह उनक जात ही कपय िाऩस आ जातीॊ ह बनदकतन का सहज-सनह ऩाकय धचडड़मो की तयह चहचहान रगती ह |

(ग) छातराओॊ क आन भ रकावट न िारन क लरए बजकतन न कमा उऩाम ककमा

उततय- छातराओॊ क आन भ रकािट न डारन क सरए बनदकतन न अऩन ऩाक-छत क ननमभ स सभझौता कय सरमा | बनदकतन अऩना दोनो िकत का खाना फनाकय सफह ही आर भ यख दती औय खात सभम चौक का एक कोना धोकय िहाॉ फठकय खा सरमा कयती थी ताकक छातराएॉ बफना योक-टोक क उसक ऩास आ सक

(घ) साठहतमकायो क परनत बजकतन क समभान का कमा भाऩदॊि ह

उततय-बनदकतन भहादिी क साहहनदतमक सभतर क परनत सदभाि यखती थी नदजसक परनत भहादिी सिमॊ सदभाि यखती थी | िह सबी स ऩरयधचत हऩय उनक परनत समभान की भातरा भहादिी जी क समभान की भातरा ऩय ननबयय कयती ह िह एक अदभत ढॊग स जान रती थी कक कौन ककतना समभान कयता ह उसी अनऩात भ उसका परापम उस दती थी

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12 फाजाय-दशटन

रखक- जनि कभाय

ऩाि का सायाॊश फाजाय-दशयन ऩाठ भ फाजायिाद औय उऩबोकतािाद क साथ-साथ अथयनीनत एिॊ दशयन स सॊफॊधधत परशनो को सरझान का परमास ककमा गमा ह फाजाय का जाद तबी असय कयता ह जफ भन खारी हो| फाजाय क जाद को योकन का उऩाम मह ह कक फाजाय जात सभम भन खारी ना हो भन भ रकषम बया हो| फाजाय की असरी कताथयता ह जरयत क िकत काभ आना| फाजाय को िही भनरषम राब द सकता ह जो िासति भ अऩनी आिशमकता क अनसाय खयीदना चाहता ह| जो रोग अऩन ऩसो क घभॊड भ अऩनी ऩचनदजॊग ऩािय को हदखान क सरए चीज खयीदत ह ि फाजाय को शतानी वमॊगम शनदकत दत ह| ऐस रोग फाजारऩन औय कऩट फढात ह | ऩस की मह वमॊगम शनदकत वमनदकत को अऩन सग रोगो क परनत बी कतघन फना सकती ह | साधायण जन का रदम रारसा ईरषमाय औय तरषणा स जरन रगता ह | दसयी ओय ऐसा वमनदकत नदजसक भन भ रश भातर बी रोब औय तरषणा नहीॊ ह सॊचम की इचछा नहीॊ ह िह इस वमॊगम-शनदकत स फचा यहता ह | बगतजी ऐस ही आतभफर क धनी आदशय गराहक औय फचक ह नदजन ऩय ऩस की वमॊगम-शनदकत का कोई असय नहीॊ होता | अनक उदाहयणो क दिाया रखक न मह सऩरषट ककमा ह कक एक ओय फाजाय रारची असॊतोरी औय खोखर भन िार वमनदकतमो को रटन क सरए ह िहीॊ दसयी ओय सॊतोरी भन िारो क सरए फाजाय की चभक-दभक उसका आकरयण कोई भहतति नहीॊ यखता

परशन१ - ऩचजजॊग ऩावय ककस कहा गमा ह फाजाय ऩय इसका कमा परबाव ऩड़ता ह

उततय- ऩचनदजॊग ऩािय का अथय ह खयीदन की शनदकत ऩचनदजॊग ऩािय क घभॊड भ वमनदकत हदखाि क सरए आिशमकता स अधधक खयीदायीकयता ह औय फाजाय को शतानी वमॊगम-शनदकत दता ह ऐस रोग फाजाय का फाजारऩन फढ़ात ह

परशन२ -रखक न फाजाय का जाद ककस कहा ह इसका कमा परबाव ऩड़ता ह

उततय- फाजाय की चभक-दभक क चॊफकीम आकरयण को फाजाय का जाद कहा गमा ह मह जाद आॊखो की याह कामय कयता ह फाजाय क इसी आकरयण क कायण गराहक सजी-धजी चीजो को आिशमकता न होन ऩय बी खयीदन को वििश हो जात ह

परशन३ -आशम सऩषट कय

भन खारी होना भन बया होना भन फॊद होना

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उततय-भन खारी होना- भन भ कोई नननदशचत िसत खयीदन का रकषम न होना ननरददशम फाजाय जाना औय वमथय की चीजो को खयीदकय राना

भन बया होना- भन रकषम स बया होना नदजसका भन बया हो िह बरीबाॉनत जानता ह कक उस फाजाय स कौन सी िसत खयीदनी ह अऩनी आिशमकता की चीज खयीदकय िह फाजाय को साथयकता परदान कयता ह

भन फॊद होना-भन भ ककसी बी परकाय की इचछा न होना अथायत अऩन भन को शनदम कय दना

परशन४ - lsquoजहाॉ तषणा ह फटोय यखन की सऩहा ह वहाॉ उस फर का फीज नहीॊ हrsquo महाॊ ककस फर की चचाट की गमी ह

उततय- रखक न सॊतोरी सिबाि क वमनदकत क आतभफरकी चचाय की ह दसय शबदो भ महद भन भ सॊतोर हो तो वमनदकत हदखाि औय ईरषमाय की बािना स दय यहता ह उसभ सॊचम कयन की परिनदतत नहीॊ होती

परशन५ - अथटशासतर अनीनतशासतर कफ फन जाता ह

उततय- जफ फाजाय भ कऩट औय शोरण फढ़न रग खयीददाय अऩनी ऩचधचॊग ऩािय क घभॊड भ हदखाि क सरए खयीददायी कय | भनरषमो भ ऩयसऩय बाईचाया सभापत हो जाए| खयीददाय औय दकानदाय एक दसय को ठगन की घात भ रग यह एक की हानन भ दसय को अऩना राब हदखाई द तो फाजाय का अथयशासतर अनीनतशासतर फन जाता ह ऐस फाजाय भानिता क सरए विडॊफना ह

परशन६-बगतजी फाजाय औय सभाज को ककस परकाय साथटकता परदान कय यह ह

उततय- बगतजी क भन भ साॊसारयक आकरयणो क सरए कोई तरषणा नहीॊ ह ि सॊचम रारच औय हदखाि स दय यहत ह फाजाय औय वमाऩाय उनक सरए आिशमकताओॊ की ऩनत य का साधन भातर ह बगतजी क भन का सॊतोर औय ननसऩह बाि उनको शररषठ उऩबोकता औय विकरता फनात ह

परशन ७ _ बगत जी क वमजकततव क सशकत ऩहरओॊ का उलरख कीजजए |

उततय-ननमनाॊककत बफॊद उनक वमनदकतति क सशकत ऩहर को उजागय कयत ह

ऩॊसायी की दकान स किर अऩनी जरयत का साभान (जीया औय नभक) खयीदना नननदशचत सभम ऩय चयन फचन क सरए ननकरना छह आन की कभाई होत ही चयन फचना फॊद कय दना फच हए चयन को फचचो को भफ़त फाॉट दना

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सबी काजम-जम याभ कहकय सिागत कयना फाजाय की चभक-दभक स आकवरयत न होना सभाज को सॊतोरी जीिन की सशा दना

परशन7-फाजाय की साथटकता ककसभ ह

उततय- भनरषम की आिशमकताओॊ की ऩनतय कयन भ ही फाजाय की साथयकता ह जो गराहक अऩनी आिशमकताओॊ की चीज खयीदत ह ि फाजाय को साथयकता परदान कयत ह जो विकरता गराहको का शोरण नहीॊ कयत औय छर-कऩट स गराहको को रबान का परमास नही कयत ि बी फाजाय को साथयक फनात ह

गदमाॊश-आधारयत अथटगरहण-सॊफॊधधत परशनोततय

फाजाय भ एक जाद ह िह जाद आॉख की तयह काभ कयता ह िह रऩ का जाद ह ऩय जस चॊफक का जाद रोह ऩय ही चरता ह िस ही इस जाद की बी भमायदा ह जफ बयी हो औय भन खारी हो ऐसी हारत भ जाद का असय खफ होता ह जफ खारी ऩय भन बया न हो तो बी जाद चर जाएगा भन खारी ह तो फाजाय की अनकानक चीजो का ननभॊतरण उस तक ऩहॉच जाएगा कहीॊ हई उस िकत जफ बयी तफ तो कपय िह भन ककसकी भानन िारा ह भारभ होता ह मह बी रॉ िह बी रॉ सबी साभान जरयी औय आयाभ को फढ़ान िारा भारभ होता ह ऩय मह सफ जाद का असय ह जाद की सिायी उतयी कक ऩता चरता ह कक प सी-चीजो की फहतामत आयाभ भ भदद नहीॊ दती फनदलक खरर ही डारती ह थोड़ी दय को सिासबभान को जरय सक सभर जाता ह ऩय इसस असबभान को धगलटी की खयाक ही सभरती ह जकड़ यशभी डोयी की हो तो यशभ क सऩशय क भरामभ क कायण कमा िह कभ जकड़ दगी

ऩय उस जाद की जकड़ स फचन का एक सीधा उऩाम ह िह मह कक फाजाय जाओ तो खारी भन न हो भन खारी हो तफ फाजाय न जाओ कहत ह र भ जाना हो तो ऩानी ऩीकय जाना चाहहए ऩानी बीतय हो र का रऩन वमथय हो जाता ह भन रकषम स बया हो तो फाजाय परा का परा ही यह जाएगा तफ िह घाि बफरकर नहीॊ द सकगा फनदलक कछ आनॊद ही दगा तफ फाजाय तभस कताथय होगा कमोकक तभ कछ न कछ सचचा राब उस दोग फाजाय की असरी कताथयता ह आिशमकता क सभम काभ आना

परशन-1 फाजाय क जाद को रखक न कस सऩषट ककमा ह

उततय- फाजाय क रऩ का जाद आॉखो की याह स काभ कयता हआ हभ आकवरयत कयता ह फाजाय का जाद ऐस चरता ह जस रोह क ऊऩय चॊफक का जाद चरता ह चभचभाती योशनी भ सजी

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प सी चीॊज गराहक को अऩनी ओय आकवरयत कयती ह| इसी चमफकीम शनदकत क कायण वमनदकत कपजर साभान को बी खयीद रता ह |

परशन-2 जफ बयी हो औय भन खारी तो हभायी कमा दशा होती ह

उततय- जफ बयी हो औय भन खारी हो तो हभाय ऊऩय फाजाय का जाद खफ असय कयता ह भन खारी ह तो फाजाय की अनकानक चीजो का ननभॊतरण भन तक ऩहॉच जाता ह औय उस सभम महद जफ बयी हो तो भन हभाय ननमॊतरण भ नहीॊ यहता

परशन-3 प सी चीजो की फहतामत का कमा ऩरयणाभ होता ह

उततय- प सी चीज आयाभ की जगह आयाभ भ वमिधान ही डारती ह थोड़ी दय को असबभान को जरय सक सभर जाती ह ऩय हदखाि की परिनदतत भ िवदध होती ह

परशन-4 जाद की जकड़ स फचन का कमा उऩाम ह

उततय- जाद की जकड़ स फचन क सरए एक ही उऩाम ह िह मह ह कक फाजाय जाओ तो भन खारी न हो भन खारी हो तो फाजाय भत जाओ

13 कार भघा ऩानी द

रखक-धभटवीय बायती

ऩाि का सायाॊश -lsquoकार भघा ऩानी दrsquo ननफॊध रोकजीिन क विशिास औय विऻान क तकय ऩय आधारयत ह जफ बीरण गभी क कायण वमाकर रोग िराय कयान क सरए ऩजा-ऩाठ औय कथा-विधान कय थकndashहाय जात ह तफ िराय कयान क सरए अॊनतभ उऩाम क रऩ भ इनददय सना ननकरती ह| इनददय सना नॊग-धड़ॊग फचचो की टोरी ह जो कीचड़ भ रथऩथ होकय गरी-भोहलर भ ऩानी भाॉगन ननकरती ह| रोग अऩन घय की छतो-णखड़ककमो स इनददय सना ऩय ऩानी डारत ह | रोगो की भानदमता ह कक इनददर फादरो क सिाभी औय िराय क दिता ह| इनददर की सना ऩय ऩानी डारन स इनददर बगिान परसनदन होकय ऩानी फयसाएॊग | रखक का तकय ह कक जफ ऩानी की इतनी कभी ह तो रोग भनदशकर स जभा ककए ऩानी को फालटी बय-बयकय इनददय सना ऩय डारकय ऩानी को कमो फफायद कयत ह आमयसभाजी विचायधाया िारा रखक इस अॊधविशिास भानता ह | इसक विऩयीत रखक की जीजी उस सभझाती ह कक मह ऩानी की फफायदी नहीॊ फनदलक ऩानी की फिाई ह | कछ ऩान क सरए कछ दना ऩड़ता ह | तमाग क बफना दान नहीॊ होता| परसतत ननफॊध भ रखक न भरषटाचाय की सभसमा को उठात हए कहा ह कक जीिन भ कछ ऩान क सरए तमाग आिशमक ह जो रोग तमाग औय दान की भहतता को नहीॊ भानत ि ही भरषटाचाय भ सरपत यहकय दश औय सभाज को रटत ह| जीजी की आसथा बािनातभक सचचाई को ऩरषट कयती ह औय तकय किर िऻाननक तथम को सतम भानता ह जहाॉ तकय मथाथय क

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कठोय धयातर ऩय सचचाई को ऩयखता ह तो िहीॊ आसथा अनहोनी फात को बी सिीकाय कय भन को सॊसकारयत कयती ह बायत की सितॊतरता क ५० सार फाद बी दश भ वमापत बरषटाचाय औय सिाथय की बािना को दखकय रखक दखी ह | सयकाय दिाया चराई जा यही मोजनाएॉ गयीफो तक कमो नहीॊ ऩहॉच ऩा यहीॊ ह कार भघा क दर उभड़ यह ह ऩय आज बी गयीफ की गगयी पटी हई कमो ह रखक न मह परशन ऩाठको क सरए छोड़ हदमा ह |

परशन1-इनदय सना घय-घय जाकय ऩानी कमो भाॉगती थी

उततय- गाॉि क रोग फारयश क सरए बगिान इॊदर स पराथयना ककमा कयत थ जफ ऩजा-ऩाठवरत आहद उऩाम असिर हो जात थ तो बगिान इॊदर को परसनदन कयन क सरए गाॉि क ककशोय फचच कीचड़ भ रथऩथ होकय गरी-गरी घभकय रोगो स ऩानी भाॉगत थ

परशन2-इनदयसना को रखक भढक-भॊिरी कमो कहता ह जीजी क फायndashफाय कहन ऩय बी वह इनदयसना ऩय ऩानी प कन को याजी कमो नहीॊ होता

उततय- इनददयसना का कामय आमयसभाजी विचायधाया िार रखक को अॊधविशिास रगता ह उसका भानना ह कक महद इॊदयसना दिता स ऩानी हदरिा सकती ह तो सिमॊ अऩन सरए ऩानी कमो नहीॊ भाॉग रती ऩानी की कभी होन ऩय बी रोग घय भ एकतर ककम हए ऩानी को इॊदयसना ऩय ि कत ह रखक इस ऩानी की ननभयभ फयफादी भानता ह

परशन3- रि हए रखक को जीजी न ककस परकाय सभझामा

उततय- जीजी न रखक को पमाय स रडड-भठयी णखरात हए ननमन तकय हदए-

1- तमाग का भहततव- कछ ऩान क सरए कछ दना ऩड़ता ह 2- दान की भहतता- कवर-भननमो न दान को सफस ऊॉ चा सथान हदमा ह जो चीज अऩन

ऩास बी कभ हो औय अऩनी आिशमकता को बरकय िह चीज दसयो को दान कय दना ही तमाग ह |

3- इॊिदव को जर का अधमट चिाना- इॊदयसना ऩय ऩानी ि कना ऩानी की फयफादी नहीॊ फनदलक इॊदरदि को जर का अधमय चढ़ाना ह

4- ऩानी की फवाई कयना- नदजस परकाय ककसान िसर उगान क सरए जभीन ऩय फीज डारकय फिाई कयता ह िस ही ऩानी िार फादरो की िसर ऩान क सरए इनददय सना ऩय ऩानी डार कय ऩानी की फिाई की जाती ह

परशन4-नठदमो का बायतीम साभाजजक औय साॊसकनतक ऩरयवश भ कमा भहतव ह

उततय- गॊगा बायतीम सभाज भ सफस ऩजम सदानीया नदी ह नदजसका बायतीम इनतहास भ धासभयक ऩौयाणणक औय साॊसकनतक भहति ह | िह बायतीमो क सरए किर एक नदी नहीॊ अवऩत

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भाॉ ह सिगय की सीढ़ी ह भोदानमनी ह उसभ ऩानी नहीॊ अवऩत अभत तलम जर फहता ह बायतीम सॊसकनत भ नहदमो क ककनाय भानि सभमताएॉ परी-परी ह| फड़-फड़ नगय तीथयसथान नहदमो क ककनाय ही नदसथत ह ऐस ऩरयिश भबायतिासी सफस ऩहर गॊगा भमा की जम ही फोरग नहदमाॉ हभाय जीिन का आधाय ह हभाया दश कवर परधान ह नहदमो क जर स ही बायत बसभ हयी-बयी ह नहदमो क बफना जीिन की कलऩना नहीॊ कय सकत मही कायण ह कक हभ बायतीम नहदमो की ऩजा कयत ह |

परशन4-आजादी क ऩचास वषो क फाद बी रखक कमो दखी ह उसक भन भ कौन स परशन उि यह ह

उततय- आजादी क ऩचास िरो फाद बी बायतीमो की सोच भ सकायातभक फदराि न दखकय रखक दखी ह उसक भन भ कई परशन उठ यह ह-

1 कमा हभ सचच अथो भ सितनदतर ह 2 कमा हभ अऩन दश की सॊसकनत औय सभमता को सभझ ऩाए ह 3 यारषर ननभायण भ हभ ऩीछ कमो ह हभ दश क सरए कमा कय यह ह

4 हभ सिाथय औय भरषटाचाय भ सरपत यहत ह तमाग भ विशिास कमो नहीॊ कयत

5 सयकाय दिाया चराई जा यही सधायिादी मोजनाएॉ गयीफो तक कमो नहीॊ ऩहॉचती ह

गदमाॊश ऩय आधारयत अथटगरहण-सॊफॊधधत परशनोततय

सचभच ऐस हदन होत जफ गरी-भहलरा गाॉि-शहय हय जगह रोग गयभी भ बन-बन कय तराहहभाभ कय यह होत जठ क दसतऩा फीतकय आराढ का ऩहरा ऩखिाड़ा फीत चका होता ऩय कषनतज ऩय कहीॊ फादरो की यख बी नहीॊ दीखती होती कएॉ सखन रगत नरो भ एक तो फहत कभ ऩानी आता औय आता बी तो आधी यात को िो बी खौरता हआ ऩानी हो | शहयो की तरना भ गाॉि भ औय बी हारत खयाफ थी| जहाॉ जताई होनी चाहहए थी िहाॉ खतो की सभटटी सखकय ऩतथय हो जाती कपय उसभ ऩऩड़ी ऩड़कय जभीन पटन रगती र ऐसी कक चरत-चरत आदभी धगय ऩड़ | ढोय-डॊगय पमास क भाय भयन रगत रककन फारयश का कहीॊ नाभ ननशान नहीॊ ऐस भ ऩजा-ऩाठ कथा-विधान सफ कयक रोग जफ हाय जात तफ अॊनतभ उऩाम क रऩ भ ननकरती मह इनददय सना |

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परशन१- वषाट न होन ऩय रोगो की कमा जसथनत हो गमी थी उततय - िराय न होन ऩय गयभी क कायण रोग र रगन स फहोश होन रग | गाॉि-शहय सबी जगह ऩानी का अबाि हो गमा| कएॉ सख गए खतो की सभटटी सखकय ऩतथय क सभान कठोय होकय पट गमी| घयो भ नरो भ ऩानी फहत कभ आता था | ऩश पमास क भाय भयन रग थ | परशन२- वषाट क दवता कौन ह उनको परसनन कयन क लरए कमा उऩाम ककए जात थ उततय -िराय क दिता बगिान इनददर ह| उनको परसनदन कयन क सरए ऩजाndashऩाठ कथा-विधान कयाए जात थ | ताकक इनददर दि परसनदन होकय फादरो की सना बजकय झभाझभ फारयश कयाएॉ औय रोगो क करषट दय हो | परशन३- वषाट कयान क अॊनतभ उऩाम क रऩ भ कमा ककमा जाता था उततय ndashजफ ऩजा-ऩाठ कथा-विधान सफ कयक रोग हाय जात थ तफ अॊनतभ उऩाम क रऩ भ इनददय सना आती थी | नॊग-धडॊग कीचड़ भ रथऩथ lsquoकार भघा ऩानी द ऩानी द गड़धानी दrsquo की टय रगाकय पमास स सखत गरो औय सखत खतो क सरए भघो को ऩकायती हई टोरी फनाकय ननकर ऩड़ती थी| परशन४-आशम सऩषट कय ndash जठ क दसतऩा फीतकय आराढ़ का ऩहरा ऩखिाड़ा फीत चका होता ऩय कषनतज भ कहीॊ फादरो की यख बी नजय नहीॊ आती | आशम- जठ का भहीना ह बीरण गयभी ह| तऩत हए दस हदन फीत कय आराढ का भहीना बी आधा फीत गमा ऩय ऩानी क सरए तड़ऩत िराय की आशा भ आसभान की ओय ताकत रोगो को कहीॊ फादर नजय नहीॊ आ यह |

14 ऩहरवान की ढोरक

फ़णीशवयनाथ यण

ऩाि का सायाॊश ndashआॊचसरक कथाकाय िणीशियनाथ यण की कहानी ऩहरिान की ढोरक भ कहानी क भखम ऩातर रटटन क भाता-वऩता का दहाॊत उसक फचऩन भ ही हो गमा था | अनाथ रटटन को उसकी विधिा सास न ऩार-ऩोसकय फड़ा ककमा | उसकी सास को गाॉि िार सतात थ |

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रोगो स फदरा रन क सरए कशती क दाॉिऩच सीखकय कसयत कयक रटटन ऩहरिान फन गमा |

एक फाय रटटन शमाभनगय भरा दखन गमा जहाॉ ढोर की आिाज औय कशती क दाॉिऩच दखकय उसन जोश भ आकय नाभी ऩहरिान चाॉदससॊह को चनौती द दी | ढोर की आिाज स परयणा ऩाकय रटटन न दाॉि रगाकय चाॉद ससॊह को ऩटककय हया हदमा औय याज ऩहरिान फन गमा | उसकी खमानत दय-दय तक िर गमी| १५ िरो तक ऩहरिान अजम फना यहा| उसक दो ऩतर थ| रटटन न दोनो फटो को बी ऩहरिानी क गय ससखाए| याजा की भतम क फाद नए याजकभाय न गददी सॊबारी याजकभाय को घोड़ो की यस का शौक था भनजय न नम याजा को बड़कामा ऩहरिान औय उसक दोनो फटो क बोजनखचय को बमानक औय किजरखचय फतामा िरसिरऩ नए याजा न कशती को फॊद कयिा हदमा औय ऩहरिान रटटनससॊह को उसक दोनो फटो क साथ भहर स ननकार हदमा

याजदयफाय स ननकार हदए जान क फाद रटटन ससॊह अऩन दोनो फटो क साथ गाॉि भ झोऩड़ी फनाकय यहन रगा औय गाॉि क रड़को को कशती ससखान रगा| रटटन का सकर जमादा हदन नहीॊ चरा औय जीविकोऩाजयन क सरए उसक दोनो फटो को भजदयी कयनी ऩड़ी| इसी दौयान गाॉि भ अकार औय भहाभायी क कायण परनतहदन राश उठन रगी| ऩहरिान भहाभायी स डय हए रोगो को ढोरक फजाकय फीभायी स रड़न की सॊजीिनी ताकत दता था| एक हदन ऩहरिान क दोनो फट बी भहाभायी की चऩट भ आकय भय गए ऩय उस यात बी ऩहरिान ढोरक फजाकय रोगो को हहमभत फॊधा यहा था | इस घटना क चाय-ऩाॉच हदन फाद ऩहरिान की बी भौत हो जाती ह|

ऩहरिान की ढोरक वमिसथा क फदरन क साथ रोक कराकाय क अपरासॊधगक हो जान की कहानी ह इस कहानी भ रटटन नाभ क ऩहरिान की हहमभत औय नदजजीविरा का िणयन ककमा गमा ह बख औय भहाभायी अजम रटटन की ऩहरिानी को िट ढोर भ फदर दत ह इस करण तरासदी भ ऩहरिान रटटन कई सिार छोड़ जाता ह कक करा का कोई सितॊतर अनदसतति ह मा करा किर वमिसथा की भोहताज ह

परशन1- रटटन को ऩहरवान फनन की परयणा कस लभरी

उततय- रटटन जफ नौ सार का था तो उसक भाता-वऩता का दहाॊत हो गमा था | सौबागम स उसकी शादी हो चकी थी| अनाथ रटटन को उसकी विधिा सास न ऩार-ऩोसकय फड़ा ककमा | उसकी सास को गाॉि िार ऩयशान कयत थ| रोगो स फदरा रन क सरए उसन ऩहरिान फनन की ठानी| धायोरषण दध ऩीकय कसयत कय उसन अऩना फदन गठीरा औय ताकतिय फना सरमा | कशती क दाॉिऩच सीखकय रटटन ऩहरिान फन गमा |

परशन2- यात क बमानक सननाट भ रटटन की ढोरक कमा करयशभा कयती थी

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उततय- यात क बमानक सनदनाट भरटटन की ढोरक भहाभायी स जझत रोगो को हहमभत फॉधाती थी | ढोरक की आिाज स यात की विबीवरका औय सनदनाटा कभ होता था| भहाभायी स ऩीडड़त रोगो की नसो भ बफजरी सी दौड़ जाती थी उनकी आॉखो क साभन दॊगर का दशम साकाय हो जाता था औय ि अऩनी ऩीड़ा बर खशी-खशी भौत को गर रगा रत थ इस परकाय ढोर की आिाज फीभाय-भतपराम गाॉििारो की नसो भ सॊजीिनी शनदकत को बय फीभायी स रड़न की परयणा दती थी

परशन3- रटटन न सवाटधधक ठहमभत कफ ठदखाई

उततय- रटटन ससॊह न सिायधधक हहमभत तफ हदखाई जफ दोनो फटो की भतम ऩय िह योमा नहीॊ फनदलक हहमभत स काभ रकय अकर उनका अॊनतभ सॊसकाय ककमा| मही नहीॊ नदजस हदन ऩहरिान क दोनो फट भहाभायी की चऩट भ आकय भय गए ऩय उस यात को बी ऩहरिान ढोरक फजाकय रोगो को हहमभत फॉधा यहा था| शमाभनगय क दॊगर भ ऩया जनसभदाम चाॉद ससॊह क ऩ भ था चाॉद ससॊह को हयात सभम रटटन न हहमभत हदखाई औय बफना हताश हए दॊगर भ चाॉद ससॊह को धचत कय हदमा |

परशन4- रटटन लसॊह याज ऩहरवान कस फना

उततय- शमाभनगय क याजा कशती क शौकीन थ उनदहोन दॊगर का आमोजन ककमा ऩहरिान रटटन ससॊह बी दॊगर दखन ऩहॉचा चाॊदससॊह नाभक ऩहरिान जो शय क फचच क नाभ स परससदध था कोई बी ऩहरिान उसस सबड़न की हहमभत नहीॊ कयता था चाॉदससॊह अखाड़ भ अकरा गयज यहा था रटटन ससॊह न चाॉदससॊह को चनौती द दी औय चाॉदससॊह स सबड़ गमाढ़ोर की आिाज सनकय रटटन की नस-नस भ जोश बय गमाउसन चाॉदससॊह को चायो खान धचत कय हदमा याजासाहफ न रटटन की िीयता स परबावित होकय उस याजऩहरिान फना हदमा

परशन5- ऩहरवान की अॊनतभ इचछा कमा थी

उततय- ऩहरिान की अॊनतभ इचछा थी कक उस धचता ऩय ऩट क फर सरटामा जाए कमोकक िह नदजॊदगी भ कबी धचत नहीॊ हआ था| उसकी दसयी इचछा थी कक उसकी धचता को आग दत सभम ढोर अिशम फजामा जाए |

परशन6- ढोर की आवाज औय रटटन क भ दाॉिऩच सॊफॊध फताइए-

उततय- ढोर की आिाज औय रटटन क दाॉिऩच भ सॊफॊध -

चट धा धगड़ धाrarr आजा सबड़ जा | चटाक चट धाrarr उठाकय ऩटक द | चट धगड़ धाrarrभत डयना |

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धाक धधना नतयकट नतनाrarr दाॉि काटो फाहय हो जाओ | धधना धधना धधक धधनाrarr धचत कयो

गदमाॊश-आधारयत अथटगरहण-सॊफॊधधत परशनोततय

अॉधयी यात चऩचाऩ आॉस फहा यही थी | ननसतबधता करण सससककमो औय आहो को अऩन रदम भ ही फर ऩियक दफान की चरषटा कय यही थी | आकाश भ ताय चभक यह थ | ऩथिी ऩय कहीॊ परकाश का नाभ नहीॊ| आकाश स टट कय महद कोई बािक ताया ऩथिी ऩय आना बी चाहता तो उसकी जमोनत औय शनदकत यासत भ ही शर हो जाती थी | अनदम ताय उसकी बािकता अथिा असपरता ऩय णखरणखराकय हॉस ऩड़त थ | ससमायो का करॊ दन औय ऩचक की डयािनी आिाज यात की ननसतबधता को बॊग कयती थी | गाॉि की झोऩडडमो स कयाहन औय क कयन की आिाज हय याभ ह बगिान की टय सनाई ऩड़ती थी| फचच बी ननफयर कॊ ठो स भाॉ ndashभाॉ ऩकायकय यो ऩड़त थ |

(क) अॉधयी यात को आॉस फहात हए कमो ठदखामा गमा ह उततयndash गाॉि भ हजा औय भररयमा परा हआ था | भहाभायी की चऩट भ आकाय रोग भय यह थ |चायो ओय भौत का सनाटा छामा था इससरए अॉधयी यात बी चऩचाऩ आॉस फहाती सी परतीत हो यही थी|

(ख) ताय क भाधमभ स रखक कमा कहना चाहता ह उततयndash ताय क भाधमभ स रखक कहना चाहता ह कक अकार औय भहाभायी स तरसत गाॉि िारो की ऩीड़ा को दय कयन िारा कोई नहीॊ था | परकनत बी गाॉि िारो क द ख स दखी थी| आकाश स टट कय महद कोई बािक ताया ऩथिी ऩय आना बी चाहता तो उसकी जमोनत औय शनदकत यासत भ ही शर हो जाती थी |

(ग) यात की ननसतबधता को कौन बॊग कयता था उततयndash ससमायो की चीख-ऩकाय ऩचक की डयािनी आिाज औय कततो का साभहहक रदन सभरकय यात क सनदनाट को बॊग कयत थ |

(घ) झोऩड़ड़मो स कसी आवाज आ यही ह औय कमो उततयndash झोऩडड़मो स योधगमो क कयाहन क कयन औय योन की आिाज आ यही ह कमोकक गाॉि क रोग भररयमा औय हज स ऩीडड़त थ | अकार क कायण अनदन की कभी हो गमी थी| औरधध औय ऩथम न सभरन क कायण रोगो की हारत इतनी फयी थी कक कोई बगिान को ऩकाय रगाता था तो कोई दफयर कॊ ठ स भाॉndashभाॉ ऩकायता था |

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15 चारी चजतरन मानी हभ सफ

रखक-पवषण खय

ऩाि का सायाॊश ndashचारक चनदपरन न हासम कराकाय क रऩ भ ऩयी दननमा क फहत फड़ दशयक िगय को हॉसामा ह | उनकी कपलभो न कपलभ करा को रोकताॊबतरक फनान क साथ-साथ दशको की िगय औय िणय-वमिसथा को बी तोड़ा | चारक न करा भ फवदध की अऩा बािना को भहतति हदमा ह | फचऩन क सॊघरो न चारक क बािी कपलभो की बसभ तमाय कय दी थी| बायतीम करा औय सौदमयशासतर भ करणा का हासम भ ऩरयितयन बायतीम ऩयमऩया भ नहीॊ सभरता रककन चारक एक ऐसा जादई वमनदकतति ह जो हय दश सॊसकनत औय सभमता को अऩना सा रगता ह| बायतीम जनता न बी उनदह सहज बाि स सिीकाय ककमा ह| सिमॊ ऩय हॉसना चारक न ही ससखामा| बायतीम ससनभा जगत क सपरससदध कराकाय याजकऩय को चारक का बायतीमकयण कहा गमा ह | चारक की अधधकाॊश किलभ भक ह इससरए उनदह अधधक भानिीम होना ऩड़ा | ऩाठ भ हासम कपलभो क भहान असबनता lsquoचारक चनदपरनrsquo की जादई विशरताओॊ का उलरख ककमा गमा ह नदजसभ उसन करणा औय हासम भ साभॊजसम सथावऩत कय किलभो को साियबौसभक रऩ परदान ककमा

परशन१ -चारी क जीवन ऩय परबाव िारन वारी भखम घटनाएॉ कौन सी थी

उततय- चारक क जीिन भ दो ऐसी घटनाएॉ घटीॊ नदजनदहोन उनक बािी जीिन ऩय फहत परबाि डारा |

ऩहरी घटना - जफ चारक फीभाय थ उनकी भाॉ उनदह ईसा भसीह की जीिनी ऩढ़कय सना यही थी | ईसा क सरी ऩय चढ़न क परसॊग तक आत-आत भाॉ-फटा दोनो ही योन रग| इस घटना न चारक को सनह करणा औय भानिता जस उचच जीिन भलम हदए |

दसयी घटना हndash फारक चारक कसाईखान क ऩास यहता था| िहाॉ सकड़ो जानियो को योज भाया जाता था| एक हदन एक बड़ िहाॉ स बाग ननकरी| बड़ को ऩकड़न की कोसशश भ कसाई कई फाय कपसरा| नदजस दखकय रोग हॊसन रग ठहाक रगान रग| जफ बड़ को कसाई न ऩकड़ सरमा तो फारक चारक योन रगा| इस घटना न उसक बािी कपलभो भ तरासदी औय हासमोतऩादक ततिो की बसभका तम कय दी |

परशन२ ndash आशम सऩषट कीजजएndash

चजतरन न लसपट कपलभकरा को ही रोकताॊबतरक नही फनामा फजलक दशटको की वगट तथा वणट-वमवसथा को बी तोड़ा|

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उततय- रोकताॊबतरक फनान का अथय ह कक कपलभ करा को सबी क सरए रोकवपरम फनाना औय िगय औय िणय-वमिसथा को तोड़न का आशम ह- सभाज भ परचसरत अभीय-गयीफ िणय जानतधभय क बदबाि को सभापत कयना |चनदपरन का चभतकाय मह ह कक उनदहोन कपलभकरा को बफना ककसी बदबाि क सबी रोगो तक ऩहॉचामा| उनकी कपलभो न सभम बगोर औय सॊसकनतमो की सीभाओॊ को राॉघ कय साियबौसभक रोकवपरमता हाससर की | चारक न मह ससदध कय हदमा कक करा सितनदतर होती ह अऩन ससदधाॊत सिमॊ फनाती ह |

परशन३ndash चारी चजतरन की कपलभो भ ननठहत तरासदीकरणाहासम का साभॊजसम बायतीम करा औय सौदमटशासतर की ऩरयधध भ कमो नहीॊ आता

उततय- चारक चनदपरन की कपलभो भ ननहहत तरासदीकरणाहासम का साभॊजसम बायतीम करा औय सौदमयशासतर की ऩरयधध भ नहीॊ आताकमोकक बायतीम यस-ससदधाॊत भ करणा औय हासम का भर नहीॊ हदखामा जाता कमोकक बायतीम सौदमयशासतर भ करणयस औय हासम यस को ऩयसऩय वियोधी भाना गमा ह अथायत जहाॊ करणा ह िहाॉ हासम नहीॊ हो सकता बायत भ सिमॊ ऩय हॉसन की ऩयॊऩया नहीॊ ह ऩयॊत चारक क ऩातर अऩन ऩय हॉसतndashहॉसात ह चारक की किलभो क दशम हॉसात-हॉसात ररा दत ह तो कबी करण दशम क फाद अचानक ही हॉसन ऩय भजफय कय दत ह

परशन४ndash चारी क कपलभो की पवशषताएॉ फताइए |

उततय- चारक की किलभो भ हासम औय करणा का अदभत साभॊजसम ह उनकी किलभो भ बारा का परमोग फहत कभ ह चारक की किलभो भ फवदध की अऩा बािना का भहतति अधधक ह उनकी किलभो भ साियबौसभकता ह चारक ककसी बी सॊसकनत को विदशी नही रगत चारक सफको अऩन रगत ह चारक न किलभो को रोकताॊबतरक फनामा औय किलभो भ िगय तथािणय-वमिसथा को तोड़ा अऩनी कपलभो भ चारक सदि धचय मिा हदखता ह

गदमाॊश-आधारयत अथटगरहण-सॊफॊधी परशनोततय

गदमाॊश सॊकत ndashचारक चनदपरन मानी हभ सफ (ऩरषठ १२० )

महद मह िरय चनदपरन की कापी कछ कहा जाएगा |

परशन (क)-पवकासशीर दशो भ चजतरन कमो भशहय हो यह ह

उततय - विकासशीर दशो भ जस-जस टरीविजन औय िीडडमो का परसाय हो यहा ह रोगो को उनकी कपलभो को दखन का अिसय सभर यहा ह |एक फहत फड़ा िगय नए ससय स चारक को घड़ी सधायत औय जत खान की कोसशश कयत दख यहा ह इसीसरए चारक विकासशीर दशो भ रोकवपरम हो यह ह |

(ख)- ऩजशचभ भ चारी का ऩनजीवन कस होता यहता ह

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उततय - ऩनदशचभ भ चारक की कपलभो का परदशयन होता यहता ह| उनकी करा स परयणा ऩाकय हासम किलभ फनती यहती ह | उनक दिाया ननबाए ककयदायो की नकर अनदम कराकाय कयत ह | ऩनदशचभ भ चारक का ऩनजीिन होता यहता ह|

(ग)- चारी को रोग फिाऩ तक कमो माद यखग

उततय ndashहासम कराकाय क रऩ भ रोग चारक को फढ़ाऩ तक माद यखग कमोकक उनकी करा सभम बगोर औय सॊसकनतमो की सीभाओॊ को राॉघकय राखो रोगो को हॉसा यही ह|

(घ)- चारी की कपलभो क फाय भ कापी कछ कहा जाना कमो फाी ह

उततय ndashचनदपरन की ऐसी कछ किलभ मा इसतभार न की गमी यीर सभरी ह नदजनक फाय भ कोई नहीॊ जानता था | चारक की बािनापरधान हासम कपलभो न करा क नए परनतभान सथावऩत ककए ह अत चारक की कपलभो क फाय भ अबी कापी कछ कहा जाना फाी ह|

16 नभक

रखखका - यजजमा सजजाद जहीय

सायाॊश -lsquoनभकrsquoबायत-ऩाक विबाजन ऩय सरणखत भासभयक कहानी ह | विसथावऩत हए रोगो भ अऩनndashअऩन जनदभ सथानो क परनत आज बी रगाि ह| धासभयक आधाय ऩय फनी यारषर-याजमो की सीभा-यखाएॉ उनक अॊतभयन को अरग नहीॊ कय ऩाई ह | बायत भ यहन िारी ससख फीिी राहौय को अऩना ितन भानती ह औय बायतीम कसटभ अधधकायी ढाका क नारयमर ऩानी को मादकय उस सियशररषठ फताता ह दोनो दशो क नागरयको क फीच भहबफत का नभकीन सिाद आज बी कामभ ह इसीसरए सकिमा बायत भ यहन िारी अऩनी भॉहफोरी भाॉ ससख फीिी क सरए राहौयी नभक रान क सरए कसटभ औय कानन की ऩयिाह नहीॊ कयती

परशन1- lsquoनभकrsquo ऩाि क आधाय ऩय फताइए कक सकपमा औय उसक बाई क पवचायो भ कमा अॊतय था

उततय- १-सकपमा बािनाओॊ को फहतभहतति दती ह ऩय उसका बाई फौवदधक परिनदतत का ह उसकी दनदरषट भ कानन बािनाओॊ स ऊऩय ह|

२-सकपमा भानिीम सॊफॊधो को फहत भहतति दती ह जफकक उसका बाई अरगाििादी विचायधाया का ह हहसस-फखय की फात कयता ह |

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३-सकपमा का बाई कहता ह कक अदीफो(साहहतमकाय) का हदभाग घभा हआ होता ह जफकक सकपमा जो सिमॊ अदीफ ह उसका भानना ह कक अगय सबी रोगो का हदभाग अदीफो की तयह घभा हआ होता तो दननमा कछ फहतय हो जाती |

परशन२- नभक र जात सभम सकफ़मा क भन भ कमा दपवधा थी

उततय-सकपमा समद भसरभान थी जो हय हार भ अऩना िामदा ननबात ह| ऩाककसतान स राहौयी नभक र जाकय िह अऩना िामदा ऩया कयना चाहती थी ऩयनदत जफ उस ऩता चरा कक कसटभ क ननमभो क अनसाय सीभाऩाय नभक र जाना िनदजयत ह तो िह दविधा भ ऩड़ गई | सकिमा का दिॊदि मह था कक िह अऩनी ससख भाॉ क सरए नभक कसटभ अधधकारयमो को फताकयर जाए मा नछऩाकय|

परशन३- ऩाि क आधाय ऩय सकपमा की चारयबतरक पवशषताएॉ फताइए |

उततय सॊकत ndash

१- बािक २- ईभानदाय ३- दढ़ननशचमी ४- ननडय ५- िामद को ननबान िारी ६- भानिीम भलमो को सिोऩरय भानन िारी साहहतमकाय

परशन ४- lsquoनभकrsquo ऩाि भ आए ककयदायो क भाधमभ स सऩषट कीजजए कक आज बी बायत औय ऩाककसतान की जनता क फीच भहबफत का नभकीन सवाद घरा हआ ह |

उततय ndash बर ही याजनीनतक औय धासभयक आधाय ऩय बायत औय ऩाककसतान को बौगोसरक रऩ स विबानदजत कय हदमा गमा ह रककन दोनो दशो क रोगो क रदम भ आज बी ऩायसऩरयक बाईचाया सौहादरय सनह औय सहानबनत विदमभान ह | याजनीनतक तौय ऩय बर ही सॊफॊध तनािऩणय हो ऩय साभानदजक तौय ऩय आज बी जनता क फीच भहबफत का नभकीन सिाद घरा हआ ह | अभतसय भ यहन िारी ससख फीफी राहौय को अऩना ितन कहती ह औय राहौयी नभक का सिाद नहीॊ बरा ऩाती | ऩाककसतान का कसटभ अधधकायी नभक की ऩडड़मा सकपमा को िाऩस दत हए कहता ह rdquoजाभा भनदसजद की सीहढ़मो को भया सराभ कहना |rdquo बायतीम सीभा ऩय तनात कसटभ अधधकायी ढाका की जभीन को औय िहाॉ क ऩानी क सिाद को नहीॊ बर ऩाता |

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गदमाॊश-आधारयत अथटगरहण सॊफॊधधत परशनोततय

गदमाॊश सॊकत- ऩाठndash नभक (ऩरषठ १३४)

सकपमा कसटभ क जॊगर स दोनो क हाथो भ थी |

(क) सकपमा कसटभ क जॉगर स ननकरकय दसय तरटपाभट ऩय आ गमी व वहीॊ खड़ यहndash इस वाकम भ lsquoवrsquo शबद का परमोग ककसक लरए ककमा गमा ह

उततय- महाॉ lsquoिrsquo शबद का परमोग ऩाककसतानी कसटभ अधधकायी क सरए ककमा गमा ह जो विबाजन स ऩिय हदलरी भ यहत थ औय आज बी हदलरी को ही अऩना ितन भानत ह |

(ख) तरटपाभट ऩय सकपमा को पवदा कयन कौन-कौन आए थ उनहोन सकपमा को कस पवदाई दी

उततय- परटपाभय ऩय सकपमा को विदा कयन उसक फहत साय सभतर सग सॊफॊधी औय बाई आए थ| उनदहोन ठॊडी साॉस बयत हए सबॊच हए होठो क साथ आॉस फहात हए सकपमा को विदाई दी |

(ग) अटायी भ यरगाड़ी भ कमा ऩरयवतटन हए उततय- अटायी भ यरगाड़ी स ऩाककसतानी ऩसरस उतयी औय हहनददसतानी ऩसरस सिाय हो गई|

(घ) कौन सी फात सकपमा की सभझ भ नहीॊ आ यही थी उततय- दोनो ओय एक सी जभीन एक जसा आसभान एक सी बारा एक सा ऩहनािा औय एक सी सयत क रोग कपय बी दोनो क हाथो भ बयी हई फॊदक ह |

17 लशयीष क पर

आचामट हजायी परसाद दपववदी

सायाॊश ndashlsquoआचामय हजायी परसाद दवििदीrsquo सशयीर को अदभत अिधत भानत ह कमोकक सॊनदमासी की बाॉनत िह सख-दख की धचॊता नहीॊ कयता गभी र िराय औय आॉधी भ बी अविचर खड़ा यहता ह सशयीर क िर क भाधमभ स भनरषम की अजम नदजजीविरा धमयशीरता औय कतयवमननरषठ फन यहन क भानिीम भलमो को सथावऩत ककमा गमा हरखक न सशयीर क कोभर परो औय कठोय परो क दिाया सऩरषट ककमा ह कक रदम की कोभरता फचान क सरए कबी-कबी वमिहाय की कठोयता बी आिशमक हो जाती ह| भहान कवि कासरदास औय कफीय बी सशयीर की तयह फऩयिाह अनासकत औय सयस थ तबी उनदहोन इतनी सनददय यचनाएॉ सॊसाय को दीॊ| गाॉधीजी क वमनदकतति भ बी कोभरता औय कठोयता का अदभत सॊगभ था | रखक सोचता ह कक हभाय दश भ जो भाय-काट अनदगनदाह रट-ऩाट खन-खचचय का फिॊडय ह कमा िह दश को नदसथय नहीॊ यहन दगा गराभी अशाॊनत औय वियोधी िाताियण क फीच अऩन ससदधाॊतो की या कयत हए गाॉधीजी जी नदसथय यह सक थ तो दश बी यह सकता ह जीन की परफर असबरारा क कायण

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विरभ ऩरयनदसथतमो भ बी महद सशयीर णखर सकता ह तो हभाया दश बी विरभ ऩरयनदसथनतमो भ नदसथय यह कय विकास कय सकता ह

परशन1-लसदध कीजजए कक लशयीष कारजमी अवधत की बाॉनत जीवन की अजमता क भॊतर का परचाय कयता ह

उततय- सशयीर कारजमी अिधत की बाॉनत जीिन की अजमता क भॊतर का परचाय कयता ह| जफ ऩथिी अनदगन क सभान तऩ यही होती ह िह तफ बी कोभर परो स रदा रहरहाता यहता ह|फाहयी गयभी धऩ िराय आॉधी र उस परबावित नहीॊ कयती इतना ही नहीॊ िह रॊफ सभम तक णखरा यहता ह | सशयीर विऩयीत ऩरयनदसथनतमो भ बी धमयशीर यहन तथा अऩनी अजम नदजजीविरा क साथ ननसऩह बाि स परचॊड गयभी भ बी अविचर खड़ा यहता ह

परशन२-आयगवध (अभरतास) की तरना लशयीष स कमो नहीॊ की जा सकती

उततय- सशयीर क पर बमॊकय गयभी भ णखरत ह औय आराढ़ तक णखरत यहत ह जफकक अभरतास का पर किर ऩनददरह-फीस हदनो क सरए णखरता ह | उसक फाद अभरतास क पर झड़ जात ह औय ऩड़ कपय स ठॉठ का ठॉठ हो जाता ह | अभरतास अलऩजीिी ह | विऩयीत ऩरयनदसथनतमो को झरता हआ ऊरषण िाताियण को हॉसकय झरता हआ सशयीर दीघयजीिी यहता ह | मही कायण ह कक सशयीर की तरना अभरतास स नहीॊ की जा सकती |

परशन३-लशयीष क परो को याजनताओॊ का रऩक कमो ठदमा गमा ह

उततय- सशयीर क पर उन फढ़ ढीठ औय ऩयान याजनताओॊ क परतीक ह जो अऩनी कसी नहीॊ छोड़ना चाहत | अऩनी अधधकाय-सरपसा क सरए नए मिा नताओॊ को आग नहीॊ आन दत | सशयीर क नए परो को जफयदसती ऩयान परो को धककमाना ऩड़ता ह | याजनीनत भ बी नई मिा ऩीढ़ी ऩयानी ऩीढ़ी को हयाकय सिमॊ सतता सॉबार रती ह |

परशन४- कार दवता की भाय स फचन का कमा उऩाम फतामा गमा ह

उततय- कार दिता कक भाय स फचन का अथय हndash भतम स फचना | इसका एकभातर उऩाम मह ह कक भनरषम नदसथय न हो| गनतशीर ऩरयितयनशीर यह | रखक क अनसाय नदजनकी चतना सदा ऊधियभखी (आधमातभ की ओय) यहती ह ि हटक जात ह |

परशन५- गाॉधीजी औय लशयीष की सभानता परकट कीजजए |

उततय- नदजस परकाय सशयीर धचरधचराती धऩ र िराय औय आॉधी भ बी अविचर खड़ा यहता ह अनासकत यहकय अऩन िाताियण स यस खीॊचकय सयस कोभर फना यहता ह उसी परकाय गाॉधी जी न बी अऩनी आॉखो क साभन आजादी क सॊगराभ भ अनदमाम बदबाि औय हहॊसा को झरा |

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उनक कोभर भन भ एक ओय ननयीह जनता क परनत असीभ करणा जागी िहीॊ ि अनदमामी शासन क वियोध भ डटकय खड़ हो गए |

गदमाॊश-आधारयत अथटगरहण सॊफॊधधत परशनोततय

गदमाॊश सॊकत- ऩाठ ndash सशयीर क पर (ऩरषठ १४७)

कासरदास सौदमय क िह इशाया ह |

(क) कालरदास की सौदमटndashदजषट की कमा पवशषता थी उततय-कासरदास की सौदमयndashदनदरषट फहत सकषभ अॊतबदी औय सॊऩणय थी| ि किर फाहयी रऩ-यॊग औय आकाय को ही नहीॊ दखत थ फनदलक अॊतभयन की सॊदयता क बी ऩायखी थ| कासरदास की सौदमय शायीरयक औय भानससक दोनो विशरताओॊ स मकत था |

(ख) अनासजकत का कमा आशम ह उततय- अनासनदकत का आशम ह- वमनदकतगत सख-द ख औय याग-दिर स ऩय यहकय सौदमय क िासतविक भभय को जानना |

(ग) कालरदास ऩॊत औय यवीॊिनाथ टगोय भ कौन सा गण सभान था भहाकवि कासरदास ससभतरानॊदन ऩॊत औय गरदि यिीॊदरनाथ टगोय तीनो नदसथयपरऻ औय अनासकत कवि थ | ि सशयीर क सभान सयस औय भसत अिधत थ |

(घ) यवीॊिनाथ याजोदमान क लसॊहदवाय क फाय भ कमा सॊदश दत ह याजोदमान क फाय भ यिीॊदरनाथ कहत ह याजोदमान का ससॊहदिाय ककतना ही सॊदय औय गगनचमफी कमो ना हो िह अॊनतभ ऩड़ाि नहीॊ ह| उसका सौदमय ककसी औय उचचतभ सौदमय की ओय ककमा गमा सॊकत भातर ह कक असरी सौदमय इस ऩाय कयन क फाद ह अत याजोदमान का ससॊहदिाय हभ आग फढ़न की परयणा दता ह |

18शरभ-पवबाजन औय जानत-परथा

िॉ० बीभयाव अॊफिकय

सायाॊश ndash इस ऩाठ भ रखक न जानतिाद क आधाय ऩय ककए जान िार बदबाि को सभम सभाज क सरए हाननकायक फतामा ह | जानत आधारयत शरभ विबाजन को असिाबाविक औय भानिता वियोधी फतामा गमा ह मह साभानदजक बदबाि को फढ़ाता ह जानतपरथा आधारयत शरभ विबाजन भ वमनदकत की रधच को भहतति नहीॊ हदमा जाता परसिरऩ वििशता क साथ अऩनाए

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Page 14: ISSUED BY KENDRIYA VIDYALAYA - DOWNLOADED FROM … Class XII Hindi Part B.pdfप्रश्न४ :-फादर क / फयन का गयीफ एि धनी िगय क्मा

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उततय - तरसीदास की बनदकत का दासम बाि सिरऩ परसतत कविततो भ असबवमकत हआ ह

9 रफाइमाॉ

कफ़याक गोयखऩयी

भर नाभndash यघऩनत सहाम कफ़याक

उदय शामयी की रयिामत क विऩयीत कपयाक गोयखऩयी क साहहतम भ रोक जीिन एिॊ परकनत की झरक सभरती ह साभानदजक सॊिदना िमनदकतक अनबनत फन कय उनकी यचनाओॊ भ वमकत हई हजीिन का कठोय मथाथय उनकी यचनाओॊ भ सथान ऩाता हउनदहोन रोक बारा क परतीको का परमोग ककमा ह राणणक परमोग उनकी बारा की विशरता हकियाक की रफाईमो भ घयर हहॊदी का रऩ हदखता ह |

रफाई उदय औय िायसी का एक छॊद मा रखन शरी ह नदजसभ चाय ऩॊनदकतमाॉ होती ह |इसकी ऩहरी दसयी औय चौथी ऩॊनदकत भ तक (काकिमा)सभरामा जाता ह तथा तीसयी ऩॊनदकत सिचछॊद होती ह |

ldquoिो रऩिती भखड़ ऩ इक नभय दभकrdquo

ldquoफचच क घयोद भ जराती ह हदएldquo

ldquoयाफॊधन की सफह यस की ऩतरीrdquo

ldquoबफजरी की तयह चभक यह ह रचछrdquo

ldquoबाई क ह फाॉधती चभकती याखीldquo- जस परमोग उनकी बारा की सशकतता क नभन क तौय ऩय दख जा सकत ह |

साय

रफाइमाॉ

याफॊधन एक भीठा फॊधन ह याफॊधन क कचच धागो ऩय बफजरी क रचछ ह सािन भ याफॊधन आता ह सािन का जो सॊफॊध झीनी घटा स ह घटा का जो सॊफॊध बफजरी स ह िही सॊफॊध बाई का फहन स होता ह

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गज़र

ऩाठ भ कपयाक की एक गज़र बी शासभर ह रफाइमो की तयह ही कपयाक की गजरो भ बी हहॊदी सभाज औय उदय शामयी की ऩयॊऩया बयऩय ह इसका अदभत नभना ह मह गज़र मह गज़र कछ इस तयह फोरती ह कक नदजसभ ददय बी ह एक शामय की ठसक बी ह औय साथ ही ह कावम-सशलऩ की िह ऊॉ चाई जो गज़र की विशरता भानी जाती ह

अथट-गरहण-सॊफॊधी परशन

ldquoआॉगन भ सरए चाॉद क टकड़ को खड़ी

हाथो ऩ झराती ह उस गोद-बयी

यह-यह क हिा भ जो रोका दती ह

गॉज उठती ह णखरणखरात फचच की हॉसीrdquo

परशन१- lsquoचाॉद क टकड़rsquoका परमोग ककसक सरए हआ ह औय कमो

उततय -फचच को चाॉद का टकड़ा कहा गमा ह जो भाॉ क सरए फहत पमाया होता ह

परशन२- गोद-बयी परमोग की विशरता को सऩरषट कीनदजए |

उततय - गोद-बयी शबद-परमोग भाॉ क वातसलमऩणट आनॊठदत उतसाह को परकट कयता ह |मह अतमॊत सॊदय दशम बफॊफ ह | सनी गोद क विऩयीत गोद का बयना भाॉ क लरए असीभ सौबागम का सचक ह |इसी सौबागम का सकषभ अहसास भाॉ को तजतत द यहा ह|

परशन३- रोका दना ककस कहत ह

उततय - जफ भाॉ फचच को फाहो भ रकय हिा भ उछारती ह इस रोका दना कहत ह|छोट फचचो को मह खर फहत अचछा रगता ह

परशन४- फचचा भाॉ की गोद भ कसी परनतककरमा कयता ह

उततय - हिा भ उछारन ( रोका दन) स फचचा भाॉ का िातसलम ऩाकय परसनदन होता ह औय णखरणखरा कय हॉस ऩड़ता हफचच की ककरकारयमाॉ भाॉ क आनॊद को दगना कय दती ह|

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सौदमट-फोध-सॊफॊधी परशन

ldquoनहरा क छरक-छरक ननभयर जर स

उरझ हए गसओॊ भ कॊ घी कयक

ककस पमाय स दखता ह फचचा भॉह को

जफ घटननमो भ रक ह वऩनदहाती कऩड़rdquo

परशन१- परसतत ऩॊनदकतमो क बाि सौदमय को सऩरषट कीनदजए |

उततय - भाॉ न अऩन फचच को ननभयर जर स नहरामा उसक उरझ फारो भ कॊ घी की |भाॉ क सऩशय एिॊ नहान क आनॊद स फचचा परसनदन हो कय फड़ परभ स भाॉ को ननहायता ह| परनतहदन की एक सिाबाविक ककरमा स कस भाॉ-फचच का परभ विकससत होता ह औय परगाढ़ होता चरा जाता ह इस बाि को इस रफाई भ फड़ी सकषभता क साथ परसतत ककमा गमा ह|

परशन२- कावमाॊश भ आए बफॊफो को सऩरषट कीनदजए |

उततय -१ldquoनहरा क छरक-छरक ननभटर जर सrdquo- इस परमोग दिाया कवि न फारक की ननभयरता एिॊ ऩवितरता को जर की ननभयरता क भाधमभ स अॊककत ककमा ह | छरकना शबद जर की ताजा फॊदो का फारक क शयीय ऩय छरछरान का सॊदय दशम बफॊफ परसतत कयता ह |

२ lsquoघटननमो भ रक ह पऩनहाती कऩड़rsquo- इस परमोग भ भाॉ की फचच क परनत सािधानी चॊचर फचच को चोट ऩहॉचाए बफना उस कऩड़ ऩहनान स भाॉ क भातति की कशरता बफॊबफतहोती ह |

३ ldquoककस तमाय स दखता ह फचचा भॉह कोrdquo- ऩॊनदकत भ भाॉ ndashफचच का िातसलम बफॊबफत हआ ह | भाॉ स पमाय ndashदराय सऩशय ndashसख नहराए जान क आनॊद को अनबि कयत हए फचचा भाॉ को पमाय बयी नजयो स दख कय उस सख की असबवमनदकत कय यहा ह |मह सकषभ बाि अतमॊत भनोयभ फन ऩड़ा ह |सॊऩणय रफाई भ दशम बफॊफ ह|

परशन ३-कावमाॊश क शबद-परमोग ऩय हटपऩणी सरणखए |

उततय -गस ndashउदय शबदो का परमोग

घटननमो वऩनदहाती ndash दशज शबदो क भाधमभ स कोभरता की असबवमनदकत

छरक ndashछरक ndashशबद की ऩनयािनदतत स अबी ndashअबी नहराए गए फचच क गीर शयीय का बफॊफ

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आहद विरण परमोग रफाइमो को विसशरषट फना दत ह | हहॊदीउदय औय रोकबारा क अनठ गठफॊधन की झरक नदजस गाॊधीजी हहॊदसतानी क रऩ भ ऩलरवित कयना चाहत थदखन को सभरती ह |

पवषम-वसत ऩय आधारयत परशनोततय

रफाइमाॉ

परशन १ -कावम भ परमकत बफॊफो का िणयन अऩन शबदो भ कीनदजए

उततय -

दशम बफॊफ -फचच को गोद भ रना हिा भ उछारना सनान कयाना घटनो भ रकय कऩड़ ऩहनाना|

शरवमबफॊफ - फचच का णखरणखरा कय हॉस ऩड़ना सऩशय बफॊफ -फचच को सनान कयात हए सऩशय कयना |

परशन २-ldquoआॉगन भ ठनक यहा ह नदज़दमामा ह फारक तो हई चाॉद ऩ ररचामा हrsquo- भ फारक की कौन सी विशरता असबवमकत हई ह

उततय - इन ऩॊनदकतमो भ फारक की हि कयन की पवशषता असबवमकत हई ह फचच जफ नदजद ऩय आ जात ह तो अऩनी इचछा ऩयी कयिान क सरए नाना परकाय की हयकत ककमा कयत ह| नदज़दमामा शबद रोक बाषा का पवरण परमोग ह इसभ फचच का िनकना तनकना ऩाॉव ऩटकना योना आठद सबी ककरमाएॉ शासभर ह |

परशन ३ रचछ ककस कहा गमा ह इनका सॊफॊध ककस तमौहाय स ह

उततय - याखी क चभकीर तायो को रचछ कहा गमा ह याफॊधन क कचच धागो ऩय बफजरी क रचछ ह सािन भ याफॊधन आता ह सािन का जो सॊफॊध झीनी घटा स ह घटा का जो सॊफॊध बफजरी स ह िही सॊफॊध बाई का फहन स होता ह|सािन भ बफजरी की चभक की तयह याखी क चभकीर धागो की सॊदयता दखत ही फनती ह|

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अथट-गरहण-सॊफॊधी परशन

गज़र

कफ़याक गोयखऩयी

ldquoनौयस गॊच ऩॊखडड़मो की नाज़क धगयह खोर ह

मा उड़ जान को यॊगो- फ गरशन भ ऩय तौर ह |rdquo

परशन१- lsquoनौयसrsquo विशरण दिाया कवि ककस अथय की वमॊजना कयना चाहता ह

उततय नौयस अथायत नमा यस गॊच अथायत कसरमो भ नमा ndashनमा यस बय आमा ह |

परशन२- ऩॊखडड़मो की नाज़क धगयह खोरन का कमा असबपराम ह

उततय - यस क बय जान स कसरमाॉ विकससत हो यही ह |धीय-धीय उनकी ऩॊखडड़माॉ अऩनी फॊद गाॉठ खोर यही ह | कवि क शबदो भ नियस ही उनकी फॊद गाॉठ खोर यहा ह|

परशन३- lsquoयॊगो- फ गरशन भ ऩय तौर हrsquo ndash का अथय सऩरषट कीनदजए|

उततय -यॊग औय सगॊध दो ऩी ह जो कसरमो भ फॊद ह तथा उड़ जान क सरए अऩन ऩॊख पड़पड़ा यह ह |मह नदसथनत कसरमो क पर फन जान स ऩिय की ह जो पर फन जान की परतीा भ ह |rsquoऩय तौरनाrsquo एक भहािया ह जो उड़ान की भता आॉकन क सरए परमोग ककमा जाता ह |

परशन४- इस शय का बाि-सौदमय वमकत कीनदजए|

उततय -कसरमो की नई-नई ऩॊखडड़माॉ णखरन रगी ह उनभ स यस भानो टऩकना ही चाहता ह | िमसॊधध(ककशोयी)नानमका क परसपहटत होत सौदमय का परतीकातभक धचतरण अतमॊत सॊदय फन ऩड़ा ह |

सौदमट-फोध-सॊफॊधी परशन

हभ हो मा ककसभत हो हभायी दोनो को इक ही काभ सभरा ककसभत हभ को यो रि ह हभ ककसभत को यो र ह| जो भझको फदनाभ कय ह काश ि इतना सोच सक

भया ऩदाय खोर ह मा अऩना ऩदाय खोर ह | परशन१- इन शयो की बारा सॊफॊधी विशरताएॉ सऩरषट कीनदजए |

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उततय- १ भहाियो का परमोग ndashककसभत का योना ndashननयाशा का परतीक

२सयर असबवमनदकत बारा भ परिाहभमता ह ककसभत औय ऩयदा शबदो की ऩनयािनदततमाॉ

भोहक ह|

३ हहॊदी का घयर रऩ

परशन२- lsquoभया ऩयदा खोर ह मा अऩना ऩयदा खोर ह lsquo- की बावरक विशरता सरणखए |

उततय -भहािय क परमोग दिाया वमॊजनातभक असबवमनदकत | ऩयदा खोरना ndash बद खोरना सचचाई फमान कयना|

परशन३-lsquoहभ हो मा ककसभत हो हभायी lsquo ndashपरमोग की विशरता फताइए |

उततय - हभ औय ककसभत दोनो शबद एक ही वमनदकत अथायत कियाक क सरए परमकत ह | हभ औय ककसभत भ अबद ह मही विशरता ह |

कफ़याक गोयखऩयी

पवषम-वसत ऩय आधारयत परशनोततय

परशन१- ताय आॉख झऩकाि ह ndashका तातऩमय सऩरषट कीनदजए |

उततय- याबतर का सनदनाटा बी कछ कह यहा हइससरए ताय ऩरक झऩका यह ह विमोग की नदसथनत भ परकनत बी सॊिाद कयती परतीत होती ह |

परशन२- lsquoहभ हो मा ककसभत हो हभायीrsquo भ ककस बाि की असबवमनदकत हई ह

उततय- जीिन की विडॊफना ककसभत को योना-भहािय क परमोग स सटीक असबवमनदकत परापत कयती ह कवि जीिन स सॊतरषट नहीॊ ह | बागम स सशकामत का बाि इन ऩॊनदकतमो भ झरकता ह |

परशन३- परभ क ककस ननमभ की असबवमनदकत कवि न की ह

उततय -ईशिय की परानदपत सियसि रटा दन ऩय होती ह परभ क सॊसाय का बी मही ननमभ ह|कवि क शबदो भ rdquo कितयत का कामभ ह तिाज़न आरभ- हसनो ndashइशक भ बी

उसको उतना ही ऩात ह खद को नदजतना खो र ह |rdquo

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१ बाि ndashसामम- कफीय -lsquoसीस उताय बई धय तफ सभसरह कयतायlsquo-अथायत -सिमॊ को खो कय ही परभ परानदपत की जा सकती ह

२ बाि सामम- कफीय ndashनदजन ढॉढा नतन ऩाइमाॉ गहय ऩानी ऩहठ|

भ फऩया फडन डया यहा ककनाय फहठ |

परशन४- शयाफ की भहकपर भ शयाफी को दय यात कमा फात माद आती ह

उततय - शयाफ की भहकपर भ शयाफी को दय यात माद आती ह कक आसभान भ भनरषम क ऩाऩो का रखा-जोखा होता ह जस आधी यात क सभम परयशत रोगो क ऩाऩो क अधमाम खोरत ह िस ही यात क सभम शयाफ ऩीत हए शामय को भहफफा की माद हो आती ह भानो भहफफा परयशतो की तयह ऩाऩ सथर क आस ऩास ही ह

परशन५- सदक कियाकndashndashndashइन ऩॊनदकतमो का अथय सऩरषट कीनदजए |

उततय -सदक कियाकndashndashndashइन ऩॊनदकतमो भ कियाक कहत ह कक उनकी शामयी भ भीय की शामयी की उतकरषटता धिननत हो यही ह

परशन६- ऩॊखडड़मो की नाज़क धगयह खोरना कमा ह

उततय -ऩॉखडड़मो की नाजक धगयह खोरना उनका धीय -धीय विकससत होना ह

िमसॊधध(ककशोयी)नानमका क परसपहटत होत सौदमय की ओय सॊकत ह |

परशन७-lsquoमो उड़ जान को यॊगो फ गरशन भ ऩय तौर हrsquo बाि सऩरषट कीनदजए

उततय -कसरमो की सिास उड़न क सरए भानो ऩय तौर यही होअथायत खशफ का झोका यहndashयह कय उठता ह

परशन८- कवि दिाया िणणयत याबतर क दशम का िणयन अऩन शबदो भ कीनदजए

उततय - याबतर का सनदनाटा बी कछ कह यहा हइससरए ताय ऩरक झऩका यह हरगता ह कक परकनत का कण-कण कछ कह यहा ह |

परशन९- कवि अऩन िमनदकतक अनबि ककन ऩॉनदकतमो भ वमकत कय यहा ह

जीिन की विडॊफना-lsquoककसभत को योनाlsquo भहािय क परमोग स सटीक असबवमनदकत परापत कयती ह

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ldquoहभ हो मा ककसभत हो हभायी दोनो को इक ही काभ सभरा

ककसभत हभ को यो रि ह हभ ककसभत को यो र ह|rdquo

परशन१०- शामय न दननमा क ककस दसतय का िणयन ककमा ह

उततय -शामय न दननमा क इस दसतय का िणयन ककमा ह कक रोग दसयो को फदनाभ कयत ह ऩयॊत ि नहीॊ जानत कक इस तयह ि अऩनी दरषट परकनत को ही उदघाहटत कयत ह

परशन११- परभ की कितयत कवि न ककन शबदो भ असबवमकत की ह

सिमॊ को खो कय ही परभ की परानदपत की जा सकती ह ईशिय की परानदपत सियसि रटा दन ऩय होती ह परभ क सॊसाय का बी मही ननमभ ह

परशन१२- कियाक गोयखऩयी ककस बारा क कवि ह

उततय - उदय बारा

10 छोटा भया खत

उभाशॊकय जोशी

(गजयाती कपव)

उभाशॊकय जोशी फीसिीॊ सदी क गजयाती क भधयनदम कवि सॊसकत िाङभम क विदिान हउनदहोन गजयाती कविता को परकनत स जोड़ाआभ आदभी क जीिन की झरक उनकी यचनाओॊ भ सभरती ह

छोटा भया खत

साय

खती क रऩक दिाया कावम यचनाndash परककरमा को सऩषट ककमा गमा हकावम कनत की यचना फीजndash वऩन स रकय ऩौध क ऩजषऩत होन क पवलबनन चयणो स गजयती हअॊतय किर इतना ह कक कपव कभट की पसर कारजमी शाशित होती हउसका यस-यण अम होता हकागज का ऩनदना नदजस ऩय यचना शबदफदध होती ह कवि को एक चौकोय खत की तयह रगता ह इस खत

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भ ककसी अॉधड़ (आशम बािनातभक आॉधी स होगा) क परबाि स ककसी ण एक फीज फोमा जाता ह मह फीज-यचना विचाय औय असबवमनदकत का हो सकता ह मह भर रऩ कलऩना का सहाया रकय विकससत होता ह औय परककरमा भ सिमॊ विगसरत हो जाता ह उसस शबदो क अॊकय ननकरत ह औय अॊतत कनत एक ऩणय सिरऩ गरहण कयती ह जो कवर-कभय क सरहाज स ऩलरवित -ऩनदरषऩत होन की नदसथनत ह साहहनदतमक कनत स जो अरौककक यस-धाया पटती ह िह ण भ होन िारी योऩाई का ही ऩरयणाभ ह ऩय मह यस-धाया अनॊत कार तक चरन िारी कटाई ह |

फगरो क ऩॊख

साय

फगरो क ऩॊख कविता एक चार बफॊफ की कविता ह सौदमय का अऩकषत परबाि उतऩनदन कयन क सरए कविमो न कई मनदकतमाॉ अऩनाई ह नदजसभ स सफस परचसरत मनदकत ह-सौदमय क वमौयो क धचतरातभक िणयन क साथ अऩन भन ऩय ऩड़न िार उसक परबाि का िणयन औय आतभगत क सॊमोग की मह मनदकत ऩाठक को उस भर सौदमय क कापी ननकट र जाती ह जोशी जी की इस कविता भ ऐसा ही ह कवि कार फादरो स बय आकाश भ ऩॊनदकत फनाकय उड़त सपद फगरो को दखता ह ि कजयाय फादरो भ अटका-सा यह जाता ह िह इस भामा स अऩन को फचान की गहाय रगाता ह कमा मह सौदमय स फाॉधन औय विॊधन की चयभ नदसथनत को वमकत कयन का एक तयीका ह

परकनत का सितॊतर (आरॊफन गत ) धचतरण आधननक कविता की विशरता हधचतरातभक िणयन दिाया कवि न एक ओय कार फादरो ऩय उड़ती फगरो की शित ऩॊनदकत का धचतर अॊककत ककमा ह तो दसयी ओय इस अपरनतभ दशम क रदम ऩय ऩड़न िार परबाि को धचबतरत ककमा हभॊतर भगध कवि इस दशम क परबाि स आतभ विसभनत की नदसथनत तक ऩहॉच जाता हविरम एिॊ विरमीगत सौनददमय क दोनो रऩ कविता भ उदघाहटत हए ह

अथट-गरहण-सॊफॊधी परशन

ldquoछोटा भया खत चौकोना

कागज़ का एक ऩनदना कोई अॊधड़ कहीॊ स आमा

ण का फीज िहाॉ फोमा गमा|

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कलऩना क यसामनो को ऩी

फीज गर गमा ननशर शबद क अॊकय पट

ऩलरि ndashऩरषऩो स नसभत हआ विशर |rdquo

परशन १lsquoछोटा भया खतrsquo ककसका परतीक ह औय कमो

उततय - परशन२ lsquoछोटा भया खतrsquo काग़ज क उस ऩनदन का परतीक ह नदजस ऩय कवि अऩनी कविता सरखता ह

परशन २ कवि खत भ कौनndashसा फीज फोता ह

उततय - कवि खत भ अऩनी कलऩना का फीज फोता ह

परशन ३ कवि की कलऩना स कौन स ऩलरि अॊकरयत होत ह

उततय - कवि की कलऩना स शबद क ऩलरि अॊकरयत होत ह

परशन ४ उऩमयकत ऩद का बाि-सौदमय सऩरषट कीनदजए |

उततय - खती क रऩक दिाया कावम-यचनाndashपरककरमा को सऩषट ककमा गमा हकावम कनत की यचना फीजndash वऩन स रकय ऩौध क ऩजषऩत होन क पवलबनन चयणो स गजयती हअॊतय किर इतना ह कक कपव कभट की पसर कारजमी शाशित होती हउसका यस-यण अम होता ह

सौदमट-फोध-सॊफॊधी परशन

ldquoझभन रग पर

यस अरौककक

अभत धायाएॉ पटतीॊ

योऩाई ण की

कटाई अनॊतता की

रटत यहन स जया बी कभ नहीॊ होती |

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यस का अम ऩातर सदा का

छोटा भया खत चौकोना |rdquo

परशन इस कविता की बारा सॊफॊधी विशरताओॊ ऩय परकाश डासरए ndash

उततय - १ परतीकातभकता

२ राणणकता -

२रऩक अरॊकायndash यस का अम ऩातर सदा का

छोटा भया खत चौकोना

परशन २ यस अरौककक अभत धायाएॉ योऩाई ndash कटाई-परतीको क अथय सऩरषट कीनदजए |

उततय - यस अरौककक ndash कावम यस ननरषऩनदतत

अभत धायाएॉ- कावमानॊद

योऩाई ndash अनबनत को शबदफदध कयना

कटाई ndashयसासिादन

पवषम-वसत ऩय आधारयत परशनोततय

कपवता ndash

छोटा भया खत

परशन १ उभाशॊकय जोशी न ककस बारा भ कविताएॉ सरखी ह

उततय - गजयाती बारा

परशन२ कवरndashकभय एिॊ कविndashकभय भ कमा कमा सभानताएॉ ह

उततय - कवरndashकभय एिॊ कविndashकभय भ ननमनसरणखत सभानताएॉ ह-

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कावम कनत की यचना फीजndash वऩन स रकय ऩौध क ऩजषऩत होन क पवलबनन चयणो स गजयती ह

कपषndashकभट एवॊ कपवndashकभट भ सभानताएॉ -

कागज का ऩनदना नदजस ऩय यचना शबदफदध होती ह कवि को एक चौकोय खतरगता ह इस खत भ ककसी अॉधड़ (आशम बािनातभक आॉधी स होगा) क परबाि स ककसी ण

एक फीज फोमा जाता ह मह फीज-यचना विचाय औय असबवमनदकत का हो सकता ह मह भर रऩ कलऩना का सहाया रकय विकससत होता ह औय परककरमा भ सिमॊ विगसरत

हो जाता ह इसीपरकाय फीज बी खाद ऩानी समय की योशनी हिा आहद रकय विकससत होता ह |

कावम ndashयचना स शबदो क अॊकय ननकरत ह औय अॊतत कनत एक ऩणय सिरऩ गरहण कयती ह जो कवर-कभय क सरहाज स ऩलरवित ndashऩनदरषऩत औय पसरत होन की नदसथनत ह अथट-गरहण-सॊफॊधी परशन

कपवताndash फगरो क ऩॊख

नब भ ऩाॉती- फॉध फगरो क ऩॊख

चयाए सरए जातीॊ ि भयी आॉख |

कजयाय फादरो की छाई नब छामा

हौरndashहौर जाती भझ फाॉध ननज भामा स |

उस कोई तननक योक यकखो |

िह तो चयाए सरए जाती भयी आॉख

नब भ ऩाॉती- फॉधी फगरो की ऩाॉख |

तयती साॉझ की सतज शित कामा|

परशन१- इस कविता भ कवि न ककसका धचतरण ककमा ह

उततय - कवि न कार फादरो ऩय उड़ती फगरो की शित ऩॊनदकत का धचतरण ककमा ह|

परशन२- आॉख चयान का कमा अथय ह

उततय - आॉख चयान का आशम ह ndashधमान ऩयी तयह खीॊच रना एकटक दखना भॊतरभगध कय दना

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परशन३-

ldquoकजयाय फादरो की छाई नब छामा

हौर ndashहौर जाती भझ फाॉध ननज भामा स |rdquo- आशम सऩरषट कीनदजए |

उततय- कार फादरो क फीच साॉझ का सयभई िाताियण फहत सॊदय हदखता ह | ऐसा अपरनतभ सौदमय अऩन आकरयण भ कवि को फाॉध रता ह |

परशन ४ ldquoउस कोई तननक योक यकखो |rsquo- स कवि का कमा असबपराम ह

उततय - फगरो की ऩॊनदकत आकाश भ दय तक उड़ती जा यही ह कवि की भॊतरभगध आॉख उनका ऩीछा कय यही ह | कवि उन फगरो को योक कय यखन की गहाय रगा यहा ह कक कहीॊ ि उसकी आॉख ही अऩन साथ न र जाएॉ |

सौदमट-फोध-सॊफॊधी परशन

परशन १ कविता की बारा सॊफॊधी दो विशरताएॉ सरणखए|

उततय -१ धचतरातभक बारा

२ फोरचार क शबदो का परमोग - हौर ndashहौर ऩाॉती कजयायसाॉझ

परशन २ कविता भ परमकत अरॊकाय चन कय सरणखए |

उततय - अनपरास अरॊकाय - फॉध फगरो क ऩॊख

भानिीकयण अरॊकाय - चयाए सरए जातीॊ ि भयी आॉख |

परशन ३ -lsquo ननज भामाrsquo क राणणक अथय को सऩरषट कीनदजए |

उततय - परकनत का अपरनतभ सौदमय िह भामा ह जो कवि को आतभविबोय कय दती हमह ऩॊनदकत बी परशॊसातभक उनदकत ह

पवषम-वसत ऩय आधारयत परशनोततय

परशन१- lsquoचयाए सरए जाती ि भयी ऑ ॊखrsquo स कवि का कमा तातऩमय ह

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उततय -धचतरातभक िणयन दिाया कवि न एक ओय कार फादरो ऩय उड़ती फगरो की शित ऩॊनदकत का धचतर अॊककत ककमा ह तथा इस अपरनतभ दशम क रदम ऩय ऩड़न िार परबाि को धचबतरत ककमा ह कवि क अनसाय मह दशम उनकी आॉख चयाए सरए जा यहा ह |भॊतर भगध कवि इस दशम क परबाि स आतभ विसभनत की नदसथनत तक ऩहॉच जाता ह

परशन२-कवि ककस भामा स फचन की फात कहता ह

उततय - भामा विशि को अऩन आकरयण भ फाॉध रन क सरए परससदध ह | कफीय न बी lsquoभामा भहा ठधगनी हभ जानीrsquo कहकय भामा की शनदकत को परनतऩाहदत ककमा ह | कार फादरो भ फगरो की सॊदयता अऩना भामा जार परा कय कवि को अऩन िश भ कय यही ह |

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आयोह बाग-२ गदम-बाग

परशन-सॊखमा १०- गदम खॊड भ हदए गए ऩहठत गदमाॊश स अथयगरहण सॊफॊधी चाय परशन ऩछ जाएॉग नदजनक सरए ननधायरयत अॊक (२४=८) ह |

परशन-सॊखमा ११- ऩाठो की विरमिसत स सॊफॊधधत ऩाॉच भ स चाय परशनो क उततय दन ह नदजनक सरए ननधायरयत अॊक (३४=१२) ह|

ऩयीा भ अचछ अॊक परातत कयन क लरए धमान दन मोगम फात ndash

1 रख एिॊ ितयनी की शदधता तथा िाकम-गठन ऩय धमान द | 2 हय ऩाठ का सायऩरषठबसभविरमिसत तथाकथानक को सभझना आिशमक ह |

अतविदमाथी हय ऩाठ का सायाॊश बरीबाॉनत माद कय र | 3 परशनो को धमान स ऩढ़ तदनसाय अऩकषत उततय सरख | 4 उततय सरखत सभम सॊफॊधधत भखम बफॊदओॊ का शीरयकफनात हए उततय सरख मथा-तीन

अॊक क परशनो क उततय सरखत सभम कभ स कभ तीन भखम उततय-बफ ॊदओॊ का उलरख कयत हए उततय सऩरषट कय |

5 अॊक-मोजना क अनसाय ननधायरयत शबद-सीभा क अॊतगयत उततय सरख | ऩयीाथी कई फाय एक अॊक क परशन का उततय फहत रॊफा कई फाय ऩया ऩरषठ सरख दत ह जो सभम औय ऊजाय की फफायदी ह |

6 धमान यह कक अधधक सरखन स अचछ अॊक नहीॊ आत फनदलक सयर-सफोध बारा भ सरख गए सटीक उततय सायगसबयत तथम तथा उदाहयण क दिाया सऩरषट ककए गए उततय परबािशारी होत ह |

ऩाि 11 - बजकतन

रखखका- भहादवी वभाट

ऩाि का सायाॊश- बनदकतन नदजसका िासतविक नाभ रकषभी थारणखका lsquoभहादिी िभायrsquo की सविका ह | फचऩन भ ही बनदकतन की भाॉ की भतम हो गमी| सौतरी भाॉ न ऩाॉच िरय की आम भ वििाह तथा नौ िरय की आम भ गौना कय बनदकतन को ससयार बज हदमा| ससयार भ बनदकतन न तीन फहटमो को जनदभ हदमा नदजस कायण उस सास औय नदजठाननमो की उऩा सहनी ऩड़ती थी| सास औय नदजठाननमाॉ आयाभ पयभाती थी औय बनदकतन तथा उसकी ननदहीॊ फहटमो को घय औय खतो का साया काभ कयना ऩडता था| बनदकतन का ऩनत उस फहत चाहता था| अऩन ऩनत क सनह क फर ऩय बनदकतन न ससयार िारो स अरगौझा कय अऩना अरग घय फसा सरमा औय सख स यहन रगी ऩय बनदकतन का दबायगम अलऩाम भ ही उसक ऩनत की भतम हो गई | ससयार िार

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बनदकतन की दसयी शादी कय उस घय स ननकारकय उसकी सॊऩनदतत हड़ऩन की सानदजश कयन रग| ऐसी ऩरयनदसथनत भ बनदकतन न अऩन कश भॊडा सरए औय सॊनदमाससन फन गई | बनदकतन सिासबभानी सॊघरयशीर कभयठ औय दढ सॊकलऩ िारी सतरी ह जो वऩतसततातभक भानदमताओॊ औय छर-कऩट स बय सभाज भ अऩन औय अऩनी फहटमो क हक की रड़ाई रड़ती हघय गहसथी सॉबारन क सरए अऩनी फड़ी फटी दाभाद को फरा सरमा ऩय दबायगम न महाॉ बी बनदकतन का ऩीछा नहीॊ छोड़ा अचानक उसक दाभाद की बी भतम हो गमी| बनदकतन क जठ-नदजठौत न सानदजश यचकय बनदकतन की विधिा फटी का वििाह जफयदसती अऩन तीतयफाज सार स कय हदमा| ऩॊचामत दिाया कयामा गमा मह सॊफॊध दखदामी यहा | दोनो भाॉ-फटी का भन घय-गहसथी स उचट गमा ननधयनता आ गमी रगान न चका ऩान क कायण जभीॊदाय न बनदकतन को हदन बय धऩ भ खड़ा यखा| अऩभाननत बनदकतन ऩसा कभान क सरए गाॉि छोड़कय शहय आ जाती ह औय भहादिी की सविका फन जाती ह| बनदकतन क भन भ भहादिी क परनत फहत आदय सभऩयण औय असबबािक क सभान अधधकाय बाि ह| िह छामा क सभान भहादिी क साथ यहती ह| िह यात-यात बय जागकय धचतरकायी मा रखन जस कामय भ वमसत अऩनी भारककन की सिा का अिसय ढॉढ रती ह| भहादिी बनदकतन को नहीॊ फदर ऩामी ऩय बनदकतन न भहादिी को फदर हदमा| बनदकतन क हाथ का भोटा-दहाती खाना खात-खात भहादिी का सिाद फदर गमा बनदकतन न भहादिी को दहात क ककसस-कहाननमाॉ ककॊ िदॊनतमाॉ कॊ ठसथ कया दी| सिबाि स भहाकॊ जस होन ऩय बी बनदकतन ऩाई-ऩाई कय जोडी हई १०५ रऩमो की यासश को सहरय भहादिी को सभवऩयत कय दती ह| जर क नाभ स थय-थय काॉऩन िारी बनदकतन अऩनी भारककन क साथ जर जान क सरए फड़ राट साहफ तक स रड़न को बी तमाय हो जाती ह| बनदकतन भहादिी क जीिन ऩय छा जान िारी एक ऐसी सविका ह नदजस रणखका नहीॊ खोना चाहती

ऩाि आधारयत परशनोततय

नोट- उततय भ ननहहत यखाॊककत िाकम भखम सॊकत बफॊद ह |

परशन 1-बजकतन का वासतपवक नाभ कमा था वह अऩन नाभ को कमो छऩाना चाहती थी

उततय-बनदकतन का िासतविक नाभ रकषभी था हहनददओॊ क अनसायरकषभी धन की दिीह चॉकक बनदकतन गयीफ थी| उसक िासतविक नाभ क अथय औय उसक जीिन क मथाथय भ वियोधाबास ह ननधयन बनदकतन सफको अऩना असरी नाभ रकषभी फताकय उऩहास का ऩातर नहीॊ फनना चाहती थी इससरए िह अऩना असरी नाभ छऩाती थी

परशन 2- रखखका न रकषभी का नाभ बजकतन कमो यखा

उततय-घटा हआ ससय गर भ कॊ ठी भारा औय बकतो की तयह सादगीऩणय िशबरा दखकय भहादिी िभाय न रकषभी का नाभ बनदकतन यख हदमा | मह नाभ उसक वमनदकतति स ऩणयत भर खाता था |

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परशन 3-बजकतन क जीवन को ककतन ऩरयचछदो भ पवबाजजत ककमा गमा ह

उततय- बनदकतन क जीिन को चाय बागो भ फाॉटा गमा ह-

ऩहरा ऩरयचछद-बनदकतन का फचऩन भाॉ की भतम विभाता क दिाया बनदकतन का फार-वििाह कया दना

दपवतीम ऩरयचछद-बनदकतन का ििाहहक जीिन सास तथा नदजठाननमो का अनदमामऩणय वमिहाय ऩरयिाय स अरगौझा कय रना

ततीम ऩरयचछद- ऩनत की भतम विधिा क रऩ भ सॊघरयशीर जीिन चतथट ऩरयचछद- भहादिी िभाय की सविका क रऩ भ

परशन 4- बजकतन ऩाि क आधाय ऩय बायतीम गराभीण सभाज भ रड़क-रड़ककमो भ ककम जान वार बदबाव का उलरख कीजजए |

बायतीम गराभीण सभाज भ रड़क-रड़ककमो भ बदबाि ककमा जाता ह| रड़ककमो को खोटा ससकका मा ऩयामा धन भाना जाता ह| बनदकतन न तीन फहटमो को जनदभ हदमा नदजस कायण उस सास औय नदजठाननमो की उऩा सहनी ऩड़ती थी| सास औय नदजठाननमाॉ आयाभ पयभाती थी कमोकक उनदहोन रड़क ऩदा ककए थ औय बनदकतन तथा उसकी ननदहीॊ फहटमो को घय औय खतो का साया काभ कयना ऩडता था| बनदकतन औय उसकी फहटमो को रखा-सखा भोटा अनाज खान को सभरता था जफकक उसकी नदजठाननमाॉ औय उनक कार-करट फट दध-भराई याफ-चािर की दाित उड़ात थ

परशन 5-बजकतन ऩाि क आधाय ऩय ऩॊचामत क नमाम ऩय ठटतऩणी कीजजए |

बनदकतन की फटी क सनददबय भ ऩॊचामत दिाया ककमा गमा नदमाम तकय हीन औय अॊध कानन ऩय आधारयतह | बनदकतन क नदजठौत न सॊऩनदतत क रारच भ रडमॊतर कय बोरी फचची को धोख स जार भ पॊ सामा| ऩॊचामत न ननदोर रड़की की कोई फात नहीॊ सनी औय एक तयिा पसरा दकय उसका वििाह जफयदसती नदजठौत क ननकमभ तीतयफाज सार स कय हदमा | ऩॊचामत क अॊध कानन स दरषटो को राब हआ औय ननदोर को दॊड सभरा |

परशन 6-बजकतन की ऩाक-करा क फाय भ ठटतऩणी कीजजए |

बनदकतन को ठठ दहाती सादा बोजन ऩसॊद था | यसोई भ िह ऩाक छत को फहत भहतति दती थी | सफह-सिय नहा-धोकय चौक की सपाई कयक िह दिाय ऩय कोमर की भोटी यखा खीॊच दती थी| ककसी को यसोईघय भ परिश कयन नहीॊ दती थी| उस अऩन फनाए बोजन ऩय फड़ा असबभान था| िह अऩन फनाए बोजन का नतयसकाय नहीॊ सह सकती थी |

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परशन 7- लसदध कीजजए कक बजकतन तकट -पवतकट कयन भ भाठहय थी |

बनदकतन तकय ऩट थी | कश भॉडान स भना ककए जान ऩय िह शासतरो का हिारा दत हए कहती ह lsquoतीयथ गए भॉडाए ससदधrsquo | घय भ इधय-उधय यख गए ऩसो को िह चऩचाऩ उठा कय छऩा रती ह टोक जानऩय िह िह इस चोयी नही भानती फनदलक िह इस अऩन घय भ ऩड़ ऩसो को सॉबारकय यखना कहती ह| ऩढाई-सरखाई स फचन क सरए बी िह अचक तकय दती ह कक अगय भ बी ऩढ़न रगॉ तो घय का काभ कौन दखगा

परशन 8-बजकतन का दबाटगम बी कभ हिी नही था रखखका न ऐसा कमो कहा ह

उततय- बजकतन का दबाटगम उसका ऩीछा नहीॊ छोड़ता था-

1- फचऩन भ ही भाॉ की भतम 2- विभाता की उऩा 3- बनदकतन(रकषभी) का फारवििाह 4- वऩता का ननधन 5- तीन-तीन फहटमो को जनदभ दन क कायण सास औय नदजठाननमो क दिाया बनदकतन की

उऩा 6- ऩनत की असभम भतम 7- दाभाद का ननधन औय ऩॊचामत क दिाया ननकमभ तीतयफाज मिक स बनदकतन की विधिा

फटी का जफयन वििाह 8- रगान न चका ऩान ऩय जभीॊदाय क दिाया बनदकतन का अऩभान

परशन 9-बजकतन न भहादवी वभाट क जीवन ऩय कस परबापवत ककमा

उततय- बनदकतन क साथ यहकय भहादिी की जीिन-शरी सयर हो गमी ि अऩनी सविधाओॊ की चाह को नछऩान रगीॊ औय असविधाओॊ को सहन रगीॊ बनदकतन न उनदह दहाती बोजन णखराकय उनका सिाद फदर हदमा बनदकतन भातर एक सविका न होकय भहादिी की असबबािक औय आतभीम फन गमीबनदकतन भहादिी क जीिन ऩय छा जान िारी एक ऐसी सविका ह नदजस रणखका नहीॊ खोना चाहती

परशन 10- बजकतन क चरयतर की पवशषताओॊ का उलरख कीजजए

उततय- भहादिी िभाय की सविका बनदकतन क वमनदकतति की विशरताएॊ ननमनाॊककत ह-

सभवऩयत सविका सिासबभानी

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तकय शीरा ऩरयशरभी सॊघरयशीर

परशन 11-बजकतन क दगटणो का उलरख कय

उततय- गणो क साथ-साथ बनदकतन क वमनदकतति भ अनक दगयण बी ननहहत ह-

1 िह घय भ इधय-उधय ऩड़ रऩम-ऩस को बॊडाय घय की भटकी भ छऩा दती ह औय अऩन इस कामय को चोयी नहीॊ भानती

2 भहादिी क करोध स फचन क सरए बनदकतन फात को इधय-उधय कयक फतान को झठ नही भानती अऩनी फात को सही ससदध कयन क सरए िह तकय -वितकय बी कयती ह

3 िह दसयो को अऩनी इचछानसाय फदर दना चाहती ह ऩय सिमॊ बफरकर नही फदरती परशन 12 ननमनाॊककत बाषा-परमोगो का अथट सऩषट कीजजए-

ऩहरी कनमा क दो औय सॊसकयण कय िार- बनदकतन न अऩनी ऩहरी कनदमा क फाद उसक जसी दो औय कनदमाएॉ ऩदा कय दी अथायत बनदकतन क एक क फाद एक तीन फहटमाॉ ऩदा हो गमीॊ |

खोट लसकको की टकसार जसी ऩतनी- आज बी असशकषत गराभीण सभाज भ फहटमो को

खोटा ससकका कहा जाता ह बनदकतन न एक क फाद एक तीन फहटमाॉ ऩदा कय दी इससरए उस खोट ससकक को ढारन िारी भशीन कहा गमा

परशन 13-बजकतन ऩाि भ रखखका न सभाज की ककन सभसमाओॊ का उलरख ककमा ह

उततय- बनदकतन ऩाठ क भाधमभ स रणखका न बायतीम गराभीण सभाज की अनक सभसमाओॊ का उलरख ककमा ह-

1 रड़क-रड़ककमो भ ककमा जान िारा बदबाि 2 विधिाओॊ की सभसमा 3 नदमाम क नाभ ऩय ऩॊचामतो क दिाया नदसतरमो क भानिाधधकाय को कचरना 4 असशा औय अॊधविशिास

गदमाॊश-आधारयत अथटगरहण सॊफॊधधत परशनोततय

ऩरयिाय औय ऩरयनदसथनतमो क कायण सिबाि भ जो विरभताएॉ उतऩनदन हो गई ह उनक बीतय स एक सनह औय सहानबनत की आबा पटती यहती ह इसी स उसक सॊऩकय भ आनिार वमनदकत उसभ जीिन की सहज भासभयकता ही ऩात ह छातरािास की फासरकाओॊ भ स कोई अऩनी चाम

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फनिान क सरए दहरी ऩय फठी यहती ह कोई फाहय खडी भय सरए नाशत को चखकय उसक सिाद की वििचना कयती यहती ह भय फाहय ननकरत ही सफ धचडड़मो क सभान उड़ जाती ह औय बीतय आत ही मथासथान वियाजभान हो जाती ह इनदह आन भ रकािट न हो सॊबित इसी स बनदकतन अऩना दोनो जन का बोजन सिय ही फनाकय ऊऩय क आर भ यख दती ह औय खात सभम चौक का एक कोना धोकय ऩाकndashछत क सनातन ननमभ स सभझौता कय रती ह

भय ऩरयधचतो औय साहहनदतमक फॊधओॊ स बी बनदकतन विशर ऩरयधचत ह ऩय उनक परनत बनदकतन क समभान की भातरा भय परनत उनक समभान की भातरा ऩय ननबयय ह औय सदभाि उनक परनत भय सदभाि स नननदशचत होता ह इस सॊफॊध भ बनदकतन की सहज फवदध विनदसभत कय दन िारी ह

(क) बजकतन का सवबाव ऩरयवाय भ यहकय कसा हो गमा ह

उततय-विरभ ऩरयनदसथनतजनदम उसक उगर हठी औय दयागरही सिबाि क फािजद बनदकतन क बीतय सनह औय सहानबनत की आबा पटती यहती ह उसक सॊऩकय भ आन िार वमनदकत उसभ जीिन की सहज भासभयकता ही ऩात ह

(ख) बजकतन क ऩास छातरावास की छातराएॉ कमो आती ह

उततय- बनदकतन क ऩास कोई छातरा अऩनी चाम फनिान आती ह औय दहरी ऩय फठी यहती ह कोई भहादिी जी क सरए फन नाशत को चखकय उसक सिाद की वििचना कयती यहती ह भहादिी को दखत ही सफ छातराएॉ बाग जाती ह उनक जात ही कपय िाऩस आ जातीॊ ह बनदकतन का सहज-सनह ऩाकय धचडड़मो की तयह चहचहान रगती ह |

(ग) छातराओॊ क आन भ रकावट न िारन क लरए बजकतन न कमा उऩाम ककमा

उततय- छातराओॊ क आन भ रकािट न डारन क सरए बनदकतन न अऩन ऩाक-छत क ननमभ स सभझौता कय सरमा | बनदकतन अऩना दोनो िकत का खाना फनाकय सफह ही आर भ यख दती औय खात सभम चौक का एक कोना धोकय िहाॉ फठकय खा सरमा कयती थी ताकक छातराएॉ बफना योक-टोक क उसक ऩास आ सक

(घ) साठहतमकायो क परनत बजकतन क समभान का कमा भाऩदॊि ह

उततय-बनदकतन भहादिी क साहहनदतमक सभतर क परनत सदभाि यखती थी नदजसक परनत भहादिी सिमॊ सदभाि यखती थी | िह सबी स ऩरयधचत हऩय उनक परनत समभान की भातरा भहादिी जी क समभान की भातरा ऩय ननबयय कयती ह िह एक अदभत ढॊग स जान रती थी कक कौन ककतना समभान कयता ह उसी अनऩात भ उसका परापम उस दती थी

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12 फाजाय-दशटन

रखक- जनि कभाय

ऩाि का सायाॊश फाजाय-दशयन ऩाठ भ फाजायिाद औय उऩबोकतािाद क साथ-साथ अथयनीनत एिॊ दशयन स सॊफॊधधत परशनो को सरझान का परमास ककमा गमा ह फाजाय का जाद तबी असय कयता ह जफ भन खारी हो| फाजाय क जाद को योकन का उऩाम मह ह कक फाजाय जात सभम भन खारी ना हो भन भ रकषम बया हो| फाजाय की असरी कताथयता ह जरयत क िकत काभ आना| फाजाय को िही भनरषम राब द सकता ह जो िासति भ अऩनी आिशमकता क अनसाय खयीदना चाहता ह| जो रोग अऩन ऩसो क घभॊड भ अऩनी ऩचनदजॊग ऩािय को हदखान क सरए चीज खयीदत ह ि फाजाय को शतानी वमॊगम शनदकत दत ह| ऐस रोग फाजारऩन औय कऩट फढात ह | ऩस की मह वमॊगम शनदकत वमनदकत को अऩन सग रोगो क परनत बी कतघन फना सकती ह | साधायण जन का रदम रारसा ईरषमाय औय तरषणा स जरन रगता ह | दसयी ओय ऐसा वमनदकत नदजसक भन भ रश भातर बी रोब औय तरषणा नहीॊ ह सॊचम की इचछा नहीॊ ह िह इस वमॊगम-शनदकत स फचा यहता ह | बगतजी ऐस ही आतभफर क धनी आदशय गराहक औय फचक ह नदजन ऩय ऩस की वमॊगम-शनदकत का कोई असय नहीॊ होता | अनक उदाहयणो क दिाया रखक न मह सऩरषट ककमा ह कक एक ओय फाजाय रारची असॊतोरी औय खोखर भन िार वमनदकतमो को रटन क सरए ह िहीॊ दसयी ओय सॊतोरी भन िारो क सरए फाजाय की चभक-दभक उसका आकरयण कोई भहतति नहीॊ यखता

परशन१ - ऩचजजॊग ऩावय ककस कहा गमा ह फाजाय ऩय इसका कमा परबाव ऩड़ता ह

उततय- ऩचनदजॊग ऩािय का अथय ह खयीदन की शनदकत ऩचनदजॊग ऩािय क घभॊड भ वमनदकत हदखाि क सरए आिशमकता स अधधक खयीदायीकयता ह औय फाजाय को शतानी वमॊगम-शनदकत दता ह ऐस रोग फाजाय का फाजारऩन फढ़ात ह

परशन२ -रखक न फाजाय का जाद ककस कहा ह इसका कमा परबाव ऩड़ता ह

उततय- फाजाय की चभक-दभक क चॊफकीम आकरयण को फाजाय का जाद कहा गमा ह मह जाद आॊखो की याह कामय कयता ह फाजाय क इसी आकरयण क कायण गराहक सजी-धजी चीजो को आिशमकता न होन ऩय बी खयीदन को वििश हो जात ह

परशन३ -आशम सऩषट कय

भन खारी होना भन बया होना भन फॊद होना

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उततय-भन खारी होना- भन भ कोई नननदशचत िसत खयीदन का रकषम न होना ननरददशम फाजाय जाना औय वमथय की चीजो को खयीदकय राना

भन बया होना- भन रकषम स बया होना नदजसका भन बया हो िह बरीबाॉनत जानता ह कक उस फाजाय स कौन सी िसत खयीदनी ह अऩनी आिशमकता की चीज खयीदकय िह फाजाय को साथयकता परदान कयता ह

भन फॊद होना-भन भ ककसी बी परकाय की इचछा न होना अथायत अऩन भन को शनदम कय दना

परशन४ - lsquoजहाॉ तषणा ह फटोय यखन की सऩहा ह वहाॉ उस फर का फीज नहीॊ हrsquo महाॊ ककस फर की चचाट की गमी ह

उततय- रखक न सॊतोरी सिबाि क वमनदकत क आतभफरकी चचाय की ह दसय शबदो भ महद भन भ सॊतोर हो तो वमनदकत हदखाि औय ईरषमाय की बािना स दय यहता ह उसभ सॊचम कयन की परिनदतत नहीॊ होती

परशन५ - अथटशासतर अनीनतशासतर कफ फन जाता ह

उततय- जफ फाजाय भ कऩट औय शोरण फढ़न रग खयीददाय अऩनी ऩचधचॊग ऩािय क घभॊड भ हदखाि क सरए खयीददायी कय | भनरषमो भ ऩयसऩय बाईचाया सभापत हो जाए| खयीददाय औय दकानदाय एक दसय को ठगन की घात भ रग यह एक की हानन भ दसय को अऩना राब हदखाई द तो फाजाय का अथयशासतर अनीनतशासतर फन जाता ह ऐस फाजाय भानिता क सरए विडॊफना ह

परशन६-बगतजी फाजाय औय सभाज को ककस परकाय साथटकता परदान कय यह ह

उततय- बगतजी क भन भ साॊसारयक आकरयणो क सरए कोई तरषणा नहीॊ ह ि सॊचम रारच औय हदखाि स दय यहत ह फाजाय औय वमाऩाय उनक सरए आिशमकताओॊ की ऩनत य का साधन भातर ह बगतजी क भन का सॊतोर औय ननसऩह बाि उनको शररषठ उऩबोकता औय विकरता फनात ह

परशन ७ _ बगत जी क वमजकततव क सशकत ऩहरओॊ का उलरख कीजजए |

उततय-ननमनाॊककत बफॊद उनक वमनदकतति क सशकत ऩहर को उजागय कयत ह

ऩॊसायी की दकान स किर अऩनी जरयत का साभान (जीया औय नभक) खयीदना नननदशचत सभम ऩय चयन फचन क सरए ननकरना छह आन की कभाई होत ही चयन फचना फॊद कय दना फच हए चयन को फचचो को भफ़त फाॉट दना

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सबी काजम-जम याभ कहकय सिागत कयना फाजाय की चभक-दभक स आकवरयत न होना सभाज को सॊतोरी जीिन की सशा दना

परशन7-फाजाय की साथटकता ककसभ ह

उततय- भनरषम की आिशमकताओॊ की ऩनतय कयन भ ही फाजाय की साथयकता ह जो गराहक अऩनी आिशमकताओॊ की चीज खयीदत ह ि फाजाय को साथयकता परदान कयत ह जो विकरता गराहको का शोरण नहीॊ कयत औय छर-कऩट स गराहको को रबान का परमास नही कयत ि बी फाजाय को साथयक फनात ह

गदमाॊश-आधारयत अथटगरहण-सॊफॊधधत परशनोततय

फाजाय भ एक जाद ह िह जाद आॉख की तयह काभ कयता ह िह रऩ का जाद ह ऩय जस चॊफक का जाद रोह ऩय ही चरता ह िस ही इस जाद की बी भमायदा ह जफ बयी हो औय भन खारी हो ऐसी हारत भ जाद का असय खफ होता ह जफ खारी ऩय भन बया न हो तो बी जाद चर जाएगा भन खारी ह तो फाजाय की अनकानक चीजो का ननभॊतरण उस तक ऩहॉच जाएगा कहीॊ हई उस िकत जफ बयी तफ तो कपय िह भन ककसकी भानन िारा ह भारभ होता ह मह बी रॉ िह बी रॉ सबी साभान जरयी औय आयाभ को फढ़ान िारा भारभ होता ह ऩय मह सफ जाद का असय ह जाद की सिायी उतयी कक ऩता चरता ह कक प सी-चीजो की फहतामत आयाभ भ भदद नहीॊ दती फनदलक खरर ही डारती ह थोड़ी दय को सिासबभान को जरय सक सभर जाता ह ऩय इसस असबभान को धगलटी की खयाक ही सभरती ह जकड़ यशभी डोयी की हो तो यशभ क सऩशय क भरामभ क कायण कमा िह कभ जकड़ दगी

ऩय उस जाद की जकड़ स फचन का एक सीधा उऩाम ह िह मह कक फाजाय जाओ तो खारी भन न हो भन खारी हो तफ फाजाय न जाओ कहत ह र भ जाना हो तो ऩानी ऩीकय जाना चाहहए ऩानी बीतय हो र का रऩन वमथय हो जाता ह भन रकषम स बया हो तो फाजाय परा का परा ही यह जाएगा तफ िह घाि बफरकर नहीॊ द सकगा फनदलक कछ आनॊद ही दगा तफ फाजाय तभस कताथय होगा कमोकक तभ कछ न कछ सचचा राब उस दोग फाजाय की असरी कताथयता ह आिशमकता क सभम काभ आना

परशन-1 फाजाय क जाद को रखक न कस सऩषट ककमा ह

उततय- फाजाय क रऩ का जाद आॉखो की याह स काभ कयता हआ हभ आकवरयत कयता ह फाजाय का जाद ऐस चरता ह जस रोह क ऊऩय चॊफक का जाद चरता ह चभचभाती योशनी भ सजी

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प सी चीॊज गराहक को अऩनी ओय आकवरयत कयती ह| इसी चमफकीम शनदकत क कायण वमनदकत कपजर साभान को बी खयीद रता ह |

परशन-2 जफ बयी हो औय भन खारी तो हभायी कमा दशा होती ह

उततय- जफ बयी हो औय भन खारी हो तो हभाय ऊऩय फाजाय का जाद खफ असय कयता ह भन खारी ह तो फाजाय की अनकानक चीजो का ननभॊतरण भन तक ऩहॉच जाता ह औय उस सभम महद जफ बयी हो तो भन हभाय ननमॊतरण भ नहीॊ यहता

परशन-3 प सी चीजो की फहतामत का कमा ऩरयणाभ होता ह

उततय- प सी चीज आयाभ की जगह आयाभ भ वमिधान ही डारती ह थोड़ी दय को असबभान को जरय सक सभर जाती ह ऩय हदखाि की परिनदतत भ िवदध होती ह

परशन-4 जाद की जकड़ स फचन का कमा उऩाम ह

उततय- जाद की जकड़ स फचन क सरए एक ही उऩाम ह िह मह ह कक फाजाय जाओ तो भन खारी न हो भन खारी हो तो फाजाय भत जाओ

13 कार भघा ऩानी द

रखक-धभटवीय बायती

ऩाि का सायाॊश -lsquoकार भघा ऩानी दrsquo ननफॊध रोकजीिन क विशिास औय विऻान क तकय ऩय आधारयत ह जफ बीरण गभी क कायण वमाकर रोग िराय कयान क सरए ऩजा-ऩाठ औय कथा-विधान कय थकndashहाय जात ह तफ िराय कयान क सरए अॊनतभ उऩाम क रऩ भ इनददय सना ननकरती ह| इनददय सना नॊग-धड़ॊग फचचो की टोरी ह जो कीचड़ भ रथऩथ होकय गरी-भोहलर भ ऩानी भाॉगन ननकरती ह| रोग अऩन घय की छतो-णखड़ककमो स इनददय सना ऩय ऩानी डारत ह | रोगो की भानदमता ह कक इनददर फादरो क सिाभी औय िराय क दिता ह| इनददर की सना ऩय ऩानी डारन स इनददर बगिान परसनदन होकय ऩानी फयसाएॊग | रखक का तकय ह कक जफ ऩानी की इतनी कभी ह तो रोग भनदशकर स जभा ककए ऩानी को फालटी बय-बयकय इनददय सना ऩय डारकय ऩानी को कमो फफायद कयत ह आमयसभाजी विचायधाया िारा रखक इस अॊधविशिास भानता ह | इसक विऩयीत रखक की जीजी उस सभझाती ह कक मह ऩानी की फफायदी नहीॊ फनदलक ऩानी की फिाई ह | कछ ऩान क सरए कछ दना ऩड़ता ह | तमाग क बफना दान नहीॊ होता| परसतत ननफॊध भ रखक न भरषटाचाय की सभसमा को उठात हए कहा ह कक जीिन भ कछ ऩान क सरए तमाग आिशमक ह जो रोग तमाग औय दान की भहतता को नहीॊ भानत ि ही भरषटाचाय भ सरपत यहकय दश औय सभाज को रटत ह| जीजी की आसथा बािनातभक सचचाई को ऩरषट कयती ह औय तकय किर िऻाननक तथम को सतम भानता ह जहाॉ तकय मथाथय क

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कठोय धयातर ऩय सचचाई को ऩयखता ह तो िहीॊ आसथा अनहोनी फात को बी सिीकाय कय भन को सॊसकारयत कयती ह बायत की सितॊतरता क ५० सार फाद बी दश भ वमापत बरषटाचाय औय सिाथय की बािना को दखकय रखक दखी ह | सयकाय दिाया चराई जा यही मोजनाएॉ गयीफो तक कमो नहीॊ ऩहॉच ऩा यहीॊ ह कार भघा क दर उभड़ यह ह ऩय आज बी गयीफ की गगयी पटी हई कमो ह रखक न मह परशन ऩाठको क सरए छोड़ हदमा ह |

परशन1-इनदय सना घय-घय जाकय ऩानी कमो भाॉगती थी

उततय- गाॉि क रोग फारयश क सरए बगिान इॊदर स पराथयना ककमा कयत थ जफ ऩजा-ऩाठवरत आहद उऩाम असिर हो जात थ तो बगिान इॊदर को परसनदन कयन क सरए गाॉि क ककशोय फचच कीचड़ भ रथऩथ होकय गरी-गरी घभकय रोगो स ऩानी भाॉगत थ

परशन2-इनदयसना को रखक भढक-भॊिरी कमो कहता ह जीजी क फायndashफाय कहन ऩय बी वह इनदयसना ऩय ऩानी प कन को याजी कमो नहीॊ होता

उततय- इनददयसना का कामय आमयसभाजी विचायधाया िार रखक को अॊधविशिास रगता ह उसका भानना ह कक महद इॊदयसना दिता स ऩानी हदरिा सकती ह तो सिमॊ अऩन सरए ऩानी कमो नहीॊ भाॉग रती ऩानी की कभी होन ऩय बी रोग घय भ एकतर ककम हए ऩानी को इॊदयसना ऩय ि कत ह रखक इस ऩानी की ननभयभ फयफादी भानता ह

परशन3- रि हए रखक को जीजी न ककस परकाय सभझामा

उततय- जीजी न रखक को पमाय स रडड-भठयी णखरात हए ननमन तकय हदए-

1- तमाग का भहततव- कछ ऩान क सरए कछ दना ऩड़ता ह 2- दान की भहतता- कवर-भननमो न दान को सफस ऊॉ चा सथान हदमा ह जो चीज अऩन

ऩास बी कभ हो औय अऩनी आिशमकता को बरकय िह चीज दसयो को दान कय दना ही तमाग ह |

3- इॊिदव को जर का अधमट चिाना- इॊदयसना ऩय ऩानी ि कना ऩानी की फयफादी नहीॊ फनदलक इॊदरदि को जर का अधमय चढ़ाना ह

4- ऩानी की फवाई कयना- नदजस परकाय ककसान िसर उगान क सरए जभीन ऩय फीज डारकय फिाई कयता ह िस ही ऩानी िार फादरो की िसर ऩान क सरए इनददय सना ऩय ऩानी डार कय ऩानी की फिाई की जाती ह

परशन4-नठदमो का बायतीम साभाजजक औय साॊसकनतक ऩरयवश भ कमा भहतव ह

उततय- गॊगा बायतीम सभाज भ सफस ऩजम सदानीया नदी ह नदजसका बायतीम इनतहास भ धासभयक ऩौयाणणक औय साॊसकनतक भहति ह | िह बायतीमो क सरए किर एक नदी नहीॊ अवऩत

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भाॉ ह सिगय की सीढ़ी ह भोदानमनी ह उसभ ऩानी नहीॊ अवऩत अभत तलम जर फहता ह बायतीम सॊसकनत भ नहदमो क ककनाय भानि सभमताएॉ परी-परी ह| फड़-फड़ नगय तीथयसथान नहदमो क ककनाय ही नदसथत ह ऐस ऩरयिश भबायतिासी सफस ऩहर गॊगा भमा की जम ही फोरग नहदमाॉ हभाय जीिन का आधाय ह हभाया दश कवर परधान ह नहदमो क जर स ही बायत बसभ हयी-बयी ह नहदमो क बफना जीिन की कलऩना नहीॊ कय सकत मही कायण ह कक हभ बायतीम नहदमो की ऩजा कयत ह |

परशन4-आजादी क ऩचास वषो क फाद बी रखक कमो दखी ह उसक भन भ कौन स परशन उि यह ह

उततय- आजादी क ऩचास िरो फाद बी बायतीमो की सोच भ सकायातभक फदराि न दखकय रखक दखी ह उसक भन भ कई परशन उठ यह ह-

1 कमा हभ सचच अथो भ सितनदतर ह 2 कमा हभ अऩन दश की सॊसकनत औय सभमता को सभझ ऩाए ह 3 यारषर ननभायण भ हभ ऩीछ कमो ह हभ दश क सरए कमा कय यह ह

4 हभ सिाथय औय भरषटाचाय भ सरपत यहत ह तमाग भ विशिास कमो नहीॊ कयत

5 सयकाय दिाया चराई जा यही सधायिादी मोजनाएॉ गयीफो तक कमो नहीॊ ऩहॉचती ह

गदमाॊश ऩय आधारयत अथटगरहण-सॊफॊधधत परशनोततय

सचभच ऐस हदन होत जफ गरी-भहलरा गाॉि-शहय हय जगह रोग गयभी भ बन-बन कय तराहहभाभ कय यह होत जठ क दसतऩा फीतकय आराढ का ऩहरा ऩखिाड़ा फीत चका होता ऩय कषनतज ऩय कहीॊ फादरो की यख बी नहीॊ दीखती होती कएॉ सखन रगत नरो भ एक तो फहत कभ ऩानी आता औय आता बी तो आधी यात को िो बी खौरता हआ ऩानी हो | शहयो की तरना भ गाॉि भ औय बी हारत खयाफ थी| जहाॉ जताई होनी चाहहए थी िहाॉ खतो की सभटटी सखकय ऩतथय हो जाती कपय उसभ ऩऩड़ी ऩड़कय जभीन पटन रगती र ऐसी कक चरत-चरत आदभी धगय ऩड़ | ढोय-डॊगय पमास क भाय भयन रगत रककन फारयश का कहीॊ नाभ ननशान नहीॊ ऐस भ ऩजा-ऩाठ कथा-विधान सफ कयक रोग जफ हाय जात तफ अॊनतभ उऩाम क रऩ भ ननकरती मह इनददय सना |

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परशन१- वषाट न होन ऩय रोगो की कमा जसथनत हो गमी थी उततय - िराय न होन ऩय गयभी क कायण रोग र रगन स फहोश होन रग | गाॉि-शहय सबी जगह ऩानी का अबाि हो गमा| कएॉ सख गए खतो की सभटटी सखकय ऩतथय क सभान कठोय होकय पट गमी| घयो भ नरो भ ऩानी फहत कभ आता था | ऩश पमास क भाय भयन रग थ | परशन२- वषाट क दवता कौन ह उनको परसनन कयन क लरए कमा उऩाम ककए जात थ उततय -िराय क दिता बगिान इनददर ह| उनको परसनदन कयन क सरए ऩजाndashऩाठ कथा-विधान कयाए जात थ | ताकक इनददर दि परसनदन होकय फादरो की सना बजकय झभाझभ फारयश कयाएॉ औय रोगो क करषट दय हो | परशन३- वषाट कयान क अॊनतभ उऩाम क रऩ भ कमा ककमा जाता था उततय ndashजफ ऩजा-ऩाठ कथा-विधान सफ कयक रोग हाय जात थ तफ अॊनतभ उऩाम क रऩ भ इनददय सना आती थी | नॊग-धडॊग कीचड़ भ रथऩथ lsquoकार भघा ऩानी द ऩानी द गड़धानी दrsquo की टय रगाकय पमास स सखत गरो औय सखत खतो क सरए भघो को ऩकायती हई टोरी फनाकय ननकर ऩड़ती थी| परशन४-आशम सऩषट कय ndash जठ क दसतऩा फीतकय आराढ़ का ऩहरा ऩखिाड़ा फीत चका होता ऩय कषनतज भ कहीॊ फादरो की यख बी नजय नहीॊ आती | आशम- जठ का भहीना ह बीरण गयभी ह| तऩत हए दस हदन फीत कय आराढ का भहीना बी आधा फीत गमा ऩय ऩानी क सरए तड़ऩत िराय की आशा भ आसभान की ओय ताकत रोगो को कहीॊ फादर नजय नहीॊ आ यह |

14 ऩहरवान की ढोरक

फ़णीशवयनाथ यण

ऩाि का सायाॊश ndashआॊचसरक कथाकाय िणीशियनाथ यण की कहानी ऩहरिान की ढोरक भ कहानी क भखम ऩातर रटटन क भाता-वऩता का दहाॊत उसक फचऩन भ ही हो गमा था | अनाथ रटटन को उसकी विधिा सास न ऩार-ऩोसकय फड़ा ककमा | उसकी सास को गाॉि िार सतात थ |

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रोगो स फदरा रन क सरए कशती क दाॉिऩच सीखकय कसयत कयक रटटन ऩहरिान फन गमा |

एक फाय रटटन शमाभनगय भरा दखन गमा जहाॉ ढोर की आिाज औय कशती क दाॉिऩच दखकय उसन जोश भ आकय नाभी ऩहरिान चाॉदससॊह को चनौती द दी | ढोर की आिाज स परयणा ऩाकय रटटन न दाॉि रगाकय चाॉद ससॊह को ऩटककय हया हदमा औय याज ऩहरिान फन गमा | उसकी खमानत दय-दय तक िर गमी| १५ िरो तक ऩहरिान अजम फना यहा| उसक दो ऩतर थ| रटटन न दोनो फटो को बी ऩहरिानी क गय ससखाए| याजा की भतम क फाद नए याजकभाय न गददी सॊबारी याजकभाय को घोड़ो की यस का शौक था भनजय न नम याजा को बड़कामा ऩहरिान औय उसक दोनो फटो क बोजनखचय को बमानक औय किजरखचय फतामा िरसिरऩ नए याजा न कशती को फॊद कयिा हदमा औय ऩहरिान रटटनससॊह को उसक दोनो फटो क साथ भहर स ननकार हदमा

याजदयफाय स ननकार हदए जान क फाद रटटन ससॊह अऩन दोनो फटो क साथ गाॉि भ झोऩड़ी फनाकय यहन रगा औय गाॉि क रड़को को कशती ससखान रगा| रटटन का सकर जमादा हदन नहीॊ चरा औय जीविकोऩाजयन क सरए उसक दोनो फटो को भजदयी कयनी ऩड़ी| इसी दौयान गाॉि भ अकार औय भहाभायी क कायण परनतहदन राश उठन रगी| ऩहरिान भहाभायी स डय हए रोगो को ढोरक फजाकय फीभायी स रड़न की सॊजीिनी ताकत दता था| एक हदन ऩहरिान क दोनो फट बी भहाभायी की चऩट भ आकय भय गए ऩय उस यात बी ऩहरिान ढोरक फजाकय रोगो को हहमभत फॊधा यहा था | इस घटना क चाय-ऩाॉच हदन फाद ऩहरिान की बी भौत हो जाती ह|

ऩहरिान की ढोरक वमिसथा क फदरन क साथ रोक कराकाय क अपरासॊधगक हो जान की कहानी ह इस कहानी भ रटटन नाभ क ऩहरिान की हहमभत औय नदजजीविरा का िणयन ककमा गमा ह बख औय भहाभायी अजम रटटन की ऩहरिानी को िट ढोर भ फदर दत ह इस करण तरासदी भ ऩहरिान रटटन कई सिार छोड़ जाता ह कक करा का कोई सितॊतर अनदसतति ह मा करा किर वमिसथा की भोहताज ह

परशन1- रटटन को ऩहरवान फनन की परयणा कस लभरी

उततय- रटटन जफ नौ सार का था तो उसक भाता-वऩता का दहाॊत हो गमा था | सौबागम स उसकी शादी हो चकी थी| अनाथ रटटन को उसकी विधिा सास न ऩार-ऩोसकय फड़ा ककमा | उसकी सास को गाॉि िार ऩयशान कयत थ| रोगो स फदरा रन क सरए उसन ऩहरिान फनन की ठानी| धायोरषण दध ऩीकय कसयत कय उसन अऩना फदन गठीरा औय ताकतिय फना सरमा | कशती क दाॉिऩच सीखकय रटटन ऩहरिान फन गमा |

परशन2- यात क बमानक सननाट भ रटटन की ढोरक कमा करयशभा कयती थी

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उततय- यात क बमानक सनदनाट भरटटन की ढोरक भहाभायी स जझत रोगो को हहमभत फॉधाती थी | ढोरक की आिाज स यात की विबीवरका औय सनदनाटा कभ होता था| भहाभायी स ऩीडड़त रोगो की नसो भ बफजरी सी दौड़ जाती थी उनकी आॉखो क साभन दॊगर का दशम साकाय हो जाता था औय ि अऩनी ऩीड़ा बर खशी-खशी भौत को गर रगा रत थ इस परकाय ढोर की आिाज फीभाय-भतपराम गाॉििारो की नसो भ सॊजीिनी शनदकत को बय फीभायी स रड़न की परयणा दती थी

परशन3- रटटन न सवाटधधक ठहमभत कफ ठदखाई

उततय- रटटन ससॊह न सिायधधक हहमभत तफ हदखाई जफ दोनो फटो की भतम ऩय िह योमा नहीॊ फनदलक हहमभत स काभ रकय अकर उनका अॊनतभ सॊसकाय ककमा| मही नहीॊ नदजस हदन ऩहरिान क दोनो फट भहाभायी की चऩट भ आकय भय गए ऩय उस यात को बी ऩहरिान ढोरक फजाकय रोगो को हहमभत फॉधा यहा था| शमाभनगय क दॊगर भ ऩया जनसभदाम चाॉद ससॊह क ऩ भ था चाॉद ससॊह को हयात सभम रटटन न हहमभत हदखाई औय बफना हताश हए दॊगर भ चाॉद ससॊह को धचत कय हदमा |

परशन4- रटटन लसॊह याज ऩहरवान कस फना

उततय- शमाभनगय क याजा कशती क शौकीन थ उनदहोन दॊगर का आमोजन ककमा ऩहरिान रटटन ससॊह बी दॊगर दखन ऩहॉचा चाॊदससॊह नाभक ऩहरिान जो शय क फचच क नाभ स परससदध था कोई बी ऩहरिान उसस सबड़न की हहमभत नहीॊ कयता था चाॉदससॊह अखाड़ भ अकरा गयज यहा था रटटन ससॊह न चाॉदससॊह को चनौती द दी औय चाॉदससॊह स सबड़ गमाढ़ोर की आिाज सनकय रटटन की नस-नस भ जोश बय गमाउसन चाॉदससॊह को चायो खान धचत कय हदमा याजासाहफ न रटटन की िीयता स परबावित होकय उस याजऩहरिान फना हदमा

परशन5- ऩहरवान की अॊनतभ इचछा कमा थी

उततय- ऩहरिान की अॊनतभ इचछा थी कक उस धचता ऩय ऩट क फर सरटामा जाए कमोकक िह नदजॊदगी भ कबी धचत नहीॊ हआ था| उसकी दसयी इचछा थी कक उसकी धचता को आग दत सभम ढोर अिशम फजामा जाए |

परशन6- ढोर की आवाज औय रटटन क भ दाॉिऩच सॊफॊध फताइए-

उततय- ढोर की आिाज औय रटटन क दाॉिऩच भ सॊफॊध -

चट धा धगड़ धाrarr आजा सबड़ जा | चटाक चट धाrarr उठाकय ऩटक द | चट धगड़ धाrarrभत डयना |

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धाक धधना नतयकट नतनाrarr दाॉि काटो फाहय हो जाओ | धधना धधना धधक धधनाrarr धचत कयो

गदमाॊश-आधारयत अथटगरहण-सॊफॊधधत परशनोततय

अॉधयी यात चऩचाऩ आॉस फहा यही थी | ननसतबधता करण सससककमो औय आहो को अऩन रदम भ ही फर ऩियक दफान की चरषटा कय यही थी | आकाश भ ताय चभक यह थ | ऩथिी ऩय कहीॊ परकाश का नाभ नहीॊ| आकाश स टट कय महद कोई बािक ताया ऩथिी ऩय आना बी चाहता तो उसकी जमोनत औय शनदकत यासत भ ही शर हो जाती थी | अनदम ताय उसकी बािकता अथिा असपरता ऩय णखरणखराकय हॉस ऩड़त थ | ससमायो का करॊ दन औय ऩचक की डयािनी आिाज यात की ननसतबधता को बॊग कयती थी | गाॉि की झोऩडडमो स कयाहन औय क कयन की आिाज हय याभ ह बगिान की टय सनाई ऩड़ती थी| फचच बी ननफयर कॊ ठो स भाॉ ndashभाॉ ऩकायकय यो ऩड़त थ |

(क) अॉधयी यात को आॉस फहात हए कमो ठदखामा गमा ह उततयndash गाॉि भ हजा औय भररयमा परा हआ था | भहाभायी की चऩट भ आकाय रोग भय यह थ |चायो ओय भौत का सनाटा छामा था इससरए अॉधयी यात बी चऩचाऩ आॉस फहाती सी परतीत हो यही थी|

(ख) ताय क भाधमभ स रखक कमा कहना चाहता ह उततयndash ताय क भाधमभ स रखक कहना चाहता ह कक अकार औय भहाभायी स तरसत गाॉि िारो की ऩीड़ा को दय कयन िारा कोई नहीॊ था | परकनत बी गाॉि िारो क द ख स दखी थी| आकाश स टट कय महद कोई बािक ताया ऩथिी ऩय आना बी चाहता तो उसकी जमोनत औय शनदकत यासत भ ही शर हो जाती थी |

(ग) यात की ननसतबधता को कौन बॊग कयता था उततयndash ससमायो की चीख-ऩकाय ऩचक की डयािनी आिाज औय कततो का साभहहक रदन सभरकय यात क सनदनाट को बॊग कयत थ |

(घ) झोऩड़ड़मो स कसी आवाज आ यही ह औय कमो उततयndash झोऩडड़मो स योधगमो क कयाहन क कयन औय योन की आिाज आ यही ह कमोकक गाॉि क रोग भररयमा औय हज स ऩीडड़त थ | अकार क कायण अनदन की कभी हो गमी थी| औरधध औय ऩथम न सभरन क कायण रोगो की हारत इतनी फयी थी कक कोई बगिान को ऩकाय रगाता था तो कोई दफयर कॊ ठ स भाॉndashभाॉ ऩकायता था |

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15 चारी चजतरन मानी हभ सफ

रखक-पवषण खय

ऩाि का सायाॊश ndashचारक चनदपरन न हासम कराकाय क रऩ भ ऩयी दननमा क फहत फड़ दशयक िगय को हॉसामा ह | उनकी कपलभो न कपलभ करा को रोकताॊबतरक फनान क साथ-साथ दशको की िगय औय िणय-वमिसथा को बी तोड़ा | चारक न करा भ फवदध की अऩा बािना को भहतति हदमा ह | फचऩन क सॊघरो न चारक क बािी कपलभो की बसभ तमाय कय दी थी| बायतीम करा औय सौदमयशासतर भ करणा का हासम भ ऩरयितयन बायतीम ऩयमऩया भ नहीॊ सभरता रककन चारक एक ऐसा जादई वमनदकतति ह जो हय दश सॊसकनत औय सभमता को अऩना सा रगता ह| बायतीम जनता न बी उनदह सहज बाि स सिीकाय ककमा ह| सिमॊ ऩय हॉसना चारक न ही ससखामा| बायतीम ससनभा जगत क सपरससदध कराकाय याजकऩय को चारक का बायतीमकयण कहा गमा ह | चारक की अधधकाॊश किलभ भक ह इससरए उनदह अधधक भानिीम होना ऩड़ा | ऩाठ भ हासम कपलभो क भहान असबनता lsquoचारक चनदपरनrsquo की जादई विशरताओॊ का उलरख ककमा गमा ह नदजसभ उसन करणा औय हासम भ साभॊजसम सथावऩत कय किलभो को साियबौसभक रऩ परदान ककमा

परशन१ -चारी क जीवन ऩय परबाव िारन वारी भखम घटनाएॉ कौन सी थी

उततय- चारक क जीिन भ दो ऐसी घटनाएॉ घटीॊ नदजनदहोन उनक बािी जीिन ऩय फहत परबाि डारा |

ऩहरी घटना - जफ चारक फीभाय थ उनकी भाॉ उनदह ईसा भसीह की जीिनी ऩढ़कय सना यही थी | ईसा क सरी ऩय चढ़न क परसॊग तक आत-आत भाॉ-फटा दोनो ही योन रग| इस घटना न चारक को सनह करणा औय भानिता जस उचच जीिन भलम हदए |

दसयी घटना हndash फारक चारक कसाईखान क ऩास यहता था| िहाॉ सकड़ो जानियो को योज भाया जाता था| एक हदन एक बड़ िहाॉ स बाग ननकरी| बड़ को ऩकड़न की कोसशश भ कसाई कई फाय कपसरा| नदजस दखकय रोग हॊसन रग ठहाक रगान रग| जफ बड़ को कसाई न ऩकड़ सरमा तो फारक चारक योन रगा| इस घटना न उसक बािी कपलभो भ तरासदी औय हासमोतऩादक ततिो की बसभका तम कय दी |

परशन२ ndash आशम सऩषट कीजजएndash

चजतरन न लसपट कपलभकरा को ही रोकताॊबतरक नही फनामा फजलक दशटको की वगट तथा वणट-वमवसथा को बी तोड़ा|

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उततय- रोकताॊबतरक फनान का अथय ह कक कपलभ करा को सबी क सरए रोकवपरम फनाना औय िगय औय िणय-वमिसथा को तोड़न का आशम ह- सभाज भ परचसरत अभीय-गयीफ िणय जानतधभय क बदबाि को सभापत कयना |चनदपरन का चभतकाय मह ह कक उनदहोन कपलभकरा को बफना ककसी बदबाि क सबी रोगो तक ऩहॉचामा| उनकी कपलभो न सभम बगोर औय सॊसकनतमो की सीभाओॊ को राॉघ कय साियबौसभक रोकवपरमता हाससर की | चारक न मह ससदध कय हदमा कक करा सितनदतर होती ह अऩन ससदधाॊत सिमॊ फनाती ह |

परशन३ndash चारी चजतरन की कपलभो भ ननठहत तरासदीकरणाहासम का साभॊजसम बायतीम करा औय सौदमटशासतर की ऩरयधध भ कमो नहीॊ आता

उततय- चारक चनदपरन की कपलभो भ ननहहत तरासदीकरणाहासम का साभॊजसम बायतीम करा औय सौदमयशासतर की ऩरयधध भ नहीॊ आताकमोकक बायतीम यस-ससदधाॊत भ करणा औय हासम का भर नहीॊ हदखामा जाता कमोकक बायतीम सौदमयशासतर भ करणयस औय हासम यस को ऩयसऩय वियोधी भाना गमा ह अथायत जहाॊ करणा ह िहाॉ हासम नहीॊ हो सकता बायत भ सिमॊ ऩय हॉसन की ऩयॊऩया नहीॊ ह ऩयॊत चारक क ऩातर अऩन ऩय हॉसतndashहॉसात ह चारक की किलभो क दशम हॉसात-हॉसात ररा दत ह तो कबी करण दशम क फाद अचानक ही हॉसन ऩय भजफय कय दत ह

परशन४ndash चारी क कपलभो की पवशषताएॉ फताइए |

उततय- चारक की किलभो भ हासम औय करणा का अदभत साभॊजसम ह उनकी किलभो भ बारा का परमोग फहत कभ ह चारक की किलभो भ फवदध की अऩा बािना का भहतति अधधक ह उनकी किलभो भ साियबौसभकता ह चारक ककसी बी सॊसकनत को विदशी नही रगत चारक सफको अऩन रगत ह चारक न किलभो को रोकताॊबतरक फनामा औय किलभो भ िगय तथािणय-वमिसथा को तोड़ा अऩनी कपलभो भ चारक सदि धचय मिा हदखता ह

गदमाॊश-आधारयत अथटगरहण-सॊफॊधी परशनोततय

गदमाॊश सॊकत ndashचारक चनदपरन मानी हभ सफ (ऩरषठ १२० )

महद मह िरय चनदपरन की कापी कछ कहा जाएगा |

परशन (क)-पवकासशीर दशो भ चजतरन कमो भशहय हो यह ह

उततय - विकासशीर दशो भ जस-जस टरीविजन औय िीडडमो का परसाय हो यहा ह रोगो को उनकी कपलभो को दखन का अिसय सभर यहा ह |एक फहत फड़ा िगय नए ससय स चारक को घड़ी सधायत औय जत खान की कोसशश कयत दख यहा ह इसीसरए चारक विकासशीर दशो भ रोकवपरम हो यह ह |

(ख)- ऩजशचभ भ चारी का ऩनजीवन कस होता यहता ह

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उततय - ऩनदशचभ भ चारक की कपलभो का परदशयन होता यहता ह| उनकी करा स परयणा ऩाकय हासम किलभ फनती यहती ह | उनक दिाया ननबाए ककयदायो की नकर अनदम कराकाय कयत ह | ऩनदशचभ भ चारक का ऩनजीिन होता यहता ह|

(ग)- चारी को रोग फिाऩ तक कमो माद यखग

उततय ndashहासम कराकाय क रऩ भ रोग चारक को फढ़ाऩ तक माद यखग कमोकक उनकी करा सभम बगोर औय सॊसकनतमो की सीभाओॊ को राॉघकय राखो रोगो को हॉसा यही ह|

(घ)- चारी की कपलभो क फाय भ कापी कछ कहा जाना कमो फाी ह

उततय ndashचनदपरन की ऐसी कछ किलभ मा इसतभार न की गमी यीर सभरी ह नदजनक फाय भ कोई नहीॊ जानता था | चारक की बािनापरधान हासम कपलभो न करा क नए परनतभान सथावऩत ककए ह अत चारक की कपलभो क फाय भ अबी कापी कछ कहा जाना फाी ह|

16 नभक

रखखका - यजजमा सजजाद जहीय

सायाॊश -lsquoनभकrsquoबायत-ऩाक विबाजन ऩय सरणखत भासभयक कहानी ह | विसथावऩत हए रोगो भ अऩनndashअऩन जनदभ सथानो क परनत आज बी रगाि ह| धासभयक आधाय ऩय फनी यारषर-याजमो की सीभा-यखाएॉ उनक अॊतभयन को अरग नहीॊ कय ऩाई ह | बायत भ यहन िारी ससख फीिी राहौय को अऩना ितन भानती ह औय बायतीम कसटभ अधधकायी ढाका क नारयमर ऩानी को मादकय उस सियशररषठ फताता ह दोनो दशो क नागरयको क फीच भहबफत का नभकीन सिाद आज बी कामभ ह इसीसरए सकिमा बायत भ यहन िारी अऩनी भॉहफोरी भाॉ ससख फीिी क सरए राहौयी नभक रान क सरए कसटभ औय कानन की ऩयिाह नहीॊ कयती

परशन1- lsquoनभकrsquo ऩाि क आधाय ऩय फताइए कक सकपमा औय उसक बाई क पवचायो भ कमा अॊतय था

उततय- १-सकपमा बािनाओॊ को फहतभहतति दती ह ऩय उसका बाई फौवदधक परिनदतत का ह उसकी दनदरषट भ कानन बािनाओॊ स ऊऩय ह|

२-सकपमा भानिीम सॊफॊधो को फहत भहतति दती ह जफकक उसका बाई अरगाििादी विचायधाया का ह हहसस-फखय की फात कयता ह |

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३-सकपमा का बाई कहता ह कक अदीफो(साहहतमकाय) का हदभाग घभा हआ होता ह जफकक सकपमा जो सिमॊ अदीफ ह उसका भानना ह कक अगय सबी रोगो का हदभाग अदीफो की तयह घभा हआ होता तो दननमा कछ फहतय हो जाती |

परशन२- नभक र जात सभम सकफ़मा क भन भ कमा दपवधा थी

उततय-सकपमा समद भसरभान थी जो हय हार भ अऩना िामदा ननबात ह| ऩाककसतान स राहौयी नभक र जाकय िह अऩना िामदा ऩया कयना चाहती थी ऩयनदत जफ उस ऩता चरा कक कसटभ क ननमभो क अनसाय सीभाऩाय नभक र जाना िनदजयत ह तो िह दविधा भ ऩड़ गई | सकिमा का दिॊदि मह था कक िह अऩनी ससख भाॉ क सरए नभक कसटभ अधधकारयमो को फताकयर जाए मा नछऩाकय|

परशन३- ऩाि क आधाय ऩय सकपमा की चारयबतरक पवशषताएॉ फताइए |

उततय सॊकत ndash

१- बािक २- ईभानदाय ३- दढ़ननशचमी ४- ननडय ५- िामद को ननबान िारी ६- भानिीम भलमो को सिोऩरय भानन िारी साहहतमकाय

परशन ४- lsquoनभकrsquo ऩाि भ आए ककयदायो क भाधमभ स सऩषट कीजजए कक आज बी बायत औय ऩाककसतान की जनता क फीच भहबफत का नभकीन सवाद घरा हआ ह |

उततय ndash बर ही याजनीनतक औय धासभयक आधाय ऩय बायत औय ऩाककसतान को बौगोसरक रऩ स विबानदजत कय हदमा गमा ह रककन दोनो दशो क रोगो क रदम भ आज बी ऩायसऩरयक बाईचाया सौहादरय सनह औय सहानबनत विदमभान ह | याजनीनतक तौय ऩय बर ही सॊफॊध तनािऩणय हो ऩय साभानदजक तौय ऩय आज बी जनता क फीच भहबफत का नभकीन सिाद घरा हआ ह | अभतसय भ यहन िारी ससख फीफी राहौय को अऩना ितन कहती ह औय राहौयी नभक का सिाद नहीॊ बरा ऩाती | ऩाककसतान का कसटभ अधधकायी नभक की ऩडड़मा सकपमा को िाऩस दत हए कहता ह rdquoजाभा भनदसजद की सीहढ़मो को भया सराभ कहना |rdquo बायतीम सीभा ऩय तनात कसटभ अधधकायी ढाका की जभीन को औय िहाॉ क ऩानी क सिाद को नहीॊ बर ऩाता |

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गदमाॊश-आधारयत अथटगरहण सॊफॊधधत परशनोततय

गदमाॊश सॊकत- ऩाठndash नभक (ऩरषठ १३४)

सकपमा कसटभ क जॊगर स दोनो क हाथो भ थी |

(क) सकपमा कसटभ क जॉगर स ननकरकय दसय तरटपाभट ऩय आ गमी व वहीॊ खड़ यहndash इस वाकम भ lsquoवrsquo शबद का परमोग ककसक लरए ककमा गमा ह

उततय- महाॉ lsquoिrsquo शबद का परमोग ऩाककसतानी कसटभ अधधकायी क सरए ककमा गमा ह जो विबाजन स ऩिय हदलरी भ यहत थ औय आज बी हदलरी को ही अऩना ितन भानत ह |

(ख) तरटपाभट ऩय सकपमा को पवदा कयन कौन-कौन आए थ उनहोन सकपमा को कस पवदाई दी

उततय- परटपाभय ऩय सकपमा को विदा कयन उसक फहत साय सभतर सग सॊफॊधी औय बाई आए थ| उनदहोन ठॊडी साॉस बयत हए सबॊच हए होठो क साथ आॉस फहात हए सकपमा को विदाई दी |

(ग) अटायी भ यरगाड़ी भ कमा ऩरयवतटन हए उततय- अटायी भ यरगाड़ी स ऩाककसतानी ऩसरस उतयी औय हहनददसतानी ऩसरस सिाय हो गई|

(घ) कौन सी फात सकपमा की सभझ भ नहीॊ आ यही थी उततय- दोनो ओय एक सी जभीन एक जसा आसभान एक सी बारा एक सा ऩहनािा औय एक सी सयत क रोग कपय बी दोनो क हाथो भ बयी हई फॊदक ह |

17 लशयीष क पर

आचामट हजायी परसाद दपववदी

सायाॊश ndashlsquoआचामय हजायी परसाद दवििदीrsquo सशयीर को अदभत अिधत भानत ह कमोकक सॊनदमासी की बाॉनत िह सख-दख की धचॊता नहीॊ कयता गभी र िराय औय आॉधी भ बी अविचर खड़ा यहता ह सशयीर क िर क भाधमभ स भनरषम की अजम नदजजीविरा धमयशीरता औय कतयवमननरषठ फन यहन क भानिीम भलमो को सथावऩत ककमा गमा हरखक न सशयीर क कोभर परो औय कठोय परो क दिाया सऩरषट ककमा ह कक रदम की कोभरता फचान क सरए कबी-कबी वमिहाय की कठोयता बी आिशमक हो जाती ह| भहान कवि कासरदास औय कफीय बी सशयीर की तयह फऩयिाह अनासकत औय सयस थ तबी उनदहोन इतनी सनददय यचनाएॉ सॊसाय को दीॊ| गाॉधीजी क वमनदकतति भ बी कोभरता औय कठोयता का अदभत सॊगभ था | रखक सोचता ह कक हभाय दश भ जो भाय-काट अनदगनदाह रट-ऩाट खन-खचचय का फिॊडय ह कमा िह दश को नदसथय नहीॊ यहन दगा गराभी अशाॊनत औय वियोधी िाताियण क फीच अऩन ससदधाॊतो की या कयत हए गाॉधीजी जी नदसथय यह सक थ तो दश बी यह सकता ह जीन की परफर असबरारा क कायण

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विरभ ऩरयनदसथतमो भ बी महद सशयीर णखर सकता ह तो हभाया दश बी विरभ ऩरयनदसथनतमो भ नदसथय यह कय विकास कय सकता ह

परशन1-लसदध कीजजए कक लशयीष कारजमी अवधत की बाॉनत जीवन की अजमता क भॊतर का परचाय कयता ह

उततय- सशयीर कारजमी अिधत की बाॉनत जीिन की अजमता क भॊतर का परचाय कयता ह| जफ ऩथिी अनदगन क सभान तऩ यही होती ह िह तफ बी कोभर परो स रदा रहरहाता यहता ह|फाहयी गयभी धऩ िराय आॉधी र उस परबावित नहीॊ कयती इतना ही नहीॊ िह रॊफ सभम तक णखरा यहता ह | सशयीर विऩयीत ऩरयनदसथनतमो भ बी धमयशीर यहन तथा अऩनी अजम नदजजीविरा क साथ ननसऩह बाि स परचॊड गयभी भ बी अविचर खड़ा यहता ह

परशन२-आयगवध (अभरतास) की तरना लशयीष स कमो नहीॊ की जा सकती

उततय- सशयीर क पर बमॊकय गयभी भ णखरत ह औय आराढ़ तक णखरत यहत ह जफकक अभरतास का पर किर ऩनददरह-फीस हदनो क सरए णखरता ह | उसक फाद अभरतास क पर झड़ जात ह औय ऩड़ कपय स ठॉठ का ठॉठ हो जाता ह | अभरतास अलऩजीिी ह | विऩयीत ऩरयनदसथनतमो को झरता हआ ऊरषण िाताियण को हॉसकय झरता हआ सशयीर दीघयजीिी यहता ह | मही कायण ह कक सशयीर की तरना अभरतास स नहीॊ की जा सकती |

परशन३-लशयीष क परो को याजनताओॊ का रऩक कमो ठदमा गमा ह

उततय- सशयीर क पर उन फढ़ ढीठ औय ऩयान याजनताओॊ क परतीक ह जो अऩनी कसी नहीॊ छोड़ना चाहत | अऩनी अधधकाय-सरपसा क सरए नए मिा नताओॊ को आग नहीॊ आन दत | सशयीर क नए परो को जफयदसती ऩयान परो को धककमाना ऩड़ता ह | याजनीनत भ बी नई मिा ऩीढ़ी ऩयानी ऩीढ़ी को हयाकय सिमॊ सतता सॉबार रती ह |

परशन४- कार दवता की भाय स फचन का कमा उऩाम फतामा गमा ह

उततय- कार दिता कक भाय स फचन का अथय हndash भतम स फचना | इसका एकभातर उऩाम मह ह कक भनरषम नदसथय न हो| गनतशीर ऩरयितयनशीर यह | रखक क अनसाय नदजनकी चतना सदा ऊधियभखी (आधमातभ की ओय) यहती ह ि हटक जात ह |

परशन५- गाॉधीजी औय लशयीष की सभानता परकट कीजजए |

उततय- नदजस परकाय सशयीर धचरधचराती धऩ र िराय औय आॉधी भ बी अविचर खड़ा यहता ह अनासकत यहकय अऩन िाताियण स यस खीॊचकय सयस कोभर फना यहता ह उसी परकाय गाॉधी जी न बी अऩनी आॉखो क साभन आजादी क सॊगराभ भ अनदमाम बदबाि औय हहॊसा को झरा |

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उनक कोभर भन भ एक ओय ननयीह जनता क परनत असीभ करणा जागी िहीॊ ि अनदमामी शासन क वियोध भ डटकय खड़ हो गए |

गदमाॊश-आधारयत अथटगरहण सॊफॊधधत परशनोततय

गदमाॊश सॊकत- ऩाठ ndash सशयीर क पर (ऩरषठ १४७)

कासरदास सौदमय क िह इशाया ह |

(क) कालरदास की सौदमटndashदजषट की कमा पवशषता थी उततय-कासरदास की सौदमयndashदनदरषट फहत सकषभ अॊतबदी औय सॊऩणय थी| ि किर फाहयी रऩ-यॊग औय आकाय को ही नहीॊ दखत थ फनदलक अॊतभयन की सॊदयता क बी ऩायखी थ| कासरदास की सौदमय शायीरयक औय भानससक दोनो विशरताओॊ स मकत था |

(ख) अनासजकत का कमा आशम ह उततय- अनासनदकत का आशम ह- वमनदकतगत सख-द ख औय याग-दिर स ऩय यहकय सौदमय क िासतविक भभय को जानना |

(ग) कालरदास ऩॊत औय यवीॊिनाथ टगोय भ कौन सा गण सभान था भहाकवि कासरदास ससभतरानॊदन ऩॊत औय गरदि यिीॊदरनाथ टगोय तीनो नदसथयपरऻ औय अनासकत कवि थ | ि सशयीर क सभान सयस औय भसत अिधत थ |

(घ) यवीॊिनाथ याजोदमान क लसॊहदवाय क फाय भ कमा सॊदश दत ह याजोदमान क फाय भ यिीॊदरनाथ कहत ह याजोदमान का ससॊहदिाय ककतना ही सॊदय औय गगनचमफी कमो ना हो िह अॊनतभ ऩड़ाि नहीॊ ह| उसका सौदमय ककसी औय उचचतभ सौदमय की ओय ककमा गमा सॊकत भातर ह कक असरी सौदमय इस ऩाय कयन क फाद ह अत याजोदमान का ससॊहदिाय हभ आग फढ़न की परयणा दता ह |

18शरभ-पवबाजन औय जानत-परथा

िॉ० बीभयाव अॊफिकय

सायाॊश ndash इस ऩाठ भ रखक न जानतिाद क आधाय ऩय ककए जान िार बदबाि को सभम सभाज क सरए हाननकायक फतामा ह | जानत आधारयत शरभ विबाजन को असिाबाविक औय भानिता वियोधी फतामा गमा ह मह साभानदजक बदबाि को फढ़ाता ह जानतपरथा आधारयत शरभ विबाजन भ वमनदकत की रधच को भहतति नहीॊ हदमा जाता परसिरऩ वििशता क साथ अऩनाए

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Page 15: ISSUED BY KENDRIYA VIDYALAYA - DOWNLOADED FROM … Class XII Hindi Part B.pdfप्रश्न४ :-फादर क / फयन का गयीफ एि धनी िगय क्मा

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गज़र

ऩाठ भ कपयाक की एक गज़र बी शासभर ह रफाइमो की तयह ही कपयाक की गजरो भ बी हहॊदी सभाज औय उदय शामयी की ऩयॊऩया बयऩय ह इसका अदभत नभना ह मह गज़र मह गज़र कछ इस तयह फोरती ह कक नदजसभ ददय बी ह एक शामय की ठसक बी ह औय साथ ही ह कावम-सशलऩ की िह ऊॉ चाई जो गज़र की विशरता भानी जाती ह

अथट-गरहण-सॊफॊधी परशन

ldquoआॉगन भ सरए चाॉद क टकड़ को खड़ी

हाथो ऩ झराती ह उस गोद-बयी

यह-यह क हिा भ जो रोका दती ह

गॉज उठती ह णखरणखरात फचच की हॉसीrdquo

परशन१- lsquoचाॉद क टकड़rsquoका परमोग ककसक सरए हआ ह औय कमो

उततय -फचच को चाॉद का टकड़ा कहा गमा ह जो भाॉ क सरए फहत पमाया होता ह

परशन२- गोद-बयी परमोग की विशरता को सऩरषट कीनदजए |

उततय - गोद-बयी शबद-परमोग भाॉ क वातसलमऩणट आनॊठदत उतसाह को परकट कयता ह |मह अतमॊत सॊदय दशम बफॊफ ह | सनी गोद क विऩयीत गोद का बयना भाॉ क लरए असीभ सौबागम का सचक ह |इसी सौबागम का सकषभ अहसास भाॉ को तजतत द यहा ह|

परशन३- रोका दना ककस कहत ह

उततय - जफ भाॉ फचच को फाहो भ रकय हिा भ उछारती ह इस रोका दना कहत ह|छोट फचचो को मह खर फहत अचछा रगता ह

परशन४- फचचा भाॉ की गोद भ कसी परनतककरमा कयता ह

उततय - हिा भ उछारन ( रोका दन) स फचचा भाॉ का िातसलम ऩाकय परसनदन होता ह औय णखरणखरा कय हॉस ऩड़ता हफचच की ककरकारयमाॉ भाॉ क आनॊद को दगना कय दती ह|

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सौदमट-फोध-सॊफॊधी परशन

ldquoनहरा क छरक-छरक ननभयर जर स

उरझ हए गसओॊ भ कॊ घी कयक

ककस पमाय स दखता ह फचचा भॉह को

जफ घटननमो भ रक ह वऩनदहाती कऩड़rdquo

परशन१- परसतत ऩॊनदकतमो क बाि सौदमय को सऩरषट कीनदजए |

उततय - भाॉ न अऩन फचच को ननभयर जर स नहरामा उसक उरझ फारो भ कॊ घी की |भाॉ क सऩशय एिॊ नहान क आनॊद स फचचा परसनदन हो कय फड़ परभ स भाॉ को ननहायता ह| परनतहदन की एक सिाबाविक ककरमा स कस भाॉ-फचच का परभ विकससत होता ह औय परगाढ़ होता चरा जाता ह इस बाि को इस रफाई भ फड़ी सकषभता क साथ परसतत ककमा गमा ह|

परशन२- कावमाॊश भ आए बफॊफो को सऩरषट कीनदजए |

उततय -१ldquoनहरा क छरक-छरक ननभटर जर सrdquo- इस परमोग दिाया कवि न फारक की ननभयरता एिॊ ऩवितरता को जर की ननभयरता क भाधमभ स अॊककत ककमा ह | छरकना शबद जर की ताजा फॊदो का फारक क शयीय ऩय छरछरान का सॊदय दशम बफॊफ परसतत कयता ह |

२ lsquoघटननमो भ रक ह पऩनहाती कऩड़rsquo- इस परमोग भ भाॉ की फचच क परनत सािधानी चॊचर फचच को चोट ऩहॉचाए बफना उस कऩड़ ऩहनान स भाॉ क भातति की कशरता बफॊबफतहोती ह |

३ ldquoककस तमाय स दखता ह फचचा भॉह कोrdquo- ऩॊनदकत भ भाॉ ndashफचच का िातसलम बफॊबफत हआ ह | भाॉ स पमाय ndashदराय सऩशय ndashसख नहराए जान क आनॊद को अनबि कयत हए फचचा भाॉ को पमाय बयी नजयो स दख कय उस सख की असबवमनदकत कय यहा ह |मह सकषभ बाि अतमॊत भनोयभ फन ऩड़ा ह |सॊऩणय रफाई भ दशम बफॊफ ह|

परशन ३-कावमाॊश क शबद-परमोग ऩय हटपऩणी सरणखए |

उततय -गस ndashउदय शबदो का परमोग

घटननमो वऩनदहाती ndash दशज शबदो क भाधमभ स कोभरता की असबवमनदकत

छरक ndashछरक ndashशबद की ऩनयािनदतत स अबी ndashअबी नहराए गए फचच क गीर शयीय का बफॊफ

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आहद विरण परमोग रफाइमो को विसशरषट फना दत ह | हहॊदीउदय औय रोकबारा क अनठ गठफॊधन की झरक नदजस गाॊधीजी हहॊदसतानी क रऩ भ ऩलरवित कयना चाहत थदखन को सभरती ह |

पवषम-वसत ऩय आधारयत परशनोततय

रफाइमाॉ

परशन १ -कावम भ परमकत बफॊफो का िणयन अऩन शबदो भ कीनदजए

उततय -

दशम बफॊफ -फचच को गोद भ रना हिा भ उछारना सनान कयाना घटनो भ रकय कऩड़ ऩहनाना|

शरवमबफॊफ - फचच का णखरणखरा कय हॉस ऩड़ना सऩशय बफॊफ -फचच को सनान कयात हए सऩशय कयना |

परशन २-ldquoआॉगन भ ठनक यहा ह नदज़दमामा ह फारक तो हई चाॉद ऩ ररचामा हrsquo- भ फारक की कौन सी विशरता असबवमकत हई ह

उततय - इन ऩॊनदकतमो भ फारक की हि कयन की पवशषता असबवमकत हई ह फचच जफ नदजद ऩय आ जात ह तो अऩनी इचछा ऩयी कयिान क सरए नाना परकाय की हयकत ककमा कयत ह| नदज़दमामा शबद रोक बाषा का पवरण परमोग ह इसभ फचच का िनकना तनकना ऩाॉव ऩटकना योना आठद सबी ककरमाएॉ शासभर ह |

परशन ३ रचछ ककस कहा गमा ह इनका सॊफॊध ककस तमौहाय स ह

उततय - याखी क चभकीर तायो को रचछ कहा गमा ह याफॊधन क कचच धागो ऩय बफजरी क रचछ ह सािन भ याफॊधन आता ह सािन का जो सॊफॊध झीनी घटा स ह घटा का जो सॊफॊध बफजरी स ह िही सॊफॊध बाई का फहन स होता ह|सािन भ बफजरी की चभक की तयह याखी क चभकीर धागो की सॊदयता दखत ही फनती ह|

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अथट-गरहण-सॊफॊधी परशन

गज़र

कफ़याक गोयखऩयी

ldquoनौयस गॊच ऩॊखडड़मो की नाज़क धगयह खोर ह

मा उड़ जान को यॊगो- फ गरशन भ ऩय तौर ह |rdquo

परशन१- lsquoनौयसrsquo विशरण दिाया कवि ककस अथय की वमॊजना कयना चाहता ह

उततय नौयस अथायत नमा यस गॊच अथायत कसरमो भ नमा ndashनमा यस बय आमा ह |

परशन२- ऩॊखडड़मो की नाज़क धगयह खोरन का कमा असबपराम ह

उततय - यस क बय जान स कसरमाॉ विकससत हो यही ह |धीय-धीय उनकी ऩॊखडड़माॉ अऩनी फॊद गाॉठ खोर यही ह | कवि क शबदो भ नियस ही उनकी फॊद गाॉठ खोर यहा ह|

परशन३- lsquoयॊगो- फ गरशन भ ऩय तौर हrsquo ndash का अथय सऩरषट कीनदजए|

उततय -यॊग औय सगॊध दो ऩी ह जो कसरमो भ फॊद ह तथा उड़ जान क सरए अऩन ऩॊख पड़पड़ा यह ह |मह नदसथनत कसरमो क पर फन जान स ऩिय की ह जो पर फन जान की परतीा भ ह |rsquoऩय तौरनाrsquo एक भहािया ह जो उड़ान की भता आॉकन क सरए परमोग ककमा जाता ह |

परशन४- इस शय का बाि-सौदमय वमकत कीनदजए|

उततय -कसरमो की नई-नई ऩॊखडड़माॉ णखरन रगी ह उनभ स यस भानो टऩकना ही चाहता ह | िमसॊधध(ककशोयी)नानमका क परसपहटत होत सौदमय का परतीकातभक धचतरण अतमॊत सॊदय फन ऩड़ा ह |

सौदमट-फोध-सॊफॊधी परशन

हभ हो मा ककसभत हो हभायी दोनो को इक ही काभ सभरा ककसभत हभ को यो रि ह हभ ककसभत को यो र ह| जो भझको फदनाभ कय ह काश ि इतना सोच सक

भया ऩदाय खोर ह मा अऩना ऩदाय खोर ह | परशन१- इन शयो की बारा सॊफॊधी विशरताएॉ सऩरषट कीनदजए |

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उततय- १ भहाियो का परमोग ndashककसभत का योना ndashननयाशा का परतीक

२सयर असबवमनदकत बारा भ परिाहभमता ह ककसभत औय ऩयदा शबदो की ऩनयािनदततमाॉ

भोहक ह|

३ हहॊदी का घयर रऩ

परशन२- lsquoभया ऩयदा खोर ह मा अऩना ऩयदा खोर ह lsquo- की बावरक विशरता सरणखए |

उततय -भहािय क परमोग दिाया वमॊजनातभक असबवमनदकत | ऩयदा खोरना ndash बद खोरना सचचाई फमान कयना|

परशन३-lsquoहभ हो मा ककसभत हो हभायी lsquo ndashपरमोग की विशरता फताइए |

उततय - हभ औय ककसभत दोनो शबद एक ही वमनदकत अथायत कियाक क सरए परमकत ह | हभ औय ककसभत भ अबद ह मही विशरता ह |

कफ़याक गोयखऩयी

पवषम-वसत ऩय आधारयत परशनोततय

परशन१- ताय आॉख झऩकाि ह ndashका तातऩमय सऩरषट कीनदजए |

उततय- याबतर का सनदनाटा बी कछ कह यहा हइससरए ताय ऩरक झऩका यह ह विमोग की नदसथनत भ परकनत बी सॊिाद कयती परतीत होती ह |

परशन२- lsquoहभ हो मा ककसभत हो हभायीrsquo भ ककस बाि की असबवमनदकत हई ह

उततय- जीिन की विडॊफना ककसभत को योना-भहािय क परमोग स सटीक असबवमनदकत परापत कयती ह कवि जीिन स सॊतरषट नहीॊ ह | बागम स सशकामत का बाि इन ऩॊनदकतमो भ झरकता ह |

परशन३- परभ क ककस ननमभ की असबवमनदकत कवि न की ह

उततय -ईशिय की परानदपत सियसि रटा दन ऩय होती ह परभ क सॊसाय का बी मही ननमभ ह|कवि क शबदो भ rdquo कितयत का कामभ ह तिाज़न आरभ- हसनो ndashइशक भ बी

उसको उतना ही ऩात ह खद को नदजतना खो र ह |rdquo

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१ बाि ndashसामम- कफीय -lsquoसीस उताय बई धय तफ सभसरह कयतायlsquo-अथायत -सिमॊ को खो कय ही परभ परानदपत की जा सकती ह

२ बाि सामम- कफीय ndashनदजन ढॉढा नतन ऩाइमाॉ गहय ऩानी ऩहठ|

भ फऩया फडन डया यहा ककनाय फहठ |

परशन४- शयाफ की भहकपर भ शयाफी को दय यात कमा फात माद आती ह

उततय - शयाफ की भहकपर भ शयाफी को दय यात माद आती ह कक आसभान भ भनरषम क ऩाऩो का रखा-जोखा होता ह जस आधी यात क सभम परयशत रोगो क ऩाऩो क अधमाम खोरत ह िस ही यात क सभम शयाफ ऩीत हए शामय को भहफफा की माद हो आती ह भानो भहफफा परयशतो की तयह ऩाऩ सथर क आस ऩास ही ह

परशन५- सदक कियाकndashndashndashइन ऩॊनदकतमो का अथय सऩरषट कीनदजए |

उततय -सदक कियाकndashndashndashइन ऩॊनदकतमो भ कियाक कहत ह कक उनकी शामयी भ भीय की शामयी की उतकरषटता धिननत हो यही ह

परशन६- ऩॊखडड़मो की नाज़क धगयह खोरना कमा ह

उततय -ऩॉखडड़मो की नाजक धगयह खोरना उनका धीय -धीय विकससत होना ह

िमसॊधध(ककशोयी)नानमका क परसपहटत होत सौदमय की ओय सॊकत ह |

परशन७-lsquoमो उड़ जान को यॊगो फ गरशन भ ऩय तौर हrsquo बाि सऩरषट कीनदजए

उततय -कसरमो की सिास उड़न क सरए भानो ऩय तौर यही होअथायत खशफ का झोका यहndashयह कय उठता ह

परशन८- कवि दिाया िणणयत याबतर क दशम का िणयन अऩन शबदो भ कीनदजए

उततय - याबतर का सनदनाटा बी कछ कह यहा हइससरए ताय ऩरक झऩका यह हरगता ह कक परकनत का कण-कण कछ कह यहा ह |

परशन९- कवि अऩन िमनदकतक अनबि ककन ऩॉनदकतमो भ वमकत कय यहा ह

जीिन की विडॊफना-lsquoककसभत को योनाlsquo भहािय क परमोग स सटीक असबवमनदकत परापत कयती ह

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ldquoहभ हो मा ककसभत हो हभायी दोनो को इक ही काभ सभरा

ककसभत हभ को यो रि ह हभ ककसभत को यो र ह|rdquo

परशन१०- शामय न दननमा क ककस दसतय का िणयन ककमा ह

उततय -शामय न दननमा क इस दसतय का िणयन ककमा ह कक रोग दसयो को फदनाभ कयत ह ऩयॊत ि नहीॊ जानत कक इस तयह ि अऩनी दरषट परकनत को ही उदघाहटत कयत ह

परशन११- परभ की कितयत कवि न ककन शबदो भ असबवमकत की ह

सिमॊ को खो कय ही परभ की परानदपत की जा सकती ह ईशिय की परानदपत सियसि रटा दन ऩय होती ह परभ क सॊसाय का बी मही ननमभ ह

परशन१२- कियाक गोयखऩयी ककस बारा क कवि ह

उततय - उदय बारा

10 छोटा भया खत

उभाशॊकय जोशी

(गजयाती कपव)

उभाशॊकय जोशी फीसिीॊ सदी क गजयाती क भधयनदम कवि सॊसकत िाङभम क विदिान हउनदहोन गजयाती कविता को परकनत स जोड़ाआभ आदभी क जीिन की झरक उनकी यचनाओॊ भ सभरती ह

छोटा भया खत

साय

खती क रऩक दिाया कावम यचनाndash परककरमा को सऩषट ककमा गमा हकावम कनत की यचना फीजndash वऩन स रकय ऩौध क ऩजषऩत होन क पवलबनन चयणो स गजयती हअॊतय किर इतना ह कक कपव कभट की पसर कारजमी शाशित होती हउसका यस-यण अम होता हकागज का ऩनदना नदजस ऩय यचना शबदफदध होती ह कवि को एक चौकोय खत की तयह रगता ह इस खत

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भ ककसी अॉधड़ (आशम बािनातभक आॉधी स होगा) क परबाि स ककसी ण एक फीज फोमा जाता ह मह फीज-यचना विचाय औय असबवमनदकत का हो सकता ह मह भर रऩ कलऩना का सहाया रकय विकससत होता ह औय परककरमा भ सिमॊ विगसरत हो जाता ह उसस शबदो क अॊकय ननकरत ह औय अॊतत कनत एक ऩणय सिरऩ गरहण कयती ह जो कवर-कभय क सरहाज स ऩलरवित -ऩनदरषऩत होन की नदसथनत ह साहहनदतमक कनत स जो अरौककक यस-धाया पटती ह िह ण भ होन िारी योऩाई का ही ऩरयणाभ ह ऩय मह यस-धाया अनॊत कार तक चरन िारी कटाई ह |

फगरो क ऩॊख

साय

फगरो क ऩॊख कविता एक चार बफॊफ की कविता ह सौदमय का अऩकषत परबाि उतऩनदन कयन क सरए कविमो न कई मनदकतमाॉ अऩनाई ह नदजसभ स सफस परचसरत मनदकत ह-सौदमय क वमौयो क धचतरातभक िणयन क साथ अऩन भन ऩय ऩड़न िार उसक परबाि का िणयन औय आतभगत क सॊमोग की मह मनदकत ऩाठक को उस भर सौदमय क कापी ननकट र जाती ह जोशी जी की इस कविता भ ऐसा ही ह कवि कार फादरो स बय आकाश भ ऩॊनदकत फनाकय उड़त सपद फगरो को दखता ह ि कजयाय फादरो भ अटका-सा यह जाता ह िह इस भामा स अऩन को फचान की गहाय रगाता ह कमा मह सौदमय स फाॉधन औय विॊधन की चयभ नदसथनत को वमकत कयन का एक तयीका ह

परकनत का सितॊतर (आरॊफन गत ) धचतरण आधननक कविता की विशरता हधचतरातभक िणयन दिाया कवि न एक ओय कार फादरो ऩय उड़ती फगरो की शित ऩॊनदकत का धचतर अॊककत ककमा ह तो दसयी ओय इस अपरनतभ दशम क रदम ऩय ऩड़न िार परबाि को धचबतरत ककमा हभॊतर भगध कवि इस दशम क परबाि स आतभ विसभनत की नदसथनत तक ऩहॉच जाता हविरम एिॊ विरमीगत सौनददमय क दोनो रऩ कविता भ उदघाहटत हए ह

अथट-गरहण-सॊफॊधी परशन

ldquoछोटा भया खत चौकोना

कागज़ का एक ऩनदना कोई अॊधड़ कहीॊ स आमा

ण का फीज िहाॉ फोमा गमा|

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कलऩना क यसामनो को ऩी

फीज गर गमा ननशर शबद क अॊकय पट

ऩलरि ndashऩरषऩो स नसभत हआ विशर |rdquo

परशन १lsquoछोटा भया खतrsquo ककसका परतीक ह औय कमो

उततय - परशन२ lsquoछोटा भया खतrsquo काग़ज क उस ऩनदन का परतीक ह नदजस ऩय कवि अऩनी कविता सरखता ह

परशन २ कवि खत भ कौनndashसा फीज फोता ह

उततय - कवि खत भ अऩनी कलऩना का फीज फोता ह

परशन ३ कवि की कलऩना स कौन स ऩलरि अॊकरयत होत ह

उततय - कवि की कलऩना स शबद क ऩलरि अॊकरयत होत ह

परशन ४ उऩमयकत ऩद का बाि-सौदमय सऩरषट कीनदजए |

उततय - खती क रऩक दिाया कावम-यचनाndashपरककरमा को सऩषट ककमा गमा हकावम कनत की यचना फीजndash वऩन स रकय ऩौध क ऩजषऩत होन क पवलबनन चयणो स गजयती हअॊतय किर इतना ह कक कपव कभट की पसर कारजमी शाशित होती हउसका यस-यण अम होता ह

सौदमट-फोध-सॊफॊधी परशन

ldquoझभन रग पर

यस अरौककक

अभत धायाएॉ पटतीॊ

योऩाई ण की

कटाई अनॊतता की

रटत यहन स जया बी कभ नहीॊ होती |

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यस का अम ऩातर सदा का

छोटा भया खत चौकोना |rdquo

परशन इस कविता की बारा सॊफॊधी विशरताओॊ ऩय परकाश डासरए ndash

उततय - १ परतीकातभकता

२ राणणकता -

२रऩक अरॊकायndash यस का अम ऩातर सदा का

छोटा भया खत चौकोना

परशन २ यस अरौककक अभत धायाएॉ योऩाई ndash कटाई-परतीको क अथय सऩरषट कीनदजए |

उततय - यस अरौककक ndash कावम यस ननरषऩनदतत

अभत धायाएॉ- कावमानॊद

योऩाई ndash अनबनत को शबदफदध कयना

कटाई ndashयसासिादन

पवषम-वसत ऩय आधारयत परशनोततय

कपवता ndash

छोटा भया खत

परशन १ उभाशॊकय जोशी न ककस बारा भ कविताएॉ सरखी ह

उततय - गजयाती बारा

परशन२ कवरndashकभय एिॊ कविndashकभय भ कमा कमा सभानताएॉ ह

उततय - कवरndashकभय एिॊ कविndashकभय भ ननमनसरणखत सभानताएॉ ह-

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कावम कनत की यचना फीजndash वऩन स रकय ऩौध क ऩजषऩत होन क पवलबनन चयणो स गजयती ह

कपषndashकभट एवॊ कपवndashकभट भ सभानताएॉ -

कागज का ऩनदना नदजस ऩय यचना शबदफदध होती ह कवि को एक चौकोय खतरगता ह इस खत भ ककसी अॉधड़ (आशम बािनातभक आॉधी स होगा) क परबाि स ककसी ण

एक फीज फोमा जाता ह मह फीज-यचना विचाय औय असबवमनदकत का हो सकता ह मह भर रऩ कलऩना का सहाया रकय विकससत होता ह औय परककरमा भ सिमॊ विगसरत

हो जाता ह इसीपरकाय फीज बी खाद ऩानी समय की योशनी हिा आहद रकय विकससत होता ह |

कावम ndashयचना स शबदो क अॊकय ननकरत ह औय अॊतत कनत एक ऩणय सिरऩ गरहण कयती ह जो कवर-कभय क सरहाज स ऩलरवित ndashऩनदरषऩत औय पसरत होन की नदसथनत ह अथट-गरहण-सॊफॊधी परशन

कपवताndash फगरो क ऩॊख

नब भ ऩाॉती- फॉध फगरो क ऩॊख

चयाए सरए जातीॊ ि भयी आॉख |

कजयाय फादरो की छाई नब छामा

हौरndashहौर जाती भझ फाॉध ननज भामा स |

उस कोई तननक योक यकखो |

िह तो चयाए सरए जाती भयी आॉख

नब भ ऩाॉती- फॉधी फगरो की ऩाॉख |

तयती साॉझ की सतज शित कामा|

परशन१- इस कविता भ कवि न ककसका धचतरण ककमा ह

उततय - कवि न कार फादरो ऩय उड़ती फगरो की शित ऩॊनदकत का धचतरण ककमा ह|

परशन२- आॉख चयान का कमा अथय ह

उततय - आॉख चयान का आशम ह ndashधमान ऩयी तयह खीॊच रना एकटक दखना भॊतरभगध कय दना

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परशन३-

ldquoकजयाय फादरो की छाई नब छामा

हौर ndashहौर जाती भझ फाॉध ननज भामा स |rdquo- आशम सऩरषट कीनदजए |

उततय- कार फादरो क फीच साॉझ का सयभई िाताियण फहत सॊदय हदखता ह | ऐसा अपरनतभ सौदमय अऩन आकरयण भ कवि को फाॉध रता ह |

परशन ४ ldquoउस कोई तननक योक यकखो |rsquo- स कवि का कमा असबपराम ह

उततय - फगरो की ऩॊनदकत आकाश भ दय तक उड़ती जा यही ह कवि की भॊतरभगध आॉख उनका ऩीछा कय यही ह | कवि उन फगरो को योक कय यखन की गहाय रगा यहा ह कक कहीॊ ि उसकी आॉख ही अऩन साथ न र जाएॉ |

सौदमट-फोध-सॊफॊधी परशन

परशन १ कविता की बारा सॊफॊधी दो विशरताएॉ सरणखए|

उततय -१ धचतरातभक बारा

२ फोरचार क शबदो का परमोग - हौर ndashहौर ऩाॉती कजयायसाॉझ

परशन २ कविता भ परमकत अरॊकाय चन कय सरणखए |

उततय - अनपरास अरॊकाय - फॉध फगरो क ऩॊख

भानिीकयण अरॊकाय - चयाए सरए जातीॊ ि भयी आॉख |

परशन ३ -lsquo ननज भामाrsquo क राणणक अथय को सऩरषट कीनदजए |

उततय - परकनत का अपरनतभ सौदमय िह भामा ह जो कवि को आतभविबोय कय दती हमह ऩॊनदकत बी परशॊसातभक उनदकत ह

पवषम-वसत ऩय आधारयत परशनोततय

परशन१- lsquoचयाए सरए जाती ि भयी ऑ ॊखrsquo स कवि का कमा तातऩमय ह

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उततय -धचतरातभक िणयन दिाया कवि न एक ओय कार फादरो ऩय उड़ती फगरो की शित ऩॊनदकत का धचतर अॊककत ककमा ह तथा इस अपरनतभ दशम क रदम ऩय ऩड़न िार परबाि को धचबतरत ककमा ह कवि क अनसाय मह दशम उनकी आॉख चयाए सरए जा यहा ह |भॊतर भगध कवि इस दशम क परबाि स आतभ विसभनत की नदसथनत तक ऩहॉच जाता ह

परशन२-कवि ककस भामा स फचन की फात कहता ह

उततय - भामा विशि को अऩन आकरयण भ फाॉध रन क सरए परससदध ह | कफीय न बी lsquoभामा भहा ठधगनी हभ जानीrsquo कहकय भामा की शनदकत को परनतऩाहदत ककमा ह | कार फादरो भ फगरो की सॊदयता अऩना भामा जार परा कय कवि को अऩन िश भ कय यही ह |

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आयोह बाग-२ गदम-बाग

परशन-सॊखमा १०- गदम खॊड भ हदए गए ऩहठत गदमाॊश स अथयगरहण सॊफॊधी चाय परशन ऩछ जाएॉग नदजनक सरए ननधायरयत अॊक (२४=८) ह |

परशन-सॊखमा ११- ऩाठो की विरमिसत स सॊफॊधधत ऩाॉच भ स चाय परशनो क उततय दन ह नदजनक सरए ननधायरयत अॊक (३४=१२) ह|

ऩयीा भ अचछ अॊक परातत कयन क लरए धमान दन मोगम फात ndash

1 रख एिॊ ितयनी की शदधता तथा िाकम-गठन ऩय धमान द | 2 हय ऩाठ का सायऩरषठबसभविरमिसत तथाकथानक को सभझना आिशमक ह |

अतविदमाथी हय ऩाठ का सायाॊश बरीबाॉनत माद कय र | 3 परशनो को धमान स ऩढ़ तदनसाय अऩकषत उततय सरख | 4 उततय सरखत सभम सॊफॊधधत भखम बफॊदओॊ का शीरयकफनात हए उततय सरख मथा-तीन

अॊक क परशनो क उततय सरखत सभम कभ स कभ तीन भखम उततय-बफ ॊदओॊ का उलरख कयत हए उततय सऩरषट कय |

5 अॊक-मोजना क अनसाय ननधायरयत शबद-सीभा क अॊतगयत उततय सरख | ऩयीाथी कई फाय एक अॊक क परशन का उततय फहत रॊफा कई फाय ऩया ऩरषठ सरख दत ह जो सभम औय ऊजाय की फफायदी ह |

6 धमान यह कक अधधक सरखन स अचछ अॊक नहीॊ आत फनदलक सयर-सफोध बारा भ सरख गए सटीक उततय सायगसबयत तथम तथा उदाहयण क दिाया सऩरषट ककए गए उततय परबािशारी होत ह |

ऩाि 11 - बजकतन

रखखका- भहादवी वभाट

ऩाि का सायाॊश- बनदकतन नदजसका िासतविक नाभ रकषभी थारणखका lsquoभहादिी िभायrsquo की सविका ह | फचऩन भ ही बनदकतन की भाॉ की भतम हो गमी| सौतरी भाॉ न ऩाॉच िरय की आम भ वििाह तथा नौ िरय की आम भ गौना कय बनदकतन को ससयार बज हदमा| ससयार भ बनदकतन न तीन फहटमो को जनदभ हदमा नदजस कायण उस सास औय नदजठाननमो की उऩा सहनी ऩड़ती थी| सास औय नदजठाननमाॉ आयाभ पयभाती थी औय बनदकतन तथा उसकी ननदहीॊ फहटमो को घय औय खतो का साया काभ कयना ऩडता था| बनदकतन का ऩनत उस फहत चाहता था| अऩन ऩनत क सनह क फर ऩय बनदकतन न ससयार िारो स अरगौझा कय अऩना अरग घय फसा सरमा औय सख स यहन रगी ऩय बनदकतन का दबायगम अलऩाम भ ही उसक ऩनत की भतम हो गई | ससयार िार

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बनदकतन की दसयी शादी कय उस घय स ननकारकय उसकी सॊऩनदतत हड़ऩन की सानदजश कयन रग| ऐसी ऩरयनदसथनत भ बनदकतन न अऩन कश भॊडा सरए औय सॊनदमाससन फन गई | बनदकतन सिासबभानी सॊघरयशीर कभयठ औय दढ सॊकलऩ िारी सतरी ह जो वऩतसततातभक भानदमताओॊ औय छर-कऩट स बय सभाज भ अऩन औय अऩनी फहटमो क हक की रड़ाई रड़ती हघय गहसथी सॉबारन क सरए अऩनी फड़ी फटी दाभाद को फरा सरमा ऩय दबायगम न महाॉ बी बनदकतन का ऩीछा नहीॊ छोड़ा अचानक उसक दाभाद की बी भतम हो गमी| बनदकतन क जठ-नदजठौत न सानदजश यचकय बनदकतन की विधिा फटी का वििाह जफयदसती अऩन तीतयफाज सार स कय हदमा| ऩॊचामत दिाया कयामा गमा मह सॊफॊध दखदामी यहा | दोनो भाॉ-फटी का भन घय-गहसथी स उचट गमा ननधयनता आ गमी रगान न चका ऩान क कायण जभीॊदाय न बनदकतन को हदन बय धऩ भ खड़ा यखा| अऩभाननत बनदकतन ऩसा कभान क सरए गाॉि छोड़कय शहय आ जाती ह औय भहादिी की सविका फन जाती ह| बनदकतन क भन भ भहादिी क परनत फहत आदय सभऩयण औय असबबािक क सभान अधधकाय बाि ह| िह छामा क सभान भहादिी क साथ यहती ह| िह यात-यात बय जागकय धचतरकायी मा रखन जस कामय भ वमसत अऩनी भारककन की सिा का अिसय ढॉढ रती ह| भहादिी बनदकतन को नहीॊ फदर ऩामी ऩय बनदकतन न भहादिी को फदर हदमा| बनदकतन क हाथ का भोटा-दहाती खाना खात-खात भहादिी का सिाद फदर गमा बनदकतन न भहादिी को दहात क ककसस-कहाननमाॉ ककॊ िदॊनतमाॉ कॊ ठसथ कया दी| सिबाि स भहाकॊ जस होन ऩय बी बनदकतन ऩाई-ऩाई कय जोडी हई १०५ रऩमो की यासश को सहरय भहादिी को सभवऩयत कय दती ह| जर क नाभ स थय-थय काॉऩन िारी बनदकतन अऩनी भारककन क साथ जर जान क सरए फड़ राट साहफ तक स रड़न को बी तमाय हो जाती ह| बनदकतन भहादिी क जीिन ऩय छा जान िारी एक ऐसी सविका ह नदजस रणखका नहीॊ खोना चाहती

ऩाि आधारयत परशनोततय

नोट- उततय भ ननहहत यखाॊककत िाकम भखम सॊकत बफॊद ह |

परशन 1-बजकतन का वासतपवक नाभ कमा था वह अऩन नाभ को कमो छऩाना चाहती थी

उततय-बनदकतन का िासतविक नाभ रकषभी था हहनददओॊ क अनसायरकषभी धन की दिीह चॉकक बनदकतन गयीफ थी| उसक िासतविक नाभ क अथय औय उसक जीिन क मथाथय भ वियोधाबास ह ननधयन बनदकतन सफको अऩना असरी नाभ रकषभी फताकय उऩहास का ऩातर नहीॊ फनना चाहती थी इससरए िह अऩना असरी नाभ छऩाती थी

परशन 2- रखखका न रकषभी का नाभ बजकतन कमो यखा

उततय-घटा हआ ससय गर भ कॊ ठी भारा औय बकतो की तयह सादगीऩणय िशबरा दखकय भहादिी िभाय न रकषभी का नाभ बनदकतन यख हदमा | मह नाभ उसक वमनदकतति स ऩणयत भर खाता था |

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परशन 3-बजकतन क जीवन को ककतन ऩरयचछदो भ पवबाजजत ककमा गमा ह

उततय- बनदकतन क जीिन को चाय बागो भ फाॉटा गमा ह-

ऩहरा ऩरयचछद-बनदकतन का फचऩन भाॉ की भतम विभाता क दिाया बनदकतन का फार-वििाह कया दना

दपवतीम ऩरयचछद-बनदकतन का ििाहहक जीिन सास तथा नदजठाननमो का अनदमामऩणय वमिहाय ऩरयिाय स अरगौझा कय रना

ततीम ऩरयचछद- ऩनत की भतम विधिा क रऩ भ सॊघरयशीर जीिन चतथट ऩरयचछद- भहादिी िभाय की सविका क रऩ भ

परशन 4- बजकतन ऩाि क आधाय ऩय बायतीम गराभीण सभाज भ रड़क-रड़ककमो भ ककम जान वार बदबाव का उलरख कीजजए |

बायतीम गराभीण सभाज भ रड़क-रड़ककमो भ बदबाि ककमा जाता ह| रड़ककमो को खोटा ससकका मा ऩयामा धन भाना जाता ह| बनदकतन न तीन फहटमो को जनदभ हदमा नदजस कायण उस सास औय नदजठाननमो की उऩा सहनी ऩड़ती थी| सास औय नदजठाननमाॉ आयाभ पयभाती थी कमोकक उनदहोन रड़क ऩदा ककए थ औय बनदकतन तथा उसकी ननदहीॊ फहटमो को घय औय खतो का साया काभ कयना ऩडता था| बनदकतन औय उसकी फहटमो को रखा-सखा भोटा अनाज खान को सभरता था जफकक उसकी नदजठाननमाॉ औय उनक कार-करट फट दध-भराई याफ-चािर की दाित उड़ात थ

परशन 5-बजकतन ऩाि क आधाय ऩय ऩॊचामत क नमाम ऩय ठटतऩणी कीजजए |

बनदकतन की फटी क सनददबय भ ऩॊचामत दिाया ककमा गमा नदमाम तकय हीन औय अॊध कानन ऩय आधारयतह | बनदकतन क नदजठौत न सॊऩनदतत क रारच भ रडमॊतर कय बोरी फचची को धोख स जार भ पॊ सामा| ऩॊचामत न ननदोर रड़की की कोई फात नहीॊ सनी औय एक तयिा पसरा दकय उसका वििाह जफयदसती नदजठौत क ननकमभ तीतयफाज सार स कय हदमा | ऩॊचामत क अॊध कानन स दरषटो को राब हआ औय ननदोर को दॊड सभरा |

परशन 6-बजकतन की ऩाक-करा क फाय भ ठटतऩणी कीजजए |

बनदकतन को ठठ दहाती सादा बोजन ऩसॊद था | यसोई भ िह ऩाक छत को फहत भहतति दती थी | सफह-सिय नहा-धोकय चौक की सपाई कयक िह दिाय ऩय कोमर की भोटी यखा खीॊच दती थी| ककसी को यसोईघय भ परिश कयन नहीॊ दती थी| उस अऩन फनाए बोजन ऩय फड़ा असबभान था| िह अऩन फनाए बोजन का नतयसकाय नहीॊ सह सकती थी |

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परशन 7- लसदध कीजजए कक बजकतन तकट -पवतकट कयन भ भाठहय थी |

बनदकतन तकय ऩट थी | कश भॉडान स भना ककए जान ऩय िह शासतरो का हिारा दत हए कहती ह lsquoतीयथ गए भॉडाए ससदधrsquo | घय भ इधय-उधय यख गए ऩसो को िह चऩचाऩ उठा कय छऩा रती ह टोक जानऩय िह िह इस चोयी नही भानती फनदलक िह इस अऩन घय भ ऩड़ ऩसो को सॉबारकय यखना कहती ह| ऩढाई-सरखाई स फचन क सरए बी िह अचक तकय दती ह कक अगय भ बी ऩढ़न रगॉ तो घय का काभ कौन दखगा

परशन 8-बजकतन का दबाटगम बी कभ हिी नही था रखखका न ऐसा कमो कहा ह

उततय- बजकतन का दबाटगम उसका ऩीछा नहीॊ छोड़ता था-

1- फचऩन भ ही भाॉ की भतम 2- विभाता की उऩा 3- बनदकतन(रकषभी) का फारवििाह 4- वऩता का ननधन 5- तीन-तीन फहटमो को जनदभ दन क कायण सास औय नदजठाननमो क दिाया बनदकतन की

उऩा 6- ऩनत की असभम भतम 7- दाभाद का ननधन औय ऩॊचामत क दिाया ननकमभ तीतयफाज मिक स बनदकतन की विधिा

फटी का जफयन वििाह 8- रगान न चका ऩान ऩय जभीॊदाय क दिाया बनदकतन का अऩभान

परशन 9-बजकतन न भहादवी वभाट क जीवन ऩय कस परबापवत ककमा

उततय- बनदकतन क साथ यहकय भहादिी की जीिन-शरी सयर हो गमी ि अऩनी सविधाओॊ की चाह को नछऩान रगीॊ औय असविधाओॊ को सहन रगीॊ बनदकतन न उनदह दहाती बोजन णखराकय उनका सिाद फदर हदमा बनदकतन भातर एक सविका न होकय भहादिी की असबबािक औय आतभीम फन गमीबनदकतन भहादिी क जीिन ऩय छा जान िारी एक ऐसी सविका ह नदजस रणखका नहीॊ खोना चाहती

परशन 10- बजकतन क चरयतर की पवशषताओॊ का उलरख कीजजए

उततय- भहादिी िभाय की सविका बनदकतन क वमनदकतति की विशरताएॊ ननमनाॊककत ह-

सभवऩयत सविका सिासबभानी

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तकय शीरा ऩरयशरभी सॊघरयशीर

परशन 11-बजकतन क दगटणो का उलरख कय

उततय- गणो क साथ-साथ बनदकतन क वमनदकतति भ अनक दगयण बी ननहहत ह-

1 िह घय भ इधय-उधय ऩड़ रऩम-ऩस को बॊडाय घय की भटकी भ छऩा दती ह औय अऩन इस कामय को चोयी नहीॊ भानती

2 भहादिी क करोध स फचन क सरए बनदकतन फात को इधय-उधय कयक फतान को झठ नही भानती अऩनी फात को सही ससदध कयन क सरए िह तकय -वितकय बी कयती ह

3 िह दसयो को अऩनी इचछानसाय फदर दना चाहती ह ऩय सिमॊ बफरकर नही फदरती परशन 12 ननमनाॊककत बाषा-परमोगो का अथट सऩषट कीजजए-

ऩहरी कनमा क दो औय सॊसकयण कय िार- बनदकतन न अऩनी ऩहरी कनदमा क फाद उसक जसी दो औय कनदमाएॉ ऩदा कय दी अथायत बनदकतन क एक क फाद एक तीन फहटमाॉ ऩदा हो गमीॊ |

खोट लसकको की टकसार जसी ऩतनी- आज बी असशकषत गराभीण सभाज भ फहटमो को

खोटा ससकका कहा जाता ह बनदकतन न एक क फाद एक तीन फहटमाॉ ऩदा कय दी इससरए उस खोट ससकक को ढारन िारी भशीन कहा गमा

परशन 13-बजकतन ऩाि भ रखखका न सभाज की ककन सभसमाओॊ का उलरख ककमा ह

उततय- बनदकतन ऩाठ क भाधमभ स रणखका न बायतीम गराभीण सभाज की अनक सभसमाओॊ का उलरख ककमा ह-

1 रड़क-रड़ककमो भ ककमा जान िारा बदबाि 2 विधिाओॊ की सभसमा 3 नदमाम क नाभ ऩय ऩॊचामतो क दिाया नदसतरमो क भानिाधधकाय को कचरना 4 असशा औय अॊधविशिास

गदमाॊश-आधारयत अथटगरहण सॊफॊधधत परशनोततय

ऩरयिाय औय ऩरयनदसथनतमो क कायण सिबाि भ जो विरभताएॉ उतऩनदन हो गई ह उनक बीतय स एक सनह औय सहानबनत की आबा पटती यहती ह इसी स उसक सॊऩकय भ आनिार वमनदकत उसभ जीिन की सहज भासभयकता ही ऩात ह छातरािास की फासरकाओॊ भ स कोई अऩनी चाम

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फनिान क सरए दहरी ऩय फठी यहती ह कोई फाहय खडी भय सरए नाशत को चखकय उसक सिाद की वििचना कयती यहती ह भय फाहय ननकरत ही सफ धचडड़मो क सभान उड़ जाती ह औय बीतय आत ही मथासथान वियाजभान हो जाती ह इनदह आन भ रकािट न हो सॊबित इसी स बनदकतन अऩना दोनो जन का बोजन सिय ही फनाकय ऊऩय क आर भ यख दती ह औय खात सभम चौक का एक कोना धोकय ऩाकndashछत क सनातन ननमभ स सभझौता कय रती ह

भय ऩरयधचतो औय साहहनदतमक फॊधओॊ स बी बनदकतन विशर ऩरयधचत ह ऩय उनक परनत बनदकतन क समभान की भातरा भय परनत उनक समभान की भातरा ऩय ननबयय ह औय सदभाि उनक परनत भय सदभाि स नननदशचत होता ह इस सॊफॊध भ बनदकतन की सहज फवदध विनदसभत कय दन िारी ह

(क) बजकतन का सवबाव ऩरयवाय भ यहकय कसा हो गमा ह

उततय-विरभ ऩरयनदसथनतजनदम उसक उगर हठी औय दयागरही सिबाि क फािजद बनदकतन क बीतय सनह औय सहानबनत की आबा पटती यहती ह उसक सॊऩकय भ आन िार वमनदकत उसभ जीिन की सहज भासभयकता ही ऩात ह

(ख) बजकतन क ऩास छातरावास की छातराएॉ कमो आती ह

उततय- बनदकतन क ऩास कोई छातरा अऩनी चाम फनिान आती ह औय दहरी ऩय फठी यहती ह कोई भहादिी जी क सरए फन नाशत को चखकय उसक सिाद की वििचना कयती यहती ह भहादिी को दखत ही सफ छातराएॉ बाग जाती ह उनक जात ही कपय िाऩस आ जातीॊ ह बनदकतन का सहज-सनह ऩाकय धचडड़मो की तयह चहचहान रगती ह |

(ग) छातराओॊ क आन भ रकावट न िारन क लरए बजकतन न कमा उऩाम ककमा

उततय- छातराओॊ क आन भ रकािट न डारन क सरए बनदकतन न अऩन ऩाक-छत क ननमभ स सभझौता कय सरमा | बनदकतन अऩना दोनो िकत का खाना फनाकय सफह ही आर भ यख दती औय खात सभम चौक का एक कोना धोकय िहाॉ फठकय खा सरमा कयती थी ताकक छातराएॉ बफना योक-टोक क उसक ऩास आ सक

(घ) साठहतमकायो क परनत बजकतन क समभान का कमा भाऩदॊि ह

उततय-बनदकतन भहादिी क साहहनदतमक सभतर क परनत सदभाि यखती थी नदजसक परनत भहादिी सिमॊ सदभाि यखती थी | िह सबी स ऩरयधचत हऩय उनक परनत समभान की भातरा भहादिी जी क समभान की भातरा ऩय ननबयय कयती ह िह एक अदभत ढॊग स जान रती थी कक कौन ककतना समभान कयता ह उसी अनऩात भ उसका परापम उस दती थी

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12 फाजाय-दशटन

रखक- जनि कभाय

ऩाि का सायाॊश फाजाय-दशयन ऩाठ भ फाजायिाद औय उऩबोकतािाद क साथ-साथ अथयनीनत एिॊ दशयन स सॊफॊधधत परशनो को सरझान का परमास ककमा गमा ह फाजाय का जाद तबी असय कयता ह जफ भन खारी हो| फाजाय क जाद को योकन का उऩाम मह ह कक फाजाय जात सभम भन खारी ना हो भन भ रकषम बया हो| फाजाय की असरी कताथयता ह जरयत क िकत काभ आना| फाजाय को िही भनरषम राब द सकता ह जो िासति भ अऩनी आिशमकता क अनसाय खयीदना चाहता ह| जो रोग अऩन ऩसो क घभॊड भ अऩनी ऩचनदजॊग ऩािय को हदखान क सरए चीज खयीदत ह ि फाजाय को शतानी वमॊगम शनदकत दत ह| ऐस रोग फाजारऩन औय कऩट फढात ह | ऩस की मह वमॊगम शनदकत वमनदकत को अऩन सग रोगो क परनत बी कतघन फना सकती ह | साधायण जन का रदम रारसा ईरषमाय औय तरषणा स जरन रगता ह | दसयी ओय ऐसा वमनदकत नदजसक भन भ रश भातर बी रोब औय तरषणा नहीॊ ह सॊचम की इचछा नहीॊ ह िह इस वमॊगम-शनदकत स फचा यहता ह | बगतजी ऐस ही आतभफर क धनी आदशय गराहक औय फचक ह नदजन ऩय ऩस की वमॊगम-शनदकत का कोई असय नहीॊ होता | अनक उदाहयणो क दिाया रखक न मह सऩरषट ककमा ह कक एक ओय फाजाय रारची असॊतोरी औय खोखर भन िार वमनदकतमो को रटन क सरए ह िहीॊ दसयी ओय सॊतोरी भन िारो क सरए फाजाय की चभक-दभक उसका आकरयण कोई भहतति नहीॊ यखता

परशन१ - ऩचजजॊग ऩावय ककस कहा गमा ह फाजाय ऩय इसका कमा परबाव ऩड़ता ह

उततय- ऩचनदजॊग ऩािय का अथय ह खयीदन की शनदकत ऩचनदजॊग ऩािय क घभॊड भ वमनदकत हदखाि क सरए आिशमकता स अधधक खयीदायीकयता ह औय फाजाय को शतानी वमॊगम-शनदकत दता ह ऐस रोग फाजाय का फाजारऩन फढ़ात ह

परशन२ -रखक न फाजाय का जाद ककस कहा ह इसका कमा परबाव ऩड़ता ह

उततय- फाजाय की चभक-दभक क चॊफकीम आकरयण को फाजाय का जाद कहा गमा ह मह जाद आॊखो की याह कामय कयता ह फाजाय क इसी आकरयण क कायण गराहक सजी-धजी चीजो को आिशमकता न होन ऩय बी खयीदन को वििश हो जात ह

परशन३ -आशम सऩषट कय

भन खारी होना भन बया होना भन फॊद होना

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उततय-भन खारी होना- भन भ कोई नननदशचत िसत खयीदन का रकषम न होना ननरददशम फाजाय जाना औय वमथय की चीजो को खयीदकय राना

भन बया होना- भन रकषम स बया होना नदजसका भन बया हो िह बरीबाॉनत जानता ह कक उस फाजाय स कौन सी िसत खयीदनी ह अऩनी आिशमकता की चीज खयीदकय िह फाजाय को साथयकता परदान कयता ह

भन फॊद होना-भन भ ककसी बी परकाय की इचछा न होना अथायत अऩन भन को शनदम कय दना

परशन४ - lsquoजहाॉ तषणा ह फटोय यखन की सऩहा ह वहाॉ उस फर का फीज नहीॊ हrsquo महाॊ ककस फर की चचाट की गमी ह

उततय- रखक न सॊतोरी सिबाि क वमनदकत क आतभफरकी चचाय की ह दसय शबदो भ महद भन भ सॊतोर हो तो वमनदकत हदखाि औय ईरषमाय की बािना स दय यहता ह उसभ सॊचम कयन की परिनदतत नहीॊ होती

परशन५ - अथटशासतर अनीनतशासतर कफ फन जाता ह

उततय- जफ फाजाय भ कऩट औय शोरण फढ़न रग खयीददाय अऩनी ऩचधचॊग ऩािय क घभॊड भ हदखाि क सरए खयीददायी कय | भनरषमो भ ऩयसऩय बाईचाया सभापत हो जाए| खयीददाय औय दकानदाय एक दसय को ठगन की घात भ रग यह एक की हानन भ दसय को अऩना राब हदखाई द तो फाजाय का अथयशासतर अनीनतशासतर फन जाता ह ऐस फाजाय भानिता क सरए विडॊफना ह

परशन६-बगतजी फाजाय औय सभाज को ककस परकाय साथटकता परदान कय यह ह

उततय- बगतजी क भन भ साॊसारयक आकरयणो क सरए कोई तरषणा नहीॊ ह ि सॊचम रारच औय हदखाि स दय यहत ह फाजाय औय वमाऩाय उनक सरए आिशमकताओॊ की ऩनत य का साधन भातर ह बगतजी क भन का सॊतोर औय ननसऩह बाि उनको शररषठ उऩबोकता औय विकरता फनात ह

परशन ७ _ बगत जी क वमजकततव क सशकत ऩहरओॊ का उलरख कीजजए |

उततय-ननमनाॊककत बफॊद उनक वमनदकतति क सशकत ऩहर को उजागय कयत ह

ऩॊसायी की दकान स किर अऩनी जरयत का साभान (जीया औय नभक) खयीदना नननदशचत सभम ऩय चयन फचन क सरए ननकरना छह आन की कभाई होत ही चयन फचना फॊद कय दना फच हए चयन को फचचो को भफ़त फाॉट दना

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सबी काजम-जम याभ कहकय सिागत कयना फाजाय की चभक-दभक स आकवरयत न होना सभाज को सॊतोरी जीिन की सशा दना

परशन7-फाजाय की साथटकता ककसभ ह

उततय- भनरषम की आिशमकताओॊ की ऩनतय कयन भ ही फाजाय की साथयकता ह जो गराहक अऩनी आिशमकताओॊ की चीज खयीदत ह ि फाजाय को साथयकता परदान कयत ह जो विकरता गराहको का शोरण नहीॊ कयत औय छर-कऩट स गराहको को रबान का परमास नही कयत ि बी फाजाय को साथयक फनात ह

गदमाॊश-आधारयत अथटगरहण-सॊफॊधधत परशनोततय

फाजाय भ एक जाद ह िह जाद आॉख की तयह काभ कयता ह िह रऩ का जाद ह ऩय जस चॊफक का जाद रोह ऩय ही चरता ह िस ही इस जाद की बी भमायदा ह जफ बयी हो औय भन खारी हो ऐसी हारत भ जाद का असय खफ होता ह जफ खारी ऩय भन बया न हो तो बी जाद चर जाएगा भन खारी ह तो फाजाय की अनकानक चीजो का ननभॊतरण उस तक ऩहॉच जाएगा कहीॊ हई उस िकत जफ बयी तफ तो कपय िह भन ककसकी भानन िारा ह भारभ होता ह मह बी रॉ िह बी रॉ सबी साभान जरयी औय आयाभ को फढ़ान िारा भारभ होता ह ऩय मह सफ जाद का असय ह जाद की सिायी उतयी कक ऩता चरता ह कक प सी-चीजो की फहतामत आयाभ भ भदद नहीॊ दती फनदलक खरर ही डारती ह थोड़ी दय को सिासबभान को जरय सक सभर जाता ह ऩय इसस असबभान को धगलटी की खयाक ही सभरती ह जकड़ यशभी डोयी की हो तो यशभ क सऩशय क भरामभ क कायण कमा िह कभ जकड़ दगी

ऩय उस जाद की जकड़ स फचन का एक सीधा उऩाम ह िह मह कक फाजाय जाओ तो खारी भन न हो भन खारी हो तफ फाजाय न जाओ कहत ह र भ जाना हो तो ऩानी ऩीकय जाना चाहहए ऩानी बीतय हो र का रऩन वमथय हो जाता ह भन रकषम स बया हो तो फाजाय परा का परा ही यह जाएगा तफ िह घाि बफरकर नहीॊ द सकगा फनदलक कछ आनॊद ही दगा तफ फाजाय तभस कताथय होगा कमोकक तभ कछ न कछ सचचा राब उस दोग फाजाय की असरी कताथयता ह आिशमकता क सभम काभ आना

परशन-1 फाजाय क जाद को रखक न कस सऩषट ककमा ह

उततय- फाजाय क रऩ का जाद आॉखो की याह स काभ कयता हआ हभ आकवरयत कयता ह फाजाय का जाद ऐस चरता ह जस रोह क ऊऩय चॊफक का जाद चरता ह चभचभाती योशनी भ सजी

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प सी चीॊज गराहक को अऩनी ओय आकवरयत कयती ह| इसी चमफकीम शनदकत क कायण वमनदकत कपजर साभान को बी खयीद रता ह |

परशन-2 जफ बयी हो औय भन खारी तो हभायी कमा दशा होती ह

उततय- जफ बयी हो औय भन खारी हो तो हभाय ऊऩय फाजाय का जाद खफ असय कयता ह भन खारी ह तो फाजाय की अनकानक चीजो का ननभॊतरण भन तक ऩहॉच जाता ह औय उस सभम महद जफ बयी हो तो भन हभाय ननमॊतरण भ नहीॊ यहता

परशन-3 प सी चीजो की फहतामत का कमा ऩरयणाभ होता ह

उततय- प सी चीज आयाभ की जगह आयाभ भ वमिधान ही डारती ह थोड़ी दय को असबभान को जरय सक सभर जाती ह ऩय हदखाि की परिनदतत भ िवदध होती ह

परशन-4 जाद की जकड़ स फचन का कमा उऩाम ह

उततय- जाद की जकड़ स फचन क सरए एक ही उऩाम ह िह मह ह कक फाजाय जाओ तो भन खारी न हो भन खारी हो तो फाजाय भत जाओ

13 कार भघा ऩानी द

रखक-धभटवीय बायती

ऩाि का सायाॊश -lsquoकार भघा ऩानी दrsquo ननफॊध रोकजीिन क विशिास औय विऻान क तकय ऩय आधारयत ह जफ बीरण गभी क कायण वमाकर रोग िराय कयान क सरए ऩजा-ऩाठ औय कथा-विधान कय थकndashहाय जात ह तफ िराय कयान क सरए अॊनतभ उऩाम क रऩ भ इनददय सना ननकरती ह| इनददय सना नॊग-धड़ॊग फचचो की टोरी ह जो कीचड़ भ रथऩथ होकय गरी-भोहलर भ ऩानी भाॉगन ननकरती ह| रोग अऩन घय की छतो-णखड़ककमो स इनददय सना ऩय ऩानी डारत ह | रोगो की भानदमता ह कक इनददर फादरो क सिाभी औय िराय क दिता ह| इनददर की सना ऩय ऩानी डारन स इनददर बगिान परसनदन होकय ऩानी फयसाएॊग | रखक का तकय ह कक जफ ऩानी की इतनी कभी ह तो रोग भनदशकर स जभा ककए ऩानी को फालटी बय-बयकय इनददय सना ऩय डारकय ऩानी को कमो फफायद कयत ह आमयसभाजी विचायधाया िारा रखक इस अॊधविशिास भानता ह | इसक विऩयीत रखक की जीजी उस सभझाती ह कक मह ऩानी की फफायदी नहीॊ फनदलक ऩानी की फिाई ह | कछ ऩान क सरए कछ दना ऩड़ता ह | तमाग क बफना दान नहीॊ होता| परसतत ननफॊध भ रखक न भरषटाचाय की सभसमा को उठात हए कहा ह कक जीिन भ कछ ऩान क सरए तमाग आिशमक ह जो रोग तमाग औय दान की भहतता को नहीॊ भानत ि ही भरषटाचाय भ सरपत यहकय दश औय सभाज को रटत ह| जीजी की आसथा बािनातभक सचचाई को ऩरषट कयती ह औय तकय किर िऻाननक तथम को सतम भानता ह जहाॉ तकय मथाथय क

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कठोय धयातर ऩय सचचाई को ऩयखता ह तो िहीॊ आसथा अनहोनी फात को बी सिीकाय कय भन को सॊसकारयत कयती ह बायत की सितॊतरता क ५० सार फाद बी दश भ वमापत बरषटाचाय औय सिाथय की बािना को दखकय रखक दखी ह | सयकाय दिाया चराई जा यही मोजनाएॉ गयीफो तक कमो नहीॊ ऩहॉच ऩा यहीॊ ह कार भघा क दर उभड़ यह ह ऩय आज बी गयीफ की गगयी पटी हई कमो ह रखक न मह परशन ऩाठको क सरए छोड़ हदमा ह |

परशन1-इनदय सना घय-घय जाकय ऩानी कमो भाॉगती थी

उततय- गाॉि क रोग फारयश क सरए बगिान इॊदर स पराथयना ककमा कयत थ जफ ऩजा-ऩाठवरत आहद उऩाम असिर हो जात थ तो बगिान इॊदर को परसनदन कयन क सरए गाॉि क ककशोय फचच कीचड़ भ रथऩथ होकय गरी-गरी घभकय रोगो स ऩानी भाॉगत थ

परशन2-इनदयसना को रखक भढक-भॊिरी कमो कहता ह जीजी क फायndashफाय कहन ऩय बी वह इनदयसना ऩय ऩानी प कन को याजी कमो नहीॊ होता

उततय- इनददयसना का कामय आमयसभाजी विचायधाया िार रखक को अॊधविशिास रगता ह उसका भानना ह कक महद इॊदयसना दिता स ऩानी हदरिा सकती ह तो सिमॊ अऩन सरए ऩानी कमो नहीॊ भाॉग रती ऩानी की कभी होन ऩय बी रोग घय भ एकतर ककम हए ऩानी को इॊदयसना ऩय ि कत ह रखक इस ऩानी की ननभयभ फयफादी भानता ह

परशन3- रि हए रखक को जीजी न ककस परकाय सभझामा

उततय- जीजी न रखक को पमाय स रडड-भठयी णखरात हए ननमन तकय हदए-

1- तमाग का भहततव- कछ ऩान क सरए कछ दना ऩड़ता ह 2- दान की भहतता- कवर-भननमो न दान को सफस ऊॉ चा सथान हदमा ह जो चीज अऩन

ऩास बी कभ हो औय अऩनी आिशमकता को बरकय िह चीज दसयो को दान कय दना ही तमाग ह |

3- इॊिदव को जर का अधमट चिाना- इॊदयसना ऩय ऩानी ि कना ऩानी की फयफादी नहीॊ फनदलक इॊदरदि को जर का अधमय चढ़ाना ह

4- ऩानी की फवाई कयना- नदजस परकाय ककसान िसर उगान क सरए जभीन ऩय फीज डारकय फिाई कयता ह िस ही ऩानी िार फादरो की िसर ऩान क सरए इनददय सना ऩय ऩानी डार कय ऩानी की फिाई की जाती ह

परशन4-नठदमो का बायतीम साभाजजक औय साॊसकनतक ऩरयवश भ कमा भहतव ह

उततय- गॊगा बायतीम सभाज भ सफस ऩजम सदानीया नदी ह नदजसका बायतीम इनतहास भ धासभयक ऩौयाणणक औय साॊसकनतक भहति ह | िह बायतीमो क सरए किर एक नदी नहीॊ अवऩत

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भाॉ ह सिगय की सीढ़ी ह भोदानमनी ह उसभ ऩानी नहीॊ अवऩत अभत तलम जर फहता ह बायतीम सॊसकनत भ नहदमो क ककनाय भानि सभमताएॉ परी-परी ह| फड़-फड़ नगय तीथयसथान नहदमो क ककनाय ही नदसथत ह ऐस ऩरयिश भबायतिासी सफस ऩहर गॊगा भमा की जम ही फोरग नहदमाॉ हभाय जीिन का आधाय ह हभाया दश कवर परधान ह नहदमो क जर स ही बायत बसभ हयी-बयी ह नहदमो क बफना जीिन की कलऩना नहीॊ कय सकत मही कायण ह कक हभ बायतीम नहदमो की ऩजा कयत ह |

परशन4-आजादी क ऩचास वषो क फाद बी रखक कमो दखी ह उसक भन भ कौन स परशन उि यह ह

उततय- आजादी क ऩचास िरो फाद बी बायतीमो की सोच भ सकायातभक फदराि न दखकय रखक दखी ह उसक भन भ कई परशन उठ यह ह-

1 कमा हभ सचच अथो भ सितनदतर ह 2 कमा हभ अऩन दश की सॊसकनत औय सभमता को सभझ ऩाए ह 3 यारषर ननभायण भ हभ ऩीछ कमो ह हभ दश क सरए कमा कय यह ह

4 हभ सिाथय औय भरषटाचाय भ सरपत यहत ह तमाग भ विशिास कमो नहीॊ कयत

5 सयकाय दिाया चराई जा यही सधायिादी मोजनाएॉ गयीफो तक कमो नहीॊ ऩहॉचती ह

गदमाॊश ऩय आधारयत अथटगरहण-सॊफॊधधत परशनोततय

सचभच ऐस हदन होत जफ गरी-भहलरा गाॉि-शहय हय जगह रोग गयभी भ बन-बन कय तराहहभाभ कय यह होत जठ क दसतऩा फीतकय आराढ का ऩहरा ऩखिाड़ा फीत चका होता ऩय कषनतज ऩय कहीॊ फादरो की यख बी नहीॊ दीखती होती कएॉ सखन रगत नरो भ एक तो फहत कभ ऩानी आता औय आता बी तो आधी यात को िो बी खौरता हआ ऩानी हो | शहयो की तरना भ गाॉि भ औय बी हारत खयाफ थी| जहाॉ जताई होनी चाहहए थी िहाॉ खतो की सभटटी सखकय ऩतथय हो जाती कपय उसभ ऩऩड़ी ऩड़कय जभीन पटन रगती र ऐसी कक चरत-चरत आदभी धगय ऩड़ | ढोय-डॊगय पमास क भाय भयन रगत रककन फारयश का कहीॊ नाभ ननशान नहीॊ ऐस भ ऩजा-ऩाठ कथा-विधान सफ कयक रोग जफ हाय जात तफ अॊनतभ उऩाम क रऩ भ ननकरती मह इनददय सना |

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परशन१- वषाट न होन ऩय रोगो की कमा जसथनत हो गमी थी उततय - िराय न होन ऩय गयभी क कायण रोग र रगन स फहोश होन रग | गाॉि-शहय सबी जगह ऩानी का अबाि हो गमा| कएॉ सख गए खतो की सभटटी सखकय ऩतथय क सभान कठोय होकय पट गमी| घयो भ नरो भ ऩानी फहत कभ आता था | ऩश पमास क भाय भयन रग थ | परशन२- वषाट क दवता कौन ह उनको परसनन कयन क लरए कमा उऩाम ककए जात थ उततय -िराय क दिता बगिान इनददर ह| उनको परसनदन कयन क सरए ऩजाndashऩाठ कथा-विधान कयाए जात थ | ताकक इनददर दि परसनदन होकय फादरो की सना बजकय झभाझभ फारयश कयाएॉ औय रोगो क करषट दय हो | परशन३- वषाट कयान क अॊनतभ उऩाम क रऩ भ कमा ककमा जाता था उततय ndashजफ ऩजा-ऩाठ कथा-विधान सफ कयक रोग हाय जात थ तफ अॊनतभ उऩाम क रऩ भ इनददय सना आती थी | नॊग-धडॊग कीचड़ भ रथऩथ lsquoकार भघा ऩानी द ऩानी द गड़धानी दrsquo की टय रगाकय पमास स सखत गरो औय सखत खतो क सरए भघो को ऩकायती हई टोरी फनाकय ननकर ऩड़ती थी| परशन४-आशम सऩषट कय ndash जठ क दसतऩा फीतकय आराढ़ का ऩहरा ऩखिाड़ा फीत चका होता ऩय कषनतज भ कहीॊ फादरो की यख बी नजय नहीॊ आती | आशम- जठ का भहीना ह बीरण गयभी ह| तऩत हए दस हदन फीत कय आराढ का भहीना बी आधा फीत गमा ऩय ऩानी क सरए तड़ऩत िराय की आशा भ आसभान की ओय ताकत रोगो को कहीॊ फादर नजय नहीॊ आ यह |

14 ऩहरवान की ढोरक

फ़णीशवयनाथ यण

ऩाि का सायाॊश ndashआॊचसरक कथाकाय िणीशियनाथ यण की कहानी ऩहरिान की ढोरक भ कहानी क भखम ऩातर रटटन क भाता-वऩता का दहाॊत उसक फचऩन भ ही हो गमा था | अनाथ रटटन को उसकी विधिा सास न ऩार-ऩोसकय फड़ा ककमा | उसकी सास को गाॉि िार सतात थ |

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रोगो स फदरा रन क सरए कशती क दाॉिऩच सीखकय कसयत कयक रटटन ऩहरिान फन गमा |

एक फाय रटटन शमाभनगय भरा दखन गमा जहाॉ ढोर की आिाज औय कशती क दाॉिऩच दखकय उसन जोश भ आकय नाभी ऩहरिान चाॉदससॊह को चनौती द दी | ढोर की आिाज स परयणा ऩाकय रटटन न दाॉि रगाकय चाॉद ससॊह को ऩटककय हया हदमा औय याज ऩहरिान फन गमा | उसकी खमानत दय-दय तक िर गमी| १५ िरो तक ऩहरिान अजम फना यहा| उसक दो ऩतर थ| रटटन न दोनो फटो को बी ऩहरिानी क गय ससखाए| याजा की भतम क फाद नए याजकभाय न गददी सॊबारी याजकभाय को घोड़ो की यस का शौक था भनजय न नम याजा को बड़कामा ऩहरिान औय उसक दोनो फटो क बोजनखचय को बमानक औय किजरखचय फतामा िरसिरऩ नए याजा न कशती को फॊद कयिा हदमा औय ऩहरिान रटटनससॊह को उसक दोनो फटो क साथ भहर स ननकार हदमा

याजदयफाय स ननकार हदए जान क फाद रटटन ससॊह अऩन दोनो फटो क साथ गाॉि भ झोऩड़ी फनाकय यहन रगा औय गाॉि क रड़को को कशती ससखान रगा| रटटन का सकर जमादा हदन नहीॊ चरा औय जीविकोऩाजयन क सरए उसक दोनो फटो को भजदयी कयनी ऩड़ी| इसी दौयान गाॉि भ अकार औय भहाभायी क कायण परनतहदन राश उठन रगी| ऩहरिान भहाभायी स डय हए रोगो को ढोरक फजाकय फीभायी स रड़न की सॊजीिनी ताकत दता था| एक हदन ऩहरिान क दोनो फट बी भहाभायी की चऩट भ आकय भय गए ऩय उस यात बी ऩहरिान ढोरक फजाकय रोगो को हहमभत फॊधा यहा था | इस घटना क चाय-ऩाॉच हदन फाद ऩहरिान की बी भौत हो जाती ह|

ऩहरिान की ढोरक वमिसथा क फदरन क साथ रोक कराकाय क अपरासॊधगक हो जान की कहानी ह इस कहानी भ रटटन नाभ क ऩहरिान की हहमभत औय नदजजीविरा का िणयन ककमा गमा ह बख औय भहाभायी अजम रटटन की ऩहरिानी को िट ढोर भ फदर दत ह इस करण तरासदी भ ऩहरिान रटटन कई सिार छोड़ जाता ह कक करा का कोई सितॊतर अनदसतति ह मा करा किर वमिसथा की भोहताज ह

परशन1- रटटन को ऩहरवान फनन की परयणा कस लभरी

उततय- रटटन जफ नौ सार का था तो उसक भाता-वऩता का दहाॊत हो गमा था | सौबागम स उसकी शादी हो चकी थी| अनाथ रटटन को उसकी विधिा सास न ऩार-ऩोसकय फड़ा ककमा | उसकी सास को गाॉि िार ऩयशान कयत थ| रोगो स फदरा रन क सरए उसन ऩहरिान फनन की ठानी| धायोरषण दध ऩीकय कसयत कय उसन अऩना फदन गठीरा औय ताकतिय फना सरमा | कशती क दाॉिऩच सीखकय रटटन ऩहरिान फन गमा |

परशन2- यात क बमानक सननाट भ रटटन की ढोरक कमा करयशभा कयती थी

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उततय- यात क बमानक सनदनाट भरटटन की ढोरक भहाभायी स जझत रोगो को हहमभत फॉधाती थी | ढोरक की आिाज स यात की विबीवरका औय सनदनाटा कभ होता था| भहाभायी स ऩीडड़त रोगो की नसो भ बफजरी सी दौड़ जाती थी उनकी आॉखो क साभन दॊगर का दशम साकाय हो जाता था औय ि अऩनी ऩीड़ा बर खशी-खशी भौत को गर रगा रत थ इस परकाय ढोर की आिाज फीभाय-भतपराम गाॉििारो की नसो भ सॊजीिनी शनदकत को बय फीभायी स रड़न की परयणा दती थी

परशन3- रटटन न सवाटधधक ठहमभत कफ ठदखाई

उततय- रटटन ससॊह न सिायधधक हहमभत तफ हदखाई जफ दोनो फटो की भतम ऩय िह योमा नहीॊ फनदलक हहमभत स काभ रकय अकर उनका अॊनतभ सॊसकाय ककमा| मही नहीॊ नदजस हदन ऩहरिान क दोनो फट भहाभायी की चऩट भ आकय भय गए ऩय उस यात को बी ऩहरिान ढोरक फजाकय रोगो को हहमभत फॉधा यहा था| शमाभनगय क दॊगर भ ऩया जनसभदाम चाॉद ससॊह क ऩ भ था चाॉद ससॊह को हयात सभम रटटन न हहमभत हदखाई औय बफना हताश हए दॊगर भ चाॉद ससॊह को धचत कय हदमा |

परशन4- रटटन लसॊह याज ऩहरवान कस फना

उततय- शमाभनगय क याजा कशती क शौकीन थ उनदहोन दॊगर का आमोजन ककमा ऩहरिान रटटन ससॊह बी दॊगर दखन ऩहॉचा चाॊदससॊह नाभक ऩहरिान जो शय क फचच क नाभ स परससदध था कोई बी ऩहरिान उसस सबड़न की हहमभत नहीॊ कयता था चाॉदससॊह अखाड़ भ अकरा गयज यहा था रटटन ससॊह न चाॉदससॊह को चनौती द दी औय चाॉदससॊह स सबड़ गमाढ़ोर की आिाज सनकय रटटन की नस-नस भ जोश बय गमाउसन चाॉदससॊह को चायो खान धचत कय हदमा याजासाहफ न रटटन की िीयता स परबावित होकय उस याजऩहरिान फना हदमा

परशन5- ऩहरवान की अॊनतभ इचछा कमा थी

उततय- ऩहरिान की अॊनतभ इचछा थी कक उस धचता ऩय ऩट क फर सरटामा जाए कमोकक िह नदजॊदगी भ कबी धचत नहीॊ हआ था| उसकी दसयी इचछा थी कक उसकी धचता को आग दत सभम ढोर अिशम फजामा जाए |

परशन6- ढोर की आवाज औय रटटन क भ दाॉिऩच सॊफॊध फताइए-

उततय- ढोर की आिाज औय रटटन क दाॉिऩच भ सॊफॊध -

चट धा धगड़ धाrarr आजा सबड़ जा | चटाक चट धाrarr उठाकय ऩटक द | चट धगड़ धाrarrभत डयना |

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धाक धधना नतयकट नतनाrarr दाॉि काटो फाहय हो जाओ | धधना धधना धधक धधनाrarr धचत कयो

गदमाॊश-आधारयत अथटगरहण-सॊफॊधधत परशनोततय

अॉधयी यात चऩचाऩ आॉस फहा यही थी | ननसतबधता करण सससककमो औय आहो को अऩन रदम भ ही फर ऩियक दफान की चरषटा कय यही थी | आकाश भ ताय चभक यह थ | ऩथिी ऩय कहीॊ परकाश का नाभ नहीॊ| आकाश स टट कय महद कोई बािक ताया ऩथिी ऩय आना बी चाहता तो उसकी जमोनत औय शनदकत यासत भ ही शर हो जाती थी | अनदम ताय उसकी बािकता अथिा असपरता ऩय णखरणखराकय हॉस ऩड़त थ | ससमायो का करॊ दन औय ऩचक की डयािनी आिाज यात की ननसतबधता को बॊग कयती थी | गाॉि की झोऩडडमो स कयाहन औय क कयन की आिाज हय याभ ह बगिान की टय सनाई ऩड़ती थी| फचच बी ननफयर कॊ ठो स भाॉ ndashभाॉ ऩकायकय यो ऩड़त थ |

(क) अॉधयी यात को आॉस फहात हए कमो ठदखामा गमा ह उततयndash गाॉि भ हजा औय भररयमा परा हआ था | भहाभायी की चऩट भ आकाय रोग भय यह थ |चायो ओय भौत का सनाटा छामा था इससरए अॉधयी यात बी चऩचाऩ आॉस फहाती सी परतीत हो यही थी|

(ख) ताय क भाधमभ स रखक कमा कहना चाहता ह उततयndash ताय क भाधमभ स रखक कहना चाहता ह कक अकार औय भहाभायी स तरसत गाॉि िारो की ऩीड़ा को दय कयन िारा कोई नहीॊ था | परकनत बी गाॉि िारो क द ख स दखी थी| आकाश स टट कय महद कोई बािक ताया ऩथिी ऩय आना बी चाहता तो उसकी जमोनत औय शनदकत यासत भ ही शर हो जाती थी |

(ग) यात की ननसतबधता को कौन बॊग कयता था उततयndash ससमायो की चीख-ऩकाय ऩचक की डयािनी आिाज औय कततो का साभहहक रदन सभरकय यात क सनदनाट को बॊग कयत थ |

(घ) झोऩड़ड़मो स कसी आवाज आ यही ह औय कमो उततयndash झोऩडड़मो स योधगमो क कयाहन क कयन औय योन की आिाज आ यही ह कमोकक गाॉि क रोग भररयमा औय हज स ऩीडड़त थ | अकार क कायण अनदन की कभी हो गमी थी| औरधध औय ऩथम न सभरन क कायण रोगो की हारत इतनी फयी थी कक कोई बगिान को ऩकाय रगाता था तो कोई दफयर कॊ ठ स भाॉndashभाॉ ऩकायता था |

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15 चारी चजतरन मानी हभ सफ

रखक-पवषण खय

ऩाि का सायाॊश ndashचारक चनदपरन न हासम कराकाय क रऩ भ ऩयी दननमा क फहत फड़ दशयक िगय को हॉसामा ह | उनकी कपलभो न कपलभ करा को रोकताॊबतरक फनान क साथ-साथ दशको की िगय औय िणय-वमिसथा को बी तोड़ा | चारक न करा भ फवदध की अऩा बािना को भहतति हदमा ह | फचऩन क सॊघरो न चारक क बािी कपलभो की बसभ तमाय कय दी थी| बायतीम करा औय सौदमयशासतर भ करणा का हासम भ ऩरयितयन बायतीम ऩयमऩया भ नहीॊ सभरता रककन चारक एक ऐसा जादई वमनदकतति ह जो हय दश सॊसकनत औय सभमता को अऩना सा रगता ह| बायतीम जनता न बी उनदह सहज बाि स सिीकाय ककमा ह| सिमॊ ऩय हॉसना चारक न ही ससखामा| बायतीम ससनभा जगत क सपरससदध कराकाय याजकऩय को चारक का बायतीमकयण कहा गमा ह | चारक की अधधकाॊश किलभ भक ह इससरए उनदह अधधक भानिीम होना ऩड़ा | ऩाठ भ हासम कपलभो क भहान असबनता lsquoचारक चनदपरनrsquo की जादई विशरताओॊ का उलरख ककमा गमा ह नदजसभ उसन करणा औय हासम भ साभॊजसम सथावऩत कय किलभो को साियबौसभक रऩ परदान ककमा

परशन१ -चारी क जीवन ऩय परबाव िारन वारी भखम घटनाएॉ कौन सी थी

उततय- चारक क जीिन भ दो ऐसी घटनाएॉ घटीॊ नदजनदहोन उनक बािी जीिन ऩय फहत परबाि डारा |

ऩहरी घटना - जफ चारक फीभाय थ उनकी भाॉ उनदह ईसा भसीह की जीिनी ऩढ़कय सना यही थी | ईसा क सरी ऩय चढ़न क परसॊग तक आत-आत भाॉ-फटा दोनो ही योन रग| इस घटना न चारक को सनह करणा औय भानिता जस उचच जीिन भलम हदए |

दसयी घटना हndash फारक चारक कसाईखान क ऩास यहता था| िहाॉ सकड़ो जानियो को योज भाया जाता था| एक हदन एक बड़ िहाॉ स बाग ननकरी| बड़ को ऩकड़न की कोसशश भ कसाई कई फाय कपसरा| नदजस दखकय रोग हॊसन रग ठहाक रगान रग| जफ बड़ को कसाई न ऩकड़ सरमा तो फारक चारक योन रगा| इस घटना न उसक बािी कपलभो भ तरासदी औय हासमोतऩादक ततिो की बसभका तम कय दी |

परशन२ ndash आशम सऩषट कीजजएndash

चजतरन न लसपट कपलभकरा को ही रोकताॊबतरक नही फनामा फजलक दशटको की वगट तथा वणट-वमवसथा को बी तोड़ा|

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उततय- रोकताॊबतरक फनान का अथय ह कक कपलभ करा को सबी क सरए रोकवपरम फनाना औय िगय औय िणय-वमिसथा को तोड़न का आशम ह- सभाज भ परचसरत अभीय-गयीफ िणय जानतधभय क बदबाि को सभापत कयना |चनदपरन का चभतकाय मह ह कक उनदहोन कपलभकरा को बफना ककसी बदबाि क सबी रोगो तक ऩहॉचामा| उनकी कपलभो न सभम बगोर औय सॊसकनतमो की सीभाओॊ को राॉघ कय साियबौसभक रोकवपरमता हाससर की | चारक न मह ससदध कय हदमा कक करा सितनदतर होती ह अऩन ससदधाॊत सिमॊ फनाती ह |

परशन३ndash चारी चजतरन की कपलभो भ ननठहत तरासदीकरणाहासम का साभॊजसम बायतीम करा औय सौदमटशासतर की ऩरयधध भ कमो नहीॊ आता

उततय- चारक चनदपरन की कपलभो भ ननहहत तरासदीकरणाहासम का साभॊजसम बायतीम करा औय सौदमयशासतर की ऩरयधध भ नहीॊ आताकमोकक बायतीम यस-ससदधाॊत भ करणा औय हासम का भर नहीॊ हदखामा जाता कमोकक बायतीम सौदमयशासतर भ करणयस औय हासम यस को ऩयसऩय वियोधी भाना गमा ह अथायत जहाॊ करणा ह िहाॉ हासम नहीॊ हो सकता बायत भ सिमॊ ऩय हॉसन की ऩयॊऩया नहीॊ ह ऩयॊत चारक क ऩातर अऩन ऩय हॉसतndashहॉसात ह चारक की किलभो क दशम हॉसात-हॉसात ररा दत ह तो कबी करण दशम क फाद अचानक ही हॉसन ऩय भजफय कय दत ह

परशन४ndash चारी क कपलभो की पवशषताएॉ फताइए |

उततय- चारक की किलभो भ हासम औय करणा का अदभत साभॊजसम ह उनकी किलभो भ बारा का परमोग फहत कभ ह चारक की किलभो भ फवदध की अऩा बािना का भहतति अधधक ह उनकी किलभो भ साियबौसभकता ह चारक ककसी बी सॊसकनत को विदशी नही रगत चारक सफको अऩन रगत ह चारक न किलभो को रोकताॊबतरक फनामा औय किलभो भ िगय तथािणय-वमिसथा को तोड़ा अऩनी कपलभो भ चारक सदि धचय मिा हदखता ह

गदमाॊश-आधारयत अथटगरहण-सॊफॊधी परशनोततय

गदमाॊश सॊकत ndashचारक चनदपरन मानी हभ सफ (ऩरषठ १२० )

महद मह िरय चनदपरन की कापी कछ कहा जाएगा |

परशन (क)-पवकासशीर दशो भ चजतरन कमो भशहय हो यह ह

उततय - विकासशीर दशो भ जस-जस टरीविजन औय िीडडमो का परसाय हो यहा ह रोगो को उनकी कपलभो को दखन का अिसय सभर यहा ह |एक फहत फड़ा िगय नए ससय स चारक को घड़ी सधायत औय जत खान की कोसशश कयत दख यहा ह इसीसरए चारक विकासशीर दशो भ रोकवपरम हो यह ह |

(ख)- ऩजशचभ भ चारी का ऩनजीवन कस होता यहता ह

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उततय - ऩनदशचभ भ चारक की कपलभो का परदशयन होता यहता ह| उनकी करा स परयणा ऩाकय हासम किलभ फनती यहती ह | उनक दिाया ननबाए ककयदायो की नकर अनदम कराकाय कयत ह | ऩनदशचभ भ चारक का ऩनजीिन होता यहता ह|

(ग)- चारी को रोग फिाऩ तक कमो माद यखग

उततय ndashहासम कराकाय क रऩ भ रोग चारक को फढ़ाऩ तक माद यखग कमोकक उनकी करा सभम बगोर औय सॊसकनतमो की सीभाओॊ को राॉघकय राखो रोगो को हॉसा यही ह|

(घ)- चारी की कपलभो क फाय भ कापी कछ कहा जाना कमो फाी ह

उततय ndashचनदपरन की ऐसी कछ किलभ मा इसतभार न की गमी यीर सभरी ह नदजनक फाय भ कोई नहीॊ जानता था | चारक की बािनापरधान हासम कपलभो न करा क नए परनतभान सथावऩत ककए ह अत चारक की कपलभो क फाय भ अबी कापी कछ कहा जाना फाी ह|

16 नभक

रखखका - यजजमा सजजाद जहीय

सायाॊश -lsquoनभकrsquoबायत-ऩाक विबाजन ऩय सरणखत भासभयक कहानी ह | विसथावऩत हए रोगो भ अऩनndashअऩन जनदभ सथानो क परनत आज बी रगाि ह| धासभयक आधाय ऩय फनी यारषर-याजमो की सीभा-यखाएॉ उनक अॊतभयन को अरग नहीॊ कय ऩाई ह | बायत भ यहन िारी ससख फीिी राहौय को अऩना ितन भानती ह औय बायतीम कसटभ अधधकायी ढाका क नारयमर ऩानी को मादकय उस सियशररषठ फताता ह दोनो दशो क नागरयको क फीच भहबफत का नभकीन सिाद आज बी कामभ ह इसीसरए सकिमा बायत भ यहन िारी अऩनी भॉहफोरी भाॉ ससख फीिी क सरए राहौयी नभक रान क सरए कसटभ औय कानन की ऩयिाह नहीॊ कयती

परशन1- lsquoनभकrsquo ऩाि क आधाय ऩय फताइए कक सकपमा औय उसक बाई क पवचायो भ कमा अॊतय था

उततय- १-सकपमा बािनाओॊ को फहतभहतति दती ह ऩय उसका बाई फौवदधक परिनदतत का ह उसकी दनदरषट भ कानन बािनाओॊ स ऊऩय ह|

२-सकपमा भानिीम सॊफॊधो को फहत भहतति दती ह जफकक उसका बाई अरगाििादी विचायधाया का ह हहसस-फखय की फात कयता ह |

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३-सकपमा का बाई कहता ह कक अदीफो(साहहतमकाय) का हदभाग घभा हआ होता ह जफकक सकपमा जो सिमॊ अदीफ ह उसका भानना ह कक अगय सबी रोगो का हदभाग अदीफो की तयह घभा हआ होता तो दननमा कछ फहतय हो जाती |

परशन२- नभक र जात सभम सकफ़मा क भन भ कमा दपवधा थी

उततय-सकपमा समद भसरभान थी जो हय हार भ अऩना िामदा ननबात ह| ऩाककसतान स राहौयी नभक र जाकय िह अऩना िामदा ऩया कयना चाहती थी ऩयनदत जफ उस ऩता चरा कक कसटभ क ननमभो क अनसाय सीभाऩाय नभक र जाना िनदजयत ह तो िह दविधा भ ऩड़ गई | सकिमा का दिॊदि मह था कक िह अऩनी ससख भाॉ क सरए नभक कसटभ अधधकारयमो को फताकयर जाए मा नछऩाकय|

परशन३- ऩाि क आधाय ऩय सकपमा की चारयबतरक पवशषताएॉ फताइए |

उततय सॊकत ndash

१- बािक २- ईभानदाय ३- दढ़ननशचमी ४- ननडय ५- िामद को ननबान िारी ६- भानिीम भलमो को सिोऩरय भानन िारी साहहतमकाय

परशन ४- lsquoनभकrsquo ऩाि भ आए ककयदायो क भाधमभ स सऩषट कीजजए कक आज बी बायत औय ऩाककसतान की जनता क फीच भहबफत का नभकीन सवाद घरा हआ ह |

उततय ndash बर ही याजनीनतक औय धासभयक आधाय ऩय बायत औय ऩाककसतान को बौगोसरक रऩ स विबानदजत कय हदमा गमा ह रककन दोनो दशो क रोगो क रदम भ आज बी ऩायसऩरयक बाईचाया सौहादरय सनह औय सहानबनत विदमभान ह | याजनीनतक तौय ऩय बर ही सॊफॊध तनािऩणय हो ऩय साभानदजक तौय ऩय आज बी जनता क फीच भहबफत का नभकीन सिाद घरा हआ ह | अभतसय भ यहन िारी ससख फीफी राहौय को अऩना ितन कहती ह औय राहौयी नभक का सिाद नहीॊ बरा ऩाती | ऩाककसतान का कसटभ अधधकायी नभक की ऩडड़मा सकपमा को िाऩस दत हए कहता ह rdquoजाभा भनदसजद की सीहढ़मो को भया सराभ कहना |rdquo बायतीम सीभा ऩय तनात कसटभ अधधकायी ढाका की जभीन को औय िहाॉ क ऩानी क सिाद को नहीॊ बर ऩाता |

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गदमाॊश-आधारयत अथटगरहण सॊफॊधधत परशनोततय

गदमाॊश सॊकत- ऩाठndash नभक (ऩरषठ १३४)

सकपमा कसटभ क जॊगर स दोनो क हाथो भ थी |

(क) सकपमा कसटभ क जॉगर स ननकरकय दसय तरटपाभट ऩय आ गमी व वहीॊ खड़ यहndash इस वाकम भ lsquoवrsquo शबद का परमोग ककसक लरए ककमा गमा ह

उततय- महाॉ lsquoिrsquo शबद का परमोग ऩाककसतानी कसटभ अधधकायी क सरए ककमा गमा ह जो विबाजन स ऩिय हदलरी भ यहत थ औय आज बी हदलरी को ही अऩना ितन भानत ह |

(ख) तरटपाभट ऩय सकपमा को पवदा कयन कौन-कौन आए थ उनहोन सकपमा को कस पवदाई दी

उततय- परटपाभय ऩय सकपमा को विदा कयन उसक फहत साय सभतर सग सॊफॊधी औय बाई आए थ| उनदहोन ठॊडी साॉस बयत हए सबॊच हए होठो क साथ आॉस फहात हए सकपमा को विदाई दी |

(ग) अटायी भ यरगाड़ी भ कमा ऩरयवतटन हए उततय- अटायी भ यरगाड़ी स ऩाककसतानी ऩसरस उतयी औय हहनददसतानी ऩसरस सिाय हो गई|

(घ) कौन सी फात सकपमा की सभझ भ नहीॊ आ यही थी उततय- दोनो ओय एक सी जभीन एक जसा आसभान एक सी बारा एक सा ऩहनािा औय एक सी सयत क रोग कपय बी दोनो क हाथो भ बयी हई फॊदक ह |

17 लशयीष क पर

आचामट हजायी परसाद दपववदी

सायाॊश ndashlsquoआचामय हजायी परसाद दवििदीrsquo सशयीर को अदभत अिधत भानत ह कमोकक सॊनदमासी की बाॉनत िह सख-दख की धचॊता नहीॊ कयता गभी र िराय औय आॉधी भ बी अविचर खड़ा यहता ह सशयीर क िर क भाधमभ स भनरषम की अजम नदजजीविरा धमयशीरता औय कतयवमननरषठ फन यहन क भानिीम भलमो को सथावऩत ककमा गमा हरखक न सशयीर क कोभर परो औय कठोय परो क दिाया सऩरषट ककमा ह कक रदम की कोभरता फचान क सरए कबी-कबी वमिहाय की कठोयता बी आिशमक हो जाती ह| भहान कवि कासरदास औय कफीय बी सशयीर की तयह फऩयिाह अनासकत औय सयस थ तबी उनदहोन इतनी सनददय यचनाएॉ सॊसाय को दीॊ| गाॉधीजी क वमनदकतति भ बी कोभरता औय कठोयता का अदभत सॊगभ था | रखक सोचता ह कक हभाय दश भ जो भाय-काट अनदगनदाह रट-ऩाट खन-खचचय का फिॊडय ह कमा िह दश को नदसथय नहीॊ यहन दगा गराभी अशाॊनत औय वियोधी िाताियण क फीच अऩन ससदधाॊतो की या कयत हए गाॉधीजी जी नदसथय यह सक थ तो दश बी यह सकता ह जीन की परफर असबरारा क कायण

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विरभ ऩरयनदसथतमो भ बी महद सशयीर णखर सकता ह तो हभाया दश बी विरभ ऩरयनदसथनतमो भ नदसथय यह कय विकास कय सकता ह

परशन1-लसदध कीजजए कक लशयीष कारजमी अवधत की बाॉनत जीवन की अजमता क भॊतर का परचाय कयता ह

उततय- सशयीर कारजमी अिधत की बाॉनत जीिन की अजमता क भॊतर का परचाय कयता ह| जफ ऩथिी अनदगन क सभान तऩ यही होती ह िह तफ बी कोभर परो स रदा रहरहाता यहता ह|फाहयी गयभी धऩ िराय आॉधी र उस परबावित नहीॊ कयती इतना ही नहीॊ िह रॊफ सभम तक णखरा यहता ह | सशयीर विऩयीत ऩरयनदसथनतमो भ बी धमयशीर यहन तथा अऩनी अजम नदजजीविरा क साथ ननसऩह बाि स परचॊड गयभी भ बी अविचर खड़ा यहता ह

परशन२-आयगवध (अभरतास) की तरना लशयीष स कमो नहीॊ की जा सकती

उततय- सशयीर क पर बमॊकय गयभी भ णखरत ह औय आराढ़ तक णखरत यहत ह जफकक अभरतास का पर किर ऩनददरह-फीस हदनो क सरए णखरता ह | उसक फाद अभरतास क पर झड़ जात ह औय ऩड़ कपय स ठॉठ का ठॉठ हो जाता ह | अभरतास अलऩजीिी ह | विऩयीत ऩरयनदसथनतमो को झरता हआ ऊरषण िाताियण को हॉसकय झरता हआ सशयीर दीघयजीिी यहता ह | मही कायण ह कक सशयीर की तरना अभरतास स नहीॊ की जा सकती |

परशन३-लशयीष क परो को याजनताओॊ का रऩक कमो ठदमा गमा ह

उततय- सशयीर क पर उन फढ़ ढीठ औय ऩयान याजनताओॊ क परतीक ह जो अऩनी कसी नहीॊ छोड़ना चाहत | अऩनी अधधकाय-सरपसा क सरए नए मिा नताओॊ को आग नहीॊ आन दत | सशयीर क नए परो को जफयदसती ऩयान परो को धककमाना ऩड़ता ह | याजनीनत भ बी नई मिा ऩीढ़ी ऩयानी ऩीढ़ी को हयाकय सिमॊ सतता सॉबार रती ह |

परशन४- कार दवता की भाय स फचन का कमा उऩाम फतामा गमा ह

उततय- कार दिता कक भाय स फचन का अथय हndash भतम स फचना | इसका एकभातर उऩाम मह ह कक भनरषम नदसथय न हो| गनतशीर ऩरयितयनशीर यह | रखक क अनसाय नदजनकी चतना सदा ऊधियभखी (आधमातभ की ओय) यहती ह ि हटक जात ह |

परशन५- गाॉधीजी औय लशयीष की सभानता परकट कीजजए |

उततय- नदजस परकाय सशयीर धचरधचराती धऩ र िराय औय आॉधी भ बी अविचर खड़ा यहता ह अनासकत यहकय अऩन िाताियण स यस खीॊचकय सयस कोभर फना यहता ह उसी परकाय गाॉधी जी न बी अऩनी आॉखो क साभन आजादी क सॊगराभ भ अनदमाम बदबाि औय हहॊसा को झरा |

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उनक कोभर भन भ एक ओय ननयीह जनता क परनत असीभ करणा जागी िहीॊ ि अनदमामी शासन क वियोध भ डटकय खड़ हो गए |

गदमाॊश-आधारयत अथटगरहण सॊफॊधधत परशनोततय

गदमाॊश सॊकत- ऩाठ ndash सशयीर क पर (ऩरषठ १४७)

कासरदास सौदमय क िह इशाया ह |

(क) कालरदास की सौदमटndashदजषट की कमा पवशषता थी उततय-कासरदास की सौदमयndashदनदरषट फहत सकषभ अॊतबदी औय सॊऩणय थी| ि किर फाहयी रऩ-यॊग औय आकाय को ही नहीॊ दखत थ फनदलक अॊतभयन की सॊदयता क बी ऩायखी थ| कासरदास की सौदमय शायीरयक औय भानससक दोनो विशरताओॊ स मकत था |

(ख) अनासजकत का कमा आशम ह उततय- अनासनदकत का आशम ह- वमनदकतगत सख-द ख औय याग-दिर स ऩय यहकय सौदमय क िासतविक भभय को जानना |

(ग) कालरदास ऩॊत औय यवीॊिनाथ टगोय भ कौन सा गण सभान था भहाकवि कासरदास ससभतरानॊदन ऩॊत औय गरदि यिीॊदरनाथ टगोय तीनो नदसथयपरऻ औय अनासकत कवि थ | ि सशयीर क सभान सयस औय भसत अिधत थ |

(घ) यवीॊिनाथ याजोदमान क लसॊहदवाय क फाय भ कमा सॊदश दत ह याजोदमान क फाय भ यिीॊदरनाथ कहत ह याजोदमान का ससॊहदिाय ककतना ही सॊदय औय गगनचमफी कमो ना हो िह अॊनतभ ऩड़ाि नहीॊ ह| उसका सौदमय ककसी औय उचचतभ सौदमय की ओय ककमा गमा सॊकत भातर ह कक असरी सौदमय इस ऩाय कयन क फाद ह अत याजोदमान का ससॊहदिाय हभ आग फढ़न की परयणा दता ह |

18शरभ-पवबाजन औय जानत-परथा

िॉ० बीभयाव अॊफिकय

सायाॊश ndash इस ऩाठ भ रखक न जानतिाद क आधाय ऩय ककए जान िार बदबाि को सभम सभाज क सरए हाननकायक फतामा ह | जानत आधारयत शरभ विबाजन को असिाबाविक औय भानिता वियोधी फतामा गमा ह मह साभानदजक बदबाि को फढ़ाता ह जानतपरथा आधारयत शरभ विबाजन भ वमनदकत की रधच को भहतति नहीॊ हदमा जाता परसिरऩ वििशता क साथ अऩनाए

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Page 16: ISSUED BY KENDRIYA VIDYALAYA - DOWNLOADED FROM … Class XII Hindi Part B.pdfप्रश्न४ :-फादर क / फयन का गयीफ एि धनी िगय क्मा

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सौदमट-फोध-सॊफॊधी परशन

ldquoनहरा क छरक-छरक ननभयर जर स

उरझ हए गसओॊ भ कॊ घी कयक

ककस पमाय स दखता ह फचचा भॉह को

जफ घटननमो भ रक ह वऩनदहाती कऩड़rdquo

परशन१- परसतत ऩॊनदकतमो क बाि सौदमय को सऩरषट कीनदजए |

उततय - भाॉ न अऩन फचच को ननभयर जर स नहरामा उसक उरझ फारो भ कॊ घी की |भाॉ क सऩशय एिॊ नहान क आनॊद स फचचा परसनदन हो कय फड़ परभ स भाॉ को ननहायता ह| परनतहदन की एक सिाबाविक ककरमा स कस भाॉ-फचच का परभ विकससत होता ह औय परगाढ़ होता चरा जाता ह इस बाि को इस रफाई भ फड़ी सकषभता क साथ परसतत ककमा गमा ह|

परशन२- कावमाॊश भ आए बफॊफो को सऩरषट कीनदजए |

उततय -१ldquoनहरा क छरक-छरक ननभटर जर सrdquo- इस परमोग दिाया कवि न फारक की ननभयरता एिॊ ऩवितरता को जर की ननभयरता क भाधमभ स अॊककत ककमा ह | छरकना शबद जर की ताजा फॊदो का फारक क शयीय ऩय छरछरान का सॊदय दशम बफॊफ परसतत कयता ह |

२ lsquoघटननमो भ रक ह पऩनहाती कऩड़rsquo- इस परमोग भ भाॉ की फचच क परनत सािधानी चॊचर फचच को चोट ऩहॉचाए बफना उस कऩड़ ऩहनान स भाॉ क भातति की कशरता बफॊबफतहोती ह |

३ ldquoककस तमाय स दखता ह फचचा भॉह कोrdquo- ऩॊनदकत भ भाॉ ndashफचच का िातसलम बफॊबफत हआ ह | भाॉ स पमाय ndashदराय सऩशय ndashसख नहराए जान क आनॊद को अनबि कयत हए फचचा भाॉ को पमाय बयी नजयो स दख कय उस सख की असबवमनदकत कय यहा ह |मह सकषभ बाि अतमॊत भनोयभ फन ऩड़ा ह |सॊऩणय रफाई भ दशम बफॊफ ह|

परशन ३-कावमाॊश क शबद-परमोग ऩय हटपऩणी सरणखए |

उततय -गस ndashउदय शबदो का परमोग

घटननमो वऩनदहाती ndash दशज शबदो क भाधमभ स कोभरता की असबवमनदकत

छरक ndashछरक ndashशबद की ऩनयािनदतत स अबी ndashअबी नहराए गए फचच क गीर शयीय का बफॊफ

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आहद विरण परमोग रफाइमो को विसशरषट फना दत ह | हहॊदीउदय औय रोकबारा क अनठ गठफॊधन की झरक नदजस गाॊधीजी हहॊदसतानी क रऩ भ ऩलरवित कयना चाहत थदखन को सभरती ह |

पवषम-वसत ऩय आधारयत परशनोततय

रफाइमाॉ

परशन १ -कावम भ परमकत बफॊफो का िणयन अऩन शबदो भ कीनदजए

उततय -

दशम बफॊफ -फचच को गोद भ रना हिा भ उछारना सनान कयाना घटनो भ रकय कऩड़ ऩहनाना|

शरवमबफॊफ - फचच का णखरणखरा कय हॉस ऩड़ना सऩशय बफॊफ -फचच को सनान कयात हए सऩशय कयना |

परशन २-ldquoआॉगन भ ठनक यहा ह नदज़दमामा ह फारक तो हई चाॉद ऩ ररचामा हrsquo- भ फारक की कौन सी विशरता असबवमकत हई ह

उततय - इन ऩॊनदकतमो भ फारक की हि कयन की पवशषता असबवमकत हई ह फचच जफ नदजद ऩय आ जात ह तो अऩनी इचछा ऩयी कयिान क सरए नाना परकाय की हयकत ककमा कयत ह| नदज़दमामा शबद रोक बाषा का पवरण परमोग ह इसभ फचच का िनकना तनकना ऩाॉव ऩटकना योना आठद सबी ककरमाएॉ शासभर ह |

परशन ३ रचछ ककस कहा गमा ह इनका सॊफॊध ककस तमौहाय स ह

उततय - याखी क चभकीर तायो को रचछ कहा गमा ह याफॊधन क कचच धागो ऩय बफजरी क रचछ ह सािन भ याफॊधन आता ह सािन का जो सॊफॊध झीनी घटा स ह घटा का जो सॊफॊध बफजरी स ह िही सॊफॊध बाई का फहन स होता ह|सािन भ बफजरी की चभक की तयह याखी क चभकीर धागो की सॊदयता दखत ही फनती ह|

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अथट-गरहण-सॊफॊधी परशन

गज़र

कफ़याक गोयखऩयी

ldquoनौयस गॊच ऩॊखडड़मो की नाज़क धगयह खोर ह

मा उड़ जान को यॊगो- फ गरशन भ ऩय तौर ह |rdquo

परशन१- lsquoनौयसrsquo विशरण दिाया कवि ककस अथय की वमॊजना कयना चाहता ह

उततय नौयस अथायत नमा यस गॊच अथायत कसरमो भ नमा ndashनमा यस बय आमा ह |

परशन२- ऩॊखडड़मो की नाज़क धगयह खोरन का कमा असबपराम ह

उततय - यस क बय जान स कसरमाॉ विकससत हो यही ह |धीय-धीय उनकी ऩॊखडड़माॉ अऩनी फॊद गाॉठ खोर यही ह | कवि क शबदो भ नियस ही उनकी फॊद गाॉठ खोर यहा ह|

परशन३- lsquoयॊगो- फ गरशन भ ऩय तौर हrsquo ndash का अथय सऩरषट कीनदजए|

उततय -यॊग औय सगॊध दो ऩी ह जो कसरमो भ फॊद ह तथा उड़ जान क सरए अऩन ऩॊख पड़पड़ा यह ह |मह नदसथनत कसरमो क पर फन जान स ऩिय की ह जो पर फन जान की परतीा भ ह |rsquoऩय तौरनाrsquo एक भहािया ह जो उड़ान की भता आॉकन क सरए परमोग ककमा जाता ह |

परशन४- इस शय का बाि-सौदमय वमकत कीनदजए|

उततय -कसरमो की नई-नई ऩॊखडड़माॉ णखरन रगी ह उनभ स यस भानो टऩकना ही चाहता ह | िमसॊधध(ककशोयी)नानमका क परसपहटत होत सौदमय का परतीकातभक धचतरण अतमॊत सॊदय फन ऩड़ा ह |

सौदमट-फोध-सॊफॊधी परशन

हभ हो मा ककसभत हो हभायी दोनो को इक ही काभ सभरा ककसभत हभ को यो रि ह हभ ककसभत को यो र ह| जो भझको फदनाभ कय ह काश ि इतना सोच सक

भया ऩदाय खोर ह मा अऩना ऩदाय खोर ह | परशन१- इन शयो की बारा सॊफॊधी विशरताएॉ सऩरषट कीनदजए |

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उततय- १ भहाियो का परमोग ndashककसभत का योना ndashननयाशा का परतीक

२सयर असबवमनदकत बारा भ परिाहभमता ह ककसभत औय ऩयदा शबदो की ऩनयािनदततमाॉ

भोहक ह|

३ हहॊदी का घयर रऩ

परशन२- lsquoभया ऩयदा खोर ह मा अऩना ऩयदा खोर ह lsquo- की बावरक विशरता सरणखए |

उततय -भहािय क परमोग दिाया वमॊजनातभक असबवमनदकत | ऩयदा खोरना ndash बद खोरना सचचाई फमान कयना|

परशन३-lsquoहभ हो मा ककसभत हो हभायी lsquo ndashपरमोग की विशरता फताइए |

उततय - हभ औय ककसभत दोनो शबद एक ही वमनदकत अथायत कियाक क सरए परमकत ह | हभ औय ककसभत भ अबद ह मही विशरता ह |

कफ़याक गोयखऩयी

पवषम-वसत ऩय आधारयत परशनोततय

परशन१- ताय आॉख झऩकाि ह ndashका तातऩमय सऩरषट कीनदजए |

उततय- याबतर का सनदनाटा बी कछ कह यहा हइससरए ताय ऩरक झऩका यह ह विमोग की नदसथनत भ परकनत बी सॊिाद कयती परतीत होती ह |

परशन२- lsquoहभ हो मा ककसभत हो हभायीrsquo भ ककस बाि की असबवमनदकत हई ह

उततय- जीिन की विडॊफना ककसभत को योना-भहािय क परमोग स सटीक असबवमनदकत परापत कयती ह कवि जीिन स सॊतरषट नहीॊ ह | बागम स सशकामत का बाि इन ऩॊनदकतमो भ झरकता ह |

परशन३- परभ क ककस ननमभ की असबवमनदकत कवि न की ह

उततय -ईशिय की परानदपत सियसि रटा दन ऩय होती ह परभ क सॊसाय का बी मही ननमभ ह|कवि क शबदो भ rdquo कितयत का कामभ ह तिाज़न आरभ- हसनो ndashइशक भ बी

उसको उतना ही ऩात ह खद को नदजतना खो र ह |rdquo

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१ बाि ndashसामम- कफीय -lsquoसीस उताय बई धय तफ सभसरह कयतायlsquo-अथायत -सिमॊ को खो कय ही परभ परानदपत की जा सकती ह

२ बाि सामम- कफीय ndashनदजन ढॉढा नतन ऩाइमाॉ गहय ऩानी ऩहठ|

भ फऩया फडन डया यहा ककनाय फहठ |

परशन४- शयाफ की भहकपर भ शयाफी को दय यात कमा फात माद आती ह

उततय - शयाफ की भहकपर भ शयाफी को दय यात माद आती ह कक आसभान भ भनरषम क ऩाऩो का रखा-जोखा होता ह जस आधी यात क सभम परयशत रोगो क ऩाऩो क अधमाम खोरत ह िस ही यात क सभम शयाफ ऩीत हए शामय को भहफफा की माद हो आती ह भानो भहफफा परयशतो की तयह ऩाऩ सथर क आस ऩास ही ह

परशन५- सदक कियाकndashndashndashइन ऩॊनदकतमो का अथय सऩरषट कीनदजए |

उततय -सदक कियाकndashndashndashइन ऩॊनदकतमो भ कियाक कहत ह कक उनकी शामयी भ भीय की शामयी की उतकरषटता धिननत हो यही ह

परशन६- ऩॊखडड़मो की नाज़क धगयह खोरना कमा ह

उततय -ऩॉखडड़मो की नाजक धगयह खोरना उनका धीय -धीय विकससत होना ह

िमसॊधध(ककशोयी)नानमका क परसपहटत होत सौदमय की ओय सॊकत ह |

परशन७-lsquoमो उड़ जान को यॊगो फ गरशन भ ऩय तौर हrsquo बाि सऩरषट कीनदजए

उततय -कसरमो की सिास उड़न क सरए भानो ऩय तौर यही होअथायत खशफ का झोका यहndashयह कय उठता ह

परशन८- कवि दिाया िणणयत याबतर क दशम का िणयन अऩन शबदो भ कीनदजए

उततय - याबतर का सनदनाटा बी कछ कह यहा हइससरए ताय ऩरक झऩका यह हरगता ह कक परकनत का कण-कण कछ कह यहा ह |

परशन९- कवि अऩन िमनदकतक अनबि ककन ऩॉनदकतमो भ वमकत कय यहा ह

जीिन की विडॊफना-lsquoककसभत को योनाlsquo भहािय क परमोग स सटीक असबवमनदकत परापत कयती ह

