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CHARU MITTAL X-A HINDI PPT

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Page 1: Presentation on sant kabir and meera bai

CHARU MITTALX-A

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Page 2: Presentation on sant kabir and meera bai

सं�त कबी�र

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सं�त कबी�र

कबी�र संन्त कवि� और संमा�ज सं�धा�रक थे�। ये� सिसंकन्दर लो�द� क� संमाक�लो�न थे�। कबी�र क� अथे� अरबी� भा�षा� मा! माहा�न हा�त� हा#। कबी�रद�सं भा�रत क�  भासि$ क�व्य पर�पर� क� माहा�नतमा कवि�ये' मा! सं� एक थे�। भा�रत मा! धामा�, भा�षा� ये� सं�स्क* वित विकसं� क+ भा� चच�� विबीन� कबी�र क+ चच�� क� अधा-र� हा� रहा�गी�। कबी�रप�थे�, एक धा�र्मिमा0क संमा�द�ये ज� कबी�र क� सिसंद्धां��त' और सि2क्षा�ओं क� अपन� ज��न 2#लो� क� आधा�र मा�नत� हा6,

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ज��नक�2� क� इसं अक्खड़, विनडर ए�� सं�त कवि� क� जन्मा लोहारत�र� क� प�सं संन< १३९८ मा! ज्ये�ष्ठ प-र्णिD0मा� क� हुआ। ज�लो�हा� परिर��र मा! प�लोन प�षाD हुआ, सं�त र�मा�न�द क� सि2ष्ये बीन� और अलोख जगी�न� लोगी�। कबी�र संधा�क्कड़� भा�षा� मा! विकसं� भा� संम्प्रद�ये और रूढ़िKये' क+ पर��हा विकये� विबीन� खर� बी�त कहात� थे�। कबी�र न� हिंहा0दू-मा�संलोमा�न संभा� संमा�ज मा! व्य�प्त रूढ़िK��द तथे� कट्टरप�थे क� ख�लोकर वि�र�धा विकये�। कबी�र क+ ��D� उनक� मा�खर उपद�2 उनक+ सं�ख�, रमा#न�, बी�जक, बी��न-अक्षार�, उलोटबी�सं� मा! द�ख! ज� संकत� हा6। गी�रु ग्रं�थे सं�हाबी मा! उनक� २०० पद और २५० सं�खिखये�� हा6। क�2� मा! प्रचसिलोत मा�न्येत� हा# विक ज� येहाY मारत� हा# उसं� मा�क्षा प्र�प्त हा�त� हा#। रूढ़िK क� वि�र�धा� कबी�र क� येहा क# सं� मा�न्ये हा�त�। क�2� छो�ड़ मागीहार चलो� गीये� और संन< १५१८ क� आसं प�सं �हा[ द�हा त्ये�गी विकये�। मागीहार मा! कबी�र क+ संमा�धिधा हा# जिजसं� विहान्दू मा�संलोमा�न द�न' प-जत� हा6।

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मातभा�द भार� ज��नहिंहा0द� सं�विहात्ये मा! कबी�र क� व्यसि$त्� अन�पमा हा#। गी�स्��मा� त�लोसं�द�सं क� छो�ड़ कर इतन� माविहामा�माण्डि`डत व्यसि$त्� कबी�र क� सिसं�� अन्ये विकसं� क� नहा[ हा#। कबी�र क+ उत्पत्तिb क� सं�बी�धा मा! अन�क हिंक0�दन्तिन्तये�d हा6। क� छो लो�गी' क� अन�सं�र �� जगीद्गुfरु र�मा�नन्द स्��मा� क� आ2����द सं� क�2� क+ एक वि�धा�� ब्रा�ह्मD� क� गीभा� सं� उत्पन्न हुए थे�। ब्रा�ह्मD� उसं न�ज�त सि22� क� लोहारत�र� त�लो क� प�सं फें! क आये�। उसं� न�रु न�मा क� ज�लो�हा� अपन� घर लो� आये�। उसं� न� उसंक� प�लोन-प�षाD विकये�। बी�द मा! येहा� बी�लोक कबी�र कहालो�ये�। कवितपये कबी�र पन्थिmये' क+ मा�न्येत� हा# विक कबी�र क+ उत्पत्तिb क�2� मा! लोहारत�र� त�लो�बी मा! उत्पन्न कमालो क� मान�हार प�ष्प क� ऊपर बी�लोक क� रूप मा! हुई। एक प्र�च�न ग्रं�थे क� अन�सं�र विकसं� ये�गी� क� औरसं तथे� प्रत�वित न�माक द���ङ्गन� क� गीभा� सं� भा$र�ज प्रहालो�द हा� सं��त< १४५५ ज्ये�ष्ठ 2�क्लो १५ क� कबी�र क� रूप मा! प्रकट हुए थे�।क� छो लो�गी' क� कहान� हा# विक �� जन्मा सं� मा�संलोमा�न थे� और ये����स्था� मा! स्��मा� र�मा�नन्द क� प्रभा�� सं� उन्हा! हिंहा0दू धामा� क+ बी�त! मा�लो-मा हुईं। एक ढ़िदन, एक पहार र�त रहात� हा� कबी�र पञ्चगी�गी� घ�ट क+ सं�ढ़िKये' पर विगीर पड़�। र�मा�नन्द ज� गी�गी�स्न�न करन� क� सिलोये� सं�ढ़िKये�d उतर रहा� थे� विक तभा� उनक� प#र कबी�र क� 2र�र पर पड़ गीये�। उनक� मा�ख सं� तत्क�लो 'र�मा-र�मा' 2ब्द विनकलो पड़�। उसं� र�मा क� कबी�र न� द�क्षा�-मान्त्र मा�न सिलोये� और र�मा�नन्द ज� क� अपन� गी�रु स्��क�र कर सिलोये�।

