पैग़ाम हज़रत मसीह मौऊद...writer : hazrat mirza bashiruddin...

44

Upload: others

Post on 02-Dec-2020

0 views

Category:

Documents


0 download

TRANSCRIPT

  • पैग़ाम हज़रत मसीह मौऊद अलैहहससल़ाम

    (समस्त धममों के अनुयायययों को हज़र्त मसीह मौऊद अलैयहससलाम के पैगाम को स्ीकार करने और

    पारसपररक मेल-यमलाप ए्ं शान््त की यशक्ा)

    भ़ाषण हज़र्त यमज़ाज़ा बशीरुद्ीन महमूद अहमद

    ख़लीफ़्तुल मसीह यवि्तीयरहज़॰

    I

  • नाम पुस्तक : पैगाम हज़र्त मसीह मौऊद अलैयहससलामName of book : Paigham Hazrat Masih Mauud Alaihissalamलेखक : हज़र्त यमज़ाज़ा बशीरुद्ीन महमूद अहमद ख़लीफ़्तुल मसीह यवि्तीयरहज़॰Writer : Hazrat Mirza Bashiruddin Mahmood Ahmad Khalifatul Masih 2ndRAअनु्ादक : अली हसन एम. ए. एच. ए. Translator : Ali Hasan M.A. - H. A.संसकरण : प्रथम संसकरण (यह्दी) जून 2018 ईEdition : 1st Edition (Hindi) June 2018संखया : 1000Quantity : 1000प्रकाशक : नज़ार्त नश्र-्-इशाअ्त, क़ायदयान, 143516 यज़ला-गुरदासपुर (पंजाब)Publisher : Nazarat Nashr-o-Isha'at, Qadian, 143516 Distt. Gurdaspur, (Punjab)मुद्रक : फ़ज़ले उमर यप्रंयिंग प्रेस, क़ायदयान, 143516 यज़ला-गुरदासपुर, (पंजाब)Printed at : Fazl-e-Umar Printing Press, Qadian, 143516 Distt. Gurdaspur (Punjab)

    II

  • 1

    पैग़ाम हज़रत मसीह मौऊद अलैहहससल़ाम

    बिस्मिल्लाबिर्रिमिलाबिर्रिीमि ििमिदहुू-व-िुसल्ी अलला रसबूलबिलकरीमि

    पैग़ाम हज़रत मसीह मौऊद अलैहहससल़ामभलाषण - िज़रत बमिज़ला़ा िशीरुद्ीि मििमिूद अिमिद सलाबिि

    ख़लीफ़तुल मिसीि बवितीय(जो हुजूरे अिवर िे 11 जुललाई सन् 1915 ई. को बमियलाँ बसरलाजुद्ीि सलाबिि ललािौर के पलाांगण मिें एक जिसभला को सांिोबित बकयला )

    मिैं ललािौर कोई भलाषण देिे यला बकसी जलसे मिें शलाबमिल िोिे के बलए ििीं आयला थला। िस्क मिेरे गले मिें कुछ तकलीफ थी। बजसके कलारण मिैं मिजिूर हुआ बक ललािौर आकर इसकला इललाज करलाऊँ। जि मिैं यिलँा आयला तो मिेरे बदल िे किला अल्लाि तआलला िी िेितर जलाितला िै बक मिुझे इस तकलीफ से आरलामि िोगला यला ििीं और ख़ुदला िी भलीभलाांबत जलाितला िै बक मिैं इस िीमिलारी से अचछला िो पलाऊँगला यला ििीं। लेबकि जि ख़ुदला तआलला िे यि मिौकला बदयला िै बक मिैं उस रलाजय की रलाजिलािी मिें आयला हूूँ बजसकला मिैं बिवलासी हूूँ तो िेितर िै बक मिैं इस जगि उि समि्त लोगों को जो अपिे अनदर सतय की अबभललाषला रखते िैं वि पैगलामि पहुूँचला दूँ जो उस ख़ुदला िे जो सि कला स्रष्ला िै अपिे िनदों की ओर भेजला िै।

    मिैं देखतला हूूँ बक जि एक मिलामिूली सला आदमिी गले मिें ढोल लटकलाकर मिुिलादी करतला हुआ रला्ते से गुज़रतला िै तो लोग सुििे के बलए दौडे चले आते िैं बक कयला मिुिलादी कर रिला िै। तो वि इंसलाि

  • 2

    पैग़ाम हज़रत मसीह मौऊद अलैहहससल़ाम

    जो दुबियला की िैबसयत के बलिलाज से भी पबतसठित िो और बवरोिी भी ्वीकलार करें बक वि पबतसठित और सममिलाििीय िै। जि वि दुबियला मिें पुकलार-पुकलार कर किे बक मिैं ख़ुदला की ओर से मिुिलादी कर रिला हूूँ बक िे सुििे वलालो! तो कयला िर एक आदमिी कला कत़ावय ििीं बक कमि से कमि उस मिलामिूली आदमिी की मिुिलादी की तरि उसकी आवलाज़ को भी सुिे और पूछे बक कयला ऐललाि कर रिे िो? अतः मिैं िर एक नयलायबपय और सतयलाबभललाषी से उममिीद करतला हूूँ बक वि इस पैगलामि को गौर से सुिेगला जो मिैं ियलाि करिे लगला हूूँ। यि उस ख़ुदला कला पैगलामि िै जो िर एक चीज़ कला पैदला करिे वलालला िै, िर चीज़ कला मिलाबलक िै और िर एक जलािदलार कला पबतपलालक िै, बजसके पलास एक बदि सि लोगों को िलाबज़र िोिला िै। बफर इस पैगलामि को ललािे वलालला कोई मिलामिूली आदमिी ििीं, िस्क वि िै जो कितला िै बक मिैं वि मिसीि हूूँ बजसकी ख़िर इंजील िे दी िै। मिैं वि ििी हूूँ बजसकी ख़िर दलाबियलाल ििी िे दी िै। मिैं वि मििदी हूूँ बजसकी ख़िर मिुिममिद सल्ल्लािो अलैबि वसल्मि िे दी िै। मिैं वि कृषण हूूँ बजसकी ख़िर गीतला मिें बलखी िै। मिैं वि मिैबसयला बदरिमिी हूूँ बजसकी ख़िर जलामिलाबसप िे अपिी बकतलाि जलामिलाबसपी मिें बलखी िै। इसके अललावला वि यिी ििीं कितला िस्क यि भी कितला िै बक मिैं तमिलाम् दुबियला की तरफ़ मिेल-बमिललाप करलािे और सि को एक िमि़ा पर एकत्र करिे के बलए आयला हूूँ। उसकला यि दलावला िहुत िडला दलावला िै। अतः िर एक नयलायपबपय कला कत़ावय िै बक उसके दलावला को सुि तो ले। मिैं मिलाितला हूूँ बक िहुत से लोग उसको ्वीकलार ििीं करेंगे और यि पकृबत कला बविलाि िै बक ख़ुदला के िरगुजीदों (अवतलारों) को िहुत से लोग क़िूल ििीं बकयला करते। कयला यि सच ििीं बक कृषण की उस ज़मिलािे मिें मिुख़लाबलफत की गयी? कयला यि सच्ी घटिला ििीं

