phy 101 laboratory physics - iitkhome.iitk.ac.in/~sar/phy_101_hindi_manual_30jul2017.pdfthis...

79
PHY 101 LABORATORY PHYSICS Hindi translation of the Laboratory manual Translated by the Laboratory staff of PHY 101 Lab. Department of Physics Indian Institute of Technology Kanpur

Upload: others

Post on 26-Jan-2020

12 views

Category:

Documents


0 download

TRANSCRIPT

  • PHY 101

    LABORATORY PHYSICS

    Hindi translation of the Laboratory manual

    Translated by the Laboratory staff of PHY 101 Lab.

    Department of PhysicsIndian Institute of Technology Kanpur

  • This document has been prepared by the Laboratory staff ofthe PHY 101 laboratory merely as an aid to the new incomingstudents who have difficulties with the English manual. Thisdocument is still undergoing improvements. While every efforthas been made to ensure accuracy, the student is requested torefer to the official manual in English in any events ofconfusion. This version does not claim full scientific accuracyin its description.

    To understand the difficulties, consider the Google translationof the above paragraph given below. While the translatorshave not used Google translation services, accurate scientifictranslation is a great challenge.

    यह दसतावेज PHY 101 प्रयोगशाला के प्रयोगशाला कररचाररयों दारा केवल नए आने वाले छातर्ों को सहायता के रप रें तैयार रकया गया है रजनके पास अंग्रेजी रैनअुल के साथ करठनाइयां है।ं

    यह दसतावेज अभी भी सधुार के दौर से गजुर रहा है। हालांरक सटीकता सरुनरशचत करने के रलए हर संभव प्रयास रकया गया है,

    छातर् को भर्र की रकसी भी घटना रें अंग्रेजी रें आरधकाररक रैनअुल का संदभर देने के रलए अनरुोध रकया गया है। यह संसकरण इसके रववरण रें पूणर वैजञारनक सटीकता का दावा नही ं

    करता है।

    I compliment the staff on their stupendous efforts to completethis job within a single semester in a splendid manner.

    06 Aug. 2017 Prof. S. Anantha RamakrishnaDepartment of Physics, IIT Kanpur

    All rights reserved © Indian Institute of Technology Kanpur, Kanpur 208016

  • प्रयोग सं. 1 प्रिज़्म स्पेक्ट्रममीटर

    उद्देश्यः 1. पारा प्रकाश (Mercury light) की विभिन्न तरंगदैध्र्यों पर ग्लास वप्रज़्म के अपिततक सूचकांकों का

    ननर्ातरण करना। 2. ददये गये ग्लास वप्रज़्म के भलए पररक्षेपण िक्र (Dispersion curve) की रूप-रेखा बनाना तथा वप्रज़्म

    की पररक्षेपी क्षमता की गणना करना। 3. (n - 1) बनाम (1/ƛ2) के ग्राफ से कौशी समीकरण (Cauchy's equation) के गुणांक ज्ञात करना।

    सिद्धान्तः एक वप्रज़्म श्िेत प्रकाश को विभिन्न रंगों में वििक्त करता है क्योंकक वप्रज़्म के द्रव्य का अपिततक सूचकांक प्रकाश की तरंगदैर्यत पर ननितर होता है। इस ननितरता को ननम्नभलखखत रूप में भलखा जा सकता है;

    n = n0 + (k/ ƛ2) (1)

    इसका तात्पयत है कक जब तरंगदैध्र्य में िदृ्धर् होती है तब अपिततक सूचकांक घट जाता है। समीकरण (1) को इस प्रकार पुनः भलखा जा सकता है;

    n = 1 + A (1 + B/ ƛ2) (2)

    इसे कौशी समीकरण (Cauchy's equation) कहते हैं जहााँ स्थथरांक A अपिततन का गुणांक है और स्थथरांक B पररक्षेपण का गुणांक है। यहााँ ध्यान दें कक अपिततन का गुणांक अपिततन के सूचकांक से भिन्न होता है। कौशी समीकरण (Cauchy's equation) एक अनुमान है तथा प्रकाशीय क्षेत्र में अनेक अनिशोषी द्रव्यों (Non-absorbing materials) पर उधचत तरीके से लागू होता है। जब समानान्तर ककरणपुंज (Parallel beam) वप्रज़्म से होकर गुजरता है, तो िह दो बार अपिनततत होता है तथा ननगतत ककरणपुंज (Emergent beam ) आपनतत ककरणपुंज (Incident beam) के सापेक्ष कुछ कोण पर मुड़ जाता है। इस कोण को विचलन-कोण (angle of deviation) कहत ेहैं। यह आपतन-कोण (angle of incidence) के साथ पररिनततत हो जाता है तथा आपनतत ककरणपुंज एि ंआपतन-कोण द्िारा समरूपी अपिततक सतहों पर बराबर के कोण बनाने पर विचलन-कोण न्यूनतम

    blue red l

    n

    Fig. 1

  • हो जाता है। न्यूनतम विचलन-कोण D, वप्रज़्म-कोण A तथा वप्रज़्म के द्रव्य के अपिततक सूचकांक n स ेननम्न प्रकार से संबंधर्त होता है;

    n =

    2sin

    2sin

    A

    DA

    (4)

    पारद स्रोत (mercury source) जैस ेथपेक्रमी रेखा स्रोत (spectral line source) से ननकलने िाला एक संकीणत ककरणपुंज (narrow beam) जो दृश्य विककरण एिं ज्ञात तरंगदैध्र्य उत्सस्जतत करता है, वप्रज़्म पर आपतन (incident) बनाता है। प्रत्येक तरंगदैध्र्य के सापेक्ष न्यूनतम विचलन को मापत ेहुए हम ƛ पर n की ननितरता को भसद्र् कर सकते हैं।

    ननम्न समीकरण के द्िारा द्रव्य की पररक्षेपण क्षमता (dispersive power) को थपष्ट ककया जाता है;

    = 1

    Y

    RB

    n

    nn (5)

    जहााँ, nB, nR, तथा nY क्रमशः नीले, लाल एि ंपीले प्रकाश के अपिततक सूचकांक हैं। पररक्षेपण क्षमता के व्युत्क्रम (reciprocal) को पररक्षेपण सूचकांक (dispersive index) कहते हैं और यह लगिग सिी ऑप्टीकल ग्लासों के भलए 20 और 60 के बीच होता है।

    उपकरणः स्पेक्ट्रोमीटर

    आकृनत 1

  • आकृनत 2 आकृनत 1 में थपेक्रोमीटर के महत्िपूणत पुजों को ददखाया गया है। यहााँ T अक्षर से दरूबीन (telescope) तथा C से समांतररत्र (collimator) जो आर्ार से मजबूती स ेजुड़ा हुआ है, को दशातया गया है। इसके अलािा B अक्षर स ेटेबल (table) को तथा P से प्लेटफॉमत (platform) स्जसमें दो माकत हैं एि ं180 डिग्री की दरूी पर है स्थथत िननतयर V से जुड़ा हुआ है, को दशातया गया है। दरूबीन और प्लेटफॉमत को सामान्य ऊध्र्िार्र र्रुी (common vertical axis) के चारों ओर थितंत्र रूप से घुमाया जा सकता है और उनके आपेक्षक्षक अभिविन्यास (relative orientation) को वििक्त ितृ्तीय थकेल (divided circular scale) जो दरूबीन के साथ पूणत रूप से घूमता है, पर धचन्हों से समझा जा सकता है जो कक वििास्जत पररपत्र पैमाने पर दरूबीन के साथ आपस में घूमता है । टेबल B स्जसे थितंत्र रूप से घुमाया जा सकता है, को बंर्न पेंच G (clamping screw) के माध्यम से लॉक ककया जा सकता है। जब हम पेंच G के माध्यम से सूक्ष्म कोणीय समायोजन करते हैं, तब बंर्न पेंच L (clamping screw) के माध्यम से दरूबीन T को लॉक (lock) ककया जा सकता है। क्रमशः पेंच K एिं N के द्िारा इसी प्रकार के ककए जाते हैं। समांतररत्र (collimator) में थलीट एप्रैचर उपलब्र् होता है। खरुदरी ररगं S (knurled ring) को घुमाने पर इसकी चौड़ाई को समायोस्जत ककया जा सकता है।