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कबी�र क� हा� 2ब्द' मा!- 'हामा क�सं� मा! प्रकट भाये� हा6, र�मा�नन्द च�त�ये�'।अन्ये जनश्रु�वितये' सं� ज्ञा�त हा�त� हा# विक कबी�र न� हिंहा0दू-मा�संलोमा�न क� भा�द धिमाट� कर हिंहा0दू-भा$' तथे� मा�संलोमा�न फेंक+र' क� संत्सं�गी विकये� और द�न' क+ अच्छी� बी�त' क� हृदये�गीमा कर सिलोये�।जनश्रु�वित क� अन�सं�र उन्हा! एक प�त्र कमा�लो तथे� प�त्र� कमा�लो� थे�। इतन� लो�गी' क+ पर�रिर2 करन� क� सिलोये� उन्हा! अपन� करघ� पर क�फें+ क�मा करन� पड़त� थे�। ११९ �षा� क+ अ�स्था� मा! उन्हा'न� मागीहार मा! द�हा त्ये�गी विकये�।

धामा� क� प्रवितसं�धा� सं�त' क� त� घर मा! जमा��ड़� रहात� हा� थे�। कबी�र पK�-सिलोख� नहा[ थे�- 'मासिसं क�गीद छो- �� नहा[, कलोमा गीहा� नहिंहा0 हा�थे।'उन्हा'न� स्�ये� ग्रं�थे नहा[ सिलोख�, मा�dहा सं� भा�ख� और उनक� सि2ष्ये' न� उसं� सिलोख सिलोये�। आप क� संमास्त वि�च�र' मा! र�मान�मा क+ माविहामा� प्रवितध्�विनत हा�त� हा#। �� एक हा� ईश्वर क� मा�नत� थे� और कमा�क�`ड क� घ�र वि�र�धा� थे�। अ�त�र, मा-र्णिb0, र�ज़ा�, ईद, मासंजिजद, मा�ढ़िदर आढ़िद क� �� नहा[ मा�नत� थे�।कबी�र क� न�मा सं� धिमालो� ग्रं�थे' क+ सं�ख्ये� त्तिभान्न-त्तिभान्न लो�ख' क� अन�सं�र त्तिभान्न-त्तिभान्न हा#। एच.एच. वि�ल्संन क� अन�सं�र कबी�र क� न�मा पर आठ ग्रं�थे हा6। वि�2प ज�.एच. ��स्टकYट न� कबी�र क� ८४ ग्रं�थे' क+ सं-च� प्रस्त�त क+ त� र�माद�सं गी�ड़ न� 'हिंहा0दुत्�' मा! ७१ प�स्तक! विगीन�ये� हा6।