  • 3

    पैग़ाम हज़रत मसीह मौऊद अलैहहससल़ाम

    बक आबख़री1★ििी जो ख़लातमिुन्निीयीि और सि िबियों के सरदलार िैं उिकी भी मिुख़लाबलफ़त की गयी? कयला यि सच ििीं बक आज तक कोई भी ििी ऐसला ििीं गुज़रला बजसकला कोई भी मिुख़लाबलफ़ ि रिला िो। जि यि िलात िै तो यि सोचिला बक िज़रत मिसीि मिौऊद अलैबि्सललामि को सलारी दुबियला मिलाि ले और कोई मिुख़लाबलफ ि रिे मिूख़ातला िै कयोंबक यि पलाकृबतक बियमिों के बवरुद्ध िै अतएव ऐसला िोिला असमभव िै। चूँबक इनसलािों के बभन्न-बभन्न ्वभलाव िोते िैं इसबलए िबियों को सि के सि क़िूल ििीं कर सकते। िलाँ कुछ ऐसे िोते िैं जो क़िूल कर लेते िैं लेबकि कुछ ऐसे भी िोते िैं बजि तक सच्ला पैगलामि पहुूँचतला िी ििीं और कुछ ज्दिलाज़ी से कलामि लेकर इनकलार भी कर देते िैं। इसबलए यि बवचलार गलत िै बक बकसी एक इनसलाि को सलारी दुबियला मिलाि ले। लेबकि मिैं इस समिय आप लोगों के सलामििे एक ऐसे इनसलाि कला पैगलामि पेश करतला हूूँ बजसको ख़ुदला तआलला िे सलारी दुबियला की तरफ़ भेजला िै और बजससे ख़ुदला कला वलादला िै बक दुबियला के अबिकतर लोग तेरे िलाथ पर सच्लाई को क़िूल करेंगे और तू इ्ललामि कला चेिरला ज़लाबिर करेगला। बजसके िलारे मिें िहुत से िबियों िे भबवषयवलाबणयलँा की िैं और िर एक िमि़ा के लोग उसके इनतेज़लार मिें िैठे िैं। ईसलाई, बिनदू, यहूदी, पलारसी इतयलाबद सभी िमिमों के लोग मिलािते िैं बक िमिलारी बकतलािों मिें आबख़री ज़मिलािे (अथला़ात् कबलयुग) मिें आिे वलाले सुिलारक के िलारे मिें भबवषयवलाणी मिौजूद िै। यिलाँ कोई चीिी आदमिी मिौजूद ििीं लेबकि अगर बकसी चीिी से पूछोगे तो मिलालूमि िो जलाएगला बक उिकी बकतलािों मिें भी कबलयुग मिें

    1★ह़ाहिय़ा - आख़री इसबलए बक आप के िलाद कोई ििी शरीअत वलालला ििीं आ सकतला। कोई िुिुववत आप के रला्ते ििीं आ सकतला अतः भबवषय मिें िुिुववत आप के फैज़ और अिुकरण तथला मिुिर से बमिल सकती िै।

  • 4

    पैग़ाम हज़रत मसीह मौऊद अलैहहससल़ाम

    आिे वलाले एक अवतलार की भबवषयवलाणी मिौजूद िै। अतः जि सलारे िमि़ा इस पर सिमित िैं तो अवशय इसमिें ख़ुदला तआलला की िहुत िडी बिकमित िै। िहुत से लोग ऐसे िोते िैं जो यि किते िैं बक यि सि ढकोसले िैं ि कोई आयला ि कोई आएगला। मिैं कितला हूूँ बक कयला ढकोसले ऐसे िी िोते िैं जो िहुत से देशों मिें और िहुत से िमिमों की बकतलािों मिें फैल जलाते िैं। अगर यि िलात बसफ्फ िज़रत मिसीि की बकतलाि मिें िोती तो कोई कि सकतला थला बक ढकोसलला िै। अगर बसफ्फ दलाबियलाल ििी की बकतलाि इस भबवषयवलाणी कला ऐललाि करिे वलाली िोती तो कि सकतला थला ढकोसलला िै। लेबकि बभन्न-बभन्न ििी जो बभन्न-बभन्न देशों मिें आए और बभन्न-बभन्न बकतलािें ललाए उनिोंिे एकमित िोकर यि ख़िर दी बक आबख़री ज़मिलािे मिें दुबियला मिें एक ििी आएगला और उसके पकट िोिे कला समिय वि िोगला जि दुबियला मिें ख़तरिलाक जांगें िोंगी और दुबियला उिके विलारला बिल जलाएगी उसके िलाद उस आिे वलाले सुिलारक के विलारला दुबियला मिें अमिि और मिेल-बमिललाप क़लायमि िोगला। अतः यि बकस तरि समभव िै बक बभन्न-बभन्न देशों के अवतलार एक आिे वलाले की एकमित िोकर ख़िर दें और उि सिकी भबवषवलाणी ढकोसलला किललाए। वे ििी आपस मिें कि एकत्र हुए बक सि िे बमिलकर एक िलात रची?

    हज़रत मसीह मौऊद अलैहहससल़ाम क़ा पैग़ाम -िज़रत मिसीि मिौऊद अलैबि्सललामि कला जो पैगलामि मिैं सुिलािे के बलए

    खडला हुआ हूूँ वि ियला भी ििीं और पुरलािला भी ििीं। ियला तो इसबलए ििीं बक वि विी पैगलामि िै जो ख़ुदला की तरफ़ से आिे वलाले पैगमिर िमिेशला से सुिलाते आए िैं और पुरलािला इसबलए ििीं बक इस समिय दुबियला उस पैगलामि को इस तरि भूल गई िै बक मिलािो कभी भेजला िी ििीं गयला। दुबियला कला

  • 5

    पैग़ाम हज़रत मसीह मौऊद अलैहहससल़ाम

    कोई ऐसला मिज़िि ििीं बजसमिें वि पैगलामि ििीं भेजला गयला। िर मिजिि मिें इसकी बशक्ला मिौजूद िै मिगर अि दुबियला उसे भूल गई िै और एक शबद भी यलाद ििीं,इसबलए ियला िै।

    अल़्ाह तआल़ा की रबूहबयत (प़ालनह़ाररत़ा) - अल्लाि तआलला की तरफ़ से बभन्न-बभन्न युगों मिें बभन्न-बभन्न ििी

    आए और ऐसला िी िोिला चलाबिए थला। क़ुरआि शरीफ शुरू िी इस तरि िोतला िै- )अल फ़लाबतिला - 2) َ

    ْٰعلَِمی

    َْحْمُد ِلِ َرِبّ ال

    ْاَل

    समि्त पशांसलाएँ ख़ुदला के बलए िैं। कयों? इसबलए बक वि समि्त लोकों कला रबि िै। बजसकी रिूबियत बकसी ख़लास चीज़ से बवबशष् ििीं। उदलािरणतः उसकला सूरज िै वि कभी ऐसला ििीं चढेगला बक उसकी रोशिी बसफ्फ मिुसलमिलािों तक िी सीबमित िो और ईसलाई, बिनदू,यहूदी इतयलाबद िमिमों के लोग उससे वांबचत रिें यला उसकी रोशिी बसफ्फ ईसलाइयों को िी पहुूँचे यला बसफ्फ बिनदुओं के बलए िो यला बकसी और ख़लास मिज़िि के लोगों के बलए िो, िस्क सि लोगों के बलए िै चलािे कोई मिोबमिि िो यला कलाबफ़र, बिनदू िो यला ईसलाई िलास्तक िो ईशभक्त। जो कोई भी उससे फलायदला उठलािला चलािे उसके बलए आज़लादी िै। लेबकि अगर कोई दरवलाज़ला िनद करके अनदर िैठ जलाए यला अपिी गलती से आँखों को िनद कर ले तो यि उसकला अपिला क़सूर िै। ख़ुदला तआलला कला सूरज उस पर रौशिी को िनद ििीं करतला। मिैं इस आयत के िलारे मिें जि िकशला खींचतला हूूँ तो िैरलाि रि जलातला हूूँ बक इनसलाि दलािला िोतला िै िैल उसके सलाथ कलामि करते िैं और वि सलारला-सलारला बदि उिसे कलामि लेतला िै, िल चललातला िै पलािी देतला िै। अगर सलाल के िलाद खेत से सलारला दलािला िी दलािला पैदला िोतला और भूसला ि िोतला तो