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ldquoहभ हो मा ककसभत हो हभायी दोनो को इक ही काभ सभरा

ककसभत हभ को यो रि ह हभ ककसभत को यो र ह|rdquo

परशन१०- शामय न दननमा क ककस दसतय का िणयन ककमा ह

उततय -शामय न दननमा क इस दसतय का िणयन ककमा ह कक रोग दसयो को फदनाभ कयत ह ऩयॊत ि नहीॊ जानत कक इस तयह ि अऩनी दरषट परकनत को ही उदघाहटत कयत ह

परशन११- परभ की कितयत कवि न ककन शबदो भ असबवमकत की ह

सिमॊ को खो कय ही परभ की परानदपत की जा सकती ह ईशिय की परानदपत सियसि रटा दन ऩय होती ह परभ क सॊसाय का बी मही ननमभ ह

परशन१२- कियाक गोयखऩयी ककस बारा क कवि ह

उततय - उदय बारा

10 छोटा भया खत

उभाशॊकय जोशी

(गजयाती कपव)

उभाशॊकय जोशी फीसिीॊ सदी क गजयाती क भधयनदम कवि सॊसकत िाङभम क विदिान हउनदहोन गजयाती कविता को परकनत स जोड़ाआभ आदभी क जीिन की झरक उनकी यचनाओॊ भ सभरती ह

छोटा भया खत

साय

खती क रऩक दिाया कावम यचनाndash परककरमा को सऩषट ककमा गमा हकावम कनत की यचना फीजndash वऩन स रकय ऩौध क ऩजषऩत होन क पवलबनन चयणो स गजयती हअॊतय किर इतना ह कक कपव कभट की पसर कारजमी शाशित होती हउसका यस-यण अम होता हकागज का ऩनदना नदजस ऩय यचना शबदफदध होती ह कवि को एक चौकोय खत की तयह रगता ह इस खत

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भ ककसी अॉधड़ (आशम बािनातभक आॉधी स होगा) क परबाि स ककसी ण एक फीज फोमा जाता ह मह फीज-यचना विचाय औय असबवमनदकत का हो सकता ह मह भर रऩ कलऩना का सहाया रकय विकससत होता ह औय परककरमा भ सिमॊ विगसरत हो जाता ह उसस शबदो क अॊकय ननकरत ह औय अॊतत कनत एक ऩणय सिरऩ गरहण कयती ह जो कवर-कभय क सरहाज स ऩलरवित -ऩनदरषऩत होन की नदसथनत ह साहहनदतमक कनत स जो अरौककक यस-धाया पटती ह िह ण भ होन िारी योऩाई का ही ऩरयणाभ ह ऩय मह यस-धाया अनॊत कार तक चरन िारी कटाई ह |

फगरो क ऩॊख

साय

फगरो क ऩॊख कविता एक चार बफॊफ की कविता ह सौदमय का अऩकषत परबाि उतऩनदन कयन क सरए कविमो न कई मनदकतमाॉ अऩनाई ह नदजसभ स सफस परचसरत मनदकत ह-सौदमय क वमौयो क धचतरातभक िणयन क साथ अऩन भन ऩय ऩड़न िार उसक परबाि का िणयन औय आतभगत क सॊमोग की मह मनदकत ऩाठक को उस भर सौदमय क कापी ननकट र जाती ह जोशी जी की इस कविता भ ऐसा ही ह कवि कार फादरो स बय आकाश भ ऩॊनदकत फनाकय उड़त सपद फगरो को दखता ह ि कजयाय फादरो भ अटका-सा यह जाता ह िह इस भामा स अऩन को फचान की गहाय रगाता ह कमा मह सौदमय स फाॉधन औय विॊधन की चयभ नदसथनत को वमकत कयन का एक तयीका ह

परकनत का सितॊतर (आरॊफन गत ) धचतरण आधननक कविता की विशरता हधचतरातभक िणयन दिाया कवि न एक ओय कार फादरो ऩय उड़ती फगरो की शित ऩॊनदकत का धचतर अॊककत ककमा ह तो दसयी ओय इस अपरनतभ दशम क रदम ऩय ऩड़न िार परबाि को धचबतरत ककमा हभॊतर भगध कवि इस दशम क परबाि स आतभ विसभनत की नदसथनत तक ऩहॉच जाता हविरम एिॊ विरमीगत सौनददमय क दोनो रऩ कविता भ उदघाहटत हए ह

अथट-गरहण-सॊफॊधी परशन

ldquoछोटा भया खत चौकोना

कागज़ का एक ऩनदना कोई अॊधड़ कहीॊ स आमा

ण का फीज िहाॉ फोमा गमा|

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कलऩना क यसामनो को ऩी

फीज गर गमा ननशर शबद क अॊकय पट

ऩलरि ndashऩरषऩो स नसभत हआ विशर |rdquo

परशन १lsquoछोटा भया खतrsquo ककसका परतीक ह औय कमो

उततय - परशन२ lsquoछोटा भया खतrsquo काग़ज क उस ऩनदन का परतीक ह नदजस ऩय कवि अऩनी कविता सरखता ह

परशन २ कवि खत भ कौनndashसा फीज फोता ह

उततय - कवि खत भ अऩनी कलऩना का फीज फोता ह

परशन ३ कवि की कलऩना स कौन स ऩलरि अॊकरयत होत ह

उततय - कवि की कलऩना स शबद क ऩलरि अॊकरयत होत ह

परशन ४ उऩमयकत ऩद का बाि-सौदमय सऩरषट कीनदजए |

उततय - खती क रऩक दिाया कावम-यचनाndashपरककरमा को सऩषट ककमा गमा हकावम कनत की यचना फीजndash वऩन स रकय ऩौध क ऩजषऩत होन क पवलबनन चयणो स गजयती हअॊतय किर इतना ह कक कपव कभट की पसर कारजमी शाशित होती हउसका यस-यण अम होता ह

सौदमट-फोध-सॊफॊधी परशन

ldquoझभन रग पर

यस अरौककक

अभत धायाएॉ पटतीॊ

योऩाई ण की

कटाई अनॊतता की

रटत यहन स जया बी कभ नहीॊ होती |

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यस का अम ऩातर सदा का

छोटा भया खत चौकोना |rdquo

परशन इस कविता की बारा सॊफॊधी विशरताओॊ ऩय परकाश डासरए ndash

उततय - १ परतीकातभकता

२ राणणकता -

२रऩक अरॊकायndash यस का अम ऩातर सदा का

छोटा भया खत चौकोना

परशन २ यस अरौककक अभत धायाएॉ योऩाई ndash कटाई-परतीको क अथय सऩरषट कीनदजए |

उततय - यस अरौककक ndash कावम यस ननरषऩनदतत

अभत धायाएॉ- कावमानॊद

योऩाई ndash अनबनत को शबदफदध कयना

कटाई ndashयसासिादन

पवषम-वसत ऩय आधारयत परशनोततय

कपवता ndash

छोटा भया खत

परशन १ उभाशॊकय जोशी न ककस बारा भ कविताएॉ सरखी ह

उततय - गजयाती बारा

परशन२ कवरndashकभय एिॊ कविndashकभय भ कमा कमा सभानताएॉ ह

उततय - कवरndashकभय एिॊ कविndashकभय भ ननमनसरणखत सभानताएॉ ह-

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कावम कनत की यचना फीजndash वऩन स रकय ऩौध क ऩजषऩत होन क पवलबनन चयणो स गजयती ह

कपषndashकभट एवॊ कपवndashकभट भ सभानताएॉ -

कागज का ऩनदना नदजस ऩय यचना शबदफदध होती ह कवि को एक चौकोय खतरगता ह इस खत भ ककसी अॉधड़ (आशम बािनातभक आॉधी स होगा) क परबाि स ककसी ण

एक फीज फोमा जाता ह मह फीज-यचना विचाय औय असबवमनदकत का हो सकता ह मह भर रऩ कलऩना का सहाया रकय विकससत होता ह औय परककरमा भ सिमॊ विगसरत

हो जाता ह इसीपरकाय फीज बी खाद ऩानी समय की योशनी हिा आहद रकय विकससत होता ह |

कावम ndashयचना स शबदो क अॊकय ननकरत ह औय अॊतत कनत एक ऩणय सिरऩ गरहण कयती ह जो कवर-कभय क सरहाज स ऩलरवित ndashऩनदरषऩत औय पसरत होन की नदसथनत ह अथट-गरहण-सॊफॊधी परशन

कपवताndash फगरो क ऩॊख

नब भ ऩाॉती- फॉध फगरो क ऩॊख

चयाए सरए जातीॊ ि भयी आॉख |

कजयाय फादरो की छाई नब छामा

हौरndashहौर जाती भझ फाॉध ननज भामा स |

उस कोई तननक योक यकखो |

िह तो चयाए सरए जाती भयी आॉख

नब भ ऩाॉती- फॉधी फगरो की ऩाॉख |

तयती साॉझ की सतज शित कामा|

परशन१- इस कविता भ कवि न ककसका धचतरण ककमा ह

उततय - कवि न कार फादरो ऩय उड़ती फगरो की शित ऩॊनदकत का धचतरण ककमा ह|

परशन२- आॉख चयान का कमा अथय ह

उततय - आॉख चयान का आशम ह ndashधमान ऩयी तयह खीॊच रना एकटक दखना भॊतरभगध कय दना

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परशन३-

ldquoकजयाय फादरो की छाई नब छामा

हौर ndashहौर जाती भझ फाॉध ननज भामा स |rdquo- आशम सऩरषट कीनदजए |

उततय- कार फादरो क फीच साॉझ का सयभई िाताियण फहत सॊदय हदखता ह | ऐसा अपरनतभ सौदमय अऩन आकरयण भ कवि को फाॉध रता ह |

परशन ४ ldquoउस कोई तननक योक यकखो |rsquo- स कवि का कमा असबपराम ह

उततय - फगरो की ऩॊनदकत आकाश भ दय तक उड़ती जा यही ह कवि की भॊतरभगध आॉख उनका ऩीछा कय यही ह | कवि उन फगरो को योक कय यखन की गहाय रगा यहा ह कक कहीॊ ि उसकी आॉख ही अऩन साथ न र जाएॉ |

सौदमट-फोध-सॊफॊधी परशन

परशन १ कविता की बारा सॊफॊधी दो विशरताएॉ सरणखए|

उततय -१ धचतरातभक बारा

२ फोरचार क शबदो का परमोग - हौर ndashहौर ऩाॉती कजयायसाॉझ

परशन २ कविता भ परमकत अरॊकाय चन कय सरणखए |

उततय - अनपरास अरॊकाय - फॉध फगरो क ऩॊख

भानिीकयण अरॊकाय - चयाए सरए जातीॊ ि भयी आॉख |

परशन ३ -lsquo ननज भामाrsquo क राणणक अथय को सऩरषट कीनदजए |

उततय - परकनत का अपरनतभ सौदमय िह भामा ह जो कवि को आतभविबोय कय दती हमह ऩॊनदकत बी परशॊसातभक उनदकत ह

पवषम-वसत ऩय आधारयत परशनोततय

परशन१- lsquoचयाए सरए जाती ि भयी ऑ ॊखrsquo स कवि का कमा तातऩमय ह

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उततय -धचतरातभक िणयन दिाया कवि न एक ओय कार फादरो ऩय उड़ती फगरो की शित ऩॊनदकत का धचतर अॊककत ककमा ह तथा इस अपरनतभ दशम क रदम ऩय ऩड़न िार परबाि को धचबतरत ककमा ह कवि क अनसाय मह दशम उनकी आॉख चयाए सरए जा यहा ह |भॊतर भगध कवि इस दशम क परबाि स आतभ विसभनत की नदसथनत तक ऩहॉच जाता ह

परशन२-कवि ककस भामा स फचन की फात कहता ह

उततय - भामा विशि को अऩन आकरयण भ फाॉध रन क सरए परससदध ह | कफीय न बी lsquoभामा भहा ठधगनी हभ जानीrsquo कहकय भामा की शनदकत को परनतऩाहदत ककमा ह | कार फादरो भ फगरो की सॊदयता अऩना भामा जार परा कय कवि को अऩन िश भ कय यही ह |

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आयोह बाग-२ गदम-बाग

परशन-सॊखमा १०- गदम खॊड भ हदए गए ऩहठत गदमाॊश स अथयगरहण सॊफॊधी चाय परशन ऩछ जाएॉग नदजनक सरए ननधायरयत अॊक (२४=८) ह |

परशन-सॊखमा ११- ऩाठो की विरमिसत स सॊफॊधधत ऩाॉच भ स चाय परशनो क उततय दन ह नदजनक सरए ननधायरयत अॊक (३४=१२) ह|

ऩयीा भ अचछ अॊक परातत कयन क लरए धमान दन मोगम फात ndash

1 रख एिॊ ितयनी की शदधता तथा िाकम-गठन ऩय धमान द | 2 हय ऩाठ का सायऩरषठबसभविरमिसत तथाकथानक को सभझना आिशमक ह |

अतविदमाथी हय ऩाठ का सायाॊश बरीबाॉनत माद कय र | 3 परशनो को धमान स ऩढ़ तदनसाय अऩकषत उततय सरख | 4 उततय सरखत सभम सॊफॊधधत भखम बफॊदओॊ का शीरयकफनात हए उततय सरख मथा-तीन

अॊक क परशनो क उततय सरखत सभम कभ स कभ तीन भखम उततय-बफ ॊदओॊ का उलरख कयत हए उततय सऩरषट कय |

5 अॊक-मोजना क अनसाय ननधायरयत शबद-सीभा क अॊतगयत उततय सरख | ऩयीाथी कई फाय एक अॊक क परशन का उततय फहत रॊफा कई फाय ऩया ऩरषठ सरख दत ह जो सभम औय ऊजाय की फफायदी ह |

6 धमान यह कक अधधक सरखन स अचछ अॊक नहीॊ आत फनदलक सयर-सफोध बारा भ सरख गए सटीक उततय सायगसबयत तथम तथा उदाहयण क दिाया सऩरषट ककए गए उततय परबािशारी होत ह |

ऩाि 11 - बजकतन

रखखका- भहादवी वभाट

ऩाि का सायाॊश- बनदकतन नदजसका िासतविक नाभ रकषभी थारणखका lsquoभहादिी िभायrsquo की सविका ह | फचऩन भ ही बनदकतन की भाॉ की भतम हो गमी| सौतरी भाॉ न ऩाॉच िरय की आम भ वििाह तथा नौ िरय की आम भ गौना कय बनदकतन को ससयार बज हदमा| ससयार भ बनदकतन न तीन फहटमो को जनदभ हदमा नदजस कायण उस सास औय नदजठाननमो की उऩा सहनी ऩड़ती थी| सास औय नदजठाननमाॉ आयाभ पयभाती थी औय बनदकतन तथा उसकी ननदहीॊ फहटमो को घय औय खतो का साया काभ कयना ऩडता था| बनदकतन का ऩनत उस फहत चाहता था| अऩन ऩनत क सनह क फर ऩय बनदकतन न ससयार िारो स अरगौझा कय अऩना अरग घय फसा सरमा औय सख स यहन रगी ऩय बनदकतन का दबायगम अलऩाम भ ही उसक ऩनत की भतम हो गई | ससयार िार

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बनदकतन की दसयी शादी कय उस घय स ननकारकय उसकी सॊऩनदतत हड़ऩन की सानदजश कयन रग| ऐसी ऩरयनदसथनत भ बनदकतन न अऩन कश भॊडा सरए औय सॊनदमाससन फन गई | बनदकतन सिासबभानी सॊघरयशीर कभयठ औय दढ सॊकलऩ िारी सतरी ह जो वऩतसततातभक भानदमताओॊ औय छर-कऩट स बय सभाज भ अऩन औय अऩनी फहटमो क हक की रड़ाई रड़ती हघय गहसथी सॉबारन क सरए अऩनी फड़ी फटी दाभाद को फरा सरमा ऩय दबायगम न महाॉ बी बनदकतन का ऩीछा नहीॊ छोड़ा अचानक उसक दाभाद की बी भतम हो गमी| बनदकतन क जठ-नदजठौत न सानदजश यचकय बनदकतन की विधिा फटी का वििाह जफयदसती अऩन तीतयफाज सार स कय हदमा| ऩॊचामत दिाया कयामा गमा मह सॊफॊध दखदामी यहा | दोनो भाॉ-फटी का भन घय-गहसथी स उचट गमा ननधयनता आ गमी रगान न चका ऩान क कायण जभीॊदाय न बनदकतन को हदन बय धऩ भ खड़ा यखा| अऩभाननत बनदकतन ऩसा कभान क सरए गाॉि छोड़कय शहय आ जाती ह औय भहादिी की सविका फन जाती ह| बनदकतन क भन भ भहादिी क परनत फहत आदय सभऩयण औय असबबािक क सभान अधधकाय बाि ह| िह छामा क सभान भहादिी क साथ यहती ह| िह यात-यात बय जागकय धचतरकायी मा रखन जस कामय भ वमसत अऩनी भारककन की सिा का अिसय ढॉढ रती ह| भहादिी बनदकतन को नहीॊ फदर ऩामी ऩय बनदकतन न भहादिी को फदर हदमा| बनदकतन क हाथ का भोटा-दहाती खाना खात-खात भहादिी का सिाद फदर गमा बनदकतन न भहादिी को दहात क ककसस-कहाननमाॉ ककॊ िदॊनतमाॉ कॊ ठसथ कया दी| सिबाि स भहाकॊ जस होन ऩय बी बनदकतन ऩाई-ऩाई कय जोडी हई १०५ रऩमो की यासश को सहरय भहादिी को सभवऩयत कय दती ह| जर क नाभ स थय-थय काॉऩन िारी बनदकतन अऩनी भारककन क साथ जर जान क सरए फड़ राट साहफ तक स रड़न को बी तमाय हो जाती ह| बनदकतन भहादिी क जीिन ऩय छा जान िारी एक ऐसी सविका ह नदजस रणखका नहीॊ खोना चाहती

ऩाि आधारयत परशनोततय

नोट- उततय भ ननहहत यखाॊककत िाकम भखम सॊकत बफॊद ह |

परशन 1-बजकतन का वासतपवक नाभ कमा था वह अऩन नाभ को कमो छऩाना चाहती थी

उततय-बनदकतन का िासतविक नाभ रकषभी था हहनददओॊ क अनसायरकषभी धन की दिीह चॉकक बनदकतन गयीफ थी| उसक िासतविक नाभ क अथय औय उसक जीिन क मथाथय भ वियोधाबास ह ननधयन बनदकतन सफको अऩना असरी नाभ रकषभी फताकय उऩहास का ऩातर नहीॊ फनना चाहती थी इससरए िह अऩना असरी नाभ छऩाती थी

परशन 2- रखखका न रकषभी का नाभ बजकतन कमो यखा

उततय-घटा हआ ससय गर भ कॊ ठी भारा औय बकतो की तयह सादगीऩणय िशबरा दखकय भहादिी िभाय न रकषभी का नाभ बनदकतन यख हदमा | मह नाभ उसक वमनदकतति स ऩणयत भर खाता था |

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परशन 3-बजकतन क जीवन को ककतन ऩरयचछदो भ पवबाजजत ककमा गमा ह

उततय- बनदकतन क जीिन को चाय बागो भ फाॉटा गमा ह-

ऩहरा ऩरयचछद-बनदकतन का फचऩन भाॉ की भतम विभाता क दिाया बनदकतन का फार-वििाह कया दना

दपवतीम ऩरयचछद-बनदकतन का ििाहहक जीिन सास तथा नदजठाननमो का अनदमामऩणय वमिहाय ऩरयिाय स अरगौझा कय रना

ततीम ऩरयचछद- ऩनत की भतम विधिा क रऩ भ सॊघरयशीर जीिन चतथट ऩरयचछद- भहादिी िभाय की सविका क रऩ भ

परशन 4- बजकतन ऩाि क आधाय ऩय बायतीम गराभीण सभाज भ रड़क-रड़ककमो भ ककम जान वार बदबाव का उलरख कीजजए |

बायतीम गराभीण सभाज भ रड़क-रड़ककमो भ बदबाि ककमा जाता ह| रड़ककमो को खोटा ससकका मा ऩयामा धन भाना जाता ह| बनदकतन न तीन फहटमो को जनदभ हदमा नदजस कायण उस सास औय नदजठाननमो की उऩा सहनी ऩड़ती थी| सास औय नदजठाननमाॉ आयाभ पयभाती थी कमोकक उनदहोन रड़क ऩदा ककए थ औय बनदकतन तथा उसकी ननदहीॊ फहटमो को घय औय खतो का साया काभ कयना ऩडता था| बनदकतन औय उसकी फहटमो को रखा-सखा भोटा अनाज खान को सभरता था जफकक उसकी नदजठाननमाॉ औय उनक कार-करट फट दध-भराई याफ-चािर की दाित उड़ात थ

परशन 5-बजकतन ऩाि क आधाय ऩय ऩॊचामत क नमाम ऩय ठटतऩणी कीजजए |

बनदकतन की फटी क सनददबय भ ऩॊचामत दिाया ककमा गमा नदमाम तकय हीन औय अॊध कानन ऩय आधारयतह | बनदकतन क नदजठौत न सॊऩनदतत क रारच भ रडमॊतर कय बोरी फचची को धोख स जार भ पॊ सामा| ऩॊचामत न ननदोर रड़की की कोई फात नहीॊ सनी औय एक तयिा पसरा दकय उसका वििाह जफयदसती नदजठौत क ननकमभ तीतयफाज सार स कय हदमा | ऩॊचामत क अॊध कानन स दरषटो को राब हआ औय ननदोर को दॊड सभरा |

परशन 6-बजकतन की ऩाक-करा क फाय भ ठटतऩणी कीजजए |

बनदकतन को ठठ दहाती सादा बोजन ऩसॊद था | यसोई भ िह ऩाक छत को फहत भहतति दती थी | सफह-सिय नहा-धोकय चौक की सपाई कयक िह दिाय ऩय कोमर की भोटी यखा खीॊच दती थी| ककसी को यसोईघय भ परिश कयन नहीॊ दती थी| उस अऩन फनाए बोजन ऩय फड़ा असबभान था| िह अऩन फनाए बोजन का नतयसकाय नहीॊ सह सकती थी |

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परशन 7- लसदध कीजजए कक बजकतन तकट -पवतकट कयन भ भाठहय थी |

बनदकतन तकय ऩट थी | कश भॉडान स भना ककए जान ऩय िह शासतरो का हिारा दत हए कहती ह lsquoतीयथ गए भॉडाए ससदधrsquo | घय भ इधय-उधय यख गए ऩसो को िह चऩचाऩ उठा कय छऩा रती ह टोक जानऩय िह िह इस चोयी नही भानती फनदलक िह इस अऩन घय भ ऩड़ ऩसो को सॉबारकय यखना कहती ह| ऩढाई-सरखाई स फचन क सरए बी िह अचक तकय दती ह कक अगय भ बी ऩढ़न रगॉ तो घय का काभ कौन दखगा

परशन 8-बजकतन का दबाटगम बी कभ हिी नही था रखखका न ऐसा कमो कहा ह

उततय- बजकतन का दबाटगम उसका ऩीछा नहीॊ छोड़ता था-

1- फचऩन भ ही भाॉ की भतम 2- विभाता की उऩा 3- बनदकतन(रकषभी) का फारवििाह 4- वऩता का ननधन 5- तीन-तीन फहटमो को जनदभ दन क कायण सास औय नदजठाननमो क दिाया बनदकतन की

उऩा 6- ऩनत की असभम भतम 7- दाभाद का ननधन औय ऩॊचामत क दिाया ननकमभ तीतयफाज मिक स बनदकतन की विधिा

फटी का जफयन वििाह 8- रगान न चका ऩान ऩय जभीॊदाय क दिाया बनदकतन का अऩभान

परशन 9-बजकतन न भहादवी वभाट क जीवन ऩय कस परबापवत ककमा

उततय- बनदकतन क साथ यहकय भहादिी की जीिन-शरी सयर हो गमी ि अऩनी सविधाओॊ की चाह को नछऩान रगीॊ औय असविधाओॊ को सहन रगीॊ बनदकतन न उनदह दहाती बोजन णखराकय उनका सिाद फदर हदमा बनदकतन भातर एक सविका न होकय भहादिी की असबबािक औय आतभीम फन गमीबनदकतन भहादिी क जीिन ऩय छा जान िारी एक ऐसी सविका ह नदजस रणखका नहीॊ खोना चाहती

परशन 10- बजकतन क चरयतर की पवशषताओॊ का उलरख कीजजए

उततय- भहादिी िभाय की सविका बनदकतन क वमनदकतति की विशरताएॊ ननमनाॊककत ह-

सभवऩयत सविका सिासबभानी

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तकय शीरा ऩरयशरभी सॊघरयशीर

परशन 11-बजकतन क दगटणो का उलरख कय

उततय- गणो क साथ-साथ बनदकतन क वमनदकतति भ अनक दगयण बी ननहहत ह-

1 िह घय भ इधय-उधय ऩड़ रऩम-ऩस को बॊडाय घय की भटकी भ छऩा दती ह औय अऩन इस कामय को चोयी नहीॊ भानती

2 भहादिी क करोध स फचन क सरए बनदकतन फात को इधय-उधय कयक फतान को झठ नही भानती अऩनी फात को सही ससदध कयन क सरए िह तकय -वितकय बी कयती ह

3 िह दसयो को अऩनी इचछानसाय फदर दना चाहती ह ऩय सिमॊ बफरकर नही फदरती परशन 12 ननमनाॊककत बाषा-परमोगो का अथट सऩषट कीजजए-

ऩहरी कनमा क दो औय सॊसकयण कय िार- बनदकतन न अऩनी ऩहरी कनदमा क फाद उसक जसी दो औय कनदमाएॉ ऩदा कय दी अथायत बनदकतन क एक क फाद एक तीन फहटमाॉ ऩदा हो गमीॊ |

खोट लसकको की टकसार जसी ऩतनी- आज बी असशकषत गराभीण सभाज भ फहटमो को

खोटा ससकका कहा जाता ह बनदकतन न एक क फाद एक तीन फहटमाॉ ऩदा कय दी इससरए उस खोट ससकक को ढारन िारी भशीन कहा गमा

परशन 13-बजकतन ऩाि भ रखखका न सभाज की ककन सभसमाओॊ का उलरख ककमा ह

उततय- बनदकतन ऩाठ क भाधमभ स रणखका न बायतीम गराभीण सभाज की अनक सभसमाओॊ का उलरख ककमा ह-

1 रड़क-रड़ककमो भ ककमा जान िारा बदबाि 2 विधिाओॊ की सभसमा 3 नदमाम क नाभ ऩय ऩॊचामतो क दिाया नदसतरमो क भानिाधधकाय को कचरना 4 असशा औय अॊधविशिास

गदमाॊश-आधारयत अथटगरहण सॊफॊधधत परशनोततय

ऩरयिाय औय ऩरयनदसथनतमो क कायण सिबाि भ जो विरभताएॉ उतऩनदन हो गई ह उनक बीतय स एक सनह औय सहानबनत की आबा पटती यहती ह इसी स उसक सॊऩकय भ आनिार वमनदकत उसभ जीिन की सहज भासभयकता ही ऩात ह छातरािास की फासरकाओॊ भ स कोई अऩनी चाम

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फनिान क सरए दहरी ऩय फठी यहती ह कोई फाहय खडी भय सरए नाशत को चखकय उसक सिाद की वििचना कयती यहती ह भय फाहय ननकरत ही सफ धचडड़मो क सभान उड़ जाती ह औय बीतय आत ही मथासथान वियाजभान हो जाती ह इनदह आन भ रकािट न हो सॊबित इसी स बनदकतन अऩना दोनो जन का बोजन सिय ही फनाकय ऊऩय क आर भ यख दती ह औय खात सभम चौक का एक कोना धोकय ऩाकndashछत क सनातन ननमभ स सभझौता कय रती ह

भय ऩरयधचतो औय साहहनदतमक फॊधओॊ स बी बनदकतन विशर ऩरयधचत ह ऩय उनक परनत बनदकतन क समभान की भातरा भय परनत उनक समभान की भातरा ऩय ननबयय ह औय सदभाि उनक परनत भय सदभाि स नननदशचत होता ह इस सॊफॊध भ बनदकतन की सहज फवदध विनदसभत कय दन िारी ह

(क) बजकतन का सवबाव ऩरयवाय भ यहकय कसा हो गमा ह

उततय-विरभ ऩरयनदसथनतजनदम उसक उगर हठी औय दयागरही सिबाि क फािजद बनदकतन क बीतय सनह औय सहानबनत की आबा पटती यहती ह उसक सॊऩकय भ आन िार वमनदकत उसभ जीिन की सहज भासभयकता ही ऩात ह

(ख) बजकतन क ऩास छातरावास की छातराएॉ कमो आती ह

उततय- बनदकतन क ऩास कोई छातरा अऩनी चाम फनिान आती ह औय दहरी ऩय फठी यहती ह कोई भहादिी जी क सरए फन नाशत को चखकय उसक सिाद की वििचना कयती यहती ह भहादिी को दखत ही सफ छातराएॉ बाग जाती ह उनक जात ही कपय िाऩस आ जातीॊ ह बनदकतन का सहज-सनह ऩाकय धचडड़मो की तयह चहचहान रगती ह |

(ग) छातराओॊ क आन भ रकावट न िारन क लरए बजकतन न कमा उऩाम ककमा

उततय- छातराओॊ क आन भ रकािट न डारन क सरए बनदकतन न अऩन ऩाक-छत क ननमभ स सभझौता कय सरमा | बनदकतन अऩना दोनो िकत का खाना फनाकय सफह ही आर भ यख दती औय खात सभम चौक का एक कोना धोकय िहाॉ फठकय खा सरमा कयती थी ताकक छातराएॉ बफना योक-टोक क उसक ऩास आ सक

(घ) साठहतमकायो क परनत बजकतन क समभान का कमा भाऩदॊि ह

उततय-बनदकतन भहादिी क साहहनदतमक सभतर क परनत सदभाि यखती थी नदजसक परनत भहादिी सिमॊ सदभाि यखती थी | िह सबी स ऩरयधचत हऩय उनक परनत समभान की भातरा भहादिी जी क समभान की भातरा ऩय ननबयय कयती ह िह एक अदभत ढॊग स जान रती थी कक कौन ककतना समभान कयता ह उसी अनऩात भ उसका परापम उस दती थी

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12 फाजाय-दशटन

रखक- जनि कभाय

ऩाि का सायाॊश फाजाय-दशयन ऩाठ भ फाजायिाद औय उऩबोकतािाद क साथ-साथ अथयनीनत एिॊ दशयन स सॊफॊधधत परशनो को सरझान का परमास ककमा गमा ह फाजाय का जाद तबी असय कयता ह जफ भन खारी हो| फाजाय क जाद को योकन का उऩाम मह ह कक फाजाय जात सभम भन खारी ना हो भन भ रकषम बया हो| फाजाय की असरी कताथयता ह जरयत क िकत काभ आना| फाजाय को िही भनरषम राब द सकता ह जो िासति भ अऩनी आिशमकता क अनसाय खयीदना चाहता ह| जो रोग अऩन ऩसो क घभॊड भ अऩनी ऩचनदजॊग ऩािय को हदखान क सरए चीज खयीदत ह ि फाजाय को शतानी वमॊगम शनदकत दत ह| ऐस रोग फाजारऩन औय कऩट फढात ह | ऩस की मह वमॊगम शनदकत वमनदकत को अऩन सग रोगो क परनत बी कतघन फना सकती ह | साधायण जन का रदम रारसा ईरषमाय औय तरषणा स जरन रगता ह | दसयी ओय ऐसा वमनदकत नदजसक भन भ रश भातर बी रोब औय तरषणा नहीॊ ह सॊचम की इचछा नहीॊ ह िह इस वमॊगम-शनदकत स फचा यहता ह | बगतजी ऐस ही आतभफर क धनी आदशय गराहक औय फचक ह नदजन ऩय ऩस की वमॊगम-शनदकत का कोई असय नहीॊ होता | अनक उदाहयणो क दिाया रखक न मह सऩरषट ककमा ह कक एक ओय फाजाय रारची असॊतोरी औय खोखर भन िार वमनदकतमो को रटन क सरए ह िहीॊ दसयी ओय सॊतोरी भन िारो क सरए फाजाय की चभक-दभक उसका आकरयण कोई भहतति नहीॊ यखता

परशन१ - ऩचजजॊग ऩावय ककस कहा गमा ह फाजाय ऩय इसका कमा परबाव ऩड़ता ह

उततय- ऩचनदजॊग ऩािय का अथय ह खयीदन की शनदकत ऩचनदजॊग ऩािय क घभॊड भ वमनदकत हदखाि क सरए आिशमकता स अधधक खयीदायीकयता ह औय फाजाय को शतानी वमॊगम-शनदकत दता ह ऐस रोग फाजाय का फाजारऩन फढ़ात ह

परशन२ -रखक न फाजाय का जाद ककस कहा ह इसका कमा परबाव ऩड़ता ह

उततय- फाजाय की चभक-दभक क चॊफकीम आकरयण को फाजाय का जाद कहा गमा ह मह जाद आॊखो की याह कामय कयता ह फाजाय क इसी आकरयण क कायण गराहक सजी-धजी चीजो को आिशमकता न होन ऩय बी खयीदन को वििश हो जात ह

परशन३ -आशम सऩषट कय

भन खारी होना भन बया होना भन फॊद होना

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उततय-भन खारी होना- भन भ कोई नननदशचत िसत खयीदन का रकषम न होना ननरददशम फाजाय जाना औय वमथय की चीजो को खयीदकय राना

भन बया होना- भन रकषम स बया होना नदजसका भन बया हो िह बरीबाॉनत जानता ह कक उस फाजाय स कौन सी िसत खयीदनी ह अऩनी आिशमकता की चीज खयीदकय िह फाजाय को साथयकता परदान कयता ह

भन फॊद होना-भन भ ककसी बी परकाय की इचछा न होना अथायत अऩन भन को शनदम कय दना

परशन४ - lsquoजहाॉ तषणा ह फटोय यखन की सऩहा ह वहाॉ उस फर का फीज नहीॊ हrsquo महाॊ ककस फर की चचाट की गमी ह

उततय- रखक न सॊतोरी सिबाि क वमनदकत क आतभफरकी चचाय की ह दसय शबदो भ महद भन भ सॊतोर हो तो वमनदकत हदखाि औय ईरषमाय की बािना स दय यहता ह उसभ सॊचम कयन की परिनदतत नहीॊ होती

परशन५ - अथटशासतर अनीनतशासतर कफ फन जाता ह

उततय- जफ फाजाय भ कऩट औय शोरण फढ़न रग खयीददाय अऩनी ऩचधचॊग ऩािय क घभॊड भ हदखाि क सरए खयीददायी कय | भनरषमो भ ऩयसऩय बाईचाया सभापत हो जाए| खयीददाय औय दकानदाय एक दसय को ठगन की घात भ रग यह एक की हानन भ दसय को अऩना राब हदखाई द तो फाजाय का अथयशासतर अनीनतशासतर फन जाता ह ऐस फाजाय भानिता क सरए विडॊफना ह

परशन६-बगतजी फाजाय औय सभाज को ककस परकाय साथटकता परदान कय यह ह

उततय- बगतजी क भन भ साॊसारयक आकरयणो क सरए कोई तरषणा नहीॊ ह ि सॊचम रारच औय हदखाि स दय यहत ह फाजाय औय वमाऩाय उनक सरए आिशमकताओॊ की ऩनत य का साधन भातर ह बगतजी क भन का सॊतोर औय ननसऩह बाि उनको शररषठ उऩबोकता औय विकरता फनात ह

परशन ७ _ बगत जी क वमजकततव क सशकत ऩहरओॊ का उलरख कीजजए |

उततय-ननमनाॊककत बफॊद उनक वमनदकतति क सशकत ऩहर को उजागय कयत ह

ऩॊसायी की दकान स किर अऩनी जरयत का साभान (जीया औय नभक) खयीदना नननदशचत सभम ऩय चयन फचन क सरए ननकरना छह आन की कभाई होत ही चयन फचना फॊद कय दना फच हए चयन को फचचो को भफ़त फाॉट दना

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सबी काजम-जम याभ कहकय सिागत कयना फाजाय की चभक-दभक स आकवरयत न होना सभाज को सॊतोरी जीिन की सशा दना

परशन7-फाजाय की साथटकता ककसभ ह

उततय- भनरषम की आिशमकताओॊ की ऩनतय कयन भ ही फाजाय की साथयकता ह जो गराहक अऩनी आिशमकताओॊ की चीज खयीदत ह ि फाजाय को साथयकता परदान कयत ह जो विकरता गराहको का शोरण नहीॊ कयत औय छर-कऩट स गराहको को रबान का परमास नही कयत ि बी फाजाय को साथयक फनात ह

गदमाॊश-आधारयत अथटगरहण-सॊफॊधधत परशनोततय

फाजाय भ एक जाद ह िह जाद आॉख की तयह काभ कयता ह िह रऩ का जाद ह ऩय जस चॊफक का जाद रोह ऩय ही चरता ह िस ही इस जाद की बी भमायदा ह जफ बयी हो औय भन खारी हो ऐसी हारत भ जाद का असय खफ होता ह जफ खारी ऩय भन बया न हो तो बी जाद चर जाएगा भन खारी ह तो फाजाय की अनकानक चीजो का ननभॊतरण उस तक ऩहॉच जाएगा कहीॊ हई उस िकत जफ बयी तफ तो कपय िह भन ककसकी भानन िारा ह भारभ होता ह मह बी रॉ िह बी रॉ सबी साभान जरयी औय आयाभ को फढ़ान िारा भारभ होता ह ऩय मह सफ जाद का असय ह जाद की सिायी उतयी कक ऩता चरता ह कक प सी-चीजो की फहतामत आयाभ भ भदद नहीॊ दती फनदलक खरर ही डारती ह थोड़ी दय को सिासबभान को जरय सक सभर जाता ह ऩय इसस असबभान को धगलटी की खयाक ही सभरती ह जकड़ यशभी डोयी की हो तो यशभ क सऩशय क भरामभ क कायण कमा िह कभ जकड़ दगी

ऩय उस जाद की जकड़ स फचन का एक सीधा उऩाम ह िह मह कक फाजाय जाओ तो खारी भन न हो भन खारी हो तफ फाजाय न जाओ कहत ह र भ जाना हो तो ऩानी ऩीकय जाना चाहहए ऩानी बीतय हो र का रऩन वमथय हो जाता ह भन रकषम स बया हो तो फाजाय परा का परा ही यह जाएगा तफ िह घाि बफरकर नहीॊ द सकगा फनदलक कछ आनॊद ही दगा तफ फाजाय तभस कताथय होगा कमोकक तभ कछ न कछ सचचा राब उस दोग फाजाय की असरी कताथयता ह आिशमकता क सभम काभ आना

परशन-1 फाजाय क जाद को रखक न कस सऩषट ककमा ह

उततय- फाजाय क रऩ का जाद आॉखो की याह स काभ कयता हआ हभ आकवरयत कयता ह फाजाय का जाद ऐस चरता ह जस रोह क ऊऩय चॊफक का जाद चरता ह चभचभाती योशनी भ सजी

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प सी चीॊज गराहक को अऩनी ओय आकवरयत कयती ह| इसी चमफकीम शनदकत क कायण वमनदकत कपजर साभान को बी खयीद रता ह |

परशन-2 जफ बयी हो औय भन खारी तो हभायी कमा दशा होती ह

उततय- जफ बयी हो औय भन खारी हो तो हभाय ऊऩय फाजाय का जाद खफ असय कयता ह भन खारी ह तो फाजाय की अनकानक चीजो का ननभॊतरण भन तक ऩहॉच जाता ह औय उस सभम महद जफ बयी हो तो भन हभाय ननमॊतरण भ नहीॊ यहता

परशन-3 प सी चीजो की फहतामत का कमा ऩरयणाभ होता ह

उततय- प सी चीज आयाभ की जगह आयाभ भ वमिधान ही डारती ह थोड़ी दय को असबभान को जरय सक सभर जाती ह ऩय हदखाि की परिनदतत भ िवदध होती ह

परशन-4 जाद की जकड़ स फचन का कमा उऩाम ह

उततय- जाद की जकड़ स फचन क सरए एक ही उऩाम ह िह मह ह कक फाजाय जाओ तो भन खारी न हो भन खारी हो तो फाजाय भत जाओ

13 कार भघा ऩानी द

रखक-धभटवीय बायती

ऩाि का सायाॊश -lsquoकार भघा ऩानी दrsquo ननफॊध रोकजीिन क विशिास औय विऻान क तकय ऩय आधारयत ह जफ बीरण गभी क कायण वमाकर रोग िराय कयान क सरए ऩजा-ऩाठ औय कथा-विधान कय थकndashहाय जात ह तफ िराय कयान क सरए अॊनतभ उऩाम क रऩ भ इनददय सना ननकरती ह| इनददय सना नॊग-धड़ॊग फचचो की टोरी ह जो कीचड़ भ रथऩथ होकय गरी-भोहलर भ ऩानी भाॉगन ननकरती ह| रोग अऩन घय की छतो-णखड़ककमो स इनददय सना ऩय ऩानी डारत ह | रोगो की भानदमता ह कक इनददर फादरो क सिाभी औय िराय क दिता ह| इनददर की सना ऩय ऩानी डारन स इनददर बगिान परसनदन होकय ऩानी फयसाएॊग | रखक का तकय ह कक जफ ऩानी की इतनी कभी ह तो रोग भनदशकर स जभा ककए ऩानी को फालटी बय-बयकय इनददय सना ऩय डारकय ऩानी को कमो फफायद कयत ह आमयसभाजी विचायधाया िारा रखक इस अॊधविशिास भानता ह | इसक विऩयीत रखक की जीजी उस सभझाती ह कक मह ऩानी की फफायदी नहीॊ फनदलक ऩानी की फिाई ह | कछ ऩान क सरए कछ दना ऩड़ता ह | तमाग क बफना दान नहीॊ होता| परसतत ननफॊध भ रखक न भरषटाचाय की सभसमा को उठात हए कहा ह कक जीिन भ कछ ऩान क सरए तमाग आिशमक ह जो रोग तमाग औय दान की भहतता को नहीॊ भानत ि ही भरषटाचाय भ सरपत यहकय दश औय सभाज को रटत ह| जीजी की आसथा बािनातभक सचचाई को ऩरषट कयती ह औय तकय किर िऻाननक तथम को सतम भानता ह जहाॉ तकय मथाथय क

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कठोय धयातर ऩय सचचाई को ऩयखता ह तो िहीॊ आसथा अनहोनी फात को बी सिीकाय कय भन को सॊसकारयत कयती ह बायत की सितॊतरता क ५० सार फाद बी दश भ वमापत बरषटाचाय औय सिाथय की बािना को दखकय रखक दखी ह | सयकाय दिाया चराई जा यही मोजनाएॉ गयीफो तक कमो नहीॊ ऩहॉच ऩा यहीॊ ह कार भघा क दर उभड़ यह ह ऩय आज बी गयीफ की गगयी पटी हई कमो ह रखक न मह परशन ऩाठको क सरए छोड़ हदमा ह |

परशन1-इनदय सना घय-घय जाकय ऩानी कमो भाॉगती थी

उततय- गाॉि क रोग फारयश क सरए बगिान इॊदर स पराथयना ककमा कयत थ जफ ऩजा-ऩाठवरत आहद उऩाम असिर हो जात थ तो बगिान इॊदर को परसनदन कयन क सरए गाॉि क ककशोय फचच कीचड़ भ रथऩथ होकय गरी-गरी घभकय रोगो स ऩानी भाॉगत थ

परशन2-इनदयसना को रखक भढक-भॊिरी कमो कहता ह जीजी क फायndashफाय कहन ऩय बी वह इनदयसना ऩय ऩानी प कन को याजी कमो नहीॊ होता

उततय- इनददयसना का कामय आमयसभाजी विचायधाया िार रखक को अॊधविशिास रगता ह उसका भानना ह कक महद इॊदयसना दिता स ऩानी हदरिा सकती ह तो सिमॊ अऩन सरए ऩानी कमो नहीॊ भाॉग रती ऩानी की कभी होन ऩय बी रोग घय भ एकतर ककम हए ऩानी को इॊदयसना ऩय ि कत ह रखक इस ऩानी की ननभयभ फयफादी भानता ह

परशन3- रि हए रखक को जीजी न ककस परकाय सभझामा

उततय- जीजी न रखक को पमाय स रडड-भठयी णखरात हए ननमन तकय हदए-

1- तमाग का भहततव- कछ ऩान क सरए कछ दना ऩड़ता ह 2- दान की भहतता- कवर-भननमो न दान को सफस ऊॉ चा सथान हदमा ह जो चीज अऩन

ऩास बी कभ हो औय अऩनी आिशमकता को बरकय िह चीज दसयो को दान कय दना ही तमाग ह |

3- इॊिदव को जर का अधमट चिाना- इॊदयसना ऩय ऩानी ि कना ऩानी की फयफादी नहीॊ फनदलक इॊदरदि को जर का अधमय चढ़ाना ह

4- ऩानी की फवाई कयना- नदजस परकाय ककसान िसर उगान क सरए जभीन ऩय फीज डारकय फिाई कयता ह िस ही ऩानी िार फादरो की िसर ऩान क सरए इनददय सना ऩय ऩानी डार कय ऩानी की फिाई की जाती ह

परशन4-नठदमो का बायतीम साभाजजक औय साॊसकनतक ऩरयवश भ कमा भहतव ह

उततय- गॊगा बायतीम सभाज भ सफस ऩजम सदानीया नदी ह नदजसका बायतीम इनतहास भ धासभयक ऩौयाणणक औय साॊसकनतक भहति ह | िह बायतीमो क सरए किर एक नदी नहीॊ अवऩत

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भाॉ ह सिगय की सीढ़ी ह भोदानमनी ह उसभ ऩानी नहीॊ अवऩत अभत तलम जर फहता ह बायतीम सॊसकनत भ नहदमो क ककनाय भानि सभमताएॉ परी-परी ह| फड़-फड़ नगय तीथयसथान नहदमो क ककनाय ही नदसथत ह ऐस ऩरयिश भबायतिासी सफस ऩहर गॊगा भमा की जम ही फोरग नहदमाॉ हभाय जीिन का आधाय ह हभाया दश कवर परधान ह नहदमो क जर स ही बायत बसभ हयी-बयी ह नहदमो क बफना जीिन की कलऩना नहीॊ कय सकत मही कायण ह कक हभ बायतीम नहदमो की ऩजा कयत ह |

परशन4-आजादी क ऩचास वषो क फाद बी रखक कमो दखी ह उसक भन भ कौन स परशन उि यह ह

उततय- आजादी क ऩचास िरो फाद बी बायतीमो की सोच भ सकायातभक फदराि न दखकय रखक दखी ह उसक भन भ कई परशन उठ यह ह-

1 कमा हभ सचच अथो भ सितनदतर ह 2 कमा हभ अऩन दश की सॊसकनत औय सभमता को सभझ ऩाए ह 3 यारषर ननभायण भ हभ ऩीछ कमो ह हभ दश क सरए कमा कय यह ह

4 हभ सिाथय औय भरषटाचाय भ सरपत यहत ह तमाग भ विशिास कमो नहीॊ कयत

5 सयकाय दिाया चराई जा यही सधायिादी मोजनाएॉ गयीफो तक कमो नहीॊ ऩहॉचती ह

गदमाॊश ऩय आधारयत अथटगरहण-सॊफॊधधत परशनोततय

सचभच ऐस हदन होत जफ गरी-भहलरा गाॉि-शहय हय जगह रोग गयभी भ बन-बन कय तराहहभाभ कय यह होत जठ क दसतऩा फीतकय आराढ का ऩहरा ऩखिाड़ा फीत चका होता ऩय कषनतज ऩय कहीॊ फादरो की यख बी नहीॊ दीखती होती कएॉ सखन रगत नरो भ एक तो फहत कभ ऩानी आता औय आता बी तो आधी यात को िो बी खौरता हआ ऩानी हो | शहयो की तरना भ गाॉि भ औय बी हारत खयाफ थी| जहाॉ जताई होनी चाहहए थी िहाॉ खतो की सभटटी सखकय ऩतथय हो जाती कपय उसभ ऩऩड़ी ऩड़कय जभीन पटन रगती र ऐसी कक चरत-चरत आदभी धगय ऩड़ | ढोय-डॊगय पमास क भाय भयन रगत रककन फारयश का कहीॊ नाभ ननशान नहीॊ ऐस भ ऩजा-ऩाठ कथा-विधान सफ कयक रोग जफ हाय जात तफ अॊनतभ उऩाम क रऩ भ ननकरती मह इनददय सना |

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परशन१- वषाट न होन ऩय रोगो की कमा जसथनत हो गमी थी उततय - िराय न होन ऩय गयभी क कायण रोग र रगन स फहोश होन रग | गाॉि-शहय सबी जगह ऩानी का अबाि हो गमा| कएॉ सख गए खतो की सभटटी सखकय ऩतथय क सभान कठोय होकय पट गमी| घयो भ नरो भ ऩानी फहत कभ आता था | ऩश पमास क भाय भयन रग थ | परशन२- वषाट क दवता कौन ह उनको परसनन कयन क लरए कमा उऩाम ककए जात थ उततय -िराय क दिता बगिान इनददर ह| उनको परसनदन कयन क सरए ऩजाndashऩाठ कथा-विधान कयाए जात थ | ताकक इनददर दि परसनदन होकय फादरो की सना बजकय झभाझभ फारयश कयाएॉ औय रोगो क करषट दय हो | परशन३- वषाट कयान क अॊनतभ उऩाम क रऩ भ कमा ककमा जाता था उततय ndashजफ ऩजा-ऩाठ कथा-विधान सफ कयक रोग हाय जात थ तफ अॊनतभ उऩाम क रऩ भ इनददय सना आती थी | नॊग-धडॊग कीचड़ भ रथऩथ lsquoकार भघा ऩानी द ऩानी द गड़धानी दrsquo की टय रगाकय पमास स सखत गरो औय सखत खतो क सरए भघो को ऩकायती हई टोरी फनाकय ननकर ऩड़ती थी| परशन४-आशम सऩषट कय ndash जठ क दसतऩा फीतकय आराढ़ का ऩहरा ऩखिाड़ा फीत चका होता ऩय कषनतज भ कहीॊ फादरो की यख बी नजय नहीॊ आती | आशम- जठ का भहीना ह बीरण गयभी ह| तऩत हए दस हदन फीत कय आराढ का भहीना बी आधा फीत गमा ऩय ऩानी क सरए तड़ऩत िराय की आशा भ आसभान की ओय ताकत रोगो को कहीॊ फादर नजय नहीॊ आ यह |

14 ऩहरवान की ढोरक

फ़णीशवयनाथ यण

ऩाि का सायाॊश ndashआॊचसरक कथाकाय िणीशियनाथ यण की कहानी ऩहरिान की ढोरक भ कहानी क भखम ऩातर रटटन क भाता-वऩता का दहाॊत उसक फचऩन भ ही हो गमा था | अनाथ रटटन को उसकी विधिा सास न ऩार-ऩोसकय फड़ा ककमा | उसकी सास को गाॉि िार सतात थ |

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रोगो स फदरा रन क सरए कशती क दाॉिऩच सीखकय कसयत कयक रटटन ऩहरिान फन गमा |

एक फाय रटटन शमाभनगय भरा दखन गमा जहाॉ ढोर की आिाज औय कशती क दाॉिऩच दखकय उसन जोश भ आकय नाभी ऩहरिान चाॉदससॊह को चनौती द दी | ढोर की आिाज स परयणा ऩाकय रटटन न दाॉि रगाकय चाॉद ससॊह को ऩटककय हया हदमा औय याज ऩहरिान फन गमा | उसकी खमानत दय-दय तक िर गमी| १५ िरो तक ऩहरिान अजम फना यहा| उसक दो ऩतर थ| रटटन न दोनो फटो को बी ऩहरिानी क गय ससखाए| याजा की भतम क फाद नए याजकभाय न गददी सॊबारी याजकभाय को घोड़ो की यस का शौक था भनजय न नम याजा को बड़कामा ऩहरिान औय उसक दोनो फटो क बोजनखचय को बमानक औय किजरखचय फतामा िरसिरऩ नए याजा न कशती को फॊद कयिा हदमा औय ऩहरिान रटटनससॊह को उसक दोनो फटो क साथ भहर स ननकार हदमा

याजदयफाय स ननकार हदए जान क फाद रटटन ससॊह अऩन दोनो फटो क साथ गाॉि भ झोऩड़ी फनाकय यहन रगा औय गाॉि क रड़को को कशती ससखान रगा| रटटन का सकर जमादा हदन नहीॊ चरा औय जीविकोऩाजयन क सरए उसक दोनो फटो को भजदयी कयनी ऩड़ी| इसी दौयान गाॉि भ अकार औय भहाभायी क कायण परनतहदन राश उठन रगी| ऩहरिान भहाभायी स डय हए रोगो को ढोरक फजाकय फीभायी स रड़न की सॊजीिनी ताकत दता था| एक हदन ऩहरिान क दोनो फट बी भहाभायी की चऩट भ आकय भय गए ऩय उस यात बी ऩहरिान ढोरक फजाकय रोगो को हहमभत फॊधा यहा था | इस घटना क चाय-ऩाॉच हदन फाद ऩहरिान की बी भौत हो जाती ह|

ऩहरिान की ढोरक वमिसथा क फदरन क साथ रोक कराकाय क अपरासॊधगक हो जान की कहानी ह इस कहानी भ रटटन नाभ क ऩहरिान की हहमभत औय नदजजीविरा का िणयन ककमा गमा ह बख औय भहाभायी अजम रटटन की ऩहरिानी को िट ढोर भ फदर दत ह इस करण तरासदी भ ऩहरिान रटटन कई सिार छोड़ जाता ह कक करा का कोई सितॊतर अनदसतति ह मा करा किर वमिसथा की भोहताज ह

परशन1- रटटन को ऩहरवान फनन की परयणा कस लभरी

उततय- रटटन जफ नौ सार का था तो उसक भाता-वऩता का दहाॊत हो गमा था | सौबागम स उसकी शादी हो चकी थी| अनाथ रटटन को उसकी विधिा सास न ऩार-ऩोसकय फड़ा ककमा | उसकी सास को गाॉि िार ऩयशान कयत थ| रोगो स फदरा रन क सरए उसन ऩहरिान फनन की ठानी| धायोरषण दध ऩीकय कसयत कय उसन अऩना फदन गठीरा औय ताकतिय फना सरमा | कशती क दाॉिऩच सीखकय रटटन ऩहरिान फन गमा |

परशन2- यात क बमानक सननाट भ रटटन की ढोरक कमा करयशभा कयती थी

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उततय- यात क बमानक सनदनाट भरटटन की ढोरक भहाभायी स जझत रोगो को हहमभत फॉधाती थी | ढोरक की आिाज स यात की विबीवरका औय सनदनाटा कभ होता था| भहाभायी स ऩीडड़त रोगो की नसो भ बफजरी सी दौड़ जाती थी उनकी आॉखो क साभन दॊगर का दशम साकाय हो जाता था औय ि अऩनी ऩीड़ा बर खशी-खशी भौत को गर रगा रत थ इस परकाय ढोर की आिाज फीभाय-भतपराम गाॉििारो की नसो भ सॊजीिनी शनदकत को बय फीभायी स रड़न की परयणा दती थी

परशन3- रटटन न सवाटधधक ठहमभत कफ ठदखाई

उततय- रटटन ससॊह न सिायधधक हहमभत तफ हदखाई जफ दोनो फटो की भतम ऩय िह योमा नहीॊ फनदलक हहमभत स काभ रकय अकर उनका अॊनतभ सॊसकाय ककमा| मही नहीॊ नदजस हदन ऩहरिान क दोनो फट भहाभायी की चऩट भ आकय भय गए ऩय उस यात को बी ऩहरिान ढोरक फजाकय रोगो को हहमभत फॉधा यहा था| शमाभनगय क दॊगर भ ऩया जनसभदाम चाॉद ससॊह क ऩ भ था चाॉद ससॊह को हयात सभम रटटन न हहमभत हदखाई औय बफना हताश हए दॊगर भ चाॉद ससॊह को धचत कय हदमा |

परशन4- रटटन लसॊह याज ऩहरवान कस फना

उततय- शमाभनगय क याजा कशती क शौकीन थ उनदहोन दॊगर का आमोजन ककमा ऩहरिान रटटन ससॊह बी दॊगर दखन ऩहॉचा चाॊदससॊह नाभक ऩहरिान जो शय क फचच क नाभ स परससदध था कोई बी ऩहरिान उसस सबड़न की हहमभत नहीॊ कयता था चाॉदससॊह अखाड़ भ अकरा गयज यहा था रटटन ससॊह न चाॉदससॊह को चनौती द दी औय चाॉदससॊह स सबड़ गमाढ़ोर की आिाज सनकय रटटन की नस-नस भ जोश बय गमाउसन चाॉदससॊह को चायो खान धचत कय हदमा याजासाहफ न रटटन की िीयता स परबावित होकय उस याजऩहरिान फना हदमा

परशन5- ऩहरवान की अॊनतभ इचछा कमा थी

उततय- ऩहरिान की अॊनतभ इचछा थी कक उस धचता ऩय ऩट क फर सरटामा जाए कमोकक िह नदजॊदगी भ कबी धचत नहीॊ हआ था| उसकी दसयी इचछा थी कक उसकी धचता को आग दत सभम ढोर अिशम फजामा जाए |

परशन6- ढोर की आवाज औय रटटन क भ दाॉिऩच सॊफॊध फताइए-

उततय- ढोर की आिाज औय रटटन क दाॉिऩच भ सॊफॊध -

चट धा धगड़ धाrarr आजा सबड़ जा | चटाक चट धाrarr उठाकय ऩटक द | चट धगड़ धाrarrभत डयना |

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धाक धधना नतयकट नतनाrarr दाॉि काटो फाहय हो जाओ | धधना धधना धधक धधनाrarr धचत कयो

गदमाॊश-आधारयत अथटगरहण-सॊफॊधधत परशनोततय

अॉधयी यात चऩचाऩ आॉस फहा यही थी | ननसतबधता करण सससककमो औय आहो को अऩन रदम भ ही फर ऩियक दफान की चरषटा कय यही थी | आकाश भ ताय चभक यह थ | ऩथिी ऩय कहीॊ परकाश का नाभ नहीॊ| आकाश स टट कय महद कोई बािक ताया ऩथिी ऩय आना बी चाहता तो उसकी जमोनत औय शनदकत यासत भ ही शर हो जाती थी | अनदम ताय उसकी बािकता अथिा असपरता ऩय णखरणखराकय हॉस ऩड़त थ | ससमायो का करॊ दन औय ऩचक की डयािनी आिाज यात की ननसतबधता को बॊग कयती थी | गाॉि की झोऩडडमो स कयाहन औय क कयन की आिाज हय याभ ह बगिान की टय सनाई ऩड़ती थी| फचच बी ननफयर कॊ ठो स भाॉ ndashभाॉ ऩकायकय यो ऩड़त थ |

(क) अॉधयी यात को आॉस फहात हए कमो ठदखामा गमा ह उततयndash गाॉि भ हजा औय भररयमा परा हआ था | भहाभायी की चऩट भ आकाय रोग भय यह थ |चायो ओय भौत का सनाटा छामा था इससरए अॉधयी यात बी चऩचाऩ आॉस फहाती सी परतीत हो यही थी|

(ख) ताय क भाधमभ स रखक कमा कहना चाहता ह उततयndash ताय क भाधमभ स रखक कहना चाहता ह कक अकार औय भहाभायी स तरसत गाॉि िारो की ऩीड़ा को दय कयन िारा कोई नहीॊ था | परकनत बी गाॉि िारो क द ख स दखी थी| आकाश स टट कय महद कोई बािक ताया ऩथिी ऩय आना बी चाहता तो उसकी जमोनत औय शनदकत यासत भ ही शर हो जाती थी |

(ग) यात की ननसतबधता को कौन बॊग कयता था उततयndash ससमायो की चीख-ऩकाय ऩचक की डयािनी आिाज औय कततो का साभहहक रदन सभरकय यात क सनदनाट को बॊग कयत थ |

(घ) झोऩड़ड़मो स कसी आवाज आ यही ह औय कमो उततयndash झोऩडड़मो स योधगमो क कयाहन क कयन औय योन की आिाज आ यही ह कमोकक गाॉि क रोग भररयमा औय हज स ऩीडड़त थ | अकार क कायण अनदन की कभी हो गमी थी| औरधध औय ऩथम न सभरन क कायण रोगो की हारत इतनी फयी थी कक कोई बगिान को ऩकाय रगाता था तो कोई दफयर कॊ ठ स भाॉndashभाॉ ऩकायता था |

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15 चारी चजतरन मानी हभ सफ

रखक-पवषण खय

ऩाि का सायाॊश ndashचारक चनदपरन न हासम कराकाय क रऩ भ ऩयी दननमा क फहत फड़ दशयक िगय को हॉसामा ह | उनकी कपलभो न कपलभ करा को रोकताॊबतरक फनान क साथ-साथ दशको की िगय औय िणय-वमिसथा को बी तोड़ा | चारक न करा भ फवदध की अऩा बािना को भहतति हदमा ह | फचऩन क सॊघरो न चारक क बािी कपलभो की बसभ तमाय कय दी थी| बायतीम करा औय सौदमयशासतर भ करणा का हासम भ ऩरयितयन बायतीम ऩयमऩया भ नहीॊ सभरता रककन चारक एक ऐसा जादई वमनदकतति ह जो हय दश सॊसकनत औय सभमता को अऩना सा रगता ह| बायतीम जनता न बी उनदह सहज बाि स सिीकाय ककमा ह| सिमॊ ऩय हॉसना चारक न ही ससखामा| बायतीम ससनभा जगत क सपरससदध कराकाय याजकऩय को चारक का बायतीमकयण कहा गमा ह | चारक की अधधकाॊश किलभ भक ह इससरए उनदह अधधक भानिीम होना ऩड़ा | ऩाठ भ हासम कपलभो क भहान असबनता lsquoचारक चनदपरनrsquo की जादई विशरताओॊ का उलरख ककमा गमा ह नदजसभ उसन करणा औय हासम भ साभॊजसम सथावऩत कय किलभो को साियबौसभक रऩ परदान ककमा

परशन१ -चारी क जीवन ऩय परबाव िारन वारी भखम घटनाएॉ कौन सी थी

उततय- चारक क जीिन भ दो ऐसी घटनाएॉ घटीॊ नदजनदहोन उनक बािी जीिन ऩय फहत परबाि डारा |

ऩहरी घटना - जफ चारक फीभाय थ उनकी भाॉ उनदह ईसा भसीह की जीिनी ऩढ़कय सना यही थी | ईसा क सरी ऩय चढ़न क परसॊग तक आत-आत भाॉ-फटा दोनो ही योन रग| इस घटना न चारक को सनह करणा औय भानिता जस उचच जीिन भलम हदए |

दसयी घटना हndash फारक चारक कसाईखान क ऩास यहता था| िहाॉ सकड़ो जानियो को योज भाया जाता था| एक हदन एक बड़ िहाॉ स बाग ननकरी| बड़ को ऩकड़न की कोसशश भ कसाई कई फाय कपसरा| नदजस दखकय रोग हॊसन रग ठहाक रगान रग| जफ बड़ को कसाई न ऩकड़ सरमा तो फारक चारक योन रगा| इस घटना न उसक बािी कपलभो भ तरासदी औय हासमोतऩादक ततिो की बसभका तम कय दी |

परशन२ ndash आशम सऩषट कीजजएndash

चजतरन न लसपट कपलभकरा को ही रोकताॊबतरक नही फनामा फजलक दशटको की वगट तथा वणट-वमवसथा को बी तोड़ा|

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उततय- रोकताॊबतरक फनान का अथय ह कक कपलभ करा को सबी क सरए रोकवपरम फनाना औय िगय औय िणय-वमिसथा को तोड़न का आशम ह- सभाज भ परचसरत अभीय-गयीफ िणय जानतधभय क बदबाि को सभापत कयना |चनदपरन का चभतकाय मह ह कक उनदहोन कपलभकरा को बफना ककसी बदबाि क सबी रोगो तक ऩहॉचामा| उनकी कपलभो न सभम बगोर औय सॊसकनतमो की सीभाओॊ को राॉघ कय साियबौसभक रोकवपरमता हाससर की | चारक न मह ससदध कय हदमा कक करा सितनदतर होती ह अऩन ससदधाॊत सिमॊ फनाती ह |

परशन३ndash चारी चजतरन की कपलभो भ ननठहत तरासदीकरणाहासम का साभॊजसम बायतीम करा औय सौदमटशासतर की ऩरयधध भ कमो नहीॊ आता

उततय- चारक चनदपरन की कपलभो भ ननहहत तरासदीकरणाहासम का साभॊजसम बायतीम करा औय सौदमयशासतर की ऩरयधध भ नहीॊ आताकमोकक बायतीम यस-ससदधाॊत भ करणा औय हासम का भर नहीॊ हदखामा जाता कमोकक बायतीम सौदमयशासतर भ करणयस औय हासम यस को ऩयसऩय वियोधी भाना गमा ह अथायत जहाॊ करणा ह िहाॉ हासम नहीॊ हो सकता बायत भ सिमॊ ऩय हॉसन की ऩयॊऩया नहीॊ ह ऩयॊत चारक क ऩातर अऩन ऩय हॉसतndashहॉसात ह चारक की किलभो क दशम हॉसात-हॉसात ररा दत ह तो कबी करण दशम क फाद अचानक ही हॉसन ऩय भजफय कय दत ह

परशन४ndash चारी क कपलभो की पवशषताएॉ फताइए |

उततय- चारक की किलभो भ हासम औय करणा का अदभत साभॊजसम ह उनकी किलभो भ बारा का परमोग फहत कभ ह चारक की किलभो भ फवदध की अऩा बािना का भहतति अधधक ह उनकी किलभो भ साियबौसभकता ह चारक ककसी बी सॊसकनत को विदशी नही रगत चारक सफको अऩन रगत ह चारक न किलभो को रोकताॊबतरक फनामा औय किलभो भ िगय तथािणय-वमिसथा को तोड़ा अऩनी कपलभो भ चारक सदि धचय मिा हदखता ह

गदमाॊश-आधारयत अथटगरहण-सॊफॊधी परशनोततय

गदमाॊश सॊकत ndashचारक चनदपरन मानी हभ सफ (ऩरषठ १२० )

महद मह िरय चनदपरन की कापी कछ कहा जाएगा |

परशन (क)-पवकासशीर दशो भ चजतरन कमो भशहय हो यह ह

उततय - विकासशीर दशो भ जस-जस टरीविजन औय िीडडमो का परसाय हो यहा ह रोगो को उनकी कपलभो को दखन का अिसय सभर यहा ह |एक फहत फड़ा िगय नए ससय स चारक को घड़ी सधायत औय जत खान की कोसशश कयत दख यहा ह इसीसरए चारक विकासशीर दशो भ रोकवपरम हो यह ह |

(ख)- ऩजशचभ भ चारी का ऩनजीवन कस होता यहता ह

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उततय - ऩनदशचभ भ चारक की कपलभो का परदशयन होता यहता ह| उनकी करा स परयणा ऩाकय हासम किलभ फनती यहती ह | उनक दिाया ननबाए ककयदायो की नकर अनदम कराकाय कयत ह | ऩनदशचभ भ चारक का ऩनजीिन होता यहता ह|

(ग)- चारी को रोग फिाऩ तक कमो माद यखग

उततय ndashहासम कराकाय क रऩ भ रोग चारक को फढ़ाऩ तक माद यखग कमोकक उनकी करा सभम बगोर औय सॊसकनतमो की सीभाओॊ को राॉघकय राखो रोगो को हॉसा यही ह|

(घ)- चारी की कपलभो क फाय भ कापी कछ कहा जाना कमो फाी ह

उततय ndashचनदपरन की ऐसी कछ किलभ मा इसतभार न की गमी यीर सभरी ह नदजनक फाय भ कोई नहीॊ जानता था | चारक की बािनापरधान हासम कपलभो न करा क नए परनतभान सथावऩत ककए ह अत चारक की कपलभो क फाय भ अबी कापी कछ कहा जाना फाी ह|

16 नभक

रखखका - यजजमा सजजाद जहीय

सायाॊश -lsquoनभकrsquoबायत-ऩाक विबाजन ऩय सरणखत भासभयक कहानी ह | विसथावऩत हए रोगो भ अऩनndashअऩन जनदभ सथानो क परनत आज बी रगाि ह| धासभयक आधाय ऩय फनी यारषर-याजमो की सीभा-यखाएॉ उनक अॊतभयन को अरग नहीॊ कय ऩाई ह | बायत भ यहन िारी ससख फीिी राहौय को अऩना ितन भानती ह औय बायतीम कसटभ अधधकायी ढाका क नारयमर ऩानी को मादकय उस सियशररषठ फताता ह दोनो दशो क नागरयको क फीच भहबफत का नभकीन सिाद आज बी कामभ ह इसीसरए सकिमा बायत भ यहन िारी अऩनी भॉहफोरी भाॉ ससख फीिी क सरए राहौयी नभक रान क सरए कसटभ औय कानन की ऩयिाह नहीॊ कयती

परशन1- lsquoनभकrsquo ऩाि क आधाय ऩय फताइए कक सकपमा औय उसक बाई क पवचायो भ कमा अॊतय था

उततय- १-सकपमा बािनाओॊ को फहतभहतति दती ह ऩय उसका बाई फौवदधक परिनदतत का ह उसकी दनदरषट भ कानन बािनाओॊ स ऊऩय ह|

२-सकपमा भानिीम सॊफॊधो को फहत भहतति दती ह जफकक उसका बाई अरगाििादी विचायधाया का ह हहसस-फखय की फात कयता ह |

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३-सकपमा का बाई कहता ह कक अदीफो(साहहतमकाय) का हदभाग घभा हआ होता ह जफकक सकपमा जो सिमॊ अदीफ ह उसका भानना ह कक अगय सबी रोगो का हदभाग अदीफो की तयह घभा हआ होता तो दननमा कछ फहतय हो जाती |

परशन२- नभक र जात सभम सकफ़मा क भन भ कमा दपवधा थी

उततय-सकपमा समद भसरभान थी जो हय हार भ अऩना िामदा ननबात ह| ऩाककसतान स राहौयी नभक र जाकय िह अऩना िामदा ऩया कयना चाहती थी ऩयनदत जफ उस ऩता चरा कक कसटभ क ननमभो क अनसाय सीभाऩाय नभक र जाना िनदजयत ह तो िह दविधा भ ऩड़ गई | सकिमा का दिॊदि मह था कक िह अऩनी ससख भाॉ क सरए नभक कसटभ अधधकारयमो को फताकयर जाए मा नछऩाकय|

परशन३- ऩाि क आधाय ऩय सकपमा की चारयबतरक पवशषताएॉ फताइए |

उततय सॊकत ndash

१- बािक २- ईभानदाय ३- दढ़ननशचमी ४- ननडय ५- िामद को ननबान िारी ६- भानिीम भलमो को सिोऩरय भानन िारी साहहतमकाय

परशन ४- lsquoनभकrsquo ऩाि भ आए ककयदायो क भाधमभ स सऩषट कीजजए कक आज बी बायत औय ऩाककसतान की जनता क फीच भहबफत का नभकीन सवाद घरा हआ ह |

उततय ndash बर ही याजनीनतक औय धासभयक आधाय ऩय बायत औय ऩाककसतान को बौगोसरक रऩ स विबानदजत कय हदमा गमा ह रककन दोनो दशो क रोगो क रदम भ आज बी ऩायसऩरयक बाईचाया सौहादरय सनह औय सहानबनत विदमभान ह | याजनीनतक तौय ऩय बर ही सॊफॊध तनािऩणय हो ऩय साभानदजक तौय ऩय आज बी जनता क फीच भहबफत का नभकीन सिाद घरा हआ ह | अभतसय भ यहन िारी ससख फीफी राहौय को अऩना ितन कहती ह औय राहौयी नभक का सिाद नहीॊ बरा ऩाती | ऩाककसतान का कसटभ अधधकायी नभक की ऩडड़मा सकपमा को िाऩस दत हए कहता ह rdquoजाभा भनदसजद की सीहढ़मो को भया सराभ कहना |rdquo बायतीम सीभा ऩय तनात कसटभ अधधकायी ढाका की जभीन को औय िहाॉ क ऩानी क सिाद को नहीॊ बर ऩाता |

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गदमाॊश-आधारयत अथटगरहण सॊफॊधधत परशनोततय

गदमाॊश सॊकत- ऩाठndash नभक (ऩरषठ १३४)

सकपमा कसटभ क जॊगर स दोनो क हाथो भ थी |

(क) सकपमा कसटभ क जॉगर स ननकरकय दसय तरटपाभट ऩय आ गमी व वहीॊ खड़ यहndash इस वाकम भ lsquoवrsquo शबद का परमोग ककसक लरए ककमा गमा ह

उततय- महाॉ lsquoिrsquo शबद का परमोग ऩाककसतानी कसटभ अधधकायी क सरए ककमा गमा ह जो विबाजन स ऩिय हदलरी भ यहत थ औय आज बी हदलरी को ही अऩना ितन भानत ह |

(ख) तरटपाभट ऩय सकपमा को पवदा कयन कौन-कौन आए थ उनहोन सकपमा को कस पवदाई दी

उततय- परटपाभय ऩय सकपमा को विदा कयन उसक फहत साय सभतर सग सॊफॊधी औय बाई आए थ| उनदहोन ठॊडी साॉस बयत हए सबॊच हए होठो क साथ आॉस फहात हए सकपमा को विदाई दी |

(ग) अटायी भ यरगाड़ी भ कमा ऩरयवतटन हए उततय- अटायी भ यरगाड़ी स ऩाककसतानी ऩसरस उतयी औय हहनददसतानी ऩसरस सिाय हो गई|

(घ) कौन सी फात सकपमा की सभझ भ नहीॊ आ यही थी उततय- दोनो ओय एक सी जभीन एक जसा आसभान एक सी बारा एक सा ऩहनािा औय एक सी सयत क रोग कपय बी दोनो क हाथो भ बयी हई फॊदक ह |

17 लशयीष क पर

आचामट हजायी परसाद दपववदी

सायाॊश ndashlsquoआचामय हजायी परसाद दवििदीrsquo सशयीर को अदभत अिधत भानत ह कमोकक सॊनदमासी की बाॉनत िह सख-दख की धचॊता नहीॊ कयता गभी र िराय औय आॉधी भ बी अविचर खड़ा यहता ह सशयीर क िर क भाधमभ स भनरषम की अजम नदजजीविरा धमयशीरता औय कतयवमननरषठ फन यहन क भानिीम भलमो को सथावऩत ककमा गमा हरखक न सशयीर क कोभर परो औय कठोय परो क दिाया सऩरषट ककमा ह कक रदम की कोभरता फचान क सरए कबी-कबी वमिहाय की कठोयता बी आिशमक हो जाती ह| भहान कवि कासरदास औय कफीय बी सशयीर की तयह फऩयिाह अनासकत औय सयस थ तबी उनदहोन इतनी सनददय यचनाएॉ सॊसाय को दीॊ| गाॉधीजी क वमनदकतति भ बी कोभरता औय कठोयता का अदभत सॊगभ था | रखक सोचता ह कक हभाय दश भ जो भाय-काट अनदगनदाह रट-ऩाट खन-खचचय का फिॊडय ह कमा िह दश को नदसथय नहीॊ यहन दगा गराभी अशाॊनत औय वियोधी िाताियण क फीच अऩन ससदधाॊतो की या कयत हए गाॉधीजी जी नदसथय यह सक थ तो दश बी यह सकता ह जीन की परफर असबरारा क कायण

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विरभ ऩरयनदसथतमो भ बी महद सशयीर णखर सकता ह तो हभाया दश बी विरभ ऩरयनदसथनतमो भ नदसथय यह कय विकास कय सकता ह

परशन1-लसदध कीजजए कक लशयीष कारजमी अवधत की बाॉनत जीवन की अजमता क भॊतर का परचाय कयता ह

उततय- सशयीर कारजमी अिधत की बाॉनत जीिन की अजमता क भॊतर का परचाय कयता ह| जफ ऩथिी अनदगन क सभान तऩ यही होती ह िह तफ बी कोभर परो स रदा रहरहाता यहता ह|फाहयी गयभी धऩ िराय आॉधी र उस परबावित नहीॊ कयती इतना ही नहीॊ िह रॊफ सभम तक णखरा यहता ह | सशयीर विऩयीत ऩरयनदसथनतमो भ बी धमयशीर यहन तथा अऩनी अजम नदजजीविरा क साथ ननसऩह बाि स परचॊड गयभी भ बी अविचर खड़ा यहता ह

परशन२-आयगवध (अभरतास) की तरना लशयीष स कमो नहीॊ की जा सकती

उततय- सशयीर क पर बमॊकय गयभी भ णखरत ह औय आराढ़ तक णखरत यहत ह जफकक अभरतास का पर किर ऩनददरह-फीस हदनो क सरए णखरता ह | उसक फाद अभरतास क पर झड़ जात ह औय ऩड़ कपय स ठॉठ का ठॉठ हो जाता ह | अभरतास अलऩजीिी ह | विऩयीत ऩरयनदसथनतमो को झरता हआ ऊरषण िाताियण को हॉसकय झरता हआ सशयीर दीघयजीिी यहता ह | मही कायण ह कक सशयीर की तरना अभरतास स नहीॊ की जा सकती |

परशन३-लशयीष क परो को याजनताओॊ का रऩक कमो ठदमा गमा ह

उततय- सशयीर क पर उन फढ़ ढीठ औय ऩयान याजनताओॊ क परतीक ह जो अऩनी कसी नहीॊ छोड़ना चाहत | अऩनी अधधकाय-सरपसा क सरए नए मिा नताओॊ को आग नहीॊ आन दत | सशयीर क नए परो को जफयदसती ऩयान परो को धककमाना ऩड़ता ह | याजनीनत भ बी नई मिा ऩीढ़ी ऩयानी ऩीढ़ी को हयाकय सिमॊ सतता सॉबार रती ह |

परशन४- कार दवता की भाय स फचन का कमा उऩाम फतामा गमा ह

उततय- कार दिता कक भाय स फचन का अथय हndash भतम स फचना | इसका एकभातर उऩाम मह ह कक भनरषम नदसथय न हो| गनतशीर ऩरयितयनशीर यह | रखक क अनसाय नदजनकी चतना सदा ऊधियभखी (आधमातभ की ओय) यहती ह ि हटक जात ह |

परशन५- गाॉधीजी औय लशयीष की सभानता परकट कीजजए |

उततय- नदजस परकाय सशयीर धचरधचराती धऩ र िराय औय आॉधी भ बी अविचर खड़ा यहता ह अनासकत यहकय अऩन िाताियण स यस खीॊचकय सयस कोभर फना यहता ह उसी परकाय गाॉधी जी न बी अऩनी आॉखो क साभन आजादी क सॊगराभ भ अनदमाम बदबाि औय हहॊसा को झरा |

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उनक कोभर भन भ एक ओय ननयीह जनता क परनत असीभ करणा जागी िहीॊ ि अनदमामी शासन क वियोध भ डटकय खड़ हो गए |

गदमाॊश-आधारयत अथटगरहण सॊफॊधधत परशनोततय

गदमाॊश सॊकत- ऩाठ ndash सशयीर क पर (ऩरषठ १४७)

कासरदास सौदमय क िह इशाया ह |

(क) कालरदास की सौदमटndashदजषट की कमा पवशषता थी उततय-कासरदास की सौदमयndashदनदरषट फहत सकषभ अॊतबदी औय सॊऩणय थी| ि किर फाहयी रऩ-यॊग औय आकाय को ही नहीॊ दखत थ फनदलक अॊतभयन की सॊदयता क बी ऩायखी थ| कासरदास की सौदमय शायीरयक औय भानससक दोनो विशरताओॊ स मकत था |

(ख) अनासजकत का कमा आशम ह उततय- अनासनदकत का आशम ह- वमनदकतगत सख-द ख औय याग-दिर स ऩय यहकय सौदमय क िासतविक भभय को जानना |

(ग) कालरदास ऩॊत औय यवीॊिनाथ टगोय भ कौन सा गण सभान था भहाकवि कासरदास ससभतरानॊदन ऩॊत औय गरदि यिीॊदरनाथ टगोय तीनो नदसथयपरऻ औय अनासकत कवि थ | ि सशयीर क सभान सयस औय भसत अिधत थ |

(घ) यवीॊिनाथ याजोदमान क लसॊहदवाय क फाय भ कमा सॊदश दत ह याजोदमान क फाय भ यिीॊदरनाथ कहत ह याजोदमान का ससॊहदिाय ककतना ही सॊदय औय गगनचमफी कमो ना हो िह अॊनतभ ऩड़ाि नहीॊ ह| उसका सौदमय ककसी औय उचचतभ सौदमय की ओय ककमा गमा सॊकत भातर ह कक असरी सौदमय इस ऩाय कयन क फाद ह अत याजोदमान का ससॊहदिाय हभ आग फढ़न की परयणा दता ह |

18शरभ-पवबाजन औय जानत-परथा

िॉ० बीभयाव अॊफिकय

सायाॊश ndash इस ऩाठ भ रखक न जानतिाद क आधाय ऩय ककए जान िार बदबाि को सभम सभाज क सरए हाननकायक फतामा ह | जानत आधारयत शरभ विबाजन को असिाबाविक औय भानिता वियोधी फतामा गमा ह मह साभानदजक बदबाि को फढ़ाता ह जानतपरथा आधारयत शरभ विबाजन भ वमनदकत की रधच को भहतति नहीॊ हदमा जाता परसिरऩ वििशता क साथ अऩनाए

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Page 17: ISSUED BY KENDRIYA VIDYALAYA - DOWNLOADED FROM … Class XII Hindi Part B.pdfप्रश्न४ :-फादर क / फयन का गयीफ एि धनी िगय क्मा

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आहद विरण परमोग रफाइमो को विसशरषट फना दत ह | हहॊदीउदय औय रोकबारा क अनठ गठफॊधन की झरक नदजस गाॊधीजी हहॊदसतानी क रऩ भ ऩलरवित कयना चाहत थदखन को सभरती ह |

पवषम-वसत ऩय आधारयत परशनोततय

रफाइमाॉ

परशन १ -कावम भ परमकत बफॊफो का िणयन अऩन शबदो भ कीनदजए

उततय -

दशम बफॊफ -फचच को गोद भ रना हिा भ उछारना सनान कयाना घटनो भ रकय कऩड़ ऩहनाना|

शरवमबफॊफ - फचच का णखरणखरा कय हॉस ऩड़ना सऩशय बफॊफ -फचच को सनान कयात हए सऩशय कयना |

परशन २-ldquoआॉगन भ ठनक यहा ह नदज़दमामा ह फारक तो हई चाॉद ऩ ररचामा हrsquo- भ फारक की कौन सी विशरता असबवमकत हई ह

उततय - इन ऩॊनदकतमो भ फारक की हि कयन की पवशषता असबवमकत हई ह फचच जफ नदजद ऩय आ जात ह तो अऩनी इचछा ऩयी कयिान क सरए नाना परकाय की हयकत ककमा कयत ह| नदज़दमामा शबद रोक बाषा का पवरण परमोग ह इसभ फचच का िनकना तनकना ऩाॉव ऩटकना योना आठद सबी ककरमाएॉ शासभर ह |

परशन ३ रचछ ककस कहा गमा ह इनका सॊफॊध ककस तमौहाय स ह

उततय - याखी क चभकीर तायो को रचछ कहा गमा ह याफॊधन क कचच धागो ऩय बफजरी क रचछ ह सािन भ याफॊधन आता ह सािन का जो सॊफॊध झीनी घटा स ह घटा का जो सॊफॊध बफजरी स ह िही सॊफॊध बाई का फहन स होता ह|सािन भ बफजरी की चभक की तयह याखी क चभकीर धागो की सॊदयता दखत ही फनती ह|

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अथट-गरहण-सॊफॊधी परशन

गज़र

कफ़याक गोयखऩयी

ldquoनौयस गॊच ऩॊखडड़मो की नाज़क धगयह खोर ह

मा उड़ जान को यॊगो- फ गरशन भ ऩय तौर ह |rdquo

परशन१- lsquoनौयसrsquo विशरण दिाया कवि ककस अथय की वमॊजना कयना चाहता ह

उततय नौयस अथायत नमा यस गॊच अथायत कसरमो भ नमा ndashनमा यस बय आमा ह |

परशन२- ऩॊखडड़मो की नाज़क धगयह खोरन का कमा असबपराम ह

उततय - यस क बय जान स कसरमाॉ विकससत हो यही ह |धीय-धीय उनकी ऩॊखडड़माॉ अऩनी फॊद गाॉठ खोर यही ह | कवि क शबदो भ नियस ही उनकी फॊद गाॉठ खोर यहा ह|

परशन३- lsquoयॊगो- फ गरशन भ ऩय तौर हrsquo ndash का अथय सऩरषट कीनदजए|

उततय -यॊग औय सगॊध दो ऩी ह जो कसरमो भ फॊद ह तथा उड़ जान क सरए अऩन ऩॊख पड़पड़ा यह ह |मह नदसथनत कसरमो क पर फन जान स ऩिय की ह जो पर फन जान की परतीा भ ह |rsquoऩय तौरनाrsquo एक भहािया ह जो उड़ान की भता आॉकन क सरए परमोग ककमा जाता ह |

परशन४- इस शय का बाि-सौदमय वमकत कीनदजए|

उततय -कसरमो की नई-नई ऩॊखडड़माॉ णखरन रगी ह उनभ स यस भानो टऩकना ही चाहता ह | िमसॊधध(ककशोयी)नानमका क परसपहटत होत सौदमय का परतीकातभक धचतरण अतमॊत सॊदय फन ऩड़ा ह |

सौदमट-फोध-सॊफॊधी परशन

हभ हो मा ककसभत हो हभायी दोनो को इक ही काभ सभरा ककसभत हभ को यो रि ह हभ ककसभत को यो र ह| जो भझको फदनाभ कय ह काश ि इतना सोच सक

भया ऩदाय खोर ह मा अऩना ऩदाय खोर ह | परशन१- इन शयो की बारा सॊफॊधी विशरताएॉ सऩरषट कीनदजए |

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उततय- १ भहाियो का परमोग ndashककसभत का योना ndashननयाशा का परतीक

२सयर असबवमनदकत बारा भ परिाहभमता ह ककसभत औय ऩयदा शबदो की ऩनयािनदततमाॉ

भोहक ह|

३ हहॊदी का घयर रऩ

परशन२- lsquoभया ऩयदा खोर ह मा अऩना ऩयदा खोर ह lsquo- की बावरक विशरता सरणखए |

उततय -भहािय क परमोग दिाया वमॊजनातभक असबवमनदकत | ऩयदा खोरना ndash बद खोरना सचचाई फमान कयना|

परशन३-lsquoहभ हो मा ककसभत हो हभायी lsquo ndashपरमोग की विशरता फताइए |

उततय - हभ औय ककसभत दोनो शबद एक ही वमनदकत अथायत कियाक क सरए परमकत ह | हभ औय ककसभत भ अबद ह मही विशरता ह |

कफ़याक गोयखऩयी

पवषम-वसत ऩय आधारयत परशनोततय

परशन१- ताय आॉख झऩकाि ह ndashका तातऩमय सऩरषट कीनदजए |

उततय- याबतर का सनदनाटा बी कछ कह यहा हइससरए ताय ऩरक झऩका यह ह विमोग की नदसथनत भ परकनत बी सॊिाद कयती परतीत होती ह |

परशन२- lsquoहभ हो मा ककसभत हो हभायीrsquo भ ककस बाि की असबवमनदकत हई ह

उततय- जीिन की विडॊफना ककसभत को योना-भहािय क परमोग स सटीक असबवमनदकत परापत कयती ह कवि जीिन स सॊतरषट नहीॊ ह | बागम स सशकामत का बाि इन ऩॊनदकतमो भ झरकता ह |

परशन३- परभ क ककस ननमभ की असबवमनदकत कवि न की ह

उततय -ईशिय की परानदपत सियसि रटा दन ऩय होती ह परभ क सॊसाय का बी मही ननमभ ह|कवि क शबदो भ rdquo कितयत का कामभ ह तिाज़न आरभ- हसनो ndashइशक भ बी

उसको उतना ही ऩात ह खद को नदजतना खो र ह |rdquo

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१ बाि ndashसामम- कफीय -lsquoसीस उताय बई धय तफ सभसरह कयतायlsquo-अथायत -सिमॊ को खो कय ही परभ परानदपत की जा सकती ह

२ बाि सामम- कफीय ndashनदजन ढॉढा नतन ऩाइमाॉ गहय ऩानी ऩहठ|

भ फऩया फडन डया यहा ककनाय फहठ |

परशन४- शयाफ की भहकपर भ शयाफी को दय यात कमा फात माद आती ह

उततय - शयाफ की भहकपर भ शयाफी को दय यात माद आती ह कक आसभान भ भनरषम क ऩाऩो का रखा-जोखा होता ह जस आधी यात क सभम परयशत रोगो क ऩाऩो क अधमाम खोरत ह िस ही यात क सभम शयाफ ऩीत हए शामय को भहफफा की माद हो आती ह भानो भहफफा परयशतो की तयह ऩाऩ सथर क आस ऩास ही ह

परशन५- सदक कियाकndashndashndashइन ऩॊनदकतमो का अथय सऩरषट कीनदजए |

उततय -सदक कियाकndashndashndashइन ऩॊनदकतमो भ कियाक कहत ह कक उनकी शामयी भ भीय की शामयी की उतकरषटता धिननत हो यही ह

परशन६- ऩॊखडड़मो की नाज़क धगयह खोरना कमा ह

उततय -ऩॉखडड़मो की नाजक धगयह खोरना उनका धीय -धीय विकससत होना ह

िमसॊधध(ककशोयी)नानमका क परसपहटत होत सौदमय की ओय सॊकत ह |

परशन७-lsquoमो उड़ जान को यॊगो फ गरशन भ ऩय तौर हrsquo बाि सऩरषट कीनदजए

उततय -कसरमो की सिास उड़न क सरए भानो ऩय तौर यही होअथायत खशफ का झोका यहndashयह कय उठता ह

परशन८- कवि दिाया िणणयत याबतर क दशम का िणयन अऩन शबदो भ कीनदजए

उततय - याबतर का सनदनाटा बी कछ कह यहा हइससरए ताय ऩरक झऩका यह हरगता ह कक परकनत का कण-कण कछ कह यहा ह |

परशन९- कवि अऩन िमनदकतक अनबि ककन ऩॉनदकतमो भ वमकत कय यहा ह

जीिन की विडॊफना-lsquoककसभत को योनाlsquo भहािय क परमोग स सटीक असबवमनदकत परापत कयती ह

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ldquoहभ हो मा ककसभत हो हभायी दोनो को इक ही काभ सभरा

ककसभत हभ को यो रि ह हभ ककसभत को यो र ह|rdquo

परशन१०- शामय न दननमा क ककस दसतय का िणयन ककमा ह

उततय -शामय न दननमा क इस दसतय का िणयन ककमा ह कक रोग दसयो को फदनाभ कयत ह ऩयॊत ि नहीॊ जानत कक इस तयह ि अऩनी दरषट परकनत को ही उदघाहटत कयत ह

परशन११- परभ की कितयत कवि न ककन शबदो भ असबवमकत की ह

सिमॊ को खो कय ही परभ की परानदपत की जा सकती ह ईशिय की परानदपत सियसि रटा दन ऩय होती ह परभ क सॊसाय का बी मही ननमभ ह

परशन१२- कियाक गोयखऩयी ककस बारा क कवि ह

उततय - उदय बारा

10 छोटा भया खत

उभाशॊकय जोशी

(गजयाती कपव)

उभाशॊकय जोशी फीसिीॊ सदी क गजयाती क भधयनदम कवि सॊसकत िाङभम क विदिान हउनदहोन गजयाती कविता को परकनत स जोड़ाआभ आदभी क जीिन की झरक उनकी यचनाओॊ भ सभरती ह

छोटा भया खत

साय

खती क रऩक दिाया कावम यचनाndash परककरमा को सऩषट ककमा गमा हकावम कनत की यचना फीजndash वऩन स रकय ऩौध क ऩजषऩत होन क पवलबनन चयणो स गजयती हअॊतय किर इतना ह कक कपव कभट की पसर कारजमी शाशित होती हउसका यस-यण अम होता हकागज का ऩनदना नदजस ऩय यचना शबदफदध होती ह कवि को एक चौकोय खत की तयह रगता ह इस खत

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भ ककसी अॉधड़ (आशम बािनातभक आॉधी स होगा) क परबाि स ककसी ण एक फीज फोमा जाता ह मह फीज-यचना विचाय औय असबवमनदकत का हो सकता ह मह भर रऩ कलऩना का सहाया रकय विकससत होता ह औय परककरमा भ सिमॊ विगसरत हो जाता ह उसस शबदो क अॊकय ननकरत ह औय अॊतत कनत एक ऩणय सिरऩ गरहण कयती ह जो कवर-कभय क सरहाज स ऩलरवित -ऩनदरषऩत होन की नदसथनत ह साहहनदतमक कनत स जो अरौककक यस-धाया पटती ह िह ण भ होन िारी योऩाई का ही ऩरयणाभ ह ऩय मह यस-धाया अनॊत कार तक चरन िारी कटाई ह |

फगरो क ऩॊख

साय

फगरो क ऩॊख कविता एक चार बफॊफ की कविता ह सौदमय का अऩकषत परबाि उतऩनदन कयन क सरए कविमो न कई मनदकतमाॉ अऩनाई ह नदजसभ स सफस परचसरत मनदकत ह-सौदमय क वमौयो क धचतरातभक िणयन क साथ अऩन भन ऩय ऩड़न िार उसक परबाि का िणयन औय आतभगत क सॊमोग की मह मनदकत ऩाठक को उस भर सौदमय क कापी ननकट र जाती ह जोशी जी की इस कविता भ ऐसा ही ह कवि कार फादरो स बय आकाश भ ऩॊनदकत फनाकय उड़त सपद फगरो को दखता ह ि कजयाय फादरो भ अटका-सा यह जाता ह िह इस भामा स अऩन को फचान की गहाय रगाता ह कमा मह सौदमय स फाॉधन औय विॊधन की चयभ नदसथनत को वमकत कयन का एक तयीका ह

परकनत का सितॊतर (आरॊफन गत ) धचतरण आधननक कविता की विशरता हधचतरातभक िणयन दिाया कवि न एक ओय कार फादरो ऩय उड़ती फगरो की शित ऩॊनदकत का धचतर अॊककत ककमा ह तो दसयी ओय इस अपरनतभ दशम क रदम ऩय ऩड़न िार परबाि को धचबतरत ककमा हभॊतर भगध कवि इस दशम क परबाि स आतभ विसभनत की नदसथनत तक ऩहॉच जाता हविरम एिॊ विरमीगत सौनददमय क दोनो रऩ कविता भ उदघाहटत हए ह

अथट-गरहण-सॊफॊधी परशन

ldquoछोटा भया खत चौकोना

कागज़ का एक ऩनदना कोई अॊधड़ कहीॊ स आमा

ण का फीज िहाॉ फोमा गमा|

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कलऩना क यसामनो को ऩी

फीज गर गमा ननशर शबद क अॊकय पट

ऩलरि ndashऩरषऩो स नसभत हआ विशर |rdquo

परशन १lsquoछोटा भया खतrsquo ककसका परतीक ह औय कमो

उततय - परशन२ lsquoछोटा भया खतrsquo काग़ज क उस ऩनदन का परतीक ह नदजस ऩय कवि अऩनी कविता सरखता ह

परशन २ कवि खत भ कौनndashसा फीज फोता ह

उततय - कवि खत भ अऩनी कलऩना का फीज फोता ह

परशन ३ कवि की कलऩना स कौन स ऩलरि अॊकरयत होत ह

उततय - कवि की कलऩना स शबद क ऩलरि अॊकरयत होत ह

परशन ४ उऩमयकत ऩद का बाि-सौदमय सऩरषट कीनदजए |

उततय - खती क रऩक दिाया कावम-यचनाndashपरककरमा को सऩषट ककमा गमा हकावम कनत की यचना फीजndash वऩन स रकय ऩौध क ऩजषऩत होन क पवलबनन चयणो स गजयती हअॊतय किर इतना ह कक कपव कभट की पसर कारजमी शाशित होती हउसका यस-यण अम होता ह

सौदमट-फोध-सॊफॊधी परशन

ldquoझभन रग पर

यस अरौककक

अभत धायाएॉ पटतीॊ

योऩाई ण की

कटाई अनॊतता की

रटत यहन स जया बी कभ नहीॊ होती |

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यस का अम ऩातर सदा का

छोटा भया खत चौकोना |rdquo

परशन इस कविता की बारा सॊफॊधी विशरताओॊ ऩय परकाश डासरए ndash

उततय - १ परतीकातभकता

२ राणणकता -

२रऩक अरॊकायndash यस का अम ऩातर सदा का

छोटा भया खत चौकोना

परशन २ यस अरौककक अभत धायाएॉ योऩाई ndash कटाई-परतीको क अथय सऩरषट कीनदजए |

उततय - यस अरौककक ndash कावम यस ननरषऩनदतत

अभत धायाएॉ- कावमानॊद

योऩाई ndash अनबनत को शबदफदध कयना

कटाई ndashयसासिादन

पवषम-वसत ऩय आधारयत परशनोततय

कपवता ndash

छोटा भया खत

परशन १ उभाशॊकय जोशी न ककस बारा भ कविताएॉ सरखी ह

उततय - गजयाती बारा

परशन२ कवरndashकभय एिॊ कविndashकभय भ कमा कमा सभानताएॉ ह

उततय - कवरndashकभय एिॊ कविndashकभय भ ननमनसरणखत सभानताएॉ ह-

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कावम कनत की यचना फीजndash वऩन स रकय ऩौध क ऩजषऩत होन क पवलबनन चयणो स गजयती ह

कपषndashकभट एवॊ कपवndashकभट भ सभानताएॉ -

कागज का ऩनदना नदजस ऩय यचना शबदफदध होती ह कवि को एक चौकोय खतरगता ह इस खत भ ककसी अॉधड़ (आशम बािनातभक आॉधी स होगा) क परबाि स ककसी ण

एक फीज फोमा जाता ह मह फीज-यचना विचाय औय असबवमनदकत का हो सकता ह मह भर रऩ कलऩना का सहाया रकय विकससत होता ह औय परककरमा भ सिमॊ विगसरत

हो जाता ह इसीपरकाय फीज बी खाद ऩानी समय की योशनी हिा आहद रकय विकससत होता ह |

कावम ndashयचना स शबदो क अॊकय ननकरत ह औय अॊतत कनत एक ऩणय सिरऩ गरहण कयती ह जो कवर-कभय क सरहाज स ऩलरवित ndashऩनदरषऩत औय पसरत होन की नदसथनत ह अथट-गरहण-सॊफॊधी परशन

कपवताndash फगरो क ऩॊख

नब भ ऩाॉती- फॉध फगरो क ऩॊख

चयाए सरए जातीॊ ि भयी आॉख |

कजयाय फादरो की छाई नब छामा

हौरndashहौर जाती भझ फाॉध ननज भामा स |

उस कोई तननक योक यकखो |

िह तो चयाए सरए जाती भयी आॉख

नब भ ऩाॉती- फॉधी फगरो की ऩाॉख |

तयती साॉझ की सतज शित कामा|

परशन१- इस कविता भ कवि न ककसका धचतरण ककमा ह

उततय - कवि न कार फादरो ऩय उड़ती फगरो की शित ऩॊनदकत का धचतरण ककमा ह|

परशन२- आॉख चयान का कमा अथय ह

उततय - आॉख चयान का आशम ह ndashधमान ऩयी तयह खीॊच रना एकटक दखना भॊतरभगध कय दना

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परशन३-

ldquoकजयाय फादरो की छाई नब छामा

हौर ndashहौर जाती भझ फाॉध ननज भामा स |rdquo- आशम सऩरषट कीनदजए |

उततय- कार फादरो क फीच साॉझ का सयभई िाताियण फहत सॊदय हदखता ह | ऐसा अपरनतभ सौदमय अऩन आकरयण भ कवि को फाॉध रता ह |

परशन ४ ldquoउस कोई तननक योक यकखो |rsquo- स कवि का कमा असबपराम ह

उततय - फगरो की ऩॊनदकत आकाश भ दय तक उड़ती जा यही ह कवि की भॊतरभगध आॉख उनका ऩीछा कय यही ह | कवि उन फगरो को योक कय यखन की गहाय रगा यहा ह कक कहीॊ ि उसकी आॉख ही अऩन साथ न र जाएॉ |

सौदमट-फोध-सॊफॊधी परशन

परशन १ कविता की बारा सॊफॊधी दो विशरताएॉ सरणखए|

उततय -१ धचतरातभक बारा

२ फोरचार क शबदो का परमोग - हौर ndashहौर ऩाॉती कजयायसाॉझ

परशन २ कविता भ परमकत अरॊकाय चन कय सरणखए |

उततय - अनपरास अरॊकाय - फॉध फगरो क ऩॊख

भानिीकयण अरॊकाय - चयाए सरए जातीॊ ि भयी आॉख |

परशन ३ -lsquo ननज भामाrsquo क राणणक अथय को सऩरषट कीनदजए |

उततय - परकनत का अपरनतभ सौदमय िह भामा ह जो कवि को आतभविबोय कय दती हमह ऩॊनदकत बी परशॊसातभक उनदकत ह

पवषम-वसत ऩय आधारयत परशनोततय

परशन१- lsquoचयाए सरए जाती ि भयी ऑ ॊखrsquo स कवि का कमा तातऩमय ह

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उततय -धचतरातभक िणयन दिाया कवि न एक ओय कार फादरो ऩय उड़ती फगरो की शित ऩॊनदकत का धचतर अॊककत ककमा ह तथा इस अपरनतभ दशम क रदम ऩय ऩड़न िार परबाि को धचबतरत ककमा ह कवि क अनसाय मह दशम उनकी आॉख चयाए सरए जा यहा ह |भॊतर भगध कवि इस दशम क परबाि स आतभ विसभनत की नदसथनत तक ऩहॉच जाता ह

परशन२-कवि ककस भामा स फचन की फात कहता ह

उततय - भामा विशि को अऩन आकरयण भ फाॉध रन क सरए परससदध ह | कफीय न बी lsquoभामा भहा ठधगनी हभ जानीrsquo कहकय भामा की शनदकत को परनतऩाहदत ककमा ह | कार फादरो भ फगरो की सॊदयता अऩना भामा जार परा कय कवि को अऩन िश भ कय यही ह |

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आयोह बाग-२ गदम-बाग

परशन-सॊखमा १०- गदम खॊड भ हदए गए ऩहठत गदमाॊश स अथयगरहण सॊफॊधी चाय परशन ऩछ जाएॉग नदजनक सरए ननधायरयत अॊक (२४=८) ह |

परशन-सॊखमा ११- ऩाठो की विरमिसत स सॊफॊधधत ऩाॉच भ स चाय परशनो क उततय दन ह नदजनक सरए ननधायरयत अॊक (३४=१२) ह|

ऩयीा भ अचछ अॊक परातत कयन क लरए धमान दन मोगम फात ndash

1 रख एिॊ ितयनी की शदधता तथा िाकम-गठन ऩय धमान द | 2 हय ऩाठ का सायऩरषठबसभविरमिसत तथाकथानक को सभझना आिशमक ह |

अतविदमाथी हय ऩाठ का सायाॊश बरीबाॉनत माद कय र | 3 परशनो को धमान स ऩढ़ तदनसाय अऩकषत उततय सरख | 4 उततय सरखत सभम सॊफॊधधत भखम बफॊदओॊ का शीरयकफनात हए उततय सरख मथा-तीन

अॊक क परशनो क उततय सरखत सभम कभ स कभ तीन भखम उततय-बफ ॊदओॊ का उलरख कयत हए उततय सऩरषट कय |

5 अॊक-मोजना क अनसाय ननधायरयत शबद-सीभा क अॊतगयत उततय सरख | ऩयीाथी कई फाय एक अॊक क परशन का उततय फहत रॊफा कई फाय ऩया ऩरषठ सरख दत ह जो सभम औय ऊजाय की फफायदी ह |

6 धमान यह कक अधधक सरखन स अचछ अॊक नहीॊ आत फनदलक सयर-सफोध बारा भ सरख गए सटीक उततय सायगसबयत तथम तथा उदाहयण क दिाया सऩरषट ककए गए उततय परबािशारी होत ह |

ऩाि 11 - बजकतन

रखखका- भहादवी वभाट

ऩाि का सायाॊश- बनदकतन नदजसका िासतविक नाभ रकषभी थारणखका lsquoभहादिी िभायrsquo की सविका ह | फचऩन भ ही बनदकतन की भाॉ की भतम हो गमी| सौतरी भाॉ न ऩाॉच िरय की आम भ वििाह तथा नौ िरय की आम भ गौना कय बनदकतन को ससयार बज हदमा| ससयार भ बनदकतन न तीन फहटमो को जनदभ हदमा नदजस कायण उस सास औय नदजठाननमो की उऩा सहनी ऩड़ती थी| सास औय नदजठाननमाॉ आयाभ पयभाती थी औय बनदकतन तथा उसकी ननदहीॊ फहटमो को घय औय खतो का साया काभ कयना ऩडता था| बनदकतन का ऩनत उस फहत चाहता था| अऩन ऩनत क सनह क फर ऩय बनदकतन न ससयार िारो स अरगौझा कय अऩना अरग घय फसा सरमा औय सख स यहन रगी ऩय बनदकतन का दबायगम अलऩाम भ ही उसक ऩनत की भतम हो गई | ससयार िार

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बनदकतन की दसयी शादी कय उस घय स ननकारकय उसकी सॊऩनदतत हड़ऩन की सानदजश कयन रग| ऐसी ऩरयनदसथनत भ बनदकतन न अऩन कश भॊडा सरए औय सॊनदमाससन फन गई | बनदकतन सिासबभानी सॊघरयशीर कभयठ औय दढ सॊकलऩ िारी सतरी ह जो वऩतसततातभक भानदमताओॊ औय छर-कऩट स बय सभाज भ अऩन औय अऩनी फहटमो क हक की रड़ाई रड़ती हघय गहसथी सॉबारन क सरए अऩनी फड़ी फटी दाभाद को फरा सरमा ऩय दबायगम न महाॉ बी बनदकतन का ऩीछा नहीॊ छोड़ा अचानक उसक दाभाद की बी भतम हो गमी| बनदकतन क जठ-नदजठौत न सानदजश यचकय बनदकतन की विधिा फटी का वििाह जफयदसती अऩन तीतयफाज सार स कय हदमा| ऩॊचामत दिाया कयामा गमा मह सॊफॊध दखदामी यहा | दोनो भाॉ-फटी का भन घय-गहसथी स उचट गमा ननधयनता आ गमी रगान न चका ऩान क कायण जभीॊदाय न बनदकतन को हदन बय धऩ भ खड़ा यखा| अऩभाननत बनदकतन ऩसा कभान क सरए गाॉि छोड़कय शहय आ जाती ह औय भहादिी की सविका फन जाती ह| बनदकतन क भन भ भहादिी क परनत फहत आदय सभऩयण औय असबबािक क सभान अधधकाय बाि ह| िह छामा क सभान भहादिी क साथ यहती ह| िह यात-यात बय जागकय धचतरकायी मा रखन जस कामय भ वमसत अऩनी भारककन की सिा का अिसय ढॉढ रती ह| भहादिी बनदकतन को नहीॊ फदर ऩामी ऩय बनदकतन न भहादिी को फदर हदमा| बनदकतन क हाथ का भोटा-दहाती खाना खात-खात भहादिी का सिाद फदर गमा बनदकतन न भहादिी को दहात क ककसस-कहाननमाॉ ककॊ िदॊनतमाॉ कॊ ठसथ कया दी| सिबाि स भहाकॊ जस होन ऩय बी बनदकतन ऩाई-ऩाई कय जोडी हई १०५ रऩमो की यासश को सहरय भहादिी को सभवऩयत कय दती ह| जर क नाभ स थय-थय काॉऩन िारी बनदकतन अऩनी भारककन क साथ जर जान क सरए फड़ राट साहफ तक स रड़न को बी तमाय हो जाती ह| बनदकतन भहादिी क जीिन ऩय छा जान िारी एक ऐसी सविका ह नदजस रणखका नहीॊ खोना चाहती

ऩाि आधारयत परशनोततय

नोट- उततय भ ननहहत यखाॊककत िाकम भखम सॊकत बफॊद ह |

परशन 1-बजकतन का वासतपवक नाभ कमा था वह अऩन नाभ को कमो छऩाना चाहती थी

उततय-बनदकतन का िासतविक नाभ रकषभी था हहनददओॊ क अनसायरकषभी धन की दिीह चॉकक बनदकतन गयीफ थी| उसक िासतविक नाभ क अथय औय उसक जीिन क मथाथय भ वियोधाबास ह ननधयन बनदकतन सफको अऩना असरी नाभ रकषभी फताकय उऩहास का ऩातर नहीॊ फनना चाहती थी इससरए िह अऩना असरी नाभ छऩाती थी

परशन 2- रखखका न रकषभी का नाभ बजकतन कमो यखा

उततय-घटा हआ ससय गर भ कॊ ठी भारा औय बकतो की तयह सादगीऩणय िशबरा दखकय भहादिी िभाय न रकषभी का नाभ बनदकतन यख हदमा | मह नाभ उसक वमनदकतति स ऩणयत भर खाता था |

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परशन 3-बजकतन क जीवन को ककतन ऩरयचछदो भ पवबाजजत ककमा गमा ह

उततय- बनदकतन क जीिन को चाय बागो भ फाॉटा गमा ह-

ऩहरा ऩरयचछद-बनदकतन का फचऩन भाॉ की भतम विभाता क दिाया बनदकतन का फार-वििाह कया दना

दपवतीम ऩरयचछद-बनदकतन का ििाहहक जीिन सास तथा नदजठाननमो का अनदमामऩणय वमिहाय ऩरयिाय स अरगौझा कय रना

ततीम ऩरयचछद- ऩनत की भतम विधिा क रऩ भ सॊघरयशीर जीिन चतथट ऩरयचछद- भहादिी िभाय की सविका क रऩ भ

परशन 4- बजकतन ऩाि क आधाय ऩय बायतीम गराभीण सभाज भ रड़क-रड़ककमो भ ककम जान वार बदबाव का उलरख कीजजए |

बायतीम गराभीण सभाज भ रड़क-रड़ककमो भ बदबाि ककमा जाता ह| रड़ककमो को खोटा ससकका मा ऩयामा धन भाना जाता ह| बनदकतन न तीन फहटमो को जनदभ हदमा नदजस कायण उस सास औय नदजठाननमो की उऩा सहनी ऩड़ती थी| सास औय नदजठाननमाॉ आयाभ पयभाती थी कमोकक उनदहोन रड़क ऩदा ककए थ औय बनदकतन तथा उसकी ननदहीॊ फहटमो को घय औय खतो का साया काभ कयना ऩडता था| बनदकतन औय उसकी फहटमो को रखा-सखा भोटा अनाज खान को सभरता था जफकक उसकी नदजठाननमाॉ औय उनक कार-करट फट दध-भराई याफ-चािर की दाित उड़ात थ

परशन 5-बजकतन ऩाि क आधाय ऩय ऩॊचामत क नमाम ऩय ठटतऩणी कीजजए |

बनदकतन की फटी क सनददबय भ ऩॊचामत दिाया ककमा गमा नदमाम तकय हीन औय अॊध कानन ऩय आधारयतह | बनदकतन क नदजठौत न सॊऩनदतत क रारच भ रडमॊतर कय बोरी फचची को धोख स जार भ पॊ सामा| ऩॊचामत न ननदोर रड़की की कोई फात नहीॊ सनी औय एक तयिा पसरा दकय उसका वििाह जफयदसती नदजठौत क ननकमभ तीतयफाज सार स कय हदमा | ऩॊचामत क अॊध कानन स दरषटो को राब हआ औय ननदोर को दॊड सभरा |

परशन 6-बजकतन की ऩाक-करा क फाय भ ठटतऩणी कीजजए |

बनदकतन को ठठ दहाती सादा बोजन ऩसॊद था | यसोई भ िह ऩाक छत को फहत भहतति दती थी | सफह-सिय नहा-धोकय चौक की सपाई कयक िह दिाय ऩय कोमर की भोटी यखा खीॊच दती थी| ककसी को यसोईघय भ परिश कयन नहीॊ दती थी| उस अऩन फनाए बोजन ऩय फड़ा असबभान था| िह अऩन फनाए बोजन का नतयसकाय नहीॊ सह सकती थी |

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परशन 7- लसदध कीजजए कक बजकतन तकट -पवतकट कयन भ भाठहय थी |

बनदकतन तकय ऩट थी | कश भॉडान स भना ककए जान ऩय िह शासतरो का हिारा दत हए कहती ह lsquoतीयथ गए भॉडाए ससदधrsquo | घय भ इधय-उधय यख गए ऩसो को िह चऩचाऩ उठा कय छऩा रती ह टोक जानऩय िह िह इस चोयी नही भानती फनदलक िह इस अऩन घय भ ऩड़ ऩसो को सॉबारकय यखना कहती ह| ऩढाई-सरखाई स फचन क सरए बी िह अचक तकय दती ह कक अगय भ बी ऩढ़न रगॉ तो घय का काभ कौन दखगा

परशन 8-बजकतन का दबाटगम बी कभ हिी नही था रखखका न ऐसा कमो कहा ह

उततय- बजकतन का दबाटगम उसका ऩीछा नहीॊ छोड़ता था-

1- फचऩन भ ही भाॉ की भतम 2- विभाता की उऩा 3- बनदकतन(रकषभी) का फारवििाह 4- वऩता का ननधन 5- तीन-तीन फहटमो को जनदभ दन क कायण सास औय नदजठाननमो क दिाया बनदकतन की

उऩा 6- ऩनत की असभम भतम 7- दाभाद का ननधन औय ऩॊचामत क दिाया ननकमभ तीतयफाज मिक स बनदकतन की विधिा

फटी का जफयन वििाह 8- रगान न चका ऩान ऩय जभीॊदाय क दिाया बनदकतन का अऩभान

परशन 9-बजकतन न भहादवी वभाट क जीवन ऩय कस परबापवत ककमा

उततय- बनदकतन क साथ यहकय भहादिी की जीिन-शरी सयर हो गमी ि अऩनी सविधाओॊ की चाह को नछऩान रगीॊ औय असविधाओॊ को सहन रगीॊ बनदकतन न उनदह दहाती बोजन णखराकय उनका सिाद फदर हदमा बनदकतन भातर एक सविका न होकय भहादिी की असबबािक औय आतभीम फन गमीबनदकतन भहादिी क जीिन ऩय छा जान िारी एक ऐसी सविका ह नदजस रणखका नहीॊ खोना चाहती

परशन 10- बजकतन क चरयतर की पवशषताओॊ का उलरख कीजजए

उततय- भहादिी िभाय की सविका बनदकतन क वमनदकतति की विशरताएॊ ननमनाॊककत ह-

सभवऩयत सविका सिासबभानी

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तकय शीरा ऩरयशरभी सॊघरयशीर

परशन 11-बजकतन क दगटणो का उलरख कय

उततय- गणो क साथ-साथ बनदकतन क वमनदकतति भ अनक दगयण बी ननहहत ह-

1 िह घय भ इधय-उधय ऩड़ रऩम-ऩस को बॊडाय घय की भटकी भ छऩा दती ह औय अऩन इस कामय को चोयी नहीॊ भानती

2 भहादिी क करोध स फचन क सरए बनदकतन फात को इधय-उधय कयक फतान को झठ नही भानती अऩनी फात को सही ससदध कयन क सरए िह तकय -वितकय बी कयती ह

3 िह दसयो को अऩनी इचछानसाय फदर दना चाहती ह ऩय सिमॊ बफरकर नही फदरती परशन 12 ननमनाॊककत बाषा-परमोगो का अथट सऩषट कीजजए-

ऩहरी कनमा क दो औय सॊसकयण कय िार- बनदकतन न अऩनी ऩहरी कनदमा क फाद उसक जसी दो औय कनदमाएॉ ऩदा कय दी अथायत बनदकतन क एक क फाद एक तीन फहटमाॉ ऩदा हो गमीॊ |

खोट लसकको की टकसार जसी ऩतनी- आज बी असशकषत गराभीण सभाज भ फहटमो को

खोटा ससकका कहा जाता ह बनदकतन न एक क फाद एक तीन फहटमाॉ ऩदा कय दी इससरए उस खोट ससकक को ढारन िारी भशीन कहा गमा

परशन 13-बजकतन ऩाि भ रखखका न सभाज की ककन सभसमाओॊ का उलरख ककमा ह

उततय- बनदकतन ऩाठ क भाधमभ स रणखका न बायतीम गराभीण सभाज की अनक सभसमाओॊ का उलरख ककमा ह-

1 रड़क-रड़ककमो भ ककमा जान िारा बदबाि 2 विधिाओॊ की सभसमा 3 नदमाम क नाभ ऩय ऩॊचामतो क दिाया नदसतरमो क भानिाधधकाय को कचरना 4 असशा औय अॊधविशिास

गदमाॊश-आधारयत अथटगरहण सॊफॊधधत परशनोततय

ऩरयिाय औय ऩरयनदसथनतमो क कायण सिबाि भ जो विरभताएॉ उतऩनदन हो गई ह उनक बीतय स एक सनह औय सहानबनत की आबा पटती यहती ह इसी स उसक सॊऩकय भ आनिार वमनदकत उसभ जीिन की सहज भासभयकता ही ऩात ह छातरािास की फासरकाओॊ भ स कोई अऩनी चाम

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फनिान क सरए दहरी ऩय फठी यहती ह कोई फाहय खडी भय सरए नाशत को चखकय उसक सिाद की वििचना कयती यहती ह भय फाहय ननकरत ही सफ धचडड़मो क सभान उड़ जाती ह औय बीतय आत ही मथासथान वियाजभान हो जाती ह इनदह आन भ रकािट न हो सॊबित इसी स बनदकतन अऩना दोनो जन का बोजन सिय ही फनाकय ऊऩय क आर भ यख दती ह औय खात सभम चौक का एक कोना धोकय ऩाकndashछत क सनातन ननमभ स सभझौता कय रती ह

भय ऩरयधचतो औय साहहनदतमक फॊधओॊ स बी बनदकतन विशर ऩरयधचत ह ऩय उनक परनत बनदकतन क समभान की भातरा भय परनत उनक समभान की भातरा ऩय ननबयय ह औय सदभाि उनक परनत भय सदभाि स नननदशचत होता ह इस सॊफॊध भ बनदकतन की सहज फवदध विनदसभत कय दन िारी ह

(क) बजकतन का सवबाव ऩरयवाय भ यहकय कसा हो गमा ह

उततय-विरभ ऩरयनदसथनतजनदम उसक उगर हठी औय दयागरही सिबाि क फािजद बनदकतन क बीतय सनह औय सहानबनत की आबा पटती यहती ह उसक सॊऩकय भ आन िार वमनदकत उसभ जीिन की सहज भासभयकता ही ऩात ह

(ख) बजकतन क ऩास छातरावास की छातराएॉ कमो आती ह

उततय- बनदकतन क ऩास कोई छातरा अऩनी चाम फनिान आती ह औय दहरी ऩय फठी यहती ह कोई भहादिी जी क सरए फन नाशत को चखकय उसक सिाद की वििचना कयती यहती ह भहादिी को दखत ही सफ छातराएॉ बाग जाती ह उनक जात ही कपय िाऩस आ जातीॊ ह बनदकतन का सहज-सनह ऩाकय धचडड़मो की तयह चहचहान रगती ह |

(ग) छातराओॊ क आन भ रकावट न िारन क लरए बजकतन न कमा उऩाम ककमा

उततय- छातराओॊ क आन भ रकािट न डारन क सरए बनदकतन न अऩन ऩाक-छत क ननमभ स सभझौता कय सरमा | बनदकतन अऩना दोनो िकत का खाना फनाकय सफह ही आर भ यख दती औय खात सभम चौक का एक कोना धोकय िहाॉ फठकय खा सरमा कयती थी ताकक छातराएॉ बफना योक-टोक क उसक ऩास आ सक

(घ) साठहतमकायो क परनत बजकतन क समभान का कमा भाऩदॊि ह

उततय-बनदकतन भहादिी क साहहनदतमक सभतर क परनत सदभाि यखती थी नदजसक परनत भहादिी सिमॊ सदभाि यखती थी | िह सबी स ऩरयधचत हऩय उनक परनत समभान की भातरा भहादिी जी क समभान की भातरा ऩय ननबयय कयती ह िह एक अदभत ढॊग स जान रती थी कक कौन ककतना समभान कयता ह उसी अनऩात भ उसका परापम उस दती थी

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12 फाजाय-दशटन

रखक- जनि कभाय

ऩाि का सायाॊश फाजाय-दशयन ऩाठ भ फाजायिाद औय उऩबोकतािाद क साथ-साथ अथयनीनत एिॊ दशयन स सॊफॊधधत परशनो को सरझान का परमास ककमा गमा ह फाजाय का जाद तबी असय कयता ह जफ भन खारी हो| फाजाय क जाद को योकन का उऩाम मह ह कक फाजाय जात सभम भन खारी ना हो भन भ रकषम बया हो| फाजाय की असरी कताथयता ह जरयत क िकत काभ आना| फाजाय को िही भनरषम राब द सकता ह जो िासति भ अऩनी आिशमकता क अनसाय खयीदना चाहता ह| जो रोग अऩन ऩसो क घभॊड भ अऩनी ऩचनदजॊग ऩािय को हदखान क सरए चीज खयीदत ह ि फाजाय को शतानी वमॊगम शनदकत दत ह| ऐस रोग फाजारऩन औय कऩट फढात ह | ऩस की मह वमॊगम शनदकत वमनदकत को अऩन सग रोगो क परनत बी कतघन फना सकती ह | साधायण जन का रदम रारसा ईरषमाय औय तरषणा स जरन रगता ह | दसयी ओय ऐसा वमनदकत नदजसक भन भ रश भातर बी रोब औय तरषणा नहीॊ ह सॊचम की इचछा नहीॊ ह िह इस वमॊगम-शनदकत स फचा यहता ह | बगतजी ऐस ही आतभफर क धनी आदशय गराहक औय फचक ह नदजन ऩय ऩस की वमॊगम-शनदकत का कोई असय नहीॊ होता | अनक उदाहयणो क दिाया रखक न मह सऩरषट ककमा ह कक एक ओय फाजाय रारची असॊतोरी औय खोखर भन िार वमनदकतमो को रटन क सरए ह िहीॊ दसयी ओय सॊतोरी भन िारो क सरए फाजाय की चभक-दभक उसका आकरयण कोई भहतति नहीॊ यखता

परशन१ - ऩचजजॊग ऩावय ककस कहा गमा ह फाजाय ऩय इसका कमा परबाव ऩड़ता ह

उततय- ऩचनदजॊग ऩािय का अथय ह खयीदन की शनदकत ऩचनदजॊग ऩािय क घभॊड भ वमनदकत हदखाि क सरए आिशमकता स अधधक खयीदायीकयता ह औय फाजाय को शतानी वमॊगम-शनदकत दता ह ऐस रोग फाजाय का फाजारऩन फढ़ात ह

परशन२ -रखक न फाजाय का जाद ककस कहा ह इसका कमा परबाव ऩड़ता ह

उततय- फाजाय की चभक-दभक क चॊफकीम आकरयण को फाजाय का जाद कहा गमा ह मह जाद आॊखो की याह कामय कयता ह फाजाय क इसी आकरयण क कायण गराहक सजी-धजी चीजो को आिशमकता न होन ऩय बी खयीदन को वििश हो जात ह

परशन३ -आशम सऩषट कय

भन खारी होना भन बया होना भन फॊद होना

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उततय-भन खारी होना- भन भ कोई नननदशचत िसत खयीदन का रकषम न होना ननरददशम फाजाय जाना औय वमथय की चीजो को खयीदकय राना

भन बया होना- भन रकषम स बया होना नदजसका भन बया हो िह बरीबाॉनत जानता ह कक उस फाजाय स कौन सी िसत खयीदनी ह अऩनी आिशमकता की चीज खयीदकय िह फाजाय को साथयकता परदान कयता ह

भन फॊद होना-भन भ ककसी बी परकाय की इचछा न होना अथायत अऩन भन को शनदम कय दना

परशन४ - lsquoजहाॉ तषणा ह फटोय यखन की सऩहा ह वहाॉ उस फर का फीज नहीॊ हrsquo महाॊ ककस फर की चचाट की गमी ह

उततय- रखक न सॊतोरी सिबाि क वमनदकत क आतभफरकी चचाय की ह दसय शबदो भ महद भन भ सॊतोर हो तो वमनदकत हदखाि औय ईरषमाय की बािना स दय यहता ह उसभ सॊचम कयन की परिनदतत नहीॊ होती

परशन५ - अथटशासतर अनीनतशासतर कफ फन जाता ह

उततय- जफ फाजाय भ कऩट औय शोरण फढ़न रग खयीददाय अऩनी ऩचधचॊग ऩािय क घभॊड भ हदखाि क सरए खयीददायी कय | भनरषमो भ ऩयसऩय बाईचाया सभापत हो जाए| खयीददाय औय दकानदाय एक दसय को ठगन की घात भ रग यह एक की हानन भ दसय को अऩना राब हदखाई द तो फाजाय का अथयशासतर अनीनतशासतर फन जाता ह ऐस फाजाय भानिता क सरए विडॊफना ह

परशन६-बगतजी फाजाय औय सभाज को ककस परकाय साथटकता परदान कय यह ह

उततय- बगतजी क भन भ साॊसारयक आकरयणो क सरए कोई तरषणा नहीॊ ह ि सॊचम रारच औय हदखाि स दय यहत ह फाजाय औय वमाऩाय उनक सरए आिशमकताओॊ की ऩनत य का साधन भातर ह बगतजी क भन का सॊतोर औय ननसऩह बाि उनको शररषठ उऩबोकता औय विकरता फनात ह

परशन ७ _ बगत जी क वमजकततव क सशकत ऩहरओॊ का उलरख कीजजए |

उततय-ननमनाॊककत बफॊद उनक वमनदकतति क सशकत ऩहर को उजागय कयत ह

ऩॊसायी की दकान स किर अऩनी जरयत का साभान (जीया औय नभक) खयीदना नननदशचत सभम ऩय चयन फचन क सरए ननकरना छह आन की कभाई होत ही चयन फचना फॊद कय दना फच हए चयन को फचचो को भफ़त फाॉट दना

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सबी काजम-जम याभ कहकय सिागत कयना फाजाय की चभक-दभक स आकवरयत न होना सभाज को सॊतोरी जीिन की सशा दना

परशन7-फाजाय की साथटकता ककसभ ह

उततय- भनरषम की आिशमकताओॊ की ऩनतय कयन भ ही फाजाय की साथयकता ह जो गराहक अऩनी आिशमकताओॊ की चीज खयीदत ह ि फाजाय को साथयकता परदान कयत ह जो विकरता गराहको का शोरण नहीॊ कयत औय छर-कऩट स गराहको को रबान का परमास नही कयत ि बी फाजाय को साथयक फनात ह

गदमाॊश-आधारयत अथटगरहण-सॊफॊधधत परशनोततय

फाजाय भ एक जाद ह िह जाद आॉख की तयह काभ कयता ह िह रऩ का जाद ह ऩय जस चॊफक का जाद रोह ऩय ही चरता ह िस ही इस जाद की बी भमायदा ह जफ बयी हो औय भन खारी हो ऐसी हारत भ जाद का असय खफ होता ह जफ खारी ऩय भन बया न हो तो बी जाद चर जाएगा भन खारी ह तो फाजाय की अनकानक चीजो का ननभॊतरण उस तक ऩहॉच जाएगा कहीॊ हई उस िकत जफ बयी तफ तो कपय िह भन ककसकी भानन िारा ह भारभ होता ह मह बी रॉ िह बी रॉ सबी साभान जरयी औय आयाभ को फढ़ान िारा भारभ होता ह ऩय मह सफ जाद का असय ह जाद की सिायी उतयी कक ऩता चरता ह कक प सी-चीजो की फहतामत आयाभ भ भदद नहीॊ दती फनदलक खरर ही डारती ह थोड़ी दय को सिासबभान को जरय सक सभर जाता ह ऩय इसस असबभान को धगलटी की खयाक ही सभरती ह जकड़ यशभी डोयी की हो तो यशभ क सऩशय क भरामभ क कायण कमा िह कभ जकड़ दगी

ऩय उस जाद की जकड़ स फचन का एक सीधा उऩाम ह िह मह कक फाजाय जाओ तो खारी भन न हो भन खारी हो तफ फाजाय न जाओ कहत ह र भ जाना हो तो ऩानी ऩीकय जाना चाहहए ऩानी बीतय हो र का रऩन वमथय हो जाता ह भन रकषम स बया हो तो फाजाय परा का परा ही यह जाएगा तफ िह घाि बफरकर नहीॊ द सकगा फनदलक कछ आनॊद ही दगा तफ फाजाय तभस कताथय होगा कमोकक तभ कछ न कछ सचचा राब उस दोग फाजाय की असरी कताथयता ह आिशमकता क सभम काभ आना

परशन-1 फाजाय क जाद को रखक न कस सऩषट ककमा ह

उततय- फाजाय क रऩ का जाद आॉखो की याह स काभ कयता हआ हभ आकवरयत कयता ह फाजाय का जाद ऐस चरता ह जस रोह क ऊऩय चॊफक का जाद चरता ह चभचभाती योशनी भ सजी

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प सी चीॊज गराहक को अऩनी ओय आकवरयत कयती ह| इसी चमफकीम शनदकत क कायण वमनदकत कपजर साभान को बी खयीद रता ह |

परशन-2 जफ बयी हो औय भन खारी तो हभायी कमा दशा होती ह

उततय- जफ बयी हो औय भन खारी हो तो हभाय ऊऩय फाजाय का जाद खफ असय कयता ह भन खारी ह तो फाजाय की अनकानक चीजो का ननभॊतरण भन तक ऩहॉच जाता ह औय उस सभम महद जफ बयी हो तो भन हभाय ननमॊतरण भ नहीॊ यहता

परशन-3 प सी चीजो की फहतामत का कमा ऩरयणाभ होता ह

उततय- प सी चीज आयाभ की जगह आयाभ भ वमिधान ही डारती ह थोड़ी दय को असबभान को जरय सक सभर जाती ह ऩय हदखाि की परिनदतत भ िवदध होती ह

परशन-4 जाद की जकड़ स फचन का कमा उऩाम ह

उततय- जाद की जकड़ स फचन क सरए एक ही उऩाम ह िह मह ह कक फाजाय जाओ तो भन खारी न हो भन खारी हो तो फाजाय भत जाओ

13 कार भघा ऩानी द

रखक-धभटवीय बायती

ऩाि का सायाॊश -lsquoकार भघा ऩानी दrsquo ननफॊध रोकजीिन क विशिास औय विऻान क तकय ऩय आधारयत ह जफ बीरण गभी क कायण वमाकर रोग िराय कयान क सरए ऩजा-ऩाठ औय कथा-विधान कय थकndashहाय जात ह तफ िराय कयान क सरए अॊनतभ उऩाम क रऩ भ इनददय सना ननकरती ह| इनददय सना नॊग-धड़ॊग फचचो की टोरी ह जो कीचड़ भ रथऩथ होकय गरी-भोहलर भ ऩानी भाॉगन ननकरती ह| रोग अऩन घय की छतो-णखड़ककमो स इनददय सना ऩय ऩानी डारत ह | रोगो की भानदमता ह कक इनददर फादरो क सिाभी औय िराय क दिता ह| इनददर की सना ऩय ऩानी डारन स इनददर बगिान परसनदन होकय ऩानी फयसाएॊग | रखक का तकय ह कक जफ ऩानी की इतनी कभी ह तो रोग भनदशकर स जभा ककए ऩानी को फालटी बय-बयकय इनददय सना ऩय डारकय ऩानी को कमो फफायद कयत ह आमयसभाजी विचायधाया िारा रखक इस अॊधविशिास भानता ह | इसक विऩयीत रखक की जीजी उस सभझाती ह कक मह ऩानी की फफायदी नहीॊ फनदलक ऩानी की फिाई ह | कछ ऩान क सरए कछ दना ऩड़ता ह | तमाग क बफना दान नहीॊ होता| परसतत ननफॊध भ रखक न भरषटाचाय की सभसमा को उठात हए कहा ह कक जीिन भ कछ ऩान क सरए तमाग आिशमक ह जो रोग तमाग औय दान की भहतता को नहीॊ भानत ि ही भरषटाचाय भ सरपत यहकय दश औय सभाज को रटत ह| जीजी की आसथा बािनातभक सचचाई को ऩरषट कयती ह औय तकय किर िऻाननक तथम को सतम भानता ह जहाॉ तकय मथाथय क

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कठोय धयातर ऩय सचचाई को ऩयखता ह तो िहीॊ आसथा अनहोनी फात को बी सिीकाय कय भन को सॊसकारयत कयती ह बायत की सितॊतरता क ५० सार फाद बी दश भ वमापत बरषटाचाय औय सिाथय की बािना को दखकय रखक दखी ह | सयकाय दिाया चराई जा यही मोजनाएॉ गयीफो तक कमो नहीॊ ऩहॉच ऩा यहीॊ ह कार भघा क दर उभड़ यह ह ऩय आज बी गयीफ की गगयी पटी हई कमो ह रखक न मह परशन ऩाठको क सरए छोड़ हदमा ह |

परशन1-इनदय सना घय-घय जाकय ऩानी कमो भाॉगती थी

उततय- गाॉि क रोग फारयश क सरए बगिान इॊदर स पराथयना ककमा कयत थ जफ ऩजा-ऩाठवरत आहद उऩाम असिर हो जात थ तो बगिान इॊदर को परसनदन कयन क सरए गाॉि क ककशोय फचच कीचड़ भ रथऩथ होकय गरी-गरी घभकय रोगो स ऩानी भाॉगत थ

परशन2-इनदयसना को रखक भढक-भॊिरी कमो कहता ह जीजी क फायndashफाय कहन ऩय बी वह इनदयसना ऩय ऩानी प कन को याजी कमो नहीॊ होता

उततय- इनददयसना का कामय आमयसभाजी विचायधाया िार रखक को अॊधविशिास रगता ह उसका भानना ह कक महद इॊदयसना दिता स ऩानी हदरिा सकती ह तो सिमॊ अऩन सरए ऩानी कमो नहीॊ भाॉग रती ऩानी की कभी होन ऩय बी रोग घय भ एकतर ककम हए ऩानी को इॊदयसना ऩय ि कत ह रखक इस ऩानी की ननभयभ फयफादी भानता ह

परशन3- रि हए रखक को जीजी न ककस परकाय सभझामा

उततय- जीजी न रखक को पमाय स रडड-भठयी णखरात हए ननमन तकय हदए-

1- तमाग का भहततव- कछ ऩान क सरए कछ दना ऩड़ता ह 2- दान की भहतता- कवर-भननमो न दान को सफस ऊॉ चा सथान हदमा ह जो चीज अऩन

ऩास बी कभ हो औय अऩनी आिशमकता को बरकय िह चीज दसयो को दान कय दना ही तमाग ह |

3- इॊिदव को जर का अधमट चिाना- इॊदयसना ऩय ऩानी ि कना ऩानी की फयफादी नहीॊ फनदलक इॊदरदि को जर का अधमय चढ़ाना ह

4- ऩानी की फवाई कयना- नदजस परकाय ककसान िसर उगान क सरए जभीन ऩय फीज डारकय फिाई कयता ह िस ही ऩानी िार फादरो की िसर ऩान क सरए इनददय सना ऩय ऩानी डार कय ऩानी की फिाई की जाती ह

परशन4-नठदमो का बायतीम साभाजजक औय साॊसकनतक ऩरयवश भ कमा भहतव ह

उततय- गॊगा बायतीम सभाज भ सफस ऩजम सदानीया नदी ह नदजसका बायतीम इनतहास भ धासभयक ऩौयाणणक औय साॊसकनतक भहति ह | िह बायतीमो क सरए किर एक नदी नहीॊ अवऩत

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भाॉ ह सिगय की सीढ़ी ह भोदानमनी ह उसभ ऩानी नहीॊ अवऩत अभत तलम जर फहता ह बायतीम सॊसकनत भ नहदमो क ककनाय भानि सभमताएॉ परी-परी ह| फड़-फड़ नगय तीथयसथान नहदमो क ककनाय ही नदसथत ह ऐस ऩरयिश भबायतिासी सफस ऩहर गॊगा भमा की जम ही फोरग नहदमाॉ हभाय जीिन का आधाय ह हभाया दश कवर परधान ह नहदमो क जर स ही बायत बसभ हयी-बयी ह नहदमो क बफना जीिन की कलऩना नहीॊ कय सकत मही कायण ह कक हभ बायतीम नहदमो की ऩजा कयत ह |

परशन4-आजादी क ऩचास वषो क फाद बी रखक कमो दखी ह उसक भन भ कौन स परशन उि यह ह

उततय- आजादी क ऩचास िरो फाद बी बायतीमो की सोच भ सकायातभक फदराि न दखकय रखक दखी ह उसक भन भ कई परशन उठ यह ह-

1 कमा हभ सचच अथो भ सितनदतर ह 2 कमा हभ अऩन दश की सॊसकनत औय सभमता को सभझ ऩाए ह 3 यारषर ननभायण भ हभ ऩीछ कमो ह हभ दश क सरए कमा कय यह ह

4 हभ सिाथय औय भरषटाचाय भ सरपत यहत ह तमाग भ विशिास कमो नहीॊ कयत

5 सयकाय दिाया चराई जा यही सधायिादी मोजनाएॉ गयीफो तक कमो नहीॊ ऩहॉचती ह

गदमाॊश ऩय आधारयत अथटगरहण-सॊफॊधधत परशनोततय

सचभच ऐस हदन होत जफ गरी-भहलरा गाॉि-शहय हय जगह रोग गयभी भ बन-बन कय तराहहभाभ कय यह होत जठ क दसतऩा फीतकय आराढ का ऩहरा ऩखिाड़ा फीत चका होता ऩय कषनतज ऩय कहीॊ फादरो की यख बी नहीॊ दीखती होती कएॉ सखन रगत नरो भ एक तो फहत कभ ऩानी आता औय आता बी तो आधी यात को िो बी खौरता हआ ऩानी हो | शहयो की तरना भ गाॉि भ औय बी हारत खयाफ थी| जहाॉ जताई होनी चाहहए थी िहाॉ खतो की सभटटी सखकय ऩतथय हो जाती कपय उसभ ऩऩड़ी ऩड़कय जभीन पटन रगती र ऐसी कक चरत-चरत आदभी धगय ऩड़ | ढोय-डॊगय पमास क भाय भयन रगत रककन फारयश का कहीॊ नाभ ननशान नहीॊ ऐस भ ऩजा-ऩाठ कथा-विधान सफ कयक रोग जफ हाय जात तफ अॊनतभ उऩाम क रऩ भ ननकरती मह इनददय सना |

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परशन१- वषाट न होन ऩय रोगो की कमा जसथनत हो गमी थी उततय - िराय न होन ऩय गयभी क कायण रोग र रगन स फहोश होन रग | गाॉि-शहय सबी जगह ऩानी का अबाि हो गमा| कएॉ सख गए खतो की सभटटी सखकय ऩतथय क सभान कठोय होकय पट गमी| घयो भ नरो भ ऩानी फहत कभ आता था | ऩश पमास क भाय भयन रग थ | परशन२- वषाट क दवता कौन ह उनको परसनन कयन क लरए कमा उऩाम ककए जात थ उततय -िराय क दिता बगिान इनददर ह| उनको परसनदन कयन क सरए ऩजाndashऩाठ कथा-विधान कयाए जात थ | ताकक इनददर दि परसनदन होकय फादरो की सना बजकय झभाझभ फारयश कयाएॉ औय रोगो क करषट दय हो | परशन३- वषाट कयान क अॊनतभ उऩाम क रऩ भ कमा ककमा जाता था उततय ndashजफ ऩजा-ऩाठ कथा-विधान सफ कयक रोग हाय जात थ तफ अॊनतभ उऩाम क रऩ भ इनददय सना आती थी | नॊग-धडॊग कीचड़ भ रथऩथ lsquoकार भघा ऩानी द ऩानी द गड़धानी दrsquo की टय रगाकय पमास स सखत गरो औय सखत खतो क सरए भघो को ऩकायती हई टोरी फनाकय ननकर ऩड़ती थी| परशन४-आशम सऩषट कय ndash जठ क दसतऩा फीतकय आराढ़ का ऩहरा ऩखिाड़ा फीत चका होता ऩय कषनतज भ कहीॊ फादरो की यख बी नजय नहीॊ आती | आशम- जठ का भहीना ह बीरण गयभी ह| तऩत हए दस हदन फीत कय आराढ का भहीना बी आधा फीत गमा ऩय ऩानी क सरए तड़ऩत िराय की आशा भ आसभान की ओय ताकत रोगो को कहीॊ फादर नजय नहीॊ आ यह |

14 ऩहरवान की ढोरक

फ़णीशवयनाथ यण

ऩाि का सायाॊश ndashआॊचसरक कथाकाय िणीशियनाथ यण की कहानी ऩहरिान की ढोरक भ कहानी क भखम ऩातर रटटन क भाता-वऩता का दहाॊत उसक फचऩन भ ही हो गमा था | अनाथ रटटन को उसकी विधिा सास न ऩार-ऩोसकय फड़ा ककमा | उसकी सास को गाॉि िार सतात थ |

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रोगो स फदरा रन क सरए कशती क दाॉिऩच सीखकय कसयत कयक रटटन ऩहरिान फन गमा |

एक फाय रटटन शमाभनगय भरा दखन गमा जहाॉ ढोर की आिाज औय कशती क दाॉिऩच दखकय उसन जोश भ आकय नाभी ऩहरिान चाॉदससॊह को चनौती द दी | ढोर की आिाज स परयणा ऩाकय रटटन न दाॉि रगाकय चाॉद ससॊह को ऩटककय हया हदमा औय याज ऩहरिान फन गमा | उसकी खमानत दय-दय तक िर गमी| १५ िरो तक ऩहरिान अजम फना यहा| उसक दो ऩतर थ| रटटन न दोनो फटो को बी ऩहरिानी क गय ससखाए| याजा की भतम क फाद नए याजकभाय न गददी सॊबारी याजकभाय को घोड़ो की यस का शौक था भनजय न नम याजा को बड़कामा ऩहरिान औय उसक दोनो फटो क बोजनखचय को बमानक औय किजरखचय फतामा िरसिरऩ नए याजा न कशती को फॊद कयिा हदमा औय ऩहरिान रटटनससॊह को उसक दोनो फटो क साथ भहर स ननकार हदमा

याजदयफाय स ननकार हदए जान क फाद रटटन ससॊह अऩन दोनो फटो क साथ गाॉि भ झोऩड़ी फनाकय यहन रगा औय गाॉि क रड़को को कशती ससखान रगा| रटटन का सकर जमादा हदन नहीॊ चरा औय जीविकोऩाजयन क सरए उसक दोनो फटो को भजदयी कयनी ऩड़ी| इसी दौयान गाॉि भ अकार औय भहाभायी क कायण परनतहदन राश उठन रगी| ऩहरिान भहाभायी स डय हए रोगो को ढोरक फजाकय फीभायी स रड़न की सॊजीिनी ताकत दता था| एक हदन ऩहरिान क दोनो फट बी भहाभायी की चऩट भ आकय भय गए ऩय उस यात बी ऩहरिान ढोरक फजाकय रोगो को हहमभत फॊधा यहा था | इस घटना क चाय-ऩाॉच हदन फाद ऩहरिान की बी भौत हो जाती ह|

ऩहरिान की ढोरक वमिसथा क फदरन क साथ रोक कराकाय क अपरासॊधगक हो जान की कहानी ह इस कहानी भ रटटन नाभ क ऩहरिान की हहमभत औय नदजजीविरा का िणयन ककमा गमा ह बख औय भहाभायी अजम रटटन की ऩहरिानी को िट ढोर भ फदर दत ह इस करण तरासदी भ ऩहरिान रटटन कई सिार छोड़ जाता ह कक करा का कोई सितॊतर अनदसतति ह मा करा किर वमिसथा की भोहताज ह

परशन1- रटटन को ऩहरवान फनन की परयणा कस लभरी

उततय- रटटन जफ नौ सार का था तो उसक भाता-वऩता का दहाॊत हो गमा था | सौबागम स उसकी शादी हो चकी थी| अनाथ रटटन को उसकी विधिा सास न ऩार-ऩोसकय फड़ा ककमा | उसकी सास को गाॉि िार ऩयशान कयत थ| रोगो स फदरा रन क सरए उसन ऩहरिान फनन की ठानी| धायोरषण दध ऩीकय कसयत कय उसन अऩना फदन गठीरा औय ताकतिय फना सरमा | कशती क दाॉिऩच सीखकय रटटन ऩहरिान फन गमा |

परशन2- यात क बमानक सननाट भ रटटन की ढोरक कमा करयशभा कयती थी

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उततय- यात क बमानक सनदनाट भरटटन की ढोरक भहाभायी स जझत रोगो को हहमभत फॉधाती थी | ढोरक की आिाज स यात की विबीवरका औय सनदनाटा कभ होता था| भहाभायी स ऩीडड़त रोगो की नसो भ बफजरी सी दौड़ जाती थी उनकी आॉखो क साभन दॊगर का दशम साकाय हो जाता था औय ि अऩनी ऩीड़ा बर खशी-खशी भौत को गर रगा रत थ इस परकाय ढोर की आिाज फीभाय-भतपराम गाॉििारो की नसो भ सॊजीिनी शनदकत को बय फीभायी स रड़न की परयणा दती थी

परशन3- रटटन न सवाटधधक ठहमभत कफ ठदखाई

उततय- रटटन ससॊह न सिायधधक हहमभत तफ हदखाई जफ दोनो फटो की भतम ऩय िह योमा नहीॊ फनदलक हहमभत स काभ रकय अकर उनका अॊनतभ सॊसकाय ककमा| मही नहीॊ नदजस हदन ऩहरिान क दोनो फट भहाभायी की चऩट भ आकय भय गए ऩय उस यात को बी ऩहरिान ढोरक फजाकय रोगो को हहमभत फॉधा यहा था| शमाभनगय क दॊगर भ ऩया जनसभदाम चाॉद ससॊह क ऩ भ था चाॉद ससॊह को हयात सभम रटटन न हहमभत हदखाई औय बफना हताश हए दॊगर भ चाॉद ससॊह को धचत कय हदमा |

परशन4- रटटन लसॊह याज ऩहरवान कस फना

उततय- शमाभनगय क याजा कशती क शौकीन थ उनदहोन दॊगर का आमोजन ककमा ऩहरिान रटटन ससॊह बी दॊगर दखन ऩहॉचा चाॊदससॊह नाभक ऩहरिान जो शय क फचच क नाभ स परससदध था कोई बी ऩहरिान उसस सबड़न की हहमभत नहीॊ कयता था चाॉदससॊह अखाड़ भ अकरा गयज यहा था रटटन ससॊह न चाॉदससॊह को चनौती द दी औय चाॉदससॊह स सबड़ गमाढ़ोर की आिाज सनकय रटटन की नस-नस भ जोश बय गमाउसन चाॉदससॊह को चायो खान धचत कय हदमा याजासाहफ न रटटन की िीयता स परबावित होकय उस याजऩहरिान फना हदमा

परशन5- ऩहरवान की अॊनतभ इचछा कमा थी

उततय- ऩहरिान की अॊनतभ इचछा थी कक उस धचता ऩय ऩट क फर सरटामा जाए कमोकक िह नदजॊदगी भ कबी धचत नहीॊ हआ था| उसकी दसयी इचछा थी कक उसकी धचता को आग दत सभम ढोर अिशम फजामा जाए |

परशन6- ढोर की आवाज औय रटटन क भ दाॉिऩच सॊफॊध फताइए-

उततय- ढोर की आिाज औय रटटन क दाॉिऩच भ सॊफॊध -

चट धा धगड़ धाrarr आजा सबड़ जा | चटाक चट धाrarr उठाकय ऩटक द | चट धगड़ धाrarrभत डयना |

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धाक धधना नतयकट नतनाrarr दाॉि काटो फाहय हो जाओ | धधना धधना धधक धधनाrarr धचत कयो

गदमाॊश-आधारयत अथटगरहण-सॊफॊधधत परशनोततय

अॉधयी यात चऩचाऩ आॉस फहा यही थी | ननसतबधता करण सससककमो औय आहो को अऩन रदम भ ही फर ऩियक दफान की चरषटा कय यही थी | आकाश भ ताय चभक यह थ | ऩथिी ऩय कहीॊ परकाश का नाभ नहीॊ| आकाश स टट कय महद कोई बािक ताया ऩथिी ऩय आना बी चाहता तो उसकी जमोनत औय शनदकत यासत भ ही शर हो जाती थी | अनदम ताय उसकी बािकता अथिा असपरता ऩय णखरणखराकय हॉस ऩड़त थ | ससमायो का करॊ दन औय ऩचक की डयािनी आिाज यात की ननसतबधता को बॊग कयती थी | गाॉि की झोऩडडमो स कयाहन औय क कयन की आिाज हय याभ ह बगिान की टय सनाई ऩड़ती थी| फचच बी ननफयर कॊ ठो स भाॉ ndashभाॉ ऩकायकय यो ऩड़त थ |

(क) अॉधयी यात को आॉस फहात हए कमो ठदखामा गमा ह उततयndash गाॉि भ हजा औय भररयमा परा हआ था | भहाभायी की चऩट भ आकाय रोग भय यह थ |चायो ओय भौत का सनाटा छामा था इससरए अॉधयी यात बी चऩचाऩ आॉस फहाती सी परतीत हो यही थी|

(ख) ताय क भाधमभ स रखक कमा कहना चाहता ह उततयndash ताय क भाधमभ स रखक कहना चाहता ह कक अकार औय भहाभायी स तरसत गाॉि िारो की ऩीड़ा को दय कयन िारा कोई नहीॊ था | परकनत बी गाॉि िारो क द ख स दखी थी| आकाश स टट कय महद कोई बािक ताया ऩथिी ऩय आना बी चाहता तो उसकी जमोनत औय शनदकत यासत भ ही शर हो जाती थी |

(ग) यात की ननसतबधता को कौन बॊग कयता था उततयndash ससमायो की चीख-ऩकाय ऩचक की डयािनी आिाज औय कततो का साभहहक रदन सभरकय यात क सनदनाट को बॊग कयत थ |

(घ) झोऩड़ड़मो स कसी आवाज आ यही ह औय कमो उततयndash झोऩडड़मो स योधगमो क कयाहन क कयन औय योन की आिाज आ यही ह कमोकक गाॉि क रोग भररयमा औय हज स ऩीडड़त थ | अकार क कायण अनदन की कभी हो गमी थी| औरधध औय ऩथम न सभरन क कायण रोगो की हारत इतनी फयी थी कक कोई बगिान को ऩकाय रगाता था तो कोई दफयर कॊ ठ स भाॉndashभाॉ ऩकायता था |

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15 चारी चजतरन मानी हभ सफ

रखक-पवषण खय

ऩाि का सायाॊश ndashचारक चनदपरन न हासम कराकाय क रऩ भ ऩयी दननमा क फहत फड़ दशयक िगय को हॉसामा ह | उनकी कपलभो न कपलभ करा को रोकताॊबतरक फनान क साथ-साथ दशको की िगय औय िणय-वमिसथा को बी तोड़ा | चारक न करा भ फवदध की अऩा बािना को भहतति हदमा ह | फचऩन क सॊघरो न चारक क बािी कपलभो की बसभ तमाय कय दी थी| बायतीम करा औय सौदमयशासतर भ करणा का हासम भ ऩरयितयन बायतीम ऩयमऩया भ नहीॊ सभरता रककन चारक एक ऐसा जादई वमनदकतति ह जो हय दश सॊसकनत औय सभमता को अऩना सा रगता ह| बायतीम जनता न बी उनदह सहज बाि स सिीकाय ककमा ह| सिमॊ ऩय हॉसना चारक न ही ससखामा| बायतीम ससनभा जगत क सपरससदध कराकाय याजकऩय को चारक का बायतीमकयण कहा गमा ह | चारक की अधधकाॊश किलभ भक ह इससरए उनदह अधधक भानिीम होना ऩड़ा | ऩाठ भ हासम कपलभो क भहान असबनता lsquoचारक चनदपरनrsquo की जादई विशरताओॊ का उलरख ककमा गमा ह नदजसभ उसन करणा औय हासम भ साभॊजसम सथावऩत कय किलभो को साियबौसभक रऩ परदान ककमा

परशन१ -चारी क जीवन ऩय परबाव िारन वारी भखम घटनाएॉ कौन सी थी

उततय- चारक क जीिन भ दो ऐसी घटनाएॉ घटीॊ नदजनदहोन उनक बािी जीिन ऩय फहत परबाि डारा |

ऩहरी घटना - जफ चारक फीभाय थ उनकी भाॉ उनदह ईसा भसीह की जीिनी ऩढ़कय सना यही थी | ईसा क सरी ऩय चढ़न क परसॊग तक आत-आत भाॉ-फटा दोनो ही योन रग| इस घटना न चारक को सनह करणा औय भानिता जस उचच जीिन भलम हदए |

दसयी घटना हndash फारक चारक कसाईखान क ऩास यहता था| िहाॉ सकड़ो जानियो को योज भाया जाता था| एक हदन एक बड़ िहाॉ स बाग ननकरी| बड़ को ऩकड़न की कोसशश भ कसाई कई फाय कपसरा| नदजस दखकय रोग हॊसन रग ठहाक रगान रग| जफ बड़ को कसाई न ऩकड़ सरमा तो फारक चारक योन रगा| इस घटना न उसक बािी कपलभो भ तरासदी औय हासमोतऩादक ततिो की बसभका तम कय दी |

परशन२ ndash आशम सऩषट कीजजएndash

चजतरन न लसपट कपलभकरा को ही रोकताॊबतरक नही फनामा फजलक दशटको की वगट तथा वणट-वमवसथा को बी तोड़ा|

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उततय- रोकताॊबतरक फनान का अथय ह कक कपलभ करा को सबी क सरए रोकवपरम फनाना औय िगय औय िणय-वमिसथा को तोड़न का आशम ह- सभाज भ परचसरत अभीय-गयीफ िणय जानतधभय क बदबाि को सभापत कयना |चनदपरन का चभतकाय मह ह कक उनदहोन कपलभकरा को बफना ककसी बदबाि क सबी रोगो तक ऩहॉचामा| उनकी कपलभो न सभम बगोर औय सॊसकनतमो की सीभाओॊ को राॉघ कय साियबौसभक रोकवपरमता हाससर की | चारक न मह ससदध कय हदमा कक करा सितनदतर होती ह अऩन ससदधाॊत सिमॊ फनाती ह |

परशन३ndash चारी चजतरन की कपलभो भ ननठहत तरासदीकरणाहासम का साभॊजसम बायतीम करा औय सौदमटशासतर की ऩरयधध भ कमो नहीॊ आता

उततय- चारक चनदपरन की कपलभो भ ननहहत तरासदीकरणाहासम का साभॊजसम बायतीम करा औय सौदमयशासतर की ऩरयधध भ नहीॊ आताकमोकक बायतीम यस-ससदधाॊत भ करणा औय हासम का भर नहीॊ हदखामा जाता कमोकक बायतीम सौदमयशासतर भ करणयस औय हासम यस को ऩयसऩय वियोधी भाना गमा ह अथायत जहाॊ करणा ह िहाॉ हासम नहीॊ हो सकता बायत भ सिमॊ ऩय हॉसन की ऩयॊऩया नहीॊ ह ऩयॊत चारक क ऩातर अऩन ऩय हॉसतndashहॉसात ह चारक की किलभो क दशम हॉसात-हॉसात ररा दत ह तो कबी करण दशम क फाद अचानक ही हॉसन ऩय भजफय कय दत ह

परशन४ndash चारी क कपलभो की पवशषताएॉ फताइए |

उततय- चारक की किलभो भ हासम औय करणा का अदभत साभॊजसम ह उनकी किलभो भ बारा का परमोग फहत कभ ह चारक की किलभो भ फवदध की अऩा बािना का भहतति अधधक ह उनकी किलभो भ साियबौसभकता ह चारक ककसी बी सॊसकनत को विदशी नही रगत चारक सफको अऩन रगत ह चारक न किलभो को रोकताॊबतरक फनामा औय किलभो भ िगय तथािणय-वमिसथा को तोड़ा अऩनी कपलभो भ चारक सदि धचय मिा हदखता ह

गदमाॊश-आधारयत अथटगरहण-सॊफॊधी परशनोततय

गदमाॊश सॊकत ndashचारक चनदपरन मानी हभ सफ (ऩरषठ १२० )

महद मह िरय चनदपरन की कापी कछ कहा जाएगा |

परशन (क)-पवकासशीर दशो भ चजतरन कमो भशहय हो यह ह

उततय - विकासशीर दशो भ जस-जस टरीविजन औय िीडडमो का परसाय हो यहा ह रोगो को उनकी कपलभो को दखन का अिसय सभर यहा ह |एक फहत फड़ा िगय नए ससय स चारक को घड़ी सधायत औय जत खान की कोसशश कयत दख यहा ह इसीसरए चारक विकासशीर दशो भ रोकवपरम हो यह ह |

(ख)- ऩजशचभ भ चारी का ऩनजीवन कस होता यहता ह

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उततय - ऩनदशचभ भ चारक की कपलभो का परदशयन होता यहता ह| उनकी करा स परयणा ऩाकय हासम किलभ फनती यहती ह | उनक दिाया ननबाए ककयदायो की नकर अनदम कराकाय कयत ह | ऩनदशचभ भ चारक का ऩनजीिन होता यहता ह|

(ग)- चारी को रोग फिाऩ तक कमो माद यखग

उततय ndashहासम कराकाय क रऩ भ रोग चारक को फढ़ाऩ तक माद यखग कमोकक उनकी करा सभम बगोर औय सॊसकनतमो की सीभाओॊ को राॉघकय राखो रोगो को हॉसा यही ह|

(घ)- चारी की कपलभो क फाय भ कापी कछ कहा जाना कमो फाी ह

उततय ndashचनदपरन की ऐसी कछ किलभ मा इसतभार न की गमी यीर सभरी ह नदजनक फाय भ कोई नहीॊ जानता था | चारक की बािनापरधान हासम कपलभो न करा क नए परनतभान सथावऩत ककए ह अत चारक की कपलभो क फाय भ अबी कापी कछ कहा जाना फाी ह|

16 नभक

रखखका - यजजमा सजजाद जहीय

सायाॊश -lsquoनभकrsquoबायत-ऩाक विबाजन ऩय सरणखत भासभयक कहानी ह | विसथावऩत हए रोगो भ अऩनndashअऩन जनदभ सथानो क परनत आज बी रगाि ह| धासभयक आधाय ऩय फनी यारषर-याजमो की सीभा-यखाएॉ उनक अॊतभयन को अरग नहीॊ कय ऩाई ह | बायत भ यहन िारी ससख फीिी राहौय को अऩना ितन भानती ह औय बायतीम कसटभ अधधकायी ढाका क नारयमर ऩानी को मादकय उस सियशररषठ फताता ह दोनो दशो क नागरयको क फीच भहबफत का नभकीन सिाद आज बी कामभ ह इसीसरए सकिमा बायत भ यहन िारी अऩनी भॉहफोरी भाॉ ससख फीिी क सरए राहौयी नभक रान क सरए कसटभ औय कानन की ऩयिाह नहीॊ कयती

परशन1- lsquoनभकrsquo ऩाि क आधाय ऩय फताइए कक सकपमा औय उसक बाई क पवचायो भ कमा अॊतय था

उततय- १-सकपमा बािनाओॊ को फहतभहतति दती ह ऩय उसका बाई फौवदधक परिनदतत का ह उसकी दनदरषट भ कानन बािनाओॊ स ऊऩय ह|

२-सकपमा भानिीम सॊफॊधो को फहत भहतति दती ह जफकक उसका बाई अरगाििादी विचायधाया का ह हहसस-फखय की फात कयता ह |

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३-सकपमा का बाई कहता ह कक अदीफो(साहहतमकाय) का हदभाग घभा हआ होता ह जफकक सकपमा जो सिमॊ अदीफ ह उसका भानना ह कक अगय सबी रोगो का हदभाग अदीफो की तयह घभा हआ होता तो दननमा कछ फहतय हो जाती |

परशन२- नभक र जात सभम सकफ़मा क भन भ कमा दपवधा थी

उततय-सकपमा समद भसरभान थी जो हय हार भ अऩना िामदा ननबात ह| ऩाककसतान स राहौयी नभक र जाकय िह अऩना िामदा ऩया कयना चाहती थी ऩयनदत जफ उस ऩता चरा कक कसटभ क ननमभो क अनसाय सीभाऩाय नभक र जाना िनदजयत ह तो िह दविधा भ ऩड़ गई | सकिमा का दिॊदि मह था कक िह अऩनी ससख भाॉ क सरए नभक कसटभ अधधकारयमो को फताकयर जाए मा नछऩाकय|

परशन३- ऩाि क आधाय ऩय सकपमा की चारयबतरक पवशषताएॉ फताइए |

उततय सॊकत ndash

१- बािक २- ईभानदाय ३- दढ़ननशचमी ४- ननडय ५- िामद को ननबान िारी ६- भानिीम भलमो को सिोऩरय भानन िारी साहहतमकाय

परशन ४- lsquoनभकrsquo ऩाि भ आए ककयदायो क भाधमभ स सऩषट कीजजए कक आज बी बायत औय ऩाककसतान की जनता क फीच भहबफत का नभकीन सवाद घरा हआ ह |

उततय ndash बर ही याजनीनतक औय धासभयक आधाय ऩय बायत औय ऩाककसतान को बौगोसरक रऩ स विबानदजत कय हदमा गमा ह रककन दोनो दशो क रोगो क रदम भ आज बी ऩायसऩरयक बाईचाया सौहादरय सनह औय सहानबनत विदमभान ह | याजनीनतक तौय ऩय बर ही सॊफॊध तनािऩणय हो ऩय साभानदजक तौय ऩय आज बी जनता क फीच भहबफत का नभकीन सिाद घरा हआ ह | अभतसय भ यहन िारी ससख फीफी राहौय को अऩना ितन कहती ह औय राहौयी नभक का सिाद नहीॊ बरा ऩाती | ऩाककसतान का कसटभ अधधकायी नभक की ऩडड़मा सकपमा को िाऩस दत हए कहता ह rdquoजाभा भनदसजद की सीहढ़मो को भया सराभ कहना |rdquo बायतीम सीभा ऩय तनात कसटभ अधधकायी ढाका की जभीन को औय िहाॉ क ऩानी क सिाद को नहीॊ बर ऩाता |

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गदमाॊश-आधारयत अथटगरहण सॊफॊधधत परशनोततय

गदमाॊश सॊकत- ऩाठndash नभक (ऩरषठ १३४)

सकपमा कसटभ क जॊगर स दोनो क हाथो भ थी |

(क) सकपमा कसटभ क जॉगर स ननकरकय दसय तरटपाभट ऩय आ गमी व वहीॊ खड़ यहndash इस वाकम भ lsquoवrsquo शबद का परमोग ककसक लरए ककमा गमा ह

उततय- महाॉ lsquoिrsquo शबद का परमोग ऩाककसतानी कसटभ अधधकायी क सरए ककमा गमा ह जो विबाजन स ऩिय हदलरी भ यहत थ औय आज बी हदलरी को ही अऩना ितन भानत ह |

(ख) तरटपाभट ऩय सकपमा को पवदा कयन कौन-कौन आए थ उनहोन सकपमा को कस पवदाई दी

उततय- परटपाभय ऩय सकपमा को विदा कयन उसक फहत साय सभतर सग सॊफॊधी औय बाई आए थ| उनदहोन ठॊडी साॉस बयत हए सबॊच हए होठो क साथ आॉस फहात हए सकपमा को विदाई दी |

(ग) अटायी भ यरगाड़ी भ कमा ऩरयवतटन हए उततय- अटायी भ यरगाड़ी स ऩाककसतानी ऩसरस उतयी औय हहनददसतानी ऩसरस सिाय हो गई|

(घ) कौन सी फात सकपमा की सभझ भ नहीॊ आ यही थी उततय- दोनो ओय एक सी जभीन एक जसा आसभान एक सी बारा एक सा ऩहनािा औय एक सी सयत क रोग कपय बी दोनो क हाथो भ बयी हई फॊदक ह |

17 लशयीष क पर

आचामट हजायी परसाद दपववदी

सायाॊश ndashlsquoआचामय हजायी परसाद दवििदीrsquo सशयीर को अदभत अिधत भानत ह कमोकक सॊनदमासी की बाॉनत िह सख-दख की धचॊता नहीॊ कयता गभी र िराय औय आॉधी भ बी अविचर खड़ा यहता ह सशयीर क िर क भाधमभ स भनरषम की अजम नदजजीविरा धमयशीरता औय कतयवमननरषठ फन यहन क भानिीम भलमो को सथावऩत ककमा गमा हरखक न सशयीर क कोभर परो औय कठोय परो क दिाया सऩरषट ककमा ह कक रदम की कोभरता फचान क सरए कबी-कबी वमिहाय की कठोयता बी आिशमक हो जाती ह| भहान कवि कासरदास औय कफीय बी सशयीर की तयह फऩयिाह अनासकत औय सयस थ तबी उनदहोन इतनी सनददय यचनाएॉ सॊसाय को दीॊ| गाॉधीजी क वमनदकतति भ बी कोभरता औय कठोयता का अदभत सॊगभ था | रखक सोचता ह कक हभाय दश भ जो भाय-काट अनदगनदाह रट-ऩाट खन-खचचय का फिॊडय ह कमा िह दश को नदसथय नहीॊ यहन दगा गराभी अशाॊनत औय वियोधी िाताियण क फीच अऩन ससदधाॊतो की या कयत हए गाॉधीजी जी नदसथय यह सक थ तो दश बी यह सकता ह जीन की परफर असबरारा क कायण

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विरभ ऩरयनदसथतमो भ बी महद सशयीर णखर सकता ह तो हभाया दश बी विरभ ऩरयनदसथनतमो भ नदसथय यह कय विकास कय सकता ह

परशन1-लसदध कीजजए कक लशयीष कारजमी अवधत की बाॉनत जीवन की अजमता क भॊतर का परचाय कयता ह

उततय- सशयीर कारजमी अिधत की बाॉनत जीिन की अजमता क भॊतर का परचाय कयता ह| जफ ऩथिी अनदगन क सभान तऩ यही होती ह िह तफ बी कोभर परो स रदा रहरहाता यहता ह|फाहयी गयभी धऩ िराय आॉधी र उस परबावित नहीॊ कयती इतना ही नहीॊ िह रॊफ सभम तक णखरा यहता ह | सशयीर विऩयीत ऩरयनदसथनतमो भ बी धमयशीर यहन तथा अऩनी अजम नदजजीविरा क साथ ननसऩह बाि स परचॊड गयभी भ बी अविचर खड़ा यहता ह

परशन२-आयगवध (अभरतास) की तरना लशयीष स कमो नहीॊ की जा सकती

उततय- सशयीर क पर बमॊकय गयभी भ णखरत ह औय आराढ़ तक णखरत यहत ह जफकक अभरतास का पर किर ऩनददरह-फीस हदनो क सरए णखरता ह | उसक फाद अभरतास क पर झड़ जात ह औय ऩड़ कपय स ठॉठ का ठॉठ हो जाता ह | अभरतास अलऩजीिी ह | विऩयीत ऩरयनदसथनतमो को झरता हआ ऊरषण िाताियण को हॉसकय झरता हआ सशयीर दीघयजीिी यहता ह | मही कायण ह कक सशयीर की तरना अभरतास स नहीॊ की जा सकती |

परशन३-लशयीष क परो को याजनताओॊ का रऩक कमो ठदमा गमा ह

उततय- सशयीर क पर उन फढ़ ढीठ औय ऩयान याजनताओॊ क परतीक ह जो अऩनी कसी नहीॊ छोड़ना चाहत | अऩनी अधधकाय-सरपसा क सरए नए मिा नताओॊ को आग नहीॊ आन दत | सशयीर क नए परो को जफयदसती ऩयान परो को धककमाना ऩड़ता ह | याजनीनत भ बी नई मिा ऩीढ़ी ऩयानी ऩीढ़ी को हयाकय सिमॊ सतता सॉबार रती ह |

परशन४- कार दवता की भाय स फचन का कमा उऩाम फतामा गमा ह

उततय- कार दिता कक भाय स फचन का अथय हndash भतम स फचना | इसका एकभातर उऩाम मह ह कक भनरषम नदसथय न हो| गनतशीर ऩरयितयनशीर यह | रखक क अनसाय नदजनकी चतना सदा ऊधियभखी (आधमातभ की ओय) यहती ह ि हटक जात ह |

परशन५- गाॉधीजी औय लशयीष की सभानता परकट कीजजए |

उततय- नदजस परकाय सशयीर धचरधचराती धऩ र िराय औय आॉधी भ बी अविचर खड़ा यहता ह अनासकत यहकय अऩन िाताियण स यस खीॊचकय सयस कोभर फना यहता ह उसी परकाय गाॉधी जी न बी अऩनी आॉखो क साभन आजादी क सॊगराभ भ अनदमाम बदबाि औय हहॊसा को झरा |

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उनक कोभर भन भ एक ओय ननयीह जनता क परनत असीभ करणा जागी िहीॊ ि अनदमामी शासन क वियोध भ डटकय खड़ हो गए |

गदमाॊश-आधारयत अथटगरहण सॊफॊधधत परशनोततय

गदमाॊश सॊकत- ऩाठ ndash सशयीर क पर (ऩरषठ १४७)

कासरदास सौदमय क िह इशाया ह |

(क) कालरदास की सौदमटndashदजषट की कमा पवशषता थी उततय-कासरदास की सौदमयndashदनदरषट फहत सकषभ अॊतबदी औय सॊऩणय थी| ि किर फाहयी रऩ-यॊग औय आकाय को ही नहीॊ दखत थ फनदलक अॊतभयन की सॊदयता क बी ऩायखी थ| कासरदास की सौदमय शायीरयक औय भानससक दोनो विशरताओॊ स मकत था |

(ख) अनासजकत का कमा आशम ह उततय- अनासनदकत का आशम ह- वमनदकतगत सख-द ख औय याग-दिर स ऩय यहकय सौदमय क िासतविक भभय को जानना |

(ग) कालरदास ऩॊत औय यवीॊिनाथ टगोय भ कौन सा गण सभान था भहाकवि कासरदास ससभतरानॊदन ऩॊत औय गरदि यिीॊदरनाथ टगोय तीनो नदसथयपरऻ औय अनासकत कवि थ | ि सशयीर क सभान सयस औय भसत अिधत थ |

(घ) यवीॊिनाथ याजोदमान क लसॊहदवाय क फाय भ कमा सॊदश दत ह याजोदमान क फाय भ यिीॊदरनाथ कहत ह याजोदमान का ससॊहदिाय ककतना ही सॊदय औय गगनचमफी कमो ना हो िह अॊनतभ ऩड़ाि नहीॊ ह| उसका सौदमय ककसी औय उचचतभ सौदमय की ओय ककमा गमा सॊकत भातर ह कक असरी सौदमय इस ऩाय कयन क फाद ह अत याजोदमान का ससॊहदिाय हभ आग फढ़न की परयणा दता ह |

18शरभ-पवबाजन औय जानत-परथा

िॉ० बीभयाव अॊफिकय

सायाॊश ndash इस ऩाठ भ रखक न जानतिाद क आधाय ऩय ककए जान िार बदबाि को सभम सभाज क सरए हाननकायक फतामा ह | जानत आधारयत शरभ विबाजन को असिाबाविक औय भानिता वियोधी फतामा गमा ह मह साभानदजक बदबाि को फढ़ाता ह जानतपरथा आधारयत शरभ विबाजन भ वमनदकत की रधच को भहतति नहीॊ हदमा जाता परसिरऩ वििशता क साथ अऩनाए

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Page 18: ISSUED BY KENDRIYA VIDYALAYA - DOWNLOADED FROM … Class XII Hindi Part B.pdfप्रश्न४ :-फादर क / फयन का गयीफ एि धनी िगय क्मा

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अथट-गरहण-सॊफॊधी परशन

गज़र

कफ़याक गोयखऩयी

ldquoनौयस गॊच ऩॊखडड़मो की नाज़क धगयह खोर ह

मा उड़ जान को यॊगो- फ गरशन भ ऩय तौर ह |rdquo

परशन१- lsquoनौयसrsquo विशरण दिाया कवि ककस अथय की वमॊजना कयना चाहता ह

उततय नौयस अथायत नमा यस गॊच अथायत कसरमो भ नमा ndashनमा यस बय आमा ह |

परशन२- ऩॊखडड़मो की नाज़क धगयह खोरन का कमा असबपराम ह

उततय - यस क बय जान स कसरमाॉ विकससत हो यही ह |धीय-धीय उनकी ऩॊखडड़माॉ अऩनी फॊद गाॉठ खोर यही ह | कवि क शबदो भ नियस ही उनकी फॊद गाॉठ खोर यहा ह|

परशन३- lsquoयॊगो- फ गरशन भ ऩय तौर हrsquo ndash का अथय सऩरषट कीनदजए|

उततय -यॊग औय सगॊध दो ऩी ह जो कसरमो भ फॊद ह तथा उड़ जान क सरए अऩन ऩॊख पड़पड़ा यह ह |मह नदसथनत कसरमो क पर फन जान स ऩिय की ह जो पर फन जान की परतीा भ ह |rsquoऩय तौरनाrsquo एक भहािया ह जो उड़ान की भता आॉकन क सरए परमोग ककमा जाता ह |

परशन४- इस शय का बाि-सौदमय वमकत कीनदजए|

उततय -कसरमो की नई-नई ऩॊखडड़माॉ णखरन रगी ह उनभ स यस भानो टऩकना ही चाहता ह | िमसॊधध(ककशोयी)नानमका क परसपहटत होत सौदमय का परतीकातभक धचतरण अतमॊत सॊदय फन ऩड़ा ह |

सौदमट-फोध-सॊफॊधी परशन

हभ हो मा ककसभत हो हभायी दोनो को इक ही काभ सभरा ककसभत हभ को यो रि ह हभ ककसभत को यो र ह| जो भझको फदनाभ कय ह काश ि इतना सोच सक

भया ऩदाय खोर ह मा अऩना ऩदाय खोर ह | परशन१- इन शयो की बारा सॊफॊधी विशरताएॉ सऩरषट कीनदजए |

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उततय- १ भहाियो का परमोग ndashककसभत का योना ndashननयाशा का परतीक

२सयर असबवमनदकत बारा भ परिाहभमता ह ककसभत औय ऩयदा शबदो की ऩनयािनदततमाॉ

भोहक ह|

३ हहॊदी का घयर रऩ

परशन२- lsquoभया ऩयदा खोर ह मा अऩना ऩयदा खोर ह lsquo- की बावरक विशरता सरणखए |

उततय -भहािय क परमोग दिाया वमॊजनातभक असबवमनदकत | ऩयदा खोरना ndash बद खोरना सचचाई फमान कयना|

परशन३-lsquoहभ हो मा ककसभत हो हभायी lsquo ndashपरमोग की विशरता फताइए |

उततय - हभ औय ककसभत दोनो शबद एक ही वमनदकत अथायत कियाक क सरए परमकत ह | हभ औय ककसभत भ अबद ह मही विशरता ह |

कफ़याक गोयखऩयी

पवषम-वसत ऩय आधारयत परशनोततय

परशन१- ताय आॉख झऩकाि ह ndashका तातऩमय सऩरषट कीनदजए |

उततय- याबतर का सनदनाटा बी कछ कह यहा हइससरए ताय ऩरक झऩका यह ह विमोग की नदसथनत भ परकनत बी सॊिाद कयती परतीत होती ह |

परशन२- lsquoहभ हो मा ककसभत हो हभायीrsquo भ ककस बाि की असबवमनदकत हई ह

उततय- जीिन की विडॊफना ककसभत को योना-भहािय क परमोग स सटीक असबवमनदकत परापत कयती ह कवि जीिन स सॊतरषट नहीॊ ह | बागम स सशकामत का बाि इन ऩॊनदकतमो भ झरकता ह |

परशन३- परभ क ककस ननमभ की असबवमनदकत कवि न की ह

उततय -ईशिय की परानदपत सियसि रटा दन ऩय होती ह परभ क सॊसाय का बी मही ननमभ ह|कवि क शबदो भ rdquo कितयत का कामभ ह तिाज़न आरभ- हसनो ndashइशक भ बी

उसको उतना ही ऩात ह खद को नदजतना खो र ह |rdquo

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१ बाि ndashसामम- कफीय -lsquoसीस उताय बई धय तफ सभसरह कयतायlsquo-अथायत -सिमॊ को खो कय ही परभ परानदपत की जा सकती ह

२ बाि सामम- कफीय ndashनदजन ढॉढा नतन ऩाइमाॉ गहय ऩानी ऩहठ|

भ फऩया फडन डया यहा ककनाय फहठ |

परशन४- शयाफ की भहकपर भ शयाफी को दय यात कमा फात माद आती ह

उततय - शयाफ की भहकपर भ शयाफी को दय यात माद आती ह कक आसभान भ भनरषम क ऩाऩो का रखा-जोखा होता ह जस आधी यात क सभम परयशत रोगो क ऩाऩो क अधमाम खोरत ह िस ही यात क सभम शयाफ ऩीत हए शामय को भहफफा की माद हो आती ह भानो भहफफा परयशतो की तयह ऩाऩ सथर क आस ऩास ही ह

परशन५- सदक कियाकndashndashndashइन ऩॊनदकतमो का अथय सऩरषट कीनदजए |

उततय -सदक कियाकndashndashndashइन ऩॊनदकतमो भ कियाक कहत ह कक उनकी शामयी भ भीय की शामयी की उतकरषटता धिननत हो यही ह

परशन६- ऩॊखडड़मो की नाज़क धगयह खोरना कमा ह

उततय -ऩॉखडड़मो की नाजक धगयह खोरना उनका धीय -धीय विकससत होना ह

िमसॊधध(ककशोयी)नानमका क परसपहटत होत सौदमय की ओय सॊकत ह |

परशन७-lsquoमो उड़ जान को यॊगो फ गरशन भ ऩय तौर हrsquo बाि सऩरषट कीनदजए

उततय -कसरमो की सिास उड़न क सरए भानो ऩय तौर यही होअथायत खशफ का झोका यहndashयह कय उठता ह

परशन८- कवि दिाया िणणयत याबतर क दशम का िणयन अऩन शबदो भ कीनदजए

उततय - याबतर का सनदनाटा बी कछ कह यहा हइससरए ताय ऩरक झऩका यह हरगता ह कक परकनत का कण-कण कछ कह यहा ह |

परशन९- कवि अऩन िमनदकतक अनबि ककन ऩॉनदकतमो भ वमकत कय यहा ह

जीिन की विडॊफना-lsquoककसभत को योनाlsquo भहािय क परमोग स सटीक असबवमनदकत परापत कयती ह

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ldquoहभ हो मा ककसभत हो हभायी दोनो को इक ही काभ सभरा

ककसभत हभ को यो रि ह हभ ककसभत को यो र ह|rdquo

परशन१०- शामय न दननमा क ककस दसतय का िणयन ककमा ह

उततय -शामय न दननमा क इस दसतय का िणयन ककमा ह कक रोग दसयो को फदनाभ कयत ह ऩयॊत ि नहीॊ जानत कक इस तयह ि अऩनी दरषट परकनत को ही उदघाहटत कयत ह

परशन११- परभ की कितयत कवि न ककन शबदो भ असबवमकत की ह

सिमॊ को खो कय ही परभ की परानदपत की जा सकती ह ईशिय की परानदपत सियसि रटा दन ऩय होती ह परभ क सॊसाय का बी मही ननमभ ह

परशन१२- कियाक गोयखऩयी ककस बारा क कवि ह

उततय - उदय बारा

10 छोटा भया खत

उभाशॊकय जोशी

(गजयाती कपव)

उभाशॊकय जोशी फीसिीॊ सदी क गजयाती क भधयनदम कवि सॊसकत िाङभम क विदिान हउनदहोन गजयाती कविता को परकनत स जोड़ाआभ आदभी क जीिन की झरक उनकी यचनाओॊ भ सभरती ह

छोटा भया खत

साय

खती क रऩक दिाया कावम यचनाndash परककरमा को सऩषट ककमा गमा हकावम कनत की यचना फीजndash वऩन स रकय ऩौध क ऩजषऩत होन क पवलबनन चयणो स गजयती हअॊतय किर इतना ह कक कपव कभट की पसर कारजमी शाशित होती हउसका यस-यण अम होता हकागज का ऩनदना नदजस ऩय यचना शबदफदध होती ह कवि को एक चौकोय खत की तयह रगता ह इस खत

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भ ककसी अॉधड़ (आशम बािनातभक आॉधी स होगा) क परबाि स ककसी ण एक फीज फोमा जाता ह मह फीज-यचना विचाय औय असबवमनदकत का हो सकता ह मह भर रऩ कलऩना का सहाया रकय विकससत होता ह औय परककरमा भ सिमॊ विगसरत हो जाता ह उसस शबदो क अॊकय ननकरत ह औय अॊतत कनत एक ऩणय सिरऩ गरहण कयती ह जो कवर-कभय क सरहाज स ऩलरवित -ऩनदरषऩत होन की नदसथनत ह साहहनदतमक कनत स जो अरौककक यस-धाया पटती ह िह ण भ होन िारी योऩाई का ही ऩरयणाभ ह ऩय मह यस-धाया अनॊत कार तक चरन िारी कटाई ह |

फगरो क ऩॊख

साय

फगरो क ऩॊख कविता एक चार बफॊफ की कविता ह सौदमय का अऩकषत परबाि उतऩनदन कयन क सरए कविमो न कई मनदकतमाॉ अऩनाई ह नदजसभ स सफस परचसरत मनदकत ह-सौदमय क वमौयो क धचतरातभक िणयन क साथ अऩन भन ऩय ऩड़न िार उसक परबाि का िणयन औय आतभगत क सॊमोग की मह मनदकत ऩाठक को उस भर सौदमय क कापी ननकट र जाती ह जोशी जी की इस कविता भ ऐसा ही ह कवि कार फादरो स बय आकाश भ ऩॊनदकत फनाकय उड़त सपद फगरो को दखता ह ि कजयाय फादरो भ अटका-सा यह जाता ह िह इस भामा स अऩन को फचान की गहाय रगाता ह कमा मह सौदमय स फाॉधन औय विॊधन की चयभ नदसथनत को वमकत कयन का एक तयीका ह

परकनत का सितॊतर (आरॊफन गत ) धचतरण आधननक कविता की विशरता हधचतरातभक िणयन दिाया कवि न एक ओय कार फादरो ऩय उड़ती फगरो की शित ऩॊनदकत का धचतर अॊककत ककमा ह तो दसयी ओय इस अपरनतभ दशम क रदम ऩय ऩड़न िार परबाि को धचबतरत ककमा हभॊतर भगध कवि इस दशम क परबाि स आतभ विसभनत की नदसथनत तक ऩहॉच जाता हविरम एिॊ विरमीगत सौनददमय क दोनो रऩ कविता भ उदघाहटत हए ह

अथट-गरहण-सॊफॊधी परशन

ldquoछोटा भया खत चौकोना

कागज़ का एक ऩनदना कोई अॊधड़ कहीॊ स आमा

ण का फीज िहाॉ फोमा गमा|

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कलऩना क यसामनो को ऩी

फीज गर गमा ननशर शबद क अॊकय पट

ऩलरि ndashऩरषऩो स नसभत हआ विशर |rdquo

परशन १lsquoछोटा भया खतrsquo ककसका परतीक ह औय कमो

उततय - परशन२ lsquoछोटा भया खतrsquo काग़ज क उस ऩनदन का परतीक ह नदजस ऩय कवि अऩनी कविता सरखता ह

परशन २ कवि खत भ कौनndashसा फीज फोता ह

उततय - कवि खत भ अऩनी कलऩना का फीज फोता ह

परशन ३ कवि की कलऩना स कौन स ऩलरि अॊकरयत होत ह

उततय - कवि की कलऩना स शबद क ऩलरि अॊकरयत होत ह

परशन ४ उऩमयकत ऩद का बाि-सौदमय सऩरषट कीनदजए |

उततय - खती क रऩक दिाया कावम-यचनाndashपरककरमा को सऩषट ककमा गमा हकावम कनत की यचना फीजndash वऩन स रकय ऩौध क ऩजषऩत होन क पवलबनन चयणो स गजयती हअॊतय किर इतना ह कक कपव कभट की पसर कारजमी शाशित होती हउसका यस-यण अम होता ह

सौदमट-फोध-सॊफॊधी परशन

ldquoझभन रग पर

यस अरौककक

अभत धायाएॉ पटतीॊ

योऩाई ण की

कटाई अनॊतता की

रटत यहन स जया बी कभ नहीॊ होती |

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यस का अम ऩातर सदा का

छोटा भया खत चौकोना |rdquo

परशन इस कविता की बारा सॊफॊधी विशरताओॊ ऩय परकाश डासरए ndash

उततय - १ परतीकातभकता

२ राणणकता -

२रऩक अरॊकायndash यस का अम ऩातर सदा का

छोटा भया खत चौकोना

परशन २ यस अरौककक अभत धायाएॉ योऩाई ndash कटाई-परतीको क अथय सऩरषट कीनदजए |

उततय - यस अरौककक ndash कावम यस ननरषऩनदतत

अभत धायाएॉ- कावमानॊद

योऩाई ndash अनबनत को शबदफदध कयना

कटाई ndashयसासिादन

पवषम-वसत ऩय आधारयत परशनोततय

कपवता ndash

छोटा भया खत

परशन १ उभाशॊकय जोशी न ककस बारा भ कविताएॉ सरखी ह

उततय - गजयाती बारा

परशन२ कवरndashकभय एिॊ कविndashकभय भ कमा कमा सभानताएॉ ह

उततय - कवरndashकभय एिॊ कविndashकभय भ ननमनसरणखत सभानताएॉ ह-

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कावम कनत की यचना फीजndash वऩन स रकय ऩौध क ऩजषऩत होन क पवलबनन चयणो स गजयती ह

कपषndashकभट एवॊ कपवndashकभट भ सभानताएॉ -

कागज का ऩनदना नदजस ऩय यचना शबदफदध होती ह कवि को एक चौकोय खतरगता ह इस खत भ ककसी अॉधड़ (आशम बािनातभक आॉधी स होगा) क परबाि स ककसी ण

एक फीज फोमा जाता ह मह फीज-यचना विचाय औय असबवमनदकत का हो सकता ह मह भर रऩ कलऩना का सहाया रकय विकससत होता ह औय परककरमा भ सिमॊ विगसरत

हो जाता ह इसीपरकाय फीज बी खाद ऩानी समय की योशनी हिा आहद रकय विकससत होता ह |

कावम ndashयचना स शबदो क अॊकय ननकरत ह औय अॊतत कनत एक ऩणय सिरऩ गरहण कयती ह जो कवर-कभय क सरहाज स ऩलरवित ndashऩनदरषऩत औय पसरत होन की नदसथनत ह अथट-गरहण-सॊफॊधी परशन

कपवताndash फगरो क ऩॊख

नब भ ऩाॉती- फॉध फगरो क ऩॊख

चयाए सरए जातीॊ ि भयी आॉख |

कजयाय फादरो की छाई नब छामा

हौरndashहौर जाती भझ फाॉध ननज भामा स |

उस कोई तननक योक यकखो |

िह तो चयाए सरए जाती भयी आॉख

नब भ ऩाॉती- फॉधी फगरो की ऩाॉख |

तयती साॉझ की सतज शित कामा|

परशन१- इस कविता भ कवि न ककसका धचतरण ककमा ह

उततय - कवि न कार फादरो ऩय उड़ती फगरो की शित ऩॊनदकत का धचतरण ककमा ह|

परशन२- आॉख चयान का कमा अथय ह

उततय - आॉख चयान का आशम ह ndashधमान ऩयी तयह खीॊच रना एकटक दखना भॊतरभगध कय दना

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परशन३-

ldquoकजयाय फादरो की छाई नब छामा

हौर ndashहौर जाती भझ फाॉध ननज भामा स |rdquo- आशम सऩरषट कीनदजए |

उततय- कार फादरो क फीच साॉझ का सयभई िाताियण फहत सॊदय हदखता ह | ऐसा अपरनतभ सौदमय अऩन आकरयण भ कवि को फाॉध रता ह |

परशन ४ ldquoउस कोई तननक योक यकखो |rsquo- स कवि का कमा असबपराम ह

उततय - फगरो की ऩॊनदकत आकाश भ दय तक उड़ती जा यही ह कवि की भॊतरभगध आॉख उनका ऩीछा कय यही ह | कवि उन फगरो को योक कय यखन की गहाय रगा यहा ह कक कहीॊ ि उसकी आॉख ही अऩन साथ न र जाएॉ |

सौदमट-फोध-सॊफॊधी परशन

परशन १ कविता की बारा सॊफॊधी दो विशरताएॉ सरणखए|

उततय -१ धचतरातभक बारा

२ फोरचार क शबदो का परमोग - हौर ndashहौर ऩाॉती कजयायसाॉझ

परशन २ कविता भ परमकत अरॊकाय चन कय सरणखए |

उततय - अनपरास अरॊकाय - फॉध फगरो क ऩॊख

भानिीकयण अरॊकाय - चयाए सरए जातीॊ ि भयी आॉख |

परशन ३ -lsquo ननज भामाrsquo क राणणक अथय को सऩरषट कीनदजए |

उततय - परकनत का अपरनतभ सौदमय िह भामा ह जो कवि को आतभविबोय कय दती हमह ऩॊनदकत बी परशॊसातभक उनदकत ह

पवषम-वसत ऩय आधारयत परशनोततय

परशन१- lsquoचयाए सरए जाती ि भयी ऑ ॊखrsquo स कवि का कमा तातऩमय ह

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उततय -धचतरातभक िणयन दिाया कवि न एक ओय कार फादरो ऩय उड़ती फगरो की शित ऩॊनदकत का धचतर अॊककत ककमा ह तथा इस अपरनतभ दशम क रदम ऩय ऩड़न िार परबाि को धचबतरत ककमा ह कवि क अनसाय मह दशम उनकी आॉख चयाए सरए जा यहा ह |भॊतर भगध कवि इस दशम क परबाि स आतभ विसभनत की नदसथनत तक ऩहॉच जाता ह

परशन२-कवि ककस भामा स फचन की फात कहता ह

उततय - भामा विशि को अऩन आकरयण भ फाॉध रन क सरए परससदध ह | कफीय न बी lsquoभामा भहा ठधगनी हभ जानीrsquo कहकय भामा की शनदकत को परनतऩाहदत ककमा ह | कार फादरो भ फगरो की सॊदयता अऩना भामा जार परा कय कवि को अऩन िश भ कय यही ह |

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आयोह बाग-२ गदम-बाग

परशन-सॊखमा १०- गदम खॊड भ हदए गए ऩहठत गदमाॊश स अथयगरहण सॊफॊधी चाय परशन ऩछ जाएॉग नदजनक सरए ननधायरयत अॊक (२४=८) ह |

परशन-सॊखमा ११- ऩाठो की विरमिसत स सॊफॊधधत ऩाॉच भ स चाय परशनो क उततय दन ह नदजनक सरए ननधायरयत अॊक (३४=१२) ह|

ऩयीा भ अचछ अॊक परातत कयन क लरए धमान दन मोगम फात ndash

1 रख एिॊ ितयनी की शदधता तथा िाकम-गठन ऩय धमान द | 2 हय ऩाठ का सायऩरषठबसभविरमिसत तथाकथानक को सभझना आिशमक ह |

अतविदमाथी हय ऩाठ का सायाॊश बरीबाॉनत माद कय र | 3 परशनो को धमान स ऩढ़ तदनसाय अऩकषत उततय सरख | 4 उततय सरखत सभम सॊफॊधधत भखम बफॊदओॊ का शीरयकफनात हए उततय सरख मथा-तीन

अॊक क परशनो क उततय सरखत सभम कभ स कभ तीन भखम उततय-बफ ॊदओॊ का उलरख कयत हए उततय सऩरषट कय |

5 अॊक-मोजना क अनसाय ननधायरयत शबद-सीभा क अॊतगयत उततय सरख | ऩयीाथी कई फाय एक अॊक क परशन का उततय फहत रॊफा कई फाय ऩया ऩरषठ सरख दत ह जो सभम औय ऊजाय की फफायदी ह |

6 धमान यह कक अधधक सरखन स अचछ अॊक नहीॊ आत फनदलक सयर-सफोध बारा भ सरख गए सटीक उततय सायगसबयत तथम तथा उदाहयण क दिाया सऩरषट ककए गए उततय परबािशारी होत ह |

ऩाि 11 - बजकतन

रखखका- भहादवी वभाट

ऩाि का सायाॊश- बनदकतन नदजसका िासतविक नाभ रकषभी थारणखका lsquoभहादिी िभायrsquo की सविका ह | फचऩन भ ही बनदकतन की भाॉ की भतम हो गमी| सौतरी भाॉ न ऩाॉच िरय की आम भ वििाह तथा नौ िरय की आम भ गौना कय बनदकतन को ससयार बज हदमा| ससयार भ बनदकतन न तीन फहटमो को जनदभ हदमा नदजस कायण उस सास औय नदजठाननमो की उऩा सहनी ऩड़ती थी| सास औय नदजठाननमाॉ आयाभ पयभाती थी औय बनदकतन तथा उसकी ननदहीॊ फहटमो को घय औय खतो का साया काभ कयना ऩडता था| बनदकतन का ऩनत उस फहत चाहता था| अऩन ऩनत क सनह क फर ऩय बनदकतन न ससयार िारो स अरगौझा कय अऩना अरग घय फसा सरमा औय सख स यहन रगी ऩय बनदकतन का दबायगम अलऩाम भ ही उसक ऩनत की भतम हो गई | ससयार िार

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बनदकतन की दसयी शादी कय उस घय स ननकारकय उसकी सॊऩनदतत हड़ऩन की सानदजश कयन रग| ऐसी ऩरयनदसथनत भ बनदकतन न अऩन कश भॊडा सरए औय सॊनदमाससन फन गई | बनदकतन सिासबभानी सॊघरयशीर कभयठ औय दढ सॊकलऩ िारी सतरी ह जो वऩतसततातभक भानदमताओॊ औय छर-कऩट स बय सभाज भ अऩन औय अऩनी फहटमो क हक की रड़ाई रड़ती हघय गहसथी सॉबारन क सरए अऩनी फड़ी फटी दाभाद को फरा सरमा ऩय दबायगम न महाॉ बी बनदकतन का ऩीछा नहीॊ छोड़ा अचानक उसक दाभाद की बी भतम हो गमी| बनदकतन क जठ-नदजठौत न सानदजश यचकय बनदकतन की विधिा फटी का वििाह जफयदसती अऩन तीतयफाज सार स कय हदमा| ऩॊचामत दिाया कयामा गमा मह सॊफॊध दखदामी यहा | दोनो भाॉ-फटी का भन घय-गहसथी स उचट गमा ननधयनता आ गमी रगान न चका ऩान क कायण जभीॊदाय न बनदकतन को हदन बय धऩ भ खड़ा यखा| अऩभाननत बनदकतन ऩसा कभान क सरए गाॉि छोड़कय शहय आ जाती ह औय भहादिी की सविका फन जाती ह| बनदकतन क भन भ भहादिी क परनत फहत आदय सभऩयण औय असबबािक क सभान अधधकाय बाि ह| िह छामा क सभान भहादिी क साथ यहती ह| िह यात-यात बय जागकय धचतरकायी मा रखन जस कामय भ वमसत अऩनी भारककन की सिा का अिसय ढॉढ रती ह| भहादिी बनदकतन को नहीॊ फदर ऩामी ऩय बनदकतन न भहादिी को फदर हदमा| बनदकतन क हाथ का भोटा-दहाती खाना खात-खात भहादिी का सिाद फदर गमा बनदकतन न भहादिी को दहात क ककसस-कहाननमाॉ ककॊ िदॊनतमाॉ कॊ ठसथ कया दी| सिबाि स भहाकॊ जस होन ऩय बी बनदकतन ऩाई-ऩाई कय जोडी हई १०५ रऩमो की यासश को सहरय भहादिी को सभवऩयत कय दती ह| जर क नाभ स थय-थय काॉऩन िारी बनदकतन अऩनी भारककन क साथ जर जान क सरए फड़ राट साहफ तक स रड़न को बी तमाय हो जाती ह| बनदकतन भहादिी क जीिन ऩय छा जान िारी एक ऐसी सविका ह नदजस रणखका नहीॊ खोना चाहती

ऩाि आधारयत परशनोततय

नोट- उततय भ ननहहत यखाॊककत िाकम भखम सॊकत बफॊद ह |

परशन 1-बजकतन का वासतपवक नाभ कमा था वह अऩन नाभ को कमो छऩाना चाहती थी

उततय-बनदकतन का िासतविक नाभ रकषभी था हहनददओॊ क अनसायरकषभी धन की दिीह चॉकक बनदकतन गयीफ थी| उसक िासतविक नाभ क अथय औय उसक जीिन क मथाथय भ वियोधाबास ह ननधयन बनदकतन सफको अऩना असरी नाभ रकषभी फताकय उऩहास का ऩातर नहीॊ फनना चाहती थी इससरए िह अऩना असरी नाभ छऩाती थी

परशन 2- रखखका न रकषभी का नाभ बजकतन कमो यखा

उततय-घटा हआ ससय गर भ कॊ ठी भारा औय बकतो की तयह सादगीऩणय िशबरा दखकय भहादिी िभाय न रकषभी का नाभ बनदकतन यख हदमा | मह नाभ उसक वमनदकतति स ऩणयत भर खाता था |

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परशन 3-बजकतन क जीवन को ककतन ऩरयचछदो भ पवबाजजत ककमा गमा ह

उततय- बनदकतन क जीिन को चाय बागो भ फाॉटा गमा ह-

ऩहरा ऩरयचछद-बनदकतन का फचऩन भाॉ की भतम विभाता क दिाया बनदकतन का फार-वििाह कया दना

दपवतीम ऩरयचछद-बनदकतन का ििाहहक जीिन सास तथा नदजठाननमो का अनदमामऩणय वमिहाय ऩरयिाय स अरगौझा कय रना

ततीम ऩरयचछद- ऩनत की भतम विधिा क रऩ भ सॊघरयशीर जीिन चतथट ऩरयचछद- भहादिी िभाय की सविका क रऩ भ

परशन 4- बजकतन ऩाि क आधाय ऩय बायतीम गराभीण सभाज भ रड़क-रड़ककमो भ ककम जान वार बदबाव का उलरख कीजजए |

बायतीम गराभीण सभाज भ रड़क-रड़ककमो भ बदबाि ककमा जाता ह| रड़ककमो को खोटा ससकका मा ऩयामा धन भाना जाता ह| बनदकतन न तीन फहटमो को जनदभ हदमा नदजस कायण उस सास औय नदजठाननमो की उऩा सहनी ऩड़ती थी| सास औय नदजठाननमाॉ आयाभ पयभाती थी कमोकक उनदहोन रड़क ऩदा ककए थ औय बनदकतन तथा उसकी ननदहीॊ फहटमो को घय औय खतो का साया काभ कयना ऩडता था| बनदकतन औय उसकी फहटमो को रखा-सखा भोटा अनाज खान को सभरता था जफकक उसकी नदजठाननमाॉ औय उनक कार-करट फट दध-भराई याफ-चािर की दाित उड़ात थ

परशन 5-बजकतन ऩाि क आधाय ऩय ऩॊचामत क नमाम ऩय ठटतऩणी कीजजए |

बनदकतन की फटी क सनददबय भ ऩॊचामत दिाया ककमा गमा नदमाम तकय हीन औय अॊध कानन ऩय आधारयतह | बनदकतन क नदजठौत न सॊऩनदतत क रारच भ रडमॊतर कय बोरी फचची को धोख स जार भ पॊ सामा| ऩॊचामत न ननदोर रड़की की कोई फात नहीॊ सनी औय एक तयिा पसरा दकय उसका वििाह जफयदसती नदजठौत क ननकमभ तीतयफाज सार स कय हदमा | ऩॊचामत क अॊध कानन स दरषटो को राब हआ औय ननदोर को दॊड सभरा |

परशन 6-बजकतन की ऩाक-करा क फाय भ ठटतऩणी कीजजए |

बनदकतन को ठठ दहाती सादा बोजन ऩसॊद था | यसोई भ िह ऩाक छत को फहत भहतति दती थी | सफह-सिय नहा-धोकय चौक की सपाई कयक िह दिाय ऩय कोमर की भोटी यखा खीॊच दती थी| ककसी को यसोईघय भ परिश कयन नहीॊ दती थी| उस अऩन फनाए बोजन ऩय फड़ा असबभान था| िह अऩन फनाए बोजन का नतयसकाय नहीॊ सह सकती थी |

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परशन 7- लसदध कीजजए कक बजकतन तकट -पवतकट कयन भ भाठहय थी |

बनदकतन तकय ऩट थी | कश भॉडान स भना ककए जान ऩय िह शासतरो का हिारा दत हए कहती ह lsquoतीयथ गए भॉडाए ससदधrsquo | घय भ इधय-उधय यख गए ऩसो को िह चऩचाऩ उठा कय छऩा रती ह टोक जानऩय िह िह इस चोयी नही भानती फनदलक िह इस अऩन घय भ ऩड़ ऩसो को सॉबारकय यखना कहती ह| ऩढाई-सरखाई स फचन क सरए बी िह अचक तकय दती ह कक अगय भ बी ऩढ़न रगॉ तो घय का काभ कौन दखगा

परशन 8-बजकतन का दबाटगम बी कभ हिी नही था रखखका न ऐसा कमो कहा ह

उततय- बजकतन का दबाटगम उसका ऩीछा नहीॊ छोड़ता था-

1- फचऩन भ ही भाॉ की भतम 2- विभाता की उऩा 3- बनदकतन(रकषभी) का फारवििाह 4- वऩता का ननधन 5- तीन-तीन फहटमो को जनदभ दन क कायण सास औय नदजठाननमो क दिाया बनदकतन की

उऩा 6- ऩनत की असभम भतम 7- दाभाद का ननधन औय ऩॊचामत क दिाया ननकमभ तीतयफाज मिक स बनदकतन की विधिा

फटी का जफयन वििाह 8- रगान न चका ऩान ऩय जभीॊदाय क दिाया बनदकतन का अऩभान

परशन 9-बजकतन न भहादवी वभाट क जीवन ऩय कस परबापवत ककमा

उततय- बनदकतन क साथ यहकय भहादिी की जीिन-शरी सयर हो गमी ि अऩनी सविधाओॊ की चाह को नछऩान रगीॊ औय असविधाओॊ को सहन रगीॊ बनदकतन न उनदह दहाती बोजन णखराकय उनका सिाद फदर हदमा बनदकतन भातर एक सविका न होकय भहादिी की असबबािक औय आतभीम फन गमीबनदकतन भहादिी क जीिन ऩय छा जान िारी एक ऐसी सविका ह नदजस रणखका नहीॊ खोना चाहती

परशन 10- बजकतन क चरयतर की पवशषताओॊ का उलरख कीजजए

उततय- भहादिी िभाय की सविका बनदकतन क वमनदकतति की विशरताएॊ ननमनाॊककत ह-

सभवऩयत सविका सिासबभानी

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तकय शीरा ऩरयशरभी सॊघरयशीर

परशन 11-बजकतन क दगटणो का उलरख कय

उततय- गणो क साथ-साथ बनदकतन क वमनदकतति भ अनक दगयण बी ननहहत ह-

1 िह घय भ इधय-उधय ऩड़ रऩम-ऩस को बॊडाय घय की भटकी भ छऩा दती ह औय अऩन इस कामय को चोयी नहीॊ भानती

2 भहादिी क करोध स फचन क सरए बनदकतन फात को इधय-उधय कयक फतान को झठ नही भानती अऩनी फात को सही ससदध कयन क सरए िह तकय -वितकय बी कयती ह

3 िह दसयो को अऩनी इचछानसाय फदर दना चाहती ह ऩय सिमॊ बफरकर नही फदरती परशन 12 ननमनाॊककत बाषा-परमोगो का अथट सऩषट कीजजए-

ऩहरी कनमा क दो औय सॊसकयण कय िार- बनदकतन न अऩनी ऩहरी कनदमा क फाद उसक जसी दो औय कनदमाएॉ ऩदा कय दी अथायत बनदकतन क एक क फाद एक तीन फहटमाॉ ऩदा हो गमीॊ |

खोट लसकको की टकसार जसी ऩतनी- आज बी असशकषत गराभीण सभाज भ फहटमो को

खोटा ससकका कहा जाता ह बनदकतन न एक क फाद एक तीन फहटमाॉ ऩदा कय दी इससरए उस खोट ससकक को ढारन िारी भशीन कहा गमा

परशन 13-बजकतन ऩाि भ रखखका न सभाज की ककन सभसमाओॊ का उलरख ककमा ह

उततय- बनदकतन ऩाठ क भाधमभ स रणखका न बायतीम गराभीण सभाज की अनक सभसमाओॊ का उलरख ककमा ह-

1 रड़क-रड़ककमो भ ककमा जान िारा बदबाि 2 विधिाओॊ की सभसमा 3 नदमाम क नाभ ऩय ऩॊचामतो क दिाया नदसतरमो क भानिाधधकाय को कचरना 4 असशा औय अॊधविशिास

गदमाॊश-आधारयत अथटगरहण सॊफॊधधत परशनोततय

ऩरयिाय औय ऩरयनदसथनतमो क कायण सिबाि भ जो विरभताएॉ उतऩनदन हो गई ह उनक बीतय स एक सनह औय सहानबनत की आबा पटती यहती ह इसी स उसक सॊऩकय भ आनिार वमनदकत उसभ जीिन की सहज भासभयकता ही ऩात ह छातरािास की फासरकाओॊ भ स कोई अऩनी चाम

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फनिान क सरए दहरी ऩय फठी यहती ह कोई फाहय खडी भय सरए नाशत को चखकय उसक सिाद की वििचना कयती यहती ह भय फाहय ननकरत ही सफ धचडड़मो क सभान उड़ जाती ह औय बीतय आत ही मथासथान वियाजभान हो जाती ह इनदह आन भ रकािट न हो सॊबित इसी स बनदकतन अऩना दोनो जन का बोजन सिय ही फनाकय ऊऩय क आर भ यख दती ह औय खात सभम चौक का एक कोना धोकय ऩाकndashछत क सनातन ननमभ स सभझौता कय रती ह

भय ऩरयधचतो औय साहहनदतमक फॊधओॊ स बी बनदकतन विशर ऩरयधचत ह ऩय उनक परनत बनदकतन क समभान की भातरा भय परनत उनक समभान की भातरा ऩय ननबयय ह औय सदभाि उनक परनत भय सदभाि स नननदशचत होता ह इस सॊफॊध भ बनदकतन की सहज फवदध विनदसभत कय दन िारी ह

(क) बजकतन का सवबाव ऩरयवाय भ यहकय कसा हो गमा ह

उततय-विरभ ऩरयनदसथनतजनदम उसक उगर हठी औय दयागरही सिबाि क फािजद बनदकतन क बीतय सनह औय सहानबनत की आबा पटती यहती ह उसक सॊऩकय भ आन िार वमनदकत उसभ जीिन की सहज भासभयकता ही ऩात ह

(ख) बजकतन क ऩास छातरावास की छातराएॉ कमो आती ह

उततय- बनदकतन क ऩास कोई छातरा अऩनी चाम फनिान आती ह औय दहरी ऩय फठी यहती ह कोई भहादिी जी क सरए फन नाशत को चखकय उसक सिाद की वििचना कयती यहती ह भहादिी को दखत ही सफ छातराएॉ बाग जाती ह उनक जात ही कपय िाऩस आ जातीॊ ह बनदकतन का सहज-सनह ऩाकय धचडड़मो की तयह चहचहान रगती ह |

(ग) छातराओॊ क आन भ रकावट न िारन क लरए बजकतन न कमा उऩाम ककमा

उततय- छातराओॊ क आन भ रकािट न डारन क सरए बनदकतन न अऩन ऩाक-छत क ननमभ स सभझौता कय सरमा | बनदकतन अऩना दोनो िकत का खाना फनाकय सफह ही आर भ यख दती औय खात सभम चौक का एक कोना धोकय िहाॉ फठकय खा सरमा कयती थी ताकक छातराएॉ बफना योक-टोक क उसक ऩास आ सक

(घ) साठहतमकायो क परनत बजकतन क समभान का कमा भाऩदॊि ह

उततय-बनदकतन भहादिी क साहहनदतमक सभतर क परनत सदभाि यखती थी नदजसक परनत भहादिी सिमॊ सदभाि यखती थी | िह सबी स ऩरयधचत हऩय उनक परनत समभान की भातरा भहादिी जी क समभान की भातरा ऩय ननबयय कयती ह िह एक अदभत ढॊग स जान रती थी कक कौन ककतना समभान कयता ह उसी अनऩात भ उसका परापम उस दती थी

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12 फाजाय-दशटन

रखक- जनि कभाय

ऩाि का सायाॊश फाजाय-दशयन ऩाठ भ फाजायिाद औय उऩबोकतािाद क साथ-साथ अथयनीनत एिॊ दशयन स सॊफॊधधत परशनो को सरझान का परमास ककमा गमा ह फाजाय का जाद तबी असय कयता ह जफ भन खारी हो| फाजाय क जाद को योकन का उऩाम मह ह कक फाजाय जात सभम भन खारी ना हो भन भ रकषम बया हो| फाजाय की असरी कताथयता ह जरयत क िकत काभ आना| फाजाय को िही भनरषम राब द सकता ह जो िासति भ अऩनी आिशमकता क अनसाय खयीदना चाहता ह| जो रोग अऩन ऩसो क घभॊड भ अऩनी ऩचनदजॊग ऩािय को हदखान क सरए चीज खयीदत ह ि फाजाय को शतानी वमॊगम शनदकत दत ह| ऐस रोग फाजारऩन औय कऩट फढात ह | ऩस की मह वमॊगम शनदकत वमनदकत को अऩन सग रोगो क परनत बी कतघन फना सकती ह | साधायण जन का रदम रारसा ईरषमाय औय तरषणा स जरन रगता ह | दसयी ओय ऐसा वमनदकत नदजसक भन भ रश भातर बी रोब औय तरषणा नहीॊ ह सॊचम की इचछा नहीॊ ह िह इस वमॊगम-शनदकत स फचा यहता ह | बगतजी ऐस ही आतभफर क धनी आदशय गराहक औय फचक ह नदजन ऩय ऩस की वमॊगम-शनदकत का कोई असय नहीॊ होता | अनक उदाहयणो क दिाया रखक न मह सऩरषट ककमा ह कक एक ओय फाजाय रारची असॊतोरी औय खोखर भन िार वमनदकतमो को रटन क सरए ह िहीॊ दसयी ओय सॊतोरी भन िारो क सरए फाजाय की चभक-दभक उसका आकरयण कोई भहतति नहीॊ यखता

परशन१ - ऩचजजॊग ऩावय ककस कहा गमा ह फाजाय ऩय इसका कमा परबाव ऩड़ता ह

उततय- ऩचनदजॊग ऩािय का अथय ह खयीदन की शनदकत ऩचनदजॊग ऩािय क घभॊड भ वमनदकत हदखाि क सरए आिशमकता स अधधक खयीदायीकयता ह औय फाजाय को शतानी वमॊगम-शनदकत दता ह ऐस रोग फाजाय का फाजारऩन फढ़ात ह

परशन२ -रखक न फाजाय का जाद ककस कहा ह इसका कमा परबाव ऩड़ता ह

उततय- फाजाय की चभक-दभक क चॊफकीम आकरयण को फाजाय का जाद कहा गमा ह मह जाद आॊखो की याह कामय कयता ह फाजाय क इसी आकरयण क कायण गराहक सजी-धजी चीजो को आिशमकता न होन ऩय बी खयीदन को वििश हो जात ह

परशन३ -आशम सऩषट कय

भन खारी होना भन बया होना भन फॊद होना

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उततय-भन खारी होना- भन भ कोई नननदशचत िसत खयीदन का रकषम न होना ननरददशम फाजाय जाना औय वमथय की चीजो को खयीदकय राना

भन बया होना- भन रकषम स बया होना नदजसका भन बया हो िह बरीबाॉनत जानता ह कक उस फाजाय स कौन सी िसत खयीदनी ह अऩनी आिशमकता की चीज खयीदकय िह फाजाय को साथयकता परदान कयता ह

भन फॊद होना-भन भ ककसी बी परकाय की इचछा न होना अथायत अऩन भन को शनदम कय दना

परशन४ - lsquoजहाॉ तषणा ह फटोय यखन की सऩहा ह वहाॉ उस फर का फीज नहीॊ हrsquo महाॊ ककस फर की चचाट की गमी ह

उततय- रखक न सॊतोरी सिबाि क वमनदकत क आतभफरकी चचाय की ह दसय शबदो भ महद भन भ सॊतोर हो तो वमनदकत हदखाि औय ईरषमाय की बािना स दय यहता ह उसभ सॊचम कयन की परिनदतत नहीॊ होती

परशन५ - अथटशासतर अनीनतशासतर कफ फन जाता ह

उततय- जफ फाजाय भ कऩट औय शोरण फढ़न रग खयीददाय अऩनी ऩचधचॊग ऩािय क घभॊड भ हदखाि क सरए खयीददायी कय | भनरषमो भ ऩयसऩय बाईचाया सभापत हो जाए| खयीददाय औय दकानदाय एक दसय को ठगन की घात भ रग यह एक की हानन भ दसय को अऩना राब हदखाई द तो फाजाय का अथयशासतर अनीनतशासतर फन जाता ह ऐस फाजाय भानिता क सरए विडॊफना ह

परशन६-बगतजी फाजाय औय सभाज को ककस परकाय साथटकता परदान कय यह ह

उततय- बगतजी क भन भ साॊसारयक आकरयणो क सरए कोई तरषणा नहीॊ ह ि सॊचम रारच औय हदखाि स दय यहत ह फाजाय औय वमाऩाय उनक सरए आिशमकताओॊ की ऩनत य का साधन भातर ह बगतजी क भन का सॊतोर औय ननसऩह बाि उनको शररषठ उऩबोकता औय विकरता फनात ह

परशन ७ _ बगत जी क वमजकततव क सशकत ऩहरओॊ का उलरख कीजजए |

उततय-ननमनाॊककत बफॊद उनक वमनदकतति क सशकत ऩहर को उजागय कयत ह

ऩॊसायी की दकान स किर अऩनी जरयत का साभान (जीया औय नभक) खयीदना नननदशचत सभम ऩय चयन फचन क सरए ननकरना छह आन की कभाई होत ही चयन फचना फॊद कय दना फच हए चयन को फचचो को भफ़त फाॉट दना

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सबी काजम-जम याभ कहकय सिागत कयना फाजाय की चभक-दभक स आकवरयत न होना सभाज को सॊतोरी जीिन की सशा दना

परशन7-फाजाय की साथटकता ककसभ ह

उततय- भनरषम की आिशमकताओॊ की ऩनतय कयन भ ही फाजाय की साथयकता ह जो गराहक अऩनी आिशमकताओॊ की चीज खयीदत ह ि फाजाय को साथयकता परदान कयत ह जो विकरता गराहको का शोरण नहीॊ कयत औय छर-कऩट स गराहको को रबान का परमास नही कयत ि बी फाजाय को साथयक फनात ह

गदमाॊश-आधारयत अथटगरहण-सॊफॊधधत परशनोततय

फाजाय भ एक जाद ह िह जाद आॉख की तयह काभ कयता ह िह रऩ का जाद ह ऩय जस चॊफक का जाद रोह ऩय ही चरता ह िस ही इस जाद की बी भमायदा ह जफ बयी हो औय भन खारी हो ऐसी हारत भ जाद का असय खफ होता ह जफ खारी ऩय भन बया न हो तो बी जाद चर जाएगा भन खारी ह तो फाजाय की अनकानक चीजो का ननभॊतरण उस तक ऩहॉच जाएगा कहीॊ हई उस िकत जफ बयी तफ तो कपय िह भन ककसकी भानन िारा ह भारभ होता ह मह बी रॉ िह बी रॉ सबी साभान जरयी औय आयाभ को फढ़ान िारा भारभ होता ह ऩय मह सफ जाद का असय ह जाद की सिायी उतयी कक ऩता चरता ह कक प सी-चीजो की फहतामत आयाभ भ भदद नहीॊ दती फनदलक खरर ही डारती ह थोड़ी दय को सिासबभान को जरय सक सभर जाता ह ऩय इसस असबभान को धगलटी की खयाक ही सभरती ह जकड़ यशभी डोयी की हो तो यशभ क सऩशय क भरामभ क कायण कमा िह कभ जकड़ दगी

ऩय उस जाद की जकड़ स फचन का एक सीधा उऩाम ह िह मह कक फाजाय जाओ तो खारी भन न हो भन खारी हो तफ फाजाय न जाओ कहत ह र भ जाना हो तो ऩानी ऩीकय जाना चाहहए ऩानी बीतय हो र का रऩन वमथय हो जाता ह भन रकषम स बया हो तो फाजाय परा का परा ही यह जाएगा तफ िह घाि बफरकर नहीॊ द सकगा फनदलक कछ आनॊद ही दगा तफ फाजाय तभस कताथय होगा कमोकक तभ कछ न कछ सचचा राब उस दोग फाजाय की असरी कताथयता ह आिशमकता क सभम काभ आना

परशन-1 फाजाय क जाद को रखक न कस सऩषट ककमा ह

उततय- फाजाय क रऩ का जाद आॉखो की याह स काभ कयता हआ हभ आकवरयत कयता ह फाजाय का जाद ऐस चरता ह जस रोह क ऊऩय चॊफक का जाद चरता ह चभचभाती योशनी भ सजी

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प सी चीॊज गराहक को अऩनी ओय आकवरयत कयती ह| इसी चमफकीम शनदकत क कायण वमनदकत कपजर साभान को बी खयीद रता ह |

परशन-2 जफ बयी हो औय भन खारी तो हभायी कमा दशा होती ह

उततय- जफ बयी हो औय भन खारी हो तो हभाय ऊऩय फाजाय का जाद खफ असय कयता ह भन खारी ह तो फाजाय की अनकानक चीजो का ननभॊतरण भन तक ऩहॉच जाता ह औय उस सभम महद जफ बयी हो तो भन हभाय ननमॊतरण भ नहीॊ यहता

परशन-3 प सी चीजो की फहतामत का कमा ऩरयणाभ होता ह

उततय- प सी चीज आयाभ की जगह आयाभ भ वमिधान ही डारती ह थोड़ी दय को असबभान को जरय सक सभर जाती ह ऩय हदखाि की परिनदतत भ िवदध होती ह

परशन-4 जाद की जकड़ स फचन का कमा उऩाम ह

उततय- जाद की जकड़ स फचन क सरए एक ही उऩाम ह िह मह ह कक फाजाय जाओ तो भन खारी न हो भन खारी हो तो फाजाय भत जाओ

13 कार भघा ऩानी द

रखक-धभटवीय बायती

ऩाि का सायाॊश -lsquoकार भघा ऩानी दrsquo ननफॊध रोकजीिन क विशिास औय विऻान क तकय ऩय आधारयत ह जफ बीरण गभी क कायण वमाकर रोग िराय कयान क सरए ऩजा-ऩाठ औय कथा-विधान कय थकndashहाय जात ह तफ िराय कयान क सरए अॊनतभ उऩाम क रऩ भ इनददय सना ननकरती ह| इनददय सना नॊग-धड़ॊग फचचो की टोरी ह जो कीचड़ भ रथऩथ होकय गरी-भोहलर भ ऩानी भाॉगन ननकरती ह| रोग अऩन घय की छतो-णखड़ककमो स इनददय सना ऩय ऩानी डारत ह | रोगो की भानदमता ह कक इनददर फादरो क सिाभी औय िराय क दिता ह| इनददर की सना ऩय ऩानी डारन स इनददर बगिान परसनदन होकय ऩानी फयसाएॊग | रखक का तकय ह कक जफ ऩानी की इतनी कभी ह तो रोग भनदशकर स जभा ककए ऩानी को फालटी बय-बयकय इनददय सना ऩय डारकय ऩानी को कमो फफायद कयत ह आमयसभाजी विचायधाया िारा रखक इस अॊधविशिास भानता ह | इसक विऩयीत रखक की जीजी उस सभझाती ह कक मह ऩानी की फफायदी नहीॊ फनदलक ऩानी की फिाई ह | कछ ऩान क सरए कछ दना ऩड़ता ह | तमाग क बफना दान नहीॊ होता| परसतत ननफॊध भ रखक न भरषटाचाय की सभसमा को उठात हए कहा ह कक जीिन भ कछ ऩान क सरए तमाग आिशमक ह जो रोग तमाग औय दान की भहतता को नहीॊ भानत ि ही भरषटाचाय भ सरपत यहकय दश औय सभाज को रटत ह| जीजी की आसथा बािनातभक सचचाई को ऩरषट कयती ह औय तकय किर िऻाननक तथम को सतम भानता ह जहाॉ तकय मथाथय क

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कठोय धयातर ऩय सचचाई को ऩयखता ह तो िहीॊ आसथा अनहोनी फात को बी सिीकाय कय भन को सॊसकारयत कयती ह बायत की सितॊतरता क ५० सार फाद बी दश भ वमापत बरषटाचाय औय सिाथय की बािना को दखकय रखक दखी ह | सयकाय दिाया चराई जा यही मोजनाएॉ गयीफो तक कमो नहीॊ ऩहॉच ऩा यहीॊ ह कार भघा क दर उभड़ यह ह ऩय आज बी गयीफ की गगयी पटी हई कमो ह रखक न मह परशन ऩाठको क सरए छोड़ हदमा ह |

परशन1-इनदय सना घय-घय जाकय ऩानी कमो भाॉगती थी

उततय- गाॉि क रोग फारयश क सरए बगिान इॊदर स पराथयना ककमा कयत थ जफ ऩजा-ऩाठवरत आहद उऩाम असिर हो जात थ तो बगिान इॊदर को परसनदन कयन क सरए गाॉि क ककशोय फचच कीचड़ भ रथऩथ होकय गरी-गरी घभकय रोगो स ऩानी भाॉगत थ

परशन2-इनदयसना को रखक भढक-भॊिरी कमो कहता ह जीजी क फायndashफाय कहन ऩय बी वह इनदयसना ऩय ऩानी प कन को याजी कमो नहीॊ होता

उततय- इनददयसना का कामय आमयसभाजी विचायधाया िार रखक को अॊधविशिास रगता ह उसका भानना ह कक महद इॊदयसना दिता स ऩानी हदरिा सकती ह तो सिमॊ अऩन सरए ऩानी कमो नहीॊ भाॉग रती ऩानी की कभी होन ऩय बी रोग घय भ एकतर ककम हए ऩानी को इॊदयसना ऩय ि कत ह रखक इस ऩानी की ननभयभ फयफादी भानता ह

परशन3- रि हए रखक को जीजी न ककस परकाय सभझामा

उततय- जीजी न रखक को पमाय स रडड-भठयी णखरात हए ननमन तकय हदए-

1- तमाग का भहततव- कछ ऩान क सरए कछ दना ऩड़ता ह 2- दान की भहतता- कवर-भननमो न दान को सफस ऊॉ चा सथान हदमा ह जो चीज अऩन

ऩास बी कभ हो औय अऩनी आिशमकता को बरकय िह चीज दसयो को दान कय दना ही तमाग ह |

3- इॊिदव को जर का अधमट चिाना- इॊदयसना ऩय ऩानी ि कना ऩानी की फयफादी नहीॊ फनदलक इॊदरदि को जर का अधमय चढ़ाना ह

4- ऩानी की फवाई कयना- नदजस परकाय ककसान िसर उगान क सरए जभीन ऩय फीज डारकय फिाई कयता ह िस ही ऩानी िार फादरो की िसर ऩान क सरए इनददय सना ऩय ऩानी डार कय ऩानी की फिाई की जाती ह

परशन4-नठदमो का बायतीम साभाजजक औय साॊसकनतक ऩरयवश भ कमा भहतव ह

उततय- गॊगा बायतीम सभाज भ सफस ऩजम सदानीया नदी ह नदजसका बायतीम इनतहास भ धासभयक ऩौयाणणक औय साॊसकनतक भहति ह | िह बायतीमो क सरए किर एक नदी नहीॊ अवऩत

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भाॉ ह सिगय की सीढ़ी ह भोदानमनी ह उसभ ऩानी नहीॊ अवऩत अभत तलम जर फहता ह बायतीम सॊसकनत भ नहदमो क ककनाय भानि सभमताएॉ परी-परी ह| फड़-फड़ नगय तीथयसथान नहदमो क ककनाय ही नदसथत ह ऐस ऩरयिश भबायतिासी सफस ऩहर गॊगा भमा की जम ही फोरग नहदमाॉ हभाय जीिन का आधाय ह हभाया दश कवर परधान ह नहदमो क जर स ही बायत बसभ हयी-बयी ह नहदमो क बफना जीिन की कलऩना नहीॊ कय सकत मही कायण ह कक हभ बायतीम नहदमो की ऩजा कयत ह |

परशन4-आजादी क ऩचास वषो क फाद बी रखक कमो दखी ह उसक भन भ कौन स परशन उि यह ह

उततय- आजादी क ऩचास िरो फाद बी बायतीमो की सोच भ सकायातभक फदराि न दखकय रखक दखी ह उसक भन भ कई परशन उठ यह ह-

1 कमा हभ सचच अथो भ सितनदतर ह 2 कमा हभ अऩन दश की सॊसकनत औय सभमता को सभझ ऩाए ह 3 यारषर ननभायण भ हभ ऩीछ कमो ह हभ दश क सरए कमा कय यह ह

4 हभ सिाथय औय भरषटाचाय भ सरपत यहत ह तमाग भ विशिास कमो नहीॊ कयत

5 सयकाय दिाया चराई जा यही सधायिादी मोजनाएॉ गयीफो तक कमो नहीॊ ऩहॉचती ह

गदमाॊश ऩय आधारयत अथटगरहण-सॊफॊधधत परशनोततय

सचभच ऐस हदन होत जफ गरी-भहलरा गाॉि-शहय हय जगह रोग गयभी भ बन-बन कय तराहहभाभ कय यह होत जठ क दसतऩा फीतकय आराढ का ऩहरा ऩखिाड़ा फीत चका होता ऩय कषनतज ऩय कहीॊ फादरो की यख बी नहीॊ दीखती होती कएॉ सखन रगत नरो भ एक तो फहत कभ ऩानी आता औय आता बी तो आधी यात को िो बी खौरता हआ ऩानी हो | शहयो की तरना भ गाॉि भ औय बी हारत खयाफ थी| जहाॉ जताई होनी चाहहए थी िहाॉ खतो की सभटटी सखकय ऩतथय हो जाती कपय उसभ ऩऩड़ी ऩड़कय जभीन पटन रगती र ऐसी कक चरत-चरत आदभी धगय ऩड़ | ढोय-डॊगय पमास क भाय भयन रगत रककन फारयश का कहीॊ नाभ ननशान नहीॊ ऐस भ ऩजा-ऩाठ कथा-विधान सफ कयक रोग जफ हाय जात तफ अॊनतभ उऩाम क रऩ भ ननकरती मह इनददय सना |

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परशन१- वषाट न होन ऩय रोगो की कमा जसथनत हो गमी थी उततय - िराय न होन ऩय गयभी क कायण रोग र रगन स फहोश होन रग | गाॉि-शहय सबी जगह ऩानी का अबाि हो गमा| कएॉ सख गए खतो की सभटटी सखकय ऩतथय क सभान कठोय होकय पट गमी| घयो भ नरो भ ऩानी फहत कभ आता था | ऩश पमास क भाय भयन रग थ | परशन२- वषाट क दवता कौन ह उनको परसनन कयन क लरए कमा उऩाम ककए जात थ उततय -िराय क दिता बगिान इनददर ह| उनको परसनदन कयन क सरए ऩजाndashऩाठ कथा-विधान कयाए जात थ | ताकक इनददर दि परसनदन होकय फादरो की सना बजकय झभाझभ फारयश कयाएॉ औय रोगो क करषट दय हो | परशन३- वषाट कयान क अॊनतभ उऩाम क रऩ भ कमा ककमा जाता था उततय ndashजफ ऩजा-ऩाठ कथा-विधान सफ कयक रोग हाय जात थ तफ अॊनतभ उऩाम क रऩ भ इनददय सना आती थी | नॊग-धडॊग कीचड़ भ रथऩथ lsquoकार भघा ऩानी द ऩानी द गड़धानी दrsquo की टय रगाकय पमास स सखत गरो औय सखत खतो क सरए भघो को ऩकायती हई टोरी फनाकय ननकर ऩड़ती थी| परशन४-आशम सऩषट कय ndash जठ क दसतऩा फीतकय आराढ़ का ऩहरा ऩखिाड़ा फीत चका होता ऩय कषनतज भ कहीॊ फादरो की यख बी नजय नहीॊ आती | आशम- जठ का भहीना ह बीरण गयभी ह| तऩत हए दस हदन फीत कय आराढ का भहीना बी आधा फीत गमा ऩय ऩानी क सरए तड़ऩत िराय की आशा भ आसभान की ओय ताकत रोगो को कहीॊ फादर नजय नहीॊ आ यह |

14 ऩहरवान की ढोरक

फ़णीशवयनाथ यण

ऩाि का सायाॊश ndashआॊचसरक कथाकाय िणीशियनाथ यण की कहानी ऩहरिान की ढोरक भ कहानी क भखम ऩातर रटटन क भाता-वऩता का दहाॊत उसक फचऩन भ ही हो गमा था | अनाथ रटटन को उसकी विधिा सास न ऩार-ऩोसकय फड़ा ककमा | उसकी सास को गाॉि िार सतात थ |

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रोगो स फदरा रन क सरए कशती क दाॉिऩच सीखकय कसयत कयक रटटन ऩहरिान फन गमा |

एक फाय रटटन शमाभनगय भरा दखन गमा जहाॉ ढोर की आिाज औय कशती क दाॉिऩच दखकय उसन जोश भ आकय नाभी ऩहरिान चाॉदससॊह को चनौती द दी | ढोर की आिाज स परयणा ऩाकय रटटन न दाॉि रगाकय चाॉद ससॊह को ऩटककय हया हदमा औय याज ऩहरिान फन गमा | उसकी खमानत दय-दय तक िर गमी| १५ िरो तक ऩहरिान अजम फना यहा| उसक दो ऩतर थ| रटटन न दोनो फटो को बी ऩहरिानी क गय ससखाए| याजा की भतम क फाद नए याजकभाय न गददी सॊबारी याजकभाय को घोड़ो की यस का शौक था भनजय न नम याजा को बड़कामा ऩहरिान औय उसक दोनो फटो क बोजनखचय को बमानक औय किजरखचय फतामा िरसिरऩ नए याजा न कशती को फॊद कयिा हदमा औय ऩहरिान रटटनससॊह को उसक दोनो फटो क साथ भहर स ननकार हदमा

याजदयफाय स ननकार हदए जान क फाद रटटन ससॊह अऩन दोनो फटो क साथ गाॉि भ झोऩड़ी फनाकय यहन रगा औय गाॉि क रड़को को कशती ससखान रगा| रटटन का सकर जमादा हदन नहीॊ चरा औय जीविकोऩाजयन क सरए उसक दोनो फटो को भजदयी कयनी ऩड़ी| इसी दौयान गाॉि भ अकार औय भहाभायी क कायण परनतहदन राश उठन रगी| ऩहरिान भहाभायी स डय हए रोगो को ढोरक फजाकय फीभायी स रड़न की सॊजीिनी ताकत दता था| एक हदन ऩहरिान क दोनो फट बी भहाभायी की चऩट भ आकय भय गए ऩय उस यात बी ऩहरिान ढोरक फजाकय रोगो को हहमभत फॊधा यहा था | इस घटना क चाय-ऩाॉच हदन फाद ऩहरिान की बी भौत हो जाती ह|

ऩहरिान की ढोरक वमिसथा क फदरन क साथ रोक कराकाय क अपरासॊधगक हो जान की कहानी ह इस कहानी भ रटटन नाभ क ऩहरिान की हहमभत औय नदजजीविरा का िणयन ककमा गमा ह बख औय भहाभायी अजम रटटन की ऩहरिानी को िट ढोर भ फदर दत ह इस करण तरासदी भ ऩहरिान रटटन कई सिार छोड़ जाता ह कक करा का कोई सितॊतर अनदसतति ह मा करा किर वमिसथा की भोहताज ह

परशन1- रटटन को ऩहरवान फनन की परयणा कस लभरी

उततय- रटटन जफ नौ सार का था तो उसक भाता-वऩता का दहाॊत हो गमा था | सौबागम स उसकी शादी हो चकी थी| अनाथ रटटन को उसकी विधिा सास न ऩार-ऩोसकय फड़ा ककमा | उसकी सास को गाॉि िार ऩयशान कयत थ| रोगो स फदरा रन क सरए उसन ऩहरिान फनन की ठानी| धायोरषण दध ऩीकय कसयत कय उसन अऩना फदन गठीरा औय ताकतिय फना सरमा | कशती क दाॉिऩच सीखकय रटटन ऩहरिान फन गमा |

परशन2- यात क बमानक सननाट भ रटटन की ढोरक कमा करयशभा कयती थी

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उततय- यात क बमानक सनदनाट भरटटन की ढोरक भहाभायी स जझत रोगो को हहमभत फॉधाती थी | ढोरक की आिाज स यात की विबीवरका औय सनदनाटा कभ होता था| भहाभायी स ऩीडड़त रोगो की नसो भ बफजरी सी दौड़ जाती थी उनकी आॉखो क साभन दॊगर का दशम साकाय हो जाता था औय ि अऩनी ऩीड़ा बर खशी-खशी भौत को गर रगा रत थ इस परकाय ढोर की आिाज फीभाय-भतपराम गाॉििारो की नसो भ सॊजीिनी शनदकत को बय फीभायी स रड़न की परयणा दती थी

परशन3- रटटन न सवाटधधक ठहमभत कफ ठदखाई

उततय- रटटन ससॊह न सिायधधक हहमभत तफ हदखाई जफ दोनो फटो की भतम ऩय िह योमा नहीॊ फनदलक हहमभत स काभ रकय अकर उनका अॊनतभ सॊसकाय ककमा| मही नहीॊ नदजस हदन ऩहरिान क दोनो फट भहाभायी की चऩट भ आकय भय गए ऩय उस यात को बी ऩहरिान ढोरक फजाकय रोगो को हहमभत फॉधा यहा था| शमाभनगय क दॊगर भ ऩया जनसभदाम चाॉद ससॊह क ऩ भ था चाॉद ससॊह को हयात सभम रटटन न हहमभत हदखाई औय बफना हताश हए दॊगर भ चाॉद ससॊह को धचत कय हदमा |

परशन4- रटटन लसॊह याज ऩहरवान कस फना

उततय- शमाभनगय क याजा कशती क शौकीन थ उनदहोन दॊगर का आमोजन ककमा ऩहरिान रटटन ससॊह बी दॊगर दखन ऩहॉचा चाॊदससॊह नाभक ऩहरिान जो शय क फचच क नाभ स परससदध था कोई बी ऩहरिान उसस सबड़न की हहमभत नहीॊ कयता था चाॉदससॊह अखाड़ भ अकरा गयज यहा था रटटन ससॊह न चाॉदससॊह को चनौती द दी औय चाॉदससॊह स सबड़ गमाढ़ोर की आिाज सनकय रटटन की नस-नस भ जोश बय गमाउसन चाॉदससॊह को चायो खान धचत कय हदमा याजासाहफ न रटटन की िीयता स परबावित होकय उस याजऩहरिान फना हदमा

परशन5- ऩहरवान की अॊनतभ इचछा कमा थी

उततय- ऩहरिान की अॊनतभ इचछा थी कक उस धचता ऩय ऩट क फर सरटामा जाए कमोकक िह नदजॊदगी भ कबी धचत नहीॊ हआ था| उसकी दसयी इचछा थी कक उसकी धचता को आग दत सभम ढोर अिशम फजामा जाए |

परशन6- ढोर की आवाज औय रटटन क भ दाॉिऩच सॊफॊध फताइए-

उततय- ढोर की आिाज औय रटटन क दाॉिऩच भ सॊफॊध -

चट धा धगड़ धाrarr आजा सबड़ जा | चटाक चट धाrarr उठाकय ऩटक द | चट धगड़ धाrarrभत डयना |

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धाक धधना नतयकट नतनाrarr दाॉि काटो फाहय हो जाओ | धधना धधना धधक धधनाrarr धचत कयो

गदमाॊश-आधारयत अथटगरहण-सॊफॊधधत परशनोततय

अॉधयी यात चऩचाऩ आॉस फहा यही थी | ननसतबधता करण सससककमो औय आहो को अऩन रदम भ ही फर ऩियक दफान की चरषटा कय यही थी | आकाश भ ताय चभक यह थ | ऩथिी ऩय कहीॊ परकाश का नाभ नहीॊ| आकाश स टट कय महद कोई बािक ताया ऩथिी ऩय आना बी चाहता तो उसकी जमोनत औय शनदकत यासत भ ही शर हो जाती थी | अनदम ताय उसकी बािकता अथिा असपरता ऩय णखरणखराकय हॉस ऩड़त थ | ससमायो का करॊ दन औय ऩचक की डयािनी आिाज यात की ननसतबधता को बॊग कयती थी | गाॉि की झोऩडडमो स कयाहन औय क कयन की आिाज हय याभ ह बगिान की टय सनाई ऩड़ती थी| फचच बी ननफयर कॊ ठो स भाॉ ndashभाॉ ऩकायकय यो ऩड़त थ |

(क) अॉधयी यात को आॉस फहात हए कमो ठदखामा गमा ह उततयndash गाॉि भ हजा औय भररयमा परा हआ था | भहाभायी की चऩट भ आकाय रोग भय यह थ |चायो ओय भौत का सनाटा छामा था इससरए अॉधयी यात बी चऩचाऩ आॉस फहाती सी परतीत हो यही थी|

(ख) ताय क भाधमभ स रखक कमा कहना चाहता ह उततयndash ताय क भाधमभ स रखक कहना चाहता ह कक अकार औय भहाभायी स तरसत गाॉि िारो की ऩीड़ा को दय कयन िारा कोई नहीॊ था | परकनत बी गाॉि िारो क द ख स दखी थी| आकाश स टट कय महद कोई बािक ताया ऩथिी ऩय आना बी चाहता तो उसकी जमोनत औय शनदकत यासत भ ही शर हो जाती थी |

(ग) यात की ननसतबधता को कौन बॊग कयता था उततयndash ससमायो की चीख-ऩकाय ऩचक की डयािनी आिाज औय कततो का साभहहक रदन सभरकय यात क सनदनाट को बॊग कयत थ |

(घ) झोऩड़ड़मो स कसी आवाज आ यही ह औय कमो उततयndash झोऩडड़मो स योधगमो क कयाहन क कयन औय योन की आिाज आ यही ह कमोकक गाॉि क रोग भररयमा औय हज स ऩीडड़त थ | अकार क कायण अनदन की कभी हो गमी थी| औरधध औय ऩथम न सभरन क कायण रोगो की हारत इतनी फयी थी कक कोई बगिान को ऩकाय रगाता था तो कोई दफयर कॊ ठ स भाॉndashभाॉ ऩकायता था |

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15 चारी चजतरन मानी हभ सफ

रखक-पवषण खय

ऩाि का सायाॊश ndashचारक चनदपरन न हासम कराकाय क रऩ भ ऩयी दननमा क फहत फड़ दशयक िगय को हॉसामा ह | उनकी कपलभो न कपलभ करा को रोकताॊबतरक फनान क साथ-साथ दशको की िगय औय िणय-वमिसथा को बी तोड़ा | चारक न करा भ फवदध की अऩा बािना को भहतति हदमा ह | फचऩन क सॊघरो न चारक क बािी कपलभो की बसभ तमाय कय दी थी| बायतीम करा औय सौदमयशासतर भ करणा का हासम भ ऩरयितयन बायतीम ऩयमऩया भ नहीॊ सभरता रककन चारक एक ऐसा जादई वमनदकतति ह जो हय दश सॊसकनत औय सभमता को अऩना सा रगता ह| बायतीम जनता न बी उनदह सहज बाि स सिीकाय ककमा ह| सिमॊ ऩय हॉसना चारक न ही ससखामा| बायतीम ससनभा जगत क सपरससदध कराकाय याजकऩय को चारक का बायतीमकयण कहा गमा ह | चारक की अधधकाॊश किलभ भक ह इससरए उनदह अधधक भानिीम होना ऩड़ा | ऩाठ भ हासम कपलभो क भहान असबनता lsquoचारक चनदपरनrsquo की जादई विशरताओॊ का उलरख ककमा गमा ह नदजसभ उसन करणा औय हासम भ साभॊजसम सथावऩत कय किलभो को साियबौसभक रऩ परदान ककमा

परशन१ -चारी क जीवन ऩय परबाव िारन वारी भखम घटनाएॉ कौन सी थी

उततय- चारक क जीिन भ दो ऐसी घटनाएॉ घटीॊ नदजनदहोन उनक बािी जीिन ऩय फहत परबाि डारा |

ऩहरी घटना - जफ चारक फीभाय थ उनकी भाॉ उनदह ईसा भसीह की जीिनी ऩढ़कय सना यही थी | ईसा क सरी ऩय चढ़न क परसॊग तक आत-आत भाॉ-फटा दोनो ही योन रग| इस घटना न चारक को सनह करणा औय भानिता जस उचच जीिन भलम हदए |

दसयी घटना हndash फारक चारक कसाईखान क ऩास यहता था| िहाॉ सकड़ो जानियो को योज भाया जाता था| एक हदन एक बड़ िहाॉ स बाग ननकरी| बड़ को ऩकड़न की कोसशश भ कसाई कई फाय कपसरा| नदजस दखकय रोग हॊसन रग ठहाक रगान रग| जफ बड़ को कसाई न ऩकड़ सरमा तो फारक चारक योन रगा| इस घटना न उसक बािी कपलभो भ तरासदी औय हासमोतऩादक ततिो की बसभका तम कय दी |

परशन२ ndash आशम सऩषट कीजजएndash

चजतरन न लसपट कपलभकरा को ही रोकताॊबतरक नही फनामा फजलक दशटको की वगट तथा वणट-वमवसथा को बी तोड़ा|

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उततय- रोकताॊबतरक फनान का अथय ह कक कपलभ करा को सबी क सरए रोकवपरम फनाना औय िगय औय िणय-वमिसथा को तोड़न का आशम ह- सभाज भ परचसरत अभीय-गयीफ िणय जानतधभय क बदबाि को सभापत कयना |चनदपरन का चभतकाय मह ह कक उनदहोन कपलभकरा को बफना ककसी बदबाि क सबी रोगो तक ऩहॉचामा| उनकी कपलभो न सभम बगोर औय सॊसकनतमो की सीभाओॊ को राॉघ कय साियबौसभक रोकवपरमता हाससर की | चारक न मह ससदध कय हदमा कक करा सितनदतर होती ह अऩन ससदधाॊत सिमॊ फनाती ह |

परशन३ndash चारी चजतरन की कपलभो भ ननठहत तरासदीकरणाहासम का साभॊजसम बायतीम करा औय सौदमटशासतर की ऩरयधध भ कमो नहीॊ आता

उततय- चारक चनदपरन की कपलभो भ ननहहत तरासदीकरणाहासम का साभॊजसम बायतीम करा औय सौदमयशासतर की ऩरयधध भ नहीॊ आताकमोकक बायतीम यस-ससदधाॊत भ करणा औय हासम का भर नहीॊ हदखामा जाता कमोकक बायतीम सौदमयशासतर भ करणयस औय हासम यस को ऩयसऩय वियोधी भाना गमा ह अथायत जहाॊ करणा ह िहाॉ हासम नहीॊ हो सकता बायत भ सिमॊ ऩय हॉसन की ऩयॊऩया नहीॊ ह ऩयॊत चारक क ऩातर अऩन ऩय हॉसतndashहॉसात ह चारक की किलभो क दशम हॉसात-हॉसात ररा दत ह तो कबी करण दशम क फाद अचानक ही हॉसन ऩय भजफय कय दत ह

परशन४ndash चारी क कपलभो की पवशषताएॉ फताइए |

उततय- चारक की किलभो भ हासम औय करणा का अदभत साभॊजसम ह उनकी किलभो भ बारा का परमोग फहत कभ ह चारक की किलभो भ फवदध की अऩा बािना का भहतति अधधक ह उनकी किलभो भ साियबौसभकता ह चारक ककसी बी सॊसकनत को विदशी नही रगत चारक सफको अऩन रगत ह चारक न किलभो को रोकताॊबतरक फनामा औय किलभो भ िगय तथािणय-वमिसथा को तोड़ा अऩनी कपलभो भ चारक सदि धचय मिा हदखता ह

गदमाॊश-आधारयत अथटगरहण-सॊफॊधी परशनोततय

गदमाॊश सॊकत ndashचारक चनदपरन मानी हभ सफ (ऩरषठ १२० )

महद मह िरय चनदपरन की कापी कछ कहा जाएगा |

परशन (क)-पवकासशीर दशो भ चजतरन कमो भशहय हो यह ह

उततय - विकासशीर दशो भ जस-जस टरीविजन औय िीडडमो का परसाय हो यहा ह रोगो को उनकी कपलभो को दखन का अिसय सभर यहा ह |एक फहत फड़ा िगय नए ससय स चारक को घड़ी सधायत औय जत खान की कोसशश कयत दख यहा ह इसीसरए चारक विकासशीर दशो भ रोकवपरम हो यह ह |

(ख)- ऩजशचभ भ चारी का ऩनजीवन कस होता यहता ह

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उततय - ऩनदशचभ भ चारक की कपलभो का परदशयन होता यहता ह| उनकी करा स परयणा ऩाकय हासम किलभ फनती यहती ह | उनक दिाया ननबाए ककयदायो की नकर अनदम कराकाय कयत ह | ऩनदशचभ भ चारक का ऩनजीिन होता यहता ह|

(ग)- चारी को रोग फिाऩ तक कमो माद यखग

उततय ndashहासम कराकाय क रऩ भ रोग चारक को फढ़ाऩ तक माद यखग कमोकक उनकी करा सभम बगोर औय सॊसकनतमो की सीभाओॊ को राॉघकय राखो रोगो को हॉसा यही ह|

(घ)- चारी की कपलभो क फाय भ कापी कछ कहा जाना कमो फाी ह

उततय ndashचनदपरन की ऐसी कछ किलभ मा इसतभार न की गमी यीर सभरी ह नदजनक फाय भ कोई नहीॊ जानता था | चारक की बािनापरधान हासम कपलभो न करा क नए परनतभान सथावऩत ककए ह अत चारक की कपलभो क फाय भ अबी कापी कछ कहा जाना फाी ह|

16 नभक

रखखका - यजजमा सजजाद जहीय

सायाॊश -lsquoनभकrsquoबायत-ऩाक विबाजन ऩय सरणखत भासभयक कहानी ह | विसथावऩत हए रोगो भ अऩनndashअऩन जनदभ सथानो क परनत आज बी रगाि ह| धासभयक आधाय ऩय फनी यारषर-याजमो की सीभा-यखाएॉ उनक अॊतभयन को अरग नहीॊ कय ऩाई ह | बायत भ यहन िारी ससख फीिी राहौय को अऩना ितन भानती ह औय बायतीम कसटभ अधधकायी ढाका क नारयमर ऩानी को मादकय उस सियशररषठ फताता ह दोनो दशो क नागरयको क फीच भहबफत का नभकीन सिाद आज बी कामभ ह इसीसरए सकिमा बायत भ यहन िारी अऩनी भॉहफोरी भाॉ ससख फीिी क सरए राहौयी नभक रान क सरए कसटभ औय कानन की ऩयिाह नहीॊ कयती

परशन1- lsquoनभकrsquo ऩाि क आधाय ऩय फताइए कक सकपमा औय उसक बाई क पवचायो भ कमा अॊतय था

उततय- १-सकपमा बािनाओॊ को फहतभहतति दती ह ऩय उसका बाई फौवदधक परिनदतत का ह उसकी दनदरषट भ कानन बािनाओॊ स ऊऩय ह|

२-सकपमा भानिीम सॊफॊधो को फहत भहतति दती ह जफकक उसका बाई अरगाििादी विचायधाया का ह हहसस-फखय की फात कयता ह |

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३-सकपमा का बाई कहता ह कक अदीफो(साहहतमकाय) का हदभाग घभा हआ होता ह जफकक सकपमा जो सिमॊ अदीफ ह उसका भानना ह कक अगय सबी रोगो का हदभाग अदीफो की तयह घभा हआ होता तो दननमा कछ फहतय हो जाती |

परशन२- नभक र जात सभम सकफ़मा क भन भ कमा दपवधा थी

उततय-सकपमा समद भसरभान थी जो हय हार भ अऩना िामदा ननबात ह| ऩाककसतान स राहौयी नभक र जाकय िह अऩना िामदा ऩया कयना चाहती थी ऩयनदत जफ उस ऩता चरा कक कसटभ क ननमभो क अनसाय सीभाऩाय नभक र जाना िनदजयत ह तो िह दविधा भ ऩड़ गई | सकिमा का दिॊदि मह था कक िह अऩनी ससख भाॉ क सरए नभक कसटभ अधधकारयमो को फताकयर जाए मा नछऩाकय|

परशन३- ऩाि क आधाय ऩय सकपमा की चारयबतरक पवशषताएॉ फताइए |

उततय सॊकत ndash

१- बािक २- ईभानदाय ३- दढ़ननशचमी ४- ननडय ५- िामद को ननबान िारी ६- भानिीम भलमो को सिोऩरय भानन िारी साहहतमकाय

परशन ४- lsquoनभकrsquo ऩाि भ आए ककयदायो क भाधमभ स सऩषट कीजजए कक आज बी बायत औय ऩाककसतान की जनता क फीच भहबफत का नभकीन सवाद घरा हआ ह |

उततय ndash बर ही याजनीनतक औय धासभयक आधाय ऩय बायत औय ऩाककसतान को बौगोसरक रऩ स विबानदजत कय हदमा गमा ह रककन दोनो दशो क रोगो क रदम भ आज बी ऩायसऩरयक बाईचाया सौहादरय सनह औय सहानबनत विदमभान ह | याजनीनतक तौय ऩय बर ही सॊफॊध तनािऩणय हो ऩय साभानदजक तौय ऩय आज बी जनता क फीच भहबफत का नभकीन सिाद घरा हआ ह | अभतसय भ यहन िारी ससख फीफी राहौय को अऩना ितन कहती ह औय राहौयी नभक का सिाद नहीॊ बरा ऩाती | ऩाककसतान का कसटभ अधधकायी नभक की ऩडड़मा सकपमा को िाऩस दत हए कहता ह rdquoजाभा भनदसजद की सीहढ़मो को भया सराभ कहना |rdquo बायतीम सीभा ऩय तनात कसटभ अधधकायी ढाका की जभीन को औय िहाॉ क ऩानी क सिाद को नहीॊ बर ऩाता |

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गदमाॊश-आधारयत अथटगरहण सॊफॊधधत परशनोततय

गदमाॊश सॊकत- ऩाठndash नभक (ऩरषठ १३४)

सकपमा कसटभ क जॊगर स दोनो क हाथो भ थी |

(क) सकपमा कसटभ क जॉगर स ननकरकय दसय तरटपाभट ऩय आ गमी व वहीॊ खड़ यहndash इस वाकम भ lsquoवrsquo शबद का परमोग ककसक लरए ककमा गमा ह

उततय- महाॉ lsquoिrsquo शबद का परमोग ऩाककसतानी कसटभ अधधकायी क सरए ककमा गमा ह जो विबाजन स ऩिय हदलरी भ यहत थ औय आज बी हदलरी को ही अऩना ितन भानत ह |

(ख) तरटपाभट ऩय सकपमा को पवदा कयन कौन-कौन आए थ उनहोन सकपमा को कस पवदाई दी

उततय- परटपाभय ऩय सकपमा को विदा कयन उसक फहत साय सभतर सग सॊफॊधी औय बाई आए थ| उनदहोन ठॊडी साॉस बयत हए सबॊच हए होठो क साथ आॉस फहात हए सकपमा को विदाई दी |

(ग) अटायी भ यरगाड़ी भ कमा ऩरयवतटन हए उततय- अटायी भ यरगाड़ी स ऩाककसतानी ऩसरस उतयी औय हहनददसतानी ऩसरस सिाय हो गई|

(घ) कौन सी फात सकपमा की सभझ भ नहीॊ आ यही थी उततय- दोनो ओय एक सी जभीन एक जसा आसभान एक सी बारा एक सा ऩहनािा औय एक सी सयत क रोग कपय बी दोनो क हाथो भ बयी हई फॊदक ह |

17 लशयीष क पर

आचामट हजायी परसाद दपववदी

सायाॊश ndashlsquoआचामय हजायी परसाद दवििदीrsquo सशयीर को अदभत अिधत भानत ह कमोकक सॊनदमासी की बाॉनत िह सख-दख की धचॊता नहीॊ कयता गभी र िराय औय आॉधी भ बी अविचर खड़ा यहता ह सशयीर क िर क भाधमभ स भनरषम की अजम नदजजीविरा धमयशीरता औय कतयवमननरषठ फन यहन क भानिीम भलमो को सथावऩत ककमा गमा हरखक न सशयीर क कोभर परो औय कठोय परो क दिाया सऩरषट ककमा ह कक रदम की कोभरता फचान क सरए कबी-कबी वमिहाय की कठोयता बी आिशमक हो जाती ह| भहान कवि कासरदास औय कफीय बी सशयीर की तयह फऩयिाह अनासकत औय सयस थ तबी उनदहोन इतनी सनददय यचनाएॉ सॊसाय को दीॊ| गाॉधीजी क वमनदकतति भ बी कोभरता औय कठोयता का अदभत सॊगभ था | रखक सोचता ह कक हभाय दश भ जो भाय-काट अनदगनदाह रट-ऩाट खन-खचचय का फिॊडय ह कमा िह दश को नदसथय नहीॊ यहन दगा गराभी अशाॊनत औय वियोधी िाताियण क फीच अऩन ससदधाॊतो की या कयत हए गाॉधीजी जी नदसथय यह सक थ तो दश बी यह सकता ह जीन की परफर असबरारा क कायण

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विरभ ऩरयनदसथतमो भ बी महद सशयीर णखर सकता ह तो हभाया दश बी विरभ ऩरयनदसथनतमो भ नदसथय यह कय विकास कय सकता ह

परशन1-लसदध कीजजए कक लशयीष कारजमी अवधत की बाॉनत जीवन की अजमता क भॊतर का परचाय कयता ह

उततय- सशयीर कारजमी अिधत की बाॉनत जीिन की अजमता क भॊतर का परचाय कयता ह| जफ ऩथिी अनदगन क सभान तऩ यही होती ह िह तफ बी कोभर परो स रदा रहरहाता यहता ह|फाहयी गयभी धऩ िराय आॉधी र उस परबावित नहीॊ कयती इतना ही नहीॊ िह रॊफ सभम तक णखरा यहता ह | सशयीर विऩयीत ऩरयनदसथनतमो भ बी धमयशीर यहन तथा अऩनी अजम नदजजीविरा क साथ ननसऩह बाि स परचॊड गयभी भ बी अविचर खड़ा यहता ह

परशन२-आयगवध (अभरतास) की तरना लशयीष स कमो नहीॊ की जा सकती

उततय- सशयीर क पर बमॊकय गयभी भ णखरत ह औय आराढ़ तक णखरत यहत ह जफकक अभरतास का पर किर ऩनददरह-फीस हदनो क सरए णखरता ह | उसक फाद अभरतास क पर झड़ जात ह औय ऩड़ कपय स ठॉठ का ठॉठ हो जाता ह | अभरतास अलऩजीिी ह | विऩयीत ऩरयनदसथनतमो को झरता हआ ऊरषण िाताियण को हॉसकय झरता हआ सशयीर दीघयजीिी यहता ह | मही कायण ह कक सशयीर की तरना अभरतास स नहीॊ की जा सकती |

परशन३-लशयीष क परो को याजनताओॊ का रऩक कमो ठदमा गमा ह

उततय- सशयीर क पर उन फढ़ ढीठ औय ऩयान याजनताओॊ क परतीक ह जो अऩनी कसी नहीॊ छोड़ना चाहत | अऩनी अधधकाय-सरपसा क सरए नए मिा नताओॊ को आग नहीॊ आन दत | सशयीर क नए परो को जफयदसती ऩयान परो को धककमाना ऩड़ता ह | याजनीनत भ बी नई मिा ऩीढ़ी ऩयानी ऩीढ़ी को हयाकय सिमॊ सतता सॉबार रती ह |