    आकृनत 2 में समायोस्जत थपेक्रोमीटर स े गुजरने िाली प्रकाश ककरणों के पथ को ददखाया गया है। थपेक्रोमीटर को एक बार व्यिस्थथत करने के बाद उससे छेिखानी नहीं करनी चादहए। यदद ककसी

  • कारणिश थपेक्रोमीटर की सैदटगं्स में कोई बदलाि ककया जाता है तो पूरी कक्रया-विधर् को कफर से करें। उपकरण के थकेल को ध्यानपूितक पढ़ना चादहए। सटीक मापन के भलए दोनों िननतयरों का उपयोग ककया जाता है। ककन्तु इस स्थथनत में दोनों में स े केिल एक िननतयर का उपयोग करके शुद्र् माप प्राप्त की जाएगी। थकेल को उधचत ढंग से पढ़ने के भलए िननतयर के लीथट काऊन्ट Q को जानना बहुत जरूरी है। जहााँ Q = ᶿ/n, तथा ᶿ सबसे छोटा मेन थकेल डिविजन है और n िननतयर डिविजन की संख्या है। ददए गए उपकरण में ᶿ = 1/2 तथा n = 30 है, इसभलए लीथट काऊन्ट चाप (arc) के 1 भमनट होगी। इससे थकेल पढ़ने में होने िाली त्रदुट की सीमा का पता चलता है। ररडिगं पढ़ने के भलए मुख्य पैमाने की सैदटगं्स को कफिूशल माकत के पहले लेते हैं और इससे उस रीडिगं को जोड़ते हैं जहााँ पर मुख्य पैमाने के ननशान िननतयर माकत स ेमेल खाता है। रीडिगं पढ़ने के भलए आिर्तक (magnifier) से काफी मदद भमल सकती है।

    िक्रिया क) स्पेक्ट्रोमीटर का िमायोजनः उपकरण में समांतररत्र (collimator) एि ं

    दरूबीन (telescope) को पहचानें। लमै्प के बाजू में समांतररत्र (collimator) लगा हुआ है। यदद जरूरी हो, तो थपेक्रोमीटर को समायोस्जत (adjust) करें। बबना कारण ककसी िी घुंिी (knob) अथिा पेंच (screw) को न छेिें। थपेक्रोमीटर को उधचत तरीके से समायोस्जत ककया गया है, अतः यह सुननस्श्चत करें कक िह है कक नहीं। ननम्नभलखखत की जााँच करें। समांतररत्र (collimator) के माध्यम स ेस्थलट को देखें। िह थपष्ट ददखाई देना चादहए तथा आयताकार होना चादहए। आप इसे देखने के भलए स्थलट की चौड़ाई को कम अथिा ज्यादा कर सकते हैं। स्थलट बारीक होना चादहए ककन्तु आयात का संपूणत क्षेत्रफल में अच्छे ढंग स ेप्रकाश फैला हुआ होना चादहए।

    अब दरूबीन को समांतररत्र (collimator) की सीर् पर रखें और दरूबीन के माध्यम स े स्थलट को देखें। िह क्षेत्र के केन्द्र में थपष्ट ददखाई पड़ना चादहए।

    वप्रज़्म टेबल को स्थप्रट लेिल (spirit level) की मदद से लेिल में लाएं। जरूरत पड़ने पर मेज पर लगे 3 पेंचों का उपयोग करें।

    Sl

    it

    Collimator

    Prism

    Telescope

    Measurement of prism angle

  • देखें कक वप्रज्म टेबल को कैसे घुमाया अथिा लॉक ककया जा सकता है। यह िी देखें कक दरूबीन को कैसे घुमाया जा सकता है और ददए गए िननतयर का उपयोग करते हुए कोण को कैसे मापा जा सकता है।

    ख)प्रिज़्म के अपवततक कोण A (refracting angle) को मापनाः वप्रज्म को उसके बत्रकोणीय आर्ार पर इस प्रकार रखें कक उसका अपिततक छोर(edge) वप्रज्म

    टेबल के केन्द्र पर तथा समांतररत्र की ओर हो। वप्रज्म टेबल को इस प्रकार घुमाएं कक आर्ा प्रकाश प्रत्येक अपिततक छोर(edge) पर पड़।े वप्रज्म

    टेबल को लॉक कर दें। स्थलट के प्रनतबबबं को वप्रज्म के दोनों फलकों (face) पर ददखाई देना चादहए।

    अब वप्रज्म के एक साइि पर अपिनततत प्रकाश प्राप्त करने के भलए दरूबीन को घमुाएं। इसी प्रकार दसूरे साइि के भलए करें। यदद उपकरण उधचत ढंग से लेिल ककया गया है तो दोनों साइि के प्रनतबबबं दरूबीन के केन्द्र पर परािनततत होंगे। प्रनतबबबं को थपष्ट करने के भलए समांतररत्र (collimator) के प्रिेश स्थलट (entrance slit) की चौड़ाई को समायोस्जत (adjust) करें।

    एक तरफ के स्थलट प्रनतबबबं को क्रासिायर के बीचोंबीच लाकर दरूबीन को बंद (lock) कर दें। िननतयर की मदद से रीडिगं लें। यही कायत दसूरी ओर से िी करें। उसी िननतयर का उपयोग कफर स ेकरें। प्राप्त मापों से वप्रज्म के अपिततन कोण की गणना करें।

    ग)न्यूनतम प्रवचलण कोण एवं उिकी माप वप्रज्म को वप्रज्म टेबल पर इस प्रकार रखें कक उसके आर्ार का केन्द टेबल के केन्द्र पर रहे। वप्रज्म

    टेबल को इस तरह घुमाएं कक समांतररत्र (collimator) से ननकलने िाला ककरणपुंज (beam) अपिततक सतहों (refracting surface) में से ककसी एक सतह पर पड़ ेतथा ककसी दसूरी सतह स ेबाहर ननकले (आकृनत 2)। थपेक्रल लाइन्स साफ ददखाई देनी चादहए। इसके बाद दरूबीन की सहायता से िणतक्रम (spectrum) की स्थथनत सुननस्श्चत करें। ननगमतन (र्ीरे-र्ीरे ननकलना) की स्थथनत में आप विभिन्न कोणों के भलए अलग-अलग रंग के प्रनतबबम्बों को देखेंगे। प्रेक्षण (observation) के भलए िणतक्रम (spectrum) की एक विशषे लाइन (line) का चयन करें और अगले पषृ्ठ पर दी गई प्रेक्षण ताभलका (observation table) में इसके रंग तथा सगंत तरंग दैर्घयत (corresponding wavelength) नोट करें। प्लेटफॉमत को लॉक करें। िणतक्रम (spectrum) को थपष्ट रूप में देखने के भलए, यदद जरूरी हो, तो समांतररत्र (collimator) के प्रिेश स्थलट (entrance slit) की चौड़ाई को समायोस्जत (adjust) करें। अब वप्रज्म टेबल को चरणबद्र् तरीके से र्ीरे-र्ीरे घमुाए ंऔर क्रासिायर में चयननत लाइन प्राप्त करने के भलए हर बार दरूबीन को िी घुमाएं। दरूबीन को सीरे् पथ (direct path) के करीब होना चादहए। यदद िह सीरे् पथ (direct path) स ेदरू हो जाता है तो वप्रज्म टेबल को विपररत ददशा में घुमाएं। एक ननस्श्चत बबन्द ुतक ही लाइन को सीरे् पथ