  • 6

    पैग़ाम हज़रत मसीह मौऊद अलैहहससल़ाम

    इनसलाि ऐसला ललालची िै बक िैलों को दलािला ि डलालतला और सलारला कला सलारला गल्ला अपिे कलामि मिें िी ले लेतला। लेबकि ख़ुदला बजस तरि इनसलािों कला रबि िै उसी तरि िैवलािों कला भी रबि िै। उसिे अगर इनसलािों के बलए दलािला पैदला बकयला िै तो सलाथ िी िैवलािों के बलए भी भूसला पैदला बकयला िै। कयोंबक वि जलाितला िै बक मिेिित करिे मिें इनसलाि और िैवलाि दोिों शलाबमिल िैं। अगर िैवलािों के बलए अलग बि्सला ि रखला गयला तो इनसलाि अपिी आवशयकतलाओं से मिजिूर िोकर उनिें वांबचत कर देगला। जैसला बक पिले ज़मिलािे मिें जलािवरों के चरिे के बलए िडी-िडी चरलागलािें छोडी जलाती थीं लेबकि अि उिको खेतीिलाडी के कलामि मिें पयोग कर बलयला गयला िै और िहुत कमि चरलागलािें रि गई िैं। अतः खुदला तआललािे बजस तरि खेत से दलािला बिकलालला िै उसी तरि जलािवरों के पेट के मिुतलाबिक़ भूसला भी बिकलालला िै। इसी तरि िर एक चीज़ मिें देख लो। मिैं सोचतला रितला हूूँ बक अगर मिेवे इतयलाबद मिें अलग ि िोतला तो इनसलाि सलारे के सलारे मिेवला को िी खला जलाते और आगे पैदला िोिे के बलए िीज भी ि छोडते। लेबकि ख़ुदला तआलला िे ऐसला इनतेज़लामि कर बदयला िै बक उिके िीज मििफ़ूज़ रखे जलाते िैं। अतः ख़ुदला पूरे ब्ेह्लाणड कला रबि िै जो गमि़ा और ठंडे देशों के रििे वलालों गोरों, कलालों, मिुसलमिलािों, ईसलाइयों, बिनदुओं इतयलाबद सि कला ख़ुदला िै।

    हर कौम में नबी (अवत़ार) - अतः इ्ललामि और क़ुरआि बजस ख़ुदला को दुबियला के सलामििे पेश

    करतला िै वि ऐसला ख़ुदला ििीं िै बजसकला बकसी ख़लास क़ौमि से समिनि िो िस्क वि सलारी क़ौमिों और सलारी दुबियला कला ख़ुदला िै। इसीबलए क़ुरआि शरीफ यि दलावला करतला िै बक सलारी क़ौमिों की तरफ़ रसूल आते रिे िैं जैसला बक फ़रमिलायला-

  • 7

    पैग़ाम हज़रत मसीह मौऊद अलैहहससल़ाम

    )फ़लाबतर - 25) ٍۃ ِاّلَ َخَل ِفْیَہا نَِذیٌْر ْن اُّمَ ِمّ َوِاْن कोई क़ौमि और कोई समपदलाय ऐसला ििीं, बजसमिें कोई ििी ि भेजला

    गयला िो। कयोंबक वि पूरे ब्ह्लाणड कला रबि िै। अतः बकस तरि िो सकतला थला बक वि सलारी क़ौमिों मिें ििी ि

    भेजतला िस्क बकसी ख़लास क़ौमि मिें भेजतला। लेबकि अगर िलाइबिल पढो तो उससे मिलालूमि िोतला िै बक ख़ुदला िे बसफ़्फ िज़रत िूि की औललाद से कललामि (सांवलाद) बकयला। िज़रत इब्लािीमि से कललामि बकयला। कयला बिनदु्तलाि के लोग ख़ुदला तआलला की मिखलूक़ (सृसष्) ि थे यला यूरोप,अफ्ीकला और अमिेररकला के लोगों कला ख़ुदला ख़लाबलक़ (स्रष्ला) ि थला। जि सि उसी की मिखलूक़ थे तो बजस तरि उसिे चलाँद, सूरज, िवला, पलािी इतयलाबद मिें कंजूसी से कलामि ििीं बलयला िलाललाँबक ये बज्मि के बलए सलामिलाि िैं बफर कैसे समभव थला बक वि ख़लास-ख़लास लोगों के अबतररक्त दूसरों की रूि के बलए कोई सलामिलाि ि करतला और उनिें यूँ िी छोड देतला। िमिें इ्ललामि िे ऐसे ख़ुदला के िलारे मिें ितलायला िै जो बकसी ख़लास क़ौमि कला ििीं, िस्क सलारी दुबियला कला िै। इसबलए वि सलारी दुबियला के िबियों को मिलाििे की बशक्ला देतला िै।

    िमिलारे सलामिि ेजि कोई यि कितला िै बक िमिलारे देश मिें भी अमुिक ििी आयला तो िमि कित ेिैं,अल्लािो अकिर (अथला़ात् अल्लाि सिस ेमििलाि िै)। कयों? इसबलए बक इसस ेआयत ــٍۃ ِاّلَ َخــَل ِفْیَہــا نَِذیـْـٌر ــْن اُّمَ َوِاْن ِمّके वण़ाि की सच्लाई सलाबित हुई। ऐसे मिौक़ला पर केवल एक ईसलाई यला बिनदू के बलए िी ििीं िस्क इ्ललामि के बसवला दुबियला के िर मिज़िि के लोगों के बलए मिुसशकल िै बक वे ऐसी बशक्ला प्तुत कर सकें। मिगर इ्ललामि कला मिलाििे वलालला कभी शबमि़ानदला ििीं िोतला। जि कभी उसके सलामििे बकसी ििी कला िलामि पेश बकयला जलाएगला तो वि ख़ुशी से अल्लािो अकिर कि कर किेगला बक अलिमदो बलल्लाि वि बकतलाि बजस पर मिैं चलतला

  • 8

    पैग़ाम हज़रत मसीह मौऊद अलैहहससल़ाम

    हूूँ कैसी-कैसी मििलाि सच्लाइयलाँ अपिे अनदर रखती िै जिबक वि ऐसे देश मिें उतरी बजसके दूसरे देशों से तबिक भी समपक्फ ि थे और कोई ऐसे सलािि ि थे बजिसे उसे दूसरे देशों के िलाललात मिलालूमि िो सकें। लेबकि चूँबक उसके िलाबज़ल (अवतररत) करिे वलालला रबिुल आलमिीि थला इसबलए उसिे समि्त सांसलार के िबियों को सच्ला ठिरलायला। तलातपय़ा यि बक दुबियला मिें िर क़ौमि और िर मिु्क़ मिें ििी हुए िैं। जैसला बक क़ुरआि शरीफ़ की बिमिबलबखत आयत ــٌر ــا نَِذیْ ــَل ِفْیَہ ــٍۃ ِاّلَ َخ ــْن اُّمَ ِمّ औरَوِاْن

    َْ

    ٰعلَِمــیَْحْمــُد ِلِ َرِبّ ال

    ْ से बसद्ध िोतला िै और िबियों कला बसलबसलला اَل

    कोई ियला बसलबसलला ििीं िै। अतः िज़रत मिसीि मिौऊद कला उद्ेशय और उिके पलादुभला़ाव कला मितलि पतला करिे के बलए िमिें बकसी आदमिी से पूछिे की जरूरत ििीं। जो उद्ेशय उि पिले िबियों के पलादुभला़ाव कला थला विी िज़रत मिसीि मिौऊद अलैबि्सललामि के पलादुभला़ाव कला िै। जो पैगलामि िबियों के विलारला दुबियला को बदयला गयला विी पैगलामि िज़रत मिसीि मिौऊद के विलारला बदयला गयला िै और बजस िलात की तरफ़़ उिके विलारला िुललायला जलातला थला उसी की ओर िज़रत मिसीि मिौऊद के विलारला िुललायला गयला िै। इसी दृसष् से मिैंिे किला थला बक वि पैगलामि जो िज़रत मिसीि मिौऊद के विलारला अल्लाि तआलला िे दुबियला की तरफ़़ भेजला िै वि कोई ियला पैगलामि ििीं िस्क पुरलािला िी पैगलामि िै और ियला बसफ़्फ इस दृसष् से िै बक इस ज़मिलािे के लोगों िे उसे ऐसला िी भुलला बदयला िै बक अि वि उिके बलए एक िए पैगलामि की तरि िी िै।

    नहबयों के आने क़ा उद्ेशय - अि पशि यि उठतला िै बक पिले ििी दुबियला मिें कयला पैगलामि ललाए