परशन४- कार दवता की भाय स फचन का कमा उऩाम फतामा गमा ह

उततय- कार दिता कक भाय स फचन का अथय हndash भतम स फचना | इसका एकभातर उऩाम मह ह कक भनरषम नदसथय न हो| गनतशीर ऩरयितयनशीर यह | रखक क अनसाय नदजनकी चतना सदा ऊधियभखी (आधमातभ की ओय) यहती ह ि हटक जात ह |

परशन५- गाॉधीजी औय लशयीष की सभानता परकट कीजजए |

उततय- नदजस परकाय सशयीर धचरधचराती धऩ र िराय औय आॉधी भ बी अविचर खड़ा यहता ह अनासकत यहकय अऩन िाताियण स यस खीॊचकय सयस कोभर फना यहता ह उसी परकाय गाॉधी जी न बी अऩनी आॉखो क साभन आजादी क सॊगराभ भ अनदमाम बदबाि औय हहॊसा को झरा |

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उनक कोभर भन भ एक ओय ननयीह जनता क परनत असीभ करणा जागी िहीॊ ि अनदमामी शासन क वियोध भ डटकय खड़ हो गए |

गदमाॊश-आधारयत अथटगरहण सॊफॊधधत परशनोततय

गदमाॊश सॊकत- ऩाठ ndash सशयीर क पर (ऩरषठ १४७)

कासरदास सौदमय क िह इशाया ह |

(क) कालरदास की सौदमटndashदजषट की कमा पवशषता थी उततय-कासरदास की सौदमयndashदनदरषट फहत सकषभ अॊतबदी औय सॊऩणय थी| ि किर फाहयी रऩ-यॊग औय आकाय को ही नहीॊ दखत थ फनदलक अॊतभयन की सॊदयता क बी ऩायखी थ| कासरदास की सौदमय शायीरयक औय भानससक दोनो विशरताओॊ स मकत था |

(ख) अनासजकत का कमा आशम ह उततय- अनासनदकत का आशम ह- वमनदकतगत सख-द ख औय याग-दिर स ऩय यहकय सौदमय क िासतविक भभय को जानना |

(ग) कालरदास ऩॊत औय यवीॊिनाथ टगोय भ कौन सा गण सभान था भहाकवि कासरदास ससभतरानॊदन ऩॊत औय गरदि यिीॊदरनाथ टगोय तीनो नदसथयपरऻ औय अनासकत कवि थ | ि सशयीर क सभान सयस औय भसत अिधत थ |

(घ) यवीॊिनाथ याजोदमान क लसॊहदवाय क फाय भ कमा सॊदश दत ह याजोदमान क फाय भ यिीॊदरनाथ कहत ह याजोदमान का ससॊहदिाय ककतना ही सॊदय औय गगनचमफी कमो ना हो िह अॊनतभ ऩड़ाि नहीॊ ह| उसका सौदमय ककसी औय उचचतभ सौदमय की ओय ककमा गमा सॊकत भातर ह कक असरी सौदमय इस ऩाय कयन क फाद ह अत याजोदमान का ससॊहदिाय हभ आग फढ़न की परयणा दता ह |

18शरभ-पवबाजन औय जानत-परथा

िॉ० बीभयाव अॊफिकय

सायाॊश ndash इस ऩाठ भ रखक न जानतिाद क आधाय ऩय ककए जान िार बदबाि को सभम सभाज क सरए हाननकायक फतामा ह | जानत आधारयत शरभ विबाजन को असिाबाविक औय भानिता वियोधी फतामा गमा ह मह साभानदजक बदबाि को फढ़ाता ह जानतपरथा आधारयत शरभ विबाजन भ वमनदकत की रधच को भहतति नहीॊ हदमा जाता परसिरऩ वििशता क साथ अऩनाए

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Page 19: ISSUED BY KENDRIYA VIDYALAYA - DOWNLOADED FROM … Class XII Hindi Part B.pdfप्रश्न४ :-फादर क / फयन का गयीफ एि धनी िगय क्मा

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उततय- १ भहाियो का परमोग ndashककसभत का योना ndashननयाशा का परतीक

२सयर असबवमनदकत बारा भ परिाहभमता ह ककसभत औय ऩयदा शबदो की ऩनयािनदततमाॉ

भोहक ह|

३ हहॊदी का घयर रऩ

परशन२- lsquoभया ऩयदा खोर ह मा अऩना ऩयदा खोर ह lsquo- की बावरक विशरता सरणखए |

उततय -भहािय क परमोग दिाया वमॊजनातभक असबवमनदकत | ऩयदा खोरना ndash बद खोरना सचचाई फमान कयना|

परशन३-lsquoहभ हो मा ककसभत हो हभायी lsquo ndashपरमोग की विशरता फताइए |

उततय - हभ औय ककसभत दोनो शबद एक ही वमनदकत अथायत कियाक क सरए परमकत ह | हभ औय ककसभत भ अबद ह मही विशरता ह |

कफ़याक गोयखऩयी

पवषम-वसत ऩय आधारयत परशनोततय

परशन१- ताय आॉख झऩकाि ह ndashका तातऩमय सऩरषट कीनदजए |

उततय- याबतर का सनदनाटा बी कछ कह यहा हइससरए ताय ऩरक झऩका यह ह विमोग की नदसथनत भ परकनत बी सॊिाद कयती परतीत होती ह |

परशन२- lsquoहभ हो मा ककसभत हो हभायीrsquo भ ककस बाि की असबवमनदकत हई ह

उततय- जीिन की विडॊफना ककसभत को योना-भहािय क परमोग स सटीक असबवमनदकत परापत कयती ह कवि जीिन स सॊतरषट नहीॊ ह | बागम स सशकामत का बाि इन ऩॊनदकतमो भ झरकता ह |

परशन३- परभ क ककस ननमभ की असबवमनदकत कवि न की ह

उततय -ईशिय की परानदपत सियसि रटा दन ऩय होती ह परभ क सॊसाय का बी मही ननमभ ह|कवि क शबदो भ rdquo कितयत का कामभ ह तिाज़न आरभ- हसनो ndashइशक भ बी

उसको उतना ही ऩात ह खद को नदजतना खो र ह |rdquo

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१ बाि ndashसामम- कफीय -lsquoसीस उताय बई धय तफ सभसरह कयतायlsquo-अथायत -सिमॊ को खो कय ही परभ परानदपत की जा सकती ह

२ बाि सामम- कफीय ndashनदजन ढॉढा नतन ऩाइमाॉ गहय ऩानी ऩहठ|

भ फऩया फडन डया यहा ककनाय फहठ |

परशन४- शयाफ की भहकपर भ शयाफी को दय यात कमा फात माद आती ह

उततय - शयाफ की भहकपर भ शयाफी को दय यात माद आती ह कक आसभान भ भनरषम क ऩाऩो का रखा-जोखा होता ह जस आधी यात क सभम परयशत रोगो क ऩाऩो क अधमाम खोरत ह िस ही यात क सभम शयाफ ऩीत हए शामय को भहफफा की माद हो आती ह भानो भहफफा परयशतो की तयह ऩाऩ सथर क आस ऩास ही ह

परशन५- सदक कियाकndashndashndashइन ऩॊनदकतमो का अथय सऩरषट कीनदजए |

उततय -सदक कियाकndashndashndashइन ऩॊनदकतमो भ कियाक कहत ह कक उनकी शामयी भ भीय की शामयी की उतकरषटता धिननत हो यही ह

परशन६- ऩॊखडड़मो की नाज़क धगयह खोरना कमा ह

उततय -ऩॉखडड़मो की नाजक धगयह खोरना उनका धीय -धीय विकससत होना ह

िमसॊधध(ककशोयी)नानमका क परसपहटत होत सौदमय की ओय सॊकत ह |

परशन७-lsquoमो उड़ जान को यॊगो फ गरशन भ ऩय तौर हrsquo बाि सऩरषट कीनदजए

उततय -कसरमो की सिास उड़न क सरए भानो ऩय तौर यही होअथायत खशफ का झोका यहndashयह कय उठता ह

परशन८- कवि दिाया िणणयत याबतर क दशम का िणयन अऩन शबदो भ कीनदजए

उततय - याबतर का सनदनाटा बी कछ कह यहा हइससरए ताय ऩरक झऩका यह हरगता ह कक परकनत का कण-कण कछ कह यहा ह |

परशन९- कवि अऩन िमनदकतक अनबि ककन ऩॉनदकतमो भ वमकत कय यहा ह

जीिन की विडॊफना-lsquoककसभत को योनाlsquo भहािय क परमोग स सटीक असबवमनदकत परापत कयती ह

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ldquoहभ हो मा ककसभत हो हभायी दोनो को इक ही काभ सभरा

ककसभत हभ को यो रि ह हभ ककसभत को यो र ह|rdquo

परशन१०- शामय न दननमा क ककस दसतय का िणयन ककमा ह

उततय -शामय न दननमा क इस दसतय का िणयन ककमा ह कक रोग दसयो को फदनाभ कयत ह ऩयॊत ि नहीॊ जानत कक इस तयह ि अऩनी दरषट परकनत को ही उदघाहटत कयत ह

परशन११- परभ की कितयत कवि न ककन शबदो भ असबवमकत की ह

सिमॊ को खो कय ही परभ की परानदपत की जा सकती ह ईशिय की परानदपत सियसि रटा दन ऩय होती ह परभ क सॊसाय का बी मही ननमभ ह

परशन१२- कियाक गोयखऩयी ककस बारा क कवि ह

उततय - उदय बारा

10 छोटा भया खत

उभाशॊकय जोशी

(गजयाती कपव)

उभाशॊकय जोशी फीसिीॊ सदी क गजयाती क भधयनदम कवि सॊसकत िाङभम क विदिान हउनदहोन गजयाती कविता को परकनत स जोड़ाआभ आदभी क जीिन की झरक उनकी यचनाओॊ भ सभरती ह

छोटा भया खत

साय

खती क रऩक दिाया कावम यचनाndash परककरमा को सऩषट ककमा गमा हकावम कनत की यचना फीजndash वऩन स रकय ऩौध क ऩजषऩत होन क पवलबनन चयणो स गजयती हअॊतय किर इतना ह कक कपव कभट की पसर कारजमी शाशित होती हउसका यस-यण अम होता हकागज का ऩनदना नदजस ऩय यचना शबदफदध होती ह कवि को एक चौकोय खत की तयह रगता ह इस खत

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भ ककसी अॉधड़ (आशम बािनातभक आॉधी स होगा) क परबाि स ककसी ण एक फीज फोमा जाता ह मह फीज-यचना विचाय औय असबवमनदकत का हो सकता ह मह भर रऩ कलऩना का सहाया रकय विकससत होता ह औय परककरमा भ सिमॊ विगसरत हो जाता ह उसस शबदो क अॊकय ननकरत ह औय अॊतत कनत एक ऩणय सिरऩ गरहण कयती ह जो कवर-कभय क सरहाज स ऩलरवित -ऩनदरषऩत होन की नदसथनत ह साहहनदतमक कनत स जो अरौककक यस-धाया पटती ह िह ण भ होन िारी योऩाई का ही ऩरयणाभ ह ऩय मह यस-धाया अनॊत कार तक चरन िारी कटाई ह |

फगरो क ऩॊख

साय

फगरो क ऩॊख कविता एक चार बफॊफ की कविता ह सौदमय का अऩकषत परबाि उतऩनदन कयन क सरए कविमो न कई मनदकतमाॉ अऩनाई ह नदजसभ स सफस परचसरत मनदकत ह-सौदमय क वमौयो क धचतरातभक िणयन क साथ अऩन भन ऩय ऩड़न िार उसक परबाि का िणयन औय आतभगत क सॊमोग की मह मनदकत ऩाठक को उस भर सौदमय क कापी ननकट र जाती ह जोशी जी की इस कविता भ ऐसा ही ह कवि कार फादरो स बय आकाश भ ऩॊनदकत फनाकय उड़त सपद फगरो को दखता ह ि कजयाय फादरो भ अटका-सा यह जाता ह िह इस भामा स अऩन को फचान की गहाय रगाता ह कमा मह सौदमय स फाॉधन औय विॊधन की चयभ नदसथनत को वमकत कयन का एक तयीका ह

परकनत का सितॊतर (आरॊफन गत ) धचतरण आधननक कविता की विशरता हधचतरातभक िणयन दिाया कवि न एक ओय कार फादरो ऩय उड़ती फगरो की शित ऩॊनदकत का धचतर अॊककत ककमा ह तो दसयी ओय इस अपरनतभ दशम क रदम ऩय ऩड़न िार परबाि को धचबतरत ककमा हभॊतर भगध कवि इस दशम क परबाि स आतभ विसभनत की नदसथनत तक ऩहॉच जाता हविरम एिॊ विरमीगत सौनददमय क दोनो रऩ कविता भ उदघाहटत हए ह

अथट-गरहण-सॊफॊधी परशन

ldquoछोटा भया खत चौकोना

कागज़ का एक ऩनदना कोई अॊधड़ कहीॊ स आमा

ण का फीज िहाॉ फोमा गमा|

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कलऩना क यसामनो को ऩी

फीज गर गमा ननशर शबद क अॊकय पट

ऩलरि ndashऩरषऩो स नसभत हआ विशर |rdquo

परशन १lsquoछोटा भया खतrsquo ककसका परतीक ह औय कमो

उततय - परशन२ lsquoछोटा भया खतrsquo काग़ज क उस ऩनदन का परतीक ह नदजस ऩय कवि अऩनी कविता सरखता ह

परशन २ कवि खत भ कौनndashसा फीज फोता ह

उततय - कवि खत भ अऩनी कलऩना का फीज फोता ह

परशन ३ कवि की कलऩना स कौन स ऩलरि अॊकरयत होत ह

उततय - कवि की कलऩना स शबद क ऩलरि अॊकरयत होत ह

परशन ४ उऩमयकत ऩद का बाि-सौदमय सऩरषट कीनदजए |

उततय - खती क रऩक दिाया कावम-यचनाndashपरककरमा को सऩषट ककमा गमा हकावम कनत की यचना फीजndash वऩन स रकय ऩौध क ऩजषऩत होन क पवलबनन चयणो स गजयती हअॊतय किर इतना ह कक कपव कभट की पसर कारजमी शाशित होती हउसका यस-यण अम होता ह

सौदमट-फोध-सॊफॊधी परशन

ldquoझभन रग पर

यस अरौककक

अभत धायाएॉ पटतीॊ

योऩाई ण की

कटाई अनॊतता की

रटत यहन स जया बी कभ नहीॊ होती |

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यस का अम ऩातर सदा का

छोटा भया खत चौकोना |rdquo

परशन इस कविता की बारा सॊफॊधी विशरताओॊ ऩय परकाश डासरए ndash

उततय - १ परतीकातभकता

२ राणणकता -

२रऩक अरॊकायndash यस का अम ऩातर सदा का

छोटा भया खत चौकोना

परशन २ यस अरौककक अभत धायाएॉ योऩाई ndash कटाई-परतीको क अथय सऩरषट कीनदजए |

उततय - यस अरौककक ndash कावम यस ननरषऩनदतत

अभत धायाएॉ- कावमानॊद

योऩाई ndash अनबनत को शबदफदध कयना

कटाई ndashयसासिादन

पवषम-वसत ऩय आधारयत परशनोततय

कपवता ndash

छोटा भया खत

परशन १ उभाशॊकय जोशी न ककस बारा भ कविताएॉ सरखी ह

उततय - गजयाती बारा

परशन२ कवरndashकभय एिॊ कविndashकभय भ कमा कमा सभानताएॉ ह

उततय - कवरndashकभय एिॊ कविndashकभय भ ननमनसरणखत सभानताएॉ ह-

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कावम कनत की यचना फीजndash वऩन स रकय ऩौध क ऩजषऩत होन क पवलबनन चयणो स गजयती ह

कपषndashकभट एवॊ कपवndashकभट भ सभानताएॉ -

कागज का ऩनदना नदजस ऩय यचना शबदफदध होती ह कवि को एक चौकोय खतरगता ह इस खत भ ककसी अॉधड़ (आशम बािनातभक आॉधी स होगा) क परबाि स ककसी ण

एक फीज फोमा जाता ह मह फीज-यचना विचाय औय असबवमनदकत का हो सकता ह मह भर रऩ कलऩना का सहाया रकय विकससत होता ह औय परककरमा भ सिमॊ विगसरत

हो जाता ह इसीपरकाय फीज बी खाद ऩानी समय की योशनी हिा आहद रकय विकससत होता ह |

कावम ndashयचना स शबदो क अॊकय ननकरत ह औय अॊतत कनत एक ऩणय सिरऩ गरहण कयती ह जो कवर-कभय क सरहाज स ऩलरवित ndashऩनदरषऩत औय पसरत होन की नदसथनत ह अथट-गरहण-सॊफॊधी परशन

कपवताndash फगरो क ऩॊख

नब भ ऩाॉती- फॉध फगरो क ऩॊख

चयाए सरए जातीॊ ि भयी आॉख |

कजयाय फादरो की छाई नब छामा

हौरndashहौर जाती भझ फाॉध ननज भामा स |

उस कोई तननक योक यकखो |

िह तो चयाए सरए जाती भयी आॉख

नब भ ऩाॉती- फॉधी फगरो की ऩाॉख |

तयती साॉझ की सतज शित कामा|

परशन१- इस कविता भ कवि न ककसका धचतरण ककमा ह

उततय - कवि न कार फादरो ऩय उड़ती फगरो की शित ऩॊनदकत का धचतरण ककमा ह|

परशन२- आॉख चयान का कमा अथय ह

उततय - आॉख चयान का आशम ह ndashधमान ऩयी तयह खीॊच रना एकटक दखना भॊतरभगध कय दना

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परशन३-

ldquoकजयाय फादरो की छाई नब छामा

हौर ndashहौर जाती भझ फाॉध ननज भामा स |rdquo- आशम सऩरषट कीनदजए |

उततय- कार फादरो क फीच साॉझ का सयभई िाताियण फहत सॊदय हदखता ह | ऐसा अपरनतभ सौदमय अऩन आकरयण भ कवि को फाॉध रता ह |

परशन ४ ldquoउस कोई तननक योक यकखो |rsquo- स कवि का कमा असबपराम ह

उततय - फगरो की ऩॊनदकत आकाश भ दय तक उड़ती जा यही ह कवि की भॊतरभगध आॉख उनका ऩीछा कय यही ह | कवि उन फगरो को योक कय यखन की गहाय रगा यहा ह कक कहीॊ ि उसकी आॉख ही अऩन साथ न र जाएॉ |

सौदमट-फोध-सॊफॊधी परशन

परशन १ कविता की बारा सॊफॊधी दो विशरताएॉ सरणखए|

उततय -१ धचतरातभक बारा

२ फोरचार क शबदो का परमोग - हौर ndashहौर ऩाॉती कजयायसाॉझ

परशन २ कविता भ परमकत अरॊकाय चन कय सरणखए |

उततय - अनपरास अरॊकाय - फॉध फगरो क ऩॊख

भानिीकयण अरॊकाय - चयाए सरए जातीॊ ि भयी आॉख |

परशन ३ -lsquo ननज भामाrsquo क राणणक अथय को सऩरषट कीनदजए |

उततय - परकनत का अपरनतभ सौदमय िह भामा ह जो कवि को आतभविबोय कय दती हमह ऩॊनदकत बी परशॊसातभक उनदकत ह

पवषम-वसत ऩय आधारयत परशनोततय

परशन१- lsquoचयाए सरए जाती ि भयी ऑ ॊखrsquo स कवि का कमा तातऩमय ह

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उततय -धचतरातभक िणयन दिाया कवि न एक ओय कार फादरो ऩय उड़ती फगरो की शित ऩॊनदकत का धचतर अॊककत ककमा ह तथा इस अपरनतभ दशम क रदम ऩय ऩड़न िार परबाि को धचबतरत ककमा ह कवि क अनसाय मह दशम उनकी आॉख चयाए सरए जा यहा ह |भॊतर भगध कवि इस दशम क परबाि स आतभ विसभनत की नदसथनत तक ऩहॉच जाता ह

परशन२-कवि ककस भामा स फचन की फात कहता ह

उततय - भामा विशि को अऩन आकरयण भ फाॉध रन क सरए परससदध ह | कफीय न बी lsquoभामा भहा ठधगनी हभ जानीrsquo कहकय भामा की शनदकत को परनतऩाहदत ककमा ह | कार फादरो भ फगरो की सॊदयता अऩना भामा जार परा कय कवि को अऩन िश भ कय यही ह |

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आयोह बाग-२ गदम-बाग

परशन-सॊखमा १०- गदम खॊड भ हदए गए ऩहठत गदमाॊश स अथयगरहण सॊफॊधी चाय परशन ऩछ जाएॉग नदजनक सरए ननधायरयत अॊक (२४=८) ह |

परशन-सॊखमा ११- ऩाठो की विरमिसत स सॊफॊधधत ऩाॉच भ स चाय परशनो क उततय दन ह नदजनक सरए ननधायरयत अॊक (३४=१२) ह|

ऩयीा भ अचछ अॊक परातत कयन क लरए धमान दन मोगम फात ndash

1 रख एिॊ ितयनी की शदधता तथा िाकम-गठन ऩय धमान द | 2 हय ऩाठ का सायऩरषठबसभविरमिसत तथाकथानक को सभझना आिशमक ह |

अतविदमाथी हय ऩाठ का सायाॊश बरीबाॉनत माद कय र | 3 परशनो को धमान स ऩढ़ तदनसाय अऩकषत उततय सरख | 4 उततय सरखत सभम सॊफॊधधत भखम बफॊदओॊ का शीरयकफनात हए उततय सरख मथा-तीन

अॊक क परशनो क उततय सरखत सभम कभ स कभ तीन भखम उततय-बफ ॊदओॊ का उलरख कयत हए उततय सऩरषट कय |

5 अॊक-मोजना क अनसाय ननधायरयत शबद-सीभा क अॊतगयत उततय सरख | ऩयीाथी कई फाय एक अॊक क परशन का उततय फहत रॊफा कई फाय ऩया ऩरषठ सरख दत ह जो सभम औय ऊजाय की फफायदी ह |

6 धमान यह कक अधधक सरखन स अचछ अॊक नहीॊ आत फनदलक सयर-सफोध बारा भ सरख गए सटीक उततय सायगसबयत तथम तथा उदाहयण क दिाया सऩरषट ककए गए उततय परबािशारी होत ह |

ऩाि 11 - बजकतन

रखखका- भहादवी वभाट

ऩाि का सायाॊश- बनदकतन नदजसका िासतविक नाभ रकषभी थारणखका lsquoभहादिी िभायrsquo की सविका ह | फचऩन भ ही बनदकतन की भाॉ की भतम हो गमी| सौतरी भाॉ न ऩाॉच िरय की आम भ वििाह तथा नौ िरय की आम भ गौना कय बनदकतन को ससयार बज हदमा| ससयार भ बनदकतन न तीन फहटमो को जनदभ हदमा नदजस कायण उस सास औय नदजठाननमो की उऩा सहनी ऩड़ती थी| सास औय नदजठाननमाॉ आयाभ पयभाती थी औय बनदकतन तथा उसकी ननदहीॊ फहटमो को घय औय खतो का साया काभ कयना ऩडता था| बनदकतन का ऩनत उस फहत चाहता था| अऩन ऩनत क सनह क फर ऩय बनदकतन न ससयार िारो स अरगौझा कय अऩना अरग घय फसा सरमा औय सख स यहन रगी ऩय बनदकतन का दबायगम अलऩाम भ ही उसक ऩनत की भतम हो गई | ससयार िार

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बनदकतन की दसयी शादी कय उस घय स ननकारकय उसकी सॊऩनदतत हड़ऩन की सानदजश कयन रग| ऐसी ऩरयनदसथनत भ बनदकतन न अऩन कश भॊडा सरए औय सॊनदमाससन फन गई | बनदकतन सिासबभानी सॊघरयशीर कभयठ औय दढ सॊकलऩ िारी सतरी ह जो वऩतसततातभक भानदमताओॊ औय छर-कऩट स बय सभाज भ अऩन औय अऩनी फहटमो क हक की रड़ाई रड़ती हघय गहसथी सॉबारन क सरए अऩनी फड़ी फटी दाभाद को फरा सरमा ऩय दबायगम न महाॉ बी बनदकतन का ऩीछा नहीॊ छोड़ा अचानक उसक दाभाद की बी भतम हो गमी| बनदकतन क जठ-नदजठौत न सानदजश यचकय बनदकतन की विधिा फटी का वििाह जफयदसती अऩन तीतयफाज सार स कय हदमा| ऩॊचामत दिाया कयामा गमा मह सॊफॊध दखदामी यहा | दोनो भाॉ-फटी का भन घय-गहसथी स उचट गमा ननधयनता आ गमी रगान न चका ऩान क कायण जभीॊदाय न बनदकतन को हदन बय धऩ भ खड़ा यखा| अऩभाननत बनदकतन ऩसा कभान क सरए गाॉि छोड़कय शहय आ जाती ह औय भहादिी की सविका फन जाती ह| बनदकतन क भन भ भहादिी क परनत फहत आदय सभऩयण औय असबबािक क सभान अधधकाय बाि ह| िह छामा क सभान भहादिी क साथ यहती ह| िह यात-यात बय जागकय धचतरकायी मा रखन जस कामय भ वमसत अऩनी भारककन की सिा का अिसय ढॉढ रती ह| भहादिी बनदकतन को नहीॊ फदर ऩामी ऩय बनदकतन न भहादिी को फदर हदमा| बनदकतन क हाथ का भोटा-दहाती खाना खात-खात भहादिी का सिाद फदर गमा बनदकतन न भहादिी को दहात क ककसस-कहाननमाॉ ककॊ िदॊनतमाॉ कॊ ठसथ कया दी| सिबाि स भहाकॊ जस होन ऩय बी बनदकतन ऩाई-ऩाई कय जोडी हई १०५ रऩमो की यासश को सहरय भहादिी को सभवऩयत कय दती ह| जर क नाभ स थय-थय काॉऩन िारी बनदकतन अऩनी भारककन क साथ जर जान क सरए फड़ राट साहफ तक स रड़न को बी तमाय हो जाती ह| बनदकतन भहादिी क जीिन ऩय छा जान िारी एक ऐसी सविका ह नदजस रणखका नहीॊ खोना चाहती

ऩाि आधारयत परशनोततय

नोट- उततय भ ननहहत यखाॊककत िाकम भखम सॊकत बफॊद ह |

परशन 1-बजकतन का वासतपवक नाभ कमा था वह अऩन नाभ को कमो छऩाना चाहती थी

उततय-बनदकतन का िासतविक नाभ रकषभी था हहनददओॊ क अनसायरकषभी धन की दिीह चॉकक बनदकतन गयीफ थी| उसक िासतविक नाभ क अथय औय उसक जीिन क मथाथय भ वियोधाबास ह ननधयन बनदकतन सफको अऩना असरी नाभ रकषभी फताकय उऩहास का ऩातर नहीॊ फनना चाहती थी इससरए िह अऩना असरी नाभ छऩाती थी

परशन 2- रखखका न रकषभी का नाभ बजकतन कमो यखा

उततय-घटा हआ ससय गर भ कॊ ठी भारा औय बकतो की तयह सादगीऩणय िशबरा दखकय भहादिी िभाय न रकषभी का नाभ बनदकतन यख हदमा | मह नाभ उसक वमनदकतति स ऩणयत भर खाता था |

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परशन 3-बजकतन क जीवन को ककतन ऩरयचछदो भ पवबाजजत ककमा गमा ह

उततय- बनदकतन क जीिन को चाय बागो भ फाॉटा गमा ह-

ऩहरा ऩरयचछद-बनदकतन का फचऩन भाॉ की भतम विभाता क दिाया बनदकतन का फार-वििाह कया दना

दपवतीम ऩरयचछद-बनदकतन का ििाहहक जीिन सास तथा नदजठाननमो का अनदमामऩणय वमिहाय ऩरयिाय स अरगौझा कय रना

ततीम ऩरयचछद- ऩनत की भतम विधिा क रऩ भ सॊघरयशीर जीिन चतथट ऩरयचछद- भहादिी िभाय की सविका क रऩ भ

परशन 4- बजकतन ऩाि क आधाय ऩय बायतीम गराभीण सभाज भ रड़क-रड़ककमो भ ककम जान वार बदबाव का उलरख कीजजए |

बायतीम गराभीण सभाज भ रड़क-रड़ककमो भ बदबाि ककमा जाता ह| रड़ककमो को खोटा ससकका मा ऩयामा धन भाना जाता ह| बनदकतन न तीन फहटमो को जनदभ हदमा नदजस कायण उस सास औय नदजठाननमो की उऩा सहनी ऩड़ती थी| सास औय नदजठाननमाॉ आयाभ पयभाती थी कमोकक उनदहोन रड़क ऩदा ककए थ औय बनदकतन तथा उसकी ननदहीॊ फहटमो को घय औय खतो का साया काभ कयना ऩडता था| बनदकतन औय उसकी फहटमो को रखा-सखा भोटा अनाज खान को सभरता था जफकक उसकी नदजठाननमाॉ औय उनक कार-करट फट दध-भराई याफ-चािर की दाित उड़ात थ

परशन 5-बजकतन ऩाि क आधाय ऩय ऩॊचामत क नमाम ऩय ठटतऩणी कीजजए |

बनदकतन की फटी क सनददबय भ ऩॊचामत दिाया ककमा गमा नदमाम तकय हीन औय अॊध कानन ऩय आधारयतह | बनदकतन क नदजठौत न सॊऩनदतत क रारच भ रडमॊतर कय बोरी फचची को धोख स जार भ पॊ सामा| ऩॊचामत न ननदोर रड़की की कोई फात नहीॊ सनी औय एक तयिा पसरा दकय उसका वििाह जफयदसती नदजठौत क ननकमभ तीतयफाज सार स कय हदमा | ऩॊचामत क अॊध कानन स दरषटो को राब हआ औय ननदोर को दॊड सभरा |

परशन 6-बजकतन की ऩाक-करा क फाय भ ठटतऩणी कीजजए |

बनदकतन को ठठ दहाती सादा बोजन ऩसॊद था | यसोई भ िह ऩाक छत को फहत भहतति दती थी | सफह-सिय नहा-धोकय चौक की सपाई कयक िह दिाय ऩय कोमर की भोटी यखा खीॊच दती थी| ककसी को यसोईघय भ परिश कयन नहीॊ दती थी| उस अऩन फनाए बोजन ऩय फड़ा असबभान था| िह अऩन फनाए बोजन का नतयसकाय नहीॊ सह सकती थी |

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परशन 7- लसदध कीजजए कक बजकतन तकट -पवतकट कयन भ भाठहय थी |

बनदकतन तकय ऩट थी | कश भॉडान स भना ककए जान ऩय िह शासतरो का हिारा दत हए कहती ह lsquoतीयथ गए भॉडाए ससदधrsquo | घय भ इधय-उधय यख गए ऩसो को िह चऩचाऩ उठा कय छऩा रती ह टोक जानऩय िह िह इस चोयी नही भानती फनदलक िह इस अऩन घय भ ऩड़ ऩसो को सॉबारकय यखना कहती ह| ऩढाई-सरखाई स फचन क सरए बी िह अचक तकय दती ह कक अगय भ बी ऩढ़न रगॉ तो घय का काभ कौन दखगा

परशन 8-बजकतन का दबाटगम बी कभ हिी नही था रखखका न ऐसा कमो कहा ह

उततय- बजकतन का दबाटगम उसका ऩीछा नहीॊ छोड़ता था-

1- फचऩन भ ही भाॉ की भतम 2- विभाता की उऩा 3- बनदकतन(रकषभी) का फारवििाह 4- वऩता का ननधन 5- तीन-तीन फहटमो को जनदभ दन क कायण सास औय नदजठाननमो क दिाया बनदकतन की

उऩा 6- ऩनत की असभम भतम 7- दाभाद का ननधन औय ऩॊचामत क दिाया ननकमभ तीतयफाज मिक स बनदकतन की विधिा

फटी का जफयन वििाह 8- रगान न चका ऩान ऩय जभीॊदाय क दिाया बनदकतन का अऩभान

परशन 9-बजकतन न भहादवी वभाट क जीवन ऩय कस परबापवत ककमा

उततय- बनदकतन क साथ यहकय भहादिी की जीिन-शरी सयर हो गमी ि अऩनी सविधाओॊ की चाह को नछऩान रगीॊ औय असविधाओॊ को सहन रगीॊ बनदकतन न उनदह दहाती बोजन णखराकय उनका सिाद फदर हदमा बनदकतन भातर एक सविका न होकय भहादिी की असबबािक औय आतभीम फन गमीबनदकतन भहादिी क जीिन ऩय छा जान िारी एक ऐसी सविका ह नदजस रणखका नहीॊ खोना चाहती

परशन 10- बजकतन क चरयतर की पवशषताओॊ का उलरख कीजजए

उततय- भहादिी िभाय की सविका बनदकतन क वमनदकतति की विशरताएॊ ननमनाॊककत ह-

सभवऩयत सविका सिासबभानी

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तकय शीरा ऩरयशरभी सॊघरयशीर

परशन 11-बजकतन क दगटणो का उलरख कय

उततय- गणो क साथ-साथ बनदकतन क वमनदकतति भ अनक दगयण बी ननहहत ह-

1 िह घय भ इधय-उधय ऩड़ रऩम-ऩस को बॊडाय घय की भटकी भ छऩा दती ह औय अऩन इस कामय को चोयी नहीॊ भानती

2 भहादिी क करोध स फचन क सरए बनदकतन फात को इधय-उधय कयक फतान को झठ नही भानती अऩनी फात को सही ससदध कयन क सरए िह तकय -वितकय बी कयती ह

3 िह दसयो को अऩनी इचछानसाय फदर दना चाहती ह ऩय सिमॊ बफरकर नही फदरती परशन 12 ननमनाॊककत बाषा-परमोगो का अथट सऩषट कीजजए-

ऩहरी कनमा क दो औय सॊसकयण कय िार- बनदकतन न अऩनी ऩहरी कनदमा क फाद उसक जसी दो औय कनदमाएॉ ऩदा कय दी अथायत बनदकतन क एक क फाद एक तीन फहटमाॉ ऩदा हो गमीॊ |

खोट लसकको की टकसार जसी ऩतनी- आज बी असशकषत गराभीण सभाज भ फहटमो को

खोटा ससकका कहा जाता ह बनदकतन न एक क फाद एक तीन फहटमाॉ ऩदा कय दी इससरए उस खोट ससकक को ढारन िारी भशीन कहा गमा

परशन 13-बजकतन ऩाि भ रखखका न सभाज की ककन सभसमाओॊ का उलरख ककमा ह

उततय- बनदकतन ऩाठ क भाधमभ स रणखका न बायतीम गराभीण सभाज की अनक सभसमाओॊ का उलरख ककमा ह-

1 रड़क-रड़ककमो भ ककमा जान िारा बदबाि 2 विधिाओॊ की सभसमा 3 नदमाम क नाभ ऩय ऩॊचामतो क दिाया नदसतरमो क भानिाधधकाय को कचरना 4 असशा औय अॊधविशिास

गदमाॊश-आधारयत अथटगरहण सॊफॊधधत परशनोततय

ऩरयिाय औय ऩरयनदसथनतमो क कायण सिबाि भ जो विरभताएॉ उतऩनदन हो गई ह उनक बीतय स एक सनह औय सहानबनत की आबा पटती यहती ह इसी स उसक सॊऩकय भ आनिार वमनदकत उसभ जीिन की सहज भासभयकता ही ऩात ह छातरािास की फासरकाओॊ भ स कोई अऩनी चाम

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फनिान क सरए दहरी ऩय फठी यहती ह कोई फाहय खडी भय सरए नाशत को चखकय उसक सिाद की वििचना कयती यहती ह भय फाहय ननकरत ही सफ धचडड़मो क सभान उड़ जाती ह औय बीतय आत ही मथासथान वियाजभान हो जाती ह इनदह आन भ रकािट न हो सॊबित इसी स बनदकतन अऩना दोनो जन का बोजन सिय ही फनाकय ऊऩय क आर भ यख दती ह औय खात सभम चौक का एक कोना धोकय ऩाकndashछत क सनातन ननमभ स सभझौता कय रती ह

भय ऩरयधचतो औय साहहनदतमक फॊधओॊ स बी बनदकतन विशर ऩरयधचत ह ऩय उनक परनत बनदकतन क समभान की भातरा भय परनत उनक समभान की भातरा ऩय ननबयय ह औय सदभाि उनक परनत भय सदभाि स नननदशचत होता ह इस सॊफॊध भ बनदकतन की सहज फवदध विनदसभत कय दन िारी ह

(क) बजकतन का सवबाव ऩरयवाय भ यहकय कसा हो गमा ह

उततय-विरभ ऩरयनदसथनतजनदम उसक उगर हठी औय दयागरही सिबाि क फािजद बनदकतन क बीतय सनह औय सहानबनत की आबा पटती यहती ह उसक सॊऩकय भ आन िार वमनदकत उसभ जीिन की सहज भासभयकता ही ऩात ह

(ख) बजकतन क ऩास छातरावास की छातराएॉ कमो आती ह

उततय- बनदकतन क ऩास कोई छातरा अऩनी चाम फनिान आती ह औय दहरी ऩय फठी यहती ह कोई भहादिी जी क सरए फन नाशत को चखकय उसक सिाद की वििचना कयती यहती ह भहादिी को दखत ही सफ छातराएॉ बाग जाती ह उनक जात ही कपय िाऩस आ जातीॊ ह बनदकतन का सहज-सनह ऩाकय धचडड़मो की तयह चहचहान रगती ह |

(ग) छातराओॊ क आन भ रकावट न िारन क लरए बजकतन न कमा उऩाम ककमा

उततय- छातराओॊ क आन भ रकािट न डारन क सरए बनदकतन न अऩन ऩाक-छत क ननमभ स सभझौता कय सरमा | बनदकतन अऩना दोनो िकत का खाना फनाकय सफह ही आर भ यख दती औय खात सभम चौक का एक कोना धोकय िहाॉ फठकय खा सरमा कयती थी ताकक छातराएॉ बफना योक-टोक क उसक ऩास आ सक

(घ) साठहतमकायो क परनत बजकतन क समभान का कमा भाऩदॊि ह

उततय-बनदकतन भहादिी क साहहनदतमक सभतर क परनत सदभाि यखती थी नदजसक परनत भहादिी सिमॊ सदभाि यखती थी | िह सबी स ऩरयधचत हऩय उनक परनत समभान की भातरा भहादिी जी क समभान की भातरा ऩय ननबयय कयती ह िह एक अदभत ढॊग स जान रती थी कक कौन ककतना समभान कयता ह उसी अनऩात भ उसका परापम उस दती थी

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12 फाजाय-दशटन

रखक- जनि कभाय

ऩाि का सायाॊश फाजाय-दशयन ऩाठ भ फाजायिाद औय उऩबोकतािाद क साथ-साथ अथयनीनत एिॊ दशयन स सॊफॊधधत परशनो को सरझान का परमास ककमा गमा ह फाजाय का जाद तबी असय कयता ह जफ भन खारी हो| फाजाय क जाद को योकन का उऩाम मह ह कक फाजाय जात सभम भन खारी ना हो भन भ रकषम बया हो| फाजाय की असरी कताथयता ह जरयत क िकत काभ आना| फाजाय को िही भनरषम राब द सकता ह जो िासति भ अऩनी आिशमकता क अनसाय खयीदना चाहता ह| जो रोग अऩन ऩसो क घभॊड भ अऩनी ऩचनदजॊग ऩािय को हदखान क सरए चीज खयीदत ह ि फाजाय को शतानी वमॊगम शनदकत दत ह| ऐस रोग फाजारऩन औय कऩट फढात ह | ऩस की मह वमॊगम शनदकत वमनदकत को अऩन सग रोगो क परनत बी कतघन फना सकती ह | साधायण जन का रदम रारसा ईरषमाय औय तरषणा स जरन रगता ह | दसयी ओय ऐसा वमनदकत नदजसक भन भ रश भातर बी रोब औय तरषणा नहीॊ ह सॊचम की इचछा नहीॊ ह िह इस वमॊगम-शनदकत स फचा यहता ह | बगतजी ऐस ही आतभफर क धनी आदशय गराहक औय फचक ह नदजन ऩय ऩस की वमॊगम-शनदकत का कोई असय नहीॊ होता | अनक उदाहयणो क दिाया रखक न मह सऩरषट ककमा ह कक एक ओय फाजाय रारची असॊतोरी औय खोखर भन िार वमनदकतमो को रटन क सरए ह िहीॊ दसयी ओय सॊतोरी भन िारो क सरए फाजाय की चभक-दभक उसका आकरयण कोई भहतति नहीॊ यखता

परशन१ - ऩचजजॊग ऩावय ककस कहा गमा ह फाजाय ऩय इसका कमा परबाव ऩड़ता ह

उततय- ऩचनदजॊग ऩािय का अथय ह खयीदन की शनदकत ऩचनदजॊग ऩािय क घभॊड भ वमनदकत हदखाि क सरए आिशमकता स अधधक खयीदायीकयता ह औय फाजाय को शतानी वमॊगम-शनदकत दता ह ऐस रोग फाजाय का फाजारऩन फढ़ात ह

परशन२ -रखक न फाजाय का जाद ककस कहा ह इसका कमा परबाव ऩड़ता ह

उततय- फाजाय की चभक-दभक क चॊफकीम आकरयण को फाजाय का जाद कहा गमा ह मह जाद आॊखो की याह कामय कयता ह फाजाय क इसी आकरयण क कायण गराहक सजी-धजी चीजो को आिशमकता न होन ऩय बी खयीदन को वििश हो जात ह

परशन३ -आशम सऩषट कय

भन खारी होना भन बया होना भन फॊद होना

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उततय-भन खारी होना- भन भ कोई नननदशचत िसत खयीदन का रकषम न होना ननरददशम फाजाय जाना औय वमथय की चीजो को खयीदकय राना

भन बया होना- भन रकषम स बया होना नदजसका भन बया हो िह बरीबाॉनत जानता ह कक उस फाजाय स कौन सी िसत खयीदनी ह अऩनी आिशमकता की चीज खयीदकय िह फाजाय को साथयकता परदान कयता ह

भन फॊद होना-भन भ ककसी बी परकाय की इचछा न होना अथायत अऩन भन को शनदम कय दना

परशन४ - lsquoजहाॉ तषणा ह फटोय यखन की सऩहा ह वहाॉ उस फर का फीज नहीॊ हrsquo महाॊ ककस फर की चचाट की गमी ह

उततय- रखक न सॊतोरी सिबाि क वमनदकत क आतभफरकी चचाय की ह दसय शबदो भ महद भन भ सॊतोर हो तो वमनदकत हदखाि औय ईरषमाय की बािना स दय यहता ह उसभ सॊचम कयन की परिनदतत नहीॊ होती

परशन५ - अथटशासतर अनीनतशासतर कफ फन जाता ह

उततय- जफ फाजाय भ कऩट औय शोरण फढ़न रग खयीददाय अऩनी ऩचधचॊग ऩािय क घभॊड भ हदखाि क सरए खयीददायी कय | भनरषमो भ ऩयसऩय बाईचाया सभापत हो जाए| खयीददाय औय दकानदाय एक दसय को ठगन की घात भ रग यह एक की हानन भ दसय को अऩना राब हदखाई द तो फाजाय का अथयशासतर अनीनतशासतर फन जाता ह ऐस फाजाय भानिता क सरए विडॊफना ह

परशन६-बगतजी फाजाय औय सभाज को ककस परकाय साथटकता परदान कय यह ह

उततय- बगतजी क भन भ साॊसारयक आकरयणो क सरए कोई तरषणा नहीॊ ह ि सॊचम रारच औय हदखाि स दय यहत ह फाजाय औय वमाऩाय उनक सरए आिशमकताओॊ की ऩनत य का साधन भातर ह बगतजी क भन का सॊतोर औय ननसऩह बाि उनको शररषठ उऩबोकता औय विकरता फनात ह

परशन ७ _ बगत जी क वमजकततव क सशकत ऩहरओॊ का उलरख कीजजए |

उततय-ननमनाॊककत बफॊद उनक वमनदकतति क सशकत ऩहर को उजागय कयत ह

ऩॊसायी की दकान स किर अऩनी जरयत का साभान (जीया औय नभक) खयीदना नननदशचत सभम ऩय चयन फचन क सरए ननकरना छह आन की कभाई होत ही चयन फचना फॊद कय दना फच हए चयन को फचचो को भफ़त फाॉट दना

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सबी काजम-जम याभ कहकय सिागत कयना फाजाय की चभक-दभक स आकवरयत न होना सभाज को सॊतोरी जीिन की सशा दना

परशन7-फाजाय की साथटकता ककसभ ह

उततय- भनरषम की आिशमकताओॊ की ऩनतय कयन भ ही फाजाय की साथयकता ह जो गराहक अऩनी आिशमकताओॊ की चीज खयीदत ह ि फाजाय को साथयकता परदान कयत ह जो विकरता गराहको का शोरण नहीॊ कयत औय छर-कऩट स गराहको को रबान का परमास नही कयत ि बी फाजाय को साथयक फनात ह

गदमाॊश-आधारयत अथटगरहण-सॊफॊधधत परशनोततय

फाजाय भ एक जाद ह िह जाद आॉख की तयह काभ कयता ह िह रऩ का जाद ह ऩय जस चॊफक का जाद रोह ऩय ही चरता ह िस ही इस जाद की बी भमायदा ह जफ बयी हो औय भन खारी हो ऐसी हारत भ जाद का असय खफ होता ह जफ खारी ऩय भन बया न हो तो बी जाद चर जाएगा भन खारी ह तो फाजाय की अनकानक चीजो का ननभॊतरण उस तक ऩहॉच जाएगा कहीॊ हई उस िकत जफ बयी तफ तो कपय िह भन ककसकी भानन िारा ह भारभ होता ह मह बी रॉ िह बी रॉ सबी साभान जरयी औय आयाभ को फढ़ान िारा भारभ होता ह ऩय मह सफ जाद का असय ह जाद की सिायी उतयी कक ऩता चरता ह कक प सी-चीजो की फहतामत आयाभ भ भदद नहीॊ दती फनदलक खरर ही डारती ह थोड़ी दय को सिासबभान को जरय सक सभर जाता ह ऩय इसस असबभान को धगलटी की खयाक ही सभरती ह जकड़ यशभी डोयी की हो तो यशभ क सऩशय क भरामभ क कायण कमा िह कभ जकड़ दगी

ऩय उस जाद की जकड़ स फचन का एक सीधा उऩाम ह िह मह कक फाजाय जाओ तो खारी भन न हो भन खारी हो तफ फाजाय न जाओ कहत ह र भ जाना हो तो ऩानी ऩीकय जाना चाहहए ऩानी बीतय हो र का रऩन वमथय हो जाता ह भन रकषम स बया हो तो फाजाय परा का परा ही यह जाएगा तफ िह घाि बफरकर नहीॊ द सकगा फनदलक कछ आनॊद ही दगा तफ फाजाय तभस कताथय होगा कमोकक तभ कछ न कछ सचचा राब उस दोग फाजाय की असरी कताथयता ह आिशमकता क सभम काभ आना

परशन-1 फाजाय क जाद को रखक न कस सऩषट ककमा ह

उततय- फाजाय क रऩ का जाद आॉखो की याह स काभ कयता हआ हभ आकवरयत कयता ह फाजाय का जाद ऐस चरता ह जस रोह क ऊऩय चॊफक का जाद चरता ह चभचभाती योशनी भ सजी

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प सी चीॊज गराहक को अऩनी ओय आकवरयत कयती ह| इसी चमफकीम शनदकत क कायण वमनदकत कपजर साभान को बी खयीद रता ह |

परशन-2 जफ बयी हो औय भन खारी तो हभायी कमा दशा होती ह

उततय- जफ बयी हो औय भन खारी हो तो हभाय ऊऩय फाजाय का जाद खफ असय कयता ह भन खारी ह तो फाजाय की अनकानक चीजो का ननभॊतरण भन तक ऩहॉच जाता ह औय उस सभम महद जफ बयी हो तो भन हभाय ननमॊतरण भ नहीॊ यहता

परशन-3 प सी चीजो की फहतामत का कमा ऩरयणाभ होता ह

उततय- प सी चीज आयाभ की जगह आयाभ भ वमिधान ही डारती ह थोड़ी दय को असबभान को जरय सक सभर जाती ह ऩय हदखाि की परिनदतत भ िवदध होती ह

परशन-4 जाद की जकड़ स फचन का कमा उऩाम ह

उततय- जाद की जकड़ स फचन क सरए एक ही उऩाम ह िह मह ह कक फाजाय जाओ तो भन खारी न हो भन खारी हो तो फाजाय भत जाओ

13 कार भघा ऩानी द

रखक-धभटवीय बायती

ऩाि का सायाॊश -lsquoकार भघा ऩानी दrsquo ननफॊध रोकजीिन क विशिास औय विऻान क तकय ऩय आधारयत ह जफ बीरण गभी क कायण वमाकर रोग िराय कयान क सरए ऩजा-ऩाठ औय कथा-विधान कय थकndashहाय जात ह तफ िराय कयान क सरए अॊनतभ उऩाम क रऩ भ इनददय सना ननकरती ह| इनददय सना नॊग-धड़ॊग फचचो की टोरी ह जो कीचड़ भ रथऩथ होकय गरी-भोहलर भ ऩानी भाॉगन ननकरती ह| रोग अऩन घय की छतो-णखड़ककमो स इनददय सना ऩय ऩानी डारत ह | रोगो की भानदमता ह कक इनददर फादरो क सिाभी औय िराय क दिता ह| इनददर की सना ऩय ऩानी डारन स इनददर बगिान परसनदन होकय ऩानी फयसाएॊग | रखक का तकय ह कक जफ ऩानी की इतनी कभी ह तो रोग भनदशकर स जभा ककए ऩानी को फालटी बय-बयकय इनददय सना ऩय डारकय ऩानी को कमो फफायद कयत ह आमयसभाजी विचायधाया िारा रखक इस अॊधविशिास भानता ह | इसक विऩयीत रखक की जीजी उस सभझाती ह कक मह ऩानी की फफायदी नहीॊ फनदलक ऩानी की फिाई ह | कछ ऩान क सरए कछ दना ऩड़ता ह | तमाग क बफना दान नहीॊ होता| परसतत ननफॊध भ रखक न भरषटाचाय की सभसमा को उठात हए कहा ह कक जीिन भ कछ ऩान क सरए तमाग आिशमक ह जो रोग तमाग औय दान की भहतता को नहीॊ भानत ि ही भरषटाचाय भ सरपत यहकय दश औय सभाज को रटत ह| जीजी की आसथा बािनातभक सचचाई को ऩरषट कयती ह औय तकय किर िऻाननक तथम को सतम भानता ह जहाॉ तकय मथाथय क

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कठोय धयातर ऩय सचचाई को ऩयखता ह तो िहीॊ आसथा अनहोनी फात को बी सिीकाय कय भन को सॊसकारयत कयती ह बायत की सितॊतरता क ५० सार फाद बी दश भ वमापत बरषटाचाय औय सिाथय की बािना को दखकय रखक दखी ह | सयकाय दिाया चराई जा यही मोजनाएॉ गयीफो तक कमो नहीॊ ऩहॉच ऩा यहीॊ ह कार भघा क दर उभड़ यह ह ऩय आज बी गयीफ की गगयी पटी हई कमो ह रखक न मह परशन ऩाठको क सरए छोड़ हदमा ह |

परशन1-इनदय सना घय-घय जाकय ऩानी कमो भाॉगती थी

उततय- गाॉि क रोग फारयश क सरए बगिान इॊदर स पराथयना ककमा कयत थ जफ ऩजा-ऩाठवरत आहद उऩाम असिर हो जात थ तो बगिान इॊदर को परसनदन कयन क सरए गाॉि क ककशोय फचच कीचड़ भ रथऩथ होकय गरी-गरी घभकय रोगो स ऩानी भाॉगत थ

परशन2-इनदयसना को रखक भढक-भॊिरी कमो कहता ह जीजी क फायndashफाय कहन ऩय बी वह इनदयसना ऩय ऩानी प कन को याजी कमो नहीॊ होता

उततय- इनददयसना का कामय आमयसभाजी विचायधाया िार रखक को अॊधविशिास रगता ह उसका भानना ह कक महद इॊदयसना दिता स ऩानी हदरिा सकती ह तो सिमॊ अऩन सरए ऩानी कमो नहीॊ भाॉग रती ऩानी की कभी होन ऩय बी रोग घय भ एकतर ककम हए ऩानी को इॊदयसना ऩय ि कत ह रखक इस ऩानी की ननभयभ फयफादी भानता ह

परशन3- रि हए रखक को जीजी न ककस परकाय सभझामा

उततय- जीजी न रखक को पमाय स रडड-भठयी णखरात हए ननमन तकय हदए-

1- तमाग का भहततव- कछ ऩान क सरए कछ दना ऩड़ता ह 2- दान की भहतता- कवर-भननमो न दान को सफस ऊॉ चा सथान हदमा ह जो चीज अऩन

ऩास बी कभ हो औय अऩनी आिशमकता को बरकय िह चीज दसयो को दान कय दना ही तमाग ह |

3- इॊिदव को जर का अधमट चिाना- इॊदयसना ऩय ऩानी ि कना ऩानी की फयफादी नहीॊ फनदलक इॊदरदि को जर का अधमय चढ़ाना ह

4- ऩानी की फवाई कयना- नदजस परकाय ककसान िसर उगान क सरए जभीन ऩय फीज डारकय फिाई कयता ह िस ही ऩानी िार फादरो की िसर ऩान क सरए इनददय सना ऩय ऩानी डार कय ऩानी की फिाई की जाती ह

परशन4-नठदमो का बायतीम साभाजजक औय साॊसकनतक ऩरयवश भ कमा भहतव ह

उततय- गॊगा बायतीम सभाज भ सफस ऩजम सदानीया नदी ह नदजसका बायतीम इनतहास भ धासभयक ऩौयाणणक औय साॊसकनतक भहति ह | िह बायतीमो क सरए किर एक नदी नहीॊ अवऩत

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भाॉ ह सिगय की सीढ़ी ह भोदानमनी ह उसभ ऩानी नहीॊ अवऩत अभत तलम जर फहता ह बायतीम सॊसकनत भ नहदमो क ककनाय भानि सभमताएॉ परी-परी ह| फड़-फड़ नगय तीथयसथान नहदमो क ककनाय ही नदसथत ह ऐस ऩरयिश भबायतिासी सफस ऩहर गॊगा भमा की जम ही फोरग नहदमाॉ हभाय जीिन का आधाय ह हभाया दश कवर परधान ह नहदमो क जर स ही बायत बसभ हयी-बयी ह नहदमो क बफना जीिन की कलऩना नहीॊ कय सकत मही कायण ह कक हभ बायतीम नहदमो की ऩजा कयत ह |

परशन4-आजादी क ऩचास वषो क फाद बी रखक कमो दखी ह उसक भन भ कौन स परशन उि यह ह

उततय- आजादी क ऩचास िरो फाद बी बायतीमो की सोच भ सकायातभक फदराि न दखकय रखक दखी ह उसक भन भ कई परशन उठ यह ह-

1 कमा हभ सचच अथो भ सितनदतर ह 2 कमा हभ अऩन दश की सॊसकनत औय सभमता को सभझ ऩाए ह 3 यारषर ननभायण भ हभ ऩीछ कमो ह हभ दश क सरए कमा कय यह ह

4 हभ सिाथय औय भरषटाचाय भ सरपत यहत ह तमाग भ विशिास कमो नहीॊ कयत

5 सयकाय दिाया चराई जा यही सधायिादी मोजनाएॉ गयीफो तक कमो नहीॊ ऩहॉचती ह

गदमाॊश ऩय आधारयत अथटगरहण-सॊफॊधधत परशनोततय

सचभच ऐस हदन होत जफ गरी-भहलरा गाॉि-शहय हय जगह रोग गयभी भ बन-बन कय तराहहभाभ कय यह होत जठ क दसतऩा फीतकय आराढ का ऩहरा ऩखिाड़ा फीत चका होता ऩय कषनतज ऩय कहीॊ फादरो की यख बी नहीॊ दीखती होती कएॉ सखन रगत नरो भ एक तो फहत कभ ऩानी आता औय आता बी तो आधी यात को िो बी खौरता हआ ऩानी हो | शहयो की तरना भ गाॉि भ औय बी हारत खयाफ थी| जहाॉ जताई होनी चाहहए थी िहाॉ खतो की सभटटी सखकय ऩतथय हो जाती कपय उसभ ऩऩड़ी ऩड़कय जभीन पटन रगती र ऐसी कक चरत-चरत आदभी धगय ऩड़ | ढोय-डॊगय पमास क भाय भयन रगत रककन फारयश का कहीॊ नाभ ननशान नहीॊ ऐस भ ऩजा-ऩाठ कथा-विधान सफ कयक रोग जफ हाय जात तफ अॊनतभ उऩाम क रऩ भ ननकरती मह इनददय सना |

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परशन१- वषाट न होन ऩय रोगो की कमा जसथनत हो गमी थी उततय - िराय न होन ऩय गयभी क कायण रोग र रगन स फहोश होन रग | गाॉि-शहय सबी जगह ऩानी का अबाि हो गमा| कएॉ सख गए खतो की सभटटी सखकय ऩतथय क सभान कठोय होकय पट गमी| घयो भ नरो भ ऩानी फहत कभ आता था | ऩश पमास क भाय भयन रग थ | परशन२- वषाट क दवता कौन ह उनको परसनन कयन क लरए कमा उऩाम ककए जात थ उततय -िराय क दिता बगिान इनददर ह| उनको परसनदन कयन क सरए ऩजाndashऩाठ कथा-विधान कयाए जात थ | ताकक इनददर दि परसनदन होकय फादरो की सना बजकय झभाझभ फारयश कयाएॉ औय रोगो क करषट दय हो | परशन३- वषाट कयान क अॊनतभ उऩाम क रऩ भ कमा ककमा जाता था उततय ndashजफ ऩजा-ऩाठ कथा-विधान सफ कयक रोग हाय जात थ तफ अॊनतभ उऩाम क रऩ भ इनददय सना आती थी | नॊग-धडॊग कीचड़ भ रथऩथ lsquoकार भघा ऩानी द ऩानी द गड़धानी दrsquo की टय रगाकय पमास स सखत गरो औय सखत खतो क सरए भघो को ऩकायती हई टोरी फनाकय ननकर ऩड़ती थी| परशन४-आशम सऩषट कय ndash जठ क दसतऩा फीतकय आराढ़ का ऩहरा ऩखिाड़ा फीत चका होता ऩय कषनतज भ कहीॊ फादरो की यख बी नजय नहीॊ आती | आशम- जठ का भहीना ह बीरण गयभी ह| तऩत हए दस हदन फीत कय आराढ का भहीना बी आधा फीत गमा ऩय ऩानी क सरए तड़ऩत िराय की आशा भ आसभान की ओय ताकत रोगो को कहीॊ फादर नजय नहीॊ आ यह |

14 ऩहरवान की ढोरक

फ़णीशवयनाथ यण

ऩाि का सायाॊश ndashआॊचसरक कथाकाय िणीशियनाथ यण की कहानी ऩहरिान की ढोरक भ कहानी क भखम ऩातर रटटन क भाता-वऩता का दहाॊत उसक फचऩन भ ही हो गमा था | अनाथ रटटन को उसकी विधिा सास न ऩार-ऩोसकय फड़ा ककमा | उसकी सास को गाॉि िार सतात थ |

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रोगो स फदरा रन क सरए कशती क दाॉिऩच सीखकय कसयत कयक रटटन ऩहरिान फन गमा |

एक फाय रटटन शमाभनगय भरा दखन गमा जहाॉ ढोर की आिाज औय कशती क दाॉिऩच दखकय उसन जोश भ आकय नाभी ऩहरिान चाॉदससॊह को चनौती द दी | ढोर की आिाज स परयणा ऩाकय रटटन न दाॉि रगाकय चाॉद ससॊह को ऩटककय हया हदमा औय याज ऩहरिान फन गमा | उसकी खमानत दय-दय तक िर गमी| १५ िरो तक ऩहरिान अजम फना यहा| उसक दो ऩतर थ| रटटन न दोनो फटो को बी ऩहरिानी क गय ससखाए| याजा की भतम क फाद नए याजकभाय न गददी सॊबारी याजकभाय को घोड़ो की यस का शौक था भनजय न नम याजा को बड़कामा ऩहरिान औय उसक दोनो फटो क बोजनखचय को बमानक औय किजरखचय फतामा िरसिरऩ नए याजा न कशती को फॊद कयिा हदमा औय ऩहरिान रटटनससॊह को उसक दोनो फटो क साथ भहर स ननकार हदमा

याजदयफाय स ननकार हदए जान क फाद रटटन ससॊह अऩन दोनो फटो क साथ गाॉि भ झोऩड़ी फनाकय यहन रगा औय गाॉि क रड़को को कशती ससखान रगा| रटटन का सकर जमादा हदन नहीॊ चरा औय जीविकोऩाजयन क सरए उसक दोनो फटो को भजदयी कयनी ऩड़ी| इसी दौयान गाॉि भ अकार औय भहाभायी क कायण परनतहदन राश उठन रगी| ऩहरिान भहाभायी स डय हए रोगो को ढोरक फजाकय फीभायी स रड़न की सॊजीिनी ताकत दता था| एक हदन ऩहरिान क दोनो फट बी भहाभायी की चऩट भ आकय भय गए ऩय उस यात बी ऩहरिान ढोरक फजाकय रोगो को हहमभत फॊधा यहा था | इस घटना क चाय-ऩाॉच हदन फाद ऩहरिान की बी भौत हो जाती ह|

ऩहरिान की ढोरक वमिसथा क फदरन क साथ रोक कराकाय क अपरासॊधगक हो जान की कहानी ह इस कहानी भ रटटन नाभ क ऩहरिान की हहमभत औय नदजजीविरा का िणयन ककमा गमा ह बख औय भहाभायी अजम रटटन की ऩहरिानी को िट ढोर भ फदर दत ह इस करण तरासदी भ ऩहरिान रटटन कई सिार छोड़ जाता ह कक करा का कोई सितॊतर अनदसतति ह मा करा किर वमिसथा की भोहताज ह

परशन1- रटटन को ऩहरवान फनन की परयणा कस लभरी

उततय- रटटन जफ नौ सार का था तो उसक भाता-वऩता का दहाॊत हो गमा था | सौबागम स उसकी शादी हो चकी थी| अनाथ रटटन को उसकी विधिा सास न ऩार-ऩोसकय फड़ा ककमा | उसकी सास को गाॉि िार ऩयशान कयत थ| रोगो स फदरा रन क सरए उसन ऩहरिान फनन की ठानी| धायोरषण दध ऩीकय कसयत कय उसन अऩना फदन गठीरा औय ताकतिय फना सरमा | कशती क दाॉिऩच सीखकय रटटन ऩहरिान फन गमा |

परशन2- यात क बमानक सननाट भ रटटन की ढोरक कमा करयशभा कयती थी

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उततय- यात क बमानक सनदनाट भरटटन की ढोरक भहाभायी स जझत रोगो को हहमभत फॉधाती थी | ढोरक की आिाज स यात की विबीवरका औय सनदनाटा कभ होता था| भहाभायी स ऩीडड़त रोगो की नसो भ बफजरी सी दौड़ जाती थी उनकी आॉखो क साभन दॊगर का दशम साकाय हो जाता था औय ि अऩनी ऩीड़ा बर खशी-खशी भौत को गर रगा रत थ इस परकाय ढोर की आिाज फीभाय-भतपराम गाॉििारो की नसो भ सॊजीिनी शनदकत को बय फीभायी स रड़न की परयणा दती थी

परशन3- रटटन न सवाटधधक ठहमभत कफ ठदखाई

उततय- रटटन ससॊह न सिायधधक हहमभत तफ हदखाई जफ दोनो फटो की भतम ऩय िह योमा नहीॊ फनदलक हहमभत स काभ रकय अकर उनका अॊनतभ सॊसकाय ककमा| मही नहीॊ नदजस हदन ऩहरिान क दोनो फट भहाभायी की चऩट भ आकय भय गए ऩय उस यात को बी ऩहरिान ढोरक फजाकय रोगो को हहमभत फॉधा यहा था| शमाभनगय क दॊगर भ ऩया जनसभदाम चाॉद ससॊह क ऩ भ था चाॉद ससॊह को हयात सभम रटटन न हहमभत हदखाई औय बफना हताश हए दॊगर भ चाॉद ससॊह को धचत कय हदमा |

परशन4- रटटन लसॊह याज ऩहरवान कस फना

उततय- शमाभनगय क याजा कशती क शौकीन थ उनदहोन दॊगर का आमोजन ककमा ऩहरिान रटटन ससॊह बी दॊगर दखन ऩहॉचा चाॊदससॊह नाभक ऩहरिान जो शय क फचच क नाभ स परससदध था कोई बी ऩहरिान उसस सबड़न की हहमभत नहीॊ कयता था चाॉदससॊह अखाड़ भ अकरा गयज यहा था रटटन ससॊह न चाॉदससॊह को चनौती द दी औय चाॉदससॊह स सबड़ गमाढ़ोर की आिाज सनकय रटटन की नस-नस भ जोश बय गमाउसन चाॉदससॊह को चायो खान धचत कय हदमा याजासाहफ न रटटन की िीयता स परबावित होकय उस याजऩहरिान फना हदमा

परशन5- ऩहरवान की अॊनतभ इचछा कमा थी

उततय- ऩहरिान की अॊनतभ इचछा थी कक उस धचता ऩय ऩट क फर सरटामा जाए कमोकक िह नदजॊदगी भ कबी धचत नहीॊ हआ था| उसकी दसयी इचछा थी कक उसकी धचता को आग दत सभम ढोर अिशम फजामा जाए |

परशन6- ढोर की आवाज औय रटटन क भ दाॉिऩच सॊफॊध फताइए-

उततय- ढोर की आिाज औय रटटन क दाॉिऩच भ सॊफॊध -

चट धा धगड़ धाrarr आजा सबड़ जा | चटाक चट धाrarr उठाकय ऩटक द | चट धगड़ धाrarrभत डयना |

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धाक धधना नतयकट नतनाrarr दाॉि काटो फाहय हो जाओ | धधना धधना धधक धधनाrarr धचत कयो

गदमाॊश-आधारयत अथटगरहण-सॊफॊधधत परशनोततय

अॉधयी यात चऩचाऩ आॉस फहा यही थी | ननसतबधता करण सससककमो औय आहो को अऩन रदम भ ही फर ऩियक दफान की चरषटा कय यही थी | आकाश भ ताय चभक यह थ | ऩथिी ऩय कहीॊ परकाश का नाभ नहीॊ| आकाश स टट कय महद कोई बािक ताया ऩथिी ऩय आना बी चाहता तो उसकी जमोनत औय शनदकत यासत भ ही शर हो जाती थी | अनदम ताय उसकी बािकता अथिा असपरता ऩय णखरणखराकय हॉस ऩड़त थ | ससमायो का करॊ दन औय ऩचक की डयािनी आिाज यात की ननसतबधता को बॊग कयती थी | गाॉि की झोऩडडमो स कयाहन औय क कयन की आिाज हय याभ ह बगिान की टय सनाई ऩड़ती थी| फचच बी ननफयर कॊ ठो स भाॉ ndashभाॉ ऩकायकय यो ऩड़त थ |

(क) अॉधयी यात को आॉस फहात हए कमो ठदखामा गमा ह उततयndash गाॉि भ हजा औय भररयमा परा हआ था | भहाभायी की चऩट भ आकाय रोग भय यह थ |चायो ओय भौत का सनाटा छामा था इससरए अॉधयी यात बी चऩचाऩ आॉस फहाती सी परतीत हो यही थी|

(ख) ताय क भाधमभ स रखक कमा कहना चाहता ह उततयndash ताय क भाधमभ स रखक कहना चाहता ह कक अकार औय भहाभायी स तरसत गाॉि िारो की ऩीड़ा को दय कयन िारा कोई नहीॊ था | परकनत बी गाॉि िारो क द ख स दखी थी| आकाश स टट कय महद कोई बािक ताया ऩथिी ऩय आना बी चाहता तो उसकी जमोनत औय शनदकत यासत भ ही शर हो जाती थी |

(ग) यात की ननसतबधता को कौन बॊग कयता था उततयndash ससमायो की चीख-ऩकाय ऩचक की डयािनी आिाज औय कततो का साभहहक रदन सभरकय यात क सनदनाट को बॊग कयत थ |

(घ) झोऩड़ड़मो स कसी आवाज आ यही ह औय कमो उततयndash झोऩडड़मो स योधगमो क कयाहन क कयन औय योन की आिाज आ यही ह कमोकक गाॉि क रोग भररयमा औय हज स ऩीडड़त थ | अकार क कायण अनदन की कभी हो गमी थी| औरधध औय ऩथम न सभरन क कायण रोगो की हारत इतनी फयी थी कक कोई बगिान को ऩकाय रगाता था तो कोई दफयर कॊ ठ स भाॉndashभाॉ ऩकायता था |

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15 चारी चजतरन मानी हभ सफ

रखक-पवषण खय

ऩाि का सायाॊश ndashचारक चनदपरन न हासम कराकाय क रऩ भ ऩयी दननमा क फहत फड़ दशयक िगय को हॉसामा ह | उनकी कपलभो न कपलभ करा को रोकताॊबतरक फनान क साथ-साथ दशको की िगय औय िणय-वमिसथा को बी तोड़ा | चारक न करा भ फवदध की अऩा बािना को भहतति हदमा ह | फचऩन क सॊघरो न चारक क बािी कपलभो की बसभ तमाय कय दी थी| बायतीम करा औय सौदमयशासतर भ करणा का हासम भ ऩरयितयन बायतीम ऩयमऩया भ नहीॊ सभरता रककन चारक एक ऐसा जादई वमनदकतति ह जो हय दश सॊसकनत औय सभमता को अऩना सा रगता ह| बायतीम जनता न बी उनदह सहज बाि स सिीकाय ककमा ह| सिमॊ ऩय हॉसना चारक न ही ससखामा| बायतीम ससनभा जगत क सपरससदध कराकाय याजकऩय को चारक का बायतीमकयण कहा गमा ह | चारक की अधधकाॊश किलभ भक ह इससरए उनदह अधधक भानिीम होना ऩड़ा | ऩाठ भ हासम कपलभो क भहान असबनता lsquoचारक चनदपरनrsquo की जादई विशरताओॊ का उलरख ककमा गमा ह नदजसभ उसन करणा औय हासम भ साभॊजसम सथावऩत कय किलभो को साियबौसभक रऩ परदान ककमा

परशन१ -चारी क जीवन ऩय परबाव िारन वारी भखम घटनाएॉ कौन सी थी

उततय- चारक क जीिन भ दो ऐसी घटनाएॉ घटीॊ नदजनदहोन उनक बािी जीिन ऩय फहत परबाि डारा |

ऩहरी घटना - जफ चारक फीभाय थ उनकी भाॉ उनदह ईसा भसीह की जीिनी ऩढ़कय सना यही थी | ईसा क सरी ऩय चढ़न क परसॊग तक आत-आत भाॉ-फटा दोनो ही योन रग| इस घटना न चारक को सनह करणा औय भानिता जस उचच जीिन भलम हदए |

दसयी घटना हndash फारक चारक कसाईखान क ऩास यहता था| िहाॉ सकड़ो जानियो को योज भाया जाता था| एक हदन एक बड़ िहाॉ स बाग ननकरी| बड़ को ऩकड़न की कोसशश भ कसाई कई फाय कपसरा| नदजस दखकय रोग हॊसन रग ठहाक रगान रग| जफ बड़ को कसाई न ऩकड़ सरमा तो फारक चारक योन रगा| इस घटना न उसक बािी कपलभो भ तरासदी औय हासमोतऩादक ततिो की बसभका तम कय दी |

परशन२ ndash आशम सऩषट कीजजएndash

चजतरन न लसपट कपलभकरा को ही रोकताॊबतरक नही फनामा फजलक दशटको की वगट तथा वणट-वमवसथा को बी तोड़ा|

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उततय- रोकताॊबतरक फनान का अथय ह कक कपलभ करा को सबी क सरए रोकवपरम फनाना औय िगय औय िणय-वमिसथा को तोड़न का आशम ह- सभाज भ परचसरत अभीय-गयीफ िणय जानतधभय क बदबाि को सभापत कयना |चनदपरन का चभतकाय मह ह कक उनदहोन कपलभकरा को बफना ककसी बदबाि क सबी रोगो तक ऩहॉचामा| उनकी कपलभो न सभम बगोर औय सॊसकनतमो की सीभाओॊ को राॉघ कय साियबौसभक रोकवपरमता हाससर की | चारक न मह ससदध कय हदमा कक करा सितनदतर होती ह अऩन ससदधाॊत सिमॊ फनाती ह |

परशन३ndash चारी चजतरन की कपलभो भ ननठहत तरासदीकरणाहासम का साभॊजसम बायतीम करा औय सौदमटशासतर की ऩरयधध भ कमो नहीॊ आता

उततय- चारक चनदपरन की कपलभो भ ननहहत तरासदीकरणाहासम का साभॊजसम बायतीम करा औय सौदमयशासतर की ऩरयधध भ नहीॊ आताकमोकक बायतीम यस-ससदधाॊत भ करणा औय हासम का भर नहीॊ हदखामा जाता कमोकक बायतीम सौदमयशासतर भ करणयस औय हासम यस को ऩयसऩय वियोधी भाना गमा ह अथायत जहाॊ करणा ह िहाॉ हासम नहीॊ हो सकता बायत भ सिमॊ ऩय हॉसन की ऩयॊऩया नहीॊ ह ऩयॊत चारक क ऩातर अऩन ऩय हॉसतndashहॉसात ह चारक की किलभो क दशम हॉसात-हॉसात ररा दत ह तो कबी करण दशम क फाद अचानक ही हॉसन ऩय भजफय कय दत ह

परशन४ndash चारी क कपलभो की पवशषताएॉ फताइए |

उततय- चारक की किलभो भ हासम औय करणा का अदभत साभॊजसम ह उनकी किलभो भ बारा का परमोग फहत कभ ह चारक की किलभो भ फवदध की अऩा बािना का भहतति अधधक ह उनकी किलभो भ साियबौसभकता ह चारक ककसी बी सॊसकनत को विदशी नही रगत चारक सफको अऩन रगत ह चारक न किलभो को रोकताॊबतरक फनामा औय किलभो भ िगय तथािणय-वमिसथा को तोड़ा अऩनी कपलभो भ चारक सदि धचय मिा हदखता ह

गदमाॊश-आधारयत अथटगरहण-सॊफॊधी परशनोततय

गदमाॊश सॊकत ndashचारक चनदपरन मानी हभ सफ (ऩरषठ १२० )

महद मह िरय चनदपरन की कापी कछ कहा जाएगा |

परशन (क)-पवकासशीर दशो भ चजतरन कमो भशहय हो यह ह

उततय - विकासशीर दशो भ जस-जस टरीविजन औय िीडडमो का परसाय हो यहा ह रोगो को उनकी कपलभो को दखन का अिसय सभर यहा ह |एक फहत फड़ा िगय नए ससय स चारक को घड़ी सधायत औय जत खान की कोसशश कयत दख यहा ह इसीसरए चारक विकासशीर दशो भ रोकवपरम हो यह ह |

(ख)- ऩजशचभ भ चारी का ऩनजीवन कस होता यहता ह

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उततय - ऩनदशचभ भ चारक की कपलभो का परदशयन होता यहता ह| उनकी करा स परयणा ऩाकय हासम किलभ फनती यहती ह | उनक दिाया ननबाए ककयदायो की नकर अनदम कराकाय कयत ह | ऩनदशचभ भ चारक का ऩनजीिन होता यहता ह|

(ग)- चारी को रोग फिाऩ तक कमो माद यखग

उततय ndashहासम कराकाय क रऩ भ रोग चारक को फढ़ाऩ तक माद यखग कमोकक उनकी करा सभम बगोर औय सॊसकनतमो की सीभाओॊ को राॉघकय राखो रोगो को हॉसा यही ह|

(घ)- चारी की कपलभो क फाय भ कापी कछ कहा जाना कमो फाी ह

उततय ndashचनदपरन की ऐसी कछ किलभ मा इसतभार न की गमी यीर सभरी ह नदजनक फाय भ कोई नहीॊ जानता था | चारक की बािनापरधान हासम कपलभो न करा क नए परनतभान सथावऩत ककए ह अत चारक की कपलभो क फाय भ अबी कापी कछ कहा जाना फाी ह|

16 नभक

रखखका - यजजमा सजजाद जहीय

सायाॊश -lsquoनभकrsquoबायत-ऩाक विबाजन ऩय सरणखत भासभयक कहानी ह | विसथावऩत हए रोगो भ अऩनndashअऩन जनदभ सथानो क परनत आज बी रगाि ह| धासभयक आधाय ऩय फनी यारषर-याजमो की सीभा-यखाएॉ उनक अॊतभयन को अरग नहीॊ कय ऩाई ह | बायत भ यहन िारी ससख फीिी राहौय को अऩना ितन भानती ह औय बायतीम कसटभ अधधकायी ढाका क नारयमर ऩानी को मादकय उस सियशररषठ फताता ह दोनो दशो क नागरयको क फीच भहबफत का नभकीन सिाद आज बी कामभ ह इसीसरए सकिमा बायत भ यहन िारी अऩनी भॉहफोरी भाॉ ससख फीिी क सरए राहौयी नभक रान क सरए कसटभ औय कानन की ऩयिाह नहीॊ कयती

परशन1- lsquoनभकrsquo ऩाि क आधाय ऩय फताइए कक सकपमा औय उसक बाई क पवचायो भ कमा अॊतय था

उततय- १-सकपमा बािनाओॊ को फहतभहतति दती ह ऩय उसका बाई फौवदधक परिनदतत का ह उसकी दनदरषट भ कानन बािनाओॊ स ऊऩय ह|

२-सकपमा भानिीम सॊफॊधो को फहत भहतति दती ह जफकक उसका बाई अरगाििादी विचायधाया का ह हहसस-फखय की फात कयता ह |

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३-सकपमा का बाई कहता ह कक अदीफो(साहहतमकाय) का हदभाग घभा हआ होता ह जफकक सकपमा जो सिमॊ अदीफ ह उसका भानना ह कक अगय सबी रोगो का हदभाग अदीफो की तयह घभा हआ होता तो दननमा कछ फहतय हो जाती |

परशन२- नभक र जात सभम सकफ़मा क भन भ कमा दपवधा थी

उततय-सकपमा समद भसरभान थी जो हय हार भ अऩना िामदा ननबात ह| ऩाककसतान स राहौयी नभक र जाकय िह अऩना िामदा ऩया कयना चाहती थी ऩयनदत जफ उस ऩता चरा कक कसटभ क ननमभो क अनसाय सीभाऩाय नभक र जाना िनदजयत ह तो िह दविधा भ ऩड़ गई | सकिमा का दिॊदि मह था कक िह अऩनी ससख भाॉ क सरए नभक कसटभ अधधकारयमो को फताकयर जाए मा नछऩाकय|

परशन३- ऩाि क आधाय ऩय सकपमा की चारयबतरक पवशषताएॉ फताइए |

उततय सॊकत ndash

१- बािक २- ईभानदाय ३- दढ़ननशचमी ४- ननडय ५- िामद को ननबान िारी ६- भानिीम भलमो को सिोऩरय भानन िारी साहहतमकाय

परशन ४- lsquoनभकrsquo ऩाि भ आए ककयदायो क भाधमभ स सऩषट कीजजए कक आज बी बायत औय ऩाककसतान की जनता क फीच भहबफत का नभकीन सवाद घरा हआ ह |

उततय ndash बर ही याजनीनतक औय धासभयक आधाय ऩय बायत औय ऩाककसतान को बौगोसरक रऩ स विबानदजत कय हदमा गमा ह रककन दोनो दशो क रोगो क रदम भ आज बी ऩायसऩरयक बाईचाया सौहादरय सनह औय सहानबनत विदमभान ह | याजनीनतक तौय ऩय बर ही सॊफॊध तनािऩणय हो ऩय साभानदजक तौय ऩय आज बी जनता क फीच भहबफत का नभकीन सिाद घरा हआ ह | अभतसय भ यहन िारी ससख फीफी राहौय को अऩना ितन कहती ह औय राहौयी नभक का सिाद नहीॊ बरा ऩाती | ऩाककसतान का कसटभ अधधकायी नभक की ऩडड़मा सकपमा को िाऩस दत हए कहता ह rdquoजाभा भनदसजद की सीहढ़मो को भया सराभ कहना |rdquo बायतीम सीभा ऩय तनात कसटभ अधधकायी ढाका की जभीन को औय िहाॉ क ऩानी क सिाद को नहीॊ बर ऩाता |

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गदमाॊश-आधारयत अथटगरहण सॊफॊधधत परशनोततय

गदमाॊश सॊकत- ऩाठndash नभक (ऩरषठ १३४)

सकपमा कसटभ क जॊगर स दोनो क हाथो भ थी |

(क) सकपमा कसटभ क जॉगर स ननकरकय दसय तरटपाभट ऩय आ गमी व वहीॊ खड़ यहndash इस वाकम भ lsquoवrsquo शबद का परमोग ककसक लरए ककमा गमा ह

उततय- महाॉ lsquoिrsquo शबद का परमोग ऩाककसतानी कसटभ अधधकायी क सरए ककमा गमा ह जो विबाजन स ऩिय हदलरी भ यहत थ औय आज बी हदलरी को ही अऩना ितन भानत ह |

(ख) तरटपाभट ऩय सकपमा को पवदा कयन कौन-कौन आए थ उनहोन सकपमा को कस पवदाई दी

उततय- परटपाभय ऩय सकपमा को विदा कयन उसक फहत साय सभतर सग सॊफॊधी औय बाई आए थ| उनदहोन ठॊडी साॉस बयत हए सबॊच हए होठो क साथ आॉस फहात हए सकपमा को विदाई दी |

(ग) अटायी भ यरगाड़ी भ कमा ऩरयवतटन हए उततय- अटायी भ यरगाड़ी स ऩाककसतानी ऩसरस उतयी औय हहनददसतानी ऩसरस सिाय हो गई|

(घ) कौन सी फात सकपमा की सभझ भ नहीॊ आ यही थी उततय- दोनो ओय एक सी जभीन एक जसा आसभान एक सी बारा एक सा ऩहनािा औय एक सी सयत क रोग कपय बी दोनो क हाथो भ बयी हई फॊदक ह |

17 लशयीष क पर

आचामट हजायी परसाद दपववदी

सायाॊश ndashlsquoआचामय हजायी परसाद दवििदीrsquo सशयीर को अदभत अिधत भानत ह कमोकक सॊनदमासी की बाॉनत िह सख-दख की धचॊता नहीॊ कयता गभी र िराय औय आॉधी भ बी अविचर खड़ा यहता ह सशयीर क िर क भाधमभ स भनरषम की अजम नदजजीविरा धमयशीरता औय कतयवमननरषठ फन यहन क भानिीम भलमो को सथावऩत ककमा गमा हरखक न सशयीर क कोभर परो औय कठोय परो क दिाया सऩरषट ककमा ह कक रदम की कोभरता फचान क सरए कबी-कबी वमिहाय की कठोयता बी आिशमक हो जाती ह| भहान कवि कासरदास औय कफीय बी सशयीर की तयह फऩयिाह अनासकत औय सयस थ तबी उनदहोन इतनी सनददय यचनाएॉ सॊसाय को दीॊ| गाॉधीजी क वमनदकतति भ बी कोभरता औय कठोयता का अदभत सॊगभ था | रखक सोचता ह कक हभाय दश भ जो भाय-काट अनदगनदाह रट-ऩाट खन-खचचय का फिॊडय ह कमा िह दश को नदसथय नहीॊ यहन दगा गराभी अशाॊनत औय वियोधी िाताियण क फीच अऩन ससदधाॊतो की या कयत हए गाॉधीजी जी नदसथय यह सक थ तो दश बी यह सकता ह जीन की परफर असबरारा क कायण

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विरभ ऩरयनदसथतमो भ बी महद सशयीर णखर सकता ह तो हभाया दश बी विरभ ऩरयनदसथनतमो भ नदसथय यह कय विकास कय सकता ह

परशन1-लसदध कीजजए कक लशयीष कारजमी अवधत की बाॉनत जीवन की अजमता क भॊतर का परचाय कयता ह

उततय- सशयीर कारजमी अिधत की बाॉनत जीिन की अजमता क भॊतर का परचाय कयता ह| जफ ऩथिी अनदगन क सभान तऩ यही होती ह िह तफ बी कोभर परो स रदा रहरहाता यहता ह|फाहयी गयभी धऩ िराय आॉधी र उस परबावित नहीॊ कयती इतना ही नहीॊ िह रॊफ सभम तक णखरा यहता ह | सशयीर विऩयीत ऩरयनदसथनतमो भ बी धमयशीर यहन तथा अऩनी अजम नदजजीविरा क साथ ननसऩह बाि स परचॊड गयभी भ बी अविचर खड़ा यहता ह

परशन२-आयगवध (अभरतास) की तरना लशयीष स कमो नहीॊ की जा सकती

उततय- सशयीर क पर बमॊकय गयभी भ णखरत ह औय आराढ़ तक णखरत यहत ह जफकक अभरतास का पर किर ऩनददरह-फीस हदनो क सरए णखरता ह | उसक फाद अभरतास क पर झड़ जात ह औय ऩड़ कपय स ठॉठ का ठॉठ हो जाता ह | अभरतास अलऩजीिी ह | विऩयीत ऩरयनदसथनतमो को झरता हआ ऊरषण िाताियण को हॉसकय झरता हआ सशयीर दीघयजीिी यहता ह | मही कायण ह कक सशयीर की तरना अभरतास स नहीॊ की जा सकती |

परशन३-लशयीष क परो को याजनताओॊ का रऩक कमो ठदमा गमा ह

उततय- सशयीर क पर उन फढ़ ढीठ औय ऩयान याजनताओॊ क परतीक ह जो अऩनी कसी नहीॊ छोड़ना चाहत | अऩनी अधधकाय-सरपसा क सरए नए मिा नताओॊ को आग नहीॊ आन दत | सशयीर क नए परो को जफयदसती ऩयान परो को धककमाना ऩड़ता ह | याजनीनत भ बी नई मिा ऩीढ़ी ऩयानी ऩीढ़ी को हयाकय सिमॊ सतता सॉबार रती ह |

परशन४- कार दवता की भाय स फचन का कमा उऩाम फतामा गमा ह

उततय- कार दिता कक भाय स फचन का अथय हndash भतम स फचना | इसका एकभातर उऩाम मह ह कक भनरषम नदसथय न हो| गनतशीर ऩरयितयनशीर यह | रखक क अनसाय नदजनकी चतना सदा ऊधियभखी (आधमातभ की ओय) यहती ह ि हटक जात ह |

परशन५- गाॉधीजी औय लशयीष की सभानता परकट कीजजए |

उततय- नदजस परकाय सशयीर धचरधचराती धऩ र िराय औय आॉधी भ बी अविचर खड़ा यहता ह अनासकत यहकय अऩन िाताियण स यस खीॊचकय सयस कोभर फना यहता ह उसी परकाय गाॉधी जी न बी अऩनी आॉखो क साभन आजादी क सॊगराभ भ अनदमाम बदबाि औय हहॊसा को झरा |

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उनक कोभर भन भ एक ओय ननयीह जनता क परनत असीभ करणा जागी िहीॊ ि अनदमामी शासन क वियोध भ डटकय खड़ हो गए |

गदमाॊश-आधारयत अथटगरहण सॊफॊधधत परशनोततय

गदमाॊश सॊकत- ऩाठ ndash सशयीर क पर (ऩरषठ १४७)

कासरदास सौदमय क िह इशाया ह |

(क) कालरदास की सौदमटndashदजषट की कमा पवशषता थी उततय-कासरदास की सौदमयndashदनदरषट फहत सकषभ अॊतबदी औय सॊऩणय थी| ि किर फाहयी रऩ-यॊग औय आकाय को ही नहीॊ दखत थ फनदलक अॊतभयन की सॊदयता क बी ऩायखी थ| कासरदास की सौदमय शायीरयक औय भानससक दोनो विशरताओॊ स मकत था |

(ख) अनासजकत का कमा आशम ह उततय- अनासनदकत का आशम ह- वमनदकतगत सख-द ख औय याग-दिर स ऩय यहकय सौदमय क िासतविक भभय को जानना |

(ग) कालरदास ऩॊत औय यवीॊिनाथ टगोय भ कौन सा गण सभान था भहाकवि कासरदास ससभतरानॊदन ऩॊत औय गरदि यिीॊदरनाथ टगोय तीनो नदसथयपरऻ औय अनासकत कवि थ | ि सशयीर क सभान सयस औय भसत अिधत थ |

(घ) यवीॊिनाथ याजोदमान क लसॊहदवाय क फाय भ कमा सॊदश दत ह याजोदमान क फाय भ यिीॊदरनाथ कहत ह याजोदमान का ससॊहदिाय ककतना ही सॊदय औय गगनचमफी कमो ना हो िह अॊनतभ ऩड़ाि नहीॊ ह| उसका सौदमय ककसी औय उचचतभ सौदमय की ओय ककमा गमा सॊकत भातर ह कक असरी सौदमय इस ऩाय कयन क फाद ह अत याजोदमान का ससॊहदिाय हभ आग फढ़न की परयणा दता ह |

18शरभ-पवबाजन औय जानत-परथा

िॉ० बीभयाव अॊफिकय

सायाॊश ndash इस ऩाठ भ रखक न जानतिाद क आधाय ऩय ककए जान िार बदबाि को सभम सभाज क सरए हाननकायक फतामा ह | जानत आधारयत शरभ विबाजन को असिाबाविक औय भानिता वियोधी फतामा गमा ह मह साभानदजक बदबाि को फढ़ाता ह जानतपरथा आधारयत शरभ विबाजन भ वमनदकत की रधच को भहतति नहीॊ हदमा जाता परसिरऩ वििशता क साथ अऩनाए

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Page 20: ISSUED BY KENDRIYA VIDYALAYA - DOWNLOADED FROM … Class XII Hindi Part B.pdfप्रश्न४ :-फादर क / फयन का गयीफ एि धनी िगय क्मा

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१ बाि ndashसामम- कफीय -lsquoसीस उताय बई धय तफ सभसरह कयतायlsquo-अथायत -सिमॊ को खो कय ही परभ परानदपत की जा सकती ह

२ बाि सामम- कफीय ndashनदजन ढॉढा नतन ऩाइमाॉ गहय ऩानी ऩहठ|

भ फऩया फडन डया यहा ककनाय फहठ |

परशन४- शयाफ की भहकपर भ शयाफी को दय यात कमा फात माद आती ह

उततय - शयाफ की भहकपर भ शयाफी को दय यात माद आती ह कक आसभान भ भनरषम क ऩाऩो का रखा-जोखा होता ह जस आधी यात क सभम परयशत रोगो क ऩाऩो क अधमाम खोरत ह िस ही यात क सभम शयाफ ऩीत हए शामय को भहफफा की माद हो आती ह भानो भहफफा परयशतो की तयह ऩाऩ सथर क आस ऩास ही ह

परशन५- सदक कियाकndashndashndashइन ऩॊनदकतमो का अथय सऩरषट कीनदजए |

उततय -सदक कियाकndashndashndashइन ऩॊनदकतमो भ कियाक कहत ह कक उनकी शामयी भ भीय की शामयी की उतकरषटता धिननत हो यही ह

परशन६- ऩॊखडड़मो की नाज़क धगयह खोरना कमा ह

उततय -ऩॉखडड़मो की नाजक धगयह खोरना उनका धीय -धीय विकससत होना ह

िमसॊधध(ककशोयी)नानमका क परसपहटत होत सौदमय की ओय सॊकत ह |

परशन७-lsquoमो उड़ जान को यॊगो फ गरशन भ ऩय तौर हrsquo बाि सऩरषट कीनदजए

उततय -कसरमो की सिास उड़न क सरए भानो ऩय तौर यही होअथायत खशफ का झोका यहndashयह कय उठता ह

परशन८- कवि दिाया िणणयत याबतर क दशम का िणयन अऩन शबदो भ कीनदजए

उततय - याबतर का सनदनाटा बी कछ कह यहा हइससरए ताय ऩरक झऩका यह हरगता ह कक परकनत का कण-कण कछ कह यहा ह |

परशन९- कवि अऩन िमनदकतक अनबि ककन ऩॉनदकतमो भ वमकत कय यहा ह

जीिन की विडॊफना-lsquoककसभत को योनाlsquo भहािय क परमोग स सटीक असबवमनदकत परापत कयती ह

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ldquoहभ हो मा ककसभत हो हभायी दोनो को इक ही काभ सभरा

ककसभत हभ को यो रि ह हभ ककसभत को यो र ह|rdquo

परशन१०- शामय न दननमा क ककस दसतय का िणयन ककमा ह

उततय -शामय न दननमा क इस दसतय का िणयन ककमा ह कक रोग दसयो को फदनाभ कयत ह ऩयॊत ि नहीॊ जानत कक इस तयह ि अऩनी दरषट परकनत को ही उदघाहटत कयत ह

परशन११- परभ की कितयत कवि न ककन शबदो भ असबवमकत की ह

सिमॊ को खो कय ही परभ की परानदपत की जा सकती ह ईशिय की परानदपत सियसि रटा दन ऩय होती ह परभ क सॊसाय का बी मही ननमभ ह

परशन१२- कियाक गोयखऩयी ककस बारा क कवि ह

उततय - उदय बारा

10 छोटा भया खत

उभाशॊकय जोशी

(गजयाती कपव)

उभाशॊकय जोशी फीसिीॊ सदी क गजयाती क भधयनदम कवि सॊसकत िाङभम क विदिान हउनदहोन गजयाती कविता को परकनत स जोड़ाआभ आदभी क जीिन की झरक उनकी यचनाओॊ भ सभरती ह

छोटा भया खत

साय

खती क रऩक दिाया कावम यचनाndash परककरमा को सऩषट ककमा गमा हकावम कनत की यचना फीजndash वऩन स रकय ऩौध क ऩजषऩत होन क पवलबनन चयणो स गजयती हअॊतय किर इतना ह कक कपव कभट की पसर कारजमी शाशित होती हउसका यस-यण अम होता हकागज का ऩनदना नदजस ऩय यचना शबदफदध होती ह कवि को एक चौकोय खत की तयह रगता ह इस खत

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भ ककसी अॉधड़ (आशम बािनातभक आॉधी स होगा) क परबाि स ककसी ण एक फीज फोमा जाता ह मह फीज-यचना विचाय औय असबवमनदकत का हो सकता ह मह भर रऩ कलऩना का सहाया रकय विकससत होता ह औय परककरमा भ सिमॊ विगसरत हो जाता ह उसस शबदो क अॊकय ननकरत ह औय अॊतत कनत एक ऩणय सिरऩ गरहण कयती ह जो कवर-कभय क सरहाज स ऩलरवित -ऩनदरषऩत होन की नदसथनत ह साहहनदतमक कनत स जो अरौककक यस-धाया पटती ह िह ण भ होन िारी योऩाई का ही ऩरयणाभ ह ऩय मह यस-धाया अनॊत कार तक चरन िारी कटाई ह |

फगरो क ऩॊख

साय

फगरो क ऩॊख कविता एक चार बफॊफ की कविता ह सौदमय का अऩकषत परबाि उतऩनदन कयन क सरए कविमो न कई मनदकतमाॉ अऩनाई ह नदजसभ स सफस परचसरत मनदकत ह-सौदमय क वमौयो क धचतरातभक िणयन क साथ अऩन भन ऩय ऩड़न िार उसक परबाि का िणयन औय आतभगत क सॊमोग की मह मनदकत ऩाठक को उस भर सौदमय क कापी ननकट र जाती ह जोशी जी की इस कविता भ ऐसा ही ह कवि कार फादरो स बय आकाश भ ऩॊनदकत फनाकय उड़त सपद फगरो को दखता ह ि कजयाय फादरो भ अटका-सा यह जाता ह िह इस भामा स अऩन को फचान की गहाय रगाता ह कमा मह सौदमय स फाॉधन औय विॊधन की चयभ नदसथनत को वमकत कयन का एक तयीका ह

परकनत का सितॊतर (आरॊफन गत ) धचतरण आधननक कविता की विशरता हधचतरातभक िणयन दिाया कवि न एक ओय कार फादरो ऩय उड़ती फगरो की शित ऩॊनदकत का धचतर अॊककत ककमा ह तो दसयी ओय इस अपरनतभ दशम क रदम ऩय ऩड़न िार परबाि को धचबतरत ककमा हभॊतर भगध कवि इस दशम क परबाि स आतभ विसभनत की नदसथनत तक ऩहॉच जाता हविरम एिॊ विरमीगत सौनददमय क दोनो रऩ कविता भ उदघाहटत हए ह

अथट-गरहण-सॊफॊधी परशन

ldquoछोटा भया खत चौकोना

कागज़ का एक ऩनदना कोई अॊधड़ कहीॊ स आमा

ण का फीज िहाॉ फोमा गमा|

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कलऩना क यसामनो को ऩी

फीज गर गमा ननशर शबद क अॊकय पट

ऩलरि ndashऩरषऩो स नसभत हआ विशर |rdquo

परशन १lsquoछोटा भया खतrsquo ककसका परतीक ह औय कमो

उततय - परशन२ lsquoछोटा भया खतrsquo काग़ज क उस ऩनदन का परतीक ह नदजस ऩय कवि अऩनी कविता सरखता ह

परशन २ कवि खत भ कौनndashसा फीज फोता ह

उततय - कवि खत भ अऩनी कलऩना का फीज फोता ह

परशन ३ कवि की कलऩना स कौन स ऩलरि अॊकरयत होत ह

उततय - कवि की कलऩना स शबद क ऩलरि अॊकरयत होत ह

परशन ४ उऩमयकत ऩद का बाि-सौदमय सऩरषट कीनदजए |

उततय - खती क रऩक दिाया कावम-यचनाndashपरककरमा को सऩषट ककमा गमा हकावम कनत की यचना फीजndash वऩन स रकय ऩौध क ऩजषऩत होन क पवलबनन चयणो स गजयती हअॊतय किर इतना ह कक कपव कभट की पसर कारजमी शाशित होती हउसका यस-यण अम होता ह

सौदमट-फोध-सॊफॊधी परशन

ldquoझभन रग पर

यस अरौककक

अभत धायाएॉ पटतीॊ

योऩाई ण की

कटाई अनॊतता की

रटत यहन स जया बी कभ नहीॊ होती |

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यस का अम ऩातर सदा का

छोटा भया खत चौकोना |rdquo

परशन इस कविता की बारा सॊफॊधी विशरताओॊ ऩय परकाश डासरए ndash

उततय - १ परतीकातभकता

२ राणणकता -

२रऩक अरॊकायndash यस का अम ऩातर सदा का

छोटा भया खत चौकोना

परशन २ यस अरौककक अभत धायाएॉ योऩाई ndash कटाई-परतीको क अथय सऩरषट कीनदजए |

उततय - यस अरौककक ndash कावम यस ननरषऩनदतत

अभत धायाएॉ- कावमानॊद

योऩाई ndash अनबनत को शबदफदध कयना

कटाई ndashयसासिादन

पवषम-वसत ऩय आधारयत परशनोततय

कपवता ndash

छोटा भया खत

परशन १ उभाशॊकय जोशी न ककस बारा भ कविताएॉ सरखी ह

उततय - गजयाती बारा

परशन२ कवरndashकभय एिॊ कविndashकभय भ कमा कमा सभानताएॉ ह

उततय - कवरndashकभय एिॊ कविndashकभय भ ननमनसरणखत सभानताएॉ ह-

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कावम कनत की यचना फीजndash वऩन स रकय ऩौध क ऩजषऩत होन क पवलबनन चयणो स गजयती ह

कपषndashकभट एवॊ कपवndashकभट भ सभानताएॉ -

कागज का ऩनदना नदजस ऩय यचना शबदफदध होती ह कवि को एक चौकोय खतरगता ह इस खत भ ककसी अॉधड़ (आशम बािनातभक आॉधी स होगा) क परबाि स ककसी ण

एक फीज फोमा जाता ह मह फीज-यचना विचाय औय असबवमनदकत का हो सकता ह मह भर रऩ कलऩना का सहाया रकय विकससत होता ह औय परककरमा भ सिमॊ विगसरत

हो जाता ह इसीपरकाय फीज बी खाद ऩानी समय की योशनी हिा आहद रकय विकससत होता ह |

कावम ndashयचना स शबदो क अॊकय ननकरत ह औय अॊतत कनत एक ऩणय सिरऩ गरहण कयती ह जो कवर-कभय क सरहाज स ऩलरवित ndashऩनदरषऩत औय पसरत होन की नदसथनत ह अथट-गरहण-सॊफॊधी परशन

कपवताndash फगरो क ऩॊख

नब भ ऩाॉती- फॉध फगरो क ऩॊख

चयाए सरए जातीॊ ि भयी आॉख |

कजयाय फादरो की छाई नब छामा

हौरndashहौर जाती भझ फाॉध ननज भामा स |

उस कोई तननक योक यकखो |

िह तो चयाए सरए जाती भयी आॉख

नब भ ऩाॉती- फॉधी फगरो की ऩाॉख |

तयती साॉझ की सतज शित कामा|

परशन१- इस कविता भ कवि न ककसका धचतरण ककमा ह

उततय - कवि न कार फादरो ऩय उड़ती फगरो की शित ऩॊनदकत का धचतरण ककमा ह|

परशन२- आॉख चयान का कमा अथय ह

उततय - आॉख चयान का आशम ह ndashधमान ऩयी तयह खीॊच रना एकटक दखना भॊतरभगध कय दना

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परशन३-

ldquoकजयाय फादरो की छाई नब छामा

हौर ndashहौर जाती भझ फाॉध ननज भामा स |rdquo- आशम सऩरषट कीनदजए |

उततय- कार फादरो क फीच साॉझ का सयभई िाताियण फहत सॊदय हदखता ह | ऐसा अपरनतभ सौदमय अऩन आकरयण भ कवि को फाॉध रता ह |

परशन ४ ldquoउस कोई तननक योक यकखो |rsquo- स कवि का कमा असबपराम ह

उततय - फगरो की ऩॊनदकत आकाश भ दय तक उड़ती जा यही ह कवि की भॊतरभगध आॉख उनका ऩीछा कय यही ह | कवि उन फगरो को योक कय यखन की गहाय रगा यहा ह कक कहीॊ ि उसकी आॉख ही अऩन साथ न र जाएॉ |

सौदमट-फोध-सॊफॊधी परशन

परशन १ कविता की बारा सॊफॊधी दो विशरताएॉ सरणखए|

उततय -१ धचतरातभक बारा

२ फोरचार क शबदो का परमोग - हौर ndashहौर ऩाॉती कजयायसाॉझ

परशन २ कविता भ परमकत अरॊकाय चन कय सरणखए |

उततय - अनपरास अरॊकाय - फॉध फगरो क ऩॊख

भानिीकयण अरॊकाय - चयाए सरए जातीॊ ि भयी आॉख |

परशन ३ -lsquo ननज भामाrsquo क राणणक अथय को सऩरषट कीनदजए |

उततय - परकनत का अपरनतभ सौदमय िह भामा ह जो कवि को आतभविबोय कय दती हमह ऩॊनदकत बी परशॊसातभक उनदकत ह

पवषम-वसत ऩय आधारयत परशनोततय

परशन१- lsquoचयाए सरए जाती ि भयी ऑ ॊखrsquo स कवि का कमा तातऩमय ह

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उततय -धचतरातभक िणयन दिाया कवि न एक ओय कार फादरो ऩय उड़ती फगरो की शित ऩॊनदकत का धचतर अॊककत ककमा ह तथा इस अपरनतभ दशम क रदम ऩय ऩड़न िार परबाि को धचबतरत ककमा ह कवि क अनसाय मह दशम उनकी आॉख चयाए सरए जा यहा ह |भॊतर भगध कवि इस दशम क परबाि स आतभ विसभनत की नदसथनत तक ऩहॉच जाता ह

परशन२-कवि ककस भामा स फचन की फात कहता ह

उततय - भामा विशि को अऩन आकरयण भ फाॉध रन क सरए परससदध ह | कफीय न बी lsquoभामा भहा ठधगनी हभ जानीrsquo कहकय भामा की शनदकत को परनतऩाहदत ककमा ह | कार फादरो भ फगरो की सॊदयता अऩना भामा जार परा कय कवि को अऩन िश भ कय यही ह |

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आयोह बाग-२ गदम-बाग

परशन-सॊखमा १०- गदम खॊड भ हदए गए ऩहठत गदमाॊश स अथयगरहण सॊफॊधी चाय परशन ऩछ जाएॉग नदजनक सरए ननधायरयत अॊक (२४=८) ह |

परशन-सॊखमा ११- ऩाठो की विरमिसत स सॊफॊधधत ऩाॉच भ स चाय परशनो क उततय दन ह नदजनक सरए ननधायरयत अॊक (३४=१२) ह|

ऩयीा भ अचछ अॊक परातत कयन क लरए धमान दन मोगम फात ndash

1 रख एिॊ ितयनी की शदधता तथा िाकम-गठन ऩय धमान द | 2 हय ऩाठ का सायऩरषठबसभविरमिसत तथाकथानक को सभझना आिशमक ह |

अतविदमाथी हय ऩाठ का सायाॊश बरीबाॉनत माद कय र | 3 परशनो को धमान स ऩढ़ तदनसाय अऩकषत उततय सरख | 4 उततय सरखत सभम सॊफॊधधत भखम बफॊदओॊ का शीरयकफनात हए उततय सरख मथा-तीन

अॊक क परशनो क उततय सरखत सभम कभ स कभ तीन भखम उततय-बफ ॊदओॊ का उलरख कयत हए उततय सऩरषट कय |

5 अॊक-मोजना क अनसाय ननधायरयत शबद-सीभा क अॊतगयत उततय सरख | ऩयीाथी कई फाय एक अॊक क परशन का उततय फहत रॊफा कई फाय ऩया ऩरषठ सरख दत ह जो सभम औय ऊजाय की फफायदी ह |

6 धमान यह कक अधधक सरखन स अचछ अॊक नहीॊ आत फनदलक सयर-सफोध बारा भ सरख गए सटीक उततय सायगसबयत तथम तथा उदाहयण क दिाया सऩरषट ककए गए उततय परबािशारी होत ह |

ऩाि 11 - बजकतन

रखखका- भहादवी वभाट

ऩाि का सायाॊश- बनदकतन नदजसका िासतविक नाभ रकषभी थारणखका lsquoभहादिी िभायrsquo की सविका ह | फचऩन भ ही बनदकतन की भाॉ की भतम हो गमी| सौतरी भाॉ न ऩाॉच िरय की आम भ वििाह तथा नौ िरय की आम भ गौना कय बनदकतन को ससयार बज हदमा| ससयार भ बनदकतन न तीन फहटमो को जनदभ हदमा नदजस कायण उस सास औय नदजठाननमो की उऩा सहनी ऩड़ती थी| सास औय नदजठाननमाॉ आयाभ पयभाती थी औय बनदकतन तथा उसकी ननदहीॊ फहटमो को घय औय खतो का साया काभ कयना ऩडता था| बनदकतन का ऩनत उस फहत चाहता था| अऩन ऩनत क सनह क फर ऩय बनदकतन न ससयार िारो स अरगौझा कय अऩना अरग घय फसा सरमा औय सख स यहन रगी ऩय बनदकतन का दबायगम अलऩाम भ ही उसक ऩनत की भतम हो गई | ससयार िार

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बनदकतन की दसयी शादी कय उस घय स ननकारकय उसकी सॊऩनदतत हड़ऩन की सानदजश कयन रग| ऐसी ऩरयनदसथनत भ बनदकतन न अऩन कश भॊडा सरए औय सॊनदमाससन फन गई | बनदकतन सिासबभानी सॊघरयशीर कभयठ औय दढ सॊकलऩ िारी सतरी ह जो वऩतसततातभक भानदमताओॊ औय छर-कऩट स बय सभाज भ अऩन औय अऩनी फहटमो क हक की रड़ाई रड़ती हघय गहसथी सॉबारन क सरए अऩनी फड़ी फटी दाभाद को फरा सरमा ऩय दबायगम न महाॉ बी बनदकतन का ऩीछा नहीॊ छोड़ा अचानक उसक दाभाद की बी भतम हो गमी| बनदकतन क जठ-नदजठौत न सानदजश यचकय बनदकतन की विधिा फटी का वििाह जफयदसती अऩन तीतयफाज सार स कय हदमा| ऩॊचामत दिाया कयामा गमा मह सॊफॊध दखदामी यहा | दोनो भाॉ-फटी का भन घय-गहसथी स उचट गमा ननधयनता आ गमी रगान न चका ऩान क कायण जभीॊदाय न बनदकतन को हदन बय धऩ भ खड़ा यखा| अऩभाननत बनदकतन ऩसा कभान क सरए गाॉि छोड़कय शहय आ जाती ह औय भहादिी की सविका फन जाती ह| बनदकतन क भन भ भहादिी क परनत फहत आदय सभऩयण औय असबबािक क सभान अधधकाय बाि ह| िह छामा क सभान भहादिी क साथ यहती ह| िह यात-यात बय जागकय धचतरकायी मा रखन जस कामय भ वमसत अऩनी भारककन की सिा का अिसय ढॉढ रती ह| भहादिी बनदकतन को नहीॊ फदर ऩामी ऩय बनदकतन न भहादिी को फदर हदमा| बनदकतन क हाथ का भोटा-दहाती खाना खात-खात भहादिी का सिाद फदर गमा बनदकतन न भहादिी को दहात क ककसस-कहाननमाॉ ककॊ िदॊनतमाॉ कॊ ठसथ कया दी| सिबाि स भहाकॊ जस होन ऩय बी बनदकतन ऩाई-ऩाई कय जोडी हई १०५ रऩमो की यासश को सहरय भहादिी को सभवऩयत कय दती ह| जर क नाभ स थय-थय काॉऩन िारी बनदकतन अऩनी भारककन क साथ जर जान क सरए फड़ राट साहफ तक स रड़न को बी तमाय हो जाती ह| बनदकतन भहादिी क जीिन ऩय छा जान िारी एक ऐसी सविका ह नदजस रणखका नहीॊ खोना चाहती

ऩाि आधारयत परशनोततय

नोट- उततय भ ननहहत यखाॊककत िाकम भखम सॊकत बफॊद ह |

परशन 1-बजकतन का वासतपवक नाभ कमा था वह अऩन नाभ को कमो छऩाना चाहती थी

उततय-बनदकतन का िासतविक नाभ रकषभी था हहनददओॊ क अनसायरकषभी धन की दिीह चॉकक बनदकतन गयीफ थी| उसक िासतविक नाभ क अथय औय उसक जीिन क मथाथय भ वियोधाबास ह ननधयन बनदकतन सफको अऩना असरी नाभ रकषभी फताकय उऩहास का ऩातर नहीॊ फनना चाहती थी इससरए िह अऩना असरी नाभ छऩाती थी

परशन 2- रखखका न रकषभी का नाभ बजकतन कमो यखा

उततय-घटा हआ ससय गर भ कॊ ठी भारा औय बकतो की तयह सादगीऩणय िशबरा दखकय भहादिी िभाय न रकषभी का नाभ बनदकतन यख हदमा | मह नाभ उसक वमनदकतति स ऩणयत भर खाता था |

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परशन 3-बजकतन क जीवन को ककतन ऩरयचछदो भ पवबाजजत ककमा गमा ह

उततय- बनदकतन क जीिन को चाय बागो भ फाॉटा गमा ह-

ऩहरा ऩरयचछद-बनदकतन का फचऩन भाॉ की भतम विभाता क दिाया बनदकतन का फार-वििाह कया दना

दपवतीम ऩरयचछद-बनदकतन का ििाहहक जीिन सास तथा नदजठाननमो का अनदमामऩणय वमिहाय ऩरयिाय स अरगौझा कय रना

ततीम ऩरयचछद- ऩनत की भतम विधिा क रऩ भ सॊघरयशीर जीिन चतथट ऩरयचछद- भहादिी िभाय की सविका क रऩ भ

परशन 4- बजकतन ऩाि क आधाय ऩय बायतीम गराभीण सभाज भ रड़क-रड़ककमो भ ककम जान वार बदबाव का उलरख कीजजए |

बायतीम गराभीण सभाज भ रड़क-रड़ककमो भ बदबाि ककमा जाता ह| रड़ककमो को खोटा ससकका मा ऩयामा धन भाना जाता ह| बनदकतन न तीन फहटमो को जनदभ हदमा नदजस कायण उस सास औय नदजठाननमो की उऩा सहनी ऩड़ती थी| सास औय नदजठाननमाॉ आयाभ पयभाती थी कमोकक उनदहोन रड़क ऩदा ककए थ औय बनदकतन तथा उसकी ननदहीॊ फहटमो को घय औय खतो का साया काभ कयना ऩडता था| बनदकतन औय उसकी फहटमो को रखा-सखा भोटा अनाज खान को सभरता था जफकक उसकी नदजठाननमाॉ औय उनक कार-करट फट दध-भराई याफ-चािर की दाित उड़ात थ

परशन 5-बजकतन ऩाि क आधाय ऩय ऩॊचामत क नमाम ऩय ठटतऩणी कीजजए |

बनदकतन की फटी क सनददबय भ ऩॊचामत दिाया ककमा गमा नदमाम तकय हीन औय अॊध कानन ऩय आधारयतह | बनदकतन क नदजठौत न सॊऩनदतत क रारच भ रडमॊतर कय बोरी फचची को धोख स जार भ पॊ सामा| ऩॊचामत न ननदोर रड़की की कोई फात नहीॊ सनी औय एक तयिा पसरा दकय उसका वििाह जफयदसती नदजठौत क ननकमभ तीतयफाज सार स कय हदमा | ऩॊचामत क अॊध कानन स दरषटो को राब हआ औय ननदोर को दॊड सभरा |

परशन 6-बजकतन की ऩाक-करा क फाय भ ठटतऩणी कीजजए |

बनदकतन को ठठ दहाती सादा बोजन ऩसॊद था | यसोई भ िह ऩाक छत को फहत भहतति दती थी | सफह-सिय नहा-धोकय चौक की सपाई कयक िह दिाय ऩय कोमर की भोटी यखा खीॊच दती थी| ककसी को यसोईघय भ परिश कयन नहीॊ दती थी| उस अऩन फनाए बोजन ऩय फड़ा असबभान था| िह अऩन फनाए बोजन का नतयसकाय नहीॊ सह सकती थी |

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परशन 7- लसदध कीजजए कक बजकतन तकट -पवतकट कयन भ भाठहय थी |

बनदकतन तकय ऩट थी | कश भॉडान स भना ककए जान ऩय िह शासतरो का हिारा दत हए कहती ह lsquoतीयथ गए भॉडाए ससदधrsquo | घय भ इधय-उधय यख गए ऩसो को िह चऩचाऩ उठा कय छऩा रती ह टोक जानऩय िह िह इस चोयी नही भानती फनदलक िह इस अऩन घय भ ऩड़ ऩसो को सॉबारकय यखना कहती ह| ऩढाई-सरखाई स फचन क सरए बी िह अचक तकय दती ह कक अगय भ बी ऩढ़न रगॉ तो घय का काभ कौन दखगा

परशन 8-बजकतन का दबाटगम बी कभ हिी नही था रखखका न ऐसा कमो कहा ह

उततय- बजकतन का दबाटगम उसका ऩीछा नहीॊ छोड़ता था-

1- फचऩन भ ही भाॉ की भतम 2- विभाता की उऩा 3- बनदकतन(रकषभी) का फारवििाह 4- वऩता का ननधन 5- तीन-तीन फहटमो को जनदभ दन क कायण सास औय नदजठाननमो क दिाया बनदकतन की

उऩा 6- ऩनत की असभम भतम 7- दाभाद का ननधन औय ऩॊचामत क दिाया ननकमभ तीतयफाज मिक स बनदकतन की विधिा

फटी का जफयन वििाह 8- रगान न चका ऩान ऩय जभीॊदाय क दिाया बनदकतन का अऩभान

परशन 9-बजकतन न भहादवी वभाट क जीवन ऩय कस परबापवत ककमा

उततय- बनदकतन क साथ यहकय भहादिी की जीिन-शरी सयर हो गमी ि अऩनी सविधाओॊ की चाह को नछऩान रगीॊ औय असविधाओॊ को सहन रगीॊ बनदकतन न उनदह दहाती बोजन णखराकय उनका सिाद फदर हदमा बनदकतन भातर एक सविका न होकय भहादिी की असबबािक औय आतभीम फन गमीबनदकतन भहादिी क जीिन ऩय छा जान िारी एक ऐसी सविका ह नदजस रणखका नहीॊ खोना चाहती

परशन 10- बजकतन क चरयतर की पवशषताओॊ का उलरख कीजजए

उततय- भहादिी िभाय की सविका बनदकतन क वमनदकतति की विशरताएॊ ननमनाॊककत ह-

सभवऩयत सविका सिासबभानी

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तकय शीरा ऩरयशरभी सॊघरयशीर

परशन 11-बजकतन क दगटणो का उलरख कय

उततय- गणो क साथ-साथ बनदकतन क वमनदकतति भ अनक दगयण बी ननहहत ह-

1 िह घय भ इधय-उधय ऩड़ रऩम-ऩस को बॊडाय घय की भटकी भ छऩा दती ह औय अऩन इस कामय को चोयी नहीॊ भानती

2 भहादिी क करोध स फचन क सरए बनदकतन फात को इधय-उधय कयक फतान को झठ नही भानती अऩनी फात को सही ससदध कयन क सरए िह तकय -वितकय बी कयती ह

3 िह दसयो को अऩनी इचछानसाय फदर दना चाहती ह ऩय सिमॊ बफरकर नही फदरती परशन 12 ननमनाॊककत बाषा-परमोगो का अथट सऩषट कीजजए-

ऩहरी कनमा क दो औय सॊसकयण कय िार- बनदकतन न अऩनी ऩहरी कनदमा क फाद उसक जसी दो औय कनदमाएॉ ऩदा कय दी अथायत बनदकतन क एक क फाद एक तीन फहटमाॉ ऩदा हो गमीॊ |

खोट लसकको की टकसार जसी ऩतनी- आज बी असशकषत गराभीण सभाज भ फहटमो को

खोटा ससकका कहा जाता ह बनदकतन न एक क फाद एक तीन फहटमाॉ ऩदा कय दी इससरए उस खोट ससकक को ढारन िारी भशीन कहा गमा

परशन 13-बजकतन ऩाि भ रखखका न सभाज की ककन सभसमाओॊ का उलरख ककमा ह

उततय- बनदकतन ऩाठ क भाधमभ स रणखका न बायतीम गराभीण सभाज की अनक सभसमाओॊ का उलरख ककमा ह-

1 रड़क-रड़ककमो भ ककमा जान िारा बदबाि 2 विधिाओॊ की सभसमा 3 नदमाम क नाभ ऩय ऩॊचामतो क दिाया नदसतरमो क भानिाधधकाय को कचरना 4 असशा औय अॊधविशिास

गदमाॊश-आधारयत अथटगरहण सॊफॊधधत परशनोततय

ऩरयिाय औय ऩरयनदसथनतमो क कायण सिबाि भ जो विरभताएॉ उतऩनदन हो गई ह उनक बीतय स एक सनह औय सहानबनत की आबा पटती यहती ह इसी स उसक सॊऩकय भ आनिार वमनदकत उसभ जीिन की सहज भासभयकता ही ऩात ह छातरािास की फासरकाओॊ भ स कोई अऩनी चाम

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फनिान क सरए दहरी ऩय फठी यहती ह कोई फाहय खडी भय सरए नाशत को चखकय उसक सिाद की वििचना कयती यहती ह भय फाहय ननकरत ही सफ धचडड़मो क सभान उड़ जाती ह औय बीतय आत ही मथासथान वियाजभान हो जाती ह इनदह आन भ रकािट न हो सॊबित इसी स बनदकतन अऩना दोनो जन का बोजन सिय ही फनाकय ऊऩय क आर भ यख दती ह औय खात सभम चौक का एक कोना धोकय ऩाकndashछत क सनातन ननमभ स सभझौता कय रती ह

भय ऩरयधचतो औय साहहनदतमक फॊधओॊ स बी बनदकतन विशर ऩरयधचत ह ऩय उनक परनत बनदकतन क समभान की भातरा भय परनत उनक समभान की भातरा ऩय ननबयय ह औय सदभाि उनक परनत भय सदभाि स नननदशचत होता ह इस सॊफॊध भ बनदकतन की सहज फवदध विनदसभत कय दन िारी ह

(क) बजकतन का सवबाव ऩरयवाय भ यहकय कसा हो गमा ह

उततय-विरभ ऩरयनदसथनतजनदम उसक उगर हठी औय दयागरही सिबाि क फािजद बनदकतन क बीतय सनह औय सहानबनत की आबा पटती यहती ह उसक सॊऩकय भ आन िार वमनदकत उसभ जीिन की सहज भासभयकता ही ऩात ह

(ख) बजकतन क ऩास छातरावास की छातराएॉ कमो आती ह

उततय- बनदकतन क ऩास कोई छातरा अऩनी चाम फनिान आती ह औय दहरी ऩय फठी यहती ह कोई भहादिी जी क सरए फन नाशत को चखकय उसक सिाद की वििचना कयती यहती ह भहादिी को दखत ही सफ छातराएॉ बाग जाती ह उनक जात ही कपय िाऩस आ जातीॊ ह बनदकतन का सहज-सनह ऩाकय धचडड़मो की तयह चहचहान रगती ह |

(ग) छातराओॊ क आन भ रकावट न िारन क लरए बजकतन न कमा उऩाम ककमा

उततय- छातराओॊ क आन भ रकािट न डारन क सरए बनदकतन न अऩन ऩाक-छत क ननमभ स सभझौता कय सरमा | बनदकतन अऩना दोनो िकत का खाना फनाकय सफह ही आर भ यख दती औय खात सभम चौक का एक कोना धोकय िहाॉ फठकय खा सरमा कयती थी ताकक छातराएॉ बफना योक-टोक क उसक ऩास आ सक

(घ) साठहतमकायो क परनत बजकतन क समभान का कमा भाऩदॊि ह

उततय-बनदकतन भहादिी क साहहनदतमक सभतर क परनत सदभाि यखती थी नदजसक परनत भहादिी सिमॊ सदभाि यखती थी | िह सबी स ऩरयधचत हऩय उनक परनत समभान की भातरा भहादिी जी क समभान की भातरा ऩय ननबयय कयती ह िह एक अदभत ढॊग स जान रती थी कक कौन ककतना समभान कयता ह उसी अनऩात भ उसका परापम उस दती थी

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12 फाजाय-दशटन

रखक- जनि कभाय

ऩाि का सायाॊश फाजाय-दशयन ऩाठ भ फाजायिाद औय उऩबोकतािाद क साथ-साथ अथयनीनत एिॊ दशयन स सॊफॊधधत परशनो को सरझान का परमास ककमा गमा ह फाजाय का जाद तबी असय कयता ह जफ भन खारी हो| फाजाय क जाद को योकन का उऩाम मह ह कक फाजाय जात सभम भन खारी ना हो भन भ रकषम बया हो| फाजाय की असरी कताथयता ह जरयत क िकत काभ आना| फाजाय को िही भनरषम राब द सकता ह जो िासति भ अऩनी आिशमकता क अनसाय खयीदना चाहता ह| जो रोग अऩन ऩसो क घभॊड भ अऩनी ऩचनदजॊग ऩािय को हदखान क सरए चीज खयीदत ह ि फाजाय को शतानी वमॊगम शनदकत दत ह| ऐस रोग फाजारऩन औय कऩट फढात ह | ऩस की मह वमॊगम शनदकत वमनदकत को अऩन सग रोगो क परनत बी कतघन फना सकती ह | साधायण जन का रदम रारसा ईरषमाय औय तरषणा स जरन रगता ह | दसयी ओय ऐसा वमनदकत नदजसक भन भ रश भातर बी रोब औय तरषणा नहीॊ ह सॊचम की इचछा नहीॊ ह िह इस वमॊगम-शनदकत स फचा यहता ह | बगतजी ऐस ही आतभफर क धनी आदशय गराहक औय फचक ह नदजन ऩय ऩस की वमॊगम-शनदकत का कोई असय नहीॊ होता | अनक उदाहयणो क दिाया रखक न मह सऩरषट ककमा ह कक एक ओय फाजाय रारची असॊतोरी औय खोखर भन िार वमनदकतमो को रटन क सरए ह िहीॊ दसयी ओय सॊतोरी भन िारो क सरए फाजाय की चभक-दभक उसका आकरयण कोई भहतति नहीॊ यखता

परशन१ - ऩचजजॊग ऩावय ककस कहा गमा ह फाजाय ऩय इसका कमा परबाव ऩड़ता ह

उततय- ऩचनदजॊग ऩािय का अथय ह खयीदन की शनदकत ऩचनदजॊग ऩािय क घभॊड भ वमनदकत हदखाि क सरए आिशमकता स अधधक खयीदायीकयता ह औय फाजाय को शतानी वमॊगम-शनदकत दता ह ऐस रोग फाजाय का फाजारऩन फढ़ात ह

परशन२ -रखक न फाजाय का जाद ककस कहा ह इसका कमा परबाव ऩड़ता ह

उततय- फाजाय की चभक-दभक क चॊफकीम आकरयण को फाजाय का जाद कहा गमा ह मह जाद आॊखो की याह कामय कयता ह फाजाय क इसी आकरयण क कायण गराहक सजी-धजी चीजो को आिशमकता न होन ऩय बी खयीदन को वििश हो जात ह

परशन३ -आशम सऩषट कय

भन खारी होना भन बया होना भन फॊद होना

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उततय-भन खारी होना- भन भ कोई नननदशचत िसत खयीदन का रकषम न होना ननरददशम फाजाय जाना औय वमथय की चीजो को खयीदकय राना

भन बया होना- भन रकषम स बया होना नदजसका भन बया हो िह बरीबाॉनत जानता ह कक उस फाजाय स कौन सी िसत खयीदनी ह अऩनी आिशमकता की चीज खयीदकय िह फाजाय को साथयकता परदान कयता ह

भन फॊद होना-भन भ ककसी बी परकाय की इचछा न होना अथायत अऩन भन को शनदम कय दना

परशन४ - lsquoजहाॉ तषणा ह फटोय यखन की सऩहा ह वहाॉ उस फर का फीज नहीॊ हrsquo महाॊ ककस फर की चचाट की गमी ह

उततय- रखक न सॊतोरी सिबाि क वमनदकत क आतभफरकी चचाय की ह दसय शबदो भ महद भन भ सॊतोर हो तो वमनदकत हदखाि औय ईरषमाय की बािना स दय यहता ह उसभ सॊचम कयन की परिनदतत नहीॊ होती

परशन५ - अथटशासतर अनीनतशासतर कफ फन जाता ह

उततय- जफ फाजाय भ कऩट औय शोरण फढ़न रग खयीददाय अऩनी ऩचधचॊग ऩािय क घभॊड भ हदखाि क सरए खयीददायी कय | भनरषमो भ ऩयसऩय बाईचाया सभापत हो जाए| खयीददाय औय दकानदाय एक दसय को ठगन की घात भ रग यह एक की हानन भ दसय को अऩना राब हदखाई द तो फाजाय का अथयशासतर अनीनतशासतर फन जाता ह ऐस फाजाय भानिता क सरए विडॊफना ह

परशन६-बगतजी फाजाय औय सभाज को ककस परकाय साथटकता परदान कय यह ह

उततय- बगतजी क भन भ साॊसारयक आकरयणो क सरए कोई तरषणा नहीॊ ह ि सॊचम रारच औय हदखाि स दय यहत ह फाजाय औय वमाऩाय उनक सरए आिशमकताओॊ की ऩनत य का साधन भातर ह बगतजी क भन का सॊतोर औय ननसऩह बाि उनको शररषठ उऩबोकता औय विकरता फनात ह

परशन ७ _ बगत जी क वमजकततव क सशकत ऩहरओॊ का उलरख कीजजए |

उततय-ननमनाॊककत बफॊद उनक वमनदकतति क सशकत ऩहर को उजागय कयत ह

ऩॊसायी की दकान स किर अऩनी जरयत का साभान (जीया औय नभक) खयीदना नननदशचत सभम ऩय चयन फचन क सरए ननकरना छह आन की कभाई होत ही चयन फचना फॊद कय दना फच हए चयन को फचचो को भफ़त फाॉट दना

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सबी काजम-जम याभ कहकय सिागत कयना फाजाय की चभक-दभक स आकवरयत न होना सभाज को सॊतोरी जीिन की सशा दना

परशन7-फाजाय की साथटकता ककसभ ह

उततय- भनरषम की आिशमकताओॊ की ऩनतय कयन भ ही फाजाय की साथयकता ह जो गराहक अऩनी आिशमकताओॊ की चीज खयीदत ह ि फाजाय को साथयकता परदान कयत ह जो विकरता गराहको का शोरण नहीॊ कयत औय छर-कऩट स गराहको को रबान का परमास नही कयत ि बी फाजाय को साथयक फनात ह

गदमाॊश-आधारयत अथटगरहण-सॊफॊधधत परशनोततय

फाजाय भ एक जाद ह िह जाद आॉख की तयह काभ कयता ह िह रऩ का जाद ह ऩय जस चॊफक का जाद रोह ऩय ही चरता ह िस ही इस जाद की बी भमायदा ह जफ बयी हो औय भन खारी हो ऐसी हारत भ जाद का असय खफ होता ह जफ खारी ऩय भन बया न हो तो बी जाद चर जाएगा भन खारी ह तो फाजाय की अनकानक चीजो का ननभॊतरण उस तक ऩहॉच जाएगा कहीॊ हई उस िकत जफ बयी तफ तो कपय िह भन ककसकी भानन िारा ह भारभ होता ह मह बी रॉ िह बी रॉ सबी साभान जरयी औय आयाभ को फढ़ान िारा भारभ होता ह ऩय मह सफ जाद का असय ह जाद की सिायी उतयी कक ऩता चरता ह कक प सी-चीजो की फहतामत आयाभ भ भदद नहीॊ दती फनदलक खरर ही डारती ह थोड़ी दय को सिासबभान को जरय सक सभर जाता ह ऩय इसस असबभान को धगलटी की खयाक ही सभरती ह जकड़ यशभी डोयी की हो तो यशभ क सऩशय क भरामभ क कायण कमा िह कभ जकड़ दगी

ऩय उस जाद की जकड़ स फचन का एक सीधा उऩाम ह िह मह कक फाजाय जाओ तो खारी भन न हो भन खारी हो तफ फाजाय न जाओ कहत ह र भ जाना हो तो ऩानी ऩीकय जाना चाहहए ऩानी बीतय हो र का रऩन वमथय हो जाता ह भन रकषम स बया हो तो फाजाय परा का परा ही यह जाएगा तफ िह घाि बफरकर नहीॊ द सकगा फनदलक कछ आनॊद ही दगा तफ फाजाय तभस कताथय होगा कमोकक तभ कछ न कछ सचचा राब उस दोग फाजाय की असरी कताथयता ह आिशमकता क सभम काभ आना

परशन-1 फाजाय क जाद को रखक न कस सऩषट ककमा ह

उततय- फाजाय क रऩ का जाद आॉखो की याह स काभ कयता हआ हभ आकवरयत कयता ह फाजाय का जाद ऐस चरता ह जस रोह क ऊऩय चॊफक का जाद चरता ह चभचभाती योशनी भ सजी

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प सी चीॊज गराहक को अऩनी ओय आकवरयत कयती ह| इसी चमफकीम शनदकत क कायण वमनदकत कपजर साभान को बी खयीद रता ह |

परशन-2 जफ बयी हो औय भन खारी तो हभायी कमा दशा होती ह

उततय- जफ बयी हो औय भन खारी हो तो हभाय ऊऩय फाजाय का जाद खफ असय कयता ह भन खारी ह तो फाजाय की अनकानक चीजो का ननभॊतरण भन तक ऩहॉच जाता ह औय उस सभम महद जफ बयी हो तो भन हभाय ननमॊतरण भ नहीॊ यहता

परशन-3 प सी चीजो की फहतामत का कमा ऩरयणाभ होता ह

उततय- प सी चीज आयाभ की जगह आयाभ भ वमिधान ही डारती ह थोड़ी दय को असबभान को जरय सक सभर जाती ह ऩय हदखाि की परिनदतत भ िवदध होती ह

परशन-4 जाद की जकड़ स फचन का कमा उऩाम ह

उततय- जाद की जकड़ स फचन क सरए एक ही उऩाम ह िह मह ह कक फाजाय जाओ तो भन खारी न हो भन खारी हो तो फाजाय भत जाओ

13 कार भघा ऩानी द

रखक-धभटवीय बायती

ऩाि का सायाॊश -lsquoकार भघा ऩानी दrsquo ननफॊध रोकजीिन क विशिास औय विऻान क तकय ऩय आधारयत ह जफ बीरण गभी क कायण वमाकर रोग िराय कयान क सरए ऩजा-ऩाठ औय कथा-विधान कय थकndashहाय जात ह तफ िराय कयान क सरए अॊनतभ उऩाम क रऩ भ इनददय सना ननकरती ह| इनददय सना नॊग-धड़ॊग फचचो की टोरी ह जो कीचड़ भ रथऩथ होकय गरी-भोहलर भ ऩानी भाॉगन ननकरती ह| रोग अऩन घय की छतो-णखड़ककमो स इनददय सना ऩय ऩानी डारत ह | रोगो की भानदमता ह कक इनददर फादरो क सिाभी औय िराय क दिता ह| इनददर की सना ऩय ऩानी डारन स इनददर बगिान परसनदन होकय ऩानी फयसाएॊग | रखक का तकय ह कक जफ ऩानी की इतनी कभी ह तो रोग भनदशकर स जभा ककए ऩानी को फालटी बय-बयकय इनददय सना ऩय डारकय ऩानी को कमो फफायद कयत ह आमयसभाजी विचायधाया िारा रखक इस अॊधविशिास भानता ह | इसक विऩयीत रखक की जीजी उस सभझाती ह कक मह ऩानी की फफायदी नहीॊ फनदलक ऩानी की फिाई ह | कछ ऩान क सरए कछ दना ऩड़ता ह | तमाग क बफना दान नहीॊ होता| परसतत ननफॊध भ रखक न भरषटाचाय की सभसमा को उठात हए कहा ह कक जीिन भ कछ ऩान क सरए तमाग आिशमक ह जो रोग तमाग औय दान की भहतता को नहीॊ भानत ि ही भरषटाचाय भ सरपत यहकय दश औय सभाज को रटत ह| जीजी की आसथा बािनातभक सचचाई को ऩरषट कयती ह औय तकय किर िऻाननक तथम को सतम भानता ह जहाॉ तकय मथाथय क

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कठोय धयातर ऩय सचचाई को ऩयखता ह तो िहीॊ आसथा अनहोनी फात को बी सिीकाय कय भन को सॊसकारयत कयती ह बायत की सितॊतरता क ५० सार फाद बी दश भ वमापत बरषटाचाय औय सिाथय की बािना को दखकय रखक दखी ह | सयकाय दिाया चराई जा यही मोजनाएॉ गयीफो तक कमो नहीॊ ऩहॉच ऩा यहीॊ ह कार भघा क दर उभड़ यह ह ऩय आज बी गयीफ की गगयी पटी हई कमो ह रखक न मह परशन ऩाठको क सरए छोड़ हदमा ह |

परशन1-इनदय सना घय-घय जाकय ऩानी कमो भाॉगती थी

उततय- गाॉि क रोग फारयश क सरए बगिान इॊदर स पराथयना ककमा कयत थ जफ ऩजा-ऩाठवरत आहद उऩाम असिर हो जात थ तो बगिान इॊदर को परसनदन कयन क सरए गाॉि क ककशोय फचच कीचड़ भ रथऩथ होकय गरी-गरी घभकय रोगो स ऩानी भाॉगत थ

परशन2-इनदयसना को रखक भढक-भॊिरी कमो कहता ह जीजी क फायndashफाय कहन ऩय बी वह इनदयसना ऩय ऩानी प कन को याजी कमो नहीॊ होता

उततय- इनददयसना का कामय आमयसभाजी विचायधाया िार रखक को अॊधविशिास रगता ह उसका भानना ह कक महद इॊदयसना दिता स ऩानी हदरिा सकती ह तो सिमॊ अऩन सरए ऩानी कमो नहीॊ भाॉग रती ऩानी की कभी होन ऩय बी रोग घय भ एकतर ककम हए ऩानी को इॊदयसना ऩय ि कत ह रखक इस ऩानी की ननभयभ फयफादी भानता ह

परशन3- रि हए रखक को जीजी न ककस परकाय सभझामा

उततय- जीजी न रखक को पमाय स रडड-भठयी णखरात हए ननमन तकय हदए-

1- तमाग का भहततव- कछ ऩान क सरए कछ दना ऩड़ता ह 2- दान की भहतता- कवर-भननमो न दान को सफस ऊॉ चा सथान हदमा ह जो चीज अऩन

ऩास बी कभ हो औय अऩनी आिशमकता को बरकय िह चीज दसयो को दान कय दना ही तमाग ह |

3- इॊिदव को जर का अधमट चिाना- इॊदयसना ऩय ऩानी ि कना ऩानी की फयफादी नहीॊ फनदलक इॊदरदि को जर का अधमय चढ़ाना ह

4- ऩानी की फवाई कयना- नदजस परकाय ककसान िसर उगान क सरए जभीन ऩय फीज डारकय फिाई कयता ह िस ही ऩानी िार फादरो की िसर ऩान क सरए इनददय सना ऩय ऩानी डार कय ऩानी की फिाई की जाती ह

परशन4-नठदमो का बायतीम साभाजजक औय साॊसकनतक ऩरयवश भ कमा भहतव ह

उततय- गॊगा बायतीम सभाज भ सफस ऩजम सदानीया नदी ह नदजसका बायतीम इनतहास भ धासभयक ऩौयाणणक औय साॊसकनतक भहति ह | िह बायतीमो क सरए किर एक नदी नहीॊ अवऩत

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भाॉ ह सिगय की सीढ़ी ह भोदानमनी ह उसभ ऩानी नहीॊ अवऩत अभत तलम जर फहता ह बायतीम सॊसकनत भ नहदमो क ककनाय भानि सभमताएॉ परी-परी ह| फड़-फड़ नगय तीथयसथान नहदमो क ककनाय ही नदसथत ह ऐस ऩरयिश भबायतिासी सफस ऩहर गॊगा भमा की जम ही फोरग नहदमाॉ हभाय जीिन का आधाय ह हभाया दश कवर परधान ह नहदमो क जर स ही बायत बसभ हयी-बयी ह नहदमो क बफना जीिन की कलऩना नहीॊ कय सकत मही कायण ह कक हभ बायतीम नहदमो की ऩजा कयत ह |

परशन4-आजादी क ऩचास वषो क फाद बी रखक कमो दखी ह उसक भन भ कौन स परशन उि यह ह

उततय- आजादी क ऩचास िरो फाद बी बायतीमो की सोच भ सकायातभक फदराि न दखकय रखक दखी ह उसक भन भ कई परशन उठ यह ह-

1 कमा हभ सचच अथो भ सितनदतर ह 2 कमा हभ अऩन दश की सॊसकनत औय सभमता को सभझ ऩाए ह 3 यारषर ननभायण भ हभ ऩीछ कमो ह हभ दश क सरए कमा कय यह ह

4 हभ सिाथय औय भरषटाचाय भ सरपत यहत ह तमाग भ विशिास कमो नहीॊ कयत

5 सयकाय दिाया चराई जा यही सधायिादी मोजनाएॉ गयीफो तक कमो नहीॊ ऩहॉचती ह

गदमाॊश ऩय आधारयत अथटगरहण-सॊफॊधधत परशनोततय

सचभच ऐस हदन होत जफ गरी-भहलरा गाॉि-शहय हय जगह रोग गयभी भ बन-बन कय तराहहभाभ कय यह होत जठ क दसतऩा फीतकय आराढ का ऩहरा ऩखिाड़ा फीत चका होता ऩय कषनतज ऩय कहीॊ फादरो की यख बी नहीॊ दीखती होती कएॉ सखन रगत नरो भ एक तो फहत कभ ऩानी आता औय आता बी तो आधी यात को िो बी खौरता हआ ऩानी हो | शहयो की तरना भ गाॉि भ औय बी हारत खयाफ थी| जहाॉ जताई होनी चाहहए थी िहाॉ खतो की सभटटी सखकय ऩतथय हो जाती कपय उसभ ऩऩड़ी ऩड़कय जभीन पटन रगती र ऐसी कक चरत-चरत आदभी धगय ऩड़ | ढोय-डॊगय पमास क भाय भयन रगत रककन फारयश का कहीॊ नाभ ननशान नहीॊ ऐस भ ऩजा-ऩाठ कथा-विधान सफ कयक रोग जफ हाय जात तफ अॊनतभ उऩाम क रऩ भ ननकरती मह इनददय सना |

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परशन१- वषाट न होन ऩय रोगो की कमा जसथनत हो गमी थी उततय - िराय न होन ऩय गयभी क कायण रोग र रगन स फहोश होन रग | गाॉि-शहय सबी जगह ऩानी का अबाि हो गमा| कएॉ सख गए खतो की सभटटी सखकय ऩतथय क सभान कठोय होकय पट गमी| घयो भ नरो भ ऩानी फहत कभ आता था | ऩश पमास क भाय भयन रग थ | परशन२- वषाट क दवता कौन ह उनको परसनन कयन क लरए कमा उऩाम ककए जात थ उततय -िराय क दिता बगिान इनददर ह| उनको परसनदन कयन क सरए ऩजाndashऩाठ कथा-विधान कयाए जात थ | ताकक इनददर दि परसनदन होकय फादरो की सना बजकय झभाझभ फारयश कयाएॉ औय रोगो क करषट दय हो | परशन३- वषाट कयान क अॊनतभ उऩाम क रऩ भ कमा ककमा जाता था उततय ndashजफ ऩजा-ऩाठ कथा-विधान सफ कयक रोग हाय जात थ तफ अॊनतभ उऩाम क रऩ भ इनददय सना आती थी | नॊग-धडॊग कीचड़ भ रथऩथ lsquoकार भघा ऩानी द ऩानी द गड़धानी दrsquo की टय रगाकय पमास स सखत गरो औय सखत खतो क सरए भघो को ऩकायती हई टोरी फनाकय ननकर ऩड़ती थी| परशन४-आशम सऩषट कय ndash जठ क दसतऩा फीतकय आराढ़ का ऩहरा ऩखिाड़ा फीत चका होता ऩय कषनतज भ कहीॊ फादरो की यख बी नजय नहीॊ आती | आशम- जठ का भहीना ह बीरण गयभी ह| तऩत हए दस हदन फीत कय आराढ का भहीना बी आधा फीत गमा ऩय ऩानी क सरए तड़ऩत िराय की आशा भ आसभान की ओय ताकत रोगो को कहीॊ फादर नजय नहीॊ आ यह |

14 ऩहरवान की ढोरक

फ़णीशवयनाथ यण

ऩाि का सायाॊश ndashआॊचसरक कथाकाय िणीशियनाथ यण की कहानी ऩहरिान की ढोरक भ कहानी क भखम ऩातर रटटन क भाता-वऩता का दहाॊत उसक फचऩन भ ही हो गमा था | अनाथ रटटन को उसकी विधिा सास न ऩार-ऩोसकय फड़ा ककमा | उसकी सास को गाॉि िार सतात थ |

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रोगो स फदरा रन क सरए कशती क दाॉिऩच सीखकय कसयत कयक रटटन ऩहरिान फन गमा |

एक फाय रटटन शमाभनगय भरा दखन गमा जहाॉ ढोर की आिाज औय कशती क दाॉिऩच दखकय उसन जोश भ आकय नाभी ऩहरिान चाॉदससॊह को चनौती द दी | ढोर की आिाज स परयणा ऩाकय रटटन न दाॉि रगाकय चाॉद ससॊह को ऩटककय हया हदमा औय याज ऩहरिान फन गमा | उसकी खमानत दय-दय तक िर गमी| १५ िरो तक ऩहरिान अजम फना यहा| उसक दो ऩतर थ| रटटन न दोनो फटो को बी ऩहरिानी क गय ससखाए| याजा की भतम क फाद नए याजकभाय न गददी सॊबारी याजकभाय को घोड़ो की यस का शौक था भनजय न नम याजा को बड़कामा ऩहरिान औय उसक दोनो फटो क बोजनखचय को बमानक औय किजरखचय फतामा िरसिरऩ नए याजा न कशती को फॊद कयिा हदमा औय ऩहरिान रटटनससॊह को उसक दोनो फटो क साथ भहर स ननकार हदमा

याजदयफाय स ननकार हदए जान क फाद रटटन ससॊह अऩन दोनो फटो क साथ गाॉि भ झोऩड़ी फनाकय यहन रगा औय गाॉि क रड़को को कशती ससखान रगा| रटटन का सकर जमादा हदन नहीॊ चरा औय जीविकोऩाजयन क सरए उसक दोनो फटो को भजदयी कयनी ऩड़ी| इसी दौयान गाॉि भ अकार औय भहाभायी क कायण परनतहदन राश उठन रगी| ऩहरिान भहाभायी स डय हए रोगो को ढोरक फजाकय फीभायी स रड़न की सॊजीिनी ताकत दता था| एक हदन ऩहरिान क दोनो फट बी भहाभायी की चऩट भ आकय भय गए ऩय उस यात बी ऩहरिान ढोरक फजाकय रोगो को हहमभत फॊधा यहा था | इस घटना क चाय-ऩाॉच हदन फाद ऩहरिान की बी भौत हो जाती ह|

ऩहरिान की ढोरक वमिसथा क फदरन क साथ रोक कराकाय क अपरासॊधगक हो जान की कहानी ह इस कहानी भ रटटन नाभ क ऩहरिान की हहमभत औय नदजजीविरा का िणयन ककमा गमा ह बख औय भहाभायी अजम रटटन की ऩहरिानी को िट ढोर भ फदर दत ह इस करण तरासदी भ ऩहरिान रटटन कई सिार छोड़ जाता ह कक करा का कोई सितॊतर अनदसतति ह मा करा किर वमिसथा की भोहताज ह

परशन1- रटटन को ऩहरवान फनन की परयणा कस लभरी

उततय- रटटन जफ नौ सार का था तो उसक भाता-वऩता का दहाॊत हो गमा था | सौबागम स उसकी शादी हो चकी थी| अनाथ रटटन को उसकी विधिा सास न ऩार-ऩोसकय फड़ा ककमा | उसकी सास को गाॉि िार ऩयशान कयत थ| रोगो स फदरा रन क सरए उसन ऩहरिान फनन की ठानी| धायोरषण दध ऩीकय कसयत कय उसन अऩना फदन गठीरा औय ताकतिय फना सरमा | कशती क दाॉिऩच सीखकय रटटन ऩहरिान फन गमा |

परशन2- यात क बमानक सननाट भ रटटन की ढोरक कमा करयशभा कयती थी

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उततय- यात क बमानक सनदनाट भरटटन की ढोरक भहाभायी स जझत रोगो को हहमभत फॉधाती थी | ढोरक की आिाज स यात की विबीवरका औय सनदनाटा कभ होता था| भहाभायी स ऩीडड़त रोगो की नसो भ बफजरी सी दौड़ जाती थी उनकी आॉखो क साभन दॊगर का दशम साकाय हो जाता था औय ि अऩनी ऩीड़ा बर खशी-खशी भौत को गर रगा रत थ इस परकाय ढोर की आिाज फीभाय-भतपराम गाॉििारो की नसो भ सॊजीिनी शनदकत को बय फीभायी स रड़न की परयणा दती थी

परशन3- रटटन न सवाटधधक ठहमभत कफ ठदखाई

उततय- रटटन ससॊह न सिायधधक हहमभत तफ हदखाई जफ दोनो फटो की भतम ऩय िह योमा नहीॊ फनदलक हहमभत स काभ रकय अकर उनका अॊनतभ सॊसकाय ककमा| मही नहीॊ नदजस हदन ऩहरिान क दोनो फट भहाभायी की चऩट भ आकय भय गए ऩय उस यात को बी ऩहरिान ढोरक फजाकय रोगो को हहमभत फॉधा यहा था| शमाभनगय क दॊगर भ ऩया जनसभदाम चाॉद ससॊह क ऩ भ था चाॉद ससॊह को हयात सभम रटटन न हहमभत हदखाई औय बफना हताश हए दॊगर भ चाॉद ससॊह को धचत कय हदमा |

परशन4- रटटन लसॊह याज ऩहरवान कस फना

उततय- शमाभनगय क याजा कशती क शौकीन थ उनदहोन दॊगर का आमोजन ककमा ऩहरिान रटटन ससॊह बी दॊगर दखन ऩहॉचा चाॊदससॊह नाभक ऩहरिान जो शय क फचच क नाभ स परससदध था कोई बी ऩहरिान उसस सबड़न की हहमभत नहीॊ कयता था चाॉदससॊह अखाड़ भ अकरा गयज यहा था रटटन ससॊह न चाॉदससॊह को चनौती द दी औय चाॉदससॊह स सबड़ गमाढ़ोर की आिाज सनकय रटटन की नस-नस भ जोश बय गमाउसन चाॉदससॊह को चायो खान धचत कय हदमा याजासाहफ न रटटन की िीयता स परबावित होकय उस याजऩहरिान फना हदमा

परशन5- ऩहरवान की अॊनतभ इचछा कमा थी

उततय- ऩहरिान की अॊनतभ इचछा थी कक उस धचता ऩय ऩट क फर सरटामा जाए कमोकक िह नदजॊदगी भ कबी धचत नहीॊ हआ था| उसकी दसयी इचछा थी कक उसकी धचता को आग दत सभम ढोर अिशम फजामा जाए |

परशन6- ढोर की आवाज औय रटटन क भ दाॉिऩच सॊफॊध फताइए-

उततय- ढोर की आिाज औय रटटन क दाॉिऩच भ सॊफॊध -

चट धा धगड़ धाrarr आजा सबड़ जा | चटाक चट धाrarr उठाकय ऩटक द | चट धगड़ धाrarrभत डयना |

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धाक धधना नतयकट नतनाrarr दाॉि काटो फाहय हो जाओ | धधना धधना धधक धधनाrarr धचत कयो

गदमाॊश-आधारयत अथटगरहण-सॊफॊधधत परशनोततय

अॉधयी यात चऩचाऩ आॉस फहा यही थी | ननसतबधता करण सससककमो औय आहो को अऩन रदम भ ही फर ऩियक दफान की चरषटा कय यही थी | आकाश भ ताय चभक यह थ | ऩथिी ऩय कहीॊ परकाश का नाभ नहीॊ| आकाश स टट कय महद कोई बािक ताया ऩथिी ऩय आना बी चाहता तो उसकी जमोनत औय शनदकत यासत भ ही शर हो जाती थी | अनदम ताय उसकी बािकता अथिा असपरता ऩय णखरणखराकय हॉस ऩड़त थ | ससमायो का करॊ दन औय ऩचक की डयािनी आिाज यात की ननसतबधता को बॊग कयती थी | गाॉि की झोऩडडमो स कयाहन औय क कयन की आिाज हय याभ ह बगिान की टय सनाई ऩड़ती थी| फचच बी ननफयर कॊ ठो स भाॉ ndashभाॉ ऩकायकय यो ऩड़त थ |

(क) अॉधयी यात को आॉस फहात हए कमो ठदखामा गमा ह उततयndash गाॉि भ हजा औय भररयमा परा हआ था | भहाभायी की चऩट भ आकाय रोग भय यह थ |चायो ओय भौत का सनाटा छामा था इससरए अॉधयी यात बी चऩचाऩ आॉस फहाती सी परतीत हो यही थी|

(ख) ताय क भाधमभ स रखक कमा कहना चाहता ह उततयndash ताय क भाधमभ स रखक कहना चाहता ह कक अकार औय भहाभायी स तरसत गाॉि िारो की ऩीड़ा को दय कयन िारा कोई नहीॊ था | परकनत बी गाॉि िारो क द ख स दखी थी| आकाश स टट कय महद कोई बािक ताया ऩथिी ऩय आना बी चाहता तो उसकी जमोनत औय शनदकत यासत भ ही शर हो जाती थी |

(ग) यात की ननसतबधता को कौन बॊग कयता था उततयndash ससमायो की चीख-ऩकाय ऩचक की डयािनी आिाज औय कततो का साभहहक रदन सभरकय यात क सनदनाट को बॊग कयत थ |

(घ) झोऩड़ड़मो स कसी आवाज आ यही ह औय कमो उततयndash झोऩडड़मो स योधगमो क कयाहन क कयन औय योन की आिाज आ यही ह कमोकक गाॉि क रोग भररयमा औय हज स ऩीडड़त थ | अकार क कायण अनदन की कभी हो गमी थी| औरधध औय ऩथम न सभरन क कायण रोगो की हारत इतनी फयी थी कक कोई बगिान को ऩकाय रगाता था तो कोई दफयर कॊ ठ स भाॉndashभाॉ ऩकायता था |

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15 चारी चजतरन मानी हभ सफ

रखक-पवषण खय

ऩाि का सायाॊश ndashचारक चनदपरन न हासम कराकाय क रऩ भ ऩयी दननमा क फहत फड़ दशयक िगय को हॉसामा ह | उनकी कपलभो न कपलभ करा को रोकताॊबतरक फनान क साथ-साथ दशको की िगय औय िणय-वमिसथा को बी तोड़ा | चारक न करा भ फवदध की अऩा बािना को भहतति हदमा ह | फचऩन क सॊघरो न चारक क बािी कपलभो की बसभ तमाय कय दी थी| बायतीम करा औय सौदमयशासतर भ करणा का हासम भ ऩरयितयन बायतीम ऩयमऩया भ नहीॊ सभरता रककन चारक एक ऐसा जादई वमनदकतति ह जो हय दश सॊसकनत औय सभमता को अऩना सा रगता ह| बायतीम जनता न बी उनदह सहज बाि स सिीकाय ककमा ह| सिमॊ ऩय हॉसना चारक न ही ससखामा| बायतीम ससनभा जगत क सपरससदध कराकाय याजकऩय को चारक का बायतीमकयण कहा गमा ह | चारक की अधधकाॊश किलभ भक ह इससरए उनदह अधधक भानिीम होना ऩड़ा | ऩाठ भ हासम कपलभो क भहान असबनता lsquoचारक चनदपरनrsquo की जादई विशरताओॊ का उलरख ककमा गमा ह नदजसभ उसन करणा औय हासम भ साभॊजसम सथावऩत कय किलभो को साियबौसभक रऩ परदान ककमा

परशन१ -चारी क जीवन ऩय परबाव िारन वारी भखम घटनाएॉ कौन सी थी

उततय- चारक क जीिन भ दो ऐसी घटनाएॉ घटीॊ नदजनदहोन उनक बािी जीिन ऩय फहत परबाि डारा |

ऩहरी घटना - जफ चारक फीभाय थ उनकी भाॉ उनदह ईसा भसीह की जीिनी ऩढ़कय सना यही थी | ईसा क सरी ऩय चढ़न क परसॊग तक आत-आत भाॉ-फटा दोनो ही योन रग| इस घटना न चारक को सनह करणा औय भानिता जस उचच जीिन भलम हदए |

दसयी घटना हndash फारक चारक कसाईखान क ऩास यहता था| िहाॉ सकड़ो जानियो को योज भाया जाता था| एक हदन एक बड़ िहाॉ स बाग ननकरी| बड़ को ऩकड़न की कोसशश भ कसाई कई फाय कपसरा| नदजस दखकय रोग हॊसन रग ठहाक रगान रग| जफ बड़ को कसाई न ऩकड़ सरमा तो फारक चारक योन रगा| इस घटना न उसक बािी कपलभो भ तरासदी औय हासमोतऩादक ततिो की बसभका तम कय दी |

परशन२ ndash आशम सऩषट कीजजएndash

चजतरन न लसपट कपलभकरा को ही रोकताॊबतरक नही फनामा फजलक दशटको की वगट तथा वणट-वमवसथा को बी तोड़ा|

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उततय- रोकताॊबतरक फनान का अथय ह कक कपलभ करा को सबी क सरए रोकवपरम फनाना औय िगय औय िणय-वमिसथा को तोड़न का आशम ह- सभाज भ परचसरत अभीय-गयीफ िणय जानतधभय क बदबाि को सभापत कयना |चनदपरन का चभतकाय मह ह कक उनदहोन कपलभकरा को बफना ककसी बदबाि क सबी रोगो तक ऩहॉचामा| उनकी कपलभो न सभम बगोर औय सॊसकनतमो की सीभाओॊ को राॉघ कय साियबौसभक रोकवपरमता हाससर की | चारक न मह ससदध कय हदमा कक करा सितनदतर होती ह अऩन ससदधाॊत सिमॊ फनाती ह |

परशन३ndash चारी चजतरन की कपलभो भ ननठहत तरासदीकरणाहासम का साभॊजसम बायतीम करा औय सौदमटशासतर की ऩरयधध भ कमो नहीॊ आता

उततय- चारक चनदपरन की कपलभो भ ननहहत तरासदीकरणाहासम का साभॊजसम बायतीम करा औय सौदमयशासतर की ऩरयधध भ नहीॊ आताकमोकक बायतीम यस-ससदधाॊत भ करणा औय हासम का भर नहीॊ हदखामा जाता कमोकक बायतीम सौदमयशासतर भ करणयस औय हासम यस को ऩयसऩय वियोधी भाना गमा ह अथायत जहाॊ करणा ह िहाॉ हासम नहीॊ हो सकता बायत भ सिमॊ ऩय हॉसन की ऩयॊऩया नहीॊ ह ऩयॊत चारक क ऩातर अऩन ऩय हॉसतndashहॉसात ह चारक की किलभो क दशम हॉसात-हॉसात ररा दत ह तो कबी करण दशम क फाद अचानक ही हॉसन ऩय भजफय कय दत ह

परशन४ndash चारी क कपलभो की पवशषताएॉ फताइए |

उततय- चारक की किलभो भ हासम औय करणा का अदभत साभॊजसम ह उनकी किलभो भ बारा का परमोग फहत कभ ह चारक की किलभो भ फवदध की अऩा बािना का भहतति अधधक ह उनकी किलभो भ साियबौसभकता ह चारक ककसी बी सॊसकनत को विदशी नही रगत चारक सफको अऩन रगत ह चारक न किलभो को रोकताॊबतरक फनामा औय किलभो भ िगय तथािणय-वमिसथा को तोड़ा अऩनी कपलभो भ चारक सदि धचय मिा हदखता ह

गदमाॊश-आधारयत अथटगरहण-सॊफॊधी परशनोततय

गदमाॊश सॊकत ndashचारक चनदपरन मानी हभ सफ (ऩरषठ १२० )

महद मह िरय चनदपरन की कापी कछ कहा जाएगा |

परशन (क)-पवकासशीर दशो भ चजतरन कमो भशहय हो यह ह

उततय - विकासशीर दशो भ जस-जस टरीविजन औय िीडडमो का परसाय हो यहा ह रोगो को उनकी कपलभो को दखन का अिसय सभर यहा ह |एक फहत फड़ा िगय नए ससय स चारक को घड़ी सधायत औय जत खान की कोसशश कयत दख यहा ह इसीसरए चारक विकासशीर दशो भ रोकवपरम हो यह ह |

(ख)- ऩजशचभ भ चारी का ऩनजीवन कस होता यहता ह

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उततय - ऩनदशचभ भ चारक की कपलभो का परदशयन होता यहता ह| उनकी करा स परयणा ऩाकय हासम किलभ फनती यहती ह | उनक दिाया ननबाए ककयदायो की नकर अनदम कराकाय कयत ह | ऩनदशचभ भ चारक का ऩनजीिन होता यहता ह|

(ग)- चारी को रोग फिाऩ तक कमो माद यखग

उततय ndashहासम कराकाय क रऩ भ रोग चारक को फढ़ाऩ तक माद यखग कमोकक उनकी करा सभम बगोर औय सॊसकनतमो की सीभाओॊ को राॉघकय राखो रोगो को हॉसा यही ह|

(घ)- चारी की कपलभो क फाय भ कापी कछ कहा जाना कमो फाी ह

उततय ndashचनदपरन की ऐसी कछ किलभ मा इसतभार न की गमी यीर सभरी ह नदजनक फाय भ कोई नहीॊ जानता था | चारक की बािनापरधान हासम कपलभो न करा क नए परनतभान सथावऩत ककए ह अत चारक की कपलभो क फाय भ अबी कापी कछ कहा जाना फाी ह|

16 नभक

रखखका - यजजमा सजजाद जहीय

सायाॊश -lsquoनभकrsquoबायत-ऩाक विबाजन ऩय सरणखत भासभयक कहानी ह | विसथावऩत हए रोगो भ अऩनndashअऩन जनदभ सथानो क परनत आज बी रगाि ह| धासभयक आधाय ऩय फनी यारषर-याजमो की सीभा-यखाएॉ उनक अॊतभयन को अरग नहीॊ कय ऩाई ह | बायत भ यहन िारी ससख फीिी राहौय को अऩना ितन भानती ह औय बायतीम कसटभ अधधकायी ढाका क नारयमर ऩानी को मादकय उस सियशररषठ फताता ह दोनो दशो क नागरयको क फीच भहबफत का नभकीन सिाद आज बी कामभ ह इसीसरए सकिमा बायत भ यहन िारी अऩनी भॉहफोरी भाॉ ससख फीिी क सरए राहौयी नभक रान क सरए कसटभ औय कानन की ऩयिाह नहीॊ कयती

परशन1- lsquoनभकrsquo ऩाि क आधाय ऩय फताइए कक सकपमा औय उसक बाई क पवचायो भ कमा अॊतय था

उततय- १-सकपमा बािनाओॊ को फहतभहतति दती ह ऩय उसका बाई फौवदधक परिनदतत का ह उसकी दनदरषट भ कानन बािनाओॊ स ऊऩय ह|

२-सकपमा भानिीम सॊफॊधो को फहत भहतति दती ह जफकक उसका बाई अरगाििादी विचायधाया का ह हहसस-फखय की फात कयता ह |

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३-सकपमा का बाई कहता ह कक अदीफो(साहहतमकाय) का हदभाग घभा हआ होता ह जफकक सकपमा जो सिमॊ अदीफ ह उसका भानना ह कक अगय सबी रोगो का हदभाग अदीफो की तयह घभा हआ होता तो दननमा कछ फहतय हो जाती |

परशन२- नभक र जात सभम सकफ़मा क भन भ कमा दपवधा थी

उततय-सकपमा समद भसरभान थी जो हय हार भ अऩना िामदा ननबात ह| ऩाककसतान स राहौयी नभक र जाकय िह अऩना िामदा ऩया कयना चाहती थी ऩयनदत जफ उस ऩता चरा कक कसटभ क ननमभो क अनसाय सीभाऩाय नभक र जाना िनदजयत ह तो िह दविधा भ ऩड़ गई | सकिमा का दिॊदि मह था कक िह अऩनी ससख भाॉ क सरए नभक कसटभ अधधकारयमो को फताकयर जाए मा नछऩाकय|

परशन३- ऩाि क आधाय ऩय सकपमा की चारयबतरक पवशषताएॉ फताइए |

उततय सॊकत ndash

१- बािक २- ईभानदाय ३- दढ़ननशचमी ४- ननडय ५- िामद को ननबान िारी ६- भानिीम भलमो को सिोऩरय भानन िारी साहहतमकाय

परशन ४- lsquoनभकrsquo ऩाि भ आए ककयदायो क भाधमभ स सऩषट कीजजए कक आज बी बायत औय ऩाककसतान की जनता क फीच भहबफत का नभकीन सवाद घरा हआ ह |

उततय ndash बर ही याजनीनतक औय धासभयक आधाय ऩय बायत औय ऩाककसतान को बौगोसरक रऩ स विबानदजत कय हदमा गमा ह रककन दोनो दशो क रोगो क रदम भ आज बी ऩायसऩरयक बाईचाया सौहादरय सनह औय सहानबनत विदमभान ह | याजनीनतक तौय ऩय बर ही सॊफॊध तनािऩणय हो ऩय साभानदजक तौय ऩय आज बी जनता क फीच भहबफत का नभकीन सिाद घरा हआ ह | अभतसय भ यहन िारी ससख फीफी राहौय को अऩना ितन कहती ह औय राहौयी नभक का सिाद नहीॊ बरा ऩाती | ऩाककसतान का कसटभ अधधकायी नभक की ऩडड़मा सकपमा को िाऩस दत हए कहता ह rdquoजाभा भनदसजद की सीहढ़मो को भया सराभ कहना |rdquo बायतीम सीभा ऩय तनात कसटभ अधधकायी ढाका की जभीन को औय िहाॉ क ऩानी क सिाद को नहीॊ बर ऩाता |

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गदमाॊश-आधारयत अथटगरहण सॊफॊधधत परशनोततय

गदमाॊश सॊकत- ऩाठndash नभक (ऩरषठ १३४)

सकपमा कसटभ क जॊगर स दोनो क हाथो भ थी |

(क) सकपमा कसटभ क जॉगर स ननकरकय दसय तरटपाभट ऩय आ गमी व वहीॊ खड़ यहndash इस वाकम भ lsquoवrsquo शबद का परमोग ककसक लरए ककमा गमा ह

उततय- महाॉ lsquoिrsquo शबद का परमोग ऩाककसतानी कसटभ अधधकायी क सरए ककमा गमा ह जो विबाजन स ऩिय हदलरी भ यहत थ औय आज बी हदलरी को ही अऩना ितन भानत ह |

(ख) तरटपाभट ऩय सकपमा को पवदा कयन कौन-कौन आए थ उनहोन सकपमा को कस पवदाई दी

उततय- परटपाभय ऩय सकपमा को विदा कयन उसक फहत साय सभतर सग सॊफॊधी औय बाई आए थ| उनदहोन ठॊडी साॉस बयत हए सबॊच हए होठो क साथ आॉस फहात हए सकपमा को विदाई दी |

(ग) अटायी भ यरगाड़ी भ कमा ऩरयवतटन हए उततय- अटायी भ यरगाड़ी स ऩाककसतानी ऩसरस उतयी औय हहनददसतानी ऩसरस सिाय हो गई|

(घ) कौन सी फात सकपमा की सभझ भ नहीॊ आ यही थी उततय- दोनो ओय एक सी जभीन एक जसा आसभान एक सी बारा एक सा ऩहनािा औय एक सी सयत क रोग कपय बी दोनो क हाथो भ बयी हई फॊदक ह |

17 लशयीष क पर

आचामट हजायी परसाद दपववदी

सायाॊश ndashlsquoआचामय हजायी परसाद दवििदीrsquo सशयीर को अदभत अिधत भानत ह कमोकक सॊनदमासी की बाॉनत िह सख-दख की धचॊता नहीॊ कयता गभी र िराय औय आॉधी भ बी अविचर खड़ा यहता ह सशयीर क िर क भाधमभ स भनरषम की अजम नदजजीविरा धमयशीरता औय कतयवमननरषठ फन यहन क भानिीम भलमो को सथावऩत ककमा गमा हरखक न सशयीर क कोभर परो औय कठोय परो क दिाया सऩरषट ककमा ह कक रदम की कोभरता फचान क सरए कबी-कबी वमिहाय की कठोयता बी आिशमक हो जाती ह| भहान कवि कासरदास औय कफीय बी सशयीर की तयह फऩयिाह अनासकत औय सयस थ तबी उनदहोन इतनी सनददय यचनाएॉ सॊसाय को दीॊ| गाॉधीजी क वमनदकतति भ बी कोभरता औय कठोयता का अदभत सॊगभ था | रखक सोचता ह कक हभाय दश भ जो भाय-काट अनदगनदाह रट-ऩाट खन-खचचय का फिॊडय ह कमा िह दश को नदसथय नहीॊ यहन दगा गराभी अशाॊनत औय वियोधी िाताियण क फीच अऩन ससदधाॊतो की या कयत हए गाॉधीजी जी नदसथय यह सक थ तो दश बी यह सकता ह जीन की परफर असबरारा क कायण

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विरभ ऩरयनदसथतमो भ बी महद सशयीर णखर सकता ह तो हभाया दश बी विरभ ऩरयनदसथनतमो भ नदसथय यह कय विकास कय सकता ह

परशन1-लसदध कीजजए कक लशयीष कारजमी अवधत की बाॉनत जीवन की अजमता क भॊतर का परचाय कयता ह

उततय- सशयीर कारजमी अिधत की बाॉनत जीिन की अजमता क भॊतर का परचाय कयता ह| जफ ऩथिी अनदगन क सभान तऩ यही होती ह िह तफ बी कोभर परो स रदा रहरहाता यहता ह|फाहयी गयभी धऩ िराय आॉधी र उस परबावित नहीॊ कयती इतना ही नहीॊ िह रॊफ सभम तक णखरा यहता ह | सशयीर विऩयीत ऩरयनदसथनतमो भ बी धमयशीर यहन तथा अऩनी अजम नदजजीविरा क साथ ननसऩह बाि स परचॊड गयभी भ बी अविचर खड़ा यहता ह

परशन२-आयगवध (अभरतास) की तरना लशयीष स कमो नहीॊ की जा सकती

उततय- सशयीर क पर बमॊकय गयभी भ णखरत ह औय आराढ़ तक णखरत यहत ह जफकक अभरतास का पर किर ऩनददरह-फीस हदनो क सरए णखरता ह | उसक फाद अभरतास क पर झड़ जात ह औय ऩड़ कपय स ठॉठ का ठॉठ हो जाता ह | अभरतास अलऩजीिी ह | विऩयीत ऩरयनदसथनतमो को झरता हआ ऊरषण िाताियण को हॉसकय झरता हआ सशयीर दीघयजीिी यहता ह | मही कायण ह कक सशयीर की तरना अभरतास स नहीॊ की जा सकती |

परशन३-लशयीष क परो को याजनताओॊ का रऩक कमो ठदमा गमा ह

उततय- सशयीर क पर उन फढ़ ढीठ औय ऩयान याजनताओॊ क परतीक ह जो अऩनी कसी नहीॊ छोड़ना चाहत | अऩनी अधधकाय-सरपसा क सरए नए मिा नताओॊ को आग नहीॊ आन दत | सशयीर क नए परो को जफयदसती ऩयान परो को धककमाना ऩड़ता ह | याजनीनत भ बी नई मिा ऩीढ़ी ऩयानी ऩीढ़ी को हयाकय सिमॊ सतता सॉबार रती ह |

परशन४- कार दवता की भाय स फचन का कमा उऩाम फतामा गमा ह

उततय- कार दिता कक भाय स फचन का अथय हndash भतम स फचना | इसका एकभातर उऩाम मह ह कक भनरषम नदसथय न हो| गनतशीर ऩरयितयनशीर यह | रखक क अनसाय नदजनकी चतना सदा ऊधियभखी (आधमातभ की ओय) यहती ह ि हटक जात ह |

परशन५- गाॉधीजी औय लशयीष की सभानता परकट कीजजए |

उततय- नदजस परकाय सशयीर धचरधचराती धऩ र िराय औय आॉधी भ बी अविचर खड़ा यहता ह अनासकत यहकय अऩन िाताियण स यस खीॊचकय सयस कोभर फना यहता ह उसी परकाय गाॉधी जी न बी अऩनी आॉखो क साभन आजादी क सॊगराभ भ अनदमाम बदबाि औय हहॊसा को झरा |

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उनक कोभर भन भ एक ओय ननयीह जनता क परनत असीभ करणा जागी िहीॊ ि अनदमामी शासन क वियोध भ डटकय खड़ हो गए |

गदमाॊश-आधारयत अथटगरहण सॊफॊधधत परशनोततय

गदमाॊश सॊकत- ऩाठ ndash सशयीर क पर (ऩरषठ १४७)

कासरदास सौदमय क िह इशाया ह |

(क) कालरदास की सौदमटndashदजषट की कमा पवशषता थी उततय-कासरदास की सौदमयndashदनदरषट फहत सकषभ अॊतबदी औय सॊऩणय थी| ि किर फाहयी रऩ-यॊग औय आकाय को ही नहीॊ दखत थ फनदलक अॊतभयन की सॊदयता क बी ऩायखी थ| कासरदास की सौदमय शायीरयक औय भानससक दोनो विशरताओॊ स मकत था |

(ख) अनासजकत का कमा आशम ह उततय- अनासनदकत का आशम ह- वमनदकतगत सख-द ख औय याग-दिर स ऩय यहकय सौदमय क िासतविक भभय को जानना |

(ग) कालरदास ऩॊत औय यवीॊिनाथ टगोय भ कौन सा गण सभान था भहाकवि कासरदास ससभतरानॊदन ऩॊत औय गरदि यिीॊदरनाथ टगोय तीनो नदसथयपरऻ औय अनासकत कवि थ | ि सशयीर क सभान सयस औय भसत अिधत थ |

(घ) यवीॊिनाथ याजोदमान क लसॊहदवाय क फाय भ कमा सॊदश दत ह याजोदमान क फाय भ यिीॊदरनाथ कहत ह याजोदमान का ससॊहदिाय ककतना ही सॊदय औय गगनचमफी कमो ना हो िह अॊनतभ ऩड़ाि नहीॊ ह| उसका सौदमय ककसी औय उचचतभ सौदमय की ओय ककमा गमा सॊकत भातर ह कक असरी सौदमय इस ऩाय कयन क फाद ह अत याजोदमान का ससॊहदिाय हभ आग फढ़न की परयणा दता ह |

18शरभ-पवबाजन औय जानत-परथा

िॉ० बीभयाव अॊफिकय

सायाॊश ndash इस ऩाठ भ रखक न जानतिाद क आधाय ऩय ककए जान िार बदबाि को सभम सभाज क सरए हाननकायक फतामा ह | जानत आधारयत शरभ विबाजन को असिाबाविक औय भानिता वियोधी फतामा गमा ह मह साभानदजक बदबाि को फढ़ाता ह जानतपरथा आधारयत शरभ विबाजन भ वमनदकत की रधच को भहतति नहीॊ हदमा जाता परसिरऩ वििशता क साथ अऩनाए

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Page 21: ISSUED BY KENDRIYA VIDYALAYA - DOWNLOADED FROM … Class XII Hindi Part B.pdfप्रश्न४ :-फादर क / फयन का गयीफ एि धनी िगय क्मा

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ldquoहभ हो मा ककसभत हो हभायी दोनो को इक ही काभ सभरा

ककसभत हभ को यो रि ह हभ ककसभत को यो र ह|rdquo

परशन१०- शामय न दननमा क ककस दसतय का िणयन ककमा ह

उततय -शामय न दननमा क इस दसतय का िणयन ककमा ह कक रोग दसयो को फदनाभ कयत ह ऩयॊत ि नहीॊ जानत कक इस तयह ि अऩनी दरषट परकनत को ही उदघाहटत कयत ह

परशन११- परभ की कितयत कवि न ककन शबदो भ असबवमकत की ह

सिमॊ को खो कय ही परभ की परानदपत की जा सकती ह ईशिय की परानदपत सियसि रटा दन ऩय होती ह परभ क सॊसाय का बी मही ननमभ ह

परशन१२- कियाक गोयखऩयी ककस बारा क कवि ह

उततय - उदय बारा

10 छोटा भया खत

उभाशॊकय जोशी

(गजयाती कपव)

उभाशॊकय जोशी फीसिीॊ सदी क गजयाती क भधयनदम कवि सॊसकत िाङभम क विदिान हउनदहोन गजयाती कविता को परकनत स जोड़ाआभ आदभी क जीिन की झरक उनकी यचनाओॊ भ सभरती ह

छोटा भया खत

साय

खती क रऩक दिाया कावम यचनाndash परककरमा को सऩषट ककमा गमा हकावम कनत की यचना फीजndash वऩन स रकय ऩौध क ऩजषऩत होन क पवलबनन चयणो स गजयती हअॊतय किर इतना ह कक कपव कभट की पसर कारजमी शाशित होती हउसका यस-यण अम होता हकागज का ऩनदना नदजस ऩय यचना शबदफदध होती ह कवि को एक चौकोय खत की तयह रगता ह इस खत

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भ ककसी अॉधड़ (आशम बािनातभक आॉधी स होगा) क परबाि स ककसी ण एक फीज फोमा जाता ह मह फीज-यचना विचाय औय असबवमनदकत का हो सकता ह मह भर रऩ कलऩना का सहाया रकय विकससत होता ह औय परककरमा भ सिमॊ विगसरत हो जाता ह उसस शबदो क अॊकय ननकरत ह औय अॊतत कनत एक ऩणय सिरऩ गरहण कयती ह जो कवर-कभय क सरहाज स ऩलरवित -ऩनदरषऩत होन की नदसथनत ह साहहनदतमक कनत स जो अरौककक यस-धाया पटती ह िह ण भ होन िारी योऩाई का ही ऩरयणाभ ह ऩय मह यस-धाया अनॊत कार तक चरन िारी कटाई ह |

फगरो क ऩॊख

साय

फगरो क ऩॊख कविता एक चार बफॊफ की कविता ह सौदमय का अऩकषत परबाि उतऩनदन कयन क सरए कविमो न कई मनदकतमाॉ अऩनाई ह नदजसभ स सफस परचसरत मनदकत ह-सौदमय क वमौयो क धचतरातभक िणयन क साथ अऩन भन ऩय ऩड़न िार उसक परबाि का िणयन औय आतभगत क सॊमोग की मह मनदकत ऩाठक को उस भर सौदमय क कापी ननकट र जाती ह जोशी जी की इस कविता भ ऐसा ही ह कवि कार फादरो स बय आकाश भ ऩॊनदकत फनाकय उड़त सपद फगरो को दखता ह ि कजयाय फादरो भ अटका-सा यह जाता ह िह इस भामा स अऩन को फचान की गहाय रगाता ह कमा मह सौदमय स फाॉधन औय विॊधन की चयभ नदसथनत को वमकत कयन का एक तयीका ह

परकनत का सितॊतर (आरॊफन गत ) धचतरण आधननक कविता की विशरता हधचतरातभक िणयन दिाया कवि न एक ओय कार फादरो ऩय उड़ती फगरो की शित ऩॊनदकत का धचतर अॊककत ककमा ह तो दसयी ओय इस अपरनतभ दशम क रदम ऩय ऩड़न िार परबाि को धचबतरत ककमा हभॊतर भगध कवि इस दशम क परबाि स आतभ विसभनत की नदसथनत तक ऩहॉच जाता हविरम एिॊ विरमीगत सौनददमय क दोनो रऩ कविता भ उदघाहटत हए ह

अथट-गरहण-सॊफॊधी परशन

ldquoछोटा भया खत चौकोना

कागज़ का एक ऩनदना कोई अॊधड़ कहीॊ स आमा

ण का फीज िहाॉ फोमा गमा|

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कलऩना क यसामनो को ऩी

फीज गर गमा ननशर शबद क अॊकय पट

ऩलरि ndashऩरषऩो स नसभत हआ विशर |rdquo

परशन १lsquoछोटा भया खतrsquo ककसका परतीक ह औय कमो

उततय - परशन२ lsquoछोटा भया खतrsquo काग़ज क उस ऩनदन का परतीक ह नदजस ऩय कवि अऩनी कविता सरखता ह

परशन २ कवि खत भ कौनndashसा फीज फोता ह

उततय - कवि खत भ अऩनी कलऩना का फीज फोता ह

परशन ३ कवि की कलऩना स कौन स ऩलरि अॊकरयत होत ह

उततय - कवि की कलऩना स शबद क ऩलरि अॊकरयत होत ह

परशन ४ उऩमयकत ऩद का बाि-सौदमय सऩरषट कीनदजए |

उततय - खती क रऩक दिाया कावम-यचनाndashपरककरमा को सऩषट ककमा गमा हकावम कनत की यचना फीजndash वऩन स रकय ऩौध क ऩजषऩत होन क पवलबनन चयणो स गजयती हअॊतय किर इतना ह कक कपव कभट की पसर कारजमी शाशित होती हउसका यस-यण अम होता ह

सौदमट-फोध-सॊफॊधी परशन

ldquoझभन रग पर

यस अरौककक

अभत धायाएॉ पटतीॊ

योऩाई ण की

कटाई अनॊतता की

रटत यहन स जया बी कभ नहीॊ होती |

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यस का अम ऩातर सदा का

छोटा भया खत चौकोना |rdquo

परशन इस कविता की बारा सॊफॊधी विशरताओॊ ऩय परकाश डासरए ndash

उततय - १ परतीकातभकता

२ राणणकता -

२रऩक अरॊकायndash यस का अम ऩातर सदा का

छोटा भया खत चौकोना

परशन २ यस अरौककक अभत धायाएॉ योऩाई ndash कटाई-परतीको क अथय सऩरषट कीनदजए |

उततय - यस अरौककक ndash कावम यस ननरषऩनदतत

अभत धायाएॉ- कावमानॊद

योऩाई ndash अनबनत को शबदफदध कयना

कटाई ndashयसासिादन

पवषम-वसत ऩय आधारयत परशनोततय

कपवता ndash

छोटा भया खत

परशन १ उभाशॊकय जोशी न ककस बारा भ कविताएॉ सरखी ह

उततय - गजयाती बारा

परशन२ कवरndashकभय एिॊ कविndashकभय भ कमा कमा सभानताएॉ ह

उततय - कवरndashकभय एिॊ कविndashकभय भ ननमनसरणखत सभानताएॉ ह-

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कावम कनत की यचना फीजndash वऩन स रकय ऩौध क ऩजषऩत होन क पवलबनन चयणो स गजयती ह

कपषndashकभट एवॊ कपवndashकभट भ सभानताएॉ -

कागज का ऩनदना नदजस ऩय यचना शबदफदध होती ह कवि को एक चौकोय खतरगता ह इस खत भ ककसी अॉधड़ (आशम बािनातभक आॉधी स होगा) क परबाि स ककसी ण

एक फीज फोमा जाता ह मह फीज-यचना विचाय औय असबवमनदकत का हो सकता ह मह भर रऩ कलऩना का सहाया रकय विकससत होता ह औय परककरमा भ सिमॊ विगसरत

हो जाता ह इसीपरकाय फीज बी खाद ऩानी समय की योशनी हिा आहद रकय विकससत होता ह |

कावम ndashयचना स शबदो क अॊकय ननकरत ह औय अॊतत कनत एक ऩणय सिरऩ गरहण कयती ह जो कवर-कभय क सरहाज स ऩलरवित ndashऩनदरषऩत औय पसरत होन की नदसथनत ह अथट-गरहण-सॊफॊधी परशन

कपवताndash फगरो क ऩॊख

नब भ ऩाॉती- फॉध फगरो क ऩॊख

चयाए सरए जातीॊ ि भयी आॉख |

कजयाय फादरो की छाई नब छामा

हौरndashहौर जाती भझ फाॉध ननज भामा स |

उस कोई तननक योक यकखो |

िह तो चयाए सरए जाती भयी आॉख

नब भ ऩाॉती- फॉधी फगरो की ऩाॉख |

तयती साॉझ की सतज शित कामा|

परशन१- इस कविता भ कवि न ककसका धचतरण ककमा ह

उततय - कवि न कार फादरो ऩय उड़ती फगरो की शित ऩॊनदकत का धचतरण ककमा ह|

परशन२- आॉख चयान का कमा अथय ह

उततय - आॉख चयान का आशम ह ndashधमान ऩयी तयह खीॊच रना एकटक दखना भॊतरभगध कय दना

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परशन३-

ldquoकजयाय फादरो की छाई नब छामा

हौर ndashहौर जाती भझ फाॉध ननज भामा स |rdquo- आशम सऩरषट कीनदजए |

उततय- कार फादरो क फीच साॉझ का सयभई िाताियण फहत सॊदय हदखता ह | ऐसा अपरनतभ सौदमय अऩन आकरयण भ कवि को फाॉध रता ह |

परशन ४ ldquoउस कोई तननक योक यकखो |rsquo- स कवि का कमा असबपराम ह

उततय - फगरो की ऩॊनदकत आकाश भ दय तक उड़ती जा यही ह कवि की भॊतरभगध आॉख उनका ऩीछा कय यही ह | कवि उन फगरो को योक कय यखन की गहाय रगा यहा ह कक कहीॊ ि उसकी आॉख ही अऩन साथ न र जाएॉ |

सौदमट-फोध-सॊफॊधी परशन

परशन १ कविता की बारा सॊफॊधी दो विशरताएॉ सरणखए|

उततय -१ धचतरातभक बारा

२ फोरचार क शबदो का परमोग - हौर ndashहौर ऩाॉती कजयायसाॉझ

परशन २ कविता भ परमकत अरॊकाय चन कय सरणखए |

उततय - अनपरास अरॊकाय - फॉध फगरो क ऩॊख

भानिीकयण अरॊकाय - चयाए सरए जातीॊ ि भयी आॉख |

परशन ३ -lsquo ननज भामाrsquo क राणणक अथय को सऩरषट कीनदजए |

उततय - परकनत का अपरनतभ सौदमय िह भामा ह जो कवि को आतभविबोय कय दती हमह ऩॊनदकत बी परशॊसातभक उनदकत ह

पवषम-वसत ऩय आधारयत परशनोततय

परशन१- lsquoचयाए सरए जाती ि भयी ऑ ॊखrsquo स कवि का कमा तातऩमय ह

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उततय -धचतरातभक िणयन दिाया कवि न एक ओय कार फादरो ऩय उड़ती फगरो की शित ऩॊनदकत का धचतर अॊककत ककमा ह तथा इस अपरनतभ दशम क रदम ऩय ऩड़न िार परबाि को धचबतरत ककमा ह कवि क अनसाय मह दशम उनकी आॉख चयाए सरए जा यहा ह |भॊतर भगध कवि इस दशम क परबाि स आतभ विसभनत की नदसथनत तक ऩहॉच जाता ह

परशन२-कवि ककस भामा स फचन की फात कहता ह

उततय - भामा विशि को अऩन आकरयण भ फाॉध रन क सरए परससदध ह | कफीय न बी lsquoभामा भहा ठधगनी हभ जानीrsquo कहकय भामा की शनदकत को परनतऩाहदत ककमा ह | कार फादरो भ फगरो की सॊदयता अऩना भामा जार परा कय कवि को अऩन िश भ कय यही ह |

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आयोह बाग-२ गदम-बाग

परशन-सॊखमा १०- गदम खॊड भ हदए गए ऩहठत गदमाॊश स अथयगरहण सॊफॊधी चाय परशन ऩछ जाएॉग नदजनक सरए ननधायरयत अॊक (२४=८) ह |

परशन-सॊखमा ११- ऩाठो की विरमिसत स सॊफॊधधत ऩाॉच भ स चाय परशनो क उततय दन ह नदजनक सरए ननधायरयत अॊक (३४=१२) ह|

ऩयीा भ अचछ अॊक परातत कयन क लरए धमान दन मोगम फात ndash

1 रख एिॊ ितयनी की शदधता तथा िाकम-गठन ऩय धमान द | 2 हय ऩाठ का सायऩरषठबसभविरमिसत तथाकथानक को सभझना आिशमक ह |

अतविदमाथी हय ऩाठ का सायाॊश बरीबाॉनत माद कय र | 3 परशनो को धमान स ऩढ़ तदनसाय अऩकषत उततय सरख | 4 उततय सरखत सभम सॊफॊधधत भखम बफॊदओॊ का शीरयकफनात हए उततय सरख मथा-तीन

अॊक क परशनो क उततय सरखत सभम कभ स कभ तीन भखम उततय-बफ ॊदओॊ का उलरख कयत हए उततय सऩरषट कय |

5 अॊक-मोजना क अनसाय ननधायरयत शबद-सीभा क अॊतगयत उततय सरख | ऩयीाथी कई फाय एक अॊक क परशन का उततय फहत रॊफा कई फाय ऩया ऩरषठ सरख दत ह जो सभम औय ऊजाय की फफायदी ह |

6 धमान यह कक अधधक सरखन स अचछ अॊक नहीॊ आत फनदलक सयर-सफोध बारा भ सरख गए सटीक उततय सायगसबयत तथम तथा उदाहयण क दिाया सऩरषट ककए गए उततय परबािशारी होत ह |

ऩाि 11 - बजकतन

रखखका- भहादवी वभाट

ऩाि का सायाॊश- बनदकतन नदजसका िासतविक नाभ रकषभी थारणखका lsquoभहादिी िभायrsquo की सविका ह | फचऩन भ ही बनदकतन की भाॉ की भतम हो गमी| सौतरी भाॉ न ऩाॉच िरय की आम भ वििाह तथा नौ िरय की आम भ गौना कय बनदकतन को ससयार बज हदमा| ससयार भ बनदकतन न तीन फहटमो को जनदभ हदमा नदजस कायण उस सास औय नदजठाननमो की उऩा सहनी ऩड़ती थी| सास औय नदजठाननमाॉ आयाभ पयभाती थी औय बनदकतन तथा उसकी ननदहीॊ फहटमो को घय औय खतो का साया काभ कयना ऩडता था| बनदकतन का ऩनत उस फहत चाहता था| अऩन ऩनत क सनह क फर ऩय बनदकतन न ससयार िारो स अरगौझा कय अऩना अरग घय फसा सरमा औय सख स यहन रगी ऩय बनदकतन का दबायगम अलऩाम भ ही उसक ऩनत की भतम हो गई | ससयार िार

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बनदकतन की दसयी शादी कय उस घय स ननकारकय उसकी सॊऩनदतत हड़ऩन की सानदजश कयन रग| ऐसी ऩरयनदसथनत भ बनदकतन न अऩन कश भॊडा सरए औय सॊनदमाससन फन गई | बनदकतन सिासबभानी सॊघरयशीर कभयठ औय दढ सॊकलऩ िारी सतरी ह जो वऩतसततातभक भानदमताओॊ औय छर-कऩट स बय सभाज भ अऩन औय अऩनी फहटमो क हक की रड़ाई रड़ती हघय गहसथी सॉबारन क सरए अऩनी फड़ी फटी दाभाद को फरा सरमा ऩय दबायगम न महाॉ बी बनदकतन का ऩीछा नहीॊ छोड़ा अचानक उसक दाभाद की बी भतम हो गमी| बनदकतन क जठ-नदजठौत न सानदजश यचकय बनदकतन की विधिा फटी का वििाह जफयदसती अऩन तीतयफाज सार स कय हदमा| ऩॊचामत दिाया कयामा गमा मह सॊफॊध दखदामी यहा | दोनो भाॉ-फटी का भन घय-गहसथी स उचट गमा ननधयनता आ गमी रगान न चका ऩान क कायण जभीॊदाय न बनदकतन को हदन बय धऩ भ खड़ा यखा| अऩभाननत बनदकतन ऩसा कभान क सरए गाॉि छोड़कय शहय आ जाती ह औय भहादिी की सविका फन जाती ह| बनदकतन क भन भ भहादिी क परनत फहत आदय सभऩयण औय असबबािक क सभान अधधकाय बाि ह| िह छामा क सभान भहादिी क साथ यहती ह| िह यात-यात बय जागकय धचतरकायी मा रखन जस कामय भ वमसत अऩनी भारककन की सिा का अिसय ढॉढ रती ह| भहादिी बनदकतन को नहीॊ फदर ऩामी ऩय बनदकतन न भहादिी को फदर हदमा| बनदकतन क हाथ का भोटा-दहाती खाना खात-खात भहादिी का सिाद फदर गमा बनदकतन न भहादिी को दहात क ककसस-कहाननमाॉ ककॊ िदॊनतमाॉ कॊ ठसथ कया दी| सिबाि स भहाकॊ जस होन ऩय बी बनदकतन ऩाई-ऩाई कय जोडी हई १०५ रऩमो की यासश को सहरय भहादिी को सभवऩयत कय दती ह| जर क नाभ स थय-थय काॉऩन िारी बनदकतन अऩनी भारककन क साथ जर जान क सरए फड़ राट साहफ तक स रड़न को बी तमाय हो जाती ह| बनदकतन भहादिी क जीिन ऩय छा जान िारी एक ऐसी सविका ह नदजस रणखका नहीॊ खोना चाहती

ऩाि आधारयत परशनोततय

नोट- उततय भ ननहहत यखाॊककत िाकम भखम सॊकत बफॊद ह |

परशन 1-बजकतन का वासतपवक नाभ कमा था वह अऩन नाभ को कमो छऩाना चाहती थी

उततय-बनदकतन का िासतविक नाभ रकषभी था हहनददओॊ क अनसायरकषभी धन की दिीह चॉकक बनदकतन गयीफ थी| उसक िासतविक नाभ क अथय औय उसक जीिन क मथाथय भ वियोधाबास ह ननधयन बनदकतन सफको अऩना असरी नाभ रकषभी फताकय उऩहास का ऩातर नहीॊ फनना चाहती थी इससरए िह अऩना असरी नाभ छऩाती थी

परशन 2- रखखका न रकषभी का नाभ बजकतन कमो यखा

उततय-घटा हआ ससय गर भ कॊ ठी भारा औय बकतो की तयह सादगीऩणय िशबरा दखकय भहादिी िभाय न रकषभी का नाभ बनदकतन यख हदमा | मह नाभ उसक वमनदकतति स ऩणयत भर खाता था |

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परशन 3-बजकतन क जीवन को ककतन ऩरयचछदो भ पवबाजजत ककमा गमा ह

उततय- बनदकतन क जीिन को चाय बागो भ फाॉटा गमा ह-

ऩहरा ऩरयचछद-बनदकतन का फचऩन भाॉ की भतम विभाता क दिाया बनदकतन का फार-वििाह कया दना

दपवतीम ऩरयचछद-बनदकतन का ििाहहक जीिन सास तथा नदजठाननमो का अनदमामऩणय वमिहाय ऩरयिाय स अरगौझा कय रना

ततीम ऩरयचछद- ऩनत की भतम विधिा क रऩ भ सॊघरयशीर जीिन चतथट ऩरयचछद- भहादिी िभाय की सविका क रऩ भ

परशन 4- बजकतन ऩाि क आधाय ऩय बायतीम गराभीण सभाज भ रड़क-रड़ककमो भ ककम जान वार बदबाव का उलरख कीजजए |

बायतीम गराभीण सभाज भ रड़क-रड़ककमो भ बदबाि ककमा जाता ह| रड़ककमो को खोटा ससकका मा ऩयामा धन भाना जाता ह| बनदकतन न तीन फहटमो को जनदभ हदमा नदजस कायण उस सास औय नदजठाननमो की उऩा सहनी ऩड़ती थी| सास औय नदजठाननमाॉ आयाभ पयभाती थी कमोकक उनदहोन रड़क ऩदा ककए थ औय बनदकतन तथा उसकी ननदहीॊ फहटमो को घय औय खतो का साया काभ कयना ऩडता था| बनदकतन औय उसकी फहटमो को रखा-सखा भोटा अनाज खान को सभरता था जफकक उसकी नदजठाननमाॉ औय उनक कार-करट फट दध-भराई याफ-चािर की दाित उड़ात थ

परशन 5-बजकतन ऩाि क आधाय ऩय ऩॊचामत क नमाम ऩय ठटतऩणी कीजजए |

बनदकतन की फटी क सनददबय भ ऩॊचामत दिाया ककमा गमा नदमाम तकय हीन औय अॊध कानन ऩय आधारयतह | बनदकतन क नदजठौत न सॊऩनदतत क रारच भ रडमॊतर कय बोरी फचची को धोख स जार भ पॊ सामा| ऩॊचामत न ननदोर रड़की की कोई फात नहीॊ सनी औय एक तयिा पसरा दकय उसका वििाह जफयदसती नदजठौत क ननकमभ तीतयफाज सार स कय हदमा | ऩॊचामत क अॊध कानन स दरषटो को राब हआ औय ननदोर को दॊड सभरा |

परशन 6-बजकतन की ऩाक-करा क फाय भ ठटतऩणी कीजजए |

बनदकतन को ठठ दहाती सादा बोजन ऩसॊद था | यसोई भ िह ऩाक छत को फहत भहतति दती थी | सफह-सिय नहा-धोकय चौक की सपाई कयक िह दिाय ऩय कोमर की भोटी यखा खीॊच दती थी| ककसी को यसोईघय भ परिश कयन नहीॊ दती थी| उस अऩन फनाए बोजन ऩय फड़ा असबभान था| िह अऩन फनाए बोजन का नतयसकाय नहीॊ सह सकती थी |

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परशन 7- लसदध कीजजए कक बजकतन तकट -पवतकट कयन भ भाठहय थी |

बनदकतन तकय ऩट थी | कश भॉडान स भना ककए जान ऩय िह शासतरो का हिारा दत हए कहती ह lsquoतीयथ गए भॉडाए ससदधrsquo | घय भ इधय-उधय यख गए ऩसो को िह चऩचाऩ उठा कय छऩा रती ह टोक जानऩय िह िह इस चोयी नही भानती फनदलक िह इस अऩन घय भ ऩड़ ऩसो को सॉबारकय यखना कहती ह| ऩढाई-सरखाई स फचन क सरए बी िह अचक तकय दती ह कक अगय भ बी ऩढ़न रगॉ तो घय का काभ कौन दखगा

परशन 8-बजकतन का दबाटगम बी कभ हिी नही था रखखका न ऐसा कमो कहा ह

उततय- बजकतन का दबाटगम उसका ऩीछा नहीॊ छोड़ता था-

1- फचऩन भ ही भाॉ की भतम 2- विभाता की उऩा 3- बनदकतन(रकषभी) का फारवििाह 4- वऩता का ननधन 5- तीन-तीन फहटमो को जनदभ दन क कायण सास औय नदजठाननमो क दिाया बनदकतन की

उऩा 6- ऩनत की असभम भतम 7- दाभाद का ननधन औय ऩॊचामत क दिाया ननकमभ तीतयफाज मिक स बनदकतन की विधिा

फटी का जफयन वििाह 8- रगान न चका ऩान ऩय जभीॊदाय क दिाया बनदकतन का अऩभान

परशन 9-बजकतन न भहादवी वभाट क जीवन ऩय कस परबापवत ककमा

उततय- बनदकतन क साथ यहकय भहादिी की जीिन-शरी सयर हो गमी ि अऩनी सविधाओॊ की चाह को नछऩान रगीॊ औय असविधाओॊ को सहन रगीॊ बनदकतन न उनदह दहाती बोजन णखराकय उनका सिाद फदर हदमा बनदकतन भातर एक सविका न होकय भहादिी की असबबािक औय आतभीम फन गमीबनदकतन भहादिी क जीिन ऩय छा जान िारी एक ऐसी सविका ह नदजस रणखका नहीॊ खोना चाहती

परशन 10- बजकतन क चरयतर की पवशषताओॊ का उलरख कीजजए

उततय- भहादिी िभाय की सविका बनदकतन क वमनदकतति की विशरताएॊ ननमनाॊककत ह-

सभवऩयत सविका सिासबभानी

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तकय शीरा ऩरयशरभी सॊघरयशीर

परशन 11-बजकतन क दगटणो का उलरख कय

उततय- गणो क साथ-साथ बनदकतन क वमनदकतति भ अनक दगयण बी ननहहत ह-

1 िह घय भ इधय-उधय ऩड़ रऩम-ऩस को बॊडाय घय की भटकी भ छऩा दती ह औय अऩन इस कामय को चोयी नहीॊ भानती

2 भहादिी क करोध स फचन क सरए बनदकतन फात को इधय-उधय कयक फतान को झठ नही भानती अऩनी फात को सही ससदध कयन क सरए िह तकय -वितकय बी कयती ह

3 िह दसयो को अऩनी इचछानसाय फदर दना चाहती ह ऩय सिमॊ बफरकर नही फदरती परशन 12 ननमनाॊककत बाषा-परमोगो का अथट सऩषट कीजजए-

ऩहरी कनमा क दो औय सॊसकयण कय िार- बनदकतन न अऩनी ऩहरी कनदमा क फाद उसक जसी दो औय कनदमाएॉ ऩदा कय दी अथायत बनदकतन क एक क फाद एक तीन फहटमाॉ ऩदा हो गमीॊ |

खोट लसकको की टकसार जसी ऩतनी- आज बी असशकषत गराभीण सभाज भ फहटमो को

खोटा ससकका कहा जाता ह बनदकतन न एक क फाद एक तीन फहटमाॉ ऩदा कय दी इससरए उस खोट ससकक को ढारन िारी भशीन कहा गमा

परशन 13-बजकतन ऩाि भ रखखका न सभाज की ककन सभसमाओॊ का उलरख ककमा ह

उततय- बनदकतन ऩाठ क भाधमभ स रणखका न बायतीम गराभीण सभाज की अनक सभसमाओॊ का उलरख ककमा ह-

1 रड़क-रड़ककमो भ ककमा जान िारा बदबाि 2 विधिाओॊ की सभसमा 3 नदमाम क नाभ ऩय ऩॊचामतो क दिाया नदसतरमो क भानिाधधकाय को कचरना 4 असशा औय अॊधविशिास

गदमाॊश-आधारयत अथटगरहण सॊफॊधधत परशनोततय

ऩरयिाय औय ऩरयनदसथनतमो क कायण सिबाि भ जो विरभताएॉ उतऩनदन हो गई ह उनक बीतय स एक सनह औय सहानबनत की आबा पटती यहती ह इसी स उसक सॊऩकय भ आनिार वमनदकत उसभ जीिन की सहज भासभयकता ही ऩात ह छातरािास की फासरकाओॊ भ स कोई अऩनी चाम

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फनिान क सरए दहरी ऩय फठी यहती ह कोई फाहय खडी भय सरए नाशत को चखकय उसक सिाद की वििचना कयती यहती ह भय फाहय ननकरत ही सफ धचडड़मो क सभान उड़ जाती ह औय बीतय आत ही मथासथान वियाजभान हो जाती ह इनदह आन भ रकािट न हो सॊबित इसी स बनदकतन अऩना दोनो जन का बोजन सिय ही फनाकय ऊऩय क आर भ यख दती ह औय खात सभम चौक का एक कोना धोकय ऩाकndashछत क सनातन ननमभ स सभझौता कय रती ह

भय ऩरयधचतो औय साहहनदतमक फॊधओॊ स बी बनदकतन विशर ऩरयधचत ह ऩय उनक परनत बनदकतन क समभान की भातरा भय परनत उनक समभान की भातरा ऩय ननबयय ह औय सदभाि उनक परनत भय सदभाि स नननदशचत होता ह इस सॊफॊध भ बनदकतन की सहज फवदध विनदसभत कय दन िारी ह

(क) बजकतन का सवबाव ऩरयवाय भ यहकय कसा हो गमा ह

उततय-विरभ ऩरयनदसथनतजनदम उसक उगर हठी औय दयागरही सिबाि क फािजद बनदकतन क बीतय सनह औय सहानबनत की आबा पटती यहती ह उसक सॊऩकय भ आन िार वमनदकत उसभ जीिन की सहज भासभयकता ही ऩात ह

(ख) बजकतन क ऩास छातरावास की छातराएॉ कमो आती ह

उततय- बनदकतन क ऩास कोई छातरा अऩनी चाम फनिान आती ह औय दहरी ऩय फठी यहती ह कोई भहादिी जी क सरए फन नाशत को चखकय उसक सिाद की वििचना कयती यहती ह भहादिी को दखत ही सफ छातराएॉ बाग जाती ह उनक जात ही कपय िाऩस आ जातीॊ ह बनदकतन का सहज-सनह ऩाकय धचडड़मो की तयह चहचहान रगती ह |

(ग) छातराओॊ क आन भ रकावट न िारन क लरए बजकतन न कमा उऩाम ककमा

उततय- छातराओॊ क आन भ रकािट न डारन क सरए बनदकतन न अऩन ऩाक-छत क ननमभ स सभझौता कय सरमा | बनदकतन अऩना दोनो िकत का खाना फनाकय सफह ही आर भ यख दती औय खात सभम चौक का एक कोना धोकय िहाॉ फठकय खा सरमा कयती थी ताकक छातराएॉ बफना योक-टोक क उसक ऩास आ सक

(घ) साठहतमकायो क परनत बजकतन क समभान का कमा भाऩदॊि ह

उततय-बनदकतन भहादिी क साहहनदतमक सभतर क परनत सदभाि यखती थी नदजसक परनत भहादिी सिमॊ सदभाि यखती थी | िह सबी स ऩरयधचत हऩय उनक परनत समभान की भातरा भहादिी जी क समभान की भातरा ऩय ननबयय कयती ह िह एक अदभत ढॊग स जान रती थी कक कौन ककतना समभान कयता ह उसी अनऩात भ उसका परापम उस दती थी

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12 फाजाय-दशटन

रखक- जनि कभाय

ऩाि का सायाॊश फाजाय-दशयन ऩाठ भ फाजायिाद औय उऩबोकतािाद क साथ-साथ अथयनीनत एिॊ दशयन स सॊफॊधधत परशनो को सरझान का परमास ककमा गमा ह फाजाय का जाद तबी असय कयता ह जफ भन खारी हो| फाजाय क जाद को योकन का उऩाम मह ह कक फाजाय जात सभम भन खारी ना हो भन भ रकषम बया हो| फाजाय की असरी कताथयता ह जरयत क िकत काभ आना| फाजाय को िही भनरषम राब द सकता ह जो िासति भ अऩनी आिशमकता क अनसाय खयीदना चाहता ह| जो रोग अऩन ऩसो क घभॊड भ अऩनी ऩचनदजॊग ऩािय को हदखान क सरए चीज खयीदत ह ि फाजाय को शतानी वमॊगम शनदकत दत ह| ऐस रोग फाजारऩन औय कऩट फढात ह | ऩस की मह वमॊगम शनदकत वमनदकत को अऩन सग रोगो क परनत बी कतघन फना सकती ह | साधायण जन का रदम रारसा ईरषमाय औय तरषणा स जरन रगता ह | दसयी ओय ऐसा वमनदकत नदजसक भन भ रश भातर बी रोब औय तरषणा नहीॊ ह सॊचम की इचछा नहीॊ ह िह इस वमॊगम-शनदकत स फचा यहता ह | बगतजी ऐस ही आतभफर क धनी आदशय गराहक औय फचक ह नदजन ऩय ऩस की वमॊगम-शनदकत का कोई असय नहीॊ होता | अनक उदाहयणो क दिाया रखक न मह सऩरषट ककमा ह कक एक ओय फाजाय रारची असॊतोरी औय खोखर भन िार वमनदकतमो को रटन क सरए ह िहीॊ दसयी ओय सॊतोरी भन िारो क सरए फाजाय की चभक-दभक उसका आकरयण कोई भहतति नहीॊ यखता

परशन१ - ऩचजजॊग ऩावय ककस कहा गमा ह फाजाय ऩय इसका कमा परबाव ऩड़ता ह

उततय- ऩचनदजॊग ऩािय का अथय ह खयीदन की शनदकत ऩचनदजॊग ऩािय क घभॊड भ वमनदकत हदखाि क सरए आिशमकता स अधधक खयीदायीकयता ह औय फाजाय को शतानी वमॊगम-शनदकत दता ह ऐस रोग फाजाय का फाजारऩन फढ़ात ह

परशन२ -रखक न फाजाय का जाद ककस कहा ह इसका कमा परबाव ऩड़ता ह

उततय- फाजाय की चभक-दभक क चॊफकीम आकरयण को फाजाय का जाद कहा गमा ह मह जाद आॊखो की याह कामय कयता ह फाजाय क इसी आकरयण क कायण गराहक सजी-धजी चीजो को आिशमकता न होन ऩय बी खयीदन को वििश हो जात ह

परशन३ -आशम सऩषट कय

भन खारी होना भन बया होना भन फॊद होना

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उततय-भन खारी होना- भन भ कोई नननदशचत िसत खयीदन का रकषम न होना ननरददशम फाजाय जाना औय वमथय की चीजो को खयीदकय राना

भन बया होना- भन रकषम स बया होना नदजसका भन बया हो िह बरीबाॉनत जानता ह कक उस फाजाय स कौन सी िसत खयीदनी ह अऩनी आिशमकता की चीज खयीदकय िह फाजाय को साथयकता परदान कयता ह

भन फॊद होना-भन भ ककसी बी परकाय की इचछा न होना अथायत अऩन भन को शनदम कय दना

परशन४ - lsquoजहाॉ तषणा ह फटोय यखन की सऩहा ह वहाॉ उस फर का फीज नहीॊ हrsquo महाॊ ककस फर की चचाट की गमी ह

उततय- रखक न सॊतोरी सिबाि क वमनदकत क आतभफरकी चचाय की ह दसय शबदो भ महद भन भ सॊतोर हो तो वमनदकत हदखाि औय ईरषमाय की बािना स दय यहता ह उसभ सॊचम कयन की परिनदतत नहीॊ होती

परशन५ - अथटशासतर अनीनतशासतर कफ फन जाता ह

उततय- जफ फाजाय भ कऩट औय शोरण फढ़न रग खयीददाय अऩनी ऩचधचॊग ऩािय क घभॊड भ हदखाि क सरए खयीददायी कय | भनरषमो भ ऩयसऩय बाईचाया सभापत हो जाए| खयीददाय औय दकानदाय एक दसय को ठगन की घात भ रग यह एक की हानन भ दसय को अऩना राब हदखाई द तो फाजाय का अथयशासतर अनीनतशासतर फन जाता ह ऐस फाजाय भानिता क सरए विडॊफना ह

परशन६-बगतजी फाजाय औय सभाज को ककस परकाय साथटकता परदान कय यह ह

उततय- बगतजी क भन भ साॊसारयक आकरयणो क सरए कोई तरषणा नहीॊ ह ि सॊचम रारच औय हदखाि स दय यहत ह फाजाय औय वमाऩाय उनक सरए आिशमकताओॊ की ऩनत य का साधन भातर ह बगतजी क भन का सॊतोर औय ननसऩह बाि उनको शररषठ उऩबोकता औय विकरता फनात ह

परशन ७ _ बगत जी क वमजकततव क सशकत ऩहरओॊ का उलरख कीजजए |

उततय-ननमनाॊककत बफॊद उनक वमनदकतति क सशकत ऩहर को उजागय कयत ह

ऩॊसायी की दकान स किर अऩनी जरयत का साभान (जीया औय नभक) खयीदना नननदशचत सभम ऩय चयन फचन क सरए ननकरना छह आन की कभाई होत ही चयन फचना फॊद कय दना फच हए चयन को फचचो को भफ़त फाॉट दना

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सबी काजम-जम याभ कहकय सिागत कयना फाजाय की चभक-दभक स आकवरयत न होना सभाज को सॊतोरी जीिन की सशा दना

परशन7-फाजाय की साथटकता ककसभ ह

उततय- भनरषम की आिशमकताओॊ की ऩनतय कयन भ ही फाजाय की साथयकता ह जो गराहक अऩनी आिशमकताओॊ की चीज खयीदत ह ि फाजाय को साथयकता परदान कयत ह जो विकरता गराहको का शोरण नहीॊ कयत औय छर-कऩट स गराहको को रबान का परमास नही कयत ि बी फाजाय को साथयक फनात ह

गदमाॊश-आधारयत अथटगरहण-सॊफॊधधत परशनोततय

फाजाय भ एक जाद ह िह जाद आॉख की तयह काभ कयता ह िह रऩ का जाद ह ऩय जस चॊफक का जाद रोह ऩय ही चरता ह िस ही इस जाद की बी भमायदा ह जफ बयी हो औय भन खारी हो ऐसी हारत भ जाद का असय खफ होता ह जफ खारी ऩय भन बया न हो तो बी जाद चर जाएगा भन खारी ह तो फाजाय की अनकानक चीजो का ननभॊतरण उस तक ऩहॉच जाएगा कहीॊ हई उस िकत जफ बयी तफ तो कपय िह भन ककसकी भानन िारा ह भारभ होता ह मह बी रॉ िह बी रॉ सबी साभान जरयी औय आयाभ को फढ़ान िारा भारभ होता ह ऩय मह सफ जाद का असय ह जाद की सिायी उतयी कक ऩता चरता ह कक प सी-चीजो की फहतामत आयाभ भ भदद नहीॊ दती फनदलक खरर ही डारती ह थोड़ी दय को सिासबभान को जरय सक सभर जाता ह ऩय इसस असबभान को धगलटी की खयाक ही सभरती ह जकड़ यशभी डोयी की हो तो यशभ क सऩशय क भरामभ क कायण कमा िह कभ जकड़ दगी

ऩय उस जाद की जकड़ स फचन का एक सीधा उऩाम ह िह मह कक फाजाय जाओ तो खारी भन न हो भन खारी हो तफ फाजाय न जाओ कहत ह र भ जाना हो तो ऩानी ऩीकय जाना चाहहए ऩानी बीतय हो र का रऩन वमथय हो जाता ह भन रकषम स बया हो तो फाजाय परा का परा ही यह जाएगा तफ िह घाि बफरकर नहीॊ द सकगा फनदलक कछ आनॊद ही दगा तफ फाजाय तभस कताथय होगा कमोकक तभ कछ न कछ सचचा राब उस दोग फाजाय की असरी कताथयता ह आिशमकता क सभम काभ आना

परशन-1 फाजाय क जाद को रखक न कस सऩषट ककमा ह

उततय- फाजाय क रऩ का जाद आॉखो की याह स काभ कयता हआ हभ आकवरयत कयता ह फाजाय का जाद ऐस चरता ह जस रोह क ऊऩय चॊफक का जाद चरता ह चभचभाती योशनी भ सजी

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प सी चीॊज गराहक को अऩनी ओय आकवरयत कयती ह| इसी चमफकीम शनदकत क कायण वमनदकत कपजर साभान को बी खयीद रता ह |

परशन-2 जफ बयी हो औय भन खारी तो हभायी कमा दशा होती ह

उततय- जफ बयी हो औय भन खारी हो तो हभाय ऊऩय फाजाय का जाद खफ असय कयता ह भन खारी ह तो फाजाय की अनकानक चीजो का ननभॊतरण भन तक ऩहॉच जाता ह औय उस सभम महद जफ बयी हो तो भन हभाय ननमॊतरण भ नहीॊ यहता

परशन-3 प सी चीजो की फहतामत का कमा ऩरयणाभ होता ह

उततय- प सी चीज आयाभ की जगह आयाभ भ वमिधान ही डारती ह थोड़ी दय को असबभान को जरय सक सभर जाती ह ऩय हदखाि की परिनदतत भ िवदध होती ह

परशन-4 जाद की जकड़ स फचन का कमा उऩाम ह

उततय- जाद की जकड़ स फचन क सरए एक ही उऩाम ह िह मह ह कक फाजाय जाओ तो भन खारी न हो भन खारी हो तो फाजाय भत जाओ

13 कार भघा ऩानी द

रखक-धभटवीय बायती

ऩाि का सायाॊश -lsquoकार भघा ऩानी दrsquo ननफॊध रोकजीिन क विशिास औय विऻान क तकय ऩय आधारयत ह जफ बीरण गभी क कायण वमाकर रोग िराय कयान क सरए ऩजा-ऩाठ औय कथा-विधान कय थकndashहाय जात ह तफ िराय कयान क सरए अॊनतभ उऩाम क रऩ भ इनददय सना ननकरती ह| इनददय सना नॊग-धड़ॊग फचचो की टोरी ह जो कीचड़ भ रथऩथ होकय गरी-भोहलर भ ऩानी भाॉगन ननकरती ह| रोग अऩन घय की छतो-णखड़ककमो स इनददय सना ऩय ऩानी डारत ह | रोगो की भानदमता ह कक इनददर फादरो क सिाभी औय िराय क दिता ह| इनददर की सना ऩय ऩानी डारन स इनददर बगिान परसनदन होकय ऩानी फयसाएॊग | रखक का तकय ह कक जफ ऩानी की इतनी कभी ह तो रोग भनदशकर स जभा ककए ऩानी को फालटी बय-बयकय इनददय सना ऩय डारकय ऩानी को कमो फफायद कयत ह आमयसभाजी विचायधाया िारा रखक इस अॊधविशिास भानता ह | इसक विऩयीत रखक की जीजी उस सभझाती ह कक मह ऩानी की फफायदी नहीॊ फनदलक ऩानी की फिाई ह | कछ ऩान क सरए कछ दना ऩड़ता ह | तमाग क बफना दान नहीॊ होता| परसतत ननफॊध भ रखक न भरषटाचाय की सभसमा को उठात हए कहा ह कक जीिन भ कछ ऩान क सरए तमाग आिशमक ह जो रोग तमाग औय दान की भहतता को नहीॊ भानत ि ही भरषटाचाय भ सरपत यहकय दश औय सभाज को रटत ह| जीजी की आसथा बािनातभक सचचाई को ऩरषट कयती ह औय तकय किर िऻाननक तथम को सतम भानता ह जहाॉ तकय मथाथय क

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कठोय धयातर ऩय सचचाई को ऩयखता ह तो िहीॊ आसथा अनहोनी फात को बी सिीकाय कय भन को सॊसकारयत कयती ह बायत की सितॊतरता क ५० सार फाद बी दश भ वमापत बरषटाचाय औय सिाथय की बािना को दखकय रखक दखी ह | सयकाय दिाया चराई जा यही मोजनाएॉ गयीफो तक कमो नहीॊ ऩहॉच ऩा यहीॊ ह कार भघा क दर उभड़ यह ह ऩय आज बी गयीफ की गगयी पटी हई कमो ह रखक न मह परशन ऩाठको क सरए छोड़ हदमा ह |

परशन1-इनदय सना घय-घय जाकय ऩानी कमो भाॉगती थी

उततय- गाॉि क रोग फारयश क सरए बगिान इॊदर स पराथयना ककमा कयत थ जफ ऩजा-ऩाठवरत आहद उऩाम असिर हो जात थ तो बगिान इॊदर को परसनदन कयन क सरए गाॉि क ककशोय फचच कीचड़ भ रथऩथ होकय गरी-गरी घभकय रोगो स ऩानी भाॉगत थ

परशन2-इनदयसना को रखक भढक-भॊिरी कमो कहता ह जीजी क फायndashफाय कहन ऩय बी वह इनदयसना ऩय ऩानी प कन को याजी कमो नहीॊ होता

उततय- इनददयसना का कामय आमयसभाजी विचायधाया िार रखक को अॊधविशिास रगता ह उसका भानना ह कक महद इॊदयसना दिता स ऩानी हदरिा सकती ह तो सिमॊ अऩन सरए ऩानी कमो नहीॊ भाॉग रती ऩानी की कभी होन ऩय बी रोग घय भ एकतर ककम हए ऩानी को इॊदयसना ऩय ि कत ह रखक इस ऩानी की ननभयभ फयफादी भानता ह

परशन3- रि हए रखक को जीजी न ककस परकाय सभझामा

उततय- जीजी न रखक को पमाय स रडड-भठयी णखरात हए ननमन तकय हदए-

1- तमाग का भहततव- कछ ऩान क सरए कछ दना ऩड़ता ह 2- दान की भहतता- कवर-भननमो न दान को सफस ऊॉ चा सथान हदमा ह जो चीज अऩन

ऩास बी कभ हो औय अऩनी आिशमकता को बरकय िह चीज दसयो को दान कय दना ही तमाग ह |

3- इॊिदव को जर का अधमट चिाना- इॊदयसना ऩय ऩानी ि कना ऩानी की फयफादी नहीॊ फनदलक इॊदरदि को जर का अधमय चढ़ाना ह

4- ऩानी की फवाई कयना- नदजस परकाय ककसान िसर उगान क सरए जभीन ऩय फीज डारकय फिाई कयता ह िस ही ऩानी िार फादरो की िसर ऩान क सरए इनददय सना ऩय ऩानी डार कय ऩानी की फिाई की जाती ह

परशन4-नठदमो का बायतीम साभाजजक औय साॊसकनतक ऩरयवश भ कमा भहतव ह

उततय- गॊगा बायतीम सभाज भ सफस ऩजम सदानीया नदी ह नदजसका बायतीम इनतहास भ धासभयक ऩौयाणणक औय साॊसकनतक भहति ह | िह बायतीमो क सरए किर एक नदी नहीॊ अवऩत

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भाॉ ह सिगय की सीढ़ी ह भोदानमनी ह उसभ ऩानी नहीॊ अवऩत अभत तलम जर फहता ह बायतीम सॊसकनत भ नहदमो क ककनाय भानि सभमताएॉ परी-परी ह| फड़-फड़ नगय तीथयसथान नहदमो क ककनाय ही नदसथत ह ऐस ऩरयिश भबायतिासी सफस ऩहर गॊगा भमा की जम ही फोरग नहदमाॉ हभाय जीिन का आधाय ह हभाया दश कवर परधान ह नहदमो क जर स ही बायत बसभ हयी-बयी ह नहदमो क बफना जीिन की कलऩना नहीॊ कय सकत मही कायण ह कक हभ बायतीम नहदमो की ऩजा कयत ह |

परशन4-आजादी क ऩचास वषो क फाद बी रखक कमो दखी ह उसक भन भ कौन स परशन उि यह ह

उततय- आजादी क ऩचास िरो फाद बी बायतीमो की सोच भ सकायातभक फदराि न दखकय रखक दखी ह उसक भन भ कई परशन उठ यह ह-

1 कमा हभ सचच अथो भ सितनदतर ह 2 कमा हभ अऩन दश की सॊसकनत औय सभमता को सभझ ऩाए ह 3 यारषर ननभायण भ हभ ऩीछ कमो ह हभ दश क सरए कमा कय यह ह

4 हभ सिाथय औय भरषटाचाय भ सरपत यहत ह तमाग भ विशिास कमो नहीॊ कयत

5 सयकाय दिाया चराई जा यही सधायिादी मोजनाएॉ गयीफो तक कमो नहीॊ ऩहॉचती ह

गदमाॊश ऩय आधारयत अथटगरहण-सॊफॊधधत परशनोततय

सचभच ऐस हदन होत जफ गरी-भहलरा गाॉि-शहय हय जगह रोग गयभी भ बन-बन कय तराहहभाभ कय यह होत जठ क दसतऩा फीतकय आराढ का ऩहरा ऩखिाड़ा फीत चका होता ऩय कषनतज ऩय कहीॊ फादरो की यख बी नहीॊ दीखती होती कएॉ सखन रगत नरो भ एक तो फहत कभ ऩानी आता औय आता बी तो आधी यात को िो बी खौरता हआ ऩानी हो | शहयो की तरना भ गाॉि भ औय बी हारत खयाफ थी| जहाॉ जताई होनी चाहहए थी िहाॉ खतो की सभटटी सखकय ऩतथय हो जाती कपय उसभ ऩऩड़ी ऩड़कय जभीन पटन रगती र ऐसी कक चरत-चरत आदभी धगय ऩड़ | ढोय-डॊगय पमास क भाय भयन रगत रककन फारयश का कहीॊ नाभ ननशान नहीॊ ऐस भ ऩजा-ऩाठ कथा-विधान सफ कयक रोग जफ हाय जात तफ अॊनतभ उऩाम क रऩ भ ननकरती मह इनददय सना |

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परशन१- वषाट न होन ऩय रोगो की कमा जसथनत हो गमी थी उततय - िराय न होन ऩय गयभी क कायण रोग र रगन स फहोश होन रग | गाॉि-शहय सबी जगह ऩानी का अबाि हो गमा| कएॉ सख गए खतो की सभटटी सखकय ऩतथय क सभान कठोय होकय पट गमी| घयो भ नरो भ ऩानी फहत कभ आता था | ऩश पमास क भाय भयन रग थ | परशन२- वषाट क दवता कौन ह उनको परसनन कयन क लरए कमा उऩाम ककए जात थ उततय -िराय क दिता बगिान इनददर ह| उनको परसनदन कयन क सरए ऩजाndashऩाठ कथा-विधान कयाए जात थ | ताकक इनददर दि परसनदन होकय फादरो की सना बजकय झभाझभ फारयश कयाएॉ औय रोगो क करषट दय हो | परशन३- वषाट कयान क अॊनतभ उऩाम क रऩ भ कमा ककमा जाता था उततय ndashजफ ऩजा-ऩाठ कथा-विधान सफ कयक रोग हाय जात थ तफ अॊनतभ उऩाम क रऩ भ इनददय सना आती थी | नॊग-धडॊग कीचड़ भ रथऩथ lsquoकार भघा ऩानी द ऩानी द गड़धानी दrsquo की टय रगाकय पमास स सखत गरो औय सखत खतो क सरए भघो को ऩकायती हई टोरी फनाकय ननकर ऩड़ती थी| परशन४-आशम सऩषट कय ndash जठ क दसतऩा फीतकय आराढ़ का ऩहरा ऩखिाड़ा फीत चका होता ऩय कषनतज भ कहीॊ फादरो की यख बी नजय नहीॊ आती | आशम- जठ का भहीना ह बीरण गयभी ह| तऩत हए दस हदन फीत कय आराढ का भहीना बी आधा फीत गमा ऩय ऩानी क सरए तड़ऩत िराय की आशा भ आसभान की ओय ताकत रोगो को कहीॊ फादर नजय नहीॊ आ यह |

14 ऩहरवान की ढोरक

फ़णीशवयनाथ यण

ऩाि का सायाॊश ndashआॊचसरक कथाकाय िणीशियनाथ यण की कहानी ऩहरिान की ढोरक भ कहानी क भखम ऩातर रटटन क भाता-वऩता का दहाॊत उसक फचऩन भ ही हो गमा था | अनाथ रटटन को उसकी विधिा सास न ऩार-ऩोसकय फड़ा ककमा | उसकी सास को गाॉि िार सतात थ |

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रोगो स फदरा रन क सरए कशती क दाॉिऩच सीखकय कसयत कयक रटटन ऩहरिान फन गमा |

एक फाय रटटन शमाभनगय भरा दखन गमा जहाॉ ढोर की आिाज औय कशती क दाॉिऩच दखकय उसन जोश भ आकय नाभी ऩहरिान चाॉदससॊह को चनौती द दी | ढोर की आिाज स परयणा ऩाकय रटटन न दाॉि रगाकय चाॉद ससॊह को ऩटककय हया हदमा औय याज ऩहरिान फन गमा | उसकी खमानत दय-दय तक िर गमी| १५ िरो तक ऩहरिान अजम फना यहा| उसक दो ऩतर थ| रटटन न दोनो फटो को बी ऩहरिानी क गय ससखाए| याजा की भतम क फाद नए याजकभाय न गददी सॊबारी याजकभाय को घोड़ो की यस का शौक था भनजय न नम याजा को बड़कामा ऩहरिान औय उसक दोनो फटो क बोजनखचय को बमानक औय किजरखचय फतामा िरसिरऩ नए याजा न कशती को फॊद कयिा हदमा औय ऩहरिान रटटनससॊह को उसक दोनो फटो क साथ भहर स ननकार हदमा

याजदयफाय स ननकार हदए जान क फाद रटटन ससॊह अऩन दोनो फटो क साथ गाॉि भ झोऩड़ी फनाकय यहन रगा औय गाॉि क रड़को को कशती ससखान रगा| रटटन का सकर जमादा हदन नहीॊ चरा औय जीविकोऩाजयन क सरए उसक दोनो फटो को भजदयी कयनी ऩड़ी| इसी दौयान गाॉि भ अकार औय भहाभायी क कायण परनतहदन राश उठन रगी| ऩहरिान भहाभायी स डय हए रोगो को ढोरक फजाकय फीभायी स रड़न की सॊजीिनी ताकत दता था| एक हदन ऩहरिान क दोनो फट बी भहाभायी की चऩट भ आकय भय गए ऩय उस यात बी ऩहरिान ढोरक फजाकय रोगो को हहमभत फॊधा यहा था | इस घटना क चाय-ऩाॉच हदन फाद ऩहरिान की बी भौत हो जाती ह|

ऩहरिान की ढोरक वमिसथा क फदरन क साथ रोक कराकाय क अपरासॊधगक हो जान की कहानी ह इस कहानी भ रटटन नाभ क ऩहरिान की हहमभत औय नदजजीविरा का िणयन ककमा गमा ह बख औय भहाभायी अजम रटटन की ऩहरिानी को िट ढोर भ फदर दत ह इस करण तरासदी भ ऩहरिान रटटन कई सिार छोड़ जाता ह कक करा का कोई सितॊतर अनदसतति ह मा करा किर वमिसथा की भोहताज ह

परशन1- रटटन को ऩहरवान फनन की परयणा कस लभरी

उततय- रटटन जफ नौ सार का था तो उसक भाता-वऩता का दहाॊत हो गमा था | सौबागम स उसकी शादी हो चकी थी| अनाथ रटटन को उसकी विधिा सास न ऩार-ऩोसकय फड़ा ककमा | उसकी सास को गाॉि िार ऩयशान कयत थ| रोगो स फदरा रन क सरए उसन ऩहरिान फनन की ठानी| धायोरषण दध ऩीकय कसयत कय उसन अऩना फदन गठीरा औय ताकतिय फना सरमा | कशती क दाॉिऩच सीखकय रटटन ऩहरिान फन गमा |

परशन2- यात क बमानक सननाट भ रटटन की ढोरक कमा करयशभा कयती थी

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उततय- यात क बमानक सनदनाट भरटटन की ढोरक भहाभायी स जझत रोगो को हहमभत फॉधाती थी | ढोरक की आिाज स यात की विबीवरका औय सनदनाटा कभ होता था| भहाभायी स ऩीडड़त रोगो की नसो भ बफजरी सी दौड़ जाती थी उनकी आॉखो क साभन दॊगर का दशम साकाय हो जाता था औय ि अऩनी ऩीड़ा बर खशी-खशी भौत को गर रगा रत थ इस परकाय ढोर की आिाज फीभाय-भतपराम गाॉििारो की नसो भ सॊजीिनी शनदकत को बय फीभायी स रड़न की परयणा दती थी

परशन3- रटटन न सवाटधधक ठहमभत कफ ठदखाई

उततय- रटटन ससॊह न सिायधधक हहमभत तफ हदखाई जफ दोनो फटो की भतम ऩय िह योमा नहीॊ फनदलक हहमभत स काभ रकय अकर उनका अॊनतभ सॊसकाय ककमा| मही नहीॊ नदजस हदन ऩहरिान क दोनो फट भहाभायी की चऩट भ आकय भय गए ऩय उस यात को बी ऩहरिान ढोरक फजाकय रोगो को हहमभत फॉधा यहा था| शमाभनगय क दॊगर भ ऩया जनसभदाम चाॉद ससॊह क ऩ भ था चाॉद ससॊह को हयात सभम रटटन न हहमभत हदखाई औय बफना हताश हए दॊगर भ चाॉद ससॊह को धचत कय हदमा |

परशन4- रटटन लसॊह याज ऩहरवान कस फना

उततय- शमाभनगय क याजा कशती क शौकीन थ उनदहोन दॊगर का आमोजन ककमा ऩहरिान रटटन ससॊह बी दॊगर दखन ऩहॉचा चाॊदससॊह नाभक ऩहरिान जो शय क फचच क नाभ स परससदध था कोई बी ऩहरिान उसस सबड़न की हहमभत नहीॊ कयता था चाॉदससॊह अखाड़ भ अकरा गयज यहा था रटटन ससॊह न चाॉदससॊह को चनौती द दी औय चाॉदससॊह स सबड़ गमाढ़ोर की आिाज सनकय रटटन की नस-नस भ जोश बय गमाउसन चाॉदससॊह को चायो खान धचत कय हदमा याजासाहफ न रटटन की िीयता स परबावित होकय उस याजऩहरिान फना हदमा

परशन5- ऩहरवान की अॊनतभ इचछा कमा थी

उततय- ऩहरिान की अॊनतभ इचछा थी कक उस धचता ऩय ऩट क फर सरटामा जाए कमोकक िह नदजॊदगी भ कबी धचत नहीॊ हआ था| उसकी दसयी इचछा थी कक उसकी धचता को आग दत सभम ढोर अिशम फजामा जाए |

परशन6- ढोर की आवाज औय रटटन क भ दाॉिऩच सॊफॊध फताइए-

उततय- ढोर की आिाज औय रटटन क दाॉिऩच भ सॊफॊध -

चट धा धगड़ धाrarr आजा सबड़ जा | चटाक चट धाrarr उठाकय ऩटक द | चट धगड़ धाrarrभत डयना |

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धाक धधना नतयकट नतनाrarr दाॉि काटो फाहय हो जाओ | धधना धधना धधक धधनाrarr धचत कयो

गदमाॊश-आधारयत अथटगरहण-सॊफॊधधत परशनोततय

अॉधयी यात चऩचाऩ आॉस फहा यही थी | ननसतबधता करण सससककमो औय आहो को अऩन रदम भ ही फर ऩियक दफान की चरषटा कय यही थी | आकाश भ ताय चभक यह थ | ऩथिी ऩय कहीॊ परकाश का नाभ नहीॊ| आकाश स टट कय महद कोई बािक ताया ऩथिी ऩय आना बी चाहता तो उसकी जमोनत औय शनदकत यासत भ ही शर हो जाती थी | अनदम ताय उसकी बािकता अथिा असपरता ऩय णखरणखराकय हॉस ऩड़त थ | ससमायो का करॊ दन औय ऩचक की डयािनी आिाज यात की ननसतबधता को बॊग कयती थी | गाॉि की झोऩडडमो स कयाहन औय क कयन की आिाज हय याभ ह बगिान की टय सनाई ऩड़ती थी| फचच बी ननफयर कॊ ठो स भाॉ ndashभाॉ ऩकायकय यो ऩड़त थ |

(क) अॉधयी यात को आॉस फहात हए कमो ठदखामा गमा ह उततयndash गाॉि भ हजा औय भररयमा परा हआ था | भहाभायी की चऩट भ आकाय रोग भय यह थ |चायो ओय भौत का सनाटा छामा था इससरए अॉधयी यात बी चऩचाऩ आॉस फहाती सी परतीत हो यही थी|

(ख) ताय क भाधमभ स रखक कमा कहना चाहता ह उततयndash ताय क भाधमभ स रखक कहना चाहता ह कक अकार औय भहाभायी स तरसत गाॉि िारो की ऩीड़ा को दय कयन िारा कोई नहीॊ था | परकनत बी गाॉि िारो क द ख स दखी थी| आकाश स टट कय महद कोई बािक ताया ऩथिी ऩय आना बी चाहता तो उसकी जमोनत औय शनदकत यासत भ ही शर हो जाती थी |

(ग) यात की ननसतबधता को कौन बॊग कयता था उततयndash ससमायो की चीख-ऩकाय ऩचक की डयािनी आिाज औय कततो का साभहहक रदन सभरकय यात क सनदनाट को बॊग कयत थ |

(घ) झोऩड़ड़मो स कसी आवाज आ यही ह औय कमो उततयndash झोऩडड़मो स योधगमो क कयाहन क कयन औय योन की आिाज आ यही ह कमोकक गाॉि क रोग भररयमा औय हज स ऩीडड़त थ | अकार क कायण अनदन की कभी हो गमी थी| औरधध औय ऩथम न सभरन क कायण रोगो की हारत इतनी फयी थी कक कोई बगिान को ऩकाय रगाता था तो कोई दफयर कॊ ठ स भाॉndashभाॉ ऩकायता था |

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15 चारी चजतरन मानी हभ सफ

रखक-पवषण खय

ऩाि का सायाॊश ndashचारक चनदपरन न हासम कराकाय क रऩ भ ऩयी दननमा क फहत फड़ दशयक िगय को हॉसामा ह | उनकी कपलभो न कपलभ करा को रोकताॊबतरक फनान क साथ-साथ दशको की िगय औय िणय-वमिसथा को बी तोड़ा | चारक न करा भ फवदध की अऩा बािना को भहतति हदमा ह | फचऩन क सॊघरो न चारक क बािी कपलभो की बसभ तमाय कय दी थी| बायतीम करा औय सौदमयशासतर भ करणा का हासम भ ऩरयितयन बायतीम ऩयमऩया भ नहीॊ सभरता रककन चारक एक ऐसा जादई वमनदकतति ह जो हय दश सॊसकनत औय सभमता को अऩना सा रगता ह| बायतीम जनता न बी उनदह सहज बाि स सिीकाय ककमा ह| सिमॊ ऩय हॉसना चारक न ही ससखामा| बायतीम ससनभा जगत क सपरससदध कराकाय याजकऩय को चारक का बायतीमकयण कहा गमा ह | चारक की अधधकाॊश किलभ भक ह इससरए उनदह अधधक भानिीम होना ऩड़ा | ऩाठ भ हासम कपलभो क भहान असबनता lsquoचारक चनदपरनrsquo की जादई विशरताओॊ का उलरख ककमा गमा ह नदजसभ उसन करणा औय हासम भ साभॊजसम सथावऩत कय किलभो को साियबौसभक रऩ परदान ककमा

परशन१ -चारी क जीवन ऩय परबाव िारन वारी भखम घटनाएॉ कौन सी थी

उततय- चारक क जीिन भ दो ऐसी घटनाएॉ घटीॊ नदजनदहोन उनक बािी जीिन ऩय फहत परबाि डारा |

ऩहरी घटना - जफ चारक फीभाय थ उनकी भाॉ उनदह ईसा भसीह की जीिनी ऩढ़कय सना यही थी | ईसा क सरी ऩय चढ़न क परसॊग तक आत-आत भाॉ-फटा दोनो ही योन रग| इस घटना न चारक को सनह करणा औय भानिता जस उचच जीिन भलम हदए |

दसयी घटना हndash फारक चारक कसाईखान क ऩास यहता था| िहाॉ सकड़ो जानियो को योज भाया जाता था| एक हदन एक बड़ िहाॉ स बाग ननकरी| बड़ को ऩकड़न की कोसशश भ कसाई कई फाय कपसरा| नदजस दखकय रोग हॊसन रग ठहाक रगान रग| जफ बड़ को कसाई न ऩकड़ सरमा तो फारक चारक योन रगा| इस घटना न उसक बािी कपलभो भ तरासदी औय हासमोतऩादक ततिो की बसभका तम कय दी |

परशन२ ndash आशम सऩषट कीजजएndash

चजतरन न लसपट कपलभकरा को ही रोकताॊबतरक नही फनामा फजलक दशटको की वगट तथा वणट-वमवसथा को बी तोड़ा|

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उततय- रोकताॊबतरक फनान का अथय ह कक कपलभ करा को सबी क सरए रोकवपरम फनाना औय िगय औय िणय-वमिसथा को तोड़न का आशम ह- सभाज भ परचसरत अभीय-गयीफ िणय जानतधभय क बदबाि को सभापत कयना |चनदपरन का चभतकाय मह ह कक उनदहोन कपलभकरा को बफना ककसी बदबाि क सबी रोगो तक ऩहॉचामा| उनकी कपलभो न सभम बगोर औय सॊसकनतमो की सीभाओॊ को राॉघ कय साियबौसभक रोकवपरमता हाससर की | चारक न मह ससदध कय हदमा कक करा सितनदतर होती ह अऩन ससदधाॊत सिमॊ फनाती ह |

परशन३ndash चारी चजतरन की कपलभो भ ननठहत तरासदीकरणाहासम का साभॊजसम बायतीम करा औय सौदमटशासतर की ऩरयधध भ कमो नहीॊ आता

उततय- चारक चनदपरन की कपलभो भ ननहहत तरासदीकरणाहासम का साभॊजसम बायतीम करा औय सौदमयशासतर की ऩरयधध भ नहीॊ आताकमोकक बायतीम यस-ससदधाॊत भ करणा औय हासम का भर नहीॊ हदखामा जाता कमोकक बायतीम सौदमयशासतर भ करणयस औय हासम यस को ऩयसऩय वियोधी भाना गमा ह अथायत जहाॊ करणा ह िहाॉ हासम नहीॊ हो सकता बायत भ सिमॊ ऩय हॉसन की ऩयॊऩया नहीॊ ह ऩयॊत चारक क ऩातर अऩन ऩय हॉसतndashहॉसात ह चारक की किलभो क दशम हॉसात-हॉसात ररा दत ह तो कबी करण दशम क फाद अचानक ही हॉसन ऩय भजफय कय दत ह

परशन४ndash चारी क कपलभो की पवशषताएॉ फताइए |

उततय- चारक की किलभो भ हासम औय करणा का अदभत साभॊजसम ह उनकी किलभो भ बारा का परमोग फहत कभ ह चारक की किलभो भ फवदध की अऩा बािना का भहतति अधधक ह उनकी किलभो भ साियबौसभकता ह चारक ककसी बी सॊसकनत को विदशी नही रगत चारक सफको अऩन रगत ह चारक न किलभो को रोकताॊबतरक फनामा औय किलभो भ िगय तथािणय-वमिसथा को तोड़ा अऩनी कपलभो भ चारक सदि धचय मिा हदखता ह

गदमाॊश-आधारयत अथटगरहण-सॊफॊधी परशनोततय

गदमाॊश सॊकत ndashचारक चनदपरन मानी हभ सफ (ऩरषठ १२० )

महद मह िरय चनदपरन की कापी कछ कहा जाएगा |

परशन (क)-पवकासशीर दशो भ चजतरन कमो भशहय हो यह ह

उततय - विकासशीर दशो भ जस-जस टरीविजन औय िीडडमो का परसाय हो यहा ह रोगो को उनकी कपलभो को दखन का अिसय सभर यहा ह |एक फहत फड़ा िगय नए ससय स चारक को घड़ी सधायत औय जत खान की कोसशश कयत दख यहा ह इसीसरए चारक विकासशीर दशो भ रोकवपरम हो यह ह |

(ख)- ऩजशचभ भ चारी का ऩनजीवन कस होता यहता ह

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उततय - ऩनदशचभ भ चारक की कपलभो का परदशयन होता यहता ह| उनकी करा स परयणा ऩाकय हासम किलभ फनती यहती ह | उनक दिाया ननबाए ककयदायो की नकर अनदम कराकाय कयत ह | ऩनदशचभ भ चारक का ऩनजीिन होता यहता ह|

(ग)- चारी को रोग फिाऩ तक कमो माद यखग

उततय ndashहासम कराकाय क रऩ भ रोग चारक को फढ़ाऩ तक माद यखग कमोकक उनकी करा सभम बगोर औय सॊसकनतमो की सीभाओॊ को राॉघकय राखो रोगो को हॉसा यही ह|

(घ)- चारी की कपलभो क फाय भ कापी कछ कहा जाना कमो फाी ह

उततय ndashचनदपरन की ऐसी कछ किलभ मा इसतभार न की गमी यीर सभरी ह नदजनक फाय भ कोई नहीॊ जानता था | चारक की बािनापरधान हासम कपलभो न करा क नए परनतभान सथावऩत ककए ह अत चारक की कपलभो क फाय भ अबी कापी कछ कहा जाना फाी ह|

16 नभक

रखखका - यजजमा सजजाद जहीय

सायाॊश -lsquoनभकrsquoबायत-ऩाक विबाजन ऩय सरणखत भासभयक कहानी ह | विसथावऩत हए रोगो भ अऩनndashअऩन जनदभ सथानो क परनत आज बी रगाि ह| धासभयक आधाय ऩय फनी यारषर-याजमो की सीभा-यखाएॉ उनक अॊतभयन को अरग नहीॊ कय ऩाई ह | बायत भ यहन िारी ससख फीिी राहौय को अऩना ितन भानती ह औय बायतीम कसटभ अधधकायी ढाका क नारयमर ऩानी को मादकय उस सियशररषठ फताता ह दोनो दशो क नागरयको क फीच भहबफत का नभकीन सिाद आज बी कामभ ह इसीसरए सकिमा बायत भ यहन िारी अऩनी भॉहफोरी भाॉ ससख फीिी क सरए राहौयी नभक रान क सरए कसटभ औय कानन की ऩयिाह नहीॊ कयती

परशन1- lsquoनभकrsquo ऩाि क आधाय ऩय फताइए कक सकपमा औय उसक बाई क पवचायो भ कमा अॊतय था

उततय- १-सकपमा बािनाओॊ को फहतभहतति दती ह ऩय उसका बाई फौवदधक परिनदतत का ह उसकी दनदरषट भ कानन बािनाओॊ स ऊऩय ह|

२-सकपमा भानिीम सॊफॊधो को फहत भहतति दती ह जफकक उसका बाई अरगाििादी विचायधाया का ह हहसस-फखय की फात कयता ह |

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३-सकपमा का बाई कहता ह कक अदीफो(साहहतमकाय) का हदभाग घभा हआ होता ह जफकक सकपमा जो सिमॊ अदीफ ह उसका भानना ह कक अगय सबी रोगो का हदभाग अदीफो की तयह घभा हआ होता तो दननमा कछ फहतय हो जाती |

परशन२- नभक र जात सभम सकफ़मा क भन भ कमा दपवधा थी

उततय-सकपमा समद भसरभान थी जो हय हार भ अऩना िामदा ननबात ह| ऩाककसतान स राहौयी नभक र जाकय िह अऩना िामदा ऩया कयना चाहती थी ऩयनदत जफ उस ऩता चरा कक कसटभ क ननमभो क अनसाय सीभाऩाय नभक र जाना िनदजयत ह तो िह दविधा भ ऩड़ गई | सकिमा का दिॊदि मह था कक िह अऩनी ससख भाॉ क सरए नभक कसटभ अधधकारयमो को फताकयर जाए मा नछऩाकय|

परशन३- ऩाि क आधाय ऩय सकपमा की चारयबतरक पवशषताएॉ फताइए |

उततय सॊकत ndash

१- बािक २- ईभानदाय ३- दढ़ननशचमी ४- ननडय ५- िामद को ननबान िारी ६- भानिीम भलमो को सिोऩरय भानन िारी साहहतमकाय

परशन ४- lsquoनभकrsquo ऩाि भ आए ककयदायो क भाधमभ स सऩषट कीजजए कक आज बी बायत औय ऩाककसतान की जनता क फीच भहबफत का नभकीन सवाद घरा हआ ह |

उततय ndash बर ही याजनीनतक औय धासभयक आधाय ऩय बायत औय ऩाककसतान को बौगोसरक रऩ स विबानदजत कय हदमा गमा ह रककन दोनो दशो क रोगो क रदम भ आज बी ऩायसऩरयक बाईचाया सौहादरय सनह औय सहानबनत विदमभान ह | याजनीनतक तौय ऩय बर ही सॊफॊध तनािऩणय हो ऩय साभानदजक तौय ऩय आज बी जनता क फीच भहबफत का नभकीन सिाद घरा हआ ह | अभतसय भ यहन िारी ससख फीफी राहौय को अऩना ितन कहती ह औय राहौयी नभक का सिाद नहीॊ बरा ऩाती | ऩाककसतान का कसटभ अधधकायी नभक की ऩडड़मा सकपमा को िाऩस दत हए कहता ह rdquoजाभा भनदसजद की सीहढ़मो को भया सराभ कहना |rdquo बायतीम सीभा ऩय तनात कसटभ अधधकायी ढाका की जभीन को औय िहाॉ क ऩानी क सिाद को नहीॊ बर ऩाता |

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गदमाॊश-आधारयत अथटगरहण सॊफॊधधत परशनोततय

गदमाॊश सॊकत- ऩाठndash नभक (ऩरषठ १३४)

सकपमा कसटभ क जॊगर स दोनो क हाथो भ थी |

(क) सकपमा कसटभ क जॉगर स ननकरकय दसय तरटपाभट ऩय आ गमी व वहीॊ खड़ यहndash इस वाकम भ lsquoवrsquo शबद का परमोग ककसक लरए ककमा गमा ह

उततय- महाॉ lsquoिrsquo शबद का परमोग ऩाककसतानी कसटभ अधधकायी क सरए ककमा गमा ह जो विबाजन स ऩिय हदलरी भ यहत थ औय आज बी हदलरी को ही अऩना ितन भानत ह |

(ख) तरटपाभट ऩय सकपमा को पवदा कयन कौन-कौन आए थ उनहोन सकपमा को कस पवदाई दी

उततय- परटपाभय ऩय सकपमा को विदा कयन उसक फहत साय सभतर सग सॊफॊधी औय बाई आए थ| उनदहोन ठॊडी साॉस बयत हए सबॊच हए होठो क साथ आॉस फहात हए सकपमा को विदाई दी |

(ग) अटायी भ यरगाड़ी भ कमा ऩरयवतटन हए उततय- अटायी भ यरगाड़ी स ऩाककसतानी ऩसरस उतयी औय हहनददसतानी ऩसरस सिाय हो गई|

(घ) कौन सी फात सकपमा की सभझ भ नहीॊ आ यही थी उततय- दोनो ओय एक सी जभीन एक जसा आसभान एक सी बारा एक सा ऩहनािा औय एक सी सयत क रोग कपय बी दोनो क हाथो भ बयी हई फॊदक ह |

17 लशयीष क पर

आचामट हजायी परसाद दपववदी

सायाॊश ndashlsquoआचामय हजायी परसाद दवििदीrsquo सशयीर को अदभत अिधत भानत ह कमोकक सॊनदमासी की बाॉनत िह सख-दख की धचॊता नहीॊ कयता गभी र िराय औय आॉधी भ बी अविचर खड़ा यहता ह सशयीर क िर क भाधमभ स भनरषम की अजम नदजजीविरा धमयशीरता औय कतयवमननरषठ फन यहन क भानिीम भलमो को सथावऩत ककमा गमा हरखक न सशयीर क कोभर परो औय कठोय परो क दिाया सऩरषट ककमा ह कक रदम की कोभरता फचान क सरए कबी-कबी वमिहाय की कठोयता बी आिशमक हो जाती ह| भहान कवि कासरदास औय कफीय बी सशयीर की तयह फऩयिाह अनासकत औय सयस थ तबी उनदहोन इतनी सनददय यचनाएॉ सॊसाय को दीॊ| गाॉधीजी क वमनदकतति भ बी कोभरता औय कठोयता का अदभत सॊगभ था | रखक सोचता ह कक हभाय दश भ जो भाय-काट अनदगनदाह रट-ऩाट खन-खचचय का फिॊडय ह कमा िह दश को नदसथय नहीॊ यहन दगा गराभी अशाॊनत औय वियोधी िाताियण क फीच अऩन ससदधाॊतो की या कयत हए गाॉधीजी जी नदसथय यह सक थ तो दश बी यह सकता ह जीन की परफर असबरारा क कायण

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विरभ ऩरयनदसथतमो भ बी महद सशयीर णखर सकता ह तो हभाया दश बी विरभ ऩरयनदसथनतमो भ नदसथय यह कय विकास कय सकता ह

परशन1-लसदध कीजजए कक लशयीष कारजमी अवधत की बाॉनत जीवन की अजमता क भॊतर का परचाय कयता ह

उततय- सशयीर कारजमी अिधत की बाॉनत जीिन की अजमता क भॊतर का परचाय कयता ह| जफ ऩथिी अनदगन क सभान तऩ यही होती ह िह तफ बी कोभर परो स रदा रहरहाता यहता ह|फाहयी गयभी धऩ िराय आॉधी र उस परबावित नहीॊ कयती इतना ही नहीॊ िह रॊफ सभम तक णखरा यहता ह | सशयीर विऩयीत ऩरयनदसथनतमो भ बी धमयशीर यहन तथा अऩनी अजम नदजजीविरा क साथ ननसऩह बाि स परचॊड गयभी भ बी अविचर खड़ा यहता ह

परशन२-आयगवध (अभरतास) की तरना लशयीष स कमो नहीॊ की जा सकती

उततय- सशयीर क पर बमॊकय गयभी भ णखरत ह औय आराढ़ तक णखरत यहत ह जफकक अभरतास का पर किर ऩनददरह-फीस हदनो क सरए णखरता ह | उसक फाद अभरतास क पर झड़ जात ह औय ऩड़ कपय स ठॉठ का ठॉठ हो जाता ह | अभरतास अलऩजीिी ह | विऩयीत ऩरयनदसथनतमो को झरता हआ ऊरषण िाताियण को हॉसकय झरता हआ सशयीर दीघयजीिी यहता ह | मही कायण ह कक सशयीर की तरना अभरतास स नहीॊ की जा सकती |

परशन३-लशयीष क परो को याजनताओॊ का रऩक कमो ठदमा गमा ह

उततय- सशयीर क पर उन फढ़ ढीठ औय ऩयान याजनताओॊ क परतीक ह जो अऩनी कसी नहीॊ छोड़ना चाहत | अऩनी अधधकाय-सरपसा क सरए नए मिा नताओॊ को आग नहीॊ आन दत | सशयीर क नए परो को जफयदसती ऩयान परो को धककमाना ऩड़ता ह | याजनीनत भ बी नई मिा ऩीढ़ी ऩयानी ऩीढ़ी को हयाकय सिमॊ सतता सॉबार रती ह |

परशन४- कार दवता की भाय स फचन का कमा उऩाम फतामा गमा ह

उततय- कार दिता कक भाय स फचन का अथय हndash भतम स फचना | इसका एकभातर उऩाम मह ह कक भनरषम नदसथय न हो| गनतशीर ऩरयितयनशीर यह | रखक क अनसाय नदजनकी चतना सदा ऊधियभखी (आधमातभ की ओय) यहती ह ि हटक जात ह |

परशन५- गाॉधीजी औय लशयीष की सभानता परकट कीजजए |

उततय- नदजस परकाय सशयीर धचरधचराती धऩ र िराय औय आॉधी भ बी अविचर खड़ा यहता ह अनासकत यहकय अऩन िाताियण स यस खीॊचकय सयस कोभर फना यहता ह उसी परकाय गाॉधी जी न बी अऩनी आॉखो क साभन आजादी क सॊगराभ भ अनदमाम बदबाि औय हहॊसा को झरा |

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उनक कोभर भन भ एक ओय ननयीह जनता क परनत असीभ करणा जागी िहीॊ ि अनदमामी शासन क वियोध भ डटकय खड़ हो गए |

गदमाॊश-आधारयत अथटगरहण सॊफॊधधत परशनोततय

गदमाॊश सॊकत- ऩाठ ndash सशयीर क पर (ऩरषठ १४७)

कासरदास सौदमय क िह इशाया ह |

(क) कालरदास की सौदमटndashदजषट की कमा पवशषता थी उततय-कासरदास की सौदमयndashदनदरषट फहत सकषभ अॊतबदी औय सॊऩणय थी| ि किर फाहयी रऩ-यॊग औय आकाय को ही नहीॊ दखत थ फनदलक अॊतभयन की सॊदयता क बी ऩायखी थ| कासरदास की सौदमय शायीरयक औय भानससक दोनो विशरताओॊ स मकत था |

(ख) अनासजकत का कमा आशम ह उततय- अनासनदकत का आशम ह- वमनदकतगत सख-द ख औय याग-दिर स ऩय यहकय सौदमय क िासतविक भभय को जानना |

(ग) कालरदास ऩॊत औय यवीॊिनाथ टगोय भ कौन सा गण सभान था भहाकवि कासरदास ससभतरानॊदन ऩॊत औय गरदि यिीॊदरनाथ टगोय तीनो नदसथयपरऻ औय अनासकत कवि थ | ि सशयीर क सभान सयस औय भसत अिधत थ |

(घ) यवीॊिनाथ याजोदमान क लसॊहदवाय क फाय भ कमा सॊदश दत ह याजोदमान क फाय भ यिीॊदरनाथ कहत ह याजोदमान का ससॊहदिाय ककतना ही सॊदय औय गगनचमफी कमो ना हो िह अॊनतभ ऩड़ाि नहीॊ ह| उसका सौदमय ककसी औय उचचतभ सौदमय की ओय ककमा गमा सॊकत भातर ह कक असरी सौदमय इस ऩाय कयन क फाद ह अत याजोदमान का ससॊहदिाय हभ आग फढ़न की परयणा दता ह |

18शरभ-पवबाजन औय जानत-परथा

िॉ० बीभयाव अॊफिकय

सायाॊश ndash इस ऩाठ भ रखक न जानतिाद क आधाय ऩय ककए जान िार बदबाि को सभम सभाज क सरए हाननकायक फतामा ह | जानत आधारयत शरभ विबाजन को असिाबाविक औय भानिता वियोधी फतामा गमा ह मह साभानदजक बदबाि को फढ़ाता ह जानतपरथा आधारयत शरभ विबाजन भ वमनदकत की रधच को भहतति नहीॊ हदमा जाता परसिरऩ वििशता क साथ अऩनाए

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Page 22: ISSUED BY KENDRIYA VIDYALAYA - DOWNLOADED FROM … Class XII Hindi Part B.pdfप्रश्न४ :-फादर क / फयन का गयीफ एि धनी िगय क्मा

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भ ककसी अॉधड़ (आशम बािनातभक आॉधी स होगा) क परबाि स ककसी ण एक फीज फोमा जाता ह मह फीज-यचना विचाय औय असबवमनदकत का हो सकता ह मह भर रऩ कलऩना का सहाया रकय विकससत होता ह औय परककरमा भ सिमॊ विगसरत हो जाता ह उसस शबदो क अॊकय ननकरत ह औय अॊतत कनत एक ऩणय सिरऩ गरहण कयती ह जो कवर-कभय क सरहाज स ऩलरवित -ऩनदरषऩत होन की नदसथनत ह साहहनदतमक कनत स जो अरौककक यस-धाया पटती ह िह ण भ होन िारी योऩाई का ही ऩरयणाभ ह ऩय मह यस-धाया अनॊत कार तक चरन िारी कटाई ह |