  • (direct path) पर लाया जा सकता है। इस स्थथनत में वप्रज्म टेबल को ककसी िी ददशा में घुमाने पर प्रनतबबम्ब सीरे् पथ (direct path) से दरू हो जाता है। यह टननिंग प्िाइंट विशषे तरंग दैर्घयत के भलए न्यनूतम विचलन की स्थथनत है।

    यदद आप दरूबीन को इस स्थथनत में लॉक करत ेहैं तो वप्रज्म टेबल को थोड़ा दहलाएं तथा उसे पनुः मलू स्थथनत पर ले आएं और उसी तरफ बढे़ तो क्रमिार दृश्य ददखेंगे जैसा कक आकृनत 4 में ददखाया गया है।

    सिी थपैक्रल लाइनों के भलए यह प्रकक्रया दोहराएं। सिी को ररकाित कर लें।

    आकृनत.4

    वप्रज्म को हटा लें तथा दरूबीन को सीर्ी लाइन में स्थथत समांतररत्र (collimator) की विपररत ददशा में लाने के भलए घुमाएं। स्थलट प्रनतबबम्ब को दरूबीन के क्रासिेयर पर लाकर इस स्थथनत को ररकाित कर लें। कई सारी रीडिगं लेकर उनका औसत ननकालें। यहााँ, ।Dj - Do।, jth िणतक्रम लाइन के भलए न्यूनतम विचलन कोण होगा।

    अपिततनांक n को ज्ञात करने के भलए गणना करें और ग्राफ बनाएं- (i) n vs l and (ii) (n-1) vs 1/ l 2.

    िांनछत मात्राओ ंकी गणना करें।

    विभिन्न िणतक्रम लाइनों के भलए तरंग दैर्घयत लाल = 627.3 ननैोमीटर पीला = 579.8 ननैोमीटर हरा = 547.7 ननैोमीटर फीरोजी = 493.9 ननैोमीटर नीला = 438.5 ननैोमीटर बैगनी = 405.1 ननैोमीटर

  • िश्न (1) जब ककरणपुाँज (beam of light) वप्रज्म से होकर गुजरती है तो विचलन कोण ककन कारकों

    (factors) पर ननितर करता है ? (2) यह क्यों आिश्यक है कक ककरणपुाँज (beam) को समांतररत्र (collimator) से गुजारने से पहले

    समानंतर ककया जाए?

  • ियोग िंख्या -2

    िकाश के वगे का मापन

    िंक्षिप्त इततहाि :- अरमण्ि दहप्पोभलटे लुइस कफज़ेऔ ऐसे पहले व्यस्क्त थे स्जन्होंने सन ्1849 में प्रकाश के िेग का माप ककया था। इसके भलए, उन्होंने घूणी दााँतदेार पदहये (rotating toothed wheel) एिं सदुरू दपतण (remote mirror) जैसे सार्ारण उपकरणों का उपयोग ककया था। ये उपकरण नीच ेधचत्र में ददखाये गये हैं।

    ऊपर ददये गये धचत्र सं. 1 में प्रकाश की एक पल्स (pulse of light) को ककरणपुंज विपाटक (beam splitter) की सहायता से दााँतदेार पदहये के ननचले िाग में स्थथत नछद्र से गुजरत े तथा एक कटे हुए प्रनतबबस्म्बत दपतण (reflecting mirror) से टकरात े हुए ददखाया गया है। घूणी पदहये का िेग समायोस्जत करत े हुए प्रकाश की प्रनतगभमत पल्स (returning pulse of light) पदहये के दांतों से होकर या तो गुजर जाती है या कफर िहीं रूक जाती है। इस प्रकार कफज़ेऔ ने प्रकाश का िेग 315300 कक.मी./से. होना पाया। ज़ेन बनातित लेयान फ़ोकाल्ट (1850) एिं अल्बटत माइककलसन (1852-1931 के बीच) जैसे प्रभसद्र् िौनतकविदों ने प्रकाश का िेग मापने के भलए घूणी दपतण उपकरण पर आर्ाररत अनेक सटीक प्रयोग ककये थे। इन प्रयोगों के ननष्कषत इतने िाथतविक थे कक इनमें मापे गये प्रकाश के िेग के आर्ार पर मानक मीटर (standard meter) को पररिावषत ककया गया था, उदाहरण के भलए प्रकाश द्िारा ननिातत मे एक सेकें ि के 1/299792458 िाग के समय-अंतराल के दौरान तय की गई दरूी)। घन अिथथा लेसर (solid state laser) के अस्थतत्ि में आने से प्रकाश का िेग और अधर्क सूक्ष्मता से मापा जा सकता है जो आपनतत (incident) और प्रकाश के प्रनतबबस्म्बत पथ (reflected path of light) के बीच कलांतर (phase difference) के मापन पर आर्ाररत है।

    Rotating Toothed wheel (side view)

    Beam splitter (partially

    silvered mirror)

    Light Source

    Observer

    Silvered Reflecting mirror

    Fig.1

  • पथातंर (path difference) के कारण तरंगो के बीच अतंर चरण की अवधारणा की रूपरेखा :- हम यहााँ दो तरंगो के बीच अतंर चरण की अिर्ारणा का संक्षक्षप्त वििरण प्रथतुत कर रहे हैं, माना कक एकिणीय प्रकाश के दो स्रोत हैं। प्रथम स्रोत एकिणीय तरंग उत्सस्जतत करता है जो A(x,t) = A0ज्या (k x - t) है तथा दसूरा स्रोत जो पहले स्रोत के नीच ेबाईं तरफ दरूी पर रखा हुआ है, (जैसा धचत्र 2 मे ददखाया गया है) एक तरंग B(x,t) = B0ज्या [k(x+d) - t], उत्सस्जतत करता है।

    यहााँ ध्यान दें कक आिवृत्त (f), दोनों स्रोतों के भलए समान (=2f) है। यह दरूी, पथांतर (पथअंतर) कहलाती है। हम कह सकत ेहैं कक ये दो तरंगे पथांतर d है। दो तरंगो के बीच अंतर चरण क्या है ? उपरोक्त उदाहरण (धचत्र b ) का अिलोकन करें स्जसमें दो तरंगो के बीच अंतर चरण (कला विथथापन), दरूी d के पथ अंतर के साथ दशातया गया है। धचत्र (b) मे हम देख सकत ेहै कक दो तरंगो का अंतर चरण एक ही समतल पर पहुाँच रहा है, जहां स्रोत A और B के तरंगो का चरण मापा जाता है। दो तरंगो के बीच के अंतर चरण की मात्रा क्या है जो पथ अंतर से इस प्रकार संबंधर्त हैः

    तरंग A का चरण (कला ) tkxA ------------------------------------------(1) है।

    तरंग B का चरण (कला) tdxkB )( --------------------------------(2) है। अतः

    दोनों का अतंर चरण kdAB ---------(3) है। जहााँ पर

    ck

    l

    2, तथा जहां c तरंग की गनत है और =2f कोणीय आिवृत्त है।

  • प्रकाश के िेग को मापने के भलए दो प्रकाश ककरणों के चरण - 0 या के बीच एक ननयंबत्रत अंतर च्ररण की थथापना की जाती है तथा िायु में प्रकाश के िेग को मापा जाता है या इस भसद्र्ांत पर आर्ाररत ककसी मीडियम

    में मापा जाता है। ध्यान दें, यदद हम दो तरंगो X = Aज्या(t) और Y = Aज्या (t+) को लेत ेहैं तथा इन दोनों के बीच का अंतर चरण(कला) ()=0 है, तब x=y दो तरंगो के बीच = है तब x= -y होगा। यदद हम x अक्ष पर x तरंग और y अक्ष पर y तरंग के बीच एक x-y रूपरेखा (प्लॉट करत)े खींचत ेहै, तब = 0 की x-y की रूपरेखा धचत्र (c1) में ददखाई गई रूपरेखा के सादृश होगी तथा = धचत्र (c2) के सादृश होगा।