    थे और बकस कलामि पर मिुक़र्रर बकए जलाते थे तो इसकला जवलाि क़ुरआि

  • 9

    पैग़ाम हज़रत मसीह मौऊद अलैहहससल़ाम

    करीमि मिें मिौजूद िै और कई ्थलािों पर उस पैगलामि को ख़ूि खोलकर ियलाि बकयला गयला िै जो िबियों के विलारला भेजला जलातला िै। िस्क उस पैगलामि कला सलारलाांश तो इ्ललामि और ईमिलाि के शबद से िी पतला लग जलातला िै। ख़ुदला तआलला िे इस आबख़री िमि़ा कला िलामि इ्ललामि उसके क़िूल करिे कला िलामि ईमिलाि रखकर सलारे िमिमों के उद्ेशय की ओर सांकेत कर बदयला िै। इस जगि जो लोग िैठे िैं समभवतः उिमिें से अबिकतर अरिी ििीं जलािते इसबलए समभव िै बक मिेरे मितलि को ि समिझ सकें बक इि शबदों से बकस तरि िबियों के पलादुभला़ाव कला उद्ेशय बिकलतला िै। इसबलए मिैं सलारलाांशतः ितला देतला हूूँ बक इ्ललामि कला अथ़ा िै आज्लापलालि और ईमिलाि कला अथ़ा िै मिलाििला। इस सांसलार मिें जो ििी भेजे जलाते िैं वे इसबलए भेजे जलाते िैं बक लोग उिकी आज्लापलालि करें और उिकी िलातों को मिलािें। यि अथ़ा तो इि शबदों के सलािलारण अथमों के अिुसलार िैं। लेबकि जि िमि इि दोिों शबदों के मिूल पर गौर करें तो और अबिक ्पष्तला के सलाथ िबियों आिे कला उद्ेशय मिलालूमि िो जलातला िै लेबकि इसके समिझिे से पिले यि िलात समिझ लेिी चलाबिए बक अरिी भलाषला की बवशेषतलाओं मिें से यि एक अद्ुत बवशेषतला िै बक इसमिें केवल शबदों के अथ़ा िी ििीं िोते िस्क वणला़ाक्रों के भी िोते िैं और इसी तरि यि बक इस भलाषला मिें जो शबद बकसी ख़लास चीज़ के बलए ििलायला गयला िो वि केवल उस चीज़ के बलए पिचलाि के तौर पर ििीं िोतला िस्क उस चीज़ कला वि िलामि बकसी समिनि के कलारण रखला जलातला िै और वि िलामि िी ितला देतला िै बक उस चीज़ मिें वि कौि सी िलात िै बजसके कलारण उसकला यि िलामि रखला गयला िै। उदलािरणतः उदू़ा मिें एक लमिी चीज़ को लमिी किेंगे, मिलाँ को मिलाँ किेंगे, िलाप को िलाप किेंगे तो इि शबदों से तलातपय़ा केवल विी चीज़ें िोंगी। इिसे यि पतला ि लगेगला बक इिमिें कयला बवशेष िलात िै बजसके कलारण उनिें इस िलामि से

  • 10

    पैग़ाम हज़रत मसीह मौऊद अलैहहससल़ाम

    बवबशष् बकयला गयला िै और अगर िमि इि शबदों के ्थलाि पर दूसरे शबद िदल दें िमिलारे मितलि मिें कमिी ि आएगी उदलािरणतः लमिी छोटी चीज़ को कििे लगें और छोटी लमिी को, तो इससे उदू़ा भलाषला मिें कोई दोष ि आएगला। लेबकि अरिी भलाषला कला यि िलाल ििीं, इसमिें अगर अरिी शबद ‘‘तवील’’ को क़स्र कििे लगें तो यि बकसी तरि जलायज़ ििीं िो सकतला कयोंबक अक्र त व ल बजि अथमों पर सांकेत करते िैं अक्र क़ स र उि पर ििीं करते। तलातपय़ा यि बक दूसरी भलाषलाओं मिें तो चीज़ों के िलामि केवल सांकेत के तौर पर िैं अगर उिको िदलकर दूसरला शबद रख दें तो कोई दोष ििीं पडतला। लेबकि अरिी भलाषला मिें िर एक िलामि ि केवल सांकेत के तौर पर िोतला िै िस्क उस चीज़ की बकसी ख़लास बवशेषतला पर सांकेत करतला िै इसी कलारण से एक शबद के ्थलाि पर दूसरला ििीं रख सकते। अभी कुछ मििीिों पिले यूरोप के युद्ध के िलारे मिें बब्टेि के अख़िलारों मिें एक अजीि सवलाल उठला थला बजसकला कलारण यि थला बक जमि़ाि अफ़सरों और अांग्ेज़ अफ़सरों के युद्ध के तरीकों मिें फ़क़्फ थला। जमि़ाि अफ़सर तो पीछे खडे िोकर अपिी फ़ौज को लडवलाते और अांग्ेज़ अफ़सर आगे िोकर। इस पर यि सवलाल उठलायला गयला बक इि दोिों तरीकों मिें से कौि सला तरीक़ला िेितर िै। अांग्ेज़ी अख़िलारों िे बलखला बक िमिलारे अफ़सरों कला िी तरीक़ला सिी िै कयोंबक इससे फ़ौज को यि मिलालूमि िोतला िै बक अफ़सर िमिें मिरवलािला ििीं चलािते िस्क खुद िमिसे भी आगे रिते िैं। इस ििस को देखकर अरिी भलाषला की ओर मिेरला धयलाि गयला और मिैंिे देखला बक अरिी भलाषला िे अांग्ेज़ों के िक़ मिें फ़ैसलला बकयला िै। कयोंबक अरिी भलाषला मिें फ़ौज के अफ़सर को क़लायद किते िैं और यि शबद क आ द से ििला िै बजसकला अथ़ा िै बकसी के आगे खडे िोकर यला बकसी जलािवर की िकेल पकडकर आगे-आगे चलिला। अतः अरिी भलाषला िे फ़ौजी अफ़सर

  • 11

    पैग़ाम हज़रत मसीह मौऊद अलैहहससल़ाम

    के बलए जो शबद पयोग बकयला िै उससे ्पष् िोतला िै बक अफ़सर फ़ौज के आगे िो पीछे ि िो। अांग्ेज़ी मिें जरिैल, करिैल इतयलाबद शबद िैं जो केवल सांकेत के तौर पर बििला़ाररत कर बदए गए िैं। लेबकि अरिी भलाषला िे ऐसला शबद पयोग बकयला िै बजससे उस अफ़सर के कत़ावयों पर भी रोशिी पडती िै। क़लायद के शबद मिें एक यि भी बवशेषतला िै बक वि बसपलाबियों को इस तरि अपिे िलाथ मिें रखे जैसे लगलामि से घोडे को रखला जलातला िै अथला़ात् फ़ौजी अफ़सर मिें दो िलातें िों। पथमि यि बक फ़ौज के आगे-आगे चले, बवितीय यि बक बसपलाबियों पर वि ऐसी पकड रखतला िो और वे उसके ऐसे अिीि और आज्लापलालक िों जैसे तलाक़तवर घोडे लगलामि के विलारला क़लािू मिें रिते िैं।

    ख़ुदला तआलला ि े इ्ललामि और ईमिलाि के शबद िी ऐस े पयोग बकए िैं जो अपिे अनदर िडी-िडी बवशषेतलाए ँ रखत ेिैं। स ल मि और अ मि ि इ्ललामि और ईमिलाि के मिलू वणला़ाक्र िैं यि जिलँा इकटे् िोंग ेविला ँउिके अथमों मिें बिफ़लाज़त ज़रूर पलाई जलाएगी और यि एक अदु्त बवशषेतला िै बक ख़ुदला तआलला ि ेअपिे सचे् दीि के बलए ऐस ेशबद पयोग बकए िैं जो मिज़िि के उद्शेय को भी ज़लाबिर कर दते े िैं िलाललाबँक और भी ऐस े शबद थ े जो मिज़िि के बलए पयोग िो सकत ेथ ेमिगर क़ुरआि शरीफ़ ि े इ्ललामि और ईमिलाि के शबद रख ेिैं। इिके वणला़ाक्रों को चलािे बजस तरि िदलो उि सि िलालतों मिें बिफ़लाज़त के अथ़ा पलाए जलाएँगे। मिूलतः स ल मि (सलमि) को िी ले लो और उसको िदलकर देख लो। उदलािरण के तौर पर इ्ललामि शबद िै बजसकला अथ़ा िै आज्लापलालि। िमि देखते िैं बक जि कोई िडे आदमिी की आज्लापलालि करतला िै और उसकी िलात मिलाि लेतला िै तो दूसरों के अतयलाचलारों से िच जलातला िै और उसी के जलाि व मिलाल की रक्ला की जलाती िै जो अिीि और आज्लापलालक िोतला िै। अतः जो लोग िलागी िोते