फगरो क ऩॊख

साय

फगरो क ऩॊख कविता एक चार बफॊफ की कविता ह सौदमय का अऩकषत परबाि उतऩनदन कयन क सरए कविमो न कई मनदकतमाॉ अऩनाई ह नदजसभ स सफस परचसरत मनदकत ह-सौदमय क वमौयो क धचतरातभक िणयन क साथ अऩन भन ऩय ऩड़न िार उसक परबाि का िणयन औय आतभगत क सॊमोग की मह मनदकत ऩाठक को उस भर सौदमय क कापी ननकट र जाती ह जोशी जी की इस कविता भ ऐसा ही ह कवि कार फादरो स बय आकाश भ ऩॊनदकत फनाकय उड़त सपद फगरो को दखता ह ि कजयाय फादरो भ अटका-सा यह जाता ह िह इस भामा स अऩन को फचान की गहाय रगाता ह कमा मह सौदमय स फाॉधन औय विॊधन की चयभ नदसथनत को वमकत कयन का एक तयीका ह

परकनत का सितॊतर (आरॊफन गत ) धचतरण आधननक कविता की विशरता हधचतरातभक िणयन दिाया कवि न एक ओय कार फादरो ऩय उड़ती फगरो की शित ऩॊनदकत का धचतर अॊककत ककमा ह तो दसयी ओय इस अपरनतभ दशम क रदम ऩय ऩड़न िार परबाि को धचबतरत ककमा हभॊतर भगध कवि इस दशम क परबाि स आतभ विसभनत की नदसथनत तक ऩहॉच जाता हविरम एिॊ विरमीगत सौनददमय क दोनो रऩ कविता भ उदघाहटत हए ह

अथट-गरहण-सॊफॊधी परशन

ldquoछोटा भया खत चौकोना

कागज़ का एक ऩनदना कोई अॊधड़ कहीॊ स आमा

ण का फीज िहाॉ फोमा गमा|

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कलऩना क यसामनो को ऩी

फीज गर गमा ननशर शबद क अॊकय पट

ऩलरि ndashऩरषऩो स नसभत हआ विशर |rdquo

परशन १lsquoछोटा भया खतrsquo ककसका परतीक ह औय कमो

उततय - परशन२ lsquoछोटा भया खतrsquo काग़ज क उस ऩनदन का परतीक ह नदजस ऩय कवि अऩनी कविता सरखता ह

परशन २ कवि खत भ कौनndashसा फीज फोता ह

उततय - कवि खत भ अऩनी कलऩना का फीज फोता ह

परशन ३ कवि की कलऩना स कौन स ऩलरि अॊकरयत होत ह

उततय - कवि की कलऩना स शबद क ऩलरि अॊकरयत होत ह

परशन ४ उऩमयकत ऩद का बाि-सौदमय सऩरषट कीनदजए |

उततय - खती क रऩक दिाया कावम-यचनाndashपरककरमा को सऩषट ककमा गमा हकावम कनत की यचना फीजndash वऩन स रकय ऩौध क ऩजषऩत होन क पवलबनन चयणो स गजयती हअॊतय किर इतना ह कक कपव कभट की पसर कारजमी शाशित होती हउसका यस-यण अम होता ह

सौदमट-फोध-सॊफॊधी परशन

ldquoझभन रग पर

यस अरौककक

अभत धायाएॉ पटतीॊ

योऩाई ण की

कटाई अनॊतता की

रटत यहन स जया बी कभ नहीॊ होती |

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यस का अम ऩातर सदा का

छोटा भया खत चौकोना |rdquo

परशन इस कविता की बारा सॊफॊधी विशरताओॊ ऩय परकाश डासरए ndash

उततय - १ परतीकातभकता

२ राणणकता -

२रऩक अरॊकायndash यस का अम ऩातर सदा का

छोटा भया खत चौकोना

परशन २ यस अरौककक अभत धायाएॉ योऩाई ndash कटाई-परतीको क अथय सऩरषट कीनदजए |

उततय - यस अरौककक ndash कावम यस ननरषऩनदतत

अभत धायाएॉ- कावमानॊद

योऩाई ndash अनबनत को शबदफदध कयना

कटाई ndashयसासिादन

पवषम-वसत ऩय आधारयत परशनोततय

कपवता ndash

छोटा भया खत

परशन १ उभाशॊकय जोशी न ककस बारा भ कविताएॉ सरखी ह

उततय - गजयाती बारा

परशन२ कवरndashकभय एिॊ कविndashकभय भ कमा कमा सभानताएॉ ह

उततय - कवरndashकभय एिॊ कविndashकभय भ ननमनसरणखत सभानताएॉ ह-

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कावम कनत की यचना फीजndash वऩन स रकय ऩौध क ऩजषऩत होन क पवलबनन चयणो स गजयती ह

कपषndashकभट एवॊ कपवndashकभट भ सभानताएॉ -

कागज का ऩनदना नदजस ऩय यचना शबदफदध होती ह कवि को एक चौकोय खतरगता ह इस खत भ ककसी अॉधड़ (आशम बािनातभक आॉधी स होगा) क परबाि स ककसी ण

एक फीज फोमा जाता ह मह फीज-यचना विचाय औय असबवमनदकत का हो सकता ह मह भर रऩ कलऩना का सहाया रकय विकससत होता ह औय परककरमा भ सिमॊ विगसरत

हो जाता ह इसीपरकाय फीज बी खाद ऩानी समय की योशनी हिा आहद रकय विकससत होता ह |

कावम ndashयचना स शबदो क अॊकय ननकरत ह औय अॊतत कनत एक ऩणय सिरऩ गरहण कयती ह जो कवर-कभय क सरहाज स ऩलरवित ndashऩनदरषऩत औय पसरत होन की नदसथनत ह अथट-गरहण-सॊफॊधी परशन

कपवताndash फगरो क ऩॊख

नब भ ऩाॉती- फॉध फगरो क ऩॊख

चयाए सरए जातीॊ ि भयी आॉख |

कजयाय फादरो की छाई नब छामा

हौरndashहौर जाती भझ फाॉध ननज भामा स |

उस कोई तननक योक यकखो |

िह तो चयाए सरए जाती भयी आॉख

नब भ ऩाॉती- फॉधी फगरो की ऩाॉख |

तयती साॉझ की सतज शित कामा|

परशन१- इस कविता भ कवि न ककसका धचतरण ककमा ह

उततय - कवि न कार फादरो ऩय उड़ती फगरो की शित ऩॊनदकत का धचतरण ककमा ह|

परशन२- आॉख चयान का कमा अथय ह

उततय - आॉख चयान का आशम ह ndashधमान ऩयी तयह खीॊच रना एकटक दखना भॊतरभगध कय दना

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परशन३-

ldquoकजयाय फादरो की छाई नब छामा

हौर ndashहौर जाती भझ फाॉध ननज भामा स |rdquo- आशम सऩरषट कीनदजए |

उततय- कार फादरो क फीच साॉझ का सयभई िाताियण फहत सॊदय हदखता ह | ऐसा अपरनतभ सौदमय अऩन आकरयण भ कवि को फाॉध रता ह |

परशन ४ ldquoउस कोई तननक योक यकखो |rsquo- स कवि का कमा असबपराम ह

उततय - फगरो की ऩॊनदकत आकाश भ दय तक उड़ती जा यही ह कवि की भॊतरभगध आॉख उनका ऩीछा कय यही ह | कवि उन फगरो को योक कय यखन की गहाय रगा यहा ह कक कहीॊ ि उसकी आॉख ही अऩन साथ न र जाएॉ |

सौदमट-फोध-सॊफॊधी परशन

परशन १ कविता की बारा सॊफॊधी दो विशरताएॉ सरणखए|

उततय -१ धचतरातभक बारा

२ फोरचार क शबदो का परमोग - हौर ndashहौर ऩाॉती कजयायसाॉझ

परशन २ कविता भ परमकत अरॊकाय चन कय सरणखए |

उततय - अनपरास अरॊकाय - फॉध फगरो क ऩॊख

भानिीकयण अरॊकाय - चयाए सरए जातीॊ ि भयी आॉख |

परशन ३ -lsquo ननज भामाrsquo क राणणक अथय को सऩरषट कीनदजए |

उततय - परकनत का अपरनतभ सौदमय िह भामा ह जो कवि को आतभविबोय कय दती हमह ऩॊनदकत बी परशॊसातभक उनदकत ह

पवषम-वसत ऩय आधारयत परशनोततय

परशन१- lsquoचयाए सरए जाती ि भयी ऑ ॊखrsquo स कवि का कमा तातऩमय ह

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उततय -धचतरातभक िणयन दिाया कवि न एक ओय कार फादरो ऩय उड़ती फगरो की शित ऩॊनदकत का धचतर अॊककत ककमा ह तथा इस अपरनतभ दशम क रदम ऩय ऩड़न िार परबाि को धचबतरत ककमा ह कवि क अनसाय मह दशम उनकी आॉख चयाए सरए जा यहा ह |भॊतर भगध कवि इस दशम क परबाि स आतभ विसभनत की नदसथनत तक ऩहॉच जाता ह

परशन२-कवि ककस भामा स फचन की फात कहता ह

उततय - भामा विशि को अऩन आकरयण भ फाॉध रन क सरए परससदध ह | कफीय न बी lsquoभामा भहा ठधगनी हभ जानीrsquo कहकय भामा की शनदकत को परनतऩाहदत ककमा ह | कार फादरो भ फगरो की सॊदयता अऩना भामा जार परा कय कवि को अऩन िश भ कय यही ह |

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आयोह बाग-२ गदम-बाग

परशन-सॊखमा १०- गदम खॊड भ हदए गए ऩहठत गदमाॊश स अथयगरहण सॊफॊधी चाय परशन ऩछ जाएॉग नदजनक सरए ननधायरयत अॊक (२४=८) ह |

परशन-सॊखमा ११- ऩाठो की विरमिसत स सॊफॊधधत ऩाॉच भ स चाय परशनो क उततय दन ह नदजनक सरए ननधायरयत अॊक (३४=१२) ह|

ऩयीा भ अचछ अॊक परातत कयन क लरए धमान दन मोगम फात ndash

1 रख एिॊ ितयनी की शदधता तथा िाकम-गठन ऩय धमान द | 2 हय ऩाठ का सायऩरषठबसभविरमिसत तथाकथानक को सभझना आिशमक ह |

अतविदमाथी हय ऩाठ का सायाॊश बरीबाॉनत माद कय र | 3 परशनो को धमान स ऩढ़ तदनसाय अऩकषत उततय सरख | 4 उततय सरखत सभम सॊफॊधधत भखम बफॊदओॊ का शीरयकफनात हए उततय सरख मथा-तीन

अॊक क परशनो क उततय सरखत सभम कभ स कभ तीन भखम उततय-बफ ॊदओॊ का उलरख कयत हए उततय सऩरषट कय |

5 अॊक-मोजना क अनसाय ननधायरयत शबद-सीभा क अॊतगयत उततय सरख | ऩयीाथी कई फाय एक अॊक क परशन का उततय फहत रॊफा कई फाय ऩया ऩरषठ सरख दत ह जो सभम औय ऊजाय की फफायदी ह |

6 धमान यह कक अधधक सरखन स अचछ अॊक नहीॊ आत फनदलक सयर-सफोध बारा भ सरख गए सटीक उततय सायगसबयत तथम तथा उदाहयण क दिाया सऩरषट ककए गए उततय परबािशारी होत ह |

ऩाि 11 - बजकतन

रखखका- भहादवी वभाट

ऩाि का सायाॊश- बनदकतन नदजसका िासतविक नाभ रकषभी थारणखका lsquoभहादिी िभायrsquo की सविका ह | फचऩन भ ही बनदकतन की भाॉ की भतम हो गमी| सौतरी भाॉ न ऩाॉच िरय की आम भ वििाह तथा नौ िरय की आम भ गौना कय बनदकतन को ससयार बज हदमा| ससयार भ बनदकतन न तीन फहटमो को जनदभ हदमा नदजस कायण उस सास औय नदजठाननमो की उऩा सहनी ऩड़ती थी| सास औय नदजठाननमाॉ आयाभ पयभाती थी औय बनदकतन तथा उसकी ननदहीॊ फहटमो को घय औय खतो का साया काभ कयना ऩडता था| बनदकतन का ऩनत उस फहत चाहता था| अऩन ऩनत क सनह क फर ऩय बनदकतन न ससयार िारो स अरगौझा कय अऩना अरग घय फसा सरमा औय सख स यहन रगी ऩय बनदकतन का दबायगम अलऩाम भ ही उसक ऩनत की भतम हो गई | ससयार िार

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बनदकतन की दसयी शादी कय उस घय स ननकारकय उसकी सॊऩनदतत हड़ऩन की सानदजश कयन रग| ऐसी ऩरयनदसथनत भ बनदकतन न अऩन कश भॊडा सरए औय सॊनदमाससन फन गई | बनदकतन सिासबभानी सॊघरयशीर कभयठ औय दढ सॊकलऩ िारी सतरी ह जो वऩतसततातभक भानदमताओॊ औय छर-कऩट स बय सभाज भ अऩन औय अऩनी फहटमो क हक की रड़ाई रड़ती हघय गहसथी सॉबारन क सरए अऩनी फड़ी फटी दाभाद को फरा सरमा ऩय दबायगम न महाॉ बी बनदकतन का ऩीछा नहीॊ छोड़ा अचानक उसक दाभाद की बी भतम हो गमी| बनदकतन क जठ-नदजठौत न सानदजश यचकय बनदकतन की विधिा फटी का वििाह जफयदसती अऩन तीतयफाज सार स कय हदमा| ऩॊचामत दिाया कयामा गमा मह सॊफॊध दखदामी यहा | दोनो भाॉ-फटी का भन घय-गहसथी स उचट गमा ननधयनता आ गमी रगान न चका ऩान क कायण जभीॊदाय न बनदकतन को हदन बय धऩ भ खड़ा यखा| अऩभाननत बनदकतन ऩसा कभान क सरए गाॉि छोड़कय शहय आ जाती ह औय भहादिी की सविका फन जाती ह| बनदकतन क भन भ भहादिी क परनत फहत आदय सभऩयण औय असबबािक क सभान अधधकाय बाि ह| िह छामा क सभान भहादिी क साथ यहती ह| िह यात-यात बय जागकय धचतरकायी मा रखन जस कामय भ वमसत अऩनी भारककन की सिा का अिसय ढॉढ रती ह| भहादिी बनदकतन को नहीॊ फदर ऩामी ऩय बनदकतन न भहादिी को फदर हदमा| बनदकतन क हाथ का भोटा-दहाती खाना खात-खात भहादिी का सिाद फदर गमा बनदकतन न भहादिी को दहात क ककसस-कहाननमाॉ ककॊ िदॊनतमाॉ कॊ ठसथ कया दी| सिबाि स भहाकॊ जस होन ऩय बी बनदकतन ऩाई-ऩाई कय जोडी हई १०५ रऩमो की यासश को सहरय भहादिी को सभवऩयत कय दती ह| जर क नाभ स थय-थय काॉऩन िारी बनदकतन अऩनी भारककन क साथ जर जान क सरए फड़ राट साहफ तक स रड़न को बी तमाय हो जाती ह| बनदकतन भहादिी क जीिन ऩय छा जान िारी एक ऐसी सविका ह नदजस रणखका नहीॊ खोना चाहती

ऩाि आधारयत परशनोततय

नोट- उततय भ ननहहत यखाॊककत िाकम भखम सॊकत बफॊद ह |

परशन 1-बजकतन का वासतपवक नाभ कमा था वह अऩन नाभ को कमो छऩाना चाहती थी

उततय-बनदकतन का िासतविक नाभ रकषभी था हहनददओॊ क अनसायरकषभी धन की दिीह चॉकक बनदकतन गयीफ थी| उसक िासतविक नाभ क अथय औय उसक जीिन क मथाथय भ वियोधाबास ह ननधयन बनदकतन सफको अऩना असरी नाभ रकषभी फताकय उऩहास का ऩातर नहीॊ फनना चाहती थी इससरए िह अऩना असरी नाभ छऩाती थी

परशन 2- रखखका न रकषभी का नाभ बजकतन कमो यखा

उततय-घटा हआ ससय गर भ कॊ ठी भारा औय बकतो की तयह सादगीऩणय िशबरा दखकय भहादिी िभाय न रकषभी का नाभ बनदकतन यख हदमा | मह नाभ उसक वमनदकतति स ऩणयत भर खाता था |

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परशन 3-बजकतन क जीवन को ककतन ऩरयचछदो भ पवबाजजत ककमा गमा ह

उततय- बनदकतन क जीिन को चाय बागो भ फाॉटा गमा ह-

ऩहरा ऩरयचछद-बनदकतन का फचऩन भाॉ की भतम विभाता क दिाया बनदकतन का फार-वििाह कया दना

दपवतीम ऩरयचछद-बनदकतन का ििाहहक जीिन सास तथा नदजठाननमो का अनदमामऩणय वमिहाय ऩरयिाय स अरगौझा कय रना

ततीम ऩरयचछद- ऩनत की भतम विधिा क रऩ भ सॊघरयशीर जीिन चतथट ऩरयचछद- भहादिी िभाय की सविका क रऩ भ

परशन 4- बजकतन ऩाि क आधाय ऩय बायतीम गराभीण सभाज भ रड़क-रड़ककमो भ ककम जान वार बदबाव का उलरख कीजजए |

बायतीम गराभीण सभाज भ रड़क-रड़ककमो भ बदबाि ककमा जाता ह| रड़ककमो को खोटा ससकका मा ऩयामा धन भाना जाता ह| बनदकतन न तीन फहटमो को जनदभ हदमा नदजस कायण उस सास औय नदजठाननमो की उऩा सहनी ऩड़ती थी| सास औय नदजठाननमाॉ आयाभ पयभाती थी कमोकक उनदहोन रड़क ऩदा ककए थ औय बनदकतन तथा उसकी ननदहीॊ फहटमो को घय औय खतो का साया काभ कयना ऩडता था| बनदकतन औय उसकी फहटमो को रखा-सखा भोटा अनाज खान को सभरता था जफकक उसकी नदजठाननमाॉ औय उनक कार-करट फट दध-भराई याफ-चािर की दाित उड़ात थ

परशन 5-बजकतन ऩाि क आधाय ऩय ऩॊचामत क नमाम ऩय ठटतऩणी कीजजए |

बनदकतन की फटी क सनददबय भ ऩॊचामत दिाया ककमा गमा नदमाम तकय हीन औय अॊध कानन ऩय आधारयतह | बनदकतन क नदजठौत न सॊऩनदतत क रारच भ रडमॊतर कय बोरी फचची को धोख स जार भ पॊ सामा| ऩॊचामत न ननदोर रड़की की कोई फात नहीॊ सनी औय एक तयिा पसरा दकय उसका वििाह जफयदसती नदजठौत क ननकमभ तीतयफाज सार स कय हदमा | ऩॊचामत क अॊध कानन स दरषटो को राब हआ औय ननदोर को दॊड सभरा |

परशन 6-बजकतन की ऩाक-करा क फाय भ ठटतऩणी कीजजए |

बनदकतन को ठठ दहाती सादा बोजन ऩसॊद था | यसोई भ िह ऩाक छत को फहत भहतति दती थी | सफह-सिय नहा-धोकय चौक की सपाई कयक िह दिाय ऩय कोमर की भोटी यखा खीॊच दती थी| ककसी को यसोईघय भ परिश कयन नहीॊ दती थी| उस अऩन फनाए बोजन ऩय फड़ा असबभान था| िह अऩन फनाए बोजन का नतयसकाय नहीॊ सह सकती थी |

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परशन 7- लसदध कीजजए कक बजकतन तकट -पवतकट कयन भ भाठहय थी |

बनदकतन तकय ऩट थी | कश भॉडान स भना ककए जान ऩय िह शासतरो का हिारा दत हए कहती ह lsquoतीयथ गए भॉडाए ससदधrsquo | घय भ इधय-उधय यख गए ऩसो को िह चऩचाऩ उठा कय छऩा रती ह टोक जानऩय िह िह इस चोयी नही भानती फनदलक िह इस अऩन घय भ ऩड़ ऩसो को सॉबारकय यखना कहती ह| ऩढाई-सरखाई स फचन क सरए बी िह अचक तकय दती ह कक अगय भ बी ऩढ़न रगॉ तो घय का काभ कौन दखगा

परशन 8-बजकतन का दबाटगम बी कभ हिी नही था रखखका न ऐसा कमो कहा ह

उततय- बजकतन का दबाटगम उसका ऩीछा नहीॊ छोड़ता था-

1- फचऩन भ ही भाॉ की भतम 2- विभाता की उऩा 3- बनदकतन(रकषभी) का फारवििाह 4- वऩता का ननधन 5- तीन-तीन फहटमो को जनदभ दन क कायण सास औय नदजठाननमो क दिाया बनदकतन की

उऩा 6- ऩनत की असभम भतम 7- दाभाद का ननधन औय ऩॊचामत क दिाया ननकमभ तीतयफाज मिक स बनदकतन की विधिा

फटी का जफयन वििाह 8- रगान न चका ऩान ऩय जभीॊदाय क दिाया बनदकतन का अऩभान

परशन 9-बजकतन न भहादवी वभाट क जीवन ऩय कस परबापवत ककमा

उततय- बनदकतन क साथ यहकय भहादिी की जीिन-शरी सयर हो गमी ि अऩनी सविधाओॊ की चाह को नछऩान रगीॊ औय असविधाओॊ को सहन रगीॊ बनदकतन न उनदह दहाती बोजन णखराकय उनका सिाद फदर हदमा बनदकतन भातर एक सविका न होकय भहादिी की असबबािक औय आतभीम फन गमीबनदकतन भहादिी क जीिन ऩय छा जान िारी एक ऐसी सविका ह नदजस रणखका नहीॊ खोना चाहती

परशन 10- बजकतन क चरयतर की पवशषताओॊ का उलरख कीजजए

उततय- भहादिी िभाय की सविका बनदकतन क वमनदकतति की विशरताएॊ ननमनाॊककत ह-

सभवऩयत सविका सिासबभानी

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तकय शीरा ऩरयशरभी सॊघरयशीर

परशन 11-बजकतन क दगटणो का उलरख कय

उततय- गणो क साथ-साथ बनदकतन क वमनदकतति भ अनक दगयण बी ननहहत ह-

1 िह घय भ इधय-उधय ऩड़ रऩम-ऩस को बॊडाय घय की भटकी भ छऩा दती ह औय अऩन इस कामय को चोयी नहीॊ भानती

2 भहादिी क करोध स फचन क सरए बनदकतन फात को इधय-उधय कयक फतान को झठ नही भानती अऩनी फात को सही ससदध कयन क सरए िह तकय -वितकय बी कयती ह

3 िह दसयो को अऩनी इचछानसाय फदर दना चाहती ह ऩय सिमॊ बफरकर नही फदरती परशन 12 ननमनाॊककत बाषा-परमोगो का अथट सऩषट कीजजए-

ऩहरी कनमा क दो औय सॊसकयण कय िार- बनदकतन न अऩनी ऩहरी कनदमा क फाद उसक जसी दो औय कनदमाएॉ ऩदा कय दी अथायत बनदकतन क एक क फाद एक तीन फहटमाॉ ऩदा हो गमीॊ |

खोट लसकको की टकसार जसी ऩतनी- आज बी असशकषत गराभीण सभाज भ फहटमो को

खोटा ससकका कहा जाता ह बनदकतन न एक क फाद एक तीन फहटमाॉ ऩदा कय दी इससरए उस खोट ससकक को ढारन िारी भशीन कहा गमा

परशन 13-बजकतन ऩाि भ रखखका न सभाज की ककन सभसमाओॊ का उलरख ककमा ह

उततय- बनदकतन ऩाठ क भाधमभ स रणखका न बायतीम गराभीण सभाज की अनक सभसमाओॊ का उलरख ककमा ह-

1 रड़क-रड़ककमो भ ककमा जान िारा बदबाि 2 विधिाओॊ की सभसमा 3 नदमाम क नाभ ऩय ऩॊचामतो क दिाया नदसतरमो क भानिाधधकाय को कचरना 4 असशा औय अॊधविशिास

गदमाॊश-आधारयत अथटगरहण सॊफॊधधत परशनोततय

ऩरयिाय औय ऩरयनदसथनतमो क कायण सिबाि भ जो विरभताएॉ उतऩनदन हो गई ह उनक बीतय स एक सनह औय सहानबनत की आबा पटती यहती ह इसी स उसक सॊऩकय भ आनिार वमनदकत उसभ जीिन की सहज भासभयकता ही ऩात ह छातरािास की फासरकाओॊ भ स कोई अऩनी चाम

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फनिान क सरए दहरी ऩय फठी यहती ह कोई फाहय खडी भय सरए नाशत को चखकय उसक सिाद की वििचना कयती यहती ह भय फाहय ननकरत ही सफ धचडड़मो क सभान उड़ जाती ह औय बीतय आत ही मथासथान वियाजभान हो जाती ह इनदह आन भ रकािट न हो सॊबित इसी स बनदकतन अऩना दोनो जन का बोजन सिय ही फनाकय ऊऩय क आर भ यख दती ह औय खात सभम चौक का एक कोना धोकय ऩाकndashछत क सनातन ननमभ स सभझौता कय रती ह

भय ऩरयधचतो औय साहहनदतमक फॊधओॊ स बी बनदकतन विशर ऩरयधचत ह ऩय उनक परनत बनदकतन क समभान की भातरा भय परनत उनक समभान की भातरा ऩय ननबयय ह औय सदभाि उनक परनत भय सदभाि स नननदशचत होता ह इस सॊफॊध भ बनदकतन की सहज फवदध विनदसभत कय दन िारी ह

(क) बजकतन का सवबाव ऩरयवाय भ यहकय कसा हो गमा ह

उततय-विरभ ऩरयनदसथनतजनदम उसक उगर हठी औय दयागरही सिबाि क फािजद बनदकतन क बीतय सनह औय सहानबनत की आबा पटती यहती ह उसक सॊऩकय भ आन िार वमनदकत उसभ जीिन की सहज भासभयकता ही ऩात ह

(ख) बजकतन क ऩास छातरावास की छातराएॉ कमो आती ह

उततय- बनदकतन क ऩास कोई छातरा अऩनी चाम फनिान आती ह औय दहरी ऩय फठी यहती ह कोई भहादिी जी क सरए फन नाशत को चखकय उसक सिाद की वििचना कयती यहती ह भहादिी को दखत ही सफ छातराएॉ बाग जाती ह उनक जात ही कपय िाऩस आ जातीॊ ह बनदकतन का सहज-सनह ऩाकय धचडड़मो की तयह चहचहान रगती ह |

(ग) छातराओॊ क आन भ रकावट न िारन क लरए बजकतन न कमा उऩाम ककमा

उततय- छातराओॊ क आन भ रकािट न डारन क सरए बनदकतन न अऩन ऩाक-छत क ननमभ स सभझौता कय सरमा | बनदकतन अऩना दोनो िकत का खाना फनाकय सफह ही आर भ यख दती औय खात सभम चौक का एक कोना धोकय िहाॉ फठकय खा सरमा कयती थी ताकक छातराएॉ बफना योक-टोक क उसक ऩास आ सक

(घ) साठहतमकायो क परनत बजकतन क समभान का कमा भाऩदॊि ह

उततय-बनदकतन भहादिी क साहहनदतमक सभतर क परनत सदभाि यखती थी नदजसक परनत भहादिी सिमॊ सदभाि यखती थी | िह सबी स ऩरयधचत हऩय उनक परनत समभान की भातरा भहादिी जी क समभान की भातरा ऩय ननबयय कयती ह िह एक अदभत ढॊग स जान रती थी कक कौन ककतना समभान कयता ह उसी अनऩात भ उसका परापम उस दती थी

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12 फाजाय-दशटन

रखक- जनि कभाय

ऩाि का सायाॊश फाजाय-दशयन ऩाठ भ फाजायिाद औय उऩबोकतािाद क साथ-साथ अथयनीनत एिॊ दशयन स सॊफॊधधत परशनो को सरझान का परमास ककमा गमा ह फाजाय का जाद तबी असय कयता ह जफ भन खारी हो| फाजाय क जाद को योकन का उऩाम मह ह कक फाजाय जात सभम भन खारी ना हो भन भ रकषम बया हो| फाजाय की असरी कताथयता ह जरयत क िकत काभ आना| फाजाय को िही भनरषम राब द सकता ह जो िासति भ अऩनी आिशमकता क अनसाय खयीदना चाहता ह| जो रोग अऩन ऩसो क घभॊड भ अऩनी ऩचनदजॊग ऩािय को हदखान क सरए चीज खयीदत ह ि फाजाय को शतानी वमॊगम शनदकत दत ह| ऐस रोग फाजारऩन औय कऩट फढात ह | ऩस की मह वमॊगम शनदकत वमनदकत को अऩन सग रोगो क परनत बी कतघन फना सकती ह | साधायण जन का रदम रारसा ईरषमाय औय तरषणा स जरन रगता ह | दसयी ओय ऐसा वमनदकत नदजसक भन भ रश भातर बी रोब औय तरषणा नहीॊ ह सॊचम की इचछा नहीॊ ह िह इस वमॊगम-शनदकत स फचा यहता ह | बगतजी ऐस ही आतभफर क धनी आदशय गराहक औय फचक ह नदजन ऩय ऩस की वमॊगम-शनदकत का कोई असय नहीॊ होता | अनक उदाहयणो क दिाया रखक न मह सऩरषट ककमा ह कक एक ओय फाजाय रारची असॊतोरी औय खोखर भन िार वमनदकतमो को रटन क सरए ह िहीॊ दसयी ओय सॊतोरी भन िारो क सरए फाजाय की चभक-दभक उसका आकरयण कोई भहतति नहीॊ यखता

परशन१ - ऩचजजॊग ऩावय ककस कहा गमा ह फाजाय ऩय इसका कमा परबाव ऩड़ता ह

उततय- ऩचनदजॊग ऩािय का अथय ह खयीदन की शनदकत ऩचनदजॊग ऩािय क घभॊड भ वमनदकत हदखाि क सरए आिशमकता स अधधक खयीदायीकयता ह औय फाजाय को शतानी वमॊगम-शनदकत दता ह ऐस रोग फाजाय का फाजारऩन फढ़ात ह

परशन२ -रखक न फाजाय का जाद ककस कहा ह इसका कमा परबाव ऩड़ता ह

उततय- फाजाय की चभक-दभक क चॊफकीम आकरयण को फाजाय का जाद कहा गमा ह मह जाद आॊखो की याह कामय कयता ह फाजाय क इसी आकरयण क कायण गराहक सजी-धजी चीजो को आिशमकता न होन ऩय बी खयीदन को वििश हो जात ह

परशन३ -आशम सऩषट कय

भन खारी होना भन बया होना भन फॊद होना

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उततय-भन खारी होना- भन भ कोई नननदशचत िसत खयीदन का रकषम न होना ननरददशम फाजाय जाना औय वमथय की चीजो को खयीदकय राना

भन बया होना- भन रकषम स बया होना नदजसका भन बया हो िह बरीबाॉनत जानता ह कक उस फाजाय स कौन सी िसत खयीदनी ह अऩनी आिशमकता की चीज खयीदकय िह फाजाय को साथयकता परदान कयता ह

भन फॊद होना-भन भ ककसी बी परकाय की इचछा न होना अथायत अऩन भन को शनदम कय दना

परशन४ - lsquoजहाॉ तषणा ह फटोय यखन की सऩहा ह वहाॉ उस फर का फीज नहीॊ हrsquo महाॊ ककस फर की चचाट की गमी ह

उततय- रखक न सॊतोरी सिबाि क वमनदकत क आतभफरकी चचाय की ह दसय शबदो भ महद भन भ सॊतोर हो तो वमनदकत हदखाि औय ईरषमाय की बािना स दय यहता ह उसभ सॊचम कयन की परिनदतत नहीॊ होती

परशन५ - अथटशासतर अनीनतशासतर कफ फन जाता ह

उततय- जफ फाजाय भ कऩट औय शोरण फढ़न रग खयीददाय अऩनी ऩचधचॊग ऩािय क घभॊड भ हदखाि क सरए खयीददायी कय | भनरषमो भ ऩयसऩय बाईचाया सभापत हो जाए| खयीददाय औय दकानदाय एक दसय को ठगन की घात भ रग यह एक की हानन भ दसय को अऩना राब हदखाई द तो फाजाय का अथयशासतर अनीनतशासतर फन जाता ह ऐस फाजाय भानिता क सरए विडॊफना ह

परशन६-बगतजी फाजाय औय सभाज को ककस परकाय साथटकता परदान कय यह ह

उततय- बगतजी क भन भ साॊसारयक आकरयणो क सरए कोई तरषणा नहीॊ ह ि सॊचम रारच औय हदखाि स दय यहत ह फाजाय औय वमाऩाय उनक सरए आिशमकताओॊ की ऩनत य का साधन भातर ह बगतजी क भन का सॊतोर औय ननसऩह बाि उनको शररषठ उऩबोकता औय विकरता फनात ह

परशन ७ _ बगत जी क वमजकततव क सशकत ऩहरओॊ का उलरख कीजजए |

उततय-ननमनाॊककत बफॊद उनक वमनदकतति क सशकत ऩहर को उजागय कयत ह

ऩॊसायी की दकान स किर अऩनी जरयत का साभान (जीया औय नभक) खयीदना नननदशचत सभम ऩय चयन फचन क सरए ननकरना छह आन की कभाई होत ही चयन फचना फॊद कय दना फच हए चयन को फचचो को भफ़त फाॉट दना

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सबी काजम-जम याभ कहकय सिागत कयना फाजाय की चभक-दभक स आकवरयत न होना सभाज को सॊतोरी जीिन की सशा दना

परशन7-फाजाय की साथटकता ककसभ ह

उततय- भनरषम की आिशमकताओॊ की ऩनतय कयन भ ही फाजाय की साथयकता ह जो गराहक अऩनी आिशमकताओॊ की चीज खयीदत ह ि फाजाय को साथयकता परदान कयत ह जो विकरता गराहको का शोरण नहीॊ कयत औय छर-कऩट स गराहको को रबान का परमास नही कयत ि बी फाजाय को साथयक फनात ह

गदमाॊश-आधारयत अथटगरहण-सॊफॊधधत परशनोततय

फाजाय भ एक जाद ह िह जाद आॉख की तयह काभ कयता ह िह रऩ का जाद ह ऩय जस चॊफक का जाद रोह ऩय ही चरता ह िस ही इस जाद की बी भमायदा ह जफ बयी हो औय भन खारी हो ऐसी हारत भ जाद का असय खफ होता ह जफ खारी ऩय भन बया न हो तो बी जाद चर जाएगा भन खारी ह तो फाजाय की अनकानक चीजो का ननभॊतरण उस तक ऩहॉच जाएगा कहीॊ हई उस िकत जफ बयी तफ तो कपय िह भन ककसकी भानन िारा ह भारभ होता ह मह बी रॉ िह बी रॉ सबी साभान जरयी औय आयाभ को फढ़ान िारा भारभ होता ह ऩय मह सफ जाद का असय ह जाद की सिायी उतयी कक ऩता चरता ह कक प सी-चीजो की फहतामत आयाभ भ भदद नहीॊ दती फनदलक खरर ही डारती ह थोड़ी दय को सिासबभान को जरय सक सभर जाता ह ऩय इसस असबभान को धगलटी की खयाक ही सभरती ह जकड़ यशभी डोयी की हो तो यशभ क सऩशय क भरामभ क कायण कमा िह कभ जकड़ दगी

ऩय उस जाद की जकड़ स फचन का एक सीधा उऩाम ह िह मह कक फाजाय जाओ तो खारी भन न हो भन खारी हो तफ फाजाय न जाओ कहत ह र भ जाना हो तो ऩानी ऩीकय जाना चाहहए ऩानी बीतय हो र का रऩन वमथय हो जाता ह भन रकषम स बया हो तो फाजाय परा का परा ही यह जाएगा तफ िह घाि बफरकर नहीॊ द सकगा फनदलक कछ आनॊद ही दगा तफ फाजाय तभस कताथय होगा कमोकक तभ कछ न कछ सचचा राब उस दोग फाजाय की असरी कताथयता ह आिशमकता क सभम काभ आना

परशन-1 फाजाय क जाद को रखक न कस सऩषट ककमा ह

उततय- फाजाय क रऩ का जाद आॉखो की याह स काभ कयता हआ हभ आकवरयत कयता ह फाजाय का जाद ऐस चरता ह जस रोह क ऊऩय चॊफक का जाद चरता ह चभचभाती योशनी भ सजी

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प सी चीॊज गराहक को अऩनी ओय आकवरयत कयती ह| इसी चमफकीम शनदकत क कायण वमनदकत कपजर साभान को बी खयीद रता ह |

परशन-2 जफ बयी हो औय भन खारी तो हभायी कमा दशा होती ह

उततय- जफ बयी हो औय भन खारी हो तो हभाय ऊऩय फाजाय का जाद खफ असय कयता ह भन खारी ह तो फाजाय की अनकानक चीजो का ननभॊतरण भन तक ऩहॉच जाता ह औय उस सभम महद जफ बयी हो तो भन हभाय ननमॊतरण भ नहीॊ यहता

परशन-3 प सी चीजो की फहतामत का कमा ऩरयणाभ होता ह

उततय- प सी चीज आयाभ की जगह आयाभ भ वमिधान ही डारती ह थोड़ी दय को असबभान को जरय सक सभर जाती ह ऩय हदखाि की परिनदतत भ िवदध होती ह

परशन-4 जाद की जकड़ स फचन का कमा उऩाम ह

उततय- जाद की जकड़ स फचन क सरए एक ही उऩाम ह िह मह ह कक फाजाय जाओ तो भन खारी न हो भन खारी हो तो फाजाय भत जाओ

13 कार भघा ऩानी द

रखक-धभटवीय बायती

ऩाि का सायाॊश -lsquoकार भघा ऩानी दrsquo ननफॊध रोकजीिन क विशिास औय विऻान क तकय ऩय आधारयत ह जफ बीरण गभी क कायण वमाकर रोग िराय कयान क सरए ऩजा-ऩाठ औय कथा-विधान कय थकndashहाय जात ह तफ िराय कयान क सरए अॊनतभ उऩाम क रऩ भ इनददय सना ननकरती ह| इनददय सना नॊग-धड़ॊग फचचो की टोरी ह जो कीचड़ भ रथऩथ होकय गरी-भोहलर भ ऩानी भाॉगन ननकरती ह| रोग अऩन घय की छतो-णखड़ककमो स इनददय सना ऩय ऩानी डारत ह | रोगो की भानदमता ह कक इनददर फादरो क सिाभी औय िराय क दिता ह| इनददर की सना ऩय ऩानी डारन स इनददर बगिान परसनदन होकय ऩानी फयसाएॊग | रखक का तकय ह कक जफ ऩानी की इतनी कभी ह तो रोग भनदशकर स जभा ककए ऩानी को फालटी बय-बयकय इनददय सना ऩय डारकय ऩानी को कमो फफायद कयत ह आमयसभाजी विचायधाया िारा रखक इस अॊधविशिास भानता ह | इसक विऩयीत रखक की जीजी उस सभझाती ह कक मह ऩानी की फफायदी नहीॊ फनदलक ऩानी की फिाई ह | कछ ऩान क सरए कछ दना ऩड़ता ह | तमाग क बफना दान नहीॊ होता| परसतत ननफॊध भ रखक न भरषटाचाय की सभसमा को उठात हए कहा ह कक जीिन भ कछ ऩान क सरए तमाग आिशमक ह जो रोग तमाग औय दान की भहतता को नहीॊ भानत ि ही भरषटाचाय भ सरपत यहकय दश औय सभाज को रटत ह| जीजी की आसथा बािनातभक सचचाई को ऩरषट कयती ह औय तकय किर िऻाननक तथम को सतम भानता ह जहाॉ तकय मथाथय क

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कठोय धयातर ऩय सचचाई को ऩयखता ह तो िहीॊ आसथा अनहोनी फात को बी सिीकाय कय भन को सॊसकारयत कयती ह बायत की सितॊतरता क ५० सार फाद बी दश भ वमापत बरषटाचाय औय सिाथय की बािना को दखकय रखक दखी ह | सयकाय दिाया चराई जा यही मोजनाएॉ गयीफो तक कमो नहीॊ ऩहॉच ऩा यहीॊ ह कार भघा क दर उभड़ यह ह ऩय आज बी गयीफ की गगयी पटी हई कमो ह रखक न मह परशन ऩाठको क सरए छोड़ हदमा ह |

परशन1-इनदय सना घय-घय जाकय ऩानी कमो भाॉगती थी

उततय- गाॉि क रोग फारयश क सरए बगिान इॊदर स पराथयना ककमा कयत थ जफ ऩजा-ऩाठवरत आहद उऩाम असिर हो जात थ तो बगिान इॊदर को परसनदन कयन क सरए गाॉि क ककशोय फचच कीचड़ भ रथऩथ होकय गरी-गरी घभकय रोगो स ऩानी भाॉगत थ

परशन2-इनदयसना को रखक भढक-भॊिरी कमो कहता ह जीजी क फायndashफाय कहन ऩय बी वह इनदयसना ऩय ऩानी प कन को याजी कमो नहीॊ होता

उततय- इनददयसना का कामय आमयसभाजी विचायधाया िार रखक को अॊधविशिास रगता ह उसका भानना ह कक महद इॊदयसना दिता स ऩानी हदरिा सकती ह तो सिमॊ अऩन सरए ऩानी कमो नहीॊ भाॉग रती ऩानी की कभी होन ऩय बी रोग घय भ एकतर ककम हए ऩानी को इॊदयसना ऩय ि कत ह रखक इस ऩानी की ननभयभ फयफादी भानता ह

परशन3- रि हए रखक को जीजी न ककस परकाय सभझामा

उततय- जीजी न रखक को पमाय स रडड-भठयी णखरात हए ननमन तकय हदए-

1- तमाग का भहततव- कछ ऩान क सरए कछ दना ऩड़ता ह 2- दान की भहतता- कवर-भननमो न दान को सफस ऊॉ चा सथान हदमा ह जो चीज अऩन

ऩास बी कभ हो औय अऩनी आिशमकता को बरकय िह चीज दसयो को दान कय दना ही तमाग ह |

3- इॊिदव को जर का अधमट चिाना- इॊदयसना ऩय ऩानी ि कना ऩानी की फयफादी नहीॊ फनदलक इॊदरदि को जर का अधमय चढ़ाना ह

4- ऩानी की फवाई कयना- नदजस परकाय ककसान िसर उगान क सरए जभीन ऩय फीज डारकय फिाई कयता ह िस ही ऩानी िार फादरो की िसर ऩान क सरए इनददय सना ऩय ऩानी डार कय ऩानी की फिाई की जाती ह

परशन4-नठदमो का बायतीम साभाजजक औय साॊसकनतक ऩरयवश भ कमा भहतव ह

उततय- गॊगा बायतीम सभाज भ सफस ऩजम सदानीया नदी ह नदजसका बायतीम इनतहास भ धासभयक ऩौयाणणक औय साॊसकनतक भहति ह | िह बायतीमो क सरए किर एक नदी नहीॊ अवऩत

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भाॉ ह सिगय की सीढ़ी ह भोदानमनी ह उसभ ऩानी नहीॊ अवऩत अभत तलम जर फहता ह बायतीम सॊसकनत भ नहदमो क ककनाय भानि सभमताएॉ परी-परी ह| फड़-फड़ नगय तीथयसथान नहदमो क ककनाय ही नदसथत ह ऐस ऩरयिश भबायतिासी सफस ऩहर गॊगा भमा की जम ही फोरग नहदमाॉ हभाय जीिन का आधाय ह हभाया दश कवर परधान ह नहदमो क जर स ही बायत बसभ हयी-बयी ह नहदमो क बफना जीिन की कलऩना नहीॊ कय सकत मही कायण ह कक हभ बायतीम नहदमो की ऩजा कयत ह |

परशन4-आजादी क ऩचास वषो क फाद बी रखक कमो दखी ह उसक भन भ कौन स परशन उि यह ह

उततय- आजादी क ऩचास िरो फाद बी बायतीमो की सोच भ सकायातभक फदराि न दखकय रखक दखी ह उसक भन भ कई परशन उठ यह ह-

1 कमा हभ सचच अथो भ सितनदतर ह 2 कमा हभ अऩन दश की सॊसकनत औय सभमता को सभझ ऩाए ह 3 यारषर ननभायण भ हभ ऩीछ कमो ह हभ दश क सरए कमा कय यह ह

4 हभ सिाथय औय भरषटाचाय भ सरपत यहत ह तमाग भ विशिास कमो नहीॊ कयत

5 सयकाय दिाया चराई जा यही सधायिादी मोजनाएॉ गयीफो तक कमो नहीॊ ऩहॉचती ह

गदमाॊश ऩय आधारयत अथटगरहण-सॊफॊधधत परशनोततय

सचभच ऐस हदन होत जफ गरी-भहलरा गाॉि-शहय हय जगह रोग गयभी भ बन-बन कय तराहहभाभ कय यह होत जठ क दसतऩा फीतकय आराढ का ऩहरा ऩखिाड़ा फीत चका होता ऩय कषनतज ऩय कहीॊ फादरो की यख बी नहीॊ दीखती होती कएॉ सखन रगत नरो भ एक तो फहत कभ ऩानी आता औय आता बी तो आधी यात को िो बी खौरता हआ ऩानी हो | शहयो की तरना भ गाॉि भ औय बी हारत खयाफ थी| जहाॉ जताई होनी चाहहए थी िहाॉ खतो की सभटटी सखकय ऩतथय हो जाती कपय उसभ ऩऩड़ी ऩड़कय जभीन पटन रगती र ऐसी कक चरत-चरत आदभी धगय ऩड़ | ढोय-डॊगय पमास क भाय भयन रगत रककन फारयश का कहीॊ नाभ ननशान नहीॊ ऐस भ ऩजा-ऩाठ कथा-विधान सफ कयक रोग जफ हाय जात तफ अॊनतभ उऩाम क रऩ भ ननकरती मह इनददय सना |

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परशन१- वषाट न होन ऩय रोगो की कमा जसथनत हो गमी थी उततय - िराय न होन ऩय गयभी क कायण रोग र रगन स फहोश होन रग | गाॉि-शहय सबी जगह ऩानी का अबाि हो गमा| कएॉ सख गए खतो की सभटटी सखकय ऩतथय क सभान कठोय होकय पट गमी| घयो भ नरो भ ऩानी फहत कभ आता था | ऩश पमास क भाय भयन रग थ | परशन२- वषाट क दवता कौन ह उनको परसनन कयन क लरए कमा उऩाम ककए जात थ उततय -िराय क दिता बगिान इनददर ह| उनको परसनदन कयन क सरए ऩजाndashऩाठ कथा-विधान कयाए जात थ | ताकक इनददर दि परसनदन होकय फादरो की सना बजकय झभाझभ फारयश कयाएॉ औय रोगो क करषट दय हो | परशन३- वषाट कयान क अॊनतभ उऩाम क रऩ भ कमा ककमा जाता था उततय ndashजफ ऩजा-ऩाठ कथा-विधान सफ कयक रोग हाय जात थ तफ अॊनतभ उऩाम क रऩ भ इनददय सना आती थी | नॊग-धडॊग कीचड़ भ रथऩथ lsquoकार भघा ऩानी द ऩानी द गड़धानी दrsquo की टय रगाकय पमास स सखत गरो औय सखत खतो क सरए भघो को ऩकायती हई टोरी फनाकय ननकर ऩड़ती थी| परशन४-आशम सऩषट कय ndash जठ क दसतऩा फीतकय आराढ़ का ऩहरा ऩखिाड़ा फीत चका होता ऩय कषनतज भ कहीॊ फादरो की यख बी नजय नहीॊ आती | आशम- जठ का भहीना ह बीरण गयभी ह| तऩत हए दस हदन फीत कय आराढ का भहीना बी आधा फीत गमा ऩय ऩानी क सरए तड़ऩत िराय की आशा भ आसभान की ओय ताकत रोगो को कहीॊ फादर नजय नहीॊ आ यह |

14 ऩहरवान की ढोरक

फ़णीशवयनाथ यण

ऩाि का सायाॊश ndashआॊचसरक कथाकाय िणीशियनाथ यण की कहानी ऩहरिान की ढोरक भ कहानी क भखम ऩातर रटटन क भाता-वऩता का दहाॊत उसक फचऩन भ ही हो गमा था | अनाथ रटटन को उसकी विधिा सास न ऩार-ऩोसकय फड़ा ककमा | उसकी सास को गाॉि िार सतात थ |

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रोगो स फदरा रन क सरए कशती क दाॉिऩच सीखकय कसयत कयक रटटन ऩहरिान फन गमा |

एक फाय रटटन शमाभनगय भरा दखन गमा जहाॉ ढोर की आिाज औय कशती क दाॉिऩच दखकय उसन जोश भ आकय नाभी ऩहरिान चाॉदससॊह को चनौती द दी | ढोर की आिाज स परयणा ऩाकय रटटन न दाॉि रगाकय चाॉद ससॊह को ऩटककय हया हदमा औय याज ऩहरिान फन गमा | उसकी खमानत दय-दय तक िर गमी| १५ िरो तक ऩहरिान अजम फना यहा| उसक दो ऩतर थ| रटटन न दोनो फटो को बी ऩहरिानी क गय ससखाए| याजा की भतम क फाद नए याजकभाय न गददी सॊबारी याजकभाय को घोड़ो की यस का शौक था भनजय न नम याजा को बड़कामा ऩहरिान औय उसक दोनो फटो क बोजनखचय को बमानक औय किजरखचय फतामा िरसिरऩ नए याजा न कशती को फॊद कयिा हदमा औय ऩहरिान रटटनससॊह को उसक दोनो फटो क साथ भहर स ननकार हदमा

याजदयफाय स ननकार हदए जान क फाद रटटन ससॊह अऩन दोनो फटो क साथ गाॉि भ झोऩड़ी फनाकय यहन रगा औय गाॉि क रड़को को कशती ससखान रगा| रटटन का सकर जमादा हदन नहीॊ चरा औय जीविकोऩाजयन क सरए उसक दोनो फटो को भजदयी कयनी ऩड़ी| इसी दौयान गाॉि भ अकार औय भहाभायी क कायण परनतहदन राश उठन रगी| ऩहरिान भहाभायी स डय हए रोगो को ढोरक फजाकय फीभायी स रड़न की सॊजीिनी ताकत दता था| एक हदन ऩहरिान क दोनो फट बी भहाभायी की चऩट भ आकय भय गए ऩय उस यात बी ऩहरिान ढोरक फजाकय रोगो को हहमभत फॊधा यहा था | इस घटना क चाय-ऩाॉच हदन फाद ऩहरिान की बी भौत हो जाती ह|

ऩहरिान की ढोरक वमिसथा क फदरन क साथ रोक कराकाय क अपरासॊधगक हो जान की कहानी ह इस कहानी भ रटटन नाभ क ऩहरिान की हहमभत औय नदजजीविरा का िणयन ककमा गमा ह बख औय भहाभायी अजम रटटन की ऩहरिानी को िट ढोर भ फदर दत ह इस करण तरासदी भ ऩहरिान रटटन कई सिार छोड़ जाता ह कक करा का कोई सितॊतर अनदसतति ह मा करा किर वमिसथा की भोहताज ह

परशन1- रटटन को ऩहरवान फनन की परयणा कस लभरी

उततय- रटटन जफ नौ सार का था तो उसक भाता-वऩता का दहाॊत हो गमा था | सौबागम स उसकी शादी हो चकी थी| अनाथ रटटन को उसकी विधिा सास न ऩार-ऩोसकय फड़ा ककमा | उसकी सास को गाॉि िार ऩयशान कयत थ| रोगो स फदरा रन क सरए उसन ऩहरिान फनन की ठानी| धायोरषण दध ऩीकय कसयत कय उसन अऩना फदन गठीरा औय ताकतिय फना सरमा | कशती क दाॉिऩच सीखकय रटटन ऩहरिान फन गमा |

परशन2- यात क बमानक सननाट भ रटटन की ढोरक कमा करयशभा कयती थी

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उततय- यात क बमानक सनदनाट भरटटन की ढोरक भहाभायी स जझत रोगो को हहमभत फॉधाती थी | ढोरक की आिाज स यात की विबीवरका औय सनदनाटा कभ होता था| भहाभायी स ऩीडड़त रोगो की नसो भ बफजरी सी दौड़ जाती थी उनकी आॉखो क साभन दॊगर का दशम साकाय हो जाता था औय ि अऩनी ऩीड़ा बर खशी-खशी भौत को गर रगा रत थ इस परकाय ढोर की आिाज फीभाय-भतपराम गाॉििारो की नसो भ सॊजीिनी शनदकत को बय फीभायी स रड़न की परयणा दती थी

परशन3- रटटन न सवाटधधक ठहमभत कफ ठदखाई

उततय- रटटन ससॊह न सिायधधक हहमभत तफ हदखाई जफ दोनो फटो की भतम ऩय िह योमा नहीॊ फनदलक हहमभत स काभ रकय अकर उनका अॊनतभ सॊसकाय ककमा| मही नहीॊ नदजस हदन ऩहरिान क दोनो फट भहाभायी की चऩट भ आकय भय गए ऩय उस यात को बी ऩहरिान ढोरक फजाकय रोगो को हहमभत फॉधा यहा था| शमाभनगय क दॊगर भ ऩया जनसभदाम चाॉद ससॊह क ऩ भ था चाॉद ससॊह को हयात सभम रटटन न हहमभत हदखाई औय बफना हताश हए दॊगर भ चाॉद ससॊह को धचत कय हदमा |

परशन4- रटटन लसॊह याज ऩहरवान कस फना

उततय- शमाभनगय क याजा कशती क शौकीन थ उनदहोन दॊगर का आमोजन ककमा ऩहरिान रटटन ससॊह बी दॊगर दखन ऩहॉचा चाॊदससॊह नाभक ऩहरिान जो शय क फचच क नाभ स परससदध था कोई बी ऩहरिान उसस सबड़न की हहमभत नहीॊ कयता था चाॉदससॊह अखाड़ भ अकरा गयज यहा था रटटन ससॊह न चाॉदससॊह को चनौती द दी औय चाॉदससॊह स सबड़ गमाढ़ोर की आिाज सनकय रटटन की नस-नस भ जोश बय गमाउसन चाॉदससॊह को चायो खान धचत कय हदमा याजासाहफ न रटटन की िीयता स परबावित होकय उस याजऩहरिान फना हदमा

परशन5- ऩहरवान की अॊनतभ इचछा कमा थी

उततय- ऩहरिान की अॊनतभ इचछा थी कक उस धचता ऩय ऩट क फर सरटामा जाए कमोकक िह नदजॊदगी भ कबी धचत नहीॊ हआ था| उसकी दसयी इचछा थी कक उसकी धचता को आग दत सभम ढोर अिशम फजामा जाए |

परशन6- ढोर की आवाज औय रटटन क भ दाॉिऩच सॊफॊध फताइए-

उततय- ढोर की आिाज औय रटटन क दाॉिऩच भ सॊफॊध -

चट धा धगड़ धाrarr आजा सबड़ जा | चटाक चट धाrarr उठाकय ऩटक द | चट धगड़ धाrarrभत डयना |

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धाक धधना नतयकट नतनाrarr दाॉि काटो फाहय हो जाओ | धधना धधना धधक धधनाrarr धचत कयो

गदमाॊश-आधारयत अथटगरहण-सॊफॊधधत परशनोततय

अॉधयी यात चऩचाऩ आॉस फहा यही थी | ननसतबधता करण सससककमो औय आहो को अऩन रदम भ ही फर ऩियक दफान की चरषटा कय यही थी | आकाश भ ताय चभक यह थ | ऩथिी ऩय कहीॊ परकाश का नाभ नहीॊ| आकाश स टट कय महद कोई बािक ताया ऩथिी ऩय आना बी चाहता तो उसकी जमोनत औय शनदकत यासत भ ही शर हो जाती थी | अनदम ताय उसकी बािकता अथिा असपरता ऩय णखरणखराकय हॉस ऩड़त थ | ससमायो का करॊ दन औय ऩचक की डयािनी आिाज यात की ननसतबधता को बॊग कयती थी | गाॉि की झोऩडडमो स कयाहन औय क कयन की आिाज हय याभ ह बगिान की टय सनाई ऩड़ती थी| फचच बी ननफयर कॊ ठो स भाॉ ndashभाॉ ऩकायकय यो ऩड़त थ |

(क) अॉधयी यात को आॉस फहात हए कमो ठदखामा गमा ह उततयndash गाॉि भ हजा औय भररयमा परा हआ था | भहाभायी की चऩट भ आकाय रोग भय यह थ |चायो ओय भौत का सनाटा छामा था इससरए अॉधयी यात बी चऩचाऩ आॉस फहाती सी परतीत हो यही थी|

(ख) ताय क भाधमभ स रखक कमा कहना चाहता ह उततयndash ताय क भाधमभ स रखक कहना चाहता ह कक अकार औय भहाभायी स तरसत गाॉि िारो की ऩीड़ा को दय कयन िारा कोई नहीॊ था | परकनत बी गाॉि िारो क द ख स दखी थी| आकाश स टट कय महद कोई बािक ताया ऩथिी ऩय आना बी चाहता तो उसकी जमोनत औय शनदकत यासत भ ही शर हो जाती थी |

(ग) यात की ननसतबधता को कौन बॊग कयता था उततयndash ससमायो की चीख-ऩकाय ऩचक की डयािनी आिाज औय कततो का साभहहक रदन सभरकय यात क सनदनाट को बॊग कयत थ |

(घ) झोऩड़ड़मो स कसी आवाज आ यही ह औय कमो उततयndash झोऩडड़मो स योधगमो क कयाहन क कयन औय योन की आिाज आ यही ह कमोकक गाॉि क रोग भररयमा औय हज स ऩीडड़त थ | अकार क कायण अनदन की कभी हो गमी थी| औरधध औय ऩथम न सभरन क कायण रोगो की हारत इतनी फयी थी कक कोई बगिान को ऩकाय रगाता था तो कोई दफयर कॊ ठ स भाॉndashभाॉ ऩकायता था |

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15 चारी चजतरन मानी हभ सफ

रखक-पवषण खय

ऩाि का सायाॊश ndashचारक चनदपरन न हासम कराकाय क रऩ भ ऩयी दननमा क फहत फड़ दशयक िगय को हॉसामा ह | उनकी कपलभो न कपलभ करा को रोकताॊबतरक फनान क साथ-साथ दशको की िगय औय िणय-वमिसथा को बी तोड़ा | चारक न करा भ फवदध की अऩा बािना को भहतति हदमा ह | फचऩन क सॊघरो न चारक क बािी कपलभो की बसभ तमाय कय दी थी| बायतीम करा औय सौदमयशासतर भ करणा का हासम भ ऩरयितयन बायतीम ऩयमऩया भ नहीॊ सभरता रककन चारक एक ऐसा जादई वमनदकतति ह जो हय दश सॊसकनत औय सभमता को अऩना सा रगता ह| बायतीम जनता न बी उनदह सहज बाि स सिीकाय ककमा ह| सिमॊ ऩय हॉसना चारक न ही ससखामा| बायतीम ससनभा जगत क सपरससदध कराकाय याजकऩय को चारक का बायतीमकयण कहा गमा ह | चारक की अधधकाॊश किलभ भक ह इससरए उनदह अधधक भानिीम होना ऩड़ा | ऩाठ भ हासम कपलभो क भहान असबनता lsquoचारक चनदपरनrsquo की जादई विशरताओॊ का उलरख ककमा गमा ह नदजसभ उसन करणा औय हासम भ साभॊजसम सथावऩत कय किलभो को साियबौसभक रऩ परदान ककमा

परशन१ -चारी क जीवन ऩय परबाव िारन वारी भखम घटनाएॉ कौन सी थी

उततय- चारक क जीिन भ दो ऐसी घटनाएॉ घटीॊ नदजनदहोन उनक बािी जीिन ऩय फहत परबाि डारा |

ऩहरी घटना - जफ चारक फीभाय थ उनकी भाॉ उनदह ईसा भसीह की जीिनी ऩढ़कय सना यही थी | ईसा क सरी ऩय चढ़न क परसॊग तक आत-आत भाॉ-फटा दोनो ही योन रग| इस घटना न चारक को सनह करणा औय भानिता जस उचच जीिन भलम हदए |

दसयी घटना हndash फारक चारक कसाईखान क ऩास यहता था| िहाॉ सकड़ो जानियो को योज भाया जाता था| एक हदन एक बड़ िहाॉ स बाग ननकरी| बड़ को ऩकड़न की कोसशश भ कसाई कई फाय कपसरा| नदजस दखकय रोग हॊसन रग ठहाक रगान रग| जफ बड़ को कसाई न ऩकड़ सरमा तो फारक चारक योन रगा| इस घटना न उसक बािी कपलभो भ तरासदी औय हासमोतऩादक ततिो की बसभका तम कय दी |

परशन२ ndash आशम सऩषट कीजजएndash

चजतरन न लसपट कपलभकरा को ही रोकताॊबतरक नही फनामा फजलक दशटको की वगट तथा वणट-वमवसथा को बी तोड़ा|

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उततय- रोकताॊबतरक फनान का अथय ह कक कपलभ करा को सबी क सरए रोकवपरम फनाना औय िगय औय िणय-वमिसथा को तोड़न का आशम ह- सभाज भ परचसरत अभीय-गयीफ िणय जानतधभय क बदबाि को सभापत कयना |चनदपरन का चभतकाय मह ह कक उनदहोन कपलभकरा को बफना ककसी बदबाि क सबी रोगो तक ऩहॉचामा| उनकी कपलभो न सभम बगोर औय सॊसकनतमो की सीभाओॊ को राॉघ कय साियबौसभक रोकवपरमता हाससर की | चारक न मह ससदध कय हदमा कक करा सितनदतर होती ह अऩन ससदधाॊत सिमॊ फनाती ह |

परशन३ndash चारी चजतरन की कपलभो भ ननठहत तरासदीकरणाहासम का साभॊजसम बायतीम करा औय सौदमटशासतर की ऩरयधध भ कमो नहीॊ आता

उततय- चारक चनदपरन की कपलभो भ ननहहत तरासदीकरणाहासम का साभॊजसम बायतीम करा औय सौदमयशासतर की ऩरयधध भ नहीॊ आताकमोकक बायतीम यस-ससदधाॊत भ करणा औय हासम का भर नहीॊ हदखामा जाता कमोकक बायतीम सौदमयशासतर भ करणयस औय हासम यस को ऩयसऩय वियोधी भाना गमा ह अथायत जहाॊ करणा ह िहाॉ हासम नहीॊ हो सकता बायत भ सिमॊ ऩय हॉसन की ऩयॊऩया नहीॊ ह ऩयॊत चारक क ऩातर अऩन ऩय हॉसतndashहॉसात ह चारक की किलभो क दशम हॉसात-हॉसात ररा दत ह तो कबी करण दशम क फाद अचानक ही हॉसन ऩय भजफय कय दत ह

परशन४ndash चारी क कपलभो की पवशषताएॉ फताइए |

उततय- चारक की किलभो भ हासम औय करणा का अदभत साभॊजसम ह उनकी किलभो भ बारा का परमोग फहत कभ ह चारक की किलभो भ फवदध की अऩा बािना का भहतति अधधक ह उनकी किलभो भ साियबौसभकता ह चारक ककसी बी सॊसकनत को विदशी नही रगत चारक सफको अऩन रगत ह चारक न किलभो को रोकताॊबतरक फनामा औय किलभो भ िगय तथािणय-वमिसथा को तोड़ा अऩनी कपलभो भ चारक सदि धचय मिा हदखता ह

गदमाॊश-आधारयत अथटगरहण-सॊफॊधी परशनोततय

गदमाॊश सॊकत ndashचारक चनदपरन मानी हभ सफ (ऩरषठ १२० )

महद मह िरय चनदपरन की कापी कछ कहा जाएगा |

परशन (क)-पवकासशीर दशो भ चजतरन कमो भशहय हो यह ह

उततय - विकासशीर दशो भ जस-जस टरीविजन औय िीडडमो का परसाय हो यहा ह रोगो को उनकी कपलभो को दखन का अिसय सभर यहा ह |एक फहत फड़ा िगय नए ससय स चारक को घड़ी सधायत औय जत खान की कोसशश कयत दख यहा ह इसीसरए चारक विकासशीर दशो भ रोकवपरम हो यह ह |

(ख)- ऩजशचभ भ चारी का ऩनजीवन कस होता यहता ह

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उततय - ऩनदशचभ भ चारक की कपलभो का परदशयन होता यहता ह| उनकी करा स परयणा ऩाकय हासम किलभ फनती यहती ह | उनक दिाया ननबाए ककयदायो की नकर अनदम कराकाय कयत ह | ऩनदशचभ भ चारक का ऩनजीिन होता यहता ह|

(ग)- चारी को रोग फिाऩ तक कमो माद यखग

उततय ndashहासम कराकाय क रऩ भ रोग चारक को फढ़ाऩ तक माद यखग कमोकक उनकी करा सभम बगोर औय सॊसकनतमो की सीभाओॊ को राॉघकय राखो रोगो को हॉसा यही ह|

(घ)- चारी की कपलभो क फाय भ कापी कछ कहा जाना कमो फाी ह

उततय ndashचनदपरन की ऐसी कछ किलभ मा इसतभार न की गमी यीर सभरी ह नदजनक फाय भ कोई नहीॊ जानता था | चारक की बािनापरधान हासम कपलभो न करा क नए परनतभान सथावऩत ककए ह अत चारक की कपलभो क फाय भ अबी कापी कछ कहा जाना फाी ह|

16 नभक

रखखका - यजजमा सजजाद जहीय

सायाॊश -lsquoनभकrsquoबायत-ऩाक विबाजन ऩय सरणखत भासभयक कहानी ह | विसथावऩत हए रोगो भ अऩनndashअऩन जनदभ सथानो क परनत आज बी रगाि ह| धासभयक आधाय ऩय फनी यारषर-याजमो की सीभा-यखाएॉ उनक अॊतभयन को अरग नहीॊ कय ऩाई ह | बायत भ यहन िारी ससख फीिी राहौय को अऩना ितन भानती ह औय बायतीम कसटभ अधधकायी ढाका क नारयमर ऩानी को मादकय उस सियशररषठ फताता ह दोनो दशो क नागरयको क फीच भहबफत का नभकीन सिाद आज बी कामभ ह इसीसरए सकिमा बायत भ यहन िारी अऩनी भॉहफोरी भाॉ ससख फीिी क सरए राहौयी नभक रान क सरए कसटभ औय कानन की ऩयिाह नहीॊ कयती

परशन1- lsquoनभकrsquo ऩाि क आधाय ऩय फताइए कक सकपमा औय उसक बाई क पवचायो भ कमा अॊतय था

उततय- १-सकपमा बािनाओॊ को फहतभहतति दती ह ऩय उसका बाई फौवदधक परिनदतत का ह उसकी दनदरषट भ कानन बािनाओॊ स ऊऩय ह|

२-सकपमा भानिीम सॊफॊधो को फहत भहतति दती ह जफकक उसका बाई अरगाििादी विचायधाया का ह हहसस-फखय की फात कयता ह |

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३-सकपमा का बाई कहता ह कक अदीफो(साहहतमकाय) का हदभाग घभा हआ होता ह जफकक सकपमा जो सिमॊ अदीफ ह उसका भानना ह कक अगय सबी रोगो का हदभाग अदीफो की तयह घभा हआ होता तो दननमा कछ फहतय हो जाती |

परशन२- नभक र जात सभम सकफ़मा क भन भ कमा दपवधा थी

उततय-सकपमा समद भसरभान थी जो हय हार भ अऩना िामदा ननबात ह| ऩाककसतान स राहौयी नभक र जाकय िह अऩना िामदा ऩया कयना चाहती थी ऩयनदत जफ उस ऩता चरा कक कसटभ क ननमभो क अनसाय सीभाऩाय नभक र जाना िनदजयत ह तो िह दविधा भ ऩड़ गई | सकिमा का दिॊदि मह था कक िह अऩनी ससख भाॉ क सरए नभक कसटभ अधधकारयमो को फताकयर जाए मा नछऩाकय|

परशन३- ऩाि क आधाय ऩय सकपमा की चारयबतरक पवशषताएॉ फताइए |

उततय सॊकत ndash

१- बािक २- ईभानदाय ३- दढ़ननशचमी ४- ननडय ५- िामद को ननबान िारी ६- भानिीम भलमो को सिोऩरय भानन िारी साहहतमकाय

परशन ४- lsquoनभकrsquo ऩाि भ आए ककयदायो क भाधमभ स सऩषट कीजजए कक आज बी बायत औय ऩाककसतान की जनता क फीच भहबफत का नभकीन सवाद घरा हआ ह |

उततय ndash बर ही याजनीनतक औय धासभयक आधाय ऩय बायत औय ऩाककसतान को बौगोसरक रऩ स विबानदजत कय हदमा गमा ह रककन दोनो दशो क रोगो क रदम भ आज बी ऩायसऩरयक बाईचाया सौहादरय सनह औय सहानबनत विदमभान ह | याजनीनतक तौय ऩय बर ही सॊफॊध तनािऩणय हो ऩय साभानदजक तौय ऩय आज बी जनता क फीच भहबफत का नभकीन सिाद घरा हआ ह | अभतसय भ यहन िारी ससख फीफी राहौय को अऩना ितन कहती ह औय राहौयी नभक का सिाद नहीॊ बरा ऩाती | ऩाककसतान का कसटभ अधधकायी नभक की ऩडड़मा सकपमा को िाऩस दत हए कहता ह rdquoजाभा भनदसजद की सीहढ़मो को भया सराभ कहना |rdquo बायतीम सीभा ऩय तनात कसटभ अधधकायी ढाका की जभीन को औय िहाॉ क ऩानी क सिाद को नहीॊ बर ऩाता |

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गदमाॊश-आधारयत अथटगरहण सॊफॊधधत परशनोततय

गदमाॊश सॊकत- ऩाठndash नभक (ऩरषठ १३४)

सकपमा कसटभ क जॊगर स दोनो क हाथो भ थी |

(क) सकपमा कसटभ क जॉगर स ननकरकय दसय तरटपाभट ऩय आ गमी व वहीॊ खड़ यहndash इस वाकम भ lsquoवrsquo शबद का परमोग ककसक लरए ककमा गमा ह

उततय- महाॉ lsquoिrsquo शबद का परमोग ऩाककसतानी कसटभ अधधकायी क सरए ककमा गमा ह जो विबाजन स ऩिय हदलरी भ यहत थ औय आज बी हदलरी को ही अऩना ितन भानत ह |

(ख) तरटपाभट ऩय सकपमा को पवदा कयन कौन-कौन आए थ उनहोन सकपमा को कस पवदाई दी

उततय- परटपाभय ऩय सकपमा को विदा कयन उसक फहत साय सभतर सग सॊफॊधी औय बाई आए थ| उनदहोन ठॊडी साॉस बयत हए सबॊच हए होठो क साथ आॉस फहात हए सकपमा को विदाई दी |

(ग) अटायी भ यरगाड़ी भ कमा ऩरयवतटन हए उततय- अटायी भ यरगाड़ी स ऩाककसतानी ऩसरस उतयी औय हहनददसतानी ऩसरस सिाय हो गई|

(घ) कौन सी फात सकपमा की सभझ भ नहीॊ आ यही थी उततय- दोनो ओय एक सी जभीन एक जसा आसभान एक सी बारा एक सा ऩहनािा औय एक सी सयत क रोग कपय बी दोनो क हाथो भ बयी हई फॊदक ह |

17 लशयीष क पर

आचामट हजायी परसाद दपववदी

सायाॊश ndashlsquoआचामय हजायी परसाद दवििदीrsquo सशयीर को अदभत अिधत भानत ह कमोकक सॊनदमासी की बाॉनत िह सख-दख की धचॊता नहीॊ कयता गभी र िराय औय आॉधी भ बी अविचर खड़ा यहता ह सशयीर क िर क भाधमभ स भनरषम की अजम नदजजीविरा धमयशीरता औय कतयवमननरषठ फन यहन क भानिीम भलमो को सथावऩत ककमा गमा हरखक न सशयीर क कोभर परो औय कठोय परो क दिाया सऩरषट ककमा ह कक रदम की कोभरता फचान क सरए कबी-कबी वमिहाय की कठोयता बी आिशमक हो जाती ह| भहान कवि कासरदास औय कफीय बी सशयीर की तयह फऩयिाह अनासकत औय सयस थ तबी उनदहोन इतनी सनददय यचनाएॉ सॊसाय को दीॊ| गाॉधीजी क वमनदकतति भ बी कोभरता औय कठोयता का अदभत सॊगभ था | रखक सोचता ह कक हभाय दश भ जो भाय-काट अनदगनदाह रट-ऩाट खन-खचचय का फिॊडय ह कमा िह दश को नदसथय नहीॊ यहन दगा गराभी अशाॊनत औय वियोधी िाताियण क फीच अऩन ससदधाॊतो की या कयत हए गाॉधीजी जी नदसथय यह सक थ तो दश बी यह सकता ह जीन की परफर असबरारा क कायण

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विरभ ऩरयनदसथतमो भ बी महद सशयीर णखर सकता ह तो हभाया दश बी विरभ ऩरयनदसथनतमो भ नदसथय यह कय विकास कय सकता ह

परशन1-लसदध कीजजए कक लशयीष कारजमी अवधत की बाॉनत जीवन की अजमता क भॊतर का परचाय कयता ह

उततय- सशयीर कारजमी अिधत की बाॉनत जीिन की अजमता क भॊतर का परचाय कयता ह| जफ ऩथिी अनदगन क सभान तऩ यही होती ह िह तफ बी कोभर परो स रदा रहरहाता यहता ह|फाहयी गयभी धऩ िराय आॉधी र उस परबावित नहीॊ कयती इतना ही नहीॊ िह रॊफ सभम तक णखरा यहता ह | सशयीर विऩयीत ऩरयनदसथनतमो भ बी धमयशीर यहन तथा अऩनी अजम नदजजीविरा क साथ ननसऩह बाि स परचॊड गयभी भ बी अविचर खड़ा यहता ह

परशन२-आयगवध (अभरतास) की तरना लशयीष स कमो नहीॊ की जा सकती

उततय- सशयीर क पर बमॊकय गयभी भ णखरत ह औय आराढ़ तक णखरत यहत ह जफकक अभरतास का पर किर ऩनददरह-फीस हदनो क सरए णखरता ह | उसक फाद अभरतास क पर झड़ जात ह औय ऩड़ कपय स ठॉठ का ठॉठ हो जाता ह | अभरतास अलऩजीिी ह | विऩयीत ऩरयनदसथनतमो को झरता हआ ऊरषण िाताियण को हॉसकय झरता हआ सशयीर दीघयजीिी यहता ह | मही कायण ह कक सशयीर की तरना अभरतास स नहीॊ की जा सकती |

परशन३-लशयीष क परो को याजनताओॊ का रऩक कमो ठदमा गमा ह

उततय- सशयीर क पर उन फढ़ ढीठ औय ऩयान याजनताओॊ क परतीक ह जो अऩनी कसी नहीॊ छोड़ना चाहत | अऩनी अधधकाय-सरपसा क सरए नए मिा नताओॊ को आग नहीॊ आन दत | सशयीर क नए परो को जफयदसती ऩयान परो को धककमाना ऩड़ता ह | याजनीनत भ बी नई मिा ऩीढ़ी ऩयानी ऩीढ़ी को हयाकय सिमॊ सतता सॉबार रती ह |

परशन४- कार दवता की भाय स फचन का कमा उऩाम फतामा गमा ह

उततय- कार दिता कक भाय स फचन का अथय हndash भतम स फचना | इसका एकभातर उऩाम मह ह कक भनरषम नदसथय न हो| गनतशीर ऩरयितयनशीर यह | रखक क अनसाय नदजनकी चतना सदा ऊधियभखी (आधमातभ की ओय) यहती ह ि हटक जात ह |

परशन५- गाॉधीजी औय लशयीष की सभानता परकट कीजजए |

उततय- नदजस परकाय सशयीर धचरधचराती धऩ र िराय औय आॉधी भ बी अविचर खड़ा यहता ह अनासकत यहकय अऩन िाताियण स यस खीॊचकय सयस कोभर फना यहता ह उसी परकाय गाॉधी जी न बी अऩनी आॉखो क साभन आजादी क सॊगराभ भ अनदमाम बदबाि औय हहॊसा को झरा |

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उनक कोभर भन भ एक ओय ननयीह जनता क परनत असीभ करणा जागी िहीॊ ि अनदमामी शासन क वियोध भ डटकय खड़ हो गए |

गदमाॊश-आधारयत अथटगरहण सॊफॊधधत परशनोततय

गदमाॊश सॊकत- ऩाठ ndash सशयीर क पर (ऩरषठ १४७)

कासरदास सौदमय क िह इशाया ह |

(क) कालरदास की सौदमटndashदजषट की कमा पवशषता थी उततय-कासरदास की सौदमयndashदनदरषट फहत सकषभ अॊतबदी औय सॊऩणय थी| ि किर फाहयी रऩ-यॊग औय आकाय को ही नहीॊ दखत थ फनदलक अॊतभयन की सॊदयता क बी ऩायखी थ| कासरदास की सौदमय शायीरयक औय भानससक दोनो विशरताओॊ स मकत था |

(ख) अनासजकत का कमा आशम ह उततय- अनासनदकत का आशम ह- वमनदकतगत सख-द ख औय याग-दिर स ऩय यहकय सौदमय क िासतविक भभय को जानना |

(ग) कालरदास ऩॊत औय यवीॊिनाथ टगोय भ कौन सा गण सभान था भहाकवि कासरदास ससभतरानॊदन ऩॊत औय गरदि यिीॊदरनाथ टगोय तीनो नदसथयपरऻ औय अनासकत कवि थ | ि सशयीर क सभान सयस औय भसत अिधत थ |

(घ) यवीॊिनाथ याजोदमान क लसॊहदवाय क फाय भ कमा सॊदश दत ह याजोदमान क फाय भ यिीॊदरनाथ कहत ह याजोदमान का ससॊहदिाय ककतना ही सॊदय औय गगनचमफी कमो ना हो िह अॊनतभ ऩड़ाि नहीॊ ह| उसका सौदमय ककसी औय उचचतभ सौदमय की ओय ककमा गमा सॊकत भातर ह कक असरी सौदमय इस ऩाय कयन क फाद ह अत याजोदमान का ससॊहदिाय हभ आग फढ़न की परयणा दता ह |

18शरभ-पवबाजन औय जानत-परथा

िॉ० बीभयाव अॊफिकय

सायाॊश ndash इस ऩाठ भ रखक न जानतिाद क आधाय ऩय ककए जान िार बदबाि को सभम सभाज क सरए हाननकायक फतामा ह | जानत आधारयत शरभ विबाजन को असिाबाविक औय भानिता वियोधी फतामा गमा ह मह साभानदजक बदबाि को फढ़ाता ह जानतपरथा आधारयत शरभ विबाजन भ वमनदकत की रधच को भहतति नहीॊ हदमा जाता परसिरऩ वििशता क साथ अऩनाए

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Page 23: ISSUED BY KENDRIYA VIDYALAYA - DOWNLOADED FROM … Class XII Hindi Part B.pdfप्रश्न४ :-फादर क / फयन का गयीफ एि धनी िगय क्मा

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कलऩना क यसामनो को ऩी

फीज गर गमा ननशर शबद क अॊकय पट

ऩलरि ndashऩरषऩो स नसभत हआ विशर |rdquo

परशन १lsquoछोटा भया खतrsquo ककसका परतीक ह औय कमो

उततय - परशन२ lsquoछोटा भया खतrsquo काग़ज क उस ऩनदन का परतीक ह नदजस ऩय कवि अऩनी कविता सरखता ह

परशन २ कवि खत भ कौनndashसा फीज फोता ह

उततय - कवि खत भ अऩनी कलऩना का फीज फोता ह

परशन ३ कवि की कलऩना स कौन स ऩलरि अॊकरयत होत ह

उततय - कवि की कलऩना स शबद क ऩलरि अॊकरयत होत ह

परशन ४ उऩमयकत ऩद का बाि-सौदमय सऩरषट कीनदजए |

उततय - खती क रऩक दिाया कावम-यचनाndashपरककरमा को सऩषट ककमा गमा हकावम कनत की यचना फीजndash वऩन स रकय ऩौध क ऩजषऩत होन क पवलबनन चयणो स गजयती हअॊतय किर इतना ह कक कपव कभट की पसर कारजमी शाशित होती हउसका यस-यण अम होता ह

सौदमट-फोध-सॊफॊधी परशन

ldquoझभन रग पर

यस अरौककक

अभत धायाएॉ पटतीॊ

योऩाई ण की

कटाई अनॊतता की

रटत यहन स जया बी कभ नहीॊ होती |

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यस का अम ऩातर सदा का

छोटा भया खत चौकोना |rdquo

परशन इस कविता की बारा सॊफॊधी विशरताओॊ ऩय परकाश डासरए ndash

उततय - १ परतीकातभकता

२ राणणकता -

२रऩक अरॊकायndash यस का अम ऩातर सदा का

छोटा भया खत चौकोना

परशन २ यस अरौककक अभत धायाएॉ योऩाई ndash कटाई-परतीको क अथय सऩरषट कीनदजए |

उततय - यस अरौककक ndash कावम यस ननरषऩनदतत

अभत धायाएॉ- कावमानॊद

योऩाई ndash अनबनत को शबदफदध कयना

कटाई ndashयसासिादन

पवषम-वसत ऩय आधारयत परशनोततय

कपवता ndash

छोटा भया खत

परशन १ उभाशॊकय जोशी न ककस बारा भ कविताएॉ सरखी ह

उततय - गजयाती बारा

परशन२ कवरndashकभय एिॊ कविndashकभय भ कमा कमा सभानताएॉ ह

उततय - कवरndashकभय एिॊ कविndashकभय भ ननमनसरणखत सभानताएॉ ह-

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कावम कनत की यचना फीजndash वऩन स रकय ऩौध क ऩजषऩत होन क पवलबनन चयणो स गजयती ह

कपषndashकभट एवॊ कपवndashकभट भ सभानताएॉ -

कागज का ऩनदना नदजस ऩय यचना शबदफदध होती ह कवि को एक चौकोय खतरगता ह इस खत भ ककसी अॉधड़ (आशम बािनातभक आॉधी स होगा) क परबाि स ककसी ण

एक फीज फोमा जाता ह मह फीज-यचना विचाय औय असबवमनदकत का हो सकता ह मह भर रऩ कलऩना का सहाया रकय विकससत होता ह औय परककरमा भ सिमॊ विगसरत

हो जाता ह इसीपरकाय फीज बी खाद ऩानी समय की योशनी हिा आहद रकय विकससत होता ह |

कावम ndashयचना स शबदो क अॊकय ननकरत ह औय अॊतत कनत एक ऩणय सिरऩ गरहण कयती ह जो कवर-कभय क सरहाज स ऩलरवित ndashऩनदरषऩत औय पसरत होन की नदसथनत ह अथट-गरहण-सॊफॊधी परशन

कपवताndash फगरो क ऩॊख

नब भ ऩाॉती- फॉध फगरो क ऩॊख

चयाए सरए जातीॊ ि भयी आॉख |

कजयाय फादरो की छाई नब छामा

हौरndashहौर जाती भझ फाॉध ननज भामा स |

उस कोई तननक योक यकखो |

िह तो चयाए सरए जाती भयी आॉख

नब भ ऩाॉती- फॉधी फगरो की ऩाॉख |

तयती साॉझ की सतज शित कामा|

परशन१- इस कविता भ कवि न ककसका धचतरण ककमा ह

उततय - कवि न कार फादरो ऩय उड़ती फगरो की शित ऩॊनदकत का धचतरण ककमा ह|

परशन२- आॉख चयान का कमा अथय ह

उततय - आॉख चयान का आशम ह ndashधमान ऩयी तयह खीॊच रना एकटक दखना भॊतरभगध कय दना

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परशन३-

ldquoकजयाय फादरो की छाई नब छामा

हौर ndashहौर जाती भझ फाॉध ननज भामा स |rdquo- आशम सऩरषट कीनदजए |

उततय- कार फादरो क फीच साॉझ का सयभई िाताियण फहत सॊदय हदखता ह | ऐसा अपरनतभ सौदमय अऩन आकरयण भ कवि को फाॉध रता ह |

परशन ४ ldquoउस कोई तननक योक यकखो |rsquo- स कवि का कमा असबपराम ह

उततय - फगरो की ऩॊनदकत आकाश भ दय तक उड़ती जा यही ह कवि की भॊतरभगध आॉख उनका ऩीछा कय यही ह | कवि उन फगरो को योक कय यखन की गहाय रगा यहा ह कक कहीॊ ि उसकी आॉख ही अऩन साथ न र जाएॉ |

सौदमट-फोध-सॊफॊधी परशन

परशन १ कविता की बारा सॊफॊधी दो विशरताएॉ सरणखए|

उततय -१ धचतरातभक बारा

२ फोरचार क शबदो का परमोग - हौर ndashहौर ऩाॉती कजयायसाॉझ

परशन २ कविता भ परमकत अरॊकाय चन कय सरणखए |

उततय - अनपरास अरॊकाय - फॉध फगरो क ऩॊख

भानिीकयण अरॊकाय - चयाए सरए जातीॊ ि भयी आॉख |

परशन ३ -lsquo ननज भामाrsquo क राणणक अथय को सऩरषट कीनदजए |

उततय - परकनत का अपरनतभ सौदमय िह भामा ह जो कवि को आतभविबोय कय दती हमह ऩॊनदकत बी परशॊसातभक उनदकत ह

पवषम-वसत ऩय आधारयत परशनोततय

परशन१- lsquoचयाए सरए जाती ि भयी ऑ ॊखrsquo स कवि का कमा तातऩमय ह

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उततय -धचतरातभक िणयन दिाया कवि न एक ओय कार फादरो ऩय उड़ती फगरो की शित ऩॊनदकत का धचतर अॊककत ककमा ह तथा इस अपरनतभ दशम क रदम ऩय ऩड़न िार परबाि को धचबतरत ककमा ह कवि क अनसाय मह दशम उनकी आॉख चयाए सरए जा यहा ह |भॊतर भगध कवि इस दशम क परबाि स आतभ विसभनत की नदसथनत तक ऩहॉच जाता ह

परशन२-कवि ककस भामा स फचन की फात कहता ह

उततय - भामा विशि को अऩन आकरयण भ फाॉध रन क सरए परससदध ह | कफीय न बी lsquoभामा भहा ठधगनी हभ जानीrsquo कहकय भामा की शनदकत को परनतऩाहदत ककमा ह | कार फादरो भ फगरो की सॊदयता अऩना भामा जार परा कय कवि को अऩन िश भ कय यही ह |

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आयोह बाग-२ गदम-बाग

परशन-सॊखमा १०- गदम खॊड भ हदए गए ऩहठत गदमाॊश स अथयगरहण सॊफॊधी चाय परशन ऩछ जाएॉग नदजनक सरए ननधायरयत अॊक (२४=८) ह |

परशन-सॊखमा ११- ऩाठो की विरमिसत स सॊफॊधधत ऩाॉच भ स चाय परशनो क उततय दन ह नदजनक सरए ननधायरयत अॊक (३४=१२) ह|

ऩयीा भ अचछ अॊक परातत कयन क लरए धमान दन मोगम फात ndash

1 रख एिॊ ितयनी की शदधता तथा िाकम-गठन ऩय धमान द | 2 हय ऩाठ का सायऩरषठबसभविरमिसत तथाकथानक को सभझना आिशमक ह |

अतविदमाथी हय ऩाठ का सायाॊश बरीबाॉनत माद कय र | 3 परशनो को धमान स ऩढ़ तदनसाय अऩकषत उततय सरख | 4 उततय सरखत सभम सॊफॊधधत भखम बफॊदओॊ का शीरयकफनात हए उततय सरख मथा-तीन

अॊक क परशनो क उततय सरखत सभम कभ स कभ तीन भखम उततय-बफ ॊदओॊ का उलरख कयत हए उततय सऩरषट कय |

5 अॊक-मोजना क अनसाय ननधायरयत शबद-सीभा क अॊतगयत उततय सरख | ऩयीाथी कई फाय एक अॊक क परशन का उततय फहत रॊफा कई फाय ऩया ऩरषठ सरख दत ह जो सभम औय ऊजाय की फफायदी ह |

6 धमान यह कक अधधक सरखन स अचछ अॊक नहीॊ आत फनदलक सयर-सफोध बारा भ सरख गए सटीक उततय सायगसबयत तथम तथा उदाहयण क दिाया सऩरषट ककए गए उततय परबािशारी होत ह |

ऩाि 11 - बजकतन

रखखका- भहादवी वभाट

ऩाि का सायाॊश- बनदकतन नदजसका िासतविक नाभ रकषभी थारणखका lsquoभहादिी िभायrsquo की सविका ह | फचऩन भ ही बनदकतन की भाॉ की भतम हो गमी| सौतरी भाॉ न ऩाॉच िरय की आम भ वििाह तथा नौ िरय की आम भ गौना कय बनदकतन को ससयार बज हदमा| ससयार भ बनदकतन न तीन फहटमो को जनदभ हदमा नदजस कायण उस सास औय नदजठाननमो की उऩा सहनी ऩड़ती थी| सास औय नदजठाननमाॉ आयाभ पयभाती थी औय बनदकतन तथा उसकी ननदहीॊ फहटमो को घय औय खतो का साया काभ कयना ऩडता था| बनदकतन का ऩनत उस फहत चाहता था| अऩन ऩनत क सनह क फर ऩय बनदकतन न ससयार िारो स अरगौझा कय अऩना अरग घय फसा सरमा औय सख स यहन रगी ऩय बनदकतन का दबायगम अलऩाम भ ही उसक ऩनत की भतम हो गई | ससयार िार

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बनदकतन की दसयी शादी कय उस घय स ननकारकय उसकी सॊऩनदतत हड़ऩन की सानदजश कयन रग| ऐसी ऩरयनदसथनत भ बनदकतन न अऩन कश भॊडा सरए औय सॊनदमाससन फन गई | बनदकतन सिासबभानी सॊघरयशीर कभयठ औय दढ सॊकलऩ िारी सतरी ह जो वऩतसततातभक भानदमताओॊ औय छर-कऩट स बय सभाज भ अऩन औय अऩनी फहटमो क हक की रड़ाई रड़ती हघय गहसथी सॉबारन क सरए अऩनी फड़ी फटी दाभाद को फरा सरमा ऩय दबायगम न महाॉ बी बनदकतन का ऩीछा नहीॊ छोड़ा अचानक उसक दाभाद की बी भतम हो गमी| बनदकतन क जठ-नदजठौत न सानदजश यचकय बनदकतन की विधिा फटी का वििाह जफयदसती अऩन तीतयफाज सार स कय हदमा| ऩॊचामत दिाया कयामा गमा मह सॊफॊध दखदामी यहा | दोनो भाॉ-फटी का भन घय-गहसथी स उचट गमा ननधयनता आ गमी रगान न चका ऩान क कायण जभीॊदाय न बनदकतन को हदन बय धऩ भ खड़ा यखा| अऩभाननत बनदकतन ऩसा कभान क सरए गाॉि छोड़कय शहय आ जाती ह औय भहादिी की सविका फन जाती ह| बनदकतन क भन भ भहादिी क परनत फहत आदय सभऩयण औय असबबािक क सभान अधधकाय बाि ह| िह छामा क सभान भहादिी क साथ यहती ह| िह यात-यात बय जागकय धचतरकायी मा रखन जस कामय भ वमसत अऩनी भारककन की सिा का अिसय ढॉढ रती ह| भहादिी बनदकतन को नहीॊ फदर ऩामी ऩय बनदकतन न भहादिी को फदर हदमा| बनदकतन क हाथ का भोटा-दहाती खाना खात-खात भहादिी का सिाद फदर गमा बनदकतन न भहादिी को दहात क ककसस-कहाननमाॉ ककॊ िदॊनतमाॉ कॊ ठसथ कया दी| सिबाि स भहाकॊ जस होन ऩय बी बनदकतन ऩाई-ऩाई कय जोडी हई १०५ रऩमो की यासश को सहरय भहादिी को सभवऩयत कय दती ह| जर क नाभ स थय-थय काॉऩन िारी बनदकतन अऩनी भारककन क साथ जर जान क सरए फड़ राट साहफ तक स रड़न को बी तमाय हो जाती ह| बनदकतन भहादिी क जीिन ऩय छा जान िारी एक ऐसी सविका ह नदजस रणखका नहीॊ खोना चाहती

ऩाि आधारयत परशनोततय

नोट- उततय भ ननहहत यखाॊककत िाकम भखम सॊकत बफॊद ह |

परशन 1-बजकतन का वासतपवक नाभ कमा था वह अऩन नाभ को कमो छऩाना चाहती थी

उततय-बनदकतन का िासतविक नाभ रकषभी था हहनददओॊ क अनसायरकषभी धन की दिीह चॉकक बनदकतन गयीफ थी| उसक िासतविक नाभ क अथय औय उसक जीिन क मथाथय भ वियोधाबास ह ननधयन बनदकतन सफको अऩना असरी नाभ रकषभी फताकय उऩहास का ऩातर नहीॊ फनना चाहती थी इससरए िह अऩना असरी नाभ छऩाती थी

परशन 2- रखखका न रकषभी का नाभ बजकतन कमो यखा

उततय-घटा हआ ससय गर भ कॊ ठी भारा औय बकतो की तयह सादगीऩणय िशबरा दखकय भहादिी िभाय न रकषभी का नाभ बनदकतन यख हदमा | मह नाभ उसक वमनदकतति स ऩणयत भर खाता था |

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परशन 3-बजकतन क जीवन को ककतन ऩरयचछदो भ पवबाजजत ककमा गमा ह

उततय- बनदकतन क जीिन को चाय बागो भ फाॉटा गमा ह-

ऩहरा ऩरयचछद-बनदकतन का फचऩन भाॉ की भतम विभाता क दिाया बनदकतन का फार-वििाह कया दना

दपवतीम ऩरयचछद-बनदकतन का ििाहहक जीिन सास तथा नदजठाननमो का अनदमामऩणय वमिहाय ऩरयिाय स अरगौझा कय रना

ततीम ऩरयचछद- ऩनत की भतम विधिा क रऩ भ सॊघरयशीर जीिन चतथट ऩरयचछद- भहादिी िभाय की सविका क रऩ भ

परशन 4- बजकतन ऩाि क आधाय ऩय बायतीम गराभीण सभाज भ रड़क-रड़ककमो भ ककम जान वार बदबाव का उलरख कीजजए |

बायतीम गराभीण सभाज भ रड़क-रड़ककमो भ बदबाि ककमा जाता ह| रड़ककमो को खोटा ससकका मा ऩयामा धन भाना जाता ह| बनदकतन न तीन फहटमो को जनदभ हदमा नदजस कायण उस सास औय नदजठाननमो की उऩा सहनी ऩड़ती थी| सास औय नदजठाननमाॉ आयाभ पयभाती थी कमोकक उनदहोन रड़क ऩदा ककए थ औय बनदकतन तथा उसकी ननदहीॊ फहटमो को घय औय खतो का साया काभ कयना ऩडता था| बनदकतन औय उसकी फहटमो को रखा-सखा भोटा अनाज खान को सभरता था जफकक उसकी नदजठाननमाॉ औय उनक कार-करट फट दध-भराई याफ-चािर की दाित उड़ात थ

परशन 5-बजकतन ऩाि क आधाय ऩय ऩॊचामत क नमाम ऩय ठटतऩणी कीजजए |

बनदकतन की फटी क सनददबय भ ऩॊचामत दिाया ककमा गमा नदमाम तकय हीन औय अॊध कानन ऩय आधारयतह | बनदकतन क नदजठौत न सॊऩनदतत क रारच भ रडमॊतर कय बोरी फचची को धोख स जार भ पॊ सामा| ऩॊचामत न ननदोर रड़की की कोई फात नहीॊ सनी औय एक तयिा पसरा दकय उसका वििाह जफयदसती नदजठौत क ननकमभ तीतयफाज सार स कय हदमा | ऩॊचामत क अॊध कानन स दरषटो को राब हआ औय ननदोर को दॊड सभरा |

परशन 6-बजकतन की ऩाक-करा क फाय भ ठटतऩणी कीजजए |

बनदकतन को ठठ दहाती सादा बोजन ऩसॊद था | यसोई भ िह ऩाक छत को फहत भहतति दती थी | सफह-सिय नहा-धोकय चौक की सपाई कयक िह दिाय ऩय कोमर की भोटी यखा खीॊच दती थी| ककसी को यसोईघय भ परिश कयन नहीॊ दती थी| उस अऩन फनाए बोजन ऩय फड़ा असबभान था| िह अऩन फनाए बोजन का नतयसकाय नहीॊ सह सकती थी |

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परशन 7- लसदध कीजजए कक बजकतन तकट -पवतकट कयन भ भाठहय थी |

बनदकतन तकय ऩट थी | कश भॉडान स भना ककए जान ऩय िह शासतरो का हिारा दत हए कहती ह lsquoतीयथ गए भॉडाए ससदधrsquo | घय भ इधय-उधय यख गए ऩसो को िह चऩचाऩ उठा कय छऩा रती ह टोक जानऩय िह िह इस चोयी नही भानती फनदलक िह इस अऩन घय भ ऩड़ ऩसो को सॉबारकय यखना कहती ह| ऩढाई-सरखाई स फचन क सरए बी िह अचक तकय दती ह कक अगय भ बी ऩढ़न रगॉ तो घय का काभ कौन दखगा

परशन 8-बजकतन का दबाटगम बी कभ हिी नही था रखखका न ऐसा कमो कहा ह

उततय- बजकतन का दबाटगम उसका ऩीछा नहीॊ छोड़ता था-

1- फचऩन भ ही भाॉ की भतम 2- विभाता की उऩा 3- बनदकतन(रकषभी) का फारवििाह 4- वऩता का ननधन 5- तीन-तीन फहटमो को जनदभ दन क कायण सास औय नदजठाननमो क दिाया बनदकतन की

उऩा 6- ऩनत की असभम भतम 7- दाभाद का ननधन औय ऩॊचामत क दिाया ननकमभ तीतयफाज मिक स बनदकतन की विधिा

फटी का जफयन वििाह 8- रगान न चका ऩान ऩय जभीॊदाय क दिाया बनदकतन का अऩभान

परशन 9-बजकतन न भहादवी वभाट क जीवन ऩय कस परबापवत ककमा

उततय- बनदकतन क साथ यहकय भहादिी की जीिन-शरी सयर हो गमी ि अऩनी सविधाओॊ की चाह को नछऩान रगीॊ औय असविधाओॊ को सहन रगीॊ बनदकतन न उनदह दहाती बोजन णखराकय उनका सिाद फदर हदमा बनदकतन भातर एक सविका न होकय भहादिी की असबबािक औय आतभीम फन गमीबनदकतन भहादिी क जीिन ऩय छा जान िारी एक ऐसी सविका ह नदजस रणखका नहीॊ खोना चाहती

परशन 10- बजकतन क चरयतर की पवशषताओॊ का उलरख कीजजए

उततय- भहादिी िभाय की सविका बनदकतन क वमनदकतति की विशरताएॊ ननमनाॊककत ह-

सभवऩयत सविका सिासबभानी

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तकय शीरा ऩरयशरभी सॊघरयशीर

परशन 11-बजकतन क दगटणो का उलरख कय

उततय- गणो क साथ-साथ बनदकतन क वमनदकतति भ अनक दगयण बी ननहहत ह-

1 िह घय भ इधय-उधय ऩड़ रऩम-ऩस को बॊडाय घय की भटकी भ छऩा दती ह औय अऩन इस कामय को चोयी नहीॊ भानती

2 भहादिी क करोध स फचन क सरए बनदकतन फात को इधय-उधय कयक फतान को झठ नही भानती अऩनी फात को सही ससदध कयन क सरए िह तकय -वितकय बी कयती ह

3 िह दसयो को अऩनी इचछानसाय फदर दना चाहती ह ऩय सिमॊ बफरकर नही फदरती परशन 12 ननमनाॊककत बाषा-परमोगो का अथट सऩषट कीजजए-

ऩहरी कनमा क दो औय सॊसकयण कय िार- बनदकतन न अऩनी ऩहरी कनदमा क फाद उसक जसी दो औय कनदमाएॉ ऩदा कय दी अथायत बनदकतन क एक क फाद एक तीन फहटमाॉ ऩदा हो गमीॊ |

खोट लसकको की टकसार जसी ऩतनी- आज बी असशकषत गराभीण सभाज भ फहटमो को

खोटा ससकका कहा जाता ह बनदकतन न एक क फाद एक तीन फहटमाॉ ऩदा कय दी इससरए उस खोट ससकक को ढारन िारी भशीन कहा गमा

परशन 13-बजकतन ऩाि भ रखखका न सभाज की ककन सभसमाओॊ का उलरख ककमा ह

उततय- बनदकतन ऩाठ क भाधमभ स रणखका न बायतीम गराभीण सभाज की अनक सभसमाओॊ का उलरख ककमा ह-

1 रड़क-रड़ककमो भ ककमा जान िारा बदबाि 2 विधिाओॊ की सभसमा 3 नदमाम क नाभ ऩय ऩॊचामतो क दिाया नदसतरमो क भानिाधधकाय को कचरना 4 असशा औय अॊधविशिास

गदमाॊश-आधारयत अथटगरहण सॊफॊधधत परशनोततय

ऩरयिाय औय ऩरयनदसथनतमो क कायण सिबाि भ जो विरभताएॉ उतऩनदन हो गई ह उनक बीतय स एक सनह औय सहानबनत की आबा पटती यहती ह इसी स उसक सॊऩकय भ आनिार वमनदकत उसभ जीिन की सहज भासभयकता ही ऩात ह छातरािास की फासरकाओॊ भ स कोई अऩनी चाम

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फनिान क सरए दहरी ऩय फठी यहती ह कोई फाहय खडी भय सरए नाशत को चखकय उसक सिाद की वििचना कयती यहती ह भय फाहय ननकरत ही सफ धचडड़मो क सभान उड़ जाती ह औय बीतय आत ही मथासथान वियाजभान हो जाती ह इनदह आन भ रकािट न हो सॊबित इसी स बनदकतन अऩना दोनो जन का बोजन सिय ही फनाकय ऊऩय क आर भ यख दती ह औय खात सभम चौक का एक कोना धोकय ऩाकndashछत क सनातन ननमभ स सभझौता कय रती ह

भय ऩरयधचतो औय साहहनदतमक फॊधओॊ स बी बनदकतन विशर ऩरयधचत ह ऩय उनक परनत बनदकतन क समभान की भातरा भय परनत उनक समभान की भातरा ऩय ननबयय ह औय सदभाि उनक परनत भय सदभाि स नननदशचत होता ह इस सॊफॊध भ बनदकतन की सहज फवदध विनदसभत कय दन िारी ह

(क) बजकतन का सवबाव ऩरयवाय भ यहकय कसा हो गमा ह

उततय-विरभ ऩरयनदसथनतजनदम उसक उगर हठी औय दयागरही सिबाि क फािजद बनदकतन क बीतय सनह औय सहानबनत की आबा पटती यहती ह उसक सॊऩकय भ आन िार वमनदकत उसभ जीिन की सहज भासभयकता ही ऩात ह

(ख) बजकतन क ऩास छातरावास की छातराएॉ कमो आती ह

उततय- बनदकतन क ऩास कोई छातरा अऩनी चाम फनिान आती ह औय दहरी ऩय फठी यहती ह कोई भहादिी जी क सरए फन नाशत को चखकय उसक सिाद की वििचना कयती यहती ह भहादिी को दखत ही सफ छातराएॉ बाग जाती ह उनक जात ही कपय िाऩस आ जातीॊ ह बनदकतन का सहज-सनह ऩाकय धचडड़मो की तयह चहचहान रगती ह |

(ग) छातराओॊ क आन भ रकावट न िारन क लरए बजकतन न कमा उऩाम ककमा

उततय- छातराओॊ क आन भ रकािट न डारन क सरए बनदकतन न अऩन ऩाक-छत क ननमभ स सभझौता कय सरमा | बनदकतन अऩना दोनो िकत का खाना फनाकय सफह ही आर भ यख दती औय खात सभम चौक का एक कोना धोकय िहाॉ फठकय खा सरमा कयती थी ताकक छातराएॉ बफना योक-टोक क उसक ऩास आ सक

(घ) साठहतमकायो क परनत बजकतन क समभान का कमा भाऩदॊि ह

उततय-बनदकतन भहादिी क साहहनदतमक सभतर क परनत सदभाि यखती थी नदजसक परनत भहादिी सिमॊ सदभाि यखती थी | िह सबी स ऩरयधचत हऩय उनक परनत समभान की भातरा भहादिी जी क समभान की भातरा ऩय ननबयय कयती ह िह एक अदभत ढॊग स जान रती थी कक कौन ककतना समभान कयता ह उसी अनऩात भ उसका परापम उस दती थी

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12 फाजाय-दशटन

रखक- जनि कभाय

ऩाि का सायाॊश फाजाय-दशयन ऩाठ भ फाजायिाद औय उऩबोकतािाद क साथ-साथ अथयनीनत एिॊ दशयन स सॊफॊधधत परशनो को सरझान का परमास ककमा गमा ह फाजाय का जाद तबी असय कयता ह जफ भन खारी हो| फाजाय क जाद को योकन का उऩाम मह ह कक फाजाय जात सभम भन खारी ना हो भन भ रकषम बया हो| फाजाय की असरी कताथयता ह जरयत क िकत काभ आना| फाजाय को िही भनरषम राब द सकता ह जो िासति भ अऩनी आिशमकता क अनसाय खयीदना चाहता ह| जो रोग अऩन ऩसो क घभॊड भ अऩनी ऩचनदजॊग ऩािय को हदखान क सरए चीज खयीदत ह ि फाजाय को शतानी वमॊगम शनदकत दत ह| ऐस रोग फाजारऩन औय कऩट फढात ह | ऩस की मह वमॊगम शनदकत वमनदकत को अऩन सग रोगो क परनत बी कतघन फना सकती ह | साधायण जन का रदम रारसा ईरषमाय औय तरषणा स जरन रगता ह | दसयी ओय ऐसा वमनदकत नदजसक भन भ रश भातर बी रोब औय तरषणा नहीॊ ह सॊचम की इचछा नहीॊ ह िह इस वमॊगम-शनदकत स फचा यहता ह | बगतजी ऐस ही आतभफर क धनी आदशय गराहक औय फचक ह नदजन ऩय ऩस की वमॊगम-शनदकत का कोई असय नहीॊ होता | अनक उदाहयणो क दिाया रखक न मह सऩरषट ककमा ह कक एक ओय फाजाय रारची असॊतोरी औय खोखर भन िार वमनदकतमो को रटन क सरए ह िहीॊ दसयी ओय सॊतोरी भन िारो क सरए फाजाय की चभक-दभक उसका आकरयण कोई भहतति नहीॊ यखता

परशन१ - ऩचजजॊग ऩावय ककस कहा गमा ह फाजाय ऩय इसका कमा परबाव ऩड़ता ह

उततय- ऩचनदजॊग ऩािय का अथय ह खयीदन की शनदकत ऩचनदजॊग ऩािय क घभॊड भ वमनदकत हदखाि क सरए आिशमकता स अधधक खयीदायीकयता ह औय फाजाय को शतानी वमॊगम-शनदकत दता ह ऐस रोग फाजाय का फाजारऩन फढ़ात ह

परशन२ -रखक न फाजाय का जाद ककस कहा ह इसका कमा परबाव ऩड़ता ह

उततय- फाजाय की चभक-दभक क चॊफकीम आकरयण को फाजाय का जाद कहा गमा ह मह जाद आॊखो की याह कामय कयता ह फाजाय क इसी आकरयण क कायण गराहक सजी-धजी चीजो को आिशमकता न होन ऩय बी खयीदन को वििश हो जात ह

परशन३ -आशम सऩषट कय

भन खारी होना भन बया होना भन फॊद होना

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उततय-भन खारी होना- भन भ कोई नननदशचत िसत खयीदन का रकषम न होना ननरददशम फाजाय जाना औय वमथय की चीजो को खयीदकय राना

भन बया होना- भन रकषम स बया होना नदजसका भन बया हो िह बरीबाॉनत जानता ह कक उस फाजाय स कौन सी िसत खयीदनी ह अऩनी आिशमकता की चीज खयीदकय िह फाजाय को साथयकता परदान कयता ह

भन फॊद होना-भन भ ककसी बी परकाय की इचछा न होना अथायत अऩन भन को शनदम कय दना

परशन४ - lsquoजहाॉ तषणा ह फटोय यखन की सऩहा ह वहाॉ उस फर का फीज नहीॊ हrsquo महाॊ ककस फर की चचाट की गमी ह

उततय- रखक न सॊतोरी सिबाि क वमनदकत क आतभफरकी चचाय की ह दसय शबदो भ महद भन भ सॊतोर हो तो वमनदकत हदखाि औय ईरषमाय की बािना स दय यहता ह उसभ सॊचम कयन की परिनदतत नहीॊ होती

परशन५ - अथटशासतर अनीनतशासतर कफ फन जाता ह

उततय- जफ फाजाय भ कऩट औय शोरण फढ़न रग खयीददाय अऩनी ऩचधचॊग ऩािय क घभॊड भ हदखाि क सरए खयीददायी कय | भनरषमो भ ऩयसऩय बाईचाया सभापत हो जाए| खयीददाय औय दकानदाय एक दसय को ठगन की घात भ रग यह एक की हानन भ दसय को अऩना राब हदखाई द तो फाजाय का अथयशासतर अनीनतशासतर फन जाता ह ऐस फाजाय भानिता क सरए विडॊफना ह

परशन६-बगतजी फाजाय औय सभाज को ककस परकाय साथटकता परदान कय यह ह

उततय- बगतजी क भन भ साॊसारयक आकरयणो क सरए कोई तरषणा नहीॊ ह ि सॊचम रारच औय हदखाि स दय यहत ह फाजाय औय वमाऩाय उनक सरए आिशमकताओॊ की ऩनत य का साधन भातर ह बगतजी क भन का सॊतोर औय ननसऩह बाि उनको शररषठ उऩबोकता औय विकरता फनात ह

परशन ७ _ बगत जी क वमजकततव क सशकत ऩहरओॊ का उलरख कीजजए |

उततय-ननमनाॊककत बफॊद उनक वमनदकतति क सशकत ऩहर को उजागय कयत ह

ऩॊसायी की दकान स किर अऩनी जरयत का साभान (जीया औय नभक) खयीदना नननदशचत सभम ऩय चयन फचन क सरए ननकरना छह आन की कभाई होत ही चयन फचना फॊद कय दना फच हए चयन को फचचो को भफ़त फाॉट दना

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सबी काजम-जम याभ कहकय सिागत कयना फाजाय की चभक-दभक स आकवरयत न होना सभाज को सॊतोरी जीिन की सशा दना

परशन7-फाजाय की साथटकता ककसभ ह

उततय- भनरषम की आिशमकताओॊ की ऩनतय कयन भ ही फाजाय की साथयकता ह जो गराहक अऩनी आिशमकताओॊ की चीज खयीदत ह ि फाजाय को साथयकता परदान कयत ह जो विकरता गराहको का शोरण नहीॊ कयत औय छर-कऩट स गराहको को रबान का परमास नही कयत ि बी फाजाय को साथयक फनात ह

गदमाॊश-आधारयत अथटगरहण-सॊफॊधधत परशनोततय

फाजाय भ एक जाद ह िह जाद आॉख की तयह काभ कयता ह िह रऩ का जाद ह ऩय जस चॊफक का जाद रोह ऩय ही चरता ह िस ही इस जाद की बी भमायदा ह जफ बयी हो औय भन खारी हो ऐसी हारत भ जाद का असय खफ होता ह जफ खारी ऩय भन बया न हो तो बी जाद चर जाएगा भन खारी ह तो फाजाय की अनकानक चीजो का ननभॊतरण उस तक ऩहॉच जाएगा कहीॊ हई उस िकत जफ बयी तफ तो कपय िह भन ककसकी भानन िारा ह भारभ होता ह मह बी रॉ िह बी रॉ सबी साभान जरयी औय आयाभ को फढ़ान िारा भारभ होता ह ऩय मह सफ जाद का असय ह जाद की सिायी उतयी कक ऩता चरता ह कक प सी-चीजो की फहतामत आयाभ भ भदद नहीॊ दती फनदलक खरर ही डारती ह थोड़ी दय को सिासबभान को जरय सक सभर जाता ह ऩय इसस असबभान को धगलटी की खयाक ही सभरती ह जकड़ यशभी डोयी की हो तो यशभ क सऩशय क भरामभ क कायण कमा िह कभ जकड़ दगी

ऩय उस जाद की जकड़ स फचन का एक सीधा उऩाम ह िह मह कक फाजाय जाओ तो खारी भन न हो भन खारी हो तफ फाजाय न जाओ कहत ह र भ जाना हो तो ऩानी ऩीकय जाना चाहहए ऩानी बीतय हो र का रऩन वमथय हो जाता ह भन रकषम स बया हो तो फाजाय परा का परा ही यह जाएगा तफ िह घाि बफरकर नहीॊ द सकगा फनदलक कछ आनॊद ही दगा तफ फाजाय तभस कताथय होगा कमोकक तभ कछ न कछ सचचा राब उस दोग फाजाय की असरी कताथयता ह आिशमकता क सभम काभ आना

परशन-1 फाजाय क जाद को रखक न कस सऩषट ककमा ह

उततय- फाजाय क रऩ का जाद आॉखो की याह स काभ कयता हआ हभ आकवरयत कयता ह फाजाय का जाद ऐस चरता ह जस रोह क ऊऩय चॊफक का जाद चरता ह चभचभाती योशनी भ सजी

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प सी चीॊज गराहक को अऩनी ओय आकवरयत कयती ह| इसी चमफकीम शनदकत क कायण वमनदकत कपजर साभान को बी खयीद रता ह |

परशन-2 जफ बयी हो औय भन खारी तो हभायी कमा दशा होती ह

उततय- जफ बयी हो औय भन खारी हो तो हभाय ऊऩय फाजाय का जाद खफ असय कयता ह भन खारी ह तो फाजाय की अनकानक चीजो का ननभॊतरण भन तक ऩहॉच जाता ह औय उस सभम महद जफ बयी हो तो भन हभाय ननमॊतरण भ नहीॊ यहता

परशन-3 प सी चीजो की फहतामत का कमा ऩरयणाभ होता ह

उततय- प सी चीज आयाभ की जगह आयाभ भ वमिधान ही डारती ह थोड़ी दय को असबभान को जरय सक सभर जाती ह ऩय हदखाि की परिनदतत भ िवदध होती ह

परशन-4 जाद की जकड़ स फचन का कमा उऩाम ह

उततय- जाद की जकड़ स फचन क सरए एक ही उऩाम ह िह मह ह कक फाजाय जाओ तो भन खारी न हो भन खारी हो तो फाजाय भत जाओ

13 कार भघा ऩानी द

रखक-धभटवीय बायती

ऩाि का सायाॊश -lsquoकार भघा ऩानी दrsquo ननफॊध रोकजीिन क विशिास औय विऻान क तकय ऩय आधारयत ह जफ बीरण गभी क कायण वमाकर रोग िराय कयान क सरए ऩजा-ऩाठ औय कथा-विधान कय थकndashहाय जात ह तफ िराय कयान क सरए अॊनतभ उऩाम क रऩ भ इनददय सना ननकरती ह| इनददय सना नॊग-धड़ॊग फचचो की टोरी ह जो कीचड़ भ रथऩथ होकय गरी-भोहलर भ ऩानी भाॉगन ननकरती ह| रोग अऩन घय की छतो-णखड़ककमो स इनददय सना ऩय ऩानी डारत ह | रोगो की भानदमता ह कक इनददर फादरो क सिाभी औय िराय क दिता ह| इनददर की सना ऩय ऩानी डारन स इनददर बगिान परसनदन होकय ऩानी फयसाएॊग | रखक का तकय ह कक जफ ऩानी की इतनी कभी ह तो रोग भनदशकर स जभा ककए ऩानी को फालटी बय-बयकय इनददय सना ऩय डारकय ऩानी को कमो फफायद कयत ह आमयसभाजी विचायधाया िारा रखक इस अॊधविशिास भानता ह | इसक विऩयीत रखक की जीजी उस सभझाती ह कक मह ऩानी की फफायदी नहीॊ फनदलक ऩानी की फिाई ह | कछ ऩान क सरए कछ दना ऩड़ता ह | तमाग क बफना दान नहीॊ होता| परसतत ननफॊध भ रखक न भरषटाचाय की सभसमा को उठात हए कहा ह कक जीिन भ कछ ऩान क सरए तमाग आिशमक ह जो रोग तमाग औय दान की भहतता को नहीॊ भानत ि ही भरषटाचाय भ सरपत यहकय दश औय सभाज को रटत ह| जीजी की आसथा बािनातभक सचचाई को ऩरषट कयती ह औय तकय किर िऻाननक तथम को सतम भानता ह जहाॉ तकय मथाथय क

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कठोय धयातर ऩय सचचाई को ऩयखता ह तो िहीॊ आसथा अनहोनी फात को बी सिीकाय कय भन को सॊसकारयत कयती ह बायत की सितॊतरता क ५० सार फाद बी दश भ वमापत बरषटाचाय औय सिाथय की बािना को दखकय रखक दखी ह | सयकाय दिाया चराई जा यही मोजनाएॉ गयीफो तक कमो नहीॊ ऩहॉच ऩा यहीॊ ह कार भघा क दर उभड़ यह ह ऩय आज बी गयीफ की गगयी पटी हई कमो ह रखक न मह परशन ऩाठको क सरए छोड़ हदमा ह |

परशन1-इनदय सना घय-घय जाकय ऩानी कमो भाॉगती थी

उततय- गाॉि क रोग फारयश क सरए बगिान इॊदर स पराथयना ककमा कयत थ जफ ऩजा-ऩाठवरत आहद उऩाम असिर हो जात थ तो बगिान इॊदर को परसनदन कयन क सरए गाॉि क ककशोय फचच कीचड़ भ रथऩथ होकय गरी-गरी घभकय रोगो स ऩानी भाॉगत थ

परशन2-इनदयसना को रखक भढक-भॊिरी कमो कहता ह जीजी क फायndashफाय कहन ऩय बी वह इनदयसना ऩय ऩानी प कन को याजी कमो नहीॊ होता

उततय- इनददयसना का कामय आमयसभाजी विचायधाया िार रखक को अॊधविशिास रगता ह उसका भानना ह कक महद इॊदयसना दिता स ऩानी हदरिा सकती ह तो सिमॊ अऩन सरए ऩानी कमो नहीॊ भाॉग रती ऩानी की कभी होन ऩय बी रोग घय भ एकतर ककम हए ऩानी को इॊदयसना ऩय ि कत ह रखक इस ऩानी की ननभयभ फयफादी भानता ह

परशन3- रि हए रखक को जीजी न ककस परकाय सभझामा

उततय- जीजी न रखक को पमाय स रडड-भठयी णखरात हए ननमन तकय हदए-

1- तमाग का भहततव- कछ ऩान क सरए कछ दना ऩड़ता ह 2- दान की भहतता- कवर-भननमो न दान को सफस ऊॉ चा सथान हदमा ह जो चीज अऩन

ऩास बी कभ हो औय अऩनी आिशमकता को बरकय िह चीज दसयो को दान कय दना ही तमाग ह |

3- इॊिदव को जर का अधमट चिाना- इॊदयसना ऩय ऩानी ि कना ऩानी की फयफादी नहीॊ फनदलक इॊदरदि को जर का अधमय चढ़ाना ह

4- ऩानी की फवाई कयना- नदजस परकाय ककसान िसर उगान क सरए जभीन ऩय फीज डारकय फिाई कयता ह िस ही ऩानी िार फादरो की िसर ऩान क सरए इनददय सना ऩय ऩानी डार कय ऩानी की फिाई की जाती ह

परशन4-नठदमो का बायतीम साभाजजक औय साॊसकनतक ऩरयवश भ कमा भहतव ह

उततय- गॊगा बायतीम सभाज भ सफस ऩजम सदानीया नदी ह नदजसका बायतीम इनतहास भ धासभयक ऩौयाणणक औय साॊसकनतक भहति ह | िह बायतीमो क सरए किर एक नदी नहीॊ अवऩत

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भाॉ ह सिगय की सीढ़ी ह भोदानमनी ह उसभ ऩानी नहीॊ अवऩत अभत तलम जर फहता ह बायतीम सॊसकनत भ नहदमो क ककनाय भानि सभमताएॉ परी-परी ह| फड़-फड़ नगय तीथयसथान नहदमो क ककनाय ही नदसथत ह ऐस ऩरयिश भबायतिासी सफस ऩहर गॊगा भमा की जम ही फोरग नहदमाॉ हभाय जीिन का आधाय ह हभाया दश कवर परधान ह नहदमो क जर स ही बायत बसभ हयी-बयी ह नहदमो क बफना जीिन की कलऩना नहीॊ कय सकत मही कायण ह कक हभ बायतीम नहदमो की ऩजा कयत ह |

परशन4-आजादी क ऩचास वषो क फाद बी रखक कमो दखी ह उसक भन भ कौन स परशन उि यह ह

उततय- आजादी क ऩचास िरो फाद बी बायतीमो की सोच भ सकायातभक फदराि न दखकय रखक दखी ह उसक भन भ कई परशन उठ यह ह-

1 कमा हभ सचच अथो भ सितनदतर ह 2 कमा हभ अऩन दश की सॊसकनत औय सभमता को सभझ ऩाए ह 3 यारषर ननभायण भ हभ ऩीछ कमो ह हभ दश क सरए कमा कय यह ह

4 हभ सिाथय औय भरषटाचाय भ सरपत यहत ह तमाग भ विशिास कमो नहीॊ कयत

5 सयकाय दिाया चराई जा यही सधायिादी मोजनाएॉ गयीफो तक कमो नहीॊ ऩहॉचती ह

गदमाॊश ऩय आधारयत अथटगरहण-सॊफॊधधत परशनोततय

सचभच ऐस हदन होत जफ गरी-भहलरा गाॉि-शहय हय जगह रोग गयभी भ बन-बन कय तराहहभाभ कय यह होत जठ क दसतऩा फीतकय आराढ का ऩहरा ऩखिाड़ा फीत चका होता ऩय कषनतज ऩय कहीॊ फादरो की यख बी नहीॊ दीखती होती कएॉ सखन रगत नरो भ एक तो फहत कभ ऩानी आता औय आता बी तो आधी यात को िो बी खौरता हआ ऩानी हो | शहयो की तरना भ गाॉि भ औय बी हारत खयाफ थी| जहाॉ जताई होनी चाहहए थी िहाॉ खतो की सभटटी सखकय ऩतथय हो जाती कपय उसभ ऩऩड़ी ऩड़कय जभीन पटन रगती र ऐसी कक चरत-चरत आदभी धगय ऩड़ | ढोय-डॊगय पमास क भाय भयन रगत रककन फारयश का कहीॊ नाभ ननशान नहीॊ ऐस भ ऩजा-ऩाठ कथा-विधान सफ कयक रोग जफ हाय जात तफ अॊनतभ उऩाम क रऩ भ ननकरती मह इनददय सना |

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परशन१- वषाट न होन ऩय रोगो की कमा जसथनत हो गमी थी उततय - िराय न होन ऩय गयभी क कायण रोग र रगन स फहोश होन रग | गाॉि-शहय सबी जगह ऩानी का अबाि हो गमा| कएॉ सख गए खतो की सभटटी सखकय ऩतथय क सभान कठोय होकय पट गमी| घयो भ नरो भ ऩानी फहत कभ आता था | ऩश पमास क भाय भयन रग थ | परशन२- वषाट क दवता कौन ह उनको परसनन कयन क लरए कमा उऩाम ककए जात थ उततय -िराय क दिता बगिान इनददर ह| उनको परसनदन कयन क सरए ऩजाndashऩाठ कथा-विधान कयाए जात थ | ताकक इनददर दि परसनदन होकय फादरो की सना बजकय झभाझभ फारयश कयाएॉ औय रोगो क करषट दय हो | परशन३- वषाट कयान क अॊनतभ उऩाम क रऩ भ कमा ककमा जाता था उततय ndashजफ ऩजा-ऩाठ कथा-विधान सफ कयक रोग हाय जात थ तफ अॊनतभ उऩाम क रऩ भ इनददय सना आती थी | नॊग-धडॊग कीचड़ भ रथऩथ lsquoकार भघा ऩानी द ऩानी द गड़धानी दrsquo की टय रगाकय पमास स सखत गरो औय सखत खतो क सरए भघो को ऩकायती हई टोरी फनाकय ननकर ऩड़ती थी| परशन४-आशम सऩषट कय ndash जठ क दसतऩा फीतकय आराढ़ का ऩहरा ऩखिाड़ा फीत चका होता ऩय कषनतज भ कहीॊ फादरो की यख बी नजय नहीॊ आती | आशम- जठ का भहीना ह बीरण गयभी ह| तऩत हए दस हदन फीत कय आराढ का भहीना बी आधा फीत गमा ऩय ऩानी क सरए तड़ऩत िराय की आशा भ आसभान की ओय ताकत रोगो को कहीॊ फादर नजय नहीॊ आ यह |

14 ऩहरवान की ढोरक

फ़णीशवयनाथ यण

ऩाि का सायाॊश ndashआॊचसरक कथाकाय िणीशियनाथ यण की कहानी ऩहरिान की ढोरक भ कहानी क भखम ऩातर रटटन क भाता-वऩता का दहाॊत उसक फचऩन भ ही हो गमा था | अनाथ रटटन को उसकी विधिा सास न ऩार-ऩोसकय फड़ा ककमा | उसकी सास को गाॉि िार सतात थ |

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रोगो स फदरा रन क सरए कशती क दाॉिऩच सीखकय कसयत कयक रटटन ऩहरिान फन गमा |

एक फाय रटटन शमाभनगय भरा दखन गमा जहाॉ ढोर की आिाज औय कशती क दाॉिऩच दखकय उसन जोश भ आकय नाभी ऩहरिान चाॉदससॊह को चनौती द दी | ढोर की आिाज स परयणा ऩाकय रटटन न दाॉि रगाकय चाॉद ससॊह को ऩटककय हया हदमा औय याज ऩहरिान फन गमा | उसकी खमानत दय-दय तक िर गमी| १५ िरो तक ऩहरिान अजम फना यहा| उसक दो ऩतर थ| रटटन न दोनो फटो को बी ऩहरिानी क गय ससखाए| याजा की भतम क फाद नए याजकभाय न गददी सॊबारी याजकभाय को घोड़ो की यस का शौक था भनजय न नम याजा को बड़कामा ऩहरिान औय उसक दोनो फटो क बोजनखचय को बमानक औय किजरखचय फतामा िरसिरऩ नए याजा न कशती को फॊद कयिा हदमा औय ऩहरिान रटटनससॊह को उसक दोनो फटो क साथ भहर स ननकार हदमा

याजदयफाय स ननकार हदए जान क फाद रटटन ससॊह अऩन दोनो फटो क साथ गाॉि भ झोऩड़ी फनाकय यहन रगा औय गाॉि क रड़को को कशती ससखान रगा| रटटन का सकर जमादा हदन नहीॊ चरा औय जीविकोऩाजयन क सरए उसक दोनो फटो को भजदयी कयनी ऩड़ी| इसी दौयान गाॉि भ अकार औय भहाभायी क कायण परनतहदन राश उठन रगी| ऩहरिान भहाभायी स डय हए रोगो को ढोरक फजाकय फीभायी स रड़न की सॊजीिनी ताकत दता था| एक हदन ऩहरिान क दोनो फट बी भहाभायी की चऩट भ आकय भय गए ऩय उस यात बी ऩहरिान ढोरक फजाकय रोगो को हहमभत फॊधा यहा था | इस घटना क चाय-ऩाॉच हदन फाद ऩहरिान की बी भौत हो जाती ह|

ऩहरिान की ढोरक वमिसथा क फदरन क साथ रोक कराकाय क अपरासॊधगक हो जान की कहानी ह इस कहानी भ रटटन नाभ क ऩहरिान की हहमभत औय नदजजीविरा का िणयन ककमा गमा ह बख औय भहाभायी अजम रटटन की ऩहरिानी को िट ढोर भ फदर दत ह इस करण तरासदी भ ऩहरिान रटटन कई सिार छोड़ जाता ह कक करा का कोई सितॊतर अनदसतति ह मा करा किर वमिसथा की भोहताज ह

परशन1- रटटन को ऩहरवान फनन की परयणा कस लभरी

उततय- रटटन जफ नौ सार का था तो उसक भाता-वऩता का दहाॊत हो गमा था | सौबागम स उसकी शादी हो चकी थी| अनाथ रटटन को उसकी विधिा सास न ऩार-ऩोसकय फड़ा ककमा | उसकी सास को गाॉि िार ऩयशान कयत थ| रोगो स फदरा रन क सरए उसन ऩहरिान फनन की ठानी| धायोरषण दध ऩीकय कसयत कय उसन अऩना फदन गठीरा औय ताकतिय फना सरमा | कशती क दाॉिऩच सीखकय रटटन ऩहरिान फन गमा |

परशन2- यात क बमानक सननाट भ रटटन की ढोरक कमा करयशभा कयती थी

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उततय- यात क बमानक सनदनाट भरटटन की ढोरक भहाभायी स जझत रोगो को हहमभत फॉधाती थी | ढोरक की आिाज स यात की विबीवरका औय सनदनाटा कभ होता था| भहाभायी स ऩीडड़त रोगो की नसो भ बफजरी सी दौड़ जाती थी उनकी आॉखो क साभन दॊगर का दशम साकाय हो जाता था औय ि अऩनी ऩीड़ा बर खशी-खशी भौत को गर रगा रत थ इस परकाय ढोर की आिाज फीभाय-भतपराम गाॉििारो की नसो भ सॊजीिनी शनदकत को बय फीभायी स रड़न की परयणा दती थी

परशन3- रटटन न सवाटधधक ठहमभत कफ ठदखाई

उततय- रटटन ससॊह न सिायधधक हहमभत तफ हदखाई जफ दोनो फटो की भतम ऩय िह योमा नहीॊ फनदलक हहमभत स काभ रकय अकर उनका अॊनतभ सॊसकाय ककमा| मही नहीॊ नदजस हदन ऩहरिान क दोनो फट भहाभायी की चऩट भ आकय भय गए ऩय उस यात को बी ऩहरिान ढोरक फजाकय रोगो को हहमभत फॉधा यहा था| शमाभनगय क दॊगर भ ऩया जनसभदाम चाॉद ससॊह क ऩ भ था चाॉद ससॊह को हयात सभम रटटन न हहमभत हदखाई औय बफना हताश हए दॊगर भ चाॉद ससॊह को धचत कय हदमा |

परशन4- रटटन लसॊह याज ऩहरवान कस फना

उततय- शमाभनगय क याजा कशती क शौकीन थ उनदहोन दॊगर का आमोजन ककमा ऩहरिान रटटन ससॊह बी दॊगर दखन ऩहॉचा चाॊदससॊह नाभक ऩहरिान जो शय क फचच क नाभ स परससदध था कोई बी ऩहरिान उसस सबड़न की हहमभत नहीॊ कयता था चाॉदससॊह अखाड़ भ अकरा गयज यहा था रटटन ससॊह न चाॉदससॊह को चनौती द दी औय चाॉदससॊह स सबड़ गमाढ़ोर की आिाज सनकय रटटन की नस-नस भ जोश बय गमाउसन चाॉदससॊह को चायो खान धचत कय हदमा याजासाहफ न रटटन की िीयता स परबावित होकय उस याजऩहरिान फना हदमा

परशन5- ऩहरवान की अॊनतभ इचछा कमा थी

उततय- ऩहरिान की अॊनतभ इचछा थी कक उस धचता ऩय ऩट क फर सरटामा जाए कमोकक िह नदजॊदगी भ कबी धचत नहीॊ हआ था| उसकी दसयी इचछा थी कक उसकी धचता को आग दत सभम ढोर अिशम फजामा जाए |

परशन6- ढोर की आवाज औय रटटन क भ दाॉिऩच सॊफॊध फताइए-

उततय- ढोर की आिाज औय रटटन क दाॉिऩच भ सॊफॊध -

चट धा धगड़ धाrarr आजा सबड़ जा | चटाक चट धाrarr उठाकय ऩटक द | चट धगड़ धाrarrभत डयना |

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धाक धधना नतयकट नतनाrarr दाॉि काटो फाहय हो जाओ | धधना धधना धधक धधनाrarr धचत कयो

गदमाॊश-आधारयत अथटगरहण-सॊफॊधधत परशनोततय

अॉधयी यात चऩचाऩ आॉस फहा यही थी | ननसतबधता करण सससककमो औय आहो को अऩन रदम भ ही फर ऩियक दफान की चरषटा कय यही थी | आकाश भ ताय चभक यह थ | ऩथिी ऩय कहीॊ परकाश का नाभ नहीॊ| आकाश स टट कय महद कोई बािक ताया ऩथिी ऩय आना बी चाहता तो उसकी जमोनत औय शनदकत यासत भ ही शर हो जाती थी | अनदम ताय उसकी बािकता अथिा असपरता ऩय णखरणखराकय हॉस ऩड़त थ | ससमायो का करॊ दन औय ऩचक की डयािनी आिाज यात की ननसतबधता को बॊग कयती थी | गाॉि की झोऩडडमो स कयाहन औय क कयन की आिाज हय याभ ह बगिान की टय सनाई ऩड़ती थी| फचच बी ननफयर कॊ ठो स भाॉ ndashभाॉ ऩकायकय यो ऩड़त थ |

(क) अॉधयी यात को आॉस फहात हए कमो ठदखामा गमा ह उततयndash गाॉि भ हजा औय भररयमा परा हआ था | भहाभायी की चऩट भ आकाय रोग भय यह थ |चायो ओय भौत का सनाटा छामा था इससरए अॉधयी यात बी चऩचाऩ आॉस फहाती सी परतीत हो यही थी|

(ख) ताय क भाधमभ स रखक कमा कहना चाहता ह उततयndash ताय क भाधमभ स रखक कहना चाहता ह कक अकार औय भहाभायी स तरसत गाॉि िारो की ऩीड़ा को दय कयन िारा कोई नहीॊ था | परकनत बी गाॉि िारो क द ख स दखी थी| आकाश स टट कय महद कोई बािक ताया ऩथिी ऩय आना बी चाहता तो उसकी जमोनत औय शनदकत यासत भ ही शर हो जाती थी |

(ग) यात की ननसतबधता को कौन बॊग कयता था उततयndash ससमायो की चीख-ऩकाय ऩचक की डयािनी आिाज औय कततो का साभहहक रदन सभरकय यात क सनदनाट को बॊग कयत थ |

(घ) झोऩड़ड़मो स कसी आवाज आ यही ह औय कमो उततयndash झोऩडड़मो स योधगमो क कयाहन क कयन औय योन की आिाज आ यही ह कमोकक गाॉि क रोग भररयमा औय हज स ऩीडड़त थ | अकार क कायण अनदन की कभी हो गमी थी| औरधध औय ऩथम न सभरन क कायण रोगो की हारत इतनी फयी थी कक कोई बगिान को ऩकाय रगाता था तो कोई दफयर कॊ ठ स भाॉndashभाॉ ऩकायता था |

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15 चारी चजतरन मानी हभ सफ

रखक-पवषण खय

ऩाि का सायाॊश ndashचारक चनदपरन न हासम कराकाय क रऩ भ ऩयी दननमा क फहत फड़ दशयक िगय को हॉसामा ह | उनकी कपलभो न कपलभ करा को रोकताॊबतरक फनान क साथ-साथ दशको की िगय औय िणय-वमिसथा को बी तोड़ा | चारक न करा भ फवदध की अऩा बािना को भहतति हदमा ह | फचऩन क सॊघरो न चारक क बािी कपलभो की बसभ तमाय कय दी थी| बायतीम करा औय सौदमयशासतर भ करणा का हासम भ ऩरयितयन बायतीम ऩयमऩया भ नहीॊ सभरता रककन चारक एक ऐसा जादई वमनदकतति ह जो हय दश सॊसकनत औय सभमता को अऩना सा रगता ह| बायतीम जनता न बी उनदह सहज बाि स सिीकाय ककमा ह| सिमॊ ऩय हॉसना चारक न ही ससखामा| बायतीम ससनभा जगत क सपरससदध कराकाय याजकऩय को चारक का बायतीमकयण कहा गमा ह | चारक की अधधकाॊश किलभ भक ह इससरए उनदह अधधक भानिीम होना ऩड़ा | ऩाठ भ हासम कपलभो क भहान असबनता lsquoचारक चनदपरनrsquo की जादई विशरताओॊ का उलरख ककमा गमा ह नदजसभ उसन करणा औय हासम भ साभॊजसम सथावऩत कय किलभो को साियबौसभक रऩ परदान ककमा

परशन१ -चारी क जीवन ऩय परबाव िारन वारी भखम घटनाएॉ कौन सी थी

उततय- चारक क जीिन भ दो ऐसी घटनाएॉ घटीॊ नदजनदहोन उनक बािी जीिन ऩय फहत परबाि डारा |

ऩहरी घटना - जफ चारक फीभाय थ उनकी भाॉ उनदह ईसा भसीह की जीिनी ऩढ़कय सना यही थी | ईसा क सरी ऩय चढ़न क परसॊग तक आत-आत भाॉ-फटा दोनो ही योन रग| इस घटना न चारक को सनह करणा औय भानिता जस उचच जीिन भलम हदए |

दसयी घटना हndash फारक चारक कसाईखान क ऩास यहता था| िहाॉ सकड़ो जानियो को योज भाया जाता था| एक हदन एक बड़ िहाॉ स बाग ननकरी| बड़ को ऩकड़न की कोसशश भ कसाई कई फाय कपसरा| नदजस दखकय रोग हॊसन रग ठहाक रगान रग| जफ बड़ को कसाई न ऩकड़ सरमा तो फारक चारक योन रगा| इस घटना न उसक बािी कपलभो भ तरासदी औय हासमोतऩादक ततिो की बसभका तम कय दी |

परशन२ ndash आशम सऩषट कीजजएndash

चजतरन न लसपट कपलभकरा को ही रोकताॊबतरक नही फनामा फजलक दशटको की वगट तथा वणट-वमवसथा को बी तोड़ा|

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उततय- रोकताॊबतरक फनान का अथय ह कक कपलभ करा को सबी क सरए रोकवपरम फनाना औय िगय औय िणय-वमिसथा को तोड़न का आशम ह- सभाज भ परचसरत अभीय-गयीफ िणय जानतधभय क बदबाि को सभापत कयना |चनदपरन का चभतकाय मह ह कक उनदहोन कपलभकरा को बफना ककसी बदबाि क सबी रोगो तक ऩहॉचामा| उनकी कपलभो न सभम बगोर औय सॊसकनतमो की सीभाओॊ को राॉघ कय साियबौसभक रोकवपरमता हाससर की | चारक न मह ससदध कय हदमा कक करा सितनदतर होती ह अऩन ससदधाॊत सिमॊ फनाती ह |

परशन३ndash चारी चजतरन की कपलभो भ ननठहत तरासदीकरणाहासम का साभॊजसम बायतीम करा औय सौदमटशासतर की ऩरयधध भ कमो नहीॊ आता

उततय- चारक चनदपरन की कपलभो भ ननहहत तरासदीकरणाहासम का साभॊजसम बायतीम करा औय सौदमयशासतर की ऩरयधध भ नहीॊ आताकमोकक बायतीम यस-ससदधाॊत भ करणा औय हासम का भर नहीॊ हदखामा जाता कमोकक बायतीम सौदमयशासतर भ करणयस औय हासम यस को ऩयसऩय वियोधी भाना गमा ह अथायत जहाॊ करणा ह िहाॉ हासम नहीॊ हो सकता बायत भ सिमॊ ऩय हॉसन की ऩयॊऩया नहीॊ ह ऩयॊत चारक क ऩातर अऩन ऩय हॉसतndashहॉसात ह चारक की किलभो क दशम हॉसात-हॉसात ररा दत ह तो कबी करण दशम क फाद अचानक ही हॉसन ऩय भजफय कय दत ह

परशन४ndash चारी क कपलभो की पवशषताएॉ फताइए |

उततय- चारक की किलभो भ हासम औय करणा का अदभत साभॊजसम ह उनकी किलभो भ बारा का परमोग फहत कभ ह चारक की किलभो भ फवदध की अऩा बािना का भहतति अधधक ह उनकी किलभो भ साियबौसभकता ह चारक ककसी बी सॊसकनत को विदशी नही रगत चारक सफको अऩन रगत ह चारक न किलभो को रोकताॊबतरक फनामा औय किलभो भ िगय तथािणय-वमिसथा को तोड़ा अऩनी कपलभो भ चारक सदि धचय मिा हदखता ह

गदमाॊश-आधारयत अथटगरहण-सॊफॊधी परशनोततय

गदमाॊश सॊकत ndashचारक चनदपरन मानी हभ सफ (ऩरषठ १२० )

महद मह िरय चनदपरन की कापी कछ कहा जाएगा |

परशन (क)-पवकासशीर दशो भ चजतरन कमो भशहय हो यह ह

उततय - विकासशीर दशो भ जस-जस टरीविजन औय िीडडमो का परसाय हो यहा ह रोगो को उनकी कपलभो को दखन का अिसय सभर यहा ह |एक फहत फड़ा िगय नए ससय स चारक को घड़ी सधायत औय जत खान की कोसशश कयत दख यहा ह इसीसरए चारक विकासशीर दशो भ रोकवपरम हो यह ह |

(ख)- ऩजशचभ भ चारी का ऩनजीवन कस होता यहता ह

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उततय - ऩनदशचभ भ चारक की कपलभो का परदशयन होता यहता ह| उनकी करा स परयणा ऩाकय हासम किलभ फनती यहती ह | उनक दिाया ननबाए ककयदायो की नकर अनदम कराकाय कयत ह | ऩनदशचभ भ चारक का ऩनजीिन होता यहता ह|

(ग)- चारी को रोग फिाऩ तक कमो माद यखग

उततय ndashहासम कराकाय क रऩ भ रोग चारक को फढ़ाऩ तक माद यखग कमोकक उनकी करा सभम बगोर औय सॊसकनतमो की सीभाओॊ को राॉघकय राखो रोगो को हॉसा यही ह|

(घ)- चारी की कपलभो क फाय भ कापी कछ कहा जाना कमो फाी ह

उततय ndashचनदपरन की ऐसी कछ किलभ मा इसतभार न की गमी यीर सभरी ह नदजनक फाय भ कोई नहीॊ जानता था | चारक की बािनापरधान हासम कपलभो न करा क नए परनतभान सथावऩत ककए ह अत चारक की कपलभो क फाय भ अबी कापी कछ कहा जाना फाी ह|

16 नभक

रखखका - यजजमा सजजाद जहीय

सायाॊश -lsquoनभकrsquoबायत-ऩाक विबाजन ऩय सरणखत भासभयक कहानी ह | विसथावऩत हए रोगो भ अऩनndashअऩन जनदभ सथानो क परनत आज बी रगाि ह| धासभयक आधाय ऩय फनी यारषर-याजमो की सीभा-यखाएॉ उनक अॊतभयन को अरग नहीॊ कय ऩाई ह | बायत भ यहन िारी ससख फीिी राहौय को अऩना ितन भानती ह औय बायतीम कसटभ अधधकायी ढाका क नारयमर ऩानी को मादकय उस सियशररषठ फताता ह दोनो दशो क नागरयको क फीच भहबफत का नभकीन सिाद आज बी कामभ ह इसीसरए सकिमा बायत भ यहन िारी अऩनी भॉहफोरी भाॉ ससख फीिी क सरए राहौयी नभक रान क सरए कसटभ औय कानन की ऩयिाह नहीॊ कयती

परशन1- lsquoनभकrsquo ऩाि क आधाय ऩय फताइए कक सकपमा औय उसक बाई क पवचायो भ कमा अॊतय था

उततय- १-सकपमा बािनाओॊ को फहतभहतति दती ह ऩय उसका बाई फौवदधक परिनदतत का ह उसकी दनदरषट भ कानन बािनाओॊ स ऊऩय ह|

२-सकपमा भानिीम सॊफॊधो को फहत भहतति दती ह जफकक उसका बाई अरगाििादी विचायधाया का ह हहसस-फखय की फात कयता ह |

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३-सकपमा का बाई कहता ह कक अदीफो(साहहतमकाय) का हदभाग घभा हआ होता ह जफकक सकपमा जो सिमॊ अदीफ ह उसका भानना ह कक अगय सबी रोगो का हदभाग अदीफो की तयह घभा हआ होता तो दननमा कछ फहतय हो जाती |

परशन२- नभक र जात सभम सकफ़मा क भन भ कमा दपवधा थी

उततय-सकपमा समद भसरभान थी जो हय हार भ अऩना िामदा ननबात ह| ऩाककसतान स राहौयी नभक र जाकय िह अऩना िामदा ऩया कयना चाहती थी ऩयनदत जफ उस ऩता चरा कक कसटभ क ननमभो क अनसाय सीभाऩाय नभक र जाना िनदजयत ह तो िह दविधा भ ऩड़ गई | सकिमा का दिॊदि मह था कक िह अऩनी ससख भाॉ क सरए नभक कसटभ अधधकारयमो को फताकयर जाए मा नछऩाकय|

परशन३- ऩाि क आधाय ऩय सकपमा की चारयबतरक पवशषताएॉ फताइए |

उततय सॊकत ndash

१- बािक २- ईभानदाय ३- दढ़ननशचमी ४- ननडय ५- िामद को ननबान िारी ६- भानिीम भलमो को सिोऩरय भानन िारी साहहतमकाय

परशन ४- lsquoनभकrsquo ऩाि भ आए ककयदायो क भाधमभ स सऩषट कीजजए कक आज बी बायत औय ऩाककसतान की जनता क फीच भहबफत का नभकीन सवाद घरा हआ ह |

उततय ndash बर ही याजनीनतक औय धासभयक आधाय ऩय बायत औय ऩाककसतान को बौगोसरक रऩ स विबानदजत कय हदमा गमा ह रककन दोनो दशो क रोगो क रदम भ आज बी ऩायसऩरयक बाईचाया सौहादरय सनह औय सहानबनत विदमभान ह | याजनीनतक तौय ऩय बर ही सॊफॊध तनािऩणय हो ऩय साभानदजक तौय ऩय आज बी जनता क फीच भहबफत का नभकीन सिाद घरा हआ ह | अभतसय भ यहन िारी ससख फीफी राहौय को अऩना ितन कहती ह औय राहौयी नभक का सिाद नहीॊ बरा ऩाती | ऩाककसतान का कसटभ अधधकायी नभक की ऩडड़मा सकपमा को िाऩस दत हए कहता ह rdquoजाभा भनदसजद की सीहढ़मो को भया सराभ कहना |rdquo बायतीम सीभा ऩय तनात कसटभ अधधकायी ढाका की जभीन को औय िहाॉ क ऩानी क सिाद को नहीॊ बर ऩाता |

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गदमाॊश-आधारयत अथटगरहण सॊफॊधधत परशनोततय

गदमाॊश सॊकत- ऩाठndash नभक (ऩरषठ १३४)

सकपमा कसटभ क जॊगर स दोनो क हाथो भ थी |

(क) सकपमा कसटभ क जॉगर स ननकरकय दसय तरटपाभट ऩय आ गमी व वहीॊ खड़ यहndash इस वाकम भ lsquoवrsquo शबद का परमोग ककसक लरए ककमा गमा ह

उततय- महाॉ lsquoिrsquo शबद का परमोग ऩाककसतानी कसटभ अधधकायी क सरए ककमा गमा ह जो विबाजन स ऩिय हदलरी भ यहत थ औय आज बी हदलरी को ही अऩना ितन भानत ह |

(ख) तरटपाभट ऩय सकपमा को पवदा कयन कौन-कौन आए थ उनहोन सकपमा को कस पवदाई दी

उततय- परटपाभय ऩय सकपमा को विदा कयन उसक फहत साय सभतर सग सॊफॊधी औय बाई आए थ| उनदहोन ठॊडी साॉस बयत हए सबॊच हए होठो क साथ आॉस फहात हए सकपमा को विदाई दी |

(ग) अटायी भ यरगाड़ी भ कमा ऩरयवतटन हए उततय- अटायी भ यरगाड़ी स ऩाककसतानी ऩसरस उतयी औय हहनददसतानी ऩसरस सिाय हो गई|

(घ) कौन सी फात सकपमा की सभझ भ नहीॊ आ यही थी उततय- दोनो ओय एक सी जभीन एक जसा आसभान एक सी बारा एक सा ऩहनािा औय एक सी सयत क रोग कपय बी दोनो क हाथो भ बयी हई फॊदक ह |

17 लशयीष क पर

आचामट हजायी परसाद दपववदी

सायाॊश ndashlsquoआचामय हजायी परसाद दवििदीrsquo सशयीर को अदभत अिधत भानत ह कमोकक सॊनदमासी की बाॉनत िह सख-दख की धचॊता नहीॊ कयता गभी र िराय औय आॉधी भ बी अविचर खड़ा यहता ह सशयीर क िर क भाधमभ स भनरषम की अजम नदजजीविरा धमयशीरता औय कतयवमननरषठ फन यहन क भानिीम भलमो को सथावऩत ककमा गमा हरखक न सशयीर क कोभर परो औय कठोय परो क दिाया सऩरषट ककमा ह कक रदम की कोभरता फचान क सरए कबी-कबी वमिहाय की कठोयता बी आिशमक हो जाती ह| भहान कवि कासरदास औय कफीय बी सशयीर की तयह फऩयिाह अनासकत औय सयस थ तबी उनदहोन इतनी सनददय यचनाएॉ सॊसाय को दीॊ| गाॉधीजी क वमनदकतति भ बी कोभरता औय कठोयता का अदभत सॊगभ था | रखक सोचता ह कक हभाय दश भ जो भाय-काट अनदगनदाह रट-ऩाट खन-खचचय का फिॊडय ह कमा िह दश को नदसथय नहीॊ यहन दगा गराभी अशाॊनत औय वियोधी िाताियण क फीच अऩन ससदधाॊतो की या कयत हए गाॉधीजी जी नदसथय यह सक थ तो दश बी यह सकता ह जीन की परफर असबरारा क कायण

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विरभ ऩरयनदसथतमो भ बी महद सशयीर णखर सकता ह तो हभाया दश बी विरभ ऩरयनदसथनतमो भ नदसथय यह कय विकास कय सकता ह

परशन1-लसदध कीजजए कक लशयीष कारजमी अवधत की बाॉनत जीवन की अजमता क भॊतर का परचाय कयता ह

उततय- सशयीर कारजमी अिधत की बाॉनत जीिन की अजमता क भॊतर का परचाय कयता ह| जफ ऩथिी अनदगन क सभान तऩ यही होती ह िह तफ बी कोभर परो स रदा रहरहाता यहता ह|फाहयी गयभी धऩ िराय आॉधी र उस परबावित नहीॊ कयती इतना ही नहीॊ िह रॊफ सभम तक णखरा यहता ह | सशयीर विऩयीत ऩरयनदसथनतमो भ बी धमयशीर यहन तथा अऩनी अजम नदजजीविरा क साथ ननसऩह बाि स परचॊड गयभी भ बी अविचर खड़ा यहता ह

परशन२-आयगवध (अभरतास) की तरना लशयीष स कमो नहीॊ की जा सकती

उततय- सशयीर क पर बमॊकय गयभी भ णखरत ह औय आराढ़ तक णखरत यहत ह जफकक अभरतास का पर किर ऩनददरह-फीस हदनो क सरए णखरता ह | उसक फाद अभरतास क पर झड़ जात ह औय ऩड़ कपय स ठॉठ का ठॉठ हो जाता ह | अभरतास अलऩजीिी ह | विऩयीत ऩरयनदसथनतमो को झरता हआ ऊरषण िाताियण को हॉसकय झरता हआ सशयीर दीघयजीिी यहता ह | मही कायण ह कक सशयीर की तरना अभरतास स नहीॊ की जा सकती |

परशन३-लशयीष क परो को याजनताओॊ का रऩक कमो ठदमा गमा ह

उततय- सशयीर क पर उन फढ़ ढीठ औय ऩयान याजनताओॊ क परतीक ह जो अऩनी कसी नहीॊ छोड़ना चाहत | अऩनी अधधकाय-सरपसा क सरए नए मिा नताओॊ को आग नहीॊ आन दत | सशयीर क नए परो को जफयदसती ऩयान परो को धककमाना ऩड़ता ह | याजनीनत भ बी नई मिा ऩीढ़ी ऩयानी ऩीढ़ी को हयाकय सिमॊ सतता सॉबार रती ह |

परशन४- कार दवता की भाय स फचन का कमा उऩाम फतामा गमा ह

उततय- कार दिता कक भाय स फचन का अथय हndash भतम स फचना | इसका एकभातर उऩाम मह ह कक भनरषम नदसथय न हो| गनतशीर ऩरयितयनशीर यह | रखक क अनसाय नदजनकी चतना सदा ऊधियभखी (आधमातभ की ओय) यहती ह ि हटक जात ह |

परशन५- गाॉधीजी औय लशयीष की सभानता परकट कीजजए |

उततय- नदजस परकाय सशयीर धचरधचराती धऩ र िराय औय आॉधी भ बी अविचर खड़ा यहता ह अनासकत यहकय अऩन िाताियण स यस खीॊचकय सयस कोभर फना यहता ह उसी परकाय गाॉधी जी न बी अऩनी आॉखो क साभन आजादी क सॊगराभ भ अनदमाम बदबाि औय हहॊसा को झरा |

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उनक कोभर भन भ एक ओय ननयीह जनता क परनत असीभ करणा जागी िहीॊ ि अनदमामी शासन क वियोध भ डटकय खड़ हो गए |

गदमाॊश-आधारयत अथटगरहण सॊफॊधधत परशनोततय

गदमाॊश सॊकत- ऩाठ ndash सशयीर क पर (ऩरषठ १४७)

कासरदास सौदमय क िह इशाया ह |

(क) कालरदास की सौदमटndashदजषट की कमा पवशषता थी उततय-कासरदास की सौदमयndashदनदरषट फहत सकषभ अॊतबदी औय सॊऩणय थी| ि किर फाहयी रऩ-यॊग औय आकाय को ही नहीॊ दखत थ फनदलक अॊतभयन की सॊदयता क बी ऩायखी थ| कासरदास की सौदमय शायीरयक औय भानससक दोनो विशरताओॊ स मकत था |

(ख) अनासजकत का कमा आशम ह उततय- अनासनदकत का आशम ह- वमनदकतगत सख-द ख औय याग-दिर स ऩय यहकय सौदमय क िासतविक भभय को जानना |

(ग) कालरदास ऩॊत औय यवीॊिनाथ टगोय भ कौन सा गण सभान था भहाकवि कासरदास ससभतरानॊदन ऩॊत औय गरदि यिीॊदरनाथ टगोय तीनो नदसथयपरऻ औय अनासकत कवि थ | ि सशयीर क सभान सयस औय भसत अिधत थ |

(घ) यवीॊिनाथ याजोदमान क लसॊहदवाय क फाय भ कमा सॊदश दत ह याजोदमान क फाय भ यिीॊदरनाथ कहत ह याजोदमान का ससॊहदिाय ककतना ही सॊदय औय गगनचमफी कमो ना हो िह अॊनतभ ऩड़ाि नहीॊ ह| उसका सौदमय ककसी औय उचचतभ सौदमय की ओय ककमा गमा सॊकत भातर ह कक असरी सौदमय इस ऩाय कयन क फाद ह अत याजोदमान का ससॊहदिाय हभ आग फढ़न की परयणा दता ह |

18शरभ-पवबाजन औय जानत-परथा

िॉ० बीभयाव अॊफिकय

सायाॊश ndash इस ऩाठ भ रखक न जानतिाद क आधाय ऩय ककए जान िार बदबाि को सभम सभाज क सरए हाननकायक फतामा ह | जानत आधारयत शरभ विबाजन को असिाबाविक औय भानिता वियोधी फतामा गमा ह मह साभानदजक बदबाि को फढ़ाता ह जानतपरथा आधारयत शरभ विबाजन भ वमनदकत की रधच को भहतति नहीॊ हदमा जाता परसिरऩ वििशता क साथ अऩनाए

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Page 24: ISSUED BY KENDRIYA VIDYALAYA - DOWNLOADED FROM … Class XII Hindi Part B.pdfप्रश्न४ :-फादर क / फयन का गयीफ एि धनी िगय क्मा

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यस का अम ऩातर सदा का

छोटा भया खत चौकोना |rdquo

परशन इस कविता की बारा सॊफॊधी विशरताओॊ ऩय परकाश डासरए ndash

उततय - १ परतीकातभकता

२ राणणकता -

२रऩक अरॊकायndash यस का अम ऩातर सदा का

छोटा भया खत चौकोना

परशन २ यस अरौककक अभत धायाएॉ योऩाई ndash कटाई-परतीको क अथय सऩरषट कीनदजए |

उततय - यस अरौककक ndash कावम यस ननरषऩनदतत

अभत धायाएॉ- कावमानॊद

योऩाई ndash अनबनत को शबदफदध कयना

कटाई ndashयसासिादन

पवषम-वसत ऩय आधारयत परशनोततय

कपवता ndash

छोटा भया खत

परशन १ उभाशॊकय जोशी न ककस बारा भ कविताएॉ सरखी ह

उततय - गजयाती बारा

परशन२ कवरndashकभय एिॊ कविndashकभय भ कमा कमा सभानताएॉ ह

उततय - कवरndashकभय एिॊ कविndashकभय भ ननमनसरणखत सभानताएॉ ह-

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कावम कनत की यचना फीजndash वऩन स रकय ऩौध क ऩजषऩत होन क पवलबनन चयणो स गजयती ह

कपषndashकभट एवॊ कपवndashकभट भ सभानताएॉ -

कागज का ऩनदना नदजस ऩय यचना शबदफदध होती ह कवि को एक चौकोय खतरगता ह इस खत भ ककसी अॉधड़ (आशम बािनातभक आॉधी स होगा) क परबाि स ककसी ण

एक फीज फोमा जाता ह मह फीज-यचना विचाय औय असबवमनदकत का हो सकता ह मह भर रऩ कलऩना का सहाया रकय विकससत होता ह औय परककरमा भ सिमॊ विगसरत

हो जाता ह इसीपरकाय फीज बी खाद ऩानी समय की योशनी हिा आहद रकय विकससत होता ह |

कावम ndashयचना स शबदो क अॊकय ननकरत ह औय अॊतत कनत एक ऩणय सिरऩ गरहण कयती ह जो कवर-कभय क सरहाज स ऩलरवित ndashऩनदरषऩत औय पसरत होन की नदसथनत ह अथट-गरहण-सॊफॊधी परशन

कपवताndash फगरो क ऩॊख

नब भ ऩाॉती- फॉध फगरो क ऩॊख

चयाए सरए जातीॊ ि भयी आॉख |

कजयाय फादरो की छाई नब छामा

हौरndashहौर जाती भझ फाॉध ननज भामा स |

उस कोई तननक योक यकखो |

िह तो चयाए सरए जाती भयी आॉख

नब भ ऩाॉती- फॉधी फगरो की ऩाॉख |

तयती साॉझ की सतज शित कामा|

परशन१- इस कविता भ कवि न ककसका धचतरण ककमा ह

उततय - कवि न कार फादरो ऩय उड़ती फगरो की शित ऩॊनदकत का धचतरण ककमा ह|

परशन२- आॉख चयान का कमा अथय ह

उततय - आॉख चयान का आशम ह ndashधमान ऩयी तयह खीॊच रना एकटक दखना भॊतरभगध कय दना

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परशन३-

ldquoकजयाय फादरो की छाई नब छामा

हौर ndashहौर जाती भझ फाॉध ननज भामा स |rdquo- आशम सऩरषट कीनदजए |

उततय- कार फादरो क फीच साॉझ का सयभई िाताियण फहत सॊदय हदखता ह | ऐसा अपरनतभ सौदमय अऩन आकरयण भ कवि को फाॉध रता ह |

परशन ४ ldquoउस कोई तननक योक यकखो |rsquo- स कवि का कमा असबपराम ह

उततय - फगरो की ऩॊनदकत आकाश भ दय तक उड़ती जा यही ह कवि की भॊतरभगध आॉख उनका ऩीछा कय यही ह | कवि उन फगरो को योक कय यखन की गहाय रगा यहा ह कक कहीॊ ि उसकी आॉख ही अऩन साथ न र जाएॉ |

सौदमट-फोध-सॊफॊधी परशन

परशन १ कविता की बारा सॊफॊधी दो विशरताएॉ सरणखए|

उततय -१ धचतरातभक बारा

२ फोरचार क शबदो का परमोग - हौर ndashहौर ऩाॉती कजयायसाॉझ

परशन २ कविता भ परमकत अरॊकाय चन कय सरणखए |

उततय - अनपरास अरॊकाय - फॉध फगरो क ऩॊख

भानिीकयण अरॊकाय - चयाए सरए जातीॊ ि भयी आॉख |

परशन ३ -lsquo ननज भामाrsquo क राणणक अथय को सऩरषट कीनदजए |

उततय - परकनत का अपरनतभ सौदमय िह भामा ह जो कवि को आतभविबोय कय दती हमह ऩॊनदकत बी परशॊसातभक उनदकत ह

पवषम-वसत ऩय आधारयत परशनोततय

परशन१- lsquoचयाए सरए जाती ि भयी ऑ ॊखrsquo स कवि का कमा तातऩमय ह

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उततय -धचतरातभक िणयन दिाया कवि न एक ओय कार फादरो ऩय उड़ती फगरो की शित ऩॊनदकत का धचतर अॊककत ककमा ह तथा इस अपरनतभ दशम क रदम ऩय ऩड़न िार परबाि को धचबतरत ककमा ह कवि क अनसाय मह दशम उनकी आॉख चयाए सरए जा यहा ह |भॊतर भगध कवि इस दशम क परबाि स आतभ विसभनत की नदसथनत तक ऩहॉच जाता ह

परशन२-कवि ककस भामा स फचन की फात कहता ह

उततय - भामा विशि को अऩन आकरयण भ फाॉध रन क सरए परससदध ह | कफीय न बी lsquoभामा भहा ठधगनी हभ जानीrsquo कहकय भामा की शनदकत को परनतऩाहदत ककमा ह | कार फादरो भ फगरो की सॊदयता अऩना भामा जार परा कय कवि को अऩन िश भ कय यही ह |

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आयोह बाग-२ गदम-बाग

परशन-सॊखमा १०- गदम खॊड भ हदए गए ऩहठत गदमाॊश स अथयगरहण सॊफॊधी चाय परशन ऩछ जाएॉग नदजनक सरए ननधायरयत अॊक (२४=८) ह |

परशन-सॊखमा ११- ऩाठो की विरमिसत स सॊफॊधधत ऩाॉच भ स चाय परशनो क उततय दन ह नदजनक सरए ननधायरयत अॊक (३४=१२) ह|

ऩयीा भ अचछ अॊक परातत कयन क लरए धमान दन मोगम फात ndash

1 रख एिॊ ितयनी की शदधता तथा िाकम-गठन ऩय धमान द | 2 हय ऩाठ का सायऩरषठबसभविरमिसत तथाकथानक को सभझना आिशमक ह |

अतविदमाथी हय ऩाठ का सायाॊश बरीबाॉनत माद कय र | 3 परशनो को धमान स ऩढ़ तदनसाय अऩकषत उततय सरख | 4 उततय सरखत सभम सॊफॊधधत भखम बफॊदओॊ का शीरयकफनात हए उततय सरख मथा-तीन

अॊक क परशनो क उततय सरखत सभम कभ स कभ तीन भखम उततय-बफ ॊदओॊ का उलरख कयत हए उततय सऩरषट कय |

5 अॊक-मोजना क अनसाय ननधायरयत शबद-सीभा क अॊतगयत उततय सरख | ऩयीाथी कई फाय एक अॊक क परशन का उततय फहत रॊफा कई फाय ऩया ऩरषठ सरख दत ह जो सभम औय ऊजाय की फफायदी ह |

6 धमान यह कक अधधक सरखन स अचछ अॊक नहीॊ आत फनदलक सयर-सफोध बारा भ सरख गए सटीक उततय सायगसबयत तथम तथा उदाहयण क दिाया सऩरषट ककए गए उततय परबािशारी होत ह |

ऩाि 11 - बजकतन

रखखका- भहादवी वभाट

ऩाि का सायाॊश- बनदकतन नदजसका िासतविक नाभ रकषभी थारणखका lsquoभहादिी िभायrsquo की सविका ह | फचऩन भ ही बनदकतन की भाॉ की भतम हो गमी| सौतरी भाॉ न ऩाॉच िरय की आम भ वििाह तथा नौ िरय की आम भ गौना कय बनदकतन को ससयार बज हदमा| ससयार भ बनदकतन न तीन फहटमो को जनदभ हदमा नदजस कायण उस सास औय नदजठाननमो की उऩा सहनी ऩड़ती थी| सास औय नदजठाननमाॉ आयाभ पयभाती थी औय बनदकतन तथा उसकी ननदहीॊ फहटमो को घय औय खतो का साया काभ कयना ऩडता था| बनदकतन का ऩनत उस फहत चाहता था| अऩन ऩनत क सनह क फर ऩय बनदकतन न ससयार िारो स अरगौझा कय अऩना अरग घय फसा सरमा औय सख स यहन रगी ऩय बनदकतन का दबायगम अलऩाम भ ही उसक ऩनत की भतम हो गई | ससयार िार

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बनदकतन की दसयी शादी कय उस घय स ननकारकय उसकी सॊऩनदतत हड़ऩन की सानदजश कयन रग| ऐसी ऩरयनदसथनत भ बनदकतन न अऩन कश भॊडा सरए औय सॊनदमाससन फन गई | बनदकतन सिासबभानी सॊघरयशीर कभयठ औय दढ सॊकलऩ िारी सतरी ह जो वऩतसततातभक भानदमताओॊ औय छर-कऩट स बय सभाज भ अऩन औय अऩनी फहटमो क हक की रड़ाई रड़ती हघय गहसथी सॉबारन क सरए अऩनी फड़ी फटी दाभाद को फरा सरमा ऩय दबायगम न महाॉ बी बनदकतन का ऩीछा नहीॊ छोड़ा अचानक उसक दाभाद की बी भतम हो गमी| बनदकतन क जठ-नदजठौत न सानदजश यचकय बनदकतन की विधिा फटी का वििाह जफयदसती अऩन तीतयफाज सार स कय हदमा| ऩॊचामत दिाया कयामा गमा मह सॊफॊध दखदामी यहा | दोनो भाॉ-फटी का भन घय-गहसथी स उचट गमा ननधयनता आ गमी रगान न चका ऩान क कायण जभीॊदाय न बनदकतन को हदन बय धऩ भ खड़ा यखा| अऩभाननत बनदकतन ऩसा कभान क सरए गाॉि छोड़कय शहय आ जाती ह औय भहादिी की सविका फन जाती ह| बनदकतन क भन भ भहादिी क परनत फहत आदय सभऩयण औय असबबािक क सभान अधधकाय बाि ह| िह छामा क सभान भहादिी क साथ यहती ह| िह यात-यात बय जागकय धचतरकायी मा रखन जस कामय भ वमसत अऩनी भारककन की सिा का अिसय ढॉढ रती ह| भहादिी बनदकतन को नहीॊ फदर ऩामी ऩय बनदकतन न भहादिी को फदर हदमा| बनदकतन क हाथ का भोटा-दहाती खाना खात-खात भहादिी का सिाद फदर गमा बनदकतन न भहादिी को दहात क ककसस-कहाननमाॉ ककॊ िदॊनतमाॉ कॊ ठसथ कया दी| सिबाि स भहाकॊ जस होन ऩय बी बनदकतन ऩाई-ऩाई कय जोडी हई १०५ रऩमो की यासश को सहरय भहादिी को सभवऩयत कय दती ह| जर क नाभ स थय-थय काॉऩन िारी बनदकतन अऩनी भारककन क साथ जर जान क सरए फड़ राट साहफ तक स रड़न को बी तमाय हो जाती ह| बनदकतन भहादिी क जीिन ऩय छा जान िारी एक ऐसी सविका ह नदजस रणखका नहीॊ खोना चाहती

ऩाि आधारयत परशनोततय

नोट- उततय भ ननहहत यखाॊककत िाकम भखम सॊकत बफॊद ह |

परशन 1-बजकतन का वासतपवक नाभ कमा था वह अऩन नाभ को कमो छऩाना चाहती थी

उततय-बनदकतन का िासतविक नाभ रकषभी था हहनददओॊ क अनसायरकषभी धन की दिीह चॉकक बनदकतन गयीफ थी| उसक िासतविक नाभ क अथय औय उसक जीिन क मथाथय भ वियोधाबास ह ननधयन बनदकतन सफको अऩना असरी नाभ रकषभी फताकय उऩहास का ऩातर नहीॊ फनना चाहती थी इससरए िह अऩना असरी नाभ छऩाती थी

परशन 2- रखखका न रकषभी का नाभ बजकतन कमो यखा

उततय-घटा हआ ससय गर भ कॊ ठी भारा औय बकतो की तयह सादगीऩणय िशबरा दखकय भहादिी िभाय न रकषभी का नाभ बनदकतन यख हदमा | मह नाभ उसक वमनदकतति स ऩणयत भर खाता था |

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परशन 3-बजकतन क जीवन को ककतन ऩरयचछदो भ पवबाजजत ककमा गमा ह

उततय- बनदकतन क जीिन को चाय बागो भ फाॉटा गमा ह-

ऩहरा ऩरयचछद-बनदकतन का फचऩन भाॉ की भतम विभाता क दिाया बनदकतन का फार-वििाह कया दना

दपवतीम ऩरयचछद-बनदकतन का ििाहहक जीिन सास तथा नदजठाननमो का अनदमामऩणय वमिहाय ऩरयिाय स अरगौझा कय रना

ततीम ऩरयचछद- ऩनत की भतम विधिा क रऩ भ सॊघरयशीर जीिन चतथट ऩरयचछद- भहादिी िभाय की सविका क रऩ भ

परशन 4- बजकतन ऩाि क आधाय ऩय बायतीम गराभीण सभाज भ रड़क-रड़ककमो भ ककम जान वार बदबाव का उलरख कीजजए |

बायतीम गराभीण सभाज भ रड़क-रड़ककमो भ बदबाि ककमा जाता ह| रड़ककमो को खोटा ससकका मा ऩयामा धन भाना जाता ह| बनदकतन न तीन फहटमो को जनदभ हदमा नदजस कायण उस सास औय नदजठाननमो की उऩा सहनी ऩड़ती थी| सास औय नदजठाननमाॉ आयाभ पयभाती थी कमोकक उनदहोन रड़क ऩदा ककए थ औय बनदकतन तथा उसकी ननदहीॊ फहटमो को घय औय खतो का साया काभ कयना ऩडता था| बनदकतन औय उसकी फहटमो को रखा-सखा भोटा अनाज खान को सभरता था जफकक उसकी नदजठाननमाॉ औय उनक कार-करट फट दध-भराई याफ-चािर की दाित उड़ात थ

परशन 5-बजकतन ऩाि क आधाय ऩय ऩॊचामत क नमाम ऩय ठटतऩणी कीजजए |

बनदकतन की फटी क सनददबय भ ऩॊचामत दिाया ककमा गमा नदमाम तकय हीन औय अॊध कानन ऩय आधारयतह | बनदकतन क नदजठौत न सॊऩनदतत क रारच भ रडमॊतर कय बोरी फचची को धोख स जार भ पॊ सामा| ऩॊचामत न ननदोर रड़की की कोई फात नहीॊ सनी औय एक तयिा पसरा दकय उसका वििाह जफयदसती नदजठौत क ननकमभ तीतयफाज सार स कय हदमा | ऩॊचामत क अॊध कानन स दरषटो को राब हआ औय ननदोर को दॊड सभरा |

परशन 6-बजकतन की ऩाक-करा क फाय भ ठटतऩणी कीजजए |

बनदकतन को ठठ दहाती सादा बोजन ऩसॊद था | यसोई भ िह ऩाक छत को फहत भहतति दती थी | सफह-सिय नहा-धोकय चौक की सपाई कयक िह दिाय ऩय कोमर की भोटी यखा खीॊच दती थी| ककसी को यसोईघय भ परिश कयन नहीॊ दती थी| उस अऩन फनाए बोजन ऩय फड़ा असबभान था| िह अऩन फनाए बोजन का नतयसकाय नहीॊ सह सकती थी |

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परशन 7- लसदध कीजजए कक बजकतन तकट -पवतकट कयन भ भाठहय थी |

बनदकतन तकय ऩट थी | कश भॉडान स भना ककए जान ऩय िह शासतरो का हिारा दत हए कहती ह lsquoतीयथ गए भॉडाए ससदधrsquo | घय भ इधय-उधय यख गए ऩसो को िह चऩचाऩ उठा कय छऩा रती ह टोक जानऩय िह िह इस चोयी नही भानती फनदलक िह इस अऩन घय भ ऩड़ ऩसो को सॉबारकय यखना कहती ह| ऩढाई-सरखाई स फचन क सरए बी िह अचक तकय दती ह कक अगय भ बी ऩढ़न रगॉ तो घय का काभ कौन दखगा

परशन 8-बजकतन का दबाटगम बी कभ हिी नही था रखखका न ऐसा कमो कहा ह

उततय- बजकतन का दबाटगम उसका ऩीछा नहीॊ छोड़ता था-

1- फचऩन भ ही भाॉ की भतम 2- विभाता की उऩा 3- बनदकतन(रकषभी) का फारवििाह 4- वऩता का ननधन 5- तीन-तीन फहटमो को जनदभ दन क कायण सास औय नदजठाननमो क दिाया बनदकतन की

उऩा 6- ऩनत की असभम भतम 7- दाभाद का ननधन औय ऩॊचामत क दिाया ननकमभ तीतयफाज मिक स बनदकतन की विधिा

फटी का जफयन वििाह 8- रगान न चका ऩान ऩय जभीॊदाय क दिाया बनदकतन का अऩभान

परशन 9-बजकतन न भहादवी वभाट क जीवन ऩय कस परबापवत ककमा

उततय- बनदकतन क साथ यहकय भहादिी की जीिन-शरी सयर हो गमी ि अऩनी सविधाओॊ की चाह को नछऩान रगीॊ औय असविधाओॊ को सहन रगीॊ बनदकतन न उनदह दहाती बोजन णखराकय उनका सिाद फदर हदमा बनदकतन भातर एक सविका न होकय भहादिी की असबबािक औय आतभीम फन गमीबनदकतन भहादिी क जीिन ऩय छा जान िारी एक ऐसी सविका ह नदजस रणखका नहीॊ खोना चाहती

परशन 10- बजकतन क चरयतर की पवशषताओॊ का उलरख कीजजए

उततय- भहादिी िभाय की सविका बनदकतन क वमनदकतति की विशरताएॊ ननमनाॊककत ह-

सभवऩयत सविका सिासबभानी

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तकय शीरा ऩरयशरभी सॊघरयशीर

परशन 11-बजकतन क दगटणो का उलरख कय

उततय- गणो क साथ-साथ बनदकतन क वमनदकतति भ अनक दगयण बी ननहहत ह-

1 िह घय भ इधय-उधय ऩड़ रऩम-ऩस को बॊडाय घय की भटकी भ छऩा दती ह औय अऩन इस कामय को चोयी नहीॊ भानती

2 भहादिी क करोध स फचन क सरए बनदकतन फात को इधय-उधय कयक फतान को झठ नही भानती अऩनी फात को सही ससदध कयन क सरए िह तकय -वितकय बी कयती ह

3 िह दसयो को अऩनी इचछानसाय फदर दना चाहती ह ऩय सिमॊ बफरकर नही फदरती परशन 12 ननमनाॊककत बाषा-परमोगो का अथट सऩषट कीजजए-

ऩहरी कनमा क दो औय सॊसकयण कय िार- बनदकतन न अऩनी ऩहरी कनदमा क फाद उसक जसी दो औय कनदमाएॉ ऩदा कय दी अथायत बनदकतन क एक क फाद एक तीन फहटमाॉ ऩदा हो गमीॊ |

खोट लसकको की टकसार जसी ऩतनी- आज बी असशकषत गराभीण सभाज भ फहटमो को

खोटा ससकका कहा जाता ह बनदकतन न एक क फाद एक तीन फहटमाॉ ऩदा कय दी इससरए उस खोट ससकक को ढारन िारी भशीन कहा गमा

परशन 13-बजकतन ऩाि भ रखखका न सभाज की ककन सभसमाओॊ का उलरख ककमा ह

उततय- बनदकतन ऩाठ क भाधमभ स रणखका न बायतीम गराभीण सभाज की अनक सभसमाओॊ का उलरख ककमा ह-

1 रड़क-रड़ककमो भ ककमा जान िारा बदबाि 2 विधिाओॊ की सभसमा 3 नदमाम क नाभ ऩय ऩॊचामतो क दिाया नदसतरमो क भानिाधधकाय को कचरना 4 असशा औय अॊधविशिास

गदमाॊश-आधारयत अथटगरहण सॊफॊधधत परशनोततय

ऩरयिाय औय ऩरयनदसथनतमो क कायण सिबाि भ जो विरभताएॉ उतऩनदन हो गई ह उनक बीतय स एक सनह औय सहानबनत की आबा पटती यहती ह इसी स उसक सॊऩकय भ आनिार वमनदकत उसभ जीिन की सहज भासभयकता ही ऩात ह छातरािास की फासरकाओॊ भ स कोई अऩनी चाम

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फनिान क सरए दहरी ऩय फठी यहती ह कोई फाहय खडी भय सरए नाशत को चखकय उसक सिाद की वििचना कयती यहती ह भय फाहय ननकरत ही सफ धचडड़मो क सभान उड़ जाती ह औय बीतय आत ही मथासथान वियाजभान हो जाती ह इनदह आन भ रकािट न हो सॊबित इसी स बनदकतन अऩना दोनो जन का बोजन सिय ही फनाकय ऊऩय क आर भ यख दती ह औय खात सभम चौक का एक कोना धोकय ऩाकndashछत क सनातन ननमभ स सभझौता कय रती ह

भय ऩरयधचतो औय साहहनदतमक फॊधओॊ स बी बनदकतन विशर ऩरयधचत ह ऩय उनक परनत बनदकतन क समभान की भातरा भय परनत उनक समभान की भातरा ऩय ननबयय ह औय सदभाि उनक परनत भय सदभाि स नननदशचत होता ह इस सॊफॊध भ बनदकतन की सहज फवदध विनदसभत कय दन िारी ह

(क) बजकतन का सवबाव ऩरयवाय भ यहकय कसा हो गमा ह

उततय-विरभ ऩरयनदसथनतजनदम उसक उगर हठी औय दयागरही सिबाि क फािजद बनदकतन क बीतय सनह औय सहानबनत की आबा पटती यहती ह उसक सॊऩकय भ आन िार वमनदकत उसभ जीिन की सहज भासभयकता ही ऩात ह

(ख) बजकतन क ऩास छातरावास की छातराएॉ कमो आती ह

उततय- बनदकतन क ऩास कोई छातरा अऩनी चाम फनिान आती ह औय दहरी ऩय फठी यहती ह कोई भहादिी जी क सरए फन नाशत को चखकय उसक सिाद की वििचना कयती यहती ह भहादिी को दखत ही सफ छातराएॉ बाग जाती ह उनक जात ही कपय िाऩस आ जातीॊ ह बनदकतन का सहज-सनह ऩाकय धचडड़मो की तयह चहचहान रगती ह |

(ग) छातराओॊ क आन भ रकावट न िारन क लरए बजकतन न कमा उऩाम ककमा

उततय- छातराओॊ क आन भ रकािट न डारन क सरए बनदकतन न अऩन ऩाक-छत क ननमभ स सभझौता कय सरमा | बनदकतन अऩना दोनो िकत का खाना फनाकय सफह ही आर भ यख दती औय खात सभम चौक का एक कोना धोकय िहाॉ फठकय खा सरमा कयती थी ताकक छातराएॉ बफना योक-टोक क उसक ऩास आ सक

(घ) साठहतमकायो क परनत बजकतन क समभान का कमा भाऩदॊि ह

उततय-बनदकतन भहादिी क साहहनदतमक सभतर क परनत सदभाि यखती थी नदजसक परनत भहादिी सिमॊ सदभाि यखती थी | िह सबी स ऩरयधचत हऩय उनक परनत समभान की भातरा भहादिी जी क समभान की भातरा ऩय ननबयय कयती ह िह एक अदभत ढॊग स जान रती थी कक कौन ककतना समभान कयता ह उसी अनऩात भ उसका परापम उस दती थी

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12 फाजाय-दशटन

रखक- जनि कभाय

ऩाि का सायाॊश फाजाय-दशयन ऩाठ भ फाजायिाद औय उऩबोकतािाद क साथ-साथ अथयनीनत एिॊ दशयन स सॊफॊधधत परशनो को सरझान का परमास ककमा गमा ह फाजाय का जाद तबी असय कयता ह जफ भन खारी हो| फाजाय क जाद को योकन का उऩाम मह ह कक फाजाय जात सभम भन खारी ना हो भन भ रकषम बया हो| फाजाय की असरी कताथयता ह जरयत क िकत काभ आना| फाजाय को िही भनरषम राब द सकता ह जो िासति भ अऩनी आिशमकता क अनसाय खयीदना चाहता ह| जो रोग अऩन ऩसो क घभॊड भ अऩनी ऩचनदजॊग ऩािय को हदखान क सरए चीज खयीदत ह ि फाजाय को शतानी वमॊगम शनदकत दत ह| ऐस रोग फाजारऩन औय कऩट फढात ह | ऩस की मह वमॊगम शनदकत वमनदकत को अऩन सग रोगो क परनत बी कतघन फना सकती ह | साधायण जन का रदम रारसा ईरषमाय औय तरषणा स जरन रगता ह | दसयी ओय ऐसा वमनदकत नदजसक भन भ रश भातर बी रोब औय तरषणा नहीॊ ह सॊचम की इचछा नहीॊ ह िह इस वमॊगम-शनदकत स फचा यहता ह | बगतजी ऐस ही आतभफर क धनी आदशय गराहक औय फचक ह नदजन ऩय ऩस की वमॊगम-शनदकत का कोई असय नहीॊ होता | अनक उदाहयणो क दिाया रखक न मह सऩरषट ककमा ह कक एक ओय फाजाय रारची असॊतोरी औय खोखर भन िार वमनदकतमो को रटन क सरए ह िहीॊ दसयी ओय सॊतोरी भन िारो क सरए फाजाय की चभक-दभक उसका आकरयण कोई भहतति नहीॊ यखता

परशन१ - ऩचजजॊग ऩावय ककस कहा गमा ह फाजाय ऩय इसका कमा परबाव ऩड़ता ह

उततय- ऩचनदजॊग ऩािय का अथय ह खयीदन की शनदकत ऩचनदजॊग ऩािय क घभॊड भ वमनदकत हदखाि क सरए आिशमकता स अधधक खयीदायीकयता ह औय फाजाय को शतानी वमॊगम-शनदकत दता ह ऐस रोग फाजाय का फाजारऩन फढ़ात ह

परशन२ -रखक न फाजाय का जाद ककस कहा ह इसका कमा परबाव ऩड़ता ह

उततय- फाजाय की चभक-दभक क चॊफकीम आकरयण को फाजाय का जाद कहा गमा ह मह जाद आॊखो की याह कामय कयता ह फाजाय क इसी आकरयण क कायण गराहक सजी-धजी चीजो को आिशमकता न होन ऩय बी खयीदन को वििश हो जात ह

परशन३ -आशम सऩषट कय

भन खारी होना भन बया होना भन फॊद होना

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उततय-भन खारी होना- भन भ कोई नननदशचत िसत खयीदन का रकषम न होना ननरददशम फाजाय जाना औय वमथय की चीजो को खयीदकय राना

भन बया होना- भन रकषम स बया होना नदजसका भन बया हो िह बरीबाॉनत जानता ह कक उस फाजाय स कौन सी िसत खयीदनी ह अऩनी आिशमकता की चीज खयीदकय िह फाजाय को साथयकता परदान कयता ह

भन फॊद होना-भन भ ककसी बी परकाय की इचछा न होना अथायत अऩन भन को शनदम कय दना

परशन४ - lsquoजहाॉ तषणा ह फटोय यखन की सऩहा ह वहाॉ उस फर का फीज नहीॊ हrsquo महाॊ ककस फर की चचाट की गमी ह

उततय- रखक न सॊतोरी सिबाि क वमनदकत क आतभफरकी चचाय की ह दसय शबदो भ महद भन भ सॊतोर हो तो वमनदकत हदखाि औय ईरषमाय की बािना स दय यहता ह उसभ सॊचम कयन की परिनदतत नहीॊ होती

परशन५ - अथटशासतर अनीनतशासतर कफ फन जाता ह

उततय- जफ फाजाय भ कऩट औय शोरण फढ़न रग खयीददाय अऩनी ऩचधचॊग ऩािय क घभॊड भ हदखाि क सरए खयीददायी कय | भनरषमो भ ऩयसऩय बाईचाया सभापत हो जाए| खयीददाय औय दकानदाय एक दसय को ठगन की घात भ रग यह एक की हानन भ दसय को अऩना राब हदखाई द तो फाजाय का अथयशासतर अनीनतशासतर फन जाता ह ऐस फाजाय भानिता क सरए विडॊफना ह

परशन६-बगतजी फाजाय औय सभाज को ककस परकाय साथटकता परदान कय यह ह

उततय- बगतजी क भन भ साॊसारयक आकरयणो क सरए कोई तरषणा नहीॊ ह ि सॊचम रारच औय हदखाि स दय यहत ह फाजाय औय वमाऩाय उनक सरए आिशमकताओॊ की ऩनत य का साधन भातर ह बगतजी क भन का सॊतोर औय ननसऩह बाि उनको शररषठ उऩबोकता औय विकरता फनात ह

परशन ७ _ बगत जी क वमजकततव क सशकत ऩहरओॊ का उलरख कीजजए |

उततय-ननमनाॊककत बफॊद उनक वमनदकतति क सशकत ऩहर को उजागय कयत ह

ऩॊसायी की दकान स किर अऩनी जरयत का साभान (जीया औय नभक) खयीदना नननदशचत सभम ऩय चयन फचन क सरए ननकरना छह आन की कभाई होत ही चयन फचना फॊद कय दना फच हए चयन को फचचो को भफ़त फाॉट दना

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सबी काजम-जम याभ कहकय सिागत कयना फाजाय की चभक-दभक स आकवरयत न होना सभाज को सॊतोरी जीिन की सशा दना

परशन7-फाजाय की साथटकता ककसभ ह

उततय- भनरषम की आिशमकताओॊ की ऩनतय कयन भ ही फाजाय की साथयकता ह जो गराहक अऩनी आिशमकताओॊ की चीज खयीदत ह ि फाजाय को साथयकता परदान कयत ह जो विकरता गराहको का शोरण नहीॊ कयत औय छर-कऩट स गराहको को रबान का परमास नही कयत ि बी फाजाय को साथयक फनात ह

गदमाॊश-आधारयत अथटगरहण-सॊफॊधधत परशनोततय

फाजाय भ एक जाद ह िह जाद आॉख की तयह काभ कयता ह िह रऩ का जाद ह ऩय जस चॊफक का जाद रोह ऩय ही चरता ह िस ही इस जाद की बी भमायदा ह जफ बयी हो औय भन खारी हो ऐसी हारत भ जाद का असय खफ होता ह जफ खारी ऩय भन बया न हो तो बी जाद चर जाएगा भन खारी ह तो फाजाय की अनकानक चीजो का ननभॊतरण उस तक ऩहॉच जाएगा कहीॊ हई उस िकत जफ बयी तफ तो कपय िह भन ककसकी भानन िारा ह भारभ होता ह मह बी रॉ िह बी रॉ सबी साभान जरयी औय आयाभ को फढ़ान िारा भारभ होता ह ऩय मह सफ जाद का असय ह जाद की सिायी उतयी कक ऩता चरता ह कक प सी-चीजो की फहतामत आयाभ भ भदद नहीॊ दती फनदलक खरर ही डारती ह थोड़ी दय को सिासबभान को जरय सक सभर जाता ह ऩय इसस असबभान को धगलटी की खयाक ही सभरती ह जकड़ यशभी डोयी की हो तो यशभ क सऩशय क भरामभ क कायण कमा िह कभ जकड़ दगी

ऩय उस जाद की जकड़ स फचन का एक सीधा उऩाम ह िह मह कक फाजाय जाओ तो खारी भन न हो भन खारी हो तफ फाजाय न जाओ कहत ह र भ जाना हो तो ऩानी ऩीकय जाना चाहहए ऩानी बीतय हो र का रऩन वमथय हो जाता ह भन रकषम स बया हो तो फाजाय परा का परा ही यह जाएगा तफ िह घाि बफरकर नहीॊ द सकगा फनदलक कछ आनॊद ही दगा तफ फाजाय तभस कताथय होगा कमोकक तभ कछ न कछ सचचा राब उस दोग फाजाय की असरी कताथयता ह आिशमकता क सभम काभ आना

परशन-1 फाजाय क जाद को रखक न कस सऩषट ककमा ह

उततय- फाजाय क रऩ का जाद आॉखो की याह स काभ कयता हआ हभ आकवरयत कयता ह फाजाय का जाद ऐस चरता ह जस रोह क ऊऩय चॊफक का जाद चरता ह चभचभाती योशनी भ सजी

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प सी चीॊज गराहक को अऩनी ओय आकवरयत कयती ह| इसी चमफकीम शनदकत क कायण वमनदकत कपजर साभान को बी खयीद रता ह |

परशन-2 जफ बयी हो औय भन खारी तो हभायी कमा दशा होती ह

उततय- जफ बयी हो औय भन खारी हो तो हभाय ऊऩय फाजाय का जाद खफ असय कयता ह भन खारी ह तो फाजाय की अनकानक चीजो का ननभॊतरण भन तक ऩहॉच जाता ह औय उस सभम महद जफ बयी हो तो भन हभाय ननमॊतरण भ नहीॊ यहता

परशन-3 प सी चीजो की फहतामत का कमा ऩरयणाभ होता ह

उततय- प सी चीज आयाभ की जगह आयाभ भ वमिधान ही डारती ह थोड़ी दय को असबभान को जरय सक सभर जाती ह ऩय हदखाि की परिनदतत भ िवदध होती ह

परशन-4 जाद की जकड़ स फचन का कमा उऩाम ह

उततय- जाद की जकड़ स फचन क सरए एक ही उऩाम ह िह मह ह कक फाजाय जाओ तो भन खारी न हो भन खारी हो तो फाजाय भत जाओ

13 कार भघा ऩानी द

रखक-धभटवीय बायती

ऩाि का सायाॊश -lsquoकार भघा ऩानी दrsquo ननफॊध रोकजीिन क विशिास औय विऻान क तकय ऩय आधारयत ह जफ बीरण गभी क कायण वमाकर रोग िराय कयान क सरए ऩजा-ऩाठ औय कथा-विधान कय थकndashहाय जात ह तफ िराय कयान क सरए अॊनतभ उऩाम क रऩ भ इनददय सना ननकरती ह| इनददय सना नॊग-धड़ॊग फचचो की टोरी ह जो कीचड़ भ रथऩथ होकय गरी-भोहलर भ ऩानी भाॉगन ननकरती ह| रोग अऩन घय की छतो-णखड़ककमो स इनददय सना ऩय ऩानी डारत ह | रोगो की भानदमता ह कक इनददर फादरो क सिाभी औय िराय क दिता ह| इनददर की सना ऩय ऩानी डारन स इनददर बगिान परसनदन होकय ऩानी फयसाएॊग | रखक का तकय ह कक जफ ऩानी की इतनी कभी ह तो रोग भनदशकर स जभा ककए ऩानी को फालटी बय-बयकय इनददय सना ऩय डारकय ऩानी को कमो फफायद कयत ह आमयसभाजी विचायधाया िारा रखक इस अॊधविशिास भानता ह | इसक विऩयीत रखक की जीजी उस सभझाती ह कक मह ऩानी की फफायदी नहीॊ फनदलक ऩानी की फिाई ह | कछ ऩान क सरए कछ दना ऩड़ता ह | तमाग क बफना दान नहीॊ होता| परसतत ननफॊध भ रखक न भरषटाचाय की सभसमा को उठात हए कहा ह कक जीिन भ कछ ऩान क सरए तमाग आिशमक ह जो रोग तमाग औय दान की भहतता को नहीॊ भानत ि ही भरषटाचाय भ सरपत यहकय दश औय सभाज को रटत ह| जीजी की आसथा बािनातभक सचचाई को ऩरषट कयती ह औय तकय किर िऻाननक तथम को सतम भानता ह जहाॉ तकय मथाथय क

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कठोय धयातर ऩय सचचाई को ऩयखता ह तो िहीॊ आसथा अनहोनी फात को बी सिीकाय कय भन को सॊसकारयत कयती ह बायत की सितॊतरता क ५० सार फाद बी दश भ वमापत बरषटाचाय औय सिाथय की बािना को दखकय रखक दखी ह | सयकाय दिाया चराई जा यही मोजनाएॉ गयीफो तक कमो नहीॊ ऩहॉच ऩा यहीॊ ह कार भघा क दर उभड़ यह ह ऩय आज बी गयीफ की गगयी पटी हई कमो ह रखक न मह परशन ऩाठको क सरए छोड़ हदमा ह |

परशन1-इनदय सना घय-घय जाकय ऩानी कमो भाॉगती थी

उततय- गाॉि क रोग फारयश क सरए बगिान इॊदर स पराथयना ककमा कयत थ जफ ऩजा-ऩाठवरत आहद उऩाम असिर हो जात थ तो बगिान इॊदर को परसनदन कयन क सरए गाॉि क ककशोय फचच कीचड़ भ रथऩथ होकय गरी-गरी घभकय रोगो स ऩानी भाॉगत थ

परशन2-इनदयसना को रखक भढक-भॊिरी कमो कहता ह जीजी क फायndashफाय कहन ऩय बी वह इनदयसना ऩय ऩानी प कन को याजी कमो नहीॊ होता

उततय- इनददयसना का कामय आमयसभाजी विचायधाया िार रखक को अॊधविशिास रगता ह उसका भानना ह कक महद इॊदयसना दिता स ऩानी हदरिा सकती ह तो सिमॊ अऩन सरए ऩानी कमो नहीॊ भाॉग रती ऩानी की कभी होन ऩय बी रोग घय भ एकतर ककम हए ऩानी को इॊदयसना ऩय ि कत ह रखक इस ऩानी की ननभयभ फयफादी भानता ह

परशन3- रि हए रखक को जीजी न ककस परकाय सभझामा

उततय- जीजी न रखक को पमाय स रडड-भठयी णखरात हए ननमन तकय हदए-

1- तमाग का भहततव- कछ ऩान क सरए कछ दना ऩड़ता ह 2- दान की भहतता- कवर-भननमो न दान को सफस ऊॉ चा सथान हदमा ह जो चीज अऩन

ऩास बी कभ हो औय अऩनी आिशमकता को बरकय िह चीज दसयो को दान कय दना ही तमाग ह |

3- इॊिदव को जर का अधमट चिाना- इॊदयसना ऩय ऩानी ि कना ऩानी की फयफादी नहीॊ फनदलक इॊदरदि को जर का अधमय चढ़ाना ह

4- ऩानी की फवाई कयना- नदजस परकाय ककसान िसर उगान क सरए जभीन ऩय फीज डारकय फिाई कयता ह िस ही ऩानी िार फादरो की िसर ऩान क सरए इनददय सना ऩय ऩानी डार कय ऩानी की फिाई की जाती ह

परशन4-नठदमो का बायतीम साभाजजक औय साॊसकनतक ऩरयवश भ कमा भहतव ह

उततय- गॊगा बायतीम सभाज भ सफस ऩजम सदानीया नदी ह नदजसका बायतीम इनतहास भ धासभयक ऩौयाणणक औय साॊसकनतक भहति ह | िह बायतीमो क सरए किर एक नदी नहीॊ अवऩत

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भाॉ ह सिगय की सीढ़ी ह भोदानमनी ह उसभ ऩानी नहीॊ अवऩत अभत तलम जर फहता ह बायतीम सॊसकनत भ नहदमो क ककनाय भानि सभमताएॉ परी-परी ह| फड़-फड़ नगय तीथयसथान नहदमो क ककनाय ही नदसथत ह ऐस ऩरयिश भबायतिासी सफस ऩहर गॊगा भमा की जम ही फोरग नहदमाॉ हभाय जीिन का आधाय ह हभाया दश कवर परधान ह नहदमो क जर स ही बायत बसभ हयी-बयी ह नहदमो क बफना जीिन की कलऩना नहीॊ कय सकत मही कायण ह कक हभ बायतीम नहदमो की ऩजा कयत ह |

परशन4-आजादी क ऩचास वषो क फाद बी रखक कमो दखी ह उसक भन भ कौन स परशन उि यह ह

उततय- आजादी क ऩचास िरो फाद बी बायतीमो की सोच भ सकायातभक फदराि न दखकय रखक दखी ह उसक भन भ कई परशन उठ यह ह-

1 कमा हभ सचच अथो भ सितनदतर ह 2 कमा हभ अऩन दश की सॊसकनत औय सभमता को सभझ ऩाए ह 3 यारषर ननभायण भ हभ ऩीछ कमो ह हभ दश क सरए कमा कय यह ह

4 हभ सिाथय औय भरषटाचाय भ सरपत यहत ह तमाग भ विशिास कमो नहीॊ कयत

5 सयकाय दिाया चराई जा यही सधायिादी मोजनाएॉ गयीफो तक कमो नहीॊ ऩहॉचती ह

गदमाॊश ऩय आधारयत अथटगरहण-सॊफॊधधत परशनोततय

सचभच ऐस हदन होत जफ गरी-भहलरा गाॉि-शहय हय जगह रोग गयभी भ बन-बन कय तराहहभाभ कय यह होत जठ क दसतऩा फीतकय आराढ का ऩहरा ऩखिाड़ा फीत चका होता ऩय कषनतज ऩय कहीॊ फादरो की यख बी नहीॊ दीखती होती कएॉ सखन रगत नरो भ एक तो फहत कभ ऩानी आता औय आता बी तो आधी यात को िो बी खौरता हआ ऩानी हो | शहयो की तरना भ गाॉि भ औय बी हारत खयाफ थी| जहाॉ जताई होनी चाहहए थी िहाॉ खतो की सभटटी सखकय ऩतथय हो जाती कपय उसभ ऩऩड़ी ऩड़कय जभीन पटन रगती र ऐसी कक चरत-चरत आदभी धगय ऩड़ | ढोय-डॊगय पमास क भाय भयन रगत रककन फारयश का कहीॊ नाभ ननशान नहीॊ ऐस भ ऩजा-ऩाठ कथा-विधान सफ कयक रोग जफ हाय जात तफ अॊनतभ उऩाम क रऩ भ ननकरती मह इनददय सना |

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परशन१- वषाट न होन ऩय रोगो की कमा जसथनत हो गमी थी उततय - िराय न होन ऩय गयभी क कायण रोग र रगन स फहोश होन रग | गाॉि-शहय सबी जगह ऩानी का अबाि हो गमा| कएॉ सख गए खतो की सभटटी सखकय ऩतथय क सभान कठोय होकय पट गमी| घयो भ नरो भ ऩानी फहत कभ आता था | ऩश पमास क भाय भयन रग थ | परशन२- वषाट क दवता कौन ह उनको परसनन कयन क लरए कमा उऩाम ककए जात थ उततय -िराय क दिता बगिान इनददर ह| उनको परसनदन कयन क सरए ऩजाndashऩाठ कथा-विधान कयाए जात थ | ताकक इनददर दि परसनदन होकय फादरो की सना बजकय झभाझभ फारयश कयाएॉ औय रोगो क करषट दय हो | परशन३- वषाट कयान क अॊनतभ उऩाम क रऩ भ कमा ककमा जाता था उततय ndashजफ ऩजा-ऩाठ कथा-विधान सफ कयक रोग हाय जात थ तफ अॊनतभ उऩाम क रऩ भ इनददय सना आती थी | नॊग-धडॊग कीचड़ भ रथऩथ lsquoकार भघा ऩानी द ऩानी द गड़धानी दrsquo की टय रगाकय पमास स सखत गरो औय सखत खतो क सरए भघो को ऩकायती हई टोरी फनाकय ननकर ऩड़ती थी| परशन४-आशम सऩषट कय ndash जठ क दसतऩा फीतकय आराढ़ का ऩहरा ऩखिाड़ा फीत चका होता ऩय कषनतज भ कहीॊ फादरो की यख बी नजय नहीॊ आती | आशम- जठ का भहीना ह बीरण गयभी ह| तऩत हए दस हदन फीत कय आराढ का भहीना बी आधा फीत गमा ऩय ऩानी क सरए तड़ऩत िराय की आशा भ आसभान की ओय ताकत रोगो को कहीॊ फादर नजय नहीॊ आ यह |

14 ऩहरवान की ढोरक

फ़णीशवयनाथ यण

ऩाि का सायाॊश ndashआॊचसरक कथाकाय िणीशियनाथ यण की कहानी ऩहरिान की ढोरक भ कहानी क भखम ऩातर रटटन क भाता-वऩता का दहाॊत उसक फचऩन भ ही हो गमा था | अनाथ रटटन को उसकी विधिा सास न ऩार-ऩोसकय फड़ा ककमा | उसकी सास को गाॉि िार सतात थ |

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रोगो स फदरा रन क सरए कशती क दाॉिऩच सीखकय कसयत कयक रटटन ऩहरिान फन गमा |

एक फाय रटटन शमाभनगय भरा दखन गमा जहाॉ ढोर की आिाज औय कशती क दाॉिऩच दखकय उसन जोश भ आकय नाभी ऩहरिान चाॉदससॊह को चनौती द दी | ढोर की आिाज स परयणा ऩाकय रटटन न दाॉि रगाकय चाॉद ससॊह को ऩटककय हया हदमा औय याज ऩहरिान फन गमा | उसकी खमानत दय-दय तक िर गमी| १५ िरो तक ऩहरिान अजम फना यहा| उसक दो ऩतर थ| रटटन न दोनो फटो को बी ऩहरिानी क गय ससखाए| याजा की भतम क फाद नए याजकभाय न गददी सॊबारी याजकभाय को घोड़ो की यस का शौक था भनजय न नम याजा को बड़कामा ऩहरिान औय उसक दोनो फटो क बोजनखचय को बमानक औय किजरखचय फतामा िरसिरऩ नए याजा न कशती को फॊद कयिा हदमा औय ऩहरिान रटटनससॊह को उसक दोनो फटो क साथ भहर स ननकार हदमा

याजदयफाय स ननकार हदए जान क फाद रटटन ससॊह अऩन दोनो फटो क साथ गाॉि भ झोऩड़ी फनाकय यहन रगा औय गाॉि क रड़को को कशती ससखान रगा| रटटन का सकर जमादा हदन नहीॊ चरा औय जीविकोऩाजयन क सरए उसक दोनो फटो को भजदयी कयनी ऩड़ी| इसी दौयान गाॉि भ अकार औय भहाभायी क कायण परनतहदन राश उठन रगी| ऩहरिान भहाभायी स डय हए रोगो को ढोरक फजाकय फीभायी स रड़न की सॊजीिनी ताकत दता था| एक हदन ऩहरिान क दोनो फट बी भहाभायी की चऩट भ आकय भय गए ऩय उस यात बी ऩहरिान ढोरक फजाकय रोगो को हहमभत फॊधा यहा था | इस घटना क चाय-ऩाॉच हदन फाद ऩहरिान की बी भौत हो जाती ह|

ऩहरिान की ढोरक वमिसथा क फदरन क साथ रोक कराकाय क अपरासॊधगक हो जान की कहानी ह इस कहानी भ रटटन नाभ क ऩहरिान की हहमभत औय नदजजीविरा का िणयन ककमा गमा ह बख औय भहाभायी अजम रटटन की ऩहरिानी को िट ढोर भ फदर दत ह इस करण तरासदी भ ऩहरिान रटटन कई सिार छोड़ जाता ह कक करा का कोई सितॊतर अनदसतति ह मा करा किर वमिसथा की भोहताज ह

परशन1- रटटन को ऩहरवान फनन की परयणा कस लभरी

उततय- रटटन जफ नौ सार का था तो उसक भाता-वऩता का दहाॊत हो गमा था | सौबागम स उसकी शादी हो चकी थी| अनाथ रटटन को उसकी विधिा सास न ऩार-ऩोसकय फड़ा ककमा | उसकी सास को गाॉि िार ऩयशान कयत थ| रोगो स फदरा रन क सरए उसन ऩहरिान फनन की ठानी| धायोरषण दध ऩीकय कसयत कय उसन अऩना फदन गठीरा औय ताकतिय फना सरमा | कशती क दाॉिऩच सीखकय रटटन ऩहरिान फन गमा |

परशन2- यात क बमानक सननाट भ रटटन की ढोरक कमा करयशभा कयती थी

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उततय- यात क बमानक सनदनाट भरटटन की ढोरक भहाभायी स जझत रोगो को हहमभत फॉधाती थी | ढोरक की आिाज स यात की विबीवरका औय सनदनाटा कभ होता था| भहाभायी स ऩीडड़त रोगो की नसो भ बफजरी सी दौड़ जाती थी उनकी आॉखो क साभन दॊगर का दशम साकाय हो जाता था औय ि अऩनी ऩीड़ा बर खशी-खशी भौत को गर रगा रत थ इस परकाय ढोर की आिाज फीभाय-भतपराम गाॉििारो की नसो भ सॊजीिनी शनदकत को बय फीभायी स रड़न की परयणा दती थी

परशन3- रटटन न सवाटधधक ठहमभत कफ ठदखाई

उततय- रटटन ससॊह न सिायधधक हहमभत तफ हदखाई जफ दोनो फटो की भतम ऩय िह योमा नहीॊ फनदलक हहमभत स काभ रकय अकर उनका अॊनतभ सॊसकाय ककमा| मही नहीॊ नदजस हदन ऩहरिान क दोनो फट भहाभायी की चऩट भ आकय भय गए ऩय उस यात को बी ऩहरिान ढोरक फजाकय रोगो को हहमभत फॉधा यहा था| शमाभनगय क दॊगर भ ऩया जनसभदाम चाॉद ससॊह क ऩ भ था चाॉद ससॊह को हयात सभम रटटन न हहमभत हदखाई औय बफना हताश हए दॊगर भ चाॉद ससॊह को धचत कय हदमा |

परशन4- रटटन लसॊह याज ऩहरवान कस फना

उततय- शमाभनगय क याजा कशती क शौकीन थ उनदहोन दॊगर का आमोजन ककमा ऩहरिान रटटन ससॊह बी दॊगर दखन ऩहॉचा चाॊदससॊह नाभक ऩहरिान जो शय क फचच क नाभ स परससदध था कोई बी ऩहरिान उसस सबड़न की हहमभत नहीॊ कयता था चाॉदससॊह अखाड़ भ अकरा गयज यहा था रटटन ससॊह न चाॉदससॊह को चनौती द दी औय चाॉदससॊह स सबड़ गमाढ़ोर की आिाज सनकय रटटन की नस-नस भ जोश बय गमाउसन चाॉदससॊह को चायो खान धचत कय हदमा याजासाहफ न रटटन की िीयता स परबावित होकय उस याजऩहरिान फना हदमा

परशन5- ऩहरवान की अॊनतभ इचछा कमा थी

उततय- ऩहरिान की अॊनतभ इचछा थी कक उस धचता ऩय ऩट क फर सरटामा जाए कमोकक िह नदजॊदगी भ कबी धचत नहीॊ हआ था| उसकी दसयी इचछा थी कक उसकी धचता को आग दत सभम ढोर अिशम फजामा जाए |

परशन6- ढोर की आवाज औय रटटन क भ दाॉिऩच सॊफॊध फताइए-

उततय- ढोर की आिाज औय रटटन क दाॉिऩच भ सॊफॊध -

चट धा धगड़ धाrarr आजा सबड़ जा | चटाक चट धाrarr उठाकय ऩटक द | चट धगड़ धाrarrभत डयना |

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धाक धधना नतयकट नतनाrarr दाॉि काटो फाहय हो जाओ | धधना धधना धधक धधनाrarr धचत कयो

गदमाॊश-आधारयत अथटगरहण-सॊफॊधधत परशनोततय

अॉधयी यात चऩचाऩ आॉस फहा यही थी | ननसतबधता करण सससककमो औय आहो को अऩन रदम भ ही फर ऩियक दफान की चरषटा कय यही थी | आकाश भ ताय चभक यह थ | ऩथिी ऩय कहीॊ परकाश का नाभ नहीॊ| आकाश स टट कय महद कोई बािक ताया ऩथिी ऩय आना बी चाहता तो उसकी जमोनत औय शनदकत यासत भ ही शर हो जाती थी | अनदम ताय उसकी बािकता अथिा असपरता ऩय णखरणखराकय हॉस ऩड़त थ | ससमायो का करॊ दन औय ऩचक की डयािनी आिाज यात की ननसतबधता को बॊग कयती थी | गाॉि की झोऩडडमो स कयाहन औय क कयन की आिाज हय याभ ह बगिान की टय सनाई ऩड़ती थी| फचच बी ननफयर कॊ ठो स भाॉ ndashभाॉ ऩकायकय यो ऩड़त थ |

(क) अॉधयी यात को आॉस फहात हए कमो ठदखामा गमा ह उततयndash गाॉि भ हजा औय भररयमा परा हआ था | भहाभायी की चऩट भ आकाय रोग भय यह थ |चायो ओय भौत का सनाटा छामा था इससरए अॉधयी यात बी चऩचाऩ आॉस फहाती सी परतीत हो यही थी|

(ख) ताय क भाधमभ स रखक कमा कहना चाहता ह उततयndash ताय क भाधमभ स रखक कहना चाहता ह कक अकार औय भहाभायी स तरसत गाॉि िारो की ऩीड़ा को दय कयन िारा कोई नहीॊ था | परकनत बी गाॉि िारो क द ख स दखी थी| आकाश स टट कय महद कोई बािक ताया ऩथिी ऩय आना बी चाहता तो उसकी जमोनत औय शनदकत यासत भ ही शर हो जाती थी |

(ग) यात की ननसतबधता को कौन बॊग कयता था उततयndash ससमायो की चीख-ऩकाय ऩचक की डयािनी आिाज औय कततो का साभहहक रदन सभरकय यात क सनदनाट को बॊग कयत थ |

(घ) झोऩड़ड़मो स कसी आवाज आ यही ह औय कमो उततयndash झोऩडड़मो स योधगमो क कयाहन क कयन औय योन की आिाज आ यही ह कमोकक गाॉि क रोग भररयमा औय हज स ऩीडड़त थ | अकार क कायण अनदन की कभी हो गमी थी| औरधध औय ऩथम न सभरन क कायण रोगो की हारत इतनी फयी थी कक कोई बगिान को ऩकाय रगाता था तो कोई दफयर कॊ ठ स भाॉndashभाॉ ऩकायता था |

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15 चारी चजतरन मानी हभ सफ

रखक-पवषण खय

ऩाि का सायाॊश ndashचारक चनदपरन न हासम कराकाय क रऩ भ ऩयी दननमा क फहत फड़ दशयक िगय को हॉसामा ह | उनकी कपलभो न कपलभ करा को रोकताॊबतरक फनान क साथ-साथ दशको की िगय औय िणय-वमिसथा को बी तोड़ा | चारक न करा भ फवदध की अऩा बािना को भहतति हदमा ह | फचऩन क सॊघरो न चारक क बािी कपलभो की बसभ तमाय कय दी थी| बायतीम करा औय सौदमयशासतर भ करणा का हासम भ ऩरयितयन बायतीम ऩयमऩया भ नहीॊ सभरता रककन चारक एक ऐसा जादई वमनदकतति ह जो हय दश सॊसकनत औय सभमता को अऩना सा रगता ह| बायतीम जनता न बी उनदह सहज बाि स सिीकाय ककमा ह| सिमॊ ऩय हॉसना चारक न ही ससखामा| बायतीम ससनभा जगत क सपरससदध कराकाय याजकऩय को चारक का बायतीमकयण कहा गमा ह | चारक की अधधकाॊश किलभ भक ह इससरए उनदह अधधक भानिीम होना ऩड़ा | ऩाठ भ हासम कपलभो क भहान असबनता lsquoचारक चनदपरनrsquo की जादई विशरताओॊ का उलरख ककमा गमा ह नदजसभ उसन करणा औय हासम भ साभॊजसम सथावऩत कय किलभो को साियबौसभक रऩ परदान ककमा

परशन१ -चारी क जीवन ऩय परबाव िारन वारी भखम घटनाएॉ कौन सी थी

उततय- चारक क जीिन भ दो ऐसी घटनाएॉ घटीॊ नदजनदहोन उनक बािी जीिन ऩय फहत परबाि डारा |

ऩहरी घटना - जफ चारक फीभाय थ उनकी भाॉ उनदह ईसा भसीह की जीिनी ऩढ़कय सना यही थी | ईसा क सरी ऩय चढ़न क परसॊग तक आत-आत भाॉ-फटा दोनो ही योन रग| इस घटना न चारक को सनह करणा औय भानिता जस उचच जीिन भलम हदए |

दसयी घटना हndash फारक चारक कसाईखान क ऩास यहता था| िहाॉ सकड़ो जानियो को योज भाया जाता था| एक हदन एक बड़ िहाॉ स बाग ननकरी| बड़ को ऩकड़न की कोसशश भ कसाई कई फाय कपसरा| नदजस दखकय रोग हॊसन रग ठहाक रगान रग| जफ बड़ को कसाई न ऩकड़ सरमा तो फारक चारक योन रगा| इस घटना न उसक बािी कपलभो भ तरासदी औय हासमोतऩादक ततिो की बसभका तम कय दी |

परशन२ ndash आशम सऩषट कीजजएndash

चजतरन न लसपट कपलभकरा को ही रोकताॊबतरक नही फनामा फजलक दशटको की वगट तथा वणट-वमवसथा को बी तोड़ा|

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उततय- रोकताॊबतरक फनान का अथय ह कक कपलभ करा को सबी क सरए रोकवपरम फनाना औय िगय औय िणय-वमिसथा को तोड़न का आशम ह- सभाज भ परचसरत अभीय-गयीफ िणय जानतधभय क बदबाि को सभापत कयना |चनदपरन का चभतकाय मह ह कक उनदहोन कपलभकरा को बफना ककसी बदबाि क सबी रोगो तक ऩहॉचामा| उनकी कपलभो न सभम बगोर औय सॊसकनतमो की सीभाओॊ को राॉघ कय साियबौसभक रोकवपरमता हाससर की | चारक न मह ससदध कय हदमा कक करा सितनदतर होती ह अऩन ससदधाॊत सिमॊ फनाती ह |

परशन३ndash चारी चजतरन की कपलभो भ ननठहत तरासदीकरणाहासम का साभॊजसम बायतीम करा औय सौदमटशासतर की ऩरयधध भ कमो नहीॊ आता

उततय- चारक चनदपरन की कपलभो भ ननहहत तरासदीकरणाहासम का साभॊजसम बायतीम करा औय सौदमयशासतर की ऩरयधध भ नहीॊ आताकमोकक बायतीम यस-ससदधाॊत भ करणा औय हासम का भर नहीॊ हदखामा जाता कमोकक बायतीम सौदमयशासतर भ करणयस औय हासम यस को ऩयसऩय वियोधी भाना गमा ह अथायत जहाॊ करणा ह िहाॉ हासम नहीॊ हो सकता बायत भ सिमॊ ऩय हॉसन की ऩयॊऩया नहीॊ ह ऩयॊत चारक क ऩातर अऩन ऩय हॉसतndashहॉसात ह चारक की किलभो क दशम हॉसात-हॉसात ररा दत ह तो कबी करण दशम क फाद अचानक ही हॉसन ऩय भजफय कय दत ह

परशन४ndash चारी क कपलभो की पवशषताएॉ फताइए |

उततय- चारक की किलभो भ हासम औय करणा का अदभत साभॊजसम ह उनकी किलभो भ बारा का परमोग फहत कभ ह चारक की किलभो भ फवदध की अऩा बािना का भहतति अधधक ह उनकी किलभो भ साियबौसभकता ह चारक ककसी बी सॊसकनत को विदशी नही रगत चारक सफको अऩन रगत ह चारक न किलभो को रोकताॊबतरक फनामा औय किलभो भ िगय तथािणय-वमिसथा को तोड़ा अऩनी कपलभो भ चारक सदि धचय मिा हदखता ह

गदमाॊश-आधारयत अथटगरहण-सॊफॊधी परशनोततय

गदमाॊश सॊकत ndashचारक चनदपरन मानी हभ सफ (ऩरषठ १२० )

महद मह िरय चनदपरन की कापी कछ कहा जाएगा |

परशन (क)-पवकासशीर दशो भ चजतरन कमो भशहय हो यह ह

उततय - विकासशीर दशो भ जस-जस टरीविजन औय िीडडमो का परसाय हो यहा ह रोगो को उनकी कपलभो को दखन का अिसय सभर यहा ह |एक फहत फड़ा िगय नए ससय स चारक को घड़ी सधायत औय जत खान की कोसशश कयत दख यहा ह इसीसरए चारक विकासशीर दशो भ रोकवपरम हो यह ह |

(ख)- ऩजशचभ भ चारी का ऩनजीवन कस होता यहता ह

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उततय - ऩनदशचभ भ चारक की कपलभो का परदशयन होता यहता ह| उनकी करा स परयणा ऩाकय हासम किलभ फनती यहती ह | उनक दिाया ननबाए ककयदायो की नकर अनदम कराकाय कयत ह | ऩनदशचभ भ चारक का ऩनजीिन होता यहता ह|

(ग)- चारी को रोग फिाऩ तक कमो माद यखग

उततय ndashहासम कराकाय क रऩ भ रोग चारक को फढ़ाऩ तक माद यखग कमोकक उनकी करा सभम बगोर औय सॊसकनतमो की सीभाओॊ को राॉघकय राखो रोगो को हॉसा यही ह|

(घ)- चारी की कपलभो क फाय भ कापी कछ कहा जाना कमो फाी ह

उततय ndashचनदपरन की ऐसी कछ किलभ मा इसतभार न की गमी यीर सभरी ह नदजनक फाय भ कोई नहीॊ जानता था | चारक की बािनापरधान हासम कपलभो न करा क नए परनतभान सथावऩत ककए ह अत चारक की कपलभो क फाय भ अबी कापी कछ कहा जाना फाी ह|

16 नभक

रखखका - यजजमा सजजाद जहीय

सायाॊश -lsquoनभकrsquoबायत-ऩाक विबाजन ऩय सरणखत भासभयक कहानी ह | विसथावऩत हए रोगो भ अऩनndashअऩन जनदभ सथानो क परनत आज बी रगाि ह| धासभयक आधाय ऩय फनी यारषर-याजमो की सीभा-यखाएॉ उनक अॊतभयन को अरग नहीॊ कय ऩाई ह | बायत भ यहन िारी ससख फीिी राहौय को अऩना ितन भानती ह औय बायतीम कसटभ अधधकायी ढाका क नारयमर ऩानी को मादकय उस सियशररषठ फताता ह दोनो दशो क नागरयको क फीच भहबफत का नभकीन सिाद आज बी कामभ ह इसीसरए सकिमा बायत भ यहन िारी अऩनी भॉहफोरी भाॉ ससख फीिी क सरए राहौयी नभक रान क सरए कसटभ औय कानन की ऩयिाह नहीॊ कयती

परशन1- lsquoनभकrsquo ऩाि क आधाय ऩय फताइए कक सकपमा औय उसक बाई क पवचायो भ कमा अॊतय था

उततय- १-सकपमा बािनाओॊ को फहतभहतति दती ह ऩय उसका बाई फौवदधक परिनदतत का ह उसकी दनदरषट भ कानन बािनाओॊ स ऊऩय ह|

२-सकपमा भानिीम सॊफॊधो को फहत भहतति दती ह जफकक उसका बाई अरगाििादी विचायधाया का ह हहसस-फखय की फात कयता ह |

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३-सकपमा का बाई कहता ह कक अदीफो(साहहतमकाय) का हदभाग घभा हआ होता ह जफकक सकपमा जो सिमॊ अदीफ ह उसका भानना ह कक अगय सबी रोगो का हदभाग अदीफो की तयह घभा हआ होता तो दननमा कछ फहतय हो जाती |

परशन२- नभक र जात सभम सकफ़मा क भन भ कमा दपवधा थी

उततय-सकपमा समद भसरभान थी जो हय हार भ अऩना िामदा ननबात ह| ऩाककसतान स राहौयी नभक र जाकय िह अऩना िामदा ऩया कयना चाहती थी ऩयनदत जफ उस ऩता चरा कक कसटभ क ननमभो क अनसाय सीभाऩाय नभक र जाना िनदजयत ह तो िह दविधा भ ऩड़ गई | सकिमा का दिॊदि मह था कक िह अऩनी ससख भाॉ क सरए नभक कसटभ अधधकारयमो को फताकयर जाए मा नछऩाकय|

परशन३- ऩाि क आधाय ऩय सकपमा की चारयबतरक पवशषताएॉ फताइए |

उततय सॊकत ndash

१- बािक २- ईभानदाय ३- दढ़ननशचमी ४- ननडय ५- िामद को ननबान िारी ६- भानिीम भलमो को सिोऩरय भानन िारी साहहतमकाय

परशन ४- lsquoनभकrsquo ऩाि भ आए ककयदायो क भाधमभ स सऩषट कीजजए कक आज बी बायत औय ऩाककसतान की जनता क फीच भहबफत का नभकीन सवाद घरा हआ ह |

उततय ndash बर ही याजनीनतक औय धासभयक आधाय ऩय बायत औय ऩाककसतान को बौगोसरक रऩ स विबानदजत कय हदमा गमा ह रककन दोनो दशो क रोगो क रदम भ आज बी ऩायसऩरयक बाईचाया सौहादरय सनह औय सहानबनत विदमभान ह | याजनीनतक तौय ऩय बर ही सॊफॊध तनािऩणय हो ऩय साभानदजक तौय ऩय आज बी जनता क फीच भहबफत का नभकीन सिाद घरा हआ ह | अभतसय भ यहन िारी ससख फीफी राहौय को अऩना ितन कहती ह औय राहौयी नभक का सिाद नहीॊ बरा ऩाती | ऩाककसतान का कसटभ अधधकायी नभक की ऩडड़मा सकपमा को िाऩस दत हए कहता ह rdquoजाभा भनदसजद की सीहढ़मो को भया सराभ कहना |rdquo बायतीम सीभा ऩय तनात कसटभ अधधकायी ढाका की जभीन को औय िहाॉ क ऩानी क सिाद को नहीॊ बर ऩाता |

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गदमाॊश-आधारयत अथटगरहण सॊफॊधधत परशनोततय

गदमाॊश सॊकत- ऩाठndash नभक (ऩरषठ १३४)

सकपमा कसटभ क जॊगर स दोनो क हाथो भ थी |

(क) सकपमा कसटभ क जॉगर स ननकरकय दसय तरटपाभट ऩय आ गमी व वहीॊ खड़ यहndash इस वाकम भ lsquoवrsquo शबद का परमोग ककसक लरए ककमा गमा ह

उततय- महाॉ lsquoिrsquo शबद का परमोग ऩाककसतानी कसटभ अधधकायी क सरए ककमा गमा ह जो विबाजन स ऩिय हदलरी भ यहत थ औय आज बी हदलरी को ही अऩना ितन भानत ह |

(ख) तरटपाभट ऩय सकपमा को पवदा कयन कौन-कौन आए थ उनहोन सकपमा को कस पवदाई दी

उततय- परटपाभय ऩय सकपमा को विदा कयन उसक फहत साय सभतर सग सॊफॊधी औय बाई आए थ| उनदहोन ठॊडी साॉस बयत हए सबॊच हए होठो क साथ आॉस फहात हए सकपमा को विदाई दी |

(ग) अटायी भ यरगाड़ी भ कमा ऩरयवतटन हए उततय- अटायी भ यरगाड़ी स ऩाककसतानी ऩसरस उतयी औय हहनददसतानी ऩसरस सिाय हो गई|

(घ) कौन सी फात सकपमा की सभझ भ नहीॊ आ यही थी उततय- दोनो ओय एक सी जभीन एक जसा आसभान एक सी बारा एक सा ऩहनािा औय एक सी सयत क रोग कपय बी दोनो क हाथो भ बयी हई फॊदक ह |

17 लशयीष क पर

आचामट हजायी परसाद दपववदी

सायाॊश ndashlsquoआचामय हजायी परसाद दवििदीrsquo सशयीर को अदभत अिधत भानत ह कमोकक सॊनदमासी की बाॉनत िह सख-दख की धचॊता नहीॊ कयता गभी र िराय औय आॉधी भ बी अविचर खड़ा यहता ह सशयीर क िर क भाधमभ स भनरषम की अजम नदजजीविरा धमयशीरता औय कतयवमननरषठ फन यहन क भानिीम भलमो को सथावऩत ककमा गमा हरखक न सशयीर क कोभर परो औय कठोय परो क दिाया सऩरषट ककमा ह कक रदम की कोभरता फचान क सरए कबी-कबी वमिहाय की कठोयता बी आिशमक हो जाती ह| भहान कवि कासरदास औय कफीय बी सशयीर की तयह फऩयिाह अनासकत औय सयस थ तबी उनदहोन इतनी सनददय यचनाएॉ सॊसाय को दीॊ| गाॉधीजी क वमनदकतति भ बी कोभरता औय कठोयता का अदभत सॊगभ था | रखक सोचता ह कक हभाय दश भ जो भाय-काट अनदगनदाह रट-ऩाट खन-खचचय का फिॊडय ह कमा िह दश को नदसथय नहीॊ यहन दगा गराभी अशाॊनत औय वियोधी िाताियण क फीच अऩन ससदधाॊतो की या कयत हए गाॉधीजी जी नदसथय यह सक थ तो दश बी यह सकता ह जीन की परफर असबरारा क कायण

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विरभ ऩरयनदसथतमो भ बी महद सशयीर णखर सकता ह तो हभाया दश बी विरभ ऩरयनदसथनतमो भ नदसथय यह कय विकास कय सकता ह

परशन1-लसदध कीजजए कक लशयीष कारजमी अवधत की बाॉनत जीवन की अजमता क भॊतर का परचाय कयता ह

उततय- सशयीर कारजमी अिधत की बाॉनत जीिन की अजमता क भॊतर का परचाय कयता ह| जफ ऩथिी अनदगन क सभान तऩ यही होती ह िह तफ बी कोभर परो स रदा रहरहाता यहता ह|फाहयी गयभी धऩ िराय आॉधी र उस परबावित नहीॊ कयती इतना ही नहीॊ िह रॊफ सभम तक णखरा यहता ह | सशयीर विऩयीत ऩरयनदसथनतमो भ बी धमयशीर यहन तथा अऩनी अजम नदजजीविरा क साथ ननसऩह बाि स परचॊड गयभी भ बी अविचर खड़ा यहता ह

परशन२-आयगवध (अभरतास) की तरना लशयीष स कमो नहीॊ की जा सकती

उततय- सशयीर क पर बमॊकय गयभी भ णखरत ह औय आराढ़ तक णखरत यहत ह जफकक अभरतास का पर किर ऩनददरह-फीस हदनो क सरए णखरता ह | उसक फाद अभरतास क पर झड़ जात ह औय ऩड़ कपय स ठॉठ का ठॉठ हो जाता ह | अभरतास अलऩजीिी ह | विऩयीत ऩरयनदसथनतमो को झरता हआ ऊरषण िाताियण को हॉसकय झरता हआ सशयीर दीघयजीिी यहता ह | मही कायण ह कक सशयीर की तरना अभरतास स नहीॊ की जा सकती |

परशन३-लशयीष क परो को याजनताओॊ का रऩक कमो ठदमा गमा ह

उततय- सशयीर क पर उन फढ़ ढीठ औय ऩयान याजनताओॊ क परतीक ह जो अऩनी कसी नहीॊ छोड़ना चाहत | अऩनी अधधकाय-सरपसा क सरए नए मिा नताओॊ को आग नहीॊ आन दत | सशयीर क नए परो को जफयदसती ऩयान परो को धककमाना ऩड़ता ह | याजनीनत भ बी नई मिा ऩीढ़ी ऩयानी ऩीढ़ी को हयाकय सिमॊ सतता सॉबार रती ह |

परशन४- कार दवता की भाय स फचन का कमा उऩाम फतामा गमा ह

उततय- कार दिता कक भाय स फचन का अथय हndash भतम स फचना | इसका एकभातर उऩाम मह ह कक भनरषम नदसथय न हो| गनतशीर ऩरयितयनशीर यह | रखक क अनसाय नदजनकी चतना सदा ऊधियभखी (आधमातभ की ओय) यहती ह ि हटक जात ह |

परशन५- गाॉधीजी औय लशयीष की सभानता परकट कीजजए |

उततय- नदजस परकाय सशयीर धचरधचराती धऩ र िराय औय आॉधी भ बी अविचर खड़ा यहता ह अनासकत यहकय अऩन िाताियण स यस खीॊचकय सयस कोभर फना यहता ह उसी परकाय गाॉधी जी न बी अऩनी आॉखो क साभन आजादी क सॊगराभ भ अनदमाम बदबाि औय हहॊसा को झरा |

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उनक कोभर भन भ एक ओय ननयीह जनता क परनत असीभ करणा जागी िहीॊ ि अनदमामी शासन क वियोध भ डटकय खड़ हो गए |

गदमाॊश-आधारयत अथटगरहण सॊफॊधधत परशनोततय

गदमाॊश सॊकत- ऩाठ ndash सशयीर क पर (ऩरषठ १४७)

कासरदास सौदमय क िह इशाया ह |

(क) कालरदास की सौदमटndashदजषट की कमा पवशषता थी उततय-कासरदास की सौदमयndashदनदरषट फहत सकषभ अॊतबदी औय सॊऩणय थी| ि किर फाहयी रऩ-यॊग औय आकाय को ही नहीॊ दखत थ फनदलक अॊतभयन की सॊदयता क बी ऩायखी थ| कासरदास की सौदमय शायीरयक औय भानससक दोनो विशरताओॊ स मकत था |

(ख) अनासजकत का कमा आशम ह उततय- अनासनदकत का आशम ह- वमनदकतगत सख-द ख औय याग-दिर स ऩय यहकय सौदमय क िासतविक भभय को जानना |

(ग) कालरदास ऩॊत औय यवीॊिनाथ टगोय भ कौन सा गण सभान था भहाकवि कासरदास ससभतरानॊदन ऩॊत औय गरदि यिीॊदरनाथ टगोय तीनो नदसथयपरऻ औय अनासकत कवि थ | ि सशयीर क सभान सयस औय भसत अिधत थ |

(घ) यवीॊिनाथ याजोदमान क लसॊहदवाय क फाय भ कमा सॊदश दत ह याजोदमान क फाय भ यिीॊदरनाथ कहत ह याजोदमान का ससॊहदिाय ककतना ही सॊदय औय गगनचमफी कमो ना हो िह अॊनतभ ऩड़ाि नहीॊ ह| उसका सौदमय ककसी औय उचचतभ सौदमय की ओय ककमा गमा सॊकत भातर ह कक असरी सौदमय इस ऩाय कयन क फाद ह अत याजोदमान का ससॊहदिाय हभ आग फढ़न की परयणा दता ह |

18शरभ-पवबाजन औय जानत-परथा

िॉ० बीभयाव अॊफिकय

सायाॊश ndash इस ऩाठ भ रखक न जानतिाद क आधाय ऩय ककए जान िार बदबाि को सभम सभाज क सरए हाननकायक फतामा ह | जानत आधारयत शरभ विबाजन को असिाबाविक औय भानिता वियोधी फतामा गमा ह मह साभानदजक बदबाि को फढ़ाता ह जानतपरथा आधारयत शरभ विबाजन भ वमनदकत की रधच को भहतति नहीॊ हदमा जाता परसिरऩ वििशता क साथ अऩनाए

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Page 25: ISSUED BY KENDRIYA VIDYALAYA - DOWNLOADED FROM … Class XII Hindi Part B.pdfप्रश्न४ :-फादर क / फयन का गयीफ एि धनी िगय क्मा

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कावम कनत की यचना फीजndash वऩन स रकय ऩौध क ऩजषऩत होन क पवलबनन चयणो स गजयती ह

कपषndashकभट एवॊ कपवndashकभट भ सभानताएॉ -

कागज का ऩनदना नदजस ऩय यचना शबदफदध होती ह कवि को एक चौकोय खतरगता ह इस खत भ ककसी अॉधड़ (आशम बािनातभक आॉधी स होगा) क परबाि स ककसी ण

एक फीज फोमा जाता ह मह फीज-यचना विचाय औय असबवमनदकत का हो सकता ह मह भर रऩ कलऩना का सहाया रकय विकससत होता ह औय परककरमा भ सिमॊ विगसरत

हो जाता ह इसीपरकाय फीज बी खाद ऩानी समय की योशनी हिा आहद रकय विकससत होता ह |

कावम ndashयचना स शबदो क अॊकय ननकरत ह औय अॊतत कनत एक ऩणय सिरऩ गरहण कयती ह जो कवर-कभय क सरहाज स ऩलरवित ndashऩनदरषऩत औय पसरत होन की नदसथनत ह अथट-गरहण-सॊफॊधी परशन

कपवताndash फगरो क ऩॊख

नब भ ऩाॉती- फॉध फगरो क ऩॊख

चयाए सरए जातीॊ ि भयी आॉख |

कजयाय फादरो की छाई नब छामा

हौरndashहौर जाती भझ फाॉध ननज भामा स |

उस कोई तननक योक यकखो |

िह तो चयाए सरए जाती भयी आॉख

नब भ ऩाॉती- फॉधी फगरो की ऩाॉख |

तयती साॉझ की सतज शित कामा|

परशन१- इस कविता भ कवि न ककसका धचतरण ककमा ह

उततय - कवि न कार फादरो ऩय उड़ती फगरो की शित ऩॊनदकत का धचतरण ककमा ह|

परशन२- आॉख चयान का कमा अथय ह

उततय - आॉख चयान का आशम ह ndashधमान ऩयी तयह खीॊच रना एकटक दखना भॊतरभगध कय दना

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परशन३-

ldquoकजयाय फादरो की छाई नब छामा

हौर ndashहौर जाती भझ फाॉध ननज भामा स |rdquo- आशम सऩरषट कीनदजए |

उततय- कार फादरो क फीच साॉझ का सयभई िाताियण फहत सॊदय हदखता ह | ऐसा अपरनतभ सौदमय अऩन आकरयण भ कवि को फाॉध रता ह |

परशन ४ ldquoउस कोई तननक योक यकखो |rsquo- स कवि का कमा असबपराम ह

उततय - फगरो की ऩॊनदकत आकाश भ दय तक उड़ती जा यही ह कवि की भॊतरभगध आॉख उनका ऩीछा कय यही ह | कवि उन फगरो को योक कय यखन की गहाय रगा यहा ह कक कहीॊ ि उसकी आॉख ही अऩन साथ न र जाएॉ |

सौदमट-फोध-सॊफॊधी परशन

परशन १ कविता की बारा सॊफॊधी दो विशरताएॉ सरणखए|

उततय -१ धचतरातभक बारा

२ फोरचार क शबदो का परमोग - हौर ndashहौर ऩाॉती कजयायसाॉझ

परशन २ कविता भ परमकत अरॊकाय चन कय सरणखए |

उततय - अनपरास अरॊकाय - फॉध फगरो क ऩॊख

भानिीकयण अरॊकाय - चयाए सरए जातीॊ ि भयी आॉख |

परशन ३ -lsquo ननज भामाrsquo क राणणक अथय को सऩरषट कीनदजए |

उततय - परकनत का अपरनतभ सौदमय िह भामा ह जो कवि को आतभविबोय कय दती हमह ऩॊनदकत बी परशॊसातभक उनदकत ह

पवषम-वसत ऩय आधारयत परशनोततय

परशन१- lsquoचयाए सरए जाती ि भयी ऑ ॊखrsquo स कवि का कमा तातऩमय ह

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उततय -धचतरातभक िणयन दिाया कवि न एक ओय कार फादरो ऩय उड़ती फगरो की शित ऩॊनदकत का धचतर अॊककत ककमा ह तथा इस अपरनतभ दशम क रदम ऩय ऩड़न िार परबाि को धचबतरत ककमा ह कवि क अनसाय मह दशम उनकी आॉख चयाए सरए जा यहा ह |भॊतर भगध कवि इस दशम क परबाि स आतभ विसभनत की नदसथनत तक ऩहॉच जाता ह

परशन२-कवि ककस भामा स फचन की फात कहता ह

उततय - भामा विशि को अऩन आकरयण भ फाॉध रन क सरए परससदध ह | कफीय न बी lsquoभामा भहा ठधगनी हभ जानीrsquo कहकय भामा की शनदकत को परनतऩाहदत ककमा ह | कार फादरो भ फगरो की सॊदयता अऩना भामा जार परा कय कवि को अऩन िश भ कय यही ह |

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आयोह बाग-२ गदम-बाग

परशन-सॊखमा १०- गदम खॊड भ हदए गए ऩहठत गदमाॊश स अथयगरहण सॊफॊधी चाय परशन ऩछ जाएॉग नदजनक सरए ननधायरयत अॊक (२४=८) ह |

परशन-सॊखमा ११- ऩाठो की विरमिसत स सॊफॊधधत ऩाॉच भ स चाय परशनो क उततय दन ह नदजनक सरए ननधायरयत अॊक (३४=१२) ह|

ऩयीा भ अचछ अॊक परातत कयन क लरए धमान दन मोगम फात ndash

1 रख एिॊ ितयनी की शदधता तथा िाकम-गठन ऩय धमान द | 2 हय ऩाठ का सायऩरषठबसभविरमिसत तथाकथानक को सभझना आिशमक ह |

अतविदमाथी हय ऩाठ का सायाॊश बरीबाॉनत माद कय र | 3 परशनो को धमान स ऩढ़ तदनसाय अऩकषत उततय सरख | 4 उततय सरखत सभम सॊफॊधधत भखम बफॊदओॊ का शीरयकफनात हए उततय सरख मथा-तीन

अॊक क परशनो क उततय सरखत सभम कभ स कभ तीन भखम उततय-बफ ॊदओॊ का उलरख कयत हए उततय सऩरषट कय |

5 अॊक-मोजना क अनसाय ननधायरयत शबद-सीभा क अॊतगयत उततय सरख | ऩयीाथी कई फाय एक अॊक क परशन का उततय फहत रॊफा कई फाय ऩया ऩरषठ सरख दत ह जो सभम औय ऊजाय की फफायदी ह |

6 धमान यह कक अधधक सरखन स अचछ अॊक नहीॊ आत फनदलक सयर-सफोध बारा भ सरख गए सटीक उततय सायगसबयत तथम तथा उदाहयण क दिाया सऩरषट ककए गए उततय परबािशारी होत ह |

ऩाि 11 - बजकतन

रखखका- भहादवी वभाट

ऩाि का सायाॊश- बनदकतन नदजसका िासतविक नाभ रकषभी थारणखका lsquoभहादिी िभायrsquo की सविका ह | फचऩन भ ही बनदकतन की भाॉ की भतम हो गमी| सौतरी भाॉ न ऩाॉच िरय की आम भ वििाह तथा नौ िरय की आम भ गौना कय बनदकतन को ससयार बज हदमा| ससयार भ बनदकतन न तीन फहटमो को जनदभ हदमा नदजस कायण उस सास औय नदजठाननमो की उऩा सहनी ऩड़ती थी| सास औय नदजठाननमाॉ आयाभ पयभाती थी औय बनदकतन तथा उसकी ननदहीॊ फहटमो को घय औय खतो का साया काभ कयना ऩडता था| बनदकतन का ऩनत उस फहत चाहता था| अऩन ऩनत क सनह क फर ऩय बनदकतन न ससयार िारो स अरगौझा कय अऩना अरग घय फसा सरमा औय सख स यहन रगी ऩय बनदकतन का दबायगम अलऩाम भ ही उसक ऩनत की भतम हो गई | ससयार िार

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बनदकतन की दसयी शादी कय उस घय स ननकारकय उसकी सॊऩनदतत हड़ऩन की सानदजश कयन रग| ऐसी ऩरयनदसथनत भ बनदकतन न अऩन कश भॊडा सरए औय सॊनदमाससन फन गई | बनदकतन सिासबभानी सॊघरयशीर कभयठ औय दढ सॊकलऩ िारी सतरी ह जो वऩतसततातभक भानदमताओॊ औय छर-कऩट स बय सभाज भ अऩन औय अऩनी फहटमो क हक की रड़ाई रड़ती हघय गहसथी सॉबारन क सरए अऩनी फड़ी फटी दाभाद को फरा सरमा ऩय दबायगम न महाॉ बी बनदकतन का ऩीछा नहीॊ छोड़ा अचानक उसक दाभाद की बी भतम हो गमी| बनदकतन क जठ-नदजठौत न सानदजश यचकय बनदकतन की विधिा फटी का वििाह जफयदसती अऩन तीतयफाज सार स कय हदमा| ऩॊचामत दिाया कयामा गमा मह सॊफॊध दखदामी यहा | दोनो भाॉ-फटी का भन घय-गहसथी स उचट गमा ननधयनता आ गमी रगान न चका ऩान क कायण जभीॊदाय न बनदकतन को हदन बय धऩ भ खड़ा यखा| अऩभाननत बनदकतन ऩसा कभान क सरए गाॉि छोड़कय शहय आ जाती ह औय भहादिी की सविका फन जाती ह| बनदकतन क भन भ भहादिी क परनत फहत आदय सभऩयण औय असबबािक क सभान अधधकाय बाि ह| िह छामा क सभान भहादिी क साथ यहती ह| िह यात-यात बय जागकय धचतरकायी मा रखन जस कामय भ वमसत अऩनी भारककन की सिा का अिसय ढॉढ रती ह| भहादिी बनदकतन को नहीॊ फदर ऩामी ऩय बनदकतन न भहादिी को फदर हदमा| बनदकतन क हाथ का भोटा-दहाती खाना खात-खात भहादिी का सिाद फदर गमा बनदकतन न भहादिी को दहात क ककसस-कहाननमाॉ ककॊ िदॊनतमाॉ कॊ ठसथ कया दी| सिबाि स भहाकॊ जस होन ऩय बी बनदकतन ऩाई-ऩाई कय जोडी हई १०५ रऩमो की यासश को सहरय भहादिी को सभवऩयत कय दती ह| जर क नाभ स थय-थय काॉऩन िारी बनदकतन अऩनी भारककन क साथ जर जान क सरए फड़ राट साहफ तक स रड़न को बी तमाय हो जाती ह| बनदकतन भहादिी क जीिन ऩय छा जान िारी एक ऐसी सविका ह नदजस रणखका नहीॊ खोना चाहती

ऩाि आधारयत परशनोततय

नोट- उततय भ ननहहत यखाॊककत िाकम भखम सॊकत बफॊद ह |

परशन 1-बजकतन का वासतपवक नाभ कमा था वह अऩन नाभ को कमो छऩाना चाहती थी

उततय-बनदकतन का िासतविक नाभ रकषभी था हहनददओॊ क अनसायरकषभी धन की दिीह चॉकक बनदकतन गयीफ थी| उसक िासतविक नाभ क अथय औय उसक जीिन क मथाथय भ वियोधाबास ह ननधयन बनदकतन सफको अऩना असरी नाभ रकषभी फताकय उऩहास का ऩातर नहीॊ फनना चाहती थी इससरए िह अऩना असरी नाभ छऩाती थी

परशन 2- रखखका न रकषभी का नाभ बजकतन कमो यखा

उततय-घटा हआ ससय गर भ कॊ ठी भारा औय बकतो की तयह सादगीऩणय िशबरा दखकय भहादिी िभाय न रकषभी का नाभ बनदकतन यख हदमा | मह नाभ उसक वमनदकतति स ऩणयत भर खाता था |

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परशन 3-बजकतन क जीवन को ककतन ऩरयचछदो भ पवबाजजत ककमा गमा ह

उततय- बनदकतन क जीिन को चाय बागो भ फाॉटा गमा ह-

ऩहरा ऩरयचछद-बनदकतन का फचऩन भाॉ की भतम विभाता क दिाया बनदकतन का फार-वििाह कया दना

दपवतीम ऩरयचछद-बनदकतन का ििाहहक जीिन सास तथा नदजठाननमो का अनदमामऩणय वमिहाय ऩरयिाय स अरगौझा कय रना

ततीम ऩरयचछद- ऩनत की भतम विधिा क रऩ भ सॊघरयशीर जीिन चतथट ऩरयचछद- भहादिी िभाय की सविका क रऩ भ

परशन 4- बजकतन ऩाि क आधाय ऩय बायतीम गराभीण सभाज भ रड़क-रड़ककमो भ ककम जान वार बदबाव का उलरख कीजजए |

बायतीम गराभीण सभाज भ रड़क-रड़ककमो भ बदबाि ककमा जाता ह| रड़ककमो को खोटा ससकका मा ऩयामा धन भाना जाता ह| बनदकतन न तीन फहटमो को जनदभ हदमा नदजस कायण उस सास औय नदजठाननमो की उऩा सहनी ऩड़ती थी| सास औय नदजठाननमाॉ आयाभ पयभाती थी कमोकक उनदहोन रड़क ऩदा ककए थ औय बनदकतन तथा उसकी ननदहीॊ फहटमो को घय औय खतो का साया काभ कयना ऩडता था| बनदकतन औय उसकी फहटमो को रखा-सखा भोटा अनाज खान को सभरता था जफकक उसकी नदजठाननमाॉ औय उनक कार-करट फट दध-भराई याफ-चािर की दाित उड़ात थ

परशन 5-बजकतन ऩाि क आधाय ऩय ऩॊचामत क नमाम ऩय ठटतऩणी कीजजए |

बनदकतन की फटी क सनददबय भ ऩॊचामत दिाया ककमा गमा नदमाम तकय हीन औय अॊध कानन ऩय आधारयतह | बनदकतन क नदजठौत न सॊऩनदतत क रारच भ रडमॊतर कय बोरी फचची को धोख स जार भ पॊ सामा| ऩॊचामत न ननदोर रड़की की कोई फात नहीॊ सनी औय एक तयिा पसरा दकय उसका वििाह जफयदसती नदजठौत क ननकमभ तीतयफाज सार स कय हदमा | ऩॊचामत क अॊध कानन स दरषटो को राब हआ औय ननदोर को दॊड सभरा |

परशन 6-बजकतन की ऩाक-करा क फाय भ ठटतऩणी कीजजए |

बनदकतन को ठठ दहाती सादा बोजन ऩसॊद था | यसोई भ िह ऩाक छत को फहत भहतति दती थी | सफह-सिय नहा-धोकय चौक की सपाई कयक िह दिाय ऩय कोमर की भोटी यखा खीॊच दती थी| ककसी को यसोईघय भ परिश कयन नहीॊ दती थी| उस अऩन फनाए बोजन ऩय फड़ा असबभान था| िह अऩन फनाए बोजन का नतयसकाय नहीॊ सह सकती थी |

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परशन 7- लसदध कीजजए कक बजकतन तकट -पवतकट कयन भ भाठहय थी |

बनदकतन तकय ऩट थी | कश भॉडान स भना ककए जान ऩय िह शासतरो का हिारा दत हए कहती ह lsquoतीयथ गए भॉडाए ससदधrsquo | घय भ इधय-उधय यख गए ऩसो को िह चऩचाऩ उठा कय छऩा रती ह टोक जानऩय िह िह इस चोयी नही भानती फनदलक िह इस अऩन घय भ ऩड़ ऩसो को सॉबारकय यखना कहती ह| ऩढाई-सरखाई स फचन क सरए बी िह अचक तकय दती ह कक अगय भ बी ऩढ़न रगॉ तो घय का काभ कौन दखगा

परशन 8-बजकतन का दबाटगम बी कभ हिी नही था रखखका न ऐसा कमो कहा ह

उततय- बजकतन का दबाटगम उसका ऩीछा नहीॊ छोड़ता था-

1- फचऩन भ ही भाॉ की भतम 2- विभाता की उऩा 3- बनदकतन(रकषभी) का फारवििाह 4- वऩता का ननधन 5- तीन-तीन फहटमो को जनदभ दन क कायण सास औय नदजठाननमो क दिाया बनदकतन की

उऩा 6- ऩनत की असभम भतम 7- दाभाद का ननधन औय ऩॊचामत क दिाया ननकमभ तीतयफाज मिक स बनदकतन की विधिा

फटी का जफयन वििाह 8- रगान न चका ऩान ऩय जभीॊदाय क दिाया बनदकतन का अऩभान

परशन 9-बजकतन न भहादवी वभाट क जीवन ऩय कस परबापवत ककमा

उततय- बनदकतन क साथ यहकय भहादिी की जीिन-शरी सयर हो गमी ि अऩनी सविधाओॊ की चाह को नछऩान रगीॊ औय असविधाओॊ को सहन रगीॊ बनदकतन न उनदह दहाती बोजन णखराकय उनका सिाद फदर हदमा बनदकतन भातर एक सविका न होकय भहादिी की असबबािक औय आतभीम फन गमीबनदकतन भहादिी क जीिन ऩय छा जान िारी एक ऐसी सविका ह नदजस रणखका नहीॊ खोना चाहती

परशन 10- बजकतन क चरयतर की पवशषताओॊ का उलरख कीजजए

उततय- भहादिी िभाय की सविका बनदकतन क वमनदकतति की विशरताएॊ ननमनाॊककत ह-

सभवऩयत सविका सिासबभानी

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तकय शीरा ऩरयशरभी सॊघरयशीर

परशन 11-बजकतन क दगटणो का उलरख कय

उततय- गणो क साथ-साथ बनदकतन क वमनदकतति भ अनक दगयण बी ननहहत ह-

1 िह घय भ इधय-उधय ऩड़ रऩम-ऩस को बॊडाय घय की भटकी भ छऩा दती ह औय अऩन इस कामय को चोयी नहीॊ भानती

2 भहादिी क करोध स फचन क सरए बनदकतन फात को इधय-उधय कयक फतान को झठ नही भानती अऩनी फात को सही ससदध कयन क सरए िह तकय -वितकय बी कयती ह

3 िह दसयो को अऩनी इचछानसाय फदर दना चाहती ह ऩय सिमॊ बफरकर नही फदरती परशन 12 ननमनाॊककत बाषा-परमोगो का अथट सऩषट कीजजए-

ऩहरी कनमा क दो औय सॊसकयण कय िार- बनदकतन न अऩनी ऩहरी कनदमा क फाद उसक जसी दो औय कनदमाएॉ ऩदा कय दी अथायत बनदकतन क एक क फाद एक तीन फहटमाॉ ऩदा हो गमीॊ |

खोट लसकको की टकसार जसी ऩतनी- आज बी असशकषत गराभीण सभाज भ फहटमो को

खोटा ससकका कहा जाता ह बनदकतन न एक क फाद एक तीन फहटमाॉ ऩदा कय दी इससरए उस खोट ससकक को ढारन िारी भशीन कहा गमा

परशन 13-बजकतन ऩाि भ रखखका न सभाज की ककन सभसमाओॊ का उलरख ककमा ह

उततय- बनदकतन ऩाठ क भाधमभ स रणखका न बायतीम गराभीण सभाज की अनक सभसमाओॊ का उलरख ककमा ह-

1 रड़क-रड़ककमो भ ककमा जान िारा बदबाि 2 विधिाओॊ की सभसमा 3 नदमाम क नाभ ऩय ऩॊचामतो क दिाया नदसतरमो क भानिाधधकाय को कचरना 4 असशा औय अॊधविशिास

गदमाॊश-आधारयत अथटगरहण सॊफॊधधत परशनोततय

ऩरयिाय औय ऩरयनदसथनतमो क कायण सिबाि भ जो विरभताएॉ उतऩनदन हो गई ह उनक बीतय स एक सनह औय सहानबनत की आबा पटती यहती ह इसी स उसक सॊऩकय भ आनिार वमनदकत उसभ जीिन की सहज भासभयकता ही ऩात ह छातरािास की फासरकाओॊ भ स कोई अऩनी चाम

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फनिान क सरए दहरी ऩय फठी यहती ह कोई फाहय खडी भय सरए नाशत को चखकय उसक सिाद की वििचना कयती यहती ह भय फाहय ननकरत ही सफ धचडड़मो क सभान उड़ जाती ह औय बीतय आत ही मथासथान वियाजभान हो जाती ह इनदह आन भ रकािट न हो सॊबित इसी स बनदकतन अऩना दोनो जन का बोजन सिय ही फनाकय ऊऩय क आर भ यख दती ह औय खात सभम चौक का एक कोना धोकय ऩाकndashछत क सनातन ननमभ स सभझौता कय रती ह

भय ऩरयधचतो औय साहहनदतमक फॊधओॊ स बी बनदकतन विशर ऩरयधचत ह ऩय उनक परनत बनदकतन क समभान की भातरा भय परनत उनक समभान की भातरा ऩय ननबयय ह औय सदभाि उनक परनत भय सदभाि स नननदशचत होता ह इस सॊफॊध भ बनदकतन की सहज फवदध विनदसभत कय दन िारी ह

(क) बजकतन का सवबाव ऩरयवाय भ यहकय कसा हो गमा ह

उततय-विरभ ऩरयनदसथनतजनदम उसक उगर हठी औय दयागरही सिबाि क फािजद बनदकतन क बीतय सनह औय सहानबनत की आबा पटती यहती ह उसक सॊऩकय भ आन िार वमनदकत उसभ जीिन की सहज भासभयकता ही ऩात ह

(ख) बजकतन क ऩास छातरावास की छातराएॉ कमो आती ह

उततय- बनदकतन क ऩास कोई छातरा अऩनी चाम फनिान आती ह औय दहरी ऩय फठी यहती ह कोई भहादिी जी क सरए फन नाशत को चखकय उसक सिाद की वििचना कयती यहती ह भहादिी को दखत ही सफ छातराएॉ बाग जाती ह उनक जात ही कपय िाऩस आ जातीॊ ह बनदकतन का सहज-सनह ऩाकय धचडड़मो की तयह चहचहान रगती ह |

(ग) छातराओॊ क आन भ रकावट न िारन क लरए बजकतन न कमा उऩाम ककमा

उततय- छातराओॊ क आन भ रकािट न डारन क सरए बनदकतन न अऩन ऩाक-छत क ननमभ स सभझौता कय सरमा | बनदकतन अऩना दोनो िकत का खाना फनाकय सफह ही आर भ यख दती औय खात सभम चौक का एक कोना धोकय िहाॉ फठकय खा सरमा कयती थी ताकक छातराएॉ बफना योक-टोक क उसक ऩास आ सक

(घ) साठहतमकायो क परनत बजकतन क समभान का कमा भाऩदॊि ह

उततय-बनदकतन भहादिी क साहहनदतमक सभतर क परनत सदभाि यखती थी नदजसक परनत भहादिी सिमॊ सदभाि यखती थी | िह सबी स ऩरयधचत हऩय उनक परनत समभान की भातरा भहादिी जी क समभान की भातरा ऩय ननबयय कयती ह िह एक अदभत ढॊग स जान रती थी कक कौन ककतना समभान कयता ह उसी अनऩात भ उसका परापम उस दती थी

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12 फाजाय-दशटन

रखक- जनि कभाय

ऩाि का सायाॊश फाजाय-दशयन ऩाठ भ फाजायिाद औय उऩबोकतािाद क साथ-साथ अथयनीनत एिॊ दशयन स सॊफॊधधत परशनो को सरझान का परमास ककमा गमा ह फाजाय का जाद तबी असय कयता ह जफ भन खारी हो| फाजाय क जाद को योकन का उऩाम मह ह कक फाजाय जात सभम भन खारी ना हो भन भ रकषम बया हो| फाजाय की असरी कताथयता ह जरयत क िकत काभ आना| फाजाय को िही भनरषम राब द सकता ह जो िासति भ अऩनी आिशमकता क अनसाय खयीदना चाहता ह| जो रोग अऩन ऩसो क घभॊड भ अऩनी ऩचनदजॊग ऩािय को हदखान क सरए चीज खयीदत ह ि फाजाय को शतानी वमॊगम शनदकत दत ह| ऐस रोग फाजारऩन औय कऩट फढात ह | ऩस की मह वमॊगम शनदकत वमनदकत को अऩन सग रोगो क परनत बी कतघन फना सकती ह | साधायण जन का रदम रारसा ईरषमाय औय तरषणा स जरन रगता ह | दसयी ओय ऐसा वमनदकत नदजसक भन भ रश भातर बी रोब औय तरषणा नहीॊ ह सॊचम की इचछा नहीॊ ह िह इस वमॊगम-शनदकत स फचा यहता ह | बगतजी ऐस ही आतभफर क धनी आदशय गराहक औय फचक ह नदजन ऩय ऩस की वमॊगम-शनदकत का कोई असय नहीॊ होता | अनक उदाहयणो क दिाया रखक न मह सऩरषट ककमा ह कक एक ओय फाजाय रारची असॊतोरी औय खोखर भन िार वमनदकतमो को रटन क सरए ह िहीॊ दसयी ओय सॊतोरी भन िारो क सरए फाजाय की चभक-दभक उसका आकरयण कोई भहतति नहीॊ यखता