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��D� सं�ग्रंहाकबी�र क+ ��D� क� सं�ग्रंहा 'बी�जक' क� न�मा सं� प्रसिसंद्धां हा#। इसंक� त�न भा�गी हा6- रमा#न�, संबीद और सं�ख� येहा प�ज�बी�, र�जस्था�न�, खड़� बी�लो�, अ�धा�, प-रबी�, ब्राजभा�षा� आढ़िद कई भा�षा�ओं क+ खिखचड़� हा#।कबी�र परमा�त्मा� क� धिमात्र, मा�त�, विपत� और पवित क� रूप मा! द�खत� हा6।येहा� त� मान�ष्ये क� सं���धिधाक विनकट रहात� हा6।�� कभा� कहात� हा6-'हरि�मो�� पि�उ, मो ��मो की बहुरि�या�' तो� कीभी� कीहतो� ह, 'हरि� जनन� मो ब�लकी तो���'।और कभा� "बीड� हुआ त� क्ये� हुआ ज#सं#"उसं संमाये हिंहा0दू जनत� पर मा�ण्डिस्लोमा आत�क क� कहार छो�ये� हुआ थे�। कबी�र न� अपन� प�थे क� इसं ढं�गी सं� सं�विनये�जिजत विकये� जिजसंसं� मा�ण्डिस्लोमा मात क+ ओर झु�क+ हुई जनत� संहाज हा� इनक+ अन�ये�ये� हा� गीये�। उन्हा'न� अपन� भा�षा� संरलो और सं�बी�धा रख� त�विक �हा आमा आदमा� तक पहुdच संक� । इसंसं� द�न' संम्प्रद�ये' क� परस्पर धिमालोन मा! सं�वि�धा� हुई। इनक� प�थे मा�संलोमा�न-सं�स्क* वित और गी�भाक्षाD क� वि�र�धा� थे�। कबी�र क� 2��वितमाये ज��न विप्रये थे� और �� अहिंहा0सं�, संत्ये, संद�च�र आढ़िद गी�D' क� प्र2�संक थे�। अपन� संरलोत�, सं�धा� स्�भा�� तथे� सं�त प्र�*त्तिb क� क�रD आज वि�द�2' मा! भा� उनक� संमा�दर हा� रहा� हा#।

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�*द्धां��स्था� मा! ये2 और क+र्णिb0 क+ मा�र न� उन्हा! बीहुत कष्ट ढ़िदये�। उसं� हा�लोत मा! उन्हा'न� बीन�रसं छो�ड़� और आत्माविनर�क्षाD तथे� आत्मापर�क्षाD करन� क� सिलोये� द�2 क� वि�त्तिभान्न भा�गी' क+ ये�त्र�एd क� इसं� क्रमा मा! �� क�लिंलो0जर जिजलो� क� विपथे�र�बी�द 2हार मा! पहुdच�। �हा�d र�माक* ष्D क� छो�ट� सं� माजिन्दर थे�। �हा�d क� सं�त भागी��न< गी�स्��मा� क� जिजज्ञा�सं� सं�धाक थे� हिंक0त� उनक� तक� क� अभा� तक प-र� तरहा संमा�धा�न नहा[ हुआ थे�। सं�त कबी�र सं� उनक� वि�च�र-वि�विनमाये हुआ। कबी�र क+ एक सं�ख� न� उन क� मान पर गीहार� असंर विकये�-'बीन त� भा�गी� विबीहार� पड़�, करहा� अपन� बी�न। करहा� बी�दन क�सं' कहा�, क� करहा� क� ज�न।।'�न सं� भा�गी कर बीहा�सिलोये� क� द्वा�र� ख�ये� हुए गीड्ढे� मा! विगीर� हुआ हा�थे� अपन� व्यथे� विकसं सं� कहा� ?सं�र��2 येहा विक धामा� क+ जिजज्ञा�सं� सं! प्र�रिरत हा� कर भागी��न गी�सं�ई अपन� घर छो�ड़ कर बी�हार त� विनकलो आये� और हारिरव्य�सं� संम्प्रद�ये क� गीड्ढे� मा! विगीर कर अक� लो� विन���सिसंत हा� कर असं���द्य ण्डिस्थावित मा! पड़ च�क� हा6।मा-र्णिb0 प-ज� क� लोक्ष्ये करत� हुए उन्हा'न� एक सं�ख� हा�जिजर कर द�-प�हान प-ज� हारिर धिमालो6, त� मा6 प-ज� पहा�र। �� त� त� च�क+ भालो�, प�सं� ख�ये सं�सं�र।।

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कबी�र क� र�माकबी�र क� र�मा त� अगीमा हा6 और सं�सं�र क� कD-कD मा! वि�र�जत� हा6। कबी�र क� र�मा इस्लो�मा क� एक� श्वर��द�, एकसंb���द� ख�द� भा� नहा[ हा6। इस्लो�मा मा! ख�द� ये� अल्लो�हा क� संमास्त जगीत ए�� ज��' सं� त्तिभान्न ए�� परमा संमाथे� मा�न� ज�त� हा#। पर कबी�र क� र�मा परमा संमाथे� भालो� हा', लो�विकन संमास्त ज��' और जगीत सं� त्तिभान्न त� कद�विप नहा[ हा6। बील्किल्क इसंक� वि�पर�त �� त� संबीमा! व्य�प्त रहान� ��लो� रमात� र�मा हा6। �हा कहात� हा6व्य�पक ब्राह्म संबीविनमा6 एक# , क� प�विडत क� ज�गी�। र��D-र�� क�नसं-� क�न ��द क� र�गी�।कबी�र र�मा क+ विकसं� ख�सं रूप�क* वित क+ कल्पन� नहा[ करत�, क्ये'विक रूप�क* वित क+ कल्पन� करत� हा� र�मा विकसं� ख�सं ढं�dच� (फ्रे� मा) मा! बीdधा ज�त�, ज� कबी�र क� विकसं� भा� हा�लोत मा! मा�ज-र नहा[। कबी�र र�मा क+ अ�धा�रD� क� एक त्तिभान्न और व्य�पक स्�रूप द�न� च�हात� थे�। इसंक� क� छो वि�2�षा क�रD थे�, जिजनक+ चच�� हामा इसं लो�ख मा! आगी� कर!गी�।