  • 12

    पैग़ाम हज़रत मसीह मौऊद अलैहहससल़ाम

    िैं सरकलार उिकी रक्ला ििीं करती, बपछले ज़मिलािे मिें तो ऐसे लोग आउट आफ़ ललाज़ किललाते थे और अगर कोई उिको क़तल कर देतला तो भी सरकलार उसे ि पूछती थी। बफर अरिी भलाषला मिें सलमि ऐि और आफ़त से िचिे को किते िैं। इसी तरि अरिी ललाकय सल्मिल बज्द कला अथ़ा िै चमिडे पर सलमि कला रंग चढला बदयला और रंग चमिडे को गलिे से िचलािे के बलए करते िैं अतएव इसमिें भी बिफ़लाज़त कला अथ़ा पलायला जलातला िै। इसी तरि अरिी मिें किते िैं सलालमिहू सलालि़हू अथला़ात् उसिे पर्पर सुलि की। सुलि करिे मिें भी बिफ़लाज़त िोती िै। इसी तरि अरिी मिें किते िैं तसल्मिल शैआ अथला़ात् अमिुक चीज़ को उसिे पकड बलयला और उस पर कबज़ला कर बलयला और जि कोई चीज़ क़बज़े मिें आ जलाती िै तो उसकी भी दूसरों से बिफ़लाज़त की जलाती िै। इसी तरि अरिी मिें इ्तलमिज़ज़रओ कला मिुिलावरला िै बजसकला अथ़ा िै खेती िे दलािला दिला बलयला अथला़ात् खेती मिें दलािला पड गयला, इसमिें भी बिफ़लाज़त कला अथ़ा बिबित िै कयोंबक जि तक खेती मिें दलािला ि पडे उस समिय तक बकसलाि उस पर सांतुष् ििीं िोतला और जि दलािला पड जलाए तो बफर एक िद तक वि उसे सुरबक्त समिझतला िै। इसके अबतररक्त अरिी भलाषला मिें सललामि ख़ुदला कला एक िलामि िै बजसकला अथ़ा िै िर एक दोष और अवगुण से रबित। बफर वणला़ाक्रों को और िदलते जलाएँ तो स मि ल (समिल) िि जलाएगला बजसकला अथ़ा सुलि करलािला और िौज़ से गनदगी बिकलालकर सलाफ़ करिला िै और अगर इिको िदलकर ल मि स (लमिस) कर दें तो इसकला अथ़ा िै छूिला। समि्त ज्लाि जो इनसलाि पलाप्त करतला िै पलाँच ज्लािेसनरियों से करतला िै उिमिें से एक लमिस भी िै। अरिी मिें "लमिसल मिलाओ" कला अथ़ा िै पलािी िि पडला। जि पलािी ििकर खेती मिें पहुूँचतला िै तो खेती की बिफ़लाज़त करतला िै और उसे सूखिे से िचलातला िै। इसी तरि अगर इिको िदलकर ल स

  • 13

    पैग़ाम हज़रत मसीह मौऊद अलैहहससल़ाम

    मि (लसमि) कर दें तो इसकला अथ़ा चुप रििला िै और यि किलावत मिशहूर िै बक- बिकली िोंठों चढी कोंठों, बिफ़लाज़त और अमिि जो चुप रििे मिें बमिलतला िै उसे िर एक जलाितला िै। इसी तरि मि ल स (मिलस) ख़ुशलामिद करिे को किते िैं और ख़ुशलामिद करिे कला िमिेशला यिी उद्ेशय िोतला िै बक बकसी के अतयलाचलार से बचकिी चुपडी िलातें करके िचला जलाए। यि मिैंिे इ्ललामि शबद के वणला़ाक्रों को आगे-पीछे िदल-िदलकर उिकी सलाझेदलारी से जो शबद ििते िैं उिके अथमों को ियलाि बकयला िै।

    अि ईमिलाि के िलारे मिें ितलातला हूूँ अरिी मिें "अिलामि" ससृष् को किते िैं और बकसी चीज़ कला िि जलािला िी उसकी बिफ़लाज़त कला पिलला उपलाय िोतला िै। अरिी शबद "िअमि" कला अथ़ा िै िोलिला और आवलाज़ बिकलालिला। िोलिला जीबवत िोि े कला लक्ण समिझला जलातला िै और इसी अथला़ािुसलार यि शबद अरिी भलाषला मिें पयोग िोतला िै। अतः जो वयसक्त मिर जलाए उसके िलारे मिें अरिी मिें किते िैं - "अ्कतल्लािो िलामितहू", बजसकला शलासबदक अथ़ा यि िै बक अल्लाि तआलला ि ेउसकी आवलाज़ िनद कर दी, बजसकला तलातपय़ा यि िै बक उस ेमितृय ुद ेदी। बफर अरिी मिें "मिलािल् क़ौमि" कला अथ़ा िै लोगों को खलािला बखललािला। खलािला भी िचलाव कला सलािि िै अगर कोई खलािला ि खलाए तो मिर जलाए। इसी तरि अरिी मिें - "मिलािशशयैला" कला अथ़ा िै उसके बजति े पिलू िैं सि को परूला और मििैुयला कर बलयला जलाए। बफर – "मिलािला बफल् अम्र" कला अथ़ा िै िलात को समिझकर मिस्तषक मिें बिठला लिेला। इसी तरि अरिी मिें - "मिलाितिु", िलाबभ को कित ेिैं बजसके विलारला भ्णू को खलािला पहुूँचतला िै और भू्ण बज़नदला रितला िै। इसी तरि "मििअल" बज्द कला अथ़ा िै चमिडे को रंगकर मिज़ितू करिला। तलातपय़ा यि बक-सीि, ललामि,मिीमि और अबलफ़, मिीमि, ििू, यि तीिों अक्र आगे-पीछे िोकर बजस तरि भी आएँ उिके अथ़ा बिफ़लाज़त के िी िोत ेिैं। अतएव इ्ललामि और ईमिलाि कला अथ़ा

  • 14

    पैग़ाम हज़रत मसीह मौऊद अलैहहससल़ाम

    यि हुआ बक ऐस ेकमि़ा करिला बजिस ेइनसलाि तिलािी स ेिच जलाए। इसबलए ख़ुदला तआलला ि ेअपिे सचे् मिज़िि के िलामि के बलए ऐस ेशबद रख ेिैं बक उिमिें िी मिज़िि कला असल उदे्शय ितला बदयला िै। बजसकला दसूरे शबदों मिें अथ़ा यि िै बक ख़ुदला तआलला के पकोप स ेलोग िच जलाए ँऔर आपस के लडलाई-झगडों स ेलोग मिसुक्त पला जलाए।ँ जि िमि क़ुरआि करीमि पर गौर करत ेिैं तो क़ुरआि करीमि स ेइ्ललामि की यिी पररभलाषला मिलालूमि िोती िै।

    क़ुरआन की हिक़्ा - मिोबमिि के कत़ावय क़ुरआि करीमि िे यिी ियलाि फ़रमिलाए िैं। जैसला