    यदद x और y तरंगो के बीच चरण(कला) अतंर अननयंबत्रत पाया जाता है, तो इस स्थथनत में x, x-axis पर आलेखखत होने पर तथा y, y-axis पर आलेखखत होने पर सार्ारणतया एक अिंाकार धचत्र प्राप्त होगा। (x-axis के साथ एक तरंग और y-axis के साथ अन्य तरंग के आलेखन की की उपरोक्त प्रकक्रया भलसजौस धचत्र में पररणत होती है)।

    ियोग के िचालन का सिद्धांत :- प्रचालन का भसद्र्ांत एक सरल भसद्र्ान्त है स्जसे (धचत्र d) में सधचत्र दशातया गया है। एक उच्च तीव्रता एिं आिवृत्त िाले प्रकाशीय उत्सस्जतत िायोि को कक्रथटल ननयंबत्रत दोलक द्िारा 50.1 मेगाहेर्टतज पर मािुभलत (भमलाया जाता) ककया जाता है। धचत्र d में रांसमीटर दशातया गया है स्जससे प्रकाश उत्सस्जतत होना प्रतीत हो रहा है और जो प्रकाशीय उत्सस्जतत िायोि िी है। यह उत्सस्जतत प्रकाश कुछ दरूी तय करने के बाद प्रनतबबस्म्बत (परािनततत) होकर ग्राही (ररसीिर) िायोि (प्रकाश संिेदक) पर प्रकट होता है। उत्सस्जतत होने िाले प्रकाश के द्िारा कुछ दरूी तय करने के कारण िापस होने िाले प्रकाश का अंतर चरण हो जाता है। संग्रदहत संकेत (भसग्नल) और िापसी संकेत (ररसीिर पर प्राप्त) को 50.1 मेगाहर्टतज संकेत (भसग्नल) पर अलग-अलग रूप से भमलाया जाता है स्जसके पररणाम थिरूप दो 50 ककलोहर्टतज

    (कृ॰प॰उ॰)

    x

    y = 0 or X = Y

    Fig.c1

    x

    y = or X = -Y

    Fig.c2

  • के आउटपुट संकेत (भसग्नल) x और y भमलत े हैं, स्जसको उपयोगकतात के टू चैनल आभसलोथकोप पर देखा जा सकता है। इसके अलािा उत्सस्जतत और पररलक्षक्षत संकेतो (भसग्नल)के आपसी अंतर चरण को भमश्रण प्रकक्रया के दौरान संरक्षक्षत रखा जाता है, स्जससे अंतर चरण मापा जा सके। प्रकक्रया में प्रनतबबस्म्बत दपतण को स्रोत के पास रखा जाता है और प्रारस्म्िक चरण (कला) को शून्य पर समायोस्जत ककया जाता है। दपतणों को तब तक संयोस्जत करत ेहै, जब तक कक चरण (फेस ) मे उधचत बदलाि नहीं होता है। टू चैनल आभसलोथकोप का उपयोग करत ेहुए अंतर चरण का ननर्ातरण ककया जाता है और 0 के अंतर चरण को प्राप्त करने के भलए ऊपर िखणतत लेसेजौस आंकड़ो का उपयोग ककया जाता है। ध्यान दें कक आिवृत्त भमश्रक की मदद से भमश्रण की प्रकक्रया की जाती है। नीच ेपररपथ का अिलोकन करें स्जसमें एक विरु्त पररपथ है और िह दोनों संकेतो (भसग्नल) से दो नयी आिवृत्तयों की

    रचना करता है एक विशेष उदाहरण के अनुसार दो सकेंतो को भमश्रक के इनपटु - V1 = C1ज्या (2f1t) और V2 = C2ज्या(2f2t) पर प्रयुक्त ककये जाते हैं स्जसके पररणामथिरूप y1 ि y2 उत्पन्न होत ेहैं स्जसका की

    सार्ारण बत्रकोणभमती मे पररणाम ))(2())(2(2

    212121 tffCostffCos

    CC होगा। इस प्रकार

    भमश्रक के आउटपुट में से एक आउटपुट Cos[2(f1-f2)t] होगा, जो ऊपर ददये गये विननदेश f1 और f2, स्जसे ऑथकीलोथकोप में िेजा जाता है, के अनसुार 50 कक.हर्टतज का एक संकेत(भसग्नल) है। भमश्रक Cos [2(f1+f2)t] के आउटपुट से प्राप्त होने िाले दसूरे घटक कां इस प्रयोग में उपयोग नहीं है। (आिार

    : आिवृत्त भमश्रण की संक्षक्षप्त सूचना विककपीडिया से ली गयी है)

    Control Unit (CU)

    Fig.d. Close of CU in your experiment and what is inside it. A brief Schematic of

    operation of the experiment.

    On this side of control unit are the transmitter and receiver openings

    Inside CU

  • उद्देश्य और कायत-प्रवधध:- नीच ेदी गयी कायत-विधर् के अनुसार प्रयोग करें। कैथोि रे ऑथकीलोथकोप की संक्षक्षप्त समीक्षा के भलए अनुलग्नक का अिलोकन करें और उसका उपयोग करत ेहुए अपना प्रयोग करें। कायत (लक्ष्य):- इस प्रयोग मे प्रकाश के िेग को मापा जाता है।

    1. िायु में प्रकाश के िेग का ननर्ातरण करना। 2. कृबत्रम राल खंि (रेभसन ब्लॉक) मे प्रकाश के िेग का ननर्ातरण करना। 3. कृबत्रम राल खंि(रेभसन ब्लॉक) के अपिततक सूचकांक की गणना करना।

    व्यवस्था और तैयारी :- ननम्नभलखखत ननदेशों एि ंधचत्रों के अनसुार प्रयोग की व्यिथथा और तयैारी करें। नीचे धचत्र में कन्रोल यनूनट स्जसके बारे में पिूत में चचात की जा चुकी है, दशातया गया है। नीचे ददये गये धचत्र के अनसुार कन्रोल यनूनट को एक उधचत थथान पर रखें।

    - कन्रोल यनूनट को थकेभलगं के पास बेस प्लेट के बायी ंओर रखा गया है। (धचत्र 1)

    धचत्र-1

    - धचत्र 2 एिं 3 में दशातये गये दो केबल की मदद से ऑपरेदटगं यूननट को ऑथकीलोथकोप से जोिें (ऑपरेदटगं यूननट के दो आऊटपुट अथातत x और y को क्रमशः चैनल I(CH1 जो X भसगं्नल है) एि ंचैनल II (जो Y भसगं्नल है) से जोड़ें।

    (कृ॰प॰उ॰)

    Phase rotary switch

  • धचत्र -2 धचत्र-3 ऑथकीलोथकोप के सही ढंग से उपयोग के भलए ननम्नभलखखत व्यिथथा (सैदटगं) करें -

    ऑथकीलोथकोप के x-y मोि के बटन को दबात ेहुए ऑथकीलोथकोप को x-y मोि पर रखें। (आपके सटैअप के भलए बटन पहले से दबा दी जाए)

    धचत्र4

    चैनल 1 की सिेंदनशीलता के भलए 200 भम॰िोल्ट/से॰मी॰ चुनें है (ऑथकीलोथकोप पर यह “2” के साथ दशातया गया है) और चैनल 2 के भलए 20 भम॰िोल्ट/से॰मी॰ चुनें। (धचत्र 3)

    CH I CH II

  • धचत्र 5 िंधाररत्र लेंि एवं दपतण का िमायोजन :- सरं्ाररत्र लेंस, कन्रोल यनूनट के रासंमीटर िायोि से 3.5-4 से॰मी॰ की दरूी पर होना चादहए। (धचत्र 6)

    धचत्र 6 (कृ॰प॰उ॰)

    यह सनुस्श्चत करें कक लेंस का समतल िाग ऑपरेदटगं यनूनट की तरफ होनी चादहए। दपतण को बेसप्लटे के दादहने छोर के अतं मे रखें। (धचत्र 7)

  • धचत्र 7(दपतण की स्थथनत का एक उदाहरण)