परशन१ - ऩचजजॊग ऩावय ककस कहा गमा ह फाजाय ऩय इसका कमा परबाव ऩड़ता ह

उततय- ऩचनदजॊग ऩािय का अथय ह खयीदन की शनदकत ऩचनदजॊग ऩािय क घभॊड भ वमनदकत हदखाि क सरए आिशमकता स अधधक खयीदायीकयता ह औय फाजाय को शतानी वमॊगम-शनदकत दता ह ऐस रोग फाजाय का फाजारऩन फढ़ात ह

परशन२ -रखक न फाजाय का जाद ककस कहा ह इसका कमा परबाव ऩड़ता ह

उततय- फाजाय की चभक-दभक क चॊफकीम आकरयण को फाजाय का जाद कहा गमा ह मह जाद आॊखो की याह कामय कयता ह फाजाय क इसी आकरयण क कायण गराहक सजी-धजी चीजो को आिशमकता न होन ऩय बी खयीदन को वििश हो जात ह

परशन३ -आशम सऩषट कय

भन खारी होना भन बया होना भन फॊद होना

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उततय-भन खारी होना- भन भ कोई नननदशचत िसत खयीदन का रकषम न होना ननरददशम फाजाय जाना औय वमथय की चीजो को खयीदकय राना

भन बया होना- भन रकषम स बया होना नदजसका भन बया हो िह बरीबाॉनत जानता ह कक उस फाजाय स कौन सी िसत खयीदनी ह अऩनी आिशमकता की चीज खयीदकय िह फाजाय को साथयकता परदान कयता ह

भन फॊद होना-भन भ ककसी बी परकाय की इचछा न होना अथायत अऩन भन को शनदम कय दना

परशन४ - lsquoजहाॉ तषणा ह फटोय यखन की सऩहा ह वहाॉ उस फर का फीज नहीॊ हrsquo महाॊ ककस फर की चचाट की गमी ह

उततय- रखक न सॊतोरी सिबाि क वमनदकत क आतभफरकी चचाय की ह दसय शबदो भ महद भन भ सॊतोर हो तो वमनदकत हदखाि औय ईरषमाय की बािना स दय यहता ह उसभ सॊचम कयन की परिनदतत नहीॊ होती

परशन५ - अथटशासतर अनीनतशासतर कफ फन जाता ह

उततय- जफ फाजाय भ कऩट औय शोरण फढ़न रग खयीददाय अऩनी ऩचधचॊग ऩािय क घभॊड भ हदखाि क सरए खयीददायी कय | भनरषमो भ ऩयसऩय बाईचाया सभापत हो जाए| खयीददाय औय दकानदाय एक दसय को ठगन की घात भ रग यह एक की हानन भ दसय को अऩना राब हदखाई द तो फाजाय का अथयशासतर अनीनतशासतर फन जाता ह ऐस फाजाय भानिता क सरए विडॊफना ह

परशन६-बगतजी फाजाय औय सभाज को ककस परकाय साथटकता परदान कय यह ह

उततय- बगतजी क भन भ साॊसारयक आकरयणो क सरए कोई तरषणा नहीॊ ह ि सॊचम रारच औय हदखाि स दय यहत ह फाजाय औय वमाऩाय उनक सरए आिशमकताओॊ की ऩनत य का साधन भातर ह बगतजी क भन का सॊतोर औय ननसऩह बाि उनको शररषठ उऩबोकता औय विकरता फनात ह

परशन ७ _ बगत जी क वमजकततव क सशकत ऩहरओॊ का उलरख कीजजए |

उततय-ननमनाॊककत बफॊद उनक वमनदकतति क सशकत ऩहर को उजागय कयत ह

ऩॊसायी की दकान स किर अऩनी जरयत का साभान (जीया औय नभक) खयीदना नननदशचत सभम ऩय चयन फचन क सरए ननकरना छह आन की कभाई होत ही चयन फचना फॊद कय दना फच हए चयन को फचचो को भफ़त फाॉट दना

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सबी काजम-जम याभ कहकय सिागत कयना फाजाय की चभक-दभक स आकवरयत न होना सभाज को सॊतोरी जीिन की सशा दना

परशन7-फाजाय की साथटकता ककसभ ह

उततय- भनरषम की आिशमकताओॊ की ऩनतय कयन भ ही फाजाय की साथयकता ह जो गराहक अऩनी आिशमकताओॊ की चीज खयीदत ह ि फाजाय को साथयकता परदान कयत ह जो विकरता गराहको का शोरण नहीॊ कयत औय छर-कऩट स गराहको को रबान का परमास नही कयत ि बी फाजाय को साथयक फनात ह

गदमाॊश-आधारयत अथटगरहण-सॊफॊधधत परशनोततय

फाजाय भ एक जाद ह िह जाद आॉख की तयह काभ कयता ह िह रऩ का जाद ह ऩय जस चॊफक का जाद रोह ऩय ही चरता ह िस ही इस जाद की बी भमायदा ह जफ बयी हो औय भन खारी हो ऐसी हारत भ जाद का असय खफ होता ह जफ खारी ऩय भन बया न हो तो बी जाद चर जाएगा भन खारी ह तो फाजाय की अनकानक चीजो का ननभॊतरण उस तक ऩहॉच जाएगा कहीॊ हई उस िकत जफ बयी तफ तो कपय िह भन ककसकी भानन िारा ह भारभ होता ह मह बी रॉ िह बी रॉ सबी साभान जरयी औय आयाभ को फढ़ान िारा भारभ होता ह ऩय मह सफ जाद का असय ह जाद की सिायी उतयी कक ऩता चरता ह कक प सी-चीजो की फहतामत आयाभ भ भदद नहीॊ दती फनदलक खरर ही डारती ह थोड़ी दय को सिासबभान को जरय सक सभर जाता ह ऩय इसस असबभान को धगलटी की खयाक ही सभरती ह जकड़ यशभी डोयी की हो तो यशभ क सऩशय क भरामभ क कायण कमा िह कभ जकड़ दगी

ऩय उस जाद की जकड़ स फचन का एक सीधा उऩाम ह िह मह कक फाजाय जाओ तो खारी भन न हो भन खारी हो तफ फाजाय न जाओ कहत ह र भ जाना हो तो ऩानी ऩीकय जाना चाहहए ऩानी बीतय हो र का रऩन वमथय हो जाता ह भन रकषम स बया हो तो फाजाय परा का परा ही यह जाएगा तफ िह घाि बफरकर नहीॊ द सकगा फनदलक कछ आनॊद ही दगा तफ फाजाय तभस कताथय होगा कमोकक तभ कछ न कछ सचचा राब उस दोग फाजाय की असरी कताथयता ह आिशमकता क सभम काभ आना

परशन-1 फाजाय क जाद को रखक न कस सऩषट ककमा ह

उततय- फाजाय क रऩ का जाद आॉखो की याह स काभ कयता हआ हभ आकवरयत कयता ह फाजाय का जाद ऐस चरता ह जस रोह क ऊऩय चॊफक का जाद चरता ह चभचभाती योशनी भ सजी

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प सी चीॊज गराहक को अऩनी ओय आकवरयत कयती ह| इसी चमफकीम शनदकत क कायण वमनदकत कपजर साभान को बी खयीद रता ह |

परशन-2 जफ बयी हो औय भन खारी तो हभायी कमा दशा होती ह

उततय- जफ बयी हो औय भन खारी हो तो हभाय ऊऩय फाजाय का जाद खफ असय कयता ह भन खारी ह तो फाजाय की अनकानक चीजो का ननभॊतरण भन तक ऩहॉच जाता ह औय उस सभम महद जफ बयी हो तो भन हभाय ननमॊतरण भ नहीॊ यहता

परशन-3 प सी चीजो की फहतामत का कमा ऩरयणाभ होता ह

उततय- प सी चीज आयाभ की जगह आयाभ भ वमिधान ही डारती ह थोड़ी दय को असबभान को जरय सक सभर जाती ह ऩय हदखाि की परिनदतत भ िवदध होती ह

परशन-4 जाद की जकड़ स फचन का कमा उऩाम ह

उततय- जाद की जकड़ स फचन क सरए एक ही उऩाम ह िह मह ह कक फाजाय जाओ तो भन खारी न हो भन खारी हो तो फाजाय भत जाओ

13 कार भघा ऩानी द

रखक-धभटवीय बायती

ऩाि का सायाॊश -lsquoकार भघा ऩानी दrsquo ननफॊध रोकजीिन क विशिास औय विऻान क तकय ऩय आधारयत ह जफ बीरण गभी क कायण वमाकर रोग िराय कयान क सरए ऩजा-ऩाठ औय कथा-विधान कय थकndashहाय जात ह तफ िराय कयान क सरए अॊनतभ उऩाम क रऩ भ इनददय सना ननकरती ह| इनददय सना नॊग-धड़ॊग फचचो की टोरी ह जो कीचड़ भ रथऩथ होकय गरी-भोहलर भ ऩानी भाॉगन ननकरती ह| रोग अऩन घय की छतो-णखड़ककमो स इनददय सना ऩय ऩानी डारत ह | रोगो की भानदमता ह कक इनददर फादरो क सिाभी औय िराय क दिता ह| इनददर की सना ऩय ऩानी डारन स इनददर बगिान परसनदन होकय ऩानी फयसाएॊग | रखक का तकय ह कक जफ ऩानी की इतनी कभी ह तो रोग भनदशकर स जभा ककए ऩानी को फालटी बय-बयकय इनददय सना ऩय डारकय ऩानी को कमो फफायद कयत ह आमयसभाजी विचायधाया िारा रखक इस अॊधविशिास भानता ह | इसक विऩयीत रखक की जीजी उस सभझाती ह कक मह ऩानी की फफायदी नहीॊ फनदलक ऩानी की फिाई ह | कछ ऩान क सरए कछ दना ऩड़ता ह | तमाग क बफना दान नहीॊ होता| परसतत ननफॊध भ रखक न भरषटाचाय की सभसमा को उठात हए कहा ह कक जीिन भ कछ ऩान क सरए तमाग आिशमक ह जो रोग तमाग औय दान की भहतता को नहीॊ भानत ि ही भरषटाचाय भ सरपत यहकय दश औय सभाज को रटत ह| जीजी की आसथा बािनातभक सचचाई को ऩरषट कयती ह औय तकय किर िऻाननक तथम को सतम भानता ह जहाॉ तकय मथाथय क

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कठोय धयातर ऩय सचचाई को ऩयखता ह तो िहीॊ आसथा अनहोनी फात को बी सिीकाय कय भन को सॊसकारयत कयती ह बायत की सितॊतरता क ५० सार फाद बी दश भ वमापत बरषटाचाय औय सिाथय की बािना को दखकय रखक दखी ह | सयकाय दिाया चराई जा यही मोजनाएॉ गयीफो तक कमो नहीॊ ऩहॉच ऩा यहीॊ ह कार भघा क दर उभड़ यह ह ऩय आज बी गयीफ की गगयी पटी हई कमो ह रखक न मह परशन ऩाठको क सरए छोड़ हदमा ह |

परशन1-इनदय सना घय-घय जाकय ऩानी कमो भाॉगती थी

उततय- गाॉि क रोग फारयश क सरए बगिान इॊदर स पराथयना ककमा कयत थ जफ ऩजा-ऩाठवरत आहद उऩाम असिर हो जात थ तो बगिान इॊदर को परसनदन कयन क सरए गाॉि क ककशोय फचच कीचड़ भ रथऩथ होकय गरी-गरी घभकय रोगो स ऩानी भाॉगत थ

परशन2-इनदयसना को रखक भढक-भॊिरी कमो कहता ह जीजी क फायndashफाय कहन ऩय बी वह इनदयसना ऩय ऩानी प कन को याजी कमो नहीॊ होता

उततय- इनददयसना का कामय आमयसभाजी विचायधाया िार रखक को अॊधविशिास रगता ह उसका भानना ह कक महद इॊदयसना दिता स ऩानी हदरिा सकती ह तो सिमॊ अऩन सरए ऩानी कमो नहीॊ भाॉग रती ऩानी की कभी होन ऩय बी रोग घय भ एकतर ककम हए ऩानी को इॊदयसना ऩय ि कत ह रखक इस ऩानी की ननभयभ फयफादी भानता ह

परशन3- रि हए रखक को जीजी न ककस परकाय सभझामा

उततय- जीजी न रखक को पमाय स रडड-भठयी णखरात हए ननमन तकय हदए-

1- तमाग का भहततव- कछ ऩान क सरए कछ दना ऩड़ता ह 2- दान की भहतता- कवर-भननमो न दान को सफस ऊॉ चा सथान हदमा ह जो चीज अऩन

ऩास बी कभ हो औय अऩनी आिशमकता को बरकय िह चीज दसयो को दान कय दना ही तमाग ह |

3- इॊिदव को जर का अधमट चिाना- इॊदयसना ऩय ऩानी ि कना ऩानी की फयफादी नहीॊ फनदलक इॊदरदि को जर का अधमय चढ़ाना ह

4- ऩानी की फवाई कयना- नदजस परकाय ककसान िसर उगान क सरए जभीन ऩय फीज डारकय फिाई कयता ह िस ही ऩानी िार फादरो की िसर ऩान क सरए इनददय सना ऩय ऩानी डार कय ऩानी की फिाई की जाती ह

परशन4-नठदमो का बायतीम साभाजजक औय साॊसकनतक ऩरयवश भ कमा भहतव ह

उततय- गॊगा बायतीम सभाज भ सफस ऩजम सदानीया नदी ह नदजसका बायतीम इनतहास भ धासभयक ऩौयाणणक औय साॊसकनतक भहति ह | िह बायतीमो क सरए किर एक नदी नहीॊ अवऩत

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भाॉ ह सिगय की सीढ़ी ह भोदानमनी ह उसभ ऩानी नहीॊ अवऩत अभत तलम जर फहता ह बायतीम सॊसकनत भ नहदमो क ककनाय भानि सभमताएॉ परी-परी ह| फड़-फड़ नगय तीथयसथान नहदमो क ककनाय ही नदसथत ह ऐस ऩरयिश भबायतिासी सफस ऩहर गॊगा भमा की जम ही फोरग नहदमाॉ हभाय जीिन का आधाय ह हभाया दश कवर परधान ह नहदमो क जर स ही बायत बसभ हयी-बयी ह नहदमो क बफना जीिन की कलऩना नहीॊ कय सकत मही कायण ह कक हभ बायतीम नहदमो की ऩजा कयत ह |

परशन4-आजादी क ऩचास वषो क फाद बी रखक कमो दखी ह उसक भन भ कौन स परशन उि यह ह

उततय- आजादी क ऩचास िरो फाद बी बायतीमो की सोच भ सकायातभक फदराि न दखकय रखक दखी ह उसक भन भ कई परशन उठ यह ह-

1 कमा हभ सचच अथो भ सितनदतर ह 2 कमा हभ अऩन दश की सॊसकनत औय सभमता को सभझ ऩाए ह 3 यारषर ननभायण भ हभ ऩीछ कमो ह हभ दश क सरए कमा कय यह ह

4 हभ सिाथय औय भरषटाचाय भ सरपत यहत ह तमाग भ विशिास कमो नहीॊ कयत

5 सयकाय दिाया चराई जा यही सधायिादी मोजनाएॉ गयीफो तक कमो नहीॊ ऩहॉचती ह

गदमाॊश ऩय आधारयत अथटगरहण-सॊफॊधधत परशनोततय

सचभच ऐस हदन होत जफ गरी-भहलरा गाॉि-शहय हय जगह रोग गयभी भ बन-बन कय तराहहभाभ कय यह होत जठ क दसतऩा फीतकय आराढ का ऩहरा ऩखिाड़ा फीत चका होता ऩय कषनतज ऩय कहीॊ फादरो की यख बी नहीॊ दीखती होती कएॉ सखन रगत नरो भ एक तो फहत कभ ऩानी आता औय आता बी तो आधी यात को िो बी खौरता हआ ऩानी हो | शहयो की तरना भ गाॉि भ औय बी हारत खयाफ थी| जहाॉ जताई होनी चाहहए थी िहाॉ खतो की सभटटी सखकय ऩतथय हो जाती कपय उसभ ऩऩड़ी ऩड़कय जभीन पटन रगती र ऐसी कक चरत-चरत आदभी धगय ऩड़ | ढोय-डॊगय पमास क भाय भयन रगत रककन फारयश का कहीॊ नाभ ननशान नहीॊ ऐस भ ऩजा-ऩाठ कथा-विधान सफ कयक रोग जफ हाय जात तफ अॊनतभ उऩाम क रऩ भ ननकरती मह इनददय सना |

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परशन१- वषाट न होन ऩय रोगो की कमा जसथनत हो गमी थी उततय - िराय न होन ऩय गयभी क कायण रोग र रगन स फहोश होन रग | गाॉि-शहय सबी जगह ऩानी का अबाि हो गमा| कएॉ सख गए खतो की सभटटी सखकय ऩतथय क सभान कठोय होकय पट गमी| घयो भ नरो भ ऩानी फहत कभ आता था | ऩश पमास क भाय भयन रग थ | परशन२- वषाट क दवता कौन ह उनको परसनन कयन क लरए कमा उऩाम ककए जात थ उततय -िराय क दिता बगिान इनददर ह| उनको परसनदन कयन क सरए ऩजाndashऩाठ कथा-विधान कयाए जात थ | ताकक इनददर दि परसनदन होकय फादरो की सना बजकय झभाझभ फारयश कयाएॉ औय रोगो क करषट दय हो | परशन३- वषाट कयान क अॊनतभ उऩाम क रऩ भ कमा ककमा जाता था उततय ndashजफ ऩजा-ऩाठ कथा-विधान सफ कयक रोग हाय जात थ तफ अॊनतभ उऩाम क रऩ भ इनददय सना आती थी | नॊग-धडॊग कीचड़ भ रथऩथ lsquoकार भघा ऩानी द ऩानी द गड़धानी दrsquo की टय रगाकय पमास स सखत गरो औय सखत खतो क सरए भघो को ऩकायती हई टोरी फनाकय ननकर ऩड़ती थी| परशन४-आशम सऩषट कय ndash जठ क दसतऩा फीतकय आराढ़ का ऩहरा ऩखिाड़ा फीत चका होता ऩय कषनतज भ कहीॊ फादरो की यख बी नजय नहीॊ आती | आशम- जठ का भहीना ह बीरण गयभी ह| तऩत हए दस हदन फीत कय आराढ का भहीना बी आधा फीत गमा ऩय ऩानी क सरए तड़ऩत िराय की आशा भ आसभान की ओय ताकत रोगो को कहीॊ फादर नजय नहीॊ आ यह |

14 ऩहरवान की ढोरक

फ़णीशवयनाथ यण

ऩाि का सायाॊश ndashआॊचसरक कथाकाय िणीशियनाथ यण की कहानी ऩहरिान की ढोरक भ कहानी क भखम ऩातर रटटन क भाता-वऩता का दहाॊत उसक फचऩन भ ही हो गमा था | अनाथ रटटन को उसकी विधिा सास न ऩार-ऩोसकय फड़ा ककमा | उसकी सास को गाॉि िार सतात थ |

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रोगो स फदरा रन क सरए कशती क दाॉिऩच सीखकय कसयत कयक रटटन ऩहरिान फन गमा |

एक फाय रटटन शमाभनगय भरा दखन गमा जहाॉ ढोर की आिाज औय कशती क दाॉिऩच दखकय उसन जोश भ आकय नाभी ऩहरिान चाॉदससॊह को चनौती द दी | ढोर की आिाज स परयणा ऩाकय रटटन न दाॉि रगाकय चाॉद ससॊह को ऩटककय हया हदमा औय याज ऩहरिान फन गमा | उसकी खमानत दय-दय तक िर गमी| १५ िरो तक ऩहरिान अजम फना यहा| उसक दो ऩतर थ| रटटन न दोनो फटो को बी ऩहरिानी क गय ससखाए| याजा की भतम क फाद नए याजकभाय न गददी सॊबारी याजकभाय को घोड़ो की यस का शौक था भनजय न नम याजा को बड़कामा ऩहरिान औय उसक दोनो फटो क बोजनखचय को बमानक औय किजरखचय फतामा िरसिरऩ नए याजा न कशती को फॊद कयिा हदमा औय ऩहरिान रटटनससॊह को उसक दोनो फटो क साथ भहर स ननकार हदमा

याजदयफाय स ननकार हदए जान क फाद रटटन ससॊह अऩन दोनो फटो क साथ गाॉि भ झोऩड़ी फनाकय यहन रगा औय गाॉि क रड़को को कशती ससखान रगा| रटटन का सकर जमादा हदन नहीॊ चरा औय जीविकोऩाजयन क सरए उसक दोनो फटो को भजदयी कयनी ऩड़ी| इसी दौयान गाॉि भ अकार औय भहाभायी क कायण परनतहदन राश उठन रगी| ऩहरिान भहाभायी स डय हए रोगो को ढोरक फजाकय फीभायी स रड़न की सॊजीिनी ताकत दता था| एक हदन ऩहरिान क दोनो फट बी भहाभायी की चऩट भ आकय भय गए ऩय उस यात बी ऩहरिान ढोरक फजाकय रोगो को हहमभत फॊधा यहा था | इस घटना क चाय-ऩाॉच हदन फाद ऩहरिान की बी भौत हो जाती ह|

ऩहरिान की ढोरक वमिसथा क फदरन क साथ रोक कराकाय क अपरासॊधगक हो जान की कहानी ह इस कहानी भ रटटन नाभ क ऩहरिान की हहमभत औय नदजजीविरा का िणयन ककमा गमा ह बख औय भहाभायी अजम रटटन की ऩहरिानी को िट ढोर भ फदर दत ह इस करण तरासदी भ ऩहरिान रटटन कई सिार छोड़ जाता ह कक करा का कोई सितॊतर अनदसतति ह मा करा किर वमिसथा की भोहताज ह

परशन1- रटटन को ऩहरवान फनन की परयणा कस लभरी

उततय- रटटन जफ नौ सार का था तो उसक भाता-वऩता का दहाॊत हो गमा था | सौबागम स उसकी शादी हो चकी थी| अनाथ रटटन को उसकी विधिा सास न ऩार-ऩोसकय फड़ा ककमा | उसकी सास को गाॉि िार ऩयशान कयत थ| रोगो स फदरा रन क सरए उसन ऩहरिान फनन की ठानी| धायोरषण दध ऩीकय कसयत कय उसन अऩना फदन गठीरा औय ताकतिय फना सरमा | कशती क दाॉिऩच सीखकय रटटन ऩहरिान फन गमा |

परशन2- यात क बमानक सननाट भ रटटन की ढोरक कमा करयशभा कयती थी

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उततय- यात क बमानक सनदनाट भरटटन की ढोरक भहाभायी स जझत रोगो को हहमभत फॉधाती थी | ढोरक की आिाज स यात की विबीवरका औय सनदनाटा कभ होता था| भहाभायी स ऩीडड़त रोगो की नसो भ बफजरी सी दौड़ जाती थी उनकी आॉखो क साभन दॊगर का दशम साकाय हो जाता था औय ि अऩनी ऩीड़ा बर खशी-खशी भौत को गर रगा रत थ इस परकाय ढोर की आिाज फीभाय-भतपराम गाॉििारो की नसो भ सॊजीिनी शनदकत को बय फीभायी स रड़न की परयणा दती थी

परशन3- रटटन न सवाटधधक ठहमभत कफ ठदखाई

उततय- रटटन ससॊह न सिायधधक हहमभत तफ हदखाई जफ दोनो फटो की भतम ऩय िह योमा नहीॊ फनदलक हहमभत स काभ रकय अकर उनका अॊनतभ सॊसकाय ककमा| मही नहीॊ नदजस हदन ऩहरिान क दोनो फट भहाभायी की चऩट भ आकय भय गए ऩय उस यात को बी ऩहरिान ढोरक फजाकय रोगो को हहमभत फॉधा यहा था| शमाभनगय क दॊगर भ ऩया जनसभदाम चाॉद ससॊह क ऩ भ था चाॉद ससॊह को हयात सभम रटटन न हहमभत हदखाई औय बफना हताश हए दॊगर भ चाॉद ससॊह को धचत कय हदमा |

परशन4- रटटन लसॊह याज ऩहरवान कस फना

उततय- शमाभनगय क याजा कशती क शौकीन थ उनदहोन दॊगर का आमोजन ककमा ऩहरिान रटटन ससॊह बी दॊगर दखन ऩहॉचा चाॊदससॊह नाभक ऩहरिान जो शय क फचच क नाभ स परससदध था कोई बी ऩहरिान उसस सबड़न की हहमभत नहीॊ कयता था चाॉदससॊह अखाड़ भ अकरा गयज यहा था रटटन ससॊह न चाॉदससॊह को चनौती द दी औय चाॉदससॊह स सबड़ गमाढ़ोर की आिाज सनकय रटटन की नस-नस भ जोश बय गमाउसन चाॉदससॊह को चायो खान धचत कय हदमा याजासाहफ न रटटन की िीयता स परबावित होकय उस याजऩहरिान फना हदमा

परशन5- ऩहरवान की अॊनतभ इचछा कमा थी

उततय- ऩहरिान की अॊनतभ इचछा थी कक उस धचता ऩय ऩट क फर सरटामा जाए कमोकक िह नदजॊदगी भ कबी धचत नहीॊ हआ था| उसकी दसयी इचछा थी कक उसकी धचता को आग दत सभम ढोर अिशम फजामा जाए |

परशन6- ढोर की आवाज औय रटटन क भ दाॉिऩच सॊफॊध फताइए-

उततय- ढोर की आिाज औय रटटन क दाॉिऩच भ सॊफॊध -

चट धा धगड़ धाrarr आजा सबड़ जा | चटाक चट धाrarr उठाकय ऩटक द | चट धगड़ धाrarrभत डयना |

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धाक धधना नतयकट नतनाrarr दाॉि काटो फाहय हो जाओ | धधना धधना धधक धधनाrarr धचत कयो

गदमाॊश-आधारयत अथटगरहण-सॊफॊधधत परशनोततय

अॉधयी यात चऩचाऩ आॉस फहा यही थी | ननसतबधता करण सससककमो औय आहो को अऩन रदम भ ही फर ऩियक दफान की चरषटा कय यही थी | आकाश भ ताय चभक यह थ | ऩथिी ऩय कहीॊ परकाश का नाभ नहीॊ| आकाश स टट कय महद कोई बािक ताया ऩथिी ऩय आना बी चाहता तो उसकी जमोनत औय शनदकत यासत भ ही शर हो जाती थी | अनदम ताय उसकी बािकता अथिा असपरता ऩय णखरणखराकय हॉस ऩड़त थ | ससमायो का करॊ दन औय ऩचक की डयािनी आिाज यात की ननसतबधता को बॊग कयती थी | गाॉि की झोऩडडमो स कयाहन औय क कयन की आिाज हय याभ ह बगिान की टय सनाई ऩड़ती थी| फचच बी ननफयर कॊ ठो स भाॉ ndashभाॉ ऩकायकय यो ऩड़त थ |

(क) अॉधयी यात को आॉस फहात हए कमो ठदखामा गमा ह उततयndash गाॉि भ हजा औय भररयमा परा हआ था | भहाभायी की चऩट भ आकाय रोग भय यह थ |चायो ओय भौत का सनाटा छामा था इससरए अॉधयी यात बी चऩचाऩ आॉस फहाती सी परतीत हो यही थी|

(ख) ताय क भाधमभ स रखक कमा कहना चाहता ह उततयndash ताय क भाधमभ स रखक कहना चाहता ह कक अकार औय भहाभायी स तरसत गाॉि िारो की ऩीड़ा को दय कयन िारा कोई नहीॊ था | परकनत बी गाॉि िारो क द ख स दखी थी| आकाश स टट कय महद कोई बािक ताया ऩथिी ऩय आना बी चाहता तो उसकी जमोनत औय शनदकत यासत भ ही शर हो जाती थी |

(ग) यात की ननसतबधता को कौन बॊग कयता था उततयndash ससमायो की चीख-ऩकाय ऩचक की डयािनी आिाज औय कततो का साभहहक रदन सभरकय यात क सनदनाट को बॊग कयत थ |

(घ) झोऩड़ड़मो स कसी आवाज आ यही ह औय कमो उततयndash झोऩडड़मो स योधगमो क कयाहन क कयन औय योन की आिाज आ यही ह कमोकक गाॉि क रोग भररयमा औय हज स ऩीडड़त थ | अकार क कायण अनदन की कभी हो गमी थी| औरधध औय ऩथम न सभरन क कायण रोगो की हारत इतनी फयी थी कक कोई बगिान को ऩकाय रगाता था तो कोई दफयर कॊ ठ स भाॉndashभाॉ ऩकायता था |

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15 चारी चजतरन मानी हभ सफ

रखक-पवषण खय

ऩाि का सायाॊश ndashचारक चनदपरन न हासम कराकाय क रऩ भ ऩयी दननमा क फहत फड़ दशयक िगय को हॉसामा ह | उनकी कपलभो न कपलभ करा को रोकताॊबतरक फनान क साथ-साथ दशको की िगय औय िणय-वमिसथा को बी तोड़ा | चारक न करा भ फवदध की अऩा बािना को भहतति हदमा ह | फचऩन क सॊघरो न चारक क बािी कपलभो की बसभ तमाय कय दी थी| बायतीम करा औय सौदमयशासतर भ करणा का हासम भ ऩरयितयन बायतीम ऩयमऩया भ नहीॊ सभरता रककन चारक एक ऐसा जादई वमनदकतति ह जो हय दश सॊसकनत औय सभमता को अऩना सा रगता ह| बायतीम जनता न बी उनदह सहज बाि स सिीकाय ककमा ह| सिमॊ ऩय हॉसना चारक न ही ससखामा| बायतीम ससनभा जगत क सपरससदध कराकाय याजकऩय को चारक का बायतीमकयण कहा गमा ह | चारक की अधधकाॊश किलभ भक ह इससरए उनदह अधधक भानिीम होना ऩड़ा | ऩाठ भ हासम कपलभो क भहान असबनता lsquoचारक चनदपरनrsquo की जादई विशरताओॊ का उलरख ककमा गमा ह नदजसभ उसन करणा औय हासम भ साभॊजसम सथावऩत कय किलभो को साियबौसभक रऩ परदान ककमा

परशन१ -चारी क जीवन ऩय परबाव िारन वारी भखम घटनाएॉ कौन सी थी

उततय- चारक क जीिन भ दो ऐसी घटनाएॉ घटीॊ नदजनदहोन उनक बािी जीिन ऩय फहत परबाि डारा |

ऩहरी घटना - जफ चारक फीभाय थ उनकी भाॉ उनदह ईसा भसीह की जीिनी ऩढ़कय सना यही थी | ईसा क सरी ऩय चढ़न क परसॊग तक आत-आत भाॉ-फटा दोनो ही योन रग| इस घटना न चारक को सनह करणा औय भानिता जस उचच जीिन भलम हदए |

दसयी घटना हndash फारक चारक कसाईखान क ऩास यहता था| िहाॉ सकड़ो जानियो को योज भाया जाता था| एक हदन एक बड़ िहाॉ स बाग ननकरी| बड़ को ऩकड़न की कोसशश भ कसाई कई फाय कपसरा| नदजस दखकय रोग हॊसन रग ठहाक रगान रग| जफ बड़ को कसाई न ऩकड़ सरमा तो फारक चारक योन रगा| इस घटना न उसक बािी कपलभो भ तरासदी औय हासमोतऩादक ततिो की बसभका तम कय दी |

परशन२ ndash आशम सऩषट कीजजएndash

चजतरन न लसपट कपलभकरा को ही रोकताॊबतरक नही फनामा फजलक दशटको की वगट तथा वणट-वमवसथा को बी तोड़ा|

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उततय- रोकताॊबतरक फनान का अथय ह कक कपलभ करा को सबी क सरए रोकवपरम फनाना औय िगय औय िणय-वमिसथा को तोड़न का आशम ह- सभाज भ परचसरत अभीय-गयीफ िणय जानतधभय क बदबाि को सभापत कयना |चनदपरन का चभतकाय मह ह कक उनदहोन कपलभकरा को बफना ककसी बदबाि क सबी रोगो तक ऩहॉचामा| उनकी कपलभो न सभम बगोर औय सॊसकनतमो की सीभाओॊ को राॉघ कय साियबौसभक रोकवपरमता हाससर की | चारक न मह ससदध कय हदमा कक करा सितनदतर होती ह अऩन ससदधाॊत सिमॊ फनाती ह |

परशन३ndash चारी चजतरन की कपलभो भ ननठहत तरासदीकरणाहासम का साभॊजसम बायतीम करा औय सौदमटशासतर की ऩरयधध भ कमो नहीॊ आता

उततय- चारक चनदपरन की कपलभो भ ननहहत तरासदीकरणाहासम का साभॊजसम बायतीम करा औय सौदमयशासतर की ऩरयधध भ नहीॊ आताकमोकक बायतीम यस-ससदधाॊत भ करणा औय हासम का भर नहीॊ हदखामा जाता कमोकक बायतीम सौदमयशासतर भ करणयस औय हासम यस को ऩयसऩय वियोधी भाना गमा ह अथायत जहाॊ करणा ह िहाॉ हासम नहीॊ हो सकता बायत भ सिमॊ ऩय हॉसन की ऩयॊऩया नहीॊ ह ऩयॊत चारक क ऩातर अऩन ऩय हॉसतndashहॉसात ह चारक की किलभो क दशम हॉसात-हॉसात ररा दत ह तो कबी करण दशम क फाद अचानक ही हॉसन ऩय भजफय कय दत ह

परशन४ndash चारी क कपलभो की पवशषताएॉ फताइए |

उततय- चारक की किलभो भ हासम औय करणा का अदभत साभॊजसम ह उनकी किलभो भ बारा का परमोग फहत कभ ह चारक की किलभो भ फवदध की अऩा बािना का भहतति अधधक ह उनकी किलभो भ साियबौसभकता ह चारक ककसी बी सॊसकनत को विदशी नही रगत चारक सफको अऩन रगत ह चारक न किलभो को रोकताॊबतरक फनामा औय किलभो भ िगय तथािणय-वमिसथा को तोड़ा अऩनी कपलभो भ चारक सदि धचय मिा हदखता ह

गदमाॊश-आधारयत अथटगरहण-सॊफॊधी परशनोततय

गदमाॊश सॊकत ndashचारक चनदपरन मानी हभ सफ (ऩरषठ १२० )

महद मह िरय चनदपरन की कापी कछ कहा जाएगा |

परशन (क)-पवकासशीर दशो भ चजतरन कमो भशहय हो यह ह

उततय - विकासशीर दशो भ जस-जस टरीविजन औय िीडडमो का परसाय हो यहा ह रोगो को उनकी कपलभो को दखन का अिसय सभर यहा ह |एक फहत फड़ा िगय नए ससय स चारक को घड़ी सधायत औय जत खान की कोसशश कयत दख यहा ह इसीसरए चारक विकासशीर दशो भ रोकवपरम हो यह ह |

(ख)- ऩजशचभ भ चारी का ऩनजीवन कस होता यहता ह

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उततय - ऩनदशचभ भ चारक की कपलभो का परदशयन होता यहता ह| उनकी करा स परयणा ऩाकय हासम किलभ फनती यहती ह | उनक दिाया ननबाए ककयदायो की नकर अनदम कराकाय कयत ह | ऩनदशचभ भ चारक का ऩनजीिन होता यहता ह|

(ग)- चारी को रोग फिाऩ तक कमो माद यखग

उततय ndashहासम कराकाय क रऩ भ रोग चारक को फढ़ाऩ तक माद यखग कमोकक उनकी करा सभम बगोर औय सॊसकनतमो की सीभाओॊ को राॉघकय राखो रोगो को हॉसा यही ह|

(घ)- चारी की कपलभो क फाय भ कापी कछ कहा जाना कमो फाी ह

उततय ndashचनदपरन की ऐसी कछ किलभ मा इसतभार न की गमी यीर सभरी ह नदजनक फाय भ कोई नहीॊ जानता था | चारक की बािनापरधान हासम कपलभो न करा क नए परनतभान सथावऩत ककए ह अत चारक की कपलभो क फाय भ अबी कापी कछ कहा जाना फाी ह|

16 नभक

रखखका - यजजमा सजजाद जहीय

सायाॊश -lsquoनभकrsquoबायत-ऩाक विबाजन ऩय सरणखत भासभयक कहानी ह | विसथावऩत हए रोगो भ अऩनndashअऩन जनदभ सथानो क परनत आज बी रगाि ह| धासभयक आधाय ऩय फनी यारषर-याजमो की सीभा-यखाएॉ उनक अॊतभयन को अरग नहीॊ कय ऩाई ह | बायत भ यहन िारी ससख फीिी राहौय को अऩना ितन भानती ह औय बायतीम कसटभ अधधकायी ढाका क नारयमर ऩानी को मादकय उस सियशररषठ फताता ह दोनो दशो क नागरयको क फीच भहबफत का नभकीन सिाद आज बी कामभ ह इसीसरए सकिमा बायत भ यहन िारी अऩनी भॉहफोरी भाॉ ससख फीिी क सरए राहौयी नभक रान क सरए कसटभ औय कानन की ऩयिाह नहीॊ कयती

परशन1- lsquoनभकrsquo ऩाि क आधाय ऩय फताइए कक सकपमा औय उसक बाई क पवचायो भ कमा अॊतय था

उततय- १-सकपमा बािनाओॊ को फहतभहतति दती ह ऩय उसका बाई फौवदधक परिनदतत का ह उसकी दनदरषट भ कानन बािनाओॊ स ऊऩय ह|

२-सकपमा भानिीम सॊफॊधो को फहत भहतति दती ह जफकक उसका बाई अरगाििादी विचायधाया का ह हहसस-फखय की फात कयता ह |

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३-सकपमा का बाई कहता ह कक अदीफो(साहहतमकाय) का हदभाग घभा हआ होता ह जफकक सकपमा जो सिमॊ अदीफ ह उसका भानना ह कक अगय सबी रोगो का हदभाग अदीफो की तयह घभा हआ होता तो दननमा कछ फहतय हो जाती |

परशन२- नभक र जात सभम सकफ़मा क भन भ कमा दपवधा थी

उततय-सकपमा समद भसरभान थी जो हय हार भ अऩना िामदा ननबात ह| ऩाककसतान स राहौयी नभक र जाकय िह अऩना िामदा ऩया कयना चाहती थी ऩयनदत जफ उस ऩता चरा कक कसटभ क ननमभो क अनसाय सीभाऩाय नभक र जाना िनदजयत ह तो िह दविधा भ ऩड़ गई | सकिमा का दिॊदि मह था कक िह अऩनी ससख भाॉ क सरए नभक कसटभ अधधकारयमो को फताकयर जाए मा नछऩाकय|

परशन३- ऩाि क आधाय ऩय सकपमा की चारयबतरक पवशषताएॉ फताइए |

उततय सॊकत ndash

१- बािक २- ईभानदाय ३- दढ़ननशचमी ४- ननडय ५- िामद को ननबान िारी ६- भानिीम भलमो को सिोऩरय भानन िारी साहहतमकाय

परशन ४- lsquoनभकrsquo ऩाि भ आए ककयदायो क भाधमभ स सऩषट कीजजए कक आज बी बायत औय ऩाककसतान की जनता क फीच भहबफत का नभकीन सवाद घरा हआ ह |

उततय ndash बर ही याजनीनतक औय धासभयक आधाय ऩय बायत औय ऩाककसतान को बौगोसरक रऩ स विबानदजत कय हदमा गमा ह रककन दोनो दशो क रोगो क रदम भ आज बी ऩायसऩरयक बाईचाया सौहादरय सनह औय सहानबनत विदमभान ह | याजनीनतक तौय ऩय बर ही सॊफॊध तनािऩणय हो ऩय साभानदजक तौय ऩय आज बी जनता क फीच भहबफत का नभकीन सिाद घरा हआ ह | अभतसय भ यहन िारी ससख फीफी राहौय को अऩना ितन कहती ह औय राहौयी नभक का सिाद नहीॊ बरा ऩाती | ऩाककसतान का कसटभ अधधकायी नभक की ऩडड़मा सकपमा को िाऩस दत हए कहता ह rdquoजाभा भनदसजद की सीहढ़मो को भया सराभ कहना |rdquo बायतीम सीभा ऩय तनात कसटभ अधधकायी ढाका की जभीन को औय िहाॉ क ऩानी क सिाद को नहीॊ बर ऩाता |

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गदमाॊश-आधारयत अथटगरहण सॊफॊधधत परशनोततय

गदमाॊश सॊकत- ऩाठndash नभक (ऩरषठ १३४)

सकपमा कसटभ क जॊगर स दोनो क हाथो भ थी |

(क) सकपमा कसटभ क जॉगर स ननकरकय दसय तरटपाभट ऩय आ गमी व वहीॊ खड़ यहndash इस वाकम भ lsquoवrsquo शबद का परमोग ककसक लरए ककमा गमा ह

उततय- महाॉ lsquoिrsquo शबद का परमोग ऩाककसतानी कसटभ अधधकायी क सरए ककमा गमा ह जो विबाजन स ऩिय हदलरी भ यहत थ औय आज बी हदलरी को ही अऩना ितन भानत ह |

(ख) तरटपाभट ऩय सकपमा को पवदा कयन कौन-कौन आए थ उनहोन सकपमा को कस पवदाई दी

उततय- परटपाभय ऩय सकपमा को विदा कयन उसक फहत साय सभतर सग सॊफॊधी औय बाई आए थ| उनदहोन ठॊडी साॉस बयत हए सबॊच हए होठो क साथ आॉस फहात हए सकपमा को विदाई दी |

(ग) अटायी भ यरगाड़ी भ कमा ऩरयवतटन हए उततय- अटायी भ यरगाड़ी स ऩाककसतानी ऩसरस उतयी औय हहनददसतानी ऩसरस सिाय हो गई|

(घ) कौन सी फात सकपमा की सभझ भ नहीॊ आ यही थी उततय- दोनो ओय एक सी जभीन एक जसा आसभान एक सी बारा एक सा ऩहनािा औय एक सी सयत क रोग कपय बी दोनो क हाथो भ बयी हई फॊदक ह |

17 लशयीष क पर

आचामट हजायी परसाद दपववदी

सायाॊश ndashlsquoआचामय हजायी परसाद दवििदीrsquo सशयीर को अदभत अिधत भानत ह कमोकक सॊनदमासी की बाॉनत िह सख-दख की धचॊता नहीॊ कयता गभी र िराय औय आॉधी भ बी अविचर खड़ा यहता ह सशयीर क िर क भाधमभ स भनरषम की अजम नदजजीविरा धमयशीरता औय कतयवमननरषठ फन यहन क भानिीम भलमो को सथावऩत ककमा गमा हरखक न सशयीर क कोभर परो औय कठोय परो क दिाया सऩरषट ककमा ह कक रदम की कोभरता फचान क सरए कबी-कबी वमिहाय की कठोयता बी आिशमक हो जाती ह| भहान कवि कासरदास औय कफीय बी सशयीर की तयह फऩयिाह अनासकत औय सयस थ तबी उनदहोन इतनी सनददय यचनाएॉ सॊसाय को दीॊ| गाॉधीजी क वमनदकतति भ बी कोभरता औय कठोयता का अदभत सॊगभ था | रखक सोचता ह कक हभाय दश भ जो भाय-काट अनदगनदाह रट-ऩाट खन-खचचय का फिॊडय ह कमा िह दश को नदसथय नहीॊ यहन दगा गराभी अशाॊनत औय वियोधी िाताियण क फीच अऩन ससदधाॊतो की या कयत हए गाॉधीजी जी नदसथय यह सक थ तो दश बी यह सकता ह जीन की परफर असबरारा क कायण

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विरभ ऩरयनदसथतमो भ बी महद सशयीर णखर सकता ह तो हभाया दश बी विरभ ऩरयनदसथनतमो भ नदसथय यह कय विकास कय सकता ह

परशन1-लसदध कीजजए कक लशयीष कारजमी अवधत की बाॉनत जीवन की अजमता क भॊतर का परचाय कयता ह

उततय- सशयीर कारजमी अिधत की बाॉनत जीिन की अजमता क भॊतर का परचाय कयता ह| जफ ऩथिी अनदगन क सभान तऩ यही होती ह िह तफ बी कोभर परो स रदा रहरहाता यहता ह|फाहयी गयभी धऩ िराय आॉधी र उस परबावित नहीॊ कयती इतना ही नहीॊ िह रॊफ सभम तक णखरा यहता ह | सशयीर विऩयीत ऩरयनदसथनतमो भ बी धमयशीर यहन तथा अऩनी अजम नदजजीविरा क साथ ननसऩह बाि स परचॊड गयभी भ बी अविचर खड़ा यहता ह

परशन२-आयगवध (अभरतास) की तरना लशयीष स कमो नहीॊ की जा सकती

उततय- सशयीर क पर बमॊकय गयभी भ णखरत ह औय आराढ़ तक णखरत यहत ह जफकक अभरतास का पर किर ऩनददरह-फीस हदनो क सरए णखरता ह | उसक फाद अभरतास क पर झड़ जात ह औय ऩड़ कपय स ठॉठ का ठॉठ हो जाता ह | अभरतास अलऩजीिी ह | विऩयीत ऩरयनदसथनतमो को झरता हआ ऊरषण िाताियण को हॉसकय झरता हआ सशयीर दीघयजीिी यहता ह | मही कायण ह कक सशयीर की तरना अभरतास स नहीॊ की जा सकती |

परशन३-लशयीष क परो को याजनताओॊ का रऩक कमो ठदमा गमा ह

उततय- सशयीर क पर उन फढ़ ढीठ औय ऩयान याजनताओॊ क परतीक ह जो अऩनी कसी नहीॊ छोड़ना चाहत | अऩनी अधधकाय-सरपसा क सरए नए मिा नताओॊ को आग नहीॊ आन दत | सशयीर क नए परो को जफयदसती ऩयान परो को धककमाना ऩड़ता ह | याजनीनत भ बी नई मिा ऩीढ़ी ऩयानी ऩीढ़ी को हयाकय सिमॊ सतता सॉबार रती ह |

परशन४- कार दवता की भाय स फचन का कमा उऩाम फतामा गमा ह

उततय- कार दिता कक भाय स फचन का अथय हndash भतम स फचना | इसका एकभातर उऩाम मह ह कक भनरषम नदसथय न हो| गनतशीर ऩरयितयनशीर यह | रखक क अनसाय नदजनकी चतना सदा ऊधियभखी (आधमातभ की ओय) यहती ह ि हटक जात ह |

परशन५- गाॉधीजी औय लशयीष की सभानता परकट कीजजए |

उततय- नदजस परकाय सशयीर धचरधचराती धऩ र िराय औय आॉधी भ बी अविचर खड़ा यहता ह अनासकत यहकय अऩन िाताियण स यस खीॊचकय सयस कोभर फना यहता ह उसी परकाय गाॉधी जी न बी अऩनी आॉखो क साभन आजादी क सॊगराभ भ अनदमाम बदबाि औय हहॊसा को झरा |

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उनक कोभर भन भ एक ओय ननयीह जनता क परनत असीभ करणा जागी िहीॊ ि अनदमामी शासन क वियोध भ डटकय खड़ हो गए |

गदमाॊश-आधारयत अथटगरहण सॊफॊधधत परशनोततय

गदमाॊश सॊकत- ऩाठ ndash सशयीर क पर (ऩरषठ १४७)

कासरदास सौदमय क िह इशाया ह |

(क) कालरदास की सौदमटndashदजषट की कमा पवशषता थी उततय-कासरदास की सौदमयndashदनदरषट फहत सकषभ अॊतबदी औय सॊऩणय थी| ि किर फाहयी रऩ-यॊग औय आकाय को ही नहीॊ दखत थ फनदलक अॊतभयन की सॊदयता क बी ऩायखी थ| कासरदास की सौदमय शायीरयक औय भानससक दोनो विशरताओॊ स मकत था |

(ख) अनासजकत का कमा आशम ह उततय- अनासनदकत का आशम ह- वमनदकतगत सख-द ख औय याग-दिर स ऩय यहकय सौदमय क िासतविक भभय को जानना |

(ग) कालरदास ऩॊत औय यवीॊिनाथ टगोय भ कौन सा गण सभान था भहाकवि कासरदास ससभतरानॊदन ऩॊत औय गरदि यिीॊदरनाथ टगोय तीनो नदसथयपरऻ औय अनासकत कवि थ | ि सशयीर क सभान सयस औय भसत अिधत थ |

(घ) यवीॊिनाथ याजोदमान क लसॊहदवाय क फाय भ कमा सॊदश दत ह याजोदमान क फाय भ यिीॊदरनाथ कहत ह याजोदमान का ससॊहदिाय ककतना ही सॊदय औय गगनचमफी कमो ना हो िह अॊनतभ ऩड़ाि नहीॊ ह| उसका सौदमय ककसी औय उचचतभ सौदमय की ओय ककमा गमा सॊकत भातर ह कक असरी सौदमय इस ऩाय कयन क फाद ह अत याजोदमान का ससॊहदिाय हभ आग फढ़न की परयणा दता ह |

18शरभ-पवबाजन औय जानत-परथा

िॉ० बीभयाव अॊफिकय

सायाॊश ndash इस ऩाठ भ रखक न जानतिाद क आधाय ऩय ककए जान िार बदबाि को सभम सभाज क सरए हाननकायक फतामा ह | जानत आधारयत शरभ विबाजन को असिाबाविक औय भानिता वियोधी फतामा गमा ह मह साभानदजक बदबाि को फढ़ाता ह जानतपरथा आधारयत शरभ विबाजन भ वमनदकत की रधच को भहतति नहीॊ हदमा जाता परसिरऩ वििशता क साथ अऩनाए

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Page 26: ISSUED BY KENDRIYA VIDYALAYA - DOWNLOADED FROM … Class XII Hindi Part B.pdfप्रश्न४ :-फादर क / फयन का गयीफ एि धनी िगय क्मा

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परशन३-

ldquoकजयाय फादरो की छाई नब छामा

हौर ndashहौर जाती भझ फाॉध ननज भामा स |rdquo- आशम सऩरषट कीनदजए |

उततय- कार फादरो क फीच साॉझ का सयभई िाताियण फहत सॊदय हदखता ह | ऐसा अपरनतभ सौदमय अऩन आकरयण भ कवि को फाॉध रता ह |

परशन ४ ldquoउस कोई तननक योक यकखो |rsquo- स कवि का कमा असबपराम ह

उततय - फगरो की ऩॊनदकत आकाश भ दय तक उड़ती जा यही ह कवि की भॊतरभगध आॉख उनका ऩीछा कय यही ह | कवि उन फगरो को योक कय यखन की गहाय रगा यहा ह कक कहीॊ ि उसकी आॉख ही अऩन साथ न र जाएॉ |

सौदमट-फोध-सॊफॊधी परशन

परशन १ कविता की बारा सॊफॊधी दो विशरताएॉ सरणखए|

उततय -१ धचतरातभक बारा

२ फोरचार क शबदो का परमोग - हौर ndashहौर ऩाॉती कजयायसाॉझ

परशन २ कविता भ परमकत अरॊकाय चन कय सरणखए |

उततय - अनपरास अरॊकाय - फॉध फगरो क ऩॊख

भानिीकयण अरॊकाय - चयाए सरए जातीॊ ि भयी आॉख |

परशन ३ -lsquo ननज भामाrsquo क राणणक अथय को सऩरषट कीनदजए |

उततय - परकनत का अपरनतभ सौदमय िह भामा ह जो कवि को आतभविबोय कय दती हमह ऩॊनदकत बी परशॊसातभक उनदकत ह

पवषम-वसत ऩय आधारयत परशनोततय

परशन१- lsquoचयाए सरए जाती ि भयी ऑ ॊखrsquo स कवि का कमा तातऩमय ह

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उततय -धचतरातभक िणयन दिाया कवि न एक ओय कार फादरो ऩय उड़ती फगरो की शित ऩॊनदकत का धचतर अॊककत ककमा ह तथा इस अपरनतभ दशम क रदम ऩय ऩड़न िार परबाि को धचबतरत ककमा ह कवि क अनसाय मह दशम उनकी आॉख चयाए सरए जा यहा ह |भॊतर भगध कवि इस दशम क परबाि स आतभ विसभनत की नदसथनत तक ऩहॉच जाता ह

परशन२-कवि ककस भामा स फचन की फात कहता ह

उततय - भामा विशि को अऩन आकरयण भ फाॉध रन क सरए परससदध ह | कफीय न बी lsquoभामा भहा ठधगनी हभ जानीrsquo कहकय भामा की शनदकत को परनतऩाहदत ककमा ह | कार फादरो भ फगरो की सॊदयता अऩना भामा जार परा कय कवि को अऩन िश भ कय यही ह |

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आयोह बाग-२ गदम-बाग

परशन-सॊखमा १०- गदम खॊड भ हदए गए ऩहठत गदमाॊश स अथयगरहण सॊफॊधी चाय परशन ऩछ जाएॉग नदजनक सरए ननधायरयत अॊक (२४=८) ह |

परशन-सॊखमा ११- ऩाठो की विरमिसत स सॊफॊधधत ऩाॉच भ स चाय परशनो क उततय दन ह नदजनक सरए ननधायरयत अॊक (३४=१२) ह|

ऩयीा भ अचछ अॊक परातत कयन क लरए धमान दन मोगम फात ndash

1 रख एिॊ ितयनी की शदधता तथा िाकम-गठन ऩय धमान द | 2 हय ऩाठ का सायऩरषठबसभविरमिसत तथाकथानक को सभझना आिशमक ह |

अतविदमाथी हय ऩाठ का सायाॊश बरीबाॉनत माद कय र | 3 परशनो को धमान स ऩढ़ तदनसाय अऩकषत उततय सरख | 4 उततय सरखत सभम सॊफॊधधत भखम बफॊदओॊ का शीरयकफनात हए उततय सरख मथा-तीन

अॊक क परशनो क उततय सरखत सभम कभ स कभ तीन भखम उततय-बफ ॊदओॊ का उलरख कयत हए उततय सऩरषट कय |

5 अॊक-मोजना क अनसाय ननधायरयत शबद-सीभा क अॊतगयत उततय सरख | ऩयीाथी कई फाय एक अॊक क परशन का उततय फहत रॊफा कई फाय ऩया ऩरषठ सरख दत ह जो सभम औय ऊजाय की फफायदी ह |

6 धमान यह कक अधधक सरखन स अचछ अॊक नहीॊ आत फनदलक सयर-सफोध बारा भ सरख गए सटीक उततय सायगसबयत तथम तथा उदाहयण क दिाया सऩरषट ककए गए उततय परबािशारी होत ह |

ऩाि 11 - बजकतन

रखखका- भहादवी वभाट

ऩाि का सायाॊश- बनदकतन नदजसका िासतविक नाभ रकषभी थारणखका lsquoभहादिी िभायrsquo की सविका ह | फचऩन भ ही बनदकतन की भाॉ की भतम हो गमी| सौतरी भाॉ न ऩाॉच िरय की आम भ वििाह तथा नौ िरय की आम भ गौना कय बनदकतन को ससयार बज हदमा| ससयार भ बनदकतन न तीन फहटमो को जनदभ हदमा नदजस कायण उस सास औय नदजठाननमो की उऩा सहनी ऩड़ती थी| सास औय नदजठाननमाॉ आयाभ पयभाती थी औय बनदकतन तथा उसकी ननदहीॊ फहटमो को घय औय खतो का साया काभ कयना ऩडता था| बनदकतन का ऩनत उस फहत चाहता था| अऩन ऩनत क सनह क फर ऩय बनदकतन न ससयार िारो स अरगौझा कय अऩना अरग घय फसा सरमा औय सख स यहन रगी ऩय बनदकतन का दबायगम अलऩाम भ ही उसक ऩनत की भतम हो गई | ससयार िार

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बनदकतन की दसयी शादी कय उस घय स ननकारकय उसकी सॊऩनदतत हड़ऩन की सानदजश कयन रग| ऐसी ऩरयनदसथनत भ बनदकतन न अऩन कश भॊडा सरए औय सॊनदमाससन फन गई | बनदकतन सिासबभानी सॊघरयशीर कभयठ औय दढ सॊकलऩ िारी सतरी ह जो वऩतसततातभक भानदमताओॊ औय छर-कऩट स बय सभाज भ अऩन औय अऩनी फहटमो क हक की रड़ाई रड़ती हघय गहसथी सॉबारन क सरए अऩनी फड़ी फटी दाभाद को फरा सरमा ऩय दबायगम न महाॉ बी बनदकतन का ऩीछा नहीॊ छोड़ा अचानक उसक दाभाद की बी भतम हो गमी| बनदकतन क जठ-नदजठौत न सानदजश यचकय बनदकतन की विधिा फटी का वििाह जफयदसती अऩन तीतयफाज सार स कय हदमा| ऩॊचामत दिाया कयामा गमा मह सॊफॊध दखदामी यहा | दोनो भाॉ-फटी का भन घय-गहसथी स उचट गमा ननधयनता आ गमी रगान न चका ऩान क कायण जभीॊदाय न बनदकतन को हदन बय धऩ भ खड़ा यखा| अऩभाननत बनदकतन ऩसा कभान क सरए गाॉि छोड़कय शहय आ जाती ह औय भहादिी की सविका फन जाती ह| बनदकतन क भन भ भहादिी क परनत फहत आदय सभऩयण औय असबबािक क सभान अधधकाय बाि ह| िह छामा क सभान भहादिी क साथ यहती ह| िह यात-यात बय जागकय धचतरकायी मा रखन जस कामय भ वमसत अऩनी भारककन की सिा का अिसय ढॉढ रती ह| भहादिी बनदकतन को नहीॊ फदर ऩामी ऩय बनदकतन न भहादिी को फदर हदमा| बनदकतन क हाथ का भोटा-दहाती खाना खात-खात भहादिी का सिाद फदर गमा बनदकतन न भहादिी को दहात क ककसस-कहाननमाॉ ककॊ िदॊनतमाॉ कॊ ठसथ कया दी| सिबाि स भहाकॊ जस होन ऩय बी बनदकतन ऩाई-ऩाई कय जोडी हई १०५ रऩमो की यासश को सहरय भहादिी को सभवऩयत कय दती ह| जर क नाभ स थय-थय काॉऩन िारी बनदकतन अऩनी भारककन क साथ जर जान क सरए फड़ राट साहफ तक स रड़न को बी तमाय हो जाती ह| बनदकतन भहादिी क जीिन ऩय छा जान िारी एक ऐसी सविका ह नदजस रणखका नहीॊ खोना चाहती

ऩाि आधारयत परशनोततय

नोट- उततय भ ननहहत यखाॊककत िाकम भखम सॊकत बफॊद ह |

परशन 1-बजकतन का वासतपवक नाभ कमा था वह अऩन नाभ को कमो छऩाना चाहती थी

उततय-बनदकतन का िासतविक नाभ रकषभी था हहनददओॊ क अनसायरकषभी धन की दिीह चॉकक बनदकतन गयीफ थी| उसक िासतविक नाभ क अथय औय उसक जीिन क मथाथय भ वियोधाबास ह ननधयन बनदकतन सफको अऩना असरी नाभ रकषभी फताकय उऩहास का ऩातर नहीॊ फनना चाहती थी इससरए िह अऩना असरी नाभ छऩाती थी

परशन 2- रखखका न रकषभी का नाभ बजकतन कमो यखा

उततय-घटा हआ ससय गर भ कॊ ठी भारा औय बकतो की तयह सादगीऩणय िशबरा दखकय भहादिी िभाय न रकषभी का नाभ बनदकतन यख हदमा | मह नाभ उसक वमनदकतति स ऩणयत भर खाता था |

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परशन 3-बजकतन क जीवन को ककतन ऩरयचछदो भ पवबाजजत ककमा गमा ह

उततय- बनदकतन क जीिन को चाय बागो भ फाॉटा गमा ह-

ऩहरा ऩरयचछद-बनदकतन का फचऩन भाॉ की भतम विभाता क दिाया बनदकतन का फार-वििाह कया दना

दपवतीम ऩरयचछद-बनदकतन का ििाहहक जीिन सास तथा नदजठाननमो का अनदमामऩणय वमिहाय ऩरयिाय स अरगौझा कय रना

ततीम ऩरयचछद- ऩनत की भतम विधिा क रऩ भ सॊघरयशीर जीिन चतथट ऩरयचछद- भहादिी िभाय की सविका क रऩ भ

परशन 4- बजकतन ऩाि क आधाय ऩय बायतीम गराभीण सभाज भ रड़क-रड़ककमो भ ककम जान वार बदबाव का उलरख कीजजए |

बायतीम गराभीण सभाज भ रड़क-रड़ककमो भ बदबाि ककमा जाता ह| रड़ककमो को खोटा ससकका मा ऩयामा धन भाना जाता ह| बनदकतन न तीन फहटमो को जनदभ हदमा नदजस कायण उस सास औय नदजठाननमो की उऩा सहनी ऩड़ती थी| सास औय नदजठाननमाॉ आयाभ पयभाती थी कमोकक उनदहोन रड़क ऩदा ककए थ औय बनदकतन तथा उसकी ननदहीॊ फहटमो को घय औय खतो का साया काभ कयना ऩडता था| बनदकतन औय उसकी फहटमो को रखा-सखा भोटा अनाज खान को सभरता था जफकक उसकी नदजठाननमाॉ औय उनक कार-करट फट दध-भराई याफ-चािर की दाित उड़ात थ

परशन 5-बजकतन ऩाि क आधाय ऩय ऩॊचामत क नमाम ऩय ठटतऩणी कीजजए |

बनदकतन की फटी क सनददबय भ ऩॊचामत दिाया ककमा गमा नदमाम तकय हीन औय अॊध कानन ऩय आधारयतह | बनदकतन क नदजठौत न सॊऩनदतत क रारच भ रडमॊतर कय बोरी फचची को धोख स जार भ पॊ सामा| ऩॊचामत न ननदोर रड़की की कोई फात नहीॊ सनी औय एक तयिा पसरा दकय उसका वििाह जफयदसती नदजठौत क ननकमभ तीतयफाज सार स कय हदमा | ऩॊचामत क अॊध कानन स दरषटो को राब हआ औय ननदोर को दॊड सभरा |

परशन 6-बजकतन की ऩाक-करा क फाय भ ठटतऩणी कीजजए |

बनदकतन को ठठ दहाती सादा बोजन ऩसॊद था | यसोई भ िह ऩाक छत को फहत भहतति दती थी | सफह-सिय नहा-धोकय चौक की सपाई कयक िह दिाय ऩय कोमर की भोटी यखा खीॊच दती थी| ककसी को यसोईघय भ परिश कयन नहीॊ दती थी| उस अऩन फनाए बोजन ऩय फड़ा असबभान था| िह अऩन फनाए बोजन का नतयसकाय नहीॊ सह सकती थी |

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परशन 7- लसदध कीजजए कक बजकतन तकट -पवतकट कयन भ भाठहय थी |

बनदकतन तकय ऩट थी | कश भॉडान स भना ककए जान ऩय िह शासतरो का हिारा दत हए कहती ह lsquoतीयथ गए भॉडाए ससदधrsquo | घय भ इधय-उधय यख गए ऩसो को िह चऩचाऩ उठा कय छऩा रती ह टोक जानऩय िह िह इस चोयी नही भानती फनदलक िह इस अऩन घय भ ऩड़ ऩसो को सॉबारकय यखना कहती ह| ऩढाई-सरखाई स फचन क सरए बी िह अचक तकय दती ह कक अगय भ बी ऩढ़न रगॉ तो घय का काभ कौन दखगा

परशन 8-बजकतन का दबाटगम बी कभ हिी नही था रखखका न ऐसा कमो कहा ह

उततय- बजकतन का दबाटगम उसका ऩीछा नहीॊ छोड़ता था-

1- फचऩन भ ही भाॉ की भतम 2- विभाता की उऩा 3- बनदकतन(रकषभी) का फारवििाह 4- वऩता का ननधन 5- तीन-तीन फहटमो को जनदभ दन क कायण सास औय नदजठाननमो क दिाया बनदकतन की

उऩा 6- ऩनत की असभम भतम 7- दाभाद का ननधन औय ऩॊचामत क दिाया ननकमभ तीतयफाज मिक स बनदकतन की विधिा

फटी का जफयन वििाह 8- रगान न चका ऩान ऩय जभीॊदाय क दिाया बनदकतन का अऩभान

परशन 9-बजकतन न भहादवी वभाट क जीवन ऩय कस परबापवत ककमा

उततय- बनदकतन क साथ यहकय भहादिी की जीिन-शरी सयर हो गमी ि अऩनी सविधाओॊ की चाह को नछऩान रगीॊ औय असविधाओॊ को सहन रगीॊ बनदकतन न उनदह दहाती बोजन णखराकय उनका सिाद फदर हदमा बनदकतन भातर एक सविका न होकय भहादिी की असबबािक औय आतभीम फन गमीबनदकतन भहादिी क जीिन ऩय छा जान िारी एक ऐसी सविका ह नदजस रणखका नहीॊ खोना चाहती

परशन 10- बजकतन क चरयतर की पवशषताओॊ का उलरख कीजजए

उततय- भहादिी िभाय की सविका बनदकतन क वमनदकतति की विशरताएॊ ननमनाॊककत ह-

सभवऩयत सविका सिासबभानी

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तकय शीरा ऩरयशरभी सॊघरयशीर

परशन 11-बजकतन क दगटणो का उलरख कय

उततय- गणो क साथ-साथ बनदकतन क वमनदकतति भ अनक दगयण बी ननहहत ह-

1 िह घय भ इधय-उधय ऩड़ रऩम-ऩस को बॊडाय घय की भटकी भ छऩा दती ह औय अऩन इस कामय को चोयी नहीॊ भानती

2 भहादिी क करोध स फचन क सरए बनदकतन फात को इधय-उधय कयक फतान को झठ नही भानती अऩनी फात को सही ससदध कयन क सरए िह तकय -वितकय बी कयती ह

3 िह दसयो को अऩनी इचछानसाय फदर दना चाहती ह ऩय सिमॊ बफरकर नही फदरती परशन 12 ननमनाॊककत बाषा-परमोगो का अथट सऩषट कीजजए-

ऩहरी कनमा क दो औय सॊसकयण कय िार- बनदकतन न अऩनी ऩहरी कनदमा क फाद उसक जसी दो औय कनदमाएॉ ऩदा कय दी अथायत बनदकतन क एक क फाद एक तीन फहटमाॉ ऩदा हो गमीॊ |

खोट लसकको की टकसार जसी ऩतनी- आज बी असशकषत गराभीण सभाज भ फहटमो को

खोटा ससकका कहा जाता ह बनदकतन न एक क फाद एक तीन फहटमाॉ ऩदा कय दी इससरए उस खोट ससकक को ढारन िारी भशीन कहा गमा

परशन 13-बजकतन ऩाि भ रखखका न सभाज की ककन सभसमाओॊ का उलरख ककमा ह

उततय- बनदकतन ऩाठ क भाधमभ स रणखका न बायतीम गराभीण सभाज की अनक सभसमाओॊ का उलरख ककमा ह-

1 रड़क-रड़ककमो भ ककमा जान िारा बदबाि 2 विधिाओॊ की सभसमा 3 नदमाम क नाभ ऩय ऩॊचामतो क दिाया नदसतरमो क भानिाधधकाय को कचरना 4 असशा औय अॊधविशिास

गदमाॊश-आधारयत अथटगरहण सॊफॊधधत परशनोततय

ऩरयिाय औय ऩरयनदसथनतमो क कायण सिबाि भ जो विरभताएॉ उतऩनदन हो गई ह उनक बीतय स एक सनह औय सहानबनत की आबा पटती यहती ह इसी स उसक सॊऩकय भ आनिार वमनदकत उसभ जीिन की सहज भासभयकता ही ऩात ह छातरािास की फासरकाओॊ भ स कोई अऩनी चाम

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फनिान क सरए दहरी ऩय फठी यहती ह कोई फाहय खडी भय सरए नाशत को चखकय उसक सिाद की वििचना कयती यहती ह भय फाहय ननकरत ही सफ धचडड़मो क सभान उड़ जाती ह औय बीतय आत ही मथासथान वियाजभान हो जाती ह इनदह आन भ रकािट न हो सॊबित इसी स बनदकतन अऩना दोनो जन का बोजन सिय ही फनाकय ऊऩय क आर भ यख दती ह औय खात सभम चौक का एक कोना धोकय ऩाकndashछत क सनातन ननमभ स सभझौता कय रती ह

भय ऩरयधचतो औय साहहनदतमक फॊधओॊ स बी बनदकतन विशर ऩरयधचत ह ऩय उनक परनत बनदकतन क समभान की भातरा भय परनत उनक समभान की भातरा ऩय ननबयय ह औय सदभाि उनक परनत भय सदभाि स नननदशचत होता ह इस सॊफॊध भ बनदकतन की सहज फवदध विनदसभत कय दन िारी ह

(क) बजकतन का सवबाव ऩरयवाय भ यहकय कसा हो गमा ह

उततय-विरभ ऩरयनदसथनतजनदम उसक उगर हठी औय दयागरही सिबाि क फािजद बनदकतन क बीतय सनह औय सहानबनत की आबा पटती यहती ह उसक सॊऩकय भ आन िार वमनदकत उसभ जीिन की सहज भासभयकता ही ऩात ह

(ख) बजकतन क ऩास छातरावास की छातराएॉ कमो आती ह

उततय- बनदकतन क ऩास कोई छातरा अऩनी चाम फनिान आती ह औय दहरी ऩय फठी यहती ह कोई भहादिी जी क सरए फन नाशत को चखकय उसक सिाद की वििचना कयती यहती ह भहादिी को दखत ही सफ छातराएॉ बाग जाती ह उनक जात ही कपय िाऩस आ जातीॊ ह बनदकतन का सहज-सनह ऩाकय धचडड़मो की तयह चहचहान रगती ह |

(ग) छातराओॊ क आन भ रकावट न िारन क लरए बजकतन न कमा उऩाम ककमा

उततय- छातराओॊ क आन भ रकािट न डारन क सरए बनदकतन न अऩन ऩाक-छत क ननमभ स सभझौता कय सरमा | बनदकतन अऩना दोनो िकत का खाना फनाकय सफह ही आर भ यख दती औय खात सभम चौक का एक कोना धोकय िहाॉ फठकय खा सरमा कयती थी ताकक छातराएॉ बफना योक-टोक क उसक ऩास आ सक

(घ) साठहतमकायो क परनत बजकतन क समभान का कमा भाऩदॊि ह

उततय-बनदकतन भहादिी क साहहनदतमक सभतर क परनत सदभाि यखती थी नदजसक परनत भहादिी सिमॊ सदभाि यखती थी | िह सबी स ऩरयधचत हऩय उनक परनत समभान की भातरा भहादिी जी क समभान की भातरा ऩय ननबयय कयती ह िह एक अदभत ढॊग स जान रती थी कक कौन ककतना समभान कयता ह उसी अनऩात भ उसका परापम उस दती थी

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12 फाजाय-दशटन

रखक- जनि कभाय

ऩाि का सायाॊश फाजाय-दशयन ऩाठ भ फाजायिाद औय उऩबोकतािाद क साथ-साथ अथयनीनत एिॊ दशयन स सॊफॊधधत परशनो को सरझान का परमास ककमा गमा ह फाजाय का जाद तबी असय कयता ह जफ भन खारी हो| फाजाय क जाद को योकन का उऩाम मह ह कक फाजाय जात सभम भन खारी ना हो भन भ रकषम बया हो| फाजाय की असरी कताथयता ह जरयत क िकत काभ आना| फाजाय को िही भनरषम राब द सकता ह जो िासति भ अऩनी आिशमकता क अनसाय खयीदना चाहता ह| जो रोग अऩन ऩसो क घभॊड भ अऩनी ऩचनदजॊग ऩािय को हदखान क सरए चीज खयीदत ह ि फाजाय को शतानी वमॊगम शनदकत दत ह| ऐस रोग फाजारऩन औय कऩट फढात ह | ऩस की मह वमॊगम शनदकत वमनदकत को अऩन सग रोगो क परनत बी कतघन फना सकती ह | साधायण जन का रदम रारसा ईरषमाय औय तरषणा स जरन रगता ह | दसयी ओय ऐसा वमनदकत नदजसक भन भ रश भातर बी रोब औय तरषणा नहीॊ ह सॊचम की इचछा नहीॊ ह िह इस वमॊगम-शनदकत स फचा यहता ह | बगतजी ऐस ही आतभफर क धनी आदशय गराहक औय फचक ह नदजन ऩय ऩस की वमॊगम-शनदकत का कोई असय नहीॊ होता | अनक उदाहयणो क दिाया रखक न मह सऩरषट ककमा ह कक एक ओय फाजाय रारची असॊतोरी औय खोखर भन िार वमनदकतमो को रटन क सरए ह िहीॊ दसयी ओय सॊतोरी भन िारो क सरए फाजाय की चभक-दभक उसका आकरयण कोई भहतति नहीॊ यखता

परशन१ - ऩचजजॊग ऩावय ककस कहा गमा ह फाजाय ऩय इसका कमा परबाव ऩड़ता ह

उततय- ऩचनदजॊग ऩािय का अथय ह खयीदन की शनदकत ऩचनदजॊग ऩािय क घभॊड भ वमनदकत हदखाि क सरए आिशमकता स अधधक खयीदायीकयता ह औय फाजाय को शतानी वमॊगम-शनदकत दता ह ऐस रोग फाजाय का फाजारऩन फढ़ात ह

परशन२ -रखक न फाजाय का जाद ककस कहा ह इसका कमा परबाव ऩड़ता ह

उततय- फाजाय की चभक-दभक क चॊफकीम आकरयण को फाजाय का जाद कहा गमा ह मह जाद आॊखो की याह कामय कयता ह फाजाय क इसी आकरयण क कायण गराहक सजी-धजी चीजो को आिशमकता न होन ऩय बी खयीदन को वििश हो जात ह

परशन३ -आशम सऩषट कय

भन खारी होना भन बया होना भन फॊद होना

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उततय-भन खारी होना- भन भ कोई नननदशचत िसत खयीदन का रकषम न होना ननरददशम फाजाय जाना औय वमथय की चीजो को खयीदकय राना

भन बया होना- भन रकषम स बया होना नदजसका भन बया हो िह बरीबाॉनत जानता ह कक उस फाजाय स कौन सी िसत खयीदनी ह अऩनी आिशमकता की चीज खयीदकय िह फाजाय को साथयकता परदान कयता ह

भन फॊद होना-भन भ ककसी बी परकाय की इचछा न होना अथायत अऩन भन को शनदम कय दना

परशन४ - lsquoजहाॉ तषणा ह फटोय यखन की सऩहा ह वहाॉ उस फर का फीज नहीॊ हrsquo महाॊ ककस फर की चचाट की गमी ह

उततय- रखक न सॊतोरी सिबाि क वमनदकत क आतभफरकी चचाय की ह दसय शबदो भ महद भन भ सॊतोर हो तो वमनदकत हदखाि औय ईरषमाय की बािना स दय यहता ह उसभ सॊचम कयन की परिनदतत नहीॊ होती

परशन५ - अथटशासतर अनीनतशासतर कफ फन जाता ह

उततय- जफ फाजाय भ कऩट औय शोरण फढ़न रग खयीददाय अऩनी ऩचधचॊग ऩािय क घभॊड भ हदखाि क सरए खयीददायी कय | भनरषमो भ ऩयसऩय बाईचाया सभापत हो जाए| खयीददाय औय दकानदाय एक दसय को ठगन की घात भ रग यह एक की हानन भ दसय को अऩना राब हदखाई द तो फाजाय का अथयशासतर अनीनतशासतर फन जाता ह ऐस फाजाय भानिता क सरए विडॊफना ह

परशन६-बगतजी फाजाय औय सभाज को ककस परकाय साथटकता परदान कय यह ह

उततय- बगतजी क भन भ साॊसारयक आकरयणो क सरए कोई तरषणा नहीॊ ह ि सॊचम रारच औय हदखाि स दय यहत ह फाजाय औय वमाऩाय उनक सरए आिशमकताओॊ की ऩनत य का साधन भातर ह बगतजी क भन का सॊतोर औय ननसऩह बाि उनको शररषठ उऩबोकता औय विकरता फनात ह

परशन ७ _ बगत जी क वमजकततव क सशकत ऩहरओॊ का उलरख कीजजए |

उततय-ननमनाॊककत बफॊद उनक वमनदकतति क सशकत ऩहर को उजागय कयत ह

ऩॊसायी की दकान स किर अऩनी जरयत का साभान (जीया औय नभक) खयीदना नननदशचत सभम ऩय चयन फचन क सरए ननकरना छह आन की कभाई होत ही चयन फचना फॊद कय दना फच हए चयन को फचचो को भफ़त फाॉट दना

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सबी काजम-जम याभ कहकय सिागत कयना फाजाय की चभक-दभक स आकवरयत न होना सभाज को सॊतोरी जीिन की सशा दना

परशन7-फाजाय की साथटकता ककसभ ह

उततय- भनरषम की आिशमकताओॊ की ऩनतय कयन भ ही फाजाय की साथयकता ह जो गराहक अऩनी आिशमकताओॊ की चीज खयीदत ह ि फाजाय को साथयकता परदान कयत ह जो विकरता गराहको का शोरण नहीॊ कयत औय छर-कऩट स गराहको को रबान का परमास नही कयत ि बी फाजाय को साथयक फनात ह

गदमाॊश-आधारयत अथटगरहण-सॊफॊधधत परशनोततय

फाजाय भ एक जाद ह िह जाद आॉख की तयह काभ कयता ह िह रऩ का जाद ह ऩय जस चॊफक का जाद रोह ऩय ही चरता ह िस ही इस जाद की बी भमायदा ह जफ बयी हो औय भन खारी हो ऐसी हारत भ जाद का असय खफ होता ह जफ खारी ऩय भन बया न हो तो बी जाद चर जाएगा भन खारी ह तो फाजाय की अनकानक चीजो का ननभॊतरण उस तक ऩहॉच जाएगा कहीॊ हई उस िकत जफ बयी तफ तो कपय िह भन ककसकी भानन िारा ह भारभ होता ह मह बी रॉ िह बी रॉ सबी साभान जरयी औय आयाभ को फढ़ान िारा भारभ होता ह ऩय मह सफ जाद का असय ह जाद की सिायी उतयी कक ऩता चरता ह कक प सी-चीजो की फहतामत आयाभ भ भदद नहीॊ दती फनदलक खरर ही डारती ह थोड़ी दय को सिासबभान को जरय सक सभर जाता ह ऩय इसस असबभान को धगलटी की खयाक ही सभरती ह जकड़ यशभी डोयी की हो तो यशभ क सऩशय क भरामभ क कायण कमा िह कभ जकड़ दगी

ऩय उस जाद की जकड़ स फचन का एक सीधा उऩाम ह िह मह कक फाजाय जाओ तो खारी भन न हो भन खारी हो तफ फाजाय न जाओ कहत ह र भ जाना हो तो ऩानी ऩीकय जाना चाहहए ऩानी बीतय हो र का रऩन वमथय हो जाता ह भन रकषम स बया हो तो फाजाय परा का परा ही यह जाएगा तफ िह घाि बफरकर नहीॊ द सकगा फनदलक कछ आनॊद ही दगा तफ फाजाय तभस कताथय होगा कमोकक तभ कछ न कछ सचचा राब उस दोग फाजाय की असरी कताथयता ह आिशमकता क सभम काभ आना

परशन-1 फाजाय क जाद को रखक न कस सऩषट ककमा ह

उततय- फाजाय क रऩ का जाद आॉखो की याह स काभ कयता हआ हभ आकवरयत कयता ह फाजाय का जाद ऐस चरता ह जस रोह क ऊऩय चॊफक का जाद चरता ह चभचभाती योशनी भ सजी

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प सी चीॊज गराहक को अऩनी ओय आकवरयत कयती ह| इसी चमफकीम शनदकत क कायण वमनदकत कपजर साभान को बी खयीद रता ह |

परशन-2 जफ बयी हो औय भन खारी तो हभायी कमा दशा होती ह

उततय- जफ बयी हो औय भन खारी हो तो हभाय ऊऩय फाजाय का जाद खफ असय कयता ह भन खारी ह तो फाजाय की अनकानक चीजो का ननभॊतरण भन तक ऩहॉच जाता ह औय उस सभम महद जफ बयी हो तो भन हभाय ननमॊतरण भ नहीॊ यहता

परशन-3 प सी चीजो की फहतामत का कमा ऩरयणाभ होता ह

उततय- प सी चीज आयाभ की जगह आयाभ भ वमिधान ही डारती ह थोड़ी दय को असबभान को जरय सक सभर जाती ह ऩय हदखाि की परिनदतत भ िवदध होती ह

परशन-4 जाद की जकड़ स फचन का कमा उऩाम ह

उततय- जाद की जकड़ स फचन क सरए एक ही उऩाम ह िह मह ह कक फाजाय जाओ तो भन खारी न हो भन खारी हो तो फाजाय भत जाओ

13 कार भघा ऩानी द

रखक-धभटवीय बायती

ऩाि का सायाॊश -lsquoकार भघा ऩानी दrsquo ननफॊध रोकजीिन क विशिास औय विऻान क तकय ऩय आधारयत ह जफ बीरण गभी क कायण वमाकर रोग िराय कयान क सरए ऩजा-ऩाठ औय कथा-विधान कय थकndashहाय जात ह तफ िराय कयान क सरए अॊनतभ उऩाम क रऩ भ इनददय सना ननकरती ह| इनददय सना नॊग-धड़ॊग फचचो की टोरी ह जो कीचड़ भ रथऩथ होकय गरी-भोहलर भ ऩानी भाॉगन ननकरती ह| रोग अऩन घय की छतो-णखड़ककमो स इनददय सना ऩय ऩानी डारत ह | रोगो की भानदमता ह कक इनददर फादरो क सिाभी औय िराय क दिता ह| इनददर की सना ऩय ऩानी डारन स इनददर बगिान परसनदन होकय ऩानी फयसाएॊग | रखक का तकय ह कक जफ ऩानी की इतनी कभी ह तो रोग भनदशकर स जभा ककए ऩानी को फालटी बय-बयकय इनददय सना ऩय डारकय ऩानी को कमो फफायद कयत ह आमयसभाजी विचायधाया िारा रखक इस अॊधविशिास भानता ह | इसक विऩयीत रखक की जीजी उस सभझाती ह कक मह ऩानी की फफायदी नहीॊ फनदलक ऩानी की फिाई ह | कछ ऩान क सरए कछ दना ऩड़ता ह | तमाग क बफना दान नहीॊ होता| परसतत ननफॊध भ रखक न भरषटाचाय की सभसमा को उठात हए कहा ह कक जीिन भ कछ ऩान क सरए तमाग आिशमक ह जो रोग तमाग औय दान की भहतता को नहीॊ भानत ि ही भरषटाचाय भ सरपत यहकय दश औय सभाज को रटत ह| जीजी की आसथा बािनातभक सचचाई को ऩरषट कयती ह औय तकय किर िऻाननक तथम को सतम भानता ह जहाॉ तकय मथाथय क

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कठोय धयातर ऩय सचचाई को ऩयखता ह तो िहीॊ आसथा अनहोनी फात को बी सिीकाय कय भन को सॊसकारयत कयती ह बायत की सितॊतरता क ५० सार फाद बी दश भ वमापत बरषटाचाय औय सिाथय की बािना को दखकय रखक दखी ह | सयकाय दिाया चराई जा यही मोजनाएॉ गयीफो तक कमो नहीॊ ऩहॉच ऩा यहीॊ ह कार भघा क दर उभड़ यह ह ऩय आज बी गयीफ की गगयी पटी हई कमो ह रखक न मह परशन ऩाठको क सरए छोड़ हदमा ह |

परशन1-इनदय सना घय-घय जाकय ऩानी कमो भाॉगती थी

उततय- गाॉि क रोग फारयश क सरए बगिान इॊदर स पराथयना ककमा कयत थ जफ ऩजा-ऩाठवरत आहद उऩाम असिर हो जात थ तो बगिान इॊदर को परसनदन कयन क सरए गाॉि क ककशोय फचच कीचड़ भ रथऩथ होकय गरी-गरी घभकय रोगो स ऩानी भाॉगत थ

परशन2-इनदयसना को रखक भढक-भॊिरी कमो कहता ह जीजी क फायndashफाय कहन ऩय बी वह इनदयसना ऩय ऩानी प कन को याजी कमो नहीॊ होता

उततय- इनददयसना का कामय आमयसभाजी विचायधाया िार रखक को अॊधविशिास रगता ह उसका भानना ह कक महद इॊदयसना दिता स ऩानी हदरिा सकती ह तो सिमॊ अऩन सरए ऩानी कमो नहीॊ भाॉग रती ऩानी की कभी होन ऩय बी रोग घय भ एकतर ककम हए ऩानी को इॊदयसना ऩय ि कत ह रखक इस ऩानी की ननभयभ फयफादी भानता ह

परशन3- रि हए रखक को जीजी न ककस परकाय सभझामा

उततय- जीजी न रखक को पमाय स रडड-भठयी णखरात हए ननमन तकय हदए-

1- तमाग का भहततव- कछ ऩान क सरए कछ दना ऩड़ता ह 2- दान की भहतता- कवर-भननमो न दान को सफस ऊॉ चा सथान हदमा ह जो चीज अऩन

ऩास बी कभ हो औय अऩनी आिशमकता को बरकय िह चीज दसयो को दान कय दना ही तमाग ह |

3- इॊिदव को जर का अधमट चिाना- इॊदयसना ऩय ऩानी ि कना ऩानी की फयफादी नहीॊ फनदलक इॊदरदि को जर का अधमय चढ़ाना ह

4- ऩानी की फवाई कयना- नदजस परकाय ककसान िसर उगान क सरए जभीन ऩय फीज डारकय फिाई कयता ह िस ही ऩानी िार फादरो की िसर ऩान क सरए इनददय सना ऩय ऩानी डार कय ऩानी की फिाई की जाती ह

परशन4-नठदमो का बायतीम साभाजजक औय साॊसकनतक ऩरयवश भ कमा भहतव ह

उततय- गॊगा बायतीम सभाज भ सफस ऩजम सदानीया नदी ह नदजसका बायतीम इनतहास भ धासभयक ऩौयाणणक औय साॊसकनतक भहति ह | िह बायतीमो क सरए किर एक नदी नहीॊ अवऩत

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भाॉ ह सिगय की सीढ़ी ह भोदानमनी ह उसभ ऩानी नहीॊ अवऩत अभत तलम जर फहता ह बायतीम सॊसकनत भ नहदमो क ककनाय भानि सभमताएॉ परी-परी ह| फड़-फड़ नगय तीथयसथान नहदमो क ककनाय ही नदसथत ह ऐस ऩरयिश भबायतिासी सफस ऩहर गॊगा भमा की जम ही फोरग नहदमाॉ हभाय जीिन का आधाय ह हभाया दश कवर परधान ह नहदमो क जर स ही बायत बसभ हयी-बयी ह नहदमो क बफना जीिन की कलऩना नहीॊ कय सकत मही कायण ह कक हभ बायतीम नहदमो की ऩजा कयत ह |

परशन4-आजादी क ऩचास वषो क फाद बी रखक कमो दखी ह उसक भन भ कौन स परशन उि यह ह

उततय- आजादी क ऩचास िरो फाद बी बायतीमो की सोच भ सकायातभक फदराि न दखकय रखक दखी ह उसक भन भ कई परशन उठ यह ह-

1 कमा हभ सचच अथो भ सितनदतर ह 2 कमा हभ अऩन दश की सॊसकनत औय सभमता को सभझ ऩाए ह 3 यारषर ननभायण भ हभ ऩीछ कमो ह हभ दश क सरए कमा कय यह ह

4 हभ सिाथय औय भरषटाचाय भ सरपत यहत ह तमाग भ विशिास कमो नहीॊ कयत

5 सयकाय दिाया चराई जा यही सधायिादी मोजनाएॉ गयीफो तक कमो नहीॊ ऩहॉचती ह

गदमाॊश ऩय आधारयत अथटगरहण-सॊफॊधधत परशनोततय

सचभच ऐस हदन होत जफ गरी-भहलरा गाॉि-शहय हय जगह रोग गयभी भ बन-बन कय तराहहभाभ कय यह होत जठ क दसतऩा फीतकय आराढ का ऩहरा ऩखिाड़ा फीत चका होता ऩय कषनतज ऩय कहीॊ फादरो की यख बी नहीॊ दीखती होती कएॉ सखन रगत नरो भ एक तो फहत कभ ऩानी आता औय आता बी तो आधी यात को िो बी खौरता हआ ऩानी हो | शहयो की तरना भ गाॉि भ औय बी हारत खयाफ थी| जहाॉ जताई होनी चाहहए थी िहाॉ खतो की सभटटी सखकय ऩतथय हो जाती कपय उसभ ऩऩड़ी ऩड़कय जभीन पटन रगती र ऐसी कक चरत-चरत आदभी धगय ऩड़ | ढोय-डॊगय पमास क भाय भयन रगत रककन फारयश का कहीॊ नाभ ननशान नहीॊ ऐस भ ऩजा-ऩाठ कथा-विधान सफ कयक रोग जफ हाय जात तफ अॊनतभ उऩाम क रऩ भ ननकरती मह इनददय सना |

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परशन१- वषाट न होन ऩय रोगो की कमा जसथनत हो गमी थी उततय - िराय न होन ऩय गयभी क कायण रोग र रगन स फहोश होन रग | गाॉि-शहय सबी जगह ऩानी का अबाि हो गमा| कएॉ सख गए खतो की सभटटी सखकय ऩतथय क सभान कठोय होकय पट गमी| घयो भ नरो भ ऩानी फहत कभ आता था | ऩश पमास क भाय भयन रग थ | परशन२- वषाट क दवता कौन ह उनको परसनन कयन क लरए कमा उऩाम ककए जात थ उततय -िराय क दिता बगिान इनददर ह| उनको परसनदन कयन क सरए ऩजाndashऩाठ कथा-विधान कयाए जात थ | ताकक इनददर दि परसनदन होकय फादरो की सना बजकय झभाझभ फारयश कयाएॉ औय रोगो क करषट दय हो | परशन३- वषाट कयान क अॊनतभ उऩाम क रऩ भ कमा ककमा जाता था उततय ndashजफ ऩजा-ऩाठ कथा-विधान सफ कयक रोग हाय जात थ तफ अॊनतभ उऩाम क रऩ भ इनददय सना आती थी | नॊग-धडॊग कीचड़ भ रथऩथ lsquoकार भघा ऩानी द ऩानी द गड़धानी दrsquo की टय रगाकय पमास स सखत गरो औय सखत खतो क सरए भघो को ऩकायती हई टोरी फनाकय ननकर ऩड़ती थी| परशन४-आशम सऩषट कय ndash जठ क दसतऩा फीतकय आराढ़ का ऩहरा ऩखिाड़ा फीत चका होता ऩय कषनतज भ कहीॊ फादरो की यख बी नजय नहीॊ आती | आशम- जठ का भहीना ह बीरण गयभी ह| तऩत हए दस हदन फीत कय आराढ का भहीना बी आधा फीत गमा ऩय ऩानी क सरए तड़ऩत िराय की आशा भ आसभान की ओय ताकत रोगो को कहीॊ फादर नजय नहीॊ आ यह |

14 ऩहरवान की ढोरक

फ़णीशवयनाथ यण

ऩाि का सायाॊश ndashआॊचसरक कथाकाय िणीशियनाथ यण की कहानी ऩहरिान की ढोरक भ कहानी क भखम ऩातर रटटन क भाता-वऩता का दहाॊत उसक फचऩन भ ही हो गमा था | अनाथ रटटन को उसकी विधिा सास न ऩार-ऩोसकय फड़ा ककमा | उसकी सास को गाॉि िार सतात थ |

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रोगो स फदरा रन क सरए कशती क दाॉिऩच सीखकय कसयत कयक रटटन ऩहरिान फन गमा |

एक फाय रटटन शमाभनगय भरा दखन गमा जहाॉ ढोर की आिाज औय कशती क दाॉिऩच दखकय उसन जोश भ आकय नाभी ऩहरिान चाॉदससॊह को चनौती द दी | ढोर की आिाज स परयणा ऩाकय रटटन न दाॉि रगाकय चाॉद ससॊह को ऩटककय हया हदमा औय याज ऩहरिान फन गमा | उसकी खमानत दय-दय तक िर गमी| १५ िरो तक ऩहरिान अजम फना यहा| उसक दो ऩतर थ| रटटन न दोनो फटो को बी ऩहरिानी क गय ससखाए| याजा की भतम क फाद नए याजकभाय न गददी सॊबारी याजकभाय को घोड़ो की यस का शौक था भनजय न नम याजा को बड़कामा ऩहरिान औय उसक दोनो फटो क बोजनखचय को बमानक औय किजरखचय फतामा िरसिरऩ नए याजा न कशती को फॊद कयिा हदमा औय ऩहरिान रटटनससॊह को उसक दोनो फटो क साथ भहर स ननकार हदमा

याजदयफाय स ननकार हदए जान क फाद रटटन ससॊह अऩन दोनो फटो क साथ गाॉि भ झोऩड़ी फनाकय यहन रगा औय गाॉि क रड़को को कशती ससखान रगा| रटटन का सकर जमादा हदन नहीॊ चरा औय जीविकोऩाजयन क सरए उसक दोनो फटो को भजदयी कयनी ऩड़ी| इसी दौयान गाॉि भ अकार औय भहाभायी क कायण परनतहदन राश उठन रगी| ऩहरिान भहाभायी स डय हए रोगो को ढोरक फजाकय फीभायी स रड़न की सॊजीिनी ताकत दता था| एक हदन ऩहरिान क दोनो फट बी भहाभायी की चऩट भ आकय भय गए ऩय उस यात बी ऩहरिान ढोरक फजाकय रोगो को हहमभत फॊधा यहा था | इस घटना क चाय-ऩाॉच हदन फाद ऩहरिान की बी भौत हो जाती ह|

ऩहरिान की ढोरक वमिसथा क फदरन क साथ रोक कराकाय क अपरासॊधगक हो जान की कहानी ह इस कहानी भ रटटन नाभ क ऩहरिान की हहमभत औय नदजजीविरा का िणयन ककमा गमा ह बख औय भहाभायी अजम रटटन की ऩहरिानी को िट ढोर भ फदर दत ह इस करण तरासदी भ ऩहरिान रटटन कई सिार छोड़ जाता ह कक करा का कोई सितॊतर अनदसतति ह मा करा किर वमिसथा की भोहताज ह

परशन1- रटटन को ऩहरवान फनन की परयणा कस लभरी

उततय- रटटन जफ नौ सार का था तो उसक भाता-वऩता का दहाॊत हो गमा था | सौबागम स उसकी शादी हो चकी थी| अनाथ रटटन को उसकी विधिा सास न ऩार-ऩोसकय फड़ा ककमा | उसकी सास को गाॉि िार ऩयशान कयत थ| रोगो स फदरा रन क सरए उसन ऩहरिान फनन की ठानी| धायोरषण दध ऩीकय कसयत कय उसन अऩना फदन गठीरा औय ताकतिय फना सरमा | कशती क दाॉिऩच सीखकय रटटन ऩहरिान फन गमा |

परशन2- यात क बमानक सननाट भ रटटन की ढोरक कमा करयशभा कयती थी

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उततय- यात क बमानक सनदनाट भरटटन की ढोरक भहाभायी स जझत रोगो को हहमभत फॉधाती थी | ढोरक की आिाज स यात की विबीवरका औय सनदनाटा कभ होता था| भहाभायी स ऩीडड़त रोगो की नसो भ बफजरी सी दौड़ जाती थी उनकी आॉखो क साभन दॊगर का दशम साकाय हो जाता था औय ि अऩनी ऩीड़ा बर खशी-खशी भौत को गर रगा रत थ इस परकाय ढोर की आिाज फीभाय-भतपराम गाॉििारो की नसो भ सॊजीिनी शनदकत को बय फीभायी स रड़न की परयणा दती थी

परशन3- रटटन न सवाटधधक ठहमभत कफ ठदखाई

उततय- रटटन ससॊह न सिायधधक हहमभत तफ हदखाई जफ दोनो फटो की भतम ऩय िह योमा नहीॊ फनदलक हहमभत स काभ रकय अकर उनका अॊनतभ सॊसकाय ककमा| मही नहीॊ नदजस हदन ऩहरिान क दोनो फट भहाभायी की चऩट भ आकय भय गए ऩय उस यात को बी ऩहरिान ढोरक फजाकय रोगो को हहमभत फॉधा यहा था| शमाभनगय क दॊगर भ ऩया जनसभदाम चाॉद ससॊह क ऩ भ था चाॉद ससॊह को हयात सभम रटटन न हहमभत हदखाई औय बफना हताश हए दॊगर भ चाॉद ससॊह को धचत कय हदमा |

परशन4- रटटन लसॊह याज ऩहरवान कस फना

उततय- शमाभनगय क याजा कशती क शौकीन थ उनदहोन दॊगर का आमोजन ककमा ऩहरिान रटटन ससॊह बी दॊगर दखन ऩहॉचा चाॊदससॊह नाभक ऩहरिान जो शय क फचच क नाभ स परससदध था कोई बी ऩहरिान उसस सबड़न की हहमभत नहीॊ कयता था चाॉदससॊह अखाड़ भ अकरा गयज यहा था रटटन ससॊह न चाॉदससॊह को चनौती द दी औय चाॉदससॊह स सबड़ गमाढ़ोर की आिाज सनकय रटटन की नस-नस भ जोश बय गमाउसन चाॉदससॊह को चायो खान धचत कय हदमा याजासाहफ न रटटन की िीयता स परबावित होकय उस याजऩहरिान फना हदमा

परशन5- ऩहरवान की अॊनतभ इचछा कमा थी

उततय- ऩहरिान की अॊनतभ इचछा थी कक उस धचता ऩय ऩट क फर सरटामा जाए कमोकक िह नदजॊदगी भ कबी धचत नहीॊ हआ था| उसकी दसयी इचछा थी कक उसकी धचता को आग दत सभम ढोर अिशम फजामा जाए |

परशन6- ढोर की आवाज औय रटटन क भ दाॉिऩच सॊफॊध फताइए-

उततय- ढोर की आिाज औय रटटन क दाॉिऩच भ सॊफॊध -

चट धा धगड़ धाrarr आजा सबड़ जा | चटाक चट धाrarr उठाकय ऩटक द | चट धगड़ धाrarrभत डयना |

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धाक धधना नतयकट नतनाrarr दाॉि काटो फाहय हो जाओ | धधना धधना धधक धधनाrarr धचत कयो

गदमाॊश-आधारयत अथटगरहण-सॊफॊधधत परशनोततय

अॉधयी यात चऩचाऩ आॉस फहा यही थी | ननसतबधता करण सससककमो औय आहो को अऩन रदम भ ही फर ऩियक दफान की चरषटा कय यही थी | आकाश भ ताय चभक यह थ | ऩथिी ऩय कहीॊ परकाश का नाभ नहीॊ| आकाश स टट कय महद कोई बािक ताया ऩथिी ऩय आना बी चाहता तो उसकी जमोनत औय शनदकत यासत भ ही शर हो जाती थी | अनदम ताय उसकी बािकता अथिा असपरता ऩय णखरणखराकय हॉस ऩड़त थ | ससमायो का करॊ दन औय ऩचक की डयािनी आिाज यात की ननसतबधता को बॊग कयती थी | गाॉि की झोऩडडमो स कयाहन औय क कयन की आिाज हय याभ ह बगिान की टय सनाई ऩड़ती थी| फचच बी ननफयर कॊ ठो स भाॉ ndashभाॉ ऩकायकय यो ऩड़त थ |

(क) अॉधयी यात को आॉस फहात हए कमो ठदखामा गमा ह उततयndash गाॉि भ हजा औय भररयमा परा हआ था | भहाभायी की चऩट भ आकाय रोग भय यह थ |चायो ओय भौत का सनाटा छामा था इससरए अॉधयी यात बी चऩचाऩ आॉस फहाती सी परतीत हो यही थी|

(ख) ताय क भाधमभ स रखक कमा कहना चाहता ह उततयndash ताय क भाधमभ स रखक कहना चाहता ह कक अकार औय भहाभायी स तरसत गाॉि िारो की ऩीड़ा को दय कयन िारा कोई नहीॊ था | परकनत बी गाॉि िारो क द ख स दखी थी| आकाश स टट कय महद कोई बािक ताया ऩथिी ऩय आना बी चाहता तो उसकी जमोनत औय शनदकत यासत भ ही शर हो जाती थी |

(ग) यात की ननसतबधता को कौन बॊग कयता था उततयndash ससमायो की चीख-ऩकाय ऩचक की डयािनी आिाज औय कततो का साभहहक रदन सभरकय यात क सनदनाट को बॊग कयत थ |

(घ) झोऩड़ड़मो स कसी आवाज आ यही ह औय कमो उततयndash झोऩडड़मो स योधगमो क कयाहन क कयन औय योन की आिाज आ यही ह कमोकक गाॉि क रोग भररयमा औय हज स ऩीडड़त थ | अकार क कायण अनदन की कभी हो गमी थी| औरधध औय ऩथम न सभरन क कायण रोगो की हारत इतनी फयी थी कक कोई बगिान को ऩकाय रगाता था तो कोई दफयर कॊ ठ स भाॉndashभाॉ ऩकायता था |

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15 चारी चजतरन मानी हभ सफ

रखक-पवषण खय

ऩाि का सायाॊश ndashचारक चनदपरन न हासम कराकाय क रऩ भ ऩयी दननमा क फहत फड़ दशयक िगय को हॉसामा ह | उनकी कपलभो न कपलभ करा को रोकताॊबतरक फनान क साथ-साथ दशको की िगय औय िणय-वमिसथा को बी तोड़ा | चारक न करा भ फवदध की अऩा बािना को भहतति हदमा ह | फचऩन क सॊघरो न चारक क बािी कपलभो की बसभ तमाय कय दी थी| बायतीम करा औय सौदमयशासतर भ करणा का हासम भ ऩरयितयन बायतीम ऩयमऩया भ नहीॊ सभरता रककन चारक एक ऐसा जादई वमनदकतति ह जो हय दश सॊसकनत औय सभमता को अऩना सा रगता ह| बायतीम जनता न बी उनदह सहज बाि स सिीकाय ककमा ह| सिमॊ ऩय हॉसना चारक न ही ससखामा| बायतीम ससनभा जगत क सपरससदध कराकाय याजकऩय को चारक का बायतीमकयण कहा गमा ह | चारक की अधधकाॊश किलभ भक ह इससरए उनदह अधधक भानिीम होना ऩड़ा | ऩाठ भ हासम कपलभो क भहान असबनता lsquoचारक चनदपरनrsquo की जादई विशरताओॊ का उलरख ककमा गमा ह नदजसभ उसन करणा औय हासम भ साभॊजसम सथावऩत कय किलभो को साियबौसभक रऩ परदान ककमा

परशन१ -चारी क जीवन ऩय परबाव िारन वारी भखम घटनाएॉ कौन सी थी

उततय- चारक क जीिन भ दो ऐसी घटनाएॉ घटीॊ नदजनदहोन उनक बािी जीिन ऩय फहत परबाि डारा |

ऩहरी घटना - जफ चारक फीभाय थ उनकी भाॉ उनदह ईसा भसीह की जीिनी ऩढ़कय सना यही थी | ईसा क सरी ऩय चढ़न क परसॊग तक आत-आत भाॉ-फटा दोनो ही योन रग| इस घटना न चारक को सनह करणा औय भानिता जस उचच जीिन भलम हदए |

दसयी घटना हndash फारक चारक कसाईखान क ऩास यहता था| िहाॉ सकड़ो जानियो को योज भाया जाता था| एक हदन एक बड़ िहाॉ स बाग ननकरी| बड़ को ऩकड़न की कोसशश भ कसाई कई फाय कपसरा| नदजस दखकय रोग हॊसन रग ठहाक रगान रग| जफ बड़ को कसाई न ऩकड़ सरमा तो फारक चारक योन रगा| इस घटना न उसक बािी कपलभो भ तरासदी औय हासमोतऩादक ततिो की बसभका तम कय दी |

परशन२ ndash आशम सऩषट कीजजएndash

चजतरन न लसपट कपलभकरा को ही रोकताॊबतरक नही फनामा फजलक दशटको की वगट तथा वणट-वमवसथा को बी तोड़ा|

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उततय- रोकताॊबतरक फनान का अथय ह कक कपलभ करा को सबी क सरए रोकवपरम फनाना औय िगय औय िणय-वमिसथा को तोड़न का आशम ह- सभाज भ परचसरत अभीय-गयीफ िणय जानतधभय क बदबाि को सभापत कयना |चनदपरन का चभतकाय मह ह कक उनदहोन कपलभकरा को बफना ककसी बदबाि क सबी रोगो तक ऩहॉचामा| उनकी कपलभो न सभम बगोर औय सॊसकनतमो की सीभाओॊ को राॉघ कय साियबौसभक रोकवपरमता हाससर की | चारक न मह ससदध कय हदमा कक करा सितनदतर होती ह अऩन ससदधाॊत सिमॊ फनाती ह |

परशन३ndash चारी चजतरन की कपलभो भ ननठहत तरासदीकरणाहासम का साभॊजसम बायतीम करा औय सौदमटशासतर की ऩरयधध भ कमो नहीॊ आता

उततय- चारक चनदपरन की कपलभो भ ननहहत तरासदीकरणाहासम का साभॊजसम बायतीम करा औय सौदमयशासतर की ऩरयधध भ नहीॊ आताकमोकक बायतीम यस-ससदधाॊत भ करणा औय हासम का भर नहीॊ हदखामा जाता कमोकक बायतीम सौदमयशासतर भ करणयस औय हासम यस को ऩयसऩय वियोधी भाना गमा ह अथायत जहाॊ करणा ह िहाॉ हासम नहीॊ हो सकता बायत भ सिमॊ ऩय हॉसन की ऩयॊऩया नहीॊ ह ऩयॊत चारक क ऩातर अऩन ऩय हॉसतndashहॉसात ह चारक की किलभो क दशम हॉसात-हॉसात ररा दत ह तो कबी करण दशम क फाद अचानक ही हॉसन ऩय भजफय कय दत ह

परशन४ndash चारी क कपलभो की पवशषताएॉ फताइए |

उततय- चारक की किलभो भ हासम औय करणा का अदभत साभॊजसम ह उनकी किलभो भ बारा का परमोग फहत कभ ह चारक की किलभो भ फवदध की अऩा बािना का भहतति अधधक ह उनकी किलभो भ साियबौसभकता ह चारक ककसी बी सॊसकनत को विदशी नही रगत चारक सफको अऩन रगत ह चारक न किलभो को रोकताॊबतरक फनामा औय किलभो भ िगय तथािणय-वमिसथा को तोड़ा अऩनी कपलभो भ चारक सदि धचय मिा हदखता ह

गदमाॊश-आधारयत अथटगरहण-सॊफॊधी परशनोततय

गदमाॊश सॊकत ndashचारक चनदपरन मानी हभ सफ (ऩरषठ १२० )

महद मह िरय चनदपरन की कापी कछ कहा जाएगा |

परशन (क)-पवकासशीर दशो भ चजतरन कमो भशहय हो यह ह

उततय - विकासशीर दशो भ जस-जस टरीविजन औय िीडडमो का परसाय हो यहा ह रोगो को उनकी कपलभो को दखन का अिसय सभर यहा ह |एक फहत फड़ा िगय नए ससय स चारक को घड़ी सधायत औय जत खान की कोसशश कयत दख यहा ह इसीसरए चारक विकासशीर दशो भ रोकवपरम हो यह ह |

(ख)- ऩजशचभ भ चारी का ऩनजीवन कस होता यहता ह

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उततय - ऩनदशचभ भ चारक की कपलभो का परदशयन होता यहता ह| उनकी करा स परयणा ऩाकय हासम किलभ फनती यहती ह | उनक दिाया ननबाए ककयदायो की नकर अनदम कराकाय कयत ह | ऩनदशचभ भ चारक का ऩनजीिन होता यहता ह|

(ग)- चारी को रोग फिाऩ तक कमो माद यखग

उततय ndashहासम कराकाय क रऩ भ रोग चारक को फढ़ाऩ तक माद यखग कमोकक उनकी करा सभम बगोर औय सॊसकनतमो की सीभाओॊ को राॉघकय राखो रोगो को हॉसा यही ह|

(घ)- चारी की कपलभो क फाय भ कापी कछ कहा जाना कमो फाी ह

उततय ndashचनदपरन की ऐसी कछ किलभ मा इसतभार न की गमी यीर सभरी ह नदजनक फाय भ कोई नहीॊ जानता था | चारक की बािनापरधान हासम कपलभो न करा क नए परनतभान सथावऩत ककए ह अत चारक की कपलभो क फाय भ अबी कापी कछ कहा जाना फाी ह|

16 नभक

रखखका - यजजमा सजजाद जहीय

सायाॊश -lsquoनभकrsquoबायत-ऩाक विबाजन ऩय सरणखत भासभयक कहानी ह | विसथावऩत हए रोगो भ अऩनndashअऩन जनदभ सथानो क परनत आज बी रगाि ह| धासभयक आधाय ऩय फनी यारषर-याजमो की सीभा-यखाएॉ उनक अॊतभयन को अरग नहीॊ कय ऩाई ह | बायत भ यहन िारी ससख फीिी राहौय को अऩना ितन भानती ह औय बायतीम कसटभ अधधकायी ढाका क नारयमर ऩानी को मादकय उस सियशररषठ फताता ह दोनो दशो क नागरयको क फीच भहबफत का नभकीन सिाद आज बी कामभ ह इसीसरए सकिमा बायत भ यहन िारी अऩनी भॉहफोरी भाॉ ससख फीिी क सरए राहौयी नभक रान क सरए कसटभ औय कानन की ऩयिाह नहीॊ कयती

परशन1- lsquoनभकrsquo ऩाि क आधाय ऩय फताइए कक सकपमा औय उसक बाई क पवचायो भ कमा अॊतय था

उततय- १-सकपमा बािनाओॊ को फहतभहतति दती ह ऩय उसका बाई फौवदधक परिनदतत का ह उसकी दनदरषट भ कानन बािनाओॊ स ऊऩय ह|

२-सकपमा भानिीम सॊफॊधो को फहत भहतति दती ह जफकक उसका बाई अरगाििादी विचायधाया का ह हहसस-फखय की फात कयता ह |

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३-सकपमा का बाई कहता ह कक अदीफो(साहहतमकाय) का हदभाग घभा हआ होता ह जफकक सकपमा जो सिमॊ अदीफ ह उसका भानना ह कक अगय सबी रोगो का हदभाग अदीफो की तयह घभा हआ होता तो दननमा कछ फहतय हो जाती |

परशन२- नभक र जात सभम सकफ़मा क भन भ कमा दपवधा थी

उततय-सकपमा समद भसरभान थी जो हय हार भ अऩना िामदा ननबात ह| ऩाककसतान स राहौयी नभक र जाकय िह अऩना िामदा ऩया कयना चाहती थी ऩयनदत जफ उस ऩता चरा कक कसटभ क ननमभो क अनसाय सीभाऩाय नभक र जाना िनदजयत ह तो िह दविधा भ ऩड़ गई | सकिमा का दिॊदि मह था कक िह अऩनी ससख भाॉ क सरए नभक कसटभ अधधकारयमो को फताकयर जाए मा नछऩाकय|

परशन३- ऩाि क आधाय ऩय सकपमा की चारयबतरक पवशषताएॉ फताइए |

उततय सॊकत ndash

१- बािक २- ईभानदाय ३- दढ़ननशचमी ४- ननडय ५- िामद को ननबान िारी ६- भानिीम भलमो को सिोऩरय भानन िारी साहहतमकाय

परशन ४- lsquoनभकrsquo ऩाि भ आए ककयदायो क भाधमभ स सऩषट कीजजए कक आज बी बायत औय ऩाककसतान की जनता क फीच भहबफत का नभकीन सवाद घरा हआ ह |

उततय ndash बर ही याजनीनतक औय धासभयक आधाय ऩय बायत औय ऩाककसतान को बौगोसरक रऩ स विबानदजत कय हदमा गमा ह रककन दोनो दशो क रोगो क रदम भ आज बी ऩायसऩरयक बाईचाया सौहादरय सनह औय सहानबनत विदमभान ह | याजनीनतक तौय ऩय बर ही सॊफॊध तनािऩणय हो ऩय साभानदजक तौय ऩय आज बी जनता क फीच भहबफत का नभकीन सिाद घरा हआ ह | अभतसय भ यहन िारी ससख फीफी राहौय को अऩना ितन कहती ह औय राहौयी नभक का सिाद नहीॊ बरा ऩाती | ऩाककसतान का कसटभ अधधकायी नभक की ऩडड़मा सकपमा को िाऩस दत हए कहता ह rdquoजाभा भनदसजद की सीहढ़मो को भया सराभ कहना |rdquo बायतीम सीभा ऩय तनात कसटभ अधधकायी ढाका की जभीन को औय िहाॉ क ऩानी क सिाद को नहीॊ बर ऩाता |

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गदमाॊश-आधारयत अथटगरहण सॊफॊधधत परशनोततय

गदमाॊश सॊकत- ऩाठndash नभक (ऩरषठ १३४)

सकपमा कसटभ क जॊगर स दोनो क हाथो भ थी |

(क) सकपमा कसटभ क जॉगर स ननकरकय दसय तरटपाभट ऩय आ गमी व वहीॊ खड़ यहndash इस वाकम भ lsquoवrsquo शबद का परमोग ककसक लरए ककमा गमा ह

उततय- महाॉ lsquoिrsquo शबद का परमोग ऩाककसतानी कसटभ अधधकायी क सरए ककमा गमा ह जो विबाजन स ऩिय हदलरी भ यहत थ औय आज बी हदलरी को ही अऩना ितन भानत ह |

(ख) तरटपाभट ऩय सकपमा को पवदा कयन कौन-कौन आए थ उनहोन सकपमा को कस पवदाई दी

उततय- परटपाभय ऩय सकपमा को विदा कयन उसक फहत साय सभतर सग सॊफॊधी औय बाई आए थ| उनदहोन ठॊडी साॉस बयत हए सबॊच हए होठो क साथ आॉस फहात हए सकपमा को विदाई दी |

(ग) अटायी भ यरगाड़ी भ कमा ऩरयवतटन हए उततय- अटायी भ यरगाड़ी स ऩाककसतानी ऩसरस उतयी औय हहनददसतानी ऩसरस सिाय हो गई|

(घ) कौन सी फात सकपमा की सभझ भ नहीॊ आ यही थी उततय- दोनो ओय एक सी जभीन एक जसा आसभान एक सी बारा एक सा ऩहनािा औय एक सी सयत क रोग कपय बी दोनो क हाथो भ बयी हई फॊदक ह |

17 लशयीष क पर

आचामट हजायी परसाद दपववदी

सायाॊश ndashlsquoआचामय हजायी परसाद दवििदीrsquo सशयीर को अदभत अिधत भानत ह कमोकक सॊनदमासी की बाॉनत िह सख-दख की धचॊता नहीॊ कयता गभी र िराय औय आॉधी भ बी अविचर खड़ा यहता ह सशयीर क िर क भाधमभ स भनरषम की अजम नदजजीविरा धमयशीरता औय कतयवमननरषठ फन यहन क भानिीम भलमो को सथावऩत ककमा गमा हरखक न सशयीर क कोभर परो औय कठोय परो क दिाया सऩरषट ककमा ह कक रदम की कोभरता फचान क सरए कबी-कबी वमिहाय की कठोयता बी आिशमक हो जाती ह| भहान कवि कासरदास औय कफीय बी सशयीर की तयह फऩयिाह अनासकत औय सयस थ तबी उनदहोन इतनी सनददय यचनाएॉ सॊसाय को दीॊ| गाॉधीजी क वमनदकतति भ बी कोभरता औय कठोयता का अदभत सॊगभ था | रखक सोचता ह कक हभाय दश भ जो भाय-काट अनदगनदाह रट-ऩाट खन-खचचय का फिॊडय ह कमा िह दश को नदसथय नहीॊ यहन दगा गराभी अशाॊनत औय वियोधी िाताियण क फीच अऩन ससदधाॊतो की या कयत हए गाॉधीजी जी नदसथय यह सक थ तो दश बी यह सकता ह जीन की परफर असबरारा क कायण

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विरभ ऩरयनदसथतमो भ बी महद सशयीर णखर सकता ह तो हभाया दश बी विरभ ऩरयनदसथनतमो भ नदसथय यह कय विकास कय सकता ह

परशन1-लसदध कीजजए कक लशयीष कारजमी अवधत की बाॉनत जीवन की अजमता क भॊतर का परचाय कयता ह

उततय- सशयीर कारजमी अिधत की बाॉनत जीिन की अजमता क भॊतर का परचाय कयता ह| जफ ऩथिी अनदगन क सभान तऩ यही होती ह िह तफ बी कोभर परो स रदा रहरहाता यहता ह|फाहयी गयभी धऩ िराय आॉधी र उस परबावित नहीॊ कयती इतना ही नहीॊ िह रॊफ सभम तक णखरा यहता ह | सशयीर विऩयीत ऩरयनदसथनतमो भ बी धमयशीर यहन तथा अऩनी अजम नदजजीविरा क साथ ननसऩह बाि स परचॊड गयभी भ बी अविचर खड़ा यहता ह

परशन२-आयगवध (अभरतास) की तरना लशयीष स कमो नहीॊ की जा सकती

उततय- सशयीर क पर बमॊकय गयभी भ णखरत ह औय आराढ़ तक णखरत यहत ह जफकक अभरतास का पर किर ऩनददरह-फीस हदनो क सरए णखरता ह | उसक फाद अभरतास क पर झड़ जात ह औय ऩड़ कपय स ठॉठ का ठॉठ हो जाता ह | अभरतास अलऩजीिी ह | विऩयीत ऩरयनदसथनतमो को झरता हआ ऊरषण िाताियण को हॉसकय झरता हआ सशयीर दीघयजीिी यहता ह | मही कायण ह कक सशयीर की तरना अभरतास स नहीॊ की जा सकती |

परशन३-लशयीष क परो को याजनताओॊ का रऩक कमो ठदमा गमा ह

उततय- सशयीर क पर उन फढ़ ढीठ औय ऩयान याजनताओॊ क परतीक ह जो अऩनी कसी नहीॊ छोड़ना चाहत | अऩनी अधधकाय-सरपसा क सरए नए मिा नताओॊ को आग नहीॊ आन दत | सशयीर क नए परो को जफयदसती ऩयान परो को धककमाना ऩड़ता ह | याजनीनत भ बी नई मिा ऩीढ़ी ऩयानी ऩीढ़ी को हयाकय सिमॊ सतता सॉबार रती ह |

परशन४- कार दवता की भाय स फचन का कमा उऩाम फतामा गमा ह

उततय- कार दिता कक भाय स फचन का अथय हndash भतम स फचना | इसका एकभातर उऩाम मह ह कक भनरषम नदसथय न हो| गनतशीर ऩरयितयनशीर यह | रखक क अनसाय नदजनकी चतना सदा ऊधियभखी (आधमातभ की ओय) यहती ह ि हटक जात ह |

परशन५- गाॉधीजी औय लशयीष की सभानता परकट कीजजए |

उततय- नदजस परकाय सशयीर धचरधचराती धऩ र िराय औय आॉधी भ बी अविचर खड़ा यहता ह अनासकत यहकय अऩन िाताियण स यस खीॊचकय सयस कोभर फना यहता ह उसी परकाय गाॉधी जी न बी अऩनी आॉखो क साभन आजादी क सॊगराभ भ अनदमाम बदबाि औय हहॊसा को झरा |

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उनक कोभर भन भ एक ओय ननयीह जनता क परनत असीभ करणा जागी िहीॊ ि अनदमामी शासन क वियोध भ डटकय खड़ हो गए |

गदमाॊश-आधारयत अथटगरहण सॊफॊधधत परशनोततय

गदमाॊश सॊकत- ऩाठ ndash सशयीर क पर (ऩरषठ १४७)

कासरदास सौदमय क िह इशाया ह |

(क) कालरदास की सौदमटndashदजषट की कमा पवशषता थी उततय-कासरदास की सौदमयndashदनदरषट फहत सकषभ अॊतबदी औय सॊऩणय थी| ि किर फाहयी रऩ-यॊग औय आकाय को ही नहीॊ दखत थ फनदलक अॊतभयन की सॊदयता क बी ऩायखी थ| कासरदास की सौदमय शायीरयक औय भानससक दोनो विशरताओॊ स मकत था |

(ख) अनासजकत का कमा आशम ह उततय- अनासनदकत का आशम ह- वमनदकतगत सख-द ख औय याग-दिर स ऩय यहकय सौदमय क िासतविक भभय को जानना |

(ग) कालरदास ऩॊत औय यवीॊिनाथ टगोय भ कौन सा गण सभान था भहाकवि कासरदास ससभतरानॊदन ऩॊत औय गरदि यिीॊदरनाथ टगोय तीनो नदसथयपरऻ औय अनासकत कवि थ | ि सशयीर क सभान सयस औय भसत अिधत थ |

(घ) यवीॊिनाथ याजोदमान क लसॊहदवाय क फाय भ कमा सॊदश दत ह याजोदमान क फाय भ यिीॊदरनाथ कहत ह याजोदमान का ससॊहदिाय ककतना ही सॊदय औय गगनचमफी कमो ना हो िह अॊनतभ ऩड़ाि नहीॊ ह| उसका सौदमय ककसी औय उचचतभ सौदमय की ओय ककमा गमा सॊकत भातर ह कक असरी सौदमय इस ऩाय कयन क फाद ह अत याजोदमान का ससॊहदिाय हभ आग फढ़न की परयणा दता ह |

18शरभ-पवबाजन औय जानत-परथा

िॉ० बीभयाव अॊफिकय

सायाॊश ndash इस ऩाठ भ रखक न जानतिाद क आधाय ऩय ककए जान िार बदबाि को सभम सभाज क सरए हाननकायक फतामा ह | जानत आधारयत शरभ विबाजन को असिाबाविक औय भानिता वियोधी फतामा गमा ह मह साभानदजक बदबाि को फढ़ाता ह जानतपरथा आधारयत शरभ विबाजन भ वमनदकत की रधच को भहतति नहीॊ हदमा जाता परसिरऩ वििशता क साथ अऩनाए

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Page 27: ISSUED BY KENDRIYA VIDYALAYA - DOWNLOADED FROM … Class XII Hindi Part B.pdfप्रश्न४ :-फादर क / फयन का गयीफ एि धनी िगय क्मा

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उततय -धचतरातभक िणयन दिाया कवि न एक ओय कार फादरो ऩय उड़ती फगरो की शित ऩॊनदकत का धचतर अॊककत ककमा ह तथा इस अपरनतभ दशम क रदम ऩय ऩड़न िार परबाि को धचबतरत ककमा ह कवि क अनसाय मह दशम उनकी आॉख चयाए सरए जा यहा ह |भॊतर भगध कवि इस दशम क परबाि स आतभ विसभनत की नदसथनत तक ऩहॉच जाता ह

परशन२-कवि ककस भामा स फचन की फात कहता ह

उततय - भामा विशि को अऩन आकरयण भ फाॉध रन क सरए परससदध ह | कफीय न बी lsquoभामा भहा ठधगनी हभ जानीrsquo कहकय भामा की शनदकत को परनतऩाहदत ककमा ह | कार फादरो भ फगरो की सॊदयता अऩना भामा जार परा कय कवि को अऩन िश भ कय यही ह |

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आयोह बाग-२ गदम-बाग

परशन-सॊखमा १०- गदम खॊड भ हदए गए ऩहठत गदमाॊश स अथयगरहण सॊफॊधी चाय परशन ऩछ जाएॉग नदजनक सरए ननधायरयत अॊक (२४=८) ह |

परशन-सॊखमा ११- ऩाठो की विरमिसत स सॊफॊधधत ऩाॉच भ स चाय परशनो क उततय दन ह नदजनक सरए ननधायरयत अॊक (३४=१२) ह|

ऩयीा भ अचछ अॊक परातत कयन क लरए धमान दन मोगम फात ndash

1 रख एिॊ ितयनी की शदधता तथा िाकम-गठन ऩय धमान द | 2 हय ऩाठ का सायऩरषठबसभविरमिसत तथाकथानक को सभझना आिशमक ह |

अतविदमाथी हय ऩाठ का सायाॊश बरीबाॉनत माद कय र | 3 परशनो को धमान स ऩढ़ तदनसाय अऩकषत उततय सरख | 4 उततय सरखत सभम सॊफॊधधत भखम बफॊदओॊ का शीरयकफनात हए उततय सरख मथा-तीन

अॊक क परशनो क उततय सरखत सभम कभ स कभ तीन भखम उततय-बफ ॊदओॊ का उलरख कयत हए उततय सऩरषट कय |

5 अॊक-मोजना क अनसाय ननधायरयत शबद-सीभा क अॊतगयत उततय सरख | ऩयीाथी कई फाय एक अॊक क परशन का उततय फहत रॊफा कई फाय ऩया ऩरषठ सरख दत ह जो सभम औय ऊजाय की फफायदी ह |

6 धमान यह कक अधधक सरखन स अचछ अॊक नहीॊ आत फनदलक सयर-सफोध बारा भ सरख गए सटीक उततय सायगसबयत तथम तथा उदाहयण क दिाया सऩरषट ककए गए उततय परबािशारी होत ह |

ऩाि 11 - बजकतन

रखखका- भहादवी वभाट

ऩाि का सायाॊश- बनदकतन नदजसका िासतविक नाभ रकषभी थारणखका lsquoभहादिी िभायrsquo की सविका ह | फचऩन भ ही बनदकतन की भाॉ की भतम हो गमी| सौतरी भाॉ न ऩाॉच िरय की आम भ वििाह तथा नौ िरय की आम भ गौना कय बनदकतन को ससयार बज हदमा| ससयार भ बनदकतन न तीन फहटमो को जनदभ हदमा नदजस कायण उस सास औय नदजठाननमो की उऩा सहनी ऩड़ती थी| सास औय नदजठाननमाॉ आयाभ पयभाती थी औय बनदकतन तथा उसकी ननदहीॊ फहटमो को घय औय खतो का साया काभ कयना ऩडता था| बनदकतन का ऩनत उस फहत चाहता था| अऩन ऩनत क सनह क फर ऩय बनदकतन न ससयार िारो स अरगौझा कय अऩना अरग घय फसा सरमा औय सख स यहन रगी ऩय बनदकतन का दबायगम अलऩाम भ ही उसक ऩनत की भतम हो गई | ससयार िार

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बनदकतन की दसयी शादी कय उस घय स ननकारकय उसकी सॊऩनदतत हड़ऩन की सानदजश कयन रग| ऐसी ऩरयनदसथनत भ बनदकतन न अऩन कश भॊडा सरए औय सॊनदमाससन फन गई | बनदकतन सिासबभानी सॊघरयशीर कभयठ औय दढ सॊकलऩ िारी सतरी ह जो वऩतसततातभक भानदमताओॊ औय छर-कऩट स बय सभाज भ अऩन औय अऩनी फहटमो क हक की रड़ाई रड़ती हघय गहसथी सॉबारन क सरए अऩनी फड़ी फटी दाभाद को फरा सरमा ऩय दबायगम न महाॉ बी बनदकतन का ऩीछा नहीॊ छोड़ा अचानक उसक दाभाद की बी भतम हो गमी| बनदकतन क जठ-नदजठौत न सानदजश यचकय बनदकतन की विधिा फटी का वििाह जफयदसती अऩन तीतयफाज सार स कय हदमा| ऩॊचामत दिाया कयामा गमा मह सॊफॊध दखदामी यहा | दोनो भाॉ-फटी का भन घय-गहसथी स उचट गमा ननधयनता आ गमी रगान न चका ऩान क कायण जभीॊदाय न बनदकतन को हदन बय धऩ भ खड़ा यखा| अऩभाननत बनदकतन ऩसा कभान क सरए गाॉि छोड़कय शहय आ जाती ह औय भहादिी की सविका फन जाती ह| बनदकतन क भन भ भहादिी क परनत फहत आदय सभऩयण औय असबबािक क सभान अधधकाय बाि ह| िह छामा क सभान भहादिी क साथ यहती ह| िह यात-यात बय जागकय धचतरकायी मा रखन जस कामय भ वमसत अऩनी भारककन की सिा का अिसय ढॉढ रती ह| भहादिी बनदकतन को नहीॊ फदर ऩामी ऩय बनदकतन न भहादिी को फदर हदमा| बनदकतन क हाथ का भोटा-दहाती खाना खात-खात भहादिी का सिाद फदर गमा बनदकतन न भहादिी को दहात क ककसस-कहाननमाॉ ककॊ िदॊनतमाॉ कॊ ठसथ कया दी| सिबाि स भहाकॊ जस होन ऩय बी बनदकतन ऩाई-ऩाई कय जोडी हई १०५ रऩमो की यासश को सहरय भहादिी को सभवऩयत कय दती ह| जर क नाभ स थय-थय काॉऩन िारी बनदकतन अऩनी भारककन क साथ जर जान क सरए फड़ राट साहफ तक स रड़न को बी तमाय हो जाती ह| बनदकतन भहादिी क जीिन ऩय छा जान िारी एक ऐसी सविका ह नदजस रणखका नहीॊ खोना चाहती

ऩाि आधारयत परशनोततय

नोट- उततय भ ननहहत यखाॊककत िाकम भखम सॊकत बफॊद ह |

परशन 1-बजकतन का वासतपवक नाभ कमा था वह अऩन नाभ को कमो छऩाना चाहती थी

उततय-बनदकतन का िासतविक नाभ रकषभी था हहनददओॊ क अनसायरकषभी धन की दिीह चॉकक बनदकतन गयीफ थी| उसक िासतविक नाभ क अथय औय उसक जीिन क मथाथय भ वियोधाबास ह ननधयन बनदकतन सफको अऩना असरी नाभ रकषभी फताकय उऩहास का ऩातर नहीॊ फनना चाहती थी इससरए िह अऩना असरी नाभ छऩाती थी

परशन 2- रखखका न रकषभी का नाभ बजकतन कमो यखा

उततय-घटा हआ ससय गर भ कॊ ठी भारा औय बकतो की तयह सादगीऩणय िशबरा दखकय भहादिी िभाय न रकषभी का नाभ बनदकतन यख हदमा | मह नाभ उसक वमनदकतति स ऩणयत भर खाता था |

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परशन 3-बजकतन क जीवन को ककतन ऩरयचछदो भ पवबाजजत ककमा गमा ह

उततय- बनदकतन क जीिन को चाय बागो भ फाॉटा गमा ह-

ऩहरा ऩरयचछद-बनदकतन का फचऩन भाॉ की भतम विभाता क दिाया बनदकतन का फार-वििाह कया दना

दपवतीम ऩरयचछद-बनदकतन का ििाहहक जीिन सास तथा नदजठाननमो का अनदमामऩणय वमिहाय ऩरयिाय स अरगौझा कय रना

ततीम ऩरयचछद- ऩनत की भतम विधिा क रऩ भ सॊघरयशीर जीिन चतथट ऩरयचछद- भहादिी िभाय की सविका क रऩ भ

परशन 4- बजकतन ऩाि क आधाय ऩय बायतीम गराभीण सभाज भ रड़क-रड़ककमो भ ककम जान वार बदबाव का उलरख कीजजए |

बायतीम गराभीण सभाज भ रड़क-रड़ककमो भ बदबाि ककमा जाता ह| रड़ककमो को खोटा ससकका मा ऩयामा धन भाना जाता ह| बनदकतन न तीन फहटमो को जनदभ हदमा नदजस कायण उस सास औय नदजठाननमो की उऩा सहनी ऩड़ती थी| सास औय नदजठाननमाॉ आयाभ पयभाती थी कमोकक उनदहोन रड़क ऩदा ककए थ औय बनदकतन तथा उसकी ननदहीॊ फहटमो को घय औय खतो का साया काभ कयना ऩडता था| बनदकतन औय उसकी फहटमो को रखा-सखा भोटा अनाज खान को सभरता था जफकक उसकी नदजठाननमाॉ औय उनक कार-करट फट दध-भराई याफ-चािर की दाित उड़ात थ

परशन 5-बजकतन ऩाि क आधाय ऩय ऩॊचामत क नमाम ऩय ठटतऩणी कीजजए |

बनदकतन की फटी क सनददबय भ ऩॊचामत दिाया ककमा गमा नदमाम तकय हीन औय अॊध कानन ऩय आधारयतह | बनदकतन क नदजठौत न सॊऩनदतत क रारच भ रडमॊतर कय बोरी फचची को धोख स जार भ पॊ सामा| ऩॊचामत न ननदोर रड़की की कोई फात नहीॊ सनी औय एक तयिा पसरा दकय उसका वििाह जफयदसती नदजठौत क ननकमभ तीतयफाज सार स कय हदमा | ऩॊचामत क अॊध कानन स दरषटो को राब हआ औय ननदोर को दॊड सभरा |

परशन 6-बजकतन की ऩाक-करा क फाय भ ठटतऩणी कीजजए |

बनदकतन को ठठ दहाती सादा बोजन ऩसॊद था | यसोई भ िह ऩाक छत को फहत भहतति दती थी | सफह-सिय नहा-धोकय चौक की सपाई कयक िह दिाय ऩय कोमर की भोटी यखा खीॊच दती थी| ककसी को यसोईघय भ परिश कयन नहीॊ दती थी| उस अऩन फनाए बोजन ऩय फड़ा असबभान था| िह अऩन फनाए बोजन का नतयसकाय नहीॊ सह सकती थी |

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परशन 7- लसदध कीजजए कक बजकतन तकट -पवतकट कयन भ भाठहय थी |

बनदकतन तकय ऩट थी | कश भॉडान स भना ककए जान ऩय िह शासतरो का हिारा दत हए कहती ह lsquoतीयथ गए भॉडाए ससदधrsquo | घय भ इधय-उधय यख गए ऩसो को िह चऩचाऩ उठा कय छऩा रती ह टोक जानऩय िह िह इस चोयी नही भानती फनदलक िह इस अऩन घय भ ऩड़ ऩसो को सॉबारकय यखना कहती ह| ऩढाई-सरखाई स फचन क सरए बी िह अचक तकय दती ह कक अगय भ बी ऩढ़न रगॉ तो घय का काभ कौन दखगा

परशन 8-बजकतन का दबाटगम बी कभ हिी नही था रखखका न ऐसा कमो कहा ह

उततय- बजकतन का दबाटगम उसका ऩीछा नहीॊ छोड़ता था-

1- फचऩन भ ही भाॉ की भतम 2- विभाता की उऩा 3- बनदकतन(रकषभी) का फारवििाह 4- वऩता का ननधन 5- तीन-तीन फहटमो को जनदभ दन क कायण सास औय नदजठाननमो क दिाया बनदकतन की

उऩा 6- ऩनत की असभम भतम 7- दाभाद का ननधन औय ऩॊचामत क दिाया ननकमभ तीतयफाज मिक स बनदकतन की विधिा

फटी का जफयन वििाह 8- रगान न चका ऩान ऩय जभीॊदाय क दिाया बनदकतन का अऩभान

परशन 9-बजकतन न भहादवी वभाट क जीवन ऩय कस परबापवत ककमा

उततय- बनदकतन क साथ यहकय भहादिी की जीिन-शरी सयर हो गमी ि अऩनी सविधाओॊ की चाह को नछऩान रगीॊ औय असविधाओॊ को सहन रगीॊ बनदकतन न उनदह दहाती बोजन णखराकय उनका सिाद फदर हदमा बनदकतन भातर एक सविका न होकय भहादिी की असबबािक औय आतभीम फन गमीबनदकतन भहादिी क जीिन ऩय छा जान िारी एक ऐसी सविका ह नदजस रणखका नहीॊ खोना चाहती

परशन 10- बजकतन क चरयतर की पवशषताओॊ का उलरख कीजजए

उततय- भहादिी िभाय की सविका बनदकतन क वमनदकतति की विशरताएॊ ननमनाॊककत ह-

सभवऩयत सविका सिासबभानी

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तकय शीरा ऩरयशरभी सॊघरयशीर

परशन 11-बजकतन क दगटणो का उलरख कय

उततय- गणो क साथ-साथ बनदकतन क वमनदकतति भ अनक दगयण बी ननहहत ह-

1 िह घय भ इधय-उधय ऩड़ रऩम-ऩस को बॊडाय घय की भटकी भ छऩा दती ह औय अऩन इस कामय को चोयी नहीॊ भानती

2 भहादिी क करोध स फचन क सरए बनदकतन फात को इधय-उधय कयक फतान को झठ नही भानती अऩनी फात को सही ससदध कयन क सरए िह तकय -वितकय बी कयती ह

3 िह दसयो को अऩनी इचछानसाय फदर दना चाहती ह ऩय सिमॊ बफरकर नही फदरती परशन 12 ननमनाॊककत बाषा-परमोगो का अथट सऩषट कीजजए-

ऩहरी कनमा क दो औय सॊसकयण कय िार- बनदकतन न अऩनी ऩहरी कनदमा क फाद उसक जसी दो औय कनदमाएॉ ऩदा कय दी अथायत बनदकतन क एक क फाद एक तीन फहटमाॉ ऩदा हो गमीॊ |

खोट लसकको की टकसार जसी ऩतनी- आज बी असशकषत गराभीण सभाज भ फहटमो को

खोटा ससकका कहा जाता ह बनदकतन न एक क फाद एक तीन फहटमाॉ ऩदा कय दी इससरए उस खोट ससकक को ढारन िारी भशीन कहा गमा

परशन 13-बजकतन ऩाि भ रखखका न सभाज की ककन सभसमाओॊ का उलरख ककमा ह

उततय- बनदकतन ऩाठ क भाधमभ स रणखका न बायतीम गराभीण सभाज की अनक सभसमाओॊ का उलरख ककमा ह-

1 रड़क-रड़ककमो भ ककमा जान िारा बदबाि 2 विधिाओॊ की सभसमा 3 नदमाम क नाभ ऩय ऩॊचामतो क दिाया नदसतरमो क भानिाधधकाय को कचरना 4 असशा औय अॊधविशिास

गदमाॊश-आधारयत अथटगरहण सॊफॊधधत परशनोततय

ऩरयिाय औय ऩरयनदसथनतमो क कायण सिबाि भ जो विरभताएॉ उतऩनदन हो गई ह उनक बीतय स एक सनह औय सहानबनत की आबा पटती यहती ह इसी स उसक सॊऩकय भ आनिार वमनदकत उसभ जीिन की सहज भासभयकता ही ऩात ह छातरािास की फासरकाओॊ भ स कोई अऩनी चाम

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फनिान क सरए दहरी ऩय फठी यहती ह कोई फाहय खडी भय सरए नाशत को चखकय उसक सिाद की वििचना कयती यहती ह भय फाहय ननकरत ही सफ धचडड़मो क सभान उड़ जाती ह औय बीतय आत ही मथासथान वियाजभान हो जाती ह इनदह आन भ रकािट न हो सॊबित इसी स बनदकतन अऩना दोनो जन का बोजन सिय ही फनाकय ऊऩय क आर भ यख दती ह औय खात सभम चौक का एक कोना धोकय ऩाकndashछत क सनातन ननमभ स सभझौता कय रती ह

भय ऩरयधचतो औय साहहनदतमक फॊधओॊ स बी बनदकतन विशर ऩरयधचत ह ऩय उनक परनत बनदकतन क समभान की भातरा भय परनत उनक समभान की भातरा ऩय ननबयय ह औय सदभाि उनक परनत भय सदभाि स नननदशचत होता ह इस सॊफॊध भ बनदकतन की सहज फवदध विनदसभत कय दन िारी ह

(क) बजकतन का सवबाव ऩरयवाय भ यहकय कसा हो गमा ह

उततय-विरभ ऩरयनदसथनतजनदम उसक उगर हठी औय दयागरही सिबाि क फािजद बनदकतन क बीतय सनह औय सहानबनत की आबा पटती यहती ह उसक सॊऩकय भ आन िार वमनदकत उसभ जीिन की सहज भासभयकता ही ऩात ह

(ख) बजकतन क ऩास छातरावास की छातराएॉ कमो आती ह

उततय- बनदकतन क ऩास कोई छातरा अऩनी चाम फनिान आती ह औय दहरी ऩय फठी यहती ह कोई भहादिी जी क सरए फन नाशत को चखकय उसक सिाद की वििचना कयती यहती ह भहादिी को दखत ही सफ छातराएॉ बाग जाती ह उनक जात ही कपय िाऩस आ जातीॊ ह बनदकतन का सहज-सनह ऩाकय धचडड़मो की तयह चहचहान रगती ह |

(ग) छातराओॊ क आन भ रकावट न िारन क लरए बजकतन न कमा उऩाम ककमा

उततय- छातराओॊ क आन भ रकािट न डारन क सरए बनदकतन न अऩन ऩाक-छत क ननमभ स सभझौता कय सरमा | बनदकतन अऩना दोनो िकत का खाना फनाकय सफह ही आर भ यख दती औय खात सभम चौक का एक कोना धोकय िहाॉ फठकय खा सरमा कयती थी ताकक छातराएॉ बफना योक-टोक क उसक ऩास आ सक

(घ) साठहतमकायो क परनत बजकतन क समभान का कमा भाऩदॊि ह

उततय-बनदकतन भहादिी क साहहनदतमक सभतर क परनत सदभाि यखती थी नदजसक परनत भहादिी सिमॊ सदभाि यखती थी | िह सबी स ऩरयधचत हऩय उनक परनत समभान की भातरा भहादिी जी क समभान की भातरा ऩय ननबयय कयती ह िह एक अदभत ढॊग स जान रती थी कक कौन ककतना समभान कयता ह उसी अनऩात भ उसका परापम उस दती थी

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12 फाजाय-दशटन

रखक- जनि कभाय

ऩाि का सायाॊश फाजाय-दशयन ऩाठ भ फाजायिाद औय उऩबोकतािाद क साथ-साथ अथयनीनत एिॊ दशयन स सॊफॊधधत परशनो को सरझान का परमास ककमा गमा ह फाजाय का जाद तबी असय कयता ह जफ भन खारी हो| फाजाय क जाद को योकन का उऩाम मह ह कक फाजाय जात सभम भन खारी ना हो भन भ रकषम बया हो| फाजाय की असरी कताथयता ह जरयत क िकत काभ आना| फाजाय को िही भनरषम राब द सकता ह जो िासति भ अऩनी आिशमकता क अनसाय खयीदना चाहता ह| जो रोग अऩन ऩसो क घभॊड भ अऩनी ऩचनदजॊग ऩािय को हदखान क सरए चीज खयीदत ह ि फाजाय को शतानी वमॊगम शनदकत दत ह| ऐस रोग फाजारऩन औय कऩट फढात ह | ऩस की मह वमॊगम शनदकत वमनदकत को अऩन सग रोगो क परनत बी कतघन फना सकती ह | साधायण जन का रदम रारसा ईरषमाय औय तरषणा स जरन रगता ह | दसयी ओय ऐसा वमनदकत नदजसक भन भ रश भातर बी रोब औय तरषणा नहीॊ ह सॊचम की इचछा नहीॊ ह िह इस वमॊगम-शनदकत स फचा यहता ह | बगतजी ऐस ही आतभफर क धनी आदशय गराहक औय फचक ह नदजन ऩय ऩस की वमॊगम-शनदकत का कोई असय नहीॊ होता | अनक उदाहयणो क दिाया रखक न मह सऩरषट ककमा ह कक एक ओय फाजाय रारची असॊतोरी औय खोखर भन िार वमनदकतमो को रटन क सरए ह िहीॊ दसयी ओय सॊतोरी भन िारो क सरए फाजाय की चभक-दभक उसका आकरयण कोई भहतति नहीॊ यखता

परशन१ - ऩचजजॊग ऩावय ककस कहा गमा ह फाजाय ऩय इसका कमा परबाव ऩड़ता ह

उततय- ऩचनदजॊग ऩािय का अथय ह खयीदन की शनदकत ऩचनदजॊग ऩािय क घभॊड भ वमनदकत हदखाि क सरए आिशमकता स अधधक खयीदायीकयता ह औय फाजाय को शतानी वमॊगम-शनदकत दता ह ऐस रोग फाजाय का फाजारऩन फढ़ात ह

परशन२ -रखक न फाजाय का जाद ककस कहा ह इसका कमा परबाव ऩड़ता ह

उततय- फाजाय की चभक-दभक क चॊफकीम आकरयण को फाजाय का जाद कहा गमा ह मह जाद आॊखो की याह कामय कयता ह फाजाय क इसी आकरयण क कायण गराहक सजी-धजी चीजो को आिशमकता न होन ऩय बी खयीदन को वििश हो जात ह

परशन३ -आशम सऩषट कय

भन खारी होना भन बया होना भन फॊद होना

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उततय-भन खारी होना- भन भ कोई नननदशचत िसत खयीदन का रकषम न होना ननरददशम फाजाय जाना औय वमथय की चीजो को खयीदकय राना

भन बया होना- भन रकषम स बया होना नदजसका भन बया हो िह बरीबाॉनत जानता ह कक उस फाजाय स कौन सी िसत खयीदनी ह अऩनी आिशमकता की चीज खयीदकय िह फाजाय को साथयकता परदान कयता ह

भन फॊद होना-भन भ ककसी बी परकाय की इचछा न होना अथायत अऩन भन को शनदम कय दना

परशन४ - lsquoजहाॉ तषणा ह फटोय यखन की सऩहा ह वहाॉ उस फर का फीज नहीॊ हrsquo महाॊ ककस फर की चचाट की गमी ह

उततय- रखक न सॊतोरी सिबाि क वमनदकत क आतभफरकी चचाय की ह दसय शबदो भ महद भन भ सॊतोर हो तो वमनदकत हदखाि औय ईरषमाय की बािना स दय यहता ह उसभ सॊचम कयन की परिनदतत नहीॊ होती

परशन५ - अथटशासतर अनीनतशासतर कफ फन जाता ह

उततय- जफ फाजाय भ कऩट औय शोरण फढ़न रग खयीददाय अऩनी ऩचधचॊग ऩािय क घभॊड भ हदखाि क सरए खयीददायी कय | भनरषमो भ ऩयसऩय बाईचाया सभापत हो जाए| खयीददाय औय दकानदाय एक दसय को ठगन की घात भ रग यह एक की हानन भ दसय को अऩना राब हदखाई द तो फाजाय का अथयशासतर अनीनतशासतर फन जाता ह ऐस फाजाय भानिता क सरए विडॊफना ह

परशन६-बगतजी फाजाय औय सभाज को ककस परकाय साथटकता परदान कय यह ह

उततय- बगतजी क भन भ साॊसारयक आकरयणो क सरए कोई तरषणा नहीॊ ह ि सॊचम रारच औय हदखाि स दय यहत ह फाजाय औय वमाऩाय उनक सरए आिशमकताओॊ की ऩनत य का साधन भातर ह बगतजी क भन का सॊतोर औय ननसऩह बाि उनको शररषठ उऩबोकता औय विकरता फनात ह

परशन ७ _ बगत जी क वमजकततव क सशकत ऩहरओॊ का उलरख कीजजए |

उततय-ननमनाॊककत बफॊद उनक वमनदकतति क सशकत ऩहर को उजागय कयत ह

ऩॊसायी की दकान स किर अऩनी जरयत का साभान (जीया औय नभक) खयीदना नननदशचत सभम ऩय चयन फचन क सरए ननकरना छह आन की कभाई होत ही चयन फचना फॊद कय दना फच हए चयन को फचचो को भफ़त फाॉट दना

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सबी काजम-जम याभ कहकय सिागत कयना फाजाय की चभक-दभक स आकवरयत न होना सभाज को सॊतोरी जीिन की सशा दना

परशन7-फाजाय की साथटकता ककसभ ह

उततय- भनरषम की आिशमकताओॊ की ऩनतय कयन भ ही फाजाय की साथयकता ह जो गराहक अऩनी आिशमकताओॊ की चीज खयीदत ह ि फाजाय को साथयकता परदान कयत ह जो विकरता गराहको का शोरण नहीॊ कयत औय छर-कऩट स गराहको को रबान का परमास नही कयत ि बी फाजाय को साथयक फनात ह

गदमाॊश-आधारयत अथटगरहण-सॊफॊधधत परशनोततय

फाजाय भ एक जाद ह िह जाद आॉख की तयह काभ कयता ह िह रऩ का जाद ह ऩय जस चॊफक का जाद रोह ऩय ही चरता ह िस ही इस जाद की बी भमायदा ह जफ बयी हो औय भन खारी हो ऐसी हारत भ जाद का असय खफ होता ह जफ खारी ऩय भन बया न हो तो बी जाद चर जाएगा भन खारी ह तो फाजाय की अनकानक चीजो का ननभॊतरण उस तक ऩहॉच जाएगा कहीॊ हई उस िकत जफ बयी तफ तो कपय िह भन ककसकी भानन िारा ह भारभ होता ह मह बी रॉ िह बी रॉ सबी साभान जरयी औय आयाभ को फढ़ान िारा भारभ होता ह ऩय मह सफ जाद का असय ह जाद की सिायी उतयी कक ऩता चरता ह कक प सी-चीजो की फहतामत आयाभ भ भदद नहीॊ दती फनदलक खरर ही डारती ह थोड़ी दय को सिासबभान को जरय सक सभर जाता ह ऩय इसस असबभान को धगलटी की खयाक ही सभरती ह जकड़ यशभी डोयी की हो तो यशभ क सऩशय क भरामभ क कायण कमा िह कभ जकड़ दगी

ऩय उस जाद की जकड़ स फचन का एक सीधा उऩाम ह िह मह कक फाजाय जाओ तो खारी भन न हो भन खारी हो तफ फाजाय न जाओ कहत ह र भ जाना हो तो ऩानी ऩीकय जाना चाहहए ऩानी बीतय हो र का रऩन वमथय हो जाता ह भन रकषम स बया हो तो फाजाय परा का परा ही यह जाएगा तफ िह घाि बफरकर नहीॊ द सकगा फनदलक कछ आनॊद ही दगा तफ फाजाय तभस कताथय होगा कमोकक तभ कछ न कछ सचचा राब उस दोग फाजाय की असरी कताथयता ह आिशमकता क सभम काभ आना

परशन-1 फाजाय क जाद को रखक न कस सऩषट ककमा ह

उततय- फाजाय क रऩ का जाद आॉखो की याह स काभ कयता हआ हभ आकवरयत कयता ह फाजाय का जाद ऐस चरता ह जस रोह क ऊऩय चॊफक का जाद चरता ह चभचभाती योशनी भ सजी

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प सी चीॊज गराहक को अऩनी ओय आकवरयत कयती ह| इसी चमफकीम शनदकत क कायण वमनदकत कपजर साभान को बी खयीद रता ह |

परशन-2 जफ बयी हो औय भन खारी तो हभायी कमा दशा होती ह

उततय- जफ बयी हो औय भन खारी हो तो हभाय ऊऩय फाजाय का जाद खफ असय कयता ह भन खारी ह तो फाजाय की अनकानक चीजो का ननभॊतरण भन तक ऩहॉच जाता ह औय उस सभम महद जफ बयी हो तो भन हभाय ननमॊतरण भ नहीॊ यहता

परशन-3 प सी चीजो की फहतामत का कमा ऩरयणाभ होता ह

उततय- प सी चीज आयाभ की जगह आयाभ भ वमिधान ही डारती ह थोड़ी दय को असबभान को जरय सक सभर जाती ह ऩय हदखाि की परिनदतत भ िवदध होती ह

परशन-4 जाद की जकड़ स फचन का कमा उऩाम ह

उततय- जाद की जकड़ स फचन क सरए एक ही उऩाम ह िह मह ह कक फाजाय जाओ तो भन खारी न हो भन खारी हो तो फाजाय भत जाओ

13 कार भघा ऩानी द

रखक-धभटवीय बायती

ऩाि का सायाॊश -lsquoकार भघा ऩानी दrsquo ननफॊध रोकजीिन क विशिास औय विऻान क तकय ऩय आधारयत ह जफ बीरण गभी क कायण वमाकर रोग िराय कयान क सरए ऩजा-ऩाठ औय कथा-विधान कय थकndashहाय जात ह तफ िराय कयान क सरए अॊनतभ उऩाम क रऩ भ इनददय सना ननकरती ह| इनददय सना नॊग-धड़ॊग फचचो की टोरी ह जो कीचड़ भ रथऩथ होकय गरी-भोहलर भ ऩानी भाॉगन ननकरती ह| रोग अऩन घय की छतो-णखड़ककमो स इनददय सना ऩय ऩानी डारत ह | रोगो की भानदमता ह कक इनददर फादरो क सिाभी औय िराय क दिता ह| इनददर की सना ऩय ऩानी डारन स इनददर बगिान परसनदन होकय ऩानी फयसाएॊग | रखक का तकय ह कक जफ ऩानी की इतनी कभी ह तो रोग भनदशकर स जभा ककए ऩानी को फालटी बय-बयकय इनददय सना ऩय डारकय ऩानी को कमो फफायद कयत ह आमयसभाजी विचायधाया िारा रखक इस अॊधविशिास भानता ह | इसक विऩयीत रखक की जीजी उस सभझाती ह कक मह ऩानी की फफायदी नहीॊ फनदलक ऩानी की फिाई ह | कछ ऩान क सरए कछ दना ऩड़ता ह | तमाग क बफना दान नहीॊ होता| परसतत ननफॊध भ रखक न भरषटाचाय की सभसमा को उठात हए कहा ह कक जीिन भ कछ ऩान क सरए तमाग आिशमक ह जो रोग तमाग औय दान की भहतता को नहीॊ भानत ि ही भरषटाचाय भ सरपत यहकय दश औय सभाज को रटत ह| जीजी की आसथा बािनातभक सचचाई को ऩरषट कयती ह औय तकय किर िऻाननक तथम को सतम भानता ह जहाॉ तकय मथाथय क

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कठोय धयातर ऩय सचचाई को ऩयखता ह तो िहीॊ आसथा अनहोनी फात को बी सिीकाय कय भन को सॊसकारयत कयती ह बायत की सितॊतरता क ५० सार फाद बी दश भ वमापत बरषटाचाय औय सिाथय की बािना को दखकय रखक दखी ह | सयकाय दिाया चराई जा यही मोजनाएॉ गयीफो तक कमो नहीॊ ऩहॉच ऩा यहीॊ ह कार भघा क दर उभड़ यह ह ऩय आज बी गयीफ की गगयी पटी हई कमो ह रखक न मह परशन ऩाठको क सरए छोड़ हदमा ह |

परशन1-इनदय सना घय-घय जाकय ऩानी कमो भाॉगती थी

उततय- गाॉि क रोग फारयश क सरए बगिान इॊदर स पराथयना ककमा कयत थ जफ ऩजा-ऩाठवरत आहद उऩाम असिर हो जात थ तो बगिान इॊदर को परसनदन कयन क सरए गाॉि क ककशोय फचच कीचड़ भ रथऩथ होकय गरी-गरी घभकय रोगो स ऩानी भाॉगत थ

परशन2-इनदयसना को रखक भढक-भॊिरी कमो कहता ह जीजी क फायndashफाय कहन ऩय बी वह इनदयसना ऩय ऩानी प कन को याजी कमो नहीॊ होता

उततय- इनददयसना का कामय आमयसभाजी विचायधाया िार रखक को अॊधविशिास रगता ह उसका भानना ह कक महद इॊदयसना दिता स ऩानी हदरिा सकती ह तो सिमॊ अऩन सरए ऩानी कमो नहीॊ भाॉग रती ऩानी की कभी होन ऩय बी रोग घय भ एकतर ककम हए ऩानी को इॊदयसना ऩय ि कत ह रखक इस ऩानी की ननभयभ फयफादी भानता ह

परशन3- रि हए रखक को जीजी न ककस परकाय सभझामा

उततय- जीजी न रखक को पमाय स रडड-भठयी णखरात हए ननमन तकय हदए-

1- तमाग का भहततव- कछ ऩान क सरए कछ दना ऩड़ता ह 2- दान की भहतता- कवर-भननमो न दान को सफस ऊॉ चा सथान हदमा ह जो चीज अऩन

ऩास बी कभ हो औय अऩनी आिशमकता को बरकय िह चीज दसयो को दान कय दना ही तमाग ह |

3- इॊिदव को जर का अधमट चिाना- इॊदयसना ऩय ऩानी ि कना ऩानी की फयफादी नहीॊ फनदलक इॊदरदि को जर का अधमय चढ़ाना ह

4- ऩानी की फवाई कयना- नदजस परकाय ककसान िसर उगान क सरए जभीन ऩय फीज डारकय फिाई कयता ह िस ही ऩानी िार फादरो की िसर ऩान क सरए इनददय सना ऩय ऩानी डार कय ऩानी की फिाई की जाती ह

परशन4-नठदमो का बायतीम साभाजजक औय साॊसकनतक ऩरयवश भ कमा भहतव ह

उततय- गॊगा बायतीम सभाज भ सफस ऩजम सदानीया नदी ह नदजसका बायतीम इनतहास भ धासभयक ऩौयाणणक औय साॊसकनतक भहति ह | िह बायतीमो क सरए किर एक नदी नहीॊ अवऩत

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भाॉ ह सिगय की सीढ़ी ह भोदानमनी ह उसभ ऩानी नहीॊ अवऩत अभत तलम जर फहता ह बायतीम सॊसकनत भ नहदमो क ककनाय भानि सभमताएॉ परी-परी ह| फड़-फड़ नगय तीथयसथान नहदमो क ककनाय ही नदसथत ह ऐस ऩरयिश भबायतिासी सफस ऩहर गॊगा भमा की जम ही फोरग नहदमाॉ हभाय जीिन का आधाय ह हभाया दश कवर परधान ह नहदमो क जर स ही बायत बसभ हयी-बयी ह नहदमो क बफना जीिन की कलऩना नहीॊ कय सकत मही कायण ह कक हभ बायतीम नहदमो की ऩजा कयत ह |

परशन4-आजादी क ऩचास वषो क फाद बी रखक कमो दखी ह उसक भन भ कौन स परशन उि यह ह

उततय- आजादी क ऩचास िरो फाद बी बायतीमो की सोच भ सकायातभक फदराि न दखकय रखक दखी ह उसक भन भ कई परशन उठ यह ह-

1 कमा हभ सचच अथो भ सितनदतर ह 2 कमा हभ अऩन दश की सॊसकनत औय सभमता को सभझ ऩाए ह 3 यारषर ननभायण भ हभ ऩीछ कमो ह हभ दश क सरए कमा कय यह ह

4 हभ सिाथय औय भरषटाचाय भ सरपत यहत ह तमाग भ विशिास कमो नहीॊ कयत

5 सयकाय दिाया चराई जा यही सधायिादी मोजनाएॉ गयीफो तक कमो नहीॊ ऩहॉचती ह

गदमाॊश ऩय आधारयत अथटगरहण-सॊफॊधधत परशनोततय

सचभच ऐस हदन होत जफ गरी-भहलरा गाॉि-शहय हय जगह रोग गयभी भ बन-बन कय तराहहभाभ कय यह होत जठ क दसतऩा फीतकय आराढ का ऩहरा ऩखिाड़ा फीत चका होता ऩय कषनतज ऩय कहीॊ फादरो की यख बी नहीॊ दीखती होती कएॉ सखन रगत नरो भ एक तो फहत कभ ऩानी आता औय आता बी तो आधी यात को िो बी खौरता हआ ऩानी हो | शहयो की तरना भ गाॉि भ औय बी हारत खयाफ थी| जहाॉ जताई होनी चाहहए थी िहाॉ खतो की सभटटी सखकय ऩतथय हो जाती कपय उसभ ऩऩड़ी ऩड़कय जभीन पटन रगती र ऐसी कक चरत-चरत आदभी धगय ऩड़ | ढोय-डॊगय पमास क भाय भयन रगत रककन फारयश का कहीॊ नाभ ननशान नहीॊ ऐस भ ऩजा-ऩाठ कथा-विधान सफ कयक रोग जफ हाय जात तफ अॊनतभ उऩाम क रऩ भ ननकरती मह इनददय सना |

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परशन१- वषाट न होन ऩय रोगो की कमा जसथनत हो गमी थी उततय - िराय न होन ऩय गयभी क कायण रोग र रगन स फहोश होन रग | गाॉि-शहय सबी जगह ऩानी का अबाि हो गमा| कएॉ सख गए खतो की सभटटी सखकय ऩतथय क सभान कठोय होकय पट गमी| घयो भ नरो भ ऩानी फहत कभ आता था | ऩश पमास क भाय भयन रग थ | परशन२- वषाट क दवता कौन ह उनको परसनन कयन क लरए कमा उऩाम ककए जात थ उततय -िराय क दिता बगिान इनददर ह| उनको परसनदन कयन क सरए ऩजाndashऩाठ कथा-विधान कयाए जात थ | ताकक इनददर दि परसनदन होकय फादरो की सना बजकय झभाझभ फारयश कयाएॉ औय रोगो क करषट दय हो | परशन३- वषाट कयान क अॊनतभ उऩाम क रऩ भ कमा ककमा जाता था उततय ndashजफ ऩजा-ऩाठ कथा-विधान सफ कयक रोग हाय जात थ तफ अॊनतभ उऩाम क रऩ भ इनददय सना आती थी | नॊग-धडॊग कीचड़ भ रथऩथ lsquoकार भघा ऩानी द ऩानी द गड़धानी दrsquo की टय रगाकय पमास स सखत गरो औय सखत खतो क सरए भघो को ऩकायती हई टोरी फनाकय ननकर ऩड़ती थी| परशन४-आशम सऩषट कय ndash जठ क दसतऩा फीतकय आराढ़ का ऩहरा ऩखिाड़ा फीत चका होता ऩय कषनतज भ कहीॊ फादरो की यख बी नजय नहीॊ आती | आशम- जठ का भहीना ह बीरण गयभी ह| तऩत हए दस हदन फीत कय आराढ का भहीना बी आधा फीत गमा ऩय ऩानी क सरए तड़ऩत िराय की आशा भ आसभान की ओय ताकत रोगो को कहीॊ फादर नजय नहीॊ आ यह |

14 ऩहरवान की ढोरक

फ़णीशवयनाथ यण

ऩाि का सायाॊश ndashआॊचसरक कथाकाय िणीशियनाथ यण की कहानी ऩहरिान की ढोरक भ कहानी क भखम ऩातर रटटन क भाता-वऩता का दहाॊत उसक फचऩन भ ही हो गमा था | अनाथ रटटन को उसकी विधिा सास न ऩार-ऩोसकय फड़ा ककमा | उसकी सास को गाॉि िार सतात थ |

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रोगो स फदरा रन क सरए कशती क दाॉिऩच सीखकय कसयत कयक रटटन ऩहरिान फन गमा |

एक फाय रटटन शमाभनगय भरा दखन गमा जहाॉ ढोर की आिाज औय कशती क दाॉिऩच दखकय उसन जोश भ आकय नाभी ऩहरिान चाॉदससॊह को चनौती द दी | ढोर की आिाज स परयणा ऩाकय रटटन न दाॉि रगाकय चाॉद ससॊह को ऩटककय हया हदमा औय याज ऩहरिान फन गमा | उसकी खमानत दय-दय तक िर गमी| १५ िरो तक ऩहरिान अजम फना यहा| उसक दो ऩतर थ| रटटन न दोनो फटो को बी ऩहरिानी क गय ससखाए| याजा की भतम क फाद नए याजकभाय न गददी सॊबारी याजकभाय को घोड़ो की यस का शौक था भनजय न नम याजा को बड़कामा ऩहरिान औय उसक दोनो फटो क बोजनखचय को बमानक औय किजरखचय फतामा िरसिरऩ नए याजा न कशती को फॊद कयिा हदमा औय ऩहरिान रटटनससॊह को उसक दोनो फटो क साथ भहर स ननकार हदमा

याजदयफाय स ननकार हदए जान क फाद रटटन ससॊह अऩन दोनो फटो क साथ गाॉि भ झोऩड़ी फनाकय यहन रगा औय गाॉि क रड़को को कशती ससखान रगा| रटटन का सकर जमादा हदन नहीॊ चरा औय जीविकोऩाजयन क सरए उसक दोनो फटो को भजदयी कयनी ऩड़ी| इसी दौयान गाॉि भ अकार औय भहाभायी क कायण परनतहदन राश उठन रगी| ऩहरिान भहाभायी स डय हए रोगो को ढोरक फजाकय फीभायी स रड़न की सॊजीिनी ताकत दता था| एक हदन ऩहरिान क दोनो फट बी भहाभायी की चऩट भ आकय भय गए ऩय उस यात बी ऩहरिान ढोरक फजाकय रोगो को हहमभत फॊधा यहा था | इस घटना क चाय-ऩाॉच हदन फाद ऩहरिान की बी भौत हो जाती ह|

ऩहरिान की ढोरक वमिसथा क फदरन क साथ रोक कराकाय क अपरासॊधगक हो जान की कहानी ह इस कहानी भ रटटन नाभ क ऩहरिान की हहमभत औय नदजजीविरा का िणयन ककमा गमा ह बख औय भहाभायी अजम रटटन की ऩहरिानी को िट ढोर भ फदर दत ह इस करण तरासदी भ ऩहरिान रटटन कई सिार छोड़ जाता ह कक करा का कोई सितॊतर अनदसतति ह मा करा किर वमिसथा की भोहताज ह

परशन1- रटटन को ऩहरवान फनन की परयणा कस लभरी

उततय- रटटन जफ नौ सार का था तो उसक भाता-वऩता का दहाॊत हो गमा था | सौबागम स उसकी शादी हो चकी थी| अनाथ रटटन को उसकी विधिा सास न ऩार-ऩोसकय फड़ा ककमा | उसकी सास को गाॉि िार ऩयशान कयत थ| रोगो स फदरा रन क सरए उसन ऩहरिान फनन की ठानी| धायोरषण दध ऩीकय कसयत कय उसन अऩना फदन गठीरा औय ताकतिय फना सरमा | कशती क दाॉिऩच सीखकय रटटन ऩहरिान फन गमा |

परशन2- यात क बमानक सननाट भ रटटन की ढोरक कमा करयशभा कयती थी

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उततय- यात क बमानक सनदनाट भरटटन की ढोरक भहाभायी स जझत रोगो को हहमभत फॉधाती थी | ढोरक की आिाज स यात की विबीवरका औय सनदनाटा कभ होता था| भहाभायी स ऩीडड़त रोगो की नसो भ बफजरी सी दौड़ जाती थी उनकी आॉखो क साभन दॊगर का दशम साकाय हो जाता था औय ि अऩनी ऩीड़ा बर खशी-खशी भौत को गर रगा रत थ इस परकाय ढोर की आिाज फीभाय-भतपराम गाॉििारो की नसो भ सॊजीिनी शनदकत को बय फीभायी स रड़न की परयणा दती थी

परशन3- रटटन न सवाटधधक ठहमभत कफ ठदखाई

उततय- रटटन ससॊह न सिायधधक हहमभत तफ हदखाई जफ दोनो फटो की भतम ऩय िह योमा नहीॊ फनदलक हहमभत स काभ रकय अकर उनका अॊनतभ सॊसकाय ककमा| मही नहीॊ नदजस हदन ऩहरिान क दोनो फट भहाभायी की चऩट भ आकय भय गए ऩय उस यात को बी ऩहरिान ढोरक फजाकय रोगो को हहमभत फॉधा यहा था| शमाभनगय क दॊगर भ ऩया जनसभदाम चाॉद ससॊह क ऩ भ था चाॉद ससॊह को हयात सभम रटटन न हहमभत हदखाई औय बफना हताश हए दॊगर भ चाॉद ससॊह को धचत कय हदमा |

परशन4- रटटन लसॊह याज ऩहरवान कस फना

उततय- शमाभनगय क याजा कशती क शौकीन थ उनदहोन दॊगर का आमोजन ककमा ऩहरिान रटटन ससॊह बी दॊगर दखन ऩहॉचा चाॊदससॊह नाभक ऩहरिान जो शय क फचच क नाभ स परससदध था कोई बी ऩहरिान उसस सबड़न की हहमभत नहीॊ कयता था चाॉदससॊह अखाड़ भ अकरा गयज यहा था रटटन ससॊह न चाॉदससॊह को चनौती द दी औय चाॉदससॊह स सबड़ गमाढ़ोर की आिाज सनकय रटटन की नस-नस भ जोश बय गमाउसन चाॉदससॊह को चायो खान धचत कय हदमा याजासाहफ न रटटन की िीयता स परबावित होकय उस याजऩहरिान फना हदमा

परशन5- ऩहरवान की अॊनतभ इचछा कमा थी

उततय- ऩहरिान की अॊनतभ इचछा थी कक उस धचता ऩय ऩट क फर सरटामा जाए कमोकक िह नदजॊदगी भ कबी धचत नहीॊ हआ था| उसकी दसयी इचछा थी कक उसकी धचता को आग दत सभम ढोर अिशम फजामा जाए |

परशन6- ढोर की आवाज औय रटटन क भ दाॉिऩच सॊफॊध फताइए-

उततय- ढोर की आिाज औय रटटन क दाॉिऩच भ सॊफॊध -

चट धा धगड़ धाrarr आजा सबड़ जा | चटाक चट धाrarr उठाकय ऩटक द | चट धगड़ धाrarrभत डयना |

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धाक धधना नतयकट नतनाrarr दाॉि काटो फाहय हो जाओ | धधना धधना धधक धधनाrarr धचत कयो

गदमाॊश-आधारयत अथटगरहण-सॊफॊधधत परशनोततय

अॉधयी यात चऩचाऩ आॉस फहा यही थी | ननसतबधता करण सससककमो औय आहो को अऩन रदम भ ही फर ऩियक दफान की चरषटा कय यही थी | आकाश भ ताय चभक यह थ | ऩथिी ऩय कहीॊ परकाश का नाभ नहीॊ| आकाश स टट कय महद कोई बािक ताया ऩथिी ऩय आना बी चाहता तो उसकी जमोनत औय शनदकत यासत भ ही शर हो जाती थी | अनदम ताय उसकी बािकता अथिा असपरता ऩय णखरणखराकय हॉस ऩड़त थ | ससमायो का करॊ दन औय ऩचक की डयािनी आिाज यात की ननसतबधता को बॊग कयती थी | गाॉि की झोऩडडमो स कयाहन औय क कयन की आिाज हय याभ ह बगिान की टय सनाई ऩड़ती थी| फचच बी ननफयर कॊ ठो स भाॉ ndashभाॉ ऩकायकय यो ऩड़त थ |

(क) अॉधयी यात को आॉस फहात हए कमो ठदखामा गमा ह उततयndash गाॉि भ हजा औय भररयमा परा हआ था | भहाभायी की चऩट भ आकाय रोग भय यह थ |चायो ओय भौत का सनाटा छामा था इससरए अॉधयी यात बी चऩचाऩ आॉस फहाती सी परतीत हो यही थी|

(ख) ताय क भाधमभ स रखक कमा कहना चाहता ह उततयndash ताय क भाधमभ स रखक कहना चाहता ह कक अकार औय भहाभायी स तरसत गाॉि िारो की ऩीड़ा को दय कयन िारा कोई नहीॊ था | परकनत बी गाॉि िारो क द ख स दखी थी| आकाश स टट कय महद कोई बािक ताया ऩथिी ऩय आना बी चाहता तो उसकी जमोनत औय शनदकत यासत भ ही शर हो जाती थी |

(ग) यात की ननसतबधता को कौन बॊग कयता था उततयndash ससमायो की चीख-ऩकाय ऩचक की डयािनी आिाज औय कततो का साभहहक रदन सभरकय यात क सनदनाट को बॊग कयत थ |

(घ) झोऩड़ड़मो स कसी आवाज आ यही ह औय कमो उततयndash झोऩडड़मो स योधगमो क कयाहन क कयन औय योन की आिाज आ यही ह कमोकक गाॉि क रोग भररयमा औय हज स ऩीडड़त थ | अकार क कायण अनदन की कभी हो गमी थी| औरधध औय ऩथम न सभरन क कायण रोगो की हारत इतनी फयी थी कक कोई बगिान को ऩकाय रगाता था तो कोई दफयर कॊ ठ स भाॉndashभाॉ ऩकायता था |

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15 चारी चजतरन मानी हभ सफ

रखक-पवषण खय

ऩाि का सायाॊश ndashचारक चनदपरन न हासम कराकाय क रऩ भ ऩयी दननमा क फहत फड़ दशयक िगय को हॉसामा ह | उनकी कपलभो न कपलभ करा को रोकताॊबतरक फनान क साथ-साथ दशको की िगय औय िणय-वमिसथा को बी तोड़ा | चारक न करा भ फवदध की अऩा बािना को भहतति हदमा ह | फचऩन क सॊघरो न चारक क बािी कपलभो की बसभ तमाय कय दी थी| बायतीम करा औय सौदमयशासतर भ करणा का हासम भ ऩरयितयन बायतीम ऩयमऩया भ नहीॊ सभरता रककन चारक एक ऐसा जादई वमनदकतति ह जो हय दश सॊसकनत औय सभमता को अऩना सा रगता ह| बायतीम जनता न बी उनदह सहज बाि स सिीकाय ककमा ह| सिमॊ ऩय हॉसना चारक न ही ससखामा| बायतीम ससनभा जगत क सपरससदध कराकाय याजकऩय को चारक का बायतीमकयण कहा गमा ह | चारक की अधधकाॊश किलभ भक ह इससरए उनदह अधधक भानिीम होना ऩड़ा | ऩाठ भ हासम कपलभो क भहान असबनता lsquoचारक चनदपरनrsquo की जादई विशरताओॊ का उलरख ककमा गमा ह नदजसभ उसन करणा औय हासम भ साभॊजसम सथावऩत कय किलभो को साियबौसभक रऩ परदान ककमा

परशन१ -चारी क जीवन ऩय परबाव िारन वारी भखम घटनाएॉ कौन सी थी

उततय- चारक क जीिन भ दो ऐसी घटनाएॉ घटीॊ नदजनदहोन उनक बािी जीिन ऩय फहत परबाि डारा |

ऩहरी घटना - जफ चारक फीभाय थ उनकी भाॉ उनदह ईसा भसीह की जीिनी ऩढ़कय सना यही थी | ईसा क सरी ऩय चढ़न क परसॊग तक आत-आत भाॉ-फटा दोनो ही योन रग| इस घटना न चारक को सनह करणा औय भानिता जस उचच जीिन भलम हदए |

दसयी घटना हndash फारक चारक कसाईखान क ऩास यहता था| िहाॉ सकड़ो जानियो को योज भाया जाता था| एक हदन एक बड़ िहाॉ स बाग ननकरी| बड़ को ऩकड़न की कोसशश भ कसाई कई फाय कपसरा| नदजस दखकय रोग हॊसन रग ठहाक रगान रग| जफ बड़ को कसाई न ऩकड़ सरमा तो फारक चारक योन रगा| इस घटना न उसक बािी कपलभो भ तरासदी औय हासमोतऩादक ततिो की बसभका तम कय दी |

परशन२ ndash आशम सऩषट कीजजएndash

चजतरन न लसपट कपलभकरा को ही रोकताॊबतरक नही फनामा फजलक दशटको की वगट तथा वणट-वमवसथा को बी तोड़ा|

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उततय- रोकताॊबतरक फनान का अथय ह कक कपलभ करा को सबी क सरए रोकवपरम फनाना औय िगय औय िणय-वमिसथा को तोड़न का आशम ह- सभाज भ परचसरत अभीय-गयीफ िणय जानतधभय क बदबाि को सभापत कयना |चनदपरन का चभतकाय मह ह कक उनदहोन कपलभकरा को बफना ककसी बदबाि क सबी रोगो तक ऩहॉचामा| उनकी कपलभो न सभम बगोर औय सॊसकनतमो की सीभाओॊ को राॉघ कय साियबौसभक रोकवपरमता हाससर की | चारक न मह ससदध कय हदमा कक करा सितनदतर होती ह अऩन ससदधाॊत सिमॊ फनाती ह |

परशन३ndash चारी चजतरन की कपलभो भ ननठहत तरासदीकरणाहासम का साभॊजसम बायतीम करा औय सौदमटशासतर की ऩरयधध भ कमो नहीॊ आता

उततय- चारक चनदपरन की कपलभो भ ननहहत तरासदीकरणाहासम का साभॊजसम बायतीम करा औय सौदमयशासतर की ऩरयधध भ नहीॊ आताकमोकक बायतीम यस-ससदधाॊत भ करणा औय हासम का भर नहीॊ हदखामा जाता कमोकक बायतीम सौदमयशासतर भ करणयस औय हासम यस को ऩयसऩय वियोधी भाना गमा ह अथायत जहाॊ करणा ह िहाॉ हासम नहीॊ हो सकता बायत भ सिमॊ ऩय हॉसन की ऩयॊऩया नहीॊ ह ऩयॊत चारक क ऩातर अऩन ऩय हॉसतndashहॉसात ह चारक की किलभो क दशम हॉसात-हॉसात ररा दत ह तो कबी करण दशम क फाद अचानक ही हॉसन ऩय भजफय कय दत ह

परशन४ndash चारी क कपलभो की पवशषताएॉ फताइए |

उततय- चारक की किलभो भ हासम औय करणा का अदभत साभॊजसम ह उनकी किलभो भ बारा का परमोग फहत कभ ह चारक की किलभो भ फवदध की अऩा बािना का भहतति अधधक ह उनकी किलभो भ साियबौसभकता ह चारक ककसी बी सॊसकनत को विदशी नही रगत चारक सफको अऩन रगत ह चारक न किलभो को रोकताॊबतरक फनामा औय किलभो भ िगय तथािणय-वमिसथा को तोड़ा अऩनी कपलभो भ चारक सदि धचय मिा हदखता ह

गदमाॊश-आधारयत अथटगरहण-सॊफॊधी परशनोततय

गदमाॊश सॊकत ndashचारक चनदपरन मानी हभ सफ (ऩरषठ १२० )

महद मह िरय चनदपरन की कापी कछ कहा जाएगा |

परशन (क)-पवकासशीर दशो भ चजतरन कमो भशहय हो यह ह

उततय - विकासशीर दशो भ जस-जस टरीविजन औय िीडडमो का परसाय हो यहा ह रोगो को उनकी कपलभो को दखन का अिसय सभर यहा ह |एक फहत फड़ा िगय नए ससय स चारक को घड़ी सधायत औय जत खान की कोसशश कयत दख यहा ह इसीसरए चारक विकासशीर दशो भ रोकवपरम हो यह ह |

(ख)- ऩजशचभ भ चारी का ऩनजीवन कस होता यहता ह

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उततय - ऩनदशचभ भ चारक की कपलभो का परदशयन होता यहता ह| उनकी करा स परयणा ऩाकय हासम किलभ फनती यहती ह | उनक दिाया ननबाए ककयदायो की नकर अनदम कराकाय कयत ह | ऩनदशचभ भ चारक का ऩनजीिन होता यहता ह|

(ग)- चारी को रोग फिाऩ तक कमो माद यखग

उततय ndashहासम कराकाय क रऩ भ रोग चारक को फढ़ाऩ तक माद यखग कमोकक उनकी करा सभम बगोर औय सॊसकनतमो की सीभाओॊ को राॉघकय राखो रोगो को हॉसा यही ह|

(घ)- चारी की कपलभो क फाय भ कापी कछ कहा जाना कमो फाी ह

उततय ndashचनदपरन की ऐसी कछ किलभ मा इसतभार न की गमी यीर सभरी ह नदजनक फाय भ कोई नहीॊ जानता था | चारक की बािनापरधान हासम कपलभो न करा क नए परनतभान सथावऩत ककए ह अत चारक की कपलभो क फाय भ अबी कापी कछ कहा जाना फाी ह|

16 नभक

रखखका - यजजमा सजजाद जहीय

सायाॊश -lsquoनभकrsquoबायत-ऩाक विबाजन ऩय सरणखत भासभयक कहानी ह | विसथावऩत हए रोगो भ अऩनndashअऩन जनदभ सथानो क परनत आज बी रगाि ह| धासभयक आधाय ऩय फनी यारषर-याजमो की सीभा-यखाएॉ उनक अॊतभयन को अरग नहीॊ कय ऩाई ह | बायत भ यहन िारी ससख फीिी राहौय को अऩना ितन भानती ह औय बायतीम कसटभ अधधकायी ढाका क नारयमर ऩानी को मादकय उस सियशररषठ फताता ह दोनो दशो क नागरयको क फीच भहबफत का नभकीन सिाद आज बी कामभ ह इसीसरए सकिमा बायत भ यहन िारी अऩनी भॉहफोरी भाॉ ससख फीिी क सरए राहौयी नभक रान क सरए कसटभ औय कानन की ऩयिाह नहीॊ कयती

परशन1- lsquoनभकrsquo ऩाि क आधाय ऩय फताइए कक सकपमा औय उसक बाई क पवचायो भ कमा अॊतय था

उततय- १-सकपमा बािनाओॊ को फहतभहतति दती ह ऩय उसका बाई फौवदधक परिनदतत का ह उसकी दनदरषट भ कानन बािनाओॊ स ऊऩय ह|

२-सकपमा भानिीम सॊफॊधो को फहत भहतति दती ह जफकक उसका बाई अरगाििादी विचायधाया का ह हहसस-फखय की फात कयता ह |

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३-सकपमा का बाई कहता ह कक अदीफो(साहहतमकाय) का हदभाग घभा हआ होता ह जफकक सकपमा जो सिमॊ अदीफ ह उसका भानना ह कक अगय सबी रोगो का हदभाग अदीफो की तयह घभा हआ होता तो दननमा कछ फहतय हो जाती |

परशन२- नभक र जात सभम सकफ़मा क भन भ कमा दपवधा थी

उततय-सकपमा समद भसरभान थी जो हय हार भ अऩना िामदा ननबात ह| ऩाककसतान स राहौयी नभक र जाकय िह अऩना िामदा ऩया कयना चाहती थी ऩयनदत जफ उस ऩता चरा कक कसटभ क ननमभो क अनसाय सीभाऩाय नभक र जाना िनदजयत ह तो िह दविधा भ ऩड़ गई | सकिमा का दिॊदि मह था कक िह अऩनी ससख भाॉ क सरए नभक कसटभ अधधकारयमो को फताकयर जाए मा नछऩाकय|

परशन३- ऩाि क आधाय ऩय सकपमा की चारयबतरक पवशषताएॉ फताइए |

उततय सॊकत ndash

१- बािक २- ईभानदाय ३- दढ़ननशचमी ४- ननडय ५- िामद को ननबान िारी ६- भानिीम भलमो को सिोऩरय भानन िारी साहहतमकाय

परशन ४- lsquoनभकrsquo ऩाि भ आए ककयदायो क भाधमभ स सऩषट कीजजए कक आज बी बायत औय ऩाककसतान की जनता क फीच भहबफत का नभकीन सवाद घरा हआ ह |

उततय ndash बर ही याजनीनतक औय धासभयक आधाय ऩय बायत औय ऩाककसतान को बौगोसरक रऩ स विबानदजत कय हदमा गमा ह रककन दोनो दशो क रोगो क रदम भ आज बी ऩायसऩरयक बाईचाया सौहादरय सनह औय सहानबनत विदमभान ह | याजनीनतक तौय ऩय बर ही सॊफॊध तनािऩणय हो ऩय साभानदजक तौय ऩय आज बी जनता क फीच भहबफत का नभकीन सिाद घरा हआ ह | अभतसय भ यहन िारी ससख फीफी राहौय को अऩना ितन कहती ह औय राहौयी नभक का सिाद नहीॊ बरा ऩाती | ऩाककसतान का कसटभ अधधकायी नभक की ऩडड़मा सकपमा को िाऩस दत हए कहता ह rdquoजाभा भनदसजद की सीहढ़मो को भया सराभ कहना |rdquo बायतीम सीभा ऩय तनात कसटभ अधधकायी ढाका की जभीन को औय िहाॉ क ऩानी क सिाद को नहीॊ बर ऩाता |

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गदमाॊश-आधारयत अथटगरहण सॊफॊधधत परशनोततय

गदमाॊश सॊकत- ऩाठndash नभक (ऩरषठ १३४)

सकपमा कसटभ क जॊगर स दोनो क हाथो भ थी |

(क) सकपमा कसटभ क जॉगर स ननकरकय दसय तरटपाभट ऩय आ गमी व वहीॊ खड़ यहndash इस वाकम भ lsquoवrsquo शबद का परमोग ककसक लरए ककमा गमा ह

उततय- महाॉ lsquoिrsquo शबद का परमोग ऩाककसतानी कसटभ अधधकायी क सरए ककमा गमा ह जो विबाजन स ऩिय हदलरी भ यहत थ औय आज बी हदलरी को ही अऩना ितन भानत ह |

(ख) तरटपाभट ऩय सकपमा को पवदा कयन कौन-कौन आए थ उनहोन सकपमा को कस पवदाई दी

उततय- परटपाभय ऩय सकपमा को विदा कयन उसक फहत साय सभतर सग सॊफॊधी औय बाई आए थ| उनदहोन ठॊडी साॉस बयत हए सबॊच हए होठो क साथ आॉस फहात हए सकपमा को विदाई दी |

(ग) अटायी भ यरगाड़ी भ कमा ऩरयवतटन हए उततय- अटायी भ यरगाड़ी स ऩाककसतानी ऩसरस उतयी औय हहनददसतानी ऩसरस सिाय हो गई|

(घ) कौन सी फात सकपमा की सभझ भ नहीॊ आ यही थी उततय- दोनो ओय एक सी जभीन एक जसा आसभान एक सी बारा एक सा ऩहनािा औय एक सी सयत क रोग कपय बी दोनो क हाथो भ बयी हई फॊदक ह |

17 लशयीष क पर

आचामट हजायी परसाद दपववदी

सायाॊश ndashlsquoआचामय हजायी परसाद दवििदीrsquo सशयीर को अदभत अिधत भानत ह कमोकक सॊनदमासी की बाॉनत िह सख-दख की धचॊता नहीॊ कयता गभी र िराय औय आॉधी भ बी अविचर खड़ा यहता ह सशयीर क िर क भाधमभ स भनरषम की अजम नदजजीविरा धमयशीरता औय कतयवमननरषठ फन यहन क भानिीम भलमो को सथावऩत ककमा गमा हरखक न सशयीर क कोभर परो औय कठोय परो क दिाया सऩरषट ककमा ह कक रदम की कोभरता फचान क सरए कबी-कबी वमिहाय की कठोयता बी आिशमक हो जाती ह| भहान कवि कासरदास औय कफीय बी सशयीर की तयह फऩयिाह अनासकत औय सयस थ तबी उनदहोन इतनी सनददय यचनाएॉ सॊसाय को दीॊ| गाॉधीजी क वमनदकतति भ बी कोभरता औय कठोयता का अदभत सॊगभ था | रखक सोचता ह कक हभाय दश भ जो भाय-काट अनदगनदाह रट-ऩाट खन-खचचय का फिॊडय ह कमा िह दश को नदसथय नहीॊ यहन दगा गराभी अशाॊनत औय वियोधी िाताियण क फीच अऩन ससदधाॊतो की या कयत हए गाॉधीजी जी नदसथय यह सक थ तो दश बी यह सकता ह जीन की परफर असबरारा क कायण

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विरभ ऩरयनदसथतमो भ बी महद सशयीर णखर सकता ह तो हभाया दश बी विरभ ऩरयनदसथनतमो भ नदसथय यह कय विकास कय सकता ह

परशन1-लसदध कीजजए कक लशयीष कारजमी अवधत की बाॉनत जीवन की अजमता क भॊतर का परचाय कयता ह

उततय- सशयीर कारजमी अिधत की बाॉनत जीिन की अजमता क भॊतर का परचाय कयता ह| जफ ऩथिी अनदगन क सभान तऩ यही होती ह िह तफ बी कोभर परो स रदा रहरहाता यहता ह|फाहयी गयभी धऩ िराय आॉधी र उस परबावित नहीॊ कयती इतना ही नहीॊ िह रॊफ सभम तक णखरा यहता ह | सशयीर विऩयीत ऩरयनदसथनतमो भ बी धमयशीर यहन तथा अऩनी अजम नदजजीविरा क साथ ननसऩह बाि स परचॊड गयभी भ बी अविचर खड़ा यहता ह

परशन२-आयगवध (अभरतास) की तरना लशयीष स कमो नहीॊ की जा सकती

उततय- सशयीर क पर बमॊकय गयभी भ णखरत ह औय आराढ़ तक णखरत यहत ह जफकक अभरतास का पर किर ऩनददरह-फीस हदनो क सरए णखरता ह | उसक फाद अभरतास क पर झड़ जात ह औय ऩड़ कपय स ठॉठ का ठॉठ हो जाता ह | अभरतास अलऩजीिी ह | विऩयीत ऩरयनदसथनतमो को झरता हआ ऊरषण िाताियण को हॉसकय झरता हआ सशयीर दीघयजीिी यहता ह | मही कायण ह कक सशयीर की तरना अभरतास स नहीॊ की जा सकती |

परशन३-लशयीष क परो को याजनताओॊ का रऩक कमो ठदमा गमा ह

उततय- सशयीर क पर उन फढ़ ढीठ औय ऩयान याजनताओॊ क परतीक ह जो अऩनी कसी नहीॊ छोड़ना चाहत | अऩनी अधधकाय-सरपसा क सरए नए मिा नताओॊ को आग नहीॊ आन दत | सशयीर क नए परो को जफयदसती ऩयान परो को धककमाना ऩड़ता ह | याजनीनत भ बी नई मिा ऩीढ़ी ऩयानी ऩीढ़ी को हयाकय सिमॊ सतता सॉबार रती ह |

परशन४- कार दवता की भाय स फचन का कमा उऩाम फतामा गमा ह

उततय- कार दिता कक भाय स फचन का अथय हndash भतम स फचना | इसका एकभातर उऩाम मह ह कक भनरषम नदसथय न हो| गनतशीर ऩरयितयनशीर यह | रखक क अनसाय नदजनकी चतना सदा ऊधियभखी (आधमातभ की ओय) यहती ह ि हटक जात ह |

परशन५- गाॉधीजी औय लशयीष की सभानता परकट कीजजए |

उततय- नदजस परकाय सशयीर धचरधचराती धऩ र िराय औय आॉधी भ बी अविचर खड़ा यहता ह अनासकत यहकय अऩन िाताियण स यस खीॊचकय सयस कोभर फना यहता ह उसी परकाय गाॉधी जी न बी अऩनी आॉखो क साभन आजादी क सॊगराभ भ अनदमाम बदबाि औय हहॊसा को झरा |

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उनक कोभर भन भ एक ओय ननयीह जनता क परनत असीभ करणा जागी िहीॊ ि अनदमामी शासन क वियोध भ डटकय खड़ हो गए |

गदमाॊश-आधारयत अथटगरहण सॊफॊधधत परशनोततय

गदमाॊश सॊकत- ऩाठ ndash सशयीर क पर (ऩरषठ १४७)

कासरदास सौदमय क िह इशाया ह |

(क) कालरदास की सौदमटndashदजषट की कमा पवशषता थी उततय-कासरदास की सौदमयndashदनदरषट फहत सकषभ अॊतबदी औय सॊऩणय थी| ि किर फाहयी रऩ-यॊग औय आकाय को ही नहीॊ दखत थ फनदलक अॊतभयन की सॊदयता क बी ऩायखी थ| कासरदास की सौदमय शायीरयक औय भानससक दोनो विशरताओॊ स मकत था |

(ख) अनासजकत का कमा आशम ह उततय- अनासनदकत का आशम ह- वमनदकतगत सख-द ख औय याग-दिर स ऩय यहकय सौदमय क िासतविक भभय को जानना |

(ग) कालरदास ऩॊत औय यवीॊिनाथ टगोय भ कौन सा गण सभान था भहाकवि कासरदास ससभतरानॊदन ऩॊत औय गरदि यिीॊदरनाथ टगोय तीनो नदसथयपरऻ औय अनासकत कवि थ | ि सशयीर क सभान सयस औय भसत अिधत थ |

(घ) यवीॊिनाथ याजोदमान क लसॊहदवाय क फाय भ कमा सॊदश दत ह याजोदमान क फाय भ यिीॊदरनाथ कहत ह याजोदमान का ससॊहदिाय ककतना ही सॊदय औय गगनचमफी कमो ना हो िह अॊनतभ ऩड़ाि नहीॊ ह| उसका सौदमय ककसी औय उचचतभ सौदमय की ओय ककमा गमा सॊकत भातर ह कक असरी सौदमय इस ऩाय कयन क फाद ह अत याजोदमान का ससॊहदिाय हभ आग फढ़न की परयणा दता ह |

18शरभ-पवबाजन औय जानत-परथा

िॉ० बीभयाव अॊफिकय

सायाॊश ndash इस ऩाठ भ रखक न जानतिाद क आधाय ऩय ककए जान िार बदबाि को सभम सभाज क सरए हाननकायक फतामा ह | जानत आधारयत शरभ विबाजन को असिाबाविक औय भानिता वियोधी फतामा गमा ह मह साभानदजक बदबाि को फढ़ाता ह जानतपरथा आधारयत शरभ विबाजन भ वमनदकत की रधच को भहतति नहीॊ हदमा जाता परसिरऩ वििशता क साथ अऩनाए

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Page 28: ISSUED BY KENDRIYA VIDYALAYA - DOWNLOADED FROM … Class XII Hindi Part B.pdfप्रश्न४ :-फादर क / फयन का गयीफ एि धनी िगय क्मा

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आयोह बाग-२ गदम-बाग

परशन-सॊखमा १०- गदम खॊड भ हदए गए ऩहठत गदमाॊश स अथयगरहण सॊफॊधी चाय परशन ऩछ जाएॉग नदजनक सरए ननधायरयत अॊक (२४=८) ह |

परशन-सॊखमा ११- ऩाठो की विरमिसत स सॊफॊधधत ऩाॉच भ स चाय परशनो क उततय दन ह नदजनक सरए ननधायरयत अॊक (३४=१२) ह|

ऩयीा भ अचछ अॊक परातत कयन क लरए धमान दन मोगम फात ndash

1 रख एिॊ ितयनी की शदधता तथा िाकम-गठन ऩय धमान द | 2 हय ऩाठ का सायऩरषठबसभविरमिसत तथाकथानक को सभझना आिशमक ह |

अतविदमाथी हय ऩाठ का सायाॊश बरीबाॉनत माद कय र | 3 परशनो को धमान स ऩढ़ तदनसाय अऩकषत उततय सरख | 4 उततय सरखत सभम सॊफॊधधत भखम बफॊदओॊ का शीरयकफनात हए उततय सरख मथा-तीन

अॊक क परशनो क उततय सरखत सभम कभ स कभ तीन भखम उततय-बफ ॊदओॊ का उलरख कयत हए उततय सऩरषट कय |

5 अॊक-मोजना क अनसाय ननधायरयत शबद-सीभा क अॊतगयत उततय सरख | ऩयीाथी कई फाय एक अॊक क परशन का उततय फहत रॊफा कई फाय ऩया ऩरषठ सरख दत ह जो सभम औय ऊजाय की फफायदी ह |

6 धमान यह कक अधधक सरखन स अचछ अॊक नहीॊ आत फनदलक सयर-सफोध बारा भ सरख गए सटीक उततय सायगसबयत तथम तथा उदाहयण क दिाया सऩरषट ककए गए उततय परबािशारी होत ह |

ऩाि 11 - बजकतन

रखखका- भहादवी वभाट

ऩाि का सायाॊश- बनदकतन नदजसका िासतविक नाभ रकषभी थारणखका lsquoभहादिी िभायrsquo की सविका ह | फचऩन भ ही बनदकतन की भाॉ की भतम हो गमी| सौतरी भाॉ न ऩाॉच िरय की आम भ वििाह तथा नौ िरय की आम भ गौना कय बनदकतन को ससयार बज हदमा| ससयार भ बनदकतन न तीन फहटमो को जनदभ हदमा नदजस कायण उस सास औय नदजठाननमो की उऩा सहनी ऩड़ती थी| सास औय नदजठाननमाॉ आयाभ पयभाती थी औय बनदकतन तथा उसकी ननदहीॊ फहटमो को घय औय खतो का साया काभ कयना ऩडता था| बनदकतन का ऩनत उस फहत चाहता था| अऩन ऩनत क सनह क फर ऩय बनदकतन न ससयार िारो स अरगौझा कय अऩना अरग घय फसा सरमा औय सख स यहन रगी ऩय बनदकतन का दबायगम अलऩाम भ ही उसक ऩनत की भतम हो गई | ससयार िार

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बनदकतन की दसयी शादी कय उस घय स ननकारकय उसकी सॊऩनदतत हड़ऩन की सानदजश कयन रग| ऐसी ऩरयनदसथनत भ बनदकतन न अऩन कश भॊडा सरए औय सॊनदमाससन फन गई | बनदकतन सिासबभानी सॊघरयशीर कभयठ औय दढ सॊकलऩ िारी सतरी ह जो वऩतसततातभक भानदमताओॊ औय छर-कऩट स बय सभाज भ अऩन औय अऩनी फहटमो क हक की रड़ाई रड़ती हघय गहसथी सॉबारन क सरए अऩनी फड़ी फटी दाभाद को फरा सरमा ऩय दबायगम न महाॉ बी बनदकतन का ऩीछा नहीॊ छोड़ा अचानक उसक दाभाद की बी भतम हो गमी| बनदकतन क जठ-नदजठौत न सानदजश यचकय बनदकतन की विधिा फटी का वििाह जफयदसती अऩन तीतयफाज सार स कय हदमा| ऩॊचामत दिाया कयामा गमा मह सॊफॊध दखदामी यहा | दोनो भाॉ-फटी का भन घय-गहसथी स उचट गमा ननधयनता आ गमी रगान न चका ऩान क कायण जभीॊदाय न बनदकतन को हदन बय धऩ भ खड़ा यखा| अऩभाननत बनदकतन ऩसा कभान क सरए गाॉि छोड़कय शहय आ जाती ह औय भहादिी की सविका फन जाती ह| बनदकतन क भन भ भहादिी क परनत फहत आदय सभऩयण औय असबबािक क सभान अधधकाय बाि ह| िह छामा क सभान भहादिी क साथ यहती ह| िह यात-यात बय जागकय धचतरकायी मा रखन जस कामय भ वमसत अऩनी भारककन की सिा का अिसय ढॉढ रती ह| भहादिी बनदकतन को नहीॊ फदर ऩामी ऩय बनदकतन न भहादिी को फदर हदमा| बनदकतन क हाथ का भोटा-दहाती खाना खात-खात भहादिी का सिाद फदर गमा बनदकतन न भहादिी को दहात क ककसस-कहाननमाॉ ककॊ िदॊनतमाॉ कॊ ठसथ कया दी| सिबाि स भहाकॊ जस होन ऩय बी बनदकतन ऩाई-ऩाई कय जोडी हई १०५ रऩमो की यासश को सहरय भहादिी को सभवऩयत कय दती ह| जर क नाभ स थय-थय काॉऩन िारी बनदकतन अऩनी भारककन क साथ जर जान क सरए फड़ राट साहफ तक स रड़न को बी तमाय हो जाती ह| बनदकतन भहादिी क जीिन ऩय छा जान िारी एक ऐसी सविका ह नदजस रणखका नहीॊ खोना चाहती

ऩाि आधारयत परशनोततय

नोट- उततय भ ननहहत यखाॊककत िाकम भखम सॊकत बफॊद ह |

परशन 1-बजकतन का वासतपवक नाभ कमा था वह अऩन नाभ को कमो छऩाना चाहती थी

उततय-बनदकतन का िासतविक नाभ रकषभी था हहनददओॊ क अनसायरकषभी धन की दिीह चॉकक बनदकतन गयीफ थी| उसक िासतविक नाभ क अथय औय उसक जीिन क मथाथय भ वियोधाबास ह ननधयन बनदकतन सफको अऩना असरी नाभ रकषभी फताकय उऩहास का ऩातर नहीॊ फनना चाहती थी इससरए िह अऩना असरी नाभ छऩाती थी

परशन 2- रखखका न रकषभी का नाभ बजकतन कमो यखा

उततय-घटा हआ ससय गर भ कॊ ठी भारा औय बकतो की तयह सादगीऩणय िशबरा दखकय भहादिी िभाय न रकषभी का नाभ बनदकतन यख हदमा | मह नाभ उसक वमनदकतति स ऩणयत भर खाता था |

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परशन 3-बजकतन क जीवन को ककतन ऩरयचछदो भ पवबाजजत ककमा गमा ह

उततय- बनदकतन क जीिन को चाय बागो भ फाॉटा गमा ह-

ऩहरा ऩरयचछद-बनदकतन का फचऩन भाॉ की भतम विभाता क दिाया बनदकतन का फार-वििाह कया दना

दपवतीम ऩरयचछद-बनदकतन का ििाहहक जीिन सास तथा नदजठाननमो का अनदमामऩणय वमिहाय ऩरयिाय स अरगौझा कय रना

ततीम ऩरयचछद- ऩनत की भतम विधिा क रऩ भ सॊघरयशीर जीिन चतथट ऩरयचछद- भहादिी िभाय की सविका क रऩ भ

परशन 4- बजकतन ऩाि क आधाय ऩय बायतीम गराभीण सभाज भ रड़क-रड़ककमो भ ककम जान वार बदबाव का उलरख कीजजए |

बायतीम गराभीण सभाज भ रड़क-रड़ककमो भ बदबाि ककमा जाता ह| रड़ककमो को खोटा ससकका मा ऩयामा धन भाना जाता ह| बनदकतन न तीन फहटमो को जनदभ हदमा नदजस कायण उस सास औय नदजठाननमो की उऩा सहनी ऩड़ती थी| सास औय नदजठाननमाॉ आयाभ पयभाती थी कमोकक उनदहोन रड़क ऩदा ककए थ औय बनदकतन तथा उसकी ननदहीॊ फहटमो को घय औय खतो का साया काभ कयना ऩडता था| बनदकतन औय उसकी फहटमो को रखा-सखा भोटा अनाज खान को सभरता था जफकक उसकी नदजठाननमाॉ औय उनक कार-करट फट दध-भराई याफ-चािर की दाित उड़ात थ

परशन 5-बजकतन ऩाि क आधाय ऩय ऩॊचामत क नमाम ऩय ठटतऩणी कीजजए |

बनदकतन की फटी क सनददबय भ ऩॊचामत दिाया ककमा गमा नदमाम तकय हीन औय अॊध कानन ऩय आधारयतह | बनदकतन क नदजठौत न सॊऩनदतत क रारच भ रडमॊतर कय बोरी फचची को धोख स जार भ पॊ सामा| ऩॊचामत न ननदोर रड़की की कोई फात नहीॊ सनी औय एक तयिा पसरा दकय उसका वििाह जफयदसती नदजठौत क ननकमभ तीतयफाज सार स कय हदमा | ऩॊचामत क अॊध कानन स दरषटो को राब हआ औय ननदोर को दॊड सभरा |

परशन 6-बजकतन की ऩाक-करा क फाय भ ठटतऩणी कीजजए |

बनदकतन को ठठ दहाती सादा बोजन ऩसॊद था | यसोई भ िह ऩाक छत को फहत भहतति दती थी | सफह-सिय नहा-धोकय चौक की सपाई कयक िह दिाय ऩय कोमर की भोटी यखा खीॊच दती थी| ककसी को यसोईघय भ परिश कयन नहीॊ दती थी| उस अऩन फनाए बोजन ऩय फड़ा असबभान था| िह अऩन फनाए बोजन का नतयसकाय नहीॊ सह सकती थी |

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परशन 7- लसदध कीजजए कक बजकतन तकट -पवतकट कयन भ भाठहय थी |

बनदकतन तकय ऩट थी | कश भॉडान स भना ककए जान ऩय िह शासतरो का हिारा दत हए कहती ह lsquoतीयथ गए भॉडाए ससदधrsquo | घय भ इधय-उधय यख गए ऩसो को िह चऩचाऩ उठा कय छऩा रती ह टोक जानऩय िह िह इस चोयी नही भानती फनदलक िह इस अऩन घय भ ऩड़ ऩसो को सॉबारकय यखना कहती ह| ऩढाई-सरखाई स फचन क सरए बी िह अचक तकय दती ह कक अगय भ बी ऩढ़न रगॉ तो घय का काभ कौन दखगा

परशन 8-बजकतन का दबाटगम बी कभ हिी नही था रखखका न ऐसा कमो कहा ह

उततय- बजकतन का दबाटगम उसका ऩीछा नहीॊ छोड़ता था-

1- फचऩन भ ही भाॉ की भतम 2- विभाता की उऩा 3- बनदकतन(रकषभी) का फारवििाह 4- वऩता का ननधन 5- तीन-तीन फहटमो को जनदभ दन क कायण सास औय नदजठाननमो क दिाया बनदकतन की

उऩा 6- ऩनत की असभम भतम 7- दाभाद का ननधन औय ऩॊचामत क दिाया ननकमभ तीतयफाज मिक स बनदकतन की विधिा

फटी का जफयन वििाह 8- रगान न चका ऩान ऩय जभीॊदाय क दिाया बनदकतन का अऩभान

परशन 9-बजकतन न भहादवी वभाट क जीवन ऩय कस परबापवत ककमा

उततय- बनदकतन क साथ यहकय भहादिी की जीिन-शरी सयर हो गमी ि अऩनी सविधाओॊ की चाह को नछऩान रगीॊ औय असविधाओॊ को सहन रगीॊ बनदकतन न उनदह दहाती बोजन णखराकय उनका सिाद फदर हदमा बनदकतन भातर एक सविका न होकय भहादिी की असबबािक औय आतभीम फन गमीबनदकतन भहादिी क जीिन ऩय छा जान िारी एक ऐसी सविका ह नदजस रणखका नहीॊ खोना चाहती

परशन 10- बजकतन क चरयतर की पवशषताओॊ का उलरख कीजजए

उततय- भहादिी िभाय की सविका बनदकतन क वमनदकतति की विशरताएॊ ननमनाॊककत ह-

सभवऩयत सविका सिासबभानी

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तकय शीरा ऩरयशरभी सॊघरयशीर

परशन 11-बजकतन क दगटणो का उलरख कय

उततय- गणो क साथ-साथ बनदकतन क वमनदकतति भ अनक दगयण बी ननहहत ह-

1 िह घय भ इधय-उधय ऩड़ रऩम-ऩस को बॊडाय घय की भटकी भ छऩा दती ह औय अऩन इस कामय को चोयी नहीॊ भानती

2 भहादिी क करोध स फचन क सरए बनदकतन फात को इधय-उधय कयक फतान को झठ नही भानती अऩनी फात को सही ससदध कयन क सरए िह तकय -वितकय बी कयती ह

3 िह दसयो को अऩनी इचछानसाय फदर दना चाहती ह ऩय सिमॊ बफरकर नही फदरती परशन 12 ननमनाॊककत बाषा-परमोगो का अथट सऩषट कीजजए-

ऩहरी कनमा क दो औय सॊसकयण कय िार- बनदकतन न अऩनी ऩहरी कनदमा क फाद उसक जसी दो औय कनदमाएॉ ऩदा कय दी अथायत बनदकतन क एक क फाद एक तीन फहटमाॉ ऩदा हो गमीॊ |

खोट लसकको की टकसार जसी ऩतनी- आज बी असशकषत गराभीण सभाज भ फहटमो को

खोटा ससकका कहा जाता ह बनदकतन न एक क फाद एक तीन फहटमाॉ ऩदा कय दी इससरए उस खोट ससकक को ढारन िारी भशीन कहा गमा

परशन 13-बजकतन ऩाि भ रखखका न सभाज की ककन सभसमाओॊ का उलरख ककमा ह

उततय- बनदकतन ऩाठ क भाधमभ स रणखका न बायतीम गराभीण सभाज की अनक सभसमाओॊ का उलरख ककमा ह-

1 रड़क-रड़ककमो भ ककमा जान िारा बदबाि 2 विधिाओॊ की सभसमा 3 नदमाम क नाभ ऩय ऩॊचामतो क दिाया नदसतरमो क भानिाधधकाय को कचरना 4 असशा औय अॊधविशिास

गदमाॊश-आधारयत अथटगरहण सॊफॊधधत परशनोततय

ऩरयिाय औय ऩरयनदसथनतमो क कायण सिबाि भ जो विरभताएॉ उतऩनदन हो गई ह उनक बीतय स एक सनह औय सहानबनत की आबा पटती यहती ह इसी स उसक सॊऩकय भ आनिार वमनदकत उसभ जीिन की सहज भासभयकता ही ऩात ह छातरािास की फासरकाओॊ भ स कोई अऩनी चाम

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फनिान क सरए दहरी ऩय फठी यहती ह कोई फाहय खडी भय सरए नाशत को चखकय उसक सिाद की वििचना कयती यहती ह भय फाहय ननकरत ही सफ धचडड़मो क सभान उड़ जाती ह औय बीतय आत ही मथासथान वियाजभान हो जाती ह इनदह आन भ रकािट न हो सॊबित इसी स बनदकतन अऩना दोनो जन का बोजन सिय ही फनाकय ऊऩय क आर भ यख दती ह औय खात सभम चौक का एक कोना धोकय ऩाकndashछत क सनातन ननमभ स सभझौता कय रती ह

भय ऩरयधचतो औय साहहनदतमक फॊधओॊ स बी बनदकतन विशर ऩरयधचत ह ऩय उनक परनत बनदकतन क समभान की भातरा भय परनत उनक समभान की भातरा ऩय ननबयय ह औय सदभाि उनक परनत भय सदभाि स नननदशचत होता ह इस सॊफॊध भ बनदकतन की सहज फवदध विनदसभत कय दन िारी ह

(क) बजकतन का सवबाव ऩरयवाय भ यहकय कसा हो गमा ह

उततय-विरभ ऩरयनदसथनतजनदम उसक उगर हठी औय दयागरही सिबाि क फािजद बनदकतन क बीतय सनह औय सहानबनत की आबा पटती यहती ह उसक सॊऩकय भ आन िार वमनदकत उसभ जीिन की सहज भासभयकता ही ऩात ह

(ख) बजकतन क ऩास छातरावास की छातराएॉ कमो आती ह

उततय- बनदकतन क ऩास कोई छातरा अऩनी चाम फनिान आती ह औय दहरी ऩय फठी यहती ह कोई भहादिी जी क सरए फन नाशत को चखकय उसक सिाद की वििचना कयती यहती ह भहादिी को दखत ही सफ छातराएॉ बाग जाती ह उनक जात ही कपय िाऩस आ जातीॊ ह बनदकतन का सहज-सनह ऩाकय धचडड़मो की तयह चहचहान रगती ह |

(ग) छातराओॊ क आन भ रकावट न िारन क लरए बजकतन न कमा उऩाम ककमा

उततय- छातराओॊ क आन भ रकािट न डारन क सरए बनदकतन न अऩन ऩाक-छत क ननमभ स सभझौता कय सरमा | बनदकतन अऩना दोनो िकत का खाना फनाकय सफह ही आर भ यख दती औय खात सभम चौक का एक कोना धोकय िहाॉ फठकय खा सरमा कयती थी ताकक छातराएॉ बफना योक-टोक क उसक ऩास आ सक

(घ) साठहतमकायो क परनत बजकतन क समभान का कमा भाऩदॊि ह

उततय-बनदकतन भहादिी क साहहनदतमक सभतर क परनत सदभाि यखती थी नदजसक परनत भहादिी सिमॊ सदभाि यखती थी | िह सबी स ऩरयधचत हऩय उनक परनत समभान की भातरा भहादिी जी क समभान की भातरा ऩय ननबयय कयती ह िह एक अदभत ढॊग स जान रती थी कक कौन ककतना समभान कयता ह उसी अनऩात भ उसका परापम उस दती थी

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12 फाजाय-दशटन

रखक- जनि कभाय

ऩाि का सायाॊश फाजाय-दशयन ऩाठ भ फाजायिाद औय उऩबोकतािाद क साथ-साथ अथयनीनत एिॊ दशयन स सॊफॊधधत परशनो को सरझान का परमास ककमा गमा ह फाजाय का जाद तबी असय कयता ह जफ भन खारी हो| फाजाय क जाद को योकन का उऩाम मह ह कक फाजाय जात सभम भन खारी ना हो भन भ रकषम बया हो| फाजाय की असरी कताथयता ह जरयत क िकत काभ आना| फाजाय को िही भनरषम राब द सकता ह जो िासति भ अऩनी आिशमकता क अनसाय खयीदना चाहता ह| जो रोग अऩन ऩसो क घभॊड भ अऩनी ऩचनदजॊग ऩािय को हदखान क सरए चीज खयीदत ह ि फाजाय को शतानी वमॊगम शनदकत दत ह| ऐस रोग फाजारऩन औय कऩट फढात ह | ऩस की मह वमॊगम शनदकत वमनदकत को अऩन सग रोगो क परनत बी कतघन फना सकती ह | साधायण जन का रदम रारसा ईरषमाय औय तरषणा स जरन रगता ह | दसयी ओय ऐसा वमनदकत नदजसक भन भ रश भातर बी रोब औय तरषणा नहीॊ ह सॊचम की इचछा नहीॊ ह िह इस वमॊगम-शनदकत स फचा यहता ह | बगतजी ऐस ही आतभफर क धनी आदशय गराहक औय फचक ह नदजन ऩय ऩस की वमॊगम-शनदकत का कोई असय नहीॊ होता | अनक उदाहयणो क दिाया रखक न मह सऩरषट ककमा ह कक एक ओय फाजाय रारची असॊतोरी औय खोखर भन िार वमनदकतमो को रटन क सरए ह िहीॊ दसयी ओय सॊतोरी भन िारो क सरए फाजाय की चभक-दभक उसका आकरयण कोई भहतति नहीॊ यखता

परशन१ - ऩचजजॊग ऩावय ककस कहा गमा ह फाजाय ऩय इसका कमा परबाव ऩड़ता ह

उततय- ऩचनदजॊग ऩािय का अथय ह खयीदन की शनदकत ऩचनदजॊग ऩािय क घभॊड भ वमनदकत हदखाि क सरए आिशमकता स अधधक खयीदायीकयता ह औय फाजाय को शतानी वमॊगम-शनदकत दता ह ऐस रोग फाजाय का फाजारऩन फढ़ात ह

परशन२ -रखक न फाजाय का जाद ककस कहा ह इसका कमा परबाव ऩड़ता ह

उततय- फाजाय की चभक-दभक क चॊफकीम आकरयण को फाजाय का जाद कहा गमा ह मह जाद आॊखो की याह कामय कयता ह फाजाय क इसी आकरयण क कायण गराहक सजी-धजी चीजो को आिशमकता न होन ऩय बी खयीदन को वििश हो जात ह

परशन३ -आशम सऩषट कय

भन खारी होना भन बया होना भन फॊद होना

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उततय-भन खारी होना- भन भ कोई नननदशचत िसत खयीदन का रकषम न होना ननरददशम फाजाय जाना औय वमथय की चीजो को खयीदकय राना

भन बया होना- भन रकषम स बया होना नदजसका भन बया हो िह बरीबाॉनत जानता ह कक उस फाजाय स कौन सी िसत खयीदनी ह अऩनी आिशमकता की चीज खयीदकय िह फाजाय को साथयकता परदान कयता ह

भन फॊद होना-भन भ ककसी बी परकाय की इचछा न होना अथायत अऩन भन को शनदम कय दना

परशन४ - lsquoजहाॉ तषणा ह फटोय यखन की सऩहा ह वहाॉ उस फर का फीज नहीॊ हrsquo महाॊ ककस फर की चचाट की गमी ह

उततय- रखक न सॊतोरी सिबाि क वमनदकत क आतभफरकी चचाय की ह दसय शबदो भ महद भन भ सॊतोर हो तो वमनदकत हदखाि औय ईरषमाय की बािना स दय यहता ह उसभ सॊचम कयन की परिनदतत नहीॊ होती

परशन५ - अथटशासतर अनीनतशासतर कफ फन जाता ह

उततय- जफ फाजाय भ कऩट औय शोरण फढ़न रग खयीददाय अऩनी ऩचधचॊग ऩािय क घभॊड भ हदखाि क सरए खयीददायी कय | भनरषमो भ ऩयसऩय बाईचाया सभापत हो जाए| खयीददाय औय दकानदाय एक दसय को ठगन की घात भ रग यह एक की हानन भ दसय को अऩना राब हदखाई द तो फाजाय का अथयशासतर अनीनतशासतर फन जाता ह ऐस फाजाय भानिता क सरए विडॊफना ह

परशन६-बगतजी फाजाय औय सभाज को ककस परकाय साथटकता परदान कय यह ह

उततय- बगतजी क भन भ साॊसारयक आकरयणो क सरए कोई तरषणा नहीॊ ह ि सॊचम रारच औय हदखाि स दय यहत ह फाजाय औय वमाऩाय उनक सरए आिशमकताओॊ की ऩनत य का साधन भातर ह बगतजी क भन का सॊतोर औय ननसऩह बाि उनको शररषठ उऩबोकता औय विकरता फनात ह

परशन ७ _ बगत जी क वमजकततव क सशकत ऩहरओॊ का उलरख कीजजए |

उततय-ननमनाॊककत बफॊद उनक वमनदकतति क सशकत ऩहर को उजागय कयत ह

ऩॊसायी की दकान स किर अऩनी जरयत का साभान (जीया औय नभक) खयीदना नननदशचत सभम ऩय चयन फचन क सरए ननकरना छह आन की कभाई होत ही चयन फचना फॊद कय दना फच हए चयन को फचचो को भफ़त फाॉट दना

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सबी काजम-जम याभ कहकय सिागत कयना फाजाय की चभक-दभक स आकवरयत न होना सभाज को सॊतोरी जीिन की सशा दना

परशन7-फाजाय की साथटकता ककसभ ह

उततय- भनरषम की आिशमकताओॊ की ऩनतय कयन भ ही फाजाय की साथयकता ह जो गराहक अऩनी आिशमकताओॊ की चीज खयीदत ह ि फाजाय को साथयकता परदान कयत ह जो विकरता गराहको का शोरण नहीॊ कयत औय छर-कऩट स गराहको को रबान का परमास नही कयत ि बी फाजाय को साथयक फनात ह

गदमाॊश-आधारयत अथटगरहण-सॊफॊधधत परशनोततय

फाजाय भ एक जाद ह िह जाद आॉख की तयह काभ कयता ह िह रऩ का जाद ह ऩय जस चॊफक का जाद रोह ऩय ही चरता ह िस ही इस जाद की बी भमायदा ह जफ बयी हो औय भन खारी हो ऐसी हारत भ जाद का असय खफ होता ह जफ खारी ऩय भन बया न हो तो बी जाद चर जाएगा भन खारी ह तो फाजाय की अनकानक चीजो का ननभॊतरण उस तक ऩहॉच जाएगा कहीॊ हई उस िकत जफ बयी तफ तो कपय िह भन ककसकी भानन िारा ह भारभ होता ह मह बी रॉ िह बी रॉ सबी साभान जरयी औय आयाभ को फढ़ान िारा भारभ होता ह ऩय मह सफ जाद का असय ह जाद की सिायी उतयी कक ऩता चरता ह कक प सी-चीजो की फहतामत आयाभ भ भदद नहीॊ दती फनदलक खरर ही डारती ह थोड़ी दय को सिासबभान को जरय सक सभर जाता ह ऩय इसस असबभान को धगलटी की खयाक ही सभरती ह जकड़ यशभी डोयी की हो तो यशभ क सऩशय क भरामभ क कायण कमा िह कभ जकड़ दगी

ऩय उस जाद की जकड़ स फचन का एक सीधा उऩाम ह िह मह कक फाजाय जाओ तो खारी भन न हो भन खारी हो तफ फाजाय न जाओ कहत ह र भ जाना हो तो ऩानी ऩीकय जाना चाहहए ऩानी बीतय हो र का रऩन वमथय हो जाता ह भन रकषम स बया हो तो फाजाय परा का परा ही यह जाएगा तफ िह घाि बफरकर नहीॊ द सकगा फनदलक कछ आनॊद ही दगा तफ फाजाय तभस कताथय होगा कमोकक तभ कछ न कछ सचचा राब उस दोग फाजाय की असरी कताथयता ह आिशमकता क सभम काभ आना

परशन-1 फाजाय क जाद को रखक न कस सऩषट ककमा ह

उततय- फाजाय क रऩ का जाद आॉखो की याह स काभ कयता हआ हभ आकवरयत कयता ह फाजाय का जाद ऐस चरता ह जस रोह क ऊऩय चॊफक का जाद चरता ह चभचभाती योशनी भ सजी

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प सी चीॊज गराहक को अऩनी ओय आकवरयत कयती ह| इसी चमफकीम शनदकत क कायण वमनदकत कपजर साभान को बी खयीद रता ह |

परशन-2 जफ बयी हो औय भन खारी तो हभायी कमा दशा होती ह

उततय- जफ बयी हो औय भन खारी हो तो हभाय ऊऩय फाजाय का जाद खफ असय कयता ह भन खारी ह तो फाजाय की अनकानक चीजो का ननभॊतरण भन तक ऩहॉच जाता ह औय उस सभम महद जफ बयी हो तो भन हभाय ननमॊतरण भ नहीॊ यहता

परशन-3 प सी चीजो की फहतामत का कमा ऩरयणाभ होता ह

उततय- प सी चीज आयाभ की जगह आयाभ भ वमिधान ही डारती ह थोड़ी दय को असबभान को जरय सक सभर जाती ह ऩय हदखाि की परिनदतत भ िवदध होती ह

परशन-4 जाद की जकड़ स फचन का कमा उऩाम ह

उततय- जाद की जकड़ स फचन क सरए एक ही उऩाम ह िह मह ह कक फाजाय जाओ तो भन खारी न हो भन खारी हो तो फाजाय भत जाओ

13 कार भघा ऩानी द

रखक-धभटवीय बायती

ऩाि का सायाॊश -lsquoकार भघा ऩानी दrsquo ननफॊध रोकजीिन क विशिास औय विऻान क तकय ऩय आधारयत ह जफ बीरण गभी क कायण वमाकर रोग िराय कयान क सरए ऩजा-ऩाठ औय कथा-विधान कय थकndashहाय जात ह तफ िराय कयान क सरए अॊनतभ उऩाम क रऩ भ इनददय सना ननकरती ह| इनददय सना नॊग-धड़ॊग फचचो की टोरी ह जो कीचड़ भ रथऩथ होकय गरी-भोहलर भ ऩानी भाॉगन ननकरती ह| रोग अऩन घय की छतो-णखड़ककमो स इनददय सना ऩय ऩानी डारत ह | रोगो की भानदमता ह कक इनददर फादरो क सिाभी औय िराय क दिता ह| इनददर की सना ऩय ऩानी डारन स इनददर बगिान परसनदन होकय ऩानी फयसाएॊग | रखक का तकय ह कक जफ ऩानी की इतनी कभी ह तो रोग भनदशकर स जभा ककए ऩानी को फालटी बय-बयकय इनददय सना ऩय डारकय ऩानी को कमो फफायद कयत ह आमयसभाजी विचायधाया िारा रखक इस अॊधविशिास भानता ह | इसक विऩयीत रखक की जीजी उस सभझाती ह कक मह ऩानी की फफायदी नहीॊ फनदलक ऩानी की फिाई ह | कछ ऩान क सरए कछ दना ऩड़ता ह | तमाग क बफना दान नहीॊ होता| परसतत ननफॊध भ रखक न भरषटाचाय की सभसमा को उठात हए कहा ह कक जीिन भ कछ ऩान क सरए तमाग आिशमक ह जो रोग तमाग औय दान की भहतता को नहीॊ भानत ि ही भरषटाचाय भ सरपत यहकय दश औय सभाज को रटत ह| जीजी की आसथा बािनातभक सचचाई को ऩरषट कयती ह औय तकय किर िऻाननक तथम को सतम भानता ह जहाॉ तकय मथाथय क

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कठोय धयातर ऩय सचचाई को ऩयखता ह तो िहीॊ आसथा अनहोनी फात को बी सिीकाय कय भन को सॊसकारयत कयती ह बायत की सितॊतरता क ५० सार फाद बी दश भ वमापत बरषटाचाय औय सिाथय की बािना को दखकय रखक दखी ह | सयकाय दिाया चराई जा यही मोजनाएॉ गयीफो तक कमो नहीॊ ऩहॉच ऩा यहीॊ ह कार भघा क दर उभड़ यह ह ऩय आज बी गयीफ की गगयी पटी हई कमो ह रखक न मह परशन ऩाठको क सरए छोड़ हदमा ह |

परशन1-इनदय सना घय-घय जाकय ऩानी कमो भाॉगती थी

उततय- गाॉि क रोग फारयश क सरए बगिान इॊदर स पराथयना ककमा कयत थ जफ ऩजा-ऩाठवरत आहद उऩाम असिर हो जात थ तो बगिान इॊदर को परसनदन कयन क सरए गाॉि क ककशोय फचच कीचड़ भ रथऩथ होकय गरी-गरी घभकय रोगो स ऩानी भाॉगत थ

परशन2-इनदयसना को रखक भढक-भॊिरी कमो कहता ह जीजी क फायndashफाय कहन ऩय बी वह इनदयसना ऩय ऩानी प कन को याजी कमो नहीॊ होता

उततय- इनददयसना का कामय आमयसभाजी विचायधाया िार रखक को अॊधविशिास रगता ह उसका भानना ह कक महद इॊदयसना दिता स ऩानी हदरिा सकती ह तो सिमॊ अऩन सरए ऩानी कमो नहीॊ भाॉग रती ऩानी की कभी होन ऩय बी रोग घय भ एकतर ककम हए ऩानी को इॊदयसना ऩय ि कत ह रखक इस ऩानी की ननभयभ फयफादी भानता ह

परशन3- रि हए रखक को जीजी न ककस परकाय सभझामा

उततय- जीजी न रखक को पमाय स रडड-भठयी णखरात हए ननमन तकय हदए-

1- तमाग का भहततव- कछ ऩान क सरए कछ दना ऩड़ता ह 2- दान की भहतता- कवर-भननमो न दान को सफस ऊॉ चा सथान हदमा ह जो चीज अऩन

ऩास बी कभ हो औय अऩनी आिशमकता को बरकय िह चीज दसयो को दान कय दना ही तमाग ह |

3- इॊिदव को जर का अधमट चिाना- इॊदयसना ऩय ऩानी ि कना ऩानी की फयफादी नहीॊ फनदलक इॊदरदि को जर का अधमय चढ़ाना ह

4- ऩानी की फवाई कयना- नदजस परकाय ककसान िसर उगान क सरए जभीन ऩय फीज डारकय फिाई कयता ह िस ही ऩानी िार फादरो की िसर ऩान क सरए इनददय सना ऩय ऩानी डार कय ऩानी की फिाई की जाती ह

परशन4-नठदमो का बायतीम साभाजजक औय साॊसकनतक ऩरयवश भ कमा भहतव ह

उततय- गॊगा बायतीम सभाज भ सफस ऩजम सदानीया नदी ह नदजसका बायतीम इनतहास भ धासभयक ऩौयाणणक औय साॊसकनतक भहति ह | िह बायतीमो क सरए किर एक नदी नहीॊ अवऩत

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भाॉ ह सिगय की सीढ़ी ह भोदानमनी ह उसभ ऩानी नहीॊ अवऩत अभत तलम जर फहता ह बायतीम सॊसकनत भ नहदमो क ककनाय भानि सभमताएॉ परी-परी ह| फड़-फड़ नगय तीथयसथान नहदमो क ककनाय ही नदसथत ह ऐस ऩरयिश भबायतिासी सफस ऩहर गॊगा भमा की जम ही फोरग नहदमाॉ हभाय जीिन का आधाय ह हभाया दश कवर परधान ह नहदमो क जर स ही बायत बसभ हयी-बयी ह नहदमो क बफना जीिन की कलऩना नहीॊ कय सकत मही कायण ह कक हभ बायतीम नहदमो की ऩजा कयत ह |

परशन4-आजादी क ऩचास वषो क फाद बी रखक कमो दखी ह उसक भन भ कौन स परशन उि यह ह

उततय- आजादी क ऩचास िरो फाद बी बायतीमो की सोच भ सकायातभक फदराि न दखकय रखक दखी ह उसक भन भ कई परशन उठ यह ह-

1 कमा हभ सचच अथो भ सितनदतर ह 2 कमा हभ अऩन दश की सॊसकनत औय सभमता को सभझ ऩाए ह 3 यारषर ननभायण भ हभ ऩीछ कमो ह हभ दश क सरए कमा कय यह ह

4 हभ सिाथय औय भरषटाचाय भ सरपत यहत ह तमाग भ विशिास कमो नहीॊ कयत

5 सयकाय दिाया चराई जा यही सधायिादी मोजनाएॉ गयीफो तक कमो नहीॊ ऩहॉचती ह

गदमाॊश ऩय आधारयत अथटगरहण-सॊफॊधधत परशनोततय

सचभच ऐस हदन होत जफ गरी-भहलरा गाॉि-शहय हय जगह रोग गयभी भ बन-बन कय तराहहभाभ कय यह होत जठ क दसतऩा फीतकय आराढ का ऩहरा ऩखिाड़ा फीत चका होता ऩय कषनतज ऩय कहीॊ फादरो की यख बी नहीॊ दीखती होती कएॉ सखन रगत नरो भ एक तो फहत कभ ऩानी आता औय आता बी तो आधी यात को िो बी खौरता हआ ऩानी हो | शहयो की तरना भ गाॉि भ औय बी हारत खयाफ थी| जहाॉ जताई होनी चाहहए थी िहाॉ खतो की सभटटी सखकय ऩतथय हो जाती कपय उसभ ऩऩड़ी ऩड़कय जभीन पटन रगती र ऐसी कक चरत-चरत आदभी धगय ऩड़ | ढोय-डॊगय पमास क भाय भयन रगत रककन फारयश का कहीॊ नाभ ननशान नहीॊ ऐस भ ऩजा-ऩाठ कथा-विधान सफ कयक रोग जफ हाय जात तफ अॊनतभ उऩाम क रऩ भ ननकरती मह इनददय सना |

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परशन१- वषाट न होन ऩय रोगो की कमा जसथनत हो गमी थी उततय - िराय न होन ऩय गयभी क कायण रोग र रगन स फहोश होन रग | गाॉि-शहय सबी जगह ऩानी का अबाि हो गमा| कएॉ सख गए खतो की सभटटी सखकय ऩतथय क सभान कठोय होकय पट गमी| घयो भ नरो भ ऩानी फहत कभ आता था | ऩश पमास क भाय भयन रग थ | परशन२- वषाट क दवता कौन ह उनको परसनन कयन क लरए कमा उऩाम ककए जात थ उततय -िराय क दिता बगिान इनददर ह| उनको परसनदन कयन क सरए ऩजाndashऩाठ कथा-विधान कयाए जात थ | ताकक इनददर दि परसनदन होकय फादरो की सना बजकय झभाझभ फारयश कयाएॉ औय रोगो क करषट दय हो | परशन३- वषाट कयान क अॊनतभ उऩाम क रऩ भ कमा ककमा जाता था उततय ndashजफ ऩजा-ऩाठ कथा-विधान सफ कयक रोग हाय जात थ तफ अॊनतभ उऩाम क रऩ भ इनददय सना आती थी | नॊग-धडॊग कीचड़ भ रथऩथ lsquoकार भघा ऩानी द ऩानी द गड़धानी दrsquo की टय रगाकय पमास स सखत गरो औय सखत खतो क सरए भघो को ऩकायती हई टोरी फनाकय ननकर ऩड़ती थी| परशन४-आशम सऩषट कय ndash जठ क दसतऩा फीतकय आराढ़ का ऩहरा ऩखिाड़ा फीत चका होता ऩय कषनतज भ कहीॊ फादरो की यख बी नजय नहीॊ आती | आशम- जठ का भहीना ह बीरण गयभी ह| तऩत हए दस हदन फीत कय आराढ का भहीना बी आधा फीत गमा ऩय ऩानी क सरए तड़ऩत िराय की आशा भ आसभान की ओय ताकत रोगो को कहीॊ फादर नजय नहीॊ आ यह |

14 ऩहरवान की ढोरक

फ़णीशवयनाथ यण

ऩाि का सायाॊश ndashआॊचसरक कथाकाय िणीशियनाथ यण की कहानी ऩहरिान की ढोरक भ कहानी क भखम ऩातर रटटन क भाता-वऩता का दहाॊत उसक फचऩन भ ही हो गमा था | अनाथ रटटन को उसकी विधिा सास न ऩार-ऩोसकय फड़ा ककमा | उसकी सास को गाॉि िार सतात थ |

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रोगो स फदरा रन क सरए कशती क दाॉिऩच सीखकय कसयत कयक रटटन ऩहरिान फन गमा |

एक फाय रटटन शमाभनगय भरा दखन गमा जहाॉ ढोर की आिाज औय कशती क दाॉिऩच दखकय उसन जोश भ आकय नाभी ऩहरिान चाॉदससॊह को चनौती द दी | ढोर की आिाज स परयणा ऩाकय रटटन न दाॉि रगाकय चाॉद ससॊह को ऩटककय हया हदमा औय याज ऩहरिान फन गमा | उसकी खमानत दय-दय तक िर गमी| १५ िरो तक ऩहरिान अजम फना यहा| उसक दो ऩतर थ| रटटन न दोनो फटो को बी ऩहरिानी क गय ससखाए| याजा की भतम क फाद नए याजकभाय न गददी सॊबारी याजकभाय को घोड़ो की यस का शौक था भनजय न नम याजा को बड़कामा ऩहरिान औय उसक दोनो फटो क बोजनखचय को बमानक औय किजरखचय फतामा िरसिरऩ नए याजा न कशती को फॊद कयिा हदमा औय ऩहरिान रटटनससॊह को उसक दोनो फटो क साथ भहर स ननकार हदमा

याजदयफाय स ननकार हदए जान क फाद रटटन ससॊह अऩन दोनो फटो क साथ गाॉि भ झोऩड़ी फनाकय यहन रगा औय गाॉि क रड़को को कशती ससखान रगा| रटटन का सकर जमादा हदन नहीॊ चरा औय जीविकोऩाजयन क सरए उसक दोनो फटो को भजदयी कयनी ऩड़ी| इसी दौयान गाॉि भ अकार औय भहाभायी क कायण परनतहदन राश उठन रगी| ऩहरिान भहाभायी स डय हए रोगो को ढोरक फजाकय फीभायी स रड़न की सॊजीिनी ताकत दता था| एक हदन ऩहरिान क दोनो फट बी भहाभायी की चऩट भ आकय भय गए ऩय उस यात बी ऩहरिान ढोरक फजाकय रोगो को हहमभत फॊधा यहा था | इस घटना क चाय-ऩाॉच हदन फाद ऩहरिान की बी भौत हो जाती ह|

ऩहरिान की ढोरक वमिसथा क फदरन क साथ रोक कराकाय क अपरासॊधगक हो जान की कहानी ह इस कहानी भ रटटन नाभ क ऩहरिान की हहमभत औय नदजजीविरा का िणयन ककमा गमा ह बख औय भहाभायी अजम रटटन की ऩहरिानी को िट ढोर भ फदर दत ह इस करण तरासदी भ ऩहरिान रटटन कई सिार छोड़ जाता ह कक करा का कोई सितॊतर अनदसतति ह मा करा किर वमिसथा की भोहताज ह

परशन1- रटटन को ऩहरवान फनन की परयणा कस लभरी

उततय- रटटन जफ नौ सार का था तो उसक भाता-वऩता का दहाॊत हो गमा था | सौबागम स उसकी शादी हो चकी थी| अनाथ रटटन को उसकी विधिा सास न ऩार-ऩोसकय फड़ा ककमा | उसकी सास को गाॉि िार ऩयशान कयत थ| रोगो स फदरा रन क सरए उसन ऩहरिान फनन की ठानी| धायोरषण दध ऩीकय कसयत कय उसन अऩना फदन गठीरा औय ताकतिय फना सरमा | कशती क दाॉिऩच सीखकय रटटन ऩहरिान फन गमा |

परशन2- यात क बमानक सननाट भ रटटन की ढोरक कमा करयशभा कयती थी

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उततय- यात क बमानक सनदनाट भरटटन की ढोरक भहाभायी स जझत रोगो को हहमभत फॉधाती थी | ढोरक की आिाज स यात की विबीवरका औय सनदनाटा कभ होता था| भहाभायी स ऩीडड़त रोगो की नसो भ बफजरी सी दौड़ जाती थी उनकी आॉखो क साभन दॊगर का दशम साकाय हो जाता था औय ि अऩनी ऩीड़ा बर खशी-खशी भौत को गर रगा रत थ इस परकाय ढोर की आिाज फीभाय-भतपराम गाॉििारो की नसो भ सॊजीिनी शनदकत को बय फीभायी स रड़न की परयणा दती थी

परशन3- रटटन न सवाटधधक ठहमभत कफ ठदखाई

उततय- रटटन ससॊह न सिायधधक हहमभत तफ हदखाई जफ दोनो फटो की भतम ऩय िह योमा नहीॊ फनदलक हहमभत स काभ रकय अकर उनका अॊनतभ सॊसकाय ककमा| मही नहीॊ नदजस हदन ऩहरिान क दोनो फट भहाभायी की चऩट भ आकय भय गए ऩय उस यात को बी ऩहरिान ढोरक फजाकय रोगो को हहमभत फॉधा यहा था| शमाभनगय क दॊगर भ ऩया जनसभदाम चाॉद ससॊह क ऩ भ था चाॉद ससॊह को हयात सभम रटटन न हहमभत हदखाई औय बफना हताश हए दॊगर भ चाॉद ससॊह को धचत कय हदमा |

परशन4- रटटन लसॊह याज ऩहरवान कस फना

उततय- शमाभनगय क याजा कशती क शौकीन थ उनदहोन दॊगर का आमोजन ककमा ऩहरिान रटटन ससॊह बी दॊगर दखन ऩहॉचा चाॊदससॊह नाभक ऩहरिान जो शय क फचच क नाभ स परससदध था कोई बी ऩहरिान उसस सबड़न की हहमभत नहीॊ कयता था चाॉदससॊह अखाड़ भ अकरा गयज यहा था रटटन ससॊह न चाॉदससॊह को चनौती द दी औय चाॉदससॊह स सबड़ गमाढ़ोर की आिाज सनकय रटटन की नस-नस भ जोश बय गमाउसन चाॉदससॊह को चायो खान धचत कय हदमा याजासाहफ न रटटन की िीयता स परबावित होकय उस याजऩहरिान फना हदमा

परशन5- ऩहरवान की अॊनतभ इचछा कमा थी

उततय- ऩहरिान की अॊनतभ इचछा थी कक उस धचता ऩय ऩट क फर सरटामा जाए कमोकक िह नदजॊदगी भ कबी धचत नहीॊ हआ था| उसकी दसयी इचछा थी कक उसकी धचता को आग दत सभम ढोर अिशम फजामा जाए |

परशन6- ढोर की आवाज औय रटटन क भ दाॉिऩच सॊफॊध फताइए-

उततय- ढोर की आिाज औय रटटन क दाॉिऩच भ सॊफॊध -

चट धा धगड़ धाrarr आजा सबड़ जा | चटाक चट धाrarr उठाकय ऩटक द | चट धगड़ धाrarrभत डयना |

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धाक धधना नतयकट नतनाrarr दाॉि काटो फाहय हो जाओ | धधना धधना धधक धधनाrarr धचत कयो

गदमाॊश-आधारयत अथटगरहण-सॊफॊधधत परशनोततय

अॉधयी यात चऩचाऩ आॉस फहा यही थी | ननसतबधता करण सससककमो औय आहो को अऩन रदम भ ही फर ऩियक दफान की चरषटा कय यही थी | आकाश भ ताय चभक यह थ | ऩथिी ऩय कहीॊ परकाश का नाभ नहीॊ| आकाश स टट कय महद कोई बािक ताया ऩथिी ऩय आना बी चाहता तो उसकी जमोनत औय शनदकत यासत भ ही शर हो जाती थी | अनदम ताय उसकी बािकता अथिा असपरता ऩय णखरणखराकय हॉस ऩड़त थ | ससमायो का करॊ दन औय ऩचक की डयािनी आिाज यात की ननसतबधता को बॊग कयती थी | गाॉि की झोऩडडमो स कयाहन औय क कयन की आिाज हय याभ ह बगिान की टय सनाई ऩड़ती थी| फचच बी ननफयर कॊ ठो स भाॉ ndashभाॉ ऩकायकय यो ऩड़त थ |

(क) अॉधयी यात को आॉस फहात हए कमो ठदखामा गमा ह उततयndash गाॉि भ हजा औय भररयमा परा हआ था | भहाभायी की चऩट भ आकाय रोग भय यह थ |चायो ओय भौत का सनाटा छामा था इससरए अॉधयी यात बी चऩचाऩ आॉस फहाती सी परतीत हो यही थी|

(ख) ताय क भाधमभ स रखक कमा कहना चाहता ह उततयndash ताय क भाधमभ स रखक कहना चाहता ह कक अकार औय भहाभायी स तरसत गाॉि िारो की ऩीड़ा को दय कयन िारा कोई नहीॊ था | परकनत बी गाॉि िारो क द ख स दखी थी| आकाश स टट कय महद कोई बािक ताया ऩथिी ऩय आना बी चाहता तो उसकी जमोनत औय शनदकत यासत भ ही शर हो जाती थी |

(ग) यात की ननसतबधता को कौन बॊग कयता था उततयndash ससमायो की चीख-ऩकाय ऩचक की डयािनी आिाज औय कततो का साभहहक रदन सभरकय यात क सनदनाट को बॊग कयत थ |

(घ) झोऩड़ड़मो स कसी आवाज आ यही ह औय कमो उततयndash झोऩडड़मो स योधगमो क कयाहन क कयन औय योन की आिाज आ यही ह कमोकक गाॉि क रोग भररयमा औय हज स ऩीडड़त थ | अकार क कायण अनदन की कभी हो गमी थी| औरधध औय ऩथम न सभरन क कायण रोगो की हारत इतनी फयी थी कक कोई बगिान को ऩकाय रगाता था तो कोई दफयर कॊ ठ स भाॉndashभाॉ ऩकायता था |

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15 चारी चजतरन मानी हभ सफ

रखक-पवषण खय

ऩाि का सायाॊश ndashचारक चनदपरन न हासम कराकाय क रऩ भ ऩयी दननमा क फहत फड़ दशयक िगय को हॉसामा ह | उनकी कपलभो न कपलभ करा को रोकताॊबतरक फनान क साथ-साथ दशको की िगय औय िणय-वमिसथा को बी तोड़ा | चारक न करा भ फवदध की अऩा बािना को भहतति हदमा ह | फचऩन क सॊघरो न चारक क बािी कपलभो की बसभ तमाय कय दी थी| बायतीम करा औय सौदमयशासतर भ करणा का हासम भ ऩरयितयन बायतीम ऩयमऩया भ नहीॊ सभरता रककन चारक एक ऐसा जादई वमनदकतति ह जो हय दश सॊसकनत औय सभमता को अऩना सा रगता ह| बायतीम जनता न बी उनदह सहज बाि स सिीकाय ककमा ह| सिमॊ ऩय हॉसना चारक न ही ससखामा| बायतीम ससनभा जगत क सपरससदध कराकाय याजकऩय को चारक का बायतीमकयण कहा गमा ह | चारक की अधधकाॊश किलभ भक ह इससरए उनदह अधधक भानिीम होना ऩड़ा | ऩाठ भ हासम कपलभो क भहान असबनता lsquoचारक चनदपरनrsquo की जादई विशरताओॊ का उलरख ककमा गमा ह नदजसभ उसन करणा औय हासम भ साभॊजसम सथावऩत कय किलभो को साियबौसभक रऩ परदान ककमा

परशन१ -चारी क जीवन ऩय परबाव िारन वारी भखम घटनाएॉ कौन सी थी

उततय- चारक क जीिन भ दो ऐसी घटनाएॉ घटीॊ नदजनदहोन उनक बािी जीिन ऩय फहत परबाि डारा |

ऩहरी घटना - जफ चारक फीभाय थ उनकी भाॉ उनदह ईसा भसीह की जीिनी ऩढ़कय सना यही थी | ईसा क सरी ऩय चढ़न क परसॊग तक आत-आत भाॉ-फटा दोनो ही योन रग| इस घटना न चारक को सनह करणा औय भानिता जस उचच जीिन भलम हदए |

दसयी घटना हndash फारक चारक कसाईखान क ऩास यहता था| िहाॉ सकड़ो जानियो को योज भाया जाता था| एक हदन एक बड़ िहाॉ स बाग ननकरी| बड़ को ऩकड़न की कोसशश भ कसाई कई फाय कपसरा| नदजस दखकय रोग हॊसन रग ठहाक रगान रग| जफ बड़ को कसाई न ऩकड़ सरमा तो फारक चारक योन रगा| इस घटना न उसक बािी कपलभो भ तरासदी औय हासमोतऩादक ततिो की बसभका तम कय दी |

परशन२ ndash आशम सऩषट कीजजएndash

चजतरन न लसपट कपलभकरा को ही रोकताॊबतरक नही फनामा फजलक दशटको की वगट तथा वणट-वमवसथा को बी तोड़ा|

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उततय- रोकताॊबतरक फनान का अथय ह कक कपलभ करा को सबी क सरए रोकवपरम फनाना औय िगय औय िणय-वमिसथा को तोड़न का आशम ह- सभाज भ परचसरत अभीय-गयीफ िणय जानतधभय क बदबाि को सभापत कयना |चनदपरन का चभतकाय मह ह कक उनदहोन कपलभकरा को बफना ककसी बदबाि क सबी रोगो तक ऩहॉचामा| उनकी कपलभो न सभम बगोर औय सॊसकनतमो की सीभाओॊ को राॉघ कय साियबौसभक रोकवपरमता हाससर की | चारक न मह ससदध कय हदमा कक करा सितनदतर होती ह अऩन ससदधाॊत सिमॊ फनाती ह |

परशन३ndash चारी चजतरन की कपलभो भ ननठहत तरासदीकरणाहासम का साभॊजसम बायतीम करा औय सौदमटशासतर की ऩरयधध भ कमो नहीॊ आता

उततय- चारक चनदपरन की कपलभो भ ननहहत तरासदीकरणाहासम का साभॊजसम बायतीम करा औय सौदमयशासतर की ऩरयधध भ नहीॊ आताकमोकक बायतीम यस-ससदधाॊत भ करणा औय हासम का भर नहीॊ हदखामा जाता कमोकक बायतीम सौदमयशासतर भ करणयस औय हासम यस को ऩयसऩय वियोधी भाना गमा ह अथायत जहाॊ करणा ह िहाॉ हासम नहीॊ हो सकता बायत भ सिमॊ ऩय हॉसन की ऩयॊऩया नहीॊ ह ऩयॊत चारक क ऩातर अऩन ऩय हॉसतndashहॉसात ह चारक की किलभो क दशम हॉसात-हॉसात ररा दत ह तो कबी करण दशम क फाद अचानक ही हॉसन ऩय भजफय कय दत ह

परशन४ndash चारी क कपलभो की पवशषताएॉ फताइए |

उततय- चारक की किलभो भ हासम औय करणा का अदभत साभॊजसम ह उनकी किलभो भ बारा का परमोग फहत कभ ह चारक की किलभो भ फवदध की अऩा बािना का भहतति अधधक ह उनकी किलभो भ साियबौसभकता ह चारक ककसी बी सॊसकनत को विदशी नही रगत चारक सफको अऩन रगत ह चारक न किलभो को रोकताॊबतरक फनामा औय किलभो भ िगय तथािणय-वमिसथा को तोड़ा अऩनी कपलभो भ चारक सदि धचय मिा हदखता ह

गदमाॊश-आधारयत अथटगरहण-सॊफॊधी परशनोततय

गदमाॊश सॊकत ndashचारक चनदपरन मानी हभ सफ (ऩरषठ १२० )

महद मह िरय चनदपरन की कापी कछ कहा जाएगा |

परशन (क)-पवकासशीर दशो भ चजतरन कमो भशहय हो यह ह

उततय - विकासशीर दशो भ जस-जस टरीविजन औय िीडडमो का परसाय हो यहा ह रोगो को उनकी कपलभो को दखन का अिसय सभर यहा ह |एक फहत फड़ा िगय नए ससय स चारक को घड़ी सधायत औय जत खान की कोसशश कयत दख यहा ह इसीसरए चारक विकासशीर दशो भ रोकवपरम हो यह ह |

(ख)- ऩजशचभ भ चारी का ऩनजीवन कस होता यहता ह

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उततय - ऩनदशचभ भ चारक की कपलभो का परदशयन होता यहता ह| उनकी करा स परयणा ऩाकय हासम किलभ फनती यहती ह | उनक दिाया ननबाए ककयदायो की नकर अनदम कराकाय कयत ह | ऩनदशचभ भ चारक का ऩनजीिन होता यहता ह|

(ग)- चारी को रोग फिाऩ तक कमो माद यखग

उततय ndashहासम कराकाय क रऩ भ रोग चारक को फढ़ाऩ तक माद यखग कमोकक उनकी करा सभम बगोर औय सॊसकनतमो की सीभाओॊ को राॉघकय राखो रोगो को हॉसा यही ह|

(घ)- चारी की कपलभो क फाय भ कापी कछ कहा जाना कमो फाी ह

उततय ndashचनदपरन की ऐसी कछ किलभ मा इसतभार न की गमी यीर सभरी ह नदजनक फाय भ कोई नहीॊ जानता था | चारक की बािनापरधान हासम कपलभो न करा क नए परनतभान सथावऩत ककए ह अत चारक की कपलभो क फाय भ अबी कापी कछ कहा जाना फाी ह|

16 नभक

रखखका - यजजमा सजजाद जहीय

सायाॊश -lsquoनभकrsquoबायत-ऩाक विबाजन ऩय सरणखत भासभयक कहानी ह | विसथावऩत हए रोगो भ अऩनndashअऩन जनदभ सथानो क परनत आज बी रगाि ह| धासभयक आधाय ऩय फनी यारषर-याजमो की सीभा-यखाएॉ उनक अॊतभयन को अरग नहीॊ कय ऩाई ह | बायत भ यहन िारी ससख फीिी राहौय को अऩना ितन भानती ह औय बायतीम कसटभ अधधकायी ढाका क नारयमर ऩानी को मादकय उस सियशररषठ फताता ह दोनो दशो क नागरयको क फीच भहबफत का नभकीन सिाद आज बी कामभ ह इसीसरए सकिमा बायत भ यहन िारी अऩनी भॉहफोरी भाॉ ससख फीिी क सरए राहौयी नभक रान क सरए कसटभ औय कानन की ऩयिाह नहीॊ कयती

परशन1- lsquoनभकrsquo ऩाि क आधाय ऩय फताइए कक सकपमा औय उसक बाई क पवचायो भ कमा अॊतय था

उततय- १-सकपमा बािनाओॊ को फहतभहतति दती ह ऩय उसका बाई फौवदधक परिनदतत का ह उसकी दनदरषट भ कानन बािनाओॊ स ऊऩय ह|

२-सकपमा भानिीम सॊफॊधो को फहत भहतति दती ह जफकक उसका बाई अरगाििादी विचायधाया का ह हहसस-फखय की फात कयता ह |

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३-सकपमा का बाई कहता ह कक अदीफो(साहहतमकाय) का हदभाग घभा हआ होता ह जफकक सकपमा जो सिमॊ अदीफ ह उसका भानना ह कक अगय सबी रोगो का हदभाग अदीफो की तयह घभा हआ होता तो दननमा कछ फहतय हो जाती |

परशन२- नभक र जात सभम सकफ़मा क भन भ कमा दपवधा थी

उततय-सकपमा समद भसरभान थी जो हय हार भ अऩना िामदा ननबात ह| ऩाककसतान स राहौयी नभक र जाकय िह अऩना िामदा ऩया कयना चाहती थी ऩयनदत जफ उस ऩता चरा कक कसटभ क ननमभो क अनसाय सीभाऩाय नभक र जाना िनदजयत ह तो िह दविधा भ ऩड़ गई | सकिमा का दिॊदि मह था कक िह अऩनी ससख भाॉ क सरए नभक कसटभ अधधकारयमो को फताकयर जाए मा नछऩाकय|

परशन३- ऩाि क आधाय ऩय सकपमा की चारयबतरक पवशषताएॉ फताइए |

उततय सॊकत ndash

१- बािक २- ईभानदाय ३- दढ़ननशचमी ४- ननडय ५- िामद को ननबान िारी ६- भानिीम भलमो को सिोऩरय भानन िारी साहहतमकाय

परशन ४- lsquoनभकrsquo ऩाि भ आए ककयदायो क भाधमभ स सऩषट कीजजए कक आज बी बायत औय ऩाककसतान की जनता क फीच भहबफत का नभकीन सवाद घरा हआ ह |

उततय ndash बर ही याजनीनतक औय धासभयक आधाय ऩय बायत औय ऩाककसतान को बौगोसरक रऩ स विबानदजत कय हदमा गमा ह रककन दोनो दशो क रोगो क रदम भ आज बी ऩायसऩरयक बाईचाया सौहादरय सनह औय सहानबनत विदमभान ह | याजनीनतक तौय ऩय बर ही सॊफॊध तनािऩणय हो ऩय साभानदजक तौय ऩय आज बी जनता क फीच भहबफत का नभकीन सिाद घरा हआ ह | अभतसय भ यहन िारी ससख फीफी राहौय को अऩना ितन कहती ह औय राहौयी नभक का सिाद नहीॊ बरा ऩाती | ऩाककसतान का कसटभ अधधकायी नभक की ऩडड़मा सकपमा को िाऩस दत हए कहता ह rdquoजाभा भनदसजद की सीहढ़मो को भया सराभ कहना |rdquo बायतीम सीभा ऩय तनात कसटभ अधधकायी ढाका की जभीन को औय िहाॉ क ऩानी क सिाद को नहीॊ बर ऩाता |

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गदमाॊश-आधारयत अथटगरहण सॊफॊधधत परशनोततय

गदमाॊश सॊकत- ऩाठndash नभक (ऩरषठ १३४)

सकपमा कसटभ क जॊगर स दोनो क हाथो भ थी |

(क) सकपमा कसटभ क जॉगर स ननकरकय दसय तरटपाभट ऩय आ गमी व वहीॊ खड़ यहndash इस वाकम भ lsquoवrsquo शबद का परमोग ककसक लरए ककमा गमा ह

उततय- महाॉ lsquoिrsquo शबद का परमोग ऩाककसतानी कसटभ अधधकायी क सरए ककमा गमा ह जो विबाजन स ऩिय हदलरी भ यहत थ औय आज बी हदलरी को ही अऩना ितन भानत ह |

(ख) तरटपाभट ऩय सकपमा को पवदा कयन कौन-कौन आए थ उनहोन सकपमा को कस पवदाई दी

उततय- परटपाभय ऩय सकपमा को विदा कयन उसक फहत साय सभतर सग सॊफॊधी औय बाई आए थ| उनदहोन ठॊडी साॉस बयत हए सबॊच हए होठो क साथ आॉस फहात हए सकपमा को विदाई दी |

(ग) अटायी भ यरगाड़ी भ कमा ऩरयवतटन हए उततय- अटायी भ यरगाड़ी स ऩाककसतानी ऩसरस उतयी औय हहनददसतानी ऩसरस सिाय हो गई|

(घ) कौन सी फात सकपमा की सभझ भ नहीॊ आ यही थी उततय- दोनो ओय एक सी जभीन एक जसा आसभान एक सी बारा एक सा ऩहनािा औय एक सी सयत क रोग कपय बी दोनो क हाथो भ बयी हई फॊदक ह |

17 लशयीष क पर

आचामट हजायी परसाद दपववदी

सायाॊश ndashlsquoआचामय हजायी परसाद दवििदीrsquo सशयीर को अदभत अिधत भानत ह कमोकक सॊनदमासी की बाॉनत िह सख-दख की धचॊता नहीॊ कयता गभी र िराय औय आॉधी भ बी अविचर खड़ा यहता ह सशयीर क िर क भाधमभ स भनरषम की अजम नदजजीविरा धमयशीरता औय कतयवमननरषठ फन यहन क भानिीम भलमो को सथावऩत ककमा गमा हरखक न सशयीर क कोभर परो औय कठोय परो क दिाया सऩरषट ककमा ह कक रदम की कोभरता फचान क सरए कबी-कबी वमिहाय की कठोयता बी आिशमक हो जाती ह| भहान कवि कासरदास औय कफीय बी सशयीर की तयह फऩयिाह अनासकत औय सयस थ तबी उनदहोन इतनी सनददय यचनाएॉ सॊसाय को दीॊ| गाॉधीजी क वमनदकतति भ बी कोभरता औय कठोयता का अदभत सॊगभ था | रखक सोचता ह कक हभाय दश भ जो भाय-काट अनदगनदाह रट-ऩाट खन-खचचय का फिॊडय ह कमा िह दश को नदसथय नहीॊ यहन दगा गराभी अशाॊनत औय वियोधी िाताियण क फीच अऩन ससदधाॊतो की या कयत हए गाॉधीजी जी नदसथय यह सक थ तो दश बी यह सकता ह जीन की परफर असबरारा क कायण

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विरभ ऩरयनदसथतमो भ बी महद सशयीर णखर सकता ह तो हभाया दश बी विरभ ऩरयनदसथनतमो भ नदसथय यह कय विकास कय सकता ह

परशन1-लसदध कीजजए कक लशयीष कारजमी अवधत की बाॉनत जीवन की अजमता क भॊतर का परचाय कयता ह