    बक फ़रमिलायला ُقــْرٰب

    ْال ِذی َوِایَْتــاِیٔ ْحَســاِن ِ

    َْوال َعــْدِل

    ِْبال

    ُُمــر

    ْیَا الَ ِاّنَ

    َبْغــِی ج یَِعُظُکــْم لََعّلَُکــْم ُْمْنَکــِر َوال

    َْفْحَشــاِء َوال

    َْویَْنٰہــى َعــِن ال

    )अन्निल - 91) َْونُ

    ر تََذّکَअल्लाि तमुिें अदल करिे कला आदशे दतेला िै। अदल उस नयलाय को

    कित ेिैं बजसमिें ि कमिी पलाई जलाए ि ज़यलादती, बफर एिसलाि करिे कला आदशे दतेला िै अथला़ात् केवल यि ििीं बक इनसलाि बजस तरि अपिी चीज़ों को मििफ़ूज़ रखतला िै उसी तरि दसूरों की चीज़ों को रख ेिस्क मििुतलाज को अपिी चीज़ें द।े यिलँा ख़ुदला तआलला ि ेबकसी मिसुलमिलाि, बिनद,ू ईसलाई इतयलाबद की शत़ा ििीं लगलाई बक तमुि अमुिक को दो और अमुिक को ि दो, िस्क सव़ावयलापक रूप स ेकि बदयला बक अल्लाि तमुिें आदशे दतेला िै बक चलािे कोई बकसी िमि़ा से समिनि रखतला िो उसस े नयलाय करो अथला़ात् बजस तरि तमुि यि पसनद ििीं करत ेबक कोई तुमिलारे िि को छीि ल ेयला तमुिलारी इज़ज़त पर िमिलला करे यला तमुिें बकसी पकलार कला िकुसलाि पहुूँचलाए उसी तरि तमुि भी बकसी के सलाथ ि करो। आिँज़रत सल्ल्लािो अलबैि वसल्मि ि ेफ़रमिलायला-

  • 15

    पैग़ाम हज़रत मसीह मौऊद अलैहहससल़ाम

    ل یومنوا احدکم حیّتٰ یُحّبَ ِلَخیِہ ما یُحّبُ لِنفسہ(بخاری کتاب الیمان باب من الیمان ان یحّب لخیہ مایحّب لنفسہ(

    बक तमुि मिें स ेउस समिय तक कोई मिोबमिि ििीं िो सकतला जि तक अपि े भलाई के बलए विी कुछ ि पसनद करे जो अपिे बलए करतला िै। अतएव मिोबमिि ििि े के बलए यि शत़ा रखी गई िै बक बजसके कष् से सलारी दबुियला मििफ़ूज़ रिे और बजस तरि वि अपिे बलए यि पसनद ििीं करतला बक कोई उसको िोखला द,े वि भी बकसी के सलाथ ि करे और बजस तरि वि अपि े बलए यि पसनद ििीं करतला बक कोई उसकी गीित करे, कोई उसके सलामििे झूठ िोले, कोई उस ेिकुसलाि पहुूँचलाए। इसी तरि वि भी बकसी स े इस तरि कला वयविलार ि करे। बफर ख़ुदला तआलला केवल अदल कला िी आदेश ििीं देतला िस्क कितला िै बक बजस बकसी कला िक़ दिेला िै तो उसस ेिढकर दो, और दूसरों को केवल िरुलाई से िी ि िचलाओ िस्क िेबकयों की िेमित से मिलाललामिलाल कर दो, बफर फ़रमिलायला –

    ُقْرٰب َْوِایَْتاِیٔ ِذی ال )ईतलाय बज़लक़ुिला़ा)

    करो, अथला़ात्् बजस तरि मिला ँिच् े से बििला बकसी ्वलाथ़ा के मििुबित करती िै, उसी तरि तमुिलारला सि स ेसलूुक िोिला चलाबिए और यि सि कुछ बकसी स ेिकेी और एिसलाि की उममिीद रखकर ििीं करिला चलाबिए। बफर अल्लाि ऐसे कलामिों स ेमििला करतला िै जो अश्ील, अभरि और िलापसनदीदला िैं चलािे वे ्वयां यला अपिों स ेसमिसनित िी कयों ि िों। बफर मिनुकर स ेमििला करतला िै अथला़ात् ्ऐसी िलातों स ेजो िलापसनदीदला िैं चलािे व ेअपिे बलए िों यला दसूरों के बलए। बफर िग़य स ेमििला करतला िै अथला़ात् ्ऐसी िरुलाई स ेजो अपिे अनदर पदैला िोकर दूसरों पर भी असर डलालती िै और उसस े दसूरे लोगों को भी िकुसलाि पहुूँचतला िै, इि सलारी पकलार की िरुलाइयों स ेअल्लाि मििला करतला िै। तलातपय़ा यि बक मिोबमिि की पररभलाषला क़ुरआि करीमि ि ेयि ितलाई

  • 16

    पैग़ाम हज़रत मसीह मौऊद अलैहहससल़ाम

    िै बक पिल ेतो वि दसूरों के सलाथ ऐसला सलुकू करे जसैला बक वि पसनद करतला िै बक लोग उसके सलाथ करें और दूसरों कला िक़ ि दिलाए और बकसी को िकुसलाि ि पहुूँचलाए। लोगों के िक़ पणू़ातः अदला करे। दसूरे यि बक ि केवल उिके िक़ अदला करे िस्क और ज़यलादला एिसलाि करे। तीसरे यि बक एिसलाि करिला उसकी आदत िि जलाए और वि अपिी आदत से मिज़िरू िोकर एिसलाि करे और ऐसे तमिलाम् कलामिों स ेभी िच ेजो िरेु िों। बफर ऐस ेकलामिों स ेभी िच ेजो लोगों की िज़रों मिें िलापनदीदला िों और उिसे भी बजिमिें बकसी दसूरे पर ज़ु्मि िोतला िो। यि आदशे तो मिलािवजलाबत की रक्ला और सलुकू के समिनि मिें थला। अि रूि शषे रिती िै इसके िलारे मिें बकसी ख़लास आयत के प्ततु करिे की जरूरत ििीं। क़ुरआि शरीफ़ कला िर पजे, िर रुकूअ, िर पांसक्त ख़ुदला तआलला की मििलाितला और पतलाप की द्ोतक िै। यूरोप कला एक लखेक बलखतला िै बक मििुममिद (सल्ल्लािो अलबैि वसल्मि) ि ेअपिी बकतलाि (क़ुरआि) मिें ख़ुदला कला इतिला गुणगलाि बकयला िै बक मिलालमूि िोतला िै (िऊज़ बिल्लाि) उस ेख़ुदला कला जिुिू िै। यि चूबँक ईसलाई िै इसबलए उसि ेक़ुरआि को आिँज़रत सल्ल्लािो अलैबि वसल्मि की बलखी हुई बकतलाि ितलाकर ज़लाबिरी तौर पर एक ितीजला बिकलाल बलयला बक उसे ख़ुदला कला जिूुि मिलालूमि िोतला िै। लेबकि अधयलातमिज्लाि रखिे वलाल ेलोग इस िलात से और िी ितीजला बिकलालत ेिैं। अतः क़ुरआि शरीफ़ ि ेिबियों के आिे कला यि उद्शेय ितलायला िै बक व ेआकर ख़ुदला के पकोप स ेलोगों को िचलाए ँऔर उिको आपस के कष् और िकुसलाि स ेिचलाए ँऔर उनिें अल्लाि तआलला के सलाथ मििुबित करि ेकला ढंग ितलाए।ँ िर एक ििी इनिीं उदे्शयों को लकेर आतला िै। अि तमुि अपिे बदलों मिें सोच लो बक ििी की बशक्लाओं पर जिला ँ पलालि बकयला जलाए विला ँ बकतिला सखु और चिै बमिल सकतला िै। अगर दबुियला िबियों की बशक्लाओं पर चलि ेलग ेतो ि

  • 17

    पैग़ाम हज़रत मसीह मौऊद अलैहहससल़ाम

    पबुलस की आवशयकतला रिती िै, ि पिरेदलारों की, ि फ़ौज की, ि यौबद्धक िबथयलारों की, कयोंबक मिोबमिि कला अथ़ा िी यिी िै बक ऐसला इनसलाि बजसमिें बकसी पकलार की िरुलाई और ििेयलाई ि िो और आज्लापलालि की बवशषेतला अपि ेअनदर रखतला िो।

    नबी और फ़ल़ासफ़र में अनतर – ििी दुबियला मिें सि से िडला सुिलारक िोतला िै। िडे-िडे फ़लला्फ़र