    ऑपरेदटगं यूननट और ऑथकीलोथकोप के बटन चाल ूकरें। उत्सजी प्रकाश ककरण को फॉलो करने के भलए एक सफ़ेद कागज के टुकड़ ेका उपयोग करें और

    उस दपतण के सामने रोककर रखे। अब लेंस को लम्बित, क्षैनतज और उसकी ऊंचाई के अनसुार ऐसे व्यिस्थथत करें कक आपको

    कागज के टुकड़ ेपर िायोि का थपष्ट प्रनतबबम्ब ददखाई पड़ सके।(धचत्र 8)

    धचत्र 8

    कागज के टुकड़ ेको हटाने पर (बाएाँ) दपतण के बीच में लाल ितृ्त (गोला) प्रदीप्त होना चादहए। द्प्रवतीय लेंि का िमायोजन:- लेंस (समतल सतह कक तरफ) को ग्राही (ररसीिर) िायोि के सामने ननयतं्रण इकाई से करीब 5 से॰मी॰ कक दरूी पर रखें। (धचत्र 9)

  • धचत्र 9 लेंस को तब तक ककनारे की ओर खखसकात ेरहें (धचत्र 10), जब तक कक आप ररभसिर िायोि के चारों ओर सफेद ररगं पर रासंमीटर िायोि (लाल रंग का छोटा ितृ्त) का प्रनतबबम्ब देख न लें।

    धचत्र 10 (कृ॰प॰उ॰)

  • अब लेंस को तब तक प्रकाश पुाँज की ददशा मे खखसकात े रहें, जब तक कक सफेट ररगं पर उसका प्रनतबबम्ब एक छोटी डिथक के रूप में ददखाई न दे। इस छोटी डिथक का व्यास िायोि की ओपननगं स ेकमतर होगा (धचत्र 11)।

    धचत्र 11

    - लेंस को, एक बार कफर, ककनारे की ओर खखसकायें और उसे ऐसे समायोस्जत करें स्जसस ेरांसमीटर िायोि का प्रनतबबम्ब सही तरीके से ररभसिर िायोि पर टकराये। यदद आप ऑथकीलोथकोप की थक्रीन पर देखेगें तो आपको दीघतितृ्त (इभलप्स) ददखाई पड़गेा। (धचत्र 12)

    - धचत्र 12

    भाग-1 वायु में िकाश के वेग का तनधातरण :- दपतण को ऑपरेदटगं यनूनट के पास ऐसे रखें कक दपतण के आर्ार का रेखानछद्र बेस प्लटे के थकेल के जीरो प्िाइंट की ओर हो। (धचत्र 13)

  • धचत्र 13

    - ऑथकीलोथकोप पर भलथसजौस धचत्र देखने के भलए चैनल II की सिंदेनशीलता को 100 या 200

    भम॰िोल्ट /से॰मी॰ पर परिनत तत करें। (CH II धचत्र 13 देखें)

    - ननयतं्रण इकाई के कला (फेस) बटन को दादहने तरफ तब तक घमुाएं, जब तक कक सीर्ी रेखा न भमल जाये ।(देखें धचत्र 14)

    धचत्र 14

    - अब दपतण को ऑपरेदटगं यनूनट से तब तक दरू ले जाएाँ, जब तक कक सीर्ी रेखा का झुकाि विपरीत ददशा में न ददखे। (धचत्र 15)

    - (कृ॰प॰उ॰)

  • धचत्र 15

    - दरूी x का मापन करें जो दपतण को खखसकाने से भमली थी और इस मान को ताभलका 1 में दशातयें।

    - इस माप को कुछ एक बार दोहराएाँ।

    ियोग भाग II:- कृत्रत्रम राल खंड (रेसिन ब्लॉक ) में िकाश के वेग का तनधातरण -कृबत्रम राल खंि (रेभसन ब्लॉक ) को प्रकाश के पररलक्षक्षत पथ पर बेस प्लेट पर रखें अथातत ्प्रकाश पुाँज पर रखें जो दपतण से परािनत तत होने के बाद तथा ररभसिर पर लौटने पर प्राप्त होती है (धचत्र16)

    धचत्र 16

    - दपतण को राल खंि के ठीक पीछे रखें। - प्रयोग के िाग I के समान x1 के रूप में दपतण की स्थथनत नोट करें। - ऑथकीलोथकोप के डिथप्ले पर कफर से भलसेजौस धचत्र ददखाई देगा। - ऑथकीलोथकोप पर सीर्ी रेखा ददखाने के भलए एक बार कफर से ऑपरेदटगं यनूनट के "फेज़"

    रोटेदटगं थिीच का उपयोग करें। - इसके बाद राल खंि को प्रकाश पुाँज से बाहर ननकाल लें और दपतण को ऑपरेदटगं यनूनट से तब

    तक खखसकायें, जब तक कक आपको एक ही ददशा में सीर्ी रेखा का झुकाि न ददखे।

  • - दपतण x2 की नई स्थथनत को पषृ्ठ स.ं 8 में दजत करें। - इसे 7 से 10 बार और मापें।

    तासलकाएं और गणना:- 1. िाय ुमें प्रकाश के िेग का ननर्ातरण

    नीचे दी गयी ताभलका में दरूी x के पररणाम भलखें और औसत मूल्य की गणना करें।

    (कृ॰प॰उ॰)

    माप दपतण विथथापन Δx [से॰मी॰]

    1

    2

    3

    4

    5

    औसत मान

  • 2. कृबत्रम राल खंि मे प्रकाश के िेग का ननर्ातरण।

    दपतण की प्रारस्म्िक स्थथनत x1 और दपतण की विथथापन के बाद की स्थथनत x2 के पररणामो को नीचे भलखें। दपतण के विथथापन x=x1-x2 की गणना करें और x2 और x के भलए औसत मान ननकालें और ताभलका 2 मे िी भलखें (ध्यान दे कक दपतण कक स्थथनत ननर्ातररत करने के भलए x1 की स्थथनत बदलने की जरूरत है) कम से कम 10 रीडिगं लें।

    ताभलका 2 दपतण की स्थथनत x

    1 [से॰मी॰] दपतण की स्थथनत x

    2 [से॰मी॰] दपतण का विथथापन Δx [से॰मी॰]

  • मूलयांकन 1. वायु में िकाश के वेग का तनधातरण :- इस प्रयोग के अतंगतत िाय ुमें प्रकाश के िेग का

    ननर्ातरण करने के भलए ननम्नभलखखत बबदओुं पर विचार ककया जाता है: प्रकाशपुाँज जो रांसमीटर िायोि से उत्सस्जतत होता है तथा कुछ दरूी तय करने के बाद ररसीिर िायोि से टकराता है। इसके ररसीिर िायोि पर टकराने से समान आिवृत्त िाला प्रत्यािती िोल्टेज (alternating voltage) उत्पन्न होता है ककन्त ुशरुुआती भसग्नल से अतंर चरण होता है। यह अतंर चरण ऑथकीलोथकोप की सहायता से प्रकट ककया जाता है (एभलप्स के रूप में ददखाई देता है। अतः रांसमीटर िायोि की मािुलन तरंग आिवृत्त f=50.1 मेगा हर्टतज ऑपरेदटगं यनूनट के अदंर ही लगिग 50 कक॰हर्टतज की आिवृत्त में बदल जाती है। (देखें धचत्र॰ 17)

    धचत्र 17 जब ऑथकीलोथकोप र्नात्मक झकुाि के साथ एक सीर्ी रेखा दशातता है, तब अतंर चरण “0” हो जाता है। अपने प्रयोग में यह तब होता है, जब आप दपतण को बेस प्लेट के जीरो प्िाइंट पर रखत ेहैं और फेज़ रोटेदटगं स्थिच को दादहने तरफ घमुात ेहैं। इसके बाद जब आप दपतण को ऑपरेदटगं यनूनट से तब तक दरू ले जात े हैं, जब तक कक ऑथकीलोथकोप पर नकारात्मक झुकाि के साथ सीर्ी रेखा ददखाई न दे, यहााँ अतंर चरण =180॰ होता है। दपतण का विथथापन Δx मापा जाता है और इस प्रकार, पथ की लबंाई स्जसे प्रकाश पुजं द्िारा तब तक परूी करनी होती जब तक िह ररभसिर िायोि तक पहंुच नहीं जाती है, है