उततय- सशयीर कारजमी अिधत की बाॉनत जीिन की अजमता क भॊतर का परचाय कयता ह| जफ ऩथिी अनदगन क सभान तऩ यही होती ह िह तफ बी कोभर परो स रदा रहरहाता यहता ह|फाहयी गयभी धऩ िराय आॉधी र उस परबावित नहीॊ कयती इतना ही नहीॊ िह रॊफ सभम तक णखरा यहता ह | सशयीर विऩयीत ऩरयनदसथनतमो भ बी धमयशीर यहन तथा अऩनी अजम नदजजीविरा क साथ ननसऩह बाि स परचॊड गयभी भ बी अविचर खड़ा यहता ह

परशन२-आयगवध (अभरतास) की तरना लशयीष स कमो नहीॊ की जा सकती

उततय- सशयीर क पर बमॊकय गयभी भ णखरत ह औय आराढ़ तक णखरत यहत ह जफकक अभरतास का पर किर ऩनददरह-फीस हदनो क सरए णखरता ह | उसक फाद अभरतास क पर झड़ जात ह औय ऩड़ कपय स ठॉठ का ठॉठ हो जाता ह | अभरतास अलऩजीिी ह | विऩयीत ऩरयनदसथनतमो को झरता हआ ऊरषण िाताियण को हॉसकय झरता हआ सशयीर दीघयजीिी यहता ह | मही कायण ह कक सशयीर की तरना अभरतास स नहीॊ की जा सकती |

परशन३-लशयीष क परो को याजनताओॊ का रऩक कमो ठदमा गमा ह

उततय- सशयीर क पर उन फढ़ ढीठ औय ऩयान याजनताओॊ क परतीक ह जो अऩनी कसी नहीॊ छोड़ना चाहत | अऩनी अधधकाय-सरपसा क सरए नए मिा नताओॊ को आग नहीॊ आन दत | सशयीर क नए परो को जफयदसती ऩयान परो को धककमाना ऩड़ता ह | याजनीनत भ बी नई मिा ऩीढ़ी ऩयानी ऩीढ़ी को हयाकय सिमॊ सतता सॉबार रती ह |

परशन४- कार दवता की भाय स फचन का कमा उऩाम फतामा गमा ह

उततय- कार दिता कक भाय स फचन का अथय हndash भतम स फचना | इसका एकभातर उऩाम मह ह कक भनरषम नदसथय न हो| गनतशीर ऩरयितयनशीर यह | रखक क अनसाय नदजनकी चतना सदा ऊधियभखी (आधमातभ की ओय) यहती ह ि हटक जात ह |

परशन५- गाॉधीजी औय लशयीष की सभानता परकट कीजजए |

उततय- नदजस परकाय सशयीर धचरधचराती धऩ र िराय औय आॉधी भ बी अविचर खड़ा यहता ह अनासकत यहकय अऩन िाताियण स यस खीॊचकय सयस कोभर फना यहता ह उसी परकाय गाॉधी जी न बी अऩनी आॉखो क साभन आजादी क सॊगराभ भ अनदमाम बदबाि औय हहॊसा को झरा |

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उनक कोभर भन भ एक ओय ननयीह जनता क परनत असीभ करणा जागी िहीॊ ि अनदमामी शासन क वियोध भ डटकय खड़ हो गए |

गदमाॊश-आधारयत अथटगरहण सॊफॊधधत परशनोततय

गदमाॊश सॊकत- ऩाठ ndash सशयीर क पर (ऩरषठ १४७)

कासरदास सौदमय क िह इशाया ह |

(क) कालरदास की सौदमटndashदजषट की कमा पवशषता थी उततय-कासरदास की सौदमयndashदनदरषट फहत सकषभ अॊतबदी औय सॊऩणय थी| ि किर फाहयी रऩ-यॊग औय आकाय को ही नहीॊ दखत थ फनदलक अॊतभयन की सॊदयता क बी ऩायखी थ| कासरदास की सौदमय शायीरयक औय भानससक दोनो विशरताओॊ स मकत था |

(ख) अनासजकत का कमा आशम ह उततय- अनासनदकत का आशम ह- वमनदकतगत सख-द ख औय याग-दिर स ऩय यहकय सौदमय क िासतविक भभय को जानना |

(ग) कालरदास ऩॊत औय यवीॊिनाथ टगोय भ कौन सा गण सभान था भहाकवि कासरदास ससभतरानॊदन ऩॊत औय गरदि यिीॊदरनाथ टगोय तीनो नदसथयपरऻ औय अनासकत कवि थ | ि सशयीर क सभान सयस औय भसत अिधत थ |

(घ) यवीॊिनाथ याजोदमान क लसॊहदवाय क फाय भ कमा सॊदश दत ह याजोदमान क फाय भ यिीॊदरनाथ कहत ह याजोदमान का ससॊहदिाय ककतना ही सॊदय औय गगनचमफी कमो ना हो िह अॊनतभ ऩड़ाि नहीॊ ह| उसका सौदमय ककसी औय उचचतभ सौदमय की ओय ककमा गमा सॊकत भातर ह कक असरी सौदमय इस ऩाय कयन क फाद ह अत याजोदमान का ससॊहदिाय हभ आग फढ़न की परयणा दता ह |

18शरभ-पवबाजन औय जानत-परथा

िॉ० बीभयाव अॊफिकय

सायाॊश ndash इस ऩाठ भ रखक न जानतिाद क आधाय ऩय ककए जान िार बदबाि को सभम सभाज क सरए हाननकायक फतामा ह | जानत आधारयत शरभ विबाजन को असिाबाविक औय भानिता वियोधी फतामा गमा ह मह साभानदजक बदबाि को फढ़ाता ह जानतपरथा आधारयत शरभ विबाजन भ वमनदकत की रधच को भहतति नहीॊ हदमा जाता परसिरऩ वििशता क साथ अऩनाए

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Page 29: ISSUED BY KENDRIYA VIDYALAYA - DOWNLOADED FROM … Class XII Hindi Part B.pdfप्रश्न४ :-फादर क / फयन का गयीफ एि धनी िगय क्मा

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बनदकतन की दसयी शादी कय उस घय स ननकारकय उसकी सॊऩनदतत हड़ऩन की सानदजश कयन रग| ऐसी ऩरयनदसथनत भ बनदकतन न अऩन कश भॊडा सरए औय सॊनदमाससन फन गई | बनदकतन सिासबभानी सॊघरयशीर कभयठ औय दढ सॊकलऩ िारी सतरी ह जो वऩतसततातभक भानदमताओॊ औय छर-कऩट स बय सभाज भ अऩन औय अऩनी फहटमो क हक की रड़ाई रड़ती हघय गहसथी सॉबारन क सरए अऩनी फड़ी फटी दाभाद को फरा सरमा ऩय दबायगम न महाॉ बी बनदकतन का ऩीछा नहीॊ छोड़ा अचानक उसक दाभाद की बी भतम हो गमी| बनदकतन क जठ-नदजठौत न सानदजश यचकय बनदकतन की विधिा फटी का वििाह जफयदसती अऩन तीतयफाज सार स कय हदमा| ऩॊचामत दिाया कयामा गमा मह सॊफॊध दखदामी यहा | दोनो भाॉ-फटी का भन घय-गहसथी स उचट गमा ननधयनता आ गमी रगान न चका ऩान क कायण जभीॊदाय न बनदकतन को हदन बय धऩ भ खड़ा यखा| अऩभाननत बनदकतन ऩसा कभान क सरए गाॉि छोड़कय शहय आ जाती ह औय भहादिी की सविका फन जाती ह| बनदकतन क भन भ भहादिी क परनत फहत आदय सभऩयण औय असबबािक क सभान अधधकाय बाि ह| िह छामा क सभान भहादिी क साथ यहती ह| िह यात-यात बय जागकय धचतरकायी मा रखन जस कामय भ वमसत अऩनी भारककन की सिा का अिसय ढॉढ रती ह| भहादिी बनदकतन को नहीॊ फदर ऩामी ऩय बनदकतन न भहादिी को फदर हदमा| बनदकतन क हाथ का भोटा-दहाती खाना खात-खात भहादिी का सिाद फदर गमा बनदकतन न भहादिी को दहात क ककसस-कहाननमाॉ ककॊ िदॊनतमाॉ कॊ ठसथ कया दी| सिबाि स भहाकॊ जस होन ऩय बी बनदकतन ऩाई-ऩाई कय जोडी हई १०५ रऩमो की यासश को सहरय भहादिी को सभवऩयत कय दती ह| जर क नाभ स थय-थय काॉऩन िारी बनदकतन अऩनी भारककन क साथ जर जान क सरए फड़ राट साहफ तक स रड़न को बी तमाय हो जाती ह| बनदकतन भहादिी क जीिन ऩय छा जान िारी एक ऐसी सविका ह नदजस रणखका नहीॊ खोना चाहती

ऩाि आधारयत परशनोततय

नोट- उततय भ ननहहत यखाॊककत िाकम भखम सॊकत बफॊद ह |

परशन 1-बजकतन का वासतपवक नाभ कमा था वह अऩन नाभ को कमो छऩाना चाहती थी

उततय-बनदकतन का िासतविक नाभ रकषभी था हहनददओॊ क अनसायरकषभी धन की दिीह चॉकक बनदकतन गयीफ थी| उसक िासतविक नाभ क अथय औय उसक जीिन क मथाथय भ वियोधाबास ह ननधयन बनदकतन सफको अऩना असरी नाभ रकषभी फताकय उऩहास का ऩातर नहीॊ फनना चाहती थी इससरए िह अऩना असरी नाभ छऩाती थी

परशन 2- रखखका न रकषभी का नाभ बजकतन कमो यखा

उततय-घटा हआ ससय गर भ कॊ ठी भारा औय बकतो की तयह सादगीऩणय िशबरा दखकय भहादिी िभाय न रकषभी का नाभ बनदकतन यख हदमा | मह नाभ उसक वमनदकतति स ऩणयत भर खाता था |

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परशन 3-बजकतन क जीवन को ककतन ऩरयचछदो भ पवबाजजत ककमा गमा ह

उततय- बनदकतन क जीिन को चाय बागो भ फाॉटा गमा ह-

ऩहरा ऩरयचछद-बनदकतन का फचऩन भाॉ की भतम विभाता क दिाया बनदकतन का फार-वििाह कया दना

दपवतीम ऩरयचछद-बनदकतन का ििाहहक जीिन सास तथा नदजठाननमो का अनदमामऩणय वमिहाय ऩरयिाय स अरगौझा कय रना

ततीम ऩरयचछद- ऩनत की भतम विधिा क रऩ भ सॊघरयशीर जीिन चतथट ऩरयचछद- भहादिी िभाय की सविका क रऩ भ

परशन 4- बजकतन ऩाि क आधाय ऩय बायतीम गराभीण सभाज भ रड़क-रड़ककमो भ ककम जान वार बदबाव का उलरख कीजजए |

बायतीम गराभीण सभाज भ रड़क-रड़ककमो भ बदबाि ककमा जाता ह| रड़ककमो को खोटा ससकका मा ऩयामा धन भाना जाता ह| बनदकतन न तीन फहटमो को जनदभ हदमा नदजस कायण उस सास औय नदजठाननमो की उऩा सहनी ऩड़ती थी| सास औय नदजठाननमाॉ आयाभ पयभाती थी कमोकक उनदहोन रड़क ऩदा ककए थ औय बनदकतन तथा उसकी ननदहीॊ फहटमो को घय औय खतो का साया काभ कयना ऩडता था| बनदकतन औय उसकी फहटमो को रखा-सखा भोटा अनाज खान को सभरता था जफकक उसकी नदजठाननमाॉ औय उनक कार-करट फट दध-भराई याफ-चािर की दाित उड़ात थ

परशन 5-बजकतन ऩाि क आधाय ऩय ऩॊचामत क नमाम ऩय ठटतऩणी कीजजए |

बनदकतन की फटी क सनददबय भ ऩॊचामत दिाया ककमा गमा नदमाम तकय हीन औय अॊध कानन ऩय आधारयतह | बनदकतन क नदजठौत न सॊऩनदतत क रारच भ रडमॊतर कय बोरी फचची को धोख स जार भ पॊ सामा| ऩॊचामत न ननदोर रड़की की कोई फात नहीॊ सनी औय एक तयिा पसरा दकय उसका वििाह जफयदसती नदजठौत क ननकमभ तीतयफाज सार स कय हदमा | ऩॊचामत क अॊध कानन स दरषटो को राब हआ औय ननदोर को दॊड सभरा |

परशन 6-बजकतन की ऩाक-करा क फाय भ ठटतऩणी कीजजए |

बनदकतन को ठठ दहाती सादा बोजन ऩसॊद था | यसोई भ िह ऩाक छत को फहत भहतति दती थी | सफह-सिय नहा-धोकय चौक की सपाई कयक िह दिाय ऩय कोमर की भोटी यखा खीॊच दती थी| ककसी को यसोईघय भ परिश कयन नहीॊ दती थी| उस अऩन फनाए बोजन ऩय फड़ा असबभान था| िह अऩन फनाए बोजन का नतयसकाय नहीॊ सह सकती थी |

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परशन 7- लसदध कीजजए कक बजकतन तकट -पवतकट कयन भ भाठहय थी |

बनदकतन तकय ऩट थी | कश भॉडान स भना ककए जान ऩय िह शासतरो का हिारा दत हए कहती ह lsquoतीयथ गए भॉडाए ससदधrsquo | घय भ इधय-उधय यख गए ऩसो को िह चऩचाऩ उठा कय छऩा रती ह टोक जानऩय िह िह इस चोयी नही भानती फनदलक िह इस अऩन घय भ ऩड़ ऩसो को सॉबारकय यखना कहती ह| ऩढाई-सरखाई स फचन क सरए बी िह अचक तकय दती ह कक अगय भ बी ऩढ़न रगॉ तो घय का काभ कौन दखगा

परशन 8-बजकतन का दबाटगम बी कभ हिी नही था रखखका न ऐसा कमो कहा ह

उततय- बजकतन का दबाटगम उसका ऩीछा नहीॊ छोड़ता था-

1- फचऩन भ ही भाॉ की भतम 2- विभाता की उऩा 3- बनदकतन(रकषभी) का फारवििाह 4- वऩता का ननधन 5- तीन-तीन फहटमो को जनदभ दन क कायण सास औय नदजठाननमो क दिाया बनदकतन की

उऩा 6- ऩनत की असभम भतम 7- दाभाद का ननधन औय ऩॊचामत क दिाया ननकमभ तीतयफाज मिक स बनदकतन की विधिा

फटी का जफयन वििाह 8- रगान न चका ऩान ऩय जभीॊदाय क दिाया बनदकतन का अऩभान

परशन 9-बजकतन न भहादवी वभाट क जीवन ऩय कस परबापवत ककमा

उततय- बनदकतन क साथ यहकय भहादिी की जीिन-शरी सयर हो गमी ि अऩनी सविधाओॊ की चाह को नछऩान रगीॊ औय असविधाओॊ को सहन रगीॊ बनदकतन न उनदह दहाती बोजन णखराकय उनका सिाद फदर हदमा बनदकतन भातर एक सविका न होकय भहादिी की असबबािक औय आतभीम फन गमीबनदकतन भहादिी क जीिन ऩय छा जान िारी एक ऐसी सविका ह नदजस रणखका नहीॊ खोना चाहती

परशन 10- बजकतन क चरयतर की पवशषताओॊ का उलरख कीजजए

उततय- भहादिी िभाय की सविका बनदकतन क वमनदकतति की विशरताएॊ ननमनाॊककत ह-

सभवऩयत सविका सिासबभानी

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तकय शीरा ऩरयशरभी सॊघरयशीर

परशन 11-बजकतन क दगटणो का उलरख कय

उततय- गणो क साथ-साथ बनदकतन क वमनदकतति भ अनक दगयण बी ननहहत ह-

1 िह घय भ इधय-उधय ऩड़ रऩम-ऩस को बॊडाय घय की भटकी भ छऩा दती ह औय अऩन इस कामय को चोयी नहीॊ भानती

2 भहादिी क करोध स फचन क सरए बनदकतन फात को इधय-उधय कयक फतान को झठ नही भानती अऩनी फात को सही ससदध कयन क सरए िह तकय -वितकय बी कयती ह

3 िह दसयो को अऩनी इचछानसाय फदर दना चाहती ह ऩय सिमॊ बफरकर नही फदरती परशन 12 ननमनाॊककत बाषा-परमोगो का अथट सऩषट कीजजए-

ऩहरी कनमा क दो औय सॊसकयण कय िार- बनदकतन न अऩनी ऩहरी कनदमा क फाद उसक जसी दो औय कनदमाएॉ ऩदा कय दी अथायत बनदकतन क एक क फाद एक तीन फहटमाॉ ऩदा हो गमीॊ |

खोट लसकको की टकसार जसी ऩतनी- आज बी असशकषत गराभीण सभाज भ फहटमो को

खोटा ससकका कहा जाता ह बनदकतन न एक क फाद एक तीन फहटमाॉ ऩदा कय दी इससरए उस खोट ससकक को ढारन िारी भशीन कहा गमा

परशन 13-बजकतन ऩाि भ रखखका न सभाज की ककन सभसमाओॊ का उलरख ककमा ह

उततय- बनदकतन ऩाठ क भाधमभ स रणखका न बायतीम गराभीण सभाज की अनक सभसमाओॊ का उलरख ककमा ह-

1 रड़क-रड़ककमो भ ककमा जान िारा बदबाि 2 विधिाओॊ की सभसमा 3 नदमाम क नाभ ऩय ऩॊचामतो क दिाया नदसतरमो क भानिाधधकाय को कचरना 4 असशा औय अॊधविशिास

गदमाॊश-आधारयत अथटगरहण सॊफॊधधत परशनोततय

ऩरयिाय औय ऩरयनदसथनतमो क कायण सिबाि भ जो विरभताएॉ उतऩनदन हो गई ह उनक बीतय स एक सनह औय सहानबनत की आबा पटती यहती ह इसी स उसक सॊऩकय भ आनिार वमनदकत उसभ जीिन की सहज भासभयकता ही ऩात ह छातरािास की फासरकाओॊ भ स कोई अऩनी चाम

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फनिान क सरए दहरी ऩय फठी यहती ह कोई फाहय खडी भय सरए नाशत को चखकय उसक सिाद की वििचना कयती यहती ह भय फाहय ननकरत ही सफ धचडड़मो क सभान उड़ जाती ह औय बीतय आत ही मथासथान वियाजभान हो जाती ह इनदह आन भ रकािट न हो सॊबित इसी स बनदकतन अऩना दोनो जन का बोजन सिय ही फनाकय ऊऩय क आर भ यख दती ह औय खात सभम चौक का एक कोना धोकय ऩाकndashछत क सनातन ननमभ स सभझौता कय रती ह

भय ऩरयधचतो औय साहहनदतमक फॊधओॊ स बी बनदकतन विशर ऩरयधचत ह ऩय उनक परनत बनदकतन क समभान की भातरा भय परनत उनक समभान की भातरा ऩय ननबयय ह औय सदभाि उनक परनत भय सदभाि स नननदशचत होता ह इस सॊफॊध भ बनदकतन की सहज फवदध विनदसभत कय दन िारी ह

(क) बजकतन का सवबाव ऩरयवाय भ यहकय कसा हो गमा ह

उततय-विरभ ऩरयनदसथनतजनदम उसक उगर हठी औय दयागरही सिबाि क फािजद बनदकतन क बीतय सनह औय सहानबनत की आबा पटती यहती ह उसक सॊऩकय भ आन िार वमनदकत उसभ जीिन की सहज भासभयकता ही ऩात ह

(ख) बजकतन क ऩास छातरावास की छातराएॉ कमो आती ह

उततय- बनदकतन क ऩास कोई छातरा अऩनी चाम फनिान आती ह औय दहरी ऩय फठी यहती ह कोई भहादिी जी क सरए फन नाशत को चखकय उसक सिाद की वििचना कयती यहती ह भहादिी को दखत ही सफ छातराएॉ बाग जाती ह उनक जात ही कपय िाऩस आ जातीॊ ह बनदकतन का सहज-सनह ऩाकय धचडड़मो की तयह चहचहान रगती ह |

(ग) छातराओॊ क आन भ रकावट न िारन क लरए बजकतन न कमा उऩाम ककमा

उततय- छातराओॊ क आन भ रकािट न डारन क सरए बनदकतन न अऩन ऩाक-छत क ननमभ स सभझौता कय सरमा | बनदकतन अऩना दोनो िकत का खाना फनाकय सफह ही आर भ यख दती औय खात सभम चौक का एक कोना धोकय िहाॉ फठकय खा सरमा कयती थी ताकक छातराएॉ बफना योक-टोक क उसक ऩास आ सक

(घ) साठहतमकायो क परनत बजकतन क समभान का कमा भाऩदॊि ह

उततय-बनदकतन भहादिी क साहहनदतमक सभतर क परनत सदभाि यखती थी नदजसक परनत भहादिी सिमॊ सदभाि यखती थी | िह सबी स ऩरयधचत हऩय उनक परनत समभान की भातरा भहादिी जी क समभान की भातरा ऩय ननबयय कयती ह िह एक अदभत ढॊग स जान रती थी कक कौन ककतना समभान कयता ह उसी अनऩात भ उसका परापम उस दती थी

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12 फाजाय-दशटन

रखक- जनि कभाय

ऩाि का सायाॊश फाजाय-दशयन ऩाठ भ फाजायिाद औय उऩबोकतािाद क साथ-साथ अथयनीनत एिॊ दशयन स सॊफॊधधत परशनो को सरझान का परमास ककमा गमा ह फाजाय का जाद तबी असय कयता ह जफ भन खारी हो| फाजाय क जाद को योकन का उऩाम मह ह कक फाजाय जात सभम भन खारी ना हो भन भ रकषम बया हो| फाजाय की असरी कताथयता ह जरयत क िकत काभ आना| फाजाय को िही भनरषम राब द सकता ह जो िासति भ अऩनी आिशमकता क अनसाय खयीदना चाहता ह| जो रोग अऩन ऩसो क घभॊड भ अऩनी ऩचनदजॊग ऩािय को हदखान क सरए चीज खयीदत ह ि फाजाय को शतानी वमॊगम शनदकत दत ह| ऐस रोग फाजारऩन औय कऩट फढात ह | ऩस की मह वमॊगम शनदकत वमनदकत को अऩन सग रोगो क परनत बी कतघन फना सकती ह | साधायण जन का रदम रारसा ईरषमाय औय तरषणा स जरन रगता ह | दसयी ओय ऐसा वमनदकत नदजसक भन भ रश भातर बी रोब औय तरषणा नहीॊ ह सॊचम की इचछा नहीॊ ह िह इस वमॊगम-शनदकत स फचा यहता ह | बगतजी ऐस ही आतभफर क धनी आदशय गराहक औय फचक ह नदजन ऩय ऩस की वमॊगम-शनदकत का कोई असय नहीॊ होता | अनक उदाहयणो क दिाया रखक न मह सऩरषट ककमा ह कक एक ओय फाजाय रारची असॊतोरी औय खोखर भन िार वमनदकतमो को रटन क सरए ह िहीॊ दसयी ओय सॊतोरी भन िारो क सरए फाजाय की चभक-दभक उसका आकरयण कोई भहतति नहीॊ यखता

परशन१ - ऩचजजॊग ऩावय ककस कहा गमा ह फाजाय ऩय इसका कमा परबाव ऩड़ता ह

उततय- ऩचनदजॊग ऩािय का अथय ह खयीदन की शनदकत ऩचनदजॊग ऩािय क घभॊड भ वमनदकत हदखाि क सरए आिशमकता स अधधक खयीदायीकयता ह औय फाजाय को शतानी वमॊगम-शनदकत दता ह ऐस रोग फाजाय का फाजारऩन फढ़ात ह

परशन२ -रखक न फाजाय का जाद ककस कहा ह इसका कमा परबाव ऩड़ता ह

उततय- फाजाय की चभक-दभक क चॊफकीम आकरयण को फाजाय का जाद कहा गमा ह मह जाद आॊखो की याह कामय कयता ह फाजाय क इसी आकरयण क कायण गराहक सजी-धजी चीजो को आिशमकता न होन ऩय बी खयीदन को वििश हो जात ह

परशन३ -आशम सऩषट कय

भन खारी होना भन बया होना भन फॊद होना

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उततय-भन खारी होना- भन भ कोई नननदशचत िसत खयीदन का रकषम न होना ननरददशम फाजाय जाना औय वमथय की चीजो को खयीदकय राना

भन बया होना- भन रकषम स बया होना नदजसका भन बया हो िह बरीबाॉनत जानता ह कक उस फाजाय स कौन सी िसत खयीदनी ह अऩनी आिशमकता की चीज खयीदकय िह फाजाय को साथयकता परदान कयता ह

भन फॊद होना-भन भ ककसी बी परकाय की इचछा न होना अथायत अऩन भन को शनदम कय दना

परशन४ - lsquoजहाॉ तषणा ह फटोय यखन की सऩहा ह वहाॉ उस फर का फीज नहीॊ हrsquo महाॊ ककस फर की चचाट की गमी ह

उततय- रखक न सॊतोरी सिबाि क वमनदकत क आतभफरकी चचाय की ह दसय शबदो भ महद भन भ सॊतोर हो तो वमनदकत हदखाि औय ईरषमाय की बािना स दय यहता ह उसभ सॊचम कयन की परिनदतत नहीॊ होती

परशन५ - अथटशासतर अनीनतशासतर कफ फन जाता ह

उततय- जफ फाजाय भ कऩट औय शोरण फढ़न रग खयीददाय अऩनी ऩचधचॊग ऩािय क घभॊड भ हदखाि क सरए खयीददायी कय | भनरषमो भ ऩयसऩय बाईचाया सभापत हो जाए| खयीददाय औय दकानदाय एक दसय को ठगन की घात भ रग यह एक की हानन भ दसय को अऩना राब हदखाई द तो फाजाय का अथयशासतर अनीनतशासतर फन जाता ह ऐस फाजाय भानिता क सरए विडॊफना ह

परशन६-बगतजी फाजाय औय सभाज को ककस परकाय साथटकता परदान कय यह ह

उततय- बगतजी क भन भ साॊसारयक आकरयणो क सरए कोई तरषणा नहीॊ ह ि सॊचम रारच औय हदखाि स दय यहत ह फाजाय औय वमाऩाय उनक सरए आिशमकताओॊ की ऩनत य का साधन भातर ह बगतजी क भन का सॊतोर औय ननसऩह बाि उनको शररषठ उऩबोकता औय विकरता फनात ह

परशन ७ _ बगत जी क वमजकततव क सशकत ऩहरओॊ का उलरख कीजजए |

उततय-ननमनाॊककत बफॊद उनक वमनदकतति क सशकत ऩहर को उजागय कयत ह

ऩॊसायी की दकान स किर अऩनी जरयत का साभान (जीया औय नभक) खयीदना नननदशचत सभम ऩय चयन फचन क सरए ननकरना छह आन की कभाई होत ही चयन फचना फॊद कय दना फच हए चयन को फचचो को भफ़त फाॉट दना

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सबी काजम-जम याभ कहकय सिागत कयना फाजाय की चभक-दभक स आकवरयत न होना सभाज को सॊतोरी जीिन की सशा दना

परशन7-फाजाय की साथटकता ककसभ ह

उततय- भनरषम की आिशमकताओॊ की ऩनतय कयन भ ही फाजाय की साथयकता ह जो गराहक अऩनी आिशमकताओॊ की चीज खयीदत ह ि फाजाय को साथयकता परदान कयत ह जो विकरता गराहको का शोरण नहीॊ कयत औय छर-कऩट स गराहको को रबान का परमास नही कयत ि बी फाजाय को साथयक फनात ह

गदमाॊश-आधारयत अथटगरहण-सॊफॊधधत परशनोततय

फाजाय भ एक जाद ह िह जाद आॉख की तयह काभ कयता ह िह रऩ का जाद ह ऩय जस चॊफक का जाद रोह ऩय ही चरता ह िस ही इस जाद की बी भमायदा ह जफ बयी हो औय भन खारी हो ऐसी हारत भ जाद का असय खफ होता ह जफ खारी ऩय भन बया न हो तो बी जाद चर जाएगा भन खारी ह तो फाजाय की अनकानक चीजो का ननभॊतरण उस तक ऩहॉच जाएगा कहीॊ हई उस िकत जफ बयी तफ तो कपय िह भन ककसकी भानन िारा ह भारभ होता ह मह बी रॉ िह बी रॉ सबी साभान जरयी औय आयाभ को फढ़ान िारा भारभ होता ह ऩय मह सफ जाद का असय ह जाद की सिायी उतयी कक ऩता चरता ह कक प सी-चीजो की फहतामत आयाभ भ भदद नहीॊ दती फनदलक खरर ही डारती ह थोड़ी दय को सिासबभान को जरय सक सभर जाता ह ऩय इसस असबभान को धगलटी की खयाक ही सभरती ह जकड़ यशभी डोयी की हो तो यशभ क सऩशय क भरामभ क कायण कमा िह कभ जकड़ दगी

ऩय उस जाद की जकड़ स फचन का एक सीधा उऩाम ह िह मह कक फाजाय जाओ तो खारी भन न हो भन खारी हो तफ फाजाय न जाओ कहत ह र भ जाना हो तो ऩानी ऩीकय जाना चाहहए ऩानी बीतय हो र का रऩन वमथय हो जाता ह भन रकषम स बया हो तो फाजाय परा का परा ही यह जाएगा तफ िह घाि बफरकर नहीॊ द सकगा फनदलक कछ आनॊद ही दगा तफ फाजाय तभस कताथय होगा कमोकक तभ कछ न कछ सचचा राब उस दोग फाजाय की असरी कताथयता ह आिशमकता क सभम काभ आना

परशन-1 फाजाय क जाद को रखक न कस सऩषट ककमा ह

उततय- फाजाय क रऩ का जाद आॉखो की याह स काभ कयता हआ हभ आकवरयत कयता ह फाजाय का जाद ऐस चरता ह जस रोह क ऊऩय चॊफक का जाद चरता ह चभचभाती योशनी भ सजी

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प सी चीॊज गराहक को अऩनी ओय आकवरयत कयती ह| इसी चमफकीम शनदकत क कायण वमनदकत कपजर साभान को बी खयीद रता ह |

परशन-2 जफ बयी हो औय भन खारी तो हभायी कमा दशा होती ह

उततय- जफ बयी हो औय भन खारी हो तो हभाय ऊऩय फाजाय का जाद खफ असय कयता ह भन खारी ह तो फाजाय की अनकानक चीजो का ननभॊतरण भन तक ऩहॉच जाता ह औय उस सभम महद जफ बयी हो तो भन हभाय ननमॊतरण भ नहीॊ यहता

परशन-3 प सी चीजो की फहतामत का कमा ऩरयणाभ होता ह

उततय- प सी चीज आयाभ की जगह आयाभ भ वमिधान ही डारती ह थोड़ी दय को असबभान को जरय सक सभर जाती ह ऩय हदखाि की परिनदतत भ िवदध होती ह

परशन-4 जाद की जकड़ स फचन का कमा उऩाम ह

उततय- जाद की जकड़ स फचन क सरए एक ही उऩाम ह िह मह ह कक फाजाय जाओ तो भन खारी न हो भन खारी हो तो फाजाय भत जाओ

13 कार भघा ऩानी द

रखक-धभटवीय बायती

ऩाि का सायाॊश -lsquoकार भघा ऩानी दrsquo ननफॊध रोकजीिन क विशिास औय विऻान क तकय ऩय आधारयत ह जफ बीरण गभी क कायण वमाकर रोग िराय कयान क सरए ऩजा-ऩाठ औय कथा-विधान कय थकndashहाय जात ह तफ िराय कयान क सरए अॊनतभ उऩाम क रऩ भ इनददय सना ननकरती ह| इनददय सना नॊग-धड़ॊग फचचो की टोरी ह जो कीचड़ भ रथऩथ होकय गरी-भोहलर भ ऩानी भाॉगन ननकरती ह| रोग अऩन घय की छतो-णखड़ककमो स इनददय सना ऩय ऩानी डारत ह | रोगो की भानदमता ह कक इनददर फादरो क सिाभी औय िराय क दिता ह| इनददर की सना ऩय ऩानी डारन स इनददर बगिान परसनदन होकय ऩानी फयसाएॊग | रखक का तकय ह कक जफ ऩानी की इतनी कभी ह तो रोग भनदशकर स जभा ककए ऩानी को फालटी बय-बयकय इनददय सना ऩय डारकय ऩानी को कमो फफायद कयत ह आमयसभाजी विचायधाया िारा रखक इस अॊधविशिास भानता ह | इसक विऩयीत रखक की जीजी उस सभझाती ह कक मह ऩानी की फफायदी नहीॊ फनदलक ऩानी की फिाई ह | कछ ऩान क सरए कछ दना ऩड़ता ह | तमाग क बफना दान नहीॊ होता| परसतत ननफॊध भ रखक न भरषटाचाय की सभसमा को उठात हए कहा ह कक जीिन भ कछ ऩान क सरए तमाग आिशमक ह जो रोग तमाग औय दान की भहतता को नहीॊ भानत ि ही भरषटाचाय भ सरपत यहकय दश औय सभाज को रटत ह| जीजी की आसथा बािनातभक सचचाई को ऩरषट कयती ह औय तकय किर िऻाननक तथम को सतम भानता ह जहाॉ तकय मथाथय क

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कठोय धयातर ऩय सचचाई को ऩयखता ह तो िहीॊ आसथा अनहोनी फात को बी सिीकाय कय भन को सॊसकारयत कयती ह बायत की सितॊतरता क ५० सार फाद बी दश भ वमापत बरषटाचाय औय सिाथय की बािना को दखकय रखक दखी ह | सयकाय दिाया चराई जा यही मोजनाएॉ गयीफो तक कमो नहीॊ ऩहॉच ऩा यहीॊ ह कार भघा क दर उभड़ यह ह ऩय आज बी गयीफ की गगयी पटी हई कमो ह रखक न मह परशन ऩाठको क सरए छोड़ हदमा ह |

परशन1-इनदय सना घय-घय जाकय ऩानी कमो भाॉगती थी

उततय- गाॉि क रोग फारयश क सरए बगिान इॊदर स पराथयना ककमा कयत थ जफ ऩजा-ऩाठवरत आहद उऩाम असिर हो जात थ तो बगिान इॊदर को परसनदन कयन क सरए गाॉि क ककशोय फचच कीचड़ भ रथऩथ होकय गरी-गरी घभकय रोगो स ऩानी भाॉगत थ

परशन2-इनदयसना को रखक भढक-भॊिरी कमो कहता ह जीजी क फायndashफाय कहन ऩय बी वह इनदयसना ऩय ऩानी प कन को याजी कमो नहीॊ होता

उततय- इनददयसना का कामय आमयसभाजी विचायधाया िार रखक को अॊधविशिास रगता ह उसका भानना ह कक महद इॊदयसना दिता स ऩानी हदरिा सकती ह तो सिमॊ अऩन सरए ऩानी कमो नहीॊ भाॉग रती ऩानी की कभी होन ऩय बी रोग घय भ एकतर ककम हए ऩानी को इॊदयसना ऩय ि कत ह रखक इस ऩानी की ननभयभ फयफादी भानता ह

परशन3- रि हए रखक को जीजी न ककस परकाय सभझामा

उततय- जीजी न रखक को पमाय स रडड-भठयी णखरात हए ननमन तकय हदए-

1- तमाग का भहततव- कछ ऩान क सरए कछ दना ऩड़ता ह 2- दान की भहतता- कवर-भननमो न दान को सफस ऊॉ चा सथान हदमा ह जो चीज अऩन

ऩास बी कभ हो औय अऩनी आिशमकता को बरकय िह चीज दसयो को दान कय दना ही तमाग ह |

3- इॊिदव को जर का अधमट चिाना- इॊदयसना ऩय ऩानी ि कना ऩानी की फयफादी नहीॊ फनदलक इॊदरदि को जर का अधमय चढ़ाना ह

4- ऩानी की फवाई कयना- नदजस परकाय ककसान िसर उगान क सरए जभीन ऩय फीज डारकय फिाई कयता ह िस ही ऩानी िार फादरो की िसर ऩान क सरए इनददय सना ऩय ऩानी डार कय ऩानी की फिाई की जाती ह

परशन4-नठदमो का बायतीम साभाजजक औय साॊसकनतक ऩरयवश भ कमा भहतव ह

उततय- गॊगा बायतीम सभाज भ सफस ऩजम सदानीया नदी ह नदजसका बायतीम इनतहास भ धासभयक ऩौयाणणक औय साॊसकनतक भहति ह | िह बायतीमो क सरए किर एक नदी नहीॊ अवऩत

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भाॉ ह सिगय की सीढ़ी ह भोदानमनी ह उसभ ऩानी नहीॊ अवऩत अभत तलम जर फहता ह बायतीम सॊसकनत भ नहदमो क ककनाय भानि सभमताएॉ परी-परी ह| फड़-फड़ नगय तीथयसथान नहदमो क ककनाय ही नदसथत ह ऐस ऩरयिश भबायतिासी सफस ऩहर गॊगा भमा की जम ही फोरग नहदमाॉ हभाय जीिन का आधाय ह हभाया दश कवर परधान ह नहदमो क जर स ही बायत बसभ हयी-बयी ह नहदमो क बफना जीिन की कलऩना नहीॊ कय सकत मही कायण ह कक हभ बायतीम नहदमो की ऩजा कयत ह |

परशन4-आजादी क ऩचास वषो क फाद बी रखक कमो दखी ह उसक भन भ कौन स परशन उि यह ह

उततय- आजादी क ऩचास िरो फाद बी बायतीमो की सोच भ सकायातभक फदराि न दखकय रखक दखी ह उसक भन भ कई परशन उठ यह ह-

1 कमा हभ सचच अथो भ सितनदतर ह 2 कमा हभ अऩन दश की सॊसकनत औय सभमता को सभझ ऩाए ह 3 यारषर ननभायण भ हभ ऩीछ कमो ह हभ दश क सरए कमा कय यह ह

4 हभ सिाथय औय भरषटाचाय भ सरपत यहत ह तमाग भ विशिास कमो नहीॊ कयत

5 सयकाय दिाया चराई जा यही सधायिादी मोजनाएॉ गयीफो तक कमो नहीॊ ऩहॉचती ह

गदमाॊश ऩय आधारयत अथटगरहण-सॊफॊधधत परशनोततय

सचभच ऐस हदन होत जफ गरी-भहलरा गाॉि-शहय हय जगह रोग गयभी भ बन-बन कय तराहहभाभ कय यह होत जठ क दसतऩा फीतकय आराढ का ऩहरा ऩखिाड़ा फीत चका होता ऩय कषनतज ऩय कहीॊ फादरो की यख बी नहीॊ दीखती होती कएॉ सखन रगत नरो भ एक तो फहत कभ ऩानी आता औय आता बी तो आधी यात को िो बी खौरता हआ ऩानी हो | शहयो की तरना भ गाॉि भ औय बी हारत खयाफ थी| जहाॉ जताई होनी चाहहए थी िहाॉ खतो की सभटटी सखकय ऩतथय हो जाती कपय उसभ ऩऩड़ी ऩड़कय जभीन पटन रगती र ऐसी कक चरत-चरत आदभी धगय ऩड़ | ढोय-डॊगय पमास क भाय भयन रगत रककन फारयश का कहीॊ नाभ ननशान नहीॊ ऐस भ ऩजा-ऩाठ कथा-विधान सफ कयक रोग जफ हाय जात तफ अॊनतभ उऩाम क रऩ भ ननकरती मह इनददय सना |

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परशन१- वषाट न होन ऩय रोगो की कमा जसथनत हो गमी थी उततय - िराय न होन ऩय गयभी क कायण रोग र रगन स फहोश होन रग | गाॉि-शहय सबी जगह ऩानी का अबाि हो गमा| कएॉ सख गए खतो की सभटटी सखकय ऩतथय क सभान कठोय होकय पट गमी| घयो भ नरो भ ऩानी फहत कभ आता था | ऩश पमास क भाय भयन रग थ | परशन२- वषाट क दवता कौन ह उनको परसनन कयन क लरए कमा उऩाम ककए जात थ उततय -िराय क दिता बगिान इनददर ह| उनको परसनदन कयन क सरए ऩजाndashऩाठ कथा-विधान कयाए जात थ | ताकक इनददर दि परसनदन होकय फादरो की सना बजकय झभाझभ फारयश कयाएॉ औय रोगो क करषट दय हो | परशन३- वषाट कयान क अॊनतभ उऩाम क रऩ भ कमा ककमा जाता था उततय ndashजफ ऩजा-ऩाठ कथा-विधान सफ कयक रोग हाय जात थ तफ अॊनतभ उऩाम क रऩ भ इनददय सना आती थी | नॊग-धडॊग कीचड़ भ रथऩथ lsquoकार भघा ऩानी द ऩानी द गड़धानी दrsquo की टय रगाकय पमास स सखत गरो औय सखत खतो क सरए भघो को ऩकायती हई टोरी फनाकय ननकर ऩड़ती थी| परशन४-आशम सऩषट कय ndash जठ क दसतऩा फीतकय आराढ़ का ऩहरा ऩखिाड़ा फीत चका होता ऩय कषनतज भ कहीॊ फादरो की यख बी नजय नहीॊ आती | आशम- जठ का भहीना ह बीरण गयभी ह| तऩत हए दस हदन फीत कय आराढ का भहीना बी आधा फीत गमा ऩय ऩानी क सरए तड़ऩत िराय की आशा भ आसभान की ओय ताकत रोगो को कहीॊ फादर नजय नहीॊ आ यह |

14 ऩहरवान की ढोरक

फ़णीशवयनाथ यण

ऩाि का सायाॊश ndashआॊचसरक कथाकाय िणीशियनाथ यण की कहानी ऩहरिान की ढोरक भ कहानी क भखम ऩातर रटटन क भाता-वऩता का दहाॊत उसक फचऩन भ ही हो गमा था | अनाथ रटटन को उसकी विधिा सास न ऩार-ऩोसकय फड़ा ककमा | उसकी सास को गाॉि िार सतात थ |

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रोगो स फदरा रन क सरए कशती क दाॉिऩच सीखकय कसयत कयक रटटन ऩहरिान फन गमा |

एक फाय रटटन शमाभनगय भरा दखन गमा जहाॉ ढोर की आिाज औय कशती क दाॉिऩच दखकय उसन जोश भ आकय नाभी ऩहरिान चाॉदससॊह को चनौती द दी | ढोर की आिाज स परयणा ऩाकय रटटन न दाॉि रगाकय चाॉद ससॊह को ऩटककय हया हदमा औय याज ऩहरिान फन गमा | उसकी खमानत दय-दय तक िर गमी| १५ िरो तक ऩहरिान अजम फना यहा| उसक दो ऩतर थ| रटटन न दोनो फटो को बी ऩहरिानी क गय ससखाए| याजा की भतम क फाद नए याजकभाय न गददी सॊबारी याजकभाय को घोड़ो की यस का शौक था भनजय न नम याजा को बड़कामा ऩहरिान औय उसक दोनो फटो क बोजनखचय को बमानक औय किजरखचय फतामा िरसिरऩ नए याजा न कशती को फॊद कयिा हदमा औय ऩहरिान रटटनससॊह को उसक दोनो फटो क साथ भहर स ननकार हदमा

याजदयफाय स ननकार हदए जान क फाद रटटन ससॊह अऩन दोनो फटो क साथ गाॉि भ झोऩड़ी फनाकय यहन रगा औय गाॉि क रड़को को कशती ससखान रगा| रटटन का सकर जमादा हदन नहीॊ चरा औय जीविकोऩाजयन क सरए उसक दोनो फटो को भजदयी कयनी ऩड़ी| इसी दौयान गाॉि भ अकार औय भहाभायी क कायण परनतहदन राश उठन रगी| ऩहरिान भहाभायी स डय हए रोगो को ढोरक फजाकय फीभायी स रड़न की सॊजीिनी ताकत दता था| एक हदन ऩहरिान क दोनो फट बी भहाभायी की चऩट भ आकय भय गए ऩय उस यात बी ऩहरिान ढोरक फजाकय रोगो को हहमभत फॊधा यहा था | इस घटना क चाय-ऩाॉच हदन फाद ऩहरिान की बी भौत हो जाती ह|

ऩहरिान की ढोरक वमिसथा क फदरन क साथ रोक कराकाय क अपरासॊधगक हो जान की कहानी ह इस कहानी भ रटटन नाभ क ऩहरिान की हहमभत औय नदजजीविरा का िणयन ककमा गमा ह बख औय भहाभायी अजम रटटन की ऩहरिानी को िट ढोर भ फदर दत ह इस करण तरासदी भ ऩहरिान रटटन कई सिार छोड़ जाता ह कक करा का कोई सितॊतर अनदसतति ह मा करा किर वमिसथा की भोहताज ह

परशन1- रटटन को ऩहरवान फनन की परयणा कस लभरी

उततय- रटटन जफ नौ सार का था तो उसक भाता-वऩता का दहाॊत हो गमा था | सौबागम स उसकी शादी हो चकी थी| अनाथ रटटन को उसकी विधिा सास न ऩार-ऩोसकय फड़ा ककमा | उसकी सास को गाॉि िार ऩयशान कयत थ| रोगो स फदरा रन क सरए उसन ऩहरिान फनन की ठानी| धायोरषण दध ऩीकय कसयत कय उसन अऩना फदन गठीरा औय ताकतिय फना सरमा | कशती क दाॉिऩच सीखकय रटटन ऩहरिान फन गमा |

परशन2- यात क बमानक सननाट भ रटटन की ढोरक कमा करयशभा कयती थी

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उततय- यात क बमानक सनदनाट भरटटन की ढोरक भहाभायी स जझत रोगो को हहमभत फॉधाती थी | ढोरक की आिाज स यात की विबीवरका औय सनदनाटा कभ होता था| भहाभायी स ऩीडड़त रोगो की नसो भ बफजरी सी दौड़ जाती थी उनकी आॉखो क साभन दॊगर का दशम साकाय हो जाता था औय ि अऩनी ऩीड़ा बर खशी-खशी भौत को गर रगा रत थ इस परकाय ढोर की आिाज फीभाय-भतपराम गाॉििारो की नसो भ सॊजीिनी शनदकत को बय फीभायी स रड़न की परयणा दती थी

परशन3- रटटन न सवाटधधक ठहमभत कफ ठदखाई

उततय- रटटन ससॊह न सिायधधक हहमभत तफ हदखाई जफ दोनो फटो की भतम ऩय िह योमा नहीॊ फनदलक हहमभत स काभ रकय अकर उनका अॊनतभ सॊसकाय ककमा| मही नहीॊ नदजस हदन ऩहरिान क दोनो फट भहाभायी की चऩट भ आकय भय गए ऩय उस यात को बी ऩहरिान ढोरक फजाकय रोगो को हहमभत फॉधा यहा था| शमाभनगय क दॊगर भ ऩया जनसभदाम चाॉद ससॊह क ऩ भ था चाॉद ससॊह को हयात सभम रटटन न हहमभत हदखाई औय बफना हताश हए दॊगर भ चाॉद ससॊह को धचत कय हदमा |

परशन4- रटटन लसॊह याज ऩहरवान कस फना

उततय- शमाभनगय क याजा कशती क शौकीन थ उनदहोन दॊगर का आमोजन ककमा ऩहरिान रटटन ससॊह बी दॊगर दखन ऩहॉचा चाॊदससॊह नाभक ऩहरिान जो शय क फचच क नाभ स परससदध था कोई बी ऩहरिान उसस सबड़न की हहमभत नहीॊ कयता था चाॉदससॊह अखाड़ भ अकरा गयज यहा था रटटन ससॊह न चाॉदससॊह को चनौती द दी औय चाॉदससॊह स सबड़ गमाढ़ोर की आिाज सनकय रटटन की नस-नस भ जोश बय गमाउसन चाॉदससॊह को चायो खान धचत कय हदमा याजासाहफ न रटटन की िीयता स परबावित होकय उस याजऩहरिान फना हदमा

परशन5- ऩहरवान की अॊनतभ इचछा कमा थी

उततय- ऩहरिान की अॊनतभ इचछा थी कक उस धचता ऩय ऩट क फर सरटामा जाए कमोकक िह नदजॊदगी भ कबी धचत नहीॊ हआ था| उसकी दसयी इचछा थी कक उसकी धचता को आग दत सभम ढोर अिशम फजामा जाए |

परशन6- ढोर की आवाज औय रटटन क भ दाॉिऩच सॊफॊध फताइए-

उततय- ढोर की आिाज औय रटटन क दाॉिऩच भ सॊफॊध -

चट धा धगड़ धाrarr आजा सबड़ जा | चटाक चट धाrarr उठाकय ऩटक द | चट धगड़ धाrarrभत डयना |

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धाक धधना नतयकट नतनाrarr दाॉि काटो फाहय हो जाओ | धधना धधना धधक धधनाrarr धचत कयो

गदमाॊश-आधारयत अथटगरहण-सॊफॊधधत परशनोततय

अॉधयी यात चऩचाऩ आॉस फहा यही थी | ननसतबधता करण सससककमो औय आहो को अऩन रदम भ ही फर ऩियक दफान की चरषटा कय यही थी | आकाश भ ताय चभक यह थ | ऩथिी ऩय कहीॊ परकाश का नाभ नहीॊ| आकाश स टट कय महद कोई बािक ताया ऩथिी ऩय आना बी चाहता तो उसकी जमोनत औय शनदकत यासत भ ही शर हो जाती थी | अनदम ताय उसकी बािकता अथिा असपरता ऩय णखरणखराकय हॉस ऩड़त थ | ससमायो का करॊ दन औय ऩचक की डयािनी आिाज यात की ननसतबधता को बॊग कयती थी | गाॉि की झोऩडडमो स कयाहन औय क कयन की आिाज हय याभ ह बगिान की टय सनाई ऩड़ती थी| फचच बी ननफयर कॊ ठो स भाॉ ndashभाॉ ऩकायकय यो ऩड़त थ |

(क) अॉधयी यात को आॉस फहात हए कमो ठदखामा गमा ह उततयndash गाॉि भ हजा औय भररयमा परा हआ था | भहाभायी की चऩट भ आकाय रोग भय यह थ |चायो ओय भौत का सनाटा छामा था इससरए अॉधयी यात बी चऩचाऩ आॉस फहाती सी परतीत हो यही थी|

(ख) ताय क भाधमभ स रखक कमा कहना चाहता ह उततयndash ताय क भाधमभ स रखक कहना चाहता ह कक अकार औय भहाभायी स तरसत गाॉि िारो की ऩीड़ा को दय कयन िारा कोई नहीॊ था | परकनत बी गाॉि िारो क द ख स दखी थी| आकाश स टट कय महद कोई बािक ताया ऩथिी ऩय आना बी चाहता तो उसकी जमोनत औय शनदकत यासत भ ही शर हो जाती थी |

(ग) यात की ननसतबधता को कौन बॊग कयता था उततयndash ससमायो की चीख-ऩकाय ऩचक की डयािनी आिाज औय कततो का साभहहक रदन सभरकय यात क सनदनाट को बॊग कयत थ |

(घ) झोऩड़ड़मो स कसी आवाज आ यही ह औय कमो उततयndash झोऩडड़मो स योधगमो क कयाहन क कयन औय योन की आिाज आ यही ह कमोकक गाॉि क रोग भररयमा औय हज स ऩीडड़त थ | अकार क कायण अनदन की कभी हो गमी थी| औरधध औय ऩथम न सभरन क कायण रोगो की हारत इतनी फयी थी कक कोई बगिान को ऩकाय रगाता था तो कोई दफयर कॊ ठ स भाॉndashभाॉ ऩकायता था |

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15 चारी चजतरन मानी हभ सफ

रखक-पवषण खय

ऩाि का सायाॊश ndashचारक चनदपरन न हासम कराकाय क रऩ भ ऩयी दननमा क फहत फड़ दशयक िगय को हॉसामा ह | उनकी कपलभो न कपलभ करा को रोकताॊबतरक फनान क साथ-साथ दशको की िगय औय िणय-वमिसथा को बी तोड़ा | चारक न करा भ फवदध की अऩा बािना को भहतति हदमा ह | फचऩन क सॊघरो न चारक क बािी कपलभो की बसभ तमाय कय दी थी| बायतीम करा औय सौदमयशासतर भ करणा का हासम भ ऩरयितयन बायतीम ऩयमऩया भ नहीॊ सभरता रककन चारक एक ऐसा जादई वमनदकतति ह जो हय दश सॊसकनत औय सभमता को अऩना सा रगता ह| बायतीम जनता न बी उनदह सहज बाि स सिीकाय ककमा ह| सिमॊ ऩय हॉसना चारक न ही ससखामा| बायतीम ससनभा जगत क सपरससदध कराकाय याजकऩय को चारक का बायतीमकयण कहा गमा ह | चारक की अधधकाॊश किलभ भक ह इससरए उनदह अधधक भानिीम होना ऩड़ा | ऩाठ भ हासम कपलभो क भहान असबनता lsquoचारक चनदपरनrsquo की जादई विशरताओॊ का उलरख ककमा गमा ह नदजसभ उसन करणा औय हासम भ साभॊजसम सथावऩत कय किलभो को साियबौसभक रऩ परदान ककमा

परशन१ -चारी क जीवन ऩय परबाव िारन वारी भखम घटनाएॉ कौन सी थी

उततय- चारक क जीिन भ दो ऐसी घटनाएॉ घटीॊ नदजनदहोन उनक बािी जीिन ऩय फहत परबाि डारा |

ऩहरी घटना - जफ चारक फीभाय थ उनकी भाॉ उनदह ईसा भसीह की जीिनी ऩढ़कय सना यही थी | ईसा क सरी ऩय चढ़न क परसॊग तक आत-आत भाॉ-फटा दोनो ही योन रग| इस घटना न चारक को सनह करणा औय भानिता जस उचच जीिन भलम हदए |

दसयी घटना हndash फारक चारक कसाईखान क ऩास यहता था| िहाॉ सकड़ो जानियो को योज भाया जाता था| एक हदन एक बड़ िहाॉ स बाग ननकरी| बड़ को ऩकड़न की कोसशश भ कसाई कई फाय कपसरा| नदजस दखकय रोग हॊसन रग ठहाक रगान रग| जफ बड़ को कसाई न ऩकड़ सरमा तो फारक चारक योन रगा| इस घटना न उसक बािी कपलभो भ तरासदी औय हासमोतऩादक ततिो की बसभका तम कय दी |

परशन२ ndash आशम सऩषट कीजजएndash

चजतरन न लसपट कपलभकरा को ही रोकताॊबतरक नही फनामा फजलक दशटको की वगट तथा वणट-वमवसथा को बी तोड़ा|

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उततय- रोकताॊबतरक फनान का अथय ह कक कपलभ करा को सबी क सरए रोकवपरम फनाना औय िगय औय िणय-वमिसथा को तोड़न का आशम ह- सभाज भ परचसरत अभीय-गयीफ िणय जानतधभय क बदबाि को सभापत कयना |चनदपरन का चभतकाय मह ह कक उनदहोन कपलभकरा को बफना ककसी बदबाि क सबी रोगो तक ऩहॉचामा| उनकी कपलभो न सभम बगोर औय सॊसकनतमो की सीभाओॊ को राॉघ कय साियबौसभक रोकवपरमता हाससर की | चारक न मह ससदध कय हदमा कक करा सितनदतर होती ह अऩन ससदधाॊत सिमॊ फनाती ह |

परशन३ndash चारी चजतरन की कपलभो भ ननठहत तरासदीकरणाहासम का साभॊजसम बायतीम करा औय सौदमटशासतर की ऩरयधध भ कमो नहीॊ आता

उततय- चारक चनदपरन की कपलभो भ ननहहत तरासदीकरणाहासम का साभॊजसम बायतीम करा औय सौदमयशासतर की ऩरयधध भ नहीॊ आताकमोकक बायतीम यस-ससदधाॊत भ करणा औय हासम का भर नहीॊ हदखामा जाता कमोकक बायतीम सौदमयशासतर भ करणयस औय हासम यस को ऩयसऩय वियोधी भाना गमा ह अथायत जहाॊ करणा ह िहाॉ हासम नहीॊ हो सकता बायत भ सिमॊ ऩय हॉसन की ऩयॊऩया नहीॊ ह ऩयॊत चारक क ऩातर अऩन ऩय हॉसतndashहॉसात ह चारक की किलभो क दशम हॉसात-हॉसात ररा दत ह तो कबी करण दशम क फाद अचानक ही हॉसन ऩय भजफय कय दत ह

परशन४ndash चारी क कपलभो की पवशषताएॉ फताइए |

उततय- चारक की किलभो भ हासम औय करणा का अदभत साभॊजसम ह उनकी किलभो भ बारा का परमोग फहत कभ ह चारक की किलभो भ फवदध की अऩा बािना का भहतति अधधक ह उनकी किलभो भ साियबौसभकता ह चारक ककसी बी सॊसकनत को विदशी नही रगत चारक सफको अऩन रगत ह चारक न किलभो को रोकताॊबतरक फनामा औय किलभो भ िगय तथािणय-वमिसथा को तोड़ा अऩनी कपलभो भ चारक सदि धचय मिा हदखता ह

गदमाॊश-आधारयत अथटगरहण-सॊफॊधी परशनोततय

गदमाॊश सॊकत ndashचारक चनदपरन मानी हभ सफ (ऩरषठ १२० )

महद मह िरय चनदपरन की कापी कछ कहा जाएगा |

परशन (क)-पवकासशीर दशो भ चजतरन कमो भशहय हो यह ह

उततय - विकासशीर दशो भ जस-जस टरीविजन औय िीडडमो का परसाय हो यहा ह रोगो को उनकी कपलभो को दखन का अिसय सभर यहा ह |एक फहत फड़ा िगय नए ससय स चारक को घड़ी सधायत औय जत खान की कोसशश कयत दख यहा ह इसीसरए चारक विकासशीर दशो भ रोकवपरम हो यह ह |

(ख)- ऩजशचभ भ चारी का ऩनजीवन कस होता यहता ह

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उततय - ऩनदशचभ भ चारक की कपलभो का परदशयन होता यहता ह| उनकी करा स परयणा ऩाकय हासम किलभ फनती यहती ह | उनक दिाया ननबाए ककयदायो की नकर अनदम कराकाय कयत ह | ऩनदशचभ भ चारक का ऩनजीिन होता यहता ह|

(ग)- चारी को रोग फिाऩ तक कमो माद यखग

उततय ndashहासम कराकाय क रऩ भ रोग चारक को फढ़ाऩ तक माद यखग कमोकक उनकी करा सभम बगोर औय सॊसकनतमो की सीभाओॊ को राॉघकय राखो रोगो को हॉसा यही ह|

(घ)- चारी की कपलभो क फाय भ कापी कछ कहा जाना कमो फाी ह

उततय ndashचनदपरन की ऐसी कछ किलभ मा इसतभार न की गमी यीर सभरी ह नदजनक फाय भ कोई नहीॊ जानता था | चारक की बािनापरधान हासम कपलभो न करा क नए परनतभान सथावऩत ककए ह अत चारक की कपलभो क फाय भ अबी कापी कछ कहा जाना फाी ह|

16 नभक

रखखका - यजजमा सजजाद जहीय

सायाॊश -lsquoनभकrsquoबायत-ऩाक विबाजन ऩय सरणखत भासभयक कहानी ह | विसथावऩत हए रोगो भ अऩनndashअऩन जनदभ सथानो क परनत आज बी रगाि ह| धासभयक आधाय ऩय फनी यारषर-याजमो की सीभा-यखाएॉ उनक अॊतभयन को अरग नहीॊ कय ऩाई ह | बायत भ यहन िारी ससख फीिी राहौय को अऩना ितन भानती ह औय बायतीम कसटभ अधधकायी ढाका क नारयमर ऩानी को मादकय उस सियशररषठ फताता ह दोनो दशो क नागरयको क फीच भहबफत का नभकीन सिाद आज बी कामभ ह इसीसरए सकिमा बायत भ यहन िारी अऩनी भॉहफोरी भाॉ ससख फीिी क सरए राहौयी नभक रान क सरए कसटभ औय कानन की ऩयिाह नहीॊ कयती

परशन1- lsquoनभकrsquo ऩाि क आधाय ऩय फताइए कक सकपमा औय उसक बाई क पवचायो भ कमा अॊतय था

उततय- १-सकपमा बािनाओॊ को फहतभहतति दती ह ऩय उसका बाई फौवदधक परिनदतत का ह उसकी दनदरषट भ कानन बािनाओॊ स ऊऩय ह|

२-सकपमा भानिीम सॊफॊधो को फहत भहतति दती ह जफकक उसका बाई अरगाििादी विचायधाया का ह हहसस-फखय की फात कयता ह |

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३-सकपमा का बाई कहता ह कक अदीफो(साहहतमकाय) का हदभाग घभा हआ होता ह जफकक सकपमा जो सिमॊ अदीफ ह उसका भानना ह कक अगय सबी रोगो का हदभाग अदीफो की तयह घभा हआ होता तो दननमा कछ फहतय हो जाती |

परशन२- नभक र जात सभम सकफ़मा क भन भ कमा दपवधा थी

उततय-सकपमा समद भसरभान थी जो हय हार भ अऩना िामदा ननबात ह| ऩाककसतान स राहौयी नभक र जाकय िह अऩना िामदा ऩया कयना चाहती थी ऩयनदत जफ उस ऩता चरा कक कसटभ क ननमभो क अनसाय सीभाऩाय नभक र जाना िनदजयत ह तो िह दविधा भ ऩड़ गई | सकिमा का दिॊदि मह था कक िह अऩनी ससख भाॉ क सरए नभक कसटभ अधधकारयमो को फताकयर जाए मा नछऩाकय|

परशन३- ऩाि क आधाय ऩय सकपमा की चारयबतरक पवशषताएॉ फताइए |

उततय सॊकत ndash

१- बािक २- ईभानदाय ३- दढ़ननशचमी ४- ननडय ५- िामद को ननबान िारी ६- भानिीम भलमो को सिोऩरय भानन िारी साहहतमकाय

परशन ४- lsquoनभकrsquo ऩाि भ आए ककयदायो क भाधमभ स सऩषट कीजजए कक आज बी बायत औय ऩाककसतान की जनता क फीच भहबफत का नभकीन सवाद घरा हआ ह |

उततय ndash बर ही याजनीनतक औय धासभयक आधाय ऩय बायत औय ऩाककसतान को बौगोसरक रऩ स विबानदजत कय हदमा गमा ह रककन दोनो दशो क रोगो क रदम भ आज बी ऩायसऩरयक बाईचाया सौहादरय सनह औय सहानबनत विदमभान ह | याजनीनतक तौय ऩय बर ही सॊफॊध तनािऩणय हो ऩय साभानदजक तौय ऩय आज बी जनता क फीच भहबफत का नभकीन सिाद घरा हआ ह | अभतसय भ यहन िारी ससख फीफी राहौय को अऩना ितन कहती ह औय राहौयी नभक का सिाद नहीॊ बरा ऩाती | ऩाककसतान का कसटभ अधधकायी नभक की ऩडड़मा सकपमा को िाऩस दत हए कहता ह rdquoजाभा भनदसजद की सीहढ़मो को भया सराभ कहना |rdquo बायतीम सीभा ऩय तनात कसटभ अधधकायी ढाका की जभीन को औय िहाॉ क ऩानी क सिाद को नहीॊ बर ऩाता |

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गदमाॊश-आधारयत अथटगरहण सॊफॊधधत परशनोततय

गदमाॊश सॊकत- ऩाठndash नभक (ऩरषठ १३४)

सकपमा कसटभ क जॊगर स दोनो क हाथो भ थी |

(क) सकपमा कसटभ क जॉगर स ननकरकय दसय तरटपाभट ऩय आ गमी व वहीॊ खड़ यहndash इस वाकम भ lsquoवrsquo शबद का परमोग ककसक लरए ककमा गमा ह

उततय- महाॉ lsquoिrsquo शबद का परमोग ऩाककसतानी कसटभ अधधकायी क सरए ककमा गमा ह जो विबाजन स ऩिय हदलरी भ यहत थ औय आज बी हदलरी को ही अऩना ितन भानत ह |

(ख) तरटपाभट ऩय सकपमा को पवदा कयन कौन-कौन आए थ उनहोन सकपमा को कस पवदाई दी

उततय- परटपाभय ऩय सकपमा को विदा कयन उसक फहत साय सभतर सग सॊफॊधी औय बाई आए थ| उनदहोन ठॊडी साॉस बयत हए सबॊच हए होठो क साथ आॉस फहात हए सकपमा को विदाई दी |

(ग) अटायी भ यरगाड़ी भ कमा ऩरयवतटन हए उततय- अटायी भ यरगाड़ी स ऩाककसतानी ऩसरस उतयी औय हहनददसतानी ऩसरस सिाय हो गई|

(घ) कौन सी फात सकपमा की सभझ भ नहीॊ आ यही थी उततय- दोनो ओय एक सी जभीन एक जसा आसभान एक सी बारा एक सा ऩहनािा औय एक सी सयत क रोग कपय बी दोनो क हाथो भ बयी हई फॊदक ह |

17 लशयीष क पर

आचामट हजायी परसाद दपववदी

सायाॊश ndashlsquoआचामय हजायी परसाद दवििदीrsquo सशयीर को अदभत अिधत भानत ह कमोकक सॊनदमासी की बाॉनत िह सख-दख की धचॊता नहीॊ कयता गभी र िराय औय आॉधी भ बी अविचर खड़ा यहता ह सशयीर क िर क भाधमभ स भनरषम की अजम नदजजीविरा धमयशीरता औय कतयवमननरषठ फन यहन क भानिीम भलमो को सथावऩत ककमा गमा हरखक न सशयीर क कोभर परो औय कठोय परो क दिाया सऩरषट ककमा ह कक रदम की कोभरता फचान क सरए कबी-कबी वमिहाय की कठोयता बी आिशमक हो जाती ह| भहान कवि कासरदास औय कफीय बी सशयीर की तयह फऩयिाह अनासकत औय सयस थ तबी उनदहोन इतनी सनददय यचनाएॉ सॊसाय को दीॊ| गाॉधीजी क वमनदकतति भ बी कोभरता औय कठोयता का अदभत सॊगभ था | रखक सोचता ह कक हभाय दश भ जो भाय-काट अनदगनदाह रट-ऩाट खन-खचचय का फिॊडय ह कमा िह दश को नदसथय नहीॊ यहन दगा गराभी अशाॊनत औय वियोधी िाताियण क फीच अऩन ससदधाॊतो की या कयत हए गाॉधीजी जी नदसथय यह सक थ तो दश बी यह सकता ह जीन की परफर असबरारा क कायण

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विरभ ऩरयनदसथतमो भ बी महद सशयीर णखर सकता ह तो हभाया दश बी विरभ ऩरयनदसथनतमो भ नदसथय यह कय विकास कय सकता ह

परशन1-लसदध कीजजए कक लशयीष कारजमी अवधत की बाॉनत जीवन की अजमता क भॊतर का परचाय कयता ह

उततय- सशयीर कारजमी अिधत की बाॉनत जीिन की अजमता क भॊतर का परचाय कयता ह| जफ ऩथिी अनदगन क सभान तऩ यही होती ह िह तफ बी कोभर परो स रदा रहरहाता यहता ह|फाहयी गयभी धऩ िराय आॉधी र उस परबावित नहीॊ कयती इतना ही नहीॊ िह रॊफ सभम तक णखरा यहता ह | सशयीर विऩयीत ऩरयनदसथनतमो भ बी धमयशीर यहन तथा अऩनी अजम नदजजीविरा क साथ ननसऩह बाि स परचॊड गयभी भ बी अविचर खड़ा यहता ह

परशन२-आयगवध (अभरतास) की तरना लशयीष स कमो नहीॊ की जा सकती

उततय- सशयीर क पर बमॊकय गयभी भ णखरत ह औय आराढ़ तक णखरत यहत ह जफकक अभरतास का पर किर ऩनददरह-फीस हदनो क सरए णखरता ह | उसक फाद अभरतास क पर झड़ जात ह औय ऩड़ कपय स ठॉठ का ठॉठ हो जाता ह | अभरतास अलऩजीिी ह | विऩयीत ऩरयनदसथनतमो को झरता हआ ऊरषण िाताियण को हॉसकय झरता हआ सशयीर दीघयजीिी यहता ह | मही कायण ह कक सशयीर की तरना अभरतास स नहीॊ की जा सकती |

परशन३-लशयीष क परो को याजनताओॊ का रऩक कमो ठदमा गमा ह

उततय- सशयीर क पर उन फढ़ ढीठ औय ऩयान याजनताओॊ क परतीक ह जो अऩनी कसी नहीॊ छोड़ना चाहत | अऩनी अधधकाय-सरपसा क सरए नए मिा नताओॊ को आग नहीॊ आन दत | सशयीर क नए परो को जफयदसती ऩयान परो को धककमाना ऩड़ता ह | याजनीनत भ बी नई मिा ऩीढ़ी ऩयानी ऩीढ़ी को हयाकय सिमॊ सतता सॉबार रती ह |

परशन४- कार दवता की भाय स फचन का कमा उऩाम फतामा गमा ह

उततय- कार दिता कक भाय स फचन का अथय हndash भतम स फचना | इसका एकभातर उऩाम मह ह कक भनरषम नदसथय न हो| गनतशीर ऩरयितयनशीर यह | रखक क अनसाय नदजनकी चतना सदा ऊधियभखी (आधमातभ की ओय) यहती ह ि हटक जात ह |

परशन५- गाॉधीजी औय लशयीष की सभानता परकट कीजजए |

उततय- नदजस परकाय सशयीर धचरधचराती धऩ र िराय औय आॉधी भ बी अविचर खड़ा यहता ह अनासकत यहकय अऩन िाताियण स यस खीॊचकय सयस कोभर फना यहता ह उसी परकाय गाॉधी जी न बी अऩनी आॉखो क साभन आजादी क सॊगराभ भ अनदमाम बदबाि औय हहॊसा को झरा |

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उनक कोभर भन भ एक ओय ननयीह जनता क परनत असीभ करणा जागी िहीॊ ि अनदमामी शासन क वियोध भ डटकय खड़ हो गए |

गदमाॊश-आधारयत अथटगरहण सॊफॊधधत परशनोततय

गदमाॊश सॊकत- ऩाठ ndash सशयीर क पर (ऩरषठ १४७)

कासरदास सौदमय क िह इशाया ह |

(क) कालरदास की सौदमटndashदजषट की कमा पवशषता थी उततय-कासरदास की सौदमयndashदनदरषट फहत सकषभ अॊतबदी औय सॊऩणय थी| ि किर फाहयी रऩ-यॊग औय आकाय को ही नहीॊ दखत थ फनदलक अॊतभयन की सॊदयता क बी ऩायखी थ| कासरदास की सौदमय शायीरयक औय भानससक दोनो विशरताओॊ स मकत था |

(ख) अनासजकत का कमा आशम ह उततय- अनासनदकत का आशम ह- वमनदकतगत सख-द ख औय याग-दिर स ऩय यहकय सौदमय क िासतविक भभय को जानना |

(ग) कालरदास ऩॊत औय यवीॊिनाथ टगोय भ कौन सा गण सभान था भहाकवि कासरदास ससभतरानॊदन ऩॊत औय गरदि यिीॊदरनाथ टगोय तीनो नदसथयपरऻ औय अनासकत कवि थ | ि सशयीर क सभान सयस औय भसत अिधत थ |

(घ) यवीॊिनाथ याजोदमान क लसॊहदवाय क फाय भ कमा सॊदश दत ह याजोदमान क फाय भ यिीॊदरनाथ कहत ह याजोदमान का ससॊहदिाय ककतना ही सॊदय औय गगनचमफी कमो ना हो िह अॊनतभ ऩड़ाि नहीॊ ह| उसका सौदमय ककसी औय उचचतभ सौदमय की ओय ककमा गमा सॊकत भातर ह कक असरी सौदमय इस ऩाय कयन क फाद ह अत याजोदमान का ससॊहदिाय हभ आग फढ़न की परयणा दता ह |

18शरभ-पवबाजन औय जानत-परथा

िॉ० बीभयाव अॊफिकय

सायाॊश ndash इस ऩाठ भ रखक न जानतिाद क आधाय ऩय ककए जान िार बदबाि को सभम सभाज क सरए हाननकायक फतामा ह | जानत आधारयत शरभ विबाजन को असिाबाविक औय भानिता वियोधी फतामा गमा ह मह साभानदजक बदबाि को फढ़ाता ह जानतपरथा आधारयत शरभ विबाजन भ वमनदकत की रधच को भहतति नहीॊ हदमा जाता परसिरऩ वििशता क साथ अऩनाए

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Page 30: ISSUED BY KENDRIYA VIDYALAYA - DOWNLOADED FROM … Class XII Hindi Part B.pdfप्रश्न४ :-फादर क / फयन का गयीफ एि धनी िगय क्मा

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परशन 3-बजकतन क जीवन को ककतन ऩरयचछदो भ पवबाजजत ककमा गमा ह

उततय- बनदकतन क जीिन को चाय बागो भ फाॉटा गमा ह-

ऩहरा ऩरयचछद-बनदकतन का फचऩन भाॉ की भतम विभाता क दिाया बनदकतन का फार-वििाह कया दना

दपवतीम ऩरयचछद-बनदकतन का ििाहहक जीिन सास तथा नदजठाननमो का अनदमामऩणय वमिहाय ऩरयिाय स अरगौझा कय रना

ततीम ऩरयचछद- ऩनत की भतम विधिा क रऩ भ सॊघरयशीर जीिन चतथट ऩरयचछद- भहादिी िभाय की सविका क रऩ भ

परशन 4- बजकतन ऩाि क आधाय ऩय बायतीम गराभीण सभाज भ रड़क-रड़ककमो भ ककम जान वार बदबाव का उलरख कीजजए |

बायतीम गराभीण सभाज भ रड़क-रड़ककमो भ बदबाि ककमा जाता ह| रड़ककमो को खोटा ससकका मा ऩयामा धन भाना जाता ह| बनदकतन न तीन फहटमो को जनदभ हदमा नदजस कायण उस सास औय नदजठाननमो की उऩा सहनी ऩड़ती थी| सास औय नदजठाननमाॉ आयाभ पयभाती थी कमोकक उनदहोन रड़क ऩदा ककए थ औय बनदकतन तथा उसकी ननदहीॊ फहटमो को घय औय खतो का साया काभ कयना ऩडता था| बनदकतन औय उसकी फहटमो को रखा-सखा भोटा अनाज खान को सभरता था जफकक उसकी नदजठाननमाॉ औय उनक कार-करट फट दध-भराई याफ-चािर की दाित उड़ात थ

परशन 5-बजकतन ऩाि क आधाय ऩय ऩॊचामत क नमाम ऩय ठटतऩणी कीजजए |

बनदकतन की फटी क सनददबय भ ऩॊचामत दिाया ककमा गमा नदमाम तकय हीन औय अॊध कानन ऩय आधारयतह | बनदकतन क नदजठौत न सॊऩनदतत क रारच भ रडमॊतर कय बोरी फचची को धोख स जार भ पॊ सामा| ऩॊचामत न ननदोर रड़की की कोई फात नहीॊ सनी औय एक तयिा पसरा दकय उसका वििाह जफयदसती नदजठौत क ननकमभ तीतयफाज सार स कय हदमा | ऩॊचामत क अॊध कानन स दरषटो को राब हआ औय ननदोर को दॊड सभरा |

परशन 6-बजकतन की ऩाक-करा क फाय भ ठटतऩणी कीजजए |

बनदकतन को ठठ दहाती सादा बोजन ऩसॊद था | यसोई भ िह ऩाक छत को फहत भहतति दती थी | सफह-सिय नहा-धोकय चौक की सपाई कयक िह दिाय ऩय कोमर की भोटी यखा खीॊच दती थी| ककसी को यसोईघय भ परिश कयन नहीॊ दती थी| उस अऩन फनाए बोजन ऩय फड़ा असबभान था| िह अऩन फनाए बोजन का नतयसकाय नहीॊ सह सकती थी |

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परशन 7- लसदध कीजजए कक बजकतन तकट -पवतकट कयन भ भाठहय थी |

बनदकतन तकय ऩट थी | कश भॉडान स भना ककए जान ऩय िह शासतरो का हिारा दत हए कहती ह lsquoतीयथ गए भॉडाए ससदधrsquo | घय भ इधय-उधय यख गए ऩसो को िह चऩचाऩ उठा कय छऩा रती ह टोक जानऩय िह िह इस चोयी नही भानती फनदलक िह इस अऩन घय भ ऩड़ ऩसो को सॉबारकय यखना कहती ह| ऩढाई-सरखाई स फचन क सरए बी िह अचक तकय दती ह कक अगय भ बी ऩढ़न रगॉ तो घय का काभ कौन दखगा

परशन 8-बजकतन का दबाटगम बी कभ हिी नही था रखखका न ऐसा कमो कहा ह

उततय- बजकतन का दबाटगम उसका ऩीछा नहीॊ छोड़ता था-

1- फचऩन भ ही भाॉ की भतम 2- विभाता की उऩा 3- बनदकतन(रकषभी) का फारवििाह 4- वऩता का ननधन 5- तीन-तीन फहटमो को जनदभ दन क कायण सास औय नदजठाननमो क दिाया बनदकतन की

उऩा 6- ऩनत की असभम भतम 7- दाभाद का ननधन औय ऩॊचामत क दिाया ननकमभ तीतयफाज मिक स बनदकतन की विधिा

फटी का जफयन वििाह 8- रगान न चका ऩान ऩय जभीॊदाय क दिाया बनदकतन का अऩभान

परशन 9-बजकतन न भहादवी वभाट क जीवन ऩय कस परबापवत ककमा

उततय- बनदकतन क साथ यहकय भहादिी की जीिन-शरी सयर हो गमी ि अऩनी सविधाओॊ की चाह को नछऩान रगीॊ औय असविधाओॊ को सहन रगीॊ बनदकतन न उनदह दहाती बोजन णखराकय उनका सिाद फदर हदमा बनदकतन भातर एक सविका न होकय भहादिी की असबबािक औय आतभीम फन गमीबनदकतन भहादिी क जीिन ऩय छा जान िारी एक ऐसी सविका ह नदजस रणखका नहीॊ खोना चाहती

परशन 10- बजकतन क चरयतर की पवशषताओॊ का उलरख कीजजए

उततय- भहादिी िभाय की सविका बनदकतन क वमनदकतति की विशरताएॊ ननमनाॊककत ह-

सभवऩयत सविका सिासबभानी

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तकय शीरा ऩरयशरभी सॊघरयशीर

परशन 11-बजकतन क दगटणो का उलरख कय

उततय- गणो क साथ-साथ बनदकतन क वमनदकतति भ अनक दगयण बी ननहहत ह-

1 िह घय भ इधय-उधय ऩड़ रऩम-ऩस को बॊडाय घय की भटकी भ छऩा दती ह औय अऩन इस कामय को चोयी नहीॊ भानती

2 भहादिी क करोध स फचन क सरए बनदकतन फात को इधय-उधय कयक फतान को झठ नही भानती अऩनी फात को सही ससदध कयन क सरए िह तकय -वितकय बी कयती ह

3 िह दसयो को अऩनी इचछानसाय फदर दना चाहती ह ऩय सिमॊ बफरकर नही फदरती परशन 12 ननमनाॊककत बाषा-परमोगो का अथट सऩषट कीजजए-

ऩहरी कनमा क दो औय सॊसकयण कय िार- बनदकतन न अऩनी ऩहरी कनदमा क फाद उसक जसी दो औय कनदमाएॉ ऩदा कय दी अथायत बनदकतन क एक क फाद एक तीन फहटमाॉ ऩदा हो गमीॊ |

खोट लसकको की टकसार जसी ऩतनी- आज बी असशकषत गराभीण सभाज भ फहटमो को

खोटा ससकका कहा जाता ह बनदकतन न एक क फाद एक तीन फहटमाॉ ऩदा कय दी इससरए उस खोट ससकक को ढारन िारी भशीन कहा गमा

परशन 13-बजकतन ऩाि भ रखखका न सभाज की ककन सभसमाओॊ का उलरख ककमा ह

उततय- बनदकतन ऩाठ क भाधमभ स रणखका न बायतीम गराभीण सभाज की अनक सभसमाओॊ का उलरख ककमा ह-

1 रड़क-रड़ककमो भ ककमा जान िारा बदबाि 2 विधिाओॊ की सभसमा 3 नदमाम क नाभ ऩय ऩॊचामतो क दिाया नदसतरमो क भानिाधधकाय को कचरना 4 असशा औय अॊधविशिास

गदमाॊश-आधारयत अथटगरहण सॊफॊधधत परशनोततय

ऩरयिाय औय ऩरयनदसथनतमो क कायण सिबाि भ जो विरभताएॉ उतऩनदन हो गई ह उनक बीतय स एक सनह औय सहानबनत की आबा पटती यहती ह इसी स उसक सॊऩकय भ आनिार वमनदकत उसभ जीिन की सहज भासभयकता ही ऩात ह छातरािास की फासरकाओॊ भ स कोई अऩनी चाम

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फनिान क सरए दहरी ऩय फठी यहती ह कोई फाहय खडी भय सरए नाशत को चखकय उसक सिाद की वििचना कयती यहती ह भय फाहय ननकरत ही सफ धचडड़मो क सभान उड़ जाती ह औय बीतय आत ही मथासथान वियाजभान हो जाती ह इनदह आन भ रकािट न हो सॊबित इसी स बनदकतन अऩना दोनो जन का बोजन सिय ही फनाकय ऊऩय क आर भ यख दती ह औय खात सभम चौक का एक कोना धोकय ऩाकndashछत क सनातन ननमभ स सभझौता कय रती ह

भय ऩरयधचतो औय साहहनदतमक फॊधओॊ स बी बनदकतन विशर ऩरयधचत ह ऩय उनक परनत बनदकतन क समभान की भातरा भय परनत उनक समभान की भातरा ऩय ननबयय ह औय सदभाि उनक परनत भय सदभाि स नननदशचत होता ह इस सॊफॊध भ बनदकतन की सहज फवदध विनदसभत कय दन िारी ह

(क) बजकतन का सवबाव ऩरयवाय भ यहकय कसा हो गमा ह

उततय-विरभ ऩरयनदसथनतजनदम उसक उगर हठी औय दयागरही सिबाि क फािजद बनदकतन क बीतय सनह औय सहानबनत की आबा पटती यहती ह उसक सॊऩकय भ आन िार वमनदकत उसभ जीिन की सहज भासभयकता ही ऩात ह

(ख) बजकतन क ऩास छातरावास की छातराएॉ कमो आती ह

उततय- बनदकतन क ऩास कोई छातरा अऩनी चाम फनिान आती ह औय दहरी ऩय फठी यहती ह कोई भहादिी जी क सरए फन नाशत को चखकय उसक सिाद की वििचना कयती यहती ह भहादिी को दखत ही सफ छातराएॉ बाग जाती ह उनक जात ही कपय िाऩस आ जातीॊ ह बनदकतन का सहज-सनह ऩाकय धचडड़मो की तयह चहचहान रगती ह |

(ग) छातराओॊ क आन भ रकावट न िारन क लरए बजकतन न कमा उऩाम ककमा

उततय- छातराओॊ क आन भ रकािट न डारन क सरए बनदकतन न अऩन ऩाक-छत क ननमभ स सभझौता कय सरमा | बनदकतन अऩना दोनो िकत का खाना फनाकय सफह ही आर भ यख दती औय खात सभम चौक का एक कोना धोकय िहाॉ फठकय खा सरमा कयती थी ताकक छातराएॉ बफना योक-टोक क उसक ऩास आ सक

(घ) साठहतमकायो क परनत बजकतन क समभान का कमा भाऩदॊि ह

उततय-बनदकतन भहादिी क साहहनदतमक सभतर क परनत सदभाि यखती थी नदजसक परनत भहादिी सिमॊ सदभाि यखती थी | िह सबी स ऩरयधचत हऩय उनक परनत समभान की भातरा भहादिी जी क समभान की भातरा ऩय ननबयय कयती ह िह एक अदभत ढॊग स जान रती थी कक कौन ककतना समभान कयता ह उसी अनऩात भ उसका परापम उस दती थी

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12 फाजाय-दशटन

रखक- जनि कभाय

ऩाि का सायाॊश फाजाय-दशयन ऩाठ भ फाजायिाद औय उऩबोकतािाद क साथ-साथ अथयनीनत एिॊ दशयन स सॊफॊधधत परशनो को सरझान का परमास ककमा गमा ह फाजाय का जाद तबी असय कयता ह जफ भन खारी हो| फाजाय क जाद को योकन का उऩाम मह ह कक फाजाय जात सभम भन खारी ना हो भन भ रकषम बया हो| फाजाय की असरी कताथयता ह जरयत क िकत काभ आना| फाजाय को िही भनरषम राब द सकता ह जो िासति भ अऩनी आिशमकता क अनसाय खयीदना चाहता ह| जो रोग अऩन ऩसो क घभॊड भ अऩनी ऩचनदजॊग ऩािय को हदखान क सरए चीज खयीदत ह ि फाजाय को शतानी वमॊगम शनदकत दत ह| ऐस रोग फाजारऩन औय कऩट फढात ह | ऩस की मह वमॊगम शनदकत वमनदकत को अऩन सग रोगो क परनत बी कतघन फना सकती ह | साधायण जन का रदम रारसा ईरषमाय औय तरषणा स जरन रगता ह | दसयी ओय ऐसा वमनदकत नदजसक भन भ रश भातर बी रोब औय तरषणा नहीॊ ह सॊचम की इचछा नहीॊ ह िह इस वमॊगम-शनदकत स फचा यहता ह | बगतजी ऐस ही आतभफर क धनी आदशय गराहक औय फचक ह नदजन ऩय ऩस की वमॊगम-शनदकत का कोई असय नहीॊ होता | अनक उदाहयणो क दिाया रखक न मह सऩरषट ककमा ह कक एक ओय फाजाय रारची असॊतोरी औय खोखर भन िार वमनदकतमो को रटन क सरए ह िहीॊ दसयी ओय सॊतोरी भन िारो क सरए फाजाय की चभक-दभक उसका आकरयण कोई भहतति नहीॊ यखता

परशन१ - ऩचजजॊग ऩावय ककस कहा गमा ह फाजाय ऩय इसका कमा परबाव ऩड़ता ह

उततय- ऩचनदजॊग ऩािय का अथय ह खयीदन की शनदकत ऩचनदजॊग ऩािय क घभॊड भ वमनदकत हदखाि क सरए आिशमकता स अधधक खयीदायीकयता ह औय फाजाय को शतानी वमॊगम-शनदकत दता ह ऐस रोग फाजाय का फाजारऩन फढ़ात ह

परशन२ -रखक न फाजाय का जाद ककस कहा ह इसका कमा परबाव ऩड़ता ह

उततय- फाजाय की चभक-दभक क चॊफकीम आकरयण को फाजाय का जाद कहा गमा ह मह जाद आॊखो की याह कामय कयता ह फाजाय क इसी आकरयण क कायण गराहक सजी-धजी चीजो को आिशमकता न होन ऩय बी खयीदन को वििश हो जात ह

परशन३ -आशम सऩषट कय

भन खारी होना भन बया होना भन फॊद होना

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उततय-भन खारी होना- भन भ कोई नननदशचत िसत खयीदन का रकषम न होना ननरददशम फाजाय जाना औय वमथय की चीजो को खयीदकय राना

भन बया होना- भन रकषम स बया होना नदजसका भन बया हो िह बरीबाॉनत जानता ह कक उस फाजाय स कौन सी िसत खयीदनी ह अऩनी आिशमकता की चीज खयीदकय िह फाजाय को साथयकता परदान कयता ह

भन फॊद होना-भन भ ककसी बी परकाय की इचछा न होना अथायत अऩन भन को शनदम कय दना

परशन४ - lsquoजहाॉ तषणा ह फटोय यखन की सऩहा ह वहाॉ उस फर का फीज नहीॊ हrsquo महाॊ ककस फर की चचाट की गमी ह

उततय- रखक न सॊतोरी सिबाि क वमनदकत क आतभफरकी चचाय की ह दसय शबदो भ महद भन भ सॊतोर हो तो वमनदकत हदखाि औय ईरषमाय की बािना स दय यहता ह उसभ सॊचम कयन की परिनदतत नहीॊ होती

परशन५ - अथटशासतर अनीनतशासतर कफ फन जाता ह

उततय- जफ फाजाय भ कऩट औय शोरण फढ़न रग खयीददाय अऩनी ऩचधचॊग ऩािय क घभॊड भ हदखाि क सरए खयीददायी कय | भनरषमो भ ऩयसऩय बाईचाया सभापत हो जाए| खयीददाय औय दकानदाय एक दसय को ठगन की घात भ रग यह एक की हानन भ दसय को अऩना राब हदखाई द तो फाजाय का अथयशासतर अनीनतशासतर फन जाता ह ऐस फाजाय भानिता क सरए विडॊफना ह

परशन६-बगतजी फाजाय औय सभाज को ककस परकाय साथटकता परदान कय यह ह

उततय- बगतजी क भन भ साॊसारयक आकरयणो क सरए कोई तरषणा नहीॊ ह ि सॊचम रारच औय हदखाि स दय यहत ह फाजाय औय वमाऩाय उनक सरए आिशमकताओॊ की ऩनत य का साधन भातर ह बगतजी क भन का सॊतोर औय ननसऩह बाि उनको शररषठ उऩबोकता औय विकरता फनात ह

परशन ७ _ बगत जी क वमजकततव क सशकत ऩहरओॊ का उलरख कीजजए |

उततय-ननमनाॊककत बफॊद उनक वमनदकतति क सशकत ऩहर को उजागय कयत ह

ऩॊसायी की दकान स किर अऩनी जरयत का साभान (जीया औय नभक) खयीदना नननदशचत सभम ऩय चयन फचन क सरए ननकरना छह आन की कभाई होत ही चयन फचना फॊद कय दना फच हए चयन को फचचो को भफ़त फाॉट दना

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सबी काजम-जम याभ कहकय सिागत कयना फाजाय की चभक-दभक स आकवरयत न होना सभाज को सॊतोरी जीिन की सशा दना

परशन7-फाजाय की साथटकता ककसभ ह

उततय- भनरषम की आिशमकताओॊ की ऩनतय कयन भ ही फाजाय की साथयकता ह जो गराहक अऩनी आिशमकताओॊ की चीज खयीदत ह ि फाजाय को साथयकता परदान कयत ह जो विकरता गराहको का शोरण नहीॊ कयत औय छर-कऩट स गराहको को रबान का परमास नही कयत ि बी फाजाय को साथयक फनात ह

गदमाॊश-आधारयत अथटगरहण-सॊफॊधधत परशनोततय

फाजाय भ एक जाद ह िह जाद आॉख की तयह काभ कयता ह िह रऩ का जाद ह ऩय जस चॊफक का जाद रोह ऩय ही चरता ह िस ही इस जाद की बी भमायदा ह जफ बयी हो औय भन खारी हो ऐसी हारत भ जाद का असय खफ होता ह जफ खारी ऩय भन बया न हो तो बी जाद चर जाएगा भन खारी ह तो फाजाय की अनकानक चीजो का ननभॊतरण उस तक ऩहॉच जाएगा कहीॊ हई उस िकत जफ बयी तफ तो कपय िह भन ककसकी भानन िारा ह भारभ होता ह मह बी रॉ िह बी रॉ सबी साभान जरयी औय आयाभ को फढ़ान िारा भारभ होता ह ऩय मह सफ जाद का असय ह जाद की सिायी उतयी कक ऩता चरता ह कक प सी-चीजो की फहतामत आयाभ भ भदद नहीॊ दती फनदलक खरर ही डारती ह थोड़ी दय को सिासबभान को जरय सक सभर जाता ह ऩय इसस असबभान को धगलटी की खयाक ही सभरती ह जकड़ यशभी डोयी की हो तो यशभ क सऩशय क भरामभ क कायण कमा िह कभ जकड़ दगी

ऩय उस जाद की जकड़ स फचन का एक सीधा उऩाम ह िह मह कक फाजाय जाओ तो खारी भन न हो भन खारी हो तफ फाजाय न जाओ कहत ह र भ जाना हो तो ऩानी ऩीकय जाना चाहहए ऩानी बीतय हो र का रऩन वमथय हो जाता ह भन रकषम स बया हो तो फाजाय परा का परा ही यह जाएगा तफ िह घाि बफरकर नहीॊ द सकगा फनदलक कछ आनॊद ही दगा तफ फाजाय तभस कताथय होगा कमोकक तभ कछ न कछ सचचा राब उस दोग फाजाय की असरी कताथयता ह आिशमकता क सभम काभ आना

परशन-1 फाजाय क जाद को रखक न कस सऩषट ककमा ह

उततय- फाजाय क रऩ का जाद आॉखो की याह स काभ कयता हआ हभ आकवरयत कयता ह फाजाय का जाद ऐस चरता ह जस रोह क ऊऩय चॊफक का जाद चरता ह चभचभाती योशनी भ सजी

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प सी चीॊज गराहक को अऩनी ओय आकवरयत कयती ह| इसी चमफकीम शनदकत क कायण वमनदकत कपजर साभान को बी खयीद रता ह |

परशन-2 जफ बयी हो औय भन खारी तो हभायी कमा दशा होती ह

उततय- जफ बयी हो औय भन खारी हो तो हभाय ऊऩय फाजाय का जाद खफ असय कयता ह भन खारी ह तो फाजाय की अनकानक चीजो का ननभॊतरण भन तक ऩहॉच जाता ह औय उस सभम महद जफ बयी हो तो भन हभाय ननमॊतरण भ नहीॊ यहता

परशन-3 प सी चीजो की फहतामत का कमा ऩरयणाभ होता ह

उततय- प सी चीज आयाभ की जगह आयाभ भ वमिधान ही डारती ह थोड़ी दय को असबभान को जरय सक सभर जाती ह ऩय हदखाि की परिनदतत भ िवदध होती ह

परशन-4 जाद की जकड़ स फचन का कमा उऩाम ह

उततय- जाद की जकड़ स फचन क सरए एक ही उऩाम ह िह मह ह कक फाजाय जाओ तो भन खारी न हो भन खारी हो तो फाजाय भत जाओ

13 कार भघा ऩानी द

रखक-धभटवीय बायती

ऩाि का सायाॊश -lsquoकार भघा ऩानी दrsquo ननफॊध रोकजीिन क विशिास औय विऻान क तकय ऩय आधारयत ह जफ बीरण गभी क कायण वमाकर रोग िराय कयान क सरए ऩजा-ऩाठ औय कथा-विधान कय थकndashहाय जात ह तफ िराय कयान क सरए अॊनतभ उऩाम क रऩ भ इनददय सना ननकरती ह| इनददय सना नॊग-धड़ॊग फचचो की टोरी ह जो कीचड़ भ रथऩथ होकय गरी-भोहलर भ ऩानी भाॉगन ननकरती ह| रोग अऩन घय की छतो-णखड़ककमो स इनददय सना ऩय ऩानी डारत ह | रोगो की भानदमता ह कक इनददर फादरो क सिाभी औय िराय क दिता ह| इनददर की सना ऩय ऩानी डारन स इनददर बगिान परसनदन होकय ऩानी फयसाएॊग | रखक का तकय ह कक जफ ऩानी की इतनी कभी ह तो रोग भनदशकर स जभा ककए ऩानी को फालटी बय-बयकय इनददय सना ऩय डारकय ऩानी को कमो फफायद कयत ह आमयसभाजी विचायधाया िारा रखक इस अॊधविशिास भानता ह | इसक विऩयीत रखक की जीजी उस सभझाती ह कक मह ऩानी की फफायदी नहीॊ फनदलक ऩानी की फिाई ह | कछ ऩान क सरए कछ दना ऩड़ता ह | तमाग क बफना दान नहीॊ होता| परसतत ननफॊध भ रखक न भरषटाचाय की सभसमा को उठात हए कहा ह कक जीिन भ कछ ऩान क सरए तमाग आिशमक ह जो रोग तमाग औय दान की भहतता को नहीॊ भानत ि ही भरषटाचाय भ सरपत यहकय दश औय सभाज को रटत ह| जीजी की आसथा बािनातभक सचचाई को ऩरषट कयती ह औय तकय किर िऻाननक तथम को सतम भानता ह जहाॉ तकय मथाथय क

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कठोय धयातर ऩय सचचाई को ऩयखता ह तो िहीॊ आसथा अनहोनी फात को बी सिीकाय कय भन को सॊसकारयत कयती ह बायत की सितॊतरता क ५० सार फाद बी दश भ वमापत बरषटाचाय औय सिाथय की बािना को दखकय रखक दखी ह | सयकाय दिाया चराई जा यही मोजनाएॉ गयीफो तक कमो नहीॊ ऩहॉच ऩा यहीॊ ह कार भघा क दर उभड़ यह ह ऩय आज बी गयीफ की गगयी पटी हई कमो ह रखक न मह परशन ऩाठको क सरए छोड़ हदमा ह |

परशन1-इनदय सना घय-घय जाकय ऩानी कमो भाॉगती थी

उततय- गाॉि क रोग फारयश क सरए बगिान इॊदर स पराथयना ककमा कयत थ जफ ऩजा-ऩाठवरत आहद उऩाम असिर हो जात थ तो बगिान इॊदर को परसनदन कयन क सरए गाॉि क ककशोय फचच कीचड़ भ रथऩथ होकय गरी-गरी घभकय रोगो स ऩानी भाॉगत थ

परशन2-इनदयसना को रखक भढक-भॊिरी कमो कहता ह जीजी क फायndashफाय कहन ऩय बी वह इनदयसना ऩय ऩानी प कन को याजी कमो नहीॊ होता

उततय- इनददयसना का कामय आमयसभाजी विचायधाया िार रखक को अॊधविशिास रगता ह उसका भानना ह कक महद इॊदयसना दिता स ऩानी हदरिा सकती ह तो सिमॊ अऩन सरए ऩानी कमो नहीॊ भाॉग रती ऩानी की कभी होन ऩय बी रोग घय भ एकतर ककम हए ऩानी को इॊदयसना ऩय ि कत ह रखक इस ऩानी की ननभयभ फयफादी भानता ह

परशन3- रि हए रखक को जीजी न ककस परकाय सभझामा

उततय- जीजी न रखक को पमाय स रडड-भठयी णखरात हए ननमन तकय हदए-

1- तमाग का भहततव- कछ ऩान क सरए कछ दना ऩड़ता ह 2- दान की भहतता- कवर-भननमो न दान को सफस ऊॉ चा सथान हदमा ह जो चीज अऩन

ऩास बी कभ हो औय अऩनी आिशमकता को बरकय िह चीज दसयो को दान कय दना ही तमाग ह |

3- इॊिदव को जर का अधमट चिाना- इॊदयसना ऩय ऩानी ि कना ऩानी की फयफादी नहीॊ फनदलक इॊदरदि को जर का अधमय चढ़ाना ह

4- ऩानी की फवाई कयना- नदजस परकाय ककसान िसर उगान क सरए जभीन ऩय फीज डारकय फिाई कयता ह िस ही ऩानी िार फादरो की िसर ऩान क सरए इनददय सना ऩय ऩानी डार कय ऩानी की फिाई की जाती ह

परशन4-नठदमो का बायतीम साभाजजक औय साॊसकनतक ऩरयवश भ कमा भहतव ह

उततय- गॊगा बायतीम सभाज भ सफस ऩजम सदानीया नदी ह नदजसका बायतीम इनतहास भ धासभयक ऩौयाणणक औय साॊसकनतक भहति ह | िह बायतीमो क सरए किर एक नदी नहीॊ अवऩत

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भाॉ ह सिगय की सीढ़ी ह भोदानमनी ह उसभ ऩानी नहीॊ अवऩत अभत तलम जर फहता ह बायतीम सॊसकनत भ नहदमो क ककनाय भानि सभमताएॉ परी-परी ह| फड़-फड़ नगय तीथयसथान नहदमो क ककनाय ही नदसथत ह ऐस ऩरयिश भबायतिासी सफस ऩहर गॊगा भमा की जम ही फोरग नहदमाॉ हभाय जीिन का आधाय ह हभाया दश कवर परधान ह नहदमो क जर स ही बायत बसभ हयी-बयी ह नहदमो क बफना जीिन की कलऩना नहीॊ कय सकत मही कायण ह कक हभ बायतीम नहदमो की ऩजा कयत ह |

परशन4-आजादी क ऩचास वषो क फाद बी रखक कमो दखी ह उसक भन भ कौन स परशन उि यह ह

उततय- आजादी क ऩचास िरो फाद बी बायतीमो की सोच भ सकायातभक फदराि न दखकय रखक दखी ह उसक भन भ कई परशन उठ यह ह-

1 कमा हभ सचच अथो भ सितनदतर ह 2 कमा हभ अऩन दश की सॊसकनत औय सभमता को सभझ ऩाए ह 3 यारषर ननभायण भ हभ ऩीछ कमो ह हभ दश क सरए कमा कय यह ह

4 हभ सिाथय औय भरषटाचाय भ सरपत यहत ह तमाग भ विशिास कमो नहीॊ कयत

5 सयकाय दिाया चराई जा यही सधायिादी मोजनाएॉ गयीफो तक कमो नहीॊ ऩहॉचती ह

गदमाॊश ऩय आधारयत अथटगरहण-सॊफॊधधत परशनोततय

सचभच ऐस हदन होत जफ गरी-भहलरा गाॉि-शहय हय जगह रोग गयभी भ बन-बन कय तराहहभाभ कय यह होत जठ क दसतऩा फीतकय आराढ का ऩहरा ऩखिाड़ा फीत चका होता ऩय कषनतज ऩय कहीॊ फादरो की यख बी नहीॊ दीखती होती कएॉ सखन रगत नरो भ एक तो फहत कभ ऩानी आता औय आता बी तो आधी यात को िो बी खौरता हआ ऩानी हो | शहयो की तरना भ गाॉि भ औय बी हारत खयाफ थी| जहाॉ जताई होनी चाहहए थी िहाॉ खतो की सभटटी सखकय ऩतथय हो जाती कपय उसभ ऩऩड़ी ऩड़कय जभीन पटन रगती र ऐसी कक चरत-चरत आदभी धगय ऩड़ | ढोय-डॊगय पमास क भाय भयन रगत रककन फारयश का कहीॊ नाभ ननशान नहीॊ ऐस भ ऩजा-ऩाठ कथा-विधान सफ कयक रोग जफ हाय जात तफ अॊनतभ उऩाम क रऩ भ ननकरती मह इनददय सना |

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परशन१- वषाट न होन ऩय रोगो की कमा जसथनत हो गमी थी उततय - िराय न होन ऩय गयभी क कायण रोग र रगन स फहोश होन रग | गाॉि-शहय सबी जगह ऩानी का अबाि हो गमा| कएॉ सख गए खतो की सभटटी सखकय ऩतथय क सभान कठोय होकय पट गमी| घयो भ नरो भ ऩानी फहत कभ आता था | ऩश पमास क भाय भयन रग थ | परशन२- वषाट क दवता कौन ह उनको परसनन कयन क लरए कमा उऩाम ककए जात थ उततय -िराय क दिता बगिान इनददर ह| उनको परसनदन कयन क सरए ऩजाndashऩाठ कथा-विधान कयाए जात थ | ताकक इनददर दि परसनदन होकय फादरो की सना बजकय झभाझभ फारयश कयाएॉ औय रोगो क करषट दय हो | परशन३- वषाट कयान क अॊनतभ उऩाम क रऩ भ कमा ककमा जाता था उततय ndashजफ ऩजा-ऩाठ कथा-विधान सफ कयक रोग हाय जात थ तफ अॊनतभ उऩाम क रऩ भ इनददय सना आती थी | नॊग-धडॊग कीचड़ भ रथऩथ lsquoकार भघा ऩानी द ऩानी द गड़धानी दrsquo की टय रगाकय पमास स सखत गरो औय सखत खतो क सरए भघो को ऩकायती हई टोरी फनाकय ननकर ऩड़ती थी| परशन४-आशम सऩषट कय ndash जठ क दसतऩा फीतकय आराढ़ का ऩहरा ऩखिाड़ा फीत चका होता ऩय कषनतज भ कहीॊ फादरो की यख बी नजय नहीॊ आती | आशम- जठ का भहीना ह बीरण गयभी ह| तऩत हए दस हदन फीत कय आराढ का भहीना बी आधा फीत गमा ऩय ऩानी क सरए तड़ऩत िराय की आशा भ आसभान की ओय ताकत रोगो को कहीॊ फादर नजय नहीॊ आ यह |

14 ऩहरवान की ढोरक

फ़णीशवयनाथ यण

ऩाि का सायाॊश ndashआॊचसरक कथाकाय िणीशियनाथ यण की कहानी ऩहरिान की ढोरक भ कहानी क भखम ऩातर रटटन क भाता-वऩता का दहाॊत उसक फचऩन भ ही हो गमा था | अनाथ रटटन को उसकी विधिा सास न ऩार-ऩोसकय फड़ा ककमा | उसकी सास को गाॉि िार सतात थ |

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रोगो स फदरा रन क सरए कशती क दाॉिऩच सीखकय कसयत कयक रटटन ऩहरिान फन गमा |

एक फाय रटटन शमाभनगय भरा दखन गमा जहाॉ ढोर की आिाज औय कशती क दाॉिऩच दखकय उसन जोश भ आकय नाभी ऩहरिान चाॉदससॊह को चनौती द दी | ढोर की आिाज स परयणा ऩाकय रटटन न दाॉि रगाकय चाॉद ससॊह को ऩटककय हया हदमा औय याज ऩहरिान फन गमा | उसकी खमानत दय-दय तक िर गमी| १५ िरो तक ऩहरिान अजम फना यहा| उसक दो ऩतर थ| रटटन न दोनो फटो को बी ऩहरिानी क गय ससखाए| याजा की भतम क फाद नए याजकभाय न गददी सॊबारी याजकभाय को घोड़ो की यस का शौक था भनजय न नम याजा को बड़कामा ऩहरिान औय उसक दोनो फटो क बोजनखचय को बमानक औय किजरखचय फतामा िरसिरऩ नए याजा न कशती को फॊद कयिा हदमा औय ऩहरिान रटटनससॊह को उसक दोनो फटो क साथ भहर स ननकार हदमा

याजदयफाय स ननकार हदए जान क फाद रटटन ससॊह अऩन दोनो फटो क साथ गाॉि भ झोऩड़ी फनाकय यहन रगा औय गाॉि क रड़को को कशती ससखान रगा| रटटन का सकर जमादा हदन नहीॊ चरा औय जीविकोऩाजयन क सरए उसक दोनो फटो को भजदयी कयनी ऩड़ी| इसी दौयान गाॉि भ अकार औय भहाभायी क कायण परनतहदन राश उठन रगी| ऩहरिान भहाभायी स डय हए रोगो को ढोरक फजाकय फीभायी स रड़न की सॊजीिनी ताकत दता था| एक हदन ऩहरिान क दोनो फट बी भहाभायी की चऩट भ आकय भय गए ऩय उस यात बी ऩहरिान ढोरक फजाकय रोगो को हहमभत फॊधा यहा था | इस घटना क चाय-ऩाॉच हदन फाद ऩहरिान की बी भौत हो जाती ह|

ऩहरिान की ढोरक वमिसथा क फदरन क साथ रोक कराकाय क अपरासॊधगक हो जान की कहानी ह इस कहानी भ रटटन नाभ क ऩहरिान की हहमभत औय नदजजीविरा का िणयन ककमा गमा ह बख औय भहाभायी अजम रटटन की ऩहरिानी को िट ढोर भ फदर दत ह इस करण तरासदी भ ऩहरिान रटटन कई सिार छोड़ जाता ह कक करा का कोई सितॊतर अनदसतति ह मा करा किर वमिसथा की भोहताज ह

परशन1- रटटन को ऩहरवान फनन की परयणा कस लभरी

उततय- रटटन जफ नौ सार का था तो उसक भाता-वऩता का दहाॊत हो गमा था | सौबागम स उसकी शादी हो चकी थी| अनाथ रटटन को उसकी विधिा सास न ऩार-ऩोसकय फड़ा ककमा | उसकी सास को गाॉि िार ऩयशान कयत थ| रोगो स फदरा रन क सरए उसन ऩहरिान फनन की ठानी| धायोरषण दध ऩीकय कसयत कय उसन अऩना फदन गठीरा औय ताकतिय फना सरमा | कशती क दाॉिऩच सीखकय रटटन ऩहरिान फन गमा |

परशन2- यात क बमानक सननाट भ रटटन की ढोरक कमा करयशभा कयती थी

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उततय- यात क बमानक सनदनाट भरटटन की ढोरक भहाभायी स जझत रोगो को हहमभत फॉधाती थी | ढोरक की आिाज स यात की विबीवरका औय सनदनाटा कभ होता था| भहाभायी स ऩीडड़त रोगो की नसो भ बफजरी सी दौड़ जाती थी उनकी आॉखो क साभन दॊगर का दशम साकाय हो जाता था औय ि अऩनी ऩीड़ा बर खशी-खशी भौत को गर रगा रत थ इस परकाय ढोर की आिाज फीभाय-भतपराम गाॉििारो की नसो भ सॊजीिनी शनदकत को बय फीभायी स रड़न की परयणा दती थी

परशन3- रटटन न सवाटधधक ठहमभत कफ ठदखाई

उततय- रटटन ससॊह न सिायधधक हहमभत तफ हदखाई जफ दोनो फटो की भतम ऩय िह योमा नहीॊ फनदलक हहमभत स काभ रकय अकर उनका अॊनतभ सॊसकाय ककमा| मही नहीॊ नदजस हदन ऩहरिान क दोनो फट भहाभायी की चऩट भ आकय भय गए ऩय उस यात को बी ऩहरिान ढोरक फजाकय रोगो को हहमभत फॉधा यहा था| शमाभनगय क दॊगर भ ऩया जनसभदाम चाॉद ससॊह क ऩ भ था चाॉद ससॊह को हयात सभम रटटन न हहमभत हदखाई औय बफना हताश हए दॊगर भ चाॉद ससॊह को धचत कय हदमा |

परशन4- रटटन लसॊह याज ऩहरवान कस फना

उततय- शमाभनगय क याजा कशती क शौकीन थ उनदहोन दॊगर का आमोजन ककमा ऩहरिान रटटन ससॊह बी दॊगर दखन ऩहॉचा चाॊदससॊह नाभक ऩहरिान जो शय क फचच क नाभ स परससदध था कोई बी ऩहरिान उसस सबड़न की हहमभत नहीॊ कयता था चाॉदससॊह अखाड़ भ अकरा गयज यहा था रटटन ससॊह न चाॉदससॊह को चनौती द दी औय चाॉदससॊह स सबड़ गमाढ़ोर की आिाज सनकय रटटन की नस-नस भ जोश बय गमाउसन चाॉदससॊह को चायो खान धचत कय हदमा याजासाहफ न रटटन की िीयता स परबावित होकय उस याजऩहरिान फना हदमा

परशन5- ऩहरवान की अॊनतभ इचछा कमा थी

उततय- ऩहरिान की अॊनतभ इचछा थी कक उस धचता ऩय ऩट क फर सरटामा जाए कमोकक िह नदजॊदगी भ कबी धचत नहीॊ हआ था| उसकी दसयी इचछा थी कक उसकी धचता को आग दत सभम ढोर अिशम फजामा जाए |

परशन6- ढोर की आवाज औय रटटन क भ दाॉिऩच सॊफॊध फताइए-

उततय- ढोर की आिाज औय रटटन क दाॉिऩच भ सॊफॊध -

चट धा धगड़ धाrarr आजा सबड़ जा | चटाक चट धाrarr उठाकय ऩटक द | चट धगड़ धाrarrभत डयना |

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धाक धधना नतयकट नतनाrarr दाॉि काटो फाहय हो जाओ | धधना धधना धधक धधनाrarr धचत कयो

गदमाॊश-आधारयत अथटगरहण-सॊफॊधधत परशनोततय

अॉधयी यात चऩचाऩ आॉस फहा यही थी | ननसतबधता करण सससककमो औय आहो को अऩन रदम भ ही फर ऩियक दफान की चरषटा कय यही थी | आकाश भ ताय चभक यह थ | ऩथिी ऩय कहीॊ परकाश का नाभ नहीॊ| आकाश स टट कय महद कोई बािक ताया ऩथिी ऩय आना बी चाहता तो उसकी जमोनत औय शनदकत यासत भ ही शर हो जाती थी | अनदम ताय उसकी बािकता अथिा असपरता ऩय णखरणखराकय हॉस ऩड़त थ | ससमायो का करॊ दन औय ऩचक की डयािनी आिाज यात की ननसतबधता को बॊग कयती थी | गाॉि की झोऩडडमो स कयाहन औय क कयन की आिाज हय याभ ह बगिान की टय सनाई ऩड़ती थी| फचच बी ननफयर कॊ ठो स भाॉ ndashभाॉ ऩकायकय यो ऩड़त थ |

(क) अॉधयी यात को आॉस फहात हए कमो ठदखामा गमा ह उततयndash गाॉि भ हजा औय भररयमा परा हआ था | भहाभायी की चऩट भ आकाय रोग भय यह थ |चायो ओय भौत का सनाटा छामा था इससरए अॉधयी यात बी चऩचाऩ आॉस फहाती सी परतीत हो यही थी|

(ख) ताय क भाधमभ स रखक कमा कहना चाहता ह उततयndash ताय क भाधमभ स रखक कहना चाहता ह कक अकार औय भहाभायी स तरसत गाॉि िारो की ऩीड़ा को दय कयन िारा कोई नहीॊ था | परकनत बी गाॉि िारो क द ख स दखी थी| आकाश स टट कय महद कोई बािक ताया ऩथिी ऩय आना बी चाहता तो उसकी जमोनत औय शनदकत यासत भ ही शर हो जाती थी |

(ग) यात की ननसतबधता को कौन बॊग कयता था उततयndash ससमायो की चीख-ऩकाय ऩचक की डयािनी आिाज औय कततो का साभहहक रदन सभरकय यात क सनदनाट को बॊग कयत थ |

(घ) झोऩड़ड़मो स कसी आवाज आ यही ह औय कमो उततयndash झोऩडड़मो स योधगमो क कयाहन क कयन औय योन की आिाज आ यही ह कमोकक गाॉि क रोग भररयमा औय हज स ऩीडड़त थ | अकार क कायण अनदन की कभी हो गमी थी| औरधध औय ऩथम न सभरन क कायण रोगो की हारत इतनी फयी थी कक कोई बगिान को ऩकाय रगाता था तो कोई दफयर कॊ ठ स भाॉndashभाॉ ऩकायता था |

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15 चारी चजतरन मानी हभ सफ

रखक-पवषण खय

ऩाि का सायाॊश ndashचारक चनदपरन न हासम कराकाय क रऩ भ ऩयी दननमा क फहत फड़ दशयक िगय को हॉसामा ह | उनकी कपलभो न कपलभ करा को रोकताॊबतरक फनान क साथ-साथ दशको की िगय औय िणय-वमिसथा को बी तोड़ा | चारक न करा भ फवदध की अऩा बािना को भहतति हदमा ह | फचऩन क सॊघरो न चारक क बािी कपलभो की बसभ तमाय कय दी थी| बायतीम करा औय सौदमयशासतर भ करणा का हासम भ ऩरयितयन बायतीम ऩयमऩया भ नहीॊ सभरता रककन चारक एक ऐसा जादई वमनदकतति ह जो हय दश सॊसकनत औय सभमता को अऩना सा रगता ह| बायतीम जनता न बी उनदह सहज बाि स सिीकाय ककमा ह| सिमॊ ऩय हॉसना चारक न ही ससखामा| बायतीम ससनभा जगत क सपरससदध कराकाय याजकऩय को चारक का बायतीमकयण कहा गमा ह | चारक की अधधकाॊश किलभ भक ह इससरए उनदह अधधक भानिीम होना ऩड़ा | ऩाठ भ हासम कपलभो क भहान असबनता lsquoचारक चनदपरनrsquo की जादई विशरताओॊ का उलरख ककमा गमा ह नदजसभ उसन करणा औय हासम भ साभॊजसम सथावऩत कय किलभो को साियबौसभक रऩ परदान ककमा

परशन१ -चारी क जीवन ऩय परबाव िारन वारी भखम घटनाएॉ कौन सी थी

उततय- चारक क जीिन भ दो ऐसी घटनाएॉ घटीॊ नदजनदहोन उनक बािी जीिन ऩय फहत परबाि डारा |

ऩहरी घटना - जफ चारक फीभाय थ उनकी भाॉ उनदह ईसा भसीह की जीिनी ऩढ़कय सना यही थी | ईसा क सरी ऩय चढ़न क परसॊग तक आत-आत भाॉ-फटा दोनो ही योन रग| इस घटना न चारक को सनह करणा औय भानिता जस उचच जीिन भलम हदए |

दसयी घटना हndash फारक चारक कसाईखान क ऩास यहता था| िहाॉ सकड़ो जानियो को योज भाया जाता था| एक हदन एक बड़ िहाॉ स बाग ननकरी| बड़ को ऩकड़न की कोसशश भ कसाई कई फाय कपसरा| नदजस दखकय रोग हॊसन रग ठहाक रगान रग| जफ बड़ को कसाई न ऩकड़ सरमा तो फारक चारक योन रगा| इस घटना न उसक बािी कपलभो भ तरासदी औय हासमोतऩादक ततिो की बसभका तम कय दी |

परशन२ ndash आशम सऩषट कीजजएndash

चजतरन न लसपट कपलभकरा को ही रोकताॊबतरक नही फनामा फजलक दशटको की वगट तथा वणट-वमवसथा को बी तोड़ा|

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उततय- रोकताॊबतरक फनान का अथय ह कक कपलभ करा को सबी क सरए रोकवपरम फनाना औय िगय औय िणय-वमिसथा को तोड़न का आशम ह- सभाज भ परचसरत अभीय-गयीफ िणय जानतधभय क बदबाि को सभापत कयना |चनदपरन का चभतकाय मह ह कक उनदहोन कपलभकरा को बफना ककसी बदबाि क सबी रोगो तक ऩहॉचामा| उनकी कपलभो न सभम बगोर औय सॊसकनतमो की सीभाओॊ को राॉघ कय साियबौसभक रोकवपरमता हाससर की | चारक न मह ससदध कय हदमा कक करा सितनदतर होती ह अऩन ससदधाॊत सिमॊ फनाती ह |

परशन३ndash चारी चजतरन की कपलभो भ ननठहत तरासदीकरणाहासम का साभॊजसम बायतीम करा औय सौदमटशासतर की ऩरयधध भ कमो नहीॊ आता

उततय- चारक चनदपरन की कपलभो भ ननहहत तरासदीकरणाहासम का साभॊजसम बायतीम करा औय सौदमयशासतर की ऩरयधध भ नहीॊ आताकमोकक बायतीम यस-ससदधाॊत भ करणा औय हासम का भर नहीॊ हदखामा जाता कमोकक बायतीम सौदमयशासतर भ करणयस औय हासम यस को ऩयसऩय वियोधी भाना गमा ह अथायत जहाॊ करणा ह िहाॉ हासम नहीॊ हो सकता बायत भ सिमॊ ऩय हॉसन की ऩयॊऩया नहीॊ ह ऩयॊत चारक क ऩातर अऩन ऩय हॉसतndashहॉसात ह चारक की किलभो क दशम हॉसात-हॉसात ररा दत ह तो कबी करण दशम क फाद अचानक ही हॉसन ऩय भजफय कय दत ह

परशन४ndash चारी क कपलभो की पवशषताएॉ फताइए |

उततय- चारक की किलभो भ हासम औय करणा का अदभत साभॊजसम ह उनकी किलभो भ बारा का परमोग फहत कभ ह चारक की किलभो भ फवदध की अऩा बािना का भहतति अधधक ह उनकी किलभो भ साियबौसभकता ह चारक ककसी बी सॊसकनत को विदशी नही रगत चारक सफको अऩन रगत ह चारक न किलभो को रोकताॊबतरक फनामा औय किलभो भ िगय तथािणय-वमिसथा को तोड़ा अऩनी कपलभो भ चारक सदि धचय मिा हदखता ह

गदमाॊश-आधारयत अथटगरहण-सॊफॊधी परशनोततय

गदमाॊश सॊकत ndashचारक चनदपरन मानी हभ सफ (ऩरषठ १२० )

महद मह िरय चनदपरन की कापी कछ कहा जाएगा |

परशन (क)-पवकासशीर दशो भ चजतरन कमो भशहय हो यह ह

उततय - विकासशीर दशो भ जस-जस टरीविजन औय िीडडमो का परसाय हो यहा ह रोगो को उनकी कपलभो को दखन का अिसय सभर यहा ह |एक फहत फड़ा िगय नए ससय स चारक को घड़ी सधायत औय जत खान की कोसशश कयत दख यहा ह इसीसरए चारक विकासशीर दशो भ रोकवपरम हो यह ह |

(ख)- ऩजशचभ भ चारी का ऩनजीवन कस होता यहता ह

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उततय - ऩनदशचभ भ चारक की कपलभो का परदशयन होता यहता ह| उनकी करा स परयणा ऩाकय हासम किलभ फनती यहती ह | उनक दिाया ननबाए ककयदायो की नकर अनदम कराकाय कयत ह | ऩनदशचभ भ चारक का ऩनजीिन होता यहता ह|

(ग)- चारी को रोग फिाऩ तक कमो माद यखग

उततय ndashहासम कराकाय क रऩ भ रोग चारक को फढ़ाऩ तक माद यखग कमोकक उनकी करा सभम बगोर औय सॊसकनतमो की सीभाओॊ को राॉघकय राखो रोगो को हॉसा यही ह|

(घ)- चारी की कपलभो क फाय भ कापी कछ कहा जाना कमो फाी ह

उततय ndashचनदपरन की ऐसी कछ किलभ मा इसतभार न की गमी यीर सभरी ह नदजनक फाय भ कोई नहीॊ जानता था | चारक की बािनापरधान हासम कपलभो न करा क नए परनतभान सथावऩत ककए ह अत चारक की कपलभो क फाय भ अबी कापी कछ कहा जाना फाी ह|

16 नभक

रखखका - यजजमा सजजाद जहीय

सायाॊश -lsquoनभकrsquoबायत-ऩाक विबाजन ऩय सरणखत भासभयक कहानी ह | विसथावऩत हए रोगो भ अऩनndashअऩन जनदभ सथानो क परनत आज बी रगाि ह| धासभयक आधाय ऩय फनी यारषर-याजमो की सीभा-यखाएॉ उनक अॊतभयन को अरग नहीॊ कय ऩाई ह | बायत भ यहन िारी ससख फीिी राहौय को अऩना ितन भानती ह औय बायतीम कसटभ अधधकायी ढाका क नारयमर ऩानी को मादकय उस सियशररषठ फताता ह दोनो दशो क नागरयको क फीच भहबफत का नभकीन सिाद आज बी कामभ ह इसीसरए सकिमा बायत भ यहन िारी अऩनी भॉहफोरी भाॉ ससख फीिी क सरए राहौयी नभक रान क सरए कसटभ औय कानन की ऩयिाह नहीॊ कयती

परशन1- lsquoनभकrsquo ऩाि क आधाय ऩय फताइए कक सकपमा औय उसक बाई क पवचायो भ कमा अॊतय था

उततय- १-सकपमा बािनाओॊ को फहतभहतति दती ह ऩय उसका बाई फौवदधक परिनदतत का ह उसकी दनदरषट भ कानन बािनाओॊ स ऊऩय ह|

२-सकपमा भानिीम सॊफॊधो को फहत भहतति दती ह जफकक उसका बाई अरगाििादी विचायधाया का ह हहसस-फखय की फात कयता ह |

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३-सकपमा का बाई कहता ह कक अदीफो(साहहतमकाय) का हदभाग घभा हआ होता ह जफकक सकपमा जो सिमॊ अदीफ ह उसका भानना ह कक अगय सबी रोगो का हदभाग अदीफो की तयह घभा हआ होता तो दननमा कछ फहतय हो जाती |

परशन२- नभक र जात सभम सकफ़मा क भन भ कमा दपवधा थी

उततय-सकपमा समद भसरभान थी जो हय हार भ अऩना िामदा ननबात ह| ऩाककसतान स राहौयी नभक र जाकय िह अऩना िामदा ऩया कयना चाहती थी ऩयनदत जफ उस ऩता चरा कक कसटभ क ननमभो क अनसाय सीभाऩाय नभक र जाना िनदजयत ह तो िह दविधा भ ऩड़ गई | सकिमा का दिॊदि मह था कक िह अऩनी ससख भाॉ क सरए नभक कसटभ अधधकारयमो को फताकयर जाए मा नछऩाकय|

परशन३- ऩाि क आधाय ऩय सकपमा की चारयबतरक पवशषताएॉ फताइए |

उततय सॊकत ndash

१- बािक २- ईभानदाय ३- दढ़ननशचमी ४- ननडय ५- िामद को ननबान िारी ६- भानिीम भलमो को सिोऩरय भानन िारी साहहतमकाय

परशन ४- lsquoनभकrsquo ऩाि भ आए ककयदायो क भाधमभ स सऩषट कीजजए कक आज बी बायत औय ऩाककसतान की जनता क फीच भहबफत का नभकीन सवाद घरा हआ ह |

उततय ndash बर ही याजनीनतक औय धासभयक आधाय ऩय बायत औय ऩाककसतान को बौगोसरक रऩ स विबानदजत कय हदमा गमा ह रककन दोनो दशो क रोगो क रदम भ आज बी ऩायसऩरयक बाईचाया सौहादरय सनह औय सहानबनत विदमभान ह | याजनीनतक तौय ऩय बर ही सॊफॊध तनािऩणय हो ऩय साभानदजक तौय ऩय आज बी जनता क फीच भहबफत का नभकीन सिाद घरा हआ ह | अभतसय भ यहन िारी ससख फीफी राहौय को अऩना ितन कहती ह औय राहौयी नभक का सिाद नहीॊ बरा ऩाती | ऩाककसतान का कसटभ अधधकायी नभक की ऩडड़मा सकपमा को िाऩस दत हए कहता ह rdquoजाभा भनदसजद की सीहढ़मो को भया सराभ कहना |rdquo बायतीम सीभा ऩय तनात कसटभ अधधकायी ढाका की जभीन को औय िहाॉ क ऩानी क सिाद को नहीॊ बर ऩाता |

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गदमाॊश-आधारयत अथटगरहण सॊफॊधधत परशनोततय

गदमाॊश सॊकत- ऩाठndash नभक (ऩरषठ १३४)

सकपमा कसटभ क जॊगर स दोनो क हाथो भ थी |

(क) सकपमा कसटभ क जॉगर स ननकरकय दसय तरटपाभट ऩय आ गमी व वहीॊ खड़ यहndash इस वाकम भ lsquoवrsquo शबद का परमोग ककसक लरए ककमा गमा ह

उततय- महाॉ lsquoिrsquo शबद का परमोग ऩाककसतानी कसटभ अधधकायी क सरए ककमा गमा ह जो विबाजन स ऩिय हदलरी भ यहत थ औय आज बी हदलरी को ही अऩना ितन भानत ह |

(ख) तरटपाभट ऩय सकपमा को पवदा कयन कौन-कौन आए थ उनहोन सकपमा को कस पवदाई दी

उततय- परटपाभय ऩय सकपमा को विदा कयन उसक फहत साय सभतर सग सॊफॊधी औय बाई आए थ| उनदहोन ठॊडी साॉस बयत हए सबॊच हए होठो क साथ आॉस फहात हए सकपमा को विदाई दी |

(ग) अटायी भ यरगाड़ी भ कमा ऩरयवतटन हए उततय- अटायी भ यरगाड़ी स ऩाककसतानी ऩसरस उतयी औय हहनददसतानी ऩसरस सिाय हो गई|

(घ) कौन सी फात सकपमा की सभझ भ नहीॊ आ यही थी उततय- दोनो ओय एक सी जभीन एक जसा आसभान एक सी बारा एक सा ऩहनािा औय एक सी सयत क रोग कपय बी दोनो क हाथो भ बयी हई फॊदक ह |

17 लशयीष क पर

आचामट हजायी परसाद दपववदी

सायाॊश ndashlsquoआचामय हजायी परसाद दवििदीrsquo सशयीर को अदभत अिधत भानत ह कमोकक सॊनदमासी की बाॉनत िह सख-दख की धचॊता नहीॊ कयता गभी र िराय औय आॉधी भ बी अविचर खड़ा यहता ह सशयीर क िर क भाधमभ स भनरषम की अजम नदजजीविरा धमयशीरता औय कतयवमननरषठ फन यहन क भानिीम भलमो को सथावऩत ककमा गमा हरखक न सशयीर क कोभर परो औय कठोय परो क दिाया सऩरषट ककमा ह कक रदम की कोभरता फचान क सरए कबी-कबी वमिहाय की कठोयता बी आिशमक हो जाती ह| भहान कवि कासरदास औय कफीय बी सशयीर की तयह फऩयिाह अनासकत औय सयस थ तबी उनदहोन इतनी सनददय यचनाएॉ सॊसाय को दीॊ| गाॉधीजी क वमनदकतति भ बी कोभरता औय कठोयता का अदभत सॊगभ था | रखक सोचता ह कक हभाय दश भ जो भाय-काट अनदगनदाह रट-ऩाट खन-खचचय का फिॊडय ह कमा िह दश को नदसथय नहीॊ यहन दगा गराभी अशाॊनत औय वियोधी िाताियण क फीच अऩन ससदधाॊतो की या कयत हए गाॉधीजी जी नदसथय यह सक थ तो दश बी यह सकता ह जीन की परफर असबरारा क कायण

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विरभ ऩरयनदसथतमो भ बी महद सशयीर णखर सकता ह तो हभाया दश बी विरभ ऩरयनदसथनतमो भ नदसथय यह कय विकास कय सकता ह

परशन1-लसदध कीजजए कक लशयीष कारजमी अवधत की बाॉनत जीवन की अजमता क भॊतर का परचाय कयता ह

उततय- सशयीर कारजमी अिधत की बाॉनत जीिन की अजमता क भॊतर का परचाय कयता ह| जफ ऩथिी अनदगन क सभान तऩ यही होती ह िह तफ बी कोभर परो स रदा रहरहाता यहता ह|फाहयी गयभी धऩ िराय आॉधी र उस परबावित नहीॊ कयती इतना ही नहीॊ िह रॊफ सभम तक णखरा यहता ह | सशयीर विऩयीत ऩरयनदसथनतमो भ बी धमयशीर यहन तथा अऩनी अजम नदजजीविरा क साथ ननसऩह बाि स परचॊड गयभी भ बी अविचर खड़ा यहता ह

परशन२-आयगवध (अभरतास) की तरना लशयीष स कमो नहीॊ की जा सकती

उततय- सशयीर क पर बमॊकय गयभी भ णखरत ह औय आराढ़ तक णखरत यहत ह जफकक अभरतास का पर किर ऩनददरह-फीस हदनो क सरए णखरता ह | उसक फाद अभरतास क पर झड़ जात ह औय ऩड़ कपय स ठॉठ का ठॉठ हो जाता ह | अभरतास अलऩजीिी ह | विऩयीत ऩरयनदसथनतमो को झरता हआ ऊरषण िाताियण को हॉसकय झरता हआ सशयीर दीघयजीिी यहता ह | मही कायण ह कक सशयीर की तरना अभरतास स नहीॊ की जा सकती |

परशन३-लशयीष क परो को याजनताओॊ का रऩक कमो ठदमा गमा ह

उततय- सशयीर क पर उन फढ़ ढीठ औय ऩयान याजनताओॊ क परतीक ह जो अऩनी कसी नहीॊ छोड़ना चाहत | अऩनी अधधकाय-सरपसा क सरए नए मिा नताओॊ को आग नहीॊ आन दत | सशयीर क नए परो को जफयदसती ऩयान परो को धककमाना ऩड़ता ह | याजनीनत भ बी नई मिा ऩीढ़ी ऩयानी ऩीढ़ी को हयाकय सिमॊ सतता सॉबार रती ह |

परशन४- कार दवता की भाय स फचन का कमा उऩाम फतामा गमा ह

उततय- कार दिता कक भाय स फचन का अथय हndash भतम स फचना | इसका एकभातर उऩाम मह ह कक भनरषम नदसथय न हो| गनतशीर ऩरयितयनशीर यह | रखक क अनसाय नदजनकी चतना सदा ऊधियभखी (आधमातभ की ओय) यहती ह ि हटक जात ह |

परशन५- गाॉधीजी औय लशयीष की सभानता परकट कीजजए |

उततय- नदजस परकाय सशयीर धचरधचराती धऩ र िराय औय आॉधी भ बी अविचर खड़ा यहता ह अनासकत यहकय अऩन िाताियण स यस खीॊचकय सयस कोभर फना यहता ह उसी परकाय गाॉधी जी न बी अऩनी आॉखो क साभन आजादी क सॊगराभ भ अनदमाम बदबाि औय हहॊसा को झरा |

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उनक कोभर भन भ एक ओय ननयीह जनता क परनत असीभ करणा जागी िहीॊ ि अनदमामी शासन क वियोध भ डटकय खड़ हो गए |

गदमाॊश-आधारयत अथटगरहण सॊफॊधधत परशनोततय

गदमाॊश सॊकत- ऩाठ ndash सशयीर क पर (ऩरषठ १४७)

कासरदास सौदमय क िह इशाया ह |

(क) कालरदास की सौदमटndashदजषट की कमा पवशषता थी उततय-कासरदास की सौदमयndashदनदरषट फहत सकषभ अॊतबदी औय सॊऩणय थी| ि किर फाहयी रऩ-यॊग औय आकाय को ही नहीॊ दखत थ फनदलक अॊतभयन की सॊदयता क बी ऩायखी थ| कासरदास की सौदमय शायीरयक औय भानससक दोनो विशरताओॊ स मकत था |

(ख) अनासजकत का कमा आशम ह उततय- अनासनदकत का आशम ह- वमनदकतगत सख-द ख औय याग-दिर स ऩय यहकय सौदमय क िासतविक भभय को जानना |

(ग) कालरदास ऩॊत औय यवीॊिनाथ टगोय भ कौन सा गण सभान था भहाकवि कासरदास ससभतरानॊदन ऩॊत औय गरदि यिीॊदरनाथ टगोय तीनो नदसथयपरऻ औय अनासकत कवि थ | ि सशयीर क सभान सयस औय भसत अिधत थ |

(घ) यवीॊिनाथ याजोदमान क लसॊहदवाय क फाय भ कमा सॊदश दत ह याजोदमान क फाय भ यिीॊदरनाथ कहत ह याजोदमान का ससॊहदिाय ककतना ही सॊदय औय गगनचमफी कमो ना हो िह अॊनतभ ऩड़ाि नहीॊ ह| उसका सौदमय ककसी औय उचचतभ सौदमय की ओय ककमा गमा सॊकत भातर ह कक असरी सौदमय इस ऩाय कयन क फाद ह अत याजोदमान का ससॊहदिाय हभ आग फढ़न की परयणा दता ह |

18शरभ-पवबाजन औय जानत-परथा

िॉ० बीभयाव अॊफिकय

सायाॊश ndash इस ऩाठ भ रखक न जानतिाद क आधाय ऩय ककए जान िार बदबाि को सभम सभाज क सरए हाननकायक फतामा ह | जानत आधारयत शरभ विबाजन को असिाबाविक औय भानिता वियोधी फतामा गमा ह मह साभानदजक बदबाि को फढ़ाता ह जानतपरथा आधारयत शरभ विबाजन भ वमनदकत की रधच को भहतति नहीॊ हदमा जाता परसिरऩ वििशता क साथ अऩनाए

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Page 31: ISSUED BY KENDRIYA VIDYALAYA - DOWNLOADED FROM … Class XII Hindi Part B.pdfप्रश्न४ :-फादर क / फयन का गयीफ एि धनी िगय क्मा

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परशन 7- लसदध कीजजए कक बजकतन तकट -पवतकट कयन भ भाठहय थी |

बनदकतन तकय ऩट थी | कश भॉडान स भना ककए जान ऩय िह शासतरो का हिारा दत हए कहती ह lsquoतीयथ गए भॉडाए ससदधrsquo | घय भ इधय-उधय यख गए ऩसो को िह चऩचाऩ उठा कय छऩा रती ह टोक जानऩय िह िह इस चोयी नही भानती फनदलक िह इस अऩन घय भ ऩड़ ऩसो को सॉबारकय यखना कहती ह| ऩढाई-सरखाई स फचन क सरए बी िह अचक तकय दती ह कक अगय भ बी ऩढ़न रगॉ तो घय का काभ कौन दखगा

परशन 8-बजकतन का दबाटगम बी कभ हिी नही था रखखका न ऐसा कमो कहा ह

उततय- बजकतन का दबाटगम उसका ऩीछा नहीॊ छोड़ता था-

1- फचऩन भ ही भाॉ की भतम 2- विभाता की उऩा 3- बनदकतन(रकषभी) का फारवििाह 4- वऩता का ननधन 5- तीन-तीन फहटमो को जनदभ दन क कायण सास औय नदजठाननमो क दिाया बनदकतन की

उऩा 6- ऩनत की असभम भतम 7- दाभाद का ननधन औय ऩॊचामत क दिाया ननकमभ तीतयफाज मिक स बनदकतन की विधिा

फटी का जफयन वििाह 8- रगान न चका ऩान ऩय जभीॊदाय क दिाया बनदकतन का अऩभान

परशन 9-बजकतन न भहादवी वभाट क जीवन ऩय कस परबापवत ककमा

उततय- बनदकतन क साथ यहकय भहादिी की जीिन-शरी सयर हो गमी ि अऩनी सविधाओॊ की चाह को नछऩान रगीॊ औय असविधाओॊ को सहन रगीॊ बनदकतन न उनदह दहाती बोजन णखराकय उनका सिाद फदर हदमा बनदकतन भातर एक सविका न होकय भहादिी की असबबािक औय आतभीम फन गमीबनदकतन भहादिी क जीिन ऩय छा जान िारी एक ऐसी सविका ह नदजस रणखका नहीॊ खोना चाहती

परशन 10- बजकतन क चरयतर की पवशषताओॊ का उलरख कीजजए

उततय- भहादिी िभाय की सविका बनदकतन क वमनदकतति की विशरताएॊ ननमनाॊककत ह-

सभवऩयत सविका सिासबभानी

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तकय शीरा ऩरयशरभी सॊघरयशीर

परशन 11-बजकतन क दगटणो का उलरख कय

उततय- गणो क साथ-साथ बनदकतन क वमनदकतति भ अनक दगयण बी ननहहत ह-

1 िह घय भ इधय-उधय ऩड़ रऩम-ऩस को बॊडाय घय की भटकी भ छऩा दती ह औय अऩन इस कामय को चोयी नहीॊ भानती

2 भहादिी क करोध स फचन क सरए बनदकतन फात को इधय-उधय कयक फतान को झठ नही भानती अऩनी फात को सही ससदध कयन क सरए िह तकय -वितकय बी कयती ह

3 िह दसयो को अऩनी इचछानसाय फदर दना चाहती ह ऩय सिमॊ बफरकर नही फदरती परशन 12 ननमनाॊककत बाषा-परमोगो का अथट सऩषट कीजजए-

ऩहरी कनमा क दो औय सॊसकयण कय िार- बनदकतन न अऩनी ऩहरी कनदमा क फाद उसक जसी दो औय कनदमाएॉ ऩदा कय दी अथायत बनदकतन क एक क फाद एक तीन फहटमाॉ ऩदा हो गमीॊ |

खोट लसकको की टकसार जसी ऩतनी- आज बी असशकषत गराभीण सभाज भ फहटमो को

खोटा ससकका कहा जाता ह बनदकतन न एक क फाद एक तीन फहटमाॉ ऩदा कय दी इससरए उस खोट ससकक को ढारन िारी भशीन कहा गमा

परशन 13-बजकतन ऩाि भ रखखका न सभाज की ककन सभसमाओॊ का उलरख ककमा ह

उततय- बनदकतन ऩाठ क भाधमभ स रणखका न बायतीम गराभीण सभाज की अनक सभसमाओॊ का उलरख ककमा ह-

1 रड़क-रड़ककमो भ ककमा जान िारा बदबाि 2 विधिाओॊ की सभसमा 3 नदमाम क नाभ ऩय ऩॊचामतो क दिाया नदसतरमो क भानिाधधकाय को कचरना 4 असशा औय अॊधविशिास

गदमाॊश-आधारयत अथटगरहण सॊफॊधधत परशनोततय

ऩरयिाय औय ऩरयनदसथनतमो क कायण सिबाि भ जो विरभताएॉ उतऩनदन हो गई ह उनक बीतय स एक सनह औय सहानबनत की आबा पटती यहती ह इसी स उसक सॊऩकय भ आनिार वमनदकत उसभ जीिन की सहज भासभयकता ही ऩात ह छातरािास की फासरकाओॊ भ स कोई अऩनी चाम

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फनिान क सरए दहरी ऩय फठी यहती ह कोई फाहय खडी भय सरए नाशत को चखकय उसक सिाद की वििचना कयती यहती ह भय फाहय ननकरत ही सफ धचडड़मो क सभान उड़ जाती ह औय बीतय आत ही मथासथान वियाजभान हो जाती ह इनदह आन भ रकािट न हो सॊबित इसी स बनदकतन अऩना दोनो जन का बोजन सिय ही फनाकय ऊऩय क आर भ यख दती ह औय खात सभम चौक का एक कोना धोकय ऩाकndashछत क सनातन ननमभ स सभझौता कय रती ह

भय ऩरयधचतो औय साहहनदतमक फॊधओॊ स बी बनदकतन विशर ऩरयधचत ह ऩय उनक परनत बनदकतन क समभान की भातरा भय परनत उनक समभान की भातरा ऩय ननबयय ह औय सदभाि उनक परनत भय सदभाि स नननदशचत होता ह इस सॊफॊध भ बनदकतन की सहज फवदध विनदसभत कय दन िारी ह

(क) बजकतन का सवबाव ऩरयवाय भ यहकय कसा हो गमा ह

उततय-विरभ ऩरयनदसथनतजनदम उसक उगर हठी औय दयागरही सिबाि क फािजद बनदकतन क बीतय सनह औय सहानबनत की आबा पटती यहती ह उसक सॊऩकय भ आन िार वमनदकत उसभ जीिन की सहज भासभयकता ही ऩात ह

(ख) बजकतन क ऩास छातरावास की छातराएॉ कमो आती ह

उततय- बनदकतन क ऩास कोई छातरा अऩनी चाम फनिान आती ह औय दहरी ऩय फठी यहती ह कोई भहादिी जी क सरए फन नाशत को चखकय उसक सिाद की वििचना कयती यहती ह भहादिी को दखत ही सफ छातराएॉ बाग जाती ह उनक जात ही कपय िाऩस आ जातीॊ ह बनदकतन का सहज-सनह ऩाकय धचडड़मो की तयह चहचहान रगती ह |

(ग) छातराओॊ क आन भ रकावट न िारन क लरए बजकतन न कमा उऩाम ककमा

उततय- छातराओॊ क आन भ रकािट न डारन क सरए बनदकतन न अऩन ऩाक-छत क ननमभ स सभझौता कय सरमा | बनदकतन अऩना दोनो िकत का खाना फनाकय सफह ही आर भ यख दती औय खात सभम चौक का एक कोना धोकय िहाॉ फठकय खा सरमा कयती थी ताकक छातराएॉ बफना योक-टोक क उसक ऩास आ सक

(घ) साठहतमकायो क परनत बजकतन क समभान का कमा भाऩदॊि ह

उततय-बनदकतन भहादिी क साहहनदतमक सभतर क परनत सदभाि यखती थी नदजसक परनत भहादिी सिमॊ सदभाि यखती थी | िह सबी स ऩरयधचत हऩय उनक परनत समभान की भातरा भहादिी जी क समभान की भातरा ऩय ननबयय कयती ह िह एक अदभत ढॊग स जान रती थी कक कौन ककतना समभान कयता ह उसी अनऩात भ उसका परापम उस दती थी

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12 फाजाय-दशटन

रखक- जनि कभाय

ऩाि का सायाॊश फाजाय-दशयन ऩाठ भ फाजायिाद औय उऩबोकतािाद क साथ-साथ अथयनीनत एिॊ दशयन स सॊफॊधधत परशनो को सरझान का परमास ककमा गमा ह फाजाय का जाद तबी असय कयता ह जफ भन खारी हो| फाजाय क जाद को योकन का उऩाम मह ह कक फाजाय जात सभम भन खारी ना हो भन भ रकषम बया हो| फाजाय की असरी कताथयता ह जरयत क िकत काभ आना| फाजाय को िही भनरषम राब द सकता ह जो िासति भ अऩनी आिशमकता क अनसाय खयीदना चाहता ह| जो रोग अऩन ऩसो क घभॊड भ अऩनी ऩचनदजॊग ऩािय को हदखान क सरए चीज खयीदत ह ि फाजाय को शतानी वमॊगम शनदकत दत ह| ऐस रोग फाजारऩन औय कऩट फढात ह | ऩस की मह वमॊगम शनदकत वमनदकत को अऩन सग रोगो क परनत बी कतघन फना सकती ह | साधायण जन का रदम रारसा ईरषमाय औय तरषणा स जरन रगता ह | दसयी ओय ऐसा वमनदकत नदजसक भन भ रश भातर बी रोब औय तरषणा नहीॊ ह सॊचम की इचछा नहीॊ ह िह इस वमॊगम-शनदकत स फचा यहता ह | बगतजी ऐस ही आतभफर क धनी आदशय गराहक औय फचक ह नदजन ऩय ऩस की वमॊगम-शनदकत का कोई असय नहीॊ होता | अनक उदाहयणो क दिाया रखक न मह सऩरषट ककमा ह कक एक ओय फाजाय रारची असॊतोरी औय खोखर भन िार वमनदकतमो को रटन क सरए ह िहीॊ दसयी ओय सॊतोरी भन िारो क सरए फाजाय की चभक-दभक उसका आकरयण कोई भहतति नहीॊ यखता

परशन१ - ऩचजजॊग ऩावय ककस कहा गमा ह फाजाय ऩय इसका कमा परबाव ऩड़ता ह

उततय- ऩचनदजॊग ऩािय का अथय ह खयीदन की शनदकत ऩचनदजॊग ऩािय क घभॊड भ वमनदकत हदखाि क सरए आिशमकता स अधधक खयीदायीकयता ह औय फाजाय को शतानी वमॊगम-शनदकत दता ह ऐस रोग फाजाय का फाजारऩन फढ़ात ह

परशन२ -रखक न फाजाय का जाद ककस कहा ह इसका कमा परबाव ऩड़ता ह

उततय- फाजाय की चभक-दभक क चॊफकीम आकरयण को फाजाय का जाद कहा गमा ह मह जाद आॊखो की याह कामय कयता ह फाजाय क इसी आकरयण क कायण गराहक सजी-धजी चीजो को आिशमकता न होन ऩय बी खयीदन को वििश हो जात ह

परशन३ -आशम सऩषट कय

भन खारी होना भन बया होना भन फॊद होना

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उततय-भन खारी होना- भन भ कोई नननदशचत िसत खयीदन का रकषम न होना ननरददशम फाजाय जाना औय वमथय की चीजो को खयीदकय राना

भन बया होना- भन रकषम स बया होना नदजसका भन बया हो िह बरीबाॉनत जानता ह कक उस फाजाय स कौन सी िसत खयीदनी ह अऩनी आिशमकता की चीज खयीदकय िह फाजाय को साथयकता परदान कयता ह

भन फॊद होना-भन भ ककसी बी परकाय की इचछा न होना अथायत अऩन भन को शनदम कय दना

परशन४ - lsquoजहाॉ तषणा ह फटोय यखन की सऩहा ह वहाॉ उस फर का फीज नहीॊ हrsquo महाॊ ककस फर की चचाट की गमी ह

उततय- रखक न सॊतोरी सिबाि क वमनदकत क आतभफरकी चचाय की ह दसय शबदो भ महद भन भ सॊतोर हो तो वमनदकत हदखाि औय ईरषमाय की बािना स दय यहता ह उसभ सॊचम कयन की परिनदतत नहीॊ होती

परशन५ - अथटशासतर अनीनतशासतर कफ फन जाता ह

उततय- जफ फाजाय भ कऩट औय शोरण फढ़न रग खयीददाय अऩनी ऩचधचॊग ऩािय क घभॊड भ हदखाि क सरए खयीददायी कय | भनरषमो भ ऩयसऩय बाईचाया सभापत हो जाए| खयीददाय औय दकानदाय एक दसय को ठगन की घात भ रग यह एक की हानन भ दसय को अऩना राब हदखाई द तो फाजाय का अथयशासतर अनीनतशासतर फन जाता ह ऐस फाजाय भानिता क सरए विडॊफना ह

परशन६-बगतजी फाजाय औय सभाज को ककस परकाय साथटकता परदान कय यह ह

उततय- बगतजी क भन भ साॊसारयक आकरयणो क सरए कोई तरषणा नहीॊ ह ि सॊचम रारच औय हदखाि स दय यहत ह फाजाय औय वमाऩाय उनक सरए आिशमकताओॊ की ऩनत य का साधन भातर ह बगतजी क भन का सॊतोर औय ननसऩह बाि उनको शररषठ उऩबोकता औय विकरता फनात ह

परशन ७ _ बगत जी क वमजकततव क सशकत ऩहरओॊ का उलरख कीजजए |

उततय-ननमनाॊककत बफॊद उनक वमनदकतति क सशकत ऩहर को उजागय कयत ह

ऩॊसायी की दकान स किर अऩनी जरयत का साभान (जीया औय नभक) खयीदना नननदशचत सभम ऩय चयन फचन क सरए ननकरना छह आन की कभाई होत ही चयन फचना फॊद कय दना फच हए चयन को फचचो को भफ़त फाॉट दना

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सबी काजम-जम याभ कहकय सिागत कयना फाजाय की चभक-दभक स आकवरयत न होना सभाज को सॊतोरी जीिन की सशा दना

परशन7-फाजाय की साथटकता ककसभ ह

उततय- भनरषम की आिशमकताओॊ की ऩनतय कयन भ ही फाजाय की साथयकता ह जो गराहक अऩनी आिशमकताओॊ की चीज खयीदत ह ि फाजाय को साथयकता परदान कयत ह जो विकरता गराहको का शोरण नहीॊ कयत औय छर-कऩट स गराहको को रबान का परमास नही कयत ि बी फाजाय को साथयक फनात ह

गदमाॊश-आधारयत अथटगरहण-सॊफॊधधत परशनोततय

फाजाय भ एक जाद ह िह जाद आॉख की तयह काभ कयता ह िह रऩ का जाद ह ऩय जस चॊफक का जाद रोह ऩय ही चरता ह िस ही इस जाद की बी भमायदा ह जफ बयी हो औय भन खारी हो ऐसी हारत भ जाद का असय खफ होता ह जफ खारी ऩय भन बया न हो तो बी जाद चर जाएगा भन खारी ह तो फाजाय की अनकानक चीजो का ननभॊतरण उस तक ऩहॉच जाएगा कहीॊ हई उस िकत जफ बयी तफ तो कपय िह भन ककसकी भानन िारा ह भारभ होता ह मह बी रॉ िह बी रॉ सबी साभान जरयी औय आयाभ को फढ़ान िारा भारभ होता ह ऩय मह सफ जाद का असय ह जाद की सिायी उतयी कक ऩता चरता ह कक प सी-चीजो की फहतामत आयाभ भ भदद नहीॊ दती फनदलक खरर ही डारती ह थोड़ी दय को सिासबभान को जरय सक सभर जाता ह ऩय इसस असबभान को धगलटी की खयाक ही सभरती ह जकड़ यशभी डोयी की हो तो यशभ क सऩशय क भरामभ क कायण कमा िह कभ जकड़ दगी

ऩय उस जाद की जकड़ स फचन का एक सीधा उऩाम ह िह मह कक फाजाय जाओ तो खारी भन न हो भन खारी हो तफ फाजाय न जाओ कहत ह र भ जाना हो तो ऩानी ऩीकय जाना चाहहए ऩानी बीतय हो र का रऩन वमथय हो जाता ह भन रकषम स बया हो तो फाजाय परा का परा ही यह जाएगा तफ िह घाि बफरकर नहीॊ द सकगा फनदलक कछ आनॊद ही दगा तफ फाजाय तभस कताथय होगा कमोकक तभ कछ न कछ सचचा राब उस दोग फाजाय की असरी कताथयता ह आिशमकता क सभम काभ आना

परशन-1 फाजाय क जाद को रखक न कस सऩषट ककमा ह

उततय- फाजाय क रऩ का जाद आॉखो की याह स काभ कयता हआ हभ आकवरयत कयता ह फाजाय का जाद ऐस चरता ह जस रोह क ऊऩय चॊफक का जाद चरता ह चभचभाती योशनी भ सजी

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प सी चीॊज गराहक को अऩनी ओय आकवरयत कयती ह| इसी चमफकीम शनदकत क कायण वमनदकत कपजर साभान को बी खयीद रता ह |

परशन-2 जफ बयी हो औय भन खारी तो हभायी कमा दशा होती ह

उततय- जफ बयी हो औय भन खारी हो तो हभाय ऊऩय फाजाय का जाद खफ असय कयता ह भन खारी ह तो फाजाय की अनकानक चीजो का ननभॊतरण भन तक ऩहॉच जाता ह औय उस सभम महद जफ बयी हो तो भन हभाय ननमॊतरण भ नहीॊ यहता

परशन-3 प सी चीजो की फहतामत का कमा ऩरयणाभ होता ह

उततय- प सी चीज आयाभ की जगह आयाभ भ वमिधान ही डारती ह थोड़ी दय को असबभान को जरय सक सभर जाती ह ऩय हदखाि की परिनदतत भ िवदध होती ह

परशन-4 जाद की जकड़ स फचन का कमा उऩाम ह

उततय- जाद की जकड़ स फचन क सरए एक ही उऩाम ह िह मह ह कक फाजाय जाओ तो भन खारी न हो भन खारी हो तो फाजाय भत जाओ

13 कार भघा ऩानी द

रखक-धभटवीय बायती

ऩाि का सायाॊश -lsquoकार भघा ऩानी दrsquo ननफॊध रोकजीिन क विशिास औय विऻान क तकय ऩय आधारयत ह जफ बीरण गभी क कायण वमाकर रोग िराय कयान क सरए ऩजा-ऩाठ औय कथा-विधान कय थकndashहाय जात ह तफ िराय कयान क सरए अॊनतभ उऩाम क रऩ भ इनददय सना ननकरती ह| इनददय सना नॊग-धड़ॊग फचचो की टोरी ह जो कीचड़ भ रथऩथ होकय गरी-भोहलर भ ऩानी भाॉगन ननकरती ह| रोग अऩन घय की छतो-णखड़ककमो स इनददय सना ऩय ऩानी डारत ह | रोगो की भानदमता ह कक इनददर फादरो क सिाभी औय िराय क दिता ह| इनददर की सना ऩय ऩानी डारन स इनददर बगिान परसनदन होकय ऩानी फयसाएॊग | रखक का तकय ह कक जफ ऩानी की इतनी कभी ह तो रोग भनदशकर स जभा ककए ऩानी को फालटी बय-बयकय इनददय सना ऩय डारकय ऩानी को कमो फफायद कयत ह आमयसभाजी विचायधाया िारा रखक इस अॊधविशिास भानता ह | इसक विऩयीत रखक की जीजी उस सभझाती ह कक मह ऩानी की फफायदी नहीॊ फनदलक ऩानी की फिाई ह | कछ ऩान क सरए कछ दना ऩड़ता ह | तमाग क बफना दान नहीॊ होता| परसतत ननफॊध भ रखक न भरषटाचाय की सभसमा को उठात हए कहा ह कक जीिन भ कछ ऩान क सरए तमाग आिशमक ह जो रोग तमाग औय दान की भहतता को नहीॊ भानत ि ही भरषटाचाय भ सरपत यहकय दश औय सभाज को रटत ह| जीजी की आसथा बािनातभक सचचाई को ऩरषट कयती ह औय तकय किर िऻाननक तथम को सतम भानता ह जहाॉ तकय मथाथय क

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कठोय धयातर ऩय सचचाई को ऩयखता ह तो िहीॊ आसथा अनहोनी फात को बी सिीकाय कय भन को सॊसकारयत कयती ह बायत की सितॊतरता क ५० सार फाद बी दश भ वमापत बरषटाचाय औय सिाथय की बािना को दखकय रखक दखी ह | सयकाय दिाया चराई जा यही मोजनाएॉ गयीफो तक कमो नहीॊ ऩहॉच ऩा यहीॊ ह कार भघा क दर उभड़ यह ह ऩय आज बी गयीफ की गगयी पटी हई कमो ह रखक न मह परशन ऩाठको क सरए छोड़ हदमा ह |

परशन1-इनदय सना घय-घय जाकय ऩानी कमो भाॉगती थी

उततय- गाॉि क रोग फारयश क सरए बगिान इॊदर स पराथयना ककमा कयत थ जफ ऩजा-ऩाठवरत आहद उऩाम असिर हो जात थ तो बगिान इॊदर को परसनदन कयन क सरए गाॉि क ककशोय फचच कीचड़ भ रथऩथ होकय गरी-गरी घभकय रोगो स ऩानी भाॉगत थ

परशन2-इनदयसना को रखक भढक-भॊिरी कमो कहता ह जीजी क फायndashफाय कहन ऩय बी वह इनदयसना ऩय ऩानी प कन को याजी कमो नहीॊ होता

उततय- इनददयसना का कामय आमयसभाजी विचायधाया िार रखक को अॊधविशिास रगता ह उसका भानना ह कक महद इॊदयसना दिता स ऩानी हदरिा सकती ह तो सिमॊ अऩन सरए ऩानी कमो नहीॊ भाॉग रती ऩानी की कभी होन ऩय बी रोग घय भ एकतर ककम हए ऩानी को इॊदयसना ऩय ि कत ह रखक इस ऩानी की ननभयभ फयफादी भानता ह

परशन3- रि हए रखक को जीजी न ककस परकाय सभझामा

उततय- जीजी न रखक को पमाय स रडड-भठयी णखरात हए ननमन तकय हदए-

1- तमाग का भहततव- कछ ऩान क सरए कछ दना ऩड़ता ह 2- दान की भहतता- कवर-भननमो न दान को सफस ऊॉ चा सथान हदमा ह जो चीज अऩन

ऩास बी कभ हो औय अऩनी आिशमकता को बरकय िह चीज दसयो को दान कय दना ही तमाग ह |

3- इॊिदव को जर का अधमट चिाना- इॊदयसना ऩय ऩानी ि कना ऩानी की फयफादी नहीॊ फनदलक इॊदरदि को जर का अधमय चढ़ाना ह

4- ऩानी की फवाई कयना- नदजस परकाय ककसान िसर उगान क सरए जभीन ऩय फीज डारकय फिाई कयता ह िस ही ऩानी िार फादरो की िसर ऩान क सरए इनददय सना ऩय ऩानी डार कय ऩानी की फिाई की जाती ह

परशन4-नठदमो का बायतीम साभाजजक औय साॊसकनतक ऩरयवश भ कमा भहतव ह

उततय- गॊगा बायतीम सभाज भ सफस ऩजम सदानीया नदी ह नदजसका बायतीम इनतहास भ धासभयक ऩौयाणणक औय साॊसकनतक भहति ह | िह बायतीमो क सरए किर एक नदी नहीॊ अवऩत

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भाॉ ह सिगय की सीढ़ी ह भोदानमनी ह उसभ ऩानी नहीॊ अवऩत अभत तलम जर फहता ह बायतीम सॊसकनत भ नहदमो क ककनाय भानि सभमताएॉ परी-परी ह| फड़-फड़ नगय तीथयसथान नहदमो क ककनाय ही नदसथत ह ऐस ऩरयिश भबायतिासी सफस ऩहर गॊगा भमा की जम ही फोरग नहदमाॉ हभाय जीिन का आधाय ह हभाया दश कवर परधान ह नहदमो क जर स ही बायत बसभ हयी-बयी ह नहदमो क बफना जीिन की कलऩना नहीॊ कय सकत मही कायण ह कक हभ बायतीम नहदमो की ऩजा कयत ह |

परशन4-आजादी क ऩचास वषो क फाद बी रखक कमो दखी ह उसक भन भ कौन स परशन उि यह ह

उततय- आजादी क ऩचास िरो फाद बी बायतीमो की सोच भ सकायातभक फदराि न दखकय रखक दखी ह उसक भन भ कई परशन उठ यह ह-

1 कमा हभ सचच अथो भ सितनदतर ह 2 कमा हभ अऩन दश की सॊसकनत औय सभमता को सभझ ऩाए ह 3 यारषर ननभायण भ हभ ऩीछ कमो ह हभ दश क सरए कमा कय यह ह

4 हभ सिाथय औय भरषटाचाय भ सरपत यहत ह तमाग भ विशिास कमो नहीॊ कयत

5 सयकाय दिाया चराई जा यही सधायिादी मोजनाएॉ गयीफो तक कमो नहीॊ ऩहॉचती ह

गदमाॊश ऩय आधारयत अथटगरहण-सॊफॊधधत परशनोततय

सचभच ऐस हदन होत जफ गरी-भहलरा गाॉि-शहय हय जगह रोग गयभी भ बन-बन कय तराहहभाभ कय यह होत जठ क दसतऩा फीतकय आराढ का ऩहरा ऩखिाड़ा फीत चका होता ऩय कषनतज ऩय कहीॊ फादरो की यख बी नहीॊ दीखती होती कएॉ सखन रगत नरो भ एक तो फहत कभ ऩानी आता औय आता बी तो आधी यात को िो बी खौरता हआ ऩानी हो | शहयो की तरना भ गाॉि भ औय बी हारत खयाफ थी| जहाॉ जताई होनी चाहहए थी िहाॉ खतो की सभटटी सखकय ऩतथय हो जाती कपय उसभ ऩऩड़ी ऩड़कय जभीन पटन रगती र ऐसी कक चरत-चरत आदभी धगय ऩड़ | ढोय-डॊगय पमास क भाय भयन रगत रककन फारयश का कहीॊ नाभ ननशान नहीॊ ऐस भ ऩजा-ऩाठ कथा-विधान सफ कयक रोग जफ हाय जात तफ अॊनतभ उऩाम क रऩ भ ननकरती मह इनददय सना |

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परशन१- वषाट न होन ऩय रोगो की कमा जसथनत हो गमी थी उततय - िराय न होन ऩय गयभी क कायण रोग र रगन स फहोश होन रग | गाॉि-शहय सबी जगह ऩानी का अबाि हो गमा| कएॉ सख गए खतो की सभटटी सखकय ऩतथय क सभान कठोय होकय पट गमी| घयो भ नरो भ ऩानी फहत कभ आता था | ऩश पमास क भाय भयन रग थ | परशन२- वषाट क दवता कौन ह उनको परसनन कयन क लरए कमा उऩाम ककए जात थ उततय -िराय क दिता बगिान इनददर ह| उनको परसनदन कयन क सरए ऩजाndashऩाठ कथा-विधान कयाए जात थ | ताकक इनददर दि परसनदन होकय फादरो की सना बजकय झभाझभ फारयश कयाएॉ औय रोगो क करषट दय हो | परशन३- वषाट कयान क अॊनतभ उऩाम क रऩ भ कमा ककमा जाता था उततय ndashजफ ऩजा-ऩाठ कथा-विधान सफ कयक रोग हाय जात थ तफ अॊनतभ उऩाम क रऩ भ इनददय सना आती थी | नॊग-धडॊग कीचड़ भ रथऩथ lsquoकार भघा ऩानी द ऩानी द गड़धानी दrsquo की टय रगाकय पमास स सखत गरो औय सखत खतो क सरए भघो को ऩकायती हई टोरी फनाकय ननकर ऩड़ती थी| परशन४-आशम सऩषट कय ndash जठ क दसतऩा फीतकय आराढ़ का ऩहरा ऩखिाड़ा फीत चका होता ऩय कषनतज भ कहीॊ फादरो की यख बी नजय नहीॊ आती | आशम- जठ का भहीना ह बीरण गयभी ह| तऩत हए दस हदन फीत कय आराढ का भहीना बी आधा फीत गमा ऩय ऩानी क सरए तड़ऩत िराय की आशा भ आसभान की ओय ताकत रोगो को कहीॊ फादर नजय नहीॊ आ यह |

14 ऩहरवान की ढोरक

फ़णीशवयनाथ यण

ऩाि का सायाॊश ndashआॊचसरक कथाकाय िणीशियनाथ यण की कहानी ऩहरिान की ढोरक भ कहानी क भखम ऩातर रटटन क भाता-वऩता का दहाॊत उसक फचऩन भ ही हो गमा था | अनाथ रटटन को उसकी विधिा सास न ऩार-ऩोसकय फड़ा ककमा | उसकी सास को गाॉि िार सतात थ |

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रोगो स फदरा रन क सरए कशती क दाॉिऩच सीखकय कसयत कयक रटटन ऩहरिान फन गमा |

एक फाय रटटन शमाभनगय भरा दखन गमा जहाॉ ढोर की आिाज औय कशती क दाॉिऩच दखकय उसन जोश भ आकय नाभी ऩहरिान चाॉदससॊह को चनौती द दी | ढोर की आिाज स परयणा ऩाकय रटटन न दाॉि रगाकय चाॉद ससॊह को ऩटककय हया हदमा औय याज ऩहरिान फन गमा | उसकी खमानत दय-दय तक िर गमी| १५ िरो तक ऩहरिान अजम फना यहा| उसक दो ऩतर थ| रटटन न दोनो फटो को बी ऩहरिानी क गय ससखाए| याजा की भतम क फाद नए याजकभाय न गददी सॊबारी याजकभाय को घोड़ो की यस का शौक था भनजय न नम याजा को बड़कामा ऩहरिान औय उसक दोनो फटो क बोजनखचय को बमानक औय किजरखचय फतामा िरसिरऩ नए याजा न कशती को फॊद कयिा हदमा औय ऩहरिान रटटनससॊह को उसक दोनो फटो क साथ भहर स ननकार हदमा

याजदयफाय स ननकार हदए जान क फाद रटटन ससॊह अऩन दोनो फटो क साथ गाॉि भ झोऩड़ी फनाकय यहन रगा औय गाॉि क रड़को को कशती ससखान रगा| रटटन का सकर जमादा हदन नहीॊ चरा औय जीविकोऩाजयन क सरए उसक दोनो फटो को भजदयी कयनी ऩड़ी| इसी दौयान गाॉि भ अकार औय भहाभायी क कायण परनतहदन राश उठन रगी| ऩहरिान भहाभायी स डय हए रोगो को ढोरक फजाकय फीभायी स रड़न की सॊजीिनी ताकत दता था| एक हदन ऩहरिान क दोनो फट बी भहाभायी की चऩट भ आकय भय गए ऩय उस यात बी ऩहरिान ढोरक फजाकय रोगो को हहमभत फॊधा यहा था | इस घटना क चाय-ऩाॉच हदन फाद ऩहरिान की बी भौत हो जाती ह|

ऩहरिान की ढोरक वमिसथा क फदरन क साथ रोक कराकाय क अपरासॊधगक हो जान की कहानी ह इस कहानी भ रटटन नाभ क ऩहरिान की हहमभत औय नदजजीविरा का िणयन ककमा गमा ह बख औय भहाभायी अजम रटटन की ऩहरिानी को िट ढोर भ फदर दत ह इस करण तरासदी भ ऩहरिान रटटन कई सिार छोड़ जाता ह कक करा का कोई सितॊतर अनदसतति ह मा करा किर वमिसथा की भोहताज ह

परशन1- रटटन को ऩहरवान फनन की परयणा कस लभरी

उततय- रटटन जफ नौ सार का था तो उसक भाता-वऩता का दहाॊत हो गमा था | सौबागम स उसकी शादी हो चकी थी| अनाथ रटटन को उसकी विधिा सास न ऩार-ऩोसकय फड़ा ककमा | उसकी सास को गाॉि िार ऩयशान कयत थ| रोगो स फदरा रन क सरए उसन ऩहरिान फनन की ठानी| धायोरषण दध ऩीकय कसयत कय उसन अऩना फदन गठीरा औय ताकतिय फना सरमा | कशती क दाॉिऩच सीखकय रटटन ऩहरिान फन गमा |

परशन2- यात क बमानक सननाट भ रटटन की ढोरक कमा करयशभा कयती थी

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उततय- यात क बमानक सनदनाट भरटटन की ढोरक भहाभायी स जझत रोगो को हहमभत फॉधाती थी | ढोरक की आिाज स यात की विबीवरका औय सनदनाटा कभ होता था| भहाभायी स ऩीडड़त रोगो की नसो भ बफजरी सी दौड़ जाती थी उनकी आॉखो क साभन दॊगर का दशम साकाय हो जाता था औय ि अऩनी ऩीड़ा बर खशी-खशी भौत को गर रगा रत थ इस परकाय ढोर की आिाज फीभाय-भतपराम गाॉििारो की नसो भ सॊजीिनी शनदकत को बय फीभायी स रड़न की परयणा दती थी

परशन3- रटटन न सवाटधधक ठहमभत कफ ठदखाई

उततय- रटटन ससॊह न सिायधधक हहमभत तफ हदखाई जफ दोनो फटो की भतम ऩय िह योमा नहीॊ फनदलक हहमभत स काभ रकय अकर उनका अॊनतभ सॊसकाय ककमा| मही नहीॊ नदजस हदन ऩहरिान क दोनो फट भहाभायी की चऩट भ आकय भय गए ऩय उस यात को बी ऩहरिान ढोरक फजाकय रोगो को हहमभत फॉधा यहा था| शमाभनगय क दॊगर भ ऩया जनसभदाम चाॉद ससॊह क ऩ भ था चाॉद ससॊह को हयात सभम रटटन न हहमभत हदखाई औय बफना हताश हए दॊगर भ चाॉद ससॊह को धचत कय हदमा |

परशन4- रटटन लसॊह याज ऩहरवान कस फना

उततय- शमाभनगय क याजा कशती क शौकीन थ उनदहोन दॊगर का आमोजन ककमा ऩहरिान रटटन ससॊह बी दॊगर दखन ऩहॉचा चाॊदससॊह नाभक ऩहरिान जो शय क फचच क नाभ स परससदध था कोई बी ऩहरिान उसस सबड़न की हहमभत नहीॊ कयता था चाॉदससॊह अखाड़ भ अकरा गयज यहा था रटटन ससॊह न चाॉदससॊह को चनौती द दी औय चाॉदससॊह स सबड़ गमाढ़ोर की आिाज सनकय रटटन की नस-नस भ जोश बय गमाउसन चाॉदससॊह को चायो खान धचत कय हदमा याजासाहफ न रटटन की िीयता स परबावित होकय उस याजऩहरिान फना हदमा

परशन5- ऩहरवान की अॊनतभ इचछा कमा थी

उततय- ऩहरिान की अॊनतभ इचछा थी कक उस धचता ऩय ऩट क फर सरटामा जाए कमोकक िह नदजॊदगी भ कबी धचत नहीॊ हआ था| उसकी दसयी इचछा थी कक उसकी धचता को आग दत सभम ढोर अिशम फजामा जाए |

परशन6- ढोर की आवाज औय रटटन क भ दाॉिऩच सॊफॊध फताइए-

उततय- ढोर की आिाज औय रटटन क दाॉिऩच भ सॊफॊध -

चट धा धगड़ धाrarr आजा सबड़ जा | चटाक चट धाrarr उठाकय ऩटक द | चट धगड़ धाrarrभत डयना |

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धाक धधना नतयकट नतनाrarr दाॉि काटो फाहय हो जाओ | धधना धधना धधक धधनाrarr धचत कयो

गदमाॊश-आधारयत अथटगरहण-सॊफॊधधत परशनोततय

अॉधयी यात चऩचाऩ आॉस फहा यही थी | ननसतबधता करण सससककमो औय आहो को अऩन रदम भ ही फर ऩियक दफान की चरषटा कय यही थी | आकाश भ ताय चभक यह थ | ऩथिी ऩय कहीॊ परकाश का नाभ नहीॊ| आकाश स टट कय महद कोई बािक ताया ऩथिी ऩय आना बी चाहता तो उसकी जमोनत औय शनदकत यासत भ ही शर हो जाती थी | अनदम ताय उसकी बािकता अथिा असपरता ऩय णखरणखराकय हॉस ऩड़त थ | ससमायो का करॊ दन औय ऩचक की डयािनी आिाज यात की ननसतबधता को बॊग कयती थी | गाॉि की झोऩडडमो स कयाहन औय क कयन की आिाज हय याभ ह बगिान की टय सनाई ऩड़ती थी| फचच बी ननफयर कॊ ठो स भाॉ ndashभाॉ ऩकायकय यो ऩड़त थ |

(क) अॉधयी यात को आॉस फहात हए कमो ठदखामा गमा ह उततयndash गाॉि भ हजा औय भररयमा परा हआ था | भहाभायी की चऩट भ आकाय रोग भय यह थ |चायो ओय भौत का सनाटा छामा था इससरए अॉधयी यात बी चऩचाऩ आॉस फहाती सी परतीत हो यही थी|

(ख) ताय क भाधमभ स रखक कमा कहना चाहता ह उततयndash ताय क भाधमभ स रखक कहना चाहता ह कक अकार औय भहाभायी स तरसत गाॉि िारो की ऩीड़ा को दय कयन िारा कोई नहीॊ था | परकनत बी गाॉि िारो क द ख स दखी थी| आकाश स टट कय महद कोई बािक ताया ऩथिी ऩय आना बी चाहता तो उसकी जमोनत औय शनदकत यासत भ ही शर हो जाती थी |

(ग) यात की ननसतबधता को कौन बॊग कयता था उततयndash ससमायो की चीख-ऩकाय ऩचक की डयािनी आिाज औय कततो का साभहहक रदन सभरकय यात क सनदनाट को बॊग कयत थ |

(घ) झोऩड़ड़मो स कसी आवाज आ यही ह औय कमो उततयndash झोऩडड़मो स योधगमो क कयाहन क कयन औय योन की आिाज आ यही ह कमोकक गाॉि क रोग भररयमा औय हज स ऩीडड़त थ | अकार क कायण अनदन की कभी हो गमी थी| औरधध औय ऩथम न सभरन क कायण रोगो की हारत इतनी फयी थी कक कोई बगिान को ऩकाय रगाता था तो कोई दफयर कॊ ठ स भाॉndashभाॉ ऩकायता था |

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15 चारी चजतरन मानी हभ सफ

रखक-पवषण खय

ऩाि का सायाॊश ndashचारक चनदपरन न हासम कराकाय क रऩ भ ऩयी दननमा क फहत फड़ दशयक िगय को हॉसामा ह | उनकी कपलभो न कपलभ करा को रोकताॊबतरक फनान क साथ-साथ दशको की िगय औय िणय-वमिसथा को बी तोड़ा | चारक न करा भ फवदध की अऩा बािना को भहतति हदमा ह | फचऩन क सॊघरो न चारक क बािी कपलभो की बसभ तमाय कय दी थी| बायतीम करा औय सौदमयशासतर भ करणा का हासम भ ऩरयितयन बायतीम ऩयमऩया भ नहीॊ सभरता रककन चारक एक ऐसा जादई वमनदकतति ह जो हय दश सॊसकनत औय सभमता को अऩना सा रगता ह| बायतीम जनता न बी उनदह सहज बाि स सिीकाय ककमा ह| सिमॊ ऩय हॉसना चारक न ही ससखामा| बायतीम ससनभा जगत क सपरससदध कराकाय याजकऩय को चारक का बायतीमकयण कहा गमा ह | चारक की अधधकाॊश किलभ भक ह इससरए उनदह अधधक भानिीम होना ऩड़ा | ऩाठ भ हासम कपलभो क भहान असबनता lsquoचारक चनदपरनrsquo की जादई विशरताओॊ का उलरख ककमा गमा ह नदजसभ उसन करणा औय हासम भ साभॊजसम सथावऩत कय किलभो को साियबौसभक रऩ परदान ककमा

परशन१ -चारी क जीवन ऩय परबाव िारन वारी भखम घटनाएॉ कौन सी थी

उततय- चारक क जीिन भ दो ऐसी घटनाएॉ घटीॊ नदजनदहोन उनक बािी जीिन ऩय फहत परबाि डारा |

ऩहरी घटना - जफ चारक फीभाय थ उनकी भाॉ उनदह ईसा भसीह की जीिनी ऩढ़कय सना यही थी | ईसा क सरी ऩय चढ़न क परसॊग तक आत-आत भाॉ-फटा दोनो ही योन रग| इस घटना न चारक को सनह करणा औय भानिता जस उचच जीिन भलम हदए |

दसयी घटना हndash फारक चारक कसाईखान क ऩास यहता था| िहाॉ सकड़ो जानियो को योज भाया जाता था| एक हदन एक बड़ िहाॉ स बाग ननकरी| बड़ को ऩकड़न की कोसशश भ कसाई कई फाय कपसरा| नदजस दखकय रोग हॊसन रग ठहाक रगान रग| जफ बड़ को कसाई न ऩकड़ सरमा तो फारक चारक योन रगा| इस घटना न उसक बािी कपलभो भ तरासदी औय हासमोतऩादक ततिो की बसभका तम कय दी |

परशन२ ndash आशम सऩषट कीजजएndash

चजतरन न लसपट कपलभकरा को ही रोकताॊबतरक नही फनामा फजलक दशटको की वगट तथा वणट-वमवसथा को बी तोड़ा|

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उततय- रोकताॊबतरक फनान का अथय ह कक कपलभ करा को सबी क सरए रोकवपरम फनाना औय िगय औय िणय-वमिसथा को तोड़न का आशम ह- सभाज भ परचसरत अभीय-गयीफ िणय जानतधभय क बदबाि को सभापत कयना |चनदपरन का चभतकाय मह ह कक उनदहोन कपलभकरा को बफना ककसी बदबाि क सबी रोगो तक ऩहॉचामा| उनकी कपलभो न सभम बगोर औय सॊसकनतमो की सीभाओॊ को राॉघ कय साियबौसभक रोकवपरमता हाससर की | चारक न मह ससदध कय हदमा कक करा सितनदतर होती ह अऩन ससदधाॊत सिमॊ फनाती ह |

परशन३ndash चारी चजतरन की कपलभो भ ननठहत तरासदीकरणाहासम का साभॊजसम बायतीम करा औय सौदमटशासतर की ऩरयधध भ कमो नहीॊ आता

उततय- चारक चनदपरन की कपलभो भ ननहहत तरासदीकरणाहासम का साभॊजसम बायतीम करा औय सौदमयशासतर की ऩरयधध भ नहीॊ आताकमोकक बायतीम यस-ससदधाॊत भ करणा औय हासम का भर नहीॊ हदखामा जाता कमोकक बायतीम सौदमयशासतर भ करणयस औय हासम यस को ऩयसऩय वियोधी भाना गमा ह अथायत जहाॊ करणा ह िहाॉ हासम नहीॊ हो सकता बायत भ सिमॊ ऩय हॉसन की ऩयॊऩया नहीॊ ह ऩयॊत चारक क ऩातर अऩन ऩय हॉसतndashहॉसात ह चारक की किलभो क दशम हॉसात-हॉसात ररा दत ह तो कबी करण दशम क फाद अचानक ही हॉसन ऩय भजफय कय दत ह

परशन४ndash चारी क कपलभो की पवशषताएॉ फताइए |

उततय- चारक की किलभो भ हासम औय करणा का अदभत साभॊजसम ह उनकी किलभो भ बारा का परमोग फहत कभ ह चारक की किलभो भ फवदध की अऩा बािना का भहतति अधधक ह उनकी किलभो भ साियबौसभकता ह चारक ककसी बी सॊसकनत को विदशी नही रगत चारक सफको अऩन रगत ह चारक न किलभो को रोकताॊबतरक फनामा औय किलभो भ िगय तथािणय-वमिसथा को तोड़ा अऩनी कपलभो भ चारक सदि धचय मिा हदखता ह

गदमाॊश-आधारयत अथटगरहण-सॊफॊधी परशनोततय

गदमाॊश सॊकत ndashचारक चनदपरन मानी हभ सफ (ऩरषठ १२० )

महद मह िरय चनदपरन की कापी कछ कहा जाएगा |

परशन (क)-पवकासशीर दशो भ चजतरन कमो भशहय हो यह ह

उततय - विकासशीर दशो भ जस-जस टरीविजन औय िीडडमो का परसाय हो यहा ह रोगो को उनकी कपलभो को दखन का अिसय सभर यहा ह |एक फहत फड़ा िगय नए ससय स चारक को घड़ी सधायत औय जत खान की कोसशश कयत दख यहा ह इसीसरए चारक विकासशीर दशो भ रोकवपरम हो यह ह |

(ख)- ऩजशचभ भ चारी का ऩनजीवन कस होता यहता ह

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उततय - ऩनदशचभ भ चारक की कपलभो का परदशयन होता यहता ह| उनकी करा स परयणा ऩाकय हासम किलभ फनती यहती ह | उनक दिाया ननबाए ककयदायो की नकर अनदम कराकाय कयत ह | ऩनदशचभ भ चारक का ऩनजीिन होता यहता ह|

(ग)- चारी को रोग फिाऩ तक कमो माद यखग

उततय ndashहासम कराकाय क रऩ भ रोग चारक को फढ़ाऩ तक माद यखग कमोकक उनकी करा सभम बगोर औय सॊसकनतमो की सीभाओॊ को राॉघकय राखो रोगो को हॉसा यही ह|

(घ)- चारी की कपलभो क फाय भ कापी कछ कहा जाना कमो फाी ह

उततय ndashचनदपरन की ऐसी कछ किलभ मा इसतभार न की गमी यीर सभरी ह नदजनक फाय भ कोई नहीॊ जानता था | चारक की बािनापरधान हासम कपलभो न करा क नए परनतभान सथावऩत ककए ह अत चारक की कपलभो क फाय भ अबी कापी कछ कहा जाना फाी ह|

16 नभक

रखखका - यजजमा सजजाद जहीय

सायाॊश -lsquoनभकrsquoबायत-ऩाक विबाजन ऩय सरणखत भासभयक कहानी ह | विसथावऩत हए रोगो भ अऩनndashअऩन जनदभ सथानो क परनत आज बी रगाि ह| धासभयक आधाय ऩय फनी यारषर-याजमो की सीभा-यखाएॉ उनक अॊतभयन को अरग नहीॊ कय ऩाई ह | बायत भ यहन िारी ससख फीिी राहौय को अऩना ितन भानती ह औय बायतीम कसटभ अधधकायी ढाका क नारयमर ऩानी को मादकय उस सियशररषठ फताता ह दोनो दशो क नागरयको क फीच भहबफत का नभकीन सिाद आज बी कामभ ह इसीसरए सकिमा बायत भ यहन िारी अऩनी भॉहफोरी भाॉ ससख फीिी क सरए राहौयी नभक रान क सरए कसटभ औय कानन की ऩयिाह नहीॊ कयती

परशन1- lsquoनभकrsquo ऩाि क आधाय ऩय फताइए कक सकपमा औय उसक बाई क पवचायो भ कमा अॊतय था

उततय- १-सकपमा बािनाओॊ को फहतभहतति दती ह ऩय उसका बाई फौवदधक परिनदतत का ह उसकी दनदरषट भ कानन बािनाओॊ स ऊऩय ह|

२-सकपमा भानिीम सॊफॊधो को फहत भहतति दती ह जफकक उसका बाई अरगाििादी विचायधाया का ह हहसस-फखय की फात कयता ह |

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३-सकपमा का बाई कहता ह कक अदीफो(साहहतमकाय) का हदभाग घभा हआ होता ह जफकक सकपमा जो सिमॊ अदीफ ह उसका भानना ह कक अगय सबी रोगो का हदभाग अदीफो की तयह घभा हआ होता तो दननमा कछ फहतय हो जाती |

परशन२- नभक र जात सभम सकफ़मा क भन भ कमा दपवधा थी

उततय-सकपमा समद भसरभान थी जो हय हार भ अऩना िामदा ननबात ह| ऩाककसतान स राहौयी नभक र जाकय िह अऩना िामदा ऩया कयना चाहती थी ऩयनदत जफ उस ऩता चरा कक कसटभ क ननमभो क अनसाय सीभाऩाय नभक र जाना िनदजयत ह तो िह दविधा भ ऩड़ गई | सकिमा का दिॊदि मह था कक िह अऩनी ससख भाॉ क सरए नभक कसटभ अधधकारयमो को फताकयर जाए मा नछऩाकय|

परशन३- ऩाि क आधाय ऩय सकपमा की चारयबतरक पवशषताएॉ फताइए |

उततय सॊकत ndash

१- बािक २- ईभानदाय ३- दढ़ननशचमी ४- ननडय ५- िामद को ननबान िारी ६- भानिीम भलमो को सिोऩरय भानन िारी साहहतमकाय

परशन ४- lsquoनभकrsquo ऩाि भ आए ककयदायो क भाधमभ स सऩषट कीजजए कक आज बी बायत औय ऩाककसतान की जनता क फीच भहबफत का नभकीन सवाद घरा हआ ह |

उततय ndash बर ही याजनीनतक औय धासभयक आधाय ऩय बायत औय ऩाककसतान को बौगोसरक रऩ स विबानदजत कय हदमा गमा ह रककन दोनो दशो क रोगो क रदम भ आज बी ऩायसऩरयक बाईचाया सौहादरय सनह औय सहानबनत विदमभान ह | याजनीनतक तौय ऩय बर ही सॊफॊध तनािऩणय हो ऩय साभानदजक तौय ऩय आज बी जनता क फीच भहबफत का नभकीन सिाद घरा हआ ह | अभतसय भ यहन िारी ससख फीफी राहौय को अऩना ितन कहती ह औय राहौयी नभक का सिाद नहीॊ बरा ऩाती | ऩाककसतान का कसटभ अधधकायी नभक की ऩडड़मा सकपमा को िाऩस दत हए कहता ह rdquoजाभा भनदसजद की सीहढ़मो को भया सराभ कहना |rdquo बायतीम सीभा ऩय तनात कसटभ अधधकायी ढाका की जभीन को औय िहाॉ क ऩानी क सिाद को नहीॊ बर ऩाता |

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गदमाॊश-आधारयत अथटगरहण सॊफॊधधत परशनोततय

गदमाॊश सॊकत- ऩाठndash नभक (ऩरषठ १३४)

सकपमा कसटभ क जॊगर स दोनो क हाथो भ थी |

(क) सकपमा कसटभ क जॉगर स ननकरकय दसय तरटपाभट ऩय आ गमी व वहीॊ खड़ यहndash इस वाकम भ lsquoवrsquo शबद का परमोग ककसक लरए ककमा गमा ह

उततय- महाॉ lsquoिrsquo शबद का परमोग ऩाककसतानी कसटभ अधधकायी क सरए ककमा गमा ह जो विबाजन स ऩिय हदलरी भ यहत थ औय आज बी हदलरी को ही अऩना ितन भानत ह |

(ख) तरटपाभट ऩय सकपमा को पवदा कयन कौन-कौन आए थ उनहोन सकपमा को कस पवदाई दी

उततय- परटपाभय ऩय सकपमा को विदा कयन उसक फहत साय सभतर सग सॊफॊधी औय बाई आए थ| उनदहोन ठॊडी साॉस बयत हए सबॊच हए होठो क साथ आॉस फहात हए सकपमा को विदाई दी |

(ग) अटायी भ यरगाड़ी भ कमा ऩरयवतटन हए उततय- अटायी भ यरगाड़ी स ऩाककसतानी ऩसरस उतयी औय हहनददसतानी ऩसरस सिाय हो गई|

(घ) कौन सी फात सकपमा की सभझ भ नहीॊ आ यही थी उततय- दोनो ओय एक सी जभीन एक जसा आसभान एक सी बारा एक सा ऩहनािा औय एक सी सयत क रोग कपय बी दोनो क हाथो भ बयी हई फॊदक ह |

17 लशयीष क पर

आचामट हजायी परसाद दपववदी

सायाॊश ndashlsquoआचामय हजायी परसाद दवििदीrsquo सशयीर को अदभत अिधत भानत ह कमोकक सॊनदमासी की बाॉनत िह सख-दख की धचॊता नहीॊ कयता गभी र िराय औय आॉधी भ बी अविचर खड़ा यहता ह सशयीर क िर क भाधमभ स भनरषम की अजम नदजजीविरा धमयशीरता औय कतयवमननरषठ फन यहन क भानिीम भलमो को सथावऩत ककमा गमा हरखक न सशयीर क कोभर परो औय कठोय परो क दिाया सऩरषट ककमा ह कक रदम की कोभरता फचान क सरए कबी-कबी वमिहाय की कठोयता बी आिशमक हो जाती ह| भहान कवि कासरदास औय कफीय बी सशयीर की तयह फऩयिाह अनासकत औय सयस थ तबी उनदहोन इतनी सनददय यचनाएॉ सॊसाय को दीॊ| गाॉधीजी क वमनदकतति भ बी कोभरता औय कठोयता का अदभत सॊगभ था | रखक सोचता ह कक हभाय दश भ जो भाय-काट अनदगनदाह रट-ऩाट खन-खचचय का फिॊडय ह कमा िह दश को नदसथय नहीॊ यहन दगा गराभी अशाॊनत औय वियोधी िाताियण क फीच अऩन ससदधाॊतो की या कयत हए गाॉधीजी जी नदसथय यह सक थ तो दश बी यह सकता ह जीन की परफर असबरारा क कायण

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विरभ ऩरयनदसथतमो भ बी महद सशयीर णखर सकता ह तो हभाया दश बी विरभ ऩरयनदसथनतमो भ नदसथय यह कय विकास कय सकता ह

परशन1-लसदध कीजजए कक लशयीष कारजमी अवधत की बाॉनत जीवन की अजमता क भॊतर का परचाय कयता ह

उततय- सशयीर कारजमी अिधत की बाॉनत जीिन की अजमता क भॊतर का परचाय कयता ह| जफ ऩथिी अनदगन क सभान तऩ यही होती ह िह तफ बी कोभर परो स रदा रहरहाता यहता ह|फाहयी गयभी धऩ िराय आॉधी र उस परबावित नहीॊ कयती इतना ही नहीॊ िह रॊफ सभम तक णखरा यहता ह | सशयीर विऩयीत ऩरयनदसथनतमो भ बी धमयशीर यहन तथा अऩनी अजम नदजजीविरा क साथ ननसऩह बाि स परचॊड गयभी भ बी अविचर खड़ा यहता ह

परशन२-आयगवध (अभरतास) की तरना लशयीष स कमो नहीॊ की जा सकती

उततय- सशयीर क पर बमॊकय गयभी भ णखरत ह औय आराढ़ तक णखरत यहत ह जफकक अभरतास का पर किर ऩनददरह-फीस हदनो क सरए णखरता ह | उसक फाद अभरतास क पर झड़ जात ह औय ऩड़ कपय स ठॉठ का ठॉठ हो जाता ह | अभरतास अलऩजीिी ह | विऩयीत ऩरयनदसथनतमो को झरता हआ ऊरषण िाताियण को हॉसकय झरता हआ सशयीर दीघयजीिी यहता ह | मही कायण ह कक सशयीर की तरना अभरतास स नहीॊ की जा सकती |

परशन३-लशयीष क परो को याजनताओॊ का रऩक कमो ठदमा गमा ह

उततय- सशयीर क पर उन फढ़ ढीठ औय ऩयान याजनताओॊ क परतीक ह जो अऩनी कसी नहीॊ छोड़ना चाहत | अऩनी अधधकाय-सरपसा क सरए नए मिा नताओॊ को आग नहीॊ आन दत | सशयीर क नए परो को जफयदसती ऩयान परो को धककमाना ऩड़ता ह | याजनीनत भ बी नई मिा ऩीढ़ी ऩयानी ऩीढ़ी को हयाकय सिमॊ सतता सॉबार रती ह |

परशन४- कार दवता की भाय स फचन का कमा उऩाम फतामा गमा ह

उततय- कार दिता कक भाय स फचन का अथय हndash भतम स फचना | इसका एकभातर उऩाम मह ह कक भनरषम नदसथय न हो| गनतशीर ऩरयितयनशीर यह | रखक क अनसाय नदजनकी चतना सदा ऊधियभखी (आधमातभ की ओय) यहती ह ि हटक जात ह |

परशन५- गाॉधीजी औय लशयीष की सभानता परकट कीजजए |

उततय- नदजस परकाय सशयीर धचरधचराती धऩ र िराय औय आॉधी भ बी अविचर खड़ा यहता ह अनासकत यहकय अऩन िाताियण स यस खीॊचकय सयस कोभर फना यहता ह उसी परकाय गाॉधी जी न बी अऩनी आॉखो क साभन आजादी क सॊगराभ भ अनदमाम बदबाि औय हहॊसा को झरा |

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उनक कोभर भन भ एक ओय ननयीह जनता क परनत असीभ करणा जागी िहीॊ ि अनदमामी शासन क वियोध भ डटकय खड़ हो गए |

गदमाॊश-आधारयत अथटगरहण सॊफॊधधत परशनोततय

गदमाॊश सॊकत- ऩाठ ndash सशयीर क पर (ऩरषठ १४७)

कासरदास सौदमय क िह इशाया ह |

(क) कालरदास की सौदमटndashदजषट की कमा पवशषता थी उततय-कासरदास की सौदमयndashदनदरषट फहत सकषभ अॊतबदी औय सॊऩणय थी| ि किर फाहयी रऩ-यॊग औय आकाय को ही नहीॊ दखत थ फनदलक अॊतभयन की सॊदयता क बी ऩायखी थ| कासरदास की सौदमय शायीरयक औय भानससक दोनो विशरताओॊ स मकत था |

(ख) अनासजकत का कमा आशम ह उततय- अनासनदकत का आशम ह- वमनदकतगत सख-द ख औय याग-दिर स ऩय यहकय सौदमय क िासतविक भभय को जानना |

(ग) कालरदास ऩॊत औय यवीॊिनाथ टगोय भ कौन सा गण सभान था भहाकवि कासरदास ससभतरानॊदन ऩॊत औय गरदि यिीॊदरनाथ टगोय तीनो नदसथयपरऻ औय अनासकत कवि थ | ि सशयीर क सभान सयस औय भसत अिधत थ |

(घ) यवीॊिनाथ याजोदमान क लसॊहदवाय क फाय भ कमा सॊदश दत ह याजोदमान क फाय भ यिीॊदरनाथ कहत ह याजोदमान का ससॊहदिाय ककतना ही सॊदय औय गगनचमफी कमो ना हो िह अॊनतभ ऩड़ाि नहीॊ ह| उसका सौदमय ककसी औय उचचतभ सौदमय की ओय ककमा गमा सॊकत भातर ह कक असरी सौदमय इस ऩाय कयन क फाद ह अत याजोदमान का ससॊहदिाय हभ आग फढ़न की परयणा दता ह |

18शरभ-पवबाजन औय जानत-परथा

िॉ० बीभयाव अॊफिकय

सायाॊश ndash इस ऩाठ भ रखक न जानतिाद क आधाय ऩय ककए जान िार बदबाि को सभम सभाज क सरए हाननकायक फतामा ह | जानत आधारयत शरभ विबाजन को असिाबाविक औय भानिता वियोधी फतामा गमा ह मह साभानदजक बदबाि को फढ़ाता ह जानतपरथा आधारयत शरभ विबाजन भ वमनदकत की रधच को भहतति नहीॊ हदमा जाता परसिरऩ वििशता क साथ अऩनाए

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Page 32: ISSUED BY KENDRIYA VIDYALAYA - DOWNLOADED FROM … Class XII Hindi Part B.pdfप्रश्न४ :-फादर क / फयन का गयीफ एि धनी िगय क्मा

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तकय शीरा ऩरयशरभी सॊघरयशीर

परशन 11-बजकतन क दगटणो का उलरख कय

उततय- गणो क साथ-साथ बनदकतन क वमनदकतति भ अनक दगयण बी ननहहत ह-

1 िह घय भ इधय-उधय ऩड़ रऩम-ऩस को बॊडाय घय की भटकी भ छऩा दती ह औय अऩन इस कामय को चोयी नहीॊ भानती

2 भहादिी क करोध स फचन क सरए बनदकतन फात को इधय-उधय कयक फतान को झठ नही भानती अऩनी फात को सही ससदध कयन क सरए िह तकय -वितकय बी कयती ह

3 िह दसयो को अऩनी इचछानसाय फदर दना चाहती ह ऩय सिमॊ बफरकर नही फदरती परशन 12 ननमनाॊककत बाषा-परमोगो का अथट सऩषट कीजजए-

ऩहरी कनमा क दो औय सॊसकयण कय िार- बनदकतन न अऩनी ऩहरी कनदमा क फाद उसक जसी दो औय कनदमाएॉ ऩदा कय दी अथायत बनदकतन क एक क फाद एक तीन फहटमाॉ ऩदा हो गमीॊ |

खोट लसकको की टकसार जसी ऩतनी- आज बी असशकषत गराभीण सभाज भ फहटमो को

खोटा ससकका कहा जाता ह बनदकतन न एक क फाद एक तीन फहटमाॉ ऩदा कय दी इससरए उस खोट ससकक को ढारन िारी भशीन कहा गमा

परशन 13-बजकतन ऩाि भ रखखका न सभाज की ककन सभसमाओॊ का उलरख ककमा ह

उततय- बनदकतन ऩाठ क भाधमभ स रणखका न बायतीम गराभीण सभाज की अनक सभसमाओॊ का उलरख ककमा ह-

1 रड़क-रड़ककमो भ ककमा जान िारा बदबाि 2 विधिाओॊ की सभसमा 3 नदमाम क नाभ ऩय ऩॊचामतो क दिाया नदसतरमो क भानिाधधकाय को कचरना 4 असशा औय अॊधविशिास

गदमाॊश-आधारयत अथटगरहण सॊफॊधधत परशनोततय

ऩरयिाय औय ऩरयनदसथनतमो क कायण सिबाि भ जो विरभताएॉ उतऩनदन हो गई ह उनक बीतय स एक सनह औय सहानबनत की आबा पटती यहती ह इसी स उसक सॊऩकय भ आनिार वमनदकत उसभ जीिन की सहज भासभयकता ही ऩात ह छातरािास की फासरकाओॊ भ स कोई अऩनी चाम

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फनिान क सरए दहरी ऩय फठी यहती ह कोई फाहय खडी भय सरए नाशत को चखकय उसक सिाद की वििचना कयती यहती ह भय फाहय ननकरत ही सफ धचडड़मो क सभान उड़ जाती ह औय बीतय आत ही मथासथान वियाजभान हो जाती ह इनदह आन भ रकािट न हो सॊबित इसी स बनदकतन अऩना दोनो जन का बोजन सिय ही फनाकय ऊऩय क आर भ यख दती ह औय खात सभम चौक का एक कोना धोकय ऩाकndashछत क सनातन ननमभ स सभझौता कय रती ह

भय ऩरयधचतो औय साहहनदतमक फॊधओॊ स बी बनदकतन विशर ऩरयधचत ह ऩय उनक परनत बनदकतन क समभान की भातरा भय परनत उनक समभान की भातरा ऩय ननबयय ह औय सदभाि उनक परनत भय सदभाि स नननदशचत होता ह इस सॊफॊध भ बनदकतन की सहज फवदध विनदसभत कय दन िारी ह

(क) बजकतन का सवबाव ऩरयवाय भ यहकय कसा हो गमा ह

उततय-विरभ ऩरयनदसथनतजनदम उसक उगर हठी औय दयागरही सिबाि क फािजद बनदकतन क बीतय सनह औय सहानबनत की आबा पटती यहती ह उसक सॊऩकय भ आन िार वमनदकत उसभ जीिन की सहज भासभयकता ही ऩात ह

(ख) बजकतन क ऩास छातरावास की छातराएॉ कमो आती ह

उततय- बनदकतन क ऩास कोई छातरा अऩनी चाम फनिान आती ह औय दहरी ऩय फठी यहती ह कोई भहादिी जी क सरए फन नाशत को चखकय उसक सिाद की वििचना कयती यहती ह भहादिी को दखत ही सफ छातराएॉ बाग जाती ह उनक जात ही कपय िाऩस आ जातीॊ ह बनदकतन का सहज-सनह ऩाकय धचडड़मो की तयह चहचहान रगती ह |

(ग) छातराओॊ क आन भ रकावट न िारन क लरए बजकतन न कमा उऩाम ककमा

उततय- छातराओॊ क आन भ रकािट न डारन क सरए बनदकतन न अऩन ऩाक-छत क ननमभ स सभझौता कय सरमा | बनदकतन अऩना दोनो िकत का खाना फनाकय सफह ही आर भ यख दती औय खात सभम चौक का एक कोना धोकय िहाॉ फठकय खा सरमा कयती थी ताकक छातराएॉ बफना योक-टोक क उसक ऩास आ सक

(घ) साठहतमकायो क परनत बजकतन क समभान का कमा भाऩदॊि ह

उततय-बनदकतन भहादिी क साहहनदतमक सभतर क परनत सदभाि यखती थी नदजसक परनत भहादिी सिमॊ सदभाि यखती थी | िह सबी स ऩरयधचत हऩय उनक परनत समभान की भातरा भहादिी जी क समभान की भातरा ऩय ननबयय कयती ह िह एक अदभत ढॊग स जान रती थी कक कौन ककतना समभान कयता ह उसी अनऩात भ उसका परापम उस दती थी

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12 फाजाय-दशटन

रखक- जनि कभाय

ऩाि का सायाॊश फाजाय-दशयन ऩाठ भ फाजायिाद औय उऩबोकतािाद क साथ-साथ अथयनीनत एिॊ दशयन स सॊफॊधधत परशनो को सरझान का परमास ककमा गमा ह फाजाय का जाद तबी असय कयता ह जफ भन खारी हो| फाजाय क जाद को योकन का उऩाम मह ह कक फाजाय जात सभम भन खारी ना हो भन भ रकषम बया हो| फाजाय की असरी कताथयता ह जरयत क िकत काभ आना| फाजाय को िही भनरषम राब द सकता ह जो िासति भ अऩनी आिशमकता क अनसाय खयीदना चाहता ह| जो रोग अऩन ऩसो क घभॊड भ अऩनी ऩचनदजॊग ऩािय को हदखान क सरए चीज खयीदत ह ि फाजाय को शतानी वमॊगम शनदकत दत ह| ऐस रोग फाजारऩन औय कऩट फढात ह | ऩस की मह वमॊगम शनदकत वमनदकत को अऩन सग रोगो क परनत बी कतघन फना सकती ह | साधायण जन का रदम रारसा ईरषमाय औय तरषणा स जरन रगता ह | दसयी ओय ऐसा वमनदकत नदजसक भन भ रश भातर बी रोब औय तरषणा नहीॊ ह सॊचम की इचछा नहीॊ ह िह इस वमॊगम-शनदकत स फचा यहता ह | बगतजी ऐस ही आतभफर क धनी आदशय गराहक औय फचक ह नदजन ऩय ऩस की वमॊगम-शनदकत का कोई असय नहीॊ होता | अनक उदाहयणो क दिाया रखक न मह सऩरषट ककमा ह कक एक ओय फाजाय रारची असॊतोरी औय खोखर भन िार वमनदकतमो को रटन क सरए ह िहीॊ दसयी ओय सॊतोरी भन िारो क सरए फाजाय की चभक-दभक उसका आकरयण कोई भहतति नहीॊ यखता

परशन१ - ऩचजजॊग ऩावय ककस कहा गमा ह फाजाय ऩय इसका कमा परबाव ऩड़ता ह

उततय- ऩचनदजॊग ऩािय का अथय ह खयीदन की शनदकत ऩचनदजॊग ऩािय क घभॊड भ वमनदकत हदखाि क सरए आिशमकता स अधधक खयीदायीकयता ह औय फाजाय को शतानी वमॊगम-शनदकत दता ह ऐस रोग फाजाय का फाजारऩन फढ़ात ह

परशन२ -रखक न फाजाय का जाद ककस कहा ह इसका कमा परबाव ऩड़ता ह

उततय- फाजाय की चभक-दभक क चॊफकीम आकरयण को फाजाय का जाद कहा गमा ह मह जाद आॊखो की याह कामय कयता ह फाजाय क इसी आकरयण क कायण गराहक सजी-धजी चीजो को आिशमकता न होन ऩय बी खयीदन को वििश हो जात ह

परशन३ -आशम सऩषट कय

भन खारी होना भन बया होना भन फॊद होना

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उततय-भन खारी होना- भन भ कोई नननदशचत िसत खयीदन का रकषम न होना ननरददशम फाजाय जाना औय वमथय की चीजो को खयीदकय राना

भन बया होना- भन रकषम स बया होना नदजसका भन बया हो िह बरीबाॉनत जानता ह कक उस फाजाय स कौन सी िसत खयीदनी ह अऩनी आिशमकता की चीज खयीदकय िह फाजाय को साथयकता परदान कयता ह

भन फॊद होना-भन भ ककसी बी परकाय की इचछा न होना अथायत अऩन भन को शनदम कय दना

परशन४ - lsquoजहाॉ तषणा ह फटोय यखन की सऩहा ह वहाॉ उस फर का फीज नहीॊ हrsquo महाॊ ककस फर की चचाट की गमी ह

उततय- रखक न सॊतोरी सिबाि क वमनदकत क आतभफरकी चचाय की ह दसय शबदो भ महद भन भ सॊतोर हो तो वमनदकत हदखाि औय ईरषमाय की बािना स दय यहता ह उसभ सॊचम कयन की परिनदतत नहीॊ होती

परशन५ - अथटशासतर अनीनतशासतर कफ फन जाता ह

उततय- जफ फाजाय भ कऩट औय शोरण फढ़न रग खयीददाय अऩनी ऩचधचॊग ऩािय क घभॊड भ हदखाि क सरए खयीददायी कय | भनरषमो भ ऩयसऩय बाईचाया सभापत हो जाए| खयीददाय औय दकानदाय एक दसय को ठगन की घात भ रग यह एक की हानन भ दसय को अऩना राब हदखाई द तो फाजाय का अथयशासतर अनीनतशासतर फन जाता ह ऐस फाजाय भानिता क सरए विडॊफना ह

परशन६-बगतजी फाजाय औय सभाज को ककस परकाय साथटकता परदान कय यह ह

उततय- बगतजी क भन भ साॊसारयक आकरयणो क सरए कोई तरषणा नहीॊ ह ि सॊचम रारच औय हदखाि स दय यहत ह फाजाय औय वमाऩाय उनक सरए आिशमकताओॊ की ऩनत य का साधन भातर ह बगतजी क भन का सॊतोर औय ननसऩह बाि उनको शररषठ उऩबोकता औय विकरता फनात ह

परशन ७ _ बगत जी क वमजकततव क सशकत ऩहरओॊ का उलरख कीजजए |

उततय-ननमनाॊककत बफॊद उनक वमनदकतति क सशकत ऩहर को उजागय कयत ह

ऩॊसायी की दकान स किर अऩनी जरयत का साभान (जीया औय नभक) खयीदना नननदशचत सभम ऩय चयन फचन क सरए ननकरना छह आन की कभाई होत ही चयन फचना फॊद कय दना फच हए चयन को फचचो को भफ़त फाॉट दना

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सबी काजम-जम याभ कहकय सिागत कयना फाजाय की चभक-दभक स आकवरयत न होना सभाज को सॊतोरी जीिन की सशा दना

परशन7-फाजाय की साथटकता ककसभ ह

उततय- भनरषम की आिशमकताओॊ की ऩनतय कयन भ ही फाजाय की साथयकता ह जो गराहक अऩनी आिशमकताओॊ की चीज खयीदत ह ि फाजाय को साथयकता परदान कयत ह जो विकरता गराहको का शोरण नहीॊ कयत औय छर-कऩट स गराहको को रबान का परमास नही कयत ि बी फाजाय को साथयक फनात ह

गदमाॊश-आधारयत अथटगरहण-सॊफॊधधत परशनोततय

फाजाय भ एक जाद ह िह जाद आॉख की तयह काभ कयता ह िह रऩ का जाद ह ऩय जस चॊफक का जाद रोह ऩय ही चरता ह िस ही इस जाद की बी भमायदा ह जफ बयी हो औय भन खारी हो ऐसी हारत भ जाद का असय खफ होता ह जफ खारी ऩय भन बया न हो तो बी जाद चर जाएगा भन खारी ह तो फाजाय की अनकानक चीजो का ननभॊतरण उस तक ऩहॉच जाएगा कहीॊ हई उस िकत जफ बयी तफ तो कपय िह भन ककसकी भानन िारा ह भारभ होता ह मह बी रॉ िह बी रॉ सबी साभान जरयी औय आयाभ को फढ़ान िारा भारभ होता ह ऩय मह सफ जाद का असय ह जाद की सिायी उतयी कक ऩता चरता ह कक प सी-चीजो की फहतामत आयाभ भ भदद नहीॊ दती फनदलक खरर ही डारती ह थोड़ी दय को सिासबभान को जरय सक सभर जाता ह ऩय इसस असबभान को धगलटी की खयाक ही सभरती ह जकड़ यशभी डोयी की हो तो यशभ क सऩशय क भरामभ क कायण कमा िह कभ जकड़ दगी

ऩय उस जाद की जकड़ स फचन का एक सीधा उऩाम ह िह मह कक फाजाय जाओ तो खारी भन न हो भन खारी हो तफ फाजाय न जाओ कहत ह र भ जाना हो तो ऩानी ऩीकय जाना चाहहए ऩानी बीतय हो र का रऩन वमथय हो जाता ह भन रकषम स बया हो तो फाजाय परा का परा ही यह जाएगा तफ िह घाि बफरकर नहीॊ द सकगा फनदलक कछ आनॊद ही दगा तफ फाजाय तभस कताथय होगा कमोकक तभ कछ न कछ सचचा राब उस दोग फाजाय की असरी कताथयता ह आिशमकता क सभम काभ आना

परशन-1 फाजाय क जाद को रखक न कस सऩषट ककमा ह

उततय- फाजाय क रऩ का जाद आॉखो की याह स काभ कयता हआ हभ आकवरयत कयता ह फाजाय का जाद ऐस चरता ह जस रोह क ऊऩय चॊफक का जाद चरता ह चभचभाती योशनी भ सजी

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प सी चीॊज गराहक को अऩनी ओय आकवरयत कयती ह| इसी चमफकीम शनदकत क कायण वमनदकत कपजर साभान को बी खयीद रता ह |

परशन-2 जफ बयी हो औय भन खारी तो हभायी कमा दशा होती ह

उततय- जफ बयी हो औय भन खारी हो तो हभाय ऊऩय फाजाय का जाद खफ असय कयता ह भन खारी ह तो फाजाय की अनकानक चीजो का ननभॊतरण भन तक ऩहॉच जाता ह औय उस सभम महद जफ बयी हो तो भन हभाय ननमॊतरण भ नहीॊ यहता

परशन-3 प सी चीजो की फहतामत का कमा ऩरयणाभ होता ह

उततय- प सी चीज आयाभ की जगह आयाभ भ वमिधान ही डारती ह थोड़ी दय को असबभान को जरय सक सभर जाती ह ऩय हदखाि की परिनदतत भ िवदध होती ह

परशन-4 जाद की जकड़ स फचन का कमा उऩाम ह

उततय- जाद की जकड़ स फचन क सरए एक ही उऩाम ह िह मह ह कक फाजाय जाओ तो भन खारी न हो भन खारी हो तो फाजाय भत जाओ

13 कार भघा ऩानी द

रखक-धभटवीय बायती

ऩाि का सायाॊश -lsquoकार भघा ऩानी दrsquo ननफॊध रोकजीिन क विशिास औय विऻान क तकय ऩय आधारयत ह जफ बीरण गभी क कायण वमाकर रोग िराय कयान क सरए ऩजा-ऩाठ औय कथा-विधान कय थकndashहाय जात ह तफ िराय कयान क सरए अॊनतभ उऩाम क रऩ भ इनददय सना ननकरती ह| इनददय सना नॊग-धड़ॊग फचचो की टोरी ह जो कीचड़ भ रथऩथ होकय गरी-भोहलर भ ऩानी भाॉगन ननकरती ह| रोग अऩन घय की छतो-णखड़ककमो स इनददय सना ऩय ऩानी डारत ह | रोगो की भानदमता ह कक इनददर फादरो क सिाभी औय िराय क दिता ह| इनददर की सना ऩय ऩानी डारन स इनददर बगिान परसनदन होकय ऩानी फयसाएॊग | रखक का तकय ह कक जफ ऩानी की इतनी कभी ह तो रोग भनदशकर स जभा ककए ऩानी को फालटी बय-बयकय इनददय सना ऩय डारकय ऩानी को कमो फफायद कयत ह आमयसभाजी विचायधाया िारा रखक इस अॊधविशिास भानता ह | इसक विऩयीत रखक की जीजी उस सभझाती ह कक मह ऩानी की फफायदी नहीॊ फनदलक ऩानी की फिाई ह | कछ ऩान क सरए कछ दना ऩड़ता ह | तमाग क बफना दान नहीॊ होता| परसतत ननफॊध भ रखक न भरषटाचाय की सभसमा को उठात हए कहा ह कक जीिन भ कछ ऩान क सरए तमाग आिशमक ह जो रोग तमाग औय दान की भहतता को नहीॊ भानत ि ही भरषटाचाय भ सरपत यहकय दश औय सभाज को रटत ह| जीजी की आसथा बािनातभक सचचाई को ऩरषट कयती ह औय तकय किर िऻाननक तथम को सतम भानता ह जहाॉ तकय मथाथय क

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कठोय धयातर ऩय सचचाई को ऩयखता ह तो िहीॊ आसथा अनहोनी फात को बी सिीकाय कय भन को सॊसकारयत कयती ह बायत की सितॊतरता क ५० सार फाद बी दश भ वमापत बरषटाचाय औय सिाथय की बािना को दखकय रखक दखी ह | सयकाय दिाया चराई जा यही मोजनाएॉ गयीफो तक कमो नहीॊ ऩहॉच ऩा यहीॊ ह कार भघा क दर उभड़ यह ह ऩय आज बी गयीफ की गगयी पटी हई कमो ह रखक न मह परशन ऩाठको क सरए छोड़ हदमा ह |

परशन1-इनदय सना घय-घय जाकय ऩानी कमो भाॉगती थी

उततय- गाॉि क रोग फारयश क सरए बगिान इॊदर स पराथयना ककमा कयत थ जफ ऩजा-ऩाठवरत आहद उऩाम असिर हो जात थ तो बगिान इॊदर को परसनदन कयन क सरए गाॉि क ककशोय फचच कीचड़ भ रथऩथ होकय गरी-गरी घभकय रोगो स ऩानी भाॉगत थ

परशन2-इनदयसना को रखक भढक-भॊिरी कमो कहता ह जीजी क फायndashफाय कहन ऩय बी वह इनदयसना ऩय ऩानी प कन को याजी कमो नहीॊ होता

उततय- इनददयसना का कामय आमयसभाजी विचायधाया िार रखक को अॊधविशिास रगता ह उसका भानना ह कक महद इॊदयसना दिता स ऩानी हदरिा सकती ह तो सिमॊ अऩन सरए ऩानी कमो नहीॊ भाॉग रती ऩानी की कभी होन ऩय बी रोग घय भ एकतर ककम हए ऩानी को इॊदयसना ऩय ि कत ह रखक इस ऩानी की ननभयभ फयफादी भानता ह

परशन3- रि हए रखक को जीजी न ककस परकाय सभझामा

उततय- जीजी न रखक को पमाय स रडड-भठयी णखरात हए ननमन तकय हदए-

1- तमाग का भहततव- कछ ऩान क सरए कछ दना ऩड़ता ह 2- दान की भहतता- कवर-भननमो न दान को सफस ऊॉ चा सथान हदमा ह जो चीज अऩन

ऩास बी कभ हो औय अऩनी आिशमकता को बरकय िह चीज दसयो को दान कय दना ही तमाग ह |

3- इॊिदव को जर का अधमट चिाना- इॊदयसना ऩय ऩानी ि कना ऩानी की फयफादी नहीॊ फनदलक इॊदरदि को जर का अधमय चढ़ाना ह

4- ऩानी की फवाई कयना- नदजस परकाय ककसान िसर उगान क सरए जभीन ऩय फीज डारकय फिाई कयता ह िस ही ऩानी िार फादरो की िसर ऩान क सरए इनददय सना ऩय ऩानी डार कय ऩानी की फिाई की जाती ह

परशन4-नठदमो का बायतीम साभाजजक औय साॊसकनतक ऩरयवश भ कमा भहतव ह

उततय- गॊगा बायतीम सभाज भ सफस ऩजम सदानीया नदी ह नदजसका बायतीम इनतहास भ धासभयक ऩौयाणणक औय साॊसकनतक भहति ह | िह बायतीमो क सरए किर एक नदी नहीॊ अवऩत

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भाॉ ह सिगय की सीढ़ी ह भोदानमनी ह उसभ ऩानी नहीॊ अवऩत अभत तलम जर फहता ह बायतीम सॊसकनत भ नहदमो क ककनाय भानि सभमताएॉ परी-परी ह| फड़-फड़ नगय तीथयसथान नहदमो क ककनाय ही नदसथत ह ऐस ऩरयिश भबायतिासी सफस ऩहर गॊगा भमा की जम ही फोरग नहदमाॉ हभाय जीिन का आधाय ह हभाया दश कवर परधान ह नहदमो क जर स ही बायत बसभ हयी-बयी ह नहदमो क बफना जीिन की कलऩना नहीॊ कय सकत मही कायण ह कक हभ बायतीम नहदमो की ऩजा कयत ह |

परशन4-आजादी क ऩचास वषो क फाद बी रखक कमो दखी ह उसक भन भ कौन स परशन उि यह ह

उततय- आजादी क ऩचास िरो फाद बी बायतीमो की सोच भ सकायातभक फदराि न दखकय रखक दखी ह उसक भन भ कई परशन उठ यह ह-

1 कमा हभ सचच अथो भ सितनदतर ह 2 कमा हभ अऩन दश की सॊसकनत औय सभमता को सभझ ऩाए ह 3 यारषर ननभायण भ हभ ऩीछ कमो ह हभ दश क सरए कमा कय यह ह

4 हभ सिाथय औय भरषटाचाय भ सरपत यहत ह तमाग भ विशिास कमो नहीॊ कयत

5 सयकाय दिाया चराई जा यही सधायिादी मोजनाएॉ गयीफो तक कमो नहीॊ ऩहॉचती ह

गदमाॊश ऩय आधारयत अथटगरहण-सॊफॊधधत परशनोततय

सचभच ऐस हदन होत जफ गरी-भहलरा गाॉि-शहय हय जगह रोग गयभी भ बन-बन कय तराहहभाभ कय यह होत जठ क दसतऩा फीतकय आराढ का ऩहरा ऩखिाड़ा फीत चका होता ऩय कषनतज ऩय कहीॊ फादरो की यख बी नहीॊ दीखती होती कएॉ सखन रगत नरो भ एक तो फहत कभ ऩानी आता औय आता बी तो आधी यात को िो बी खौरता हआ ऩानी हो | शहयो की तरना भ गाॉि भ औय बी हारत खयाफ थी| जहाॉ जताई होनी चाहहए थी िहाॉ खतो की सभटटी सखकय ऩतथय हो जाती कपय उसभ ऩऩड़ी ऩड़कय जभीन पटन रगती र ऐसी कक चरत-चरत आदभी धगय ऩड़ | ढोय-डॊगय पमास क भाय भयन रगत रककन फारयश का कहीॊ नाभ ननशान नहीॊ ऐस भ ऩजा-ऩाठ कथा-विधान सफ कयक रोग जफ हाय जात तफ अॊनतभ उऩाम क रऩ भ ननकरती मह इनददय सना |

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परशन१- वषाट न होन ऩय रोगो की कमा जसथनत हो गमी थी उततय - िराय न होन ऩय गयभी क कायण रोग र रगन स फहोश होन रग | गाॉि-शहय सबी जगह ऩानी का अबाि हो गमा| कएॉ सख गए खतो की सभटटी सखकय ऩतथय क सभान कठोय होकय पट गमी| घयो भ नरो भ ऩानी फहत कभ आता था | ऩश पमास क भाय भयन रग थ | परशन२- वषाट क दवता कौन ह उनको परसनन कयन क लरए कमा उऩाम ककए जात थ उततय -िराय क दिता बगिान इनददर ह| उनको परसनदन कयन क सरए ऩजाndashऩाठ कथा-विधान कयाए जात थ | ताकक इनददर दि परसनदन होकय फादरो की सना बजकय झभाझभ फारयश कयाएॉ औय रोगो क करषट दय हो | परशन३- वषाट कयान क अॊनतभ उऩाम क रऩ भ कमा ककमा जाता था उततय ndashजफ ऩजा-ऩाठ कथा-विधान सफ कयक रोग हाय जात थ तफ अॊनतभ उऩाम क रऩ भ इनददय सना आती थी | नॊग-धडॊग कीचड़ भ रथऩथ lsquoकार भघा ऩानी द ऩानी द गड़धानी दrsquo की टय रगाकय पमास स सखत गरो औय सखत खतो क सरए भघो को ऩकायती हई टोरी फनाकय ननकर ऩड़ती थी| परशन४-आशम सऩषट कय ndash जठ क दसतऩा फीतकय आराढ़ का ऩहरा ऩखिाड़ा फीत चका होता ऩय कषनतज भ कहीॊ फादरो की यख बी नजय नहीॊ आती | आशम- जठ का भहीना ह बीरण गयभी ह| तऩत हए दस हदन फीत कय आराढ का भहीना बी आधा फीत गमा ऩय ऩानी क सरए तड़ऩत िराय की आशा भ आसभान की ओय ताकत रोगो को कहीॊ फादर नजय नहीॊ आ यह |

14 ऩहरवान की ढोरक

फ़णीशवयनाथ यण

ऩाि का सायाॊश ndashआॊचसरक कथाकाय िणीशियनाथ यण की कहानी ऩहरिान की ढोरक भ कहानी क भखम ऩातर रटटन क भाता-वऩता का दहाॊत उसक फचऩन भ ही हो गमा था | अनाथ रटटन को उसकी विधिा सास न ऩार-ऩोसकय फड़ा ककमा | उसकी सास को गाॉि िार सतात थ |

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रोगो स फदरा रन क सरए कशती क दाॉिऩच सीखकय कसयत कयक रटटन ऩहरिान फन गमा |

एक फाय रटटन शमाभनगय भरा दखन गमा जहाॉ ढोर की आिाज औय कशती क दाॉिऩच दखकय उसन जोश भ आकय नाभी ऩहरिान चाॉदससॊह को चनौती द दी | ढोर की आिाज स परयणा ऩाकय रटटन न दाॉि रगाकय चाॉद ससॊह को ऩटककय हया हदमा औय याज ऩहरिान फन गमा | उसकी खमानत दय-दय तक िर गमी| १५ िरो तक ऩहरिान अजम फना यहा| उसक दो ऩतर थ| रटटन न दोनो फटो को बी ऩहरिानी क गय ससखाए| याजा की भतम क फाद नए याजकभाय न गददी सॊबारी याजकभाय को घोड़ो की यस का शौक था भनजय न नम याजा को बड़कामा ऩहरिान औय उसक दोनो फटो क बोजनखचय को बमानक औय किजरखचय फतामा िरसिरऩ नए याजा न कशती को फॊद कयिा हदमा औय ऩहरिान रटटनससॊह को उसक दोनो फटो क साथ भहर स ननकार हदमा

याजदयफाय स ननकार हदए जान क फाद रटटन ससॊह अऩन दोनो फटो क साथ गाॉि भ झोऩड़ी फनाकय यहन रगा औय गाॉि क रड़को को कशती ससखान रगा| रटटन का सकर जमादा हदन नहीॊ चरा औय जीविकोऩाजयन क सरए उसक दोनो फटो को भजदयी कयनी ऩड़ी| इसी दौयान गाॉि भ अकार औय भहाभायी क कायण परनतहदन राश उठन रगी| ऩहरिान भहाभायी स डय हए रोगो को ढोरक फजाकय फीभायी स रड़न की सॊजीिनी ताकत दता था| एक हदन ऩहरिान क दोनो फट बी भहाभायी की चऩट भ आकय भय गए ऩय उस यात बी ऩहरिान ढोरक फजाकय रोगो को हहमभत फॊधा यहा था | इस घटना क चाय-ऩाॉच हदन फाद ऩहरिान की बी भौत हो जाती ह|

ऩहरिान की ढोरक वमिसथा क फदरन क साथ रोक कराकाय क अपरासॊधगक हो जान की कहानी ह इस कहानी भ रटटन नाभ क ऩहरिान की हहमभत औय नदजजीविरा का िणयन ककमा गमा ह बख औय भहाभायी अजम रटटन की ऩहरिानी को िट ढोर भ फदर दत ह इस करण तरासदी भ ऩहरिान रटटन कई सिार छोड़ जाता ह कक करा का कोई सितॊतर अनदसतति ह मा करा किर वमिसथा की भोहताज ह

परशन1- रटटन को ऩहरवान फनन की परयणा कस लभरी

उततय- रटटन जफ नौ सार का था तो उसक भाता-वऩता का दहाॊत हो गमा था | सौबागम स उसकी शादी हो चकी थी| अनाथ रटटन को उसकी विधिा सास न ऩार-ऩोसकय फड़ा ककमा | उसकी सास को गाॉि िार ऩयशान कयत थ| रोगो स फदरा रन क सरए उसन ऩहरिान फनन की ठानी| धायोरषण दध ऩीकय कसयत कय उसन अऩना फदन गठीरा औय ताकतिय फना सरमा | कशती क दाॉिऩच सीखकय रटटन ऩहरिान फन गमा |

परशन2- यात क बमानक सननाट भ रटटन की ढोरक कमा करयशभा कयती थी

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उततय- यात क बमानक सनदनाट भरटटन की ढोरक भहाभायी स जझत रोगो को हहमभत फॉधाती थी | ढोरक की आिाज स यात की विबीवरका औय सनदनाटा कभ होता था| भहाभायी स ऩीडड़त रोगो की नसो भ बफजरी सी दौड़ जाती थी उनकी आॉखो क साभन दॊगर का दशम साकाय हो जाता था औय ि अऩनी ऩीड़ा बर खशी-खशी भौत को गर रगा रत थ इस परकाय ढोर की आिाज फीभाय-भतपराम गाॉििारो की नसो भ सॊजीिनी शनदकत को बय फीभायी स रड़न की परयणा दती थी

परशन3- रटटन न सवाटधधक ठहमभत कफ ठदखाई

उततय- रटटन ससॊह न सिायधधक हहमभत तफ हदखाई जफ दोनो फटो की भतम ऩय िह योमा नहीॊ फनदलक हहमभत स काभ रकय अकर उनका अॊनतभ सॊसकाय ककमा| मही नहीॊ नदजस हदन ऩहरिान क दोनो फट भहाभायी की चऩट भ आकय भय गए ऩय उस यात को बी ऩहरिान ढोरक फजाकय रोगो को हहमभत फॉधा यहा था| शमाभनगय क दॊगर भ ऩया जनसभदाम चाॉद ससॊह क ऩ भ था चाॉद ससॊह को हयात सभम रटटन न हहमभत हदखाई औय बफना हताश हए दॊगर भ चाॉद ससॊह को धचत कय हदमा |

परशन4- रटटन लसॊह याज ऩहरवान कस फना

उततय- शमाभनगय क याजा कशती क शौकीन थ उनदहोन दॊगर का आमोजन ककमा ऩहरिान रटटन ससॊह बी दॊगर दखन ऩहॉचा चाॊदससॊह नाभक ऩहरिान जो शय क फचच क नाभ स परससदध था कोई बी ऩहरिान उसस सबड़न की हहमभत नहीॊ कयता था चाॉदससॊह अखाड़ भ अकरा गयज यहा था रटटन ससॊह न चाॉदससॊह को चनौती द दी औय चाॉदससॊह स सबड़ गमाढ़ोर की आिाज सनकय रटटन की नस-नस भ जोश बय गमाउसन चाॉदससॊह को चायो खान धचत कय हदमा याजासाहफ न रटटन की िीयता स परबावित होकय उस याजऩहरिान फना हदमा

परशन5- ऩहरवान की अॊनतभ इचछा कमा थी

उततय- ऩहरिान की अॊनतभ इचछा थी कक उस धचता ऩय ऩट क फर सरटामा जाए कमोकक िह नदजॊदगी भ कबी धचत नहीॊ हआ था| उसकी दसयी इचछा थी कक उसकी धचता को आग दत सभम ढोर अिशम फजामा जाए |

परशन6- ढोर की आवाज औय रटटन क भ दाॉिऩच सॊफॊध फताइए-

उततय- ढोर की आिाज औय रटटन क दाॉिऩच भ सॊफॊध -

चट धा धगड़ धाrarr आजा सबड़ जा | चटाक चट धाrarr उठाकय ऩटक द | चट धगड़ धाrarrभत डयना |

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धाक धधना नतयकट नतनाrarr दाॉि काटो फाहय हो जाओ | धधना धधना धधक धधनाrarr धचत कयो

गदमाॊश-आधारयत अथटगरहण-सॊफॊधधत परशनोततय

अॉधयी यात चऩचाऩ आॉस फहा यही थी | ननसतबधता करण सससककमो औय आहो को अऩन रदम भ ही फर ऩियक दफान की चरषटा कय यही थी | आकाश भ ताय चभक यह थ | ऩथिी ऩय कहीॊ परकाश का नाभ नहीॊ| आकाश स टट कय महद कोई बािक ताया ऩथिी ऩय आना बी चाहता तो उसकी जमोनत औय शनदकत यासत भ ही शर हो जाती थी | अनदम ताय उसकी बािकता अथिा असपरता ऩय णखरणखराकय हॉस ऩड़त थ | ससमायो का करॊ दन औय ऩचक की डयािनी आिाज यात की ननसतबधता को बॊग कयती थी | गाॉि की झोऩडडमो स कयाहन औय क कयन की आिाज हय याभ ह बगिान की टय सनाई ऩड़ती थी| फचच बी ननफयर कॊ ठो स भाॉ ndashभाॉ ऩकायकय यो ऩड़त थ |

(क) अॉधयी यात को आॉस फहात हए कमो ठदखामा गमा ह उततयndash गाॉि भ हजा औय भररयमा परा हआ था | भहाभायी की चऩट भ आकाय रोग भय यह थ |चायो ओय भौत का सनाटा छामा था इससरए अॉधयी यात बी चऩचाऩ आॉस फहाती सी परतीत हो यही थी|

(ख) ताय क भाधमभ स रखक कमा कहना चाहता ह उततयndash ताय क भाधमभ स रखक कहना चाहता ह कक अकार औय भहाभायी स तरसत गाॉि िारो की ऩीड़ा को दय कयन िारा कोई नहीॊ था | परकनत बी गाॉि िारो क द ख स दखी थी| आकाश स टट कय महद कोई बािक ताया ऩथिी ऩय आना बी चाहता तो उसकी जमोनत औय शनदकत यासत भ ही शर हो जाती थी |

(ग) यात की ननसतबधता को कौन बॊग कयता था उततयndash ससमायो की चीख-ऩकाय ऩचक की डयािनी आिाज औय कततो का साभहहक रदन सभरकय यात क सनदनाट को बॊग कयत थ |

(घ) झोऩड़ड़मो स कसी आवाज आ यही ह औय कमो उततयndash झोऩडड़मो स योधगमो क कयाहन क कयन औय योन की आिाज आ यही ह कमोकक गाॉि क रोग भररयमा औय हज स ऩीडड़त थ | अकार क कायण अनदन की कभी हो गमी थी| औरधध औय ऩथम न सभरन क कायण रोगो की हारत इतनी फयी थी कक कोई बगिान को ऩकाय रगाता था तो कोई दफयर कॊ ठ स भाॉndashभाॉ ऩकायता था |

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15 चारी चजतरन मानी हभ सफ

रखक-पवषण खय

ऩाि का सायाॊश ndashचारक चनदपरन न हासम कराकाय क रऩ भ ऩयी दननमा क फहत फड़ दशयक िगय को हॉसामा ह | उनकी कपलभो न कपलभ करा को रोकताॊबतरक फनान क साथ-साथ दशको की िगय औय िणय-वमिसथा को बी तोड़ा | चारक न करा भ फवदध की अऩा बािना को भहतति हदमा ह | फचऩन क सॊघरो न चारक क बािी कपलभो की बसभ तमाय कय दी थी| बायतीम करा औय सौदमयशासतर भ करणा का हासम भ ऩरयितयन बायतीम ऩयमऩया भ नहीॊ सभरता रककन चारक एक ऐसा जादई वमनदकतति ह जो हय दश सॊसकनत औय सभमता को अऩना सा रगता ह| बायतीम जनता न बी उनदह सहज बाि स सिीकाय ककमा ह| सिमॊ ऩय हॉसना चारक न ही ससखामा| बायतीम ससनभा जगत क सपरससदध कराकाय याजकऩय को चारक का बायतीमकयण कहा गमा ह | चारक की अधधकाॊश किलभ भक ह इससरए उनदह अधधक भानिीम होना ऩड़ा | ऩाठ भ हासम कपलभो क भहान असबनता lsquoचारक चनदपरनrsquo की जादई विशरताओॊ का उलरख ककमा गमा ह नदजसभ उसन करणा औय हासम भ साभॊजसम सथावऩत कय किलभो को साियबौसभक रऩ परदान ककमा

परशन१ -चारी क जीवन ऩय परबाव िारन वारी भखम घटनाएॉ कौन सी थी

उततय- चारक क जीिन भ दो ऐसी घटनाएॉ घटीॊ नदजनदहोन उनक बािी जीिन ऩय फहत परबाि डारा |

ऩहरी घटना - जफ चारक फीभाय थ उनकी भाॉ उनदह ईसा भसीह की जीिनी ऩढ़कय सना यही थी | ईसा क सरी ऩय चढ़न क परसॊग तक आत-आत भाॉ-फटा दोनो ही योन रग| इस घटना न चारक को सनह करणा औय भानिता जस उचच जीिन भलम हदए |

दसयी घटना हndash फारक चारक कसाईखान क ऩास यहता था| िहाॉ सकड़ो जानियो को योज भाया जाता था| एक हदन एक बड़ िहाॉ स बाग ननकरी| बड़ को ऩकड़न की कोसशश भ कसाई कई फाय कपसरा| नदजस दखकय रोग हॊसन रग ठहाक रगान रग| जफ बड़ को कसाई न ऩकड़ सरमा तो फारक चारक योन रगा| इस घटना न उसक बािी कपलभो भ तरासदी औय हासमोतऩादक ततिो की बसभका तम कय दी |

परशन२ ndash आशम सऩषट कीजजएndash

चजतरन न लसपट कपलभकरा को ही रोकताॊबतरक नही फनामा फजलक दशटको की वगट तथा वणट-वमवसथा को बी तोड़ा|

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उततय- रोकताॊबतरक फनान का अथय ह कक कपलभ करा को सबी क सरए रोकवपरम फनाना औय िगय औय िणय-वमिसथा को तोड़न का आशम ह- सभाज भ परचसरत अभीय-गयीफ िणय जानतधभय क बदबाि को सभापत कयना |चनदपरन का चभतकाय मह ह कक उनदहोन कपलभकरा को बफना ककसी बदबाि क सबी रोगो तक ऩहॉचामा| उनकी कपलभो न सभम बगोर औय सॊसकनतमो की सीभाओॊ को राॉघ कय साियबौसभक रोकवपरमता हाससर की | चारक न मह ससदध कय हदमा कक करा सितनदतर होती ह अऩन ससदधाॊत सिमॊ फनाती ह |

परशन३ndash चारी चजतरन की कपलभो भ ननठहत तरासदीकरणाहासम का साभॊजसम बायतीम करा औय सौदमटशासतर की ऩरयधध भ कमो नहीॊ आता

उततय- चारक चनदपरन की कपलभो भ ननहहत तरासदीकरणाहासम का साभॊजसम बायतीम करा औय सौदमयशासतर की ऩरयधध भ नहीॊ आताकमोकक बायतीम यस-ससदधाॊत भ करणा औय हासम का भर नहीॊ हदखामा जाता कमोकक बायतीम सौदमयशासतर भ करणयस औय हासम यस को ऩयसऩय वियोधी भाना गमा ह अथायत जहाॊ करणा ह िहाॉ हासम नहीॊ हो सकता बायत भ सिमॊ ऩय हॉसन की ऩयॊऩया नहीॊ ह ऩयॊत चारक क ऩातर अऩन ऩय हॉसतndashहॉसात ह चारक की किलभो क दशम हॉसात-हॉसात ररा दत ह तो कबी करण दशम क फाद अचानक ही हॉसन ऩय भजफय कय दत ह

परशन४ndash चारी क कपलभो की पवशषताएॉ फताइए |

उततय- चारक की किलभो भ हासम औय करणा का अदभत साभॊजसम ह उनकी किलभो भ बारा का परमोग फहत कभ ह चारक की किलभो भ फवदध की अऩा बािना का भहतति अधधक ह उनकी किलभो भ साियबौसभकता ह चारक ककसी बी सॊसकनत को विदशी नही रगत चारक सफको अऩन रगत ह चारक न किलभो को रोकताॊबतरक फनामा औय किलभो भ िगय तथािणय-वमिसथा को तोड़ा अऩनी कपलभो भ चारक सदि धचय मिा हदखता ह

गदमाॊश-आधारयत अथटगरहण-सॊफॊधी परशनोततय

गदमाॊश सॊकत ndashचारक चनदपरन मानी हभ सफ (ऩरषठ १२० )

महद मह िरय चनदपरन की कापी कछ कहा जाएगा |

परशन (क)-पवकासशीर दशो भ चजतरन कमो भशहय हो यह ह

उततय - विकासशीर दशो भ जस-जस टरीविजन औय िीडडमो का परसाय हो यहा ह रोगो को उनकी कपलभो को दखन का अिसय सभर यहा ह |एक फहत फड़ा िगय नए ससय स चारक को घड़ी सधायत औय जत खान की कोसशश कयत दख यहा ह इसीसरए चारक विकासशीर दशो भ रोकवपरम हो यह ह |

(ख)- ऩजशचभ भ चारी का ऩनजीवन कस होता यहता ह

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उततय - ऩनदशचभ भ चारक की कपलभो का परदशयन होता यहता ह| उनकी करा स परयणा ऩाकय हासम किलभ फनती यहती ह | उनक दिाया ननबाए ककयदायो की नकर अनदम कराकाय कयत ह | ऩनदशचभ भ चारक का ऩनजीिन होता यहता ह|

(ग)- चारी को रोग फिाऩ तक कमो माद यखग

उततय ndashहासम कराकाय क रऩ भ रोग चारक को फढ़ाऩ तक माद यखग कमोकक उनकी करा सभम बगोर औय सॊसकनतमो की सीभाओॊ को राॉघकय राखो रोगो को हॉसा यही ह|

(घ)- चारी की कपलभो क फाय भ कापी कछ कहा जाना कमो फाी ह

उततय ndashचनदपरन की ऐसी कछ किलभ मा इसतभार न की गमी यीर सभरी ह नदजनक फाय भ कोई नहीॊ जानता था | चारक की बािनापरधान हासम कपलभो न करा क नए परनतभान सथावऩत ककए ह अत चारक की कपलभो क फाय भ अबी कापी कछ कहा जाना फाी ह|

16 नभक

रखखका - यजजमा सजजाद जहीय

सायाॊश -lsquoनभकrsquoबायत-ऩाक विबाजन ऩय सरणखत भासभयक कहानी ह | विसथावऩत हए रोगो भ अऩनndashअऩन जनदभ सथानो क परनत आज बी रगाि ह| धासभयक आधाय ऩय फनी यारषर-याजमो की सीभा-यखाएॉ उनक अॊतभयन को अरग नहीॊ कय ऩाई ह | बायत भ यहन िारी ससख फीिी राहौय को अऩना ितन भानती ह औय बायतीम कसटभ अधधकायी ढाका क नारयमर ऩानी को मादकय उस सियशररषठ फताता ह दोनो दशो क नागरयको क फीच भहबफत का नभकीन सिाद आज बी कामभ ह इसीसरए सकिमा बायत भ यहन िारी अऩनी भॉहफोरी भाॉ ससख फीिी क सरए राहौयी नभक रान क सरए कसटभ औय कानन की ऩयिाह नहीॊ कयती

परशन1- lsquoनभकrsquo ऩाि क आधाय ऩय फताइए कक सकपमा औय उसक बाई क पवचायो भ कमा अॊतय था

उततय- १-सकपमा बािनाओॊ को फहतभहतति दती ह ऩय उसका बाई फौवदधक परिनदतत का ह उसकी दनदरषट भ कानन बािनाओॊ स ऊऩय ह|

२-सकपमा भानिीम सॊफॊधो को फहत भहतति दती ह जफकक उसका बाई अरगाििादी विचायधाया का ह हहसस-फखय की फात कयता ह |

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३-सकपमा का बाई कहता ह कक अदीफो(साहहतमकाय) का हदभाग घभा हआ होता ह जफकक सकपमा जो सिमॊ अदीफ ह उसका भानना ह कक अगय सबी रोगो का हदभाग अदीफो की तयह घभा हआ होता तो दननमा कछ फहतय हो जाती |

परशन२- नभक र जात सभम सकफ़मा क भन भ कमा दपवधा थी

उततय-सकपमा समद भसरभान थी जो हय हार भ अऩना िामदा ननबात ह| ऩाककसतान स राहौयी नभक र जाकय िह अऩना िामदा ऩया कयना चाहती थी ऩयनदत जफ उस ऩता चरा कक कसटभ क ननमभो क अनसाय सीभाऩाय नभक र जाना िनदजयत ह तो िह दविधा भ ऩड़ गई | सकिमा का दिॊदि मह था कक िह अऩनी ससख भाॉ क सरए नभक कसटभ अधधकारयमो को फताकयर जाए मा नछऩाकय|

परशन३- ऩाि क आधाय ऩय सकपमा की चारयबतरक पवशषताएॉ फताइए |

उततय सॊकत ndash

१- बािक २- ईभानदाय ३- दढ़ननशचमी ४- ननडय ५- िामद को ननबान िारी ६- भानिीम भलमो को सिोऩरय भानन िारी साहहतमकाय

परशन ४- lsquoनभकrsquo ऩाि भ आए ककयदायो क भाधमभ स सऩषट कीजजए कक आज बी बायत औय ऩाककसतान की जनता क फीच भहबफत का नभकीन सवाद घरा हआ ह |

उततय ndash बर ही याजनीनतक औय धासभयक आधाय ऩय बायत औय ऩाककसतान को बौगोसरक रऩ स विबानदजत कय हदमा गमा ह रककन दोनो दशो क रोगो क रदम भ आज बी ऩायसऩरयक बाईचाया सौहादरय सनह औय सहानबनत विदमभान ह | याजनीनतक तौय ऩय बर ही सॊफॊध तनािऩणय हो ऩय साभानदजक तौय ऩय आज बी जनता क फीच भहबफत का नभकीन सिाद घरा हआ ह | अभतसय भ यहन िारी ससख फीफी राहौय को अऩना ितन कहती ह औय राहौयी नभक का सिाद नहीॊ बरा ऩाती | ऩाककसतान का कसटभ अधधकायी नभक की ऩडड़मा सकपमा को िाऩस दत हए कहता ह rdquoजाभा भनदसजद की सीहढ़मो को भया सराभ कहना |rdquo बायतीम सीभा ऩय तनात कसटभ अधधकायी ढाका की जभीन को औय िहाॉ क ऩानी क सिाद को नहीॊ बर ऩाता |

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गदमाॊश-आधारयत अथटगरहण सॊफॊधधत परशनोततय

गदमाॊश सॊकत- ऩाठndash नभक (ऩरषठ १३४)

सकपमा कसटभ क जॊगर स दोनो क हाथो भ थी |

(क) सकपमा कसटभ क जॉगर स ननकरकय दसय तरटपाभट ऩय आ गमी व वहीॊ खड़ यहndash इस वाकम भ lsquoवrsquo शबद का परमोग ककसक लरए ककमा गमा ह

उततय- महाॉ lsquoिrsquo शबद का परमोग ऩाककसतानी कसटभ अधधकायी क सरए ककमा गमा ह जो विबाजन स ऩिय हदलरी भ यहत थ औय आज बी हदलरी को ही अऩना ितन भानत ह |

(ख) तरटपाभट ऩय सकपमा को पवदा कयन कौन-कौन आए थ उनहोन सकपमा को कस पवदाई दी

उततय- परटपाभय ऩय सकपमा को विदा कयन उसक फहत साय सभतर सग सॊफॊधी औय बाई आए थ| उनदहोन ठॊडी साॉस बयत हए सबॊच हए होठो क साथ आॉस फहात हए सकपमा को विदाई दी |

(ग) अटायी भ यरगाड़ी भ कमा ऩरयवतटन हए उततय- अटायी भ यरगाड़ी स ऩाककसतानी ऩसरस उतयी औय हहनददसतानी ऩसरस सिाय हो गई|

(घ) कौन सी फात सकपमा की सभझ भ नहीॊ आ यही थी उततय- दोनो ओय एक सी जभीन एक जसा आसभान एक सी बारा एक सा ऩहनािा औय एक सी सयत क रोग कपय बी दोनो क हाथो भ बयी हई फॊदक ह |

17 लशयीष क पर

आचामट हजायी परसाद दपववदी

सायाॊश ndashlsquoआचामय हजायी परसाद दवििदीrsquo सशयीर को अदभत अिधत भानत ह कमोकक सॊनदमासी की बाॉनत िह सख-दख की धचॊता नहीॊ कयता गभी र िराय औय आॉधी भ बी अविचर खड़ा यहता ह सशयीर क िर क भाधमभ स भनरषम की अजम नदजजीविरा धमयशीरता औय कतयवमननरषठ फन यहन क भानिीम भलमो को सथावऩत ककमा गमा हरखक न सशयीर क कोभर परो औय कठोय परो क दिाया सऩरषट ककमा ह कक रदम की कोभरता फचान क सरए कबी-कबी वमिहाय की कठोयता बी आिशमक हो जाती ह| भहान कवि कासरदास औय कफीय बी सशयीर की तयह फऩयिाह अनासकत औय सयस थ तबी उनदहोन इतनी सनददय यचनाएॉ सॊसाय को दीॊ| गाॉधीजी क वमनदकतति भ बी कोभरता औय कठोयता का अदभत सॊगभ था | रखक सोचता ह कक हभाय दश भ जो भाय-काट अनदगनदाह रट-ऩाट खन-खचचय का फिॊडय ह कमा िह दश को नदसथय नहीॊ यहन दगा गराभी अशाॊनत औय वियोधी िाताियण क फीच अऩन ससदधाॊतो की या कयत हए गाॉधीजी जी नदसथय यह सक थ तो दश बी यह सकता ह जीन की परफर असबरारा क कायण

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विरभ ऩरयनदसथतमो भ बी महद सशयीर णखर सकता ह तो हभाया दश बी विरभ ऩरयनदसथनतमो भ नदसथय यह कय विकास कय सकता ह

परशन1-लसदध कीजजए कक लशयीष कारजमी अवधत की बाॉनत जीवन की अजमता क भॊतर का परचाय कयता ह

उततय- सशयीर कारजमी अिधत की बाॉनत जीिन की अजमता क भॊतर का परचाय कयता ह| जफ ऩथिी अनदगन क सभान तऩ यही होती ह िह तफ बी कोभर परो स रदा रहरहाता यहता ह|फाहयी गयभी धऩ िराय आॉधी र उस परबावित नहीॊ कयती इतना ही नहीॊ िह रॊफ सभम तक णखरा यहता ह | सशयीर विऩयीत ऩरयनदसथनतमो भ बी धमयशीर यहन तथा अऩनी अजम नदजजीविरा क साथ ननसऩह बाि स परचॊड गयभी भ बी अविचर खड़ा यहता ह

परशन२-आयगवध (अभरतास) की तरना लशयीष स कमो नहीॊ की जा सकती

उततय- सशयीर क पर बमॊकय गयभी भ णखरत ह औय आराढ़ तक णखरत यहत ह जफकक अभरतास का पर किर ऩनददरह-फीस हदनो क सरए णखरता ह | उसक फाद अभरतास क पर झड़ जात ह औय ऩड़ कपय स ठॉठ का ठॉठ हो जाता ह | अभरतास अलऩजीिी ह | विऩयीत ऩरयनदसथनतमो को झरता हआ ऊरषण िाताियण को हॉसकय झरता हआ सशयीर दीघयजीिी यहता ह | मही कायण ह कक सशयीर की तरना अभरतास स नहीॊ की जा सकती |

परशन३-लशयीष क परो को याजनताओॊ का रऩक कमो ठदमा गमा ह

उततय- सशयीर क पर उन फढ़ ढीठ औय ऩयान याजनताओॊ क परतीक ह जो अऩनी कसी नहीॊ छोड़ना चाहत | अऩनी अधधकाय-सरपसा क सरए नए मिा नताओॊ को आग नहीॊ आन दत | सशयीर क नए परो को जफयदसती ऩयान परो को धककमाना ऩड़ता ह | याजनीनत भ बी नई मिा ऩीढ़ी ऩयानी ऩीढ़ी को हयाकय सिमॊ सतता सॉबार रती ह |

परशन४- कार दवता की भाय स फचन का कमा उऩाम फतामा गमा ह

उततय- कार दिता कक भाय स फचन का अथय हndash भतम स फचना | इसका एकभातर उऩाम मह ह कक भनरषम नदसथय न हो| गनतशीर ऩरयितयनशीर यह | रखक क अनसाय नदजनकी चतना सदा ऊधियभखी (आधमातभ की ओय) यहती ह ि हटक जात ह |

परशन५- गाॉधीजी औय लशयीष की सभानता परकट कीजजए |

उततय- नदजस परकाय सशयीर धचरधचराती धऩ र िराय औय आॉधी भ बी अविचर खड़ा यहता ह अनासकत यहकय अऩन िाताियण स यस खीॊचकय सयस कोभर फना यहता ह उसी परकाय गाॉधी जी न बी अऩनी आॉखो क साभन आजादी क सॊगराभ भ अनदमाम बदबाि औय हहॊसा को झरा |

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उनक कोभर भन भ एक ओय ननयीह जनता क परनत असीभ करणा जागी िहीॊ ि अनदमामी शासन क वियोध भ डटकय खड़ हो गए |

गदमाॊश-आधारयत अथटगरहण सॊफॊधधत परशनोततय

गदमाॊश सॊकत- ऩाठ ndash सशयीर क पर (ऩरषठ १४७)

कासरदास सौदमय क िह इशाया ह |

(क) कालरदास की सौदमटndashदजषट की कमा पवशषता थी उततय-कासरदास की सौदमयndashदनदरषट फहत सकषभ अॊतबदी औय सॊऩणय थी| ि किर फाहयी रऩ-यॊग औय आकाय को ही नहीॊ दखत थ फनदलक अॊतभयन की सॊदयता क बी ऩायखी थ| कासरदास की सौदमय शायीरयक औय भानससक दोनो विशरताओॊ स मकत था |

(ख) अनासजकत का कमा आशम ह उततय- अनासनदकत का आशम ह- वमनदकतगत सख-द ख औय याग-दिर स ऩय यहकय सौदमय क िासतविक भभय को जानना |

(ग) कालरदास ऩॊत औय यवीॊिनाथ टगोय भ कौन सा गण सभान था भहाकवि कासरदास ससभतरानॊदन ऩॊत औय गरदि यिीॊदरनाथ टगोय तीनो नदसथयपरऻ औय अनासकत कवि थ | ि सशयीर क सभान सयस औय भसत अिधत थ |

(घ) यवीॊिनाथ याजोदमान क लसॊहदवाय क फाय भ कमा सॊदश दत ह याजोदमान क फाय भ यिीॊदरनाथ कहत ह याजोदमान का ससॊहदिाय ककतना ही सॊदय औय गगनचमफी कमो ना हो िह अॊनतभ ऩड़ाि नहीॊ ह| उसका सौदमय ककसी औय उचचतभ सौदमय की ओय ककमा गमा सॊकत भातर ह कक असरी सौदमय इस ऩाय कयन क फाद ह अत याजोदमान का ससॊहदिाय हभ आग फढ़न की परयणा दता ह |

18शरभ-पवबाजन औय जानत-परथा

िॉ० बीभयाव अॊफिकय

सायाॊश ndash इस ऩाठ भ रखक न जानतिाद क आधाय ऩय ककए जान िार बदबाि को सभम सभाज क सरए हाननकायक फतामा ह | जानत आधारयत शरभ विबाजन को असिाबाविक औय भानिता वियोधी फतामा गमा ह मह साभानदजक बदबाि को फढ़ाता ह जानतपरथा आधारयत शरभ विबाजन भ वमनदकत की रधच को भहतति नहीॊ हदमा जाता परसिरऩ वििशता क साथ अऩनाए

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Page 33: ISSUED BY KENDRIYA VIDYALAYA - DOWNLOADED FROM … Class XII Hindi Part B.pdfप्रश्न४ :-फादर क / फयन का गयीफ एि धनी िगय क्मा

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फनिान क सरए दहरी ऩय फठी यहती ह कोई फाहय खडी भय सरए नाशत को चखकय उसक सिाद की वििचना कयती यहती ह भय फाहय ननकरत ही सफ धचडड़मो क सभान उड़ जाती ह औय बीतय आत ही मथासथान वियाजभान हो जाती ह इनदह आन भ रकािट न हो सॊबित इसी स बनदकतन अऩना दोनो जन का बोजन सिय ही फनाकय ऊऩय क आर भ यख दती ह औय खात सभम चौक का एक कोना धोकय ऩाकndashछत क सनातन ननमभ स सभझौता कय रती ह

भय ऩरयधचतो औय साहहनदतमक फॊधओॊ स बी बनदकतन विशर ऩरयधचत ह ऩय उनक परनत बनदकतन क समभान की भातरा भय परनत उनक समभान की भातरा ऩय ननबयय ह औय सदभाि उनक परनत भय सदभाि स नननदशचत होता ह इस सॊफॊध भ बनदकतन की सहज फवदध विनदसभत कय दन िारी ह

(क) बजकतन का सवबाव ऩरयवाय भ यहकय कसा हो गमा ह

उततय-विरभ ऩरयनदसथनतजनदम उसक उगर हठी औय दयागरही सिबाि क फािजद बनदकतन क बीतय सनह औय सहानबनत की आबा पटती यहती ह उसक सॊऩकय भ आन िार वमनदकत उसभ जीिन की सहज भासभयकता ही ऩात ह

(ख) बजकतन क ऩास छातरावास की छातराएॉ कमो आती ह

उततय- बनदकतन क ऩास कोई छातरा अऩनी चाम फनिान आती ह औय दहरी ऩय फठी यहती ह कोई भहादिी जी क सरए फन नाशत को चखकय उसक सिाद की वििचना कयती यहती ह भहादिी को दखत ही सफ छातराएॉ बाग जाती ह उनक जात ही कपय िाऩस आ जातीॊ ह बनदकतन का सहज-सनह ऩाकय धचडड़मो की तयह चहचहान रगती ह |

(ग) छातराओॊ क आन भ रकावट न िारन क लरए बजकतन न कमा उऩाम ककमा

उततय- छातराओॊ क आन भ रकािट न डारन क सरए बनदकतन न अऩन ऩाक-छत क ननमभ स सभझौता कय सरमा | बनदकतन अऩना दोनो िकत का खाना फनाकय सफह ही आर भ यख दती औय खात सभम चौक का एक कोना धोकय िहाॉ फठकय खा सरमा कयती थी ताकक छातराएॉ बफना योक-टोक क उसक ऩास आ सक

(घ) साठहतमकायो क परनत बजकतन क समभान का कमा भाऩदॊि ह

उततय-बनदकतन भहादिी क साहहनदतमक सभतर क परनत सदभाि यखती थी नदजसक परनत भहादिी सिमॊ सदभाि यखती थी | िह सबी स ऩरयधचत हऩय उनक परनत समभान की भातरा भहादिी जी क समभान की भातरा ऩय ननबयय कयती ह िह एक अदभत ढॊग स जान रती थी कक कौन ककतना समभान कयता ह उसी अनऩात भ उसका परापम उस दती थी

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12 फाजाय-दशटन

रखक- जनि कभाय

ऩाि का सायाॊश फाजाय-दशयन ऩाठ भ फाजायिाद औय उऩबोकतािाद क साथ-साथ अथयनीनत एिॊ दशयन स सॊफॊधधत परशनो को सरझान का परमास ककमा गमा ह फाजाय का जाद तबी असय कयता ह जफ भन खारी हो| फाजाय क जाद को योकन का उऩाम मह ह कक फाजाय जात सभम भन खारी ना हो भन भ रकषम बया हो| फाजाय की असरी कताथयता ह जरयत क िकत काभ आना| फाजाय को िही भनरषम राब द सकता ह जो िासति भ अऩनी आिशमकता क अनसाय खयीदना चाहता ह| जो रोग अऩन ऩसो क घभॊड भ अऩनी ऩचनदजॊग ऩािय को हदखान क सरए चीज खयीदत ह ि फाजाय को शतानी वमॊगम शनदकत दत ह| ऐस रोग फाजारऩन औय कऩट फढात ह | ऩस की मह वमॊगम शनदकत वमनदकत को अऩन सग रोगो क परनत बी कतघन फना सकती ह | साधायण जन का रदम रारसा ईरषमाय औय तरषणा स जरन रगता ह | दसयी ओय ऐसा वमनदकत नदजसक भन भ रश भातर बी रोब औय तरषणा नहीॊ ह सॊचम की इचछा नहीॊ ह िह इस वमॊगम-शनदकत स फचा यहता ह | बगतजी ऐस ही आतभफर क धनी आदशय गराहक औय फचक ह नदजन ऩय ऩस की वमॊगम-शनदकत का कोई असय नहीॊ होता | अनक उदाहयणो क दिाया रखक न मह सऩरषट ककमा ह कक एक ओय फाजाय रारची असॊतोरी औय खोखर भन िार वमनदकतमो को रटन क सरए ह िहीॊ दसयी ओय सॊतोरी भन िारो क सरए फाजाय की चभक-दभक उसका आकरयण कोई भहतति नहीॊ यखता