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विकन्त� इसंक� बी��ज-द कबी�र र�मा क� सं�थे एक व्यसि$गीत प�रिर��रिरक विकस्मा क� सं�बी�धा जरूर स्था�विपत करत� हा6। र�मा क� सं�थे उनक� प्र�मा उनक+ अलो�विकक और माविहामा�2�लो� संb� क� एक क्षाD भा� भा�लो�ए बीगी#र संहाज प्र�मापरक मा�न��ये सं�बी�धा' क� धार�तलो पर प्रवितधिष्ठत हा#।कबी�र न�मा मा! वि�श्व�सं रखत� हा6, रूप मा! नहा[। हा�लो�dविक भासि$-सं���दन� क� सिसंद्धां��त' मा! येहा बी�त सं�मा�न्ये रूप सं� प्रवितधिष्ठत हा# विक ‘न�मा रूप सं� बीKकर हा#’, लो�विकन कबी�र न� इसं सं�मा�न्ये सिसंद्धां��त क� क्र��वितधामा� उपये�गी विकये�। कबी�र न� र�मा-न�मा क� सं�थे लो�कमा�नसं मा! 2त�खिब्दये' सं� रच�-बीसं� सं�ण्डि�ष्ट भा��' क� उद�b ए�� व्य�पक स्�रूप द�कर उसं� प�र�D-प्रवितप�ढ़िदत ब्रा�ह्मD��द� वि�च�रधा�र� क� ख�dच� मा! बी�dधा� ज�न� सं� र�कन� क+ क�सि22 क+।कबी�र क� र�मा विनगी��D-संगी�D क� भा�द सं� पर� हा6। दरअसंलो उन्हा'न� अपन� र�मा क� 2�स्त्र-प्रवितप�ढ़िदत अ�त�र�, संगी�D, �च�स्�2�लो �D��श्रुमा व्य�स्था� क� सं�रक्षाक र�मा सं� अलोगी करन� क� सिलोए हा� ‘विनगी��D र�मा’ 2ब्द क� प्रये�गी विकये�–‘विनगी��D र�मा जपहु र� भा�ई।’ इसं ‘विनगी��D’ 2ब्द क� लो�कर भ्रमा मा! पड़न� क+ जरूरत नहा[। कबी�र क� आ2ये इसं 2ब्द सं� सिसंफें� इतन� हा# विक ईश्वर क� विकसं� न�मा, रूप, गी�D, क�लो आढ़िद क+ सं�मा�ओं मा! बी�dधा� नहा[ ज� संकत�। ज� सं�र� सं�मा�ओं सं� पर� हा6 और विफेंर भा� सं��त्र हा6, �हा� कबी�र क� विनगी��D र�मा हा6। इसं� उन्हा'न� ‘रमात� र�मा’ न�मा ढ़िदये� हा#। 