    Δl =2.Δx (1)

    (दपतण द्िारा मापी गयी विथथावपत दरूी जो प्रकाश पुाँज दपतण तक एक राथत ेजाती है और दसूरे राथत ेसे ग्राही (ररसीिर) िायोि तक िापस पहुाँचती है को 2 से गुणा करें)

    (कृ॰प॰उ॰)

    यह Δl पथ तय करने के भलए प्रकाश ककरण को समय कक जरूरत पड़ती है।

  • 1

    2t

    f (2)

    जहां f मािुलन आिवृत्त (50.10मेगाहर्टतज) है

    2

    4 .1

    2

    l

    l xc f x

    t

    f

    . (3)

    आगे प्रकाश के िेग की गणना करने के भलए ताभलका 1 से Δx के औसत मान का उपयोग करें। (त्रुदट मूल्यांकन करें )

    2. कृत्रत्रम राल में िकाश के वेग और अपवततक िूचकांक का तनधातरण

    ननम्नभलखखत धचत्र में आप प्रयोग के इस िाग के भलए प्रयोग संरचना का धचत्र देख सकत ेहैं।

    धचत्र 21

  • प्रयोग के इस िाग में आप ऑथकीलोथकोप में सीर्ी रेखा प्राप्त करत ेहैं स्जसका दपतण x1 और x2 पर समान थलोप होता है। इसका मतलब है कक दोनों पररस्थथनतयों में अंतर चरण समान होता है इसभलए प्रकाश ककरण दो विभिन्न पथों पर समान समय (t1) में दरूी तय करती है।

    माध्यम की सहायता से प्रकाश द्िारा तय की गयी दरूी l1 है। इसभलए बबना माध्यम की सहायता से प्रकाश के द्िारा तय की गयी दरूी

    l 1+ 2 x (4)

    2X X 1 (5)

    दो मापों के भलए, t1 समय के भलए ननम्नभलखखत समीकरण प्रनतपाददक होता हैः

    माध्यम के साथ माप : 11 m mL L m

    l llt

    c c c (6)

    माध्यम के बबना माप : 112

    L L

    l xt

    c c

    (7)

    जहां lm माध्यम के साथ (मध्य) प्रकाश द्िारा तय की गयी दरूी c

    L िायु मे प्रकाश की गनत और

    cm िायु मे प्रकाश की गनत है।

    समीकरण (6) और (7) से

    21L

    m m

    c x

    c l

    (8)

    .

    2

    L mm

    m

    c lc

    x l

    (9)

    प्राप्त होता है। इस प्रयोग मे कृपया कृबत्रम राल खण्ि की लंबाई मापें और इसे नीच ेभलखें।

    syntheticl resin = ____ cm = _____ m.

    x (ताभलका 2) के भलए अपने अपने मान िालें,और क्रबत्रम राल मे प्रकाश की गनत की गणना के भलए िायु मे प्रकाश की गनत c1 समीकरण (9) से पररणाम थिरूप भमलती है। तब माध्यम का अपिततक सूचकांक की गणना करते हैं।

    .l

    m

    cn

    c (10)

    इसभलए क्रबत्रम राल का अपिततक सचूकांक की गणना के भलए समीकरण (8) का प्रयोग करें।

  • (कृ॰प॰उ॰)

    नोट: चूूँक्रक इि ियोग में रेखाधचत्र (ग्राफ) की आवश्यकता नहीं है इिसलए जजतना िंभव हो िके अधधक िे अधधक रीडडगं लेना चाहहए। डाटा के प्रवश्लेषण में न केवल वायु तथा कृत्रत्रम राल में िकाश के वेग तथा अपवततक िूचकांक का ठीक तरह िे आकलन करना चाहहए बजलक उधचत त्रहुट आकलन भी करना चाहहए। त्रुहट आकलन में मानक प्रवचलन के िाथ-िाथ त्रहुटयों के िंचरण का उपयोग करते हुए त्रहुट का भी आकलन करना चाहहए।

  • िकाश का वेग लक्ष्य: 1- िायु में प्रकाश के िगे का मापन क्रिया-प्रवधध तनयम: c= 4f x ‘ तनरीिण / तासलका:

    1. आर्ार पर्टटी का सूक्ष्मकांक 2. कम से कम 5 रीडिगं लें क्रमांक प्रारस्म्िक स्थथनत (x1) अंनतम स्थथनत (x2) दपतण विथथापन

    x’=x2-x1

    गणना:- उपरोक्त ननयम का प्रयोग करत ेहुए िायु में प्रकाश का िेग ननकालें। त्रुहट प्रवश्लेषण :-

    1. Δx मे मानक विचलन (s.d.) को ननकालें(ढूाँ ढे)। 2. प्रकाश के िेग के कायत ननयम का उपयोग करत ेहुए त्रुदट प्रचार(फैलाि) की गणना करें।

    तनणतय:- अंनतम ननणतय उधचत प्रारूप में होने चादहए और उधचत इकाईयां िी दशातया जाना चादहए। िायु में प्रकाश का िेग = c ± Δc यदद समय भमले, तो,

    1. ददये गए माध्यम में प्रकाश की गनत का ननर्ातरण और माध्यम के अपिततक सूचकांक की गणना करें। क्रिया-प्रवधधतनयम: c = c×lm

    2∆xn +lm और n = c

    y

    तनरीिण / तासलका:

    1. माध्यम की लंबाई सािर्ानीपूितक मापें 2. कम से कम 2 रीडिगं लें क्रमांक प्रारस्म्िक स्थथनत (x1) अंनतम स्थथनत (x2) दपतण विथथापन

    x”=x2-x1

    गणना: ददये गए माध्यम में प्रकाश के िेग का आकलन करें, और माध्यम के अपिततक सूचकांक की गणना करें।

  • ियोग िंख्या -3 हेल्होल्ज़ कंुडसलयों (Helmholtz coils) में चुबंकीय िेत्र और e / m अनुपात का तनधातरण

    िंबंधधत अवधारणाए:ं र्ारा प्रिादहत कुण्िली के कारण चुबंकीय क्षेत्र , क्रॉस ई और बी क्षेत्रों में एक इलेक्रॉन की गनत

    िन्दभत: Introduction to Electrodynamics by D.J.Griffiths, 2 nd Ed.Ch.5.

    सिद्धांत: हेल्म्होल्र्टज़ (Helmholtz) कुण्िली: एक ितृ्ताकार कंुिली स्जसकी बत्रज्या R है तथा स्जसमे र्ारा I प्रिादहत की जाती है, के अक्ष के साथ पास के कें द्र से दरूी Z पर चुंबकीय क्षेत्र B के मान का सूत्रः

    B = kzR

    RI ˆ)(

    .2 2/322

    2

    0

    इस प्रकार की दो समानांतर कंुिभलयों स्जनके मध्य दरूी s है, को इस प्रकार रखें कक उनके मध्य ररक्त थथान में चुबंकीय क्षेत्र जुड़ जाए, तब

    2/3

    2

    2

    2/32

    2

    2

    0

    2

    1

    2

    1

    2z

    SRz

    SR

    IRB

    आप ददखा सकते हैं कक मध्यबबन्द ुपर z

    B

    का मान शून्य होगा।

    इसके अलािा, जााँच करें कक यदद S=R. तब 2

    2

    z

    B

    शून्य है ।

    axis

    S

    R

  • इन गुणों के कारण अक्षीय चुबंकीय क्षेत्र बहुत हद तक कंुिभलयों के युग्मों के मध्य में स्थथर रहता है। प्रयोगात्मक स्थथनतयााँ स्जनमें इस प्रकार की एकरूपता आिश्यक है, उनमें समान अक्षीय चुबंकीय क्षेत्र उत्पन्न करने के भलए यह व्यिथथा आसानी से सुलि ि बहुत लोकवप्रय है।