परशन१ - ऩचजजॊग ऩावय ककस कहा गमा ह फाजाय ऩय इसका कमा परबाव ऩड़ता ह

उततय- ऩचनदजॊग ऩािय का अथय ह खयीदन की शनदकत ऩचनदजॊग ऩािय क घभॊड भ वमनदकत हदखाि क सरए आिशमकता स अधधक खयीदायीकयता ह औय फाजाय को शतानी वमॊगम-शनदकत दता ह ऐस रोग फाजाय का फाजारऩन फढ़ात ह

परशन२ -रखक न फाजाय का जाद ककस कहा ह इसका कमा परबाव ऩड़ता ह

उततय- फाजाय की चभक-दभक क चॊफकीम आकरयण को फाजाय का जाद कहा गमा ह मह जाद आॊखो की याह कामय कयता ह फाजाय क इसी आकरयण क कायण गराहक सजी-धजी चीजो को आिशमकता न होन ऩय बी खयीदन को वििश हो जात ह

परशन३ -आशम सऩषट कय

भन खारी होना भन बया होना भन फॊद होना

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उततय-भन खारी होना- भन भ कोई नननदशचत िसत खयीदन का रकषम न होना ननरददशम फाजाय जाना औय वमथय की चीजो को खयीदकय राना

भन बया होना- भन रकषम स बया होना नदजसका भन बया हो िह बरीबाॉनत जानता ह कक उस फाजाय स कौन सी िसत खयीदनी ह अऩनी आिशमकता की चीज खयीदकय िह फाजाय को साथयकता परदान कयता ह

भन फॊद होना-भन भ ककसी बी परकाय की इचछा न होना अथायत अऩन भन को शनदम कय दना

परशन४ - lsquoजहाॉ तषणा ह फटोय यखन की सऩहा ह वहाॉ उस फर का फीज नहीॊ हrsquo महाॊ ककस फर की चचाट की गमी ह

उततय- रखक न सॊतोरी सिबाि क वमनदकत क आतभफरकी चचाय की ह दसय शबदो भ महद भन भ सॊतोर हो तो वमनदकत हदखाि औय ईरषमाय की बािना स दय यहता ह उसभ सॊचम कयन की परिनदतत नहीॊ होती

परशन५ - अथटशासतर अनीनतशासतर कफ फन जाता ह

उततय- जफ फाजाय भ कऩट औय शोरण फढ़न रग खयीददाय अऩनी ऩचधचॊग ऩािय क घभॊड भ हदखाि क सरए खयीददायी कय | भनरषमो भ ऩयसऩय बाईचाया सभापत हो जाए| खयीददाय औय दकानदाय एक दसय को ठगन की घात भ रग यह एक की हानन भ दसय को अऩना राब हदखाई द तो फाजाय का अथयशासतर अनीनतशासतर फन जाता ह ऐस फाजाय भानिता क सरए विडॊफना ह

परशन६-बगतजी फाजाय औय सभाज को ककस परकाय साथटकता परदान कय यह ह

उततय- बगतजी क भन भ साॊसारयक आकरयणो क सरए कोई तरषणा नहीॊ ह ि सॊचम रारच औय हदखाि स दय यहत ह फाजाय औय वमाऩाय उनक सरए आिशमकताओॊ की ऩनत य का साधन भातर ह बगतजी क भन का सॊतोर औय ननसऩह बाि उनको शररषठ उऩबोकता औय विकरता फनात ह

परशन ७ _ बगत जी क वमजकततव क सशकत ऩहरओॊ का उलरख कीजजए |

उततय-ननमनाॊककत बफॊद उनक वमनदकतति क सशकत ऩहर को उजागय कयत ह

ऩॊसायी की दकान स किर अऩनी जरयत का साभान (जीया औय नभक) खयीदना नननदशचत सभम ऩय चयन फचन क सरए ननकरना छह आन की कभाई होत ही चयन फचना फॊद कय दना फच हए चयन को फचचो को भफ़त फाॉट दना

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सबी काजम-जम याभ कहकय सिागत कयना फाजाय की चभक-दभक स आकवरयत न होना सभाज को सॊतोरी जीिन की सशा दना

परशन7-फाजाय की साथटकता ककसभ ह

उततय- भनरषम की आिशमकताओॊ की ऩनतय कयन भ ही फाजाय की साथयकता ह जो गराहक अऩनी आिशमकताओॊ की चीज खयीदत ह ि फाजाय को साथयकता परदान कयत ह जो विकरता गराहको का शोरण नहीॊ कयत औय छर-कऩट स गराहको को रबान का परमास नही कयत ि बी फाजाय को साथयक फनात ह

गदमाॊश-आधारयत अथटगरहण-सॊफॊधधत परशनोततय

फाजाय भ एक जाद ह िह जाद आॉख की तयह काभ कयता ह िह रऩ का जाद ह ऩय जस चॊफक का जाद रोह ऩय ही चरता ह िस ही इस जाद की बी भमायदा ह जफ बयी हो औय भन खारी हो ऐसी हारत भ जाद का असय खफ होता ह जफ खारी ऩय भन बया न हो तो बी जाद चर जाएगा भन खारी ह तो फाजाय की अनकानक चीजो का ननभॊतरण उस तक ऩहॉच जाएगा कहीॊ हई उस िकत जफ बयी तफ तो कपय िह भन ककसकी भानन िारा ह भारभ होता ह मह बी रॉ िह बी रॉ सबी साभान जरयी औय आयाभ को फढ़ान िारा भारभ होता ह ऩय मह सफ जाद का असय ह जाद की सिायी उतयी कक ऩता चरता ह कक प सी-चीजो की फहतामत आयाभ भ भदद नहीॊ दती फनदलक खरर ही डारती ह थोड़ी दय को सिासबभान को जरय सक सभर जाता ह ऩय इसस असबभान को धगलटी की खयाक ही सभरती ह जकड़ यशभी डोयी की हो तो यशभ क सऩशय क भरामभ क कायण कमा िह कभ जकड़ दगी

ऩय उस जाद की जकड़ स फचन का एक सीधा उऩाम ह िह मह कक फाजाय जाओ तो खारी भन न हो भन खारी हो तफ फाजाय न जाओ कहत ह र भ जाना हो तो ऩानी ऩीकय जाना चाहहए ऩानी बीतय हो र का रऩन वमथय हो जाता ह भन रकषम स बया हो तो फाजाय परा का परा ही यह जाएगा तफ िह घाि बफरकर नहीॊ द सकगा फनदलक कछ आनॊद ही दगा तफ फाजाय तभस कताथय होगा कमोकक तभ कछ न कछ सचचा राब उस दोग फाजाय की असरी कताथयता ह आिशमकता क सभम काभ आना

परशन-1 फाजाय क जाद को रखक न कस सऩषट ककमा ह

उततय- फाजाय क रऩ का जाद आॉखो की याह स काभ कयता हआ हभ आकवरयत कयता ह फाजाय का जाद ऐस चरता ह जस रोह क ऊऩय चॊफक का जाद चरता ह चभचभाती योशनी भ सजी

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प सी चीॊज गराहक को अऩनी ओय आकवरयत कयती ह| इसी चमफकीम शनदकत क कायण वमनदकत कपजर साभान को बी खयीद रता ह |

परशन-2 जफ बयी हो औय भन खारी तो हभायी कमा दशा होती ह

उततय- जफ बयी हो औय भन खारी हो तो हभाय ऊऩय फाजाय का जाद खफ असय कयता ह भन खारी ह तो फाजाय की अनकानक चीजो का ननभॊतरण भन तक ऩहॉच जाता ह औय उस सभम महद जफ बयी हो तो भन हभाय ननमॊतरण भ नहीॊ यहता

परशन-3 प सी चीजो की फहतामत का कमा ऩरयणाभ होता ह

उततय- प सी चीज आयाभ की जगह आयाभ भ वमिधान ही डारती ह थोड़ी दय को असबभान को जरय सक सभर जाती ह ऩय हदखाि की परिनदतत भ िवदध होती ह

परशन-4 जाद की जकड़ स फचन का कमा उऩाम ह

उततय- जाद की जकड़ स फचन क सरए एक ही उऩाम ह िह मह ह कक फाजाय जाओ तो भन खारी न हो भन खारी हो तो फाजाय भत जाओ

13 कार भघा ऩानी द

रखक-धभटवीय बायती

ऩाि का सायाॊश -lsquoकार भघा ऩानी दrsquo ननफॊध रोकजीिन क विशिास औय विऻान क तकय ऩय आधारयत ह जफ बीरण गभी क कायण वमाकर रोग िराय कयान क सरए ऩजा-ऩाठ औय कथा-विधान कय थकndashहाय जात ह तफ िराय कयान क सरए अॊनतभ उऩाम क रऩ भ इनददय सना ननकरती ह| इनददय सना नॊग-धड़ॊग फचचो की टोरी ह जो कीचड़ भ रथऩथ होकय गरी-भोहलर भ ऩानी भाॉगन ननकरती ह| रोग अऩन घय की छतो-णखड़ककमो स इनददय सना ऩय ऩानी डारत ह | रोगो की भानदमता ह कक इनददर फादरो क सिाभी औय िराय क दिता ह| इनददर की सना ऩय ऩानी डारन स इनददर बगिान परसनदन होकय ऩानी फयसाएॊग | रखक का तकय ह कक जफ ऩानी की इतनी कभी ह तो रोग भनदशकर स जभा ककए ऩानी को फालटी बय-बयकय इनददय सना ऩय डारकय ऩानी को कमो फफायद कयत ह आमयसभाजी विचायधाया िारा रखक इस अॊधविशिास भानता ह | इसक विऩयीत रखक की जीजी उस सभझाती ह कक मह ऩानी की फफायदी नहीॊ फनदलक ऩानी की फिाई ह | कछ ऩान क सरए कछ दना ऩड़ता ह | तमाग क बफना दान नहीॊ होता| परसतत ननफॊध भ रखक न भरषटाचाय की सभसमा को उठात हए कहा ह कक जीिन भ कछ ऩान क सरए तमाग आिशमक ह जो रोग तमाग औय दान की भहतता को नहीॊ भानत ि ही भरषटाचाय भ सरपत यहकय दश औय सभाज को रटत ह| जीजी की आसथा बािनातभक सचचाई को ऩरषट कयती ह औय तकय किर िऻाननक तथम को सतम भानता ह जहाॉ तकय मथाथय क

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कठोय धयातर ऩय सचचाई को ऩयखता ह तो िहीॊ आसथा अनहोनी फात को बी सिीकाय कय भन को सॊसकारयत कयती ह बायत की सितॊतरता क ५० सार फाद बी दश भ वमापत बरषटाचाय औय सिाथय की बािना को दखकय रखक दखी ह | सयकाय दिाया चराई जा यही मोजनाएॉ गयीफो तक कमो नहीॊ ऩहॉच ऩा यहीॊ ह कार भघा क दर उभड़ यह ह ऩय आज बी गयीफ की गगयी पटी हई कमो ह रखक न मह परशन ऩाठको क सरए छोड़ हदमा ह |

परशन1-इनदय सना घय-घय जाकय ऩानी कमो भाॉगती थी

उततय- गाॉि क रोग फारयश क सरए बगिान इॊदर स पराथयना ककमा कयत थ जफ ऩजा-ऩाठवरत आहद उऩाम असिर हो जात थ तो बगिान इॊदर को परसनदन कयन क सरए गाॉि क ककशोय फचच कीचड़ भ रथऩथ होकय गरी-गरी घभकय रोगो स ऩानी भाॉगत थ

परशन2-इनदयसना को रखक भढक-भॊिरी कमो कहता ह जीजी क फायndashफाय कहन ऩय बी वह इनदयसना ऩय ऩानी प कन को याजी कमो नहीॊ होता

उततय- इनददयसना का कामय आमयसभाजी विचायधाया िार रखक को अॊधविशिास रगता ह उसका भानना ह कक महद इॊदयसना दिता स ऩानी हदरिा सकती ह तो सिमॊ अऩन सरए ऩानी कमो नहीॊ भाॉग रती ऩानी की कभी होन ऩय बी रोग घय भ एकतर ककम हए ऩानी को इॊदयसना ऩय ि कत ह रखक इस ऩानी की ननभयभ फयफादी भानता ह

परशन3- रि हए रखक को जीजी न ककस परकाय सभझामा

उततय- जीजी न रखक को पमाय स रडड-भठयी णखरात हए ननमन तकय हदए-

1- तमाग का भहततव- कछ ऩान क सरए कछ दना ऩड़ता ह 2- दान की भहतता- कवर-भननमो न दान को सफस ऊॉ चा सथान हदमा ह जो चीज अऩन

ऩास बी कभ हो औय अऩनी आिशमकता को बरकय िह चीज दसयो को दान कय दना ही तमाग ह |

3- इॊिदव को जर का अधमट चिाना- इॊदयसना ऩय ऩानी ि कना ऩानी की फयफादी नहीॊ फनदलक इॊदरदि को जर का अधमय चढ़ाना ह

4- ऩानी की फवाई कयना- नदजस परकाय ककसान िसर उगान क सरए जभीन ऩय फीज डारकय फिाई कयता ह िस ही ऩानी िार फादरो की िसर ऩान क सरए इनददय सना ऩय ऩानी डार कय ऩानी की फिाई की जाती ह

परशन4-नठदमो का बायतीम साभाजजक औय साॊसकनतक ऩरयवश भ कमा भहतव ह

उततय- गॊगा बायतीम सभाज भ सफस ऩजम सदानीया नदी ह नदजसका बायतीम इनतहास भ धासभयक ऩौयाणणक औय साॊसकनतक भहति ह | िह बायतीमो क सरए किर एक नदी नहीॊ अवऩत

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भाॉ ह सिगय की सीढ़ी ह भोदानमनी ह उसभ ऩानी नहीॊ अवऩत अभत तलम जर फहता ह बायतीम सॊसकनत भ नहदमो क ककनाय भानि सभमताएॉ परी-परी ह| फड़-फड़ नगय तीथयसथान नहदमो क ककनाय ही नदसथत ह ऐस ऩरयिश भबायतिासी सफस ऩहर गॊगा भमा की जम ही फोरग नहदमाॉ हभाय जीिन का आधाय ह हभाया दश कवर परधान ह नहदमो क जर स ही बायत बसभ हयी-बयी ह नहदमो क बफना जीिन की कलऩना नहीॊ कय सकत मही कायण ह कक हभ बायतीम नहदमो की ऩजा कयत ह |

परशन4-आजादी क ऩचास वषो क फाद बी रखक कमो दखी ह उसक भन भ कौन स परशन उि यह ह

उततय- आजादी क ऩचास िरो फाद बी बायतीमो की सोच भ सकायातभक फदराि न दखकय रखक दखी ह उसक भन भ कई परशन उठ यह ह-

1 कमा हभ सचच अथो भ सितनदतर ह 2 कमा हभ अऩन दश की सॊसकनत औय सभमता को सभझ ऩाए ह 3 यारषर ननभायण भ हभ ऩीछ कमो ह हभ दश क सरए कमा कय यह ह

4 हभ सिाथय औय भरषटाचाय भ सरपत यहत ह तमाग भ विशिास कमो नहीॊ कयत

5 सयकाय दिाया चराई जा यही सधायिादी मोजनाएॉ गयीफो तक कमो नहीॊ ऩहॉचती ह

गदमाॊश ऩय आधारयत अथटगरहण-सॊफॊधधत परशनोततय

सचभच ऐस हदन होत जफ गरी-भहलरा गाॉि-शहय हय जगह रोग गयभी भ बन-बन कय तराहहभाभ कय यह होत जठ क दसतऩा फीतकय आराढ का ऩहरा ऩखिाड़ा फीत चका होता ऩय कषनतज ऩय कहीॊ फादरो की यख बी नहीॊ दीखती होती कएॉ सखन रगत नरो भ एक तो फहत कभ ऩानी आता औय आता बी तो आधी यात को िो बी खौरता हआ ऩानी हो | शहयो की तरना भ गाॉि भ औय बी हारत खयाफ थी| जहाॉ जताई होनी चाहहए थी िहाॉ खतो की सभटटी सखकय ऩतथय हो जाती कपय उसभ ऩऩड़ी ऩड़कय जभीन पटन रगती र ऐसी कक चरत-चरत आदभी धगय ऩड़ | ढोय-डॊगय पमास क भाय भयन रगत रककन फारयश का कहीॊ नाभ ननशान नहीॊ ऐस भ ऩजा-ऩाठ कथा-विधान सफ कयक रोग जफ हाय जात तफ अॊनतभ उऩाम क रऩ भ ननकरती मह इनददय सना |

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परशन१- वषाट न होन ऩय रोगो की कमा जसथनत हो गमी थी उततय - िराय न होन ऩय गयभी क कायण रोग र रगन स फहोश होन रग | गाॉि-शहय सबी जगह ऩानी का अबाि हो गमा| कएॉ सख गए खतो की सभटटी सखकय ऩतथय क सभान कठोय होकय पट गमी| घयो भ नरो भ ऩानी फहत कभ आता था | ऩश पमास क भाय भयन रग थ | परशन२- वषाट क दवता कौन ह उनको परसनन कयन क लरए कमा उऩाम ककए जात थ उततय -िराय क दिता बगिान इनददर ह| उनको परसनदन कयन क सरए ऩजाndashऩाठ कथा-विधान कयाए जात थ | ताकक इनददर दि परसनदन होकय फादरो की सना बजकय झभाझभ फारयश कयाएॉ औय रोगो क करषट दय हो | परशन३- वषाट कयान क अॊनतभ उऩाम क रऩ भ कमा ककमा जाता था उततय ndashजफ ऩजा-ऩाठ कथा-विधान सफ कयक रोग हाय जात थ तफ अॊनतभ उऩाम क रऩ भ इनददय सना आती थी | नॊग-धडॊग कीचड़ भ रथऩथ lsquoकार भघा ऩानी द ऩानी द गड़धानी दrsquo की टय रगाकय पमास स सखत गरो औय सखत खतो क सरए भघो को ऩकायती हई टोरी फनाकय ननकर ऩड़ती थी| परशन४-आशम सऩषट कय ndash जठ क दसतऩा फीतकय आराढ़ का ऩहरा ऩखिाड़ा फीत चका होता ऩय कषनतज भ कहीॊ फादरो की यख बी नजय नहीॊ आती | आशम- जठ का भहीना ह बीरण गयभी ह| तऩत हए दस हदन फीत कय आराढ का भहीना बी आधा फीत गमा ऩय ऩानी क सरए तड़ऩत िराय की आशा भ आसभान की ओय ताकत रोगो को कहीॊ फादर नजय नहीॊ आ यह |

14 ऩहरवान की ढोरक

फ़णीशवयनाथ यण

ऩाि का सायाॊश ndashआॊचसरक कथाकाय िणीशियनाथ यण की कहानी ऩहरिान की ढोरक भ कहानी क भखम ऩातर रटटन क भाता-वऩता का दहाॊत उसक फचऩन भ ही हो गमा था | अनाथ रटटन को उसकी विधिा सास न ऩार-ऩोसकय फड़ा ककमा | उसकी सास को गाॉि िार सतात थ |

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रोगो स फदरा रन क सरए कशती क दाॉिऩच सीखकय कसयत कयक रटटन ऩहरिान फन गमा |

एक फाय रटटन शमाभनगय भरा दखन गमा जहाॉ ढोर की आिाज औय कशती क दाॉिऩच दखकय उसन जोश भ आकय नाभी ऩहरिान चाॉदससॊह को चनौती द दी | ढोर की आिाज स परयणा ऩाकय रटटन न दाॉि रगाकय चाॉद ससॊह को ऩटककय हया हदमा औय याज ऩहरिान फन गमा | उसकी खमानत दय-दय तक िर गमी| १५ िरो तक ऩहरिान अजम फना यहा| उसक दो ऩतर थ| रटटन न दोनो फटो को बी ऩहरिानी क गय ससखाए| याजा की भतम क फाद नए याजकभाय न गददी सॊबारी याजकभाय को घोड़ो की यस का शौक था भनजय न नम याजा को बड़कामा ऩहरिान औय उसक दोनो फटो क बोजनखचय को बमानक औय किजरखचय फतामा िरसिरऩ नए याजा न कशती को फॊद कयिा हदमा औय ऩहरिान रटटनससॊह को उसक दोनो फटो क साथ भहर स ननकार हदमा

याजदयफाय स ननकार हदए जान क फाद रटटन ससॊह अऩन दोनो फटो क साथ गाॉि भ झोऩड़ी फनाकय यहन रगा औय गाॉि क रड़को को कशती ससखान रगा| रटटन का सकर जमादा हदन नहीॊ चरा औय जीविकोऩाजयन क सरए उसक दोनो फटो को भजदयी कयनी ऩड़ी| इसी दौयान गाॉि भ अकार औय भहाभायी क कायण परनतहदन राश उठन रगी| ऩहरिान भहाभायी स डय हए रोगो को ढोरक फजाकय फीभायी स रड़न की सॊजीिनी ताकत दता था| एक हदन ऩहरिान क दोनो फट बी भहाभायी की चऩट भ आकय भय गए ऩय उस यात बी ऩहरिान ढोरक फजाकय रोगो को हहमभत फॊधा यहा था | इस घटना क चाय-ऩाॉच हदन फाद ऩहरिान की बी भौत हो जाती ह|

ऩहरिान की ढोरक वमिसथा क फदरन क साथ रोक कराकाय क अपरासॊधगक हो जान की कहानी ह इस कहानी भ रटटन नाभ क ऩहरिान की हहमभत औय नदजजीविरा का िणयन ककमा गमा ह बख औय भहाभायी अजम रटटन की ऩहरिानी को िट ढोर भ फदर दत ह इस करण तरासदी भ ऩहरिान रटटन कई सिार छोड़ जाता ह कक करा का कोई सितॊतर अनदसतति ह मा करा किर वमिसथा की भोहताज ह

परशन1- रटटन को ऩहरवान फनन की परयणा कस लभरी

उततय- रटटन जफ नौ सार का था तो उसक भाता-वऩता का दहाॊत हो गमा था | सौबागम स उसकी शादी हो चकी थी| अनाथ रटटन को उसकी विधिा सास न ऩार-ऩोसकय फड़ा ककमा | उसकी सास को गाॉि िार ऩयशान कयत थ| रोगो स फदरा रन क सरए उसन ऩहरिान फनन की ठानी| धायोरषण दध ऩीकय कसयत कय उसन अऩना फदन गठीरा औय ताकतिय फना सरमा | कशती क दाॉिऩच सीखकय रटटन ऩहरिान फन गमा |

परशन2- यात क बमानक सननाट भ रटटन की ढोरक कमा करयशभा कयती थी

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उततय- यात क बमानक सनदनाट भरटटन की ढोरक भहाभायी स जझत रोगो को हहमभत फॉधाती थी | ढोरक की आिाज स यात की विबीवरका औय सनदनाटा कभ होता था| भहाभायी स ऩीडड़त रोगो की नसो भ बफजरी सी दौड़ जाती थी उनकी आॉखो क साभन दॊगर का दशम साकाय हो जाता था औय ि अऩनी ऩीड़ा बर खशी-खशी भौत को गर रगा रत थ इस परकाय ढोर की आिाज फीभाय-भतपराम गाॉििारो की नसो भ सॊजीिनी शनदकत को बय फीभायी स रड़न की परयणा दती थी

परशन3- रटटन न सवाटधधक ठहमभत कफ ठदखाई

उततय- रटटन ससॊह न सिायधधक हहमभत तफ हदखाई जफ दोनो फटो की भतम ऩय िह योमा नहीॊ फनदलक हहमभत स काभ रकय अकर उनका अॊनतभ सॊसकाय ककमा| मही नहीॊ नदजस हदन ऩहरिान क दोनो फट भहाभायी की चऩट भ आकय भय गए ऩय उस यात को बी ऩहरिान ढोरक फजाकय रोगो को हहमभत फॉधा यहा था| शमाभनगय क दॊगर भ ऩया जनसभदाम चाॉद ससॊह क ऩ भ था चाॉद ससॊह को हयात सभम रटटन न हहमभत हदखाई औय बफना हताश हए दॊगर भ चाॉद ससॊह को धचत कय हदमा |

परशन4- रटटन लसॊह याज ऩहरवान कस फना

उततय- शमाभनगय क याजा कशती क शौकीन थ उनदहोन दॊगर का आमोजन ककमा ऩहरिान रटटन ससॊह बी दॊगर दखन ऩहॉचा चाॊदससॊह नाभक ऩहरिान जो शय क फचच क नाभ स परससदध था कोई बी ऩहरिान उसस सबड़न की हहमभत नहीॊ कयता था चाॉदससॊह अखाड़ भ अकरा गयज यहा था रटटन ससॊह न चाॉदससॊह को चनौती द दी औय चाॉदससॊह स सबड़ गमाढ़ोर की आिाज सनकय रटटन की नस-नस भ जोश बय गमाउसन चाॉदससॊह को चायो खान धचत कय हदमा याजासाहफ न रटटन की िीयता स परबावित होकय उस याजऩहरिान फना हदमा

परशन5- ऩहरवान की अॊनतभ इचछा कमा थी

उततय- ऩहरिान की अॊनतभ इचछा थी कक उस धचता ऩय ऩट क फर सरटामा जाए कमोकक िह नदजॊदगी भ कबी धचत नहीॊ हआ था| उसकी दसयी इचछा थी कक उसकी धचता को आग दत सभम ढोर अिशम फजामा जाए |

परशन6- ढोर की आवाज औय रटटन क भ दाॉिऩच सॊफॊध फताइए-

उततय- ढोर की आिाज औय रटटन क दाॉिऩच भ सॊफॊध -

चट धा धगड़ धाrarr आजा सबड़ जा | चटाक चट धाrarr उठाकय ऩटक द | चट धगड़ धाrarrभत डयना |

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धाक धधना नतयकट नतनाrarr दाॉि काटो फाहय हो जाओ | धधना धधना धधक धधनाrarr धचत कयो

गदमाॊश-आधारयत अथटगरहण-सॊफॊधधत परशनोततय

अॉधयी यात चऩचाऩ आॉस फहा यही थी | ननसतबधता करण सससककमो औय आहो को अऩन रदम भ ही फर ऩियक दफान की चरषटा कय यही थी | आकाश भ ताय चभक यह थ | ऩथिी ऩय कहीॊ परकाश का नाभ नहीॊ| आकाश स टट कय महद कोई बािक ताया ऩथिी ऩय आना बी चाहता तो उसकी जमोनत औय शनदकत यासत भ ही शर हो जाती थी | अनदम ताय उसकी बािकता अथिा असपरता ऩय णखरणखराकय हॉस ऩड़त थ | ससमायो का करॊ दन औय ऩचक की डयािनी आिाज यात की ननसतबधता को बॊग कयती थी | गाॉि की झोऩडडमो स कयाहन औय क कयन की आिाज हय याभ ह बगिान की टय सनाई ऩड़ती थी| फचच बी ननफयर कॊ ठो स भाॉ ndashभाॉ ऩकायकय यो ऩड़त थ |

(क) अॉधयी यात को आॉस फहात हए कमो ठदखामा गमा ह उततयndash गाॉि भ हजा औय भररयमा परा हआ था | भहाभायी की चऩट भ आकाय रोग भय यह थ |चायो ओय भौत का सनाटा छामा था इससरए अॉधयी यात बी चऩचाऩ आॉस फहाती सी परतीत हो यही थी|

(ख) ताय क भाधमभ स रखक कमा कहना चाहता ह उततयndash ताय क भाधमभ स रखक कहना चाहता ह कक अकार औय भहाभायी स तरसत गाॉि िारो की ऩीड़ा को दय कयन िारा कोई नहीॊ था | परकनत बी गाॉि िारो क द ख स दखी थी| आकाश स टट कय महद कोई बािक ताया ऩथिी ऩय आना बी चाहता तो उसकी जमोनत औय शनदकत यासत भ ही शर हो जाती थी |

(ग) यात की ननसतबधता को कौन बॊग कयता था उततयndash ससमायो की चीख-ऩकाय ऩचक की डयािनी आिाज औय कततो का साभहहक रदन सभरकय यात क सनदनाट को बॊग कयत थ |

(घ) झोऩड़ड़मो स कसी आवाज आ यही ह औय कमो उततयndash झोऩडड़मो स योधगमो क कयाहन क कयन औय योन की आिाज आ यही ह कमोकक गाॉि क रोग भररयमा औय हज स ऩीडड़त थ | अकार क कायण अनदन की कभी हो गमी थी| औरधध औय ऩथम न सभरन क कायण रोगो की हारत इतनी फयी थी कक कोई बगिान को ऩकाय रगाता था तो कोई दफयर कॊ ठ स भाॉndashभाॉ ऩकायता था |

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15 चारी चजतरन मानी हभ सफ

रखक-पवषण खय

ऩाि का सायाॊश ndashचारक चनदपरन न हासम कराकाय क रऩ भ ऩयी दननमा क फहत फड़ दशयक िगय को हॉसामा ह | उनकी कपलभो न कपलभ करा को रोकताॊबतरक फनान क साथ-साथ दशको की िगय औय िणय-वमिसथा को बी तोड़ा | चारक न करा भ फवदध की अऩा बािना को भहतति हदमा ह | फचऩन क सॊघरो न चारक क बािी कपलभो की बसभ तमाय कय दी थी| बायतीम करा औय सौदमयशासतर भ करणा का हासम भ ऩरयितयन बायतीम ऩयमऩया भ नहीॊ सभरता रककन चारक एक ऐसा जादई वमनदकतति ह जो हय दश सॊसकनत औय सभमता को अऩना सा रगता ह| बायतीम जनता न बी उनदह सहज बाि स सिीकाय ककमा ह| सिमॊ ऩय हॉसना चारक न ही ससखामा| बायतीम ससनभा जगत क सपरससदध कराकाय याजकऩय को चारक का बायतीमकयण कहा गमा ह | चारक की अधधकाॊश किलभ भक ह इससरए उनदह अधधक भानिीम होना ऩड़ा | ऩाठ भ हासम कपलभो क भहान असबनता lsquoचारक चनदपरनrsquo की जादई विशरताओॊ का उलरख ककमा गमा ह नदजसभ उसन करणा औय हासम भ साभॊजसम सथावऩत कय किलभो को साियबौसभक रऩ परदान ककमा

परशन१ -चारी क जीवन ऩय परबाव िारन वारी भखम घटनाएॉ कौन सी थी

उततय- चारक क जीिन भ दो ऐसी घटनाएॉ घटीॊ नदजनदहोन उनक बािी जीिन ऩय फहत परबाि डारा |

ऩहरी घटना - जफ चारक फीभाय थ उनकी भाॉ उनदह ईसा भसीह की जीिनी ऩढ़कय सना यही थी | ईसा क सरी ऩय चढ़न क परसॊग तक आत-आत भाॉ-फटा दोनो ही योन रग| इस घटना न चारक को सनह करणा औय भानिता जस उचच जीिन भलम हदए |

दसयी घटना हndash फारक चारक कसाईखान क ऩास यहता था| िहाॉ सकड़ो जानियो को योज भाया जाता था| एक हदन एक बड़ िहाॉ स बाग ननकरी| बड़ को ऩकड़न की कोसशश भ कसाई कई फाय कपसरा| नदजस दखकय रोग हॊसन रग ठहाक रगान रग| जफ बड़ को कसाई न ऩकड़ सरमा तो फारक चारक योन रगा| इस घटना न उसक बािी कपलभो भ तरासदी औय हासमोतऩादक ततिो की बसभका तम कय दी |

परशन२ ndash आशम सऩषट कीजजएndash

चजतरन न लसपट कपलभकरा को ही रोकताॊबतरक नही फनामा फजलक दशटको की वगट तथा वणट-वमवसथा को बी तोड़ा|

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उततय- रोकताॊबतरक फनान का अथय ह कक कपलभ करा को सबी क सरए रोकवपरम फनाना औय िगय औय िणय-वमिसथा को तोड़न का आशम ह- सभाज भ परचसरत अभीय-गयीफ िणय जानतधभय क बदबाि को सभापत कयना |चनदपरन का चभतकाय मह ह कक उनदहोन कपलभकरा को बफना ककसी बदबाि क सबी रोगो तक ऩहॉचामा| उनकी कपलभो न सभम बगोर औय सॊसकनतमो की सीभाओॊ को राॉघ कय साियबौसभक रोकवपरमता हाससर की | चारक न मह ससदध कय हदमा कक करा सितनदतर होती ह अऩन ससदधाॊत सिमॊ फनाती ह |

परशन३ndash चारी चजतरन की कपलभो भ ननठहत तरासदीकरणाहासम का साभॊजसम बायतीम करा औय सौदमटशासतर की ऩरयधध भ कमो नहीॊ आता

उततय- चारक चनदपरन की कपलभो भ ननहहत तरासदीकरणाहासम का साभॊजसम बायतीम करा औय सौदमयशासतर की ऩरयधध भ नहीॊ आताकमोकक बायतीम यस-ससदधाॊत भ करणा औय हासम का भर नहीॊ हदखामा जाता कमोकक बायतीम सौदमयशासतर भ करणयस औय हासम यस को ऩयसऩय वियोधी भाना गमा ह अथायत जहाॊ करणा ह िहाॉ हासम नहीॊ हो सकता बायत भ सिमॊ ऩय हॉसन की ऩयॊऩया नहीॊ ह ऩयॊत चारक क ऩातर अऩन ऩय हॉसतndashहॉसात ह चारक की किलभो क दशम हॉसात-हॉसात ररा दत ह तो कबी करण दशम क फाद अचानक ही हॉसन ऩय भजफय कय दत ह

परशन४ndash चारी क कपलभो की पवशषताएॉ फताइए |

उततय- चारक की किलभो भ हासम औय करणा का अदभत साभॊजसम ह उनकी किलभो भ बारा का परमोग फहत कभ ह चारक की किलभो भ फवदध की अऩा बािना का भहतति अधधक ह उनकी किलभो भ साियबौसभकता ह चारक ककसी बी सॊसकनत को विदशी नही रगत चारक सफको अऩन रगत ह चारक न किलभो को रोकताॊबतरक फनामा औय किलभो भ िगय तथािणय-वमिसथा को तोड़ा अऩनी कपलभो भ चारक सदि धचय मिा हदखता ह

गदमाॊश-आधारयत अथटगरहण-सॊफॊधी परशनोततय

गदमाॊश सॊकत ndashचारक चनदपरन मानी हभ सफ (ऩरषठ १२० )

महद मह िरय चनदपरन की कापी कछ कहा जाएगा |

परशन (क)-पवकासशीर दशो भ चजतरन कमो भशहय हो यह ह

उततय - विकासशीर दशो भ जस-जस टरीविजन औय िीडडमो का परसाय हो यहा ह रोगो को उनकी कपलभो को दखन का अिसय सभर यहा ह |एक फहत फड़ा िगय नए ससय स चारक को घड़ी सधायत औय जत खान की कोसशश कयत दख यहा ह इसीसरए चारक विकासशीर दशो भ रोकवपरम हो यह ह |

(ख)- ऩजशचभ भ चारी का ऩनजीवन कस होता यहता ह

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उततय - ऩनदशचभ भ चारक की कपलभो का परदशयन होता यहता ह| उनकी करा स परयणा ऩाकय हासम किलभ फनती यहती ह | उनक दिाया ननबाए ककयदायो की नकर अनदम कराकाय कयत ह | ऩनदशचभ भ चारक का ऩनजीिन होता यहता ह|

(ग)- चारी को रोग फिाऩ तक कमो माद यखग

उततय ndashहासम कराकाय क रऩ भ रोग चारक को फढ़ाऩ तक माद यखग कमोकक उनकी करा सभम बगोर औय सॊसकनतमो की सीभाओॊ को राॉघकय राखो रोगो को हॉसा यही ह|

(घ)- चारी की कपलभो क फाय भ कापी कछ कहा जाना कमो फाी ह

उततय ndashचनदपरन की ऐसी कछ किलभ मा इसतभार न की गमी यीर सभरी ह नदजनक फाय भ कोई नहीॊ जानता था | चारक की बािनापरधान हासम कपलभो न करा क नए परनतभान सथावऩत ककए ह अत चारक की कपलभो क फाय भ अबी कापी कछ कहा जाना फाी ह|

16 नभक

रखखका - यजजमा सजजाद जहीय

सायाॊश -lsquoनभकrsquoबायत-ऩाक विबाजन ऩय सरणखत भासभयक कहानी ह | विसथावऩत हए रोगो भ अऩनndashअऩन जनदभ सथानो क परनत आज बी रगाि ह| धासभयक आधाय ऩय फनी यारषर-याजमो की सीभा-यखाएॉ उनक अॊतभयन को अरग नहीॊ कय ऩाई ह | बायत भ यहन िारी ससख फीिी राहौय को अऩना ितन भानती ह औय बायतीम कसटभ अधधकायी ढाका क नारयमर ऩानी को मादकय उस सियशररषठ फताता ह दोनो दशो क नागरयको क फीच भहबफत का नभकीन सिाद आज बी कामभ ह इसीसरए सकिमा बायत भ यहन िारी अऩनी भॉहफोरी भाॉ ससख फीिी क सरए राहौयी नभक रान क सरए कसटभ औय कानन की ऩयिाह नहीॊ कयती

परशन1- lsquoनभकrsquo ऩाि क आधाय ऩय फताइए कक सकपमा औय उसक बाई क पवचायो भ कमा अॊतय था

उततय- १-सकपमा बािनाओॊ को फहतभहतति दती ह ऩय उसका बाई फौवदधक परिनदतत का ह उसकी दनदरषट भ कानन बािनाओॊ स ऊऩय ह|

२-सकपमा भानिीम सॊफॊधो को फहत भहतति दती ह जफकक उसका बाई अरगाििादी विचायधाया का ह हहसस-फखय की फात कयता ह |

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३-सकपमा का बाई कहता ह कक अदीफो(साहहतमकाय) का हदभाग घभा हआ होता ह जफकक सकपमा जो सिमॊ अदीफ ह उसका भानना ह कक अगय सबी रोगो का हदभाग अदीफो की तयह घभा हआ होता तो दननमा कछ फहतय हो जाती |

परशन२- नभक र जात सभम सकफ़मा क भन भ कमा दपवधा थी

उततय-सकपमा समद भसरभान थी जो हय हार भ अऩना िामदा ननबात ह| ऩाककसतान स राहौयी नभक र जाकय िह अऩना िामदा ऩया कयना चाहती थी ऩयनदत जफ उस ऩता चरा कक कसटभ क ननमभो क अनसाय सीभाऩाय नभक र जाना िनदजयत ह तो िह दविधा भ ऩड़ गई | सकिमा का दिॊदि मह था कक िह अऩनी ससख भाॉ क सरए नभक कसटभ अधधकारयमो को फताकयर जाए मा नछऩाकय|

परशन३- ऩाि क आधाय ऩय सकपमा की चारयबतरक पवशषताएॉ फताइए |

उततय सॊकत ndash

१- बािक २- ईभानदाय ३- दढ़ननशचमी ४- ननडय ५- िामद को ननबान िारी ६- भानिीम भलमो को सिोऩरय भानन िारी साहहतमकाय

परशन ४- lsquoनभकrsquo ऩाि भ आए ककयदायो क भाधमभ स सऩषट कीजजए कक आज बी बायत औय ऩाककसतान की जनता क फीच भहबफत का नभकीन सवाद घरा हआ ह |

उततय ndash बर ही याजनीनतक औय धासभयक आधाय ऩय बायत औय ऩाककसतान को बौगोसरक रऩ स विबानदजत कय हदमा गमा ह रककन दोनो दशो क रोगो क रदम भ आज बी ऩायसऩरयक बाईचाया सौहादरय सनह औय सहानबनत विदमभान ह | याजनीनतक तौय ऩय बर ही सॊफॊध तनािऩणय हो ऩय साभानदजक तौय ऩय आज बी जनता क फीच भहबफत का नभकीन सिाद घरा हआ ह | अभतसय भ यहन िारी ससख फीफी राहौय को अऩना ितन कहती ह औय राहौयी नभक का सिाद नहीॊ बरा ऩाती | ऩाककसतान का कसटभ अधधकायी नभक की ऩडड़मा सकपमा को िाऩस दत हए कहता ह rdquoजाभा भनदसजद की सीहढ़मो को भया सराभ कहना |rdquo बायतीम सीभा ऩय तनात कसटभ अधधकायी ढाका की जभीन को औय िहाॉ क ऩानी क सिाद को नहीॊ बर ऩाता |

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गदमाॊश-आधारयत अथटगरहण सॊफॊधधत परशनोततय

गदमाॊश सॊकत- ऩाठndash नभक (ऩरषठ १३४)

सकपमा कसटभ क जॊगर स दोनो क हाथो भ थी |

(क) सकपमा कसटभ क जॉगर स ननकरकय दसय तरटपाभट ऩय आ गमी व वहीॊ खड़ यहndash इस वाकम भ lsquoवrsquo शबद का परमोग ककसक लरए ककमा गमा ह

उततय- महाॉ lsquoिrsquo शबद का परमोग ऩाककसतानी कसटभ अधधकायी क सरए ककमा गमा ह जो विबाजन स ऩिय हदलरी भ यहत थ औय आज बी हदलरी को ही अऩना ितन भानत ह |

(ख) तरटपाभट ऩय सकपमा को पवदा कयन कौन-कौन आए थ उनहोन सकपमा को कस पवदाई दी

उततय- परटपाभय ऩय सकपमा को विदा कयन उसक फहत साय सभतर सग सॊफॊधी औय बाई आए थ| उनदहोन ठॊडी साॉस बयत हए सबॊच हए होठो क साथ आॉस फहात हए सकपमा को विदाई दी |

(ग) अटायी भ यरगाड़ी भ कमा ऩरयवतटन हए उततय- अटायी भ यरगाड़ी स ऩाककसतानी ऩसरस उतयी औय हहनददसतानी ऩसरस सिाय हो गई|

(घ) कौन सी फात सकपमा की सभझ भ नहीॊ आ यही थी उततय- दोनो ओय एक सी जभीन एक जसा आसभान एक सी बारा एक सा ऩहनािा औय एक सी सयत क रोग कपय बी दोनो क हाथो भ बयी हई फॊदक ह |

17 लशयीष क पर

आचामट हजायी परसाद दपववदी

सायाॊश ndashlsquoआचामय हजायी परसाद दवििदीrsquo सशयीर को अदभत अिधत भानत ह कमोकक सॊनदमासी की बाॉनत िह सख-दख की धचॊता नहीॊ कयता गभी र िराय औय आॉधी भ बी अविचर खड़ा यहता ह सशयीर क िर क भाधमभ स भनरषम की अजम नदजजीविरा धमयशीरता औय कतयवमननरषठ फन यहन क भानिीम भलमो को सथावऩत ककमा गमा हरखक न सशयीर क कोभर परो औय कठोय परो क दिाया सऩरषट ककमा ह कक रदम की कोभरता फचान क सरए कबी-कबी वमिहाय की कठोयता बी आिशमक हो जाती ह| भहान कवि कासरदास औय कफीय बी सशयीर की तयह फऩयिाह अनासकत औय सयस थ तबी उनदहोन इतनी सनददय यचनाएॉ सॊसाय को दीॊ| गाॉधीजी क वमनदकतति भ बी कोभरता औय कठोयता का अदभत सॊगभ था | रखक सोचता ह कक हभाय दश भ जो भाय-काट अनदगनदाह रट-ऩाट खन-खचचय का फिॊडय ह कमा िह दश को नदसथय नहीॊ यहन दगा गराभी अशाॊनत औय वियोधी िाताियण क फीच अऩन ससदधाॊतो की या कयत हए गाॉधीजी जी नदसथय यह सक थ तो दश बी यह सकता ह जीन की परफर असबरारा क कायण

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विरभ ऩरयनदसथतमो भ बी महद सशयीर णखर सकता ह तो हभाया दश बी विरभ ऩरयनदसथनतमो भ नदसथय यह कय विकास कय सकता ह

परशन1-लसदध कीजजए कक लशयीष कारजमी अवधत की बाॉनत जीवन की अजमता क भॊतर का परचाय कयता ह

उततय- सशयीर कारजमी अिधत की बाॉनत जीिन की अजमता क भॊतर का परचाय कयता ह| जफ ऩथिी अनदगन क सभान तऩ यही होती ह िह तफ बी कोभर परो स रदा रहरहाता यहता ह|फाहयी गयभी धऩ िराय आॉधी र उस परबावित नहीॊ कयती इतना ही नहीॊ िह रॊफ सभम तक णखरा यहता ह | सशयीर विऩयीत ऩरयनदसथनतमो भ बी धमयशीर यहन तथा अऩनी अजम नदजजीविरा क साथ ननसऩह बाि स परचॊड गयभी भ बी अविचर खड़ा यहता ह

परशन२-आयगवध (अभरतास) की तरना लशयीष स कमो नहीॊ की जा सकती

उततय- सशयीर क पर बमॊकय गयभी भ णखरत ह औय आराढ़ तक णखरत यहत ह जफकक अभरतास का पर किर ऩनददरह-फीस हदनो क सरए णखरता ह | उसक फाद अभरतास क पर झड़ जात ह औय ऩड़ कपय स ठॉठ का ठॉठ हो जाता ह | अभरतास अलऩजीिी ह | विऩयीत ऩरयनदसथनतमो को झरता हआ ऊरषण िाताियण को हॉसकय झरता हआ सशयीर दीघयजीिी यहता ह | मही कायण ह कक सशयीर की तरना अभरतास स नहीॊ की जा सकती |

परशन३-लशयीष क परो को याजनताओॊ का रऩक कमो ठदमा गमा ह

उततय- सशयीर क पर उन फढ़ ढीठ औय ऩयान याजनताओॊ क परतीक ह जो अऩनी कसी नहीॊ छोड़ना चाहत | अऩनी अधधकाय-सरपसा क सरए नए मिा नताओॊ को आग नहीॊ आन दत | सशयीर क नए परो को जफयदसती ऩयान परो को धककमाना ऩड़ता ह | याजनीनत भ बी नई मिा ऩीढ़ी ऩयानी ऩीढ़ी को हयाकय सिमॊ सतता सॉबार रती ह |

परशन४- कार दवता की भाय स फचन का कमा उऩाम फतामा गमा ह

उततय- कार दिता कक भाय स फचन का अथय हndash भतम स फचना | इसका एकभातर उऩाम मह ह कक भनरषम नदसथय न हो| गनतशीर ऩरयितयनशीर यह | रखक क अनसाय नदजनकी चतना सदा ऊधियभखी (आधमातभ की ओय) यहती ह ि हटक जात ह |

परशन५- गाॉधीजी औय लशयीष की सभानता परकट कीजजए |

उततय- नदजस परकाय सशयीर धचरधचराती धऩ र िराय औय आॉधी भ बी अविचर खड़ा यहता ह अनासकत यहकय अऩन िाताियण स यस खीॊचकय सयस कोभर फना यहता ह उसी परकाय गाॉधी जी न बी अऩनी आॉखो क साभन आजादी क सॊगराभ भ अनदमाम बदबाि औय हहॊसा को झरा |

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उनक कोभर भन भ एक ओय ननयीह जनता क परनत असीभ करणा जागी िहीॊ ि अनदमामी शासन क वियोध भ डटकय खड़ हो गए |

गदमाॊश-आधारयत अथटगरहण सॊफॊधधत परशनोततय

गदमाॊश सॊकत- ऩाठ ndash सशयीर क पर (ऩरषठ १४७)

कासरदास सौदमय क िह इशाया ह |

(क) कालरदास की सौदमटndashदजषट की कमा पवशषता थी उततय-कासरदास की सौदमयndashदनदरषट फहत सकषभ अॊतबदी औय सॊऩणय थी| ि किर फाहयी रऩ-यॊग औय आकाय को ही नहीॊ दखत थ फनदलक अॊतभयन की सॊदयता क बी ऩायखी थ| कासरदास की सौदमय शायीरयक औय भानससक दोनो विशरताओॊ स मकत था |

(ख) अनासजकत का कमा आशम ह उततय- अनासनदकत का आशम ह- वमनदकतगत सख-द ख औय याग-दिर स ऩय यहकय सौदमय क िासतविक भभय को जानना |

(ग) कालरदास ऩॊत औय यवीॊिनाथ टगोय भ कौन सा गण सभान था भहाकवि कासरदास ससभतरानॊदन ऩॊत औय गरदि यिीॊदरनाथ टगोय तीनो नदसथयपरऻ औय अनासकत कवि थ | ि सशयीर क सभान सयस औय भसत अिधत थ |

(घ) यवीॊिनाथ याजोदमान क लसॊहदवाय क फाय भ कमा सॊदश दत ह याजोदमान क फाय भ यिीॊदरनाथ कहत ह याजोदमान का ससॊहदिाय ककतना ही सॊदय औय गगनचमफी कमो ना हो िह अॊनतभ ऩड़ाि नहीॊ ह| उसका सौदमय ककसी औय उचचतभ सौदमय की ओय ककमा गमा सॊकत भातर ह कक असरी सौदमय इस ऩाय कयन क फाद ह अत याजोदमान का ससॊहदिाय हभ आग फढ़न की परयणा दता ह |

18शरभ-पवबाजन औय जानत-परथा

िॉ० बीभयाव अॊफिकय

सायाॊश ndash इस ऩाठ भ रखक न जानतिाद क आधाय ऩय ककए जान िार बदबाि को सभम सभाज क सरए हाननकायक फतामा ह | जानत आधारयत शरभ विबाजन को असिाबाविक औय भानिता वियोधी फतामा गमा ह मह साभानदजक बदबाि को फढ़ाता ह जानतपरथा आधारयत शरभ विबाजन भ वमनदकत की रधच को भहतति नहीॊ हदमा जाता परसिरऩ वििशता क साथ अऩनाए

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Page 34: ISSUED BY KENDRIYA VIDYALAYA - DOWNLOADED FROM … Class XII Hindi Part B.pdfप्रश्न४ :-फादर क / फयन का गयीफ एि धनी िगय क्मा

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12 फाजाय-दशटन

रखक- जनि कभाय

ऩाि का सायाॊश फाजाय-दशयन ऩाठ भ फाजायिाद औय उऩबोकतािाद क साथ-साथ अथयनीनत एिॊ दशयन स सॊफॊधधत परशनो को सरझान का परमास ककमा गमा ह फाजाय का जाद तबी असय कयता ह जफ भन खारी हो| फाजाय क जाद को योकन का उऩाम मह ह कक फाजाय जात सभम भन खारी ना हो भन भ रकषम बया हो| फाजाय की असरी कताथयता ह जरयत क िकत काभ आना| फाजाय को िही भनरषम राब द सकता ह जो िासति भ अऩनी आिशमकता क अनसाय खयीदना चाहता ह| जो रोग अऩन ऩसो क घभॊड भ अऩनी ऩचनदजॊग ऩािय को हदखान क सरए चीज खयीदत ह ि फाजाय को शतानी वमॊगम शनदकत दत ह| ऐस रोग फाजारऩन औय कऩट फढात ह | ऩस की मह वमॊगम शनदकत वमनदकत को अऩन सग रोगो क परनत बी कतघन फना सकती ह | साधायण जन का रदम रारसा ईरषमाय औय तरषणा स जरन रगता ह | दसयी ओय ऐसा वमनदकत नदजसक भन भ रश भातर बी रोब औय तरषणा नहीॊ ह सॊचम की इचछा नहीॊ ह िह इस वमॊगम-शनदकत स फचा यहता ह | बगतजी ऐस ही आतभफर क धनी आदशय गराहक औय फचक ह नदजन ऩय ऩस की वमॊगम-शनदकत का कोई असय नहीॊ होता | अनक उदाहयणो क दिाया रखक न मह सऩरषट ककमा ह कक एक ओय फाजाय रारची असॊतोरी औय खोखर भन िार वमनदकतमो को रटन क सरए ह िहीॊ दसयी ओय सॊतोरी भन िारो क सरए फाजाय की चभक-दभक उसका आकरयण कोई भहतति नहीॊ यखता

परशन१ - ऩचजजॊग ऩावय ककस कहा गमा ह फाजाय ऩय इसका कमा परबाव ऩड़ता ह

उततय- ऩचनदजॊग ऩािय का अथय ह खयीदन की शनदकत ऩचनदजॊग ऩािय क घभॊड भ वमनदकत हदखाि क सरए आिशमकता स अधधक खयीदायीकयता ह औय फाजाय को शतानी वमॊगम-शनदकत दता ह ऐस रोग फाजाय का फाजारऩन फढ़ात ह

परशन२ -रखक न फाजाय का जाद ककस कहा ह इसका कमा परबाव ऩड़ता ह

उततय- फाजाय की चभक-दभक क चॊफकीम आकरयण को फाजाय का जाद कहा गमा ह मह जाद आॊखो की याह कामय कयता ह फाजाय क इसी आकरयण क कायण गराहक सजी-धजी चीजो को आिशमकता न होन ऩय बी खयीदन को वििश हो जात ह

परशन३ -आशम सऩषट कय

भन खारी होना भन बया होना भन फॊद होना

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उततय-भन खारी होना- भन भ कोई नननदशचत िसत खयीदन का रकषम न होना ननरददशम फाजाय जाना औय वमथय की चीजो को खयीदकय राना

भन बया होना- भन रकषम स बया होना नदजसका भन बया हो िह बरीबाॉनत जानता ह कक उस फाजाय स कौन सी िसत खयीदनी ह अऩनी आिशमकता की चीज खयीदकय िह फाजाय को साथयकता परदान कयता ह

भन फॊद होना-भन भ ककसी बी परकाय की इचछा न होना अथायत अऩन भन को शनदम कय दना

परशन४ - lsquoजहाॉ तषणा ह फटोय यखन की सऩहा ह वहाॉ उस फर का फीज नहीॊ हrsquo महाॊ ककस फर की चचाट की गमी ह

उततय- रखक न सॊतोरी सिबाि क वमनदकत क आतभफरकी चचाय की ह दसय शबदो भ महद भन भ सॊतोर हो तो वमनदकत हदखाि औय ईरषमाय की बािना स दय यहता ह उसभ सॊचम कयन की परिनदतत नहीॊ होती

परशन५ - अथटशासतर अनीनतशासतर कफ फन जाता ह

उततय- जफ फाजाय भ कऩट औय शोरण फढ़न रग खयीददाय अऩनी ऩचधचॊग ऩािय क घभॊड भ हदखाि क सरए खयीददायी कय | भनरषमो भ ऩयसऩय बाईचाया सभापत हो जाए| खयीददाय औय दकानदाय एक दसय को ठगन की घात भ रग यह एक की हानन भ दसय को अऩना राब हदखाई द तो फाजाय का अथयशासतर अनीनतशासतर फन जाता ह ऐस फाजाय भानिता क सरए विडॊफना ह

परशन६-बगतजी फाजाय औय सभाज को ककस परकाय साथटकता परदान कय यह ह

उततय- बगतजी क भन भ साॊसारयक आकरयणो क सरए कोई तरषणा नहीॊ ह ि सॊचम रारच औय हदखाि स दय यहत ह फाजाय औय वमाऩाय उनक सरए आिशमकताओॊ की ऩनत य का साधन भातर ह बगतजी क भन का सॊतोर औय ननसऩह बाि उनको शररषठ उऩबोकता औय विकरता फनात ह

परशन ७ _ बगत जी क वमजकततव क सशकत ऩहरओॊ का उलरख कीजजए |

उततय-ननमनाॊककत बफॊद उनक वमनदकतति क सशकत ऩहर को उजागय कयत ह

ऩॊसायी की दकान स किर अऩनी जरयत का साभान (जीया औय नभक) खयीदना नननदशचत सभम ऩय चयन फचन क सरए ननकरना छह आन की कभाई होत ही चयन फचना फॊद कय दना फच हए चयन को फचचो को भफ़त फाॉट दना

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सबी काजम-जम याभ कहकय सिागत कयना फाजाय की चभक-दभक स आकवरयत न होना सभाज को सॊतोरी जीिन की सशा दना

परशन7-फाजाय की साथटकता ककसभ ह

उततय- भनरषम की आिशमकताओॊ की ऩनतय कयन भ ही फाजाय की साथयकता ह जो गराहक अऩनी आिशमकताओॊ की चीज खयीदत ह ि फाजाय को साथयकता परदान कयत ह जो विकरता गराहको का शोरण नहीॊ कयत औय छर-कऩट स गराहको को रबान का परमास नही कयत ि बी फाजाय को साथयक फनात ह

गदमाॊश-आधारयत अथटगरहण-सॊफॊधधत परशनोततय

फाजाय भ एक जाद ह िह जाद आॉख की तयह काभ कयता ह िह रऩ का जाद ह ऩय जस चॊफक का जाद रोह ऩय ही चरता ह िस ही इस जाद की बी भमायदा ह जफ बयी हो औय भन खारी हो ऐसी हारत भ जाद का असय खफ होता ह जफ खारी ऩय भन बया न हो तो बी जाद चर जाएगा भन खारी ह तो फाजाय की अनकानक चीजो का ननभॊतरण उस तक ऩहॉच जाएगा कहीॊ हई उस िकत जफ बयी तफ तो कपय िह भन ककसकी भानन िारा ह भारभ होता ह मह बी रॉ िह बी रॉ सबी साभान जरयी औय आयाभ को फढ़ान िारा भारभ होता ह ऩय मह सफ जाद का असय ह जाद की सिायी उतयी कक ऩता चरता ह कक प सी-चीजो की फहतामत आयाभ भ भदद नहीॊ दती फनदलक खरर ही डारती ह थोड़ी दय को सिासबभान को जरय सक सभर जाता ह ऩय इसस असबभान को धगलटी की खयाक ही सभरती ह जकड़ यशभी डोयी की हो तो यशभ क सऩशय क भरामभ क कायण कमा िह कभ जकड़ दगी

ऩय उस जाद की जकड़ स फचन का एक सीधा उऩाम ह िह मह कक फाजाय जाओ तो खारी भन न हो भन खारी हो तफ फाजाय न जाओ कहत ह र भ जाना हो तो ऩानी ऩीकय जाना चाहहए ऩानी बीतय हो र का रऩन वमथय हो जाता ह भन रकषम स बया हो तो फाजाय परा का परा ही यह जाएगा तफ िह घाि बफरकर नहीॊ द सकगा फनदलक कछ आनॊद ही दगा तफ फाजाय तभस कताथय होगा कमोकक तभ कछ न कछ सचचा राब उस दोग फाजाय की असरी कताथयता ह आिशमकता क सभम काभ आना

परशन-1 फाजाय क जाद को रखक न कस सऩषट ककमा ह

उततय- फाजाय क रऩ का जाद आॉखो की याह स काभ कयता हआ हभ आकवरयत कयता ह फाजाय का जाद ऐस चरता ह जस रोह क ऊऩय चॊफक का जाद चरता ह चभचभाती योशनी भ सजी

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प सी चीॊज गराहक को अऩनी ओय आकवरयत कयती ह| इसी चमफकीम शनदकत क कायण वमनदकत कपजर साभान को बी खयीद रता ह |

परशन-2 जफ बयी हो औय भन खारी तो हभायी कमा दशा होती ह

उततय- जफ बयी हो औय भन खारी हो तो हभाय ऊऩय फाजाय का जाद खफ असय कयता ह भन खारी ह तो फाजाय की अनकानक चीजो का ननभॊतरण भन तक ऩहॉच जाता ह औय उस सभम महद जफ बयी हो तो भन हभाय ननमॊतरण भ नहीॊ यहता

परशन-3 प सी चीजो की फहतामत का कमा ऩरयणाभ होता ह

उततय- प सी चीज आयाभ की जगह आयाभ भ वमिधान ही डारती ह थोड़ी दय को असबभान को जरय सक सभर जाती ह ऩय हदखाि की परिनदतत भ िवदध होती ह

परशन-4 जाद की जकड़ स फचन का कमा उऩाम ह

उततय- जाद की जकड़ स फचन क सरए एक ही उऩाम ह िह मह ह कक फाजाय जाओ तो भन खारी न हो भन खारी हो तो फाजाय भत जाओ

13 कार भघा ऩानी द

रखक-धभटवीय बायती

ऩाि का सायाॊश -lsquoकार भघा ऩानी दrsquo ननफॊध रोकजीिन क विशिास औय विऻान क तकय ऩय आधारयत ह जफ बीरण गभी क कायण वमाकर रोग िराय कयान क सरए ऩजा-ऩाठ औय कथा-विधान कय थकndashहाय जात ह तफ िराय कयान क सरए अॊनतभ उऩाम क रऩ भ इनददय सना ननकरती ह| इनददय सना नॊग-धड़ॊग फचचो की टोरी ह जो कीचड़ भ रथऩथ होकय गरी-भोहलर भ ऩानी भाॉगन ननकरती ह| रोग अऩन घय की छतो-णखड़ककमो स इनददय सना ऩय ऩानी डारत ह | रोगो की भानदमता ह कक इनददर फादरो क सिाभी औय िराय क दिता ह| इनददर की सना ऩय ऩानी डारन स इनददर बगिान परसनदन होकय ऩानी फयसाएॊग | रखक का तकय ह कक जफ ऩानी की इतनी कभी ह तो रोग भनदशकर स जभा ककए ऩानी को फालटी बय-बयकय इनददय सना ऩय डारकय ऩानी को कमो फफायद कयत ह आमयसभाजी विचायधाया िारा रखक इस अॊधविशिास भानता ह | इसक विऩयीत रखक की जीजी उस सभझाती ह कक मह ऩानी की फफायदी नहीॊ फनदलक ऩानी की फिाई ह | कछ ऩान क सरए कछ दना ऩड़ता ह | तमाग क बफना दान नहीॊ होता| परसतत ननफॊध भ रखक न भरषटाचाय की सभसमा को उठात हए कहा ह कक जीिन भ कछ ऩान क सरए तमाग आिशमक ह जो रोग तमाग औय दान की भहतता को नहीॊ भानत ि ही भरषटाचाय भ सरपत यहकय दश औय सभाज को रटत ह| जीजी की आसथा बािनातभक सचचाई को ऩरषट कयती ह औय तकय किर िऻाननक तथम को सतम भानता ह जहाॉ तकय मथाथय क

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कठोय धयातर ऩय सचचाई को ऩयखता ह तो िहीॊ आसथा अनहोनी फात को बी सिीकाय कय भन को सॊसकारयत कयती ह बायत की सितॊतरता क ५० सार फाद बी दश भ वमापत बरषटाचाय औय सिाथय की बािना को दखकय रखक दखी ह | सयकाय दिाया चराई जा यही मोजनाएॉ गयीफो तक कमो नहीॊ ऩहॉच ऩा यहीॊ ह कार भघा क दर उभड़ यह ह ऩय आज बी गयीफ की गगयी पटी हई कमो ह रखक न मह परशन ऩाठको क सरए छोड़ हदमा ह |

परशन1-इनदय सना घय-घय जाकय ऩानी कमो भाॉगती थी

उततय- गाॉि क रोग फारयश क सरए बगिान इॊदर स पराथयना ककमा कयत थ जफ ऩजा-ऩाठवरत आहद उऩाम असिर हो जात थ तो बगिान इॊदर को परसनदन कयन क सरए गाॉि क ककशोय फचच कीचड़ भ रथऩथ होकय गरी-गरी घभकय रोगो स ऩानी भाॉगत थ

परशन2-इनदयसना को रखक भढक-भॊिरी कमो कहता ह जीजी क फायndashफाय कहन ऩय बी वह इनदयसना ऩय ऩानी प कन को याजी कमो नहीॊ होता

उततय- इनददयसना का कामय आमयसभाजी विचायधाया िार रखक को अॊधविशिास रगता ह उसका भानना ह कक महद इॊदयसना दिता स ऩानी हदरिा सकती ह तो सिमॊ अऩन सरए ऩानी कमो नहीॊ भाॉग रती ऩानी की कभी होन ऩय बी रोग घय भ एकतर ककम हए ऩानी को इॊदयसना ऩय ि कत ह रखक इस ऩानी की ननभयभ फयफादी भानता ह

परशन3- रि हए रखक को जीजी न ककस परकाय सभझामा

उततय- जीजी न रखक को पमाय स रडड-भठयी णखरात हए ननमन तकय हदए-

1- तमाग का भहततव- कछ ऩान क सरए कछ दना ऩड़ता ह 2- दान की भहतता- कवर-भननमो न दान को सफस ऊॉ चा सथान हदमा ह जो चीज अऩन

ऩास बी कभ हो औय अऩनी आिशमकता को बरकय िह चीज दसयो को दान कय दना ही तमाग ह |

3- इॊिदव को जर का अधमट चिाना- इॊदयसना ऩय ऩानी ि कना ऩानी की फयफादी नहीॊ फनदलक इॊदरदि को जर का अधमय चढ़ाना ह

4- ऩानी की फवाई कयना- नदजस परकाय ककसान िसर उगान क सरए जभीन ऩय फीज डारकय फिाई कयता ह िस ही ऩानी िार फादरो की िसर ऩान क सरए इनददय सना ऩय ऩानी डार कय ऩानी की फिाई की जाती ह

परशन4-नठदमो का बायतीम साभाजजक औय साॊसकनतक ऩरयवश भ कमा भहतव ह

उततय- गॊगा बायतीम सभाज भ सफस ऩजम सदानीया नदी ह नदजसका बायतीम इनतहास भ धासभयक ऩौयाणणक औय साॊसकनतक भहति ह | िह बायतीमो क सरए किर एक नदी नहीॊ अवऩत

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भाॉ ह सिगय की सीढ़ी ह भोदानमनी ह उसभ ऩानी नहीॊ अवऩत अभत तलम जर फहता ह बायतीम सॊसकनत भ नहदमो क ककनाय भानि सभमताएॉ परी-परी ह| फड़-फड़ नगय तीथयसथान नहदमो क ककनाय ही नदसथत ह ऐस ऩरयिश भबायतिासी सफस ऩहर गॊगा भमा की जम ही फोरग नहदमाॉ हभाय जीिन का आधाय ह हभाया दश कवर परधान ह नहदमो क जर स ही बायत बसभ हयी-बयी ह नहदमो क बफना जीिन की कलऩना नहीॊ कय सकत मही कायण ह कक हभ बायतीम नहदमो की ऩजा कयत ह |

परशन4-आजादी क ऩचास वषो क फाद बी रखक कमो दखी ह उसक भन भ कौन स परशन उि यह ह

उततय- आजादी क ऩचास िरो फाद बी बायतीमो की सोच भ सकायातभक फदराि न दखकय रखक दखी ह उसक भन भ कई परशन उठ यह ह-

1 कमा हभ सचच अथो भ सितनदतर ह 2 कमा हभ अऩन दश की सॊसकनत औय सभमता को सभझ ऩाए ह 3 यारषर ननभायण भ हभ ऩीछ कमो ह हभ दश क सरए कमा कय यह ह

4 हभ सिाथय औय भरषटाचाय भ सरपत यहत ह तमाग भ विशिास कमो नहीॊ कयत

5 सयकाय दिाया चराई जा यही सधायिादी मोजनाएॉ गयीफो तक कमो नहीॊ ऩहॉचती ह

गदमाॊश ऩय आधारयत अथटगरहण-सॊफॊधधत परशनोततय

सचभच ऐस हदन होत जफ गरी-भहलरा गाॉि-शहय हय जगह रोग गयभी भ बन-बन कय तराहहभाभ कय यह होत जठ क दसतऩा फीतकय आराढ का ऩहरा ऩखिाड़ा फीत चका होता ऩय कषनतज ऩय कहीॊ फादरो की यख बी नहीॊ दीखती होती कएॉ सखन रगत नरो भ एक तो फहत कभ ऩानी आता औय आता बी तो आधी यात को िो बी खौरता हआ ऩानी हो | शहयो की तरना भ गाॉि भ औय बी हारत खयाफ थी| जहाॉ जताई होनी चाहहए थी िहाॉ खतो की सभटटी सखकय ऩतथय हो जाती कपय उसभ ऩऩड़ी ऩड़कय जभीन पटन रगती र ऐसी कक चरत-चरत आदभी धगय ऩड़ | ढोय-डॊगय पमास क भाय भयन रगत रककन फारयश का कहीॊ नाभ ननशान नहीॊ ऐस भ ऩजा-ऩाठ कथा-विधान सफ कयक रोग जफ हाय जात तफ अॊनतभ उऩाम क रऩ भ ननकरती मह इनददय सना |

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परशन१- वषाट न होन ऩय रोगो की कमा जसथनत हो गमी थी उततय - िराय न होन ऩय गयभी क कायण रोग र रगन स फहोश होन रग | गाॉि-शहय सबी जगह ऩानी का अबाि हो गमा| कएॉ सख गए खतो की सभटटी सखकय ऩतथय क सभान कठोय होकय पट गमी| घयो भ नरो भ ऩानी फहत कभ आता था | ऩश पमास क भाय भयन रग थ | परशन२- वषाट क दवता कौन ह उनको परसनन कयन क लरए कमा उऩाम ककए जात थ उततय -िराय क दिता बगिान इनददर ह| उनको परसनदन कयन क सरए ऩजाndashऩाठ कथा-विधान कयाए जात थ | ताकक इनददर दि परसनदन होकय फादरो की सना बजकय झभाझभ फारयश कयाएॉ औय रोगो क करषट दय हो | परशन३- वषाट कयान क अॊनतभ उऩाम क रऩ भ कमा ककमा जाता था उततय ndashजफ ऩजा-ऩाठ कथा-विधान सफ कयक रोग हाय जात थ तफ अॊनतभ उऩाम क रऩ भ इनददय सना आती थी | नॊग-धडॊग कीचड़ भ रथऩथ lsquoकार भघा ऩानी द ऩानी द गड़धानी दrsquo की टय रगाकय पमास स सखत गरो औय सखत खतो क सरए भघो को ऩकायती हई टोरी फनाकय ननकर ऩड़ती थी| परशन४-आशम सऩषट कय ndash जठ क दसतऩा फीतकय आराढ़ का ऩहरा ऩखिाड़ा फीत चका होता ऩय कषनतज भ कहीॊ फादरो की यख बी नजय नहीॊ आती | आशम- जठ का भहीना ह बीरण गयभी ह| तऩत हए दस हदन फीत कय आराढ का भहीना बी आधा फीत गमा ऩय ऩानी क सरए तड़ऩत िराय की आशा भ आसभान की ओय ताकत रोगो को कहीॊ फादर नजय नहीॊ आ यह |

14 ऩहरवान की ढोरक

फ़णीशवयनाथ यण

ऩाि का सायाॊश ndashआॊचसरक कथाकाय िणीशियनाथ यण की कहानी ऩहरिान की ढोरक भ कहानी क भखम ऩातर रटटन क भाता-वऩता का दहाॊत उसक फचऩन भ ही हो गमा था | अनाथ रटटन को उसकी विधिा सास न ऩार-ऩोसकय फड़ा ककमा | उसकी सास को गाॉि िार सतात थ |

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रोगो स फदरा रन क सरए कशती क दाॉिऩच सीखकय कसयत कयक रटटन ऩहरिान फन गमा |

एक फाय रटटन शमाभनगय भरा दखन गमा जहाॉ ढोर की आिाज औय कशती क दाॉिऩच दखकय उसन जोश भ आकय नाभी ऩहरिान चाॉदससॊह को चनौती द दी | ढोर की आिाज स परयणा ऩाकय रटटन न दाॉि रगाकय चाॉद ससॊह को ऩटककय हया हदमा औय याज ऩहरिान फन गमा | उसकी खमानत दय-दय तक िर गमी| १५ िरो तक ऩहरिान अजम फना यहा| उसक दो ऩतर थ| रटटन न दोनो फटो को बी ऩहरिानी क गय ससखाए| याजा की भतम क फाद नए याजकभाय न गददी सॊबारी याजकभाय को घोड़ो की यस का शौक था भनजय न नम याजा को बड़कामा ऩहरिान औय उसक दोनो फटो क बोजनखचय को बमानक औय किजरखचय फतामा िरसिरऩ नए याजा न कशती को फॊद कयिा हदमा औय ऩहरिान रटटनससॊह को उसक दोनो फटो क साथ भहर स ननकार हदमा

याजदयफाय स ननकार हदए जान क फाद रटटन ससॊह अऩन दोनो फटो क साथ गाॉि भ झोऩड़ी फनाकय यहन रगा औय गाॉि क रड़को को कशती ससखान रगा| रटटन का सकर जमादा हदन नहीॊ चरा औय जीविकोऩाजयन क सरए उसक दोनो फटो को भजदयी कयनी ऩड़ी| इसी दौयान गाॉि भ अकार औय भहाभायी क कायण परनतहदन राश उठन रगी| ऩहरिान भहाभायी स डय हए रोगो को ढोरक फजाकय फीभायी स रड़न की सॊजीिनी ताकत दता था| एक हदन ऩहरिान क दोनो फट बी भहाभायी की चऩट भ आकय भय गए ऩय उस यात बी ऩहरिान ढोरक फजाकय रोगो को हहमभत फॊधा यहा था | इस घटना क चाय-ऩाॉच हदन फाद ऩहरिान की बी भौत हो जाती ह|

ऩहरिान की ढोरक वमिसथा क फदरन क साथ रोक कराकाय क अपरासॊधगक हो जान की कहानी ह इस कहानी भ रटटन नाभ क ऩहरिान की हहमभत औय नदजजीविरा का िणयन ककमा गमा ह बख औय भहाभायी अजम रटटन की ऩहरिानी को िट ढोर भ फदर दत ह इस करण तरासदी भ ऩहरिान रटटन कई सिार छोड़ जाता ह कक करा का कोई सितॊतर अनदसतति ह मा करा किर वमिसथा की भोहताज ह

परशन1- रटटन को ऩहरवान फनन की परयणा कस लभरी

उततय- रटटन जफ नौ सार का था तो उसक भाता-वऩता का दहाॊत हो गमा था | सौबागम स उसकी शादी हो चकी थी| अनाथ रटटन को उसकी विधिा सास न ऩार-ऩोसकय फड़ा ककमा | उसकी सास को गाॉि िार ऩयशान कयत थ| रोगो स फदरा रन क सरए उसन ऩहरिान फनन की ठानी| धायोरषण दध ऩीकय कसयत कय उसन अऩना फदन गठीरा औय ताकतिय फना सरमा | कशती क दाॉिऩच सीखकय रटटन ऩहरिान फन गमा |

परशन2- यात क बमानक सननाट भ रटटन की ढोरक कमा करयशभा कयती थी

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उततय- यात क बमानक सनदनाट भरटटन की ढोरक भहाभायी स जझत रोगो को हहमभत फॉधाती थी | ढोरक की आिाज स यात की विबीवरका औय सनदनाटा कभ होता था| भहाभायी स ऩीडड़त रोगो की नसो भ बफजरी सी दौड़ जाती थी उनकी आॉखो क साभन दॊगर का दशम साकाय हो जाता था औय ि अऩनी ऩीड़ा बर खशी-खशी भौत को गर रगा रत थ इस परकाय ढोर की आिाज फीभाय-भतपराम गाॉििारो की नसो भ सॊजीिनी शनदकत को बय फीभायी स रड़न की परयणा दती थी

परशन3- रटटन न सवाटधधक ठहमभत कफ ठदखाई

उततय- रटटन ससॊह न सिायधधक हहमभत तफ हदखाई जफ दोनो फटो की भतम ऩय िह योमा नहीॊ फनदलक हहमभत स काभ रकय अकर उनका अॊनतभ सॊसकाय ककमा| मही नहीॊ नदजस हदन ऩहरिान क दोनो फट भहाभायी की चऩट भ आकय भय गए ऩय उस यात को बी ऩहरिान ढोरक फजाकय रोगो को हहमभत फॉधा यहा था| शमाभनगय क दॊगर भ ऩया जनसभदाम चाॉद ससॊह क ऩ भ था चाॉद ससॊह को हयात सभम रटटन न हहमभत हदखाई औय बफना हताश हए दॊगर भ चाॉद ससॊह को धचत कय हदमा |

परशन4- रटटन लसॊह याज ऩहरवान कस फना

उततय- शमाभनगय क याजा कशती क शौकीन थ उनदहोन दॊगर का आमोजन ककमा ऩहरिान रटटन ससॊह बी दॊगर दखन ऩहॉचा चाॊदससॊह नाभक ऩहरिान जो शय क फचच क नाभ स परससदध था कोई बी ऩहरिान उसस सबड़न की हहमभत नहीॊ कयता था चाॉदससॊह अखाड़ भ अकरा गयज यहा था रटटन ससॊह न चाॉदससॊह को चनौती द दी औय चाॉदससॊह स सबड़ गमाढ़ोर की आिाज सनकय रटटन की नस-नस भ जोश बय गमाउसन चाॉदससॊह को चायो खान धचत कय हदमा याजासाहफ न रटटन की िीयता स परबावित होकय उस याजऩहरिान फना हदमा

परशन5- ऩहरवान की अॊनतभ इचछा कमा थी

उततय- ऩहरिान की अॊनतभ इचछा थी कक उस धचता ऩय ऩट क फर सरटामा जाए कमोकक िह नदजॊदगी भ कबी धचत नहीॊ हआ था| उसकी दसयी इचछा थी कक उसकी धचता को आग दत सभम ढोर अिशम फजामा जाए |

परशन6- ढोर की आवाज औय रटटन क भ दाॉिऩच सॊफॊध फताइए-

उततय- ढोर की आिाज औय रटटन क दाॉिऩच भ सॊफॊध -

चट धा धगड़ धाrarr आजा सबड़ जा | चटाक चट धाrarr उठाकय ऩटक द | चट धगड़ धाrarrभत डयना |

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धाक धधना नतयकट नतनाrarr दाॉि काटो फाहय हो जाओ | धधना धधना धधक धधनाrarr धचत कयो

गदमाॊश-आधारयत अथटगरहण-सॊफॊधधत परशनोततय

अॉधयी यात चऩचाऩ आॉस फहा यही थी | ननसतबधता करण सससककमो औय आहो को अऩन रदम भ ही फर ऩियक दफान की चरषटा कय यही थी | आकाश भ ताय चभक यह थ | ऩथिी ऩय कहीॊ परकाश का नाभ नहीॊ| आकाश स टट कय महद कोई बािक ताया ऩथिी ऩय आना बी चाहता तो उसकी जमोनत औय शनदकत यासत भ ही शर हो जाती थी | अनदम ताय उसकी बािकता अथिा असपरता ऩय णखरणखराकय हॉस ऩड़त थ | ससमायो का करॊ दन औय ऩचक की डयािनी आिाज यात की ननसतबधता को बॊग कयती थी | गाॉि की झोऩडडमो स कयाहन औय क कयन की आिाज हय याभ ह बगिान की टय सनाई ऩड़ती थी| फचच बी ननफयर कॊ ठो स भाॉ ndashभाॉ ऩकायकय यो ऩड़त थ |

(क) अॉधयी यात को आॉस फहात हए कमो ठदखामा गमा ह उततयndash गाॉि भ हजा औय भररयमा परा हआ था | भहाभायी की चऩट भ आकाय रोग भय यह थ |चायो ओय भौत का सनाटा छामा था इससरए अॉधयी यात बी चऩचाऩ आॉस फहाती सी परतीत हो यही थी|

(ख) ताय क भाधमभ स रखक कमा कहना चाहता ह उततयndash ताय क भाधमभ स रखक कहना चाहता ह कक अकार औय भहाभायी स तरसत गाॉि िारो की ऩीड़ा को दय कयन िारा कोई नहीॊ था | परकनत बी गाॉि िारो क द ख स दखी थी| आकाश स टट कय महद कोई बािक ताया ऩथिी ऩय आना बी चाहता तो उसकी जमोनत औय शनदकत यासत भ ही शर हो जाती थी |

(ग) यात की ननसतबधता को कौन बॊग कयता था उततयndash ससमायो की चीख-ऩकाय ऩचक की डयािनी आिाज औय कततो का साभहहक रदन सभरकय यात क सनदनाट को बॊग कयत थ |

(घ) झोऩड़ड़मो स कसी आवाज आ यही ह औय कमो उततयndash झोऩडड़मो स योधगमो क कयाहन क कयन औय योन की आिाज आ यही ह कमोकक गाॉि क रोग भररयमा औय हज स ऩीडड़त थ | अकार क कायण अनदन की कभी हो गमी थी| औरधध औय ऩथम न सभरन क कायण रोगो की हारत इतनी फयी थी कक कोई बगिान को ऩकाय रगाता था तो कोई दफयर कॊ ठ स भाॉndashभाॉ ऩकायता था |

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15 चारी चजतरन मानी हभ सफ

रखक-पवषण खय

ऩाि का सायाॊश ndashचारक चनदपरन न हासम कराकाय क रऩ भ ऩयी दननमा क फहत फड़ दशयक िगय को हॉसामा ह | उनकी कपलभो न कपलभ करा को रोकताॊबतरक फनान क साथ-साथ दशको की िगय औय िणय-वमिसथा को बी तोड़ा | चारक न करा भ फवदध की अऩा बािना को भहतति हदमा ह | फचऩन क सॊघरो न चारक क बािी कपलभो की बसभ तमाय कय दी थी| बायतीम करा औय सौदमयशासतर भ करणा का हासम भ ऩरयितयन बायतीम ऩयमऩया भ नहीॊ सभरता रककन चारक एक ऐसा जादई वमनदकतति ह जो हय दश सॊसकनत औय सभमता को अऩना सा रगता ह| बायतीम जनता न बी उनदह सहज बाि स सिीकाय ककमा ह| सिमॊ ऩय हॉसना चारक न ही ससखामा| बायतीम ससनभा जगत क सपरससदध कराकाय याजकऩय को चारक का बायतीमकयण कहा गमा ह | चारक की अधधकाॊश किलभ भक ह इससरए उनदह अधधक भानिीम होना ऩड़ा | ऩाठ भ हासम कपलभो क भहान असबनता lsquoचारक चनदपरनrsquo की जादई विशरताओॊ का उलरख ककमा गमा ह नदजसभ उसन करणा औय हासम भ साभॊजसम सथावऩत कय किलभो को साियबौसभक रऩ परदान ककमा

परशन१ -चारी क जीवन ऩय परबाव िारन वारी भखम घटनाएॉ कौन सी थी

उततय- चारक क जीिन भ दो ऐसी घटनाएॉ घटीॊ नदजनदहोन उनक बािी जीिन ऩय फहत परबाि डारा |

ऩहरी घटना - जफ चारक फीभाय थ उनकी भाॉ उनदह ईसा भसीह की जीिनी ऩढ़कय सना यही थी | ईसा क सरी ऩय चढ़न क परसॊग तक आत-आत भाॉ-फटा दोनो ही योन रग| इस घटना न चारक को सनह करणा औय भानिता जस उचच जीिन भलम हदए |

दसयी घटना हndash फारक चारक कसाईखान क ऩास यहता था| िहाॉ सकड़ो जानियो को योज भाया जाता था| एक हदन एक बड़ िहाॉ स बाग ननकरी| बड़ को ऩकड़न की कोसशश भ कसाई कई फाय कपसरा| नदजस दखकय रोग हॊसन रग ठहाक रगान रग| जफ बड़ को कसाई न ऩकड़ सरमा तो फारक चारक योन रगा| इस घटना न उसक बािी कपलभो भ तरासदी औय हासमोतऩादक ततिो की बसभका तम कय दी |

परशन२ ndash आशम सऩषट कीजजएndash

चजतरन न लसपट कपलभकरा को ही रोकताॊबतरक नही फनामा फजलक दशटको की वगट तथा वणट-वमवसथा को बी तोड़ा|

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उततय- रोकताॊबतरक फनान का अथय ह कक कपलभ करा को सबी क सरए रोकवपरम फनाना औय िगय औय िणय-वमिसथा को तोड़न का आशम ह- सभाज भ परचसरत अभीय-गयीफ िणय जानतधभय क बदबाि को सभापत कयना |चनदपरन का चभतकाय मह ह कक उनदहोन कपलभकरा को बफना ककसी बदबाि क सबी रोगो तक ऩहॉचामा| उनकी कपलभो न सभम बगोर औय सॊसकनतमो की सीभाओॊ को राॉघ कय साियबौसभक रोकवपरमता हाससर की | चारक न मह ससदध कय हदमा कक करा सितनदतर होती ह अऩन ससदधाॊत सिमॊ फनाती ह |

परशन३ndash चारी चजतरन की कपलभो भ ननठहत तरासदीकरणाहासम का साभॊजसम बायतीम करा औय सौदमटशासतर की ऩरयधध भ कमो नहीॊ आता

उततय- चारक चनदपरन की कपलभो भ ननहहत तरासदीकरणाहासम का साभॊजसम बायतीम करा औय सौदमयशासतर की ऩरयधध भ नहीॊ आताकमोकक बायतीम यस-ससदधाॊत भ करणा औय हासम का भर नहीॊ हदखामा जाता कमोकक बायतीम सौदमयशासतर भ करणयस औय हासम यस को ऩयसऩय वियोधी भाना गमा ह अथायत जहाॊ करणा ह िहाॉ हासम नहीॊ हो सकता बायत भ सिमॊ ऩय हॉसन की ऩयॊऩया नहीॊ ह ऩयॊत चारक क ऩातर अऩन ऩय हॉसतndashहॉसात ह चारक की किलभो क दशम हॉसात-हॉसात ररा दत ह तो कबी करण दशम क फाद अचानक ही हॉसन ऩय भजफय कय दत ह

परशन४ndash चारी क कपलभो की पवशषताएॉ फताइए |

उततय- चारक की किलभो भ हासम औय करणा का अदभत साभॊजसम ह उनकी किलभो भ बारा का परमोग फहत कभ ह चारक की किलभो भ फवदध की अऩा बािना का भहतति अधधक ह उनकी किलभो भ साियबौसभकता ह चारक ककसी बी सॊसकनत को विदशी नही रगत चारक सफको अऩन रगत ह चारक न किलभो को रोकताॊबतरक फनामा औय किलभो भ िगय तथािणय-वमिसथा को तोड़ा अऩनी कपलभो भ चारक सदि धचय मिा हदखता ह

गदमाॊश-आधारयत अथटगरहण-सॊफॊधी परशनोततय

गदमाॊश सॊकत ndashचारक चनदपरन मानी हभ सफ (ऩरषठ १२० )

महद मह िरय चनदपरन की कापी कछ कहा जाएगा |

परशन (क)-पवकासशीर दशो भ चजतरन कमो भशहय हो यह ह

उततय - विकासशीर दशो भ जस-जस टरीविजन औय िीडडमो का परसाय हो यहा ह रोगो को उनकी कपलभो को दखन का अिसय सभर यहा ह |एक फहत फड़ा िगय नए ससय स चारक को घड़ी सधायत औय जत खान की कोसशश कयत दख यहा ह इसीसरए चारक विकासशीर दशो भ रोकवपरम हो यह ह |

(ख)- ऩजशचभ भ चारी का ऩनजीवन कस होता यहता ह

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उततय - ऩनदशचभ भ चारक की कपलभो का परदशयन होता यहता ह| उनकी करा स परयणा ऩाकय हासम किलभ फनती यहती ह | उनक दिाया ननबाए ककयदायो की नकर अनदम कराकाय कयत ह | ऩनदशचभ भ चारक का ऩनजीिन होता यहता ह|

(ग)- चारी को रोग फिाऩ तक कमो माद यखग

उततय ndashहासम कराकाय क रऩ भ रोग चारक को फढ़ाऩ तक माद यखग कमोकक उनकी करा सभम बगोर औय सॊसकनतमो की सीभाओॊ को राॉघकय राखो रोगो को हॉसा यही ह|

(घ)- चारी की कपलभो क फाय भ कापी कछ कहा जाना कमो फाी ह

उततय ndashचनदपरन की ऐसी कछ किलभ मा इसतभार न की गमी यीर सभरी ह नदजनक फाय भ कोई नहीॊ जानता था | चारक की बािनापरधान हासम कपलभो न करा क नए परनतभान सथावऩत ककए ह अत चारक की कपलभो क फाय भ अबी कापी कछ कहा जाना फाी ह|

16 नभक

रखखका - यजजमा सजजाद जहीय

सायाॊश -lsquoनभकrsquoबायत-ऩाक विबाजन ऩय सरणखत भासभयक कहानी ह | विसथावऩत हए रोगो भ अऩनndashअऩन जनदभ सथानो क परनत आज बी रगाि ह| धासभयक आधाय ऩय फनी यारषर-याजमो की सीभा-यखाएॉ उनक अॊतभयन को अरग नहीॊ कय ऩाई ह | बायत भ यहन िारी ससख फीिी राहौय को अऩना ितन भानती ह औय बायतीम कसटभ अधधकायी ढाका क नारयमर ऩानी को मादकय उस सियशररषठ फताता ह दोनो दशो क नागरयको क फीच भहबफत का नभकीन सिाद आज बी कामभ ह इसीसरए सकिमा बायत भ यहन िारी अऩनी भॉहफोरी भाॉ ससख फीिी क सरए राहौयी नभक रान क सरए कसटभ औय कानन की ऩयिाह नहीॊ कयती

परशन1- lsquoनभकrsquo ऩाि क आधाय ऩय फताइए कक सकपमा औय उसक बाई क पवचायो भ कमा अॊतय था

उततय- १-सकपमा बािनाओॊ को फहतभहतति दती ह ऩय उसका बाई फौवदधक परिनदतत का ह उसकी दनदरषट भ कानन बािनाओॊ स ऊऩय ह|

२-सकपमा भानिीम सॊफॊधो को फहत भहतति दती ह जफकक उसका बाई अरगाििादी विचायधाया का ह हहसस-फखय की फात कयता ह |

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३-सकपमा का बाई कहता ह कक अदीफो(साहहतमकाय) का हदभाग घभा हआ होता ह जफकक सकपमा जो सिमॊ अदीफ ह उसका भानना ह कक अगय सबी रोगो का हदभाग अदीफो की तयह घभा हआ होता तो दननमा कछ फहतय हो जाती |

परशन२- नभक र जात सभम सकफ़मा क भन भ कमा दपवधा थी

उततय-सकपमा समद भसरभान थी जो हय हार भ अऩना िामदा ननबात ह| ऩाककसतान स राहौयी नभक र जाकय िह अऩना िामदा ऩया कयना चाहती थी ऩयनदत जफ उस ऩता चरा कक कसटभ क ननमभो क अनसाय सीभाऩाय नभक र जाना िनदजयत ह तो िह दविधा भ ऩड़ गई | सकिमा का दिॊदि मह था कक िह अऩनी ससख भाॉ क सरए नभक कसटभ अधधकारयमो को फताकयर जाए मा नछऩाकय|

परशन३- ऩाि क आधाय ऩय सकपमा की चारयबतरक पवशषताएॉ फताइए |

उततय सॊकत ndash

१- बािक २- ईभानदाय ३- दढ़ननशचमी ४- ननडय ५- िामद को ननबान िारी ६- भानिीम भलमो को सिोऩरय भानन िारी साहहतमकाय

परशन ४- lsquoनभकrsquo ऩाि भ आए ककयदायो क भाधमभ स सऩषट कीजजए कक आज बी बायत औय ऩाककसतान की जनता क फीच भहबफत का नभकीन सवाद घरा हआ ह |

उततय ndash बर ही याजनीनतक औय धासभयक आधाय ऩय बायत औय ऩाककसतान को बौगोसरक रऩ स विबानदजत कय हदमा गमा ह रककन दोनो दशो क रोगो क रदम भ आज बी ऩायसऩरयक बाईचाया सौहादरय सनह औय सहानबनत विदमभान ह | याजनीनतक तौय ऩय बर ही सॊफॊध तनािऩणय हो ऩय साभानदजक तौय ऩय आज बी जनता क फीच भहबफत का नभकीन सिाद घरा हआ ह | अभतसय भ यहन िारी ससख फीफी राहौय को अऩना ितन कहती ह औय राहौयी नभक का सिाद नहीॊ बरा ऩाती | ऩाककसतान का कसटभ अधधकायी नभक की ऩडड़मा सकपमा को िाऩस दत हए कहता ह rdquoजाभा भनदसजद की सीहढ़मो को भया सराभ कहना |rdquo बायतीम सीभा ऩय तनात कसटभ अधधकायी ढाका की जभीन को औय िहाॉ क ऩानी क सिाद को नहीॊ बर ऩाता |

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गदमाॊश-आधारयत अथटगरहण सॊफॊधधत परशनोततय

गदमाॊश सॊकत- ऩाठndash नभक (ऩरषठ १३४)

सकपमा कसटभ क जॊगर स दोनो क हाथो भ थी |

(क) सकपमा कसटभ क जॉगर स ननकरकय दसय तरटपाभट ऩय आ गमी व वहीॊ खड़ यहndash इस वाकम भ lsquoवrsquo शबद का परमोग ककसक लरए ककमा गमा ह

उततय- महाॉ lsquoिrsquo शबद का परमोग ऩाककसतानी कसटभ अधधकायी क सरए ककमा गमा ह जो विबाजन स ऩिय हदलरी भ यहत थ औय आज बी हदलरी को ही अऩना ितन भानत ह |

(ख) तरटपाभट ऩय सकपमा को पवदा कयन कौन-कौन आए थ उनहोन सकपमा को कस पवदाई दी

उततय- परटपाभय ऩय सकपमा को विदा कयन उसक फहत साय सभतर सग सॊफॊधी औय बाई आए थ| उनदहोन ठॊडी साॉस बयत हए सबॊच हए होठो क साथ आॉस फहात हए सकपमा को विदाई दी |

(ग) अटायी भ यरगाड़ी भ कमा ऩरयवतटन हए उततय- अटायी भ यरगाड़ी स ऩाककसतानी ऩसरस उतयी औय हहनददसतानी ऩसरस सिाय हो गई|

(घ) कौन सी फात सकपमा की सभझ भ नहीॊ आ यही थी उततय- दोनो ओय एक सी जभीन एक जसा आसभान एक सी बारा एक सा ऩहनािा औय एक सी सयत क रोग कपय बी दोनो क हाथो भ बयी हई फॊदक ह |

17 लशयीष क पर

आचामट हजायी परसाद दपववदी

सायाॊश ndashlsquoआचामय हजायी परसाद दवििदीrsquo सशयीर को अदभत अिधत भानत ह कमोकक सॊनदमासी की बाॉनत िह सख-दख की धचॊता नहीॊ कयता गभी र िराय औय आॉधी भ बी अविचर खड़ा यहता ह सशयीर क िर क भाधमभ स भनरषम की अजम नदजजीविरा धमयशीरता औय कतयवमननरषठ फन यहन क भानिीम भलमो को सथावऩत ककमा गमा हरखक न सशयीर क कोभर परो औय कठोय परो क दिाया सऩरषट ककमा ह कक रदम की कोभरता फचान क सरए कबी-कबी वमिहाय की कठोयता बी आिशमक हो जाती ह| भहान कवि कासरदास औय कफीय बी सशयीर की तयह फऩयिाह अनासकत औय सयस थ तबी उनदहोन इतनी सनददय यचनाएॉ सॊसाय को दीॊ| गाॉधीजी क वमनदकतति भ बी कोभरता औय कठोयता का अदभत सॊगभ था | रखक सोचता ह कक हभाय दश भ जो भाय-काट अनदगनदाह रट-ऩाट खन-खचचय का फिॊडय ह कमा िह दश को नदसथय नहीॊ यहन दगा गराभी अशाॊनत औय वियोधी िाताियण क फीच अऩन ससदधाॊतो की या कयत हए गाॉधीजी जी नदसथय यह सक थ तो दश बी यह सकता ह जीन की परफर असबरारा क कायण

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विरभ ऩरयनदसथतमो भ बी महद सशयीर णखर सकता ह तो हभाया दश बी विरभ ऩरयनदसथनतमो भ नदसथय यह कय विकास कय सकता ह

परशन1-लसदध कीजजए कक लशयीष कारजमी अवधत की बाॉनत जीवन की अजमता क भॊतर का परचाय कयता ह

उततय- सशयीर कारजमी अिधत की बाॉनत जीिन की अजमता क भॊतर का परचाय कयता ह| जफ ऩथिी अनदगन क सभान तऩ यही होती ह िह तफ बी कोभर परो स रदा रहरहाता यहता ह|फाहयी गयभी धऩ िराय आॉधी र उस परबावित नहीॊ कयती इतना ही नहीॊ िह रॊफ सभम तक णखरा यहता ह | सशयीर विऩयीत ऩरयनदसथनतमो भ बी धमयशीर यहन तथा अऩनी अजम नदजजीविरा क साथ ननसऩह बाि स परचॊड गयभी भ बी अविचर खड़ा यहता ह

परशन२-आयगवध (अभरतास) की तरना लशयीष स कमो नहीॊ की जा सकती

उततय- सशयीर क पर बमॊकय गयभी भ णखरत ह औय आराढ़ तक णखरत यहत ह जफकक अभरतास का पर किर ऩनददरह-फीस हदनो क सरए णखरता ह | उसक फाद अभरतास क पर झड़ जात ह औय ऩड़ कपय स ठॉठ का ठॉठ हो जाता ह | अभरतास अलऩजीिी ह | विऩयीत ऩरयनदसथनतमो को झरता हआ ऊरषण िाताियण को हॉसकय झरता हआ सशयीर दीघयजीिी यहता ह | मही कायण ह कक सशयीर की तरना अभरतास स नहीॊ की जा सकती |

परशन३-लशयीष क परो को याजनताओॊ का रऩक कमो ठदमा गमा ह

उततय- सशयीर क पर उन फढ़ ढीठ औय ऩयान याजनताओॊ क परतीक ह जो अऩनी कसी नहीॊ छोड़ना चाहत | अऩनी अधधकाय-सरपसा क सरए नए मिा नताओॊ को आग नहीॊ आन दत | सशयीर क नए परो को जफयदसती ऩयान परो को धककमाना ऩड़ता ह | याजनीनत भ बी नई मिा ऩीढ़ी ऩयानी ऩीढ़ी को हयाकय सिमॊ सतता सॉबार रती ह |

परशन४- कार दवता की भाय स फचन का कमा उऩाम फतामा गमा ह

उततय- कार दिता कक भाय स फचन का अथय हndash भतम स फचना | इसका एकभातर उऩाम मह ह कक भनरषम नदसथय न हो| गनतशीर ऩरयितयनशीर यह | रखक क अनसाय नदजनकी चतना सदा ऊधियभखी (आधमातभ की ओय) यहती ह ि हटक जात ह |

परशन५- गाॉधीजी औय लशयीष की सभानता परकट कीजजए |

उततय- नदजस परकाय सशयीर धचरधचराती धऩ र िराय औय आॉधी भ बी अविचर खड़ा यहता ह अनासकत यहकय अऩन िाताियण स यस खीॊचकय सयस कोभर फना यहता ह उसी परकाय गाॉधी जी न बी अऩनी आॉखो क साभन आजादी क सॊगराभ भ अनदमाम बदबाि औय हहॊसा को झरा |

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उनक कोभर भन भ एक ओय ननयीह जनता क परनत असीभ करणा जागी िहीॊ ि अनदमामी शासन क वियोध भ डटकय खड़ हो गए |

गदमाॊश-आधारयत अथटगरहण सॊफॊधधत परशनोततय

गदमाॊश सॊकत- ऩाठ ndash सशयीर क पर (ऩरषठ १४७)

कासरदास सौदमय क िह इशाया ह |

(क) कालरदास की सौदमटndashदजषट की कमा पवशषता थी उततय-कासरदास की सौदमयndashदनदरषट फहत सकषभ अॊतबदी औय सॊऩणय थी| ि किर फाहयी रऩ-यॊग औय आकाय को ही नहीॊ दखत थ फनदलक अॊतभयन की सॊदयता क बी ऩायखी थ| कासरदास की सौदमय शायीरयक औय भानससक दोनो विशरताओॊ स मकत था |

(ख) अनासजकत का कमा आशम ह उततय- अनासनदकत का आशम ह- वमनदकतगत सख-द ख औय याग-दिर स ऩय यहकय सौदमय क िासतविक भभय को जानना |

(ग) कालरदास ऩॊत औय यवीॊिनाथ टगोय भ कौन सा गण सभान था भहाकवि कासरदास ससभतरानॊदन ऩॊत औय गरदि यिीॊदरनाथ टगोय तीनो नदसथयपरऻ औय अनासकत कवि थ | ि सशयीर क सभान सयस औय भसत अिधत थ |

(घ) यवीॊिनाथ याजोदमान क लसॊहदवाय क फाय भ कमा सॊदश दत ह याजोदमान क फाय भ यिीॊदरनाथ कहत ह याजोदमान का ससॊहदिाय ककतना ही सॊदय औय गगनचमफी कमो ना हो िह अॊनतभ ऩड़ाि नहीॊ ह| उसका सौदमय ककसी औय उचचतभ सौदमय की ओय ककमा गमा सॊकत भातर ह कक असरी सौदमय इस ऩाय कयन क फाद ह अत याजोदमान का ससॊहदिाय हभ आग फढ़न की परयणा दता ह |

18शरभ-पवबाजन औय जानत-परथा

िॉ० बीभयाव अॊफिकय

सायाॊश ndash इस ऩाठ भ रखक न जानतिाद क आधाय ऩय ककए जान िार बदबाि को सभम सभाज क सरए हाननकायक फतामा ह | जानत आधारयत शरभ विबाजन को असिाबाविक औय भानिता वियोधी फतामा गमा ह मह साभानदजक बदबाि को फढ़ाता ह जानतपरथा आधारयत शरभ विबाजन भ वमनदकत की रधच को भहतति नहीॊ हदमा जाता परसिरऩ वििशता क साथ अऩनाए

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Page 35: ISSUED BY KENDRIYA VIDYALAYA - DOWNLOADED FROM … Class XII Hindi Part B.pdfप्रश्न४ :-फादर क / फयन का गयीफ एि धनी िगय क्मा

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उततय-भन खारी होना- भन भ कोई नननदशचत िसत खयीदन का रकषम न होना ननरददशम फाजाय जाना औय वमथय की चीजो को खयीदकय राना

भन बया होना- भन रकषम स बया होना नदजसका भन बया हो िह बरीबाॉनत जानता ह कक उस फाजाय स कौन सी िसत खयीदनी ह अऩनी आिशमकता की चीज खयीदकय िह फाजाय को साथयकता परदान कयता ह

भन फॊद होना-भन भ ककसी बी परकाय की इचछा न होना अथायत अऩन भन को शनदम कय दना

परशन४ - lsquoजहाॉ तषणा ह फटोय यखन की सऩहा ह वहाॉ उस फर का फीज नहीॊ हrsquo महाॊ ककस फर की चचाट की गमी ह

उततय- रखक न सॊतोरी सिबाि क वमनदकत क आतभफरकी चचाय की ह दसय शबदो भ महद भन भ सॊतोर हो तो वमनदकत हदखाि औय ईरषमाय की बािना स दय यहता ह उसभ सॊचम कयन की परिनदतत नहीॊ होती

परशन५ - अथटशासतर अनीनतशासतर कफ फन जाता ह

उततय- जफ फाजाय भ कऩट औय शोरण फढ़न रग खयीददाय अऩनी ऩचधचॊग ऩािय क घभॊड भ हदखाि क सरए खयीददायी कय | भनरषमो भ ऩयसऩय बाईचाया सभापत हो जाए| खयीददाय औय दकानदाय एक दसय को ठगन की घात भ रग यह एक की हानन भ दसय को अऩना राब हदखाई द तो फाजाय का अथयशासतर अनीनतशासतर फन जाता ह ऐस फाजाय भानिता क सरए विडॊफना ह

परशन६-बगतजी फाजाय औय सभाज को ककस परकाय साथटकता परदान कय यह ह

उततय- बगतजी क भन भ साॊसारयक आकरयणो क सरए कोई तरषणा नहीॊ ह ि सॊचम रारच औय हदखाि स दय यहत ह फाजाय औय वमाऩाय उनक सरए आिशमकताओॊ की ऩनत य का साधन भातर ह बगतजी क भन का सॊतोर औय ननसऩह बाि उनको शररषठ उऩबोकता औय विकरता फनात ह

परशन ७ _ बगत जी क वमजकततव क सशकत ऩहरओॊ का उलरख कीजजए |

उततय-ननमनाॊककत बफॊद उनक वमनदकतति क सशकत ऩहर को उजागय कयत ह

ऩॊसायी की दकान स किर अऩनी जरयत का साभान (जीया औय नभक) खयीदना नननदशचत सभम ऩय चयन फचन क सरए ननकरना छह आन की कभाई होत ही चयन फचना फॊद कय दना फच हए चयन को फचचो को भफ़त फाॉट दना

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सबी काजम-जम याभ कहकय सिागत कयना फाजाय की चभक-दभक स आकवरयत न होना सभाज को सॊतोरी जीिन की सशा दना

परशन7-फाजाय की साथटकता ककसभ ह

उततय- भनरषम की आिशमकताओॊ की ऩनतय कयन भ ही फाजाय की साथयकता ह जो गराहक अऩनी आिशमकताओॊ की चीज खयीदत ह ि फाजाय को साथयकता परदान कयत ह जो विकरता गराहको का शोरण नहीॊ कयत औय छर-कऩट स गराहको को रबान का परमास नही कयत ि बी फाजाय को साथयक फनात ह

गदमाॊश-आधारयत अथटगरहण-सॊफॊधधत परशनोततय

फाजाय भ एक जाद ह िह जाद आॉख की तयह काभ कयता ह िह रऩ का जाद ह ऩय जस चॊफक का जाद रोह ऩय ही चरता ह िस ही इस जाद की बी भमायदा ह जफ बयी हो औय भन खारी हो ऐसी हारत भ जाद का असय खफ होता ह जफ खारी ऩय भन बया न हो तो बी जाद चर जाएगा भन खारी ह तो फाजाय की अनकानक चीजो का ननभॊतरण उस तक ऩहॉच जाएगा कहीॊ हई उस िकत जफ बयी तफ तो कपय िह भन ककसकी भानन िारा ह भारभ होता ह मह बी रॉ िह बी रॉ सबी साभान जरयी औय आयाभ को फढ़ान िारा भारभ होता ह ऩय मह सफ जाद का असय ह जाद की सिायी उतयी कक ऩता चरता ह कक प सी-चीजो की फहतामत आयाभ भ भदद नहीॊ दती फनदलक खरर ही डारती ह थोड़ी दय को सिासबभान को जरय सक सभर जाता ह ऩय इसस असबभान को धगलटी की खयाक ही सभरती ह जकड़ यशभी डोयी की हो तो यशभ क सऩशय क भरामभ क कायण कमा िह कभ जकड़ दगी

ऩय उस जाद की जकड़ स फचन का एक सीधा उऩाम ह िह मह कक फाजाय जाओ तो खारी भन न हो भन खारी हो तफ फाजाय न जाओ कहत ह र भ जाना हो तो ऩानी ऩीकय जाना चाहहए ऩानी बीतय हो र का रऩन वमथय हो जाता ह भन रकषम स बया हो तो फाजाय परा का परा ही यह जाएगा तफ िह घाि बफरकर नहीॊ द सकगा फनदलक कछ आनॊद ही दगा तफ फाजाय तभस कताथय होगा कमोकक तभ कछ न कछ सचचा राब उस दोग फाजाय की असरी कताथयता ह आिशमकता क सभम काभ आना

परशन-1 फाजाय क जाद को रखक न कस सऩषट ककमा ह

उततय- फाजाय क रऩ का जाद आॉखो की याह स काभ कयता हआ हभ आकवरयत कयता ह फाजाय का जाद ऐस चरता ह जस रोह क ऊऩय चॊफक का जाद चरता ह चभचभाती योशनी भ सजी

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प सी चीॊज गराहक को अऩनी ओय आकवरयत कयती ह| इसी चमफकीम शनदकत क कायण वमनदकत कपजर साभान को बी खयीद रता ह |

परशन-2 जफ बयी हो औय भन खारी तो हभायी कमा दशा होती ह

उततय- जफ बयी हो औय भन खारी हो तो हभाय ऊऩय फाजाय का जाद खफ असय कयता ह भन खारी ह तो फाजाय की अनकानक चीजो का ननभॊतरण भन तक ऩहॉच जाता ह औय उस सभम महद जफ बयी हो तो भन हभाय ननमॊतरण भ नहीॊ यहता

परशन-3 प सी चीजो की फहतामत का कमा ऩरयणाभ होता ह

उततय- प सी चीज आयाभ की जगह आयाभ भ वमिधान ही डारती ह थोड़ी दय को असबभान को जरय सक सभर जाती ह ऩय हदखाि की परिनदतत भ िवदध होती ह

परशन-4 जाद की जकड़ स फचन का कमा उऩाम ह

उततय- जाद की जकड़ स फचन क सरए एक ही उऩाम ह िह मह ह कक फाजाय जाओ तो भन खारी न हो भन खारी हो तो फाजाय भत जाओ

13 कार भघा ऩानी द

रखक-धभटवीय बायती

ऩाि का सायाॊश -lsquoकार भघा ऩानी दrsquo ननफॊध रोकजीिन क विशिास औय विऻान क तकय ऩय आधारयत ह जफ बीरण गभी क कायण वमाकर रोग िराय कयान क सरए ऩजा-ऩाठ औय कथा-विधान कय थकndashहाय जात ह तफ िराय कयान क सरए अॊनतभ उऩाम क रऩ भ इनददय सना ननकरती ह| इनददय सना नॊग-धड़ॊग फचचो की टोरी ह जो कीचड़ भ रथऩथ होकय गरी-भोहलर भ ऩानी भाॉगन ननकरती ह| रोग अऩन घय की छतो-णखड़ककमो स इनददय सना ऩय ऩानी डारत ह | रोगो की भानदमता ह कक इनददर फादरो क सिाभी औय िराय क दिता ह| इनददर की सना ऩय ऩानी डारन स इनददर बगिान परसनदन होकय ऩानी फयसाएॊग | रखक का तकय ह कक जफ ऩानी की इतनी कभी ह तो रोग भनदशकर स जभा ककए ऩानी को फालटी बय-बयकय इनददय सना ऩय डारकय ऩानी को कमो फफायद कयत ह आमयसभाजी विचायधाया िारा रखक इस अॊधविशिास भानता ह | इसक विऩयीत रखक की जीजी उस सभझाती ह कक मह ऩानी की फफायदी नहीॊ फनदलक ऩानी की फिाई ह | कछ ऩान क सरए कछ दना ऩड़ता ह | तमाग क बफना दान नहीॊ होता| परसतत ननफॊध भ रखक न भरषटाचाय की सभसमा को उठात हए कहा ह कक जीिन भ कछ ऩान क सरए तमाग आिशमक ह जो रोग तमाग औय दान की भहतता को नहीॊ भानत ि ही भरषटाचाय भ सरपत यहकय दश औय सभाज को रटत ह| जीजी की आसथा बािनातभक सचचाई को ऩरषट कयती ह औय तकय किर िऻाननक तथम को सतम भानता ह जहाॉ तकय मथाथय क

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कठोय धयातर ऩय सचचाई को ऩयखता ह तो िहीॊ आसथा अनहोनी फात को बी सिीकाय कय भन को सॊसकारयत कयती ह बायत की सितॊतरता क ५० सार फाद बी दश भ वमापत बरषटाचाय औय सिाथय की बािना को दखकय रखक दखी ह | सयकाय दिाया चराई जा यही मोजनाएॉ गयीफो तक कमो नहीॊ ऩहॉच ऩा यहीॊ ह कार भघा क दर उभड़ यह ह ऩय आज बी गयीफ की गगयी पटी हई कमो ह रखक न मह परशन ऩाठको क सरए छोड़ हदमा ह |

परशन1-इनदय सना घय-घय जाकय ऩानी कमो भाॉगती थी

उततय- गाॉि क रोग फारयश क सरए बगिान इॊदर स पराथयना ककमा कयत थ जफ ऩजा-ऩाठवरत आहद उऩाम असिर हो जात थ तो बगिान इॊदर को परसनदन कयन क सरए गाॉि क ककशोय फचच कीचड़ भ रथऩथ होकय गरी-गरी घभकय रोगो स ऩानी भाॉगत थ

परशन2-इनदयसना को रखक भढक-भॊिरी कमो कहता ह जीजी क फायndashफाय कहन ऩय बी वह इनदयसना ऩय ऩानी प कन को याजी कमो नहीॊ होता

उततय- इनददयसना का कामय आमयसभाजी विचायधाया िार रखक को अॊधविशिास रगता ह उसका भानना ह कक महद इॊदयसना दिता स ऩानी हदरिा सकती ह तो सिमॊ अऩन सरए ऩानी कमो नहीॊ भाॉग रती ऩानी की कभी होन ऩय बी रोग घय भ एकतर ककम हए ऩानी को इॊदयसना ऩय ि कत ह रखक इस ऩानी की ननभयभ फयफादी भानता ह

परशन3- रि हए रखक को जीजी न ककस परकाय सभझामा

उततय- जीजी न रखक को पमाय स रडड-भठयी णखरात हए ननमन तकय हदए-

1- तमाग का भहततव- कछ ऩान क सरए कछ दना ऩड़ता ह 2- दान की भहतता- कवर-भननमो न दान को सफस ऊॉ चा सथान हदमा ह जो चीज अऩन

ऩास बी कभ हो औय अऩनी आिशमकता को बरकय िह चीज दसयो को दान कय दना ही तमाग ह |

3- इॊिदव को जर का अधमट चिाना- इॊदयसना ऩय ऩानी ि कना ऩानी की फयफादी नहीॊ फनदलक इॊदरदि को जर का अधमय चढ़ाना ह

4- ऩानी की फवाई कयना- नदजस परकाय ककसान िसर उगान क सरए जभीन ऩय फीज डारकय फिाई कयता ह िस ही ऩानी िार फादरो की िसर ऩान क सरए इनददय सना ऩय ऩानी डार कय ऩानी की फिाई की जाती ह

परशन4-नठदमो का बायतीम साभाजजक औय साॊसकनतक ऩरयवश भ कमा भहतव ह

उततय- गॊगा बायतीम सभाज भ सफस ऩजम सदानीया नदी ह नदजसका बायतीम इनतहास भ धासभयक ऩौयाणणक औय साॊसकनतक भहति ह | िह बायतीमो क सरए किर एक नदी नहीॊ अवऩत

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भाॉ ह सिगय की सीढ़ी ह भोदानमनी ह उसभ ऩानी नहीॊ अवऩत अभत तलम जर फहता ह बायतीम सॊसकनत भ नहदमो क ककनाय भानि सभमताएॉ परी-परी ह| फड़-फड़ नगय तीथयसथान नहदमो क ककनाय ही नदसथत ह ऐस ऩरयिश भबायतिासी सफस ऩहर गॊगा भमा की जम ही फोरग नहदमाॉ हभाय जीिन का आधाय ह हभाया दश कवर परधान ह नहदमो क जर स ही बायत बसभ हयी-बयी ह नहदमो क बफना जीिन की कलऩना नहीॊ कय सकत मही कायण ह कक हभ बायतीम नहदमो की ऩजा कयत ह |

परशन4-आजादी क ऩचास वषो क फाद बी रखक कमो दखी ह उसक भन भ कौन स परशन उि यह ह

उततय- आजादी क ऩचास िरो फाद बी बायतीमो की सोच भ सकायातभक फदराि न दखकय रखक दखी ह उसक भन भ कई परशन उठ यह ह-

1 कमा हभ सचच अथो भ सितनदतर ह 2 कमा हभ अऩन दश की सॊसकनत औय सभमता को सभझ ऩाए ह 3 यारषर ननभायण भ हभ ऩीछ कमो ह हभ दश क सरए कमा कय यह ह

4 हभ सिाथय औय भरषटाचाय भ सरपत यहत ह तमाग भ विशिास कमो नहीॊ कयत

5 सयकाय दिाया चराई जा यही सधायिादी मोजनाएॉ गयीफो तक कमो नहीॊ ऩहॉचती ह

गदमाॊश ऩय आधारयत अथटगरहण-सॊफॊधधत परशनोततय

सचभच ऐस हदन होत जफ गरी-भहलरा गाॉि-शहय हय जगह रोग गयभी भ बन-बन कय तराहहभाभ कय यह होत जठ क दसतऩा फीतकय आराढ का ऩहरा ऩखिाड़ा फीत चका होता ऩय कषनतज ऩय कहीॊ फादरो की यख बी नहीॊ दीखती होती कएॉ सखन रगत नरो भ एक तो फहत कभ ऩानी आता औय आता बी तो आधी यात को िो बी खौरता हआ ऩानी हो | शहयो की तरना भ गाॉि भ औय बी हारत खयाफ थी| जहाॉ जताई होनी चाहहए थी िहाॉ खतो की सभटटी सखकय ऩतथय हो जाती कपय उसभ ऩऩड़ी ऩड़कय जभीन पटन रगती र ऐसी कक चरत-चरत आदभी धगय ऩड़ | ढोय-डॊगय पमास क भाय भयन रगत रककन फारयश का कहीॊ नाभ ननशान नहीॊ ऐस भ ऩजा-ऩाठ कथा-विधान सफ कयक रोग जफ हाय जात तफ अॊनतभ उऩाम क रऩ भ ननकरती मह इनददय सना |

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परशन१- वषाट न होन ऩय रोगो की कमा जसथनत हो गमी थी उततय - िराय न होन ऩय गयभी क कायण रोग र रगन स फहोश होन रग | गाॉि-शहय सबी जगह ऩानी का अबाि हो गमा| कएॉ सख गए खतो की सभटटी सखकय ऩतथय क सभान कठोय होकय पट गमी| घयो भ नरो भ ऩानी फहत कभ आता था | ऩश पमास क भाय भयन रग थ | परशन२- वषाट क दवता कौन ह उनको परसनन कयन क लरए कमा उऩाम ककए जात थ उततय -िराय क दिता बगिान इनददर ह| उनको परसनदन कयन क सरए ऩजाndashऩाठ कथा-विधान कयाए जात थ | ताकक इनददर दि परसनदन होकय फादरो की सना बजकय झभाझभ फारयश कयाएॉ औय रोगो क करषट दय हो | परशन३- वषाट कयान क अॊनतभ उऩाम क रऩ भ कमा ककमा जाता था उततय ndashजफ ऩजा-ऩाठ कथा-विधान सफ कयक रोग हाय जात थ तफ अॊनतभ उऩाम क रऩ भ इनददय सना आती थी | नॊग-धडॊग कीचड़ भ रथऩथ lsquoकार भघा ऩानी द ऩानी द गड़धानी दrsquo की टय रगाकय पमास स सखत गरो औय सखत खतो क सरए भघो को ऩकायती हई टोरी फनाकय ननकर ऩड़ती थी| परशन४-आशम सऩषट कय ndash जठ क दसतऩा फीतकय आराढ़ का ऩहरा ऩखिाड़ा फीत चका होता ऩय कषनतज भ कहीॊ फादरो की यख बी नजय नहीॊ आती | आशम- जठ का भहीना ह बीरण गयभी ह| तऩत हए दस हदन फीत कय आराढ का भहीना बी आधा फीत गमा ऩय ऩानी क सरए तड़ऩत िराय की आशा भ आसभान की ओय ताकत रोगो को कहीॊ फादर नजय नहीॊ आ यह |

14 ऩहरवान की ढोरक

फ़णीशवयनाथ यण

ऩाि का सायाॊश ndashआॊचसरक कथाकाय िणीशियनाथ यण की कहानी ऩहरिान की ढोरक भ कहानी क भखम ऩातर रटटन क भाता-वऩता का दहाॊत उसक फचऩन भ ही हो गमा था | अनाथ रटटन को उसकी विधिा सास न ऩार-ऩोसकय फड़ा ककमा | उसकी सास को गाॉि िार सतात थ |

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रोगो स फदरा रन क सरए कशती क दाॉिऩच सीखकय कसयत कयक रटटन ऩहरिान फन गमा |

एक फाय रटटन शमाभनगय भरा दखन गमा जहाॉ ढोर की आिाज औय कशती क दाॉिऩच दखकय उसन जोश भ आकय नाभी ऩहरिान चाॉदससॊह को चनौती द दी | ढोर की आिाज स परयणा ऩाकय रटटन न दाॉि रगाकय चाॉद ससॊह को ऩटककय हया हदमा औय याज ऩहरिान फन गमा | उसकी खमानत दय-दय तक िर गमी| १५ िरो तक ऩहरिान अजम फना यहा| उसक दो ऩतर थ| रटटन न दोनो फटो को बी ऩहरिानी क गय ससखाए| याजा की भतम क फाद नए याजकभाय न गददी सॊबारी याजकभाय को घोड़ो की यस का शौक था भनजय न नम याजा को बड़कामा ऩहरिान औय उसक दोनो फटो क बोजनखचय को बमानक औय किजरखचय फतामा िरसिरऩ नए याजा न कशती को फॊद कयिा हदमा औय ऩहरिान रटटनससॊह को उसक दोनो फटो क साथ भहर स ननकार हदमा

याजदयफाय स ननकार हदए जान क फाद रटटन ससॊह अऩन दोनो फटो क साथ गाॉि भ झोऩड़ी फनाकय यहन रगा औय गाॉि क रड़को को कशती ससखान रगा| रटटन का सकर जमादा हदन नहीॊ चरा औय जीविकोऩाजयन क सरए उसक दोनो फटो को भजदयी कयनी ऩड़ी| इसी दौयान गाॉि भ अकार औय भहाभायी क कायण परनतहदन राश उठन रगी| ऩहरिान भहाभायी स डय हए रोगो को ढोरक फजाकय फीभायी स रड़न की सॊजीिनी ताकत दता था| एक हदन ऩहरिान क दोनो फट बी भहाभायी की चऩट भ आकय भय गए ऩय उस यात बी ऩहरिान ढोरक फजाकय रोगो को हहमभत फॊधा यहा था | इस घटना क चाय-ऩाॉच हदन फाद ऩहरिान की बी भौत हो जाती ह|

ऩहरिान की ढोरक वमिसथा क फदरन क साथ रोक कराकाय क अपरासॊधगक हो जान की कहानी ह इस कहानी भ रटटन नाभ क ऩहरिान की हहमभत औय नदजजीविरा का िणयन ककमा गमा ह बख औय भहाभायी अजम रटटन की ऩहरिानी को िट ढोर भ फदर दत ह इस करण तरासदी भ ऩहरिान रटटन कई सिार छोड़ जाता ह कक करा का कोई सितॊतर अनदसतति ह मा करा किर वमिसथा की भोहताज ह

परशन1- रटटन को ऩहरवान फनन की परयणा कस लभरी

उततय- रटटन जफ नौ सार का था तो उसक भाता-वऩता का दहाॊत हो गमा था | सौबागम स उसकी शादी हो चकी थी| अनाथ रटटन को उसकी विधिा सास न ऩार-ऩोसकय फड़ा ककमा | उसकी सास को गाॉि िार ऩयशान कयत थ| रोगो स फदरा रन क सरए उसन ऩहरिान फनन की ठानी| धायोरषण दध ऩीकय कसयत कय उसन अऩना फदन गठीरा औय ताकतिय फना सरमा | कशती क दाॉिऩच सीखकय रटटन ऩहरिान फन गमा |

परशन2- यात क बमानक सननाट भ रटटन की ढोरक कमा करयशभा कयती थी

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उततय- यात क बमानक सनदनाट भरटटन की ढोरक भहाभायी स जझत रोगो को हहमभत फॉधाती थी | ढोरक की आिाज स यात की विबीवरका औय सनदनाटा कभ होता था| भहाभायी स ऩीडड़त रोगो की नसो भ बफजरी सी दौड़ जाती थी उनकी आॉखो क साभन दॊगर का दशम साकाय हो जाता था औय ि अऩनी ऩीड़ा बर खशी-खशी भौत को गर रगा रत थ इस परकाय ढोर की आिाज फीभाय-भतपराम गाॉििारो की नसो भ सॊजीिनी शनदकत को बय फीभायी स रड़न की परयणा दती थी

परशन3- रटटन न सवाटधधक ठहमभत कफ ठदखाई

उततय- रटटन ससॊह न सिायधधक हहमभत तफ हदखाई जफ दोनो फटो की भतम ऩय िह योमा नहीॊ फनदलक हहमभत स काभ रकय अकर उनका अॊनतभ सॊसकाय ककमा| मही नहीॊ नदजस हदन ऩहरिान क दोनो फट भहाभायी की चऩट भ आकय भय गए ऩय उस यात को बी ऩहरिान ढोरक फजाकय रोगो को हहमभत फॉधा यहा था| शमाभनगय क दॊगर भ ऩया जनसभदाम चाॉद ससॊह क ऩ भ था चाॉद ससॊह को हयात सभम रटटन न हहमभत हदखाई औय बफना हताश हए दॊगर भ चाॉद ससॊह को धचत कय हदमा |

परशन4- रटटन लसॊह याज ऩहरवान कस फना

उततय- शमाभनगय क याजा कशती क शौकीन थ उनदहोन दॊगर का आमोजन ककमा ऩहरिान रटटन ससॊह बी दॊगर दखन ऩहॉचा चाॊदससॊह नाभक ऩहरिान जो शय क फचच क नाभ स परससदध था कोई बी ऩहरिान उसस सबड़न की हहमभत नहीॊ कयता था चाॉदससॊह अखाड़ भ अकरा गयज यहा था रटटन ससॊह न चाॉदससॊह को चनौती द दी औय चाॉदससॊह स सबड़ गमाढ़ोर की आिाज सनकय रटटन की नस-नस भ जोश बय गमाउसन चाॉदससॊह को चायो खान धचत कय हदमा याजासाहफ न रटटन की िीयता स परबावित होकय उस याजऩहरिान फना हदमा

परशन5- ऩहरवान की अॊनतभ इचछा कमा थी

उततय- ऩहरिान की अॊनतभ इचछा थी कक उस धचता ऩय ऩट क फर सरटामा जाए कमोकक िह नदजॊदगी भ कबी धचत नहीॊ हआ था| उसकी दसयी इचछा थी कक उसकी धचता को आग दत सभम ढोर अिशम फजामा जाए |

परशन6- ढोर की आवाज औय रटटन क भ दाॉिऩच सॊफॊध फताइए-

उततय- ढोर की आिाज औय रटटन क दाॉिऩच भ सॊफॊध -

चट धा धगड़ धाrarr आजा सबड़ जा | चटाक चट धाrarr उठाकय ऩटक द | चट धगड़ धाrarrभत डयना |

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धाक धधना नतयकट नतनाrarr दाॉि काटो फाहय हो जाओ | धधना धधना धधक धधनाrarr धचत कयो

गदमाॊश-आधारयत अथटगरहण-सॊफॊधधत परशनोततय

अॉधयी यात चऩचाऩ आॉस फहा यही थी | ननसतबधता करण सससककमो औय आहो को अऩन रदम भ ही फर ऩियक दफान की चरषटा कय यही थी | आकाश भ ताय चभक यह थ | ऩथिी ऩय कहीॊ परकाश का नाभ नहीॊ| आकाश स टट कय महद कोई बािक ताया ऩथिी ऩय आना बी चाहता तो उसकी जमोनत औय शनदकत यासत भ ही शर हो जाती थी | अनदम ताय उसकी बािकता अथिा असपरता ऩय णखरणखराकय हॉस ऩड़त थ | ससमायो का करॊ दन औय ऩचक की डयािनी आिाज यात की ननसतबधता को बॊग कयती थी | गाॉि की झोऩडडमो स कयाहन औय क कयन की आिाज हय याभ ह बगिान की टय सनाई ऩड़ती थी| फचच बी ननफयर कॊ ठो स भाॉ ndashभाॉ ऩकायकय यो ऩड़त थ |

(क) अॉधयी यात को आॉस फहात हए कमो ठदखामा गमा ह उततयndash गाॉि भ हजा औय भररयमा परा हआ था | भहाभायी की चऩट भ आकाय रोग भय यह थ |चायो ओय भौत का सनाटा छामा था इससरए अॉधयी यात बी चऩचाऩ आॉस फहाती सी परतीत हो यही थी|

(ख) ताय क भाधमभ स रखक कमा कहना चाहता ह उततयndash ताय क भाधमभ स रखक कहना चाहता ह कक अकार औय भहाभायी स तरसत गाॉि िारो की ऩीड़ा को दय कयन िारा कोई नहीॊ था | परकनत बी गाॉि िारो क द ख स दखी थी| आकाश स टट कय महद कोई बािक ताया ऩथिी ऩय आना बी चाहता तो उसकी जमोनत औय शनदकत यासत भ ही शर हो जाती थी |

(ग) यात की ननसतबधता को कौन बॊग कयता था उततयndash ससमायो की चीख-ऩकाय ऩचक की डयािनी आिाज औय कततो का साभहहक रदन सभरकय यात क सनदनाट को बॊग कयत थ |

(घ) झोऩड़ड़मो स कसी आवाज आ यही ह औय कमो उततयndash झोऩडड़मो स योधगमो क कयाहन क कयन औय योन की आिाज आ यही ह कमोकक गाॉि क रोग भररयमा औय हज स ऩीडड़त थ | अकार क कायण अनदन की कभी हो गमी थी| औरधध औय ऩथम न सभरन क कायण रोगो की हारत इतनी फयी थी कक कोई बगिान को ऩकाय रगाता था तो कोई दफयर कॊ ठ स भाॉndashभाॉ ऩकायता था |

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15 चारी चजतरन मानी हभ सफ

रखक-पवषण खय

ऩाि का सायाॊश ndashचारक चनदपरन न हासम कराकाय क रऩ भ ऩयी दननमा क फहत फड़ दशयक िगय को हॉसामा ह | उनकी कपलभो न कपलभ करा को रोकताॊबतरक फनान क साथ-साथ दशको की िगय औय िणय-वमिसथा को बी तोड़ा | चारक न करा भ फवदध की अऩा बािना को भहतति हदमा ह | फचऩन क सॊघरो न चारक क बािी कपलभो की बसभ तमाय कय दी थी| बायतीम करा औय सौदमयशासतर भ करणा का हासम भ ऩरयितयन बायतीम ऩयमऩया भ नहीॊ सभरता रककन चारक एक ऐसा जादई वमनदकतति ह जो हय दश सॊसकनत औय सभमता को अऩना सा रगता ह| बायतीम जनता न बी उनदह सहज बाि स सिीकाय ककमा ह| सिमॊ ऩय हॉसना चारक न ही ससखामा| बायतीम ससनभा जगत क सपरससदध कराकाय याजकऩय को चारक का बायतीमकयण कहा गमा ह | चारक की अधधकाॊश किलभ भक ह इससरए उनदह अधधक भानिीम होना ऩड़ा | ऩाठ भ हासम कपलभो क भहान असबनता lsquoचारक चनदपरनrsquo की जादई विशरताओॊ का उलरख ककमा गमा ह नदजसभ उसन करणा औय हासम भ साभॊजसम सथावऩत कय किलभो को साियबौसभक रऩ परदान ककमा

परशन१ -चारी क जीवन ऩय परबाव िारन वारी भखम घटनाएॉ कौन सी थी

उततय- चारक क जीिन भ दो ऐसी घटनाएॉ घटीॊ नदजनदहोन उनक बािी जीिन ऩय फहत परबाि डारा |

ऩहरी घटना - जफ चारक फीभाय थ उनकी भाॉ उनदह ईसा भसीह की जीिनी ऩढ़कय सना यही थी | ईसा क सरी ऩय चढ़न क परसॊग तक आत-आत भाॉ-फटा दोनो ही योन रग| इस घटना न चारक को सनह करणा औय भानिता जस उचच जीिन भलम हदए |

दसयी घटना हndash फारक चारक कसाईखान क ऩास यहता था| िहाॉ सकड़ो जानियो को योज भाया जाता था| एक हदन एक बड़ िहाॉ स बाग ननकरी| बड़ को ऩकड़न की कोसशश भ कसाई कई फाय कपसरा| नदजस दखकय रोग हॊसन रग ठहाक रगान रग| जफ बड़ को कसाई न ऩकड़ सरमा तो फारक चारक योन रगा| इस घटना न उसक बािी कपलभो भ तरासदी औय हासमोतऩादक ततिो की बसभका तम कय दी |

परशन२ ndash आशम सऩषट कीजजएndash

चजतरन न लसपट कपलभकरा को ही रोकताॊबतरक नही फनामा फजलक दशटको की वगट तथा वणट-वमवसथा को बी तोड़ा|

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उततय- रोकताॊबतरक फनान का अथय ह कक कपलभ करा को सबी क सरए रोकवपरम फनाना औय िगय औय िणय-वमिसथा को तोड़न का आशम ह- सभाज भ परचसरत अभीय-गयीफ िणय जानतधभय क बदबाि को सभापत कयना |चनदपरन का चभतकाय मह ह कक उनदहोन कपलभकरा को बफना ककसी बदबाि क सबी रोगो तक ऩहॉचामा| उनकी कपलभो न सभम बगोर औय सॊसकनतमो की सीभाओॊ को राॉघ कय साियबौसभक रोकवपरमता हाससर की | चारक न मह ससदध कय हदमा कक करा सितनदतर होती ह अऩन ससदधाॊत सिमॊ फनाती ह |

परशन३ndash चारी चजतरन की कपलभो भ ननठहत तरासदीकरणाहासम का साभॊजसम बायतीम करा औय सौदमटशासतर की ऩरयधध भ कमो नहीॊ आता

उततय- चारक चनदपरन की कपलभो भ ननहहत तरासदीकरणाहासम का साभॊजसम बायतीम करा औय सौदमयशासतर की ऩरयधध भ नहीॊ आताकमोकक बायतीम यस-ससदधाॊत भ करणा औय हासम का भर नहीॊ हदखामा जाता कमोकक बायतीम सौदमयशासतर भ करणयस औय हासम यस को ऩयसऩय वियोधी भाना गमा ह अथायत जहाॊ करणा ह िहाॉ हासम नहीॊ हो सकता बायत भ सिमॊ ऩय हॉसन की ऩयॊऩया नहीॊ ह ऩयॊत चारक क ऩातर अऩन ऩय हॉसतndashहॉसात ह चारक की किलभो क दशम हॉसात-हॉसात ररा दत ह तो कबी करण दशम क फाद अचानक ही हॉसन ऩय भजफय कय दत ह

परशन४ndash चारी क कपलभो की पवशषताएॉ फताइए |

उततय- चारक की किलभो भ हासम औय करणा का अदभत साभॊजसम ह उनकी किलभो भ बारा का परमोग फहत कभ ह चारक की किलभो भ फवदध की अऩा बािना का भहतति अधधक ह उनकी किलभो भ साियबौसभकता ह चारक ककसी बी सॊसकनत को विदशी नही रगत चारक सफको अऩन रगत ह चारक न किलभो को रोकताॊबतरक फनामा औय किलभो भ िगय तथािणय-वमिसथा को तोड़ा अऩनी कपलभो भ चारक सदि धचय मिा हदखता ह

गदमाॊश-आधारयत अथटगरहण-सॊफॊधी परशनोततय

गदमाॊश सॊकत ndashचारक चनदपरन मानी हभ सफ (ऩरषठ १२० )

महद मह िरय चनदपरन की कापी कछ कहा जाएगा |

परशन (क)-पवकासशीर दशो भ चजतरन कमो भशहय हो यह ह

उततय - विकासशीर दशो भ जस-जस टरीविजन औय िीडडमो का परसाय हो यहा ह रोगो को उनकी कपलभो को दखन का अिसय सभर यहा ह |एक फहत फड़ा िगय नए ससय स चारक को घड़ी सधायत औय जत खान की कोसशश कयत दख यहा ह इसीसरए चारक विकासशीर दशो भ रोकवपरम हो यह ह |

(ख)- ऩजशचभ भ चारी का ऩनजीवन कस होता यहता ह

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उततय - ऩनदशचभ भ चारक की कपलभो का परदशयन होता यहता ह| उनकी करा स परयणा ऩाकय हासम किलभ फनती यहती ह | उनक दिाया ननबाए ककयदायो की नकर अनदम कराकाय कयत ह | ऩनदशचभ भ चारक का ऩनजीिन होता यहता ह|

(ग)- चारी को रोग फिाऩ तक कमो माद यखग

उततय ndashहासम कराकाय क रऩ भ रोग चारक को फढ़ाऩ तक माद यखग कमोकक उनकी करा सभम बगोर औय सॊसकनतमो की सीभाओॊ को राॉघकय राखो रोगो को हॉसा यही ह|

(घ)- चारी की कपलभो क फाय भ कापी कछ कहा जाना कमो फाी ह

उततय ndashचनदपरन की ऐसी कछ किलभ मा इसतभार न की गमी यीर सभरी ह नदजनक फाय भ कोई नहीॊ जानता था | चारक की बािनापरधान हासम कपलभो न करा क नए परनतभान सथावऩत ककए ह अत चारक की कपलभो क फाय भ अबी कापी कछ कहा जाना फाी ह|

16 नभक

रखखका - यजजमा सजजाद जहीय

सायाॊश -lsquoनभकrsquoबायत-ऩाक विबाजन ऩय सरणखत भासभयक कहानी ह | विसथावऩत हए रोगो भ अऩनndashअऩन जनदभ सथानो क परनत आज बी रगाि ह| धासभयक आधाय ऩय फनी यारषर-याजमो की सीभा-यखाएॉ उनक अॊतभयन को अरग नहीॊ कय ऩाई ह | बायत भ यहन िारी ससख फीिी राहौय को अऩना ितन भानती ह औय बायतीम कसटभ अधधकायी ढाका क नारयमर ऩानी को मादकय उस सियशररषठ फताता ह दोनो दशो क नागरयको क फीच भहबफत का नभकीन सिाद आज बी कामभ ह इसीसरए सकिमा बायत भ यहन िारी अऩनी भॉहफोरी भाॉ ससख फीिी क सरए राहौयी नभक रान क सरए कसटभ औय कानन की ऩयिाह नहीॊ कयती

परशन1- lsquoनभकrsquo ऩाि क आधाय ऩय फताइए कक सकपमा औय उसक बाई क पवचायो भ कमा अॊतय था

उततय- १-सकपमा बािनाओॊ को फहतभहतति दती ह ऩय उसका बाई फौवदधक परिनदतत का ह उसकी दनदरषट भ कानन बािनाओॊ स ऊऩय ह|

२-सकपमा भानिीम सॊफॊधो को फहत भहतति दती ह जफकक उसका बाई अरगाििादी विचायधाया का ह हहसस-फखय की फात कयता ह |

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३-सकपमा का बाई कहता ह कक अदीफो(साहहतमकाय) का हदभाग घभा हआ होता ह जफकक सकपमा जो सिमॊ अदीफ ह उसका भानना ह कक अगय सबी रोगो का हदभाग अदीफो की तयह घभा हआ होता तो दननमा कछ फहतय हो जाती |

परशन२- नभक र जात सभम सकफ़मा क भन भ कमा दपवधा थी

उततय-सकपमा समद भसरभान थी जो हय हार भ अऩना िामदा ननबात ह| ऩाककसतान स राहौयी नभक र जाकय िह अऩना िामदा ऩया कयना चाहती थी ऩयनदत जफ उस ऩता चरा कक कसटभ क ननमभो क अनसाय सीभाऩाय नभक र जाना िनदजयत ह तो िह दविधा भ ऩड़ गई | सकिमा का दिॊदि मह था कक िह अऩनी ससख भाॉ क सरए नभक कसटभ अधधकारयमो को फताकयर जाए मा नछऩाकय|

परशन३- ऩाि क आधाय ऩय सकपमा की चारयबतरक पवशषताएॉ फताइए |

उततय सॊकत ndash

१- बािक २- ईभानदाय ३- दढ़ननशचमी ४- ननडय ५- िामद को ननबान िारी ६- भानिीम भलमो को सिोऩरय भानन िारी साहहतमकाय

परशन ४- lsquoनभकrsquo ऩाि भ आए ककयदायो क भाधमभ स सऩषट कीजजए कक आज बी बायत औय ऩाककसतान की जनता क फीच भहबफत का नभकीन सवाद घरा हआ ह |

उततय ndash बर ही याजनीनतक औय धासभयक आधाय ऩय बायत औय ऩाककसतान को बौगोसरक रऩ स विबानदजत कय हदमा गमा ह रककन दोनो दशो क रोगो क रदम भ आज बी ऩायसऩरयक बाईचाया सौहादरय सनह औय सहानबनत विदमभान ह | याजनीनतक तौय ऩय बर ही सॊफॊध तनािऩणय हो ऩय साभानदजक तौय ऩय आज बी जनता क फीच भहबफत का नभकीन सिाद घरा हआ ह | अभतसय भ यहन िारी ससख फीफी राहौय को अऩना ितन कहती ह औय राहौयी नभक का सिाद नहीॊ बरा ऩाती | ऩाककसतान का कसटभ अधधकायी नभक की ऩडड़मा सकपमा को िाऩस दत हए कहता ह rdquoजाभा भनदसजद की सीहढ़मो को भया सराभ कहना |rdquo बायतीम सीभा ऩय तनात कसटभ अधधकायी ढाका की जभीन को औय िहाॉ क ऩानी क सिाद को नहीॊ बर ऩाता |

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गदमाॊश-आधारयत अथटगरहण सॊफॊधधत परशनोततय

गदमाॊश सॊकत- ऩाठndash नभक (ऩरषठ १३४)

सकपमा कसटभ क जॊगर स दोनो क हाथो भ थी |

(क) सकपमा कसटभ क जॉगर स ननकरकय दसय तरटपाभट ऩय आ गमी व वहीॊ खड़ यहndash इस वाकम भ lsquoवrsquo शबद का परमोग ककसक लरए ककमा गमा ह

उततय- महाॉ lsquoिrsquo शबद का परमोग ऩाककसतानी कसटभ अधधकायी क सरए ककमा गमा ह जो विबाजन स ऩिय हदलरी भ यहत थ औय आज बी हदलरी को ही अऩना ितन भानत ह |

(ख) तरटपाभट ऩय सकपमा को पवदा कयन कौन-कौन आए थ उनहोन सकपमा को कस पवदाई दी

उततय- परटपाभय ऩय सकपमा को विदा कयन उसक फहत साय सभतर सग सॊफॊधी औय बाई आए थ| उनदहोन ठॊडी साॉस बयत हए सबॊच हए होठो क साथ आॉस फहात हए सकपमा को विदाई दी |

(ग) अटायी भ यरगाड़ी भ कमा ऩरयवतटन हए उततय- अटायी भ यरगाड़ी स ऩाककसतानी ऩसरस उतयी औय हहनददसतानी ऩसरस सिाय हो गई|

(घ) कौन सी फात सकपमा की सभझ भ नहीॊ आ यही थी उततय- दोनो ओय एक सी जभीन एक जसा आसभान एक सी बारा एक सा ऩहनािा औय एक सी सयत क रोग कपय बी दोनो क हाथो भ बयी हई फॊदक ह |

17 लशयीष क पर

आचामट हजायी परसाद दपववदी

सायाॊश ndashlsquoआचामय हजायी परसाद दवििदीrsquo सशयीर को अदभत अिधत भानत ह कमोकक सॊनदमासी की बाॉनत िह सख-दख की धचॊता नहीॊ कयता गभी र िराय औय आॉधी भ बी अविचर खड़ा यहता ह सशयीर क िर क भाधमभ स भनरषम की अजम नदजजीविरा धमयशीरता औय कतयवमननरषठ फन यहन क भानिीम भलमो को सथावऩत ककमा गमा हरखक न सशयीर क कोभर परो औय कठोय परो क दिाया सऩरषट ककमा ह कक रदम की कोभरता फचान क सरए कबी-कबी वमिहाय की कठोयता बी आिशमक हो जाती ह| भहान कवि कासरदास औय कफीय बी सशयीर की तयह फऩयिाह अनासकत औय सयस थ तबी उनदहोन इतनी सनददय यचनाएॉ सॊसाय को दीॊ| गाॉधीजी क वमनदकतति भ बी कोभरता औय कठोयता का अदभत सॊगभ था | रखक सोचता ह कक हभाय दश भ जो भाय-काट अनदगनदाह रट-ऩाट खन-खचचय का फिॊडय ह कमा िह दश को नदसथय नहीॊ यहन दगा गराभी अशाॊनत औय वियोधी िाताियण क फीच अऩन ससदधाॊतो की या कयत हए गाॉधीजी जी नदसथय यह सक थ तो दश बी यह सकता ह जीन की परफर असबरारा क कायण

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विरभ ऩरयनदसथतमो भ बी महद सशयीर णखर सकता ह तो हभाया दश बी विरभ ऩरयनदसथनतमो भ नदसथय यह कय विकास कय सकता ह

परशन1-लसदध कीजजए कक लशयीष कारजमी अवधत की बाॉनत जीवन की अजमता क भॊतर का परचाय कयता ह

उततय- सशयीर कारजमी अिधत की बाॉनत जीिन की अजमता क भॊतर का परचाय कयता ह| जफ ऩथिी अनदगन क सभान तऩ यही होती ह िह तफ बी कोभर परो स रदा रहरहाता यहता ह|फाहयी गयभी धऩ िराय आॉधी र उस परबावित नहीॊ कयती इतना ही नहीॊ िह रॊफ सभम तक णखरा यहता ह | सशयीर विऩयीत ऩरयनदसथनतमो भ बी धमयशीर यहन तथा अऩनी अजम नदजजीविरा क साथ ननसऩह बाि स परचॊड गयभी भ बी अविचर खड़ा यहता ह

परशन२-आयगवध (अभरतास) की तरना लशयीष स कमो नहीॊ की जा सकती

उततय- सशयीर क पर बमॊकय गयभी भ णखरत ह औय आराढ़ तक णखरत यहत ह जफकक अभरतास का पर किर ऩनददरह-फीस हदनो क सरए णखरता ह | उसक फाद अभरतास क पर झड़ जात ह औय ऩड़ कपय स ठॉठ का ठॉठ हो जाता ह | अभरतास अलऩजीिी ह | विऩयीत ऩरयनदसथनतमो को झरता हआ ऊरषण िाताियण को हॉसकय झरता हआ सशयीर दीघयजीिी यहता ह | मही कायण ह कक सशयीर की तरना अभरतास स नहीॊ की जा सकती |

परशन३-लशयीष क परो को याजनताओॊ का रऩक कमो ठदमा गमा ह

उततय- सशयीर क पर उन फढ़ ढीठ औय ऩयान याजनताओॊ क परतीक ह जो अऩनी कसी नहीॊ छोड़ना चाहत | अऩनी अधधकाय-सरपसा क सरए नए मिा नताओॊ को आग नहीॊ आन दत | सशयीर क नए परो को जफयदसती ऩयान परो को धककमाना ऩड़ता ह | याजनीनत भ बी नई मिा ऩीढ़ी ऩयानी ऩीढ़ी को हयाकय सिमॊ सतता सॉबार रती ह |

परशन४- कार दवता की भाय स फचन का कमा उऩाम फतामा गमा ह

उततय- कार दिता कक भाय स फचन का अथय हndash भतम स फचना | इसका एकभातर उऩाम मह ह कक भनरषम नदसथय न हो| गनतशीर ऩरयितयनशीर यह | रखक क अनसाय नदजनकी चतना सदा ऊधियभखी (आधमातभ की ओय) यहती ह ि हटक जात ह |

परशन५- गाॉधीजी औय लशयीष की सभानता परकट कीजजए |

उततय- नदजस परकाय सशयीर धचरधचराती धऩ र िराय औय आॉधी भ बी अविचर खड़ा यहता ह अनासकत यहकय अऩन िाताियण स यस खीॊचकय सयस कोभर फना यहता ह उसी परकाय गाॉधी जी न बी अऩनी आॉखो क साभन आजादी क सॊगराभ भ अनदमाम बदबाि औय हहॊसा को झरा |

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उनक कोभर भन भ एक ओय ननयीह जनता क परनत असीभ करणा जागी िहीॊ ि अनदमामी शासन क वियोध भ डटकय खड़ हो गए |

गदमाॊश-आधारयत अथटगरहण सॊफॊधधत परशनोततय

गदमाॊश सॊकत- ऩाठ ndash सशयीर क पर (ऩरषठ १४७)

कासरदास सौदमय क िह इशाया ह |

(क) कालरदास की सौदमटndashदजषट की कमा पवशषता थी उततय-कासरदास की सौदमयndashदनदरषट फहत सकषभ अॊतबदी औय सॊऩणय थी| ि किर फाहयी रऩ-यॊग औय आकाय को ही नहीॊ दखत थ फनदलक अॊतभयन की सॊदयता क बी ऩायखी थ| कासरदास की सौदमय शायीरयक औय भानससक दोनो विशरताओॊ स मकत था |

(ख) अनासजकत का कमा आशम ह उततय- अनासनदकत का आशम ह- वमनदकतगत सख-द ख औय याग-दिर स ऩय यहकय सौदमय क िासतविक भभय को जानना |

(ग) कालरदास ऩॊत औय यवीॊिनाथ टगोय भ कौन सा गण सभान था भहाकवि कासरदास ससभतरानॊदन ऩॊत औय गरदि यिीॊदरनाथ टगोय तीनो नदसथयपरऻ औय अनासकत कवि थ | ि सशयीर क सभान सयस औय भसत अिधत थ |

(घ) यवीॊिनाथ याजोदमान क लसॊहदवाय क फाय भ कमा सॊदश दत ह याजोदमान क फाय भ यिीॊदरनाथ कहत ह याजोदमान का ससॊहदिाय ककतना ही सॊदय औय गगनचमफी कमो ना हो िह अॊनतभ ऩड़ाि नहीॊ ह| उसका सौदमय ककसी औय उचचतभ सौदमय की ओय ककमा गमा सॊकत भातर ह कक असरी सौदमय इस ऩाय कयन क फाद ह अत याजोदमान का ससॊहदिाय हभ आग फढ़न की परयणा दता ह |

18शरभ-पवबाजन औय जानत-परथा

िॉ० बीभयाव अॊफिकय

सायाॊश ndash इस ऩाठ भ रखक न जानतिाद क आधाय ऩय ककए जान िार बदबाि को सभम सभाज क सरए हाननकायक फतामा ह | जानत आधारयत शरभ विबाजन को असिाबाविक औय भानिता वियोधी फतामा गमा ह मह साभानदजक बदबाि को फढ़ाता ह जानतपरथा आधारयत शरभ विबाजन भ वमनदकत की रधच को भहतति नहीॊ हदमा जाता परसिरऩ वििशता क साथ अऩनाए

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Page 36: ISSUED BY KENDRIYA VIDYALAYA - DOWNLOADED FROM … Class XII Hindi Part B.pdfप्रश्न४ :-फादर क / फयन का गयीफ एि धनी िगय क्मा

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सबी काजम-जम याभ कहकय सिागत कयना फाजाय की चभक-दभक स आकवरयत न होना सभाज को सॊतोरी जीिन की सशा दना

परशन7-फाजाय की साथटकता ककसभ ह

उततय- भनरषम की आिशमकताओॊ की ऩनतय कयन भ ही फाजाय की साथयकता ह जो गराहक अऩनी आिशमकताओॊ की चीज खयीदत ह ि फाजाय को साथयकता परदान कयत ह जो विकरता गराहको का शोरण नहीॊ कयत औय छर-कऩट स गराहको को रबान का परमास नही कयत ि बी फाजाय को साथयक फनात ह

गदमाॊश-आधारयत अथटगरहण-सॊफॊधधत परशनोततय

फाजाय भ एक जाद ह िह जाद आॉख की तयह काभ कयता ह िह रऩ का जाद ह ऩय जस चॊफक का जाद रोह ऩय ही चरता ह िस ही इस जाद की बी भमायदा ह जफ बयी हो औय भन खारी हो ऐसी हारत भ जाद का असय खफ होता ह जफ खारी ऩय भन बया न हो तो बी जाद चर जाएगा भन खारी ह तो फाजाय की अनकानक चीजो का ननभॊतरण उस तक ऩहॉच जाएगा कहीॊ हई उस िकत जफ बयी तफ तो कपय िह भन ककसकी भानन िारा ह भारभ होता ह मह बी रॉ िह बी रॉ सबी साभान जरयी औय आयाभ को फढ़ान िारा भारभ होता ह ऩय मह सफ जाद का असय ह जाद की सिायी उतयी कक ऩता चरता ह कक प सी-चीजो की फहतामत आयाभ भ भदद नहीॊ दती फनदलक खरर ही डारती ह थोड़ी दय को सिासबभान को जरय सक सभर जाता ह ऩय इसस असबभान को धगलटी की खयाक ही सभरती ह जकड़ यशभी डोयी की हो तो यशभ क सऩशय क भरामभ क कायण कमा िह कभ जकड़ दगी

ऩय उस जाद की जकड़ स फचन का एक सीधा उऩाम ह िह मह कक फाजाय जाओ तो खारी भन न हो भन खारी हो तफ फाजाय न जाओ कहत ह र भ जाना हो तो ऩानी ऩीकय जाना चाहहए ऩानी बीतय हो र का रऩन वमथय हो जाता ह भन रकषम स बया हो तो फाजाय परा का परा ही यह जाएगा तफ िह घाि बफरकर नहीॊ द सकगा फनदलक कछ आनॊद ही दगा तफ फाजाय तभस कताथय होगा कमोकक तभ कछ न कछ सचचा राब उस दोग फाजाय की असरी कताथयता ह आिशमकता क सभम काभ आना

परशन-1 फाजाय क जाद को रखक न कस सऩषट ककमा ह

उततय- फाजाय क रऩ का जाद आॉखो की याह स काभ कयता हआ हभ आकवरयत कयता ह फाजाय का जाद ऐस चरता ह जस रोह क ऊऩय चॊफक का जाद चरता ह चभचभाती योशनी भ सजी

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प सी चीॊज गराहक को अऩनी ओय आकवरयत कयती ह| इसी चमफकीम शनदकत क कायण वमनदकत कपजर साभान को बी खयीद रता ह |

परशन-2 जफ बयी हो औय भन खारी तो हभायी कमा दशा होती ह

उततय- जफ बयी हो औय भन खारी हो तो हभाय ऊऩय फाजाय का जाद खफ असय कयता ह भन खारी ह तो फाजाय की अनकानक चीजो का ननभॊतरण भन तक ऩहॉच जाता ह औय उस सभम महद जफ बयी हो तो भन हभाय ननमॊतरण भ नहीॊ यहता

परशन-3 प सी चीजो की फहतामत का कमा ऩरयणाभ होता ह

उततय- प सी चीज आयाभ की जगह आयाभ भ वमिधान ही डारती ह थोड़ी दय को असबभान को जरय सक सभर जाती ह ऩय हदखाि की परिनदतत भ िवदध होती ह

परशन-4 जाद की जकड़ स फचन का कमा उऩाम ह

उततय- जाद की जकड़ स फचन क सरए एक ही उऩाम ह िह मह ह कक फाजाय जाओ तो भन खारी न हो भन खारी हो तो फाजाय भत जाओ

13 कार भघा ऩानी द

रखक-धभटवीय बायती

ऩाि का सायाॊश -lsquoकार भघा ऩानी दrsquo ननफॊध रोकजीिन क विशिास औय विऻान क तकय ऩय आधारयत ह जफ बीरण गभी क कायण वमाकर रोग िराय कयान क सरए ऩजा-ऩाठ औय कथा-विधान कय थकndashहाय जात ह तफ िराय कयान क सरए अॊनतभ उऩाम क रऩ भ इनददय सना ननकरती ह| इनददय सना नॊग-धड़ॊग फचचो की टोरी ह जो कीचड़ भ रथऩथ होकय गरी-भोहलर भ ऩानी भाॉगन ननकरती ह| रोग अऩन घय की छतो-णखड़ककमो स इनददय सना ऩय ऩानी डारत ह | रोगो की भानदमता ह कक इनददर फादरो क सिाभी औय िराय क दिता ह| इनददर की सना ऩय ऩानी डारन स इनददर बगिान परसनदन होकय ऩानी फयसाएॊग | रखक का तकय ह कक जफ ऩानी की इतनी कभी ह तो रोग भनदशकर स जभा ककए ऩानी को फालटी बय-बयकय इनददय सना ऩय डारकय ऩानी को कमो फफायद कयत ह आमयसभाजी विचायधाया िारा रखक इस अॊधविशिास भानता ह | इसक विऩयीत रखक की जीजी उस सभझाती ह कक मह ऩानी की फफायदी नहीॊ फनदलक ऩानी की फिाई ह | कछ ऩान क सरए कछ दना ऩड़ता ह | तमाग क बफना दान नहीॊ होता| परसतत ननफॊध भ रखक न भरषटाचाय की सभसमा को उठात हए कहा ह कक जीिन भ कछ ऩान क सरए तमाग आिशमक ह जो रोग तमाग औय दान की भहतता को नहीॊ भानत ि ही भरषटाचाय भ सरपत यहकय दश औय सभाज को रटत ह| जीजी की आसथा बािनातभक सचचाई को ऩरषट कयती ह औय तकय किर िऻाननक तथम को सतम भानता ह जहाॉ तकय मथाथय क

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कठोय धयातर ऩय सचचाई को ऩयखता ह तो िहीॊ आसथा अनहोनी फात को बी सिीकाय कय भन को सॊसकारयत कयती ह बायत की सितॊतरता क ५० सार फाद बी दश भ वमापत बरषटाचाय औय सिाथय की बािना को दखकय रखक दखी ह | सयकाय दिाया चराई जा यही मोजनाएॉ गयीफो तक कमो नहीॊ ऩहॉच ऩा यहीॊ ह कार भघा क दर उभड़ यह ह ऩय आज बी गयीफ की गगयी पटी हई कमो ह रखक न मह परशन ऩाठको क सरए छोड़ हदमा ह |

परशन1-इनदय सना घय-घय जाकय ऩानी कमो भाॉगती थी

उततय- गाॉि क रोग फारयश क सरए बगिान इॊदर स पराथयना ककमा कयत थ जफ ऩजा-ऩाठवरत आहद उऩाम असिर हो जात थ तो बगिान इॊदर को परसनदन कयन क सरए गाॉि क ककशोय फचच कीचड़ भ रथऩथ होकय गरी-गरी घभकय रोगो स ऩानी भाॉगत थ

परशन2-इनदयसना को रखक भढक-भॊिरी कमो कहता ह जीजी क फायndashफाय कहन ऩय बी वह इनदयसना ऩय ऩानी प कन को याजी कमो नहीॊ होता

उततय- इनददयसना का कामय आमयसभाजी विचायधाया िार रखक को अॊधविशिास रगता ह उसका भानना ह कक महद इॊदयसना दिता स ऩानी हदरिा सकती ह तो सिमॊ अऩन सरए ऩानी कमो नहीॊ भाॉग रती ऩानी की कभी होन ऩय बी रोग घय भ एकतर ककम हए ऩानी को इॊदयसना ऩय ि कत ह रखक इस ऩानी की ननभयभ फयफादी भानता ह

परशन3- रि हए रखक को जीजी न ककस परकाय सभझामा

उततय- जीजी न रखक को पमाय स रडड-भठयी णखरात हए ननमन तकय हदए-

1- तमाग का भहततव- कछ ऩान क सरए कछ दना ऩड़ता ह 2- दान की भहतता- कवर-भननमो न दान को सफस ऊॉ चा सथान हदमा ह जो चीज अऩन

ऩास बी कभ हो औय अऩनी आिशमकता को बरकय िह चीज दसयो को दान कय दना ही तमाग ह |

3- इॊिदव को जर का अधमट चिाना- इॊदयसना ऩय ऩानी ि कना ऩानी की फयफादी नहीॊ फनदलक इॊदरदि को जर का अधमय चढ़ाना ह

4- ऩानी की फवाई कयना- नदजस परकाय ककसान िसर उगान क सरए जभीन ऩय फीज डारकय फिाई कयता ह िस ही ऩानी िार फादरो की िसर ऩान क सरए इनददय सना ऩय ऩानी डार कय ऩानी की फिाई की जाती ह

परशन4-नठदमो का बायतीम साभाजजक औय साॊसकनतक ऩरयवश भ कमा भहतव ह

उततय- गॊगा बायतीम सभाज भ सफस ऩजम सदानीया नदी ह नदजसका बायतीम इनतहास भ धासभयक ऩौयाणणक औय साॊसकनतक भहति ह | िह बायतीमो क सरए किर एक नदी नहीॊ अवऩत

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भाॉ ह सिगय की सीढ़ी ह भोदानमनी ह उसभ ऩानी नहीॊ अवऩत अभत तलम जर फहता ह बायतीम सॊसकनत भ नहदमो क ककनाय भानि सभमताएॉ परी-परी ह| फड़-फड़ नगय तीथयसथान नहदमो क ककनाय ही नदसथत ह ऐस ऩरयिश भबायतिासी सफस ऩहर गॊगा भमा की जम ही फोरग नहदमाॉ हभाय जीिन का आधाय ह हभाया दश कवर परधान ह नहदमो क जर स ही बायत बसभ हयी-बयी ह नहदमो क बफना जीिन की कलऩना नहीॊ कय सकत मही कायण ह कक हभ बायतीम नहदमो की ऩजा कयत ह |

परशन4-आजादी क ऩचास वषो क फाद बी रखक कमो दखी ह उसक भन भ कौन स परशन उि यह ह

उततय- आजादी क ऩचास िरो फाद बी बायतीमो की सोच भ सकायातभक फदराि न दखकय रखक दखी ह उसक भन भ कई परशन उठ यह ह-

1 कमा हभ सचच अथो भ सितनदतर ह 2 कमा हभ अऩन दश की सॊसकनत औय सभमता को सभझ ऩाए ह 3 यारषर ननभायण भ हभ ऩीछ कमो ह हभ दश क सरए कमा कय यह ह

4 हभ सिाथय औय भरषटाचाय भ सरपत यहत ह तमाग भ विशिास कमो नहीॊ कयत

5 सयकाय दिाया चराई जा यही सधायिादी मोजनाएॉ गयीफो तक कमो नहीॊ ऩहॉचती ह

गदमाॊश ऩय आधारयत अथटगरहण-सॊफॊधधत परशनोततय

सचभच ऐस हदन होत जफ गरी-भहलरा गाॉि-शहय हय जगह रोग गयभी भ बन-बन कय तराहहभाभ कय यह होत जठ क दसतऩा फीतकय आराढ का ऩहरा ऩखिाड़ा फीत चका होता ऩय कषनतज ऩय कहीॊ फादरो की यख बी नहीॊ दीखती होती कएॉ सखन रगत नरो भ एक तो फहत कभ ऩानी आता औय आता बी तो आधी यात को िो बी खौरता हआ ऩानी हो | शहयो की तरना भ गाॉि भ औय बी हारत खयाफ थी| जहाॉ जताई होनी चाहहए थी िहाॉ खतो की सभटटी सखकय ऩतथय हो जाती कपय उसभ ऩऩड़ी ऩड़कय जभीन पटन रगती र ऐसी कक चरत-चरत आदभी धगय ऩड़ | ढोय-डॊगय पमास क भाय भयन रगत रककन फारयश का कहीॊ नाभ ननशान नहीॊ ऐस भ ऩजा-ऩाठ कथा-विधान सफ कयक रोग जफ हाय जात तफ अॊनतभ उऩाम क रऩ भ ननकरती मह इनददय सना |

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परशन१- वषाट न होन ऩय रोगो की कमा जसथनत हो गमी थी उततय - िराय न होन ऩय गयभी क कायण रोग र रगन स फहोश होन रग | गाॉि-शहय सबी जगह ऩानी का अबाि हो गमा| कएॉ सख गए खतो की सभटटी सखकय ऩतथय क सभान कठोय होकय पट गमी| घयो भ नरो भ ऩानी फहत कभ आता था | ऩश पमास क भाय भयन रग थ | परशन२- वषाट क दवता कौन ह उनको परसनन कयन क लरए कमा उऩाम ककए जात थ उततय -िराय क दिता बगिान इनददर ह| उनको परसनदन कयन क सरए ऩजाndashऩाठ कथा-विधान कयाए जात थ | ताकक इनददर दि परसनदन होकय फादरो की सना बजकय झभाझभ फारयश कयाएॉ औय रोगो क करषट दय हो | परशन३- वषाट कयान क अॊनतभ उऩाम क रऩ भ कमा ककमा जाता था उततय ndashजफ ऩजा-ऩाठ कथा-विधान सफ कयक रोग हाय जात थ तफ अॊनतभ उऩाम क रऩ भ इनददय सना आती थी | नॊग-धडॊग कीचड़ भ रथऩथ lsquoकार भघा ऩानी द ऩानी द गड़धानी दrsquo की टय रगाकय पमास स सखत गरो औय सखत खतो क सरए भघो को ऩकायती हई टोरी फनाकय ननकर ऩड़ती थी| परशन४-आशम सऩषट कय ndash जठ क दसतऩा फीतकय आराढ़ का ऩहरा ऩखिाड़ा फीत चका होता ऩय कषनतज भ कहीॊ फादरो की यख बी नजय नहीॊ आती | आशम- जठ का भहीना ह बीरण गयभी ह| तऩत हए दस हदन फीत कय आराढ का भहीना बी आधा फीत गमा ऩय ऩानी क सरए तड़ऩत िराय की आशा भ आसभान की ओय ताकत रोगो को कहीॊ फादर नजय नहीॊ आ यह |

14 ऩहरवान की ढोरक

फ़णीशवयनाथ यण

ऩाि का सायाॊश ndashआॊचसरक कथाकाय िणीशियनाथ यण की कहानी ऩहरिान की ढोरक भ कहानी क भखम ऩातर रटटन क भाता-वऩता का दहाॊत उसक फचऩन भ ही हो गमा था | अनाथ रटटन को उसकी विधिा सास न ऩार-ऩोसकय फड़ा ककमा | उसकी सास को गाॉि िार सतात थ |

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रोगो स फदरा रन क सरए कशती क दाॉिऩच सीखकय कसयत कयक रटटन ऩहरिान फन गमा |

एक फाय रटटन शमाभनगय भरा दखन गमा जहाॉ ढोर की आिाज औय कशती क दाॉिऩच दखकय उसन जोश भ आकय नाभी ऩहरिान चाॉदससॊह को चनौती द दी | ढोर की आिाज स परयणा ऩाकय रटटन न दाॉि रगाकय चाॉद ससॊह को ऩटककय हया हदमा औय याज ऩहरिान फन गमा | उसकी खमानत दय-दय तक िर गमी| १५ िरो तक ऩहरिान अजम फना यहा| उसक दो ऩतर थ| रटटन न दोनो फटो को बी ऩहरिानी क गय ससखाए| याजा की भतम क फाद नए याजकभाय न गददी सॊबारी याजकभाय को घोड़ो की यस का शौक था भनजय न नम याजा को बड़कामा ऩहरिान औय उसक दोनो फटो क बोजनखचय को बमानक औय किजरखचय फतामा िरसिरऩ नए याजा न कशती को फॊद कयिा हदमा औय ऩहरिान रटटनससॊह को उसक दोनो फटो क साथ भहर स ननकार हदमा

याजदयफाय स ननकार हदए जान क फाद रटटन ससॊह अऩन दोनो फटो क साथ गाॉि भ झोऩड़ी फनाकय यहन रगा औय गाॉि क रड़को को कशती ससखान रगा| रटटन का सकर जमादा हदन नहीॊ चरा औय जीविकोऩाजयन क सरए उसक दोनो फटो को भजदयी कयनी ऩड़ी| इसी दौयान गाॉि भ अकार औय भहाभायी क कायण परनतहदन राश उठन रगी| ऩहरिान भहाभायी स डय हए रोगो को ढोरक फजाकय फीभायी स रड़न की सॊजीिनी ताकत दता था| एक हदन ऩहरिान क दोनो फट बी भहाभायी की चऩट भ आकय भय गए ऩय उस यात बी ऩहरिान ढोरक फजाकय रोगो को हहमभत फॊधा यहा था | इस घटना क चाय-ऩाॉच हदन फाद ऩहरिान की बी भौत हो जाती ह|

ऩहरिान की ढोरक वमिसथा क फदरन क साथ रोक कराकाय क अपरासॊधगक हो जान की कहानी ह इस कहानी भ रटटन नाभ क ऩहरिान की हहमभत औय नदजजीविरा का िणयन ककमा गमा ह बख औय भहाभायी अजम रटटन की ऩहरिानी को िट ढोर भ फदर दत ह इस करण तरासदी भ ऩहरिान रटटन कई सिार छोड़ जाता ह कक करा का कोई सितॊतर अनदसतति ह मा करा किर वमिसथा की भोहताज ह

परशन1- रटटन को ऩहरवान फनन की परयणा कस लभरी

उततय- रटटन जफ नौ सार का था तो उसक भाता-वऩता का दहाॊत हो गमा था | सौबागम स उसकी शादी हो चकी थी| अनाथ रटटन को उसकी विधिा सास न ऩार-ऩोसकय फड़ा ककमा | उसकी सास को गाॉि िार ऩयशान कयत थ| रोगो स फदरा रन क सरए उसन ऩहरिान फनन की ठानी| धायोरषण दध ऩीकय कसयत कय उसन अऩना फदन गठीरा औय ताकतिय फना सरमा | कशती क दाॉिऩच सीखकय रटटन ऩहरिान फन गमा |

परशन2- यात क बमानक सननाट भ रटटन की ढोरक कमा करयशभा कयती थी

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उततय- यात क बमानक सनदनाट भरटटन की ढोरक भहाभायी स जझत रोगो को हहमभत फॉधाती थी | ढोरक की आिाज स यात की विबीवरका औय सनदनाटा कभ होता था| भहाभायी स ऩीडड़त रोगो की नसो भ बफजरी सी दौड़ जाती थी उनकी आॉखो क साभन दॊगर का दशम साकाय हो जाता था औय ि अऩनी ऩीड़ा बर खशी-खशी भौत को गर रगा रत थ इस परकाय ढोर की आिाज फीभाय-भतपराम गाॉििारो की नसो भ सॊजीिनी शनदकत को बय फीभायी स रड़न की परयणा दती थी

परशन3- रटटन न सवाटधधक ठहमभत कफ ठदखाई

उततय- रटटन ससॊह न सिायधधक हहमभत तफ हदखाई जफ दोनो फटो की भतम ऩय िह योमा नहीॊ फनदलक हहमभत स काभ रकय अकर उनका अॊनतभ सॊसकाय ककमा| मही नहीॊ नदजस हदन ऩहरिान क दोनो फट भहाभायी की चऩट भ आकय भय गए ऩय उस यात को बी ऩहरिान ढोरक फजाकय रोगो को हहमभत फॉधा यहा था| शमाभनगय क दॊगर भ ऩया जनसभदाम चाॉद ससॊह क ऩ भ था चाॉद ससॊह को हयात सभम रटटन न हहमभत हदखाई औय बफना हताश हए दॊगर भ चाॉद ससॊह को धचत कय हदमा |

परशन4- रटटन लसॊह याज ऩहरवान कस फना

उततय- शमाभनगय क याजा कशती क शौकीन थ उनदहोन दॊगर का आमोजन ककमा ऩहरिान रटटन ससॊह बी दॊगर दखन ऩहॉचा चाॊदससॊह नाभक ऩहरिान जो शय क फचच क नाभ स परससदध था कोई बी ऩहरिान उसस सबड़न की हहमभत नहीॊ कयता था चाॉदससॊह अखाड़ भ अकरा गयज यहा था रटटन ससॊह न चाॉदससॊह को चनौती द दी औय चाॉदससॊह स सबड़ गमाढ़ोर की आिाज सनकय रटटन की नस-नस भ जोश बय गमाउसन चाॉदससॊह को चायो खान धचत कय हदमा याजासाहफ न रटटन की िीयता स परबावित होकय उस याजऩहरिान फना हदमा

परशन5- ऩहरवान की अॊनतभ इचछा कमा थी

उततय- ऩहरिान की अॊनतभ इचछा थी कक उस धचता ऩय ऩट क फर सरटामा जाए कमोकक िह नदजॊदगी भ कबी धचत नहीॊ हआ था| उसकी दसयी इचछा थी कक उसकी धचता को आग दत सभम ढोर अिशम फजामा जाए |

परशन6- ढोर की आवाज औय रटटन क भ दाॉिऩच सॊफॊध फताइए-

उततय- ढोर की आिाज औय रटटन क दाॉिऩच भ सॊफॊध -

चट धा धगड़ धाrarr आजा सबड़ जा | चटाक चट धाrarr उठाकय ऩटक द | चट धगड़ धाrarrभत डयना |

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धाक धधना नतयकट नतनाrarr दाॉि काटो फाहय हो जाओ | धधना धधना धधक धधनाrarr धचत कयो

गदमाॊश-आधारयत अथटगरहण-सॊफॊधधत परशनोततय

अॉधयी यात चऩचाऩ आॉस फहा यही थी | ननसतबधता करण सससककमो औय आहो को अऩन रदम भ ही फर ऩियक दफान की चरषटा कय यही थी | आकाश भ ताय चभक यह थ | ऩथिी ऩय कहीॊ परकाश का नाभ नहीॊ| आकाश स टट कय महद कोई बािक ताया ऩथिी ऩय आना बी चाहता तो उसकी जमोनत औय शनदकत यासत भ ही शर हो जाती थी | अनदम ताय उसकी बािकता अथिा असपरता ऩय णखरणखराकय हॉस ऩड़त थ | ससमायो का करॊ दन औय ऩचक की डयािनी आिाज यात की ननसतबधता को बॊग कयती थी | गाॉि की झोऩडडमो स कयाहन औय क कयन की आिाज हय याभ ह बगिान की टय सनाई ऩड़ती थी| फचच बी ननफयर कॊ ठो स भाॉ ndashभाॉ ऩकायकय यो ऩड़त थ |

(क) अॉधयी यात को आॉस फहात हए कमो ठदखामा गमा ह उततयndash गाॉि भ हजा औय भररयमा परा हआ था | भहाभायी की चऩट भ आकाय रोग भय यह थ |चायो ओय भौत का सनाटा छामा था इससरए अॉधयी यात बी चऩचाऩ आॉस फहाती सी परतीत हो यही थी|

(ख) ताय क भाधमभ स रखक कमा कहना चाहता ह उततयndash ताय क भाधमभ स रखक कहना चाहता ह कक अकार औय भहाभायी स तरसत गाॉि िारो की ऩीड़ा को दय कयन िारा कोई नहीॊ था | परकनत बी गाॉि िारो क द ख स दखी थी| आकाश स टट कय महद कोई बािक ताया ऩथिी ऩय आना बी चाहता तो उसकी जमोनत औय शनदकत यासत भ ही शर हो जाती थी |

(ग) यात की ननसतबधता को कौन बॊग कयता था उततयndash ससमायो की चीख-ऩकाय ऩचक की डयािनी आिाज औय कततो का साभहहक रदन सभरकय यात क सनदनाट को बॊग कयत थ |

(घ) झोऩड़ड़मो स कसी आवाज आ यही ह औय कमो उततयndash झोऩडड़मो स योधगमो क कयाहन क कयन औय योन की आिाज आ यही ह कमोकक गाॉि क रोग भररयमा औय हज स ऩीडड़त थ | अकार क कायण अनदन की कभी हो गमी थी| औरधध औय ऩथम न सभरन क कायण रोगो की हारत इतनी फयी थी कक कोई बगिान को ऩकाय रगाता था तो कोई दफयर कॊ ठ स भाॉndashभाॉ ऩकायता था |

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15 चारी चजतरन मानी हभ सफ

रखक-पवषण खय

ऩाि का सायाॊश ndashचारक चनदपरन न हासम कराकाय क रऩ भ ऩयी दननमा क फहत फड़ दशयक िगय को हॉसामा ह | उनकी कपलभो न कपलभ करा को रोकताॊबतरक फनान क साथ-साथ दशको की िगय औय िणय-वमिसथा को बी तोड़ा | चारक न करा भ फवदध की अऩा बािना को भहतति हदमा ह | फचऩन क सॊघरो न चारक क बािी कपलभो की बसभ तमाय कय दी थी| बायतीम करा औय सौदमयशासतर भ करणा का हासम भ ऩरयितयन बायतीम ऩयमऩया भ नहीॊ सभरता रककन चारक एक ऐसा जादई वमनदकतति ह जो हय दश सॊसकनत औय सभमता को अऩना सा रगता ह| बायतीम जनता न बी उनदह सहज बाि स सिीकाय ककमा ह| सिमॊ ऩय हॉसना चारक न ही ससखामा| बायतीम ससनभा जगत क सपरससदध कराकाय याजकऩय को चारक का बायतीमकयण कहा गमा ह | चारक की अधधकाॊश किलभ भक ह इससरए उनदह अधधक भानिीम होना ऩड़ा | ऩाठ भ हासम कपलभो क भहान असबनता lsquoचारक चनदपरनrsquo की जादई विशरताओॊ का उलरख ककमा गमा ह नदजसभ उसन करणा औय हासम भ साभॊजसम सथावऩत कय किलभो को साियबौसभक रऩ परदान ककमा

परशन१ -चारी क जीवन ऩय परबाव िारन वारी भखम घटनाएॉ कौन सी थी

उततय- चारक क जीिन भ दो ऐसी घटनाएॉ घटीॊ नदजनदहोन उनक बािी जीिन ऩय फहत परबाि डारा |

ऩहरी घटना - जफ चारक फीभाय थ उनकी भाॉ उनदह ईसा भसीह की जीिनी ऩढ़कय सना यही थी | ईसा क सरी ऩय चढ़न क परसॊग तक आत-आत भाॉ-फटा दोनो ही योन रग| इस घटना न चारक को सनह करणा औय भानिता जस उचच जीिन भलम हदए |

दसयी घटना हndash फारक चारक कसाईखान क ऩास यहता था| िहाॉ सकड़ो जानियो को योज भाया जाता था| एक हदन एक बड़ िहाॉ स बाग ननकरी| बड़ को ऩकड़न की कोसशश भ कसाई कई फाय कपसरा| नदजस दखकय रोग हॊसन रग ठहाक रगान रग| जफ बड़ को कसाई न ऩकड़ सरमा तो फारक चारक योन रगा| इस घटना न उसक बािी कपलभो भ तरासदी औय हासमोतऩादक ततिो की बसभका तम कय दी |

परशन२ ndash आशम सऩषट कीजजएndash

चजतरन न लसपट कपलभकरा को ही रोकताॊबतरक नही फनामा फजलक दशटको की वगट तथा वणट-वमवसथा को बी तोड़ा|

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उततय- रोकताॊबतरक फनान का अथय ह कक कपलभ करा को सबी क सरए रोकवपरम फनाना औय िगय औय िणय-वमिसथा को तोड़न का आशम ह- सभाज भ परचसरत अभीय-गयीफ िणय जानतधभय क बदबाि को सभापत कयना |चनदपरन का चभतकाय मह ह कक उनदहोन कपलभकरा को बफना ककसी बदबाि क सबी रोगो तक ऩहॉचामा| उनकी कपलभो न सभम बगोर औय सॊसकनतमो की सीभाओॊ को राॉघ कय साियबौसभक रोकवपरमता हाससर की | चारक न मह ससदध कय हदमा कक करा सितनदतर होती ह अऩन ससदधाॊत सिमॊ फनाती ह |

परशन३ndash चारी चजतरन की कपलभो भ ननठहत तरासदीकरणाहासम का साभॊजसम बायतीम करा औय सौदमटशासतर की ऩरयधध भ कमो नहीॊ आता

उततय- चारक चनदपरन की कपलभो भ ननहहत तरासदीकरणाहासम का साभॊजसम बायतीम करा औय सौदमयशासतर की ऩरयधध भ नहीॊ आताकमोकक बायतीम यस-ससदधाॊत भ करणा औय हासम का भर नहीॊ हदखामा जाता कमोकक बायतीम सौदमयशासतर भ करणयस औय हासम यस को ऩयसऩय वियोधी भाना गमा ह अथायत जहाॊ करणा ह िहाॉ हासम नहीॊ हो सकता बायत भ सिमॊ ऩय हॉसन की ऩयॊऩया नहीॊ ह ऩयॊत चारक क ऩातर अऩन ऩय हॉसतndashहॉसात ह चारक की किलभो क दशम हॉसात-हॉसात ररा दत ह तो कबी करण दशम क फाद अचानक ही हॉसन ऩय भजफय कय दत ह

परशन४ndash चारी क कपलभो की पवशषताएॉ फताइए |

उततय- चारक की किलभो भ हासम औय करणा का अदभत साभॊजसम ह उनकी किलभो भ बारा का परमोग फहत कभ ह चारक की किलभो भ फवदध की अऩा बािना का भहतति अधधक ह उनकी किलभो भ साियबौसभकता ह चारक ककसी बी सॊसकनत को विदशी नही रगत चारक सफको अऩन रगत ह चारक न किलभो को रोकताॊबतरक फनामा औय किलभो भ िगय तथािणय-वमिसथा को तोड़ा अऩनी कपलभो भ चारक सदि धचय मिा हदखता ह

गदमाॊश-आधारयत अथटगरहण-सॊफॊधी परशनोततय

गदमाॊश सॊकत ndashचारक चनदपरन मानी हभ सफ (ऩरषठ १२० )

महद मह िरय चनदपरन की कापी कछ कहा जाएगा |

परशन (क)-पवकासशीर दशो भ चजतरन कमो भशहय हो यह ह

उततय - विकासशीर दशो भ जस-जस टरीविजन औय िीडडमो का परसाय हो यहा ह रोगो को उनकी कपलभो को दखन का अिसय सभर यहा ह |एक फहत फड़ा िगय नए ससय स चारक को घड़ी सधायत औय जत खान की कोसशश कयत दख यहा ह इसीसरए चारक विकासशीर दशो भ रोकवपरम हो यह ह |

(ख)- ऩजशचभ भ चारी का ऩनजीवन कस होता यहता ह

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उततय - ऩनदशचभ भ चारक की कपलभो का परदशयन होता यहता ह| उनकी करा स परयणा ऩाकय हासम किलभ फनती यहती ह | उनक दिाया ननबाए ककयदायो की नकर अनदम कराकाय कयत ह | ऩनदशचभ भ चारक का ऩनजीिन होता यहता ह|

(ग)- चारी को रोग फिाऩ तक कमो माद यखग

उततय ndashहासम कराकाय क रऩ भ रोग चारक को फढ़ाऩ तक माद यखग कमोकक उनकी करा सभम बगोर औय सॊसकनतमो की सीभाओॊ को राॉघकय राखो रोगो को हॉसा यही ह|

(घ)- चारी की कपलभो क फाय भ कापी कछ कहा जाना कमो फाी ह

उततय ndashचनदपरन की ऐसी कछ किलभ मा इसतभार न की गमी यीर सभरी ह नदजनक फाय भ कोई नहीॊ जानता था | चारक की बािनापरधान हासम कपलभो न करा क नए परनतभान सथावऩत ककए ह अत चारक की कपलभो क फाय भ अबी कापी कछ कहा जाना फाी ह|

16 नभक

रखखका - यजजमा सजजाद जहीय

सायाॊश -lsquoनभकrsquoबायत-ऩाक विबाजन ऩय सरणखत भासभयक कहानी ह | विसथावऩत हए रोगो भ अऩनndashअऩन जनदभ सथानो क परनत आज बी रगाि ह| धासभयक आधाय ऩय फनी यारषर-याजमो की सीभा-यखाएॉ उनक अॊतभयन को अरग नहीॊ कय ऩाई ह | बायत भ यहन िारी ससख फीिी राहौय को अऩना ितन भानती ह औय बायतीम कसटभ अधधकायी ढाका क नारयमर ऩानी को मादकय उस सियशररषठ फताता ह दोनो दशो क नागरयको क फीच भहबफत का नभकीन सिाद आज बी कामभ ह इसीसरए सकिमा बायत भ यहन िारी अऩनी भॉहफोरी भाॉ ससख फीिी क सरए राहौयी नभक रान क सरए कसटभ औय कानन की ऩयिाह नहीॊ कयती

परशन1- lsquoनभकrsquo ऩाि क आधाय ऩय फताइए कक सकपमा औय उसक बाई क पवचायो भ कमा अॊतय था

उततय- १-सकपमा बािनाओॊ को फहतभहतति दती ह ऩय उसका बाई फौवदधक परिनदतत का ह उसकी दनदरषट भ कानन बािनाओॊ स ऊऩय ह|

२-सकपमा भानिीम सॊफॊधो को फहत भहतति दती ह जफकक उसका बाई अरगाििादी विचायधाया का ह हहसस-फखय की फात कयता ह |

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३-सकपमा का बाई कहता ह कक अदीफो(साहहतमकाय) का हदभाग घभा हआ होता ह जफकक सकपमा जो सिमॊ अदीफ ह उसका भानना ह कक अगय सबी रोगो का हदभाग अदीफो की तयह घभा हआ होता तो दननमा कछ फहतय हो जाती |

परशन२- नभक र जात सभम सकफ़मा क भन भ कमा दपवधा थी

उततय-सकपमा समद भसरभान थी जो हय हार भ अऩना िामदा ननबात ह| ऩाककसतान स राहौयी नभक र जाकय िह अऩना िामदा ऩया कयना चाहती थी ऩयनदत जफ उस ऩता चरा कक कसटभ क ननमभो क अनसाय सीभाऩाय नभक र जाना िनदजयत ह तो िह दविधा भ ऩड़ गई | सकिमा का दिॊदि मह था कक िह अऩनी ससख भाॉ क सरए नभक कसटभ अधधकारयमो को फताकयर जाए मा नछऩाकय|

परशन३- ऩाि क आधाय ऩय सकपमा की चारयबतरक पवशषताएॉ फताइए |

उततय सॊकत ndash

१- बािक २- ईभानदाय ३- दढ़ननशचमी ४- ननडय ५- िामद को ननबान िारी ६- भानिीम भलमो को सिोऩरय भानन िारी साहहतमकाय

परशन ४- lsquoनभकrsquo ऩाि भ आए ककयदायो क भाधमभ स सऩषट कीजजए कक आज बी बायत औय ऩाककसतान की जनता क फीच भहबफत का नभकीन सवाद घरा हआ ह |

उततय ndash बर ही याजनीनतक औय धासभयक आधाय ऩय बायत औय ऩाककसतान को बौगोसरक रऩ स विबानदजत कय हदमा गमा ह रककन दोनो दशो क रोगो क रदम भ आज बी ऩायसऩरयक बाईचाया सौहादरय सनह औय सहानबनत विदमभान ह | याजनीनतक तौय ऩय बर ही सॊफॊध तनािऩणय हो ऩय साभानदजक तौय ऩय आज बी जनता क फीच भहबफत का नभकीन सिाद घरा हआ ह | अभतसय भ यहन िारी ससख फीफी राहौय को अऩना ितन कहती ह औय राहौयी नभक का सिाद नहीॊ बरा ऩाती | ऩाककसतान का कसटभ अधधकायी नभक की ऩडड़मा सकपमा को िाऩस दत हए कहता ह rdquoजाभा भनदसजद की सीहढ़मो को भया सराभ कहना |rdquo बायतीम सीभा ऩय तनात कसटभ अधधकायी ढाका की जभीन को औय िहाॉ क ऩानी क सिाद को नहीॊ बर ऩाता |

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गदमाॊश-आधारयत अथटगरहण सॊफॊधधत परशनोततय

गदमाॊश सॊकत- ऩाठndash नभक (ऩरषठ १३४)

सकपमा कसटभ क जॊगर स दोनो क हाथो भ थी |

(क) सकपमा कसटभ क जॉगर स ननकरकय दसय तरटपाभट ऩय आ गमी व वहीॊ खड़ यहndash इस वाकम भ lsquoवrsquo शबद का परमोग ककसक लरए ककमा गमा ह

उततय- महाॉ lsquoिrsquo शबद का परमोग ऩाककसतानी कसटभ अधधकायी क सरए ककमा गमा ह जो विबाजन स ऩिय हदलरी भ यहत थ औय आज बी हदलरी को ही अऩना ितन भानत ह |

(ख) तरटपाभट ऩय सकपमा को पवदा कयन कौन-कौन आए थ उनहोन सकपमा को कस पवदाई दी

उततय- परटपाभय ऩय सकपमा को विदा कयन उसक फहत साय सभतर सग सॊफॊधी औय बाई आए थ| उनदहोन ठॊडी साॉस बयत हए सबॊच हए होठो क साथ आॉस फहात हए सकपमा को विदाई दी |

(ग) अटायी भ यरगाड़ी भ कमा ऩरयवतटन हए उततय- अटायी भ यरगाड़ी स ऩाककसतानी ऩसरस उतयी औय हहनददसतानी ऩसरस सिाय हो गई|

(घ) कौन सी फात सकपमा की सभझ भ नहीॊ आ यही थी उततय- दोनो ओय एक सी जभीन एक जसा आसभान एक सी बारा एक सा ऩहनािा औय एक सी सयत क रोग कपय बी दोनो क हाथो भ बयी हई फॊदक ह |

17 लशयीष क पर

आचामट हजायी परसाद दपववदी

सायाॊश ndashlsquoआचामय हजायी परसाद दवििदीrsquo सशयीर को अदभत अिधत भानत ह कमोकक सॊनदमासी की बाॉनत िह सख-दख की धचॊता नहीॊ कयता गभी र िराय औय आॉधी भ बी अविचर खड़ा यहता ह सशयीर क िर क भाधमभ स भनरषम की अजम नदजजीविरा धमयशीरता औय कतयवमननरषठ फन यहन क भानिीम भलमो को सथावऩत ककमा गमा हरखक न सशयीर क कोभर परो औय कठोय परो क दिाया सऩरषट ककमा ह कक रदम की कोभरता फचान क सरए कबी-कबी वमिहाय की कठोयता बी आिशमक हो जाती ह| भहान कवि कासरदास औय कफीय बी सशयीर की तयह फऩयिाह अनासकत औय सयस थ तबी उनदहोन इतनी सनददय यचनाएॉ सॊसाय को दीॊ| गाॉधीजी क वमनदकतति भ बी कोभरता औय कठोयता का अदभत सॊगभ था | रखक सोचता ह कक हभाय दश भ जो भाय-काट अनदगनदाह रट-ऩाट खन-खचचय का फिॊडय ह कमा िह दश को नदसथय नहीॊ यहन दगा गराभी अशाॊनत औय वियोधी िाताियण क फीच अऩन ससदधाॊतो की या कयत हए गाॉधीजी जी नदसथय यह सक थ तो दश बी यह सकता ह जीन की परफर असबरारा क कायण

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विरभ ऩरयनदसथतमो भ बी महद सशयीर णखर सकता ह तो हभाया दश बी विरभ ऩरयनदसथनतमो भ नदसथय यह कय विकास कय सकता ह

परशन1-लसदध कीजजए कक लशयीष कारजमी अवधत की बाॉनत जीवन की अजमता क भॊतर का परचाय कयता ह

उततय- सशयीर कारजमी अिधत की बाॉनत जीिन की अजमता क भॊतर का परचाय कयता ह| जफ ऩथिी अनदगन क सभान तऩ यही होती ह िह तफ बी कोभर परो स रदा रहरहाता यहता ह|फाहयी गयभी धऩ िराय आॉधी र उस परबावित नहीॊ कयती इतना ही नहीॊ िह रॊफ सभम तक णखरा यहता ह | सशयीर विऩयीत ऩरयनदसथनतमो भ बी धमयशीर यहन तथा अऩनी अजम नदजजीविरा क साथ ननसऩह बाि स परचॊड गयभी भ बी अविचर खड़ा यहता ह

परशन२-आयगवध (अभरतास) की तरना लशयीष स कमो नहीॊ की जा सकती

उततय- सशयीर क पर बमॊकय गयभी भ णखरत ह औय आराढ़ तक णखरत यहत ह जफकक अभरतास का पर किर ऩनददरह-फीस हदनो क सरए णखरता ह | उसक फाद अभरतास क पर झड़ जात ह औय ऩड़ कपय स ठॉठ का ठॉठ हो जाता ह | अभरतास अलऩजीिी ह | विऩयीत ऩरयनदसथनतमो को झरता हआ ऊरषण िाताियण को हॉसकय झरता हआ सशयीर दीघयजीिी यहता ह | मही कायण ह कक सशयीर की तरना अभरतास स नहीॊ की जा सकती |

परशन३-लशयीष क परो को याजनताओॊ का रऩक कमो ठदमा गमा ह

उततय- सशयीर क पर उन फढ़ ढीठ औय ऩयान याजनताओॊ क परतीक ह जो अऩनी कसी नहीॊ छोड़ना चाहत | अऩनी अधधकाय-सरपसा क सरए नए मिा नताओॊ को आग नहीॊ आन दत | सशयीर क नए परो को जफयदसती ऩयान परो को धककमाना ऩड़ता ह | याजनीनत भ बी नई मिा ऩीढ़ी ऩयानी ऩीढ़ी को हयाकय सिमॊ सतता सॉबार रती ह |

परशन४- कार दवता की भाय स फचन का कमा उऩाम फतामा गमा ह

उततय- कार दिता कक भाय स फचन का अथय हndash भतम स फचना | इसका एकभातर उऩाम मह ह कक भनरषम नदसथय न हो| गनतशीर ऩरयितयनशीर यह | रखक क अनसाय नदजनकी चतना सदा ऊधियभखी (आधमातभ की ओय) यहती ह ि हटक जात ह |

परशन५- गाॉधीजी औय लशयीष की सभानता परकट कीजजए |

उततय- नदजस परकाय सशयीर धचरधचराती धऩ र िराय औय आॉधी भ बी अविचर खड़ा यहता ह अनासकत यहकय अऩन िाताियण स यस खीॊचकय सयस कोभर फना यहता ह उसी परकाय गाॉधी जी न बी अऩनी आॉखो क साभन आजादी क सॊगराभ भ अनदमाम बदबाि औय हहॊसा को झरा |

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उनक कोभर भन भ एक ओय ननयीह जनता क परनत असीभ करणा जागी िहीॊ ि अनदमामी शासन क वियोध भ डटकय खड़ हो गए |

गदमाॊश-आधारयत अथटगरहण सॊफॊधधत परशनोततय

गदमाॊश सॊकत- ऩाठ ndash सशयीर क पर (ऩरषठ १४७)

कासरदास सौदमय क िह इशाया ह |

(क) कालरदास की सौदमटndashदजषट की कमा पवशषता थी उततय-कासरदास की सौदमयndashदनदरषट फहत सकषभ अॊतबदी औय सॊऩणय थी| ि किर फाहयी रऩ-यॊग औय आकाय को ही नहीॊ दखत थ फनदलक अॊतभयन की सॊदयता क बी ऩायखी थ| कासरदास की सौदमय शायीरयक औय भानससक दोनो विशरताओॊ स मकत था |

(ख) अनासजकत का कमा आशम ह उततय- अनासनदकत का आशम ह- वमनदकतगत सख-द ख औय याग-दिर स ऩय यहकय सौदमय क िासतविक भभय को जानना |

(ग) कालरदास ऩॊत औय यवीॊिनाथ टगोय भ कौन सा गण सभान था भहाकवि कासरदास ससभतरानॊदन ऩॊत औय गरदि यिीॊदरनाथ टगोय तीनो नदसथयपरऻ औय अनासकत कवि थ | ि सशयीर क सभान सयस औय भसत अिधत थ |

(घ) यवीॊिनाथ याजोदमान क लसॊहदवाय क फाय भ कमा सॊदश दत ह याजोदमान क फाय भ यिीॊदरनाथ कहत ह याजोदमान का ससॊहदिाय ककतना ही सॊदय औय गगनचमफी कमो ना हो िह अॊनतभ ऩड़ाि नहीॊ ह| उसका सौदमय ककसी औय उचचतभ सौदमय की ओय ककमा गमा सॊकत भातर ह कक असरी सौदमय इस ऩाय कयन क फाद ह अत याजोदमान का ससॊहदिाय हभ आग फढ़न की परयणा दता ह |

18शरभ-पवबाजन औय जानत-परथा

िॉ० बीभयाव अॊफिकय

सायाॊश ndash इस ऩाठ भ रखक न जानतिाद क आधाय ऩय ककए जान िार बदबाि को सभम सभाज क सरए हाननकायक फतामा ह | जानत आधारयत शरभ विबाजन को असिाबाविक औय भानिता वियोधी फतामा गमा ह मह साभानदजक बदबाि को फढ़ाता ह जानतपरथा आधारयत शरभ विबाजन भ वमनदकत की रधच को भहतति नहीॊ हदमा जाता परसिरऩ वििशता क साथ अऩनाए

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Page 37: ISSUED BY KENDRIYA VIDYALAYA - DOWNLOADED FROM … Class XII Hindi Part B.pdfप्रश्न४ :-फादर क / फयन का गयीफ एि धनी िगय क्मा

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प सी चीॊज गराहक को अऩनी ओय आकवरयत कयती ह| इसी चमफकीम शनदकत क कायण वमनदकत कपजर साभान को बी खयीद रता ह |

परशन-2 जफ बयी हो औय भन खारी तो हभायी कमा दशा होती ह

उततय- जफ बयी हो औय भन खारी हो तो हभाय ऊऩय फाजाय का जाद खफ असय कयता ह भन खारी ह तो फाजाय की अनकानक चीजो का ननभॊतरण भन तक ऩहॉच जाता ह औय उस सभम महद जफ बयी हो तो भन हभाय ननमॊतरण भ नहीॊ यहता

परशन-3 प सी चीजो की फहतामत का कमा ऩरयणाभ होता ह

उततय- प सी चीज आयाभ की जगह आयाभ भ वमिधान ही डारती ह थोड़ी दय को असबभान को जरय सक सभर जाती ह ऩय हदखाि की परिनदतत भ िवदध होती ह

परशन-4 जाद की जकड़ स फचन का कमा उऩाम ह

उततय- जाद की जकड़ स फचन क सरए एक ही उऩाम ह िह मह ह कक फाजाय जाओ तो भन खारी न हो भन खारी हो तो फाजाय भत जाओ

13 कार भघा ऩानी द

रखक-धभटवीय बायती

ऩाि का सायाॊश -lsquoकार भघा ऩानी दrsquo ननफॊध रोकजीिन क विशिास औय विऻान क तकय ऩय आधारयत ह जफ बीरण गभी क कायण वमाकर रोग िराय कयान क सरए ऩजा-ऩाठ औय कथा-विधान कय थकndashहाय जात ह तफ िराय कयान क सरए अॊनतभ उऩाम क रऩ भ इनददय सना ननकरती ह| इनददय सना नॊग-धड़ॊग फचचो की टोरी ह जो कीचड़ भ रथऩथ होकय गरी-भोहलर भ ऩानी भाॉगन ननकरती ह| रोग अऩन घय की छतो-णखड़ककमो स इनददय सना ऩय ऩानी डारत ह | रोगो की भानदमता ह कक इनददर फादरो क सिाभी औय िराय क दिता ह| इनददर की सना ऩय ऩानी डारन स इनददर बगिान परसनदन होकय ऩानी फयसाएॊग | रखक का तकय ह कक जफ ऩानी की इतनी कभी ह तो रोग भनदशकर स जभा ककए ऩानी को फालटी बय-बयकय इनददय सना ऩय डारकय ऩानी को कमो फफायद कयत ह आमयसभाजी विचायधाया िारा रखक इस अॊधविशिास भानता ह | इसक विऩयीत रखक की जीजी उस सभझाती ह कक मह ऩानी की फफायदी नहीॊ फनदलक ऩानी की फिाई ह | कछ ऩान क सरए कछ दना ऩड़ता ह | तमाग क बफना दान नहीॊ होता| परसतत ननफॊध भ रखक न भरषटाचाय की सभसमा को उठात हए कहा ह कक जीिन भ कछ ऩान क सरए तमाग आिशमक ह जो रोग तमाग औय दान की भहतता को नहीॊ भानत ि ही भरषटाचाय भ सरपत यहकय दश औय सभाज को रटत ह| जीजी की आसथा बािनातभक सचचाई को ऩरषट कयती ह औय तकय किर िऻाननक तथम को सतम भानता ह जहाॉ तकय मथाथय क

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कठोय धयातर ऩय सचचाई को ऩयखता ह तो िहीॊ आसथा अनहोनी फात को बी सिीकाय कय भन को सॊसकारयत कयती ह बायत की सितॊतरता क ५० सार फाद बी दश भ वमापत बरषटाचाय औय सिाथय की बािना को दखकय रखक दखी ह | सयकाय दिाया चराई जा यही मोजनाएॉ गयीफो तक कमो नहीॊ ऩहॉच ऩा यहीॊ ह कार भघा क दर उभड़ यह ह ऩय आज बी गयीफ की गगयी पटी हई कमो ह रखक न मह परशन ऩाठको क सरए छोड़ हदमा ह |

परशन1-इनदय सना घय-घय जाकय ऩानी कमो भाॉगती थी

उततय- गाॉि क रोग फारयश क सरए बगिान इॊदर स पराथयना ककमा कयत थ जफ ऩजा-ऩाठवरत आहद उऩाम असिर हो जात थ तो बगिान इॊदर को परसनदन कयन क सरए गाॉि क ककशोय फचच कीचड़ भ रथऩथ होकय गरी-गरी घभकय रोगो स ऩानी भाॉगत थ

परशन2-इनदयसना को रखक भढक-भॊिरी कमो कहता ह जीजी क फायndashफाय कहन ऩय बी वह इनदयसना ऩय ऩानी प कन को याजी कमो नहीॊ होता

उततय- इनददयसना का कामय आमयसभाजी विचायधाया िार रखक को अॊधविशिास रगता ह उसका भानना ह कक महद इॊदयसना दिता स ऩानी हदरिा सकती ह तो सिमॊ अऩन सरए ऩानी कमो नहीॊ भाॉग रती ऩानी की कभी होन ऩय बी रोग घय भ एकतर ककम हए ऩानी को इॊदयसना ऩय ि कत ह रखक इस ऩानी की ननभयभ फयफादी भानता ह

परशन3- रि हए रखक को जीजी न ककस परकाय सभझामा

उततय- जीजी न रखक को पमाय स रडड-भठयी णखरात हए ननमन तकय हदए-

1- तमाग का भहततव- कछ ऩान क सरए कछ दना ऩड़ता ह 2- दान की भहतता- कवर-भननमो न दान को सफस ऊॉ चा सथान हदमा ह जो चीज अऩन

ऩास बी कभ हो औय अऩनी आिशमकता को बरकय िह चीज दसयो को दान कय दना ही तमाग ह |

3- इॊिदव को जर का अधमट चिाना- इॊदयसना ऩय ऩानी ि कना ऩानी की फयफादी नहीॊ फनदलक इॊदरदि को जर का अधमय चढ़ाना ह

4- ऩानी की फवाई कयना- नदजस परकाय ककसान िसर उगान क सरए जभीन ऩय फीज डारकय फिाई कयता ह िस ही ऩानी िार फादरो की िसर ऩान क सरए इनददय सना ऩय ऩानी डार कय ऩानी की फिाई की जाती ह

परशन4-नठदमो का बायतीम साभाजजक औय साॊसकनतक ऩरयवश भ कमा भहतव ह

उततय- गॊगा बायतीम सभाज भ सफस ऩजम सदानीया नदी ह नदजसका बायतीम इनतहास भ धासभयक ऩौयाणणक औय साॊसकनतक भहति ह | िह बायतीमो क सरए किर एक नदी नहीॊ अवऩत

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भाॉ ह सिगय की सीढ़ी ह भोदानमनी ह उसभ ऩानी नहीॊ अवऩत अभत तलम जर फहता ह बायतीम सॊसकनत भ नहदमो क ककनाय भानि सभमताएॉ परी-परी ह| फड़-फड़ नगय तीथयसथान नहदमो क ककनाय ही नदसथत ह ऐस ऩरयिश भबायतिासी सफस ऩहर गॊगा भमा की जम ही फोरग नहदमाॉ हभाय जीिन का आधाय ह हभाया दश कवर परधान ह नहदमो क जर स ही बायत बसभ हयी-बयी ह नहदमो क बफना जीिन की कलऩना नहीॊ कय सकत मही कायण ह कक हभ बायतीम नहदमो की ऩजा कयत ह |

परशन4-आजादी क ऩचास वषो क फाद बी रखक कमो दखी ह उसक भन भ कौन स परशन उि यह ह

उततय- आजादी क ऩचास िरो फाद बी बायतीमो की सोच भ सकायातभक फदराि न दखकय रखक दखी ह उसक भन भ कई परशन उठ यह ह-

1 कमा हभ सचच अथो भ सितनदतर ह 2 कमा हभ अऩन दश की सॊसकनत औय सभमता को सभझ ऩाए ह 3 यारषर ननभायण भ हभ ऩीछ कमो ह हभ दश क सरए कमा कय यह ह

4 हभ सिाथय औय भरषटाचाय भ सरपत यहत ह तमाग भ विशिास कमो नहीॊ कयत

5 सयकाय दिाया चराई जा यही सधायिादी मोजनाएॉ गयीफो तक कमो नहीॊ ऩहॉचती ह

गदमाॊश ऩय आधारयत अथटगरहण-सॊफॊधधत परशनोततय

सचभच ऐस हदन होत जफ गरी-भहलरा गाॉि-शहय हय जगह रोग गयभी भ बन-बन कय तराहहभाभ कय यह होत जठ क दसतऩा फीतकय आराढ का ऩहरा ऩखिाड़ा फीत चका होता ऩय कषनतज ऩय कहीॊ फादरो की यख बी नहीॊ दीखती होती कएॉ सखन रगत नरो भ एक तो फहत कभ ऩानी आता औय आता बी तो आधी यात को िो बी खौरता हआ ऩानी हो | शहयो की तरना भ गाॉि भ औय बी हारत खयाफ थी| जहाॉ जताई होनी चाहहए थी िहाॉ खतो की सभटटी सखकय ऩतथय हो जाती कपय उसभ ऩऩड़ी ऩड़कय जभीन पटन रगती र ऐसी कक चरत-चरत आदभी धगय ऩड़ | ढोय-डॊगय पमास क भाय भयन रगत रककन फारयश का कहीॊ नाभ ननशान नहीॊ ऐस भ ऩजा-ऩाठ कथा-विधान सफ कयक रोग जफ हाय जात तफ अॊनतभ उऩाम क रऩ भ ननकरती मह इनददय सना |

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परशन१- वषाट न होन ऩय रोगो की कमा जसथनत हो गमी थी उततय - िराय न होन ऩय गयभी क कायण रोग र रगन स फहोश होन रग | गाॉि-शहय सबी जगह ऩानी का अबाि हो गमा| कएॉ सख गए खतो की सभटटी सखकय ऩतथय क सभान कठोय होकय पट गमी| घयो भ नरो भ ऩानी फहत कभ आता था | ऩश पमास क भाय भयन रग थ | परशन२- वषाट क दवता कौन ह उनको परसनन कयन क लरए कमा उऩाम ककए जात थ उततय -िराय क दिता बगिान इनददर ह| उनको परसनदन कयन क सरए ऩजाndashऩाठ कथा-विधान कयाए जात थ | ताकक इनददर दि परसनदन होकय फादरो की सना बजकय झभाझभ फारयश कयाएॉ औय रोगो क करषट दय हो | परशन३- वषाट कयान क अॊनतभ उऩाम क रऩ भ कमा ककमा जाता था उततय ndashजफ ऩजा-ऩाठ कथा-विधान सफ कयक रोग हाय जात थ तफ अॊनतभ उऩाम क रऩ भ इनददय सना आती थी | नॊग-धडॊग कीचड़ भ रथऩथ lsquoकार भघा ऩानी द ऩानी द गड़धानी दrsquo की टय रगाकय पमास स सखत गरो औय सखत खतो क सरए भघो को ऩकायती हई टोरी फनाकय ननकर ऩड़ती थी| परशन४-आशम सऩषट कय ndash जठ क दसतऩा फीतकय आराढ़ का ऩहरा ऩखिाड़ा फीत चका होता ऩय कषनतज भ कहीॊ फादरो की यख बी नजय नहीॊ आती | आशम- जठ का भहीना ह बीरण गयभी ह| तऩत हए दस हदन फीत कय आराढ का भहीना बी आधा फीत गमा ऩय ऩानी क सरए तड़ऩत िराय की आशा भ आसभान की ओय ताकत रोगो को कहीॊ फादर नजय नहीॊ आ यह |

14 ऩहरवान की ढोरक

फ़णीशवयनाथ यण

ऩाि का सायाॊश ndashआॊचसरक कथाकाय िणीशियनाथ यण की कहानी ऩहरिान की ढोरक भ कहानी क भखम ऩातर रटटन क भाता-वऩता का दहाॊत उसक फचऩन भ ही हो गमा था | अनाथ रटटन को उसकी विधिा सास न ऩार-ऩोसकय फड़ा ककमा | उसकी सास को गाॉि िार सतात थ |

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रोगो स फदरा रन क सरए कशती क दाॉिऩच सीखकय कसयत कयक रटटन ऩहरिान फन गमा |

एक फाय रटटन शमाभनगय भरा दखन गमा जहाॉ ढोर की आिाज औय कशती क दाॉिऩच दखकय उसन जोश भ आकय नाभी ऩहरिान चाॉदससॊह को चनौती द दी | ढोर की आिाज स परयणा ऩाकय रटटन न दाॉि रगाकय चाॉद ससॊह को ऩटककय हया हदमा औय याज ऩहरिान फन गमा | उसकी खमानत दय-दय तक िर गमी| १५ िरो तक ऩहरिान अजम फना यहा| उसक दो ऩतर थ| रटटन न दोनो फटो को बी ऩहरिानी क गय ससखाए| याजा की भतम क फाद नए याजकभाय न गददी सॊबारी याजकभाय को घोड़ो की यस का शौक था भनजय न नम याजा को बड़कामा ऩहरिान औय उसक दोनो फटो क बोजनखचय को बमानक औय किजरखचय फतामा िरसिरऩ नए याजा न कशती को फॊद कयिा हदमा औय ऩहरिान रटटनससॊह को उसक दोनो फटो क साथ भहर स ननकार हदमा

याजदयफाय स ननकार हदए जान क फाद रटटन ससॊह अऩन दोनो फटो क साथ गाॉि भ झोऩड़ी फनाकय यहन रगा औय गाॉि क रड़को को कशती ससखान रगा| रटटन का सकर जमादा हदन नहीॊ चरा औय जीविकोऩाजयन क सरए उसक दोनो फटो को भजदयी कयनी ऩड़ी| इसी दौयान गाॉि भ अकार औय भहाभायी क कायण परनतहदन राश उठन रगी| ऩहरिान भहाभायी स डय हए रोगो को ढोरक फजाकय फीभायी स रड़न की सॊजीिनी ताकत दता था| एक हदन ऩहरिान क दोनो फट बी भहाभायी की चऩट भ आकय भय गए ऩय उस यात बी ऩहरिान ढोरक फजाकय रोगो को हहमभत फॊधा यहा था | इस घटना क चाय-ऩाॉच हदन फाद ऩहरिान की बी भौत हो जाती ह|

ऩहरिान की ढोरक वमिसथा क फदरन क साथ रोक कराकाय क अपरासॊधगक हो जान की कहानी ह इस कहानी भ रटटन नाभ क ऩहरिान की हहमभत औय नदजजीविरा का िणयन ककमा गमा ह बख औय भहाभायी अजम रटटन की ऩहरिानी को िट ढोर भ फदर दत ह इस करण तरासदी भ ऩहरिान रटटन कई सिार छोड़ जाता ह कक करा का कोई सितॊतर अनदसतति ह मा करा किर वमिसथा की भोहताज ह

परशन1- रटटन को ऩहरवान फनन की परयणा कस लभरी

उततय- रटटन जफ नौ सार का था तो उसक भाता-वऩता का दहाॊत हो गमा था | सौबागम स उसकी शादी हो चकी थी| अनाथ रटटन को उसकी विधिा सास न ऩार-ऩोसकय फड़ा ककमा | उसकी सास को गाॉि िार ऩयशान कयत थ| रोगो स फदरा रन क सरए उसन ऩहरिान फनन की ठानी| धायोरषण दध ऩीकय कसयत कय उसन अऩना फदन गठीरा औय ताकतिय फना सरमा | कशती क दाॉिऩच सीखकय रटटन ऩहरिान फन गमा |

परशन2- यात क बमानक सननाट भ रटटन की ढोरक कमा करयशभा कयती थी

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उततय- यात क बमानक सनदनाट भरटटन की ढोरक भहाभायी स जझत रोगो को हहमभत फॉधाती थी | ढोरक की आिाज स यात की विबीवरका औय सनदनाटा कभ होता था| भहाभायी स ऩीडड़त रोगो की नसो भ बफजरी सी दौड़ जाती थी उनकी आॉखो क साभन दॊगर का दशम साकाय हो जाता था औय ि अऩनी ऩीड़ा बर खशी-खशी भौत को गर रगा रत थ इस परकाय ढोर की आिाज फीभाय-भतपराम गाॉििारो की नसो भ सॊजीिनी शनदकत को बय फीभायी स रड़न की परयणा दती थी

परशन3- रटटन न सवाटधधक ठहमभत कफ ठदखाई

उततय- रटटन ससॊह न सिायधधक हहमभत तफ हदखाई जफ दोनो फटो की भतम ऩय िह योमा नहीॊ फनदलक हहमभत स काभ रकय अकर उनका अॊनतभ सॊसकाय ककमा| मही नहीॊ नदजस हदन ऩहरिान क दोनो फट भहाभायी की चऩट भ आकय भय गए ऩय उस यात को बी ऩहरिान ढोरक फजाकय रोगो को हहमभत फॉधा यहा था| शमाभनगय क दॊगर भ ऩया जनसभदाम चाॉद ससॊह क ऩ भ था चाॉद ससॊह को हयात सभम रटटन न हहमभत हदखाई औय बफना हताश हए दॊगर भ चाॉद ससॊह को धचत कय हदमा |

परशन4- रटटन लसॊह याज ऩहरवान कस फना

उततय- शमाभनगय क याजा कशती क शौकीन थ उनदहोन दॊगर का आमोजन ककमा ऩहरिान रटटन ससॊह बी दॊगर दखन ऩहॉचा चाॊदससॊह नाभक ऩहरिान जो शय क फचच क नाभ स परससदध था कोई बी ऩहरिान उसस सबड़न की हहमभत नहीॊ कयता था चाॉदससॊह अखाड़ भ अकरा गयज यहा था रटटन ससॊह न चाॉदससॊह को चनौती द दी औय चाॉदससॊह स सबड़ गमाढ़ोर की आिाज सनकय रटटन की नस-नस भ जोश बय गमाउसन चाॉदससॊह को चायो खान धचत कय हदमा याजासाहफ न रटटन की िीयता स परबावित होकय उस याजऩहरिान फना हदमा

परशन5- ऩहरवान की अॊनतभ इचछा कमा थी

उततय- ऩहरिान की अॊनतभ इचछा थी कक उस धचता ऩय ऩट क फर सरटामा जाए कमोकक िह नदजॊदगी भ कबी धचत नहीॊ हआ था| उसकी दसयी इचछा थी कक उसकी धचता को आग दत सभम ढोर अिशम फजामा जाए |

परशन6- ढोर की आवाज औय रटटन क भ दाॉिऩच सॊफॊध फताइए-

उततय- ढोर की आिाज औय रटटन क दाॉिऩच भ सॊफॊध -

चट धा धगड़ धाrarr आजा सबड़ जा | चटाक चट धाrarr उठाकय ऩटक द | चट धगड़ धाrarrभत डयना |

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धाक धधना नतयकट नतनाrarr दाॉि काटो फाहय हो जाओ | धधना धधना धधक धधनाrarr धचत कयो

गदमाॊश-आधारयत अथटगरहण-सॊफॊधधत परशनोततय

अॉधयी यात चऩचाऩ आॉस फहा यही थी | ननसतबधता करण सससककमो औय आहो को अऩन रदम भ ही फर ऩियक दफान की चरषटा कय यही थी | आकाश भ ताय चभक यह थ | ऩथिी ऩय कहीॊ परकाश का नाभ नहीॊ| आकाश स टट कय महद कोई बािक ताया ऩथिी ऩय आना बी चाहता तो उसकी जमोनत औय शनदकत यासत भ ही शर हो जाती थी | अनदम ताय उसकी बािकता अथिा असपरता ऩय णखरणखराकय हॉस ऩड़त थ | ससमायो का करॊ दन औय ऩचक की डयािनी आिाज यात की ननसतबधता को बॊग कयती थी | गाॉि की झोऩडडमो स कयाहन औय क कयन की आिाज हय याभ ह बगिान की टय सनाई ऩड़ती थी| फचच बी ननफयर कॊ ठो स भाॉ ndashभाॉ ऩकायकय यो ऩड़त थ |

(क) अॉधयी यात को आॉस फहात हए कमो ठदखामा गमा ह उततयndash गाॉि भ हजा औय भररयमा परा हआ था | भहाभायी की चऩट भ आकाय रोग भय यह थ |चायो ओय भौत का सनाटा छामा था इससरए अॉधयी यात बी चऩचाऩ आॉस फहाती सी परतीत हो यही थी|

(ख) ताय क भाधमभ स रखक कमा कहना चाहता ह उततयndash ताय क भाधमभ स रखक कहना चाहता ह कक अकार औय भहाभायी स तरसत गाॉि िारो की ऩीड़ा को दय कयन िारा कोई नहीॊ था | परकनत बी गाॉि िारो क द ख स दखी थी| आकाश स टट कय महद कोई बािक ताया ऩथिी ऩय आना बी चाहता तो उसकी जमोनत औय शनदकत यासत भ ही शर हो जाती थी |

(ग) यात की ननसतबधता को कौन बॊग कयता था उततयndash ससमायो की चीख-ऩकाय ऩचक की डयािनी आिाज औय कततो का साभहहक रदन सभरकय यात क सनदनाट को बॊग कयत थ |

(घ) झोऩड़ड़मो स कसी आवाज आ यही ह औय कमो उततयndash झोऩडड़मो स योधगमो क कयाहन क कयन औय योन की आिाज आ यही ह कमोकक गाॉि क रोग भररयमा औय हज स ऩीडड़त थ | अकार क कायण अनदन की कभी हो गमी थी| औरधध औय ऩथम न सभरन क कायण रोगो की हारत इतनी फयी थी कक कोई बगिान को ऩकाय रगाता था तो कोई दफयर कॊ ठ स भाॉndashभाॉ ऩकायता था |

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15 चारी चजतरन मानी हभ सफ

रखक-पवषण खय

ऩाि का सायाॊश ndashचारक चनदपरन न हासम कराकाय क रऩ भ ऩयी दननमा क फहत फड़ दशयक िगय को हॉसामा ह | उनकी कपलभो न कपलभ करा को रोकताॊबतरक फनान क साथ-साथ दशको की िगय औय िणय-वमिसथा को बी तोड़ा | चारक न करा भ फवदध की अऩा बािना को भहतति हदमा ह | फचऩन क सॊघरो न चारक क बािी कपलभो की बसभ तमाय कय दी थी| बायतीम करा औय सौदमयशासतर भ करणा का हासम भ ऩरयितयन बायतीम ऩयमऩया भ नहीॊ सभरता रककन चारक एक ऐसा जादई वमनदकतति ह जो हय दश सॊसकनत औय सभमता को अऩना सा रगता ह| बायतीम जनता न बी उनदह सहज बाि स सिीकाय ककमा ह| सिमॊ ऩय हॉसना चारक न ही ससखामा| बायतीम ससनभा जगत क सपरससदध कराकाय याजकऩय को चारक का बायतीमकयण कहा गमा ह | चारक की अधधकाॊश किलभ भक ह इससरए उनदह अधधक भानिीम होना ऩड़ा | ऩाठ भ हासम कपलभो क भहान असबनता lsquoचारक चनदपरनrsquo की जादई विशरताओॊ का उलरख ककमा गमा ह नदजसभ उसन करणा औय हासम भ साभॊजसम सथावऩत कय किलभो को साियबौसभक रऩ परदान ककमा

परशन१ -चारी क जीवन ऩय परबाव िारन वारी भखम घटनाएॉ कौन सी थी

उततय- चारक क जीिन भ दो ऐसी घटनाएॉ घटीॊ नदजनदहोन उनक बािी जीिन ऩय फहत परबाि डारा |

ऩहरी घटना - जफ चारक फीभाय थ उनकी भाॉ उनदह ईसा भसीह की जीिनी ऩढ़कय सना यही थी | ईसा क सरी ऩय चढ़न क परसॊग तक आत-आत भाॉ-फटा दोनो ही योन रग| इस घटना न चारक को सनह करणा औय भानिता जस उचच जीिन भलम हदए |

दसयी घटना हndash फारक चारक कसाईखान क ऩास यहता था| िहाॉ सकड़ो जानियो को योज भाया जाता था| एक हदन एक बड़ िहाॉ स बाग ननकरी| बड़ को ऩकड़न की कोसशश भ कसाई कई फाय कपसरा| नदजस दखकय रोग हॊसन रग ठहाक रगान रग| जफ बड़ को कसाई न ऩकड़ सरमा तो फारक चारक योन रगा| इस घटना न उसक बािी कपलभो भ तरासदी औय हासमोतऩादक ततिो की बसभका तम कय दी |

परशन२ ndash आशम सऩषट कीजजएndash

चजतरन न लसपट कपलभकरा को ही रोकताॊबतरक नही फनामा फजलक दशटको की वगट तथा वणट-वमवसथा को बी तोड़ा|

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उततय- रोकताॊबतरक फनान का अथय ह कक कपलभ करा को सबी क सरए रोकवपरम फनाना औय िगय औय िणय-वमिसथा को तोड़न का आशम ह- सभाज भ परचसरत अभीय-गयीफ िणय जानतधभय क बदबाि को सभापत कयना |चनदपरन का चभतकाय मह ह कक उनदहोन कपलभकरा को बफना ककसी बदबाि क सबी रोगो तक ऩहॉचामा| उनकी कपलभो न सभम बगोर औय सॊसकनतमो की सीभाओॊ को राॉघ कय साियबौसभक रोकवपरमता हाससर की | चारक न मह ससदध कय हदमा कक करा सितनदतर होती ह अऩन ससदधाॊत सिमॊ फनाती ह |

परशन३ndash चारी चजतरन की कपलभो भ ननठहत तरासदीकरणाहासम का साभॊजसम बायतीम करा औय सौदमटशासतर की ऩरयधध भ कमो नहीॊ आता

उततय- चारक चनदपरन की कपलभो भ ननहहत तरासदीकरणाहासम का साभॊजसम बायतीम करा औय सौदमयशासतर की ऩरयधध भ नहीॊ आताकमोकक बायतीम यस-ससदधाॊत भ करणा औय हासम का भर नहीॊ हदखामा जाता कमोकक बायतीम सौदमयशासतर भ करणयस औय हासम यस को ऩयसऩय वियोधी भाना गमा ह अथायत जहाॊ करणा ह िहाॉ हासम नहीॊ हो सकता बायत भ सिमॊ ऩय हॉसन की ऩयॊऩया नहीॊ ह ऩयॊत चारक क ऩातर अऩन ऩय हॉसतndashहॉसात ह चारक की किलभो क दशम हॉसात-हॉसात ररा दत ह तो कबी करण दशम क फाद अचानक ही हॉसन ऩय भजफय कय दत ह

परशन४ndash चारी क कपलभो की पवशषताएॉ फताइए |

उततय- चारक की किलभो भ हासम औय करणा का अदभत साभॊजसम ह उनकी किलभो भ बारा का परमोग फहत कभ ह चारक की किलभो भ फवदध की अऩा बािना का भहतति अधधक ह उनकी किलभो भ साियबौसभकता ह चारक ककसी बी सॊसकनत को विदशी नही रगत चारक सफको अऩन रगत ह चारक न किलभो को रोकताॊबतरक फनामा औय किलभो भ िगय तथािणय-वमिसथा को तोड़ा अऩनी कपलभो भ चारक सदि धचय मिा हदखता ह

गदमाॊश-आधारयत अथटगरहण-सॊफॊधी परशनोततय

गदमाॊश सॊकत ndashचारक चनदपरन मानी हभ सफ (ऩरषठ १२० )

महद मह िरय चनदपरन की कापी कछ कहा जाएगा |

परशन (क)-पवकासशीर दशो भ चजतरन कमो भशहय हो यह ह

उततय - विकासशीर दशो भ जस-जस टरीविजन औय िीडडमो का परसाय हो यहा ह रोगो को उनकी कपलभो को दखन का अिसय सभर यहा ह |एक फहत फड़ा िगय नए ससय स चारक को घड़ी सधायत औय जत खान की कोसशश कयत दख यहा ह इसीसरए चारक विकासशीर दशो भ रोकवपरम हो यह ह |

(ख)- ऩजशचभ भ चारी का ऩनजीवन कस होता यहता ह

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उततय - ऩनदशचभ भ चारक की कपलभो का परदशयन होता यहता ह| उनकी करा स परयणा ऩाकय हासम किलभ फनती यहती ह | उनक दिाया ननबाए ककयदायो की नकर अनदम कराकाय कयत ह | ऩनदशचभ भ चारक का ऩनजीिन होता यहता ह|

(ग)- चारी को रोग फिाऩ तक कमो माद यखग

उततय ndashहासम कराकाय क रऩ भ रोग चारक को फढ़ाऩ तक माद यखग कमोकक उनकी करा सभम बगोर औय सॊसकनतमो की सीभाओॊ को राॉघकय राखो रोगो को हॉसा यही ह|

(घ)- चारी की कपलभो क फाय भ कापी कछ कहा जाना कमो फाी ह

उततय ndashचनदपरन की ऐसी कछ किलभ मा इसतभार न की गमी यीर सभरी ह नदजनक फाय भ कोई नहीॊ जानता था | चारक की बािनापरधान हासम कपलभो न करा क नए परनतभान सथावऩत ककए ह अत चारक की कपलभो क फाय भ अबी कापी कछ कहा जाना फाी ह|

16 नभक

रखखका - यजजमा सजजाद जहीय

सायाॊश -lsquoनभकrsquoबायत-ऩाक विबाजन ऩय सरणखत भासभयक कहानी ह | विसथावऩत हए रोगो भ अऩनndashअऩन जनदभ सथानो क परनत आज बी रगाि ह| धासभयक आधाय ऩय फनी यारषर-याजमो की सीभा-यखाएॉ उनक अॊतभयन को अरग नहीॊ कय ऩाई ह | बायत भ यहन िारी ससख फीिी राहौय को अऩना ितन भानती ह औय बायतीम कसटभ अधधकायी ढाका क नारयमर ऩानी को मादकय उस सियशररषठ फताता ह दोनो दशो क नागरयको क फीच भहबफत का नभकीन सिाद आज बी कामभ ह इसीसरए सकिमा बायत भ यहन िारी अऩनी भॉहफोरी भाॉ ससख फीिी क सरए राहौयी नभक रान क सरए कसटभ औय कानन की ऩयिाह नहीॊ कयती

परशन1- lsquoनभकrsquo ऩाि क आधाय ऩय फताइए कक सकपमा औय उसक बाई क पवचायो भ कमा अॊतय था

उततय- १-सकपमा बािनाओॊ को फहतभहतति दती ह ऩय उसका बाई फौवदधक परिनदतत का ह उसकी दनदरषट भ कानन बािनाओॊ स ऊऩय ह|

२-सकपमा भानिीम सॊफॊधो को फहत भहतति दती ह जफकक उसका बाई अरगाििादी विचायधाया का ह हहसस-फखय की फात कयता ह |

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३-सकपमा का बाई कहता ह कक अदीफो(साहहतमकाय) का हदभाग घभा हआ होता ह जफकक सकपमा जो सिमॊ अदीफ ह उसका भानना ह कक अगय सबी रोगो का हदभाग अदीफो की तयह घभा हआ होता तो दननमा कछ फहतय हो जाती |

परशन२- नभक र जात सभम सकफ़मा क भन भ कमा दपवधा थी

उततय-सकपमा समद भसरभान थी जो हय हार भ अऩना िामदा ननबात ह| ऩाककसतान स राहौयी नभक र जाकय िह अऩना िामदा ऩया कयना चाहती थी ऩयनदत जफ उस ऩता चरा कक कसटभ क ननमभो क अनसाय सीभाऩाय नभक र जाना िनदजयत ह तो िह दविधा भ ऩड़ गई | सकिमा का दिॊदि मह था कक िह अऩनी ससख भाॉ क सरए नभक कसटभ अधधकारयमो को फताकयर जाए मा नछऩाकय|

परशन३- ऩाि क आधाय ऩय सकपमा की चारयबतरक पवशषताएॉ फताइए |

उततय सॊकत ndash

१- बािक २- ईभानदाय ३- दढ़ननशचमी ४- ननडय ५- िामद को ननबान िारी ६- भानिीम भलमो को सिोऩरय भानन िारी साहहतमकाय

परशन ४- lsquoनभकrsquo ऩाि भ आए ककयदायो क भाधमभ स सऩषट कीजजए कक आज बी बायत औय ऩाककसतान की जनता क फीच भहबफत का नभकीन सवाद घरा हआ ह |

उततय ndash बर ही याजनीनतक औय धासभयक आधाय ऩय बायत औय ऩाककसतान को बौगोसरक रऩ स विबानदजत कय हदमा गमा ह रककन दोनो दशो क रोगो क रदम भ आज बी ऩायसऩरयक बाईचाया सौहादरय सनह औय सहानबनत विदमभान ह | याजनीनतक तौय ऩय बर ही सॊफॊध तनािऩणय हो ऩय साभानदजक तौय ऩय आज बी जनता क फीच भहबफत का नभकीन सिाद घरा हआ ह | अभतसय भ यहन िारी ससख फीफी राहौय को अऩना ितन कहती ह औय राहौयी नभक का सिाद नहीॊ बरा ऩाती | ऩाककसतान का कसटभ अधधकायी नभक की ऩडड़मा सकपमा को िाऩस दत हए कहता ह rdquoजाभा भनदसजद की सीहढ़मो को भया सराभ कहना |rdquo बायतीम सीभा ऩय तनात कसटभ अधधकायी ढाका की जभीन को औय िहाॉ क ऩानी क सिाद को नहीॊ बर ऩाता |

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गदमाॊश-आधारयत अथटगरहण सॊफॊधधत परशनोततय

गदमाॊश सॊकत- ऩाठndash नभक (ऩरषठ १३४)

सकपमा कसटभ क जॊगर स दोनो क हाथो भ थी |

(क) सकपमा कसटभ क जॉगर स ननकरकय दसय तरटपाभट ऩय आ गमी व वहीॊ खड़ यहndash इस वाकम भ lsquoवrsquo शबद का परमोग ककसक लरए ककमा गमा ह

उततय- महाॉ lsquoिrsquo शबद का परमोग ऩाककसतानी कसटभ अधधकायी क सरए ककमा गमा ह जो विबाजन स ऩिय हदलरी भ यहत थ औय आज बी हदलरी को ही अऩना ितन भानत ह |

(ख) तरटपाभट ऩय सकपमा को पवदा कयन कौन-कौन आए थ उनहोन सकपमा को कस पवदाई दी

उततय- परटपाभय ऩय सकपमा को विदा कयन उसक फहत साय सभतर सग सॊफॊधी औय बाई आए थ| उनदहोन ठॊडी साॉस बयत हए सबॊच हए होठो क साथ आॉस फहात हए सकपमा को विदाई दी |

(ग) अटायी भ यरगाड़ी भ कमा ऩरयवतटन हए उततय- अटायी भ यरगाड़ी स ऩाककसतानी ऩसरस उतयी औय हहनददसतानी ऩसरस सिाय हो गई|

(घ) कौन सी फात सकपमा की सभझ भ नहीॊ आ यही थी उततय- दोनो ओय एक सी जभीन एक जसा आसभान एक सी बारा एक सा ऩहनािा औय एक सी सयत क रोग कपय बी दोनो क हाथो भ बयी हई फॊदक ह |

17 लशयीष क पर

आचामट हजायी परसाद दपववदी

सायाॊश ndashlsquoआचामय हजायी परसाद दवििदीrsquo सशयीर को अदभत अिधत भानत ह कमोकक सॊनदमासी की बाॉनत िह सख-दख की धचॊता नहीॊ कयता गभी र िराय औय आॉधी भ बी अविचर खड़ा यहता ह सशयीर क िर क भाधमभ स भनरषम की अजम नदजजीविरा धमयशीरता औय कतयवमननरषठ फन यहन क भानिीम भलमो को सथावऩत ककमा गमा हरखक न सशयीर क कोभर परो औय कठोय परो क दिाया सऩरषट ककमा ह कक रदम की कोभरता फचान क सरए कबी-कबी वमिहाय की कठोयता बी आिशमक हो जाती ह| भहान कवि कासरदास औय कफीय बी सशयीर की तयह फऩयिाह अनासकत औय सयस थ तबी उनदहोन इतनी सनददय यचनाएॉ सॊसाय को दीॊ| गाॉधीजी क वमनदकतति भ बी कोभरता औय कठोयता का अदभत सॊगभ था | रखक सोचता ह कक हभाय दश भ जो भाय-काट अनदगनदाह रट-ऩाट खन-खचचय का फिॊडय ह कमा िह दश को नदसथय नहीॊ यहन दगा गराभी अशाॊनत औय वियोधी िाताियण क फीच अऩन ससदधाॊतो की या कयत हए गाॉधीजी जी नदसथय यह सक थ तो दश बी यह सकता ह जीन की परफर असबरारा क कायण

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विरभ ऩरयनदसथतमो भ बी महद सशयीर णखर सकता ह तो हभाया दश बी विरभ ऩरयनदसथनतमो भ नदसथय यह कय विकास कय सकता ह

परशन1-लसदध कीजजए कक लशयीष कारजमी अवधत की बाॉनत जीवन की अजमता क भॊतर का परचाय कयता ह

उततय- सशयीर कारजमी अिधत की बाॉनत जीिन की अजमता क भॊतर का परचाय कयता ह| जफ ऩथिी अनदगन क सभान तऩ यही होती ह िह तफ बी कोभर परो स रदा रहरहाता यहता ह|फाहयी गयभी धऩ िराय आॉधी र उस परबावित नहीॊ कयती इतना ही नहीॊ िह रॊफ सभम तक णखरा यहता ह | सशयीर विऩयीत ऩरयनदसथनतमो भ बी धमयशीर यहन तथा अऩनी अजम नदजजीविरा क साथ ननसऩह बाि स परचॊड गयभी भ बी अविचर खड़ा यहता ह

परशन२-आयगवध (अभरतास) की तरना लशयीष स कमो नहीॊ की जा सकती

उततय- सशयीर क पर बमॊकय गयभी भ णखरत ह औय आराढ़ तक णखरत यहत ह जफकक अभरतास का पर किर ऩनददरह-फीस हदनो क सरए णखरता ह | उसक फाद अभरतास क पर झड़ जात ह औय ऩड़ कपय स ठॉठ का ठॉठ हो जाता ह | अभरतास अलऩजीिी ह | विऩयीत ऩरयनदसथनतमो को झरता हआ ऊरषण िाताियण को हॉसकय झरता हआ सशयीर दीघयजीिी यहता ह | मही कायण ह कक सशयीर की तरना अभरतास स नहीॊ की जा सकती |

परशन३-लशयीष क परो को याजनताओॊ का रऩक कमो ठदमा गमा ह

उततय- सशयीर क पर उन फढ़ ढीठ औय ऩयान याजनताओॊ क परतीक ह जो अऩनी कसी नहीॊ छोड़ना चाहत | अऩनी अधधकाय-सरपसा क सरए नए मिा नताओॊ को आग नहीॊ आन दत | सशयीर क नए परो को जफयदसती ऩयान परो को धककमाना ऩड़ता ह | याजनीनत भ बी नई मिा ऩीढ़ी ऩयानी ऩीढ़ी को हयाकय सिमॊ सतता सॉबार रती ह |

परशन४- कार दवता की भाय स फचन का कमा उऩाम फतामा गमा ह

उततय- कार दिता कक भाय स फचन का अथय हndash भतम स फचना | इसका एकभातर उऩाम मह ह कक भनरषम नदसथय न हो| गनतशीर ऩरयितयनशीर यह | रखक क अनसाय नदजनकी चतना सदा ऊधियभखी (आधमातभ की ओय) यहती ह ि हटक जात ह |

परशन५- गाॉधीजी औय लशयीष की सभानता परकट कीजजए |

उततय- नदजस परकाय सशयीर धचरधचराती धऩ र िराय औय आॉधी भ बी अविचर खड़ा यहता ह अनासकत यहकय अऩन िाताियण स यस खीॊचकय सयस कोभर फना यहता ह उसी परकाय गाॉधी जी न बी अऩनी आॉखो क साभन आजादी क सॊगराभ भ अनदमाम बदबाि औय हहॊसा को झरा |

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उनक कोभर भन भ एक ओय ननयीह जनता क परनत असीभ करणा जागी िहीॊ ि अनदमामी शासन क वियोध भ डटकय खड़ हो गए |

गदमाॊश-आधारयत अथटगरहण सॊफॊधधत परशनोततय

गदमाॊश सॊकत- ऩाठ ndash सशयीर क पर (ऩरषठ १४७)

कासरदास सौदमय क िह इशाया ह |

(क) कालरदास की सौदमटndashदजषट की कमा पवशषता थी उततय-कासरदास की सौदमयndashदनदरषट फहत सकषभ अॊतबदी औय सॊऩणय थी| ि किर फाहयी रऩ-यॊग औय आकाय को ही नहीॊ दखत थ फनदलक अॊतभयन की सॊदयता क बी ऩायखी थ| कासरदास की सौदमय शायीरयक औय भानससक दोनो विशरताओॊ स मकत था |

(ख) अनासजकत का कमा आशम ह उततय- अनासनदकत का आशम ह- वमनदकतगत सख-द ख औय याग-दिर स ऩय यहकय सौदमय क िासतविक भभय को जानना |

(ग) कालरदास ऩॊत औय यवीॊिनाथ टगोय भ कौन सा गण सभान था भहाकवि कासरदास ससभतरानॊदन ऩॊत औय गरदि यिीॊदरनाथ टगोय तीनो नदसथयपरऻ औय अनासकत कवि थ | ि सशयीर क सभान सयस औय भसत अिधत थ |

(घ) यवीॊिनाथ याजोदमान क लसॊहदवाय क फाय भ कमा सॊदश दत ह याजोदमान क फाय भ यिीॊदरनाथ कहत ह याजोदमान का ससॊहदिाय ककतना ही सॊदय औय गगनचमफी कमो ना हो िह अॊनतभ ऩड़ाि नहीॊ ह| उसका सौदमय ककसी औय उचचतभ सौदमय की ओय ककमा गमा सॊकत भातर ह कक असरी सौदमय इस ऩाय कयन क फाद ह अत याजोदमान का ससॊहदिाय हभ आग फढ़न की परयणा दता ह |

18शरभ-पवबाजन औय जानत-परथा

िॉ० बीभयाव अॊफिकय

सायाॊश ndash इस ऩाठ भ रखक न जानतिाद क आधाय ऩय ककए जान िार बदबाि को सभम सभाज क सरए हाननकायक फतामा ह | जानत आधारयत शरभ विबाजन को असिाबाविक औय भानिता वियोधी फतामा गमा ह मह साभानदजक बदबाि को फढ़ाता ह जानतपरथा आधारयत शरभ विबाजन भ वमनदकत की रधच को भहतति नहीॊ हदमा जाता परसिरऩ वििशता क साथ अऩनाए

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Page 38: ISSUED BY KENDRIYA VIDYALAYA - DOWNLOADED FROM … Class XII Hindi Part B.pdfप्रश्न४ :-फादर क / फयन का गयीफ एि धनी िगय क्मा

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कठोय धयातर ऩय सचचाई को ऩयखता ह तो िहीॊ आसथा अनहोनी फात को बी सिीकाय कय भन को सॊसकारयत कयती ह बायत की सितॊतरता क ५० सार फाद बी दश भ वमापत बरषटाचाय औय सिाथय की बािना को दखकय रखक दखी ह | सयकाय दिाया चराई जा यही मोजनाएॉ गयीफो तक कमो नहीॊ ऩहॉच ऩा यहीॊ ह कार भघा क दर उभड़ यह ह ऩय आज बी गयीफ की गगयी पटी हई कमो ह रखक न मह परशन ऩाठको क सरए छोड़ हदमा ह |

परशन1-इनदय सना घय-घय जाकय ऩानी कमो भाॉगती थी

उततय- गाॉि क रोग फारयश क सरए बगिान इॊदर स पराथयना ककमा कयत थ जफ ऩजा-ऩाठवरत आहद उऩाम असिर हो जात थ तो बगिान इॊदर को परसनदन कयन क सरए गाॉि क ककशोय फचच कीचड़ भ रथऩथ होकय गरी-गरी घभकय रोगो स ऩानी भाॉगत थ

परशन2-इनदयसना को रखक भढक-भॊिरी कमो कहता ह जीजी क फायndashफाय कहन ऩय बी वह इनदयसना ऩय ऩानी प कन को याजी कमो नहीॊ होता

उततय- इनददयसना का कामय आमयसभाजी विचायधाया िार रखक को अॊधविशिास रगता ह उसका भानना ह कक महद इॊदयसना दिता स ऩानी हदरिा सकती ह तो सिमॊ अऩन सरए ऩानी कमो नहीॊ भाॉग रती ऩानी की कभी होन ऩय बी रोग घय भ एकतर ककम हए ऩानी को इॊदयसना ऩय ि कत ह रखक इस ऩानी की ननभयभ फयफादी भानता ह

परशन3- रि हए रखक को जीजी न ककस परकाय सभझामा

उततय- जीजी न रखक को पमाय स रडड-भठयी णखरात हए ननमन तकय हदए-

1- तमाग का भहततव- कछ ऩान क सरए कछ दना ऩड़ता ह 2- दान की भहतता- कवर-भननमो न दान को सफस ऊॉ चा सथान हदमा ह जो चीज अऩन

ऩास बी कभ हो औय अऩनी आिशमकता को बरकय िह चीज दसयो को दान कय दना ही तमाग ह |

3- इॊिदव को जर का अधमट चिाना- इॊदयसना ऩय ऩानी ि कना ऩानी की फयफादी नहीॊ फनदलक इॊदरदि को जर का अधमय चढ़ाना ह

4- ऩानी की फवाई कयना- नदजस परकाय ककसान िसर उगान क सरए जभीन ऩय फीज डारकय फिाई कयता ह िस ही ऩानी िार फादरो की िसर ऩान क सरए इनददय सना ऩय ऩानी डार कय ऩानी की फिाई की जाती ह

परशन4-नठदमो का बायतीम साभाजजक औय साॊसकनतक ऩरयवश भ कमा भहतव ह

उततय- गॊगा बायतीम सभाज भ सफस ऩजम सदानीया नदी ह नदजसका बायतीम इनतहास भ धासभयक ऩौयाणणक औय साॊसकनतक भहति ह | िह बायतीमो क सरए किर एक नदी नहीॊ अवऩत

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भाॉ ह सिगय की सीढ़ी ह भोदानमनी ह उसभ ऩानी नहीॊ अवऩत अभत तलम जर फहता ह बायतीम सॊसकनत भ नहदमो क ककनाय भानि सभमताएॉ परी-परी ह| फड़-फड़ नगय तीथयसथान नहदमो क ककनाय ही नदसथत ह ऐस ऩरयिश भबायतिासी सफस ऩहर गॊगा भमा की जम ही फोरग नहदमाॉ हभाय जीिन का आधाय ह हभाया दश कवर परधान ह नहदमो क जर स ही बायत बसभ हयी-बयी ह नहदमो क बफना जीिन की कलऩना नहीॊ कय सकत मही कायण ह कक हभ बायतीम नहदमो की ऩजा कयत ह |

परशन4-आजादी क ऩचास वषो क फाद बी रखक कमो दखी ह उसक भन भ कौन स परशन उि यह ह

उततय- आजादी क ऩचास िरो फाद बी बायतीमो की सोच भ सकायातभक फदराि न दखकय रखक दखी ह उसक भन भ कई परशन उठ यह ह-

1 कमा हभ सचच अथो भ सितनदतर ह 2 कमा हभ अऩन दश की सॊसकनत औय सभमता को सभझ ऩाए ह 3 यारषर ननभायण भ हभ ऩीछ कमो ह हभ दश क सरए कमा कय यह ह

4 हभ सिाथय औय भरषटाचाय भ सरपत यहत ह तमाग भ विशिास कमो नहीॊ कयत

5 सयकाय दिाया चराई जा यही सधायिादी मोजनाएॉ गयीफो तक कमो नहीॊ ऩहॉचती ह

गदमाॊश ऩय आधारयत अथटगरहण-सॊफॊधधत परशनोततय

सचभच ऐस हदन होत जफ गरी-भहलरा गाॉि-शहय हय जगह रोग गयभी भ बन-बन कय तराहहभाभ कय यह होत जठ क दसतऩा फीतकय आराढ का ऩहरा ऩखिाड़ा फीत चका होता ऩय कषनतज ऩय कहीॊ फादरो की यख बी नहीॊ दीखती होती कएॉ सखन रगत नरो भ एक तो फहत कभ ऩानी आता औय आता बी तो आधी यात को िो बी खौरता हआ ऩानी हो | शहयो की तरना भ गाॉि भ औय बी हारत खयाफ थी| जहाॉ जताई होनी चाहहए थी िहाॉ खतो की सभटटी सखकय ऩतथय हो जाती कपय उसभ ऩऩड़ी ऩड़कय जभीन पटन रगती र ऐसी कक चरत-चरत आदभी धगय ऩड़ | ढोय-डॊगय पमास क भाय भयन रगत रककन फारयश का कहीॊ नाभ ननशान नहीॊ ऐस भ ऩजा-ऩाठ कथा-विधान सफ कयक रोग जफ हाय जात तफ अॊनतभ उऩाम क रऩ भ ननकरती मह इनददय सना |

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परशन१- वषाट न होन ऩय रोगो की कमा जसथनत हो गमी थी उततय - िराय न होन ऩय गयभी क कायण रोग र रगन स फहोश होन रग | गाॉि-शहय सबी जगह ऩानी का अबाि हो गमा| कएॉ सख गए खतो की सभटटी सखकय ऩतथय क सभान कठोय होकय पट गमी| घयो भ नरो भ ऩानी फहत कभ आता था | ऩश पमास क भाय भयन रग थ | परशन२- वषाट क दवता कौन ह उनको परसनन कयन क लरए कमा उऩाम ककए जात थ उततय -िराय क दिता बगिान इनददर ह| उनको परसनदन कयन क सरए ऩजाndashऩाठ कथा-विधान कयाए जात थ | ताकक इनददर दि परसनदन होकय फादरो की सना बजकय झभाझभ फारयश कयाएॉ औय रोगो क करषट दय हो | परशन३- वषाट कयान क अॊनतभ उऩाम क रऩ भ कमा ककमा जाता था उततय ndashजफ ऩजा-ऩाठ कथा-विधान सफ कयक रोग हाय जात थ तफ अॊनतभ उऩाम क रऩ भ इनददय सना आती थी | नॊग-धडॊग कीचड़ भ रथऩथ lsquoकार भघा ऩानी द ऩानी द गड़धानी दrsquo की टय रगाकय पमास स सखत गरो औय सखत खतो क सरए भघो को ऩकायती हई टोरी फनाकय ननकर ऩड़ती थी| परशन४-आशम सऩषट कय ndash जठ क दसतऩा फीतकय आराढ़ का ऩहरा ऩखिाड़ा फीत चका होता ऩय कषनतज भ कहीॊ फादरो की यख बी नजय नहीॊ आती | आशम- जठ का भहीना ह बीरण गयभी ह| तऩत हए दस हदन फीत कय आराढ का भहीना बी आधा फीत गमा ऩय ऩानी क सरए तड़ऩत िराय की आशा भ आसभान की ओय ताकत रोगो को कहीॊ फादर नजय नहीॊ आ यह |

14 ऩहरवान की ढोरक

फ़णीशवयनाथ यण

ऩाि का सायाॊश ndashआॊचसरक कथाकाय िणीशियनाथ यण की कहानी ऩहरिान की ढोरक भ कहानी क भखम ऩातर रटटन क भाता-वऩता का दहाॊत उसक फचऩन भ ही हो गमा था | अनाथ रटटन को उसकी विधिा सास न ऩार-ऩोसकय फड़ा ककमा | उसकी सास को गाॉि िार सतात थ |

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रोगो स फदरा रन क सरए कशती क दाॉिऩच सीखकय कसयत कयक रटटन ऩहरिान फन गमा |

एक फाय रटटन शमाभनगय भरा दखन गमा जहाॉ ढोर की आिाज औय कशती क दाॉिऩच दखकय उसन जोश भ आकय नाभी ऩहरिान चाॉदससॊह को चनौती द दी | ढोर की आिाज स परयणा ऩाकय रटटन न दाॉि रगाकय चाॉद ससॊह को ऩटककय हया हदमा औय याज ऩहरिान फन गमा | उसकी खमानत दय-दय तक िर गमी| १५ िरो तक ऩहरिान अजम फना यहा| उसक दो ऩतर थ| रटटन न दोनो फटो को बी ऩहरिानी क गय ससखाए| याजा की भतम क फाद नए याजकभाय न गददी सॊबारी याजकभाय को घोड़ो की यस का शौक था भनजय न नम याजा को बड़कामा ऩहरिान औय उसक दोनो फटो क बोजनखचय को बमानक औय किजरखचय फतामा िरसिरऩ नए याजा न कशती को फॊद कयिा हदमा औय ऩहरिान रटटनससॊह को उसक दोनो फटो क साथ भहर स ननकार हदमा

याजदयफाय स ननकार हदए जान क फाद रटटन ससॊह अऩन दोनो फटो क साथ गाॉि भ झोऩड़ी फनाकय यहन रगा औय गाॉि क रड़को को कशती ससखान रगा| रटटन का सकर जमादा हदन नहीॊ चरा औय जीविकोऩाजयन क सरए उसक दोनो फटो को भजदयी कयनी ऩड़ी| इसी दौयान गाॉि भ अकार औय भहाभायी क कायण परनतहदन राश उठन रगी| ऩहरिान भहाभायी स डय हए रोगो को ढोरक फजाकय फीभायी स रड़न की सॊजीिनी ताकत दता था| एक हदन ऩहरिान क दोनो फट बी भहाभायी की चऩट भ आकय भय गए ऩय उस यात बी ऩहरिान ढोरक फजाकय रोगो को हहमभत फॊधा यहा था | इस घटना क चाय-ऩाॉच हदन फाद ऩहरिान की बी भौत हो जाती ह|

ऩहरिान की ढोरक वमिसथा क फदरन क साथ रोक कराकाय क अपरासॊधगक हो जान की कहानी ह इस कहानी भ रटटन नाभ क ऩहरिान की हहमभत औय नदजजीविरा का िणयन ककमा गमा ह बख औय भहाभायी अजम रटटन की ऩहरिानी को िट ढोर भ फदर दत ह इस करण तरासदी भ ऩहरिान रटटन कई सिार छोड़ जाता ह कक करा का कोई सितॊतर अनदसतति ह मा करा किर वमिसथा की भोहताज ह

परशन1- रटटन को ऩहरवान फनन की परयणा कस लभरी

उततय- रटटन जफ नौ सार का था तो उसक भाता-वऩता का दहाॊत हो गमा था | सौबागम स उसकी शादी हो चकी थी| अनाथ रटटन को उसकी विधिा सास न ऩार-ऩोसकय फड़ा ककमा | उसकी सास को गाॉि िार ऩयशान कयत थ| रोगो स फदरा रन क सरए उसन ऩहरिान फनन की ठानी| धायोरषण दध ऩीकय कसयत कय उसन अऩना फदन गठीरा औय ताकतिय फना सरमा | कशती क दाॉिऩच सीखकय रटटन ऩहरिान फन गमा |

परशन2- यात क बमानक सननाट भ रटटन की ढोरक कमा करयशभा कयती थी

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उततय- यात क बमानक सनदनाट भरटटन की ढोरक भहाभायी स जझत रोगो को हहमभत फॉधाती थी | ढोरक की आिाज स यात की विबीवरका औय सनदनाटा कभ होता था| भहाभायी स ऩीडड़त रोगो की नसो भ बफजरी सी दौड़ जाती थी उनकी आॉखो क साभन दॊगर का दशम साकाय हो जाता था औय ि अऩनी ऩीड़ा बर खशी-खशी भौत को गर रगा रत थ इस परकाय ढोर की आिाज फीभाय-भतपराम गाॉििारो की नसो भ सॊजीिनी शनदकत को बय फीभायी स रड़न की परयणा दती थी

परशन3- रटटन न सवाटधधक ठहमभत कफ ठदखाई

उततय- रटटन ससॊह न सिायधधक हहमभत तफ हदखाई जफ दोनो फटो की भतम ऩय िह योमा नहीॊ फनदलक हहमभत स काभ रकय अकर उनका अॊनतभ सॊसकाय ककमा| मही नहीॊ नदजस हदन ऩहरिान क दोनो फट भहाभायी की चऩट भ आकय भय गए ऩय उस यात को बी ऩहरिान ढोरक फजाकय रोगो को हहमभत फॉधा यहा था| शमाभनगय क दॊगर भ ऩया जनसभदाम चाॉद ससॊह क ऩ भ था चाॉद ससॊह को हयात सभम रटटन न हहमभत हदखाई औय बफना हताश हए दॊगर भ चाॉद ससॊह को धचत कय हदमा |

परशन4- रटटन लसॊह याज ऩहरवान कस फना

उततय- शमाभनगय क याजा कशती क शौकीन थ उनदहोन दॊगर का आमोजन ककमा ऩहरिान रटटन ससॊह बी दॊगर दखन ऩहॉचा चाॊदससॊह नाभक ऩहरिान जो शय क फचच क नाभ स परससदध था कोई बी ऩहरिान उसस सबड़न की हहमभत नहीॊ कयता था चाॉदससॊह अखाड़ भ अकरा गयज यहा था रटटन ससॊह न चाॉदससॊह को चनौती द दी औय चाॉदससॊह स सबड़ गमाढ़ोर की आिाज सनकय रटटन की नस-नस भ जोश बय गमाउसन चाॉदससॊह को चायो खान धचत कय हदमा याजासाहफ न रटटन की िीयता स परबावित होकय उस याजऩहरिान फना हदमा

परशन5- ऩहरवान की अॊनतभ इचछा कमा थी

उततय- ऩहरिान की अॊनतभ इचछा थी कक उस धचता ऩय ऩट क फर सरटामा जाए कमोकक िह नदजॊदगी भ कबी धचत नहीॊ हआ था| उसकी दसयी इचछा थी कक उसकी धचता को आग दत सभम ढोर अिशम फजामा जाए |

परशन6- ढोर की आवाज औय रटटन क भ दाॉिऩच सॊफॊध फताइए-

उततय- ढोर की आिाज औय रटटन क दाॉिऩच भ सॊफॊध -

चट धा धगड़ धाrarr आजा सबड़ जा | चटाक चट धाrarr उठाकय ऩटक द | चट धगड़ धाrarrभत डयना |

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धाक धधना नतयकट नतनाrarr दाॉि काटो फाहय हो जाओ | धधना धधना धधक धधनाrarr धचत कयो

गदमाॊश-आधारयत अथटगरहण-सॊफॊधधत परशनोततय

अॉधयी यात चऩचाऩ आॉस फहा यही थी | ननसतबधता करण सससककमो औय आहो को अऩन रदम भ ही फर ऩियक दफान की चरषटा कय यही थी | आकाश भ ताय चभक यह थ | ऩथिी ऩय कहीॊ परकाश का नाभ नहीॊ| आकाश स टट कय महद कोई बािक ताया ऩथिी ऩय आना बी चाहता तो उसकी जमोनत औय शनदकत यासत भ ही शर हो जाती थी | अनदम ताय उसकी बािकता अथिा असपरता ऩय णखरणखराकय हॉस ऩड़त थ | ससमायो का करॊ दन औय ऩचक की डयािनी आिाज यात की ननसतबधता को बॊग कयती थी | गाॉि की झोऩडडमो स कयाहन औय क कयन की आिाज हय याभ ह बगिान की टय सनाई ऩड़ती थी| फचच बी ननफयर कॊ ठो स भाॉ ndashभाॉ ऩकायकय यो ऩड़त थ |

(क) अॉधयी यात को आॉस फहात हए कमो ठदखामा गमा ह उततयndash गाॉि भ हजा औय भररयमा परा हआ था | भहाभायी की चऩट भ आकाय रोग भय यह थ |चायो ओय भौत का सनाटा छामा था इससरए अॉधयी यात बी चऩचाऩ आॉस फहाती सी परतीत हो यही थी|

(ख) ताय क भाधमभ स रखक कमा कहना चाहता ह उततयndash ताय क भाधमभ स रखक कहना चाहता ह कक अकार औय भहाभायी स तरसत गाॉि िारो की ऩीड़ा को दय कयन िारा कोई नहीॊ था | परकनत बी गाॉि िारो क द ख स दखी थी| आकाश स टट कय महद कोई बािक ताया ऩथिी ऩय आना बी चाहता तो उसकी जमोनत औय शनदकत यासत भ ही शर हो जाती थी |

(ग) यात की ननसतबधता को कौन बॊग कयता था उततयndash ससमायो की चीख-ऩकाय ऩचक की डयािनी आिाज औय कततो का साभहहक रदन सभरकय यात क सनदनाट को बॊग कयत थ |

(घ) झोऩड़ड़मो स कसी आवाज आ यही ह औय कमो उततयndash झोऩडड़मो स योधगमो क कयाहन क कयन औय योन की आिाज आ यही ह कमोकक गाॉि क रोग भररयमा औय हज स ऩीडड़त थ | अकार क कायण अनदन की कभी हो गमी थी| औरधध औय ऩथम न सभरन क कायण रोगो की हारत इतनी फयी थी कक कोई बगिान को ऩकाय रगाता था तो कोई दफयर कॊ ठ स भाॉndashभाॉ ऩकायता था |