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अपन� र�मा क� विनगी��D वि�2�षाD द�न� क� बी��ज-द कबी�र उनक� सं�थे मा�न��ये प्र�मा सं�बी�धा' क+ तरहा क� रिरश्त� क+ बी�त करत� हा6। कभा� �हा र�मा क� मा�धा�ये� भा�� सं� अपन� प्र�मा� ये� पवित मा�न लो�त� हा6 त� कभा� द�स्ये भा�� सं� स्��मा�। कभा�-कभा� �हा र�मा क� ��त्संल्ये मा-र्तित0 क� रूप मा! मा�d मा�न लो�त� हा6 और ख�द क� उनक� प�त्र। विनगी��D-विनर�क�र ब्राह्म क� सं�थे भा� इसं तरहा क� संरसं, संहाज, मा�न��ये प्र�मा कबी�र क+ भासि$ क+ वि�लोक्षाDत� हा#। येहा दुवि�धा� और संमास्ये� दूसंर' क� भालो� हा� संकत� हा# विक जिजसं र�मा क� सं�थे कबी�र इतन� अनन्ये, मा�न��ये सं�बी�धापरक प्र�मा करत� हा', �हा भालो� विनगी��D क# सं� हा� संकत� हा6, पर ख�द कबी�र क� सिलोए येहा संमास्ये� नहा[ हा#।�हा कहात� भा� हा6“सं�त�, धा�ख� क�सं-� कविहाये�। गी�नमा6 विनरगी�न, विनरगी�नमा6 गी�न, बी�ट छो��विड़ क्ये-� बीविहासं�!” नहा[ हा#।प्र�फ़े� संर माहा���र संरन ज#न न� कबी�र क� र�मा ए�� कबी�र क+ सं�धान� क� सं�बी�धा मा! अपन� वि�च�र व्य$ करत� हुए कहा� हा# : " कबी�र क� सं�र� ज��न संत् ये क+ ख�ज तथे� असंत् ये क� ख�डन मा! व्‍ येत�त हुआ। कबी�र क+ सं�धान� ‘‘मा�नन� सं� नहा[, ‘‘ज�नन� सं� आरम्‍ भा हा�त� हा#। �� विकसं� क� सि2ष् ये नहा[, र�मा�नन् द द्वा�र� च�त�ये� हुए च�लो� हा6।उनक� सिलोए र�मा रूप नहा[ हा#, द2रथे� र�मा नहा[ हा#, उनक� र�मा त� न�मा सं�धान� क� प्रत�क हा6। उनक� र�मा विकसं� संम्‍ प्रद�ये, ज�वित ये� द�2 क+ सं�मा�ओं मा! क# द नहा[ हा#। प्रक* वित क� कD-कD मा!, अ�गी-अ�गी मा! रमाD करन� पर भा� जिजसं� अन�गी स् प2� नहा[ कर संकत�, �� अलोख, अवि�न�2�, परमा तत् � हा� र�मा हा6। उनक� र�मा मान�ष् ये और मान�ष् ये क� बी�च विकसं� भा�द-भा�� क� क�रक नहा[ हा6। �� त� प्र�मा तत् � क� प्रत�क हा6। भा�� सं� ऊपर उठकर माहा�भा�� ये� प्र�मा क� आर�ध् ये हा6  ¡-

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‘प्र�मा जगी��# वि�रहा क�, वि�रहा जगी��# प�उ, प�उ जगी��# ज�� क�, ज�इ प�उ सं�ई ज�उ' - ज� प�उ हा#, �हा� ज�� हा#। इसं� क�रD उनक+ प-र� सं�धान� ‘‘हा�सं उबी�रन आए क+ सं�धान� हा#। इसं हा�सं क� उबी�रन� प�सिथेये' क� पKन� सं� नहा[ हा� संकत�, ढं�ई आखर प्र�मा क� आचरD सं� हा� हा� संकत� हा#। धामा� ओKन� क+ च�ज नहा[ हा#, ज��न मा! आचरD करन� क+ संतत संत् ये सं�धान� हा#। उनक+ सं�धान� प्र�मा सं� आरम्‍ भा हा�त� हा#। इतन� गीहार� प्र�मा कर� विक �हा� त�म्‍ हा�र� सिलोए परमा�त् मा� हा� ज�ए। उसंक� प�न� क+ इतन� उत् क` ठ� हा� ज�ए विक संबीसं� �#र�ग्‍ ये हा� ज�ए, वि�रहा भा�� हा� ज�ए तभा� उसं ध् ये�न संमा�धिधा मा! प�उ ज�ग्रंत हा� संकत� हा#। �हा� प�उ त�म्‍ हा�र� अन् त�मान मा! बी#ठ� ज�� क� जगी� संकत� हा#। ज�ई प�उ हा# सं�ई ज�उ हा#। तबी त�मा प-र� सं�सं�र सं� प्र�मा कर�गी�, तबी सं�सं�र क� प्रत् ये�क ज�� त�म्‍ हा�र� प्र�मा क� प�त्र बीन ज�एगी�। सं�र� अहा�क�र, सं�र� द्वा�षा दूर हा� ज�एगी�। विफेंर माहा�भा�� जगी�गी�। इसं� माहा�भा�� सं� प-र� सं�सं�र विपउ क� घर हा� ज�त� हा#।