    हम इस प्रयोग द्िारा हेल्म्होल्र्टज़ (Helmholtz )कुण्िली क्षेत्र में चुबंकीय क्षेत्र की विविर्ताओं की जााँच करेंगे। चुबंकीय क्षेत्र को मापने के भलए टेसलामीटर ( Teslameter) से जुड़ ेएक hall probe का उपयोग ककया जाता है।

    हेल्होल्ज़ कुण्डली (Helmholtz coil) का तनमातण आपको दी गई दोनों कुण्िभलयााँ तांब ेके तार स े14 परतों में लपेटी गयी हैं तथा प्रत्येक परत में 11 घुमाि हैं अथातत ् घुमािों की कुल संख्या n =154 है। घुमािदार कंुिली के सॉकेट (socket) कंुिली के प्लास्थटक पैर (foot) में ढले हुए हैं तथा जोड़ने िाले तार (Connecting lead) से आिश्यकतानुसार समानांतर या रेखीय को जोड़ा जा सकता है। हेल्म्होल्र्टज़ (Helmholtz) प्रकक्रया में कुण्िभलयााँ तीन अतंरालक पटरी (spacer rail) में स्थथत हैं ताकक उनके मध्य अक्षीय दरूी कंुिली की औसत बत्रज्या के बराबर रहे। इन पटररयों को नलतन थकू्र (knurled screw) से हटाने के बाद कंुिभलयों को अलग से या चर अतंर के साथ प्रयोग में लाया जा सकता है।

    कंुडली की प्रवशषेताएूँ कंुिली का व्यास : 400 भम.मी. तार प्रत्येक कंुिली में घुमािों की कुल संख्या : 154 कंुिली का प्रनतरोर् : 2.1

    टेिलामीटर (Teslameter) का सिद्धांत चुबंकीय क्षेत्र को मापने के भलए टेसलामीटर(Teslameter) द्िारा Hall Probe को एक संिेदक (sensor) के रूप में उपयोग में लाया जाता है। Hall Probe अर्तचालक से बना होता है तथा Hall effect के भसद्र्ांत पर कायत करता है स्जसे संक्षेप में इस प्रकार समझाया जा सकता है; जब र्ारा प्रिादहत अर्तचालक चुबंकीय क्षेत्र में रखा जाता है, तब िह विद्युत र्ारा तथा चुबंकीय क्षेत्र दोनों की ददशा के लम्बित ददशा में विद्युत िाहक बल (e.m.f) उत्पन्न करता है। यदद र्ारा का मान स्थथर रखा जाए तो विद्युत िाहक बल (e.m.f) का मान क्षेत्र की तीव्रता के अनुक्रमानुपाती होता है। यह विद्युत िाहक बल( e.m.f) Hall िोल्टेज कहलाता है। चुबंकीय क्षेत्र में मापन करने के भलए Hall voltage को प्रिर्तन (amplifier) की सहायता से millivoltmeter से जोड़ा जाता है।

  • Fig. 2

    प्रवसशष्ट आवेश e / m का तनधातरण

    चुबंकीय क्षेत्र में गनतशील इलेक्रॉन पर क्षेत्र की ददशा के लम्बित तथा गनत की ददशा के लम्बित एक बल कायत करता है। बल का मान इलेक्रॉन के आिेश, इलेक्रॉन की गनत तथा चुबंकीय फ्लक्स के अनुक्रमानुपाती होता है। इस प्रयोग में संकीणत पुंज नली (narrow beam tube) का उपयोग ककया जाता है स्जसमें कााँच का एक कोष्ठ होता है और ननम्न दाब पर आगतन गैस िरी होती है। इलेक्रॉन, गन के द्िारा इलेक्रॉन पुंज उत्पन्न करते हैं । पुंज का पथ उपयुक्त वििि पर ददखाई देता है। यदद संकीणत पुंज नली (narrow beam tube) को हेल्म्होल्र्टज़ कुण्िली (Helmholtz coil) के क्षेत्र में इस प्रकार व्यिस्थथत करें कक इलेक्रॉन गन से उत्पन्न इलेक्रॉन पुंज, क्षेत्र की ददशा के लम्बित हो तो, इलेक्रॉन पर लगने िाले बल के मान का सूत्र

    F = evB , होगा

    इस बल के प्रिाि के कारण पुंज ितृ्त के चाप में विकृत हो जाती है और यदद चमु्बकीय क्षेत्र में पयातप्त बल हो तो पुंज पूणततया r बत्रज्या िाले ितृ्ताकार गोले का रूप ले लेती है। गनत के समीकरण तथा ऊजात संचयन के अनुसार हम यह ननम्नभलखखत दरशा सकते हैं;

    22

    2

    Br

    V

    m

    e

    , जहा ंV त्िररत

  • वििि है और प्रत्येक इलेक्रॉन को गनतज ऊजात प्रदान करता है ।

    चूाँकक प्रयोग द्िारा समीकरण के दादहने पक्ष के सिी मानों को ज्ञात ककया जा सकता है, अतः इलेक्रॉन के विभशष्ट आिेश को ज्ञात करना संिि है।

    उद्देश्य:

    1. (क) चपटी कंुिभलयों के अक्ष के समानान्तर चुबंकीय क्षेत्र B ज्ञात करना जहााँ दोनों कंुिभलयों के बीच की दरूी S = R है। िैकस्ल्पक िाग (ख)प्रत्येक कंुिली की भिन्न प्रकक्रया में B अियक ज्ञात करना। 2. संकीणत पुंज इलेक्रॉन र्टयूब (narrow beam electron tube) मे e/m अनुपात का ननर्ातरण।

    प्रकक्रया: • कंुिली ननमातण, टभमतनल, Hall probe तथा Teslameter का पररचय।

    •कंुिली को विद्युत प्रदाय से इस प्रकार जोड़ें कक दोनों कंुिभलयों में समान र्ारा उधचत ददशा में बहे। यह करने स ेपहले आप सािर्ानीपूितक ध्यान करें कक इससे पहले कक आप यह करते हैं। ककसी िी मामले में िततमान 3 ए से अधर्क होना चादहए।

  • 5

    Teslameter पररचालन ननदेशः

    • Stepping Switch को 0-20 mT मापन सीमा पर रखन ेके भलए सबसे बाईं स्थथनत घमुायें।

    • change over switch (4) को Direct Field मापन प्रणाली में रखन ेके भलए नीचे की स्थथनत रखें।

    • माप लेने से 10 भमनट पहल ेTeslameter को चाल ूकरें।

    • हेल्म्होल्र्टज़ कुण्िली (Helmholtz coil) में यदद कोई र्ारा प्रिादहत नहीं है तब हेल्म्होल्र्टज़ कुण्िली द्िारा Teslameter की रीडिगं शून्य ददखाना चादहए। यदद ऐसा नहीं होता है तो रीडिगं को शून्य करने के भलए ननम्नभलखखत विधर् से शून्य समायोजन घुंिी का (2 और 6) उपयोग ककया जाना चादहए। सबसे पहले फ़ाइन समायोजन घुंिी (6) को "0" स्थथनत में रखे। कफर प्रदभशतत

    4

    3

    2

    1

    6

    7

  • मान को शून्य समायोजन पेंच (2) की सहायता से कम से कम करें। अच्छे से शून्य तो फ़ाइन समायोजन घुंिी (6) साथ करते है।

    • चुबंकीय क्षेत्र मापन के भलए Hall Probe को क्षेत्र के िीतर प्रिशे कराते हैं। Hall Probe का चपटा दहथसा क्षेत्र के लम्बित होना चादहए।