    गुज़रे िैं मिगर िबियों से उिकी समिलाितला ििीं दी जला सकती। कयोंबक बजस तरि िबियों िे सुिलार बकयला िै उस तरि वे ििीं कर सके। िू अली सीिला के िलारे मिें बलखला िै बक उसे एक बशषय िे किला बक अगर आप ििूवत कला दलावला करते तो कयला िी अचछला िोतला। आप को यि दलावला सजतला िै। मिुिममिद (सल्ल्लािो अलैबि वसल्मि) िे (िऊज़बिल्लाि) यूँ िी दलावला कर बदयला, वि तो अिपढ थला। यि सुिकर िू अली सीिला चुप रिला और कुछ उत्तर ि बदयला। एक बदि सददी कला मिौसमि थला। उसिे तलाललाि मिें बजसकला पलािी सददी के कलारण जमि रिला थला, उसी बशषय को उसमिें छललाँग मिलारिे के बलए किला। उसिे इनकलार कर बदयला और किला, कयला आप जलािते ििीं बक सददी कला मिौसमि िै पलािी मिें छललाँग मिलारिे से सुन्न िो जलाऊँगला। आज आपको कुछ िो तो ििीं गयला। िू अली सीिला िे किला, मिूख़ा कयला तूिे इसी बिठिला से किला थला बक अगर तू ििूवत कला दलावला करतला तो सिी िोतला। कयला तू ििीं जलाितला बक मिुिममिद (सल्ल्लािो अलैबि वसल्मि) िे एक को ििीं, दो को ििीं िस्क िज़लारों को हुकमि बदयला बक अपिी जलािों को लडला दो। तो वे अपिी िीवी, िच्े, सगे-समिनिी और िि-दौलत सि कुछ छोडकर चले गए और जलाि जलािे की कुछ भी परवलाि ि की। वे बििला तिखवलाि के पुबलस,फ़ौज और मिबज्ट्ेट िि गए। अपिला ख़च़ा

  • 18

    पैग़ाम हज़रत मसीह मौऊद अलैहहससल़ाम

    करते और दुबियला की बिफ़लाज़त करते, अपिी जलािें क़ुिला़ाि करते और दुबियला को तिलाि िोिे से िचलाते। अतः िबियों कला कलामि सलाबित करतला िै बक सच मिें वे ििी िैं। फ़लला्फ़र समिलाज-सुिलार कला दलावला तो कर देते िैं मिगर उिके कलामि मिें कलामियलािी ििीं िोती। िहुत से ऐसे िोते िैं जो किते कुछ िैं और करते कुछ िैं, लेबकि ििी दुबियला की बिफ़लाज़त और सुिलार के बलए आयला करतला िै।

    िरीअत क़ा उद्ेशय - शरीअत भी लोगों की बिफ़लाज़त और सुिलार कला एक सलािि िोती

    िै। लेबकि उि पर िडला अफ़सोस िै बजनिोंिे इस पर गौर ििीं बकयला और किते िैं बक शरीअत ललाित िै। इनसलाि चूँबक कमिजोर िै इसबलए उनिें यि गलती लगी िै बक इनसलाि शरीअत पर अमिल ििीं कर सकतला,इसबलए ललाित िै। लेबकि उनिोंिे इसे समिझला िी ििीं। शरीअत गलाइड िुक और बिदलायत के तौर पर िोती िै और ििी िलादी और रििुमिला िोतला िै आप लोग जलािते िैं बक बिदलायतिलामिला यला गलाइड िुक कभी भटकिे कला कलारण ििीं िो सकती। अगर बकसी बकतलाि मिें ललािौर पहुूँचिे कला रला्तला बलखला िो और उसमिें अजलायिघर, ललारेनस िलाल, बचबडयलाघर इतयलाबद जगिों के पते दज़ा िों यला जैसे आयुववेद की बकतलािों मिें बलखला िोतला िै बक अमिुक ज़िर ि खलािला और अगर कोई उसे खला ले तो उसके असर को दूर करिे के बलए अमिुक दवला िै इतयलाबद इतयलाबद, तो कयला ऐसी बकतलािें सुख और आरलामि कला सलािि हुआ करती िैं यला दुःख कला। इसी तरि शरीअत िै बक जो कष् और मिुसीितें लोगों पर आती िैं उसमिें उिसे िचिे के उपलाय ितलाए जलाते िैं और जो मिुसीितें आ चुकी िों उिको दूर करिे के उपलाय भी समिझलाए जलाते िैं। क़ुरआि शरीफ़ मिें अल्लाि तआलला फ़रमिलातला िैः-

  • 19

    पैग़ाम हज़रत मसीह मौऊद अलैहहससल़ाम

    ــْن ــَن ِم یْ ِ ــَنَن اّلَ ــْم ُس ــْم َویَْہِدیَُک َ لَُک ــَبِیّ لُِیـ ــُد الُ یُِریْ

    َوالُ ــٌم ــٌم َحِکْی ــْم ط َوالُ َعِلْی ــْوَب َعلَْیُک ــْم َویَُت قَْبِلُکــَہٰوِت ِبُعْوَن الّشَ یـْـَن یَّتَ ِ یُِریـْـُد اَْن یَُّتــْوَب َعلَْیُکــْم َویُِریـْـُد اّلَ)असन्नसला - 27-28) اَْن تَِمْیلـُـْوا َمْیــًل َعِظْیًمــا

    अल्लाि िे चलािला िै बक तुमिलारे बलए अचछी तरि खोलकर ियलाि कर दे बक अमिुक कलामि करोगे तो फ़लायदला उठलाओगे और अमिुक कलामि करोगे तो िुकसलाि। तुमि से पिले भी कुछ क़ौमिें गुज़री िैं उिमिें से कुछ िे अपिे कमिमों के कलारण सुख पलायला थला और कुछ िे अपिे कमिमों के कलारण दुःख उठलायला। ख़ुदला चलाितला िै बक उिके िलाललात तुमिें खोल-खोलकर सुिला दे, और उि लोगों कला रला्तला तुमिको भी ितला दे जो तिलाबियों से िच गए, कयोंबक अल्लाि उिके िलाललात को अचछी तरि जलाििे वलालला और उि िलाललात के सुिलािे की बिकमित को समिझिे वलालला िै। अल्लाि चलाितला िै बक तुमि पर अपिी रिमित करे और वे लोग जो अपिी िी इचछलाओं के वशीभूत िैं वे चलािते िैं बक एक िी ओर सलारे के सलारे झुक जलाएँ अथला़ात्् सलारे पिलुओं की ओर धयलाि ि दें, अगर भोग-बवललास मिें पडे िैं तो उसी मिें पडे रिें। अगर मिलार-कलाट करिे लगें तो उसी मिें लगे रिें। ख़ुदला तआलला फ़रमिलातला िै बक ऐसला ििीं िोिला चलाबिए, िमि तुमिें ऐसी बशक्ला देते िैं बजसके विलारला इनसलाि सलारे पिलुओं पर िज़र रख सकतला िै। भोग-बवललास पर चलिे वलाले कभी सलारे पिलुओं पर धयलाि ििीं दे सकते, ऐसे आदमिी एक तरफ़़ झुक जलाते िैं। उनिें अगर बकसी पर ग़ु्सला आतला िै तो चलािते िैं बक पीसकर रख दें और अगर मिुिबित करते िैं तो किते िैं सि कुछ क़ुिला़ाि कर दें। ख़ुदला तआलला कितला िै बक इनसलाि को िमि यि ितलािला चलािते िैं बक अमिुक अवसर पर इस तरि कलामि करो और अमिुक अवसर पर इस तरि, तलाबक बकसी कलामि मिें िद से िढिे की वजि से िुकसलाि