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मा�र� बी�ई

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मो���ब�ई क* ष्D-भासि$ 2�ख� क+ प्रमा�ख क�धियेत्र� हा6। उनक� जन्मा १५०४ ईस्�� मा! ज�धाप�र क� प�सं मा�ड<त� ग्रं�मा मा� हुआ थे� क� ड<क+ मा! मा�र� बी�ई क� नविनहा�लो थे�। उनक� विपत� क� न�मा रत्नलिंसं0हा थे�। उनक� पवित क�� �र भा�जर�ज उदयेप�र क�  माहा�र�D� सं��गी� क� प�त्र थे�। वि���हा क� क� छो संमाये बी�द हा� उनक� पवित क� द�हा�न्त हा� गीये�। पवित क+ मा*त्ये� क� बी�द उन्हा� पवित क� सं�थे संत� करन� क� प्रये�सं विकये� गीये� विकन्त� मा�र�� इसंक� सिलोए त#ये�र नहा� हुई | �� सं�सं�र क+ ओर सं� वि�र$ हा� गीये[ और सं�धा�-सं�त' क+ सं�गीवित मा! हारिरक+त�न करत� हुए अपन� संमाये व्यत�त करन� लोगी[। क� छो संमाये बी�द उन्हा'न� घर क� त्ये�गी कर ढ़िदये� और त�थे��टन क� विनकलो गीईं। �� बीहुत ढ़िदन' तक �*न्द��न मा! रहा[ और विफेंर द्वा�रिरक� चलो� गीईं। जहा�d सं��त १५६० ईस्�� मा! �� भागी��न क* ष्D विक मा-र्तित0 मा� संमा� गीई । मा�र� बी�ई न� क* ष्D-भासि$ क� स्फु� ट पद' क+ रचन� क+ हा#।

मा�र� बी�ई

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ज��न परिरचयेक* ष्Dभासि$ 2�ख� क+ हिंहा0द� क+ माहा�न क�धियेत्र� हा6। उनक+ कवि�त�ओं मा! स्त्र� पर�धा�नत� क� प्रत� एक गीहार� ट�सं हा#, ज� भासि$ क� र�गी मा! र�गी कर और गीहार� हा� गीये� हा#।[1]मा�र��बी�ई क� जन्मा सं��त< 1504 मा! ज�धाप�र मा! क� रक+ न�माक गी�d� मा! हुआ थे�।[2] इनक� वि���हा उदयेप�र क� माहा�र�D� क� मा�र भा�जर�ज क� सं�थे हुआ थे�। ये� बीचपन सं� हा� क* ष्Dभासि$ मा! रुसिच लो�न� लोगी� थे[ वि���हा क� थे�ड़� हा� ढ़िदन क� बी�द उनक� पवित क� स्�गी���सं हा� गीये� थे�। पवित क� परलो�क��सं क� बी�द इनक+ भासि$ ढ़िदन- प्रवितढ़िदन बीKत� गीई। ये� मा�ढ़िदर' मा! ज�कर �हा�d मा�ज-द क* ष्Dभा$' क� सं�मान� क* ष्Dज� क+ मा-र्तित0 क� आगी� न�चत� रहात� थे[। मा�र��बी�ईक� क* ष्Dभासि$ मा! न�चन� और गी�न� र�ज परिर��र क� अच्छी� नहा[ लोगी�। उन्हा'न� कई बी�र मा�र�बी�ई क� वि�षा द�कर मा�रन� क+ क�सि22 क+। घर ��लो' क� इसं प्रक�र क� व्य�हा�र सं� पर�2�न हा�कर �हा द्वा�रक� और �*�द��न गीईं। �हा जहा�d ज�त� थे[, �हा�d लो�गी' क� संम्‍मा�न धिमालोत� थे�। लो�गी आपक� द�वि�ये' क� ज#सं� प्ये�र और संम्‍मा�न द�त� थे�। इसं� द�र�न उन्हा'न� त�लोसं�द�सं क� पत्र सिलोख� थे� :-

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स्�ल्किस्त श्रु� त�लोसं� क� लोभा-षाD दूषान- हारन गी�सं�ई। बी�रहिंहा0 बी�र प्रन�मा करहूँd अबी हारहूँd सं�क- संमा�द�ई।। घर क� स्�जन हामा�र� ज�त� संबीन्हा उप�धिधा बीK�ई। सं�धा�- संगी अरु भाजन करत मा�हिंहा0 द�त कलो�सं माहा�ई।। मा�र� मा�त�- विपत� क� संमाहा�, हारिरभा$न्हा सं�खद�ई। हामाक� कहा� उसिचत करिरबी� हा#, सं� सिलोखिखए संमाझु�ई।।मा�र�बी�ई क� पत्र क� जबी�� त�लोसं� द�सं न� इसं प्रक�र ढ़िदये�:-ज�क� विप्रये न र�मा बी#द�हा�। सं� नर तजिजए क�ढ़िट बी#र� संमा जद्यविप परमा संन�हा�।। न�त� संबी# र�मा क� माविनयेत सं�ह्मद सं�सं�ख्ये जहा�d लो�। अ�जन कहा� आdखिख ज� फें- ट�, बीहुतक कहा� कहा�� लो�।।