    • रीडिगं को नोट कर लें ( प्रदभशतत रीडिगं भमली टेसला में उपलब्र् है )

    सािर्ानी: Hall Probe बहुत नाजुक होता है इसभलए इसका रख-रखाि उधचत ढंग से करना चादहए।

    आपको टेथलामापी (Teslameter) और हॉल जांच (Hall Probe) के संचालन संबंर्ी कोई संदेह है, तो अपने टीए/अध्यापक से संपकत करें।

    छात्र दो कंुिली के मध्य में चुबंकीय क्षेत्र की विशषेता को लेकर है कक िक्र से एक मौजूदा पूरे प्रयोग में इथतेमाल ककया जा करने के भलए चनु सकते हैं।

    िाग - 1

    (क) कंुिभलयों के मध्य िोरी को S=R पर व्यिस्थथत करें। जब कंुिली में र्ारा समान ददशा में बह रही हो तब मध्य बबन्द ुसे प्रत्येक 10 भमलीमीटर की दरूी पर B(z) को दरूी के फलन म ेमापन करें। सुननस्श्चत करें कक हॉल जांच (Hall Probe) की सपाट सतह कंुिली के तल के समानांतर हो। (ख) इसी प्रकार प्रत्येक कंुिली के पररणामों को अलग से प्राप्त करें और सिी तीन ददशाओं को एक ही ग्राफ पेपर में प्रदभशतत करें। [िैकस्ल्पक दहथसा]

    जेि बनाम बी की गणना

    प्रयोधगक मान के भलए र्ारा को स्थथर रखते हुये प्रत्येक Z के अनुकूल प्रत्येक B मूल्य की गणना करना चादहए तथा ददये गए सूत्र से एक विश्लेषणात्मक ग्राफ बनायें। एक समान ग्राफ पर प्रायोधगक B बनाम z धचबत्रत करें तथा विश्लेषणात्मक ग्राफ धचबत्रत करें।

    िाग - 2

  • िंकीणत पुंज इलेक्ट्रॉन ्यूब (narrow beam electron tube) को चालू करना तथा इलेक्ट्रॉन का प्रवसशष्ट आवेश ज्ञात करना : र्टयूब को चालू करने से पहले यह सुननस्श्चत ककया जाना चादहए कक दोनों विििमापी 0 ... .50 V और 0 ...300 V के मुख्य अनुकूलक (main adapter) शून्य पर हैं। जब कफलामेंट वििि चालू रहता है तब यह इलेक्रॉन, गन के धग्रि या ऐनोि पर वििि को रोकता है । यह सुननस्श्चत करता है कक तापन के समय कैथोि परत को नुकसान नहीं होगा। तापन से लगिग एक भमनट के बाद दोनों विििमापी को चालू ककया जाता है ताकक संकीणत पुंज अरें्रे कक्ष में थपष्ट ददखाई दे। एनोि वििि को 0-300V विििमापी से चनुते हैं जबकक -50... 0 V विििमापी से धग्रि वििि को स्जससे कक संकीणत पुंज को उपयुतक्त तरह से फोकस तथा प्रदीपतामान कर सकते हैं। पूणत तीव्रता की ककरण पुंज को सार्ारणतया प्राप्त नहीं कर सकते जब तक कक तापन 2-3 भमनट का न हो। मापन को अधर्क देर तक रोकने के भलए यह उधचत होगा कक दोनों विििमावपयों को कफर से शून्य पर कर दें। ये विशषे रूप से संकीणत पुंज इलेक्रॉन र्टयूब (narrow beam electron tube) की आयु बढाते हैं। इलेक्रॉन के विभशष्ट आिेश को ज्ञात करने के भलए ननम्नभलखखत मापन विधर् अपनाएं; 1.संकीणत ककरण पुंज की तापन अिधर् को उधचत तरीके से व्यिस्थथत करने के बाद ननस्श्चत त्िररत िोल्टेज V चनुें। 2. हेल्म्होल्र्टज़ कुण्िली (Helmholtz coil) में र्ारा प्रिादहत करें स्जससे समान चुबंकीय क्षेत्र प्रिाि में संकीणत पुंज का पररपथ ददखाई देता है। (अधर्कतम अनुमत ननरंतर र्ारा 3 A)

    3. संकीणत पुंज इलेक्रॉन र्टयूब (narrow beam electron tube) को धचमदटयों की सहायता से इस प्रकार घुमाएं कक इलेक्रॉन गुण से ननकलने िाली पुंज चुबंकीय क्षेत्र के पूणततया लम्बित हो जाए तथा चुबंकीय क्षेत्र पयातप्त मात्रा में प्रबल होने पर पूणत ितृ्त बनाएं। 4.कंुिली की र्ारा को इस प्रकार ननयत करें कक संकीणत पुंज चार मापन छल्लों में से ककसी एक पर आपनतत हो। इस प्रकार 2,3,4 एिं 5 स.ेमी. की बत्रज्या के एक सम्पूणत ितृ्त को ननयत ककया जा सकता है। 5. िोल्टमापी में प्रदभशतत त्िररत वििि V पर r बत्रज्या के सम्पूणत ितृ्त को उत्पन्न करने के भलए I कंुिली र्ारा का मान अमीटर में पढ़ते हैं तथा विभशष्ट वििि e/m का मान आकलन करते हैं। आपके उपकरण से इलेक्रॉन के विभशष्ट वििि e/m को प्राप्त करें।

  • प्रश्न : 1. आपके प्रयोग में चुबंकीय क्षेत्र जांच (Probe) की कायत विधर् का भसद्र्ान्त क्या है? 2. प्रयोग में सारी सािर्ाननयों का िणतन करे? 3. समान चुबंकीय क्षेत्र को प्राप्त करने के भलए पररनभलका की जगह हेल्म्होल्र्टज़ (Helmholtz) व्यिथथा के उपयोग का लाि बताएं? 4. ककतने सटीकता e/m अनुपात सादहत्य में जाना जाता है? 5. कुछ अन्य प्रयोगों के नाम बताएं स्जनसे हम e/m अनुपात ननर्ातररत कर सकते हैं? Reference:

    Introduction to Electrodynamics by D. J. Griffiths, 2nd Ed. Ch. 5.

    आप ननम्नभलखखत िी कर सकत ेहैं

    magnetic flux density के अक्षीय और बत्रस्जया घटक को माप सकत े है जब rotational symmetry व्यिथथा से कंुिली के बीच दरूी S=R

    (i) अक्षीय B(Z) at r = 100mm, r = 140mm

    (ii) बत्रज्यीय Br (Z) at r = 100mm, r = 140mm

  • ियोग िंख्या-4 यजुममत लोलक (कपलड पेंडुलम)

    एक आितत प्रणाली में, कंपन आिवृत्तयों (vibration frequencies) की सखं्या सामान्यतया थिततं्रता की कोटी (degrees of freedom) की सखं्या के बराबर होती हैं, स्जसके पररणामथिरूप ननदेशांकों की न्यनूतम सखं्या की सहायता से इसकी गनत के विथतार का िणतन ककया जा सकता है। उदाहरण के भलए एक तल में र्ुरी से बाँरे् हुए एक लोलक की अपनी एक स्थथनत हो सकती है और जो एक ननदेशांक के द्िारा ननददतष्ट ककया हुआ होता है (सामान्यतया ऊध्िातर्र से कोणीय विथथापन) और उसमें कंपन की केिल एक प्राकृनतक आिवृत्त होती है। एक स्थप्रगं जो संलग्नता बबन्द ुके चारों ओर घमू सकता है, में कम से कम 2 थिततं्रता की कोटी (degrees of freedom) और दो कंपन आिवृत्तयााँ होती हैं। ककसी तरह स ेएक साथ जुड़ ेहुए विभिन्न दोलक इस प्रकार के भसथटम के सबसे रोचक और उपयोगी उदाहरण हैं। इस प्रयोग में आप एक ऐसे भसथटम का अध्ययन करेंगे स्जसमें स्