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15 चारी चजतरन मानी हभ सफ

रखक-पवषण खय

ऩाि का सायाॊश ndashचारक चनदपरन न हासम कराकाय क रऩ भ ऩयी दननमा क फहत फड़ दशयक िगय को हॉसामा ह | उनकी कपलभो न कपलभ करा को रोकताॊबतरक फनान क साथ-साथ दशको की िगय औय िणय-वमिसथा को बी तोड़ा | चारक न करा भ फवदध की अऩा बािना को भहतति हदमा ह | फचऩन क सॊघरो न चारक क बािी कपलभो की बसभ तमाय कय दी थी| बायतीम करा औय सौदमयशासतर भ करणा का हासम भ ऩरयितयन बायतीम ऩयमऩया भ नहीॊ सभरता रककन चारक एक ऐसा जादई वमनदकतति ह जो हय दश सॊसकनत औय सभमता को अऩना सा रगता ह| बायतीम जनता न बी उनदह सहज बाि स सिीकाय ककमा ह| सिमॊ ऩय हॉसना चारक न ही ससखामा| बायतीम ससनभा जगत क सपरससदध कराकाय याजकऩय को चारक का बायतीमकयण कहा गमा ह | चारक की अधधकाॊश किलभ भक ह इससरए उनदह अधधक भानिीम होना ऩड़ा | ऩाठ भ हासम कपलभो क भहान असबनता lsquoचारक चनदपरनrsquo की जादई विशरताओॊ का उलरख ककमा गमा ह नदजसभ उसन करणा औय हासम भ साभॊजसम सथावऩत कय किलभो को साियबौसभक रऩ परदान ककमा

परशन१ -चारी क जीवन ऩय परबाव िारन वारी भखम घटनाएॉ कौन सी थी

उततय- चारक क जीिन भ दो ऐसी घटनाएॉ घटीॊ नदजनदहोन उनक बािी जीिन ऩय फहत परबाि डारा |

ऩहरी घटना - जफ चारक फीभाय थ उनकी भाॉ उनदह ईसा भसीह की जीिनी ऩढ़कय सना यही थी | ईसा क सरी ऩय चढ़न क परसॊग तक आत-आत भाॉ-फटा दोनो ही योन रग| इस घटना न चारक को सनह करणा औय भानिता जस उचच जीिन भलम हदए |

दसयी घटना हndash फारक चारक कसाईखान क ऩास यहता था| िहाॉ सकड़ो जानियो को योज भाया जाता था| एक हदन एक बड़ िहाॉ स बाग ननकरी| बड़ को ऩकड़न की कोसशश भ कसाई कई फाय कपसरा| नदजस दखकय रोग हॊसन रग ठहाक रगान रग| जफ बड़ को कसाई न ऩकड़ सरमा तो फारक चारक योन रगा| इस घटना न उसक बािी कपलभो भ तरासदी औय हासमोतऩादक ततिो की बसभका तम कय दी |

परशन२ ndash आशम सऩषट कीजजएndash

चजतरन न लसपट कपलभकरा को ही रोकताॊबतरक नही फनामा फजलक दशटको की वगट तथा वणट-वमवसथा को बी तोड़ा|

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उततय- रोकताॊबतरक फनान का अथय ह कक कपलभ करा को सबी क सरए रोकवपरम फनाना औय िगय औय िणय-वमिसथा को तोड़न का आशम ह- सभाज भ परचसरत अभीय-गयीफ िणय जानतधभय क बदबाि को सभापत कयना |चनदपरन का चभतकाय मह ह कक उनदहोन कपलभकरा को बफना ककसी बदबाि क सबी रोगो तक ऩहॉचामा| उनकी कपलभो न सभम बगोर औय सॊसकनतमो की सीभाओॊ को राॉघ कय साियबौसभक रोकवपरमता हाससर की | चारक न मह ससदध कय हदमा कक करा सितनदतर होती ह अऩन ससदधाॊत सिमॊ फनाती ह |

परशन३ndash चारी चजतरन की कपलभो भ ननठहत तरासदीकरणाहासम का साभॊजसम बायतीम करा औय सौदमटशासतर की ऩरयधध भ कमो नहीॊ आता

उततय- चारक चनदपरन की कपलभो भ ननहहत तरासदीकरणाहासम का साभॊजसम बायतीम करा औय सौदमयशासतर की ऩरयधध भ नहीॊ आताकमोकक बायतीम यस-ससदधाॊत भ करणा औय हासम का भर नहीॊ हदखामा जाता कमोकक बायतीम सौदमयशासतर भ करणयस औय हासम यस को ऩयसऩय वियोधी भाना गमा ह अथायत जहाॊ करणा ह िहाॉ हासम नहीॊ हो सकता बायत भ सिमॊ ऩय हॉसन की ऩयॊऩया नहीॊ ह ऩयॊत चारक क ऩातर अऩन ऩय हॉसतndashहॉसात ह चारक की किलभो क दशम हॉसात-हॉसात ररा दत ह तो कबी करण दशम क फाद अचानक ही हॉसन ऩय भजफय कय दत ह

परशन४ndash चारी क कपलभो की पवशषताएॉ फताइए |

उततय- चारक की किलभो भ हासम औय करणा का अदभत साभॊजसम ह उनकी किलभो भ बारा का परमोग फहत कभ ह चारक की किलभो भ फवदध की अऩा बािना का भहतति अधधक ह उनकी किलभो भ साियबौसभकता ह चारक ककसी बी सॊसकनत को विदशी नही रगत चारक सफको अऩन रगत ह चारक न किलभो को रोकताॊबतरक फनामा औय किलभो भ िगय तथािणय-वमिसथा को तोड़ा अऩनी कपलभो भ चारक सदि धचय मिा हदखता ह

गदमाॊश-आधारयत अथटगरहण-सॊफॊधी परशनोततय

गदमाॊश सॊकत ndashचारक चनदपरन मानी हभ सफ (ऩरषठ १२० )

महद मह िरय चनदपरन की कापी कछ कहा जाएगा |

परशन (क)-पवकासशीर दशो भ चजतरन कमो भशहय हो यह ह

उततय - विकासशीर दशो भ जस-जस टरीविजन औय िीडडमो का परसाय हो यहा ह रोगो को उनकी कपलभो को दखन का अिसय सभर यहा ह |एक फहत फड़ा िगय नए ससय स चारक को घड़ी सधायत औय जत खान की कोसशश कयत दख यहा ह इसीसरए चारक विकासशीर दशो भ रोकवपरम हो यह ह |

(ख)- ऩजशचभ भ चारी का ऩनजीवन कस होता यहता ह

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उततय - ऩनदशचभ भ चारक की कपलभो का परदशयन होता यहता ह| उनकी करा स परयणा ऩाकय हासम किलभ फनती यहती ह | उनक दिाया ननबाए ककयदायो की नकर अनदम कराकाय कयत ह | ऩनदशचभ भ चारक का ऩनजीिन होता यहता ह|

(ग)- चारी को रोग फिाऩ तक कमो माद यखग

उततय ndashहासम कराकाय क रऩ भ रोग चारक को फढ़ाऩ तक माद यखग कमोकक उनकी करा सभम बगोर औय सॊसकनतमो की सीभाओॊ को राॉघकय राखो रोगो को हॉसा यही ह|

(घ)- चारी की कपलभो क फाय भ कापी कछ कहा जाना कमो फाी ह

उततय ndashचनदपरन की ऐसी कछ किलभ मा इसतभार न की गमी यीर सभरी ह नदजनक फाय भ कोई नहीॊ जानता था | चारक की बािनापरधान हासम कपलभो न करा क नए परनतभान सथावऩत ककए ह अत चारक की कपलभो क फाय भ अबी कापी कछ कहा जाना फाी ह|

16 नभक

रखखका - यजजमा सजजाद जहीय

सायाॊश -lsquoनभकrsquoबायत-ऩाक विबाजन ऩय सरणखत भासभयक कहानी ह | विसथावऩत हए रोगो भ अऩनndashअऩन जनदभ सथानो क परनत आज बी रगाि ह| धासभयक आधाय ऩय फनी यारषर-याजमो की सीभा-यखाएॉ उनक अॊतभयन को अरग नहीॊ कय ऩाई ह | बायत भ यहन िारी ससख फीिी राहौय को अऩना ितन भानती ह औय बायतीम कसटभ अधधकायी ढाका क नारयमर ऩानी को मादकय उस सियशररषठ फताता ह दोनो दशो क नागरयको क फीच भहबफत का नभकीन सिाद आज बी कामभ ह इसीसरए सकिमा बायत भ यहन िारी अऩनी भॉहफोरी भाॉ ससख फीिी क सरए राहौयी नभक रान क सरए कसटभ औय कानन की ऩयिाह नहीॊ कयती

परशन1- lsquoनभकrsquo ऩाि क आधाय ऩय फताइए कक सकपमा औय उसक बाई क पवचायो भ कमा अॊतय था

उततय- १-सकपमा बािनाओॊ को फहतभहतति दती ह ऩय उसका बाई फौवदधक परिनदतत का ह उसकी दनदरषट भ कानन बािनाओॊ स ऊऩय ह|

२-सकपमा भानिीम सॊफॊधो को फहत भहतति दती ह जफकक उसका बाई अरगाििादी विचायधाया का ह हहसस-फखय की फात कयता ह |

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३-सकपमा का बाई कहता ह कक अदीफो(साहहतमकाय) का हदभाग घभा हआ होता ह जफकक सकपमा जो सिमॊ अदीफ ह उसका भानना ह कक अगय सबी रोगो का हदभाग अदीफो की तयह घभा हआ होता तो दननमा कछ फहतय हो जाती |

परशन२- नभक र जात सभम सकफ़मा क भन भ कमा दपवधा थी

उततय-सकपमा समद भसरभान थी जो हय हार भ अऩना िामदा ननबात ह| ऩाककसतान स राहौयी नभक र जाकय िह अऩना िामदा ऩया कयना चाहती थी ऩयनदत जफ उस ऩता चरा कक कसटभ क ननमभो क अनसाय सीभाऩाय नभक र जाना िनदजयत ह तो िह दविधा भ ऩड़ गई | सकिमा का दिॊदि मह था कक िह अऩनी ससख भाॉ क सरए नभक कसटभ अधधकारयमो को फताकयर जाए मा नछऩाकय|

परशन३- ऩाि क आधाय ऩय सकपमा की चारयबतरक पवशषताएॉ फताइए |

उततय सॊकत ndash

१- बािक २- ईभानदाय ३- दढ़ननशचमी ४- ननडय ५- िामद को ननबान िारी ६- भानिीम भलमो को सिोऩरय भानन िारी साहहतमकाय

परशन ४- lsquoनभकrsquo ऩाि भ आए ककयदायो क भाधमभ स सऩषट कीजजए कक आज बी बायत औय ऩाककसतान की जनता क फीच भहबफत का नभकीन सवाद घरा हआ ह |

उततय ndash बर ही याजनीनतक औय धासभयक आधाय ऩय बायत औय ऩाककसतान को बौगोसरक रऩ स विबानदजत कय हदमा गमा ह रककन दोनो दशो क रोगो क रदम भ आज बी ऩायसऩरयक बाईचाया सौहादरय सनह औय सहानबनत विदमभान ह | याजनीनतक तौय ऩय बर ही सॊफॊध तनािऩणय हो ऩय साभानदजक तौय ऩय आज बी जनता क फीच भहबफत का नभकीन सिाद घरा हआ ह | अभतसय भ यहन िारी ससख फीफी राहौय को अऩना ितन कहती ह औय राहौयी नभक का सिाद नहीॊ बरा ऩाती | ऩाककसतान का कसटभ अधधकायी नभक की ऩडड़मा सकपमा को िाऩस दत हए कहता ह rdquoजाभा भनदसजद की सीहढ़मो को भया सराभ कहना |rdquo बायतीम सीभा ऩय तनात कसटभ अधधकायी ढाका की जभीन को औय िहाॉ क ऩानी क सिाद को नहीॊ बर ऩाता |

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गदमाॊश-आधारयत अथटगरहण सॊफॊधधत परशनोततय

गदमाॊश सॊकत- ऩाठndash नभक (ऩरषठ १३४)

सकपमा कसटभ क जॊगर स दोनो क हाथो भ थी |

(क) सकपमा कसटभ क जॉगर स ननकरकय दसय तरटपाभट ऩय आ गमी व वहीॊ खड़ यहndash इस वाकम भ lsquoवrsquo शबद का परमोग ककसक लरए ककमा गमा ह

उततय- महाॉ lsquoिrsquo शबद का परमोग ऩाककसतानी कसटभ अधधकायी क सरए ककमा गमा ह जो विबाजन स ऩिय हदलरी भ यहत थ औय आज बी हदलरी को ही अऩना ितन भानत ह |

(ख) तरटपाभट ऩय सकपमा को पवदा कयन कौन-कौन आए थ उनहोन सकपमा को कस पवदाई दी

उततय- परटपाभय ऩय सकपमा को विदा कयन उसक फहत साय सभतर सग सॊफॊधी औय बाई आए थ| उनदहोन ठॊडी साॉस बयत हए सबॊच हए होठो क साथ आॉस फहात हए सकपमा को विदाई दी |

(ग) अटायी भ यरगाड़ी भ कमा ऩरयवतटन हए उततय- अटायी भ यरगाड़ी स ऩाककसतानी ऩसरस उतयी औय हहनददसतानी ऩसरस सिाय हो गई|

(घ) कौन सी फात सकपमा की सभझ भ नहीॊ आ यही थी उततय- दोनो ओय एक सी जभीन एक जसा आसभान एक सी बारा एक सा ऩहनािा औय एक सी सयत क रोग कपय बी दोनो क हाथो भ बयी हई फॊदक ह |

17 लशयीष क पर

आचामट हजायी परसाद दपववदी

सायाॊश ndashlsquoआचामय हजायी परसाद दवििदीrsquo सशयीर को अदभत अिधत भानत ह कमोकक सॊनदमासी की बाॉनत िह सख-दख की धचॊता नहीॊ कयता गभी र िराय औय आॉधी भ बी अविचर खड़ा यहता ह सशयीर क िर क भाधमभ स भनरषम की अजम नदजजीविरा धमयशीरता औय कतयवमननरषठ फन यहन क भानिीम भलमो को सथावऩत ककमा गमा हरखक न सशयीर क कोभर परो औय कठोय परो क दिाया सऩरषट ककमा ह कक रदम की कोभरता फचान क सरए कबी-कबी वमिहाय की कठोयता बी आिशमक हो जाती ह| भहान कवि कासरदास औय कफीय बी सशयीर की तयह फऩयिाह अनासकत औय सयस थ तबी उनदहोन इतनी सनददय यचनाएॉ सॊसाय को दीॊ| गाॉधीजी क वमनदकतति भ बी कोभरता औय कठोयता का अदभत सॊगभ था | रखक सोचता ह कक हभाय दश भ जो भाय-काट अनदगनदाह रट-ऩाट खन-खचचय का फिॊडय ह कमा िह दश को नदसथय नहीॊ यहन दगा गराभी अशाॊनत औय वियोधी िाताियण क फीच अऩन ससदधाॊतो की या कयत हए गाॉधीजी जी नदसथय यह सक थ तो दश बी यह सकता ह जीन की परफर असबरारा क कायण

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विरभ ऩरयनदसथतमो भ बी महद सशयीर णखर सकता ह तो हभाया दश बी विरभ ऩरयनदसथनतमो भ नदसथय यह कय विकास कय सकता ह

परशन1-लसदध कीजजए कक लशयीष कारजमी अवधत की बाॉनत जीवन की अजमता क भॊतर का परचाय कयता ह

उततय- सशयीर कारजमी अिधत की बाॉनत जीिन की अजमता क भॊतर का परचाय कयता ह| जफ ऩथिी अनदगन क सभान तऩ यही होती ह िह तफ बी कोभर परो स रदा रहरहाता यहता ह|फाहयी गयभी धऩ िराय आॉधी र उस परबावित नहीॊ कयती इतना ही नहीॊ िह रॊफ सभम तक णखरा यहता ह | सशयीर विऩयीत ऩरयनदसथनतमो भ बी धमयशीर यहन तथा अऩनी अजम नदजजीविरा क साथ ननसऩह बाि स परचॊड गयभी भ बी अविचर खड़ा यहता ह

परशन२-आयगवध (अभरतास) की तरना लशयीष स कमो नहीॊ की जा सकती

उततय- सशयीर क पर बमॊकय गयभी भ णखरत ह औय आराढ़ तक णखरत यहत ह जफकक अभरतास का पर किर ऩनददरह-फीस हदनो क सरए णखरता ह | उसक फाद अभरतास क पर झड़ जात ह औय ऩड़ कपय स ठॉठ का ठॉठ हो जाता ह | अभरतास अलऩजीिी ह | विऩयीत ऩरयनदसथनतमो को झरता हआ ऊरषण िाताियण को हॉसकय झरता हआ सशयीर दीघयजीिी यहता ह | मही कायण ह कक सशयीर की तरना अभरतास स नहीॊ की जा सकती |

परशन३-लशयीष क परो को याजनताओॊ का रऩक कमो ठदमा गमा ह

उततय- सशयीर क पर उन फढ़ ढीठ औय ऩयान याजनताओॊ क परतीक ह जो अऩनी कसी नहीॊ छोड़ना चाहत | अऩनी अधधकाय-सरपसा क सरए नए मिा नताओॊ को आग नहीॊ आन दत | सशयीर क नए परो को जफयदसती ऩयान परो को धककमाना ऩड़ता ह | याजनीनत भ बी नई मिा ऩीढ़ी ऩयानी ऩीढ़ी को हयाकय सिमॊ सतता सॉबार रती ह |

परशन४- कार दवता की भाय स फचन का कमा उऩाम फतामा गमा ह

उततय- कार दिता कक भाय स फचन का अथय हndash भतम स फचना | इसका एकभातर उऩाम मह ह कक भनरषम नदसथय न हो| गनतशीर ऩरयितयनशीर यह | रखक क अनसाय नदजनकी चतना सदा ऊधियभखी (आधमातभ की ओय) यहती ह ि हटक जात ह |

परशन५- गाॉधीजी औय लशयीष की सभानता परकट कीजजए |

उततय- नदजस परकाय सशयीर धचरधचराती धऩ र िराय औय आॉधी भ बी अविचर खड़ा यहता ह अनासकत यहकय अऩन िाताियण स यस खीॊचकय सयस कोभर फना यहता ह उसी परकाय गाॉधी जी न बी अऩनी आॉखो क साभन आजादी क सॊगराभ भ अनदमाम बदबाि औय हहॊसा को झरा |

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उनक कोभर भन भ एक ओय ननयीह जनता क परनत असीभ करणा जागी िहीॊ ि अनदमामी शासन क वियोध भ डटकय खड़ हो गए |

गदमाॊश-आधारयत अथटगरहण सॊफॊधधत परशनोततय

गदमाॊश सॊकत- ऩाठ ndash सशयीर क पर (ऩरषठ १४७)

कासरदास सौदमय क िह इशाया ह |

(क) कालरदास की सौदमटndashदजषट की कमा पवशषता थी उततय-कासरदास की सौदमयndashदनदरषट फहत सकषभ अॊतबदी औय सॊऩणय थी| ि किर फाहयी रऩ-यॊग औय आकाय को ही नहीॊ दखत थ फनदलक अॊतभयन की सॊदयता क बी ऩायखी थ| कासरदास की सौदमय शायीरयक औय भानससक दोनो विशरताओॊ स मकत था |

(ख) अनासजकत का कमा आशम ह उततय- अनासनदकत का आशम ह- वमनदकतगत सख-द ख औय याग-दिर स ऩय यहकय सौदमय क िासतविक भभय को जानना |

(ग) कालरदास ऩॊत औय यवीॊिनाथ टगोय भ कौन सा गण सभान था भहाकवि कासरदास ससभतरानॊदन ऩॊत औय गरदि यिीॊदरनाथ टगोय तीनो नदसथयपरऻ औय अनासकत कवि थ | ि सशयीर क सभान सयस औय भसत अिधत थ |

(घ) यवीॊिनाथ याजोदमान क लसॊहदवाय क फाय भ कमा सॊदश दत ह याजोदमान क फाय भ यिीॊदरनाथ कहत ह याजोदमान का ससॊहदिाय ककतना ही सॊदय औय गगनचमफी कमो ना हो िह अॊनतभ ऩड़ाि नहीॊ ह| उसका सौदमय ककसी औय उचचतभ सौदमय की ओय ककमा गमा सॊकत भातर ह कक असरी सौदमय इस ऩाय कयन क फाद ह अत याजोदमान का ससॊहदिाय हभ आग फढ़न की परयणा दता ह |

18शरभ-पवबाजन औय जानत-परथा

िॉ० बीभयाव अॊफिकय

सायाॊश ndash इस ऩाठ भ रखक न जानतिाद क आधाय ऩय ककए जान िार बदबाि को सभम सभाज क सरए हाननकायक फतामा ह | जानत आधारयत शरभ विबाजन को असिाबाविक औय भानिता वियोधी फतामा गमा ह मह साभानदजक बदबाि को फढ़ाता ह जानतपरथा आधारयत शरभ विबाजन भ वमनदकत की रधच को भहतति नहीॊ हदमा जाता परसिरऩ वििशता क साथ अऩनाए

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Page 39: ISSUED BY KENDRIYA VIDYALAYA - DOWNLOADED FROM … Class XII Hindi Part B.pdfप्रश्न४ :-फादर क / फयन का गयीफ एि धनी िगय क्मा

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भाॉ ह सिगय की सीढ़ी ह भोदानमनी ह उसभ ऩानी नहीॊ अवऩत अभत तलम जर फहता ह बायतीम सॊसकनत भ नहदमो क ककनाय भानि सभमताएॉ परी-परी ह| फड़-फड़ नगय तीथयसथान नहदमो क ककनाय ही नदसथत ह ऐस ऩरयिश भबायतिासी सफस ऩहर गॊगा भमा की जम ही फोरग नहदमाॉ हभाय जीिन का आधाय ह हभाया दश कवर परधान ह नहदमो क जर स ही बायत बसभ हयी-बयी ह नहदमो क बफना जीिन की कलऩना नहीॊ कय सकत मही कायण ह कक हभ बायतीम नहदमो की ऩजा कयत ह |

परशन4-आजादी क ऩचास वषो क फाद बी रखक कमो दखी ह उसक भन भ कौन स परशन उि यह ह

उततय- आजादी क ऩचास िरो फाद बी बायतीमो की सोच भ सकायातभक फदराि न दखकय रखक दखी ह उसक भन भ कई परशन उठ यह ह-

1 कमा हभ सचच अथो भ सितनदतर ह 2 कमा हभ अऩन दश की सॊसकनत औय सभमता को सभझ ऩाए ह 3 यारषर ननभायण भ हभ ऩीछ कमो ह हभ दश क सरए कमा कय यह ह

4 हभ सिाथय औय भरषटाचाय भ सरपत यहत ह तमाग भ विशिास कमो नहीॊ कयत

5 सयकाय दिाया चराई जा यही सधायिादी मोजनाएॉ गयीफो तक कमो नहीॊ ऩहॉचती ह

गदमाॊश ऩय आधारयत अथटगरहण-सॊफॊधधत परशनोततय

सचभच ऐस हदन होत जफ गरी-भहलरा गाॉि-शहय हय जगह रोग गयभी भ बन-बन कय तराहहभाभ कय यह होत जठ क दसतऩा फीतकय आराढ का ऩहरा ऩखिाड़ा फीत चका होता ऩय कषनतज ऩय कहीॊ फादरो की यख बी नहीॊ दीखती होती कएॉ सखन रगत नरो भ एक तो फहत कभ ऩानी आता औय आता बी तो आधी यात को िो बी खौरता हआ ऩानी हो | शहयो की तरना भ गाॉि भ औय बी हारत खयाफ थी| जहाॉ जताई होनी चाहहए थी िहाॉ खतो की सभटटी सखकय ऩतथय हो जाती कपय उसभ ऩऩड़ी ऩड़कय जभीन पटन रगती र ऐसी कक चरत-चरत आदभी धगय ऩड़ | ढोय-डॊगय पमास क भाय भयन रगत रककन फारयश का कहीॊ नाभ ननशान नहीॊ ऐस भ ऩजा-ऩाठ कथा-विधान सफ कयक रोग जफ हाय जात तफ अॊनतभ उऩाम क रऩ भ ननकरती मह इनददय सना |

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परशन१- वषाट न होन ऩय रोगो की कमा जसथनत हो गमी थी उततय - िराय न होन ऩय गयभी क कायण रोग र रगन स फहोश होन रग | गाॉि-शहय सबी जगह ऩानी का अबाि हो गमा| कएॉ सख गए खतो की सभटटी सखकय ऩतथय क सभान कठोय होकय पट गमी| घयो भ नरो भ ऩानी फहत कभ आता था | ऩश पमास क भाय भयन रग थ | परशन२- वषाट क दवता कौन ह उनको परसनन कयन क लरए कमा उऩाम ककए जात थ उततय -िराय क दिता बगिान इनददर ह| उनको परसनदन कयन क सरए ऩजाndashऩाठ कथा-विधान कयाए जात थ | ताकक इनददर दि परसनदन होकय फादरो की सना बजकय झभाझभ फारयश कयाएॉ औय रोगो क करषट दय हो | परशन३- वषाट कयान क अॊनतभ उऩाम क रऩ भ कमा ककमा जाता था उततय ndashजफ ऩजा-ऩाठ कथा-विधान सफ कयक रोग हाय जात थ तफ अॊनतभ उऩाम क रऩ भ इनददय सना आती थी | नॊग-धडॊग कीचड़ भ रथऩथ lsquoकार भघा ऩानी द ऩानी द गड़धानी दrsquo की टय रगाकय पमास स सखत गरो औय सखत खतो क सरए भघो को ऩकायती हई टोरी फनाकय ननकर ऩड़ती थी| परशन४-आशम सऩषट कय ndash जठ क दसतऩा फीतकय आराढ़ का ऩहरा ऩखिाड़ा फीत चका होता ऩय कषनतज भ कहीॊ फादरो की यख बी नजय नहीॊ आती | आशम- जठ का भहीना ह बीरण गयभी ह| तऩत हए दस हदन फीत कय आराढ का भहीना बी आधा फीत गमा ऩय ऩानी क सरए तड़ऩत िराय की आशा भ आसभान की ओय ताकत रोगो को कहीॊ फादर नजय नहीॊ आ यह |

14 ऩहरवान की ढोरक

फ़णीशवयनाथ यण

ऩाि का सायाॊश ndashआॊचसरक कथाकाय िणीशियनाथ यण की कहानी ऩहरिान की ढोरक भ कहानी क भखम ऩातर रटटन क भाता-वऩता का दहाॊत उसक फचऩन भ ही हो गमा था | अनाथ रटटन को उसकी विधिा सास न ऩार-ऩोसकय फड़ा ककमा | उसकी सास को गाॉि िार सतात थ |

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रोगो स फदरा रन क सरए कशती क दाॉिऩच सीखकय कसयत कयक रटटन ऩहरिान फन गमा |

एक फाय रटटन शमाभनगय भरा दखन गमा जहाॉ ढोर की आिाज औय कशती क दाॉिऩच दखकय उसन जोश भ आकय नाभी ऩहरिान चाॉदससॊह को चनौती द दी | ढोर की आिाज स परयणा ऩाकय रटटन न दाॉि रगाकय चाॉद ससॊह को ऩटककय हया हदमा औय याज ऩहरिान फन गमा | उसकी खमानत दय-दय तक िर गमी| १५ िरो तक ऩहरिान अजम फना यहा| उसक दो ऩतर थ| रटटन न दोनो फटो को बी ऩहरिानी क गय ससखाए| याजा की भतम क फाद नए याजकभाय न गददी सॊबारी याजकभाय को घोड़ो की यस का शौक था भनजय न नम याजा को बड़कामा ऩहरिान औय उसक दोनो फटो क बोजनखचय को बमानक औय किजरखचय फतामा िरसिरऩ नए याजा न कशती को फॊद कयिा हदमा औय ऩहरिान रटटनससॊह को उसक दोनो फटो क साथ भहर स ननकार हदमा

याजदयफाय स ननकार हदए जान क फाद रटटन ससॊह अऩन दोनो फटो क साथ गाॉि भ झोऩड़ी फनाकय यहन रगा औय गाॉि क रड़को को कशती ससखान रगा| रटटन का सकर जमादा हदन नहीॊ चरा औय जीविकोऩाजयन क सरए उसक दोनो फटो को भजदयी कयनी ऩड़ी| इसी दौयान गाॉि भ अकार औय भहाभायी क कायण परनतहदन राश उठन रगी| ऩहरिान भहाभायी स डय हए रोगो को ढोरक फजाकय फीभायी स रड़न की सॊजीिनी ताकत दता था| एक हदन ऩहरिान क दोनो फट बी भहाभायी की चऩट भ आकय भय गए ऩय उस यात बी ऩहरिान ढोरक फजाकय रोगो को हहमभत फॊधा यहा था | इस घटना क चाय-ऩाॉच हदन फाद ऩहरिान की बी भौत हो जाती ह|

ऩहरिान की ढोरक वमिसथा क फदरन क साथ रोक कराकाय क अपरासॊधगक हो जान की कहानी ह इस कहानी भ रटटन नाभ क ऩहरिान की हहमभत औय नदजजीविरा का िणयन ककमा गमा ह बख औय भहाभायी अजम रटटन की ऩहरिानी को िट ढोर भ फदर दत ह इस करण तरासदी भ ऩहरिान रटटन कई सिार छोड़ जाता ह कक करा का कोई सितॊतर अनदसतति ह मा करा किर वमिसथा की भोहताज ह

परशन1- रटटन को ऩहरवान फनन की परयणा कस लभरी

उततय- रटटन जफ नौ सार का था तो उसक भाता-वऩता का दहाॊत हो गमा था | सौबागम स उसकी शादी हो चकी थी| अनाथ रटटन को उसकी विधिा सास न ऩार-ऩोसकय फड़ा ककमा | उसकी सास को गाॉि िार ऩयशान कयत थ| रोगो स फदरा रन क सरए उसन ऩहरिान फनन की ठानी| धायोरषण दध ऩीकय कसयत कय उसन अऩना फदन गठीरा औय ताकतिय फना सरमा | कशती क दाॉिऩच सीखकय रटटन ऩहरिान फन गमा |

परशन2- यात क बमानक सननाट भ रटटन की ढोरक कमा करयशभा कयती थी

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उततय- यात क बमानक सनदनाट भरटटन की ढोरक भहाभायी स जझत रोगो को हहमभत फॉधाती थी | ढोरक की आिाज स यात की विबीवरका औय सनदनाटा कभ होता था| भहाभायी स ऩीडड़त रोगो की नसो भ बफजरी सी दौड़ जाती थी उनकी आॉखो क साभन दॊगर का दशम साकाय हो जाता था औय ि अऩनी ऩीड़ा बर खशी-खशी भौत को गर रगा रत थ इस परकाय ढोर की आिाज फीभाय-भतपराम गाॉििारो की नसो भ सॊजीिनी शनदकत को बय फीभायी स रड़न की परयणा दती थी

परशन3- रटटन न सवाटधधक ठहमभत कफ ठदखाई

उततय- रटटन ससॊह न सिायधधक हहमभत तफ हदखाई जफ दोनो फटो की भतम ऩय िह योमा नहीॊ फनदलक हहमभत स काभ रकय अकर उनका अॊनतभ सॊसकाय ककमा| मही नहीॊ नदजस हदन ऩहरिान क दोनो फट भहाभायी की चऩट भ आकय भय गए ऩय उस यात को बी ऩहरिान ढोरक फजाकय रोगो को हहमभत फॉधा यहा था| शमाभनगय क दॊगर भ ऩया जनसभदाम चाॉद ससॊह क ऩ भ था चाॉद ससॊह को हयात सभम रटटन न हहमभत हदखाई औय बफना हताश हए दॊगर भ चाॉद ससॊह को धचत कय हदमा |

परशन4- रटटन लसॊह याज ऩहरवान कस फना

उततय- शमाभनगय क याजा कशती क शौकीन थ उनदहोन दॊगर का आमोजन ककमा ऩहरिान रटटन ससॊह बी दॊगर दखन ऩहॉचा चाॊदससॊह नाभक ऩहरिान जो शय क फचच क नाभ स परससदध था कोई बी ऩहरिान उसस सबड़न की हहमभत नहीॊ कयता था चाॉदससॊह अखाड़ भ अकरा गयज यहा था रटटन ससॊह न चाॉदससॊह को चनौती द दी औय चाॉदससॊह स सबड़ गमाढ़ोर की आिाज सनकय रटटन की नस-नस भ जोश बय गमाउसन चाॉदससॊह को चायो खान धचत कय हदमा याजासाहफ न रटटन की िीयता स परबावित होकय उस याजऩहरिान फना हदमा

परशन5- ऩहरवान की अॊनतभ इचछा कमा थी

उततय- ऩहरिान की अॊनतभ इचछा थी कक उस धचता ऩय ऩट क फर सरटामा जाए कमोकक िह नदजॊदगी भ कबी धचत नहीॊ हआ था| उसकी दसयी इचछा थी कक उसकी धचता को आग दत सभम ढोर अिशम फजामा जाए |

परशन6- ढोर की आवाज औय रटटन क भ दाॉिऩच सॊफॊध फताइए-

उततय- ढोर की आिाज औय रटटन क दाॉिऩच भ सॊफॊध -

चट धा धगड़ धाrarr आजा सबड़ जा | चटाक चट धाrarr उठाकय ऩटक द | चट धगड़ धाrarrभत डयना |

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धाक धधना नतयकट नतनाrarr दाॉि काटो फाहय हो जाओ | धधना धधना धधक धधनाrarr धचत कयो

गदमाॊश-आधारयत अथटगरहण-सॊफॊधधत परशनोततय

अॉधयी यात चऩचाऩ आॉस फहा यही थी | ननसतबधता करण सससककमो औय आहो को अऩन रदम भ ही फर ऩियक दफान की चरषटा कय यही थी | आकाश भ ताय चभक यह थ | ऩथिी ऩय कहीॊ परकाश का नाभ नहीॊ| आकाश स टट कय महद कोई बािक ताया ऩथिी ऩय आना बी चाहता तो उसकी जमोनत औय शनदकत यासत भ ही शर हो जाती थी | अनदम ताय उसकी बािकता अथिा असपरता ऩय णखरणखराकय हॉस ऩड़त थ | ससमायो का करॊ दन औय ऩचक की डयािनी आिाज यात की ननसतबधता को बॊग कयती थी | गाॉि की झोऩडडमो स कयाहन औय क कयन की आिाज हय याभ ह बगिान की टय सनाई ऩड़ती थी| फचच बी ननफयर कॊ ठो स भाॉ ndashभाॉ ऩकायकय यो ऩड़त थ |

(क) अॉधयी यात को आॉस फहात हए कमो ठदखामा गमा ह उततयndash गाॉि भ हजा औय भररयमा परा हआ था | भहाभायी की चऩट भ आकाय रोग भय यह थ |चायो ओय भौत का सनाटा छामा था इससरए अॉधयी यात बी चऩचाऩ आॉस फहाती सी परतीत हो यही थी|

(ख) ताय क भाधमभ स रखक कमा कहना चाहता ह उततयndash ताय क भाधमभ स रखक कहना चाहता ह कक अकार औय भहाभायी स तरसत गाॉि िारो की ऩीड़ा को दय कयन िारा कोई नहीॊ था | परकनत बी गाॉि िारो क द ख स दखी थी| आकाश स टट कय महद कोई बािक ताया ऩथिी ऩय आना बी चाहता तो उसकी जमोनत औय शनदकत यासत भ ही शर हो जाती थी |

(ग) यात की ननसतबधता को कौन बॊग कयता था उततयndash ससमायो की चीख-ऩकाय ऩचक की डयािनी आिाज औय कततो का साभहहक रदन सभरकय यात क सनदनाट को बॊग कयत थ |

(घ) झोऩड़ड़मो स कसी आवाज आ यही ह औय कमो उततयndash झोऩडड़मो स योधगमो क कयाहन क कयन औय योन की आिाज आ यही ह कमोकक गाॉि क रोग भररयमा औय हज स ऩीडड़त थ | अकार क कायण अनदन की कभी हो गमी थी| औरधध औय ऩथम न सभरन क कायण रोगो की हारत इतनी फयी थी कक कोई बगिान को ऩकाय रगाता था तो कोई दफयर कॊ ठ स भाॉndashभाॉ ऩकायता था |

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15 चारी चजतरन मानी हभ सफ

रखक-पवषण खय

ऩाि का सायाॊश ndashचारक चनदपरन न हासम कराकाय क रऩ भ ऩयी दननमा क फहत फड़ दशयक िगय को हॉसामा ह | उनकी कपलभो न कपलभ करा को रोकताॊबतरक फनान क साथ-साथ दशको की िगय औय िणय-वमिसथा को बी तोड़ा | चारक न करा भ फवदध की अऩा बािना को भहतति हदमा ह | फचऩन क सॊघरो न चारक क बािी कपलभो की बसभ तमाय कय दी थी| बायतीम करा औय सौदमयशासतर भ करणा का हासम भ ऩरयितयन बायतीम ऩयमऩया भ नहीॊ सभरता रककन चारक एक ऐसा जादई वमनदकतति ह जो हय दश सॊसकनत औय सभमता को अऩना सा रगता ह| बायतीम जनता न बी उनदह सहज बाि स सिीकाय ककमा ह| सिमॊ ऩय हॉसना चारक न ही ससखामा| बायतीम ससनभा जगत क सपरससदध कराकाय याजकऩय को चारक का बायतीमकयण कहा गमा ह | चारक की अधधकाॊश किलभ भक ह इससरए उनदह अधधक भानिीम होना ऩड़ा | ऩाठ भ हासम कपलभो क भहान असबनता lsquoचारक चनदपरनrsquo की जादई विशरताओॊ का उलरख ककमा गमा ह नदजसभ उसन करणा औय हासम भ साभॊजसम सथावऩत कय किलभो को साियबौसभक रऩ परदान ककमा

परशन१ -चारी क जीवन ऩय परबाव िारन वारी भखम घटनाएॉ कौन सी थी

उततय- चारक क जीिन भ दो ऐसी घटनाएॉ घटीॊ नदजनदहोन उनक बािी जीिन ऩय फहत परबाि डारा |

ऩहरी घटना - जफ चारक फीभाय थ उनकी भाॉ उनदह ईसा भसीह की जीिनी ऩढ़कय सना यही थी | ईसा क सरी ऩय चढ़न क परसॊग तक आत-आत भाॉ-फटा दोनो ही योन रग| इस घटना न चारक को सनह करणा औय भानिता जस उचच जीिन भलम हदए |

दसयी घटना हndash फारक चारक कसाईखान क ऩास यहता था| िहाॉ सकड़ो जानियो को योज भाया जाता था| एक हदन एक बड़ िहाॉ स बाग ननकरी| बड़ को ऩकड़न की कोसशश भ कसाई कई फाय कपसरा| नदजस दखकय रोग हॊसन रग ठहाक रगान रग| जफ बड़ को कसाई न ऩकड़ सरमा तो फारक चारक योन रगा| इस घटना न उसक बािी कपलभो भ तरासदी औय हासमोतऩादक ततिो की बसभका तम कय दी |

परशन२ ndash आशम सऩषट कीजजएndash

चजतरन न लसपट कपलभकरा को ही रोकताॊबतरक नही फनामा फजलक दशटको की वगट तथा वणट-वमवसथा को बी तोड़ा|

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उततय- रोकताॊबतरक फनान का अथय ह कक कपलभ करा को सबी क सरए रोकवपरम फनाना औय िगय औय िणय-वमिसथा को तोड़न का आशम ह- सभाज भ परचसरत अभीय-गयीफ िणय जानतधभय क बदबाि को सभापत कयना |चनदपरन का चभतकाय मह ह कक उनदहोन कपलभकरा को बफना ककसी बदबाि क सबी रोगो तक ऩहॉचामा| उनकी कपलभो न सभम बगोर औय सॊसकनतमो की सीभाओॊ को राॉघ कय साियबौसभक रोकवपरमता हाससर की | चारक न मह ससदध कय हदमा कक करा सितनदतर होती ह अऩन ससदधाॊत सिमॊ फनाती ह |

परशन३ndash चारी चजतरन की कपलभो भ ननठहत तरासदीकरणाहासम का साभॊजसम बायतीम करा औय सौदमटशासतर की ऩरयधध भ कमो नहीॊ आता

उततय- चारक चनदपरन की कपलभो भ ननहहत तरासदीकरणाहासम का साभॊजसम बायतीम करा औय सौदमयशासतर की ऩरयधध भ नहीॊ आताकमोकक बायतीम यस-ससदधाॊत भ करणा औय हासम का भर नहीॊ हदखामा जाता कमोकक बायतीम सौदमयशासतर भ करणयस औय हासम यस को ऩयसऩय वियोधी भाना गमा ह अथायत जहाॊ करणा ह िहाॉ हासम नहीॊ हो सकता बायत भ सिमॊ ऩय हॉसन की ऩयॊऩया नहीॊ ह ऩयॊत चारक क ऩातर अऩन ऩय हॉसतndashहॉसात ह चारक की किलभो क दशम हॉसात-हॉसात ररा दत ह तो कबी करण दशम क फाद अचानक ही हॉसन ऩय भजफय कय दत ह

परशन४ndash चारी क कपलभो की पवशषताएॉ फताइए |

उततय- चारक की किलभो भ हासम औय करणा का अदभत साभॊजसम ह उनकी किलभो भ बारा का परमोग फहत कभ ह चारक की किलभो भ फवदध की अऩा बािना का भहतति अधधक ह उनकी किलभो भ साियबौसभकता ह चारक ककसी बी सॊसकनत को विदशी नही रगत चारक सफको अऩन रगत ह चारक न किलभो को रोकताॊबतरक फनामा औय किलभो भ िगय तथािणय-वमिसथा को तोड़ा अऩनी कपलभो भ चारक सदि धचय मिा हदखता ह

गदमाॊश-आधारयत अथटगरहण-सॊफॊधी परशनोततय

गदमाॊश सॊकत ndashचारक चनदपरन मानी हभ सफ (ऩरषठ १२० )

महद मह िरय चनदपरन की कापी कछ कहा जाएगा |

परशन (क)-पवकासशीर दशो भ चजतरन कमो भशहय हो यह ह

उततय - विकासशीर दशो भ जस-जस टरीविजन औय िीडडमो का परसाय हो यहा ह रोगो को उनकी कपलभो को दखन का अिसय सभर यहा ह |एक फहत फड़ा िगय नए ससय स चारक को घड़ी सधायत औय जत खान की कोसशश कयत दख यहा ह इसीसरए चारक विकासशीर दशो भ रोकवपरम हो यह ह |

(ख)- ऩजशचभ भ चारी का ऩनजीवन कस होता यहता ह

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उततय - ऩनदशचभ भ चारक की कपलभो का परदशयन होता यहता ह| उनकी करा स परयणा ऩाकय हासम किलभ फनती यहती ह | उनक दिाया ननबाए ककयदायो की नकर अनदम कराकाय कयत ह | ऩनदशचभ भ चारक का ऩनजीिन होता यहता ह|

(ग)- चारी को रोग फिाऩ तक कमो माद यखग

उततय ndashहासम कराकाय क रऩ भ रोग चारक को फढ़ाऩ तक माद यखग कमोकक उनकी करा सभम बगोर औय सॊसकनतमो की सीभाओॊ को राॉघकय राखो रोगो को हॉसा यही ह|

(घ)- चारी की कपलभो क फाय भ कापी कछ कहा जाना कमो फाी ह

उततय ndashचनदपरन की ऐसी कछ किलभ मा इसतभार न की गमी यीर सभरी ह नदजनक फाय भ कोई नहीॊ जानता था | चारक की बािनापरधान हासम कपलभो न करा क नए परनतभान सथावऩत ककए ह अत चारक की कपलभो क फाय भ अबी कापी कछ कहा जाना फाी ह|

16 नभक

रखखका - यजजमा सजजाद जहीय

सायाॊश -lsquoनभकrsquoबायत-ऩाक विबाजन ऩय सरणखत भासभयक कहानी ह | विसथावऩत हए रोगो भ अऩनndashअऩन जनदभ सथानो क परनत आज बी रगाि ह| धासभयक आधाय ऩय फनी यारषर-याजमो की सीभा-यखाएॉ उनक अॊतभयन को अरग नहीॊ कय ऩाई ह | बायत भ यहन िारी ससख फीिी राहौय को अऩना ितन भानती ह औय बायतीम कसटभ अधधकायी ढाका क नारयमर ऩानी को मादकय उस सियशररषठ फताता ह दोनो दशो क नागरयको क फीच भहबफत का नभकीन सिाद आज बी कामभ ह इसीसरए सकिमा बायत भ यहन िारी अऩनी भॉहफोरी भाॉ ससख फीिी क सरए राहौयी नभक रान क सरए कसटभ औय कानन की ऩयिाह नहीॊ कयती

परशन1- lsquoनभकrsquo ऩाि क आधाय ऩय फताइए कक सकपमा औय उसक बाई क पवचायो भ कमा अॊतय था

उततय- १-सकपमा बािनाओॊ को फहतभहतति दती ह ऩय उसका बाई फौवदधक परिनदतत का ह उसकी दनदरषट भ कानन बािनाओॊ स ऊऩय ह|

२-सकपमा भानिीम सॊफॊधो को फहत भहतति दती ह जफकक उसका बाई अरगाििादी विचायधाया का ह हहसस-फखय की फात कयता ह |

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३-सकपमा का बाई कहता ह कक अदीफो(साहहतमकाय) का हदभाग घभा हआ होता ह जफकक सकपमा जो सिमॊ अदीफ ह उसका भानना ह कक अगय सबी रोगो का हदभाग अदीफो की तयह घभा हआ होता तो दननमा कछ फहतय हो जाती |

परशन२- नभक र जात सभम सकफ़मा क भन भ कमा दपवधा थी

उततय-सकपमा समद भसरभान थी जो हय हार भ अऩना िामदा ननबात ह| ऩाककसतान स राहौयी नभक र जाकय िह अऩना िामदा ऩया कयना चाहती थी ऩयनदत जफ उस ऩता चरा कक कसटभ क ननमभो क अनसाय सीभाऩाय नभक र जाना िनदजयत ह तो िह दविधा भ ऩड़ गई | सकिमा का दिॊदि मह था कक िह अऩनी ससख भाॉ क सरए नभक कसटभ अधधकारयमो को फताकयर जाए मा नछऩाकय|

परशन३- ऩाि क आधाय ऩय सकपमा की चारयबतरक पवशषताएॉ फताइए |

उततय सॊकत ndash

१- बािक २- ईभानदाय ३- दढ़ननशचमी ४- ननडय ५- िामद को ननबान िारी ६- भानिीम भलमो को सिोऩरय भानन िारी साहहतमकाय

परशन ४- lsquoनभकrsquo ऩाि भ आए ककयदायो क भाधमभ स सऩषट कीजजए कक आज बी बायत औय ऩाककसतान की जनता क फीच भहबफत का नभकीन सवाद घरा हआ ह |

उततय ndash बर ही याजनीनतक औय धासभयक आधाय ऩय बायत औय ऩाककसतान को बौगोसरक रऩ स विबानदजत कय हदमा गमा ह रककन दोनो दशो क रोगो क रदम भ आज बी ऩायसऩरयक बाईचाया सौहादरय सनह औय सहानबनत विदमभान ह | याजनीनतक तौय ऩय बर ही सॊफॊध तनािऩणय हो ऩय साभानदजक तौय ऩय आज बी जनता क फीच भहबफत का नभकीन सिाद घरा हआ ह | अभतसय भ यहन िारी ससख फीफी राहौय को अऩना ितन कहती ह औय राहौयी नभक का सिाद नहीॊ बरा ऩाती | ऩाककसतान का कसटभ अधधकायी नभक की ऩडड़मा सकपमा को िाऩस दत हए कहता ह rdquoजाभा भनदसजद की सीहढ़मो को भया सराभ कहना |rdquo बायतीम सीभा ऩय तनात कसटभ अधधकायी ढाका की जभीन को औय िहाॉ क ऩानी क सिाद को नहीॊ बर ऩाता |

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गदमाॊश-आधारयत अथटगरहण सॊफॊधधत परशनोततय

गदमाॊश सॊकत- ऩाठndash नभक (ऩरषठ १३४)

सकपमा कसटभ क जॊगर स दोनो क हाथो भ थी |

(क) सकपमा कसटभ क जॉगर स ननकरकय दसय तरटपाभट ऩय आ गमी व वहीॊ खड़ यहndash इस वाकम भ lsquoवrsquo शबद का परमोग ककसक लरए ककमा गमा ह

उततय- महाॉ lsquoिrsquo शबद का परमोग ऩाककसतानी कसटभ अधधकायी क सरए ककमा गमा ह जो विबाजन स ऩिय हदलरी भ यहत थ औय आज बी हदलरी को ही अऩना ितन भानत ह |

(ख) तरटपाभट ऩय सकपमा को पवदा कयन कौन-कौन आए थ उनहोन सकपमा को कस पवदाई दी

उततय- परटपाभय ऩय सकपमा को विदा कयन उसक फहत साय सभतर सग सॊफॊधी औय बाई आए थ| उनदहोन ठॊडी साॉस बयत हए सबॊच हए होठो क साथ आॉस फहात हए सकपमा को विदाई दी |

(ग) अटायी भ यरगाड़ी भ कमा ऩरयवतटन हए उततय- अटायी भ यरगाड़ी स ऩाककसतानी ऩसरस उतयी औय हहनददसतानी ऩसरस सिाय हो गई|

(घ) कौन सी फात सकपमा की सभझ भ नहीॊ आ यही थी उततय- दोनो ओय एक सी जभीन एक जसा आसभान एक सी बारा एक सा ऩहनािा औय एक सी सयत क रोग कपय बी दोनो क हाथो भ बयी हई फॊदक ह |

17 लशयीष क पर

आचामट हजायी परसाद दपववदी

सायाॊश ndashlsquoआचामय हजायी परसाद दवििदीrsquo सशयीर को अदभत अिधत भानत ह कमोकक सॊनदमासी की बाॉनत िह सख-दख की धचॊता नहीॊ कयता गभी र िराय औय आॉधी भ बी अविचर खड़ा यहता ह सशयीर क िर क भाधमभ स भनरषम की अजम नदजजीविरा धमयशीरता औय कतयवमननरषठ फन यहन क भानिीम भलमो को सथावऩत ककमा गमा हरखक न सशयीर क कोभर परो औय कठोय परो क दिाया सऩरषट ककमा ह कक रदम की कोभरता फचान क सरए कबी-कबी वमिहाय की कठोयता बी आिशमक हो जाती ह| भहान कवि कासरदास औय कफीय बी सशयीर की तयह फऩयिाह अनासकत औय सयस थ तबी उनदहोन इतनी सनददय यचनाएॉ सॊसाय को दीॊ| गाॉधीजी क वमनदकतति भ बी कोभरता औय कठोयता का अदभत सॊगभ था | रखक सोचता ह कक हभाय दश भ जो भाय-काट अनदगनदाह रट-ऩाट खन-खचचय का फिॊडय ह कमा िह दश को नदसथय नहीॊ यहन दगा गराभी अशाॊनत औय वियोधी िाताियण क फीच अऩन ससदधाॊतो की या कयत हए गाॉधीजी जी नदसथय यह सक थ तो दश बी यह सकता ह जीन की परफर असबरारा क कायण

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विरभ ऩरयनदसथतमो भ बी महद सशयीर णखर सकता ह तो हभाया दश बी विरभ ऩरयनदसथनतमो भ नदसथय यह कय विकास कय सकता ह

परशन1-लसदध कीजजए कक लशयीष कारजमी अवधत की बाॉनत जीवन की अजमता क भॊतर का परचाय कयता ह

उततय- सशयीर कारजमी अिधत की बाॉनत जीिन की अजमता क भॊतर का परचाय कयता ह| जफ ऩथिी अनदगन क सभान तऩ यही होती ह िह तफ बी कोभर परो स रदा रहरहाता यहता ह|फाहयी गयभी धऩ िराय आॉधी र उस परबावित नहीॊ कयती इतना ही नहीॊ िह रॊफ सभम तक णखरा यहता ह | सशयीर विऩयीत ऩरयनदसथनतमो भ बी धमयशीर यहन तथा अऩनी अजम नदजजीविरा क साथ ननसऩह बाि स परचॊड गयभी भ बी अविचर खड़ा यहता ह

परशन२-आयगवध (अभरतास) की तरना लशयीष स कमो नहीॊ की जा सकती

उततय- सशयीर क पर बमॊकय गयभी भ णखरत ह औय आराढ़ तक णखरत यहत ह जफकक अभरतास का पर किर ऩनददरह-फीस हदनो क सरए णखरता ह | उसक फाद अभरतास क पर झड़ जात ह औय ऩड़ कपय स ठॉठ का ठॉठ हो जाता ह | अभरतास अलऩजीिी ह | विऩयीत ऩरयनदसथनतमो को झरता हआ ऊरषण िाताियण को हॉसकय झरता हआ सशयीर दीघयजीिी यहता ह | मही कायण ह कक सशयीर की तरना अभरतास स नहीॊ की जा सकती |

परशन३-लशयीष क परो को याजनताओॊ का रऩक कमो ठदमा गमा ह

उततय- सशयीर क पर उन फढ़ ढीठ औय ऩयान याजनताओॊ क परतीक ह जो अऩनी कसी नहीॊ छोड़ना चाहत | अऩनी अधधकाय-सरपसा क सरए नए मिा नताओॊ को आग नहीॊ आन दत | सशयीर क नए परो को जफयदसती ऩयान परो को धककमाना ऩड़ता ह | याजनीनत भ बी नई मिा ऩीढ़ी ऩयानी ऩीढ़ी को हयाकय सिमॊ सतता सॉबार रती ह |

परशन४- कार दवता की भाय स फचन का कमा उऩाम फतामा गमा ह

उततय- कार दिता कक भाय स फचन का अथय हndash भतम स फचना | इसका एकभातर उऩाम मह ह कक भनरषम नदसथय न हो| गनतशीर ऩरयितयनशीर यह | रखक क अनसाय नदजनकी चतना सदा ऊधियभखी (आधमातभ की ओय) यहती ह ि हटक जात ह |

परशन५- गाॉधीजी औय लशयीष की सभानता परकट कीजजए |

उततय- नदजस परकाय सशयीर धचरधचराती धऩ र िराय औय आॉधी भ बी अविचर खड़ा यहता ह अनासकत यहकय अऩन िाताियण स यस खीॊचकय सयस कोभर फना यहता ह उसी परकाय गाॉधी जी न बी अऩनी आॉखो क साभन आजादी क सॊगराभ भ अनदमाम बदबाि औय हहॊसा को झरा |

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उनक कोभर भन भ एक ओय ननयीह जनता क परनत असीभ करणा जागी िहीॊ ि अनदमामी शासन क वियोध भ डटकय खड़ हो गए |

गदमाॊश-आधारयत अथटगरहण सॊफॊधधत परशनोततय

गदमाॊश सॊकत- ऩाठ ndash सशयीर क पर (ऩरषठ १४७)

कासरदास सौदमय क िह इशाया ह |

(क) कालरदास की सौदमटndashदजषट की कमा पवशषता थी उततय-कासरदास की सौदमयndashदनदरषट फहत सकषभ अॊतबदी औय सॊऩणय थी| ि किर फाहयी रऩ-यॊग औय आकाय को ही नहीॊ दखत थ फनदलक अॊतभयन की सॊदयता क बी ऩायखी थ| कासरदास की सौदमय शायीरयक औय भानससक दोनो विशरताओॊ स मकत था |

(ख) अनासजकत का कमा आशम ह उततय- अनासनदकत का आशम ह- वमनदकतगत सख-द ख औय याग-दिर स ऩय यहकय सौदमय क िासतविक भभय को जानना |

(ग) कालरदास ऩॊत औय यवीॊिनाथ टगोय भ कौन सा गण सभान था भहाकवि कासरदास ससभतरानॊदन ऩॊत औय गरदि यिीॊदरनाथ टगोय तीनो नदसथयपरऻ औय अनासकत कवि थ | ि सशयीर क सभान सयस औय भसत अिधत थ |

(घ) यवीॊिनाथ याजोदमान क लसॊहदवाय क फाय भ कमा सॊदश दत ह याजोदमान क फाय भ यिीॊदरनाथ कहत ह याजोदमान का ससॊहदिाय ककतना ही सॊदय औय गगनचमफी कमो ना हो िह अॊनतभ ऩड़ाि नहीॊ ह| उसका सौदमय ककसी औय उचचतभ सौदमय की ओय ककमा गमा सॊकत भातर ह कक असरी सौदमय इस ऩाय कयन क फाद ह अत याजोदमान का ससॊहदिाय हभ आग फढ़न की परयणा दता ह |

18शरभ-पवबाजन औय जानत-परथा

िॉ० बीभयाव अॊफिकय

सायाॊश ndash इस ऩाठ भ रखक न जानतिाद क आधाय ऩय ककए जान िार बदबाि को सभम सभाज क सरए हाननकायक फतामा ह | जानत आधारयत शरभ विबाजन को असिाबाविक औय भानिता वियोधी फतामा गमा ह मह साभानदजक बदबाि को फढ़ाता ह जानतपरथा आधारयत शरभ विबाजन भ वमनदकत की रधच को भहतति नहीॊ हदमा जाता परसिरऩ वििशता क साथ अऩनाए

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Page 40: ISSUED BY KENDRIYA VIDYALAYA - DOWNLOADED FROM … Class XII Hindi Part B.pdfप्रश्न४ :-फादर क / फयन का गयीफ एि धनी िगय क्मा

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परशन१- वषाट न होन ऩय रोगो की कमा जसथनत हो गमी थी उततय - िराय न होन ऩय गयभी क कायण रोग र रगन स फहोश होन रग | गाॉि-शहय सबी जगह ऩानी का अबाि हो गमा| कएॉ सख गए खतो की सभटटी सखकय ऩतथय क सभान कठोय होकय पट गमी| घयो भ नरो भ ऩानी फहत कभ आता था | ऩश पमास क भाय भयन रग थ | परशन२- वषाट क दवता कौन ह उनको परसनन कयन क लरए कमा उऩाम ककए जात थ उततय -िराय क दिता बगिान इनददर ह| उनको परसनदन कयन क सरए ऩजाndashऩाठ कथा-विधान कयाए जात थ | ताकक इनददर दि परसनदन होकय फादरो की सना बजकय झभाझभ फारयश कयाएॉ औय रोगो क करषट दय हो | परशन३- वषाट कयान क अॊनतभ उऩाम क रऩ भ कमा ककमा जाता था उततय ndashजफ ऩजा-ऩाठ कथा-विधान सफ कयक रोग हाय जात थ तफ अॊनतभ उऩाम क रऩ भ इनददय सना आती थी | नॊग-धडॊग कीचड़ भ रथऩथ lsquoकार भघा ऩानी द ऩानी द गड़धानी दrsquo की टय रगाकय पमास स सखत गरो औय सखत खतो क सरए भघो को ऩकायती हई टोरी फनाकय ननकर ऩड़ती थी| परशन४-आशम सऩषट कय ndash जठ क दसतऩा फीतकय आराढ़ का ऩहरा ऩखिाड़ा फीत चका होता ऩय कषनतज भ कहीॊ फादरो की यख बी नजय नहीॊ आती | आशम- जठ का भहीना ह बीरण गयभी ह| तऩत हए दस हदन फीत कय आराढ का भहीना बी आधा फीत गमा ऩय ऩानी क सरए तड़ऩत िराय की आशा भ आसभान की ओय ताकत रोगो को कहीॊ फादर नजय नहीॊ आ यह |

14 ऩहरवान की ढोरक

फ़णीशवयनाथ यण

ऩाि का सायाॊश ndashआॊचसरक कथाकाय िणीशियनाथ यण की कहानी ऩहरिान की ढोरक भ कहानी क भखम ऩातर रटटन क भाता-वऩता का दहाॊत उसक फचऩन भ ही हो गमा था | अनाथ रटटन को उसकी विधिा सास न ऩार-ऩोसकय फड़ा ककमा | उसकी सास को गाॉि िार सतात थ |

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रोगो स फदरा रन क सरए कशती क दाॉिऩच सीखकय कसयत कयक रटटन ऩहरिान फन गमा |

एक फाय रटटन शमाभनगय भरा दखन गमा जहाॉ ढोर की आिाज औय कशती क दाॉिऩच दखकय उसन जोश भ आकय नाभी ऩहरिान चाॉदससॊह को चनौती द दी | ढोर की आिाज स परयणा ऩाकय रटटन न दाॉि रगाकय चाॉद ससॊह को ऩटककय हया हदमा औय याज ऩहरिान फन गमा | उसकी खमानत दय-दय तक िर गमी| १५ िरो तक ऩहरिान अजम फना यहा| उसक दो ऩतर थ| रटटन न दोनो फटो को बी ऩहरिानी क गय ससखाए| याजा की भतम क फाद नए याजकभाय न गददी सॊबारी याजकभाय को घोड़ो की यस का शौक था भनजय न नम याजा को बड़कामा ऩहरिान औय उसक दोनो फटो क बोजनखचय को बमानक औय किजरखचय फतामा िरसिरऩ नए याजा न कशती को फॊद कयिा हदमा औय ऩहरिान रटटनससॊह को उसक दोनो फटो क साथ भहर स ननकार हदमा

याजदयफाय स ननकार हदए जान क फाद रटटन ससॊह अऩन दोनो फटो क साथ गाॉि भ झोऩड़ी फनाकय यहन रगा औय गाॉि क रड़को को कशती ससखान रगा| रटटन का सकर जमादा हदन नहीॊ चरा औय जीविकोऩाजयन क सरए उसक दोनो फटो को भजदयी कयनी ऩड़ी| इसी दौयान गाॉि भ अकार औय भहाभायी क कायण परनतहदन राश उठन रगी| ऩहरिान भहाभायी स डय हए रोगो को ढोरक फजाकय फीभायी स रड़न की सॊजीिनी ताकत दता था| एक हदन ऩहरिान क दोनो फट बी भहाभायी की चऩट भ आकय भय गए ऩय उस यात बी ऩहरिान ढोरक फजाकय रोगो को हहमभत फॊधा यहा था | इस घटना क चाय-ऩाॉच हदन फाद ऩहरिान की बी भौत हो जाती ह|

ऩहरिान की ढोरक वमिसथा क फदरन क साथ रोक कराकाय क अपरासॊधगक हो जान की कहानी ह इस कहानी भ रटटन नाभ क ऩहरिान की हहमभत औय नदजजीविरा का िणयन ककमा गमा ह बख औय भहाभायी अजम रटटन की ऩहरिानी को िट ढोर भ फदर दत ह इस करण तरासदी भ ऩहरिान रटटन कई सिार छोड़ जाता ह कक करा का कोई सितॊतर अनदसतति ह मा करा किर वमिसथा की भोहताज ह

परशन1- रटटन को ऩहरवान फनन की परयणा कस लभरी

उततय- रटटन जफ नौ सार का था तो उसक भाता-वऩता का दहाॊत हो गमा था | सौबागम स उसकी शादी हो चकी थी| अनाथ रटटन को उसकी विधिा सास न ऩार-ऩोसकय फड़ा ककमा | उसकी सास को गाॉि िार ऩयशान कयत थ| रोगो स फदरा रन क सरए उसन ऩहरिान फनन की ठानी| धायोरषण दध ऩीकय कसयत कय उसन अऩना फदन गठीरा औय ताकतिय फना सरमा | कशती क दाॉिऩच सीखकय रटटन ऩहरिान फन गमा |

परशन2- यात क बमानक सननाट भ रटटन की ढोरक कमा करयशभा कयती थी

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उततय- यात क बमानक सनदनाट भरटटन की ढोरक भहाभायी स जझत रोगो को हहमभत फॉधाती थी | ढोरक की आिाज स यात की विबीवरका औय सनदनाटा कभ होता था| भहाभायी स ऩीडड़त रोगो की नसो भ बफजरी सी दौड़ जाती थी उनकी आॉखो क साभन दॊगर का दशम साकाय हो जाता था औय ि अऩनी ऩीड़ा बर खशी-खशी भौत को गर रगा रत थ इस परकाय ढोर की आिाज फीभाय-भतपराम गाॉििारो की नसो भ सॊजीिनी शनदकत को बय फीभायी स रड़न की परयणा दती थी

परशन3- रटटन न सवाटधधक ठहमभत कफ ठदखाई

उततय- रटटन ससॊह न सिायधधक हहमभत तफ हदखाई जफ दोनो फटो की भतम ऩय िह योमा नहीॊ फनदलक हहमभत स काभ रकय अकर उनका अॊनतभ सॊसकाय ककमा| मही नहीॊ नदजस हदन ऩहरिान क दोनो फट भहाभायी की चऩट भ आकय भय गए ऩय उस यात को बी ऩहरिान ढोरक फजाकय रोगो को हहमभत फॉधा यहा था| शमाभनगय क दॊगर भ ऩया जनसभदाम चाॉद ससॊह क ऩ भ था चाॉद ससॊह को हयात सभम रटटन न हहमभत हदखाई औय बफना हताश हए दॊगर भ चाॉद ससॊह को धचत कय हदमा |

परशन4- रटटन लसॊह याज ऩहरवान कस फना

उततय- शमाभनगय क याजा कशती क शौकीन थ उनदहोन दॊगर का आमोजन ककमा ऩहरिान रटटन ससॊह बी दॊगर दखन ऩहॉचा चाॊदससॊह नाभक ऩहरिान जो शय क फचच क नाभ स परससदध था कोई बी ऩहरिान उसस सबड़न की हहमभत नहीॊ कयता था चाॉदससॊह अखाड़ भ अकरा गयज यहा था रटटन ससॊह न चाॉदससॊह को चनौती द दी औय चाॉदससॊह स सबड़ गमाढ़ोर की आिाज सनकय रटटन की नस-नस भ जोश बय गमाउसन चाॉदससॊह को चायो खान धचत कय हदमा याजासाहफ न रटटन की िीयता स परबावित होकय उस याजऩहरिान फना हदमा

परशन5- ऩहरवान की अॊनतभ इचछा कमा थी

उततय- ऩहरिान की अॊनतभ इचछा थी कक उस धचता ऩय ऩट क फर सरटामा जाए कमोकक िह नदजॊदगी भ कबी धचत नहीॊ हआ था| उसकी दसयी इचछा थी कक उसकी धचता को आग दत सभम ढोर अिशम फजामा जाए |

परशन6- ढोर की आवाज औय रटटन क भ दाॉिऩच सॊफॊध फताइए-

उततय- ढोर की आिाज औय रटटन क दाॉिऩच भ सॊफॊध -

चट धा धगड़ धाrarr आजा सबड़ जा | चटाक चट धाrarr उठाकय ऩटक द | चट धगड़ धाrarrभत डयना |

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धाक धधना नतयकट नतनाrarr दाॉि काटो फाहय हो जाओ | धधना धधना धधक धधनाrarr धचत कयो

गदमाॊश-आधारयत अथटगरहण-सॊफॊधधत परशनोततय

अॉधयी यात चऩचाऩ आॉस फहा यही थी | ननसतबधता करण सससककमो औय आहो को अऩन रदम भ ही फर ऩियक दफान की चरषटा कय यही थी | आकाश भ ताय चभक यह थ | ऩथिी ऩय कहीॊ परकाश का नाभ नहीॊ| आकाश स टट कय महद कोई बािक ताया ऩथिी ऩय आना बी चाहता तो उसकी जमोनत औय शनदकत यासत भ ही शर हो जाती थी | अनदम ताय उसकी बािकता अथिा असपरता ऩय णखरणखराकय हॉस ऩड़त थ | ससमायो का करॊ दन औय ऩचक की डयािनी आिाज यात की ननसतबधता को बॊग कयती थी | गाॉि की झोऩडडमो स कयाहन औय क कयन की आिाज हय याभ ह बगिान की टय सनाई ऩड़ती थी| फचच बी ननफयर कॊ ठो स भाॉ ndashभाॉ ऩकायकय यो ऩड़त थ |

(क) अॉधयी यात को आॉस फहात हए कमो ठदखामा गमा ह उततयndash गाॉि भ हजा औय भररयमा परा हआ था | भहाभायी की चऩट भ आकाय रोग भय यह थ |चायो ओय भौत का सनाटा छामा था इससरए अॉधयी यात बी चऩचाऩ आॉस फहाती सी परतीत हो यही थी|

(ख) ताय क भाधमभ स रखक कमा कहना चाहता ह उततयndash ताय क भाधमभ स रखक कहना चाहता ह कक अकार औय भहाभायी स तरसत गाॉि िारो की ऩीड़ा को दय कयन िारा कोई नहीॊ था | परकनत बी गाॉि िारो क द ख स दखी थी| आकाश स टट कय महद कोई बािक ताया ऩथिी ऩय आना बी चाहता तो उसकी जमोनत औय शनदकत यासत भ ही शर हो जाती थी |

(ग) यात की ननसतबधता को कौन बॊग कयता था उततयndash ससमायो की चीख-ऩकाय ऩचक की डयािनी आिाज औय कततो का साभहहक रदन सभरकय यात क सनदनाट को बॊग कयत थ |

(घ) झोऩड़ड़मो स कसी आवाज आ यही ह औय कमो उततयndash झोऩडड़मो स योधगमो क कयाहन क कयन औय योन की आिाज आ यही ह कमोकक गाॉि क रोग भररयमा औय हज स ऩीडड़त थ | अकार क कायण अनदन की कभी हो गमी थी| औरधध औय ऩथम न सभरन क कायण रोगो की हारत इतनी फयी थी कक कोई बगिान को ऩकाय रगाता था तो कोई दफयर कॊ ठ स भाॉndashभाॉ ऩकायता था |

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15 चारी चजतरन मानी हभ सफ

रखक-पवषण खय

ऩाि का सायाॊश ndashचारक चनदपरन न हासम कराकाय क रऩ भ ऩयी दननमा क फहत फड़ दशयक िगय को हॉसामा ह | उनकी कपलभो न कपलभ करा को रोकताॊबतरक फनान क साथ-साथ दशको की िगय औय िणय-वमिसथा को बी तोड़ा | चारक न करा भ फवदध की अऩा बािना को भहतति हदमा ह | फचऩन क सॊघरो न चारक क बािी कपलभो की बसभ तमाय कय दी थी| बायतीम करा औय सौदमयशासतर भ करणा का हासम भ ऩरयितयन बायतीम ऩयमऩया भ नहीॊ सभरता रककन चारक एक ऐसा जादई वमनदकतति ह जो हय दश सॊसकनत औय सभमता को अऩना सा रगता ह| बायतीम जनता न बी उनदह सहज बाि स सिीकाय ककमा ह| सिमॊ ऩय हॉसना चारक न ही ससखामा| बायतीम ससनभा जगत क सपरससदध कराकाय याजकऩय को चारक का बायतीमकयण कहा गमा ह | चारक की अधधकाॊश किलभ भक ह इससरए उनदह अधधक भानिीम होना ऩड़ा | ऩाठ भ हासम कपलभो क भहान असबनता lsquoचारक चनदपरनrsquo की जादई विशरताओॊ का उलरख ककमा गमा ह नदजसभ उसन करणा औय हासम भ साभॊजसम सथावऩत कय किलभो को साियबौसभक रऩ परदान ककमा

परशन१ -चारी क जीवन ऩय परबाव िारन वारी भखम घटनाएॉ कौन सी थी

उततय- चारक क जीिन भ दो ऐसी घटनाएॉ घटीॊ नदजनदहोन उनक बािी जीिन ऩय फहत परबाि डारा |

ऩहरी घटना - जफ चारक फीभाय थ उनकी भाॉ उनदह ईसा भसीह की जीिनी ऩढ़कय सना यही थी | ईसा क सरी ऩय चढ़न क परसॊग तक आत-आत भाॉ-फटा दोनो ही योन रग| इस घटना न चारक को सनह करणा औय भानिता जस उचच जीिन भलम हदए |

दसयी घटना हndash फारक चारक कसाईखान क ऩास यहता था| िहाॉ सकड़ो जानियो को योज भाया जाता था| एक हदन एक बड़ िहाॉ स बाग ननकरी| बड़ को ऩकड़न की कोसशश भ कसाई कई फाय कपसरा| नदजस दखकय रोग हॊसन रग ठहाक रगान रग| जफ बड़ को कसाई न ऩकड़ सरमा तो फारक चारक योन रगा| इस घटना न उसक बािी कपलभो भ तरासदी औय हासमोतऩादक ततिो की बसभका तम कय दी |

परशन२ ndash आशम सऩषट कीजजएndash

चजतरन न लसपट कपलभकरा को ही रोकताॊबतरक नही फनामा फजलक दशटको की वगट तथा वणट-वमवसथा को बी तोड़ा|

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उततय- रोकताॊबतरक फनान का अथय ह कक कपलभ करा को सबी क सरए रोकवपरम फनाना औय िगय औय िणय-वमिसथा को तोड़न का आशम ह- सभाज भ परचसरत अभीय-गयीफ िणय जानतधभय क बदबाि को सभापत कयना |चनदपरन का चभतकाय मह ह कक उनदहोन कपलभकरा को बफना ककसी बदबाि क सबी रोगो तक ऩहॉचामा| उनकी कपलभो न सभम बगोर औय सॊसकनतमो की सीभाओॊ को राॉघ कय साियबौसभक रोकवपरमता हाससर की | चारक न मह ससदध कय हदमा कक करा सितनदतर होती ह अऩन ससदधाॊत सिमॊ फनाती ह |

परशन३ndash चारी चजतरन की कपलभो भ ननठहत तरासदीकरणाहासम का साभॊजसम बायतीम करा औय सौदमटशासतर की ऩरयधध भ कमो नहीॊ आता

उततय- चारक चनदपरन की कपलभो भ ननहहत तरासदीकरणाहासम का साभॊजसम बायतीम करा औय सौदमयशासतर की ऩरयधध भ नहीॊ आताकमोकक बायतीम यस-ससदधाॊत भ करणा औय हासम का भर नहीॊ हदखामा जाता कमोकक बायतीम सौदमयशासतर भ करणयस औय हासम यस को ऩयसऩय वियोधी भाना गमा ह अथायत जहाॊ करणा ह िहाॉ हासम नहीॊ हो सकता बायत भ सिमॊ ऩय हॉसन की ऩयॊऩया नहीॊ ह ऩयॊत चारक क ऩातर अऩन ऩय हॉसतndashहॉसात ह चारक की किलभो क दशम हॉसात-हॉसात ररा दत ह तो कबी करण दशम क फाद अचानक ही हॉसन ऩय भजफय कय दत ह

परशन४ndash चारी क कपलभो की पवशषताएॉ फताइए |

उततय- चारक की किलभो भ हासम औय करणा का अदभत साभॊजसम ह उनकी किलभो भ बारा का परमोग फहत कभ ह चारक की किलभो भ फवदध की अऩा बािना का भहतति अधधक ह उनकी किलभो भ साियबौसभकता ह चारक ककसी बी सॊसकनत को विदशी नही रगत चारक सफको अऩन रगत ह चारक न किलभो को रोकताॊबतरक फनामा औय किलभो भ िगय तथािणय-वमिसथा को तोड़ा अऩनी कपलभो भ चारक सदि धचय मिा हदखता ह

गदमाॊश-आधारयत अथटगरहण-सॊफॊधी परशनोततय

गदमाॊश सॊकत ndashचारक चनदपरन मानी हभ सफ (ऩरषठ १२० )

महद मह िरय चनदपरन की कापी कछ कहा जाएगा |

परशन (क)-पवकासशीर दशो भ चजतरन कमो भशहय हो यह ह

उततय - विकासशीर दशो भ जस-जस टरीविजन औय िीडडमो का परसाय हो यहा ह रोगो को उनकी कपलभो को दखन का अिसय सभर यहा ह |एक फहत फड़ा िगय नए ससय स चारक को घड़ी सधायत औय जत खान की कोसशश कयत दख यहा ह इसीसरए चारक विकासशीर दशो भ रोकवपरम हो यह ह |

(ख)- ऩजशचभ भ चारी का ऩनजीवन कस होता यहता ह

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उततय - ऩनदशचभ भ चारक की कपलभो का परदशयन होता यहता ह| उनकी करा स परयणा ऩाकय हासम किलभ फनती यहती ह | उनक दिाया ननबाए ककयदायो की नकर अनदम कराकाय कयत ह | ऩनदशचभ भ चारक का ऩनजीिन होता यहता ह|

(ग)- चारी को रोग फिाऩ तक कमो माद यखग

उततय ndashहासम कराकाय क रऩ भ रोग चारक को फढ़ाऩ तक माद यखग कमोकक उनकी करा सभम बगोर औय सॊसकनतमो की सीभाओॊ को राॉघकय राखो रोगो को हॉसा यही ह|

(घ)- चारी की कपलभो क फाय भ कापी कछ कहा जाना कमो फाी ह

उततय ndashचनदपरन की ऐसी कछ किलभ मा इसतभार न की गमी यीर सभरी ह नदजनक फाय भ कोई नहीॊ जानता था | चारक की बािनापरधान हासम कपलभो न करा क नए परनतभान सथावऩत ककए ह अत चारक की कपलभो क फाय भ अबी कापी कछ कहा जाना फाी ह|

16 नभक

रखखका - यजजमा सजजाद जहीय

सायाॊश -lsquoनभकrsquoबायत-ऩाक विबाजन ऩय सरणखत भासभयक कहानी ह | विसथावऩत हए रोगो भ अऩनndashअऩन जनदभ सथानो क परनत आज बी रगाि ह| धासभयक आधाय ऩय फनी यारषर-याजमो की सीभा-यखाएॉ उनक अॊतभयन को अरग नहीॊ कय ऩाई ह | बायत भ यहन िारी ससख फीिी राहौय को अऩना ितन भानती ह औय बायतीम कसटभ अधधकायी ढाका क नारयमर ऩानी को मादकय उस सियशररषठ फताता ह दोनो दशो क नागरयको क फीच भहबफत का नभकीन सिाद आज बी कामभ ह इसीसरए सकिमा बायत भ यहन िारी अऩनी भॉहफोरी भाॉ ससख फीिी क सरए राहौयी नभक रान क सरए कसटभ औय कानन की ऩयिाह नहीॊ कयती

परशन1- lsquoनभकrsquo ऩाि क आधाय ऩय फताइए कक सकपमा औय उसक बाई क पवचायो भ कमा अॊतय था

उततय- १-सकपमा बािनाओॊ को फहतभहतति दती ह ऩय उसका बाई फौवदधक परिनदतत का ह उसकी दनदरषट भ कानन बािनाओॊ स ऊऩय ह|

२-सकपमा भानिीम सॊफॊधो को फहत भहतति दती ह जफकक उसका बाई अरगाििादी विचायधाया का ह हहसस-फखय की फात कयता ह |

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३-सकपमा का बाई कहता ह कक अदीफो(साहहतमकाय) का हदभाग घभा हआ होता ह जफकक सकपमा जो सिमॊ अदीफ ह उसका भानना ह कक अगय सबी रोगो का हदभाग अदीफो की तयह घभा हआ होता तो दननमा कछ फहतय हो जाती |

परशन२- नभक र जात सभम सकफ़मा क भन भ कमा दपवधा थी

उततय-सकपमा समद भसरभान थी जो हय हार भ अऩना िामदा ननबात ह| ऩाककसतान स राहौयी नभक र जाकय िह अऩना िामदा ऩया कयना चाहती थी ऩयनदत जफ उस ऩता चरा कक कसटभ क ननमभो क अनसाय सीभाऩाय नभक र जाना िनदजयत ह तो िह दविधा भ ऩड़ गई | सकिमा का दिॊदि मह था कक िह अऩनी ससख भाॉ क सरए नभक कसटभ अधधकारयमो को फताकयर जाए मा नछऩाकय|

परशन३- ऩाि क आधाय ऩय सकपमा की चारयबतरक पवशषताएॉ फताइए |

उततय सॊकत ndash

१- बािक २- ईभानदाय ३- दढ़ननशचमी ४- ननडय ५- िामद को ननबान िारी ६- भानिीम भलमो को सिोऩरय भानन िारी साहहतमकाय

परशन ४- lsquoनभकrsquo ऩाि भ आए ककयदायो क भाधमभ स सऩषट कीजजए कक आज बी बायत औय ऩाककसतान की जनता क फीच भहबफत का नभकीन सवाद घरा हआ ह |

उततय ndash बर ही याजनीनतक औय धासभयक आधाय ऩय बायत औय ऩाककसतान को बौगोसरक रऩ स विबानदजत कय हदमा गमा ह रककन दोनो दशो क रोगो क रदम भ आज बी ऩायसऩरयक बाईचाया सौहादरय सनह औय सहानबनत विदमभान ह | याजनीनतक तौय ऩय बर ही सॊफॊध तनािऩणय हो ऩय साभानदजक तौय ऩय आज बी जनता क फीच भहबफत का नभकीन सिाद घरा हआ ह | अभतसय भ यहन िारी ससख फीफी राहौय को अऩना ितन कहती ह औय राहौयी नभक का सिाद नहीॊ बरा ऩाती | ऩाककसतान का कसटभ अधधकायी नभक की ऩडड़मा सकपमा को िाऩस दत हए कहता ह rdquoजाभा भनदसजद की सीहढ़मो को भया सराभ कहना |rdquo बायतीम सीभा ऩय तनात कसटभ अधधकायी ढाका की जभीन को औय िहाॉ क ऩानी क सिाद को नहीॊ बर ऩाता |

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गदमाॊश-आधारयत अथटगरहण सॊफॊधधत परशनोततय

गदमाॊश सॊकत- ऩाठndash नभक (ऩरषठ १३४)

सकपमा कसटभ क जॊगर स दोनो क हाथो भ थी |

(क) सकपमा कसटभ क जॉगर स ननकरकय दसय तरटपाभट ऩय आ गमी व वहीॊ खड़ यहndash इस वाकम भ lsquoवrsquo शबद का परमोग ककसक लरए ककमा गमा ह

उततय- महाॉ lsquoिrsquo शबद का परमोग ऩाककसतानी कसटभ अधधकायी क सरए ककमा गमा ह जो विबाजन स ऩिय हदलरी भ यहत थ औय आज बी हदलरी को ही अऩना ितन भानत ह |

(ख) तरटपाभट ऩय सकपमा को पवदा कयन कौन-कौन आए थ उनहोन सकपमा को कस पवदाई दी

उततय- परटपाभय ऩय सकपमा को विदा कयन उसक फहत साय सभतर सग सॊफॊधी औय बाई आए थ| उनदहोन ठॊडी साॉस बयत हए सबॊच हए होठो क साथ आॉस फहात हए सकपमा को विदाई दी |

(ग) अटायी भ यरगाड़ी भ कमा ऩरयवतटन हए उततय- अटायी भ यरगाड़ी स ऩाककसतानी ऩसरस उतयी औय हहनददसतानी ऩसरस सिाय हो गई|

(घ) कौन सी फात सकपमा की सभझ भ नहीॊ आ यही थी उततय- दोनो ओय एक सी जभीन एक जसा आसभान एक सी बारा एक सा ऩहनािा औय एक सी सयत क रोग कपय बी दोनो क हाथो भ बयी हई फॊदक ह |

17 लशयीष क पर

आचामट हजायी परसाद दपववदी

सायाॊश ndashlsquoआचामय हजायी परसाद दवििदीrsquo सशयीर को अदभत अिधत भानत ह कमोकक सॊनदमासी की बाॉनत िह सख-दख की धचॊता नहीॊ कयता गभी र िराय औय आॉधी भ बी अविचर खड़ा यहता ह सशयीर क िर क भाधमभ स भनरषम की अजम नदजजीविरा धमयशीरता औय कतयवमननरषठ फन यहन क भानिीम भलमो को सथावऩत ककमा गमा हरखक न सशयीर क कोभर परो औय कठोय परो क दिाया सऩरषट ककमा ह कक रदम की कोभरता फचान क सरए कबी-कबी वमिहाय की कठोयता बी आिशमक हो जाती ह| भहान कवि कासरदास औय कफीय बी सशयीर की तयह फऩयिाह अनासकत औय सयस थ तबी उनदहोन इतनी सनददय यचनाएॉ सॊसाय को दीॊ| गाॉधीजी क वमनदकतति भ बी कोभरता औय कठोयता का अदभत सॊगभ था | रखक सोचता ह कक हभाय दश भ जो भाय-काट अनदगनदाह रट-ऩाट खन-खचचय का फिॊडय ह कमा िह दश को नदसथय नहीॊ यहन दगा गराभी अशाॊनत औय वियोधी िाताियण क फीच अऩन ससदधाॊतो की या कयत हए गाॉधीजी जी नदसथय यह सक थ तो दश बी यह सकता ह जीन की परफर असबरारा क कायण

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विरभ ऩरयनदसथतमो भ बी महद सशयीर णखर सकता ह तो हभाया दश बी विरभ ऩरयनदसथनतमो भ नदसथय यह कय विकास कय सकता ह

परशन1-लसदध कीजजए कक लशयीष कारजमी अवधत की बाॉनत जीवन की अजमता क भॊतर का परचाय कयता ह

उततय- सशयीर कारजमी अिधत की बाॉनत जीिन की अजमता क भॊतर का परचाय कयता ह| जफ ऩथिी अनदगन क सभान तऩ यही होती ह िह तफ बी कोभर परो स रदा रहरहाता यहता ह|फाहयी गयभी धऩ िराय आॉधी र उस परबावित नहीॊ कयती इतना ही नहीॊ िह रॊफ सभम तक णखरा यहता ह | सशयीर विऩयीत ऩरयनदसथनतमो भ बी धमयशीर यहन तथा अऩनी अजम नदजजीविरा क साथ ननसऩह बाि स परचॊड गयभी भ बी अविचर खड़ा यहता ह

परशन२-आयगवध (अभरतास) की तरना लशयीष स कमो नहीॊ की जा सकती

उततय- सशयीर क पर बमॊकय गयभी भ णखरत ह औय आराढ़ तक णखरत यहत ह जफकक अभरतास का पर किर ऩनददरह-फीस हदनो क सरए णखरता ह | उसक फाद अभरतास क पर झड़ जात ह औय ऩड़ कपय स ठॉठ का ठॉठ हो जाता ह | अभरतास अलऩजीिी ह | विऩयीत ऩरयनदसथनतमो को झरता हआ ऊरषण िाताियण को हॉसकय झरता हआ सशयीर दीघयजीिी यहता ह | मही कायण ह कक सशयीर की तरना अभरतास स नहीॊ की जा सकती |

परशन३-लशयीष क परो को याजनताओॊ का रऩक कमो ठदमा गमा ह

उततय- सशयीर क पर उन फढ़ ढीठ औय ऩयान याजनताओॊ क परतीक ह जो अऩनी कसी नहीॊ छोड़ना चाहत | अऩनी अधधकाय-सरपसा क सरए नए मिा नताओॊ को आग नहीॊ आन दत | सशयीर क नए परो को जफयदसती ऩयान परो को धककमाना ऩड़ता ह | याजनीनत भ बी नई मिा ऩीढ़ी ऩयानी ऩीढ़ी को हयाकय सिमॊ सतता सॉबार रती ह |

परशन४- कार दवता की भाय स फचन का कमा उऩाम फतामा गमा ह

उततय- कार दिता कक भाय स फचन का अथय हndash भतम स फचना | इसका एकभातर उऩाम मह ह कक भनरषम नदसथय न हो| गनतशीर ऩरयितयनशीर यह | रखक क अनसाय नदजनकी चतना सदा ऊधियभखी (आधमातभ की ओय) यहती ह ि हटक जात ह |

परशन५- गाॉधीजी औय लशयीष की सभानता परकट कीजजए |

उततय- नदजस परकाय सशयीर धचरधचराती धऩ र िराय औय आॉधी भ बी अविचर खड़ा यहता ह अनासकत यहकय अऩन िाताियण स यस खीॊचकय सयस कोभर फना यहता ह उसी परकाय गाॉधी जी न बी अऩनी आॉखो क साभन आजादी क सॊगराभ भ अनदमाम बदबाि औय हहॊसा को झरा |

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उनक कोभर भन भ एक ओय ननयीह जनता क परनत असीभ करणा जागी िहीॊ ि अनदमामी शासन क वियोध भ डटकय खड़ हो गए |

गदमाॊश-आधारयत अथटगरहण सॊफॊधधत परशनोततय

गदमाॊश सॊकत- ऩाठ ndash सशयीर क पर (ऩरषठ १४७)

कासरदास सौदमय क िह इशाया ह |

(क) कालरदास की सौदमटndashदजषट की कमा पवशषता थी उततय-कासरदास की सौदमयndashदनदरषट फहत सकषभ अॊतबदी औय सॊऩणय थी| ि किर फाहयी रऩ-यॊग औय आकाय को ही नहीॊ दखत थ फनदलक अॊतभयन की सॊदयता क बी ऩायखी थ| कासरदास की सौदमय शायीरयक औय भानससक दोनो विशरताओॊ स मकत था |

(ख) अनासजकत का कमा आशम ह उततय- अनासनदकत का आशम ह- वमनदकतगत सख-द ख औय याग-दिर स ऩय यहकय सौदमय क िासतविक भभय को जानना |

(ग) कालरदास ऩॊत औय यवीॊिनाथ टगोय भ कौन सा गण सभान था भहाकवि कासरदास ससभतरानॊदन ऩॊत औय गरदि यिीॊदरनाथ टगोय तीनो नदसथयपरऻ औय अनासकत कवि थ | ि सशयीर क सभान सयस औय भसत अिधत थ |

(घ) यवीॊिनाथ याजोदमान क लसॊहदवाय क फाय भ कमा सॊदश दत ह याजोदमान क फाय भ यिीॊदरनाथ कहत ह याजोदमान का ससॊहदिाय ककतना ही सॊदय औय गगनचमफी कमो ना हो िह अॊनतभ ऩड़ाि नहीॊ ह| उसका सौदमय ककसी औय उचचतभ सौदमय की ओय ककमा गमा सॊकत भातर ह कक असरी सौदमय इस ऩाय कयन क फाद ह अत याजोदमान का ससॊहदिाय हभ आग फढ़न की परयणा दता ह |

18शरभ-पवबाजन औय जानत-परथा

िॉ० बीभयाव अॊफिकय

सायाॊश ndash इस ऩाठ भ रखक न जानतिाद क आधाय ऩय ककए जान िार बदबाि को सभम सभाज क सरए हाननकायक फतामा ह | जानत आधारयत शरभ विबाजन को असिाबाविक औय भानिता वियोधी फतामा गमा ह मह साभानदजक बदबाि को फढ़ाता ह जानतपरथा आधारयत शरभ विबाजन भ वमनदकत की रधच को भहतति नहीॊ हदमा जाता परसिरऩ वििशता क साथ अऩनाए

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Page 41: ISSUED BY KENDRIYA VIDYALAYA - DOWNLOADED FROM … Class XII Hindi Part B.pdfप्रश्न४ :-फादर क / फयन का गयीफ एि धनी िगय क्मा

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रोगो स फदरा रन क सरए कशती क दाॉिऩच सीखकय कसयत कयक रटटन ऩहरिान फन गमा |

एक फाय रटटन शमाभनगय भरा दखन गमा जहाॉ ढोर की आिाज औय कशती क दाॉिऩच दखकय उसन जोश भ आकय नाभी ऩहरिान चाॉदससॊह को चनौती द दी | ढोर की आिाज स परयणा ऩाकय रटटन न दाॉि रगाकय चाॉद ससॊह को ऩटककय हया हदमा औय याज ऩहरिान फन गमा | उसकी खमानत दय-दय तक िर गमी| १५ िरो तक ऩहरिान अजम फना यहा| उसक दो ऩतर थ| रटटन न दोनो फटो को बी ऩहरिानी क गय ससखाए| याजा की भतम क फाद नए याजकभाय न गददी सॊबारी याजकभाय को घोड़ो की यस का शौक था भनजय न नम याजा को बड़कामा ऩहरिान औय उसक दोनो फटो क बोजनखचय को बमानक औय किजरखचय फतामा िरसिरऩ नए याजा न कशती को फॊद कयिा हदमा औय ऩहरिान रटटनससॊह को उसक दोनो फटो क साथ भहर स ननकार हदमा

याजदयफाय स ननकार हदए जान क फाद रटटन ससॊह अऩन दोनो फटो क साथ गाॉि भ झोऩड़ी फनाकय यहन रगा औय गाॉि क रड़को को कशती ससखान रगा| रटटन का सकर जमादा हदन नहीॊ चरा औय जीविकोऩाजयन क सरए उसक दोनो फटो को भजदयी कयनी ऩड़ी| इसी दौयान गाॉि भ अकार औय भहाभायी क कायण परनतहदन राश उठन रगी| ऩहरिान भहाभायी स डय हए रोगो को ढोरक फजाकय फीभायी स रड़न की सॊजीिनी ताकत दता था| एक हदन ऩहरिान क दोनो फट बी भहाभायी की चऩट भ आकय भय गए ऩय उस यात बी ऩहरिान ढोरक फजाकय रोगो को हहमभत फॊधा यहा था | इस घटना क चाय-ऩाॉच हदन फाद ऩहरिान की बी भौत हो जाती ह|

ऩहरिान की ढोरक वमिसथा क फदरन क साथ रोक कराकाय क अपरासॊधगक हो जान की कहानी ह इस कहानी भ रटटन नाभ क ऩहरिान की हहमभत औय नदजजीविरा का िणयन ककमा गमा ह बख औय भहाभायी अजम रटटन की ऩहरिानी को िट ढोर भ फदर दत ह इस करण तरासदी भ ऩहरिान रटटन कई सिार छोड़ जाता ह कक करा का कोई सितॊतर अनदसतति ह मा करा किर वमिसथा की भोहताज ह

परशन1- रटटन को ऩहरवान फनन की परयणा कस लभरी

उततय- रटटन जफ नौ सार का था तो उसक भाता-वऩता का दहाॊत हो गमा था | सौबागम स उसकी शादी हो चकी थी| अनाथ रटटन को उसकी विधिा सास न ऩार-ऩोसकय फड़ा ककमा | उसकी सास को गाॉि िार ऩयशान कयत थ| रोगो स फदरा रन क सरए उसन ऩहरिान फनन की ठानी| धायोरषण दध ऩीकय कसयत कय उसन अऩना फदन गठीरा औय ताकतिय फना सरमा | कशती क दाॉिऩच सीखकय रटटन ऩहरिान फन गमा |

परशन2- यात क बमानक सननाट भ रटटन की ढोरक कमा करयशभा कयती थी

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उततय- यात क बमानक सनदनाट भरटटन की ढोरक भहाभायी स जझत रोगो को हहमभत फॉधाती थी | ढोरक की आिाज स यात की विबीवरका औय सनदनाटा कभ होता था| भहाभायी स ऩीडड़त रोगो की नसो भ बफजरी सी दौड़ जाती थी उनकी आॉखो क साभन दॊगर का दशम साकाय हो जाता था औय ि अऩनी ऩीड़ा बर खशी-खशी भौत को गर रगा रत थ इस परकाय ढोर की आिाज फीभाय-भतपराम गाॉििारो की नसो भ सॊजीिनी शनदकत को बय फीभायी स रड़न की परयणा दती थी

परशन3- रटटन न सवाटधधक ठहमभत कफ ठदखाई

उततय- रटटन ससॊह न सिायधधक हहमभत तफ हदखाई जफ दोनो फटो की भतम ऩय िह योमा नहीॊ फनदलक हहमभत स काभ रकय अकर उनका अॊनतभ सॊसकाय ककमा| मही नहीॊ नदजस हदन ऩहरिान क दोनो फट भहाभायी की चऩट भ आकय भय गए ऩय उस यात को बी ऩहरिान ढोरक फजाकय रोगो को हहमभत फॉधा यहा था| शमाभनगय क दॊगर भ ऩया जनसभदाम चाॉद ससॊह क ऩ भ था चाॉद ससॊह को हयात सभम रटटन न हहमभत हदखाई औय बफना हताश हए दॊगर भ चाॉद ससॊह को धचत कय हदमा |

परशन4- रटटन लसॊह याज ऩहरवान कस फना

उततय- शमाभनगय क याजा कशती क शौकीन थ उनदहोन दॊगर का आमोजन ककमा ऩहरिान रटटन ससॊह बी दॊगर दखन ऩहॉचा चाॊदससॊह नाभक ऩहरिान जो शय क फचच क नाभ स परससदध था कोई बी ऩहरिान उसस सबड़न की हहमभत नहीॊ कयता था चाॉदससॊह अखाड़ भ अकरा गयज यहा था रटटन ससॊह न चाॉदससॊह को चनौती द दी औय चाॉदससॊह स सबड़ गमाढ़ोर की आिाज सनकय रटटन की नस-नस भ जोश बय गमाउसन चाॉदससॊह को चायो खान धचत कय हदमा याजासाहफ न रटटन की िीयता स परबावित होकय उस याजऩहरिान फना हदमा

परशन5- ऩहरवान की अॊनतभ इचछा कमा थी

उततय- ऩहरिान की अॊनतभ इचछा थी कक उस धचता ऩय ऩट क फर सरटामा जाए कमोकक िह नदजॊदगी भ कबी धचत नहीॊ हआ था| उसकी दसयी इचछा थी कक उसकी धचता को आग दत सभम ढोर अिशम फजामा जाए |

परशन6- ढोर की आवाज औय रटटन क भ दाॉिऩच सॊफॊध फताइए-

उततय- ढोर की आिाज औय रटटन क दाॉिऩच भ सॊफॊध -

चट धा धगड़ धाrarr आजा सबड़ जा | चटाक चट धाrarr उठाकय ऩटक द | चट धगड़ धाrarrभत डयना |

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धाक धधना नतयकट नतनाrarr दाॉि काटो फाहय हो जाओ | धधना धधना धधक धधनाrarr धचत कयो

गदमाॊश-आधारयत अथटगरहण-सॊफॊधधत परशनोततय

अॉधयी यात चऩचाऩ आॉस फहा यही थी | ननसतबधता करण सससककमो औय आहो को अऩन रदम भ ही फर ऩियक दफान की चरषटा कय यही थी | आकाश भ ताय चभक यह थ | ऩथिी ऩय कहीॊ परकाश का नाभ नहीॊ| आकाश स टट कय महद कोई बािक ताया ऩथिी ऩय आना बी चाहता तो उसकी जमोनत औय शनदकत यासत भ ही शर हो जाती थी | अनदम ताय उसकी बािकता अथिा असपरता ऩय णखरणखराकय हॉस ऩड़त थ | ससमायो का करॊ दन औय ऩचक की डयािनी आिाज यात की ननसतबधता को बॊग कयती थी | गाॉि की झोऩडडमो स कयाहन औय क कयन की आिाज हय याभ ह बगिान की टय सनाई ऩड़ती थी| फचच बी ननफयर कॊ ठो स भाॉ ndashभाॉ ऩकायकय यो ऩड़त थ |

(क) अॉधयी यात को आॉस फहात हए कमो ठदखामा गमा ह उततयndash गाॉि भ हजा औय भररयमा परा हआ था | भहाभायी की चऩट भ आकाय रोग भय यह थ |चायो ओय भौत का सनाटा छामा था इससरए अॉधयी यात बी चऩचाऩ आॉस फहाती सी परतीत हो यही थी|

(ख) ताय क भाधमभ स रखक कमा कहना चाहता ह उततयndash ताय क भाधमभ स रखक कहना चाहता ह कक अकार औय भहाभायी स तरसत गाॉि िारो की ऩीड़ा को दय कयन िारा कोई नहीॊ था | परकनत बी गाॉि िारो क द ख स दखी थी| आकाश स टट कय महद कोई बािक ताया ऩथिी ऩय आना बी चाहता तो उसकी जमोनत औय शनदकत यासत भ ही शर हो जाती थी |

(ग) यात की ननसतबधता को कौन बॊग कयता था उततयndash ससमायो की चीख-ऩकाय ऩचक की डयािनी आिाज औय कततो का साभहहक रदन सभरकय यात क सनदनाट को बॊग कयत थ |

(घ) झोऩड़ड़मो स कसी आवाज आ यही ह औय कमो उततयndash झोऩडड़मो स योधगमो क कयाहन क कयन औय योन की आिाज आ यही ह कमोकक गाॉि क रोग भररयमा औय हज स ऩीडड़त थ | अकार क कायण अनदन की कभी हो गमी थी| औरधध औय ऩथम न सभरन क कायण रोगो की हारत इतनी फयी थी कक कोई बगिान को ऩकाय रगाता था तो कोई दफयर कॊ ठ स भाॉndashभाॉ ऩकायता था |

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15 चारी चजतरन मानी हभ सफ

रखक-पवषण खय

ऩाि का सायाॊश ndashचारक चनदपरन न हासम कराकाय क रऩ भ ऩयी दननमा क फहत फड़ दशयक िगय को हॉसामा ह | उनकी कपलभो न कपलभ करा को रोकताॊबतरक फनान क साथ-साथ दशको की िगय औय िणय-वमिसथा को बी तोड़ा | चारक न करा भ फवदध की अऩा बािना को भहतति हदमा ह | फचऩन क सॊघरो न चारक क बािी कपलभो की बसभ तमाय कय दी थी| बायतीम करा औय सौदमयशासतर भ करणा का हासम भ ऩरयितयन बायतीम ऩयमऩया भ नहीॊ सभरता रककन चारक एक ऐसा जादई वमनदकतति ह जो हय दश सॊसकनत औय सभमता को अऩना सा रगता ह| बायतीम जनता न बी उनदह सहज बाि स सिीकाय ककमा ह| सिमॊ ऩय हॉसना चारक न ही ससखामा| बायतीम ससनभा जगत क सपरससदध कराकाय याजकऩय को चारक का बायतीमकयण कहा गमा ह | चारक की अधधकाॊश किलभ भक ह इससरए उनदह अधधक भानिीम होना ऩड़ा | ऩाठ भ हासम कपलभो क भहान असबनता lsquoचारक चनदपरनrsquo की जादई विशरताओॊ का उलरख ककमा गमा ह नदजसभ उसन करणा औय हासम भ साभॊजसम सथावऩत कय किलभो को साियबौसभक रऩ परदान ककमा

परशन१ -चारी क जीवन ऩय परबाव िारन वारी भखम घटनाएॉ कौन सी थी

उततय- चारक क जीिन भ दो ऐसी घटनाएॉ घटीॊ नदजनदहोन उनक बािी जीिन ऩय फहत परबाि डारा |

ऩहरी घटना - जफ चारक फीभाय थ उनकी भाॉ उनदह ईसा भसीह की जीिनी ऩढ़कय सना यही थी | ईसा क सरी ऩय चढ़न क परसॊग तक आत-आत भाॉ-फटा दोनो ही योन रग| इस घटना न चारक को सनह करणा औय भानिता जस उचच जीिन भलम हदए |

दसयी घटना हndash फारक चारक कसाईखान क ऩास यहता था| िहाॉ सकड़ो जानियो को योज भाया जाता था| एक हदन एक बड़ िहाॉ स बाग ननकरी| बड़ को ऩकड़न की कोसशश भ कसाई कई फाय कपसरा| नदजस दखकय रोग हॊसन रग ठहाक रगान रग| जफ बड़ को कसाई न ऩकड़ सरमा तो फारक चारक योन रगा| इस घटना न उसक बािी कपलभो भ तरासदी औय हासमोतऩादक ततिो की बसभका तम कय दी |

परशन२ ndash आशम सऩषट कीजजएndash

चजतरन न लसपट कपलभकरा को ही रोकताॊबतरक नही फनामा फजलक दशटको की वगट तथा वणट-वमवसथा को बी तोड़ा|

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उततय- रोकताॊबतरक फनान का अथय ह कक कपलभ करा को सबी क सरए रोकवपरम फनाना औय िगय औय िणय-वमिसथा को तोड़न का आशम ह- सभाज भ परचसरत अभीय-गयीफ िणय जानतधभय क बदबाि को सभापत कयना |चनदपरन का चभतकाय मह ह कक उनदहोन कपलभकरा को बफना ककसी बदबाि क सबी रोगो तक ऩहॉचामा| उनकी कपलभो न सभम बगोर औय सॊसकनतमो की सीभाओॊ को राॉघ कय साियबौसभक रोकवपरमता हाससर की | चारक न मह ससदध कय हदमा कक करा सितनदतर होती ह अऩन ससदधाॊत सिमॊ फनाती ह |

परशन३ndash चारी चजतरन की कपलभो भ ननठहत तरासदीकरणाहासम का साभॊजसम बायतीम करा औय सौदमटशासतर की ऩरयधध भ कमो नहीॊ आता

उततय- चारक चनदपरन की कपलभो भ ननहहत तरासदीकरणाहासम का साभॊजसम बायतीम करा औय सौदमयशासतर की ऩरयधध भ नहीॊ आताकमोकक बायतीम यस-ससदधाॊत भ करणा औय हासम का भर नहीॊ हदखामा जाता कमोकक बायतीम सौदमयशासतर भ करणयस औय हासम यस को ऩयसऩय वियोधी भाना गमा ह अथायत जहाॊ करणा ह िहाॉ हासम नहीॊ हो सकता बायत भ सिमॊ ऩय हॉसन की ऩयॊऩया नहीॊ ह ऩयॊत चारक क ऩातर अऩन ऩय हॉसतndashहॉसात ह चारक की किलभो क दशम हॉसात-हॉसात ररा दत ह तो कबी करण दशम क फाद अचानक ही हॉसन ऩय भजफय कय दत ह

परशन४ndash चारी क कपलभो की पवशषताएॉ फताइए |

उततय- चारक की किलभो भ हासम औय करणा का अदभत साभॊजसम ह उनकी किलभो भ बारा का परमोग फहत कभ ह चारक की किलभो भ फवदध की अऩा बािना का भहतति अधधक ह उनकी किलभो भ साियबौसभकता ह चारक ककसी बी सॊसकनत को विदशी नही रगत चारक सफको अऩन रगत ह चारक न किलभो को रोकताॊबतरक फनामा औय किलभो भ िगय तथािणय-वमिसथा को तोड़ा अऩनी कपलभो भ चारक सदि धचय मिा हदखता ह

गदमाॊश-आधारयत अथटगरहण-सॊफॊधी परशनोततय

गदमाॊश सॊकत ndashचारक चनदपरन मानी हभ सफ (ऩरषठ १२० )

महद मह िरय चनदपरन की कापी कछ कहा जाएगा |

परशन (क)-पवकासशीर दशो भ चजतरन कमो भशहय हो यह ह

उततय - विकासशीर दशो भ जस-जस टरीविजन औय िीडडमो का परसाय हो यहा ह रोगो को उनकी कपलभो को दखन का अिसय सभर यहा ह |एक फहत फड़ा िगय नए ससय स चारक को घड़ी सधायत औय जत खान की कोसशश कयत दख यहा ह इसीसरए चारक विकासशीर दशो भ रोकवपरम हो यह ह |

(ख)- ऩजशचभ भ चारी का ऩनजीवन कस होता यहता ह

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उततय - ऩनदशचभ भ चारक की कपलभो का परदशयन होता यहता ह| उनकी करा स परयणा ऩाकय हासम किलभ फनती यहती ह | उनक दिाया ननबाए ककयदायो की नकर अनदम कराकाय कयत ह | ऩनदशचभ भ चारक का ऩनजीिन होता यहता ह|

(ग)- चारी को रोग फिाऩ तक कमो माद यखग

उततय ndashहासम कराकाय क रऩ भ रोग चारक को फढ़ाऩ तक माद यखग कमोकक उनकी करा सभम बगोर औय सॊसकनतमो की सीभाओॊ को राॉघकय राखो रोगो को हॉसा यही ह|

(घ)- चारी की कपलभो क फाय भ कापी कछ कहा जाना कमो फाी ह

उततय ndashचनदपरन की ऐसी कछ किलभ मा इसतभार न की गमी यीर सभरी ह नदजनक फाय भ कोई नहीॊ जानता था | चारक की बािनापरधान हासम कपलभो न करा क नए परनतभान सथावऩत ककए ह अत चारक की कपलभो क फाय भ अबी कापी कछ कहा जाना फाी ह|

16 नभक

रखखका - यजजमा सजजाद जहीय

सायाॊश -lsquoनभकrsquoबायत-ऩाक विबाजन ऩय सरणखत भासभयक कहानी ह | विसथावऩत हए रोगो भ अऩनndashअऩन जनदभ सथानो क परनत आज बी रगाि ह| धासभयक आधाय ऩय फनी यारषर-याजमो की सीभा-यखाएॉ उनक अॊतभयन को अरग नहीॊ कय ऩाई ह | बायत भ यहन िारी ससख फीिी राहौय को अऩना ितन भानती ह औय बायतीम कसटभ अधधकायी ढाका क नारयमर ऩानी को मादकय उस सियशररषठ फताता ह दोनो दशो क नागरयको क फीच भहबफत का नभकीन सिाद आज बी कामभ ह इसीसरए सकिमा बायत भ यहन िारी अऩनी भॉहफोरी भाॉ ससख फीिी क सरए राहौयी नभक रान क सरए कसटभ औय कानन की ऩयिाह नहीॊ कयती

परशन1- lsquoनभकrsquo ऩाि क आधाय ऩय फताइए कक सकपमा औय उसक बाई क पवचायो भ कमा अॊतय था

उततय- १-सकपमा बािनाओॊ को फहतभहतति दती ह ऩय उसका बाई फौवदधक परिनदतत का ह उसकी दनदरषट भ कानन बािनाओॊ स ऊऩय ह|

२-सकपमा भानिीम सॊफॊधो को फहत भहतति दती ह जफकक उसका बाई अरगाििादी विचायधाया का ह हहसस-फखय की फात कयता ह |

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३-सकपमा का बाई कहता ह कक अदीफो(साहहतमकाय) का हदभाग घभा हआ होता ह जफकक सकपमा जो सिमॊ अदीफ ह उसका भानना ह कक अगय सबी रोगो का हदभाग अदीफो की तयह घभा हआ होता तो दननमा कछ फहतय हो जाती |

परशन२- नभक र जात सभम सकफ़मा क भन भ कमा दपवधा थी

उततय-सकपमा समद भसरभान थी जो हय हार भ अऩना िामदा ननबात ह| ऩाककसतान स राहौयी नभक र जाकय िह अऩना िामदा ऩया कयना चाहती थी ऩयनदत जफ उस ऩता चरा कक कसटभ क ननमभो क अनसाय सीभाऩाय नभक र जाना िनदजयत ह तो िह दविधा भ ऩड़ गई | सकिमा का दिॊदि मह था कक िह अऩनी ससख भाॉ क सरए नभक कसटभ अधधकारयमो को फताकयर जाए मा नछऩाकय|

परशन३- ऩाि क आधाय ऩय सकपमा की चारयबतरक पवशषताएॉ फताइए |

उततय सॊकत ndash

१- बािक २- ईभानदाय ३- दढ़ननशचमी ४- ननडय ५- िामद को ननबान िारी ६- भानिीम भलमो को सिोऩरय भानन िारी साहहतमकाय

परशन ४- lsquoनभकrsquo ऩाि भ आए ककयदायो क भाधमभ स सऩषट कीजजए कक आज बी बायत औय ऩाककसतान की जनता क फीच भहबफत का नभकीन सवाद घरा हआ ह |

उततय ndash बर ही याजनीनतक औय धासभयक आधाय ऩय बायत औय ऩाककसतान को बौगोसरक रऩ स विबानदजत कय हदमा गमा ह रककन दोनो दशो क रोगो क रदम भ आज बी ऩायसऩरयक बाईचाया सौहादरय सनह औय सहानबनत विदमभान ह | याजनीनतक तौय ऩय बर ही सॊफॊध तनािऩणय हो ऩय साभानदजक तौय ऩय आज बी जनता क फीच भहबफत का नभकीन सिाद घरा हआ ह | अभतसय भ यहन िारी ससख फीफी राहौय को अऩना ितन कहती ह औय राहौयी नभक का सिाद नहीॊ बरा ऩाती | ऩाककसतान का कसटभ अधधकायी नभक की ऩडड़मा सकपमा को िाऩस दत हए कहता ह rdquoजाभा भनदसजद की सीहढ़मो को भया सराभ कहना |rdquo बायतीम सीभा ऩय तनात कसटभ अधधकायी ढाका की जभीन को औय िहाॉ क ऩानी क सिाद को नहीॊ बर ऩाता |

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गदमाॊश-आधारयत अथटगरहण सॊफॊधधत परशनोततय

गदमाॊश सॊकत- ऩाठndash नभक (ऩरषठ १३४)

सकपमा कसटभ क जॊगर स दोनो क हाथो भ थी |

(क) सकपमा कसटभ क जॉगर स ननकरकय दसय तरटपाभट ऩय आ गमी व वहीॊ खड़ यहndash इस वाकम भ lsquoवrsquo शबद का परमोग ककसक लरए ककमा गमा ह

उततय- महाॉ lsquoिrsquo शबद का परमोग ऩाककसतानी कसटभ अधधकायी क सरए ककमा गमा ह जो विबाजन स ऩिय हदलरी भ यहत थ औय आज बी हदलरी को ही अऩना ितन भानत ह |

(ख) तरटपाभट ऩय सकपमा को पवदा कयन कौन-कौन आए थ उनहोन सकपमा को कस पवदाई दी

उततय- परटपाभय ऩय सकपमा को विदा कयन उसक फहत साय सभतर सग सॊफॊधी औय बाई आए थ| उनदहोन ठॊडी साॉस बयत हए सबॊच हए होठो क साथ आॉस फहात हए सकपमा को विदाई दी |

(ग) अटायी भ यरगाड़ी भ कमा ऩरयवतटन हए उततय- अटायी भ यरगाड़ी स ऩाककसतानी ऩसरस उतयी औय हहनददसतानी ऩसरस सिाय हो गई|

(घ) कौन सी फात सकपमा की सभझ भ नहीॊ आ यही थी उततय- दोनो ओय एक सी जभीन एक जसा आसभान एक सी बारा एक सा ऩहनािा औय एक सी सयत क रोग कपय बी दोनो क हाथो भ बयी हई फॊदक ह |

17 लशयीष क पर

आचामट हजायी परसाद दपववदी

सायाॊश ndashlsquoआचामय हजायी परसाद दवििदीrsquo सशयीर को अदभत अिधत भानत ह कमोकक सॊनदमासी की बाॉनत िह सख-दख की धचॊता नहीॊ कयता गभी र िराय औय आॉधी भ बी अविचर खड़ा यहता ह सशयीर क िर क भाधमभ स भनरषम की अजम नदजजीविरा धमयशीरता औय कतयवमननरषठ फन यहन क भानिीम भलमो को सथावऩत ककमा गमा हरखक न सशयीर क कोभर परो औय कठोय परो क दिाया सऩरषट ककमा ह कक रदम की कोभरता फचान क सरए कबी-कबी वमिहाय की कठोयता बी आिशमक हो जाती ह| भहान कवि कासरदास औय कफीय बी सशयीर की तयह फऩयिाह अनासकत औय सयस थ तबी उनदहोन इतनी सनददय यचनाएॉ सॊसाय को दीॊ| गाॉधीजी क वमनदकतति भ बी कोभरता औय कठोयता का अदभत सॊगभ था | रखक सोचता ह कक हभाय दश भ जो भाय-काट अनदगनदाह रट-ऩाट खन-खचचय का फिॊडय ह कमा िह दश को नदसथय नहीॊ यहन दगा गराभी अशाॊनत औय वियोधी िाताियण क फीच अऩन ससदधाॊतो की या कयत हए गाॉधीजी जी नदसथय यह सक थ तो दश बी यह सकता ह जीन की परफर असबरारा क कायण

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विरभ ऩरयनदसथतमो भ बी महद सशयीर णखर सकता ह तो हभाया दश बी विरभ ऩरयनदसथनतमो भ नदसथय यह कय विकास कय सकता ह

परशन1-लसदध कीजजए कक लशयीष कारजमी अवधत की बाॉनत जीवन की अजमता क भॊतर का परचाय कयता ह

उततय- सशयीर कारजमी अिधत की बाॉनत जीिन की अजमता क भॊतर का परचाय कयता ह| जफ ऩथिी अनदगन क सभान तऩ यही होती ह िह तफ बी कोभर परो स रदा रहरहाता यहता ह|फाहयी गयभी धऩ िराय आॉधी र उस परबावित नहीॊ कयती इतना ही नहीॊ िह रॊफ सभम तक णखरा यहता ह | सशयीर विऩयीत ऩरयनदसथनतमो भ बी धमयशीर यहन तथा अऩनी अजम नदजजीविरा क साथ ननसऩह बाि स परचॊड गयभी भ बी अविचर खड़ा यहता ह

परशन२-आयगवध (अभरतास) की तरना लशयीष स कमो नहीॊ की जा सकती

उततय- सशयीर क पर बमॊकय गयभी भ णखरत ह औय आराढ़ तक णखरत यहत ह जफकक अभरतास का पर किर ऩनददरह-फीस हदनो क सरए णखरता ह | उसक फाद अभरतास क पर झड़ जात ह औय ऩड़ कपय स ठॉठ का ठॉठ हो जाता ह | अभरतास अलऩजीिी ह | विऩयीत ऩरयनदसथनतमो को झरता हआ ऊरषण िाताियण को हॉसकय झरता हआ सशयीर दीघयजीिी यहता ह | मही कायण ह कक सशयीर की तरना अभरतास स नहीॊ की जा सकती |

परशन३-लशयीष क परो को याजनताओॊ का रऩक कमो ठदमा गमा ह

उततय- सशयीर क पर उन फढ़ ढीठ औय ऩयान याजनताओॊ क परतीक ह जो अऩनी कसी नहीॊ छोड़ना चाहत | अऩनी अधधकाय-सरपसा क सरए नए मिा नताओॊ को आग नहीॊ आन दत | सशयीर क नए परो को जफयदसती ऩयान परो को धककमाना ऩड़ता ह | याजनीनत भ बी नई मिा ऩीढ़ी ऩयानी ऩीढ़ी को हयाकय सिमॊ सतता सॉबार रती ह |

परशन४- कार दवता की भाय स फचन का कमा उऩाम फतामा गमा ह

उततय- कार दिता कक भाय स फचन का अथय हndash भतम स फचना | इसका एकभातर उऩाम मह ह कक भनरषम नदसथय न हो| गनतशीर ऩरयितयनशीर यह | रखक क अनसाय नदजनकी चतना सदा ऊधियभखी (आधमातभ की ओय) यहती ह ि हटक जात ह |

परशन५- गाॉधीजी औय लशयीष की सभानता परकट कीजजए |

उततय- नदजस परकाय सशयीर धचरधचराती धऩ र िराय औय आॉधी भ बी अविचर खड़ा यहता ह अनासकत यहकय अऩन िाताियण स यस खीॊचकय सयस कोभर फना यहता ह उसी परकाय गाॉधी जी न बी अऩनी आॉखो क साभन आजादी क सॊगराभ भ अनदमाम बदबाि औय हहॊसा को झरा |

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उनक कोभर भन भ एक ओय ननयीह जनता क परनत असीभ करणा जागी िहीॊ ि अनदमामी शासन क वियोध भ डटकय खड़ हो गए |

गदमाॊश-आधारयत अथटगरहण सॊफॊधधत परशनोततय

गदमाॊश सॊकत- ऩाठ ndash सशयीर क पर (ऩरषठ १४७)

कासरदास सौदमय क िह इशाया ह |

(क) कालरदास की सौदमटndashदजषट की कमा पवशषता थी उततय-कासरदास की सौदमयndashदनदरषट फहत सकषभ अॊतबदी औय सॊऩणय थी| ि किर फाहयी रऩ-यॊग औय आकाय को ही नहीॊ दखत थ फनदलक अॊतभयन की सॊदयता क बी ऩायखी थ| कासरदास की सौदमय शायीरयक औय भानससक दोनो विशरताओॊ स मकत था |

(ख) अनासजकत का कमा आशम ह उततय- अनासनदकत का आशम ह- वमनदकतगत सख-द ख औय याग-दिर स ऩय यहकय सौदमय क िासतविक भभय को जानना |

(ग) कालरदास ऩॊत औय यवीॊिनाथ टगोय भ कौन सा गण सभान था भहाकवि कासरदास ससभतरानॊदन ऩॊत औय गरदि यिीॊदरनाथ टगोय तीनो नदसथयपरऻ औय अनासकत कवि थ | ि सशयीर क सभान सयस औय भसत अिधत थ |

(घ) यवीॊिनाथ याजोदमान क लसॊहदवाय क फाय भ कमा सॊदश दत ह याजोदमान क फाय भ यिीॊदरनाथ कहत ह याजोदमान का ससॊहदिाय ककतना ही सॊदय औय गगनचमफी कमो ना हो िह अॊनतभ ऩड़ाि नहीॊ ह| उसका सौदमय ककसी औय उचचतभ सौदमय की ओय ककमा गमा सॊकत भातर ह कक असरी सौदमय इस ऩाय कयन क फाद ह अत याजोदमान का ससॊहदिाय हभ आग फढ़न की परयणा दता ह |

18शरभ-पवबाजन औय जानत-परथा

िॉ० बीभयाव अॊफिकय

सायाॊश ndash इस ऩाठ भ रखक न जानतिाद क आधाय ऩय ककए जान िार बदबाि को सभम सभाज क सरए हाननकायक फतामा ह | जानत आधारयत शरभ विबाजन को असिाबाविक औय भानिता वियोधी फतामा गमा ह मह साभानदजक बदबाि को फढ़ाता ह जानतपरथा आधारयत शरभ विबाजन भ वमनदकत की रधच को भहतति नहीॊ हदमा जाता परसिरऩ वििशता क साथ अऩनाए

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Page 42: ISSUED BY KENDRIYA VIDYALAYA - DOWNLOADED FROM … Class XII Hindi Part B.pdfप्रश्न४ :-फादर क / फयन का गयीफ एि धनी िगय क्मा

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उततय- यात क बमानक सनदनाट भरटटन की ढोरक भहाभायी स जझत रोगो को हहमभत फॉधाती थी | ढोरक की आिाज स यात की विबीवरका औय सनदनाटा कभ होता था| भहाभायी स ऩीडड़त रोगो की नसो भ बफजरी सी दौड़ जाती थी उनकी आॉखो क साभन दॊगर का दशम साकाय हो जाता था औय ि अऩनी ऩीड़ा बर खशी-खशी भौत को गर रगा रत थ इस परकाय ढोर की आिाज फीभाय-भतपराम गाॉििारो की नसो भ सॊजीिनी शनदकत को बय फीभायी स रड़न की परयणा दती थी

परशन3- रटटन न सवाटधधक ठहमभत कफ ठदखाई

उततय- रटटन ससॊह न सिायधधक हहमभत तफ हदखाई जफ दोनो फटो की भतम ऩय िह योमा नहीॊ फनदलक हहमभत स काभ रकय अकर उनका अॊनतभ सॊसकाय ककमा| मही नहीॊ नदजस हदन ऩहरिान क दोनो फट भहाभायी की चऩट भ आकय भय गए ऩय उस यात को बी ऩहरिान ढोरक फजाकय रोगो को हहमभत फॉधा यहा था| शमाभनगय क दॊगर भ ऩया जनसभदाम चाॉद ससॊह क ऩ भ था चाॉद ससॊह को हयात सभम रटटन न हहमभत हदखाई औय बफना हताश हए दॊगर भ चाॉद ससॊह को धचत कय हदमा |

परशन4- रटटन लसॊह याज ऩहरवान कस फना

उततय- शमाभनगय क याजा कशती क शौकीन थ उनदहोन दॊगर का आमोजन ककमा ऩहरिान रटटन ससॊह बी दॊगर दखन ऩहॉचा चाॊदससॊह नाभक ऩहरिान जो शय क फचच क नाभ स परससदध था कोई बी ऩहरिान उसस सबड़न की हहमभत नहीॊ कयता था चाॉदससॊह अखाड़ भ अकरा गयज यहा था रटटन ससॊह न चाॉदससॊह को चनौती द दी औय चाॉदससॊह स सबड़ गमाढ़ोर की आिाज सनकय रटटन की नस-नस भ जोश बय गमाउसन चाॉदससॊह को चायो खान धचत कय हदमा याजासाहफ न रटटन की िीयता स परबावित होकय उस याजऩहरिान फना हदमा

परशन5- ऩहरवान की अॊनतभ इचछा कमा थी

उततय- ऩहरिान की अॊनतभ इचछा थी कक उस धचता ऩय ऩट क फर सरटामा जाए कमोकक िह नदजॊदगी भ कबी धचत नहीॊ हआ था| उसकी दसयी इचछा थी कक उसकी धचता को आग दत सभम ढोर अिशम फजामा जाए |

परशन6- ढोर की आवाज औय रटटन क भ दाॉिऩच सॊफॊध फताइए-

उततय- ढोर की आिाज औय रटटन क दाॉिऩच भ सॊफॊध -

चट धा धगड़ धाrarr आजा सबड़ जा | चटाक चट धाrarr उठाकय ऩटक द | चट धगड़ धाrarrभत डयना |

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धाक धधना नतयकट नतनाrarr दाॉि काटो फाहय हो जाओ | धधना धधना धधक धधनाrarr धचत कयो

गदमाॊश-आधारयत अथटगरहण-सॊफॊधधत परशनोततय

अॉधयी यात चऩचाऩ आॉस फहा यही थी | ननसतबधता करण सससककमो औय आहो को अऩन रदम भ ही फर ऩियक दफान की चरषटा कय यही थी | आकाश भ ताय चभक यह थ | ऩथिी ऩय कहीॊ परकाश का नाभ नहीॊ| आकाश स टट कय महद कोई बािक ताया ऩथिी ऩय आना बी चाहता तो उसकी जमोनत औय शनदकत यासत भ ही शर हो जाती थी | अनदम ताय उसकी बािकता अथिा असपरता ऩय णखरणखराकय हॉस ऩड़त थ | ससमायो का करॊ दन औय ऩचक की डयािनी आिाज यात की ननसतबधता को बॊग कयती थी | गाॉि की झोऩडडमो स कयाहन औय क कयन की आिाज हय याभ ह बगिान की टय सनाई ऩड़ती थी| फचच बी ननफयर कॊ ठो स भाॉ ndashभाॉ ऩकायकय यो ऩड़त थ |

(क) अॉधयी यात को आॉस फहात हए कमो ठदखामा गमा ह उततयndash गाॉि भ हजा औय भररयमा परा हआ था | भहाभायी की चऩट भ आकाय रोग भय यह थ |चायो ओय भौत का सनाटा छामा था इससरए अॉधयी यात बी चऩचाऩ आॉस फहाती सी परतीत हो यही थी|

(ख) ताय क भाधमभ स रखक कमा कहना चाहता ह उततयndash ताय क भाधमभ स रखक कहना चाहता ह कक अकार औय भहाभायी स तरसत गाॉि िारो की ऩीड़ा को दय कयन िारा कोई नहीॊ था | परकनत बी गाॉि िारो क द ख स दखी थी| आकाश स टट कय महद कोई बािक ताया ऩथिी ऩय आना बी चाहता तो उसकी जमोनत औय शनदकत यासत भ ही शर हो जाती थी |

(ग) यात की ननसतबधता को कौन बॊग कयता था उततयndash ससमायो की चीख-ऩकाय ऩचक की डयािनी आिाज औय कततो का साभहहक रदन सभरकय यात क सनदनाट को बॊग कयत थ |

(घ) झोऩड़ड़मो स कसी आवाज आ यही ह औय कमो उततयndash झोऩडड़मो स योधगमो क कयाहन क कयन औय योन की आिाज आ यही ह कमोकक गाॉि क रोग भररयमा औय हज स ऩीडड़त थ | अकार क कायण अनदन की कभी हो गमी थी| औरधध औय ऩथम न सभरन क कायण रोगो की हारत इतनी फयी थी कक कोई बगिान को ऩकाय रगाता था तो कोई दफयर कॊ ठ स भाॉndashभाॉ ऩकायता था |

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15 चारी चजतरन मानी हभ सफ

रखक-पवषण खय

ऩाि का सायाॊश ndashचारक चनदपरन न हासम कराकाय क रऩ भ ऩयी दननमा क फहत फड़ दशयक िगय को हॉसामा ह | उनकी कपलभो न कपलभ करा को रोकताॊबतरक फनान क साथ-साथ दशको की िगय औय िणय-वमिसथा को बी तोड़ा | चारक न करा भ फवदध की अऩा बािना को भहतति हदमा ह | फचऩन क सॊघरो न चारक क बािी कपलभो की बसभ तमाय कय दी थी| बायतीम करा औय सौदमयशासतर भ करणा का हासम भ ऩरयितयन बायतीम ऩयमऩया भ नहीॊ सभरता रककन चारक एक ऐसा जादई वमनदकतति ह जो हय दश सॊसकनत औय सभमता को अऩना सा रगता ह| बायतीम जनता न बी उनदह सहज बाि स सिीकाय ककमा ह| सिमॊ ऩय हॉसना चारक न ही ससखामा| बायतीम ससनभा जगत क सपरससदध कराकाय याजकऩय को चारक का बायतीमकयण कहा गमा ह | चारक की अधधकाॊश किलभ भक ह इससरए उनदह अधधक भानिीम होना ऩड़ा | ऩाठ भ हासम कपलभो क भहान असबनता lsquoचारक चनदपरनrsquo की जादई विशरताओॊ का उलरख ककमा गमा ह नदजसभ उसन करणा औय हासम भ साभॊजसम सथावऩत कय किलभो को साियबौसभक रऩ परदान ककमा

परशन१ -चारी क जीवन ऩय परबाव िारन वारी भखम घटनाएॉ कौन सी थी

उततय- चारक क जीिन भ दो ऐसी घटनाएॉ घटीॊ नदजनदहोन उनक बािी जीिन ऩय फहत परबाि डारा |

ऩहरी घटना - जफ चारक फीभाय थ उनकी भाॉ उनदह ईसा भसीह की जीिनी ऩढ़कय सना यही थी | ईसा क सरी ऩय चढ़न क परसॊग तक आत-आत भाॉ-फटा दोनो ही योन रग| इस घटना न चारक को सनह करणा औय भानिता जस उचच जीिन भलम हदए |

दसयी घटना हndash फारक चारक कसाईखान क ऩास यहता था| िहाॉ सकड़ो जानियो को योज भाया जाता था| एक हदन एक बड़ िहाॉ स बाग ननकरी| बड़ को ऩकड़न की कोसशश भ कसाई कई फाय कपसरा| नदजस दखकय रोग हॊसन रग ठहाक रगान रग| जफ बड़ को कसाई न ऩकड़ सरमा तो फारक चारक योन रगा| इस घटना न उसक बािी कपलभो भ तरासदी औय हासमोतऩादक ततिो की बसभका तम कय दी |

परशन२ ndash आशम सऩषट कीजजएndash

चजतरन न लसपट कपलभकरा को ही रोकताॊबतरक नही फनामा फजलक दशटको की वगट तथा वणट-वमवसथा को बी तोड़ा|

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उततय- रोकताॊबतरक फनान का अथय ह कक कपलभ करा को सबी क सरए रोकवपरम फनाना औय िगय औय िणय-वमिसथा को तोड़न का आशम ह- सभाज भ परचसरत अभीय-गयीफ िणय जानतधभय क बदबाि को सभापत कयना |चनदपरन का चभतकाय मह ह कक उनदहोन कपलभकरा को बफना ककसी बदबाि क सबी रोगो तक ऩहॉचामा| उनकी कपलभो न सभम बगोर औय सॊसकनतमो की सीभाओॊ को राॉघ कय साियबौसभक रोकवपरमता हाससर की | चारक न मह ससदध कय हदमा कक करा सितनदतर होती ह अऩन ससदधाॊत सिमॊ फनाती ह |

परशन३ndash चारी चजतरन की कपलभो भ ननठहत तरासदीकरणाहासम का साभॊजसम बायतीम करा औय सौदमटशासतर की ऩरयधध भ कमो नहीॊ आता

उततय- चारक चनदपरन की कपलभो भ ननहहत तरासदीकरणाहासम का साभॊजसम बायतीम करा औय सौदमयशासतर की ऩरयधध भ नहीॊ आताकमोकक बायतीम यस-ससदधाॊत भ करणा औय हासम का भर नहीॊ हदखामा जाता कमोकक बायतीम सौदमयशासतर भ करणयस औय हासम यस को ऩयसऩय वियोधी भाना गमा ह अथायत जहाॊ करणा ह िहाॉ हासम नहीॊ हो सकता बायत भ सिमॊ ऩय हॉसन की ऩयॊऩया नहीॊ ह ऩयॊत चारक क ऩातर अऩन ऩय हॉसतndashहॉसात ह चारक की किलभो क दशम हॉसात-हॉसात ररा दत ह तो कबी करण दशम क फाद अचानक ही हॉसन ऩय भजफय कय दत ह

परशन४ndash चारी क कपलभो की पवशषताएॉ फताइए |

उततय- चारक की किलभो भ हासम औय करणा का अदभत साभॊजसम ह उनकी किलभो भ बारा का परमोग फहत कभ ह चारक की किलभो भ फवदध की अऩा बािना का भहतति अधधक ह उनकी किलभो भ साियबौसभकता ह चारक ककसी बी सॊसकनत को विदशी नही रगत चारक सफको अऩन रगत ह चारक न किलभो को रोकताॊबतरक फनामा औय किलभो भ िगय तथािणय-वमिसथा को तोड़ा अऩनी कपलभो भ चारक सदि धचय मिा हदखता ह

गदमाॊश-आधारयत अथटगरहण-सॊफॊधी परशनोततय

गदमाॊश सॊकत ndashचारक चनदपरन मानी हभ सफ (ऩरषठ १२० )

महद मह िरय चनदपरन की कापी कछ कहा जाएगा |

परशन (क)-पवकासशीर दशो भ चजतरन कमो भशहय हो यह ह

उततय - विकासशीर दशो भ जस-जस टरीविजन औय िीडडमो का परसाय हो यहा ह रोगो को उनकी कपलभो को दखन का अिसय सभर यहा ह |एक फहत फड़ा िगय नए ससय स चारक को घड़ी सधायत औय जत खान की कोसशश कयत दख यहा ह इसीसरए चारक विकासशीर दशो भ रोकवपरम हो यह ह |

(ख)- ऩजशचभ भ चारी का ऩनजीवन कस होता यहता ह

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उततय - ऩनदशचभ भ चारक की कपलभो का परदशयन होता यहता ह| उनकी करा स परयणा ऩाकय हासम किलभ फनती यहती ह | उनक दिाया ननबाए ककयदायो की नकर अनदम कराकाय कयत ह | ऩनदशचभ भ चारक का ऩनजीिन होता यहता ह|

(ग)- चारी को रोग फिाऩ तक कमो माद यखग

उततय ndashहासम कराकाय क रऩ भ रोग चारक को फढ़ाऩ तक माद यखग कमोकक उनकी करा सभम बगोर औय सॊसकनतमो की सीभाओॊ को राॉघकय राखो रोगो को हॉसा यही ह|

(घ)- चारी की कपलभो क फाय भ कापी कछ कहा जाना कमो फाी ह

उततय ndashचनदपरन की ऐसी कछ किलभ मा इसतभार न की गमी यीर सभरी ह नदजनक फाय भ कोई नहीॊ जानता था | चारक की बािनापरधान हासम कपलभो न करा क नए परनतभान सथावऩत ककए ह अत चारक की कपलभो क फाय भ अबी कापी कछ कहा जाना फाी ह|

16 नभक

रखखका - यजजमा सजजाद जहीय

सायाॊश -lsquoनभकrsquoबायत-ऩाक विबाजन ऩय सरणखत भासभयक कहानी ह | विसथावऩत हए रोगो भ अऩनndashअऩन जनदभ सथानो क परनत आज बी रगाि ह| धासभयक आधाय ऩय फनी यारषर-याजमो की सीभा-यखाएॉ उनक अॊतभयन को अरग नहीॊ कय ऩाई ह | बायत भ यहन िारी ससख फीिी राहौय को अऩना ितन भानती ह औय बायतीम कसटभ अधधकायी ढाका क नारयमर ऩानी को मादकय उस सियशररषठ फताता ह दोनो दशो क नागरयको क फीच भहबफत का नभकीन सिाद आज बी कामभ ह इसीसरए सकिमा बायत भ यहन िारी अऩनी भॉहफोरी भाॉ ससख फीिी क सरए राहौयी नभक रान क सरए कसटभ औय कानन की ऩयिाह नहीॊ कयती

परशन1- lsquoनभकrsquo ऩाि क आधाय ऩय फताइए कक सकपमा औय उसक बाई क पवचायो भ कमा अॊतय था

उततय- १-सकपमा बािनाओॊ को फहतभहतति दती ह ऩय उसका बाई फौवदधक परिनदतत का ह उसकी दनदरषट भ कानन बािनाओॊ स ऊऩय ह|

२-सकपमा भानिीम सॊफॊधो को फहत भहतति दती ह जफकक उसका बाई अरगाििादी विचायधाया का ह हहसस-फखय की फात कयता ह |

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३-सकपमा का बाई कहता ह कक अदीफो(साहहतमकाय) का हदभाग घभा हआ होता ह जफकक सकपमा जो सिमॊ अदीफ ह उसका भानना ह कक अगय सबी रोगो का हदभाग अदीफो की तयह घभा हआ होता तो दननमा कछ फहतय हो जाती |

परशन२- नभक र जात सभम सकफ़मा क भन भ कमा दपवधा थी

उततय-सकपमा समद भसरभान थी जो हय हार भ अऩना िामदा ननबात ह| ऩाककसतान स राहौयी नभक र जाकय िह अऩना िामदा ऩया कयना चाहती थी ऩयनदत जफ उस ऩता चरा कक कसटभ क ननमभो क अनसाय सीभाऩाय नभक र जाना िनदजयत ह तो िह दविधा भ ऩड़ गई | सकिमा का दिॊदि मह था कक िह अऩनी ससख भाॉ क सरए नभक कसटभ अधधकारयमो को फताकयर जाए मा नछऩाकय|

परशन३- ऩाि क आधाय ऩय सकपमा की चारयबतरक पवशषताएॉ फताइए |

उततय सॊकत ndash

१- बािक २- ईभानदाय ३- दढ़ननशचमी ४- ननडय ५- िामद को ननबान िारी ६- भानिीम भलमो को सिोऩरय भानन िारी साहहतमकाय

परशन ४- lsquoनभकrsquo ऩाि भ आए ककयदायो क भाधमभ स सऩषट कीजजए कक आज बी बायत औय ऩाककसतान की जनता क फीच भहबफत का नभकीन सवाद घरा हआ ह |

उततय ndash बर ही याजनीनतक औय धासभयक आधाय ऩय बायत औय ऩाककसतान को बौगोसरक रऩ स विबानदजत कय हदमा गमा ह रककन दोनो दशो क रोगो क रदम भ आज बी ऩायसऩरयक बाईचाया सौहादरय सनह औय सहानबनत विदमभान ह | याजनीनतक तौय ऩय बर ही सॊफॊध तनािऩणय हो ऩय साभानदजक तौय ऩय आज बी जनता क फीच भहबफत का नभकीन सिाद घरा हआ ह | अभतसय भ यहन िारी ससख फीफी राहौय को अऩना ितन कहती ह औय राहौयी नभक का सिाद नहीॊ बरा ऩाती | ऩाककसतान का कसटभ अधधकायी नभक की ऩडड़मा सकपमा को िाऩस दत हए कहता ह rdquoजाभा भनदसजद की सीहढ़मो को भया सराभ कहना |rdquo बायतीम सीभा ऩय तनात कसटभ अधधकायी ढाका की जभीन को औय िहाॉ क ऩानी क सिाद को नहीॊ बर ऩाता |

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गदमाॊश-आधारयत अथटगरहण सॊफॊधधत परशनोततय

गदमाॊश सॊकत- ऩाठndash नभक (ऩरषठ १३४)

सकपमा कसटभ क जॊगर स दोनो क हाथो भ थी |

(क) सकपमा कसटभ क जॉगर स ननकरकय दसय तरटपाभट ऩय आ गमी व वहीॊ खड़ यहndash इस वाकम भ lsquoवrsquo शबद का परमोग ककसक लरए ककमा गमा ह

उततय- महाॉ lsquoिrsquo शबद का परमोग ऩाककसतानी कसटभ अधधकायी क सरए ककमा गमा ह जो विबाजन स ऩिय हदलरी भ यहत थ औय आज बी हदलरी को ही अऩना ितन भानत ह |

(ख) तरटपाभट ऩय सकपमा को पवदा कयन कौन-कौन आए थ उनहोन सकपमा को कस पवदाई दी

उततय- परटपाभय ऩय सकपमा को विदा कयन उसक फहत साय सभतर सग सॊफॊधी औय बाई आए थ| उनदहोन ठॊडी साॉस बयत हए सबॊच हए होठो क साथ आॉस फहात हए सकपमा को विदाई दी |

(ग) अटायी भ यरगाड़ी भ कमा ऩरयवतटन हए उततय- अटायी भ यरगाड़ी स ऩाककसतानी ऩसरस उतयी औय हहनददसतानी ऩसरस सिाय हो गई|

(घ) कौन सी फात सकपमा की सभझ भ नहीॊ आ यही थी उततय- दोनो ओय एक सी जभीन एक जसा आसभान एक सी बारा एक सा ऩहनािा औय एक सी सयत क रोग कपय बी दोनो क हाथो भ बयी हई फॊदक ह |

17 लशयीष क पर

आचामट हजायी परसाद दपववदी

सायाॊश ndashlsquoआचामय हजायी परसाद दवििदीrsquo सशयीर को अदभत अिधत भानत ह कमोकक सॊनदमासी की बाॉनत िह सख-दख की धचॊता नहीॊ कयता गभी र िराय औय आॉधी भ बी अविचर खड़ा यहता ह सशयीर क िर क भाधमभ स भनरषम की अजम नदजजीविरा धमयशीरता औय कतयवमननरषठ फन यहन क भानिीम भलमो को सथावऩत ककमा गमा हरखक न सशयीर क कोभर परो औय कठोय परो क दिाया सऩरषट ककमा ह कक रदम की कोभरता फचान क सरए कबी-कबी वमिहाय की कठोयता बी आिशमक हो जाती ह| भहान कवि कासरदास औय कफीय बी सशयीर की तयह फऩयिाह अनासकत औय सयस थ तबी उनदहोन इतनी सनददय यचनाएॉ सॊसाय को दीॊ| गाॉधीजी क वमनदकतति भ बी कोभरता औय कठोयता का अदभत सॊगभ था | रखक सोचता ह कक हभाय दश भ जो भाय-काट अनदगनदाह रट-ऩाट खन-खचचय का फिॊडय ह कमा िह दश को नदसथय नहीॊ यहन दगा गराभी अशाॊनत औय वियोधी िाताियण क फीच अऩन ससदधाॊतो की या कयत हए गाॉधीजी जी नदसथय यह सक थ तो दश बी यह सकता ह जीन की परफर असबरारा क कायण

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विरभ ऩरयनदसथतमो भ बी महद सशयीर णखर सकता ह तो हभाया दश बी विरभ ऩरयनदसथनतमो भ नदसथय यह कय विकास कय सकता ह

परशन1-लसदध कीजजए कक लशयीष कारजमी अवधत की बाॉनत जीवन की अजमता क भॊतर का परचाय कयता ह

उततय- सशयीर कारजमी अिधत की बाॉनत जीिन की अजमता क भॊतर का परचाय कयता ह| जफ ऩथिी अनदगन क सभान तऩ यही होती ह िह तफ बी कोभर परो स रदा रहरहाता यहता ह|फाहयी गयभी धऩ िराय आॉधी र उस परबावित नहीॊ कयती इतना ही नहीॊ िह रॊफ सभम तक णखरा यहता ह | सशयीर विऩयीत ऩरयनदसथनतमो भ बी धमयशीर यहन तथा अऩनी अजम नदजजीविरा क साथ ननसऩह बाि स परचॊड गयभी भ बी अविचर खड़ा यहता ह

परशन२-आयगवध (अभरतास) की तरना लशयीष स कमो नहीॊ की जा सकती

उततय- सशयीर क पर बमॊकय गयभी भ णखरत ह औय आराढ़ तक णखरत यहत ह जफकक अभरतास का पर किर ऩनददरह-फीस हदनो क सरए णखरता ह | उसक फाद अभरतास क पर झड़ जात ह औय ऩड़ कपय स ठॉठ का ठॉठ हो जाता ह | अभरतास अलऩजीिी ह | विऩयीत ऩरयनदसथनतमो को झरता हआ ऊरषण िाताियण को हॉसकय झरता हआ सशयीर दीघयजीिी यहता ह | मही कायण ह कक सशयीर की तरना अभरतास स नहीॊ की जा सकती |

परशन३-लशयीष क परो को याजनताओॊ का रऩक कमो ठदमा गमा ह

उततय- सशयीर क पर उन फढ़ ढीठ औय ऩयान याजनताओॊ क परतीक ह जो अऩनी कसी नहीॊ छोड़ना चाहत | अऩनी अधधकाय-सरपसा क सरए नए मिा नताओॊ को आग नहीॊ आन दत | सशयीर क नए परो को जफयदसती ऩयान परो को धककमाना ऩड़ता ह | याजनीनत भ बी नई मिा ऩीढ़ी ऩयानी ऩीढ़ी को हयाकय सिमॊ सतता सॉबार रती ह |

परशन४- कार दवता की भाय स फचन का कमा उऩाम फतामा गमा ह

उततय- कार दिता कक भाय स फचन का अथय हndash भतम स फचना | इसका एकभातर उऩाम मह ह कक भनरषम नदसथय न हो| गनतशीर ऩरयितयनशीर यह | रखक क अनसाय नदजनकी चतना सदा ऊधियभखी (आधमातभ की ओय) यहती ह ि हटक जात ह |

परशन५- गाॉधीजी औय लशयीष की सभानता परकट कीजजए |

उततय- नदजस परकाय सशयीर धचरधचराती धऩ र िराय औय आॉधी भ बी अविचर खड़ा यहता ह अनासकत यहकय अऩन िाताियण स यस खीॊचकय सयस कोभर फना यहता ह उसी परकाय गाॉधी जी न बी अऩनी आॉखो क साभन आजादी क सॊगराभ भ अनदमाम बदबाि औय हहॊसा को झरा |

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उनक कोभर भन भ एक ओय ननयीह जनता क परनत असीभ करणा जागी िहीॊ ि अनदमामी शासन क वियोध भ डटकय खड़ हो गए |

गदमाॊश-आधारयत अथटगरहण सॊफॊधधत परशनोततय

गदमाॊश सॊकत- ऩाठ ndash सशयीर क पर (ऩरषठ १४७)

कासरदास सौदमय क िह इशाया ह |

(क) कालरदास की सौदमटndashदजषट की कमा पवशषता थी उततय-कासरदास की सौदमयndashदनदरषट फहत सकषभ अॊतबदी औय सॊऩणय थी| ि किर फाहयी रऩ-यॊग औय आकाय को ही नहीॊ दखत थ फनदलक अॊतभयन की सॊदयता क बी ऩायखी थ| कासरदास की सौदमय शायीरयक औय भानससक दोनो विशरताओॊ स मकत था |

(ख) अनासजकत का कमा आशम ह उततय- अनासनदकत का आशम ह- वमनदकतगत सख-द ख औय याग-दिर स ऩय यहकय सौदमय क िासतविक भभय को जानना |

(ग) कालरदास ऩॊत औय यवीॊिनाथ टगोय भ कौन सा गण सभान था भहाकवि कासरदास ससभतरानॊदन ऩॊत औय गरदि यिीॊदरनाथ टगोय तीनो नदसथयपरऻ औय अनासकत कवि थ | ि सशयीर क सभान सयस औय भसत अिधत थ |

(घ) यवीॊिनाथ याजोदमान क लसॊहदवाय क फाय भ कमा सॊदश दत ह याजोदमान क फाय भ यिीॊदरनाथ कहत ह याजोदमान का ससॊहदिाय ककतना ही सॊदय औय गगनचमफी कमो ना हो िह अॊनतभ ऩड़ाि नहीॊ ह| उसका सौदमय ककसी औय उचचतभ सौदमय की ओय ककमा गमा सॊकत भातर ह कक असरी सौदमय इस ऩाय कयन क फाद ह अत याजोदमान का ससॊहदिाय हभ आग फढ़न की परयणा दता ह |

18शरभ-पवबाजन औय जानत-परथा

िॉ० बीभयाव अॊफिकय

सायाॊश ndash इस ऩाठ भ रखक न जानतिाद क आधाय ऩय ककए जान िार बदबाि को सभम सभाज क सरए हाननकायक फतामा ह | जानत आधारयत शरभ विबाजन को असिाबाविक औय भानिता वियोधी फतामा गमा ह मह साभानदजक बदबाि को फढ़ाता ह जानतपरथा आधारयत शरभ विबाजन भ वमनदकत की रधच को भहतति नहीॊ हदमा जाता परसिरऩ वििशता क साथ अऩनाए

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Page 43: ISSUED BY KENDRIYA VIDYALAYA - DOWNLOADED FROM … Class XII Hindi Part B.pdfप्रश्न४ :-फादर क / फयन का गयीफ एि धनी िगय क्मा

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धाक धधना नतयकट नतनाrarr दाॉि काटो फाहय हो जाओ | धधना धधना धधक धधनाrarr धचत कयो

गदमाॊश-आधारयत अथटगरहण-सॊफॊधधत परशनोततय

अॉधयी यात चऩचाऩ आॉस फहा यही थी | ननसतबधता करण सससककमो औय आहो को अऩन रदम भ ही फर ऩियक दफान की चरषटा कय यही थी | आकाश भ ताय चभक यह थ | ऩथिी ऩय कहीॊ परकाश का नाभ नहीॊ| आकाश स टट कय महद कोई बािक ताया ऩथिी ऩय आना बी चाहता तो उसकी जमोनत औय शनदकत यासत भ ही शर हो जाती थी | अनदम ताय उसकी बािकता अथिा असपरता ऩय णखरणखराकय हॉस ऩड़त थ | ससमायो का करॊ दन औय ऩचक की डयािनी आिाज यात की ननसतबधता को बॊग कयती थी | गाॉि की झोऩडडमो स कयाहन औय क कयन की आिाज हय याभ ह बगिान की टय सनाई ऩड़ती थी| फचच बी ननफयर कॊ ठो स भाॉ ndashभाॉ ऩकायकय यो ऩड़त थ |

(क) अॉधयी यात को आॉस फहात हए कमो ठदखामा गमा ह उततयndash गाॉि भ हजा औय भररयमा परा हआ था | भहाभायी की चऩट भ आकाय रोग भय यह थ |चायो ओय भौत का सनाटा छामा था इससरए अॉधयी यात बी चऩचाऩ आॉस फहाती सी परतीत हो यही थी|

(ख) ताय क भाधमभ स रखक कमा कहना चाहता ह उततयndash ताय क भाधमभ स रखक कहना चाहता ह कक अकार औय भहाभायी स तरसत गाॉि िारो की ऩीड़ा को दय कयन िारा कोई नहीॊ था | परकनत बी गाॉि िारो क द ख स दखी थी| आकाश स टट कय महद कोई बािक ताया ऩथिी ऩय आना बी चाहता तो उसकी जमोनत औय शनदकत यासत भ ही शर हो जाती थी |

(ग) यात की ननसतबधता को कौन बॊग कयता था उततयndash ससमायो की चीख-ऩकाय ऩचक की डयािनी आिाज औय कततो का साभहहक रदन सभरकय यात क सनदनाट को बॊग कयत थ |

(घ) झोऩड़ड़मो स कसी आवाज आ यही ह औय कमो उततयndash झोऩडड़मो स योधगमो क कयाहन क कयन औय योन की आिाज आ यही ह कमोकक गाॉि क रोग भररयमा औय हज स ऩीडड़त थ | अकार क कायण अनदन की कभी हो गमी थी| औरधध औय ऩथम न सभरन क कायण रोगो की हारत इतनी फयी थी कक कोई बगिान को ऩकाय रगाता था तो कोई दफयर कॊ ठ स भाॉndashभाॉ ऩकायता था |

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15 चारी चजतरन मानी हभ सफ

रखक-पवषण खय

ऩाि का सायाॊश ndashचारक चनदपरन न हासम कराकाय क रऩ भ ऩयी दननमा क फहत फड़ दशयक िगय को हॉसामा ह | उनकी कपलभो न कपलभ करा को रोकताॊबतरक फनान क साथ-साथ दशको की िगय औय िणय-वमिसथा को बी तोड़ा | चारक न करा भ फवदध की अऩा बािना को भहतति हदमा ह | फचऩन क सॊघरो न चारक क बािी कपलभो की बसभ तमाय कय दी थी| बायतीम करा औय सौदमयशासतर भ करणा का हासम भ ऩरयितयन बायतीम ऩयमऩया भ नहीॊ सभरता रककन चारक एक ऐसा जादई वमनदकतति ह जो हय दश सॊसकनत औय सभमता को अऩना सा रगता ह| बायतीम जनता न बी उनदह सहज बाि स सिीकाय ककमा ह| सिमॊ ऩय हॉसना चारक न ही ससखामा| बायतीम ससनभा जगत क सपरससदध कराकाय याजकऩय को चारक का बायतीमकयण कहा गमा ह | चारक की अधधकाॊश किलभ भक ह इससरए उनदह अधधक भानिीम होना ऩड़ा | ऩाठ भ हासम कपलभो क भहान असबनता lsquoचारक चनदपरनrsquo की जादई विशरताओॊ का उलरख ककमा गमा ह नदजसभ उसन करणा औय हासम भ साभॊजसम सथावऩत कय किलभो को साियबौसभक रऩ परदान ककमा

परशन१ -चारी क जीवन ऩय परबाव िारन वारी भखम घटनाएॉ कौन सी थी

उततय- चारक क जीिन भ दो ऐसी घटनाएॉ घटीॊ नदजनदहोन उनक बािी जीिन ऩय फहत परबाि डारा |

ऩहरी घटना - जफ चारक फीभाय थ उनकी भाॉ उनदह ईसा भसीह की जीिनी ऩढ़कय सना यही थी | ईसा क सरी ऩय चढ़न क परसॊग तक आत-आत भाॉ-फटा दोनो ही योन रग| इस घटना न चारक को सनह करणा औय भानिता जस उचच जीिन भलम हदए |

दसयी घटना हndash फारक चारक कसाईखान क ऩास यहता था| िहाॉ सकड़ो जानियो को योज भाया जाता था| एक हदन एक बड़ िहाॉ स बाग ननकरी| बड़ को ऩकड़न की कोसशश भ कसाई कई फाय कपसरा| नदजस दखकय रोग हॊसन रग ठहाक रगान रग| जफ बड़ को कसाई न ऩकड़ सरमा तो फारक चारक योन रगा| इस घटना न उसक बािी कपलभो भ तरासदी औय हासमोतऩादक ततिो की बसभका तम कय दी |

परशन२ ndash आशम सऩषट कीजजएndash

चजतरन न लसपट कपलभकरा को ही रोकताॊबतरक नही फनामा फजलक दशटको की वगट तथा वणट-वमवसथा को बी तोड़ा|

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उततय- रोकताॊबतरक फनान का अथय ह कक कपलभ करा को सबी क सरए रोकवपरम फनाना औय िगय औय िणय-वमिसथा को तोड़न का आशम ह- सभाज भ परचसरत अभीय-गयीफ िणय जानतधभय क बदबाि को सभापत कयना |चनदपरन का चभतकाय मह ह कक उनदहोन कपलभकरा को बफना ककसी बदबाि क सबी रोगो तक ऩहॉचामा| उनकी कपलभो न सभम बगोर औय सॊसकनतमो की सीभाओॊ को राॉघ कय साियबौसभक रोकवपरमता हाससर की | चारक न मह ससदध कय हदमा कक करा सितनदतर होती ह अऩन ससदधाॊत सिमॊ फनाती ह |

परशन३ndash चारी चजतरन की कपलभो भ ननठहत तरासदीकरणाहासम का साभॊजसम बायतीम करा औय सौदमटशासतर की ऩरयधध भ कमो नहीॊ आता

उततय- चारक चनदपरन की कपलभो भ ननहहत तरासदीकरणाहासम का साभॊजसम बायतीम करा औय सौदमयशासतर की ऩरयधध भ नहीॊ आताकमोकक बायतीम यस-ससदधाॊत भ करणा औय हासम का भर नहीॊ हदखामा जाता कमोकक बायतीम सौदमयशासतर भ करणयस औय हासम यस को ऩयसऩय वियोधी भाना गमा ह अथायत जहाॊ करणा ह िहाॉ हासम नहीॊ हो सकता बायत भ सिमॊ ऩय हॉसन की ऩयॊऩया नहीॊ ह ऩयॊत चारक क ऩातर अऩन ऩय हॉसतndashहॉसात ह चारक की किलभो क दशम हॉसात-हॉसात ररा दत ह तो कबी करण दशम क फाद अचानक ही हॉसन ऩय भजफय कय दत ह

परशन४ndash चारी क कपलभो की पवशषताएॉ फताइए |

उततय- चारक की किलभो भ हासम औय करणा का अदभत साभॊजसम ह उनकी किलभो भ बारा का परमोग फहत कभ ह चारक की किलभो भ फवदध की अऩा बािना का भहतति अधधक ह उनकी किलभो भ साियबौसभकता ह चारक ककसी बी सॊसकनत को विदशी नही रगत चारक सफको अऩन रगत ह चारक न किलभो को रोकताॊबतरक फनामा औय किलभो भ िगय तथािणय-वमिसथा को तोड़ा अऩनी कपलभो भ चारक सदि धचय मिा हदखता ह

गदमाॊश-आधारयत अथटगरहण-सॊफॊधी परशनोततय

गदमाॊश सॊकत ndashचारक चनदपरन मानी हभ सफ (ऩरषठ १२० )

महद मह िरय चनदपरन की कापी कछ कहा जाएगा |

परशन (क)-पवकासशीर दशो भ चजतरन कमो भशहय हो यह ह

उततय - विकासशीर दशो भ जस-जस टरीविजन औय िीडडमो का परसाय हो यहा ह रोगो को उनकी कपलभो को दखन का अिसय सभर यहा ह |एक फहत फड़ा िगय नए ससय स चारक को घड़ी सधायत औय जत खान की कोसशश कयत दख यहा ह इसीसरए चारक विकासशीर दशो भ रोकवपरम हो यह ह |

(ख)- ऩजशचभ भ चारी का ऩनजीवन कस होता यहता ह

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उततय - ऩनदशचभ भ चारक की कपलभो का परदशयन होता यहता ह| उनकी करा स परयणा ऩाकय हासम किलभ फनती यहती ह | उनक दिाया ननबाए ककयदायो की नकर अनदम कराकाय कयत ह | ऩनदशचभ भ चारक का ऩनजीिन होता यहता ह|

(ग)- चारी को रोग फिाऩ तक कमो माद यखग

उततय ndashहासम कराकाय क रऩ भ रोग चारक को फढ़ाऩ तक माद यखग कमोकक उनकी करा सभम बगोर औय सॊसकनतमो की सीभाओॊ को राॉघकय राखो रोगो को हॉसा यही ह|

(घ)- चारी की कपलभो क फाय भ कापी कछ कहा जाना कमो फाी ह

उततय ndashचनदपरन की ऐसी कछ किलभ मा इसतभार न की गमी यीर सभरी ह नदजनक फाय भ कोई नहीॊ जानता था | चारक की बािनापरधान हासम कपलभो न करा क नए परनतभान सथावऩत ककए ह अत चारक की कपलभो क फाय भ अबी कापी कछ कहा जाना फाी ह|

16 नभक

रखखका - यजजमा सजजाद जहीय

सायाॊश -lsquoनभकrsquoबायत-ऩाक विबाजन ऩय सरणखत भासभयक कहानी ह | विसथावऩत हए रोगो भ अऩनndashअऩन जनदभ सथानो क परनत आज बी रगाि ह| धासभयक आधाय ऩय फनी यारषर-याजमो की सीभा-यखाएॉ उनक अॊतभयन को अरग नहीॊ कय ऩाई ह | बायत भ यहन िारी ससख फीिी राहौय को अऩना ितन भानती ह औय बायतीम कसटभ अधधकायी ढाका क नारयमर ऩानी को मादकय उस सियशररषठ फताता ह दोनो दशो क नागरयको क फीच भहबफत का नभकीन सिाद आज बी कामभ ह इसीसरए सकिमा बायत भ यहन िारी अऩनी भॉहफोरी भाॉ ससख फीिी क सरए राहौयी नभक रान क सरए कसटभ औय कानन की ऩयिाह नहीॊ कयती

परशन1- lsquoनभकrsquo ऩाि क आधाय ऩय फताइए कक सकपमा औय उसक बाई क पवचायो भ कमा अॊतय था

उततय- १-सकपमा बािनाओॊ को फहतभहतति दती ह ऩय उसका बाई फौवदधक परिनदतत का ह उसकी दनदरषट भ कानन बािनाओॊ स ऊऩय ह|

२-सकपमा भानिीम सॊफॊधो को फहत भहतति दती ह जफकक उसका बाई अरगाििादी विचायधाया का ह हहसस-फखय की फात कयता ह |

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३-सकपमा का बाई कहता ह कक अदीफो(साहहतमकाय) का हदभाग घभा हआ होता ह जफकक सकपमा जो सिमॊ अदीफ ह उसका भानना ह कक अगय सबी रोगो का हदभाग अदीफो की तयह घभा हआ होता तो दननमा कछ फहतय हो जाती |

परशन२- नभक र जात सभम सकफ़मा क भन भ कमा दपवधा थी

उततय-सकपमा समद भसरभान थी जो हय हार भ अऩना िामदा ननबात ह| ऩाककसतान स राहौयी नभक र जाकय िह अऩना िामदा ऩया कयना चाहती थी ऩयनदत जफ उस ऩता चरा कक कसटभ क ननमभो क अनसाय सीभाऩाय नभक र जाना िनदजयत ह तो िह दविधा भ ऩड़ गई | सकिमा का दिॊदि मह था कक िह अऩनी ससख भाॉ क सरए नभक कसटभ अधधकारयमो को फताकयर जाए मा नछऩाकय|

परशन३- ऩाि क आधाय ऩय सकपमा की चारयबतरक पवशषताएॉ फताइए |

उततय सॊकत ndash

१- बािक २- ईभानदाय ३- दढ़ननशचमी ४- ननडय ५- िामद को ननबान िारी ६- भानिीम भलमो को सिोऩरय भानन िारी साहहतमकाय

परशन ४- lsquoनभकrsquo ऩाि भ आए ककयदायो क भाधमभ स सऩषट कीजजए कक आज बी बायत औय ऩाककसतान की जनता क फीच भहबफत का नभकीन सवाद घरा हआ ह |

उततय ndash बर ही याजनीनतक औय धासभयक आधाय ऩय बायत औय ऩाककसतान को बौगोसरक रऩ स विबानदजत कय हदमा गमा ह रककन दोनो दशो क रोगो क रदम भ आज बी ऩायसऩरयक बाईचाया सौहादरय सनह औय सहानबनत विदमभान ह | याजनीनतक तौय ऩय बर ही सॊफॊध तनािऩणय हो ऩय साभानदजक तौय ऩय आज बी जनता क फीच भहबफत का नभकीन सिाद घरा हआ ह | अभतसय भ यहन िारी ससख फीफी राहौय को अऩना ितन कहती ह औय राहौयी नभक का सिाद नहीॊ बरा ऩाती | ऩाककसतान का कसटभ अधधकायी नभक की ऩडड़मा सकपमा को िाऩस दत हए कहता ह rdquoजाभा भनदसजद की सीहढ़मो को भया सराभ कहना |rdquo बायतीम सीभा ऩय तनात कसटभ अधधकायी ढाका की जभीन को औय िहाॉ क ऩानी क सिाद को नहीॊ बर ऩाता |

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गदमाॊश-आधारयत अथटगरहण सॊफॊधधत परशनोततय

गदमाॊश सॊकत- ऩाठndash नभक (ऩरषठ १३४)

सकपमा कसटभ क जॊगर स दोनो क हाथो भ थी |

(क) सकपमा कसटभ क जॉगर स ननकरकय दसय तरटपाभट ऩय आ गमी व वहीॊ खड़ यहndash इस वाकम भ lsquoवrsquo शबद का परमोग ककसक लरए ककमा गमा ह

उततय- महाॉ lsquoिrsquo शबद का परमोग ऩाककसतानी कसटभ अधधकायी क सरए ककमा गमा ह जो विबाजन स ऩिय हदलरी भ यहत थ औय आज बी हदलरी को ही अऩना ितन भानत ह |

(ख) तरटपाभट ऩय सकपमा को पवदा कयन कौन-कौन आए थ उनहोन सकपमा को कस पवदाई दी

उततय- परटपाभय ऩय सकपमा को विदा कयन उसक फहत साय सभतर सग सॊफॊधी औय बाई आए थ| उनदहोन ठॊडी साॉस बयत हए सबॊच हए होठो क साथ आॉस फहात हए सकपमा को विदाई दी |

(ग) अटायी भ यरगाड़ी भ कमा ऩरयवतटन हए उततय- अटायी भ यरगाड़ी स ऩाककसतानी ऩसरस उतयी औय हहनददसतानी ऩसरस सिाय हो गई|

(घ) कौन सी फात सकपमा की सभझ भ नहीॊ आ यही थी उततय- दोनो ओय एक सी जभीन एक जसा आसभान एक सी बारा एक सा ऩहनािा औय एक सी सयत क रोग कपय बी दोनो क हाथो भ बयी हई फॊदक ह |

17 लशयीष क पर

आचामट हजायी परसाद दपववदी

सायाॊश ndashlsquoआचामय हजायी परसाद दवििदीrsquo सशयीर को अदभत अिधत भानत ह कमोकक सॊनदमासी की बाॉनत िह सख-दख की धचॊता नहीॊ कयता गभी र िराय औय आॉधी भ बी अविचर खड़ा यहता ह सशयीर क िर क भाधमभ स भनरषम की अजम नदजजीविरा धमयशीरता औय कतयवमननरषठ फन यहन क भानिीम भलमो को सथावऩत ककमा गमा हरखक न सशयीर क कोभर परो औय कठोय परो क दिाया सऩरषट ककमा ह कक रदम की कोभरता फचान क सरए कबी-कबी वमिहाय की कठोयता बी आिशमक हो जाती ह| भहान कवि कासरदास औय कफीय बी सशयीर की तयह फऩयिाह अनासकत औय सयस थ तबी उनदहोन इतनी सनददय यचनाएॉ सॊसाय को दीॊ| गाॉधीजी क वमनदकतति भ बी कोभरता औय कठोयता का अदभत सॊगभ था | रखक सोचता ह कक हभाय दश भ जो भाय-काट अनदगनदाह रट-ऩाट खन-खचचय का फिॊडय ह कमा िह दश को नदसथय नहीॊ यहन दगा गराभी अशाॊनत औय वियोधी िाताियण क फीच अऩन ससदधाॊतो की या कयत हए गाॉधीजी जी नदसथय यह सक थ तो दश बी यह सकता ह जीन की परफर असबरारा क कायण

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विरभ ऩरयनदसथतमो भ बी महद सशयीर णखर सकता ह तो हभाया दश बी विरभ ऩरयनदसथनतमो भ नदसथय यह कय विकास कय सकता ह

परशन1-लसदध कीजजए कक लशयीष कारजमी अवधत की बाॉनत जीवन की अजमता क भॊतर का परचाय कयता ह

उततय- सशयीर कारजमी अिधत की बाॉनत जीिन की अजमता क भॊतर का परचाय कयता ह| जफ ऩथिी अनदगन क सभान तऩ यही होती ह िह तफ बी कोभर परो स रदा रहरहाता यहता ह|फाहयी गयभी धऩ िराय आॉधी र उस परबावित नहीॊ कयती इतना ही नहीॊ िह रॊफ सभम तक णखरा यहता ह | सशयीर विऩयीत ऩरयनदसथनतमो भ बी धमयशीर यहन तथा अऩनी अजम नदजजीविरा क साथ ननसऩह बाि स परचॊड गयभी भ बी अविचर खड़ा यहता ह

परशन२-आयगवध (अभरतास) की तरना लशयीष स कमो नहीॊ की जा सकती

उततय- सशयीर क पर बमॊकय गयभी भ णखरत ह औय आराढ़ तक णखरत यहत ह जफकक अभरतास का पर किर ऩनददरह-फीस हदनो क सरए णखरता ह | उसक फाद अभरतास क पर झड़ जात ह औय ऩड़ कपय स ठॉठ का ठॉठ हो जाता ह | अभरतास अलऩजीिी ह | विऩयीत ऩरयनदसथनतमो को झरता हआ ऊरषण िाताियण को हॉसकय झरता हआ सशयीर दीघयजीिी यहता ह | मही कायण ह कक सशयीर की तरना अभरतास स नहीॊ की जा सकती |

परशन३-लशयीष क परो को याजनताओॊ का रऩक कमो ठदमा गमा ह

उततय- सशयीर क पर उन फढ़ ढीठ औय ऩयान याजनताओॊ क परतीक ह जो अऩनी कसी नहीॊ छोड़ना चाहत | अऩनी अधधकाय-सरपसा क सरए नए मिा नताओॊ को आग नहीॊ आन दत | सशयीर क नए परो को जफयदसती ऩयान परो को धककमाना ऩड़ता ह | याजनीनत भ बी नई मिा ऩीढ़ी ऩयानी ऩीढ़ी को हयाकय सिमॊ सतता सॉबार रती ह |

परशन४- कार दवता की भाय स फचन का कमा उऩाम फतामा गमा ह

उततय- कार दिता कक भाय स फचन का अथय हndash भतम स फचना | इसका एकभातर उऩाम मह ह कक भनरषम नदसथय न हो| गनतशीर ऩरयितयनशीर यह | रखक क अनसाय नदजनकी चतना सदा ऊधियभखी (आधमातभ की ओय) यहती ह ि हटक जात ह |

परशन५- गाॉधीजी औय लशयीष की सभानता परकट कीजजए |

उततय- नदजस परकाय सशयीर धचरधचराती धऩ र िराय औय आॉधी भ बी अविचर खड़ा यहता ह अनासकत यहकय अऩन िाताियण स यस खीॊचकय सयस कोभर फना यहता ह उसी परकाय गाॉधी जी न बी अऩनी आॉखो क साभन आजादी क सॊगराभ भ अनदमाम बदबाि औय हहॊसा को झरा |

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उनक कोभर भन भ एक ओय ननयीह जनता क परनत असीभ करणा जागी िहीॊ ि अनदमामी शासन क वियोध भ डटकय खड़ हो गए |

गदमाॊश-आधारयत अथटगरहण सॊफॊधधत परशनोततय

गदमाॊश सॊकत- ऩाठ ndash सशयीर क पर (ऩरषठ १४७)

कासरदास सौदमय क िह इशाया ह |

(क) कालरदास की सौदमटndashदजषट की कमा पवशषता थी उततय-कासरदास की सौदमयndashदनदरषट फहत सकषभ अॊतबदी औय सॊऩणय थी| ि किर फाहयी रऩ-यॊग औय आकाय को ही नहीॊ दखत थ फनदलक अॊतभयन की सॊदयता क बी ऩायखी थ| कासरदास की सौदमय शायीरयक औय भानससक दोनो विशरताओॊ स मकत था |

(ख) अनासजकत का कमा आशम ह उततय- अनासनदकत का आशम ह- वमनदकतगत सख-द ख औय याग-दिर स ऩय यहकय सौदमय क िासतविक भभय को जानना |

(ग) कालरदास ऩॊत औय यवीॊिनाथ टगोय भ कौन सा गण सभान था भहाकवि कासरदास ससभतरानॊदन ऩॊत औय गरदि यिीॊदरनाथ टगोय तीनो नदसथयपरऻ औय अनासकत कवि थ | ि सशयीर क सभान सयस औय भसत अिधत थ |

(घ) यवीॊिनाथ याजोदमान क लसॊहदवाय क फाय भ कमा सॊदश दत ह याजोदमान क फाय भ यिीॊदरनाथ कहत ह याजोदमान का ससॊहदिाय ककतना ही सॊदय औय गगनचमफी कमो ना हो िह अॊनतभ ऩड़ाि नहीॊ ह| उसका सौदमय ककसी औय उचचतभ सौदमय की ओय ककमा गमा सॊकत भातर ह कक असरी सौदमय इस ऩाय कयन क फाद ह अत याजोदमान का ससॊहदिाय हभ आग फढ़न की परयणा दता ह |

18शरभ-पवबाजन औय जानत-परथा

िॉ० बीभयाव अॊफिकय

सायाॊश ndash इस ऩाठ भ रखक न जानतिाद क आधाय ऩय ककए जान िार बदबाि को सभम सभाज क सरए हाननकायक फतामा ह | जानत आधारयत शरभ विबाजन को असिाबाविक औय भानिता वियोधी फतामा गमा ह मह साभानदजक बदबाि को फढ़ाता ह जानतपरथा आधारयत शरभ विबाजन भ वमनदकत की रधच को भहतति नहीॊ हदमा जाता परसिरऩ वििशता क साथ अऩनाए

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Page 44: ISSUED BY KENDRIYA VIDYALAYA - DOWNLOADED FROM … Class XII Hindi Part B.pdfप्रश्न४ :-फादर क / फयन का गयीफ एि धनी िगय क्मा

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15 चारी चजतरन मानी हभ सफ

रखक-पवषण खय

ऩाि का सायाॊश ndashचारक चनदपरन न हासम कराकाय क रऩ भ ऩयी दननमा क फहत फड़ दशयक िगय को हॉसामा ह | उनकी कपलभो न कपलभ करा को रोकताॊबतरक फनान क साथ-साथ दशको की िगय औय िणय-वमिसथा को बी तोड़ा | चारक न करा भ फवदध की अऩा बािना को भहतति हदमा ह | फचऩन क सॊघरो न चारक क बािी कपलभो की बसभ तमाय कय दी थी| बायतीम करा औय सौदमयशासतर भ करणा का हासम भ ऩरयितयन बायतीम ऩयमऩया भ नहीॊ सभरता रककन चारक एक ऐसा जादई वमनदकतति ह जो हय दश सॊसकनत औय सभमता को अऩना सा रगता ह| बायतीम जनता न बी उनदह सहज बाि स सिीकाय ककमा ह| सिमॊ ऩय हॉसना चारक न ही ससखामा| बायतीम ससनभा जगत क सपरससदध कराकाय याजकऩय को चारक का बायतीमकयण कहा गमा ह | चारक की अधधकाॊश किलभ भक ह इससरए उनदह अधधक भानिीम होना ऩड़ा | ऩाठ भ हासम कपलभो क भहान असबनता lsquoचारक चनदपरनrsquo की जादई विशरताओॊ का उलरख ककमा गमा ह नदजसभ उसन करणा औय हासम भ साभॊजसम सथावऩत कय किलभो को साियबौसभक रऩ परदान ककमा

परशन१ -चारी क जीवन ऩय परबाव िारन वारी भखम घटनाएॉ कौन सी थी

उततय- चारक क जीिन भ दो ऐसी घटनाएॉ घटीॊ नदजनदहोन उनक बािी जीिन ऩय फहत परबाि डारा |

ऩहरी घटना - जफ चारक फीभाय थ उनकी भाॉ उनदह ईसा भसीह की जीिनी ऩढ़कय सना यही थी | ईसा क सरी ऩय चढ़न क परसॊग तक आत-आत भाॉ-फटा दोनो ही योन रग| इस घटना न चारक को सनह करणा औय भानिता जस उचच जीिन भलम हदए |

दसयी घटना हndash फारक चारक कसाईखान क ऩास यहता था| िहाॉ सकड़ो जानियो को योज भाया जाता था| एक हदन एक बड़ िहाॉ स बाग ननकरी| बड़ को ऩकड़न की कोसशश भ कसाई कई फाय कपसरा| नदजस दखकय रोग हॊसन रग ठहाक रगान रग| जफ बड़ को कसाई न ऩकड़ सरमा तो फारक चारक योन रगा| इस घटना न उसक बािी कपलभो भ तरासदी औय हासमोतऩादक ततिो की बसभका तम कय दी |

परशन२ ndash आशम सऩषट कीजजएndash

चजतरन न लसपट कपलभकरा को ही रोकताॊबतरक नही फनामा फजलक दशटको की वगट तथा वणट-वमवसथा को बी तोड़ा|

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उततय- रोकताॊबतरक फनान का अथय ह कक कपलभ करा को सबी क सरए रोकवपरम फनाना औय िगय औय िणय-वमिसथा को तोड़न का आशम ह- सभाज भ परचसरत अभीय-गयीफ िणय जानतधभय क बदबाि को सभापत कयना |चनदपरन का चभतकाय मह ह कक उनदहोन कपलभकरा को बफना ककसी बदबाि क सबी रोगो तक ऩहॉचामा| उनकी कपलभो न सभम बगोर औय सॊसकनतमो की सीभाओॊ को राॉघ कय साियबौसभक रोकवपरमता हाससर की | चारक न मह ससदध कय हदमा कक करा सितनदतर होती ह अऩन ससदधाॊत सिमॊ फनाती ह |

परशन३ndash चारी चजतरन की कपलभो भ ननठहत तरासदीकरणाहासम का साभॊजसम बायतीम करा औय सौदमटशासतर की ऩरयधध भ कमो नहीॊ आता

उततय- चारक चनदपरन की कपलभो भ ननहहत तरासदीकरणाहासम का साभॊजसम बायतीम करा औय सौदमयशासतर की ऩरयधध भ नहीॊ आताकमोकक बायतीम यस-ससदधाॊत भ करणा औय हासम का भर नहीॊ हदखामा जाता कमोकक बायतीम सौदमयशासतर भ करणयस औय हासम यस को ऩयसऩय वियोधी भाना गमा ह अथायत जहाॊ करणा ह िहाॉ हासम नहीॊ हो सकता बायत भ सिमॊ ऩय हॉसन की ऩयॊऩया नहीॊ ह ऩयॊत चारक क ऩातर अऩन ऩय हॉसतndashहॉसात ह चारक की किलभो क दशम हॉसात-हॉसात ररा दत ह तो कबी करण दशम क फाद अचानक ही हॉसन ऩय भजफय कय दत ह

परशन४ndash चारी क कपलभो की पवशषताएॉ फताइए |

उततय- चारक की किलभो भ हासम औय करणा का अदभत साभॊजसम ह उनकी किलभो भ बारा का परमोग फहत कभ ह चारक की किलभो भ फवदध की अऩा बािना का भहतति अधधक ह उनकी किलभो भ साियबौसभकता ह चारक ककसी बी सॊसकनत को विदशी नही रगत चारक सफको अऩन रगत ह चारक न किलभो को रोकताॊबतरक फनामा औय किलभो भ िगय तथािणय-वमिसथा को तोड़ा अऩनी कपलभो भ चारक सदि धचय मिा हदखता ह

गदमाॊश-आधारयत अथटगरहण-सॊफॊधी परशनोततय

गदमाॊश सॊकत ndashचारक चनदपरन मानी हभ सफ (ऩरषठ १२० )

महद मह िरय चनदपरन की कापी कछ कहा जाएगा |

परशन (क)-पवकासशीर दशो भ चजतरन कमो भशहय हो यह ह

उततय - विकासशीर दशो भ जस-जस टरीविजन औय िीडडमो का परसाय हो यहा ह रोगो को उनकी कपलभो को दखन का अिसय सभर यहा ह |एक फहत फड़ा िगय नए ससय स चारक को घड़ी सधायत औय जत खान की कोसशश कयत दख यहा ह इसीसरए चारक विकासशीर दशो भ रोकवपरम हो यह ह |

(ख)- ऩजशचभ भ चारी का ऩनजीवन कस होता यहता ह

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उततय - ऩनदशचभ भ चारक की कपलभो का परदशयन होता यहता ह| उनकी करा स परयणा ऩाकय हासम किलभ फनती यहती ह | उनक दिाया ननबाए ककयदायो की नकर अनदम कराकाय कयत ह | ऩनदशचभ भ चारक का ऩनजीिन होता यहता ह|

(ग)- चारी को रोग फिाऩ तक कमो माद यखग

उततय ndashहासम कराकाय क रऩ भ रोग चारक को फढ़ाऩ तक माद यखग कमोकक उनकी करा सभम बगोर औय सॊसकनतमो की सीभाओॊ को राॉघकय राखो रोगो को हॉसा यही ह|

(घ)- चारी की कपलभो क फाय भ कापी कछ कहा जाना कमो फाी ह

उततय ndashचनदपरन की ऐसी कछ किलभ मा इसतभार न की गमी यीर सभरी ह नदजनक फाय भ कोई नहीॊ जानता था | चारक की बािनापरधान हासम कपलभो न करा क नए परनतभान सथावऩत ककए ह अत चारक की कपलभो क फाय भ अबी कापी कछ कहा जाना फाी ह|

16 नभक

रखखका - यजजमा सजजाद जहीय

सायाॊश -lsquoनभकrsquoबायत-ऩाक विबाजन ऩय सरणखत भासभयक कहानी ह | विसथावऩत हए रोगो भ अऩनndashअऩन जनदभ सथानो क परनत आज बी रगाि ह| धासभयक आधाय ऩय फनी यारषर-याजमो की सीभा-यखाएॉ उनक अॊतभयन को अरग नहीॊ कय ऩाई ह | बायत भ यहन िारी ससख फीिी राहौय को अऩना ितन भानती ह औय बायतीम कसटभ अधधकायी ढाका क नारयमर ऩानी को मादकय उस सियशररषठ फताता ह दोनो दशो क नागरयको क फीच भहबफत का नभकीन सिाद आज बी कामभ ह इसीसरए सकिमा बायत भ यहन िारी अऩनी भॉहफोरी भाॉ ससख फीिी क सरए राहौयी नभक रान क सरए कसटभ औय कानन की ऩयिाह नहीॊ कयती

परशन1- lsquoनभकrsquo ऩाि क आधाय ऩय फताइए कक सकपमा औय उसक बाई क पवचायो भ कमा अॊतय था

उततय- १-सकपमा बािनाओॊ को फहतभहतति दती ह ऩय उसका बाई फौवदधक परिनदतत का ह उसकी दनदरषट भ कानन बािनाओॊ स ऊऩय ह|

२-सकपमा भानिीम सॊफॊधो को फहत भहतति दती ह जफकक उसका बाई अरगाििादी विचायधाया का ह हहसस-फखय की फात कयता ह |

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३-सकपमा का बाई कहता ह कक अदीफो(साहहतमकाय) का हदभाग घभा हआ होता ह जफकक सकपमा जो सिमॊ अदीफ ह उसका भानना ह कक अगय सबी रोगो का हदभाग अदीफो की तयह घभा हआ होता तो दननमा कछ फहतय हो जाती |

परशन२- नभक र जात सभम सकफ़मा क भन भ कमा दपवधा थी

उततय-सकपमा समद भसरभान थी जो हय हार भ अऩना िामदा ननबात ह| ऩाककसतान स राहौयी नभक र जाकय िह अऩना िामदा ऩया कयना चाहती थी ऩयनदत जफ उस ऩता चरा कक कसटभ क ननमभो क अनसाय सीभाऩाय नभक र जाना िनदजयत ह तो िह दविधा भ ऩड़ गई | सकिमा का दिॊदि मह था कक िह अऩनी ससख भाॉ क सरए नभक कसटभ अधधकारयमो को फताकयर जाए मा नछऩाकय|

परशन३- ऩाि क आधाय ऩय सकपमा की चारयबतरक पवशषताएॉ फताइए |

उततय सॊकत ndash

१- बािक २- ईभानदाय ३- दढ़ननशचमी ४- ननडय ५- िामद को ननबान िारी ६- भानिीम भलमो को सिोऩरय भानन िारी साहहतमकाय

परशन ४- lsquoनभकrsquo ऩाि भ आए ककयदायो क भाधमभ स सऩषट कीजजए कक आज बी बायत औय ऩाककसतान की जनता क फीच भहबफत का नभकीन सवाद घरा हआ ह |

उततय ndash बर ही याजनीनतक औय धासभयक आधाय ऩय बायत औय ऩाककसतान को बौगोसरक रऩ स विबानदजत कय हदमा गमा ह रककन दोनो दशो क रोगो क रदम भ आज बी ऩायसऩरयक बाईचाया सौहादरय सनह औय सहानबनत विदमभान ह | याजनीनतक तौय ऩय बर ही सॊफॊध तनािऩणय हो ऩय साभानदजक तौय ऩय आज बी जनता क फीच भहबफत का नभकीन सिाद घरा हआ ह | अभतसय भ यहन िारी ससख फीफी राहौय को अऩना ितन कहती ह औय राहौयी नभक का सिाद नहीॊ बरा ऩाती | ऩाककसतान का कसटभ अधधकायी नभक की ऩडड़मा सकपमा को िाऩस दत हए कहता ह rdquoजाभा भनदसजद की सीहढ़मो को भया सराभ कहना |rdquo बायतीम सीभा ऩय तनात कसटभ अधधकायी ढाका की जभीन को औय िहाॉ क ऩानी क सिाद को नहीॊ बर ऩाता |

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गदमाॊश-आधारयत अथटगरहण सॊफॊधधत परशनोततय

गदमाॊश सॊकत- ऩाठndash नभक (ऩरषठ १३४)

सकपमा कसटभ क जॊगर स दोनो क हाथो भ थी |

(क) सकपमा कसटभ क जॉगर स ननकरकय दसय तरटपाभट ऩय आ गमी व वहीॊ खड़ यहndash इस वाकम भ lsquoवrsquo शबद का परमोग ककसक लरए ककमा गमा ह

उततय- महाॉ lsquoिrsquo शबद का परमोग ऩाककसतानी कसटभ अधधकायी क सरए ककमा गमा ह जो विबाजन स ऩिय हदलरी भ यहत थ औय आज बी हदलरी को ही अऩना ितन भानत ह |

(ख) तरटपाभट ऩय सकपमा को पवदा कयन कौन-कौन आए थ उनहोन सकपमा को कस पवदाई दी

उततय- परटपाभय ऩय सकपमा को विदा कयन उसक फहत साय सभतर सग सॊफॊधी औय बाई आए थ| उनदहोन ठॊडी साॉस बयत हए सबॊच हए होठो क साथ आॉस फहात हए सकपमा को विदाई दी |

(ग) अटायी भ यरगाड़ी भ कमा ऩरयवतटन हए उततय- अटायी भ यरगाड़ी स ऩाककसतानी ऩसरस उतयी औय हहनददसतानी ऩसरस सिाय हो गई|

(घ) कौन सी फात सकपमा की सभझ भ नहीॊ आ यही थी उततय- दोनो ओय एक सी जभीन एक जसा आसभान एक सी बारा एक सा ऩहनािा औय एक सी सयत क रोग कपय बी दोनो क हाथो भ बयी हई फॊदक ह |

17 लशयीष क पर

आचामट हजायी परसाद दपववदी

सायाॊश ndashlsquoआचामय हजायी परसाद दवििदीrsquo सशयीर को अदभत अिधत भानत ह कमोकक सॊनदमासी की बाॉनत िह सख-दख की धचॊता नहीॊ कयता गभी र िराय औय आॉधी भ बी अविचर खड़ा यहता ह सशयीर क िर क भाधमभ स भनरषम की अजम नदजजीविरा धमयशीरता औय कतयवमननरषठ फन यहन क भानिीम भलमो को सथावऩत ककमा गमा हरखक न सशयीर क कोभर परो औय कठोय परो क दिाया सऩरषट ककमा ह कक रदम की कोभरता फचान क सरए कबी-कबी वमिहाय की कठोयता बी आिशमक हो जाती ह| भहान कवि कासरदास औय कफीय बी सशयीर की तयह फऩयिाह अनासकत औय सयस थ तबी उनदहोन इतनी सनददय यचनाएॉ सॊसाय को दीॊ| गाॉधीजी क वमनदकतति भ बी कोभरता औय कठोयता का अदभत सॊगभ था | रखक सोचता ह कक हभाय दश भ जो भाय-काट अनदगनदाह रट-ऩाट खन-खचचय का फिॊडय ह कमा िह दश को नदसथय नहीॊ यहन दगा गराभी अशाॊनत औय वियोधी िाताियण क फीच अऩन ससदधाॊतो की या कयत हए गाॉधीजी जी नदसथय यह सक थ तो दश बी यह सकता ह जीन की परफर असबरारा क कायण

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विरभ ऩरयनदसथतमो भ बी महद सशयीर णखर सकता ह तो हभाया दश बी विरभ ऩरयनदसथनतमो भ नदसथय यह कय विकास कय सकता ह

परशन1-लसदध कीजजए कक लशयीष कारजमी अवधत की बाॉनत जीवन की अजमता क भॊतर का परचाय कयता ह

उततय- सशयीर कारजमी अिधत की बाॉनत जीिन की अजमता क भॊतर का परचाय कयता ह| जफ ऩथिी अनदगन क सभान तऩ यही होती ह िह तफ बी कोभर परो स रदा रहरहाता यहता ह|फाहयी गयभी धऩ िराय आॉधी र उस परबावित नहीॊ कयती इतना ही नहीॊ िह रॊफ सभम तक णखरा यहता ह | सशयीर विऩयीत ऩरयनदसथनतमो भ बी धमयशीर यहन तथा अऩनी अजम नदजजीविरा क साथ ननसऩह बाि स परचॊड गयभी भ बी अविचर खड़ा यहता ह

परशन२-आयगवध (अभरतास) की तरना लशयीष स कमो नहीॊ की जा सकती

उततय- सशयीर क पर बमॊकय गयभी भ णखरत ह औय आराढ़ तक णखरत यहत ह जफकक अभरतास का पर किर ऩनददरह-फीस हदनो क सरए णखरता ह | उसक फाद अभरतास क पर झड़ जात ह औय ऩड़ कपय स ठॉठ का ठॉठ हो जाता ह | अभरतास अलऩजीिी ह | विऩयीत ऩरयनदसथनतमो को झरता हआ ऊरषण िाताियण को हॉसकय झरता हआ सशयीर दीघयजीिी यहता ह | मही कायण ह कक सशयीर की तरना अभरतास स नहीॊ की जा सकती |

परशन३-लशयीष क परो को याजनताओॊ का रऩक कमो ठदमा गमा ह

उततय- सशयीर क पर उन फढ़ ढीठ औय ऩयान याजनताओॊ क परतीक ह जो अऩनी कसी नहीॊ छोड़ना चाहत | अऩनी अधधकाय-सरपसा क सरए नए मिा नताओॊ को आग नहीॊ आन दत | सशयीर क नए परो को जफयदसती ऩयान परो को धककमाना ऩड़ता ह | याजनीनत भ बी नई मिा ऩीढ़ी ऩयानी ऩीढ़ी को हयाकय सिमॊ सतता सॉबार रती ह |

परशन४- कार दवता की भाय स फचन का कमा उऩाम फतामा गमा ह

उततय- कार दिता कक भाय स फचन का अथय हndash भतम स फचना | इसका एकभातर उऩाम मह ह कक भनरषम नदसथय न हो| गनतशीर ऩरयितयनशीर यह | रखक क अनसाय नदजनकी चतना सदा ऊधियभखी (आधमातभ की ओय) यहती ह ि हटक जात ह |

परशन५- गाॉधीजी औय लशयीष की सभानता परकट कीजजए |

उततय- नदजस परकाय सशयीर धचरधचराती धऩ र िराय औय आॉधी भ बी अविचर खड़ा यहता ह अनासकत यहकय अऩन िाताियण स यस खीॊचकय सयस कोभर फना यहता ह उसी परकाय गाॉधी जी न बी अऩनी आॉखो क साभन आजादी क सॊगराभ भ अनदमाम बदबाि औय हहॊसा को झरा |

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उनक कोभर भन भ एक ओय ननयीह जनता क परनत असीभ करणा जागी िहीॊ ि अनदमामी शासन क वियोध भ डटकय खड़ हो गए |

गदमाॊश-आधारयत अथटगरहण सॊफॊधधत परशनोततय

गदमाॊश सॊकत- ऩाठ ndash सशयीर क पर (ऩरषठ १४७)

कासरदास सौदमय क िह इशाया ह |

(क) कालरदास की सौदमटndashदजषट की कमा पवशषता थी उततय-कासरदास की सौदमयndashदनदरषट फहत सकषभ अॊतबदी औय सॊऩणय थी| ि किर फाहयी रऩ-यॊग औय आकाय को ही नहीॊ दखत थ फनदलक अॊतभयन की सॊदयता क बी ऩायखी थ| कासरदास की सौदमय शायीरयक औय भानससक दोनो विशरताओॊ स मकत था |

(ख) अनासजकत का कमा आशम ह उततय- अनासनदकत का आशम ह- वमनदकतगत सख-द ख औय याग-दिर स ऩय यहकय सौदमय क िासतविक भभय को जानना |

(ग) कालरदास ऩॊत औय यवीॊिनाथ टगोय भ कौन सा गण सभान था भहाकवि कासरदास ससभतरानॊदन ऩॊत औय गरदि यिीॊदरनाथ टगोय तीनो नदसथयपरऻ औय अनासकत कवि थ | ि सशयीर क सभान सयस औय भसत अिधत थ |

(घ) यवीॊिनाथ याजोदमान क लसॊहदवाय क फाय भ कमा सॊदश दत ह याजोदमान क फाय भ यिीॊदरनाथ कहत ह याजोदमान का ससॊहदिाय ककतना ही सॊदय औय गगनचमफी कमो ना हो िह अॊनतभ ऩड़ाि नहीॊ ह| उसका सौदमय ककसी औय उचचतभ सौदमय की ओय ककमा गमा सॊकत भातर ह कक असरी सौदमय इस ऩाय कयन क फाद ह अत याजोदमान का ससॊहदिाय हभ आग फढ़न की परयणा दता ह |

18शरभ-पवबाजन औय जानत-परथा

िॉ० बीभयाव अॊफिकय

सायाॊश ndash इस ऩाठ भ रखक न जानतिाद क आधाय ऩय ककए जान िार बदबाि को सभम सभाज क सरए हाननकायक फतामा ह | जानत आधारयत शरभ विबाजन को असिाबाविक औय भानिता वियोधी फतामा गमा ह मह साभानदजक बदबाि को फढ़ाता ह जानतपरथा आधारयत शरभ विबाजन भ वमनदकत की रधच को भहतति नहीॊ हदमा जाता परसिरऩ वििशता क साथ अऩनाए

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Page 45: ISSUED BY KENDRIYA VIDYALAYA - DOWNLOADED FROM … Class XII Hindi Part B.pdfप्रश्न४ :-फादर क / फयन का गयीफ एि धनी िगय क्मा

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उततय- रोकताॊबतरक फनान का अथय ह कक कपलभ करा को सबी क सरए रोकवपरम फनाना औय िगय औय िणय-वमिसथा को तोड़न का आशम ह- सभाज भ परचसरत अभीय-गयीफ िणय जानतधभय क बदबाि को सभापत कयना |चनदपरन का चभतकाय मह ह कक उनदहोन कपलभकरा को बफना ककसी बदबाि क सबी रोगो तक ऩहॉचामा| उनकी कपलभो न सभम बगोर औय सॊसकनतमो की सीभाओॊ को राॉघ कय साियबौसभक रोकवपरमता हाससर की | चारक न मह ससदध कय हदमा कक करा सितनदतर होती ह अऩन ससदधाॊत सिमॊ फनाती ह |

परशन३ndash चारी चजतरन की कपलभो भ ननठहत तरासदीकरणाहासम का साभॊजसम बायतीम करा औय सौदमटशासतर की ऩरयधध भ कमो नहीॊ आता

उततय- चारक चनदपरन की कपलभो भ ननहहत तरासदीकरणाहासम का साभॊजसम बायतीम करा औय सौदमयशासतर की ऩरयधध भ नहीॊ आताकमोकक बायतीम यस-ससदधाॊत भ करणा औय हासम का भर नहीॊ हदखामा जाता कमोकक बायतीम सौदमयशासतर भ करणयस औय हासम यस को ऩयसऩय वियोधी भाना गमा ह अथायत जहाॊ करणा ह िहाॉ हासम नहीॊ हो सकता बायत भ सिमॊ ऩय हॉसन की ऩयॊऩया नहीॊ ह ऩयॊत चारक क ऩातर अऩन ऩय हॉसतndashहॉसात ह चारक की किलभो क दशम हॉसात-हॉसात ररा दत ह तो कबी करण दशम क फाद अचानक ही हॉसन ऩय भजफय कय दत ह

परशन४ndash चारी क कपलभो की पवशषताएॉ फताइए |

उततय- चारक की किलभो भ हासम औय करणा का अदभत साभॊजसम ह उनकी किलभो भ बारा का परमोग फहत कभ ह चारक की किलभो भ फवदध की अऩा बािना का भहतति अधधक ह उनकी किलभो भ साियबौसभकता ह चारक ककसी बी सॊसकनत को विदशी नही रगत चारक सफको अऩन रगत ह चारक न किलभो को रोकताॊबतरक फनामा औय किलभो भ िगय तथािणय-वमिसथा को तोड़ा अऩनी कपलभो भ चारक सदि धचय मिा हदखता ह

गदमाॊश-आधारयत अथटगरहण-सॊफॊधी परशनोततय

गदमाॊश सॊकत ndashचारक चनदपरन मानी हभ सफ (ऩरषठ १२० )

महद मह िरय चनदपरन की कापी कछ कहा जाएगा |

परशन (क)-पवकासशीर दशो भ चजतरन कमो भशहय हो यह ह

उततय - विकासशीर दशो भ जस-जस टरीविजन औय िीडडमो का परसाय हो यहा ह रोगो को उनकी कपलभो को दखन का अिसय सभर यहा ह |एक फहत फड़ा िगय नए ससय स चारक को घड़ी सधायत औय जत खान की कोसशश कयत दख यहा ह इसीसरए चारक विकासशीर दशो भ रोकवपरम हो यह ह |

(ख)- ऩजशचभ भ चारी का ऩनजीवन कस होता यहता ह

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उततय - ऩनदशचभ भ चारक की कपलभो का परदशयन होता यहता ह| उनकी करा स परयणा ऩाकय हासम किलभ फनती यहती ह | उनक दिाया ननबाए ककयदायो की नकर अनदम कराकाय कयत ह | ऩनदशचभ भ चारक का ऩनजीिन होता यहता ह|

(ग)- चारी को रोग फिाऩ तक कमो माद यखग

उततय ndashहासम कराकाय क रऩ भ रोग चारक को फढ़ाऩ तक माद यखग कमोकक उनकी करा सभम बगोर औय सॊसकनतमो की सीभाओॊ को राॉघकय राखो रोगो को हॉसा यही ह|

(घ)- चारी की कपलभो क फाय भ कापी कछ कहा जाना कमो फाी ह

उततय ndashचनदपरन की ऐसी कछ किलभ मा इसतभार न की गमी यीर सभरी ह नदजनक फाय भ कोई नहीॊ जानता था | चारक की बािनापरधान हासम कपलभो न करा क नए परनतभान सथावऩत ककए ह अत चारक की कपलभो क फाय भ अबी कापी कछ कहा जाना फाी ह|

16 नभक

रखखका - यजजमा सजजाद जहीय

सायाॊश -lsquoनभकrsquoबायत-ऩाक विबाजन ऩय सरणखत भासभयक कहानी ह | विसथावऩत हए रोगो भ अऩनndashअऩन जनदभ सथानो क परनत आज बी रगाि ह| धासभयक आधाय ऩय फनी यारषर-याजमो की सीभा-यखाएॉ उनक अॊतभयन को अरग नहीॊ कय ऩाई ह | बायत भ यहन िारी ससख फीिी राहौय को अऩना ितन भानती ह औय बायतीम कसटभ अधधकायी ढाका क नारयमर ऩानी को मादकय उस सियशररषठ फताता ह दोनो दशो क नागरयको क फीच भहबफत का नभकीन सिाद आज बी कामभ ह इसीसरए सकिमा बायत भ यहन िारी अऩनी भॉहफोरी भाॉ ससख फीिी क सरए राहौयी नभक रान क सरए कसटभ औय कानन की ऩयिाह नहीॊ कयती

परशन1- lsquoनभकrsquo ऩाि क आधाय ऩय फताइए कक सकपमा औय उसक बाई क पवचायो भ कमा अॊतय था

उततय- १-सकपमा बािनाओॊ को फहतभहतति दती ह ऩय उसका बाई फौवदधक परिनदतत का ह उसकी दनदरषट भ कानन बािनाओॊ स ऊऩय ह|

२-सकपमा भानिीम सॊफॊधो को फहत भहतति दती ह जफकक उसका बाई अरगाििादी विचायधाया का ह हहसस-फखय की फात कयता ह |

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३-सकपमा का बाई कहता ह कक अदीफो(साहहतमकाय) का हदभाग घभा हआ होता ह जफकक सकपमा जो सिमॊ अदीफ ह उसका भानना ह कक अगय सबी रोगो का हदभाग अदीफो की तयह घभा हआ होता तो दननमा कछ फहतय हो जाती |

परशन२- नभक र जात सभम सकफ़मा क भन भ कमा दपवधा थी

उततय-सकपमा समद भसरभान थी जो हय हार भ अऩना िामदा ननबात ह| ऩाककसतान स राहौयी नभक र जाकय िह अऩना िामदा ऩया कयना चाहती थी ऩयनदत जफ उस ऩता चरा कक कसटभ क ननमभो क अनसाय सीभाऩाय नभक र जाना िनदजयत ह तो िह दविधा भ ऩड़ गई | सकिमा का दिॊदि मह था कक िह अऩनी ससख भाॉ क सरए नभक कसटभ अधधकारयमो को फताकयर जाए मा नछऩाकय|

परशन३- ऩाि क आधाय ऩय सकपमा की चारयबतरक पवशषताएॉ फताइए |

उततय सॊकत ndash

१- बािक २- ईभानदाय ३- दढ़ननशचमी ४- ननडय ५- िामद को ननबान िारी ६- भानिीम भलमो को सिोऩरय भानन िारी साहहतमकाय

परशन ४- lsquoनभकrsquo ऩाि भ आए ककयदायो क भाधमभ स सऩषट कीजजए कक आज बी बायत औय ऩाककसतान की जनता क फीच भहबफत का नभकीन सवाद घरा हआ ह |

उततय ndash बर ही याजनीनतक औय धासभयक आधाय ऩय बायत औय ऩाककसतान को बौगोसरक रऩ स विबानदजत कय हदमा गमा ह रककन दोनो दशो क रोगो क रदम भ आज बी ऩायसऩरयक बाईचाया सौहादरय सनह औय सहानबनत विदमभान ह | याजनीनतक तौय ऩय बर ही सॊफॊध तनािऩणय हो ऩय साभानदजक तौय ऩय आज बी जनता क फीच भहबफत का नभकीन सिाद घरा हआ ह | अभतसय भ यहन िारी ससख फीफी राहौय को अऩना ितन कहती ह औय राहौयी नभक का सिाद नहीॊ बरा ऩाती | ऩाककसतान का कसटभ अधधकायी नभक की ऩडड़मा सकपमा को िाऩस दत हए कहता ह rdquoजाभा भनदसजद की सीहढ़मो को भया सराभ कहना |rdquo बायतीम सीभा ऩय तनात कसटभ अधधकायी ढाका की जभीन को औय िहाॉ क ऩानी क सिाद को नहीॊ बर ऩाता |

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गदमाॊश-आधारयत अथटगरहण सॊफॊधधत परशनोततय

गदमाॊश सॊकत- ऩाठndash नभक (ऩरषठ १३४)

सकपमा कसटभ क जॊगर स दोनो क हाथो भ थी |

(क) सकपमा कसटभ क जॉगर स ननकरकय दसय तरटपाभट ऩय आ गमी व वहीॊ खड़ यहndash इस वाकम भ lsquoवrsquo शबद का परमोग ककसक लरए ककमा गमा ह

उततय- महाॉ lsquoिrsquo शबद का परमोग ऩाककसतानी कसटभ अधधकायी क सरए ककमा गमा ह जो विबाजन स ऩिय हदलरी भ यहत थ औय आज बी हदलरी को ही अऩना ितन भानत ह |

(ख) तरटपाभट ऩय सकपमा को पवदा कयन कौन-कौन आए थ उनहोन सकपमा को कस पवदाई दी

उततय- परटपाभय ऩय सकपमा को विदा कयन उसक फहत साय सभतर सग सॊफॊधी औय बाई आए थ| उनदहोन ठॊडी साॉस बयत हए सबॊच हए होठो क साथ आॉस फहात हए सकपमा को विदाई दी |

(ग) अटायी भ यरगाड़ी भ कमा ऩरयवतटन हए उततय- अटायी भ यरगाड़ी स ऩाककसतानी ऩसरस उतयी औय हहनददसतानी ऩसरस सिाय हो गई|

(घ) कौन सी फात सकपमा की सभझ भ नहीॊ आ यही थी उततय- दोनो ओय एक सी जभीन एक जसा आसभान एक सी बारा एक सा ऩहनािा औय एक सी सयत क रोग कपय बी दोनो क हाथो भ बयी हई फॊदक ह |

17 लशयीष क पर

आचामट हजायी परसाद दपववदी

सायाॊश ndashlsquoआचामय हजायी परसाद दवििदीrsquo सशयीर को अदभत अिधत भानत ह कमोकक सॊनदमासी की बाॉनत िह सख-दख की धचॊता नहीॊ कयता गभी र िराय औय आॉधी भ बी अविचर खड़ा यहता ह सशयीर क िर क भाधमभ स भनरषम की अजम नदजजीविरा धमयशीरता औय कतयवमननरषठ फन यहन क भानिीम भलमो को सथावऩत ककमा गमा हरखक न सशयीर क कोभर परो औय कठोय परो क दिाया सऩरषट ककमा ह कक रदम की कोभरता फचान क सरए कबी-कबी वमिहाय की कठोयता बी आिशमक हो जाती ह| भहान कवि कासरदास औय कफीय बी सशयीर की तयह फऩयिाह अनासकत औय सयस थ तबी उनदहोन इतनी सनददय यचनाएॉ सॊसाय को दीॊ| गाॉधीजी क वमनदकतति भ बी कोभरता औय कठोयता का अदभत सॊगभ था | रखक सोचता ह कक हभाय दश भ जो भाय-काट अनदगनदाह रट-ऩाट खन-खचचय का फिॊडय ह कमा िह दश को नदसथय नहीॊ यहन दगा गराभी अशाॊनत औय वियोधी िाताियण क फीच अऩन ससदधाॊतो की या कयत हए गाॉधीजी जी नदसथय यह सक थ तो दश बी यह सकता ह जीन की परफर असबरारा क कायण

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विरभ ऩरयनदसथतमो भ बी महद सशयीर णखर सकता ह तो हभाया दश बी विरभ ऩरयनदसथनतमो भ नदसथय यह कय विकास कय सकता ह

परशन1-लसदध कीजजए कक लशयीष कारजमी अवधत की बाॉनत जीवन की अजमता क भॊतर का परचाय कयता ह

उततय- सशयीर कारजमी अिधत की बाॉनत जीिन की अजमता क भॊतर का परचाय कयता ह| जफ ऩथिी अनदगन क सभान तऩ यही होती ह िह तफ बी कोभर परो स रदा रहरहाता यहता ह|फाहयी गयभी धऩ िराय आॉधी र उस परबावित नहीॊ कयती इतना ही नहीॊ िह रॊफ सभम तक णखरा यहता ह | सशयीर विऩयीत ऩरयनदसथनतमो भ बी धमयशीर यहन तथा अऩनी अजम नदजजीविरा क साथ ननसऩह बाि स परचॊड गयभी भ बी अविचर खड़ा यहता ह

परशन२-आयगवध (अभरतास) की तरना लशयीष स कमो नहीॊ की जा सकती

उततय- सशयीर क पर बमॊकय गयभी भ णखरत ह औय आराढ़ तक णखरत यहत ह जफकक अभरतास का पर किर ऩनददरह-फीस हदनो क सरए णखरता ह | उसक फाद अभरतास क पर झड़ जात ह औय ऩड़ कपय स ठॉठ का ठॉठ हो जाता ह | अभरतास अलऩजीिी ह | विऩयीत ऩरयनदसथनतमो को झरता हआ ऊरषण िाताियण को हॉसकय झरता हआ सशयीर दीघयजीिी यहता ह | मही कायण ह कक सशयीर की तरना अभरतास स नहीॊ की जा सकती |

परशन३-लशयीष क परो को याजनताओॊ का रऩक कमो ठदमा गमा ह

उततय- सशयीर क पर उन फढ़ ढीठ औय ऩयान याजनताओॊ क परतीक ह जो अऩनी कसी नहीॊ छोड़ना चाहत | अऩनी अधधकाय-सरपसा क सरए नए मिा नताओॊ को आग नहीॊ आन दत | सशयीर क नए परो को जफयदसती ऩयान परो को धककमाना ऩड़ता ह | याजनीनत भ बी नई मिा ऩीढ़ी ऩयानी ऩीढ़ी को हयाकय सिमॊ सतता सॉबार रती ह |

परशन४- कार दवता की भाय स फचन का कमा उऩाम फतामा गमा ह

उततय- कार दिता कक भाय स फचन का अथय हndash भतम स फचना | इसका एकभातर उऩाम मह ह कक भनरषम नदसथय न हो| गनतशीर ऩरयितयनशीर यह | रखक क अनसाय नदजनकी चतना सदा ऊधियभखी (आधमातभ की ओय) यहती ह ि हटक जात ह |

परशन५- गाॉधीजी औय लशयीष की सभानता परकट कीजजए |

उततय- नदजस परकाय सशयीर धचरधचराती धऩ र िराय औय आॉधी भ बी अविचर खड़ा यहता ह अनासकत यहकय अऩन िाताियण स यस खीॊचकय सयस कोभर फना यहता ह उसी परकाय गाॉधी जी न बी अऩनी आॉखो क साभन आजादी क सॊगराभ भ अनदमाम बदबाि औय हहॊसा को झरा |

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उनक कोभर भन भ एक ओय ननयीह जनता क परनत असीभ करणा जागी िहीॊ ि अनदमामी शासन क वियोध भ डटकय खड़ हो गए |

गदमाॊश-आधारयत अथटगरहण सॊफॊधधत परशनोततय

गदमाॊश सॊकत- ऩाठ ndash सशयीर क पर (ऩरषठ १४७)

कासरदास सौदमय क िह इशाया ह |

(क) कालरदास की सौदमटndashदजषट की कमा पवशषता थी उततय-कासरदास की सौदमयndashदनदरषट फहत सकषभ अॊतबदी औय सॊऩणय थी| ि किर फाहयी रऩ-यॊग औय आकाय को ही नहीॊ दखत थ फनदलक अॊतभयन की सॊदयता क बी ऩायखी थ| कासरदास की सौदमय शायीरयक औय भानससक दोनो विशरताओॊ स मकत था |

(ख) अनासजकत का कमा आशम ह उततय- अनासनदकत का आशम ह- वमनदकतगत सख-द ख औय याग-दिर स ऩय यहकय सौदमय क िासतविक भभय को जानना |

(ग) कालरदास ऩॊत औय यवीॊिनाथ टगोय भ कौन सा गण सभान था भहाकवि कासरदास ससभतरानॊदन ऩॊत औय गरदि यिीॊदरनाथ टगोय तीनो नदसथयपरऻ औय अनासकत कवि थ | ि सशयीर क सभान सयस औय भसत अिधत थ |

(घ) यवीॊिनाथ याजोदमान क लसॊहदवाय क फाय भ कमा सॊदश दत ह याजोदमान क फाय भ यिीॊदरनाथ कहत ह याजोदमान का ससॊहदिाय ककतना ही सॊदय औय गगनचमफी कमो ना हो िह अॊनतभ ऩड़ाि नहीॊ ह| उसका सौदमय ककसी औय उचचतभ सौदमय की ओय ककमा गमा सॊकत भातर ह कक असरी सौदमय इस ऩाय कयन क फाद ह अत याजोदमान का ससॊहदिाय हभ आग फढ़न की परयणा दता ह |

18शरभ-पवबाजन औय जानत-परथा

िॉ० बीभयाव अॊफिकय

सायाॊश ndash इस ऩाठ भ रखक न जानतिाद क आधाय ऩय ककए जान िार बदबाि को सभम सभाज क सरए हाननकायक फतामा ह | जानत आधारयत शरभ विबाजन को असिाबाविक औय भानिता वियोधी फतामा गमा ह मह साभानदजक बदबाि को फढ़ाता ह जानतपरथा आधारयत शरभ विबाजन भ वमनदकत की रधच को भहतति नहीॊ हदमा जाता परसिरऩ वििशता क साथ अऩनाए

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Page 46: ISSUED BY KENDRIYA VIDYALAYA - DOWNLOADED FROM … Class XII Hindi Part B.pdfप्रश्न४ :-फादर क / फयन का गयीफ एि धनी िगय क्मा

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उततय - ऩनदशचभ भ चारक की कपलभो का परदशयन होता यहता ह| उनकी करा स परयणा ऩाकय हासम किलभ फनती यहती ह | उनक दिाया ननबाए ककयदायो की नकर अनदम कराकाय कयत ह | ऩनदशचभ भ चारक का ऩनजीिन होता यहता ह|

(ग)- चारी को रोग फिाऩ तक कमो माद यखग

उततय ndashहासम कराकाय क रऩ भ रोग चारक को फढ़ाऩ तक माद यखग कमोकक उनकी करा सभम बगोर औय सॊसकनतमो की सीभाओॊ को राॉघकय राखो रोगो को हॉसा यही ह|

(घ)- चारी की कपलभो क फाय भ कापी कछ कहा जाना कमो फाी ह

उततय ndashचनदपरन की ऐसी कछ किलभ मा इसतभार न की गमी यीर सभरी ह नदजनक फाय भ कोई नहीॊ जानता था | चारक की बािनापरधान हासम कपलभो न करा क नए परनतभान सथावऩत ककए ह अत चारक की कपलभो क फाय भ अबी कापी कछ कहा जाना फाी ह|

16 नभक

रखखका - यजजमा सजजाद जहीय

सायाॊश -lsquoनभकrsquoबायत-ऩाक विबाजन ऩय सरणखत भासभयक कहानी ह | विसथावऩत हए रोगो भ अऩनndashअऩन जनदभ सथानो क परनत आज बी रगाि ह| धासभयक आधाय ऩय फनी यारषर-याजमो की सीभा-यखाएॉ उनक अॊतभयन को अरग नहीॊ कय ऩाई ह | बायत भ यहन िारी ससख फीिी राहौय को अऩना ितन भानती ह औय बायतीम कसटभ अधधकायी ढाका क नारयमर ऩानी को मादकय उस सियशररषठ फताता ह दोनो दशो क नागरयको क फीच भहबफत का नभकीन सिाद आज बी कामभ ह इसीसरए सकिमा बायत भ यहन िारी अऩनी भॉहफोरी भाॉ ससख फीिी क सरए राहौयी नभक रान क सरए कसटभ औय कानन की ऩयिाह नहीॊ कयती

परशन1- lsquoनभकrsquo ऩाि क आधाय ऩय फताइए कक सकपमा औय उसक बाई क पवचायो भ कमा अॊतय था

उततय- १-सकपमा बािनाओॊ को फहतभहतति दती ह ऩय उसका बाई फौवदधक परिनदतत का ह उसकी दनदरषट भ कानन बािनाओॊ स ऊऩय ह|

२-सकपमा भानिीम सॊफॊधो को फहत भहतति दती ह जफकक उसका बाई अरगाििादी विचायधाया का ह हहसस-फखय की फात कयता ह |

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३-सकपमा का बाई कहता ह कक अदीफो(साहहतमकाय) का हदभाग घभा हआ होता ह जफकक सकपमा जो सिमॊ अदीफ ह उसका भानना ह कक अगय सबी रोगो का हदभाग अदीफो की तयह घभा हआ होता तो दननमा कछ फहतय हो जाती |

परशन२- नभक र जात सभम सकफ़मा क भन भ कमा दपवधा थी

उततय-सकपमा समद भसरभान थी जो हय हार भ अऩना िामदा ननबात ह| ऩाककसतान स राहौयी नभक र जाकय िह अऩना िामदा ऩया कयना चाहती थी ऩयनदत जफ उस ऩता चरा कक कसटभ क ननमभो क अनसाय सीभाऩाय नभक र जाना िनदजयत ह तो िह दविधा भ ऩड़ गई | सकिमा का दिॊदि मह था कक िह अऩनी ससख भाॉ क सरए नभक कसटभ अधधकारयमो को फताकयर जाए मा नछऩाकय|

परशन३- ऩाि क आधाय ऩय सकपमा की चारयबतरक पवशषताएॉ फताइए |

उततय सॊकत ndash

१- बािक २- ईभानदाय ३- दढ़ननशचमी ४- ननडय ५- िामद को ननबान िारी ६- भानिीम भलमो को सिोऩरय भानन िारी साहहतमकाय

परशन ४- lsquoनभकrsquo ऩाि भ आए ककयदायो क भाधमभ स सऩषट कीजजए कक आज बी बायत औय ऩाककसतान की जनता क फीच भहबफत का नभकीन सवाद घरा हआ ह |

उततय ndash बर ही याजनीनतक औय धासभयक आधाय ऩय बायत औय ऩाककसतान को बौगोसरक रऩ स विबानदजत कय हदमा गमा ह रककन दोनो दशो क रोगो क रदम भ आज बी ऩायसऩरयक बाईचाया सौहादरय सनह औय सहानबनत विदमभान ह | याजनीनतक तौय ऩय बर ही सॊफॊध तनािऩणय हो ऩय साभानदजक तौय ऩय आज बी जनता क फीच भहबफत का नभकीन सिाद घरा हआ ह | अभतसय भ यहन िारी ससख फीफी राहौय को अऩना ितन कहती ह औय राहौयी नभक का सिाद नहीॊ बरा ऩाती | ऩाककसतान का कसटभ अधधकायी नभक की ऩडड़मा सकपमा को िाऩस दत हए कहता ह rdquoजाभा भनदसजद की सीहढ़मो को भया सराभ कहना |rdquo बायतीम सीभा ऩय तनात कसटभ अधधकायी ढाका की जभीन को औय िहाॉ क ऩानी क सिाद को नहीॊ बर ऩाता |

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गदमाॊश-आधारयत अथटगरहण सॊफॊधधत परशनोततय

गदमाॊश सॊकत- ऩाठndash नभक (ऩरषठ १३४)

सकपमा कसटभ क जॊगर स दोनो क हाथो भ थी |

(क) सकपमा कसटभ क जॉगर स ननकरकय दसय तरटपाभट ऩय आ गमी व वहीॊ खड़ यहndash इस वाकम भ lsquoवrsquo शबद का परमोग ककसक लरए ककमा गमा ह

उततय- महाॉ lsquoिrsquo शबद का परमोग ऩाककसतानी कसटभ अधधकायी क सरए ककमा गमा ह जो विबाजन स ऩिय हदलरी भ यहत थ औय आज बी हदलरी को ही अऩना ितन भानत ह |

(ख) तरटपाभट ऩय सकपमा को पवदा कयन कौन-कौन आए थ उनहोन सकपमा को कस पवदाई दी

उततय- परटपाभय ऩय सकपमा को विदा कयन उसक फहत साय सभतर सग सॊफॊधी औय बाई आए थ| उनदहोन ठॊडी साॉस बयत हए सबॊच हए होठो क साथ आॉस फहात हए सकपमा को विदाई दी |

(ग) अटायी भ यरगाड़ी भ कमा ऩरयवतटन हए उततय- अटायी भ यरगाड़ी स ऩाककसतानी ऩसरस उतयी औय हहनददसतानी ऩसरस सिाय हो गई|

(घ) कौन सी फात सकपमा की सभझ भ नहीॊ आ यही थी उततय- दोनो ओय एक सी जभीन एक जसा आसभान एक सी बारा एक सा ऩहनािा औय एक सी सयत क रोग कपय बी दोनो क हाथो भ बयी हई फॊदक ह |

17 लशयीष क पर

आचामट हजायी परसाद दपववदी

सायाॊश ndashlsquoआचामय हजायी परसाद दवििदीrsquo सशयीर को अदभत अिधत भानत ह कमोकक सॊनदमासी की बाॉनत िह सख-दख की धचॊता नहीॊ कयता गभी र िराय औय आॉधी भ बी अविचर खड़ा यहता ह सशयीर क िर क भाधमभ स भनरषम की अजम नदजजीविरा धमयशीरता औय कतयवमननरषठ फन यहन क भानिीम भलमो को सथावऩत ककमा गमा हरखक न सशयीर क कोभर परो औय कठोय परो क दिाया सऩरषट ककमा ह कक रदम की कोभरता फचान क सरए कबी-कबी वमिहाय की कठोयता बी आिशमक हो जाती ह| भहान कवि कासरदास औय कफीय बी सशयीर की तयह फऩयिाह अनासकत औय सयस थ तबी उनदहोन इतनी सनददय यचनाएॉ सॊसाय को दीॊ| गाॉधीजी क वमनदकतति भ बी कोभरता औय कठोयता का अदभत सॊगभ था | रखक सोचता ह कक हभाय दश भ जो भाय-काट अनदगनदाह रट-ऩाट खन-खचचय का फिॊडय ह कमा िह दश को नदसथय नहीॊ यहन दगा गराभी अशाॊनत औय वियोधी िाताियण क फीच अऩन ससदधाॊतो की या कयत हए गाॉधीजी जी नदसथय यह सक थ तो दश बी यह सकता ह जीन की परफर असबरारा क कायण

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विरभ ऩरयनदसथतमो भ बी महद सशयीर णखर सकता ह तो हभाया दश बी विरभ ऩरयनदसथनतमो भ नदसथय यह कय विकास कय सकता ह

परशन1-लसदध कीजजए कक लशयीष कारजमी अवधत की बाॉनत जीवन की अजमता क भॊतर का परचाय कयता ह

उततय- सशयीर कारजमी अिधत की बाॉनत जीिन की अजमता क भॊतर का परचाय कयता ह| जफ ऩथिी अनदगन क सभान तऩ यही होती ह िह तफ बी कोभर परो स रदा रहरहाता यहता ह|फाहयी गयभी धऩ िराय आॉधी र उस परबावित नहीॊ कयती इतना ही नहीॊ िह रॊफ सभम तक णखरा यहता ह | सशयीर विऩयीत ऩरयनदसथनतमो भ बी धमयशीर यहन तथा अऩनी अजम नदजजीविरा क साथ ननसऩह बाि स परचॊड गयभी भ बी अविचर खड़ा यहता ह

परशन२-आयगवध (अभरतास) की तरना लशयीष स कमो नहीॊ की जा सकती

उततय- सशयीर क पर बमॊकय गयभी भ णखरत ह औय आराढ़ तक णखरत यहत ह जफकक अभरतास का पर किर ऩनददरह-फीस हदनो क सरए णखरता ह | उसक फाद अभरतास क पर झड़ जात ह औय ऩड़ कपय स ठॉठ का ठॉठ हो जाता ह | अभरतास अलऩजीिी ह | विऩयीत ऩरयनदसथनतमो को झरता हआ ऊरषण िाताियण को हॉसकय झरता हआ सशयीर दीघयजीिी यहता ह | मही कायण ह कक सशयीर की तरना अभरतास स नहीॊ की जा सकती |

परशन३-लशयीष क परो को याजनताओॊ का रऩक कमो ठदमा गमा ह

उततय- सशयीर क पर उन फढ़ ढीठ औय ऩयान याजनताओॊ क परतीक ह जो अऩनी कसी नहीॊ छोड़ना चाहत | अऩनी अधधकाय-सरपसा क सरए नए मिा नताओॊ को आग नहीॊ आन दत | सशयीर क नए परो को जफयदसती ऩयान परो को धककमाना ऩड़ता ह | याजनीनत भ बी नई मिा ऩीढ़ी ऩयानी ऩीढ़ी को हयाकय सिमॊ सतता सॉबार रती ह |

परशन४- कार दवता की भाय स फचन का कमा उऩाम फतामा गमा ह

उततय- कार दिता कक भाय स फचन का अथय हndash भतम स फचना | इसका एकभातर उऩाम मह ह कक भनरषम नदसथय न हो| गनतशीर ऩरयितयनशीर यह | रखक क अनसाय नदजनकी चतना सदा ऊधियभखी (आधमातभ की ओय) यहती ह ि हटक जात ह |

परशन५- गाॉधीजी औय लशयीष की सभानता परकट कीजजए |

उततय- नदजस परकाय सशयीर धचरधचराती धऩ र िराय औय आॉधी भ बी अविचर खड़ा यहता ह अनासकत यहकय अऩन िाताियण स यस खीॊचकय सयस कोभर फना यहता ह उसी परकाय गाॉधी जी न बी अऩनी आॉखो क साभन आजादी क सॊगराभ भ अनदमाम बदबाि औय हहॊसा को झरा |

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उनक कोभर भन भ एक ओय ननयीह जनता क परनत असीभ करणा जागी िहीॊ ि अनदमामी शासन क वियोध भ डटकय खड़ हो गए |

गदमाॊश-आधारयत अथटगरहण सॊफॊधधत परशनोततय

गदमाॊश सॊकत- ऩाठ ndash सशयीर क पर (ऩरषठ १४७)

कासरदास सौदमय क िह इशाया ह |

(क) कालरदास की सौदमटndashदजषट की कमा पवशषता थी उततय-कासरदास की सौदमयndashदनदरषट फहत सकषभ अॊतबदी औय सॊऩणय थी| ि किर फाहयी रऩ-यॊग औय आकाय को ही नहीॊ दखत थ फनदलक अॊतभयन की सॊदयता क बी ऩायखी थ| कासरदास की सौदमय शायीरयक औय भानससक दोनो विशरताओॊ स मकत था |

(ख) अनासजकत का कमा आशम ह उततय- अनासनदकत का आशम ह- वमनदकतगत सख-द ख औय याग-दिर स ऩय यहकय सौदमय क िासतविक भभय को जानना |

(ग) कालरदास ऩॊत औय यवीॊिनाथ टगोय भ कौन सा गण सभान था भहाकवि कासरदास ससभतरानॊदन ऩॊत औय गरदि यिीॊदरनाथ टगोय तीनो नदसथयपरऻ औय अनासकत कवि थ | ि सशयीर क सभान सयस औय भसत अिधत थ |

(घ) यवीॊिनाथ याजोदमान क लसॊहदवाय क फाय भ कमा सॊदश दत ह याजोदमान क फाय भ यिीॊदरनाथ कहत ह याजोदमान का ससॊहदिाय ककतना ही सॊदय औय गगनचमफी कमो ना हो िह अॊनतभ ऩड़ाि नहीॊ ह| उसका सौदमय ककसी औय उचचतभ सौदमय की ओय ककमा गमा सॊकत भातर ह कक असरी सौदमय इस ऩाय कयन क फाद ह अत याजोदमान का ससॊहदिाय हभ आग फढ़न की परयणा दता ह |

18शरभ-पवबाजन औय जानत-परथा

िॉ० बीभयाव अॊफिकय

सायाॊश ndash इस ऩाठ भ रखक न जानतिाद क आधाय ऩय ककए जान िार बदबाि को सभम सभाज क सरए हाननकायक फतामा ह | जानत आधारयत शरभ विबाजन को असिाबाविक औय भानिता वियोधी फतामा गमा ह मह साभानदजक बदबाि को फढ़ाता ह जानतपरथा आधारयत शरभ विबाजन भ वमनदकत की रधच को भहतति नहीॊ हदमा जाता परसिरऩ वििशता क साथ अऩनाए

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३-सकपमा का बाई कहता ह कक अदीफो(साहहतमकाय) का हदभाग घभा हआ होता ह जफकक सकपमा जो सिमॊ अदीफ ह उसका भानना ह कक अगय सबी रोगो का हदभाग अदीफो की तयह घभा हआ होता तो दननमा कछ फहतय हो जाती |

परशन२- नभक र जात सभम सकफ़मा क भन भ कमा दपवधा थी

उततय-सकपमा समद भसरभान थी जो हय हार भ अऩना िामदा ननबात ह| ऩाककसतान स राहौयी नभक र जाकय िह अऩना िामदा ऩया कयना चाहती थी ऩयनदत जफ उस ऩता चरा कक कसटभ क ननमभो क अनसाय सीभाऩाय नभक र जाना िनदजयत ह तो िह दविधा भ ऩड़ गई | सकिमा का दिॊदि मह था कक िह अऩनी ससख भाॉ क सरए नभक कसटभ अधधकारयमो को फताकयर जाए मा नछऩाकय|

परशन३- ऩाि क आधाय ऩय सकपमा की चारयबतरक पवशषताएॉ फताइए |

उततय सॊकत ndash

१- बािक २- ईभानदाय ३- दढ़ननशचमी ४- ननडय ५- िामद को ननबान िारी ६- भानिीम भलमो को सिोऩरय भानन िारी साहहतमकाय

परशन ४- lsquoनभकrsquo ऩाि भ आए ककयदायो क भाधमभ स सऩषट कीजजए कक आज बी बायत औय ऩाककसतान की जनता क फीच भहबफत का नभकीन सवाद घरा हआ ह |

उततय ndash बर ही याजनीनतक औय धासभयक आधाय ऩय बायत औय ऩाककसतान को बौगोसरक रऩ स विबानदजत कय हदमा गमा ह रककन दोनो दशो क रोगो क रदम भ आज बी ऩायसऩरयक बाईचाया सौहादरय सनह औय सहानबनत विदमभान ह | याजनीनतक तौय ऩय बर ही सॊफॊध तनािऩणय हो ऩय साभानदजक तौय ऩय आज बी जनता क फीच भहबफत का नभकीन सिाद घरा हआ ह | अभतसय भ यहन िारी ससख फीफी राहौय को अऩना ितन कहती ह औय राहौयी नभक का सिाद नहीॊ बरा ऩाती | ऩाककसतान का कसटभ अधधकायी नभक की ऩडड़मा सकपमा को िाऩस दत हए कहता ह rdquoजाभा भनदसजद की सीहढ़मो को भया सराभ कहना |rdquo बायतीम सीभा ऩय तनात कसटभ अधधकायी ढाका की जभीन को औय िहाॉ क ऩानी क सिाद को नहीॊ बर ऩाता |

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गदमाॊश-आधारयत अथटगरहण सॊफॊधधत परशनोततय

गदमाॊश सॊकत- ऩाठndash नभक (ऩरषठ १३४)

सकपमा कसटभ क जॊगर स दोनो क हाथो भ थी |

(क) सकपमा कसटभ क जॉगर स ननकरकय दसय तरटपाभट ऩय आ गमी व वहीॊ खड़ यहndash इस वाकम भ lsquoवrsquo शबद का परमोग ककसक लरए ककमा गमा ह

उततय- महाॉ lsquoिrsquo शबद का परमोग ऩाककसतानी कसटभ अधधकायी क सरए ककमा गमा ह जो विबाजन स ऩिय हदलरी भ यहत थ औय आज बी हदलरी को ही अऩना ितन भानत ह |

(ख) तरटपाभट ऩय सकपमा को पवदा कयन कौन-कौन आए थ उनहोन सकपमा को कस पवदाई दी

उततय- परटपाभय ऩय सकपमा को विदा कयन उसक फहत साय सभतर सग सॊफॊधी औय बाई आए थ| उनदहोन ठॊडी साॉस बयत हए सबॊच हए होठो क साथ आॉस फहात हए सकपमा को विदाई दी |

(ग) अटायी भ यरगाड़ी भ कमा ऩरयवतटन हए उततय- अटायी भ यरगाड़ी स ऩाककसतानी ऩसरस उतयी औय हहनददसतानी ऩसरस सिाय हो गई|

(घ) कौन सी फात सकपमा की सभझ भ नहीॊ आ यही थी उततय- दोनो ओय एक सी जभीन एक जसा आसभान एक सी बारा एक सा ऩहनािा औय एक सी सयत क रोग कपय बी दोनो क हाथो भ बयी हई फॊदक ह |

17 लशयीष क पर

आचामट हजायी परसाद दपववदी

सायाॊश ndashlsquoआचामय हजायी परसाद दवििदीrsquo सशयीर को अदभत अिधत भानत ह कमोकक सॊनदमासी की बाॉनत िह सख-दख की धचॊता नहीॊ कयता गभी र िराय औय आॉधी भ बी अविचर खड़ा यहता ह सशयीर क िर क भाधमभ स भनरषम की अजम नदजजीविरा धमयशीरता औय कतयवमननरषठ फन यहन क भानिीम भलमो को सथावऩत ककमा गमा हरखक न सशयीर क कोभर परो औय कठोय परो क दिाया सऩरषट ककमा ह कक रदम की कोभरता फचान क सरए कबी-कबी वमिहाय की कठोयता बी आिशमक हो जाती ह| भहान कवि कासरदास औय कफीय बी सशयीर की तयह फऩयिाह अनासकत औय सयस थ तबी उनदहोन इतनी सनददय यचनाएॉ सॊसाय को दीॊ| गाॉधीजी क वमनदकतति भ बी कोभरता औय कठोयता का अदभत सॊगभ था | रखक सोचता ह कक हभाय दश भ जो भाय-काट अनदगनदाह रट-ऩाट खन-खचचय का फिॊडय ह कमा िह दश को नदसथय नहीॊ यहन दगा गराभी अशाॊनत औय वियोधी िाताियण क फीच अऩन ससदधाॊतो की या कयत हए गाॉधीजी जी नदसथय यह सक थ तो दश बी यह सकता ह जीन की परफर असबरारा क कायण

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विरभ ऩरयनदसथतमो भ बी महद सशयीर णखर सकता ह तो हभाया दश बी विरभ ऩरयनदसथनतमो भ नदसथय यह कय विकास कय सकता ह

परशन1-लसदध कीजजए कक लशयीष कारजमी अवधत की बाॉनत जीवन की अजमता क भॊतर का परचाय कयता ह

उततय- सशयीर कारजमी अिधत की बाॉनत जीिन की अजमता क भॊतर का परचाय कयता ह| जफ ऩथिी अनदगन क सभान तऩ यही होती ह िह तफ बी कोभर परो स रदा रहरहाता यहता ह|फाहयी गयभी धऩ िराय आॉधी र उस परबावित नहीॊ कयती इतना ही नहीॊ िह रॊफ सभम तक णखरा यहता ह | सशयीर विऩयीत ऩरयनदसथनतमो भ बी धमयशीर यहन तथा अऩनी अजम नदजजीविरा क साथ ननसऩह बाि स परचॊड गयभी भ बी अविचर खड़ा यहता ह

परशन२-आयगवध (अभरतास) की तरना लशयीष स कमो नहीॊ की जा सकती

उततय- सशयीर क पर बमॊकय गयभी भ णखरत ह औय आराढ़ तक णखरत यहत ह जफकक अभरतास का पर किर ऩनददरह-फीस हदनो क सरए णखरता ह | उसक फाद अभरतास क पर झड़ जात ह औय ऩड़ कपय स ठॉठ का ठॉठ हो जाता ह | अभरतास अलऩजीिी ह | विऩयीत ऩरयनदसथनतमो को झरता हआ ऊरषण िाताियण को हॉसकय झरता हआ सशयीर दीघयजीिी यहता ह | मही कायण ह कक सशयीर की तरना अभरतास स नहीॊ की जा सकती |

परशन३-लशयीष क परो को याजनताओॊ का रऩक कमो ठदमा गमा ह

उततय- सशयीर क पर उन फढ़ ढीठ औय ऩयान याजनताओॊ क परतीक ह जो अऩनी कसी नहीॊ छोड़ना चाहत | अऩनी अधधकाय-सरपसा क सरए नए मिा नताओॊ को आग नहीॊ आन दत | सशयीर क नए परो को जफयदसती ऩयान परो को धककमाना ऩड़ता ह | याजनीनत भ बी नई मिा ऩीढ़ी ऩयानी ऩीढ़ी को हयाकय सिमॊ सतता सॉबार रती ह |

परशन४- कार दवता की भाय स फचन का कमा उऩाम फतामा गमा ह

उततय- कार दिता कक भाय स फचन का अथय हndash भतम स फचना | इसका एकभातर उऩाम मह ह कक भनरषम नदसथय न हो| गनतशीर ऩरयितयनशीर यह | रखक क अनसाय नदजनकी चतना सदा ऊधियभखी (आधमातभ की ओय) यहती ह ि हटक जात ह |

परशन५- गाॉधीजी औय लशयीष की सभानता परकट कीजजए |

उततय- नदजस परकाय सशयीर धचरधचराती धऩ र िराय औय आॉधी भ बी अविचर खड़ा यहता ह अनासकत यहकय अऩन िाताियण स यस खीॊचकय सयस कोभर फना यहता ह उसी परकाय गाॉधी जी न बी अऩनी आॉखो क साभन आजादी क सॊगराभ भ अनदमाम बदबाि औय हहॊसा को झरा |

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उनक कोभर भन भ एक ओय ननयीह जनता क परनत असीभ करणा जागी िहीॊ ि अनदमामी शासन क वियोध भ डटकय खड़ हो गए |

गदमाॊश-आधारयत अथटगरहण सॊफॊधधत परशनोततय

गदमाॊश सॊकत- ऩाठ ndash सशयीर क पर (ऩरषठ १४७)

कासरदास सौदमय क िह इशाया ह |

(क) कालरदास की सौदमटndashदजषट की कमा पवशषता थी उततय-कासरदास की सौदमयndashदनदरषट फहत सकषभ अॊतबदी औय सॊऩणय थी| ि किर फाहयी रऩ-यॊग औय आकाय को ही नहीॊ दखत थ फनदलक अॊतभयन की सॊदयता क बी ऩायखी थ| कासरदास की सौदमय शायीरयक औय भानससक दोनो विशरताओॊ स मकत था |

(ख) अनासजकत का कमा आशम ह उततय- अनासनदकत का आशम ह- वमनदकतगत सख-द ख औय याग-दिर स ऩय यहकय सौदमय क िासतविक भभय को जानना |

(ग) कालरदास ऩॊत औय यवीॊिनाथ टगोय भ कौन सा गण सभान था भहाकवि कासरदास ससभतरानॊदन ऩॊत औय गरदि यिीॊदरनाथ टगोय तीनो नदसथयपरऻ औय अनासकत कवि थ | ि सशयीर क सभान सयस औय भसत अिधत थ |

(घ) यवीॊिनाथ याजोदमान क लसॊहदवाय क फाय भ कमा सॊदश दत ह याजोदमान क फाय भ यिीॊदरनाथ कहत ह याजोदमान का ससॊहदिाय ककतना ही सॊदय औय गगनचमफी कमो ना हो िह अॊनतभ ऩड़ाि नहीॊ ह| उसका सौदमय ककसी औय उचचतभ सौदमय की ओय ककमा गमा सॊकत भातर ह कक असरी सौदमय इस ऩाय कयन क फाद ह अत याजोदमान का ससॊहदिाय हभ आग फढ़न की परयणा दता ह |

18शरभ-पवबाजन औय जानत-परथा

िॉ० बीभयाव अॊफिकय

सायाॊश ndash इस ऩाठ भ रखक न जानतिाद क आधाय ऩय ककए जान िार बदबाि को सभम सभाज क सरए हाननकायक फतामा ह | जानत आधारयत शरभ विबाजन को असिाबाविक औय भानिता वियोधी फतामा गमा ह मह साभानदजक बदबाि को फढ़ाता ह जानतपरथा आधारयत शरभ विबाजन भ वमनदकत की रधच को भहतति नहीॊ हदमा जाता परसिरऩ वििशता क साथ अऩनाए

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गदमाॊश-आधारयत अथटगरहण सॊफॊधधत परशनोततय

गदमाॊश सॊकत- ऩाठndash नभक (ऩरषठ १३४)

सकपमा कसटभ क जॊगर स दोनो क हाथो भ थी |

(क) सकपमा कसटभ क जॉगर स ननकरकय दसय तरटपाभट ऩय आ गमी व वहीॊ खड़ यहndash इस वाकम भ lsquoवrsquo शबद का परमोग ककसक लरए ककमा गमा ह

उततय- महाॉ lsquoिrsquo शबद का परमोग ऩाककसतानी कसटभ अधधकायी क सरए ककमा गमा ह जो विबाजन स ऩिय हदलरी भ यहत थ औय आज बी हदलरी को ही अऩना ितन भानत ह |

(ख) तरटपाभट ऩय सकपमा को पवदा कयन कौन-कौन आए थ उनहोन सकपमा को कस पवदाई दी

उततय- परटपाभय ऩय सकपमा को विदा कयन उसक फहत साय सभतर सग सॊफॊधी औय बाई आए थ| उनदहोन ठॊडी साॉस बयत हए सबॊच हए होठो क साथ आॉस फहात हए सकपमा को विदाई दी |

(ग) अटायी भ यरगाड़ी भ कमा ऩरयवतटन हए उततय- अटायी भ यरगाड़ी स ऩाककसतानी ऩसरस उतयी औय हहनददसतानी ऩसरस सिाय हो गई|

(घ) कौन सी फात सकपमा की सभझ भ नहीॊ आ यही थी उततय- दोनो ओय एक सी जभीन एक जसा आसभान एक सी बारा एक सा ऩहनािा औय एक सी सयत क रोग कपय बी दोनो क हाथो भ बयी हई फॊदक ह |

17 लशयीष क पर

आचामट हजायी परसाद दपववदी

सायाॊश ndashlsquoआचामय हजायी परसाद दवििदीrsquo सशयीर को अदभत अिधत भानत ह कमोकक सॊनदमासी की बाॉनत िह सख-दख की धचॊता नहीॊ कयता गभी र िराय औय आॉधी भ बी अविचर खड़ा यहता ह सशयीर क िर क भाधमभ स भनरषम की अजम नदजजीविरा धमयशीरता औय कतयवमननरषठ फन यहन क भानिीम भलमो को सथावऩत ककमा गमा हरखक न सशयीर क कोभर परो औय कठोय परो क दिाया सऩरषट ककमा ह कक रदम की कोभरता फचान क सरए कबी-कबी वमिहाय की कठोयता बी आिशमक हो जाती ह| भहान कवि कासरदास औय कफीय बी सशयीर की तयह फऩयिाह अनासकत औय सयस थ तबी उनदहोन इतनी सनददय यचनाएॉ सॊसाय को दीॊ| गाॉधीजी क वमनदकतति भ बी कोभरता औय कठोयता का अदभत सॊगभ था | रखक सोचता ह कक हभाय दश भ जो भाय-काट अनदगनदाह रट-ऩाट खन-खचचय का फिॊडय ह कमा िह दश को नदसथय नहीॊ यहन दगा गराभी अशाॊनत औय वियोधी िाताियण क फीच अऩन ससदधाॊतो की या कयत हए गाॉधीजी जी नदसथय यह सक थ तो दश बी यह सकता ह जीन की परफर असबरारा क कायण

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विरभ ऩरयनदसथतमो भ बी महद सशयीर णखर सकता ह तो हभाया दश बी विरभ ऩरयनदसथनतमो भ नदसथय यह कय विकास कय सकता ह

परशन1-लसदध कीजजए कक लशयीष कारजमी अवधत की बाॉनत जीवन की अजमता क भॊतर का परचाय कयता ह

उततय- सशयीर कारजमी अिधत की बाॉनत जीिन की अजमता क भॊतर का परचाय कयता ह| जफ ऩथिी अनदगन क सभान तऩ यही होती ह िह तफ बी कोभर परो स रदा रहरहाता यहता ह|फाहयी गयभी धऩ िराय आॉधी र उस परबावित नहीॊ कयती इतना ही नहीॊ िह रॊफ सभम तक णखरा यहता ह | सशयीर विऩयीत ऩरयनदसथनतमो भ बी धमयशीर यहन तथा अऩनी अजम नदजजीविरा क साथ ननसऩह बाि स परचॊड गयभी भ बी अविचर खड़ा यहता ह

परशन२-आयगवध (अभरतास) की तरना लशयीष स कमो नहीॊ की जा सकती

उततय- सशयीर क पर बमॊकय गयभी भ णखरत ह औय आराढ़ तक णखरत यहत ह जफकक अभरतास का पर किर ऩनददरह-फीस हदनो क सरए णखरता ह | उसक फाद अभरतास क पर झड़ जात ह औय ऩड़ कपय स ठॉठ का ठॉठ हो जाता ह | अभरतास अलऩजीिी ह | विऩयीत ऩरयनदसथनतमो को झरता हआ ऊरषण िाताियण को हॉसकय झरता हआ सशयीर दीघयजीिी यहता ह | मही कायण ह कक सशयीर की तरना अभरतास स नहीॊ की जा सकती |

परशन३-लशयीष क परो को याजनताओॊ का रऩक कमो ठदमा गमा ह

उततय- सशयीर क पर उन फढ़ ढीठ औय ऩयान याजनताओॊ क परतीक ह जो अऩनी कसी नहीॊ छोड़ना चाहत | अऩनी अधधकाय-सरपसा क सरए नए मिा नताओॊ को आग नहीॊ आन दत | सशयीर क नए परो को जफयदसती ऩयान परो को धककमाना ऩड़ता ह | याजनीनत भ बी नई मिा ऩीढ़ी ऩयानी ऩीढ़ी को हयाकय सिमॊ सतता सॉबार रती ह |

परशन४- कार दवता की भाय स फचन का कमा उऩाम फतामा गमा ह

उततय- कार दिता कक भाय स फचन का अथय हndash भतम स फचना | इसका एकभातर उऩाम मह ह कक भनरषम नदसथय न हो| गनतशीर ऩरयितयनशीर यह | रखक क अनसाय नदजनकी चतना सदा ऊधियभखी (आधमातभ की ओय) यहती ह ि हटक जात ह |

परशन५- गाॉधीजी औय लशयीष की सभानता परकट कीजजए |

उततय- नदजस परकाय सशयीर धचरधचराती धऩ र िराय औय आॉधी भ बी अविचर खड़ा यहता ह अनासकत यहकय अऩन िाताियण स यस खीॊचकय सयस कोभर फना यहता ह उसी परकाय गाॉधी जी न बी अऩनी आॉखो क साभन आजादी क सॊगराभ भ अनदमाम बदबाि औय हहॊसा को झरा |

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उनक कोभर भन भ एक ओय ननयीह जनता क परनत असीभ करणा जागी िहीॊ ि अनदमामी शासन क वियोध भ डटकय खड़ हो गए |

गदमाॊश-आधारयत अथटगरहण सॊफॊधधत परशनोततय

गदमाॊश सॊकत- ऩाठ ndash सशयीर क पर (ऩरषठ १४७)

कासरदास सौदमय क िह इशाया ह |

(क) कालरदास की सौदमटndashदजषट की कमा पवशषता थी उततय-कासरदास की सौदमयndashदनदरषट फहत सकषभ अॊतबदी औय सॊऩणय थी| ि किर फाहयी रऩ-यॊग औय आकाय को ही नहीॊ दखत थ फनदलक अॊतभयन की सॊदयता क बी ऩायखी थ| कासरदास की सौदमय शायीरयक औय भानससक दोनो विशरताओॊ स मकत था |

(ख) अनासजकत का कमा आशम ह उततय- अनासनदकत का आशम ह- वमनदकतगत सख-द ख औय याग-दिर स ऩय यहकय सौदमय क िासतविक भभय को जानना |

(ग) कालरदास ऩॊत औय यवीॊिनाथ टगोय भ कौन सा गण सभान था भहाकवि कासरदास ससभतरानॊदन ऩॊत औय गरदि यिीॊदरनाथ टगोय तीनो नदसथयपरऻ औय अनासकत कवि थ | ि सशयीर क सभान सयस औय भसत अिधत थ |

(घ) यवीॊिनाथ याजोदमान क लसॊहदवाय क फाय भ कमा सॊदश दत ह याजोदमान क फाय भ यिीॊदरनाथ कहत ह याजोदमान का ससॊहदिाय ककतना ही सॊदय औय गगनचमफी कमो ना हो िह अॊनतभ ऩड़ाि नहीॊ ह| उसका सौदमय ककसी औय उचचतभ सौदमय की ओय ककमा गमा सॊकत भातर ह कक असरी सौदमय इस ऩाय कयन क फाद ह अत याजोदमान का ससॊहदिाय हभ आग फढ़न की परयणा दता ह |

18शरभ-पवबाजन औय जानत-परथा

िॉ० बीभयाव अॊफिकय

सायाॊश ndash इस ऩाठ भ रखक न जानतिाद क आधाय ऩय ककए जान िार बदबाि को सभम सभाज क सरए हाननकायक फतामा ह | जानत आधारयत शरभ विबाजन को असिाबाविक औय भानिता वियोधी फतामा गमा ह मह साभानदजक बदबाि को फढ़ाता ह जानतपरथा आधारयत शरभ विबाजन भ वमनदकत की रधच को भहतति नहीॊ हदमा जाता परसिरऩ वििशता क साथ अऩनाए

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Page 49: ISSUED BY KENDRIYA VIDYALAYA - DOWNLOADED FROM … Class XII Hindi Part B.pdfप्रश्न४ :-फादर क / फयन का गयीफ एि धनी िगय क्मा

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विरभ ऩरयनदसथतमो भ बी महद सशयीर णखर सकता ह तो हभाया दश बी विरभ ऩरयनदसथनतमो भ नदसथय यह कय विकास कय सकता ह

परशन1-लसदध कीजजए कक लशयीष कारजमी अवधत की बाॉनत जीवन की अजमता क भॊतर का परचाय कयता ह

उततय- सशयीर कारजमी अिधत की बाॉनत जीिन की अजमता क भॊतर का परचाय कयता ह| जफ ऩथिी अनदगन क सभान तऩ यही होती ह िह तफ बी कोभर परो स रदा रहरहाता यहता ह|फाहयी गयभी धऩ िराय आॉधी र उस परबावित नहीॊ कयती इतना ही नहीॊ िह रॊफ सभम तक णखरा यहता ह | सशयीर विऩयीत ऩरयनदसथनतमो भ बी धमयशीर यहन तथा अऩनी अजम नदजजीविरा क साथ ननसऩह बाि स परचॊड गयभी भ बी अविचर खड़ा यहता ह

परशन२-आयगवध (अभरतास) की तरना लशयीष स कमो नहीॊ की जा सकती

उततय- सशयीर क पर बमॊकय गयभी भ णखरत ह औय आराढ़ तक णखरत यहत ह जफकक अभरतास का पर किर ऩनददरह-फीस हदनो क सरए णखरता ह | उसक फाद अभरतास क पर झड़ जात ह औय ऩड़ कपय स ठॉठ का ठॉठ हो जाता ह | अभरतास अलऩजीिी ह | विऩयीत ऩरयनदसथनतमो को झरता हआ ऊरषण िाताियण को हॉसकय झरता हआ सशयीर दीघयजीिी यहता ह | मही कायण ह कक सशयीर की तरना अभरतास स नहीॊ की जा सकती |

परशन३-लशयीष क परो को याजनताओॊ का रऩक कमो ठदमा गमा ह

उततय- सशयीर क पर उन फढ़ ढीठ औय ऩयान याजनताओॊ क परतीक ह जो अऩनी कसी नहीॊ छोड़ना चाहत | अऩनी अधधकाय-सरपसा क सरए नए मिा नताओॊ को आग नहीॊ आन दत | सशयीर क नए परो को जफयदसती ऩयान परो को धककमाना ऩड़ता ह | याजनीनत भ बी नई मिा ऩीढ़ी ऩयानी ऩीढ़ी को हयाकय सिमॊ सतता सॉबार रती ह |

परशन४- कार दवता की भाय स फचन का कमा उऩाम फतामा गमा ह

उततय- कार दिता कक भाय स फचन का अथय हndash भतम स फचना | इसका एकभातर उऩाम मह ह कक भनरषम नदसथय न हो| गनतशीर ऩरयितयनशीर यह | रखक क अनसाय नदजनकी चतना सदा ऊधियभखी (आधमातभ की ओय) यहती ह ि हटक जात ह |

परशन५- गाॉधीजी औय लशयीष की सभानता परकट कीजजए |

उततय- नदजस परकाय सशयीर धचरधचराती धऩ र िराय औय आॉधी भ बी अविचर खड़ा यहता ह अनासकत यहकय अऩन िाताियण स यस खीॊचकय सयस कोभर फना यहता ह उसी परकाय गाॉधी जी न बी अऩनी आॉखो क साभन आजादी क सॊगराभ भ अनदमाम बदबाि औय हहॊसा को झरा |

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उनक कोभर भन भ एक ओय ननयीह जनता क परनत असीभ करणा जागी िहीॊ ि अनदमामी शासन क वियोध भ डटकय खड़ हो गए |

गदमाॊश-आधारयत अथटगरहण सॊफॊधधत परशनोततय

गदमाॊश सॊकत- ऩाठ ndash सशयीर क पर (ऩरषठ १४७)

कासरदास सौदमय क िह इशाया ह |

(क) कालरदास की सौदमटndashदजषट की कमा पवशषता थी उततय-कासरदास की सौदमयndashदनदरषट फहत सकषभ अॊतबदी औय सॊऩणय थी| ि किर फाहयी रऩ-यॊग औय आकाय को ही नहीॊ दखत थ फनदलक अॊतभयन की सॊदयता क बी ऩायखी थ| कासरदास की सौदमय शायीरयक औय भानससक दोनो विशरताओॊ स मकत था |

(ख) अनासजकत का कमा आशम ह उततय- अनासनदकत का आशम ह- वमनदकतगत सख-द ख औय याग-दिर स ऩय यहकय सौदमय क िासतविक भभय को जानना |

(ग) कालरदास ऩॊत औय यवीॊिनाथ टगोय भ कौन सा गण सभान था भहाकवि कासरदास ससभतरानॊदन ऩॊत औय गरदि यिीॊदरनाथ टगोय तीनो नदसथयपरऻ औय अनासकत कवि थ | ि सशयीर क सभान सयस औय भसत अिधत थ |

(घ) यवीॊिनाथ याजोदमान क लसॊहदवाय क फाय भ कमा सॊदश दत ह याजोदमान क फाय भ यिीॊदरनाथ कहत ह याजोदमान का ससॊहदिाय ककतना ही सॊदय औय गगनचमफी कमो ना हो िह अॊनतभ ऩड़ाि नहीॊ ह| उसका सौदमय ककसी औय उचचतभ सौदमय की ओय ककमा गमा सॊकत भातर ह कक असरी सौदमय इस ऩाय कयन क फाद ह अत याजोदमान का ससॊहदिाय हभ आग फढ़न की परयणा दता ह |

18शरभ-पवबाजन औय जानत-परथा

िॉ० बीभयाव अॊफिकय

सायाॊश ndash इस ऩाठ भ रखक न जानतिाद क आधाय ऩय ककए जान िार बदबाि को सभम सभाज क सरए हाननकायक फतामा ह | जानत आधारयत शरभ विबाजन को असिाबाविक औय भानिता वियोधी फतामा गमा ह मह साभानदजक बदबाि को फढ़ाता ह जानतपरथा आधारयत शरभ विबाजन भ वमनदकत की रधच को भहतति नहीॊ हदमा जाता परसिरऩ वििशता क साथ अऩनाए

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उनक कोभर भन भ एक ओय ननयीह जनता क परनत असीभ करणा जागी िहीॊ ि अनदमामी शासन क वियोध भ डटकय खड़ हो गए |

गदमाॊश-आधारयत अथटगरहण सॊफॊधधत परशनोततय

गदमाॊश सॊकत- ऩाठ ndash सशयीर क पर (ऩरषठ १४७)

कासरदास सौदमय क िह इशाया ह |

(क) कालरदास की सौदमटndashदजषट की कमा पवशषता थी उततय-कासरदास की सौदमयndashदनदरषट फहत सकषभ अॊतबदी औय सॊऩणय थी| ि किर फाहयी रऩ-यॊग औय आकाय को ही नहीॊ दखत थ फनदलक अॊतभयन की सॊदयता क बी ऩायखी थ| कासरदास की सौदमय शायीरयक औय भानससक दोनो विशरताओॊ स मकत था |

(ख) अनासजकत का कमा आशम ह उततय- अनासनदकत का आशम ह- वमनदकतगत सख-द ख औय याग-दिर स ऩय यहकय सौदमय क िासतविक भभय को जानना |

(ग) कालरदास ऩॊत औय यवीॊिनाथ टगोय भ कौन सा गण सभान था भहाकवि कासरदास ससभतरानॊदन ऩॊत औय गरदि यिीॊदरनाथ टगोय तीनो नदसथयपरऻ औय अनासकत कवि थ | ि सशयीर क सभान सयस औय भसत अिधत थ |

(घ) यवीॊिनाथ याजोदमान क लसॊहदवाय क फाय भ कमा सॊदश दत ह याजोदमान क फाय भ यिीॊदरनाथ कहत ह याजोदमान का ससॊहदिाय ककतना ही सॊदय औय गगनचमफी कमो ना हो िह अॊनतभ ऩड़ाि नहीॊ ह| उसका सौदमय ककसी औय उचचतभ सौदमय की ओय ककमा गमा सॊकत भातर ह कक असरी सौदमय इस ऩाय कयन क फाद ह अत याजोदमान का ससॊहदिाय हभ आग फढ़न की परयणा दता ह |

18शरभ-पवबाजन औय जानत-परथा

िॉ० बीभयाव अॊफिकय

सायाॊश ndash इस ऩाठ भ रखक न जानतिाद क आधाय ऩय ककए जान िार बदबाि को सभम सभाज क सरए हाननकायक फतामा ह | जानत आधारयत शरभ विबाजन को असिाबाविक औय भानिता वियोधी फतामा गमा ह मह साभानदजक बदबाि को फढ़ाता ह जानतपरथा आधारयत शरभ विबाजन भ वमनदकत की रधच को भहतति नहीॊ हदमा जाता परसिरऩ वििशता क साथ अऩनाए

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