  • 20

    पैग़ाम हज़रत मसीह मौऊद अलैहहससल़ाम

    ि उठलाओ। क़ुरआि शरीफ़ पुिः फ़रमिलातला िै :-َساُن َضِعْیًفا

    ْن ِ

    َْف َعْنُکْم ج َوُخِلَق ال اَْن یَُخِفّ یُِریُْد الُ

    (असन्नसला - 29)अल्लाि यि चलाितला िै बक तुमिलारे िोझों को कमि कर दे, अथला़ात््

    शरीअत कला उद्ेशय यि िै बक इनसलाि के िोझ को ि्कला बकयला जलाए, ि यि बक जो कुछ लोग सोचते िैं बक शरीअत एक जकडिनद िै। शरीअत कोई िोझ ििीं,िस्क एक गलाइड िुक िै। चूँबक इनसलाि कमिज़ोर थला और अल्लाि पूण़ातः जलाितला थला बक अगर उसे कोई गलाइड िुक ि दी गई तो िडे-िडे िुकसलाि उठलाएगला और िडे-िडे तजुिमों और िुकसलाि उठलािे के िलाद बकसी चीज़ को िुसलािदेि और बकसी चीज़ को फ़लायदेमिनद ठिरलाएगला। अतः उसिे शरीअतों और िबियों को इसीबलए भेजला। शरीअत और ििी दुबियला मिें लोगों के मिधय मिेल-बमिललाप और शलासनत पैदला करिे के बलए आते िैं। यिी वि बशक्ला िै बजसको सलारे ििी लेकर आए और यिी इस ज़मिलािे मिें िज़रत मिसीि मिौऊद अलैबि्सललामि लेकर आए। आपकला यिी बमिशि थला बक ख़ुदला तआलला के सलाथ लोगों कला मिज़िूती से समिनि जोडें और िनदों कला िनदों से आपस मिें ऐसला ररशतला जोड दें बक दुशमििी और ईषयला़ा-विेष कुछ भी िलाक़ी ि रिे। सलारे ििी इनिीं कलामिों के बलए आते रिे िैं।

    नहबयों के क़ाम -अल्लाि तआलला िे एक और जगि िबियों के कलामि की वयलाखयला

    की िै िज़रत इब्लािीमि अलैबि्सललामि दुआ करते िैं बक िे इललािी मिककला वलालों मिें एक ििी पैदला कर और उसकला कलामि यि िो बक

    یَْتلُْوا َعلَْیِہْ ٰاٰیِتَک (यतलू अलैबिम् आयलाबतकला)

  • 21

    पैग़ाम हज़रत मसीह मौऊद अलैहहससल़ाम

    तेरी तरफ़ से जो उसे दललाइल (तक्फ) बमिलें उनिें सुिलाएَمَۃ

    ِْحک

    ِْکٰتَب َوال

    ْال َویَُعِلُّمُہُ

    (व युअसल्मिो हुमुिल बकतलाि वल् बिकमित) और उनिें बकतलाि और बिकमित बसखलाए

    ْیِہْ َویَُزِکّ(व युज़ककीबिमि)

    और उनिें पलाक करेَحِکْیُم

    َْعِزیُْز ال

    ْ (अल िक़रि - 130) ِانََّک اَنَْت ال

    (इन्नकला अनतल अज़ीज़ुल िकीमि) बिःसनदेि तू िडे पभुतव और िडी बिकमित वलालला िै। अतः यि

    िबियों के कलामि िैं। बजस तरि ििी के पैदला िोिे कला ज़मिलािला वि िोतला िै बजसमिें दुबियला दुःखों और मिुसीितों मिें पडी िोती िै। उसी तरि ििी के आिे कला वि ज़मिलािला िोतला िै बजसमिें लोग ख़ुदला तआलला से िलातला तोड चुके िोते िैं और आपस मिें लडलाई-झगडे शुरू कर देते िैं। ऐसला कभी ििीं हुआ बक मिेल-बमिललाप,अमिि और ख़ुदलापर्ती के ज़मिलािे मिें कोई ििी आयला िो। लेबकि जि उपरिव, अनिकलार और अतयलाचलार िढ जलाए तो आवशयक िै बक उस समिय ििी आए और उस उपरिव और अनिकलार को दूर करे।

    लोगों के अनदर लड़ाई-झगड़े के क़ारण - लडलाई-झगडों के समिनि मिें यि िलात खूि यलाद रखो बक उिकला

    कलारण कंजूसी और प्तबिममिती िै। लोग अपिी शसक्तयों को भुलला देते िैं और छोटी-छोटी िलातों पर लडिे लग जलाते िैं। बजि लोगों के िौसले िुलनद िोते िैं उिकला ख़ुदला तआलला से भी िडला समिनि िोतला िै। बजिके

  • 22

    पैग़ाम हज़रत मसीह मौऊद अलैहहससल़ाम

    िौसले प्त िो जलाते िैं ऐसे लोगों के िलारे मिें ख़ुदला तआलला फ़रमिलातला िै )ििी इस्रलाईल - 95) ُسْوًل بََشًرا ّرَ اَبََعَث الُ

    मिलािो उनिोंिे इनसलाि को ऐसला िीच और बिकममिला समिझ रखला िै बक किते िैं भलला इनसलाि ख़ुदला कला रसूल िो सकतला िै यि तो िहुत मिुसशकल िलात िै। उस ज़मिलािे मिें लोगों के िौसले िहुत बगर जलाते िैं। अतः ऐसे िी ज़मिलािे मिें ििी कला पलादुभला़ाव िोतला िै। ििी आकर उिके िौसले िढलातला िै और उिकी िडी-िडी सललाबियतें उजलागर करतला िै। यिलाँ तक बक जि आँिज़रत सल्ल्लािो अलैबि वसल्मि आए तो आप को इनसलािी िौसलला को चरमिोतकष़ा तक पहुूँचलािे कला सौभलागय पदलाि बकयला गयला और किला गयला बक तू कि दे बक

    یُْحِبْبُکُم الُ ِاْن ُکْنُتْم تُِحّبُْوَن الَ فَاتَِّبُعْوِنْ

    ْقُل

    (अले इमिरलाि - 32)िे लोगो! तुमि तो यि ऐतरलाज करते िो बक एक इनसलाि बकस तरि

    रसूल िि सकतला िै लेबकि ख़ुदला तआलला िे मिुझे वि कुछ बसखलायला िै बक अगर तुमि मिेरे ितलाए हुए आदेशों पर चलोगे तो ख़ुदला के बपय िि जलाओगे और वि तुमिसे पयलार करिे लगेगला। यि इनसलाि की तरक़क़ी कला वि सिसे ऊँचला दजला़ा िै बजसे आँिज़रत सल्ल्लािो अलैबि वसल्मि के विलारला ख़ुदला तआलला िे दुबियला के सलामििे पेश बकयला। लेबकि जो भी ििी आतला रिला उसकला िडला कलामि यिी रिला बक लोगों को कंजूसी से िचलाए। अतः ििी इस उद्ेशय की पलासप्त के बलए िहुत से तरीक़े अपिलाते रिे िैं बजिमिें से एक ज़कलात व सदक़ला कला आदेश भी िै। इ्ललामि िे तो यिलाँ तक सलाविलािी िरती िै बक ज़कलात की अदलायगी िलाबकमिों के विलारला रखी िै बक विी लेकर पलात्रों को दें, तलाबक ज़कलात देिे वलाले कला लेिे वलाले पर कोई एिसलाि ि िो और उसे उससे दििला ि पडे। इस तरीक़े से इ्ललामि िे कंजूसी को

  • 23

    पैग़ाम हज़रत मसीह मौऊद अलैहहससल़ाम

    जड से उखेड बदयला िै। क़ुरआि करीमि से मिलालूमि िोतला िै बक ििी ऐसे िी समिय मिें आते िैं जि क़ौमि मिें कंजूसी पैदला िो जलाती िै,कयोंबक कंजूसी िी तमिलाम् झगडों और फ़सलादों की जड िोती िै। अगर बकसी इनसलाि के बदल मिें यि िीमिलारी ि िो तो वि कभी झगडला –फ़सलाद ि करे। जि लोग मिेल-बमिललाप और अमिि से रिें तो िबियों के आिे की कोई आवशयकतला ििीं रिती। अल्लाि तआलला िे िज़रत मिूसला अलैबि्सललामि की क़ौमि की एक घटिला क़ुरआि शरीफ़ मिें ियलाि की िै बक बकस तरि वि कंजूसी की तरफ़़ झुक गई थी और िज़रत मिूसला उिको उच् बवचलारों की ओर ले जला रिे थे। बजसमिें ितलायला गयला िै बक ििी ऐसी क़ौमि मिें पैदला िोतला िै जो िीि भलाविलाओं से भरी िोती िै और उसकला कलामि उसको उस दलदल से बिकलालिला िोतला िै अतः फ़रमिलायला :-

    ــاْدُع ــٍد فَ اِح ــاٍم ّوَ ــٰی َطَع ــِرَ