मा�र� द्वा�र� रसिचत ग्रं�थेमा�र�बी�ई न� च�र ग्रं�थे' क+ रचन� क+---नरसं� क� मा�येर� - गी�त गी�हिं�0द ट�क� - र�गी गी�हिं�0द - र�गी सं�रठ क� पदइसंक� अलो��� मा�र�बी�ई क� गी�त' क� सं�कलोन "मा�र��बी�ई क+ पद��लो�' न�माक ग्रंm मा! विकये� गीये� हा#।

मा�र�बी�ई क+ भासि$मा�र� क+ भासि$ मा! मा�धा�ये�- भा�� क�फें+ हाद तक प�ये� ज�त� थे�। �हा अपन� इष्टद�� क* ष्D क+ भा��न� विप्रयेतमा ये� पवित क� रुप मा! करत� थे�। उनक� मा�नन� थे� विक इसं सं�सं�र मा! क* ष्D क� अलो��� क�ई प�रुषा हा# हा� नहा[। क* ष्D क� रुप क+ द���न� थे�--

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बीसं� मा�र� न#नन मा! न�दलो�लो। मा�हान� मा-रवित, सं�d�रिर, सं�रवित न#न� बीन� वि�सं�लो।। अधार सं�धा�रसं मा�रलो� बी�जवित, उर बी#ज�त� मा�लो। क्षा�द्र घ�ढ़िटक� कढ़िट- तट सं�त्तिभात, न-प�र 2ब्द रसं�लो। मा�र� प्रभा� सं�तन सं�खद�ई, भा$ बीछोलो गी�प�लो।।

मा�र�बी�ई र#द�सं क� अपन� गी�रु मा�नत� हुए कहात� हा6 -गी�रु धिमासिलोये� र#द�सं द�न्हा� ज्ञा�न क+ गी�टक+।

इन्हा'न� अपन� बीहुत सं� पद' क+ रचन� र�जस्था�न� धिमात्तिश्रुत भा�षा� मा! क+ हा#। इसंक� अलो��� क� छो वि�2�द्धां सं�विहान्तित्येक ब्राजभा�षा� मा! भा� सिलोख� हा#। इन्हा'न� जन्माज�त कवि�धियेत्र� न हा�न� क� बी��ज-द भासि$ क+ भा��न� मा! कवि�धियेत्र� क� रुप मा! प्रसिसंजिद्धां प्रद�न क+। मा�र� क� वि�रहा गी�त' मा! संमाक�लो�न कवि�ये' क+ अप�क्षा� अधिधाक स्��भा�वि�कत� प�ई ज�त� हा#। इन्हा'न� अपन� पद' मा! श्रु*�गी�र और 2��त रसं क� प्रये�गी वि�2�षा रुप सं� विकये� हा#।

मान र� प�सिसं हारिर क� चरन। सं�भागी सं�तलो कमालो- क�मालो वित्रवि�धा - ज्��लो�- हारन। ज� चरन प्रह्मलो�द परसं� इ�द्र- पद्वा�- हा�न।। जिजन चरन ध्रु�� अटलो क�न्हा' र�खिख अपन� संरन। जिजन चरन ब्रा�ह्म��ड मा!थ्ये' नखसिसंख� श्रु� भारन।। जिजन चरन प्रभा� परसं लोविनहा' तर� गी�तमा धारविन। जिजन चरन धारथे� गी�बीरधान गीरबी- माधा��- हारन।। द�सं मा�र� लो�लो विगीरधार आजमा त�रन तnathanaरन।।

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मो���ब�ई की� घ� से� पिनकी�ल� ज�न�

मा�र�बी�ई क� क* ष्Dभासि$ मा! न�चन� और गी�न� र�ज परिर��र क� अच्छी� नहा[ लोगी�। उन्हा'न� कई बी�र मा�र�बी�ई क� वि�षा द�कर मा�रन� क+ क�सि22 क+। घर ��लो' क� इसं प्रक�र क� व्य�हा�र सं� पर�2�न हा�कर �हा द्वा�रक� और �*�द��न

गीईं। �हा जहा�d ज�त� थे[, �हा�d लो�गी' क� संम्‍मा�न धिमालोत� थे�। लो�गी आपक� द�वि�ये' क� ज#सं� प्ये�र और संम्‍मा�न द�त� थे�। इसं� द�र�न उन्हा'न� त�लोसं�द�सं क�

पत्र सिलोख� थे� :-

स्�ल्किस्त श्रु� त�लोसं� क� लोभा-षाD दूषान- हारन गी�सं�ई।बी�रहिंहा0 बी�र प्रन�मा करहूँd अबी हारहूँd सं�क- संमा�द�ई।।घर क� स्�जन हामा�र� ज�त� संबीन्हा उप�धिधा बीK�ई।सं�धा�- संगी अरु भाजन करत मा�हिंहा0 द�त कलो�सं माहा�ई।।मा�र� मा�त�- विपत� क� संमाहा�, हारिरभा$न्हा सं�खद�ई।हामाक� कहा� उसिचत करिरबी� हा#, सं� सिलोखिखए संमाझु�ई।।

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ज�क� विप्रये न र�मा बी#द�हा�।सं� नर तजिजए क�ढ़िट बी#र� संमा जद्यविप परमा संन�हा�।।न�त� संबी# र�मा क� माविनयेत सं�ह्मद सं�सं�ख्ये जहा�d लो�।अ�जन कहा� आdखिख ज� फें- ट�, बीहुतक कहा� कहा�� लो�।।

मो��� द्वा��� �चि�तो ग्रं थ मा�र�बी�ई न� च�र ग्रं�थे' क+ रचन� क+--

- बीरसं� क� मा�येर�- गी�त गी�हिं�0द ट�क�- र�गी गी�हिं�0द- र�गी सं�रठ क� पद

इसंक� अलो��� मा�र�बी�ई क� गी�त' क� सं�कलोन " मा�र�बी�ई क+ पद��लो�' न�माक ग्रंm मा! विकये� गीये� हा#।

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मो���ब�ई की भीचि" मा�र� क+ भासि$ मा! मा�धा�ये�- भा�� क�फें+ हाद तक प�ये� ज�त� थे�। �हा अपन� इष्टद�� क* ष्D क+ भा��न� विप्रयेतमा ये� पवित क� रुप मा! करत� थे�। उनक� मा�नन� थे� विक इसं सं�सं�र मा! क* ष्D क� अलो��� क�ई प�रुषा हा# हा� नहा[। क* ष्D क� रुप क+ द���न� थे�--

बीसं� मा�र� न#नन मा! न�दलो�लो।मा�हान� मा-रवित, सं�d�रिर, सं�रवित न#न� बीन� वि�सं�लो।।अधार सं�धा�रसं मा�रलो� बी�जवित, उर बी#ज�त� मा�लो।क्षा�द्र घ�ढ़िटक� कढ़िट- तट सं�त्तिभात, न-प�र 2ब्द रसं�लो।मा�र� प्रभा� सं�तन सं�खद�ई, भा$ बीछोलो गी�प�लो।।

मा�र�बी�ई र#द�सं क� अपन� गी�रु मा�नत� हुए कहात� हा6 -गी�रु धिमासिलोये� र#द�सं द�न्हा� ज्ञा�न क+ गी�टक+।

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इन्हा'न� अपन� बीहुत सं� पद' क+ रचन� र�जस्था�न� धिमात्तिश्रुत भा�षा� मा! हा� हा#। इसंक� अलो��� क� छो वि�2�द्धां सं�विहान्तित्येक ब्राजभा�षा� मा! भा� सिलोख� हा#। इन्हा'न� जन्माज�त कवि�धियेत्र� न हा�न� क� बी��ज-द भासि$ क+ भा��न� मा! कवि�धियेत्र� क� रुप मा! प्रसिसंजिद्धां प्रद�न क+। मा�र� क� वि�रहा गी�त' मा! संमाक�लो�न कवि�ये' क+ अप�क्षा� अधिधाक स्��भा�वि�कत� प�ई ज�त� हा#। इन्हा'न� अपन� पद' मा! श्रु*�गी�र और 2��त रसं क� प्रये�गी वि�2�षा रुप सं� विकये� हा#।इनक� एक पद --मान र� प�सिसं हारिर क� चरन।सं�भागी सं�तलो कमालो- क�मालो वित्रवि�धा - ज्��लो�- हारन।ज� चरन प्रह्मलो�द परसं� इ�द्र- पद्वा�- हा�न।।जिजन चरन ध्रु�� अटलो क�न्हा' र�खिख अपन� संरन।जिजन चरन ब्रा�ह्म��ड मा!थ्ये' नखसिसंख� श्रु� भारन।।जिजन चरन प्रभा� परसं लोविनहा' तर� गी�तमा धारविन।जिजन चरन धारथे� गी�बीरधान गीरबी- माधा��- हारन।।द�सं मा�र� लो�लो विगीरधार आजमा त�रन तरन।। 

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